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श्रात्मतत्व-विचार
उसके बाद यज्ञदत्ता स्मशान में गयी और एक स्त्री तथा एक पुरुष का लाश ले आयी । उन लाशो को घर में रखकर बाहर से कुन्डी बन्द कर दी। और, घर मे से जो लेते बना लेकर घर में आग लगा दिया।
आग धीरे-धीरे बढ गयी और लोगों की भीड़ लग गयी । दूसरे घरो __ तक आग न पहुँचे, इसलिए लोग बुझाने का प्रयास करने लगे। आग काबू
में आयी । लोग अन्दर गये तो एक स्त्री और एक पुरुष की लाश उसम मिली । लोगों ने अनुमान लगा लिया कि, यज्ञदत्ता और देवदत्त जल मरे। सब ओर हाहाकार मच गया । गुप्त रूप से यह समाचार भूतमति तक 'पहुँचा।
भूतमति यह सुनकर लौट कर कठापुर आया और उसने सर्वनाश का दृश्य देखा । उसे मूछी आ गयी । जब मूर्छा हटी तो वह यज्ञदत्ता के लिए विलाप करने लगा।
यज्ञदत्ता और देवदत्त के सम्बन्ध की गध एक ब्राह्मण को मिल गयी थी । वह बोला-"पडित गयी वस्तु की चिंता नहीं करते । नारी तो बहुत करके कपट क्रियावाली होती है। इसलिए, उस पर इतना अधिक मोह रखना उचित नहीं है।”
ये शब्द तो सच्चे थे पर, जिसका मन मोह से मूढ हो गया हो, उसके गले भला ये शब्द क्यो उतरने लगे । भूतमति बोला-"मुझ-जैसे पडित को तुम उपदेश देनेवाले कौन हो ? यज्ञदत्ता कैसी थी या कैसी नहीं थी, इसे तू क्या जाने ? उसके रूप और गुण मेरी स्मृति से क्यों जाने लगे "
और, वह फिर विलाप करने लगा। ___ पहलेवाले स्नेही ब्राह्मण ने कहा-"अति मोह से पडित की बुद्धि कुठित हो गयी है । फिर, हित के वचन उसे कैसे सुहायें ? स्त्री उसकी है, जिसे वह चाहे । उस पर से मोह हटा लो और परमात्मा का भजन करो जिससे भावी जीवन न बिगड़े।"