________________
धर्म की पहिचान
५५७ कहा जाता है; इसलिए धर्म की परीक्षा करते समय सावधान रहना चाहिए।
धर्म में दूसरी चीज जो आपको देखनी चाहिए वह संयम है। अगर उसमें किसी न किसी प्रकार से मौज-शौक या भोग-विलास की छूट दो
गयी हो, या इन्द्रियदमन पर विशेष बल न दिया गया हो, तो उस धर्म __को श्रेयस्कर न समझना।
धर्म में तीसरी चीज तप देखनी चाहिए। अगर उसमे तप पर विशेष जोर न दिया गया हो तो वह कर्मनाश नहीं कर सकता। कुछ लोग कायिक तप को निरर्थक मानकर सिर्फ मानसिक तप पर जोर देते हैं। उनकी जीवनचर्या इस श्लोक मे दिखलायी गई है:मृन्द्वीशय्याः प्रातरुत्थाय पेया, मध्ये भक्तं पानक चापराहने । द्राक्षाखण्डं शर्करा चार्धरात्रे, मुक्तिश्चान्ते शाक्यपुत्रेण हटा ।।
--कोमल शय्या पर सोना, सुबह उठकर दूध या रबड़ी पीना, दोपहर को पूरा भोजन करना, पिछले पहर मदिरापान करना और आधी रात को द्राक्ष और शक्कर का उपयोग करना, ऐसे धर्म से मुक्ति मिलती है, यह शाक्यपुत्र ने देखा ।' ____ महानुभावो! धर्म को पहिचानने की यह मुख्य चाभी है और वह ज्ञानी भगवतों ने हमें दे दी है। इसलिए उसका उपयोग करते रहेंगे तो आपको उत्तम सत्य धर्म की प्राप्ति होगी और उसके द्वारा ससारसागर पार हो जायेंगे।
विशेष अवसर पर कहा जायगा।