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तीसवाँ व्याग्यान
गुणस्थान
महानुभावो!
हाल में हिमालय के शिखर पर आरोहण करने की बाते समाचारपत्रो में बहुत आ रही है । १९५३ में हिमालय के २९,१४१ फुट ऊँचे इवरेस्टशिखर पर पग रखने के लिए शेरपा तेनजिंग का इस देश में तथा विदेश में बड़ा सम्मान हुआ और वह अल्पकाल में ही धनवान बन गया । उसके साथ एडमड हिलेरी भी दुनिया में अत्यन्त सन्मान पाकर प्रसिद्ध हुआ। ___ १९६० की गर्मियो मे एक भारतीय टुकडी इवरेस्ट पर आरोहण करनेचाली है । सितम्बर १९६१ मे इवरेस्ट-विजेता एडमड हिलेरी यति अर्थात् हिममानव की खोज में माकालु-शिखर (ऊँचाई २७,७९० फुट) पर चढ़नेवाला है। मैक्स एसलिन स्विस पर्वतारोहियों की एक टुकड़ी लेकर धवलगिरि-शिखर ( ऊँचाई २६,७९५ फुट) पर चढ़नेवाला है। कहा जाता है कि, इस चोटी पर किसी मानव ने पैर नहीं रखा । एक जापानी टुकड़ी भी गौरीशकर-शिखर (ऊँचाई २३,४४० फुट) पर चढने का प्रयास करनेवाली है।
इन समाचारों को सुनकर, आपका हृदय धड़कने लगता है और आप पर्वतारोहको की साहसिक वृत्ति तथा वीरता की मुक्तकठ से प्रशसा करने लगते हैं। लेकिन, गुणस्थानों का यारोहण इनसे भी कहीं अधिक कठिन है। महासाहसी और धैर्यवान आत्मा ही इसमें सफल हो सकते हैं।