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यात्मतत्व-विचार
हो तो ? लाठी हाथ में हो तभी बचाव सम्भव है। इसी प्रकार धर्म धारण करें और उसका समुचित रूप से पालन करें तभी कर्म को तोड़कर आण मोक्ष प्रात कर सकते हैं-अन्यथा नहीं !
प्रश्न-कर्म की सत्ता से मुक्त होनेवाला भाग कितना है ? उत्तर- बहुत थोड़ा-अनन्तवा भाग ।
प्रश्न-क्या इससे यह साबित नहीं होता कि, कर्म की सत्ता धर्म की । सत्ता से बहुत बड़ी है ?
उत्तर-नहीं | केवल क्षेत्र की व्यापकता से सत्ता का बड़ा होना साबित नहीं होता। भारतवर्ष की तुलना में इंग्लैण्ट बहुत छोटा है, फिर भी उसने भारतवर्ष की प्रना पर वर्चस्व जमाया और उसे डेढ़ सौ वर्ष तक पराधीन रखा। आग की एक जरा-सी चिनगारी घास के बड़े ढेर को भस्मीभूत कर देती है। इसलिए, विस्तार के साथ शक्ति का सम्बन्ध नहीं है ।
यहाँ प्रसगवशात् बहुमत के विषय में भी कुछ स्पष्टीकरण कर दें। बहुमत का पक्ष हमेशा सत्य नहीं होता। अल्पमत हमेशा गलती पर ही नहीं होता। (महात्मा गांधी ने कहा है कि 'अगर एक आदमी भी सत्य के पक्ष में है तो वह बहुमत में है, चाहे सारी दुनिया उसके खिलाफ बोलती रहे ।' ) बन्दरों की कथा मुनिए, आपको यह बात स्पष्ट हो नायगी ।
बहुमत पर वन्दरों की कथा एक रानमहल में कुछ बन्दर पाले गये थे। रानसेवक उन्हें नहलातेधुलाते, राजकुमार उन्हें अच्छा-यच्छा खिलाते और खेलकूट कराते । इससे चन्दरों को राजमहल खूब रुचिकर लगने लगा था।
उसी महल में घंटों का एक टोला भी पाला गया था । उन पर रानकुमार सवारी करते और आनन्द मनाते । उस टोले मे एक धेटा बिगड़ेल था । वह नित्य राना के रसोड़े में घुस जाता और जो देखता खा जाता।