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कर्म की शुभाशुभता
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पर मुझे इस समय भूख लगी है। पेट भरे बिना ऐसी मेहनत का काम नहीं होगा, इसलिए कुछ खाने पीने का सामान लिये लेता हूँ । तुम भी खाना मैं भी खाऊँगा ।" यह कहकर सुनार ने साथ ले जाने के लिए सान लड्डू तैयार किये। उसमे एक लड्डू कुछ छोटा रखा । उस छोटे लड्डू के अतिरिक्त सत्र मे जहर मिला दिया ।
सुनार उन दोनों चोरो के साथ जंगल में आया और उस पाट को देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ। फिर उसने कहा - " काम बहुत बड़ा है और तुम्हें भी भूख लगी होगी, इसलिए पहले कुछ खा लें, फिर काम शुरू करेंगे। चोर इसके लिए तैयार हो गये ।
सुनार ने सातों लड्डू निकाले । बड़े-बड़े लड्डू चोरो को दिये और | स्वय छोटा लिया । उस समय चोरों को शका हुई, इसलिए उन्होंने पूछा" सबसे बड़ा और खुद के लिए छोटा क्यो " सुनार ने कहा- "मुझे संग्रहणी का रोग है, इसलिए थोड़ा ही खाता हूँ ।" इससे चोरो के मन की का दूर हो गयी और उन्होने लड्डू प्रेम से खाये ।
सुनार ने विचार किया कि, जहर चढने में कुछ देर लगेगी, इसलिए उतनी देर दूर रहना अच्छा । इसलिए, वह सबकी अनुमति लेकर शौच के बहाने जाकर कुछ दूर पर एक झाड़ी में छिपकर बैठ गया । उस तरफ पाट को तोड़ने के सब साधन देखकर चोरों की नीयत बिगड़ी। वे सातवाँ भाग सुनार को न देने के निश्चय पर आ गये और इसलिए उसका खात्मा कर देने की सोचने लगे ।
दूसरी तरफ वह सुनार छुपा हुआ उन ६ चोरों के मरने का इन्तजार कर रहा था । एक दूसरे का बुरा सोच रहे हैं - उन्हें एक करनेवाली सोने की पाट थी ।
जब सुनार ने देखा कि चोरों को बेहोशी आने लगी है, तब वह झाड़ी से बाहर निकलकर नजदीक आ गया। चोरों ने कहा - "इतनी ज्यादा देर कैसे लगायी ? चल, अब हमें पानी पिला । फिर हम जल्दी