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आत्मतत्व-विचार
धन तो बचाना ही था। इसलिए सेठ ने युक्ति करके सेठानी से जोर से । पूछा-'क्यों जाग रही है न ?' स्त्री ने जवाब दिया-"हाँ, जाग रही हूँ।”
सेठ ने कहा-"अभी मुझे सपना आया । यह तो तू जानती ही है, हमारे एक भी लड़का नहीं है । पर, स्वप्न में लड़का हुआ और उसका नाम हमने मुल्ला रखा । फिर कुछ काल बाद दूसरा लड़का हुआ, उसका नाम काजी रखा। और आखिर तीसरा लड़का हुआ उसका नाम चोर रखा। ये तीनों लड़के शरारती हैं, घर में नहीं रहते और उन्हें बुलाने के लिए आवाजें देनी पड़ती हैं-"मुल्ला ! काजी !! चोर !!!" "मुल्ला ! काजी !! चोर !!!" इस तरह बहुत सी आवाजें देने पर लड़के मुश्किल से घर आते हैं।"
सेठ ने बात करते हुए अनेक बार जोर से-"मुल्ला ! कानी !! चोर !!" को आवाजें लगायीं । चोर यह समझते थे कि, सेठ सपने की बात कर रहा है । लेकिन, सेठ ने अपनी चतुरायी से पूरा-पूरा काम लिया था
और मुल्ला और काजी जाग उठे थे। उन्होंने आकर उन चोरों को पकड़ लिया और खूब मार मारकर भगा दिया ।
हम अपने आत्मा में घुसे हुए चोरों को इस तरह पकड़ कर भगा दे तभी हमारी आत्मा सर्व दुःखों से मुक्त होकर अनन्त अक्षय सुख भाग सकया है।
मिथ्यात्व को दूर करो! मिथ्यात्व को दूर करने के लिए हमारे महापुरुष क्या कहते है सा ध्यानपूर्वक सुनिये :
धर्म-कार्य के निमित्त से आप चाहे जितना कष्ट उठायें, चाहे जितना आत्मदमन करें, और चाहे जितना धन खर्च करें, लेकिन