________________
१६८
श्रात्मतत्व-विचार
इसके बाद पुलिसवालो ने अपना काम शुरू कर दिया । सारी बात सच निकली | आखिर अपराधी पकड़े गये । पीटर के नाम की धूम मच गयी । लडन के समाचारपत्रो में उनके चित्र और परिचय छपे । ऐसा ही एक प्रसग पेरिस का है । १९५२ में पेरिस के एक पुराने मकान मे पुराना सामान बेचने की दुकान थी । उसमे रहस्यमय हत्या हुई | खूनी ने खून करके शव गुम कर दिया था ।
पेरिस की पुलिस खून की खबर पाते ही घटनास्थल पर आयी । उसने मकान में रहनेवालो के और पडोसियो के बयान लिये। लेकिन न खूनी मिला न लाश !
पुलिस ने बड़ी दौड़-धूप की । हर मुमकिन कोशिश की, पर सब फिजूल ! तीन हफ्ते गुजर गये; पर कोई सुराग न लगा ।
अखबार पेरिस की पुलिस की सख्त आलोचना करते रहे और पुलिस दिलोजान से भरसक कोशिश करती रही । यूँ तीन सप्ताह और निकल गये । सब हताश हो गये थे कि एक पुलिस अफसर को लडन की चोरी का पता लगाने वाले उपर्युक्त भविष्यवक्ता पीटर की याद आयी । उन्हें घटना की खबर दी गयी और पेरिस पधारने की दरख्वास्त की गयी ।
पीटर आये। पुलिस अफसरो ने सारा विवरण सुना दिया । पीटर ने मृतक का फोटो और खून का स्थल देखना चाहा । वह उन्हें दिखला दिया गया ।
पीटर उस फोटो को लेकर साथ चलिये" पुलिस अफसरो के के पास आकर खड़े हो गये । ने घटनास्थल बताया 1.
व्यानस्थ हो गये। बाद मे बोले - "मेरे साथ चलते-चलते वे एक पुराने मकान उस मकान के अन्दर दाखिल हुए। पुलिस
"खून यहाँ नहीं हुआ" - पीटर ने कहा ।
"क्या कहते हैं, मिस्टर पीटर !” पुलिस अधिकारी बोल उठे - "इस सबूत से जाहिर है कि खून यहीं हुआ है ।"
घटनास्थल के