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चौदहवाँ व्याख्यान
आत्मा की शक्ति [२]
महानुभावो ।
आत्मा की शक्ति कितनी होती है, यह विपय चल रहा है । उसमे तीर्थंकर की शक्ति का कुछ परिचय श्री महावीर प्रभु के विवरण से दिया । अत्र मनुष्यों में महाबली माने जानेवाले बलदेव, वासुदेव तथा चक्रवर्ती की शक्ति का भी कुछ परिचय करायेंगे |
एक अवसर्पिणी या उत्सर्पिणी काल मे जैसे २४ तीर्थकर होते है, वैसे ही १२ चक्रवर्ती, ९ वासुदेव, ९ प्रतिवासुदेव, और ९ बलदेव भी अवश्य होते हैं। इन सबको समग्र रूप से तिरसठ गलाकापुरुष कहा जाता है 1
इस अवसर्पिणी के २४ तीर्थकरों के नाम प्रसिद्ध हैं ।
१२ चक्रवर्तियों के नाम ( १ ) भरत, ( २ ) सगर, (३) मघवा, ( ४ ) सुनतकुमार, ( ५ ) शांति, ( ६ ) कुथु, हरिषेण, ( ११ ) जय और ( १२ ) ब्रह्मद | ७ ) श्रर, ( ८ ) सुभूम, ( 8 ) पद्म, ( १०)
& वासुदेवों के नाम - ( १ ) त्रिपृष्ठ, ( २ ) घुरुषसिंह, ( ५ ) पुरुपपुढरीक, (६) दत्त, ( ७
स्वयभू, (३) पुरुषोत्तम, ( ४ ) लक्ष्मण और ( ८ ) कृष्ण ।
) प्रतिवामुदेवों के नाम ( १ ) अश्वग्रीव, ( २ ) तारक, (३) मेरक, ( ४ ) मधु, ( ५ ) निष्कुभ, (६) बलि, (७) जरासध ।
प्रह्लाद, (
) रावण और ( 8 )
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बलदेवों के नाम ( १ ) अचल, (२) विजय, (५) सुदर्शन, [ ६ ] श्रानन्द, [ ७ ] नंदन, [] [ ६ ] राम [ बलभद्र ] |
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( ३ ) भद्र ( ४ ) सुप्रभ पद्म, [ श्री रामचन्द्र ] और