________________
२५८
आत्मतत्व-विचार
1
चार रखा जाता है । दूसरे, जो नाम लोकजिह्वा पर चढ गया हो, उसे कैसे बदला जा सकता है ? इसलिए कोई कुछ कहे, तू ध्यान न दिया कर ।" टनटनपाल - " मगर पिताजी ! यह नाम सुनने में बहुत खराब लगता है । मुझे यह जरा भी अच्छा नहीं लगता । "
सेट - "बेटा | किसी को यह नाम सुनने में खराब लगता हो, पर हमे तो यह बहुत मीठा लगता है । जब हम 'टनटनपाल' सुनते है तो हमारे अन्तर मे आनन्द उमड़ने लगता है, हमारा हृदय हर्षित हो उठता है । बेटा । सब नाम सार्थक नहीं होते । हमे नाम की अपेक्षा काम पर ही विशेष व्यान देना चाहिए । जो अच्छा काम करे उसी का नाम अच्छा है ।"
लेकिन जब पिता की इस सिखावन से टनटनपाल का समाधान नहीं हुआ, तो पिता ने कहा - "अच्छा, कोई सुन्दर नाम खोज ला ।”
एक दिन टनटनपाल किसी काम से बाहर गया । वहाँ उसने एक अधेड उम्र की स्त्री देखी । उसके कपडे फटे-पुराने थे। वह एक गरीब मजदूरनी थी । गोबर बीन रही थी । ठनठनपाल ने उसका नाम पूंछा | चोली - " लक्ष्मी ।" उनठनपाल को यह सुनकर आश्चर्य 1 हुआ
कुछ दूर आगे जाने पर एक भिखारी मिला । नाम पूछा तो बोला" धनपाल !"
टनटनपाल कुछ और आगे गया तो उसने देखा कि लोग किसी मृतक की अर्थी श्मशान की ओर लिये जा रहे है। मालूम हुआ कि, अमरसिंह मर गया है ।"
उनठनपाल सोचने लगा- "नाम लक्ष्मी और धनपाल और भिखारी !! नाम अमरसिंह फिर भी मर
एक दिन पिता ने पूछा - "क्यो बेटा ? खोजा नाम ?" ठनटनपाल बोला .
बीनती है गोवर !
नाय ! || "
तूने कोई सुन्दर