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રૂપ
श्रात्मतत्व-विचार
उत्तर -- अध्यवसायों का रंग नहीं होता; पर उस वक्त जो द्रव्यलेग्या होती है उसका रग होता है ।
प्रश्न - लेश्याओ का विचार और किसी ने भी किया है क्या ?
उत्तर - गोशालक के मत में जीवो की ६ अभिजातियाँ बतलायी है— कृष्ण, नील, लोहित, पीत, शुक्ल और अतिशुक्ल । पतजलि मुनि ने योगदर्शन मे कृष्ण, शुक्ल-कृष्ण, शुक्ल और अशुक्ल कृष्ण ऐसे चार भेट बतलाये है । थियोसोफी वाले यह मानते हैं कि मनुष्य में से भिन्न-भिन्न प्रकार की रगधारायें बहती है और इसे वे विभिन्न अध्यवसायों का परिणाम मानते हैं । आधुनिक मनोविज्ञान ने भी विचारों के प्रकारानुसार रंग की धारा बहने के सिद्धान्त को मान्यता प्रदान की है। जो 'क्लेरबोयेण्ट' है, वे इन रंगों को देख सकते हैं और उससे मनुष्य के विचार बता सकते हैं । कुछ लोग 'क्लेरवोयेण्ट' का अर्थ अवधिज्ञानी करते है; पर वह गलत है । ऐसे पुरुषों की इन्द्रियशक्ति विशेष विकसित होती है ।
प्रश्न--आपने कहा है कि लेश्याओं की गंध भी होती है । किस लेश्या की कैसी गध होती है ?
उत्तर - कृष्ण, नील और कापोत इन तीन अशुम लेश्याओं की गध मरी हुई गाय या मरे हुए कुत्ते की दुर्गंध से बुरी होती है । पीत, पद्म और शुक्ल लेश्याओं की गंध केवड़ा आदि फूलों की सुगंध से भी ज्यादा अच्छी होती है।
प्रश्न - लेश्याओं का रस कैसा होता है ?
उत्तर- - कृष्ण - लेश्या का रस अत्यन्त कड़वा होता है । नील लेग्या का रस अति तीखा होता है । कापोत- लेश्या का रस अत्यन्त कसैला होता है ।
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