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आत्मतत्व-विचार
जघन्य स्थिति से एक समय अधिक और उत्कृष्ट स्थिति से एक समय कम हो, वहाँ तक मध्यम स्थिति समझनी चाहिए। ___जहाँ विज्ञान है, वहाँ गणित है। आजके विज्ञान ने सेकेंड के भी हजारो भाग कर दिये हैं और उनका उपयोग भी किया जाता है। लेकिन, हमारा कालमान उससे भी बहुत सूक्ष्म है।
कल्पना से भी जिसके दो भाग न हो सके काल के ऐसे सूक्ष्म भाग को 'समय' कहते है । ऐसे असख्य समय एक अलिका के बराबर हैं। अमख्य अवलिका एक श्वास के बराबर है। दो श्वास का एक प्राण कहलाता है, और सात प्राण का एक स्तोक होता है। सात स्तोक का एक न्लव, ७७ लवका एक मुहूर्त, ३२ मुहूर्त का एक अहोरात्र होता है। (दिन और रात मिलकर एक अहोरात्र कहलाते है।)
इन शब्दों को व्यान म रखना चाहिए, कारण कि शास्त्रो मे उनका उपयोग हुआ है, इसलिए वस्तुस्थिति समझने में आसानी रहेगी।
पन्द्रह अहोरात्र एक पक्ष दो पक्ष एक मास
बारह मास=एक वर्ष यह गणना जगत मे प्रसिद्ध है । और, अपने को भी स्वीकार्य है।
पाँच वर्ष = एक युग
बीस युग =एक शताब्दि आजकल युग की गणना बड़ी लम्बी-चौड़ी बतायी जाती है, पर उसे इससे भिन्न समझना चाहिए ।
टस शताब्दि = एक सहस्राब्दि ८४०० सहस्रालि एक पूर्वाग ( यानी ८४ लाख वर्ष) । पूर्व का माप इतना विशाल है कि, उसकी कल्पना भी कठिन है। एक पूर्व मे ७०५६० अरब वर्ष होते है।