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श्रात्मतत्व- विचार
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में हँसने लगे । वे विचार करने लगे कि "कैसा मूर्ख है, इतना भी नहीं समझता १" फिर प्रकट में जवाब दिया 'ऑपरेशन करते है ।' उसने पूछा" किसका ?" डॉक्टरो ने कहा कि "गॉट का" तत्र मिरज के डॉक्टर ने कहा - "अरे भाइयो ! यह गाँठ नहीं है, यह तो गर्भ है ।" यह कहकर उसने स्त्री के पेट पर स्टेथेस्कोप रखकर सबको बताया कि, बालक गर्भ में भी झीनाझोना रोता है ।
यह देखकर अहमदाबाद के डॉक्टर खिसियाकर रह गये। अगर उन्होने उस स्त्री का ऑपरेशन कर दिया होता, तो दो जीवो की हानि होती और छाया डाक्टर जिन्दगी भर दुःखी रहता । कुछ ढेर पहले मिरज के 'डॉक्टर' की मन में हॅसी उडानेवालो ने उसका आभार माना। उस स्त्री ने फिर गर्भ को सँभाला और पूरे दिन होने पर पुत्र जन्मा ।
मरण का दुःख जन्म के दुःख से आठ गुना ज्यादा होता है। सैकड़ोंहजारो बिच्छुओं के काटने से जो कट होता है, वैसा कष्ट मरण के समय जीव को भोगना पडता है । वहाँ से वह जन्मक्षेत्र में प्रवेश करता है, तत्र से वह पहले का सब
का दुःख कम होने
मरण के दुःख की तुलना में गर्भ भूल जाता है ।
जो पच्चीस या पचास वर्ष की बात याद रखने की कहते हैं, उनसे उनके वर्तमान जीवन के पहले और दूसरे वर्ष का हाल पूछें तो क्या बता सकते हैं ? अगर उनको अपने जीवन के पहले और दूसरे वर्ष की बात याद नहीं है तो पहला या दूसरा वर्ष था ही नहीं ऐसा कहा जा सकता है क्या ?
आत्मा जब गर्भ में होती है, तब किसी की सगति में नहीं आती । फिर भी एक बालक क्रूर, दूसरा दयालु, तीसरा लोभी और चौथा उदार क्यो होता है ? उसका स्वभाव अक्सर माता-पिता से भी विरुद्ध देखा जाता है । मम्मन सेठ कृपण था, पर उसकी माता कृपण नहीं थी । वसुदेव भोगी थे, पर उनके ६ पुत्र परम वैरागी थे । बहादुर माता का