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श्रात्मा का मूल्य
करने की जरूरत थी । तीसरे डॉक्टरने कहा, "तुम्हे बुखार बहुत चढा हुआ है; पर हमारे पास उसकी अक्सीर दवा है । तुम जरा भी फिक्र न करो । थोडी ही देर में तुम्हारा बुखार उतर जायेगा ।" इससे उस आदमी को बडी राहत मिली | डॉक्टर की दवा पीने के कुछ ही देर बाद बुखार उतरने लगा। उसके बाद चौथे डॉक्टर ने उसकी जॉच करके कहा - " आदमी का शरीर है, तो कभी-कभी बुखार भी आ जाता है । बाकी तुम्हारे शरीर में कोई रोग नहीं है। तुम थोडे ही समय में अच्छे हो जाओगे ।" इन शब्दो ने उस आदमी के मन के भय को बिलकुल दूर कर दिया और वह बुखार से बिलकुल मुक्त हो गया । कहने का मतलब यह है कि, यह शरीर आपको इतनी प्यारी है, कि उसे कुछ भी हो जाने के विचारमात्र से आप भयाकुल हो जाते है और अनेक प्रकार के उपचार करने लगते हैं ।
शरीर दुबला न हो जाये, इसलिए बडी तपस्या नहीं करते । बडी तिथि या पर्व के रोज भी तीनो बार डट कर खाते हैं। नोकारसीसरीखा छोटा पच्चक्लाण, छोटा नियम, भी नहीं करते । यह शरीर के प्रति कैसा व्यामोह है ? पर, जान रखिये कि, यह शरीर लगता तो है नित्यमित्र जैसा, पर वह आपके प्रति वफादार नहीं रहनेवाला है !
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तीन मित्रों का दृष्टान्त
राजा का एक कर्मचारी कामकाजमे बड़ा कुशल था । अपनी जिम्मेदारी बराबर अदा करे । उसे एक बार विचार आया - "आज तो मुझ पर राजा के चारों हाथ है; पर वह न जाने कब रूठ जाये । इसलिए, एक ऐसा मित्र करूँ कि जो कठिनाई के समय मेरी मदद करे।" इसलिए उसने एक दोस्त बनाया । उसके साथ पक्की दोस्ती को यहाँ तक कि हमेशा साथ रखे, साथ नहलाये, साथ खिलाये और जहाँ जाये
वहाँ साथ ले जाये ।
कुछ समय बाद कर्मचारी को विचार आया कि, इसलिए, दूसरा दोस्त बनाया, परन्तु उससे पर्व या
एक से त्यौहार के
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दो भले !
रोज ही