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आठवाँ व्याख्यान
आत्मा का खजाना ( १ )
महानुभावो !
श्रुतस्थविर भगवत प्रणीत श्री उत्तराध्ययनसूत्र, उसका छत्तीसवॉ अध्ययन और उसमे अल्पससारी आत्मा का वर्णन - ये तीन बाते आपको बराबर याद होगी । उसके अन्तर्गत आत्मा के विषय की अब तक समुचित विचारणा हुई है, परन्तु विषय अति गहन है, इसलिए अभी तत्सम्बन्धी बहुत कुछ विचारणा करनी बाकी है ।
आपने किसी श्रीमत या राजा का खजाना देखा होगा | उसमे नकद रकम, सोना, चाँदी, हीरा, मोती, माणिक, नीलम आदि जवाहरात होते हैं। कुछ राजाओ का खजाना बहुत बडा होता है और उसमें बहुत कीमती और अजीब चीजें सगृहीत होती हैं। कुछ समय पहले लोग बडौदा के नजरबाग पैलेस में गायकवाड़ - सरकार के जवाहरात देखने जाते और उसमे सच्चे मोतियो की चादर देखकर आश्चर्यचकित होते ।
यह कहा जाता है कि, नदराजा के खजाने मे बड़ा धन था और सिकन्दर का खजाना सोना और जवाहरात को बहुमूल्य चीनो से भरपूर था; लेकिन इन सब खजानो से आत्मा का खजाना बडा है और उसे आज आपके सामने खोल डालना है और फिर उसकी चानी भी आपको ही सौंप देनी है, इसलिए पूरी सावधानी रखियेगा ।
इस खजाने को खोलने से पहले उसकी दो विशेषताएँ बता दें । श्रीमत या राजा का खजाना चोर डाकुओ द्वारा लूटा जा सकता है, अग्नि से