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आत्मा की अखण्डता
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सेट जानता था कि जॅवाई को दूधपाक मिल सकती है, रबड़ी भी मिल सकती है, जो पकवान-मिष्टान चाहिए सो मिल सकते हैं, लेकिन सुमर के घर में गुड-रात्र नहीं मिलने का, क्योकि वह गरीब लोगो का मिष्टान्न हैं । इसलिए उसने कहा-"गुडराब से भी अच्छा खाना देगे।" लेक्नि जाट ने कहा : "नहीं, सेट! इस जगत में उमसे अच्छा कुछ नहीं है। मुझे तो गुड-राब चाहिए। अगर उसके लिए तैयार हो तो वैठने दूं, नहीं तो मै यह चला।"
सेट ने वक्त देख कर उसकी गर्त स्वीकार कर ली। इस तरह गाड़ी में बैठकर सेठ मुसराल आया । सेट के साथ जाट का भी सत्कार हुआ । सेठ को नहलाया-धुलाया, साथ ही उस जाट को भी नहलाया-धुलाया । पर, उसे
चैन नहीं पड़ती थी। उसका मन तो गुड़-रात्र में ही भरा हुआ था, लेकिन यह सेट की सुसराल है, इसलिए बोला नहीं जा सकता, इतना वह समझता था।
दोनों को जीमने बिठाया । बर्फी, पेडा और दूसरे अनेक प्रकार के व्यञ्जन परोसे गये, पर वह गुड़राब न आयी। जब सब चीजें परोसी जा चुकी, तो सालो ने सेठ से कहा-"जीमना शुरू कीजिए।" उस वक्त सेट ने जाट के सामने देखा और इशारे से जीमना शुरू करने के लिए कहा, तब जाट ने इशारे से उलट कर पूछा "गुड़-राब कहाँ है ?” सेठ ने इशारे से कहा कि-"वह अभी आयेगी, तू खाना तो शुरू कर ।”
इससे जाट खीजने लगा। वह मन मे विचार करने लगा कि 'बारह बजे तक मुझे भूखा विटाये रखकर अब यह धूल और ढेले देता है और गर्न के अनुसार गुड-राब नहीं देता, इसलिए इसे देख लें जरा ।'
सेठ वस्तुस्थिति को ताड़ गया। लेकिन, सालो के सामने कुछ बोला नहीं जा सकता था। अब सालो को दूसरे कमरे में भेजने के लिए सेठ ने मुँह में ग्रास रखा । मारवाड का रिवाज है कि मेहमान जीमना शुरू कर दे, उसके बाद ही दूसरे जीम सकते हैं । सेठ ने जीमना शुरू कर दिया,