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आतिशायिक
आतिशायिक-सं० (वि०) अत्यधिक, अतिशय आतिशय्य-सं० (पु० ) अत्यधिक होना आतिशी - फ़ा० (वि०) आतशी
आती-पाती - (स्त्री०) पेड़ पर चढ़ने पकड़ने का खेल आतुर - I सं० (वि०) 1 उतावला 2 बेचैन 3 उत्कट इच्छावाला II (पु०) बीमारी, रोग III ( क्रि० वि०) 1 बहुत जल्दी में 2 घबराहट में। ~ता (स्त्री०) 1 उतावलापन, आकुलता 2 रोग; ~ शाला (स्त्री०); ~ आतुरालय चिकित्सालय, दवाखाना
आत्तसं (वि०) 1 लिया हुआ 2 माना हुआ, स्वीकृत 3 खींचा हुआ 4 दूर किया हुआ 5 भंग किया हुआ 6 अपमानित 7 पराजित । ~गर्व (वि०) गलितगर्व; ~प्रतिदान (पु० ) पाई हुई वस्तु को लौटाना; लक्ष्मी (वि०) धन से वंचित
आत्म - I सं० (वि०) 1 आत्मा या मन से संबंधित 2 अपना (जैसे- आत्मकथा, आत्म परिचय आदि ) II (पु०) बाह्य पदार्थों से अलग एवं भिन्न निजी चेतन सत्ता (जैसे- आत्म चेतना, आत्म पुरुष आदि) । ~ आलोचना (स्त्री०) अपनी आलोचना ~ कथा (स्त्री०) आपबीती, अपने जीवन की कथा ~ कथात्मक (वि०) आपबीती- भरा; ~ कल्याण (पु०) अपनी भलाई काम (वि०) 1 अपने से ही प्रेम करनेवाला 2 गर्वीला; ~कृत (वि०) अपने से किया हुआ; ~ I (वि०) 1 जो अपने में आया हुआ हो 2 अपने से संबंधित (आत्मा) 3 अपने आप में होनेवाला 4 जो मन में ही उत्पन्न हुआ हो 5 आत्म से उत्पन्न हुई कृति जो आत्म आश्रित हो (कला-साहित्य) II ( पु० ) स्वगत कथन; ~ गौरव (पु० ) आत्मसम्मान, स्वाभिमान; ग्राही (वि०) स्वार्थी; लानि (स्त्री०) अपने आप में खेद होना; घात (पु० ) आत्महत्या; घातक, घाती (वि०) आत्म हत्या करनेवाला; ~घोष I (वि०) आत्म प्रशंसक II ( पु० ) अपने विषय में बढ़-चढ़ कर बाते करना; चरित, चरित्र (पु० ) = आत्म-कथा; ~ चिंतन (पु० ) मन के विषय में सोचना-विचारना; चेतना (स्त्री०) आत्मानुभूति से संबंध रखनेवाला ज्ञान (दर्शन-मनोविज्ञान); ~ I (पु० ) 1 पुत्र 2 कामदेव II (वि०). अपने से उत्पन्न; जा (स्त्री०) बेटी; ~जात (वि०) = आत्मज; ~ जिज्ञासा (स्त्री०) = आत्म चितंन; जीवनी (स्त्री०) = आत्मकथा; ~ज्ञ (पु० ) स्वयं को जाननेवाला; ज्ञान (पु० ) 1 अपनी आत्मा का ज्ञान 2 जीवात्मा एवं परमात्मा का ज्ञान 3 ब्रह्मज्ञान; तुष्ट (वि०) अपने में प्रसन्न तुष्टि (स्त्री०) 1 मन को मिलनेवाली खुशी और संतोष 2 आत्मज्ञान होने पर प्राप्त आनंद; ~ त्याग (पु० ) स्वार्थ त्याग; ~ त्यागी (वि०) स्वार्थ का त्याग करनेवाला; ~दर्श (पु०) दर्पण, शीशा दर्शन (पु० ) स्वयं को परखना और समझना दर्शी (वि०) स्वयं को देखने और समझनेवाला; दान (पु० ) = आत्मत्याग; दाह (पु०), द्रोह (पु० ) स्वयं अपने साथ किया जानेवाला द्रोह या शत्रुता; द्रोही (पु० ) स्वयं अपने साथ शत्रुता करनेवाला व्यक्ति; निग्रह (पु० ), निर्णय (पु०) 1 अपने विषय में स्वयं निश्चय करना 2 आत्म व्यवस्था का खुद निश्चय करना; ~ निर्भर (वि०) आत्मावलंबी;
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आत्म
~ निवेदन (पु० ) 1 आत्म समर्पण 2 एक भक्ति जिसमें भक्त इष्टदेव के प्रति स्वयं को समर्पित कर देता है; निषेध (पु० ) अपनी आकांक्षाओं का त्याग; ~निष्ठ 1 आत्मनिर्भर 2 स्व; ~ निष्ठा (स्त्री० ) = आत्मविश्वास; पतन अपना पतन पद (पु०) मोक्ष; परित्याग (पु० ) = आत्म निवेदन; परिष्कार ( पु० ) = आत्म संस्कार; पीड़न
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(पु०) स्वयं को कष्ट देकर या अन्य द्वारा कष्ट पाकर संतुष्ट होना; पूर्णतावाद आत्मानंदवाद, पौरुष (पु० ) आत्मबल; -प्रकाश (पु० ) आत्मज्ञान; ~ प्रक्षेपण (मनो०) (पु० ) अपनी भावनाओं का दूसरों पर आरोपण; ~ प्रचार ( पु० ) अपने गुणों का आप ही प्रचार; ~ प्रतारणा (स्त्री० ) = आत्म-वंचना; प्रतियोगिता (स्त्री०) अपने ही से मुकाबला; प्रतिष्ठा (स्त्री०) = आत्म सम्मान प्रवंचना (स्त्री०) = आत्म वंचना, प्रशंसा (स्त्री०) स्वयं की जानेवाली प्रशंसा; प्रेरणा (स्त्री०) अपने भीतर से प्रेरणा; फटकार + हिं० (पु० ) अपने को डाँटना; बंधु (पु० ) अपना आप मित्र बल (पु० ) 1 आत्मशक्ति 2 अध्यात्म बल; बलिदान (पु० ) = आत्म त्याग; ~बोध ( पु० ) = आत्मज्ञान; ~भरित (वि०) जो स्वयं भरा हुआ हो; भीरु (वि०) अपनी करनी से आप ही डरनेवाला; ~ I (वि०) 1 जो अपने शरीर से उत्पन्न हुआ हो 2 स्वयं उत्पन्न होनेवाला II ( पु० ) 1 पुत्र 2 कामदेव 3 त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, शिव); ~रक्षण (पु० ), रक्षा (स्त्री) अपनी रक्षा स्वयं करना; रक्षार्थ ( क्रि० वि० ) ) अपनी रक्षा के लिए; ~रति (स्त्री०) 1 आत्मानंद 2 अपने ऊपर मुग्ध रहना, वंचक (वि०) स्वयं को धोखा देनेवाला; ~ वंचना (स्त्री०) अपने साथ ठगी; वत् ( क्रि० वि०) अपने समान वध ( पु० ) = आत्महत्या; ~वाद (पु० ) आत्मा और परमात्मा के अस्तित्व का सिद्धांत; वादी (वि०) आत्मवाद को माननेवाला; विक्रय (पु० ) 1 आत्म सम्मान त्यागकर अधीन होना 2 अनुयायी या दास बनना; ~ विक्रयी (वि०) 1 स्वयं को बेचनेवाला 2 दास बननेवाला; ~ विक्रेता (पु०) व्यक्ति जो स्वयं को बेचकर किसी का दास बन गया हो; ~विचार (वि०) आत्मविश्लेषण; विद (पु० ) आत्मज्ञानी; ~ विद्या (स्त्री०) आध्यात्म ज्ञान, ब्रह्मविद्या; ~विनाशी (वि०) अपने को स्वयं नष्ट करनेवाला; ~ विभोर (वि०) अपने में मस्त, विरोध (पु० ) अपनी बातों में परस्पर विरोध; ~ विश्लेषण (पु० ) अपने चरित्र की स्वयं चीर-फाड़ विश्वास (पु० ) अपनी शक्ति एवं योग्यता पर विश्वास, आत्मनिष्ठा; ~विश्वासी (वि०) अपने पर विश्वास रखनेवाला; विसर्जन (पु० ) आत्म-त्याग; ~ विस्मृति (स्त्री०) अपने को भूल जाना, बेखुदी वृत्त, वृत्तांत (पु० ) = आत्मकथा; ~ शक्ति (स्त्री०) आत्मिक बल शासन (पु० ) अपना राज्य, स्वराज्य; ~ शिक्षा (स्त्री०) स्वयं कुछ सीखना; ~ शुद्धि (स्त्री०) आत्म संस्कार; ~ श्लाघा (स्त्री०) आत्मप्रशंसा; ~ श्लाघी (वि०) अपनी प्रशंसा आप ही करनेवाला; आत्म प्रशंसक संतुष्ट (वि०) आत्मसंतोषी; ~संतोष (पु० ) आत्मतृप्ति, आत्मतुष्टि संदेह (पु० ) व्यक्तिगत संदेह; संभव (पु० ) आत्मभूः संयम
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