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क़त्ल
कमाका-(क्रि० वि०) कड़कड़ ध्वनि करते हुए (जैसे-कुत्ते का | कतई-अ० I (वि०) निश्चित II(अ०) एकदम, बिलकुल, कड़ाकड़ हड्डी तोड़ना एवं चबाना)
हरगिज़, तत्काल कडाका-(पु०) ज़ोर का, सख्त (जैसे-कड़ाके की ठंड पड़ रही | कतना-(अ० क्रि०) काता जाना
कतनी-(स्त्री०) तकली (एक औज़ार-जिससे रुई काती जाती कड़ाकेदार-हिं० + फ्रा० जबरदस्त कड़ाबीन-तु० (स्त्री०) कमर की एक छोटी बंदूक कतर-छाँट-(स्त्री०) काट-छाँट काह, कड़ाहा-(पु०) लोहे का वृत्ताकार बड़ा एवं छिछला कतरन-(स्त्री०) कतरने से बने टुकड़े, छोटे-बड़े टुकड़े बर्तन
कतरना-(स० क्रि०) काटना कड़ाही-(स्त्री०) छोटा कड़ाहा। ~में हाथ डालना 1 अग्नि कतरनी-(स्त्री०) कतरने का साधन, कैंची परीक्षा देना 2 जानबूझकर झंझट में पड़ना
कतरब्योंत-(स्त्री०) 1 काट-छाँट 2 हेर-फेर 3 सोचविचार कड़ियल-(वि०) 1कड़े दिलवाला, साहसी, कठोर कतरवा-(वि०) 1 तिरछा 2 काटकर निकाला हुआ 2 हट्टा-कट्टा (जैसे-कड़ियल जवान)
कतरवाना-(स० क्रि०) कतरना कडी-(स्त्री०)1 लड़ी (जैसे-जंजीर की सबसे कमज़ोर कड़ी) कतरा-(पु०) काट कर निकाला हआ टुकड़ा (जैसे-वस्त्र का 2 जंजीर (जैसे-इस कड़ी में दस गुरियाँ हैं) 3 घटना अदि का | कतरा) क्रम (जैसे-मेरे जीवन की घटनाओं में यह भी कड़ी है) 4 गीत कतरा-अ० (पु०) 1 बूंद (जैसे-पानी का क़तरा) 2 खंड एवं कविता आदि की पंक्ति (जैसे-काव्य की चौथी कड़ी 3 अंश पढ़ो) II (स्त्री०) कठिनाई, मुसीबत (जैसे-कड़ी झेलना) कतराई-(स्त्री०) 1 कतरवाई III (स्त्री०) अशुभ, अमंगल (जैसे-बिना सोचे समझे कड़ी कतराना-I (अ० क्रि०) नज़र बचाकर निकल जाना बात कह गए)। दार + फ्रा० (वि०) छल्लादार, एक तरह - II (स० क्रि०) कतरवाना, कटवाना का कसीदा
कतल-अ० (पु०) हत्या, वध। बाज़ + फ़ा० (वि०) कड़आ, (वि०) = कड़वा
हत्यारा, वधिक कड़वाहट, (स्त्री०) = कड़वापन
कतला-(पु०) कटा हुआ चौकोर टुकड़ा, फाँक कड़ेरा-(पु०) खरादनेवाला
क्रतलाम-अ० (पु०) = क़त्लेआम कढ़ना-I (अ० क्रि०) 1 बाहर आना 2 उदय होना 3 लाभ | कतली-(स्त्री०) जमाई हुई बरफी होना 4 बढ़ जाना II (अ० क्रि०) दूध औटकर गाढ़ा होना। कतवाना-(स० क्रि०) = कातना कढ़ जाना स्त्री का घर से भाग जाना
कतवार-I (पु.) कूड़ा करकट II (वि०) कातनेवाला। कड़नी-(स्त्री०) नेती, मथानी की रस्सी
~खाना (पु०) कूड़ा फेंकने का सार्वजनिक स्थान कड़वाना-(स० क्रि०) = काढ़ना
कता-अ० (स्त्री०) 1 काटना 2 काट 3 तराश 4 आकार । कढ़ाई-I (स्त्री०) = कड़ाही II (स्त्री०) 1 बेलबूटे बनाने का ~कलाम (पु०) बात काटना; ~नज़र फ़ा + अ० (क्रि० काम 2 बेल-बूटे करने की मज़दूरी (जैसे- मेज़पोश की कढ़ाई वि०) इसके सिवा दस रुपए हुई)
कताई-(स्त्री०) 1 कातने का काम 2 कातने की मज़दरी। कड़ना-(स० क्रि०) 1कढ़वाना 2 निकलवाना
बुनाई (स्त्री०) कातने और बुनने का काम कढ़ाव-(पु०) बेलबूटे का काम
कतान-(पु०) एक प्रकार का रेशमी कपड़ा कविहार-(वि०) 1 निकालनेवाला 2 उद्धार करनेवाला 3 कर्ज़ कतार-अ० (स्त्री०) पंक्ति (जैसे एक क़तार में सजाया गया) लेनेवाला
क्रम, सिलसिला कढ़ी-(स्त्री०) बेसन, दही और मसाले के मिश्रण से बना कतारा-(पु०) ऊख की एक किस्म
खाद्य पदार्थ। ल्का सा उबाल क्षणिक उत्साह कतिधा-[ सं० (वि०) अनेक प्रकार का II (क्रि० वि०) कबुआ I (वि०) 1 निकाला हुआ 2 औंटकर गाढ़ा किया हुआ अनेक प्रकार से
3 बेल बूटे बनाया हुआ II (पु०) कर्ज, ऋण कतिपय-(वि०) कुछ, थोड़े से, कई-एक, चंद कण-सं० (पु०) 1 टुकड़ा (जैसे-कोयले का कण) कतौनी-(स्त्री०) = कताई 2 दाना (जैसे-चावल का कण)
कत्तल-(पु०) 1 क़तरा 2 टुकड़ा (जैसे-ईंट का कत्तल) कणिक-सं० (पु०) 1 ज़र्रा 2 गेहूँ का आटा 3 शत्रु कत्ता-(पु०) 1 बाँक 2 छोटी तलवार कणिका-सं० (स्त्री०) छोटा कण, कनी, जीरा
कत्ती-I (स्त्री०) 1 कटारी 2 सोनार की कतरनी II(१०) सूत कणिकायित-सं० (वि०) कणयुक्त
कातनेवाला कणिश-सं० (पु०) गेहूँ, जौ आदि की बाल
कत्थ-(पु०) = कत्था कणीक-सं० (वि०) बहुत छोटा, अत्यल्प
कत्थई-(वि०) कत्थे के रंग का कणेरा-सं० (स्त्री०) 1 वेश्या 2 जलहस्तिनी
कत्थक-(पु०) एक तरह का नाच कण्व-सं० (पु०) एक ऋषि
कत्था-(पु०) खैर की लकड़ी का सत् (लाल रंग का)। क्रत-अ० (पु०) 1तिरछा काटना 2 नोक लगाना
सुपारी (स्त्री०) कत्था और सुपारी कत-सं० (पु०) 1 रीठा 2 निर्मली
| कल-अ० (पु०) = क़तल वध, हत्या। ~गाह + फ़ा०
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