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परखना
परखना - I (स० क्रि०) 1 गुण, दोष आदि को जानना 2 अच्छे-बुरे की पहचान करना
परखना - II (स० क्रि०) प्रतीक्षा करना, राह देखना परखाई - (स्त्री०) 1 परखने की क्रिया 2 परखने की उज़रत, परखने की मज़दूरी
परखाना - (स० क्रि०) 1 परखने का काम करवाना 2 सहेजवाना, सहेजना
परखैया - ( पु० ) परखनेवाला व्यक्ति
परगत - I (वि०) 1 दूसरे में मिला हुआ 2 दूसरे से संबंध रखनेवाला II (स्त्री०) मानव प्रकृति एवं स्वभाव परगना - फ़ा० (पु० ) अनेक गाँवोंवाला भू भाग परचक - (स्त्री०) हल्की मारपीट
परचना - (अ० क्रि०) 1 हिल-मिल जाना 2 चसका लगना (जैसे- भिखारी को रोटी मिल जाने से वह इस घर को परच गया है)
परचम - फ़ा० (पु०) झंडा परचा - फ़ा० (पु० ) 1 काग़ज़ का टुकड़ा, चिट 2 काग़ज़ के टुकड़े पर लिखी बात, चिट्ठी 3 काग़ज़ के टुकड़े पर छपी कोई सूचना 4 विद्यार्थियों को दिया जानेवाला प्रश्न-पत्र (जैसे- गणित का परचा बहुत कठिन था ) 5 आवेदन-पत्र परचा - (पु० ) 1 जानकारी, परिचय 2 प्रमाण, सबूत 3 जाँच,
परख
परचाना - (स० क्रि०) 1 परचने में प्रवृत्त करना 2 घनिष्ठता स्थापित करना
परचून - ( पु० ) आटा, दाल, चावल आदि भोजन सामग्री (जैसे- परचून की दुकान)
परचूनिया - ( वि० ) परचून संबंधी परचूनी - I ( पु० ) आटा, दाल नमक आदि भोजन सामग्री बेचनेवाला बनिया II परचून बेचने का काम, परचून का रोज़गार
परछत्ती - ( स्त्री०) 1 टाँड़, मियानी 2 फूस आदि की छाजन परछन- (स्त्री०) वर के द्वार पर पहुँचने पर दही और अक्षत का टीका करने की रीति
परछा-I (पु० ) 1 बैलों की आँखों पर अँधोटी बाँधने का कपड़ा 2 सूत लपेटनेवाली घिरनी
परछा - II ( पु० ) 1 विरलता 2 भीड़ छट जाने पर होनेवाली विरलता 3 अंत, समाप्ति 4 निपटारा
परछाईं, परछाहीं- (स्त्री०) प्रकाश में पड़नेवाली व्यक्ति, वस्तु आदि की छाया, छायामय आकृति प्रतिच्छाया । से डरना, ~से भागना हिम्मत न पड़ना परछिद्रान्वेषण-सं० (पु० ) दूसरों की कमी निकालना, दूसरों के दोष देखना
परजन्म -सं० (पु० ) दूसरा जन्म, पुनर्जन्म परजा - ( स्त्री०) 1 प्रजा, असामी 2 नाई, कुम्हार, धोबी आदि आश्रित जन
परजौट - ( पु०) वार्षिक कर पर ज़मीन लेने की प्रथा परत: -सं० (अ० ) 1 दूसरे से, अन्य से 2 पीछे, बाद में 3 आगे, परे
परत - (स्त्री०) तह, स्तर (जैसे-सफ़ाई न होने से किताबों पर गर्द की मोटी परत जम गई है) । ~दार + फ़ा० (वि०) अनेक
परपैठ
तहवाला, तहोंवाला; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) परत में बंद होने की अवस्था
परतल - (पु० ) घोड़े की पीठ पर सामान भर कर रखा जानेवाला बोरा
परतला - (पु० ) कंधे से लटकाई जानेवाली चमड़े की पट्टी जिसमें तलवार आदि लटकाई जाती है
परती - I (स्त्री०) हवा करके अनाज के दानों का भूसा उड़ानेवाली चादर
धरती - II ( स्त्री०) = पड़ती (जैसे-परती ज़मीन में अरहर लगा देना) । ज़मीन + फ़ा० (स्त्री०) वह ज़मीन जिसे जोता - बोया न गया हो पड़ी (वि०) बिना जोती-बोई हुई परत्र - सं० (अ०) 1 दूसरे स्थान में 2 परकाल में, दूसरे समय में 3 परलोक में, परकाल में, मरने पर परत्व-सं० (पु०) 1 गैर, पराया होने का भाव 2 पहले होने का
भाव
परदा - फ़ा० (पु० ) 1 पट (जैसे- दरवाज़े का परदा गंदा हो गया है) 2 रंगमंच पर लगाया जानेवाला आड़ करने का वह कपड़ा जो समयानुकूल उठाया और गिराया जाता है 3 अभिनव, खेल तमाशों आदि का वह लंबा-चौड़ा कपड़ा जिस पर दृश्य अंकित होते रहते हैं, यवनिका (जैसे-सिनेमा का परदा फट गया है) 4 वह प्रचलित प्रथा जिसमें सभ्य घराने की स्त्रियाँ आड़ में रहती हैं (जैसे-परदा प्रथा का आधुनिक युग में अंत होता जा रहा है) 5 मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जानेवाला वस्त्र जिससे सारा शरीर नख-शिख ढका रहता है, नकाब 6 मकान आदि की कोई दीवार 7 परत (जैसे- आसमान के सात परदे कहे गए हैं) 8 झिल्ली (जैसे उसके कान का परदा फट गया था) 9 रहस्य (जैसे- अपनी बातों को परदे में क्यों छिपाते चले जा रहे हो) 10 नाव की पाल। ~निशीन (वि० / स्त्री०) जो परपुरुष से परदा करती हो, परदे में रहनेवाली पोश (वि०) अवगुणों, दोषों आदि को छिपानेवाला; पोशी (स्त्री०) ऐब, दोष छिपाना; ~फ़ाश (पु० ) रहस्य प्रकट होना; परदे में छेद होना छिपकर, गुप्त रूप से व्यभिचार होना; परदे में बैठना, परदे में रहना 1 स्त्रियों का घर से बाहर न निकलना 2 स्त्रियों का सबके सामने न आना 3 गुप्त रहना, छिपा रहना
परदादा - ( पु० ) दादा का पिता, प्रपितामह (स्त्री० परदादी) परदार-सं० (स्त्री०) दूसरे की पत्नी, पराई स्त्री । गमन (पु० ) = पर पत्नी व्यभिचार; ~गामी (वि०) पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करनेवाला
परदेस - (पु० ) परदेश परदेसी - (वि० / पु० ) परदेशी परन-बो० (पु० ) प्रण, प्रतिज्ञा परनाती - ( पु० ) नाती का लड़का
परनाना - ( पु० ) नाना का पिता (स्त्री० परनानी) परनाला - ( पु० ) बड़ी नाली जिससे होकर गंदा पानी बहता है परपट - ( पु० ) चौरस मैदान, समतल भूमि
परपराना - (अ० क्रि०) जलन होना (जैसे- आँख में मिर्च लगने से वह परपरा रही है)
परपार-सं० (पु०) उस ओर का तट, दूसरी तरफ़ का किनारा परपैठ - ( स्त्री०) हुंडी की तीसरी नक़ल