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लौनी
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लौनी - (स्त्री०) 1 कटाई, लवनी 2 फ़सल के कटे डंठलों का
मुट्ठा लौलीन - (वि०) मग्न, तल्लीन लौल्य-सं० (पु० ) चंचलता लौस-अं० (स्त्री०) लगाव लौह - I सं० (पु० ) 1 लोहा 2 शस्त्रास्त्र II (वि०) लोहे का, लौह संबंधी । ~ कार (पु०) लोहार; ~खनिज (पु० ) = लोहा पत्थर; ~ज (वि०) 1 लोहे से निकला हुआ 2 लोहे का बना; पट (पु० ) लोहे का परदा; ~ युग (पु०) लोहे का प्राचीन युग; विहीन (वि०) बिना लोहे का; ~ व्यवसाय (पु० ) लोहे का व्यापार ल्यूकेमिया - अं० ( पु० ) अधि श्वेतरक्तता
व
वंक-सं० (वि०) 1 टेढ़ा, वक्र 2 कुटिल वंकट - (वि० ) 1 बाँका, टेढ़ा 2 विकट, दुर्गम
वकर - (पु० ) नदी का मोड़
वंका - सं० (स्त्री०) चारजामे का अगले हिस्से का उठा हुआ किनारा
किम - I सं० (वि०) 1 झुका हुआ (जैसे -वंकिम नेत्र) 2 टेढ़ा II (पु० ) आवारा आदमी
वकिल - सं० (पु०) कंटक, काँटा
वंक्षण - सं० ( पु० ) पेडू और जाँघ के बीच का अंश वंग-सं० (पु० ) बंगाल । ~ भंग (पु० ) बंगाल का बँटवारा वंगीय सं० (वि०) बंगाल का
वंचक - I सं० (वि०) 1 ठगनेवाला 2 धोखेबाज़ II ( पु० ) ठग 2 धूर्त और धोखा देनेवाला व्यक्ति । ~ता (स्त्री०) वंचक होने का भाव
वंचन - सं० (पु० ) 1 धोखा देना 2 ठगी, धूर्तता वंचना - I सं० (स्त्री०) धोखा देना, ठगना II (स० क्रि०) 1 छलपूर्वक व्यवहार करना 2 ठगना। पंडित (पु०) ठगी
वंचनीयसं० (वि० ) 1 त्यागने योग्य 2 ठगने योग्य वंचित-सं० (वि०) ठगा हुआ, धोखा खाया हुआ वंट - I सं० (पु० ) 1 अंश, भाग 2 अविवाहित पुरुष II (वि०) 1 कटी दुमवाला 2 कुँआरा वंटक -सं० (वि०) बाँटनेवाला
वंटन -सं० ( पु० ) 1 बाँटना 2 हिस्सा करना वंटनीय सं० वंटन के योग्य
वंटितांश-सं० (पु०) बाँटा गया अंश वंडर - I सं० ( पु० ) 1 कंजूस, सूम 2 अंतःपुर का रक्षक II (स्त्री०) पुंश्चली स्त्री
वंदन - सं० ( पु० ) वंदना, स्तुति वंदक - सं० (पु० ) स्तुतिकर्ता, चारण वंदना -सं० (स्त्री०) 1 स्तुति 2 पूजन वंदनीय -सं० (वि०) वंदना के योग्य वंदारु - I सं० ( पु० ) 1 स्तुतिकर्ता भाट 2 स्तोत्र वंदारु - II सं० (वि०) नम्र वंदित सं० (वि०) वंदना की गई वंदी - सं० ( पु० ) 1 चारण, भाट 2 क़ैदी वंदूय-सं० (वि०) वंदनीय
वंधुर - सं० (पु० ) सारथि के बैठने की जगह वंध्य - सं० (वि०) 1 अनुत्पादक 2 अनुर्वर वंध्यकरण-सं० (पु० ) चि० 1 अनुर्वरीकरण 2 बाँझ बना देना वंध्या - सं० (स्त्री०) निःसंतान स्त्री, बाँझ। पुत्र ( पु० ) 1 पुत्र जैसी असम्भव वस्तु 2 आकाश कुसुम
वंश - I सं० (पु० ) 1 बाँस 2 बाँस की बनी बाँसुरी वंश - II सं० (पु० ) कुल, खानदान। क्रम (पु० ) वंश की तालिका; क्रमानुसार I ( क्रि० वि०) वंश के क्रम के अनुरूप II (वि०) वंश के क्रम के अनुसार होनेवाला (जैसे- वंश क्रमानुसार जन्म कुंडली); ~गत (वि०) वंश संबंधी; चरित (पु० ) वंश का इतिहास; जI (वि०) वंश में उत्पन्न II (पु०) वंश में उत्पन्न व्यक्ति (जैसे-रघुकुल वंशज); ~तालिका (पु० ) = वंशवृक्ष; ~धर (पु० ) = वंशज; ~ नाथ (पु०) वंश का प्रधान पुरुष; नाश (पु० ) 1 कुल का अंत 2 फलित ज्योतिष के अनुसार एक योग; -परंपरा (स्त्री०) 1 वंश तालिका 2 वंश से चली आती हुई रीति; परंपरागत (वि०) वंश परंपरा से चला आता हुआ; ~मर्यादा (स्त्री०) कुल का सम्मान, कुल की प्रतिष्ठा; ~वर्धन (पु० ) वंश की वृद्धि करनेवाला; वृक्ष (पु० ) वृक्ष के आकार का मूल पुरुष से लेकर उसके परवर्ती वंशजों का क्रमागत रेखाचित्र; वृद्धि (स्त्री०) कुलोन्नति; ~ शाखा (स्त्री०) उपकुल; ~संहार (पु० ) सारे कुल का नाश हीन (वि०) 1 संतानहीन 2 जिसके वंश में कोई न हो
वक़अत
=
~
वंशांकुर - सं० (पु०) बाँस का अंकुर
वंशागत - सं० (वि०) 1 वंश परंपरा से प्राप्त 2 उत्तराधिकार में
प्राप्त
वंशानुक्रम -सं० ( पु० ) वंशावली वंशानुगत - सं० (वि० ) = वंश परंपरागत वंशानुचरित -सं० (पु० ) वंश वृत्त वंशावली -सं० (स्त्री०)
=
वंश तालिका वंशी - I सं० (स्त्री०) मुरली, बाँसुरी II (वि०) विशिष्ट वंश में उत्पन्न (जैसे- सूर्यवंशी) । ~धर (पु० ) श्री कृष्ण; ~वट (पु०) वह बरगद का पेड़ जिसके नीचे कृष्ण वंशी बजाते थे वंशीय-सं० (वि०) वंश से संबंधित वंशोद्भव - सं० (वि०) 1 वंश में उत्पन्न 2 कुलोद्भव वफ़ा० (अ०) और (जैसे- अमीर व ग़रीब ) वक-सं० (पु० ) बगला नामक पक्षी । ~वृत्ति (स्त्री०) धोखा देकर काम निकालना
वक्रअत-अ० (स्त्री०) 1 ताक़त, शक्ति 2 मान मर्यादा 3 महत्त्व