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परिशिष्ट
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उपसर्ग
इस सूची में संस्कृत के उपसर्ग और गति शब्द एवम् हिन्दी और उर्दू के उपसर्ग सम्मिलित हैं, कुछेक उपसर्ग ऐसे हैं जिनकी सहायता से अनेकानेक और शब्द बन सकते हैं, किन्तु हमने उदाहरणों को सीमित रखा है। संस्कृत के उपसर्ग और गतिशब्द विशेषतया उपयोगी हैं। ज्ञान-विज्ञान की शब्दावली के निर्माण में इनका प्रचुर उपयोग किया गया है। इसी शब्द-कोश में और उदाहरण भी देखे जा सकते हैं।
अंतः- भीतर - अंतःकरण, अंतः कोण, अंतःपुर अंतः प्रवाह, अंतःप्रांतीय, अंतःप्रेरण, अंतःराष्ट्रीय, अंतर्कथा, अंतर्गत, अंतर्जातीय, अंतर्ज्ञान, अंतर्देशीय, अंतर्द्वद्व, अंतर्धान, अंतर्नाद, अंतर्निहित, अंतर्बोध, अंतर्मुखी, अंतर्यामी, अंतर्वर्ती, अंतश्चित्त, अंतस्तल । अ-नहीं, निषेध- अकथ, अकथनीय, अकरणीय, अकराल, अकरुण, अकर्तव्य, अकर्मक, अकर्मण्य, अकलंकित, अकल्पित, अकल्मष, अकल्याण, अकाज, अकाट्य, अकाम, अकारण, अकारथ, अकार्य, अकाल, अकालिक, अकिंचन, अगम, अगाध, अगोचर, अघटनीय, अचिर, अचूक, अजन्मा, अज्ञान, अटल, अडिग, अडोल, अतल, अतुलनीय, अदीन, अदृष्ट, अद्वैत, अधर्म, अनाथ, अनादि, अपवित्र, अपूर्ण, अबल, अबोध, अभय, अभिन्न, अमर, अयुक्ति ।
अति - बहुत, परे - अतिकथन, अतिकाय, अतिक्रमण, अतिगंध, अतिगत, अतिचार, अतिच्छादन, अतिदंतुर, अतिदर्शी, अतिदिष्ट, अतिनिर्वात, अतिपातक, अतिपावन, अतिप्रजन, अतिप्रभंजन, अतिबल, अतिभार, अतिभोग, अतिभोजन, अतिमर्त्य, अतिमात्र, अतिमित, अतिमूत्र, अतियोग, अतिरंजन, अतिरंजित, अतिरूप, अतिरेक, अतिलंबन, अतिवात, अतिवाद, अतिवादी, अतिविष, अतिवृष्टि, अतिशम, अतिशयोक्ति, अतिशीतन, अतिशेष, अतिसंधान, अतिसर्पण, अतिसामान्य, अतिस्थूल, अतिंद्रिय, अत्यंत, अत्यानि, अत्यधिक, अत्यम्ल, अत्यर्थ, अत्याकार, अत्याचार, अत्यानंद, अत्युक्ति, अत्युग्र, अत्युत्तम, अत्युत्पादन ।
अधः - अधो, अधस् आदि नीचे - अधःपतन, अधः शयन, अधश्चर, अधस्तूतव, अधस्थ,
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