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शिक्षार्थी हिन्दी शब्दकोश
डा. हरदेव बाहरी
हिन्दी का आधुनिक, प्रामाणिक, नवीनतम कोश प्रत्येक शब्द का व्याकरण, प्रयोग तथा मुहावरा
तत्सम, तद्भव, देशी व विदेशी शब्द
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यह कोश आधुनिक प्रचलित हिन्दी का है। आज की हिन्दी बड़ी जीवंत और व्यापक भाषा है जिसमें विज्ञान, दर्शन, मनोविज्ञान, भूगोल आदि की नई शब्दावली समाहित हो चुकी है साथ ही हिन्दी में तत्सम, तद्भव, देशी और विदेशी जितने भी शब्दों का प्रयोग होता है, उनका इस कोश में समावेश है।
अरबी, फारसी, अंग्रेजी और यूरोपीय भाषाओं के भी जो शब्द हिन्दी में प्रयोग किये जाते हैं, उनकी खोजबीन करके प्रस्तुत कोश में उन्हें भी सम्मिलित किया गया है। ऐसा हिन्दी कोश के इतिहास में पहली बार हुआ है।
प्रस्तुत कोश में शब्दों के अर्थ, उनका व्याकरण तथा भाषा-स्रोत भी दिया गया है। इसके अतिरिक्त शब्द के अर्थ को और स्पष्टता से समझाने के लिए उसके प्रयोग और उससे जुड़े मुहावरे भी उदाहरण स्वरूप दिए गए हैं।
परिशिष्ट के रूप में लगभग 4000 ऐसे अंग्रेजी शब्दों की सूची दी गयी है जो आज हिन्दी में प्रचलित हैं। इसके अतिरिक्त उपसर्ग, तथा प्रत्यय, नाप, माप एवं तौल से भी संबंधित अलग-अलग परिशिष्ट दिए हैं। ___ डॉ० हरदेव बाहरी हिन्दी के विश्वविख्यात शब्दकोश विशेषज्ञ हैं। उनके द्वारा संपादित "शिक्षार्थी हिन्दी अंग्रेजी शब्दकोश" अपने ही ढंग का विशिष्ट और अत्यन्त लोकप्रिय कोश है।
मूल्य : 125.00 रुपये
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शिक्षार्थी हिन्दी शब्दकोश
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राजपाल एण्ड सन्ज़ द्वारा प्रकाशित डा० हरदेव बाहरी.... के अन्य दो श्रेष्ठ शब्दकोश * शिक्षार्थी हिन्दी-अंग्रेजी शब्दकोश ★ शिक्षार्थी अंग्रेजी-हिन्दी शब्दकोश
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शिक्षार्थी हिन्दी शब्दकोश
डा० हरदेव बाहरी एम० ए०, एम० ओ० एल०, पी० एच० डी०, डी० लिट्०, शास्त्री
राजपाल एण्ड सन्ज़, कश्मीरी गेट, दिल्ली
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प्रथम संस्करण 1990 © राजपाल एण्ड सन्ज़ Shiksharthi Hindi Dictionary (Dr. Hardev Bahri) ISBN 81-7028-086-9
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आमुख
डिक्शनरी को हिन्दी में शब्दकोश कहा गया है। इससे लगता है कि ऐसे ग्रन्थ में शब्दभंडार पर अधिक बल दिया जाता है। अंग्रेज़ी के 'डिक्शन' शब्द का अर्थ कुछ व्यापक है। 'डिक्शन' से तात्पर्य शब्दों के चयन के आधार पर उनका शैलीगत प्रयोग होता है। प्रयोग की शिक्षा व्याकरण देता है किन्तु सबसे अधिक महत्व शैली में अर्थ का होता है। इस दृष्टि से डिक्शनरी केवल शब्दकोश नहीं है। शायद, ऐसे ग्रंथ को शब्दार्थ कोश कहना उचित जान पड़ता है। फिर भी, रूढ़ अर्थ में शब्दकोश के अन्तर्गत व्याकरण का संकेत और अर्थों की छटाएँ सम्मिलित हैं।
कोश में शब्दों का चयन एक महत्वपूर्ण समस्या है। हिन्दी में एक परम्परा चली हुई है कि शब्दकोश में सब तरह के शब्द जो प्राप्त हैं आ जाने चाहिये । हमारे कोश साहित्य में तीन बड़े कोश उदाहरण स्वरूप लिए जाएँ – हिन्दी शब्द सागर, मानक हिन्दी कोश और बृहत् हिन्दी कोश । इन सब में हिन्दी की आधुनिक शब्दावली का संग्रह करने पर इतना ध्यान नहीं दिया गया जितना उपलब्ध कोशों में प्राप्त शब्दभंडार पर । एक ओर तो जन-विज्ञान, दर्शन, मनोविज्ञान, भूगोल आदि की शास्त्रीय शब्दावली का अभाव सा है और दूसरी ओर हिन्दी बोलियों के ठेठ शब्द सम्मिलित कर लिए गए हैं, यहाँ तक कि कबीर, सूर, तुलसी, बिहारी आदि के काव्यों से ढेरों शब्द संग्रहीत करके दे दिए गए हैं। ऐसे शब्दों का प्रचलन बहुत सीमित है और मानक हिन्दी में इनका प्रयोग कतई नहीं होता है। बोलियों के शब्दकोशों का महत्व अवश्य है। कबीर, सूर, तुलसी और बिहारी के काव्यों पर आधारित शब्दकोश प्राप्त हैं। अन्य कवियों या लेखकों की शब्दावली का संग्रह कर लेने की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता। अंग्रेज़ी, रूसी, फ्रेंच आदि यूरोप की भाषाओं में बोली के कोश अलग हैं और प्राचीन मध्यकालीन और अर्वाचीन भाषा के कोश अलग हैं। अधिकतर प्रकाशन अर्वाचीन भाषाओं से संबंधित हैं क्योंकि इस युग में अर्वाचीन भाषाओं का विस्तार अधिक होने के कारण उनकी उपयोगिता भी बहुत अधिक है। रेडियो, दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं और शिक्षा-दीक्षा के क्षेत्र में प्रचलित भाषा का ही व्यवहार होता है। प्रस्तुत कोश अर्वाचीन, प्रचलित और व्यापक हिन्दी भाषा का शब्दकोश है। शब्द-चयनः- हिन्दी में छोटे-बड़े अनेक शब्दकोश प्राप्त हैं । उन्नीसवीं शताब्दी में जो कोश प्रकाशित हुए थे उनमें एक हज़ार से लेकर पाँच हज़ार शब्द थे। उनका उद्देश्य स्कूली पाठ्य-पुस्तकों से शब्द-संग्रह करके मात्र छात्रोपयोगी बनाना था। बीसवीं शताब्दी के पहले चरण में काशी नागरी प्रचारिणी सभा ने उस समय तक प्राप्त हिन्दी के सारे शब्द-भंडार की खोज करके हिन्दी शब्द सागर का प्रकाशन कराया। सभा का उद्देश्य स्पष्ट था। इस दृष्टि से हिन्दी शब्द सागर हमारे कोश साहित्य में मील के पत्थर के समान था। इससे नए युग का
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प्रवर्तन हुआ और बाद के हिन्दी शब्दकोश उसी शैली पर लिखे जाते रहे हैं। चिंता यह रही है कि शब्द संख्या बढ़ायी जाये। बताया गया है कि सागर के पहले संस्करण में एक लाख शब्द थे और अब इनकी संख्या ढाई लाख हो गई है। इतनी संख्या बढ़ जाने पर भी आधुनिक ज्ञान-विज्ञान की शब्दावली बहुत कम आ पायी है। संख्या बढ़ी है हिन्दी शब्दों के बहुत से अमानक शब्दों के संग्रह से । अनेक बोलियों के शब्द-संग्रह प्रकाशित हुए हैं; उनसे भर लिया गया है। बहुत से नये-पुराने कवियों और लेखकों की शब्दावली भी प्रकाश में आयी है । उसको भी स्थान दिया गया है । संस्कृत और उर्दू के शब्दकोशों से आमतौर पर शब्द संग्रह कर लिया गया है, यहाँ तक कि कई ऐसे शब्द जिनका हिन्दी में कभी प्रयोग नहीं होता उनको भी ले लिया गया है । यही परम्परा बराबर चलती रही है। प्रस्तुत कोश में शब्दों के चयन का आधार भिन्न है ।
1
प्रस्तुत कोश की कुछ सीमाएँ हैं जिनके कारण शब्द चयन की प्रकृति निर्धारित की गई। यह कोश आधुनिक और परिनिष्ठित हिन्दी का है । हिन्दी में जो भी तत्सम, तद्भव, देशी और विदेशी जितने भी शब्दों का प्रयोग होता है उनका संग्रह कर लेने का भरसक प्रयत्न किया गया है। संस्कृत कोशों में हजारों ऐसे शब्द भरे पड़े हैं जिनका व्यवहार संस्कृत ग्रंथों में भी नहीं हुआ । विद्वानों ने इनको 'कोशगत शब्द' कहा है । परंतु, प्रायः हिन्दी कोशकारों ने ऐसे शब्दों को भी भर लिया है। वास्तव में संस्कृत की तत्सम शब्दावली का चयन हिन्दी भाषा के संदर्भ में होना चाहिए । हमने इस बात का ध्यान रखा है। विदेशी शब्दों के ग्रहण के बारे में भी लगभग ऐसी ही बात है। अरबी-फ़ारसी के हज़ारों शब्द उर्दू कोशों में तो हैं, किन्तु उन्हें आँख मूँदकर यथावत् ले लेना हिन्दी संपादकत्व का बड़ा भारी दोष है। हमने कई माध्यमों से परीक्षण करके उर्दू अर्थात् अरबी-फ़ारसी के शब्दों को अपने कोश में स्थान दिया है। इनमें कुछ शब्द हिन्दी साहित्य में आते रहे हैं परंतु बहुत से ऐसे हैं जो अब हिन्दी की अपनी सम्पत्ति बन चुके हैं। अंग्रेज़ी और अन्य यूरोपीय भाषाओं से आगत शब्द उपेक्षित रहे हैं। हमने हिन्दी कोशों के इतिहास में पहली बार ऐसे प्रचलित और व्यापक शब्दों की खोजबीन करके प्रस्तुत कोश में सम्मिलित किया है और परिशिष्ट के रूप में लगभग चार हज़ार अंग्रेज़ी शब्दों की सूची दे दी है। आनेवाले कोशकारों के लिए यह सूची उपयोगी होगी ।
यह एक सामान्य शब्द-कोश है, और यह हमारी एक अन्य सीमा है । वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग ने ज्ञान-विज्ञान की अनेक शाखाओं से संबंधित दो-तीन लाख शब्दों का संग्रह प्रकाशित किया है ! उन्हें पारिभाषिक शब्द कहा जाता है। सामान्य कोश में सामान्य भाषा के शब्द ही सम्मिलित किए जाते हैं, परंतु अनके पारिभाषिक शब्द शिक्षा के प्रसार के साथ सामान्य व्यवहार में आने लगते हैं । हमने पारिभाषिक शब्दावली में से ऐसे ही सामान्य शब्दों को अपने कोश में स्थान दिया है।
प्रकाशक की ओर से भी एक सीमा बाँध दी गई। कोश एक जिल्दी हो जिसे डेस्क डिक्शनरी कहते हैं। इसमें 60-70 हज़ार शब्द हैं जिनमें से कम से कम एक हजार शब्द ऐसे हैं जो प्रायः बड़े से बड़े कोश में भी प्राप्त नहीं हैं। ये शब्द प्रचलित हैं और इन्हें हमने अनेक भाषित और लिखित स्रोतों से संगृहीत किया है ।
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विशिष्ट प्रयोगों और मुहावरों को संबंधित शब्दों के पेटे में दिया गया है। समास युक्त शब्दों की प्रविष्टियाँ अलग से स्वतंत्र शब्दों के रूप में दी गई हैं। भाषा-स्रोतः- शब्द की प्रविष्टि के उपरान्त उस भाषा का नाम संकेतित किया गया है जिससे वह शब्द हिन्दी में ग्रहण किया गया है, जैसे संस्कृत, अरबी, फ़ारसी या अंग्रेज़ी से। हिन्दी के अपने शब्द तद्भव और देशज कहे जा सकते हैं। इनका स्रोत दिखाने की कोई आवश्यकता नहीं है, ऐसा समझना चाहिए। शिष्ट भाषा में शैली का एक वातावरण होता है। उदाहरणस्वरूप, किसी वाक्य में संस्कृत के साथ अरबी, फारसी के शब्द का प्रयोग अटपटा ही लगता है, जैसे सद्गति हासिल की, बड़ा बे-गैरत व्यक्ति है अथवा शिष्ट इंसान की क्या पहचान है। भाषा का स्रोत जानने का यह लाभ भी है कि हम किसी शब्द से व्युत्पन्न शब्दों की प्रकृति को भली भाँति समझ सकते हैं और शब्द-रचना में सतर्क रहते हैं। व्याकरणः- इस कोश में प्रत्येक शब्द की व्याकरणिक कोटि का संकेत किया गया है । आठ शब्द-भेद बताए जाते हैं - संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक शब्द । हिन्दी में संज्ञा या तो पुल्लिंग होती है या स्त्रीलिंग। कोश में पुं० और स्त्री० से समझना चाहिये कि ये संज्ञा के भेद हैं । संज्ञा (सं०) का संकेत नहीं किया गया। क्रिया के भी मुख्य रूप से दो भेद हैं --- अकर्मक क्रिया (अ० क्रि०) और सकर्मक क्रिया (स० क्रि०) । इस कोश में दो और भेद संकेतित कर दिए गये हैं - प्रेरणार्थक क्रिया (प्रे० क्रि०) और द्विकर्मक क्रिया (द्विक० क्रि०) । प्रयोग की दृष्टि से इन दो क्रिया भेदों का भी अपना महत्व है। वास्तव में संज्ञा के भाववाचक भेद का विशेष उल्लेख होना चाहिए। कछ भाववाचक संज्ञायें गणनीय होती हैं और कछ अगणनीय। गणनीय संज्ञा का बहवचन रूप बन सकता है, अगणनीय संज्ञा का नहीं; जैसे-आवश्यकता से आवश्यकताएँ हो सकता है, परंतु ममता से ममताएँ नहीं हो सकता यद्यपि दोनों की रचना का स्वरूप एक सा है। आवश्यकता गणनीय है और ममता अगणनीय । इसी प्रकार विशेषणों और क्रिया विशेषणों के संबंध में और अधिक जानकारी देने की गुंजाइश है परंतु हमने परंपरा का ही निर्वाह किया है। व्याकरण की सूक्ष्मताओं को हमारा सामान्य पाठक अभी कम समझता है। खेद की बात है कि हमारी भाषा शिक्षा के पाठ्य-क्रम में व्याकरण अवहेलित रहा है। अर्थः- यदि शब्द भाषा का शरीर है, तो अर्थ उसकी आत्मा है। कोशों में अर्थ का विवेचन प्रायः चार प्रकार से होता है - (1) पर्याय देकर जैसे-पानी, जल, नीर; (2) शब्द का विग्रह करके जैसे अनुयायी -- पीछे चलनेवाला; (3) वर्णन या व्याख्या करके जैसे --- अंक - पत्र या पत्रिकाओं के समयानुसार होनेवाले प्रकाशन की संख्या; और (4) परिभाषा देकर जैसे - अंडा - गोलाकार पिंड जिसमें से सर्प, पक्षी तथा मछली आदि जीवों का जन्म होता है। द्विभाषी कोशों में बहुधा दूसरी भाषा के पर्याय मिलते हैं यद्यपि उनमें भी विशिष्ट शब्दों के व्याख्यात्मक अर्थ देने पड़ते हैं। परंतु एक भाषी कोश में सभी के पर्याय नहीं मिलते। जब मिल जाते हैं तो काम आसान रहता है। विग्रह करके अर्थ दे देना और भी सरल कार्य है लेकिन अंत के दो अर्थ भेद देना बहुत कठिन होता है। उदाहरणस्वरूप मेज़, कुर्सी, रोटी आदि सैंकड़ों शब्द गिनाये जा सकते हैं जिनके अर्थ देने में अतिव्याप्ति या अव्याप्ति दोष आ ही जाता है। हिन्दी
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कोशकारों में रामचन्द्र वर्मा इस संबंध में बहुत सावधान रहे हैं, वे शब्दार्थ निश्चयन में सबसे कुशल माने जा सकते हैं, किन्तु अर्थ की साधना में वे पूर्णतया सफल नहीं हो पाए। मानक हिन्दी कोश में (उदाहरणस्वरूप) 'अकर्मक' का अर्थ "क्रिया के दो मुख्य भेदों में से एक, जिसके साथ कोई कर्म नहीं होता अथवा जिसमें कर्म की उपेक्षा नहीं होती' दिया गया है। इस अर्थ में पुनरुक्ति दोष भी है और अतिव्याप्ति दोष भी। प्रस्तुत कोश में दोषों से बचने का भरसक प्रयास किया गया है, फिर भी यह दावा नहीं किया जा सकता कि हम पूर्णतया सफल हो पाये हैं।
यह सही है कि अर्थ की भाषा सरल होनी चाहिए, परंतु शब्द ही सरल हो तो उसका अर्थ और अधिक सरल करना कठिन ही नहीं, कभी-कभी असंभव हो जाता है। रोटी, हाथ, दाँत, आना, जाना, उठना, बैठना आदि सैंकड़ों शब्द ऐसे हैं जिनका अर्थ देने में बड़ी कठिनाई होती है। हमने कोशिश अवश्य की है कि अर्थ को यथासम्भव सरल भाषा में दिया जाये।
जिन शब्दों के अर्थ एक से अधिक हैं उनके अर्थों को 1, 2, 3, 4 संख्या देकर लिखा गया है ताकि पाठक को स्पष्ट रूप में अर्थ की भिन्नता जान पड़े। जहां शब्द के अर्थ, व्याकरण, भाषा स्रोत अथवा वैज्ञानिक शाखा के अनुसार भिन्न हैं वहां अर्थ से पूर्व रोमन I, II, III, आदि लिखा गया है।
बहुत से अनेकार्थ शब्दों की व्याख्या में कोई पदबंध या छोटा सा वाक्य दे दिया गया है जिससे शब्द का प्रयोग अधिक स्पष्ट हो जाता है।
शब्दों और अर्थों के चयन में हमने अनेक कोशों से सहायता ली है जिसके लिए हम उन कोशों के संपादकों के प्रति अपना आभार मानते हैं और जो कुछ इस कोश में नया या मौलिक है वह अपने पाठकों को समर्पित करते हैं।
अप्रेल, 1990
हरदेव बाहरी
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1.
2.
4.
5.
शब्दकोश प्रयोग पद्धति
अक्षर क्रम कोश में आदि अक्षरों का क्रम वही रखा गया है जो देवनागरी वर्णमाला का है; अर्थात् - अ आ इ ई उ ऊ ऋ ए ऐ ओ औ क ख ग घ च छ ज झ ट ठ ड ढ त
थ द ध न प फ टिप्पणी – (1)
6.
-
ब भ म य र ल व श ष स ह ।
अं/ अँ, अः को अलग अक्षर नहीं माना गया, ये दोनों ध्वनियाँ अ के पेटे में आयेंगी ।
(2)
ङ ञण से कोई शब्द आरंभ नहीं होते ।
दूसरे अक्षर के रूप में निम्नलिखित क्रम होगा
अं/ अँ, अः, अक, अख, अग, अघ, अच, अछ, अज, अझ, अट, अठ, अड, अढ, अत, अथ, अद, अध, अन, अप, अफ, अब, अभ, अम, अय, अर, अल, अव, अश, अष, अस, अह । इस क्रम के उपरान्त उस आदि अक्षर के साथ मात्रायें लगने का क्रम होगा। जैसे
का, कि, की, कु, कू, कृ, के, कै, को, कौ ।
मात्राओं के बाद संयुक्त अक्षर अपने क्रम में होंगे। जैसे
3. जहां किसी मुख्य शब्द का समानार्थक दूसरा शब्द है उसके आगे = या दे० का प्रयोग किया गया है। उदाहरण के लिए:
―
-
1
क्क, क्ख, क्व, क्त, क्थ, क्न, क्प, क्म, क्य, क्र, क्ल, क्व, क्श, क्ष, क्ष, (क्ष), क्स । टिप्पणी • यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि क्ष, त्र, ज्ञ संयुक्त अक्षर हैं, अतः क्ष कोक के साथ रखा जा रहा है, त्र को त के साथ और ज्ञ को ज के साथ रखा जा रहा है। शब्द के तीसरे, चौथे, आदि अक्षरों का क्रम दूसरे अक्षर के समान होगा । जिन शब्दों के अर्थ एक से अधिक हैं उनके अर्थों को 1, 2, 3, 4 संख्या देकर लिखा गया है ताकि पाठक को स्पष्ट रूप में अर्थ की भिन्नता जान पड़े। जहां शब्द के अर्थ व्याकरण, भाषा स्रोत अथवा वैज्ञानिक शाखा के अनुसार भिन्न हैं वहां अर्थ से पूर्व रोमन
I, II, III, आदि लिखा गया है। बहुत से अनेकार्थ शब्दों की व्याख्या में कोई पदबंध या . छोटा-सा वाक्य दे दिया गया है जिससे शब्द का प्रयोग अधिक स्पष्ट हो जाता है।
दरशन = दर्शन, दरस । इसके अर्थ यह हुए कि दरशन, दर्शन और दरस तीनों शब्दों के अर्थ समान हैं ।
शब्द की प्रविष्टि के उपरांत उस भाषा का संकेत दिया है जिससे वह शब्द हिंदी में ग्रहण किया गया है, जैसे (सं०) संस्कृत, (अ०) अरबी, (फ़ा० ) फ़ारसी, या (अं०) अंग्रेज़ी से ।
इस कोश में प्रत्येक शब्द की व्याकरणिक कोटि का संकेत किया गया है। शब्द-भेद आठ होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक | हिंदी में संज्ञा या तो पुंल्लिंग होती है या स्त्रीलिंग । कोश में पु० और स्त्री० से समझना चाहिए कि ये संज्ञा के भेद हैं।
शब्द की प्रविष्टि के अन्तर्गत जहां भी उस शब्द का प्रयोग फिर से किया गया है उसका संकेत से किया गया है। उदाहरण के लिए शब्द है - पुत्र, इस शब्द के अर्थ के अन्तर्गत "पुत्रवधू" को इस प्रकार लिखा गया हैः-- 'वधू' ।
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पु०
संक्षेप और संकेत-चिह्न 1. व्याकरणिक संक्षेप-चिह्न संक्षेप-चिह्न
शब्दभेद स्त्री०
स्त्रीलिंग
पुल्लिंग सर्व०
सर्वनाम अ० क्रि०
अकर्मक क्रिया स० क्रि०
सकर्मक क्रिया प्रे० क्रि०
प्रेरणार्थक क्रिया द्वि० क्रि०
द्विकर्मक क्रिया अ० क्रि०/स० क्रि०
अकर्मक क्रिया/सकर्मक क्रिया बहु०
बहुवचन वि०
विशेषण क्रि० वि०
क्रिया विशेषण वि०/पु०
विशेषण/पुल्लिंग उप०
उपसर्ग प्र०
प्रत्यय वि० भ०
विभक्ति अव्यय
अ०
2. भाषा स्रोत के संक्षेप-चिह्न संक्षेप-चिह्न
सं० हिं० अं०
भाषा संस्कृत हिंदी अंग्रेज़ी
अ०
अरबी तुर्की
तु०
फ़ा०
फ़ारसी
6
.
रूसी
पुर्तगाली फ्रांसिसी बोलचाल
बो०
3. विषयों के संक्षेप-चिह्न संक्षेप-चिह्न
ग०
चि० साहि० ज्या०/ग० का० व्या० ज्यो०
विषय गणित चिकित्सा शास्त्र साहित्य ज्यामिति/गणित कानून व्याकरण ज्योतिष
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क्रम
पृष्ठ संख्या
अक्षर
पृष्ठ संख्या 335 342 345 376 379 412
102
103 123
124
424
125 130 131 133 134 187
461 555 569 609
201
230 239 273 283 314 321 331
626 677 686 710 730 761 783 784 865
परिशिष्ट-I 891 परिशिष्ट-II 918 परिशिष्ट-III 924 परिशिष्ट-IV 932
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अंक
अंग
अंकांतर-सं० 1 नाटक में अंक-परिवर्तन 2 दो अंकों के बीच
का कथ्य
अकाई-(स्त्री०) 1 जाँचने की क्रिया 2 जॉनने का पारिश्रमिक अंक-सं० (पु.) 1 संख्या 2 संख्या का चिह्न (1, 2, 3, | 3 अनुमान लगाना
आदि) (जैसे-अंकों में लिखो) 3 चिह्न, निशान अंकाना-(स० क्रि०) 1 अनुमान लगवाना 2 ऊँचवाना (जैसे-~डालना) 4 नाटक का एक खंड अथवा सर्ग अंकाव-(पु०) जाँचने का काम 5 रूपक का एक प्रकार 6 खेल तथा परीक्षा आदि में प्राप्त | अंकावतार-सं० (पु०) (नाटक में) एक अंक के समाप्त होने नम्बर 7 पत्र-पत्रिकाओं के समयानुसार होने वाले प्रकाशन की | पर पात्रों द्वारा अगले अंक की विषय सूचना संख्या। ~करण (पु०) चिह्न लगाने की क्रिया; ~कार अंकावधि-सं० = अंकांतर (2) (पु०) 1 विभिन्न खेलों में हार-जीत का निर्णायक 2 अंक | अंकित-सं० (वि०) लिखा हुआ 2 चिह्नित। ~मूल्य देनेवाला; ~गणित (पु०) गणित की एक शाखा जिसमें (पु०) मुद्रा तथा स्टाम्प पर लिखा मूल्य संख्याओं का हिसाब किया जाय; ~गत (वि०) 1 जिसे गोद अंकितक-सं० (पु०) जिस वस्तु पर विवरण लिखा हो लिया गया हो 2 जिसे पकड़ा गया हो; तंत्र (पु०) अंकों अंकिल-(वि०) दान में दारा लगाया हुआ बछड़ा का शास्त्र (अंकगणित, बीजगणित); ~धारण (पु०) गर्म अंकुट-सं० (पु०) कुंजी, ताली धातु से शरीर पर विशेष चिह्न छपवाना, दगवाना; ~धारी अकुड़ा-(पु.) 1 टी 2 कटिया 3 टेढ़ा लोहा (वि०) वह जिसने त्वचा पर विशेष चिह्न दगवाया; पत्र अंकुर-सं० (पु०) 1 अँखुआ 2 कली 3 नुकीला भाग (पु०) 1टिकट 2 मूल्य देने पर शासन द्वारा छपा हुआ एक 4प्रारंभिक स्वरूप काराज़ (स्टाम्प); पत्रित (वि०) जिस पर अंक पत्र अंकुरक-सं० (पु०) 1 गुफा 2 घोंसला 3 छोटा अंकुर चिपका हो; ~परिवर्तन (पु०) 1 (नाटक में) एक अंक अंकुरण-सं० (पु०) बीज का फूटकर अंकुरित होना समाप्त होने पर अगला अंक शुरू होना 2 शिशु का गोद में | अंकुरना-(अ० क्रि०) अंकुर का फटना इधर-उधर करना; ~पाली (स्त्री०) 1 परिचारिका, धाय | अंकुरित-सं० (वि०) 1 अंकुर आया हुआ 2 उत्पन्न हुआ। 2 दे०. अँकवार; पाश (पु०) आलिंगन; ~माला यौवना (स्त्री०) नया यौवन प्राप्त बाला (स्त्री०) अनेक अंकों का समूह; ~मालिका (स्त्री०) एक अँकुरी-(स्त्री०) अनाज के अंकुर युक्त दाने छोटी माला; ~मुख (पु०) नाटक के शुरू में दिया गया अंकुश-सं० (पु०) 1 हाथी को वश में रखने का विशेष लोहे संक्षिप्त कथानक, विद्या (स्त्री०) अंकों की विद्या का काँटा 2 अधिकारी अथवा व्यक्ति विशेष को प्राप्त नियंत्रक (अंकगणित); -विभाग (पु०) सांख्यिकी विभाग; शक्ति, नियंत्रण। -क (पु०) छोटा अंकुश; कृमि
विभाजन (पु०) नाटक का अंकों में बाँटना; विवरण (पु.) एक हुकदार कोड़ा (जो अंतड़ी में पैदा होता है); (पु०) संख्या संबंधी तथ्यों की व्याख्या करनेवाली विद्या: ~ग्रह (पु०) महावत; धर, --धारी (१०) 1 अंकुश ~शायिनी (वि०/स्त्री०) बगल में सोनवाली; ~शास्त्र 2 पीलवान 3 महावत; - रूप (वि०) अंक्श जैसा (पु०) संख्या सम्बन्धी तथ्यों का संग्रह एवं वर्गीकरण अँकुसी-(स्त्री०) 1 टी 2 मुड़ी कील 3 टेढा लोहा करनेवाली विद्या, सांख्यिकी; ~शास्त्री संख्या सम्बन्धी तथ्यों अंकेक्षक-सं० (पु०) बही खाता लिखनेवाला एवं विवरणों का ज्ञाता; देना गले लगाना; - भरना या | 2 लेखा-परीक्षक लगाना 1 गले लगाना 2 लिपटाना
अंकेक्षण-सं० (१०) बही खातों की जाँच, लेखा-परीक्षण अँकटा-(पु०) कंकड़ या पत्थर का छोटा टुकड़ा अंकेक्षा-सं० (पु०) बही खातों की जांच पड़ताल करनेवाला अँकटी-(स्त्री०) कंकड़ का छोटा टुकड़ा
अधिकारी अकड़ी-(स्त्री०) 1 टेढ़ी कँटिया 2 टेढी गाँसी 3 हक 4 कंकड़ी अॅकेक्षित-सं० (वि०) जाँच किया हुआ (जैसे-लेखा) अंकन-सं० (पु०) 1 चिह्न लगाना 2 चित्र बनाना 3 गिनती | अंकोर-(पु०) 1 गोद 2 भेंट, उपहार करना 4 मूल्य लगाना, कूतना
अंकोरना-(स. क्रि०) गोद में लेना अँकना-(स० क्रि०) = आँकना
अंक्य-सं० (वि०) अंकन योग्य अंकनी-सं० (स्त्री०) 1 लेखनी 2 ब्रश
अंखिया-(स्त्री०) 1 नक्काशी करने की कलम 2 आँख अंकनीय-सं० (वि०) छपाई योग्य, अंकन करने योग्य अँखुआ-(पु.) 1 अंकुर 2 कल्ला अंकपलई-(स्त्री०) अंकों के प्रयोग से लिखने का गोपनीय ढंग अँखुआना, अँखुवाना-(अ० क्रि०) अंकर का फूटकर बाहर अँकरा-(पु०) 1 एक विशेष किस्म की घास 2 कंकड़ आना अँकरी-(स्त्री०) 1 छोटी घास 2 कंकड़ी
अंग-सं. (पू.) । शरीर 2 शरीर के विभिन्न अवयव (हाथ, अँकरोरी, अँकरौरी-(स्त्री०) कंकड़ या पत्थर आदि का बहुत पैर, मुंह, कान आदि) 3 भाग (नाटक का एक अंग, देश या छोटा टुकड़ा
प्रान्त का एक अंग) 4 अंश (वेदों के अंग, काव्य के अंग) अँकवाना-(स० क्रि०) 1 दूसरे व्यक्ति से जाँच करवाना 5 शाखा (जैसे-विज्ञान के ~) 6 पक्ष (किस अंग का)। 2 वस्तु का मूल्य पता करवाना
-~-क्रिया (स्त्रो०) 1 शरीर में उबटन, महावर आदि लगाना अँकवार-(स्त्री०) गोद। देना गले लगाना; ~भरना गोद | 2 यज्ञ, हवन में अंग का बलिदान देना; --ग्रह (पु.) ऐठन; में भरना
~घात (ए०) शरीर के किसी अंग को निष्क्रिय करनेवाला
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अंग
अंगीय
पाप
रोग, लकवा; ~चारी घनिष्ठ मित्र; ~चालन (पु०) अंगों तोड़ना, लेना) को हिलाना डुलाना; -छद (पु०) कवच; छेद (पु०) अंगड़ाना-(अ० क्रि०) अंगड़ाई लेना 1 रोगी के किसी अंग को काटना 2 शल्य क्रिया; ~ज अंगणा-सं० (पु०) आँगन । (वि०); ~जात (वि०/पु०) अंग से उत्पन्न (पसीना, बाल, अंगना-(स्त्री०) स्त्री। -प्रिय (पु०) अशोक वृक्ष पुत्र); -जा (स्त्री०); ~जाता (स्त्री०) पुत्री; त्राण अंगरखा-(पु०) एक प्रकार की लम्बी मरदाना पोशाक (पु.) 1 जिससे अंगों की रक्षा हो (कवच, भाला) 2 वस्त्र अँगरेज़-(पु०) इंग्लैण्ड देश का निवासी 3 अंगरक्षक; ~द (पु०) बाँह का गहना 2 बालि का पुत्र; अँगरेज़ अमरीकी-(पु०, वि०) ऐंग्लो अमरीकन
दान (पु०) आत्मसमर्पण (विशेषतः संभोग के लिए); अगरेज़ियत-(स्त्री०) अँगरेज़पन या अँगरेज़ी वेश-भूषा, ~धारी (पु०) प्राणी; न्यास (पु०) (संध्या-पूजा में) चाल-चलन अंगस्पर्श; ~पालिका (स्त्री०) दाई; ~पाली (स्त्री०) अँगरेज़ी-I (स्त्री०) अँगरेज़ी भाषा II (वि०) अंग्रेज़ी भाषा आलिंगन; ~प्रत्यंग (पु०) शरीर का प्रत्येक अवयव; __का, अंग्रेज़ों का
प्रोक्षण (पु०) अंग पोंछना, अंग की सफाई: ~भंग अँगरेज़ीदान-(पु०) अंग्रेज़ी का जानकार (पु०) शरीर या अंग का टूटना; ~भंगिमा (स्त्री०); अंगलेट-(पु०) शारीरिक ढाँचा या गठन, काठी ~भंगी (स्त्री०) 1 शरीर के अंगों की मनोहारी चेष्टाएँ 2 अंगों अंगांगीन्याय-(पु०) पूर्ण और उसके भाग का सिद्धांत के संचालन द्वारा भाव-प्रकाशन; ~भाव (पु०) नृत्य एवं अंगांगिभाव-सं० (पु०) 1 शरीर और शरीर के अंगों का संगीत में अंगों द्वारा भाव प्रदर्शन; ~भूत (वि०) 1 शरीर या सम्बन्ध 2 विशेष एवं गौण का सम्बन्ध 3 पूर्ण और उसके भाग अंग से उत्पन्न 2 किसी के अंगरूप, अंतर्गत; ~मर्द (पु०); का संबंध
मर्दक (पु०) 1 हड़ियों में दर्द होना 2 मालिश करने वाला; अंगा-(पु०) अँगरखा, चपकन. ~मर्दन (पु०) मालिश; ~मारी (स्त्री०) महारोग; अंगाकड़ी-(स्त्री०) अंगारे पर बनाई गई रोटी रक्षक (पु०) 1 सैनिक 2 व्यक्ति की रक्षा करनेवाला; अंगार-सं० (पु०) 1 अंगारा, दहकता कोयला या पत्थर ~रक्षी (पु०) 1 कवच 2 पोशाक; राग (पु०) सुगन्धित | 2 लाल रंग। ~कारी (पु०) बिक्री हेतु कोयला बनानेवाला; लेप, उबटन; ~लीला (पु०) शारीरिक चेष्टाएँ या कलाएँ: ~धानी (स्त्री०) अंगीठी; ~परिपाचित (वि०) अंगारे पर
लेप (पु०) शरीर पर लगाने वाले गंधयुक्त पदार्थ; पकाया गया खाद्य; ~उगलना उग्रता का परिचय देना -विकल (वि.) 1 विकलांग 2 अचेत; -विकार अंगारक-सं० (पु०), छोटा अंगारा (चिनगारी) (पु०); ~विकृति (स्त्री०) शारीरिक दोष एवं कमी; अंगारकाम्ल-सं० (पु०) कार्बन और आक्सीजन के संयोग से
विक्षेप (पु०) (संगीत, नृत्य, कलाबाजी में) अंगों का बना अम्ल संचालन; विच्छेद (पु०) शरीर के रुग्ण अंग को काटना अँगारा-(पु०) पत्थर, कोयला, कंडा आदि का दहकता रूप । (कैंसर रोग); ~विद्या (स्त्री०) अंगों के चिह्नों द्वारा शुभ बनना या होना गुस्से से लाल होना; रे उगलना कट अशुभ का ज्ञान प्राप्त करना; -विन्यास (पु०), शरीर के बातें कहना; ~रों पर पैर रखना जानते हुए भी संकट में अंग एवं वाक्य पदों को जोड़ना; -वैकृत (पु०) अंग संकेत पड़ना; ~रों पर लोटना गुस्से में तड़पना या जलना; रे द्वारा भावों का प्रदर्शन: ~शद्धि (स्त्री०) मंत्र आदि के फॉकना कुपरिणाम वाले कार्य करना; रे बरसना बहुत माध्यम से शरीर की सफ़ाई; शैथिल्य (प०) शरीर का गर्मी पड़ना; लाल~ (पु०) गुस्से से लाल आदमी ढीलापन या थकावट; ~शोष (पु०) सूखारोग; ~संग अंगारिणी-से० (स्त्री०) 1 अँगीठी 2 अस्त होते सूर्य की रक्त (पु०), 1 सशरीर 2 मैथुन या संभोग; ~संचालन (पु.) रंजित दिशा अंगों को हिलाने डुलाने की क्रिया; ~संस्कार (पु०) शरीर अंगारित-सं० (वि०) पूर्ण रूप से जला हुआ की सजावट, शृंगार; ~संस्थान (पु०) (शब्दों का) रूप अंगारी-सं० (स्त्री०) गँडासे से कटी ईख के टुकड़े विचार; ~संहति (स्त्री०) अंगों की बनावट; सख्य अँगारी-सं० (स्त्री०) चिनगारी (पु०) प्रगाढ़ मित्रता; सिहरी • हिं० (स्त्री०) ज्वर के पूर्व अंगिका-सं० (स्त्री०) 1 अंतःवस्त्र 2 कंचुकी का कंपन; ~सौष्ठव (पु०) अंगों की सुंदरता; स्थिति | अंगिया-(स्त्री०) 1 चोली 2 छलनी। ~का कंठा या घाट (स्त्री०) अंगों की अवस्था; ~ हानि (स्त्री०) अंग विशेष का (पु०) गले के नीचे का खुला भाग निष्क्रिय होना; ~हार (पु०) 1 मटकना 2 नृत्य; -हीन अंगी-I सं० (वि०) शरीरयुक्त II (पु०) 1 शरीरधारी 2 अंग (वि०) शरीर में किसी अंग का न होना; ~ढीला होना; विशेष 3 नाटक का प्रधान पात्र अथवा नायक 4 प्रधान रस ~ढीले होना थक जाना; ~उभरना यौवन का आगमन; 5 समष्टि, कुल ~करना स्वीकार करना; चुराना संकोच करना; छूना अंगीकरण-सं० (पु०) 1 ग्रहण 2 सहमत होना . शपथ लेना; टूटना अंगड़ाई आना; तोड़ना पूर्णतः अंगीकार-सं० (पु०) ग्रहण, स्वीकार शिथिल कर देना; ~मोड़ना संकुचित होना; लगना गले अंगीकृत-सं० (वि०) अपनाया, लिया गया, स्वीकृत लगना; - लगाना गले लगाना; फूले न समाना बहुत अंगीकृति-सं० (स्त्री०) सहमति या स्वीकृति प्रसन्न होना
अँगीठी-(स्त्री०) अग्नि पात्र या वोरसी (बड़ा अँगीठा) अंगड़ खंगड़-(वि०) टूटी-फूटी अनावश्यक वस्तुएँ अंगीभूत-सं० (वि०) अंग बना हुआ, समाया हुआ अँगड़ाई-(स्त्री०) शरीर का तानना (क्रि० आना. | अंगीय-सं० (वि०) अंग संबंधी
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अंगुल
अंटाचित
अंगुल-सं० (पु०) 1 अँगुली 2 एक अंगुल की नाप। छाप भाषा का (~फिल्म, साहित्य, माल) (स्त्री०) उँगली का निशान; ~प्रमाण (वि०) अंगुली अंग्रेज़ीकरण-(पु०) अंग्रेज़ी रूप देना जितना मोटा
घड़ा-(पु०) पैर के अंगूठे में पहनने का काँसे का छल्ला अंगुलांक-सं० (पु०) उँगली का निशान
अँघिया-(स्त्री०) छलनी अंगुलि, अंगुली-(स्त्री०) 1 उँगली 2 हाथी की सैंड का | अंघ्रि-सं० (पु०) 1 पाँव (पैर) 2 पेड़ की जड़ 3 छंट का चरण अग्रभाग। छाप + हिं० (पु०) उँगली का निशान; अँचरा-(पु०) आँचल (स्त्रियों का आँचल) -निर्देश (पु०) 1 उँगली से संकेत करना 2 निंदा अँचल-सं० (पु०) 1 देश या प्रान्त का एक भाग, क्षेत्र 2 नदी करना; ~पंचक (पु०) हाथ की पाँचों उँगलियाँ पर्व __का किनारा 3 पल्लू, आंचल (पु०) पोर; ~प्रतिमुद्रा (स्त्री०) (अपराधी की शिनाख्त के | अँचवन-(पु०) आचमन लिए) उँगली के निशान; ~मुद्रा (स्त्री०) अँगूठी; ~उठाना अंचित-सं० (वि०) 1 जिसकी आराधना की गई हो 2 टेढ़ा बदनाम करना; ल्यों पर नचाना परेशान करना
3 सिकोड़ा हुआ अंगुल्यग्र-सं० (पु०) उँगली का अग्रभाग
अंछर-(पु०) 1 अक्षर 2 एक मंत्र या टोना। पढ़कर मारना अंगुल्यस्थि-(पु०) उंगली की हड्डी
जादू टोना करना अंगुल्यादेश-सं० (पु०), अंगुल्यानिर्देश (पु०) उँगली द्वारा अंजन-सं० (पु०) 1 काजल या सुरमा 2 स्याही 3 दीपक। किया गया संकेत
~केश J (पु०) दीपक II (वि०) जिसके बाल काले हों; अंगुश्त-फा० (पु०) उँगली। नुमा (वि०) बेइज्ज़त; ~श्लाका (स्त्री०) काजल या सुरमा लगाने की पतली नुमाई (स्त्री०) बदनामी
सींक; ~सार + हिं० (वि०) अंजनधारी; ~~हारी (स्त्री०) अंगुश्तरी-फा० (स्त्री०) अँगूठी
आँख का रोग (बिलनी) अंगुश्ताना-फा० (पु०) लोहे या पीतल की टोपी जिसे उँगली | अंजना-सं० (स्त्री०) 1 आँख की पलक पर फुसी 2 अंजन में पहना जाए
लगानेवाली अंगुष्ठ-सं० (पु०) अँगूठा
अंजनी-सं० (स्त्री०) 1 हनुमान की माता 2 चंदन कुकूम से अँगुसा-(पु०) अंकुर या अँखुआ
सजी-सँवरी नारी 3 माया ! पुत्र (सुत, नन्दन) (पु०) अँगुसी-(स्त्री०) हल का फाल
हनुमान अँगूठा-(पु०) हाथ अथवा पैर की पहली और सबसे मोटी अंजर पंजर-(पु०) शरीर के अंग, हड्डी पसली। ~ढीले उँगली। चूमना खुशामद करना; चूसना अज्ञानता का | ोना पूर्णतः थक-टूट जाना परिचय देना; दिखाना 1 अवज्ञा करना 2 अस्वीकार करना; | अंजलि-सं० (स्त्री०) हथेलियों पर बनाया गया गड्डा। --कर्म अँगूठे पर मारना परवाह न करना; पत्नी के अँगूठे तले (पु०) ससम्मान अभिनंदन; ~~गत (वि०) प्राप्त किया हआ; होना पत्नी का गुलाम बने रहना
बद्ध (वि०) करबद्ध अँगूठी-(स्त्री०) उँगली में पहना जानेवाला आभूषण। ~का | अंजली-सं० (स्त्री०) = अंजलि नगीना (पु०) महत्त्वपूर्ण व्यक्ति या वस्तू
अँजवाना-(स० क्रि०) काजल अथवा सुरमा लगवाना अंगूर-फ़ा० (पु०) 1 एक विशेष प्रकार का मीठा फल अंजस-सं० (वि०) 1 सरल 2 अकुटिल 2 द्राक्षा। ~की टट्टी (स्त्री०) बाँस की पट्टी जिस पर | अंजसा-सं० 1 शीघ्रता से, तुरंत 2 यथावत् 3 साक्षात् अंगूर की बेल चढ़ायी जाए; ~की लता (स्त्री०) पतली अंजहा-(वि०) अन्न का, अन्न के मेल से बना हुआ टहनी जिस पर अंगूर फलते हैं; ~तड़कना; ~फटना भरते अंजही-(स्त्री०) गल्ला मंडी (अनाज का बाज़ार) हए ज़ख्म की झिल्ली का फटना; बँधना, ~भरना घाव | अंजाम-फा० (पु०) 1 फल 2 नतीजा 3 समाप्ति 4 पूर्ति । का भरना
देना पूरा करना; ~~पाना फल पाना अंगूरबानी-फ़ा० (स्त्री०) अंगूर की खेती का काम अंजित-सं० (वि०) 1 अंजनयुक्त 2 आराधित अंगूरी-फ़ा० (वि०) 1 अंगूर से बनी (शराब) 2 अंगूर के रंग | अंजी-सं० (स्त्री०) 1 शुभकामना 2 आशीष
सा। खेल (स्त्री०) कपड़े पर अंगूर की बेल की तरह छपाई अंजीर-फा० (पु०) गृलर की किस्म का एक विशेष फल अँगेठी-(स्त्री०) आग जलाने का बर्तन (अँगीठी) अंजुमन-फ़ा० (पु०) 1 सभा 2 महफ़िल अंगोछेदन-(पु०) अंग काट देना
अँजुली-(स्त्री०) - अंजलि अंगोछना-(स० क्रि०) कपड़े से शरीर पोंछना
अंझा-(पु०) छुट्टी का दिन अंगोछा-(पु०) गमछा
अँटना-(अ० क्रि०) 1 समाना 2 उचित नाप का होना 3 पर्याप्त अँगोट-(स्त्री०) देहकान्ति
होना, पूरा होना अंगोरा-(पु०) मच्छर
अंटसंट-(वि०) 1 व्यर्थ का 2 असंगत (~बकना) ऑगोंग-(पु०) दान पुण्य के लिए अलग किया गया अन्न। । अंटा-(पु०) 1 बड़ी गोली 2 सूत, रेशम तथा ऊन का लच्छा अँगौरिया-(पु०) मजदूरी के बदले हल-बैल सहित खेती 3 बिलियर्ड (खेल)। घर (पू.) बिलियर्ड खेलने का करनेवाला हलवाहा
कमरा अंग्रेज़-(पु०) इंग्लैंड का रहनेवाला
अंटाचित-(वि०) 1 पीठ के बल, चित 2 पूर्णतः पराजित अंग्रेज़ी-I (स्त्री०) अँगरेज़ों की भाषा II अंग्रेज़ या अंग्रेज़ी । 3 मदहोश 4 स्तब्ध
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अंटागुड़गुड़
अंटागुड़गुड़ - (वि०) नशे में चूर (बेहोश ) अँटिया - (स्त्री०) 1 घास 2 पतली लकड़ी अँटियाना-(स० क्रि०) 1 छिपाना 2 बाँधना अंटी - (स्त्री०) 1 दो उँगलियों के बीच की जगह 2 उँगली पर उँगली रखने का संकेत 3 गाँठ 4 सूत या रेशम एवं ऊन का गोला 5 कुश्तीबाज़ों का एक दाँव । बाज़ + फ़ा० (वि०) ठग, धोखेबाज़; -- देना गरदनिया देना; मारना 1 दूसरे का सामान चुरा लेना या छिपा देना 2 कम तौलना अँटौतल - (पु० ) बैलों के मुँह पर लगाया जानेवाला ढक्कन अँठई - (स्त्री०) एक कीड़ा (किलनी)
अंठी- (स्त्री०) गिल्टी (गुठली)
अंड-सं० (पु० ) 1 अंडा 2 अंडकोष, फ़ोता 3 विश्व 4 वीर्य । ~कोश (पु० ) ब्रह्मांड; कटाह (पु० ) सम्पूर्ण विश्व ( कड़ाह रूप में); ज (पु० ) अंडे से उत्पन्न जीव (सर्प, पक्षी); ~ कोषिका; धानी (स्त्री०) वह थैली जिसमें अंडा पैदा होता है; निक्षेपण (पु० ) अंडा देना; प्रजक (वि०) अंडे देनेवाला; वृत्त (पु० ) अंडाकार घेरा; - वृद्धि (स्त्री०) आँत उतरना अंडबंड - (वि०) 1 असंगत, निरर्थक (बात) 2 गाली-गलौज ।
~ सामान (पु० ) फुटकर वस्तुएँ अंडरग्राउंड-अं० (वि०) भूमिगत अंडरग्रैजुएट - अं० (पु० ) पूर्व स्नातक अंडरवियर-अं० अधोवस्त्र (जाँघिया) अंडस - ( स्त्री०) 1 कठिनाई 2 रुकावट
अंडा - (पु० ) गोलाकार पिंड जिसमें से सर्ष, पक्षी तथा मछली आदि जीवों का जन्म होता है। खटकना अंडा टूटना; ढीला हो जाना सेना 1 पक्षियों द्वारा
- फूटना अंडे से बच्चे का निकलना; 1 थक जाना 2 दिवालिया हो जाना;
अंडे पर बैठकर उसे गर्मी पहुँचाना 2 घर में बैठे रहना अंडाकर्षण-सं० (पु०) नपुंसक बनाना अंडाकार-सं० (वि०), अंडाकृति (वि०) अंडानुमा अंडाणु - सं० (पु० ) स्त्रीबीज, डिंब
अंडाशय-सं० (पु०) मादा प्राणियों में अंड अथवा डिंब के विकसित होने का स्थान (ओवरी)
अंडी - (स्त्री०) 1 रेड़ का वृक्ष या बीज 2 मोटा रेशम अँडुआ - (वि०) जो बधिया न किया गया हो। बैल (पु०) आँडू बैल, साँड़ 2 सुस्त आदमी
अँडुआना - (स० क्रि०) बधिया करना
अंडे बच्चे - ( पु० ) 1 अंडे और बच्चे 2 बाल बच्चे अंडैल - (स्त्री०) जिसके पेट में अंडे हों
अंतः सं० (वि०) 1 भीतरी 2 आपसी । ~ कथा ( स्त्री०) कथा के भीतर अन्य कथा या घटना: ~करण (पु० ) 1 भीतरी इन्द्रिय 2 सुख दुःख के अनुभव का माध्यम 3 मन 4 चित्त । ~करणभेदी (वि० ) मन को चुभने वाला; ~ कलह (पु० ) आपस की लड़ाई, गृह युद्ध कालीन (वि०) बीच के समय का; -कुटिल ( वि०) 1 कपटी 2 दुष्ट; कोण (पु० ) अंदर का कोण; क्रिया (स्त्री०) मन के भीतर चलनेवाली क्रिया; ~ क्षेत्रीय (पु०) दो क्षेत्रों के बीच का क्षेप; -क्षेपण (पु०) बीच में डाल देना; ~पटी (स्त्री०) 1 परदा 2 चित्रपट्टिका; पाती (वि०)
4
अंतर्
सत्ता
मध्यवर्ती पाशन (पु०) आपस में फँसाना; पुर (पु० ) रनिवास, जनानखाना; पूयता (स्त्री०) अंदर-अंदर पस पड़ जाना; प्रकृति 1 मूल स्वभाव 2 मन (हृदय); प्रज्ञ (पु० ) आत्मज्ञानी, तत्त्वदर्शी प्रत्यय (पु० ) शब्द के बीच में पड़ने वाला प्रत्यय; प्रवृत्ति (स्त्री०) मन का झुकाव; ~प्रेरणा (स्त्री०) भीतरी या मन की प्रेरणा; ~शासनिक (वि०) सरकार में आपस का शुद्ध मन से शुद्ध शुद्धि (स्त्री०) चित्त या मन को विकारमुक्त करना; (स्त्री०) भीतर का जीवात्मा समूह (पु० ) समुदाय का भीतरी समूह; सर्ग (पु०) (नाटक के अंदर का सर्ग; ~सलिला (वि०) अंदर प्रवाहित होनेवाली धारा; साक्ष्य (पु०) अंदर ही मिलनेवाला साक्षी, प्रमाण, साहित्यिक (पु०) साहित्य के अंदर का स्थ (वि०) भीतर स्थित; ~ स्थित (वि०) भीतर या हृदय में विद्यमान स्त्राव (पु० ) भीतर ही रिसना; स्वर (पु० ) हृदय की आवाज़ अंत-सं० (पु० ) 1 समाप्ति 2 नाश 3 मृत्यु 4 परिणाम 5 सीमा, छोर 6 प्रलय । क कर (वि०); कारी (वि०) नाश करनेवाला, संहारक, ~कर्म (पु० ) 1 मृत्यु 2 अंत्येष्टिकर्म; काल (पु०) (जीवन का) अंतिम क्षण; कृत I ( वि०) अंत करने वाला II (पु० ) मृत्यु ~ क्रिया (स्त्री०) मृतक क्रिया; ~ग (वि०) पारगामी ~गति I (स्त्री०) मृत्यु II (वि०) अंत को प्राप्त होनेवाला;
चर (वि०) सीमांत तक जानेवाला; ज (वि०) अंत में जन्म लेनेवाला; -तम (वि०) सबसे आखिरी; पाल (पु० ) द्वारपाल; ~भव (वि०) अंत में उत्पन्न; पाना भेद जान जाना; बनना अंत में ठीक हो जाना अंतड़ी - (स्त्री०) आँत । ~निकालना जान लेना; जलना भूख लगना
अंततः सं० (क्रि० वि०) अंत में, आखिरकार अंततोगत्वा - ( क्रि० वि०) अंततः
अंतरंग - [सं० (वि०) घनिष्ठ (जैसे ~ मित्र) II (पु० ) शरीर के भीतरी अंग (मन, मस्तिष्क) । ~मंत्री (पु० ) शासन का मंत्री; ~ सचिव प्राइवेट सेक्रेटरी; ~सभा (स्त्री०) प्रबन्धकारिणी समिति
अंतरंगी - सं० (वि०) दिली (दोस्त)
अंतर-सं० (अ०) 1 अंतः 2 भीतर 3 बीच में। अंतर्कथा (स्त्री०) ( शुद्ध अंतः कथा ) 1 संदर्भित कथा 2 भीतरी बात; ~कालीन (वि०) (अंतः कालीन) बीच के समय का ~क्रिया (पु० ) भीतर की क्रिया; ~गंगा (स्त्री०) गुप्त गंगा; ~गत (वि०) 1 सम्मिलित 2 भीतरी 3 बीच में समाया हुआ; गति (स्त्री०) मन की वृत्ति, भावना; गृह (पु० ) भीतर का घर; गृही (स्त्री०) 1 घर के भीतर रहनेवाला 2 घर का भीतरी भाग प्रसन (पु० ) फँसाव; ग्रस्त (वि०) फँसा हुआ, अपराध में लगा हुआ; ~ग्रही; ~ ग्रहीय (वि०) ग्रहों के आपस का; घट (पु० ) अंतःकरण; जगत् (पु० ) मन का संसार, हृदय; जनतंत्रीय (वि०) जनतंत्र के अंदर का; जात (वि०) अंदर से उत्पन्न; जातिक (पु० ) दूसरी जाति का; जातीय (वि०) जातियों के बीच में (जैसे- ~ विवाह); -जिला (पु० ) ज़िले से संबंधित जीवन (वि०)
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अंतर्
(मन) भीतर का जीवन; ज्ञान (पु० ) मन का ज्ञान, बोध; ज्वाला (स्त्री०) भीतर की आग; दर्शन (पु०) मन की परख, भीतर निगाह डालना; दर्शी (वि०) हृदय की बात जाननेवाला; दशा (स्त्री०) ज्या० बड़ी दशा के भीतर दशा; ~दशाह (पु० ) मृतक आत्मा की शांति हेतु दस दिन तक चलनेवाली क्रिया; दहन इंजन अं० (पु० ) ऐसा इंजन जिसके भीतर के कोष्ठ में भाप तैयार होती है; दाह (पु० ) मन की जलन, दुःख; ~ दिशा (स्त्री०) दो दिशाओं के बीच की दिशा दृष्टि ( स्त्री०) मन की बात समझने की शक्ति, ज्ञानचक्षु, प्रज्ञा; देशीय (वि०) 1 देश के अंदर का 2 देश के आंतरिक भागों से संबंधित; द्वंद्व (पु० ) आन्तरिक संघर्ष -द्वार (पु० ) गुप्तद्वार: ~धान (पु०) लोप हो जाना; धारा ( स्त्री०) नदी अथवा समुद्र में बहनेवाली भीतरी धारा ध्यानी (वि०) आत्मा की ओर ध्यान लगानेवाला ~ ध्वंस (पु० ) अंदर के लोगों द्वारा संपत्ति का नाश, ध्वंसक (वि०/पु० ) संपत्ति नष्ट करनेवाले अंदर के (लोग); ~ नगरीय (वि०) नगरों से सम्बन्धित; नाद (पु०) मन की आवाज़ ~ नियम (पु० ) ( कंपनी के) नियम, निरीक्षण (पु० ) भीतर निरखना; निर्भरता (स्त्री०) पारस्परिक निर्भरता; निविष्ट (वि०) भीतर समाया हुआ; ~निष्ठ (वि०) 1 बीच में पड़ा हुआ 2 दृढ़तापूर्वक विद्यमान निहित (वि०) अंदर छिपा हुआ, समाहित; पट (पु० ) 1 भीतरी परदा 2 दो पटों के मध्य; पण ( पु० ) पुस्तक में पन्नों के बीच लगनेवाला संकेतपत्र; ~प्रादेशिक (वि०) अपने प्रान्त से सम्बन्धित प्रेरणा (पु०) मन की प्रेरणा; खोध (पु० ) मन का ज्ञान भाव (पु० ) 1 मेल 2 मन में समाहित होना 3 आशय भावना (स्त्री०) मन का चिंतन भावित (वि०) सम्मिलित किया गया; - भुक्त (वि०) समाविष्ट, शामिल; भीतर पड़ा या छिपा हुआ, समाविष्ट भूमि (स्त्री०) पृथ्वी का भीतरी भाग भेदी (पु०) मन को बींधने / चुमनेवाला; ~भौम (वि०) भूमि के अंदर का; मन (पु० ) मन की भीतरी चेतना - मना (वि०) 1 आत्मलीन 2 अंतर्मुखी 3 व्याकुल; ~मल (पु० ) मन का विकार, दोष; ~महाद्वीपीय (वि०) महाद्वीपों का पारस्परिक मार्ग (पु०) भीतर का रास्ता; मुख (वि०), मुखी (स्त्री०) 1 अंदर की ओर मुख करनेवाली 2 अंतर्लीन; मृत (वि०) मृतजन्मा यामी I ( वि० ) 1 मन (हृदय) की बात जाननेवाला 2 मन में स्थित II ( पु० ) ईश्वर ; युद्ध (पु० ) आंतरिक कलह: ~ योग (५०) गहन चिंतन, योगात्मक (वि०) अखंड ध्यानवाला; राज्यिक; ~राज्यीय (वि०) राज्यों का पारस्परिक; ~राष्ट्रीय (वि० / ५०) राष्ट्रों का पारस्परिक, सम्पूर्ण विश्व का राष्ट्रवाद, राष्ट्रीयतावाद (पु०) यह सिद्धांत कि हम एक राष्ट्र के नहीं, सभी राष्ट्रों के हैं, इसलिए परस्पर अच्छे संबंध होने चाहिएं: -राष्ट्रवादी, ~राष्ट्रीयतावादी (वि० / पु० ) अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर बल देनेवाला; ~रुद्ध करना (स० क्रि०) बीच में रोक/टोक देना; ~लयन (पु० ) समा जाना; लसीका (स्त्री०) शरीर के भीतर का रस; ~लापिका (स्त्री०) एक प्रकार की पहेली ; ~ लिखित (वि०) अंदर लिखा हुआ; ~लीन
भूत ( दि०)
~
+
5
अंतरावर्त्त
(वि०) 1 आत्ममग्न 2 छिपा हुआ; ~वक्ष (पु० ) भीतरी छाती; वर्ती (वि०) भीतर रहनेवाली; वर्ग (पु० ) समूह का एक वर्ग या भाग; ~वर्ती (वि०) छिपा हुआ; ~वर्तीय (वि०) अन्दर ही अन्दर पाया जानेवाला; वस्तु (स्त्री०) अंदर की वस्तु वस्त्र (पु० ) अंदर का वस्त्र (बनियाइन, जाँघिया आदि); ~ वाणिज्य (पु० ) देश की सीमा के अंतर्गत होनेवाला व्यापार; वाणी (स्त्री०) आत्मा की आवाज़ वाष्प (पु० ) मन की टीस या दुःख; - वासक (पु० ) अंदर पहनने का वस्त्र वासन (पु० ) अंदर प्राप्त होनेवाला; वासित (स्त्री०), वासी (पु० )
अन्दर हो निवास करनेवाला; ~ विकार ( पु०) शारीरिक एवं मानसिक दोष विकास (पु०) हृदय (मन) की उन्नति या आत्मिक ज्ञान ~ विनिमय (पु० ) आपस में अदला-बदली; ~ विराम ( पु० ) अंतराल ~ विरोध ( पु० ) मन की भावनाओं में विरोध; ~ विवाह (पु० ) जाति या कुटुंब में आपसी विवाह; ~ विषय (पु० ) अंदर की विषय वस्तु ~ विष्ट (वि०) अंदर पड़ा हुआ, वृत्ति (पु० ) मन की गति ( धर्म संबंधी); ~वेग (पु०) चाल, गति का अंतर; ~वेदी (पु०) दो नदियों के बीच का देश, दोआबा वेध ( पु० ) 1 शरीर की पीड़ा 2 भीतर तक बेधना; --वेशन (पु० ) अंदर छिपाना या रखना; वेशित (वि०) छिपाया गया या मिलाया गया; व्याधि (स्त्री०) अंदर का रोग; ~व्यापी (वि०) अंदर फैला हुआ; ~व्यास (पु०) भीतरी वृत्त का घेरा - संघीय संघों का पारस्परिक साधना (पु०) मन की साधना -हित (वि०) अंदर समाया हुआ; ~ हृद (वि०) हृदय के भीतर का; हृदशोथ (पु० ) हृदय की भीतरी सृजन अंतरक-सं० (पु०) एक से दूसरी अंतरचक्र - (पु० ) बीच का पहिया अंतरण सं० (पु० ) 1 व्यवधान
जगह ले जानेवाला
डालना 2 तबादला
3 स्थानान्तरण 4 हस्तान्तरण । पत्र (पु० ) तबादला करते समय दिया गया पत्र
अंतरतम - I सं० (वि०) 1 आत्मीय 2 निकटतम 3 दिली गहराई II ( पु० ) मर्म, हृदय
अंतरस्थ-सं० (वि०) भीतर स्थित अंतरवयव- (पु० ) शरीर के भीतरी अंग अंतरा -सं० (वि०) 1 भीतरी, बीच का, आपस में स्थित 2 गीत की टेक । काय (पु० ) भीतरी शरीर अंतराकूत-सं० (पु० ) गुप्त अभिप्राय अंतरागम सं० (पु० ) अंदर आकर भरना अंतरात्मा-सं० (स्त्री०) 1 जीवात्मा 2 प्राण 3 अंतःकरण अंतराय -सं० ( पु० ) बाधा
अंतरायण-सं० (पु० ) नज़रबंद
अंतराल - सं० ( पु० ) दो बिंदुओं या कालों के मध्य का अवकाश। राज्य (पु०) दो शक्तिशाली राज्यों के बीच का
राज्य
अंतरावधि-सं० (स्त्री०) बीच का समय अंतरावरोधन-सं० (वि०) बीच में व्यवधान उत्पन्न करना अंतरावरोधित-सं० (वि०) बीच में पकड़ा या रोका गया अंतरावर्त-सं० (वि०) वृत्त के बीच
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अंतरावलंबन
अंध
अंतरावलंबन-सं० (पु०) अंतरास्थि
अंतिक-I सं० (वि०) 1 पास का 2 अंत तक II (पु०) अंतरावलंबित-सं० (वि०) जो बीच में टिका हो
1 पड़ोस 2 सामीप्य अंतरिक्ष-I सं० (पु०) आकाश II (वि०) अदृश्य । | अंतिम सं० (वि०) 1 सबसे बाद का 2 चरम। ता ~ +हिं० (पु०) आकाश में रुकने की जगह; (स्त्री०) चरम बिंदु
उड़ाका +हिं० (पु०) आकाश में उड़नेवाला; ~उड़ान अंतिमांक-सं० (पु०) नौ की संख्या +हिं० (पु०) आकाश की उड़ान; उड़ान अंतिमेस्थम-सं० (पु०) अल्टीमेटम, चुनौती नियंत्रक+हिं० सं० आकाश की उड़ान को नियंत्रित अंतिमोत्तर-(वि०) अंतिम के बाद का करनेवाला; ~अयन (वि०) न दिखाई पड़नेवाली उड़ान; अंतेवासी-सं० (पु०) 1 गुरुकुल या छात्रावास में रहनेवाला
केन्द्र (पु०) आकाश में स्थित स्टेशन; ~गामी (पु०) छात्र 2 बाहर 3 शूद्र आकाश में जानेवाला; -चिकित्सा विज्ञान (पु०) अंतरिक्ष अंत्य-सं० (वि०) 1 नीचे का 2 शब्द का अंतिम वर्ण 3 अंतिम में इलाज करने की पद्धति; जैविकी (स्त्री०) अंतरिक्ष के नक्षत्र। -कर्म (पु०), -क्रिया (स्त्री०) मृतक की अंतिम जीवों का अध्ययन; नियंत्रण केन्द्र (पु०) आकाश में ग्रहों क्रिया, दाहसंस्कार; ~गमन (पु.) उच्च जाति का निम्न जाति को नियंत्रित करनेवाला केन्द्र; ~परिक्रमा (पु०) आकाश से संबंध; ज (पु०) शूद्र; ~प्रत्यय (पु०) शब्द के अंत का चक्कर; परिधान (पु.), पोशाक + फ़ा० (पु.) में लगने वाला प्रत्यय; युग (पु०) कलियुग; लेख आकाश में जाते समय पहननेवाला वस्त्र, प्रशासन केन्द्र (वि०) आखिरी लेख; ~लोप (पु०) शब्द के अंतिम अक्षर आकाश के ग्रहों को नियंत्रण में रखने के लिए बनाया गया का लोप; ~वर्ण (पु०) अंतिम अक्षर; ~शेष (पु०) कुल स्टेशन; ~मंडल (पु०) आकाश की परिधि; यात्रा हिसाब की बाकी (वि०) आकाश की यात्रा; च्यात्री (पु०) आकाश में अंत्याक्षर-सं० (पु०) शब्द अथवा पद का अंतिम वर्ण जानेवाला यात्री; ल्यान (पु०) वायुयान; ~यान अड्डा +
अंत्याक्षरी-सं० (स्त्री०) कविता के अंतिम अक्षर से शुरू हिं० (पु०) आकाश में वह स्थान जहां वायुयान रुकता है; होनेवाला अक्षर लेकर छंद बनाना
ज्यान चालक (वि०) वायुयान चलानेवाला; न्यान अंत्याधार-सं० (वि) अंतिम सहारा चालन (वि०) वायुयान चलाना; ल्यानिकी (स्त्री०) अंत्यावसयी-सं० (पु०) निम्न जाति या श्रेणी का व्यक्ति अंतरिक्ष यान संबंधी विज्ञान; ~राकेट +अं० (पु०) आकाश अंत्येष्टि-सं० (स्त्री०) मृतक कर्म। -क्रिया (वि०) में छोड़ा जानेवाला राकेट; -विचरण (पु०) आकाश में, कर्मकाण्ड का करना; ~गृह (पु०) श्मशान घूमना फिरना; विज्ञान (पु०); -विद्या (पु०) आकाश अंत्र-सं० (पु०) आँत। कूजन (पु०) आँतों में होनेवाली के ग्रहों एवं मौसम की पूर्ण जानकारी देनेवाला विज्ञान; गुड़गुड़ाहट; दाह, शोथ (पु०) 1 आँतों की सूजन ~वैज्ञानिक (पु०) ग्रहों एवं नक्षत्रों का ज्ञान रखनेवाला; | 2 पीड़ा; ~शूल (पु०) आँत का तीखा दर्द
~स्टेशन +अ (पु०) अंतरिक्ष में बना स्टेशन अंदर-I फ्रा० (अ०) भीतर II (पु०) 1मन 2 भीतर । अंतरिक्षिकी-सं० (स्त्री) अंतरिक्ष विज्ञान
~वाला (पु०) आत्मा, जीवात्मा; ~करना (स० क्रि०) अंतरिक्षीय-सं० (वि०) अंतरिक्ष का, आकाश संबंधी जेल में डालना अंतरित-सं० (वि०) 1छिपा हुआ 2 अदृश्य 3 बदली किया | अंदरसा-(पु०) एक तरह का मिष्ठान हुआ
अंदरूनी-(वि०)' भीतरी अंतररिती-सं० (पु०) जिसके नाम संपत्ति अंतरित की गई हो अंदाज़-फा० (पु०) 1 अनुमान 2 नाप तौल 3 ढंग, अदा अंतरिम-सं० (वि०) 1 मध्यवर्ती 2 बीच की अवधि का 4 मोहक चेष्टाएँ, हाव-भाव 3 अस्थायी
अंदाज़न-फा० (अ०) लगभग, अनुमानतः अंतरीप-सं० (पु०) 1 टापू 2 भूखंड जिसके तीन ओर समुद्र हो अंदाज़ा-फा० (पु०) 1 अटकल 2 अनुमान अंतरीय-I सं० (वि०) भीतर का II (पु०) 1 भीतर का अंदु-सं० (पु०) 1 जंजीर 2 पायल कपड़ा 2 धोती
अंदुआ-(पु०) हाथी के पाँवों में डालनेवाली जंजीर अंतरूदरीय-सं० (वि०) पेट के भीतर
अंदुक-सं० (पु०) 1 नूपुर 2 साँकल अतरौटा-(पु०) 1 अस्तर 2 साया
अंदेशा-फा० (पु०) 1शंका, संदेह 2 ख़तरा, खटका अंतश्- = अंतः। चर्म (पु०) भीतरी चमड़ी; -चित्त | अंदोह-फा० (पु०) 1 दुःख 2 खटका। नाक (वि०)
(पु०) अंतःकरण, मन; चेतना (स्त्री०) आन्तरिक चेतना दुखद अंतष- = अंतः। -प्राण (पु०) भीतर का श्वास अंध-I सं० (वि०) 1 अंधा 2 विचारहीन 3 अचेत II (पु.) अंतसू- = अंतः। -तंत्रिक (वि०) नाड़ी के भीतर का; 1 नेत्रहीन व्यक्ति 2 अज्ञान। -कृप (पु.) 1 अंधेरा कुआँ तप्त (वि०) भीतर से तपा हुआ; तल (पु०) मन;
2 नरक; ~खोपड़ी (वि०) मूर्ख; तमस (पु०) गहन ताप (पु०) मन का दुःख; त्वक् (पु०) 1 भीतरी छाल अंधकार; देशभक्त, राष्ट्रवादी (पु०/वि०) देश के 2 भीतरी चमड़ी; त्वचा (स्त्री०) भीतरी चमड़ी; संज्ञा प्रति आंख बन्द करके प्रेम और श्रद्धा रखनेवाला; (स्त्री०) आंतरिक प्रज्ञा, चेतना; ~सलिला (स्त्री०) सरस्वती देशभक्ति (स्त्री०) दूसरे देशों से द्वेष रखते हुए अपने देश नदी; ~सार I (वि०) ताकतवर II (पु०) 1 तत्त्व से पक्षपातपूर्ण प्रेम; ~राष्ट्रवाद (पु०) देश या राष्ट्र के प्रति 2 विषय-वस्तु: स्वरागम (पु०) बीच में स्वर का आना पक्षतापूर्ण प्रेम; ~परंपरा (स्त्री०) बिना सोचे-समझे पुरानी
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अंधक
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परंपराओं का पालन प्यार + हिं० (पु०) प्रेम में अंधा हो जाना; ~ प्रभंजन (पु० ) अंधड़ ~ भक्त (पु० ) अटूट प्रेम एवं विश्वास करनेवाला; ~ भक्ति (वि०) बिना सोचे-समझे श्रद्धा एवं विश्वास; युग (पु० ) ( इतिहास में) अंधकार युग - विश्वास (पु० ) विचारहीन विश्वास; विश्वासी (वि०) बिना सोचे समझे विश्वास करनेवाला; वीरता (वि०) विवेकशून्य बल-प्रयोग; ~व्यवस्था अनुचित एवं ग़लत इंतजाम; ~ व्यवस्थापक विचारहीन एवं बुरी व्यवस्था करनेवाला; श्रद्धा (स्त्री०) विवेक शून्य श्रद्धा अंधक - I सं० (वि०) अंधा II (पु०) एक दैत्य अंधकार - सं० (पु० ) 1 अँधेरा 2 अज्ञाने । ~मय (वि०) प्रकाशरहित; युग (पु० ) ऐसा युग जिसका इतिहास ज्ञात न
आईना
कुआँ दीया
अंधकाराच्छन्न-सं० (वि०) अंधकार से घिरा हुआ अंधकारावृत्त-सं० अंधकार से घिरा हुआ अंधा - I ( वि०) 1 बिना आँख का 2 प्रकाशरहित 3 विचार शून्य 4 अँधेरा (स्थान) II ( पु० ) नेत्रहीन प्राणी । (पु० ) शीशा जिसमें साफ़ तस्वीर न दिखाई दे; (पु० ) 1 प्रकाशहीन कुआँ 2 जल रहित कुआँ; (पु० ) धुँधली रोशनी वाला दीपक; अंधे की लकड़ी एक मात्र सहारा; ~बनना मूर्ख बनना; ~बनाना 1 उल्लू बनाना 2 ठगना; अंधे के आगे रोए अपना दीदा खोए मूर्ख के समक्ष अपना दुःख कहना; अंधे के हाथ बटेर लगी अनायास या अचानक मूल्यवान वस्तु की प्राप्ति; अंधों में काना राजा मूर्खों में अपने को बड़ा समझना अंधाकुप्प - ( पु० ) घुप अँधेरा
अंधाधुंध - I ( अ० ) 1 बिना सोचे समझे 2 बेहिसाब II (वि०) विवेकहीन III (स्त्री०) 1 गहन अंधकार
2 अव्यवस्था
=
अंधानुकरण-सं० (पु०) बगैर सोचे-समझे नकल करना अंधानुकृत-सं० (वि०) अविवेकपूर्वक नकल किया हुआ अंधानुकृति - (स्त्री०) अंधानुकरण अंधानुगामी - सं० (पु० ) बिना सोच विचार के कार्य करनेवाला अंधानुयायी -सं० (पु० ) बिना सोचे समझे अनुसरण करनेवाला अंधापन - ( पु० ) अंधा होने की अवस्था अँधियारा - (वि०) अंधेरा
अँधियारी, अंधिपाली - (स्त्री०) अंधकार अंधेर - (पु० ) 1 अनीति 2 अशान्ति। खाता (पु० ) 1 अव्यवस्था 2 गलत लेखा जोखा गर्दी + हिं० + फ़्रा० बदइंतजाम; ~ नगरी (स्त्री०) ऐसा स्थान जहाँ नीति, नियम, व्यवस्था का अभाव हो
अँधेरा - I ( पु० ) 1 अंधकार 2 नैराश्य 3 छाया II ( वि० ) प्रकाशहीन । गुप्प (घुप्प ) ( पु० ) गहन अंधकार; ~पाख (पक्ष) (पु०) कृष्ण पक्ष; ~ मिटना दुःख दूर हो जाना; अँधेरे घर का उजाला घर की कार्ति बढ़ाने वाला; अँधेरे मुँह सवेरा होने से पूर्व; ~सा पड़ना उदासी छा जाना अंधेरिया - (स्त्री०), अँधेरी (स्त्री०) 1 अंधकार 2 कृष्ण पक्ष । ~कोठरी का यार छिपा हुआ प्रेमी; ~ डालना या देना 1 दुर्गति करना 2 धोखा देना
अंधेरी- (स्त्री०) अंधेरा
अकंपित
अँधेरे-उजेले -समय-असमय
अँघोटी - (स्त्री०) घोड़े या बैल की आँख पर डाला जानेवाला
परदा
अंधौरी - (स्त्री०) एक प्रकार का चर्म रोग (अम्हौरी) अंबर -सं० (पु० ) 1 आकाश 2 वस्त्र 3 परिधि 4 एक सुगंधित खनिज । ~डंबर ( पु०) सूर्यास्त समय की लाली; पुष्प (पु०) असंभव बात; खेलि + हिं० (स्त्री०) आकाशबेल अंबरात सं० (पु० ) 1 क्षितिज 2 वस्त्र का किनारा अंबा-सं० (स्त्री०) 1 माता 2 पार्वती अंबापाली - (स्त्री०) अमरस
अंबार - फ्रा० (पु० ) ढेर, राशि अंबारी - अ० (स्त्री०) मंडपनुमा हौदा अंबिका-सं० (स्त्री०) 1 जननी 2 दुर्गा 3 पार्वती अंबिया - (स्त्री०) आम का टिकोरा, छोटा कच्चा आम अंबु - सं० (पु० ) 1 जल 2 जन्म कुंडली में चौथा स्थान 3 चार की संख्या । ज (वि०) 1 कमल 2 ब्रह्मा
अंबुद-सं० (वि०) बादल
अंबुधि - सं० (५०) समुद्र अंबुरूह -सं० (पु०) कमल अंबोह - (पु० ) भीड़
अंभ - सं० (पु० ) 1 जल 2 आकाश
अंभोज -सं० (पु०) 1 कमल 2 कपूर 3 चंद्रमा 4 शंख । योनि (पु० ) ब्रह्मा
अंश-सं० (पु० ) 1 भाग 2 कोण नापने की इकाई 3 भिन्नात्मक अंक 4 अंक, डिग्री। कालिक (वि०) कुछ समय के लिए; प्राही (पु० ) ~धारी (पु०) कुछ भाग लेनेवाला; दान थोड़ा योगदान; पत्र (पु० ) ऐसा पत्र जिसमें हिस्सेदारी का अंश लिखा गया हो; पूँजी + हिं० (स्त्री०) किसी व्यापार में लगाई गई पूँजी के हिस्से; भागी (पु० ) साझीदार, अंश का स्वामी; ~सूची (स्त्री०) शेष माल की सूची, हिस्सों की सूची
अंशक-सं० (वि०) अंश का
अंशतः सं० (क्रि० वि०) आंशिक रूप से अंशन -सं० (पु० ) विभाजन
अंशांकन -सं० (पु० ) 1 विभागों का क्रम निश्चित करना 2 डिग्री लगाना
अंशांकित - सं० (वि०) 1 क्रम से अंकित किया हुआ 2 जिस पर नापने के लिए चिह्न बने हों अंशांश - (पु० ) अंश का अंश
अंशांशतः सं० (क्रि० वि०) अंश अंश करके अंशी - सं० (वि०) 1 भागीदार 2 संपूर्ण
अंशु - सं० (पु० ) 1 सूर्य 2 किरण 3 वस्त्र । ~मान I (पु० ) सूर्य II ( वि० ) प्रभामय; माली (पु०) सूर्य अंशुक - सं० (पु० ) 1 दुपट्टा 2 थोड़ा प्रकाश अंह - सं० ( पु० ) 1 पाप 2 चिंता 3 व्यवधान अऋजु -सं० (वि०) 1 टेढ़ा 2 अनुचित अॠण-सं० (वि० ) कर्जहीन
अकंटक - सं० (वि०) 1 काँटों से रहित 2 व्यवधान से दूर अकंपन-सं० (पु० ) कंपन का न होना अकंपित - सं० (वि०) जो कँपा न हो
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अक
अक़ील अक-सं० (पु०) 1 कष्ट 2 पाप
कल्पना न की जा सके अकच-सं० (वि०) केशरहित
अकल्पित-सं० (वि०) 1 वास्तविक 2 कल्पना के बिना अकच्छ-सं० (वि०) 1 वस्त्रहीन 2 लंपट
अकल्याण-सं० (पु०) 1 अहित 2 अशुभ अकड़-(स्त्री०) 1 घमंड 2 कड़ापन 3 दर्प। -तकड़ (स्त्री०) अकल्याणकारक, अकल्याणकारी-सं० (वि०) अहित बाँकपन; ~फों (स्त्री०) घमंडपूर्ण चेष्टा; ल्याई (स्त्री०) करनेवाला एक प्रकार का रोग; बाज़ - हिं० + फ्रा० (वि०) घमंडी; अकषाय-सं० 1 जो कसैला न हो 2 निर्मल बाज़ी + हिं० + फ़ा० (स्त्री०) ऐंठ
अकसर-I अ० अधिकतर II (वि०) अकेला अकड़ना-(अ० क्रि०) 1 घमंड करना 2 जिद करना अकसीर-अ० (स्त्री०) 1 बहुत गुणकारी 2 धातु अथवा तत्त्व अकड़ाव-(पु०) तनाव
से बनी हुई भस्म या औषधि अकड़-(वि०) अकड़कर चलनेवाला ।
अकस्मात्-सं० (अ०) अचानक, एकदम अकथ्य-सं० (वि०) न कहने योग्य
अकांड-सं० (वि०) असमय होने वाली घटना। जात अकधक-(स्त्री०) 1 भय 2 हिचक, संकोच
(वि०) असमय पैदा होना; तांडव (पु०) व्यर्थ का झगड़ा अकना-(अ० क्रि०) 1 परेशान होना 2 ऊबना
अकाउंट-अं० (पु०) हिसाब, लेखा। -बुक (पु०) बही अकपट-सं० (वि०) छलहीन
खाता अकबक-(पु०) 1चिंता 2 प्रलाप। बकना या करना अकाउंटेंट-(पु०) मुनीम, क्लर्क प्रलाप करना
अकाज-(पु०) 1कार्यहानि 2 ग़लत काम अकबकाना-(अ० क्रि०) चकित होना
अकाट, अकाट्य-(वि०) जो कट न सके अकबरी-अ० (वि०) सम्राट अकबर का चलाया हुआ अकादमिक-अं० 1 अकादमी संबंधी 2 शैक्षिक । अक्बाल-अ० (पु०) धर्मोचित बातें
अकादमी-अं० (स्त्री०) ज्ञान-विज्ञान की उच्च संस्था अकर-सं० (वि०) 1 करहीन 2 बिना हाथ का 3 दुष्कर अकाम-सं० (वि०) 1 कामहीन 2 उदासीन अकरण-सं० (वि०) 1 इंद्रिय रहित 2 स्वाभाविक 3 (कार्य) अकाय-सं० (वि०) शरीरहीन न करना
अकार-सं० (पु०) 'अ' अक्षर की उच्चारण ध्वनि अकरणीय-सं० (वि०) न करने योग्य
अकारण-सं० (अ०) बेवजह, बिना कारण अकराम-अ० (पु०) अनुग्रह, कृपा
अकारत, अकारथ-+हिं० (वि०) 1 बेकार, व्यर्थ अकराल-सं० (वि०) 1 सुंदर 2 भयहीन
2 अनुपयोगी अकरास-(पु०) 1 आलस 2 अंगड़ाई
अकारांत-सं० (वि०) जिसके अंत में 'अ' स्वर आए अकरासू-(वि०) गर्भवती
अकारादि-सं० (वि०) 'अ' अक्षर से आरम्भ होनेवाला अकरी-(स्त्री०) एक पौधा
अकार्य-सं० (वि०) न करने योग्य, अनुचित कार्य। -दिन अकरुण-सं० (वि०) 1 कठोर 2 निर्दयी
(पु०) छुट्टी का दिन अकर्ण-I सं० (वि०) 1कर्णहीन 2 बहरा II (पु०) सर्प अकाल-I सं० (पु०) 1 अशुभ समय 2 भुखमरी (दुर्भिक्ष) अकर्तव्य-सं० (वि.) 1 जो करने योग्य न हो 2 अनचित 3 अभाव II (वि०) 1 असमय 2 अविनाशी। कसम अकर्तरि प्रयोग-सं० (प०) क्रिया का कर्ता के साथ संबंध न (पु०) बिना मौसम का फूल/पदार्थ; क्रिया (पु०) होना
असमय का काम; ~ग्रस्त कुसमय में फंसा; ~ज (वि०) अकर्ता-सं० (वि०) कर्म न करनेवाला
असमय जन्म लेनेवाला; जरा (स्त्री०) समय से पहले अकर्तृक-सं० (वि०) बिना कर्ता का
बुढ़ापा; ~जलद (पु०) बेवक्त की वर्षा; ~जात (वि०) अकर्म-सं० (पु०) 1कर्म का अभाव 2 निष्क्रियता बिना मौसम के पैदा हुआ, पक्व (वि०) समय से पूर्व अकर्मक-सं० (वि०) व्या० जिसके लिए कर्म की आवश्यकता पकने वाला; ~पीड़ित (वि०) भूख से पीड़ित; पुरुष न हो
(पु०) परमेश्वर; प्रसव (पु०) समय से पूर्व प्रसव; अकर्मण्य-सं० (वि०) 1 निकम्मा 2 कर्म के अयोग्य। -ता ~मृत्यु (स्त्री०) 1 असामयिक मृत्यु 2 अल्प वय में मृत्युः (स्त्री०) निकम्मापन, आलस्य
वृद्ध (वि०) समय से पहले बूढ़ा होने वाला; ~वृष्टि अकर्मा-सं० (वि०) कर्महीन
(वि०) असमय की वर्षा; सह (वि०) अधीर अकान्वित-सं० (वि०) 1 अपराधी 2 बेकार
अकालिक-सं० (वि०) असामयिक अकर्मी-सं० (वि०) 1 पापी 2 दुष्कर्मी
अकाली-सं० + हिं० (पु०) सिखों का एक धार्मिक और अकलंक-सं० (वि०) 1 दाग़ रहित 2 बेदारा
राजनीतिक दल अकलंकित-सं० (वि०) दोषरहित
अकालोत्पन्न-सं० (वि०) जो समय से पहले पैदा हुआ हो अक़ल-सं० (वि.) 1 खंडहीन 2 निराकार 3 गुणहीन अकिंचन-सं० (वि०) 1 बहुत गरीब 2 दरिद्र। -ता (स्त्री०) अक़ल खुरा-हिं० +फा० 1 अकेला खानेवाला 2 स्वार्थी I गरीबी, दरिद्रता अकलुष-सं० (वि०) 1 साफ़ 2 दोषरहित 3 बेदाग अकिंचित्कर-सं० (वि०) 1 बेकार 2 तुच्छ अकल्प-सं० (वि०) 1 अतुलनीय 2 कमजोर 3 अक्षम अकील-अ० (स्त्री०) बुद्धि। दाड़+हिं० (पु०) वयस्क अकल्पनीय-सं० (पु०), अकल्पय - (पु०). जिसकी । होने पर निकलने वाले दाँत
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अक़ीक़
अक़ीक़ - अ० (पु० ) लाल कीमती पत्थर
अक़ीदत - अ० (स्त्री०) 1 सम्मान 2 श्रद्धा मंद + फ़ा०
(वि०) श्रद्धालु अक़ीदा-अ० (पु० ) विश्वास
अकीर्ति-सं० (स्त्री०) बदनामी। ~कर (वि०) बदनामी करानेवाला
अकुंठ-सं० (वि०) 1 कुंठा से मुक्त 2 ताकतवर अकुटिल-सं० (वि०) सरल, सीधा अकुत्सित-सं० (वि०) अनिंदनीय अकुप्य-सं० (पु०) अच्छी धातु अकुल - I सं० (वि०) परिवार रहित II ( पु०) बुरा अकुलाना - ( अ० क्रि०) परेशान होना, व्याकुल होना अकुलाहट - (स्त्री०) 1 घबराहट 2 ऊब अकुलीन सं० (वि०) निम्न श्रेणी या कुल में उत्पन्न अकुशल-सं० (वि०) 1 अनाड़ी 2 गुणरहित अकूट -सं० (वि०) 1 जो छल न करे 2 अमोघ अकूत - (वि०) 1 बेहिसाब 2 अपरिमित 3 जिसका अनुमान न लगाया जा सके
अकूपार-सं० (पु० ) 1 समुद्र 2 सूर्य 3 चट्टान
अकूल - सं० (वि०) 1 बिना तट का 2 सीमा रहित अकृच्छ-सं० (पु० ) 1 दुःख का अभाव 2 सरलता अकृत - I सं० (वि० ) 1 न किया हुआ 2 बिगड़ा हुआ 3 कच्चा 4 व्यर्थ II (पु० ) 1 अपूर्ण कार्य 2 प्रकृति । ~कार्य (वि०) असफल, ~ज्ञ (वि०) कृतघ्न; ~ज्ञता (स्त्री०) उपकार न मानना, कृतघ्नता
अकृतार्थ-सं० (वि०) विफल
अकृती-सं० (वि०) 1 निकम्मा 2 अकुशल । ~करण (पु०) बेकार या व्यर्थ कर देना
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अक्षय
अक्खड़ - (वि०) 1 अभद्र 2 बदतमीज 3 मूर्ख । पन (पु० )
1 उग्रता 2 अभद्रता
अक्खा - (पु० ) 1 झोला 2 पूरा (बम्बई का प्रयोग ) अ 7-अं० (पु०) वर्ष का दसवाँ महीना अद-अ० (पु० ) 1 करार 2 विवाह अक्र-सं० (वि०) क्रियारहित
अक्रम - I सं० (वि० ) 1 क्रमहित 2 गतिरहित II ( पु० )
अव्यवस्था
अक्रांत-सं० (वि०) अविजित
अक्रिय-सं० (वि०) 1 आलसी 2 निकम्मा, निष्क्रिय (स्त्री० अक्रियता)
अक्रिया-सं० (स्त्री०) कर्महीनता
अक्रीत सं० (वि०) न खरीदा हुआ अक्रूर-संग (वि०) करुण हृदय, दयावान्
अक्ल - अ० (स्त्री०) समझ या ज्ञान । मंद + फ़ा० (वि०) समझदार मंदी + फ़ा० (स्त्री०) समझदारी; आना समझ आना; ~ का कसूर होना समझ की कमी होना; --का काम न करना समझदारी का काम न करना; का चक्कर में आना परेशान होना; ~ का चिराग गुल होना समझ न आना का दुश्मन मूर्ख का पुतला मूर्ख (व्यंग्य); ~ का पूरा बुद्ध का मारा मूर्ख; की पुड़िया अपनी उम्र से बड़ी बातें करनेवालो के घोड़े दौड़ाना बहुत ज्यादा कल्पना करना; के तोते उड़ जाना कुछ समझ न आना; के नाखून लेना सोच समझकर बात करना; के पीछे लट्ठ लिए फिरना मूर्खतापूर्ण कार्य करते -ठिकाने होना होश में आना; देना समझाना बुझाना; दौड़ाना; ~भिड़ाना; ~लड़ाना 1 ध्यान देना 2 सोचना; ~ पर पत्थर पड़ना; -पर पर्दा पड़ना समझ नष्ट हो जाना; मारी जाना वृद्धि बिगड़ जाना; सठियाना विवेक नाश होना
रहना;
अक्लांत सं० (वि०) जो थका न हो
अकृत्य - सं० (वि०) जो करने योग्य न हो II (पु० ) अपराध, दुष्कर्म । - अकृत्यकारी (रिन्) (वि०) दुष्कर्मी अकृत्रिम सं० (वि०) 1 स्वाभाविक 2 वास्तविक अकृत्सन-सं० (वि०) अधूरा, अपूर्ण
अकृपा-सं० (स्त्री०) नाराज़गी
अकृषित-सं०, अकृष्ट (वि०) बिना जोता हुआ II (पु० ) परती ज़मीन
अकेतन-सं० (वि०) 1 बेधर 2 खानाबदोश अकेला - (वि०) 1 बिना साथी का 2 बेजोड़ । दम (पु० ) एक मात्र प्राणी; दुकेला (वि०) अकेला या जिसके साथ एक और हो; अकेली कहानी (स्त्री०) एक पक्ष की बात;
चना भाड़ नहीं फोड़ सकता एक के करने से सफलता नहीं मिलती; अकेली लकड़ी कहाँ तक जले एक ही व्यक्ति कब तक काम करे
(पु० ) अकेले या एक और के साथ अकैया - (पु० ) थैला
अकेले - ( क्रि० वि०) बिना किसी साथी या मित्र के । दुकेले अक्षत- 1 सं० (वि०) 1 समूचा 2 बिना टूटा हुआ / ज़ख्म का II ( पु० ) 1 शिव 2 कल्याण 3 पूरा चावल । योनि (वि०) अखंडित कुमारी; वीर्य (वि०) पक्का ब्रह्मचारी अक्षता-सं० (स्त्री०) कुमारी
अकोविद् -सं० (वि०) 1 बेवकूफ 2 अज्ञानी अकौटिल्य-सं० (पु०/वि०) कुटिलता ना होना भकोशल-सं० (पु०) कुशलता की कमी अवकास-अ० (पु०) (अक्स) चित्र उतारनेवाला अक्कासी - अ० (स्त्री०) फोटो खीचने का काम
अक्षम सं० (वि०) 1 क्षमता रहित, अशक्त 2 असमर्थ अक्षमता-सं० (स्त्री० ) 1 असमर्थता 2 शक्तिहीनता अक्षम्य -सं० (वि०) क्षमा न करने योग्य अक्षय - सं० (वि०) अविनाशी । तृतीया ( स्त्री०) वैशाख
योग्य ।
गद्दा लगाना
अक्लिष्ट सं० (वि०) 1 सरल 2 शांत 3 दुःखहीन अक्ली - अ० (वि०) अक्ल अटकलबाजी करना अक्ष-सं० (पु० ) 1 पासों का खेल 2 पहियों की धुरी 3 पहिया 4 पृथ्वी की धुरी 5 सर्प 6 नेत्र 7 भौगोलिक काल्पनिक रेखा 8 आत्मा 9 रावण पुत्र अक्षकुमार। ~कर्ण (पु० ) त्रिभुज की सबसे बड़ी भुजा; कूट (पु०) आँख की पुतली; कूप (पु० ) नेत्रगर्त; करीड़ा (स्त्री०) पासे का खेल, जुआ; ~गोलक (पु० ) आँख की पुतली रेखा (स्त्री०) वह रेखा जो केन्द्र से होती हुई किसी तल के बिंदु पर लम्ब रूप में गिरे
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अक्षय्य 10
अगंड शुक्ला तृतीया
लेना चित्र पर पारदर्शी पेपर रखकर चित्र उतारना अक्षय्य-सं० (वि०) 1 अखंडित रहने योग्य 2 नाश न होने अक्सर-अ० (क्रि० वि०) प्रायः
योग्य, अनश्वर। नवमी (स्त्री०) कार्तिक शुक्ला नवमी अक्सरियत-अ० (स्त्री०) 1 बह्मत 2 प्रायिकता अक्षर-I (वि०) 1 अविनाशी 2 अपरिवर्तनशील 3 नित्य II अक्सी-अ० (वि०) छाया संबंधी। तस्वीर (स्त्री०) (पु०) 1 ब्रह्म 2 आत्मा 3 आकाश। क्रम (पु०) अक्षर
छायाचित्र का क्रम; ~जीवी (पु०) लेखक; ~ज्ञान (पु०) साक्षरता;
अक्सीर-अ० (स्त्री०) रसायन, रामबाण ओषधि ल्यास (पु०) लिखावट; ~प्राख्यापन (पु०) अक्षरों अखंड-सं० (वि०) 1 सम्पूर्ण 2 व्यवधानरहित, निर्विघ्न से भविष्य बताना; ~माला (स्त्री०) वर्णमाला; ~योजक अखंडता-सं० (वि०) खंडित न होनेवाला (पु०) कम्पोजीटर; ~योजना (स्त्री०) 1 अक्षर जोड़ना, अखंडनीय-सं० (वि०) 1 अविभाज्य 2 मजबूत वर्तनी 2 कम्पोज़ करना; विन्यास (पु.) 1 लिपि 2 हिज्जे; अखंडित-सं० (वि०) 1 अटूट 2 निर्विघ्न ~घोंटना लिखने का अभ्यास करना; ~से भेंट न होना अखंड्य-सं० (वि०) जो खंडन योग्य न हो 1 निरक्षर बने रहना 2 मूर्ख
अखडेत-(पु०) ताकतवर अक्षरशः-सं० (क्रि० वि०) 1 एक-एक अक्षर करके, अखनी-अ० (स्त्री०) गोश्त का शोरबा हर्फ-ब-हर्फ 2 पूर्णतः
अखबार-अ० (पु०) समाचार-पत्र । नवीस +फा० (पु०) अक्षरा-सं० (स्त्री०) 1 शब्द 2 भाषा
अख़बार लिखने वाला; नवीसी +फ़ा० (स्त्री०) अक्षरांतरण-सं० (पु०) अक्षरों का परस्पर स्थानांतरण पत्रकारिता; ~वाला +हिं० (पु०) समाचार पत्र बेचनेवाला (जैसे-चाकू से काचू)
अखबारी-अ० + फ़ा० (वि०) समाचार पत्र संबंधी अक्षरानुवाद-(वि०) अक्षर का अनुवाद
अखरना-(अ० क्रि०) 1 खलना 2 बुरा लगना अक्षराभ्यास-सं० (वि०) अक्षर का अभ्यास
अखरावट-(स्त्री०) 1 वर्णमाला 2 सीहफ्री, क्रमशः एक-एक अक्षरारंभ-सं० (पु०) विद्या प्रारम्भ कराना
अक्षर से आरंभ होनेवाली कविता 3 जायसी कवि कृत एक अक्षरार्थ-सं० (पु०) अक्षर का अर्थ
लघु ग्रंथ अक्षरी-सं० (स्त्री०) 1 वर्तनी 2 वर्षाऋतु
अखरोट-(पु०) एक गरीदार फल अक्षरौटी-(स्त्री०) लिपि का तरीका
अखर्व-सं० (वि०) 1 लंबा 2 बड़ा अक्षर्य-सं० (वि०) अक्षर संबधी
अखलाक-अ० (पु०) अच्छा आचरण अक्षवार-सं० (पु०) अखाड़ा
अखाड़ा-(पु.) 1 मल्लयुद्ध-स्थल 2 व्यायामशाला 3 साधुओं अक्षांतर-सं० (पु०) भूमध्य रेखा से दूरी
के रहने का स्थान 4 अड्डा। अखाड़े का जवान कसरती अक्षांति-सं० (स्त्री०) 1 ईर्ष्या 2 असहनशीलता 3 अशांति बदनवाला; ~गरम होना अत्यधिक भीड़ होना; ~जमना अक्षांश-सं० (पु०) भू० उत्तर से दक्षिण। रेखा उत्तर से बहुत से दर्शकों का इकट्ठा होना दक्षिण जानेवाली काल्पनिक रेखा; ~समानांतर भूमध्य रेखा अखाड़िया-(पु०) सधा हुआ या दंगली पहलवान से उत्तर अथवा दक्षिण की ओर समानांतर जानेवाली अखाड़ेबाज़-हिं० +फा० (पु०) 1 = अखाड़िया 2 झगड़ालू काल्पनिक रेखा
अखाड़ेबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 झगड़ा-बखेड़ा 2 दंगल अक्षि-(स्त्री०) 1 आँख 2 दो की संख्या। ~कूट आँख की अखात-सं० . (पु०) 1 प्राकृतिक झील 2 खाड़ी पुतली; ~गोलक (पु०) आँख का डेला; तारक (पु०) अखाद्य-सं० (वि०) न खाने योग्य पुतली; ~पटल (पु०) नेत्र झिल्ली; -विक्षेप (पु०) अखिल-सं० (वि०) सम्पूर्ण, समस्त । अखिलात्मा (पु०) कटाक्ष; ~साक्षी (पु०) जिसने घटना को अपनी आँखों से सर्वत्र व्याप्त परमात्मा देखा हो
अखीर-(पु०) अंत अक्षित-सं० (वि०) जिसे चोट न लगी हो
अखीरी-अ० +हिं० (वि०) अंत का अक्षिति-सं० (स्त्री०) नश्वरता
अखट-(वि०) 1जो न घटे 2 अत्यधिक अक्षीण-सं० (वि.) जो क्षीण या दुर्बल न हो
अखोह-(पु०) असमतल भूमि अक्षीय-सं० (वि०) धुरी का
अखोटा-(पु०) कील (चक्की) अक्षीव-सं० (पु०) समुद्र का नमक
अख्खाह-(पु०) आश्चर्यसूचक भाव अक्षुण्ण-सं० (वि०) 1 अखंडित, समूचा 2 अविजित अख़्ज-अ० (पु०) स्वीकार करने का भाव। ~करना निष्कर्ष अक्षुब्ध-सं० (वि०) 1क्षोभरहित 2 दुःखहीन
निकालना अक्षेम-सं० (पु०) अकल्याण
अख़्तर-फा० (पु०) 1 तारा 2 ध्वज। चमकना भाग्योदय अक्षोभ-I सं० (पु०) 1 दुःख का अभाव 2 शांति II (वि०) होना 1सुख 2 शान्त
अख्तियार-अ० (पु०) अधिकार अक्षोभ्य-(वि.) शान्त
अख्तियारात-अ० (पु०) अख्तियार का बहुवचन अक्षौहिणी-सं० (स्त्री०) चतुरंगिणी सेना
अख्यात-सं० (वि०) 1 सम्मान रहित 2 अज्ञात अक्स-अ० (पु.) 1 परछाईं 2 चित्र। ~उतारना; अख्याति-सं० (वि०) अपमान
खींचना 1 वास्तविक नकल करना 2 फोटो खींचना; | अगंड-सं० (पु०) बिना हाथ पैर का धड़
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अग
अग-सं० (वि०) 1 अचल 2 वक्र गतिवाला 3 वृक्ष 4 सूर्य । ज (वि०) वृक्ष या पर्वत से उत्पन्न होनेवाला (जड़ी-बूटियाँ); जग (पु०) सारा संसार, चल-अचल
सब
अगटना - (अ० क्रि०) इकट्ठा होना
अगड़धत्ता - (वि०) लंबा-चौड़ा या बढ़ा-चढ़ा
अगड़ बगड़ - (वि०) निरर्थक
अगड़म बगड़म - (पु० ) अव्यवस्थित ढेर
अगणनीय सं० (वि०); अगणित (वि०); अगण्य (वि०) बेहिसाब, असंख्य, जिसे गिना ना जा सके
अगति -सं० (स्त्री०) 1 गति की कमी 2 मृतक की मुक्ति न होना 3 दुर्गति 4 स्थिर पदार्थ
अगतिक-सं० (वि०) 1 निरुपाय 2 बिना आश्रय अगद सं० (वि०) नीरोगता
अगम-सं० (वि०) 1न चलनेवाला 2 दुर्गम 3 दुर्बोध 4 अथाह
अगम्य-सं० (वि०) 1 दुर्गम 2 अनुपयुक्त 3 बुद्धि से बाहर, दुर्बोध 4 असीमित 5 दुष्कर
अगम्या-सं० (स्त्री०) वह स्त्री जिसके साथ संभोग निषिद्ध हो । ~गमन (पु० ) ऐसी स्त्री के साथ संभोग करना अगर - (पु० ) सुगंधित लकड़ी वाला एक वृक्ष । बत्ती (स्त्री०) अगर की बत्ती अगर-फ़ा० (अ०) यदि । करना टाल-मटोल करना अगरी - (स्त्री०) बुरी बात अगर्व-सं० (वि०) गर्वरहित
चे (अ०) यद्यपि मगर
अग़ल बग़ल-फ़ा० ( क्रि० वि०) 1 इधर उधर 2 आस पास अगला - (वि०) 1 आगे या सामने का 2 आनेवाला अगवाई, अगवानी - ( स्त्री०) स्वागत करना अगवाड़ा - ( पु० ) घर के आगे का हिस्सा
अगवार - (पु० ) 1 पुरोहित या साधु संतों को दिए जाने के लिए
अलग किया गया अन्न 2 ओसाते समय उड़नेवाला हल्का अन्न अगस्त- अं० (पु० ) ईसवी साल का आठवाँ महीना अगस्ति, अगस्त्य -सं० (पु० ) 1 एक ऋषि 2 एक तारा अगहन - ( पु० ) अग्रहायण या मार्गशीर्ष मास अगहनिया - (वि०) अगहन में होनेवाला धान अगहनी - (वि०) अगहन में तैयार होनेवाला अगाऊ - (वि०) पेशगी
अगाड़ी - I (अ० ) 1 आगे 2 पहले 3 सामने II ( स्त्री० ) किसी वस्तु के आगे का हिस्सा
अगाध - I सं० (वि०) 1 अथाह 2 अपार 3 अज्ञेय II ( पु० ) गहरा छेद
अगिन - I (स्त्री०) आग II ( वि०) अगणित अगिया - (स्त्री०) अगिन घास
अगियाना - (अ० क्रि०) 1 गरम होना 2 उत्तेजित होना अगियार - ( पु० ) पूजा के लिए जलायी जानेवाली आग अगियारी- (स्त्री०) 1 अग्नि में डालने की धूप जैसी वस्तु 2 पारसियों का धर्मस्थल जहां आग जलती रहती है अगिहाना - (पु० ) अग्नि जलाने का स्थान अगुआ - (पु० )
1 आगे चलनेवाला नेता 2 मुखिया
11
अग्नि
3 मार्गदर्शक 4 आगे का भाग अगुआई - (स्त्री०) 1 नेतृत्व 2 अगवानी अगुआना - (स० क्रि०) अगुआ बनना II (अ० क्रि०) आगे
जाना
अगुण - I सं० (वि०) 1 निर्गुण 2 अनाड़ी 3 बिना गुण II (पु०) अवगुण । ~वादी (वि०) दोष निकालनेवाला, निंदक
अगुणी -सं० (वि०) गुणहीन
अगरु - I सं० (पु० ) अगर पेड़ II ( वि०) 1 हल्का 2 लघु अगुवा - ( पु० ) आगे आनेवाला
अगूढ़ सं० (वि०) 1 प्रकट, स्पष्ट 2 सहज अगेय- (वि०) जो गाया न जा सके
अगेह - (वि०) बिना घर का
अगोचर - I सं० (वि०) 1 इंद्रियातीत 2 अप्रकट II ( पु० ) 1 वह जो देखा न जा सके 2 ब्रह्म
अगोचरी - (स्त्री०) मन को उन्मन करने की साधना अगोरदार- हिं० + फ़ा० (पु० ) पहरेदार, देखभाल करनेवाला अगोरना-सं० (वि०) पहरा देना, रखवाली करना अभि-सं० (स्त्री०) 1 आग 2 प्रकाश 3 उष्णता 4 जलाने की क्रिया। अस्त्र (पु० ) अग्नयस्त्र; कण (पु० ) चिंगारी; कर्म (पु० ) 1 शवदाह 2 गर्म लोहे से दाग़ना; ~कांड (पु० ) आगज़नी कीट (पु०) जुगनू ~कुंड (पु०) हवन कुंड; -- कोण (पु० ) पूरब और दक्षिण का कोना; ~क्रिया (स्त्री०) शव का दाह कर्म; क्रीड़ा (स्त्री०) आतिशबाज़ी; चक्र (पु० ) आग का गोला; ज I ( पु० ) कार्त्तिकेय, विष्णु II (वि०) अग्नि से उत्पन्न; ~जिह्वा, ज्वाला (स्त्री०) अग्नि की लपट दंड (पु० ) लकड़ी; ~दान (पु० ) चिता में आग देना / लगाना; ~दाह (पु०) दाह-संस्कार; ~दिव्य (वि०) अग्नि के समान तेज वाला; दीपक (वि०) पाचन शक्ति बढ़ाने वाला; - दीपन (पु० ) जठराग्नि का उद्दीपन; निरोधक (पु० ) आग रोक; परीक्षा (स्त्री०) कठिन परीक्षा; पर्वत (पु० ) ज्वालामुखी पहाड़; पीड़ित (वि०) आग से पीड़ित पूजक (पु०) आग की पूजा करनेवाला, पारसी, पूजा (पु० ) आग की पूजा; प्रवेश (पु० ) अग्नि में प्रवेश - प्रशामक (पु०) आग बुझानेवाला; प्रस्तर (पु०) चकमक पत्थर; ~बम अं० (पु० ) आग लगानेवाला बम - मणि (स्त्री०) सूर्यकांत मणि मय (वि०) अग्नि से घिरा हुआ; ~ (पु० ) ( पेट का) मंदाग्नि रोग; ~मुख (पु०) 1 देवता 2 अग्निहोत्री ब्राह्मण; युक्त (वि०) अग्निमय; ~वर्द्धक (वि०) पाचन शक्ति बढ़ानेवाला; ~ वर्षक (वि०) अग्नि वर्षा करनेवाला; वर्षा (स्त्री०) आग बरसना; वाण (पु०) आग लगानेवाला वाण; ~ विद्या (स्त्री०) अग्निहोत्र वीर्य (वि०) अग्नि के समान शक्तिशाली; शमक, शामक (पु० ) आग बुझानेवाला ( इंजन); ~शामन (पु०) आग बुझाना; ~ शिखा (स्त्री०) आग की लौ; -शुद्धि (स्त्री०) आग में तपाकर शुद्ध करना; ~संस्कार ( पु० ) 1 आग जलाना 2 मृतक दाह; सह (वि०) जिस पर अग्नि का प्रभाव न
=
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अग्न्यस्त्र
सात्
पड़े - साक्षिक (वि०) जिसका साक्षी अग्नि हो; (वि०) भस्म किया हुआ; ~ सेवन (पु० ) आग तापना; ~ होत्र ( पु० ) अग्नि में हवन करना; ~होत्री (पु० ) हवन करनेवाला
अग्न्यस्त्र - सं० (पु० ) 1 मंत्र प्रेरित बाण जिससे आग निकले
2 अग्नि चालित अस्त्र ( बंदूक आदि )
अग्न्याधान - ( पु० ) आग की स्थापना करना अग्न्यायुध-सं० (५०) अमेय अस्त्र अग्न्याशय-सं० (पु०) पेट में जठराग्नि का स्थान
अग्र - I संc (वि० ) 1 अगला 2 पहला 3 मुख्य II (अ० ) आगे III (पु० ) 1 अगला भाग 2 नोक 3 शिखर 4 लक्ष्य । ~गण्य (वि०) प्रमुख श्रेष्ठ गति (स्त्री०) आगे बढ़ना, प्रगति गामिनी (स्त्री०) : गामी I (वि०) आगे चलनेवाला II ( पु० ) नायक; ज (वि०) पहले जन्मा हुआ, बड़ा भाई जन्मा (पु० ) 1 बड़ा भाई 2 ब्राह्मण; जा (स्त्री०) बड़ी बहन; जिह्वा (स्त्री०) जीभ का अग्र भाग; ~णी I (वि०) आगे चलने वाला II ( पु० ) नेता; -तम (वि०) सब से अगला; तर (वि०) और अगला, ~ता (स्त्री०) पहल, प्राथमिकता दत्त (स० क्रि०) आगे दिया; ~ दल अगला दल; दान (पु० ) 1 मृतक के नाम पर दान 2 पहले देना; ~दाय (पु० ) पेशगी दीप (पु० ) वाहनों की हेड लाइट; दूत (पु० ) पहले पहुँचकर किसी के आने की सूचना देनेवाला; पद (पु० ) आगे का पद; ~ भाग (पु० ) 1 श्रेष्ठ या अगला भाग 2 श्राद्ध में पहले दी जानेवाली वस्तु - महिषी (स्त्री०) बड़ी रानी - यान (पु० ) आगे लड़ने वाली सेना यायी (वि०) नेतृत्व करनेवाला; ~ लिखित (वि) पूर्वलिखित ~ लेख (पु० ) (समाचार पत्र का) मुख्य लेख, संपादकीय; ~वर्ती (वि०) आगे रहनेवाला; ~ सारण (पु० ) आगे बढ़ाना; सोची (वि०) आगे की बात सोचनेवाला, दूरदर्शी संध्या (स्त्री०) प्रातः काल; ~सर (वि), ~सरी (स्त्री०) आगे बढ़ा हुआ; ~सर करना आगे बढ़ाना; ~सरता (स्त्री०) अग्रगति; ~ सारण (पु० ) 1 आगे भेजना 2 आगे बढ़ना; ~सारित (वि०) आगे बढ़ाया हुआ सूचना अगली सूचना सूची (स्त्री०) सूई की नोक; सेना (पु० ) (युद्ध में) आगे की सेना; स्वर पहला स्वर; हायण (पु० ) अगहन का महीना हार ( पु० ) जीविका हेतु मिलनेवाला भूदान या अन्नदान
अग्रतः सं० (अ० ) 1 पहले 2 आगे से
अग्रशः- ( क्रि० वि०) आगे-आगे अग्रानीत-सं० (वि०) आगे लाया गया
अग्राभिसारी-सं० (वि०) आगे की ओर बढ़ता हुआ अग्राम्य-सं० (वि०) 1 जो देहाती न हो 2 शिष्ट अग्राशन-सं० (पु० ) देवता या गाय के लिए पहले निकाला
गया अन
अग्रासन -सं० (पु० ) सम्मान का आसन या स्थान अग्राह्य सं० (वि०) 1 ग्रहण के अयोग्य
3 अविचारणीय 4 अविश्वसनीय
2 त्याज्य
12
अग्रिम -सं० (वि०) 1 अगला 2 पहला, श्रेष्ठ II ( पु० )
पेशगी
अचार
अग्रेषण-सं० (पु० ) आगे लाना
अघ - I सं० (वि०) 1 अपवित्र 2 पापी 3 दुष्ट II ( पु० ) 1 पाप 2 दुष्कर्म 3 दुःख 4 विपत्ति । कृच्छ ( पु० ) प्रायश्चित में किया जानेवाला व्रत भोजी (वि०) पाप की कमाई खानेवाला
अघट-सं० (वि०) 1 जो घटे नहीं 2 स्थिर 3 कठिन अघटित-सं० (वि०) 1 जो हुआ न हो 2 असंभव अघन-सं० (वि०) जो ठोस न हो अघमर्षण-सं० (पु०) मैल उतारना
अघवाना - (स० क्रि०) अघाना का प्रेरणार्थक रूप, पेटभर खिलाना
अघाना - (अ० क्रि०) पेटभर खाना, तृप्त होना अधारि - ( पु० ) पापनाशक अधियाना-(अ० क्रि०) तृप्त करना अघी सं० (वि०) पापी अघुलनशील-हिं० + सं० (वि० ) जो घुल न सके अघोर - I .सं० (५०) शिव का एक रूप II ( वि०) भयानक अघोरी - सं० (वि०) 1 घृणित 2 मलिन 3 अघोर संप्रदाय का अघोष -सं० (वि०) 1 नादरहित 2 बिना ध्वनिवाला अघ्राणता-सं० (स्त्री०) सूँघने की शक्ति का अभाव अघ्रेय-सं० (वि०) न सूँघने योग्य अचंचल-सं० (वि०) 1 स्थिर 2 धीर अचंड सं० (वि०) सौम्य
अचंभा - ( पु० ) 1 आश्चर्य 2 आश्चर्यजनक बात अचक - (वि०) न चुकनेवाला, बहुत अधिक अचकचाना-(अ० क्रि०) 1 भौचक्का होना 2 घबराना (स्त्री०
अचकचाहट)
अचकन - ( पु० ) लम्बा बंद गले का कोट अचक्का - (पु० ) अनजान। अचक्के में धोखे में अचक्षु-सं० (वि०) चक्षुरहित । -दर्शन (पु० ) भीतरी इन्द्रियों से प्राप्त ज्ञान
अचगरी - (स्त्री०) 1 दुष्टता 2 शरारत अचपल - (वि०) 1 अचंचल 2 स्थिर अचर-सं० (वि०) अचल
अचरज - I (पु०) आश्चर्य II ( वि०) अनोखा अचरा- (पु० ) आँचल
अचरित - (वि०) सदा स्थिर रहनेवाला
अचल - I सं० (वि०) 1 गतिहीन 2 चिरस्थायी 3 अटल II
(पु० ) पर्वत । ~कीला (स्त्री०) धरती; धृति (स्त्री० ) एक वृत्त जिसमे पाँच नगण और एक लघु होता है; संपत्ति (स्त्री०) न हटाई जा सकनेवाली संपत्ति (घर, ज़मीन) अचला - सं० (स्त्री०) पृथ्वी। सप्तमी (स्त्री०) माघ शुक्ला
सप्तमी
अचवन - (पु० ) आचमन अचवना - (स० क्रि०) पीना
अचवाना - (स० क्रि०) अचवना का प्रेरणार्थक रूप, पिलाना अचातुर्य - सं० पु० ) अकुशलता या अनाड़ीपन
अचानक - (अ०) यकायक
अचार - (पु० ) मिर्च मसाले में कई दिन तक रखा हुआ चटपटा पदार्थ, अथाना 2 कचूमर
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अचालक
अचालक-सं० (पु०) जिससे होकर बिजली की तरंग न जा सके
अचाह - I (स्त्री०) चाह का अभाव II (वि०) निष्काम अचिंत-सं० (वि०) चिंता रहित
अचिंतनीय-सं० (वि०) 1 जिसका चिंतन या बोध न हो सके 2 अप्रत्याशित
अचिंतित सं० (वि०) जो सोचा न गया हो अचिंत्य-सं० (वि०) 1 अज्ञेय 2 अचिंतनीय अचिकित्स्य-सं० (वि०) असाध्य (रोग) अचिकीर्षु-सं० (वि.) आलसी अचित्-सं० (वि०) अचेतन अचितवन- (वि०) अपलक
अचिति-सं० (स्त्री०) 1 अविचार 2 असंग्रह अचित्त-सं० (वि०) 1 अज्ञान न सोचा हुआ
अचित्ति-सं० (वि०) ज्ञानाभाव
अचिर - 1 सं० (अ० ) कुछ ही पहले II (वि०) नया, अस्थायी मृत (वि०) हाल ही का मरा हुआ अचिरात्, अचिरेण-सं० ( क्रि० वि०) तत्क्षण, तुरंत अचीर-सं० (वि०) निर्वस्त्र
अचूक - (वि०) 1 (निशाना) जो न चूके 2 अमोघ 3 निश्चित अचेत सं० (वि०) 1 जड़ 2 बेहोश 3 असावधान अचेतन-सं० (वि०) 1 अज्ञानी 2 निर्जीव 3 संज्ञाशून्य, बेहोश अचेतनक-सं० (पु० ) अचेतन करनेवाला
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अचेतनीकरण-सं० ( पु० ) सुन्न करना
अचेतावस्था-सं० (स्त्री०) बेहोशी की स्थिति अचेष्ट-सं० (वि०) 1 बिना प्रयत्न के 2 गतिहीन 3 चेष्टारहित अचैतन्य - I सं० (वि०) चेतना रहित II (पु० ) जड़ पदार्थ अचैतिकी -सं० (स्त्री०) अचेतन या सुत्र करने का विज्ञान अचैन- (वि०) बेचैन या व्याकुल
अचैना - (पु०) चारा काटने का लकड़ी का कुंदा अच्छा - (वि०) 1 भला 2 उचित 3 सुंदर 4 सकुशल 5 संपन्न 6 कामचलाऊ । खासा + अ० (वि०) बहुत अच्छा; --पन (पु० ) सुंदरता; ~ बिच्छा (वि०) अच्छा भला अच्छाई - (स्त्री०) भलापन, खूबी, गुण अच्छिद्र-सं० (वि०) 1 छिद्र रहित 2 निर्दोष अच्छिन्न-सं० (वि०) 1 अखंडित, समूचा 2 अविभक्त । ~पत्र (वि०) सदाबहार
अच्छे- (वि०) भले
अच्छेद्य-सं० (वि०) जिसका छेदन न हो सके अच्युत - I सं० (वि० ) 1 अटल 2 स्थिर II ( पु० ) परमात्मा, विष्णु
अच्युतांगज - ( पु० ) मन्मथ, कामदेव अछरौटी - ( स्त्री०) वर्णमाला अछल-सं० (वि०) छलरहित अछूत - (वि०) जो छुआ न जा सके
अछूता - (वि०) 1 जिसे स्पर्श न किया गया हो 2 कोरा, नया 3 शुद्ध
अछूतोद्धार - हिं> +सं० (पु० ) अछूतों का उद्धार अच्छेध-सं० (वि०) अविभाज्य अछोप- (वि०) नम, तुच्छ
अजान
अछोर- (वि०) ओर छोर रहित अछोह - (वि०) क्षोभरहित, शान्त अजंट-अं० (पु० ) ऐजंट
अजेंडा - अं० (पु०) कार्यावली
अजंभ - 1 सं० (वि०) दंतहीन II ( पु० ) 1 मेढक 2 सूर्य अजेंसी-अं० (स्त्री०) एजेंसी
अज - [ सं० (वि०) अजन्मा II ( पु० ) 1 ईश्वर 2 जीवात्मा 3 बकरा 4 कामदेव । पाल (पु० ) गडरिया अजगर-सं० (पु०) एक तरह का बड़ा साँप ।
-वृत्ति
(स्त्री०) आलस्य
अजगरी - ( स्त्री०) 1 अजगर वृत्ति 2 निकम्मापन, आलस्य अज़ग़ैबी-फ़ा० + अ० (वि०) 1 दैवी 2 एकाएक होनेवाला अजड़-सं० (वि०) जो जड़ न हो, चेतन
अजदहा - फ़ा० ( पु० )
अजगर
अजन - I सं० ( पु० ) तुच्छ व्यक्ति || (वि) निर्जन अजनतंत्रीय-सं० (वि०) जो जनतंत्रीय न हो अजनबी - अ० (वि०) 1 अपरिचित 2 नवागत। पन + हिं॰ (पु० ) अपरिचित होना अजन्मासं० (वि०) 1 जन्म रहित 2 अनादि
अजन्य-सं० (वि०) 1 जो उत्पादन योग्य न हो 2 अजननीय अजपा-सं० (वि०) बिना आवाज़ किए जपा हुआ अजब -अ० (वि०) अनोखा अजम-अ० (पु०) अरब से भिन्न, ईरान अज़मत - (स्त्री०) 1 बड़ाई 2 गौरव अज़माइश-फ़ा० दे० आज़माइश
अज़माना, आज़माना-फ़ा० परीक्षा लेना अजमोद - (पु० ) अजवाइन की तरह का एक पौधा अजय-सं० (स्त्री०) अजेय
अजया -सं० (स्त्री०) 1 भाँग 2 माया
अजर-सं० (वि०) 1 क्षय रहित 2 जो बूढ़ा न हो अजरणीय सं० (वि०) 1 अक्षय 2 अपाच्य अजय-सं० (वि०) 1 चिरस्थायी 2 जो पचाया न जा सके अजल-सं० (वि०) बिना जल का
अजवाइन, अजवायन - (स्त्री०) एक पौधा जिसके बीज दवा के काम आते हैं।
अजस - ( पु० ) अपयश, कीर्ति का अभाव अजसी - (वि०) बदनाम
अजस्र - I सं० (वि० ) अविच्छिन्न, लगातार II ( क्रि० वि०) लगातार, सतत
अजहतस्वार्था-सं० (स्त्री०) लक्षणा का भेद जब लक्ष्यार्थ भिन्न होते हुए भी वाच्यार्थ हो अजहद - फ़ा० + अ० बहुत
अजा-सं० (स्त्री०) 1 प्रकृति 2 शक्ति 3 बकरी । गलस्तन (पु० ) निरर्थक वस्तु; चार ( पु० ) अगम्यागमन अजात-सं० (वि०) 1 जो जन्मा न हो 2 अविकसित ।
~ व्यवहार (पु० ) नाबालिग; ~ शत्रु (वि० / पु० ) शत्रुहीन अजाति-सं० (वि०) 1 जिसकी कोई जाति न हो 2 जो उत्पन्न न
हुआ हो
अजाती-सं० (वि०) जाति से निकाला हुआ अजान - (वि०) 1न जाननेवाला 2 अज्ञात
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अज़ान
अट्ठा अज़ान-अ० (स्त्री०) नमाज़ के पूर्व का बुलावा। देना | अट-(स्त्री०) प्रतिबंध, शर्त
मुल्ला द्वारा उच्च स्वर में नमाज़ के समय की सूचना देना अटक-(स्त्री०) 1रोक 2 संकोच अज़ाब-अ० (पु०) 1 पाप के बदले में मिलनेवाला दुःख अटन-सं० (पु०) घूमना-फिरना 2 पीड़ा 3 परेशानी। मोल लेना अकारण कष्ट या झंझट में अटकन-बटकन-(पु०) बच्चों का खेल। ~खेलना व्यर्थ का पड़ना
काम करना अजायब-अ० (पु०) अद्भुत। खाना + फ्रा०, घर अटकना-(अ० क्रि०) 1 रुकना 2 उलझना + हिं० (पु०) म्यूज़ियम, संग्रहालय
अटकल-(स्त्री०) 1 अंदाज़ा, अनुमान 2 पहचान। -पच्चू । अजित-सं० (वि०) जिसे कोई जीत न सका हो
(वि०) अंदाज से II (अ०) अंदाजन; बाज़ + फ़ा० अजितेंद्रिय-सं० (वि०) असंयमी
(वि०) जो अटकल या अनुमान लगाने में कुशल हो; अजिन-सं० (पु०) 1 खाल 2 धौंकनी
बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) अनुमान लगाना अजिर-सं० (पु०) 1 आँगन 2 शरीर 3 वायु 4 इंद्रियविषय अटकलना-(स० क्रि०) अटकल लगाना अजिरा-सं० (स्त्री०) दुर्गा ।
अटकाऊ-(वि०) अटकानेवाला, बाधक अजिल्द-सं० + अ० (वि०) बिना जिल्द का (ग्रंथ) अटकाना-(स० क्रि०) 1 रोकना 2 उलझाना 3 देर लगाना अजी-अ० संबोधन 'एजी' का संक्षिप्त रूप
अटकाव-(पु०) 1 रुकावट 2 व्यवधान अज़ीज़-अ० (वि०) प्रिय। ~दार + फ़ा० (पु०) दोस्त; अटन-सं० (पु०) घूमना-फिरना
दारी + फ़ा० (स्त्री०) दोस्ती; रखना या; जानना अटना-(अ० क्रि०) 1 पूरा पड़ना 2 बीच में पड़कर ओट करना कद्र करना, प्यारा समझना
3 यात्रा करना अज़ीज़ाना-अ० + फ्रा० (वि०) प्रेमपूर्ण, स्नेहमय अटपट-(वि०) 1 बेड़ोल या बेढंगा 2 विकट अज़ीज़ी-अ० + फ़ा० (वि०) बड़ाई 2 दोस्ती 3 इज्जत अटपटा-(वि०) 1ऊटपटाँग 2 विचित्र 3 कठिन 4 प्यारी बेटी
अटपटाना-(अ० क्रि०) 1 घबराना 2 संकोच करना अजीटन-अं० (पु०) ऐड्जुटेट, सहायक
3 लड़खड़ाना अजीब-अ० (वि०) अनोखा, विचित्र
अटपटी-(स्त्री०) अजीब, अनोखी अजीबोग़रीब-अ० (वि०) अनोखा,
अटरनी-अं० 1 अटॉर्नी, न्यायवादी 2 प्रतिनिधि अजीरन-(पु०) - अजीर्ण
अटल-(वि०) 1 अचंल 2 नित्य 3 स्थिर, पक्का अजीर्ण-सं० (पु०) बदहज़मी
अटलांटिक-अं० (पु०) एक महासागर अजीव-I सं० (वि०) 1 जीव रहित 2 जड़ II (पु०) 1 मृत्यु
अटवाटी-खटवाटी-(स्त्री०) खाट-खटोला। पड़ना 2 जड़ पदार्थ। ~पोषण (पु०) शरीर में ताकत न रहना रूठकर अलग जा बैठना अजीवन-सं० (वि०) जीविका रहित
अटवी-(स्त्री०) वन, जंगल अजूबा-अ० (पु०) आश्चर्य में डालनेवाली वस्तु
अटा-(स्त्री०) अटारी अजेय-सं० (वि०) जिसे जीता न जा सके
अटाटूट-(वि०) 1 ठसाठस 2 अनगिनत अजेयता-सं० (स्त्री०) अजेय होना
अटारी-(स्त्री०) कोठा, अट्टालिका अजैव-सं० (वि०) 1 जो प्राण या जीव संबंधी न हो 2 निर्जीव अटाल-(पु०) मीनार अजोड़-(वि०) जो न जोड़ा जा सके
अटाला-(पु०) 1 ढेर 2 असबाब 3 कसाइयों की बस्ती अजोत भूमि-हिं० सं० (स्त्री०) बंजर
अटूट-(वि०) 1न टूटनेवाला 2 अखंडित अज्ञ-सं० (वि०) 1 ज्ञानशून्य 2 मूर्ख 3 अचेतन। ~ता सं० अटूटनीय-सं० (वि०) जो तोड़ा न जा सके (स्त्री०) 1 नासमझी 2 अचेतनता
अटेरन-(पु०) सूत की आँटी बनाने का यंत्र । ~कर देना हरा अज्ञात-I सं० (क्रि० वि०) बिना जाने II (वि०) 1न जाना देना, थका देना; फेरना घोड़े को कावा देना; होना अति हुआ 2 अप्रत्याशित । ~कुल (वि०) जिसके कुल आदि का दुर्बल होना पता न हो; नामा (वि०) जिसका नाम ज्ञात न हो; ~पूर्व अटेरना-(स० क्रि०) 1 सूत की आँटी बनाना 2 अत्यधिक (वि०) जो पहले से ज्ञात न हो; ~यौवना (स्त्री०) नायिका शराब पीना जिसे यौवन का एहसास ही न हो; ~वास (पु०) गुप्तवास अटैची-अं० (स्त्री०) सामान रखनेवाला बक्स। -केस अज्ञान-I सं० (पु०) 1 ज्ञान का अभाव 2 मिथ्या ज्ञान II
अटैची कवर (वि०) मूर्ख
अट्ट-I सं० (वि०) 1 ऊँचा 2 सघोष स्वर 3 सूखा हुआ II अज्ञानतः, अज्ञानवश-सं० अज्ञान के कारण
(पु०) 1 कोठा 2 महल 3 अन्न 4 हाट 5 वध 6 घायल अज्ञानता-(स्त्री०) नादानी, बेवकूफी
करना। -हास (पु०) ज़ोर की हँसी, ठहाका अज्ञानी-सं० (वि०) मूर्ख, नासमझ
अट्टक-सं० (पु०) 1 कोठा 2 महल, ऊँचा मकान अज्ञेय-सं० (वि.) जो जाना न जा सके। ल्वाद (पु०) अट्ट-सट्ट-(वि०) अंडबंड
"ईश्वर और आत्मा अज्ञेय हैं" यह मत; ~वादी (पु०) अट्टालिका-सं० (स्त्री०) 1 अटारी 2 महल 3 पक्की इमारत 'अज्ञेयवाद' सिद्धांत का अनुयायी
अट्टी-(स्त्री०) सूत या ऊन का लच्छा अटंबर-(पु०) ढेर, राशि
अट्ठा-(पु०) आठ बूटियोंवाला ताश का पत्ता
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अट्ठाईस
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अणोरणीयान
अट्ठाईस-(पु०/वि०) 28 की संख्या, बीस और आठ अड़ा-अडी-(स्त्री०) होड़, लाग-डाट अट्ठानवे-(पु०/वि०) 98 की संख्या, नब्बे और आठ अड़ाड़-(पु०) पशुओं को रखने का घेरा अट्ठावन-(पु०/वि०) 58 की संख्या, पचास और आठ अड़ान-(पु०) 1रुकने की जगह 2 पड़ाव अट्ठासी-(पु०/वि०) 88 की संख्या, अस्सी और आठ अड़ाना-(स० क्रि०) 1 रोकना 2 डाँटना 3]सना अठ-आठ का समास में प्रयुक्त रूप। पष्ठी या पेजी | अड़ार-I (पु०) बड़ा पंखा II(स्त्री०) अडंगा
(वि०) आठ पेजवाला; पहला (वि०) आठ पहलूवाला अड़ारी-I (पु०) 1 अंबार 2 लकड़ी की दुकान या टाल II अठखेली-(स्त्री०) 1 खिलवाड़, चोंचला 2 अल्हड़पन, । (वि०) 1 नुकीला 2 तिरछा
3 ठसक भरी चाल। अठखेलियाँ करना किलोल करना | अडिग-(वि०) अटल अठन्नी-(स्त्री०) आठ आने का सिक्का (पचास पैसे) अड़ियल-(वि०) 1 अड़कर चलनेवाला 2 हठी (जैसे-टट्ट) अठवाँसा-(वि०/पु०) आठ मास में पैदा (बच्चा) अड़ी-(स्त्री०) ज़रूरत का वक्त। -घड़ी संकट की स्थिति अठवाड़ा, अठवारा-(पु०) आठ दिनों का सारा समय अडीठ-(वि०) 1 जो दिखाई न दे 2 गुप्त अठहत्तर-(पु०/वि०) 78 की संख्या, सत्तर और आठ अडूसा-(पु.) एक विशेष पौधा जिसकी पत्ती एवं फूल का अठानवे-(वि०/पु०) 98 की संख्या, नब्बे और आठ । प्रयोग औषधि में होता है (अट्ठानवे)
अडोल-(वि०) 1 अटल 2 मौन 3 स्तब्ध अठारह-(पु०/वि०) 18 की संख्या, दस और आठ अडोस-पड़ोस-(पु०) आस-पास अठावन-(वि०/पु०) 58 की संख्या, पचास और आठ, अड़ोसी-पड़ोसी-(पु०) पास-पड़ोस में रहनेवाले (अट्ठावन)
अड्डा-(पु०) 1 ठहरने तथा बैठने की जगह, ठिकाना 2 वाहन अठासी-(वि०) 88 की संख्या, अस्सी और आठ (अट्ठासी) तथा रेल आदि का अड्डा 3 केन्द्रस्थान अठोतरसौ-(वि०) 108 की संख्या, एक सौ आठ अड्डी-(स्त्री०) 1 बरमा 2 जूते का किनारा अठोतरी-(स्त्री०) एक सौ आठ दानों की माला
अढ़तिया-(पु०) आढ़त का काम करनेवाला, एजेंट अडंग-बडंग-(वि०) 1 क्रम रहित और बेढंगा 2 व्यर्थ अढ़ाई-(वि०) दो और आधा अड़गा-(पु०) रुकावट । अड़गेबाज़ हिं० + फ़ा० (पु०) अढ़िया-(स्त्री०) 1 काठ या पत्थर का बना हुआ छोटा बर्तन रुकावट डालनेवाला; बाज़ी हिं० + फ़ा० (स्त्री०) रुकावट 2 तसला डालना ~डालना या लगाना अड़चन डालना; ~मारना अद्वैया-(पु०) 1 ढाई सेर की तौल या बाट 2 आदेश देनेवाला विघ्न डालना
अणक-सं० (वि०) 1 बहुत छोटा 2 कुत्सित अडंड-(वि०) जिसे दण्ड न दिया जा सके
अणि-सं० (स्त्री०) 1 नोक 2 धार 3 धुरी की कील अड़-(स्त्री०) अड़ने की क्रिया, टेक, ज़िद । ~दार + फ़ा० अणिमा-सं० (स्त्री०) 1 सूक्ष्मता 2 छोटापन (वि०) 1 अड़ियल 2 बीच-बीच में रुक जानेवाला अणी-सं० (स्त्री०) नोक अडग-(वि०) स्थिर
अणु-सं० (पु०) 1 पदार्थ का सबसे छोटा अंश या कण 2 कण अड़गड़ा-(पु०) घोड़ों या बैलों आदि की बिक्री का स्थान (पदार्थ या धूल का)। ~कथा (स्त्री०) किस्सा; (पशुहाट)
-चालित (वि.) अणुओं के ज़ोर से चलाया हुआ; अड़गोड़ा-(पु०) पशुओं के गले से पैर तक बाँधने की लकड़ी जीव (पु०) अत्यंत सूक्ष्म जीव; जीवविज्ञान (पु०) अड़चन, अड़चल-(स्त्री०) रुकावट, बाधा
अत्यंत सूक्ष्म जीवों से संबंधित विज्ञान; तरंग (स्त्री०) अड्डंडा-(पु०) पाल बाँधने का डंडा जिसके दोनों छोरों पर बिजली की चमक; ~परीक्षण प्रतिबंध (पु०) परमाणु की लटू बने रहते हैं
परख पर रोक; ~प्राणी (पु०) सूक्ष्म जीव; बम +अं० अड्डपोपो-(पु०) हस्तरेखा जाननेवाला
(पु०) परमाणु द्वारा चालित विनाशक गोला; बिजलीघर अड़तल-(स्त्री०) 1 आड़ 2 शरण। ~पकड़ना किसी की । + हिं० (पु०) अणुओं द्वारा बिजली पैदा करने का कारखाना; शरण में जाकर रहना
~भंजन (पु०) अणु को तोड़ना; -भट्ठी +हिं० (स्त्री०) अड़तालीस-(पु०) 48 की संख्या, चालीस और आठ एटम से चलनेवाली भट्ठी; ~~मात्र (वि०) बहुत थोड़ा; अड़तीस-(पु०) 38 की संख्या, तीस और आठ
~मुक्त (वि०) अणु के प्रभाव से रहित; ~~युद्ध (पु०) अड़न-(स्त्री०) 1 अड़ने की क्रिया 2 हठ
अणुबमों द्वारा युद्ध; रेणु (पु०) अणुओं की धूल जैसी सूर्य अड़ना-(अ० क्रि०) 1रुकना 2 अटकना। 3 ज़िद करना की किरणों में दिखाई देती है; ~वाद (पु०) यह मत कि जीव अड़पना-(स० क्रि०) डाँटना डपटना
एक अणु मात्र है 2 अणु को नित्य मानने का सिद्धांत; ~वादी अड़बंग, अड़बंगा-(वि०) 1 टेढ़ा 2 विलक्षण 3 टिल (पु०) अणुवाद में विश्वास रखनेवाला; विस्फोट (पु०) स्वभाववाला
अणु का फटना; विस्फोटक (पु०) अणु द्वारा बना अड़बल-(वि०) बो० अड़ियल, हठी
विस्फोटक पदार्थ; ~वीक्षण (पु०) सूक्ष्म वस्तुओं का अड़वार-(पु०) दरवाज़े का अडंगा
निरीक्षण; ~वैज्ञानिक (पु०) अणुओं के बारे में छानबीन अडवोकेट-(पु०) वकील
करेवाला; व्रत (पु०) (जैनियों में) गृहस्थ धर्म; ~शस्त्र अड़सठ-(पु०) 68 की संख्या, साठ और आठ
(पु०) अणु आयुध अड़हुल-(पु०) लाल रंगवाला फूल
अणोरणीयान-(वि०) छोटे से छोटा, अत्यंत सूक्ष्म
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अतंद्र
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अतिपातक
अतंद्र-(वि०) तंद्रारहित, जागरूक, सचेष्ट
अतिक्रमित, अतिक्रांत-सं० (वि०) 1 आक्रमण से दबा हुआ अतंद्रि-(वि०) सतर्क
2 आगे बढ़ा हुआ 3 अतीत अतंद्री-(वि०) जिसे आलस न घेरता हो
अतिक्रामक-सं० (पु०) क्रम या मर्यादा का उल्लंघन अतः-(अ०) 1 इसलिये 2 अब से 3 इसकी अपेक्षा। परं करनेवाला (क्रि० वि०) इसके बाद
अतिक्रुद्ध-सं० (वि०) बहुत नाराज अतएव-(अ०) 1 इस कारण से 2 इसी से
अतिक्रूर-सं० (वि०) अति निष्ठर अतगत-(क्रि० वि०) अनुचित रूप से
अतिगत-सं० (वि०) 1 अति को पहँचा हुआ 2 अत्यधिक अतट-(वि०) तटरहित। -प्रपात (पु०) सीधा गिरने वाला अतिगति-सं० (स्त्री०) 1 उत्तम गति 2 मुक्ति झरना
अतिगुण-सं० (वि०) बहुत अच्छे गुणोंवाला अतथ्य-(वि०) 1 तथ्यरहित 2 असत्य
अतिगुरु-सं० (वि०) बहुत भारी अतनु-I (वि०) देहरहित II (पु०) कामदेव
अतिग्रह-सं० (वि०) दुर्बोध अतप-(वि.) 1 शीतल 2 आडंबरहीन 3 निठल्ला
अतिचर-सं० (वि०) अति परिवर्तनशील । अतमा-(वि०) अंधकाररहित
अतिचरण-सं० (पु०) आवश्यकता से अधिक करना अतर-अ० (पु०) इत्र । दान +फ़ा० इत्र रखने का पात्र, अतिचार-सं० (पु०) 1 उल्लंघन 2 अनुचित कार्य करना इत्रदान
अतिच्छादन-सं० आसपास छा जाना अतरल-(वि०) ठोस
अतिजन-सं० (वि०) जिसका घर न हो । अतरवन-(पु०) 1 छज्जा छाने के लिए पत्थर की पटिया अतिजागर-सं० (वि०) सदा जागते रहनेवाला, जागरूक 2 खपरों के नीचे फैलायी जानेवाली मूंज ।
अतिजात-सं० (दि०) 1 पिता से बढ़ा हुआ 2 श्रेष्ठ अतरसों-(अ०) परसों के बाद या पहले का दिन । अतिजीवन-सं० (पु.) कुल नष्ट होने पर बचा रह जाना अतर्क-[ सं० (वि०) तर्कहीन, असंगत II (प०) तर्क का । अतिजीवी-सं० (वि०) बचा रहनेवाला अभाव
अतितरण-सं० (पु०) 1 पार करना 2 पराभूत करना अतर्कित-सं० (वि०) 1 अनसोचा 2 अचानक
अतितृष्णा-सं० (स्त्री) 1 अत्यधिक प्यास 2 अत्यंत लालच अतळ-सं० (वि०) 1 तर्क न करने योग्य 2 अचिंत्य अतिथि–सं० (पु०) 1 मेहमान 2 यज्ञ में सोम संबंधी कार्य अतल-सं० (वि०) तलरहित, बिना पेंदे का। ~स्पर्शी | करनेवाला अनुचर | ~आश्रम; गृहभवन; ~शाला; (वि०) अथाह, बहुत गहरा
~सदन मेहमानों के रहने का घर/स्थान; -क्रिया (स्त्री०) अतलस-अ० (पु०) एक प्रकार का रेशमी वस्त्र
आतिथ्य; ~धर्म (पु०) आतिथ्य का अधिकार; पूजा अतलांत-सं० (वि०) अत्यधिक गहरा. जिसके तल का कहीं | (स्त्री०) अतिथि का स्वागत; यज्ञ (पु०) मेहमानदारी; अंत न हो
~सत्कार (पु०); ~सेवा (स्त्री०) मेहमान की आवभगत अतलांतक, अटलांटिक-अं० (पु.) एक महासागर का नाम अतिदी-सं० (वि०) दूरदर्शी अतवार-(पु०) रविवार
अतिदान सं० (पु.) बहत अधिक उदारता अता-अ० (पु०) दान। नामा +फा० (पु०) दानपत्र; अतिदिष्ट-सं० (वि०) 1 प्रभावित 2 आकृष्ट 3 दूसरे स्थान पर
~पता (पु०) स्थान या मकान को प्राप्त करने का विशेष रखा हुआ संकेत; ~बख्श +फ़ा० (वि०) उदार
अतिदुःसह-सं० (वि०) असह्य अताई-अ० (वि०) 1 जिसने खुद सीखा हो 2 चतर 3 अनाड़ी अतिदुर्गत-सं०.(वि०) जिसकी स्थिति बहुत खराब की गई हो 4 शौकिया
अतिदेश-सं० (पु०) 1 एक वस्तु के धर्म पर अन्य का आरोपण अतारांकित-सं० (वि.) जिस पर तारा का चिह्न न लगा हो | 2 सादृश्य 3 निष्कर्ष अतार्किक-सं० (वि०) तर्कहीन
अतिदोष-सं० (पु०) बहुत बड़ा दोष, अपराध अति-[ सं० (उप०) 1 बहत 2 सीमा के पार II (स्त्री०) अतिद्रुत-सं० तेज़ गति वाला ज्यादती। ~उत्पादन (पु.) अधिक उत्पादन
अतिनिकट-सं० बहुत पास अतिकथ-सं० (वि०) 1 अविश्वसनीय 2 अकथ्य
अतिनिद्र-सं० (वि०) जो बहुत सोता हो अतिकथा-सं० (स्त्री०) 1 अतिरंजित कहानी 2 बकवाद अतिपतन-सं० (पु०) 1 भूल 2 गलती से छूट जाना अतिकर-सं० (पु०) अतिरिक्त टैक्स
3 अतिक्रमण अतिकल्पना-सं० (स्त्री०) अयथार्थ कल्पना
अतिपत्ति-सं० (स्त्री०) 1 समय व्यतीत होना 2 काम पूरा न अतिकांत-सं० (वि०) अत्यधिक प्यारा
करना 3 अतिक्रमण अतिकाय-सं० (वि०) विशालकाय
अतिपथ-सं० (पु०) उत्तम मार्ग अतिकाल-सं० (पु०) समय का बीत जाना
अतिपन्न-सं० (वि०) 1 (समय) बीता हुआ 2 अतिक्रांत अतिकृत-सं० (वि०) जिसे करने में मर्यादा का उल्लघंन किया अतिपरोक्ष-सं० (वि०) 1 अदृश्य 2 प्रकट गया हो
अतिपात-सं० (पु०) 1 मर्यादा का उल्लंघन 2 अव्यवस्था अतिक्रम, अतिक्रमण-सं० (पु०) 1 मर्यादा का उल्लंघन | 3 विरोध 4 दुष्प्रयोग 5 व्यवधान 6 हानि 2 दुरुपयोग 3 प्रबल आक्रमण 4 काबू पाना
| अतिपातक-सं० (पु०) धर्मशास्त्रानुसार महापातकों में सबसे
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अतिपातित
बड़ा
अतिपातित-सं० (वि०) 1 पूर्णतः तोड़ा हुआ 2 स्थगित किया हुआ
अतिपात्य -सं० (वि०) 1 स्थगित करने योग्य 2 कुछ देर बाद करने योग्य
अतिपान-सं० (पु० ) अधिक पीनेवाला
अतिपुरुष - सं० (पु० ) 1 प्रथम श्रेणी का पुरुष 2 वीर पुरुष अतिप्रकाश-सं० (वि०) 1 अति प्रसिद्ध 2 कुख्यात अतिप्रकृत-सं० (वि०) असामान्य
अतिप्रजन-सं० (पुं०) आबादी बढ़ जाना
अतिप्रजनन -सं० (पु०) अधिक बच्चे पैदा करना अतिप्रश्न सं० (पु० ) अनावश्यक प्रश्न अतिप्रसंग-सं० (स्त्री०) 1 घना संबंध 2 धृष्टता 3 अति विस्तार अतिप्राकृत - (वि०) अलौकिक
अतिप्रौढ़ा-सं० (स्त्री०) सयानी लड़की
अतिबल-सं० (वि० ) [ अधिक बलवान II अधिक बल अतिबालक - [सं० ( पु० ) शिशु II (बि०) बाल्य अतिभार-सं० (पु० ) अत्यधिक बोझ अतिभूमि-सं० (स्त्री०) 1 अधिकता 2 मर्यादा भंग अतिभोजन-सं० (पु० ) पेटूपन
अतिमत-सं० (पु०) सर्वमान्य विचार या सिद्धांत अतिमति - 1 सं० (स्त्री०) अहंकार, अति दर्प II ( वि० ) घमंडी
अतिमर्त्य - सं० (वि०) 1 मानव शक्ति से दूर 2 अलौकिक अतिमर्श-सं० (पु० ) अत्यधिक सम्पर्क अतिमांस-सं० (वि०) मांसल
अतिमा-संघ (स्त्री०) चरमावस्था अतिमात्र-सं० (वि०) अत्यधिक
अतिमान-सं० (पु० ) अत्यधिक घमंड
अतिमानव, अतिमानुष-सं० (पु० ) सुपरमैन, मानव से ऊँचा
मानव
अतिमित सं० (वि०) 1 अपरिमित 2 शुष्क अतिमित्र-सं० (पु०) घनिष्ठ मित्र अतिमुक्त-सं० (वि०) जिसे मुक्ति मिल गयी हो अतियथार्थवाद -सं० (पु० ) यथार्थ की अभिव्यक्ति में अति
करना
अतियथार्थवादी -सं० ( पु० /वि०) यथार्थ की अति करके बतानेवाला
अतियोग सं० (पु० ) अतिशयता
अतिरंजन - ( पु०), अतिरंजना-सं० (स्त्री०) अतिशयोक्ति अतिरंजित सं० (वि०) अत्यधिक बढ़ा चढ़ाकर कहा हुआ अतिरक्तचाप -सं० + हिं० (स्त्री०) हाई ब्लड प्रेशर अतिरिक्त - I सं० (वि०) 1 फालतू, फाज़िल 2 भिन्न 3 अद्वितीय II (अ०) सिवाय, अलावा
अतिरूप - सं० (वि०) 1 आकृतिहीन 2 खूबसूरत 3 रूप से परे . अतिरेक-सं० (पु० ) 1 आधिक्य 2 आवश्यकता से अधिक होना, बढ़ोतरी
अतिरोग-सं० (५०) क्षयरोग
अतिलंघन - सं० ( पु० ) 1 दीर्घ उपवास 2 अतिक्रमण अतिलघु-सं० (वि०) बहुत छोटा
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अतिलाभ - सं० (पु.) अधिक मुनाफा अतिवक्ता-सं० (वि०) बकवादी
अतिसार
अतिवर्तन - ( पु० ) मात्रा से अधिक प्रयोग करना अतिवर्त्ती-सं० (वि०) 1 पार करनेवाला 2 आगे बढ़ जानेवाला अतिवर्षण, अतिवृष्टि - सं० (स्त्री०) अत्यधिक वर्षा अतिवस्तुवाद- (पु० ) अतियथार्थवाद अतिवात सं० ( पु० ) वायु का प्रचण्ड रूप अतिवाद-सं० (पु०) 1 कठोर वचन 2 डींग 3 झिड़की
4 उग्रवाद
अतिवादीसं० (वि०) 1 वाचाल 2 शेखी बघारने वाला 3 मर्यादा का उल्लंघन करनेवाला अतिवाह-सं० (पु०) 1 जीव का दूसरे शरीर में प्रवेश करना 2 फालतू पानी निकालने की नाली
अतिवाहन-सं० (पु० ) 1 व्यतीत करना 2 अधिक परिश्रम
करना
अतिविकट-सं० (वि०) बहुत डरावना
अतिविष-सं० (वि०) अत्यधिक जहरीला
अतिविस्तर-सं० (पु०) व्यापकता
अतिवेल-सं० (वि०) 1 अपार असीम 2 उद्वेलित अतिवेला -सं० (स्त्री०) 1 अतिकाल 2 वेला का अतिक्रम अतिव्यथा-सं० (स्त्री०) अत्यधिक यातना अतिव्याप्ति-सं० (स्त्री०) नियम या उद्देश्य से अधिक हो जाना अतिशय - I सं० (वि०) अत्यधिक II ( पु० ) अधिकता 2 श्रेष्ठता
अतिशयन -सं० (पु० ) आधिक्य, प्राचुर्य अतिशयी-सं० (वि० ) 1 प्रधान 2 श्रेष्ठ 3 बहुत अधिक अतिशयोक्त-सं० (पु० ), अतिशयोक्ति सं० (स्त्री०) किसी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना
अतिशायन-सं० (पु० ) 1 अधिक होना 2 श्रेष्ठता अतिशायीसं० (वि०) 1 आगे बढ़ जानेवाला 2 श्रेष्ठ अतिशीतन -सं० (पु०) अधिक ठंडा करना अतिशीलन-सं० (पु० ) अभ्यास करना अतिशेष -सं० (पु० ) 1 बचा हुआ अंश 2 बाकी रोकड़ अतिसंध-सं० (पु० ) 1 वचन भंग 2 आज्ञा का उल्लंघन अतिसंधान-सं० (पु० ) 1 उचित लक्ष्य से आगे निशाना लगाना 2 धोखा
अतिसंधि-सं० (स्त्री०) शक्ति से अधिक सहायता देने की प्रतिज्ञा
अतिसंधित सं० (वि०) 1 अतिक्रांत 2 छला गया अतिसंध्या-सं० (स्त्री०) सूर्योदय पूर्व एवं सूर्यास्त के बाद का
समय
अतिसर - I सं० (वि०) सबसे तेज़ चलनेवाला II ( पु० )
प्रयास
अतिसर्ग - I सं० (पु० ) 1 इच्छा पूरी करना 2 देना II (वि०) 1 नित्य 2 मुक्त
अतिसर्जन-सं० (पु० ) 1 अधिक दान 2 उदारता 3 वध 4 छल 5 पार्थक्य
अतिसर्पण-सं० (पु० ) 1 तीव्रगति 2 तेज़ी से चलना अतिसांवत्सर-सं० (वि०) एक वर्ष से अधिक दिनों का अतिसार-सं० (पु० ) आँव का रोग, पेचिश, दस्त
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अतिसारांशित
अदक्ष
सुख
अतिसारांशित-सं० (वि०) अत्यंत संक्षिप्त
अत्यल्प-सं० (वि.) बहुत कम अतिसारी-सं० (वि०) अतिसार रोग से पीड़ित
अत्यष्टि-सं० (स्त्री०) वर्णोंवाले वृत्त अतिसौरभ-सं० (वि०) 1 अत्यधिक सुगंध 2 आम अत्याकार-सं० (पु०) 1 घृणा 2 बुराई 3 बहुत बड़ा डील डौल अतिस्थूल-सं० (वि०) 1 बहुत मोटा 2 अत्यंत मूर्ख अत्यागी-सं० (वि०) विषयासक्त अतिस्पर्श-सं० (वि०) 1 कृपण 2 कमीना
अत्याचार-सं० (पु०) 1 दुराचार 2 जुल्म 3 अन्याय। अतिस्वन-(वि०) शब्द की गति से अधिक तेज़, सुपर सॉनिक ~पीड़ित जुल्म से दुखी अतिस्वप्न-सं० (पु०) 1 अत्यधिक निद्रा 2 स्वप्न देखने की अत्याचारी-सं० (वि०) जुल्म या अन्याय करनेवाला अधिक प्रवृत्ति
अत्याज्य-सं० (वि०) जो छोड़ा न जा सके अतिहत-सं० (वि०) पूर्णतः नष्ट किया हुआ
अत्याधुनिक-सं० (वि०) आधुनिकतम अतिहसित-सं० (पु०) बहुत ज़ोर की हँसी
अत्यानंद-सं० ईश्वर में लीन होने पर प्राप्त होनेवाला आनंद या अतींद्रिय-सं० (वि०) 1 इंद्रियों से परे 2 अगोचर। ~ज्ञान इंडियों से बाहर का ज्ञान; दर्शन (पु०) इंद्रियों से परे की | अत्याय-सं० (पु०) 1 सीमा का उल्लंघन 2 मर्यादाभंग वस्तु को देखना
3 अत्यधिक लाभ अतीत-सं० (वि०) 1 बीता हुआ 2 मृत 3 पार गया हुआ अत्यारूढ़-सं० (वि०) बहुत बढ़ा हुआ 4निर्लेप
अत्यारूढ़ि-सं० (स्त्री०) 1 बहुत ऊँचा पद 2 अभ्युदय अतीव-सं० (अ०) अत्यंत
अत्यावश्यक-सं० (वि.) बहुत ज़रूरी अतुंग-सं० (वि०) 1 जो ऊँचा न हो 2 ठिंगना
अत्याहारी-सं० (वि०) अधिक आहार करनेवाला अतुंद-सं० (वि०) दुबला-पतला
अत्याहित-I सं० (वि०) अरुचिकर II (पु०) 1 अप्रियता, अतुकांत, अतुकांतक-सं० (वि०) बिना छन्द की कविता | अरुचि 2 संकट . . अतुल-सं० (वि०) 1 अमित, असीम 2 अत्यधिक 3 जिसकी अत्युक्त-सं० (वि०) जो बढ़ा-चढ़ा कर कहा गया हो तौल न हो सके
अत्युक्ति-सं० (स्त्री०) बढ़ा चढ़ाकर कही हुई बात अतुलनीय-सं० (वि०) जिसकी तुलना न हो सके अत्युग्र-सं० (वि०) अति प्रचंड अतुलित-सं० (वि०) 1 बिना तौला हुआ 2 बेहिसाब 3 अपार अत्युच्च-सं० (वि०) बहुत ऊँचा अतुल्य-सं० (वि०) बेजोड़। योगिता (स्त्री०) अलंकार अत्युतम-सं० (वि०) अति उत्कृष्ट एवं सुंदर जिसमें एक गुण-धर्म की असमानता जान पड़े
अत्युत्पादन-सं० (पु०) अत्यधिक पैदावार अतुष-सं० (वि०) बिना भूसी का
अत्युत्साह-सं० (पु०) अधिक उत्साह अतुष्टि-सं० (स्त्री०) 1 अप्रसन्नता 2 असंतोष
अत्युपध-सं० (वि०) परीक्षित, विश्वस्त अतृप्त-सं० (वि०) 1 असंतुष्ट 2 प्यासा
अत्यूह-(वि०) बहुत अधिक ऊहापोह करनेवाला अतृप्ति-सं० (स्त्री०) असंतुष्टि
अत्रास-सं० (वि०) निडर, भयरहित अतृष्ण-सं० (वि०) कामना रहित
अत्रि-सं० (पु०) 1 एक ऋषि का नाम 2 एक तारा अतेज-सं० (पु०) धुंधलापन 2 छाया 3 अंधकार 4 सुस्ती अत्वरा-सं० (स्त्री०) शीघ्रता का अभाव अतेजा-सं० (वि०) 1 जो चमकीला न हो 2 कमज़ोर 3 तुच्छ अथ-सं० (अ०) आरम्भ तथा मंगलसूचक शब्द। च अत्ता-सं० (स्त्री०) 1माता 2 मौसी 3 बड़ी बहन
(अ०) और भी अत्तार-अ० (पु०) इत्र बेचनेवाला
अथक-(वि०) न थकने वाला अत्तारी-अ० (स्त्री०) इत्र बेचने का काम
अथरा-(पु०) नाँद अत्यंत-सं० (वि०) 1 अत्यधिक 2 नितांत अनंत। ~ अथरी-(स्त्री०) मिट्टी का छोटा बर्तन (वि०) तीव्र गतिवाला; ~णत (वि०) जो हमेशा के लिये अथर्व-सं० (पु०) एक वेद जो चौथा वेद माना जाता है चला गया हो; ~णामी (वि०) बहुत अधिक चलनेवाला; अथर्वण-सं० (पु०) 1शिव 2 अथर्ववेद
निवृत्ति (स्त्री०) पूर्ण रूप से पृथक हो जाना; ~भाव अथर्वणि-सं० (पु०) अथर्व वेद के कर्मों को जाननेवाला (पु०) कभी नष्ट न होने वाला भाव, चिरस्थायी भाव अथवा-सं० (अ०) या, वा अत्यंताभाव-सं० (पु०) किसी वस्तु का पूर्ण अभाव अथारिटी-अं० (स्त्री०) अधिकार अत्यंतिक-सं० (वि०) 1 बहुत चलनेवाला 2 अतिसमीपी अथाह-(वि०) 1 अतिगहरा 2 सीमा रहित 3 अगम्य अत्यधि-सं० (वि०) अग्नि से बढ़ा हुआ
अदंड-सं० (वि०) 1निर्भय 2 बिना दंड का अत्यणु-सं० (वि०) अत्यंत सूक्ष्म
अदंडनीय; अदंड्य-सं० (वि०) 1 दंड का अनाधिकारी अत्यधिक-सं० (वि०) हद से ज़्यादा (संज्ञाता) 2 दंडमुक्त अत्यम्ल-सं० (पु०) इमली का पेड़ II (वि०) बहत खट्टा अदंत-सं० (वि०) बिना दाँत का अत्यय-सं० (१०) 1बीतना 2 अभाववनाश 4 अंत अदत्य-सं० (वि०) जिसका दाँतों से सम्बन्ध न हो 5 अपराध 6 आक्रमण 7 श्रेणी 8 कष्ट
अदभ-सं० (वि०) 1 दर्परहित 2 सच्चा 3 सरल अत्ययी-सं० (वि०) आगे बढ़ जानेवाला
अदमित्व-सं० 1 दर्प का न होना 2 सरलता मत्यर्थ-सं० (वि०) बहुत ज्यादा
अदक्ष-सं० (वि०) अकुशल
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अदग
अदग - (वि०) 1 निर्दोष, दाग़ रहित 2 अछूता
अदग्ध सं० (वि०) न जला हुआ अदत्त-सं० (वि०) 1 जो दिया न गया हो 2 न देने वाला 3 कृपण - पूर्वा (स्त्री०/वि०) अदत्ता, जिसकी सगाई न हुई हो
अदत्ता-सं० (स्त्री०) अविवाहिता कन्या
अदद - अ० (पु० ) संख्या, अंक
अददी - अ० + फ़ा० संख्यात्मक
अदन - 1 सं० (पु० ) खाने की क्रिया II (अ०) अरबसागर का एक बंदरगाह
अदना-अ० (वि०) तुच्छ
अदनीय सं० (वि०) खाने योग्य, भक्ष्य
अदब- अ० (पु० ) 1 विनय 2 सम्मान कायदा (पु० ) शिष्ट व्यवहार; लिहाज (पु० ) सम्मान
अदबदाकर - ( क्रि० वि०) हड़बड़ाकर, हठपूर्वक अदबियत - अ० (स्त्री०) साहित्यिकता अदबी-अ० (वि०) साहित्यिक
अदन - सं० (वि०) 1 प्रचुर 2 अपार
अदम - अ० (पु० ) 1 अभाव 2 परलोक । तामील (स्त्री०) समन आदि का तामील न होना; पैरवी (स्त्री०) मुकदमे में किसी फरीक की ओर से ज़रूरी कार्रवाई का न होना; फुरसत (स्त्री०) अनवकाश मौजूदगी (स्त्री०) अनुपस्थिति; ~वसूली (स्त्री०) लगान का वसूल न होना; ~सबूत (पु० ) प्रमाण का अभाव; ~ हाज़िरी, ~ मौजूदगी (पु० ) उपस्थित न होना अदम्य -सं० (वि०) 1 जो दबाया न जा सके 2 प्रबल, प्रचंड अदय-सं० (वि०) निर्दय, जो दयालु न हो अदरक - (पु०) एक पौधा जिसकी गांठें भोजन और औषधि में प्रयोग की जाती हैं।
अदरकी - (स्त्री०) सोंठौरा
अदराना - (अ० क्रि०) 1 मिजाज बिगड़ना 2 इतराना अदर्शन -सं० ( पु० ) 1 दर्शन का अभाव 2 दिखाई न देना 3 उपेक्षा
अदर्शनीय-सं० (वि०) जो देखने योग्य न हो अदल बदल, अदला बदला - अ० (पु० ) अदला बदली (स्त्री०) हेर फेर परिवर्तन
अदलीय-सं० (वि०) बिना दलवाला
अदवान - (स्त्री०) चारपाई के पैताने की रस्सी
अदह -सं० (वि०) न जलनेवाला
अदहन - (पु० ) खौलता हुआ पानी (भोजन आदि के लिये) अदहा - (वि०) = अदह
अदौत- (वि०) बिना दाँत का
अदांत - सं० (वि०) 1 काबू में न किया हुआ 2 अजितेंद्रिय अदाँव - (पु० ) 1 अनुचित चाल 2 कठिन स्थिति भदा - अ०. (स्त्री०) 1 देना, चुकता 2 बयान करना 3 हावभाव 4 ढंग कार + फ़ा० (पु० ) अभिनेता; कारी +फ़ा० (स्त्री०) अभिनय बंदी +फ़ा० (स्त्री०) किस्तबंदी भदाता - सं० (वि०) 1 जो न दे 2 जिसे चुकाना हो अदायगी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) चुकता करना, भुगतान मदाबाद-सं० (वि०) असगोत्र
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अदोष
अदालत - अ० (स्त्री०) न्यायालय
अदालती - अ० (वि०) 1 अदालत संबंधी 2 मुकदमेबाज अदावत - अ० (स्त्री०) शत्रुता
अदावती - अ० (वि०) 1 शत्रुता रखनेवाला 2 ईर्ष्या से किया
गया
अदाय-सं० (वि०) न जलनेवाला
अदिति -सं० (स्त्री०) 1 दक्ष की पुत्री, देवताओं की माता 2 पृथ्वी 3 प्रकृति
अदिन-सं० (पु०) कुसमय, अभाग्य अदिव्य-सं० (वि०) 1 लौकिक 2 स्थूल
अदीन-सं० (वि०) 1 दीनता रहित 2 उदार अदीपित-सं० (वि०) अप्रकाशित
अदीब - अ० (पु० ) 1 साहित्यकार 2 साहित्यिक अदीयमान सं० (वि०) जो न दिया जाए अदीर्घ सं० (वि०) 1 जो बड़ा न हो, छोटा। ~ सूत्र (वि० ) 1 तेज़ 2 काम करने में विलंब न करनेवाला
अदूर - I सं० ( क्रि० वि०) निकट II (वि०) पास का III (पु० ) सामीप्य। दर्शिता (स्त्री०) दूर तक न देख पाना या सोच पाना; दर्शितापूर्ण (वि०) दूर तक न सोचनेवाला; ~भव (वि०) पास में ही स्थित दर्शितापूर्वक ( क्रि० वि०); ~दर्शी (वि०) जो दूर तक न सोचता हो अदूषण - सं० (वि०) 1 दूषण रहित 2 निर्मल, शुद्ध अदूषित - सं० (वि०) 1 अविकृत 2 निर्दोष अदूष्य - (वि०) जिस पर दोष न लग सके अदृढ़-सं० (वि०) 1 कमज़ोर 2 चंचल अदृप्त-सं० (वि०) निरभिमान, जिसे घमंड न हो अदृश्य - सं० (वि०) 1 जो दिखाई न दे 2 अज्ञात 3 ओझल । ~कर्मा (वि०) जिसे कार्य का अनुभव हो; पूर्व (वि०) 1 जो पहले न देखा गया हो 2 अद्भुत फल I ( पु० ) पुण्य पाप का भविष्य में मिलनेवाला फल II जिसका फल अज्ञात हो; ~वाद (पु०) नियतिवाद; ~वादी (पु० वि०) अदृष्टवाद को स्वीकार करनेवाला
अदृष्ट - I सं० (वि०) न देखा हुआ II ( पु० ) भाग्य । गति (वि०) जिसकी गतिविधि समझ में न आए - वाद (पु० ) यह सिद्धांत कि कर्मफल परलोक में मिलता है अदृष्टाक्षर-सं० (पु० ) साधारण अवस्था में अदृश्य रहनेवाले
अक्षर
अदृष्टार्थ - सं० (वि०) आध्यात्मिक या गूढ़ अर्थ रखनेवाला अदृष्टि - I सं० (स्त्री०) अंधा II (वि०) कुदृष्टि अदेखा - (वि०) जो देखा न गया हो
अदेखी - I ( वि० ) ईर्ष्यालु II ( स्त्री०) न देखी हुई अदेय - I सं० (वि०) न देने
योग्य II ( पु० ) जिसे देना
आवश्यक न हो
अदेव - I सं० (पु० ) जो देव के समान न हो 2 दैत्य II (वि०) अपवित्र
अदेशी-सं० (वि०) जो देश का न हो
अदेह - I सं० (वि०) देह रहित II ( पु० ) कामदेव अदैव-सं० (वि०) जो भाग्य या देवताओं द्वारा पूर्वनिर्धारित न हो
अदोष-सं० (वि०) 1 दोषरहित 2 निरपराध
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अदौरी
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अधिक अदौरी-(स्त्री०) उर्द की सुखायी हुई बड़ियां
चरा या खाया हुआ; जमा (वि०) आधा जमा हुआ; अद्दा-I (पु०) किसी वस्तु का आधा अंश II (अ०) जल +सं० (वि०) आधा भरा हुआ; ~जला (वि०) 1 प्रत्यक्ष 2 निस्संदेह
आधा जला हुआ; ~नंगा (वि०) अर्द्धनग्न; ~पक्का अही-(स्त्री०) 1 दमड़ी का आधा 2 मलमल की तरह का (वि०) आधा पक्का हुआ; ~पेट (पु०) आधा पेट; बढ़िया बारीक वस्त्र
-बहिया (स्त्री०) आधी बाँह; बना (पु०) आधा बना अद्भुत-I सं० (वि०) आश्चर्यजनक, अनोखा II (१०) हुआ; बीच (पु०) मॅझधार; -भिड़ा; ~मरा (वि०)
आश्चर्यजनक पदार्थ या घटना। -कर्मा (वि०) देखने में = ~मुआ; (वि०); -मिटा (वि०) आधा मिटा हुआ; अद्भुत लगनेवाला; रस (पु०) काव्य के नौ रसों में एक ~मुंदा (वि०) आधा ढका हुआ; ~मुआ (वि०) आधा रस
मरा हुआ, मृतप्राय; रात; (स्त्री०) आधी रात सेरा अद्भुतालय-सं० (पु०) अजायबघर
(पु०) आधे सेर का बाट अद्भुतोपमा-सं० (स्त्री०) उपमा अलंकार का एक भेद अधन्ना-(पु०), अधन्नी-(स्त्री०) आधे आने का सिक्का अद्य-सं० (अ०) 1 आज 2 अब 3 अभी। पूर्व I (अ०) अधन्य-सं० (वि०) 1 अभागा 2 जो उन्नति न कर रहा हो आज से पहले II (वि०) आज से पहले का
अधम-सं० (वि०) 1 नीच 2 बदमाश 3 पापी 4 निर्लज्ज अद्यतन, अद्यावधिक-सं० (वि०) आज का, चालू, ताज़ा अधमर्ण-सं० (पु०) कर्जदार अद्ययावत-सं० (क्रि० वि०) अब तक
अधमांग-सं० (पु०) पॉव अद्यापि-सं० (अ०) 1 आज भी 2 अब भी 3 आज तक अधमाधम-सं० (वि०) नीचतम या निम्नतम 4 अब तक
अधमुख-(वि०) 1 नीचे की ओर मुँह किए हुए 2 औंधे अध्यावधि-सं० (अ०) इस समय तक
अधमोद्धारक-सं० (वि०) पापियों का उद्धार करनेवाला अद्रव-सं० (वि०) ठोस
अधर-I सं० (वि०) नीचा 2 नीचे का 3 घटिया 4 जिसके नीचे अद्रव्य-I सं० (पु०) तुच्छ वस्तु II (वि०) दरिद्र आधार न हो 5 पराजित II (पु०) नीचे का ओंठ 2 शरीर का अद्रि-सं० (पु०) 1 पर्वत 2 पत्थर
निचला भाग 3 अंतरिक्ष 4 रतिगृह। पान (पु०) होंठ अद्रोह-सं० (पु०) द्वेष रहित। -वृत्ति (स्त्री०) द्रोह रहित चूसना, चुंबन, बुद्धि (वि०) क्षुद्र बुद्धि वाला; रज आचरण
(स्त्री०) होठों की सुर्जी अद्रोही-सं० (वि०) द्रोहरहित
अधरांग-सं० (पु०) कमर के नीचे का अंग अद्वंद्व-सं० (वि०) 1 शत्रुताहीन 2 संघर्ष रहित
अधराधर-सं० (पु०) नीचे का होंठ अद्वय-I सं० (वि०) 1 बेजोड़ 2 अकेला II (पु०) द्वैत का | अधरावलोप-सं० (पु०) होंठ चबाना अभाव
अधरीण-सं० (वि०) 1 अपमानित 2 नीच अद्वा तद्वा-सं० (सर्व०) यह अथवा वह
अधरोत्तर-सं० (वि०) 1 ऊँचा नीचा 2 अच्छा बुरा 3 कमोबेश अद्वार-सं० (पु०) द्वार रहित स्थान
अधरोष्ठ-सं० (पु०) नीचे का होंठ अद्वितीय-सं० (वि.) 1 बेजोड़ 2 अनोखा 3 अकेला अधर्म-सं० (पु०) 1 धर्म-विरुद्ध कार्य 2 पाप 3 अन्याय अद्वेष-[ सं० (वि०) 1निर्वैर 2 शांत II (पु०) द्वेषहीनता अधर्मन-(वि०) हराम का अद्वेषी-सं० द्वेष रहित
अधर्मात्मा, अधर्मी-सं० (वि०) पापी. अद्वैत-सं० (पु०) 1 द्वैत या भेद का अभाव 2 आत्मा परमात्मा अधर्षणीय-सं० (वि०) जो दबाया न जा सके या निर्भय में अभिन्नता। ~वाद (पु०) आत्मा-परमात्मा की एकता का अधवट-(वि०) आधा औटा हुआ सिद्धांत; ~वादी (वि०) अद्वैतवाद को माननेवाला अधवा-सं० (स्त्री०) विधवा अद्वैध-सं० (वि०) 1 जो दो भागों में बंटा न हो 2 अवियुक्त अधश्चर-सं० (पु०) सेंध लगाकर चोरी करनेवाला 3 अच्छा 4 खरा
अधस्तन-सं० (वि०) 1 नीचे का 2 अधीनस्थ अद्वैध्य-सं० अविभाजन योग्य। -मित्र (पु०) असंदिग्ध अधस्तल-सं० (पु०) 1 नीचे का तल, सतह 2 तहख़ाना मित्रता
अधस्थ-सं० (वि०) नीचे रहकर कार्य करनेवाला । अधः-सं० (अ०) नीचे, तले। ~काय (पु०) नाभि के नीचे अधात्विक-सं० (वि०) जिसमें धातु तत्त्व न हो
का शरीर; -पतन; ~पतित (वि०) दुर्दशा ग्रस्त; पात अधात्वीय-सं० (वि०) जो धातु से न बना हो (पु०) नीचे गिरना, गिरावट; ~स्वस्तिक (पु.) अधोबिंदु अंधाधुंध-(क्रि० वि०) बिना सोचे समझे अध-(वि०) आधा। -कचरा; कच्चा (वि०) 1 अपक्व अधारिया-(पु०) बैलगाड़ी में गाड़ीवान के बैठने का स्थान 2 अधूरा 3 अकुशल, ~कछार (पु०) पहाड़ की तलहटी अधारी-I (स्त्री०) आधार II (वि०) अच्छी लगनेवाली की ढालू ज़मीन; -कपारी (स्त्री०) आधे सिर का दर्द; अधार्मिक-सं० (वि०) दुष्कर्मी या पापी ~करिया; ~करी (स्त्री०) मालगुजारी की आधी किश्त; अधावट-(वि०) औटकर आधा किया हुआ ~कहा (वि०) अस्पष्ट रूप से कहा हुआ; खिला अधि-(उप०) ऊपर, अधिक (वि०) अद्धविकसितः खला (वि०) अर्धोन्मीलित; अधिक-सं० (वि०) 1बहुत 2 बढ़ा हुआ 3 साधारण
~गोरा (वि०) यूरेशियन, ऐंग्लोइंडियन; ~गोहआँ (पु०) | 4 अतिरिक्ति। -तिथि (स्त्री०) दो दिन मानी जानेवाली आधे गेह और आधे जौ का मिश्रण; चरा (वि०) आधा | तिथि; ~कोण 90° से ज्यादा तथा 180° से कम
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अधिकतम
का कोण
मास ( पु० ) मलमास
अधिकतम -सं० (वि०) मात्रा तथा संख्या आदि में सर्वाधिक अधिकतर - सं० (वि०) किसी की तुलना में अधिक बड़ा अधिकता - सं० (स्त्री०) 1 बहुतायत 2 विशेषता अधिकर-सं० (पु० ) 1 अधिशुल्क 2 सुपरटैक्स 3 अधिभार अधिकरण-सं० (पु०) 1 कारक में सप्तमी 2 आधार 3 प्रकरण 4 दावा 5 न्यायालय । ~ शुल्क (पु०) कोर्ट फीस; ~ सिद्धांत (पु० ) वह सिद्धांत जिसके सिद्ध होने से अन्य सिद्धांत स्वयं सिद्ध हो जाते हैं अधिकरणिक-सं० ( पु० ) 1 न्यायाधीश 2 अधिकारी अधिकरणी, अधिकर्त्ता - सं० ( पु० ) 1 निरीक्षक 2 अध्यक्ष अधिकरण्य-सं० (पु० ) अधिकार अधिकर्द्धि--सं० (वि०) समृद्धिशाली अधिकर्म-सं० (पु० ) निगरानी अधिकर्मिक-सं० (पु०) चुंगी वसूलनेवाला अधिकारी अधिकर्मी - (पु०) मज़दूरों के ऊपर निगरानी करनेवाला, मेट अधिकांश - I सं० (पु०) बड़ा भाग II (वि०) अधिकतर III (अ०) अकसर
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अधिकांशतः, अधिकांशतया सं० (क्रि० वि०) अधिक अंशों में, प्रायः
अधिकाधिक-सं० (वि०) ज्यादा से ज्यादा अधिकार-सं० (पु० ) 1 प्रभुत्व 2 हक़ 3 स्थान 4 कब्ज़ा 5 हुकूमत 6 विषय । ~करना (पु० ) शासन करना; जमाना (पु० ) कब्ज़ा करना; ~ क्षेत्र (पु० ), ~ सीमा (स्त्री०) कार्यक्षेत्र और उसकी सीमा;
च्युत (पु०) अधिकार से वंचित ~ त्याग (पु० ) अपना अधिकार छोड़कर अलग हो जाना; पत्र (पु०) शासन द्वारा प्राप्त अधिकारों का सूचक पत्र; पात्र पूर्ण (वि०) अधिकार की योग्यता रखनेवाला; पूर्वक ( क्रि० वि०) अधिकार के साथ; प्राप्त युक्त (वि०) जिसे अधिकार मिला हो; ~लोप (पु० ) अधिकार न रह जाना; ~ लोलुप (वि०) अधिकार पाने का लोभी; ~ लोलुपता (स्त्री०) अधिकार पाने का लोभ; ~वाद (पु०) सत्ताधारी की आज्ञा का चुपचाप पालन करने का सिद्धांत; ~सहित (क्रि० वि०) अधिकार के साथ, साधिकार
अधिकारारूढ़ -सं० (वि०) 1 अधिकारी 2 अधिकार प्राप्त, अधिकार सम्पन्न
अधिकारिणी-सं० (स्त्री०) अधिकारी स्त्री अधिकारिता-सं० (स्त्री०) अधिकारी होने का भाव अधिकारी राज्य-सं० अफ़सरों का शासन अधिकारी वर्ग-सं० अफ़सर लोग अधिकारी - I सं० (वि०) अधिकार रखनेवाला II ( पु० ) 1 शासक 2 अफ़सर । तंत्र (पु० ) अफ़सरों द्वारा शासन चलाने की पद्धति
अधिकार्थ - सं० (पु० ) अर्थ की विशेषता अधिकृत - I सं० (वि०) 1 अधिकार में आया हुआ 2 अधिकार संपन्न II ( पु० ) अधिकारी
अधिकृति - सं० (स्त्री०) अधिकार अधिकोष-सं० (पु०) बैंक
अधिकोषण, अधिकोषण कार्य-सं० पैसे का कारबार
अधिप्रचारक
अधिक्रम, अधिक्रमण-सं० (पु० ) 1 आरोहण 2 हमला अधिक्रांत-सं० (वि०) 1 अधिकार में लिया हुआ 2 जिसे दबा दिया गया हो
२
अधिक्रांति-सं० (स्त्री०) अधिकार छीन लेना अधिक्षिप्त-सं० (वि०) 1 अपमानित 2 फेंका हुआ 3 नियत किया हुआ
अधिक्षेत्र - सं० (पु० ) अनेक कार्य, व्यवहार एवं प्रयोग का क्षेत्र अधिक्षेप-सं० (पु० ) 1 फेंकना 2 अपमान 3 व्यंग्य अधिगणन-सं० ( पु० ) 1 गिनना 2 ज्यादा कीमत लगाना अधिगत-सं० (वि०) 1 प्राप्त 2 ज्ञात, समझा हुआ अधिगम - सं० ( पु० ) 1 प्राप्ति 2 सीखना, जानना 3 पहुँच, गति 4 स्वीकार
अधिगमन -सं० (पु० ) 1 व्याख्या 2 अध्ययन अधिगुप्त-सं० (वि०) 1 सुरक्षित 2 छिपाया हुआ अधिगृहीत -सं० ज़बरदस्ती पाया हुआ
अधिग्रहण - सं० ( पु० ) अधिकार द्वारा ले लेना, कब्ज़ा अधिग्राहक-सं० (पु०) वैधानिक रूप से अधिकार करनेवाला अधिज-सं० (वि०) जनमा हुआ
अधिजनन सं० (पु० ) जन्म अधित्यिका-सं० (स्त्री०) पहाड़ के ऊपर की समतल भूमि, गिरिप्रस्थ
अधिदंत - ( पु० ) दाँत के ऊपर निकला दाँत अधिदर्शक-सं० (पु० ) माइक्रोस्कोप अधिदान-सं० (पु० ) साधारण से अधिक दान अधिदेय - सं० (पु० ) साधारण से अधिक दिया जानेवाला रुपया अधिदेव - सं० (पु०) 1 कुलदेवता 2 देवाधिप अधिदैव - I सं० (पु० ) प्रधानदेव II (वि०) देव संबंधी अधिदैविक-सं० (वि०) सूर्य चंद्रमा आदि या प्रकृति से होनेवाला
अधिनहन -सं० (पु० ) अपने राज्य में मिला लेना अधिनायक -सं० (पु० ) 1 मुखिया 2 निरंकुश शासक,
तानाशाह । ~ तंत्र (पु० ) निरंकुश शासन तंत्र राज्य; ~वादी (वि० / पु० ) निरंकुश शासन में विश्वास रखनेवाला अधिनायकी-सं० (स्त्री०) अधिनायक का पद या कार्य अधिनियम -सं० (पु० ) विधान के अंतर्गत बनाया गया नियम, ऐक्ट
अधिनियमन -सं० ( पु०) अधिनियम बनाने का काम अधिनिर्णयन-सं० (पु०) निर्णायक बनकर फैसला करना अधिनिष्कासन -सं० (५०) कानून के आधार पर बाहर निकालना
अधिन्यास - सं० (पु० ) दान आदि का सौंपना अधिप-सं० ( पु० ) 1 मालिक 2 राजा अधिपति - सं० (पु० ) 1 स्वामी 2 प्रधान 3 शासक अधिपत्नी-सं० (स्त्री०) 1 स्वामिनी 2 शासिका अधिपत्र - ( पु० ) 1 अधिकार-पत्र 2 वारंट
अधिपद - सं० (पु० ) 1 स्वतंत्र पद 2 नियमावली का कोई भाग अधिपुरुष - सं० (पु० ) पुरुषोत्तम या परमेश्वर अधिप्रचार-सं० (पु०) सिद्धांत या मत के लिए किया जानेवाला प्रचार
अधिप्रचारक - सं० (पु० ) मत या सिद्धांत का प्रचार करनेवाला
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अधिप्रज
अधिप्रज-सं० (वि०) अधिक संतान पैदा करनेवाला अधिभार - सं० (पु० ) अतिरिक्त कर
अधिभू-सं० (पु० ) 1 स्वामी या ईश्वर 2 प्रधान व्यक्ति अधिभूत - I सं० (वि०) भूत संबंधी II ( पु० ) 1 ब्रह्म या उसकी माया 2 जड़ जगत् । ~वाद (पु०) जड़वाद; (पु०/वि०) जड़वादी
वादी
अधिभोजन-सं० (पु० ) अत्यधिक खाना या अति भोजन अधिमत - सं० ( पु०) सर्वमान्य मत या सिद्धांत अधिमास-सं० (पु० ) 1 आँख या मसूड़ों का रोग 2 मस्सा अधिमात्र सं० (वि०) 1 अत्यधिक 2 परिमाण से अधिक अधिमान-सं० (वि०) 1 अधिक मान-सम्मान 2 प्राथमिकता अधिमान्य-सं० (वि०) अधिक सम्मान योग्य अधिमानित-सं० (वि०) दूसरों से अच्छा समझा गया अधिमान्यता-सं० (स्त्री०) अति आदर एवं सम्मान अधिमास - सं० (पु० ) हर तीसरे वर्ष बढ़नेवाला चांद्रमास अधिमुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रवृत्ति 2 विश्वास अधिमुद्रण - सं० (पु० ) 1 अधिक छापना 2 ऊपर की छपाई अधिमूल्य-सं० (पु०) साधारण मूल्य से अधिक मूल्यवाला अधिमूल्यन - सं० (पु०) (सिक्के आदि का) मूल्य बढ़ाना अधियाचक-सं० (वि०) अधिकारपूर्वक माँगनेवाला अधियाचन -सं० (पु० ) अधिकारपूर्वक माँगना अधियाना-(स० क्रि०) आधा-आधा बाँट देना 1 आधे का हिस्सेदार 2 जमींदार या
अधियार - (पु० )
काश्तकार
अधियारी- (स्त्री०) संपत्ति या जायदाद में आधी हिस्सेदारी अधियुक्त-सं० (वि०) वेतन या मजदूरी पर कार्य करनेवाला अधियुक्ति - सं० (स्त्री०) जीविका निर्वाह हेतु कार्य में लगे
रहना
अधियुक्ती - सं० (पु० ) काम पर लगा हुआ अधियोक्ता, अधियोजक-सं० (पु०) काम पर रखनेवाला अधियोजन-सं० ( पु० ) काम लगाना या लगवाना अधियोजनालय -सं० ( पु० ) रोजगार कार्यालय अधिरथ - I सं० (वि०) रथारूढ़ II ( पु० ) सारथि 2 कर्ण को पालनेवाला सूत
अधिराज -सं० (पु० ) सम्राट महाराजा
अधिराज्य-सं० (पु० ) उपनिवेश
अधिराट् -सं० (पु० ) 1 राज्य का स्वामी 2 प्रमुख सत्ताधारी अधिरूढ़-सं० (वि०) 1 चढ़ा हुआ 2 बढ़ा हुआ अधिरूपण-सं० (पु० ) कृत्रिमता द्वारा वस्तु विशेष के वास्तविक रूप को बढ़ा चढ़ाकर कहना अधिरोपण-सं० (पु० ) अभियोग लगाया जाना अधिरोपित सं० (वि०) जिसपर आरोप लगाया गया हो अधिरोह - I सं० ( पु० ) 1 चढ़ना 2 सीढ़ी II ( वि०) चढ़ा हुआ
अधिरोहण -सं० (पु० ) 1 ऊपर चढ़ना 2 धनुष पर प्रत्यंचा
चढ़ाना
अधिलंबन -सं० ( पु० ) 1 आवश्यकता से ज्यादा बढ़ाना 2 अनावश्यक रूप से अधिक समय लगाना अधिलाभ-सं० (पु० ) अतिरिक्त मुनाफ़ा अधिलोक - I सं० ( पु० ) 1 विश्व 2 ब्रह्मांड II ( वि० )
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अधीन
ब्रह्मांड संबंधी
अधिवक्ता-सं० (पु०) एडवोकेट
अधिवचन -सं० (पु० ) 1 पक्ष समर्थन 2 उपाधि 3 अत्युक्ति अधिवर्ष-सं० (पु०) 1 मलमास वर्ष 2 लीप ईयर अधिवसित-सं० (वि०) बसा हुआ
अधिवाचन - (पु० ) नामजदगी या निर्वाचन
अधिवास - सं० (पु० ) 1 बाद का निवास 2 नागरिकता 3 बस्ती 4 विलंब तक ठहरना 5 सुगंध अधिवासित-सं० (वि०) सुगंधित अधिवासी - (वि० ) 1 आकर
बसनेवाला 2 सुवासित
करनेवाला अधिवृद्धि-सं० (स्त्री०) आवश्यकता से अधिक की वृद्धि अधिवेत्ता-सं० (पु०) एक पत्नी के रहते दूसरे शादी करनेवाला व्यक्ति
अधिवेदन -सं० (पु०) एक स्त्री के रहते दूसरा विवाह करना अधिवेशन -सं० (पु० ) 1 बैठक 2 सम्मेलन 3 बैठकों का सत्र अधिशस्त सं० (वि०) कुख्यात
अधिशासन-सं० नियंत्रण - युक्त शासन
अधिशासी-सं० (वि० / पु० ) 1 प्रशासक 2 नियंत्रक अधिशिक्षक-सं० (पु० ) ( शिक्षण संस्था का ) प्रधान
अध्यापक
अधिशुल्क-सं० (पु० ) अतिरिक्त शुल्क अधिशेष-सं० (पु० ) अतिरिक्त शेष, बकाया अधिशोषण-सं० (पु० ) 1 बहुत अधिक सोखना 2 अधिक शोषण
अधिश्रय-सं० ( पु० ) आधार
अधिश्राम -सं० (पु०) दीर्घकालीन अवकाश अधिश्रावक -सं० (पु० ) माइक्रोफ़ोन अधिश्रित-सं० (वि०) 1 अग्नि पर रखा हुआ 2 आरूढ़ अधिष्ठाता-सं० (पु० ) 1 देखभाल करनेवाला, अध्यक्ष 2 नियामक 3 प्रधान, मुखिया 4 ईश्वर अधिष्ठात्री -सं० (स्त्री० ) 1 माता 2 अध्यक्षा 3 देवी अधिष्ठान सं० (पु० ) 1 रहने का स्थान 2 आधार 3 आश्रय 4 संस्था । ~ शरीर (पु० ) सूक्ष्म शरीर अधिष्ठापन -सं० ( पु०) व्यवस्था करना अधिष्ठित -सं० (वि०) 1 स्थित 2 स्थापित 3 अधिकृत अधिसंख्य-सं० (वि०) संख्या में अधिक अधिसमय-सं० ( पु० ) प्रथा
अधिसूचना -सं० (पु० ), प्रशासनिक सूचना- (स्त्री०) विशेष सूचना, विज्ञप्ति
अधिहरण-सं० (पु० ) 1 जब्त करना 2 हथिया लेना अधीक्षक-सं० (पु० ) ( कार्यालय का) प्रधान अधिकारी, सुपरिन्टेन्डेन्ट
अधीक्षण-सं० (पु० ) अधीनस्थ कर्मचारियों के काम को देखना
अधीत-सं० (वि०) 1 पढ़ा हुआ 2 जिसका अध्ययन किया गया हो
अधीति-सं० (स्त्री०) जिसका अध्ययन अच्छा हो, पढ़ाई अधीन -सं० (वि०) 1 मातहत 2 आश्रित । ~स्थ (वि०) अधीन रहनेवाला
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अधीनता
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अध्यारूढ़
अधीनता-सं० (स्त्री०) 1 परवशता 2 दीनता
कपड़ा। तनना पेट खूब भर जाना; ~तानना पेट भरकर अधीनस्थ-सं० (वि०) अधीन
या छककर खाना अधीनीकरण-सं० (पु०) परतंत्र बनाना
अध्मान-सं० (पु०) अफराव अधीर-सं० (वि०) 1 धैर्यरहित 2 परेशान 3 अस्थिरचित्त अध्यक्ष-I सं० (वि०) गोचर या दृश्य || (पु०) 1 स्वामी अधीरता-सं० (स्त्री०) धैर्य का अभाव
2 नियामक 3 मुख्य अधिकारी, प्रधान 4 अधिष्ठाता अधीश, अधीश्वर-सं० (पु०) 1 मालिक 2 राजा 3 प्रभु 5 लोकसभा का स्पीकर । ता (स्त्री०) अध्यक्ष होने की अधीश्वरी-सं० (स्त्री०) शासिका
अवस्था; ~त्व; ~पद (पु०) अध्यक्ष का पद; पदीय अधुना-सं० (अ.) 1 अब 2 इस समय 3 इन दिनों (वि०) अध्यक्ष पद से संबधित; ~मंडल (पु०), अधुनातन-सं० (वि०) आजकल का, आधुनिक, अब का, ~मंडली (स्त्री०) अध्यक्षों को परिषद् हाल का
अध्यक्षर-I सं० (पु०) 'ओम' मंत्र II (अ०) अक्षरशः अधुर-सं० (वि०) चिंतारहित
अध्यक्षासन-सं० (पु.) अध्यक्ष की कुर्सी या आसन अधूत-सं० ढीठ
अध्यक्षीय-सं० (वि.) अध्यक्ष का अधूरा-(वि०) 1 अपूर्ण 2 अस्पष्ट । -जाना असमय गर्भपात अध्यग्नि-सं० (पु.) अग्नि को साक्षी कर कन्या को दिया जाने होना
वाला धन अधृप्त-सं० (वि०) 1 धारण न किया हुआ 2 अनियंत्रित | अध्ययन-सं० (पु०) पढ़ाई। कक्ष (पु०) पढ़ने का कमरा; अघष्ट-सं० (वि०.1 जो ढीठ न हो 2 सलज्ज 3 विनम्र ~काल (पु०) पढ़ने का समय; ~गत (वि०) पढ़ने में अधेड़-(वि०) ढलती उम्र का
आया हुआ; ~भवन (पु०) अध्ययन करने का मकान; अधेला-(पु०) आधा पैसा
~वर्ष (पु०) पढ़ाई का साल; ~शाला (स्त्री०) पढ़ाई का अधेली-(स्त्री०) अठन्नी
स्थान; ~शील (वि.) पढ़ाकू; -शुल्क (पु०) पढ़ाई की अधैर्य-I सं० अधीरता II (वि०) 1 धैर्यरहित 2 आतुर फ़ीस अधोगति-सं० (स्त्री०) 1 = अधःपतन 2 दुर्दशा
अध्ययनावकाश-सं० (पु०) पढ़ाई से छुट्टी अधोगमन-सं० (पु०) 1 गिरावट 2 दुर्गति 3 नरक जाना अध्ययनीय-सं० (वि०) अध्ययन करने योग्य अधोगामी-सं० (वि०) 1 नीचे जानेवाला 2 पतनोन्मुख अध्यर्थ-सं० (पु०) वह वस्तु जिस पर अधिकार जतलाया जाए अधोग्रसनी-सं० (स्त्री०) गले का निचला भाग
अध्यर्थन-सं० (पु०) दावा, अधिकार अधोतर-(पु०) दोहरी बुनावट का एक देशी कपड़ा अध्यर्द्ध-I सं० (वि०) डेढ़ II (पु०) वायु अधोदिशा-सं० (स्त्री०) निचली तरफ़
अध्यवसान-सं० (पु०) 1 निश्चय 2 प्रयत्न अधोदेश-सं० (पु०) नीचे का भाग या स्थान
अध्यवसाय-सं० (पु०) 1 उद्यम 2 परिश्रम 3 उत्साहपूर्ण लगन अधोपतन-सं० (पु०) नीचे गिरना
अध्यवसायी सं० (वि०) 1 उत्साही 2 उद्यमशील 3 परिश्रमी अधोबंधन-सं० (पु०) नीचे बाँधना ।
अध्यवसित-सं० (वि०) जिसके लिए प्रयत्न किया गया हो अधोभाग-सं० (पु०) नीचे का भाग
अध्यशन-सं० (पु०) अधिक खा जाना 2 अजीर्ण अधोभुवन-सं० (पु०) पाताल लोक
अध्यस्त-सं० (वि०) 1 आरोपित 2 भ्रमवश प्रतीत अधोभूमि-सं० (स्त्री०) पर्वत के नीचे की भूमि
अध्यांतरिक-सं० (वि०) = अध्यात्म अधोमंडल-सं० (पु०) निचला वायुमंडल
अध्यात्म-सं० (पु०) आत्मा संबंधी या आत्मा परमात्मा के अधोमार्ग-सं० (पु०) 1 नीचे का मार्ग 2 रंग का मार्ग संबंध में चिन्तन-मनन । ज्ञान (पु०) आत्मा संबंधी ज्ञान; अधोमुख-सं० (वि०) 1 जिसका मुख नीचे हो 2 औंधा ~वाद (पु०) अध्यात्म संबंधी सिद्धांतों को मानना; ~वादी अधोमूल्यन-सं० (पु०) कम मूल्य लगाना
(वि०) अध्यात्मवाद का अनुयायी; -विद्या (स्त्री०) आत्मा अधोरेखन-सं० (पु०) वाक्य या शब्द के नीचे रेखा खींचना एवं परमात्मा का विचार करनेवाला शास्त्र अधोरेखा-सं० (स्त्री०) नीचे की रेखा
अध्यादेश-सं० (पु०) आर्डिनेंस, प्रधान शासक की आज्ञा अधोलंब-सं० (पु०) 1 साल 2 लटकन 3 ग० खड़ी रेखा जो अध्यापक-सं० (वि०) पढ़ानेवाला, शिक्षक। -कक्ष (पु०) आड़ी रेखा पर गिरकर दो समकोण बनाए,
शिक्षकों का कमरा; अधोलंबित-सं० (वि०) नीचे लटका हआ
अध्यापकी-सं० +हिं० (स्त्री०) 1शिक्षणकार्य या पठन अधोलिखित-सं० (वि०) नीचे लिखा हुआ
2 अध्यापक का पेशा अधोलोक-सं० (पु०) नरक, पाताल
अध्यापन-सं० (पु०) पढ़ाना। ~कार्य (पु०) पढ़ाने का अधोवदन-सं० (वि०) नीचे मुँह किये हुए
काम; ~शास्त्र (पु०) शिक्षण शास्त्र अधोवर्ती-सं० (वि०) 1 नीचे रहनेवाला 2 निम्न
अध्यापिका-सं० (स्त्री०) शिक्षिका अधोवस्त्र-सं० (पु०) धोती, लुंगी
अध्यापित-सं० (वि०) पढ़ाया हुआ अधोवायु-सं० (स्त्री०) अपान वायु, पाद
अध्याय-सं० (पु०) 1 पुस्तक का भाग 2 पाठ 3 प्रकरण अधोविंदु-सं० (पु०) पैर के नीचे का निशान
अध्यायी-I सं० (वि०) अध्ययन में संलग्न II (पु०) अधोहस्ताक्षरी-सं० (पु०) नीचे हस्ताक्षर करनेवाला विद्यार्थी, छात्र अधोड़ी-(स्त्री०) 1 आधा सिझाया हआ चमड़ा 2 मोटा | अध्यारूढ़-सं० (वि०) 1 ऊपर चढ़ा हुआ 2 श्रेष्ठ
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अध्यारोप
अनधिकारी
अध्यारोप-सं० (पु०) 1 ज़बरदस्ती लादना (सिद्धांत, मत) अनंबर-सं० (वि०) वस्त्रहीन, नंगा 2 निराधार कल्पना
अनंश-सं० (वि०) 1 जिसका कोई भाग न हो 2 भाग रहित अध्यारोपण-सं० (पु०) 1 दोष या कलंक लगाना 2 भ्रमवश अन-I (पु०) श्वास-प्रश्वास II (उप०) बिना गुण-दोष आरोपित करना 3 लादना
(जैसे-अनपढ़) अध्यारोपित-सं० (वि०) एक जगह से दूसरी जगह लगाना अनऋतु-सं० (स्त्री०) अनुपयुक्त समय अध्यास-सं० (पु०) 1 मिथ्या ज्ञान 2 भ्रांत ज्ञान 3 धोखा अनकरीब-अ० (अ०) 1 शीघ्र 2 करीब-करीब, प्रायः 3 पास अध्यासन-सं० (पु०) 1कब्ज़ा 2 अधिकार
अनकहा-(वि०) बिना कहा हुआ। अनकही देना चुप रहना; अध्यासीन-सं० (वि०) उच्च स्थान पर बैठना
अनकही बातें निरर्थक चुगली अध्याहार-सं० (पु०) 1 तर्क-वितर्क, ऊहापोह 2 शब्द को अनक्षर-सं० (वि०) 1 निरक्षर 2 मूर्ख 3 गूंगा वाक्य या पदों को पूरा करने के लिए ऊपर से जोड़ लेना अनीक्षक-सं० (वि०) बिना आँख का, अंधा 3 अनुमान से अर्थ निकालना
अनख-(पु०) 1 नाराज़गी, क्रोध 2 ग्लानि 3 झंझट अध्याहृत-सं० (वि०) 1 जोड़ा हुआ 2 अनुमानित अनखाना-I (अ० क्रि०) रुष्ट होना II (स० क्रि०) रुष्ट अध्यूढ-सं० (वि०) 1 उच्च 2 समृद्ध
करना • अध्यूढा-सं० (स्त्री०) 1 प्रथम विवाहिता स्त्री 2 विवाहपूर्व गर्भ | अनखी-(वि०) क्रोधी धारण करनेवाली
अनखुला-(वि०) 1 ढका हुआ 2 अज्ञात कारणवाला अध्येता-सं० (पु०) अध्ययन करनेवाला, पाठक
अनगढ़-(वि०) 1 बिना गढ़ा हुआ बेडौल 3 उजड्ड अध्येय-सं० (वि०) पढ़े जाने योग्य
अनगवना-(अ० क्रि०) जान बूझकर देर करना अध्येषणा-सं० (स्त्री०) निवेदन या याचना
अनगार-सं० (वि०) गृहरहित अध्रुव-सं० (वि०) 1 अनिश्चित या अस्थिर 2 अनित्य | अनगिनत-(वि०) बे हिसाब 3 संदिग्ध
अनगिना-(वि०) जिसकी गिनती न की जा सके अध्वर-I सं० (पु०) 1 यज्ञ 2 आकाश II (वि०) अनगुत्ते-(क्रि० वि०) सूर्य निकलने से पहले 1 अकुटिल 2 स्थिर 3 अचंचल
अनघ-I सं० (वि०) 1 पवित्र 2 निरापद 3 शोकहीन II अध्वर्यु-सं० (पु०) 1 यजुर्वेद के अनुरूप कर्म करने वाला (पु०) पुण्य 2 यज्ञ का संपादन करनेवाला
अनघड़-(वि०) बिना गढ़ा हुआ अनंग-I सं० (वि०) 1 देहरहित 2 आकृतिहीन II (पु०) अनचाहा-(वि०) अवांछित 1 कामदेव 2 आकाश 3 मन। क्रीड़ा (स्त्री०) कामक्रीड़ा; अनचीता-(वि०) 1 बिना सोचा हआ 2 अनचाहा
ल्वती (स्त्री०) कामवासना से युक्त स्त्री, कामिनी अनचीन्हा-(वि०) अनपहचाना, अपरिचित अनंगी-सं० (वि०) अशरीरी।.~करण (पु०) 1 अनंगी अनच्छ-सं० (वि०) मलिन
भाव 2 अस्वीकार करना; ~कार (पु०) अस्वीकार अनजान-I (वि०) 1 अज्ञान 2 न जाननेवाला 3 अपरिचित II अनंत-[ सं० (वि०) 1 जिसका अंत न हो 2 असीम 3 अक्षय (पु०) अज्ञानावस्था II (पु०) 1विष्णु 2 कृष्ण 3 शिव 4 शेषनाग 5 आकाश अनजाने-(क्रि० वि०) अनजान में या बिना जाने हुए 6 बाँह का एक गहना। ~कालीन (वि०) अनंत समय का; | अनजोखा-(वि०) न तौला हुआ -चतुर्दशी (स्त्री०) भाद्रशुक्ला चतुर्दशी; राशि (स्त्री०) | अनत-सं० (वि०) 1न झुका हुआ 2 सीधा असीम राशि; ~रूप (वि०) अनगिनत रूपोंवाला; अनति-I सं० (स्त्री०) 1 अविनम्र 2 घमंड II (वि०) थोड़ा ~शक्ति (वि०) सर्वशक्तिमान
अनतिक्रम-अनुल्लंघन अनंतक-सं० (वि०) 1 असीम 2 नित्य
अनतिक्रमणीय-(वि०) जिसका उल्लंघन न हो सकता हो अनंतता-सं० (स्त्री०) अंतहीनता, अनंत होना
अनतिख्यात-(वि०) थोड़ा प्रसिद्ध अनंतर-I सं० (अ०) 1 तुरंत बाद 2 पीछे II (वि०) अंतर अनतिगोचर-(वि०) जिसे देखा न जा सकता हो रहित 2 लगा हुआ 3 पास का III (पु०) सामीप्य 2 ब्रह्म। अनतिपूर्व-(क्रि० वि०) थोड़ा ही पहले ~ज (पु०) क्षत्रिय या वैश्य माता के गर्भ तथा ब्राह्मण या अनदेखा-(वि०) न देखा हुआ .
क्षत्रिय पिता से उत्पन्न, छोटा या बड़ा भाई या बहन अनद्य-I सं० (पु०) सफ़ेद सरसों II (वि०) न खाने योग्य अनंतरित-सं० (वि०) 1 अखंडित 2 जिसमें अंतर न पड़ा हो | अनद्यतन-सं० (वि०) 1 आज के दिन का नहीं? आज से 3जिसे बदल न दिया गया हो
पहले या पीछे का (~भविष्य, ~भूतकाल) अनंतरीय-सं० (वि०) वंशक्रम में ठीक बाद का अनधिक-सं० (वि०) जो अधिक न हो 2 असीम 3 पूर्ण अनंतर्हित-सं० (वि०) जो भीतर न आ पाया हो अनधिकार-I सं० (पु०) अधिकार या योग्यता एवं पात्रता का अनंता-सं० (स्त्री०) 1 पृथ्वी 2 पार्वती
अभाव II (वि०) अधिकार रहित। चर्चा (स्त्री०) बिना अनंतानुबंधी-सं० (पु०) कभी न मिटनेवाला दोष (जैन) सोचे समझे किसी विषय में बोलना; चेष्टा (स्त्री०) अनंतिम-सं० (वि०) 1 जो अंत में न हो 2 अस्थायी अधिकार रहित कार्य करना; ~पूर्वक (क्रि० वि०) बिना अनंती-सं० (स्त्री०) स्त्रियों की बांह का गंडा
अधिकार के; ~प्रवेश (पु०) बिना अधिकार के भीतर जाना अनंत्य-[ सं० (वि०) 'असीम II (पु०) नित्यता | अनधिकारी-सं० (वि०) अधिकार न रखनेवाला
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अनधिकृत
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अनय
अनधिकृत-सं० (वि०) 1 जो अधिकार में न किया गया हो । अनपराध-सं० (वि०) निर्दोष, बेकसूर 2 जिसे अधिकार न मिला हो
अनपाकरण-सं० (पु०) 1 इकरार पूरा न करना 2 कर्ज़ न अनधिगत-सं० (वि०) 1न जाना हुआ 2 अप्राप्त
चुकाना अनधिगम्य-सं० (वि०) 1 पहँच के बाहर 2 दुष्पाप्य 3 अज्ञेय अनप.य-I सं० (वि०) क्षयरहित II (पु०) अनश्वरता, अनधियुक्त-सं० (पु०) बेरोजगार
नित्यता अनधियुक्ति-सं० (स्त्री०) बेरोजगारी
अनपायी-सं० (वि०) 1 अचल 2 अविकारी अनधिष्ठित-सं० (वि०) जिसकी नियुक्ति न हुई हो अनपेक्ष-सं० (वि०) 1 चाह न रखनेवाला 2 उदासीन, तटस्थ अनधीन-सं० (वि०) स्वाधीन
3निष्पक्ष अनधुला-(वि०) जो धुला न हो, कोरा
अनपेक्षा-सं० (स्त्री०) अनिच्छा या बे-परवाही अनध्यक्ष-सं० (वि०) 1 इंद्रियरहित ज्ञान 2 शासकहीन अनपेक्षित, अनपेक्ष्य-सं० (वि०) जिसकी चाह या परवाह न अनध्ययन-सं० (पु०) अध्ययन न करना अनध्यवसाय-सं० (पु०) अध्यवसाय का अभाव
अनपेत-सं० (वि०) अव्यतीत अनध्याय-सं० (पु०) 1 पढ़ाई न होना 2 अवकाश, छुट्टी अनबन-(स्त्री०) 1 बिगाड़ 2 झगड़ा अनध्यास-सं० (वि०) जो भूल गया हो, विस्मृत
अनबनाव-(पु०) स्वाभाविकता अननुकरणीय-सं० (वि०) जो अनुकरण योग्य न हो अनबिका-(वि०) बिना बिका हुआ अननुकूल-सं० (वि०) 1 जो अनुकूल न हो 2 उल्टा अनबिधा-(वि०) बिना बेधा हुआ अननुज्ञात, अननुज्ञापित-सं० (वि०) 1 जिसकी अनुमति न | अनबूझ-(वि०) नासमझ या नादान मिली हो 2 अस्वीकृत
अनबेधा-(वि०) बिना छेदा हुआ अननुनासिक-सं० (वि०) जो नासिका से न बोला जाता हो अनबोल, अनबोला, अनबोलता-(वि०) 1 न बोलनेवाला अननुभवनीय-सं० (वि०) जो अनुभव योग्य न हो 2 बे-जबान अननुभाषण-सं० (पु०) 1 मौन स्वीकृति 2 एक निग्रह स्थान अनब्याहा-(वि०) अविवाहित अननुभूत-सं० (वि०) जिसका अनुभव न किया गया हो अनभिग्रह-[सं० (वि०) भेदभाव रहित II (पु०) एकरूपता अननुमत-सं० (वि०) 1जिसकी स्वीकृति न मिली हो अनभिज्ञ-सं० (वि०) 1 मूर्ख 2 अनजान, अपरिचित 2 अयोग्य
अनभिप्रेत-सं० (वि०) 1 सोचे हुए के विरुद्ध 2 अनिष्ट अननुमेय-सं० (वि.) जिसका अनुमान न हो सके अनभिभव-सं० निरादर का अभाव, सम्मान अननुमोदन-सं० (पु०) समर्थन न होना
अनभिभूत-सं० (वि०) 1 अपराजित 2 अबाधित अननुरूप-सं० (वि०) जो किसी के अनुरूप या उपयुक्त न हो अनभिमत-सं० (वि०) 1असम्मत 2 अप्रिय अनन्नास-(पु०) एक खटमीठा फल
अनभिलषित-सं० (वि०) अवांछित अनन्य-सं० (वि०) 1 एकनिष्ठ, एकाश्रयी 2 एकमात्र 3 अभिन्न अनभिलाष, अनभिलाषी-जिसे कोई कामना या इच्छा न हो 4 अद्वितीय 5 एकाग्र। ~गति (स्त्री०) एकमात्र सहारा; अनभिवाद्य-सं० (वि०) अभिवादन के अयोग्य
~गामी (वि०) केवल एक के पास जानेवाला; चित्त अनभिव्यक्त-सं० (वि०) अस्पष्ट या गुप्त (वि०) एकाग्रचिंत; दृष्टि (वि०) जिसकी दृष्टि दूसरे पर न अनभिसंधान-सं० (पु०), अनभिसंधि (स्त्री०) प्रयोजन का लगी हो; ~परता (स्त्री०) 1 एक परायण होना 2 स्वाधीनता; __ अभाव
पूर्व (पु०) जिसके और कोई स्त्री न हो; पूर्वा (स्त्री०) अनभिहित-सं० (वि०) 1जिसका नाम न लिया गया हो कुमारी कन्या; ~भाव (पु०) एकनिष्ठ भक्ति या साधना; 2 अकथ ~मनस्क, ~मना (वि०) दत्तचित्त; वृत्ति (वि०) अनभ्यस्त-सं० (वि०) 1 अपरिपक्व 2 अनाभ्यास 1 एकनिष्ठ मनोवृत्तिवाला 2 जिसकी दूसरी आजीविका न हो; अनभ्यास-सं० (पु०) 1 अनुशीलन 2 अभ्यास का अभाव साधारण; ~सामान्य (वि०) असाधारण
अनभ्यासी-सं० (वि०) अभ्यास न करनेवाला अनन्याधिकार-सं० (पु०) एकाधिकार
अनभ्र-सं० (वि०) मेघरहित। वज्रपात (पु०) अचानक अनन्वय-सं० (पु०) 1 अन्वय या संबंध का अभाव 2 एक आनेवाली विपत्ति; ~वृष्टि (स्त्री०) बिना बादल की वर्षा अर्थालंकार जिसमें उपमेय स्वयं उपमान होता है
2 अप्रत्याशित लाभ या प्राप्ति अनन्वित-सं० (वि०) 1 असम्बद्ध 2 असंगत
अनमन-(वि०) न झुकना अनपकरण-सं० (पु०) 1 नुकसान न पहँचाना 2 कर्ज़ न देना अनमना-(वि०) 1 खिन्न 2 अस्वस्थ । पन (पु०) 1 उदासी अनपकार-सं० (पु०) 1 अपकार का अभाव 2 निदोषिता 2 रुखापन अनपकारीसं० (वि०) बेगुनाह
अनामाँगा-(वि०) बिना माँगा हआ या अयाचित अनपकर्ष-सं० (पु०) अवनति का अभाव
अनमिख-(क्रि० वि०) = अनिमेष अनपच-(पु०) बदहजमी
अनमेल-(वि०) बेमेल। -पन (पु०) बेमेल होना अनपढ़-(वि०) निरक्षर
अनमोल-(वि०) 1 अमूल्य 2 कीमती अनपत्य-सं० (वि०) 1संतानहीन 2 जिसका कोई उत्तराधिकारी | अनम्र-सं० (वि०) 1 अविनीत 2 उदंड 3 घमंडी
अनय-सं० (पु०) 1 अनीति 2 अन्याय 3 दुर्नीति 4 दुराचार
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अनरजिस्टर्ड
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अनागत
अनरजिस्टर्ड-अं० अपंजीकृत
अनवसान-सं० (वि०) 1 अंत रहित 2 मृत्यु रहित 3 जिसकी अनरस-I(पु०) 1 रस रहित 2 रूखाई 3 रोष 4 दुःख II समाप्ति न हो (वि०) नीरस
अनवसित-सं० (वि०) जो अस्त न हुआ हो अनरितु-(स्त्री०) बिना ऋतु की (वर्षा)
अनवस्कर-सं० (वि०) मलरहित, शुद्ध अनरीति-हिं० सं० (स्त्री०) 1 कुरीति 2 अनुचित व्यवहार अनवस्थ-सं० (वि.) 1 अस्थिर 2 अव्यवस्थित 3 डाँवाडोल अनर्गल-सं० (वि०) 1बे-सिर-पैर का 2 अनियंत्रित अनवस्था-सं० (स्त्री०) 1 अव्यवस्था 2 अस्थिरता 3मनमाना
3चरित्रभ्रष्टता अनर्घ-I सं० (वि०) अमूल्य II (पु०) अनुचित मूल्य । अनवस्थान-सं० (पु०) 1 अनिश्चितता 2 आचरणभ्रष्टता
क्रय (पु०) अधिक या कम मूल्य पर खरीदना; विक्रय अनवस्थित-सं० (वि.) 1 अस्थिर 2 चंचल चित्त (पु०) अधिक या कम लागत पर बेचना
अनवस्थिति-सं० (स्त्री०) 1 चापल्य 2 अधैर्य 3 निराश्रय अनर्थ्य-सं० (वि०) 1 कम कीमत का 2 निर्मूल्य 3 पूजा के 4 अशांत 5 अव्यवस्थित अयोग्य
अनवहित-सं० (वि०) 1 असावधान 2 लापरवाह अनर्जित-सं० (वि०) 1 न कमाया हुआ 2 अप्राप्त। -आय अनवासना- (स० क्रि०) नयी वस्तु का पहली बार प्रयोग (स्त्री०) बिना कमाया हुआ धन या पूँजी
करना (बर्तन, वस्त्र आदि) अनर्थ-I सं० (वि०) 1 अर्थहीन 2 भित्र अर्थवाला II (पु०) अनवाँसा-(पु०) कटी हुई फसल का पूला 1 उल्टा अर्थ 2 अर्थहानि 3 नैराश्यजनक घटना 4 विपत्ति, अनवासी-(स्त्री०) विस्वाँसी का बीसवाँ भाग (खेत) अनिष्ट । ~कारी (वि०) अनिष्ट करनेवाला; ~त्व (पु०), | अनवाप्त-सं० (वि०) अप्राप्त -दर्शी (वि०) अहित सोचनेवाला
अनवाप्ति-सं० (स्त्री०) प्राप्ति का अभाव अनर्थक-I सं० (वि.) 1 अर्थरहित 2 निष्पयोजन 3 अहितकर अनवेक्ष, अनवेक्षक-सं० (वि०) 1 बे परवाह 2 उदासीन __II (पु०) असंबद्ध बात
अनवेक्षण-सं० (पु०), अनवेक्षा सं० (स्त्री०) 1 लापरवाही अनर्थापद-सं० (पु०) अनर्थ होने की संभावना
2 अनदेखी अनर्थी-सं० (वि०) अहित कामना करनेवाला
अनशन-सं० (पु०) आहार त्याग, उपवास। कारी (वि०) अनर्थ्य-I सं० (वि०) बेमतलब II (पु०) अर्थहीन बात उपवास करनेवाला; व्रत उपवास, भूख-हड़ताल अनर्ह-सं० (वि०) 1 अयोग्य 2 अनुपयुक्त
अनश्वर-सं० (वि०) 1 सनातन 2 ध्रुव 3 अविनाशी अनहींकरण-सं० (पु०) अपर्याप्त एवं अयोग्य ठहराना अनसखरी-(स्त्री०) पक्की रसोई अनल-सं० (पु०) 1 अग्नि 2 पेट की अग्नि, पाचन-शक्ति अनसहन-(वि०) असहनशीला अनलस-सं० (वि०) 1 आलस्य रहित 2 अयोग्य 3 असमर्थ अनसुना-(वि०) जो सुना न गया हो। अनसनी करना अनहलहक-अ० (पु०) मैं सत्य हूँ
जानबूझकर उपेक्षा करना अनल्य-सं० (वि०) अधिक। ~घोष (पु०) अत्यधिक अनसुलझा-बिना सुलझा हुआ (अनसुलझी समस्या) शोरगुल, ~मान (वि०) अत्यधिक सम्मान
अनसूय-सं० (वि०) दूसरों के दोषों को न देखनेवाला अनवकाश-सं० (पु०) फुरसत या गुंजाइश का अभाव | अनस्तमित-सं० (वि०) 1जो अस्त न हुआ हो 2 अविनाशी अनवगत-सं० (वि०) अज्ञात या न जाना हुआ
अनस्तित्व-सं० (पु०) अस्तित्व का अभाव अनवगाह-सं० (वि०) अथाह, अगाध
अनहद-(वि०) दे० अनाहत अनवगीत-सं० (वि०) 1 अनिंद्य 2 अनिदित
अनहआ-(वि०) जो घटित न हुआ हो अनवग्रह-सं० (वि०) अनियंत्रित या स्वच्छंद
अनीता-(वि.) 1 निर्धन 2 अलौकिक 3 असंभव अनवच्छिन्न-सं० (वि०) 1 अखंडित 2 अपरिसीमित अनहोना-(वि०) सहसा न होनेवाला अनवट-(पु०) 1 पैर का एक आभूषण 2 बैल की आँख का अनहोनी-I (वि०) असंभव II (स्त्री०) न होनेवाली ढक्कन
अनाई-पठाई-(स्त्री०) बुलवाने और भेजने की क्रिया अनवद्य-सं० (वि०) निदोष
अनाकर्ष-सं० (पु०) खिंचाव का अभाव अनवद्यांग-सं० (वि०) सुंदर अंगोंवाला
अनाकार-सं० (वि०) 1 निराकार 2 परमेश्वर का एक अनवधानता-I सं० (स्त्री०) असावधानता II (वि०) विशेषण लापरवाह
अनाकाल-सं० (पु०) दुर्भिक्ष अनवधि-सं० (वि०) 1बिना समय की पाबंदी का 2 असीम, अनाकृत-सं० (वि०) 1जो रोका न गया हो 2 जिसकी बेहद
देखभाल न की गयी हो अनवरत-I सं० (वि०) अविराम II (अ०) लगातार अनाक्रमण-सं० (पु०) आक्रणम का अभाव। संधि अनवरोध-सं० (पु०) बिना रोक टोक का या मुक्त (स्त्री०); समझौता (पु०) एक-दूसरे पर आक्रमण न अनवलंब-I सं० (वि०) बे-सहारा II (पु०) स्वतंत्रता करने का करार अनवलंबित-सं० (वि०) निराश्रित
अनाक्रांत-सं० (वि०) जो पीड़ित न हो अनवसर-I सं० (पु०) अवसर का अभाव, कुसमय II अनाखर-बो० (वि०) 1 अशिक्षित 2 असभ्य 3 भद्दा (वि०) 1असामयिक 2 अप्राप्तकाल
अनागत-I सं० (वि०) 1न आया हआ, भावी 2 अज्ञात
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अनागम
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अनाश्रय
3 आनेवाला 4 अनादि 5 अपूर्व II (अ०) अचानक | अनामक-I सं० (वि०) अर्श का रोगी II (पु०) मलमास अनागम-I सं० (पु०) न आना II (वि०) अनागत अनामय-सं० (वि०) 1 रोग रहित 2 स्वस्थ II (पु०) अनागम्य-सं० (वि०) दुर्गम
__ तंदुरुस्ती अनागार, अनागारिक-I सं० (वि०) बिना घर का II अनामा, अनामिका-सं० (स्त्री०) 1कानी और बिचली (पु०) साधु-संन्यासी
उंगलियों की बीच की उँगली 2 नामहीन स्त्री अनाचरण-सं० (पु०) निर्धारित काम का न करना अनायत-सं० (वि०) 1 अनियंत्रित 2 बेसहारा 3 अविच्छिन्न अनाचार-[ सं० (पु०) दुराचरण 2 कुरीति II (वि०) अभद्र अनायत्त-सं० (वि०) अवशीभूत या स्वाधीन अनाचारिता-सं० (स्त्री०) निंदनीय आचरण
अनायास-सं० (क्रि० वि०) 1 बिना प्रयत्न के 2 सरलता से अनाचारी-सं० (वि०) 1 आचारहीन 2 कुचाली, भ्रष्टाचारी 3 स्वतः अनाज-(पु.) अन्न
अनायासिक-सं० (वि०) बिना प्रयत्न के होनेवाला, सहज अनाजी-(वि०) जो अनाज से बना हो
अनायुध-(वि०) शस्त्रहीन, निहत्था अनाज्ञाकारिता-सं० (स्त्री) आज्ञाकारी न होना
अनार-फ़ा० (पु०) 1 एक दानेदार मीठा फल 2 आतिशबाजी अनाज्ञाकारी-सं० (वि०) आज्ञा का पालन न करनेवाला 3 अन्याय 4 छप्परों को जोड़नेवाली रस्सी। दाना (पु०) अनाटोमी-अं० (स्त्री०) 1 चीर-फाड़ 2 विश्लेषण
अनार के दाने अनाड़ी-(वि०) 1 अकुशल 2 नासमझ
अनारकिस्ट-अं० (पु०) अराजकतावादी अनादय-सं० (वि.) धनहीन, दरिद्र, कंगाल
अनारकी-अं० (स्त्री०) अराजकता अनातप-I सं० (वि०) 1 आतपहीन 2 ठंडा II (पु०) अनारत-I सं० (वि०) 1 अनवरत 2 नित्य II (पु०) 1छाया 2 ठंड
अविच्छिन्नता अनातुर-सं० (वि०) 1 अनुत्कंठित 2 दुःखरहित 3 निरोगित अनारोग्य-[ सं० (वि०) 1 अस्वस्थ 2 स्वास्थ्य के लिए अनात्म-[ सं० (वि०) 1 आत्मा या चैतन्य रहित, जड़ हानिकारक II (पु०) बिमारी। ~कर (वि०) अस्वास्थ्यकर 2 शारीरिक 3 भौतिक II (पु०) 1 आत्मभिन्न 2 जड़ पदार्थ। । अनार्जव-I सं० (पु०) 1 कुटिलता 2 रोग 3 छल II (वि०) ल्वाद (पु०) आत्मा की अस्वीकृति का सिद्धांत, जड़वाद; | बेईमान ~वादी (पु०)आत्मा को न माननेवाला
अनार्तव-I सं० (पु०) रजोधर्म का अवरोध II (वि०) अनात्मक-सं० (वि०) 1 अयथार्थ 2 क्षणिक 3 संसार का असामयिक विशेषण
अनार्य-I सं० (पु०) शूद्र या म्लेच्छ II (वि०) 1 असभ्य अनात्यंतिक-सं० (वि०) 1 अनित्य 2 अंतिम नहीं
2 अनायोचित अनाथ-I सं० (वि०) 1 असहाय 2 जिसका कोई मालिक न । अनालंब-सं० (वि०) निरवलंब या बेसहारा हो II (पु०) बिना माँ-बाप का बच्चा
अनालाप-सं० (वि०) 1 मौन 2 मितभाषी अनाथा-सं० (स्त्री०) अनाथ स्त्री .
अनालोचित-सं० (वि०)1 जो देखा न गया हो 2 आविवेचित अनाथालय, अनाथाश्रम-सं० (पु.) वह स्थान जहाँ पर बिना | अनावरण-सं० (पु०) 1 उद्घाटन 2 परदा हटाना माँ-बाप के बच्चे रखे जाते हैं
अनावर्तक-स० (वि०) जो बार-बार न हो अनादर-I सं० (पु०) तिरस्कार II (वि०) 1 उदासीन अनावर्ती-सं० (वि०) जो बार-बार न होता हो 2 उपेक्षा करनेवाला
अनावर्षण-सं० (पु.) सूखा अनादरण-सं० (वि०) तिरस्कारपूर्ण व्यवहार
अनावश्यक-सं० (वि०) 1गैर-ज़रूरी 2 व्यर्थ 3 फ़ालत अनादरणीय-सं० (वि०) तिरस्कार योग्य या उपेक्षणीय अनावश्यकता-सं० (स्त्री०) ज़रूरत का न होना अनादरित-सं० (वि०) जिसका सम्मान न किया गया हो अनावासिक-सं० (वि०) जो स्थायी निवासी न हो अनादि-सं० (वि०) 1 आदिरहित 2 नित्य। -सिद्ध (वि०) | अनाविद-सं० (वि०) 1 अनाहत 2 न बिधा हुआ अनादि काल से चला आनेवाला
अनाविल-सं० (वि०) 1 पंकरहित 2 निर्मल, स्वच्छ अनादृत-सं० (वि०) जिसका अनादर किया गया हो अनावृत-सं० (वि०) जो ढका न हो, खुला अनादेय-सं० (वि०) अग्राह्य
अनावृतीकरण-सं० (वि०) खोलना अनाद्यंत-I सं० (वि०) आदि और अंत रहित II (पु०) । अनावृत्त-सं० (वि०) जो दोहराया न गया हो ईश्वर
अनावृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 न लौटना 2 मोक्ष अनाधार-सं० (वि०) 1निरवलंब 2 बेसारा
अनावृष्टि-सं० (स्त्री०) अवर्षण, सूखा । अनाधिकारिक-सं० (वि०) 1 बिना अधिकारप्राप्त अनावेदित-सं० (वि०) जो जाना न गया हो या अज्ञात 2 अप्रामाणिक
अनावेश-सं० (पु०) आतुरता या जोश का अभाव अनाधृष्ट-सं० (वि०) 1 अजेय 2 अनियंत्रित 3 अक्षुण्ण अनाशा-सं० (वि.) आशा रहित 2 नैराश्य अनाप-शनाप-(पु०) निरर्थक बात, अंट-संट, बकवास अनाशी-सं० (वि०) अनश्वर (आत्मा, ब्रह्म) अनाप्त-I सं० (वि०) 1 अविश्वसनीय 2 अकुशल II | आनश्य-सं० (वि०) अविनश्वर (पु०) अजनबी या अपरिचित
अनाश्रमी-सं० (वि०' 1 जो किसी आश्रम में न हो 2 पतित नाम-सं० (वि०) 1 नाम रहित 2 अप्रसिद्ध
अनाश्रय-सं० (वि०) निराश्रित या बिना सहारे का
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अनाश्रित
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अनीशा अनाश्रित-सं० (वि०) आश्रय रहित या स्वाधीन
अनिरुद्ध-सं० (वि०) 1 व्यवधान-रहित 2 निर्विरोध 3 स्वच्छंद अनासक्त-सं० (वि०) 1निर्लिप्त 2 वीतराग 3 उदासीन अनिर्णय-सं० (पु०) अनिश्चय अनासक्ति-सं० (स्त्री०) 1 आसक्ति या अनुराग का अभाव अनिर्णीत-सं० (वि०) जिसका निश्चय न हआ हो 2 उदासीनता
अनिर्दय-सं० (वि०) 1 अकरुण 2 कठोर अनासिक-सं० (वि०) बिना नाक का
अनिर्दिष्ट-सं० (वि०) 1 न बताया हआ 2 अनादिष्ट । ~भोग अनासीन-सं० (वि०) आसन रहित
(पु०) दूसरे की वस्तु बिना आज्ञा के काम में लाना अनास्था-सं० (स्त्री०) 1 अश्रद्धा 2 अनादर 3 उदासीनता अनिर्देश्य-सं० (वि०) जिसका निर्देश न हो सके अनास्वाद-I सं० (वि०) स्वादरहित II (पु०) नीरसता अनिर्धारित सं० (वि०) अनिश्चित अनास्वादित-सं० (वि०) जिसका स्वाद न लिया गया हो अनिबंध-सं० (वि०) 1 बंधनरहित 2 बिना शर्त अनाहत-सं० (वि०) 1 जो घायल न हआ हो 2 जो आघात से अनिर्भर-सं० (वि०) 1 अनवलंबित 2 थोड़ा 3 हल्का उत्पन्न न हुआ हो 3 अनहद (नाद) ।
अनिर्मल-सं० (वि०) अस्वच्छ या गन्दा अनाहार-I सं० (पु०) आहार का त्याग II (वि०) 1 निराहार अनिवर्चनीय, अनिर्वाच्य-सं० (वि०) अकथनीय 2 भूखा
अनिष्प्य-सं० (वि०) जो बुझाया न जा सके। ज्वाला अनाहारी-सं० (वि०) भोजन न करनेवाला
जिसका शमन न हो सके; ~वैमनस्य (पु०) कभी न खत्म अनाहत-सं० (वि०) अनिमंत्रित, बिनबुलाया
होनेवाला वैर अनिंदनीय-सं० (वि०) जो निंदा योग्य न हो
अनिर्वाह-सं० (पु०) 1 पूरा न होना 2 असंगति अनिंदित-सं० (वि०) 1 निंदारहित या निर्दोष
अनिवृत्त-सं० (वि०) अशांत अनिंद्य-सं० (वि०) 1 प्रशंसनीय 2 सुंदर 3 अच्छा अनिर्वत्ति-सं० (स्त्री०) 1चिंता 2 व्याकुलता 3 गरीबी अनिकेत-सं० (वि०) बेघर
अनिल-सं० (पु०) वायु, पवन, हवा अनिच्छ-सं० (वि०) 1 इच्छारहित 2 जो चाहा न गया हो अनिवारित-सं० (वि०) 1 नियंत्रण रहित 2 जो रोका न गया हो
अनिच्छा-सं० (स्त्री०) 1 इच्छा का अभाव 2 अरुचि।। अनिवार्य-सं० (वि०) 1 जिसका निवारण न हो सके 2 अटल . पूर्वक क्रि० वि० बेमन, इच्छा न होते हुए
3 आवश्यक। ~तः (क्रि० वि०) अनिवार्य रूप से; अनिच्छित-सं० (वि०) अनचाहा
~भरती (स्त्री०) अधिकारपूर्वक भर्ती करने की प्रथा अनिच्छ, अनिच्छुक-सं० (वि०) न चाहनेवाला
अनिश-सं० (अ०) निरंतर या लगातार अनिजक-सं० (वि०) पराया
अनिश्चय-सं० (पु०) 1निश्चय का अभाव 2 संदेह । अनित्य-सं० (वि०) 1 नश्वर 2 अस्थिर
ल्वाचक (वि०) जिससे निश्चय न जाना जा सके अनिदान स० (वि०) कारण रहित
(जैसे-कोई, कुछ सर्वनाम) अनिद्र-सं० (वि०) जिसे नींद न आये
अनिश्चयात्मक, अनिश्चित-सं० (वि०) 1जिसका निश्चय अनिद्रा-सं० (स्त्री०) नींद न आने की बीमारी
न हुआ हो या न हो 2 संदिग्ध अनिद्रित-सं० (वि०) जो सोया न हो
अनिषिद्ध-सं० (वि०) जो वर्जित या अविहित न हो अनिपात-सं० (पु०) 1 अपतन 2 जीवन का बना रहना अनिष्ट-I सं० (वि०) 1 अवांछित 2 अशुभ II (पु०) अनिपुण-सं० (वि०) अकुशल
1 अहित 2 अमंगल 3 अनर्थ। -कर; ~कारी (वि०) अनिबद्ध-सं० (वि०) असंबद्ध । प्रलाप (पु०) बे सिर पैर हानिकर; ~प्रसंग (पु०) अवांछित घटना या बुरे विषय का की बात
संबंध; ~शंका (स्त्री०) अहित की शंका अनिमंत्रित-सं० (वि०) बिना बुलाया हुआ
अनिष्टाशंसी-सं० (वि०) अनिष्ट की सूचना देनेवाला अनिमित्त-I सं० (वि०) अकारण II (पु०) उचित कारण का | अनिष्पत्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूर्णता का अभाव 2 अपूर्णता 'न होना III (अ०) बिना किसी उचित कारण के अनिष्पन्न-सं० (वि०) अपूर्ण या असमाप्त अनिमित्तक-सं० (वि०) निष्प्रयोजन या व्यर्थ
अनिस्तीर्ण-सं० (वि०) 1 जो पार न किया गया हो 2 जिसे अनिमेष-I सं० (वि०) 1 स्थिरदष्टि 2 जागरूक II (क्रि० छुटकारा न मिला हो वि०) बिना पलक गिराए, एकटक
अनी-(स्त्री०) 1 नोक 2 लगनेवाली बात। -दार (वि०) तेज़ अनियंत्रित-सं० (वि०) 1 प्रतिबंध रहित 2 निरंकुश 3 स्वतंत्र। । नोकवाला ~शासन (पु०) निरंकुश राज्य
अनीक-I सं० (पु०) 1सेना 2 समूह 3 युद्ध 4 अग्रभाग अनियत-सं० (वि०) 1 अनिश्चित 2 अनियमित 3 आकस्मिक | II (वि०) खराब अनियम-सं० (पु०) 1नियम का अभाव 2 अव्यवस्था अनीकिनी-सं० (स्त्री०) सेनादल अनियमित-सं० (वि०) 1 नियम रहित 2 बेकायदा अनीति-सं० (स्त्री०) 1 अनैतिकता 2 अन्याय 3 दुराचार, अनियुक्त-सं० (वि०) जो नियुक्त न किया गया हो
दुष्टता अनियोग-सं० (पु०) 1 प्रयोग का अभाव 2 अनुपयुक्त पद | अनीप्सित-सं० (वि०) अनिच्छित, अवांछित अनिराकरण-सं० (पु०) निवारण न करना
अनीश-सं० (वि०) 1जिसका कोई स्वामी या नियंता न हो अनिराकृत-सं० निवारण न किया हुआ
2 असमर्थ 3 प्रधान 4 अस्वतंत्र अनिरुक्त-संग(वि०)1 जिसका निर्वाचन न हआ हो 2 अस्पष्ट | अनीशा-सं० (स्त्री०) दीनता या निरीह अवस्था
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अनीश्वर
अनीश्वर - सं० (वि०) 1 ईश्वर को न माननेवाला, नास्तिक 2 असमर्थ । ~वाद (पु० ) ईश्वर का अस्तित्व न मानना; ~वादी (वि०) नास्तिक
अनीह -सं० (वि०) 1 कामना रहित 2 उदासीन 3 लापरवाह अनीहासं० (स्त्री०) 1 अनिष्ठा 2 उदासीनता 3 बेपरवाही अनु-सं० (उप०) पीछे, बाद में (जैसे- अनुगामी, अनुकथन) अनुकंपन-सं० (वि०) दयालु या हमदर्द अनुकंपा-सं० (स्त्री०) 1 दया 2 हमदर्दी अनुक-सं० (वि०) 1 लोलुप 2 कामुक अनुकथन -सं० (पु० ) 1 पीछे कहना 2 वर्ण 3 बातचीत, वार्तालाप
अनुकरण - सं० (पु० ) अनुसरण, नकल। ~कर्ता; कारी (वि०) अनुकरण करनेवाला अनुकरणात्मक, अनुकरणीय-सं० (वि०) अनुकरण करने योग्य
अनुकर्ता - सं० (पु० ) 1 अभिनेता 2 अनुकरणकर्ता 3 अनुयायी अनुकर्ष, अनुकर्षण-सं० (पु० ) 1 खिंचाव 2 देवता का आवाहन 3 कर्तव्य का देर से पालन करना अनुकलन -सं० (पु०) 1 लेखन 2 हिसाब जोड़ना अनुकल्प-सं० (पु० ) 1 गौण विधान 2 विकल्प अनुकांक्षा-सं० (स्त्री० ) इच्छा या कामना अनुकांक्षित-सं० (वि०) इच्छित या चाहा हुआ अनुकांक्षी -सं० (वि०) चाहनेवाला या इच्छुक अनुकाम - I सं० (वि०) 1 इच्छानुकूल 2 इच्छुक II ( पु० ) उचित इच्छा
अनुकामी -सं० (वि०) स्वेच्छानुसार कार्य करनेवाला अनुकारक-सं० (वि०) नकलची
अनुकारी-सं० (वि०) 1 देखा देखी करनेवाला 2 आज्ञाकारी अनुकार्य-सं० (वि०) अनुकरण योग्य
अनुकाल-सं० ( क्रि० वि०) समयानुकूल अनुकीर्तन -सं० (पु०) वर्णन
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अनुकूल - I सं० (वि०) 1 मेल रखनेवाला 2 माफिक 3 प्रसन्न II (पु० ) 1 कृपा 2 अनुग्रह III (अ० ) ओर या अभिमुख । ~ अवसर उचित समय; भाव से प्रसन्न भाव से; ता (स्त्री०) मेल, अनुकूल होने की अवस्था अनुकूलन - सं० (पु० ) 1 अपने अनुकूल करना 2 परिस्थिति के अनुसार ढालना अनुकूलित-सं० (जैसे- वातानुकूलित) अनुकृत सं० (वि०) जिसकी नकल की गयी हो अनुकृति सं० (स्त्री०) 1 नकल 2 देखादेखी अनुकृष्ट-सं० (वि०) खिंचा हुआ अनुक्त-सं० (वि०) अकथित
(वि०) अनुकूल बनाया गया
अनुक्ति-सं० (स्त्री०) अनुचित बात अनुक्रम -सं० (पु० ) 1 क्रमबद्धता 2 सिलसिला अनुक्रमण-सं० (पु० ) 1 क्रमपूर्वक आगे बढ़ना 2 अनुगमन अनुक्रमणिका, अनुक्रमणी - सं० (स्त्री०) 1 विषय सूची 2 अंत की शब्द सूची
अनुक्रमांक-सं० सूची में निर्धारित संख्या अनुक्रांत-सं० (वि०) 1 पठित 2 क्रमपूर्वक संपन्न
अनुज्ञापक
अनुक्रिया-सं० (स्त्री०) कार्य के बाद का प्रभाव, प्रतिक्रिया अनुक्रोश-सं० (५०) कृपा या दया अनुक्षण-सं० (अ०) लगातार अनुख्याता -सं० (पु०) पर लगानेवाला अनुख्यान सं० (पु० ) 1 पता लगाना 2 भेद खोलना अनुगणन-सं० (पु० ) मौखिक हिसाब
अनुगत - I सं० (वि०) 1 अनुगामी 2 अनुकूल 3 अधीन II (पु० ) अनुचर अनुगतार्थ - सं० (वि०) मिलते जुलते अर्थवाला अनुगति -सं० (स्त्री०) 1 अनुगमन 2 अनुकरण अनुगम, अनुगमन -सं० (पु० ) 1 पीछे चलना 2 सहमरण 3 समझना 4 अनेक तत्त्वों के आधार पर बना एक सिद्धांत अनुगामी-सं० (वि०) 1 पीछे चलनेवाला 2 आज्ञाकारी अनुगायक -सं० (वि०) पीछे गानेवाला
अनुगायन -सं० (पु०) गानेवाले के साथ साथ उसी तरह गाना अनुगुण-सं० (वि०) 1 सामान गुणवाला 2 अनुकूल अनुगूँज -सं० + हिं० (स्त्री०) प्रतिध्वनि
अनुगृहीत-सं० (वि०) उपकृत, एहसानमंद, कृतज्ञ अनुग्रह -सं० (पु० ) कृपा। ~काल (पु०) कृपा करके बढ़ायी गई अवधि
अनुग्रहांक-सं० (पु० ) कृपा करके दिये गये अंक (ग्रेस मार्क) अनुग्राहक-सं० (वि०) दया करनेवाला अनुग्राही - सं० (वि०) दया करनेवाला अनुग्राह्य-सं० (वि०) कृपापात्र
अनुचर -सं० ( पु० ) 1 पीछे चलनेवाला, अनुयायी, 2 नौकर आज्ञाकारी
अनुचार-सं० (पु०) सेवा
अनुचारी - I सं० (वि०) पीछे चलनेवाला II (पु० ) नौकर अनुचिंतन - ( पु० ), अनुचिंता - सं० (स्त्री०) 1 सोचना 2 याद करना 3 सतत चिंतन
अनुचित -सं० (वि०) 1 नामुनासिब 2 बुरा
अनुचित्रण - सं० ( पु० ) चित्र को हूबहू उकेरना, ट्रेस करना अनुच्च - सं० (वि०) जो ऊँचा न हो
अनुच्चरित -सं० (वि०) 1 उच्चारण न किया हुआ 2 न बोलनेवाला
अनुच्छिष्टसं० (वि०) 1 जो जूठा न हो 2 शुद्ध 3 निर्दोष अनुच्छेद-सं० (पु० ) पैराग्राफ
अनुज - I सं० (वि०) पीछे जनमा हुआ II (पु०) छोटा भाई अनुजन्मा-सं० (वि०) पीछे उत्पन्न होनेवाला अनुजा सं० (स्त्री०) छोटी बहन अनुजीवी-सं० (वि०) 1 किसी के सहारे जीनेवाला 2 परावलंबी
अनुज्ञप्त सं० (वि०) 1 जिसके लिए स्वीकृति मिल चुकी हो 2 जिसे अनुज्ञा मिल चुकी हो, लाइसेंसदार अनुज्ञप्ति सं० (स्त्री० ) 1 आज्ञा 2 स्वीकृति 3 लाइसेंस अनुज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 अनुमति, स्वीकृति 2 साहित्य में ऐसा एक अलंकार। ~धारी (वि०) आदेश ग्रहण करनेवाला; ~पत्र (पु०) अनुमति पत्र पत्रित अनुमति पत्र प्राप्त अनुज्ञात-सं० (वि०) 1 अनुमति प्राप्त 2 आदिष्ट अनुज्ञापक-सं० (पु० ) अनुमति या आज्ञा देनेवाला
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धन
अनुज्ञापन
अनुपस्थित अनुज्ञापन-सं० (पु०) आज्ञा देना
अनुधावक-सं० (वि०) पीछे दौड़नेवाला अनुज्ञेय-सं० (वि०) अनुज्ञा दिए जाने योग्य
अनुधावन-सं० (पु०) 1 अनुसरण 2 चिंतन 3 अनुसंधान अनुतान-सं० (पु०) वाक्य के उच्चारण में उतार-चढ़ाव अनुध्यान-सं० (पु०) चिंतन या ध्यान अनुताप-सं० (पु०) 1 खेद 2 पछतावा 3 जलन
अनुध्वनि-सं० (स्त्री०) दोबारा गूंज अनुतापी-सं० (पु०) पश्चाताप करनेवाला
अनुनय-सं० (पु०) 1 विनय, प्रार्थना 2 रूठे हए को मनाना अनुतोष-सं० (पु०) किसी को प्रसन्न करने के लिए दिया गया अनुनयी-सं० (वि०) नम्र या विनयी
अनुनाद-सं० (पु०) 1 प्रतिध्वनि 2 गुंजार अनुतोषण-(पु०) दूसरों को कार्य से संतुष्ट करना अनुनादित-सं० (वि०) प्रतिध्वनित अनुत्कृष्ट-सं० (वि०) जो उत्तम न हो
अनुनासिक-सं० (वि०) जिसका उच्चारण मुँह और नाक से हो अनुत्तर-I सं० (वि०) 1 निरुत्तर 2 सर्वोत्तम 3 स्थिर II (प०) | (संज्ञाता) उत्तर का अभाव। दायित्व गैर जिम्मेदारी
अनुनीत-सं० (वि०) 1 अनुशासित 2 समाहृत 3 शांत किया अनुत्तरदायी-सं० (वि०) जो अपना उत्तरदायित्व न समझे
हुआ 4 प्रार्थित अनुत्तरित-सं० (वि०) जिसका उत्तर न दिया गया हो अनुन्नत-सं० (वि.) 1 जो ऊपर उठाया न गया हो 2 जिससे अनुत्तान-सं० (वि०) पट या सीने के बल लेटा हुआ उन्नति न की हो अनुत्तीर्ण-सं० (वि०) फेल ।
अनुन्नति-सं० अविकास अनुत्पत्ति-सं० (स्त्री०) 1 असफलता 2 उत्पत्ति का अभाव अनुन्मुक्त-सं० (वि०) जो मत्त या पागल न हो अनुत्पन्न-सं० (वि०) जो पैदा न हुआ हो
अनुपंथी-सं० (पु०) लकीर का फ़कीर अनुत्पादक-सं० (पु०) जो उत्पादन न कर सके
अनुपकार-सं० (पु०) अहित या बुराई अनुत्साह-सं० (१०) चेष्टा का अभाव
अनुपकारी-सं० (वि०) 1 उपकार न करनेवाला 2 कृतघ्न अनुदग्न-सं० (वि०) नीचा
अनुपगत-सं० (वि०) अप्राप्त अनुदत्त-सं० (वि०) 1 स्वीकृत 2 माफ किया हुआ अनुपजाऊ-सं० (वि०) ऊसर, बंजर अनुदर-सं० (वि०) 1 पतली कमरवाला 2 क्षीण
अनुपतन-सं० (पु०) 1 एक के बाद दूसरे का गिरना 2 पीछा अनुदर्शन-सं० (पु०) निरीक्षण या पर्यवेक्षण
करना अनुदाता-सं० (पु०) अनुदान देनेवाला
अनुपतित-सं० (वि०) आ गिरा हुआ अनुदात्त-I सं० (वि०) धीमा, नीचा II (पु०) नीचा स्वर अनुपत्र-सं० (पु०) पौधों की इठलों के साथ निकलने वाला अनुदान-सं० (पु.) आर्थिक सहायता। ~ आयोग (१०) छोटा पत्ता सहायता प्रदान करनेवाला आयोग
अनुपय-सं० (क्रि० वि०) 1कदम ब कदम 2 शब्द अनुदार-सं० (वि०) 1 अदात 2 कृपण 3 संकीर्ण हृदय । प्रतिशब्द II (वि०) पीछे-पीछे चलनेवाला
दलीय (वि०) (राजनीति में) रुढ़िवादी दल का अनुपदिष्ट-सं० (वि०) अशिक्षित अनुदारता-सं० (स्त्री०) उदारता का अभाव
अनुपदी-सं० (वि०) 1 अनुसरणकर्ता 2 अन्वेषक अनुदित-सं० (वि०) 1 अकथित 2 अकथनीय 3 निंद्य अनुपपत्ति-सं० (स्त्री०) 1 असिद्धि 2 असंगति 3 असमर्थता अनुदिन सं० (क्रि० वि०) प्रतिदिन
4 संकट अनुदिष्ट-सं० (वि०) जिसे बतलाया गया हो
अनुपपन्न-सं० (वि०) 1 जो प्रमाणित नं किया गया हो अनुदृष्टि-सं० (स्त्री०) अनुकुल दृष्टि || (वि०) अनुकुल, ____ 2 अनुपपादित दृष्टि रखनेवाला
अनुपम सं० (वि०) उपमा रहित, सर्वोत्तम, बेजोड़ अनुदेश-सं० (पु०) 1 संकेत 2 निर्देश 3 शिक्षा
अनुपमित-सं० (वि०) 1 जिसकी उपमा न दी गई हो 2 बेजोड़ अनुद्धत-सं० (वि०) 1 विनीत 2 सौम्य
अनुपमेय-सं० (वि०) अतुलनीय, अनुपम अनुद्धार-सं० (पु०) 1 हिस्सा न लेना 2 न हटाना
अनुपयुक्त-सं० (वि०) 1 जिसका उपयोग न हआ हो अनुद्यत-सं० (वि०) जो काम के लिये तत्पर न हो 2 अयोग्य 3 बेमेल 4 अनुचित 5 बेकार अनुद्यम-[सं० (पु०) उद्योग का अभाव II (वि०) 1 प्रयास अनुपयोग-I सं० (वि०) बेकार II (पू०) उपयोगी न होना न करनेवाला 2 आलसी
अनुपयोगिता-सं० (स्त्री०) निरर्थकता अनुद्यमी-सं० (वि०) उद्यम न करनेवाला
अनुपयोगी-सं० (वि०) उपयोग-रहित, बेकार अनुद्योग-सं० (पु०) 1 उद्योग का अभाव 2 निश्चेष्टता अनुपलक्षित-सं० (वि०) 1 जिसकी पहचान न ह्यी हो II (वि०) निरुद्योग या आलसी
2 अचिह्नित अनुद्योगी-सं० (वि०) 1 निष्क्रिप 2 उदासीन
अनुपलब्ध-सं० (वि०) 1 अप्राप्त 2 जो जाना न गया हो अनुद्वाह-सं० (पु०) अपरिणय या कौमार्य
अनुपलब्धि-सं० (स्त्री०) 1 अप्राप्ति 2 जानकारी न होना. अनुद्वेग-I सं० (पु०) भय का अभाव II (वि०) शांत | अनुपशय-सं० (पु०) रोग बढ़ाने वाला कारण मनवाला
अनुपस्कृत-सं० (वि०) 1 अपरिष्कृत 2 बिना पालिश का अनुधर्मक-सं० (वि०) जो किसी के समान हो (आकति, अनुपस्थान-सं० (पु०) अनुपस्थिति धर्म)
अनुपस्थित-सं० (वि०) गैरहाजिर. अविद्यमान
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अनुपस्थिति
अनुपस्थिति-सं० (स्त्री० ) अविद्यमानता या ग़ैरहाज़िरी अनुपहत-सं० (वि०) 1 अक्षत 2 कोरा या नया अनुपात -सं० ( पु० ) 1 सापेक्षिक संबंध 2 एक के बाद दूसरे का गिरना; ~हीनता (स्त्री०) अनुपात का न होना अनुपातक-सं० (पु० ) ब्रह्महत्यादि महापातकों के बराबर के पाप-चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन आदि ।
अनुपाततः सं० ( क्रि० वि०) अनुपात से, अनुपात के अनुसार अनुपातन सं० (पु०) वर्ग निश्चित करना अनुपाती - सं० (वि०) आनुपातिक अनुपादेय-सं० अनुपयोगी, बेकार अनुपान - सं० (पु० ) दवा के साथ या बाद ली जानेवाली वस्तु अनुपाय-सं० (वि०) उपायहीन
अनुपार्जित सं० 1न कमाया हुआ 2 न जुटाया हुआ अनुपालन-सं० ( पु० ) 1 रक्षण 2 आज्ञापालन अनुपासन-सं० (पु०) ध्यान न देना
अनुपूरक-सं० (वि०) बाद में जोड़ा या बढ़ाया हुआ अंश अनुपूरण-सं० (पु०) कमी की पूर्ति के लिये बाद में जोड़ना अनुपूरित सं० (वि०) बाद में पूरा किया गया अनुपूर्व-सं० (वि०) क्रमबद्ध अनुपूर्व्य-सं० (वि०) 1 सिलसिलेवार 2 नियमित अनुप्रमाणन सं० (पु० ) प्रमाणित होने की पुष्टि अनुप्रमाणित - सं० (वि०) साथ में प्रमाणित किया हुआ, सत्यपित
अनुप्रयुक्त-सं० (वि०) जिसका अनुप्रयोग हुआ हो अनुप्रयोग - सं० ( पु०) किसी सिद्धांत का व्यवहार में प्रयोग अनुप्रयोजन-सं० ( पु० ) 1 अनुप्रयोग करना 2 आवृत्ति अनुप्रवेश - सं० ( पु० ) किसी के साथ या बाद में प्रवेश करना अनुप्रश्न - सं० (५०) बाद में किया जानेवाला प्रश्न ( भाषण एवं व्याख्यान आदि के बाद)
अनुप्रसक्ति-सं० (स्त्री०) प्रगाढ़ प्रेम या संबंध अनुप्रस्थ-सं० (वि०) चौड़ाई के बल, आड़ा अनुप्राणन-सं० (पु० ) 1 प्रेरणा देना 2 जान डाल देना अनुप्राणित-सं० (वि०) 1 प्रेरित 2 समर्पित 3 जीवंत अनुप्रापण-सं० (पु० ) प्राप्तव्य धन इकट्ठा करना, वसूली अनुप्राप्ति-सं० (स्त्री०) प्राप्तव्य धन की वसूली, उगाही अनुप्राशन सं० (पु० ) खाना
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अनुप्रास सं० (पु० ) 1 एक शब्दालंकार जिसमें वर्ण विशेष या वर्गो की आवृत्ति होती है 2 वर्णसाम्य; मूलक (वि०) अनुप्रास के आधार पर
अनुप्रेक्षा - सं० (स्त्री० ) 1 गौर से देखना 2 मनन या चिंतन अनुप्रेरणा-सं० (स्त्री०) प्रोत्साहन अनुप्रेरित-सं० (वि०) प्रोत्साहित
अनुबंध - सं० ( पु० ) 1 जोड़ी हुई वस्तु 2 संबंध 3 सिलसिला 4 समझौता, करार 5 प्रकरण; पत्र (पु० ) इकरारनामा अनुबंधन -सं० (पु० ) 1 क्रम 2 सिलसिला अनुबंधी - सं० ( पु० ) लगाव रखनेवाला अनुबद्ध-सं० (वि०) लगाव रखनेवाला अनुबल-सं० (पु०) पीछे स्थित रक्षक सेना अनुबोध-सं० ( पु० ) 1 स्मरण 2 पीछे होनेवाला पाठ का स्मरण अनुबोधक - सं० (५०) अनुबोध करने या करानेवाला
अनुमेय
अनुबोधन-सं० (पु०) बात स्मरण कराने की क्रिया अनुभक्त - सं० (वि०) जिसका अनुभाजन हुआ हो अनुभक्तक-सं० (पु० ) आवश्यकतानुरूप दिया जानेवाला अंश
अनुभव-सं० ( पु० ) 1 प्रत्यक्षज्ञान 2 काम की जानकारी, तजुर्बा । परक (वि०) अनुभव पर आधारित; प्राप्त (वि०) अनुभवी; ~वाद (पु० ) यह सिद्धांत कि जो कुछ अनुभव से प्राप्त हो वही सत्य है; शील (वि०) अनुभवी; ~ सिद्ध (वि०) अनुभव के आधार पर प्रमाणित अनुभवातीत-सं० (वि०) अनुभव से परे अनुभवी -सं० (वि०) अनुभव रखनेवाला 2 भुक्तभोगी अनुभाग - सं० (पु०) सेक्शन, वर्ग। ~ अधिकारी (पु० ) दफ्तर की किसी इकाई का अधिकारी अनुभागीय सं० (वि०) वर्ग से संबद्ध अनुभाजन-सं० (५०) आवश्यकतानुसार वस्तुओं का बँटवारा, राशन
अनुभाव -सं० ( पु० ) 1 मनोगतभाव की सूचक बाह्य क्रियाएं या चेष्टाएं 2 प्रभाव 3 बड़ाई 4 संकल्प
अनुभावक -सं० (वि०) 1 अनुभव करानेवाला 2 सोच विचार करानेवाला
अनुभावी-सं० (वि०) 1 अनुभव करनेवाला 2 चश्मदीद गवाह 3 पीछे होने या आनेवाला
अनुभाष्य-सं० (वि०) अनुभव के योग्य अनुभाषण-सं० (पु०) कथोपकथन
अनुभूत - सं० (वि०) 1 अनुभव किया हुआ 2 आज़माया हुआ 3 परीक्षित
अनुभूति-सं० (स्त्री०) 1 अनुभव 2 संवेदना 3 प्रत्यक्ष या अनुमति ज्ञान मय (वि०) अनुभवयुक्त; वाद (पु० ) अनुभववाद; -शील (वि०) अनुभवशील, संवेदनशील अनुमत - I सं० (वि०) 1 सम्मत 2 स्वीकृत 3 प्रिय 4 मनोरम II (पु० ) स्वीकृति
-दाता अनुमति
अनुमति-सं० (स्त्री०) स्वीकृति या इजाज़त: देनेवाला पत्र (पु०) आदेश पत्र अनुमत्यर्थ-सं० (वि०) स्वीकृति के लिए अनुमध्यमस्तिष्क-सं० (पु०) दिमाग के मध्य का पिछला भाग अनुमरण-सं० (पु० ) पति या पत्नी के साथ मर जाना अनुमस्तिष्क-सं० (पु० ) दिमाग का पिछला भाग अनुमान सं० (पु० ) 1 अटकल, अंदाज 2 प्रत्यक्ष से अप्रत्यक्ष का ज्ञान | पत्र (पु०) वह पत्र जिसमें किसी योजना आदि का अनुमान किया गया हो
अनुमानतः सं० ( क्रि० वि०) अनुमान से अनुमानना - (स० क्रि०) 1 अनुमान करना 2 समझना अनुमानित सं० (वि०) अनुमान से समझा हुआ अनुमानोक्ति-सं० (स्त्री०) अनुमान से कही हुई बात अनुमापक-संघ (वि०) अनुमान करानेवाला अनुमापन-सं० (पु० ) रासायनिक प्रक्रिया से मिश्रण में तत्त्व की मांत्रा का पता लगाना
अनुमित संघ (स्त्री०) अनुमान अनुमिति--सं० (स्त्री० ) अनुमान अनुमेय-सं० (वि०) अनुमान करने योग्य
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अनुमोद
अनुमोद-सं० (पु० ) 1 सहनुभूतिजन्य प्रसन्नता 2 समर्थन अनुमोदक-सं० (वि०) समर्थन करनेवाला
अनुमोदन - सं० (पु० ) 1 प्रसन्न करना या होना 2 समर्थन; हस्ताक्षर समर्थक हस्ताक्षर
अनुमोदनीय - सं० (वि०) अनुमोदन के योग्य अनुमोदित -सं० (वि०) प्रसन्न किया हुआ अनुयाचक-सं० (पु० ) अनुयाचन करनेवाला व्यक्ति अनुयाचन-सं० (पु० ) समझा बुझाकर अनुकूल काम कराने की मांग
अनुयाता, अनुयायी -सं० (पु० ) अनुसरण करनेवाला, अनुचर अनुयात्री - सं० (५०) यात्रा में साथी
अनुयुक्त - सं० (वि० ) 1 जिससे पूछताछ की गई हो 2 परीक्षित अनुयुग - सं० (पु०) किसी युग क छोटा विशिष्ट भाग अनुयोक्ता-सं० (पु०) 1 पूछताछ करनेवाला 2 ट्यूटर, अनुशिक्षक
अनुयोग-सं० (पु० ) 1 प्रश्न 2 जिज्ञासा 3 पूछताछ 4 टीका-टिप्पणी
अनुयोगी-सं० (वि०) अनुयोग करनेवाला अनुयोजन - सं० ( पु० ) 1 प्रश्न करने की क्रिया 2 कार्यान्वयन अनुयोजित -सं० (वि०) जिसके विषय में पूछताछ की गई हो अनुरंजक - सं० (पु० ) 1 प्रसन्न करनेवाला 2 मन बहलानेवाला अनुरंजन-सं० (पु० ) 1 प्रसन्न करना 2 फुसलाना अनुरंजित - सं० (वि०) प्रसन्न या संतुष्ट अनुरक्त-सं० (वि०) 1 अनुराग युक्त प्रेमी 2 वफ़ादार 3 लीन अनुरक्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रेम, आसक्ति 2 भक्ति अनुरक्षक-सं० (पु० /वि०) पीछे से रक्षा करनेवाला अनुरक्षण-सं० (पु०) पीछे से रक्षा करना अनुरणन - सं० (पु० ) गूंज, प्रतिध्वनि अनुरत-सं० (वि०) अनुरक्त, लीन
अनुरथ्या-सं० (स्त्री०) पटरी
अनुराग-सं० (५०) 1 प्रेम 2 भक्ति 3 लालरंग; ~मय प्रेममय
अनुरागी-सं० (वि०) 1 प्रेमी 2 भक्त
अनुरात्र - सं० ( क्रि० वि०) प्रतिरात्रि
अनुरूप - सं० (वि०) 1 समान रूपवाला, जैसा 2 अनुकूल; ~ता (स्त्री०) 1 समानता 2 अनुकूलता अनुरूपक-सं० (पु० ) प्रतिमूर्ति
अनुरेखण -सं० ( पु० ) रेखा चित्र की अनुकृति बनाना, ट्रेस
करना
सं० (वि०) अनुरोध करनेवाला II ( पु० )
अनुरोदन - सं० (५०) समवेदना प्रकाश अनुरोध - सं० ( पु० ) 1 आग्रह 2 रुकावट अनुरोधक - 1 अनुरोध पत्र अनुरोधी-सं० (वि०) अपेक्षा रखनेवाला अनुर्वर - सं० (वि०) जो उपजाऊ न हो, ऊसर अनुलंब - सं० (५०) अनिश्चय की स्थिति अनुलंबन - सं० (पु० ) अस्थायी रूप से कार्य करने से रोकना अनुलंबित-सं० (वि०) जो अस्थायी रूप से हटाया गया हो अनुलक्षण-सं० (पु० ) बाद के लक्षण अनुलग्न-सं० (वि०) संलग्न
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अनुवृत्त
अनुलग्नक -सं० (पु० ) नत्थी किया गया कागज़ अनुलाप - सं० (पु० ) 1 पुनरुक्ति 2 घुमा फिरा कर एक ही बात
कहना
अनुलाभ - स० (पु० ) मुनाफ़ा अनुलिखित-सं० (वि०) नकल किया हुआ अनुलिपि -सं० (स्त्री०) 1 किसी आकृति या लेख की हूबहू नकल, प्रतिलिपि 2 दूसरी प्रति अनुलिप्त-सं० (वि०) जिस पर लेप लगाया जाये अनुलेख-सं० (पु०) प्रतिलिपि
अनुलेखन - सं० (पु०) घटना या कार्य का विवरण लिखना अनुलेप-सं० (पु० ) 1 सुगंधित लेप (उबटन आदि) 2 दूसरा लेप अनुलेपन - सं. (पु० ) लेप लगाना या चढ़ाना अनुलोम-सं० (वि०) 1 ऊपर से नीचे की ओर आनेवाला
2. यथाक्रम 3 अविलोम । ज (वि०) अनुलोम विवाह से उत्पन्न; ~ विवाह (पु० ) उच्च वर्ण के पुरुष का अपने से ही वर्ण की स्त्री से विवाह
अनुलोमा - सं० (स्त्री०) अनुलोम विवाह द्वारा लाई गई स्त्री अनुल्लंघन -सं० (पु० ) उल्लंघन न करना अनुल्लंघनीय-सं० (वि०) जो उल्लंघन करने योग्य न हो अनुल्लिखित सं० (वि०) जिसका उल्लेख न किया गया हो अनुवंश - सं० (पु० ) 1 वंशवृत्त 2 वंशवृक्ष 3 वंश-परंपरा अनुवक्ता-सं० (पु० ) उत्तर देनेवाला अनुवचन-सं० (पु० ) 1 दुहराना 2 पाठ 3 भाषण अनुवर्त्तन -सं० (पु० ) 1 अनुसरण 2 आज्ञापालन 3 परिणाम अनुवर्त्ती -सं० (वि०) 1 अनुसरण करनेवाला 2 बाद में आनेवाला 3 आज्ञाकारी
अनुवर्ष सं० ( क्रि० वि०) प्रतिवर्ष
अनुवश-सं० (वि०) दूसरे की इच्छा के अनुसार चलनेवाला; ~ता (स्त्री०) 1 अधीनता 2 आज्ञाकारिता अनुवसित-सं० (वि०) 1 वस्त्र से ढका हुआ 2 आबद्ध अनुवाद -सं० (पु० ) 1 भाषांतर, रूपान्तर 2 समर्थन 3 दुहराना अनुवादक, अनुवाद कर्ता, अनुवाद कर्मी सं० (पु० ) 1 अनुवाद करनेवाला 2 भाषांतरकार.
अनुवादित - सं० (वि०) 1 अनुवाद किया हुआ 2 भाषांतरित, अनूदित
अनुवादी-सं० (वि०) समर्थन करनेवाला अनुवाद्य-सं० (वि०) अनुवाद करने योग्य
अनुवास, अनुवासन -सं० ( पु० ) 1 धूपादि से सुगंधित करना,
बसाना 2 साथ रहना
अनुवासित - सं० (वि०) बसाया हुआ, सुगंधित
अनुविद्ध-सं० (वि०) 1 बिधा हुआ 2 नत्थी किया हुआ 3 अंकित
अनुविधान-सं० (पु०) आदेशपालन
अनुविभाग सं० (पु० ) अनुभाग अनुविष्ट-सं० (वि०) चढ़ाया या टाँका हुआ अनुवीक्षण-सं० निरीक्षण
अनुवीक्षित-सं० निरीक्षत
अनुवृत्त - सं० (वि० ) 1 अनुसरण या आज्ञापालन करनेवाला 2 शीलानुगत 3 जिसकी अनुवृत्ति की गई हो II (पु० ) बाद की घटना
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अनुवृत्ति
अनुवृत्ति-संघ (वि) 1 अनुसरण 2 आज्ञापालन 3 आवृत्ति, दोहराव 4 पेंशन धारी (पु० ) अनुवृत्ति पानेवाला अनुवेतन - सं. (पु० ) अवकाश प्राप्त कर्मचारी को दिया जानेवाला धन (पेंशन)
अनुवेध-संघ (पु०) सुराख करना
अनुवेश-सं० ( पु० ) अनुसरण, पीछे प्रवेश करना । पत्र (पु० ) पारपत्र के अतिरिक्त अनुमतिपत्र, वीज़ा अनुवेशिका - सं० (स्त्री०) अनुवेश पत्र अनुव्रजन-सं० (स्त्री०) विदा करते समय मेहमान के साथ कुछ दूर जाना
अनुव्रत - I सं० (वि० ) निर्धारित कर्त्तव्य का समुचित रूप से पालन करनेवाला II (पु० ) एक प्रकार का जैन साधु अनुशंसा-सं० (स्त्री०) सिफ़ारिश, संस्तुति अनुशंसित-सं० (वि०) जिसकी सिफ़ारिश की गई हो अनुशय-सं० (पु० ) 1 पछतावा 2 दुःख 3 पुराना वैर 4 आसक्ति
अनुशयी - I सं० (स्त्री० ) पैर का एक रोग II ( वि० ) 1 पश्चात्ताप करनेवाला 2 झगड़ालू 3 कर्मफल का भोक्ता
4 आसक्त
अनुशासक - सं० ( पु० ) 1 अनुशासन करने वाला 2 शिक्षक अनुशासन-सं० (पु० ) 1 नियंत्रण 2 नियमबद्ध आचरण 3 शिक्षण; ~बद्ध (वि०) अनुशासन में बंधा हुआ; भंग (पु० ) अनुशासन का उल्लंघन हीनता (स्त्री०) अनुशासन का अभाव अनुशासनात्मक-सं० (वि०) अनुशासन-संबधी अनुशासनिक-सं० (वि०) अनुशासन संबंधी अनुशासित -सं० (वि०) 1 जिसका अनुशासन किया गया हो। 2 दंडित
अनुशस्ति-सं० (पु० ) अनुशासक
अनुशास्ति-सं० (स्त्री०) अनुशासन की कार्यवाही अनुशीलक-सं० (पु०) अनुसंधाता
अनुशीलन-सं० (पु० ) 1 सतत तथा गंभीर अभ्यास 2 नियमित अध्ययन 3 चिंतन मनन
अनुशीलित-सं० (वि०) जिसका अनुशीलन किया गया हो अनुशेष-सं० (पु० ) बाकी जोड़ा हुआ अंश अनुशोक-सं० (पु० ) 1 पछताना 2 खेद
अनुशोचक -सं० (वि०) 1 पश्चात्ताप करनेवाला 2 खेदजनक अनुशोचन -सं० (पु० ) पश्चात्ताप करने की क्रिया या भाव अनुशोधन सं० ( पु०) दोहराते हुए सुधारना
अनुश्रवण सं० (पु० ) परंपरा
अनुश्रुतसं० (वि०) परंपरा से प्राप्त ज्ञान
अनुश्रुति-सं० (स्त्री०) श्रुति परम्परा से प्राप्त कथा और ज्ञान अनुषंग - सं० (पु० ) 1 गहन संबंध 2 प्रसंगानुसार एक बात के साथ जुड़ी दूसरी बात भी
अनुषंगिक, अनुषंगी-सं० (वि०) 1 संबद्ध 2 अनिवार्य परिणाम के रूप में आनेवाला 3 सहायक, सहवर्ती अनुषक्तसं० (वि०) 1 संबद्ध 2 संलग्न अनुषक्ति-सं० (स्त्री०) 1 आसक्ति 2 निष्ठा
अनुष्ठाता -सं० (वि०) 1 अनुष्ठान करनेवाला 2 कार्य आरम्भ करनेवाला
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अनूक्त
अनुष्ठान-सं० 1 कोई धार्मिक कृत्य 2 नियमपूर्वक आरंभ करना अनुष्ठित-सं० (वि०) विधिपूर्वक किया हुआ 2 आचरित अनुसंधाता - सं० खोज करनेवाला
अनुसंधान-सं० ( पु०) 1 अन्वेषण, खोज 2 आयोजन 3 व्यवस्थित करना । कर्त्ता, कर्मी, कारी अन्वेषण करनेवाला; पद्धति अन्वेषण पद्धति; खोज करने की जगह
शाला (पु० )
वाला 2 योजना
अनुसंधानी -सं० (वि०) 1 खोज करने बनानेवाला
अनुसंधायक - सं० (पु०) जो अनुसंधान करे अनुसंधि-सं० (स्त्री०) गुप्त मंत्रणा, गुप्त योजना अनुसंधित्सु - सं० ( पु० ) 1 अनुसंधान की इच्छा करनेवाला 2 शोधछात्र
अनुसंधेय-सं० (वि०) खोज करने योग्य अनुसचिव - सं० (पु० ) अवर सचिव अनुसमर्थन -सं० (पु०) अनुमोदन
अनुसरण - सं० ( पु० ) 1 पीछे चलना 2 अनुकरण 3 अनुकूल
आचरण
अनुसार-सं० (वि०) अनुकूल, अनुरूप, मुताबिक अनुसारक, अनुसारी-सं० (वि०/५०) अनुसरण करनेवाला, अनुयायी
अनुसीमन -सं० (५०) प्रश्न पत्र को नियमानुसार बनाना अनुसीमा - सं० (स्त्री०) क्षेत्र के आस पास की सीमा अनुसूचक-सं० (वि०) नियमों की सूचना देनेवाला अनुसूचित - सं० (वि०) 1 अनुसूची में लाया हुआ 2 जिसे अनुसूची में स्थान मिला हो (जैसे- जातियाँ) अनुसूची-सं० (स्त्री०) पीछे जोड़ी गई सूची अनुसृत सं० (वि०) अनुसरण किया हुआ, अनुगत अनुस्मरण-सं० (पु० ) 1 बार बार स्मरण 2 पिछला याद करना अनुस्मारक - सं० (पु०) वह पत्र जो स्मरण दिलाए (रिमाइंडर) अनुस्मृति - सं० (स्त्री०) 1 अनुस्मरण 2 वह स्मृति या स्मरण जो प्रिय हो
अनुस्यूत - सं० (वि०) 1 ग्रथित 2 परोया हुआ 3 सिला हुआ 4 खूब जुड़ा हुआ
अनुस्वार-सं० (पु०) स्वर के बाद उच्चारित होनेवाला एक आनुनासिक वर्ण अनुस्वारांत - सं० (वि०) जिसके अंत में अनुस्वार हो (जैसे- शिवं सुन्दरं )
अनुहरण-सं० (पु० ) 1 अनुकरण 2 सादृश्य अनुहर्ता-सं० (पु०) नकल उतारने वाला अनुहस्ताक्षरण-सं० (पु० ) पीछे हस्ताक्षर करना अनुहार - 1 सं० (स्त्री०) रचना 2 आकृति II (पु० ) अनुकरण, समानता III (वि०) समान
अनुहारक-सं० (वि०) 1 अनुहरण करनेवाला 2 नकल करनेवाला
अनुहारी-सं० (वि०) अनुहारक अनुहार्य -सं० (वि०) अनुकरण करने योग्य
अनूक - सं० (पु० ) 1 मेरुदंड 2 मेहराब के बीच की ईंट 3 पूर्व जन्म 4 वंश 5 स्वभाव
अनूक्त-सं० (वि०) दुहराया हुआ, अनुपठित
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अनूठा
अनूठा - (वि०) 1 अद्भुत 2 विलक्षण अनूढा -सं० (स्त्री०) अविवाहिता प्रेमिका
अनूदन -सं० (पु० ) 1 बात को फिर से कहना 2 अनुवाद करना अनूदित सं० (वि०) 1 भाषांतरित 2 पीछे कहा हुआ अनूप - I सं० (वि० ) 1 उपमारहित 2 अतिसुंदर 3 अद्वितीय, निराला II ( पु० ) 1 जलप्राय स्थान, दलदल 2 तालाब 3 किनारा
अनूह -सं० (वि०) 1 समझ में न आनेवाला 2 विचार हीन 3 अतवर्य
अनृत-सं० (पु०) झूठ
मुख
अनेक-सं० (वि०) एक से अधिक चर (वि०) झुंड बनाकर रहनेवाला; ~ चित्त (वि०) जिसका मन चंचल हो; ~ज (वि०) जिसका कई बार जन्म हो; ~त्व अनेकता; पक्षीय (वि०) अनेक पक्षों का; (वि०) कई दिशाओं में जानेवाला; रूप (वि०) कई रूपोंवाला; विध (वि०) कई प्रकार का अनेकत्र - सं० ( क्रि० वि०) कई जगह अनेकधा-सं० ( क्रि० वि०) कई तरह से अनेकशः सं० (वि०) 1 अनेक प्रकार से 2 अनेक खंडों में अनेकांत-सं० (वि०) अनिश्चित, बदलनेवाला
(पु० )
अनेकाकार—सं० (वि०) बहुत से आकारों एवं आकृतियोंवाला अनेकाकी - सं० (वि०) 1 जो अकेला न हो 2 अनेकों से युक्त अनेकाक्षर-सं० (वि०) कई अक्षरोंवाला अनेका-सं० (वि०) कई कामों में लगा हुआ अनेकानेक-सं० (वि०) असंख्य
अनेकार्थ-सं० (वि०) जिसके अनेक अर्थ हों अनेकार्थक-सं० (वि०) जिसके अनेक अर्थ हों अनेकेश्वर-सं० (पु० ) एक से (स्त्री०) अनेक ईश्वरों की पूजा; सिद्धांत कि ईश्वर अनेक हैं अनैकांतिक-सं० (वि०) अस्थिर
अधिक ईश्वर । पूजा पूजावाद ( पु० ) यह
अनैक्य - सं० (पु० ) 1 एकता का अभाव, अनेकता 2 बहुत्व 3 फूट, मतभेद 4 अव्यवस्था
अनैच्छिक सं० (वि०) जो स्वेच्छा से न किया गया हो अनैठ - (पु० ) बाजार न लगने का दिन अनैतिक-सं० (वि०) नीति विरुद्ध अविहित अनैतिहासिक-सं० (वि०) इतिहास - विरुद्ध अनैयमिक-सं० (वि०) जो नियम विरुद्ध हो अनैश्चित्य -सं० (पु० ) अनिश्चितता अनैसर्गिक - सं० (वि०) अप्राकृतिक, अस्वाभविक अनोखा - (वि०) 1 अनूठा, अद्भुत 2 अपूर्व 3 विशिष्ट अनौचित्य - सं० ( पु० ) 1 औचित्य का अभाव 2 अनुचित अनौपचारिक-सं० (वि०) 1 जो परिपाटी के रूप में न हो
2 सहज
अनौपचारिकता-सं० ( क्रि० वि०) अनौपचारिक ढंग से अनौपम्य-सं० (पु० ) अनुपम होना अन्न - (पु० ) खाने की चीज, भोज्य पदार्थ 2 भात 3 अनाज । ~काल (पु०) भोजन का समय; कूट (पु० ) 1 भात या मिष्ठानादि का ढेर 2 अन्न का त्यौहार ~कोष्ठ (पु० ) 1 अन्न रखने का स्थान 2 कोठिला; ~ क्षेत्र (पु० ) लंगर; गंधि
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अन्याय
(स्त्री०) अतिसार रोग; ग्रहण (पु० ) अन्न पाना; जल (पु०) दाना-पानी, जीविका; ~दाता (वि०) अन्न देनेवाला, मालिक; दोष (पु० ) 1 दूषित अन्न खाने से होनेवाला रोग 2 वह दुर्गुण जो निषिद्ध स्थान या व्यक्ति का अन्न खाने से होता है; ~द्वेष (पु० ) भोजन की अरुचि; ~ पाक (पु० ) अग्नि पर या पेट में खाद्य पदार्थ का पकना; पूर्णा (स्त्री०) अन्न
की अधिष्ठात्री देवी, दुर्गा का एक रूप; ~ प्राशन (पु० ) बच्चे को पहली बार अन खिलाने की रस्म या संस्कार, चटावन; ~ भंडार (पु० ) अन्न का पहाड़ ~मय I ( वि० ) 1 अन्न से बना 2 अन्न से भरा 3 भौतिक II (पु० ) वेदांत में माने हुए पाँच कोशों में से पहला, स्थूल शरीर; मार्ग (पु०) अन्न की पेट में जाने की नली; वस्त्र (पु० ) रोटी कपड़ा; ~ वितरण (पु० ) अन्न की ( जनता में) बाँट; संकट (पु०) अन्न का अकाल; ~ सत्र (पु० ) वह स्थान जहाँ दरिद्रों को पका हुआ भोजन खिलाया जाता है; जल उठना रहने का सहारा न होना
अन्ना - (स्त्री०) 1 धाय 2 माता 3 अँगीठी जिसमें सोना, चाँदी आदि धातुएं तपाई जाती हैं
अन्नागार - सं० ( पु० ) अन्न का कोठा अन्नोत्पादन -सं० (पु० ) अन्न पैदा करना अन्नोपलब्धि-सं० (स्त्री०) अन्न ग्रहण
अन्य - सं० (वि०) 1 दूसरा 2 भिन्न 3 अतिरिक्त 4 अवशिष्ट । ~कृत दूसरे के द्वारा किया हुआ; ~ग, गामी (वि०) अन्य के यहाँ जानेवाला, व्यभिचारी; गोत्र ( पु० ) दूसरा गोत्र चित्त (वि०) जिसका मन अन्यत्र लगा हो, अन्यमनस्क; ~ जन्म (पु०) दूसरा जन्म जातीय (वि०) दूसरी जाति का ; ~देशी (पु० ) दूसरा देश; -देशीय (वि०) अन्य देश का, विदेशी पुरुष (पु०) अनुपस्थित व्यक्ति या वस्तु के लिए पुरुषवाचक सर्वनाम, दूसरा आदमी;
पूर्वा (स्त्री०) वह जो पहले किसी और से ब्याही गई हो; ~ मनस्क (वि०) जिसका चित्त कहीं ओर हो, अनमना; ~वादी (वि०) 1 झूठी गवाही देनेवाला 2 प्रतिवादी; ~संक्रमण (वि०) जिसने अन्य से संबंध कर लिया हो; ~ संगम (पु० ) अवैध अन्यच्च-सं० ( क्रि० वि०) 1 और भी 2 इसके सिवा अन्यतः सं० ( क्रि० वि० ) 1 दूसरे से 2 दूसरे स्थान से 3 दूसरा, अन्यथा
संबंध
अन्यतम - सं० (वि०) 1 बहुतों में से एक 2 सर्वश्रेष्ठ अन्यतर-सं० (वि०) 1 दो में से एक 2 दूसरा
अन्यत्र - सं० ( क्रि० वि०) दूसरी जगह, और कहीं अन्यथा - I सं० ( क्रि० वि०) नहीं तो; II (वि०) 1 उल्टा 2 और का और । वादी (पु० ) उल्टा बोलनेवाला अन्यान्य-सं० (सर्व० ) और दूसरे अन्यापदेश-सं० (पु० ) ऐसा कथन जो अन्य प्रसंग में भी सार्थक हो
अन्यापदेशात्मक-सं० (वि०) अन्य प्रसंग से संबधित अन्यापदेशिक-सं० (वि०) अन्योक्ति के रूप में कहा
गया
अन्याय -सं० (पु० ) 1 न्याय विरूद्ध कार्य 2 अनौचित्य ।
~पीड़त (वि०) अन्याय से पीड़ित पूर्ण अन्याय से पूर्ण;
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अन्यायी
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अपच
पूर्वक (क्रि० वि०) अन्याय से
अपकर्ता-सं० (वि०) 1 अपकार करनेवाला 2 शत्रुभाव अन्यायी-सं० (वि०) अन्याय करनेवाला
रखनेवाला अन्यार्थ-सं० (वि०) भिन्नार्थक
अपकर्म-सं० (पु०) 1 बुरा काम 2 ऋण परिशोध अन्यून-सं० (वि०)अनल्प, अधिक
अपकर्ष-सं० (पु०) 1 अवनति 2 उतार, ह्रास अन्योक्ति-सं० (स्त्री०) अलंकार जिसमें एक से कही हई बात अपकर्षण-सं० (पु०) 1 अपकर्ष 2 जबरदस्ती लेना, ऐंठना किसी दूसरे पर घटित हो
अपकलंक-सं० (पु०) न मिटनेवाला कलंक अन्योदर-सं० (पु०) दूसरी माता के उदर से उत्पन्न भाई अपकाजी-सं० (वि०) बुरा काम करनेवाला अन्योन्य-1 सं० (क्रि वि०) 1 परस्पर 2 एक दूसरे को या पर अपकार-सं० (पु०) 1 उपकार का उल्टा 2 बुराई 3 अहित II (वि०) पारस्परिक, आपस का III (पु०) अर्थालंकार का 4 अपमान 5 अत्याचार 6 नीच कर्म एक भेद जहाँ दो वस्तुएं परस्पर एक ही क्रिया करें; ~प्रजनन अपकारक-सं० (वि०) अपकार करनेवाला (पु०) पारस्परिक संसर्ग द्वारा उत्पन्न करना; विभाग अपकारिता-सं० (स्त्री०) अपकारी होना (पु०) बँटवारा करने की क्रिया; ~संहारक (वि०) एक , अपकारी-सं० (वि०) अपकार करनेवाला दूसरे को मारनेवाला
अपकाव्य-सं० (पु०) निकृष्ट काव्य अन्योन्याश्रय-I सं० (पु०) एक दूसरे पर अवलंबित होना | अपकीर्ति-सं० (स्त्री०) अपयश, बदनामी II (वि०) एक दूसरे पर आश्रित
अपकृत-I सं० (वि०) जिसका अपकार किया गया हो अन्योन्याश्रित--सं० (पु०) एक दूसरे पर अवलंबित | I (पु०) क्षति अन्वय-सं० (पु०) 1 अनुगमन 2 पारस्परिक संबंध 3 आशय अपकृति-सं० (स्त्री०) अपकार 4 हेतु और साध्य का साहचर्य 5 वाक्य में शब्दों का मेल; अपकृत्य-सं० (पु०) 1 हानि 2 अपकार
~व्यतिरेक (पु०) मेल और निरोध, नियम और अपवाद | अपकृष्ट-सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 भ्रष्ट 3 नीच, अधम अन्वर्थ-सं० (वि०) 1 अर्थ के अनुसार 2 स्पष्ट अर्थवाला, अपकेंद्रक-सं० (वि०) केंद्र से दूर हटनेवाला मार्थक
अपक्रम-1 सं० (पु०) 1 पीछे हटना 2 भागना 3 उलटा क्रम अन्वादिष्ट-सं० (वि०) पहले नियम की ओर संकेतित II (वि०) क्रम रहित 2 व्यतिक्रम अन्वासन-सं० (पु०) 1सेवा 2 पीछे आसन ग्रहण करना | अपक्रमण-सं० (पु०) 1 अपक्रम करना 2 सभा का बहिष्कार 3 पश्चाताप 4 शिल्पग्रह
करना अन्वाहिक-सं० (वि०) दैनिक
अपक्रमी-सं० (वि०) 1 जानेवाला 2 तेज़ी से न जानेवाला अन्वित-सं० (वि०) 1 युक्त 2 ग्रस्त 3 समझा हआ अपक्रिया-सं० (स्त्री०) 1 हानि 2 अहित 3 द्रोह 4 दुष्कर्म अन्वितार्थ-सं० 1 अन्वय करने से प्राप्त अर्थ 2 गढ़ अर्थ अपक्रोश-सं० (पु०) 1 निंदा करना 2 बहुत अधिक चीखना II (वि०) ऐसा अर्थ रखनेवाला
अपक्व-सं० (वि०) 1न पका हुआ 2 न पकाया हुआ अन्विति-सं० (स्त्री०) 1 परस्पर संबद्धता- 2 मेल 3 एकभाव अपक्ष-सं० (वि०) 1 बिना पंख का 2 जिसके साथी समर्थक अन्विष्ट-सं० (वि०) 1 इच्छित 2 ढूँढा हुआ
न हों 3 निष्पक्ष। -पात (पु०) निष्पक्षता; पाती (वि०) अन्वीक्षण-सं० (पु०) 1 बारीकी से देखना 2 अन्वेषण 3 मनन । पक्षपात न करनेवाला 4 विचार
अपक्षय-सं० (पु०) 1 छीजना 2 नाश 3 कमी अन्वीक्षा-सं० (स्त्री०) विचारना
अपक्षरण-सं० (पु०) मिट्टी आदि का टूटकर हटना अन्वेषक-सं० (वि०) अन्वेषण करनेवाला, शोधकर्ता अपक्षेपण-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 गिराना 3 पलटाना 4 किसी अन्वेषण-सं० (पु०) 1 खोज 2 ढूँढ़ना; ~कर्ता (वि०) वस्तु से टकराकर फेंका जाना खोज करनेवाला; कार्य (पु०) खोज का काम; ~ग्रंथ अपखंड-स० (३०) विखंड (पु०) खोज संबंधी पुस्तक
अपगत-सं० (वि.) 1 गया हआ 2 बीता हआ 3 तिरोहित अन्वेषणालय-सं० (पु०) अन्वेषण करने का स्थान अपगति-सं० (स्त्रा०) 1 अधोगति 2 दुर्गति 3 दुर्भाग्य अन्वेषित-सं० (वि०) जिसका अन्वेषण किया गया हो अपगम-सं० (पु०) 1 जाना 2 हट जाना 3 गायब हो जाना अन्वेषी-सं० (वि०) अन्वेषक, खोज करनेवाला
अपगमन-सं० (पु०) 1 प्रस्थान 2 अलग होना 3 मृत्यु अन्वेष्टव्य-सं० (वि०) अन्वेषक, खोज होने योग्य अपगा-सं० (स्त्री०) नदी । अपंग-सं० (वि०) 1अंगहीन 2 लँगड़ा-लूला 3 अशक्त अपगुण-सं० (पु०) दोष, ऐब अपंडित-सं० (वि०) 1 मूर्ख 2 अज्ञानी
अपघटन सं० (पु०) 1 ह्रास, कमी 2 वियोजन अप-सं० उप० 1 अलग या दूर; जैस अपक्षेप, अपगमन अपघन-I सं० (वि०) मेघरहित II (पु०) 1 शरीर 2 शरीर 2 अनुचित, निंदनीय (जैसे अपजात, अपव्यय) 3 नीचे या का अंग पीछे जैसे अपकर्ष, अपभ्रंश 4 रहित या हीन जैस अपकरुण, अपघर्ष-सं० (पु०) रगड़ अपभय
अपघर्षी-सं० (वि०) रगड़ के साथ होनेवाला अपक-सं० (पु०) पानी
अपघात-सं० (पु०) 1 रोकना 2 हिंसा, हत्या 3 दर्घटना से अपकरण-सं० (पु०) 1 दुर्व्यवहार 2 दुष्कर्म
मरना 4 धोखा अपकरुण-सं० (वि०) निर्दय, निष्ठुर
अपच-सं०(पु०)1 बदहज़मी2 जोअपने लिए पाक कार्य न करे
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अपचनीय
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अपनिहित
अपचनीय-सं० (वि०) अपच्य, हज़म न होनेवाला अपथ्य-I सं० (वि०) 1 बुरा 2 अहितकर 3 रोगकारक अपचय-सं० (पु०) 1 हानि 2 छीनना 3 व्यय 4 क्षय II (पु०) प्रतिकूल आहार-विहार अपचरण-सं० (पु०) अपचार
अपद-[सं० (क्रि० वि०) 1 अनाधिकारपूर्वक 2 अनुचित रूप अपचरित-[ सं० (वि०) विचलित II (पु०) दोषयुक्त में || (वि०) बिना पैर का III (पु०) अनपयुक्त स्थान एवं आचरण
समय अपचायक-सं० (वि०) 1 सम्मान करनेवाला 2 घटानेवाला अपदस्थ सं० (वि०) पद से हटाया हुआ. पदच्युत अपचायित-सं० (वि०) 1 सम्मानित, पूजित 2 घटाया हुआ अपदांतर-[ सं० (वि.) 1मिला हआ 2 अति निकट अपचायी-सं० (वि०) क्षयकारी
II (क्रि० वि०) शीघ्र, जल्द अपचार-सं० (पु०) 1 दोष 2 दुष्कर्म 3 दुराचार
अपदान-सं० (पु०) 1 शुद्धाचरण 2 उत्तम कार्य 3 पूर्ण किया अपचारक-सं० (वि०) अपचार करनेवाला
हुआ कार्य अपचार-सं० (पु०) 1 अनुचित व्यवहार 2 बुरा आचरण अपदार्थ-I सं० (पु०) 1 अनस्तित्व 2 तुच्छता II,(वि०) अपचारी-सं० (वि०) 1 दुष्कर्मी 2 पृथक होनेवाला 1 नगण्य, तुच्छ 2 निस्सार 3 अविश्वासी
अपदिष्ट-सं० (वि०) बहाने से कथित अपचित-सं० (वि०) 1 क्षीण 2 व्यय किया हुआ 3 सम्मानित अपदेवता-सं० (पु०) 1 दुष्ट देव 2 दैत्य 3 भूत-प्रेत अपचिति-सं० (स्त्री०) 1 हानि 2 नाश 3 व्यय 4 प्रायश्चित्त | अपदेश-सं० (पु०) 1 बहाना 2 वेश बदलना 3 छल 4 कार्य 5 सम्मान करना
करने की आज्ञा देना 5 बहाना 6 इनकार अपची-सं० (स्त्री०) कंठमाला (एक रोग)
अपद्रव्य-सं० (पु०) बुरा द्रव्य, बुरी बात अपचेता-सं० (वि०) कंजूस
अपद्रव्यीकरण-सं० (पु०) खोटे द्रव्य में बदलना अपच्छेद, अपच्छेदन-सं० (पु०) 1 काटकर अलग करना | अपद्वार-सं० (पु०) बगल का दरवाज़ा, चोर दरवाज़ा 2 हानि 3 बाधा
अपधर्मिता-सं० (स्त्री०) धर्म विरुद्ध आचरण अपजय-सं० (स्त्री०) हार, पराजय
अपधूम-सं० (वि०) धूमहीन अपजात-सं० (पु०) कपूत
अपध्यान-सं० (पु०) बुरा सोचना, अनिष्ट चिंतन अपटी-सं० (स्त्री०) 1 परदा 2 कनात। ~क्षेप (पु०) परदे | अपध्वंस-सं० (पु०) 1 वर्णसंकर 2 वह जिसकी माता उच्चवर्ण का हटना
की हो और पिता निम्न वर्ण का हो अपटु-सं० (वि०) 1 अकुशल 2 बोदा 3 सुस्त 4 मंद | अपध्वस्त-सं० (वि०) 1 नष्ट 2 अपमानित 3 पराजित 4 चूर प्रकाशवाला
| चूर किया हुआ अपटूडेट-अं० (वि०) 1 आज तक का 2 नये फ़ैशन का अपनत्व- (पु०, अपनापन, निजत्व अपठ-सं० (वि०) 1 निरक्षर 2 मूर्ख
अपनपो-(पु०) अपनापन, निजत्व अपठनीय-सं० (वि०) जो पढ़ने योग्य न हो
अपनय-सं० (पु०) अनीति अपठित-सं० (वि०) जो पढ़ा न गया हो
अपनयन-सं० हटा देना, हटा लेना अपठ्यमान-सं० (वि०) जो पढ़ा न जाये
अपना-(सर्व०) 1 आत्म संबंधी, निजका 2 आप, निज अपढ़-(वि०) बेपढ़ा, अशिक्षित
II (पु०) स्वजन; पन (पु०) 1 आत्मीयता अपण्य-[ सं० (वि०) 1 न बेचने योग्य 2 जिसका बेचना 2 आत्माभिमान, स्वाभिमान; ~पराया, ~बेगाना निषिद्ध हो II (पु०) न बेचने योग्य वस्तु
हिं० + फ़ा० स्वजन-परजन, दोस्त-दुश्मन; ~सा मुँह लेकर अपतंत्रक-सं० (पु०) हाथ-पैर सूज जाने का रोग रह जाना या लौट जाना लज्जित होना. निराश होकर लौट अपतर्पण-सं० (पु०) 1लंघन, उपवास 2 तप्ति का अभाव आना; अपनी-अपनी पढ़ना सबको अपनी चिंता होना; अपतानिका-सं० (स्त्री०) पेशी तनने का रोग
~गाना अपनी ही बात कहना; अपनी नींद सोना आराम से अपत्नी-सं० (वि०) 1 जो किसी की पत्नी न हो 2 विधवा सोना; अपनी बात का एक होना अडिग रहना; अपनी बात अपत्नीक-सं० (वि०) जिसकी पत्नी न हो, रँडुआ पर आना; अपने तक रखना किसी से मत कहना; अपने अपत्य-सं० (पु०) संतान, वंशज। ~काम (वि०) संतान पर आना अपने बुरे स्वभाव के अनुसार कार्य करना; अपने का इच्छुक; ~वाचक (पु०) वह संज्ञा जिससे किसी की पैरों पर कुल्हाड़ी मारना खुद का नुकसान करना; अपने मुँह संतान का अर्थ मिले - जैसे- दशरथ से दाशरथि); ~वाची मियाँ मिट्ट बनना आत्म प्रशंसा करना; अपने हाथों कब्र (स्त्री०) अपत्यवाचक
खोदना अपना अहित करना अपत्र-सं० (वि०) 1 बिना पत्तों का 2 पंखहीन
अपनाना-(स० क्रि०) 1 स्वीकार कर लेना 2 अपना बना लेना अपत्रप-सं० (वि०) निर्लज, धृष्ट
अपनापा-(पु०) अपनापन, आत्मीयता अपत्रण-(पु०) अपत्रपा-सं० (स्त्री०) 1 लज्जा, संकोच अपनाम-सं० (पु.) 1 बदनामी 2 निंदा 2 आकुलता
अपनायत- (स्त्री०) आत्मीयता, आपसदारी अपत्रस्त-सं० (वि०) भीत, डरा हुआ
अपनाव-(पु०) अपनाने की क्रिया अपथ-सं० (वि०) 1 पथहीन, 2 जहाँ अच्छे रास्ते न हों। । अपनिर्वचन-सं० (पु०) भ्रांत व्याख्या ~णामी (वि०) कुमार्गगामी
अपनिहित-सं० (वि०) ग़लत रखा हुआ
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अपनीत
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अपराह्न
अपनीत-1 सं० (वि०) 1 दूर किया हुआ 2 निकाला हुआ अपरंपार-सं० (वि०) अपार, असीम 3 खंडित 4 विरोधी II (पु०) दुराचरण
अपर-सं० (वि०) 1 अन्य 2 पिछला 3 निकृष्ट 4 दूसरे का अपनेता-सं० (वि०) हर ले जानेवाला
5 दूरवर्ती। काल (पु०) बाद का समय; ~ता (वि०) अपनोद-सं० (पु०) 1 दूर करना 2 प्रायश्चित करना बाद में उत्पन्न तंत्र (वि०) स्वतंत्र; ~ज (स्त्री०) अपनोदन-सं० (पु०) अपनोद
1भित्रता 2 पृथक्तव 3 दूरी 4 गैरपन; दक्षिण (पु०) अपपाठ-सं० (पु०) गलत, सदोष पाठ
दक्षिण पश्चिम कोण; दिशा (स्त्री०) पश्चिम दिशा; अपपात्र-सं० (वि०) सब लोगों के व्यवहार में आनेवाला पात्र ~पक्ष (पु०) 1 महीने का दूसरा पक्ष 2 प्रतिपक्ष, प्रतिवादी न दिया जाय, वर्णच्युत
पक्ष; ~भाव (पु०) अन्य भाव, अंतर; --लोक (पु०) अपप्रदान-सं० (पु०) रिश्वत, घूस, उत्कोच
1 दूसरा लोक 2 स्वर्ग; ~वश (वि०) जो परवश न हो, अपप्रयोग-सं० (पु०) दुष्प्रयोग
स्वतंत्र अपभय-I सं० (वि०) भय रहित II (पु०) 1 भय अपरक्त-सं० (वि०) 1 बिना रंग का 2 रक्तहीन 3 राग-रहित 2 अकारण भय 3 भय का न रहना
अपरक्ति-सं० (स्त्री०) अनुराग/प्रेम आदि का अभाव अपभाषण-सं० (पु०) निंदा करना, गाली देना
अपरक्राम्य-सं० (वि०) जो दूसरों को न सौंपा जाए अपभाषा-सं० (स्त्री०) अनुचित या गंदी भाषा
अपरति-सं० (स्त्री०) प्रेम का अभाव अपभोग-सं० (पु०) विषय का अनुचित रूप से किया अपरत्र-सं० (क्रि० वि०) और कहीं जानेवाला भोग
अपरदन-सं० (पु०) 1क्षय 2 क्षीणता अपभ्रंश-सं० (पु०) 1 नीचे गिरना 2 बिगाड़ 3 शब्द का अपरव-सं० (पु०) झगड़ा, विवाद विकृत रूप 4 प्राकृत से उद्भूत आर्यभाषा
अपरस-I सं० (पु०) एक चर्मरोग II (वि०) 1 अस्पृश्य अपभ्रष्ट-सं० (वि०) 1 बिगड़ा हुआ 2 गिरा हुआ
2 अलिप्त अपमर्दन-सं० (पु०) बुरी तरह कुचलना
अपरांत-सं० (पु०) 1 पश्चिमी सीमांत 2 पश्चिमी सीमांत का अपमर्श-सं० (पु०) 1 स्पर्श 2 जिंदा 3 घर्षण
देश या निवासी अपमान-सं० (पु०) मान भंग, बेइज्ज्ती, तिरस्कार, निरादर। | अपरा-I सं० (स्त्री०) 1 पदार्थ विद्या 2 लौकिक विद्या ~कारक (वि०) अपमानजनक; ~कारी (वि०) अपमान 3 पश्चिमी दिशा II (वि०) दूसरी करनेवाला; जनक (वि०) जिसके फलस्वरूप अपमान अपराग-सं० (पु०) प्रेम का अभाव, शत्रुता होता हो; ~लेख (पु०) ऐसा लेख जिससे किसी का अपमान अपराजित-[ सं० (वि०) जो जीता न गया हो, अजेय हो; ~वचन (पु०) ऐसा वचन जिससे किसी का मान भंग __ II (पु०) विष्णु हो; ~का जीवन मृत्यु से भी बुरा है बेइज़्ज़त होने से मरना | अपराजिता-सं० (स्त्री०) जो जीती न गई हो, अजेय, दुर्गा, अच्छा
विष्णुकांता, अयोध्या नगरी अपमानिक-सं० (वि०) अपमान सूचक (शब्द, बात.) अपराजेय-सं० (वि०) जो जीता न जा सके, अजेय अपमानित-सं० (वि०) जिसका अपमान किया गया हो. अपराद्ध-I सं० (वि०) 1जिसने अपराध किया हो 2 दोषी तिरस्कृत
अतिक्रांत II (पु०) अपराध अपमानी-सं० (वि०) अपमान करनेवाला
अपराध-सं० (पु०) 1 दोष, जुर्म 2 दंड योग्य कर्म 3 ग़लती अपमान्य-सं० (वि०) 1 जिसका अपमान किया जा सकता हो 4 पाप। ~अन्वेषण (पु०) अपराध ढूढ़ना; ~गोपन 2निंदनीय
(पु०) अपराध छिपाना; ~पूर्ण (वि०) अपराधयुक्त; अपमार्ग-सं० (पु०) 1 कुमार्ग 2 अंग परिमार्जन
प्रवर्तक (पु०) अपराध शुरू करनेवाला; ~मोचन अपमार्गी-सं० (वि०) कुपथगामी, पापी
(पु०) अपराध को दूर करनेवाला; विज्ञान (पु०) अपमार्जन-I सं० (पु०) 1 शुद्धि 2 बाल बनाना II (वि०) अपराध के कारणों का विमोचन करनेवाला विज्ञान; ~वृत्ति नष्ट करनेवाला
(स्त्री०) अपराध करके खाना-पीना; ~वैज्ञानिक (पु०) अपमार्जित-सं० (वि०) जिसका अपमार्जन किया गया हो अपराध का ज्ञाता; ~शास्त्र (पू) अपराध संबंधी तथ्यों का अपमिश्रण-सं० (पु०) किसी वस्तु में घटिया वस्तु को मिलाने ज्ञान करानेवाला शास्त्र; ~शील (वि०) स्वभावतः अपराध की क्रिया 2 खोट 3 मिलावट
करनेवाला; ~ सहकार (पु०) अपराध करने में सहयोग अपमृत्यु-सं० (स्त्री०) अकाल मृत्यु
देनेवाला; ~सहकारी (पु०) अपराध साथी; में सहयोग अपयश-सं० (पु०) अपकीर्ति, बदनामी
-सिद्धि (स्त्री०) अपराध का प्रमाणित होना; ~स्वीकरण अपयशस्कर-सं० (वि०) जिससे कर्ता का अपयश हो (कार्य, (पु०) अपराध स्वीकार करना बात)
अपराधिनी-सं० (स्त्री०) अपराधी स्त्री अपयान-सं० (पु०) 1 पलायन, भागना 2 खिसक जाना अपराधी-सं० (वि०) 1 अपराध करनेवाला 2 दोषी अपयोग-सं० (पु०) 1कुयोग 2 कुसमय 3 कुचाल अपरामृष्ट-सं० (वि०) अव्यवहत, कोरा, अछूता अपयोजन-सं० (पु०) 1 अनुचित रूप से उपयोग करना (धन अपरार्ध-सं० (वि०) बादवाला आधा आदि) 2 गलत जोड़ना
अपरावर्ती-सं० (वि०) पीछे न हटनेवाला अपरच-सं० (क्रि० वि०) 1 और भी 2 दूसरा भी 3 फिर भी | अपराह-सं० (पु०) तीसरा पहर
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अपरिकलित
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अपवाचक
अपरिकलित-सं० (वि०) 1 अज्ञात 2 अदृष्ट
| अपरिष्कृत-सं० (वि०) 1जो साफ न किया गया हो अपरिक्रम-सं० (वि०) 1 चलने में असमर्थ 2 परिश्रम न । 2 असंस्कृत करनेवाला
अपरिसर-I सं० (वि०) 1 निकट नहीं 2 अप्रशस्त II (पु०) अपरिगणित-सं० (वि०) 1 अनगिनत 2 जिसकी सूची में विस्तार का अभाव गणना न की गई हो
अपरिसीम-सं० (वि०) 1 बेहद 2 बिना हदबंदी का अपरिगण्य-सं० (वि०) अनगिनत
अपरिहरणीय-सं० (वि०) = अपरिहार्य अपरिगत-सं० (वि०) 1 अज्ञात 2 अप्राप्त
अपरिहार-सं० (पु०) अनिवारण अपरिगृहीत-सं० (वि०) 1 अस्वीकत 2 त्यक्त
अपरिहारित-सं० (वि०) जिसका निवारण न किया गया हो अपरिग्रह-I सं० (पु०) 1 दान का अस्वीकार 2 आवश्यकता अपरिहार्य-सं० (वि०) 1 अत्याज्य 2 अनिवार्य 3 अवश्यंभावी से अधिक दान न लेना II (वि०) संपत्ति रहित
4 आवश्यक अपरिग्रही-सं० (वि०) दान अथवा अधिक धन स्वीकार न अपरीक्षित-सं० (वि०) 1 जिसकी परीक्षा न हई हो करनेवाला
2 मूर्खतापूर्ण 3 अप्रमाणित अपरिग्राह्य-सं० (वि०) अस्वीकार्य
अपरुद्ध-सं० (वि०) अवैध ढंग से रोका हुआ अपरिचय-सं० (पु०) परिचय का अभाव
अपरुष-सं० (वि०) 1 क्रोध रहित 2 अकठोर अपरिचयी-सं० (वि०) 1जिसकी पहचान न हो 2 जो | अपरूप-I सं० (वि०) 1 कुरूप 2 भद्दा II (पु०) कुरूपता मिलनसार न हो
2 भद्दापन अपरिचित-सं० (वि०) 1 अज्ञात 2 अनभिज्ञ 3 अजनबी अपरेंटिस-अं० (पु०) शिक्षु, शागिर्द । अपरिच्छद-सं० (वि०) 1 वस्त्रहीन 2 खुला 3 फटेहाल, निर्धन अपरोक्ष-सं० (वि०) 1 जो परोक्ष न हो, प्रत्यक्ष 2 जो दूर न हो अपरिछन्न-सं० (वि०) 1 आवरणरहित, निरावरण, नग्न 3 विद्यमान 2 व्यापक
अपरोध-सं० (पु०) वर्जन, निषेध, टोकना अपरिणत-सं० (वि०) 1 अनपका 2 ज्यों का त्यों। ~प्रसव अपरोप-सं० (पु०) 1 उन्मूलन 2 राज्यच्युति (पु०) कच्चा भ्रूण बाहर आना
अपर्णा-सं० (स्त्री०) वह जिसने पत्ते तक (खाने) छोड़ दिये अपरिणय-सं० (पु०) 1 चिरकौमार्य 2 विवाह न करना पार्वती अपरिणाम-सं० (पु०) विकार रहित होना । ~दी (वि०) । अपर्यंत-सं० (वि०) असीम, अपरिमित
अपर्याप्त-सं० (वि.) 1 जो पर्याप्त न हो 2 अधरा 3 अयोग्य अपरिणामी-सं० (वि०) जो बदले नहीं, एकरस
अपर्याप्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूर्णता का अभाव 2 अक्षमता अपरिणीत-सं० (वि०) अविवाहित
अपर्याय-I सं० (वि०) क्रमहीन || (पु०) 1क्रमहीनता अपरिपक्व-सं० (वि०) जो पका नहीं, अधकचरा, कच्चा । 2 असमानार्थ अपरिपक्वावस्था-सं० (स्त्री०) 1 कच्ची हालत 2 कच्ची उम्र अपलक-1 सं० (क्रि० वि०) एकटक II (वि०) जिसकी अपरिभाषित-सं० (वि०) जिसकी परिभाषा निश्चित न की गई हो पलकें न गिरें अपरिमाण-I सं० (वि०) अपरिमित II (पु०) मात्रा का अपलक्षण-सं० (पु०) 1 अशुभ या बुरा लक्षण अभाव
2 अतिव्याप्ति-दोषयुक्त लक्षण अपरिमार्जित-सं० (वि०) अनमांजा, गंदा
अपलाप-सं० (पु०) 1 छिपाना 2 बात बनाना 3 बकबक अपरिमित-सं० (वि०) 1 बे-हद 2 बे-हिसाब, अगणित अपलापी-सं० (वि०) अपलाप करनेवाला, बकवासी 3 अत्यधिक
अपलाभ-सं० (पु०) अनुचित रूप से प्राप्त लाभ अपरिमेय सं० (वि.) 1जिसकी नाप तौल न हो सके अपलेखन-सं० (पु०) बट्टे-खाते लिखना 2 अनगिनत
अपवचन-सं० (पु०) निंदा, अपशब्द अपरिवर्त-सं० (वि०) जिसमें फेर बदल न हो सकता हो अपवन-I सं० (वि०) वायु रहित || (पु०) उपवन अपरिवर्तन-सं० (पु०) परिवर्तन न होना। ~वाद (पु०) अपवरण-सं० (पु०) आवरण दूर करना, परदा हटाना यह मत कि जो चल रहा है वही ठीक है
अपवर्ग-सं० (पु०) 1 मोक्ष 2 त्याग 3 दान 4 समाप्ति अपरिवर्तनीय-सं० (वि०) 1 न बदलनेवाला 2 अटल 3 जो अपवर्जन-सं० (पु०) 1 त्याग 2 साग 3 चुकाना बदले में न दिया जा सके
अपवर्जित-सं० (वि०) 1 त्याग किया हुआ 2 दिया हुआ अपरिवर्तित-सं० (वि०) जिसमें कोई परिवर्तन न हुआ हो अपवर्तक-सं० (वि०) हटाने या निकालने वाला अपरिवाद्य-सं० (वि०) भर्त्सना के अयोग्य
अपवर्तन-सं० (पु०) 1 परिवर्तन 2 हटाना 3 कुछ निकाल लेना अपरिवृत-सं० (वि०) 1 जो घिरा न हो 2 अपरिच्छन्न ।
अपवर्तित-सं० (वि०) 1 परिवर्तित 2 पृथक् किया हुआ अपरिशेष-[ सं० (वि०) 1 कुछ शेष न रहनेवाला 2 व्यापक अपवर्त्य सं० (वि०) 1 जिसका अपवर्तन हो सकता हो 2 ग० II (पु०) सीमा का अभाव
गुणज अपरिश्रमी-सं० (वि०) परिश्रम न करनेवाला
अपवहन-सं० (पु०) भटक जाना अपरिष्कार-सं० (पु०) 1 भद्दापन 2 संस्कार का अभाव | अपवहित-सं० (वि०) 1 जो भटक गया हो 2 स्थानांतरित 3मैलापन, गंदगी
अपवाचक-सं० (वि०) चुग़लखोर
अदूरदर्शी
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अपवाद
अपवाद - सं० (पु० ) 1 बदनामी 2 लांछन 3 खंडन 4 सामान्य नियम से भिन्न बात। ~ स्वरूप ( क्रि० वि०) भिन्न नियम के रूप में
अपवादक-सं० (वि०) निंदा करनेवाला 2 चुगलखोर
3 बाधक
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अपवादात्मक-सं० 1 निंदात्मक 2 अपत्रादपूर्ण
अपवादिक-सं० (वि०) 1 अपवाद संबंधी 2 नियम विरुद्ध होनेवाला
अपवादित -सं० (वि०) निंदित
अपवादी-सं० (वि०) अपवादक
अपवारण-सं० ( पु० ) 1 छिपाना 2 हटाना 3 व्यवधान अपवारित - I सं० (वि०) 1 छिपा हुआ, ढका हुआ 2 दूसरों से अलग II (पु० ) (नाटक में) केवल एक पात्र के सुनने का संवाद
अपवाह - सं० (पु० ) 1 जल निकास, नाली 2 प्रवाह की गति में अवांछित वस्तुओं का बह जाना
अपवाहक-सं० (वि०) 1 बहा ले जानेवाला 2 स्थानांतरित करनेवाला
अपवाहन -सं० (पु० ) 1 स्थानांतरित करना 2 बाकी निकालना अपविघ्न-सं० (वि०) अबाधित, विध्ररहित अपवित्र - सं० (वि०) 1 अशुद्ध 2 मलिन अपविद्ध - सं० (वि०) 1 बेधा हुआ 2 नीच । पुत्र (पु० ) वह पुत्र जो माता-पिता द्वारा त्यक्त होने पर अन्य द्वारा पालित हो
अपविद्या-सं० (स्त्री०) भ्रम
अपवृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 सूराख, रन्ध्र 2 त्रुटि, दोष अपवृत्त - सं० (वि० ) 1 घुमाया हुआ 2 समाप्त किया हुआ 3 औंधा
अपवृत्ति-सं० (स्त्री०) अंत, समाप्ति
अपवृद्धि - सं० (स्त्री०) बुरी तरह बढ़ जाना अपव्यय - सं० (पु० ) अनुचित व्यय, फ़िजूलखर्ची अपव्ययी -सं० (वि०) व्यर्थ या अनुचित व्यय करने वाला अपव्यवहार-सं० (पु० ) अनुचित या अशुभ व्यवहार अपव्रत-सं० (वि०) 1 शास्त्र विहित कर्म न करने वाला 2 व्रतत्यागी
.
अपशंक-सं० (वि०) निःशंक, निडर
अपशकुन -सं० ( पु० ) असगुन, अशुभ लक्षण अपशब्द - सं० (पु० ) 1 अशुभ शब्द 2 बिगड़ा हुआ शब्द 3 दुर्वचन 4 गाली गलौज 5 निंदित शब्द अपशम-सं० (पु० ) 1 विराम 2 समाप्ति अपशिष्ट-सं० (वि०) रद्दी
अपश्वास-सं० (पु० ) अपान वायु
अपसंग्रह - सं० (पु० ) अनियमित ढंग से इकट्ठा किया गया अपसंचय - सं० (पु०) अपसंग्रह
अपसगुन सं० (पु० ) = अपशकुन
अपसरक-सं० (वि०) भाग जाने वाला
अपसरण - सं० (पु० ) 1 पीछे हटना 2 भागना 3 निकल भागने
का रास्ता
अपसर्जन - ( पु० ) 1 त्याग 2 दान 3 मोक्ष अपसर्प - सं० (पु० ) भेदिया, जासूस
अपाक
अपसर्पक - सं० (पु० ) अपसर्प अपसर्पण-सं० (पु० ) 1 लौटना 2 जासूसी करना अपसव्य-सं० (वि०) 1 दाहिना 2 उल्टा । ~करना परिक्रमा
करना
अपसामान्य-सं० (वि०) सामान्य से घटा-बढ़ा अपसारण - सं० (पु० ) 1 दूर ले जाना 2 निकाल बाहर करना 3 फेंक देना
अपसारित-सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 दूर किया हुआ अपसारी-सं० (वि०) अपसारण करनेवाला, हटता हुआ अपसिद्धांत-सं० (पु० ) 1 गलत निर्णय 2 विरुद्ध सिद्धांत अपसृत - सं० ( पु० ) 1 गया हुआ 2 हटाया गया 3 परित्यक्त अपसौना - (अ० क्रि०) 1 जाना 2 पहुँचना 3 प्राप्त होना अपस्कर -सं० (पु० ) 1 ढांचा 2 विष्ठा, मल अपस्नान - सं० (पु० ) मृतक स्नान, उदक क्रिया के समय किया जानेवाला स्नान
अपस्फीति - सं० (स्त्री) मुद्रा के बाहुल्य में कमी होना अपस्मार - सं० (पु० ) 1 मिरगी रोग 2 स्मरण शक्ति की हानि अपस्मारी-सं० (वि०) मिरगी का रोगी अपस्मृति-सं० (वि०) 1 विस्मृति 2 घबड़ाया हुआ अपस्वर -सं० ( पु० ) बुरा या गलत स्वर अपस्वार्थी - हिं० + सं० (वि०) निकृष्ट स्वार्थवाला अपह-सं० (वि०) निवारण या नाश करनेवाला अपहत-सं० (वि०) 1 नष्ट किया हुआ 2 मारा हुआ अपहनन -सं० (पु०) बुरी तरह मार डालना अपहरण - सं० (पु० ) 1 छीन लेना 2 चुरा ले जाना । कर्त्ता (वि०) 1 चुरानेवाला 2 उठा ले जानेवाला अपहर्त्ता-सं० (वि० ) अपहरणकर्ता अपहसित - I सं० (पु०) अकारण हँसी II (वि०) अकारण हँसनेवाला
=
अपहस्त-सं० ( पु० ) 1 दूर फेंकना 2 चुराना 3 लूटना 4 अर्द्धचंद्र
अपहस्तित - सं० (वि० ) 1 फेंका हुआ 2 परित्यक्त अपहानि - सं० (स्त्री०) 1 परित्याग 2 कम होना 3 गायब होना अपहार-सं० ( पु० ) 1 अपहरण 2 लूट अपहारक -सं० (वि०) अपहरण करनेवाला अपहारित-सं० (वि०) चुराया हुआ अपहारी-सं० (वि०) अपहारक
अपहार्य - सं० (वि०) जिसका अपहरण हो सके अपहास-सं० ( पु० ) 1 अनुचित हँसी 2 उपहास 3 चिढ़ाना अपहृत -सं० चुराया हुआ
अपहेला -सं० (स्त्री०) तिरस्कार, भर्त्सना
अपहोल्सटरी-अं० (स्त्री०) कमरे का सामान
अपह्नुति - सं० (स्त्री०) 1 छिपाव 2 अलंकार जिसमें उपमेय का · निषेध करके उपमान की स्थापना की जाए
अपह्नव - सं० (पु० ) 1 छिपाना 2 बात बनाना 3 तुष्टिकरण 4 प्रेम अपांक्त-सं० (वि०) पंक्ति से हटाया हुआ
अपांग - I सं० (वि०) 1 अंगहीन 2 अशरीरी 3 पंगु II ( पु० ) आँख की कोर । ( स्त्री०) तिरछी नज़र, कटाक्ष अपाक - I सं० (वि०) अनपका II ( पु० ) 1 अपच
दृष्टि
2 कच्चापन
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अपाकरण
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अपक्त
अपाकरण-सं० (पु०) 1 दूर करना 2 अस्वीकृति 3 चुकता अपील-अं० (स्त्री०) 1 साग्रह प्रार्थना 2 चंदे आदि के लिये करना
सार्वजनिक प्रार्थना 3 (फ़ैसला बदलवाने हेतु उच्च अदालत अपाकर्म-सं० (पु०) चुकाना, अदायगी
में) दरख्वास्त, याचिका। -कर्ता +सं० (पु०) याचक; अपाकृत-सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 चुकता किया हुआ ~खारिज करना (पु०) प्रार्थना अस्वीकार करना; दायर अपाच्य-सं० (वि०) 1 जो पच न सके 2 जो पकाया न जा करना (पु०) प्रार्थना करना; ~मंजूर करना (पु०) प्रार्थना सके
स्वीकार करना अपाटव-I सं० (पु०) 1 अपटुता 2 भद्दापन 3 रोग II (वि०) अपील अदालत-अं० + अ० .(स्त्री०) अपील सुनने की 1 अकुशल 2 रोगी
अदालत अपात्र-सं० (वि०) अनधिकारी
अपीलेंट-अं० (पु०) अपील कर्ता अपाद-सं० (वि०) बिना पैरों का, पंगु
अपीली-अं० (वि०) अपील संबंधी अपादान-सं० (पु०) 1 हटाना 2 बिलगाव 3 (व्याकरण में) अपुच्छ-सं० (वि०) बिना पूँछ का, पुच्छविहीन. पांचवा कारक। कारक (पु०) व्या० अलगपन दिखाने का | अपुण्य-[ सं० (वि०) 1 अधार्मिक 2 अपवित्र II (पु०) अर्थ देनेवाला कारक
पुण्य का अभाव अपान-I सं० (पु०) 1 आत्मज्ञान 2 आत्मगौरव 3 गुदा मार्ग से अपुत्र-सं० (वि०) 1 जिसे पुत्र न हो 2 कुपुत्र
निकलने वाली वायु II (सर्व०) अपना III (वि०) अपुत्रक-सं० (वि०) अपुत्र . दुःखहर्ता। द्वार (पु०) गुदा; ~वायु (स्त्री०) गुदा मार्ग | अपुनरादेय-सं० (वि०) जिसे फिर न लौटाया जाए से बाहर आनेवाली वायु
अपुनरावर्तन-सं० (पु०) 1 फिर न लौटना 2 फिर न करना अपाप-I सं० (वि०) पाप रहित, निर्दोष II (पु०) पुण्य __ 3 मोक्ष अपामार्जन-सं० (पु०) 1 सफ़ाई 2 दूर करना, निवारण अपुनरावृत्ति-सं० (स्त्री) अपुनरावर्तन अपाय-1 सं० (वि०) निरुपाय II (पु०) 1 अलगाव 2 नाश अपुनर्भव-सं० (पु०) 1 पुनः जन्म न लेना 2 मोक्ष 3 अंत 4 बुराई 5 विपत्ति
अपुरण-सं० (वि०) जो पुराना न हो, नया अपायी-सं० (वि०) 1 जानेवाला 2 नाशवान 3 अहितकर अपुरातन-सं० (वि०) नवीन अपार-I सं० (वि०) 1जिसका पार न हो 2 असीम अपुरुष-I सं० (वि०) 1 अमानुषिक 2 जो पुरुष न हो 3 अत्यधिक 4 जिसे पार करना कठिन हो II (पु०) ___ II (पु०) हिजड़ा 1 मानसिक संतोष 2 असहमति 3 नदी का दूसरा तट 4 समुद्र। अपुष्ट-सं० (वि०) 1 जिसका पोषण ठीक तरह से न हआ हो
दर्शिता (स्त्री०) (किसी वस्तु में से) आरपार न दिखाई 2 दुर्बल 3 मंद 4 जिसकी पुष्टि न हुई हो देना; ~दर्शी (वि०) 1 जो पारदर्शी न हो 2 जिससे आरपार अपुष्टिकर-सं० (वि०) पोषण न करनेवाला न दिखाई दे
अपूजक-सं० (वि०) 1 अधार्मिक 2 अभक्त अपार्थ-सं० (वि०) 1अर्थहीन 2 निरुद्देश्य 3 व्यर्थ अपूजा-सं० (स्त्री०) अनादर अपार्थक-सं० (वि०) निकम्मा, निरर्थक
अपूजित-सं० (वि०) जिसकी पूजा न की गई हो अपार्थिव-सं० (वि०) जो पृथ्वी संबंधी न हो
अपूज्य-सं० (वि०) पूजा या सम्मान के अयोग्य अपालन-सं० (पु०) न पालना
अपूठा-हिं० (वि०) 1 जो प्रौढ़ न हो 2 अधकचरा 3 अनभिज्ञ अपावन-सं० (वि०) 1 अशुद्ध 2 मलिन
4 अविकसित अपावरण-सं० (पु०) आवरण हटाना
अपूत-I सं० (वि०) अपवित्र 2 मलिन II (पु०) कपूत अपावर्तन-सं० (पु०) 1पीछे लौटना, वापसी 2 अस्वीकृति अपूप-सं० (पु०) 1 मालपुआ 2 गेहूँ 3 शहद का छत्ता अपावृत-सं० (वि०) 1पीछे हटाया हुआ 2 अनियंत्रित | अपूरणीय-सं० (पु०) पूरा न किया जाने योग्य .. 3 खुला
अपूर्ण-सं० (वि०) 1 जो पूरा न हो. अधूरा 2 न्यून 3 खाली। अपाश्रय-सं० (वि०) 1आश्रयहीन 2 निराधार
~सूची (स्त्री०) अधूरी सूची; -क्रिया द्योतक (वि०) अपासन-I सं० (पु०) 1 फेंकना 2 अलग करना 3 वध करना __ अधूरे कार्य; ~भूत (पु०) क्रिया का वह काल जिसमें II (वि०) अपास्त
भूतकाल तो पाया जाय पर क्रिया की समाप्ति न हई हो अपासरण-सं० (पु०) 1 गमन 2 पलायन
अपूर्णता-सं० (स्त्री०) 1 अधूरापन 2 कमी अपाहिज-सं० (पु०) 1 अपंग, पंगु 2 आलसी 3 अकर्मण्य अपूर्णाक-सं० (पु०) बिना पूर्ण अंक का अपिच-(अ०) और भी, पुनश्च
अपूर्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूरा न होना, कमी 2 अतृप्ति अपितु-सं० बल्कि, किंतु
अपूर्व-[ सं० (वि०) 1 जैसा पहले न हुआ हो, अनूठा अपित्रक-सं० (वि०) 1पितृहीन 2 अपैतृक
2 अद्भुत 3 अज्ञात II (पु०) 1 परब्रह्म 2 पाप-पुण्य । अपित्रय-सं० (वि०) अपैतृक |--संपत्तिख
विधि (स्त्री०) नया अधिकारिक आदेश; ~कल्पित अपिधान-सं० (पु.) 1 ढकना 2 आच्छादन, अनावरण | (वि०) जो पूर्व कल्पित न हो; दृष्ट (वि०) जो पूर्व न देखा 3 छिपाव
गया हो अपिन-सं० (वि०) 1 ढका हआ 2 बँधा हआ अपूर्वागत-सं० (वि०) जो पहले न आया हो अपिहित-सं० (वि०) 1 ढका 2 आवृत्त
अपृक्त-सं० (वि०) 1 असंयुक्त 2 असंबद्ध, बेमेल, बेजोड़
माग
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अपृथक
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अप्रमाण
अपृथक्-सं० (वि०) संयुक्त, मिला हुआ
अप्रतिकार-[सं० (पु०) प्रतिकार का अभाव 2 जिसका कोई अपृष्ट-सं० (वि०) अनपूछा
उपाय न हो सके II (वि०) निरुपाय अपेक्षक-सं० (वि०) 1 देखनेवाला 2 अपेक्षा करना या रखना अप्रतिकारी-सं० (वि०) प्रतिकार न करनेवाला 2 आशा 3 आसरा देखना
अप्रतिघ-सं० (वि०) 1 अजेय 2 जो रोका न जा सके अपेक्षणीय-सं० (वि०) अपेक्षा करने योग्य, वांछनीय अप्रतिघात-सं० (वि०) 1 विरोधरहित 2 आघात से बचा हुआ अपेक्षया-सं० = अपेक्षाकृत
अप्रतिदेय-सं० (वि०) जो वापस न लिया जा सके। ऋण अपेक्षा-1 सं० (स्त्री०) 1 चाह 2 आशा 3 आदर वापस न किया जानेवाला ऋण 4 आवश्यकता II (क्रि० वि०) तुलना में। ~कृत (क्रि० अप्रतिद्वंद्व-सं० (वि०) बिना प्रतिद्वंद्वी का, बेजोड़ वि०) किसी की तुलना में; ~बुद्धि (स्त्री०) भेद बुद्धि अप्रतिपक्ष-सं० (वि०) 1 अप्रतियोगी 2 असमान अपेक्षित-सं० (वि०) जिसकी चाह या आशा हो अप्रतिपत्ति-सं० (स्त्री०) 1 निश्चय का अभाव 2 कर्तव्य का अपेक्षी-सं० (वि०) अपेक्षा करनेवाला
निश्चय न कर सकना 3 व्याकुलता 4 अर्थ निकालने की अपेक्ष्य-सं० (वि०) 1 अपेक्षणीय 2 अपेक्षा योग्य
अक्षमता अपेत-सं० (वि०) 1 गया हआ 2 पलायित 3 वंचित अप्रतिपन्न-सं० (वि०) 1 अनिश्चित 2 असंपत्र 3 जिसे अपने अपेया-सं० (वि०) ना पीने योग्य
कर्तव्य का ज्ञान न हो अपैतृक-सं० (वि०) जो पैतृक न हो
अप्रतिबंध-[सं० (पु०) स्वच्छंटना || (वि०) 1 बे रोक टोक अपोगंड-सं० (वि०) 1 सोलह वर्ष से अधिक अवस्थावाला 2 बिना किसी झगड़े के 2 वयस्क 3 डरपोक 4 विकलांग
अप्रतिबद्ध-सं० (वि०) 1 बे रोक-टोक 2 मनमाना अपोह-सं० (पु०) 1 दूर करना 2 तर्क द्वारा शंका निवारण अप्रतिबल-सं० (वि०) बेजोड़ ताकत वाला 3 ऊहापोह 4 (विज्ञान में) जलधारा के साथ मिलकर अप्रतिभ-सं० (वि०) 1 प्रतिभाहीन 2 उदास 3 लज्जाशील बहनेवाली मिट्टी, बालू आदि
अप्रतिभा-सं० (स्त्री०) 1 प्रतिभाहीनता 2 दब्बूपन अपोहित-सं० (वि०) अनDथा
अप्रतिम-सं० (वि०) बेजोड़, अनुपम अपौतिक-सं० (वि०) जिसमें सड़न न हो
अप्रतिरूप-सं० (वि०) अद्वितीय अपौरुष-[ सं० (वि०) 1 पुरुषार्थहीन 2 भीरु 3 अपुरुषोचित अप्रतिरोध्य-सं० (वि०) जिसका विरोध न किया जा सके 4जो मनुष्य सा न हो II (पु०) पौरुष का अभाव अप्रतिलभ्य-सं० (वि०) 1 अप्राप्य 2 अनिद्य। अपौरुषेय-I सं० (वि०) 1 जो मनुष्य की शक्ति और सामर्थ्य अप्रतिष्ठ-सं० (वि०) 1 बेइज़्ज़त 2 अस्थिर 3 निकम्मा
के बाहर हो, दैवी 2 लोकोत्तर II (पु०) वीरता का अभाव अप्रतिष्ठा-सं० (स्त्री०) 1 आदर मान का अभाव 2 बेइज्जती अपौष्टिक-सं० (वि०) अपुष्टिकर
3 स्थिरता का अभाव। -जनक (वि०) अनादर पैदा अप्रकंप-सं० (वि.) 1 कंपहीन 2 अचल, स्थिर 3 अखंडित करनेवाली 4 जिसका उत्तर न दिया गया हो ।
अप्रतिष्ठित-सं० (वि०) 1 प्रतिष्ठाहीन 2 जो स्थिर या अप्रकट-सं० (वि०) 1 जो प्रकट न हो 2 गुप्त, छिपा हुआ सुव्यवस्थित न हो अप्रकाश-[ सं० (पु०) 1 प्रकाश का अभाव 2 रहस्य अप्रतिहत-I सं० (वि०) 1 जिसे कोई रोक न सके. निर्बाध II (वि०) 1 प्रकाश रहित 2 अंधकारपूर्ण
2 अप्रभावित 3 अपराजित 4 अक्षुण्ण II (पु०) अंकुश अप्रकाशित-सं० (वि०) 1 प्रकाशहीन 2 जो छपा न हो अप्रतीत-सं० (वि०) 1 अप्रसन्न 2 अगम्य 3 जिसे प्रतीति न अप्रकाश्य-सं० (वि०) प्रकाशित या प्रकट करने के अयोग्य | हुई हो 4 अस्पष्ट अप्रकृत-सं० (वि०) 1 अयथार्थ 2 अस्वाभाविक, बनावटी अप्रतुल-[ सं० (पु०) 1 वज़न की कमी 2 अभाव 3 गौण 4 विषय से असंबद्ध
3 आवश्यकता II (वि०) अतुलनीय, अद्वितीय अप्रकृति-सं० (स्त्री०) 1 विकृति 2 पुरुष 3 आत्मा। ~स्थ अप्रत्यक्ष-सं० (वि०) 1 जो दिखाई न दे, अगोचर 2 परोक्ष (वि०) 1 अस्वस्थ 2 रोगी 3 व्याकुल
3 गुप्त अप्रकृष्ट-I सं० (वि०) नीच, बुरा II (पु०) काक, कौआ अप्रत्यय-I सं० (पु०) 1 विश्वास का अभाव 2 प्रतीति का अप्रखर सं० (वि०) 1 अतीक्ष्ण, भोथरा 2 सुस्त 3 कोमल, मदु अभाव II (वि०) 1 विभक्ति रहित 2 अनभिज्ञ 3 विश्वास अप्रगतिशील-सं० (वि०) 1 अप्रगामी 2 यथापूर्वस्थितिवादी
रहित अप्रगल्भ-स० (वि०) 1 विनीत 2 दब्बू 3 अप्रौढ़ 4 ढीला अप्रत्योदय-सं० (वि०) न लौटा सकने योग्य अप्रगुण-सं० (वि०) 1 व्याकुल 2 व्यस्त
अप्रत्याशित-सं० (वि०) 1 जिसकी आशा न रही हो अप्रचलन-सं० (पु०) अव्यवहार
2 आकस्मिक अप्रचलित-सं० (वि०) जिसका चलन या व्यवहार न हो | अप्रधान-[सं० (वि०) 1 गौण 2 छोटा II (पु०) गौण कार्य अप्रचुर-सं० (वि०) जो काफी न हो
अप्रपंचवाद-सं० (पु०) यह सिद्धांत कि जगत् का अस्तित्व है अप्रच्छन्न-सं० (वि०) 1 अनावृत 2 स्पष्ट
ही नहीं अप्रज-सं० (वि०) 1 निःसंतान 2 न जन्मा हआ 3 अवसित अप्रभावशाली-सं० (वि०) प्रभावहीन अप्रति-सं० (वि०) 1 अद्वितीय, बेजोड़ 2 अप्रतियोगी | अप्रमत्त-सं० (वि०) जो पागल न हो, सावधान, जागरूक अप्रतिकर-सं० (वि०) 1 विश्वस्त 2 विश्वासपात्र | अप्रमाण-I सं० (वि०) 1 जो प्रमाण न माना जा सके, प्रमाण
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अप्रमाद
रहित 2 अनधिकृत 3 असीम II (पु० ) 1 वह जो प्रमाणिक न माना जाय 2 अप्रासंगिकता
अप्रमाद - I सं० (पु०) सावधानता II (वि०) 1 प्रमाद रहित 2 चौकन्ना
अप्रमित-सं० (वि०) 1 जो मापा न गया हो 2 असीम अप्रमेय-सं० (वि०) 1 जिसकी माप न हो सके 2 बेहद 3 जो प्रमाणित न किया जा सके 4 अज्ञेय
अप्रयत्न - I सं० (वि०) उत्साहहीन, उदासीन II ( पु० ) प्रयत्न
का अभाव
अप्रयुक्त सं० (वि०) 1 जो काम में न लाया गया हो 2 अप्रचलित
अप्रयोग-सं० (पु० ) 1 दुष्प्रयोग 2 काम न लाना 3 प्रयोग में न
आना
अप्रयोजनीय-सं० (वि०) 1 अनुपयोगी 2 बेमतलब अप्रलंब-सं० (वि०) 1 फुर्तीला 2 तत्पर
अप्रवर्त्तक-सं० (वि०) 1 जो प्रवर्तक न हो 2 निष्क्रिय 3 अविच्छिन्न
अप्रवर्ती-सं० (वि०) उत्साहहीन
अप्रवृत्त-सं० (वि०) जो प्रवृत्त न हो
अप्रवृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रवृत्ति का अभाव 2 कोष्ठबद्धता अप्रवेश्य-सं० (वि०) जो प्रशंसा योग्य न हो
अप्रश्वस्त-सं० (वि०) 1 अप्रशंसित 2 बुरा 3 अविहित अप्रशिक्षित सं० (वि०) जो शिक्षित न हो अप्रसंग - I सं० (पु०) 1 आसक्ति का अभाव II ( वि० ) अप्रासंगिक
अप्रसक्त-सं० (वि०) 1 आसक्तिहीन 2 बिना लगाव का अप्रसन्न -सं० (वि०) 1 असंतुष्ट 2 उदास 3 नाराज़ अप्रसम-सं० (वि०) जो बढ़ा या उठा हो
अप्रसाद-सं० (पु० ) अकृपा, अननुकूलता अप्रसिद्ध-सं० (वि०) 1 जिसे अधिक लोग न जानते हों, गुमनाम 2 असामान्य
अप्रसूता-सं० (स्त्री०) वंध्या स्त्री, बाँझ
अप्रस्तुत - I सं० (वि०) 1 अनुपस्थित 2 अप्रासंगिक, असंबद्ध 3 अवर्ण्य II (30) उपमान। ~ प्रशंसा (स्त्री०) अलंकार जिसमें अप्रस्तुत की चर्चा करके प्रस्तुत का उत्कर्ष दिखाया जाए अप्रहत - सं० (वि०) 1 अछूता 2 न जोता हुआ 3 कोरा अप्राकरणिक-सं० (वि०) विषय से दूर अप्राकृत-सं० (वि०) 1 अस्वाभाविक 2 अलौकिक 3 मौलिक अप्राकृतिक - सं० (वि०) 1 अस्वाभाविक 2 जो भौतिक प्रकृति से भिन्न हो, अलौकिक
अप्राचीन सं० (वि० ) जो पुराना न हो
अप्राण - I सं० (वि०) प्राणहीन, निर्जीव II (पु० ) ईश्वर अप्राणिज - सं० (वि०) जड़ से उत्पन्न अप्राप्त-सं० (वि०) 1 न मिला हुआ 2 न आया हुआ 3 न पहुँचा हुआ 4 अप्रस्तुत 5 अल्पवयस्क । काल (वि०) जिसका समय न आया हो; ~ यौवना (स्त्री०/वि०) जो अभी जवान न हुई हो; वय (वि०) नाबालिग; व्यवहार (वि०) जो वयस्क न हुआ हो अप्राप्ति-सं० (स्त्री०) 1 न मिलना 2 पूर्व नियम से प्रमाणित न होना 3 अनुपपत्ति
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अफुल्ल
अप्राप्य-सं० (वि०) न मिलनेवाला, अलभ्य दुर्लभ अप्रामाणिक-सं० (वि०) 1 जो प्रमाण से सिद्ध न हो, ऊट-पटांग 2 अविश्वसनीय 3 अमान्य 4 असंबद्ध अप्रायिक-सं० (वि०) जो प्रायः न होता हो आप्रावृत्त-सं० (वि०) जो ढका न हो अप्रासंगिक-सं० (वि०) 1 प्रस्तुत विषय से असंबद्धध 2 प्रसंग के विरुद्ध
अप्रिय - I सं० (वि०) 1 जो प्यारा न हो 2 अरुचिकर II (पु०) शत्रु । ~भागी (वि०) दुर्भाग्य ग्रस्त अप्रीति-सं० (स्त्री०) 1 अरुचि 2 बैर 3 दुर्भाव 4 स्नेह का अभाव । ~कर (वि०) 1 कठोर 2 अप्रिय अप्रेंटिस - अं० (पु०) 1 सीखने के लिये काम करने वाला 2 उम्मीदवार। ~शिप उम्मीदवारी
अप्रैल - अं० (पु० ) ईसवी साल का चौथा महीना अप्रौढ़-सं० (वि०) 1 नाबालिग़ 2 अधृष्ट 3 डरपोक 4 नम्र 5 कमज़ोर
अप्सरा-सं० (स्त्री०) 1 स्वर्गलोक की स्त्री 2 परम सुंदरी स्त्री 3 परी
अफ़गान - फ़ा० (वि०) अफ़गानिस्तान का रहनेवाला अफ़गानी- I फ़ा० (वि०) अफ़ग़ानिस्तान का II (स्त्री०) अफ़ग़ानिस्तान का सिक्का
अफ़ज़ल - अ० (वि०) श्रेष्ठ, उत्तम
अफ़नाना - (अ० क्रि०) 1 ऊब उठना 2 उबलना 3 क्रुद्ध होना अफ़यून - अ० (स्त्री०) अफ़ाम अफ़यूनी- अ० (वि०)
अफ़ीमची
अफ़रना - (अ० क्रि०) 1 जी भर खाना, अघाना 2 पेट फूलना
3 ऊबना
अफ़रा - (पु० ) 1 पेट फूलने का रोग 2 अफ़रने की क्रिया अफ़रा तफ़री-अ० (स्त्री०) 1 गड़बड़, गोलमाल
2 बदहवासी 3 आतंक
अफल - I सं० (वि०) 1 फल रहित 2 निरर्थक II ( पु० ) झाऊ का वृक्ष
अफला -सं० (स्त्री०) स्त्री जिसके संतान न होती हो अफ़लातून - अ० (पु० ) प्राचीन यूनानी दार्शनिक प्लैटो अफलित-सं० (वि०) 1 फलहीन 2 परिणाम शून्य अफ़वाह - अ० (स्त्री०) 1 उड़ाई हुई ख़बर 2 गप्प अफ़सर-अं० (पु० ) 1 अधिकारी 2 हाकिम 3 सरदार । ~गर्दी + फ़ा० (स्त्री०) = अफ़सरशाही; शाही + फ़ाο (स्त्री०) अधिकारी-राज्य
+
अफ़सराना-अं० + फ़ा० (वि०) अफसरी ढंग का । ~ अंदाज़ अफसर जैसा व्यवहार अफ़सरियत- अं० (स्त्री०) अफसरशाही अफ़सरी-अं० + हिं० (स्त्री०) 1 प्रधानता 2 अधिकार अफ़साना-फ़ा० ( पु० ) 1 कहानी 2 उपन्यास अफ़सूँ - फ़ा० (पु० ) जादू, वशीकरण विद्या अफ़सोस - फ़ा० (पु० ) 1 दुःख 2 खेद 3 पछतावा अफ़ीम - अ० (स्त्री०) एक तरह का कडुवा एवं मादक द्रव्य । ~का दम लगाना अफ़ीम खाना अफ़ीमी - (अ० + हिं०) (पु० ) = अफ़ीमची अफुल्ल -सं० (वि०) अविकसित पुष्प
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अफ्रिकन
अभाव अफ्रिकन-अं० (वि०) अफ्रीका का रहनेवाला
अब्ज-I सं० (वि०) जल से उत्पन्न II (पु०) 1 कमल अफ्रीका विद्या-अ० + सं० (पु०) अफ्रीका देश की विद्या 2 शंख 3 चन्द्रमा। योनि (पु०) ब्रह्मा अफ्रीकाविद्-(अं०+सं०) (पु०) अफ्रीका विशेषज्ञ अब्जद-अ० (पु०) 1 अरबी वर्णमाला के वर्ण 2 वर्षों से अंको अफ्रीकी-अं० + हिं० (वि०) अफ्रीकी निवासी
का नाम लेने की विधि अबंध-सं० (वि०) 1जो बंधा न हो 2 स्वच्छंद 3 निरंकुश अब्जा-सं० (स्त्री०) 1 लक्ष्मी 2 सीपी (मोतीवाली) अबंधित-सं० (वि०) 1 स्वच्छंद 2 खुला
अब्द-I सं० (पु०) 1 वर्ष, साल 2 आकाश II (वि०) जल अब- (क्रि० वि०) 1 इस समय 2 इस क्षण 3 आगे से देनेवाला। -कोश (पु०) वर्ष बोध, वार्षिकी अबखरा-अ० (पु०) भाप, वाष्प
अब्धि-सं० (पु०) 1 समुद्र 2 झील अबतर-अ० (वि०) 1 बिगड़ा हुआ 2 खराब, बुरा अब्बा-अ० (पु०) बाप, पिता अबतरी-अ० + फ्रा० (स्त्री०) 1बिगाड़ 2 अवनति अब्र-फ़ा० (पु०) बादल, घटा अबद्ध-सं० (वि०) 1न बँधा हआ 2 आजाद 3 अर्थहीन अब्रह्मण्य-[सं० (वि०) जो ब्राह्मण के योग्य न हो II (पु०) अबध-(वि०) अबाध
हिंसादि कर्म अबरक-(पु०) 1 अभ्रक धातु 2 एक तरह का पत्थर अभंग-I सं० (वि०) 1 अखंडित 2 न टूटनेवाला II (पु०) अबरा-I फा० (पु०) 1ऊपर का पल्ला 2 न खुलनेवाली गाँठ | संगीत में एक ताल 3 उलझन II (वि०) अबल
अभंगुर-सं० (वि०) जो नष्ट ना हो अबरी-I फ़ा० (वि०) 1 बादल की सी धारियों वाला अभंजन-I सं० (वि०) जिसका भंजन न हो सके II (पु०) 2 धब्बादार II (स्त्री०) 1 एक प्रकार का काग़ज़ 2 गिलाफ़, किसी पदार्थ का तत्त्वों में विभक्त न होना खोल, एक तरह का पत्थर
अभक्त-[ सं० (वि०) 1जिसमें भक्ति या आस्था न हो अबरू-फा० (स्त्री०) भौंह। तानना क्रोध दिखाना; पर 2 अपूजक 3 अस्वीकृति 4 जिसके टुकड़े न हए हों II (पु०) बल आना क्रुद्ध होना; ~पर मैल न आना असर न होना, खाद्येतर पदार्थ अविचलित रहना
अभक्षण-सं० (पु०) आहार न ग्रहण करना, उपवास अबल-[ सं० (वि०) 1 बलहीन, निर्बल, कमज़ोर 2 अरक्षित अभक्ष्य-I सं० (वि०) 1न खाने योग्य 2 जिसके खाने का II (पु०) निर्बलता
निषेध हो II (पु०) वह खाद्य पदार्थ जो निषिद्ध हो अबलक-[ अ० (वि०) 1 सफेद-काला 2 सफेद और लाल अभद्र-I सं० (वि०) 1 असभ्य 2 अशुभ II (पु०) 1 अहित रंग का 3 चितकबरा II (पु०) ऐसे रंग का घोड़ा 2 शोक अबलख-अ० (वि०) = अबलक
अभय-I सं० (पु०) 1 भय का अभाव, निर्भयता 2 परमात्मा अबलखा-अ० + हिं० (स्वी०) एक चिड़िया
3 भय से रक्षा II (वि०) भय रहित, निडर 2 निरापद । अबला-सं० (स्त्री०) स्त्री, नारी
~कर (वि०) निर्भय करनेवाला; दान (पु०) 1 भय से अबल्य-सं० (पु०) 1 निर्बलता 2 अस्वस्थता
रक्षा का वचन देना; शरण देना पत्र (पु०) 1 अभय दान से अबवाब-अ० (पु०) (मालगुज़ारी पर) अतिरिक्त कर युक्त पत्र 2 रक्षा का लिखित आश्वासन; ~मुद्रा (स्त्री०) अबा-अ० (पु०) एक लंबा पहनावा (गाउन, बुर्का) महात्मा का हाथ उठाकर अभय का आश्वासन; वचन अबादान-फा० (वि०) 1 आबाद 2 संपन्न 3 भरा-पूरा (पु०) रक्षा की प्रतिज्ञा अबादानी-फ़ा० (स्त्री०) आबाद होने की अवस्था अभयद-सं० (वि०) अभय देनेवाला अबाध-[ सं० (वि०) 1 बाधारहित, बे रोक 2 निर्विघ्न 3 कष्ट अभया-सं० (स्त्री०) दुर्गा रहित 4 अपार II (पु०) खंडन न होना
अभर्तृका-सं० (स्त्री०) विधवा अबाध्य-सं० (वि०) जो रोका न जा सके
अभव-सं० (पु०) 1न होना, अनस्तित्व 2 नाश, प्रलय अबाबील-अ० (स्त्री०) एक विशेष काली चिड़िया अभव्य-सं० (वि०) 1 न होने योग्य 2 असुंदर 3 अमांगलिक अबाह्य-सं० (वि०) 1 बाहरी नहीं, भीतरी 2 पूर्णतः परिचित 4 अभागा अबीर-अ० (पु०) होली पर प्रयोग में आनेवाला एक रंग, | अभाग-सं० (वि०) जिसके खंड या भाग न हो सके गुलाल
अभागा-(वि०) जिसका भाग्य अनुकूल न हो अबीरी-अ० + फ़ा० (वि०) अबीर के रंग का अभागिनी-सं० (स्त्री०) भाग्यहीन स्त्री अबुद्धि-I सं० (स्त्री०) अज्ञान, नासमझी II (वि०) मूर्ख | अभागी-सं० (वि०) 1 जायदाद में हिस्सा पाने का अनाधिकारी अबुध-I सं० (वि०) मूर्ख, नासमझ II (पु०) मूर्ख व्यक्ति | अबूझ-(वि०) जिसे बूझा न जा सके, अज्ञेय
अभाग्य-I सं० (वि०) भाग्यहीन, दुःखी II (पु०) अबे-(क्रि० वि०) तिरस्कार सूचक संबोधन। तबे करना भाग्यहीनता, बदकिस्मती। -वश अभाग्यहीनता के कारण अपमान जनक ढंग से बात करना
अभाज्य-सं० (वि०) जिसका भाग न हो सके (जैसे 3, 7, अबोध-I सं० (पु०) ज्ञान का अभाव II (वि०) 1 अनजान, नासमझ 2 घबड़ाया हुआ
अभारतीय-सं० (वि०) गैर हिन्दुस्तानी अबोध्य-सं० (वि०) 1 जो समझ में आने योग्य न हो 2 जिसे | | अभाव-सं० (पु.) 1 अस्तित्व में न होने की अवस्था, असत समझा न जा सके
2 कमी। अस्त (वि०) निर्धन
11)
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अभावक
अभिधारणा
अभावक-सं० (वि०) 1 सत्तारहित 2 अभाव सूचित अभिग्रह-सं० (पु०) 1 ग्रहण 2 कलह 3 आक्रमण करनेवाला
अभिग्रहण-सं० (पु०) 1किसी वस्तु का अपहरण 2 राज्य अभावना-सं० (स्त्री०) विवेक का अभाव
द्वारा ले लेना अभावनीय-सं० (वि०) जिसका चिंतन न किया जा सके, अभियात-सं० (पु०) 1 प्रहार, चोट पहुँचाना 2 विनाश अचिंतनीय
अभिचार-सं० (पु०) 1 अनुष्ठान 2 बुरे काम के लिए मंत्र का अभावात्मक-सं० (वि०) जो अभाव के रूप में हो, अभाव प्रयोग, झाड़-फंक, टोना सूचक
अभिचारक-सं० (वि०) अभिचार करनेवाला, ओझा अभावी-सं० (वि०) न होनेवाला
अभिचारी-सं० (वि०) अनुचित कर्म करनेवाला अभाव्य-सं० (वि०) 1 अभावी 2 जिसकी भावना न की जा | अभिचिंतित-सं० (वि०) सुविचारित सके
अभिजन-सं० (पु०) 1 वंश 2 जन्म 3 उच्चकुल में जन्म अभाषण-सं० (पु०) न बोलना, मौनावलंबन, मौन
4 परिवार अभि-सं० (उप०) यह शब्दों के पूर्व आकर 1 ओर, सामने | अभिजागर-(पु०) परीक्षा में बैठे विद्यार्थियों पर निगाह (अभिमुख) 2 पास, समीप (अभिसार) 3 ऊपर (अभिषेक) 4 श्रेष्ठ (अभिधर्म) 5 अति, अत्यधिक (अभिनव) आदि का | अभिजात-I सं० (वि०) 1कुलीन 2 योग्य 3 विद्वान अर्थ देता है
II (पु०) 1 उच्च वंश 2 कुलीनता। तंत्र (पु०) उच्चवर्ग अभिकथन-सं० (१०) 1 प्रमाणित अभियोग 2 (दर्शन) के व्यक्तियों का शासन; ~वर्ग (पु०) कुलीन जातियाँ तथ्य के रूप में कथन
अभिजाति-सं० (स्त्री०) कुलीनता अभिकरण-सं० (पु०) अधीनस्थ काम करनेवाली संस्था अभिजात्य-सं० (वि०) उच्च कल (में जन्म लेने) के योग्य अभिकर्ता-सं० (पु०) संस्था की ओर से प्रतिनिधि के रूप में अभिज्ञ-सं० (वि०) 1 जाननेवाला, ज्ञाता 2 कुशल कार्य करनेवाला, एजेंट। ~पत्र (प.) वह पत्र जिसके अभिज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 पहचान 2 याद करना
अनुसार कोई किसी का अभिकर्ता नियत हआ हो अभिज्ञात-सं० (वि०) जाना पहचाना, समझा हुआ अभिकलन-सं० (पु०) परिकलन का वह रूप जिसमें अभिज्ञान-सं० (पु०) 1 पहचान 2 निशानी 3 अनुस्मरण अनुभवों, बाहरी घटनाओं, निश्चित सिद्धांतों आदि से भी । अभिज्ञापक-सं० (वि०) 1 पहचान करानेवाला 2 सूचना सहायता ली जाती है
देनेवाला अभिकल्प-सं० (पु०) 1 यंत्र के कल पुरजों का परीक्षण करके अभिज्ञापन-सं० (पु०) 1 पहचान कराना 2 सूचना देना यथास्थान रखना या बैठाना 2 डिज़ाइन
3 जानकारी कराना अभिकल्पक-सं० (वि०) अभिकल्प करनेवाला
अभिज्ञेय-सं० (वि०) 1 जान पहचान योग्य 2 स्मरण योग्य अभिकांक्षा-सं० (स्त्री०) अभिलाषा, इच्छा
अभितः-सं० (क्रि० वि०) चारों ओर से अभिकांक्षित-सं० (वि०) अभिलाषित, इच्छित
अभिताप-सं० (पु०) 1 अत्यधिक ताप 2 पीड़ा 3 क्षोभ अभिकांक्षी-सं० (वि०) इच्छा करनेवाला
अभित्याग-सं० (पु०) 1 छोड़ना 2 अपराध मुक्त होना अभिकाकल-सं० (पु०) उपजिह्वा, कंठच्छद
अभिदत्त-सं० (वि०) प्रदत्त . अभिकाम-I सं० (वि०) 1 इच्छुक 2 स्नेही 3 कामुक अभिदर्शन-सं० (पु०) 1 देखना 2 प्रकट होना II (पु०) 1 प्यार 2 इच्छा
अभिदान-सं० (पु०) 1 कुछ देने की क्रिया 2 चंदा 3 अनुदान अभिक्रम-सं० (पु०) 1 आगे बढ़ना 2 प्रयत्न 3 आक्रमण अभिदिष्ट-सं० (वि०) 1 जिसका निर्देश हआ हो 2 संदर्भित 4 आरोहण
अभिदेश-सं० (पु०) संकेत करना। ~ग्रंथ (पु०) समय अभिक्रमण-सं० (पु०) आगे की ओर बढ़ना
समय पर पूरा और उचित ज्ञान प्राप्त करने के लिए उपयोग में अभिक्रांत-सं० (वि०) विस्थापित
लाया जानेवाला ग्रंथ अभिक्रांति-सं० (स्त्री०) विस्थापन, हटाना
अभिदेशक-सं० (वि०) संकेत करनेवाला अभिक्रिया-सं० (पु०) रासायनिक विकार
अभिदेशना-सं० (स्त्री०) विधेयक अथवा प्रस्ताव को अभिक्रोश-सं० (पु०) निंदा करना, बुराई करना
मतदाताओं का मत जानने हेतु प्रस्तुत करना अभिख्या-सं० (स्त्री०) 1 शोभा 2 कांति 3 प्रसिद्धि अभिद्रुत-सं० (वि०) 1 आक्रांत 2 रौंदा हुआ अभिख्यात-सं० (वि०) 1 प्रसिद्ध 2 यशस्वी
अभिद्रोह-सं० (पु०) 1 निंदा, बुराई 2 निष्ठरता 3 उत्पीड़न अभिख्यान-सं० (पु०) 1 नाम 2 यश 3 प्रसिद्ध
अभिधमन-सं० (पु०) तेज़ हवा बहना अभिगमन-सं० (पु०) 1 पास जाना 2 संभोग
अभिधा-सं० (स्त्री०) 1 नाम, संज्ञा 2 स्पष्ट उक्ति 3 निर्देश अभिगामी-सं० (वि०) अभिगमन करनेवाला
4 वाच्यार्थ प्रकट करनेवाली शब्द शक्ति अभिगुप्ति-सं० (स्त्री०) रक्षण, बचाना
अभिधात्मक-सं० (वि०) 1 अभिधामूलक 2 वाच्य अभिगृहीत-सं० (वि०) । जिसे अपनाया गया हो 2 राज्य द्वारा | अभिधान-सं० (पु०) 1 उपाधि 2 कथन 3 नाम 4 शब्दकोश लिया गया
अभिधायक-I सं० (पु०) वाचक II (वि०) अभिधा अभिगोपन-सं० (पु०) 1 रक्षा करना 2 संभाल रखना | करनेवाला अभिग्रस्त सं० (वि०) 1 शत्रु द्वारा जीता हुआ 2 आक्रांत | अभिधारणा-सं० (स्त्री०) कब्ज़ा
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अभिधावक
अभिमंता अभिधावक-सं० (वि०) आक्रमण करनेवाला
अभिनेय-सं० (वि०) जिसका अभिनय किया जा सकता हो अभिधावन-सं० (पु०) आक्रमण, धावा
अमित्र-I सं० (वि.) 1जो भिन्न न हो 2 एकरूप 3 संबद्ध अभिषेय-I सं० (वि०) 1 नाम देने योग्य 2 कथनीय ___4 अटूट 5 अंतरंग II (पु०) ग० संपूर्ण संख्या का अंश । 3 नामवाला II (पु.) 1 अर्थ 2 विषयवस्तु
लदय (वि०) जिसमें पूर्ण एकता या समानता हो अभिनंदन-सं० (पु०) .1 अभिवादन 2 सराहना करना अभिन्यस्त-सं० (वि०) 1 रखा हआ 2 जमा किया हुआ 3 प्रोत्साहन 4 बधाई 5 स्वागत। -पत्र, कार्ड + अं० अभिन्यास-सं० (पु०) 1 रखना 2 जमा करना 3 पूर्व (पु०) ऐसा पत्र या कार्ड जिसमें सम्मानित व्यक्ति की सेवाओं योजनानुसार किया जानेवाला निर्माण का श्रद्धापूर्वक उल्लेख हो और सार्वजनिक रूप से उसे भेंट अभिपतन-सं० (पु०) 1 पूरा पतन 2 प्रस्थान 3 आक्रमण किया जायें; ग्रंथ (पु०) किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति की सेवाओं अभिपत्ति-सं० (स्त्री०) पहुँच की स्मृति को स्थायी बनाये रखने हेतु उनके नाम से सार्वजनिक अभिपत्र-सं० (पु०) गूढ़ विषय से संबद्ध पत्र रूप में दिया जानेवाला ग्रंथ; ~समारोह (पु०) स्वागत हेतु अभिपद-सं० (पु०) 1 पूरा और स्वतंत्र अंग किया जानेवाला उत्सव, जलसा
अभिपन्न-सं० (वि०) 1 विपत्ति में पड़ा हुआ 2 भाग्यहीन अभिनंदनीय-सं० (वि०) 1 अभिनंदन करने योग्य | 3 पराजित 2 प्रशंसनीय
अभिपुष्टि-सं० (स्त्री०) अच्छी तरह पोषण अभिनंदित-सं० (वि०) जिसका अभिनंदन किया गया हो अभिपुष्प-I सं० (वि०) फूलों से ढका हुआ II (पु०) अभिनंदी-सं० (वि०) अभिनंदन करनेवाला
बढ़िया फूल अभिनंद्य-सं० (वि०) = अभिनंदनीय
अभिपूर्ति-सं० (स्त्री०) अच्छी तरह पूरा करना अभिनति-(स्त्री०) 1 झुकाव 2 भीतर की ओर झुकाव अभिपोषण-सं० 1 अच्छी तरह पालन-पोषण करना (विलोमः अपनति)
2 समर्थन अभिनय-सं० (पु०) 1 आंगिक चेष्टाओं का कलात्मक प्रदर्शन अभिप्रणय-सं० (पु०) 1 प्रेम 2 कृपा 2 अनुकरण 3 आंगिक चेष्टाएँ 4 नाटक खेलना। -कला अभिप्रणीत-सं० अच्छी तरह तैयार किया हुआ (पु०) नाटक करने की कला; ~मंच (प.) नाटक खेलने अभिप्रपन्न-सं० (वि०) प्राप्त का मंच, स्टेज; ~शाला (स्त्री०) थियेटर
अभिप्राणन-सं० (पु०) साँस बाहर निकालना अभिनयात्मक-सं० (वि०) अभिनय से संबंधित
अभिप्राय-सं० (पु०) 1 मूल अर्थ 2 इरादा 3 नीयत अभिनयोचित-सं० (वि०) अभिनय के योग्य
4 आशय, तात्पर्य 5 कथानक रूढ़ि अभिनयोपयोगी-सं० (वि०) अभिनय के लिए उपयोगी अभिप्रेत-सं० (वि०) 1 चाहा हआ. इष्ट 2 प्रिय, रुचिकर अभिनव-सं० (वि०) 1 बिल्कुल नया 2 आधुनिक ढंग का।। अभिप्रेरण-सं० (पु०) किसी दिशा में लगाना त्व (पु०) नवीनता, नयापन
अभिप्रेषण-सं० (पु०) खानगी, भेजना, चालान अभिनवीकरण-सं० (पु०) बिल्कुल नया करना
अभिप्लव-सं० (पु०) 1 उपद्रव, उत्पात 2 बाढ़ अभिनवीकृत-सं० (वि०) नया किया हुआ
अभिप्लुत-सं० (वि०). घिरा हुआ अभिनियोग-सं० 1 संलग्नता 2 दत्तचित्तत्ता
अभिभव-सं० (पु०) 1 पराजय, हार 2 तिरस्कार, अपयश अभिनिर्णय-सं० (पु.) 1 निर्णायक का निर्णय 2 पक्का 3 विलक्षण घटना 4 प्राबल्य फ़ैसला
अभिभावक-[ सं० (वि०) 1 अभिभूत करनेवाला 2 अति अभिनिर्णायक-सं० (वि०) अभिनिर्णय करनेवाला
प्रबल, श्रेष्ठ II (पु०) रक्षा एवं देखभाल करना, संरक्षक अभिनिर्याण-सं० (पु०) 1 आक्रमणकारी का अभियान | अभिभाविका-सं० (वि०) 1 वशीभूत करनेवाली 2 देख रेख 2 आक्रमण
करनेवाली अभिनिविष्ट-सं० (वि०) जिसका अभिनिवेश हआ हो । अभिभावी-सं० (वि०) 1 हरानेवाला 2 सक्रिय होकर फल अभिनिवेश-सं० (पु.) 1 किसी ध्यान में लगे होने की । उत्पन्न करनेवाला 3 प्रबल
अवस्था 2 मनोयोग 3 एक विषय पर होनेवाला चिंतन अभिभाषक-सं० (पु०) 1 किसी पक्ष से बोलनेवाला 4 तत्परता 5 दृढ़ संकल्प 6 गति, पैठ
2 शास्त्रार्थ करनेवाला 3 बहस एवं समर्थन करनेवाला अभिनिष्क्रमण-सं० (पु०) 1 घर से बाहर निकलना 2 संन्यास | अभिभाषण-सं० (पु०) 1 विद्वतापूर्ण भाषण 2 अध्यक्ष का रूप में घर त्यागना
वक्तव्य अभिनिष्पत्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूर्णता 2 समाप्ति 3 सिद्धि अभिभू-सं० (वि०) 1 आगे बढ़ा हुआ 2 श्रेष्ठ, उत्तम अभिनीत-सं० (वि०) 1 जिसका अभिनय हुआ हो 2 समीप अभिभूत-सं० (वि०) 1 पराजित किया हुआ 2 पीड़ित लाया हुआ 3 पूर्णता को पहुँचा हुआ 4 सज्जित
3 चकित 4 विकल 5 किंकर्तव्यविमूढ़। ~कारी (वि०) अभिनीय-सं० (वि०) जो अभिनय योग्य हो
हरानेवाला अभिनेता सं० (पु०) 1 जो (रंगमंच पर) नाटक करता हो । अभिभूति-सं० (स्त्री०) पराभव, अपमान 2 नट
अभिमंडन-सं० (पु०) 1 सजाना 2 समर्थन एवं पोषण अभिनेत्री-सं० (स्त्री०) 1 (रंगमंच पर) अभिनय करनेवाली | अभिमंडित-सं० (वि०) भली भांति सजाया हआ 2 नटी
| अभिमंता-सं० (वि०) अभिमानी या घमंडी
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अभिमंत्रण
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अभिलेखागार
अभिमंत्रण-सं० (पु०) 1 मंत्रोच्चारण से शुद्ध करना 2 जादू अभियोगी-I सं० (वि.) 1 फ़रियादी 2 आक्रमण करनेवाली
करना 3 आवाहन । पत्र (पु०) 1 तावीज़ 2 आह्वान-पत्र ___ 3 मनोयोग पूर्वक लगा हुआ II (पु०) वादी अभिमंत्रित-सं० (वि०) मंत्र द्वारा शुद्ध किया हुआ। 2 जादू | अभियोजक-सं० (वि०) योजना बनानेवाला किया हुआ; ~जल (पु०) शुद्ध किया हुआ पानी अभियोजन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह जोड़ना 2 दोष लगाना । अभिमत-I सं० (वि०) 1 अनुकूल, सम्मत 2 मन चाहा ~कारी (वि०) दोष लगानेवाला II (पु०) 1 स्वीकृत मत 2 व्यक्तिगत मत
अभियोजित-सं० (वि०) जिसे उचित रूप से नियोजित किया अभिमति-सं० (स्त्री०) 1 अभिमान 2 आदर 3 विचार, राय गया हो 4 अभिलाषा
अभियोज्य-सं० (वि०) जिस पर अभियोग लगाया जा सके अभिमन्यु-सं० (पु०) अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र अभिरंजन-सं० (पु०) 1 रंगन 2 अनुरक्त करना अभिमर्दन-सं० (पु०) 1कुचलना 2 चूर-चूर करना 3 सताना अभिरक्त-सं० (वि०) लगा हुआ, संबद्ध अभिमर्षण-सं० (पु०) 1 स्पर्श करना 2 आक्रमण 3 रगड़ना अभिरक्षक-सं० (वि०) बचाव करनेवाला, संरक्षक या संघर्ष करना 4 पराजय, हार
अभिरक्षण-सं० (पु०) बचाव करना, संरक्षा करना अभिमाद-सं० (पु०) 1 मद, नशा 2 खुमार
अभिरक्षा-सं० (स्त्री०) अच्छी तरह से की जानेवाली रक्षा अभिमान-सं० (पु०) 1 अपनी प्रतिष्ठा या मर्यादा एवं सत्ता की | अभिरक्षित-सं० (वि०) जिसकी रक्षा की गयी हो अनुचित धारणा 2 अहंकार, घमंड
अभिरत-सं० (वि०) 1 प्रसत्र 2 अनुरक्त 3 लगा हुआ अभिमानी-सं० (वि०) अहंकारी, घमंडी
अभिरति-सं० (स्त्री०) 1 अनुराग 2 लगन 3 सुखानुभव अभिमुक्ति-सं० (स्त्री०) कर्तव्य या पद से मुक्त होने की 4संतोष अवस्था
अभिरमण-सं० (पु०) आनन्द लेना अभिमुख-सं० (क्रि० वि०) 1 किसी की ओर मुँह किये हुए अभिराद्ध-सं० (वि०) प्रसन्न या संतुष्ट किया हुआ 2 सम्मुख, सामने
अभिराधन-सं० (पु०) संतुष्ट करना, प्रसन्न करना अभिमृष्ट-सं० (वि०) 1 स्पर्श किया हुआ 2 पराभूत 3 अभिराम-I सं० (वि०) 1 अच्छा लगनेवाला 2 मोहक आक्रांत
| सुखद II (पु०) 1 आराम 2 प्रसत्रता अभियंता-सं० 1 वास्तुकार 2 लोक वास्तु संबंधी चीजें । अभिरुचि-सं० (स्त्री०) 1 शौक 2 झुकाव 3 विशेष रुचि बनानेवाला विशेषज्ञ 3 इंजीनियर
4 कीर्ति आदि की इच्छा, अभिलाषा अभियंत्रण-सं० (पु०) 1 अभियंता का कार्य 2 यंत्र निर्माण अभिरूप-I सं० (वि०) 1 अनुरूप 2 सुंदर 3 प्रिय II (पु०) विद्या एवं कला
मिलता-जुलता रूप अभियांत्रिकी-(स्त्री०) इंजीनियरिंग
अभिरोपण-सं० (पु०) एक जगह से दूसरी जगह (पेड़) अभियाचक-सं० (वि०) 1 माँगनेवाला 2 अनुरोध करनेवाला रोपना अभियाचना-सं० (स्त्री०) 1 दीनतापूर्वक याचना करना | अभिलंघन-सं० (पु०) 1 कूद कर लाँघना 2 जानबूझकर 2 अनुरोध करना
उल्लंघन करना अभियाता-सं० (पु०) चढ़ाई करनेवाला
अभिलंब-सं० (वि०) ग० स्पर्शबिन्दु से खींची गई लंब रेखा अभियान-सं० (पु०) 1 दल बल सहित चल पड़ना 2 सैनिक | अभिलक्षण-सं० (पु०) भेदक लक्षण, विशिष्टता
आक्रमण, चढ़ाई। ~कारी (वि०) चढ़ाई या हमला अभिलक्षित-सं० (वि०) 1 लक्षित किया हुआ 2 संकेतित करनेवाला; दल (पु०) आक्रमण करनेवाली टुकड़ी अभिलक्ष्य-सं० (वि०) जिसे निशाना बनाया जा सके अभियानिक-सं० (वि०) 1 अभियान का 2 अभियान के रूप अभिलषण-सं० (पु०) 1 चाहना, इच्छा करना 2 ललचाना में होनेवाला
अभिलषित-सं० (वि०) चाहा हआ, वांछित अभियानी-सं० (पु०) विजय कामना से अभियान करनेवाला अभिलाक्षणिक-सं० (वि०) लक्षणात्मक . व्यक्ति
अभिलाप-सं० (पु०) वर्णन अभियायी-सं० (पु०/वि०) 1 आक्रमणकारी 2 दलबल के अभिलाष-सं० (पु०) 1 चाह 2 लोभ 3 प्रिय से मिलने की साथ चलनेवाले
इच्छा अभियुक्त-सं० (वि०) 1 लगा हआ, संलग्न 2 आक्रांत अभिलाषा-सं० (स्त्री०) 1मन की चाह, कामना 3 अपराधी, दोषी, मुलज़िम
अभिलाषी-सं० (वि०) चाहनेवाला, इच्छुक अभियुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 अभियुक्त होने की अवस्था या अभिलाषुक-सं० (वि०) अभिलाषा करनेवाला भाव 2 दोषारोपण
अभिलिखित-सं० (वि०) रिकार्ड किया हुआ . अभियोक्ता-सं० (वि०) अभियोगी
अभिलीन-सं० (वि०) 1 अनुरक्त 2 पसंद किया हुआ अभियोग-सं० (पु०) 1 दोषारोपण 2 आक्षेप 3 मुकदमा। अभिलेख-सं० (पु०) 1 महत्वपूर्ण लेख, दस्तावेज़, रिकार्ड
कारी (वि०) अभियोग लगानेवाला; पक्ष (पु०) दावा | 2 ताम्रपट पर खुदा हुआ लेख। (पु०) अभिलेखों की देखभाल करनेवाली पार्टी -पत्र (पु०) वह पत्र जिसमें अभियोग | करनेवाला संबंधी विवरण लिखा हो; मुक्त (पु०) दोष से छुटकारा | अभिलेखन-सं० (पु०) 1लिखना 2 खोदना 3 रिकार्ड करना साक्षी (मी.) अभियोग पक्ष का गवाह
| अभिलेखागार, अभिलेखालय-सं० (पु०) रिकार्ड-घर
कला
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अभिलेखित
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अभिसारिणी
अभिलेखित-I सं० (पु०) लिपिबद्ध पत्रादि II (वि.) | आभशब्दित-सं० (वि०) ध्वनित लिपिबद्ध
अभिशस्त-सं० (वि०) 1 अभिशप्त 2 कलंकित अभिलोपन-सं० (पु०) 1 मिटाना 2 नष्ट करना
अभिशस्ति-सं० (स्त्री०) 1 अभिशाप 2 दोष का प्रमाणन अभिवंचन-सं० (पु०) छलना, ठगना
अभिशाप-सं० (पु०) 1 बड़ा शाप 2 लांछन 3 मिथ्या आरोप अभिवंचित-सं० (वि०) जो छला गया हो
अभिशापन-सं० (पु०) 1 शाप देना 2 कोसना अभिवंदन-सं० (पु०) प्रणाम करना, बंदगी
अभिशासन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह शासन करना 2 आरोप अभिवंदित-सं० (वि०) अभिवादित
लगाना अभिवंद्य-सं० (वि०) अभिवंदनीय
अभिशून्यन-सं० (पु०) 1 शून्य करना 2 निरर्थक बनाना अभिवक्ता-सं० (पु०) वकील
अभिश्रुति-सं० (स्त्री०) स्वरों के बीच में हल्की सी अभिवचन-सं० (पु०) 1 प्रतिज्ञा, इकरार 2 वकील का कथन | व्यंजन-ध्वनि
3 (दर्शन) तथ्य के रूप में कथन, अभिकथन | अभिषंग-से० (पु०) 1 पूर्ण संबंध 2 आलिंगन 3 संभोग अभिवर्तन-सं० (पु०) 1 आगे बढ़ना 2 आक्रमण
4 आवेश अभिवर्धन-सं० (पु०) विकसित रूप में लाना, बढ़ाना अभिषंगी-[सं० (पु०) जो किसी अनुचित काम में साथ दे अभिवर्धित-सं० (वि०) जिसे विकसित किया गया हो __ II (वि०) साथ लगा रहनेवाला अभिवांछा-सं० (स्त्री०) अभिलाषा, आकांक्षा
अभिषद्-सं० (स्त्री०) सीनेट, सिंडिकेट अभिवांछित-सं० (वि०) इच्छित, चाहा हुआ
अभिषवण-सं० (पु०) 1 स्नान 2 सोमरस निचोड़ने का साधन अभिवाद-सं० (पु०) 1 प्रणाम करना 2 प्रशंसा, स्तुति अभिषिक्त-सं० (वि०) 1जिसका अभिषेक हुआ हो 2 सींचा अभिवादक-सं० (वि०) प्रणाम करनेवाला
हुआ 3 अधिकार प्राप्त अभिवादन-सं० (पु०) श्रद्धापूर्वक किया जानेवाला नमस्कार, अभिषेक-सं० (पु०) जल छिड़कना 2 राजा के वंदना
सिंहासनारोहण का अनुष्ठान 3 अभिषेक में काम आनेवाला अभिवादित-सं० (वि०) जिसका अभिवादन किया गया हो पवित्र जल अभिवाद्य-सं० (वि०) अभिवादन योग्य
अभिषेचन-सं० (पु०) अभिषेक करना अभिवास-सं० (पु०) 1 आवरण 2 वस्त्राच्छादित
अभिष्यंद-सं० (पु०) स्त्राव अभिविनीत-सं० (वि०) 1 सुशील 2 शिक्षित 3 शुद्ध 4 पवित्र | अभिष्यंदी-सं० (वि०) रिसनेवाला अभिविमान-सं० (वि०) 1 अपरिमित आकार का 2 ईश्वर | अभिष्वंग-सं० (पु०) बहुत गहरा संबंध, प्रेम का एक विशेषण
अभिसंक्रमण-सं० (पु०) 1 सौंपकर छुट्टी पाना 2 पहुँचाना अभिविश्रुत-सं० (वि०) सुविख्यात, प्रसिद्ध
अभिसंताप-सं० (पु०) 1 संघर्ष, युद्ध 2 पीड़ा अभिवृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 मनःस्थिति 2 रुख
अभिसंध-सं० (पु०) 1 धोखा देनेवाला, वंचक 2 निंदक अभिवृद्धि-सं० (स्त्री०) 1 विशेष वृद्धि 2 सफलता अभिसंधान-सं० (पु०) 1 जोड़ 2 लक्ष्य 3 उद्देश्य 4 लगन 3 अभ्युदय, उन्नति
5 धोखा देना 6 ठगना 7 संधि करना अभिव्यंजक-सं० (वि०) प्रकट करनेवाला, बोधक अभिसंधि-सं० (स्त्री०) 1 जोड़ 2 दुष्ट अभिप्राय 3 समझौता अभिव्यंजन-(पु०), अभिव्यंजना-सं० (स्त्री०) विचारों एवं ___4 कुचक्र, षड्यंत्र भावों को प्रकट करना, अभिव्यक्ति। ~वाद (पु०) मनोगत अभिसंधिता-सं० (स्त्री०) कलहांतरिता नायिका भावों को यथार्थ रूप में व्यक्त करने की मान्यता; ~वादी अभिसंयोग-सं० (पु०) प्रगाढ़ संबंध (वि०) अभिव्यंजनावाद को माननेवाला
अभिसंश्रय-सं० (पु०) रक्षा, आश्रय अभिव्यक्त-सं० (वि०) प्रकट किया हुआ
अभिसंस्कार-सं० (पु०) 1 मत, विचार 2 निरर्थक कार्य अभिव्यक्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रकट करना 2 प्रकाशन अभिसक्त-सं० (वि०) दृढ़ता से जुड़ा हुआ अभिव्यापक-सं० (वि०) 1 सब ओर फैला हुआ 2 समावेश अभिसमय-सं० (पु०) 1 निश्चय 2 समझौता करनेवाला
अभिसम्मत-सं० (वि०) सम्मानित, प्रतिष्ठित अभिव्याप्त-सं० (वि०) अच्छी तरह व्याप्त
अभिसर-सं० (पु०) 1साथी 2 अनुचर अभिव्याप्ति-सं० (स्त्री०) 1 सर्वव्यापकता 2 समावेश अभिसरण-सं० (पु०) 1 मिलने के लिए जाना 2 आगे बढ़ना अभिशंका-सं० (स्त्री०) 1संदेह 2 चिंता 3 आशंका 4 भय | अभिसर्ग-सं० (पु०) रचना, सृष्टि अभिशंकित-सं० (वि०) जिस पर शक किया गया हो । अभिसर्ता-सं० (पु०) हमला करनेवाला, आक्रामक अभिशंसन-सं० (पु०) 1 दोष लगाना 2 चोट पहुँचाना अभिसामयिक-सं० (वि०) अभिसमय से संबंध रखनेवाला, 3 मिथ्या आरोपण अभिशंसा-सं० (स्त्री०) अभियोग या अपराध की पुष्टि होना अभिसार-सं० (पु०) 1 आगे बढ़ना 2 प्रिय से मिलने जाना अभिशंसित-सं० (वि०) जिस पर अपराध प्रमाणित हुआ हो 3 संकेतस्थल पर पहुँचना। अभिशपन-सं० (पु०) मिथ्या दोषारोप करना
अभिसारिका-सं० (स्त्री०) प्रिय से मिलने के लिए जानेवाली अभिशप्त-सं० (वि०) जिस पर मिथ्या आरोप किया गया
। नायिका 2 शापित, शापग्रस्त
| अभिसारिणी-सं० (स्त्री०) 1 अभिसारिका 2 साथ रहनेवाली
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अभिसारी
अभिसारी-सं० (पु० ) 1 अभिसार करनेवाला 2 सहायक
3 (केंद्र के) पास आता हुआ
अभिसिंचित -सं० (वि०) अच्छी तरह सींचा हुआ अभिसूचक-सं० (वि०) अभिसूचना देनेवाला अभिसूचना -सं० (स्त्री०) विशेष रूप से दी जानेवाली सूचना अभिस्ताव - (पु० ) प्रशंसा, स्तुति
अभिस्तुति-सं० (स्त्री० ) 1 प्रशंसा 2 संस्तुति
अभिस्थगन-सं० (पु०) सत्र का अवसान
अभिस्थगित -सं० (वि०) विशेष कारण से टाला गया अभिस्त्रवणी-सं० (स्त्री०) आसवनी
अभिस्रावण-सं० (पु०) आसवन
अभिहतसं० (वि०) 1 पीटा गया 2 आक्रांत 3 पराभूत 4 बाधित
अभिहति-सं० (स्त्री०) 1 निशाना लगाना 2 गुणन क्रिया 3 पिटाई
अभिहर - I सं० (पु० ) ले भागना II (वि०) ले भागनेवाला, उठाईगीर
अभिहरण-सं० ( पु०) लूटना अभिहर्त्ता - सं० ( पु० ) 1 लेकर चल देनेवाला 2 डाकू अभिहार-सं० (पु० ) 1 चोरी 2 डाका 3 हमला 4 अपनयन अभिहास-सं० (पु० ) 1 दिल्लगी 2 विनोद अभिहित - I सं० (वि०) कहा हुआ 2 अभिधा वृत्ति द्वारा बोधित 3 उल्लिखित II (पु० ) 1 नाम 2 शब्द। संधि (स्त्री०) मौखिक संधि
अभी - ( क्रि० वि०) अब ही, इसी समय अभीक-सं०
(वि०) 1 इच्छुक 2 कामातुर 3 निर्भीक
4 भयानक
अभीक्षक-सं० (वि०) देख-रेख करनेवाला
अभीत-सं० (वि०) निडर, निर्भीक
अभीति - I सं० (स्त्री०) 1 निर्भीकता 2 हमला II ( वि० ) निर्भीक
अभीप्सा-सं० (स्त्री०) कामना, प्रबल इच्छा । पूर्ति (स्त्री०) कामना का पूरा होना
अभीप्सित - I सं० (वि०) वांछित II ( पु०) अभिलाषा अभीप्सी-सं० (वि०) अभीप्सु अभीप्सु -सं० (वि०) इच्छुक
=
अभीर -सं० (पु० ) 1 अहीर 2 चार चरण का एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में 11 मात्रा और अंत में जगण हो अभीरु - I सं० (वि० ) 1 निडर 2 जो भयदायक न न हो
3 निर्दोष II (पु० ) 1 शिव 2 भैरव 3 युद्धभूमि अभीष्ट -सं० (वि० ) 1 चाहा हुआ 2 अभिप्रेत 3 प्रिय 4 रुचिकर II (पु० ) 1 अभिलषित वस्तु 2 मनोरथ 3 प्रेमी 4 प्रिय व्यक्ति; लाभ (पु०) अभिप्रेत वस्तु की प्राप्तिः ~ सिद्धि (स्त्री०) मनचाही बात पूरी होना अभीष्टा-सं० (स्त्री०) 1 प्रेमिका 2 तांबूल, पान अभुक्त-सं० (वि० ) 1न खाया हुआ 2न भोगा हुआ 3 अछूता 4 जिसने भोजन न किया हो। पूर्व (वि०) जिसका पहले उपयोग न हुआ हो अभुग्न - सं० (वि.) 1 जो झुका न हो 2 निरोग या स्वस्थ 3 जो कुटिल न हो
अभ्यर्पण
अभूत-सं० (वि०) 1 जो हुआ न हो 2 अविद्यमान 3 मिथ्या; -दोष (वि०) निर्दोष, पूर्व (वि०) 1 जो पहले न हुआ हो 2 अनोखा; शत्रु (वि०) जिसका कोई शत्रु न हो अभूतार्थ-सं० (पु० ) अश्रुतपूर्व या अनहोनी बात अभूति - I सं० (स्त्री० ) 1 अविद्यमानता 2 धन या शक्ति का अभाव 3 निर्धनता II (वि०) निर्धन, गरीब अभूरि-सं० (वि०) 1 कुछ, थोड़ा 2 कतिपय अभेद-सं० (पु० ) 1 भेद का अभाव, एकता 2 एक रूपता II (वि०) 1 भेद रहित 2 अविभक्त 3 जिसका रहस्य न जाना गया हो; ~वादी (पु०/वि०) जीवात्मा और परमात्मा में कोई भेद न माननेवाला अभेदनीय-सं० (वि०) अभेद्य
अभेद्य - I सं० (वि०) जो छेदा न जा सके अविभाज्य II (पु० ) हीरा
अभेरना - (स० क्रि०) 1 संयुक्त करना 2 मिलाना अभोक्तव्य-सं० (वि०) जिसका उपयोग या उपभोग न किया जा सके
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अभोक्ता-सं० (वि०) 1 उपभोग न करनेवाला 2 परहेज़ करनेवाला
अभोग - I सं० ( पु० ) भोग का अभाव II (वि०) अभुक्त अभोगी-सं० (वि०) 1 अभोक्ता 2 विरक्त अभोग्य - सं० (वि०) जो भोग करने योग्य न हो, जिसे भोगना वर्जित हो
अभोजन-सं० (पु० ) न खाना, खाने से परहेज़, उपवास अभोज्य-सं० (पु० ), 1 न खाने योग्य 2 जिसके खाने का निषेध हो अभौतिक-सं० (वि०) अपार्थिव, जो पंचभूतों से न बना हो अभौम-सं० (वि०) जो भूमि से उत्पन्न न हुआ हो अभ्यंग - सं० (पु० ) 1 लेपन 2 मालिश अभ्यंजन-सं० (पु० ) मालिश करना
अभ्यंतर - I सं० ( पु० ) 1 वस्तु का भीतरी भाग 2 बीच का अवकाश 3 अंतःकरण II ( क्रि० वि०) भीतर, अंदर III (वि०) 1 भीतरी 2 अंतरंग 3 परिचित 4 कुशल । प्रयत्न (पु०) उच्चारण में वायु को मुख के अन्दर रोकना अभ्यंश-सं० (पु० ) यथांश, नियतांश अभ्यक्त-सं० (वि०) 1 जिसे तेल की मालिश की गई हो 2 जो तेल फुलेल लगाये हो
अभ्यधिक-सं० (वि०) बहुत अधिक अभ्यधीन-सं० (वि०) जो पराधीन हो
अभ्यर्चन -सं० ( पु० ), अभ्यर्चना (स्त्री०) पूजा, आराधना अभ्यर्ण - I सं० (वि०) 1 निकट 2 निकट आनेवाला II (पु० ) सामीप्य
अभ्यर्थन - सं० (पु० ) 1 प्रार्थना करना 2 दरख्वास्त 3 अगवानी
करना
अभ्यर्थना - सं० ( पु० ) 1 अनुरोध, विनती 2 मांग, याचना अभ्यर्थित सं० (वि०) जिससे विनती की गयी हो अभ्यर्थी - सं० (वि०) 1 प्रार्थना करनेवाला 2 उम्मीदवार अभ्यर्दन -सं० (पु०) उत्पीड़न, कष्ट देना अभ्यर्दित-सं० (वि०) पीड़ित
अभ्यर्पण-सं० (पु०) अपना अधिकार या स्वामित्व अन्य को सौंपना
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अभ्यर्पित
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अमरज
अभ्यर्पित-सं० (वि०) सौंप दिया गया
अभ्युपपत्ति-सं० (स्त्री०) 1सहायता देने के लिए पहुंचना अभ्यर्पिती-सं० (पु०) वह जिसे अधिकार सौंपा गया 2 रक्षा 3 कृपा, अनुग्रह 4 वादा 5 समझौता 6 बचाव, रक्षा अभ्यर्हणा-सं० (स्त्री०) पूजा, सम्मान, इज़्ज़त करना अभ्युपाय-सं० (पु०) 1 वादा 2 अंगीकार 3 साधन 4 उपाय अभ्यवहरण-सं० (पु०) 1 नीचे फेंकना 2 भोजन ग्रहण करना अभ्यूह-सं० (पु०) 1 तर्क 2 निष्कर्ष, परिणाम अभ्यसन-सं० (पु०) 1 अभ्यास करना 2 अनुशीलन करना अभ्रंकष-I सं० (वि०) गगनचुम्बी, बहुत उँचा II (पु०) अभ्यसित-सं० (वि०) अभ्यस्त
1 हवा 2 पहाड़ अभ्यस्त-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह सीखा हुआ 2 जिसने अभ्र-सं० (पु०) 1बादल 2 आकाश 3 अभ्रक 4 शून्य । अभ्यास किया हो 3 पक्का
पुष्प (पु०) 1बेंत का एक प्रकार 2 पानी 3 कोई असम्भव अभ्याकांक्षित-सं० 1 चाहा हुआ 2 मिथ्या अभियोग 3 झूठा बात; ~भेदी (वि०) गगनचुम्बी, अत्यधिक ऊंचा; ~स्पर्शी 4 दावा 5 अभिलाषा
(वि०) गगन को छूने वाली अभ्याक्रमी-सं० (स्त्री०) बिना कारण हमला करनेवाला अभ्रम-सं० भ्रमरहित, स्पष्ट अभ्याख्यान-सं० (पु०) निराधार अभियोग, झूठा दावा अभ्रांत-सं० (वि०) 1 भ्रमरहित, यथार्थ ज्ञाता अभ्यागत-I सं० (वि०) सामने आया हुआ II (पु०) अभ्रांति-सं० (स्त्री०) भ्रम हीनता 1 अतिथि 2 साधु-संन्यासी
अभ्रिय-सं० (वि०) बादल, बिजली अध्यागम-सं० (पु०) 1 पास आना 2 पड़ोस 3 अगवानी अमंगल-I सं० (वि०) 1 अशुभ 2 भाग्यहीन II (पु०) 4 मुठभेड़ 5 युद्ध
1अकल्याण 2 दुर्भाग्य अभ्यागारिक-सं० (वि०) परिवार के पालने में तत्पर या व्यग्र अमंद-सं० (वि०) 1 तेज 2 परिश्रमी 3 उग्र अभ्याघात-सं० (पु०) 1 आक्रमण 2 रुकावट
अमचूर-(पु०) कच्चे आम का सूखा चूर्ण अभ्याधान-सं० (पु०) आरम्भ
अमत-I सं० (पु०) 1रोग 2 मत का अभाव II (वि०) अभ्यापात-सं० (पु०) 1विपत्ति, संकट 2 बुराई 3 दुर्भाग्य 1अज्ञात 2 अस्वीकृत अभ्यारोपण-सं० (पु०) एक जगह से दूसरी जगह (पौधा अमतदेय-सं० जिसके संबंध में मत न दिया जा सके लगाना)
अमति-I सं० (स्त्री०) 1 अज्ञान 2 अदूरदर्शिता 3 संज्ञाहीनता अभ्याश-I सं० (वि०) निकट II (पु०) 1 पड़ोस 2 सामीप्य II (वि०) कुटिल III (पु०) 1काल 2 चंद्रमा 3 अभ्युदय
अमत्सर-I सं० (पु०) ईर्ष्या का अभाव II (वि०) मात्सर्य अभ्यास-सं० (पु०) 1 किसी काम को बार-बार करना 2 आदत। रहित
योग (पु०) किसी एक विषय का बारम्बार चिंतन एवं मनन अमदन-I अ० (पु०) शिव II (क्रि० वि०) इरादा करके, करना; ~वश (क्रि० वि०) अभ्यास के कारण
जानबूझकर अभ्यासादन-सं० (पु०) 1 सामना, मुकाबला 2 आक्रमण
अमन-अ० (पु०) 1 शांति 2 रक्षा। ~अमान (पु०) शांति अध्यासी-सं० (वि०) अभ्यास करनेवाला
और सुरक्षा या सुव्यवस्था; -चैन + हिं० (पु०) सुख-शांति अध्याहत-सं० (वि०) 1बाधित 2 आहत, ताड़ित
और सुरक्षा या सुव्यवस्था; चैन + हिं० (पु०) सुख-शांति; अभ्याहार-सं० (पु०) 1 निकट लाना 2 अपहरण
~पसंद + फ़ा० (वि०) शांतिप्रिय अभ्युक्त-सं० (वि०) 1कहा हआ, उच्चरित 2 अभियक्ति के | अमनस्क-सं० (वि०) 1उदासीन 2 अनमना रूप में लाया हुआ
अमना-सं० (वि०) 1 नासमझ 2 अन्यमनस्क 3 लापरवाह अभियुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 दोष लगाना 2 तर्क उपस्थित करना 4 स्नेहहीन 5 जिसका अपने मन पर नियंत्रण न हो II (पु०) अभ्युक्षण-सं० (पु०) सिंचन, छिड़काव
परमेश्वर अभ्युक्षित-सं० (वि०) जिस पर छिड़काव किया गया हो अमनुष्य-I सं० (वि०) अमानवोचित II (पु०) मनुष्य नहीं, अभ्युचित-सं० (वि०) 1 नियमित 2 प्रचलित, प्रथानुरूप
दैत्यादि अभ्युच्छेदन-सं० (पु०) शल्य क्रिया द्वारा काटना अमनोज्ञ-सं० (वि०) चित्त को प्रिय न लगनेवाला, अरुचिकर अभ्युत्थान-सं० (पु०) 1 उठना 2 उत्कर्ष 3 अभ्युदय अमनोहर-सं० (वि०) = अमनोज्ञ अभ्युत्थायी-सं० (वि०) 1 उन्नति करनेवाला 2 विद्रोही अमम-I सं० (वि०) 1अहंकार शून्य 2 निःस्वार्थ अभ्युस्थित-सं० (वि०) अभ्युत्थायी
3 ममताशून्य 4 कामनारहित II (पु०) भावी जिनविशेष अभ्युदय-सं० (पु०) 1 वृद्धि 2 उत्तरोत्तर उन्नति 3 इष्टलाभ अमर-I सं० (वि०) 1न मरनेवाला 2 अविनाशी II (पु०) 4कल्याण; ~काल (पु०) उन्नतिकाल
देवता। -कोश (पु०) अमरसिंह का बनाया हुआ संस्कृत अभ्युदाहरण-सं० (पु०) मिसाल या विपरीत बात के द्वारा का प्रसिद्ध कोश; ~ता (स्त्री०); ~त्व (पु०) 1 अमर किसी विषय का स्पष्टीकरण
होना 2 आत्मा का शाश्वत अस्तित्व 3 देवत्व; निधि अभ्युदित-सं० (वि०) 1 उगा हुआ 2 निकला हुआ 3 घटित (स्त्री०); ~पद (पु०) मोक्ष पुर (पु०) इन्द्रपुरी, 4 समृद्धिप्राप्त, उन्नत
अमरावती; बेल (स्त्री०) आकाशबेल (लता); ~लोक अभ्युगत-सं० (वि०) 1 पास गया या आया हुआ 2 स्वीकृत
(पु०) देवलोक, स्वर्ग अभ्युपगम-I सं० (पु०) 1 पास जाना 2 वादा करना 3 मानना, अमरज-I सं० (पु०) 1 अमरता 2 मृत्यु न होना II (वि०) अंगीकार
अमर
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अमरस
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अमित
अमरस-(पु०) आम का रस
सभा (स्त्री०) मंत्रियों की सभा, बैठक अमरसी-(वि०) आम के रस के रंग का, हल्का पीला अमात्र-[सं० (वि०) 1 मात्रारहित 2 जिसकी माप तौल न हो अमराई-(स्त्री०) 1 आम का बाग 2 सुरकानन, उद्यान 3 असमग्र 4 अनारम्भिक II (पु०) 1 परब्रह्म 2 वह जो माप अमरांगना-सं० (स्त्री०) अप्सरा, देवकन्या
नहीं है अमरालय-सं० (पु०) देवलोक, स्वर्ग
अमान-[सं० (वि०) 1 परिमाण रहित 2 असीम 3 अत्यधिक अमरावती-सं० (स्त्री०) इन्द्रनगरी, स्वर्ग
4 निराभिमान 5 अप्रतिष्ठत II अ० (पु०) 1 रक्षा, बचाव अमरी-सं० (स्त्री०) 1 देवपत्नी 2 देवकन्या 3 एक वृक्ष 2 शरण 3 शांति अमरीकन-अं० (पु०) अमेरिकन
अमानत-अ० (स्त्री०) 1 धरोहर, थाती 2 थाती रखना अमरीकी-1 अं० + हिं० (वि०) अमरीका का || (पु०) 3 अमीन का काम या पद। खाना (पु०) वह जगह जहां अमरीका का रहनेवाला
चीजें अमानत में रखी जायें; ~दार (पु०) जिसके पास अमरूत-(पु०) : अमरूद
धरोहर रखी जाये; लामा (पु०) धरोहर रखते समय उसके अमरूद-(पु०) एक प्रसिद्ध फल
प्रमाण स्वरूप लिखा जानेवाला पत्र; ~वाला (वि०) अमर्त्य-1 सं० (वि०) अनश्वर, अमर 2 दिव्य || (पु०)
अमानत या धरोहर रखनेवाला 1 देवादि
अमानन-सं० (पु०) अनादर, अपमान, अवज्ञा अमर्दित-सं० (वि०) 1 जिसका मर्दन न हआ हो 2 अपराजित अमानव-सं० (पु०) मानव नहीं, मानवेतर अमर्याद-सं० (वि०) 1 सीमारहित 2 सीमा का उल्लंघन अमानवीय-सं० (वि०) 1 जो मनुष्य के योग्य न हो 2 कर करनेवाला 3 प्रतिष्ठारहित
अमानस्य-[सं० (पु०) दुःख, पीड़ा, व्यथा II (वि०) पीड़ित, अमर्यादा-सं० (स्त्री०) 1 सीमोल्लंघन 2 आचरणहीनता व्यथित 3 अप्रतिष्ठा
अमाना-(अ० क्रि०) अंटना, समाना अमर्यादित-सं० (वि०) - अमर्याद ।
अमानी-(स्त्री०) 1 ठेके पर न दिया जानेवाला काम 2 बिना अमर्ष-सं० (पु०) 1 असहिष्णुता 2 आवेश 3 क्रोध एक संचारी रोक टोक वाली वस्तु 3 शासनाधीन भूमि 4 फसल नष्ट होने पर
भाव 4 अपनी अवज्ञा या तिरस्कार आदि से उत्पन्न क्षोभ लगान में छूट दिया जाना अमर्षण-सं० (पु०), अमर्षित-सं० (वि०) अमवी-सं० अमानी-सं० (वि०) 1निरभिमान 2 न माननेवाला (वि०) 1क्रोधी 2 असहनशील
अमानुष-I सं० (पु०) वह जो मनुष्य न हो, देवपुरुष अमल-1 सं० (वि०) 1मलरहित 2 निष्पाप 3 उज्ज्वल II (वि०) 1 मनुष्य न होनेवाला 2 अलौकिक II (पु०) 1 स्वच्छता 2 अबरक 3 परब्रह्म
3 अमनुष्योचित 4 पाशव 5 पैशाचिक। “ता (स्त्री०) अमल-अ० (पु०) 1 काम, क्रिया, व्यवहार 2 कर्म 3 आचरण पैशाचिकता 4 उम्मीद, आशा 5 आदत 6 अधिकार 7 नशा 8 प्रभाव अमानुषिक-सं० (वि०) 1 अमानवीय 2 पाशविक १ समय। “दखल (पु०) कब्जा-दखल, भोग; दार अमानुषी-सं० (वि०) 1 अलौकिक 2 पैशाचिक (पु०) 1 अधिकारी 2 शासक; दारी (स्त्री०) 1 राज्य, अमानुषीय-सं० (वि०) अलौकिक हुकूमत 2 अधिकार; नामा (पु०) अधिकार पत्र; ~पट्टा अमान्य-सं० (वि०) 1 अस्वीकार्य 2 आदर के योग्य नहीं (पु०) कार्य करने के लिये कारिंदे को दिया जानेवाला अमान्यन-सं० 1 मान्यता समाप्त करना 2 मान्यता न देना अधिकार पत्र; पानी (पु०) नशे के लिए कोई चीज़ अमाप-सं० (वि०) 1 अपरिमित 2 अत्यधिक घोलकर पीना
अमाप्य-सं० (वि०) जो मापा न जा सके, अमापनीय अमलतास-(पु०) एक पेड़ जिसके फूल, फल और बीज दवा अमामा-अं० (पु०) एक विशेष पगड़ी के काम आते हैं
अमाया-I सं० (वि०) 1 माया से रहित 2 छल, कपट, स्वार्थ अमलदारी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 राज 2 राज्यक्षेत्र
आदि से रहित 3 निर्लिप्त II (स्त्री०) 1 अविद्या 2 ईमानदारी अमला-1 अ० (स्त्री०) 1 लक्ष्मी 2 आँवला II (पु०) अमायिक-सं० (वि०) 1माया रहित 2 निश्छल 3 सच्चा 1 कर्मचारीमंडल 2 दफ्तर 3 काठ कबाड़; साजी + फ्रा० अमारी-(स्त्री०) 1 आमड़ा नामक वृक्ष 2 आमड़े का फल (स्त्री०) कर्मचारियों को घूस आदि देकर काम निकालना अमार्ग-I सं० (पु.) 1 बुरा रास्ता 2 मार्ग का अभाव अमलारा-(वि०) 1 नशा करनेवाला 2 नशे में मस्त ____II (वि०) मार्गरहित अमलिन-सं० (वि०) 1निर्मल, स्वच्छ 2 निर्दोष
अमार्जित-सं० (वि०) जो साफ़ न किया गया हो, अपरिष्कृत अमली-1 अ० (वि०) 1 व्यावहारिक 2 कामकाजी 3 नशेबाज अमायं-सं० (वि०) 1जिसका मार्जन न हो सके II (स्त्री०) 1 इमली 2 एक झाड़दार वृक्ष। जामा 2 अमार्जनीय पहनाना कार्यरूप देना, कार्य में परिणत करना
अमावट-(स्त्री०) 1पके आम का रस सुखाकर बनायी हुई अमांस-I सं० (वि०) 1 मांस रहित 2 दुबला-पतला, निर्बल मोटी परत 2 एक तरह की मछली II (पु०) इतर पदार्थ .
अमावस-(स्त्री०) कृष्ण पक्ष की अंतिम रात्रि, अमावस्या अमांसल-सं० (वि०) जिसमें मांस न हो (शरीर) अमावस्या-सं० (स्त्री०) अमावस की रात अमा-सं० (स्त्री०) अमावस्या, शुक्ल पक्ष की पंद्रहवीं रात । अमिट-(वि०) 1न मिटनेवाला 2 अटल 3 स्थायी अमात्य-सं० (पु०) मंत्री; ~मंडल (पु०) मंत्रिमंडल; | अमित-सं० (वि०) 1बेहद 2 अत्यधिक 3 जो मापा न जा
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अमिताभ
सके; --बल (पु० ) अत्यधिक बल; ~व्ययी (वि०) अधिक खर्च करनेवाला
अमिताभ - I सं० (वि०) अति कांतियुक्त, अत्यंत तेजस्वी II (पु० ) बुद्ध का एक नाम
अमिताशन - I सं० (वि०) बहुत खानेवाला 2 सर्व भक्षी II (पु० ) अग्नि
अमिति-सं० (स्त्री०) असीमता
अमित्र ] सं० (वि०) 1 मित्रहीन 2 विरोधी II ( पु० ) मित्र नहीं, प्रतिपक्षी
अमिलनशील-सं० (पु० ) जो मिलनसार न हो अमिलित-सं० (वि०) जो मिला न हो, पृथक्, अलग अमिश्र-सं० (वि०) 1 बिना मिलावट का 2 असंयुक्त । ~ राशि (स्त्री०) ग० इकाई से प्रकट होनेवाली राशि, 1 से 9 तक के अंक ग०
अमिश्रित-सं० (वि०) 1 अमिश्र, बिना मिला हुआ अमीन - I अ० (वि०) 1 अमानत रखनेवाला 2 विश्वसनीय II (पु० ) माल विभाग का एक कर्मचारी अमीबा - अं० (पु०) मल- कीटाणु
अमीर - अ० ( पु० ) 1 अधिकारी 2 सरदार 3 धनी व्यक्ति II (वि०) धनवान। उमरा (पु० ) राजा, बादशाह; जादा (पु०) 1 धनिक पुत्र 2 कुलीन अमीराना-अ० फ़ा० (वि०) 1 अमीरी जतानेवाला 2 धनिकोचित अमीरी- I अ० के योग्य
+ फ़ा० (स्त्री०) दौलतमंदी II (वि०) अमीर
अमीव-सं० (पु० ) 1 पाप 2 कष्ट 3 रोग 4 शत्रु 5 क्षति अमुक-सं० (वि०) कोई ख़ास, फलाना, अनिश्चित (वस्तु, व्यक्ति)
"
अमुक्त - 1 सं० (वि०) 1 जो मुक्त न हो 2 जिसका मोक्ष न हुआ हो II छुरा या कटारी आदि जो हाथ में पकड़कर काम में लाये जाए। ~ हस्त (वि०) कम खर्च करनेवाला, अल्पव्ययी अमुख्य-सं० (वि०) 1 अप्रधान, गौण 2 निम्न श्रेणी का अमुग्ध - सं० (वि०) 1 चतुर 2 अनासक्त अमूढ-सं० (वि०) 1 घबड़ाया नहीं 2 चतुर 3 विद्वान् II (पु० ) पंचतन्मात्र
अमूमन - अ० ( क्रि० वि०) आम तौर पर, प्रायः अमूर्त - 1 सं० (वि०) 1 आकाररहित 2 देहरहित 3 निरवयव (आकाश, वायु, आत्मादि) II (पु० ) शिव पद (पु० ) भाववाचक संज्ञा
अमूर्त्ति - I सं० (वि०) आकाररहित II ( पु० ) विष्णु III (स्त्री०) आकारहीनता । ~मान I ( वि०) आकाररहित II (पु० ) विष्णु
अमूल - सं० (वि०) 1 बिना जड़ का 2 निराधार 3 मनगढंत 4 मिथ्या
अमूल्य - सं० ( वि० ) 1 अनमोल 2 बहुमूल्य
अमृत - I सं० (वि० ) 1न मरा हुआ 2 न मरनेवाला 3 अमर 4 सुंदर II (पु० ) 1 सुधा रस 2 देवता। ~त्व (पु० ) अमरता; ~मय मधुर; ~लोक (पु० ) स्वर्ग अमृतवान - ( पु० ) रोगन किया हुआ मिट्टी का बर्तन अमृत्यु - I सं० (वि०) 1 अमर 2 अमर बनानेवाला
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अयल
II (स्त्री०) अमरत्व III ( पु० ) विष्णु अमृदु-सं० (वि०) कठोर अमृष्ट-सं० (वि०) न माँजा हुआ, मैला अमेघ-सं० (पु० ) बिना बादल का मेघ का अभाव अमेध्य - I सं० (वि०) 1 यज्ञ के अयोग्य 2 अपवित्र II ( पु० ) 1 अपवित्र वस्तु 2 अपशकुन अमेय-सं० (वि०) 1 सीमा रहित 2 परिमाणरहित 3 अज्ञेय अमेरिकन - I अं० (वि०) 1 अमेरिका का 2 अमेरिका संबंधी
II (पु० ) अमेरिका निवासी, संयुक्त राष्ट्र का निवासी अमेरिकी-अं० + हिं० (वि०) अमेरिकन अमेल - (वि०) 1 जिसका किसी से मेल न हो 2 असम्बद्ध 3 अनमेल
अमेह -सं० (पु० ) पेशाब का रुक-रुककर आना अमोघ सं० (वि०) 1 अचूक 2 अव्यर्थ 3 सफल II ( पु० ) अव्यर्थता
+
अमोनिया -अं० (पु०) नौसादर, 'एमोनिया' अमोनियाई-अं० हिं० (वि०) नौसादर का अमोल - (वि०) 1 अनमोल 2 बहुमूल्य अमोला - (पु० ) आम का उगता हुआ पौधा अमौला - I (वि०) आम के रंग का II (पु० ) जर्दी की झलक लिये मूंगिया रंग
अमौलिक सं० (वि०) 1 निर्मूल 2 जो मौलिक या स्वतंत्र रचना न हो 3 अयथार्थ
अम्मां - (स्त्री०) माता, मां
अम्मा- (स्त्री०) अम्माँ
अम्मामा - अ० (पु० ) एक तरह का साफा जिसे मुसलमान बांधते हैं
अम्मी (स्त्री०) माँ
शूल
अम्र - अ० (पु० ) 1 आशा 2 विषय 3 बात अम्ल - I सं० (वि०) खट्टा II ( पु० ) 1 खट्टापन, खटाई 2 सिरका 3 तेज़ाब 4 नींबू । जन (पु० ) आक्सीजन ता (स्त्री०) खट्टापन, खटाई, पित्त (पु० ) एक रोग जिसमें आहार आमाशय मे पहुंचकर अम्ल हो जाता है; (पु० ) अम्ल पित्त के कारण कलेजे में दर्द; ~सार ( पु० ) 1 नीबू 2 चूक 3 अमलबेंत 4 आँवला सार, गंधक अम्लान - I स० (वि०) 1 जो मुरझाया या उदास हो 2 प्रफुल्ल 3 स्वच्छ, निर्मल II (पु०) बाणपुष्प वृक्ष अम्लिमा-सं० (स्त्री०) खट्टापन अम्लीकरण-सं० ( पु०) वह क्रिया जिससे वस्तु आये
में अम्लता
अम्लीय सं० (वि०) 1 अम्ल संबंधी 2 जिसमें खटास हो अम्लोदगार-सं० ( पु०) खट्टी डकार
अम्हौरी - (स्त्री०) अधिक प्रस्वेदन से बदन में निलकलनेवाली छोटी-छोटी फुंसियाँ
अयंत्रित सं० (वि०) 1 अनियंत्रित 2 मनमानी करनेवाला अय - I सं० (पु० ) 1 लोहा 2 हथियार 3 अग्नि II ( क्रि० वि) ऐ. हे
अयजनीय सं० (वि०) 1 यज्ञ के अयोग्य 2 अपूज्य अयत-सं० (वि०) 1 असंयमी 2 जो नियंत्रण में न हो अयत्न - I सं० 1 (पु० ) यत्न का अभाव II (वि० ) जिसके
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अयथा
अरथी लिए उद्योग करने की आवश्यकता न हो। ~कृत (वि०) जो | अयुगल-सं० (वि०) 1 अलग 2 अकेला 3 विषम बिना प्रयत्न किये हो, आसानी से हो जाये; ज (वि०) बिना अयुग्म-सं० (वि०) 1 अकेला 2 विषम, ताक उद्योग किये उत्पन्न होनेवाला; ~लभ्य (वि०) बिना उद्योग के अयुत-I सं० (पु०) 10 हजार की संख्या II (वि०) 1 पृथक् प्राप्त होनेवाला; ~साधित (वि०) बिना प्राप्त प्रयत्न के जो ___ 2 अक्षुब्ध साध लिया जाए
अयुध-सं० (पु०) वह जो न लड़े, आयुध अयथा-I सं० (क्रि० वि०) 1 जैसे होना चाहिये वैसा नहीं अयुध्य-सं० (वि०) अजेय 2 मिथ्या 2 अनुचित या ग़लत II (पु०) अनुचित कार्य। अयोग-I सं० (पु०) 1 बिलगाव 2 अयुक्तता 3 अप्राप्ति तथ (वि०) अयथार्थ -पूर्व (वि०) पहले जैसा नहीं; 4 अक्षमता 5 संकट 6 कुयोग II (वि०) 1 असंबद्ध
वृत्त (वि०) ग़लत ढंग से कार्य करनेवाला; स्थित 2 जोरदार कोशिश करनेवाला। ~वाह (पु०) स्वर-व्यंजन से (वि०) अव्यवस्थित
अलग वर्ण अयथार्थ-सं० (वि०) झूठ, ग़लत। ता (स्त्री०) यथार्थ न अयोगात्मक-सं० (वि०) (भाषा) जिसमें विभक्तियां न हों होने का भाव
अयोग्य-सं० (वि०) 1 योग्यताहीन, नाकाबिल 2 निकम्मा अयथावत्-सं० (क्रि० वि०) ग़लत तरीके से
3 अनधिकारी 4 नामुनासिब अयथेष्ट-सं० (वि०) 1 इच्छानुरूप नहीं 2 अनिच्छित | अयोनि-[ सं० (वि०) 1 अजन्मा 2 नित्य 3 कोख से उत्पन्न 3 अपर्याप्त
नहीं II (पु०) 1 ब्रह्मा 2 शिव अयथोचित्-सं० (वि०) 1 अयोग्य 2 निकम्मा
अयोमार्ग-सं० (पु०) रेलमार्ग, पटरी अयन-सं० (पु०) 1 चलना 2 गति का काल 3 मार्ग अयौगिक-सं० अनियमित रूप से (राशिचक्र, सूर्य) 4व्यूह में प्रवेश करने का मार्ग 5 गृह अरंड-(पु०) एरंड 6 आश्रम 7 जगह। ~काल (पु०) सूर्य के उत्तरायण या अरंडी-(स्त्री०) एरंड का तेल दक्षिणायन में रहने का समय; ~वृत्त (पु०) ग्रहण रेखा; अर-सं० (पु०) तीली
-संक्राति (स्त्री०) मकर और कर्क की संक्राति अरई-(स्त्री०) नुकीला लोहा लगी बैल को हांकने की छड़ी • अयमित-सं० (वि०) 1 अनियंत्रित 2 जो काटा छाटा न गया अरक-अ० (पु०) 1 आरागज 2 सिवार 3 सूर्य हो 3 असज्जित
अरकटी-(पु०) पतवार पर रहनेवाला माँझी अयश-सं० (पु०) 1 अपयश 2 लांछन। ~कारी (वि०) अरकसी-(स्त्री०) आलस्य, सुस्ती बदनाम करनेवाला
अरकारी-(पु०) कुलियों की भर्ती करनेवाला अयशस्कर-सं० (वि०) अपयश का कारण
अरकान-अ० (पु०) 1 प्रधान कार्यकर्ता 2 जिस पर किसी अयशस्वी-सं० जिसे यश न प्राप्त हो, बदनाम
कार्य का दारमदार हो 3 उर्द के मात्रा रूप अक्षर अयशी-सं० (वि०) यशोहीन, बदनाम
अरक्षित-सं० (वि०) जिसकी रक्षा न की जाती हो अयस्-सं० (पु०) लोहा
अरग-(पु०) अरगजा अयस्क-सं० (पु०) कच्चा लोहा
अरगजा-(पु०) एक सुंगधित लेप, उबटन अयस्कांत-सं० (पु०) चुबंक
अरगजी-I (वि०) अरगजा सा सुंगध वाला II (पु०) अयस्कीर-सं० (पु०) मुर्चा, जंग
अरगजे सा मिलता पीला रंग अयाचक-सं० (वि०) 1न मांगनेवाला 2 कामनारहित | अरगन-अ० (पु०) विलायती बाजा 3संतुष्ट
अरगनी-(स्त्री०) वस्त्र टाँगने की रस्सी, बाँस आदि अयाचित-सं० (वि.) बिन मांगा, अप्रार्थित
अरगल-सं० (पु०) ब्योढ़ा, (किवाड़ में) रोक अयाची-सं० (वि०) अयाचक
अरघा-(पु०) 1 अर्घ पात्र 2 पात्र जिसमें अर्घ रखकर दिया अयात-सं० (वि०) न गया हुआ। पूर्व (वि०) जो पहले न | जाये गया हो
अरजी-I अ० (वि०) अर्ज करनेवाला II (स्त्री०) अर्जी अयाथार्थिक-सं० (वि०) 1जो सत्य न हो 2 अनुचित
अरण्य-सं० (पु०) 1 जंगल 2 कायफल 3 संन्यासियों का एक अयान-I सं० (पु०) 1न जाना 2 स्वभाव II (वि०) पैदल
भेद। ~गान (पु०) 1 एकांत का गाना 2 बेकार का काम; अयानत-अ० (स्त्री०) सहायता
चंद्रिका (स्त्री०) ऐसी चंद्रिका (या शोभा) जिसे देखने या अयाना-(वि०) नासमझ
समझनेवाला कोई न हो; ~पंडित (पु०) वह जो वन में ही अयाल-अं० (पु०) 1 घोड़े या शेर की गर्दन के बाल अपना गुणगान कर सकें; ~पाल (पु०) वन का अधिकारी;
2 बाल-बच्चे। दार + फ़ा० (पु०) बाल-बच्चोंबाला ~रोदन (पु०) ऐसा रोना जिसपर कोई ध्यान न दें;~वास अयास्य-सं० (पु०) 1 अंगिरा ऋषि 2 प्राण वायु - (पु०) वनवास अयुक्त-सं० (वि०) 1न जोता हुआ 2 न जोड़ा हुआ अरण्यामी-सं० (स्त्री०) बहुत बड़ा वन
3 अयोग्य 4 असंबद्ध 5 अनपयुक्त 6 अन्यमनस्क 7 अनभ्यस्त अरत-सं० (वि०) 1 सुस्त 2 विरक्त 3 अनासक्त 4 असंतुष्ट अयुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 लगाव का अभाव 2 पार्थक्य | अरति-[ सं० (स्त्री०) 1 राग का अभाव, विराग 2 असंतोष
3 अतर्क 4 अनौचित्य। ल्युक्ति जो युक्ति संगत न हो | 3सुस्ती II (वि०) 1 असंतुष्ट 2 अशांत 3 सुस्त अयुग-सं० (वि०) = अयुगल
अरथी-I (स्त्री०) टिकठी II (वि०) अर्थी
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अरदना
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अरुण
अरदना-सं० क्रि० 1 मसलना 2 कुचलना 3 कुचल कर मार अराजकवाद सिद्धान्त एवं कार्य का समर्थक डालना
अराजकता-सं० (स्त्री०) 1 देश में राजा या शासक का न होना अरदली-अं० (पु०) चपरासी
2 अनियंत्रित एवं विधि विरोधी शासनावस्था। पूर्ण पूर्ण अरदाबा-फा० (पु०) 1दला हुआ अन्न 2 भरता
अव्यवस्थित राज्य; ~वाद (पु०) ऐसा सिद्धांत एवं मत जो अरदास-अ० + फा० (स्त्री०) 1 प्रार्थना 2 प्रार्थना पत्र 3 भेंट शासन को अभिशाप एवं पाप की संज्ञा दे; ~वादी (वि०) अरब-I (वि०) सौ करोड़ II (पु०) 1 सौ करोड़ की संख्या अराजकतावाद सिद्धांत एवं मत का माननेवाला 2 घोड़ा 3 इंद्र III - अ (पु०) 1 दक्षिण-पश्चिम एशिया का अराजपत्रित-सं० (वि०) जो गज़ट में न आया हो एक देश जहाँ मुहम्मद साहब का जन्म हुआ था 2 अरब देश अराजवीजी-सं० (वि०) 1 अराजकता फैलानेवाला 2 राज का निवासी। पति हिं+सं० (पु०) करोड़पति धनी विद्रोह प्रचारक अरबियत-अ० (स्त्री०) अरबीपन
अराज़ी-अं० (स्त्री०) भूमि, ज़मीन अरबी-I अ० (वि०) अरब देश का II (पु०) 1 अरब अराड़-(पु०) 1 ढेर, राशि 2 काठ-कबाड़ 3 लकड़ी की टाल निवासी 2 अरबी घोड़ा, अरबी ऊंट III (स्त्री०) अरब की अराति-सं० (पु०) 1 दुश्मन, शत्रु 2 मनोविकार भाषा
अराद्धि-सं० (स्त्री०) 1 दुर्भाग्य 2 विफलता 3 अपराध, दोष अरमान-फा० (पु०) लालसा, इच्छा, कामना। -निकलना ___4 पाप कामना की पूर्ति होना; रह जाना कामना का अतृप्त रह अराबा-अ० (पु०) 1 पुरानी चाल की गाड़ी या रथ 2 तोप जाना
लादने की गाड़ी अरर-I अ० विस्मय, उल्लास आदि का सूचक शब्द II (पु०) अरायज़नवीसी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) (कचहरी के लिए) 1 दरवाजा 2 किवाड़ 3 उल्लू 4 युद्ध 5 ढक्कन
दरखास्तें लिखना अरराना-(अ० क्रि०) 1 अरर् की ध्वनि के साथ टूट कर गिरना | अरारूट, अरारोट-अ० (पु०) एक प्रसिद्ध पौधा जिसके कंद 2 भहराना
को कूटकर सत्त निकाला जाता है। अरराहट-(स्त्री०) भहराने की आवाज़
अराष्ट्रीय-सं० (वि०) 1 राष्ट्र से असंबद्ध 2 राष्ट्रविरोधी अरवन-(पु०) काटकर लायी जानेवाली कच्ची फ़सल, पहले अरिदम-सं० (वि०) शत्रु का दमन करनेवाला पहल काटे जानेवाली फ़सल जो घर लायी जाये अरि-सं० (पु०) 1 विरोधी या वैरी 2 मनुष्य के विकार जो अरवा-(पु०) बिना उबाले धान का चावल
उसका अहित करते हैं 3 वायू 4 स्वामी 5 चक्र दमन अरविंद-सं० (पु०) कमल। नयन (पु०) कमलनेत्र (पु०) शत्रुघन, अरिसूदन; दल (पु०) शत्रु समूह; अरवी-(स्त्री०) एक कंद, घुइयां, कचालू
~मर्दन (वि०) शत्रु का नाश करनेवाला अरस-[ सं० (वि०) 1 रसहीन, नीरस, फीका 2 असभ्य अरिक्थपत्री-सं० पैतृक अधिकार च्युत किया जाने का दस्तावेज़ 3 सुस्त 4 निर्बल 5 अयोग्य II (पु०) 1 रस का अभाव अरित्र-सं० (पु०) 1 (नाव खेने का) डांडा 2 जल की गहराई 2 आलस्य 3 आकाश
नापनेवाली डोरी 3 (जहाज़ या नाव का) लंगर अरसना-परसना-(स० क्रि०) 1 छूना 2 आलिंगन करना अरिल्ल-सं० (पु०) सोलह मात्राओं का एक छंद जिसके अंत अरस-परस-(पु०) 1 आंख मिचौनी का खेल 2 दरस-परस ___ में दो लघु अथवा एक यगण 1ss होता है अरसा-अ० (क्रि० वि०) 1 समय 2 अवधि 3 मैदान 4 देर | अरिष्ट-सं० (पु०) 1 कष्ट, क्लेश 2 आपत्ति, विपत्ति 5 बहुत दिन। ~तंग होना कठिनाई में पड़ना
3 अपशकुन, अशुभ लक्षण 4 प्राकृतिक उत्पात 5 दुर्भाग्य अरसिक-सं० (वि०) 1 अरसज्ञ, काव्य, संगीत आदि का रस 6 पौष्टिक मद्य 7 दुष्ट ग्रहों का योग
लेने में असमर्थ 2 स्वादहीन, रूखा 3 रूखे स्वभाव का अरिहा-I सं० (वि०) शत्रुनाशक II (पु०) शत्रुघन अरस्तुवाद-(पु०) ऐसा मत जिसमें 'उपादान' और 'आकार' | अरी-अं० संबोधन सूचक शब्द (जैसे-अरी) विश्व के मूल तत्व माने गए हैं और उनके आद्य चालक ईश्वर अरीत-(स्त्री०) अनुचित या बुरा काम
अरीतिक-सं० (वि०) 1 जो नियम एवं रीति के अनुसार न अरहट-(पु०) कुंए से पानी निकालने का यंत्र, रहट
हुआ हो 2 शिष्टाचाररहित, अनौपचारिक 3 आपसी तौर पर अरहन-(पु०) साग-भाजी में पकाते समय मिलाया जानेवाला होनेवाला आटा या बेसन
अरीय-सं० (वि०) अरसदृश, अरी के समान तीली जैसा अरहर-(स्त्री०) 1 चने की दाल जैसे दाने वाला एक पौधा | अरुंतुद-[ सं० (वि०) 1मर्म स्थान पर आघात करनेवाला 2 एक प्रकार का पौधा जिसके दाने से दाल बनाई जाती है 2 मन को दुःखी करनेवाला 3 घाव करनेवाला II (पु०) बैरी अराग-I सं० (पु०) 1 राग का अभाव, अरति II (वि०) राग या शत्रु से रहित, बिना राग वाला
अरुचि-सं० (स्त्री०) 1 अनिच्छा 2 अग्निमांद्य रोग 3 दिलचस्पी अराज-सं० वि०)। बिना राज का (देश) 2 अराजकता | न होना। ~कर (वि०) जो रुचिकर न हो, नीरस अराजक-सं. (वि०) 1 शासक या शासन से हीन 2 जो अरुज-I सं० (वि०) नीरोग II (पु०) 1 केसर 2 सिंदूर शासक या शासन की सत्ता नहीं मानता हो 3 शासन का अरुण-I सं० (वि०) लाल रंग का, सुर्ख II (पु.) 1 गहरा उल्लंघन करनेवाला 4 विद्रोही या षड़यंत्रकारी। ल्वाद लाल रंग 2 प्रातकालीन सूर्य 3 सूर्य का सारथी 4 सूर्योदय या (पु०) शासन विरोधी सिद्धांत एवं कार्यः ~वादी (वि०) | सूर्यास्त के समय की लाली 5 कुंकुम 6 सिद्र। -प्रिया
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अरुणाभ
अर्थ (स्त्री०) सूर्य की पत्नी (छाया/संज्ञा) ~ता (स्त्री०) अरुण अर्चि-(स्त्री०) 1 लौ 2 किरण। ~मान (वि०) प्रकाशमान होने की अवस्था या भाव 2 लड़ाई, लाली; अरुणा (स्त्री०) अर्चित-I सं० (वि०) 1 पूजित 2 सम्मानित II (पु०) विष्णु - = अरुण
अर्च्य-सं० (वि.) अर्चनीय अरुणाभ-सं० (वि०) लाल आभा से युक्त, लालिमा युक्त | अर्ज-अ० (पु०) 1निवेदन 2 प्रार्थना 3 चौड़ाई। दाश्त अरुणित-सं० (वि०) 1 जिसे लाल किया गया हो 2 जिसमें (पु०) प्रार्थनापत्र, अर्जी; ~मारूज़ (पु०) प्रार्थना लाली आ गयी हो ।
अर्जक-सं० (वि०/पु०) 1 प्राप्त करनेवाला 2 कमानेवाला अरुणिमा-सं० (स्त्री०) लालिमा, ललाई, लाली
अर्जन-सं० (पु०) 1 कमाना 2 संग्रह करना। ~शील अरुणोदय-सं० (पु०) ऊषाकाल, भोर, तड़का
(वि०) कमानेवाला अरूढ़-सं० (वि०) 1 आरुढ़ 2 जो रूढ़ न हो, अप्रचलित अर्जनीय-सं० (वि०) संग्रह या प्राप्त करने योग्य अरूढ़िवाद-सं० (वि०/पु०) जो रूढ़ियों में विश्वास न करता अर्जित-सं० (वि०) 1 संगृहीत 2 कमाया हुआ। ~अवकाश
(पु०) आधिकारिक छुट्टी अरूप-[ सं० (वि०) 1आकृतिहीन, बिना रूप आकार का | अर्जी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) प्रार्थनापत्र, दरखास्त । दावा 2 कुरूप 3 असमान II (पु०) भद्दी शक्ल
(पु०) वादी पक्ष का प्रार्थनापत्र, पुर्जा.(स्त्री०) प्रार्थनापत्र; . अरूपक-सं० (वि०) 1 आकृतिहीन, अपार्थिव 2 रूपालंकार नवीस (पु०) अर्जी लिखनेवाला; ~मरम्मत (स्त्री०) रहित
आवेदन पत्र से संशोधन हेतु दिया जानेवाला प्रार्थनापत्र अरे-अ0 1 छोटों के लिये व्यवहृत और प्रायः तिरस्कार सूचक | अर्जुन-I सं० (पु०) 1 महाभारत का एक प्रमुख पात्र 2 हैहय सम्बोधन 2 आश्चर्य, दुःख, आकुलता आदि प्रकट करनेवाला नरेश कार्तवीर्य 3 इंद्र 4 सफेद रंग 5 एकलौता बेटा 6 मोर उद्गार
7 नेत्र रोग II (वि०) 1 सफ़ेद, उज्जवल 2 चमकीला अरोक-(वि०) 1 अबाध्य, जो रोका न जा सके 2 छिद्र रहित 3 स्वच्छ 3कांतिहीन 4जो रुकता न हो
अर्ण-सं० (पु०) 1 जल, पानी 2 शोरगुल अरोग-I सं० (वि०) रोग रहित, निरोग; II (पु०) आरोग्य अर्णव-सं० (पु०) 1 समुद्र 2 अंतरिक्ष। ~ज (पु०) समुद्र आरोगी-सं० (वि०) जो रोगी न हो, तंदुरुस्त
फेन; ~नेमि (स्त्री०) पृथ्वी; ~पोत, यान (पु०) जहाज़ अरोग्य-सं० (वि०) स्वस्थ, निरोग। ~ता (स्त्री०) निरोगता, अर्णोद-सं० (पु०) बादल स्वस्थता
अर्तन-[ सं० (पु०) 1 निंदा 2 जुगुप्सा II (वि०) निंदा अरोचक-I सं० (वि०) 1 अरुचि पैदा करनेवाला. अरुचिकर करनेवाला 2 शोकान्वित, खिन्न, आर्त्त II (पु०) अरुचि
अर्ति-सं० (स्त्री०) पीड़ा व्यथा अर्क-I सं० (पु०) 1 ज्योति, प्रकाश, किरण 2 सूर्य 3 आक | अर्थ-सं० (पु०) 1 अभिप्राय, मतलब 2 प्रयोजन 3 काम या मदार II (वि०) पूजा करने योग्य। ~मंडल (पु०) सूर्य 4 मामला 5 हेतु 6 धन संपत्ति 7 इंद्रियों के विषय (शब्द, मंडल
स्पर्श, रस रूप, गंध) 8 उपयोग 9 इच्छा 10 मूल्य। -कर अर्क-अ० (पु०) अरक़ ~गीर (पु०) अर्क निकालने वाला (वि०) जिसका कुछ अर्थ हो; ~कष्ट (१०) पैसे की कमी; (भभका)
~काम (वि०) धनेच्छु, स्वार्थी; ~कारी (वि०) धन के अर्गल-सं० (पु०) 1किवाड़ बंद करने की अगड़ी 2 रोक, विचार से उपयोगी; कार्य (प.) अर्थ का कार्य; --गत अवरोध
(वि०) अर्थ संबंधी; ~गर्भित (वि०) जिसमें एक या कई अर्गला-सं० (स्त्री०) 1 अगड़ी 2 सिटकिनी 3 हाथी बाँधने की अर्थ हो सकते हों; ~गौरव (प०) अर्थ की गंभीरता; जंजीर
~ग्रहण (पु०) मतलब समझना; ~~घटक (वि०) अर्थ अर्गलित-सं० (वि०) 1 अर्गला से बंद 2 अवरुद्ध
को कम करनेवाला; ~ (वि०) 1 धन का नाश करनेवाला अर्घ-सं० (पु०) 1 पूजन के लिए दूध-जल 2 हाथ धोने के 2 अपव्ययी; छाया (स्त्री०) संलग्न अर्थ, सूक्ष्म भेद से लिए दिया गया जल 3 दाम, मूल्य 4 मधु, शहद । दान
नया अर्थ; ~तंत्र (पु०) अर्थव्यवस्था; तत्त्व (पु०) शब्द (पु०) अर्घ अर्पण करना; पतन (पु०) भाव गिरना; में निहित अर्थ; ~दंड (पु०) अर्थ रूप में दी जानेवाली सजा;
~पात्र (पु०) अर्घ अर्पण करने वाला पात्र; ~बलाबल दान (पु०) पुरस्कार स्वरूप दिया जानेवाला धन या मुद्रा; (पु०) उचित मूल्य 2 वस्तुओं के मूल्य की मंदी या तेजी; दूषण (पु०) 1 अपव्यय 2 अन्याय से किसी का धन ले
वृद्धि (स्त्री०) मंहगाई होना; ~संस्थापन (पु०) लेना 3 दूसरे का धन नष्ट करना 4 अर्थ में दोष ढूंढ़ना; व्यापारिक वस्तुओं का मूल्य निर्धारित करना
नीति (स्त्री०) धन-संबंधी नीति; न्यायालय (पु०) अर्चक-सं० (वि०) पूजा करनेवाला
जहाँ अर्थ संबंधी झगड़े-विवाद सुलझाए जायें पति (पु०) अर्चन-सं० (पु०), अर्चना (स्त्री०) पूजन, वंदन, उपासना 1 कुबेर 2 राजा 3 धनवान्, परामर्शक (वि०) अर्थ अर्चना-सं० (स्त्री०) पूजा, वंदना। ~वंदना (स्त्री०) अर्चना संबंधी सलाह देनेवाला; परिवर्तन (पु०) भाव का करना, वंदन करना
परिवर्तन; ~पिपासा (स्त्री०) धन की लालसा/तृष्णा; अर्चनीय-सं० (वि०) 1 पूजनीय 2 सम्मान्य
-पिशाच (पु०) अति धनलोभी; पुस्तिका (स्त्री०) वह अर्चमान-सं० (वि०) अर्चनीय
रजिस्टर या कापी जिसमें अर्थ विषयक लेखा-जोखा हो; अर्चा सं० (स्त्री०) 1 पूजा 2 प्रतिमा जिसकी पूजा करनी हो । प्रकृति (स्त्री०) नाटक में कथावस्तु को बढ़ाने में सहायक
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अर्द्ध बात; ~प्रक्रिया (स्त्री०) अर्थ-विवाद संबंधी होनेवाली | अर्थाधिकारी-सं० (पु०) 1 खचांची 2 अर्थमंत्री प्रक्रिया या कार्यवाही; पूर्ण (वि०) सम्पूर्ण एवं स्पष्ट | अर्थानापद- (पु०) लाभ और हानि का एक-साथ भय अर्थवाला; ~प्रणाली (स्त्री०) अर्थ या मूल्य से संबंध | अर्थानुबंध-सं० (पु०) अर्थबंध, आर्थिक समझौता रखनेवाली विधि; ~प्रदाय (वि०) अर्थ या सम्पत्ति | अर्थानुसंधान-सं० (पु०) अन्वच, अर्थ को ढूँढने एवं समझने देनेवाला; ~प्रधान (पु०) सम्पत्ति का स्वामी; ~प्रबंध का प्रयास करना (पु.) 1 अर्थ की व्यवस्था; ~प्रबंधन (पु०) अर्थ अर्थान्वित-सं० (वि.) 1 धनी 2 सारगर्भित 3 महत्त्वपूर्ण व्यवस्था करना; प्रसर (पु०) अर्थ विस्तार; ~प्राप्ति | अर्थापत्ति-सं० (स्त्री०) 1 फल प्राप्ति 2 एक और बार सिद्ध (स्त्री०) अर्थ की प्राप्ति; बंध (पु०) छंद, वाक्य आदि की करना रचना; बुद्धि (वि०) स्वार्थी; -बोध (पु०) अर्थ ज्ञान; | अर्थापदेश-(पु०) नये अर्थ का समावेश
~भरा + हिं० (वि०) अर्थ से भरा हुआ; ~भागी (वि०) | अर्थापन-सं० (पु०) पदों, शब्दों के अर्थ लगाने या व्याख्या अर्थ या सम्पत्ति का हिस्सेदार; ~भृत (पु०) वेतन भोगी | करने का भाव कर्मचारी; ~भेद (पु०) अर्थ में अंतर; ~मंत्री (पु०) अर्थापित-सं० (वि०) अर्थ निकाला गया (शब्द) वित्तमंत्री; ~युक्ति (स्त्री०) लाभ; ~लाभ (पु०) सम्पत्ति अर्थाभाव-सं० अर्थ की कमी या अभाव का लाभ, रुपये-पैसे का लाभ; ~~लोभ (१०) सम्पत्ति लोशः अर्थार्थी-सं० (वि०) धन की कामना रखने या उसकी प्राप्ति के
लोलुप (वि०) अर्थ का लोभी; ~वत्ता (स्त्री०) अर्थ | लिए प्रयास करनेवाला की संपत्रता; ~वर्जित (वि०) महत्त्वहीन; ~वाद (पु०) | अर्थालंकार-(पु०) शब्दों में अर्थ का चमत्कार प्रकट किसी उद्देश्य का प्रकटीकरण; -विकरण (पु०) मतलब करनेवाला अलंकार बदलना; विकार (१०) अर्थों में होनेवाला परिवर्तन या अर्थिक-सं० (पु०) 1 प्रहरी 2 राजा को सोने एवं उठने के दोष; ~विचार (पु०) शब्दार्थिकी; विज्ञान (पु०) समय की सूचना देनेवाला || (वि०) किसी वस्तु का 1 अर्थबोध 2 अर्थशास्त्र वितंडा (पु०) आर्थिक लाभ के चाहनेवाला लिए बेकार की बहस; -विधान (पु०) शब्दों के अर्थ | अर्थित-सं० (वि०) 1 माँगा हुआ 2 चाहा हुआ 3 अर्थ लगाया लगाने एवं विकसित करने का तरीका; विधि (स्त्री०) | हुआ दीवानी (सम्पत्ति संबंधी) नियम कानून; विभाग (पु०) | अर्थी-[सं० (वि०) 1 चाह या रार्ज रखनेवाला 2 प्रार्थी 3 वादी सम्पत्ति एवं अर्थ संबंधी विभाग; विवाद (पु०) सम्पत्ति | 4 सेवा करनेवाला 5 धनी II (३०) । माँगनेवाला 2 भिक्षक एवं अर्थ सम्बंधित विवाद; विशेषज्ञ (वि०) सम्पत्ति | 3 वादी 4 मालिक विषयक उत्तम जानकारी रखनेवाला; विस्तार (पु०) अर्थ | अर्थोत्कर्ष-सं० (पु०) अर्थ का अच्छे या शुभ प्रसंग में का उसी तरह की अनेक (व्यापक) वस्तुओं पर लागू होना; | परिवर्तन
व्यवस्था (स्त्री०) सार्वजनिक राजस्व एवं उसके आय व्यय अर्थोपचार-सं० (पु०) अर्थ न्यायालय द्वारा होनेवाला उपचार की पद्धतिः ~व्यवहार (प०) दीवानी मुक़दमा; शास्त्र ___ या कराई जानेवाली क्षतिपूर्ति (पु०) 1 पैसे के व्यवहार की विद्या 2 राजनीतिविज्ञान | अर्थोपार्जन-सं० (पु०) अर्थ कमाना (जैसे-कोटिल्य का) 3 नीति शास्त्र; शास्त्रीय; ~शौच | अर्थ्य-सं० (वि०) 1 माँगने योग्य 2 उपयुक्त 3 धनी 4 चतर (१०) लेने-देने या पैसा कमाने में ईमानदारी से काम करना; | अर्दन-I सं० (पु०) 1पीड़न 2 वध || (वि०) 1 पीड़ा
संकट धन की कमी ~संकोच (पु०) अर्थ या संकुचित - देनेवाला 2 नष्ट करनेवाला क्षेत्र में व्यवहार; सचिव (पु०) अर्थमंत्री; ~सिद्ध अर्दली-अ० (पु०) अरदली (वि०) प्रसंग से ही जिसका अर्थ स्पष्ट हो; सिद्धि (स्त्री०) अर्दित-[ सं० (वि.) 1 पीड़ित 2 हत 3 याचित II (०) उद्देश्य की सिद्धि; सूचक (वि०) अर्थ की सूचना | एक वात रोग देनेवाला; हीन (वि०) 1 बिना अर्थ का 2 जिसका कोई अर्द्ध-[ सं० (वि०) आधा II (पु०) 1 आधा भाग 2 भाग; अर्थ न हो
~उष्ण आधा गरम, कुनकुना; ~कालिक (पु०) आधे अर्थक- (वि०) अर्थवाला (जैसे-समानार्थक)
समय का; ~कृत (वि०) आधा किया हुआ; -गोल अर्थतः-सं० (क्रि० वि०) 1 अर्थ की दृष्टि से 2 वस्तुतः (पु०) गोलार्द्ध; ~गोलाकार (वि०) गोले के आधे आकार 3 सचमुच
का; चंद्र (पु०) 1 आधा चंद्रमा 2 सानुनासिक का चिह्न, अर्थना-(स्त्री) याचना
चंद्र बिंदु 3 वह बाण जिसका फल अर्धचंद्राकार हो 4 मोरपंख अतिर-सं० (वि०) 1 दूसरा विषय 2 नयी स्थिति 3 दूसरा की आँख; चंद्राकार (वि०) आधे चांद के आकार का; मतलब। न्यास (पु०) एक अलंकार जिसमें सामान्य कथन -चेतन (वि०) आधे होश में; जागृत (वि०) आधा की विशेष कथन द्वारा और विशेष कथन की सामान्य कथन द्वारा जागा हुआ; जीवित (वि०) अधमरा; लग्न (वि०) पष्टि की जाती है
अधनंगा; नयन (पु०) देवताओं का तीसरा नयन जो अर्धागम-सं० (पु०) धनागम, आय
मस्तक या ललाट पर होता है; नारीश्वर शिव का आधा अर्थात्-सं० + अ० यानी, मतलब यह कि
अपना और आधा पार्वती का रूप; निशा (स्त्री०) आधी अर्थातिशय-सं० (पु०) अर्थ विधान
रात; निर्मित (वि०) अधूरा बना हुआ; मागधी अर्थाधिकरण-सं० (पु०) अर्थन्यायालय, दीवानी अदालत । (स्त्री०) मागधी और शोरसेनी के बीच की प्राकृत; ~मूर्छित
वात राग
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अद्धांग
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अलग
लेनेवाला
य, व)
आधी देह ?
(वि०) आधा बेहोश; रात्रि (स्त्री०) आधी रात; अर्श-अ० (पु०) 1 तख्न 2 छत 3 आकाश 4 सर्वोच्च स्वर्ग
वयस्क (वि०) जो अल्पव्यस्क हो; वर्ष (पु०) साल ..(इस्लाम धर्म) बहिश्त पर चढ़ाना बहुत श्रेष्ठ ठहराना; का आधा भाग; ~वार्विक (वि०) छह माह वाली, छमाही; ~पर होना अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य पर इतराना 2 अपने को
-विक्षिप्त (वि०) आधा पागल, ~वृत (पु०) आधा बहुत बड़ा समझना; ~से फर्श तक आकाश से धरती तक: गोल या वृत्त; ~वृत्ताकार (वि०) आधे गोले के आकार दिमाग या मिजाज अर्श पर होना अत्यधिक अभिमान का; ~वृद्ध (वि०) अधेड़ उम्र का; व्यास (पु.) वृत्त के करना; ~से गिरा खजूर पर अटका पुनः संकट में आकर केंद्र से परिधि तक दूरी; ~शताब्दी (स्त्री०) पचास वर्ष; फैसना
शताब्दी समारोह (पु०) स्वर्ण जयन्ती; ~शती आधी अर्श-सं० (पु०) बवासीर । हर (पु०) अर्श या बवासीर शताब्दी, पचास वर्ष; ~शब्द (वि०) धीमी आवाज़वाला; मर्ज़ में लाभ करनेवाली वस्तु
शासकीय (वि०) अर्ध सरकारी; शिक्षित (वि०) अर्शी-सं० (वि०) बवासीर का रोगी अधूरा पढ़ा-लिखा; शेष (वि०) जिसका आधा ही बचा अहत-I सं० (पु०) 1 बौद्ध पुरोहित 2 जैन II (वि०) सुयोग्य हो; ~सम (वि०) आधे के बराबर; ~साक्षर (वि०) अर्ह-I सं० (वि०) 1 पूजनीय 2 सम्मान्य 3 योग्य 4 उपयुक्त अधूरा पढ़ा हुआ; साप्ताहिक सप्ताह में दो बार निकलने __II (पु०) औचित्य, उपयुक्तता। या होनेवाला; ~सीरी (पु०) परिश्रम के बदले आधी फसल अर्हण-सं० (पु०) 1 पूजा 2 सम्मान लेनेवाला कृषक; स्वर (पु०) (ध्वनि) आधा स्वर आधा अर्हणीय-सं० (वि०) पूजा या सम्मान के योग्य व्यंजन (जैसे-य, व)
अर्हता-सं० (स्त्री०) योग्यता, उपयुक्ता अद्धांग-सं० (वि०) 1 आधी देह 2 पक्षाघात रोग 3 शिव। अद्य-सं० (वि०) 1पूजनीय 2 प्रशंसनीय 3 योग्य यात (पु०) अंगघात रोग, अधरंग
4 अधिकारी अद्धांगिनी सं० (स्त्री०) पत्नी
अलंकरण-सं० (पु०) 1सजाना 2 सजावट 3 आभूषण अद्धांगी-सं० (पु०) 1शिव 2 पक्षघात का रोगी
अलंकार-सं० (पु०) 1सजावट 2 आभूषण 3 रचनागत अद्धाशी-सं० (वि०) आधे हिस्से का अधिकारी
विशिष्ट शब्द योजना या अर्थ चमत्कार (जैसे-उपमा, रूपक, अद्धि-सं० (वि०) 1आधे-आधे 2 आधे का आधा, चौथाई अनुप्रास आदि)। ~मय (वि०) अलंकारयुक्त, अलंकृत; अोली-सं० (स्त्री०) आधी चौपाई
~वाद (पु०) यह मत कि साहित्य में अलंकार अनिवार्य है। अर्धाकृत-सं० (वि०) 1 आधा ढका हुआ 2 आधा घिरा हुआ ~शास्त्र (पु०) वह शास्त्र जिसमें अलंकारों का वर्णन हो अशिन-सं० (पु०) आधा भोजन
अलंकृत-सं० (वि०) जिसे सजाया गया हो अर्द्धिक-I सं० (वि०) 1माप में आधा 2 आधे का अधिकारी अलंकृति-सं० (स्त्री०) 1 अलंकार 2 सजावट
II (प०) ब्राह्मण पिता और वैश्य माता से उत्पन्न संतान अलैंग-(पु०) और, तरफ़ अछेद-सं० (पु०) आधा (अष्टमी का) चांद
अलंघनीय, अलंध्य-सं० (वि०) 1 जो लाँघा या पार न किया अोत्तोलित-सं० (वि०) आधा उठाया गया
जा सके 2 अटल अद्धोत्थित-सं० (वि०) आधा उठा हुआ
अलक-सं० (पु०) 1 माथे पर लटकते बाल 2 जुल्फ़ अद्धोन्मीलित-सं० (वि०) आधा खिला/खुला हुआ 3 धुंघराले बाल 4 महावर अर्ध-I सं० (वि०) आधा II 1आधा भाग 2 भाग (देखें | अलकतरा-अ० (पु०) एक गाढ़ा तरल पदार्थ जो पत्थर के अर्द्ध)
कोयले की विशेष रासायनिक क्रिया द्वारा गलाने से बनता है अर्पक-सं० (वि०) अर्पण करनेवाला। पत्र (पु०) वह पत्र अलकली-अं० (स्त्री०) क्षार, खार जिसमें यह लिखा हो कि अमुक संपत्ति अमुक व्यक्ति को अलका-सं० (स्त्री०) 1 कुबेरपुरी 2 आठ दस वर्ष की बालिका अर्पण कर दी गयी
अलकावलि-सं० (स्त्री०) 1 सँवारे हुए बालों की पंक्तियां अर्पण-सं० (पु०) 1 सौंपना 2 मेंट करना
2 धुंघराले बाल अर्पित-सं० (वि०) अर्पण किया हआ
अलकोहल-अं० (पु०) सुरासार, स्पिरिट अर्बुद-सं० (पु०) 1 अरब, सौ करोड़ की संख्या 2 आबू पर्वत अलक्त, अलक्तक-सं० (पु०) 1 लाख 2 महावर 3 गाँठ का फोड़ा
अलक्षण-I सं० (वि०) 1चिह्नरहित 2 अशुभ 3 II (पु०) अर्भ-सं० (पु०) 1शिशु 2 छात्र 3 कुशा
1 अपशकुन 2 बुरा चिह्न 3 अनुपयुक्त परिभाषा अर्भक-I सं० (पु.) 1 बच्चा 2 बैना 3 मूर्ख II (वि०) अलक्षित-सं० (वि०) 1न देखा हुआ 2 अज्ञात 3 अदृश्य 1 थोड़ा 2 दुबला 3 मूर्ख 4 बच्चों जैसा
4 गुप्त 5 अचर्चित अर्य-सं० (वि०) 1 श्रेष्ठ 2 पूज्य 3 सच्चा 4 प्रिय 5 दयालु अलक्ष्य-सं० (वि०) 1 अदृश्य 2 अज्ञेय 3 चिह्नरहित अर्या-सं० (स्त्री०) 1 वैश्य जाति की स्त्री 2 रखेली 4जिसका लक्षण न किया जा सके। गति (वि०) अदृश्य अर्राना-(अ० क्रि०) 1चिल्लाना 2 ज़ोर से पुकारना 3 व्यर्थ रूप से गमन करनेवाला; -लिंग (वि०) 1जो वेश बदले की बात करना
हुए हो 2 नाम पता छिपा रखा हो अर्ल-अं० (पु०) सम्मानित उपाधि (इंग्लैंड का सामंत) | अलख-I (वि०) जो देखा न जा सके 2 अलक्ष्य 3 अगोचर अर्वट-सं० (पु०) भस्म या राख
II (पु०) परमेश्वर निरंजन (पु०) ईश्वर अर्वाचीन-सं० (वि०) 1 आधुनिक 2 नया
अलग-(क्रि० वि०) 1 पृथक्, भिन्न 2 दूर 3 तटस्थ 4 सुरक्षित
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अलगनी
5 न्यारा, विशिष्ट । ~अलग ( क्रि० वि० ) 1 व्यक्तिशः 2 प्रत्येक को या प्रत्येक से; -थलग (वि०) 1 जुदा 2 दूर; ~करना 1 दूर करना, हटाना 2 काम या नौकरी से हटा देना 3 बेचना 4 संयुक्त कुटुंब से पृथक् करना 5 छाँटना; होना 1 दूर या किनारे होना 2 नौकरी या काम छोड़ना अलगनी - ( स्त्री०) वस्त्र टाँगने के लिए बँधी रस्सी या बाँस अलग़रज़ी - I अ० + फ़ा० (वि०) लापरवाह II (स्त्री०) लापरवाही
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अलगागुजारी - (स्त्री०) अलग अलग करने की क्रिया अलगाना - I (स० क्रि०) 1 अलग करना 2 दूर करना 3 छांटना II (अ० क्रि०) अलग होना)
~वाद
+
अलगाव - I (वि०) 1 अलग रखने या करने का भाव 2 दूरी। हिं० + सं० (पु० ) अलग रहने की प्रक्रिया का सिद्धांत; वादी + हिं० + संo अलगाववाद का समर्थक अलगोज़ा - फ़ा० (पु० ) एक प्रकार की बाँसुरी अलगौझा - ( पु० ) अलगाव, बँटवारा अलजबरा - अं० (पु०) बीजगणित अलज-सं० (वि०) लज्जारहित, बेहया अलता - (पु० ) स्त्रियों के पैरों में लगाने का एक प्रकार का लाल रंग, महावर
अलपाका- अं० (पु०) दक्षिणी अमेरिका का एक जानवर जिसके बालों का बढ़िया ऊन बनता है
अलफ़ - अ० (पु० ) घोड़े का पिछली टाँगों के बल खड़ा होना अलबत्ता - अ० (अ०) 1 बेशक, निस्संदेह 2 हां तो 3 परंतु अलबम - अं० (पु० ) 1 तस्वीरें रखने की किताब या कापी 2 चित्राधार, चित्र संग्रह
अलबी- तलबी - (स्त्री०) अत्यंत क्लिष्ट उर्दू या अरबी-फ़ारसी आदि विदेशी भाषाएँ
अलबेला - I (वि०) 1 सुंदर 2 अनूठा 3 बाँका 4 मनमौजी II (पु० ) नारियल का हुक्का
अलब्ध-सं० (वि०) अप्राप्त। निद्र (वि०) जिसे नींद न आती हो
अलभ्य-सं० (वि०) 1 जो न मिलता हो 2 दुर्लभ 3 बहुमूल्य 4 अनमोल
अलम - अ० (पु० ) 1 दुःख 2 शोक 3 झंडा, निशान 4 भाला । ~नाक (वि०) 1 दुःखमय 2 अति दुःखद; ~बरदार (पु० ) 1 झंडा उठानेवाला 2 आगे रहनेवाला अलमस्त - फा० (वि०) 1 मस्त, मतवाला 2 मौजी 3 बेफिक्र अलमारी-(स्त्री०) सामानादि रखने के लिए बना कई खानोंवाला ऊँचा संदूक या आला
अलमास - फ़ा० (पु० ) हीरा
अलमिति सं० (अ०) 1 बस यहीं अंत है, बस इतना ही 2 बस बहुत हो चुका
अलर्क- (पु०) कुत्ते का पागलपन
अलल-टप्पू- (वि०) 1 अटकल पच्चू 2 ऊट पटाँग अलल- बछेड़ा - (पु०) अनुभव शून्य या अल्हड़ व्यक्ति अललाना- (अ० क्रि०) 1 बहुत ज़ोर से चिल्लाना 2 गला फाड़कर पुकारना
अलवाँती - (स्त्री०) प्रसूता, जच्चा
अलवान - अ० (पु० ) एक तरह की ऊनी शाल
अलि
अलविदा -अ० ( क्रि० वि०) अच्छा अब विदा होते हैं, विदाई ( विदाई के समय का पद )
अलस-I सं० (वि०) 1 आलसी 2 अलसाया हुआ 3 ढीला निष्क्रिय II (पु० ) 1 खरवात 2 एक वृक्ष 3 एक छोटा विषैला जंतु अलसाना - ( क्रि० वि०) 1 थकावट या सुस्ती मालूम होना 2 कुछ करने को जी ना चाहना अलसी - I तीसी II (वि०) आलसी
+
अलसेट - (स्त्री०) 1 अड़चन 2 अड़ंगा 2 ढिलाई, टालमटूल अलस्सबाह-अ० (क्रि० वि०) सबेर तड़के अलहदगी- अ० फ़ा० (स्त्री०) बिलगाव, अलगोझा अलहदा - अ० (वि०) अलग, जुदा अलाउंस - अं० (पु० ) भत्ता अलाटमेंट-अं० (पु०) बँटाई, आवंटन
अलात-सं० (पु० ) 1 अंगारा 2 लुकाठी 3 जलती बनेठी। चक्र (पु०) लुकाठी को घुमाने से बननेवाला मंडल अलान - ( पु० ) 1 हाथी बाँधने का खूँटा या सीकड़ 2 बेड़ी 3 बेल चढ़ाने के लिए बाँधी गई लकड़ी
अलानिया - अ० ( क्रि० वि०) खुले खजाने, डंके की चोट से अलाप- ( पु० ) आलाप
अलापना- (अ० क्रि०) 1 बात करना 2 बोलना 3 गाने में तान लेना । अपना अपना राग अलापना अपने-अपने हित की
बात करना
अलाबू - (पु० ) 1 लौकी, कद्दू 2 तूंबी अलाभ-सं० ( पु० ) 1 लाभ का अभाव 2 घाटा, हानि। ~कर (वि०) 1 जिससे कोई लाभ न हो, व्यर्थ 2 जो आर्थिक दृष्टि से लाभदायक न हो; कारी (वि०) लाभ न करानेवाला; दायक (वि०) अलाभकर प्रद (वि०) लाभ न देनेवाला
अलामत - अ० (स्त्री०) 1 चिह्न, पहचान, लक्षण 2 निशानी अलाय बलाय अ० (स्त्री०) अनिष्ट, विपत्ति अलार-सं० (पु० ) 1 किवाड़ 2 अलाव आग का ढेर अलार्म - अंग (पु० ) ( खतरे की) सूचना । घड़ी + हिंο बेल (स्त्री०) नियत समय पर घंटी बजानेवाली घड़ी; (स्त्री०) सूचना की घंटी, अलार्म घंटी बजना ख़तरे की घंटी बजना
अलाव - (पु०) तापने के लिए जलाई हुई आग, कौड़ा, आग का ढेर
अलावा अ० सिवाय, अतिरिक्त
अलिंग - I सं० (वि०) 1 बिना चिह्न या लक्षण का 2 जिसका लक्षण न किया जा सके 3 बरे चिह्नों वाला 4 व्या० जिसका कोई लिंग न हो या जो सब लिंगों में व्यवहत हो सके (हम, तुम आदि) II (पु० ) 1 ईश्वर, परमात्मा 2 चिह्नाभाव अलिंगी सं० (वि०) अलिंग I अलिंद-सं० (पु० ) 1 चौंतरा, छज्जा 2 द्वार कोष्ठ 3 एक प्राचीन जनपद 4 भौंरा
=
अलि-सं० (पु० ) भौंरा । कुल (पु०) भौंरों का समूह; ~ जिह्वा (स्त्री०) गले के भीतर का कौआ, घॉटी; ~ जिह्वीय (वि०) अलि जिह्वा संबंधी; वृत्ति (स्त्री०) भौंरो की तरह जगह-जगह घूमकर रस लेने की प्रवृत्ति, हरजाईपन
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अलिक
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अल्हड़
अलिक-सं० (पु०) माथा, ललाट
महाप्राण व्यंजन का अल्पप्राण उच्चारण (जैसे-खीला कीला); अलिखित-सं० (वि०) जो लिखित न हो, केवल ज़बानी बुद्धि (वि०) कम बुद्धिवाला; ~भाग (पु०) कुछ अलिप्त-सं० (वि०) 1 बिना लेप का 2 निर्लिप्त 3 निर्दोष हिस्सा; ~भाषी (वि०) कम बोलनेवाला; मत (पु०) अली-(स्त्री०) 1 सखी, सहेली 2 पंक्ति, कतार
1 बहुत कम लोगों का मत 2 अल्प संख्यक पक्ष या समुदाय; अलीक-I सं० (वि०) 1 अप्रिय 2 मिथ्या 3 अल्प 4 सारहीन ~मति (वि०) कम बुद्धि वाला; मध्यम (वि०) जिसकी
5 कुछ II (पु.) 1 ललाट 2 अप्रिय विषय 3 झूठ कमर पतली हो; ~मात्र (वि०) थोड़ा-सा; ~मेधा (वि०) अलीन-[ सं० (पु०) 1 दरवाज़े की चौखट का साह 2 बरामदे नासमझ, मूर्ख; ~मोली + हिं० (वि०) कम कीमत का;
आदि का खम्भा II (वि०) 1 अनुचित 2 अग्राह्य 3 जो लीन रुधिर (वि०) जिसमें खून की कमी हो; रुधिरता न हो
(स्त्री०) खून की कमी; ~व्यस्क (वि०) छोटी उम्र का, अलील-अ० (वि०) बीमार, रुग्ण
नाबालिग ल्वादी (वि०) जो कम बोलता हो; अलीह-(वि०) = अलीक
-विकसित (वि०) अधखिला; विराम (पु०) अलुक-सं० (पु०) एक समास जिसमें पूर्वपद की विभक्ति का अर्थबोध के लिए किसी शब्द के बाद थोड़ा ठहरना; ~वेतन लोप नहीं होता (जैसे-युधिष्ठर)
भोगी (वि.) थोड़ा वेतन पानेवाला; ~व्यय (पु०) वह अलुब्ध-सं० (वि०) 1 लोभरहित 2 अमोहित
काम जो थोड़ा सा पैसा देने से हो जाये; ~शुल्क (पु०) अलुमीनम-अं० (पु०) एक धातु (अलुमिनियम)
थोड़ी फ़ीस; ~श्रुत (वि०) 1 जिसे स्पष्ट न सुनाई दे अलेख-I सं० (वि०) 1 बे-हिसाब 2 अज्ञेय 3 अदृश्य, 2 जिसका अनुभव कम हो; ~संख्यक (वि०) कम अलक्ष्य II (पु०) 1 निराकार ब्रह्म 2 देवता
जनसंख्या वाला (पक्ष); ~संतोषी (वि०) थोड़े से संतोष अलोक-I सं० (वि०) 1अदृश्य 2 निर्जन 3 पुण्यहीन करनेवाला; ~संधि (स्त्री०) विराम-संधि; ~सामयिक II (पु०) जगत् नहीं, पातालादि लोक 2 संसार का विनाश | (वि०) कम समयवाला 3 आध्यात्मिक जगत् 4 अपयश, बदनामी। तंत्रीय (वि०) | अल्पक-सं० (वि०) 1 थोड़ा 2 छोटा जनतंत्र के विरूद्ध
अल्पतः-सं० (क्रि० वि०) थोड़े से, थोड़े में अलोकनीय-सं० (वि०) जो देखने योग्य न हो
अल्पश:-सं० (क्रि० वि०) थोड़ा-थोड़ा करके अलोकित-सं० (वि०) जो दिखाई न देता हो
अल्पांश-सं० (पु.) थोड़ा अंश, कुछ भाग अलोना-(वि०) 1बिना नमक का 2 बे-मजा 3 असुंदर |अल्पाक्षरिक-सं० (वि०) थोड़े अक्षरों वाला अलोल-I (वि०) 1 अचंचल 2 इच्छा या तृष्णा से रहित अल्याधिक-सं० (वि०) थोड़ा-बहुत, कमोबेश II (पु०) एक वृत्त
अल्पायु-सं० (वि०) कम आयुवाला। अलोलु-सं० (वि०) विषयों से उदासीन
अल्पारंभ-सं० (पु०) छोटे पैमाने पर कार्य शुरू करना अलोलुप-सं० (वि०) जो लालची न हो, लोभरहित अल्पार्थक-सं० (पु०) 1अल्पक 2 'थोड़ा' अर्थ देनेवाला अलोह-सं० (पु०) लोहे से भिन्न धातु
अल्पावकाश-सं० (पु०) कुछ समय की छुट्टी अलोहित-I सं० (वि०) 1 जो लाल न हो 2 रक्तशून्य अल्पावयवता-सं० (स्त्री०) छोटे अंग होना II (पु०) लाल कमल
अल्पावधि-सं० (स्त्री०) थोड़ा समय अलौकि -सं० (वि०) 1 जो लोक में न मिलता हो अल्पावस्था-सं० (स्त्री०) छोटी उम्र 2 अद्भुत, अपूर्व 3 दिव्य
अल्पाहार-सं० (पु०) हलका-सा भोजन, नाश्ता अलौहिक-सं० (वि०) 1 जिसमें लोहे का अंश न हो अल्पाहारी-सं० (वि०) थोड़ा खानेवाला अल्क-सं० (पु०) 1 वृक्ष 2 अवयव
अल्पित-सं० (वि०) 1 घटाया या कम किया हआ 2 उपेक्षित अल्कोहल-अं० (पु०) मद्यसार
अल्पिष्ठ-सं० (वि०) 1कम से कम 2 बहुत कम अल्टीमेटम-अं० (पु०) अंतिम चेतावनी
अल्पीकरण-सं० (पु०) 1 अधिकार 2 प्रतिष्ठा का घटना अल्ट्रावायोलेट-अं० (वि०) पराबैंगनी (किरण)
3 अपकर्ष अल्प-सं० (वि.) 1 तुच्छ 2 थोड़ा 3 छोटा। ~काल (पु०) अल्पेतर-सं० (वि०) 1 बड़ा 2 अनेक, बहुत थोड़ा समय; ~कालिक (वि०) कुछ समय का; अल्ल-(स्त्री०) वंश, उपगोत्र ~कालीन (वि०) अल्पकालिक; -जीवी (वि०) अल्लबल्ल- (वि०) बिल्कुल निरर्थक, आँय-बाँय अल्पायुः ज्ञ (वि०) थोड़ा जाननेवाला, कम समझ; तंत्र |अल्लम गल्लम-फा० (पु०) निरर्थक, फालतू. अनाप शनाप (पु०) थोड़े से लोगों का शासन, लोकतंत्र का विपरीत शासन; अल्ला-फा० (पु०) अल्लाह, ईश्वर
तनु (वि०) 1 ठिंगना 2 दुर्बल, ~तम् (वि०) कम अल्लाना-(अ० क्रि०) चिल्लाना होनेवाला; ~तर (वि०) और थोड़ा; ~ता (स्त्री०) कमी; |अल्लामा-I फ़ा० (वि०) बड़ा आलिम, महापंडित
दर्शन, ~दृष्टि (वि०) संकीर्ण दृष्टिवाला, अदूरदर्शी; II (स्त्री०) लड़ाकी स्त्री ~धी (वि०) थोड़ी बुद्धि रखनेवाला; परिचित (वि०) |अल्लाह-फ़ा० (पु०) परमेश्वर, खुदा थोड़ा परिचित; ~प्रभाव (पु०) कुछ प्रभाव; प्राण I | अल्हड़-I फ़ा० (वि०) 1 दुनियादारी न जाननेवाला 2 भोला (वि०) 1 अल्प शक्ति 2 अल्प सत्त्व II (व्याकरण) थोड़े | 3 उद्धत और मनमौजी 4 गवाँर II (पु.) 1 बिना दाँत का श्वास प्रयत्न से उच्चारित व्यंजन; ~प्राणीकरण (पु०) | बछड़ा 2 ऐसा बैल जो अभी गाड़ी या हल में न जोता गया हो।
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अवंति
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अवघोषक
~पन (पु०) 1 अल्हड़ स्वभाव 2 भोलापन 3 लापरवाही | अवक्षेप-सं० (पु०) 1 लांछन 2 निंदा 3 आक्षेप 4 आपत्ति अवंति-(स्त्री०) 1 एक प्राचीन नगर 2 मालव जनपद अवक्षेपण-सं० (पु०) 1 नीचे फेंकना या गिराना 2 पछाड़ना अवंश-[सं० (वि०) निःसंतान II (पु०) नीच या खराब कुल अव-सं० (उप०) दूर या नोचे, निश्चय, व्याप्ति, अल्पता, हास अवखात-सं० (पु०) गहरा गड्ढा या खाई अवकर-सं० (पु०) कूड़ा। पात्र (पु०) कूड़ेदान अवखाद-सं० (पु०) बुरा आहार अवकरण-सं० (पु०) 1 घटाव 2 (गणित) बाकी निकालना अवगंड-सं० (पु०) मुहासा अवकर्त्त-सं० (पु०) टुकड़ा, खंड
अवगण-सं० (वि०) जो अपने मित्रों से अलग हो अवकतन-सं० (पु०) काटना, विभाजन
अवगणन-सं० (पु०) 1गिनती करते समय किसी को छोड़ अवकर्षण-सं० (पु०) 1 ज़ोर से खींचना 2 हटाना, बाहर देना 2 अवहेलना 3 तिरस्कार 4 उपेक्षा करना निकालना
अवगणित-सं० (वि०) 1 अवज्ञात 2 पराभूत 3 निंदित अवकलन-सं०(पु०) 1 इकट्ठा करके मिला देना 2 जानना अवगत-सं० (वि०) 1 जाना हुआ 2 वादा किया हुआ 3 गिरा 3 ग्रहण
हुआ। स्वीकृति से अवगत करें अपनी स्वीकृति की जानकारी अवकलित-सं० (वि.) 1 ज्ञात 2 गृहीत 3 इकट्ठा करके मिलाया हुआ
अवगति-सं० (स्त्री०) । समझबूझ, ज्ञान 2 दुर्गति, बुरी गति अवकल्पना-सं० (स्त्री०) निराधार कल्पना या अनुमान अवगम, अवगमन-सं० (पु०) 1 जानना 2 नीचे जाना 3 तह अवकाश-सं० (पु०) 1 स्थान 2 शून्य स्थान 3 व्यवधान तक पहुंचना 4 अवसर 5 छुट्टी। काल (पु०) छुट्टी का समय; गृह | अवगाढ़-सं० (वि०) 1 गहरा जमा हुआ 2 भीतर पैठा हुआ (पु.) छुट्टी व्यतीत करने की जगह; --ग्रहण (पु०) छुट्टी | अवगाह-I सं० (पु०) 1 गहरा स्थान 2 इबकी 3 जल में उतर लेना, रिटायर होना; ~प्राप्त (वि०) रिटायर्ड, जो काम से कर नहाना 4 कठिनाई II (वि०) 1 अथाह 2 कठिन निवृत्त हो गया हो; लेखा + हिं० (पु०) छुट्टी का हिसाब | अवगाहन-सं० (पु०) 1डुबकी लगाना 2 गहरा चिंतन अवकाशाभाव-सं० (पु०) फुर्सत की कमी
3 अन्वेषण अवकिरण-सं० (पु०) बिखेरना, छितराना
अवगाहित-सं० (वि०) 1 नहाया हुआ 2 जिसमें नहाया जाए अवकीर्ण-सं० (वि०) 1 बिखेरा हुआ 2 फैलाया हुआ 3 चूर | अवगाह्म-सं० (वि०) 1 स्नान करनेवाला 2 गहराई में किया हुआ 4 ध्वस्त
जानेवाला अवकीर्णन-सं० (पु०) छितराना, बिखेरना
अवगाय-सं० (वि०) 1 स्नान के लिए उचित 2 मनन करने अवकीलक-सं० (पु०) खूटी अवकुंचन-सं० (पु०) । सिकोड़ना 2 समेटना 3 मोडना । अवगीत-1 सं० (वि०) 1 निंदित 2 वेसुरा II (पु०) 1 निंदा अवकुंठन-स० (पु०) । पाटना 2 परिवेष्ठित करना 3 आकृष्ट 2 बेसुरा गान करना
अवगंठुन-सं० (पु०) 1 घुघट 2 घुघट निकालना 3 पर्दा अवकृपा-सं० (स्त्री०) कृपा का न होना, कृपा का अभाव डालना. छिपाना 4 बुर्का अवकष्ट-[ स० (वि.) 1 खींचकर नीचे लाया हआ 2 नीच अवगुंठिका-सं० (स्त्री० ) 1 घूघट 2 परदा 3 आवरण 4 चिक 3 जातिच्यूत || (प.) निम्न श्रेणी का नौकर
अवगुंठित-सं० (वि०) 1 ढका. छिपा हुआ 2 घूघट निकाला अवकेश-स (वि.) जिसके बाल नीचे लटके हए हों
हुआ अवकेशी-1 स० (वि०) 1 जिसमें फल न लगते हों 2 बाँझ अवगुंफन-सं० (पु०) गूंथना
अल्प या छोटे वालोवला II (पु०) फल न देनेवाला वृक्ष | अवगुण-सं० (पु०) 1दोष 2 ऐब, बुराई अवक्तव्य-स० (वि०) 1 जो कहने योग्य न हो, अश्लील अवगूहन-सं० (पु०) छिपाना 2 अनुचित 3 निंद्य 4 असत्य
अवग्रह-सं० (पु०) 1 रुकावट 2 संधि-विच्छेद 3 कृपा का अवक्रंदन-सं० (पु०) ज़ोर-ज़ोर से रोना
अभाव 4 कोसना . अवक्र-सं० (वि०) सीधा सरल
अवग्रहण-सं० (पु०) 1 बाधा 2 अनादर अवक्रम-सं० (पु०) नीचे आना, अधोगमन
अवघट-सं० (वि०) 1 विकट, दुर्गम 2 जटिल, दुर्बोध अवक्रमण-सं० (पु०) नीचे जाना, अधोगमन
अवघट्ट-सं० (पु०) 1 बिल 2 गुफा अवक्रय-सं० (पु०) 1 मूल्य 2 भाड़ा 3 कर 4 क्षतिपूर्ति अवघर्षण-सं० (पु०) 1 रगड़ना 2 पीसना 3 साफ़ करना अवक्रांत-सं० (वि०) अधोगत, पतित
अवघात-सं० . (पु०) 1 बुरी तरह मारना 2 आघात करना अवक्रांति-सं० (स्त्री०) = अवक्रम
3 अपमृत्यु अवक्रीत-सं० (वि०) मांगकर लिया हुआ
अवघाती-सं० (१०) बुरी तरह मारनेवाला अवक्रोश-सं० (पु०) 1 कोसना 2 शाप देना 3 निंदा अवघूर्णन-सं० (पु०) चक्कर देना, लुढ़कना, बवंडर अवक्षय-सं० (पु०) नाश, बर्बादी
अवघोटित-सं० (वि.) 1 चारों तरफ़ से ढका हआ 2 जो अवक्षयन-सं० (पु०) नाश करना
अस्त-व्यस्त हो अवक्षिप्त-सं० (वि०) 1 नीचे गिराया हआ 2 निंदित 3 लांछित | अवघोषक-सं० (पु०) असत्य समाचार कहनेवाला, अफ़वाहें अवक्षीण-सं० (वि०) बहुत कमज़ोर
| फैलानेवाला
योग्य
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अवघोषणा
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अवधारित
अवघोषणा-सं० (स्त्री०) अनुचित या मिथ्या घोषणा अवतलन-सं० (पु०) तल के नीचे जाना अक्वन-I सं० (पु०) 1 चुप्पी 2 निंदा II (वि०) मूक अवतापी-सं० (वि०) 1 (वह स्थान) जहाँ सूर्य का ताप बहत अवचनीय-सं० (वि०) 1 जो कहने योग्य न हो 2 अश्लील ___ अधिक होता है 2 कष्ट पहुँचानेवाला अवचय-सं० (पु०) (पुष्पादि का) चयन, चुनकर इकट्ठा अवतार-सं० (पु०) 1 उतरना 2 नीचे आना 3 किसी देवता करना
ईश्वर का मनुष्य रूप में जन्म लेना 4 अनुवाद 5 भूमिका 6 पार अवचित-सं० (वि०) 1 बटोरा हुआ 2 अधिवसित
करना 7 सृष्टि । ल्वाद (पु०) अवतारों में विश्वास करने का अवचूरि-सं० (स्त्री०) टिप्पणी, संक्षिप्त व्याख्या
सिद्धांत; ~वादी (वि०) अवतारवाद का समर्थक; अक्चूर्णित-सं० (वि०) 1 चूर्ण किया हुआ 2 सरल करके ~धरना, लेना जन्म ग्रहण करना समझाया गया
अवतारण-सं० (पु०), अवतारणा (स्त्री०) 1 उतरना 2 नीचे अवचेतन-सं० (वि०) 1 जिसमें चेतना न हो, अचेतन 2 चेतना लाना 3 भूत प्रेत का आवेश 4 मूर्त रूप देना 5 अनुकरण या की गहराई में होने वाला
नकल करना 6 अवतरण या उद्धरण रूप में ग्रहण करना अवचेतना-सं० (स्त्री०) अंतः संज्ञा
अवतारी-[ सं० (वि०) 1 अवतार लेनेवाला 2 जिसने किसी अवच्छद-सं० (पु०) आवरण, ढक्कन
देवता का अवतार ग्रहण किया है II (पु०) एक मात्रिक छंद अवच्छिन्न-सं० (वि०) 1 छिन्न भिन्न 2 अलगाया हआ | अवतीर्ण-सं० (वि०) 1 उतरा हुआ 2 प्रादुर्भूत 3 अवतार के 3 सीमित
रूप में उत्पन्न 4 पार गया हुआ 5 उद्धृत अवच्छेद-सं० (पु०) 1 खंड 2 परिच्छेद 3 अवच्छेदन अवदंश-सं० (पु०) 1 उत्तेजक या प्यास उत्पन्न करनेवाली अवच्छेदक-सं० (वि०) 1अवच्छेद करनेवाला 2 हद चटपटी चीज़ जो मद्यपान के समय खायी जाती है, गजक, चाट बाँधनेवाला
अवदमन-सं० (पु०) अच्छी तरह दबाना और वश में लाना अवच्छेदन-सं० (पु०) 1 काटकर अलग करना, विभाजन अवदरण-सं० (पु०). 1 फोड़ना 2 फाड़ना 3 अलग करना 2 सीमा निर्धारित करना
अवदशा-सं० (स्त्री०) गिरी हुई हालत, हीनावस्था अवजय-सं० (स्त्री०) पराजय
अवदाघ-सं०(पु०) 1 ताप 2 जलन 3 ग्रीष्म ऋतु अवजित-सं० (वि०) 1 पराजित, विजित 2 तिरस्कृत अवदात-I सं० (वि०) 1उज्वल 2 निर्मल, साफ़ 3 सुंदर अवज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 अनादर 2 उपेक्षा। पूर्वक (क्रि० | II (पु०) सफ़ेद या पीला रंग वि०) उपेक्षा से
अवदान-सं० (पु०) 1 प्रशस्त कर्म 2 पराक्रम 3 सफलता अवज्ञात-सं० (वि०) जिसकी अवज्ञा की गई हो, तिरस्कृत 4 अंशदान अवज्ञान-सं० (पु०) अवज्ञा या तिरस्कार करना अवदान्य-सं० (वि०) 1 पराक्रमी 2 कंजूस 3 संकीर्ण हृदय अवज्ञेय-सं० (वि०) अवज्ञा के योग्य
अवदाब-सं० (पु०) घुसाव अवट-सं० (पु०) 1 गड्ढा 2 कुआँ 3 तृणाच्छादित गड्ढा अवदारक-सं० (वि०) अवदारण करनेवाला
(हाथी को पकड़ने हेतु) 4 काँख आदि का गड्ढा 5 जादूगर अवदारण-सं० (पु०) 1 चीरना 2 विभाजन करना 3 तोड़ फोड़ अवटु-सं० (पु०) श्वासनली की ग्रंथि, थाइरायड
देना अवडेर-(पु०) झंझट, बखेड़ा
अवदारित-सं० (वि०) अवदीर्ण अवडेरा-(वि०) 1 झंझट में फँसानेवाला 2 बेढब 3 विकट । अवदाह-सं० (पु०) भीषण ताप 4जो चक्करदार हो
अवदीर्ण-सं० (वि०) 1 खंडित, फटा हुआ 2 घबड़ाया हुआ अवतंस-सं० (पु०) 1माला, हार 2 वलयाकार आभूषण अवदोह-सं० (पु०) 1 दूध 2 दुहना 3 मुकुट 4 बाली 5 कर्णफूल 6 श्रेष्ठ व्यक्ति
अवध-I सं० (वि०) 1 त्याज्य 2 अधम 3 दोषी 4 चर्चा के अवतत-सं० (वि०) फैलाया हुआ
अयोग्य, निंद्य II (पु.) 1 अपराध 2 पाप 3 दोष 4 निंदा अवतमस-सं० (पु०) 1 अल्पांधकार 2 अंधकार 3 अस्पष्टता | 5 लज्जा अवतरण-सं० (पु०) 1 उतरना 2 नीचे आना या जाना 3 जल | अवधर्मी-सं० (पु०) निकृष्ट धर्म का अनुयायी में उतरना 4 पार होना 5 नदी का घाट 6 जन्म लेना 7 देवादि अवधा-सं० (स्त्री०) वृत का खंड या भाग का शरीर धारण करना 8 लेखादि का उद्धृत अंश 9 अनुवाद । अवधाता-सं० (पु०) अवधान करनेवाला
चिह (पु०) उद्धरण सूचक उल्टे कामा (')| ~छत्र | अवधान-सं० (पु०) 1 ध्यान 2 मनोयोग 3 मन की एकाग्रता (पु०) वायुयान से उतरते समय प्रयोग किया जानेवाला एक | 4 चौकन्नापन 5 देख-रेख 6 प्रभार छाता (पैराशूट); पथ (पु०) वायुयान के उतरकर चलने अवधानी-सं० (वि०) 1 ध्यान देनेवाला 2 मनोयोग युक्त का मार्ग; ~भूमि (सी०) वायुयान के उतरने के लिए खुला अवधायक-सं० (पु०) कार्य का कर्ता-धर्ता मैदान, ~स्थल (पु०) उतरने की जगह
अवधारक-सं० (वि०) अवधारण करनेवाला अवतरणिका-सं० (स्त्री०) 1 प्रस्तावना, आरम्भिक कथन अवधारण-सं० (पु०) 1 निश्चय करना 2 हद बाँधना 3 मत 2 परिपाटी 3 रीति
बना लेना 4 ज़ोर देना। बोधक (वि०) निश्चय-सूचक अवतरित-सं० (वि०) 1 उतरा हआ 2 अवतार के रूप में | अवधारणा-सं० (स्त्री०) 1 सुविचारित धारणा 3 विचार उत्पन्न 3 उद्धृत
अवधारणीय-सं० (वि०) विचारणीय अवतल-सं० (वि०) नतोदर, बीच में दबा हुआ या गहरा । अवधारित-सं० (वि०) 1निश्चित 2 सुज्ञात
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अवधार्य
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अवरावर
अवधार्य-सं० (वि०) अवधारणीय
अवबोधन-सं० (पु०) 1 बताना, जताना 2 ज्ञान अवधाव-सं० (पु०) बर्फ़, चट्टान आदि का विशाल समुदाय अवभंग-सं० (पु०) 1 नीचा दिखाना 2 पराजित करना अवधावन-सं० (पु०) पीछा करना, पकड़ना 2 साफ़ करना अवभास-सं० (पु०) 1 चमक 2 झलक 3 मिथ्या ज्ञान अवधावित-सं० (वि०) 1 पीछा किया हुआ 2 धोया हुआ 4 प्रतीति 5 दिखाई देना अवधि-सं० (स्त्री०) 1सीमा 2 अंतिम सीमा 3 नियत काल, अवभासक-I सं० (वि०) 1 प्रकाशमय 2 प्रकाशक II मियाद। बाधित (वि०) जिसकी अवधि बीत चुकी हो (पु०) परब्रह्म अवधी-I (वि०) अवध से संबंध रखनेवाला II (स्त्री०) अवभासित-सं० (वि०) 1 प्रकाशित 2 प्रकट 3 प्रतीत अवध की बोली
अवमंता-सं० (पु०) अपमान करनेवाला अवधारण-सं० (पु०) तिरस्कारपूर्वक बर्ताव करना, अपमान अवमंदन-सं० (पु०) तीक्ष्णता आदि को कम करना करना
अवम-I सं० (वि०) 1 अंतिम 2 अधम 3 नीच 4 कनिष्ठ अवधीरित-सं० (वि०) 1 तिरस्कृत 2 निरादृत
5 घटता हुआ II (पु०) 1 पाप 2 चांद और सौर दिन का अवधूत-I सं० (पु०) संन्यासी II (वि०) 1 तिरस्कृत अंतर। तिथि (स्त्री०) वह तिथि जिसका क्षय हो गया हो 2 विरक्त 3 पराभूत
अवमत-सं० (वि०) 1 अपमानित 2 तिरस्कृत अवधूपन-सं० (पु०) साधुपन
अवमति-[सं० (स्त्री०) 1 अवज्ञा 2 विरक्ति II (पु०) स्वामी अवधूपित-सं० (वि०) सुवासित, सुगंधित
अवमर्दन-सं० (पु०) 1कुचलना 2 दमन 3 उत्पीड़न अवधूलन-सं० (पु०) घाव पर चूर्ण छिड़कना
अवमर्दित-सं० (वि०) 1 रौंदा हुआ 2 मर्दन किया हुआ 3 नष्ट अवधृत-सं० (वि०) अवधारित
किया हुआ अवधेय-[ सं० (वि०) 1 ध्यान देने योग्य 2 जानने योग्य II अवमर्श-सं० (पु०) 1 स्पर्श 2 सम्पर्क (पु०) ध्यान
अवमर्ष-सं० (पु०) 1 आलोचना 2 नाटक की पाँच मुख्य अवध्य-सं० (वि०) 1 वध के अयोग्य 2 रक्षणीय संधियों में से एक 3 आक्रमण अवध्वंस-सं० (पु०) 1 परित्याग 2 अनादर 3 निंदा 4 गिरकर अवमर्षण-सं० (पु०) 1 असहिष्णुता 2 मिटाना, हटाना अलग होना
अवमान-सं० (पु०), अवमानना सं० (स्त्री०) 1 अवज्ञा, अवध्वस्त-सं० (वि०) 1 विनष्ट 2 निदित 3 तिरस्कृत अपमान 2 तिरस्कार 3 मूल्य ठीक तरह न आँकना 4 परित्यक्त
अवमानन-सं० (पु०) 1 तिरस्करण 2 अपमान करना अवन-[सं० (पु०) 1 रक्षण 2 प्रसन्न करना 3 प्रसन्नता 4 प्रीति अवमानित-सं० (वि०) 1 अपमानित 2 तिरस्कृत II (स्त्री०) 1 रास्ता 2 भूमि
अवमानी-सं० (वि०) अपमान या तिरस्कार करने वाला अवनत-सं० (वि०) 1 झुका हुआ 2 गिरा हुआ 3 नम्र।। अवमान्य-सं० (वि०) तिरस्कार के योग्य दशा (स्त्री०) गिरावट
अवमूल्य-सं० (पु०) सामान्य से कम मूल्य अवनतावस्था-सं० (स्त्री०) गिरावट .
अवमूल्यन-सं० (पु०) (सिक्के के) मूल्य में कमी करना या अवनति-सं० (स्त्री०) 1 झुकाव 2 गिरावट 3 उतार 4 कमी | होना 5दंडवत् 6 विनम्रता
अवमृदा-सं० (स्त्री०) निचली मिट्टी अवनद्ध-I सं० (वि०) 1 निर्मित 2 जुड़ा हुआ 3 बँधा हुआ II अवमोचन-सं० (पु०) 1 मुक्त करना 2 छोड़ देना 3 ढीला (पु०) मृदंग, ढोल
करना अवनमन-सं० (पु०) 1 झुकना 2 पाँव पड़ना
अवयव-सं० (पु०) 1 अंग 2 हिस्सा। ~भूत (वि०) जो अवनयन-सं० (पु०) नीचे लाना, नीचे गिराना
उसी का अंग बन गया, अंगीभूत अवनामक-सं० (वि०) नीचे गिरानेवाला
अवयवी-[ सं० (वि०) 1जिसके अवयव या अंग हो अवनायक-सं० (वि०) गिरानेवाला
2 समूचा II (पु०) देह । अवनाह-सं० (पु०) 1 बाँधना 2 आवृत करना
अवयस्क-सं० (वि०) जो वयस्क न हो, नाबालिग अवनि-सं० (स्त्री०) धरती, पृथ्वी। चर (पु०) पृथ्वी पर अवर-I सं० (वि०) 1 जो श्रेष्ठ न हो, कनिष्ठ, छोटा 2 निचला विचरनेवाले प्राणी; पति (पु०) राजा
3 कम, न्यून 4 अनुवर्ती, बाद में होनेवाला II (पु०) अवनेजन-सं० (पु०) 1धोना 2 हाथ पाँव धोने का पानी । 1 अतीतकाल 2 हाथी के पीछे का भाग III (क्रि० वि०) अवपात-सं० (पु०) 1 अधःपतन 2 झपट्टा 3 गर्त, गड्ढा अन्य, दूसरा। ज (पु०) 1 छोटा भाई 2 शूद्र; सदन अवपातन-सं० (पु०) गिराना, नीचे फेंकना ।
(पु०) दूसरा सदन; सेवक (पु०) अन्य सेवक या नौकर अवपात्र-सं० (वि०) अयोग्य या निकृष्ट पात्र
अवरत-I सं० (वि०) 1 अलग 2 निवृत्त 3 विरामयुक्त II अवपीड़न-सं० (पु०) यातना देना
(पु०) पानी का भँवर अवप्रेरण-सं० (पु०) बुरे काम में सहायता देना
अवरति-सं० (स्त्री०) 1 ठहराव, विश्राम 2 निवृत्त 3 पृथक्ता अवबोध-सं० (पु०) 1 जागना 2 ज्ञान 3 विवेक 4 (दर्शन) अवरागार-सं० (पु०) अवर सदन अनिर्णीत बोध
अवरार्ध-I सं० (वि०) उत्तरार्द्ध II (पु०) पीछे या नीचे का अवबोधक-I सं० (वि०) ज्ञापक II (१०) 1 जगानेवाला आधा भाग सूर्य 2 पहरा देनेवाला 3 शिक्षक
अवरावर-सं० (वि०) 1सबसे खराब 2 छोटे से छोटा
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अवरुद्ध
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अवसर
हुआ
गया
अवरुद्ध-सं० (वि०) 1 रुका या रोका हुआ 2 घिरा हुआ 3 बंद | | अवलीला-सं० (स्त्री०) 1 क्रीड़ा 2 अनादर, तिरस्कार अवरुद्धा-(स्त्री०) रखी हुई स्त्री, रखैल
अवलुंचन-सं० (पु०) 1काटना 2 उखाड़ना 3 नोंचना अवरूढ़-सं० (वि०) 1 उतरा हुआ 2 आरूढ़ का उल्टा अवलुंचित-सं० (वि०) 1 खुला हुआ 2 काटा हुआ अवरूप-सं० (वि.) 1 जिसका रूप विकृत हो गया हो अवगुंठन-सं० (पु०) 1 लोटना, लुढ़कना 2 लूटना 2 जिसका पतन हो गया हो
अवलुंठित-सं० (वि०) 1 लुढ़का हुआ 2 लोटा हुआ 3 लूटा अवरेब-(पु०) 1 कपड़े की तिरछी काट 2 वक्र गति 3 उलझन 4 कठिनाई 5 झगड़ा
अवलेखन-सं० (पु०) 1 खुरचना 2 लकीर खींचना 3 कंघी अवरोक्त-सं० (वि०) 1 अंत में उल्लिखित 2 बाद में कहा करना
अवलेखनी-सं० (स्त्री०) 1 कंघी 2 ब्रश अवरोध-सं० (पु०) 1 रोक 2 घेरा, आवरण 3 बाधा अवलेप-सं० (पु०) 1 लेप, चंदन 2 उबटन 3 मलहम अवरोधक-[ सं० (वि०) 1 रोकनेवाला 2 घेरा डालनेवाला 4 आभूषण 5 घमंड 3 बाधक II (पु०) 1 रोक 2 बाड़ा 3 प्रहरी
अवलेपक-सं० (पु०/वि०) लेप लगानेवाला अवरोधन-सं० (पु०) 1 रोक 2 बाधा 3 अंतःपुर
अवलेपन सं० (पु०) 1 लेपन 2 लगाव 3 घमंड 4 चंदन वृक्ष. अवरोधित-सं० (वि०) जिसका अवरोध किया गया हो अवलेह-सं० (पु०) 1 चटनी 2 चाटकर खाई जानेवाली दवा अवरोधी-सं० (वि०) अवरोधक
अवलेहन-सं० (पु०) चाटना अवरोप, अवरोपण-सं० (पु०) 1 उन्मूलन, उखाड़ना अवलोक-सं० (पु०) 1 देखना 2 अनुसंधान 3 दृष्टि 2 हटाना
अवलोकक-सं० (वि०) देखनेवाला अवरोपित-सं० (वि०) उखाड़ा हुआ
अवलोकन-सं० (पु०) ध्यानपूर्वक देखना अवरोह-सं० (पु०) 1 उतार 2 अवनति, पतन 3 संगीत में स्वरों अवलोकनीय-सं० (वि०) देखनेयोग्य के ऊपर से नीचे आने का क्रम 4 वर्धमान अलंकार का उल्टा अवलोप-सं० (पु०) काटकर हटा देना अर्थालंकार का एक भेद 5 मूल या शाखा से तंतुओं का अवलोम-सं० (वि०) 1 अनुकूल 2 उपयुक्त 3 अपनी निकलना
तरफ़दारी करनेवाला अवरोहक-I सं० (वि०) नीचे आनेवाला II (पु०) ऊपर | अवशंसा-सं० (स्त्री०) दोषी ठहराना चढ़नेवाला
अवश-सं० (वि०) 1.बेबस, लाचार 2 इंद्रियों का दास 3 जो अवरोहण-सं० (पु०) 1 उतरना 2 ऊपर से आना
दूसरे के वश में हो अवरोही-I सं० (वि०) नीचे आनेवाला II (पु०) 1ऊपर से अवशिष्ट-सं० (वि०) बचा हुआ, बाकी नीचे आनेवाला स्वर 2 वटवृक्ष
अवशीर्ण-सं० (वि०) कटा-फटा। अवर्ग-I सं० (वि०) श्रेणी रहित II (पु०) स्वर वर्ण अवशीर्ष-सं० (वि०) 1 नत-मस्तक 2 औंधा अवर्गीकृत-सं० (वि०) जिसका वर्ग न बनाया गया हो अवशेष-I सं० (पु०) 1 वह जो बच रहे या बाक़ी रहे, शेष अवर्ण-I सं० (वि०) 1 बिना रंग का 2 बदगग 3 वर्ण धर्म __ भाग II (वि०) बचा हुआ रहित II (पु०) निंदा, अपवाद
अवशोषक-सं० (वि०) अवशोधन करनेवाला अवर्णनीय-सं०(वि०) जिसका वर्णन न हो सके
अवशोषण-सं० (पु०) 1 सोखना 2 अपने में समा लेना, अवर्ण्य-I सं० (वि०) वर्णन के अयोग्य II (पु०) उपमान संविलयन अत-सं० (पु०) आवर्त
अवशोषित-सं० (वि०) जिसका अंत किया गया हो अवर्तन-सं० (पु०) जीविका या वृत्ति का अभाव
अवशोषी-सं० (वि०) सोखने वाला अवर्तमान-सं० (ति०) 1 जो वर्तमान या प्रस्तुत न हो, अवश्यंभावी-सं० (वि०) 1 जो अवश्य होने को हो, अनिवार्य अविद्यमान 2 अनुपस्थित
2 जो वश में न किया जा सके अवर्धमान्-सं० (वि०) न बढ़नेवाला
अवश्य-I सं०(वि०)1 अनिवार्य 2 जो वश में न किया जा सके अवर्षण-सं० (पु०) वर्षा का न होना, सूखा
II (क्रि० वि०) 1 ज़रूर 2 निश्चय 3 बिना कोई अंतर हए अवलंब-सं० (पु०) 1 सहारा 2 ओट 3 परिशिष्ट
अवश्यमेव-सं० (क्रि० वि०) निस्संदेह, यक़ीनन, अवलंबन-सं० (पु०) 1 सहारा लेना 2 अपनाना 3 अनुसरण निश्चयपूर्वक 4 छड़ी
अवष्टंभ-सं० (पु०) 1 सहारा 2 खंभा 3 बाधा 4 उइंडता अवलंबित-सं० (वि०) 1 आश्रित 2 लटकाया हुआ 3 सत्वर 5 अभिमान 6 साहस अवलंबी-सं० (वि०) अवलंबन करनेवाला
अवष्टब्य-सं० (वि०) 1 आश्रित 2 रक्षित 3 बाधित अवलग्न-सं० (वि०) 1 लगा हुआ 2 सटाकर रखा हुआ अवसंजन-सं० (पु०) आलिंगन । अवलिप्त-सं० (वि०) 1लगाव रखनेवाला 2 चुपड़ा हुआ अवसक्त-सं० (वि०) सटा या लगा हुआ 3 घमंडी
अवसथ-सं० (पु०) 1 घर 2 ग्राम 3 विद्यालय 4 छात्रावास अवली-सं० (स्त्री०) 1 पंक्ति, कतार
अवसन्न-सं० (वि०) 1सुस्त 2 उदास 3 खिन्न 4 उत्साहहीन अवलीक-(वि०) 1निष्पाप 2 दोषरहित, शुद्ध
5दबा या फंसा हुआ 6 समाप्त अवलीट-सं० (वि०) 1 चाटा हुआ 2 खाया हुआ | अवसर-सं० (पु.) 1 मौका 2 सुयोग 3 अवकाश । ग्रहण
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अक्सरानुकूल
अवकाश ग्रहण, प्राप्त (वि०) अवकाश प्राप्त; ~बाद (पु० ) जैसा मौका हो वैसा बन जाना; वादी (वि०) उपयुक्त अवसर से लाभ उठानेवाला, अवसर के अनुसार बरतनेवाला; चूकना अनुकूल परिस्थिति का हाथ से निकल जाना; ताकना इष्ट परिस्थिति की प्रतीक्षा में रहना; ~लेना उपयुक्त समय देखकर किसी से बदला चुकाना हाथ से न जाने देना समय न गँवाना, अनुकूल परिस्थिति का लाभ उठाना
अवसरानुकूल-सं० ( क्रि० वि०) अवसर के अनुरूप अवसरिक-सं० (वि०) विशेष अवसरों पर होनेवाला अवसर्ग-सं० (पु० ) 1 मुक्ति 2 शिथिलता 3 दंडादि में कमी
करना
अवसर्जन-सं० (पु०) मुक्त करना
अवसर्प-सं० (पु०) भेदिया, जासूस अवसर्पण-सं० (पु० ) नीचे उतरना, अधोगमन
अवसाद - सं० (पु० ) 1 सुस्ती, थकावट 2 उदासी 3 खेद 4 हार 5 तलछट, गाद्
अवसादक-सं० (वि०) समाप्त करनेवाला
अवसादन-सं० (पु० ) 1 पतन 2 नाश 3 कार्य करने की अक्षमता 4 उत्पीड़न 5 समाप्त करना
अवसादी-सं० (वि०) अवसाद-युक्त
अवसान-सं० ( पु० ) 1 विराम 2 समाप्ति, अंत 3 मृत्यु 4 कविता या छंद का अंतिम चरण 5 पतन अवसानक-सं० (वि०) 1 समाप्त करनेवाला 2 जो अंत या सीमा तक पहुँच रहा हो
अवसाय-सं० (पु० ) 1 अंत 2 नाश 3 निष्कर्ष 4 निश्चय अवसायीसं० (वि०) रहनेवाला
अवसिक्त-सं० (वि०) सींचा हुआ, सिंचित
अवसित - सं० ( वि० ) 1 बसा हुआ 2 पंरिपक्व 3 निश्चित 4 संबद्ध 5 परिवर्तित 6 समाप्त
अवसृष्ट-सं० (वि०) 1 परित्यक्त 2 बर्खास्त किया हुआ अवसेचन-सं० (पु० ) 1 सींचना 2 छिड़कना 3 पसीना निकलना 4 रक्त निकलना अवस्कंद - सं० (पु० ) 1 आक्रमण 2 टूट पड़ना 3 अस्थायी छावनी, शिविर 4 जनवासा
अवस्कंदक-सं० (पु० ) 1 आक्रमण करनेवाला 2 गुंडा अवस्कंदन-सं० (पु०) आक्रमण करना
अवस्कंदित सं० (वि०) जिस पर आक्रमण किया गया हो, आक्रांत
अवस्कर -सं० ( पु० ) 1 मलमूत्र 2 मलमूत्रेंद्रिय अवस्तार -सं० ( पु० ) 1 परदा 2 कनात 3 चटाई अवस्तु - I सं० (वि० ) 1 निकम्मा 2 शून्य II (स्त्री०) 1 निकम्मी चीज़ 2 सारहीनता
अवस्थांतर -सं० ( पु० ) दूसरी या बदली हुई अवस्था अवस्था -सं० (स्त्री०) 1 हालत, दशा 2 देहादि की कालकृत स्थिति-लड़कपन, जवानी, बुढ़ापा आदि 3 उम्र 4 स्थिति 5 स्थिरता 6 आकृति । ज्ञान (पु०) दशा एवं स्थिति की जानकारी
अवस्थान -सं० (पु० ) 1 ठहरना 2 रहना 3 घर 4 स्टेशन 5 अवधिकाल 6 केन्द्रबिंदु
अवारित
अवस्थापन -सं० (पु० ) 1 रखना, स्थापित करना 2 रहने का
स्थान
अवस्थित सं० (वि०) 1 ठहरा हुआ 2 टिका हुआ 3 विद्यमान
अवस्थिति-सं० (स्त्री०) 1 अवस्थान, टिकाव 2 विद्यमानता अवस्फीति -सं० (स्त्री०) मुद्रा और मूल्यों में कमी अवस्यंदन - सं० (पु०) टपकना, चूना
अवहरण - सं० ( पु० ) 1 चुरा लेना 2 लूट लेना 3 दूर हटाना 4 युद्ध विराम
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अवहस्त-सं० ( पु० ) उलटा हाथ, हाथ का ऊपर का भाग अवहार-सं० (पु० ) 1 अपहरण 2 लौटाना 3 अस्थायी युद्ध-विराम
अवहार्य - सं० (वि०) 1 ले जाने योग्य वस्तु 2 जिसे लौटाना आवश्यक हो
अवहास-सं० ( पु०) उपहास, हंसी-मज़ाक अवहित-सं० (वि०) एकाग्रचित, सावधान
अवहृत - सं० (वि०) 1 चुराया हुआ 2 हरण किया हुआ 3 जिस पर जुर्माना किया गया हो
अवहेलन-सं० (पु० ) 1 आज्ञा का न मानना 2 अनादर करना अवहेलना-सं० (स्त्री०) 1 अनादर, अवज्ञा 2 तिरस्कार 3 उपेक्षा
अवहेलनीय-सं० (वि०) जो उपेक्षा योग्य हो
अवहेला-सं० (स्त्री० ) अवहेलना
अवांछनीय सं० (वि०) 1 जो इच्छा करने योग्य न हो 2 अप्रिय
अवांछित सं० (वि०) जिसकी इच्छा न की गयी हो अवांतर - 1 सं० (वि.) 1 मध्यवर्ती 2 अंतर्गत 3 गौण II
(पु० ) मध्य
अवाई - (स्त्री०) 1 आगमन 2 गहरी जोताई
अवाक् - I सं० (वि०) 1 चकित 2 मौन II ( क्रि० वि०) नीचे III ( पु० ) ब्रह्म
अवाची-सं० (स्त्री०) दक्षिण दिशा
अवाच्य-सं० (वि०) 1 न कहने योग्य 2 बात करने के अयोग्य अवात-सं० (वि०) निर्वात, बिना हवा का। ता (स्त्री०) वातरहित स्थिति
अवादी -सं० (वि०) 1 जो वादी न हो 2 न बोलने वाला अवापन सं० ( पु० ) 1 प्राप्त करना 2 शुल्क लगाना अवाप्त-सं० (वि०) प्राप्त, मिला हुआ अवाप्ति-सं० (स्त्री०) प्राप्ति
अवाप्य-सं० (वि०) प्राप्त करने योग्य प्राप्य
अवाम- अ० (पु० ) बहु० आम लोग, जनता अवामी - अ० (वि०) सामान्य, सार्वजनिक अवार - सं० (पु० ) 1 (नदी के) इस ओर का किनारा 2 इस ओर । पार ( क्रि० वि०) एक किनारे से दूसरे किनारे तक अवारजा - फ़ा० (पु० ) 1 खतिपौनी 2 जमाखर्च की बही 3 रोज़नामचा
अवारण-सं० (वि०) जिसका निषेध न हो सके, सुनिश्चित अवारणीय-सं० (वि०) अनिवार्य, जिसका निवारण न हो सके अवारित-सं० (वि०) 1 जो अवरुद्ध या बंद न हो 2 जो वारित न हुआ हो
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अवार्य
अवार्य-सं० (वि०) अवारणीय
अवास्तव -सं० (वि०) 1 जो यथार्थ न हो 2 निराधार अवास्तविक-सं० (वि०) यथार्थहीन, मिथ्या अवि - I सं० (पु० ) 1 रक्षक 2 स्वामी 3 सूर्य 4 पहाड़ 5 दीवार 6 कंबल 7 बकरा II (स्त्री०) 1 लज्जा 2 ऋतुमती स्त्री अविकत्थ-सं० (वि०) 1 घमंड न करनेवाला 2 डींग न मारनेवाला
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अविकल - सं० (वि०) 1 जो घटाया बढ़ाया न गया हो, पूरा का पूरा 2 व्यवस्थित 3 जो बेचैन न हो
अविकल्प - I सं० (वि०) 1 विकल्प रहित 2 अपरिवर्तनीय 3 निश्चित II ( पु० ) विकल्प या संदेह का अभाव अविकसित-सं० (वि०) जो खिला न हो अविकार - I सं० (वि०) विकार रहित II ( पु० ) विकाराभाव अविकारी - सं० (वि०) 1 जिसमें विकार न हुआ हो 2 नित्य अविकार्य-सं० (वि०) अपरिवर्तनशील अविकाशी-सं० (वि०) जिसका विकास न हो अविकृत-सं० (वि०) जो बिगड़ा न या जो बदला न हो अविक्रम - I सं० (वि०) शक्तिहीन, कमज़ोर II ( पु० )
भीरुता अविक्रांत-सं० (वि०) जिससे कोई बढ़ा हुआ न हो अविक्रिय - I सं० (वि०) अविकारी II ( पु० ) ब्रह्म अविक्रेय सं० (वि०) जो बिक्री के लिये न हो अविक्षत-सं० (वि०) 1 जिसकी क्षति न हुई हो 2 समग्र पूरा अविक्षिप्त-सं० (वि०) 1 जो फेंका न गया हो 2 एकाग्रचित अविगत सं० (वि०) 1 जो बीता या गया न हो 2 अज्ञेय 3 अज्ञात II (पु० ) ईश्वर अविग्रह सं०
(वि०) 1 निरकार, अशरीरी 2 अज्ञात
3 नित्यमास
अविघात - I सं० (वि०) बाधारहित II ( पु० ) विनाभाव अविचल - सं० (वि०) अचल, स्थिर अविचलित-सं० (वि०) जो अटल हो
अविचार - I सं० (पु०) 1 अविवेक, अज्ञान 2 अन्याय 3 अनीति II ( वि० ) अविवेकी
अविचारित-सं० (वि०) जिस पर विचार न किया गया हो अविचारी - सं० (वि०) विवेकहीन, उचित-अनुचित का विचार न रखनेवाला
अविचार्य -सं० (वि०) जो विचार योग्य न हो अविचलित-सं० (वि०) 1 अटल, स्थिर 2 विजयी अविच्छिन्न-सं० (वि०) 1 अविभक्त, अटूट, अखंड
2 लगातार
अविच्छेद - I सं० (वि०) विच्छेदरहित II ( पु० ) बिलगाव का
अभाव
हो
अविच्युत - सं० (वि०) 1 जो अपने स्थान से भ्रष्ट न हुआ 2 शाश्वत, नित्य
अविजित सं० (वि०) जो जीता न गया हो अविजेय-सं० (वि०) जिसे जीता न जा सके, अजेय अविज्ञ-सं० (वि०) अजान, अनाड़ी
अविज्ञात-सं० (वि०) 1 बे जाना समझा 2 संदिग्ध 3 अस्पष्ट अविज्ञेय - I सं० (वि०) 1 जो पहचाना न जा सके 2 जो जाना न जा सके 3 न जानने योग्य II ( पु० ) परमेश्वर
अविभाज्य
अवितथ - I सं० (वि०) जो ग़लत या झूठ न हो, अमिथ्या, सही II ( पु० ) सचाई
अवितर्कित-सं० (वि०) 1 जिस पर विचार न किया गया हो 2 अदृष्टपूर्व
अवित्त-सं० (वि०) 1 निर्धन 2 अप्रसिद्ध 3 अज्ञात अवित्ति - I सं० (स्त्री०) 1 अप्राप्ति 2 बुद्धिहीनता, मूर्खता 3 निर्धनता II (पु० ) 1 मूर्ख 2 जिसे प्राप्त न हुआ हो अविद-सं० (वि०) अनजान
अविदग्ध - I सं० (वि०) 1 अशिक्षित 2 अधकचरा 3 गँवार, मूर्ख II ( पु० ) भेड़ का दूध
अविदित - I सं० (वि०) 1 अज्ञात 2 अप्रकट II ( पु० ) परमेश्वर
अविद्य-सं० (वि०) 1 अपढ़, मूर्ख 2 नष्ट, लुप्त अविद्यमान -सं० (वि०) 1 अनुपस्थित 2 असत् अविद्या-सं० (स्त्री०) विद्या या ज्ञान का अभाव, अज्ञान 2 मिथ्या या विपरीत ज्ञान 3 भ्रांति 4 माया । कृत (वि०) विद्या से किया हुआ; ~मूलक (वि०) अविद्या के कारण होनेवाला
अविधान - I सं० (पु० ) विधान का अभाव II (वि०) विधि विरुद्ध, अवैध, अविहित
अविधि - I सं० (वि०) अवैध II (स्त्री०) विधि या विधान
का अभाव
अविधिक–सं० (वि०) 1 अवैध 2 निषिद्ध अविधेय-सं० (वि०), जो वैधानिक न हो, अवैधानिक अविनय - I सं० (स्त्री०) 1 विनय या नम्रता का अभाव 2 अशिष्टता 3 धृष्टता 4 उजडुपन II (वि) विनयहीन । ~शील (वि०) अशिष्ट, धृष्ट, उजड्डु अविनश्वर - I सं० (वि०) जिसका नाश न हो II ( पु० )
परब्रह्म
अविनाभाव-सं० (पु० ) 1 अविच्छेद संबंध 2 लगाव अविनाश-सं० (वि०) नाशरहित, अक्षय, नित्य अविनाशी - I सं० (वि०) जिसका नाश न हो, नित्य II (पु० )
परमात्मा
अविनिमेय - सं० (वि०) जो अदला-बदला न जा सके अविनीत-सं० (वि०) 1 अनम्र, अशिष्ट 2 गुस्ताख़ 3 घमंडी 4 उजड्डु 5 उद्दंड
अविनीता-सं० (स्त्री०) कुलटा, व्यभिचारिणी अविन्यस्त-सं० (वि०) जो जमाया न गया हो, उखड़ा-उखड़ा अविपन्न - सं० (वि०) 1 जो क्षतिग्रस्त न हुआ हो 2 निरोग
3 स्वस्थ
अविपाक - I सं० (पु०) अजीर्ण रोग II ( वि०) अजीर्ण से
प्रस्त
अविपाल-सं० (पु०) गड़ेरिया अविबुध - I सं० (वि०) बुद्धिहीन, मूर्ख II ( पु०) देवता नहीं, असुर
अविभक्त-सं० (वि०) 1 अविभाजित 2 साबित 3 समूचा 4 एक अविभाजनीय-सं० (वि०) जो बाँटने योग्य न हो अविभाजित -सं० (वि०) जिसे बाँटा न गया हो अविभाज्य - I सं० (वि०) जो बाँटा न जा सके II ( पु० )
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अविभावन
अव्यक्त
जिसमें भाग न दिया जा सके वह राशि
अविषय-[ सं० (वि.) जो किसी इंद्रिय का विषय न हो, अविभावन-सं० (पु०) पहचान का अभाव
अगोचर 2 प्रतिपादन के अयोग्य 3 निर्विषय II (पु०) अविभिन्न-सं० (वि०) जो अलग न हो
1 अभाव 2 लोप 3 इंद्रियों के विषयों की उपेक्षा अविमुक्त-I सं० (वि०) जो मुक्त न हो, बद्ध II (पु०) अविसगी-सं० (वि०) न हटनेवाला कनपटी
अविस्तर-सं० (वि०) थोड़ी लम्बाई का, संक्षिप्त अवियुक्त-सं० (वि०) 1 अविभक्त 2 जो पृथक् न हुआ हो अविस्तीर्ण-सं० (वि०) जो अधिक न फैलाकर छोटा कर दिया अवियोग-I सं० (वि०) मिला हुआ II (पु०) 1 उपस्थिति गया हो 2 संयोग
अविस्तृत-सं० (वि०) ठसा हुआ, घना अवियोज्य-सं० (वि०) जिसका अलगाव न हो सके अविस्मरणीय-सं० (वि०) जो भूल जाने योग्य न हो अविरत-I सं० (वि०) 1 विरामहीन 2 लगा हुआ II (क्रि० अविहित-सं० (वि०) 1 शास्त्रविरुद्ध 2 निषिद्ध 3 अकर्तव्य वि०) निरंतर, लगातार
4 अनुचित अविरति-सं० (स्त्री०) 1विराम का अभाव 2 आसक्ति अवीरा-सं० (स्त्री०) 1 पुत्रहीना 2 विधवा 3 प्रातृहीना अविरल-सं० (वि०) 1मिला या सटा हुआ 2 घना 3 अविरत, अवृत्त-सं० (वि०) 1 जो रोका न गया हो 2 बे चुना हुआ लगातार
3 अरक्षित 4 अपराभूत अविराम-I सं० (वि०) विरामहीन II (क्रि० वि०) लगातार अकृताकार-सं० (वि०) जो गोल न हो अविरुध-सं० (वि०) 1जो विरुद्ध न हो 2 अनुकूल अवृत्ति-I सं० (वि०) 1 अस्तित्वहीन, स्थितिहीन 2 जीविका अविरोष-सं० (पु०) 1 विरोध का अभाव 2 सामंजस्य रहित II (स्त्री०) 1 जीविका का अभाव 2 स्थिति का अभाव अविरोधी-सं० (वि०) विरोध न करनेवाला
अवृथा-सं० (क्रि० वि०) व्यर्थ नहीं, सफलतापूर्वक अविलंब-I सं० (वि०) विलंबरहित II (क्रि० वि०) झटपट अवृद्धिक-[सं० (वि०) बिना वृद्धि या ब्याज का II (पु०) तुरंत
मूल धन अविलंबित-सं० (वि०) जिसे सहारा न दिया गया हो। अवृष्टि-सं० (स्त्री०) अवर्षण, सूखा अविलक्ष्य-सं० (वि०) 1जिसका कोई लक्ष्य न हो अवेक्षण-I सं० (पु०) 1 देखना 2 निरीक्षण 3 जाँच-पड़ताल 2 अचिकित्सय
II (वि०) देखभाल करनेवाला अविलिख-सं० (वि०) 1 न लिखनेवाला 2 बुरा लिखनेवाला अवेक्षणीय-सं० (वि०) 1 देखने योग्य 2 निरीक्षण योग्य अविवर्त्य-सं० (वि०) जिसमें उलट-फेर न हो सके अवेक्षा-सं० (स्त्री०) 1 देखना 2 ध्यान, ख्याल 3 परवाह अविवाद-I सं० (पु०) विवाद का अभाव II (वि०) अवेत-सं० (वि०) 1बीता हआ 2 प्राप्त 3 संयुक्त विवादरहित
अवेद्य-[ सं० (वि०) 1 अज्ञेय 2 अलभ्य II (पु०) बछड़ा अविवाहित-सं० (वि०) बिना ब्याहा, क्वाँरा
अवेल-I सं० (वि०) असामयिक II (पु०) ज्ञानगोपन अविवाहिता-सं० (स्त्री०) कुआँरी लड़की
अपहव अविविक्त-सं० (वि०) 1 अविवेचित 2 भेदरहित । अवेला-सं० (स्त्री०) 1 अनुपयुक्त समय, कुबेला 2 तांबूल 3 सार्वजनिक 4 विवेकरहित
अवेस्ता-फा० (स्त्री०) पारसियों की मूल धर्म पुस्तक अविवेक-सं० (पु०) भला-बुरा समझने की शक्ति का अभाव अवैज्ञानिक-सं० (वि०) जो वैज्ञानिक न हो, विज्ञान की रीति 2 अविचारी 3 नासमझी। ~ता (स्त्री०) = अविवेक; के प्रतिकूल हो पूर्ण (वि०) विवेकरहित
अवैतनिक-सं० (वि०) वेतन न पाने या लेनेवाला, आनरेरी अविवेकी-सं० (वि०) विवेकरहित, नासमझ
अवैदिक-सं० (वि०) 1 वेदविरुद्ध 2 अवेदोक्त अविशंका-सं० (वि.) 1 शंकारहित 2 निडर
अवैध-सं० (वि०) 1 विधि-विरुद्ध, अविहित 2 नियम-विरुद्ध, अविशुद्ध-सं० (वि०) 1 जो शुद्ध न हो, अपवित्र 2 मिलावटी और-कानूनी। ज, जात (वि०) जो ग़लत या नियम अविशेष-[ सं० (वि०) भेदरहित, समान II (पु०) 1 भेदक विरुद्ध हो; ता (स्त्री०) विधि विरुद्ध होना; समूह धर्म का अभाव 2 एकता 3 सूक्ष्म भूत।
(पु०) गैर कानूनी कार्य करनेवालों का दल अविश्रांत-I सं० (वि०) 1न थकनेवाला 2 अविराम 3 जो | अवैधाचरण-सं० (पु०) अनुचित एवं नियम विरुद्ध व्यवहार क्षतिग्रस्त न हो II (क्रि० वि०) लगातार
| अवैधानिक-सं० (वि०) जो संविधान के नियमों के अनुरूप न अविश्वसनीय-सं० (वि०) जो विश्वास के योग्य न हो । हो या उनके विरुद्ध हो अविश्वस्त-सं० (वि०) जिसका विश्वास न हो, संदिग्ध | अवैमत्य-[ सं (पु०) । ऐकमत्य 2 मतभेद का अभाव . अविश्वास-सं० (पु०) 1 विश्वास का न होना 2 शंका, | II (वि०) सर्वसम्मत संदेह। पात्र (वि०) जिसपर विश्वास न किया जा सके, | अवैर-सं० (पु.) वैर या शत्रुता का अभाव अविश्वसनीय
अव्यंग-सं० (वि०) जो टेढ़ा मेढ़ा न हो, सीधा, सरल अविश्वासी-सं० (वि०) 1 विश्वास न करनेवाला 2 श्रद्धाहीन | अव्यंजन-[ सं (वि०) । निहरहित 2 सुलक्षणरहित 3 अस्पष्ट 3 जो विश्वास के योग्य न हो
4 बिना सींग का || (पु०) बिना सींग का पशु अविष-I सं० (वि०) 1 विषहीन 2 विषहारक 3 रक्षक II अव्यक्त-सं० (वि.) 1 अप्रकट, अदृश्य 2 अज्ञेय (पु०) 1 समुद्र 2 राजा 3 आकाश
3 अनाविर्भूत 4 अज्ञात 5 अनिश्चित ।। (पृ.) । मूल प्रकृति
सहप
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अव्यक्तानुकरण
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अशरा
2 अविद्या 3 ब्रह्म 4 आत्मा 5 सूक्ष्म शरीर। -क्रिया | अव्याज-I सं. (वि०) बिना छल-कपट का II (पु०) (स्त्री०), गणित (पु०) बीज गणित का एक हिसाब | 1 छलकपट का अभाव 2 ईमानदारी
पद (पु०) वह पद जिसका उच्चारण स्पष्ट न हो; ~राशि | अव्यापन-सं० (वि०) जो मरा न हो, जीवित (स्त्री०) अज्ञात राशि; लिंग I (वि०) जिसके लक्षण स्पष्ट अव्यापार-सं० (पु०) 1 कार्य, उद्यम का अभाव 2 अपने से न हों II (पु०) महत्तत्व (सांख्य)
___ संबंध न रखनेवाला काम अव्यक्तानुकरण-सं० (पु०) अर्थरहित ध्वनियों का अनुकरण अव्यापारिक-सं० (वि०) जो व्यापार योग्य न हो अव्यक्तिक-सं० (वि०) 1 जो व्यक्तिगत न हो 2 रागद्वेष अव्यापारी-सं० (वि०) जो व्यापार न करता हो आदि से रहित
अव्यापी-सं० (वि०) 1 जो सर्वव्यापी न हो 2 सीमित 3 जो अव्यग्र सं० (वि०) जो व्यग्र न हो, शांत, धीर
सामान्य न हो अव्यथ-I (वि०) 1 पीड़ा न देनेवाला, दयालु 2 व्यथारहित अव्याप्त-सं० (वि०) 1 जो सर्वत्र व्याप्त न हो 2 परिच्छिन्न II (पु०) साँप
अव्याप्ति-सं० (स्त्री०) 1 व्याप्त न होने की अवस्था 2 लक्षण अव्यथा-सं० (स्त्री०) 1 हरीतकी 2 सोंठ 3 स्थल कमल का लक्ष्य पर घटित न होना 4 गोरखमुंडी 5 आँवला
अव्याप्य-सं० (वि०) 1 व्याप्तिरहित, जो सारी स्थिति के लिए अव्यपदेश्य-सं० (वि०) अनिर्वचनीय
लागू न हो अव्यभिचार-सं० (पु०) 1 एकनिष्ठता, वफादारी 2 नित्य अव्यावृत-सं० (वि०) 1 अविभक्त, अटूट, अविछिन्न साहचर्य
| 2 निरंतर अव्यभिचारी-सं० (वि०) 1 व्यभिचार न करनेवाला, सदाचारी अव्याहत-सं० (वि०) 1 व्याधातरहित 2 अबाधित 2 अटूट 2 अविरोधी 3 अपवादरहित
4 पूरा अव्यय-I सं० (वि०) 1 अविकारी 2 अक्षय, नित्य 3 समरस अव्युत्पन्न-I सं. (वि०)1 अकुशल, अदक्ष, अनुभवहीन 2 जो II (पु०) 1 वह शब्द जिसके रूप में वचन, लिंग आदि के (शब्द) व्याकरण से सिद्ध न हो सके 3 व्युत्पत्तिरहित कारण कोई विकार नहीं होता 2 व्यय न होना 3 परब्रह्म 4 विष्णु
II (पु०) व्याकरण न जाननेवाला व्यक्ति 5 शिव
अव्रत-[ सं (वि.) शास्त्रविहित नियमों, कर्तव्यों का पालन न अव्ययित-सं० (वि०) खर्च न किया हुआ
करनेवाला, व्रतहीन II (पु०) व्रतत्याग अव्ययीभाव-सं० (पु०) 1 वह समास जिसमें पूर्वपद अव्यय अव्वल-I अ० (वि०) 1 पहला, प्रथम 2 सर्वश्रेष्ठ ।। (पु०)
हो व्या० (जैसे-यथाशक्ति, अतिकाल) 2 व्यय का अभाव आदि, आरंभ। ~आना, रहना प्रतियोगिता में प्रथम अव्यर्थ-सं० (वि०) 1 व्यर्थ न होनेवाला 2 सफल 3 अचूक
आना, सबसे आगे होना 'अव्यवधान-I सं० (वि०) 1 निकट 2 बिना रोक का अव्वलन-अ० (क्रि० वि०) प्रथमतः
3 लापरवाह II (पु०) 1 लापरवाही 2 नैकट्य 3 लगाव अशंक, अशंकित-सं० (वि०) 1 शंकारहित 2 निर्भय, निडर अव्यवसाय-[ सं० (पु०) उद्यम या निश्चय का अभाव 3 निरापद II (वि०) 1 उद्यमरहित 2 निकम्मा 3 आलसी
अशंभु-सं० (पु०) 1 अकल्याण 2 अहित 3 अमंगल अव्यवसायी सं० (वि०) शौकिया (खिलाडी, कलाकार) अशकुन-सं० (पु०) असगुन, अशुभ लक्षण अव्यवस्था-सं० (स्त्री०) 1 व्यवस्था का अभाव, बे कायदगी, अशक्त-सं० (वि०) 1शक्तिहीन, कमज़ोर 2 असमर्थ बअमली 2 शास्त्रविरुद्ध व्यवस्था
3 अयोग्य अव्यवस्थित-सं० (वि०) 1 व्यवस्थाहीन 2 शास्त्र मर्यादा के अशक्ति-सं० (स्त्री०) 1 निर्बलता 2 असामर्थ्य 3 बुद्धि का विरुद्ध 3 अस्थिर। -चित्त (वि०) जिसके विचार चंचल हों, बेकाम होना अस्थिर चित्त
अशक्य-सं० (वि०) 1 जो न हो सके, असाध्य 2 जो काबू में अव्यवहारिक-सं० (वि०) जिसका उपयोग न हो । न किया जा सके 3 अशक्त 4 असंभव अव्यवहार्य-सं० (वि०) 1 जो व्यवहार के योग्य न हो अशत्रु-I सं० (वि०) 1 शत्रुरहित 2 जो शत्रु न हो II (पु०' 2 जिसके साथ खान-पान का व्यवहार न रखा जा सके, चंद्रमा जातिच्युत
अशन-सं० (पु०) 1 भोजन 2 भोज्य पदार्थ 3 भक्षण 4 व्याप्ति अव्यवहित-सं० (वि०) 1 व्यवधानरहित 2 निर्विघ्न 3 प्रकट अशनि-(पु०) 1 बिजली, गाज 2 अस्त्र अव्यसन-1(वि०) व्यसनहीन, जिसे कोई बुरी लत न लगी अशनीय-सं० (वि.) जो खाने योग्य हो हो II (पु०) व्यसन का अभाव
अशब्द-[सं.(वि०) 1 जो शब्द न हो 2 जो शब्दों में व्यक्त न अव्याकृत-1 सं०.(वि०) अव्यक्त, जो प्रकट न हो II (पु०) हुआ हो 3 मूक 4 अवैदिक II (पु०) ब्रह्म
1 मूल प्रकृति (सांख्य) 2 जगत् का कारणरूप अज्ञान अशरण-सं० (वि०) आश्रयहीन, असहाय अव्याख्यात-सं० (वि०) जिसकी व्याख्या या स्पष्टीकरण न अशरफ़-अ० (वि०) बहुत शरीफ़, उच्च किया गया हो
अशरफ़ी-फ़ा० (स्त्री०) 1 सोने का सिक्का, मुहर अव्याख्येय-सं० (वि०) जो व्याख्या करने योग्य न हो 2 गुलअशफ़ौ। अशरफ़ियाँ लटे और कोयलों पर छाप अव्याघात-सं० (वि०) 1 बे रोक टोक 2 जो बीच में टूटा या कीमती वस्तु की अवहेलना करके निरर्थक वस्तु की कद्र करना रुका न हो, लगातार होनेवाला
अशरा-अ० (पु०) (महर्रम का) दसवाँ दिन
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अशराफ़
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अश्वारोही
अशराफ़-अ० (पु०) भले और प्रतिष्ठित लोग
अशोधित-सं० (वि०) जिसे साफ़ न किया गया हो अशरीर-I सं० (वि०) 1 शरीररहित, निराकार II (पु०) | अशोभन-सं० (वि०) असुंदर, अभद्र, न फबनेवाला परमात्मा 2 कामदेव 3 संन्यासी
अशोभनीय-सं० (वि०) 1 जो देखने में सुंदर न लगे अशरीरी-I सं० (वि०) 1 शरीरहीन 2 अपार्थिव II (पु०) ___ 2 अनुचित, अनुपयुक्त 1 ब्रह्मा 2 देवता
अशौच-सं० (पु०) 1 अपवित्रता, नापाकी 2 जन्म मरण के अशर्म-सं० (पु०) 1 कष्ट, दुःख 2 शोक
कारण लगनेवाली छूत, सूतक अशा-I संक(वि०) शस्त्रहीन, निःशस्त्र II (पु०) शस्त्र नहीं अश्म-सं० (पु०) 1 पर्वत 2 पत्थर । ~खनि (स्त्री०) पत्थर अशस्त्रीकरण-(पु०) निरस्त्रीकरण
की खान; ~सार (पु०) लोहा अशांत-सं० (वि०) 1 शांतिरहित, बेचैन, उद्विग्न 2 अस्थिर अश्मन-सं० पत्थर हो जाना अशांति-सं० (स्त्री०) 1 बेचैनी 2 क्षोभ, खलबली। अश्मरी-सं० (स्त्री०) पथरी रोग कारक अशांति उत्पन्न करनेवाला
अश्मीभवन-सं० (पु०) पत्थर हो जाना अशाअत-अ० (स्त्री०) प्रकाशन, प्रचार
अश्रद्धा-सं० (स्त्री०) 1 श्रद्धा का अभाव 2 अविश्वास अशालीन-सं० (वि०) विनयहीन, ढीठ
अश्रद्धेय-सं० (वि०) जो श्रद्धेय न हो अशाश्वत-सं० (वि०) अनित्य, अस्थायी
अश्रांत-I संव(वि०) न थका हुआ, अथक II (पु०) विश्राम अशासन-I सं०(पु०) 1 शासन का अभाव 2 अव्यवस्था का अभाव 3 अराजकता II (वि०) शासनहीन
अश्राव्य-सं० (वि०) न सुनने योग्य अशास्त्रीय सं० (वि०) शास्त्रविरुद्ध, अविहित
अश्रु-सं० (पु०) आँसू। ~कारी (वि०) आँसू लानेवाला; अशिक्षा-सं० (स्त्री०) शिक्षा का अभाव
~गैस (स्त्री०) आँसू गैस, गैस जिससे आँसू बहने लगते हैं; अशिक्षित-सं० (वि०) अपढ़, गँवार
ग्रंथि (स्त्री०) आँख के अंदर वह ग्रंथि जिससे आंसू उत्पन्न अशिथिल-सं० (वि०) जो ढीला न हो, चुस्त
होते हैं; जल (पु०) आँसू; निर्झर (पु०) आँसुओं की अशिव-I सं० (वि०) 1 अकल्याणकर 2 अमंगलसूचक झड़ी; पात (पु०) आँसू बहना II (पु०) 1 अमंगल 2 दुर्भाग्य 3 अहित
अश्रुत-सं० (वि०) 1न सुना हआ 2 विद्याहीन, अशिक्षित अशिष्ट-सं० (वि०) असभ्य, उजड्ड। -ता (स्त्री०)
3 अवैदिक। -पूर्व (वि०) 1 जो पहले न सुना गया हो असभ्यता, उजड़पन
2 अद्भुत, विचित्र अशीत-सं० (वि०) जो ठंडा न हो, गरम
अश्रुति-I सं० (वि०) कर्णहीन II (स्त्री०) 1 न सुनना अशील-I संबवि०) 1 शीलरहित 2 अशिष्ट, उदंड 3 उदासीन | 2 विस्मृति II (पु०) उदंडता, अशिष्टता ।
अश्रेष्ठ-सं० (वि०) जो बढ़िया न हो अशचि-सं०(वि०) 1 अपवित्र, नापाक 2 मैला 3 काला अश्लाघनीय, अश्लाघ्य सं० (वि०) 1 जो प्रशंसा के योग्य II (स्त्री०) अपवित्रता, अपकर्ष
न हो 2 निंद्य अशुद्ध-सं० (वि०) 1 साफ़ न किया हआ 2 अपवित्र अश्लील-सं० (वि०) 1 भद्दा 2 ग्राम्य 3 गंदा 4 फूहड़ 3 अशोधित 4 सदोष 5 ग़लत
अश्लेष-सं० (वि०) श्लेषरहित, जिसमें दुहरा अर्थ न हो अशुद्धि-सं० (स्त्री०) 1 अशुद्धता 2 ग़लती 3 गंदगी। अश्व-सं० (पु०) 1 घोड़ा 2 सात की संख्या। गंधा शोधन (पु०) ग़लती सुधारना
(स्त्री०) असगंध (बूटी); ~गोष्ठ (पु०) घुड़साल; अशभ-I सं० (वि०) 1 अमंगलकारी 2 अनिष्टसचक चिकित्सक (पु०) सलोतरी; चिकित्सा (स्त्री०) 3 अपवित्र 4 भाग्यहीन II (पु०) 1 अमंगल 2 पाप घोड़ों का इलाज; तर (पु०) खच्चर; ~धावन (पु०) 3 दुर्भाग्य। -चिंतक (वि०) अहित सोचनेवाला
घुड़दौड़; ~पति (पु०) घोड़े का मालिक; पालन (पु०) अशुष्क-सं० (वि०) जो सूखा न हो
घोड़े पालना; ~मेघ (पु०) घोड़े का यज्ञ, एक प्रसिद्ध वैदिक अशन्य-सं० (वि०) 1 जो खाली न हो 2 जो व्यर्थ न हो यज्ञ जिसे चक्रवर्ती राजा ही कर सकता था; ~शक्ति अशेष-सं० (वि०) 1 संपूर्ण, समूचा 2 सबका सब 3 अपार (स्त्री०) 250 किलो भार को एक फुट ऊँचा उठा सकने की 4असंख्य
शक्ति की इकाई; ~शाला (स्त्री०) घुड़साल अशोक-[ संववि०) जिसे शोक न हो, शोकरहित II (पु०) अश्वस्थ-सं० (पु०) 1 पीपल 2 पीपल का गोदा 3 पीपल में 1 एक प्रसिद्ध पेड़ जिसकी पत्तियाँ धार्मिक एवं माँगलिक __फल लगने का समय 4 सूर्य का एक नाम 5 अश्विनी नक्षत्र अवसरों पर काम में आती हैं 2 राजा दशरथ का एक मंत्री अश्वस्तन, अश्वस्तनिक-सं० (वि०) आज का 3 एक यशस्वी सम्राट । -चक्र (पु०) अशोक के स्तम्भ के अश्वानीक-सं० (पु०) घुड़सवार सेना, रसाला ऊपर का चक्र जो इस समय भारत संघ का राष्ट्र चिह्न है; अश्वायुर्वेद-सं० (पु०) अश्वशास्त्र
पूर्णिमा (स्त्री०) फाल्गुन की पूर्णिमा; ~-स्तंभ (१०) | अश्वारूढ़-सं० (वि०) घोड़े पर चढ़ा हुआ भारत का राष्ट्रीय प्रतीक
अश्वारोह-I सं०(वि०) अश्वारूढ़ II (पु०) 1 घुड़सवार अशोच-सं० (पु०) 1चिंता का अभाव 2 शांति 3 नम्रता 2 घुड़सवारी
अशोचनीय-सं० (वि०) जो चिंता करने योग्य न हो। अश्वारोहण-सं० (पु०) घुड़सवारी . अशोच्य-सं० (वि०) जिसके विषय में शोक करना उचित न हो | अश्वारोही-सं० (वि०) घोड़े की सवारी करनेवाला
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अश्विनी
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असंयमित
अश्विनी-(स्त्री०) 1 घोड़ी 2 सूर्यपत्नी 3 एक नक्षत्र असंगी-सं० (वि०) 1जिसका किसी से संबंध न हो 2 किसी अश्विनीकुमार-सं० (पु०) दो भाई जो देवताओं के वैद्य हैं | के साथ न रहनेवाला अश्वेत-सं० (वि.) = असित
असंचय-[ सं०(वि०) असंचयी II (पु०) संचय का अभाव अष्ट-I सं०(पु०) 8 की संख्या II (वि०). आठ। ~कमल असंचयिक, असंचयी-सं० (वि०) 1 जो संचय न करे 2 जो (पु०) हठयोग में मूलाधार से ब्रह्मरंध तक के स्थान; ~कर्ण | संचित न हो (पु०) आठ कानोंवाला, ब्रह्मा; ~कोण (वि०) अठकोना, असंचर-सं० (पु०) जिसमें संचार न हो सकता हो, अगम्य अठपहल; छाप (पु०) गोसाईं बिट्ठलनाथ जी द्वारा | असंत-सं० (वि०) 1 जो संत या साधु न हो 2 जो सजन या स्थापित आठ कवियों का दल; दल (पु०) कमल; | भला न हो, दुष्ट या बुरा ~धाती (वि०) आठ धातुओं से बना हुआ; ~धातु असंतति, असंतान:-सं० (वि०) जिसे संतान या औलाद न हो, (स्त्री०) आठ धातुएँ (सोना, चाँदी, सीसा, ताँबा, राँगा, जस्ता, जिसके बाल-बच्चे न हो लोहा, पारा); ~~पदी (स्त्री०) आठ पंक्तियों का पद; - असंतुलन-सं० (पु०) भार या महत्त्व में असमानता ~फलक (वि०) अठपहल; बाह, ~भुज I (वि०) | असंतुलित-सं० (वि०) भार या महत्त्व में असमान आठ भुजाओं वाला II (पु०) ज्यामिति में आठ भुजाओ असंतुष्ट-सं० (वि०) 1 जो संतुष्ट न हो, अप्रसन्न या रुष्ट वाली एक आकृति; ~भुजा (स्त्री०) दुर्गा; ~वर्ग (पु०) असंतुष्टि-सं० (स्त्री०) असंतोष आठ ओषधियाँ ~अष्टश्रवा (पु०) आठ कानोंवाला, ब्रह्मा; असंतोष-सं० (पु०) । संतोष का अभाव 2 अप्रसन्नता -सिद्धि (स्त्री०) योगादि से मिलनेवाली आठ सिद्धियाँ __3 बेसब्री 4 लोभ। कर (वि०) जिससे संतोष न हो सके; (अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशल जनक (वि०) जिससे लोभ हो; ~प्रद (वि०) संतुष्ट न और वाशित्व)
करनेवाला अष्टक-सं० (पु०) 1 आठ का समूह या योग 2 आठ ऋषियों असंतोषी-सं० (वि०) 1 संतुष्ट न होनेवाला 2 बेसब्र 3 लोभी
का एक गण 3 विश्वामित्र का एक पुत्र 4 अष्टाध्यायी व्या० असंदिग्ध-सं० (वि०) 1 संदेहरहित 2 निश्चित, पक्का अष्टपाद-सं० (पु०) आठ पैरों वाला एक जलजंतु असंधि-[सं० (वि०) 1 जिनका योग न हो (शब्द) 2 अबद्ध अष्टम-सं० (वि०) आठवाँ
II (स्त्री०) संधि का अभाव अष्टमी-सं० (स्त्री०) आठवीं तिथि
असंपन्न-सं० (वि०).1 जो धनवान न हो 2 दरिद्र अष्टांग-I सं०(वि०) जिसके आठ अंग या भाग हों II (पु०) असंपर्क-I सं०(पु०) संबंध लगाव का न होना II (वि०) 1 शरीर के वे आठ अंग जिनसे साष्टांग प्रणाम किया जाता है | संबंधहीन (घुटना, हाथ, पाँव, छाती, सिर, वचन, दृष्टि, बुद्धि) | असंपूर्ण-सं० (वि०) अपूर्ण, असमाप्त, अधूरा 2 योगसाधन के आठ अंग (यम, नियम, प्रणायाम आदि) | असंपृक्त-सं० (वि०) जो किसी के साथ मिला या जुड़ा न हो अष्टावक्र-(पु०) (एक ऋषि) जिसका शरीर आठ जगह से | असंप्रज्ञात-सं० (वि०) जो अच्छी तरह से जाना बूझा न हो टेढ़ा है
असंबंध-I संबपु०) संबंध का अभाव II (वि०) असंबद्ध अष्ठि-सं० (स्त्री) 1 पत्थर या उसका टुकड़ा 2 कठोर खनिज | असंबद्ध-सं० (वि०) 1 संबंधहीन 2बे मेल 3 अलग, बे पदार्थ का ढेला 3 गुठली 4 गरी
लगाव 4 असंगत अष्ठिल-सं० (वि०) 1जो अष्ठि या पत्थर के रूप में हो | असंबाध-सं० (वि०) 1 जो बंधन में न हो 2 विस्तृत 3 अबाघ
2 पत्थर की तरह कठोर 3 जिसमें पत्थर लगे हों 4 पथरीला | असंभव-I सं०(वि०) जो कभी घटित न हो सकता हो अष्ठिला ग्रंथि सं० (स्त्री०) मूत्राशय के समीप होनेवाली गाँठ II (पु०) एक काव्यालंकार अष्ठीला-सं० (स्त्री०) 1 पत्थरी 2 पत्थर की गोली असंभार-सं० (वि०) 1 जो सँभाला न जा सके 2 बहुत बड़ा असंक्राम्य-सं० (वि०) 1जिसे हस्तांतरित न किया जा सके | या भारी 2 जिसे संक्रामक रोग न लग सके
असंभावना-सं० (स्त्री०) जिसकी होने की आशा न हो असंख्य-सं० (वि०) अगणित, बे हिसाब, बेशुमार . । असंभावनीय-सं० (वि०) असंभाव्य । असंख्येय-[ संवि०) अगणित, बे शुमार II (पु०) 1शिव | असंभावित-सं० (वि०) जिसके घटित होने की कल्पना या 2 विष्णु 3 बहुत बड़ी संख्या
__ अनुमान न हो असंग-I सं० (वि०) 1 अनासक्त, निर्लिप्त 2 अकेला | असंभाव्य-सं० (वि०) 1 जो घटित न हो सकता हो 2 जिसके 3 अबाधित II (पु०) 1 अनासक्ति 2 पुरुष, आत्मा | घटित होने की कोई आशा न हो सकती हो (सांख्य)
असंभाष्य-सं० (वि०) 1 जिससे बात करना उचित न हो 2 जो असंगठित-सं० (वि०) जो संगठित न हो
कहे जाने योग्य न हो असंगत-सं० (वि०) 1 बेमेल, असंबद्ध, प्रसंगविरुद्ध | असंभोज्य-सं० (वि०) जिसके साथ बैठकर खाना वर्जित हो 2 अनुचित 3 असमान 4 उजड्ड —
असंयत-सं० (वि.) 1 जिसके विचार संयत न हो 2 जिसमें असंगति-सं० (स्त्री०) 1 मेल का न होना, अनौचित्य | संयम का अभाव हो 2 अर्थालंकार का एक भेद
असंयम-सं० (पु०) संयम का अभाव असंगम-I सं(पु०) 1 अनासकि 2 मेल या संबंध का अभाव | असंयमित-सं० (वि०) जो संयम में न रह सके, जो संयमित न 3 पार्थक्य 4 असामंजस्य II (वि०) अयुक्त, पृथक्
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असंयुक्त
असहयोग असंयुक्त-I संव(वि०) जो मिला हुआ न हो II (पु०) विष्णु । असम-I (वि०) 1 जो समान न हो 2 असदृश 3 बेजोड़, विषम असंयोग-सं० (पु०) 1सुयोग का अभाव 2 मेल न होना II (पु०) पूर्वी भारत का एक प्रांत (आसाम)। “तल असंलग्न-सं० (वि०) जो लगा या सटा न हो। ता (स्त्री०) | (वि०) असमान तल का; ~ता (स्त्री०) असमानता; भिन्न मिलन का अभाव
(पु०) विषम भिन्न असंवृत-I सं०(वि०) जो ढका हुआ न हो, खुला II (पु०) | असमय-सं०I (पु०) 1 खराब या बुरा समय 2 अयोग्य काल एक नरक का नाम
II (क्रि० वि०) बे-वक्त, बे-मौके, समय से पहले या बाद में असंशय-[ संव(वि०) जिसके मन में संशय न हो 2 जिसके | असमयोचित-सं० (वि०) जो समय के अनुरूप न हो विषय में संशय न हो II (क्रि० वि०) निस्संदेह III (पु०) असमर्थ-सं० (वि०) 1 जो समर्थ न हो 2 अपेक्षित शक्ति या संशय का अभाव
योग्यता न रखनेवाला 3 स्पष्ट भाव या अर्थ न बतानेवाला असंसक्त-सं० (वि०) 1 अनासक्त 2 विभक्त
(जैसे--पद) असंसक्ति-सं० (स्त्री०) निर्लिप्तता, विरक्ति
असमवायी-सं० (वि०) जो सहज न हो, स्वभाव के प्रतिकूल असंसारी-सं० (वि०) 1विरक्त 2 अलौकिक 3 स्वर्गीय असमस्त-सं० (वि०) 1 जो पूरा न हो 2 जो एकत्र न किया असंस्कृत-सं० (वि०) 1 अपरिमार्जित 2 असभ्य, अशिष्ट गया हो 3 समास रहित 4 जो संक्षिप्त न हो, असंक्षिप्त 3 संस्कारहीन
असमाधेय-सं० (वि०) जिसका समाधान न हो सके असंस्थान-सं० (पु०) 1 अच्छी स्थिति का न होना असमान-I सं०(वि०) जो बराबर न हो II (पु०) आकाश । 2 अव्यवस्था 3 क्रम का अभाव 4 न्यूनता
ता (स्त्री०) गैर बराबरी, विषमता असंस्थित-सं० (वि०) 1 क्रमरहित 2 अनवस्थित
असमापिका-सं० (स्त्री०/क्रि०) जिससे कार्य के असमाप्त असंहत-I सं०(वि०) 1 असंयुक्त 2 ढीला 3 बिखरा हुआ रहने का बोध हो (जैसे-जाकर) 4 विरल II (पु०) 1 पुरुष, आत्मा 2 एक प्रकार की व्यूह असमाप्त-सं० (वि०) जो समाप्त न हआ हो रचना जिसमें सैनिकों की टुकड़ियाँ अलग-अलग रखी जाती हैं असमिया, असमी-(वि.) असम प्रांत का रहनेवाला असकताना-(क्रि० वि०) आलस्य अनुभव करना असमीचीन-सं० (वि०) अयुक्त, अनुचित असक्त-सं० (वि०) 1 आसक्तिरहित 2 उदासीन 3 दुर्बल | असम्मत-I सं०(वि०) 1 मतभेद रखनेवाला 2 अनादृत असगंध-(स्त्री०) एक झाड़ी जिसके फल छोटे और गोल होते । 3 अस्वीकृत II (पु०) 1 वह जो विरुद्ध सम्मति रखता हो
2 दुश्मन, शत्रु असगुन-सं० (पु०) अपशकुन
असम्मति-सं० (स्त्री०) 1 सम्मति न होने की अवस्था असगोत्र-सं० (वि०) भिन्न गोत्र या कुल का
2 अनुचित सम्मति, खराब राय असजन-सं० (पु०) बुरा/दुष्ट आदमी
असम्मान-सं० (पु०) निरादर असत्-I (वि०) 1 अविद्यमान 2 मिथ्या 3 बुरा 4 अनुचित असम्मिति-सं० (स्त्री०) सम्मति न होना II (पु०) 1 अनस्तित्व 2 अहित मिथ्यात्त्व
असम्यक्-सं० (वि०) अनुचित, बुरा असती-सं० (वि०) जो पतिव्रता न हो, कुलटा, भ्रष्टा असर-अ० (पु०) प्रभाव असत्कार-सं० (पु०) सत्कार का अभाव, तिरस्कार असल-1 अ० (वि०) 1 जो स्वाभाविक हो 2 यथार्थ, बनावटी असत्कृत-सं० (वि०) जिसका अनादर हआ हो, अपमानित न हो II (पु०) जड़, बुनियाद असत्ता-सं० (स्त्री०) अविद्यमानता
असलह-अ० (पु०) हथियार, अस्त्र शस्त्र । ~खाना + फ़ा० असत्प्रवृत्ति-सं० (स्त्री०) मिथ्या बातों की ओर झुकाव (पु०) अस्त्रागार असत्य-सं० (वि०) झूठ, मिथ्या। ~संघ (वि०) झूठा | असलियत-अ० (स्त्री०) 1 असल बात, वास्तविकता 2 जड़ असत्यता-सं० (स्त्री०) सच्चाई का न होना, मिथ्यात्त्व 3 मूल तत्त्व असद्-अ० (वि०) असत् ।
| असली-अ० (वि०) सच्चा, शुद्ध, खालिस असदागम-सं० (पु०) अनुचित आय
असवर्ण-सं० (वि०)1 भिन्न वर्ण या जाति का 2 निम्न जाति का असन्निधि-सं० (स्त्री०) 1 दूरी, असमीपता 2 घनिष्ठता न होना । असह-[ सं (वि०) जो न सहा जा सके, असहय II (पु०) असन्निहित-सं० 1 जो पास न हो 2 गलत ढंग से रखा हआ सीने का मध्य भाग असपिंड-सं० (पु०) जो अपने कुल या वंश का न हो असहकार-सं० (पु०) असहयोग असफल-सं० (वि०) जो सफल न हो, विफल। ~ता असहज-सं० (वि०) कठिन (स्त्री०) सफल न होना, विफलता
असहन-1 सं०(वि०). 1 जो सहनेवाला न हो 2 ईर्ष्यालु 3 न असबाब-अ० (पु०) सामान (घर-गृहस्थी)। घर + हिं० टिकनेवाला II (पु०) 1 शत्रु 2 असहिष्णुता 3 अधीरता। (पु०) (रेलवे में) सामान रखने का कमरा; ~वाला + हिं० __-शील (वि०) जो सहने योग्य न हो, जो सहनशील न हो (वि०) सामान का मालिक
असहमत-सं० (वि०) जिसकी राय मिलती हो असभ्य-सं० (वि०) 1 सभा के अयोग्य 2 अशिष्ट 3 गँवार । असहमति-(स्त्री०) समर्थन न करना, राय न मिलना
लता (स्त्री०) 1 अशिष्टता 2 गँवारपन; ता-वश (क्रि० । असहनीय-सं० (वि०) असहय - वि०) अशिष्टता के कारण
असहयोग-सं० (पु०) 1 सहयोग का अभाव 2 मिलकर काम असमंजस-सं० (पु०) दुविधा, संदेहात्मक स्थिति, पशोपेश न करना 3 सत्ता का साथ न देना
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असहयोगी
असहयोगी -सं० (वि०) सहयोग न देनेवाला असहाय -सं० (वि०) 1 जिसका कोई साथी न हो, सहायक न हो 2 निरुपाय
असहिष्णु-सं० (वि०) 1 सहन न करनेवाला 2 झगड़ालु । ~ता (स्त्री०) सहिष्णु न होने की अवस्था असह्य-सं० (वि०) असहनीय
असांप्रत -सं० (वि०) 1 अयोग्य, अनुचित 2 असामयिक 3 वर्तमान काल का नहीं
असांप्रदायिक-सं० (वि०) 1 जिसका किसी संप्रदाय से संबंध न हो 2 परंपरा विरुद्ध
असांसादिक-सं० (वि०) संसद के शिष्टाचार के प्रतिकूल असांसारिक-सं० (वि०) 1 जो इस संसार का नहीं है 2 अलौकिक
असाक्षात् -सं० (पु० ) सामने न होना असाक्षिक-सं० (वि०) 1 जिसका कोई साक्षी न हो 2 जिसे प्रमाणित करनेवाला कोई न हो
असाक्षी-सं० (वि०) गवाह बनने के अयोग्य
असाढ़ - ( पु० ) आषाढ़ का महीना
असाढ़ा - (पु० ) रेशम का बटा हुआ तागा असाढ़ी - I (वि०) असाढ़ का II (स्त्री०) 1 असाढ़ में बोई जानेवाली फ़सल 2 आषाढ़ की पूर्णिमा
अस्वास्थ्यकर 2 जो स्वास्थय के
असात्मय - सं० (वि०) 1 अनुकूल न हो
असाधारण - I सं(वि०) 1 जो साधारण न हो (आदमी, फल, फूल) 2 साधारण से अधिक, विशेष II ( पु० ) 1 एक हेत्वाभास 2 विशेषता 3 विशेष संपत्ति
असाधु - I सं० (वि०) 1 खल, दुष्ट 2 असदाचारी 3 खोटा
4 असंस्कृत II (पु०) बुरा आदमी
असाध्य-सं० (वि०) 1 जो साधने योग्य न हो 2 जिसकी सिद्धि
न हो सके 3 अच्छा न होनेवाला, ला इलाज 4 अशक्य, अति दुष्कर, कठिन । ~साधन (पु० ) असाध्य काम को कर दिखाना
असाध्वी-I सं० (वि०) जो साध्वी या सच्चरित्रा न हो II (स्त्री०) व्यभिचारिणी
असामंजस्य - सं० (पु० ) समता का अभाव असामयिक -सं० (वि०) जो समय के योग्य न हो, बे वक्त, बे मौका
असामर्थ्य - I सं० (स्त्री०) सामर्थ्य का अभाव II ( वि० ) असमर्थ
असामान्य -सं० (वि०) जो साधारण या सामान्य न हो, विशेष असामी - अ० (पु० ) 1 आदमी, मनुष्य 2 पद 3 नौकरी 4 काश्तकार 5 ग्राहक 6 मुलजिम
असाम्य-सं० (पु० ) 1 अंतर 2 असमानता 3 अननुकूलता असार - I सं० ( वि० ) 1 सारहीन 2 सत्त्वशून्य 3 पोला 4 निरर्थक 5 बेदम II (पु० ) तत्त्वरहित पदार्थ
असालतन-अ० ( क्रि० वि०) स्वयम्, खुद, व्यक्तिगत रूप से असाला - ( स्त्री०) चंसुर नामक पौधा असावधान-सं० (वि०) जो सावधान न हो, लापरवाह असावधानी-सं० + हिं० (स्त्री०) असावधानता, बे खबरी असासा - अ० (पु० ) 1 घर गृहस्थी में काम काज की सभी
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असेवन
वस्तुएँ 2 माल, असबाब असाहित्यिक-सं० (वि०) जो साहित्य से संबंधित न हो असि - सं० (स्त्री०) 1 तलवार 2 भुजाली; क्रीड़ा (स्त्री०) तलवार बाजी; ~ दन्त (पु०) मगरमच्छ; ~धारा (स्त्री०) तलवार की धार
असित - I संo (वि० ) 1 अश्वेत 2 काला 3 दुष्ट, बुरा 4 टेढ़ा, कुटिल देवल नामक ऋषि II (पु० ) 1 काला या नीला रंग 2 कृष्ण पक्ष
असिद्ध - I सं( वि० ) 1 अप्रमाणित 2 जिसने सिद्धि प्राप्त नहीं की है 3 कच्चा 4 अपूर्ण, अधूरा 5 व्यर्थ, बेकार II ( पु० ) एक ऊँचा वृक्ष जिसकी लकड़ी इमारत के काम आती है असिद्धि-सं० (स्त्री०) 1 अपूर्णता 2 विफलता 3 साबित न होना 4 कच्चापन
असिस्टेंट-अं० (वि०) सहायक
असीम-सं० (वि०) 1 जिसकी सीमा न हो, बेहद 2 बे हिसाब, अपार
असीमित - सं० (वि०) 1 जो सीमित न हो 2 अपरिमित असीर - अ० (पु० ) बंदी, कैदी असीरी-अ० (स्त्री०) कैद
असील - अ० (वि०) 1 कुलीन 2 उत्तम और शांत स्वभाव का असीस - ( स्त्री०) आर्शीवाद
असीसना - (स० क्रि०) आर्शीवाद देना असुंदर - सं० (वि०) 1 कुरूप, भद्दा 2 अशोभन असु-सं० ( पु० ) 1 प्राणवायु 2 प्राण 3 चित्त 4 विचार असुख - I सं० (पु० ) 1 सुख का अभाव 2 कष्ट, दुख II (वि०) 1 कष्ट या दुख उत्पन्न करनेवाला 2 परिश्रम साध्य, कठिन 3 दुखी । कर (वि०) कष्ट पहुंचानेवाला असुखी-सं० (वि०) = असुख असुगम सं० (वि०) जो सरल और सीधा न हो असुत-सं० (वि०) पुत्रहीन
असुर - I सं० (पु० ) 1 दैत्य, दानव 2 असभ्य व्यक्ति 3 दुष्ट व्यक्ति 4 पृथ्वी II (वि०) अपार्थिव 2 दानवी असुरक्षा-सं० (स्त्री०) सुरक्षा का अभाव असुरारि-सं० ( पु० ) 1 विष्णु 2 देवता असुविधा-सं० (स्त्री०) 1 सुभीता न होना 2 अड़चन 3 कठिनाई । जनक (वि०) तकलीफ़देह, कष्टकर असुषमत्व-सं० ( पु० ) असुन्दरता असूझ - I सं० (वि०) 1 जिसे कुछ भी समझ में न आए 2 जिसका आर पार न दिखाई दे, अपार 3 विकट II (स्त्री०) अदूरदर्शिता असूतिका - (स्त्री०) बाँझ
असूया -सं० (स्त्री०) 1 दूसरे के गुण में दोष निकालना 2 जलन, ईर्ष्या 3 रोष 4 एक संचारीभाव (साहित्य) असूर्यपश्या - (स्त्री०) जिसने सूर्य तक का दर्शन न किया हो, परदेदार
असृक् सं० 1 खून, रक्त 2 केसर असेंबली-अं० (स्त्री०) विधान सभा
असेवन - I सं० (पु०) सेवन का अभाव, व्यवहार में न लाना II (वि०) 1 सेवा न करनेवाला 2 अराधना न करनेवाला 3 उपेक्षा करनेवाला
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असेवित
असेवित -सं० (वि०) 1 जिसकी सेवा न की गई हो 2 जिससे परहेज़ किया गया हो 3 उपेक्षित
असेसमेंट-अं० (पु०) (कर) निर्धारण
असेसर - अं० ( पु० ) 1 फौजदारी मामलों में जज या मजिस्ट्रेट को सलाह देने के लिए चुना गया व्यक्ति 2 कर की मात्रा निर्धारित करनेवाला
असैनिक - सं० (वि०) 1 जिसका संबंध सेना से न हो 2 मुल्की असैनिकीकरण-सं० (पु० ) सैनिक बलों का हटा देना असैनिकीकृत, असैन्यीकृत-सं० (वि०) जहाँ से सेनाओं को हटा दिया गया
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असोख - (वि०) 1 जिसे सुखाया न जा सके 2 जिसे सोखा न जा सके
असोच - (वि०) जिसे चिंता न हो, चिंतारहित, निर्द्वद्व असोसियेशन - अं० (पु० ) संघ, समिति, सभा असौंदर्य - सं० (पु०) सुंदरता का अभाव, कुरूपता असौम्य -सं० (वि०) 1 असुंदर, भहा 2 अप्रिय अस्खलित-सं० (वि०) 1 जो फिसले डगमगाये नहीं 2 ठीक मार्ग पर चलनेवाला 3 जो क्षुब्ध न हो 4 शुद्ध अस्तंगत - सं० (वि०) 1 जो अस्त हो चुका हो (सूर्य, चंद्र) 2 नष्ट 3 लुप्त
अस्त - I सं० (वि०) 1 डूबा हुआ 2 फेंका हुआ 3 गत 4 ओझल 5 समाप्त II (पु० ) 1 डूबना 2 अदृश्य होना, छिपना 3 पतन 4 अंत 5 नाश 6 कुंडली में लग्न से सातवाँ स्थान । ~ काल (पु०) दृष्टि पथ के बाहर का समय; गत (वि०) अस्त - व्यस्त (वि०) इधर-उधर बिखरा हुआ; ~ व्यस्तता (स्त्री०) बिखराव
अस्तबल - अ० (पु० ) घुड़शाला, अश्वशाला, तबेला अस्तमन - सं० ( पु० ) डूबना, अस्त होना अस्तपित-सं० (वि०) 1 अस्तंगत 2 नष्ट 3 मरा हुआ 4 छिपा
हुआ
अस्तर - फ़ा० (पु० ) 1 सिले कपड़े, जूते आदि के भीतर की तह 2 अंतरौटा 3 किसी द्रव में अन्य सुगंधित द्रव का मिश्रण 4 चित्र की ज़मीन बाँधने का मसाला 5 नीचे का रंग। कारी (स्त्री०) 1 पलस्तर करना 2 दीवारों पर चूना या सफ़ेदी करना अस्ताचल-सं० (पु० ) पश्चिम दिशा में स्थित वह कल्पित पर्वत जिसके पीछे सूर्यास्त का होना माना गया है अस्ति-सं० (स्त्री०) 1 विद्यमानता, सत्ता 2 जरासंध की कन्या का नाम
•
अस्तित्त्व-सं० (५०) सत्ता हस्ती, विद्यमान होना । वाद (पु० ) 1 यह मत कि यथार्थ का ही महत्त्व है (परंपरा का नहीं) 2 चिंतन को मानवीय अस्तित्त्व पर केन्द्रित करना । ~त्व हीन (वि०) जो सत्ता में न हो
अस्तु सं० (अ०) जो हो, ऐसा ही सही, तो ठीक है अस्तुरा - फ़ा० (पु० ) = उस्तरा
अस्तेय - (पु० ) चोरी न करना
अस्तोदय -सं० (पु० ) 1 उदय अस्त 2 बनना - बिगड़ना अस्त्र - सं० ( पु० ) 1 हथियार 2 फेंककर चलाया जानेवाला हथियार 3 मंत्र प्रेरित बाण 4 चीर फाड़ का औज़ार । कार (पु० ) हथियार बनानेवाला; चिकित्सक (पु० ) शल्यकार ~ चिकित्सा (स्त्री०) शल्य चिकित्सा;
जीवि,
अत्र
~धारी (पु० ) अस्त्रकार, सैनिक विद्या (स्त्री०); ~ शस्त्र (पु० ) अस्त्र और शस्त्र दोनों; ~शाला (स्त्री०) अस्त्र शस्त्र रखने का स्थान; ~ शिक्षा (स्त्री०) अस्त्र आदि चलाने या प्रयोग करने की शिक्षा अस्त्रागार-सं० (पु० ) = अस्त्रशाला
अस्त्रालय -सं० (पु० ) वह स्थान जहाँ हथियार रखे जायें अस्त्रीक-सं० (पु०) पत्नीहीन अस्त्रीकरण-सं० (पु० ) अस्त्र शस्त्रों से सज्जित करना अस्वीकृत -सं० (वि०) अस्त्र शस्त्र से सज्जित / लैस अस्थायित्व - सं० ( पु० ) स्थिर न होना
अस्थायी -सं० (वि०) 1 जो अधिक दिन या समय तक रहनेवाला न हो, आरज़ी 2 अस्थिर अस्थि-सं० (स्त्री०) हड्डी । तेज (पु०) मज्जा; ~ धन्वा (पु० ) शिव, पंजर (पु०) हड्डियों का ढाँचा, कंकाल; ~ प्रवाह (पु० ) मृत व्यक्ति की अस्थियाँ नदी या जलाशय में डालना; ~भंग (पु० ) हड्डी टूटना; मज्जा (स्त्री०) हड्डियों के अंदर रहनेवाली मंज्जा; माली (पु० ) हड्डियों की माला धारण करनेवाला, शिव; ~ विग्रह (वि०) पंजर मात्र, दुबला, पतला; ~वेधी (वि०) हड्डी को छेदनेवाला; ~शेष (वि०)
अस्थि मात्र ~ संचय (पु० ) 1 शवदाह के बाद गंगा आदि में प्रवाह के लिए हड्डियों या राख को एकत्र करना 2 अस्थियों का ढेर; संधि (स्त्री०) हड्डी का जोड़ संधि शोथ (पु०) हड्डी की जोड़ में सूजन आना; ~संध्यार्त्ति (स्त्री०) = अस्थि संधि शोथ; ~समूह (पु० ) हड्डियों का ढेर अस्थिर -सं० (वि०) 1 जो स्थिर न हो, डाँवा डोल, चंचल
2 अनिश्चित, बे भरोसे का । ~ चित्त (वि०) जिसका मन चंचल हो; ता (स्त्री०) अस्थिर होने की अवस्था अस्थैर्य - सं० (पु० ) स्थिरता का अभाव, अस्थिरता अस्निग्ध-सं० (वि०) 1 जो चिकना न हो 2 कठोर और शुष्क 3 अरसिक
अस्नेह-सं० (पु० ) स्नेह का अभाव
अस्पताल - अं० (पु० ) जहाँ रोगियों की चिकित्सा होती है, चिकित्सालय, दवाखाना
अस्पताली-अं० + हिं० (वि०) अस्पताल का अस्पष्ट-सं० (वि०) जो साफ न दिखाई दे या समझ में न आये, धुंधला । ~ता (स्त्री०) स्पष्ट या साफ़ न होना अस्पृश्य-सं० (वि०) 1 जो छूने के योग्य न हो, अछूत 2 जिसका स्पर्श न हो सके। ~ता (स्त्री०) छुआछूत, अछूतापन
अस्पृष्ट-सं० (वि०) जिसे छुआ न गया हो, अछूता अस्पृह - सं० (वि०) जिसे लालच न हो, निर्लोभ अस्फुट - (वि०) 1 जो खिला न हो 2 अस्पष्ट अस्फाल्ट-अं० तारकोल
अस्मत - अ० (स्त्री०) (स्त्री की) इज्जत। पर हाथ लगाना
इज्जत लूटना
अस्मदीय-सं० (वि०) मेरा या हमारा
अस्मिता - सं० (स्त्री०) 1 अहंभाव, अपनी सत्ता का भाव, आपा 2 अहंकार, अभिमान
अस्मृति-सं० (स्त्री०) याद न रहना
अस्त्र-सं० (पु० ) 1 कोना 2 रक्त 3 जल 4 आँसू 5 केसर 6 बाल
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अत्रप
अत्रप-सं० (पु० ) 1 राक्षस 2 मूल नक्षत्र अस्त्रपा - सं० (स्त्री०) 1 जोंक 2 जादू टोना करनेवाली, डाइन अस्ल - अ० (वि०) = असल
अस्लिहा - अ० (पु० ) (पु०) हथियार
अस्ली -अ० (वि०) 1 मौलिक 2 खालिस 3 खरा 4 सच्चा अस्लीयत - अ० (स्त्री० ) 1 वस्तु स्थिति, सच्ची स्थिति या रूप 2 जड़
अस्व-सं० (वि०) धनहीन, निर्धन
अस्वच्छ-सं० (वि०) गंदा, धुंधला अस्वतंत्र - सं० (वि०) जो स्वतंत्र न हो, परतंत्र, पराधीन अस्वप्न - I सं० (वि०) निद्रारहित II ( पु० ) 1 देवता 2 अनिद्रा अस्वर - I सं० (वि०) बुरे स्वरवाला, अस्पष्ट, मंद II ( पु० ) 1 मंद स्वर 2 व्यंजन वर्ण
अस्वस्थ-सं० ( वि० ) 1 जो स्वस्थ न हो 2 रोगी, बीमार अस्वाधीन सं० (वि०) जो दूसरे के वश में हो अस्वाभाविक-सं० (वि०) 1 स्वभाव - विरुद्ध 2 बनावटी अस्वामिक-सं० 1 (वि०) बिना मालिक का लावारिस II (पु०) वह संपत्ति जिसका कोई स्वामी ( दावागीर) न हो अस्वामी-सं० (वि०) जिसका स्वत्व न हो
अस्वार्थ-सं० (वि० ) 1 निकम्मा 2 निःस्वार्थ 3 उदासीन अस्वास्थ्य -सं० ( पु० ) रोग, बिमारी। ~कर (वि०) जो स्वास्थ्य या सेहत के लिए अच्छा न हो, स्वास्थ्य के प्रतिकूल होनेवाला प्रद (वि०) अस्वास्थ्यकर अस्वीकरण-सं० (पु० ) अस्वीकार या नामंजूर करना अस्वीकरणीय-सं० (वि०) जो स्वीकार करने योग्य न हो अस्वीकार-सं० (पु० ) 1 न मानना, इनकार 2 नामंजूरी अस्वीकारात्मक सं० (वि०) इनकार भरा अस्वीकार्य-सं० (वि०) स्वीकार न करने योग्य अस्वीकृत - सं० (वि०) 1 न माना हुआ 2 ग्रहण न किया हुआ अस्वीकृति - सं० (स्त्री० ) अस्वीकार अस्सी-सं० (पु० ) 80 की संख्या
अहं I सं० (सर्व०) मैं II (पु० ) 1 मनुष्य में होनेवाला यह ज्ञान या धारणा कि मैं हूँ या औरों से मेरी पृथक् सत्ता है, अपने अस्तित्व की कल्पना या भान 2 अहंकार। ~कामी (वि०) अहं भाव की कामना करनेवाला; कार (पु०) अपनी सत्ता का बोध 2 गर्व, घमंड; कारी (वि०) घमंडी; कृति (स्त्री०) अहंकार, घमंड गत (वि०) घमंड किया हुआ; ~तंत्र (पु०) स्वेच्छाचारी शासक अहंता-सं० (स्त्री०) घमंड, गर्व । पूर्व (वि०) 1 जो सबसे पहले या आगे रहना चाहता हो 2 अपने आपको सबसे आगे या प्रधान रखने का इच्छुक पूर्विका (स्त्री०) होड़, प्रतिद्वद्विता ~ प्रत्यय (पु०) घमंड भाव (पु० ) 1 अहं 2 अहंकार भावी, मन्य (वि०) अभिमानी, घमंडी; ~ मन्यता (स्त्री०) स्वंय को सबसे बढ़कर समझना; वाद (पु० ) 1 = अहंमन्यता 2 यह सिद्धान्त कि व्यक्ति की अपनी इच्छाएं ही महत्त्वपूर्ण हैं; वादी (वि०) अहंमन्य अह - अ० अचरज, दुख, क्लेश आदि का सूचक उद्गार अहकाम - अ० ( पु०) आज्ञाएँ, आदेश अहत - I सं० (वि०) 1 जो पीटा न गया हो 2 अनाहत 3 बे दाग़, स्वच्छ II ( पु० ) नया कपड़ा
=
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अहारना
अहद - अ० (पु०) वादा, पक्का निश्चय, दृढ़ संकल्प । -तोड़ना + हिं० (पु० ) 1 प्रतिज्ञा भंग करना 2 वादा पूरा न करना; ~दार + फ़ा० (पु०) मुसलमानी शासन काल में वह अधिकारी जिसे कर उगाहने का ठीका मिलता था; ~नामा + फ़ा० (पु० ) 1 इकरारनामा, प्रतिज्ञापत्र 2 संधिपत्र ~शिकन + फ़ा० प्रतिज्ञा तोड़नेवाला
अहदी - I अ० (वि०) आलसी II (पु० ) वह सैनिक जिससे अत्यधिक आवश्यकता होने पर कार्य लिया जाए अहबाब - अ० (पु० ) मित्र
अहम् - I सं० (सर्व०) मैं II ( पु० ) 1 अहंकार 2 मैंपन अहम - अ० (वि०) 1 महत्त्वपूर्ण 2 गंभीर
अहमक़ - अ० ( पु० ) मूर्ख, बेवकूफ़ । ~ की दुम जबरदस्त बेवकूफ़
अहमहमिका-सं० (स्त्री०) 1 दो दलों में परस्पर एक दूसरे को तुच्छ और अपने आपको दूसरे से बढ़कर समझना 2 चढ़ा ऊपरी, होड़
अहमिका -सं० (स्त्री०) अभिमान, अहंकार, घमंड अहमियत - अ० (स्त्री०) 1 महत्त्व 2 गंभीरता अहमेव सं० (पु० ) 1 स्वयं को सब कुछ समझना 2 अभिमान अहम्मन्य-सं० (वि०) अहंकार, घमंडी
अहम्मानी-सं० (वि०) जो अभिमान करे अहरह-सं० (अ०) 1 प्रतिदिन 2 नित्य 3 लगातार अहरा - अ० (पु० ) 1 आग सुलगाने के लिए लगाए गए उपले या कंडे 2 कंडे की आग 3 लोगों के ठहरने का स्थान अहराम - अ० ( पु० ). 1 पुरानी इमारतें 2 मिस्र के स्तूप, पिरामिड अहरी - ( स्त्री०) 1 चरही, हौज 2 प्याऊ 3 गड्ढा अहर्निश - सं० ( क्रि० वि०) रात-दिन
अहर्ष -सं० ( पु० ) हर्ष का अभाव, अप्रसन्नता अहर्षित - सं० (वि०) जो प्रसन्न न हो अहल - अ० (वि०) 1 बासी (जैसे हिंद) 2 योग्य ~ कार ( पु० ) कर्मचारी; मद (पु० ) अदालत का एक कर्मचारी अहल्या-सं० (स्त्री०) 1 गौतम ऋषि की पत्नी 2 अजोत भूमि अहवाल - अ० (पु० ) 1 समाचार, वृत्तांत 2 हाल अहसान - अ० (पु० ) एहसान । फ़रामोश + फ़ा० (वि०) किए गए उपकार को न माननेवाला, कृतघ्न अहस्त-सं० (वि०) 1 जिसका हाथ कट गया हो 2 बिना हाथवाला
अहस्तक्षेप-सं० (पु०) दखल न देना अहस्तांतरणीय-सं० (वि०) जिसे दूसरे के हाथ न सौंपा जा
स
अहह -सं० (अ०) दुःख, क्लेश, आश्चर्य और संबोधन सूचक उद्गार
अहा - ( अ० ) हर्ष एवं विस्मयसूचक उद्गार
अहाता-अ० (पु०) 1 चारों ओर से घिरा हुआ मैदान या स्थान 2 चारदीवारी
अहानिकर-सं० (वि०) जो हानिकर न हो अहानिकारी-सं० (वि०) जो हानि पहुँचानेवाला न हो अहारना - (स० क्रि०) 1 आहार या भोजन करना 2 चिपकाना 3 माड़ी देना (कपड़े )
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आँख
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अहार्य
आ
अहार्य-सं० (वि०) 1 जो हरण या चुराया न जा सके 2 जिसका हरण करना अन्चित हो 3 जिसे धन आदि के द्वारा वश में न किया जा सके अहिंदू-(पु०) जो हिंदू न हो
आ-(उप०) 1 आदि से अंत तक (जैसे-आजीवन) 2 इधर अहिंसक-सं० (वि०) हिंसा न करनेवाला।
(जैसे-आगमन) अहिंसा-सं० (स्त्री०) 1 किसी प्राणी या जीव को न मारना | आँ-अ० (पु०) विस्मयसूचक शब्द (जैस-ऑ, आँ करना) 2 मन, वचन, कर्म से किसी को दुःख न देना 3 कंटक पाली आँक-(पु०) 1 संख्या का सूचक अंक 2 लक्षण 3 अक्षर या हंस नाम की घास। नीति (स्त्री०) किसी जीव या प्राणी | 4 अंश, हिस्सा को पीड़ित न करने वाली नीति; ~वाद (पु०) 1 ऐसा सिद्धांत | आँकड़ा-(प्०) 1 अंक (जैसे-1.2.3,4 आदि) 2 तथ्यों की जिसके अनुसार सभी जीवधारियों में ईश्वर की सत्ता मानी जाती | गणना 3 हक 4 पशुओं का एक रोग है 2 किसी को दुःख न पहुँचाने का सिद्धांत; --वादी (वि०) आँकड़ेबाज़-हिं० + फ़ा० (१०) हर मामले में आँकड़ों पर अहिंसा वाद को माननेवाला
ज़ोर देनेवाला अहिंसात्मक-सं० (वि०) जिसमें हिंसा न हो
आँकड़ेबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) हर विषय में आँकड़ों पर अहि-सं० (पु०) 1 साँप 2 राहू 3 वृत्रासुर 4 ठग, वंचक | ज़ोर देना 5 पृथ्वी 6 सूर्य 7 पथिक 8 सीसा 9 बादल 10 नाभि-1 जल आँकना-(स० क्रि०) 1 अंदाज़ा लगाना, अनुमान करना 12 अश्लेषा नक्षत्र। -जिह्वा (स्त्री०) नागफनी; ~फेन । 2 मूल्य लगाना 3 निशान लगाना (पु०) अफ़ीम
आँकर-(वि०) 1 गहरा 2 अत्यधिक 3 महँगा अहित-I सं० (पु०) 1 बुराई, अपकार 2 हानि II (वि०) आँफिक-सं० (पु०) सांख्यिक 1 अहितकर, अपथ्य 2 विरोधी। कर, कारी (वि०) | आँकिकी-सं० (स्त्री०) सांख्यिकी, संख्याशास्त्र अहित या अपकार करनेवाला
आँख-(स्त्री०) 1 देखने की इंद्रिय, नयन, चक्ष 2 निगाह, दृष्टि । अहिम-सं० (वि०) ठंडा नहीं, गरम
~भौंह (स्त्री०) क्रोध की मुद्रा; -मिचौनी; -मिचौली अहिवातिन-(वि०) सुहागिन, सधवा
(स्त्री०) आँखें मूंदने का एक खेल; ~मुँदाई (स्त्री०) = अहिवाती-(वि०) - अहिवातिन
आँख मिचौली; ~आना आँख का एक रोग जिसमें आँखें अहीन-1 सं० (वि०) 1 जो हीन न हो 2 जिसमें कोई कमी न लाल होकर सूज आती हैं और बहुत पीड़ा होती है; ~उठना हो 3 जो किसी की तुलना में कम न हो II (प०) 1 हीन न = आँख आना; ~~उठाकर न देखना 1 कुछ भी ध्यान न होना 2 वासुकि
देना, उपेक्षा करना 2 लज्जावश सामने न देखना; ~उठाना अहीर-(पु०) ग्वाला, आभीर
1लोभ दृष्टि से देखना 2 कुदृष्टि या शत्रभाव से देखना; अहँठा-(पु०) साढ़े तीन का पहाड़ा
~उलटना बेहोश होने पर या मरने के समय आँखों की अहृदय-सं० (वि०) 1 हृदयहीन 2 विस्मरणशील
पुतलियों का कुछ ऊपर चढ़ जाना; या आँखें ऊँची न अहे-[सं० (क्रि० वि०) 1 निंदा, शोक, आदि का द्योतक शब्द करना 1 लज्जा के कारण न देखना 2 शत्रुभाव या गंदी नीयत 2 हे II (पु०) वृक्ष विशेष
से देखने का साहस न करना; ~कड़वाना अधिक देर तक अहेतु-[सं० (वि०) हेतुरहित II (पु०) 1 हेतु का अभाव देखने से आंखों में दर्द होना; ~का अंधा बिलकुल उल्लू, 2 अर्थालंकार का एक भेद जिसमें कई कारणों के रहते हुए भी मूर्ख; ~आँजन अत्यधिक प्यारा; च्या आँखों का कांटा कार्य का न होना पाया जाए
बनना 1 कष्ट होना 2 शत्रु होना 3 कार्य में बाधा उत्पन्न करना; अहेर-सं० (पु०) आखेट, शिकार
~का काजल चुराना पास या सामने की वस्तु चुरा लेना, अहेरी-(पु०) शिकारी
सफ़ाई से हाथ मारना; ~का तेल निकालना आँखों पर ज़ोर अहैतुक-(वि०) जिसका कोई कारण न हो
पड़नेवाला काम करना; --का खुला रहना सावधान रहना; अहो-सं० (अ०) 1 विस्मय, हर्ष, खेद आदि का सूचक उद्गार ~का परदा आँख की भीतरी झिल्ली; ~का परदा उठना 2हे, ओ। ~भाग्य (पु०) धन्य भाग्य
भ्रम दूर होना; का पानी ढल जाना निर्लज्ज हो जाना, अहोर-बहोर, अहोरा-बहोरा-I (प०) ब्याह या गौने में बेशर्म होना; ~की किरकिरी आँख का काँटा; ~की दुलहिन का ससुराल जाकर उसी दिन वापस आना II (क्रि० ठंडक प्रिय व्यक्ति या वस्तः ~की पुतली अत्यधिक प्यारी वि०) बार-बार
वस्तु, अतिप्रिय व्यक्ति; ~की पुतली फिरना आँख पथराना; अहोरात्र-[सं० (१०) दिन और रात II (क्रि० वि०) दिनरात, ~खटकना आँख किरकिराना; ~खलना 1 पलक खुलना हर समय, सदा
2 जागना 3 भ्रम दूर होना; ~खलवाना आँख बनवाना; अहीक-I सं० (पु०) बौद्ध भिक्षु II (वि०) निर्लज्ज
खोलना 1 आँख बनाना 2 सावधान करना 3 होश में अल-अ० (पु०) = अहल
आना; ~गड़ना 1 आँख दुखना 2 दृष्टि जमना; ~गड़ाना अहीक-सं० (वि०) निर्लज्ज
रकटकी लगाकर देखना; चमकाना 1 आँखों से संकेत, इशारा करना; चरने जाना नजर गायब होना; चुराकर कुछ करना गुप्त रूप से, छिपकर काम करना; चुराना, -छिपाना 1 कतरा जाना, सामना न करना 2 लज्जा के कारण
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आँख
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आँजन
सामने न देखना; चकना उपेक्षा हो जाना; छत से आगे अँधेरा छा जाना 1 कमज़ोरी आदि के कारण क्षणमात्र लगना मरने के समय आँखे खुली रह जाना; जमना दृष्टि के लिए कुछ न दिखाई पड़ना 2 मूछित होना; आँखों के स्थिर करना; ~जाना आँख फूटना; झपकना नींद आना; आगे अँधेरा होना 1 संकट के समय निराश होना 2 मूच्छित
लापकाना आँख से संकेत करना; झेपना लज्जित होना, होना; आँखों के आगे चिनगारी छूटना चोट आदि के कारण शरमाना; ~टैगना टकटकी बँधना; ~टेढ़ी करना क्रोध चकाचौंध होना; आँखों के आगे नाचना या फिरना प्रकट करना; ~डालना ध्यान देना; दबाना 1 पलक 1 सामने दृश्य मौजूद रहना 2 स्मृति में बना रहना; आँखों के सिकोड़ना 2 आँख मचकाना; ~दिखाना 1 धमकाना 2 क्रोध आगे रखना सामने रखना; आँखों के डोरे (पु०) मदभरी करना; नखोलना ज्वर आदि के कारण बेसुध रहना; न आँखों की सुर्जी; आँखों को रो बैठना आँखें खो देना; ठहरना दृष्टि का न टिकना; न पसीजना 1 आँख में आँसू आँखों तले न लाना कुछ न समझना, तुच्छ समझना; आँखों न आना 2 दया न आना; नाक से डरना ईश्वर से डरना; देखा हुआ स्वयं देखा हुआ; आँखों पर पट्टी बाँध लेना निकालना अत्यधिक क्रोध भरी निगाह से देखना; 1 ध्यान न देना 2 देखना पसंद न करना; आँखों पर परदा नीची करना या होना लज्जित होना; नीली पीली, पड़ना समझ में न आना, भ्रम या संदेह होना; आँखों पर ~लाल पीली करना 1 गुस्सा दिखाना 2 धमकाना; पलकों का बोझ न होना अपने लोगों का भार न मालूम -पटपटा जाना आँख फूटना; पथराना मरने के समय होना; आँखों पर बिठाना आँखों पर बैठाना आदर-सत्कार पुतलियों का गतिहीन होना; -पसारना, ~फैलाना दूर तक करना, सम्मान से रखना; आँखों पर रखना आदर के साथ देखना; फड़कना पलक का बारम्बार हिलना; रखना; आँखों में खून उतरना क्रोध से आँखों का लाल ~फाइ-फाड़कर देखना चकित होकर देखना; फूटना होना; आँखों में चरबी छाना घमंड या प्रमाद से किसी की 1 अंधा होना 2 बुरा लगना; फेरना उपेक्षा करना, परिवर्तन उपेक्षा करना; आँखों में चुभना या खटकना अच्छा न आ जाना (प्रेम व्यवहार आदि में); ~फोड़ना आँख नष्ट लगना; आँखों में झाईं पड़ना आँखों का पकना; आँखों में करना, आँख पर ज़ोर पड़नेवाला काम करना; बंदकर या धूल झोंकना, डालना, देना छल करना, धोखा देना; आँखों मूंदकर काम करना 1 बिना सोच विचारकर किसी काम को में नाचना 1 ध्यान बना रहना 2 दृश्य का सामने बना रहना; करना 2 किसी बात की परवाह किए बगैर काम करना बंद आँखों में नोन देना आँखे फोड़ना; आँखों में बसना दिल में होना, ~मैंदना 1 आँख झपकना, नींद आना 2 मृत्यु होना; घर कर लेना; आँखों में भंग घुटना भंग के नशे में होना;
बचाना आँख चुराना, कतराना; बराबर करना आँखों में रखना 1 प्यार से रखना 2 सुरक्षित रखना; आँखों 1 सामने देखना 2 डटकर बात करना; -बिगड़ना आँख में रात काटना जागकर रात बिताना; आँखों में शील होना खराब होना; -बिछाना सम्मान करना; -बैठना किसी दयालु होना; आँखों में समाना 1 ध्यान पर चढ़ना 2 स्मरण कारणवश आँख का नष्ट हो जाना; ~भर आना 1 आँसू बना रहना; आँखों से ओझल होना सामने न रहना, दृष्टि से आना 2 दया आना; ~भर देखना अच्छी तरह देखना; दूर रहना, गायब हो जाना; आँखों से काम करना इशारे से ~भों टेढ़ी करना नाराज़ होना; ~मचकाना 1 बारबार काम निकालना; आँखों से गिरना आदर खो बैठना; आँखों पलकें गिराना 2 इशारा करना; ~मारना आँखों से इशारा से लगाकर रखना प्यार के साथ रखना करना; ~मिलाना समान दृष्टि डालना, बराबरी के भाव आँगन-(पु०) घर के अंदर या सामने का खुला स्थान, सहन देखना; ~मूंद लेना न देखना, ध्यान न देना; ~में आँख आंगिक-[ सं० (वि.) 1 अंग या अंगों से संबंधित 2 अंग डालना 1 आँख मिलाना 2 धृष्टतापूर्ण दृष्टि से देखना; ~में | चेष्टा या संकेत द्वारा अभिव्यक्त होनेवाला II (पु०) मृदंग खटकना अच्छा न लगना; ~में गड़ना 1 खटकना 2 मन । बजानेवाला पखावजी लुभाना; ~में चुभना 1 पसंद आना 2 बुरा लगना; ~में | आंग्ल-सं० (वि०) अंग्रेज़, अंग्रेज़ी बसना ध्यान पर चढ़ना; ~लगना 1 नींद आना 2 दिल | आँधी-(स्त्री०) महीन जाली की चलनी लगना, प्यार होना; ~लड़ना 1 नज़र मिलना 2 प्रेम दृष्टि से आँच-(स्त्री०) 1 गरमी 2 लपट 3 आग 4 संकट । ~खाना देखना; ~लड़ाना आँख मिलाना, घूरना; ~ललचाना देखने 1 आग पर पकाया जाना 2 अधिक आँच खा जाना 3 ताव की इच्छा करना या देखने की इच्छा होना; लाल करना खाना; दिखाना 1 आग के पास रखना 2 कष्ट 3 मनोवेग क्रोधपूर्ण दृष्टि से देखना; ~सामने न करना शर्म आदि के की प्रबल अनुभूति कारण सामने ने देखना; ~सेंकना सौंदर्य दर्शन से सुख का आँचल-(पु०) 1 पल्ला (धोती, ओढ़नी आदि वस्त्र का एक अनुभव करना; आँख मिलाना 1 नजरें बराबर करना 2 आँख सिरा) 2 क्षेत्र। -ओढ़ना, पसारना माँगने के लिए लड़ाना; से भी न देखना तुच्छ समझना, कुछ भी महत्त्व न दीनतापूर्वक पल्ला फैलाना; ~दबाना दूध पीना; देना देना; ~होना परख होना, ज्ञान होना; आँखें चढ़ना नींद आदि 1 बच्चे को दूध पिलाना 2 विवाह की एक रीति 3 आँचल से के कारण पलकों का चढ़ जाना; आंखे चार करना या होना हवा करना; ~में बाँधना 1 गाँठ बाँधना, अच्छी तरह याद देखा देखी करना आँखें ठंडी होना जी भरना तृप्त होना; कर लेना 2 सर्वदा साथ रखना (वस्तु आदि); ~लेना
आँखें डबडबाना आँखों में आँसू आ जाना; आँखें तरेरना आँचल से पैर छूकर प्रणाम करना गुस्से में देखना; आँखें दौड़ाना नज़र दौड़ाना, इधर-उधर आंचलिक-सं० (वि०) 1 अंचल का 2 किसी क्षेत्र या प्रांत से देखना; आँखें फिर जाना उपेक्षा करना, नज़र बदल जाना; | संबंधित, क्षेत्रीय आँखों की ठंडक अति प्रिय वस्तु या व्यक्ति; आँखों के | आँजन-(पु०) अंजन, काजल
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आँजना
आँजना- (स० क्रि०) अंजन लगाना आंजनेय -सं० (पु० ) अंजनीपुत्र, हनुमान आँट - (स्त्री०) 1 अँगूठे और तर्जनी के बीच की जगह 2 दाँव 3 गाँठ । ~साँट ( स्त्री०) साजिश, बंदिश; पर चढ़ना दाँव पर लगाना; लगाना बाजी लगाना
आँटी - (स्त्री०) 1 घास का छोटा गट्ठा 2 सूत का लच्छा देना या लगाना कुश्ती में
3 गुल्ली 4 कुश्ती का पेंच
टाँग से अड़ंगा लगाना
औंठी- (स्त्री०) 1 गाँठ, गुठली 3 नवोढ़ा के स्तन आँड़ - (पु० ) अंडकोश
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आँडी - (स्त्री०)
= आँठी
आँत - (स्त्री०) अँतडी । ~उतरना चि० आँत उतरने की बीमारी, हार्निया - ऐंठना चि० आँतों में मरोड़ होना; आँतें उलट जाना चि० कै होना; आँतें कुलकुलाना, आँतें कुलबुलाना भूख से बेचैन होना; आँतें समेटना भूख सहना; अति सूखना बहुत भूख लगना; आँतों का बल खुलना छककर खानो
आंतर- I सं० (वि० ) 1 भीतरी 2 अंतरंग 3 गुप्त II ( पु० ) 1 अंतरंग मित्र 2 हृदय
आंतर- (पु० ) अंतर, फ़ासला आँतरायिक-सं० 1 बाधक, विघ्नकारक 2 अंतर देकर आनेवाला
आंतरिक सं० (वि०) 1 अंदर का 2 भीतरी बातों से संबंधित, अंतरंग। ता (स्त्री०) मित्रता
आंतरिक्ष-सं० (वि०) अंतरिक्ष संबंधी, आकाशीय आंतिक-सं० (वि०) अंत में होनेवाला
आंतिका-सं० (स्त्री० ) बड़ी बहन
आंत्र - I सं० (वि०) आँत से संबंध रखनेवाला II ( पु० ) आँत । व्रण (पु० ) चि० आँतों का फोड़ा आंत्रिक सं० (वि०) आँतों में होनेवाला आंदू - (पु० ) 1 बेड़ी 2 सीकड़ी
आंदोलक - 1 सं० (पु० ) झूला II (वि०) झुलानेवाला आंदोलन - सं० (पु० ) 1 इधर से उधर आना-जाना, झूलना 2 हलचल, उथल-पुथल। कर्त्ता, कारी (वि०) आंदोलन करनेवाला (आंदोलनकारी) आंदोलनात्मक-सं० (वि०) 1 उथल-पुथल मचानेवाला 2 हलचल करनेवाला
आंदोलित - सं० (वि०) 1 कंपित 2 झुलाया हुआ 3 उत्तेजित 4 शोरगुल से व्याप्त
आँध - 1 (स्त्री०) 1 अँधेरा 2 रतौंधी चित्र II (वि.) अंधा आँधी- I ( स्त्री०) धूलभरी ज़ोर की हवा, तूफ़ान, अंधड़ II (वि०) बहुत तेज़ (हवा) । पानी (पु० ); ~उठना 1 हलचल मचाना 2 तूफ़ान आना आंध्य सं० ( पु० ) 1 अंधापन 2 अंधकार आंध्रीय-सं० (वि०) आंध्र प्रदेश का आँब - (पु० ) आम (वृक्ष और फल ) आँबा - हल्दी - (स्त्री०) आमा हल्दी
आँय-बाँय - (पु० ) अंड बंड, निरर्थक प्रलाप, बकबक आँव - (पु०) एक तरह का चिकना सफ़ेद मल । गिरना पाखाना के साथ आँव आना
आकरिक
आँवठ- (पु० ) 1 किनारा, तट 2 कपड़े आदि का किनारा या हाशिया
आँवड़ा - (वि०) गहरा
आँवन - (पु० ) 1 छेद करने का औज़ार 2 पहिए के छेद पर लगाई जानेवाली लोहे की सामी
आँवल - ( पु० ) खेड़ी (गर्भ)
आँवल गट्टा - (पु० ) सूखा आँवला
आँवला - (पु० ) एक खट्टा फल जिसका मुरब्बा एवं अचार बनता है। पत्ती (स्त्री०) एक प्रकार की सिलाई; ~सार- गंधक + सं० (स्त्री०) साफ़ की हुई गँधक आँवाँ - (पु०) मिट्टी के बर्तन आदि पकाने का एक गड्ढा आंशिक -सं० (वि०) 1 कुछ थोड़ा, अल्प 2 अंश से संबंधित आँस - I (पु० ) 1 आँसू 2 वेदना, कष्ट II (स्त्री०) डोरी, रेशा आँसना- (अ० क्रि०) खटकना, गड़ना, चुभना आँसुओंवाला - (पु० ) अश्रुपूर्ण आँसू - (पु० ) नेत्रजल, अश्रु । गिराना, ढालना रोना; ~पीकर रह जाना मन मसोसकर रह जाना; पोंछना धीरज बँधाना, ढाढ़स देना; आँसुओं का तार बँधना या न टूटना, आँसुओं की झड़ी बैधना निरंतर रोते जाना, अत्यधिक रुदन; आँसुओं से मुँह धोना बहुत रोना आँह-अ० भरोसे
आँहड़ - (पु० ) बरतन, भांड
आँहाँ - अ० निषेध सूचक शब्द नहीं
आइंदा - I फ़ा० (वि०) आनेवाला, भावी II (अ० ) आगे
आइडेंटीटी कार्ड-अं० (पु० ) परिचय पत्र
=
आइना-फ़ा० (पु० ) आईना आइसक्रीम - अं० (पु० ) मलाई की बर्फ़ कुलफ़ी आइसबर्ग - अं० (पु०) (तैरता) हिमशैल आइसिंग -अं० (स्त्री०) पाग, चाशनी
आईन - फ़ा० (पु० ) 1 कायदा, नियम 2 कानून, विधि आईना-फ़ा० (पु०) शीशा, दर्पण दार I ( पु० ) नाई
II (वि०) गुण-दोष प्रकट करनेवाला; ~साज (पु० ) आईना बनानेवाला; आईने में अपना मुँह देखना अपनी योग्यता समझ लेना
आईनी-फ़ा० (वि०) 1 नियमबद्ध 2 विधिक आउंस -अं० (पु० )
ढाई तोला
आउट-अं० खत्म, बाहर ~हाउस (पु०) बाहरी कोठा,
उपभवन
=
आए-गए - (वि०) आने-जानेवाले
आकंठ - ( क्रि० वि०) सं० गले तक
आकंप, आकंपन-सं० (पु० ) 1 काँपना 2 हिलना डुलना आकंपित सं० (वि०) 1 काँपा हुआ 2 क्षुब्ध किया हुआ आक- (पु० ) मदार की बुढ़िया बहुत बूढ़ी स्त्री आकर - 1 सं० (पु० ) 1 खान 2 उत्पत्ति स्थान 3 खज़ाना, कोष II (वि०) 1 श्रेष्ठ 2 यथेष्ट 3 खान में प्राप्त होनेवाला । ~ग्रंथ (पु०) शब्दकोश, विश्वकोश आदि ऐसे ग्रंथ जिनमें अनेक तथ्यों का विवरण दिया जाता है; भाषा (स्त्री०) वह भाषा जिससे अन्य भाषाओं का उद्गम हो आकरिक-सं० (पु० ) 1 खान खोदनेवाला 2 खान के काम की देखभाल करनेवाला
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आकरी
आकरी - I सं० (वि०) खान से निकला हुआ II (स्त्री०) खान खोदने का काम
आकर्ण-सं० (वि०) आकर्णित, कान तक
आकर्णक - सं० (पु०) कान तक पहुँचा हुआ, कान को छूता हुआ बाल
आकर्णन् -सं० (पु०) सुनना
आकर्णित सं० (वि०) सुना हुआ
आकर्ष-सं० (पु० ) 1 खींचना 2 खिंचाव 3 चुंबक 4 कसौटी आकर्षक -सं० (वि०) 1 खींचनेवाला 2 प्रभावित या मोहित करनेवाला 3 सुंदर, मनोहर
आकर्षण - सं० (पु० ) 1 खींचना 2 खिंचाव 3 मंत्र प्रयोग कर किसी को सम्मोहित करना। ~ शक्ति (स्त्री०) एक प्राकृतिक शक्ति जिससे एक पदार्थ दूसरे पदार्थ को अपनी ओर खींचता है (जैसे- पृथ्वी की आकर्षण शक्ति, चुंबक शक्ति) आकर्षणी -सं० (स्त्री०) 1 अंकुसी 2 एक प्रकार का पुराना सिक्का आकर्षिक-सं० (वि०) आकर्षक आकर्षित - सं० (वि०) 1 खिंचा हुआ 2 जो प्रभावित होकर किसी की तरफ़ अनुरक्त हुआ हो आकर्षी-सं० (वि०) आकर्षक आकलन - सं० (पु० ) 1 गिनना 2 पूर्वानुमान द्वारा गणना करना 3 समझना 4 इकट्ठा करना 5 अनुसंधान, खोज करना
6 इच्छा
आकलित-सं० (वि० ) 1 समझा हुआ 2 परिगणित 3 संगृहीत
=
4 आबद्ध
आकली - (स्त्री०) 1 बेचैनी, व्याकुलता 2 गौरैया पक्षी आकल्प-सं० (पु० ) 1 वेश रचना 2 पहनावा 3 आभूषण 4 जोड़ना
आकल्पित-सं० (वि०) 1 सजाया हुआ 2 जोड़ा या बढ़ाया • हुआ
+
आकस्मिक-सं० (वि०) अचानक होनेवाला । छुट्टी हिं० (स्त्री०) अचानक आवश्यकता आ पड़ने पर ली जानेवाली छुट्टी; -ता (स्त्री०) 1 अचानकपना 2 आकस्मिक घटना; तावाद (पु०) (दर्शन) यह सिद्धांत कि घटनाएँ बिना कारण के घट सकती हैं आकस्मिकी-सं० (स्त्री०) आकस्मिक घटनाओं का अध्ययन आकांक्षक-सं० (वि०) = आकांक्षी आकांक्षा-सं० (स्त्री०) 1 चाह, इच्छा 2 अपेक्षा
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3 आवश्यकता (पद विशेष की) 4 खोज खबर आकांक्षित-सं० (वि०) 1 चाहा हुआ 2 अपेक्षित आकांक्षी-सं० (वि०) 1 इच्छा, अपेक्षा रखनेवाला 2 खोजी आक्रा - तु० (पु० ) मालिक, स्वामी आकार - 1 सं० ( पु० ) 1 शक्ल, रूप 2 गढ़न, बनावट
3 लम्बाई-चौड़ाई, फैलाव (छोटा-बड़ा) II आ स्वर । पत्र (पु० ) पत्र का रूप; प्रकार ( पु० ) रूप-रंग; रेखन (पु० ) रेखा खींचने का आकार ~ वाद (पु०) (कला) वस्तु परक, आकार पर अधिक बल देने की प्रवृत्ति; वान् (वि०) आकारवाला; ~ विकार ( पु० ) ~ विज्ञान (पु० ) वस्तुओं का आकार के आधार पर अध्ययन, रूप विज्ञान; ~ हीन (वि०) निराकार, बिना आकार का
= आकार प्रकार;
2 क्षणिक
आकारक-सं० (पु०) बुलानेवाला आकारण-सं० (पु० ) 1 बुलाना 2 चुनौती आकारिकी-सं० (वि०) आकार विज्ञान आकारित सं० (वि०) 1 मांगा हुआ 2 आहूत आकालिक-सं० (वि०) 1 असामयिक 3 अप्रत्याशित अकालिकी-सं० (स्त्री०) बिजली, विद्युत आकाश-सं० (पु० ) 1 आसमान 2 शून्य स्थान। ~उड़ान + हिं० (स्त्री०) आकाश में उड़ान; ~कक्षा (स्त्री०) क्षितिज; ~कुसुम, पुष्प (पु० ) 1 असंभव बात 2 अनहोनी; गंगा (स्त्री०) 1 छोटे-छोटे तारों का समूह 2 आकाशवाहिनी गंगा, मंदाकिनी; गामी आसमान को जानेवाली; चारी (वि०) आकाशगामी (पक्षी आदि); जल ( पु० ) 1 मेह, बादल 2 ओस, दीप, दीया + हिं० (पु०) बाँस के सिरे पर बाँधकर जलाया जानेवाला दीया; नदी (स्त्री०) = आकाशगंगा; ~ पुष्प-वत् (वि०) आसमान के फूल की तरह, असंभव; पोत (पु० ) हवाई जहाज़, वायुयान; ~ प्रदीप (पु० ) = आकाश दीया; ~फल (पु० ) संतान; बेल + हिं० (पु०) अमर बेल; ~भाषित (पु० ) (नाटक) आकाश से आनेवाली वाणी; ~मंडल (पु० ) 1 खगोल 2 आकाश; ~ मार्ग (पु० ) हवाई रास्ता; यातायात (पु० ) विमान परिवहन; यात्रा (स्त्री०) हवाई सफ़र, विमानयात्रा; ~ यान (पु० ) वायुयान, आकाश पोत; युद्ध (पु० ) हवाई जंग, युद्ध पोतों द्वारा लड़ाई; ~ वाणी (स्त्री०) 1 आसमान से आनेवाली आवाज़, अभौतिक वाणी, देववाणी 2 आल इंडिया रेडियो; वृत्ति I (स्त्री०) ऐसी जीविका जिसका कुछ ठीक-ठिकाना न हो, अनिश्चित वृत्ति II ( वि० ) ऐसी वृत्तिवाला; -वृत्तिक (वि०) = आकाश वृत्ति; खुलना आसमान होना, बादल हटना; छूना बहुत ऊँचा होना; पाताल एक करना 1 अत्यधिक परिश्रम करना 2 हलचल मचाना; पाताल का अंतर अत्यधिक अंतर; ~से बातें करना बहुत ऊँचा होना आकाशी-सं० (स्त्री०) चंदोवा (धूप से बचना) आकाशीय सं० (वि०) 1 आकाश से संबंध रखनेवाला 2 आकाश में स्थित या उत्पन्न
=
आकृत
=
आर्कीण-सं० (वि०) 1 बिखेरा हुआ, फैलाया हुआ 2 व्याप्त आकुंचन-सं० (पु०) 1 सिकुड़ना, सिमटना 2 टेढ़ा होना आकुंचित - सं० (वि०) 1 सिकुड़ा हुआ 2 कुटिल 3 घुँघराले
(बाल)
आकुंठन - सं० ( पु० ) 1 लज्जा, शर्म 2 कुंठा होना आकुंठित-सं० (वि० ) 1 लज्जित 2 जड़ 3 कुंद आकुल-सं० (वि०) 1 परेशान 2 बेचैन 3 उतावला 4 अव्यवस्थित । ~ता (स्त्री०) 1 बेचैनी 2 परेशानी;
=
~ता-जनक (वि०) आकुलता उत्पन्न होनेवाला आकुलित-सं० (वि० ) 1 आकुल 2 पंकिल किया हुआ आकूत -सं० (पु० ) 1 अभिप्राय 2 आशय 3 इच्छा आश्चर्य, चकित आकूति-सं० (स्त्री०) आकूत आकृत-सं० जिसे आकार दिया गया, बनाया हुआ । रेखा (स्त्री०) - आकार रेखा
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आकृति
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आग
आकृति-सं० (स्त्री०) 1 रूप, गढ़न 2 चेहरा। प्रकृति | आक्सीकरण-अं० + सं० (पु०) आक्साइड बनाम, उपचरन (स्त्री०) आकार-प्रकार; ~प्रधान (वि०) भाषा जिसका आक्सीकारी-अं० + सं० (वि०) उपचायक, आक्साइड अध्ययन रूप के आधार पर हो; विज्ञान (पु०) बनानेवाला आकारिकी, आकारविज्ञान, रूप रचनाविज्ञान
आक्सीकृत-अं० + सं० (वि०) उपचित आकृष्ट-सं० (वि०) 1 खिंचा हुआ, आकर्षित 2 सम्मोहित आक्सीजन-अं० आक्सीजन (गैस), प्राणवायू हुआ
आखिर-1 अ० (वि०) । अंत में होनेवाला, अंतिम 2 बाद में आकृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 खिंचाव 2 गुरुत्वाकर्षण
होनेवाला II (पु०) 1 अंत 2 परिणाम, फल III (अ०) आनंद, आक्रंदन-सं० (पु०) 1 रोना, चिल्लाना 2 पुकारना अंत में। -कार + फ़ा० (क्रि० वि०) अंततोगत्वा 3 घोर युद्ध, घमासान युद्ध
आखिरी-अ० (वि०) सबके अंत में होनेवाला, अंतिम आनंदी-सं० (वि०) रोने या चिल्लानेवाला
आखु-सं० (पु०) । देवदार वृक्ष 2 चोर 3 चूहा 4 सुअर आक्रमण-सं० (पु०) 1 हमला करना, चढ़ाई करना 2 सीमा आखेट-सं० (पु०) शिकार, मृगया। --शिक्षक शिकार की का बलात् उल्लंघन 3 निंदात्मक आक्षेप (आचरण, कार्य, । शिक्षा देनेवाला विचार, सिद्धांत)। ~कारक, ~कारी (वि०) आक्रमण आखेटक-सं० (पु०) शिकार करनेवाला, शिकारी, अहेरी करनेवाला; मूलक (वि०) = आक्रमणात्मक; ~वाद आखेटिक-[ सं० (वि०) । शिकारी 2 भयंकर II (पु०) (पु०) आक्रमण में विश्वास रखनेवाला दर्शन; ~वादी निपुण शिकारी (वि०) आक्रमणवाद को माननेवाला; -शील (वि०) आखोर-I फ़ा० (पु०) कूड़ा-करकट II (वि०) 1 सड़ा गला आक्रामक स्वभाववाला
2 रददी 3 गंदा, मेला। की भरती व्यर्थ के लोगों का आक्रमणात्मक-सं० (वि०) आक्रमण के स्वभाव वाला जमघट आक्रमित-सं० (वि०) आक्रमण किया गया, हमला हुआ, | आख्या-सं० (स्त्री०) 1 विवरण लिखना या लिखाना 2 नाम, आक्रांत
संज्ञा 3 कीर्ति, यश: पन (पु०) 1 विवरण कहना 2 घोषित आक्रम्य-सं० (वि०) आक्रणम योग्य। -ता (स्त्री०) करना आक्रमण के योग्य होना
आख्यात-[ सं० (वि०) 1 कहा हआ 2 अति प्रसिद्ध आक्रय-सं० (पु०) खरीदना
___ II (पु०) व्या० क्रिया पद आक्रांत-सं० (वि०) 1 जिस पर हमला किया गया हो । आख्याता-सं० (वि०) । सूचना या विवरण बतलाने वाला 2 पराभूत, अभिभूत
2 कहनेवाला, वक्ता आक्रांति-सं० (स्त्री०) 1 आक्रांत करने की अवस्था आख्याति-सं० (स्त्री०) 1कहने या सूचित करने की क्रिया 2 आरोहण, ऊपर चढ़ना
2 ख्याति, प्रसिद्धि 3 विवरण आक्रामक-सं० (वि०) हमला या प्रहार करनेवाला आख्यान, आख्यानक-सं० (पु०) 1 कहना 2 सूचित करना आक्रीड़-सं० (पु०) 1 खेलने का मैदान 2 बगीचा 3 वर्णन, वृत्तांत 4 कथा। ~कार (पु०) वृत्त-लेखक आक्रीड़न-सं० (पु०) क्रीड़ा करना, खेलना
आख्यापक-सं० (पु०) 1 संदेशवाहक, दूत 2 वह जो घोषित आक्रीड़ी-सं० (वि०) खेलनेवाला, खिलाड़ी
करे या सूचित करे आक्रुष्ट-[ सं० (वि०) 1 जिस पर क्रोध किया गया हो । आख्यायिक-सं० (पु०) आख्यायिका-सं० (स्त्री०) 2 शापित 3 निंदित II (पु०) कटु वचन, दुर्वचन
1शिक्षाप्रद लघु कल्पित कथा, कहानी आक्रोश-सं० (पु०) 1 कर्कश स्वर में की जानेवाली भर्त्सना | आख्येय-सं० (वि०) 1 कथा योग्य, कथनीय 2 सूचित करने 2 रोषपूर्ण भावना 3 चिल्लाहट
योग्य आक्रोशित-सं० (वि०) = आक्रुष्ट
आगंतव्य-सं० (वि०) 1 जो आनेवाला हो 2 जिसके आने की आक्लांत-सं० (वि०) 1 भीगा हुआ 2 लथपथ
संभावना हो भाक्षरिक-सं० (वि०) अक्षर या अक्षरों का (जैसे-~ज्ञान) | आगंतुक-सं० (वि०) 1 आया हुआ 2 अचानक आ जानेवाला माक्षिक-[सं० (पु०) जुए में लगाया जानेवाला धन या दाँव 2 अभ्यागत, अतिथि।
II (वि०) 1 अक्ष संबंधी 2 पासा या शतरंज खेलनेवाला आग-(स्त्री०) 1 अग्नि 2 ताप, गरमी। गार्ड + अं० (पु०) भाक्षिप्त-सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 व्याकुल 3 जिसपर आगरोक; ~जनी + फा० (स्त्री०) आग लगाना; ~उठाना आक्षेप किया गया हो।
शपथ लेना, कसम खाना; -का पुतला (पु०) क्रोधी साक्षेप-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 व्यंग्यपूर्ण दोषारोपण करना व्यक्ति; ~का बाग 1 सुनारों की अँगीठी 2 आतिशबाज़ी; 3 अर्थालंकार जिसमें पहले कोई बात कहकर फिर अपवाद ल्खाना बहुत गुस्सा होना; ~गाड़ना जलते कोयलों को स्वरूप उसका प्रतिषेध करना (काव्य)
राख में रखना; जलाना आग उत्पन्न करना; जिलाना क्षेपक, आक्षेपी-सं० (वि०) 1 फेंकनेवाला 2 व्यंग्यपूर्ण, | 1आग तेज़ करना 2 आग सुलगाना; ~वाना आग का आरोप लगानेवाला
ठंडा पड़ना, बुझना; ~झाड़ना रगड़ से चिनगारियां उत्पन्न TRोट-सं० (पु०) अखरोट (वृक्ष और फल) करना; ~तापना गरमी प्राप्त करना; दिखाना आग के क्सिाइड-अं० (पु०) घटक और आक्सीजन का पास ले जाना (वस्तु), आग लगाना; ~देना आग से संयोग
कराना जलाना; ~पानी का वैर पुरानी या स्वाभाविक
यौगिक
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आगड़ा
शत्रुता; बरसना ज़ोर की गर्मी पड़ना; बरसाना गोलियों की बौछाड़ करना; बबूला, भूभका होना अत्यधिक क्रोध करना; में कूदना जानबूझकर खतरे में पड़ना में झोंकना संकट में डालना; में मूतना निंदनीय काम करना; ~लगना 1 विरोध भाव बढ़ना 2 नाश होना; लगाना 1 बुरी तरह नष्ट करना 2 चुग़ली करना; ~ लगाकर पानी के लिए दौड़ना लड़ाई कराके या अनिष्ट करके शांति-शमन का प्रयास करना; ~ लगने पर कूआँ खोदना उग्रता धारण करने पर स्थिति पर काबू पाने का प्रयत्न करना; से पानी होना क्रोध शांत हो जाना; होना गुस्सा करना आगड़ा - (पु० ) फ़सल के नष्ट हुए दाने आगणन -सं० ( पु० ) 1 परिगणन 2 आकलन आगत-सं० (वि०) 1 आया हुआ 2 प्राप्त 3 घटित । ~ सत्कार; ~ स्वागत (पु० ) मेहमान, अतिथि या आनेवाले
का सम्मान
आगति-सं० (स्त्री० ) = आगमन आगम - सं० (पु० ) 1 उपस्थित होना, अवाई 2 उत्पत्ति 3 शास्त्र 4 आनेवाला समय। ~ ज्ञानी (वि०) जिसे भविष्य का ज्ञान हो; पत्र (पु० ) वह पत्र जिसमें आने की सूचना हो; ~वक्ता (पु० ) भविष्य की बात बतानेवाला ज्योतिषी; ~ वाणी (स्त्री०) भविष्यवाणी; ~वादी (पु० ) = आगम वक्ता ; ~ विद्या (स्त्री०) वेद विद्या; ~शुल्क (पु०) किसी देश में आने का कर; ~सोची + हिं० (वि०) दूरदर्शी; ~करना या बाँधना पहले से प्रबंध करना या पूर्व व्यवस्था
करना
आगमन - सं० ( पु० ) 1 आना, पहुँचना 2 प्राप्त होना, लाभ होना 3 दर्शन विशेष से सामान्य निष्कर्ष निकालना। ~विधि (स्त्री०) सामान्य निष्कर्ष निकालने का ढंग आगमित सं० (वि०) अध्ययन किया हुआ आगमीत-सं० (वि०) आगम वक्ता आगर - I ( पु० ) 1 रहने की जगह (घर, मकान ) 2 खान 3 अत्यधिक मात्रा, भंडार II (वि०) 1 उत्तम, श्रेष्ठ 2 कुशल 3 चतुर III 1 अत्यधिक 2 आगे
आगरी - ( पु० ) 1 खान में काम करनेवाला मज़दूर, श्रमिक 2 जो नमक बनाने का काम करे, लोनिया आगलित-सं० (वि०) 1 डूबता हुआ 2 उदास 3 मुरझाया हुआ आगा - I (पु० ) 1 आगे का भाग, अगवाड़ा 2 भविष्य में आनेवाला समय 3 अगवानी। तागा आदर सत्कार, सम्मान पीछा अच्छा-बुरा, शुभ-अशुभ भारी होना गर्भवती होना; मारना बाधा उत्पन्न करना; ~ सँभालना कठिनाई या संकट का सामना करना
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आग़ा - तु० ( पु० ) 1 मालिक, सरदार 2 काबुली, अफ़ग़ान आगमिक, आगामी -सं० (वि०) 1 आनेवाला 2 भविष्य में होनेवाला
आगार - सं० (पु० ) 1 रहने का स्थान ( मकान आदि ) 2 कमरा, कोठरी, खज़ाना
आगारिक-सं० (वि०) 1 कोठरी का 2 घर का आगाह -फ्रां० (वि०) सचेत आगाही - फ्रा० (स्त्री०) 1 पूर्व सूचना 2 पहले से मिलनेवाली जानकारी
आचय
आगे - ( क्रि० वि०) जिस ओर अगला भाग हो, उस ओर, समाने वाले भाग की ओर, समक्ष सामने, सम्मुख । पीछे ( क्रि० वि०) 1 एक के बाद एक 2 मुँह और पीठ पीछे 3 अव्यवस्थित रूप में 4 पास-पास 5 थोड़ा आगे या पीछे। ~ आना 1 सामना करना 2 कर्म का फल मिलना 3 घटित होना; ~करना 1 हाजिर करना 2 अगुआ बनना; का उठा जूठन ~ डालना खाने के लिए सामने रखना; डोलना आगे फिरना; दौड़ पीछे चौड़ आगे काम करते जाना पीछे का ध्यान न रखना; धरना भेंट करना; निकलना प्रतिस्पद्धियों से आगे बढ़ना; से लेना सम्मान करना; ~ होना 1 अग्रसर होना 2 बढ़ जाना 3 सामना करना 4 इज़्ज़त करना; पीछे रहना या होना 1 देख भाल करना 2 रक्षा करना
आग्नेय - I सं० (वि०) 1 आग का 2 जिसका देवता अग्नि हो 3 अग्नि से उत्पन्न 4 जिसमें से आग निकले 5 ज्वाला उत्पन्न करनेवाला II (पु० ) 1 अग्निपुत्र कार्तिकेय 2 ज्वालामुखी पर्वत 3 अग्नि को अर्पित हवि 4 आग्नेयास्त्र । अस्त्र (पु०) तोप, बंदूक आदि आग्नेयास्त्र -सं० (पु०) = आग्नेय अस्त्र आग्नेयी-सं० (स्त्री०) 1 अग्निपत्री, स्वाहा 2 पूर्व एवं दक्षिण की बीच की दिशा, अग्निकोण 3 अनि उद्दीप्त करनेवाली औषध आग्रह -सं० ( पु० ) 1 हठ 2 हठपूर्वक प्रार्थना । पूर्ण
(वि०) हठयुक्त; पूर्वक ( क्रि० वि०) आग्रह के साथ आग्रहायण-सं० (पु० ) अगहन का महीना आग्रही -सं० (वि०) आग्रह करनेवाला आघर्षण-सं० (पु० ) घर्षण, रगड़
आघात -सं० (पु० ) 1 ठोकर या धक्का 2 प्रहार 3 मानसिक कष्ट, व्यथा । पूर्ण (वि०) प्रहारात्मक स्थान (पु० ) वधालय, बूचड़खाना आघातक-सं० (वि०) आघात करनेवाला आधार - सं० (पु० ) 1 छिड़कना 2 यज्ञ में घी की आहुति देना आघी- (स्त्री०) 1 ब्याज के रूप में मिलनेवाला अनाज 2 ब्याज
स्वरूप अन्न मिलने की शर्त पर होनेवाला लेन-देन आघूर्ण - सं० (वि०) घूमता हुआ, चक्कर खाता हुआ आघूर्णन-सं० (पु०) घूमना, चक्कर खाना आघूर्णित-सं० (वि०) घुमाया या चक्कर खाया हुआ आघोष -सं० (पु० ) 1 ज़ोर से किया जानेवाला शब्द 2 गर्वपूर्ण उक्ति
आघोषण-सं० ( पु० ) घोषणा
आघ्राण - I सं० (पु० ) 1 सूँघना 2 तृप्ति II ( वि० ) 1 सूँघा हुआ 2 तृप्त
आघात - I सं० (त्रि०) 1 सूँघा हुआ 2 तृप्त II (पु० ) ग्रहण का एक भेद
आचमन - सं० (पु० ) 1 जल पीना 2 ओक में जल लेकर पीना (पूजन शुद्धि)
आचमनक - सं० (पु० ) 1 आचमन जल 2 उगालदान आचमनी-सं० (स्त्री०) आचमन के लिए जल भरने का एक छोटा चम्मच
आचमनीय-सं० (वि०) आचमन करने योग्य (जल) आचय-सं० (पु० ) 1 चुनना 2 इकट्ठा करना
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आचरण
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आज्य
संहिता
आय
आचरण-सं० (पु०) 1 चरित्र 2 बरतना, व्यवहार | आज़ाद-फा० (वि०) 1 स्वच्छंद 3 मनमौजी। ख्याल 3 चाल-चलन 4 नियम। पंजी, पुस्तिका आचरण स्वतन्त्र विचारों वाला तबीयत + अ० (वि०) स्वच्छंद संबंधी पुस्तिका; ~शील (वि०) आचारवान्, शिष्ट; हृदय का, सरल ~संहिता (स्त्री०) आचरण-संबंधी नियमावली
आज़ादगी-फा० (स्त्री०) आज़ादी आचरणीय-सं० (वि०) आचरण योग्य
आज़ादाना-फा० (वि०) स्वतंत्रतापूर्ण आचरित-सं० (वि०) व्यवहार रूप में लाया हुआ आज़ादी-फा० (स्त्री०) 1 स्वतंत्रता, स्वाधीनता 2 स्वच्छंदता आचार-सं० (पु०) 1 आचरण 2 चाल चलन 3 व्यवहार का 3 मुक्ति तरीका 4 आचरण संबंधी नियम 5 परिपाटी, प्रथा या आजान-सं० (पु०) 1 जन्म 2 उत्पत्ति 3 जन्म या उत्पत्ति का रीति-रिवाज। परायण, ~वती (स्त्री०); ~वान् (वि०) स्थान कर्मनिष्ठ, सदाचारी; ~विचार (पु०) लौकिक कर्म एवं अजानु, आजानु विलंबित-सं० (वि०) 1घुटनों तक विचार भाव; ~व्यवहार (पु०) सांसारिक कार्य व्यापार; __ (लटकता हुआ) 2 घुटनों तक लंबा
~शास्त्र (पु०) आचार-शास्त्र, नीतिशास्त्र; ~शास्त्रीय आजानेय-I सं० (वि०) 1 अच्छी नस्ल का 2 कुलीन (वि०) नीतिशास्त्र संबंधी; ~संहिता (स्त्री०) = आचरण ___ II (पु०) अच्छी नस्ल का घोड़ा
आजार-फा० (पु०) 1 रोग, बीमारी, व्याधि 2 कष्ट, दुःख, आचारजी-(स्त्री०) = आचार्यत्व
पीड़ा आचारांग-सं० जैन आचारशास्त्र
आजिज़-अ० (वि०) 1 लाचार, दीन 2 तंग आया हआ, आचारिक-सं० (वि०) आचार संबंधी
परेशान। ~आना तंग आना, ऊब जाना आचारी-सं० (वि०) शुद्ध और श्रेष्ठ आचार विचारवाला आजिज़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 लाचारी, विवशता 2 दीनता आचार्य-सं० (पु०) 1 गुरु 2 अध्यापक, शिक्षक 3 मुख्य आजीव-सं० (पु०) 1 जीविका 2 जीविका का उपाय 3 उचित पुरोहित 4 वेद शास्त्रों का ज्ञाता, वेदाचार्य (जैसे-शंकराचार्य, बल्लभाचार्य) 5 असाधारण पंडित (जैसे-आचार्य रामचन्द्र आजीवक-सं० (पु०) 1 जैन साधु 2 भिखमंगा शुक्ल, आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी) 6 पांडवों आदि के गुरु आजीवन-1 सं० (पु०) जीविका II (क्रि० वि०) जीवनभर, (द्रोणाचार्य)। करण (पु०) = आचार्यत्व; ~कुल जीवन पर्यन्त। ~कारावास (पु०) जन्म भर कैद (पु०) गुरुकुल, ~त्व (पु०) आचार्य का कार्य करना आजीविका-सं० (स्त्री०) 1 रोज़ी 2 रोज़गार, धंधा आचार्या-सं० (स्त्री०) 1 स्त्री आचार्य या गुरु 2 पूजनीय और आजीविकार्जन-सं० (पु०) रोज़गार करना । विदुषी महिला 3 स्त्री
आजीव्य-[सं० (वि०) जीविका देने योग्य II (पु०) जीविका आचार्थी-सं० (वि०) 1 आचार्य संबंधी. 2 आचार्य का का साधन आचित-सं० (वि०) 1 व्याप्त 2 भरा हुआ 3 एकत्रित आज्ञप्त-सं० (वि०) जिसे आदेश दिया गया हो आचूषण-सं० (पु०) 1 चूसना 2 तुंबी लगाना
आज्ञप्ति-सं० (स्त्री०) आज्ञा, आदेश आच्छन्न-सं० (वि०) 1 छिपा हुआ 2 ढका हुआ
आज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 आदेश, हक्म 2 अनुमति । ~करण आच्छादन-सं० (पु०) 1छिपाना 2 ढक्कन 3 पहनावा पालन (पु०) आदेश का पालन; ~कारिणी (स्त्री०), 4 छाजन
~कारी (वि०) आज्ञा का पालन करनेवाला; ~धारिता आच्छादित-सं० (वि०) 1 छाया हुआ 2 ढका हुआ (स्त्री०) आज्ञाकारी होने की अवस्था या भाव; चक्र भकुटि आच्छिन्न-सं० (वि०) कटा-फटा
के ऊपर का ध्यान-चक्र; ~धारी (वि०) = आज्ञाकारी; आच्छेदन-सं० (पु०) 1 काटना 2 काट-छाँट
-पत्र (पु०) आदेशपत्र; पालक (वि०) = आज्ञाकारी; आच्छोटन-सं० (पु०) 1 चुटकी बजाना 2 ऊँगली चटकाना ~सूचक (वि०) आज्ञा वाचक (जैसे-क्रिया) आच्छोदन-सं० (पु०) 1 पीछा करना 2 आखेट करना, शिकार आज्ञान-सं० (पु०) 1 अनुभव करना 2 समझना खेलना
आज्ञानुवर्ती, आज्ञानुसारी-सं. (वि०) - आज्ञाकारी आज-I (क्रि० वि०) 1 जो दिन इस समय चल रहाहै, इस दिन आज्ञानुसार-सं० (क्रि० वि०) कहने के मुताबिक 2 इन दिनों में, इस काल में II (पु०) प्रस्तुत या वर्तमान आज्ञापक-[सं० (वि०)आज्ञा देनेवाला | (पु०) ईश्वर, स्वामी दिन। कल (क्रि० वि०) 1 वर्तमान दिनों में 2 एक दो दिन आज्ञापन-सं० (पु०) 1 आज्ञा देना 2 जताना में; ~कल करना या बताना टालमटोल करना; कल आज्ञापिका-सं० (स्त्री०) = आज्ञापक का 1 हाल का 2 नए जमाने का; ~कल में बहत जल्द; आज्ञापित-सं० (वि०) जिसे आदेश दिया गया हो ~कल लगना मौत करीब होना; ~मरे कल दूसरा दिन आज्ञायी-सं० (वि०) 1 जानने समझनेवाला 2 अनुभव मृत्यु के बाद की बात का ध्यान न देना
करनेवाला आजन्म-सं० (वि०) = आजीवन
आज्ञार्थ, आज्ञार्थक-सं० (पु०) व्या० आज्ञासूचक क्रिया आज़माइश-फा० (वि०) = जाँच, परीक्षण
रूप, विध्यर्थ आज़माइशी-फा० (वि०) परीक्षा के लिए किया गया आज्य-सं० (पु०) 1 घी 2 घी की जगह काम आनेवाला पदार्थ आज़माना-फा० + हिं० (स० क्रि०) जाँचना, परखना - तेल, दूध आदि 3 यज्ञ में दी जानेवाली आहुति आजा-(पु०) दादा. पितामह
4 प्रातःकालीन यज्ञ का एक स्तोत्र
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आटा
आटा - (पु० ) 1 पिसा हुआ गेहूँ, जौ, मकई आदि का चूर्ण, पिसान। दाल (पु० ) 1 आटा और दाल 2 घर का सामान; ~ गीला होना कठिनाई में और भी संकट पैदा होना; माटी होना बर्बाद होना; आटे की आपा भोली भाली औरत; आटे के साथ घुन पीसना बड़े आदमी के साथ छोटे को भी हानि पहुंचाना, आटे और दाल का भाव मालूम होना 1 असलियत का पता चलना 2 करनी का फल मिलना; आटे दाल की फ़िक्र घर-गृहस्थी की चिंता; आटे दाल के फेर में रह जाना रोज़ी-रोटी के चक्कर में पड़े रहना आटोग्राफ़-अं० (स्त्री०) स्वाक्षर, हस्ताक्षर आटोपसं० (पु० ) 1 फूलना 2 घमंड 3 आडंबर 4 पेट में गुड़गुड़ाहट होना
आटोमैटिक-अं० स्वचालित
आठ - I (पु०) आठ की संख्या II (वि०) सात और एक, चार का दूना। ~ अठारह होना 1 तितर बितर होना 2 हैरान होना; ~ आठ आंसू रोना अत्यधिक विलाप करना; पहर हर वक़्त पहर चौसठ घड़ी प्रतिपल हर समय; आठों जामे से बाहर रहना हर वक़्त गुस्से में रहना, आठों गाँठ कुम्मैत 1 वह घोड़ा जिसके सभी अंग दुरुस्त हों और रंग कुम्मैत हो 2 दुष्ट 3 चालाक; आठों पहर हर समय; आठों सूली पर रहना हमेशा कष्ट में रहना आठें, आठै, आठों - (स्त्री०) अष्टमी तिथि
आडंबर - सं० (पु० ) 1 दिखावा 2 अनावश्यक या दिखाऊ आयोजन 3 बादलों का गर्जन 4 हाथी का चिंघाड़ना 5 युद्ध का डंका बजना 6 शोरगुल, कोलाहल 7 गर्व। पूर्ण, मय (वि०) आडंबर से युक्त आडंबरी-सं० (वि०) आडंबर करनेवाला
आड़ - I (स्त्री०) 1 ओट, परदा 2 बचाव, आश्रय 3 रोक 4 टेक 5 आड़ा तिलक II ( पु०) फ़कीरों या पहलवानों का एक वस्त्र, लँगोटा । ~ गीर हिं० + फ़ा० (पु० ) 1 आड़ करने के लिए लगाया जानेवाला परदा या खड़ी की जानेवाली दीवार 2 खेत के किनारे की घास
आड़ना - (स० क्रि०) 1 आड़ करना 2 रोकना 3 मना करना आड़ा, आड़ा-तिरछा - I (वि०) खड़ा या सीधा का उलटा, पड़ा II (पु० ) 1 एक धारीदार कपड़ा 2 जहाज़ का लट्ठा 3 शहतीर 4 बुनाई में सूत फैलाने की लकड़ी। आड़े-तिरछे होना नाराज होकर झगडा बढ़ानेवाली बातें करना ऑडिट-अं० (पु०) लेखा-परीक्षा आडिटर - अं० (पु० ) आय-व्यय की जाँच करनेवाला आडिटोरियम-अं० (पु० ) सभाभवन, प्रेक्षागृह आड़ी - I (स्त्री०) खेल में पक्ष का साथी या खिलाड़ी II (वि०) अपने पक्ष का
आडू - (पु० ) एक खटमिट्ठा फल और उसका पेड़ आढ़ - (स्त्री०) = आड़ आढ़, आढ़क-सं० (पु० ) चार सेर का वज़न या माप आढ़की -सं० (स्त्री०) 1 अरहर 2 गोपी चंदन आढ़त - (स्त्री०) 1 दलाली, कमीशन 2 कमीशन लेकर माल बिकवाने का रोज़गार 3 वह स्थान जहाँ इस तरह का व्यवसाय होता है। दार + फ़ा० आढ़तिया, आढ़ती (पु० ) आढ़त का व्यापारी
आतिश
आठ्यंकर-सं० (वि०) धनी बनानेवाला आठ्य-सं० (वि० ) 1 धनवान 2 संपन्न 3 पर्याप्त आश्यक - सं० ( पु० ) धन, सम्पत्ति आणविक सं० (वि०) अणु संबंधी
आणि सं० (स्त्री०) 1 तलवार की धार 2 पहिये की धुरी की कील 3 सीमा 4 मर्मस्थान
आतंक - सं० (पु० ) 1 भय, डर 2 दबदबा 3 पीड़ा, दर्द 4 डंके का शब्द। कारी, वादी (वि०) 1 आतंकवाद को माननेवाला 2 आतंक फैलानेवाला; ~ युद्ध (पु०) शत्रुता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होनेवाली वह स्थिति जिसमें दोनों पक्ष बगैर लड़े-भिड़े एक-दूसरे के मन में भय उत्पन्न करके उसे दबाने का प्रयत्न करते हों; ~वाद (पु० ) राज्य या विरोधभाव को दबाने के लिए हिंसा या भयोत्पादक उपायों का अवलंबन
आतंकित सं० (वि०) आतंक से प्रभावित, भयभीत आतंचन -सं० (पु० ) 1 दूध जमाना 2 दूध जमाने का जामन आतत-सं० (वि०) 1 फैलाया हुआ 2 खींचा हुआ 3 ताना हुआ
आततायी -सं० (पु०) दुष्ट और उपद्रवी, अत्याचारी आतति-सं० (स्त्री०) 1 फैलाव 2 तनाव
आतनन-सं० (पु० ) 1 खींचना 2 तानना आतनिक-सं० (वि०) 1 तनावयुक्त 2 जिसमें आशंका और विकलता हो
आतप - I सं० (पु० ) 1 गरमी 2 धूप II (वि०) दुःख देनेवाला । स्नान (पु० ) धूप में बैठना आतपत्र - सं० (पु० )
1 पत्तों या रेशम का बना हुआ छाता
2 राजा का छत्र
आतपी-सं० (वि०) धूपवाला आतपोदक-सं० (पु०) मृगतृष्णा
आतश - फ़ा० (स्त्री०) 1 आतिश, आग 2 अत्यधिक गर्मी 3 गुस्सा, क्रोध । जनी (स्त्री०) आग लगाना, आगज़नी; ~दान (पु० ) अंगीठी; परस्त (पु० ) अग्निपूजक, पारसी, ~बाज़ (पु० ) गोले फुलझड़ियाँ बनानेवाला; बाज़ी (स्त्री०) गोला फुलझड़ी पटाखे आदि का परकाला कठिन काम को सरलता से कर लेनेवाला आतशक - फ़ा० (पु० ) व्यभिचार से जननांग में होनेवाला रोग. सुजाक आतशी-फ़ा० (वि०) 1 आग संबंधी 2 आग से उत्पन्न
~
होनेवाला 3 आग की लपट जैसा लाल । शीशा एक तरह का शीशा जिसमें सूर्य किरणों से अनि निकलती है आतिथेय - I सं० ( पु० ) 1 अतिथि का सत्कार करनेवाला
2 अतिथि को अपने यहाँ ठहरानेवाला, मेज़बान 3 अतिथि सत्कार की सामग्री II ( वि० ) 1 अतिथि योग्य 2 अतिथि संबंधी
करना
आतिश-फ़ा० (स्त्री०) = आतश
आतिथ्य -सं० (पु० ) अतिथि सत्कार, मेहमानदारी । कारी (वि०) अतिथि का स्वागत करनेवाला; विमुख (वि० ) अतिथि सत्कार की उपेक्षा करनेवाला; शील (वि०) = आतिथ्यकारी; ~सत्कार ( पु० ) अतिथि का आदर-सम्मान
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आतिशायिक
आतिशायिक-सं० (वि०) अत्यधिक, अतिशय आतिशय्य-सं० (पु० ) अत्यधिक होना आतिशी - फ़ा० (वि०) आतशी
आती-पाती - (स्त्री०) पेड़ पर चढ़ने पकड़ने का खेल आतुर - I सं० (वि०) 1 उतावला 2 बेचैन 3 उत्कट इच्छावाला II (पु०) बीमारी, रोग III ( क्रि० वि०) 1 बहुत जल्दी में 2 घबराहट में। ~ता (स्त्री०) 1 उतावलापन, आकुलता 2 रोग; ~ शाला (स्त्री०); ~ आतुरालय चिकित्सालय, दवाखाना
आत्तसं (वि०) 1 लिया हुआ 2 माना हुआ, स्वीकृत 3 खींचा हुआ 4 दूर किया हुआ 5 भंग किया हुआ 6 अपमानित 7 पराजित । ~गर्व (वि०) गलितगर्व; ~प्रतिदान (पु० ) पाई हुई वस्तु को लौटाना; लक्ष्मी (वि०) धन से वंचित
आत्म - I सं० (वि०) 1 आत्मा या मन से संबंधित 2 अपना (जैसे- आत्मकथा, आत्म परिचय आदि ) II (पु०) बाह्य पदार्थों से अलग एवं भिन्न निजी चेतन सत्ता (जैसे- आत्म चेतना, आत्म पुरुष आदि) । ~ आलोचना (स्त्री०) अपनी आलोचना ~ कथा (स्त्री०) आपबीती, अपने जीवन की कथा ~ कथात्मक (वि०) आपबीती- भरा; ~ कल्याण (पु०) अपनी भलाई काम (वि०) 1 अपने से ही प्रेम करनेवाला 2 गर्वीला; ~कृत (वि०) अपने से किया हुआ; ~ I (वि०) 1 जो अपने में आया हुआ हो 2 अपने से संबंधित (आत्मा) 3 अपने आप में होनेवाला 4 जो मन में ही उत्पन्न हुआ हो 5 आत्म से उत्पन्न हुई कृति जो आत्म आश्रित हो (कला-साहित्य) II ( पु० ) स्वगत कथन; ~ गौरव (पु० ) आत्मसम्मान, स्वाभिमान; ग्राही (वि०) स्वार्थी; लानि (स्त्री०) अपने आप में खेद होना; घात (पु० ) आत्महत्या; घातक, घाती (वि०) आत्म हत्या करनेवाला; ~घोष I (वि०) आत्म प्रशंसक II ( पु० ) अपने विषय में बढ़-चढ़ कर बाते करना; चरित, चरित्र (पु० ) = आत्म-कथा; ~ चिंतन (पु० ) मन के विषय में सोचना-विचारना; चेतना (स्त्री०) आत्मानुभूति से संबंध रखनेवाला ज्ञान (दर्शन-मनोविज्ञान); ~ I (पु० ) 1 पुत्र 2 कामदेव II (वि०). अपने से उत्पन्न; जा (स्त्री०) बेटी; ~जात (वि०) = आत्मज; ~ जिज्ञासा (स्त्री०) = आत्म चितंन; जीवनी (स्त्री०) = आत्मकथा; ~ज्ञ (पु० ) स्वयं को जाननेवाला; ज्ञान (पु० ) 1 अपनी आत्मा का ज्ञान 2 जीवात्मा एवं परमात्मा का ज्ञान 3 ब्रह्मज्ञान; तुष्ट (वि०) अपने में प्रसन्न तुष्टि (स्त्री०) 1 मन को मिलनेवाली खुशी और संतोष 2 आत्मज्ञान होने पर प्राप्त आनंद; ~ त्याग (पु० ) स्वार्थ त्याग; ~ त्यागी (वि०) स्वार्थ का त्याग करनेवाला; ~दर्श (पु०) दर्पण, शीशा दर्शन (पु० ) स्वयं को परखना और समझना दर्शी (वि०) स्वयं को देखने और समझनेवाला; दान (पु० ) = आत्मत्याग; दाह (पु०), द्रोह (पु० ) स्वयं अपने साथ किया जानेवाला द्रोह या शत्रुता; द्रोही (पु० ) स्वयं अपने साथ शत्रुता करनेवाला व्यक्ति; निग्रह (पु० ), निर्णय (पु०) 1 अपने विषय में स्वयं निश्चय करना 2 आत्म व्यवस्था का खुद निश्चय करना; ~ निर्भर (वि०) आत्मावलंबी;
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आत्म
~ निवेदन (पु० ) 1 आत्म समर्पण 2 एक भक्ति जिसमें भक्त इष्टदेव के प्रति स्वयं को समर्पित कर देता है; निषेध (पु० ) अपनी आकांक्षाओं का त्याग; ~निष्ठ 1 आत्मनिर्भर 2 स्व; ~ निष्ठा (स्त्री० ) = आत्मविश्वास; पतन अपना पतन पद (पु०) मोक्ष; परित्याग (पु० ) = आत्म निवेदन; परिष्कार ( पु० ) = आत्म संस्कार; पीड़न
~
(पु०) स्वयं को कष्ट देकर या अन्य द्वारा कष्ट पाकर संतुष्ट होना; पूर्णतावाद आत्मानंदवाद, पौरुष (पु० ) आत्मबल; -प्रकाश (पु० ) आत्मज्ञान; ~ प्रक्षेपण (मनो०) (पु० ) अपनी भावनाओं का दूसरों पर आरोपण; ~ प्रचार ( पु० ) अपने गुणों का आप ही प्रचार; ~ प्रतारणा (स्त्री० ) = आत्म-वंचना; प्रतियोगिता (स्त्री०) अपने ही से मुकाबला; प्रतिष्ठा (स्त्री०) = आत्म सम्मान प्रवंचना (स्त्री०) = आत्म वंचना, प्रशंसा (स्त्री०) स्वयं की जानेवाली प्रशंसा; प्रेरणा (स्त्री०) अपने भीतर से प्रेरणा; फटकार + हिं० (पु० ) अपने को डाँटना; बंधु (पु० ) अपना आप मित्र बल (पु० ) 1 आत्मशक्ति 2 अध्यात्म बल; बलिदान (पु० ) = आत्म त्याग; ~बोध ( पु० ) = आत्मज्ञान; ~भरित (वि०) जो स्वयं भरा हुआ हो; भीरु (वि०) अपनी करनी से आप ही डरनेवाला; ~ I (वि०) 1 जो अपने शरीर से उत्पन्न हुआ हो 2 स्वयं उत्पन्न होनेवाला II ( पु० ) 1 पुत्र 2 कामदेव 3 त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, शिव); ~रक्षण (पु० ), रक्षा (स्त्री) अपनी रक्षा स्वयं करना; रक्षार्थ ( क्रि० वि० ) ) अपनी रक्षा के लिए; ~रति (स्त्री०) 1 आत्मानंद 2 अपने ऊपर मुग्ध रहना, वंचक (वि०) स्वयं को धोखा देनेवाला; ~ वंचना (स्त्री०) अपने साथ ठगी; वत् ( क्रि० वि०) अपने समान वध ( पु० ) = आत्महत्या; ~वाद (पु० ) आत्मा और परमात्मा के अस्तित्व का सिद्धांत; वादी (वि०) आत्मवाद को माननेवाला; विक्रय (पु० ) 1 आत्म सम्मान त्यागकर अधीन होना 2 अनुयायी या दास बनना; ~ विक्रयी (वि०) 1 स्वयं को बेचनेवाला 2 दास बननेवाला; ~ विक्रेता (पु०) व्यक्ति जो स्वयं को बेचकर किसी का दास बन गया हो; ~विचार (वि०) आत्मविश्लेषण; विद (पु० ) आत्मज्ञानी; ~ विद्या (स्त्री०) आध्यात्म ज्ञान, ब्रह्मविद्या; ~विनाशी (वि०) अपने को स्वयं नष्ट करनेवाला; ~ विभोर (वि०) अपने में मस्त, विरोध (पु० ) अपनी बातों में परस्पर विरोध; ~ विश्लेषण (पु० ) अपने चरित्र की स्वयं चीर-फाड़ विश्वास (पु० ) अपनी शक्ति एवं योग्यता पर विश्वास, आत्मनिष्ठा; ~विश्वासी (वि०) अपने पर विश्वास रखनेवाला; विसर्जन (पु० ) आत्म-त्याग; ~ विस्मृति (स्त्री०) अपने को भूल जाना, बेखुदी वृत्त, वृत्तांत (पु० ) = आत्मकथा; ~ शक्ति (स्त्री०) आत्मिक बल शासन (पु० ) अपना राज्य, स्वराज्य; ~ शिक्षा (स्त्री०) स्वयं कुछ सीखना; ~ शुद्धि (स्त्री०) आत्म संस्कार; ~ श्लाघा (स्त्री०) आत्मप्रशंसा; ~ श्लाघी (वि०) अपनी प्रशंसा आप ही करनेवाला; आत्म प्रशंसक संतुष्ट (वि०) आत्मसंतोषी; ~संतोष (पु० ) आत्मतृप्ति, आत्मतुष्टि संदेह (पु० ) व्यक्तिगत संदेह; संभव (पु० ) आत्मभूः संयम
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आत्मक
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आदर्श
(१०) अपने मन एवं इंद्रियों को वश में रखना; ~संरक्षण आत्मोद्धार-सं० (पु०) 1 अपना उद्धार 2 अपने प्रयास से (पु०) - आत्मरक्षा; संवरण (पु०) - आत्मसंयम; ___ अपना छुटकारा
-संवेदन (पु०) .. आत्मज्ञान; संशोधन, संस्कार | आत्मोन्नति-सं० (स्त्री०) 1 आत्मा की उन्नति 2 अपनी भौतिव (पु०) अपना सुधारः --समर्पण (१०) 1 अपने को सौंप | उन्नति देना 2 हथियार डाल देना; समर्पित (वि०) सौंपा हुआ; आत्मोजीवी-सं० (पु०) स्वयं परिश्रम से जीविकोपार्जन
समालोचना (स्त्री०) आत्म आलोचना; ~सम्मान आत्मोपम-सं० (वि०) अपने जैसा (पु०) अपनी इन्जत: सात् I (क्रि० वि०) अपने आत्मौपम्य-सं० (पु०) 1सभी को अपने जैसा समझना य अधिकार में II (वि०) अपने में मिलाया हुआ; साधना मानना 2 अपने से तुलना करना (स्त्री०) मोक्ष साधनाः - सिद्ध (वि०) 1 स्वयं होनेवाला आत्यंतिक-सं० (वि०) 1 अत्यधिक, बेहद 2 असीम 2 जो आप ही सिद्ध हो: - सिद्धि (स्त्री०) 1 मोक्ष 2 आत्मा आत्ययिक-सं० (वि०) 1 अत्यावश्यक 2 कष्टकारक एवं परमात्मा का पूरा एवं उचित ज्ञान; स्तुति (स्त्री०) - आथवर्ण, आथवर्णिक-[सं० (वि०) अथर्ववेद से सबंध आत्म-प्रशंसा; --हत्या (स्त्री०), हनन (पु०), --हिंसा रखनेवाला || (पु०) अथर्ववेद का कर्मकांड (स्त्री०) खुदकुशी; हित I (पु०) अपनी भलाई || आदंश-सं० (पु०) 1 दाँतों से काटने का जख्म 2 दाँत (वि०) अपने लिए हितकर या कल्याणकर
आदत-अ० (स्त्री०) 1 अभ्यास, लत 2 व्यसन 3 स्वभाव आत्मक-सं० (प्रत्यय) युक्त (जैसे- व्यंग्यात्मक, रक्षात्मक) आदतन-(अ०) अ० 1 आदत के अनुसार, अभ्यासत आत्मनेपद-सं० (पु०) 1धात में लगनेवाला एक प्रत्यय 2 स्वभावतः 2 क्रिया का रूप जिसका फल अपने को मिलता हो आदम-अ० (पु०) 1 मनुष्य, व्यक्ति 2 आदि पुरुष। कट आत्मा-सं० (स्त्री०) 1 जीव 2 मन 3 अंतःकरण 4 चेतन तत्त्व (वि०) मनुष्य की ऊंचाई के बराबर (जैसे-~कद शीशा) 5 परमात्म तत्त्व। - ठंडी करना संतोष करना; खोर + फ़ा (वि०) नरभक्षी; ~खोरी + फा० (स्त्री०) -ठंडी होना संतोष होना; - मसोसना भूख बरदाश्त करना; नरभक्षण; ~ज़ात (स्त्री०), ~ज़ाद + फ़ा० (पु०) आदम -~सताना कष्ट पहचाना
की संतान, आदमी, मनुष्य; आत्माधिक-सं० (वि०) आत्मा से भी अधिक प्यारा, अतिप्रिय | आदमियत-अ० (स्त्री०) 1 मनुष्यता 2 भलमनसी। ~उठ आत्मानंद-[ सं० (पु०) आत्मा को मिलनेवाला आनंद II जाना इंसानियत खत्म हो जाना (वि०) ब्रह्मानंद में लीन । ~वाद (पु०) यह सिद्धांत कि | आदमी-अ० (पु०) 1 मनुष्य 2 व्यक्ति 3 नौकर। बनना कर्म का चरम लक्ष्य आत्मिक आनंद है, इंद्रिय सुख नही | 1 मनुष्यता आना, सभ्यता सीखना 2 संपन्न होना; बनाना आत्मानात्म-सं० (पु०) चेतन और जड़ पदार्थ
सभ्य बनाना । आत्मानुभूत-सं० (पु०) आत्मा का अनुभव
आदमीयत-अ० (स्त्री०) = आदमियत आत्मानुभूति-सं० (स्त्री०) आत्म साक्षात्कार
आदर-सं० (पु०) 1 सम्मान, इज़्ज़त 2 सत्कार, कद्र। पात्र आत्माभिमान-सं० (पु०) आत्मगौरव, स्वाभिमान
(पु०) सम्मान का पात्र; ~पूर्वक (क्रि० वि०) आदर के आत्माभिमानी-सं० (पु०) स्वाभिमानी
साथ; ~प्रदर्शक (वि०) सम्मान का दिखावा करनेवाला; आत्माभिव्यंजन (पु०), आत्माभिव्यक्ति-सं० (स्त्री०) ~भाजन (पु०) = आदर पात्र; ~भाव (पु०) = आदर अपने मन के अनुभव को व्यक्त करना
सत्कार; ~युक्त (वि०) सादर, सम्मानसहित; -व्यंजक आत्मायन-सं० (पु०) आत्मा के आने-जाने का मार्ग (वि०) सम्मान सूचक; ~सत्कार (पु०) मान-सम्मान, आत्माराम-सं० (पु०) 1आत्मा में रमण करनेवाला 2 जीवात्मा खातिरदारी; सम्मान (पु०) 1 इज़्ज़त 2 ख़ातिरदारी; 3 तोता (लोकप्रचलित नाम)
~~सूचक (वि०) जिससे आदर का भाव प्रकट हो आत्मार्थी-सं० (वि०) 1 अपना हित चाहनेवाला 2 स्वार्थी (जैसे-आप, श्रीमान्) आत्मार्पण-सं० (पु०) अपना समर्पण
आदरणीय-सं० (वि०) आदर के योग्य आत्मालोचना-सं० (स्त्री०) अपनी आलोचना स्वयं करना आदरी-सं० (वि०) मानार्थ आत्मावलंबन-सं० (पु०) अपने पर भरोसा करना आदर्य-सं० (वि०) = आदरणीय आत्मावलंबी-सं० (वि०) अपने पर भरोसा करनेवाला आदर्श-सं० (पु०) 1 श्रेष्ठतम अवस्था 2 प्रतिमान, पराकाष्ठागत आत्माश्रय-सं० (वि०) अपना भरोसा करनेवाला
रूप, नमूना 3 दर्पण 4 अनुकरणीय वस्तु 5 असल। आत्माहुति-सं० (वि०) आत्म-बलिदान
~उदाहरण (पु०) अनुकरणीय उदाहरण; ~जुष्ट, प्राण आत्मिक-सं० (वि०) आत्मा का, आत्मा से संबंधित = आदर्शमूलक; ~भाषावाद (पु०) यह मत कि भाषा के आत्मिकी-सं० (स्त्री०) अध्यात्म विद्या
प्रामाणिक प्रयोग का ध्यान रहना चाहिए; ~मंदिर (पु०) आत्मीय-1 सं० (वि०) अपना II (पु०) अपने लोग।ता शीश महल; ~मूलक (वि०) असली; लेखक; (पु०) (स्त्री०) अपनापन अपनापा, स्नेह-सबंध
श्रेष्ठ एवं अनुकरणीय लेखक वाक्य (पु०) शुद्ध एवं आत्मोक्ति-सं० (स्त्री०) स्वयं कही हुई
सटीक वाक्य; ~वाद (पु०) 1 आदर्श चरित्र आदि के आत्मोत्कर्ष-सं० (पु०) = आत्म-संस्कार
स्थापना 2 नैतिकता; ~वादी (वि०) आदर्शवाद के आत्मोत्सर्ग-सं० (वि०) = आत्म-त्याग
माननेवाला; ~विज्ञान (पु०) आदर्शों की व्याख्या करनेवाला आत्मोदय-सं० (पु०) अपना उदय
विज्ञान, नीतिशास्त्र
आदि
(वि.)
सन (पु.)
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आदर्शित
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आधि
आदर्शित-सं० (वि०) 1 दिखलाया हुआ 2 निर्देश किया हुआ | आदेशानुगामी-सं० (वि०) आदेश का पालन करनेवाला आदर्शीकरण-सं० (पु०) आदर्श रूप देना
आदेशानुसार-सं० आज्ञा के अनुसार आदर्शोन्मुख-सं० (वि०) - आदर्शवादी
आदेशार्थी सं० आदेश का इच्छक आदहन-सं० (पु०) 1 जलाना 2 आहत करना 3 निंदा करना आदेशिती-सं० (ए०) वह जिसके नाम आदेश हो 4 ईर्ष्या, डाह 5 घृणा करना
आदेशी-सं० (वि०) 1 आज्ञा देनेवाला 2 ज्योतिषी. आदान-सं० (पु०) 1 लेना, ग्रहण 2 बंधन 3 कर, शुल्क आदि भविष्यवक्ता के रूप में लिया जानेवाला धन। ~प्रदान (पु०) लेना-देना, | आद्यंत-I सं० (क्रि० वि०) आदि से अंत तक II (प०) अदल-बदल
आदि अंत आदाब-अ० (पु०) 1 नमस्कार 2 अदब-कायदा आद्य-सं० (वि०) = आदि, मूल। -रूप (पु०) आदि 3व्यवहार-नियम। ~ अर्ज़ (पु०) नमस्कार; तसलीमात नमूना (पु०) नमस्कार, प्रणाम। -अर्ज़ करना सलाम करना; आद्यक्षर-सं० (पु०) नाम के शुरू का अक्षर बजा लाना विनय पूर्वक अभिवादन करना
आद्यक्षरित-सं० (वि०) नाम के आरंभिक अक्षर से हस्ताक्षर आदि-[सं० (पु०) 1 आरंभ, शुरू 2 मूल कारण 3 परमात्मा किया हुआ II (वि०) 1 पहला (जैसे-आदि कवि) 2 आरंभ का III आद्या-(स्त्री०) दुर्गा (अ०) इत्यादि, वगैरह। -कर्ता (पु०) स्रष्टा; ~कल्प आद्याक्षर-सं० (पु०) = आद्यक्षर (पु०) आदि युग ~कवि (प०) 1 वाल्मीकि 2 ब्रह्मा; आद्याक्षरित-सं० (वि०) = आद्यक्षरित
कारण (पु०) = आदि; काल (पु०) (इतिहास में) आद्योपांत-सं० (वि०) - आद्यंत आरंभिक समयः कालीन (स्त्री०) - आदि; --काव्य आध-(वि०) आधा (पु०) वाल्मीकीय रामायण; ग्रंथ (पु०) सिख गुरुओं की आधार्मिक-सं० (वि०) 1 अन्यायी 2 असाधु वाणी का संग्रह; देव (पु०) 1 परमेश्वर 2 विष्णु; आधर्षण-सं० (१०) 1 अपराधी ठहराना 2 दंड देना
निवासी (पु०) पहले से बसने वाले, जनजाति; ~पुरुष आधर्षित-सं० (वि०) 1 दोषी ठहराया हआ 2 दंडित (पु०) 1 परमेश्वर 2 नारायण; ~भाषा (स्त्री०) 1 सृष्टि के | आधा-(वि०) वस्तु के दो बराबर भागों में से एक, अर्द्ध। आरंभ की भाषा 2 किसी देश की प्रचीनतम भाषा; ल्युग
-तीहा (वि०) आधे या तिहाई के लगभगः - तीतर (पु०) प्रारंभिक या प्राचीनतम युग; ~वासी (पु०) =
आधा बटेर अनमेल, बेमेल; ~होना दुबला होना, आधी आदि-निवासी; स्रोत (१०) मूल, आरंभ; ~शक्ति
बात न पूछना कदर न करना; आधे आध दो बराबर या (स्त्री०) दुर्गाः --स्वरागम (पु०) शब्द के आरंभ स्वर आ अर्द्धभाग जाना (जैसे- इस्थिति, इस्कृल)
आधान-सं० (पु०) 1 रखना,स्थापन 2 अग्नि का स्थापन आदिक-सं० (वि०) = आदि
3 धारण 4 उत्पन्न करना 5 पात्र 6 प्रयत्न रेहन 8 गर्भाधान से आदित:-सं० (पु०) सूर्य
पहले किया जानेवाला संस्कार आदित्य-1 सं० (पु०) 1 सूर्य 2 देवता II (वि०) 1 आदित्य आधार-सं० (पु०) 1 सहारा 2 बर्तन 3 रेखागणित में आधार से उत्पन्न 2 आदित्य सबंधी। ~मंडल (१०) सूर्य के चारों
रेखा 4 संबंध 5 अधिकरण कारक। व्या० ~भूत (वि०) ओर का प्रभा मंडल
मौलिक, आधारिक; ~भूमि (स्त्री०) आधार; आदिम-सं० (वि०) = आदि। काल (पु०) = |
आधार-शक्ति (स्त्री०) मूल शक्ति; --शिला (स्त्री०) आदिकाल; जाति (स्त्री०) मूल निवासी
नींव का पत्थर; -स्तंभ (पु०) किसी कार्य या वस्तु का मुख्य आदिल-अ० (वि०) इंसाफ करनेवाला, न्यायी
आधार; ~स्वरूप (वि०) आधार के रूप में; ~हीन आदिष्ट-I सं० (वि०). 1 आदेश प्राप्त 2 आदेश किया हआ (वि०) निराधार II (पु०) आज्ञा
आधारक-सं० (पु०) = आधार आदी-1 अ० (वि०) 1 अभ्यस्त 2 जिसे लत पड़ गई हो, | आधारतः-सं० (क्रि० वि०) आधार के रूप में व्यसनी II (अ०) 1 तनिक भी 2 निपट III(स्त्री०) अदरक आधाराधेय-सं० (पु०) आधार और उस पर रखी वस्त आदीपन-सं० (पु०) 1 दीपक जलाना 2 आग जलाना
आधारिक-सं० (वि०)1 आधार से संबंधित, आधार वाला 3 उत्तेजित करना, उकसाना 4 स्वच्छ करना
2 आधारभूत आदृत-सं० (वि०) आदरप्राप्त, सम्मानित
आधारित-सं० (वि०) आधार पर टिका हुआ आदेय-सं० (वि०) लिया जाने योग्य
आधारी-सं० 1 (वि०) वह जो किसी आधार पर टिका हो II आदेश-सं० (पु०) 1 आज्ञा, हुक्म 2 हिदायत 3 ज्यो० ग्रहों का |
(स्त्री०) साधुओं के बैठने की एक लकड़ी फल। -पंजी (स्त्री०) आर्डर-बुक; ~पत्र (पु०)
आधि-सं० (स्त्री०) 1 मानसिक पीड़ा 2 विपत्ति, संकट हुक्मनामा; पूर्ण (वि०) हुक्मी; बद्ध (वि०)
3 अभिशाप 4 धरोहर। ~कर्ता (पु०) बंधक रखनेवाला आज्ञाकारी; लेख (पु०) न्यायालय की आज्ञा;
व्यक्ति; ~कोषक, ~कोषिक, (पु०) बैंक का; ~ग्राही ~सार-संग्रह (पु०) पुस्तक रूप में आदेश का संक्षेप (पु०) धरोहर लेनेवाला; दैविक (वि०) अतिप्राकृतिक, आदेशक-सं० (वि०) आज्ञा देनेवाला
दैवी; ~भोग (पु०) धरोहर वस्तु का उपयोग; भौतिक आदेशात्मक-सं० (वि०) = आदेशपूर्ण
(वि०) पंचभूतों से संबंध, सांसारिक; ~राज्य (पु०) +
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आधिकरणिक
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आनुपूर्व
पप सना
आधिपत्य; ~वेदनिक (पु०) दूसरा विवाह करने पर पहली | आनंदित-सं० (वि०)हर्षित, प्रसन्न पत्नी को दिया जानेवाला धन; ~व्याधि (स्त्री०) मन और | आनंदी-सं० I (पु०) सदा आनंद मनानेवाला व्यक्ति II शरीर की पीड़ा
(वि०) खुश या प्रसन्न करनेवाला आधिकरणिक-सं० (पु०) 1 न्यायाधीश 2 सरकारी आन-अ० (स्त्री०) 1 गौरव की भावना 2 प्रतिज्ञा, संकल्प पदाधिकारी
3 परंपरा। ल्तान +हिं० (स्त्री०) 1 आन या प्रतिष्ठा और आधिकारिक-सं० [ (वि.) 1 अधिकार या अधिकारी से तान या खिंचाव का भाव या विचार, ठसक 2 टेक, हठ संबद्ध 2 अधिकारपूर्ण 3 प्रामाणिक, सरकारी II (पु०) 3 अभिमानपूर्ण और बेतुका आचरण या व्यवहार; -बान 1मूल कथा वस्तु 2 परमात्मा 3 शासक
+हिं० (स्त्री०) शान; ~फिरना 1 दुहाई फिरना 2 पुकार आधिकारिकी-सं० (स्त्री०) अधिकारों का विवेचन मचना; फेरना चारों तरफ़ अपनी विजय का ढिंढोरा आधिक्य-सं० (पु०) 1 अधिकता, अतिशयता 2 प्राधान्य पिटवाना आधिपत्य-सं० (पु०) 1 प्रभुत्व, अधिकार 2 राज्य। आनक-सं० (पु०) 1 गरजता हआ बादल 2 एक तरह का
अधिकारी (पु०) राज्य का अधिकारी; ~सेना (स्त्री०) सैनिक नगाड़ा राज्य सेना
आनत-(वि०) 1कुछ झुका हुआ 2 विनम्र आधुनिक-सं० (वि०) आजकल का, वर्तमान काल का, नये आनति-सं० (स्त्री०) 1 झुकाव 2 प्रणाम ज़माने का। -करण (पु०) आधुनिक रूप देना; ~तम आनद्ध-सं०1 (वि०) 1 बँधा हुआ 2 रुका हुआ 3 ढका हुआ (वि०)अत्यंत आधुनिक, नवीनतम; ~ता (स्त्री०)
या मढ़ा हुआ 4 सजाया हुआ II (पु०) 1 ढोल, मृदंग आधुनिका-सं० (स्त्री०) आधुनिक आचरण और सभ्यता 2 सजावट . वाली स्त्री
आनन-सं० (पु०) 1 मुख, मुँह 2 चेहरा, मुखड़ा आधुनिकीकरण-सं० (पु०) = आधुनिककरण
आनन-फानन-अ० (क्रि० वि०) 1 बात की बात में आधूत-सं० (वि०) 1 काँपता हुआ 2 व्याकुल, परेशान, बेचैन 2 अतिशीघ्र, तुरंत आधृत-सं० (वि०) = आधारित
आनम्य-सं० (वि०) 1 झुकनेवाला 2 जो झुकने योग्य हो आधेय-सं० 1 (वि०) 1 ठहराने या स्थापित किए जाने योग्य 3 अनुकुल बनाए जाने योग्य
2 रचने योग्य II (पु०)आधार पर रखी या टिकाई हई वस्तु | आनयन-सं० (पु०) 1 ले आना, लाना 2 उपनयन संस्कार आधो-आध-(क्रि० वि०) आधा-आधा करके
आनर-अं० सम्मान आधोरण-सं० (पु०) महावत, पीलवान
आनरेबुल-अं० सम्मान योग्य आध्यमान-सं० (पु०) 1 गर्व 2 पेट फूलना 3 जलोदर रोग आनरेरी-अं० (वि०) अवैतनिक काम करनेवाला आध्यात्मिक-सं० (वि०) 1 परमात्मा और आत्मा से संबंध आनत-सं० (पु०) 1 नृत्यशाला, नाचघर 2 युद्ध 3 जल रखनेवाला 2 मन से संबंध रखनेवाला। ~ता (स्त्री०) आनर्तक-सं० (वि०) 1 आनत संबंधी 2 नर्तक, नाचनेवाला अध्यात्म की भावना
आना-1 (पु०) मूल्य (रुपया, आना, पैसा) II किसी व्यक्ति आध्यात्मिकी-सं० (स्त्री०) अध्यात्म विद्या
या वस्तु का कहीं से चलकर आना, प्राप्य या वर्तमान होना, आध्यासिक-सं० (वि०) अयथार्थ और कल्पित
आगमन होना (जैसे-अतिथि आना, बरसात आना इत्यादि)। आनत्य-सं० (पु०) 1 अनंतता, असीमता 2 अमरत्व
~कानी (स्त्री०) टालमटोल; जाना 1 जन्म-मृत्यु आनंद-सं० (पु०) 1 उल्लास, खुशी, हर्ष 2 मन का सुख।। 2 मिलना-जुलना। आ धमकना अचानक या सहसा आ
~कर, ~दायक (वि०) आनंद देनेवाला; ~पट (पु०) पहुँचना; आ पड़ना 1 सहसा आ जाना 2 अचानक गिर पड़ना; दुल्हन का वस्त्र, पूर्वक (क्रि० वि०) मज़े से प्रद आ लगना किसी स्थान या ठिकाने पर पहुँचना; आए दिन (वि०) आनंददायी; बधाई (स्त्री०), बधावा -हिं० अक्सर, बहुधा (पु०) शुभ अवसरों पर दी जानेवाली बधाई और रागरंग; आनाह-सं० (पु०) 1 बाँधना 2 लम्बाई (वस्त्र आदि) 3 पेट ~मंगल (पु०) शुभ अवसर पर होनेवाला रागरंग 2 सुख | फूलने का एक रोग, कब्जियत और चैनः मन (वि०) आनन्द में डूबा हुआ (मस्त); | आनुकूल्य-सं० (पु०) अनुकूलता ~मय (वि०) आनंदपूर्ण; ~वाद (पु०) यह सिद्धांत कि | आनुक्रमिक-सं० (वि०) 1 अनुक्रम के अनुसार होनेवाला मौज मनाओ; ~वादी (वि०)आनंदवाद को माननेवाला; | 2 अनुक्रम से लगाया हुआ -विभोर (वि०) = आनंदमग्न; ~सम्मोहिता (स्त्री०) आनुगत्य-सं० (पु०) 1 अनुगत होने की अवस्था 2 अनुगमन आनंदमग्न और मुग्ध नायिका
3 घनिष्ठ परिचय आनंदांदोलित-सं० (वि०) आनंद में झूमता हुआ आनुग्रहिक-सं० (वि०) 1 अनुग्रह संबंधी 2 अनुग्रह रूप में आनंदातिरेक-सं० (पु०) अत्यधिक आनंद, बेहद खुशी ___ होनेवाला आनंदात्मक-सं० (वि०) = आनंदमय
आनुतोषिक-सं० (पु०) कार्य या सेवा के बदले वेतन के आनंदानुभूति-सं० (स्त्री०) आनंद का एहसास
अतिरिक्त दिया जानेवाला धन आनंदावेग-सं० (पु०) आन्ट की प्रबलता
आनुपातिक-सं० (वि०) अनुपात संबंधी आनंदाश्रु-सं० (पु०) खुशी के आँसू, हर्षातिरेक से आँखों में | आनुपूर्व (वि०), आनुपूर्वी सं० (स्त्री०) आगे पीछे के क्रम से आनेवाला जल
| होने की क्रिया (जैसे शब्दों की आनुपूर्वी)
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आनुप्रासिक
आनुप्रासिक-सं० (वि०) अनुप्रास संबंधी आनुभविक सं० (वि०) 1 अनुभव से प्राप्त होनेवाला 2 ज्ञानेंद्रियों से अनुभूत आनुमानिक-सं० (वि०) अनुमान से संबंध रखनेवाला आनुवंशिक सं० 1 वंश परम्परा से प्राप्त, पुश्तैनी 2 वंशानुक्रमिक आनुवंशिकता - (स्त्री० ) 1 वंशागत परंपरा 2 आनुवंशिक होने की अवस्था या भाव 3 पूर्वजों से प्राप्त गुण । -विज्ञान (पु० ) वंश परम्परा संबंधी शास्त्र आनुवंशिकी -सं० (स्त्री०) आनुवंशिक विज्ञान आनुश्राविक-सं० (वि०) जिसे परंपरा से सुनते चले आये हों आनुषंगिक -सं० (वि०) 1 आप से आप घटित होनेवाला 2 अनावश्यक रूप से साथ होनेवाला, सहवर्ती 3 गौण आनूप-सं० (वि०) 1 प्रायः जल में या उसके पास रहनेवाला (जैसे-मछली, मेंढक आदि)
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आनेवाला -1 (वि०) आगामी | (पु०) वह जो आने को है। आप- 1 (सर्व०) स्वयं, स्वतः, खुद II ( पु० ) 1 जल 2 प्राप्ति । ~काज (पु० ) 1 अपना काम 2 स्वार्थ काजी (वि०) मतलबी, स्वार्थी बीती (स्त्री०) अपना अनुभव; ~ रूप + सं० I (वि०) अपने रूप से युक्त मूर्तिमान II ( सर्व ० ) स्वयं, आप की आप पड़ना अपनी अपनी रक्षा या लाभ का ध्यान रखना; अपने आपको जानना अपने अस्तित्व को स्थापित करना; अपने आपको भूलना 1 बेसुध होना 2 घमंड में चूर होना; अपने हक़ में कांटे बोना संकट तैयार करना आपगा - (स्त्री०) नदी आपजात्य-सं० (पु० ) 1 अपजाति होने का भात्र 2 गुण आदि के विचार से मूल से घटकर तथा हीन होना आपण-सं० (पु० ) 1 बाज़ार, हाट 2 दुकान 3 हाट या बाज़ार में उगाहा जानेवाला कर
आपणिक - I सं० ( वि०) क्रय-विक्रय से संबंध रखनेवाला (जैसे- आपणिक लेख या विधि) II ( पु०) दुकानदार, विक्रेता
आपत् - सं० (स्त्री०) आपद्, आपत्ति
आपतन - सं० (पु० ) 1 गिरना 2 घटित होना 3 आना या पहुँचना 4 संयोग से संबंध में आना 5. आपतन कोण ( गणित-विज्ञान)
आपत्काल सं० (पु० )1 संकटकाल, विपत्तिकाल 2 बुरा समय, कुसमय । सेना (स्त्री०)
आपत्कालिक, आपत्कालीन सं० (वि०) आपत्ति के समय
का
आपत्ति - सं० (स्त्री०) 1 संकट 2 कष्ट, क्लेश, दुःख व अचानक आ गिरनेवाली विपत्ति, आफ़त, मुसीबत 3 एतराज़ (आपत्ति शब्द) । ~कर्त्ता (पु० ) एतराज़ उठानेवाला; जनक (वि०) जिस बात पर एतराज़ किया जाए आपद्-सं० (स्त्री०) आपत्ति । ~ग्रस्त (वि०) संकट में फँसा हुआ आपदा-सं० (स्त्री०) आपत्ति
आपद्धर्म-सं० (पु० ) विवशता से किया जानेवाला वर्जित कर्म आपन -सं० (वि०) विपत्ति ग्रस्त, दुःखी आपराधिक सं० (वि०) 1 अपराध में गिना जानेवाला
=
आपूर्ति
(आपराधिक प्रक्रिया) 2 अपराध जैसे विचार, भावों से संबंध रखनेवाला 3 अपराधशील
आपराह्निक-सं० (वि०) बाद दोपहर का आपरेटर-अं० (पु०) चालक
आपरेशन - अं० (पु० ) शल्यक्रिया, चीरफाड़। रूम (पु० )
शल्य-कक्ष
आपस - अ० (वि०) एक दूसरे का, परस्पर (जैसे-आपस का, आपस में, आपस के लोग आदि) । दारी + फ़ा० (स्त्री०) परस्पर निकट संबंध, भाईचारा का (पु० ) संबंधियों, मित्रों के बीच का । में गिरह पड़ना मनमुटाव होना आपसी - (वि०) आपस में होनेवाला, पारस्परिक आपस्तंव-सं० (पु० ) एक शाखा प्रवर्तक ऋषि आपा - I ( पु० ) 1 अपना अस्तित्व, अपनाया, निजत्व 2 अपनी सत्ता का ज्ञान 3 अहंकार, गर्व 4 होश II ( स्त्री०) बड़ी बहन । ~धापी (स्त्री०) अपना स्वार्थ, लाग डाँट; -पंथी (वि०) अपने मन की करनेवाला, स्वच्छंद खोना 1 घमंड त्यागना 2 अपने को बर्बाद करना 3 मरना; ~डालना घमंड छोड़ देना; तजना, मेटना द्वैत भाव का त्याग; ~ दिखलाना दर्शन देना; बिसराना 1 अपने को भूल जाना 2 सुध-बुध खो देना; सँभालना चेतना, सावधान होना; आपे में आना या होना 1 होश हवास में रहना 2 मनोभावों पर संयम रखना; आपे में न रहना, आपे से निकलना, आपे के बाहर होना क्रोध और कामादि के कारण मन पर काबू न रख सकना, उत्तेजना में विवेक खो देना, धैर्य से अलग होना
आपात्-सं० (पु० ) 1 गिरना 2 अचानक घटित होने की स्थिति 3 अप्रत्याशित घटना या दृश्य। ~ काल-सं० (पु०) संकट काल; ~कालीन (वि०) आपत्कालिक; बैठक (स्त्री०) आकस्मिक बैठक; ~ स्थिति (स्त्री०) घोर संकट की
=
अवस्था
आपाततः सं० ( क्रि० वि०) 1 अचानक 2 अंत में आपातिक-सं० (वि०) 1 अचानक होने या घटनेवाला 2 नीचे
उतरनेवाला 3 आत्ययिक, अप्रत्याशित रूप से होने वाला आपाती-सं० (वि०) 1 हमला या आक्रमण करनेवाला 2 नीचे उतरनेवाला
आपाद-सं० ( क्रि० वि०) 1 पैर से लेकर 2 पैर तक । ~ मस्तक ( क्रि० वि०) 1 पैरों से सिर तक 2 आदि से अंत तक
आपान-सं० (पु० ) 1 शराब पीना 2 मद्यपान गोष्ठी
3 शराबखाना, मदिरालय
आपानक-सं० (पु० ) 1 शराब पीनेवाला व्यक्ति, शराबी व्यक्ति 2 मद्यपान की गोष्ठी
आपीड़ - सं० I ( वि०) 1 पीड़ा देनेवाला 2 दबानेवाला II
(पु० ) 1 सिर पर पहनने की चीज़ 2 मुकुट मणि 3 माला आपीड़न-सं० 1 दबाना 2 पीड़ा देना आपीत-सं० I ( वि०) हल्का पीला II ( पु० ) सोनामाखी आपूरण-सं० (पु०) अच्छी तरह भरना, लबालब होना आपूर्ण-सं० (वि०) पूर्णतः भरा हुआ आपूर्ति - सं० (स्त्री०) 1 भरना 2 संतुष्टि, तृप्ति । मंत्री
(पु० )
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आपूष
आपूष -सं० (पु० ) 1 टीन 2 रांगा आपृच्छा-सं० (स्त्री०) 1 बातचीत 2 जिज्ञासा 3 औत्सुक्य आपेक्षिक-सं० (वि०) 1 अपेक्षा रखनेवाला 2 तुलनात्मक, अपेक्षाकृत 3 निर्भर रहनेवाला
आपेक्षितावाद - सं० (पु० ) आइन्सटाइन का द्रव्यमान और ऊर्जा की पारस्परिक तुल्यता पर आधारित सिद्धांत आप्त-- I ( वि० ) 1 मिला हुआ 2 कुशल 3 विश्वास योग्य II (पु० ) ( पुरुष भी) विश्वसनीय तनवज्ञ व्यक्ति । काम (पु० ) 1 सत्य का ज्ञाता और सत्यवक्ता 2 जिसकी इच्छाएँ पूर्ण हो गई हों 3 मोक्ष प्राप्त कारी (पु० ) 1 विश्वस्त ढंग से काम करनेवाला व्यक्ति 2 गुप्तचर गर्व ( वि० ) घमंडी; वाक्य (पु० )
पुरुष (पु० ) = आप्त II वचन (ऋषि मुनियों का) प्रामाणिक वचन; आप्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्राप्ति 2 संबंध 3 संयोग आप्यायन -सं० ( पु० ) 1 प्राप्त होना 2 तृप्त करना 3 प्रसन्नता 4 वृद्धिकारक औषधि
आप्यायित-सं० (वि० ) 1 तृप्त 2 प्रसन्न 3 वर्द्धित 4 बलवान्, ताक़तवर 5 मोटा ताजा
आप्रच्छन -सं० (वि०) 1 स्वागत करना 2 मिलन समय कुशल
प्रश्न
आप्रछन्न-सं० (पु० ) 1 छिपा हआ 2 रहस्यपूर्ण आप्रवास, आप्रवासन-सं० (पु० ) अन्य देश में जाकर बसना आप्रवासी-सं० (पु० ) किसी देश में आकर बस जानेवाला व्यक्ति
आप्लावन -सं० (पु० ) 1स्नान 2 सिंचन 3 पानी से तर होना
4 बाढ़
आप्लावित, आप्लुत-सं० (वि०) 1 डुबाया हुआ 2 सिक्त 3 नहाया हुआ, स्नात
आफ़त-अ० (स्त्री०) संकट, दुःख, क्लेश । ~उठाना ऊधम मचाना; ~ का टुकड़ा, ~का परकाला 1 बहुत तेज़, धूर्त आदमी 2 तूफानी; ~मारा संकटग्रस्त, दुर्दैव पीड़ित ढाना
1 उपद्रव मचाना, कष्ट पहुँचाना 2 अनहोनी बात कहना; ~ मचाना शोरगुल करना, बहुत उतावली करना; मोल लेना, सिर पर लेना संकट लेना, संकट को न्यौता देना आफ़ताब - फ़ा० (पु० ) 1 सूरज, सूर्य 2 कड़ी धूप । -ज़दा
(वि०) धूप का जला हुआ; ~ आफ़ताबी I (वि०) सूर्य संबंधी II (स्त्री०) 1 आतिशबाजी 2 ज़री के काम का पंखा जिस पर सूर्य का चित्र बना होता है; ~रू (वि०) जिसका मुख सूर्य की ओर हो
आफ़ताबा - फ़ा० (पु०) हाथ मुँह धुलाने का गडुआ, टोटीदार
बधना
आफ़रीन - फा० (अ० ) वाह, बहुत अच्छा किया, धन्य हो,
शाबाश
आफ़सेट-अं० ( पु० ) 1 अनुचित्रण 2 फिल्म द्वारा मुद्रण की विधि । ~प्रिंटिंग (स्त्री०) अनुचित्र मुद्रण आफ़ियत - अ० (स्त्री०) कुशल मंगल, ख़ैरियत आफ़िस -अं० (पु० ) कार्यालय, दफ़्तर । कर्मचारी, ~कार्यकर्त्ता + सं० (पु० ) कार्यालय में काम करनेवाला व्यक्ति
अफिसर-अं० (पु० ) अधिकारी, अफ़सर, प्रधान
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आबोदाना
आफू - ( स्त्री०) अफ़ीम
आबंध - सं० (पु० ) 1 बंधन 2 गाँठ 3 प्रेम आबंधक-सं० (वि०) बाँधने या गाँठ लगाने वाला । ~ अधिकारी (पु० ) भूमि का कर या राजस्व निश्चित करनेवाला अधिकारी
आब - [फा० (पु० ) 1 पानी, जल 2 शराब 3 अर्क II (स्त्री०) 1 शोभा 2 चमक, कांति। कार +हिं० (पु० ) शराब बनानेवाला या बेचनेवाला; कारी हिं० (स्त्री०) 1 शराब का कारखाना 2 शराब खींचना, मद्य व्यवसाय; कारी विभाग (पु० ) मादक द्रव्यों से संबंधित विभाग; खाना + हिं० (पु० ) मदिरालय; खुर्दा (वि०) सील खाया हुआ; खोरा (पु०) मिट्टी का गिलास जो मुँह पर सकरा हो; ~गीना (पु० ) 1 शीशा 2 स्फटिक; ~गीर (पु० ) 1 गढ़ा 2 तालाब; ~ गुल (पु०) गुलाब का अर्क; जोश (पु.) यखनी, शोरबा; ~ताब (स्त्री०) 1 चमक 2 शोभा; दस्त (पु० ) 1 सौंचना 2 आबदस्त का पानी दाना (पु० ) 1 दाना-पानी 2 किस्मत दार I (वि०) 1 चमकदार
2 धारदार II ( पु० ) 1 नौकर 2 तोप में सुंबा और पानी देनेवाला व्यक्ति 3 स्वाभिमानी दारी (स्त्री०) 1 आबदार होने की अवस्था 2 पानी रखने की नौकरी; दीदा (वि०) रोआँसा दोज़ (वि०) पानी में डूबकर, पानी के भीतर चलनेवाली ( पनडुब्बी); ~पाशी (स्त्री०) सिंचाई, रंग (पु०) चित्रकारी में पानी रंग खाँ I ( पु० ) बहता हुआ पानी II ( स्त्री०) बढ़िया, महीन मलमल, रू (स्त्री०) इज्ज़त, मान, प्रतिष्ठा; शिनास (पु० ) पानी की गहराई नापनेवाला जहाज़ी कर्मचारी ~ हवा (स्त्री०) जलवायुः ~ दाना उठना स्थान विशेष में जीविका का उपाय न रह जाना; चढ़ाना शोभा युक्त करना; रू उतारना बेइज़्ज़त करना; - रूखाकं में खोना या खाक में मिलाना; रू गँवाना
आबद्ध-सं० I (वि०) 1 बँधाँ हुआ 2 बाधित 3 जकड़ा हुआ II (पु० ) दृढ़ बंधन
आबनूस - फ्रा० (पु० ) तेंदू नामक एक जंगली पेड़ आबनूसी - फा० (वि०) आबनूस का आबला -फ़ा० (पु०) छाला, फफोला आबल्य-सं० (पु० ) निर्बलता, कमजोरी आबाद - फा० (वि०) 1 बसा हुआ, बस्तीवाला 2 संपन्न, खुशहाल 3 फलता फूलता। कार ( पु० ) 1 जंगल 2 आबाद होनेवाले कृषक; ~करना 1 बसाना 2 कृषि योग्य
बनाना
आबादान-फा० (वि०) = आबाद आबादानी, आबादी-फ़ा० (स्त्री०) 1 आबाद जगह 2 जनसंख्या 3 बहुतायत 4 आमोद-प्रमोद 5 सभ्यता, संस्कृति आबाल-सं० ( क्रि० वि०) बाल्यवस्था से लड़कपन से ।
वृद्ध (क्रि वि०) बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब आबी - फ्रा० | (वि०) 1 जल का 2 जल में रहने या होने वाला II (पु० ) एक प्रकार का अंगूर
आबेसुर्ख -फ़ा० (पु०) शराब आबोताब-फा० (स्त्री०) 1 तेज़ी 2 चमक-दमक आबोदाना-फ्रा० (पु० ) = आब दाना
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आबोहवा
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आमूल
आबोहवा-फा (स्त्री०) = आब हवा
आम-(पु०) । एक प्रसिद्ध फल और उसका पड़, आम्र आब्दिक-सं० (वि०) प्रतिवर्ष होनेवाला, वार्षिक, सालाना रसाल । (जैसे टपके का )पाल का-- (पु०) भूसे आभरण-सं० (पु०) 1 गहना, आभूषण 2 भरण पोषण
आदि में पकने के लिए एवं गए आमः के आम गुठली के आभरित-सं० (वि.) 1 आभूषण युक्त 2 पाला पोसा हुआ दाम (पु०) दोहरा लाभः खाने से काम या पेड़ गिनने 3जिसका भरण पोषण हुआ हो
से काम करो निरर्थक प्रश्न से मतलब आभा-सं० (स्त्री०) । शोभा 2कांति, चमक 3 रंगत 4 प्रतिबिंब आमद-फ़ा० (स्त्री०) 1 आगमन, अवाई, आना 2 आमदनी, आभार-(पु०) । भार, बोझा 2 कृतज्ञता 3 उत्तरदायित्व आय। खर्च (पु०) आय-व्यय; रफ्त (पु०) आभारी-सं० (वि०) कृतज्ञ
आना-जाना; उपर की आतरिक्त आमदनी आभाष-सं० (पु०) 1 कहना, बोलना 2 संबोधन 3 भूमिका आमदनी-फा० (स्त्री०) । आय 2 प्राप्ति 3 नफ़ा, लाभ। आभाषण-सं० (पु.) 1 बातचीत करना 2 संबोधन
~और खर्च (पु०) आय और व्ययः का साधन आभास-सं० (पु.) 1 चमक, दीप्ति 2 कांति, शोभा 3 भ्रम (पु०) आमदनी का जरिया; आमदरफ्नी आना-जाना छाया, प्रतिबिंब 4 झलक 5 मिथ्या प्रतीति । --वाद (३०) यह आमन-(पु०) 1 अगहनी धान 2 एक ही फ़सल देनेवाला खेत मान्यता कि सृष्टि छाया मात्र है
आमनस्य-सं० (पु०) 1 दुःख 2 दर्द आभासन्–सं० (पु०) 1 आलोकित करना 2 स्पष्ट करना आमना-सामना-(पु०) 1 सामना 2 भेट आभासमान, आभासित-सं० (वि०) 1 आलोकित किया आमनी-(स्त्रो०) . आमन हुआ 2 साफ़ दिखाई दिया
आमने सामने-(क्रि० वि०) इधर-उधर आभिजात्य-1 सं०(पु०) कुलीनता II (वि०) ऊँचे कुल के आमरक्तातिसार-सं० (पु०) - आमातिसार योग्य
आमरण-सं० (क्रि० वि०) मरते समय तक, मरण काल तक आभिधा-सं० (स्त्री०) 1 ध्वनि, शब्द 2 उल्लेख 3 नाम आमर्दन-सं० (पु०) 1 मसलना, रगड़ना 2 दबाना 3 निचोड़ना आभिधानिक-[ सं० (वि०) शब्दकोश संबंधी II (प.) आमर्ष-सं० (पु०) असहनशीलता कोशकार
आमलक-सं० (पु०) आँवला आभीर सं० (पु०) 1 अहीर, गोप, ग्वाला 2 एक राग आमलेट-अं० (पु०) फेंटे हए अंडे का पकवान आभीरी-सं० (स्त्री०) 1 अहीरिन 2 अहीरों की बोली आमाजीर्ण-सं० (पु०) आँव के साथ अनपच आभील-1 सं० (पु०) 1 शारीरिक कष्ट 2 दुःख 3 दुर्भाग्य II आमातिसार-सं० (पु०) आँव, पेचिश (वि०) भयानक
आमादगी-फा (स्त्री०) तैयार होना, तत्परता आभूषण-सं० (पु०) = आभरण
आमादा-फा० (वि०) तैयार, तत्पर, उद्यत आभूषित-सं० (वि०) अलंकृत, शोभित
आमानाह-सं० (पु०) चि० ऑव के कारण पेट फूलना आभृत-सं० (वि०) 1 भरा हुआ 2 जकड़ा हुआ 3 उत्पादित | आमान-सं० (पु०) 1 कच्चा अन 2 कच्चा चावल 4 पास लाया हुआ
आमाल-अ० (पु०) 1 अच्छे और बुरे काम 2 अनुचित एवं आभोग-सं० (पु०) भोग
निंदनीय कर्म 3 करतूत, करनी। आभ्यंतर, आभ्यंतरिक-सं० (वि०) अंदर होनेवाला, अंदरी, आमाशय-सं० (पु०) पेट में भोजन एकत्र होने और पकने की भीतरी
थैली, मेदा आध्यासिक-सं० (वि०) अभ्यास संबंधी
आमाशयार्ति-सं० (स्त्री०) मेदे का दर्द आभ्युदयिक-I सं० (वि०) 1 उन्नत करनेवाला 2 अभ्युदय आमाहल्दी-(स्त्री०) एक औषधि आँबा हल्दी साधक 3 उन्नत II (पु०) पुत्रजन्म, विवाह आदि अवसर पर आमिक्षा-सं० (स्त्री०) फटे दूध का ठोस भाग, छेना किया जानेवाला श्राद्ध
आमिल-[ अ० (वि०) 1 अमल या प्रयोग करनेवाला 2 ठीक आमंत्रण-सं० (पु०) 1 बुलाना, पुकारना 2 न्यौता, निमंत्रण तरह से काम करनेवाला II (पु०) 1 फकीर 2 प्रधान 3 अनुमति 4 सलाह मशवरा, विचार-विमर्श
आमिष-सं० (पु०) 1 मांस 2 शिकार 3 भोग्य वस्तु 4 पशुओं आमंत्रित-I सं० (वि०) निमंत्रित , बुलाया हुआ II (पु०) का चारा 5 कामना, भोगेच्छा 6 लालच, लोभ। -प्रिय । बुलाना, निमंत्रण देना
(वि०) जिसे मांस प्रिय हो II मांसभक्षी पक्षी; ~भोजी, आम-[ सं० (वि०) 1कच्चा, अनपका 2 न पचा हआ II | आमिषाशी (वि०) मांसभक्षी, मांसाहारी (पु०) कच्चा होने की अवस्था 2 अपक्व 3 रोग 4 अजीर्ण । | आमी-अ० (अ०) = आमीन ल्वात (पु०) 1 जोड़ों का दर्द 2 आँव रोग; ~शल (प.) आमी (स्त्री०) छोटा आम, अँबिया 1 भयंकर दर्द 2 आँव के कारण पेट मरोड़ने का रोग आमीन-अ० (क्रि० वि०) ईश्वर ऐसा करे, एवमस्तु, तथास्तु आम-अ० (वि०) 1साधारण, सामान्य 2 प्रसिद्ध 3 व्यापक। आमीलन-सं० (पु०) बंद करना, मूंदना
तौर पर (क्रि० वि०) सामान्यतः, साधारणतया; दरबार आमुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 छुटकारा, मुक्ति 2 मोक्ष (पु०) खुला दरबार जिसमें सभी लोग जा सकते है; ~ आमुख-सं० (पु०) 1 आंरभ 2 प्रस्तावना 3 भूमिका फ्रहम (वि०) जो सबकी समझ में आ जाए, सुबोध आमुष्पिक-[ सं०(वि०) दूसरे लोक से संबंध रखनेवाला II
फहमियत (स्त्री०) राय (स्त्री०) लोकमत; ~लोग | (पु०) दूसरे लोक का निवासी (पु०) जन साधारण
| आमूल-सं० (अ०) 1 आरंभ से (~सुधारवाद) 2 सब।
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आमेज़
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आयोजन
प्रार्थना
श्रुति
चूल (वि०) एड़ी से चोटी तक
आया-(स्त्री०) बच्चे को दूध पिलानेवाली दाई, धात्री, धाय आमेज़-फा० (वि०) 1 मिलने वाला 2 मिलाने वाला 3 मिला आया-गया अचानक आकर चले जानेवाला व्यक्ति, अजनबी हुआ, मिश्रित 4 मिला हुआ (जैसे ख़ाक-~)
का आकर चला जाना। ~करना उपेक्ष्य एवं तुच्छ समझकर आमेज़िश-फा० (स्त्री०) मिलावट
छोड़ देना आमोखता-फा० (पु०) पढ़े हऐ पाठ को दोहराना आयाचन-सं० (पुल) 1 हठपूर्वक कुछ कहना 2 माँगना आमोटित-सं० (वि०) मोड़ा-तोड़ा हुआ
आयाचित-[ सं० (वि०) 1 माँगा हुआ 2 प्रार्थित II (पु०) आमोद-सं० (पु०) 1 खुशी, प्रसत्रता 2 महक, सुगंधि। ~
आलाप (पु०) हर्ष प्रकट करने का भाव; ~प्रमोद (पु०) आयात-[ सं० (वि०) आया हुआ, आगत || (पु०) सुख चैन, भोग विलास
1माल। आना या माल मँगाना 2 विदेश से आया हुआ आमोदित, आमोदी-सं० (वि०) 1 प्रसन्न 2 आनंदित माल। ~कर (पु०) विदेश से आनेवाले माल पर 3 सुवासित, खुशबूदार
लगनेवाला शुल्क, टैक्स; कर्ता (पु०) = आयातक; आम्नात-सं० 1 कहा हुआ 2 विचरित 3 याद किया हुआ निर्यात (पु०) सामान मँगाना और भेजना; -निर्यात 4 उल्लिखित
संतुलन (पु०) आम्नाय-सं० (पु०) 1 पवित्र प्रथा या रीति 2 वेदाभ्यास 3 वेद, आयातक-सं० (पु०) माल आयात करनेवाला
आयातित-सं० बाहर से मँगाया हुआ आम्र-सं० (पु०) = आम (फल एवं पेड़)। ~मंजरी सं० आयाम (पु०) अधिकतम सीमा, विस्तार, विस्तीर्णता (स्त्री०) आम के बौर का गुच्छा
आयामन-सं० (पु.) 1 खींचना, तानना, फैलाना 2 नियम में आम्ल-सं० (पु०) 1 खट्टापन 2 इमली
बाँधना 3 नियंत्रण करना । आम्लिका-सं० (स्त्री०) 1 खट्टा स्वाद एवं डकार 2 इमली आयामी-(वि०) लंबा-चौड़ा आयती-पाती (स्त्री०) सिरहाना-पायताना
आयास-सं० (पु०) 1प्रयत्न 2 श्रम 3 थकावट आयंदा-फा० (क्रि० वि०) = आइंदा
आयासी-सं० (वि०) 1 प्रयत्न करनेवाला 2 थका हुआ आय-सं० (स्त्री०) 1 आमदनी 2 लाभ। ~कर (पु०) आयु-सं० (स्त्री०) 1 उम्र, अवस्था 2 जीवनकाल । ~सीमा इनकम टैक्स; ~व्यय (पु०) आमद खर्च; ~व्ययक (स्त्री०) अधिकतम आयु: खुटाना मृत्यु पास आना, आयु (पु०) आय और व्यय का लेखा-जोखा; ~ व्यय निरीक्षक का समाप्त होना (पु०), ~व्यय निरीक्षण (पु०), ~व्यय पत्रक, आयुक्त-I सं० (वि०) 1 संयुक्त 2 नियुक्त II (पु०) ~व्ययफलक (पु०) ~व्ययिक (पु०) = आय व्ययक; 1 अभिकर्ता 2 कमिश्रर स्रोत (पु०) आय का जरिया
आयुत-सं० (वि०) मिलाया हुआ आयत-I सं०(वि०) 1लंबा 2 विस्तृत 3 विशाल II (पु०) आयुध-सं० (पु०) 1 हथियार 2 आभूषण बनाने के काम में समकोण चतुर्भुज ग०
आनेवाला सोना। ~उद्योग-सं० (पु०) अस्त्र शस्त्र उद्योग; आयत-अ० (स्त्री०) 1कुरान का वाक्य 2 निशान
~घर +हिं० (पु०) = आयुधागार; -जीवी I (पु०) आयतन-सं० (पु०) 1 लम्बाई-चौड़ाई-उँचाई आदि 2 मकान सिपाही, योद्धा II (वि०) अस्त्र से जीविका करनेवाला; 3 मंदिर। ~मापी
-विधान (पु०) हथियार रखने के नियम एंव कानून आयताकार-सं० (वि०) आयत सी आकृतिवाला आयुधक, आयुधकार-I सं० (वि०) हथियार धारण आयति-सं० (स्त्री०) 1 आयतन, विस्तार 2 भविष्य काल करनेवाला II (पु०) सैनिक, सिपाही, योद्धा 3 सम्मान
आयुधागार-सं० (पु०) हथियार रखने का स्थान, शस्त्रागार, आयत्त-सं० (वि०) 1 अधीन 2 आश्रित
आयुधशाला आयत्ति-सं० (स्त्री०) 1 अधीनता 2 दसरे पर अवलंबित होना आयुधीय-सं० (वि०) शस्त्र का आयद-अ० (वि०) 1लौटनेवाला 2 घटित, लागू आयुर्विज्ञान, आयुर्वेद -सं० (पु०) भारतीय चिकित्सा शास्त्र (जैसे-जुर्म~ होना)
आयुर्वेदाचार्य-सं० (पु०) आयुर्वेद का आचार्य आयन-अं० (पु०) विद्युतीकृत परमाणु
आयुर्वेदी-सं० (पु०) = आयुर्वेदाचार्य आयनीकरण-अं० +सं० (पु०) आयोनी बनाना
आयुर्वेदीय-सं० (वि०) आयुर्विज्ञान संबंधी, आयुर्वेद का आयरन-अं० (पु०) लोहा। ल्फाउंडरी (स्त्री०) लोहा आयुर्वैदिक-I सं० (वि०) आयुर्वेद संबंधी II (पु०) ढालने का कारखाना
आयुर्वेद का ज्ञाता आयरिश-अं० (वि०/पु०) आयरलैड का (निवासी), आयुष्कर-सं० (वि०) आयु बढ़ानेवाला आयरलैंड की भाषा
आयुष्मान-(वि०) दीर्घायु, चिरंजीवी आयल-अं० (पु०) तेल। कंपनी (स्त्री०) तेल कंपनी; आयुष्य-सं० (पु०) उम्र, आयु पंजन तेल इंजन
आयोग-सं० (पु०) 1नियुक्ति 2 कमीशन 3 काम देना आयस-सं० (पु०) 1 लोहा 2 लोहे का कवच 3 हथियार | आयोजक-सं० (वि०) आयोजन करनेवाला मापसी-I सं०(पु०) कक्च II (वि०) लोहे का बना हुआ आयोजन, आयोजना-सं० (पु०) 1 समारोह जुटाना आया-फा० (क्रि० वि०) प्रश्नवाचक 'क्या'
2 जोड़ना 3 प्रबंध 4 तैयारी;
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आयोजित
आयोजित-सं० (वि०) 1 जिसे जोड़ा गया हो 2 आयोजन किया हुआ 3 संगृहीत, 4 संबद्ध किया हुआ आयोधन-सं० 1 युद्ध 2 युद्धभूमि 3 वध आरंभ - सं० (पु० ) 1 शुरू करना, श्री गणेश करना 2 प्राथमिक अवस्था 3 शुरू का हिस्सा 4 व्यायाम । कर्त्ता (पु० ) शुरू करने वाला व्यक्ति; काल (पु० ) शुरू का समय वाद (पु० ) इस सिद्धांत के अनुसार सृष्टि रचना का आरंभ ईश्वरीय इच्छा से हुआ है; ~ बिंदु (पु० ) शुरू का चिह्न; शूर (पु० ) वह जो काम को आरंभ करने में ही होशियार हो आरंभक-सं० (वि० ) आरंभकर्ता आरंभिक-सं० (वि०) 1 शुरू का 2 शुरू में होनेवाला आरंभी सं० (वि०) 1 आरंभ करनेवाला 2 नये सिरे से जोखिम भरा कार्य करनेवाला
आर-I (पु०) 1 खान से निकला हुआ अशुद्ध लोहा 2 पीतल 3 पहिये का आरा II (स्त्री०) ज़िंद, हठ। पड़ना जिद करना; पार ( क्रि० वि०) इस सिरे से उस सिरे तक आर सं० (पु० ) बर्रे, बिच्छू आदि का डंक आर-अ० (स्त्री०) 1 लज्जा, शर्म 2 बैर, शत्रुता आरकेस्ट्रा - अं० (पु० ) सामूहिक रूप से बाजा बजानेवालों के बैठने का स्थान
आरक्त-सं० हल्का लाल
आरक्योलॉजिकल-अं० (वि०) पुरातात्विक, पुरातत्व सबंधी आरक्योलॉजिस्ट -अं० (पु० ) पुरातत्वविज्ञानी, पुरातत्ववेत्ता आरक्योलॉजी-अं० पुरातत्व
आरक्षक-सं० (पु०) पहरेदार, प्रहरी । बल (पु० ) पहरेदारों की टुकड़ी
आरक्षण-सं० रिज़र्व कराना
आरक्षिक-सं० (वि०) = आरक्षक
आरक्षित सं० (वि०) रक्षा किया हुआ
आरक्षी - सं० (वि०) पुलिस सिपाही । त्वरित दल (पु० ) पुलिस स्कवॉड
आर्गनाइज़र - अं० (पु०) संगठन-कर्ता आरज़ा - अं० (पु०) बीमारी, रोग आरजी-अ० (वि०) 1 आरोपित, कल्पित 2 अस्थायी (जैसे- ~ समझौता)
आरजू - फ़ा० (स्त्री०) इच्छा, कामना, अभिलाषा । मंद (वि०) इच्छुक, कामी, अभिलाषी; मिन्नत + अ० (स्त्री०) में मिलाना इच्छाओं पर पानी फेर देना खुशामद ख़ाक आरण्य, आरण्यक - I सं० (वि०) जंगली II (पु० ) वन का निवासी
आरती - सं० (स्त्री०) धूप-दीप से पूजा । ~करना या उतारना अभिनंदन करना
आरभट - ( पु० ) साहसी, वीर
आरमण - सं० (पु० ) 1 आनंद लेना 2 रमण करना आरव -सं० ( पु० ) तीव्रध्वनि, नाद
आरसी - (स्त्री०) अँगूठे का शीशा, दर्पण, आईना
आरस्य - सं० (पु० ) नीरसता, स्वादहीनता
आरा - (पु० ) 1 लकड़ी चीरने का एक दाँतीदार औज़ार 2 चमड़ा
सीने का सूजा। ~मिल अं० (स्त्री०)
आराइश - फा० (स्त्री०) सजावट, श्रृंगार
+
आरोपण
आराइशी - फ़ा० (वि०) सजावट के काम में आनेवाला आराकश हिं० + फ़ा० (पु० ) आरा चलानेवाला, उपासक आराज़ी - अ० 1 भूमि, ज़मीन 2 खेत आराति-सं० ( पु० ) शत्रु, दुश्मन आराधक-सं० (वि०) आराधना करनेवाला आराधन -सं० ( पु०) आराधना करना आराधनीय, आराध्य -सं० (वि०) आराधना के योग्य, पूज्य आराम - सं० (पु० ) 1 सुख, प्रसन्नता 2 उपवन, बगीचा आराम - फ़ा० (पु० ) 1 सुख 2 चैन 3 विश्राम। ~कुरसी अ० (स्त्री०) आराम करने की लंबी कुरसी; गाह, घर हिं० (पु० ) सोने का कमरा, शयनागार; चैन + हिं० (पु०) सुख और शांति, तलब + अ० (वि०) 1 सुख चाहनेवाला 2 आलसी; तलबी + अ० (स्त्री०) आराम
+
तलब होने का भाव; ~दान (पु० ) 1 पानदान 2 सिंगारदान; -दायक + सं०, देह (वि०) आराम देनेवाला; पसंद (वि०) = आरामतलब; ~ पसंदी (स्त्री०) = आरामतलबी; पाई हिं० (स्त्री०) हल्का जूता; ~ करना 1 सोना 2 चंगा कर देना; ~ फरमाना आराम करना; से गुज़रना चैन से दिन काटना होना चंगा होना आरामिक-सं० (पु०) माली, बाग़वान आरालिक-सं० (पु० ) रसोइया, पाचक आरास्ता - फ़ा० (वि०) सुसज्जित, सजाया हुआ आरिज़ा - अ० ( पु० ) 1 रोग, बीमारी 2 क्लेश, दुःख आरिफ़ - अ० (पु० ) ईश्वर को जाननेवाला, भक्त आरिफ़ाना-अ० + फ़ा० भक्तोचित आरियत - अ० (स्त्री०) उधार, मँगनी आरियतन-अ० ( क्रि० वि०) उधार के रूप में आरियती-अ० (वि०) उधार ली हुई आरी - (स्त्री०) 1 लकड़ी, लोहा आदि चीरने का दाँतीदार औज़ार 2 चमड़ा सीने का सूजा 3 पैने की नोक में खुसी कील 4 बबुरी 5 किनारा
आरी-अ० (वि०) 1 दीन 2 लाचार
आरूढ़ -सं० (वि०) 1 चढ़ा हुआ, सवार 2 आसीन 3 दृढ़
4 तत्पर
आरेख - ( पु० ) ख़ाका, डायग्राम
=
आरोग्य - सं० ( पु० ) रोग का अभाव, स्वस्थता । आश्रम (पु० ) = आरोग्य सदन; ~कारी (वि०) स्वस्थ रखनेवाली; ~ प्रमाण-पत्र (पु० ) स्वस्थ होने का सर्टिफ़िकेट; ~लाभ (पु० ) स्वास्थ्य लाभ; ~शाला ( स्त्री०) = आरोग्य सदन; ~ शास्त्र (पु०) आयुर्वेद; ~ सदन (पु० ) अस्पताल, चिकित्सालय; ~ स्नान (पु०) रोग मुक्ति के बाद का नहान आरोग्यालय-सं० ( पु० ) आरोग्य सदन आरोचक - सं० (वि०) प्रकाशमान्, चमकीला आरोप- सं० 1 दोष-संस्थापन 2 किसी वस्तु पर अन्य वस्तु की कल्पना करना 3 ऊपर से लाकर लगाना। पत्र (पु० ) ऐसा पत्र जिस पर आरोपों (दोषों) का विवरण लिखा हो; ~ प्रत्यारोप (पु० ) इल्ज़ाम और फिर इल्ज़ाम के जवाब में इल्ज़ाम फलक (पु० ) आरोप पत्र आरोपक-सं० (वि०) दोष लगानेवाला आरोपण-सं० (पु० ) 1 दोष लगाना 2 संस्थापन 3 एक वस्तु में
89
=
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आरोपित
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आलम
अन्य धर्म की कल्पना 4 मिथ्या कल्पना 5 प्रम
आर्मेडा-अं० (पु०) सैन्य जलपोत समूह आरोपित-सं० (वि०) 1 दोष लगाया हआ 2 स्थापित किया आर्मेनियन-अं० (वि०) = आमीनिपन हुआ 3 रोपा हुआ
आर्य-I सं० (वि०) 1 उत्तम, श्रेष्ठ 2 पूज्य, मान्य 3 कुलीन आरोह-सं० (पु०) 1 आरोहण 2 ऊँचे स्वर से उच्चारण । 4 उपयुक्त, योग्य II (पु०) 1 प्रतिष्ठित व्यक्ति 2 धर्म एवं __ ~अवरोह (पु०) उतार-चढ़ाव
नियमों के प्रति निष्ठावान व्यक्ति 3 आनार्यो एवं शूद्रों से भिन्न आरोहण-सं० (पु०) 1 चढ़ना 2 सवार होना 3 चढ़ाई 4ऊँचाई एक सभ्य जाति 4 आवार्य, गुरु, पति आदि सम्माननीय व्यक्ति आरोहावरोह-सं० (पु०) = आरोह-अवरोह
के लिए प्रयोग किया जानेवाला संबोधन । ~धर्म (पु०) आरोही-I सं० (वि०) 1 चढ़ने वाला 2 सवार II (पु०) 1 सदाचार, उत्तम आचरण 2 हिंदू धर्म; ~पुत्र (पु.) 1 ऊपर जानेवाला स्वर या स्वरों का क्रम (संगीत)
आदरणीय व्यक्ति का पुत्र, 2 राजकुमार, पति आदि के लिए आर्क-सं० (वि०) सूर्य से संबंध रखनेवाला
संबोधन; ~ सत्य - (पु०) बौद्ध धर्म का मूल सत्य; आर्क-अं० (स्त्री०) ज्यामिति में लगाया जानेवाला चाप समाज (पु०) हिंदुओं का एक संप्रदाय जो मूर्तिपूजा आर्कबिशप-अं० (पु०) सर्वोच्च बिशप
(पु०) पुराणों आदि का खंडन कर मूल वैदिक धर्म का पोषण आर्किटेक्चर-अं० (पु०) स्थापत्य, वास्तुकला
करता है। समाजी I (पु.) आर्य समाज का अनुयायी II आर्केस्ट्रा-अं० (पु०) = आरकेस्ट्रा
(वि०) आर्य समाज संबंधी आर्गन-अं० (पु०) 1 पुखपत्र 2 फंक से बजाया जानेवाला एक | आर्यावर्त्त-सं० (पु०) 1 भारत का मध्य देश 2 भारत बाजा
आर्येतर-सं० (वि०) जो आर्य न हो, आर्य से भित्र आर्गेनिक-अं० (वि०) जैविक
आर्ष-सं० 1 ऋषियों का 2 ऋषियों का बनाया हआ 3 वैदिक से आर्धा-सं० (स्त्री०) पीले रंग की मधुमक्खी
सबंधित।प्रयोग (पु०) भाषा का प्रयोग जो भले ही आर्जव-सं० (पु०) 1 सीधापन 2 सरलता 3 साधुता, व्याकरण सम्मत न हो. पर विद्वानों द्वारा मान्य हो; विवाह निष्कपटता
(पु०) ऐसा विवाह जिसमें कन्या का पिता कुछ धन लेता है आर्ट-अं० (पु०) 1 कला 2 शिल्प। ~डाइरेक्टर (पु०) आर्सेनिक-अं० (पु०) संखिया कला निदेशक; ~पेपर (पु०) रोग़नी काग़ज
आहेत-I सं० (वि०) जैन सिद्धांतों से संबंध रखनेवाला || आर्टिकल-अं० (पु०) 1 अनुच्छेद 2 धारा 3 शर्ते
(पु०) 1 जैन सिद्धांत 2 जैन सिद्धांत का अनुयायी आर्टिस्ट-अं० (पु०) कलाकार
आलंकारिक-[ सं० (वि०) 1 अलंकार संबंधी 2 सजावटी आर्डनेंस-अं० (पु०) 1 गोला-बारूद 2 तोपखाना
3 अलंकार युक्त, लाक्षणिक II (पु०) अलंकार शास्त्र का आर्डर-अं० (पु०) आदेश, आज्ञा। ~बुक अं० (स्त्री०) | ज्ञाता आदेश-पंजी
आलंब, आलंबन-सं० (पु०) 1 सहारा 2 नींव 3 भाव का आर्डिनरी-अं० (वि०) साधारण
आधार आर्डिनेंस-अं (पु०) अध्यादेश
आलंबित-सं० (वि०). 1 टिका हुआ 2 आश्रित आर्त-सं० (वि०) 1 दुःखी 2 अस्वस्थ। ~ध्वनि (स्त्री०) आलंभ, आलंपन-(पु०) 1 स्पर्श करना 2 पकड़ना जाद, स्वर (पु०) दर्दभरी पुकार, गुहार
आल-(पु०) 1 विषाक्त तरल पदार्थ 2 हरताल 3 एक प्रकार आर्तव-[ सं० (वि.) 1 ऋतु संबंधी 2 ऋतु में उत्पन्न | का कटीला पौधा 4 फसल 5 फसल को हानि पहुँचानेवाला (पु०) स्त्री० रज, मासिक धर्म
कीड़ा, माहो 6 झंझट । --जाल I (वि०) व्यर्थ का, आर्ति-सं० (स्त्री) 1 क्लेश, दुःख 2 रोग 3 मनोव्यथा ऊटपटांग II (पु०) व्यर्थ की बात, व्यर्थ की वस्तः ~~वाल आर्थिक-सं० (वि०) अर्थ संबंधी, रुपये-पैसे का (जैसे (पु.) थाला (वृक्ष); ~औलाद (स्त्री०) 1 बाल-बच्चे ~~संकट, लाभ)
2 परिवार और संतान आर्थी-सं० (वि०) शब्दार्थ से संबंधित। - व्यंजना (स्त्री०) आलकस-(पु०) = आलस्य
अभिव्यक्ति जिसमें अपना अभिप्राय चेष्टा, व्यंग्य, काकु आदि आलथी-पालथी-(स्त्री०) एड़ियों को दूसरी ओर की जंघाओं द्वारा प्रकट होता है
पर रखकर बैठने का ढंग आर्द्ध-सं० (वि०) आधा (जैसे - आर्द्धमासिक) आलन-(पु०) 1 मिट्टी में मिलाया जानेवाला घास भूसा आर्द्र-सं० (वि०) 1 गीला, तरल, नम 2 द्रवित 3 लथपथ। 2 बेसन या आटा जो साग़ या फलों के टुकड़ों में मिलाया जाता
ता आर्द्र होने की अवस्था; ~मापी (पु०) तरलता नापने का यंत्र
आलना-(पु०) चिड़ियों का घोंसला, नीड आर्द्रा-सं० 1 आषाढ़ माह का एक नक्षत्र जिसमें वर्षा एवं खेती आलपीन-पुर्त० (स्त्री०) धुंडीदार सुई, पिन
का आरंभ होना उत्तम माना गया है 2 आदी, अदरक आलम-अ० (पु०) 1 संसार, जगत् , दुनिया 2 जनसमूह आर्मड-अं० सशस्त्र
3 दशा 4 दृश्य 5 संसार में रहनेवाले मनुष्य। ~खामोशी + आर्मिस्टिस-अं० (पु०) युद्धविराम
फ्रा० (पु०) मौन वातावरण; ~गीर + फ्रा० I (वि०) आर्मी-अं० (स्त्री०) सैनिक, योद्धा। -कोर (१०) सैनिक दुनिया को जीतनेवाला II (पु०) चक्रवर्ती राजा; ~गीरीटुकड़ी
फ़ा० (स्त्री०) संसार-विजय ... पनाह - फ़ा० (पु०)1 संसार आर्मेचर-अं० (पु०) कवच
भर के लिए शरण 2 बादशाह
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आलमारी
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आवंटित
आलमारी-पुर्त० (स्त्री०) अलमारी
आली-सं० (स्त्री०) 1 सखी, सहेली 2 भ्रमरी आलय-सं० (पु०) 1 घर, मकान 2 जगह, स्थान आलू-(पु०) एक छोटा गोल कंद जिसकी तरकारी बनती है (जैसे-चिकित्सालय, छात्रालय) आदि
आलूचा-फा० (पु०) एक प्रकार का खाए जानेवाला रसीला आल राउंडर-अं० (पु०) सभी विषयों में थोड़ी-बहत योग्यता फल रखनेवाला
आलू बुखारा, आलू बोखारा-फा० (पु०) सुखाया गया आलस-(पु०) = आलस्य
आलूचा नामक फल आलसी-(वि०) निकम्मा और सुस्त
आलेख-सं० (पु०) 1लिखना 2 लिखावट, लिपि 3 लेख, आलस्य-सं० (पु०) 1सुस्ती और निकम्मापन 2 उत्साहहीनता पत्र 4 चित्र, खाका। -विद्या (स्त्री०) चित्रकारी 3 शिथिलता; ~मय (वि०) = आलसी
आलेखक-सं० (पु०) 1लिखनेवाला 2 लिपिबद्ध करनेवाला आला-I (पु०) 1 दीवाल में बना ताक, ताखा 2 कुम्हार का ___ 3 चित्र आदि बनानेवाला
आँवाँ II (वि०) 1 गीला, तर, नम 2 ताजा 3 कच्चा और हरा आलेखन-सं० (पु०) 1लेखन क्रिया 2 चित्र अंकित करना आला-[अ० (वि०) ऊँचे दरज़े का और बढ़िया, उत्तम, श्रेष्ठ आलेखनी-सं० (स्त्री०) 1 कलम 2 चित्र अंकित करनेवाली II (पु०) कारीगर के काम करने का उपकरण, औज़ार | कूँची (ब्रश) आलाइश-फा० (स्त्री०) पेट के अंदर से या शरीर के किसी आलेख्य-[सं० (वि०) 1 लिखे जाने योग्य 2 जो लिखा जाने अंग से निकलनेवाली गंदी चीज़ (जैसे-मवाद, मल, रक्त को हो II (पु.) 1 वह जो कुछ लिखा गया हो 2 चित्र, तस्वीर आदि)
आलेप-सं० (पु०) पलस्तर आलात-सं० (पु०)लुआठी
आलेपन-सं० (पु०) लेप या पलस्तर करना आलात-अ० (पु०) 1 उपकरण, औज़ार 2 जहाज़ का रस्सा आलोक-सं० (पु०) 1 देखना, दर्शन, दुष्टि 2 प्रकाश, रोशनी आलाते जंग-अ० + फ़ा (पु०) युद्ध के शस्त्रास्त्र
3 स्पष्टीकरण। गृह (पु०) (प्रायः समुद्र में बना) लाइट आलान-सं० (पु०) 1खूटा 2 खम्भा 3 रस्सा 4 सीकड़ हाउस; -चित्रण (पु०) तस्वीर खींचना (फोटोग्राफी); आलाप-सं० (पु०) 1कहना, बोलना 2 वार्तालाप पत्र (पु०) किसी विषय को स्पष्ट करने के लिए स्मारक के 3 चहचहाहट 4 तानयुक्त स्वरों में आरंभिक धन प्रदर्शन । रूप में लिखा गया पत्र-लेख; ~स्तंभ (पु०) = आलोक --कलाप + हिं० (पु०) बातचीत; -चारी (स्त्री०) स्वरों | गृह; हीन प्रकाश से हीन को साधने की क्रिया
आलोकन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह से देखना, अवलोकन आलापक-सं० (वि०) 1 संगीत में स्वरों का आलाप 2 दिखलाना 3 चमकाना 4 प्रकाशयुक्त करना करनेवाला 2 बातचीत करनेवाला
आलोकनीय-सं० (वि०) अवलोकन योग्य आलापन-सं० (०) = आलाप
आलोकमय, आलोकित-सं० (वि०) 1 देखा हआ आलापना- + हिं० (पु०) 1 तान लगाना 2 शास्त्रीय पद्धति से 2 प्रकाश-युक्त 3 चमकता हुआ गीत गाना
आलोचक-सं० (पु०) 1 देखनेवाला 2 गण-दोष की विवेचना आलापित-सं० (वि०) 1 आलाप के रूप में उच्चारित किया करनेवाला 3 समीक्षक हुआ 2 गाया हंआ 3 कथित
आलोचन-सं. (स्त्री) 1 देखना, दर्शन करना 2 गुण-दोष की आलाधिनी-सं० (स्त्री०) बंसी, वाँसुरी
परख आलापी-सं० (वि०) = आलापक
आलोचना-सं. (स्त्री) गण दोष निरूपण या विवेचनन करना। आलारासी (वि०) 1 आलसी 2 लापरवाह
साहित्य (प.) आलोचना-संबंधी पम्न आलावत-सं० (पु०) 1 कपड़े का बना हुआ पंखा 2 कपड़े से आलोचनात्मक-सं० (वि०) आलोचना वाला ढका हुआ पंखा
| आलोचित-सं० (वि०) 1 जिसकी आलोचना की गई हो 2 जो आलिंगन, आलिंगन-पाश-सं० (पु०) गले लगाना, परखा गया हो परिरंभण
आलोच्य-सं० (वि०) 1आलोचना योग्य 2 परखने काबिल आलिंगित-सं० (वि०) गले लगाया हुआ
आलोड़न-सं० (पु०) । मथना 2 मन में उठनेवाला द्वंद्ध, आलिंगी-सं० (वि०) आलिंगन करनेवाला
ऊहापोह 3 क्षोभ। -विलोड़न (पु०) मंधन आलि-सं० (स्त्री०) 1 सखी, सहेली 2 भ्रमरी, भौंरी 3 पंक्ति आलोड़ित-सं० (वि.) 1 मथा हआ 2 अच्छी तरह सोचा आलिखित-सं० (वि०) 1 लिखित 2 चित्रित, अंकित हआ, विचारित आलिम-अ० (वि०) विद्वान्, ज्ञानी, पंडित
आलोप-सं० (पु०) 1 गायब होना, लप्त करना 2 आदेश रद्द आली-[ अ० (वि०) 1 उच्च 2 मान्य 3 श्रेष्ठ, उत्तम || करना (स्त्री०) गीली, तर, नम। खानदान + फ़ा० कुलीन; | आलोल, आलोलित-सं० (वि.)। हिलता, डोलता
जाह + फ़ा० (वि०) ऊँचे स्थान पर बैठनेवाला, उच्च 2 लहराता हुआ 3 चंचल 4 क्षुब्ध पदस्थ; दिमाग़ (वि०) श्रेष्ठ बुद्धिवाला, बुद्धिमान्; | आल्हा-(पु०) 131 मात्राओं का एक छंद 2 बहुत लंबा-चौड़ा -शान (वि०) बहुत बड़ा और भव्य, अत्यधिक शानदार; वर्णन
हिम्मत (वि०) साहसी, साहसपूर्ण; हौसला आवंटन-सं० (पु०) बाँटना, वितरण करना (वि०) धीरजवाला, धर
आवंटित-सं० (वि०) बाँटकर दिया हुआ
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आवंटिती
आवंटिती-सं० (पु०) वह जिसे बाँटकर दिया गया आव - हिं० प्रत्यय जो क्रिया की धातुओं में लगकर स्थिति, भाव आदि के अर्थ सूचित करता है (जैसे- चढ़ना से चढाव, पढ़ना पढ़ाव ) । ~ भगत (स्त्री०); सत्कार ~भाव (पु०) आदर आवक - (पु० ) पहुँच, आना, आमद। जावक (पु० ) आना-जाना
चित्र)
आवक्ष-सं० (वि०) छाती तक (जैसेआवती - (स्त्री०) रसीद
आवधिक -सं० (वि०) 1 अवधि से संबंधित 2 समय-समय पर होनेवाला
92
आवधिकी-सं० (स्त्री०) किसी अवधि पर निकलनेवाली पत्रिका
आवपन - सं० (पु० ) 1 खेत में बीज बोना, बोआई 2 वृक्ष रोपना 3 वृक्ष का थाला
आवरक - I सं० (वि०) ढकनेवाला II ( पु० ) परदा आवरण-सं० (पु० ) 1 परदा 2 ढक्कन 3 आघात रोकनेवाली वस्तु, ढाल । ~ पत्र (पु०) किताब के ऊपर का काग़ज़; -पृष्ठ (पु०) किताब-कापी के जिल्द के ऊपर का पत्रा, कवर मंडित, वेष्ठित (वि०) कवर किया हुआ आवर्जन-सं० (पु०) 1 खींचना 2 आकृष्ट करना 3 अपने अधिकार में करना 4 पराजय, हार
आवर्जित -सं० (वि०) 1 खिंचा हुआ, आकृष्ट 2 वश में किया हुआ 3 पराजित
आवर्त - सं० ( पु० ) 1 किसी तरफ़ घूमना 2 चारों तरफ घूमना, चक्कर लगाना 3 विचारों का मन में रह-रह कर आना। ~ बिंदु (पु० ) वस्तु का घूमनेवाला बिंदु, घूर्णन बिंदु आवर्तक-सं० (वि०) 1 चक्कर लगानेवाला 2 बार - बार मन में उठनेवाला 3 बार-बार होनेवाला। ज्वर (पु० ) म्यादी बुखार
आवर्तन सं० (पु० ) 1 चक्कर लगाना 2 किसी की ओर घूमना 3 मंथन, विलोड़न 4 किसी बात का बार-बार होना आवर्त्तित-सं० (वि०) 1 चक्कर लगाया हुआ 2 घूमा हुआ,
मुड़ा हुआ 3 बार-बार आया हुआ आवर्त्तिता-सं० (स्त्री०) बार-बार होना आवर्ती सं०
आवर्तक आवर्द्धक-सं० (वि०) पदार्थ के मान, शक्ति, आकार को बढ़ानेवाला
आवर्द्धन-सं० (पु०) पदार्थ के आकार, मान, शक्ति आदि बढ़ाने की क्रिया
आवलि-सं० (स्त्री०) आवली आवलित-सं० (वि०) 1 मुड़ा हुआ 2 बल खाया हुआ आवली -सं० (स्त्री०) 1 पंक्ति, कतार 2 श्रेणी आवश्यक -सं० (वि०) 1 ज़रूरी 2 जिसके बिना साधारणतः काम न चल सके, प्रयोजनीय । ~ता (स्त्री०) 1 आवश्यक होने की अवस्था वश 2 ज़रूरत; ( क्रि० वि०) आवश्यकता के कारण आवश्यकीय सं० (वि०) आवसति-सं० (स्त्री०) 1 विश्राम करने का स्थान, बसेरा 2 रात्रि, रात
= आवश्यक
आवसथ-सं० (पु० ) 1 घर 2 गाँव 3 छात्रावास 4 आश्रम
आविक
आवसथ्य - I सं० (वि०) घर का II ( पु० ) यज्ञ की पांच अग्नियों में से एक
आवसरिक-सं० (वि०) अवसर का आवसानिक-सं० (वि०) अंत में होनेवाला आवसित-सं० ( वि० ) 1 पूरा किया हुआ 2 निश्चित आवस्थिक-सं० (वि०) अवस्था के अनुरूप आवहन-सं० (पु० ) पास लाना
आवाँ - (पु० ) मिट्टी के बर्तन पकाने का भट्ठा । ~ बिगड़ना बर्तनों का अच्छी तरह से न पकना; ~ लगाना बर्तनों को पकाने के लिए आग देना; आवै का आव बिगड़ना सारे परिवार में दोष होना
आवागमन - ( पु० ) 1 आना जाना 2 जन्म-मरण का चक्र । ~के साधन आने जाने का रास्ता छूटना जीवन के बंधन से मुक्त होना
आवाज़
फ़ा० (स्त्री०) 1 ध्वनि, बोल 2 पुकार 3 शोर । ~ रसान (पु० ) ध्वनि-यंत्र उठाना, ऊँची करना बात के पक्ष या विपक्ष में कहना, बोलना; खुलना मुँह से बात निकलना; गिरना स्वर का मंद होना; देना पुकारना, बुलाना, निकालना बोलना; पड़ना गला बैठना, स्वर टूटना पर कान रखना ध्यान देना; पर लगाना संकेत पर चलना, काम करना; फटना आवाज़ भरना; बैठना गला बैठना; भर्राना; भारी होना गले से मोटी अस्पष्ट आवाज़ निकलना; मारना जोर से पुकारना; ~ लगाना 1 आवाज़ देना 2 ऊँची तान लगाना आवाज़ा - फ़ा० (पु०) व्यंग्य, ताना। ~कसना बोली बोलना, व्यंग्य करना
आवाजाही - (स्त्री०) आना-जाना
आवाप -सं० 1 बिखेरना 2 बीज बोना 3 फेंकना 4 थाला 5 कंगन आवारगी
फ़ा० (स्त्री०) आवारापन
आवारजाआवारा
फ़ा० (पु० ) 1 रोजनामचा 2 जमा खर्च बही फ़ा० (वि०) 1 निरर्थक इधर-उधर घूमनेवाला 2 निकम्मा 3 कुमार्गगामी 4 दुष्ट, पाजी। गर्द (वि०) इधर-उधर व्यर्थ का भटकनेवाला गर्दी (स्त्री०) बेकार घूमना, भटकना पन - हिं० (पु०) आवारा होने की
अवस्था
आवाल - सं० ( पु० )
आवास - सं० ( पु० )
= आलवाल
1
निवास स्थान, रहने की जगह 2 ठहरने
गृह (पु०) रहने का घर; ~ स्थल
।
का अस्थायी स्थान (पु० ) रहने की जगह
आवासन -सं० (पु०) दूसरे देश में जाकर बसना आवासिक-सं० (पु० वि०) 1 अस्थायी रूप से बसनेवाला 2 निवासी 3 रहने का ( ~ विद्यालय) आवासित-सं० (वि०) अस्थायी रूप से बसा हुआ आवासी-सं० (वि०) = आवासिक आवासीय सं० (पु० ) आवास संबंधी
आवाहन - सं० (पु० ) 1 आह्वान, बुलाना, पुकारना 2 देवता को मंत्र द्वारा बुलाना
आविक - I सं० (वि०) 1 भेड़ संबंधी 2 ऊनी II (पु० ) ऊनी वस्त्र, कंबल
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आविद्ध
93
आश्म
3 पेट
आविद्ध-सं० (वि०)1 बिंधा 2 फेंका हुआ
--प्रद (वि०) = आशामय; प्राप्त (वि०) जिसकी आशा आविर्भाव-सं० (पु०) 1 प्रकट होना 2 उत्पत्ति 3 अवतार | पूर्ण हो गई हो; ~भंग (पु०) आशा पूरी न होना; ~भरा हिं० आविर्भूत-सं० (वि०)1 उत्पन्न 2 सामने आया हुआ आशापूर्ण व्यक्ति; ~मय (वि०) आशाव्याप्त; ~मुखी आविल-सं० (वि०) गंदा, मलिन
(वि०) आशा से देखनेवाला: ल्वाद (पु०) यह विश्वास कि आविष्करण-सं० (पु०) आविष्कार करना
जो होगा ठीक और अच्छा ही होगा; ~वादिता (स्त्री०) आविष्कर्ता-सं० (पु०) नई खोज करनेवाला
आशावादी होने की अवस्था; ~वादी (वि०) आशावाद को आविष्कार-सं० (पु०) ईजाद, नवनिर्माण
माननेवाला, अच्छे परिणाम में विश्वास रखनेवाला; वान् आविष्कारक-सं० (वि०) अविष्कार करनेवाला
(वि०) आशा रखनेवाला; स्थल (पू०) . आशा; हीन आविष्कृत-सं० (वि०) 1 आविष्कार किया हुआ 2 प्रकट (वि०) निराश; टूटना आशा भंग होना; तोड़ना निराश किया गया
करनाः देना उम्मीद बँधानाः पूजना आशा पूरी होना; आविष्क्रिया-सं० (स्त्री०) = आविष्कार
बँधना आशा उत्पन्न होना आविष्ट-सं० (वि०) 1 आवेशयुक्त 2 काम में लगा हुआ आशिंजन-सं० (पु०) आभूषणों की झंकार 3 वशीकृत, ग्रस्त 4 प्रेत-ग्रस्त
आशिक़-I अ० (वि०) प्रेमी II (पु०) प्रेम करनेवाला आवृत-सं० (वि०) 1 छिपा हुआ 2 घिरा हुआ 3 लपेटा हुआ व्यक्ति। ~माशूका (पु०) प्रेमी और प्रेम पात्र; मिज़ाज आवृति-सं० (स्त्री०) आवरण
(वि०) 1 प्रेमप्रवण 2 दिलफेंक आवृत्त-सं० (वि०) 1 दुहराया हुआ 2 लौटाया हुआ आशिकाना-अ० + फ़ा० (वि०) 1 प्रेमी के अनुरूप आवृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 बार-बार होना , दुहराव 2 संस्करण | 2 अनुरागमय (पुस्तक आदि का)
आशिकी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) आशिक़ होना, प्रेम आवेग-सं० (पु०) 1 जोश 2 बिना सोचे-समझे कर बैठने की आशित-सं० (वि०) ।खाया हुआ 2 भोजन तृप्त
अंतःप्रेरणा 3 अशांति। ~शील (वि०) 1 ज़ोरदार 2 अशांत आवेज़ा-+ फ़ा० (पु०) 1 लटकनेवाली वस्तु 2 झुमका आदि आशिया, आशियाना- + फ़ा० 1 घोंसला 2 बसेरा गहना
आशी-[ सं० (स्त्री०) 1 साँप का विषैला दाँत 2 सर्प विष II आवेदक-सं० (वि०) आवेदन या प्रार्थना करनेवाला (वि०) खानेवाला, भक्षक आवेदन-सं० (पु.) 1 निवेदन 2 प्रार्थना करना। ~ कर्ता आशीर्वचन, आशीर्वाद-सं० (पु०) शुभ वचन, असीस (पु०) = आवेदक: निवेदन (पु०) = आवेदन पत्र आशीष-सं० (पु०) असीस, आर्शीवाद (पु०) प्रार्थना-पत्र, अर्जी
आशु-सं० | (वि०) तेज़ II (क्रि० वि०) 1 तेज़ी से 2 तुरंत, आवेदनीय-सं० (वि०) प्रार्थना करने योग्य
जलदी III (पु०) 1 भादों माह में पकनेवाला धान 2 घोड़ा। आवेदित-सं० (वि०) निवेदित, अर्ज़ किया
~कोपी, क्रोधी (वि०) तुरंत गुस्सा होनेवाला; ~गामी आवेदी-सं० (वि०) आवेदन करनेवाला
(वि०) तेज़ चलनेवाला; तोष | (वि०) तुरंत प्रसन्न आवेद्य-सं० (वि०) - आवेदनीय
होनेवाला II (पु०) शिव; --पत्र (प०) शीघ्र भेजा जानेवाला आवेश, आवेशन-सं० (पु०) 1 प्रवेश 2 दबा लेना 3 जोश पत्र; रचना (स्त्री०) तुरंत तैयार की गई कति; लिपि 4 गुस्सा 5 घमंड 6 प्रेत-बाधा 7 बिजली या चबंक चार्ज करना (स्त्री०)शार्ट हैंड; -लिपिक, -लिपि लेखक (पु०) शार्ट आवेष्टन-सं० (पु.) 1 घेरना 2 लपेटग
हैंड में लिखनेवाला, स्टेनोग्राफ़र (स्त्री० --लिपि लेखिका); आवेष्टित-सं० (वि०) छिपा, ढका या घिरा हुआ
लेखक (पु०) - आशु लिपि लेखक; लेखिका आव्रजन-सं० अपना स्थान छोड़कर अन्यत्र जाना
(स्त्री०) - आशुलिपि लेखिका आशंकनीय सं० (वि०) शंका या संदेह करने योग्य आशुग-सं० [ (वि०) 1 बहुत तेज़ चलनेवाला, शीघ्रगामी आशंका-सं० (पु०) 1 संदेह, शक 2 खटका, भय। -जनक 2 बहुत जल्दी पहुँचाया जानेवाला II (पु०) वायु, हवा (वि०) 1 भय से उत्पत्र 2 संदेहजनित
आशोब-फा० (पु०) 1 शार गुल्ला 2 आँख का दुखना 3 फसाद आशंकित-सं० (वि०) 1 जिसकी शंका हो 2 त्रस्त, भयभीत | 4 डर 3संदेह
आशौच-सं० (पु०) अशुद्धि, अपवित्रता आशंसा-सं० 1 इच्छा 2 आशा 3 प्रशंसा
आश्चर्य-सं० (पु०) 1 अचरज, अचंभा 2 हैरानी 3 अद्भुत आशंसित-सं० (वि०) जिसकी अपेक्षा की गई हो, इच्छित रस का स्थायी भाव। -कर, ~कारी (वि०) = आशना-I फा० (वि०) जान पहचानवाला II (पु०) 1 स्त्री आश्चर्यजनक; चकित (वि०) विस्मय हुआ; जनक प्रेमी 2 प्रेमपात्र
(वि०) विस्मय उत्पन्न करनेवाला; पूर्वक (वि०) अचरज आशनाई-फा० (स्त्री०) 1 प्रेम 2 दोस्ती 3 अवैध संबंध । के साथ; ~प्रतिहत (वि०) = आश्चर्यचकित; ~प्रद, आशय-सं० (पु०) 1 ठहरने की जगह (जैसे- जलाशय) ~भूत, समय (वि०) = आश्चर्यजनक; ~रत (वि०)
2 घर 3 आश्रय 4 मन, चित्त, हृदय 5 प्रयोजन, उद्देश्यः । = आश्चर्य चकित ; ~में डालना चकित करना; ~में आशा-सं० (स्त्री०) 1 उम्मीद, वस्तु-प्राप्ति का विश्वास पड़ना विस्मय में पड़ना 2 साधारण विश्वास या भरोसा 3 आसरा। -जनक (वि०) = | आश्चर्यान्वित, आश्चर्यित-सं० (वि०) - आश्चर्यचकित आशामय; पूर्ण (वि०) = आशाभरा; | आश्म-सं० (वि०) पत्थर का बना हुआ
५म पड़ना
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आश्मरिक
आश्मरिक - I सं० (वि०) पथरी रोग से ग्रस्त II (पु० ) अश्मरी रोग
आश्मिक-सं० (वि०) = पत्थर का आश्रम-सं० (पु० ) 1 साधु संतो की कुटी, मट 2 तपोवन 3 साधक समुदाय के रहने का स्थान 4 जीवन कार्यों की चार अवस्थाएं (जैसे- गृहस्थ आश्रम)। दाता (पु० ) आश्रयदाता; ~ धर्म (०) 1 आश्रम विहित धर्म 2 ब्रह्मचारी, गृहस्थ आदि के धर्म भ्रष्ट (वि०) जो आश्रम धर्म से गिर गया हो; वास (पु० ) तपोवन में रहना, वानप्रस्थ का जीवन; ~वासी I (वि०) आश्रम में रहनेवाला II (पु० )
वानप्रस्थ
आश्रय-सं० (पु०) 1 सहारा 2 शरण 3 घर 4 (काव्यशास्त्र में) जिसके मन में भाव पैदा हो। गृह (पु० ) शरण- घर, शरणस्थल; ~दाता (पु० ) सहारा या शरण देनेवाला; ~ स्थल, ~ स्थान (पु० ) आश्रयगृह हीन (वि०) बेसहारा आश्रयण-सं० (पु० ) 1 सहारा देना 2 सहारा लेना आश्रयासिद्ध-सं० (वि०) जिसका आश्रय ग़लत हो, मिथ्या
=
और अमान्य
आश्रयी-सं० (वि०) आश्रय लेनेवाला आश्रव-सं० (पु० ) 1 दोष 2 वचन 3 अंगीकार आश्रित-सं० (वि०) 1 टिका हुआ 2 सहारा दिया हुआ 3 निर्भर
आश्रुत-सं० (वि० ) 1 सुना हुआ 2 गृहीत 3 वचन दिया हुआ आश्रुति-सं० (स्त्री०) 1 सुनना 2 ग्रहण करना आश्लिष्ट सं० (वि०) 1 गले लगाया हुआ 2 लिपटा हुआ आश्लेष-सं० (पु० ) 1 गले लगाना, आलिंगन 2 लगाव आश्लेषण-सं० (पु० ) 1 मिलाना 2 आलिंगन आश्लेषित - सं० (वि० ) 1 मिलाया हुआ 2 गले लगाया हुआ आश्व - I सं० (वि०) घोड़े से संबंध रखनेवाला II (पु० ) घोड़ों का झुंड
आश्वस्त सं० (वि०) जिसे आश्वासन दिया गया हो आश्वास-सं० (पु० ) 1 साँस लेना 2 तसल्ली 3 ग्रंथ का अध्याय, पाठ
आश्वासक सं० (वि०) आश्वासन देनेवाला आश्वासन -सं० ( पु० ) 1 दिलासा देना 2 आशा दिलाना, तसल्ली
आश्वासनीय सं० (वि०) = आश्वास्य आश्वासी-सं० (वि०) 1 धैर्य बँधानेवाला 2 दृढ़ विश्वास रखनेवाला
आश्वास्य-सं० (वि०) आश्वासन के योग्य आश्विन -सं० (पु० ) भादों एवं कार्तिक के बीच में आनेवाला महीना, क्वार
आषाढ़-सं० जेठ के बाद एवं सावन के पहले पड़नेवाला महीना, असाढ़ आषाढ़ी-सं० (स्त्री०) 1 आषाढ़ की पूर्णिमा 2 आषाढ़ में होनेवाली फ़सल आसंग - I सं० (पु० ) 1 लगाव 2 आसक्ति 3 साथ 4 कर्तव्याभिमान II (वि०) अबाधित आसंगी-सं० (वि०) 1 संपर्क रखनेवाला 2 साथी
आसमाँ
आसंजन - सं० (पु० ) 1 जोड़ना 2 चिपकाव 3 धारण करना 4 अत्यधिक प्रेम, अनुराग आसंजित -सं० (वि०) जिसका आसंजन न हुआ हो आसंदी -सं० (स्त्री०) 1 ऊँचा आसन, चौकी 2 खटोला आस - I (स्त्री०) 1 आशा 2 भरोसा 3 सहारा 4 कामना II (पु० ) 1 बैठना 2 आसन टूटना निराश होना; तकना प्रतीक्षा करना; तोड़ना निराश करना; देना उम्मीद दिलाना; पूजना, पूरना आशा पूरी होना, मनचाही बात कहना; बाँधना उम्मीद करना; लगना आशा उत्पन्न होना; होना 1 आशा होना 2 गर्भ ठहरना आसकत- (स्त्री०) आलस्य, सुस्ती आसकती - (वि०) आलसी
94
आसक्त-सं० ( पु० ) 1 लगा हुआ 2 प्रेम करनेवाला, अनुरक्त 3 लिप्त, लीन
आसक्ति-सं० 1 मन का लगाव 2 प्रेम, अनुराग 3 लिप्तता आसज्जा-सं० (स्त्री०) बढ़िया सजावट आसवीन -फ़ा० (स्त्री०)
=
आस्तीन आसन - सं० ( पु० ) 1 बैठक 2 बैठने का ढंग (विशेषतः योगसाधना में ) । ~ उखड़ना 1 जमकर न बैठ पाना 2 बैठने में डगमगाना; ~ उठना स्थान छूटना; ~करना योगानुसार शरीर को विशेष आकृति में रखना ~ कसना अंगों को तोड़-मरोड़कर बैठना, छोड़ना उठकर चल देना; जमना 1 एक ही स्थान पर एक ही मुद्रा में देर तक बैठना 2 स्थिर होकर बैठना; जमाना 1 अडिग भाव से बैठना 2 अपनी स्थिति, अधिकार दृढ़ कर लेना 3 डेरा डालना; डिगना, ~ डोलना मन का विचलित हो जाना; तले आना वश में होना; देना आदरपूर्वक बैठाना; बाँधना जाँघों से जकड़ना; मारना, लगाना जमकर बैठना आसनी -सं० (स्त्री०) बैठने का छोटा आसन आसन्न -सं० (वि०) 1 पास आया हुआ 2 सटा हुआ, संलग्न । ~ काल (पु०) मृत्यु काल; ~कोण (पु०) ग० ज्यामिति में उन दो कोणों में से प्रत्येक जो एक सरल रेखा के ऊपर खड़ी हो दूसरी रेखा के दोनों तरफ़ बनते हैं; प्रसवा (स्त्री०) शीघ्र प्रसव देनेवाली स्त्री; भूत (पु०) व्या० भूत काल का वह भेद जिससे क्रिया की निकटता सूचित होती हो; मरण, ~ मृत्यु (वि०) जिसकी मृत्यु पास आ गई हो आस-पास - ( क्रि० वि०) 1 अगल-बगल, चारों तरफ़ 2 क़रीब, पास में
आसमाँ, आसमान -फ़ा०
(पु० ) 1 आसमान, आकाश 2 स्वर्ग । ~ के तारे तोड़ना अनहोनी बात कर डालना; छूना बहुत ऊँचा होना; झाँकना, ताकना घमंड करना; टूटना अचानक भारी विपत्ति आ पड़नां, दैव कोप होना; ~ दिखाना कुश्ती में विपक्षी या प्रतिद्वंदी को चित कर देना; पर उड़ना, पर चढ़ना घमंड में इतराना; पर चढ़ाना 1 अत्यधिक प्रशंसा करना 2 अत्यधिक प्रशंसा करके दिमाग़ बिगाड़ देना; पर थूकना बड़े आदमी को निंदित करने के प्रयत्न में स्वयं निंदित होना; फटना = आसमान टूटना; सिर पर उठा लेना बहुत शोर, ऊधम, कोलाहल मचाना; सिर पर टूट पड़ना आसमान टूटना से गिरना, ~ से टपकना स्वयं उपस्थित हो जाना; से बातें
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आसमानी
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आहत
की झूल
करना आसमान छूना; आसमानी-फा० (वि०) 1 आसमान के रंग का 2 आसमान आस्तरण-सं० (पु०) 1 ढकने या बिछाने की क्रिया 2 बिछौना का 3 दैवी
आस्तिक-सं० (पु०) 1 ईश्वर में विश्वास करनेवाला व्यक्ति आसरा (पु०) 1 सहारा 2 भरोसा 3 आशा 4 प्रतीक्षा 5 शरण । 2 पुरानी परंपराओं एवं प्रथाओं में जो विश्वास करे। ता
देखना प्रतीक्षा करना, रास्ता देखना; ~टूटना निराश होना (स्त्री०) ईश्वर, परलोक, पुनर्जन्म में विश्वास होना; वाद आसव-सं० (पु०) 1 शराब 2 रस 3 अर्क (फल-फूल, | ईश्वरीय सत्ता का नियम एवं सिद्धांत; ~वादी जड़ी-बूटी) 4 मद्यपात्र
(वि०)आस्तिकवाद को माननेवाला। आसवक-सं० (पु०) शराब बनानेवाला
आस्तिक्य-सं० (पु०) - आस्तिकता आसवन-सं० (पु०) भभके आदि की सहायता से अर्क, शराब आस्तीन-फा० (स्त्री०) बाँह । ~का साँप वह जो मित्र होकर आदि टपकाना
धोखा दे; ~में साँप पालना मित्र के रूप में शत्र को अपने आसवनी-सं० (स्त्री०) आसवन का काम करने का स्थान पास रखना आसवित-सं० (वि०) आसवन किया हआ
आस्त्र-सं० (वि०)अस्त्र संबंधी आसवी-सं० (वि०) शराब पीनेवाला, शराबी
आस्थगन-सं० (पु०) 1 थोड़े समय के लिए स्थगित करना आसा-(स्त्री०) = आशा
2 सत्रावसान आसा-अ० (पु०) 1 राजा महाराजा की सवारी एवं बारात में | आस्था-सं० (स्त्री०/५०) 1 विश्वास, निष्ठा 2 सहारा 3 स्थित चोबदार के हाथ में सोने या चाँदी का डंडा होता है जिसे वह | होने की अवस्था। ल्वाद (पु०) यह सिद्धांत कि संपूर्ण ज्ञान आगे-आगे लेकर चलता है 2 एक राग
का आधार आस्था है। आसान-फा० (वि०) सरल, सुगम
आस्थान-सं० (पु०) 1 स्थान, जगह 2 दरबार, सभा आसानी-फा० (स्त्री०) सरलता, सुगमता
आस्थानी-सं० (स्त्री०) भवन का वह भाग जहाँ लोग एकत्र आसामी-I (वि०) 1 आसाम देश का 2 आसाम से संबंध | होते हैं, सभा स्थल, प्रेक्षागृह रखनेवाला II (पु०) आसाम देश का निवासी III (स्त्री०) आस्थापन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह से स्थापित करने की आसाम देश की भाषा
क्रिया 2 ताक़त की दवा आसार-सं० (पु०) 1 शत्रु को घेरकर किया जानेवाला हमला आस्थित-सं० (वि०) 1 स्थापित किया हुआ 2 प्राप्त किया 2 मूसलाधार वर्षा 3 मेघमाला 4 युद्धभूमि में मिलनेवाली हुआ 3 ठहरा हुआ सहायता 5 रसद
आस्पद-सं० (पु०) 1 जगह, स्थान 2 आवास 3 सामाजिक आसार-अ० (पु०) 1 चिह्न, निशान 2 इमारत की नींव स्थिति 4 आधार 5 पात्र 6 पद या चिह्न 3 व्यक्ति की भावी गतिविधि आदि के लक्षण
आस्फालन-सं० (पु०) 1 ढकेलना 2 संघर्ष 3 आत्माश्लाधा आसावरी-(स्त्री०) सुबह की एक रागिनी
आस्फोटक-सं० (पु०) 1 प्रकट करनेवाला 2 फड़फड़ानेवाला आसिद्ध-सं० (वि०) 1 प्रतिबंध लगाया हुआ 2 जिसके संबंध | आस्फोटन-सं० (पु०) 1 प्रकट करना 2 ताल ठोंकना में प्रतिबंध लगा हो
3 फड़फड़ाना आसीन-सं० (वि०) 1बैठा हआ 2 पद पर नियुक्त आस्य-1 सं० (पु.) 1 चेहरा, मुख 2 मुँह II (वि०) मुख आसीस-(स्त्री०) = आशीर्वाद
संबंधी आसुत-सं० (वि०) = आसवित
आस्वाद-सं० (पु०) खाद्य पदार्थ से मिलने वाली रस की आसति-सं० (स्त्री०) 1 आसवन करने की क्रिया 2 प्रसव | अनुभूति, स्वाद आसुर-सं० (वि०) 1 असुर संबंधी 2 असुरों की तरह। आस्वादन-सं० (पु०) 1 पदार्थ को चखकर स्वाद का ज्ञान ?
-विवाह (पु०) एक प्रकार का विवाह जिसमें कन्या के | बात का रस लेना माता-पिता को धन देकर कन्या ले ली जाती थी और तब पत्नी | आस्वादनीय-सं० (वि०) आस्वादन योग्य रूप में अपने घर में रखी जाती थी
आस्वादित-सं० (वि०) 1 आस्वादन किया हुआ 2 चखा हुआ आसुरिक, आसुरी-सं० (वि०) = आसुर
आस्वाद्य-सं० (वि.) जिसका स्वाद लिया जा सके आसूदगी-फा० (स्त्री०) 1 निश्चिंतता और सुख सम्पत्रता की | आह-अ० दुःख, पीड़ा, शोक, पश्चाताप आदि को स्थिति 2 तृप्ति
बतलानेवाला अव्यय। ~करना, ल्खींचना कष्ट या दुःख आसूदा-फा० (वि०) 1 निश्चिंत और सुखी 2 तृप्त, संतुष्ट के कारण ठंडी साँस भरना, आह शब्द करना; ~पड़ना किसी आसेक, आसेचन-सं० (पु०) 1 तर करना 2 खेत एवं पेड़ को दिए गए वेदना, कष्ट की आह का कुफल मिलना; लेना. सींचना, सिंचाई
अत्यधिक दुख, कष्ट से आह-आह करना आसेब-फा० (पु०) कष्ट, विपत्ति 2 भूत-प्रेत
आहट-(स्त्री०) किसी के आने-जाने, बात करने, हिलने-डुलने आसेवन-सं० (पु०) अच्छी तरह से किया जानेवाला सेवन से उत्पन्न हुई मंद ध्वनि, पदचाप। ~पाना, मिलना किसी आस्कंद-सं० 1 नाश 2 आक्रमण
के बात करने, आने की सूचना मिलना; लेना टोह या थाह आस्कंदी-सं० (वि०) 1 नाशक 2 आक्रमणकारी आस्ट्रिक-अं० (वि०) निषाद् जातीय ।
आहूत-सं० (वि०) घायल, जख्मी। ~सूची (स्त्री०) घायल आस्तर-सं० (पु०) 1 आवरण 2 बिछाने की कोई चीज़ 3 हाथी लोगों की सूची
लेना
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आहति
आहति-सं० (स्त्री०) आघात, चोट आहतोपचारी-सं० (वि०) घायल, करनेवाला
ज़ख्मी का इलाज
आहन - फ़ा० (पु० ) लोहा । पोश (वि०) कवचधारी आहनगर -फ़ा० (पु०) लोहे का काम करनेवाला, लोहार आहरन-सं० 1 जान से मार डालना 2 निर्दयतापूर्वक मारना पीटना
आहनी - फ़ा० (वि०) लोहे का
आहर - I ( पु० ) 1 समय, काल, वक़्त 2 दिन, दिवस II ( पु० ) 1 छोटा तालाब 2 युद्ध, संग्राम आहरण-सं० ( पु० ) 1 चुराकर ले जाना 2 छीन लेना 3 दूषित पदार्थ बाहर निकालना 4 खर्च के लिए पैसा निकालना आहरन - ( पु० ) लोहारों-सुनारों आदि की निहाई आहर्ता - सं० (वि०) 1 चुरानेवाला 2 अनुष्ठान करनेवाला आहव, आहवन-सं० (पु० ) 1 चुनौती, ललकार 2 युद्ध, संग्राम 3 यज्ञ, हवन
आहाँ - I (स्त्री०) 1 हाँक 2 पुकार ! अ० अस्वीकृति आदि
सूचक
करना ।
उद्योग
आहा - अ० हर्ष, खुशी, उल्लास आदि का सूचक शब्द आहार -सं० (पु० ) 1 भोजन 2 भोजन (पु० ) अन्न, अनाज का व्यापार; भोजननाली, पाक (पु०) भोजन पकाना करवाने, खिलवाने का बड़ा कमरा, हॉल;
नाल
(स्त्री०) मंडप भोजन विज्ञान (पु० ), ~ विद्या (स्त्री०) खाद्य पदार्थों के गुण-दोष, स्वरूप आदि का विवेचन करनेवाला विज्ञान; विहार (पु० ) प्रतिदिन के शारीरिक कार्य - व्यवहार; शास्त्र (पु० ) = आहार विज्ञान आहारिका -सं० (स्त्री०) भोजन सूची, मेनू आहारी-सं० (वि०) भोजन करनेवाला आहारोत्पादक-सं० (वि०) खाने की वस्तुएँ पैदा करनेवाला आहार्य - I सं (वि०) 1 हरण किए जाने योग्य 2 बनावटी
3 आहार योग्य II (पु० ) 1 अभिनय 2 वेशभूषा आहित-सं० (वि०) 1 स्थापित किया हुआ 2 रेहन रखा हुआ आहिस्ता-फ़ा० ( क्रि० वि०) धीमे से, धीर आहुति-सं० (स्त्री०) 1 बलिदान 2 यज्ञ या हवन में अग्नि को समर्पित की जानेवाली वस्तु
आहू -फ़ा० ( पु० ) हरिण, मृग
आहूत सं० (वि०) 1 बुलाया गया 2 आमंत्रित, निमंत्रित आहत-सं० (वि०) 1 हरण किया हुआ 2 बलपूर्वक लिया गया, छीना हुआ
आह्निक- I सं० (वि०) रोज़ाना, दैनिक II ( पु० ) 1 एक दिन का काम, मज़दूरी 2 प्रतिदिन का धार्मिक कृत्य आह्लाद-सं० (५०) खुशी, प्रसन्नता, हर्ष आह्लादक-सं० (वि०) प्रसन्नता उत्पन्न करनेवाला आह्लादित सं० ( वि० ) प्रसन्न, हर्षित आह्वान-सं० (पु० ) 1 पुकार, बुलावा 2 यज्ञ आदि में देवता आदि को बुलाना 3 वैधानिक रूप से आदेश करना। पत्र (पु० ) निमंत्रण पत्र
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इ
इंक - अं० (स्त्री०) स्याही, रोशनाई। -पैड (पु० ) स्याही लगी गद्दी जो स्याही लगाने के काम आती है; मैटर पर स्याही देने का बेलन इंकार - अ० (पु० ) = इनकार, मना करना इंग-सं० (पु० ) 1 इशारा, संकेत 2 चिह्न, निशान इंगन-सं० (पु० ) 1 इशारा करना 2 जानकारी इंगनी - ( स्त्री० ) एक खनिज द्रव्य, मैंगनीज इंगला-सं० (स्त्री०) इड़ा नाड़ी इंगलिश - I अं० (वि०) 1 इंग्लैंड का 2 इंग्लैंड में उत्पन्न II (स्त्री०) अंग्रेज़ी भाषा। मैन (पु० ) अंग्रेज़ इंगलिस्तानी -अं० + फ़ा० (वि०) अंग्रेजी, इंग्लिश इंगित - I सं (पु० ) 1 संकेत, इशारा 2 मन का भाव 3 अभिप्राय 4 मनोभाव बतानेवाली अंग चेष्टा II (वि०) 1 संकेत किया हुआ 2 कंपित
इंटर
इंगुद - (पु० ), इंगुदी - सं० (स्त्री०) 1 हिंगोट का पेड़ 2 माल कंगनी
-
इंगुर - ( पु० ) ईगुर, सिंदूर
इंगुरौटी - (स्त्री०) सिंदूर रखने की डिबिया, सिंधौरा ईंगुवा-सं० (पु० )
इंगुदी इंग्लिश - अं० (वि०) इंगलिश इंग्लिस्तानी-अं० फ़ा० (वि०) इंगलिस्तानी इंच-अं० (स्त्री०) जो एक फ़ुट का बारहवाँ भाग, ढाई सेंटीमीटर की नाप भर (वि०) इंचार्ज अं० (पु० ) इनचार्ज, प्रभारी, कार्यकारी इंची-अं० हिं० (वि०) 1 इंच का 2 जिस पर इंच के चिह्न हों (जैसे-इंची टेप)
इंजन- अं० (पु० ) 1 रेलवे इंजन 2 बिजली, भाप से चलनेवाला यंत्र जिससे अन्य यंत्र को भी चलाने में मदद मिलती है। ~ ड्राइवर (पु० ) इंजन चलानेवाला; निर्माण सं० (पु० ) इंजन बनाना; रूम (पु० ) इंजन रखने का स्थान, इंजन कक्ष इंजिन-अं० (पु० ) = इंजन
इंजीनियर -अं० (पु० ) 1 इंजन आदि बनानेवाला 2 यंत्र विशेषज्ञ, अभियंता इंजीनियरिंग-अं० (स्त्री०) इंजीनियर का काम। उद्योग + सं० (पु० ) यंत्र व्यवसाय; ~ डिग्री (स्त्री०) इंजीनियर की उपाधि
=
पॉट (पु०) दवात; रबर की मुहर आदि पर रोलर (पु० ) छपनेवाले
=
इंजीनियरी-अं० + हिं० (स्त्री०) 1 यंत्र विद्या, यंत्रकला 2 इंजीनियर का कार्य या पद
इंजील - अं० (पु० ) ईसाइयों की धर्म पुस्तक, बाइबिल इंजेक्शन-अं० (पु०) सुई लगाना
ईंटकोहरा (पु० ) ईंट का टुकड़ा, गिट्टी
इंटर-अं० (पु०) बीच, मध्य । कंटिनेंटल (वि०) अंतर्महाद्वीपीय नेशनल (वि०) अंतर्राष्टरीय; ~प्रिंटर (पु० ) दुभाषिया; ~मीडिएट (वि०) 1 बीच का; 2 मध्यमिक ~वेल मध्यावकाश
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इंटरव्यू
इंपीरियल इंटरव्यू-अं० (पु०) 1 साक्षात्कार 2 मिलना, मुलाकात धनुष; जाल (पु०) जादू, बाज़ीगरी 2 एक रण कौशल, इंटीमेशन-अं० सूचना, ज्ञापन
जालिक, जाली (पु०) इंद्रजाल करनेवाला व्यक्ति, इटेलिजेंस-अं० (स्त्री०) 1 समझ, बुद्धि 2 जासूसी जादूगर; जो + हिं० (पु०) कुटज (पौधा) दारु (पु०) इंट्रेंस-अं० (पु०) 1 प्रवेश मार्ग, द्वार 2 प्रवेशिका
देवदारु का वृक्ष; ~धनुष (पु०) = इंद्रचाप; ~धनुषी इंट्रोडक्शन-अं० (पु०) 1 परिचय 2 भूमिका
+ हिं० (वि०) इंद्र धनुष के समान सात रंगोवाला; ~ध्वज इंडस्टिरयल-अं० (वि०) औद्योगिक
(पु) इंद्र की पताका; नील (पु०) नीलकांत मणि; इंडस्टरी-अं० (स्त्री०) उद्योग
पुरी (स्त्री०) इंद्र की नगरी, अमरावती; ~प्रस्थ खांडव इंडहर (पु०) उड़द की दाल से तैयार किया हुआ सालन वन जलाकर बसाई जानेवाली पाडवों की राजधानी; ~लप्त इंडायरेक्ट-अं० (वि०) अप्रत्यक्ष, परोक्ष
जिसमें दो तगण, एक जगण और ऽऽ होते हैं ~लोक (पु०) इंडिकेशन-अं० (पु०) निर्देश, संकेत
स्वर्ग; ल्वृद्धा (स्त्री०) एक तरह का कीड़ा; सभा इंडियन-अं० (वि०) भारतीय, भारतवासी
(स्त्री०)1 स्वर्ग में इंद्र का दरबार 2 विलास युक्त स्थान इँडुआ (पु०), इँडुरी-(स्त्री०) सिर पर रखी जानेवाली कपड़े की । इंद्रा-सं० (स्त्री०) 1 इंद्र की पत्नी, शची 2 इंद्रायन नामक छोटी गद्दी, बिड़ई, इंडुरी
पौधा इंडेंट-अं० (पु०) माल की फ़रमाइश
इंद्राणी-सं० (स्त्री०) 1 इंद्र की पत्नी, शची 2 दुर्गा देवी 3 बड़ी इंडेक्स-अं० (पु०) अनुक्रमणिका
इलायची इंतकाम-अ० (पु०) बदला लेना
इंद्रायन-सं० एक लता जिसका फल कवा होता है और दवा में इंतकाल-अ० (पु०) 1 मृत्यु 2 एक जगह से दूसरी जगह ले
काम आता है जाना
इंद्रायुध-सं० (पु०) 1 इंद्र की गद्दी 2 इंद्रपद इंतखाब-अ० (पु०) 1 चुनना 2 चुनाव. निर्वाचन
इंद्रिय-सं० (स्त्री०) 1 शरीर के ज्ञान एवं कर्म के साधन रूप इंतज़ाम-अ० (पु०) प्रबंध। कार • फ़ा० (पु०) इंतज़ाम अंग (जैसे-आँख, कान, नाक, त्वचा, जिहवा, हाथ, पैर, मुँह करनेवाला
आदि) 2 जननेन्द्रिय। गोचर (वि०) इंद्रिय संवेद्य; इंतज़ामी-अ० + फ़ा० (वि०) प्रबंध संबंधी
जित् (वि०) संयमी; ज्ञान (पु०) इंद्रियों द्वारा प्राप्त इंतज़ार-अ० (पु०) प्रतीक्षा
ज्ञान; ~दमन, निग्रह (पु०) इंद्रियों और काम इच्छाओं इंतशार-अ० (पु०) 1 बिखरना 2 चिंता
को वश में रखना; ~बोध (प०) - इंद्रिय संवेदना; इंतहा-अ० (स्त्री०) 1 अंत 2 अंतिम सीमा । ~पसंद + फ़ा०
-लिप्सा (स्त्री०) विषय-भोग की लालसा; लोलुप (वि०) अतिवादी
(वि०) काम भोग की इच्छा करनेवाला; -वाद (पू०) इंतहाई-अ० (वि०) अत्यधिक
इंद्रिय से संबंध रखनेवाले नियम या सिद्धांत; वादी इंतिक़ाम-अ० (पु०) - इंतकाम
(वि०) इंद्रियवाद को मानने वाला; वासना (स्त्री०) : इंतिक़ाल-अ० (पु०) = इंतकाल
इंद्रिय लिप्सा; संवेदना (स्त्री०) इंद्रियों को रूप रस गध इंतिखाब-अ० (पु०) - इंतखाब
आदि का अनुभव होना इंतिज़ाम-अ० (पु०) - इंतज़ाम
इंद्रियागोचर, इंद्रियातीत-सं० (वि०) जो इंद्रियों का विषय न इंतिज़ार-अं० (पु०) = इंतज़ार
___ हो, अज्ञेय (जैसे-ईश्वर) इंतिशार-अ० (पु०) इंतशार
इंद्रियातीत-सं० (वि०) जो इंद्रियगोचर न हो. अतीन्द्रिय इंतिहा-अ० (स्त्री०) इंतहा
इंद्रियाधीन-सं० (वि०) जो इंदिया के वश में हो इंदराज-अ० (प०) 1 बही में लिखा जाना 2 प्रविष्टि
इंद्रियायतन-सं० (पु०) इंद्रियों का आश्रयस्थान, शरीर इंदत्तलब-अ० (क्रि० वि०) 1 माँगनेपर 2 जब मांगा जाए
इंद्रियानुभाविक-सं० (वि०) इंद्रियों द्वारा अनुभव करने का ईदारा-(पु०) कुआँ, कूप, इनारा
इंद्रियाराम-सं० (वि०) इंद्रियासक्त, विलासी इंदिया-अ० (पु०) 1 इच्छा 2 विचार
इंद्रियार्थ-सं० पु० इंद्रियों के भोग का विषय (जैसे-गंध, रस, इंदिरा-सं० (स्त्री०) 1 लक्ष्मी 2 कांति 3 क्वार माह की कृष्ण
रूप, शब्द, स्पर्श के स्थान) पक्ष की एकादशी; पति (पु०) विष्णु
इंद्रियार्थवाद-सं० (पु०) .. इंद्रियवाद इंदीवर-सं० (पु०) नीलकमल
इंद्रियार्थवादी-सं० (वि०) - इंद्रियवादी इंद-सं० (पु०) 1 चंद्रमा 2 कपूर 3 एक की संख्या । -कर, ।
इंद्रियासक्त-सं० (वि०) इंद्रियसुख ~कला (पु०) चंद्रमा की किरण; ~भूषण (पु०)
इंद्रियोपासना-सं० (स्त्री०) - इंद्रिय लिप्सा चंद्रशेखर, शिव; ~मणि (पु०) 1 चंद्रकांत मणि 2 मोती;
इंद्रोवल-सं० (पु०) नीला हीरा रत्न (पु०) मोती; रेखा (स्त्री०) चंद्रकला; वदना
इंद्रोपवन- (पु०) इंद्र का विलास-कानन (वि०) चंद्रमुखी
इंधन-सं० (पु०) 1 जलाने की लकड़ी, ईधन इंदुर (पु०)चूहा
___ 2 जलाना इंद्र-सं० (पु०) 1 देवराज 2 वर्षा का देवता 3 श्रेष्ठ व्यक्ति | इंधरौड़ा- (पु०) जलावन स्थान
4 प्रधान पुरुष। -कृष्ट (वि०) वर्षा के आसरे बोया | इंपीरियल-अं० (वि०) 1 राज्य सबंधी 2 साम्राज्य भोगी - जानेवाला; ~गोप (पु०) बीरबहटी चाप (पु०) इंद्र 3 सम्राट के उपयुक्त 4 शाही
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इंपीरियलिज्म
इंपीरियलिज़्म- अं० (पु०) साम्राज्यवाद इंपीरियलिस्ट- अं० (वि०) साम्राज्वादी
इंसान - अं० (पु०) इनसान, इन्सान, मनुष्य, मानव इंसाफ़-अं० (पु०) न्याय, निर्णय; पसंद + 510 (fao) न्यायप्रिय (व्यक्ति)
इंस्ट्रुमेंट - अं० ( पु० ) उपकरण
इंस्पेक्टर - अं० (पु० ) देखभाल करनेवाला, निरीक्षक; जनरल (पु० ) महानिरीक्षक
इंस्पेक्शन - अं० (पु० ) निरीक्षण
इक - (वि०) एक। छत्ता (वि०) जिस मंजिल की एक छत हो; तरफ़ा + अं० + हिं० एक तरफ़ का, एकपक्षीय; ~तरा (पु० ) एक दिन के अंतर से आनेवाला ज्वर, तार (वि०) एकरस, समान, तारा (पु० ) 1 सितार की तरह एक ही तार वाला बाजा 2 हाथ से बुना जानेवाला एक प्रकार का वस्त्र; ~तीस I (वि०) तीस और एक II ( पु० ) 31 की संख्या; पेचा (पु० ) एक तरह की पगड़ी; बारगी - अ० (क्रि० वि०) एक बार में; रंगा (वि०) एक रंग का; ~ला (वि०) अकेला; ~लाई I (स्त्री०) पाट का बढ़िया और महीन दुपट्टा 2 इकलाई धोती II (वि०) एक ही लोई से बना हुआ; ~लौता (वि०) माँ बाप का अकेला; ~सठ I (वि०) साठ और एक II (पु० ) 61 की सँख्या इकट्ठा - (वि०) 1 एक साथ 2 एकत्र इकतालीस - I (पु० ) (वि०) चालीस और एक II (पु० ) 41 की सँख्या
इकन्नी - (स्त्री०) रुपए का सोलहवां भाग, एक आना इक़बाल - अ० (पु० ) 1 सौभाग्य 2 क़बूल करना, स्वीकार । ~मंद (वि०) भाग्यशाली, प्रतापी
इकबालिया -अं० स्वीकारात्मक (जैसे- ~बयान)
इक़राम - अ० (पु० ) 1 दान, बख्शीश 2 अनुग्रह 3 मान-बड़ाई इक़रार - अ० (पु० ) 1 स्वीकार करना 2 वचन 3 प्रतिज्ञा ।
~नामा फा० (पु० ) प्रतिज्ञापत्र, अनुबंध-पत्र इक़रारी - अ० (वि०) 1 इक़रार संबंधी 2 इक़रार करनेवाला इक़सीर- अ० (स्त्री०) लाभदायक औषध, दवा इकहत्तर - I (वि०) सत्तर और एक II (पु० ) 71 की सँख्या इकहरा - (वि०) एकहरा, एक ही परतवाला इकाई - ( स्त्री०) 1 गणना में प्रथम अंक का स्थान 2 यौगिक पदार्थ के मूल अवयव 3 मानक मात्रा, मात्रक इकार-सं० (पु० ) 'इ' स्वर
इकारांत - सं० (वि०) जिसके अंत में 'इ' हो (जैसे-जाति) इकोतर - (वि०) एक अधिक, एकोत्तर
इकाँज - (स्त्री०) वह स्त्री जिसे एक ही संतान हुई हो, काक
वंध्या
इक्का - I (वि०) अकेला II ( पु० ) एक धोड़े की गाड़ी। ~गाड़ी (स्त्री०) एक घोड़ेवाली गाड़ी दुक्का (वि०) अकेला दुकेला
इक्की - (स्त्री०) 1 ताश का इक्का 2 एक बैल की गाड़ी इक्कीस - I (वि०) बीस और एक II (पु० ) 21 की संख्या इक्के-दुक्के - (वि०) अकेले-दुकेले इक्केवान- + हिंο + 570 इक्केवाला इक्यानवे - (वि०) नव्वे और एक, 91
=
98
इक्यावन - (वि०) पचास और एक, 51 इक्यासी - (वि०) अस्सी और एक, 81 इक्विटी अं० (स्त्री०) 1 साम्यता 2 (क़ानून) साम्या इक्षु-सं० ( पु० ) ईख । ~कांड (पु०) 1 ईख का डंठल, पोरी 2 ईख, ज (वि०) ईख के रस से बननेवाला; दंड (पु० ) = इक्षु कांड; पाक (पु०) गुड़, चीनी; प्रमेह, मेह (पु० ) चि० मधुमेह (रोग); रस (पु० ) 1 गन्ने का रस 2 शीरा 3 कास; सार (पु० ) इक्षु पाक इक्ष्वाकु - सं० (पु० ) 1 सूर्य वंश का पहला राजा 2 कड़वी लौकी, तिक्तौंकी
=
इख़फ़ा - अ० ( पु० ) छिपाना
इखराज - अ० (पु० ) 1 निकालना 2 खर्च इख़राजात - अ० (पु० ) खर्चे, व्यय
इज़ाबत
इखत्यास - अ० (पु० ) 1 पवित्रता 2 सरलता 3 हार्दिक मित्रता इख़्तियार - अ० ( पु० ) 1 अधिकार 2 वश इख़्तियारी - अं० + फ़ा० (वि०) मर्ज़ी का, वश का इख़्तिलात - अ० (पु० ) मेलजोल, परिचय इख्तिलाफ़ - अ० (पु० ) 1 अंतर, भेद 2 विरोध 3 अनबन इख़्तिसार - अ० (पु०) संक्षेप इच्छा-सं० (स्त्री०) । कामना, चाह, ख्वाहिश 2 रुचि । चारी (वि०) अपनी इच्छा के अनुसार पत्र ( पु० ) वसीयत-नामा; ~पूर्ण (वि०) इच्छायुक्त पूर्वक (वि०) इच्छा से; ~फल (पु० ) समस्या की मीमांसा; भोजन (पु० ) अपनी पसंद का भोजन शक्ति (स्त्री०) किसी कार्य को मन के अनुकूल करने की शक्ति इच्छाचारी-सं० (वि०) अपनी इच्छा के अनुसार काम करनेवाला
इच्छानुकूल, इच्छानुसार-सं० (वि०) मन के मुताबिक़ इच्छान्वित -सं० (वि०) इच्छायुक्त, इच्छापूर्ण इच्छार्थक-सं० (वि०) जिससे इच्छा प्रकट हो (जैसे--क्रिया, वह जाए)
इच्छित - सं० (वि०) चाहा हुआ, अभीष्ट
इच्छु, इच्छुक-सं० (वि०) इच्छा करनेवाला, चाहनेवाला इजमाल - अ० (पु० ) 1 इकट्ठा करना 2 संक्षेप करना 3 साझा इजमालन-अ० ( क्रि० वि०) संक्षेप में, थोड़े में इजमाली - अ० + फ़ा० (वि०) साझे का, शिरकती इजरा - अ० (स्त्री०) उर्वरता बढ़ाने के लिए परती ज़मीन इजराय - अ० (पु० ) 1 जारी करना 2 काम में लाना। ~डिग्री अं० (पु० ) न्यायालय से मिली डिग्री को अमल में लाया
जाना
इजलास - अ० (पु० ) 1 अधिकारी के द्वारा मुकदमे सुनने का स्थान 2 सम्मेलन 3 बैठक, अधिवेशन
इज़हार - अ० (पु० ) 1 प्रकट करना 2 गवाही। इज़हारे तहरीरी अ० + फ़ा (पु०) लिखित बयान
इज़ाज़त - अ० (स्त्री०) अनुमति, आज्ञा । ~नामा फ़ा० (पु० ) अनुमति पत्र
इज़ाफ़त - अ० (स्त्री०) लगाव, संबंध इज़ाफ़ा - अ० (पु०) वृद्धि, बढ़त । ~लगान
हिं० (पु० )
लगान बढ़ना
. इज़ाबत-अ० (स्त्री०) 1 प्रार्थना स्वीकार करना 2 शौच
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इज़ार
इज़ार - अ० (पु० ) पाजामा ।
नारा
चंद फ्रा० (पु०) पायजामे का
इजारदार अ० + फ्रा० (वि०) इजारेदार इजारदारी -अ० + 10 (fao) इजारेदारी
इजारा - अ० (पु० ) 1 ठेका, पट्टा 2 वस्तु के बेचने भोगने का अकेला अधिकारी होना । इजारेदार + फ़ा० (पु० ) 1 ठेकेदार 2 एकाधिकारी इजारेदारी + फ़ा० (स्त्री०) 1 ठेका
2 एकाधिकार
=
इज्ज़त - अ० (स्त्री०) 1 मान, प्रतिष्ठा 2 आदर। दार + फ़ा० (वि०) प्रतिष्ठित, सम्मानित उतारना, बिगाड़ना, ~लेना बेइज्ज़त करना, अपमानित करना; खोना, गँवाना मर्यादा खोना; देना सम्मान करना, आदर करना; ~पर पानी फिरना सम्मान खत्म हो जाना, प्रतिष्ठा समाप्त होना; ~ मिट्टी करना मान मर्यादा का नाश करना; में बट्टा लगना इज़्ज़त में दाग़ लगना, सम्मान कम हो जाना। इन्तिराब - अ० (५०) बेचैनी, व्याकुलता, अधीरता इज्या-सं० (स्त्री०) 1 यज्ञ 2 पूजा, उपासना इटालियन - अं० (वि०) इटली से संबद्ध, इटली का रहनेवाला इटैलिक अं० (पु०) एक तरह का तिरछा टाइप इठलाना (अ० क्रि०) 1 ठसक, ऐंठ दिखाना, इतराना 2 नखरा
करना
इठलाहट ( स्त्री०) ऐंठ, एंटन
इड़ा - (स्त्री०) 1 धरती, पृथ्वी 2 वाणी 3 बुद्धि 4 स्वर्ग 5 यज्ञ में दी जानेवाली आहुति 6 यज्ञ सामग्री, हवि 7 दुर्गा 8 पार्वती 9 एक नाडी
इतक़ाद - अ० (पु० ) = इतबार
इतना, इतने - I ( क्रि० वि० ) इस मात्रा में II (वि० ) इस मात्रा का । इतने में इस अवधि में इतनी देर में
इतबार - अ० (पु० ) विश्वास
इतमाम - अ० (पु० ) प्रबंध, व्यवस्था
इतमीनान - अ० (पु० ) 1 भरोसा, विश्वास 2 शांति, तसल्ली इतमीनानी- अ० + फ़ा० (वि०) भरोसे का विश्वासी इतर-सं० (वि०) 1 दूसरा, और 2 भिन्न 3 साधारण । देशीय (वि०) दूसरे देश का
इतर - (पु० ) इत्र नामक सुगंधित द्रव्य
इतराना (अ० क्रि०) 1 इठलाना 2 ऐंठना इतराहट - (स्त्री०) गर्व
इतरेतर - I सं० ( क्रि० वि०) एक दूसरे के प्रति, परस्पर II (वि०) आपस का, पारस्परिक भाव (पु० ) ऐसी स्थिति जब एक के गुण-धर्म दूसरे में न मिलें; योग (पु० ) 1 आपस का संबंध 2 व्या० द्वंद्व समास का भेद इतरेतराभाव-सं० (दु०) अन्योन्याभाव इतवार - (पु० ) आदित्यवार, रविवार
इतस्ततः सं० ( क्रि० वि०) इधर-उधर, यहाँ-वहाँ इताअत-अ० (स्त्री०) 1 अधीनता 2 आज्ञापालन इताब - अ० (पु०) कोप, रोष, गुस्सा
इति - I सं० (अ० ) इस प्रकार II (स्त्री०) अंत, समाप्ति । ~कर्तव्य (वि०) 1 जिसका करना उचित हो 2 करने के लिए जो आवश्यक हो; कृतं (वि०) इति सिद्ध; ~ मात्र (वि०) इतना ही; वृत्त (पु० ) 1 घटना 2 कहानी
=
99
इध्म
वृतक (पु० ) 1 विवरण-पत्र 2 अपराधी का वृत्तात्मक (वि०) घटनाप्रधान, विवरण मात्र; वृत्ती (पु० ) अपराधी जिसका ब्यौरा पुलिस में हो; ~ सिद्धं यही सिद्ध करना था इतिहास-सं० (पु०) व्यक्ति, समाज, देश की महत्वपूर्ण, विशिष्ट एवं सार्वजनिक क्षेत्र की घटनाओं का कालक्रम से लिखा हुआ विवरण, तथ्यों घटनाओं का काल क्रमानुसार विवेचन कर्ता, कार ( पु० ) इतिहास लेखक; ~निष्ठ (वि०) इतिहास द्वारा प्रमाणित रचयिता (पु० )
इतिहासकार रसिक (पु०, वि०) इतिहास में रस लेनेवाला; लेखक (पु० ) इतिहास लिखनेवाला, इतिहासकार; ~ विज्ञान (पु० ) इतिहास संबंधी सामग्री एकत्र करने और अध्ययन करने की विद्या, वेत्ता (पु० ) इतिहास का ज्ञाता, इतिहासकार; शास्त्र (पु० ) = इतिहास विज्ञान इतिहासाश्रित-सं० (वि०) इतिहास पर निर्भर इत्तफ़ाक़-अ० (पु० ) 1 मेल, एकता 2 सहमति 3 संयोग 4 अचानक होनेवाली घटना
इत्तफ़ाक़न-अ० ( क्रि० वि०) संयोगवश, अचानक इत्तफाक्रिया, इत्तफ़ाक़ी - अ० (वि०) अचानक होनेवाला, आकस्मिक
इत्तला - अ० (स्त्री०) सूचना नामा + फ़ा० (पु० ) सूचना लिखा हुआ पत्र
=
इत्तहाद - अ० (पु० ) इत्तिहाद इत्तिफ़ाकन- अ० (वि०) इत्तफ़ाक़न इत्तिफ़ाक़िया, इत्तिफ़ाक़ी-अ० (वि०) इत्तफ़ाक़ी
इत्तिहाद - अ० (पु० ) एकता
इत्तिहादी - अ० (वि०) एकतामूलक
इत्थं सं० ( क्रि० वि० ) इस तरह से इस प्रकार, यों भूत I (वि०) इस प्रकार का ऐसा II ( क्रि० वि०) ऐसी अवस्था में, ऐसा होने पर
इत्थमेव- ( क्रि० वि० ) इसी जैसा, इसी प्रकार से, इसी तरह इत्मीनान - अ० (पु० ) तसल्ली
इत्यादि, इत्यादिक-सं० इसी प्रकार और भी, वग़ैरह इत्र - अ० ( पु० ) इतर, अतर। तैल + सं० (पु० ) इत्र- फुलेल; ~ दान फ़ा० इत्र रखने का डिब्बा 2 इत्र पात्र ~ फ़रोश + फ़ा० (पु० ) इतर बेचनेवाला व्यक्ति, गंधी; ~साज़ + फ़ा० (पु०) अत्तार इत्वर-सं० (वि०) 1 नीच 2 कंगाल इत्वरी-सं० (स्त्री०) असती, कुलटा इधर ( क्रि० वि० ) इस तरफ, इस ओर । उस तरफ 2 यहाँ-वहाँ 3 जहाँ-तहाँ -उधर करना अस्त-व्यस्त, उलट पलट, या तितर-बितर करना; उधर की बातें करना या हाँकना अनावश्यक / व्यर्थ की बातें करना; ~ उधर में रहना व्यर्थ समय नष्ट करना; उधर हो जाना 1 अदृश्य हो जाना 2 खो जाना; की उधर करना या लगाना झगड़ा लगाना, चुग़ली करना; की दुनिया उधर हो जाना असंभव का संभव होना या उधर
-उधर 1 इस तरफ,
3 विवरण ब्यौरा
इत्तफ़ाकिया,
1 अनुकूल या प्रतिकूल 2 पक्ष में या विपक्ष में 3 जीत या हार इध्म-सं० ( पु० ) 1 ईंधन 2 समिधा
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इन
इन - I (सर्व०) 'इस' का बहुवचन II (पु० ) 1 स्वामी 2 राजा 3 सूर्य
टैक्स (पु० )
इनकम -अं० (स्त्री०) आय, आमदनी । आमदनी पर लगनेवाला टैक्स, आयकर इनक़लाब - अ० (पु०) क्रांति । ~ जिंदाबाद क्रांति चिरजीवी हो
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इनकार - अ० (पु० ) न मानना, अस्वीकार करना इनकारी- अ० + फ़ा० (वि०) अस्वीकार करनेवाला इनकिशाफ़ - अ० (पु० ) 1 खुलना 2 पता लगना इनकिसार-अ० (पु० ) नम्रता, विनय इनक्यूबेटर - अ० (पु०) अंडे सेने का यंत्र इनफ़ार्मर - अं० (पु० ) भेदिया, मुखबिर इनफ्लुएंजा -अं० (पु० ) संक्रामक शीतज्वर इनसाइक्लोपीडिया -अं० (पु० ) विश्वकोश इनसान - अ० (पु० ) मनुष्य, आदमी इनसानियत - अ० (स्त्री०) 1 मनुष्यता 2 भलमनसाहत इनसानी - अ० (वि०) मानुषिक इनसाफ़-अ० (पु० ) = इंसाफ़ इनसालवेंट - अं० (वि०) दिवालिया इनसिदाद - अ० (पु० ) बंद होना, रुकना इनहिसार - अ० (पु० ) 1 घेरना 2 सहारा होना, निर्भरता इनान-अ० (स्त्री०) बाग, लगाम इनाने सल्तनत, इनाने हुकूमत फ़ा० + अ० (स्त्री०) शासन सूत्र, शासन की बागडोर
इनाम अं० (पु०) 1 पुरस्कार, बख़्शीश 2 पारितोषिक । इकराम (पु० ) 1 उपहार, सम्मान 2 मान दान; दारफ़ा० (पु० ) माफीदार
इनामी - अ० (वि०) इनाम के लिए (जैसे मुक़ाबला ) इनायत - अ० (स्त्री०) कृपा
इनारा- (पु०) कुआँ, कूप, नारा
इने-गिने - ( वि० ) 1 गिने-गिनाये, कुछ 2 थोड़े 3 कोई-कोई इनेमल, इनैमल-अं० (पु०) तामचीनी, मीनाकारी इन्कवायरी - अं० (स्त्री०) पूछ-ताछ इन्फैन्टरी-अं० (स्त्री० ) पैदल फ़ौज;
~ डिविजन (पु० ) पैदल टुकड़ी इन्श्योरेंस-अं० (पु०) बीमा इन्सटालमेंट-अं० (पु०) किस्त इन्हें- (सर्व) इनको
इफ़रात-अ० (स्त्री०) बहुतायत, अधिकता, प्रचुरता इफ़लास - अ० (पु०) ग़रीबी, मुफ़लिसी, दरिद्रता, निर्धनता इफ़ाका- अ० (पु० ) 1 आराम होना 2 रोगी की अवस्था में सुधार
इर्द-गिर्द
इबारत - अ० (स्त्री० ) 1 वाक्य की बनावट, रचना 2 लेख 3 लिखने का ढंग । आराई + फ़ा० (स्त्री०) लच्छेदार आलंकारिक भाषा लिखना इब्तिदा-अ० (स्त्री०) आरंभ, आदि, उत्पत्ति इब्तिदाई -अ० + फ़ा० (वि०) प्रारंभिक, प्राथमिक
इब्न- अ० (पु० ) पुत्र, बेटा, लडूका। उल्ौब (वि०) जिसके नाम-धाम, कुल आदि का पता न हो; उलूवक्त (वि०) समय के अनुरूप व्यवहार करनेवाला, अवसरवादी इब्रानी - अ० (वि० ) = इबरानी
इफ़्तार - अ० (पु० ) रोज़ा व्रत खोलना इबरत - अ० (स्त्री०) 1 शिक्षा 2 चेतावनी इबरानी - I अ० (वि०) यहूदी संबंधी II ( पु० ) यहूदी III (स्त्री०) यहूदियों की भाषा
इबलीस-अ० (पु०) शैतान
इबादत अ० (स्त्री०) पूजा, उपासना। खाना (पु० ), ~गाह + फ़ार (स्त्री०) पूजा करने की जगह मंदिर, मस्जिद चर्च आदि
इब्राहीम - अं० (पु० ) यहूदियों के आदि पुरुष और पैग़म्बर इभ-सं० ( पु० ) 1 हाथी 2 नागकेसर । ~राज (पु० ) ऐरावत हाथी
इभ्या, इभया-सं० (स्त्री०) 1 हथिनी 2 सलई का पेड़ 3 स्वर्णक्षीरी 4 भड़भाँड़
1
इमकान - अ० ( पु० ) संभावना 2 शक्ति 3 शक्यता इमदाद - अ० (स्त्री०) 1 मदद, सहायता 2 मदद करना इमदादी -अ० + फ़ा० (वि०) मदद चलने वाला इमरती - (स्त्री०) जलेबी जैसी एक मिठाई
इमला - अ० (पु०, स्त्री०) लिखने का अभ्यास कराना इमलाक - अ० (पु० ) जायदाद, संपत्ति, मिलकियत इमली - (स्त्री०) एक खट्टा फल जिसकी चटनी बनाई जाती है घोंटना ब्याह की एक रस्म
इमल्शन-अं० (पु० ) 1 पायस 2 घोल
इमाम - अ० ( पु० ) 1 धर्म का नेता, मुसलमान पुरोहित 2 अगुआ 3 पथ प्रदर्शक । बाड़ा +हिं० (पु०) धर्मस्थल (मंदिर, मस्जिद) आदि इमामत - अ० (स्त्री०) 1 इमाम का पद 2 नेतृत्व इमामदस्ता - अ० + फ़ा० (पु०) दवा आदि कूटने के काम में आनेवाला खल, खरल
इमारत - अ० (स्त्री०) 1 मकान 2 पक्का मकान, भव्य एवं विशाल भवन
इमारती - अ० (वि०) इमारत के काम आनेवाली इम्तहान - अ० (पु० ) परीक्षा, परख आज़माइश इम्तिनाई-अ० + फ़ा० (वि०) रोक लगाने वाला इम्तिनाय - अ० (पु० ) मनाही, निषेध इम्तियाज़ - अ० ( पु० ) 1 भेद 2 विवेक इम्तिहान - अ० (पु० )
= इम्तहान
इयत्ता-सं० (स्त्री०) 1 सीमा, हद 2 मानक 3 परिमाण इयरफोन-अं० (पु० ) आकर्णक, कर्णध्वनियंत्र इरम्मद-सं० (पु०) 1 बिजली 2 वज्राग्नि
इरसाल - अ० (पु० ) = इर्साल
इरसी - (स्त्री०) पहिये की धुरी
इरा सं० (स्त्री०) = इड़ा
इराक़ी - I अ० (वि०) इराक़ का II ( पु० ) इराक़ देश का घोड़ा एवं निवासी III (स्त्री०) इराक की भाषा इरादतन - अ० ( क्रि० वि०) विचार करके, इच्छापूर्वक,
जानबूझकर
इरादा -अ० (पु०) विचार, इच्छा
इर्तिकाब - अ० (पु०) करना, जैसे- जुर्म का ~ इर्द-गिर्द - हिं० + फ़ा० ( क्रि० वि०) आस-पास, चारों ओर
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इर्शाद
इर्शाद - अ० (पु० ) 1 आदेश 2 पथ प्रदर्शन 3 हिदायत देना इर्साल - अ० ( पु० ) 1 भेजना 2 लगान पहुँचाना इलज़ाम - अ० (पु०) 1 दोष लगाना, आरोप 2 अभियोग इलहाक़ - अ० (पु० ) मिलाना, जोड़ना इलहाम - अ० (पु० ) 1 देववाणी 2 ईश्वरीय प्रेरणा; ईश्वरीय 'ज्ञान
इला - (सं०) (स्त्री०) = इडा
इलाक़ा - अ० (पु० ) 1 क्षेत्र 2 रियासत 3 जमींदारी 4 संबंध । इलाकेदार फ़ा० (पु० ) पूरे गाँव का ज़मींदार इलाकाई - अ० + हिं० (वि०) क्षेत्र की, प्रदेश की
इलाज - अं० ( पु० ) 1 दवा-दारु, चिकित्सा 2 उपचार 3 उपाय । पट्टी हिं० (स्त्री०) दवा-पट्टी इलायची - ( स्त्री०) एक प्रकार का फल जिसके दाने दवा के काम आते हैं ~दाना + फ़ा० (पु० ) इलायची का दाना इलास्टीक - अं० (वि०) लचीला
इलाही - I अ० (पु० ) ईश्वर, खुदा II (वि०) ईश्वरीय, दैवी इलेक्ट्रॉन-अं० (पु०) विद्युदणु इलेक्ट्रॉनिक - अं० (वि०) विद्युदाणविक इलेक्ट्रॉनिकी -अं० + सं० इलेक्ट्रॉनिक से सम्बद्ध इलेक्ट्रॉनिक्स-अं० (स्त्री०) इलेक्ट्रॉन विज्ञान
इलेक्ट्रिक - अं० (वि० ) 1 बिजली का 2 विद्युत शक्ति से होनेवाला
इलेक्ट्रिसियन-अं० (पु० ) विद्युत का काम करने वाला, बिजली मिस्त्री
इलेक्ट्रोड - अं० (पु० ) विद्युदय
इलेक्शन - अं० (पु०) चुनाव
इल्ज़ाम - अ० (पु० ) 1 आरोप 2 दोष लगाना इल्तिजा - अ० (स्त्री०) प्रार्थना, निवेदन
इल्फ़िात - अं० (स्त्री०) 1 ध्यान देना 2 कृपा इल्तिमास - अ० ( पु० ) निवेदन, अर्ज़, प्रार्थना इल्तिवा - अ० (पु० ) 1 टलना 2 रुक जाना 3 लिपटना इल्म - अ० (पु० ) 1 विद्या 2 ज्ञान, जानकारी
इल्लत - अ० (स्त्री०) 1 रोग 2 दुर्व्यसन पालना बुरी आदत का शिकार होना, दुर्व्यसन में फंसना इल्ला - ( पु० ) त्वचा पर निकलनेवाला छोटा कड़ा अबुंद मांस कील, मगर, परंतु
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इल्ली - (स्त्री०) उड़नेवाले कीड़ों के बच्चों का अंडे से निकलने के बाद का रूप
इव-सं० (अ०) समान, सदृश, मानिंद
इशरत - अ० (स्त्री०) 1 भोग विलास, मौज-मस्ती 2 वैभव । ~गाह + फ़ा० (स्त्री०) वैभव स्थल
इशा - अ० (स्त्री०) 1 रात 2 रात्रि का अंधकार इशाअत- अ० (स्त्री०) 1 प्रचार करना 2 प्रकाशित करना 3 छापना
इशारत - अ० (स्त्री०) इशारा करना इशारा - अ० (पु० ) संकेत । इशारेबाजी आँखों से संकेत करना;
+ फ़ा० इशारा करना,
इशारों पर नाचना कहने के अनुसार काम करना
इश्क - अ० ( पु० ) 1 प्रेम 2 आसक्ति । पेचा + फ़ा० एक प्रकार की लता और फूल; + फ़ा० (वि०) प्रेमी,
बाज़
इस्तिमरारी
आशिक बाज़ी + फ्रा० (स्त्री०) सांकेतिक कथन इश्किया-अ० (वि०) श्रृंगारिक, प्रेमप्रधान
इश्तियाक़ - अ० (पु०) 1 शौक होना 2 चाह, लालसा इश्तियाल - अ० ( पु० ) इश्तियाल इश्तहार - अ० 1 सार्वजनिक सूचना 2 विज्ञापन । तख्ता + फ्रा० (पु० ) विज्ञापन- फलक; बाज़ी +4570 (0) इश्तहारों द्वारा जोरों से प्रचार करना
इश्तहारी- अ० (वि०) जिसका इश्तहार निकला हो इश्तिआल - अ० (पु० ) 1 भड़काना 2 उत्तेजित होना इश्तियाक़ - अ० (पु० ) शौक, चाह इश्तियाल - अ० (पु० )
2 उत्तेजना इश्तिराक-अ० (पु० ) शिरकत, साझा इश्तिहा - अ० (स्त्री०) 1 भूख 2 इच्छा इषु-सं० (पु०) बाण, तीर
इष्ट-सं० (वि०) 1 चाहा हुआ 2 वांछनीय 3 प्रिय 4 पूजित। -तम (पु० ) सबसे अधिक वांछित तत्त्व; ~ काल (पु० ) उचित एवं उपयुक्त समय; देव (पु० ) 1 आराध्य देव 2 कुलदेवता; प्राप्ति (स्त्री०) वांछित वस्तु का मिलना; ~ मित्र (पु० ) प्रिय मित्र;
इष्टका-सं० (स्त्री०) ईट
=
=
इष्टा-सं० (स्त्री०) प्रेमिका
दृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 अभिलाषा 2 अभीष्ट
इष्टिका सं० (स्त्री०) = इष्टका
इष्य-सं० (पु०) वांछनीय
इस (सर्व०) 'यह' का विभक्ति के पहले प्रयोग में आनेवाला रूप
इसपेशल - अ०
स्पेशल, विशिष्ट इसमाईली - अ० (पु० ) शीया मुसलमानों का एक फिर्का इसराईली - अ० (पु० ) यहूदी
इसराफ़ - अ० (पु०) फजूलखर्ची, उड़ाऊपन
1 भड़कना, प्रज्वलित होना
इसरार - अ० (पु० ) 1 आग्रह, हठ 2 आग्रह करना इसलाम - अ० (पु० ) 1 मुसलमानों का धर्म 2 ईश्वर के सामने सिर झुकाना
इसलामी -अ० (वि०) इसलाम संबंधी
इसलाह- अ० (पु० ) 1 सुधारना, ग़लती ठीक करना 2 संशोधन
इसहाल - अ० (पु० ) अतिसार
इसे (सर्व०) इसको
इस्कात - अ० (पु० ) 1 गिरना 2 गर्भपात इस्कूल-अ० (पु०) विद्यालय, पाठशाला इस्तकबाल - अ० ( पु० ) 1 स्वागत 2 अगवानी इस्तगासा - अ० (पु० ) 1 फ़ौजदारी नालिश 2 फ़रियाद इस्तमरारी - अ० (वि०) स्थायी, नित्य
==
इस्तरी - (स्त्री०) इस्तिरी इस्तिजा-अ० (पु० ) आबदस्त, इस्तिकबाल -अ० (पु० ) = इस्तक़बाल
शौच
इस्तिलाल - अ० (पु० ) 1 धीरज, सब 2 अपने सहारे खड़े होना इस्तिगासा - अ० (पु० ) = इस्तगासा
इस्तिमरारी अ० (वि०)
इस्तमरारी
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इस्तिरी 102
ईफ़ाय इस्तिरी-(स्त्री०) कपड़े की शिकन को दूर करनेवाला एक यंत्र 2 कुछ नहीं; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) = ईंटकारी ~का
जो विद्युत से चालित होता है। ऐसा यंत्र जिसमें गर्म दहकता छल्ला देना कच्ची दीवार की मजबूती के लिए उससे सटाकर कोयला भरकर कपड़े की शिकन दूर की जाती है ईटें चुनना; ~गढ़ना ईंटों को काट छाँटकर जोड़ाई के काम में इस्तिलाह-अ० (पु०) कला, शास्त्र, व्यवसाय की पारिभाषिक
आने योग्य बनाना; चुनना ईंटों को जोड़कर दीवार उठाना; शब्दावली
डेढ या ढाई ईट की मस्जिद अलग बनाना अपनी बात पर इस्तिलाही-अ० (वि०)1 पारिभाषिक 2 लाक्षणिक
चलना, अपनी राय आम लोगों से भिन्न रखना; पाथना इस्तिसनाय-अ० (पु०) 1 अलग करना 2 शामिल न करना गीली मिट्टी को सांचे में ढालकर ईंट का आकार देना; गुड़ इस्तीफा-अ० (पु०) त्याग पत्र
दिखाकर ईंट मारना भलाई की आशा देकर बुराई करना; इस्तेमाल-अ० (पु०) काम में लाना, व्यवहार; ~शुदा ~से ईंट बजना मकान का ध्वस्त होना; ~से ईंट बजाना __ + फ्रा० प्रयोग किया हुआ
ध्वस्त करना, नष्ट-भ्रष्ट कर देना इस्तेमाली-अ० (वि०) प्रयोग में आनेवाली
| ईटा-(पु०) = ईंट इस्पात-पूर्त० (१०) वैज्ञानिक विधियों द्वारा बनाया गया अच्छे डरी-(स्त्री०) गेंडरी. बिडई किस्म का मज़बूत लोहा, फौलाद, स्टील। ~द्रावकसं० | ईंट-(पु०) सान चढ़ाते समय उसके नीचे रखी जानेवाली ईंट (पु०) इस्पात गलाने की मशीन; निर्मातासं० (पु०) इंधन-(पु०) जलाने की लकड़ी, जलावन, उपला, कंडी। इस्पात बनानेवाला
तेल (पु०) जलाने का तेल; ~का काम देना उत्तेजित इस्पाती-पुर्त० + हिं० (वि०) 1 इस्पात का बना 2 इस्पात | करना, भड़काना संबंधी
ईकार-सं० (पु०) 'ई' स्वर इस्म-अ० (पु०) नाम, संज्ञा। वीसी + फ़ा (स्त्री०) | ईकारांत-सं० (वि०) जिसके अंत में ई हो 1 नाम सूची 2 नाम लिखाई; ~इस्मे फ़र्जी + फ़ा० + अ० । ईक्षक-सं० (वि०) 1 देखनेवाला 2 विचार करनेवाला (पु०) काल्पनिक या ग़लत नाम; ~इस्मे सिफ़त (पु०) | ईक्षण-सं० (पु०). 1 देखना 2 देखभाल 3 जाँच 4 विवेचन (व्या०) विशेषण पद; ~इस्मे शरीफ शुभ नाम
5 जाँच पड़ताल इस्लाम-अ० (पु०) = इसलाम
ईक्षणिक, ईक्षणीक सं० (पु०) भविष्यवक्ता, ज्योतिषी इह-सं० (सर्व०) 1 यहाँ, इस जगह 2 इस लोक में 3 अब, इस | ईक्षा-सं० (स्त्री०) 1 दृष्टि 2 विचार
काल में। ~काल (पु०) यह जीवन; ~लीला (स्त्री०) ईक्षित-सं० (वि०) 1 देखा हुआ 2 विवेचित इस लोक का जीवन; ~लोक (पु०) यह जगत् ईख-(स्त्री०) गन्ना, ऊख; राज (पु०) ईख बोने का त्योहार
~लोकिक (वि०) इस लोक से संबंध रखनेवाला, ईजा-अ० (स्त्री०) पीड़ा, दर्द, कष्ट सांसारिक
ईजाद-अ० (स्त्री०) खोज, आविष्कार इहतिमाम-अ० (पु०) 1 प्रबंध 2 आयोजन
ईजादी-अ० (वि०) आविष्कारिक इहतिमाल-अ० (पु.) 1 संभावना 2 शक
ईजान-अं० (वि०) यज्ञ करनेवाला इहतियाज-अ० (पु०) 1 अभाव 2 गरज
ईजीचेयर-अं० (स्त्री०) आरामकुर्सी इहतियात-अ० (स्त्री०) 1 परहेज़, बचाव 2 सावधानी ईठी-I (स्त्री०) भाला II (वि.) स्त्री०, प्यारी इहतियातन-अ० (अ०) सावधानी की दृष्टि से
इंडा-सं० (स्त्री०) प्रशंसा, स्तुति इहतियाती-अ० (वि०) सावधान
इंडित-सं० (वि०) प्रशंसित, स्तुत इहतिलाम-अ० (पु०) स्वप्न में वीर्यपात होना, स्वप्नदोष । ईति-सं० (स्त्री०) 1 बाधा, उपद्रव 2 खेती को हानि पहुँचाने इहसान-अ० (पु०) 1 नेकी, उपकार 2 भलाई करना, नेकी वाले छ उपद्रव (-अतिवृष्टि, अनावृष्टि, चूहे, टिड्डी आदि)
करना। ~फरामोश + फ़ा० (वि०) उपकार न माननेवाला, 3 कष्ट कृतघ्र; ~मंद + फ़ा० (वि०) कृतज्ञ, ऋणिी
ईथर-अ० (पु०) एक रासायनिक द्रव्य पदार्थ इहाता-अ० (पु०) चारदीवारी; ~करना (स० क्रि०) घेर ईद-अ० (स्त्री०) मुसलमानों का त्योहार। ~गाह + फ़ा० लेना
(स्त्री०) ईद के दिन नमाज़ पढ़ने की जगह। ~का चाँद बहुत दिनों के बाद मुलाकात होना ईदी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 ईद के दिन पर मित्रों एवं संबंधियों
को दी जानेवाली सौगात; भेंट 2 मुबारकबाद (ईद) ईदुलफितर-अ० (स्त्री०) रमज़ान खत्म होने पर नया चाँद होने
के दूसरे दिन मनाया जानेवाला त्योहार
ईदृश-I सं० (वि०) ऐसा, इस तरह का II (क्रि० वि०) ऐसे, ईगुर-(पु०) सिंदूर, हिंगुल
इस तरह ईंट-(स्त्री०) 1 आयताकार साँचे में ढालकर पकाया जानेवाला । ईप्सा-सं० (स्त्री०) 1 चाह 2 पाने की कामना मिट्टी का टुकड़ा जिसे दीवार आदि बनाने के काम में लाया | ईप्सित-सं० (वि०) 1 चाहा हुआ 2 प्रिय, काम्य जाता है 2 ईंट के खेल में ताश का पत्ता। ~कारी + फ़ा० ईप्सु-सं० (वि०) इच्छुक, चाह रखनेवाला (स्त्री०) = ईंटबंदी; पत्थर (पु०) 1 ईंट और पत्थर ईफ़ाय-अ० (पु०) पूरा करना, वचन पालन ~ईफ़ाये वादा
ई
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उ
- उगला
+ फा० + अ०, ईफ्रा वादा (स्त्री०) वादा पूरा करना, प्रतिज्ञा | ईषदुष्ण-सं० (वि०) थोड़ा गर्म,कुनकुना पालन
ईषदर्शन--सं० (पु०) 1 चितवन 2 ईषदृष्टि ईमा-अ० (पु०) 1 इशारा, संकेत 2 ध्वनि
ईसवी-I अ० (वि०) ईसा से संबंध रखनेवाला II (पु०) ईमान-अ०. (पु०) 1 धर्म विश्वास 2 ईश्वर पर विश्वास 3 धर्म । ईसवी सन् 4 सच्चाई 5 नीयत। दार + फ्रा० (वि०) 1 सच्चा, ईसा-अ० (पु०) ईसाई धर्म के प्रवर्तक, मसीह ~मसीह विश्वसनीय 2 धनिष्ठ; दारी + फ्रा० (स्त्री०) सत्यनिष्ठा ईसाईयत-अं (स्त्री०) ईसाई धर्म/मत एवं धर्म परायणता का सौदा खरा व्यवहार; ~की कहना ईसाई-I अ० + फा० (वि०) ईसा से संबंधित (स्त्री०) ईसाइन सच्ची बात कहना; ठिकाने न रहना 1 धर्म पर दृढ़ न रहना ___II (पु०) ईसाई धर्म । 2 नीयत बदल जाना; ~डिगना नीयत में खामी आना; ईसार-अ० (पु०) स्वार्थत्याग
देना सत्य त्यागना; बिगड़ना, ~में फर्क आना ईस्टर-अं० (पु०) ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाने का दिन 1 नीयत खराब होना 2 धर्म में आस्थाभाव न होना; ~लाना ईस्वी-अ० (वि०) = ईसवी 1 धर्म एवं सच्चाई पर विश्वास करना 2 धर्म रूप में स्वीकार ईहा-सं० (स्त्री०) 1इच्छा, चाह 2 चेष्टा, प्रयत्न 3 लोभ करना
ईहित-सं० (वि०) 1 चाहा हुआ 2 चेष्टित ईमाय-अ० (पु०) = ईमा ईरण-I सं० (वि०) अस्थिर करनेवाला, क्षुब्ध करनेवाला
II (पु०) 1 वायु, हवा 2 उत्तेजना 3 गमन ईरानी-फा० (वि०) ईरान देश का ईरित-सं० (वि०) 1 प्रोत्साहित 2 कंपित ई-सं० (स्त्री०) = ईर्ष्या। ~वश (क्रि० वि०) ईर्ष्या से ईवाल-सं० (वि०) = ईर्ष्यालु
उँगनी-(स्त्री०) गाड़ी की धुरी में तेल लगाने की क्रिया, औंगने ईय-सं० (वि०) ईर्ष्या का विषय
की क्रिया ईया-सं० (स्त्री०) जलन, डाह; द्वेष (पु०) ईर्ष्या की । उँगल-(स्त्री०) = उँगली भावना
बैंगलाना-(स० क्रि०) तंग करना, परेशान करना ईर्ष्यालु-सं० (वि०) डाह, जलन करनेवाला
उँगली-(स्त्री०)हाथ-पैर के फली के आकार वाले अंतिम ईश-सं० (पु०) 1 ईश्वर 2 स्वामी 3 राजा
भाग। ~उठना बदनामी होना; ~उठाना 1दोष लगाना, शता-सं० (स्त्री०) स्वामित्व, प्रभुत्व
बदनाम करना 2 बुरी दृष्टि, हानि पहुँचाने की दृष्टि से देखना; शा-सं० (स्त्री०) 1 ऐश्वर्य, सुख 2 अधिकार 3 ऐश्वर्ययुक्त --करना परेशान करना, सताना, कष्ट देना; चटकाना स्त्री 4 दुर्गा
उँगलियों से चट-चट की ध्वनि निकालना; चमकाना, ईशान-सं० (पु०) 1 स्वामी 2 ईश्वर 3 ज्योति 4 पूर्व और उत्तर नचाना, मटकाना उँगलियों को द्वेष, नखरे से हिलाना; के बीच का कोण
~पकड़ते पहँचा पकड़ना किसी की भलमनसी का अनुचित इशिता-सं० (स्त्री०) 1 श्रेष्ठता, महत्ता 2 ईश्वरत्व
लाभ उठाने का प्रयत्न करना, थोड़ा पाकर अधिक पाने का ईश-प्रभु-सं० (पु०) हज़रत ईसा मसीह
प्रयास करना; ~रखना दोष की ओर संकेत करना; ईशोपासना-सं० (पु०) ईश्वरभक्ति, भगवान् की पूजा ~लगाना नाम मात्र की सहायता देना; ~उँगलियाँ नचाना ईश्वर-सं० (पु०) 1 भगवान् 2 स्वामी 3 आत्मा। त उँगलियाँ चमकाना; उँगलियों पर नचाना इच्छानुसार काम (स्त्री०), तत्त्व (पु०) ईशता; निष्ठ (वि०) ईश्वर में कराना, इशारों पर नचाना, वश में कर रखना; ~कानों में विश्वास करनेवाला; . निष्ठा (स्त्री०) ईश्वर का पुजारी; उँगलियाँ देना निदंनीय या अनुचित बात की चर्चा होने पर
~भक्ति (स्त्री०) = ईश्वर निष्ठा; ~मीमांसा (स्त्री०) उसके प्रति उदासीनता दिखाना; दाँतों तले दबाना आश्चर्य ईश्वर और जगत् का विवेचन करनेवाला शास्त्र; ~वाद प्रकट करना; पाँचो उँगलियाँ घी में होना हर तरह से यथेष्ट (पु०) ईश्वर की सत्ता और कर्तव्य शक्ति पर आस्था एवं लाभ का अवसर आना विश्वास का सिद्धांत; ~वादी (वि०) ईश्वरवाद को उँछ-I सं० (स्त्री०)खेत में हए दाने चुनना II (वि०) दाने माननेवाला
चुनकर गुज़ारा करनेवाला । ~वृत्ति (स्त्री०) खेत में छूटे हए ईश्वराधीन सं० (वि०) 1 ईश्वर के अधिकार में रहनेवाला दानों को चुनकर गुज़र करना; ~शील (वि.) उंछवृत्ति से 2 ईश्वर की इच्छानुसार होनेवाला
जीविकोपार्जन करनेवाला ईश्वरीय-सं० (वि०) 1 ईश्वर का 2 ईश्वर द्वारा किया गया, उँडक-सं० (पु०) शरीर के अंदर होने वाला या आँत का व्रण। ईश्वर द्वारा दिया, भेजा गया
^शोथ (पु०) आँत की सूजन ईश्वरोपासक-सं० (वि०) = ईश्वर निष्ठ
उँडेलना-(स० क्रि०) दूसरे बर्तन में गिराना, डालना, ढालना, ईश्वरोपासना-सं० (स्त्री०) = ईश्वर निष्ठा
उलटना ईषत्-I सं० (वि०) थोड़ा, कम II (क्रि० वि०) 1 कुछ-कुछ | दरी-(स्त्री०) गंजा होना 2 आंशिक रूप में
उँदरू-(पु०) एक प्रकार की काँटेदार झाडी ईषत्सपृष्ट-सं० (वि०) बहुत कम छुआ हुआ | उंदुर-सं० (पु०) चूहा
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उँह
उह-अ० अस्वीकार, घृणा, वेदना आदि का सूचक शब्द उऋण - (वि०) कर्ज़ से मुक्त
पुरान (पु० ) गड़े मुर्दे उखाड़ना,
उकचना - (अ० क्रि०) 1 उखड़ना 2 उचड़ना 3 हट जाना उकटना - (स० क्रि०) उघटना उकटा - (वि०) उघटा । पुरानी बातों को उघटना उकठना - (अ० क्रि०) 1 सूखकर ऐठा जाना, उखड़ना 2 शुष्क, सूखा
उकठा - (वि०) 1 सूखकर ऐठा हुआ 2 शुष्क, सूखा उकडू-(पु० ) बैठने का एक ढंग जिसमें घुटने मोड़कर छाती को स्पर्श करें
उकताना - (अ० क्रि०) ऊबना, अधीर होना उकताहट - (स्त्री०) अधीरता, जल्दबाजी
उकलना - ( अ० क्रि०) 1 उघड़ना 2 उखड़ना 3 लपेट खुलना उकलाई - (स्त्री०) 1 उलटी, कै 2 मिचली
उकलाना - (अ० क्रि०) उलटी करना, उगलना उकवत, उकवथ - ( पु० ) एक प्रकार का चर्म रोग, दाद उकसना - ( अ० क्रि०) 1 उभरना 2 अंकुरित होना उकसाना - (स० क्रि०) 1 उभारना 2 भड़काना 3 उठाना 4 हटाना उकसाव - (पु० ) 1 उभार 2 उत्साह 3 उत्तेजना । (वि०) उत्साहपूर्ण
-भरा
उकसावा - (पु० ) उकसावभरा
= उकसाव । ~ भरा (वि०)
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=
उकसाहट - (स्त्री०)
= उकसाव, उत्तेजना
उकाब - अ० ( पु० ) 1 गरुड़ 2 बड़ी जाति का गिद्ध उकार-सं० (पु० ) 'उ' स्वर
उकारांत - सं० (वि०) जिसके अंत में 'उ' हो (जैसे-जंतु, लघु) उकीरना - (स० क्रि०) 1 उखाड़ना 2 खोदना
उकेरना - ( पु० ) 1 नक्काशी करना 2 बेल बूटे खोदना उकेरी - (स्त्री०) 1 नक्काशी 2 बेल बूटे
उकेलना (स० क्रि०) 1 उधेड़ना 2 उचाड़ना 3 तह खोलना उकौना - (पु० ) 1 गर्भावस्था में होनेवाली इच्छाएँ 2 दोहद उक्त-सं० (वि०) कहा हुआ, कथित । प्रत्युक्त (पु० ) प्रश्नोत्तर, कथोपकथन; ~ लेखन (पु० ) कही हुई बात को लिखना
उक्ति-सं० (स्त्री०) 1 कथन 2 वाक्य 3 कवित्वमय वचन, पद्य । युक्ति (स्त्री०) बताई, सुझाई गई तरक़ीब; ~ वैचित्र (पु० ) अभिव्यक्ति का चमत्कार - वैशिष्ट्य (पु० ) अभिव्यक्ति की विशेषता
उक्थ-सं० ( पु० ) 1 कथन 2 सूक्ति 3 एक यज्ञ 4 स्तोत्र पाठ उक्षण-सं० (पु० ) 1 जल छिड़कना 2 तर करना उक्षित - सं० (वि०) 1 सींचा हुआ 2 भिगोया हुआ उखटना - I (स० क्रि०) 1 खोंटना 2 कुतरना II (अ० क्रि०) लड़खड़ाना
उचटाना
उखड़ा - (वि०) उखड़ा हुआ। पुखड़ा (पु० ) अस्त-व्यस्त उखाड़ - (स्त्री०) 1 उखाड़ने की क्रिया 2 पेंच की काट 3 दलील की काट | पछाड़ (स्त्री०) 1 उलट-पलट 2 दाँव-पेंच उखाड़ना - (स० क्रि०) 1 गड़ी, जमी बैठाई हुई चीज़ को अपनी जगह से हटा देना 2 ऊपर लाना 3 तितर-बितर करना 4 प्रभाव न जमने देना 5 भगाना 6 नष्ट करना उखाडू - (वि०) उखाड़नेवाला
उखालिया - व्रत आरंभ करने से पहले रात में किया जानेवाला अल्पहार, सरगही (सरघी)
उखड़ना - (स० क्रि०) उखाड़ना
उगना - (अ० क्रि०) 1 उदय होना 2 अँखुआ फेंकना 3 उपजना उगलना - (स० क्रि०) 1 पेट की चीज मुँह से निकाल देना
2 छिपी हुई बात या वस्तु को प्रकट करना 3 अपराध स्वीकार कर लेना 4 बाहर निकालना उगलवाना, उगलाना - (स० क्रि०) उगलने में प्रवृत्त करना उगाना - (स० क्रि०) 1 उपजाना 2 उठाना 3 उदय करना उगाल - ( पु० ) 1 थूक, खखार 2 पीक । दान + फ़ा० (पु० ) थूकने का बर्तन, पीकदान
उगाला - (पु० ) फ़सल को नुकसान पहुँचानेवाला एक कीड़ा उगाहना - (स० क्रि०) 1 लोगों से लेकर इकट्ठा करना 2 चंदा करना 3 वसूल करना
उखड़ना - ( अ० क्रि०) 1 अपनी जगह से हटना 2 टूटना 3 उपटना 4 तितर-बितर होना । उखड़ी उखड़ी बातें करना 1 उदासीन या खिन्न होकर बातें करना 2 झुंझलाकर बिना सोचे समझे बातें कहना; उखड़ी - पुखड़ी सुनाना अंड बंड, अनाप-शनाप सुनाना
उगाही - (स्त्री०) 1 वसूली 2 चंदा 3 लगान
उप्र - I सं० (वि०) 1 भयानक 2 तीव्र 3 क्रूर 4 हिस्र 5 तेज़ II (पु० ) 1 रुद्र 2 सूर्य; सं० उग्रता ~दली (वि०) उग्र दल का; नीति (स्त्री०) भयानक नीति, पंथी (वि०) उग्रदळी: ~ राष्ट्रवाद राष्ट्रवाद जो निरंकुशता प्रधान हो और जिसमें उग्रनीतियों की मान्यता हो; राष्ट्रवादी उन राष्ट्रवाद का समर्थक वाद (पु० ) भयानक विध्वंसकारी मार्ग का रूप; ~वादी उग्रवाद को मान्यता देनेवाला उघटना - (स० क्रि०) 1 कोसना 2 किसी पर अपने उपकार एवं उसके अपकारों को पुनः कहना, उकटना
उघटा - (वि०) उबटनेवाला। पुरान (पु० ) उकटा पुरान उघड़ना - ( अ० क्रि०) 1 खुलना 2 प्रकट होना 3 नंगा हो" 4 भंडाफोड़ होना । उघड़कर नाचना मान मर्यादा का ि त्याग कर मनमानी करना, निंदनीय आचरण करन उघरारा - (वि०) 1 जो ढँका न नंगा उघाड़ना - (स० क्रि०) 1 खोलना 2 अनावृत करना 3 पर्दाफ़ा करना, भेद खोलना
लो
उघाड़ना
उघाड़ा - (वि०) 1 खोला हुआ 2 अनावृत, नंगा उघारना - (स० क्रि०) उचकन - ( पु० ) वस्तु को ऊँचा करने के लिए अधार उचकना - 1 (अ० क्रि०) एड़ी के सहारे ऊपर उ. "{ भगा ले जाना
=
M
उचकाना - (स० क्रि०) ऊपर उठाना, उभारना उचक्का - (पु० ) चीज़ उठाकर भाग जानेवाला, चाईं उचटना - ( अ० क्रि०) 1 उचड़ना 2 अलग होना 3 मन का न लगना, विरक्त होना उचटी हुई दृष्टि डालना विरक्त भाव से देखना
उचटाना - (स० क्रि०) 1 अलग करना 2 विरक्त करना 3 बिचकाना
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उचड़ना
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उछाव
उचड़ना, उचरना-(अ० क्रि०) = 1 उचटना 2 उखड़ना उच्चार्य-सं० (वि०) उच्चारण करने योग्य उचाट-I (पु०) ऊब, उदासी II उचटा हुआ
उच्चालक-सं० (पु०) ऊपर ले जानेवाला उचाटना-(स० क्रि०) 1 उचाट कर देना 2 ध्यान भंग करना उच्चालन-सं० (पु०) ऊपर ले चलना उचाइना-(स० क्रि०) = उखाड़ना
उच्चालित्र-सं० (वि०) = उच्चालक उचावा-(पु०) सपने में बड़बड़ाना
उच्चावच-I सं० (वि०) ऊँचा नीचा, 2 छोटा बड़ा 3 विषम उचित-सं० (वि०) 1 ठीक, उपयुक्त 2 प्रिय, ग्राहय __ II (पु०) भूतल की ऊँच-नीच उच्च-सं० (वि०) 1ऊँचा 2 बड़ा, श्रेष्ठ 3 तेज़ 4 ऊँचे पद पर | उच्चासन-सं० (पु०) ऊँचा आसन, पद
बैठा हुआ। कुल (वि०) श्रेष्ठ खानदान -कोटि (स्त्री०) उच्चित्र-सं० (वि०) जिस पर बेल-बूटे उभारे गए हों ऊंचा दर्जा; ~गामी (वि०) तेज़ जानेवाला; ता (स्त्री०) | (जैसे-उत्चित्र वस्त्र)
तत्व (पु०) श्रेष्ठता; न्यायालय (१०) हाई कोर्ट; उच्छन्न-सं० (वि०) 1 नष्ट, लुप्त 2 अनावृत ~पदस्थ (वि०) ऊँचे पद पर काम करनेवाला ~मान उच्छल-सं० (वि०) 1 उछलने वाला 2 लहराता हआ (जैसे (पु०) रिकॉर्ड, रक्तचाप १०) रक्त का वेग बह्त बढ़ जलधि) जाना (रोग): ~वर्ग (१०) धनिक तथ् सुखी वर्ग; उच्छिति-सं० (स्त्री०) विनाश शिक्षालय (पु०) हाई कल
उच्छिन्न-सं० (वि०) 1 कटा हुआ 2 उखाड़कर नष्ट किया हुआ उच्चक-सं० (वि०) 1 अत्यधिक ऊँचा 2 सबसे ऊँचा; उच्छिष्ट-I सं० (वि०) 1 खाने से बचा हुआ 2 बासी 3 जूठा
~मनोग्रंथि (स्त्री०) यह मानना कि हम औरों से बड़े हैं II (पु०) 1 जूठा अन्न, जूठन 2 मधु, शहद; ~भोजी उच्चतम सं० (वि.) जो अपेक्षाकृत सबसे ऊँचा हो (वि०) जूठन खानेवाला उच्चतर-सं० ( पहले से ऊँचा, और ऊँचा
उच्छुल्क-सं० (वि०) जिस पर चुंगी न दी गई हो उच्चय-सं० (पु०) 1 ढेर, राशि 2 चयन
उच्छू-(स्त्री०) श्वासनली में कुछ अटकने से आनेवाली खाँसी उच्चयापचय-सं (पु०) उत्थान और पतन
उच्छंखल-सं० (वि०) 1 निरंकुश 2 स्वेछाचारी, बंधन न उच्चरण-सं० (पु०) 1ऊपर उठना 2 बाहर आना (शब्द) माननेवाला 3 क्रमरहित। ~ता (स्त्री०) निरंकुशता उच्चरित-सं० (वि०) बोला हुआ
उच्छेत्ता-सं० (पु०) उच्छेद करनेवाला उच्चांक-सं० (पु०) = उच्चमान
उच्छेद-सं० (पु०) 1 काटना 2 जड़ से उखाड़ना 3 नाश । उच्चांतरीय-सं० (पु०) ऊँचा शैल या भूभाग जो दूर तक समुद्र ~वाद (पु०) अनात्मवाद में निकला हो
उच्छेदक-सं० (वि०) 1 काटनेवाला 2 उन्मूलन करनेवाला उन्लांश-सं० (पु०) (ज्यो०) उन्नतांश
उच्छेदन-सं० (पु०) 1 उच्छेद करना 2 निराकरण उच्चाकांक्षा-सं० (स्त्री०) बड़प्पन की आकांक्षा, महत्त्वकांक्षा उच्छरायसूचक-सं० (पु०) उत्थान-सूचक उच्वाकांक्षी-सं० (वि०) 1 बड़प्पन की इच्छा रखनेवाला उच्छ्व सन-सं० (पु०) 1 साँस निकालना 2 गहरी साँस 2 महत्त्वाकांक्षी
उच्छवसित-सं० (वि०) 1 उच्छवास रूप में बाहर आया हुआ उच्चाट-सं० (पु०) शत्रु को नष्ट करना
2 विकसित उच्चाटन-सं० (पु०) 1 खींचकर हटाना 2 उखाड़ना 3 तंत्र-मंत्र उच्छवास-सं० (पु०) 1 ऊपर छोड़ी जाने वाली साँस 2 आह से मन को विरक्त करना
भरना 3 मरण उच्चाटित-सं० (वि०) उच्चाटन किया हुआ
उच्छवासी-सं० (वि०) 1 आह भरनेवाला 2 विकसित उच्चादर्श-सं० (पु०) ऊँचा आदर्श
होनेवाला उच्चाधिकारी-सं० (पु०) ऊँचे दर्जे का अधिकारी उछंग-(पु०) 1 गोद 2 हृदय उच्चाभिलाषा-सं० (स्त्री०) = उच्चाकांक्षा
उछक्का-(वि०, स्त्री०) व्यभिचारिणी, कुलटा उच्चाभिलाषी-सं (वि०) = उच्चाकांक्षी
उछल-कूद-(स्त्री०) 1 उछलना-कूदना, कूद-फाँद 2 भाग दौड़ उच्चायुक्त-सं० (पु०) राजदूत की तरह ब्रिटिश संघ के राज्यों द्वारा प्रयत्न में नियुक्त अधिकारी, हाई कमिश्रर
उछलना-(अ० क्रि०) 1 तेजी के साथ नीचे से ऊपर उठना, उच्चायोग-सं० (पु०) उच्चायुक्त का कार्यालय या उनका वर्ग उझकना, कूदना 2 ऊपर उठकर नीचे गिरना 3 उपटना उच्चार-सं० (वि०) 1 उच्चारण 2 कथन
4 उतराना। उच्चारक-सं० (वि०) उच्चारण करनेवाला, कहनेवाला उछल पड़ना-प्रसन्न होना उच्चारण-सं० (पु०) 1 शब्द को मुँह से निकालना, बोलना उछलवाना, उछलाना-(स० क्रि०) = उछलना 2 शब्द या उसके वर्गों को कहने का ढंग। पद्वति (स्त्री०) उछाँटना-(स० क्रि०) 1 छाँटना 2 उपाटना 3 उचाटना उच्चारण करने का ढंग; ~प्रयत्न (पु०) = उच्चारण; उछाल-(स्त्री०) 1 उछलने की क्रिया 2 छलांग 3 ऊँचाई।
स्थान (पु०) मुँह का वह स्थान जिसके प्रयत्न से कोई छक्का-(वि०, स्त्री०) कुलटा खास ध्वनि निकले (कंठ, तालु, ओष्ठ, जिहवा आदि) | उछालना-(स० क्रि०) 1ऊपर फेंकना 2 उजागर करना; उच्चारणाभ्यास-सं० (पु०) उच्चारण का अभ्यास
कीचड़~ गंदी बातें उठाना उच्चारणीय-सं० (वि०) उच्चारण करने योग्य
उछाला-(पु०) 1 उबाल 2 उल्टी उच्चारित-सं० (वि०) कहा या बोला हुआ
उळाव, उछाह-(पु०) 1 उत्साह 2 हर्ष 3 हौंसला
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उजका
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उठौवा
उजका-(पु०) पक्षियों आदि को डराने के लिए खेत में गाड़ उन-अ० (पु०) 1 आपत्ति, एतराज़ 2 हेतु, कारण 3 आक्षेप; दिया जानेवाला 'पुतला'
~ख्खाही + फ़ा० (स्त्री०)क्षमायाचना; दार + फ़ा० उजड़ना-(अ० क्रि०) 1 बस्ती नष्ट होना 2 बर्बाद होना ! (वि०) उज़ करनेवाला; दारी - फ़ा० अदालत की आज्ञा उजड़वाना-(स० क्रि०) 1 तबाह करना 2 वीरान करवाना के विरोध में दी जानेवाली दरखास्त, आपत्ति-निवेदन 3 नष्ट-भ्रष्ट करवाना
उझकना-(अ० क्रि०) 1 उचकना 2 चौंकना 3 उचककर उजड़ा-(वि०) । तबाह किया हुआ 2 वीरान किया हुआ। झाँकना पुजड़ा (वि०) बर्बाद किया हुआ
उझलना-I (स० क्रि०) उँडेलना II (अ० क्रि०) उमड़ना उजहु-(वि०) 1 गँवार असभ्य 2 उदंड 3 अक्खड़; ~पन उंटंग, उटंगा-(वि०) 1 उचित से कम लम्बाई का 2 ओछा (पु०) 1 असभ्यता 2 उदंडता 3 रूखा व्यवहार
(कपड़ा) उजबक-तुर्क० (वि०) मूर्ख, बेवकूफ़
उटक्करलैस-(वि०) अटकलपच्चू उजबेक -अ० (पु०) तातारियों की एक जाति
उटज-सं० (पु०) झोपड़ी, पर्णकुटी उजरत-अ० (स्त्री०) 1 मज़दूरी 2 पारिश्रमिक
उटड़पा, उटड़ा-(पु०) गाड़ी का अगला भाग टिकाने के लिए उजलत-अं० (स्त्री०) उतावली, जल्दबाज़ी। पसंद, जूए के नीचे लगायी जानेवाली लकड़ी .
बाज़ + फ़ा० (वि०) जल्दबाज़; बाज़ी + फ़ा० अटारी-(स्त्री०) चारा काटने के लिए कुंदा, निहटा (स्त्री०) उतावली
उट्ठी-(स्त्री०) प्रतियोगिता में हार जाना उजला-(वि०) 1 सफ़ेद 2 स्वच्छ, साफ़ 3 चमकता हुआ ॐगन-(पु०) आड़, टेक लेकर बैठनेवाली वस्तु 4 प्रकाश युक्त; ~पन (पु०) उज्जवलता; --मुँह करना उठक-बैठक-(स्त्री०) उठना-बैठना गौरव बढ़ाना 2 कलंक मिटाना; ~उजली समझ 1 निर्मल उठगाना-(स० क्रि०) 1 लुढ़कने से बचाने के लिए सहारा बुद्धि 2 स्वच्छ विचार
लगाना 2 बंद करना (किवाड़) उजागर-I (वि०) 1 प्रकट, प्रकाशित 2 दीप्तिमय 3 प्रसिद्ध उठना-(अ० क्रि०) 1ऊँचाई में बढ़ना 2 लेटे हुए का बैठना II (क्रि० वि०) प्रकट रूप से, खुलेआम
3 बैठे का खड़ा होना 4 जागना 5 मन में उपजना 6 उगना। उजाड़-I (वि०) 1 ध्वस्त, उजड़ा हुआ 2 वीरान, जनशून्य ~ बैठना उठना और बैठना । —उठ खड़ा होना चलने को II (पु०) वीरान स्थान
तैयार होना; दुनिया से उठ जाना मर जाना, चल बसना; उजाड़ना-(स० क्रि०) नष्ट, बर्बाद करना
~उठती जवानी किशोरावस्था, खिलती जवानी; उजाडू-(वि०) 1 उजाड़ने वाला 2 बर्बाद करनेवाला
~उठते-बैठते 1 हर समय 2 हर हालत में; उठना-बैठनाउजालना-(स० क्रि०) मैल साफ़ करना 2 चमकाना, दीप्त मेल-जोल; उठा-बैठी 1 हैरानी 2 उठो-बैठने की कसरत करना
उठल्लू-(वि०) 1 एक स्थान पर न रहनेवाला 2 आवारा। उजाला-I (पु०) प्रकाश, रोशनी; घर का~ कुल का दीपक, ~का चूल्हाव्यर्थ इधर-उधर घूमनेवाला बेटा; II (वि०) 1 उज्जवल 2 साफ़ उजाले का तारा भोर उठवाना-(स० क्रि०) उठाने में प्रवृत्त करना का तारा, शुक्रग्रह
उठाँगन-(पु०) 1 बड़ा आँगन 2 बड़ा सहन उजाली-I (स्त्री०) चाँदनी II (वि०) चाँदनीवाली, प्रकाशमयी उठाईगीर-हिं० + फ्रा० + हिं० (पु०) वह जो छोटी मोटी चीज़ उजास-(पु०) 1 उजाला, रोशनी 2 चमक
उठाकर चलता बने, उचक्का उजियरिया-(स्त्री०), उजियाला (पु०) = उजाला उठाईगीरी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) चोरी चीजें उठा ले जाना, उजुर-अं० (पु०) = उन
उचक्कापन उजेला-(वि०) - उजाला
उठाऊ-(वि०) जो उठाया जा सके (जैसे-उठाऊ चूल्हा) उज्जल-I (वि०) उज्जवल II (क्रि० वि०) धारा के प्रतिकूल | उठान-(स्त्री०) 1 उठने की क्रिया 2 बाढ़ 3 आरंभ 4 ऊँचाई उज्जासन-सं० (पु०) मारण, वध
उठाना-(स० क्रि०) 1 नीचे से ऊपर ले जाना 2 लेटे हए को उज्जीवन-सं० (पु०) 1 नया जीवन 2 फिर से पनपना3 नष्ट बैठाना 3 बैठे हए को खड़ा करना 4 जगाना 5 निकाल देना, होकर पुनः अत्तित्ववान् होना
छेड़ना 6 निर्माण करना 7 कसम खाने के लिए हाथ में लेना। उज्जीवी- (सं०) वि. पुनर्जीवन-प्राप्त
~धरना उठाना और रखना रखना कसर रखना, छोड़ उज्वल-सं० (वि०) 1 सफ़ेद 2 स्वच्छ 3 कांतिमान और सुंदर रखना; उठा ले जाना बलपूर्वक ले जाना, हरण करना
4 चमकीला, प्रकाशमान् 5 जलता हुआ। ~ता (स्त्री०) उठा-पटक-(पु०) उठाना-पटकना 1 स्वच्छता, निर्मलता 2 कांतिमयता और सुंदरता उठा-बैठी-(स्त्री०) उठना-बैठना उज्वलन-सं० (पु०) 1 चमकना 2 जलना
उठाव-(पु०) = उठान उज्वलित-सं० (वि०) 1 प्रकाशित 2 चमकाया 3 जलता उठावनी-(स्त्री०) 1 उठौनी 2 क्रिया-कर्म 3 मृतक सबंधी एक हुआ
रीति, यज्ञ उज्झटित-सं० (वि०) उलझन में पड़ा हुआ, विकल उठौआ-(वि०) जो उठाया जा सके उज्झाड़-(वि०) = उजडड्
उठोनी-(स्त्री०) 1 भार उठाने की मजदूरी 2 पेशगी, अग्रिम उज्झन-सं० (पु०) परित्याग
राशि 3 उधार लेन-देन उझित-सं० (वि०) 1 त्यागा हुआ 2 अलग किया हुआ | उठौवा-(वि०) = उठौआ
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उडंकू
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उतारा
उइंकू-(वि०) उड़नेवाला
(पु०) वह स्थान जहाँ उड़ने के विषय में शिक्षा दी जाती है; उडंत-I (पु०) 1 उड़ान 2 कुश्ती का एक पेंच II (वि०) | विभाग (पु०) विमान आदि की व्यवस्था करनेवाला उड़नेवाला
विभाग उडंबरी-(स्त्री०) एक तरह का तारवाला बाजा
उड्डीयन-सं० (पु०) = उड़ान। ~मान (वि०) 1 उड़नेवाला उड़द-(स्त्री०) एक दाल विशेष उरद
2 उड़ता हुआ उड़न-(स्त्री०) उड़ने की क्रिया, उड़ान। ~खटोला (पु०) | उढ़कन-(पु०)टेक, सहारा उड़नेवाला खटोला, विमान; ~गोला (पु०) उड़न बम, बिना उढ़कना-(अ० क्रि०) 1 सहारा लेना 2 ठोकर खाना 3 रुकना निशाना साधे मारा गया बम; ~छु (वि०) एकदम लापता, उढ़काना-(स० क्रि०) सहारा देकर खड़ा करना गायब; ~झाई (स्त्री०) चकमा, धोखा; तश्तरी उढरना-(अ० क्रि०) विवाहिता स्त्री का पर-पुरुष के साथ भाग (स्त्री०)प्लेट जैसा एक आकाशीय पिंड; ~फल + सं० जाना (पु०) उड़ने की शक्ति देनेवाला फल; ~फाख्ता + फ़ा० | उढ़री-(स्त्री०) भगाकर लाई हुई स्त्री, रखैल (वि०) सीधा सादा, बेवकूफ; बाज़ + फ़ा० (वि०) = | उढ़ाना-(स० क्रि०) ओढ़ाना उड्कू; ~शील + सं० (वि०) उड़ जानेवाला उढ़ारना-(स० क्रि०) दूसरे की स्त्री को भगा लाना उड़ना-(अ० क्रि०) 1 पंख के सहारे हवा में चलना-फिरना उत्-(उप०) ऊपर की ओर, अधिक; जैसे-उत्तेजना, उत्तप्त 2 विमान आदि में बैठकर आकाशमार्ग से यात्रा करना 3 हवा उतना-I (वि०) 1 उस मात्रा का 2 उस क़दर II (क्रि० वि०) के साथ डोलना-फिरना 4 बिखरना 5 फहराना, लहराना उस मात्रा में 6 छलाँग भरना 7 उछलकर लाँघ जाना । उड़ आना तेज़ी से उतरना-(अ० क्रि०) 1 नीचे आना 2 ढलना 3 घटना 4 हल्का आना; उड़खाना । अप्रिय लगना 2 उड़-उड़कर काटना; उड़ पड़ना 5 पार होना 6 ढीला होना 7 तौल में ठीक आना चलना 1 असाधारण वेग से जाना 2 अत्यधिक खिलना, 8 अखाड़े में कुश्ती के लिए आना 9 अलग होना, जैसे-खाल फबना; -जाना ग़ायब होना; उड़ता बनना जल्दी चला ~ उतर आना (पर) तैयार हो जाना; ऋण~ ऋण जाना; उड़ती खबर अफ़वाह
चुक जाना; खरा~ पूरा सिद्ध होना; गले के नीचे~ समझ उड़प-(पु०) एक तरह का नाच
में आना; चित्त से ~ आदरयोग्य न रह जाना, अप्रिय होना; . उड़री-(स्त्री०) एक तरह का छोटा उरद (उड़द)
मन से ~भूल जाना; मुँह~ फीका पड़ना उड़सना-(अ० क्रि०) उठना, भंग होना
अतरवाना-(स० क्रि०) उतारने में प्रवृत्त करना उडाऊ-I (वि०) 1 उड़ानेवाला 2 खर्च करनेवाला ( उतराई-(स्त्री०) 1 उतरने की क्रिया 2 ढाल 3 नदी के पार II (पु०) अपव्यय
उतारने का पारिश्रमिक उड़ाका, उड़ाक-(पु०) 1 उड़नेवाला 2 विमान चालक; | उतरान-(पु०) उतराई
दल (पु०) घटना-स्थल पर तुरंत पहुँच जानेवाली पुलिस तराना-(अ० क्रि०) 1 पानी के ऊपर आना या रहना, बहना की टुकड़ी
2 उफनना 3 छा जाना उड़ान-(स्त्री०)1 हवा में उड़ने की क्रिया 2 उड़ाई जानेवाली उतरायल-(वि०) 1 उतारा हुआ 2 पहना हुआ (गहना या वस्तु की गति 3 उड़ने वाली वस्तु का मार्ग 4 छलाँग। कपड़ा)
कार्यक्रम. + सं० (पु०) उड़ान की योजना आदि; उतराव-(पु०) = उतराई
घाई (स्त्री०)चकमा, धोखा मारना बहाना करना | तान-(वि०) 1 चित्त लेटा हआ 2 जो छाती ताने हए हो उड़ाना-(स० क्रि०) 1 उड़ने की क्रिया कराना 2 लहराना, उतार- (पु०) 1 उतरने की क्रिया, उतराई 2 ढाल 3 उतरने का फहराना 3 बिखेरना, फ़ैलान, 4 सफ़ाई से हटाना या चुराना क्रम 4 उतारना। चढ़ाव (प०) 1ऊंचाई-निचाई 5 झटक लेना 6 खर्च कर डालना 7 भगा देना 8 चकमा देना। 2 हानि-लाभ 3 घटत-बढ़त मौज, ~माल ऐश करना
उतारन-(पु०) 1 पहना हुआ पुराना कपड़ा जो नौकर, भिक्षुक उडाल-(स्त्री०) 1 कचनार की छाल 2 कचनार की छाल से | __ आदि को दिया जाय 2 न्यौछावर 3 निकृष्ट वस्तु बनी रस्सी
उतारना-(स० क्रि०) 1 नीचे लाना 2 पहने हुए वस्त्र, आभूषण उड़ासना-(स० क्रि०) 1 समेटना, उठाना 2 भगाना 3 उजाड़ना आदि को अलग करना 3 मंत्रादि पढ़कर प्रभाव दूर करना उड़िया-I (पु०) उड़ीसा का निवासी II (स्त्री०) उड़ीसा की 4 घटाना 5 पार पहँचाना 6न्यौछावर करना 7 अर्क खींचना ।
किसी की इज्ज़त या पगड़ी किसी को अपमानित करना; उडिल-(पु०) वह भेड़ जिसके बाल काटे न गए हों । किसी व्यक्ति की नकल~ उपहास परिहास आदि के लिए उडु-सं० (पु०) 1 नक्षत्र 2 जल। पति, राज (पु०) | किसी की अंग-भंगी, बोल-चाल, रंग-ढंग आदि का अभिनय 1 चंद्रमा 2 वरुण
करना उडुस-(पु०) खटमल
उतारा-I (पु०) 1 नदी आदि से पार उतरने की क्रिया 2 डेरा उड़ेलना-(स० क्रि०) 1 उड़ेलना 2 गिराना
डालना, पड़ाव डालना 3 डेरा, पड़ाव II (पु०) 1 भूत प्रेत अयन-सं० (पु०) 1 उड़ना 2 विमानन। ~अनुसंधान रोग आदि की बाधा के निवारण के लिए टोने टोटके के रूप में चालक (पु०) उड़ने की खोज करनेवाला; ~~गुल्म (पु०) | किसी व्यक्ति के चारों ओर कुछ सामग्री उतारकर अलग चौराहे उड़ाकुओं की टुकड़ी; पथ (पु०) उड़नमार्ग:विद्यालय/ आदि स्थानो पर रखना 2 उतारन (वस्वादि)। उतारेका
भाषा
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उतारू
झोंपड़ा यात्रियों के टिकने एवं ठहरने आदि का स्थान, विश्रामालय
उतारू - (वि०) आमादा, उद्यत, कटिबद्ध
उतावला - (वि०) 1 उतावली करनेवाला, जल्दबाज़ 2 आवेश में काम करनेवाला; न ( पु० ) 1 जल्दबाज़ी 2 अधीरता उतावली - (स्त्री०) - उतावलापन उत्कंठ - I सं० (वि०) 1 जिसने गर्दन उठाई हो 2 तत्पर, उद्यत
3 उत्कंठायुक्त II (पु० ) इच्छा करना
उत्कंठा - सं० (स्त्री०) 1 तीव्र अभिलाषा 2 बेचैनी 3 उत्सुकता,
108
आतुरता
उत्कंठातुर-सं० (वि०) उत्कंठा पूरी करने के लिए आतुर और बेचैन
उत्कंठित-सं० (वि०) 1 उत्कंठा से भरा हुआ 2 अधीर 3 लालायित
उत्कंठिता-सं० (स्त्री०) 1 प्रिय मिलन के लिए बेचैन नायिका 2 संकेत स्थल पर प्रिय को न मिलने से चिंता करनेवाली नायिका
उत्कंप-सं० (पु०) कँपकँपी
उत्कच -सं० (वि०) जिसके बाल खड़े हों
उत्कट -सं० (वि०) 1 तीव्र 2 उग्र 3 प्रबल 4 विकट, विकराल 5 विद्वान् 6 श्रेष्ठ 7 कठिन 8 घमंडी
उत्कर्ष -सं० (पु० ) 1 ऊपर खींचना 2 उन्नति 3 समृद्धि 4 श्रेष्ठता, बड़प्पन
उत्कर्षक-सं० (वि०) उत्कर्ष करनेवाला, उन्नायक उत्कर्षण - सं० (पु० ) 1 ऊपर खींचना 2 गुणों को विकसित
करना
उत्कर्षापकर्ष-सं० (पु०) उत्थान-पतन उत्कल - सं० ( पु० ) 1 बहेलिया 2 भारवाहक 3 वर्तमान उड़ीसा उत्कलन - सं० (पु० ) 1 बंधन से मुक्त होना 2 पुष्पादि का खिलना 3 लहराना
उत्कलिका-सं० (स्त्री०) 1 उत्कंठा 2 फूल की कली 3 लहर उत्कलित-सं० (वि०) 1 खिला हुआ 2 विकसित 3 लहराता
हुआ
उत्कारिका -सं० (स्त्री०) पुलटिस, लेप उत्कासन -सं० (पु०) बेदखल करना 2 खंखारना उत्कीर्ण-सं० (वि०) 1 बिखरा हुआ 2 छिदा हुआ 3 खुदा हुआ। लेख
उत्कीर्णन - सं० (पु०) 1 बिखेरना 2 खोदकर अंकित करना उत्कीर्णित-सं० (वि०) उत्कीर्ण
उत्कीर्तन-सं० (५०) । चिल्लाना 2 प्रशंसा करना
=
उत्कुण-सं० (पु०) 1 खटमल 2
उत्कूज - (पु० ) कुहुक 2 मीठी ३ वाज
उत्कृष्ट सं० (वि०) 1 श्रेष्ठता, उत्तम 2 उन्नत । ता (स्त्री०) श्रेष्ठता
उत्केंद्र - सं० (वि०) 1 केन्द्र से हटा हुआ 2 अनियमित उत्केंद्रक - सं० (वि०) केन्द्र से दूर फेकनेवाला, विकेंद्रक उत्कोच सं० (पु०) 1 रिश्वत, घूस 2 भ्रष्टाचार । ग्राही (पु० ) उत्कोचक; ~प्रियता (स्त्री०) घूस का चस्का उत्कोचक -सं० 1 घूस लेनेवाला 2 घूस देनेवाला 3 भ्रष्टाचारी उत्क्रम, उत्क्रमण-सं० (पु०) 1 ऊपर जाना 2 उन्नति होना ।
=
उत्तर
3 प्रस्थान 4 उल्लंघन 5 उलटा (करना) उत्क्रमणीय-सं० (वि०) 1 उन्नति करने योग्य 2 प्रस्थान योग्य उत्क्रांत-सं० (वि०) 1 बढ़ा हुआ 2 उल्लंघित 3 उल्टा उत्क्रांति-सं० (स्त्री०) 1 उत्क्रमण 2 विपरीतता 3 मृत्यु उत्क्रोश-सं० (५०) शोरगुल, हल्ला गुल्ला उत्क्लेदन -सं० (पु० ) तर होना, गीला होना उत्क्लेश-सं० (पु० ) 1 उत्तेजना 2 बेचैनी 3 अस्वस्थता 4 छाती की जलन
उत्क्षिप्त - सं० (वि०) 1 ऊपर उछाला हुआ 2 ध्वस्त 3 अलग किया हुआ
उत्क्षेप - सं० ( पु० ) 1 उछालना 2 फेंक देना 3 परित्याग 4 कै उत्क्षेपक-सं० (वि०) 1 उछालनेवाला 2 चुरानेवाला उत्क्षेपण-सं० (पु० ) 1 उत्क्षेप 2 वमन 3 चोरी उत्खचन -सं० (५०) उत्कीर्ण करना, खंचाना उत्खनन-सं० (पु०) ज़मीन से खोदकर निकालना, खुदाई उत्खात -सं० (वि०) 1 खोदा हुआ 2 नष्ट किया हुआ 3 उखाड़ने वाला
उत्खाता-सं० (वि०) 1 खोदनेवाला 2 नष्ट करनेवाला 3 उखाड़नेवाला
उत्तंस -सं० (पु० ) मुकुट
उत्तर-सं० (वि०) तट के ऊपर बहनेवाला
=
उत्तप्त - सं० (वि०) 1 अत्यधिक गर्म 2 दुःखी 3 कुपित उत्तम-सं० (वि०) 1 सबसे अच्छा, श्रेष्ठ 2 प्रधान, सबसे बड़ा । -ता (स्त्री०) 1 श्रेष्ठता 2 प्रधानता पुरुष ( पु० ) 1 श्रेष्ठ व्यक्ति 2 (व्या०) वह पद जो प्रथम पुरुष अर्थात् बोलनेवाले का वाचक हो (जैसे-मै, हम); ~वय (पु०) जीवन की अंतिम अवस्था; ~ श्लोक (वि०) यशस्वी, साहस (पु०) कठोर शारीरक दंड
उत्तमतया -सं० (वि०) उत्तम रूप से, भली भाँति, अच्छी तरह उत्तमर्ण-सं० (पु० ) ऋण देनेवाला, महाजन उत्तमांग- सं० (पु०) सिर (सर्वश्रेष्ठ अंग )
उत्तमा - I सं० (वि०) गुणवती, भली, नेक II (स्त्री०) श्रेष्ठ स्त्री उत्तमार्द्ध-सं० (पु०) 1 उत्कृष्ट अधीश 2 उत्तरार्ध उत्तमोत्तम सं० (पु० ) (वि०) अच्छे से अच्छा, सर्वश्रेष्ठ उत्तमौजा-सं० (वि०) उत्तम बल और तेजवाला उत्तरंग - I सं० (पु० ) वह काठ जो चौखट के ऊपर लगाया जाता है II (वि०) 1 लहराता हुआ, तरंगित 2 आनंदमन 3 काँपता हुआ
उत्तर - I सं० (वि०) 1 उत्तर दिशा संबंधी 2 ऊपर वाला 3 पीछे आनेवाला, बाद का 4 अतीत II (पु० ) 1 दक्षिण की उल्टी दिशा 2 जवाब 3 बदला 4 परिणाम, हल III ( क्रि० वि०) 1 पीछे 2 बाद। ~काय (पु०) शरीर का ऊपर का भाग; ~काल (पु०) आनेवाला समय, भविष्यत् काल; ~क्रिया (स्त्री०) अंत्येष्टि; ~द (पु०) बिछौने के ऊपर वाली चादर; जीवन (पु०) बचने के बाद का जीवन; जीवी (पु०) बचकर जीनेवाला प्राणी, तंत्र ( पु० ) 1 किसी वैदिक ग्रंथ का पिछला भाग 2 सुश्रुत का परिशिष्ट भाग; ~तिथित (वि०) जिस पर बाद की तारीख डाली गई; -दाता I (वि०) जवाब देनेवाला II ( पु० ) उत्तरदायी; ~दान (पु० ) पुरखों से प्राप्त संपति; दायक (वि०)
=
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उत्तर
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=
उत्तरदायी; दायित्व (पु०) जवाबदेही, ज़िम्मेदारी; दायित्व पूर्ण (वि०) उत्तरदायी; दायित्वहीन (वि०) ग़ैर ज़िम्मेदारी दायित्वहीनता (स्त्री०) ग़ैर-जिमेदारी दावी (वि०) जवाब देनेवाला, ज़िम्मेदार; ~दिनांकित (वि०) = उत्तर तिथित; पक्ष; (पु० ) 1 बहस का जवाब 2 सिद्धांत पक्ष; पच्छिम + हिं० (वि०) उत्तर पश्चिमी पट (पु० ) 1 ऊपर की चादर, उत्तरीय 2 बिछाने की चादर; -पथ (पु० ) 1 उत्तर का रास्ता 2 देवयान; ~पद (पु० ) समास का अंतिम पदः प्रत्युतर (पु०) 1 सवाल-जवाब 2 वाद-विवाद, बहस, जिरह; ~प्रदेशीय (वि०) उत्तर प्रदेश (यू० पी०) का; ~भाग (पु० ) उत्तरार्द्ध: भोगी बची हुई संपति का भोग करनेवाला; ~ मध्यकाल (पु०) मध्यकाल के अंतर्गत बाद का समय ~ माला (स्त्री०) अनेक उत्तर; मीमांसा (स्त्री०) वेदांत दर्शन; वर्ती (वि०) बाद में आनेवाला वयस् सं० (पु० ) पिछली उम्र, बुढ़ापा वस्त्र (पु० ) 1 ऊपर पहनने का वस्त्र 2 दुपट्टा वादिता (स्त्री०) उत्तरदायित्व; यादी (पु० ) 1 प्रतिवादी 2 फ़रियाद करनेवाला; ~ साक्षी (पु०) सुनी-सुनाई का गवाह; ~ साधक I (पु०) सहायक II (वि०) 1 शेषांश को पूरा करनेवाला 2 जवाब को साबित करनेवाला; ~स्थ (वि०) उत्तरी
=
उत्तरण - सं० (पु०) तैर कर पार करना उत्तरा-सं० (स्त्री०) 1 उत्तर दिशा 2 एक नक्षत्र उत्तराधिकार-सं० (पु०) किसी की मृत्यु के बाद संपत्ति पाना, हक़ विरासत । प्रमाण पत्र (पु० ) विरासत नामा उत्तराधिकारी-सं० (वि०) 1 किसी की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पाने का अधिकारी, वारिस 2 किसी के बाद पद या अधिकार पानेवाला (स्त्री० - उत्तराधिकारिणी) उत्तरापथ - सं० (पु० ) उत्तरी मार्ग का क्षेत्र (गढ़वाल, कुमाऊँ) उत्तरापेक्षी -सं० (वि०) जवाब चाहनेवाला उत्तराभास-सं० (पु० ) 1 झूठा जवाब, ऊपर से सत्य लगनेवाला उत्तर 2 बहाना
उत्तराभासी-सं० (पु०) उत्तर का आभास, अनुमान होना उत्तरायण - सं० (पु० ) 1 सूर्य का मकर रेखा से उत्तर की ओर जाना 2 छ: माह की अवधि जब सूर्य की गति कर्क रेखा की ओर रहती है
उत्तरार्द्ध-सं० (पु० ) 1 कमर से ऊपर का आधा भाग 2 पिछला
आधा भाग
उत्तरावस्था -सं० (स्त्री०) बाद की स्थिति या दशा उत्तरी-सं० + हिं० (वि०) उत्तर दिशा में होनेवाला, उत्तर का । पश्चिमी + हिं० + सं० (वि०) उत्तर पश्चिमी उत्तरीय - I सं० (वि०) 1 उत्तर का 2 ऊपर का II ( पु० ) दुपट्टा, ओढ़नी, ऊपर पहनने का कपड़ा उत्तरोत्तर-सं० ( क्रि० वि०) 1 क्रमशः 2 लगातार 3 अधिकाधिक, एक से एक बढ़कर
उत्तल - सं० (वि०) जिसका तल उठा हो, उन्नतोदर
उत्तान - सं० (वि०) 1 फैला हुआ 2 चित 3 सीधा 4 ऊर्ध्वमुख
5 स्पष्ट; हृदय (पु०) सरल हृदय
उत्ताप - सं० 1 अत्यधिक गर्मी 2 दुःख 3 क्षोभ 4 उत्तेजना ।
उत्पन्न
पूर्ण (वि०) क्षोभ से भरा हुआ
उत्तापन - सं० (पु० ) 1 अत्यधिक गर्म करना 2 मानसिक कष्ट पहुँचाना
उतापित - (सं० वि० 1 तपाया हुआ, उत्तप्त 2 बहुत दुःख पहुँचाया हुआ
उत्तापी-सं० (वि०) दुःख देनेवाला
उत्तारक - I सं० ( पु० ) शिव II (वि०) उद्धार करनेवाला, उबारनेवाला
उत्तारण-सं० (पु० ) 1 तैरकर पार करना, 2 उद्धार करना,
उबारना
उतार्य-सं० (वि०) पार उतारने योग्य, वमन करने योग्य उत्ताल - (सं०) (वि०) 1 पास हुआ 2 पारित, पार गया हुआ, 3 उन्मुक्त
उत्तावतल - सं० (वि०) एक ओर उभरा हुआ दूसरी ओर दबा हुआ
उत्तीर्ण - सं० (वि०) 1 पास हुआ 2 पारित, पार गया हुआ 3 मुक्त
उत्तुंग -सं० (वि०) = उत्ताल
उत्तू - I पुर्त० (पु०) कपड़े पर बेल बूटे, चुन्नट के निशान डालने का औज़ार 2 बेल बूटे का काम जो इस औज़ार के जरिये किया जाए II (वि०) मत्त, नशे में चूर। कश, ~गर (पु० ) उत्तू का काम करनेवाला
उत्तेजक -सं० (वि०) 1 उभारनेवाला 2 काम, क्रोध आदि को भड़कानेवाला
उत्तेजन-सं० (पु०) उत्तेजना सं० (स्त्री०) 1 उभारना, उकसाना 2 भावावेश 3 जोश। कारी (वि०) उत्तेजना करनेवाला (स्त्री०); पूर्ण (वि०) 1 उत्तेजनामय 2 रोष युक्त 3 क्रोधमय
उत्तेजनात्मक-सं० (वि०) जोश दिलानेवाला, भड़कीला उत्तेजित-सं० (वि०) 1 जिसमें उत्तेजना आई हो 2 उकसाया
हुआ, भड़काया हुआ
उत्तोलक - I सं० (वि०) भार को ऊपर उठानेवाला II ( पु० ) क्रेन
=
उत्तोलन - सं० ( पु० ) 1 भार ऊपर उठाना 2 तौलना । यंत्र (पु० ) उत्तोलक उत्थान -सं० (पु०) 1 उठना 2 उठाना 3 वृद्धि, उन्नति । ~पतन (पु० ) उतार-चढ़ाव
उत्थानक - I सं० (वि०) उभारनेवाला, उठानेवाला II ( पु० ) लिफ्ट
उत्थापक-सं० (पु० ) 1 = उत्थानक (यंत्र) 2 जगानेवाला उत्थापन-सं० (पु० ) 1 उठाना, ऊँचा करना 2 जगाना 3 उभारना 4 प्रेरित करना
उत्थापित-सं० (वि०) 1 ऊपर उठाया हुआ 2 उत्तेजित किय हुआ 3 जगाया हुआ
उत्थित-सं० (वि०) 1 उठा हुआ 2 जागा हुआ 3 उन्नत उत्पतन-सं० (पु० ) 1 ऊपर उठना 2 उछलना 3 फेंकना उत्पत्ति-सं० (स्त्री०) 1 जन्म 2 उत्पादन 3 उद्गम । -स्थल.
~ स्थान (पु० ) जन्म स्थान
उत्पथ - सं० उत्पन्न - सं०
(पु०) बुरा रास्ता
(वि०) 1 जन्मा हुआ 2 उपजा हुआ
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उत्परिवर्तन
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उदंचन
उत्परिवर्तन-सं० (पु०) पहले से अच्छा होने का परिवर्तन उत्संगति-सं० (वि०) 1 गोद में लिया हआ 2 गले लगाया उत्पल-I सं० (पु०) 1कमल 2 नील कमल II (वि०) अत्यधिक दुबला-पतला
उत्स-सं० (पु०) 1झरना 2 स्रोत उत्पवन-सं० 1शुद्धिकरण 2 पानी छानना 3 तरल पदार्थ उत्सन्न-सं० (वि०) 1उठाया हुआ 2 पूरा किया हुआ 3 नष्ट छिड़कना
उत्सर्ग-सं० (पु०) 1त्यागना 2 बलिदान 3 वैदिक कर्म उत्पाटक-सं० (वि०) उखाड़नेवाला
4समापन, अंत। -पत्र (पु०) त्यागपत्र उत्पाट, उत्पाटन-सं० (पु०) 1 उखाड़ना 2 जड़ से नाश करना उत्सर्गत:-सं० (क्रि० वि०) साधारणतः उत्पाटित-सं० (वि०) जड़ से नाश किया हुआ
उत्सर्गी-सं० (वि०) त्याग करनेवाला उत्पात-सं० (पु०) 1 उछलना 2 विपत्सूचक आकस्मिक घटना उत्सर्जन-सं० (पु०) 1 = उत्सर्ग 2 दान 3 पद से हटाना 3 उपद्रव
4 शौच। तंत्र (पु०) शौच होने की प्रणाली उत्पातक, उत्पाती-सं० (वि०) उत्पात मचानेवाला, उपद्रवी उत्सर्पण-सं० (पु०) 1 उठना 2 फूलना 3 फैलना उत्पाद-सं० (पु०) 1 उत्पादित वस्तु 2 उपज, पैदावार उत्सपी-सं० (वि०) 1 उपर उठनेवाला 2 अत्युत्तम उत्पादक-सं० (वि०) उत्पादन करनेवाला
उत्सव-सं० (पु०) 1 त्योहार 2 मंगल कार्य 3 जलसा। उत्पादन-सं० (पु०) 1 पैदा करना 2 उपजाना 3 पैदा किया गया ~कारी (वि०) 1 जलसा करनेवाला 2 उत्सव मनानेवाला; माल। ~का ढंग (पु०) पैदा करने, उपजाने का तरीका; विभाग (पु०) मेला विभाग, पनोरंजन विभाग, ललित
के साधन (पु०) उत्पन्न करने के साधन, उपाय, जरिया; कला विभाग ~अख (पु०) उत्पन्न करने के यंत्र, औज़ार आदि; ~कर उत्सवकर-सं० (वि०) उत्सव मनानेवाला (पु०) उत्पादन स्वरूप सरकार को जानेवाला टैक्स, शुल्क, उत्साद -सं० (पु०)विनाश, क्षय
कर्ता (पु०) = उत्पादक क्षमता (स्त्री०) उत्पादन उत्सादन-सं० (पु०) 1 नष्ट करना 2 त्यागना 3 रद्ध करना सामर्थ्य, शक्तिः क्षेत्र (पु०) उत्पादन की सीमा (भूमि, 4बाधा डालना आदि) खर्च + फ़ा० (पु०) = उत्पादन व्यय; पद्धति, उत्सादित-सं० (वि०) नष्ट किया हुआ
प्रणाली प्रविधि (सी०) = उत्पादन विधि; ~~मूल्य उत्सारण-सं० (पु०) 1 चलाना 2 हटाना 3 भाव कम करना (पु०) = उत्पादन व्यय विधि (स्त्री०) उत्पादन करने का उत्साह-सं० (पु०)1 उमंग, हौसला 2 चेष्टा 3 क्षमता 4 दृढ़ता ढंग या कौशल, ~व्यय (पु०) उत्पादन पर आनेवाला खर्च; 5ऊर्जा, बल, शक्ति 6 उद्यम। पूर्वक (क्रि० वि०)
शीलता (स्त्री०) = उत्पादन क्षमता; ~शुल्क (पु०) = उत्साह के साथ; ~प्रद, युक्त, वर्द्धक (वि०) उत्साह उत्पादन कर; ~साधन (पु०) उत्पादन करने के लिए दिलानेवाला, उत्साह से भरा हुआ; ~शील (वि०) = अपनाए जानेवाले साधन
उत्साही उत्पादित-सं० (वि०) 1 उत्पत्र 2 पैदा किया हुआ, उपजाया उत्साहक-सं० (वि०) 1 उत्साहित करनेवाला अध्यवसयी और उत्पादी-सं० (वि०) उत्पन्न करनेवाला
कर्मठ उत्पाद्य-सं० (वि०) उत्पादन योग्य
उत्साहित, उत्साही-सं० (वि०) 1 उत्साह युक्त 2 उद्यमी उत्पीड़क-सं० (वि०) कष्ट देनेवाला, आततायी
3 अध्यवसायी उत्पीड़न-सं० (पु०) 1सताना 2 दबाना 3 अत्याचार करना | सिक्त-सं० (वि०) सींचा हुआ उत्प्रवास, उत्प्रवासन-सं० (पु०) 1 अपना देश छोड़कर अन्य | उत्सुक-सं० (वि०) 1 अत्यधिक इच्छुक 2 बेचैन 3 बहुत देश में जाना 2 अन्य देश में जाकर रहना
चाहनेवाला। ता (स्त्री०) 1 उत्सुक होने की अवस्था उत्प्रवासी-सं० (पु०) दूसरे देश का रहनेवाला
2 अधीरता 3 बेचैनी 4 प्रबल इच्छा ~ता पूर्वक, ता वश प्रेक्षक-सं० (वि०) तर्क-वितर्क करनेवाला
(वि०) उत्सुक होकर, उत्सुकता के साथ उत्प्रेक्षण-सं० (पु०) 1ऊपर देखना 2 ध्यानपूर्वक | उत्सष्ट-सं० (वि०) उत्सर्ग किया हआ, परित्यक्त देखना-भालना 3 तुलना करना
उत्सेक-सं० (पु०) 1छिड़कना 2 उफनकर बहना 3 अभिमान, उत्प्रेक्षा-सं० (पु०) 1 उद्भावना 2 अनुमान 3 उपेक्षा | घमंड 4 उदासीनता 5 अर्थालंकार जिसमें प्रस्तुत वस्तु में समानता के | उत्सेकी-सं० (वि०) 1 उफनकर बहनेवाला 2 घमंडी कारण अन्य वस्तु की कल्पना की जाती है
उत्सेवन-सं० (पु०) 1 जल छिड़कना 2 उफान जीवी उत्प्रेरक-I सं० (वि०) उत्प्रेरणा करनेवाला II (पु०) | (वि०) दूसरों की संपत्ति पर जीनेवाला रासायानिक गति बदलनेवाला पदार्थ
उत्सेध-I सं० (पु०) 1ऊँचाई 2 घनता 3 सूजन 4 वध 5 देह उतोरणा-सं० (पु०) 1 प्रेरणा देना 2 रासायनिक क्रिया करना II (वि०) 1ऊँचा 2 बड़ा उतरेरित-सं० (वि०) उत्साहित
उत्स्य-सं० (वि०) सोते से निकला हुआ उत्प्लव, उत्प्लवन-सं० (पु०) कूदना, उछलना उथलना-(अ० क्रि०) 1 डगमगाना 2 उलटना। पुथलना उत्फुल्ल-सं० (वि०) 1 खिला हुआ 2 प्रसन्ता से खिला हुआ (अ० क्रि०) 1 नीचे-ऊपर होना 2 इधर-उधर होना 3 खुला हुआ
उथल-पुथल-(स्त्री०) 1 उलट-पलट 2 हलचल उत्संग-सं० (पु०) 1 गोद, अंक 2 मध्य भाग 3 चोटी, शिखर उथला-(वि०) 1छिछला, कम गहरा 2 ओछा 4सतह, तल
उदंचन-सं० (पु०) 1 घड़ा 2 बाल्टी 3 ऊपर फेकना 4 आरोहण
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उदंत
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उद्गीर्ण
उदंत (क)-सं० (पु०) वार्ता, वृत्तांत, समाचार
खले दिल से; ~ता वाद (पु०) = उदारवाद; ~ता वादी उदक-सं० (पु०) जल, पानी ~क्रिया (स्त्री०), पितरों को (वि०) = उदारवादी; ~दली (वि०) उदार दल का; ~पंथ जल देना दान (पु०) पितरों को पानी देना, पितरों के नाम (पु०) = उदारवाद -पंथी (वि०) = उदारवादी;~मतवाद जल देना, तर्पण, परीक्षा (स्त्री०) शपथ ग्रहण करनेवाले (पु.) = उदारवाद; ~मतवादी (वि०) = उदारवादी; को अपनी सत्यता प्रमाणित करने की लिए जल में डुबकी ल्वाद (पु०) वह सिद्धांत कि सभी लोगों को समान रूप से लगाने की प्राचीन परंपरा, प्रमेह (पु०) पेशाब अधिक स्वतंत्र रहने के अधिकार मिलने चाहिए (समानता एवं आने का प्रमेह रोग
स्वतंत्रता) ल्यादी उदारवाद को माननेवाला; हृदय, उदकेचर-सं० (वि०) जलचर
उदाराशय (वि०) = उदारमना उदकोदर-सं० (पु०) (चि०) जलोदर रोग
उदावर्त-सं० (पु०) (चि०) बड़ी आँत का एक रोग उदक्य-सं० (वि०) 1 जल चाहनेवाला 2 जलस्थ
उदास, उदासमान-सं० (वि०) दुःखी 2 खिन्न 3 विरक्त, उदक्या-सं० (स्त्री०) रजस्वला स्त्री
उदासीन 4 तटस्थ II (पु.) 1 तटस्थता 2 संन्यास उदा-सं० (वि०) 1 ऊर्ध्व, ऊँचा 2 उन्नत 3 बढ़ा हुआ 4 उमड़ा उदासी-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 उदासपन 2 खिन्नता हुआ 5 उग तेज़
उदासी-I सं० (विः) तटस्थ, विरक्त II (पु०) विरागी, उदजन-सं० (पु०) हाइड्रोजन गैस जो गंधहीन, रंगहीन है संन्यासी, साधु उदजनीकरण-सं० (पु०) हाइड्रोजन में बदलना
उदासीन-सं० (वि०) 1 विरक्त 2 तटस्थ 3 निष्पक्ष। ता उदधि-सं० (पु०) 1 समुद्र, सागर 2 बादल। ~मेखला (स्त्री०) 1विरक्ति 2 तटस्थता 3 निरपेक्षिता (स्त्री०) पृथ्वी
उदासीनीकरण-सं० (पु०) 1 उदासीन बनाना, निष्प्रभावी करना उदन्य-सं० (वि०) 1 प्यासा 2 जलीय, जलयुक्त
उदाहरण-सं० (पु०) दृष्टातं, मिसाल; स्वरूप (वि०) = उदबासना-(स० क्रि०) 1 भगा देना 2 उजाड़ना
उदाहरणार्थ उदमान-(वि०) मतवाला, उन्मत्त
उदाहरणतः, उदाहरणतया, उदाहरणार्थ (वि०) उदाहरण के उदय-सं० (पु०) 1 उगना 2 प्रकट होना 3 ऊपर की ओर उठना लिए 4 उद्गम 5 ज्योति। काल (पु०) सूर्योदय या चंद्रोदय का उदाहत-सं० (दि०) 1 उदाहरण के रूप में कहा गया 2 कशित, समय
वर्णित उदयाचल-सं० (पु०) एक कल्पित पर्वत जिसके पीछे से सूर्य उदाहति-सं० (सी०) उदाहरण का उदय होना माना जाता है
अदिक-I सं० (वि०) जल सबंधी II (पु०) वीर्य, शुक्र उदयास्त-सं० (पु०) 1 उत्थान-पतन 2 बनना-बिगड़ना उदित-सं० (वि०) 1 उदय हुआ, उदयप्राप्त 2 प्रकाशित उदयी-सं० (वि०) 1 उगता हुआ 2 उन्नतिशील, होनहार 3 उत्पन्न। यौवना (स्त्री०) मुग्धा नायिका, उदरंभरि-सं० (वि०) 1 जो केवल अपना पेट भरता हो 2 पेट्र अंकुरितयौवना उदरंभरी-सं० + हिं० (स्त्री०) पेटूपन
उदीची-सं० (बी०) उत्तर दिशा उदर-सं० (पु०) पेट । ~गुहा (स्त्री०) भीतरी पेट; ~अंथि | उदीप-I सं० (दि०) जल से भरा हुआ HI(पु०) (स्त्री०) तिल्ली (रोग); ~ज्वाला (स्त्री०) पेट की आग, जल-प्लावन, बाढ़ भूख; निर्वाह (पु०) = उदरपूर्ति। ~परायण (वि०) उदीयमान--सं० (वि०) उठता या उभरता हआ, होनहार पिशाच (पु०) पेटू; ~पूर्ति (स्त्री०) पेट पालना; उदीरण-सं० (०) 1 कथन 2 उच्चारण 3 उद्दीपन 4 उत्पत्ति
पोषण, ~भरण (पु०) पेट भरना; ~वृद्धि (स्त्री०) उदीरित-सं० (वि०) 1 कहा हुआ 2 उच्चरित (चि०) पेट फूलना; ~स्थ (वि०) पेट के अंदर पहुँचाया | उदीर्ण-सं० (वि०) = उदित हुआ, हज़म किया हुआ
उदुंबर-सं० (पुल) । गूलर का वृक्ष और फल 2 नपुंसक, नामर्द उदरक-सं० (वि०) उदर संबंधी
3 कोढ उदरामय-सं० (पु०) पेट की बीमारी
उदल -अं अवज्ञा, हवमी (स्त्री०) आज्ञा का उल्लंघन उदरावरण-सं० (पु०) वह झिल्ली जो उदर को चारों ओर से उद्गगत-सं० (वि०) 1निकला हुआ 2 प्रकट 3 प्राप्त 4 वमन घेरे रहती है
किया हुआ दरावर्त-सं० (पु०) नाभि
उद्गम-सं० (पु०) 1 आविर्भाव, जन्म 2 उत्पत्ति स्थान । - दर्य-सं० (वि०) 1 = उदरक 2 भीतरी
~स्थल, स्थान (पु०)मूल स्त्रोत दस्त-सं० (वि०) 1 फेंका हुआ 2 उजाड़ा हुआ 3 नीचा उद्गाढ़-सं० (वि०) 1 गहरा 2 प्रचंड 3 बहुत अधिक दिखाया हुआ
उद्गार-सं० (पु०) 1 अधीरता, आवेश में, दिल में भरी हुई उदात्त-सं० (वि.) 1 ऊँचा 2 महान 3 उदार 4 श्रेष्ठ 5 स्पष्ट बात बाहर आना 2 उफान मुंह से बाहर आना (उच्चरित)
उद्गारित-सं० (वि०) बाहर निकला हुआ उदान-सं० (पु०) ऊपरी अंगों से निकलने वाली हवा उद्गारी-सं० (वि०) बाहर निकलनेवाला उदार-सं० (वि०) 1 दयालु 2 ईमानदार 3 भला 4 विशाल | उगिरणा-सं० (पु०) = उद्गगार, उगलना हृदय। -चरित, चेता (वि०) = उदारहृदय; ~ता | उद्गीर्ण-सं० (वि०) 1 उद्गार के रूप में कहा हुआ 2 उगला (स्त्री०) 1 दयालुता 2 दानशीलता ~ता पूर्वक (वि०) | हुआ, बाहर निकला हुआ 3 प्रतिबिंबित
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उदग्रंथ
उदग्रंथ - I सं० (वि०) खुला हुआ, मुक्त II (पु० ) 1 अध्याय 2 धारा
उदग्रहण-सं० (पु०) कर आदि वसूलना उदग्रहणीय-सं० (वि०) उद्ग्रहणयोग्य उद्घाह-सं० (पु० ) 1 ऊपर उठाना 2 ऊपर लाना 3 वसूली 4 आपत्ति 5 तर्क
उदग्रीव - I सं० (वि०) जो गला ऊपर उठाये हो II ( क्रि० वि०) गर्दन ऊपर उठाये हुए
उद्घट्टन - सं० (पु० ) 1 खोलना 2 उन्मोचन 3 रगड़ उद्घाट-सं० (पु० ) ( चुंगी के लिए) माल खोलकर दिखाने का स्थान, चौकी
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उद्घाटक -सं० (वि०) उद्घाटन करनेवाला उद्घाटन - सं० (पु० ) 1 खोलना, आवरण हटाना 2 शुभांरभ उद्घाटित-सं० (वि०) 1 आवरण हटाया हुआ, अनावृत्त 2 जिसका उद्घाटन हुआ हो
उद्घात -सं० (पु० ) 1 आघात 2 आरंभ 3 पुस्तक का अध्याय 4 धक्का
उद्घातक, उद्घाती-सं० (वि०) 1 आघात करनेवाला 2 आरंभ करने वाला 3 धक्का मारनेवाला उद्घष्ट-सं० (वि०) उद्घोषित
उद्घोष -सं० (पु० ) 1 ऊँची आवाज़ में कहना 2 घोषणा उद्घोषक -सं० (वि०) घोषणा करनेवाला उद्घोषणा -सं० (स्त्री०) 1 सरकारी घोषणा 2 चिल्लाहट उद्घोषित - सं० (वि०) 1 घोषणा की गई 2 कही हुई उद्दंड-सं० (वि०) अक्खड़, निडर । ~ता (स्त्री०) अक्खड़पन निडरता
उद्दम -सं० ( पु० ) 1 दमन 2 वश में करना
उद्दर्शन -सं० (पु० ) 1 दर्शन कराना 2 स्पष्ट करना उद्दांत-सं० (वि०) 1 अति दमित 2 विनम्र 3 उत्साही उद्दाम - I सं० (वि०) 1 बंधन हीन, स्वतन्त्र 2 निरंकुश II (पु० ) यम, वरुण, एक वृत्त
उद्दिष्ट - I सं० (वि०) 1 चाहा हुआ 2 बताया हुआ 3 संकेत किया हुआ II (वि० ) (पु०) आज्ञा बिना वस्तु का किया जानेवाला भोग
उद्दीपक-सं० (वि०) 1 उत्तेजित करनेवाला 2 प्रज्वलित करनेवाला
उद्दीपन-सं० ( पु० ) 1 उत्तेजित करना 2 प्रज्वलित करना 3 जगाना 4 ( साहि०) रस का पोषण वर्द्धन करनेवाला तत्त्व या पदार्थ
उद्दीप्त-सं० (वि०) 1 प्रज्वलित किया हुआ 2 चमकता हुआ 3 उत्तेजित किया हुआ
उद्देश - सं० ( पु० ) 1 संकेत करना 2 ध्यान रखना 3 कारण 4 अभिप्रायः, इरादा
उद्भूति
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उद्धत - सं० (वि०) अक्खड़ 2 अविनीत 3 उत्तेजित 4 क्षुब्ध 5 घमंडी ~राष्ट्रवादी (पु०) अपने राष्ट्र की डींग मारनेवाला उद्धरण -सं० (पु० ) 1 उद्धार करना 2 ऊपर उठाना 3 मुक्ति, छुटकारा 4 लेख या ग्रंथ से गृहीत अंश चिह्न (पु० ) उद्धरण देने के लिए उलटे अल्प विराम चिह्न उद्धरणी सं० +हिं (स्त्री०) उद्घर्ष - I सं० (वि०) प्रसन्न उद्धर्ता सं० (पु०) उद्धार करनेवाला उद्धव-सं० (पु० ) 1 कृष्ण के मित्र 2 उत्सव 3 यज्ञ की आग उद्धस्त सं० (वि०) हाथ ऊपर उठाए हुए
पढ़े हुए पाठ को दोहराना II ( पु० ) प्रसन्नता
उद्धार -सं० (पु० ) 1 उबारना, मुक्त करना 2 ऊपर ले जाना। ~कर्त्ता (वि०) = उद्धारक; ~विक्रय (पु०) उधार बेचना उद्धारक -सं० (वि०) उद्धार करनेवाला, संकटमोचन उद्धारण-सं० (पु० ) 1 उद्धार करना 2 ऊपर उठाना उद्धित-सं० (वि०) ऊपर उठाया हुआ, उत्तोलित उद्धृत -सं० (वि०) 1 उबारा हुआ 2 पृथक् किया हुआ 3 लेख आदि से चुना हुआ
उद्धृतांश सं० (पु० ) = उद्धरण उदध्वंस-सं० (५०) विनाश
उद्ध्वस्त - सं० (वि०) 1 नष्ट किया हुआ 2 गिरा हुआ उदबुद्ध - सं० (वि०) 1 ज्ञान प्राप्त 2 जगाया हुआ 3 याद आया हुआ 4 प्रकट 5 प्रफुल्लित
उद्बोध-सं० (पु०) 1 जागना, जागरण 2 ज्ञान 3 फिर याद
उद्देशिका - सं० (स्त्री०) उद्देश्य बतानेवाली भूमिका उद्देश्य - I सं० (वि० ) 1 संकेत किये जाने योग्य 2 अभिप्रायः योग्य II ( पु० ) 1 प्रयोजन 2 ( व्या० ) कर्ता प्रधान ~ मूलक (वि०) उद्देश्य को लेकर किया हुआ; सिद्धि (स्त्री०) अभिप्रेत की प्राप्ति; हीन (वि०) निष्प्रयोजन उद्देष्टा - सं० (वि०) 1 इंगित करने वाला 2 लक्ष्य दृष्टि में रखकर काम करनेवाला
आना
उद्बोधक -सं० (वि०) 1 ज्ञान करानेवाला 2 उत्तेजित करनेवाला
उद्बोधन -सं० (पु० ) 1 जगाना 2 चेतना 3 उत्तेजना उद्बोधिता-सं० (स्त्री०) फुसलाई हुई नायिका उद्भट - सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा 2 प्रचंड, प्रबल उद्भव -सं० (पु० ) 1 जन्म 2 उद्गम उद्भाव-सं० (पु० ) = उद्भावना
उद्भावक-सं० (वि०) 1 उद्भव करनेवाला, जन्मदाता 2 उद्भावना करनेवाला
उद्भावन (पु० ), उद्भावना-सं० (स्त्री०) 1 कल्पना 2 मन की अद्भुत सूझबूझ
उद्भावित सं० (वि०) उद्भव किया हुआ
उद्घास-सं०- (पु० ) 1 चमक 2 प्रकाश 3 शोभा उद्भासन-सं० ( पु० ) 1 चमकाना 2 प्रकट करना उद्भासित सं० (वि०) 1 प्रकाशित 2 चमकता हुआ 3 सुशोभित उद्भिज - I सं० ( वि०) 2 उगने वाला II (पु०) ( पु० ) वनस्पति उद्भिद - सं० (पु० ) उगनेवाला, वनस्पति । विद्या (स्त्री०) वनस्पति शास्त्र
1 धरती से बाहर निकलनेवाला पेड़ पौधे । विज्ञान शास्त्र
उद्भिन्न सं० (वि०) 1 विभक्त किया हुआ 2 तोड़ा - फोड़ा हुआ, खंडित 3 उत्पन्न
उद्भूत -सं० (वि०) 1 उत्पन्न 2 बाहर आया हुआ, प्रकट हुआ उद्भूति-सं० (स्त्री०) 1 उत्पत्ति 2 प्रकट होकर सामने आनेवाली वस्तु 3 उन्नति 4 विभूति
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उभृत 113
उनचास उदभूत--सं० (वि०) उभरा हुआ
उद्वर्ष-सं० (पु०) फालतू बढ़ी हुई चीज़ प्रेद, उभेदन-सं० (पु०) 1फोड़कर वस्तु का बाहर | अवर्धन-सं० (पु०) 1 दबायी हुई हंसी 2 विस्तार निकलना 2 प्रकट होना 3 (अलंकार) कौशल से छिपाई हुई | अस-सं० (वि०) 1 मधु निकला हुआ 2 रिक्त 3 लुप्त बात का प्रकट होना
उनुहन-सं० (पु०) 1 उठाना 2 सँभालना 3 विवाह करना ग्रम, उनमण-सं० (पु०) 1 चक्कर काटना, घूमना 4 उठाकर ले जाना 2 उदय होना 3 उद्वेग 4 विभ्रम, विस्मय
शांत-I सं० (पु०) कै, वमन II (वि०) उगला हुआ भ्रांत-सं० (वि०) 1 चक्कर खाया हुआ 2 भ्रम में पड़ा हुआ शासन-सं० (पु०) 1 दूर करना 2 उजाड़ना 3 वध करना 3 चकित, भौचक्का 4 उद्विग्न 5 भटका हुआ
4 आसन बिछाना उद्धांति-सं० (स्त्री०) = उदभ्रंम
उद्धवासित-सं० (वि०) 1 नष्ट किया हुआ 2 भगाया हुआ उद्यत-सं० (वि०) 1 प्रस्तुत 2 तैयार, आमादा
उसाह, उद्धाहन-सं० (पु०) 1ऊपर ले जाना 2 दूर ले जाना जाम-सं० (पु०) 1 श्रम, मेहनत 2 उद्योग - धंधा। कर्ता 3 विवाह 4 जोते हुए खेत को जोतना 5 संभालना
(पु०) उद्यमी; ~शील (वि०) मेहनती, उद्यमी उवाहिक-सं० (वि०) 1दूर ले जाया हुआ 2 वैवाहिक उद्यमी-सं० (वि०) 1 उद्यमशील 2 परिश्रमी 3 साहसी उद्धवाहित-सं० (वि०) 1 उठाया हुआ 2 खींचा हुआ 3.विवाहित उद्यान-सं० (पु०) 1 बाग़, बगीचा 2 जंगल, वन। ~कर्म उद्याही-सं० (वि०) 1 ऊपर ले जानेवाला 2 विवाह करनेवाला (पु०) = उद्यान व्यापार; ~गृह (पु०) बगीचे में बना हुआ अद्विकास-सं० (पु०) ऊपर की ओर बढ़ना छोटा सुंदर मकान; ~गोष्ठी (स्त्री०) बाग़ में होनेवाली मित्रों अद्विन-सं० (वि०) 1 परेशान 2 चिंतित 3 खिन्न । ता की सभा नगरी (स्त्री०) जो नगर उद्यान विशेष के लिए (स्त्री०) उद्विग्न होने की अवस्था, आकुलता, परेशानी प्रसिद्ध हो; ~पाल (पु०) माली; विज्ञान (पु०), सीक्षण-सं० (पु०) 1 ऊपर की ओर देखना 2 नज़र 3 आँख विद्या (स्त्री०) बाग़बानी
उद्वेग-सं० (पु०) 1 तीव्र वेग, तेज़ी 2 आवेश, जोश 3 घबराहट उद्यानिकी-(पु०) (स्त्री०) बाग-बगीचे लगाने का काम 4 चित्त की अस्थिरता जनक (वि०) उद्वेग पैदा उद्यापन-सं० 1 विधिपूर्वक काम पूरा करना 2 व्रतादि की | करनेवाला समाप्ति पर किया जानेवाला धार्मिक कर्म
उद्धेगकर-सं० (वि०) = उद्वेगजनक धापित-सं (वि०) विधिपूर्वक किया हुआ
उद्वेगात्मक, उद्वेगी-सं० (वि०) 1 दुःखी 2 चिंताजनक उहाक्त-सं० 1 तत्पर, तैयार 2 काम में लगा हुआ, संलग्न उखेजक-सं० (वि०) उद्वेग उत्पन्न करनेवाला योग-सं० । यत्न, श्रम 2 उद्यम 3 कल-कारखानों में माल उद्वेजन-सं० (पु०) 1 क्लेश पहुंचाना 2 उद्वेग उत्पन्न करना तैयार करना । उन्नति (स्त्री०) उद्योग की उन्नति; ~कला | उद्धेजित-सं० (वि०) = उद्वेगी (स्त्री०) उद्योग करने का ढंग, विधि आदि; ~धंधा + हि० | उद्वेलन-सं० (पु.) 1 उफनना, उपटकर बहना 2 उल्लंघन (पु०) कार्य - व्यापार; पति (पु०) कारखाने या मिल का ओलित-सं० (वि०) 1 ऊपर से बहाया हुआ 2 छलकता हुआ मालिक; -परायण (वि०) = उद्यमशील। व्यवसाय | 3 उद्विग्न, अशान्त (पु०) काम-धंधा; ~शाला (स्त्री०) कारखाना, कम्पनी का | ओएन-सं० (पु०) 1 घेरा, बाड़ा 2 घेरना 3 नितंब में होनेवाली कार्यालय; ~शील (वि०) परिश्रमी, उद्यमी उद्योगी-सं० (वि०) = उद्योगशील । ~करण (पु०) उद्योग वेष्टित-सं० (वि०) चारों तरफ से घिरा हुआ स्थापित करना; कृत (वि०) जिसे उद्योग का रूप दिया गया उधड़ना (अ० क्रि०) । खुलना, टूटना 2 अलग होना
3बिखरना 4 उखड़ना । द्योत-सं० (पु०) 1 प्रकाश 2 चमक
उधर -(क्रि० वि०) 1 उस ओर 2 उस पक्ष में उद्योतन-सं० (पु०) 1 प्रकाशित करना 2 चमकाना उपराना-(अ० क्रि०) 1 तितर - बितर होना 2 उड़ जाना उद्रिक्त-सं० (वि०) 1 उद्रेक से किया हुआ 2 प्रत्यक्ष 3 प्रमुख ___ 3 गायब हो जाना
4 अत्यधिक, बहुत ज़्यादा चित्त (वि०) उच्च हृदयवाला उधार (पु०) 1 कर्ज 2 मैंगनी। ~का व्यवहार (पु.) 1 कर्ज़ झुज-सं० (वि०) 1 तोड़नेवाला 2 नष्ट करनेवाला 3 जड़ देना 2 उधार माल बेचना; खाता (पु०) उधार का खोदनेवाला
हिसाब-किताब ~खाना कर्ज पर गुज़र करना; दबाए बैठना उद्रेक-सं० 1 प्रचुरता 2 प्रमुखता 3 आरंभ 4 (साहि०) | 1किसी बात पर अडिग होना 2 किसी वस्तु के आसरे रहना; अर्थालंकार का एक भेद जिसमें किसी वस्तु के गुण-दोष के ग्रहण + सं० (पु.) उधार लेना,
आगे कई गुणों-दोषों के मंद पड़ने का वर्णन हो उधेड़-बुन (स्त्री०) निरंतर विचार, ऊहापोह, तर्क-वितर्क उद्रेचक-सं० (वि०) बहुत बढ़ा देनेवाला
उधेड़ना-(स० क्रि०) । खोलना, तोड़ना 2 उखाड़ना 3 अलग उद्वपन-सं० (पु०) 1 बाहर निकालना 2 हिलाकर गिराना। करना 4 बिखेरना। उधेड़कर रख देना 1 कच्चा चिट्ठा खोल 3 उंडेलना 4 दान
देना 2 पोल पट्टी खोल देना, दोष-बुराई कह देना उद्धर्त-I सं० (पु०) 1 उबटन 2 उबटन की मालिश 3 अतिरिक्त | म (सर्व०) 'उस' का बहुवचन रूप अंश II (वि०) शेष बचा हुआ, फ़ालतू
मका 1 अलभ्य वस्तु 2 एक कल्पित पक्षी होना अदृश्य हो उबर्तन-सं० (पु०) 1ऊपर उठाना 2 उबटन लगाना 3 वृद्धि |
जाना अर्तित-सं० (वि०) 1 उठा हुआ 2 मालिश किया हुआ | उनचास-I(वि०) चालीस और नौ II(पु०) 49 की संख्या
पीड़ा दा
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उनतालीस
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उपकल्पन
हुआ
मतालीस-I (वि०) एक कम चालीस II(पु०) 39 की । उन्मादी-सं० (वि०) = उन्मत्त संख्या
उन्मान-सं० (पु०) 1 नापना 2 नाप-तौल 3 मूल्य मतीस-I(वि०) बीस और नौ II (पु०) 29 की संख्या उन्मार्ग-सं० (पु०) कुमार्ग अमुन (वि०) चुप, शांत, खामोश, मौन
उन्मार्गी-सं० (वि०) कुमार्गगामी, पथभ्रष्ट अवान -अ० 1 शीर्षक 2 प्रस्तावना
उन्मार्जन-सं० (पु०) 1मलना 2 मिटाना उनसठ-I (वि०) पचास और नौ II (पु०) •59 की संख्या झमार्जित-सं० (वि०) चमकाया हुआ महत्तर-I (वि०)साठ और नौ II (पु०) 69 की संख्या | उन्मित-सं० (वि०) 1 नापा हुआ 2 तौला हुआ मींदा (वि०) नींद से भरा हुआ, निंद्राल, ऊघता हुआ उन्धिष-I सं० (वि०) 1 खुला हुआ 2 खिला हुआ II (पु०) उन्नत-सं० (वि०) 1 उठा हुआ 2 आगे बढ़ा हुआ 3 श्रेष्ठ | आँख खोलना उन्नतांश-सं० (पु०) तुलनात्मक ऊँचाई
उन्मीलन-सं० (पु०) 1 खुलना (आँख का) 2 खिलना 3 स्पष्ट उन्नति-सं० स्त्री 1ऊंचाई 2 बढ़ती 3 प्रगति 4 तरक्की। | होना ~शील (वि०) = आगे बढ़ने वाला
उन्मीलित-I सं० (वि०) 1 खुला हुआ 2 खिला हुआ उन्नतोदर-I सं० (पु०) वृत खंड आदि का ऊपर उठा हुआ II (पु०) (अलंकार) समान गुण-धर्म होने पर भी अंतर का
भाग, अंश, तल II (वि०) जिसका उदर उठा हुआ हो उल्लेख उन्नद्ध-सं० (वि०) 1कसकर बाँधा हुआ 2 बढ़ाया हुआ उन्मुक्त-सं० (वि०) आज़ाद; हस्त (वि०) खुले हाथ; 3 अभिमानी और उद्धत
नदय (वि०) खुले दिल से उन्नमित-सं० (वि०) 1 उन्नत किया हुआ 2 बढ़ाया हुआ उन्मुक्ति-सं० (स्त्री०) छुटकारा, मुक्ति उन्नयन-I सं० (वि०) जिसकी आँखें ऊपर उठी हुई हों उन्मुख-सं० (वि०) 1 जिसका मुख उस ओर हो 2 उत्सुक II (पु०) 1 उठाना 2 उत्रत करना 3 सुधार
3 तैयार उन्नाद-सं० (पु०) 1 शोर-गुल, हो-हल्ला 2 गुंजन, कलरव उन्पुखर-सं० (वि०) 1 बहुत बोलनेवाला 2 शोर मचानेवाला उन्नाव-अ० (पु०) सुखाया हुआ बेर की तरह का एक फल उन्मुग्ध-सं० (वि०) अत्यन्त आसक्त उन्नाबी -अ० (वि०) उन्नाब के दाने की रंगत का उन्मुद्र-सं० (वि०) 1 बिना मुहर का 2 खिला हुआ 3 खुला उन्नाय-सं० (पु०) = उन्नयन उन्नायक-सं० (वि०) 1 उन्नत करनेवाला 2 ऊपर उठनेवाला उन्मूल-सं० (वि०) = उन्मूलित उन्नायन-सं० (पु०) = उन्नयन
उन्मूलक-सं० (वि०) जड़ से उखाड़ फेंकने वाला उन्नासी-1 (वि०) सत्तर और नौ II (पु०) 79 की संख्या उन्मूलन-सं० (पु०) जड़ से उखाड़ देना ~कारी (वि०) = उन्निद्र-सं० (वि०) 1 जिसे नींद न आती हो 2 पूर्णतः विकसित; | उन्मूलक ~ता (स्त्री०) नींद न आना
उन्मूलित-सं० (वि०) 1 जड़ से उखाड़ा हुआ 2 अस्तित्व उन्नीत-सं० (वि०) 1ऊपर पहुंचाया हुआ 2 ऊपर की कक्षा में | समाप्त किया हुआ पहुंचाया हुआ
उन्भेष-सं० (पु०) 1 (आँख का खुलना) 2 प्रकट होना उन्नीस-I (वि०) दस और नौ |(पु०) 19 की संख्या । 3खिलना 4 हल्का प्रकाश
~बीस होना । कम बेश होना, कुछ घट बढ़कर होना उन्मोचन-सं० (पु०) 1 बंधन या अपराध से मुक्त करना 2 भला बुरा होना
2 कष्ट, संकट आदि से छुड़ाना उन्मत्त-I सं० (वि०) 1 नशे में चूर, मतवाला 2 पागल | उन्हें (सर्व) 'उस' का बहुबचन रूप 3 सनकी ता (स्त्री०) पागलपन
उप-सं० (उपसर्ग) उस ओर, अनुरूप, पास का, छोटा, डिपटी, उन्मत्तक-सं० (वि०) = उन्मत्त
(जैसे -उपक्रम, उपचर्म, उपग्रह ~कुलपति (पु०) वाइस उन्मथन-सं० (पु०) 1हिलाना 2 क्षुब्ध करना 3 फेंकना चासंलर चुनाव + हिं० (पु०) आम चुनाव के अतिरिक्त 4विलोड़ना
होने वाले चुनाव उन्मथित-सं० (वि.) 1 विलोड़ित 2 क्षुब्ध 3 मिलाया हुआ उपकंठ-I सं० (क्रि० वि०) निकट, समीप II (पु०) सामीप्य उनपद-सं (वि०) = 1 उन्मत्त 2 उन्माद
उपकथा-सं० (स्त्री०) छोटी कहानी उन्मदिष्णु-सं० (वि०) 1 पागल 2 मतवाला 3 मदस्राव करता उपकनिष्ठिका-सं० (स्त्री०) कानी उंगली के पास की उंगली हुआ (हाथी)
उपकर-सं० (पु०) साथ का हलका कर उन्धन-सं० (वि०) 1 उद्विग्न 2 उदास 3 अन्यमनस्क उपकरण-सं० (पु०) 1 यंत्र 2 अंग-उपांग 3 साधन 4 औज़ार उन्मनस्क-सं० (वि०) 1व्यग्र 2 उत्कंठित 3 शोकान्वित उपकर्णिका-सं० (स्त्री०) अफ़वाह, जनश्रुति उन्मर्दन-सं० (पु०) 1मलना, रगड़ना 2 मलने का एक उपकर्ता-सं० (पु०/वि०) उपकार, भलाई करनेवाला सुगंधित द्रव्य
उपकर्षण-सं० (पु०) खींचकर पास ले आना उन्मस्तिस्क-सं० (पु०) ऊपर का दिमारा
उपकला-सं० (स्त्री०) 1 झिल्ली 2 शरीर के भीतर किसी अंग उन्माद-सं० (पु०) 1 पागल पन, सनक 2 चित्तविभ्रम को ढकने का ऊतक उन्मादक-सं० (वि०) उन्मत्त करनेवाला, नशीला
उपकल्प-सं० (पु०) 1सामान 2 आवश्यक वस्तुएं मादन-सं० (पु०) उन्माद उत्पन्न करना
व्यकल्पन-सं० (पु०) 1 तैयार करना 2 आयोजन
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उपकल्पना
उपकल्पना-सं० (स्त्री०) 1 निश्चय 2 तैयार करना 3 परिकल्पना उपकल्पित-सं० (वि०) 1 तैयार किया हुआ 2 निश्चित उपकार-सं० (पु० ) 1 भलाई 2 सहायता 3 लाभ उपकारक-सं० (वि०) भलाई करनेवाला
उपकारिता-सं० (स्त्री०) उपकार
उपकारी-सं० (वि०) उपकारक
उपकार्य-सं० (वि०) उपकार किये जाने योग्य उपकिरण - सं० (पु० ) 1 छितराना, फैलाना 2 ढकना 3 गाड़ना उपकीर्ण-सं० (वि०) 1 फैलाया हुआ 2 ढका हुआ उपकुल्या-सं० (स्त्री०) छोटी नहर
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उपकूल - I सं० (पु०) 1 किनारा 2 किनारे के पास की भूमि II ( क्रि० वि०) किनारे पर
उपकृत-सं० (वि०) एहसानमंद, कृतज्ञ उपकृति-सं० (स्त्री०) = उपकार, भलाई उपक्रम, उपक्रमण-सं० (पु० )
1 आरंभ 2 आयोजन 3 व्यवसाय 4 ग्रंथ आदि की भूमिका 5 तैयारी उपक्रमणिका -सं० (स्त्री०) 1 प्रस्तावना 2 विषय सूची उपक्रांत-सं० (वि०) 1 आरंभ किया हुआ 2 पूर्व कथित 3 तैयार 4 चिकित्सित
उपक्रिया-सं० (स्त्री०) उपकार
उपक्रोश-सं० (पु०) निंदा, बुराई, अपवाद उपक्रोष्टा-सं० (पु० ) निंदक
उपक्षय - सं० (पु०) घरि होनेवाला क्षय, ह्यास, हानि उपक्षेप, उपक्षेपण-सं० (पु० ) 1 फेंकना 2 आक्षेप करना
3 संकेत 4 अभिनय के शुरु में कथा वस्तु का संक्षेप कथन उपखंड -सं० (पु०) किसी धारा या उपधारा के खंड का कोई विभाग
उपगत-सं० (वि०) 1 पास आया हुआ 2 घटित 3 जाना हुआ, ज्ञात 4 स्वीकार किया हुआ, स्वीकृत -
उपगति-सं० (स्त्री०) 1 पास आना 2 स्वीकार करना 3 ज्ञान 4 प्राप्ति
उपगम, उपगमन -सं० (पु० ) उपगति उपगिरि-सं० (पु० ) 1 बड़े पहाड़ के पास का बाहरी भाग 2 पहाड़ी
1 छिपाया हुआ 2 दबाया हुआ
उपगुरु-सं० (५०) सहायक अध्यापक उपगूढ़-सं० (विं० ) 3 आलिंगित उपगूहन-सं० (पु० ) 1 छिपाना 2 गोपन 3 आलिंगन उपग्रह - सं० (पु० ) 1 छोटा ग्रह 2 बड़े ग्रह की परिक्रमा करनेवाला ग्रह
उपग्रहण - सं० 1 पकड़ना 2 संभालना 3 संस्कारपूर्वक वेदों का
अध्ययन करना
उपग्राह-सं० (पु० ) 1 उपहार 2 उपहार देना
उपघात -सं० (पु०) 1 आघात 2 नाश 3 आक्रमण उपघातक, उपघाती-सं० (वि०) आघात करनेवाला उपचय-सं० (पु० ) 1 इकट्ठा होना 2 इकट्ठा करना 3 (प्राणि०) जीवों में रासायनिक परिवर्तनों की प्रक्रिया 4 चयन 5 ढेर, राशि 6 उन्नति, वृद्धि
उपचरण -सं० (पु० ) 1 पास जाना 2 उपचार करना उपचरित -सं० (वि०) 1 उपचार किया हुआ 2 सेवित
उपदंशी
उपचर्य-सं० ( पु० ) त्वचा का ऊपरी भाग उपचर्या, उपचार-सं० ( पु० ) 1 बीमार की सेवा 2 उपचार, इलाज 3 परिपाटी के अनुसार किया जानेवाला व्यवहार - गृह (पु० ) चिकित्सालय, नर्सिंग होम
उपचारक-सं० (वि०) उपचार करने वाला, नर्स (स्त्री० उपचारिका)
उपचारत:-सं० ( क्रि० वि०) रस्मी, उपचार स्वरूप उपचारात्मक-सं० (वि०) इलाज या सुधारवाला उपचारित सं० (वि०) उपचार में लाया हुआ उपचारी-सं० (वि०) उपचारक
उपचित-सं० (वि०) 1 एकत्र किया हुआ 2 समृद्ध 3 अच्छी तरह खिला हुआ
उपचिति-सं० (स्त्री०) 1 इकट्ठा करना 2 ढेर, राशि 3 वृद्धि उपचेतन-सं० (पु० ) अस्पष्ट एवं धूमिल चेतना उपचेतना-सं० (स्त्री०) अंतः संज्ञा उपचेय-सं० (वि०) संग्रहणीय उपच्छाया-सं० (स्त्री०) अर्थछटा
उपज - (स्त्री०) 1 पैदावार 2 वह जो उपजा हो, बनकर तैयार हुआ हो 3 मन की उद्भावना, मन की कोई सूझ 4 संगीत में नवीन स्वर एवं तान मिलाना 5 नवीन कल्पना आदि । ~ सिंचाई (स्त्री०) की लेना नई उक्ति निकालना उपजना - (अ० क्रि०) 1 उत्पन्न होना, जन्म लेना 2 अंकुर निकालना, उगना 3 नई बात सूझना
उपजाऊ - (वि०) उर्वर, कृषि के लिए उपयुक्त; पन (पु० ) उर्वरता
उपजात-सं० (वि०) साथ में उत्पन्न (पदार्थ) उपजाति सं० (स्त्री०) 1 इंद्रवज्रा और उपेंद्रवज्रा तथा इंद्रवंशा और वंशस्थ के मेल से बननेवाले वर्णवृत्त 2 छोटी जाति उपजाना (स० क्रि०) 1 उत्पन्न करना 2 उगाना 3 नई बात ढूढ़ निकालना 4 सुझाना
उपजिह्वा, उपजिविका -सं० (स्त्री०) 1 जीभ के मूल में स्थित छोटी जीभ 2 जीभ के नीचे भाग में होनेवाला फोड़ा उपजीवक-सं० (पु० ) आश्रित उपजीवन -सं० (पु०) उपजीविका सं० (स्त्री० ) 1 ऐसा जीवन जो दूसरे के सहारे चलता हो 2 रोजी 3 आय के गौण
साधन
उपजीवी-सं० (वि०) दूसरों पर निर्भर रहनेवाला, पराश्रित उपजीव्य-सं० (वि०) जिसके सहारे जीवन चलता हो उपज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 अंतःकरण में स्वयं उपजा हुआ ज्ञान
2 आद्य ज्ञान
उपक्षात-सं० (वि०) 1 मन में उपजा हुआ 2 अज्ञातपूर्व उपटन - ( पु० ) 1 आघात का चिह्न 2 उबटन
उपटना, उपड़ना - ( अ० क्रि०) 1 चोट का निशान पड़ना, दारा पड़ना 2 उखड़ना 3 उभरना
उपताप - सं० (पु० ) 1 ताप, आँच 2 क्लेश, पीड़ा उपतापन-सं० (पु० ) 1 गरम करना, तपाना 2 कष्ट पहुँचाना उपत्यका-सं० (स्त्री०) 1 तराई 2 घाटी
उपदंश - I सं० ( पु० ) व्यभिचार से उत्पन्न इंद्रिय रोग (दुष्ट मैथुन) II ( पु० ) गरमी नाम का रोग या आतशक उपदंशी-सं० (वि०) उपदंश रोगवाला
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उपदर्शक
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उपपत्ति
उपदर्शक-सं० (पु.) राह दिखानेवाला
(यज्ञोपवीत) संस्कार 4 गुरु के पास ले जाना उपदर्शन-सं० (पु०) टीका या व्याख्या करना, समझाना उपनहन-सं० (पु०) 1 बाँधना 2 गठियाना 3 वह कपड़ा जिसमें उपदा-सं० (स्त्री०) 1 भेंट, उपहार 2 रिश्वत, घूस
कोई वस्तु लपेटी जाए उपदान-सं० (पु०) 1 उपहार 2 अवकाश प्राप्त कर्मचारी को उपनहर-सं० (स्त्री०) छोटी नहर दिया जानेवाला धन (ग्रैच्युटि)
उपनागर-सं० (स्त्री०) नगर के आसपास की बस्तियाँ, कॉलोनी उपदित्सा (स्त्री०) वसीयतनामे के अंत में परिशिष्ट रूप में विषय उपनाम-सं० (पु०) 1 पुकारने का नाम 2 गौण नाम संबंधी स्पष्टीकरण
उपनायक-सं० (पु०) 1गौण नायक 2 जो नायक का प्रधान उपदिशा-सं० (स्त्री०) दो दिशाओं के मध्य की दिशा सहायक हो 3 उपपति, प्रेमी उपदिष्ट-सं० (वि०) उपदेश दिया हुआ, सिखलाया हुआ उपनायिका-सं० (स्त्री०) नायिका की प्रधान सहायिका उपदेव, उपदेवता-सं० (पु०) छोटा देवता (जैसे-गंधर्व, यक्ष उपनाह-सं० (पु०) 1 गठरी 2 सितार की छटी 3 मरहम आदि)
4 बिलनी उपदेश-सं० (पु०) 1शिक्षा की बात बतलाना 2 निर्देश उपनिदेशक-सं० (पु०) डिपटी डायरेक्टर
3 आज्ञा 4 गुरु-मंत्र। गर्भित (वि०) उपदेशयक्त उपनिधाता-सं० (वि०) धरोहर रखनेवाला उपदेशक-सं० (पु०) 1 वह व्यक्ति जो दूसरों को उपदेश देता उपनिधान-सं० (पु०), उपनिधि-सं० (स्त्री०) 1 धरोहर हो 2 शिक्षक 3 धर्म प्रचारक
रखना 2 अमानत 3 पास रखना उपदेशात्मक-सं० (वि०) = उपदेशगर्भित
उपनियम-सं० (पु०) गौण नियम उपदेश्य-सं० (वि०) उपदेश देने योग्य
उपनिर्देशक-सं० (पु०) डिपटी डायरेक्टर , उपदेष्टा-सं० (पु०) =उपदेशक
उपनिर्वाचन-सं० (पु०) रिक्त स्थान की पूर्ति के लिए चुनाव उपद्रव-I सं० (पु०) 1 दुर्घटना 2 उत्पात, ऊधम 3 दंगा उपनिविष्ट-सं० (वि०) 1 सुशिक्षित 2 अनुभवी 3 कहीं से II (पु०) किसी रोग के बीच में होनेवाला दूसरा विकार । आकर बसा हुआ
~कारी (वि०) ऊधम मचानेवाला; ~प्रस्त (वि०) उपद्रव उपनिवेश, उपनिवेशदेश-सं० (पु०) 1 दूसरे देश से आए हुए में पड़ा हुआ
लोगों की बस्ती 2 वह जीता हुआ देश जिसमें विजेता राष्ट्र के उपद्रवी-I सं० (वि०) उपद्रव मचानेवाला, शरारती II (पु०) लोग आकर बस गए हों, कालोनी। ~पद (पु०) 1 स्वतंत्र उपद्रव मचानेवाला रोग
उपनिवेशों का दर्जा 2 उस प्रकार की स्वतंत्रता जो उन्हें प्राप्त है; उपद्रष्टा-I सं० (वि०) देखनेवाला II (पु०) 1 निरीक्षक ~प्रणाली (स्त्री०) उपनिवेश बसाने की रीति; ~वाद 2 गवाह
(पु०) उपनिवेश बसाकर अपनी शक्ति का प्रसार करने की उपद्वीप-सं० (पु०) छोटा द्वीप, टापू
विचारधारा; ~वादी (वि०) दूसरे देशों को अपने अधीन उपधर्म-सं० (पु०) गौण धर्म
रखने का पक्षपाती उपधा-सं० (स्त्री०) 1 छल 2 जालसाजी 3 ईमानदारी की। उपनिवेशन-सं० (पु०) उपनिवेश रूप में बस्ती बसाना परीक्षा 4 अंतिम से पहला अक्षर
उपनिवेशित-सं० (वि०) 1 उपनिवेश रूप में बसा हुआ उपधातु-सं० (स्त्री०) 1 अप्रधान धातु 2 मिश्र धातु
2 दूसरे स्थान से लाकर स्थापित किया हआ उपधान-सं० (पु०) 1ऊपर रखना 2 सहारा 3 तकिया उपनिवेशी-सं० (वि०) उपनिवेश संबंधी । उपधानी-सं० (स्त्री०) 1 तकिया 2 गद्दा 3 पैर रखने की छोटी उपनिषत, उपनिषद-सं० (स्त्री०) 1 ब्रह्म विद्या की प्राप्ति के
लिए गुरु के पास जाकर बैठना 2 धर्म 3 निर्जन स्थान उपधारण-सं० (पु०) 1 रखना, उतारना 2 चित्त को एक विषय | उपनिहित-सं० (वि०) अमानत के रूप में रखा गया, धरोहर में लगाना 3 खींचना
रखा हुआ उपधारा-सं० (पु०) नियम आदि में धारा का छोटा अंग उपनीत-सं० (वि०) 1 उपनयन संस्कार किया हुआ 2 पास उपधि-सं० (स्त्री०) उपधा, धोखा
लाया हुआ 3 उपार्जित उपषिक-सं० (वि.) 1 धोखेबाज़ 2 जालसाज़ी करनेवाला उपनृत्य-सं० (पु०) नाचघर, नृत्यशाला उपध्मान-सं० (पु०) 1 फूंकना 2 होंठ
उपनेता-I सं० (पु०) नेता का सहायक II (वि०) पास ले उपध्मानीय-सं० (पु०) 'प' और 'फ' के पहले आनेवाला जानेवाला विसर्ग
उपन्यस्त-सं० (वि०) 1=उपनिहित 2 धरोहर-स्वरूप रखा हुआ उपध्वस्त-सं० (वि०) 1 ध्वस्त 2 पतित
उपन्यास-सं० (पु०) 1कल्पित और लंबी कहानी जो अनेक उपनक्षत्र-सं० (पु०) छोटा नक्षत्र
पात्रों एवं घटनाओं से युक्त हो 2 अमानत 3 प्रमाण। ~कार उपनगर-सं० (पु०) नगर के आस-पास बसा भाग
(पु०) उपन्यास लिखनेवाला; उपनत-सं० (वि०) 1 शरण में आया हुआ, शरणागत् 2 झुका | उपन्यासिका-सं० (स्त्री०) छोटा या लघु उपन्यास
उपपति-सं० (पु०) 1 परस्त्री से प्रेम करनेवाला पुरुष 2 अवैध उपनति-सं० (स्त्री०) 1 नमस्कार करना 2 झुकना
पति 3 यार उपनदी-सं० (स्त्री०) सहायक नदी
उपपत्ति-सं० (स्त्री) 1 युक्ति-प्रमाण 2 सिद्धान्त 3 तर्क उपनय-सं० (पु०) 1 प्राप्ति 2 पास ले जाना 3 उपनयन | 4 औचित्य
चौकी
हुआ
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उपपत्नी
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उपरि
उपपत्नी-सं०। स्त्री०) रखैल
उपमा-सं० (स्त्री०) 1 समता, तुलना 2 अर्थालंकार का एक उपपद-सं० (पु०) 1 समास का पहला पद 2 उपाधि 3 पहले | भेद जिसमें दो वस्तुओं में भेद होते हए भी धर्मगत समता
आया हुआ शब्द। समास (पु०) (व्या०) कृदंत के साथ | दिखाई जाए आया हआ नाम (संज्ञा) का समास (जैसे-प्रसंग, संदेश)
उपमान-सं० (पु०) वह वस्तु या व्यक्ति जिससे उपमा दी जाए उपपन्न-सं० (वि०) 1 सिद्ध किया हुआ 2 योग्य 3 उपयुक्त उपमित-I सं० (वि०) जिसकी उपमा दी गई हो II (पु०) 4 प्राप्त 5 संभव
उपमा वाचक कर्मधारय समास का एक भेद जिसमें उपपात-सं० (पु०) 1 आपदा 2 विनाश 3 अचानक घटित उपमावाचक शब्द लुप्त रहता है होनेवाली घटना
उपमिति-सं० (स्त्री०) = उपमा उपणदक-सं० (वि०) 1 प्रकट करनेवाला 2 घटित करनेवाला उपमित्र-सं० (पु०) साधारण मित्र, सामान्य दोस्त 3 सिद्ध करनेवाला
उपमुख्यमंत्री-सं० (पु०) मुख्यमंत्री का सहायक मंत्री उपपादन-सं० (पु०) 1 प्रमाण द्वारा सिद्ध करना 2 प्रतिपादन उपमेय-I सं० (वि०) उपमा दिए जाने योग्य II (पु०) 3 संपादन 4 युक्ति
जिसकी किसी वस्तु से उपमा दी गई हो उपपादित-सं० (वि०) सिद्ध किया हुआ
उपयुक्त-सं० (वि०) 1 ठीक 2 उपयोग में लाया हुआ उपपीड़न-सं० (पु०) 1 कष्ट देना 2 विनाश करना 3 दबाना 3 उचित 4 अनुकूल 4 कष्ट, पीड़ा
उपयोग-सं० (पु०) 1 व्यवहार में लाना, इस्तेमाल 2 लाभ उपपुर-सं० (पु०) =उपनगर
3 सदाचरण 4 संबंध 5 तैयार करना। सामग्री (स्त्री०) उपपुराण-सं० (पु०) 1 छोटा पुराण 2 व्यास के अलावा अन्य प्रयोग में आनेवाली वस्तुएँ मुनियों द्वारा रचित पुराण
उपयोगिता-सं० (स्त्री०) उपयोगी होना, उपयुक्तता । ~वाद उपपौरिक-सं० (पु०, वि०) उपनगर में रहनेवाला
(पु०) अधिक से अधिक लोगों का अधिकाधिक हित करने उपप्रदान-सं० (पु०) 1 देना 2 भेंट 3 रिश्वत, घूस
का सिद्धांत, वस्तु की केवल उपयोगिता पर ध्यान देकर उसका उपप्रमेय-सं० (पु०) प्रमेय के साथ लगी प्रमेय जो प्रमेय की मूल्यांकन करने का सिद्धांत; ~वादी (वि०) उपयोगितावाद सिद्धि के साथ-साथ स्वयं सिद्ध हो जाए
का समर्थक उपप्लव-सं० (पु०) 1 नदी की बाढ़ 2 प्राकृतिक उपद्रव उपयोगी-सं० (वि०) 1 काम में आनेवाला 2 लाभजनक
(आँधी, भूकंप) 3 सशस्त्र विद्रोह 4 अराजकता 5 भय 3 सही, उचित अप्लवी-सं० (पु०) सशस्त्र बगावत करनेवाला, सरकश उपयोजन-सं० (पु०) = 1 उपयोग 2 विनियोग उपप्लुत- (वि०) 1 पीड़ित 2 आक्रांत
उपयोज्य-सं० (वि०) उपयोग में लाया जानेवाला . उपबंध-सं० (पु०) 1संबंध 2 संयोग।
उपरंजन-सं० (पु०) 1 रँगना 2 पास की वस्तु पर अपना असर उपबोधक-सं० (पु०) सलाहकार और सहायक व्यक्ति उपबोधन-सं० (पु०) सलाह और सहायता देना
उपरक्त-सं० (वि०) 1 विपद्ग्रस्त 2 पीड़ित 3 विषयासक्त उपबोली सं+ हिं० (स्त्री०), उपभाषा-सं० भाषा के साथ उपरक्षक-सं० (पु०) पहरा देनेवाला,चौकीदार प्रयुक्त होनेवाली सहायक भाषा एवं बोली जैसे-अवधी
उपरक्षण-सं० (पु०) पहरा, चौकी भोजपुरी आदि) । ~गत (वि०) छोटी बोली का उपरत-सं० (वि०) 1 विरक्त 2 मरा हुआ उपभाषण-सं० (स्त्री०) बोली
उपरति-सं० (स्त्री०) 1 उदासीनता, विराग 2 मृत्यु उपमुक्त-सं० (वि०) 1 काम में लाया हुआ 2 जूठा 3 भोग | उपरना-I (पु०) दुपट्टा II (अ० क्रि०) उखड़ना हुआ
उपरपट, उपरफट्ट-(वि०) 1 बाहरी 2 बेकार, फालत अभेद-सं० (पु०) गौण भेद, उपविभाग
उपरम-(पु०) 1विषय से विराग 2 निवृत्ति 3 मृत्यु उपभोक्ता-सं० (वि०) (दैनिक वस्तुओं का) उपभोग
उपरला-(वि०) ऊपरवाला, ऊपरी करनेवाला । ~सहकारिता (स्त्री०) उपभोक्ता का सहयोग; उपरावर-I(स्त्री०) ऊँची जमीन II (वि०) ऊपरी सामग्री (स्त्री०) उपभोग की वस्तुएँ
उपरांकित-सं० (वि०) ऊपर अंकित किया हुआ उपभोग-सं० (पु.) 1 भोगना 2 विषय सुख 3 वस्तुओं का उपरांत-सं० (क्रि० वि०) बाद में, अनंतर, तत्पश्चात्
उपराग-सं० (पु०) 1रंग 2 लालरंग 3 लाली 4 दुर्व्यवहार उपभोज्य-सं० (वि०) उपभोग करने योग्य
5 निंदा 6 आस पास की वस्तु पर पड़नेवाली छाया उपभोज्य-[सं० (वि०) खाने योग्य II (पु०) भोजन, आहार उपराचढ़ी-(स्त्री०)लाग-डाट, प्रतिस्पर्धा, एक दूसरे से बढ़ जाने उपमंत्रण-सं० (पु०) 1आमंत्रण, न्यौता 2 अनुरोध करना की लालसा ज्यमंत्री-सं० (पु०) सहायक मंत्री
उपराज-सं० (पु०) राजा का नायब, राज प्रतिनिधि उपमन्यु-सं० (वि.) 1 परिश्रमी 2 प्रतिभाशाली
उपराज्यपाल-सं० (पु०) लेफ्टिनेंट गवर्नर, छोटे प्रदेश का उपमर्दन-सं० (पु.) 1बुरी तरह से कुचल देना, मसल देना सर्वोच्च पदाधिकारी 2 तिरस्कार करना 3 नष्ट करना
उपराम-सं० (पु०) 1 विरक्ति 2 विश्राम उपमहाद्वीप-सं० (पु०) महाद्वीप का बड़ा अंग (जैसे-भारत) उपरारूपति-सं० (पु०) राष्ट्र के उपाध्यक्ष उपमहापौर-सं० (पु०) डिटी मेयर
परि-सं० (अ०) ऊपर। -निर्दिष्ट (वि०) ऊपर संकेतित
डालना
उपयोग
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उपरुद्ध
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उपसरण
उपरुद्ध-सं० (वि०) रोका हआ 2 घिरा हुआ उपरूपक-सं० (पु०) छोटा नाटक उपरोक्त-सं० (वि०) = उपरिनिर्दिष्ट, ऊपर लिखा हुआ उपरोध-सं० (पु०) 1 रोक, बाधा 2 घेरना 3 परेशान करना
4 ढकना उपरोधक, उपरोधी-सं० (वि०) बाधा डालनेवाला,
रोकनेवाला उपरोहित-(पु०) पुरोहित उपरोटा-(पु०) = उपल्ला उपर्युक्त-सं० (वि०) 1ऊपर कहा गया 2 पूर्वकथित उपलंपन-सं० (पु०) 1 ज्ञान 2 अनुभव 3 लाभ उपल-सं० (पु०) 1 ओला 2 पत्थर 3 बादल 4 रत्न। -वृष्टि
(स्त्री०) ओले पड़ना, ओलावृष्टि उपलक्षक-सं० (वि०) अनुमान लगानेवाला 2 निरीक्षण
करनेवाला उपलक्षण-सं० (पु०) 1 ध्यान से देखना 2 गौण लक्षण,
पहचान उपलक्षित-सं० (वि.) 1 लक्ष्य किया हुआ 2 अनुमानित
3 संकेतित उपलक्ष्य-I सं० (पु०) 1 संकेत 2 अनुमान 3 उद्देश्य II(वि०) 1 लक्ष्य करने योग्य 2 अनुमान लगाने योग्य । के
~में के निमित्त उपलब्ध-सं० (वि०) 1 प्राप्त 2 ज्ञात उपलब्धि-सं० (स्त्री०) 1 प्राप्ति 2 ग्रहण की योग्यता 3 ज्ञान
सिद्धि उपलभ्य-सं० (वि०) मिलने योग्य उपला-(पु०) गोबर का कंडा उपलाभ-सं० (पु०) ग्रहण करना, पकड़ना उपली-(स्त्री०) = उपला । उपलेप, उपलेपन-सं० लीपना, पोतना उपल्ला -(पु०) ऊपर की पर्त उपवन-सं० (पु०) 1 बाग़, बगीचा 2 छोटा जंगल उपवपन-सं० (पु०) ऊपर छितराना उपवर्ग-सं० (पु०) वर्ग के अंतर्गत छोटा वर्ग उपवर्णन-सं० (पु०) विस्तृत या ब्यौरवार वर्णन उपवर्तन-सं० (पु०) 1 निकट लाना 2 अभ्यास स्थान उपवसथ-सं० (पु०) 1 यज्ञ के पहले का दिन 2 बस्ती, ग्राम उपवसन-सं० (पु०) 1पास बसना 2 उपवास करना उपवसित-सं० (वि०) उपवास किये बैठा उपवाक्य-सं० (पु०) वाक्य खंड, वाक्यांश उपवाणिज्यदूत-सं० (पु०) सहायक वाणिज्य दूत उपवाद-सं० (पु०) 1 निंदा, बुराई 2 लांछन उपवास-सं० (पु०) 1 भोजन का त्याग, फ़ाका 2 व्रत उपवासी-सं० (वि०) 1 उपवास करने वाला 2 व्रती उपविक्रय-सं० (पु०) संदिग्धावस्था में होनेवाला विक्रय उपविदेशमंत्री-सं० (पु०) सहायक विदेशमंत्री उपविधि-सं० (स्त्री०) = उपनियम, उपधारा उपविभाग-सं० (पु०) बड़े विभाग के अधीन एक छोटा
विभाग उपविष-सं० (पु०) हल्का विष (मदार, धतूरा आदि)
उपविष्ट-सं० (वि०) बैठा हआ। -क अर्भक उपवीत-सं० (पु०) 1 उपनयन संस्कार 2 जनेऊ उपवीती-सं० (वि०) 1 जिसका उपनयन संस्कार हो गया हो
2 जनेऊ धारण किया हुआ उपवृत्ति-सं० (स्त्री०) छोटा व्यवसाय उपवेद-सं० (पु०) सहायक वेद, वेदों से निकले वेद उपवेश-सं० (पु०) सभा की बैठक उपवेशन-सं० (पु०) 1 बैठना 2 कार्य में लगना उपवेशी-सं० (वि०) 1 बैठनेवाला 2 काम में लगा हुआ उपवेष्टन-सं० (पु०) चारों तरफ़ से लपेटना उपवेष्टित-सं० (वि०) लिपटा हुआ उपशम, उपशमन-सं० (पु०) 1 शांत करना 2 शांत होना
3 निवारण 4 घटाना उपशय-सं० (वि.) 1 पास सोनेवाला 2 शांतिदायक उपशाखा-सं० (स्त्री०) 1 छोटी शाखा 2 शाखा की अन्य
शाखा उपशामक-सं० (वि०) शांत करनेवाला उपशायी-सं० (वि०) 1 पास सोनेवाला 2 सोनेवाला उपशाल-सं० (पु०) 1 मकान के पास का खुला सहन या
मैदान 2 चौपाल. उपशिक्षक-सं० (पु०) सहायक अध्यापक उपशीर्षक-सं० (पु०) मुख्य शीर्षक के नीचे का शीर्षक उपशुल्क-सं० (पु०) शुल्क के अलावा शुल्क उपशोभन सं० (पु०) = सजाना, सज्जित करना उपश्रुत-सं० (वि०) 1 सुना हुआ 2 जाना हुआ उपश्रुति-सं० (स्त्री०) 1 सुनना 2 स्वीकृति 3 भविष्यवाणी उपश्लिष्ट-सं० (वि०) 1 पास रखा हुआ 2 सटा हुआ, संपर्क
में आया हुआ उपश्लेष-सं० (पु०) 1सटना 2 आलिंगन उपसंक्षेप-सं० (पु०) संक्षेप का संक्षेप उपसंचालक-सं० (पु०) संचालक का सहायक उपसंपदा-सं० (स्त्री०) संन्यास (बौद्ध) उपसंपन्न-सं० (वि०) 1 पर्याप्त 2 प्राप्त किया हआ उपसंपादक-सं० (पु०) सहायक संपादक, संपादक का
सहायक उपसंभाषा-सं० (स्त्री०) 1 बातचीत 2 मैत्रीपूर्ण अनुरोध उपसंयम-सं० (पु०) 1संपर्क में लाना 2 नियंत्रित करना
3 बाँधना उपसंवाद-सं० (पु०) समझौता होना उपसंहरण-सं० (पु०) 1 ले लेना 2 आक्रमण करना 3 अलग
कर देना उपसंहार-सं० (पु०) 1 समाप्ति 2 लेख के अंत में दिए
जानेवाला सार 3 सारांश उपसंहारक-सं० (वि०) उपसंहार करनेवाला उपसंहारात्मक-सं० (वि०) उपसंहार/समाप्ति उपसन्न-सं० (वि०) 1 सहायता के लिए आया हुआ 2 पास
रखा हुआ 3 प्राप्त 4 प्रदत्त उपसमिति-सं० (स्त्री०) छोटी समिति उपसरण-सं० (पु०) 1 किसी की ओर आना और जाना 2 रक्त
का तीव्र प्रवाह
।
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उपसर्ग
उपसर्ग - सं० ( पु० ) 1 वह अव्यय जो शब्द के पहले लगकर शब्द का अर्थ बदल दे 2 अपशकुन उपसर्गात्मक-सं० (वि०) उपसर्गयुक्त उपसर्पण-सं० (पु०) आगे बढ़ना उपसागर-सं० (पु० ) समुद्र की खाड़ी उपसाधन -सं० ( पु० ) छोटा ज़रिया उपसाना-सं० (स० क्रि०) बासी करना, सड़ाना उपसेक, उपसेचन-सं० 1 छिड़काव 2 सींचना उपसेनापति-सं० (पु० ) सहायक सेनापति उपसेव्य-सं० (वि०) व्यवहार योग्य उपसैनिक-सं० (पु०) छोटा सिपाही उपस्कर, उपस्करण-सं० (पु० ) 1 चोट पहुँचाना 2 हिंसा करना 3 सँवारना 4 निंदा 5 जीवन यापन हेतु आवश्यक सामग्री
6 उपकरण
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उपस्कार-सं० (पु० ) 1 पूरक 2 रिक्त स्थान की पूर्ति करनेवाला 3 आभूषण, गहना 4 सजावट
उपस्कारक-सं० (वि०) 1 सँवारने सजाने वाला 2 पूर्ति करनेवाला
उपस्कृत-सं० (वि०) 1 बनाया हुआ 2 इकट्ठा किया हुआ 3 सजाया हुआ
उपस्तंभ - सं० (पु० ) 1 सहारा 2 आधार 3 प्रोत्साहन उपस्त्री-सं० (स्त्री०) रखेली, उपपत्नी
J
उपस्थ - I सं० (वि०) बैठा हुआ II ( पु० ) 1 जननेंद्रिय 2 नितंब, पेडू 3 गोद
उपस्थाता - I सं० (वि०) समय पर आया हुआ II ( पु० ) 1 पुरोहित 2 सेवक
उपस्थान -सं० ( पु० ) 1 सामने आना 2 देवता के सामने खड़े होकर वंदना करना 3 वास स्थान 4 उपासना स्थल उपस्थापक-सं० (वि०) प्रस्ताव उपस्थित होनेवाला उपस्थापन सं० ( पु० ) उपस्थित करना, पेश करना उपस्थापित-सं० (वि०) उपस्थित किया हुआ उपस्थित -सं० (वि०) 1 समीप आया हुआ 2 प्रस्तुत, हाज़िर 3 मन में आया हुआ
उपस्थिति सं० (स्त्री०) 1 हाज़िरी 2 विद्यमानता 3 समीपता । पंजी (स्त्री०) हाज़िरी का रजिस्टर पत्र निश्चित समय पर उपस्थित होने के लिए भेजा गया आधिकारिक पत्र उपस्नेह-सं० (पु०) गीला होना, नम होना
1 लगान 2 ब्याज
उपस्वत्व-सं० ( पु० ) उपहत-सं० (वि०) चोट खाया हुआ घायल 2 विनष्ट 3 दूषित 4 लांछित । चित्त (वि०) विवेकशून्य उपहरण-सं० (पु० ) 1 पास लाना 2 हरण करना 3 उपहार भेंट उपहसित - (वि०) जिसका उपहास हुआ हो उपहार - सं० ( पु० ) 1 भेंट, सौग़ात 2 पूजन द्रव्य उपहारी-सं० (वि०) उपहार देनेवाला
उपहास - सं० ( पु० ) 1 हँसी 2 दिल्लगी 3 निंदासूचक हँसी 4 खिल्ली उड़ाना। चित्र (पु० ) कार्टून, व्यंग्यचित्र; जनक (वि०) उपहास पैदा करनेवाला उपहासात्मक सं० (वि०) मज़ाक भरा उपहासास्पद-सं० (वि०) जो उपहास किए जाने योग्य हो उपहास्य सं० (वि०) 1 जिसका उपहास किया जा सकता हो
उपाय
2 जिसे देखकर हँसी आती हो 3 तुच्छ उपहित-सं० (वि०) 1 स्थापित 2 युक्त 3 सहित उपहृत-सं० (वि०) 1 भेंट किया हुआ 2 पास लाया हुआ 3 एकत्रीकृत 4 परसा हुआ उपांग-सं० (पु० ) 1 गौण अंग 2 सहायक वस्तु 3 वेदांग के पूरक विषय 4 टीका
उपांत - I सं० (पु० ) 1 छोर, किनारा 2 आँख का कोना 3 अंत के पास का अक्षर 4 अंचल 5 हाशिया II (वि०) अंत के
पास का ~ समुद्र समुद्र का किनारा उपांतिक-सं० (वि०) 1 पास का 2 उपांत में रहनेवाला उपांत्य - सं० (वि०) 1 अंत के पास का 2 अंतिम से पहले का उपाकरण, उपाकर्म -सं० (पु० ) = उपक्रम, तैयारी उपाकृत-सं० (वि०) 1 पास लाया हुआ 2 आरंभ किया हुआ 3 विपत्तिजनक 4 जिसे बलि चढ़ाया गया हो उपाख्यान - सं० (पु० ) 1 छोटी कहानी 2 पौराणिक कहानी । ~ साहित्य (पु० ) पौराणिक साहित्य उपागत-सं० (वि०) 1 आया हुआ 2 घटित हुआ 3 वादा किया हुआ
उपागम - सं० (पु० ) 1 पास आना 2 घटित होना 3 वादा उपाचार -सं० (पु० ) गौण परिपाटी, प्रथा उपाड़ना - (स० क्रि०) = उखाड़ना
लक्षण
उपात्यय - सं० ( पु० ) विधि-विधान का परित्याग या उल्लंघन उपादान-सं० (पु० ) 1 प्राप्त करना 2 उपयोग में लाना 3 भोग-विषयों से दूर हटना 4 कारण 5 साधन-सामग्री 6 तुष्टि उपादेय-सं० (वि० ) 1 ग्रहण करने योग्य 2 उपयोगी उपाधि-सं० (स्त्री०) 1 पदवी 2 विशेष 3 योग्यता-सूचक शब्द 4 नाम-चिह्न 5 छद्म वेश । प्रदान करना (पु० ) योग्यता का प्रमाण-पत्र देना; से विभूषित करना (५०) प्रतिष्ठा एवं सम्मान देना; मास्टर की ~ (स्त्री०) अध्यापक की योग्यता सबंधी डिग्री; सेना सबंधी (स्त्री०) सेना में दिए जानेवाला उच्च पद (जैसे कर्नल, ब्रिगेडियर ); ~ धारी (पु० ) वह व्यक्ति जिसे उपाधि मिली हो; पत्र ( पु० ) योग्यता का प्रमाणपत्र उपाधी -सं० (वि०) 1 उपद्रवी 2 छलबाज उपाध्यक्ष-सं० (पु० ) संस्था, समिति में अध्यक्ष का सहायक जो उसके अधीन काम करता है उपाध्याय -सं० (पु० ) 1 वेदों का अध्ययन करानेवाला पंडित 2 अध्यापक, शिक्षक 3 गुरु 4 ब्राह्मणों की एक उपजाति की उपाधि
उपाध्याया-सं० (स्त्री०) अध्यापिका, शिक्षिका उपाध्यायानी, उपाध्यायी–सं० (स्त्री०) शिक्षिका 2 गुरुपत्नी
1 अध्यापिका,
उपान - सं० (स्त्री०) 1 ईमारत की कुरसी 2 खम्भे के नीचे आकार रूप में रहनेवाली चौकी
उपानह - ( पु० ) 1 जूता 2 खड़ाऊँ उपापचय - सं० . (पु० ) वस्तुओं के बनने-बिगड़ने की प्रक्रिया उपाय-सं० (पु० ) 1 साधन 2 युक्ति, तरक़ीब, तरीक़ा 3 व्यवस्था 4 इलाज । छिपने के ~ (पु० ) छिपने का साधन; सबसे सीधा ~ (पु० ) सबसे सरल युक्ति; संगठनात्मक ~ (पु०) संगठन व्यवस्था
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उपायन
उपायन -सं० (पु० ) भेंट, उपहार उपायी-सं० (वि० ) उपाय करनेवाला उपायुक्त -सं० (पु० ) डिप्टी कमिश्नर उपायोजन-सं० ( पु० ) छोटा आयोजन उपार्जक सं० (वि० ) 1 पैदा करनेवाला 2 कमानेवाला उपार्जन -सं० (पु० ) 1 पैदा करना 2 कमाना उपार्जित -सं० (वि०) 1 कमाया हुआ 2 पैदा किया हुआ
3 प्राप्त
उपार्थ-सं० (वि०) अल्प मूल्य का, अल्प महत्त्व का उपालंभ, उपालंभन-सं० (पु० ) 1 शिकायत, उलाहना 2 निंदा, दुर्वाक्य
उपाश्रय-सं० (पु० ) सहारा
उपाश्रित सं० (वि०) सहारा दिया गया
उपासंग-सं० (पु० ) सामीप्य
उपासक -सं० (वि०) 1 आराधक 2 भक्त
उपासना - I सं० (स्त्री०) 1 आराधना 2 भक्ति II (स० क्रि०)
आराधना करना
उपासनीय सं० (वि०) पूजनीय, पूज्य
उपासिका -सं० (स्त्री०) पूजा करनेवाली नारी उपासी-सं० (वि०) उपासक
उपास्थि -सं० (स्त्री०) कोमल हड्डी
उपास्य - 1 सं० (वि०)
देवता
=
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उपासनीय, आराध्य II ( पु० ) इष्ट
उपाहार - सं० ( पु० ) 1 हल्का भोजन 2 जलपान 3 नाश्ता उपाहित-सं० (वि०) 1 पहना हुआ 2 आरोपत उपेंद्र - I सं० (पु० ) विष्णु II (स्त्री०) एक छंद उपेक्षक-सं० (वि) 1 उपेक्षा करनेवाला 2 उदासीन उपेक्षण-सं० ( पु० ) 1 अनादर, तिरस्कार 2 परित्याग उपेक्षणीय-सं० (वि०) उपेक्षा करने योग्य, उपेक्षा का पात्र उपेक्षा-सं० (स्त्री०) 1 उदासीनता 2 तिरस्कार, निरादर, अवहेलना । वृत्ति ( स्त्री०) ध्यान न देना उपेक्षित-सं० (वि०) 1 अनादृत्त, तिरस्कृत 2 उदासीन उपेक्ष्य-सं० (वि०) = उपेक्षणीय
~
उपेत-सं० (वि०) 1 मिला हुआ 2 युक्त उपोत्पाद-सं० (पु० ) उत्पाद से बचा उत्पाद उपोद्घात - सं० ( पु० ) 1 प्रस्तावना, भूमिका 2 विशिष्ट कथन
3 साधन
उपोष्णदेशीय सं० (वि०) कम गर्म देश का
उपोसथ-सं० (पु०) निराहार व्रत
उप्त-सं० (वि०) बोया हुआ
उफ़ - 1 अ० (अ०) दुःख, पीड़ा, आदि का सूचक उद्गार, आह न करना 1 पीड़ा को दबा
II (स्त्री०) आह, अफसोस जाना 2 अफसोस न करना उफ्रक - अ० (पु० ) क्षितिज उफनना- (स० क्रि०) उबलना
उफान - ( पु० ) उबाल उफाल- (स्त्री०) लंबा डग
उपकना - (अ० क्रि०) क्रै करना, उल्टी करना उबकाई - (स्त्री०) 1 कै 2 मितली
उबटन - (पु० ) सरसों, तिल आदि का लेप
उबटना - (स० क्रि०) उबटन लगाना उबरना - ( अ० क्रि०) छुटकारा पाना, बचना उबलना - (अ० क्रि०) खौलना, उफनना। पड़ना क्रुद्ध होकर अंट-शट बकना, आपे से बाहर होना उबसन - ( पु० ) बर्तन साफ़ करने के लिए नारियल आदि की
जटा, गुझना
उबसना - I (अ० क्रि०) सड़ना, गलना II (स० क्रि०) बर्तन माँजना
उमदा
उबाऊ - (वि०) ऊब पैदा करनेवाला
उबाना - (स० क्रि०) 1 ऊबने का कारण होना 2 परेशान करना 3 उगाना
उबार - (पु० ) 1 बचाव 2 छुटकारा 3 बचत । लाठी- लाठी द्वारा बचाव (लड़ाई झगड़े में )
उबारना - (स० क्रि०) उद्धार करना
'उबारा - ( पु० ) जानवरों के पानी पीने के लिए कुओं के पास बनाया जानेवाला कुंड, चरही
उबाल - (पु० ) 1 उफ़नना 2 जोश, क्रोध आदि का भड़कना । खाना क्रोध का भड़क उठना
उबालना - (स० क्रि०) खौलाना, जोश देना उबासी - (स्त्री०) जँभाई
=
उभड़ना - (अ० क्रि०) = उभरना
उभय-सं० (वि०) दोनों। चर (वि०) जल और थल दोनों में रहनेवाला; निष्ठ (वि०) दोनों में सम्मिलित; -पक्ष (पु० ) दोनों पक्ष पक्षीय (वि०) दोनों पक्ष का; मुख (वि०) दोनों ओर का ; ~मुखता (स्त्री०) दो विरोधी गुणों में मन रहना; ~ लिंग (पु० ) जो दोनों लिंगों में प्रयुक्त होता हो; ~ लिंगी (वि०) दोनों लिंगोंवाला; वादी (पु० ) दोनों पक्षों का समर्थक; ~विध (वि०) दोनों प्रकार का उभयतः सं० ( क्रि० वि०) दोनों ओर से उभयतोमुख - सं० (वि०)
उभयपक्षीय
=
उभयत्र - सं० दोनों तरफ़ से उभयात्मक-सं० (वि०) उभयविध, दोनों प्रकार का उभयार्थ, उभयार्थक-सं० (वि०) 1 दो अर्थों वाला 2 अस्पष्ट उभयावल-सं० (वि०) दोनों ओर से दबा हुआ उभयोत्तल - सं० दोनों ओर उभरा हुआ
उभरना - (अ० क्रि०) 1 ऊपर उठना 2 प्रकट होना 3 खुलना 4 जवानी आना 5 धन मान आदि की वृद्धि होना उभाड़ - (पु० ) = उभार उभाड़ना - (स० क्रि०) = उभारना
उभार - (पु०) 1 उठान 2 ऊँचाई 3 वृद्धि । ~दार फ़ा० (वि०) उभरा हुआ
उभारना - (स० क्रि०) 1 ऊपर उठाना 2 बढ़ाना 3 भड़काना, उकसाना
उमंग - (स्त्री०) 1 उल्लास 2 मौज 3 जोश 4 आकांक्षा उमंगी - ( वि० ) 1 जिसे उल्लास हो, उल्लसित 2 मौजी उमड़ - ( स्त्री०) 1 बाढ़ 2 धावा
उमड़ना - (अ० क्रि०) 1 बढ़कर फैलना 2 छाना 3 जोश में आना । घुमड़ना चारों ओर घूमकर फैलना उमदगी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) उमदा - अ० (वि०) = उम्दा
(उम्दगी) अच्छाई, खूबी
=
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उमर
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उलफ़त
उमर-अ० (स्त्री०) = उम्र
उर्वर-(वि०) 1 उपजाऊ 2 जिससे बहुत से विचार निकलें उमरा-अ० (पु०) 1 धनिक 2 सरदार 3 सामंत
(जैसे-उर्वर मस्तिष्क)। ~ता (स्त्री०), -त्व (पु०) उमस-(स्त्री०) हवा बंद होने पर लगनेवाली भीषण गर्मी उपजाऊपन उमा-सं० (स्त्री०) 1 पार्वती 2 दुर्गा 3 कांति 4 शांति। नाथ, उर्वरक-(पु०) रासायनिक खाद। ~संयंत्र (पु०) खाद बनाने ~पति (पु०) शंकर, भोलेनाथ
का कारखाना उमेठन-(स्त्री०) ऐंठन, मरोड़
उर्वरा-सं० (स्त्री०) 1 उपजाऊ भूमि 2 ज़मीन, पृथ्वी। उमेठना-(स० क्रि०) मरोड़ना, ऐंठना
~शक्ति (स्त्री०) - उर्वरत्व उम्दगी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) अच्छाई
उर्वरीकरण-सं० (पु०) बंजर भूमि को उर्वर बनाना उम्दा-अ० (वि०) अच्छा, बढ़िया
उर्स-अ० (पु०) पुण्यतिथि का उत्सव या मेला उम्मत-अ० (स्त्री०) 1 समुदाय 2 ख़ास पैगंबर के अनुयायी उलगना-(अ० क्रि०) कूदना, फाँदना 3 संप्रदाय
उलछा-(पु०) बीज बोने की एक विधि उम्मीद-फ़ा० (स्त्री०) आशा, भरोसा। ~वार I (वि०) उलझन-(स्त्री०) 1 चिंता, सोच 2 कठिनाई 3 झंझट 4 फँसाव। 1 आशा रखनेवाला 2 नौकरी, पद विशेष का प्रार्थी II (पु०) दार +फ़ा० पेचीदा; ~में पड़ना चक्कर में फँसना . चुनाव के लिए खड़ा होनेवाला व्यक्ति
उलझना-(अ० क्रि०) फँसना उम्मेद-फा० (स्त्री०) 1 आशा 2 अपेक्षा 3 आकांक्षा । ~वार उलझाना-(स० क्रि०) 1 फँसाना 2 अटकाना (पु०) = उम्मीदवार; ~वारी (स्त्री०) 1 उम्मीदवार होने की उलझाव, उलझेड़ा-(पु०) = उलझन, झंझट अवस्था 2 आसरा 3 गर्भवती होने की अवस्था; ~बर आना उलटना-I (अ० क्रि०) 1 औंधा होना 2 दूसरे रुख होना इच्छा पूरी होना; ~से होना गर्भवती होने की पूर्वसूचना 3 विपरीत स्थिति में आना 4 पलटना 5 घूमना, मुड़ना उम्र-अ० (स्त्री०) आयु, अवस्था, वय। ~वाला +हिं० बूढ़ा; 6 अस्त-व्यस्त होना 7 ऐंठना II (स० क्रि०) 1 नीचे का ऊपर
~का पैमाना भर जाना, ~का प्याला भर जाना आयु करना 2 पलटना 3 बदल देना 4 बात दुहराना 5 दूसरा रुख का अंत आना, मृत्यु निकट होना; ~टेरना किसी तरह जिंदगी करना 6 कै करना। -पलटना -पुलटना (स० क्रि०) के दिन पूरे करना
अस्त-व्यस्त करना उर-सं० (पु०) 1 हृदय 2 छाती। ~स्थल (पु०) हृदय, मन; उलट-पलट, उलट-पुलट, उलट फेर-I (पु०) अदल-बदल,
~लाना छाती से लगाना; ~धरना मन में रखना परिवर्तन II (वि०) 1 अस्त व्यस्त 2 परिवर्तित III (क्रि० उरग-सं० (पु०) साँप, विषधर
वि०) उलट-पलट कर, अच्छी तरह। -करना परिवर्तन उरद-(पु०) दाल के वर्ग का एक अनाज, उड़द । के आटे करना, चीज़ों को बिखेरना, हलचल मचाना की तरह ऐंठना क्रुद्ध होना
उलटवांसी-(स्त्री०) ऐसी कविता जिसमें सामान्य रूप से उलटी उरधारना-(स० क्रि०) = उधेड़ना
बात कही गई हो उररना-(स० क्रि०) उमंगित होना .
उलटा-(वि०) 1 ओंधा 2 विपरीत क्रम का 3 असमान उरला-(वि०) इस तरफ़ का
पलटा, पुलटा (वि०) क्रमविहीन; सीधा (वि०) उरसना-(स० क्रि०) ऊपर नीचे करना
1कल सही कुछ ग़लत 2 भला बुरा तवा काला; उरसिज-सं० (पु०) उरोज, स्तन
उलटी खोपड़ी मूर्ख, नासमझ; उलटी गंगा बहना 1 रीति उरवाण-सं० (पु०) छाती का कवच
विरुद्ध काम होना 2 नियम एंव रीति के प्रतिकूल बात होना; उरस्वान- सं० (वि०) चौड़ी छातीवाला
लटकना परिश्रम करना; उलटी गंगा बहाना 1 रीति उरानियम- (पु०) नियम के अंतर्गत और नियम विरुद्ध कार्यकरना 2 नियम के प्रतिकूल बात करना; उलटी उरु-सं० (वि०) 1 लंबा चौड़ा 2 विशाल, बड़ा, प्रचुर पट्टी पढ़ाना बहकाना; उलटी माला फेरना बुरा मनाना, उरूज-सं० (पु०) 1ऊपर उठाना 2 उत्थान 3 वृद्धि
कोसना; उलटी साँस चलना, उलटी साँस लेना 1 दम उरेब-I फ़ा० (वि०) 1 टेढ़ा, तिरछा 2 छलपूर्ण II (पु०) निकलना 2 मरणासन्न होना; उल्टी सीधी सुनाना खरी-खोटी छल-कपट, धूर्तता
सुनाना; उलटी हवा बहना परंपरा विरुद्ध चलना; उलटे काँटे उरेहना-(स० क्रि०) तस्वीर बनाना, चित्र खींचना
तौलना कम तौलना; उलटे छुरे से मूंड़ना बेवकूफ़ बनाकर उरैड़ना-(स० क्रि०) 1 उँडेलना 2 गिराना
ऐंठना; उलटे पाँव फिरना, उलटे पाँव लौटना तुरंत वापस उरोग्रह-सं० (पु०) चि० छाती एवं पसलियों में दर्द (रोग) आना; उलटे मुँह गिरना दूसरे का नुकसान करने के प्रयास में उरोज-सं० (पु०) स्तन, कुच
खुद का अहित कर लेना उरोस्थि-सं० (स्त्री०) छाती की हड्डी, पसली
उलटाना-(स० क्रि०) उलटा करना उर्दू-I तु० (स्त्री०) भाषा का वह रूप जिसमें अरबी फ़ारसी के | उलटी-(स्त्री०) कै, वमन शब्द अधिक होते हैं तथा जिसे फ़ारसी लिपि में लिखा जाता है उलटे-(क्रि० वि०) 1 विपरीत दिशा में, विपरीत स्थिति में II (पु०) छावनी का बाज़ार। पन +हिं० (पु०) उर्दू की 2 बेजा तौर पर, नियम विरुद्ध
छाप, उर्दू की बहुलता; -लिपि सं० (स्त्री०) फ़ारसी लिपि | उलथा-(पु०) 1करवट बदलना 2 कलाबाज़ी। ~मारना उर्फ़-अ० (पु०) उपनाम
1 कलाबाज़ी करते हए कूदना 2 करवट बदलना उर्मिल-सं० (वि०) 1 लहरदार 2 चुनटदार (वस्त्र) | उलफत-अ० (स्त्री०) प्यार, प्रेम
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उलमा
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उस्ताद
प
उलमा-अ० (पु०) बहु० पंडित, विद्वान लोग
एक ही वस्तु का विषय भेद के कारण अनेक तरह से वर्णन उलहना-(पु०) = उलाहना, शिकायत
किया जाए उलॉक-(पु.) 1 डाक 2 एक तरह की नाव
उल्लेखन-सं० (पु०) 1 उल्लेख करना 2 लिखना 3 अंकन उलाँघना-(स० क्रि०) 1 लाँघना 2 आज्ञा का उल्लंघन करना, करना न मानना
उल्लेखनीय, उल्लेख्य-सं० (वि०) 1 उल्लेख करने योग्य उलार-(वि०) भार के कारण एक ओर झुका हुआ 2 कथनीय उलाहना-I (पु०) शिकायत, उपालंभ II (स० क्रि०) दोष उल्लोल-सं० (पु.) लहर, हिलोर देना
उल्व-सं० (पु०) 1 गर्भस्थ शिशु पर लिपटे रहनेवाली झिल्ली, उलिचना-(अ० क्रि०). उलीचना (म० क्रि०) पानी बाहर
आँवल, जेर 2 गर्भाशय फेंकना
उषा-सं० (स्त्री०) 1 भोर 2 तड़का, अरुणोदय की लाली। उलूक-सं० (पु०) उल्लू
~काल (पु०) भोर का समय; पान (पु०) सुबह नाक उलूखल-सं० (पु०) 1 ओखली 2 खल, खरल
से बासी पानी पीना उलूम-अ० (पु०) बह० विद्याएँ, इल्म
उष्ट-सं० (पु०) ऊँट उलेढ़ना-(स० क्रि०) कपड़े के छोर को थोड़ा उलटकर तथा उष्ण-सं० (वि०) 1 गरम 2 गर्मी उत्पत्र करनेवाला 3 तीखा, अंदर करके सीना
तीक्ष्ण। -कटिबंध (पु०) पृथ्वी का वह क्षेत्र जो कर्क और उल्का-सं० (स्त्री०) 1 प्रकाश 2 टूटकर गिरनेवाला तारा, मकर रेखाओं के बीच में पड़ता है तथा जहाँ अत्यधिक गरमी पुच्छल तारा, 3 मशाल 4 लुआठी! चक्र (पू०) 1 दैवी पड़ती है; ता (स्त्री०) = उष्मा; ~देशीय (वि०) गर्म उत्पात 2 विध्न 3 हलचल 4 ज्योतिष में ग्रहों की एक विशेष | देश का प्रधान (वि०) (वह स्थान) जहाँ कई महीने गर्मी स्थिति; पिंड (पु०) उल्का पत्थर; ~पथ (पु०) तारों के रहती है टूटकर गिरने का मार्ग; पात (पु०) जलते तारे का टूटकर | उष्णांक-सं० (पु०) (विज्ञान) ताप की इकाई, केलौरी गिरना; ~पाती (वि०) उपद्रव करनेवाला, शरारती; उष्णा, उष्णिमा-सं० (स्त्री०) गरमी
पाषाण, पिंड (पु०) = उल्काश्म; ~वृष्टि (स्त्री०) उष्णीष-सं० (पु०) 1 पगड़ी, साफा 2 मुकट, ताज ' = उल्कापात;
उष्म-I सं० (पु०) = उष्मा II (वि०) उष्ण । ~गतिक उल्काश्म-सं० (पु०) आकाश से पत्थर के रूप में गिरा हुआ (वि०) गरमी की गति से संबद्ध; ~ज (पु०) पसीने आदि पिंड
से पैदा होनेवाले कीड़े (जैसे-मच्छर, खटमल आदि); उल्टा-(वि०) = उलटा
~रोधक (वि०)गरमी रोकनेवाला; ~रोषन (पु०) गरमी उल्था-सं० (पु०) भाषांतर, अनुवाद
रोकना उल्लंघन-सं० (पु०) 1 लाँघना 2 अवज्ञा करना 3 विरुद्ध उष्मा-सं० (स्त्री०) 1 गर्मी 2 धूप 3 ताप। ~गतिकी (स्त्री०) आचरण। ~कर्ता (पु०) अवज्ञा करनेवाला
गर्मी की गति का विज्ञान; ~स्वेद (पु०) भाप देकर वस्तु को उल्लंधित-सं० (वि०) 1 लाँघा हुआ 2 अवज्ञा किया हुआ तर करना 3 अतिक्रांत
उष्माघात-सं० (पु०) गरमी का ताव उल्लसन-सं० (पु०) हर्षित या उल्लसित होना
उमिक-सं० गर्मी का अहसास उल्लसित-सं० (वि०) 1 अतिप्रसन्न 2 चमकता हआ उस-(सर्व) 'वह' का वह रूप जो उसे विभक्ति लगने के पहले उल्लाप-सं० (पु०) 1 बहलाना 2 चापलूसी 3 चीख पुकार, प्राप्त होता है (जैसे-उसने, उसकी, उससे, उसमें आदि) आर्तनाद
उसकन-(पु०) = उबसन उल्लापक, उल्लापी-सं० (वि०) 1 उल्लाप करनेवाला उसकाना, उसकारना-(स० क्रि०) = उकसाना 2 खुशामदी, चाटुकार
उसनना-(स० क्रि०) = उबालना उल्लास-सं० (पु०) 1 खुशी, हर्ष 2 उमंग 3 चमक उसना-(पु०) उबालकर सुखाया गया चावल उल्लासक-सं० (वि०) खुशी देनेवाला
उसरना-(अ० क्रि०) 1ऊपर उठना 2 हटना 3 व्यतीत होना, उल्लासन-सं० (पु.) = उल्लासित
बीतना 4 बिसरना, भूलना उल्लासित-सं० (वि०) 1 हर्षित 2 प्रकाशित
उसारना-(स० क्रि०) ऊपर उठाना उल्लासी-सं० (वि०) उल्लासयुक्त
उसारा-(पु०) बरामदा उल्लिखित-सं० (वि०) 1 उल्लेख किया हुआ 2 लिखा हुआ। उसास-(स्त्री०) गहरी और लंबी साँस, उच्छवास 3 वर्णित
उसी-(सर्व) = उस ही, दे० उस उल्लू-I (पु.) एक प्रसिद्ध पक्षी जिसे दिन में दिखाई नहीं देता | उसीसा-(पु०) 1 सिरहाना 2 तक्रिया II (वि०) मूर्ख, निर्बुद्धि। ~का गोश्त खिलाना | उसूल-अ० (पु०) 1 सिद्धांत 2 नियम 1 बेवकूफ़ बनाना 2 वश में कर लेना; ~का पट्ठा निरा | उसूली-अ० (वि०) 1 उसूल का पालन करनेवाला 2 उसूल के मूर्ख बनाना 1 बेवकूफ़ बनाना 2 ठगना; बोलना | अनुसार उजड़ जाना, वीरान होना
उस्तरा-फा० (पु०) = उस्तुरा उल्लेख-सं० (पु०) 1 चर्चा 2 वर्णन 3 एक अर्थालंकार जिसमें | उस्ताद-I फ्रा० (पु०) 1गुरु 2 शिक्षक II (वि०) 1 प्रवीण
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उस्तादी
(स्त्री०) 1 गुरुआई 2 प्रवीणता, दक्षता
2 विज्ञ 3 चालाक उस्तादी-फ्रा० 3 चालाकी उस्तानी - फ्रा० + हिं० (स्त्री०) 1 गुरुआनी 2 शिक्षिका उस्तुरा-फ्रा० (पु०) बाल मूँड़ने का छुरा
उदा - अ० (पु० ) पद, स्थान उदेदार +फ्रा० (पु०) पदधारी, पदाधिकारी
- अ० ऊहूँ, नहीं, इन्कार सूचक शब्द
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ऊ
ऊँघ, ऊँघन - (स्त्री०) 1 नींद का झौंका, झपकी 2 आलस ऊँघना - (अ० क्रि०) 1 झपकी आना 2 नींद में झूमना ऊँच - (वि०) 1 ऊँचा 2 बड़ा 3 कुलीन । नीच (वि०) 1 बड़ा छोटा 2 ऊँची नीची जाति का; नीच का विचार कर अच्छा-बुरा सोच समझकर नीच सुनना अशोभनीय बातें सुनना
ऊँचा - (वि०) 1 अधिक बड़ा 2 ऊपर की ओर अधिक उठा हुआ 3 श्रेष्ठ 4 पद-प्रतिष्ठा में बड़ा 5 सम्मानित । नीचा (वि०) 1 ऊबड़-खाबड़ 2 भला-बुरा; नीचा सुनाना भला-बुरा कहना; ~सुनना केवल तीव्र ध्वनि सुनना, आधा बहरा होना; ऊँची दुकान फीका पकवान । नाम के अनुरूप गुण का न होना; ऊँची साँस लेना दुःख प्रकट करना ऊँचाई - (स्त्री०) 1 ऊँचा होना 2 बड़ाई ऊँचे- ( क्रि० वि० ) 1 ऊँचाई पर 2 ज़ोर से (ध्वनि) । नीचे पाँव पड़ना 1 कुमार्ग पर जाना 2 स्त्री का पथभ्रष्ट होना, ग़लती
करना
ऊँछना - (स० क्रि०) कंघी करना, बाल झाड़ना ऊँट - (पु०.) एक रेगिस्तानी पशु जो बोझा ढोने के काम आता है। तथा जिसपर सवारी भी की जाती है, उष्ट्र । वान + फ़ा० (पु० ) ऊँटवाला; (देखिये) ऊँट किस करवट बैठता है (देखिये) मामले का क्या परिणाम निकलता है; की चोरी नीचे-नीचे (झुके-झुके) न छिपाई जानेवाली बात को छिपाने की कोशिश के गले में बिल्ली असंगत और असाधारण बात; के मुँह में जीरा आवश्यकता से कम देना; ~ निगल जायें, दुम से हिचकियाँ बड़ी बड़ी बातें मज़े से कर जाना और छोटी में अटकना; मक्के को ही भागता है हर वस्तु अपने उद्गम को ही जाती है; रे ऊँट, तेरी कौन सी कल सीधी बेतुके आदमी की कोई बात उचित नहीं होती ऊँटनी - (स्त्री०) मादा ऊँट
ऊँड़ा - ( पु० ) 1 ऐसा बर्तन जिसमें रुपए पैसे रखकर ज़मीन में गाड़ दिया जाए 2 तहखाना
ऊँहूँ - ( क्रि० वि० ) 1 नहीं 2 कदापि नहीं ऊआबाई - I (वि०) 1 इधर उधर का 2 व्यर्थ II (स्त्री० ) निरर्थक बात
ऊकना - I. (अ० क्रि०) चूकना II (स० क्रि०) 1 उपेक्षा करना 2 भूलना 3 तपाना
ऊपर
ऊकार-सं० (पु०) 'ऊ' अक्षर की ध्वनि ऊकारांत - (वि०) (शब्द) 'ऊ' से अंत होनेवाला (जैसे उल्लू
बालू)
ऊख - (पु० ) गन्ना, ईख
ऊखल - (पु० ) ओखली में सिर देना जान बूझकर संकट मोल लेना
ऊजड़ - (वि०) उजाड़, उजड़ा हुआ
ऊटक- नाटक - I हिं०+सं० (पु० ) 1 दिखावटी किंतु महत्त्वहीन काम 2 अललटप्पू II (वि०) निरर्थक, बेकार ऊट-पटांग - (वि०) 1 बेढंगा 2 विसंगत
ऊड़ा - (पु० ) 1 कमी 2 टोटा, घाटा 3 नाश
ऊड़ी - (स्त्री०) 1 पनडुब्बी चिड़िया 2 लक्ष्य 3 एक प्रकार की चरखी 4 टेकुआ
ऊढ़-सं० (वि०) जिसका विवाह हुआ हो, विवाहित ऊढ़ा -सं० (स्त्री०) 1 विवाहिता नारी 2 पर-पुरुष से प्रेम करनेवाली स्त्री, परकीया नायिका
ऊत - (वि०) 1 बिना पुत्र का, निपूता, निःसंतान 2 उजड्ड, मूढ़ 3 उद्धत
ऊतक - (पु० ) 1 ताने-बाने की बुनावट वाली वस्तु, जालीदार रचना 2 रेशा 3 (प्राणिशास्त्र) तंतुसमूह, कोशिकाओं का बना अंग । ~ विज्ञान + सं० (पु०) जीव जंतुओं एवं वनस्पतियों के ऊतकों का अध्ययन
ऊति-सं० (स्त्री०) 1 सीने का काम, सिलाई 2 बुनावट 3 सीने की मज़दूरी 4 कृपा 5 कर्म की वासना ऊद - (पु० ) ऊदबिलाव (जंतु)
ऊद - अ० (पु० ) 1 अगर नामक वृक्ष 2 एक प्रकार का बाजा ऊदा - I (वि०) बैंगनी रंग का II ( पु० ) बैंगनी रंग का घोड़ा ऊधम - (पु० ) 1 हल्ला-गुल्ला, शोरगुल 2 उत्पात, उपद्रव ऊधमी - (वि०) ऊधम मचानेवाला
ऊधस-सं० (पु० ) गाय-भैंस का थन ऊन - (पु० ) भेड़ आदि के बाल
ऊन -सं० (वि०) कम, थोड़ा। ~ वाचक (वि०) कमी प्रकट करनेवाला (शब्द); ~ता (स्त्री०) कमी, त्रुटि ऊना- (वि० ) 1 कम, थोड़ा 2 अधूरा, अपूर्ण ऊनार्थवादी -सं० (वि०) = ऊनवाचक
-
ऊनी - (वि.) ऊन का बना हुआ (जैसे – ऊनी कंबल, ऊनी शाल)
ऊनी-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 कमी, न्यूनता 2 त्रुटि, दोष 3 उदासी
ऊपर- ( क्रि० वि०) 1 आकाश की ओर, ऊर्ध्व दिशा में 2 पृथ्वी के ऊपर 3 ऊँचे-तले 4 आधार पर, सहारे पर 5 पास सटकर ( जैसे तालाब के ठीक ऊपर मंदिर है) 6 उच्च कोटि या वर्ग में 7 पद एवं मर्यादा में ऊपर, श्रेष्ठ। ~का दिखावे का ~वाला (पु० ) ईश्वर; ~ ऊपर से प्रकट में; की आमदनी वेतन आदि बँधी आमदनी के अतिरिक्त आय की दोनों जाना दोनों आँखें फूंट जाना; की सांस और नीचे की नीचे रहना- स्तब्ध रहना; के लोग (पु०) अफ़सर लोग ~तले के आगे पीछे पैदा होने वाले; मढ़ना- दोष लगाना; ~लेना 1 सिर पर लेना 2 ज़िम्मे लेना; ~वाला भगवान्, ईश्वर ; ~ वालियाँ 1 चीलें 2 चुड़ैलें 3 परियाँ; ~से ऊँचाई
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साकत)
ऊपरी
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ऋग्वेदी से; होना 1 बड़ा होना 2 प्रधान होना
उध्योग-सं० 1 ऊपरी भाग 2 शरीर के ऊपर का अंग, सिर ऊपरी-(वि०) 1ऊपर का (जैसे-बादाम का ऊपरी छिलका, ऊर्ध्वाधर-सं० (ऊंचाई में) सीधा, खड़ा मकान का ऊपरी हिस्सा) 2 बाहरी, (जैसे- ऊपरी आदमी) उर्ध्वायन-सं० (पु०) स्वर्ग का मार्ग 3 अतिरिक्त (जैसे-ऊपरी आमदनी) 4 दिखावटी (जैसे- ऊर्धारोहण-सं० (पु०) 1ऊपर चढ़ना 2 मृत्यु ऊपरी शान-शौकत)
ऊध्वोन्मुख-सं० (वि०) 1ऊपर खुला हुआ 2 ऊपर उठा हुआ ऊब-(स्त्री०) 1 बेचैनी, विकलता 2 नीरसता, अरुचि ऊर्मि-सं० (स्त्री०) 1 छोटी लहर 2 प्रवाह, बहाव 3 वेग ऊबड़, ऊबड़-खाबड़-(वि०) 1ऊँचा-नीचा 2 टेढ़ा मेढा ऊर्मिका-सं० (स्त्री०) 1 तरंग 2 अँगूठी 3 असमतल
उर्मिमान, ऊर्मिल-सं० (वि०) लहरों से युक्त ऊबना-(अ० क्रि०) उकता जाना, जी भरना
ऊर्विका-सं० (स्त्री०) जाँघ की हड्डी ऊभ-चूभ-(स्त्री०) 1 डूबना उतराना 2 आशा और निराशा की ऊलजलूल-(वि०) 1ऊटपटांग, अंड बंड 2 विसंगत अवस्था
3 बेवकूफ, अशिष्ट । ~पना (पु०) अशिष्टता, बेवकूफ़ी ऊभा साँसी-(स्त्री०) 1 दम घुटना 2 घबराहट, विकलता | ऊषा-सं० (स्त्री०) 1 एक दिन चढ़ाने से पहले का वह समय ऊमस-(स्त्री०) हवा न चलने से होनेवाली भीषण गरमी जब अँधेरा रहने पर भी सूर्य की लाली दिखाई देती है, प्रभात ऊरु-सं० (पु०) जांघ रान | ~संधि (स्त्री०) जांघ का जोड़; 2 अरुणिमा। -काल (पु०) प्रातःकाल, सवेरा ~स्तंभ (पु०) जांघ अकड़ जाने का रोग
ऊष्म-सं० (पु०) 1 गरमी 2 ताप 3 संघषी ध्वनि श, ष, स, ह ऊर्ज-[सं० (वि०) 1 शक्तिशाली 2 बल देनेवाला II (पु०) ऊष्मण-(पु०) गरम करना 1 बल 2 वीर्य 3 उत्साह 4 बिजली की शक्ति । ~मान ऊष्म वर्ण-सं० (पु०) व्या० उच्चारण के विचार से श, ष, स (पु०) बिजली की गति प्रदान करनेवाली शक्ति जो ऊर्ज के | और ह अक्षर मान से नापी जाती है।
ऊष्मांक-सं० (पु०) ताप की इकाई, कैलौरी। ऊर्जन-सं० (पु०) 1ऊर्जा उत्पन्न करना 2 भड़काना, उत्तेजित ऊष्मा-सं० (स्त्री०) 1 गरमी, ताप 2 ग्रीष्म ऋतु। ~गतिकी करना
(स्त्री०) ऊष्मा और उससे सबंद्ध ऊर्जाओं की गतियों और ऊर्जमान-सं० (पु०) ऊर्जा नापने का मानक, वोल्टेज परिवर्तनों का अध्ययन ऊर्जमेघ-सं० (वि०) अत्यंत प्रतिभाशाली
ऊसर-I (पु०) अनुपजाऊ भूमि, बंजर II (वि०) जिसमें कुछ ऊर्जस्वल-सं० (वि०) = 1 ऊर्ज 2 ऊर्जस्वी
उत्पन्न न हो ऊर्जस्वित-सं० (वि०) ऊर्जा से युक्त
ऊह-(अ०) कष्ट एवं पीड़ासूचक ध्वनि, ओह ऊर्जस्वी-सं० (वि०) 1 तेजस्वी और बलवान् 2 प्रतापी | ऊह-सं० (पु०) 1 परिवर्तन 2 सुधार 3 तर्क-विर्तक 4 परीक्षण ऊर्जा-सं० (स्त्री०) 1 शक्ति, बल 2 काम करने में व्यय ऊहन-सं० (पु०) 1 तर्क-वितर्क करना 2 बदलना 3 सुधार
होनेवाली शक्ति। स्त्रोत (पु०) शक्ति का कारण-साधन करना ऊर्ण-सं० (पु०) 1ऊन 2 ऊनी वस्त्र । नाभ (पु०) मकड़ा ऊहा-सं० (स्त्री०) 1 अनुमान, कल्पना 2 तर्क-वितर्क, विचार ऊर्णा-सं० (स्त्री०) 1ऊन 2 भौंहों के मध्य की भौंरी ___ 3 बुद्धि, समझ ऊर्णाजिन-सं० (पु०) ऊनवाला चमड़ा, फ़र
ऊहात्मक-(वि०) 1विचारात्मक 2 काल्पनिक ऊर्ध-(वि०) = ऊर्ध्व
ऊहापोह-सं० (पु०) अनिश्चय की स्थिति में मन में उत्पन्न ऊर्ध्व-I सं० (वि०) 1 ऊपर की ओर गया हआ, उदग्र 2 ऊँचा | होनेवाला तर्क-वितर्क, विचार-द्वंद्ध . 3खड़ा (जैसे-ऊर्ध्व तल, ऊर्ध्व बाँस) II (क्रि० वि०)ऊपर ऊय-सं० (वि०) तर्क-वितर्क योग्य, ऊहनीय की ओर, ऊपर |~गति I (स्त्री०) 1ऊपर की ओर जाना 2 मुक्ति, मोक्ष II (वि०) जिसकी गति ऊपर की ओर हो; ~गमन (पु०) = ऊवारोह; ~गामी (वि०) 1ऊपर की ओर जानेवाला 2 ऊपर गया हुआ; दृष्टि, नेत्र (वि०) 1ऊपर की ओर देखनेवाला 2 महत्त्वाकांक्षी; देह (स्त्री०) सूक्ष्म शरीर; बार (पु०) ब्रह्मरंध; पुंड्र-(पु०) खड़ा तिलक; ~मंडल (पु०) वायुमंडल का ऊपरी भाग; ~मुख (वि०)जिसका मुख ऊपर की ओर हो; रेता I (वि०) I | ऋक्-(स्त्री०) 1 ऋचा 2 स्तुति, पूजा। संहिता (स्त्री०) वीर्यपात न होने देनेवाला, पूर्ण ब्रह्मचारी II (पु०) संन्यासी%B | ऋग्वेद
लोक (पु०) 1आकाश 2 स्वर्ग; ~वायु (स्त्री०) ऋकार-सं० (पु०) = ऋ स्वर और उसकी ध्वनि .. डकार; बिंदु (पु०) सिर के ऊपर का सबसे ऊंचा स्थान, ऋक्थ -सं० (पु०) 1 धन-संपत्ति, पूँजी 2 उत्तराधिकार में शीर्ष बिंदु: श्वास (पु०) 1 ऊपर की ओर जाने वाली साँस | मिलनेवाली जायदाद, दायधन । ~भागी (पु०) 2 मरने के समय साँस की वह गति जो अधिकतर ऊपर हो उत्तराधिकारी, वारिस जाती है
ऋक्ष-सं० (पु०) 1 भालू, रीछ 2 तारा, नक्षत्र 3 राशि उबंग-सं० (वि०) 1ऊपर की ओर जानेवाला 2 जो ऊपर की | ऋग्वेद-सं० (पु०) चारों वेदों में से एक और पहला वेद ओर गया हो 3 सीधा, खड़ा
ऋग्वेदी-सं० (वि०) 1ऋग्वेद का ज्ञाता 2 जिसके संस्कार
ऋ
नयम (वि०) 1 ऊपर की ओर जानेवाला 2 जो ऊपर की जावेदक चारों वेदों में से एक और पहला वेद
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ऋग्वेदीय 125
एंट्रेंस ऋग्वेद के अनुसार हों
ऋतु-सं० (पु०) 1 मौसम (ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत आदि) ऋग्वेदीय-सं० (वि०) ऋग्वेद का
2 मासिक धर्म । -काल (पु०) 1 उपयुक्त समय ऋचा-सं० (ली 7 में रचा हआ वेद मंत्र 2 स्तोत्र 2 रजोदर्शन पश्चात् गर्भधारण करने योग्य समय; ~गमन च्छ-(पु०) = ऋक्ष
(पु०) ऋतुकाल में स्त्री के पास जाना; चर्या (स्त्री०) ऋतु ऋजिमा-सं० (स्त्री०) सरलता
के अनुरूप आहार-विहार; दान (पु.) 1 ऋतुकाल के ऋजु-सं० (वि०) 1 सीधा (जैसे-ऋजु रेखा) 2 ईमानदार और उपरांत संतान की इच्छा से किया जानेवाला संभोग 2 गर्भाधान; सच्चा 3 अनुकूल 4 सरल । -करण (पु०) 1 सीधा करने नाथ, पति (पु०) वसंत; ~प्राप्त (वि०) की क्रिया 2 साफ करना; कारक (पु०) संज्ञादि का मूल 1 रजोदर्शन प्राप्त 2 जो फल देने योग्य हो गया हो; ~फल शाब्दिक रूप; ~ता (स्त्री०) 1सरलता 2 सीधापन (पु०) विभिन्न एवं विशिष्ट ऋतु में होनेवाला फल; ~मती 3 सच्चाई; नीति (स्त्री०) सदाचार; विचारण (पु०, (स्त्री०) रजस्वला; ~राज (पु०) वसंत ऋतु: रोध वाद की ठीक सुनवाई
(पु०) मासिक धर्म बंद हो जाना; विज्ञान (पु०) ऋण-सं० (पु०) 1 कर्ज, उधार लिया गया धन 2 वह जिसका वायुमंडल में होनेवाले परिवर्तनों का विज्ञान जिसके आधार पर दायित्व किसी पर हो (जैसे- देव ऋण, पितृ ऋण) 3 किया वर्षा, आँधी आदि का अनुमान लगाया जाता है, मौसम विज्ञान; गया उपकार, एहसान 4 ग० घटाने का निशान (-) । विज्ञानी (पु०) ऋतु विज्ञान को जाननेवाला; विपर्यय
~कर्ता (वि०) कर्ज लेनेवाला; ~ग्रस्त (वि०) कर्ज़ में (पु०) ऋतु के विपरीत होना (जैसे- गरमी में सरदी या सरदी फँसा हुआ; ~प्रस्तता (स्त्री०) ऋणग्रस्त होने की अवस्था; में गरमी पड़ना); ~शास्त्र (पु०) ऋतु विज्ञान; सूचक
~ग्रह, ~ग्राही (पु०) = ऋणकर्ता; छोर हिं० (पु०) (वि०) मौसम की सूचना देनेवाला; स्नान (पु०) विज्ञान विद्युत ऊर्जा में ऋण आवेश (जैसे-बैटरी का ऋण रजोदर्शन के पश्चात चौथे दिन किया जानेवाला स्नान; छोर); ~त्रय (पु०) तीनों ऋण (पितृऋण, ऋषि ऋण, देव स्राव (पु०) मासिक धर्म, रजस्राव ऋण) दाता (वि०) ऋण देनेवाला; दान (पु०) = ऋत्विज-सं० (पु.) यज्ञ करानेवाला ऋण परिशोध; दास (पु०) ऋण के बदले बनाया गया ऋद्ध-सं० (वि०) संपन्न, समृद्ध दास; देयता (स्त्री०) ऋण चुकाना; ~ध्रुव (पु०) ऋद्धि-सं० (स्त्री०) 1संपन्नता 2 सफलता 3 लक्ष्मी 4 गौरव नेगेटिव पोल; ~पक्ष (पु०) बही खाते, लेखे आदि में वह 5 सिद्धि । -काम (वि) समृद्धि की इच्छा करनेवाला; पक्ष जिसमें दी गई वस्तु एवं रकम का तिथि अनुसार ब्यौरा -सिद्धि (स्त्री०) 1 धन दौलत एवं सफलता 2 हर तरह का दिया जाता है; ~पत्र (पु०) ऐसा पत्र जिसपर ऋण देने तथा लेने की शर्ते लिखी हो, रुक्का, बांड; ~परिशोध (पु०) ऋषभ-I सं० (पु०) 1 बैल 2 नर पशु 3 संगीत के सात स्वरों कर्ज चुकाना; पूँजी (स्त्री०) उधार की रकम; ~भार में से दूसरा 4 बल एवं वीर्य बढ़ानेवाली एक जड़ी II (वि०) (पु०) उधार का बोझ; ~भुगतान +हिं० = ऋण परिशोध; श्रेष्ठ (जैसे-नरर्षभ) ~मुक्त (वि०) जिसने कर्जा चुका दिया हो ~मुक्ति ऋतभी-सं० (स्त्री०) 1 गाय 2 विधवा 3 ऐसी स्त्री जिसमें पुरुष (स्त्री०) कर्ज़ अदायगी; मोचन (पु०) = ऋण परिशोध; ___ का सा रंग ढंग हो, मर्दानी औरत ~लेख्य (पु०) = ऋण पत्र; विद्युत (पु०)विकर्षण ऋषि-सं० (पु०) 1 मुनि, मनीषी 2 मंत्रद्रष्टा । कल्प (वि०) करनेवाली बिजली; ~शुद्धि, ~शोधन (पु०) = ऋण ऋषितुल्य; ~कुल (पु०) गुरुकुल चुकाना, ऋण परिशोध; ~शोधनाक्षम (पु०) ऋण चुकाने | ऋष्टि-सं० (स्त्री०) 1 तलवार 2 हथियार 3 चमक में असमर्थ, दिवालिया; ~स्थगन वह राज्याज्ञा जिसके अनुसार कर्जधारियों की कर्ज़ अदायगी कुछ समय के लिए स्थगित कर दें। ऋणाप्र-सं० (पु०) = ऋण ध्रुव ऋणात्मक-सं० (वि०) 1ऋणरूप 2 नकारात्मक, अभावात्मक ऋणादान-सं० (पु०) 1कर्ज़ 2 ऋण वापस मिलना ऋणार्ण-सं० (पु०) कर्ज चुकाने के लिए लिया जानेवाला कर्ज ऋणी-सं०1 कर्ज लेनेवाला, कर्जदार 2 एहसानमंद, अनुगृहीत,
एंग्लो-इंडियन-अं० आंग्ल भारतीय (जन या भाषा) कृतज्ञ
ऐच-पंच-हिं० +फा० (पु०) घुमाव-फिराव, हेर-फेर ऋणेच्छुक-सं० (पु०) ऋण चाहनेवाला व्यक्ति
2 टेढ़ी-तिरछी चाल 3 उलझन ऋतंभर-सं० (वि०) सत्य को धारण एवं पालन करनेवाला
ऐचा-ताना (वि०) दे. ऐंचाताना ऋतंभरा-सं० (स्त्री०) सदा एकरस रहनेवाली सात्त्विक बुद्धि ऐचा-तानी-(स्त्री०) खींचा-तानी ऋत-I सं० (पु.) 1 मुक्ति, मोक्ष 2 सत्य 3 यज्ञ 4 कर्मों का एंटी एयरक्राफ्ट-अं० (पु०) हवामार वायुयान, विमान भेदी फल 5 निश्चित विधान II (वि०) 1 उज्जवल, दीप्त
एंटी एयर गन-अं० (पु०) हवामार तोप 2 पूजित 3 सच्चा। -धामा (वि०) सत्यस्वरूप; ~वादी
एंटीबायोटिक-I अं० (वि०) प्रतिजैविक II (पु०) (वि०) सत्य बोलनेवाला, सत्यवादी
प्रतिजैविक औषध ऋति-सं० (स्त्री०) 1 कष्ट 2 निंदा 3 स्पर्धा
एंट्रेस-अं० (पु०) प्रवेश
वैभव
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126
एक
ऐ-(सी०) = एड हा-औड़ा-(वि०) उलटा-सीधा डी-I (स्त्री०) पैर की एड़ी II (स्त्री०) अंडी या रेड़ के पत्ते खानेवाला एक प्रकार का रेशम का कीड़ा
आ-(पु०) कुंडली, गेंडुरी एंपरर-अं० (पु०) सम्राट् एंपायर-अं० (पु०) साम्राज्य एंप्रेस-अं० (स्त्री०) सम्राज्ञी, महारानी एंबुलेंस-अं० (पु०) 1 युद्ध क्षेत्र का अस्पताल जिसे |
आवश्यकतानुसार दूसरी जगह ले जाया जा सके, मैदानी चिकित्सालय 2 घायलों एवं बीमारों को लिटाकर अस्पताल ले
जाने की गाड़ी। ~कार (स्त्री०) एंबुलेंस की लारी एकंग-(वि०) अकेला एकंगा-(वि०) एक तरफ का, एक ओर का एकत-(वि०) = एकांत एक-सं० (पु०/वि०) 1 पहले अंक से सूचित, इकाई से सचित
2 दो का आधा 3 अकेला (जैसे- वह अपने माता-पिता को एक मात्र संतान है) 4 बेजोड़ 5 कोई (जैसे-एक किताब दो) 6 एक भी (जैसे-इसे एक रुपया मत देना)। ~आध (वि०) बिरला, कोई-कोई; कलम +अ० (क्रि० वि०) 1 पूरी तरह से 2 एक दम से, एक बारगी; ~कालिक,
~कालीन (वि०) एक समय का, एक ही बार घटित होनेवाला; ~कोशी (वि०) एक ही कोश का बना हुआ;
क्रयण (पु.) एक ही व्यक्ति का खरीद अधिकार; ~गाछी (स्त्री०) एक ही पेड़ के तने से बनाई गई नाव;
चक्र I (पु०) 1 एक पहिए वाला रथ 2 सूर्य II (वि०) 1 एक पहिए वाला 2 चक्रवर्ती; चक्री (स्त्री०) एक पहिए वाली गाड़ी; चर (वि०) 1 अकेले घूमनेवाला 2 एकाकी रहनेवाला; ~चारिणी (स्त्री०) एक ही पुरुष से संबंध रखनेवाली स्त्री; -चित्त (वि०) 1 एकाग्र 2 एक मन के, एक विचार के; छत्र (वि०) जिसमें दूसरे शासक का अधिकार न हो, एकतंत्र; छत्राधिपत्य (पु०) एकतंत्र राज्य, एक का स्वामित्व; ~ज I (०) सगा भाई II (वि०) 1 अकेले पैदा होनेवाला 2 एक ही; ज़बान +फा० (वि०) 1 एक मत 2 एक वाक्य; ~जा (स्त्री०) सगी बहन; जात (वि०) एक ही माता-पिता से उत्पन्न, सहोदर; जाति (वि०) एक ही जाति एवं वंश का; ~जान +फा० (वि०) एक दिल, अभिन्न हृदय; ~जीव (वि०) 1 एक रूप 2 अभिन्न; जुट (वि०) मिले हुए; -जुटता (स्त्री०) मिलाप; ~टैंगा +हिं० (वि०) 1 एक पैर वाला 2 लंगड़ा स्टक +हिं० (वि०/क्रि० वि०) बिना पलक गिराए; ~टकी +हिं० (स्त्री०) एकटक देखने की क्रिया; डाल +हिं० (वि०) 1 एक ही तरह के 2 एक टुकड़े का बना हुआ; ~तंत्र I (वि०) जहाँ शासन एवं शक्ति एक व्यक्ति के अधिकार में हो II (पु०) ऐसा शासन जिसमें एक ही व्यक्ति के आदेश पर शासन चलता है, तानाशाही; --तंत्रवाद, (पु०) जिस शासन में एक ही शासक द्वारा शासन व्यवस्था एवं उसकी संचालन प्रक्रिया को चलाने का सिद्धांत एवं नियम हो; तंत्रवादी (वि०) एकतंत्रवाद का समर्थक; -तंत्रीय (वि०) = एक-तंत्र; तरफ़ा +फ़ा० (वि०) एक ही पक्ष का, एक ही पक्ष से संबंध
रखनेवाला; तल्ला +हिं० (वि०) एक कोठे का; ता (स्त्री०) 1 एक होने की अवस्था 2 एका, मेल-जोल 3समानता; तान (वि.) 1 एक ही विषय का ध्यान रखनेवाला, एक चित्त 2 तन्मय, लीन; ताबद्ध (वि०) एक में ही बैंघे हए: तार (क्रि० वि०) लगातार; तारा +हिं० (पु.) एक तार का बाजा, इकतारा; ताल (पु०) सुर और ताल युक्त; ता-वाद (पु०) वह सिद्धांत जो सभी को एकमय या एकबद्ध रहने का प्रतिपादन करे; ता-वादी (वि०) एकतावाद को माननेवाला; तीस +हिं० (वि०) तीस और एक; तत्त्ववाद (पु०) यह मत कि मूल तत्व केवल एक है; एकत्व (पु०) एकता; दम +फा० (क्रि० वि०) 1 तुरंत 2 बिलकुल; दलवाद (पु०) यह मत कि एक ही राजनीतिक दल होना चहिए; दलीय (वि०) एक ही दल का दिल +फ़ा० (वि०) 1 एकचित्त 2 एक विचार के 3 अभिन्न; -दिली. फा० समान विचारों का होना; ~ दलीय (वि०) एक ही दल का; देशी, देशीय (वि०) 1 एक ही देश का 2 सर्वत्र न होनेवाला 3 एकपक्षीय; ~धर्मा, ~धर्मी (वि०) समान धर्म एवं समान गुणवाला; नयन I (वि०) एक आँखवाला II (पु०) कौआ; नाम समान नामवाले; ~निष्ठ (वि०) एक पर ही श्रद्धा एवं आस्था रखनेवाला, अनन्योपासक; निष्ठा (स्त्री०) 1 एक निष्ठता 2 अनन्यता 3 वफ़ादारी; ~पक्षी, पक्षीय (वि०) एक तरफ़ा; पत्नी (स्त्री०) पतिव्रता नारी; -पत्नी व्रत (पु०) केवल पत्नी के प्रति ही प्रेम करनेवाला व्यक्ति;
~पद (वि.) = एकटैंगा; -पदी I (वि०) एक पदवाला, एक चरण वाला (पद्य, छंद); ~पाश्विक (वि०) 1 पक्ष का 2 एक पहलू का; ~प्रकारीय (वि०) एक तरह का;
प्रणलिक (वि०) एक प्रणाली, विधि का; ~प्राण (वि०) एक दिल, एक जान; ~फसला +फ़ा० (वि०) वर्ष में एक ही बार फ़सल देनेवाला -बद्ध (वि०) एक में बँधा; -बारगी +फा० (क्रि० वि०) 1 एक-साथ 2 अचानक; ~भाव (वि०) 1 एक भाव का, समान मूल्य का 2 एक निष्ठ; ~भुक्त (वि०) एक बार भोजन करनेवाला;
~मंजिला +अ० (वि०) एक तल्लेवाला; ~मत (वि०) समान मत, समान विचार रखनेवाले; --महला +अ = एक मंज़िला; ~मात्र (वि०) केवल एक (जैसे- एकमात्र संतान); ~मात्रिक (वि०) एक मात्रावाला; ~मुख, ~मुखी (वि०) 1 एक ही लक्ष्य की ओर प्रवृत्त 2 एक ही दरवाज़े वाला (मकान) 3 एक मुँह वाला; मुश्त +फ़ा० एक-साथ, इकट्ठा; योनि (वि०) = एकजात; रंग (वि०) 1 एक रंगवाला 2 एक सा (जैसे- स्वभाव में दोनों मित्र एकरंग के हैं); ~रक्तीय (वि.) समान खूनवाले;
~रस (वि०) 1 एक ही तरह का, एक जैसा 2 जो घुलमिलकर एक हो गया हो; शट् (पु०). एक ही राजा;
राष्ट्रीयता (स्त्री०) एक राष्ट्र के निवासी; ~रूप (वि०) 1 समान रूपवाला 2 सदा एक सा बना रहनेवाला, विकार-रहित; ~रूपता समरूपता, अभिन्नता; -लिंगी (वि०) किसी एक लिंग से युक्त होनेवाला; ~लौता +हिं० (वि०) अकेला (जैसे-माँ-बाप का इकलौता बेटा); ~वचन I (पु०) एक का वाचक शब्द II (वि०) एक का
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एक
वाचक वर्ण (वि०) 1 रंगवाला 2 एक जाति का 3 एकरूप वर्षी (वि०) एक ही वर्ष तक रहनेवाला; वाक्य (वि०) एकराय वाक्यता (स्त्री० ) ऐकमत्य; ~विवाह (पु०) वह सामाजिक प्रथा जिसमें एक समय में एक ही के साथ विवाह करने का अधिकार हो; वेणी (स्त्री०) 1 चोटी, जूड़ा 2 जूड़ा, चोटी बाँधने वाली स्त्री; ~शन (वि०) जिसका प्रत्येक खुर पूरा हो; शरीर (वि०) = एक रक्तीय; श्रुतधर (वि०) एक ही बार सुनकर याद कर लेनेवाला; ~सठ I साठ और एक II (पु० ) 61 की संख्या; सत्ताक (वि०) = एकतंत्र; ~सत्तावाद (पु० ) यह मत कि सत्ता ही प्रधान ~ सदनात्मक, ~सदनी (वि०) जिसमें एक ही विधायक सभा हो; समान (वि०) एक तरह का साथ + हिं०, ~ सार्थ ( क्रि० वि०) 1 एक साथ 2 एक जमात में; सुरा + हिं॰ लगातार एक ही स्वर उत्पन्न करनेवाला; सूत्र (वि०)
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1 एक सूत्र का 2 एकरूप, एकजान 3 एक साथ लगा हुआ; ~सूत्रता (स्त्री०) एकरूपता हत्था + हिं० (वि०) एक हाथवाला; अनार सौ बीमार थोड़ी वस्तु के बहुत चाहनेवाले; आँख न भाना ज़रा भी पसंद न करना; ~आँख से सबको देखना समान व्यवहार करना; एक के दस दस करना अत्यधिक लाभ कमाना; एक के दो दो करना समय बिताना, दिन काटना और एक ग्यारह होते हैं मिलकर काम करने से शक्ति बढ़ जाती है; की चार लगाना 1 बढ़ा चढ़ाकर कहना, शिकायत करना 2 भड़काना; के दस सुनाना एक कटुवचन के बदले अनेक कटुवचन कहना; चना भाड़ नहीं फोड़ सकता एक व्यक्ति के द्वारा काम नहीं हो सकता; चने की दाल 1 हर बात में बराबर 2 सगे भाई जान दो क़ालिब घनिष्ठ मित्र, इकजान (पक्के) दोस्त; जान हज़ार गम या मुसीबतें एक ही व्यक्ति को अनेक चिताएं: तवे की रोटी क्या मोटी क्या छोटी परिवार के सभी लोग एक समान; ~ थैली के चट्टे-बट्टे दोनो में कुछ भी अंतर नहीं; पंथ दो काज 1 एक प्रयत्न से दो सफलताएं अर्जित करना 2 एक कार्य करते समय दूसरा कार्य भी हो जाना; पाँव भीतर, एक पाँव बाहर 1 एक जगह न ठहर सकना 2 यहाँ-वहाँ. इधर-उधर आते-जाते रहना पाँव से खड़े करना 1 आज्ञा की प्रतीक्षा में खड़ा रहना 2 ताबेदारी बजाना; लाठी से सबको हाँकना सबके साथ समान व्यवहार करना; से दो होना शादी होना; ~ हत्था करना एकाधिकार करना एकक -सं० (पु० ) इकाई, यूनिट एकज़ीक्यूटिव - अं० (वि०) अधिशासी
एकड़ - अं० ( पु० ) 32 बिस्वे की नाप, 4840 गज़ एकेडमी - अ० (स्त्री०) सँस्था (जैसे- विज्ञान एकेडमी, साहित्य एकेडमी आदि)
एकत: - (अ० ) 1 एक ओर से 2 एक ही प्रकार 3 एक जगह एकतालीस - I (वि०) चालीस और एक II (पु०) 41 की संख्या, इकतालीस
एकत्र -सं० ( क्रि० वि० ) इकट्ठा
एकत्रित - सं० (वि०) इकट्ठा किया हुआ एकत्रीकरण-सं० (वि० ) इकट्ठा करना
एकत्रीभूत-सं० (वि०) इकट्ठा हुआ हुआ एकत्व-सं० (वि०) एकता
एक-ब-एक-फ़ा० (अ०) अचानक, यकायक एकबारगी - ( क्रि० वि०) 1 एक ही बार में 2 बिलकुल एकमेक-सं० (वि०) जो मिलकर एक हो गया हो एक रुखा हिं० [फा० हिं० (वि)
वाला 2 एक तरफ
3 एक चश्म
एकल - (वि०) अकेला एकसाँ, एकसार - फ़ा० (वि०) एकसाला-फ़ा० (वि०)
एकाग्र
= एक समान एक वर्षी
एकस्व -सं० (पु० ) एकमात्र अधिकार, एकाधिकार । पत्र (पु०) एकाधिकार देने का प्रमाण पत्र
एकहत्तर - I ( वि०) सत्तर और एक II ( पु० ) 71 की संख्या एकहरा - (वि०) एक परतवाला
एकांकी - I सं० (वि०) एक अंकवाला II (पु० ) एक अंक
का नाटक
एकांग-सं० (वि०) 1 एक अंगवाला 2 विकलांग । धात (पु०) लकवा (रोग) जिसमें एक अंग निष्क्रिय हो जाता है; ~वध (पु० ) एक अंग काट देने का दंड एकांगी, एकांगीय-सं० (वि०) 1 = एकांग 2 एकपक्षीय 3 सीमित
एकांत - I सं० (वि०) 1 अकेला 2 अलग 3 निर्जन II ( पु० ) निर्जन स्थान | - कैवल्य (पु० ) जीवनमुक्ति; प्रिय (वि०), वास (पु० ) एकांत स्थान में रहना वासी (वि०) एकांत में रहनेवाला; -स्वरूप (वि०) निर्लिप्त,
असंग
एकांतर, एकांतरिक-सं० (वि०) 1 एक के बाद आनेवाला 2 एक का अंतर देकर होनेवाला एकांतिक सं० (वि०) एकदेशीय एकांती-सं० (पु०) एकांत में भजन करनेवाला एवं साधना करनेवाला योगी
एकांश सं० (पु० ) 1 छोटी इकाई 2 मद 3 परीक्षण का प्रत्येक
प्रश्न
एका - (स्त्री०) एकता, मेल
एकाएक - ( क्रि० वि०) अचानक एकहम एकाऊंट-अं० (पु०) अकाउंट, लेखा, हिसाब | बुक (स्त्री०) लेखा बही
एकाउंटेंट-अं० (पु०) अकाउंटेंट, लेखाकार एकाएक फा० ( क्रि० वि०) अचानक, सहसा एकाकारसं० (वि०) : एक ही आकार का, समरूप 2 जो मिलकर एक हुआ हो, तन्मय
एकाकी -सं० (वि०) अकेला
एकाक्ष-सं० (वि०) 1 एक आँखवाला, काना 2 एक हो अक्ष पर घूमनेवाला
(वि०) एक अक्षरवाला
एकाक्षर, एकाक्षरीय-सं० (जैसे-घर, आय, स्रोत) एकाग्र - सं० (वि०) 1 एक ही विषय में ध्यान लगानेवाला, तल्लीन 2 अचंचल । चित्त (वि०) स्थिरचित्त; ~ता (स्त्री०) एकाग्र होने का भाव; दृष्टि (वि०) एकटक देखनेवाला; ~ -भूमि (स्त्री०) चित्त की एकाग्र अवस्था
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एकात्म
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एतदर्थ
। माना
एकात्म-स० (वि०) जो मिलकर एक हो गया हो, अभित्र | एक्का -I (वि०) 1 अकेला 2 बेजोड़ II (पु०) घोड़े जुते हुए
(जैसे- भावना, निष्ठा)। वाद (पु०) अद्वैतवाद, दो पहियोंवाली गाड़ी, घुड़गाड़ी 3 ताश का इक्का ।~दुक्का यह मत कि आत्मा और परमात्मा एक है, आत्मा एक ही है और (वि०) अकेला-दुकेला; ~बान (वान्) + फ़ा० (पु०) ये अनेक आत्माएँ उसी की अभिव्यक्तियां है।
एक्का हाँकनेवाला; बानी वानी +फ़ा० (स्त्री०) इक्का एकात्मक-सं० (वि०) तन्मय । ता (स्त्री०) 1 तादात्मय, चलाना तदूपत 2 समानता
एक्की -(स्त्री०) 1 ताश की एक्की 2 बैल की एकात्मिक-सं० (वि०) अभिन्न
गाड़ी एकात्मीकरण-सं० (वि०) एकीकरण
एक्ट-अं० (पु.) अधिनियम एकात्वीकृत-सं० (वि०) एकीकृत
एक्टर-अं० (पु०) नायक, अभिनेता एकादशाह-सं० (पु०) मृत्यु पश्चात् ग्यारहवें दिनवाला एक्टिंग-अं० (स्त्री०) अभिनय कर्मकांड
एक्ट्रेस-अं० (स्त्री०) नायिका, अभिनेत्री एकादशी-सं० (स्त्री०) चन्द्र मास की ग्यारहवीं तिथि एक्य-सं० (पु०) = ऐक्य एकाध-(वि०) गिनती में बहुत कम, एक आध
एक्सपोज़िशन-अं० (पु०) प्रतिपादन, प्रदर्शनी एकाधिक-सं० (वि.) एक से अधिक, अनेक
एक्सपोर्ट-अं० (पु०) बाहर भेजना, निर्यात एकाधिकार-सं० (पु०) 1 एक ही व्यक्ति या संस्था का एक्सप्रेस-अं० (स्त्री०) अभिव्यक्त करना
अधिकार 2 एकाधिपत्य एकाधिकारी (वि०) एक्स-रे-अं० (पु०) किरण जिसके सहारे शरीर के भीतर चित्र एकाधिकार रखनेवाला
लिये जा सकते हैं एकधिकृत-सं० (वि०) एकधिकार प्राप्त
एक्साइज़-अं० (पु०) उत्पादन शुल्क, उत्पादन कर एकाधिप, एकाधिपति-सं० (पु०) देश पर एक छत्र राज्य एक्स-सर्विसमैन-अं० (पु०) भूतपूर्व कर्मचारी, अवकाशप्राप्त करने वाला, अकेला स्वामी
कर्मचारी एकाधिपत्य-सं० (पु०) एक व्यक्ति का प्रभुत्व या स्वामित्व एप्रोनोमिक-अं० (वि०) सस्यवैज्ञानिक एकान्विति-सं० (स्त्री०) एकमेक हो जाना, एकत्व एप्रोनोमिस्ट-अं० (पु०) सस्यविज्ञानी एकायन-I सं० (वि०) एकाग्र, ध्यानमग्न II (पु०) पगडंडी | एजिटेटर-अं० (पु०) आंदोलनकर्ता एकार-सं० (पु०) 'ए' अक्षर
एजेंट-अं० (पु०) 1 प्रतिनिधि के रूप में काम करनेवाला एकार्थ, एकार्थक-सं० (वि०) 1 समान अर्थ वाला 2 एक ही व्यक्ति, अभिकती 2 कमीशन पर माल बेचनेवाला अर्थवाला
एजेंसी-अं० (स्त्री०) एजेंट का पद एवं कार्य तथा स्थान, एकालाप-सं० (पु०) एक ही व्यक्ति या पात्र का बोलते जाना अभिकरण एकावली-सं० (स्त्री०) 1 एक लड़ी की माला 2 (अलंकार) एटम-अं० परमाणु, एटम। -चालित +सं० एटम से एक बात की स्थापना या निषेध करते हुए क्रमशः बातों की चलनेवाला; बम (पु०) परमाणु बम गोला; लड़ी
एटमिक, एटमी-अं० हिं० (वि०) परमाण्विक, परमाण्वीय एकाह, एकाहिक-[ सं० (वि०) एक दिन में होनेवाला, एटरनी-अं० (पु०) प्रतिनिधि, वकील
दैनिक II (पु०) 1 एक दिन का समय 2 एक दिन में एटैची-अं० (पु०) छोटा सूटकेस चलनेवाला यज्ञ
एड-(स्त्री०) पैर के तलवे का उभरा हुआ भाग, एड़ी। ~ एकाहार-सं० (पु०) केवल एक चीज़ खाकर रहने का व्रत देना, ~ लगाना 1 घोड़े को आगे बढ़ने के लिए एड़ मारना एकीकरण-सं० (पु०) दो या दो से अधिक वस्तुओं को 2 आघात पहुंचाना मिलाकर एकरूप देना
एडमिरल-अं० (पु०) प्रधान नवाधिकारी एकीकृत-सं० (वि०) मिलाकर एक रूप किया हआ एडवांस-अं० (पु०) अग्रिम एकीभवन, एकीभाव-सं० (पु०) पूर्णतः मिल जाना एडवोकेट-अं० (पु०) वकील, अधिवक्ता एकीभूत-सं० (वि०) 1 जो मिलकर एक हुआ हो 2 एकत्र एडिकांग-अं० (पु०) ए डी सी, परिसहायक एकेश्वरवाद-सं० (पु०) यह मत कि जगत् का स्रष्टा एवं | एडिटर-अं० (पु०) संपादक संहारक एक ही है
एडी-(स्त्री०) पैर के तलवे का पीछे का उभरा भाग। चोटी एकेश्वरवादी-सं० (वि०) एकेश्वरवाद को माननेवाला का पसीना एक करना अत्यधिक परिश्रम करना; ~एड़ी एकोऽहं-मै एक ही हूँ, मै ब्रह्म हूँ
से चोटी तक सिर से पैर तक; एड़ियाँ रगड़ना, ~घिसना एकैक संबंध-सं०(पु.) एक वस्तु का केवल एक अन्य वस्तु 1 अत्यधिक कष्ट झेलना 2 बहत श्रम करना। से संबंध
| ए० डी० सी०-अं० (पु०) अंगरक्षक एकोतरसौ-I (वि०) एक सौ एक II (पु०) 101 की संख्या | एड्रेस-अं (स्त्री०) पता, सम्पर्क सूत्र एकोत्तर-सं० (वि०) एक अधिक (जैसे सात से आठ) एडेसी-अं० (पु०) पावती एकोद्दिष्ट-सं० (पु०) एक प्रकार का श्राद्ध जो प्रति वर्ष किया एतकाद-अ० (पु०) = एतबार, विश्वास जाता है
एतत्पूर्व-सं० (क्रि० वि०) इससे पहले एकोन्मुख-सं० (वि०) एक की ओर झुका हुआ एतदर्थ-सं० (अ०) 1 इसके लिए 2 इस कारण, इसलिए
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एतदवधि
एतदवधि - सं० ( क्रि० वि०) 1 इस अवधि तक, यहाँ तक 2 अब तक
एतदाल - अ० (पु० ) 1 समान अवस्था 2 मध्य स्थिति । पसंद (वि०) 1 मध्यम मार्ग का अनुसरण करनेवाला
2 नरम दल का
एतद्देशीय सं० (वि०) इस देश का एतद्वारा सं० इसके माध्यम से
एतद्विषयक - (वि० ) इस विषय से संबंद्ध
एतबार - अ० (पु० ) 1 विश्वास 2 भरोसा 3 यकीन । ~उठना 1 विश्वास खत्म होना 2 भरोसा न होना
एतबारी - अ० (वि०) विश्वसनीय, भरोसेमंद एतमाद- अ० (पु०) विश्वास
एतराज - अ० (पु० ) 1 आपत्ति 2 दोष निकालना एतवार - (पु० ) रविवार
एतादृश-सं० (वि०) ऐसा, इस प्रकार का । ~ता (स्त्री०)
एतादृशी-सं० (वि०) = एतादृश
एतावत् सं० (वि०) इतना
एथलीट अं० (पु० ) 1 खिलाड़ी 2 व्यायामी एथलेटिक अं० (वि०) कसरती, व्यायामी एनामेल-अं० (पु० ) लोहे आदि पर चढ़ाए जानेवाला रंग, लेप एनीमा - अं० (पु० ) चि० वस्तिकर्म । यंत्र + सं० ( पु० ) वस्तियंत्र
एनीलाइन-अं० (पु०) कोलतार का एक उत्पाद एपरेटस - अं० ( पु० ) उपकरण
एपेंडिसाइटिस - अं० (पु०) चि० उंडुकपच्छ शोथ एप्रिन - अं० (स्त्री०) उपरिवस्त्र, पल्ला
एप्लीकेशन- फ़ार्म-अं० (पु० ) आवेदन पत्र एबार्शन - अं० ( पु० ) गर्भपात
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एम्बुलेंस-अं० (५०) एंबुलेंस एयर-अं० (पु० ) हवा, वायु। कंडीशंड (वि०) वातानुकूल, वातानुकूलित; ~कंडीशन ( पु० ), एयरकंडीशनिंग वातानुकूलन, कंडीशनर (पु०) वातानुकूलित; क्राफ्ट (पु०) वायुयान, हवाई जहाज़; क्राफ्ट कैरियर (पु० ) वायुयान- वाहक; न (स्त्री०) हवाई बंदूक; पोर्ट (पु०) हवाई अड्डा; प्रूफ़ (वि०) वायुरोधी; ~फ़ील्ड (पु०) विमानक्षेत्र, हवाई मैदान; ~फोर्स (पु० ) हवाई फ़ौज, वायुसेना मेल (पु०) हवाई डाक; ~लिफ्ट (पु०) विमान उत्थापक; ~शिप ( पु० )
हो
एलाट-अं० (स० क्रि०) 1 नियत करना 2 बाँटना एलान- अ० (पु० ) घोषणा । नामा + फ़ो० (पु० ) घोषणा-पत्र एलानिया - अ० (पु० ) एलानेजंग - अ० + फ़ा० ( पु० ) एलायची- (स्त्री०) इलायची
घोषणा के रूप में, खुले-आम युद्ध की घोषणा
एलार्म - अं० (पु० ) 1 ख़तरा 2 ख़तरे की घंटी बेल (स्त्री०) ख़तरे की घंटी
एरंड - सं० (पु०) रेंड़, रेंड़ी एरियल - अं० (पु० ) आकाशी
एलकोहल -अं० (पु० ) शराब आदि में प्रयुक्त किए जानेवाला
मादक द्रव्य
एलची - तु० (पु० ) 1 राजदूत 2 दूत एला-सं० (स्त्री०) 1 इलायची 2 बनरीठा
एलोपैथ - अं० (पु० ) डाक्टर (अंग्रेज़ी चिकित्सा पद्धति ) एलोपैथी - अं० (स्त्री०) पाश्चात्य चिकित्सा पद्धति, डाक्टरी एल्डरमैन - अं० (पु० ) पौर मुख्य, नगर वृद्ध
एवं सं० ( क्रि० वि०) ऐसा ही, इसी प्रकार। ~विध (वि०) इस प्रकार का
एवज़ - अ० (पु० ) 1 प्रतिफल, बदले 2 प्रतिकार 3 स्थानापन्नता एवजी -अ० +फ़ा० (वि०) बदले में काम करनेवाला,
एमाल-अं० ( पु० ) ( बहुव०) कर्म
एमेच्योर - अं० (पु०) 1 शौकिया खिलाड़ी 2 अव्यवसायी एम्पियर - अं० (५०) विद्युद्धार की इकाई
एम्पिलफ़ायर - अं० (पु०) ध्वनि-वर्धक, आवाज़ गुंजानेवाला एस्पिरिन - अं० (पु० ) एक पीड़ाहारी दवा
यंत्र
एस्फाल्ट-अं० (स्त्री०) डामर
स्थानापन
एवमस्तु सं० ऐसा ही हो (आशीष या आकोक्षा) एवमेव सं० (अ०) ऐसा ही
एशियन, एशियाई - अं० + हिं०, एशियावासी - I अंo +सं० (पु० ) एशिया का निवासी II ( वि०) एशिया संबंधी एषणा-सं० (स्त्री०) 1 अभिलाषा 2 याचना एषणी -सं० (वि०) इच्छा करनेवाला, इच्छुक एषणीय, एष्य-सं० (वि०) इच्छा योग्य, काम्य एषा-सं० (स्त्री०) इच्छा
एषिता - सं० ( पु० ) चाहनेवाला एसिड-अं० (पु० ) अम्ल
एसेंबली - अं० (स्त्री०) सभा, परिषद्
एसेंस - अं० ( पु० ) 1 सार, सत्तः 2 इत्र 3 सुगंधि एसोसियेशन-अं० (पु० ) समिति, संगठन
एस्कीमो - अं० (पु० ) इस्कीमो टुंड्रा निवासी जो बर्फ में (के) घर बनाकर रहते हैं
एहतिमाम - अ० (१०) 1 प्रबंध, व्यवस्था 2 निगरानी एहतिमाली - अ० + फ़ा० (वि०) संदिग्ध, आशंकित एहतियात-अ (स्त्री०) 1 चौकसी, सावधानी 2 बचाव एहतियातन-अ० ( क्रि० वि०) 1 बचाव की दृष्टि से 2 सावधानी से
एहतियाती - अ० (वि०) बनाव संबंधी एहतिलाम-अ० (पु० ) स्वप्नदोष, स्वप्न में वीर्यपात एहसान-अ० (पु० ) 1 उपकार 2 कृतज्ञता । फ़रामोश + फ़ा० (वि०) उपकार को भूल जानेवाला, कृतघ्न; फ़रामोशी + फ़ा० (स्त्री०) कृतघ्नता: मंद (वि०) उपकार माननेवाला, कृतज्ञ करना- नेकी, भलाई करना; ~ उठाना किसी के एहसान का ऋण होना; जताना किए गए एहसान को याद दिलाना एहसास - अ० (पु० ) अनुभव, प्रतीति एह्ये - अ० हे, ऐ-संबोधन शब्द
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ऐ
पुनः
ऐं - अ० 1 अच्छी तरह से सुनी एवं समझी गई बात को कहने के लिए किया जानेवाला संबोधन (जैसे-ऐ, क्या कहा ) 2 आश्चर्य सूचक अव्यय (जैसे-ऐ ! क्या वह भी चला गया) ऐंच - (स्त्री०) खींचने की क्रिया ऐंचना - (स० क्रि०) खींचना ऐंचाताना - (वि०) भेंगा ऐंचातानी - (स्त्री०) खींचातानी ऐंचीला - (वि०) ताना जा सकनेवाला 2 लचीला ऐंटीवायोटिक -अं० (वि०/पु०) प्रतिजैविक (औषधि) ऐंटेना- अं० (पु० ) श्रृंगिका, आकाशी
ऐंठ - (स्त्री०) 1 ऐठन 2 मरोड़ 3 अकड़ 4 घमंड, शेखी।
ऐंठना - 1 (अ० क्रि०) 1 संकुचित होना 2 शेख़ी दिखलाना
Il (स० क्रि०) 1 मरोड़ना (जैसे-कान ऐठना) 2 झाँसा देना, धोखा देकर लेना (जैसे मुझे सीधा जानकर वह मुझसे सौ रुपए ऐंठ ले गया) । ऐंठ जाना 1 जिद करना 2 अकड़ना ऐंठवाना - (स०क्रि०) के काम में किसी अन्य को लगाना ऐंठू - (वि०) 1 घमंडी 2 दूसरों का माल ऐंठनेवाला, ठग ऐंड - ( पु० ) घमंड, शान दार (वि०) घमंडी ऐंड्रना - (अ० क्रि०) = ऐंठना
ऐंड्रा - (वि०) अकड़ा हुआ, एंठा हुआ ऐंड्राना - (अ० क्रि०) 1 इतराना 2 अँगड़ाना ऐंद्र - 1 सं० (वि०) इंद्र संबंधी II ( पु० ) इंद्र पुत्र ऐंद्रजालिक - सं० (वि०) जादूगर बाज़ीगर ऐंद्रिय, ऐंद्रियक - सं (वि०) 1 इंद्रिय संबंधी 2 जिसका ज्ञान इंद्रियों से हो, इंद्रियगोचर । ~ता (स्त्री०) इंद्रिय संभोग ऐंद्री - सं० (स्त्री० ) 1 इंद्र की पत्नी 2 दुर्गा ऐंधन - 1 सं० ( वि० ) ईंधन से उत्पन्न II (पु० ) सूर्य ऐंबुलेंस - अं. (पु० ) घायलों एवं मरीजों को अस्पताल पहुँचानेवाली गाड़ी ऐ - (अ०) सम्बोधन शब्द ऐ (जैसे- ऐ दोस्त)
ऐकपत्य -सं० ( पु० ) 1 पूर्ण स्वामित्व 2 एकतंत्र शासन ऐकपद्य-सं० (पु० ) शब्दों का एक पद में संगठित हो जाना ऐकभाव्य, ऐकमत्य-सं० (पु०) विचार एवं भाव की एकता, सहमति
एकांतिक - सं० (वि०) 1 एकांत में होनेवाला, अलग 2 पूर्ण ऐकागारिक - I ( वि०) एक ही घर वाला II ( पु० ) चोर ऐकात्मय - सं० (पु० ) एकरूपता, एकात्मता ऐकार-सं० (पु०) 'ऐ' अक्षर या उसकी ध्वनि ऐकार्थ्य-सं० ( पु० ) एक ही अर्थ होने का भाव ऐकाहिक -सं० (वि०) 1 एक दिन में होनेवाला 2 एक दिन तक ही जीवित रहनेवाला
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दार +फ़ा० (वि०) घमंडी, दम्भी, अहंकारी
घटना है)
ऐंठन - (स्त्री०) 1 मरोड़ 2 खिंचाव (जैसे-अंतड़ियों में भूख से ऐतिहासिकतावाद-सं० (पु०) केवल इतिहास - सिंद्ध बातों में हो रही है)
ऐकिक-सं० (पु० ) इकाई, यूनिट
ऐक्ट-अं० (पु० ) 1 काम 2 नियम 3 अभिनय, नाटक
ऐवान
ऐक्टर-अं० (पु०) नायक, अभिनेता ऐक्टिंग-अं० (स्त्री०) अभिनय ऐक्ट्रेस- अं० (स्त्री०) नायिका, अभिनेत्री ऐक्य -सं० (पु० ) 1 एकता 2 एकरूपता ऐक्षव सं० (वि०) ईख के रस से बना हुआ ऐच्छिक - सं० (वि०) 1 स्वेच्छा से किया जानेवाला 2 वैकल्पिक ऐज़न-अ० ( क्रि० वि०) 1 ऊपर लिखे अनुसार 2 फिर वही, उसी तरह
ऐटम-अं० (वि०) एटम, परमाणु
ऐटमिक-अं०, ऐटमी - + हिं० परमाण्विक
ऐडमिरल - अं० ( पु० ) युद्ध बेड़े का प्रधान सेनापति, नौ सेनापति
ऐणिक-सं० (वि०) 1 हरिण का शिकार करनेवाला 2 हरिण से उत्पन्न होनेवाला
ऐतिहासिक -सं० (वि० ) इतिहास से संबंध रखनेवाला (जैसे- हल्दीघाटी का युद्ध एक
विश्वास
ऐतिह्य - सं० (वि० ) 1. परंपरागत 2 अनुश्रुत (जैसे---प्रमाण) ऐन-अ० (वि०) बिलकुल ठीक, सही (जैसे वह वक़्त पर आ गया)
ऐनक - अ० + फ़ा० (स्त्री०) चश्मा । ~ साज़ +फ़ा० (पु० ) चश्मा बनानेवाला
ऐन-ख - ऐन, ऐन-मैन- अ० हिं० हू-बहू, वही ऐपन - (पु० ) पिसे हुए चावल एवं हल्दी के मिश्रण से बना हुआ लेप, उबटन
ऐब - अ० (पु० ) 1 बुराई, दोष 2 लांछन । गो + फ़ा० (पु० ) दोष बतानेवाला; गोई +फ़ा० (स्त्री०) दोष बताना; जो + फ़ा० (वि०) दोष निकालनेवाला, छिद्रान्वेषी; जोई + फ़ा० (स्त्री०) बुराई खोजना, छिद्रान्वेषण; दार +फ़ा० (वि०) दोषी; पोश +फ़ा० (वि०) दोष छिपानेवाला; पोशी + फ़ा० (स्त्री०) दोष पर परदा डालना; ~ लगाना 1 कलंक लगाना, लांछित करना; करने को हुनर चाहिए दोष करने के लिए गुण होना चाहिए ऐबी-अ० + फ़ा० (वि०) ऐबदार, तलबी ऐया - (स्त्री०) 1 बड़ी-बूढ़ी स्त्री के लिए प्रयोग किए जानेवाला संबोधन 2 दादी
ऐयार - अ० ( पु० ) 1 धूर्त, चालाक 2 वेश बदलकर कई तरह के जासूसी काम करनेवाला व्यक्ति ऐयारी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) धूर्तता, चालाकी
ऐयाश - अ० ( पु० ) 1 विषय वासना में लिप्त रहनेवाला व्यक्ति, विषयी, कामी 2 वेश्यागामी
ऐयाशी- अ० + फ़ा० (स्त्री०) विलासिता, विषयासक्ति, काम लोलुपता
·
ऐरा ग़ैरा - अ० + हिं० 1 इधर-उधर का 2 बाहरी 3 निकृष्ट 4 अज़नबी
ऐरावत -सं० ( पु० ) 1 इंद्र का हाथी 2 इंद्रधनुष 3 बिजली से चमकता हुआ बादल
ऐरियल-अं० (पु०) आकाशी तार ऐवान - फ्रा० ( पु० ) 1 महल 2 परिषद, संसद
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ओढ़
ऐश-[अ० (पु०) 1 भोग-विलास 2 सुख चैन II (वि०) | (जैसे-ऊधो) ईश्वर से संबंध रखनेवाला, ईश्वरीय। -परस्त फ़ा० सं० | ओखद-(पु०) औषधि । (वि०) विलासप्रिय, भोगी; परस्ती -फ़ा० (स्त्री०) | ओखरी, ओखली (स्त्री०) अनादि कूटने का पत्थर या काठ विलासप्रियता; पसंद +फ़ा० (वि०) विलासी का बना पात्र । ~में सिर डालना जान बूझकर संकट मोल ऐशान-सं० (वि०) ईशानकोण संबंधी
लेना; ~में सिर दिया तब मसलों को क्या गिनना ऐशिक-सं० (वि०) 1 ईश्वर का 2 दैवी
ओखा-1 (वि०) 1 साधारण, हल्का 2 कठिन 3 मिलावटवाला ऐशो-आराम-अ० +फा० (पु०) सुख-चैन, मौज मस्ती, 4 झीना 5 रुखा-सूखा II (पु०) बहाना भोग-विलास, ऐश्वर्य
ओगारना-(स० क्रि०) 1 टपकाना 2 निकालना (जैसे-जल ऐश-ट्रे-अं० (स्त्री०) राखदानी
__ ओगारना) 3 गंदगी निकालकर सफाई करना ऐश्य-सं० (पु०) 1 ईशत्व 2 प्रभुत्व 3 शक्ति
ओघ-सं० (पु०) 1 ढेर, समूह 2 बाढ़ 3 घनता ऐश्वर्य-सं० (पु०) 1 ईश्वरता 2 आधिपत्य 3 धन-संपत्ति, ओछा-(वि०) 1 तुच्छ 2 छिछोरा 3 खोटा 4 अशिष्ट 5 हल्का। वैभव 4 सर्व शक्तिमत्ता । ~प्रेम (पु०) ईश्वरीय प्रेम; पन (पु०) 1 छिछोरापन 2 हल्कापन 3 अशिष्टता प्रेमी, लोलुप (वि०) धन संपत्ति एवं वैभव का इच्छुक | ओछाई-(स्त्री०) = ओछापन वान्, ~शाली (वि०) वैभवशाली, संपन्न
ओज-सं० (पु०) (साहि०) 1 साहित्य में शैली आदि की ऐसा-(वि०) इस तरह का । -तैसा, वैसा (वि०) विशेषता जिससे मन में आवेश एवं साहस का संचार होने लगे 1साधारण 2 तुच्छ, नाचीज़ । ऐसी-तैसी गाली; ऐसी की 2 उजाला, प्रकाश 3 बल, शक्ति 4 तेज। पूर्ण तैसी में जाय चूल्हे, भाड़ में जाय।
(वि०)-ओजस्वी ऐसे (क्रि० वि०) इस प्रकार से, इस ढंग से
ओजना-(स० क्रि०) 1 धारण करना 2 सहना ऐलौकिक, ऐहिक-सं० (वि०) सांसारिक, दुनियावी ओजस्विता-सं० (स्त्री०) ओज, तेज, बलवत्ता ऐहिकीकरण-सं० (पु०) सांसारिक बनाना
ओजस्विनी, ओजस्वी-सं० (वि०) 1 शक्तिशाली ऐहिकतापरक-सं० (वि०) सांसारिक बातों से संबद्ध 2 प्रभावशाली 3 तेजपूर्ण 4 ओज से भरा हुआ
ओजिष्ठ-सं० (वि०) अत्यंत ओजयुक्त ओज़ोन-अं० (पु०) आक्सीजन गैस का एक प्रकार ओझ, ओझर-(पु०) 1 पेट 2 आमाशय ओझल-(वि०) 1 गायब हुआ 2 छिपा हुआ, लुका हुआ 3लुप्त ओझा-(पु०) भूत-प्रेत आदि का मंत्रोपचार द्वारा असर ख़त्म
करनेवाला व्यक्ति ओं-सं० (पु०) परब्रह्म का वाचक शब्द, ॐ
ओझाई-(स्त्री०) झाड़-फूंक की विद्या ~गीरी +फा० ओंकार-सं० (पु०) 'ओम्', ॐ । नाथ (पु०) एक | (स्त्री०) ओझा का काम शिवलिंग
| ओट-(स्त्री०) 1 आड़ (जैसे-परदे की ओट में) 2 रोक ओंगन-(पु०) गाड़ी की धुरी में दिया जानेवाला तेल 3 सहारा (जैसे-किसी की ओट) ओंगना-(स० क्रि०) गाड़ी की धुरी में तेल लगाना ओटन-(पु०) कपास ओटनेवाली चरखी का डंडा ऑटना- (स० क्रि०) = ओटना
ओटना-I (स० क्रि०) 1 कपास को ओटनी से इस रूप में ओंठ-(पु०) होंठ । 'काटना, चबाना अत्यधिक क्रुद्ध अलग करना कि बिनौले निकल आएं 2 अपनी बात दोहराते होने पर भी प्रतिकार भाव को रोक लेना; चाटना ललचाना; | जाना II(अ० क्रि०) छिपना .
चूसना चुंबन लेना; ~तक न हिलना कुछ न कहना; ओटनी-(स्त्री०) वह चरखी जिससे कपास के बिनौले अलग -फड़कना क्रोध के आवेश में ओंठ कांपना ओंठों में | किए जाते हैं कहना बहत धीमे स्वर में कहना; ~बिचकाना घृणा प्रकट ओटा-(प०) 1 ओट के लिए बनाई गई दीवार 2 आड़ करना; पर लाना मन की बातें कहना; ~सी लेना चुप | 3सुनारों का एक औज़ार 4 कपास ओटनेवाला रहना; ~ओंठों में मुस्कराना मंद-मंद हँसना
ओठंगना-(अ० क्रि०) 1 सहारा लेकर बैठना 2 आराम करने ओ-(अ०) हे, ऐ, अरे आदि संबोधन सूचक शब्द के लिए लेटना ओक-I (पु०) अंजलि II (स्त्री०) मतली, उल्टी, कै ओठ-(पु०) ओष्ठ, होंठ ओक-सं० (पु०) 1 निवास स्थान 2 घर, मकान 3 ठिकाना, | ओड़-गधे बैल आदि पर बोझ ढोनेवाला आश्रय
ओड़न-(पु०) गधों, बैलों आदि पर माल ढोने का काम ओकना-(अ० क्रि०) 1 कै करना 2 भैंस की तरह चिल्लाना ओड़ना-I (स० क्रि०) 1 आघात रोकने के लिए आड़ करना ओक पति-सं० (पु०) 1 सूर्य 2 चंद्रमा
2 भार ढोना 3 सहना II (अ० क्रि०) हाथ पसारना ओकाई-(स्त्री०) 1 उल्टी 2 मतली
ओड़ा-(पु०) | 1 गड्ढा 2 सेंध 3 बड़ा टोकरा, खाँचा || ओकार-सं० (पु०) 'ओ' स्वर की ध्वनि
। 1कमी, न्यूनता 2 अकाल ओकारांत-सं० (वि०) जिसके अंत में ओ की मात्रा हो | ओढ़-सं० (वि०) पास लाया हुआ
ओ
ए जात है
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ओढ़ना
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ओहो
टुकड़ा
ओढ़ना-[सं० (वि०) 1 कपड़े से बदन ढकना 2 धारण करना ओलमना-(अ० क्रि०) 1 लटकना 2 झुकना ।। (पु०) तन ढकने के लिए उपयोग में लाया जानेवाला ओला-I (पु०) शीतकालीन वर्षा में गिरनेवाले बर्फ़ के छोटे वस्तर। -उतारना अपमानित करना; ~ओढ़ाना विधवा स्त्री टुकड़े II 1 ओट 2 परदा 3 रहस्य की बात। वर्षा, के साथ विवाह करना
वृष्टि +सं० ओले पड़ना; सिर मुडांते ही ओले पड़े-कार्य ओढ़ना-बिछोना-(पु०) हर समय काम में लगा रहना आरंभ करते ही संकट आ पड़ना ओढ़नी-(स्त्री०) दुपट्टा। -बदलना सहेली, सखी बनाना ओलिंपियड-अं० (पु०) ओलंपिक खेल समारोह ओढ़ाना-(स० क्रि०) 1 कपड़े से ढकना 2 कपड़े से लपेटना ओलियाना-(स० क्रि०) 1 गोद में भरना 2 घुसाना 3 ढेर ओढ़ौनी-(स्त्री०) = ओढ़नी
लगाना 4 उँडेलना ओत-I सं० (पु०) ताने का सूत II (वि०) तारों एवं सूतों | ओली-(स्त्री०) 1 गोद 2 झोली 3 आँचल। ~ओड़ना
आदि से बुना हुआ, गुंथा हुआ। -प्रोत (वि०) 1 परस्पर | 1 आँचल फैलाना 2 दीनतापूर्वक माँगना गूंथा हुआ 2 पूर्णतः मिश्रित 3 खूब भरा हुआ | ओलौना-(पु०) उदाहरण, मिसाल ओत-I (स्त्री०) 1 आराम, चैन 2 लाभ 3 अभाव 4 कमी, ओवरकोट-अं० (पु०) बड़ा कोट न्यूनता ~कसर +अ० (स्त्री०) कोर-कसर
ओवरटाइम-अं० (वि०, पु०) समयोपरि, अतिकाल ओदन-सं० (पु०) भात
ओवरड्राफ्ट-अं० (पु०) जमा से अधिक पैसे निकालने का ओदरना-(अ० क्रि०) 1 फटना 2 नष्ट होना
आदेश-पत्र ओदा-(वि.) 1 गीला 2 नम
ओवरसियर-अं० (पु०) सर्वेक्षक .. ओदारना-(स० क्रि०) 1 फाड़ना 2 नष्ट करना
ओवरहाल-अं० (पु०) पूरी मरम्मत और सफ़ाई ओना-(पु०) पानी निकलने का रास्ता
ओषधि, ओषधी-सं० (स्त्री०) 1 दवा 2 दवा के काम में ओनामासी-(स्त्री०) 1अक्षरारंभ 2 आरभ, शुरू
आनेवाली जड़ी-बूटी ओप-(स्त्री०) 1 आभा, चमक 2 मुख की सुंदरता
ओष्ठ-सं० (पु०) =ओंठ। पठन (पु०) ओंठ से पढ़ना ओपना-I(स० क्रि०) चमकाना II (अ० क्रि०) चमकना | ओष्ठ्य-सं० (वि०) 1 ओंठ से संबद्ध 2 जिसके उच्चारण में ओपनी-(स्त्री०) (कटार आदि को) चमकाने वाला पत्थर का __ ओंठों का प्रयोग हो (जैसे प, फ, ब आदि)
ओष्ण-सं० (वि०) कुनकुना, गुननुना ओ० पी० डी०-अं० (पु०) बहिरंग रोगी विभाग ओस-(स्त्री०) वाष्प का रूप जो जल बिंदु में बदल जाएं ओपरेटर-अं० (पु०) प्रचालक
(जैसे-फूलों पर पड़ी ओस)। का मोती क्षणिक अस्तित्व ओपेरा-अं० (पु०) संगीत नाटक
की वस्तु एवं बात ओफ़-फा० (अ०) हाय!, आह!
ओसर-(स्त्री०) गर्भ धारण करने योग्य भैंस ओबरी-(स्त्रो०) छोटा कमरा
ओसरा, (पु०) ओसरी-(स्त्री०) 1 पारी, बारी 2 समय, ओभा-(स्त्री०) कांति, शोभा
वक्त 3 अवसर, मौका ओम-(पु०) भारतीय आर्यों का मंत्रोच्चारण से आरंभ एवं अंत | ओसाई-(स्त्री०) 1 ओसने की क्रिया 2 ओसाने की मजदूरी में प्रयुक्त होनेवाला शब्द, ओंकार, ऊं
(जैसे-अनाज की ओसाई दस रुपया हुई)। कल (स्त्री०) ओरंगोटंग-अं० (पु०) वनमानुष
ओसाई करने की मशीन ओर-I (स्त्री०) तरफ, पक्ष, दिशा (जैसे-मेरी ओर, पश्चिम की ओसाना-(स० क्रि०) भूसा मिश्रित दाने को कुछ ऊँचाई से
ओर) II (पु०) 1 छोर, सिरा 2 अंत। -छोर (पु०) ___ हवा में गिराकर अलग करना किनारे से अंत तक निबाहना निभाना अंत तक साथ ओसार, ओसारा-I (पु०) दालान, बरामदा II (वि०) चौड़ा - देना
ओह-(अं०) दुःख, कष्ट, पश्चाताप, आश्चर्य सूचक अव्यय ओरमना-(अ० क्रि०) - झुकना, लटकना, झूलना
(जैसे-ओह! इतना भयंकर दृश्य आदि) ओरमा-(स्त्री०) सिलाई की एक विधि
ओहदा-अ० (पु०) पद, स्थान। -परस्त +फ्रा० (पु०) ओराना-(अ० क्रि०)समाप्त होना, चुक जाना
पदलोलुप; ~परस्ती +फा० (स्त्री०) पदलोलुपता ओरी-(स्त्री०) = ओलती।
ओहदेदार-अ० +फा० (पु०) पदाधिकारी ओलंदेज़-(पु०) हालैण्ड देश का निवासी
ओहरना-(अ० क्रि०) घटना, कमी होना ओलंदेज़ी-I (वि०) हालैण्ड देश से सबंधित II (स्त्री०) | ओहा-(पु०) माय का थन हालैण्ड देश की भाषा
ओहार-(पु०) पालकी आदि पर डाला जानेवाला कपड़ा ओल-I (पु०) 1सूरन 2 आड़ 3 शरण 4 ज़मानत 5 बहाना। ओहो-अ० हर्ष, आश्चयसूचक शब्द II (वि.) 1गीला 2 नम ओलती-(स्त्री०) छप्पर की तरह ढलान एवं छोर जहाँ से पानी गिरता है, ओरी ओलना-I (स० क्रि०) 1 आड़ करना 2 आड़ बनाकर आघात रोकना 3 सहना 4 उत्तरदायित्व निभाना II (स० क्रि०) मोटा
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आँगना
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औ
आँगना - (स० क्रि०) पहिए की धुरी में तेल देना आँगा - (वि०) 1 गूँगा 2 चुप्पा
औगी - I (स्त्री०) 1 गूंगापन 2 चुप्पी II 1 गड्ढा 2 चुभाने वाली लकड़ी 3 हँसिया
औधना - (अ० क्रि०) नींद आना
आँधाई - (स्त्री०) झपकी, नींद औंठ - (स्त्री०) 1 परती पड़ा खेत 2 कपड़े की किनारी आँडा - (वि०) गहरा
औदना - (अ० क्रि० ) 1 उन्मत्त होना 2 सुध-बुध खो बैठना 3 बेचैन होना
औधना - I (अ० क्रि०) उलट जाना, उलटा होना II (स० क्रि०) उलटा करना, उलट देना
औंधा - (वि०) 1 मुँह या सिर नीचे किया हुआ, उल्टा 2 नीचा । ~हो जाना 1 बेसुध होना 2 गिर जाना; औंधी खोपड़ी निरा मूर्ख, औंधे मुँह गिरना कडुआ - (वि०) = कड़वा आँधाना - (स० क्रि०) = औंधना
औंस - अं० (पु० ) ढाई तोला
आँसना - (अ० क्रि०) उमस होना
औक़ात - अ० (स्त्री०) हैसियत (जैसे- अपनी औक़ात देखकर खर्च करना) । सरी +फ़ा० (स्त्री०) जीवन निर्वाह, गुजर-बसर; अपनी औक़ात से बाहर जाना सामर्थ्य शक्ति से बाहर काम करना
औकार-सं० (पु० ) 'औ' अक्षर (की ध्वनि) औखा - (पु० ) 1 गाय का चमड़ा 2 चमड़े से बना चरसा, मोठ (मुठ)
ओगी - I (स्त्री०) 1 गड्ढा 2 बैल हाँकने की छड़ी II कारचोबी जूते का ऊपरी चमड़ा
औघड़ - I (वि) 1 अंड बंड 2 अनोखा 3 भद्दा II ( पु० ) 1 अघोरी 2 फक्कड़ 3 मनमौजी
औचक, औचट - ( क्रि० वि०) अचानक, एकदम, यकायक औचिती - (स्त्री०), औचित्य -सं० (पु०) उचित होने की अवस्था, उपयुक्तता। पूर्ण (वि०) उचित औच्चारिक सं० (वि०) उच्चारण संबंधी, बोलने का औजसिक - सं० (वि०) औजपूर्ण औजस्य -सं० (पु० ) ओज पूर्णता, बलवत्ता औज़ार - अ० (पु० ) कार्य करने के लिए उपयोगी उपकरण (जैसे-आरी, रेती, छैनी, हथौड़ा आदि ) औज्जवल्य-सं० (पु०) उज्जवलता, चमक ओझर - (क्रि वि०) लगातार, निरंतर
औटन - (स्त्री०) 1 औटने की क्रिया 2 ताप, गरमी 3 उबाल औटना - ( अ० क्रि० ) 1 चक्कर खाना 2 ताप से गाढ़ा होना भटाना - (स० क्रि०) उबालकर गाढ़ा करना (जैसे- दूध औटाना)
औपनिवेशीकरण
औडर - (वि०) 1 मनमौजी 2 थोड़े में प्रसन्न होनेवाला । दानी (पु० ) उदारतापूर्वक दान देनेवाला औतिक-सं० (वि०) ऊतक -संबंधी औतिकी-सं० (स्त्री०) ऊतक विज्ञान
ओटी - (स्त्री०) औटाकर बनाई गई चीज़ ओश्व-सं० (वि०) 1 एक तरह का राग 2 तारों से संबंधित
औत्कंठ्य-सं० ( पु० ) 1 उत्कंठा 2 तीव्र इच्छा, लालसा औत्कर्ष्य-सं० (पु०) उत्तमता, श्रेष्ठता, उत्कर्षता औत्तर-सं० (वि०) बाद में होनेवाला, उत्तरी
औत्तापिक-सं० (वि०) 1 उत्ताप से उत्पन्न 2 उत्ताप संबंधी औत्पत्तिक- सं० (वि०) 1 उत्पत्ति संबंधी 2 पैदाइशी औत्पातिक-सं० (वि०) उत्पात संबंधी
औत्स - सं० (वि०) झरने से संबंधित औत्सर्गिकसं० (वि०) 1 उत्सर्ग संबंधी 2 सहज एवं स्वाभाविक 3 सामान्यतः
औत्सुक्य - सं० (पु० ) उत्सुकता, जिज्ञासा औदक-सं० (वि०) जलसबंधी, जलीय
औदर, औदरिक सं० 1 पेट से संबंध रखने वाला 2 अति आहारी, पेटू
औदर्य-सं० (वि०) उदर संबंधी
औदार्य-सं० (पु०) उदारता
औदास्य, औदासीन्य-सं० (पु० ) 1 उदासीनता, उदासी 2 एकाकीपन 3 वैराग्य
औदीच्य सं० (वि०) उत्तर दिशा का
औदुंबर - I सं० (वि०) 1 गूलर का बना हुआ 2 ताम्र निर्मित II (पु० ) 1 गूलर 2 ताँबा
औद्धत्य -सं० (पु०) उद्धतता, उजड्डपन, धृष्टता औभिदकी-सं० (स्त्री०) वनस्पति विज्ञान औद्योगिक सं० (वि०) उद्योग संबंधी औद्योगिकी-सं० (स्त्री०) उद्योग-विज्ञान औद्योगीकरण -सं० (पु० ) उद्योग हेतु नए कारखाने आदि खोलने की क्रिया
औद्वाहिक - I सं० (वि०) 1 विवाह संबंधी 2 विवाह में प्राप्त हुआ (धन, भेंट) II (पु० ) विवाह में उपहार स्वरूप मिला धन एवं आभूषण आदि औना-पौना-(वि०) आधा तीहा औन्नत्य-सं० (पु० ) 1 उन्नति 2 उत्थान 3 ऊँचाई औपक्रमिक-सं० (वि०) 1 उपक्रम संबंधी 2 प्रारंभिक औपचारिक-सं० (वि०) 1 उपचार सबंधी 2 उपचार रूप में होनेवाला 3 रस्मी, दिखाऊ 4 गौण । ~ता (स्त्री०) ? औपचारिक होने की अवस्था 2 दिखाऊपन 3 गौणता; -ता-वाद (पु० ) दुनियादारी के सिद्धांत, नियम आदि; ~ता-वादी औपचारिकता वाद को माननेवाला औपचारिकतया-सं० (वि०) रस्मी तौर पर औपदेशिक-सं० (वि०) 1 उपदेश संबंधी 2 उपदेश एवं शिक्षा देकर जीविका चलानेवाला
औपधर्म्य -सं० (पु० ) 1 धर्म विरोधी मत 2 तुच्छ सिद्धांत औपाधिक-सं० (वि०) 1 छली 2 धोखा देकर धन ऐंठनेवाला औपनिधिक-सं० (वि०) घरोहर से संबंधित औपनिवेशिक-सं० (वि०) उपनिवेश संबंधी औपनिवेशीकरण-सं० (पु०) उपनिवेश बना लेना
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औपनिषदिक
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कँगना
औपनिषदिक-सं० (वि०) उपनिषद् संबंधी
(पु०) दवाओं की खरीद-फरोख्त शास्त्र (पु०) = औषध औपन्यासिक-सं० (वि०) 1 उपन्यास संबंधी 2 उपन्यास के विज्ञान ढंग का
औषधीय-सं० (वि०) औषधि योग्य औपपत्तिक-सं० (वि०) 1 उपपत्ति संबंधी 2 युक्ति-संगत औषधोपचार-सं० (पु०) दवा-इलाज औपबंधिक-सं० (वि०) उपबंध या अनुबंध का
औषस-सं० (वि०) उषाकालीन औपम्य-सं० (पु०) समता, बराबरी, सादृश्य
औष्टिक-सं० (वि०) ऊँट से प्राप्त होनेवाला औपयौगिक-सं० (वि०) उपयोग से संबंधित
औष्ठ-सं० (वि०) 1 ओंठ का 2 ओंठ के आकार का औपल-सं० (वि०) पत्थर का
औष्ठय-सं० (वि०) ओठ संबंधी औपशमिक- सं० (वि०) शांतिदायिक
औसत-I अ० (पु०) बीच की संख्या, माध्य II (वि०) औपसर्गिक-सं० (वि०) 1 उपसर्ग संबंधी 2 उपसर्ग रूप में | 1 बीच का 2 साधारण (जैसे-औसत वेतन, औसत अंक, प्राप्त होनेवाला 3 संक्रामक
औसत कद का पुरुष) औपस्थ्य-सं० (पु०) सहवास, संभोग, रतिक्रिया औसतन-अ० (क्रि० वि०) औसत के हिसाब से औपहारिक-I सं० (वि०) 1 उपहार संबंधी II (पु०) उपहार | औसती-अ० +फा० (वि०) = औसत औपाधिक-सं० (वि०) 1 उपाधियुक्त 2 विशेष अवस्थाओं में | औसना-(अ० क्रि०) 1ऊमस होना 2 गर्मी से भोजन बिगड़ना होनेवाला
3 फलों का पकना और-I (क्रि० वि०) दो शब्दों या वाक्यों को जोड़नेवाला शब्द, औसान-I (पु०) 1 अंत 2 परिणाम 3 = अवसान II (पु०) तथा II (वि०) 1 दूसरा 2 अधिक (जैसे-मुझे और का भी | होश काम करना है, मुझे कुछ रुपये और चाहिएं)। ~का और | औसाना-(स० क्रि०) फल को भूसे में पकाना कुछ का कुछ, उल्टा; ~का ~ हो जाना बदल जाना; | औसाफ़-अ० (पु०) (बहुव०) गुण, खूबियाँ ~क्या 1 हाँ 2 अवश्य 3 नहीं तो क्या; ~तो और 1 दूसरों औहत-(स्त्री०) 1 आकस्मिक मृत्यु 2 दुर्गति की बात जाने दो 2 दूसरी बात छोड़िए; ही कुछ 1 सबसे निराला 2 अनूठा; ही रंग खिलना विचित्र घटना घटित होना; औरत-अ० (स्त्री०) 1 नारी, स्त्री 2 पत्नी, जोरु। बाज़ +फा० (पु०) कई औरतों से संबंध रखनेवाला; बाज़ी +फा० (स्त्री०) स्त्री-लोलुपता औरताना-अ०+फ़ा० जनाना औरस-I (वि०) विवाहित स्त्री से उत्पन्न, जायज II (पु०) | कंक-सं० (पु०) 1 सफ़ेद चील 2 बगुला क्षत्रिय 4 यम। विवाहिता से उत्पन्न पुत्र, वैध पुत्र
~मुख (वि०) बगुले के से मुँहवाला औरसी-(स्त्री०) विवाहिता से उत्पन्न, कन्या, वैध पुत्री कंकड़-(पु०) ईंट-पत्थर का टुकड़ा, गिट्टी। ~पत्थर (पु०) औरेब-(पु०) 1 तिरछापन 2 कपड़े की तिरछी काट 3 झंझट, कूड़ा-करकट, निरर्थक वस्तुएँ, रद्दी चीजें उलझन
कंकड़ी-(स्त्री०) छोटा कंकड़, छरी और्जिकी-सं० (स्त्री०) ऊर्जा-विज्ञान
कंकडीला-(वि०) कंकड़ों से भरा हुआ 2 कंकड़ों से बना हुआ और्णिक-सं० (वि०) ऊन से संबंधित, ऊन का कंकण-सं०) (पु०) 1कंगन 2 विवाह पूर्व वर-वधू के हाथ और्वदैहिक-सं० (वि०) मृत व्यक्ति से संबद्ध
में बाँधा जाने वाला धागा, कंगना औलना-I (अ० क्रि०) तप्त होना, जलना II (स० क्रि०) | कंकत-सं० (पु०) कंघा 1 जलाना 2 कष्ट देना
कंकर-I सं० (पु०) = कंकड़ II (वि०) 1 बुरा 2 नीच औलाद-अ० (स्त्री०) संतान, वंशज
कंकरीट-अं० (स्त्री०) मिट्टी सीमेंट आदि का बना मसाला। औला-दौला, औला-मौला-(वि०) लापरवाह, मनमौजी मिश्रक । सं० (पु०) सीमेंट आदि का मसाला मिलानेवाली औलिया-अ० (पु०) सिद्ध पुरुष, संत (मुसलमान), वली,
मशीन फकीर
कंकाल-सं० (पु०) हड्डियों का ढांचा, ठठरी। ~ शेष औषध-सं० (पु०) 1 दवा 2 दवा-दारू। निर्माण शास्त्र (वि०) हड्डियों का ढाँचा मात्र, बहुत दुबला-पतला (पु०) दवाएँ बनाने की विद्या; -निर्माता (पु०) दवा कंकाली-सं० (स्त्री०) दुर्गा बनानेवाला; विज्ञान (पु०) दवाओं के गुण-धर्म प्रयोग कंकालिनी-सं० (स्त्री०) 1 कर्कशा स्त्री 2 दर्गा आदि संबंधी शास्त्र; विज्ञानी (पु०) दवाओं के गुण-धर्म कंक्रीट-अं० (स्त्री०) = कंकरीट जाननेवाला; ~शाला (स्त्री०) = औषधालय; ~शास्त्र |
कँखौरी-(स्त्री०) काँख (पु०) = औषध विज्ञान
कंगन-(पु०) स्त्री की कलाई में पहने जानेवाला आभूषण, औषधालय-सं० (पु०) दवाख़ाना
कड़ा। हाथ कंगन को आरसी क्या प्रत्यक्ष के लिए क्या औषधि-सं० (स्त्री०) दवा। -निर्माण उद्योग (पु०) - ! प्रमाण -विज्ञान; (पु०) = औषध विज्ञान; व्यवसाय | कैंगना-(पु०) = कंकण
विवाहिता
विवाहिता से उत्पन्न न
काट 3 झंझट,
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कँगनी
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कंदील
कैंगनी-(स्त्री०) 1 छोटा कंगन 2 एक मोटा अनाज कैंटीला-(वि०) काँटेदार कंगला-(वि०) = कंगाल, दरिद्र
कंट्रैक्ट-अं० (पु०) ठेका कंगारू-अं० (पु०) आस्ट्रेलिया में पाया जानेवाला एक पशु कंट्रैक्टर-अं० (पु०) ठेकेदार, ठेका लेनेवाला कंगाल-(वि०)1 अत्यंत दरिद्र 2 मुहताज। ~पन (पु०) घोर कंट्रोल-अं० (पु०) 1नियंत्रण 2 लगाम दरिद्रता
कंठ-सं० (पु०) 1गला 2 गले से निकला स्वर। ~गत कंगाली-(स्त्री०) = कंगालपन, ग़रीबी, निर्धनता
(वि०) गले तक आया हुआ; तालव्य (वि०) कंठ और कंगु-सं० (पु०) कंगनी धान्य
तालु से जिसका उच्चारण हो (जैसे-ए. ऐ); ~मणि (स्त्री०) कैंगुरी-(स्त्री०) कानी उँगली
टेंटुआ; ~~माला (स्त्री०) चि० गले का रोग, गलगंड; ~स्थ कैंगूरा-फा० (पु०) 1 चोटी, शिखर 2 गुंबद, बुर्ज । कँगूरेदार | (वि०) 1 कंठ में रुका हुआ 2 ज़बानी याद किया हुआ (वि०) गुंबदवाला
(जैसे-पाठ कठस्थ करना); खुलना आवाज़ निकलना; कंघा-(पु०) 1 बड़ी कंघी 2 जुलाहों का एक औज़ार ~फूटना आवाज़ बदलना; बैठना 1 गला बैठना 2 बेसरा कंघी-(स्त्री०) बाल संवारने का एक दाँतदार उपकरण । होना; होना मौखिक याद होना, ज़बानी याद होना
चोटी (स्त्री०) बनाव-सिंगार; ~ साज फा० (पु०) कंठा-(पु०) 1 गले का एक ज़ेवर 2 तोते के गले की रंगीन कंघियाँ बनानेवाला; ~करना बाल सँवारना
रेखा कँघेरा-(पु०) = घीसाज़
कंठाग्र-सं० (वि०) = कंठस्थ, बरज़बान कंचन-I (पु०) 1 स्वर्ण, सोना 2 चन, संपत्ति। II (वि०) कंठावरोध-सं० (पु०) गला भर आना निर्मल। बरसना अत्यधिक संपत्ति होना
कंठी-सं० (स्त्री०) छोटी गुरियों की माला। देना शिष्य कंचनी-सं० (स्त्री०) वेश्या
बनाना; लेना वैष्णव धर्म में आना कंचुआ-(पु०) कचुक
कंठोष्ठय-सं० (वि०) व्या० कंठ एवं ओठ से एक साथ कंचुक-I (पु०) 1 अचकन, लबादा 2 कपड़ा 3 कवच | जिसका उच्चारण हो 4 केंचुल 5 बख्तर
कंठ्य-सं० (वि०) 1 गले का 2 कंठ से बोला जानेवाला कंचुकी-I सं० (स्त्री०) 1 चोली, अँगिया 2 साँप की केंचुली (अक्षर) (जैसे-अ,क,ख,ग,घ,ह)
II (पु०) 1 रक्षक 2 द्वारपाल 3 अंतःपुर का अध्यक्ष कंडक्टर-अं० (पु०) संचालक, संवाहक (जैसे-बस~) कचेरा-(पु०) काँच की वस्तुएँ बनानेवाला
कंडरा-(स्त्री०) 1 मोटी नस 2 माँस-तंतुओं का बंधन, पेशी कंज-सं० (पु०) कमल
बंधनी कंजई-I (वि०) कंजे की फली के रंग का, हल्का नीलापन कंडा-(पु०) 1 सूखा गोबर 2 उपला
लिए हुए II (पु०) कंजे रंग की आँखोंवाला घोड़ा कंडारी-(पु०) जहाज़ का मांझी कंजवा-(स्त्री०) अविवाहित कन्या
कंडाल-(पु०) लोहे आदि का बड़ा एवं गहरा बर्तन कंजड़, कंजर-(पु०) एक यायावर जाति, घुमक्कड़ लोग, कंडिका- (स्त्री०) परिच्छेद, पैरा खानाबदोश
कंडी-(स्त्री०) = कंडा, उपला कंजर्वेटिव-अं० (पु०/नि०) रूढ़िवादी (व्यक्ति या दल), कंडील-अं० (स्त्री०) 1 मोमबत्ती 2 दीपों का हंडा अनुदार (व्यक्ति या दल)
कंडीलिया-अं० + हिं० (स्त्री०) प्रकाश स्तंभ कंजा-I (पु०) एक कटीली झाड़ी जिसकी फली औषध के रूप | कंडीशंड-अं० (वि०) अनुकूलित। एयर ~वातानुकूल में प्रयोग होती है II (वि०) 1 भूरे रंग का 2 कंजी कंडु, कंडू-सं० (स्त्री०) खाज, खुजली आँखोंवाला
कंडूल-सं० (वि०) खुजली पैदा करनेवाला कंजाभ-सं० (वि०) कमल जैसी कांतिवाला
कंडोरा-(पु०) 1 उपले पाथने का स्थान 2 उपलों का ढेर कजियाना-(अ० क्रि०) 1काला-सा पड़ना 2 मुरझाना कंत-(पु०) कांत, पति 3 झैवाना
कंथा-सं० (स्त्री०) 1 गुदड़ी 2 कथरी कंजूस-(पु०) कृपण, सूम
कंथी-सं० (पु०) गुदड़ी पहननेवाला कंजूसी-(स्त्री०) कृपणता
| कंद-सं० (पु०) 1 गाँठदार जड़ 2 शकरकंद कंटक-सं० (पु०) 1 काँटा 2 बाधा 3 कष्ट पहुँचानेवाला व्यक्ति | कंद-अ० (पु०) 1 एफ़ेद चीनी 2 मिसरी एवं वस्तु। फल (पु०) कटहल, ~मय (वि०) कँटीला; | कंदन-सं० (पु०) नाश, क्षय
~शोधन (पु०) 1 काँटे निकालना 2 बाधा दूर करना | कंदर-सं० (पु०), कंदरा-सं० (स्त्री०) 1 गुफा 2 घाटी कंटकाकीर्ण, केटकित-सं० (वि०) 1 काँटों से भरा हुआ, कंदर्प-सं० (पु०) 1 कामदेव 2 संगीत की एक ताल कटिदार 2 जिसे रोमांच हुआ हो 3 बाधायुक्त
कंदला-(पु०) 1 सोने, चाँदी आदि का पतला तार 2 एक तरह कंटकी-सं० (वि०) 1 काँटेदार 2 कष्टदायक, बाधायुक्त का कचनार। -कश + फ़ा० (पु०) तारकशी का काम कटर-अं० (पु०) शीशे की सुराही
करनेवाला कंटाइन-(स्त्री०) 1 चुडैल 2 भूतनी 3 कर्कशा नारी कंदा-(पु०) 1कंद 2 शकरकंद 3 अरुई कटिका-सं० (स्त्री०) 1 सूई की तरह छोटी कील 2 आलपीन | कंदिल-सं० (वि०) कंद (मूल) का कैटिया-(स्त्री०) 1 मछली फंसाने की बंसी 2 हुक | कंदील-अ० (खी०) 1कंडील 2 दीप, हंडा
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कंदु
कंदु-सं० (पु०) भाड़ कंदुक-सं० (पु०) गेंद
कंदैला - (वि०) 1 कीचड़ से भरा हुआ 2 गंदा कंदोरा - (पु० ) करधनी, कटिडोर
कंधर-सं० (पु०) 1 गरदन 2 बादल 3 माथा कंधरा-सं० (स्त्री०) गरदन
कंधा - (पु० ) 1 स्कंध 2 बैल की गरदन का ऊपरी भाग जिसपर जुआ रखा जाता है 3 शाना। ~डाल देना 1 हिम्मत हारना 2 ज़िम्मेदारी से दूर भागना; देना 1 शामिल होना 2 सहारा देना 3 अरथी में कंधा लगाना बदलना एक से दूसरा कंधा बदलना; कंधे से कंधा छिलना बहुत ज्यादा भीड़ होना; कंधे से मिलाकर चलना साथ देना
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कंधावर - (पु० ) 1 कंधे पर रखी जानेवाली चादर 2 जुए का वह भाग जो बैल के कंधे पर रहता है
कंघेला - (पु० ) साड़ी का वह भाग जो कंधे पर रहता है, पल्ला कंधेली - (स्त्री०) बैल की गर्दन पर रखी जानेवाली गद्दी कँपैया - (स्त्री०) 1 कंधा 2 बच्चे को कंधे पर बैठाकर चलना कंप-सं० (पु० ) 1 कँपकँपाहट, थरथराहट 2 डोलना । ~मापी (पु०) 1 तरंग मापक 2 भूकंपमापक कंप-अं० कैंप (पु० ) डेरा, पड़ाव कँपकँपाना-(अ० क्रि०) काँपना, कँपकँपी लगना कँपकँपाहट, कँपकँपी - (स्त्री०) काँपना, कंप कंपन - सं० (पु० ) 1 काँपने एवं थरथराने की क्रिया 2 हिलते डुलते रहना (जैसे- प्रकाश में होनेवाला कंपन) । ~युक्त (वि०) जिसमें कंपन हो कँपना- (अ० क्रि०) काँपना
कंपनी -अं० (स्त्री०) 1 फ़ैक्टरी 2 सेना का एक विभाग 3 उद्योग या व्यापार करनेवालों की मंडली 4 जत्था कंपमान -सं० (वि०) काँपता हुआ, कंपायमान कंप विज्ञान-सं० (पु० ) भूकंप विज्ञान कंप विज्ञानी-सं० (पु० ) भूकंप विज्ञानी कंपा - I (पु० ) बाँस की तिलियों में लासा लगा कर बनाया गया फंदा II (स्त्री०) 1 कंपन 2 भय
=
कंपाउंड - अं० (पु० ) 1 अहाता 2 बेहड़ा (बेड़ा) कंपाउंडर -अं० (पु०) दवा मिलाने का काम करनेवाला डाक्टर
का सहायक
कँपाना - (स० क्रि०) 1 हिलाना, 2 डराना कँपायमान -सं० (वि०) काँपता हुआ, कंपमान कंपार्टमेंट- अं० (पु० ) रेलगाड़ी का डिब्बा कंपास - अं० (पु० ) 1 कुतुबनुमा 2 परकार 3 दिग्दर्शक कंपित - सं० (वि०) 1 काँपता हुआ 2 हिलाया हुआ कंपू-अं० (पु०) 1 फ़ौज की छावनी 2 खेमा 3 पड़ाव कंपोज़-अं० (पु०) 1 छपाई हेतु टाइप के अक्षर जोड़ना
2 रचना करना
कगार
लटकनेवाली खाल 3 एक प्रकार का हरिण 4 एक छोटा कीड़ा कंबाइन - अं० (स्त्री०) कटाई- गहाई की मशीन 2 जोड़ना, संयुक्त करना
कंबी-सं० (स्त्री०) 1 करछी 2 बाँस का अँखुआ या गाँठ कंबु, कंबुक-सं० (पु०) 1 शंख 2 गला। प्रीव (वि०) शंख जैसी सुडौल गरदनवाला
कंपोजिंग -अं० (स्त्री०) अक्षर जोड़ने का काम कंपोजिटर-अं० (पु० ) टाइपसेट करनेवाला कंपोस्ट-अं० (स्त्री०) सड़ाकर बनाई गई खाद कंप्यूटर-अं० (पु०) गणित तथा अन्य अनेक कार्य करनेवाला यंत्र कंबल-सं० (पु० )
1 कम्मल 2 गाय, बैल के नीचे
कंबोज - सं० (पु०) 1 शंख 2 हाथी की किस्म 3 एक जनपद् ( अब अफगानिस्तान में ) कँवल - I ( पु० ) कंस - सं० ( पु० )
कमल II कौर, ग्रास
1 काँसा 2 काँसे का बना पात्र 3 कृष्ण का
मामा
कंसकार-सं० (पु०) काँसे के बरतन बनानेवाला कंसताल-सं० (पु० ) झाँझ
+
कंसर्ट-अं० (पु०) 1 अनेक बाजों का एक साथ बजना 2 गाने. बजाने वालों के स्वरों का मेल, सामरस्य 3 संगीत गोष्ठी । रंग मंच सं० (पु० ) कंसर्ट की स्टेज कैंसड़ी- (स्त्री०) काँसे की हँडी कंसिक, कंसीय-सं० (वि०) 1 काँस संबंधी, काँसे का 2 काँसे का पात्र से संबंधित
कई - (वि०) 1 एक से अधिक, अनेक 2 कुछ 3 चंद (जैसे कई दिन बीतने पर वह आया)
ककड़ी - (स्त्री०) एक तरह की बेल जिसका फल (ककड़ी) खाने योग्य है। ~ का चोर छोटा अपराध करनेवाला ~के चोर को कटारी से मारना छोटे अपराध के लिए भारी सजा ~ खीरा समझना तुच्छ समझना ककनी - (स्त्री०) कंगन ककरेजी-फ़ा० = काकरेज़ी
ककहरा - ( पु०) क से ह तक के अक्षर, वर्णमाला ककाटिका-सं० (स्त्री०) सिर का पिछला भाग
ककार-सं० (पु०) 'क' अक्षर
ककुद - I सं० ( पु० ) 1 चोटी, शिखर 2 राजचिह्न 3 बैल के कंधे का डिल्ला II (वि०) उत्तम
ककोरना - (स० क्रि०) 1 खरोंचना 2 मोड़ना
कक्कड़ - (पु० ) 1 सुरती का चूरा 2 तंबाकू का चूर्ण कक्का-सं० (स्त्री०) चाचा, काका
कक्ष -सं० (पु० ) 1 कमरा 2 पार्श्व भाग 3 अंतःपुर 4 काँख कक्षा-सं० (स्त्री०) 1 घेरा, परिधि 2 ग्रहों के घूमने का वक्र
मार्ग 3 दर्जा (जैसे- वह किस कक्षा का विद्यार्थी है) 4 काँख, बग़ल । ~ अध्यापक (पु० ) क्लास टीचर कक्षीय-सं० (वि०) कक्ष या कक्षा का कक्षोन्नति-सं० (स्त्री०) क्लास में ऊपर चढ़ाना या चढ़ना कक्ष्या-सं० (स्त्री०) 1 आँगन 2 हाथी बाँधने का रस्सा 3 हाथी का हौदा 4 महल 5 दहलीज 6 नाड़ी
क ख क ख ग - (पु०) आरंभिक ज्ञान क ख ग भी नहीं जानता कुछ नहीं जानता, अनभिज्ञ
कगर - I ( क्रि० वि०) 1 किनारे पर 2 पास, समीप II (पु०) 1 मेड़ 2 कारनिस 3 कगार
कगरे - ( क्रि० वि० ) 1 किनारे के पास 2 किनारे-किनारे 3 अलग होकर
कगार - (पु० ) 1 नदी का ऊँचा किनारा 2 टीला 3 ऊँचा सिरा
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कच
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कजली
कब-सं० (पु०) बाल, केश
जाति का एक पौधा और गंठी कब-I (पु०) धैसने का शब्द (जैसे-कच से कौटा चुभ गया, | कचोकना-(स० क्रि०) गड़ाना, चुभाना कच से चाकू पेट में फंसा दिया) II (वि०) कच्चा । | कचोका-(पु०) गड़ाने की क्रिया
दिलाफ्रा० + हिं० (वि०) कच्चे दिलवाला, कमज़ोर दिल कचोट, कचोटन-(स्त्री०) रह रहकर होनेवाली वेदना, टीस का; लहू (पु०) कचलोह; लोंदा (पु०) लोई; | कचोटना-(अ० क्रि०) रह रहकर मन में पीड़ा होना लोहा (पु०) कच्चा लोहा लोह (पु०) पंछा; कचोना-(स० क्रि०) चुभाना, साना
पेंदिया (पु०) 1 कच्ची पेंदी का 2 जिसकी बात का कुछ कचौड़ी-(स्त्री०) पीटी वाली पूरी विश्वास न हो
कच्चा-(वि०) 1 जो पका न हो, अपक्व (जैसे-कच्चा आम) कलाक-(स्त्री०) कुचलने से बनी चोट
2 आग में न तपाया हुआ (जैसे-कच्ची ईट) 3 घी में तलकर कचकचा-(स्त्री०)व्यर्थ का विवाद, किचकिच (जैसे-घर की न पका (जैसे-कच्ची रसोई) 4 नाप तोल में कम (जैसे-कच्चा
कचकच से तबियत ऊब गई है) 2 निरर्थक आलाप बीधा) 5 शुद्ध न किया हुआ (जैसे-कच्चा तेल) 6 साहस में कचकच-(स्त्री०) 1 व्यर्थ का विवाह, किचकिच (जैसे-घर कम (जैसे-कच्चा दिल)। ~पक्का (वि०)
की कचकच से तबियत ऊब गई है) 2 निरर्थक आलाप सिझा-अनसिझा, पका-अनपका; कच्चा माल (पु०) मूल कचकाना-(स० क्रि०) 1 दबाना, कुचलना 2 फँसाना रूप में उत्पन्न उपज; 3 दबाकर तोड़ना
कच्ची रोकड़-(स्त्री०) रोजनामचा, याददाश्त की नही कच्ची कचकोल-फा० (पु०) दरियाई नारियल का बना कमंडल सिलाई (स्त्री०) अस्थायी टाँक लगाना; ~असामी अस्थायी कचनार-(पु०) एक सुंदर फूलदार पेड़
अधिकार; काराज़ बिना रजिस्ट्री का दस्तावेज़; ~खा कचपच-(स्त्री०) गिचपिच
जाना खत्म करना; ~घड़ा अपरिपक्व, असमर्थ (व्यक्ति); कचपचिया-(वी) 1 छोटे तारों का झंड 2 चमकीले बंदे, चिट्ठा खोलना, चिट्ठा सुनाना पोल-पट्टी बताकर सितारा
बेइज़्ज़त करना, रहस्य खोलना; ~धागा होना कमज़ोर या कचर-कचर-(स्त्री०) 1 कच्चे फल को खाने से निकलनेवाली अविश्वसनीय होना; पड़ना शर्मिंदा होना; कच्ची गोटी ध्वनि 2 व्यर्थ का विवाद 3 बकवास
खेलना अनाड़ी होना; कच्चे घड़े में पानी भरना; कठिन या कचर-दूट-(पु०) 1 अच्छी तरह से कूटना, कसकर पीटना ग़लत काम करना; कच्चे-पक्के दिन होना नार-पाँच महीने 2 जमकर भोजन करना
का गर्भ होना कचरघान-(पु०) 1 छोटी-छोटी वस्तुओं का ढेर 2 मारपीट कच्चू-(स्त्री०) अरवी, बंडा 3कच्चे-बच्चे
कच्चे बच्चे-(पु०) कम उम्र के बच्चे कचरना-(स० क्रि०) 1 कुचलना, रौंदना 2 बहुत खाना कच्छ-सं० (पु०) 1 कछार 2 दलदल ज़मीन, अनूप देश। कचरा-! (पु०) 1 कूड़ा करकट 2 रुई का बिनौला 3 अनाज ~मय (वि०) दलदली का बेकार अंश II (पु०) कच्चा खरबूज़ा। -पेटी कच्छ-(पु०) = कछुआ (जैसे-कच्छ अवतार) (स्त्री)कूड़ा डालने की पेटी
कच्छप-सं० (पु०) कछुआ (स्त्री०) कच्छपी कचरी-(स्त्री०) 1 सब्ज़ी के उपयोग में आनेवाली एक लता कच्छा-(पु०) 1 जाँधिया 2 विशाल नौका 2 छिलकेदार दाल 3 आलू के नमकीन कतरे
कछना (पु०), कछनी-(स्त्री०) कछौटा, छोटी धोती कचलोन-(पु०) एक तरह का नमक
कछरा-(पु०) चौड़े मुँहवाला मटका कचलौदा-(पु.) आटे का पेड़ा
कछान-(पु०) कछनी, काछना कचहरी-(स्त्री०) 1 अदालत 2 इजलास 3 दरबार
कछार-(पु०) नदी-तट की भूमि कचाई-(स्त्री०) 1 कच्चापन 2 कमी 3 अपूर्णता
कछुआ-(पु०) एक जलथलचर जीव, कच्छप कचाना-(अ० क्रि०) 1 कच्चा पड़ना 2 पीछे हटना कछौटा-(पु०) कमर में लिपटने वाली धोती, कछनी कचायँध-(स्त्री०)कच्चेपन की गंध
कज-फ़ा० (पु.) 1 टेढ़ापन 2 ऐब, दोष 3 त्रुटि || (वि.) कचायन-(स्त्री०) विवाद, झगड़ा
टेढ़ा, कुटिल कचार-(पु०) = कछार
कजक-फा० (पु०) अंकुश कचारना-(स० क्रि०) पछाड़ना, फीचना (जैसे-कपड़ा कजकोल-(पु०) = कचकोल कचारना)
कजरा-1 (वि०) 1 काजल के रंग का, काला 2 जिसकी आँख कचालू-(पु०) 1 अरबी 2 उबले हुए नमकीन आलू । | में काजल लगा हो, कजरारा II (पु०) 1 काजल 2 काली ~करना खूब मारना, पीटना
आखोंवाला बैल कचिया-(स्त्री०) हँसिया, दाँती
कजरारा-(वि०) 1काजल लगा हुआ, अंजन युक्त कचियाना-(अ० क्रि०) 1 कच्चा होना 2 हिम्मत हारना _(जैसे-कजरारे नयन) 2 काला (जैसे-कजरारे बादल) कचुल्ला-(पु०) 1 कटोरा 2 प्याला
कजलाना-I (अ० क्रि०) 1 काला पड़ना 2 काजल से युक्त कचूमर-(पु०) अत्यधिक मार से बना भर्ता । -निकालना होना II (स० क्रि०) काजल लगाना अधमरा कर देना
कजली-I (स्त्री०) 1कालिख 2 काली आँखोंवाली गाय कचूर-(वि०) 1 हल्दी की तरह गहरा लाल रंग 2 हल्दी की | II (स्त्री०) 1 स्त्रियों का एक त्योहार जो भादों माह में होता है
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कजलौटा
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कटूक्ति
2 एक वर्षागीत
कटवाना-(स० क्रि०) काटने का काम अन्य किसी से कराना कजलोटा-(पु०) काजल रखने का एक विशेष किस्म का पात्र कटहरा-(पु०) = कटघरा (डिबिया)
कटहल--(पु.) एक बड़ा फल जिसकी सब्जी और अनार कजा-अ० (स्त्री०) 1 मृत्यु 2 कर्तव्यपालन। ~आना मौत बनाया जाता है
आना; ~करना नमाज अदा करना, धर्म संबंधी कर्तव्य पूरा कटहा-I (वि०) काटनेवाला (जैसे-कटहा कुत्ता आदि) करना
II (पु०) महाब्राह्मण कज़ाक-तु० 1 लुटेरा 2 धोखेबाज़
कटा-(पु०) 1मारकाट 2 वध, हिंसा 3 चोट। छटा कज़ाकी-तु० + फ़ा० (स्त्री०) छल-कपट, धोखेबाज़ी काटना-छाँटना; कटे पर नमक छिड़कना अधिक कष्ट देना, कज़ाख- कज़ाक
बहुत सताना कजावा-फा० (पु०) ऊँट की काठी
कटाई-(स्त्री०) 1 काटने का काम 2 काटने की मज़दूरी। कज़िया-अ० (पु०) 1 झगड़ा 2 झंझट
चिराई काटना चीरना, चीरना-फाड़ना कजी-फ़ा० (स्त्री०) 1 टेढ़ापन 2 दोष
कटाकट-(पु०) कट कट का शब्द कजल-सं० (पु०) 1 काजल 2 सुरमा
कटाकटी-(स्त्री०) मारकाट, खून खराबा कजलित-सं० (वि०) 1 काजल से युक्त 2 काला कटाक्ष-सं० (पु०) 1 वक्र दृष्टि, तिरछी निगाह 2 व्यंग्य कज़्ज़ाक-तु० (पु०) 1 डाकू 2 लुटेरा
___3 आक्षेप, चोट । पात (पु०) कटाक्ष करना, आक्षेप करना कज्जाकी-तु० + फ़ा० = क़ज़ाकी
कटा-छनी-(स्त्री०) 1 आपस की मार-काट 2 कटुतापूर्ण कट-सं० (पु०) 1 हाथी का गंडस्थल 2 चटाई 3 कटि प्रदेश बातचीत 4 तख्ता 5 एक स्याह रंग
कटान-(स्त्री०) 1 कटाई 2 कटाव कट-अं० (पु०) काट, तराश। -पीस (पु०) टुकड़ा कटाना-(स० क्रि०) = काटना कटक-सं० (पु०) 1 समूह 2 पैर का कड़ा 3 सेना 4 सैनिक | कटार-(स्त्री०) 1खेंजर 2 तलवार शिविर। -बंध (पु०) व्यूह-रचना .
कटारी-(स्त्री०) छोटी कटार कटकट-(स्त्री०) 1 दाँतों के टकराने से उत्पन्न होनेवाला शब्द कटाव-(पु०) 1 काट 2 पच्चीकारी में फूल पत्तियों की 2 अनबन, बिगाड़
बनावट । दार + फा० (वि०) जिस पर कटाव का काम कटकटाना-I (अ० क्रि०) दाँतो का आपस में बजना किया गया हो __II (स० क्रि०) दाँत पीसना
कटावन-(स्त्री०) कटाई कटकना, कटकीना-(पु०) चतुराई से पूर्ण साधारण युक्ति कटाह-सं० (पु०) 1 बड़ी कड़ाही, कड़ाह 2 कूप 3 कछुए की कटखना-(वि०) 1 काट खानेवाला (जैसे-कटखना कुत्ता पीठ का कड़ा आवरण 4 भैंस का बच्चा जिसकी सींग निकल आदि) 2 चिड़चिड़ा
रही हो 5 झोंपड़ी 6 टीला कटघरा-(पु०) 1 (न्यायालय में) काठ का बना घेरा 2 काठ | कटिंग-अं० (स्त्री०) क़तरन (विशेषतः पत्र-पत्रिका की) का बना घर
कटि-सं० (स्त्री०) कमर। -जेब + फ़ा (स्त्री०) करधनी; कटड़ा-(पु०) भैंस का पड़वा
तट (पु०) कटि; बंध (पु०) 1 कमर बंद, पटका कटती-(स्त्री०) 1 छंटना 2 खपत 3 बिक्री
2 ऋतु के विचार से भौगोलिक विभाजन (जैसे-उष्ण कटिबंध, कटन-(स्त्री०) कटने एवं काटने की क्रिया
शीत कटिबंध आदि); बद्ध (वि०) 1 उद्यत 2 तत्पर; कटना-(अ० वि०) 1दो टुकड़े होना 2 विभक्त होना 3 अलग सूत्र (पु०) करधनी होना (जैसे-मेरी बात पर वह ऐसे कटे कि फिर न बोले) कटिया-I (पु०) 1 हक्काफ 2 कटा चारा II (स्त्री०) कैंटिया 4 काटा जाना (जैसे-उसका नाम स्कूल से कट गया है) (जैसे-कटिया फँसाकर मछली पकड़ना) III मैंस का मादा 5 कतरा जाना 6 ख़ारिज होना 7 दुर्घटना आदि में कोई अंग न
बच्चा रहना (जैसे-वह रेलगाड़ी से कट गया) 8 ग० भाग में पूरा पूरा कटीला-(वि०) 1 काटनेवाला (जैसे-कटीली आँखे कटीले आ जाना।
नैन) 2 धारदार, तेज़ 3 चुभनेवाला (जैसे-कटीली बातं) कट मरना-लड़ मरना
4 अच्छी बनावट, अच्छी सजधजवाला (जैसे-कटीला यौवन) कटपीस-अं० (पु०) थोड़ा कट-फट गया माल
कटु-सं० 1 कडुआ (जैसे-कटु स्वाद कटु, गंध आदि) कटर-अं० (पु०) 1 काटनेवाला 2 छोटा चाकू 3 पेंसिल 2 अप्रिय (जैसे-कटु बात, कटु वाणी आदि) 3 कष्टदायक बनानेवाला कटर
(जैसे-कटु आलोचना)। ता (स्त्री०) 1कडुआपन कटरा-I (पु०) छोटा चौकोर बाज़ार II (पु०) = कटड़ा,
2 दुर्भावना; भाषी (वि०) = कटुवादी; वचन, कटहड़ा
वाक्य (पु०) दुर्वचन, अप्रिय बात; ~वादी (वि०) कटलरी-अं० (स्त्री०) चाकू छरी-काँटा आदि वस्तुएं
अप्रिय बात कहनेवाला, दुर्वचनी; व्यवहार (पु०) बुरा कटलेट-अं० (पु०) आलू का बना पकवान
बर्ताव; शब्द (पु०) कड़वी बात, अप्रिय वचन .कटल्लू-(पु०) कसाई, बूचड़, काटनेवाला
कटुआ-(वि०) 1 कटा हुआ 2 काटनेवाला कटवा-(वि०) 1जो काटा जाए (जैसे-कटवाँ फल) कटुक-सं० (वि०) = कटु, कडुआ 2 कटवाया हुआ (जैसे-कटवा ब्याज)
| कटूक्ति-सं० (स्त्री०) अप्रिय बात, कड़वी बात
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कटूरना
कटरना-(अ० क्रि०) उपेक्षा एवं क्रोध से देखना कटैया-1 (पु० ) काटनेवाला (जैसे धान कटैया ) II (स्त्री०) भटकैया कटोर-सं० (पु०)
=
कटोरा । दान + फ्रा० (पु० ) कटोरे
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का ढक्कन
+
कटोरा - सं० हिं० (५०) चौड़े पेंदे का बड़ा पात्र फटोरी-(स्त्री०) 1 छोटा कटोरा 2 कटोरी के शक्ल की कोई
वस्तु
कटौती- (स्त्री०) 1 काटना (जैसे- रकम कटौती की गई ) 2 काटा हुआ धन आदि कट्टर - (वि.)
1 काट खानेवाला 2 अनुदार विचारवाला (जैसे-कट्टर व्यक्ति) 3 अपने मत का कठोरता से पालन करनेवाला, हठधर्मी । ता सं० (स्त्री०) हठधर्मिता: पंथी (वि०) हठधर्मी, अंधविश्वासी; पन (पु० ) = कट्टरता, अंधविश्वास
+
कट्टा - 1 (वि०) 1 मोटा ताजा, हट्टा-कट्टा 2 बलवान ll (पु० ) जबड़ा
कट्ठा - (पु० ) 1 ज़मीन की एक नाप 2 पाँच सेर का अनाजवाला काठ का बर्तन 3 तौल में पाँच सेर का मान कटंगर - (वि०) 1 काठ के अंगोंवाला 2 मोटा-ताजा कठ - I ( पु० ) 1 काठ, लकड़ी 2 काठ का एक बाजा li (वि०) कठोर, हृदयहीन
कठ- (वि०) 'काठ' का ( संक्षिप्त रूप), काठ से संबंध रखनेवाला, काठ की तरह आदि। कीली (स्त्री०) 1 काठ की बनी कील, खुंटी 2 पच्चर; ~कोला (पु० ) कठफोड़ पक्षी खुदाई (स्त्री०) जंगल की कटाई; गुलाब फा० (५०) जंगली गुलाब, घरा (पु० ) = कटघरा; --ताल (पु० ), पंडित सं० (पु० ), पुतली (स्त्री०) 1 डोरे से बाँधकर नचाई जानेवाली काठ की पुतली 2 दूसरों के इशारों पर काम करनेवाला: पुतली राज्य + सं० ( पु० ) वह राज्य जो अन्य शक्ति द्वारा प्रेरित हो; पुतली सम्राट सं० (पु०) ऐसा राजा जो दूसरों के हाथ की कठपुतली हो; फोड़ा (पु०) खाकी रंग की एक चिड़िया; बंधन + सं० (पु०) 1 काठ की बेड़ी, अर्गला; खनिया (पु० ) लोभी बनिया, खाप (पु०) सौतेला बाप; वैद (पु० ) कठवैद्य, नीम हकीम मलिया 1 (पु० ) पाखंडी साधु, दिखावटी साधु II (वि०) जो काठ की माला पहने हो; ~ मस्त मस्ता फ़ा० (वि०) 1 निश्चिंत, बेफ़िक्र 2 व्यभिचारी; मस्ती + फ़ा० (स्त्री०) निश्चिंतता, बेफ़िक्री; ~मुल्ला + तु० (पु० ) अनपढ़ और नकली गुरु, मूर्ख मौलवी, कट्टरपंथी मुल्लापन + तु० + हिं० (पु० ) कट्टरता, दुराग्रह; वैद्य + सं० (पु.) अनाड़ी चिकित्सक, हँसी (स्त्री०) बनावटी हँसी हुज्जत + अ० (स्त्री०) बेकार की नुक्ताचीनी
+
कठड़ा - (पु० ) = कटघरा कठारी- (स्त्री०) 1 काठ का बर्तन 2 कमंडल कठिन -सं० (वि०) 1 मुश्किल, जटिल (जैसे कठिन काम ) 2 टेढ़ा (जैसे यह एक कठिन समस्या है ) । ~ता (स्त्री०) 1 कड़ाई 2 अड़चन, बाधा
कठिनिका, कठिनी-सं० (स्त्री०) सब से छोटी उँगली
कड़ाई
+
हिं० (स्त्री०) कठिनता (जैसे- नदी पार
कठिनाई सं० करने के लिए कठिनाई का सामना करना पड़ेगा ) कठिया - (वि०) कड़े छिलकेवाला कठियाना - (अ० क्रि०) सूखकर कड़ा होना
कठुआना - (अ० क्रि०) 1 सूखकर कठोर होना (जैसे- ठंड से हाथ पैर कठुआना) 2 सूखकर लकड़ी होना, कमजोर एवं क्षीण होना
=
कठूमर - (पु० ) जंगली गूलर
कठेठ - (वि०) कठोर, सख्त 2 कठोर अंगोंवाला, बलवान् कठैला - (पु०) कठौता
कठोदर - हिं०
+
सं० ( पु० ) पेट का एक रोग कठोर -सं० (वि०) 1 कड़ा 2 निष्ठुर, बेरहम (जैसे- वह बहुत ही कठोर है)। ता (स्त्री०), पन हिं० (पु० )
+
1 कड़ापन 2 निर्दयता
कठौता - (पु०) काठ का बना चौड़े मुँह का बर्तन (स्त्री० कठौती)
कड़क - (स्त्री०) 1 कड़ी और भयंकर आवाज़ 2 रुक-रुककर होनेवाली पीड़ा, कसक 3 तड़ित की चमक के बाद होनेवाली ध्वनि (जैसे- बिजली कड़कना) 4 घोड़े की सरपट चाल । दार + फ़ा० (वि०) कड़ाकेवाला; ~नाल (स्त्री०) चोड़े मुँह की तोप; बाँका (पु०) छैला - बिजली (स्त्री०) 1 कान का आभूषण 2 आतिशबाज़ी कड़कड़ - (पु० ) वस्तुओं के टूटने से उत्पन्न होनेवाली ध्वनि कड़कड़ाना-I (अ० क्रि०) कड़कड़ की ध्वनि करना II (स० क्रि०) अत्यधिक गर्म करना
कड़कड़ाहट - (स्त्री०) कड़-कड़ होने की क्रिया कड़कना - (अ० क्रि०) 1 वस्तु का चिटकना 2 गरजना 3 क्रोध में जोर से बोलना। कड़कती दोपहरी अत्यधिक गरमी, चिलचिलाती धूप
कड़का - (पु०) कड़ाके की आवाज़ कड़खा - ( पु० )
विजयगान
कड़खैत- (पु० ) कड़खा गानेवाला, चारण
कड़छा - (पु० ) = कलछा कड़बड़ा-I (वि०) चितकबरा II ( पु० ) ऐसा मनुष्य जिसकी दाढ़ी के बाल पक रहे हों
कड़वा - (वि०) 1 कसैला 2 कटु 3 अप्रिय वचन नहीं बोलना चाहता) 4 चिड़चिड़ा स्वभाव का व्यक्ति है) । ~ कसैला (वि०) 1 कटु 2 अप्रिय; कड़वे कसैले दिन बुरे दिन, पन (पु० ), कड़वाहट (स्त्री०) कटुता कड़ा - I (वि०) 1 सख़्त, कठोर 2 जो नरम एवं लचीला न हो (जैसे-यह तार बहुत कड़ा है) 3 दृढचित्त (जैसे वह बहुत कड़ा मिज़ाजवाला व्यक्ति है) 4 जो पका न हो (जैसे-फल अभी कड़ा है) 5 जो अप्रिय एवं असह्य हो (जैसे- कड़ा जाड़ा, कड़ी गर्मी आदि ) 6 जिसमें कठोरता एवं सतर्कता हो (जैसे- कड़ी निगाह ) 7 तगड़ा (जैसे वह कड़े शरीर का व्यक्ति है) 8 जिसमें क्रोध एवं तिरस्कार की सूचना मिले (जैसे- कड़ी बात, कड़ा जवाब आदि) II (पु० ) वृत्ताकार गहना, बलय (जैसे-पैर का कड़ा) कड़ाई - ( स्त्री०) 1 कड़ापन 2 कटु व्यवहार
(जैसे- मैं कड़वा (जैसे- वह कड़वे
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140
क़त्ल
कमाका-(क्रि० वि०) कड़कड़ ध्वनि करते हुए (जैसे-कुत्ते का | कतई-अ० I (वि०) निश्चित II(अ०) एकदम, बिलकुल, कड़ाकड़ हड्डी तोड़ना एवं चबाना)
हरगिज़, तत्काल कडाका-(पु०) ज़ोर का, सख्त (जैसे-कड़ाके की ठंड पड़ रही | कतना-(अ० क्रि०) काता जाना
कतनी-(स्त्री०) तकली (एक औज़ार-जिससे रुई काती जाती कड़ाकेदार-हिं० + फ्रा० जबरदस्त कड़ाबीन-तु० (स्त्री०) कमर की एक छोटी बंदूक कतर-छाँट-(स्त्री०) काट-छाँट काह, कड़ाहा-(पु०) लोहे का वृत्ताकार बड़ा एवं छिछला कतरन-(स्त्री०) कतरने से बने टुकड़े, छोटे-बड़े टुकड़े बर्तन
कतरना-(स० क्रि०) काटना कड़ाही-(स्त्री०) छोटा कड़ाहा। ~में हाथ डालना 1 अग्नि कतरनी-(स्त्री०) कतरने का साधन, कैंची परीक्षा देना 2 जानबूझकर झंझट में पड़ना
कतरब्योंत-(स्त्री०) 1 काट-छाँट 2 हेर-फेर 3 सोचविचार कड़ियल-(वि०) 1कड़े दिलवाला, साहसी, कठोर कतरवा-(वि०) 1 तिरछा 2 काटकर निकाला हुआ 2 हट्टा-कट्टा (जैसे-कड़ियल जवान)
कतरवाना-(स० क्रि०) कतरना कडी-(स्त्री०)1 लड़ी (जैसे-जंजीर की सबसे कमज़ोर कड़ी) कतरा-(पु०) काट कर निकाला हआ टुकड़ा (जैसे-वस्त्र का 2 जंजीर (जैसे-इस कड़ी में दस गुरियाँ हैं) 3 घटना अदि का | कतरा) क्रम (जैसे-मेरे जीवन की घटनाओं में यह भी कड़ी है) 4 गीत कतरा-अ० (पु०) 1 बूंद (जैसे-पानी का क़तरा) 2 खंड एवं कविता आदि की पंक्ति (जैसे-काव्य की चौथी कड़ी 3 अंश पढ़ो) II (स्त्री०) कठिनाई, मुसीबत (जैसे-कड़ी झेलना) कतराई-(स्त्री०) 1 कतरवाई III (स्त्री०) अशुभ, अमंगल (जैसे-बिना सोचे समझे कड़ी कतराना-I (अ० क्रि०) नज़र बचाकर निकल जाना बात कह गए)। दार + फ्रा० (वि०) छल्लादार, एक तरह - II (स० क्रि०) कतरवाना, कटवाना का कसीदा
कतल-अ० (पु०) हत्या, वध। बाज़ + फ़ा० (वि०) कड़आ, (वि०) = कड़वा
हत्यारा, वधिक कड़वाहट, (स्त्री०) = कड़वापन
कतला-(पु०) कटा हुआ चौकोर टुकड़ा, फाँक कड़ेरा-(पु०) खरादनेवाला
क्रतलाम-अ० (पु०) = क़त्लेआम कढ़ना-I (अ० क्रि०) 1 बाहर आना 2 उदय होना 3 लाभ | कतली-(स्त्री०) जमाई हुई बरफी होना 4 बढ़ जाना II (अ० क्रि०) दूध औटकर गाढ़ा होना। कतवाना-(स० क्रि०) = कातना कढ़ जाना स्त्री का घर से भाग जाना
कतवार-I (पु.) कूड़ा करकट II (वि०) कातनेवाला। कड़नी-(स्त्री०) नेती, मथानी की रस्सी
~खाना (पु०) कूड़ा फेंकने का सार्वजनिक स्थान कड़वाना-(स० क्रि०) = काढ़ना
कता-अ० (स्त्री०) 1 काटना 2 काट 3 तराश 4 आकार । कढ़ाई-I (स्त्री०) = कड़ाही II (स्त्री०) 1 बेलबूटे बनाने का ~कलाम (पु०) बात काटना; ~नज़र फ़ा + अ० (क्रि० काम 2 बेल-बूटे करने की मज़दूरी (जैसे- मेज़पोश की कढ़ाई वि०) इसके सिवा दस रुपए हुई)
कताई-(स्त्री०) 1 कातने का काम 2 कातने की मज़दरी। कड़ना-(स० क्रि०) 1कढ़वाना 2 निकलवाना
बुनाई (स्त्री०) कातने और बुनने का काम कढ़ाव-(पु०) बेलबूटे का काम
कतान-(पु०) एक प्रकार का रेशमी कपड़ा कविहार-(वि०) 1 निकालनेवाला 2 उद्धार करनेवाला 3 कर्ज़ कतार-अ० (स्त्री०) पंक्ति (जैसे एक क़तार में सजाया गया) लेनेवाला
क्रम, सिलसिला कढ़ी-(स्त्री०) बेसन, दही और मसाले के मिश्रण से बना कतारा-(पु०) ऊख की एक किस्म
खाद्य पदार्थ। ल्का सा उबाल क्षणिक उत्साह कतिधा-[ सं० (वि०) अनेक प्रकार का II (क्रि० वि०) कबुआ I (वि०) 1 निकाला हुआ 2 औंटकर गाढ़ा किया हुआ अनेक प्रकार से
3 बेल बूटे बनाया हुआ II (पु०) कर्ज, ऋण कतिपय-(वि०) कुछ, थोड़े से, कई-एक, चंद कण-सं० (पु०) 1 टुकड़ा (जैसे-कोयले का कण) कतौनी-(स्त्री०) = कताई 2 दाना (जैसे-चावल का कण)
कत्तल-(पु०) 1 क़तरा 2 टुकड़ा (जैसे-ईंट का कत्तल) कणिक-सं० (पु०) 1 ज़र्रा 2 गेहूँ का आटा 3 शत्रु कत्ता-(पु०) 1 बाँक 2 छोटी तलवार कणिका-सं० (स्त्री०) छोटा कण, कनी, जीरा
कत्ती-I (स्त्री०) 1 कटारी 2 सोनार की कतरनी II(१०) सूत कणिकायित-सं० (वि०) कणयुक्त
कातनेवाला कणिश-सं० (पु०) गेहूँ, जौ आदि की बाल
कत्थ-(पु०) = कत्था कणीक-सं० (वि०) बहुत छोटा, अत्यल्प
कत्थई-(वि०) कत्थे के रंग का कणेरा-सं० (स्त्री०) 1 वेश्या 2 जलहस्तिनी
कत्थक-(पु०) एक तरह का नाच कण्व-सं० (पु०) एक ऋषि
कत्था-(पु०) खैर की लकड़ी का सत् (लाल रंग का)। क्रत-अ० (पु०) 1तिरछा काटना 2 नोक लगाना
सुपारी (स्त्री०) कत्था और सुपारी कत-सं० (पु०) 1 रीठा 2 निर्मली
| कल-अ० (पु०) = क़तल वध, हत्या। ~गाह + फ़ा०
माग
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कत्लेआम
(पु० ) वधस्थल, कसाईखाना;
क़त्लेआम अ० + फ़ा + अ० (पु० ) सार्वजनिक हत्या, अंधाधुंध वध
कथंचित्- ( क्रि० वि०) शायद, संभवतः
कथक -सं० (पु० ) 1 कत्थक 2 कथावाचक कथक्कड़ - (पु० ) अधिक कथाएँ कहनेवाला कथन-सं० (पु० ) 1 कहना 2 वचन 3 वर्णन कथना - (स० क्रि०) 1 कहना 2 निंदा करना कथानुसार-सं० कथा के अनुसार कथनी - (स्त्री०) कही हुई बात, कथन कथनीय सं० (वि०) कहने योग्य कथनोपकथन-सं० (पु०) संवाद, बातचीत, डॉयलाग (370)
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कथमपि सं० ( क्रि० वि०) 1 किसी प्रकार 2 बहुत कठिनता से कथरी - (स्त्री०) फटे-पुराने कपड़ों को जोड़कर बनाया गया बिछौना कथांतर - सं० (पु०) 1 दूसरी कथा 2 गौण कथा कथांश सं० (पु० ) कथा का कोई अंश
कथा - सं० (स्त्री०) 1 पौराणिक आख्यान 2 कल्पित कहानी । -कार ( पु० ) 1 कहानी कहनेवाला 2 कथा सुनानेवाला; ~काव्य (पु०) कथात्मक काव्य; ~ तत्त्व (पु० ) सारांश; नायक (पु० ) प्रधान पात्र पत्रिका (स्त्री०) कहानियों की पत्रिका पीठ (पु० ) 1 कथा की प्रस्तावना 2 कथा करने का स्थान प्रबंध (पु०) कहानी प्रसंग (पु० ) कथावार्ता: ~मुख (पु० ) कथा की प्रस्तावना; योग (पु० ) = कथावार्ता वस्तु (स्त्री०) 1 कथा का सार रूप 2 कथ्य विषयः वार्ता (स्त्री०) 1 अनेक प्रकार के प्रसंग, बातचीत 2 पौराणिक या धार्मिक चर्चा; सूत्र (पु० ) =
=
कथा तत्त्व, कथावस्तु
कथात्मक-सं० (वि०) कहानीवाला
कथानक -सं० (पु० ) 1 छोटी कथा 2 रचना का आदि से अंत तक का सामूहिक रूप, कथा-सार कथानिका-सं० (स्त्री०) उपन्यास का एक भेद कथिक-सं० (पु० ) = कथाकार
कथित सं० (वि०) कहा हुआ कथोद्घात-सं० (पु०) कथारंभ कथोपकथन -सं० (५०) बातचीत, संवाद कथोपकथनात्मक-सं० (पु० ) संवादपूर्ण कथ्य - I सं० (वि०) कहने योग्य, कथनीय II ( पु० ) विषय कदंब - सं० (पु० ) 1 क़दम नामक वृक्ष और फल 2 ढेर, राशि 3 सरसों का पौधा
कदंश-सं० (पु०) बुरा अंश, निकृष्ट भाग कद - ( उप०) बुरा (जैसे- कदन्न, कदाचार )
क़द - अ० ( पु० ) ऊंचाई, लम्बाई (जैसे आदमकद शीशा) कदक्षर-सं० (पु०) बुरी लिखावट
कदन -सं० (पु० ) 1 मृत्यु 2 विनाश 3 युद्ध 4 हत्या 5 दुःख,
कद्दूदाना
डग (जैसे चार क़दम चलने पर ) 3 पचिह्न 4 कोशिश । खाज़ + फ़ा० (पु० ) ठीक चाल चलनेवाला; बोस + फ़ा० (पु० ) चरण चूमनेवाला; बोसी + फ़ा० (स्त्री०) सम्मान प्रदर्शन, चरण स्पर्श करना; उखड़ना पाँव उखड़ना, भाग जाना; ~ उठाना आगे बढ़ना; चूमना 1 चरण स्पर्श करना 2 सम्मान करना 3 गुरु मान लेना; छूना 1 पाँव पड़कर प्रणाम करना 2 किसी की कसम खाना ~ निकालना 1 क़दम की चाल सिखाना 2 बाहर जाना; पर क़दम रखना आगे-पीछे चलना, अनुगमन; ब क़दम चलना 1 साथ साथ चलना 2 अनुसरण करना; बढ़ाना 1 चाल तेज़ करना 2 आगे बढ़ना, मारना 1 दौड़-धूप करना 2 कोशिश करना; ~ रखना आना, पहुँचना; लेना 1 पाँव पड़ना 2 इज़्ज़त करना कदमचा + फ़ा० (पु० ) 1 पैर रखने की जगह 2 पाखाने की खुड़ढी
कदमा - ( स्त्री०) कदंब के फूल सी एक मिठाई कदर-सं० (पु०) 1 आरा 2 अंकुश 3 कंकड़ी आदि चुभने से बनी गाँठ, गोखरु 4 सफेद खैर का पेड़ छेना क़दर - अ० 1 मान, केंद्र 2 प्रतिष्ठा 3 महत्त्व (वि०) सम्मान देनेवाला, आदर करनेवाला; (स्त्री०) प्रतिष्ठाभाव
ष्ट
कदन्न -सं० (पु० ) घटिया किस्म का अनाज कदम - (पु० )
14
कदंब
क़दम - अ० (पु० ) 1 पैर (जैसे-पहला क़दम बढ़ाना) 2 पग,
दान + फ़ा० दानी + फ़ा०
कदराई - ( स्त्री०) कायरता, डरपोकपन, दब्बूपन कदर्थ-सं० (वि०) 1 अनुचित अर्थवाला 2 व्यर्थ, बेकार 3 बुरा, कुत्सित 4 निकम्मा
कदर्थना - सं० (स्त्री०) 1 बुरी दशा, दुर्दशा 2 निंदा 3 तिरस्कार
4 सताना
कदर्थित सं० (वि०) 1 निंदित, तिरस्कृत 2 जो दुर्गति को प्राप्त हुआ हो
कदर्य - सं० (वि०) 1 कंजूस, कृपण 2 कायर, डरपोक 3 बुरा, हीन । ~ता (स्त्री०) 1 कृपणता 2 कायरता 3 हीनता कदल -सं० (पु०), कदली-पं० (स्त्री०) केला कदा-सं० ( क्रि० वि०) कब, किस समय कदाकार, कदाकृति-सं० (वि०) बुरी आकृतिवाला, बेडौल, कुरूप, भोंड़ा
कदाख्य-सं० (वि०) बदनाम
कदाचन-सं० ( क्रि० वि०) कदाचित्
कदाचार-सं० (पु०) बुरा व्यवहार, कुत्सित आचरण कदाचित् -सं० (अ०) 1 कभी, शायद 2 अगर, यदि कदापि सं० (अ०) कभी, हर्गिज
क़दामत - अ० (स्त्री०) प्राचीनता । पसंद + फ्रा० रुढ़िवादी कदाहार-सं० (पु० ) दूषित भोजन
कदी-अ० + फ़ा० I (वि०) हठी, ज़िद्दी II (अ) कभी-कभी क़दीम-अ० (वि०) पुराना, प्राचीन
कदीमी- अ० + फ्रा० (वि०) प्राचीन, पुराने समय का कदुष्ण-सं० (वि०) कुनकुना, थोड़ा गरम
कदूरत - अ० (पु० ) 1 जमा हुआ मैल 2 दुर्भाव, मन-मुटाव कद्दावर-अ० + फ्रा० (वि०) बड़े डील डौलवाल कद्दू - फ्रा० (पु० ) एक सब्ज़ी, सीताफल । कश (पु०) कद्दू रेतने का उपकरण
कद्दूदाना फ्रा० (पु०) मल के साथ निकलनेवाले छोटे-छोटे पेट के कीड़े
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कद्र 142
कन्यका का-अ० (सी०) = क्रदर
कोंपल II (स्त्री०) फंदा कन-(पु०) 1कण 2 प्रसाद 3 भीख 4 कान। -कटा कनागत-(पु०) श्राद्ध पक्ष (वि०) जिसका कान कटा हो; कटी (स्त्री०) कान की कनात-तु० (स्त्री०) कपड़े की दीवार एक बीमारी; कूत (पु०), खजूरा (पु०) गोज़र की कनासी-(स्त्री०)रेती जाति का एक कीड़ा; खोदनी (स्त्री०)कान से गंदगी कनिक-(स्त्री०) 1 गेहूँ 2 गेहूँ का आटा निकालने का एक छोटा उपकरण; ~टोप (पु०) कान तक
कनियाना-I (अ० क्रि०) आँख बचाकर भागना, कतराना ढकनेवाली टोपी; ~पटी (स्त्री०) कान और आँख के बीच | II (अ० क्रि०) पतंग का एक ओर झुकना, कत्री खाना का स्थान; पेड़ा, फेड़ा (पु०) कान के पास गिलटी कनिष्क-(पु०) कुषाणवंशीय एक प्रसिद्ध सम्राट (रोग); फुका (वि०) 1 दीक्षा देनेवाला 2 दीक्षा कनिष्ठ-सं० (वि०) 1 उम्र में सबसे छोटा 2 पद में छोटा लेनेवाला; ~फुसका (पु०) 1 चुगुलखोर 2 बहकानेवाला; कनिष्ठा, कनिष्ठिका-सं० (स्त्री०) 1 सबसे छोटी उँगली, कानी
फुसकी (स्त्री०) = कानाफूसी; ~विधा (वि०) छिदे उँगली 2 ऐसी नायिका जो पति की कम प्यारी हो 3 छोटे भाई कानवाला; रस (पु०) अच्छेगीत सुनने की प्रवृत्ति; __ की पत्नी 4 छिगुनी ~रसिया (पु०) शौकीन
कनी-I हिं० (स्त्री०) हीरे का छोटा टुकड़ा 2 चावल का कनई-(स्त्री०) नई शाखा, कल्ला
छोटा टुकड़ा 3 कण सं० बालिका, कन्या। चाटना जान कनक-सं० 1 सोना, स्वर्ण 2 धतूरा 3 गेहूँ। ~कली + हिं० देना (स्त्री०) कान में पहना जानेवाला छोटा आभूषण, लौंग; कनीक-सं० (वि०) 1 युवा 2 वयस्क -शैल (पु०) सुमेरू पर्वत
कनीज़-फा० (स्त्री०) दासी, लौंडी, बाँदी कनकना-I (वि०) 1 हल्की चोट से टूट जानेवाला II (वि०) कनीनक-सं० (पु०) 1किशोर 2 आँख का तारा चिड़चिड़ा, तुनुक मिज़ाजवाला
कनीनिका-सं० (स्त्री०) 1 आँख का तारा 2 कन्या 3 कानी कनकनाना-I (अ० क्रि०) सुरसुरी उत्पन्न करना (जैसे-सूरन उँगली
खाने से गला कनकनाना) 2 रोमांचित होना II (अ० क्रि०) | कनेठा-(वि०) 1काना 2 ऐंचा-ताना - कान खड़े करना, चौकन्ना होना
कनेठी-(स्त्री०) कान ऐंठना (दंड) कनकनाहट-(स्त्री०) खुजलाहट
कनेर-(पु०) एक पौधा जिसमें सफ़ेद, पीले और लाल फूल कनका-(पु०) = कण
लगते हैं कनकी-(स्त्री०) 1 चावल के दाने 2 किसी वस्तु का अतिसक्ष्म - कनेरिया-(वि०) कनेर के फूल के रंग का कण
कनेव-(पु०) चारपाई का टेढ़ापन कनकौआ-(पु०) = कनकौवा
कनोखा-(वि०) कटाक्षमय, वक्र दृष्टि कनकौएबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) पतंगबाजी
कनोखी-(स्त्री०) = कनखी कनकौवा-(पु०) बड़ी पतंग, गुड्डी
कनौठा-(पु०) 1 कोना, कोण 2 किनारा, बगल कनकाभ-सं० (वि०) सोने की-सी चमकवाला
कनौड़-(स्त्री०) 1 कलंक 2 संकोच, लज्जा 3 हीनता कनखा-(पु०) छोटी टहनी (जैसे-कनखा फूटना, कनखा कनौड़ा-(वि०) 1काना 2 विकलांगी 3 शूद्र 4 लज्जित निकलना)
5 असमर्थ कनखियाना-(स० क्रि०) 1 कनखी से देखना 2 इशारा करना कनौती-(स्त्री०) 1 पशु के कान की नोक 2 कान खड़ा करने 3 वक्र दृष्टि
का ढंग 3 बाली। कनोतियाँ बदलना 1 घोड़े का कान खड़ा कनखी-(स्त्री०) 1 तिरछी नज़र से देखना 2 आँख की कोर. | करना 2 सतर्क होना चितवन
कन्नड़-(स्त्री०) कनड़ प्रदेश की भाषा कनगुरिया-(स्त्री०) कानी उँगली
कना-(पु०) 1 पतंग उड़ाने के लिए बीच में बाँधा जानेवाला कनटक-(पु०) कंजूस, कृपण
धागा, मंझा 2 किनारा, कोर (जैसे-पतंग का कत्रा)। कनतूतुर-(पु०) विषैला मेंढक
हीला होना 1 उत्साह ढीला पड़ना 2 ऐंठ ढीली होना; कनमनाना-(अ० क्रि०) 1 निद्रावस्था में हिलना-डुलना साधना गाँठ ठीक जगह बाँधने के लिए लम्बाई नापना; 2 सिकोड़ना 3 विरोध सूचक चेष्टा करना
| कने से कटना पतंग का कत्रे से कट जाना कनवई (स्त्री०), कनवा-(पु०) 1 छोटा टुकड़ा, कण 2 छटाँक कन्नी-(स्त्री०) 1 पलंग का किनारा 2 किनारा 3 राजमिस्त्री की कनवास-अं० (पु०) सन-पटसन आदि का बना मोटा कपड़ा, | करनी 4 पेड़ का नया कल्ला । ~काटना कतराना, किनारे से किरमिच
निकल जाना; खाना पतंग का उड़ते समय एक तरफ़ कनसार-(पु०) धातु एवं पत्थर पर बेल-बूटे एवं लेख आदि झुकना; दबाना अधिकार में करना खोदनेवाला व्यक्ति
| कन्नौजी-I (वि०) कनौज से संबंध रखनेवाला II (स्त्री०) कनसाल-(पु०) चारपाई के पायों का तिरछा छेद
कनौज प्रदेश की बोली कनसुई-(स्त्री०) 1 सगुन बिचारना 2 आहट 3 गुप्त भेद लेना | कन्यका, कन्या-सं० (स्त्री०) अविवाहित बालिका, कन्या। कनस्तर-अं (पु०) टीन का पीपा
दान (पु०) विवाह में वर को कन्या देने की ति; ल्धन कनाई-I (स्त्री०) 1 पतली शाखा, पतली डाल 2 कल्ला, | (पु०) दहेज; पाठशाला (स्त्री०) ऐसी पाठशाला जहाँ
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कन्यावस्था
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कफनाना
केवल लड़कियाँ ही शिक्षा ग्रहण करती हैं; रासी (वि०) कपास-(स्त्री०) एक प्रसिद्ध पौधा जिसके फल से रुई निकलती 1 कन्याराशि में उत्पत्र 2 स्त्री स्वभाववाला 3 निकम्मा 4 तुच्छ _है। ~ओटाई (स्त्री०) कपास के फल से रूई निकालने का कन्यावस्था-सं० (स्त्री०) बालिका अवस्था
काम कन्युव-सं० (पु०) कलाई के नीचे का भाग
कपासी-(वि०) कपास के फूल के रंग का कन्वेंशन-अं० (पु०) 1 रूढ़ि, प्रथा 2 सम्मेलन
कपिंजल-I सं० (वि०) पीले रंग का II (पु०) 1 चातक, कन्हाई, कन्हैया-अं० (पु.) 1 कृष्ण 2 सुंदर बालक 3 प्रिय पपीहा 2 तीतर 3 एक मुनि व्यक्ति 4 एक पहाड़ी वृक्ष
कपि-सं० (पु.) बंदर, मर्कट कप-० (पु०) प्याला II सं० (पु०) 1 वरुण 2 दैत्यों की कपित्थ-सं० (पु०) कैथ। जाति
कपिल-I सं० (वि०) 1 भूरा, बादामी 2 भोला-भाला कपट-सं० (पु०) 1 धोखा,छल 2 बनावटी व्यवहार। ~कांड __II (पु०) एक मुनि जिसने राजा सगर के पुत्रों को शाप देकर (पु०) छलकर्म, ठगी; ~जाल (पु०) जालसाज़ी; भस्म कर दिया था
तापस (पु०) 1 पाखंडी साघु 2 ठगनेवाला व्यक्ति; | कपिश-सं० (वि०) भूरे रंग का नाटक (पु०) 1 कपट व्यवहार 2 ठगने का काम; ~पूर्ण कपूत-(पु०) 1 नालायक बेटा 2 कुल का नाम डुबानेवाला (वि०) = कपट; ~प्रबंध (पु०) धोखा देने की योजना; लड़का, कुपुत्र
मेष (पु०) दिखावटी रूप; ~मुद्राकरण (पु०) जाली कपूती-(स्त्री०)कपूतपन, नालायकी मुहर लगाना; ~लीला (स्त्री०) = कपट नाटक; लेख्य कपूर-(पु०) सफ़ेद रंग का ज्वलनशील एक सुगंधित पदार्थ जो (पु०) जाली दस्तावेज़; ~वृत्ति (स्त्री०), ~वेश (पु०) __ वायु में वाष्प बनकर उड़ जाता है। ~खाना विष खाना घोखा देने का भेष; ~शील (वि०) कपटी; ~शीलता | कपूरा-(पु०) बकरे का अंडकोष (सी०) = कपटाचरण
कपूरी-(वि०) कपूर की तरह कपटना-सं० + हिं० (स० क्रि०) धोखे से वस्तु का अंश कपोत-सं० (पु०) 1कबूतर 2 पंडुक। पालिका, निकालना
~पाली (स्त्री०) 1 कबूतरों का दरबा 2 कबूतरों की छतरी; कपटना-हिं० (स० क्रि०) काटकर अलग करना
वृत्ति (स्त्री०) संचय न करने की वृत्ति; व्रत (पु०) कपटमय-सं० (वि०) = कपट
अत्याचार सहन करना कपटाघाती-सं० (पु०) छल से प्रहार करनेवाला कपोती-I सं० (वि०) कपोत के रंग का II (स्त्री०) कबूतरी कपटाचरण-सं० (पु०) ठगबाज़ी
कपोल-सं० (पु०) गाल। ~कल्पना (स्त्री०) मनगढंत कपटी-सं० (वि०) धोखा देनेवाला, छली
बात; कल्पित (वि०) मन से गढ़ी हुई काल्पनिक; राग कपड़-(पु०) कपड़ा का लघु रूप जो समस्त पदों में पूर्व पद के | (पु०) गाल की लाली रूप में लगता है। ~कोट (पु०) खेमा, तंबू; -खसोट कप्तान-अं० (पु०) 1 दल का नायक 2 सेना का एक पद (पु०) कपड़े तक उतार लेनेवाला; ~गंध (स्त्री०) कपड़ा 3 पुलिस सुपरिटेंडेंट जलने की दुर्गंध; छन, छान (पु०) 1 महीन कपड़े से कप्तानी-अं० + हिं० (स्त्री०) कप्तान का पद या कार्य छानना 2 कपड़े से छानी गई वस्तु; द्वार + सं० (पु०) कफ-सं० (पु०) 1 बलगम 2 झाग 3 फेन। ~कारक कपड़ों का भंडार; विदार (पु०) 1 दरज़ी 2 रफूगर | (वि०) कफ पैदा करनेवाला; कूर्चिका (स्त्री०) लार कपड़ा-(पु०) 1 पहनावा 2 ऊन, कपास, रेशम आदि से निर्मित कफ़-1 अं० (पु०) 1 आस्तीन का दुहरा भाग जिसमें काज वस्तु (जैसे-कपड़ा मिल, कपड़े का व्यवसाय । रेशमी कपड़ा. | __ और बटन लगाए जाते हैं 2 खाँसी सूती कपड़ा आदि)। उद्योग - सं० (पु०) कपड़े का कफ़-II अ० हथेली व्यापार; ~कारखाना + फा० (पु०) जहाँ कपड़े बनाने का कफ़-IIIफ़ा० (पु०) झाग, फेन। ~गीर (पु०) झाग काम होता है; मिल + अं० (स्त्री०) = कपड़ा कारखाना; निकालने की कलछी
लत्ता (पु०) कपड़ा आदि; ~उतार लेना 1 सब कुछ कफ़न-अ० (पु०) शव पर का आवरण, शववस्त्र। उधेड़ छीन लेना 2 नंगा कर देना; ~रँगना गेरुआ रूप धारण करना, ___+ हिं० खसोटी + हिं० (वि०) दूसरों का माल विरक्त होना; कपड़ों में न समाना फूले अंग न समाना; हड़पनेवाला 2 लोभी, कंजूस; -खसोटी- + हिं० (स्त्री०) कपड़ों से होना रजस्वला होना ।
1 श्मशान पर डोम को कफन फाड़कर दिया जानेवाला कर कपर्द, कपर्दक-सं० (पु०) कौड़ी (स्त्री० कपर्दिका 2 कंजूसी; चोर हिं० (पु०) अति तुच्छ एवं दुष्ट चोर; कपाट-सं० (पु०) 1 दरवाज़ा. किवाड़ 2 वाल्व। ~वक्ष | दफन (पु०) अंत्येष्टि; -को कौड़ी न रखना कुछ भी (वि०) चौड़ी छातीवाला
बचा न रखना, दरिद्र होना; ~फाड़कर उठना मुर्दे का जी कपार- (पु०) = कपाल
उठना, सहसा ज़ोर से चिल्लाना; --फाड़कर चिल्लाना, कपाल-सं० (पु०) 1 खोपड़ी 2 मस्तक 3 खप्पर। -क्रिया -फाड़कर बोलना अत्यधिक ज़ोर से बोलना; ~मैला न (स्त्री०) 1 शवदाह में मुर्दे की खोपड़ी को बाँस से फोड़ने की होना मृत्यु हुए अधिक दिन न होना; सिर से बाँधना, क्रिया 2 पूर्णतः नष्ट कर देना; ~संधि (स्त्री०) 1 खोपड़ी की -सिर से लपेटना 1 मरने को तैयार रहना 2 जान पर खेलना हड्डियों का जोड़ 2 बराबर अधिकार और शर्तों पर हुई संधि | 3 दुःसाहसी कार्य के लिए प्रस्तुत होना कपालावरण-सं० (पु०) कपाल ढकने का वस्त्र कफनाना-अ० + हिं० (स० क्रि०) शव को कपड़े से ढकना
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कफनी
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कफनी-अ० + फ्रा० (स्त्री०) 1शव के गले में लपेटा पालनेवाला; बाज़ी (स्त्री०) कबूतर पालने का शौक
जानेवाला कपड़ा 2 साधुओं के पहनने का बिना सिला हुआ कवतरी-फा० + हिं० (स्त्री०) 1मादा कबूतर 2 नर्तकी । ढीला-ढाला कुरत
3 सुदंर नारी काश-फा० (स्त्री०) जूता
कबूद-I फा० (वि०) नीला, आसमानी II (पु०) 1 नील कफ्रस-अ० (पु०) 1 पिंजड़ा 2 कैदखाना
कंठी 2 बंसलोचन कफालत-अ० (स्त्री०) 1जिम्मेदारी 2 जमानत
कबूदी-फा० (वि०) नीले रंगवाला कील-अ० (पु०) 1 जमानतदार 2 जिम्मेवार
कबूल-अ० (पु०) मानना, स्वीकार करना। नामा फा० कफोणि-सं० (स्त्री०) कुहनी
(पु०) (विशेषतया विवाह में) स्वीकृति-पत्र; सरत कबंध-सं० (पु०) 1 सिर कटा घड़, रुंड 2 पेट 3 राहु 4 राम (वि०) जिसका रूप स्वीकार्य (अच्छा-भला) है। द्वारा मारा गया एक राक्षस
कबूलना-अ० + हिं० (स० क्रि०) स्वीकार करना, मानना कब- (क्रि० वि०) 1 किस समय 2 कभी नहीं (जैसे-वह मेरी (जैसे-अपराधी को अपना जुर्म कबूलना पड़ेगा) सुनता ही कब है)। ~ का 1 कितनी देर से 2 बहत देर से | कबूलियत-अ० (स्त्री०) स्वीकृति . 3 बहुत पहले
कबूली-अ० + फा० (स्त्री०) चने की दाल एवं चावल के कबड्डी-(स्त्री०) एक भारतीय खेल
मिलाने से बनी खिचड़ी कबर-1 सं० (वि०) चितकबरा II (पु०) लवण, अम्ल कब्ज़-अ० (पु०) 1 पेट साफ न होने से होने वाला विकार क्रबर-अ० (स्त्री०) = क़ब्र
2 अधिकार 3 पकड़ 4 अवरोध। ~करना 1 पकड़कर कबरा-(वि०) अन्य रंगों के धब्बोंवाला, चितकबरा खींचना 2 मलावरोध करना कबरी-(स्त्री०) दे० कवरी
कब्ज़ा -अ० (पु०) 1 अधिकार 2 दखल 3 दस्ता, मूठ (जैसेकबल-अ० पहले, पूर्व
तलवार का क़ब्ज़ा)। दार + फ़ा० (वि०) क़ब्ज़ा क्रबा-अ० (पु०) ढीला ढाला पहनावा, चोगा
करनेवाला; ~वर + फ़ा० (वि०) क़ब्ज़ा करनेवाला; कबाइली-(पु०) कबीलों में रहनेवाले लोग
करना नियंत्रण में लेना, अधिकार जमाना; क़ब्ज़े पर हाथ कबाड़-(पु०) टूटा-फूटा सामान, रद्दी वस्तुएँ ~खानाफा० | रखना तलवार खींचने को तैयार होना, किसी को मारने के (पु०) रद्दी वस्तुओं के रख-रखाव का स्थान
लिए उद्धत होना कबाड़ा-(पु०) 1कूड़ा-कर्कट 2 झंझट, बखेड़ा
कब्जियत-अ० (स्त्री०) चि० कोष्ठबद्धता कबाड़िया, कबाड़ी-(पु०) निकृष्ट, फ़ालतू वस्तुओं का कब्जुलवसूल-अ० (पु०) वेतनभोगियों के हस्ताक्षर कराए व्यापारी। ~ बाज़ार • फा० (पु०) वह बाज़ार जहाँ रद्दी जानेवाला रजिस्टर वस्तुएँ मिलती हैं
क़ब्र-अ० (स्त्री०) शव को दफ़नाने हेतु खोदा गया गड्ढा। कबाब-I फ़ा (पु०) पकाया हआ मांस II (वि०) गाह फा० = कब्रिस्तान; ~का मुँह झाँक आना 1 मौत जला-भुना। ~ करना अत्यंत दुखः देना. संतप्त करना; के मुँह से निकल आना 2 मरते मरते बचना ~में पाँव ~होना क्रोध से जलना-भुनना, अति ऋद्ध होना
लटकाये होना मृत्यु का दिन करीब होना कबाबी-अ० + हिं० (पु०) 1 कबाब बेचनेवाला 2 कबाब क़ब्रिस्तान-अ० + फ़ा० (पु०) शव गाड़ने के लिए एक नियत
खानेवाला, मांसभक्षी क्रबायली-अ० + फा० (पु०) काबुल का रहनेवाला क़ब्ल-अ० (वि०) पहले, पूर्व कबार-(पु०) 1 व्यवसाय, व्यापार 2 छोटा व्यवसाय कभी-(अ०) किसी समय। -कभार (क्रि० वि०) 3 लेन-देन
कभी-कभी -कभी जब-तब, यदा-कदा; न कभी किसी कबारना-स० क्रि० उखाड़ना
न किसी समय, एक न एक दिन क़बाला-अ० (पु०) 1 दस्तावेज़ 2 बैनामा 3 अधिकार-पत्र। | कमंगर-फा० (पु०) 1 कमान बनानेवाला कारीगर 2 चित्रकार
नवीसफ़ा० (पु०) क़बाला लिखने का पेशा करनेवाला ____3 हड्डियाँ बैठानेवाला क़बाहत-अ० (स्त्री०) 1 झंझट 2 दोष, खराबी 3 कठिनाई कमंगरी-फा० (स्त्री०) 1कारीगरी 2 चित्रकारी 3 हड़ी बैठाने कबीर-अ० (वि०) 1 महान्, श्रेष्ठ 2 वयोवृद्ध 3 सम्मानित | का काम 4 एक संत हिन्दी कवि 5 होली का एक लोक गीत। -पंथ | कर्मचा-फा० (पु०) बढ़इयों का कमान की शक्ल का एक + हिं० (पु०) कबीर का चलाया गया संप्रदाय; ~पंथी हिं० उपकरण (पु०) कबीर संप्रदाय का अनुयायी
कमंडल-(पु०) - कमंडलु कबील-अ० (पु०) 1 मनुष्य 2 समुदाय। ~दारी दुनियादारी कमंडली-(वि०) 1 कमंडल धारण करनेवाला 2 पाखंडी कबीला-अ० (पु०) 1 झुंड, समूह 2 परिवार 3 असभ्य या कमंडलु-सं० (पु०) दरियाई नारियल का बना भिक्षा-पात्र । जंगली जाति
~धारी (पु०) साधु जिसने कमंडल लिया है कबुलवाना, कबुलाना-(सं० क्रि०) - कबूलना, स्वीकार । कमंद-फ़ा० (स्त्री०) 1 फंदा 2 फंदेदार रस्सी जिसके सहारे चोर करना, मान लेना
मकानों पर चढ़ते हैं 3 रस्सी की सीढ़ी कबूतर-फा० (पु०) एक पालतू एवम् जंगली पक्षी~खाना कम-फा० (वि०) थोड़ा, अल्प, (जैसे-कम रुपया, कम (पु०)कबूतर रखने का दरबा; बाज़ (पु०)कबूतर | ताकत, कम सुंदर आदि)। अक्ल अ० (वि०) मूर्ख,
स्थान
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कमक.
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कमानी
निर्बुद्धिः ~असल अ० (वि०) 1 दोगला 2 कमीना; उम्र कमरी-(स्त्री०) 1 छोटा कंबल 2 कमर में बाँधी जानेवाली अ० (वि.) अल्पवयस्क; -क्रीमती अ० (स्त्री०) कम रस्सी 3 छोटी कुरती मूलर की वस्तु: खर्च (वि०) कम खर्च करनेवाला; कमरोज़गारी-फ़ा० (स्त्री०) थोड़ा रोज़गार होना मितव्ययी; ~खर्ची (स्त्री०) मितव्ययिता; खर्चीला हिं० कमल-सं० (पु०) 1 जलाशय में उत्पन्न होनेवाला एक पौधा (वि०) = कमख़र्च; गो (वि०) कम बोलनेवाला, जिसमें सुदंर फूल लगते हैं 2 आँख का कोया 3 चि० पीलिया अल्पभाषी; जात + अ० (वि०) 1 नीच जाति का 2 कम रोग; ~कंद (पु०) कमल की जड़; ~गट्टा +हिं० (पु०) असल; ज़ोर (वि०) दुर्बल; ज़ोरी (स्त्री०) दुबर्लता कमल के बीज के अंदर की मीठी गरी; ~नयन (वि०)
ज्यादाअ० थोड़ा-बहुत; तर (वि०) 1 अधिक छोटा कमल पंखुड़ी सी आँखोंवाला; नाभ (पु०) विष्णुः 2 अल्पतर; ~तरीन (वि०) 1 छोटे से छोटा 2 कम से कम; लाल (स्त्री०) कमल की डंडी: -बंधु (पु०) सूर्य; •तोला हिं० (वि०) कम तोलनेवाला, डाँडी मारनेवाला; बाई (स्त्री०) चि० कँवल रोग, पीलिया; योनि (पु०)
नज़र अ० (वि०) कम दूरी तक देखनेवाला, अदूरदर्शी; ब्रह्मा नसीब - अ० (वि०) अभागा, दुर्भाग्यशाली; कमला-सं० (स्त्री०) 1 लक्ष्मी 2 धन, संपत्ति । ~पति (पु०) नसीबी अ० + फां (स्त्री०) दुर्भाग्य; ~फहम अ०
विष्णु (वि०) = कम अक्ल; बख्त (वि०) = कमनसीबी; कमला-(पु०) 1 बड़ी नारंगी, संतरा 2 पौधों और फलों में -बख्ती (स्त्री०) = कमनसीबी बेश अ० थोड़ा लगनेवाला एक कीड़ा 3 सैंडी नामक कीड़ बहत; ल्याब (वि०) कम मिलनेवाला, दुर्लभ; समझ कपलाकर-सं० (पु०) कमलयुक्त जलाशय, तालाब, सर हिं० (वि०) कम अक्ल, ~सिन अं० (वि०) छोटी उम्र का; कमलाकार-सं० (वि०) कमल के आकार का
सिनी अ० + फ़ा० (स्त्री०) कम उम्र, छोटी उम्र कमलाक्ष-सं० (वि०) कमल-सी आँखोंवाला कमकर-(पु०) 1 छोटे काम करने वाला 2 कहार की श्रेणी की
कमलासन-सं० (पु०) 1 ब्रह्मा 2 पद्मासन एक जाति
कमलिनी-सं० (स्त्री०) 1 छोटा कमल 2 कमलयुक्त जलाशय कमकस-(वि०) कामचोर, आलसी
कमली-I (स्त्री०) छोटा कंबल II (स्त्री०) दे० कुमुदिनी कमखाब-फा० (पु०) रंगीन-बूटीदार रेशमी कपड़ा कमवाना-(स० क्रि०) किसी को कमाने के कार्य में लगाना कमची-(स्त्री०) 1 बाँस आदि की पतली छड़ी 2 तीली कमांड-अं० (पु०) कमान, समादेश 3 लचकदार छड़ी। ~तानना डराना-धमकाना।
कमांडर-अं० (पु०) सेनानायक। इन चीफ़ (पु०) प्रधान कमठ-सं० (पु०) 1 कछुआ 2 तूबा 3 कमंडल 4 एक दैत्य सेनापति कमठा-I (पु०) 1 कछुआ 2 बड़ी लाठी II (स्त्री०) कमान कमांडिंग-अं० (वि०) समादेशक कमती-I फा० +हिं० (वि०) कम, अल्प II (स्त्री०) कमी, कमांडेंट-अं० (पु०) कमान अधिकारी अल्पता
कमाई-(स्त्री) 1 पैदा किया गया धन (जैसे-अपनी कमाई कमना-फा० + हिं० (अ० क्रि०) कम होना, घटना खाना) 2 मजदूरी 3 काम, परिश्रम कमनीय-सं० (वि०) 1 कामना करने योग्य 2 सुंदर। ~ता | कमाऊ-(वि०) कमानेवाला, कमासुत । खाऊ (पु०) (स्त्री०) सुंदरता
कभाना खाना कमनैत-(पु०) तीर-कमान चलाने में निपुण व्यक्ति कमाची-(स्त्री०) झुकी हुई तीली कमर-फा० (स्त्री०) शरीर का मध्य भाग जो पेट एवं नितंब के कमान-फा० (स्त्री०) 1 धनुष 2 इन्द्र धनुष । “चा (पु०) बीच होता है। ~कोटाहिं० (पु०) 1 कमर तक ऊँची दीवार | छोटी कमान; ~दार (वि०) 1 कमान बनानेवाला 2 कमांडर; एवं अन्य वस्तुएँ 2 रक्षा के लिए घेरी गई दीवार; ~टा + पुश्त (वि०) कुबड़ा; ~खींचना कमान की प्रत्यंचा हिं० (वि०) कुबड़ा; तोड़ + हिं० (पु०) कुश्ती का एक खींचना; चढ़ना 1 क्रोध आना 2 यथेष्ट उन्नति का समय पेंच; दोआल (स्त्री०) घोड़े की जीन कसने का तमसा; होना -पट्टीहि कमर के ऊपर लगाई जानेवाली पट्टी, पेटी-बंद कमान-अं० (स्त्री०) 1 समादेश 2 हुक्म 3 फ़ौजी टुकड़ी। I (पु०) 1 कमर में बाँधा जानेवाला दुपट्टा 2 पेटी ~अफ़सर (पु०) 1कमांडर 2 कमांडिंग अफ़सर; 3 इज़ारबंद II (वि०) कटिबद्ध, मुस्तैद; ~ बदी (स्त्री०) ~पोतसं० 1 (पु०) युद्ध नौका; ~पर जाना लड़ाई पर मुस्तैदी; चल्लाहिं० (पु०) 1 खपड़े की छाजन में जाना मध्यभाग में रहनेवाली लकड़ी, कमरबड़ेरा 2 बड़ी दीवारों में कमाना-(स० क्रि०) 1 पैदा करना, उपार्जन करना (जैसे-धन सहारा देने के लिए दीवार से सटाकर बनाई जानेवाली ढलुआ कमाना) 2 संचय करना (जैसे पाप-पुण्य कमाना) 3 तुच्छ दीवार, पुश्ता; यस्ता (वि०) कमर बाँधे हुए, कटिबद्ध कर्म करना; ~धमाना (स० क्रि०) कमाना -कसना 1 तैयार होना 2 पक्का इरादा करना; ल्खोलना कमाना-फा० + हिं० (स० क्रि०) कम करना, घटाना 1 कमरबंद खोलना 2 दम लेना; टूटना 1 हिम्मत हार जाना |कमानिया-I फ्रा०+हिं० (पु०) तीरंदाज II (वि०) 2 दिल बैठना 3 करने की शक्ति न रहना; बांधना 1 नारा | 1कमानीदार 2 मेहराबदार बांधना 2 तैयार होना; बैठ जाना = कमर टूटना; सीधी कमानी-फ्रा० (स्त्री०) 1 लचीली एवं झकाई गई लोहे की करना थकावट दूर करना, आराम करना
कीली, स्प्रिंग 2 कमान की शक्ल के आकार की वस्त कमरा-(पु०) कोठरी (जैसे-लिखने पढ़नेवाला कमरा) I (जैसे-सारंगी की कमानी 3 बढ़ई आदि का एक औजार जिसमें
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कमाल
बरमा फँसाकर खींचा जाता है। दार (वि०) कमानीवाला कमाल - 1अ० (पु० ) 1 चमत्कारिक कार्य 2 निपुणता 3 पराकाष्ठा 4 पूर्णता II (वि०) 1 सर्वोत्तम 2 अतिअद्भुत 3 पूर्ण । ~ करना योग्यता का परिचय देना कमालियत - अ० (स्त्री०) 1 पूर्णता 2 कुशलता, दक्षता कमासुत - I (वि०) कमानेवाला II ( पु० ) कमाऊ बेटा कमिटी, कमेटी-अं० (स्त्री०) समिति
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कमिश्नर - अं० ( पु० ) 1 कमीशन का सदस्य 2 प्रतिनिधि के रूप में कार्य करनेवाला अधिकारी, आयुक्त
कमिश्नरी - अं० (स्त्री०) 1 कमिश्नर के अधीन प्रदेश, विभाग एवं राज्य आदि 2 कमिश्नर का दरबार कमी - फ्रा० (स्त्री०) 1 कम होना, अल्पता 2 न्यूनता 3 घाटा (जैसे- व्यापार में कमी आई) बेशी (स्त्री०) कम ज़्यादा होना
कमीज़ - (स्त्री०) कफ एवं कालरदार वस्त्र
कमीन - अ० (स्त्री०) हमला करने के लिए छिपकर बैठना । ~गाह फ़ा० (स्त्री०) घात लगाने की जगह कमीनगी - फ़ा० (स्त्री०) कमीनापन, नीचता कमीना - फा० (वि० ) 1 नीच, क्षुद्र 2 निंदनीय आचरण करनेवाला । न हिं० क्षुद्रता, नीचता कमीशंड अं० (वि०) 1 चुना गया 2 आयोग कमीशन - अं० (पु० ) 1 दलाली 2 एजेंट का काम या अधिकार 3 छूट, रियायत
कमीज़
कमीस - अ० (स्त्री० ) कमून-अ० (पु० ) जीरा
कमेटी अं० (स्त्री० ) कमिटी, समिति कमेरा - (पु० ) 1 काम करनेवाला 2 नौकर
कमेला - (पु० ) कसाईखाना, बूचड़खाना । ~करना वध करना कमेहरा - ( पु० ) चूड़ी ढालने का मिट्टी का साँचा कमोडोर-अं० (पु०) नौसेनाधिकारी
=
कमोबेश - फ़ा० (वि०) थोड़ा-बहुत
कमोरा - (पु० ) दूध एवं दही आदि रखने का मिट्टी का बरतन,
मटका
कम्पोस्ट - अं० (पु०) गोबर आदि की खाद कम्युनिक-अं० (पु० ) = कम्यूनिके
कम्यून - अं० (स्त्री०) 1 देश का सबसे छोटा स्वशासक विभाग 2 देश के सबसे छोटे स्वशासक विभाग के निवासी तथा उसकी सरकार 3 संपत्ति के समान संयुक्त अधिकारी मनुष्यों का संघ
कम्यूनिके-अं० (पु०) बुलेटिन, विज्ञप्ति, शासकीय घोषणा कम्यूनिकेशन-अं० (पु०) संचार
कम्यूनिज्म-अं० (पु० ) यह सिद्धान्त कि संपत्ति पर सबका समानरूप से अधिकार है, साम्यवाद। ~विरोध सं० ( पु० ) साम्यवाद का विरोध; ~विरोधी सं० (वि०) साम्यवाद का विरोध करनेवाला
कम्यूनिस्ट - अं० (पु० ) साम्यवाद का समर्थक, साम्यवादी (जैसे- कम्यूनिस्ट दल में शामिल होना)
क़याम - अ० (पु० ) 1 ठहरना, ठहराव 2 ठिकाना, पड़ाव 3 स्थिरता
क़यामत - अ० (स्त्री०) 1 प्रलय (जैसे क़यामत के दिन रोना )
करका
का दिन
बरपा
2 आफ़त 3 हंगामा, हलचल। ~ का ग़ज़ब का; (पु०) प्रलय के बाद निर्णय दिवस; ढाना, करना 1 ग़ज़ब ढाना, मुसीबत लाना 2 गुस्सा करना क़यास - अ० (पु० ) 1 कल्पना 2 अनुमान क्र्यासी - अ० (वि०) 1 काल्पनिक 2 अटकलपच्चू
करंक - सं० (पु० ) 1 मस्तक 2 कमंडलु 3 नारियल की खोपड़ी 4 अस्थिपंजर
करंज - (पु० ) 1 औषध के काम में आनेवाली फलयुक्त एक झाड़ी, कंजा 2 आतिशबाजी खाना + फ़ा० मुरगे पालने की जगह
करंजा - (वि०) कंजी आँखवाला, भूरी आँखवाला करंड - सं० (पु० ) 1 शहद का छत्ता 2 बाँस की टोकरी, पिटारी करंड - (पु० ) कुरुल पत्थर करंडक -सं० (पु० ) करंड सं० करंतीन अं० (पु०) सांक्रामिक रोगी को अलग रखना करंब - सं० (पु० ) 1 मिश्रण 2 एक प्रकार के मांड करंबित - सं० (वि०) 1 मिश्रित 2 गढ़ा हुआ 3 बाँधा हुआ कर - (प्रत्यय) करनेवाला (जैसे लाभकर, हितकर) कर - सं० (पु० ) 1 हाथ 2 किरण (जैसे रविकर) 3 महसूल, टैक्स (जैसे विद्युत कर)। गत (वि०) हाथ में लिया हुआ, हस्तगत -~ता (स्त्री०) करधनी; ~ग्रह, ग्रहण (पु० ) 1 पाणिग्रहण 2 कर लगाना 3 कर वसूलना; ~ चंग + हिं० करताल की तरह का एक बाजा; छूट हिं० (पु० ) कर से मुक्त; ज (पु० ) 1 नाखून 2 उँगली 3 करंज, कंजा; ~तल (पु० ) हथेली; तल ध्वनि (स्त्री०) ताली; ~तली (स्त्री०) 1 हथेली 2 ताली; ताल (पु० ) ताली; ~ताली (स्त्री०) करतल ध्वनि; दाता (पु० ) कर देनेवाला; दायी (वि०) टैक्स देने वाला नाल हाथ से चलाई जानेवाली तोप; ~ निर्धारण (पु० ) कर लगाने की व्यवस्था ~ निर्धारित (वि०) जिस पर कर लगा है; पत्र पीड़न (पु० )
=
(पु० ) आरा ~ पल्लव (पु० ) उँगली; हाथ में दर्द होना ~ (पु० ) अंजुली, पृष्ठ (पु० ) हथेली का उलटा भाग; ~बद्ध (वि०) हाथ जोड़े भार (पु० ) टैक्स का बोझ; ~ मुक्त (वि०) जिस पर टैक्स न हो; ~मुक्ति (स्त्री०) टैक्स से छुटकारा; वृद्धि (स्त्री०) टैक्स बढ़ना; ~ व्यवस्था (स्त्री०) टैक्स लगाने की प्रणाली; ~संपुट (पु० ) अंजलि, समाहर्ता (पु० ) कर एकत्र करनेवाला, टैक्स कलक्टर
करक-सं० (पु० ) 1 दरियाई नारियल का बना कमंडल 2 कचनार का वृक्ष एवं फल 3 पलास करक - (स्त्री०) 1 रह-रह कर होनेवाली पीड़ा, टीस 2 पेशाब का जलन के साथ होना करकच - ( पु० )
समुद्री नमक
करकट - ( पु० ) खर-पतवार, कूड़ा-करकट करकना - (अ० क्रि०) 1 तड़कना 2 चुभना
करकरा - I (वि०) 1 खुरखुरा, खुरदरा 2 रवेदार II ( पु० ) करकटिया
करकराहट - (स्त्री०) 1 खुरदुरापन 2 करारापन करका - सं० (पु० ) ओला, पत्थर । ~धन (पु०) ओलेवाला बादल; ~पात (पु० ) ओले गिरना
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करखा
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कराबत
करख (पु०) 1उत्तेजना 2 लाग-डाँट 3 आवेश, जोश 4 रणगीत | करबच- (पु०) खुरज़ी करगस-फा (पु०) गिद्ध
करबला-अ० (स्त्री०) 1 ताजिया दफन किए जाने का स्थान करगह-फा० (पु०) - करघा
2 जलहीन स्थान 3 अरब में वह स्थान जहाँ इमाम हसैन शहीद करघा-फा० (पु०) 1 कपड़े बुनने का यंत्र. 2 पाँव __ हुए थे और दफनाए गए. लटकानेवाला गड्ढा
करबूस-(पु०) घोड़े की जीन में हथियार लटकाए जाने के लिए करछाल-(स्त्री०) छलाँग
टॅगी पट्टी करहल-(पु०) बड़ी कलछी
करभ-सं० (पु०)1 कलाई से कानी उँगली तक का बाहरी करज-सं० (पु०) नाखून
हिस्सा, हथेली का उलटा भाग 2 हथेली ही हड्डी 3 ऊँट या करटक-सं० (पु०) कौआ
हाथी का बच्चा करड़-करड़-(स्त्री०) कड़कड़ की ध्वनि
करभोरु-(वि०) हाथी की सँड़ की तरह सुडौल जांघवाला करण-सं० 1 करना 2 काम 3 साधन 4 व्या० करणकारक करम- (पु०) 1 कर्म 2 भाग्य। रेख (स्त्री०) भाग्य में 5 स्थान 6 दस्तावेज़, लिखित प्रमाण 7 कारण।~कारक लिखी हुई बात; फूटना भाग्य बिगड़ना, भाग्य को दोषी (पु०) व्या० तीसरा कारक जिससे साधन का बोध होता है ठहराना (जैसे-चाकू से); ~वाची (वि०) साधन का बोध करम कल्ला -फा० + हिं० (पु०) पातगोभी करानेवाला
करमहा-(वि०) = कलमुँहा करणाधिप-सं० (पु०) 1 इंद्रियों का स्वामी 2 कार्याधिकारी, करवट-(स्त्री०) 1 दायें या बायें बाजू लेटना 2 पहलू 3 बाजू। हाकिम
लेना प्रयत्न करते रहना; बदलना 1 लेटने में पहलू करणिक-सं० (पु०) करनेवाला
बदलना 2 पलटना 3 सो न सकना, आराम न मिलना; करणीय-सं० (वि०) करने योग्य
~लेना 1 पहलू बदलना 2 लुढ़कना करतब-(पु०) 1 कौशल 2 बाज़ीगरी
करवत-(पु०) करपत्र, आरा; लेना (स० क्रि०) आरे से करतबी-(वि०) 1 गुणी 2 करतब दिखानेवाला
सिर कटाना करता-I (पु०) मुखिया, अधिकारी II (वि०) काम | करवा-(पु०) टोटी लगी धातु या मिट्टी के लोटे की तरह का करनेवाला। ~धरता (पु.) काम करनेवाला मुख्य व्यक्ति | एक पात्र करतार-(पु०) सृजन करनेवाला, सृष्टिकर्ता, सृजक करवा चौथ-(स्त्री०) कार्तिक कृष्ण चतुर्थी करती-(स्त्री०) खाल में भूसा भरकर बनाया गया नकली करवाना-(स० क्रि०) कार्य में लगाना बछड़ा
करवार, करवाल-(स्त्री०) 1 तलवार 2 नाखून करतूत-(स्त्री०) 1 बुरा कर्म 2 करनी 3 कला
करवीर-सं० (पु०) 1 कनेर का फूल 2 तलवार 3 श्मशान करद-सं० (वि०) 1कर देनेवाला 2 सहायता देनेवाला करश्मा-फा० (पु०) 1 चमत्कार, करामात 2 अनोखी बात करदा-(पु०) 1 कूड़ा-करकट 2 मूल्य में होनेवाली कमी | करष-(पु०) 1 खिंचाव 2 द्वेष, विरोध 3 आवेश 4 क्रोध 3 बट्टा 4 अदला-बदली
करसी-(स्त्री०) 1 उपला, कंडा 2 उपले की आग 3 उपले की करदानक्षम-सं० (वि०) कर देने में असमर्थ करधनी-(स्त्री०) 1 कमर में पहना जानेवाला (स्त्रियों का) करहँज-(पु०) ऐसी फ़सल जो अधिक बढी हो किंतु उसमें दाने
आभूषण, पेटी (जैसे-सोने की करधनी) 2 सूत की बनी हई । कम हों मेखला
| करहाटक-सं० (पु०) 1 कमल की जड़ 2 कमल का छत्ता करनफूल-(पु०). कान में पहना जानेवाला एक गहना । 3 मैनफल करनल-अं० (पु०) सेना का एक उच्च पदाधिकारी | कराँकुल-(पु०) क्रौंच पंक्षी करना-(स० कि०) 1 कार्य में लगना (जैसे-मझे गह कार्य करांत-(पु०) आरा (लकड़ी चीरने का औज़ार) करना है) 2 कार्य संपन्न करना (जैसे-उसे रामायण पाठ करना कराँती-(पु०) आरा चलानेवाला है) 3 पालन करना, निबाहना (जैसे-नौकरी पर समय से काम कराइत-(पु०) करैत सर्प करना पड़ता है) 4 पेशा करना (जैसे-मुझे कृषि करना है)
कराई-I (स्त्री०) 1 करने-कराने का भाव 2 करने की मज़दूरी 5 ग्रहण करना (जैसे-उसे ब्याह करना होगा) 6 त्यागना ____II (स्त्री०) कालापन (जैसे-पैशाब करना)
कराधात-सं० (पु०) 1 हाथ का प्रहार 2 आघात करनाई-फा० (स्त्री०) तुरही
कराड़-(पु०) क्रय-विक्रय करनेवाला करनाटकी-(पु०) 1 कर्नाटक प्रदेश का निवासी 2 नट, करात-अ० (पु०) चार ग्रेन की एक पाश्चात्य तोल कलाबाज 3 जादूगर
कराधान-सं० (पु०) कर लगाना करनी-I (स्त्री०) 1 कर्म, कार्य 2 अंत्येष्टि क्रिया II (स्त्री०) कराधिकारी-सं० (पु०) टैक्स अफसर राजगीरों का एक उपकरण, कत्री
कराना-(स० क्रि०) काम में लगाना करनैल-अं० (पु०) = कर्नल
कराबत-अ० (स्त्री०) 1 समीपता 2 नाता. रिश्ता। दार - करपर-I (पु०) 1 खोपड़ी 2 खप्पर II (वि०) कृपण, कंजूस फ्रा० (पु०) नातेदार, रिश्तेदार, संबंधी; दारी + फ़ा० करफ्यू-अं० (पु०) = कप!। आर्डर (पु०) = कपर्दू आर्डर ! (स्त्री०) रिश्तेदारी
राख
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क़राबा
करांबा - अ० (पु०) 1 घड़े के आकारनुमा शीशे का पात्र 2 शीशे की सुराही
करामात-अ० (स्त्री०) 1 आश्चर्यभरा कार्य 2 चमत्कार 3 अनोखी बात
करामाती - अ० + हिं० (वि०) 1 चमत्कारी 2 करामात संबंधी करायल - (पु० ) 1 मँगरैला 2 तेल मिली हुई राल क़रार - अ० (पु० ) 1 आराम, चैन 2 स्थिरता 3 धैर्य, धीरज, इकरार । दाद + फ़ा० (पु० ) 1 निश्चय 2 ठहरी हुई बात; नामा + फ़ा० (पु०) अनुबंध पत्र; वाक़ई (पु० ) सचमुच का इकरार / अनुबंध करारा - I (वि०) 1 कड़ा (जैसे- करारा जवाब )
+ फ़्रा०
2 तेज़ 5 गहरा (जैसे- करारा दाँव) पन (पु० ) 1 कठोरता
3 कुरकुरा (जैसे- पापड़) 4 दृढ़ II (पु० ) 1 कगार 2 टीला । 2 दृढ़ता 3 गहरापन करारी - अ० करारोप-सं० (पु० ) कर लगाना
कराल - सं० (वि०) 1 डरावना, भयानक 2 बड़े-बड़े दाँतोंवाला कराली-सं० (स्त्री०) भीषण रूपवाली स्त्री
+
फ़ा० (वि०) क़रार करनेवाला
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कराव - (पु० ) करावल - तु० खेलानेवाला
करावा - (पु० ) विधवा से किया जानेवाला ब्याह कराह - (स्त्री०) दर्द की आवाज़, आह कराहत - अ० (स्त्री०) घृणा, नफ़रत कराहना - (अ० क्रि०) आहें भरना कराहियत-अ० (स्त्री०) कराहत करिका - (स्त्री०) नाखून से बना ज़ख्म करिश्मा - फ़ा० (पु० ) चमत्कारपूर्ण कार्य करिष्णु-सं० (वि०) करनेवाला करी - ( स्त्री०) 1 कली 2 कड़ी करी - सं० ( पु० ) हाथी कुंभ (पु० ) हाथी का माथा करीना - अ० (पु० ) 1 तरतीब, क्रम 2 तरीक़ा 3 रीति-व्यवहार क़रीब-अ० I ( क्रि० वि०) पास, निकट (जैसे क़रीब आना) II (वि०) निकटस्थ, सामीप्य तरीन फ़ा० (वि०) सबसे पासवाला निकटतम
= करावा
(पु० ) 1 घुड़सवार पहरेदार 2 शिकार
क़रीबन-अ० (अ०) लगभग करीम - अ० (वि०) करम करनेवाला, दयालु करीर -सं० (पु० ) 1 करील 2 बाँस का नया कल्ला करील - (पु० ) एक काँटेदार झाड़ी
करीष-सं० (पु० ) बिना पाथा हुआ उपला, कंडा करुण-सं० (वि०) 1 दयनीय 2 करुणा युक्त करुणा-सं० (स्त्री०) दया, रहम कर, कारी (वि०) दया करनेवाला; जनक (वि०) दया उत्पन्न करनेवाला; दृष्टि ( स्त्री०) करुणा को जन्म देनेवाली दृष्टि; निधान, ~ निधि, मय (वि०) 1 करुणा से भरा हुआ, करुणायुक्त 2 दूसरों पर दया करनेवाला
करुणार्द्र-सं० (वि०) = करुणाकर
करुणास्पद-सं० (पु०) दया का पात्र करुवार - I (पु०) नाव खेनेवाली डाँड़, पतवार II ( पु० ) पत्थर या लकड़ी जोड़ने के काम में आनेवाला लोहे का एक
कर्ज़
औज़ार, अंकुड़ा
करेंट - अं० (पु० ) धारा, प्रवाह (जैसे- विद्युत करेंट) करेंसी -अं० (स्त्री०) मुद्रा (जैसे-सौ की करेंसी) करेणु-सं० (पु० ) 1 हाथी 2 कनेर करेणुका-सं० (स्त्री० ) हथिनी
करेब-अं० (स्त्री०) झीनी बुनावटवाला रेशमी कपड़ा करेल - (पु० ) 1 एक तरह का बड़ा मुदगर 2 करेल घुमाने की
कसरत
करेला - (पु० ) एक लता और उसका कड़वा फल, एक तरकारी करैत - ( पु० ) = कराइत
करैल - I (स्त्री०) 1 जलाशयों के किनारे की काली मिट्टी 2 काली मिट्टीवाली ज़मीन II (पु०) बाँस का नरम कल्ला करैला - (पु०) बो० करेला (एक कडुवा फल) कराटे - ( पु० ) 1 खोपड़ी 2 प्याला करोटन - अं० (पु० ) वनस्पति का सुंदर और रंग-बिरंगे फूलोंवाला एक पौधा
करोटि-सं० (स्त्री०) खोपड़ी
करोड़ - I (पु० ) 1 सौ लाख की संख्या 2 सौ लाख की संख्या का सूचकांक II (वि०) 1 जो गिनती में सौ लाख हो 2 असंख्य । ~खुरव (वि०) झूठ-मूठ लाखों करोड़ों की बात करनेवाला, डीगं मारनेवाला; पति सं० (पु० ) जिसके पास करोड़ों की संपत्ति हो, अत्यधिक धनी करोड़हा - हिं० फ़ा० (वि०) करोड़ों करोड़ी - (पु० ) 1 रोकड़िया 2 करोड़पति 3 महसूल एकत्र
+
+
करनेवाला
=
करोदना, करोना- (अ० क्रि०) 1 कुरेदना 2 खुरचना करौंछा - (वि०) बो० काले रंग का, काला
करौंदा - (पु० ) एक काँटेदार लाल रंग का खट्टे फलवाला पौधा
करौंदिया - (वि०) करौंदे के रंग का करौता - ( पु० ) 1 आरा 2 करैल मिट्टी 3 कराबा करौती- I (स्त्री०) काँच की भट्टी II (स्त्री०) आरी करौना - (पु०) नक़्क़ाशी करनेवाली लोहे की क़लम कर्क, कर्कट -सं० ( पु० ) 1 कर्क राशि 2 कर्क रेखा 3 कैंसर रोग 4 केकड़ा
कर्कटाबुर्द -सं० (पु०) एक कष्टदायक प्राणघातक भयंकर फोड़ा, कैंसर
कर्कटी-सं० (स्त्री०) 1 मादा केकड़ा 2 ककड़ी का फल 3 सेमल का फल
कर्कर- I सं० (वि०) 1 कड़ा और खरदुरा 2 करारा II (पु० ) 1 कंकड़ 2 एक तरह का नीलम कर्कश - I सं० (वि०) 1 कठोर 2 निर्दय 3 अप्रिय (जैसे - कर्कश वाणी) II (पु० ) 1 कमीला नामक पेड़ 2 ईख । ~ता (स्त्री०) 1 कठोरता 2 निर्दयता कर्कशा - सं० (स्त्री०) झगड़ालू स्त्री, कठोर वाणी वाली स्त्री कर्केतन -सं० (पु०) जमुर्रद नामक रत्न
कर्छा - (पु० ) = कलछा कछ- (स्त्री०) कलछी कर्ज़ - अ० (पु० ) ऋण, उधार कर्ज़ अदा करना) । खोर
(जैसे- कर्ज लेना, कर्ज़ उतारना, + फ़ा० (पु० ) कर्ज़दार;
=
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क़र्ज़ा
ख्वाह फ़ा० (पु०) कर्ज़ देनेवाला; दार (पु० ) कर्ज़ लेनेवाला ऋणी; दारी + फ़ा० (स्त्री०) कर्ज़ की देनदारी पत्र + सं० (पु०) कर्ज़ का अनुबंध-पत्र; 3047-370 (90) = क़र्ज़
कर्ण - सं० (पु० ) 1 कान 2 ज्या० समकोण के सामने की भुजा 3 पतवार । ~ कटु (वि०) कानों को अप्रिय लगनेवाला; ~ कुहर (पु० ) कान का छेद; ~गत (वि०) = कर्ण गोचर; ~गुहा (स्त्री०) कान का भीतरी छेद; गूथ (पु० ) कान का मैल, खूंट, गोचर (वि०) जो सुना जा सके; ग्राह, ~धार (पु० ) 1 पतवार चलानेवाला, मल्लाह 2 सहारा; ~नाद (पु०) कान में सुनाई देनेवाली गूँज; पटह + हिं० (पु०) कान का ढोल, परदा, कर्ण मृदंग परंपरा (स्त्री०) एक कान से दूसरे कान में पहुँचने की परंपरा, सुनी सुनाई बात फैलाना पल्लव (पु०) बाह्यकर्ण, कान का पंखा ; ~पाली (स्त्री०) 1 कान की ललरी 2 बाली; पुटी (स्त्री०) कान का सूराख, कर्ण कोष्ट; ~प्रिय (वि०) कान को अच्छा लगनेवाला; फूल (पु०) कान का एक आभूषण; -भूषण (पु०) कान का गहना मधुर (वि०) = कर्ण प्रिय ~ मूल (पु० ) 1 कान की जड़ 2 कान की जड़ के पास होनेवाली सूजन, मृदंग (पु०) कान की झिल्ली -रोग (पु०) कान में होनेवाला रोग; ~लता (स्त्री०) कान की लौ ; वर्जित बिना कान का विज्ञान (पु० ), ~ वेध (पु०) कान छेदन; स्त्राव (पु० ) कान बहना कर्णातीत-सं० (वि०) जो सुनाई न दे सके कर्णावर्त - सं० (पु०) कान के अंदर का सर्पाकार अंग कर्णिका-सं० (स्त्री०) 1 कान में पहनने वाली 2 बीच की उँगली 3 लेखनी
कर्णी-I सं० (वि०) 1 कानवाला 2 बड़े कानोंवाला II (स्त्री०) फलवाला बाण
कर्णेद्रिय-सं० (स्त्री०) कान की इन्द्रिय
कर्णेजप - सं० ( पु० ) 1 चुगलखोर 2 भेद बतानेवाला कर्तक-सं० (वि०) काटने या कतरनेवाला
कर्तन -सं० (पु० ) 1 काटना 2 कतरना 3 कातना । केश
(पु०) बाल काटना
कर्तनी - सं० (स्त्री०) कतरनी, कैची
कर्तब - (पु० ) 1 करतब 2 कर्तव्य
कर्तरि प्रयोग-सं० (पु०) कर्ता के अनुसार क्रिया का प्रयोग कर्तरी -सं० (स्त्री०) 1 कैंची, कतरनी 2 कटार 3 ताल देने का एक पुराना बाजा
कर्त्तव्य-1 + सं० (वि०) करने योग्य, करणीय II कर्म (जैसे-कर्तव्य पालन, सेवा धर्म मनुष्य का पुनीत कर्त्तव्य है) । ~कार्य (पु० ) करने योग्य काम च्युत (वि०) कर्त्तव्य न करनेवाला ज्ञान (पु० ), ता (स्त्री०) कर्त्तव्य का भाव; दक्षता (स्त्री०) कार्य करने की कुशलता; निष्ठ (वि०) कर्तव्य करने में पक्का; -निष्ठा (स्त्री०) कर्त्तव्यपरायणता;
-परायण (वि०) कर्तव्य के प्रति निष्ठावान्; पालन (पु०), पूर्ति (स्त्री०) कर्तव्य पूरा करना; मूढ़ (वि०) जो कर्तव्य का निश्चय न कर सके विमुख (वि०) कर्तव्य पालन न करनेवाला; ~ विभू (वि०) = कर्तव्यमृढ़:
~ झील (वि०) = कर्त्तव्यपरायण हीन (वि०) = कर्तव्य निभख
कर्म
कर्त्ता सं० (वि०) करनेवाला, रचनेवाला (जैसे- सृष्टि कर्त्ता, यज्ञकर्ता) | ~ कारक (पु०) व्या० क्रिया करनेवाला रूप; ~धर्ता (पु० ) सब कुछ करने-धुरनेवाला; -प्रधान (fao) = कर्तृप्रधान; ~ वाच्य (पु०) व्या० क्रिया का वह रूप जिसमें कर्त्ता की प्रधानता हो कर्त्तार - (पु० ) 1 कर्ता 2 करतार कर्त्तितसं० (वि०) काटा या कतरा हुआ कर्तृ-सं० (पु०/वि०) करनेवाला ।
-कारक (पु०),
~ प्रधान (वि०) व्या० जिसमें कर्ता की प्रधानता हो; -वाचक (वि०) व्या० कर्ता का बोध करानेवाला (शब्द); ~वाची (वि०) व्या० जिससे कर्ता का बोध हो; ~वाच्य (पु०) क्रिया जो कर्ता से संबंधित हो; ~ वाच्य क्रिया (स्त्री०) कर्ता से संबंधित क्रिया कर्त्तक सं० (वि०) बनाया हुआ
कर्तृत्व-सं० (पु० ) 1 कर्ता होने की अवस्था 2 कर्ता का धर्म 3 क्रिया, कार्य।
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कर्द-सं० (पु०) कीचड़
कर्दम-सं० (पु० ) 1 कीचड़ 2 मांस 3 पाप कर्दमित सं० (वि०) कीचड़वाला, गँदला कर्नल -अं० (पु० ) सेना का एक अधिकारी कर्पट-सं० (पु०) मैला कपड़ा, चीथड़ा कर्पटी -सं० (वि०) चीथड़ोंवाला
कर्पर-सं० ( पु० ) 1 कपाल, खोपड़ी 2 खप्पर 3 कछुए की खोपड़ी
कर्पास सं० (पुं०) कपास
कर्पूर - सं० (पुं०) कपूर। ~वर्तिका (स्त्री०) कपूर की बत्ती कर्पर-सं० (पु०) आईना, शीशा
कर्फ्यू - अं० ( पु० ) 1 घरबंदी 2 निषेधाज्ञा । ~आर्डर (पु० ) घरबंदी का आदेश
कर्बुदार - सं० (पु०) 1 लिसोड़ा 2 सफ़ेद कचनार 3 आबनूस का पेड़
कर्बुर - I सं० (वि०) चितकबरा, रंग-बिरंगा II ( पु० ) 1 सोना 2 धतूरा 3 पाप
कर्म -सं० ( पु० ) 1 काम, क्रिया (जैसे-दैनिक कर्म) 2 आचरण (जैसे- उनका कर्म अच्छा नहीं है) 3 व्या० कर्म कारक । ~कर (पु०) 1 काम करनेवाला 2 मज़दूर, श्रमिक 3 सेवकों की जाति; ~कांड (पु० ) 1 पूजा, यज्ञ आदि से संबंधित धार्मिक कर्म 2 ऐसा शास्त्र जिसमें धार्मिक कर्मों के सम्पादन की विधियाँ लिखी हों; ~ कांडवाद (पु० ) कर्मकांड के द्वारा आध्यात्मिक लक्ष्य की प्राप्ति में विश्वास कांडी (पु० ) 1 कर्मकांड का पंडित 2 पूजा, यज्ञ आदि करानेवाला, पुरोहित; -कार ( पु० ) 1 मज़दूर 2 कारीगर; कारक (पु०) व्या० कारक का एक भेद; ~ कुशल (वि०) काम करने में समर्थ: ~ कौशल (पु० ) कार्य कुशलता ~क्षम (वि०) कर्म-कुशल; ~ क्षमता (स्त्री०) कर्मकौशल; ~ क्षय (पु०) कर्म का अंत; क्षेत्र (पु० ) कर्मभूमि, कार्यक्षेत्र; ~ गुण (पु० ) 1 कार्य करने की योग्यता 2 कर्म सामर्थ्य; ~गृहीत (वि०) जो ग़लत काम करता हुआ पकड़ा गया; चारी (पु० ) (वेतन पर) काम करनेवाला, नौकर; चारीगण कर्मचारियोंका समूह; चारीवृंद (पु० )
C
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कर्म
~कर्मचारी वर्ग; चारी संघ ( पु० ) स्टाफ यूनियन; चोदना (स्त्री०) कर्म प्रेरणा; ज I (वि०) कर्म से उत्पन्न II ( पु० ) कर्मफल; तत्पर (वि०) कर्म करने के लिए सदा तैयार; ~ धारय (पु०) तत्पुरुष समास का एक भेद जिसमें विशेष और विशेषण समानाधिकरण हों; -नाशा (स्त्री०) एक नदी जिसके जल स्पर्श से पुण्य नाश होने की किंवदंति प्रचलित है; निपुण (वि०) कार्य में कुशल; ~ निपुणता (स्त्री०) कार्य-कुशलता; निष्ठ (वि०) 1 शुद्ध हृदय से कर्म करनेवाला 2 कर्म में आस्था रखनेवाला; ~ निष्ठा (स्त्री०) कर्म करने में विश्वास; परायण (वि० ) कर्मनिष्ठ; पाक (पु०) कर्मफल; पूरक (पु०) काम को पूरा करनेवाला; प्रधान (वि०) जिसमें कर्म की प्रधानता हो; ~फल (पु०) कर्मों का फल (जैसे-मनुष्य स्वयं कर्मफल का जन्मदाता है); बंध (पु०) कर्मों के अनुसार जन्म-मरण का बंधन; भूमि (स्त्री०) कर्मक्षेत्र, संसार; ~भोग (पु० ) कर्मफल: -मार्ग (पु० ) मोक्ष प्राप्त करने का मार्ग मास (पु० ) सावन का महीना, युग (पु० ) कलियुग ; ~ योग (पु०) निष्काम भाव से कार्य करने की साधना; योगी (वि०) 1 कर्मयोग का अनुयायी 2 शुद्ध हृदय से कार्य करनेवाला; रत (वि०) कार्य में तल्लीन; रेखा (स्त्री०) तक़दीर, भाग्य; ~ वाच्य (वि०) • कर्मणि वाच्य; ~वाद (पु०) ऐसा सिद्धांत जिसमें कर्म को प्रधान माना गया है; वान् (वि०) 1 प्रशंसनीय कार्य करनेवाला 2 कर्मनिष्ठ; ~ विपाक (पु० ) कर्मभोग, कर्मफल, कर्मों का परिणाम; ~वीर (वि०) कर्तव्य में वीर, पुरुषार्थी ~ शाला (स्त्री०) कार्यस्थल, कारखाना; शील (वि०) परिश्रमी, उद्योगी, शूर (वि०) कर्मवीर शौच ( पु० ) 1 विनय 2 नम्रता; संन्यास (पु० ) कर्मफल की आकांक्षा न रहना, कर्म त्यागना; साक्षी (पु० ) 1 चश्मदीद गवाह 2 मानव के सभी कर्मों के साक्षी देवता; साधन (पु०) कार्य करने के लिए प्रयोग में लाए जानेवाला उपाय एवं उपकरण आदि; ~ सिद्धि (स्त्री०), --स्थली (स्त्री०) कर्म क्षेत्र; ~ स्थान (पु० ) 1 कर्मशाला 2 कर्मक्षेत्र: ~ हीन (वि०) 1 जो अच्छा कार्य न कर सके 2 जिसका कर्म अच्छा न हो, अभागा
=
+
=
=
150
कर्मठ - सं० (वि०) 1 काम में कुशल 2 अच्छी तरह काम करनेवाला 3 कर्मनिष्ठ 4 परिश्रमी 5 दत्तचित कर्मणा -सं० (अ०) कर्म से, कर्म द्वारा कर्मणि-प्रयोग-सं० (पु०) क्रिया का कर्म के अनुसार प्रयोग कर्मणि वाच्य-सं० (वि०) क्रिया जो कर्म से संबंधित हो कर्मण्य - सं० (वि०) 1 कर्म कुशल 2 उद्यमी 3 कर्मठ । ता (स्त्री०) 1 कार्य कुशलता 2 कर्म किए जाने की क्षमता कर्मण्यक - सं० ( पु० ) दूसरे पदार्थ को कर्मण्य बनानेवाला कर्मात सं० (पु० ) 1 कार्य समाप्ति 2 कार्य संपादन
3 कारखाना
कर्मा - ( वि० / प्रत्यय) करनेवाला (जैसे- विश्वकर्मा) कमीर-सं० (वि०) 1 कारीगर 2 कर्मकार कर्माश्रया भृति-सं० (स्त्री०) काम के अनुसार मज़दूरी कर्मिक-सं० (पु०) काम करनेवाला । ~ संघ (पु० ) कर्मचारी वर्ग
कल
कर्मिष्ठ - सं० (वि०) 1 कार्यकुशल 2 कर्मनिष्ठ कर्मी - सं० (विc) 1 काम करनेवाला 2 फल की इच्छा से कार्य करनेवाला 3 उद्यमी
कर्मीर-सं० (पु० ) नारंगी रंग
कर्मीला सं० + हिं० (वि०) बो० कर्मशील एवं परिश्रमी कर्मेन्द्रिय-सं० (स्त्री०) काम करनेवाली इंद्रिय (हाथ, पैर, वाणी, उपस्थ आदि)
कर्मोपघाती-सं० (वि०) काम बिगाड़नेवाला, कर्मनाशी कर्रा - बो० ( पु० ) I (पु० ) बुनाई के लिए सूत को तानकर फैलाना II (वि०) कड़ा, कठिन
कर्वट - सं० (पु० ) 1 मंडी, बाज़ार 2 नगर 3 पहाड़ीढाल 4 गाँव कर्ष - सं० (पु० ) 1 खींचना 2 मनमुटाव 3 जोतना 4 खरोंच 5 रोष । फल (पु० ) 1 बहेड़ा 2 आँवला कर्षक - I सं० (पु० ) किसान II ( वि०) खींचनेवाला कर्षण-सं० (पु० ) 1 खींचना 2 हल जोतना 3 खरोंचना 4 खेती का काम 5 जोती गई ज़मीन
कर्षिणी-सं० (स्त्री०) 1 घोड़े की लगाम 2 खिरनी का पेड़ कर्षित -सं० (वि०) 1 जोता हुआ 2 घसीटा हुआ कष - ! सं० (वि०) 1 जोतनेवाला 2 घसीटनेवाला II (पु० ) किसान
=
कलंक -सं० (पु० ) 1 दाग़, धब्बा 2 लांछन, बदनामी 3 दोष 4 लोहे का मोरचा । ~ कलुषित (वि०) कलंकित कलकांक - सं० (पु० ) 1 जिसके अंग में दाग़ लगा हो 2 चंद्रमा में लगा हुआ काला धब्बा
कलंकित, कलंकी-सं० (वि०) 1 कलंक से युक्त 2 जिस पर कलंक लगा हो, लांछित 3 मोरचा लगा हुआ कलंकुर -सं० (पु०) पानी का भँवर कलंगी - (स्त्री०) कलगी
कलंदर - फ़ा० (पु०) 1 मुसलमान साधुओं का समुदाय 2 सूफ़ीसंत 3 बंदर - भालू को नचानेवाला, मदारी क़लंदरा - फ़ा० (पु० ) 1 एक तरह का रेशमी वस्त्र 2 खूँटी 3 खूँटा
कलंदरी - फ़ा० (वि०) 2 खूँटी 3 खूँटा कलंब - ( पु० ) कलंदर का, कलंदर संबंधी कल-सं० (वि०) अस्पष्ट किंतु मधुर (जैसे-नदियों का कलनाद, रमणी का कलकंठ मधुर है, शिशु कलरव ध्वनि में हँसता है) 2 कोमल 3 सुहावना। ~~ कंठ (वि०) मधुर : और कोमल आवाज़वाला; ~कल (पु० ) नदी आदि के प्रवाह को मृदु ध्वनि; ~ कूजक (वि०) मृदुभाषी; ~घोष (पु०) मधुर शब्द करनेवाला, कोयल; धूत (पु०) चाँदी; धौत I (वि०) सुनहली II ( पु० ) 1 सोना 2 सोना-चाँदी 3 मंद और मधुर ध्वनि; नाद, ~रव I ( पु० ) हंस II ( वि०) मंद एवं मधुर स्वरवाला III (पु० ) राजहंस; -हासिनी (स्त्री०) मधुर हँसीवाली कल - I (स्त्री०) 1 नीरोग होने की अवस्था 2 आराम (जैसे- रोगी का ज्वर उतर जाने से उसे कल मिल गया) II ( क्रि० वि० ) 1 आनेवाला कल (जैसे वह कल जाएगा) 2 बीता हुआ कल (जैसे - वह कल स्कूल गया था) III (स्त्री०) कल-पुरजा (जैसे- कल से पानी गिर रहा है, कल की टोटी बंदकर दो) 2 'कल' का समास मेंव्यवहत रूप । दार
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कलई
फ़ा० (पु० ) कल से ढला हुआ सिक्का, रुपया-पैसा पुर्जे - फ़्फ़ार (पु० ) मशीन और उसके पुर्जे बल I (पु० ) दाव-पेंच II ( पु० ) जोड़-तोड़ -आना आराम मिलना; -कल करना 1 बहाना बनाना 2 मृदु एवं मंद ध्वनि में कुछ घुमाना 1 कल चलाना 2 पट्टी पढ़ाना 3 मन को अभी दिशा में मोड़ देना बेकल होना 1 बेचैन होना 2 मशीन के किसी पुरजे का ढीला होना, अव्यवस्थित हो जाना; हाथ में होना नकेल हाथ में होना मनचाहा करना या
गाना:
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करवाना
कलई-अब (स्त्री०) 1 असलियत की बात एवं वस्तु 2 बर्तन पर चढ़ाया गंगे का मुलम्मा 3 लेप। ~गर + फ़ा० (पु० ) कलई करनेवाला; दार फ़ा० (वि०) कलई किया हुआ; - खुलना वास्तविकता का ज्ञान होना, पोल खुलना क़लक़-अ० (पु० ) 1 घबराहट, बेचैनी 2 दुःख, रंज 3 पश्चाताप
कलक - (पु० ) 1 एक तरह की मछली 2 गद्य की एक शैली कलकलाना-( अ० क्रि०) 1 कल कल की ध्वनि होना 2 सम्मरी होना (जैसे- हाथ पैर का कलकलाना) कलक्टर अं० (५०) जिले का प्रधान शासक, जिलाधीश (जैसे वह कानपुर जिले का कलक्टर है) कलक्टरी-अं० हिं० (स्त्री०) 1 कलक्टर का कार्य-पद 2 कलक्टर का कार्यालय कलगी- (स्त्री०) 1 टोपी 2 पक्षियों के सिर पर निकला हुआ बालों का गुच्छा, चोटी 3 सिर का एक आभूषण 4 इमारत का शिखर
कलछा - (पु.) बड़ी कलछी
कलछी- (स्त्री०) लंबी डाँड़ीवाला कटोरीनुमा चम्मच कलजिब्धा - (वि०) काली जीभवाला
कलझवाँ - (वि०) 1 झुलसा हुआ 2 गहरे काले रंगवाला कलन - सं. (पु० ) 1 पत्नी, भार्या 2 नितंब 2 क़िला कलन सं. (पु० ) 1 गणना करना 2 ग्रहण करना 3 अच्छी तरह समझना 4 शब्द करना
कलना-सं० (स्त्री० ) 1 ज्ञान 2 ग्रहण 3 रचना, बनावट 4 छोड़ना
कलप - 1 (पु० ) 1 क़लफ़, माँड़ी 2 खिज़ाब II (पु०) कल्प, युग कलपना
(अ० क्रि०) 1 विलाप करना 2 दुःख उठाना 3 आह भरना II (स० क्रि०) कल्पना करना कलपाना - (स० क्रि०) 1 सताना 2 दुःखी करना कलफ़ - (पु० ) 1 खिज़ाब 2 माँड़ी। ~दार फ़ा० (वि०) माँड़ी दिया हुआ
कलफ़ - अ० ( पु० ) चेहरे पर का काला दाग़ कलबूत - फ़ा० (पु०) 1 ढाँचा 2 गोलंबर क़लम - अ० (स्त्री०) 1 लेखनी (जैसे वह क़लम से पत्र लिखता है ) 2 काटना (जैसे- कसाई ने बकरे को क़लम कर दिया) 3 काटकर लगाने की टहनी (जैसे-गुलाब के पौधे की क़लम क्यारी में लगा देना) 4 कान तक के बाल (जैसे-कलम अच्छी तरह काटना) 5 हीरे की कनी (जैसे- शीशा काटने के लिए कलम ले आओ ) । ~क्रसाई (पु०) क्रूर, निर्दयी; का धनी लेखन में अत्यंत कुशल; कार + फ्रा (पु० )
कला
घसीट;
घिस्सू + हिं जीवी
सं
-तराश फार
1 लेखक 2 चित्रकार, शिल्पी 3 एक तरह का कपड़ा; ~कारी + फ़ा० (स्त्री०) कलम से बनाए गए बेलबूटे, चित्रकारी 2 कलम की कारीगरी, (पु० ) सिर्फ लिखने का काम करनेवाला (पु० ) क़लम चलाकर रोटी खानेवात्यः (पु०) क़लम बनाने का चा दान फा० ( पु० ) क़लम रखने का पात्र: पैबंद का० ( पु० ) पौधे में क़लम लगाना; बंद फार (वि) लिखा हुआ, लिखित; ~करना 1 काटना 2 काटकर अलग कर देना (जैसे- कसाई ने बकरे की गर्दन कलम कर दी): -खींचना लिखे हुए को काटना: -घसीटना, -घिसना,
चलाना लिखना; चूमना लिखे हुए की प्रशंसा करना - तोड़ना अत्यधिक श्रेष्ठ और अनुपम रचना करना; - फेरना खुद करना, लिखा हुआ काटना
कलमल - (स्त्री०) कुलबुलाहट
1 बेचैन होना
कलमलना, कलमलाना - ( अ क्रि०) 2 विचलित होना 3 कसमसाना कलमा - अ० ( पु० ) 1 इस्लाम धर्म का मूल मंत्र ला इलाह इल्लिल्लाह, मुहम्मदुर्रसूलिल्लाह 2 उक्ति 3 सार्थक शब्द क़लमी - अ० + फ़ा० (वि०) । कलम से लिखा हुआ 2 क़लम काटकर लगाया हुआ
कलल-सं० (पु०) 1 गर्भाशय 2 गर्भ का प्रारंभिक रूप कलवरिया - (स्त्री०) शराब की दुकान, शराबखाना कलवार - (पु० ) शराब बनाने एवं बेचने का धंधा करनेवाला कलश-सं० (पु० ) 1 घड़ा, गगरी 2 मंदिर के शिखर पर कलश की आकृति का कंगूरा
कलशी-सं० (स्त्री०) गगरी, छोटा कलश
= कलश
= कलशी
कार,
कलस-सं० (पु० ) कलसी-सं० (पु० ) कलह-सं० (पु० ) 1 लड़ाई-झगड़ा 2 युद्ध । ~कारी (वि०) कलह करनेवाला, झगड़ालू, लड़ाकू कलहनी-सं० (स्त्री०) कलह करनेवाली झगड़ालू स्त्री कलहाँतरिता-सं० (स्त्री०) नायिका जो पति से झगड़ा करके पछताती है
कलहिनी -सं० (स्त्री०) झगड़ालू स्त्री
कलही -सं० (वि०) कलह करनेवाला, झगड़ालू, लड़ाका कला-फ़ा० (वि०) वय में बड़ा कलांतर-सं० (५०) 1 दूसरी कला 2 ब्याज कला-सं० (स्त्री०) 1 चित्र (जैसे उसकी कला अच्छी है) 2 नाट्य (जैसे-अभिनय कला) 3 नृत्यकला 4 हुनर
(जैसे- उत्तम कलाओं वाला व्यक्ति) 5 इंद्रजालिक कला 6 प्रकाश का भाग (जैसे- चंद्रकला)। कर्त्री (स्त्री०) महिला कलाकार, कला करनेवाली कार ( पु० ) 1 कला जाननेवाला 2 अभिनेता, नट; कारिता (स्त्री०) कलाकार का काम; ~ कुशल (वि०) किसी कला में निपुण; कृति (स्त्री०) कलामयी रचना: केंद्र ( पु० ) कला मंडली; ~ कौशल (पु० ) 1 कला में निपुणता 2 हुनर; गत (वि०) = कलात्मक; ~धर, नाथ, निधि (पु० ) 1 चंद्रमा 2 कलाओं का ज्ञाता पंजी (स्त्री०) कार्य - विवरण लिखने की कापी पक्ष (पु० ) ( साहित्य में) भाषा,
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कलाई
प्रधान
मंडली
=
अलंकार आदि का विवेचन-पक्ष प्रदर्शन (पु० ) कला दिखाना; प्रदर्शनी (स्त्री०) कला की नुमाइश (वि०) कला में श्रेष्ठ एवं सुंदर; प्रवण (वि०) कला में दक्ष; ~ प्रेमी (पु० ) कला से प्रेम करनेवाला; (स्त्री०) कलाकारों की मंडली; मय (वि० ) कलापूर्ण; ~मर्मज्ञ (पु०) कला का अच्छा ज्ञाता; ~वान् (वि०) कला जाननेवाला; विद (पु० ) कला का ज्ञाता; ~ विद्यालय (पु० ) वह संस्था जहाँ कला सिखाई जाए; ~ विध्वंस (पु० ) कलाकृतियों का नाश; ~शाला (स्त्री०) आर्ट गैलरी (कला विथि); ~ समालोचक (पु० ) कला की परीक्षा एवं विवेचना करनेवाला
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कलाई - (स्त्री०) हथेली और कोहनी के बीच का वह भाग जहाँ कड़े, चूड़ियाँ आदि पहनी जाती हैं, मणिबंध कलाकंद -फ़ा० + अ० (पु०) खोये की बड़ी बरफी कलात्मक-सं० (वि०) 1 कला से युक्त 2 अति सुंदर एवं कलापूर्ण ढंग से बनी हुई कलादक-सं० (पु० ) सुनार, स्वर्णकार कलादर्श -सं० (पु०) कला का नमूना
कलाप - सं० (पु० ) 1 समूह (जैसे- कार्य कलाप) 2 पूला 3 करधनी 4 आभूषण 5 हाथी के गले की रस्सी कलापक-सं० (५०) 1 कलाप 2 मोतियों की लड़ी 3 चार श्लोकों का समूह
कलापी -सं० (वि०) 1 तरकशधारी 2 समूह में रहनेवाला कलाबत्तू - (पु० ) 1 रेशम पर लपेटा गया सुनहला तार 2 सोने-चाँदी का तार 3 कलाबत्तू का बना पतला फ़ीता कलाबाज़ - हिं० + फ़ा० (पु० ) शारीरिक कला दिखानेवाला व्यक्ति, नटी
3 रचना ।
कलाबाज़ी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 शारीरिक खेल 2 नटविद्या कलाभिरुचि -सं० (स्त्री०) कला के प्रति मन की प्रवृत्ति कलाम-अ० 1 वचन, उक्ति 2 बातचीत ~ मजीद (पु० ) कुरान शरीफ नामक एक धार्मिक ग्रंथ कलार, कलाल - ( पु० ) = कलवार। खाना + फ़ा० (पु० ) जहाँ शराब बनाई एवं बेची जाती है, मद्यशाला कलावंत - सं० (पु० ) 1 कला का विशेषज्ञ 2 कलात्मक ढंग से कार्य करनेवाला व्यक्ति 3 कलाबाज़
कलावती - I सं० (स्त्री०) कला जाननेवाली स्त्री II (स्त्री०) रमणी, सुंदरी
कलावा - (पु० ) सूत का लपेटा हुआ लच्छा 2 हाथी के गले में पड़ी रहनेवाली रस्सी
कलासी - (पु० ) 1 दो वस्तुओं को जोड़नेवाली सूचकरेखा 2 जोड़-तोड़ बैठाने की युक्ति (जैसे अपनी कलासी यहाँ मत दिखाओ)
कलिंग - I सं० ( पु० ) 1 प्राचीन जनपद जो आधुनिक आंध्रप्रदेश के नाम से जाना जाता है 2 कलिंग का निवासी II (वि०) कलिंग देश कलि-सं० (पु० ) 1 कलयुग 2 कलह, झगड़ा । कर्म (पु० ) 1 बुरा काम 2 संग्राम, युद्ध; ~ कारक (वि०) झगड़ा करानेवाला; ~ काल (पु० ) = कलियुग; ~प्रिय (वि०) झगड़ालू; ~मल (पु० ) पाप; ~युग (पु० ) वर्तमान समय; युगी (वि०) कलियुग का
कलेजा
कलिका - सं० (स्त्री०) कली (जैसे- कुसुम कलिका) कलित-सं० (वि०) 1 सजाया हुआ 2 अस्पष्ट रूप से कहा हुआ 3 विदित 4 प्राप्त हुआ 5 सुंदर कलियाना - ( अ० क्रि०) 1 कलियों से युक्त होना 2 नए परों का निकलना
कलिल - सं० (वि०) 1 मिला हुआ, ओतप्रोत 2 घना 3 दुर्गम कली - सं० (स्त्री०) 1 फूल का प्रारंभिक एवं अविकसित रूप
(जैसे- कली खिल रही है) 2 अप्राप्तयौवना
कली - (स्त्री०) पत्थर आदि का फूंका हुआ टुकड़ा, चूना पत्थर क़लील-अ० (वि०) 1 थोड़ा, कम 2 छोटा
कलीसा -फ़ा० (पु० ) ईसाइयों का पूजा स्थल, गिरजाघर कलीसिया - फ़ा० (पु० ) ईसाई संप्रदाय कलुखी - (वि०) दोषी
कलुष - सं० (पु०) 1 मैल 2 अपवित्रता 3 पाप 4 विकार । ~ता (स्त्री०) 1 मलिनता 2 दोष 3 पाप कलुषाई सं० + हिं० (स्त्री०) कलुषता कलुषित - सं० (वि०) 1 कलुषयुक्त 2 अपवित्र 3 निंदित 4 क्षुब्ध 5 दुःखी
कलुषी-सं० (पु० ) -1 दोषी 2 पापी 3 अपवित्र कलूटा - (वि०) काले रंग का, काला कलेंडर -अं० (पु० ) तिथिपत्र कलेऊ - (पु० ) कलेवा
=
~ काढ़ना,
कलेक्टर -अं० (पु० ) = कलक्टर, जनपद् का मुख्याधिकारी कलेजा - ( पु० ) 1 प्राणियों के भीतर सीने के बायीं तरफ़ एक अवयव जो रक्त शुद्धता का कार्य करता है, यकृत 2 छाती (जैसे- कलेजा रौंदना) 3 दिल (जैसे कलेजा धड़कना) 4 साहस, हिम्मत (जैसे-लड़ने के लिए कलेजा होना चाहिए ) 5 अत्यधिक प्रिय व्यक्ति एवं वस्तु (जैसे-कलेजे का टुकड़ा)। जली (पु० ) (गाली) जिसका दिल जला-भुना ह ~ उछलना 1 अत्यधिक खुशी होना 2 भय, आशंका आदि से दिल धड़कना ~ कटना 1 दिल को चोट पहुँचना 2 खूनी दस्त आना; काँपना दिल दहलना, डर से काँपना; निकालना दुःख पहुँचाना; खाना सताना.. पीड़ा देना; खिलान्ग | प्रिय वस्तु देना 2 अत्यधिक आदर-सत्कार करना; छलनी होना व्यंग्य बाणों से कलेजा छिदना; छिदना, बिंधना कड़ी बातों से दिल दुखना; - जलना मन को अत्यधिक दुःख पहुँचना; जलाना सताना; टूटना हौंसला खत्म होना: ठंडा होना किसी की हानि करके मन को शांति मिलना; तर होना मन को ठंडक पहुँचना, थाम कर रह जाना सब कुछ सहते जाना; - धक-धक करना, -धड़कना । चिन का विकल हो जाना 2 दिल दहलना; -धक से हो जाना 1 आश्चर्य में पड़ना 2 एकाएक डर जाना; निकाल कर धर देना 1 सर्वप्रिय वस्तु को अर्पण करना 2 जान दे देना 3 पूरी शक्ति से प्रयास करना; पक जाना कष्ट असह्य होना; पकड़ लेना मन कड़ा करना, - पकाना बहुत परेशान करना; पत्थर का करना असह्य दुःख सहने के लिए दिल कठोर बना लेना; फट जाना मार्मिक दुःख होना; बल्लियों उछलना हृदय का ज़ोर से कंपन करना; मुँह को आना बेचैन हो जाना; कलेजे का टुकड़ा अत्यधिक प्यारा; कलेजे
=
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कलेजी
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कल्हारना
करना
लहर
पर छुरी चलाना दिल पर गहरी चोट पहँचाना; कलेजे पर कल्पनात्मक, कल्पनामय-सं० (वि०) - कल्पित, मनगढंत साँप लोटना 1 व्यथा से अत्यधिक व्याकुल हो जाना 2 ईर्ष्या
कल्पनीय-सं० (वि०) कल्पना करने योग्य से जलना; कलेजे पर हाथ रखना यथार्थता के लिए
कल्पांत-सं० (पु०) सृष्टि का अंत, प्रलय अंतरात्मा से पूछना; कलेजे में आग लगाना 1 ईर्ष्या होना
कल्पित-सं० (वि०) 1कल्पना किया हुआ 2 मनगढंत 2 प्यास लगना 3 दुःख देना; कलेजे में डालना अपने पास ___3 बनावटी 4 सँवारा हुआ रखना; कलेजे में तीर लगना दिल में गहरी चोट लगना;
कल्पय-सं० (वि.) = कल्पनीय कलेजे में पैठना भेद लेने के लिए दोस्ती बढ़ाना; कलेजे से
कल्ब-अ० (पु०) दिल लगाना 1 प्यार करना 2 छाती से लगाना
कल्बी -अ० (वि०) 1 बुद्धि का 2 हार्दिक कलेजी-(स्त्री०) कलेजे का मंस
कल्पष-सं० (पु०) 1 पाप 2 मैल 3 दोष 4 स्वाद कलेवर-सं० (पु०) 1 शरीर, देह 2 ऊपरी ढाँचा -चढ़ाना कल्याण-I सं० (वि०) चितकबरा II (पु०) 1 अग्नि का एक सिंदूर का लेप करना; बदलना । नया शरीर धारण करना __ रूप 2 धब्बा, दारा 3 एक खुशबूदार चावल 2 नया रूप धारण करना
कल्य-[सं० (वि०) 1 नीरोग, स्वस्थ 2 चतुर 3 कुशल 4 शुभ कलेवा-(पु०) 1 सुबह का जलपान 2 ब्याह की एक रस्म 5 Dगा और बहरा II (पु०) 1 स्वास्थ्य 2 कल, सवेरा 3 यात्रा करते समय साथ रखा गया भोजन। ~करना भोजन 3 मंगलकामना 4 मद्य, शराब। पाल, पालक (पु०)
1कलवार 2 शराब का व्यापारी कलैया-(स्त्री०) कलाबाज़ी
कल्यब्द-सं० (पु०) = कलियुग कलोर, कलोरी-(और) बिना गाभिन जवान बछिया (गाय) कल्यवर्त-सं० (पु०) कलेवा कलोल- (पु०) 1 उछल-कूद 2 क्रीड़ा 3 केलि II (स्त्री०) कल्या-सं० (स्त्री०) 1 मदिरा 2 बड़ी बछिया, कलोर 3 बधाई
कल्याण-I सं० (पु०) 1 मंगल, शुभ 2 सुख 3 सौभाग्य कलौंछ-(स्त्री०) = कलौंस
4 भलाई 5 शुभकर्म II (वि.) 1मंगलकारी कलौंजी-(स्त्री०) एक मसाला
2 सौभाग्यशाली 3 अच्छा, भला। ~कर (वि०) कल्याण कलॉस-(स्त्री०) 1 हल्का कालापन 2 कलंक 3 स्याही करनेवाला;। कामना (स्त्री०) भला चाहना, ~कारी कल्क-सं० (पु०) 1 चूर्ण, बुकनी 2 पीठी 3 चटनी 4 गूदा (वि०) = कल्याणकर; ~संस्था (स्त्री०) ऐसी संस्था जहाँ 5 पाखंड 6 दुष्टता 7 दंभ। -फल (पु०) अनार
लोगों की भलाई की जाती हो; ~समिति (स्त्री०) कल्याण कल्कि-सं० (पु०) विष्णु का होनेवाला दसवाँ और अन्तिम | करनेवालों का संगठन, समूह अवतार
कल्याणी--[ सं० (वि०) 1कल्याण करनेवाली कल्प-[सं० (वि०) जो वास्तविक न हो किंतु कुछ बराबर या । 2 भाग्यशालिनी 3 रूपवती II (स्त्री०) 1 कामधेनु 2 एक समान हो, लगभग बराबर (जैसे-देवकल्प) II (पु०)
। देवी का नाम धार्मिक कर्तव्यों का विधि-विधान 2 युग (जैसे-कल्प का | कल्लर-(पु०) 1ऊसर भूमि 2 लोना 3 रेह अंत, कल्पांत) 3 प्रस्ताव, निश्चय 4 वैद्यक उपचार | कल्लाँच-तु० (वि०) 1 गुंडा, लुच्चा 2 कंगाल, अति दरिद्र (जेसे-कायाकल्प) 5 प्रलय। -कथा (स्त्री०) बनावटी कल्ला -(पु०) अंकुर (जैसे-कल्ला फूटना) कहानी; वृक्ष इच्छा पूरी करनेवाला वृक्ष ल्वास कल्ला -फा० (पु०) गाल का भीतरी भाग, जबड़ा 2 दाढ़ (पु०) माघ मास में गंगा तट पर रहना
| 3 जबड़े से गले तक का अंश 4 लैंप का बर्नर। --तोड़ हिं० कल्पक-I सं० (वि०) 1कल्प संबंधी 2 वेद-विहित नियमों | (वि०) । प्रबल आघात करनेवाला 2 मुँह बंद कर देनेवाला और विधि विधानों के अनुसार होनेवाला II (वि०) 1 कल्पना
• (जैसे-उसने शत्रु को कल्ला तोड़ जवाब दिया); दराज़ करनेवाला 2 कल्पना संबंधी 3 रचना करनेवाला
(वि०) मुँहज़ोर, वाचाल, ~दराज़ी (स्त्री०) मुँहजोरी, कल्पन-सं० (पु०) 1 कल्पना करना 2 रचना करना 3 मूर्त रूप वाचालता; ~दबाना बोलने से रोकना; फुलाना मुँह देना 4 सँवारना
फुलाना; ~मारना गाल बजाना; कल्ले तले दबा लेना कल्पना-सं० (स्त्री०) 1 नयी बात सोचना 2 मन की उपज शक्ति से दबा लेना 3 ग० मान लेना (जैसे-शून्य अंक की कल्पना, अधिक कोण, | कल्लाना-(अ० क्रि०) 1 रह-रह कर जलन और सनसनी होना थीटा, अंश की कल्पना) 4 एक वस्तु में दूसरी वस्तु का आरोप
(जैसे-थप्पड़ से गाल कल्लाने लगा) 2 रह-रह कर दुःख 5 सजाना। ~प्रवण (वि०) कल्पना की ओर झुकाववाला; महसूस करना (जैसे-मन कल्लाना) ~प्रसूत (वि०) कल्पना से उत्पन्न हुआ, मन गढ़त; कल्लू-(वि०) 1 काला-कलूटा 2 कालिमायुक्त ~~लोक (पु०) खयाली दुनिया; ~वाद (पु०) 1 यह मत कल्लोल-सं० (पु०) 1 लहर, जल तरंग 2 मन की लहर, मौज कि प्रायः सिद्धांत शुद्ध कल्पनाएं हैं 2 ऐसा मत जो शक्ति एवं | 3 क्रीड़ा। कला को पूर्वानुमान द्वारा प्रस्तुत करे; ~वादी (वि०) कल्लोलित-सं० (वि०) तरंगित कल्पनावाद को माननेवाला; ~शक्ति (स्त्री०) उद्भावना
कल्लोलिनी-1 सं० (वि०) तरंगोंवाली II (स्त्री०) शक्ति कल्पनातीत-सं० (वि०) कल्पना से परे, जिसकी कल्पना न कल्हारना-I (स० क्रि०) तलना, छानना II (अ० क्रि०) की जा सके
कराहना
नदी
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कवक
कष्टार्थ कवक-सं० (पु०) 1 भोजन का कौर, निवाला 2 फफूंद | कवेला-अ० (पु०) दिग्दर्शक यंत्र की वह कील जिसपर सुई 3 कुकुरमुत्ता
चक्कर लगाती है कक्च-सं० (पु०) 1 बज़र, वर्म (जैसे-युद्ध में रक्षा हेतु योद्धा कवोष्ण-सं० (वि०) हल्का गर्म, कुनकुना कवच पहनते थे) 2 छाल 3 तावीज 4 नगाड़ा 5 छिलका। कव्य-सं० (पु०) पितरों को दिया जानेवाला अन्न, पिंड ~भेदी (वि०) कवच को भेदनेवाला
कव्वाल-अ० (पु०) कव्वाली गानेवाले कवचित-सं० (वि०) कवच लगाया हुआ, बख़्तरबंद कव्वाली-अ० + फा० (स्त्री०) भजन का सूफ्री प्रकार (जैसे-कवचित यान)
(कौवाली) कवची-सं० (वि०) 1 कवचयुक्त 2 कवचधारी, बख़्तरपोश कश-I फ्रा० (पु०) खींचना, फूंक (जैसे-सिगरेट का कश कवन-सं० (पु०) पानी
खींचना) II (वि०) 1 खींचनेवाला 2 उठानेवाला कवयिता-सं० (पु०) कवि
(जैसे-मेहनतकश, आराकश आदि)। मकश (स्त्री०) कवयित्री-सं० (स्त्री०) कविता रचनेवाली स्त्री, महिला कवि 1 खींचा-तानी 2 आन्तरिक संघर्ष 3 धक्कम धक्का कवर-(पु०) कौर, ग्रास, निवाला
4सोच-विचार कवर-अं० (पु०) 1 पुस्तक का आवरण पृष्ठ 2 ढकना | कश-सं० (पु०) चाबुक 3 लिफ़ाफ़ा
कशकोल-फा० (पु०) = बो० कचकोल कवर-I सं० (पु०) 1 बालों का गुच्छा, जूड़ा 2 फूल- का कशा-सं० (स्त्री०) कोड़ा, चाबुक
गुच्छा, गुलदस्ता II (वि०) 1 मिश्रित 2 रंग-बिरंगा कशाकशी-फा० (स्त्री०) = कशमकश, संघर्ष भावना कवरी-सं० (स्त्री०) 1 चोटी 2 जड़ा 3 वन तुलसी कशाघात-(पु०) चाबुक की मार, कोड़े का आघात कवर्ग-सं० (पु०) क से ङ तक के पंच वर्ण समूह (क, ख, कशिश-फा (स्त्री०) 1 खिंचाव 2 आकर्षण शक्ति ग, घ, ङ)
कशीदगी-फ़ा० (स्त्री०) 1खिंचाव 2 मनमुटाव, नाराज़गी कवल-सं० (पु०) 1 कौर, ग्रास 2 कौआ नाम की मछली कशीदा-I फ्रा० . (वि०) 1 खींचा हुआ 2 उठाया हुआ 3 एक तरह का पक्षी
II (पु०) कपड़े पर बेल-बूटे बनाने का काम कवलन-सं० (पु०) 1 खाना 2 निगलना
कशेरु-(पु०), कशेरुका-सं० (स्त्री०) रीढ़, मेरुदंड कवलिका-सं० (स्त्री०) 1 कपड़े की पट्टी 2 कपड़े की गद्दी, | कश्ती-फा० (स्त्री०) नाव, नौका, नैय्या
कश्मल-I सं० (पु०) 1 बेहोशी, मूर्छा 2 मोह, 3 पाप कवलित-सं० (वि०) 1 खाया हआ 2 निगला हुआ 4 उत्साह-हीनता II (वि०) 1 मलिन, गंदा 2 दूषित, बुरा कवाट-सं० (पु०) 1 दरवाज़े का पल्ला, कपाट 2 दरवाज़ा कश्मीरी-(वि०) 1 कश्मीर संबंधी 2 कश्मीर में निर्मित क्रवाम-अ० (पु०) 1 अवलेह 2 शीरा, चाशनी 3 सुर्ती का रस कश्य-सं० (वि०) चाबुक मारने योग्य। -नंदन (पु०) गरुड़ क्रवायद-[अ० (पु०) 1 नियमावली 2 कार्यविधि-II (स्त्री०) कश्यप-I सं० (पु०) 1 एक प्रजापति का नाम 2 सप्तर्षि मंडल 1व्याकरण 2 परेड, ड्रिल (जैसे-सैनिकों की कवायद)। के एक तारे का नाम 3 कछुआ 4 हरिण की एक जाति -परेड + अं० (स्त्री०)
कष-सं० (पु०) 1कसौटी 2 परीक्षा 3 रगड़ना कवि-सं० (पु०) 1 काव्य की रचना करनेवाला 2 शायर । कषाकु-सं० (पु०) 1 अग्नि 2 सूर्य
~कर्म (पु०) 1 कविता 2 काव्य रचना; कुल गुरु कषाय-[ सं० (वि०) 1 कसैला 2 गेरू के रंग में रंगा हआ (पु०) कवियों में श्रेष्ठ; गोष्ठी (स्त्री०) कवियों की सभा; (जैसे-कषाय वस्त्र) 3 सुगंधित II (पु.) 1 कसैला स्वाद या
प्रसिद्धि (स्त्री) 1 कवि की कीर्ति, यश 2 कवियों की रस 2 मनोविकार 3 काढ़ा चली आ रही ऐसी परंपराएँ एवं उक्तियाँ जो उचित न होने पर | कषित-सं० (वि०) 1 खींचा हुआ 2 कष्ट पहुँचाया हुआ भी सही मान ली गई हैं (जैसे-केले से कपूर निकलना, 3 क्षतिग्रस्त चकवा-चकवी का दिन में साथ-साथ एवं रात में अलग कष्ट-I सं० (पु०) 1 पीड़ा, व्यथा (जैसे-कष्ट झेलना, आँख होना); राज (पु०) 1 श्रेष्ठ कवि 2 श्रेष्ठ वैद्य 3 चारण, का कष्ट) 2 मुसीबत, विपत्ति (जैसे-आर्थिक कष्ट, सामाजिक भाट; समय (पु०) = कवि प्रसिद्धि/रुढ़ि
कष्ट) 3 दुष्टता 4 श्रम II (वि०) 1 हानिकर 2 कठिन कविका-सं० (स्त्री०) 1 केवड़ा 2 लगाम 3 एक मछली, कवई 3 दुःखी, संतप्त। ~कर (वि०) दुःख देनेवाला; कविता-सं० (स्त्री०) रसात्मक काव्य, शायरी। पाठ (पु०) कल्पना (स्त्री०) ऐसी कल्पना जिसके लिए अत्यधिक कविता पढ़कर सुनाना
मानसिक उथल-पुथल करनी पड़े, जबरदस्ती खींचतान; कवित्त-सं० (पु०) 1कविता 2 धनाक्षरी छंद का एक नाम ~कारक (वि०) = कष्टकर; दाता (पु०) कष्ट कवित्व-सं० (पु०) 1काव्य का गुण, रस 2 काव्य रचना की पहुँचानेवाला; दायक, दायी (वि०) मुसीबत पैदा शक्ति। ~कला (स्त्री०) काव्य रचना करने की कला; करनेवाला; निवारण (पु०) संकट दूर करनेवाला; ~प्रद ~मय (वि०) काव्यगुण-संपन्न; ~शक्ति (स्त्री०) (वि०) = कष्टदायी; ~भागिनेय सं० (पु०) साली का काव्य-प्रतिभा
लड़का; सहन (पु०) दुःख सहनाः सहिष्णु कष्ट कवींद्र-सं० (पु०) सर्वश्रेष्ठ कवि
सहनेवाला; साध्य (वि०) जो कठिनाई से किया जा सके कवीश्वर-सं० (पु०) कवियों में श्रेष्ठ
कष्टार्तव-सं० (पु०) कष्ट से रजस्त्राव होना कवेला-(पु०) कौए का बच्चा
कष्टार्थ-सं० (पु०) खींचतान कर लगाया गया अर्थ
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कष्टी
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कस्तूरिया
कष्टी-सं० (वि०) कष्ट पानेवाला, पीड़ित
खाना + फ़ा०बाड़ा, हिं० (पु०) बूचड़खाना; कस-I (पु०) कसौटी (जैसे-कस पर खींचना) II (पु०) का पिल्ला मोटा-ताजा. -के छंटे बँधना 1 बेदर्द के . 1 दाब, क़ाबू (जैसे-उसे कसकर रखना, कस में रखना) पल्ले पड़ना 2 निर्दयी व्यक्ति से ब्याह होना 2 दृढ़ता, मज़बूती 3 रुकावट, रोक III (पु०) कसाव । कसाई-(स्त्री०) 1कसने की क्रिया 2 कसने की मज़दूरी, या
दार + फ़ा० (वि०) 1 बलवान 2 जाँचा हुआ; बल पारिश्रमिक (पु०) । कार्यशक्ति 2 कर्मण्यता 3 हिम्मत
कसाकस-(वि०) अत्यधिक, (जैसे कसाकस भीड़) कसक--(स्त्री०) रुक-रुक कर होनेवाली पीड़ा, टीस 2 खटक कसाकसी-(स्त्री०) तनातनी, वैर विरोध
3 अभिलाषा (जैसे-दिल की कसक पूरी नहीं हो पाई) कसाना-[ (अ० क्रि०) कसैला स्वाद होना II (स० क्रि०) कसकना-(अ० कि०) 1 टीसना 2 कसक होना
कसवाना कसकुट-(पु०) काँसा
कसाफ़त-अ० (स्त्री०) गाढ़ापन 2 स्थूलता 3 मैलापन, गंदगी कसगर-फा० (पु०) मिट्टी के बरतन बनानेवाली एक जाति | कसार-(पु०) पंजीरी कसन-(स्त्री०) 1 कप्सना 2 कसाव 3 कसने की रस्सी 4 घोड़े कसालत-अ० (स्त्री०) सुस्ती, शिथिलता का तंग
कसाला-(पु०) 1 कठिा, कष्टकर श्रम 2 दुःख, कष्ट 3 खटाई कसना-1 (स० क्रि०) 1 खींचकर बाँधना 2 पेंच, पुरज़े को ! कसाव-I (पु०) कसैलापन II (पु०) 1खिचाव 2 कसे कड़ा बैठाना 3इँसकर भरना 4 कसौटी पर घिसना 5 परखना | जाने की क्रिया 6 ढीली चीज़े, गाँठ आदि कड़ा करना II (अ० क्रि०) | कसावट-(स्त्री०) तनाव, खिंचाव 1 बंधन या फंदा कड़ा होना 2 खिंचना 3 जकड़ा जाना III | कसियाना-(अ० क्रि०) कसैला होना, कसाना (पु०) कसने या बाँधने का साधन
कसी-(स्त्री०) 1कस्सी हलका फाल कसनी-I (स्त्री०) 1 सामान आदि कसनेवाली रस्सी 2 बेठन | क़सीदा-अ० (पु.) उर्दू-फ़ारसी का एक पद्य जो निंदात्मक या 3 अँगिया 4 कसौटी II (स्त्री०) कसेरों की एक प्रकार की प्रशंसात्मक होता है। हथौड़ी
| कसीदा-फा० (पु.) कपड़े पर बेल-बूटे बनाने का काम कसब-अ० (पु०) 1 कमाना 2 पेशा, धंधा 3 कौशल (जैसे-कसीदा काढ़ना) 4 वेश्यावृत्ति
कसीदेदार-फ़ा० (वि०) बेल बूटेदार कसबा-अ० (पु०) छोटा शहर
कसीर-अ० (वि०) अत्यधिक, प्रचुर, ज़्यादा कसबाती--अ० + फ़ा० (वि०) नगरवासी
कसीस-I (पु०) नीला थोथा II (स्त्री०) 1 निर्दयता 2 तनाव क्रसबी-अ० + फा० (स्त्री०) व्यभिचार से जीविका 3 आकर्षण
चलानेवाली स्त्री 2 वेश्या, रंडी। खाना (पु०) वेश्यालय, क़सूर-अ० (पु०) 1 अपराध 2 दोष 3 भूल। ~मंद + फ़ा०, रंडीखाना
~वार फ़ा० (वि०) 1 अपराधी 2 दोषी क़सम---अ० (स्त्री०) 1 शपथ, सौगंध 2 प्रतिज्ञा (जैसे-झूठी कसेरहट्टा-(पु०) = कसरहटटा कसम)। उतारना उत्तरदायित्व से मुक्त होना; ~खाना | कसेरा-(पु०) बर्तन बनानेवाला एवं बेचनेवाला
कार्य करने की प्रतिज्ञा करना; - खाने को नाम मात्र को; | कसेरिन-(स्त्री०) बर्तन बनाने एवं बेचने का काम करनेवाली • खिलाम बाध्य करना कसमस-(स्त्री, - कसमसाहट
कसेरु-(पु०) एक प्रकार की मोठी और स्वादिष्ट मोथे की जड़ कसमसाना-(अ० क्रि०) 1कुलबुलाना 2 छटपटाना । कसैया- बो० (वि०) 1कसनेवाला 2 परखनेवाला 3 घबड़ाना 4 हिचकिचाना 5 बैचैनी होना
कसैला-(वि०) जीभ को कसनेवाले स्वादवाला। -पन कसमसाहट (स्त्री०) ।बैचेनी 2 कुलबुलाहट
__ (पु०) कसैले होने की अवस्था (जैसे-आँवले का कसर-अ० (स्त्री०) कमी, न्यूनता; ~करना, । कसैलापन)
रखना कमी रखना; खाना घाटा सहना; निकलना | कसैली-(स्त्री०) सुपारी 1 घाटा पूरा होना 2 बदला मिलना; निकालना 1 बदला कसोरा-(पु०) 1 मिट्टी का प्याला या कटोरा 2 कटोरा लेना 2 घाटा पूरा करना
कसौटी-(स्त्री०) 1 सोना परखने का एक काला पत्थर कसरत-I अ० (स्त्री०) व्यायाम, वर्जिश II (स्त्री०) अधिक्य, (जैसे-कसौटी पर परखना) 2 परख, जाँच बहुलता; राय (स्त्री) बहुमत
कस्टडी-अं० (स्त्री०) संरक्षा कसरती-अ० + हिं० (वि०) 1 व्यायाम करनेवाला 2 कसरत कस्टम अफसर-अं० (पु०) सीमा शुल्क अधिकारी करके बनाया हुआ (कसरती शरीर)
कस्टम कर-अं० + सं० (पु०) सीमाशुल्क कसरहट्टा-(पु.) कसेरों की हाट ।
कस्टमर-अं० (पु०) ग्राहक, क्रेता कसवाना-(स० क्रि०) कसने के काम कराना
कस्टम हाउस-अं० (पु०) चुंगी घर कसहँड़ा-(पु०) काँसे का बना चौड़े मुँह का बर्तन कस्तूर, कस्तूरा-(पु०) 1 कस्तूरी मृग 2 कस्तूरी के समान एक कसा-(वि०) 1 घना 2 कसा हुआ। ~कसाया I (वि०) | सुगंधित पदार्थ बैंधा हुआ II (क्रि०/वि०) कसकर
|कस्तूरिया-(वि०) 1 कस्तूरी का 2 जिसमें कस्तूरी हो 3 कस्तुरी कसाई-I अ० (पु०) कसाव, बूचड़ II (वि०) निर्दयी। | के रंग का, मुश्की
जाति
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कस्तूरी
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काँटा कस्तरी-सं० (स्त्री०) नर हरिण की नाभि के पास की थैली में | कहावत-(स्त्री०) 1 मसल, लोकोक्ति 2 कथन 3 भेजा हुआ पाया जानेवाला एक सुगंधित पदार्थ। ~मृग (पु०) ऐसा संदेश हरिण जिसके नाभि के पास की थैली में कस्तूरी पाई जाए कहीं-(क्रि० वि०) 1 किसी जगह 2 दूसरी जगह। ~का क्रस्द-अ० (पु०) 1 इरादा 2 संकल्प 3 इच्छा
1किसी जगह का 2 न जाने कहाँ का कस्बा -अ० (पु०) = क़सबा
काइयाँ-(वि०) 1 चालाक 2 धूर्त क्रस्मिया-अ० (क्रि० वि०) शपशपूर्वक
काँकरी-(स्त्री०) छोटा कंकड़ कस्साब-अ० (पु०) कसाई। खाना + फ़ा० बूचड़खाना का-का-(पु०) 1कौए के बोलने का शब्द 2 शोरगुल कस्साबी-अन1 + फ़ा० (स्त्री०) कसाई का काम
3 निरर्थक वार्तालाप कस्सी-(स्त्री०) 1 ज़मीन नापने की रस्सी 2 ज़मीन की नाप कांक्षनीय-सं० (वि०) चाहने योग्य कहकहा-अ० (स्त्री०) खिलखिलाकर हँसना, अट्टहास । कांक्षा-सं० (स्त्री०) इच्छा, चाह, आकांक्षा दीवार (स्त्री०) चीन की प्रसिद्ध दीवार
कांक्षित-सं० (वि०) चाहा हुआ, इच्छित कहगिल-(स्त्री०) मिट्टी में घास-भूसा मिलाकर बनाया गया कांक्षी-सं० (वि०) इच्छा करनेवाला, इच्छुक गारा
काँख-(स्त्री०) बाहमूल के नीचे का गड्ढा, बग़ल कहत-अ० (पु०) अकाल, दुर्मिक्ष। - जदा + फा० (वि०) कांखना-(अ० क्रि०) 1 ज़ोर से दबने से आह ध्वनि निकलना
अकाल पीड़ित; ~साली + फ़ा० (स्त्री०) दुर्भिक्ष, अकाल 2 कठिन परिश्रम का काम करते समय उक्त ध्वनि का प्रस्फुटन के दिन
काँखासोती-(स्त्री०) जनेऊ की कंधे पर दुपट्टा रखने का एक कहन-(पु०) 1कथन 2 वचन 3 कहावत
तरीका कहना-I (स० क्रि०) 1 उच्चारण करना, बोलना काँगड़ी-(स्त्री०) दस्तेदार कश्मीरी अँगीठी
(जैसे-राम राम कहना) 2 भाव व्यक्त करना । (जैसे-उपदेश कांग्रेस-अं० (स्त्री०) 1 विचार-विमर्श करनेवाली महासभा । कहना, संदेश कहना) 3 आज्ञा देना (जैसे-नौकर से काम 2 भारतवर्ष की राष्ट्रय महासभा जन + सं० (पु०) कांग्रेस करने को कहना) 4 बयान करना (जैसे-कहानी कहना) से कार्यकर्ता; दल + सं० (पु०) = कांग्रेस; पक्षी + 5 बहकाना (जैसे-कहने में आना) II (पु०) 1 कथन (सं० (वि०) कांग्रेस की तरफ़ का; ~मैन (पु०) = कांग्रेस 2 आदेश, आज्ञा (जैसे-कहना मानना) बदना (स० कर्मी ~वादी + सं० (वि०) कांग्रेस के नियम एवं सिद्धातों क्रि०) 1 प्रतिज्ञा करना 2 निश्चय करना; ~सुनना (स० को माननेवाला; ~शासन + सं० (पु०) कांग्रेस पार्टी की क्रि०) बातचीत करना, वार्तालाप करना; ~सुनाना (स० सरकार क्रि०) आज्ञा सुनाना
कांग्रेसाध्यक्ष-अं० + सं० (१०) कांग्रेस के सभापति कहनावत-(स्त्री०) 1कहावत 2 कथन
कांग्रसी-अं० + हिं० (वि०) = 1 कांग्रसवादी 2 कांग्रेसकर्मी कहनी, कहनूत- बो० (स्त्री०) = कहनावत
कांच-I (पु०) शीशा (जैसे-काँच उद्योग) II (स्त्री०) 1 गुदा क़हर-अं० (पु०) 1संकट, आपत्ति 2 गुस्सा, क्रोध का भीतरी भाग 2 काछ। निकलना 1 गुदा चक्र का बाहर 3 अत्याचार। ~करना अत्याचार करना, अनर्थ करना; निकल आना 2 कष्ट होना
टूटना भीषण संकट आना; ~ढाना, तोड़ना गुस्से में कांचन-सं० I (पु०) 1 सोना 2 चमक 3 धतूरा II (वि०) किसी के प्रति कुछ भयानक कर बैठना जिससे वह बहुत बड़े 1 उत्तम 2 सुनहरा संकट में फँस जाए
कांचनी-सं० (स्त्री०) 1 गोरोचन 2 हल्दी कहल-बो० (पु०) 1 अत्यधिक गरमी, उमस 2 कष्ट 3 संताप कांची-सं० (स्त्री०) 1 करधनी 2 मेखला 3 घुघची कहलवाना, कहलाना-I(स० क्रि०) । संदेश भेजना काँचू-I (वि०) जो काँच की तरह भंगुर हो II (वि०) 1 जिसे 2 उच्चारण कराना II (अ० क्रि०) पुकारा जाना
काँच का रोग हो 2 कच्चा 3 कायर कहवा-अ० (पु०) एक पेड़ का बीज जिसे भूनकर दूध, काँछना-I (स० क्रि०) = काछना II (स० क्रि०) 1 सँवारना शक्कर मिलाकर पेय पदार्थ बनाया जाता है, चाय-काफ़ी। 2 पहनना खाना + फ़ा० कहवे की दुकान
काँजी-(स्त्री०) 1 सिरका में नमक, राई आदि के मिश्रण से कहाँ-(क्रि० वि०) किस जगह (जैसे-आप कहाँ गए थे) तैयार खट्टा पेय पदार्थ 2 मट्ठा, दही का पानी 3 फटा हुआ
~का 1 कैसा 2 कैसा बड़ा 3 व्यर्थ का: ~का कहाँ कहां से कहां; ~की बात कैसी अनहोनी बात
काँजी-हाउस-अं० (पु०) मवेशीखाना कहा-(पु०) 1कहना 2 आदेश 3 सलाह। ~कही । काँटा-(पु०) 1 पेड़ पौधों की टहनियों में सई के आकार की (स्त्री०) उत्तर-प्रत्युत्तर II (अ० क्रि०) कहना-सुनना। वस्तु 2 लोहे की कँटिया 3 कुएँ से गिरी बाल्टी निकालने के
~सुना (पु०); ~सुनी (स्त्री०) असंगत व्यवहार प्रयोग में आनेवाला अँकुसों का समूह 4 तराजू की डाँडो में कहाना-(अ० क्रि०/स० क्रि०) = कहलाना
बिल्कुल मध्य बिंदु पर लगी सुई। चूहा (पु०) ऐसा कहानी-(स्त्री०) 1 मनगढंत बात 2 कथा। ~कार + सं०; जानवर जिसकी पीठ पर छोटे -छोटे काँटे जमे होते हैं, साही;
लेखक + सं० (पु०) कहानी लिखनेदाला; ~संग्रह + निकालना 1 मन का दुःख दूर होना 2 बाधा दूर हो सं० (पु०) कथा-संकलन
जाना; होना 1 अत्यधिक दुर्बल होना 2 बाधा पहुँचाना; कहार-(प०) डोली ढोने और पानी भरने का काम करनेवाला । काँटे की तौल सही तौल; काँटे पड़ना प्यास से गला सूखना;
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काँटी
कांटे बोना विन पैदा करना; राह में काँटे बिछाना रोड़े अटकाना, बाधा उत्पन्न करना; काँटे बोना 1 निंदा करना 2 अनिष्ट का कारण बनना; काँटो पर लोटना 1 तड़पना, व्याकुल होना 2 कष्ट भोगना 3 ईर्ष्या से जलना; काँटों में घसीटना 1 संकट में डालना 2 लज्जित करना (जैसे- अनायास मेरी प्रशंसा करके आप मुझे काँटों में घसीटना चाहते हैं) काँटी (स्त्री०) 1 छोटा काँटा 2 छोटी कँटिया काँटेदार-हिं + फ़ा० (वि०) काँटोवाला (जैसे-काँटेदार तार) कांड-सं० (५०) 1 खंड, भाग 2 ग्रंथ का अध्याय (जैसे- बालकांड, उत्तरकांड) 3 गुच्छा 4 समूह 5 पोरी 6 घटना (जैसे- हत्याकांड, अग्निकांड) । त्रय (पु० ) वेदों के तीन भाग (ज्ञान, कर्म और उपासना); ~भंग, भग्न (पु० ) हड्डी का टूट जाना
कांडिका-सं० (स्त्री०) पुस्तक का कोई भाग कौडी - (स्त्री०) 1 छाजन में लगनेवाली बल्ली 2 अरहर की सूखी लकड़ी 3 लंगर में लगी लोहे की लंबी-मोटी छड़ 4 भूमि में बना गड्ढा
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कांत - I सं० (वि०) 1 सुंदर 2 प्रिय और रुचिकर 3 कोमल एवं मनोहर II (पु० ) 1 प्रेमी 2 पति, स्वामी। पाषाण (पु० ) चुंबक पत्थर
कांता-सं० (स्त्री०) 1 सुंदर स्त्री 2 पत्नी, भार्या 3 प्रेमिका कांतार-सं० ( पु० ) 1 भीषण जंगल 2 भयानक उजाड़ 3 विकट मार्ग
कांति-सं० (स्त्री०) 1 सौंदर्य 2 चमक, आभा (जैसे- स्वर्णिम कांति ) । ~कर (वि०) कांति बढ़ानेवाला, मय, मान (वि०) 1 कांतियुक्त 2 चमकदार
काँदला - I (वि०) गँदला, मैला II ( पु० ) 1 कीचड़ 2 मैल कांदव-सं० (पु० ) कड़ाही में पकाई चीज़
कांदविक-सं० ( पु० ) 1 भड़भूँजा 2 हलवाई काँदा - (पु० ) प्याज़
काँदू - (पु० ) बनियों की एक उपजाति
काँदो - (पु० ) कीचड़, पंक
काँप - (पु०) 1 बाँस की पतली तीली 2 कान में पहनने का
आभूषण
काँपना- (अ० क्रि०) 1 लरजना 2 थरथराना कांफ़रेंस-अं० (स्त्री०) सम्मेलन (जैसे-नवयुवक कान्फ़रेंस) काँय - काँय - (स्त्री०), काँव-काँव - (पु०) 1 कौए के बोलने का शब्द 2 कर्कश ध्वनि 3 बेतुका बोलना (जैसे- काँय-काँय मत करो;
काँवर-बो० (स्त्री०) बाँस की बनी बड़ी तराजू जिसे कंधे पर रखकर लोग तीर्थयात्रा करते थे हैं, बहँगी काँवरा - बो० (वि०) 1 घबराया हुआ, भौंचक्का 2 परेशान, बेचैन
काँवरिया - ( पु० ) काँवर लेकर चलनेवाला व्यक्ति काँस (पु० ) शरद ऋतु में फूलनेवाली घास । में तैरना
काग़ज़
II (पु०) ताँबा एवं जस्ता के संयोग से बनी एक धातु, कसकुट III (पु० ) भीख माँगने का खप्पर । गर + का० (पु०) काँसे का काम करनेवाला, कसेरा काँसार-बो० (पु० ) = काँसागर कांस्टेबुल - अं० (५०) सिपाही
कांस्य - I सं० (वि०) काँसे का बना हुआ II (पु०) काँसा, कसकुटा कार ( पु०) काँसागर, युग (पु० ) प्रस्तर युग के बाद का युग, ताम्रयुग
का - I (प्रत्यय) षष्ठी विभक्ति का चिह्न जो संबंध सूचक होता है (जैसे-छोटी उम्र का लड़का मनुष्य का शरीर आम का पेड़), II (अ०) क्या (जैसे तुम का करत रहो, का करिबो) काई - (स्त्री०) 1 सीलयुक्त पत्थर पर जमने वाली बारीक रेशे जैसी घास (जैसे- काई पर पैर फिसल गया) 2 जमी हुई मैल (जैसे बर्तन की काई ) 3 अत्यधिक दरिद्रावस्था (जैसे- काम करने से ही घर की काई समाप्त होगी) 4 मलीनता (जैसे-मन की काई)
1 इधर उधर भटकना 2 संकटपूर्ण स्थिति में फँसना संकट में पड़ना
कांसल, कांसुल-अं० (पु० ) वाणिज्यदूत जनरल (पु० ) महावाणिज्यदूत
काँसा - I (वि०) सबसे छोटा, कनिष्ठ (जैसे- काँसा भाई)
काउंसिल-अं० (स्त्री०) परिषद्
काक-सं० (पु०) कौआ पक्षी । गोलक ( पु० ) कौवे की पुतली चेष्टा कौवे के समान चौकन्ना रहना, दंत (पु० ) 1 कौए का दाँत 2 अनहोनी बात; पक्ष (पु० ) कनपटियों पर लटकनेवाले पट्टे पद 1 छूटे हुए शब्दों के लिए चिह्न इसका रूप है 2 हीरे का एक दोष वंध्या (स्त्री०) एक संतान को जन्म देकर बांझ हो जानेवाली स्त्री भुशंडि (पु० ) राम का एक भक्त जो शापवश कौआ बना; रव I (वि०) कायर, डरपोक II (पु०) 1 कौए का शोर 2 हल्ला-गुल्ला, शोरगुल; काकतालीय-सं० (वि०) संयोगवश तथा सहसा हो जानेवाला काकपिट - अं० ( पु० ) वायुयान में चालक के बैठने की सीट काकरेज़-फ़ा० (पु०) बैंगनी, काले एवं लाल रंग का काकरेज़ा - फ़ा० + हिं० (पु० ) काकरेज़ रंग का कपड़ा काकरेज़ी -1 -फा० (वि.) काकरेज़ रंग का II (पु० ) काकरेज़
रंग
काकल-सं० (पु० ) 1 कंठमणि 2 कौआ 3 टेंटुआ काकली-सं० (स्त्री०) 1 मधुर और प्रिय ध्वनि 2 एक वाद्य काका - I ( पु० ) 1 पिता का छोटा भाई, चाचा 2 छोटा बच्चा II (स्त्री०) 1 काकजंघा 2 काकोली 3 घुंघची काकातुआ - (पु० ) बड़ा तोता जिसके सिर पर चोटी होती है। काकी – I (स्त्री०) 1 काका की पत्नी, चाची 2 छोटी लड़की II (स्त्री०) मादा कौआ
काकु-सं० (पु० ) 1 भाव की दृष्टि से ध्वनि में भेद होना 2 वक्रोक्ति अलंकार का एक भेद होना 2 वक्रोक्ति एक भेद जिसमें ध्वनि भेद के बदलने से अर्थ बदल जाता है 3 व्यंग्य, चुटीली बात
काकुद-सं० (पु० ) तालू
काकुल - फ़ा० (पु० ) कनपटी पर लटकते हुए बाल, जुल्फ़े काकोलूकीय-सं० (पु० ) कौवे उल्लू का सहज वैर काग - (पु० ) कौआ, वायस
काग - अं० (पु०) कार्क (जैसे-बोतल का काग बंद कर देना) काग़ज़ - फ़ा० (पु० ) 1 लिखने के काम आनेवाला एक पदार्थ जिसे सन, बाँस एवं लुगदी आदि को गलाकर बनाया जाता
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काग़ज़ात
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कातर
छाँट)
2 आवश्यक लेख 3 दस्तावेज़ (जैसे-मकान के रजिस्टरीवाले 6 किसी ग़लत अंश को काटने के लिए खींची जानेवाली रेखा काग़ज़ ले आना) 4 समाचार पत्र। क़लम + अ० (पु०) (जैसे काट का चिह्न)। कपट (पु०) कपटपूर्ण युक्ति; लिखने-पढ़ने का सामान, पत्तर + हिं० (पु०) - ~कूट (स्त्री०) 1 घटाना-बढ़ाना (जैसे-लेख काट-कूटकर काग़जात; ~पत्र + सं० (पु०) दस्तावेज़; ~काला करना सही कर दो) 2 संशोधन; छांट (स्त्रो०) 1 काटने-छाँटने व्यर्थ की बातें लिखना; -की नाव अस्थायी एवं अस्थिर; का भाव, कतर-ब्योंत 2 सुधार (जैसे-मसौदे की काट
के घोड़े दौड़ाना 1 पत्र-व्यवहार करना 2 काग़ज़ी कार्रवाई करना
काटन-बो० (स्त्री०) कतरन काग़ज़ात-फ़ा० + अ० (पु०) काग़ज़ पत्र
काटन-अं० (पु०) कपास काग़ज़ी-फ़ा० (वि०) 1 काग़ज़ का बना हुआ 2 काराज़ पर
काटना-(स० क्रि०) 1 टुकड़े करना (जैसे-सब्जी काटना, फल लिखा जानेवाला (जैसे-काराजी वयान)
काटना) 2 अलग करना (जैसे-अनुचित बर्ताव के कारण कागद-फ़ा० (पु०) = काराज़
उसका नाम पार्टी से काटना पड़ा) 3 छरछराहट पैदा करना कागा-(पु०) कौआ (जैसे-कागा सब तन खाइयो) । रोल 4 कतल करना (जैसे-जल्लाद ने मुजरिम को घात लगाकर (पु०) हल्ला-गुल्ला, शोरगुल
काट दिया) 5 डोर काटना (जैसे पतंग काटना, दाँत से चोट काच-सं० (पु०) शीशा। ~मणि (पु०) स्फटिक, पत्थर की करना) 6 कम करना (जैसे-कपड़े का थान काटना) 7 रद्द सिला
करना (जैसे-उपाधि काटना) 8 खंडन करता (जैसे-मत एवं काचीय-सं० (वि०) 1 काँव का 2 काँच से बना विचार काटना) 9 गुज़ारना (जैसे-समय काटना) 10 पार काछ-(पु०) 1 पेड़ और जाँघ तथा उसके नीचे का स्थान करना (जैसे-बिल्ली ने रास्ता काट दिया)। काट खाना
2 धोती का छोर जिसे जाँघों के बीच से ले जाकर पीछे खोंसते 1 डंसना 2 डंक मारना; काटने (को) दौड़ना अत्यधिक हैं (काछ बांधना) 3 कच्छा। -काछना भेस बनाना क्रोध में बोलना, हिंसा पर उतारू होना; काटो तो खन नहीं काछना-I (स० क्रि०) 1 खोंसना (जैसे-धोती काछना) अनिष्ट घटना आदि के कारण स्तब्ध हो जाना 2 सँवारना 3 भेस धारण करना II (स० क्रि०) तरल पदार्थ काट-फाँस-(स्त्री०) 1 अलग करने एवं फँसाने का भाव
को हाथ से एकत्र करना (जैसे-ज़मीन पर गिरा तेल काछना) | 2 छलपूर्ण युक्तियाँ, चालबाज़ी काछनी-(स्त्री०) 1 धोती पहनने की ऐसी विधि जिसमें दोनों | काटू-(वि०) 1 काट खानेवाला 2 चिड़चिड़ा लाँगें पीछे खोंसी जाती हैं 2 छोटी धोती
काटेज-अं० (पु०) झोपड़ी काछा-(पु०) = 1 काछ 2 लाँग। ~कसना कार्य के लिए काठ-(पु०) 1 लकड़ी 2 ईंधन। ~कबाड़ (पु०) काठ की तैयार होना; ~खोलना 1 साहस खो देना 2 संभोग करना; रद्दी काठ की टूटी-फूटी वस्तुएं; ~कोयला (पु०) ~~लगना रगड़ से काछ के आस पास घाव हो जाना लकड़ियाँ जलाकर तैयार किया जानेवाला कोयला; ~का काछी-I (पु०) सब्जियाँ बोने एवं बेचने का काम करनेवालों उल्लू निरा मूर्ख, वज्र मूर्ख; ~का घोड़ा 1 बैसाखी की एक जाति, कोयरी II (वि०) कच्छी
2 टिकठी; ~की हांडी दिखावटी चीज़, अस्थायी उपयोग की काज-(पु०) 1 कार्य, काम (जैसे-काज सँवारना, काज पूरा वस्तु; ~मारना 1 काठ की वेड़ी पहनना 2 रोक लगाना; करना) 2 प्रयोजन 3 व्यवसाय, व्यापार
में पाँव देना जान बूझकर संकट में पड़ना; होना काम काज-(पु०) सिले हए कपड़ों में बटन फँसाने के लिए किए गए के अयोग्य होना, निर्जीव होना छेद (जैसे-काज-बटन)
काठा-(वि०) काठ से निर्मित काजल-(पु०) आँखों में लगाया जानेवाला एक पदार्थ, काठिन्य-सं० (पु०) 1 कठिनता 2 कड़ापन
अंजन। -की कोठरी ऐसा दूषित स्थान जहाँ आने-जाने से | काठी-(स्त्री०) 1 वह जीन जिसमें नीचे काठ लगता रहता है कलंक लगना अवश्यंभावी हो; ~पारना काजल एकत्र | 2 शारीर की बनावट, शरीरिक गठन 3 लकड़ी करना
काड-अं० (स्त्री०) एक प्रकार की मछली। ~लिवर आयल काजी-I (वि०) कामवाला, काम II (पु०) काम-धंधा | (पु०) कॉड मछली का तेल करनेवाला
काढ़ना-(स० क्रि०) 1 निकालना 2 बेल-बूटे बनाना 3 छानना काजी-अ० (पु०) 1 इस्लाम धर्म के अनुसार धार्मिक विवादों | 4उरेहना 5 उधार लेना
का निर्णय करनेवाला व्यक्ति 2 विचारक 3 मौलवी। जी काढ़ा-पु०) औषधियों को उबालकर निकाला गया रस, दबले क्यों शहर के अंदेशे से व्यर्थ की बातों को सोचकर चिंतामग्न होना, निरर्थक चिंता करना
कात-(पु०) 1 भेड़ों के बाल काटने की कैंची 2 मुर्गे के पैर का काजू-(पु०) एक मेवा। ~भोजू (वि०) दुर्बल एवं साधारण | काँटा वस्तु जिससे कुछ ही समय तक साधारण कार्य लिया जा | कातना-(स० क्रि०) 1 तकली में सूत निकालना 2 सन से सकता हो, साधारण एवं अल्पकालिक वस्तु
सुतली बनाना काट-(स्त्री०) 1 काटने का काम (जैसे-सब्जी काट दो) | कातर-सं० (वि०) 1 भयभीत 2 डरपोक 3 अधीर 4 उद्विग्र, 2 काटने की विधि (जैसे-दर्जी की काट अच्छी है) परेशान, व्याकुल। ता (स्त्री०) 1 अधीरता 2 बेचैनी 3 कपटपूर्ण आचरण, चालबाजी 4 पेंच का तोड़ 5 जख्म में| 3 उद्विग्नता होनेवाली छरछराहट (जैसे-अधिक तृतिया घाव काट देगा) | कातर-(पु०) 1 घड़नैल 2 एक प्रकार की बड़ी मछली 3 कोल्ह
| जोशांदा
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कातर्य
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क़ाबिज़
में वह स्थान जो साथ-साथ घूमता है और उस पर बैठा आदमी काना-1 (वि०) काना II (वि०) 1 दागी 2 कीड़ा खाया हुआ बैल को हाँकता है
III (वि०) टेढ़ा, तिरछा IV (पु०) चौसर के पास की कातर्य-सं० (पु०) कातरता
बिंदी। -कुतरा (वि०) 1 रद्दी (जैसे ~ कुतरा फल) काता-(पु०) 1 कता हुआ सूत, डोरा 2 बाँस छीलने की अर्द्ध 2 विकलांग और कुरूप (जैसे-काना कुतरा लड़का) चंद्राकार छुरी, बाँक
काना-कानी, काना फूसी, काना बाती-(स्त्री०) कान में कातिक-(पु०) कार्तिक मास
धीरे से कही जानेवाली बात, फुसफुसाहट, अस्फुट ध्वनि कातिब-अ० (पु०) 1 लिखनेवाला 2 दस्तावेज़ आदि लिखने कानी-(वि०/स्त्री०) 1 एक आँख वाली 2 फूटी हुई आँख का व्यवसाय करनेवाला
__3 सबसे छोटी क्रातिल-अ० (वि०) 1 हत्या करनेवाला हत्यारा 2 अत्यधिक कानीन-I सं० (प०) अविवाहिता स्त्री का पुत्र II (वि०) घातक
अविवाहिता स्त्री से उत्पन्न कतिलाना-(अ० + फ़ा०) (वि०) प्राणघातक, जानलेवा | कानून-अ० (पु०) राज नियम, विधान, विधि (जैसे-कानून (जैसे-क़ातिलाना हमला)
अमल में लाना) । ~~गो + फ़ा० (पु०) विधिज्ञ; ~भंग काती-(स्त्री०) 1 कैंची 2 चाकू, छुरी 3 कत्ती
+ सं० (पु०) कानून तोड़ना, कानून अवज्ञा, विधि उल्लघंन काथिक-सं० (पु०) कहानियाँ लिखने व सुनाने वाला ~ संरक्षक + सं० (वि०) कानून की रक्षा करनेवाला; कादंब-I सं० (पु०) कदंब का फल II (वि०) 1 कदंब छाँटना व्यर्थ की हुज्जतबाज़ी करना संबधी 2 समूह से संबद्ध
कानूनन-अ० (क्रि० वि०) कानून के मुताबिक नियमतः कादंबरी-सं० (स्त्री०) 1 शराब 2 कोकिला 3 मैना 4 बाणभट्ट कानूनियत-अ० (स्त्री०) कानूनीपन की रचना
कानूनिया-अ० + हि० (वि०) 1 कानून छाँटने वाला 2 हुज्जत कादंबिनी-सं० (स्त्री०) मेघमाला 2 मेघ राग की एक रागिनी करनेवाला कादर-(वि०) = कातर (सं०)
कानूनी-अ० (वि०) 1 क़ानून से संबद्ध 2 कानून का 3 कानून क्रादिर-अ० (वि०) 1 शक्तिशाली और समर्थवान बघारनेवाला 2 भाग्यवान
कान्फ्रेंस-अं० (स्त्री०) सम्मेलन कान-(पु०) श्रवण इंद्रिय, कर्ण। ~उठाना 1 चौकन्ना होना कापटिक-सं० (वि०) कपट करनेवाला, कपटी 2 आहट लेना; उड़ना शोरगुल से परेशान होना; उमेठना, कापरप्लेट-अं० (पु०) ताँब की तश्तरी
ऐठना 1 दंड देने के लिए कान का मरोड़ना 2 कान कापालिक-सं० (पु०) वामाचारी, तांत्रिक पकड़ना; ~कतरना, ~काटना धूर्तता में बढ़ जाना; | कापिल-1 सं० (वि०) 1 कपिल संबंधी 2 कपिल काव्य का
करना सुनना; ~का कच्चा सुने हुए पर विश्वास कर ___ अनुयायी 3 भूरा II (पु०) 1 सांख्य दर्शन 2 भूरा रंग लेनेवाला; ~खड़े करना, ~खड़े होना सतर्क रहना; कापी-अं० (स्त्री०) 1 नकल 2 सादे काग़ज़ की बही, अभ्यास
खाना शोर-गुल से कष्ट पहुँचाना; ~खुलना सजग होना; पुस्तिका। ~नवीस + फा० (पु०) लेख की नकल खोलना सावधान करना; ~~गरम करना कान उमेठना; करनेवाला; ~राइट (पु०) प्राप्त अधिकार, सर्वाधिकार दबाना विरोध न करना; ~देना ध्यान देना; ~धरना कापुरुष-सं० (पु०) कायर, नीच, कुत्सित पुरुष 1 ध्यान से सुनना 2 कान उमेठना; न दिया जाना 1 शोर कापोत-सं० (वि०) कबूतर के रंग-सा के मारे सुनाई न देना 2 अत्यधिक हल्ले-गुल्ले से कष्ट होना; काफ़-अ० (पु०) 1 अरबी-फारसी वर्णमाला का एक अक्षर
महिलाना 1 चूँ न करना 2 रत्ती भर भी विरोध न करना; 2 काकेशस पर्वत ~पकड़कर निकाल देना अनादरपूर्वक बाहर निकालना; क़ाफिया-अ० (पु०) तुक, अंत्यानुप्रास। -बंदी + फ़ा०
पकड़ना 1 ग़लती स्वीकार करना 2 भविष्य के लिए सतर्क (स्त्री०) क़ाफ़िया मिलाना, तुक मिलाना हो जाना; पड़ी आवाज़ सुनाई न देना शोरगुल के कारण | क़ाफ़िर-अ० (वि.) 1 जो खुदा और कुरआन को न मानता कान में पड़ी बात सुनाई न देना; पर जूं न रेंगना 1 कुछ भी __ हो, नास्तिक 2 उत्पाती, उपद्रवी (जैसे-काफ़िर हुम्न) परवाह न करना 2 कोई प्रभाव न पड़ना; फूंकना 1 दीक्षा क़ाफ़िला-अ० (पु०) पैदल यात्रियों का समूह देना 2 बहकाना पर हाथ धरना कुछ न सुनना; ~भर काफ़ी-अ० (वि०) 1 बहुत 2 पर्याप्त जाना सुनते सुनते ऊब जाना; ~भरना चुगली करना; ~में काफी-अं० कहवा कोड़ी डालना गुलाम बनाना; ~में डाल देना सुना देना; काफूर--फा० (पु०) कपूर । —होना 1 उड़ जाना 2 गायब हो में तेल, रुई डालना 1 बहरा बन जाना 2 ध्यान न देना;
जाना से लगना 1 कान से लगकर धीर-धीरे कुछ कहना काफूरी-फा० (वि०) 1कपूर का बना हुआ 2 कपूर के रंग का 2 चुपके-चुपके कान भरना; ~लगाना ध्यान से सुनना;, निंदा काबर-I (वि०) चितकबरा II (स्त्री०) दोमट, खाभर करना होना दूसरों की बातों पर ध्यान देना; ~कानों-कान काबला-(पु०) बड़ा पेच, बोल्ट् खबर न होना कुछ भी पता न चलना; कानों पर हाथ धरना काबा-अ० (पु०) मक्का की प्रसिद्ध मस्जिद जहाँ मुसलमान अनजान बनना
__ हज करने जाते हैं कानक-सं० (वि०) 1 सोने का बना हुआ 2 सुनहला काबिज़-अ० (वि०) 1 कब्जा करनेवाला 2 भोक्ता 3 चि० कानन-सं० (पु०) बड़ा जंगल, घना वन
कब्जियत करनेवाला
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क़ाबिल
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काय
काबिल-अ० (वि०) 1 योग्य, लायक 2 विद्वान्
निकलना; रखना संबंध बनाए रहना; ~लगना दरकार काबिलीयत-अं० (स्त्री०) 1 योग्यता 2 विद्वत्ता
होना; होना मतलब पूरा होना काबिस-(पु०) 1 लाल रंग की मिट्टी 2 लाल मिट्टी से बना | कामग-सं० (वि०) 1 अपनी इच्छानुसार काम करनेवाला
खेच्छाचारी 2 व्यभिचारी काबुक-मा० (स्त्री०) 1 कबूतरों का दरबा 2 तंदूरी बनानेवाला कामगा-सं० (स्त्री०) पुंश्चली, दुराचारिणी स्त्री कपड़े का गद्दा
कामतः-सं० (क्रि० वि०) जान बूझकर, स्वेच्छा से काबुली-(वि०) 1 काबुल का (जैसे-काबुली चना, काबुली कामद-सं० (वि०) कामना पूरी करनेवाला (जैसे-कामद मेवा) 2 काबुल का रहनेवाला
मणि) काबू-फा० (पु०) 1 अधिकार-वश (जैसे-काबू से बाहर हो कामदी-अं० (कॉमेडी) (स्त्री०) सुखांत रचना
जाना, काबू में रखना) 2 ज़ोर (जैसे-उन पर मेरा कोई काब कामन-वेल्थ-अं० (पु०) राष्ट्रमंडल नहीं है) 3 दाँव (जैसे-काबू पाकर मैने चित कर दिया) कामना-सं० (स्त्री०) अभिलाषा, वांछा काम-सं० (पु०) 1 कामना, इच्छा 2 इंद्रिय सुख की इच्छा कामयाब-फा० (वि०) सफल (जैसे-कामयाब होना) 3 संभोग इच्छा। कला (स्त्री) 1 मैथुन, रति 2 कामदेव कामयाबी-फा० (स्त्री०) सफलता की पत्नी, रति; ~कूट I (वि०) 1कामुक 2 व्यभिचारी कामरेड-अं० (पु०) साथी, सहयोगी II (पु०) 1 कामुकता 2 वेश्यावृत्ति; क्रिया (स्त्री०) कामल, कामला-I +सं० (पु०) +चि० 1 पीलिया रोग संभोगः लचर (वि०) स्वेच्छाचारी; चार (पु०)
2 वसंत ऋतु II (वि०) कामुक, कामात 1 स्वेच्छाचार 2 कामुकता 3 स्वार्थता; चारी (वि०) कामांध-सं० (वि०) अत्यधिक कामातुर 1 स्वेच्छाचारी 2 लंपट, कामुक; ~ज (वि०) वासनाजनित; कामा-अं० (पु०) लघु विराम, अल्प विराम सप्त (वि०) काम से तपा हा देव (पु०) काम का
कामाक्षी-सं० (स्त्री०) कामाख्या, दुर्गा देवता, रति-पति, कंदर्प; ~धुक (वि०) मनचाहा फल कामाग्नि-सं० (स्त्री०) 1 प्रबल कामेच्छा, तीव्र कामवासना देनेवाला; ~धेनु (स्त्री०) स्वर्ग की गाय जो सभी कामनाओं 2 उत्कट प्रेम को पूरा करनेवाली है ऐसा माना गया है ~परता (स्त्री०) कामातुर, कामार्त-सं० (वि०) काम वासना से विकल, कामुकता; ~मद (पु०) काम का नशा, प्रबल कामेच्छा; कामपीड़ित
लिप्सा (स्त्री०) कामुकता, कामवासना; ~लोलुप कामायनी-सं० (स्त्री०) 1 श्रद्धा 2 स्त्री (वि०) वासना से पूर्ण; ~वतील्वान् (वि०) जिसके मन कामायुध-सं० (पु०) कामवाण, फूल में कामना हो; ~वाण (पु०) कामदेव के पाँच बाण. कामार्थी-सं० (वि०) काम की इच्छा रखनेवाला (मोहन, उन्मादन, संतपन, शोषण, निश्चेष्टीकरण) ~वासना कामावेश-सं० (पु०) बासना की उत्तेजना (स्त्री०) कामेच्छा; ~शास्त्र (पु०) काम सबंधी तथ्यों एवं कामित-सं० (वि०) इच्छित विषयों की जानकारी देनेवाला शास्त्र, कोकशास्त्र ~सूत्र
कामिनी-सं० (स्त्री०) 1 सुंदर स्त्री 2 कामवती (पु०) काम शास्त्र का प्रसिद्ध ग्रंथ
कामिल-अ० (वि०) 1 पूरा 2 सब 3 समूचा काम-(पु०) 1 कार्य (जैसे-काम करना, काम बिगाड़ना) कामी-I सं० (वि०) कामनायुक्त II (पु०) 1 लंपट पुरुष 2 मतलब (जैसे-मुझे आपसे कुछ काम है) 3 संबंध 2 विषयी (जैसे-मेरा इस मामले से कोई काम नहीं) 4 स्वार्थ कामुक-सं० (वि०) 1 कामी, व्यभिचारी (जैसे-काम सिद्ध हो जाने पर वह पहचानना भूल गया) कामेडी-अं० (स्त्री०) सुखांत रचना (विशेषतः नाटक) 5 नौकरी। -काज (पु०) काम धंधा; ~काज़ी (वि०) कामोत्तेजक, कामोद्दीपक-सं० (वि०) काम की इच्छा को जिसे अनेक काम करने हों; ~णार + फ़ा० (पु०)
तीव्र करनेवाला 1 कामदार, कार्याधिकारी 2 मज़दूर; चलाऊ (वि०) | कामोद्दीपन-सं० (पु०) 1 कामवासना को तीव्र करना जिससे काम निकल जाए: चोर (वि०) काम से जी | 2 कामवासना का तीव्र होना चुरानेवाला, आलसी, निकम्मा; चोरी (स्त्री०) निकम्मापन; | कामोद्दीप्त-सं० (वि०) जिसकी कामवासना भड़काई गई हो
दानी (स्त्री०) 1 सलमे-सितारे का काम 2 बेल-बूटेदार कामोन्माद-सं० (पु०) 1कामवासना की प्रबलता कपड़ा; ~दार + फ़ा० I (वि०) जिस पर सितारे, कसीदे __ 2 कामवासना के पूरी न होने पर होनेवाला रोग आदि का काम हुआ हो (जैसे-कामदार टोपी) II (पु०) काम्य-सं० (वि०) 1 कामना करने योग्य, इच्छित 2 सुंदर एवं प्रधान कर्मचारी, कारिंदा; दिलाऊ (वि०) काम सुखद 3 जिससे कामना की सिद्धि होती हो (जैसे-काम्य धर्म) दिलानेवाला, काम पर लगानेवाला; ~धंधा, ल्याम 4जो स्वेच्छा से होता हो (जैसे-काम्य मरण)। कर्म 1 काम-काज 2 रोज़गार, व्यवसाय; बाढ़ (स्त्री०) (पु०) फल कामना से किया जानेवाला कर्म-मरण (पु०) अत्यधिक काम, अनेक काम। ~आना 1 इस्तेमाल होना अपनी इच्छा से मरना 2 युद्ध में मारा जाना 3 साथ देना; चलना 1 काम होना | काम्या-सं० (स्त्री०) 1 कामना 2 प्रयोजन 2 काम का चलते रहना; तमाम करना 1 काम पूरा करना
काम्येष्टि-सं० (स्त्री०) कामना सिद्धि हेत किया जानेवाला यज्ञ 2 मार डालना; तमाम होना 1 काम समाप्त करना 2 मारा | (जैसे-पुत्रेष्टि) जाना; ~ निकलना प्रयोजन सिद्ध होना; बनना प्रयोजन | काय-सं० (पु०) 1शरीर, देह 2 संघ, समूह 3 मूलधन ।
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कायथ
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कारामद
जाती है
ज्यलेश (पु०) शारीरिक कष्ट; चिकित्सा (स्त्री०) ऐसी (पु०) कार चलाने वाला; दुर्घटना + स० (स्त्री०) किसी चिकित्सा जिसमें शरीर के सभी अंगों एवं उनसे संबंधित रोगों वस्त, व्यक्ति आदि से कार का स्थिर या गति अवस्था में टकरा का विवरण एवं उन रोगों के निवारण पद्धति का विधान दिया जाना जिससे जान-माल की क्षति हो; निर्माता + सं० गया है।
(पु.) कार/बनानेवाला; रैली (स्त्री०) कार दौड़ प्रतियोगिता कायच-बो० (पु०) = कायस्थ
कारक-सं० (वि०) करनेवाला (जैसे-लाभकारक, कायदा-अ० (पु०) 1नियम 2 ढंग, तरीका 3 विधान । हानिकारक) कानून तौर-तरीका
कारक-सं० (पु०) व्या० संज्ञा या सर्वनाम की वह स्थिति जो कायफल-(पु०) एक वृक्ष जिसकी छाल दवारूप में प्रयोग की वाक्य में क्रिया के साथ उसका संबंध बतलाती है। -चिह्न
(पु०) कारक बताने के संकेत (जैसे-उसने, तुमको, कायम-अ० (वि०) 1 स्थिर 2 स्थायी 3 ठहरा हुआ। किसलिए); रचना (स्त्री०), विधान (पु०) शब्दों को
मिज़ाज (वि०) स्थिरचित्त; ~मुकाम (वि०) 1 एवज़ी, कारक के अनुसार बनाना स्थानापन्न 2 कायम, स्थिर
कारकीय-सं० (वि०) कारक का कायर-(वि०) 1 डरपोक, बुजदिल 2 उत्साहहीन। ता कारगाह-(पु०) = करघा (स्त्री०) 1 उत्साह हीनता 2 डरपोकपन
कारटून-अं० (पु०) व्यंग्यचित्र। -निगार + फ़ा० (पु०) क्रायल-अ० (वि०) 1 मान लेनेवाला 2 निरूत्तर कर देना व्यंग्यचित्रकार कायस्थ-सं० (पु०) 1 जीवात्मा 2 परमात्मा 3 कायस्थ जाति कारटूनिस्ट-अं० (पु०) = कारटून बनानेवाला कायांतरण-सं० (पु०) आत्मा का दूसरे के शरीर में प्रवेश कारण-सं० (पु०) 1 किसी बात के होने का हेतु, वजह, निमित्त काया-(स्त्री०) शरीर, देह। -कल्प (पु०) 1 शरीर का 2 साधन। ~शरीर (पु०) सूक्ष्म शरीर; ~वश (क्रि० जवान हो जाना 2 चोला बदल जाना। -कल्प करना, वि०) कारण से
पलट देना पूर्णतः रूपांतरित करना, पुराने को नया कर देना कारणा-सं० (स्त्री०) 1 पीड़ा, वेदना 2 यम-यातना 3 उत्तेजना कायापलट-(पु०) 1 बहुत बड़ा परिवर्तन 2 एक शरीर छोड़कर | कारणिक-I सं० (वि०) 1 कारण संबंधी 2 कारण के रूप में दूसरा शरीर धारण करना
होनेवाला II (पु०) 1विचारक 2 लिपिक 3 परीक्षक । ता कायिक-सं० (वि०) 1 शरीर से संबंधित, दैहिक 2 शरीर से (स्त्री०) 1 कारणिक होने की अवस्था 2 कार्य के साथ कारण किया हुआ 3 संघ संबंधी
का संबंध रखनेवाला कायिका-सं० (स्त्री०) सूद, ब्याज
कारतूम-फा० (पु०) बंदूक आदि में रखकर चलाई जानेवाली कायिकी-सं० (स्त्री०) शरीर विद्या
धातु। -पेटी + हिं० (स्त्री०) पेटी जिसमें कारतूस लगे रहते कायोत्सर्ग-सं० (पु०) शरीर छोड़ना, मरना कारंधमी-सं० (पु०) धातु से सोना बनानेवाला, कीमियागर कारनिस-अं० (स्त्री०) 1 दीवार की कँगनी 2 अँगीठी कार-सं० (पु०) 1 करनेवाला, कर्ता (जैसे-कुंभकार, ग्रंथकार, कारपोरल-अं० (पु०) फौज का एक छोटा अधिकारी चित्रकार) 2 क्रिया, काम (जैसे-बलात्कार, अंगीकार) 3 पति, कारबन-अं० (पु०) हरि, कोयले आदि में पाया जानेवाला
पदार्थ कार-फा० (पु०) 1 काम, कार्य 2 समास के अंत में लगकर कारबाइन-अं० (स्त्री०) छोटी बंदूक करनेवाला का अर्थ देना (जैसे-कुंभकार)। ~आज़मूदा कारबुरेटर-अं० (पु०) कार्बन भारित्र (वि०) अनुभवी; ~आमद (वि०) उपयोगी; ~कुन कारबोनिक-अं० (वि०) कार्बन का (पु०) एजेंट कारिंदा, खाना(पु०) 1 काम करने की जगह, कारयिता-सं० (पु०) 1कर्ता 2 सृष्टि करनेवाला उद्योग-स्थल 2 कारोबार; ~गर (वि०) असर करनेवाला, कारयित्री-सं० (स्त्री०) की, करनेवाली प्रभावकर; ~गाह (स्त्री०) कारखाना; गुज़ार (वि०) कार्रवाई-फ़ां० (स्त्री०) 1 कार्य संपादन के समय होनेवाली कार्यकुशल; ~गुज़ारी (स्त्री०) 1 कर्मठता कर्मण्यता आवश्यक क्रियाएँ 2 कार्यों का विवरण 2 कार्रवाई; चोब (पु०) 1 लकड़ी का चौकठा जिसपर कारवा-फा० (३०) पैदल यात्रियों का समूह, झुण्ड, काफिला कपड़ा फैलाकर जरदोजी आदि का काम किया जाता है कारस्तानी-फ़ा० (स्त्री०) 1 साजिश 2 चालबाजी 2 जरदोजी का काम 3 जरदोज; चोबी I (स्त्री०) कशीदे कारा-I सं० (स्त्री०) 1 बंधन 2 कारागृह, जेल II (वि०) का काम II (वि०) 1 जिसपर कशीदे का काम किया गया हो काला। ~णार, ~गृह (पु०) बंदीगृह, जेलखाना; ~दंड 2 बेल बूटे बने हुए; लामा (पु०) 1 प्रशंसनीय कार्य (पु०) कैद की सजा; पाल (पु०) जेल का रक्षक, जेलर; 2 कार्यावली 3 करतूत; परदाज़ (वि०) 1 काम करनेवाला ~भंग जेल तोड़ना; ~मुवत (वि०) जो कैद से मुक्त कर 2 प्रबंधक; परदाज़ी (स्त्री०) प्रबंध, कारगुज़ारी; बार दिया गया हो; रुद्ध (वि.) जो कारागार में बंद हो; (पु०) 1 कामकाज 2 रोज़गार, व्यापार; बारी (वि०) रोधन (पु०) 1 जेल में बंद होना 2 कैद की सज़ा; 1 कामकाजी 2 रोज़गारी, व्यापारी; ~रोज़गार (पु०) ~वास (पु०) जेल में रहने का दंड; ~वासी (पु०) कैदी कारोबार; ~साज़ (वि०) 1 काम बनानेवाला 2 सँवारनेवाला कारागारिक-I सं० (वि०) कारागार संबंधी II (पु.)
साज़ी (स्त्री०) 1 कार्य की योग्यता 2 चालबाजी कारागार का प्रधान अधिकारी, जेलर कार-अं० (स्त्री०) मोटरकार, मोटरगाड़ी। चालक + सं० । कारामद फां० (वि०) उपयोगी
स्वामी
ARTHAMA
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कारिंदा 162
कार्य कारिंदा-फा० (पु०) 1 काम करनेवाला, कर्मचारी 2 प्रतिनिधि कार्बन-अं० (पु०) = कारबन के रूप में काम करनेवाला व्यक्ति। ~गीरी (स्त्री०) कारिंदा कार्बनिक-अं० (वि०) = कारबोनिक का काम
कार्बनिकाम्ल-अं० + सं० (पु०) कारबोनिक एसिड, कार्बन कारिका-सं० (स्त्री) 1 नाचनेवाली स्त्री, नर्तकी 2 श्लोकबद्ध | का अम्ल व्याख्या 3 सूक्ष्म विवेचन
कार्बनी-अं० + हिं० (वि०) = कारबोनिक कारिख- बोल (स्त्री०) - 1 कालिख 2 काजल
कार्म-सं० (वि०) 1 कर्म का 2 कर्म रूप में संपन्न होनेवाला कारिडर कारीडोर अं० (पु०) गलियारा
3 कर्मशील कारिस्तानी-फ़ा (स्त्री०) 1 कार्रवाही 2 चालबाज़ी 3 अनुचित कर्मण्य-सं० (पु०) कर्मण्यता काम
कार्मिक-I सं० (पु०) कर्म करनेवाला व्यक्ति, कर्मचारी कारी-(प्रत्यय) करनेवाला (जैसे-लाभकारी, क्रांतिकारी) __II (वि०) कर्म में तल्लीन। ~संघ (पु०) मज़दूर संघ (स्त्री० कारिणी)
कार्मुक-I सं० (वि०) कर्मशील II (पु०) 1 धनुष 2 धुनकी कारीगर-फा० (पु०) शिल्पी, दस्तकार
कार्य-सं० (पु०) 1 काम 2 धंधा, व्यवसाय 3 धार्मिक कृत्य कारीगरी-फ़ा (स्त्री०) 1 दस्तकारी 2 शिल्प कौशल 4 कर्त्तव्य 5 परिणाम (जैसे-परिश्रम करने पर कार्य उत्तम कारु-सं० (१०) 1 कारीगर 2 जुलाहा, बुनकर
होगा) 6 प्रयोजन (जैसे-किसी कार्यवश मुझे दिल्ली जाना कारुणिक-सं० (वि०) 1 करुणायुक्त 2 जिसे देखकर मन में है)। ~कर (वि०) 1काम करनेवाला 2 असरदार;
दया उत्पत्र हो (जैसे-कारुणिक दृश्य, कारुणिक प्रसंग) ~कर्ता (पु०) कर्मचारी (स्त्री० ~की); ~कलाप कारुण्य-सं० (१०) करुणा या दया की अनुभूति, दयालुता (पु०) 1 बहुत से कार्य 2 सक्रियता; ~कारण (पु०) कार्य कास-अ० (पु.) 1 धनी किंतु कृपण व्यक्ति 2 हज़रत मूसा का और कारण का आपसी संबंध; ~कारण विपर्यय दोष ___ एक चचेरा भाई
(पु०) यह न समझ पाना कि कौन-सी घटना कारण है और क्रारूरा-अ० (पु०) 1(कनी शीशी 2 रोगी का पेशाब, मत्र कौन-सी कार्य है; ~कारिता (स्त्री०) स्थानापन्नता; कारी 3 बारूद की कुप्पी
(वि०) 1 स्थापन कार्य करनेवाला 2 प्रतिनिधि के तौर पर कारोंछ-(स्त्री०) . कलौछ
काम करनेवाला 3 कार्यकर्ता (स्त्री०- -कारिणी); कारोनर-अं० (पु०) लाश की जाँच करनेवाला अधिकारी ~~काल (पु०) कार्य करने का समय; ~कुशल (वि०) कारोबार-फा० (पु०) कार्य-व्यापार
कार्य में चतुर; कुशलता (स्त्री०) कार्य की निपुणता; कारोबारी-फा० (वि०) - कारबारी
क्रम (पु०) 1 कार्य किए जाने की सूची (जैसे-कार्यक्रम कार्क-अं० (पु०) डाट, काग (जैसे-बोतल का कार्क बंद बनाना) 2 क्रमिक रूप से किया जानेवाला कार्य क्षम _करना मत भूलना)
(वि०) कार्य करने के योग्य; ~क्षमता (स्त्री०) कार्य करने कार्टून--अं० (पु०) - कारटून, व्यंग्यचित्र
की योग्यता; ~क्षेत्र (पु०) कार्य करने की अधिकार सीमा; कार्टेल-अं० (पु०) 1 राजनीतिक प्रतिबंध 2 बंदी विनिमय चिंतक (वि०) 1 सोच-समझकर कार्य करनेवाला कार्ड-अं० (१०) 1 मोटे काग़ज़ का टुकड़ा 2 ताश का पत्ता 2 प्रबंधक; तत्पर (वि०) कार्य करने के लिए तैयार एवम् 3 पोस्टकार्ड। -बोर्ड (पु.) दफ़्ती, गत्ता
प्रस्तुत; ~त्यक्त (वि०) कार्य छोड़नेवाला; दक्ष (वि०) कार्डियोग्राम-अं० (पु०) हृद्गति लेख
कार्य में कुशल, कार्यप्रवीण; दर्शन (पु०) काम की कार्डियोलाजिस्ट-अं० (पु०) हृदयविज्ञानी
निगरानी; ~दी (पु०/वि०) कार्य की देखभाल करनेवाला, कार्डियोलाजी-अं० (स्त्री०) हृदविज्ञानं
निरीक्षक; दायित्व (पु०) कार्य का जिम्मा; दिवस कार्तयुगीन-सं० (वि०) सतयुग
(पु०) काम करने के दिन; निपुण (वि०) = कार्यदक्ष; कार्तिक-सं० (पु०) - कातिक
निर्देश (पु०) कार्य करने के लिए नियम, ढंग आदि कार्तिकी-सं० (स्त्री०) कातिक मास की पूर्णिमा
समझाना; निवृत (वि०) जो कार्य से छुटटी पा गया हो, कार्तिकेय-सं० (पु०) स्कंद
त्यागपत्र पटु (वि०) = र्कायदक्षा पद्धति (स्त्री०) - कार्लस-फा० (पु०) = कारतूस । पेटी - हिं० (स्त्री०) = कार्य प्रणाली; ~पर (क्रि० वि०) काम के लिए (जैसे-वह कारतूस पेटी
कार्य पर गया); ~परायण (वि०) 1 कर्मठ 2 कर्तव्यनिष्ठ; कार्दमिक-२० (वि०) कीचड़वाला
~पाल (पु०) कार्य का पालन करनेवाला व्यक्ति कार्नफ्लेक्स-अं० (पु०) मक्के का छिलका
~पालक (वि०) कार्य का पालन करनेवाला; ~पालिका कार्नफ्लोर-अं० (पु०) मक्की का आटा
(स्त्री०) संसद द्वारा पारित नियमों या कानूनों का निष्पादन कार्नर-० (पु०) 1कोना, कोण 2 गुप्तस्थल
करनेवाला विभाग; ~पालिका संस्था (स्त्री०) ऐसी संस्था कार्निस-अं० (स्त्री०) - कारनिस
जो नियम-विधियों का पालन कराने के लिए लोगों को बाध्य कार्पण्य-सं० (पु०) कृपणता, कंजूसो
करे; पूर्ति (स्त्री०) कार्य समाप्ति; ~प्रणाली (स्त्री०) कार्पास-1 सं० (वि०) कपास का बना हुआ II (पु०) सूती |
कार्य करने के तौर-तरीके, कार्य करने का ढंग; ~प्रवीण कपड़ा
(वि०) = कार्यदक्ष, कार्य में निपुण; ~भार (पु०) 1 कार्य काट-अं० (१०) दरी, टार
का दायित्व 2 प्रभार, चार्ज; ~भारी (वि०) जिसने दायित्व कापोरेशन (पु०) निगम, नगर महापालिका
लिया हो, प्रभारी, इन्चार्जलमग्न (वि०) कार्य में लगा हुआ;
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कार्य
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~मुक्ति नोटिस + अं०, ~मुक्ति सूचना (स्त्री०) कार्येक्षण-सं० (पु०) कार्य का निरीक्षण बर्खास्त करने का नोटिस; रत (वि०) काम में लगा हुआ; कार्रवाई-फ़ा० (स्त्री०) - कारवाई
रूप (पु०) काम का आकार-प्रकार आदि (जैसे-योजना कार्षायण-सं० (पु०) ताँबे का सिक्का को कार्यरूप देना); ~रूपेण (क्रि० वि०) कार्य रूप में; कार्ण-सं० (वि०) 1 कृष्ण संबंधी 2 काला 3 कृष्ण मृग ~वश (क्रि० वि०) काम के निमित्त; ~वाहक (वि०) संबंधी अस्थायी, कार्यकारी; ~वाही (स्त्री०) कार्रवाई, विधान काष्णर्य-सं० (पु०) कालापन (पु०) काम के नियम एवं कानून; विधि (स्त्री०) 1 कार्य काल-सं० (पु०) 1 समय, अवसर 2 अवधि 3 मौसम के नियम 2 कार्य करने का ढंग, तरीक़ा; ~विभाजन (पु०) (जैसे-शरदकाल) 4 काला रंग 5 अंत (जैसे-महाकाल, कार्य बाँटना, कार्य अलग-अलग करना; विवरण (पु०) अंतकाल) 6 (व्या) क्रियाओं को सूचित करनेवाला शब्द कार्य का उल्लेख, कार्य विवेचन; विस्तार (पु०) कार्य (जैसे-भूत काल, वर्तमान काल)। ~कंठ (पु०) 1 शिव आकार एवं सीमा, कार्यक्षेत्र; ~वृत (पु०) काम का ब्योरा; 2 नीलकंठ 3 मयूर; ~कवलित (वि०) मरा हुआ; कूट
व्यस्त (वि०) काम में लगा हुआ, कार्यरत; ~व्यापार (पु०) हलाहल (विष), भयानक विष; ~कोठरी (स्त्री०) (पु०) काम-धंधा, व्यवसाय; शक्ति (स्त्री०) कारागार में एक तंग एवं अंधेरा कमस जहाँ दुर्दान्त अपराधियों कार्यक्षमता; ~शील (वि०) कार्य करने की प्रवृत्ति; को रखा जाता है; क्रम (पुल) 1 समय की गति
श्रृंखला (स्त्री०) कार्य का क्रमः ~शेष (पु०) बचा हुआ 2 तिथिवार रखना; ~क्रमानुसार (वि०) समय के अनुकूल काम; शैली (स्त्री०) काम करने की विधि; ~संचालक किया जानेवाला; क्रमिक (वि०) कालक्रम संबंधी; (पु०) कार्य को गति प्रदान करनेवाला व्यक्ति; संचालन ~क्षेप (पु०) समय व्यतीत करना; खंड (पु०) (पु०) कार्य को गति प्रदान करना; ~संचालन पूँजी + हिं० 1 अवधि 2 परमेश्वर; ~ग्रंथि (स्त्री०) वर्ष, साल, ~ग्रस्त (स्त्री०) कार्य संचालन में लगायी गई संपत्ति एवं रुपया पैसा; (वि०) मृत्यु प्राप्त, मरा हुआ; चक्र (पु०) 1 समय का -संपादन (पु०) कार्य को पूरा करना; समिति (स्त्री०) बदलते रहना 2 भाग्य परिवर्तन; ~ज्ञ I (वि०) अवसर को अधिशासी प्रबंधक कमेटी; ~साधक (वि०) कार्य पहचाननेवाला II (पु०) ज्योतिषी; ज्ञान (पुत) साधनेवाला; ~साधन (१०) कार्य साधना, कार्य सँभालना; समय-कुसमय की पहचान; ~तालिका (स्त्री०) समय
-सिद्धि (स्त्री०). --सूची (स्त्री०) कार्य करने के लिए सारिणी; तुष्टि (स्त्री०) उपयुक्त समय पर मिलने वाला बनाया गया क्रम एवं उसकी सूची, कार्य की क्रमवार सूची; संतुष्टि; -त्रय (पु०) तीनोंकाल; दंड (पु.)
स्थगन प्रस्ताव (पु०) अन्य कार्य को छोड़कर विशेष एवं 2 यमराज की सजा; ~दर्श (पु०) दिन, महीना आवश्यक कार्य पर विचार-विमर्श करने का प्रस्ताव; हेतु बतलानेवाली सूची, कैलेंडर; दोष (पु०) कालक्रम (पु०) 1 मूल उद्देश्य 2 मूल कारण
में भूल होना; ~धर्म (पु०) 1 समयानुसार घटनाओ का कोना कार्यतः-सं० (क्रि० वि०) कार्य रूप में 2 फलतः 2 मौत, अवसान; नाथ (पु०) शिव, निरूपण (6) कार्यवाह-सं० (वि०) 1 कार्य वाहक 2 मंत्री
समय की व्याख्या करना; निर्णय (१०) किमी के ल बन कार्यवाही-I सं० (वि०) कार्यभार वहन करनेवाला या कृतित्व की तिथि का निश्चयन; --निशा (को०) II (स्त्री०) सभा आदि में हआ काम, कार्रवाई। --सार 1 अँधेरी एवं भयानक रात 2 दिवाली की रात नेमि (५०) (पु०) किए गए कार्य का निष्कर्ष, निचोड़, संक्षिप्त रिपोर्ट 1 एक राक्षस जिसका वध विष्णु ने किया था 2 रावण का मामा कार्याकार्य-सं० (पु०) कर्तव्य-अकर्तव्य
जिसका हनुमान ने वध किया था; - पक्व (कि) कार्याक्षम सं० (वि०) कार्य करने के अयोग्य
समयानुकूल पका हुआ; -पुरुष (१०) 1 समय का कल्पित कार्याधिकारी-सं० (पु०) कार्य करानेवाला अधिकारी मानकी रूप 2 ईश्वर का विराट रूप 3 काल देवताः प्रमेह कार्याध्यक्ष-सं० (पु०) कार्य का प्रधान अधिकारी (पु०) काला पेशाब आने का रोगः - प्रवाह (पु.) । कार्यानुक्रम-सं० (पु०) कार्य का क्रमबद्ध ब्यौरा
कालचक्र, खंजर + हिं० (१०) लंबे समय से पड़ी हुई कार्यानुसार-सं० (वि.) काम के हिसाब से, कार्य के अनुसार बेकार भूमि जो जोती न जा सके; बल (प.), बाँध । कार्यान्वय, कार्यान्वयन-सं० (पु०) किसी निश्चय को हिं० (पु०) = काल-निरूपण; - यापन (५०) .. कार्यरूप में बदलना
1कालक्षेप, दिन बिताना 2 विलंब करना; - रचना (स्त्री०) कार्यान्वित-सं० (वि०) 1 व्यवहार में लाया हुआ, कार्यरूप । व्या० वर्तमान, भूत, भविष्यत्काल के अनुसार किसानों का प्राप्त 2 कार्य से संबंद्ध
रुपांतरण; रात्रि (स्त्री०) 1 प्रलय की रात . । कार्यार्थी-सं० (वि०) 1 कार्य की सिद्धि चाहनेवाला 2 प्रार्थना भयानक रात 3 मृत्यु की रात 4 दिवाली की रात ,
करनेवाला 3 उम्मीदवार 4 मुक़दमे की पैरवी करनेवाला ~वाची (वि०) समय सूचित करनेवाला; यय कार्यालय-सं० (पु०) 1 काम करने का स्थान, दफ़्तर (पु०) = कालदोष, विपाक (पु०) । किसी कार्य, बात.
2 कारखाना । ~संवाददाता (पु०) आफिस/स्थानीय रिपोर्टर घटना आदि के नियत समय का पूरा होना 2 काल की कार्यालयाध्यक्ष-सं० (पु०) कार्यालय का प्रधान अधिकारी अवश्यंभावी अवधि जो निश्चित रूप में होर्टर कार्यावधि-सं० (स्त्री०) कार्य करने की अवधि, कार्यकाल -विधान (पु०) = काल निरूपण, (वि.) कार्यावली-सं० (स्त्री०) कार्य-सूची, एजंडा
जो समय के प्रतिकूल हो; ~वृद्धि (स्त्री) । समय बीतने कार्यावस्था-सं० (स्त्री०) काम करने की स्थिति । पर ब्याज का मूल के बराबर हो जाना 2 बँधे समय पर दिया
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कालबेल
जानेवाला ब्याज; - व्यतिक्रम (पु०) = कालदोष; ~संधि
(स्त्री०) दो समयों के मिलने की घड़ी, साँप, नाग, हीन (वि०) जो समय (पु० ) 1 काला हरिण 2 पीत चन्दन 1 मौत के मुँह में जाना 2 संकट में फँसना कालबेल -अं० (पु०) बुलावे की घंटी कालम - अं० (पु० ) पन्ने के चौड़ाई में विभाग, स्तंभ, हाशिया कालर-अं० (पु० ) 1 कोट-कमीज़ आदि के गले पर लगाई जानेवाली पट्टी 2 कुत्ते आदि के मले में बाँधा जानेवाला चमड़े का पट्टा, गले की ज़ंजीर। ~टाई, नेक टाई (स्त्री०) कमीज़ के गले में बाँधने की टाई कालरा -अं० (पु० ) हैज़ा
कालांतर - I सं० (वि०) अपने समय के बाद होनेवाला
सर्प (पु०) काला से न हो; सार के गाल में जाना
(जैसे- कालांतर विष) II (पु० ) 1 अंतराल 2 नियत समय के बाद का समय, अन्य समय कालांतरित - सं० (वि०) 1 जिसका समय बीत गया हो, बीता
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हुआ समय 2 पुराना
काला - (वि०) 1 श्याम, स्याह (जैसे- काला वर्ण) 2 कलुषित (जैसे - काला मन, काला नाग काला हृदय) । -कलूटा (वि०) अत्यधिक काला; क़ानून अ० (पु० ) लोकविरुद्ध क़ानून; चोर (पु० ) भारी चोर; जीरा (पु० ) स्याह या मीठा जीरा पन (पु० ) काला होने की स्थिति, श्यामलता; पहाड़ (पु०) बहुत भयानक वस्तु या व्यक्ति; पानी 1 आजीवन क़ैद की सजा 2 ऐसा स्थल जहाँ का पानी काला होता है 3 अंडमान निकोबार द्वीप समूह ;
~
+
बाज़ारी + फ़ा० (स्त्री०) व्यापार में अनुचित लाभ उठाने के लिए क्रय-विक्रय; ~भुजंग I ( वि०) बहुत काला II (पु० ) अतिविषधर नाग; ~सागरीय + Ho (fao) काले समुद्र; सोना (पु० ) कोयला; काली सूची (स्त्री०) ग़लत काम करनेवालों की नामावली; काले का मंतर साँप का विष उतारने का मंत्र, काले कोस, काले कोसों बहुत दूर; काले सिर का जवान; काले के आगे चिराग़ नहीं जलता ताकतवर के आगे ज़ोर नहीं चलता कालाक्षर -सं० (पु० ) अपठनीय लेख कालाक्षरी - सं० (वि०) रहस्यपूर्ण एवं अस्पष्ट अक्षर एवं लेख को समझने वाला
कालाणुवाद-सं० (पु०) यह मत कि काल एक अविच्छिन्न सत्ता नहीं, बल्कि अणुवत् इकाइयों का समूह है कालातिक्रमण, कालातिपात -सं० (पु० ) 1 समय का बीत जाना 2 विलंब होना, देर होना 3 नियत समय का गुजर जाना कालातीत-सं० (वि०) 1 जिसका समय बीत गया हो 2 काल प
काशीफल
कालिक) 2 सामयिक II ( पु० ) काला चंदन कालिका-सं० (स्त्री०) 1 कालापन 2 काला रंग 3 स्याही 4 कालिमा 5 मेघ माला 6 काली मिट्टी 7 काली देवी, चंडी कालिख - (स्त्री०) 1 कलंक (जैसे कालिख लगाना) 2 स्याही क़ालिब - अ० (पु०) 1 ढाँचा, साँचा 2 देह, शरीर कालिमा-सं० (स्त्री०) 1 कालापन 2 स्याही 3 अंधकार 4 कालिख (जैसे चेहरे की कालिमा ) 5 लांछन, कलंक काली-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा का एक रूप, काली देवी 2 अँधेरी रात 3 काले रंग की स्त्री। ज़बान (स्त्री०) अशुभ बोलनेवाली जीभ
कालात्मा, कालाध्यक्ष-सं० ( पु० ) ईश्वर कालानुक्रम -सं० ( पु० ) = कालक्रम कालावधि-सं० (स्त्री० ) नियत किया गया समय, अवधि कालिंग - I सं० (वि०) 1 कलिंग का 2 कलिंग देश में उत्पन्न होनेवाला II (पु० ) 1 कलिंग देश का निवासी 2 कलिंग देश
कालीन - फ़ा० (पु० ) बड़ा ग़लीचा कालीन सं० (वि०) 1 काल का 2 काल संबंधी कालुष्य-सं० (पु० ) 1 मलिनता 2 अपवित्रता 3 अस्वच्छता 4 मतभेद 5 कालिख
कालेज-अं० (पु०) उच्च शिक्षण संस्था, महाविद्यालय कालोनाइजर-अं० (पु० ) उपनिवेशी कालोनी- अं० (स्त्री०) उपनिवेश 2 नई बस्ती कालौंछ - ( स्त्री०) 1 कालापन 2 कालिख काल्पनिक - सं० (वि०) 1 कल्पना से उत्पन्न हुआ, कल्पित, मनगढ़ंत 2 कल्पना करनेवाला
कावचिक-सं० (वि०) कवच संबंधी
कावा - फ़ा० (पु०) 1 चक्कर 2 घोड़े को वृत्त में चक्कर देना ।
~ काटना चक्कर मारना, चक्कर लगाना
काव्य-सं० (पु० ) 1 कविता 2 कवि की रसात्मक रचना (जैसे- सरस एवं ओजस्वी काव्य ) । ~गत (वि०) काव्यात्मक; ~ ग्रंथ (पु०) गीत एवं कविता की पुस्तक; ~धारा (स्त्री०) काव्य का प्रवाह पूर्ण (वि०) गीतों से भरा हुआ; ~ भाषा (स्त्री०) काव्य शैली; --भेद (पु०) काव्य के प्रकार एवं रूप मर्मज्ञ (वि०) = काव्यरसिक, काव्य का ज्ञाता; ~ रस (पु० ) गीत एवं कविता का स्वाद, गीत एवं काव्य के पढ़ने से मन को मिलनेवाली आनंदानुभूति; ~ रसिक (वि०) काव्य रस को ग्रहण करनेवाला; ~ रसिकता (स्त्री०) काव्य रस को ग्रहण करने की स्थिति; ~ शास्त्र (पु० ) ऐसा शास्त्र जिसमें काव्य के भेद एवं रूपों का विस्तार से वर्णन किया गया हो; शैली (स्त्री०) काव्य रचना की भाषा (जैसे- अलंकारिक काव्य शैली); हेतु (पु० ) काव्य में शक्ति पैदा करनेवाले कारण काव्यत्व-सं० (पु०) काव्यगुण काव्यमय - सं० (वि०) काव्यपूर्ण, काव्यगुणसंपत्र काव्यांग -सं० (पु०) काव्य के भेद
काव्याचार्य-सं० (पु०) काव्य का पंडित, काव्य का ज्ञाता काव्यात्मक - सं० (वि०) काव्यगत, काव्य से परिपूर्ण काव्यादर्श - सं० ( पु०) काव्य का प्रतिमान काश-फा० (अ०) इच्छा आदि की सूचना करने के लिए इस शब्द का प्रयोग किया जाता है (जैसे- काश, मैं वहाँ पहुँच गया होता)
काशिक-सं० (वि०) 1 प्रकाश करनेवाला 2 प्रकाशमान काशिकीय-सं० (वि०) 1 काशी का 2 प्रकाश करने योग्य (जैसे - काशिकीय यंत्र)
का राजा
कालिंदी-सं० (स्त्री०) यमुना नदी
कालिक - I सं० (वि०) 1 समय संबंधी (जैसे- वर्तमान काशीफल -सं० (पु०) कुम्हड़ा
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काश्त
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किताब
अंगूर
काश्त-फ़ा० (स्त्री०) 1 खेती-बाड़ी, कृषि 2 किसी की जोत की | किंचित्-I सं० (वि०) थोड़ा, कुछ, क्षणिक II (क्रि० वि०) ज़मीन । ~कार (पु०) खेतिहर; ~कारी I (स्त्री०) अल्प मात्रा में, बहुत कम 1 खेती, किसानी 2 ऐसी भूमि जिसपर काश्तकार का अधिकार किंजल, किंजल्क-I सं० (वि०) 1 कमल के केसर के रंग हो II (वि०) 1 काश्तकार संबंधी (जैसे-काश्तकारी का, हल्का पीला II (पु०) 1 कमल का पराग, कमल का अधिकार) 2 खेती बाड़ी संबंधी
केसर 2 नागकेसर काश्मीरा-(पु०) 1 एक प्रकार का ऊनी वस्त्र 2 एक प्रकार का | किंडरगार्डन-(स्त्री०) बच्चों को खिलौने आदि द्वारा शिक्षा देने
की प्रणाली, बालबाड़ी, बालोद्यान, काश्मीरी-(वि०) 1 कश्मीर का 2 कश्मीर में उत्पन्न होनेवाला किंतु-सं० (अ०) 1 परंतु, लेकिन 2 बल्कि काषाय-I +सं० (वि०) 1 हरड़, बहेड़े आदि के रंग में रंगा किंभूत-सं० (वि०) 1 किस तरह का 2 अद्भुत 3 भद्दा हुआ 2 गरूंआ II (पु०) गेरूंआ वस्त्र
किंवदंती-सं० (स्त्री०) 1 अफ़वाह 2 लोकापवाद काष्ठ-सं० (पु०) 1 काठ, लकड़ी 2 ईधन । ~ उद्योग (पु०) किंवा-सं० (अ०) या, या तो, अथवा लकड़ी का व्यापार; नक्षक (पु०) बढ़ई; -भित्ति कि-फा० (भोजक), यों अर्थात् (स्त्री०) लकड़ी की दीवार
किक-अं० (स्त्री०) पैर से मारना, ठोकर मारना (जैसे-फुटबाल काष्ठवत्-सं० (वि०) 1 काठ जैसा 2 कड़ा 3 जड़
को किक करना) काष्ठा-सं० (स्त्री०) 1 रास्ता, मार्ग 2 सीमा 3 दिशा 4 उत्कर्ष । किकियाना-(अ० क्रि०) चिल्लाना 5ऊँचाई
किच-किच-(स्त्री०) 1 झगड़ा, विवाद 2 अशांति 3 उलझने काष्ठागार-सं० (पु०) काठ का घर
सी स्थिति काष्ठीय-सं० (वि०) 1 लकड़ी का बना हुआ 2 काठ संबंधी । किचकिचाना-(अ० क्रि०) क्रोध में दाँत पीसना (जैसे-काष्ठीय व्यापार)
(जैसे-किचकिचाना अच्छा नहीं लगता) काष्ठोत्कीर्ण-सं० (वि०) लकड़ी पर खुदा हुआ किचकिचाहट-(स्त्री०) 1 किचकिचाने का भाव कास-सं० (पु०) खाँसी
2 खिजलाहट, 3 झुंझलाहट कासनी-फा० (स्त्री०) 1 लगभग दो हाथ की ऊँचाईवाला एक किचकिची-(स्त्री०) = किचकिचाहट हरा पौधा जिसका बीज दवा के काम आता है 2 कासनी के | किचड़ाना-I (अ० क्रि०) कीचड़युक्त होना (जैसे-आँख फूल-सा हल्का नीला रंग
किचड़ाना) II (स० क्रि०) कीचड़ से युक्त करना कासमिक-अं० (वि०) = कास्मिक
किचर-पिचर-(वि०) गिचपिच (गचपच) कासा-फ़ा० (पु०) = 1 कटोरा 2 कचकोल
किट-अं० (स्त्री०) 1 उपकरण 2 सारा सामान । -बैग (पु०) कासार-सं० (पु०) 1 छोटा तालाब 2 ताल
झोला कासिद-अ० (वि०) संदेशा ले जानेवाला, पत्रवाहक किट-किट-(स्त्री०) = किचकिच कास्केट-अं० (पु०) डिब्बा
किटकिटाना-(अ० क्रि०) किचकिचाना कास्ट-अं० (स्त्री०) नाटक चलचित्र आदि के पात्र किटकिना-(पु०) 1 ठेकेदार की ओर से दूसरों को दिया कास्ट आयरन-अं० (पु०) ढलवाँ लोहा
जानेवाला ठेका 2 सोनारों का ठप्पा। ~दार + फ़ा० (पु०) कास्टिक-अं० (पु०) त्वचा आदि को जला देनेवाला एक ठेकेदार से ठेका लेनेवाला; बाज़ + फ़ा० (पु०) चतुराई से तेज़ाब
काम चलानेवाला कास्मिक-अं० (वि०) ब्रह्मांड संबंधी
किट्ट-सं० (पु०) 1 धातु का मैल, कीट 2 तरल पदार्थ के नीचे कास्मेटिक-I अं०.(वि०) प्रसाधक II (पु.) अंगराग, बैठनेवाला मैल, गाद प्रसाधन
किड़कना-(अ० क्रि०) चुपके से चल देना, खिसक जाना कास्मेटिक्स-अं० (पु०) प्रसाधन सामग्री
किडनी-अं० (पु०) गुर्दा, वृक्क काहिल-अ० (वि०) सुस्त, आलसी
किण्व-सं० (पु०) खमीर काहिली-अ० + फ़ा० (स्त्री०) सुस्ती, ढिलाई
किण्वन-सं० (पु०) खमीर उठाना काही-I फ़ा० (वि०) घास के रंग का II (पु०) घास का रंग, कितना-I (वि०) 1किस मात्रा का (जैसे-कितना रुपया हरा रंग
चाहिए, कितना अनाज लोगे) 2 किस दरज़े का II (अ०) काहे-(क्रि० वि०) किसलिए, क्यों
1 किस मात्रा में 2 कहाँ तक किंकणी-सं० (स्त्री०) करधनी
कितव-सं० (पु०) 1 जुआरी 2 छलिया 3 धूर्त 4 पागल, किंकर-सं० (पु०) 1 गुलाम, दास 2 सेवक, नौकर । बावला 5 दुष्ट किंकर्तव्य-सं० (वि०) क्या किया जाए। -विमूढ़ (वि०) | किता-अ० (पु०) 1 सिलाई में होनेवाली काट-छाँट, टुकड़ा
जो यह न समझ सके कि अब क्या करना चाहिए, भौंचक्का, | 2 काटने की क्रिया 3 बनावट आदि का तरीका 4 ज़मीन का दुविधा भरी स्थिति
भाग (जैसे-दस किता मकान)। किंकिणी-सं० (स्त्री०) 1 छोटी घंटी 2 करधनी
किताब-अ० (स्त्री०) 1 पुस्तक 2 पोथी 3 बही (जैसे-हिसाब किंगिरी-(स्त्री०) सारंगी की तरह एक छोटा बाजा की किताब)। खाना + फ़ा०, ~घर + हिं० (पु०) किंचन-सं० (पु०) थोड़ी वस्तु
पुस्तकालय; ~फ़रोश + फ़ा० (पु०) पुस्तक विक्रेता
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किताबी
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किलकारना किताबी-अ० (वि०) किताब संबंधी, पुस्तकीय। -कीड़ा | किरकिरा-(वि०) कंकड़ या कण मिला हुआ (जैसे-किरकिरा हमेशा पुस्तक पढ़नेवाला
दाना) किपर-(क्रि० वि०) किस तरफ, किस ओर, कहाँ। से किरकिराना-(अ० क्रि०) 1 किरकिर शब्द करना 2 किरकिरी चाँद निकला किघर भूल पड़े
की तरह होनेवाली पीड़ा किन-I (सर्व०) किस का बहुवचन II (क्रि० वि०) क्यों नहीं किरकिराहट-(सी०) 1 ककड़ीलापन 2 किरकिरी पड़ने का किनका-(पु०) 1 कण 2 टूटा हुआ दाना (जैसे-चावल का | अनुभव किनका)
किरकिरी-(स्त्री०) 1 अत्यधिक छोटा कण 2 बालू आदि का किनर-मिनर-(स्त्री०) नाक-भौं सिकोड़ने का भाव, आनाकानी | कण 3 अपमान, हेठी किनवानी-(स्त्री०) झड़ी, फुहार
किरकिल-(पु०) गिरगिट किनहा-(वि.) कीड़ा पड़ा हआ (जैसे-किनहा फल) किरखी-(स्त्री०) कृषि, खेती किनार-फा० (पु०) = किनारा। दार (वि०) जिसमें किरच-(स्त्री०) 1 छोटी बी 2 नुकीला रवा किनारा हो
किरण-सं० (स्त्री०) रश्मि, प्रकाश-रेखा । किनारा-फा० (पु०) 1 तट, तीर (जैसे-नदी का किनारा) । किरणन-सं० (पु०) किरणों का फैलाव
2 हाशिया (जैसे-कापी में किनारा छोड़ देना) 3 सिरा, छोर किरना-(अ० क्रि०) बो० 1 विमुख होना 2 धीर-धीर गिरना (जैसे-धोती का किनारा) 4 पार्श्व, बगल (जैसे-किनारे हो 3उछलना जाओ)।-कश (वि०) एकांत में रहनेवाला, एकांतवासी3B किरम-(पु०) कीड़ा, कीट -कशी (स्त्री०) किनारा खींचना, किनारे रहना; ~करना, किरमिच-(पु०) एक तरह का बढ़िया और मोटा कपड़ा
खींचना अलग होना; किनारे बैठना 1पास बैठना (जैसे-किरमिच का जूता) 2 अलग बैठना
किरमिची-(वि०) किरमिच का बना हुआ किनारी-फा० + हिं० (स्त्री०) दुपट्टे आदि में लगाई जानेवाली | किरमिज-(पु०) 1 एक तरह का मटमैला लाल रंग
सुनहले गोटे की पट्टी। दार + हिं० + फ़ा० (वि०) | 2 किरिमदाने का चूर्ण जिसमें गोटे की पट्टी लगी हो
किरमिजी-(वि०) किरमिज के रंगवाला किनारे-फा० (क्रि० वि०) 1 सीमा पर 2 तट पर 3 अलग। किरराना-(अ० क्रि०) 1 क्रोध से दाँत पीसना 2 किर्र किर्र की किनारे पास होते हुए, सटकर
। ध्वनि निकालना किन्नर-सं० (पु०) 1 स्वर्ग के गायक 2 गानेबजाने का पेशा । किराँची-अं० (स्त्री०) बड़ी बैलगाड़ी करनेवाली एक जाति
किरात-अ० (स्त्री०) 1 एक बहुत छोटा पुराना सिक्का किन्हें-(सर्व०) किन को
2 जवाहरात तौलने का एक वज़न किफायत-अ० (स्त्री०) 1कमी पूरा होना 2 बचत | किरात-सं० (पु०) 1 हिमालय की एक जंगली जाति 2 साईस (जैसे-किफ़ायत से काम करना) 3 कम मूल्य। -शार
3 बौना (वि०) बचत करनेवाला; ~शारी (स्त्री०) मितव्ययिता | किराना-I (स० क्रि०) किसी को कार्य करने में प्रवत्त करना किफायती-अ० + फ़ा० (वि०) 1कम खर्च करनेवाला, - (जैसे-उसे कपड़े की दुकान किराना है) II (पु०) पंसारी की बचानेवाला 2 कम कीमतवाला
दुकान से मिलनेवाली वस्तुएँ किबला-अ० (पु०) 1 श्रद्धेय एवं वयस्क पुरुष 2 पूज्य मक्का किरानी-I अं० (पु०) 1 दफ्तर में काम करनेवाला लिपिक
शरीफ़। लगाह (पु०) पिता, बाप; नुमा कुतुबनुमा, 2 ईसाई II (वि०) किरानी लोगों का दिग्दर्शक यंत्र
किराया-फा० (पु०) भाड़ा (जैसे-मकान का किराया, रेल का किमरिक-अं० (पु०) एक चिकना सफ़ेद कपड़ा
किराया)। लामा (पु०) भाड़ा तय करने का अनुबंध-पत्र किमाकार-सं० (वि०) 1जिसका कोई निश्चित आकार न हो किरायेदार-फा० (पु०) भाड़े पर लेनेवाला (जैसे-किरायेदार 2 रूप बदलता रहनेवाला 3 भद्दा, भोंडा
का मकान) क्रिमाम-अ० (पु०) 1 गाढ़ा रस 2 खमीर
किरावल-तु० (पु०) 1 बंदूक से शिकार करनेवाला शिकारी क्रिमार-अ० (पु०) जुआ। ~खाना + फ़ा० (पु०) जुए का 2 शत्रु की थाह लेने के लिए सेना के आगे-आगे चलनेवाले अड्डा; बाज +फ़ा० (वि०) जुआ खेलनेवाला, जुआरी; सिपाही बाज़ी + फा० (स्त्री०) जुए का खेल
किरासिन-अं० (पु०) मिट्टी का तेल क्रिमाश-अ० (पु०) तर्ज, ढंग
किरीट-सं० (पु०) मुकुट किया-(स० क्रि०) 'करना' का भूतकालिक रूप। ~कराया, किरोलना-(स० क्रि०) 1कुरेदना 2 खुरचना ~धरा (पु०) सारी कमाई
किलक-(स्त्री०) 1 किलकारी 2 हर्षध्वनि किरंटा-अं० (पु०) तुच्छ क्रिस्तान
किलकना-(अ० क्रि०) = किलकारना किरका-(पु०) कंकड़
किलकार-(स्त्री०) 1 अत्यंत हर्षित होकर निकलने वाली किरकिटी-(स्त्री०) = किरकिरी
अस्पष्ट ध्वनि 2 बंदरों का की-की स्वर किरकिन-I (वि०) चमड़े से बना हआ II (पु०) घोड़े या | किलकारना-(अ० क्रि०) 1 ज़ोर से आवाज़ करना, हर्षित गधे का चमड़ा
होकर चिल्लाना
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किलकारी
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किस्सा
कीड़ा
किलकारी-(स्त्री०) = किलकार
किशमिशी-फा० (वि०) 1 किशमिश का बना हुआ 2 जिसमें किलकिल-(स्त्री०) 1 कलह, तकरार 2 व्यर्थ की किचकिच | किशमिश पड़ी हो 3 किशमिश के रंग का । 3 किलकार
किशोर-सं० (३०) 110-15 आय वर्ग का बालक किलकिला-I सं० (स्त्री०) किलकार, किलकारी II (पु.) 2 अल्पवयस्क (स्त्री० किशोरी)। -ता (स्त्री०) - समुद्र की लहरों के टकराने से उत्पन्न ध्वनि
किशोरावस्था किलकिलाना-(अ० क्रि०) 1 किलकारी मारना 2 अत्यंत किशोरावस्था-सं० (स्त्री०) किशोर होने की अवस्था, वय हर्षित होकर तीव्र ध्वनि करना
किशोरी-सं० (स्त्री०) 1 दस से पंद्रह वर्ष के बीच की उम्रवाली किलनी-(स्त्री०) पशुओं के शरीर में चिपटनेवाला एक छोटा बालिका 2 सुंदर युवती 3 अल्पवयस्का
किश्त-[फा० (स्त्री०) किस्त, अंश (जैस-किश्त अदा करना) किलबिलाना-(अ० क्रि०) = कुलबुलाना
II (स्त्री०) खेती-बारी; - वार थोड़ी-थोड़ी किस्तों में किलवाई-(स्त्री०) लकड़ी का बना फावड़ा
किश्ती-फ़ा० (स्त्री०) - कश्तो, नाव, नौका। नुमा (वि०) किलवाना-(स० क्रि०) 1 कील ठकवाना 2 कीलने का काम नाव की शक्ल का अन्य से कराना
किस-1 (सर्व०) कौन और श्या का वह रूप जो उसे विभक्ति किलवारी-(स्त्री०) बो० पतवार के काम आनेवाला छोटा डाँडा लगाने पर मिलता है (जैसे-किमका. किसने) II (क्रि० किला-अ० (पु०) गढ़, दुर्ग। बंदी + फ़ा० (स्त्री०) वि०) किस प्रकार 1 सुरक्षात्मक कार्रवाई 2 मोरचाबंदी, व्यूह रचना; टूटना किसनई-बो० (स्त्री०) - किमानी दुसाध्य कार्य का पूरा होना, विपत्ति दूर होना; ~फ़तेह करना किसबत-अ० (स्त्री०) छोटी थैली 1 किला जीत लेना 2 अत्यंत कठिन कार्य पूरा करना; क़िसमत-अ० (स्त्री०) : क्रिम्मत -बाँधना शतरंज के खेल में बादशाह को शह पड़ने से ! किसलय-सं० (१०) कोमल पत्ता, कला, नव-पल्लव, बचाना; हवाई ~ बनाना बेकार की कल्पनाएँ करते | कोंपल रहना
किसान-(पू) खेतिहर 2 काश्तकार। - आंदोलन । सं० किलावा-(पु०) 1 तकली पर लिपटा सृत का लच्छा 2 हाथी (पु०) कृषक क्रांति; कुटुंब - म० (१०) कृषक परिवार;
के गले में पड़ी हुई महावत के पैर रखनेवाली रस्सी 3 हाथी का खेत (पु०) किसान की खेती करने की भूमि; जनता । कंधा 4 सुनारों का एक औजार
सं० (स्त्री०) किसानों का संगठनः वर्ग - सं० (१०) किलिक-फा० (स्त्री०) देशी कलम बनाई जानेवाली नरकट किसान जनता; संगठन - सं० । पू०) खेतिहरों का जाति का एक पौधा
संगठन; ~संघर्ष - सं० १०) - किमान युद्ध; सभा + किलेदार-अ० + फ़ा० (पु०) दुर्गरक्षक
सं० (स्त्री०) किसानों का एकत्र होकर कृषि विषय पर विचार किलेबंदी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) - क़िलाबंदी
विमर्श करने का समूह; ~ समस्या । सं० (स्त्री०) कृषकों किलोग्राम-अं० (पु०) तोल = 1000 ग्राम
की कठिनाईयाँ; ~ समुदाय · सं० (पु०) किसान जनता किलोमीटर अं० (पु०) दूरी की नाप जो लगभग 5/8 मील के किसानी-(स्त्री०) खेती, कृषक कार्य (जैसे-किसानी करना) बराबर होती है
किसी-(सर्व) 'कोई' का वह रूप जो उसे विभक्ति लगने पर किलोल-बो० (पु०) = कलोल
प्राप्त होता है (जैसे-किसी लड़के को बला दो, यह कार्य किसी किलोवाट-अं० (पु०) बिजली का परिमाण जो 1000 वाट के ने नहीं किया) बराबर होता है
क़िस्त-अ० (स्त्री) 1 अंश, भाग 2 देन 3 मालगुज़ारी का. किल्लत-अ० (स्त्री०) 1 कमी, तंगी 2 दुर्लभता 3 संकोच नियत समय पर दिया जानेवाला धन या ऋण। -बंदी । किल्ला-(पु०) 1 कीला, छंटा 2 जाँते के बीचो-बीच गडी फ़ा० (स्त्री०) क़िस्त बाँधना; ~~वार , फ़ा० (क्रि० वि०)
मेख। ~गाड़कर बैठना 1 अटल होकर बैठना 2 जिद्द 1क़िस्त रूप में 2 क़िस्त पर अलग-अलग करना
क़िस्म-अ० (स्त्री०) प्रकार, भेद, तरह (जैसे-अच्छी क़िस्म का किल्ली-(स्त्री०) 1 टी 2 सिटकनी 3 कल की मुठिया।
कपड़ा) ~~ऐंठना, घुमाना 1 पेच घुमाना 2 मत फेरने की युक्ति क़िस्मत-अ० (स्त्री०) भाग्य, तक़दीर। -आज़माना करना 3 जोड़-तोड़ लगाना; किसी के हाथ में होना सफलता के लिए प्रयत्न करना; --का धनी भाग्यशाली; 1 काबू में होना 2 मनचाहा काम करवाने की तरक़ीब ज्ञात होना --का फेर भाग्य परिवर्तन का सितारा बुलंद होना किल्विष-सं० (पु०) 1 पाप 2 दोष, अपराध 3 छल, कपट भाग्योदय होना; ~खुलना, चमकना, जागना 4 रोग 5 संकट
1 सुख के दिन आना 2 उन्नति का समय आना; उलटना, किल्विषी-सं० (वि०) 1 पापी 2 दोषी, अपराधी 3 छली फूटना 1 सुख सौभाग्य का मंद पड़ना 2 दुर्गति का समय 4 रोगी
आना किवाड़-(पु०) कपाट, पट (जैसे-किवाड़ बंद कर देना) । क़िस्सा -अ० (पु०) । कहानी. मनगढंत बात 2 घटना का
देना दरवाज़ा बंद करना; ~बंद हो जाना घर में किसी का विवरण 3 समाचार, हाल। कहानी • हिं० (स्त्री०) न होना
1 कल्पित कथाएँ 2 मिथ्या बात; ख्वाँ, गो + फ़ा० किशमिश-फ़ा० (स्त्री०) सुखाया गया अंगूर
(वि०) कहानी कहनेवाला
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की
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कुंज
की-I (विभ०) संबंधकारक चिह्न 'का' का स्त्री रूप (जैसे-राम कीर्ण-सं० (वि०) 1 बिखेरा हुआ 2 ढका हुआ 3 स्थित की किताब) II (अ०) 1 अथवा, या तो 2 क्या
4 आहत कीक-(पु०) 1 चिल्लाहट 2 शोरगुल, हल्ला-गुल्ला कीर्तन-सं० (पु०) 1 कीर्ति-वर्णन, यशोगान 2 भगवान् का कीकना-(अ० क्रि०) 1चिल्लाना 2 शोर मचाना
गुणगान (जैसे-भजन कीर्तन सुनना) कीकर-(पु०) बबूल का पेड़
कीर्तनिया-(पु०) कीर्तनकार कीच-(पु०) कीचड़
कीर्ति-सं० (वि०) 1 यश 2 प्रसिद्धि, ख्याति 3 चमक कीचक-सं० (पु०) सूराखदार बाँस
(जैसे-यशकीर्ति)। ~गान (पु०) यशोगान, प्रशंसा करना; कीचड़-(पु०) 1 गीली मिट्टी, पंक 2 आँख से निकलनेवाली ध्वजा (स्त्री०) यश पताका; ~मान् (वि०) यशस्वी,
मैल। छालना बदनाम करना, निंदा करना; ~में फँसना विख्यात; ~मान (प०) यश देनेवाला रिकार्ड; ~शेष संकट में पड़ना
(वि०) दिवंगत यशस्वी (पुरुष); ~स्तंभ (पु०) 1 यादगार कीट-सं० (पु०) कीड़ा। ~कोष (पु०), नाशक (वि०) के रूप में बनाया गया स्तंभ 2 ऐसी कति जिससे किसी की कीड़ों को मारनेवाली (जैसे-कीटनाशक दवा;) ~पतंग स्मृति चिरकाल बनी रहे। (पु०) कीड़े मकोड़े, ~भक्षी, ~भोजी (पु०) कीर्तित-सं० (वि०) 1 प्रशंसित 2 वर्णित. कीड़ों-मकोड़ों को खानेवाले पौधे एवं जीव-जंतु; ~मणि कील-सं० (स्त्री०) 1लोहे आदि का गोलाकार पतला एवं (पु०) खद्योत, खंजन; -विज्ञान (३०) वह विज्ञान जिसमें नुकीला लम्बा टुकड़ा 2 नाक में पहनने का एक अति सूक्ष्म कीड़ों-मकोड़ों की जाति-प्रजाति आदि का अध्ययन किया जाता आभूषण (जैसे-नाक की कील) 3 महासे एवं फोड़े की कील है; ~विज्ञानी (पु०) कीट विज्ञान का ज्ञाता; ~शास्त्र 4खूटी 5 जाँते की कील। ~काँटा (पु०) कार्य. संपादन की (पु०) = कीट विज्ञान; ~शास्त्री (पु०) = कीट विज्ञानी; उपयोगी एवं आवश्यक वस्तुएँ ~शोधन (पु०) कीड़ों की सफाई करना
कीलन-सं० (पु०) 1 कीलना, रोकना 2 बाँधना कीटाणु-सं० (पु०) अनेक रोगों के मूल कारक सूक्ष्मातिसूक्ष्म कीलना-सं० (स० क्रि०) 1 कील ठोंकना 2 बँटी गाड़ना कीड़े, रोगाणु। ~नाशक (वि०) कीड़ों को नाश करनेवाले 3 मंत्र को प्रभावहीन करना 4 वश में करना (जैसे-कीटाणु नाशक द्रव्य); विज्ञान (पु०) वह विज्ञान कीला-(पु०) 1 बड़ी खूटी 2 जाँते का खुंटा जिसमें कीटों का अध्ययन किया जाता है; -विज्ञानी (पु०) कीलाक्षर-सं० (पु०) एक प्राचीन लिपि जिसके अक्षर काँटेदार .. कीटों के विषय में अध्ययन करनेवाला; विमुक्त (वि०) हुआ करते थे जो रोग मुक्त हो; ~शास्त्र (पु०) = कीटाणु विज्ञान; कीलाल-[ सं० (पु०).1 देवताओं का अमृत जैसा पेय पदार्थ ~शास्त्री (पु०) कीटाणओं की सफाई करना
2 अमृत 3 जल 4 मधु, शहद 5 पश् ।। (वि०) बंधन-मुक्त कीटिका-सं० (स्त्री०) 1 छोटा कीड़ा 2 तुच्छ प्राणी
करनेवाला कीड़ा-(पु०) क्षुद्र जंतु, कीट (जैसे-पानी का कीड़ा. नाली का कीलित-सं० (वि०) 1 कील लगी हुई 2 बद्ध 3 निरुद्ध 4 मंत्र कीड़ा)। -काटना बेचैनी होना; -पड़ना 1 पदार्थ का से स्तंभित सड़ना 2 ज़ख्म में कीड़ा पड़ जाना
कीली-(स्त्री०) 1 टी 2 धुरा कीड़ी-(स्त्री०) 1 छोटा एवं बारीक कीड़ा 2 चींटी कीश-[ सं० (पु०) 1 बंदर, कपीश 2 चिड़िया II (वि०) कीड़े-मकोड़े-(पु०) क्षुद्र जीव-जंतु, कीट पतंगे
नंगा. नग्न कीना-फ़ा० (पु०) द्वेष, बैर, दुर्भाव
कीसा-फ़ा० (पु०) 1 जेब 2 थैली 3 खरीता कीप-फ़ा० (स्त्री०) तंग मँहवाले बर्तन आदि में तरल पदार्थ को | कुँअर-(पु०) राजकुमार (जैसे-राजकुँअर) 2 बालक 3 पुत्र,
डालने हेतु प्रयोग में लाई जानेवाली धातु आदि की चोंगी कीबोर्ड-अं० (पु०) कुंजी-पटल (जैसे-टाइपराइटर का ~) | कुँआ बो० (पु०) = कुआँ कीमत-अ० (स्त्री०) 1 मूल्य, दाम 2 योग्यता 3 गुण | कुँआ-कुँआ-(स्त्री०) पक्षियों की .-कूँ की ध्वनि
(जैसे-इस बात की कीमत कुछ भी नहीं है. कीमत बढ़ाना)। कुँआरा-(वि०) = कुँवारा किसी भी कीमत पर हर हालात में
कुँआरी-I (वि०) कुमारी II (स्त्री०) अविवाहिता कन्या क्रीमती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 मूल्यवान् 2 महत्त्वपूर्ण कुंकुम-सं० (पु०) 1केसर 2 रोली 3 कुमकुमा (जैसे-क़ीमती काग़ज़)
कुंकुमा (पु०) - कुंकुम क़ीमा-अ० (पु०) मांस के अत्यंत छोटे टुकड़े। करना कुंचन-सं० (पु०) 1 सिकुड़ना, सिमटना 2 (बालों का) टुकड़े-टुकड़े करना
घुघराला होना 3 नेत्र रोग। कीमिया-अ० (स्त्री०) 1 रसायन विद्या 2 सोना-चाँदी बनाने कुंचिका-सं० (स्त्री०) कुंजी, चाबी की विद्या 3 अकसीर। ~गर फ़ा० (पु०) 1 रसायन विद्या कुंचित-सं० (वि०) 1 सिकुड़ा हुआ 2 घुघराला (जैसे-कुंचित को जाननेवाला 2 सोना-चाँदी बनानेवाला; ~गरी - फ़ा० अलकें) (स्त्री०) 1 रसायन शास्त्र 2 सोना-चाँदी बनाना
कुंची-(स्त्री०) = कुंजी कीमुख्न-फ़ा० (पु०) सिझाया हुआ घोड़े या गधे का हरे रंग | कुंज-सं० (पु०) लता-झाड़ियों से घिरा हुआ मंडप। कुटीर का चमड़ा
(पु०) लता गृह; ~गली +हिं (स्त्री०) 1 लताओं से ढका कीर-सं० (पु०) तोता, शुक
रास्ता 2 सँकरी गली
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कुं(कुंज)
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कुंज-फा० (पु०) 1 कोना, गोशा 2 दुशाले के कोनों पर बनाए | कलछा II (पु०) कुश्ती का एक दाव, रद्दा जानेवाले बूटे
कुंदी-(स्त्री०) मँगरी से पीटना। ~गर + फ़ा० (पु०) कुंदी कुँजड़ा-(पु०) 1 सब्जियाँ बेचनेवालों की एक जाति 2 सब्जी करनेवाला कारीगर बेचनेवाला
कुँदेरना-(स० क्रि०) 1 खरचना 2 छीलना कुँजड़िन-(स्त्री०) = कुँजड़ी
कुँदेरा-(पु०) खरादनेवाला कँजड़ियाना-(पु०) कुँजड़ों का बैठकर सब्जी बेचने का स्थान कुंभ-सं० (पु०) 1 घड़ा 2 कलश। -कर्ण (पु०) एक कुँजड़ी-(स्त्री०) सब्जी बेचनेवाली औरत
विशालकाय दानव, रावण का छोटा भाई; कार (पु०) कुँजड़े-कसाई-(पु०) छोटी जाति के लोग
कुम्हार; ~कारी (स्त्री०) कुम्हार की पत्नी; ~मंडूक (पु०) कुंजर-सं० (पु०) हाथी
अनुभवहीन व्यक्ति कुंजी-(स्त्री०) 1 ताली (जैसे-ताला कंजी) 2 सरल साधन | कुंभक-ए० (पु०) श्वास रोकने की क्रिया (जैसे-गणित की कुंजी)
कुंभिका-सं० (स्त्री०) 1 छोटा घड़ा 2 जलकुभी कुंठ-सं० (वि०) 1 भोथरा 2 मंदबुद्धि 3 सुस्त
कुंभीपाक-सं० (पु०) 1 हंडिया में पकाई गई वस्तु 2 एक तरह कंठा-सं० (स्त्री०) निराशाजन्य अतृप्त भावना
का ज्वर 3 एक नरक कुंठित-सं० (वि०) 1 कुंद, भोथरा 2 जड़, मूर्ख 3 गतिहीन | कुँवर-(पु०) 1 राजकुमार 2 पुत्र, बेटा 3 कुँवारा लड़का कुंड-सं० (पु०) 1 मटका 2 होज 3 गढ़ा (जैसे-हवन कुंड) कुँवरेटा-(पु०) 1 छोटा राजकुमार 2 छोटा पुत्र कुंडक-सं० (पु०) 1 छोटा कुंड 2 मटका 3 धृतराष्ट्र का एक कुँवारपन-(पु०) कुँवारा रहने की अवस्था, अविवाहितावस्था
कुँवारा-(वि०) जिसका विवाह न हुआ हो, अविवाहित कंडरा-I (पू.) 1 रक्षा हेतु मंडलाकार खींची गई रेखा 2 शपथ कु-सं० बुरा, एक उपसर्ग जो संज्ञा के पूर्व लगकर अनेक अर्थ
ग्रहण हेत् खींची गई ऐसी मंडलाकार रेखा जिसमें शपथग्रहण देता है (जैसे-कुपुत्र, कुकर्म, कुधात्, कुदिन, कुबेला)। कर्ता खड़ा होता है 3 गेंडुरी II (पु०) घड़ा, कुंडा ~कर्म (पु०) बुरा काम, कर्मी (वि०) कुकर्म कुंडल-सं० (पु०) 1 बाली (जैसे-कान का कुंडल) 2 कड़ा करनेवाला; ~खेत (पु०) + हिं० खराब जगह; ~ख्यात
3 मंडलाकार आकृति (जैसे-साँप का कुंडल रूप में बैठना) (वि०) बदनाम; ~ख्याति (स्त्री०) निंदा, बदनामी; ~गति कुंडलाकार-सं० (वि०) गोलाकार, वर्तृल
(स्त्री०) दुर्गति, दुर्दशा; ~गहनि (स्त्री०) हठ, दुराग्रह; कुंडलिका-सं० (स्त्री०) 1 गोल रेखा 2 जलेबी 3 कुंडलिया ~घड़ + हिं० (वि०) जिसकी गठन अच्छी न हो-घात . छंद
हिं० 1 छल छंद 2 अनुचित प्रहार; चक्र (पु०) साज़िश, कुंडलिनी-सं० (स्त्री०) एक सर्पाकार नाडी
षड्यंत्र चक्री (वि०) षड्यंत्रकारी; चर (वि०) कुंडली-| सं० (स्त्री०) 1 कुंडल 2 ज्योतिष में चौकोर 1 परनिंदक 2 आवारा 3 बुरी जगहों पर घूमनेवाला; चाल लिखावट, जन्मकुंडली 3 गेंडरी 4 कुंडलिनी II (वि०) डल (स्त्री०) 1 दुराचार 2 दुष्टता; चालक (वि०) (बिजली धारण करनेवाला। ~मारना घात लगाकर बैठना
का) कुसंवाहक; चाली (वि०) 1दराचारी 2 दुष्ट, कंडा-1 (०) किवाड़ में लगा कोंढ़ा II (पु०) मटका । कुंडे चाह + हिं० बुरी इच्छा; चेष्ट (वि०) 1 बुरी चेष्टावाला जैसा मुँह फैलाना
2 बुरा प्रयत्न करनेवाला; चेष्टा (स्त्री०) बुरा प्रयत्म; कुंडिका, कुंडी-I (स्त्री०) कटारे के आकार का पात्र, कँडी जात + हिं० (वि०) नीच जाति का; जाति (स्त्री०) II (स्त्री०) दरवाज़ा बंद करने की जंजीर (जैसे-कूडी चढ़ा नीच जाति; जोग + हिं० (पु०) 1 कुसंग 2 प्रतिकूल दो)। | खटखटाना खोलने के लिए कुंडी द्वारा ध्वनि अवसर; ~~टेक + हिं० (स्त्री०) अनुचित हठ; ~टेव . उत्पन्न करना
हिं० बुरी आदत, लत; ~ठाँव + हिं० (स्त्री०) बुरी जगह; कुंत-सं० (पु०) 1 भाला, बरछा 2 प्रचंड मनोभाव
~ठाट + हिं० (पु०) कुचक्र; ~ठौर + हिं० (पु०) = कुंतल-सं० (पु०) सिर के बाल, केश
कुठाँव; ~डोल + हिं० (वि०) बेडौल, भद्दा; ~ढंग + कुंतल-अं० + सं० (पु०) क्विंटल - 100 किलो हिं० 1 (पु०) बुरा ढंग II (वि०) बेढंगा; ~ढंगा +हिं० कुंतला-सं० (स्त्री०) लंबे केशांवाली स्त्री
(वि०) बेढंगा; ~ढंगी + हिं० (वि०) कुपथगामी, कुमार्गी; कुंती-सं० (स्त्री०) 1कर्ण की माता 2 बरछी
ढब + हिं० (वि०) 1 बेढब 2 कठिन 3 विकट; तर्क कुंद-सं० (पु०) 1 जूही के समान एक पौधा एवं उसके फूल (पु०) असंगत बात; ~तर्की (वि०) तर्क करनेवाला; 2 कनेर का पेड़ 3 कमल
दर्शन (वि०) कुरूप, बदशक्ल; दिन (पु०) 1 दुर्दिन कुंद-फा० (वि०) 1 मंद 2 गुठला। ज़िहन (वि०) मोटी 2 संकट के दिन; दाँव + हिं० (पु०) बुरा दाँव, बुरी चाल; बुद्धिवाला
दृष्टि (स्त्री०) बुरी निगाह; देव (पु०) राक्षस; ~धातु कुंदन-I सं० (वि०) सोने-सा शुद्ध एवं निर्मल (जैसे-कुंदन (स्त्री०) बुरी धातु (जैसे-लोहा कुधातु है); ~~धी (वि०) हृदयवाला) II (पु०) शुद्ध सोना
दुर्बुद्धि; नाम (पु०) बदनामी; ~न्याय (पु०) अन्याय; कुंदरु-(पु०) एक तरह की लता जिसमें परवल के आकार के ~पंथ (पु०) कुमार्ग; ~पंथगामी, -पंथी (वि०) बुरे
छोटे फल लगते हैं और जिसकी सब्जी बनाई जाती है मार्ग पर चलने वाला, कुमार्गी; ~पढ़ + हिं० (वि०) कुंदा-I (पु०) 1 लकड़ी का लट्ठा 2 बंदूक के पीछे लगा हुआ अनपढ़, मूर्ख; ~पथ्य (पुल, वि०) अस्वास्थ्यकर या अयुक्त लकड़ी का टुकड़ा 3 औज़ार में लगाया गया बेंट 4 लकड़ी का । (आहार); परिणाम (पु०) कुफल, बुरा नतीजा; ~पाठ
उपाय
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170
कुटना
बुरी सलाह, कुमंत्रणा; ~पाठी (वि०) उपद्रवी, दुष्ट; -पात्र | कुकड़ी-I (स्त्री०) 1 कच्चे सूत का लच्छा 2 मदार का फल (वि०) अयोग्य; ~पुत्र (पु०) कपूत; ~पोषण (पु०) | 3 मुरगी II (स्त्री०) खुखड़ी ठीक आहार-विहार न होना; ~प्रथा (स्त्री०) अशुभ रिवाज़; | कुकहूँ कूँ-(स्त्री०) मुर्गे की आवाज़
प्रबंध (पु०) बुरा प्रबंध, बदइंतजाम; प्रभाव (पु०) कुकुद-सं० (पु०) 1 बैल का डिल्ला 2 चोटी बुरा असर; ~प्रयोग (पु०) अन्चित रूप से किया गया कुकुर-सं० (पु०) कुत्ता। खाँसी, ~ढाँसी + हिं प्रयोग; ~प्रवृत्ति (स्त्री०) 1 बुरी तरफ़ झुकाव 2 बुरा स्वभाव; (स्त्री०) कष्ट देनेवाली संक्रामक खाँसी; ~माछी + हिं.
प्रसिद्धि (वि०) जिसकी बदनामी हुई हो; ~फल (पु.) __ (स्त्री०) कुत्ते आदि पशुओं को लगनेवाली एक मक्खी = कुपरिणाम; ~बत + हिं० (स्त्री०) बो० 1 निंदा 2 बुरी मुत्ता । हिं० (पु०) सीली जगहों पर उगनेवाला बात; ~बानि + हिं० (स्त्री०) बुरी आदत; ~बुद्धि । एक पौधा (वि०) नासमझ II (स्त्री०) नासमझी; बेला (स्त्री०) | कुक्कुट-सं० (पु०) 1 मुरगा 2 बनमुर्गा 1 अतिसमय 2 बुरा समय; ~भाव (पु०) बुराभावल; कुक्कुर-सं० (पु०) = कुकुर द्वेषभाव; ~मंत्रणा (स्त्री०) अनुचित सलाह; ~मति । कुक्ष-सं० (पु०) पेट, उदर (वि०) बुरी बुद्धिवाला II (स्त्री०) बुरी बुद्धि; ~मार्ग कुक्षि-सं० (स्त्री) 1 कोख 2 पेट (पु०) कुपथ; ~मार्गी (वि०) बुरे मार्ग का अनुसरण कुख्यात-सं० (वि०) बदनाम करनेवाला, कुचाली; ~मुख (पु०) दुर्मुख; यश (पु०) कुच–सं० (पु०) स्तन, उरोज = कुनाम; ~योग (पु०) 1 अशुभ मिलन 2 अनिष्ट संयोग कुचकुचाना-(स० क्रि०) 1कोंचना, चुभाना 2 थोड़ा
रंग + हिं० (वि०) बुरे रंगवाला, रव + हिं० (वि०) कुचलना कर्कश स्वरवाला; ~राहफ़ा० (स्त्री०) 1 कुपथ कुचलना-(अ० क्रि०) 1 मसलना 2 रौंदना 2 ऊबड़-खाबड़ रास्ता; ~रीति (स्त्री०) 1 अनुचित प्रथा, कुचला-(पु०) कुचलकर बनाया गया भोज्य पदार्थ कुप्रथा 2 बुरा ढंग; ~रुखफ़ा० (वि०) नाराज़, कुपित; | (जैसे-कुचला हुआ बैंगन का भुर्ता) ~रुचि (स्त्री०) बुरी लगन; रूप (वि०) बुरी सूरतवाला, कुचली-(स्त्री०) कुचलने वाले दाँत, सीता दाँत बदसूरत; ~रूपता (स्त्री०) कुरूप होने की अवस्था; कुचालक-सं० (वि.) 1 जिसमें विद्युत एवं ताप का परिचालन
लक्षण, ~लच्छन + हिं० (वि०) बो० बरे लक्षणोंवाला, सुगमता से न हो सके 2 बुरा चालक अशुभ; ~लच्छनी + हिं? (स्त्री०) बो० बुरे लक्षणोंवाली कुचित-सं० (वि०) 1 संकुचित 2 अल्प, कम स्त्री; ~वाच्य I (पु०) 1 दुर्वचन 2 गाली II (वि०) न कुचिया-(स्त्री०) छोटी टिकिया कहने योग्य; ~वासना (स्त्री०) पापमय वासना; विचार कुचैला-(वि०) 1 जो गंदा कपड़ा पहना हो 2 मलिन, गंदा (पु०) दूषित विचार, निंदनीय विचार; ~वृत्ति I (स्त्री०) (जैसे-मैला-कुचैला) निदित आचरण II (वि०) दुराचारी; ~व्यवस्था (स्त्री०) कुछ-I (वि०) थोड़ा सा, तनिक (जैसे-कुछ पैसे, कुछ पानी) बदइंतज़ामी; व्यवहार (पु०) निंदनीय व्यवहार; ~शासन II (सर्व०) कोई। ~एक (वि०) थोड़ा-सा; ~ऐसा (पु०) 1 बुरा राज्य 2 बुरा राज्य प्रबंध; ~संग (पु०), (वि०) विलक्षण; ~कुछ (अ०) किसी क़दर; ~कर देना ~संगति (स्त्री०) बुरी सोहबत; ~संस्कार (पु०) जादू-टोना कर देना; कर बैठना अनिष्ट कर डालना; 1 कुवासना, कुधारणा 2 कुप्रभाव; सगुन + हिं० (पु०) -कहना कोई अनुचित बात कहना; ~का कुछ उल्टा; अपशकुन समय (पु०), साइत + हिं० (स्त्री०) बुरा ~खा लेना जहर खा लेना; ~ चलना वश न चलना; समय, कुअवसर; ~सूत + हिं० (पु०) 1 ख़राब सूत 2 बुरा न पूछिये 1 कहने की बात नहीं 2 क्या कहना, क्या बात; प्रबंध, कुप्रबंध
न लगाना, न समझना गर्व करना, बड़ा कुआँ (पु०) 1 भूगर्भस्थ जल 2 तेल निकालने के लिए खोदा समझना
गया गहरा गोला गढ़ा। ~खोदना 1 अहित करने का उपाय कुछेक-(वि०) थोड़ा-सा करना 2 कठोर परिश्रम करना; कुँए की मिट्टी कुएँ में कुज्झटिका-सं० (स्त्री०) कोहरा लगना जहाँ का धन वहीं खर्च होना; ~कुएँ अँकाना | कुटंत-(स्त्री०) 1 मार पड़ना, पिटाई 2 कूटने की 1 परेशान करना 2 तलाश में इधर-उधर दौड़ाना; ~कुएँ झाँकना हैरान होना, भटकना; कुएँ पर से प्यासे लौट आना कुट-सं० (पु०) गढ़, किला 2 घर [स्त्री० कुटी] निराश होकर लौट आना; ~कुएँ में गिरना जान बूझकर कुट-(पु०) कूटा हुआ टुकड़ा संकट में फँसना; कुएँ में ढकेलना जीवन बर्बाद करना; कुएँ | कुटक-(पु०) हल का फाल में बाँस डालना बहुत ढूँढ़ना, अत्यधिक खोज करना; कुएँ में कुटका-(पु०) 1 छोटा टुकड़ा 2 काढ़ा जानेवाला तिकोना बूटा
भाँग पड़ना सबकी अक्ल मारी जाना, बेवकूफ़ बनना कुटनपन, कुटन पेशा- + फ़ा० (प.) 1 स्त्रियों को बहकाकर कुआर-(पु०) आश्विन मास
गलत मार्ग पर ले जाने का पेशा, कुटनी का पेशा 2 झगड़ा कुआरपन-(पु०) = कुँवारपन
लगाने का काम कुआरा-(वि०) = कुँवारा
कुटना-I (पु०) 1 स्त्रियों को बहकाकर-भगाकर व्यभिचार मार्ग कुकटी-(स्त्री०) 1 लालिमायुक्त 2 एक तरह की कपास पर ले जानेवाला व्यक्ति, दलाल 2 फूट डालनेवाला व्यक्ति कुकड़ना-(अ० क्रि०) सिकुड़ना, चिमटना
II (अ० क्रि०) 1कूटा जाना 2 मारा-पीटा जाना
क्रिया
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कुटनाना
कुटनाना - (स० क्रि०) 1 बहकाकर स्त्रियों को कुमार्ग पर ले
जाना 2 बहकाना
कुटनी - (स्त्री०) 1 व्याभिचार मार्ग पर ले जानेवाली स्त्री, कुट्टिनी 2 झगड़ा करानेवाली स्त्री
कुटम्पस - (स्त्री०) अत्यधिक मारना पीटना कुटवाना - (स० क्रि०) 1 कूटने का काम किसी अन्य से कराना 2 कूटना
कुटाई - (स्त्री०) 1 कूटने का काम 2 कूटने की मज़दूरी 3 पिटाई कुटास- (स्त्री०) बो० कुटम्मस
कुटिया - (स्त्री०) 1 साधुओं की झोंपड़ी 2 कुटी
कुटिल - सं० (वि०) 1 टेढ़ा 2 छली, चालबाज़ 3 दुष्ट । (स्त्री०) 1 टेढ़ापन 2 धोखेबाज़ी 3 दुष्टता
कुटी - सं० (स्त्री०) झोंपड़ी, पर्णशाला। (पु० ) कुटीर उद्योग
171
=
उद्योग, शिल्प
=
कुटीर -सं० (पु० ) कुटी; ~ उद्योग (पु० ) घरेलू उद्योग छोटे-मोटे काम - औद्योगिक (पु० ) कुटीरोद्योग से
संबंधित
कुटुंब - सं० (पु० ) परिवार, खानदान कुटुंबी-सं० (वि०) परिवार वाला, बाल बच्चेदार [स्त्री० कुटुंबिनी
=
+ अ० (पु० )
कुटुम - बो० (पु० ) कुटुंब । कबीला 1 बाल-बच्चे 2 कुटुंबी कुटौनी - (स्त्री०) 1 धान कटने का काम 2 धान कूटने की मजूरी। ~ पिसौनी (स्त्री०) 1 कूटने पीसने का काम 2 कूटने पीसने की मज़दूरी कुट्टनी-सं० (स्त्री०) कुटनी कुट्टा - (पु० ) 1 पर कटा पक्षी 2 पैर बाँधकर पिंजड़े में बंद किया गया पक्षी
कुट्टी - I ( स्त्री० ) 1 चारा काटने की क्रिया 2 काटा हुआ चारा 3 कूटकर सड़ाया गया काग़ज़ II (स्त्री०) कुट्टा कुठला - ( पु० ) अनाज रखने का मिट्टी का बना बड़ा बर्तन कुठार-सं० (पु०) 1 फरसा 2 कुल्हाड़ा [स्त्री० कुठारी ] कुठाराघात - सं० (पु० ) 1 कुल्हाड़ी से लगी चोट 2 घातक चांट
=
कुठाली - ( स्त्री०) सोना-चाँदी गलाने की घरिया कुठिया - (स्त्री०) छोटा कुठला
कुड़ - ( पु० ) हल की अगवासी
कुड़क-बो० (वि०) खाली । ~ बोलना व्यर्थ हो जाना कुड़कना - (अ० क्रि०) अंडा देना बंद करना कुड़कुड़ाना - I (अ० क्रि०) अस्पष्ट रूप से बड़बड़ाना, कुड़बुड़ाना II (स० क्रि०) चिड़ियों एवं जानवरों को भगाना कुड़कुड़ी - (स्त्री०) 1 गुड़गुड़ाहट 2 विकलता कुड़बुड़ाना - (अ० क्रि०) कुड़कुड़ाना कुड़ल - ( स्त्री०) 1 तनाव एवं पीड़ा 2 ऐंठन कुड्मल सं० (पु० ) कली
कुढ़न - (स्त्री०) 1 खीझ 2 जलन 3 मनस्ताप (जैसे- कुढ़न निकालना)
भेद जो मुर्दा खाते हैं
कुतका - (पु० ) 1 सोंटा 2 भँग घोंटना 3 दाहिने हाथ का अंगूठा कुतना - (अ० क्रि०) कूता जाना
कुतप - सं० (पु० ) 1 दिन का आठवाँ मुहूर्त, मध्याह्न 2 श्राद्ध में काम आनेवाली वस्तुएँ
कुनकुना
कुतरन - ( पु० ) कुतरा हुआ अंश
कुतरना - (स० क्रि०) 1 दाँत से काटना 2 काम करना (जैसे- अनाज कुतरना )
कुतवाल - बो० (पु०) = कोतवाल
कुतिया - ( स्त्री०) मादा कुत्ता। की औलाद नीच संतान कुतुकसं० (पु० ) कौतुक कुतुब - अ० ( पु० ) 1 ध्रुव तारा 2 किताबें । नुमा + फ़ा० (पु० ) दिग्दर्शक यंत्र; खाना + अ० + फ़ा० (पु० ) पुस्तकालय; ~फ़रोश + फ़ा० (पु०) पुस्तक विक्रेता कुतूहल - सं० ( पु० ) 1 उत्कट अभिलाषा, उत्सुकता, जिज्ञासा 2 आश्चर्य 3 कौतुक क्रीड़ा
कुतूहली - सं० (वि०) 1 कुतूहल युक्त 2 उत्सुक 3 जिज्ञासु कुत्ता - ( पु० ) 1 गीदड़ की जाति का मांसाहारी पालतू पशु 2 लोभी एवं दुष्ट व्यक्ति; घसीटी (स्त्री०) नीच कर्म; कुत्ते का काटना सनक जाना, पागल हो जाना; कुत्ते की दुम प्रकृतिगत दुष्ट व्यक्ति जिस पर कोई प्रभाव न पड़े; कुत्ते की नींद ऐसी नींद जो खटके मात्र से खुल जाए: कुत्ते की मौत मरना दुर्गति से मरना; कुत्ते की दुम कभी सीधी नहीं होती जो स्वभाव से दुष्ट है उसे समझाने पर कुछ असर नहीं पड़ता; कुत्ते के पाँव जाना बहुत तेज़ दौड़कर जाना; कुत्ते के भूँकने से हाथी नहीं डरता ताकतवर व्यक्ति तुच्छ व्यक्ति की परवाह नहीं करता कुत्ती - (स्त्री०) कुतिया कुत्र - सं० ( क्रि० वि०) कहाँ, किस जगह कुत्सन - ( पु० ) निंदा या बुराई करना कुत्सा -सं० (स्त्री०) निंदा, बुराई
कुत्सित - I सं० (वि०) 1 निंदित 2 अधम, नीच II (पु० ) 1 निंदा 2 नीच व्यक्ति
कुत्स्य -सं० (वि०) निंदा का पात्र
कुदकना - (अ० क्रि०) कूदना कुदक्कड़ - (पु० ) कूदनेवाला
कुदक्का-बो० (पु० ) उछल-कूद । ~मारना व्यर्थ इधर-उधर कूदना
कुदरत - अ० (स्त्री०) 1 ईश्वरीय शक्ति 2 प्रकृति । का खेल ईश्वर की लीला
=
=
=
=
कुदरती - अ० (वि०) 1 प्राकृतिक 2 स्वाभाविक कुदरा-बो० (पु० ) कुदाल कुदाई, कुदान - (स्त्री०) 1 कूदने की क्रिया 2 छलाँग 3 कूदने की जगह
कुदाना - (स० क्रि०) कूदने में प्रवृत्त करना
कुदार, कुदाल - बो० (पु०) मिट्टी खोदने का फावड़ानुमा एक औज़ार जिसमें लकड़ी का बेंट लगा होता है
कुढ़ना - (अ० क्रि०) 1 खीझना 2 जलना 3 संतप्त होना कुढ़ाना - (स० क्रि० ) 1 चिढ़ाना 2 दुःखी करना
कुदाली - (स्त्री०) छोटा कुदाल कुद्रव -सं० (पु० ) कोदों
कुणपाशी -सं० (पु० ) 1 मुर्दा खानेवाला जीव 2 प्रेतों का एक कुनकुना - (वि०) हल्का गर्म
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कुनना
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कुनना-(स० क्रि०) 1 खरादना 2 खरोचना
कुमारबाज़-अ० + फ़ा० (पु०) जुआरी कुनबा-(पु०) कुटुंब, बाल-बच्चे, परिवार । ~परवर (वि०) कुमारबाज़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) जुआरीपन बाल-बच्चों को पालनेवाला; '~परस्ती + फ्रा० (स्त्री०) कुमारिक-सं० (वि०) जिसके यहाँ बहुत से बच्चे हों बाल-बच्चों का पालन-पोषण
कुमारिका, कुमारी-I सं० (स्त्री०) 1 बारह वर्ष तक की कुनबी-(पु०) कृषि कार्य करनेवाली एक हिंदू जाति कन्या 2 कुआँरी कन्या II (वि०) अविवाहिता कुनवा-(पु०) लकड़ी सुडौल करनेवाला व्यक्ति
कुमुक-फ़ा० (स्त्री०) कुमक कुनह-फा० (पु०) संचित बैर, शत्रता
कुमुद-सं० (पु०) श्वेत कमल कुनही-फ़ा० (वि०) कुनह रखनेवाला
कुमेरु–सं० (पु०) दक्षिणी ध्रुव। ज्योति (स्त्री०) दक्षिणी कुनाई-(स्त्री०) 1 सुडौल बनाने की क्रिया 2 बुरादा 3 सुडौल ध्रुव का आकस्मिक प्रकाश बनाने की मजूरी 4 कोयले का चूर्ण
कुम्मैत-तु० (पु०) 1 लाखी रंग का घोड़ा 2 कालापन लिए कुनेरा-(पु०) = कुनवा
हुए लाल रंग II (वि०) कुम्मैत रंग का कुनैन-अं० (पु०) मलेरिया ज्वर में दिया जानेवाला एक कड़वा
कुम्हड़ा-(पु०) काशीफल (जैसे-कुम्हड़े की सब्ज़ी) । कुम्हड़े सत
की बतिया दुर्बल मनुष्य कुप-(पु०) घास-भूसे का ढेर
कुम्हलाना-(अ० क्रि०) 1 मुरझाना 2 फीका पड़ना कुपित-सं० (वि०) 1 क्रोध करनेवाला 2 अप्रसन्न, नाराज़ कुम्हार-(पु०) 1 मिट्टी के बर्तन बनानेवाली एक जाति कुप्पा-(पु०) चमड़े का बना गोलाकार पात्र (जैसे-तेल का ___ 2 कुम्हार जाति का व्यक्ति कुप्पा) | ~लुढ़कना, लुढ़ना महान् व्यक्ति का मरना;
कुम्हारी-I (स्त्री०) 1 कुम्हार की पत्नी 2 कुंभकारी II (वि०) ~सा मुँह करना मुँह फुलाना, नाराज़ होना; होना कुम्हार का 1 सूजना 2 मोटा होना 3 रूठना
कुरंग-सं० (पु०) + हिरन 2 तामड़े रंग का हिरन। ~सार कुप्पी-(स्त्री०) छोटा कुप्पा
(पु०) कस्तूरी कुफुत-फा० (स्त्री०) 1 गहरी चिंता 2 अफ़सोस, दुःख
कुरंड-(पु०) एक कड़ा पत्थर जिससे सान बनाई जाती है, कुफ्र-अ० (पु०) 1 (इस्लाम में) ईश्वर की सत्ता को न |
___ कोरंडम मानना, नास्तिकता 2 दुराग्रह 3 कृतघ्रता
कुरकी-तु० + फ़ा० (स्त्री०) = कुर्की कुफ्ल-अ० (पु०) ताला
कुरकुटा-बो० (पु०).1 घटिया भोजन 2 घटिया अन्न 3 टुकड़ा कुबड़ा-I (वि०) 1 जिसकी पीठ टेढ़ी हो गई हो 2 टेढ़ा कुरकुर-(पु०) कुरकुरी वस्तु के टूटने की ध्वनि (जैसे-बिस्कुट II (पु०) टेढी पीठवाला व्यक्ति
कुरकुर करता है) कबड़ी, कबरी-I (स्त्री०) टेढीपीठ वाली स्त्री II (वि.) कुरकुरा-(वि०) जो कुरकुर ध्वनि करता हआ टूटता हो टेढ़ी, वक्र
कुरता-तु० (पु०) कमीज़ की तरह का एक पहनावा कुबेर-सं० (पु०) - कुवेर
कुरती-तु० (स्त्री०) स्त्रियों का एक पहनावा जिसमें आगे बटन कुब्ज-[ सं० (वि०) 1 कुबड़ा 2 टेढ़ा II (पु०) 1 कूबड़
__ होते हैं 2 एक रोग जिसमें पीठ टेढ़ी हो जाती है।
कुरबान-अ० (पु०) बलि, निछावर कुब्जा-सं० (स्त्री०) 1 कुबड़ी स्त्रो 2 कृष्ण से प्रेम करनेवाली |
कुरबानी-अ० (स्त्री०) 1 आत्म बलिदान, आत्मत्याग कंस की एक दासी
| 2 पशुबलि कुब्बा-[ बो० (वि०) 1 टेढ़ा 2 कबडा II (प०) डिल्ला | कुरर-सं० (पु०) 1 क्रौंच नामक पक्षी 2 टिटहरी (स्त्री० कूबड़
कुररी| कुभा-सं० (स्त्री०) 1 काबुल नदी 2 पृथ्वी की छाया
कुरव-[सं० (पु०) 1 बुरा शब्द 2 गीदड़ 3 कटसरैया 4 आकः कुमक-फ़ा० (स्त्री०) 1 सैनिक सहायता 2 अतिरिक्त सेना
II (वि०) कर्कश आवाज़वाला 3 सहायता
कुरवना-(स० क्रि०) 1 ढेर लगाना 2 ढेर में गिराना कुमकी-फ़ा० (वि०) कुमुक का
कुरसी-अ० (स्त्री०) थोड़ी ऊँची चौकी। तोड़ + हिं० कुमकुम-(पु०) - कुंकुम, केसर
(वि०) बैठे-बैठे समय बितानेवाला कुमकुमा-(पु०) 1 लाख का बना पोला.लडड 2 काँच का | कुरान-अ० (पु०) मुसलमानों का धार्मिक ग्रंथ जिसमें हज़रत बना पोला गोला
मुहम्मद की वाणियाँ संकलित की गयी हैं। ~शरीफ़ (पु०) कुमरी-अ० (स्त्री०) बनमुर्गी
कुरान नामक धार्मिक ग्रंथ; ~उठाना, ~पर हाथ रखना कुमाच-अ० (पु०) 1रेशमी कपड़ा 2 केवाँच
कुरान की शपथ लेना; ~का जामा पहनना धर्मनिष्ठ बनना कुमार-सं० (पु०) 1 छोटा बालक 2 युवक 3 बेटा 4 राजपुत्र
कुरिया-बो० (स्त्री०) ढेर, राशि (जैसे-राजकुमार) [स्त्री० कुमारी || तंत्र (पु०) आयुर्वेद
कुरियाल-(स्त्री०) पंख खुजलाना। ~में आना आनंद में का वह भाग जिसमें बाल रोगों का निदान एवं उपचार होता है;
__ आना; . में गुलेल लगाना रंग में भंग करना, रंग में भंग -~भृत्या (स्त्री०) 1 शिशुओं की देखभाल 2 गर्भिणी एवं
___ होना नवजात शिशुओं के रोगों की विद्या, दाईगिरी; व्रत (पु०) | कुरा-(स्त्रा०) ढर, रा
| कुरी-(स्त्री०) ढेर, राशि ब्रह्मचर्य व्रत
| कुरु-[ सं० (पु०) 1 आर्यों का एक प्राचीन कुल
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कुरुई
(जैसे- कुरुवंश) 2 कुरु वंश में उत्पन्न हुआ व्यक्ति 3 एक प्राचीन प्रदेश का नाम (जैसे-कुरु नरेश) II (पु०) कर्ता ।. ~ क्षेत्र (पु०) दिल्ली के पश्चिम करनाल जिले का एक मैदान जहाँ कौरवों-पांडवों में युद्ध हुआ था कुरुई - (स्त्री०) बाँस या मूँज की बनी छोटी डलिया कुरेदना - (स० क्रि०) खुरचना, खरोचना कुरेदनी - (स्त्री०) एक नुकीली लोहे की छड़ कुरैना - I (स० क्रि०) 1 डालना, गिराना 2 ढेर लगाना II (पु०) राशि, ढेर
+
कुर्क - तु० (वि०) न्यायालय के आदेशानुसार दंड स्वरूप अपराधी का जब्त किया हुआ (माल-संपत्ति) । ~अमीन अ० (पु०) माल कुर्क करनेवाला अधिकारी; नामा + फ़ा० (पु० ) कुर्की का परवाना कुर्की - तु० + फ़ा० (स्त्री०) जायदाद ज़ब्त किया जाना । ~बैठाना कुर्क करना, जब्त करना
1 मुर्गा 2 कूड़ा कुरता [स्त्री० कुर्ती ]
कुर्कुट - सं० (पु० ) कुर्ता-तु० (पु० ) = कुर्ब - अ० ( पु० ) समीपता, सामीप्य, निकटता कुर्बान - अ० (पु० ) क़ुरबान कुर्बानी-अ० फ़ा० (स्त्री०) कुर्र-कुर्र - (पु० ) पक्षियों का बोलना
+
=
कुरबानी
कुर्रना - (अ० क्रि०) 1 (पक्षियों) का कलरव करना 2 मधुर स्वर में बोलना
कुर्री (स्त्री० ) 1 पटरा 2 हेंगा
कुर्स - अ० (पु० ) 1 टिकिया 2 दवा की टिकिया 3 अरब देश का एक चांदी का सिक्का
कुरसी
1 मटमैले रंग का एक पक्षी 2 मुर्गा कुल का क्रम चलानेवाला
कुर्सी- अ० (स्त्री०) कुलंग-फ़ा० (पु० ) कुलंधर - सं० (पु० ) कुल - सं० (पु०) 1 परिवार, खानदान 2 वंश 3 समूह (जैसे- पक्षीकुल) 4 घर 5 जाति (जैसे-उच्च कुल, निम्न कुल) । ~कंटक (पु०) कुल को दुःखी करनेवाला; ~कर्ता (पु० ) वंश संस्थापक; ~ कलंक (पु० ) कंटक; कानि + हिं० (स्त्री०) कुल की लाज;
=
कुल केतु
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(पु०) परिवार का सम्मानित एवं श्रेष्ठ व्यक्ति; ज, जात
(वि०) 1 परिवार में उत्पन्न होनेवाला 2 कुलीन;
तंत्र (पु० ) एक कुल द्वारा शासन-प्रणाली; तिलक (पु०) कुल की प्रतिष्ठा बढ़ानेवाला; देव, देवता ऐसा देवता जिसकी वंदना परिवारवाले परंपरा से करते चले आ रहे हों; ~धन्य (वि०) परिवार को कृतार्थ करनेवाला; -धर (पु०) बेटा; ~ धर्म (पु० ) पारिवारिक धर्म नाम (पु० ) संज्ञा के साथ लगनेवाली उपाधि (जैसे- उपनाम, आपका कुलनाम क्या है); पति (पु० ) 1 परिवार का स्वामी, 2 विश्वविद्यालय का प्रधान, कुलगुरु पूज्य (वि०) 1 परिवार का सम्मानित व्यक्ति 2 परिवार में परंपरा से पूजित; बोरन हिं० (वि०) कुलमर्यादा भंग करनेवाला; बोरनी + हिं० (स्त्री०) कुल में दाग लगानेवाली स्त्री; ~ भूमि (स्त्री०) परिवार की अचल संपत्ति, मर्यादा (स्त्री०) 1 कुल की मान-प्रतिष्ठा 2 कुल की पारंपरिक रीति-रिवाज़; ~ वंशज (पु० ) परिवार एवं वंश में उत्पन्न हुआ
+
कुलाल
व्यक्ति; वधू (स्त्री०) उच्च घर की स्त्री; वान् (वि०) = 1 कुलीन 2 परिवारवाला; वृद्ध (पु० ) घर का बुजुर्ग, ~ शतावर ग्राम (पु० ) सौ से अधिक परिवारोंवाला ग्राम; ~ वाच्य (वि०) जिसे पढ़ा न जा सके; संघ (पु० ) कुलीन शासक मंडल
कुल - अ० (वि०) सब, सारा, पूरा (जैसे- कुल सौ रुपया, कुल जोड़)
कुलक - I सं० ( पु० ) 1 समूह 2 मुखिया II (वि०) अच्छे परिवार का
कुलकना - (अ० क्रि०) किलकारना
कुलकुलाना - (अ० क्रि०) 1 कुल-कुल की ध्वनि करना (जैसे-पक्षियों का कुलकुलाना) 2 व्यथित होना, विकल होना। आँत कुलकुलाना 1 आँतों में दर्द होना 2 ज़ोर से भूख लगना
कुलकुली - (स्त्री० ) 1 खुजली 2 बेचैनी कुलट - I सं० (वि०) बदचलन, व्यभिचारी II (पु० ) व्यभिचारिणी स्त्री की संतान, नाजायज संतान कुलटा-सं० (स्त्री०) 1 व्यभिचारिणी, दुराचारिणी 2 अनेक पुरुषों से संबंध रखनेवाली स्त्री
कुलथी (स्त्री०) उरद की जाति का एक मोटा अन्न कुलन - ( स्त्री०) 1 टीस 2 दर्द
कुलना - (अ० क्रि०) 1 दर्द करना 2 टीसना
कुलनार - (पु० ) सुरमई रंग का एक खनिज पदार्थ, संगजराहत कुलफ़त - अ० (स्त्री०) मानसिक चिंता, विकलता, परेशानी कुलफ़ा - फ़ा० (पु० ) छोटे-चौड़े और नुकीले पत्तोंवाला सारा कुलफ़ी - ( स्त्री०) 1 जमाया हुआ खाद्य तरल पदार्थ 2 दूध मलाई आदि जमानेवाली नली के आकार का साँचा 3 हुक्के की गोल नली
कुलबुल - ( पु० ) छोटे-मोटे जीव जंतुओं के चलने से होनेवाला
शब्द
कुलबुलाना - (अ० क्रि०) 1 हिलना- डोलना एवं शब्द करना 2 परेशान होना, व्यग्र होना
कुलबुलाहट - (स्त्री०) कुलबुलाने का भाव कुलमीज़ान - अ० (स्त्री०) कुल योग, सारा जोड़ कुलवंत, कुलवंती - (वि०) कुलीन
कुलह - फ्रा० (स्त्री०) 1 टोपी 2 शिकारी चिड़ियों की आँखों पर बाँधी जानेवाली पट्टी, अँधियारी कुलांगना -सं० (स्त्री० ) कुलांगार -सं० (पु० ) 1 कुल का नाश करनेवाला व्यक्ति 2 कुल कलंक
कुलवधू
कुलाँच - (स्त्री०) छलाँग, चौकड़ी कुलांचना - (अ० क्रि०) चौकड़ी भरना कुलाचार-सं० (पु० ) परंपरागत रीति कुलाचार्य - सं० (पु० ) परिवार के शिक्षक कुलाधिपति, कुलाध्यक्ष-सं० (पु०) चांसलर कुलानुशासक-सं० (पु० ) विश्वविद्यालय अनुशासनाधिकारी, प्रॉक्टर
कुलाबा - अ० (पु० ) 1 लोहे का काँटा 2 मोरी 3 मछली फँसाने का कांटा
कुलाल-सं० ( पु० ) 1 कुम्हार 2 बनमुरगा 3 उल्लू
=
का
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कुलावतंस
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कुहर
..
कुलावतंस-सं० (पु०) वंश का मुकुट, वंश में श्रेष्ठ । 1 खुशहालपन, सुख संपन्नता 2 चतुराई, पूर्वक (वि०) कलाह-फ़ा० (स्त्री०) 1ऊँची नोक की टोपी 2 राजमकट अच्छी तरह; प्रश्न (पु०) कुशल-मंगल पूछना; बुद्धि 3 टोपी
(वि०) तेज़ दिमाग़वाला; ~मंगल (पु०) = कुशलक्षेम; कुलाहल-बो० (पु०) = कोलाहल
समाचार (पु०) उत्तम संदेश कुलिंग-सं० (पु०) चिड़िया, पक्षी
कुशाग्र-सं० (वि०) कुश की नोक के समान, अति तीक्ष्ण, कुलिक-[ सं० (पु०) 1 कुल का प्रधान व्यक्ति 2 उच्च कुल | नुकीला। ~बुद्धि (वि०) तीक्ष्ण बुद्धिवाला का शिल्पकार II (वि०) कुलीन
कुशादगी-फ़ा० (स्त्री०) 1 कुशादा होना 2 फैलाव कुलिश-सं० (पु०) 1 व 2 हीरा 3 कुठार
कुशादा-फा० (वि०) 1फैला हआ 2 खुला हआ। दिल कुली-तु० (पु०) 1 स्टेशन पर बोझ ढोनेवाला मजदूर (वि०) उदार हृदयवाला, दयालु 2 गुलाम। कबाड़ी + हिं० (पु०) निम्न श्रेणी के लोग; कुशासन-सं० (पु०) कुश की चटाई ~गीरी + फ़ा० (स्त्री०) कुली का काम
कुशीलव-सं० (पु०) 1कवि 2 चारण, भाट 3 अभिनेता, नट कुलीन-सं० (वि०) 1 उच्च कुल का, अभिजात 2 अच्छी नस्ल 4 गायक
का। तंत्र (पु०) सामंत सत्ता, (दे० कुल तंत्र); ~ता कुश्ती-फ़ा० (स्त्री०) मल्लयुद्ध। बाज़ (पु०/वि०) (स्त्री०) आभिजात्य; ~ता-वाद (पु०) यह मत कि कुलीनों मल्लयुद्ध करनेवाला। --खाना कुश्ती में हार जाना; को भगवान् ने ही श्रेष्ठ बनाया है।
लड़ाना कुश्ती लड़ने के दाँव पेंच सिखाना कुलुक-सं० (पु०) जीभ पर ज़मी मैल
कुष्ठ-सं० (पु.) 1 चि० कोढ़ कुलुफ़-अ० (पु०) 1 ताला 2 अंकुड़ीदार लोहे का टुकड़ा कुष्ठालय सं० (पु०) 1 कोढ़ियों का चिकित्सालय 2 कोढ़ी-घर कुलेल-(स्त्री०) = कुलोल
कुष्ठी-सं० (पु०) कोढ़ी कुल्थी-(स्त्री०) = कुलथी
कुष्मांड-सं० (पु०) कुम्हड़ा कुल्माष-सं० (पु०) 1 उड़द 2 दाल 3 कॉजी 4 मोटा अनाज, कुसियार-(पु०) एक तरह का सफ़ेद गन्ना कुलथी
कुसी-(स्त्री०) हल का नुकीला भाग, फाल कुल्य-सं० (वि०) अच्छे कुल का, कुलीन, प्रतिष्ठित कुसीद-[ सं० (पु०) 1 सूद पर रुपया देना, महाजनी 2 सूद कुल्या-सं० (स्त्री०) 1कुलीन स्त्री 2 छोटी नहर 3 नाली, 3 ब्याज पर दिया जानेवाला धन II (वि०) 1 सूदखोर पनाला
2 सुस्त, काहिल। -जीवी (वि०) सूदखोर, महाजन कुल्ला -(पु०) 1 मुँह में पानी भरकर फेंकने की क्रिया 2 मुँह में कुसीदिक-[ सं०' (वि०) ब्याज संबंधी II (पु०) ब्याज पर
लिया गया पानी। दातून (स्त्री०) मुँह की सफ़ाई रुपया देनेवाला, ब्याजखोर कुल्ली-(स्त्री०) = कुल्ला
कुसुंभ-सं० (पु०) 1 कुसुम नाम का पौधा 2 केसर, कुमकुम कुल्हड़-(पु०) पानी पीने का एक छोटा मिट्टी का पात्र, पुरवा, कुसुंभी-(वि०) कुसुम के रंग का, लाल चुक्कड़
कुसुम-सं० (पु०) 1 फूल, पुष्प 2 लाल रंग 3 स्त्रियों का कुल्हाड़ा-(पु०) लकड़ी काटने का एक औज़ार
रजस्राव। दल (पु०) फूल की पंखुड़ी; रेणु (पु०) कुल्हाड़ी-(स्त्री०) छोटा कुल्हाड़ा। अपने पैर में कुल्हाड़ी पराग; ~वती (वि०) रजस्वला; ~स्तवक (पु०) फूलों
मारना 1 खुद को ज़ख्मी करना 2 अपना अहित स्वयं करना का गुच्छा कुल्हिया-(स्त्री०) = 1 कुल्हड़ 2 तंग कोठरी। ~में गुड़ कुसमांजलि-सं० (स्त्री०) फूलों से भरी अंजलि, पुष्पांजलि फोड़ना छिपाकर काम करना
कुसुमाकर-सं० (पु०) 1 वसंत 2 फुलवारी कुवलय-सं० (पु०) 1 नील कमल 2 नीली कुई 3 भूमंडल कुसुमायुध-सं० (पु०) कामदेव कुवलयपीड़-पं० (पु०) कंस का एक हाथी जो कृष्ण के हाथों कुसुमायोजन-सं० (पु०) बुरी तरह जोड़ना-मिलाना मारा गया था
कुसुमावलि-सं० (स्त्री०) फूलों का गुच्छा कुवार-(पु०) = कुआर
कुसुमासव-सं० (पु०) 1 मकरंद 2 शहद कुवेर-सं० (पु०) 1 धन एवं संपत्ति का स्वामी कुबेर 2 तनु का कुसुमित-सं० (वि०) 1 पुष्पित, खिला हआ 2 जिस स्त्री का पेड़
रजस्राव हो रहा हो कुव्वत-अ० (स्त्री०) ताकत, दम
कुसूर-अ० (पु०) = क़सूर कुश-I सं० (पु०) 1 धार्मिक कृत्यों के उपयोग में आनेवाली कुहक-(स्त्री०) । मुरगे की बाँग 2 कोयल की कूक 3 कुहकने एक घास 2 राम का एक पुत्र 3 हल की फाल, कुसी की क्रिया II (वि०) 1 कुत्सित 2 पागल। द्वीप (पु०) पुराण के कुहक-I सं० (पु०) 1माया, धोखा 2 इंद्रजाल 3 ठगी अनुसार सप्त महाद्वीपों में से एक द्वीप
II (वि०) 1 मायावी 2 धूर्त 3 वंचक कुशन-अं० (पु०) गद्दी, गदेला
कुहकना-(अ० क्रि०) 1 पक्षियों का मधुर स्वर में बोलना कुशल-I सं० (वि.) 1 चतुर, होशियार, प्रवीण (जैसे-कुशल 2 मोर, कोयल आदि का मीठी आवाज़ करना व्यक्ति) 2 निपुण, पारंगत (जैसे-कुशल कारीगर) 3 उचित कुहनी-(स्त्री०) बांह और भुजा का मोड़ (जैसे-मेज़ पर कुहनी 4 प्रसन्न II (स्त्री०) मंगल (जैसे-कुशल मंगल)। ~क्षेम टिकाना) (पु०) राज़ी खुशी, सुख-संपन्न; ता (स्त्री०) | कुहर-सं० (वि०) एक प्रकार का शिकरा पक्षी
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कुहरा
कुहरा - (पु० ) वायुमंडल में ठंडा होकर गिरनेवाले जलकण, ओस, धुंध
कुहराम - अ० (पु० ) 1 भगदड़, हलचल 2 रोना- कलपना कुहासा - ( पु० ) बो० 1 कुहरा, कोहरा 2 ओस कुहुक - (स्त्री.) कुहक (हिं०)
कुहुकना - (अ० क्रि०) = कुहकना, चहचहाना कुहू सं० (स्त्री०) 1 कोयल की कूक 2 अमावस्या की रात कुहेलिका-सं० (स्त्री०) बो० कुहरा कूँच - ( स्त्री०) 1 बुरुश, ब्रश 2 बड़ी सँड़सी (सँडासी) कूँचना - (स० क्रि०) बो० = कुचलना कूँचा - (पु० ) 1 कलछा 2 जहाज़ के टूटे हुए टुकड़े 3 कुचला हुआ पदार्थ (जैसे- कूँचा आम) कूँची - ( स्त्री०) 1 ब्रश 2 तूलिका । करना 2 रंग चढ़ाना
-देना 1 कूँची से साफ़
कूँज - ( पु० ) = कराँकुल कूंड़ - ( पु० ) 1 लोहे की टोपी 2 पानी निकालने का डोल जैसा बर्तन
कूड़ा - (पु० ) बो० 1 पानी रखने का चौड़े मुँह का बड़ा बर्तन, कुंडा 2 गमला 3 कठौता
कूँड़ी - (स्त्री० ) 1 पत्थर की कटोरी 2 छोटी नाँद 3 कोल्हू के बीच का गड्ढा
कूँथना - (अ० क्रि०) बो० ) = 1 कहना 2 कबूतरों का गुटरगूँ शब्द करना 3 दबी आवाज़ से कराहना
कुँआ - ( पु० ) = कुआँ
कूईं - (स्त्री०) कमल के समान जल में होनेवाला छोटा पौधा एवं उसका फूल
कूक - 1 (स्त्री०) = 1 कुहक (हिं०) 2 लंबी मधुर ध्वनि II (स्त्री०) घड़ी, बाजे आदि में कुंजी देना कूकना - I (अ० क्रि०) = कुहकना II (स० क्रि०) कुंजी देना. चाबी देना
कूकर - (पु० ) बो० कुत्ता, श्वान । कौर (पु० ) 1 तुच्छ वस्तु. हीन पदार्थ 2 कुत्ते के लिए छोड़ा गया भोजन नींद (स्त्री०) हल्की नींद: बसेरा थोडा विश्राम
कूच - फ़ा० ( पु० ) एक स्थान से दूसरे स्थान जाना, रवानगी (जैसे सेना का युद्ध के लिए कूच करना) । का डंका, -का नक्कारा प्रस्थान करना; बोलना 1 रवाना होना
2 प्रस्थान का आदेश करना
कूचा - फा० (पु० ) सँकरा मार्ग, तंग रास्ता, गली (स्त्री०) गलियों में व्यर्थ इधर-उधर घूमना; बंद गली
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कूचिका, कूची - ( स्त्री०) कूँची कूज - ( स्त्री०) ध्वनि, शब्द
गर्दी बंद (पु० )
कूजन-सं० ( पु० ) पक्षियों की कलरव क्रिया कूजना - (अ० क्रि०) कलरव करना चहकना कूज़ा - फा० ( पु० ) 1 कुल्हड़ 2 कुल्हड़ में जमाई गई मिस्त्री कूजित -सं० (वि०) 1 ध्वनित 2 मधुर स्वर में कहा हुआ 3 ध्वनिपूर्ण
कूट - I सं० (वि०) 1 मिथ्यावादी, झूठा 2 छली, धोखेबाज़ 3 बनावटी (जैसे- कूट मुद्रा) 4 जटिल (जैसे प्रश्न ) II (पु० ) 1 छल, धोखा 2 बनावट 3 रहस्य 4 असत्य
कूदना
5 व्यंग्य (जैसे- कूटोक्ति) 6 शीर्ष, चोटी। ~उपाय ( पु० ) धोखा देने की तरकीब; ~करण (पु०) जाली चीज़ बनाना; - कर्म (पु० ) छल, धोखेबाज़ी कर्मा (पु०) धोखा देनेवाला व्यक्ति; ~ क्षेत्र (पु० ) षड्यंत्र का स्थान; ग्रंथ (पु०) ग्रंथ जिसका कर्ता अज्ञात हो; ~ता (स्त्री० ) 1 कूट होने की अवस्था 2 कपट, छल 3 झूठ 4 कठिनाई; नीति (स्त्री०) छिपी हुई चाल, गुप्त चाल; ~नीतिक ( वि० ) = कूटनैतिक नीतिज्ञ (वि०) कूटनीति जाननेवाला; ~नीतिज्ञता (स्त्री०) कूटनीति की जानकारी; नैतिक (वि०) कूटनीति का; पण (पु० ) = कूट मुद्रा; पण्य (पु० ) खोटा माल प्रबंध (पु०) धोखा देने का इंतज़ाम, षड्यंत्र; प्रश्न (पु० ) पहेली -भाषा (स्त्री०) संकेत भाषा, गुप्त भाषा -मुद्र (पु०) जाली मुहर; मुद्रा (स्त्री०) जाली सिक्का युद्ध (पु०) झूठमूठ का युद्ध योजना (स्त्री०) कुचक्र, षड्यंत्र रचना (स्त्री०) फँसाने की युक्ति, फंदा लेख (पु०) जाली दस्तावेज़; साक्षी (पु० ) झूठा गवाह साक्ष्य (पु० ) झूठी गवाही; ~स्थ I (पु० ) ईश्वर, परमात्मा I] (वि०) 1 जो सबसे ऊपर हो 2 अटल, अचल 3 अविनाशी ~ स्थल (पु० ) विशेष स्थान जो सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हो, षड्यंत्र स्थल; स्वर्ण (पु०) जाली सोना
कूटक - I सं० (वि०) 1 छल हेतु बनाया 2 छल के उद्देश्य से कही गई (जैसे- कूटक दृश्य कूटक आख्यान) Il (पु० ) धोखा-धड़ी
कूटना - (स० क्रि०) 1 लगातार पीटना (जैसे- अनाज कूटना ) 2 मारना पीटना (जैसे- उस बदमाश को खूब कूटना) 3 बधिया करना । कूट-कूटकर भरना दबा-दबाकर अधिक मात्रा में भरना
कूटाख्यान -सं० ( पु० ) कल्पित कथा
कूटार्थ सं० (वि०) जो सरलता से न समझा जा सके कूटावपात -सं० (पु० ) घास-पात से ढका हुआ गड्ढा कूड़ा - ( पु० ) 1 बुहारन 2 रद्दी वस्तुएँ 3 धूल-राख आदि । - कबाड़ करकट, कुर्कुट (पु०) सड़ी-गली वस्तुएँ; -कोठ (पु० ) 1 कूड़ा फेंकने का स्थान 2 कूड़ा फेंकने का पात्र खाना + फा० (पु० ) 1 कूड़ा फेंकने का स्थान 2 कूड़ादान
कूड़ेदान - हिं० + फ़ा० (पु०) वह पात्र जिसमें कूड़ा फेंका जाता है. डस्टबिन
कूढ़ - (वि०) मूर्ख, बेवकूफ़, निर्बुद्धि। मग्ज़ + फ़ा० (वि०) 1 अत्यधिक मूर्ख 2 मंदबुद्धि
कूत - ( पु० ) 1 मूल्य आँकने का काम 2 मन ही मन सोचना-विचारना
कूतना - (स० क्रि० ) 1 अंदाज़ लगाना, अनुमान करना 2 मन ही मन सोचना, कल्पना करना
कूथना - I (अ० क्रि०) बो० 1 कराहना 2 काँखना II (स० क्रि०) कूटना
कूद - (स्त्री०) कूदने की क्रिया (जैसे-ऊँची कूद, बाँस कूद) । ~फाँद (स्त्री०) उछल-कूद
कूदना - I (अ० क्रि०) 1 उछलना 2 छलाँग लगाना, पहाड़ पर कूदना 3 अचानक आ पहुँचना (जैसे- आंदोलन में कूदना)
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कूप
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कृपा 4 इतराना II (स० क्रि०) फाँदना, लक। ~फाँदना | कृतक-सं० (वि०) 1 बनाया हुआ 2 कृत्रिम (अ० क्रि०) 1 उछलकर जाना 2 कूदकर किसी ऊँचाई या | कृतघ्न-सं० (वि०) किए हुए उपकार को न माननेवाला। ~ वस्तु को पार करना; किसी के बल कूदना किसी के सहारे ता (स्त्री०) कृतन होने की अवस्था बोलना
कृतांक-सं० (वि०) अंकित किया हुआ कूप-सं० (पु०) 1 कुआँ 2 गहरा गड्ढा। --मंडूक (पु०) कृतांजलि-सं० (वि०) अंजलि बाँधे हए 1 कूएँ का मेढक 2 संकुचित अनुभव और ज्ञानवाला, अल्पज्ञ; कृतांत-[ सं० (वि०) 1 समाप्त करनेवाला 2 अंत करनेवाला, मंडूकता कूपमंडूक होने की अवस्था; ~मंडूक यम II (पु०) 1 यमराज 2 मृत्यु व्यावहारिकता (स्त्री०) संकुचित एवं संकीर्ण व्यवहार की कृताकृत-सं० (वि०) 1 अधूरा 2 किया और न किया हुआ क्रिया;
कृतागम-सं० (वि०) -1 कृत हस्त 2 योग्य, कुशल कूपक-सं० (पु०) 1 छोटा कुआँ 2 चमड़े की कुप्पी कृतात्मा-सं० (वि०) 1शुद्ध आत्मावाला 2 पुण्य कर्म कूपन-अं० (पु०) 1 यात्रा टिकट 2 कोई नियंत्रित वस्तु प्राप्त __ करनेवाला
करने का पुरजा 3 मनीआर्डर का वह अंश जिस पर हाल-चाल | कृतापराध-सं० (वि०) अपराधी, दोषी लिखा जाता है, संदेश-स्थल
कृतार्थ-सं० (वि०) =कृत-कृत्य कूबड़-(पु०) किसी वस्तु का उभारदार टेढ़ापन (जैसे-ऊँट का | कृतावधि-सं० जिसकी अवधि निश्चित हो कूबड़)
कृतास्त्र-सं० (वि०) जो शस्त्र विद्या में निपुण हो, अस्त्र-सज्ज कूबत-अं० (स्त्री०) -कूवत
कृति-सं० (स्त्री०) 1 किया हुआ कार्य 2 रचना 3 प्रशंसनीय कूर-(वि०) 1निर्दय 2 दुष्ट 3 पापी
काम। -कार (पु०) 1 रचनाकार 2 लेखक; लेखक कूरा-(पु०) 1 ढेर, राशि 2 अंश, भाग
(पु०) रचनाकार; ~स्वाम्य (पु०) रचना का स्वामित्व, कूर्च-(पु०), कूर्चिका -सं० (स्त्री०) 1कूँची 2 कुंजी स्वात्वाधिकार कूर्दन-सं० (पु०) खेलना-कूदना
कृती-[ सं० (वि०) 1कुशल, दक्ष 2 पुण्यात्मा II (पु०) कूर्म-सं० (पु०) कच्छप, कछुआ
1 ऐसा व्यक्ति जिसने स्तुत्य कर्म किया हो 2 रचनाकार कूर्मी-सं० (स्त्री०) कछुई (मादा कुछुआ)
कृते-सं० (अ०) के वास्ते कूल-सं० (पु०) तट, किनारा। वती (स्त्री०) नदी कृत्त-सं० (वि०) 1 विभक्त 2 अभिलक्षित कूल्हा-(पु०) 1 धड़ तथा जाँघ का जोड़ 2 कमर के दोनों ओर | कृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 मृगचर्म 2 चर्म 3 भोजपत्र 4 कृत्तिका
की हड्डी (जैसे-कूल्हे का जोड़) कूवत-अ० (स्त्री०) 1 शक्ति, ताक़त 2 सामर्थ्य
कृत्तिका-सं० (स्त्री०) सत्ताइस नक्षत्रों में से तीसरा नक्षत्र कृतक-सं० (पु०) काटने के दाँत
कृत्प्रत्यय-सं० (पु०) वह प्रत्यय जो क्रिया के साथ लगे कुंतन-सं० (पु०) 1 काटना 2 कुतरना
(जैसे- कृ से कृत क्रिया, कृति) कृकाट-सं० (पु०) कँधे और गले का जोड़
कृत्य-I सं० (वि०) कर्तव्य II (पु०) 1 कर्म 2 धार्मिक कर्म कृकाटिका-सं० (स्त्री०) गले और कंधे का जोड़ कृत्यवाह-सं० (पु०) कार्यभार संभालनेवाला कृच्छ -[ सं० (वि०)1 कष्टमय 2 कठिन 3 कष्टसाध्य कृत्या-सं० (स्त्री०) 1 दुष्ट स्त्री 2 जादू-टोना, अभिचार
4 कष्टकर 5 दुष्ट II (पु०) 1 कष्ट 2 दुःख 3 कठिनाई ___ 3 जादूगरनी 4 सर्वनाश करनेवाली कोई चीज़ 5 कर्कशा स्त्री 4 प्रायश्चित 5 पाप
6 काम। -कृत्य (पु०) कर्तव्याकर्तव्य कृत-I सं० (वि०) 1 किया हुआ 2 बनाया हुआ, निर्मित | कृत्रिम-सं० (वि०) 1 बनावटी (जैसे-कृत्रिम ग्रह, कृत्रिम II (पु०) 1 काम 2 उपकार 3 सतयुग 4 कर्मफल । __हँसी) 2 नकली (जैसे-कृत्रिम सोना, कृत्रिम रत्न)। ~ता ~कर्मा, कार्य (वि०) 1 जो अपना कार्य कर चुका हो (स्त्री०) कृत्रिम अवस्था 2 सफल मनोरथ; ~काम (वि०) जिसकी कामना पूरी हो कृत्स-सं० (पु०) 1 जल 2 समुदाय 3 पाप गई हो; ~काल (वि०) निर्धारित समय तक कार्य | कृत्सन-सं० I (वि०) पूर्ण II (पु०) 1 जल, 2 पेट करनेवाला; ~कृत्य (वि०) 1 कृतार्थ 2 संतुष्ट तथा प्रसन्न; | कृदंत-सं० (पु०) धातु में कृत प्रत्यय लगाने से बननेवाला -चेता (वि०) कृतज्ञ; ज्ञ (वि०) उपकार माननेवाला, __ शब्द (जैसे-कृत, कृति, कृत्य या पूर्वकालिक कृदंत जाकर, एहसानमंद; ~ज्ञता (स्त्री०) कृतज्ञ होने का भाव; भूत कृदंत गया, वर्तमान कृदंत जाता)
निश्चय (वि०) निश्चय करनेवाला; ~पर्व (पु.) कृपण-सं० (वि०) 1 सूम, कंजूस 2 लोभी, लालची। ~ता कृतयुग, सतयुग; -पूर्व (वि०) पहले किया हुआ; | (स्त्री०) 1 कंजूसी 2 लालच प्रतिज्ञ (वि०) वचनबद्ध, ~मुख (वि०) विद्वान, पंडित; | कृपया-सं० (क्रि० वि०) कृपापूर्वक
युग ((पु०) सतयुग; विद्य (वि०) विद्वान्; वृद्धि कृपा-सं० (स्त्री०) अनुग्रह, दया (जैसे-कृपा करके)। (वि०) जो बढ़ गया हो, बढ़ा हआ; ~वेदी (वि०) =कृतज्ञ; ~कटाक्ष (पु०) कृपा भाव; ~कांक्षी (पु०) कृपा
~वेश (वि०) वस्त्र पहना हुआ; ~संकल्प (वि०) जिसने चाहनेवाला व्यक्ति (जैसे- आपका कृपाकांक्षी); दृष्टि पक्का निश्चय किया हो, दृढ़ निश्चयी; ~संज्ञ (वि०) (स्त्री०) = कृपा कटाक्ष; निधान (पु०) कृपालु, 1 जगा हुआ 2 होश में आया हुआ 3 तीव्र बुद्धिवाला; हस्त कृपासागर; पात्र (पु०), पात्री (स्त्री०) जो कृपा के (वि०) कुशल, दक्ष
योग्य हो; -पूर्वक (वि०) कृपया, कृपा करके
नक्षत्र
अवस्था
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कृपाण
कृपाण - सं० (पु० ) 1 कटार 2 तलवार (छोटी कृपाणिका) कृपाभिलाषी-सं० (वि०) कृपाकांक्षी
=
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कृपायतन-सं० (वि०) कृपानिधान, कृपालु कृपालु -सं० (वि०) कृपा करनेवाला, दयालु ता (स्त्री०) दयालुता कृपाभाव
कृमि-सं० (पु० ) 1 कीड़ा 2 चींटी। कीट (पु०) कीड़े-मकोड़े, कोश (पु०) रेशम के कीड़े का कोया; ~ज (वि०) कीड़ों को मारनेवाली (जैसे- कृमिनाशक घोल); ~ रोग (पु० ) चि० आमाशय में केंचुए पड़ने से होनेवाला रोग, पेट का रोग; --विज्ञान (पु० ) ऐसा विज्ञान जिसमें विभिन्न रोगों के कीटाणुओं का अध्ययन किया जाता है; -शैल (पु०) बाँबी
कृश-सं० (वि०) 1 दुबला-पतला 2 कमज़ोर 3 अकिंचन 4 अल्प, थोड़ा 5 दरिद्र । ~ता 1 (स्त्री०) कमज़ोरी 2 दुबलापन
कृशर - सं० (पु० ) 1 खिचड़ी 2 तिल और चावल की खिचड़ी कृशांग, कृशित-सं० (वि०) 1 कृश 2 दुबला-पतला कृशोदर-सं० (वि० 1 जिसका पेट पतला हो 2 पतली
केंद्रीय
कृषित, कृष्ट-सं० (०) 1 जोता-बोया हुआ 2 खींचा हुआ । ~फल (पु० ) खेत की उपज, फ़सल भूमि (स्त्री०) कृषित भूमि
कृष्टि-सं० (स्त्री) 1 खिचाव 2 खेतीबाड़ी
कमरवाला
कृशोदरी-सं० (स्त्री०) पतली कमरवाली स्त्री कृषक - I सं० (पु० ) किसान II ( वि०) खींचनेवाला । क्रांति (स्त्री) कृषक आंदोलन; वर्ग (पु०) कृषक समूह; ~ विद्रोह ( पु० ) किसानों की क्रांति कृषकीय - सं० (वि०) किसान का, किसान-संबंधी कृषाण-सं० (पु०) किसान, कृषक
कृषि - सं० (स्त्री० ) 1 खेती-बाड़ी 2 ज़मीन की बोआई 3 फ़सल (जैसे-कृषि उत्पादन) । ~उद्योग खेती का काम, किसान का पेशा ~ उपकरण (पु०) कृषि के उपयोग में आनेवाले औज़ार एवं मशीनें आदि; कर्म (पु० ) = कृषि; कार (पु० ) = कृषक; ~कार्य (पु० ) = कृषि; ~ कालेज + अं० (पु० ) कृषि महाविद्यालय; जात (वि०) कृषि से उत्पन्न होनेवाला (जैसे - कृषिजात द्रव्य); जीवी (पु०) = कृषक; ~तकनीक + अं० (स्त्री०) कृषि की विधि, पदार्थ (पु०) कृषि द्रव्य, वस्तुएँ आदि; ~ प्रणाली (स्त्री०) कृषि के भेद एवं प्रकार प्रदर्शनी (स्त्री०) खेती की चीज़ों की नुमाइश ~ प्रधान (वि०) 1 जो कृषि में मुख्य हो 2 जो उत्तम खेती करनेवाला हो; ~बैंक अं० (पु०) कृषि हेतु आर्थिक मदद देनेवाले बैंक; यंत्र (पु०) खेती के औज़ार एवं उपकरण; ~ योग्य (वि०) जो खेती के लिए उचित एवं उपयुक्त हो (जैसे कृषियोग्य भूमि); ~ विकास (पु० ) कृषि की प्रगति, कृषि-वृद्धि; ~ विज्ञ (पु० ) कृषि का ज्ञान रखनेवाला व्यक्ति; ~ विज्ञान (पु० ) ऐसा विज्ञान जिसमें कृषि विषयक अध्ययन किया जाए; विज्ञानी (पु० ) = कृषि विज्ञ; ~ विद्या ( स्त्री०) = कृषि विज्ञान; ~ विद्यालय (पु० ) कृषि अध्ययन संस्था; ~ विभाग (पु० ) कृषि संस्था का वह विभाग जहाँ कृषि का अध्ययन किया जाता है; व्यवसाय (पु०) = कृषि; ~ व्यवस्था (स्त्री० ) = कृषि प्रणाली; ~ शास्त्र (पु० ) = कृषि विज्ञान शास्त्रीय (वि०) कृषि विज्ञान संबंधी; ~ संकट खेती में आनेवाली बाधाएँ; कृषिक - I सं० (वि०) कृषि का II ( पु० ) किसान
कृष्ण - I सं० (वि०) 1 काला, श्याम 2 नीला 3 कुत्सित 4 निंदनीय II (पु० ) 1 यदुवंशी कृष्ण 2 काला रंग 3 नीला रंग 4 पापकर्म । ~कंद (पु०) लाल कमल; कर्म (पु० ) पाप-कर्म, निंदनीय कार्य, कर्मा (वि०) पापकर्म करनेवाला, पापी पक्ष (पु० ) महीने का अँधेरा पखवार ; -चंद्र (पु० ) 1 वासुदेव 2 श्री कृष्ण धन (पु० ) काला धन; पक्ष (पु० ) 1 अँधेरा पाख 2 अर्जुन पटल (पु० ) श्यामपट मणि (पु० ) नीलम, रक्त I ( पु० ) गहरा लाल रंग II (वि०) गहरे लाल रंग का लौह (पु० ) 1 चुंबक 2 काला लोहा वर्ण (वि०) काला रंग; ~सार (पु० ) 1 काले रंग का हिरन, कृष्ण मृग 2 शीशम वृक्ष 3 खैर का पेड कृष्णा-सं० (स्त्री०) 1 द्रौपदी 2 दक्षिण भारत की एक नदी, कृष्णगंगा
कृष्णाष्टमी -सं० (स्त्री० ) 1 भाद्र कृष्ण अष्टमी 2 कृष्ण की जन्मतिथि, जन्माष्टमी
कृष्णिमा-सं० (स्त्री०) कालापन
कृष्य - सं० (वि०) खेती करने योग्य (जैसे-कृष्य भूमि) कें - कें- (स्त्री०) 1 पक्षियों का आर्तनाद 2 कष्ट सूचक ध्वनि 3 व्यर्थ की बातचीत, बकवाद
केंचुआ (पु० ) 1 एक लंबा एवं पतला बरसाती कीड़ा 2 आँतों में पैदा हो जानेवाले छोटे-छोटे सफ़ेद कीड़े
केंचुल - (पु०), केंचुली (स्त्री०) सर्प द्वारा छोड़ी गई झिल्लीदार खोली (जैसे-केचुल छोड़ना)
~
केंद्र - सं० (पु० ) 1 वृत्त का मध्य बिंदु 2 मध्य भाग 3 वस्तु का मुख्य उत्पादन एवं वितरण स्थल (जैसे- औद्योगिक केंद्र) 4 मुख्य कार्यालय । ~गामी (वि०) केंद्राभिसारी; बद्ध (वि०) केंद्रीकृत बिंदु (पु० ) मध्य बिंदु, मध्यस्थल; ~वाद (पु० ) यह मत कि सारा शासन केन्द्रीय सरकार के हाथ में हो; सरकार (स्त्री०) देश के केन्द्र से राज करनेवाला शासन; ~स्थ (वि०) बीच में स्थित, मध्यस्थित केंद्रग-सं० (वि०) = केंद्राभिसारी
केंद्रण-सं० (पु० ) केंद्रीकरण केंद्रस्थ-सं० (वि०) मध्य में स्थित केंद्रापग -सं० (वि०) = केंद्रापसारी केंद्रापसारी-सं० (वि०) केंद्र से दूर जानेवाला (जैसे- केंद्रापसारी शक्तियाँ)
=
केंद्राभिग, केंद्राभिमुख, केंद्राभिसारी-सं० (वि०) केंद्र की ओर जानेवाला (जैसे- केंद्राभिसारी शक्तियाँ) केंद्रिक-सं० (वि०) - केंद्रीय, केंद्र में बननेवाला केंद्रित सं० (वि०) केंद्र में स्थित किया हुआ केंद्री -सं० (वि०) केंद्रीय । ~करण (पु०) 1 केंद्रित करना
2 सत्ता के अधीन करना (जैसे-उद्योग-धंधों का केंद्रीकरण); ~कृत (वि०) 1 केंद्रित किया हुआ 2 अधिकार में लाया हुआ; ~ भूत (वि० ) - केंद्रित
केंद्रीय-सं० (वि०) 1 केंद्र संबंधी 2 मध्यभाग का 3 मुख्य या
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केंद्रोन्मुखी
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प्रधान सत्ता का (जैसे- केंद्रीय शासन, केंद्रीय संगठन) । ~करण (पु० ) केन्द्र में लाना केंद्रोन्मुखी - सं० (वि०) केंद्राभिसारी
के - 1 (प्रत्यय) संबंधकारक 'का' विभक्ति का बहुवचन (जैसे-आम के पेड़) II (सर्व० ) 1 कौन 2 किसने केक-अं० (स्त्री०) आटे चीनी आदि से बनी एक मिठाई केकड़ा - (पु०) आठ पैर एवं दो पंजों का प्रसिद्ध जल जंतु केका-सं० (स्त्री०) मयूर की कृक केकी-सं० (पु०) मयूर, मोर केचित्-सं० (सर्व०) कोई-कोई
केड़ा - (पु० ) 1 कोयला, कल्ला 2 नया पौधा 3 नवयुवक केत - सं० ( पु० ) 1 घर, भवन 2 जगह, स्थान 3 पताका, ध्वजा केतकी-सं० (स्त्री०) केवड़ा
केतन -सं० ( पु० ) = 1 केत 2 चिह्न
केतली - अं० (स्त्री०) टोटीदार एक प्रकार का बर्तन जिसमें चाय बनाई जाती है
केतित-सं० (वि०) 1 बुलाया हुआ, आमंत्रित 2 बसा हुआ केतु -सं० ( पु० ) 1 सौर मंडल का नवाँ ग्रह 2 पताका, झंडा
3 चिह्न 4 पुच्छल तारा 1 तारा ( पु० ) पुच्छल तारा । --मती (स्त्री०) एक वर्णवृत्त जिसमें 10-11 के क्रम से अक्षर होते हैं; मानू (वि०) 1 तेजस्वी 2 बुद्धिमान् 3 जिसके हाथ में ध्वजा हो
केप - अं० (पु० ) 1 अंतरीप 2 स्त्रियों का कंधे का चोगा केफ़िटीरिया -अं० ( पु० ) जलपानगृह, अल्पाहारगृह केबल -अं० (पु०) समुद्री तार
केबिन - अं० (स्त्री०) कांठरी, कक्ष
केबिनेट - अं० (पु० ) = कैबिनेट, केंद्रीय
केबुल -अं० (पु० ) = केबल
केमरा -अं० (पु० ) फ़ोटो खींचने का यंत्र । मैन (पु० ) फ़ोटो खींचनेवाला
केदार-सं० (पु० ) 1 क्यारी 2 थाला, थाँवला 3 हिमालय की' केशाकेशि-सं० (स्त्री०) झोंटा - झोंटौवल
एक प्रसिद्ध चोटी जो शिव का स्थान है
केमिस्ट - अं० (पु० ) 1 रसायनज्ञ 2 ओषधि विक्रेता केमिस्ट्री - अं० (स्त्री०) रसायन शास्त्र, रसायन विज्ञान केयूर - सं० (पु०) बाजूबंद, भुजबंद, बहुँटा केराना - ( पु० ) बो० = किराना (पु० ) केराव - ( पु० ) बो० मटर
केरासीन, केरोसिन -अं० (पु० ) मिट्टी का तेल केला - ( पु० ) प्रसिद्ध फल एवं पेड़, कदली केलास - सं० ( पु० ) 1 स्फटिक 2 रवा / क्रिस्टल केलासन-सं० (पु० ) क्रिस्टल या रवा बन जाना केलासीय-सं० (वि०) 1 केलास की तरह सफ़ेद एवं पारदर्शक 2 केलास संबंधी
केलि -सं० (स्त्री० ) 1 क्रीड़ा, खेल 2 हँसीमज़ाक 3 मैथुन, रति । कला (स्त्री०) 1 कामकला, रतिकला 2 केलि कुशलता 3 सरस्वती की वीणा
केवड़ाई - I ( पु० ) हल्का पीला रंग II (वि०) 1 केवड़े के रंग का 2 केवड़ा युक्त
केवड़ा - ( पु० ) सुगंधित एवं लंबे पत्तों वाला एक पौधा और उसका फूल
केवल - I सं० (वि०) 1 अकेला, असंग 2 शुद्ध (जैसे केवल ज्ञान) II ( क्रि० वि०) सिर्फ़ मात्र (जैसे- केवल दूध पीना) ।
केवका - ( पु० ) एक प्रकार का मसाला
केवट - ( पु० ) मल्लाह, कैवर्त
केवटी - दाल- (स्त्री०) मिश्रित कई दालें, अनेक दालों का मिश्रण
~मात्र
केवलात्मा - सं० (पु० ) 1 विशुद्ध आत्मा 2 ईश्वर 3 ज्ञानी पुरुष केवली - सं० (पु० ) 1 मुक्ति का अधिकारी, साधु 2 ऐसा साधु जो मोक्ष प्राप्त कर चुका है 3 तीर्थंकर केवाड़ - (पु०) बो० किवाड़, द्वार केश-सं० (पु० ) सिर के बाल (जैसे- केश गुँथाना) । ~कर्तन (पु०) बाल काटना; कर्तनालय नाई की दुकान; ~कर्म (पु० ) 1 बाल काटने का काम 2 बाल सँवारना 3 मुंडन संस्कार; तैल (पु०) बालों के लिए तेल; पाश (पु० ) 1 बालों की लट, केशगुच्छ 2 बालों का जूड़ा; ~ प्रसाधन (पु०) बाल सँवारना रंजन (पु० ) बाल रंगना; ~ रचना ( स्त्री०) बाल सँवारना; राशि (स्त्री०) बालों का गुच्छा; विन्यास (पु० ) माँग पट्टी (जैसे- केश विन्यास करना)
केशव - सं० ( पु० ) 1 लंबे और सुंदर बालोंवाला 2 विष्णु केशांत सं० ( पु० ) 1 बालों का सिरा 2 मुंडन संस्कार
केशिका -सं० (स्त्री०) 1 छोटे-छोटे रोएँ 2 केशवत् सूक्ष्म शिरा केशिनी-सं० (स्त्री०) लंबे एवं सुंदर बालोंवाली स्त्री केशियर - अं० ( पु० ) = कैशियर, कोषाध्यक्ष
केस - I अं० (पु० ) वस्तु रखने का छोटा घर, खाना 2 बक्स (जैसे- सूटकेस ) II (पु० ) 1 दुर्घटना 2 मामला, मुक़दमा (जैसे- केस चलाना)
केस - (पु० ) =केश
केसर-सं० (पु०) 1 फूल के बीच का रेशा 2 कुंकुम 3 नागकेसर 4 मौलसरी
शेर
केसरिया - सं० + हिं० (वि०) केसर के रंग का केसरी-सं० (पु० ) केहा - ( पु० ) 1 मोर 2 तीतर जैसा एक पक्षी कैंकर्य -सं० (पु० ) नौकरी, दासता कैंची - तु० (स्त्री०) 1 कतरनी 2 दो फलोंवाला एक प्रसिद्ध औजार जिसके बीच में वस्तु रखकर काटी जाती है। करना काटना, छाँटना; ~ बाँधना रानों से दबाना; ~लगाना काटना कैंटीन - अं० (पु०) जलपानगृह
कैंडल -अं० (स्त्री०) मोमबत्ती
कैंड़ा - (पु० ) 1 ख़ाका उतारने का आला 2 पैमाना 3 ढंग, प्रकार 4 मोटा अंदाजा, अनुमान। ~लेना खाका उतारना कैंडी-अं० (स्त्री०) मिश्री की टॉफ़ी
कैंप - अं० ( पु० ) 1 शिविर, छावनी 2 पड़ाव, अस्थाई निवास कैंपिंग-अं० (स्त्री०) 1 कैंप लगाना 2 कैंप में रहना कैंसर - अं० (पु० ) चि० कर्कट रोग
कै- I ( वि०) कितना, कितने II (अ०) या, अथवा III (सर्व०) कौन, किसने
क्रै-अ० (स्त्री०) उलटी, वमन (जैसे-क़ै आना, क़ै करना)
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糠
कैडेट - अं० (पु० ) सैन्य छात्र कैतव-सं० (पु० ) फ़ैतून - तु० (पु० ) डोरी, पतली लैस
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1 धोखा, छल 2 दाँव 3 जुआ कपड़ों के किनारे लगाई जानेवाली रेशमी
कैथ - (पु० ) एक वृक्ष जिसका फल कड़वा होता है, कपित्थ कैथिन - ( स्त्री०) बो० कायस्थ जाति की स्त्री कैथी - I (स्त्री०) छोटी जाति का कैथ II (वि०) कायस्थी लिपि
कैथोलिक - अं० (पु० /वि० ) ) ईसाइयों का प्रमुख सम्प्रदाय क़ैद - अ० (स्त्री०) 1 बंधन 2 कारावास । खाना + फ़ा० (पु० ) जेलखाना, बंदीगृह तनहाई +फ़ा० (स्त्री०) कालकोठरी की सज़ा; ~महज़ (स्त्री०) साधारण क़ैद, सादी क़ैद - सख़्त (स्त्री०) कड़ी सज़ा, कठोर सजा काटना, ~ भोगना (स्त्री०) कारावास में दिन गुजारना कैदक - (स्त्री०) काग़ज़ रखनेवाली काग़ज़ या दक्ती की बनी पट्टी, फ़ाइल
क़ैदी - अ० + फ़्रा० (पु०) बंदी, क़ैद की सजा पानेवाला व्यक्ति (जैसे- कैदी पकड़ना छोड़ देना) । ~निरीक्षक +सं० (पु०) कैदियों की निगरानी करनेवाला
कैन - (स्त्री०) 1 बाँस की लंबी और पतली छड़ी
कैनवास - अं० ( पु० ) = कनवास
कैनोइंग-अं० (स्त्री०) 1 डोंगी चलाना 2 डोंगी में विहार करना कैप्टन - अं० (पु० ) = कप्तान
कैफ़ - अं० (पु०) मादक द्रव्य
कैफ़ियत - अ० (स्त्री०) 1 हाल, समाचार 2 विवरण (जैसे-कैफ़ियत माँगना) 3 टिप्पण
कैफ़ी - I अ० (वि०) 1 कैफ़ पिया हुआ 2 मतवाला II (पु० ) शराब पीनेवाला व्यक्ति, शराबी
कैबिनेट - अं० ( पु० ) 1 मंत्रिमंडल 2 मंत्रणागृह ।
मंत्री
+ सं० (पु० ) मंत्रिमंडल सदस्य, कैबिनेट स्तर का मंत्री कैम्पस - अं० ( पु० ) (विश्वविद्यालय का) परिसर कैरट-अं० (पु० ) सोने की शुद्धता का एक मान (जैसे-24 कैरट का खालिस सोना)
कैरव-सं० (पु०) कुमुद, कोई, सफ़ेद कमल । -~ बंधु (पु० ) चंद्रमा
कैरवी -सं० (स्त्री०) चाँदनी रात
कैरा - (वि०) 1 भूरे रंग का, भूरा 2 भूरे रंग की आँखोंवाला, कंजा
कैरियर - I अं० ( पु० ) 1 वाहक, उठानेवाला 2 गाड़ी के पीछे कुछ ढोने की युक्ति II ( पु० ) जीवन-वृत्ति कैलकुलेटर - अं० (५०) परिकलन यंत्र कैलरी-अं० (स्त्री०) =कैलौरी
कोकिल
2 मोक्ष, मुक्ति 3 निःश्रेयस ज्ञान (पु० ) ब्रह्म विद्या कैश-अं० (स्त्री०) नकद रुपया । बाक्स (पु०) नक़दी रखने की पेटी; बुक (स्त्री०) रोकड़ बही; मेमो (पु० ) नकदी पुरज़ा
कैलशियम-अं० ( पु०) चूना
कैलास - सं० ( पु० ) 1 हिमालय की एक चोटी जिसे शिव का निवास स्थल माना गया है 2 स्वर्ग। नाथ, पति (पु० ) शिवजी, शंकर भोले; ~वास (पु० ) मृत्यु कैलेंडर -अं० (पु०) तिथि-पत्र, पंचांग कैलोरी -अं० (स्त्री०) 1 ऊष्मा 2 ऊष्मा - तत्त्व कैवर्त -सं० ( पु० ) = केवट कैवल्य-सं० (पु० ) 1 निर्लिप्त होने की अवस्था, निःसंग भाव
कैशिक-सं० (वि०) 1 बालोंवाला 2 बालों जैसा कैशियर -अं० (पु० ) खजांची
कैशोर्य - सं० ( पु०) लड़कपन, किशोरावस्था क़ैसर - अ० ( पु० ) सम्राट, बादशाह
कैसा - (वि०) 1 किस तरह का 2 किस रंग रूप का (जैसे- कैसा कपड़ा) 3 बहुत बढ़िया (जैसे- कैसी दलील दी है)
कैसे - ( क्रि० वि० ) 1 किस प्रकार से (जैसे-आप कैसे जानते हो यह ? ) 2 किसलिए (जैसे-आप कैसे आए हैं ? ) कोंकणी-सं० (स्त्री०) कोंकण प्रदेश की भाषा कोंचना - (स० क्रि०) 1 चुभाना 2 छेद करना (जैसे- आलू
कोंचना )
कोंछ - (पु० ) आँचल का कोना
कोंछना, कोंछियाना (स० क्रि०) धोती के पल्ले में कुछ रखकर कमर में खोंसना
कोंढ़ा - (पु० ) धातु का छल्ला जिसमें कुछ लटकाया जाता है, लटकानेवाला धातु का छल्ला
कोंधनी - (स्त्री०) बो० = करधनी
कोंपर - (पु० ) 1 डाल पर का अधपका आम 2 कोयल कोंपल - (पु०) कोपल कोहड़ा - (पु० )
= कुम्हड़ा
को - I ( विभ० ) 1 कर्म एवं सम्प्रदान कारक की विभक्ति का चिह्न (जैसे- उसको किताब दो, किसी को विरोध न होगा, साँप को मारो ) 2 वास्ते, के लिए (जैसे-दिखाने को, मिलने को आना) II ( सर्व०) कौन कोआ - (पु० ) 1 कुसियारी 2 टसर नामक रेशम का कीड़ा 3 ऊन की पोनी, महुए का फल 4 कटहल का पका हुआ बीजकोष 5 आँख का सफ़ेद भाग, आँख का डेला 6 आँख का कोना
=
कोइरी - (पु० ) सब्जी पैदा करनेवाली एक जाति, काछी कोइली - (स्त्री०) 1 काले दाग़वाला कच्चा आम 2 आम की गुठली 3 कोयल
कोई - I ( सर्व०) 1 अनेक लोग में कोई, अज्ञात व्यक्ति (जैसे कोई एक, कोई और) 2 अज्ञात वस्तु (जैसे- कोई पुस्तक) 3 चाहे जो एक II ( क्रि० वि०) लगभग (जैसे कोई सौ आदमी)
कोक-अं० (पु० ) पक्का या पत्थरी कोयला । कोयला + हिं०, भट्टी + हिं० (स्त्री०) = कोक ओवन कोक-सं० (पु०) 1 चकवा पक्षी, सुरखाब 2 कोयल 3 कामशास्त्र के प्रसिद्ध आचार्य कोकदेव । कला, ~ शास्त्र (पु० ) रति एवं संभोग कला, कामशास्त्र नद (पु० ) लाल कमल; बंधु (पु० ) सूर्य कोकई - (वि०) गुलाबी की सी झलक लिए हुए नीला कोकना - (स० क्रि०) कच्ची सिलाई करना कोकिल-सं० (स्त्री०) 1 कोयल 2 मीठी बोली । ~ कंठ (वि०) कोयल की तरह मधुर स्वरवाला [स्त्री० कोकिला
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कोकीन
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कोन
पाला
पेय
कोकीन, कोकेन-अं० (पु०) कोका की पत्तियों से तैयार __ करना; कोठों में चित्त जाना अनेक प्रकार क शंकाएं होना किया गया द्रव्य जो लगाने से अंग सुत्र हो जाता है। बाज कोठार-(पु०) = 1 कोठा 2 भंडार गृह + फ़ा० (पु०) कोकीन खानेवाला
कोठारी-(पु०) भंडारी कोको-अं० (पु०) 1 नारियल 2 एक अफ्रीकी ताड़ 3 ताड़ के कोठी-(स्त्री०) 1 पक्का एवं ऊँचा मकान, हवेली 2 थोक बिक्री फल का चूर्ण 4 ताड़ के फल से बनाया जानेवाला चाय जैसा की दुकान 3 कोठा 4 भंडार 5 गर्भाशय। ~वाल (पु०)
लेन-देन करनेवाला महाजन; ~वाली (स्त्री०) लेन-देन का कोख-(स्त्री०) 1 उदर, पेट 2 गर्भाशय। -जली (वि०) काम; ~गलाना, ~उतारना नीचे फँसाना; चलना
(गाली) जिसकी संतान जीवित न रहे; बंद (वि०) जिसे लेन-देन का कारोबार होना संतान न होती हो, वंध्या, बाँझ; ~उजड़ना बच्चा मर जाना; कोठेवाली-(स्त्री०) वेश्या ल्खुलना संतान होना, बाँझपन दूर होना; बंद होना, कोड-अं० (पु०) 1 संहिता 2 संकेतावली 3 संकेत ~मारी जाना गर्भ न रहना, संतान न होना
कोड़ना-(स० क्रि०) गोड़ना कोच-I अं० (पु०) गद्देदार कुर्सी II (पु०) चार पहियोंवाली | कोड़ा-(पु०) 1 चाबुक 2 सोंटा (जैसे-कोड़ा मारना) एक प्रकार की घोडागाड़ी। बकस (पु०); ~वान + | कोड़ाई-(स्त्री०) 1कोड़ने का काम 2 कोड़ने की मजदूरी फ़ा० (पु०) गाड़ीवान
कोड़ी-I (स्त्री०) बीस का समूह II (वि०) बीस कोचना-(स० क्रि०) 1 चुभोना, फँसाना 2 तंग करना कोढ़-(पु०) चि० त्वचा संबंधी संक्रामक रोग जिसमें शरीर के कोचा-(पु०) 1 कोचने से होनेवाला घाव 2 कड़वी बात किसी अंग पर चकत्ते पड़ने लगते हैं और वह अंग गलने कोजागर-सं० (पु०) शरद पूर्णिमा
लगता है। ~की खाज, ~में खाज 1 कोढ़ में खुजली कोट-(पु०) 1 पक्का भवन, दुर्ग 2 राजमहल 3 परकोटा, होना 2 संकट पर संकट आना; चूना, टपकना अंगों प्राचीर। ~पाल (पु०) दुर्गरक्षक
का गलकर गिरना कोट-अं० (पु०) अंग्रेज़ी ढंग का एक प्रसिद्ध पहनावा कोढ़िया-(पु०) तंबाकू के पत्तों का रोग (जैसे-बंद गले का कोट, बरसाती कोट)। पतलून कोढ़ी-I (पु०) 1 कोढ़ से पीड़ित व्यक्ति 2 निकम्मा आदमी कोट-पैंट, शाही पोशाक
II (वि०) कोढ़ से ग्रस्त कोटभरिया-बो० (स्त्री०) नाव के किनारों पर ऊपर जड़ी हई कोण-सं० (पु०) 1 अंतर्दिशा 2 दो दिशाओं के बीच की दिशा लकड़ी
3 कोना (जैसे-समकोण, न्यूनकोण)। स्पर्श वृत (पु०) कोटर-सं० (पु०) 1 पेड़ का खोखला भाग 2 किले के | ऐसा वृत जो किसी क्षेत्र के सब कोणों को स्पर्श करता है आस-पास लगाया गया जंगल
कोणाकोणि-सं० (क्रि० वि०) एक कोने से दूसरे कोने तक कोटला-(पु.) छोटा किला
कोणिक, कोणीय-सं० (वि०) 1कोण से युक्त, कोनेवाला कोटा-अं० (पु०) निर्धारित अंश (जैसे-अपने कोटे से कई 2 कोण संबंधी गुना ज्यादा काम करना)
कोतल-I फ़ा० (पु०) सजा-सजाया घोड़ा, जलूसी घोड़ा कोटि-सं० (स्त्री०) 1 (धनुष का) सिरा 2 नोक 3 दर्जा, वर्ग II (वि०) जिसे कोई काम न हो, खाली। गारद (स्त्री०) 4 करोड़ की संख्या (जैसे-कोटि में डालना)। ~क्रम (पु०) दंडित सिपाहियों को रखने का रक्षित स्थान; मौज + अ० 1 विकास क्रम की दृष्टि से बनाई गई कोटियाँ 2 तर्क में विचार (स्त्री०) (घोड़ों का) रिसाला; ~सेना + सं० (स्त्री०) = प्रकट करने का ढंग; ~च्युत (वि०) पद से गिराया हुआ; कोतल फ्रोज
परीक्षा (स्त्री०) (विभागों में) प्रोत्रति हेतु ली जानेवाली कोतवाल-(पु०) पुलिस अधिकारी परीक्षा; बंध (पु०) कोटियों में बाँधना; बद्ध (वि०) कोतवाली-(स्त्री०) 1 कोतवाल का कार्यालय 2 कोतवाल का
कोटि में रखा हुआ, दर्जेवार कोटिक-सं० (वि०) 1 करोड़ों 2 असंख्य
कोतह, कोताह-फा० (वि०) 1 छोटा 2 कम। हिम्मत , कोटिशः-सं० (क्रि० वि०) अनेक प्रकार से II (वि०) | ___ अ० (वि०) कम हिम्मतवाला, अल्प साहस का असंख्य, करोड़ों
कोताही-फा० (स्त्री०) 1कमी 2 त्रुटि, न्यूनता (जैसे-कोशिश कोटी-सं० (स्त्री०) = कोटि
में कोताही न करना) 3 उपेक्षा कोटीश्वर-सं० (पु०) करोड़पति
कोथ-(पु०) अंग का गल जाना, गैंगरीन कोटेशन-अं० (पु०) उक्ति
कोथला-(पु०) 1 बड़ा थैला 2 पेट कोट्याधीश-सं० (पु०) = कोटीश्वर
कोथली-(स्त्री०) रुपए रखने की थैली कोड़ना-(स० क्रि०) मिट्टी खोदकर पलट देना
कोदंड-सं० (पु.) 1 धनुष 2 धनु राशि 3 मोह कोठ-बो० (वि०) कुंठित
कोदों, कोदो-(पु०) साँवा की जाति का एक मोटा अन्न। कोठ-सं० (पु०) = कोढ़
दलना निकृष्ट एवं परिश्रम का काम करना; दलाना कोठरी-(स्त्री०) छोटा कमरा (जैसे-अंधेरी कोठरी) मेहनत का काम करवाना; देकर पढ़ना सेंत में पढ़ना, मूर्ख कोठा-(पु०) 1 बड़ा कमरा, अटारी 2 भंडार कोठार | रह जाना
3 वेश्याओं का घर। दार , फ्रा० (पु०) = कोठारी; कोठे | कोन, कोना-बो० (पु०) 1खेत का कोमा 2 कोण 3 कमरे पर चढ़ना वेश्या के पास जाना; कोठे पर बैठना वेश्यावृत्ति । आदि का कोना। झांकना भय या लज्जा से मुंह छिपाना
पद
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कोनिया
181
कोश
कोनिया-(स्त्री०) 1 छाजन का एक प्रकार 2 घर के कोने में कोरना-(स० क्रि०) 1 बो० किनारा बनाना 2 गढ़कर ठीक दीवार से लगाया गया बाँस आदि से बनाया गया छोटा तिकोना __ करना 3 खरोंचना मचान 3 विभिन्न दिशाओं में जानेवाले नल की धार को कोरनिश-फा० (स्त्री०) झुककर सलाम करना जोड़नेवाला चूड़ीदार नल का टुकड़ा
कोरम-अं० (पु०) नियमतः निर्धारित सदस्य संख्या की कोप-सं० (पु०) क्रोध, रोष। ~भवन (१०) क्रोधित उपस्थिति (न होने पर बैठक विधि-संगत अमान्य होती है) नायिका के बैठने का कमरा; ~भाजन (पु०) क्रोध को __ (जैसे-कोरम पूरा होना) बर्दाश्त करनेवाला
कोरमा-तु० (पु०) भुना हुआ माँस कोपन-सं० (पु०) क्रुद्ध होना
कोरस-अं० (पु०) वंदगान, समवेत गान कोपल-(पु०) वृक्ष की नई एवं कोमल पत्ती
कोरांटीन-अं० (पु०) 1 संगरोध 2 संगरोधकाल कोपिष्णु-सं० क्रोध करनेवाला
कोरा-I (वि०) 1 बिल्कुल ताज़ा और नया (जैसे-कोरा कोपित-सं० (वि०) क्रुद्ध
कपड़ा) 2 जिस पर कुछ लिखा न गया हो (जैसे-कोरा कोपी-सं० (वि०) क्रोध करनेवाला, क्रोधी
कागज़) 3 जो धुला न गया हो (जैसे-कोरी धोती) 4 गुणहीन कोफ़्त-फ़ा० (स्त्री०) 1 दुःख, रंज 2 परेशानी 3 पच्चीकारी। 5 मूर्ख। II (पु०) गोद । -जवाब (पु०) साफ़ इन्कार ~~गर (पु०) लोहे की वस्तुओं पर पच्चीकारी करनेवाला; बचना (अ० क्रि०) साफ़ बचकर निकलना; रह जाना ~गरी (स्त्री०) कोफ़्तगर का काम
(अ० क्रि०) कुछ न पाना, वंचित रह जाना; ~लौटना (अ० कोफ़्ता-फ़ा० (पु०) 1 कटा हुआ मांस 2 कटे हुए मांस का क्रि०) सिद्धि लाभ के बिना लौटना कबाब (जैसे-मछली का ~)
| कोरी-(पु०) = कोली कोबल्ट-अं० (पुल) एक नीला धातु तत्त्व
कोर्ट-अं० (पु०) 1 दरबार 2 अदालत। ~मार्शल (पु.) कोबी-बो० (स्त्री०) गोभी
___ फ़ौजी अदालत कोमल-सं० (वि०) 1 मुलायम, नरम 2 सुकुमार, नाजुक कोर्निस-फ़ा० (स्त्री०) = कोरनिश 3 अपरिपक्व 4 मधुर 5 मनोहर । -कांत (वि०) मृदुल तथा कोर्स-अं० (पु०) पाठ्यक्रम (जैसे-कोर्स की पुस्तक) कमनीय (जैसे-कोमल कांत शब्दावली); ~ता (स्त्री०) कोल-सं० (पु०) 1 एक प्रकार की जंगली जाति 2 सूअर 1 सुकुमारता 2 नरमी
___3 वाराह अवतार 4 गोद 5 आलिंगन कोमलांग-सं० (पु०) सुंदर अंगोंवाला पुरुष (स्त्री० | कोलटार, कोलतार-अं० (पु०) अलकतरा कोमलांगी)
कोलन-अं० (पु०) विसर्ग चिह्न (:) कोमलाभ-सं० (वि०) कोमल आभावाला
कोलना-(स० क्रि०) लकड़ी, पत्थर आदि को पोला बनाना कोयर-बो० (पु०) 1 पशुओं के खाने का हरा चारा कोला-सं० (स्त्री०) 1 छोटी पीपल 2 बेर का पेड़ 2 साग-पात, सब्जी
कोलाहल-सं० (पु०) शोर, हल्ला (जैसे-कोलाहल करना) कोयल-I (स्त्री०) = कोकिल II (स्त्री०) गुलाब की पत्तियों कोलाहलमय-सं० (वि०) शोरगुल से भरा हुआ जैसी एक लता
कोलियरी-अं० (स्त्री०) पत्थर के कोयले की खान कोयला-(पु०) 1 एक काला खनिज पदार्थ जो ईंधन के रूप में कोलिया-बो० (स्त्री०) 1 पतली गली 2 कम चौड़ाईवाला प्रयोग किया जाता है 2 जली हुई लकड़ी का ठोस अवशेष | लंबा खेत (जैसे-~उत्पादन, ~क्षेत्र )। ~झोंकू (पु०) भट्ठी में ! कोली-I (पु०) कोरी II (स्त्री०) 1 गोद 2 संकरी गली कोयला झोंकनेवाला; बेसिन + अं० (पु०) कोयले की (जैसे-कोली में) तह। कोयले की दलाली में मुँह काला बुरे काम से कोल्डक्रीम-अं० (पु०) जमी हुई क्रीम (रात को चेहरे पर बदनामी ही होती हैकोयलों पर महर होना 1 तुच्छ वस्तुओं | लगाने की) की कीमत करना 2 सामान्य खर्चे में कटौती करना कोल्हाड़-(पु०) ईख पेरने एवं गुड़ बगने का स्थान कोयली-I (वि०) कोयले के रंग का II (पु०) कोयले की कोल्ह-(पु०) ईख तिल आदि पेरने का यंत्र। -का बैल हर तरह गहरा काला रंग
वक़्त पिसनेवाला, कड़ी मेहनत करनेवाला; ~में डालकर कोया-(पु०) 1 आँख का डेला 2 आँख का कोना 3 पके हुए | पेरना अत्यधिक शारीरिक यातना देना कटहल का बीजकोश
कोविद-सं० (पु०) प्रकांड विद्वान् कोर-(स्त्री०) 1 नुकीला किनारा 2 कोना 3 धार 4 द्वेष, वैर | कोविदार-सं० (पु०) कचनार का पेड़ एवं फूल 5 दोष 6 खेत की जुताई 7 चैती फसल की पहली सिंचाई। कोश-सं० (पु०) 1 आवरण (जैसे-अंडकोश) 2 सामान ~कसर + अ० (स्त्री०) 1कमी, त्रुटि 2 सामान्य दोष; रखने का पात्र 3 गोलक (जैसे-नेत्रकोश) 4 खज़ाना
दबना दुर्बल ठहरना, प्रभाव मानना; ~मारना धार को (जैसे-सुरक्षित कोश) 5 शब्दकोश। ~ कला (स्त्री०) बराबर करना
शब्दकोशों की रचना के सिद्धांतों का विवेचन करनेवाली विद्या; कोर-अं० (पु०) 1सेना का विभाग 2 पलटन। -कमांडर कार (पु०) 1 शब्दकोश की रचना करनेवाला 2 म्यान (पु०) सेनापति
बनानेवाला 3 संदूक बनानेवाला; ~कीट (पु०) रेशम का कोरक-सं० (पु०) 1 कली 2 फूल की कटोरी 3 कमल की । कीड़ा; ~कीट पालन (पु०) रेशम के कीड़े पालने का नाल, मृणाल
उद्योग; ~पाल (पु०) 1 खजाने का रक्षक 2 कोशाध्यक्ष
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कोशल
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कौतुकाक्रांत
चना (स्त्री०), विज्ञान (पु०) = कोश कला; | कोहल-सं० (पु०) 1 नाट्य शास्त्र के आदि आचार्य 2 जौ की
विभाग (पु०) वह विभाग जहाँ कोश रचना का कार्य हो | शराब 3 एक प्रकार का पुराना बाजा 'कोशल-सं० (पु०) अयोध्या, राम जन्मभूमि
कोहान-फा० (पु०) ऊँट की पीठ पर का डिल्ला, कूबड़ कोशा-सं० (स्त्री०) = कोश
कोहिस्तान-फा० (पु०) पर्वतीय क्षेत्र, पहाड़ी इलाका कोशागार-सं० (पु०) 1 ख़ज़ाना रखने का घर या कक्ष कोहिस्तानी-फा० (वि.) पर्वतीय, पहाड़ी 2 वस्तुओं का भंडार
कोही-बो० (वि०) क्रोधी कोशाणु-सं० (पु०) दे० कोषाणु
कोही-फा० (वि०) पहाड़ का, पर्वतीय कोशाध्यक्ष-सं० (पु०) = कोशपाल
काँच-(स्त्री०) 1 सेम जैसी एक फली जिसकी सब्जी बनती है कोशिका-सं० (स्त्री०) 1 कटोरा, प्याला 2 शरीर के भीतर के | 2 केवाँच छोटे-छोटे जीवकोष 3 कोठरी। -विज्ञान (पु०) जीवकोषों | कौंध-(स्त्री०) बिजली की चमक, चमक के बारे में पूरा ज्ञान; विज्ञानी (पु०) जीवकोषों का विशेषज्ञ कौंधना-(अ० क्रि०) बिजली चमकना, चमकना कोशिश-फा० (स्त्री०) 1 प्रयत्न 2 श्रम
कॉल-(पु०) = कमल कोष-सं० (पु०) = कोश। ~कार (पु०) = कोशकार; कॉला-(पु०) कटोरा ~ग्रंथ (पु०) शब्दकोश
कौंसिल-अं० (स्त्री०) 1 अधिकारियों का समूह 2 परामर्श कोषाणु-सं० (पु०) अंडकोश
देनेवाली सभा कोषाधिकारी-सं० (पु०) खज़ाने का मालिक
कौसिलर-अं० (पु०) सभा के सदस्य कोषाध्यक्ष-सं० (पु०) = कोशपाल, खजानची
कौआ-(पु०) = 1 कौवा 2 धूर्त मनुष्य कोष्ठ-सं० (पु०) 1 घर का भीतरी भाग 2 भीतरी कमरा कौआना-(अ० क्रि०) बो० 1 काँव-काँव करना, हल्ला करना 3 कोठा 4 शरीर के अंदर का क्रिया शक्ति प्रधान भाग, ___ 2 बड़बड़ाना 3 चकित होना आमाशय, पक्वाशय 5 भंडार (जैसे-अनाज का कोष्ठ) कौच-अं० (पु०) सोफा 6 चहारदीवारी 7 ब्रैकेट (जैसे-वर्गाकार कोष्ठ)। बद्धक कौटिल्य-सं० (पु०) 1 कूटनीतिज्ञ, आचार्य चाणक्य (वि०) कब्ज़ करनेवाला; बद्धता (स्त्री०) चि० कब्जियत, __2 कुटिलता, टेढ़ापन 3 कपट 4 बेईमानी मलावरोध; ~शुद्धि (स्त्री०) चि० पेट की सफ़ाई, आँत का कौटुंबिक-सं० (वि०) 1 कुटुंब संबंधी, पारिवारिक 2 परिवार मल साफ़ होना
वाला, कुनबे वाला कोष्ठक-सं० (पु०) 1 ब्रैकेट 2 छोटा कोठा
कौड़ा-I (पु०) बड़ी कौड़ी II (पु०) 1 अलाव 2 बई नामक कोष्ठागार-सं० (पु०) 1 भंडार 2 कोषागार
पौधा जिससे सज्जीखार बनाते हैं। कौड़े करना बेचकर नक़द कोष्ठागारिक-सं० (पु०) भंडारी
दाम वसूलना कोष्ठी-सं० (स्त्री०) जन्मपत्री
कौड़िया-(वि०) कौड़ी की तरह कोष्ण-सं० (वि०) हल्का गरम, कुनकुना
कौडियाला-I (वि०) कौड़ी के रंग का, कोकई II (पु०) कोस (पु०) लगभग दो मील के बराबर एक नाप । कोसों 1 कोकई रंग 2 एक प्रकार का विषैला साँप 3 कृपण धनिक
आगे होना 1 अत्यधिक दूर रहना 2 अलग रहना 4 ऊसर में उत्पन्न होनेवाला एक पौधा कोसना-(स० क्रि०) अपशब्द कहकर बुरा-भला कहना। कौड़ियाही-(स्त्री०) मज़दूरी के लिए प्रति खेप दी जानेवाली
~काटना (स० क्रि०) शाप और अपशब्द कहना; पानी । कौड़ियाँ पीकर कोसना अत्यधिक कोसना
कौडिल्ला-(पु०) 1 किलकिला नामक पक्षी 2 कसी का पौधा कोसा-(पु०) एक प्रकार का रेशम। ~काटी (स्त्री०) शाप कौड़ी-(स्त्री०) । घोघे, शंख आदि के वर्ग का एक कीडा जो के रूप में दी गई गाली
अस्थिकोश में रहता है 2 द्रव्य, धन, रुपया-पैसा 3 कर, कोहंडौरी-(स्त्री०) रेते हुए सफ़ेद कुम्हड़े को पीठी में मिलाकर महसूल 4 गिलटी (जैसे-कौड़ी उभरना) | ~कफन को न बनाई हुई बरी
होना मुहताज होना, कंगाल हो जाना; ~का हो जाना कोह-फा० (पु०) पर्वत, पहाड़। ~कन (पु०) 1 पर्वत 1 मान-मर्यादा समाप्त हो जाना 2 अत्यंत निर्धन हो जाना; खोदनेवाला 2 फ़रहाद
~के तीन होना तुच्छ होना, हीन होना; के मोल बहुत कोह-बो० (पु०) गुस्सा, क्रोध
कम कीमत का; ~को न पूछना, ~को न लेना 1 मुफ्त में कोहनी-(स्त्री०) = कुहनी
भी न लेना 2 एकदम बेकार समझना; ~कौड़ी चुकाना पूरा कोहनूर-फा० + अ० (पु०) प्रसिद्ध पुराना हीरा जो ब्रिटिश ऋण वापस करना; ~कोड़ी जोड़ना बड़ी मेहनत से धन शाही ताज में लगा है।
एकत्र करना; -फेरा करना, लगाना बार-बार आते जाते कोहबर-(पु०) विवाह स्थल जहाँ कलदेवता की स्थापना होती
कौतुक-सं० (पु०) 1 कुतूहल, उत्सुकता 2 कुतूहल उत्पन्न कोहर-(पु०) कुआँ, कूप
करनेवाली वस्तु 3 अचंभा 4 तमाशा 5 आनंद 6 हास्य-विनोद, कोहरा-(पु०) = कुहरा, ओस
हँसी-मज़ाक 7 कंगन (जैसे-मंगल कौतुक)। -वश सं० कोहराम-अ० (पु०) = कुहराम, रोना-पीटना 2 बहुत | (वि०) कौतुक के कारण शोर-गुल
| कौतुकाक्रांत-सं० (वि०) आश्चर्य में पड़ा हुआ, आश्चर्यमय
रहना
है
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कौतुकी 183
क्रमांक कौतुकी-सं० (वि०) 1 कौतुक करनेवाला, विनोदशील 2 खेल (स्त्री०) व्यर्थ का शोर, हो-हल्ला। तमाशा दिखानेवाला
कोवाल-अ० (पु०) 1 कौवाली गानेवाला 2 गवैया कोतूहल-सं० (पु०) = कुतूहल। पूर्वक (क्रि० वि०) क़ौवाली-अ० (स्त्री०) इस्लामी धर्मगीतों का एक प्रकार
उत्सुकता से; वश (क्रि० वि०) उत्सुकता के कारण कोशल-I सं० (पु०) 1कुशलता, दक्षता 2 कुशल होने की कौथ-बो० (स्त्री०) 1 कौन-सी तारीख 2 कौन-सा संबंध अवस्था 3 समर्थता (जैसे-कौशल के जीर्ण-शीर्ण मानदंडों को कौथा-बो० (वि०) 1 किस-स्थान का 2 कौन सा
तोड़ना) II कौशल देश का कौन-(सर्व०) प्रश्नवाचक सर्वनाम (जैसे-कौन आया? कौन कौशली-सं० (स्त्री०) 1कुशल प्रश्न 2 भेंट, उपहार जाएगा?); सा (वि०) किस-प्रकार का (जैसे-कौन-सा कौशेय-सं० (वि०) रेशमी पौधा है जिसे पानी नहीं दिया)
कौस्तुभ-सं० (पु०) (विष्णु के गले की) मणि कौपीन-सं० (पु०) 1 शरीर का गुहय भाग 2 पुरुष लिंग क्या-I (सर्व०) प्रश्नवाचक सर्वनाम (जैसे-यह क्या करते 3लँगोटी
हो?) II (वि०) कितना (जैसे-इस पुस्तक का क्या दाम कोब्य-सं० (पु०) कुबड़ापन
है ?) III (क्रि० वि०) किसलिए। (जैसे-यहाँ क्या करने क्रोम-अ० (स्त्री०) 1 जाति 2 वंश, नसल (जैसे-वह क्षत्रिय आए थे?)। पड़ी है कुछ भी मतलब नहीं है; परवाह क़ौम-का है)।-परस्त + फ़ा I (पु०) 1 क़ौम का सेवक है निश्चिंत हो जाना; ~साँप सँघ गया ज़रा भी ध्यान न देना; II (वि०) राष्ट्रवादी; परस्ती + फ़ा० (स्त्री०) राष्ट सेवक ~से क्या हो जाना 1 बहुत बड़ी बात हो जाना 2 अनहोनी का काम
होना कोमार-सं० (पु०) कुमार, बालक; ~भृत्य (पु०) 1 बच्चों क्यारी-(स्त्री०) मेड़ों से बनाए गए छोटे-छोटे वर्गाकार या का पालन-पोषण, दवा इलाज 2 आयुर्वेद का शिशु चिकित्सा आयताकार भाग
अंग; व्रत (पु०) अविवाहित रहने की प्रतिज्ञा क्यू-अं० (पु०) पंक्ति, क़तार (जैसे-क्यू में खड़ा होना) कौमारिकेय-सं० (०) कुमारी का बेटा
क्यूरेटर-अं० (पु०) संग्रहपाल, संग्रहाध्यक्ष कौमारी-सं० (स्त्री०) पहली विवाहिता स्त्री
क्यों-(क्रि० वि०) 1 किस अभिप्राय से, किस उद्देश्य से कौमार्य-सं० (पु०) कुँआरापन
(जैसे-आप यहाँ क्यों आए हैं) 2 किस अधिकार से कौमियत-अं० (स्त्री०) 1 जातीयता 2 राष्ट्रीयता
(जैसे-तुमने यह फूल क्यों तोड़ा) 3 किस तरह, किस प्रकार, कौमी-अं० (वि०) 1 जातीय 2 राष्ट्रीय
कैसे (जैसे-यह कार्य क्यों नहीं होगा)। ~कर (क्रि. कौमुदी-सं० (स्त्री०) 1 कुमुदिनी 2 चाँदनी
वि०)) कैसे कि अ० कारण यह कि, इसलिए कि कौर-(पु०) 1 कार्तिक मास की पूर्णिमा 2 ग्रास, निवाला । मैंह | क्रंदन-सं० (पु०) 1 विलाप करना, रोना 2 आहवान,
का छीनना मिलनेवाला हिस्सा छीन लेना, अंश झपट लेना ललकारना कौरना-(स० क्रि०) बो० सेंकना, भूनना
क्रकच-सं० (पु०) 1 करील का पेड़ 2 अत्यधिक घना वृक्ष कौरव-I सं० (पु०) 1 कुरु वंशज 2 कुरु नरेश II (वि०) 3 आरा
कुरु वंश से संबंध रखनेवाला। पति (पु०) दुर्योधन क्रतु-सं० (पु०) 1 मनोरथ, अभिलाषा 2 योग्यता 3 विवेक कौरा-(पु०) चौखट के पीछे दीवार । कौरे लगना 1 आहट 4 प्रेरणा 5 यज्ञ। ~द्रोही (पु०) राक्षस; ~मय (पु०) लेने के लिए छिपकर खड़ा होना 2 घात में छिपकर रहना यज्ञमय 3रूठकर अलग होना
क्रम-सं० (पु०) 1 डग, पग 2 डग उठाना 3 आरंभ 4 तरतीब, कौरी-(स्त्री०) अंक, गोद (जैसे-कौरी भरना)
सिलसिला, क्रम 5 नियमित व्यवस्था (जैसे-क्रम से रखना)। कोलंज-(पु०) वायुशूल
चय (पु०), नंबर + अं० (पु०) क्रमसंख्या; कौल-अ० (पु०) 1 वचन उक्ति (जैसे-क़ौल तोड़ना) ~परिवर्तन (पु०) क्रम में उलट-फेर; पूर्ण (वि०) = 2 प्रतिज्ञा (जैसे-क़ौल हारना)। ~क़रार (पु०) प्रतिज्ञा क्रमिक; बद्ध (वि०) क्रम युक्त, सिलसिलेवार करना; नामा + फा० (पु०) वचनपत्र, लिखित प्रतिज्ञा; (जैसे-क्रमबद्ध अध्ययन करना); ~भंग (पु०) क्रम का
~का पक्का बात का धनी; ~से फिरना वचन भंग करना टूटना; ~रहित (वि०) जो क्रम में न हो; विकास (पु.) कौल-सं० (पु०) 1 कुलीन व्यक्ति 2 वाममार्गी, शाक्त। 1 सिलसिलेवार प्रगति 2 प्रारंभ की उन्नति; ~वीक्षण (पु०) ~आचार (पु०) वाममार्गियों के गुह्य कर्म
क्रमबद्ध परीक्षण; ~संख्या (स्त्री०) वस्तु, व्यक्ति आदि की कौल-(पु०) = कौर
क्रमगत संख्या; ~सूचक (वि०) 1 क्रम की सूचना देनेवाला कौलई-(वि०) संतरे के रंग का, नारंगी
2 क्रम के विचार से स्थान का सूचक कोलटेय-सं० (पु०) 1 भिखारिणी की संतान 2 कुलटा स्त्री की क्रमक-I सं० (पु०) नियमित अभ्यास करनेवाला विद्यार्थी संतान 3 जारज संतान
II (वि०) आगे बढ़नेवाला कौला-(पु०) = कौरा
क्रमण-सं० (पु०) 1 एक से दूसरे स्थान को 2 क़दम उठाना कौलालिक-सं० (वि०) कुम्हार-संबंधी
3 उल्लंघन करना कौली-(स्त्री०) = कौरी
क्रमतः, क्रमशः-सं० (क्रि० वि०) 1 यथाक्रम, क्रमानुसार, कोलीन्य-सं० (पु०) कुलीनता
सिलसिले से 2 धीर-धीर कोवा-(पु०) कौआ (जैसे-काला कौवा) । ~गुहार, ~रोर | क्रमांक-सं० (पु०) क्रम संख्या
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क्रमांकन
क्रमांकन -सं० (पु० ) क्रम संख्या लगाना क्रमागत - सं० (वि०) 1 क्रम से आया हुआ (जैसे-क्रमागत स्थल) 2 परंपरागत (जैसे - क्रमागत उन्नति) क्रमानुकूल सं० ( क्रि० वि०) सिलसिलेवार
सिलसिले मुताबिक,
क्रमानुगत - सं० (वि०) क्रम से आया हुआ क्रमानुसार, क्रमान्वय-सं० = क्रमशः क्रमिक-सं० (वि० ) 1 क्रमागत 2 परंपरागत क्रमोन्नत सं० (वि०) क्रम से की गई प्रगति क्रय - सं० ( पु० ) खरीदना। ~कर्ता (पु०) खरीदनेवाला, क्रेता; दर + हिं० क्रय मूल्य; पंजी (स्त्री०) खरीद बही; ~ लेख्य (पु० ) खरीद का बंध पत्र या विवरण, बैनामा; ~ विक्रय खरीदना बेचना; विक्रयिक (पु०) 1 व्यापारी 2 खरीद फ़रोख़त करनेवाला; शक्ति (स्त्री०) खरीदने की सामर्थ्य
क्रयण-सं० (पु० ) ख़रीदना
क्रयारोह-सं० (पु०) हाट, बाज़ार
क्रयिक-सं० (वि०) खरीदनेवाला
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क्रयी -सं० (पु० ) 1 ख़रीददार, ग्राहक 2 क्रय व्यापारी क्रय्य-सं० (वि०) खरीदने योग्य
क्रव्य-सं० ( पु० ) 1 सड़ा मांस 2 कच्चा मांस करव्याद - [सं० (वि०) 1 सड़ा मांस खानेवाला 2 कच्चा माँस खानेवाला II (पु०) 1 राक्षस 2 मांसभक्षी जीव-जंतु 3 चिता की आग
क्रांत - सं० (वि०) 1 गया हुआ 2 बीता हुआ 3 लाँघा हुआ 4 दबाया हुआ, दबोचा हुआ 5 आक्रांत
क्रांति - सं० (स्त्री०) 1 लाँघना, क्रमण 2 पूर्ण परिवर्तन, उलट दिया जाना (जैसे- पूँजीवादी या जनवादी क्रांति, समाजवादी क्रांति ) । ~ आंदोलन (पु०) राज्य एवं समाज में होनेवाला परिवर्तन एवं उलटफेर; ~कारिणी (स्त्री० ) = क्रांतिकारी; ~ता (स्त्री०) क्रांतिकारी होने का भाव; कारी (वि०) क्रांति करनेवाला (जैसे- क्रांतिकारी सिद्धांत); ~दर्शी (वि०) भविष्य की क्रांति को देखनेवाला; ~ दल (पु०) क्रांतिकारियों का संगठन; पूर्व (वि०) क्रांति से पहले का; मंडल (पु०) वह मार्ग जिसपर सूर्य चलता है, क्रांतिवृत्त; (वि०) क्रांति से भरा हुआ, क्रांति से ओत-प्रोत; (वि०) = क्रांतिकारी ; ~वाद (पु०) क्रांति संबंधी सिद्धांत एवं नियम वादी (वि०) क्रांतिकारी ~ विमुख, ~ विरोधी (वि०) क्रांति का विरोध करनेवाला; वृत्त (पु० ) = 1 क्रांतिमंडल 2 क्रांति 3 क्रांतिकारियों का पथ; ~शील (वि०) क्रांतिकारी
मय
मूलक
क्रांतिक-सं० (वि०) क्रांति संबंधी
क्राकरी - अं० (स्त्री०) चीनी मिट्टी के बर्तन क्रानिक अं० (वि०) जीर्ण, पुराना (जैसे- ~बीमारी) क्राप- रोटेशन-अं० (पु० ) फ़सलों का हेर-फेर क्रास - अं० (पु० ) 1 सूली, सलीब 2 ईसाइयों का धर्म चिह्न जो सूली की तरह होता है वर्ड (पु० ) वर्गपहेली क्रासिंग -अं० (स्त्री०) चौफटका क्रिकेट-अं० (पु० ) बल्ला और गेंद का खेल (जैसे-क्रिकेट
मैच)
क्रिकेटर - अं० (पु०) क्रिकेट खेलनेवाला क्रियमाण-सं० (वि०) जो किया जा रहा है
क्रुद्ध
क्रिया - सं० (स्त्री०) 1 कुछ करना (जैसे स्नान क्रिया, पाठन क्रिया) 2 धार्मिक कर्म (जैसे- अंत्येष्टि क्रिया) 3 संस्कार (जैसे- मुंडन क्रिया) 4 कार्यविधि 5 अभ्यास (जैसे-योग क्रिया, दैनिक क्रिया) 6 व्याकरण में प्रयुक्त होनेवाली क्रिया (जैसे- सकर्मक क्रिया, भूतकालिक क्रिया) 7 उपचार । ~कर्म (पु०) मृतक क्रिया, अंत्येष्टि; ~कलाप (पु० ) शास्त्र विहित कर्म; ~कांड (पु० ) वेदों में वे विभाग जिनमें कर्मकांड के नियम एवं विधियाँ हैं; चतुर श्रृंगार रस का वह नायक जो कुशलतापूर्वक अपना अभीष्ट प्राप्त कर ले; द्योतक (वि०) = क्रियावाचक; ~निष्ठ (वि०) कर्मनिष्ठ पद (पु०) व्या० क्रियावाचक शब्द; ~फल (पु०) कर्मफल, क्रिया का परिणाम; योग (पु० ) 1 कार्य के साथ होनेवाला संबंध 2 धार्मिक कार्य; लोप (पु० ) शास्त्र विहित नैतिक कर्मों का अभाव -वाचक, वाची (वि०) व्या० क्रिया का अर्थ देनेवाला; ~वाद (पु० ) 1 धार्मिक, व्याकरणिक आदि क्रियाओं के नियम 2 अभियोग; ~वादी (वि०) 1 क्रियावाद को माननेवाला 3 अभियोक्ता; ~वान् (वि० ) = कर्मनिष्ठ; ~विधि (स्त्री०) क्रिया के करने का ढंग ; ~ विशेषण (पु०) व्या० क्रिया की विशेषता बतानेवाला शब्द; ~शील (वि०) कर्मनिष्ठ; ~शीलता (स्त्री०) क्रिया भाव; ~संक्राति (स्त्री०) शिक्षण, विद्यादान क्रियात्मक-सं० (वि०) क्रिया रूप में किया गया, अमल में लाया गया, व्यावहारिक (जैसे-क्रियात्मक अनुभव, क्रियात्मक व्यवहार)
क्रियान्वयन -सं० (पु० ) कार्य में लाना क्रियान्वित क्रियान्विति -सं० (वि०) कार्य में लाया हुआ क्रियार्थक-सं० (वि०) क्रियावाचक । ~संज्ञा (स्त्री० ) संज्ञा जो क्रिया का भी अर्थ देती है। क्रिश्चियन - अं० (वि०) ईसा धर्म को माननेवाला, ईसाई क्रिसमस - अं० (पु०) बड़े दिन, ईसा का जन्मदिवस (25 दिसम्बर)
=
क्रिस्टल - अं० (पु० ) 1 रवादार टुकड़ा 2 स्फटिक 3 रखे क्रिस्तान अं० (पु० ) ईसाई
क्रिस्तानी अं० + हिं० (वि०) ईसाइयों का क्रीज़-अं० (स्त्री०) चुन्नट, सिलवट क्रीड़क - सं० (पु०) क्रीड़ा करनेवाला, खिलाड़ी क्रीड़न - सं० (पु० ) खेलना
क्रीड़नक-सं० (पु० ) 1 खिलौना 2 खेल-तमाशा क्रीड़ा-सं० (स्त्री०) 1 खेल 2 केलि । कोप (पु०) बनावटी गुस्सा ; कौतुक (पु० ) 1 खेल-कूद
2 आमोद-प्रमोद; ~ क्षेत्र (पु० ) खेल का मैदान; पर्वत (पु०) कृत्रिम पहाड़; ~स्थल, ~ स्थान (पु० ) क्षेत्र
=
क्रीड़ा
क्रीड़ित -सं० (वि०) खेला हुआ क्रीत - सं० (वि०) ख़रीदा हुआ, क्रय क्रीम-अं० (पु० ) 1 मक्खन 2 लेप ( प्रसाधन का ) क्रीस्टधर्म-अं० + सं० ( पु० ) ईसाई धर्म ( क्राइस्ट) क्रुद्ध-सं० (वि०) जो गुस्से से भरा हो, क्रोधित
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कुष्ट
क्रुष्ट - I सं० (वि०) 1 बुलाया हुआ, आहूत 2 फटकारा हुआ, डाँटा हुआ II ( पु० ) 1 रोदन 2 शोर
क्रूज़र -अं० ( पु० ) हल्का और द्रुतगामी युद्ध का जहाज़ क्रूड - अं० (वि०) I कच्चा (जैसे- कच्चा तेल ) II भोंडा क्रोम क्रूम-अं० (पु० ) क्रूर - सं० (वि०) 1 निर्दय, संगदिल 2 निर्मम एवं हिंसक कार्य करनेवाला 3 नीच, बुरा 4 कठिन, कड़ा। कर्म 1 घोर भयावना कर्म 2 दूसरों को दुःख पहुँचानेवाला काम; कर्मा (वि०) क्रूर कर्म करनेवाला; ~ता (स्त्री०) 1 क्रूर होने की अवस्था 2 कठोर तथा बुरे काम करने की क्षमता 3 दुष्टता क्रूराकृति-सं० (वि०) डरावनी सूरतवाला क्रूरात्मा - सं० (वि०) 1 कठोर स्वभाववाला 2 दुष्ट प्रकृति का क्रूस-अं० ( पु० )
= क्रास
क्रूसेड -अं० (पु०) जिहाद, धर्मयुद्ध
क्रेटर-अं० (पु० ) 1 गड्ढा 2 ज्वालामुखी विवर
185
क्रेडिट-अं० ( पु० ) 1 साख 2 उधार 3 जमा खाता क्रेता-सं० ( पु० ) खरीदनेवाला, ख़रीददार क्रेन-अं० (पु० ) 1 उत्तोलक, ऊँटड़ी क्रेप - अं० ( पु० ) एक प्रकार का कपड़ा क्रेय सं० (वि०) खरीदने योग्य क्रोड़-सं० (पु० ) 1 गोद, अंक 2 वक्षःस्थल 3 पेड़ के तने का खोखला भाग 4 वस्तु के बीच का भाग। पत्र (पु० ) सामयिक पत्र के साथ छपा अतिरिक्त पत्र कोड़ीकरण - सं० ( पु० ) गोद में लेना क्रोध - सं० ( पु० ) गुस्सा (जैसे- क्रोध में आना) । मूर्छित (वि०) क्रोध में आपे से बाहर; वर्जित (वि०) क्रोधरहित
क्रोधांध-सं० (वि०) अति कुपित क्रोधाकुल-सं० (वि०) क्रोधित क्रोधाग्नि-सं० (स्त्री०) क्रोध की आग क्रोधातुर-सं० (वि०) क्रोधित
क्रोधावेश - सं० (पु० ) क्रोध का जोर क्रोधित-सं० (वि०) क्रोध से भरा, क्रुद्ध क्रोधी-सं० (वि०) गुस्सा करनेवाला, गुस्सावर क्रोम, क्रोमियम-अं० (पु० ) रासायनिक धातु-तत्त्व क्रोमोसोम-अं० (पु०) गुणसूत्र क्रोश-सं० ( पु० ) 1 रोना 2 चिल्लाना 3 कोस । विक्रय ( पु० ) चिल्लाकर बेचना; ~विक्रेता (पु० ) चिल्ला-चिल्लाकर बेचनेवाला क्रोशन सं० (पु० ) 1 चिल्लाने का भाव 2 चिल्लाहट क्रोशिया - फ़ा० ( पु० ) हाथ की सहायता से मोजे, गंजी आदि बुनने की लोहे की सलाई, हाथ में लेकर बुनाई करनेवाली तीली
=
क्रौंच सं० (पु० ) 1 कराँकुल 2 कुररी (पक्षी) क्लच - अं० (पु० ) शिकंजा, मोटरगाड़ी का क्लच क्लब - अं० ( पु० ) मनोरंजन समिति
क्लर्क - अं० (पु० ) हिसाब-किताब एवं पत्राचार करनेवाला कर्मचारी, लिपिक, बाबू
क्लर्की-अं० + हिं० (स्त्री०) 1 लिपिक का कार्य 2 क्लर्क का
=
क्वारछल
3 हतोत्साह 4 मुरझाया हुआ (जैसे- प्यास से क्लांत होना) क्लांति-सं० (स्त्री०) शिथिलता, थकावट क्लाइमेक्स-अं० (पु० ) चरमावस्था, चरमसीमा क्लाक-अं० (पु० ) बड़ी दीवार घड़ी क्लाथ-अं० (पु०) कपड़ा। बाइंडिंग (स्त्री०) कपड़े से ज़िल्द चढ़ाना
क्लास - अं० (पु० ) 1 दरजा 2 श्रेणी 3 वर्ग, कक्षा रूम (पु० ) कक्षा
क्लासिकल अं० 1 साहित्य-कला से संबद्ध 2 पुरातन क्लिनिक अं० (पु० ) 1 निदानशाला 2 चिकित्सालय क्लिन्न-सं० (वि०) नम, आर्द्र, गीला (जैसे- ~ हृदय) क्लिप - अं० (स्त्री०) बालों, काग़ज़ों आदि को दबाए रखनेवाला एक उपकरण, पंजा (जैसे- क्लिप में काग़ज़ लगाना, बालों में क्लिप लगाना)
क्लियरेंस-अं० (स्त्री०) निकासी। ~सेल (स्त्री०) निकासी बिक्री
क्लिशित-सं० (वि०) क्लेशयुक्त, पीड़ित क्लिष्ट - सं० (वि०) 1 कष्ट में पड़ा हुआ 2 कठिन, दुरुह, दुर्बोध 3 क्षतिग्रस्त । ~ कल्पना (स्त्री०) असाध्य कल्पना क्लीयरिंग-अं० (स्त्री०) (चेक का) समाशोधन क्लीव-सं० (वि०) 1 नपुंसक, नामर्द 2 कायर, डरपोक । ~ता (स्त्री०) नपुंसकता 2 कायरता
क्लेद - सं० (पु० ) 1 गीलापन, नमी 2 पसीना क्लेदक-सं० (वि०) 1 गीला करनेवाला 2 पसीना लानेवाला क्लेदन -सं० (पु० ) 1 गीला करना 2 पसीना लाना क्लेम-अं० (पु०) दावा
क्लेश-सं० (पु० ) 1 दुःख, पीड़ा 2 चिंता, संताप (जैसे-क्लेश करना) । ~कर (वि०) क्लेश उत्पन्न करनेवाला, क्लेशी क्लेशित -सं० (वि०) 1 अत्यंत दुःखी 2 द्रवित क्लेशी-सं० (वि०) 1 दुःख देनेवाला 2 क्षतिकारक क्लेष्टा - सं० (पु० ) कष्ट पहुँचानेवाला
क्लैव्य-सं० (पु० ) 1 नपुंसकता 2 भीरुता. कायरपन कलोक रूम - अं० ( पु० ) सामान घर
क्लोम - सं (पु० ) 1 दाहिना फेफड़ा 2 (मछली का) गलफड़ा क्लोरीन - अं० (पु०) एक खट्टी गैस
क्लोरोफार्म - अं० (पु० ) मनुष्य को बेहोश करने हेतु दी जानेवाली एक तरल औषधि
क्वचित्-सं० ( क्रि० वि०) शायद ही कहीं-कहीं, कोई क्वण-सं० (पु० ) 1 वीणा की झंकार 2 ध्वनि क्वथ-सं० (पु० ) काढ़ा, क्वाथ
क्वथन - सं० (पु० ) 1 काढ़ने का काम 2 औटाने का काम क्वथनांक-सं० (पु० ) उबलने तक का बिंदु या मात्रा (जैसे- क्वथनांक पर तापक्रम आ जाना)
पद
क्लांत-सं० (वि०) 1 थका हुआ, शिथिल 2 क्षीणकाय
क्वाँर - बो० (पु० ) कुआर (आश्विन) का महीना क्वाँरा - (वि०) = क्वारा, अविवाहित क्वाँरी - (स्त्री०) अविवाहिता कन्या
क्वाथ - सं० (पु० ) 1 काढ़ा, जोशाँदा 2 दुःख 3 व्यसन, लत क्वारंटाइन - अं० (पु० ) संगरोध, छूतरोग से पीड़ित व्यक्तियों को अलग रखने का प्रबंध
क्वारछल, क्वारपन - (पु० ) अविवाहित अवस्था, क्वारापन ।
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क्वारा 186
क्षीण उतरना कौमार्य भंग करना
देना; ~प्रदान (पु०) = क्षमादान; प्रार्थना (स्त्री०) क्षमा क्वारा-(वि०) अविवाहित, कुआँरा
माँगना; ~प्रार्थी (वि०) क्षमायाचना करनेवाला; ~याचना क्वार्टज-अं० (पु०) बिल्लौर
(स्त्री०) = क्षमा प्रार्थना; ~वान, ~शील (वि०) क्षमा क्वार्टर-अं० (पु.) 1 चौथाई, चौथा भाग 2 वर्ष का चौथा करनेवाला, सहनशील हिस्सा, तिमाही 3 वर्ग विशेषवालों की कॉलोनी 4 संस्था द्वारा क्षमालु-सं० (वि०) क्षमा करनेवाला बनवाया गया विभागीय कर्मचारियों का निवास स्थान। क्षमित-सं० (वि०) जो क्षमा किया गया हो मास्टर (पु०) रसद प्रबंधक
क्षमी-सं० (वि०) = क्षमाशील क्वालिटी-अं० (स्त्री०) गुण, विशेषता
क्षम्य-सं० (वि०) क्षमा किए जाने योग्य क्विंटल-अं० (पु०) 100 किलोग्राम का एक माप क्षयंकर-सं० (वि०) नाश करनेवाला, क्षयकारी शंतव्य-सं० (वि०) क्षमा के योग्य, क्षम्य
क्षय-सं० (पु०) 1 नाश 2 क्षय रोग, यक्ष्मा रोग। -कारी क्षता-सं० (वि०) क्षमा करनेवाला, क्षमाशील
(वि०) नाश करनेवाला; ~काल (पु०) प्रलयकाल; क्षकिरण-सं० (स्त्री०) एक्स-रे
~कास (पु०) यक्ष्मा रोग में होनेवाली खाँसी; ~ग्रंथि क्षण-सं० (पु०) 1 काल का अत्यल्प परिणाम 2 पल, निमेष (स्त्री०) क्षयरोग की गिल्टी; ~प्रस्त (वि०) जिसका नाश हो (जैसे-क्षण मात्र) 3 अवसर, मौक़ा (जैसे-गंभीर क्षण में)। गया हो; पक्ष (पु०) कृष्ण पक्ष; ~रोग (पु०) तपेदिक, जीवी (वि०) क्षणभर जीवित रहनेवाला; ~भंगुर
टीबी, यक्ष्मा रोग; ~रोगी I (पु.) यक्ष्मा का रोगी II (वि.) कुछ ही पलों में नष्ट हो जानेवाला, क्षणिक, अस्थिर, (वि०) क्षय रोग से पीड़ित; ~वान् (वि०) नाशवान् अस्थाई; ~मूल्य (वि०) नकद दिया जानेवाला
क्षयन-सं० (पु०) क्षय, नाश क्षणदा-सं० (स्त्री०) 1 रात, रात्रि 2 हलदी
क्षयिक-सं० (वि०) = क्षयवान् । क्षणन-I सं० (पु०) 1 मार डालना 2 घायल करना क्षयित-सं० (वि०) क्षयग्रस्त, क्षय से ग्रसित क्षणिक-सं० (वि०) क्षण भर स्थिर रहनेवाला, क्षणभंगुर, क्षरण-सं० (पु०) 1क्षीण होना 2 रिसना 3 झड़ना अस्थायी। -जीवी (वि०) = क्षण जीवी
क्षांत-सं० (वि०) क्षमाशील क्षत-I सं० (वि०) 1 क्षतिग्रस्त 2 घायल 3 खडित II (पु०) क्षांति-सं० (स्त्री०) क्षमा, मुआफी ज़ख्म, घाव। ~योनि (वि०) जिसका कौमार्य खंडित हो क्षात्र-सं० (वि०) क्षत्रियों से संबंधित, क्षत्रियोचित चुका हो; ~रोहण (पु०) घाव भरना; -विक्षत (वि०) क्षार-सं० (पु०) 1 खार 2 एलकली (शोरा, नमक) 3 राख । अत्यधिक घायल एवं लहुलूहान; ~व्रण (पु०) घाव, ज़ख्य
त्रय (पु०) सज्जी, शोरा और सुहागा; ~भूमि (स्त्री०) क्षति-सं० (स्त्री०) 1 हानि, नुक़सान (जैसे-क्षति उठाना, क्षति शोरेवाली ज़मीन, ऊंसर पूरी होना) 2 चोट (जैसे-क्षति पहुँचाना)। ग्रस्त (वि०) क्षारक-सं० (वि०) क्षार करनेवाला, जलानेवाला, दाहक 1 हानि पहुँचाई गई 2 चोट पहँचाई गई; ~पूरक (वि०)
(जैसे-क्षारक सोडा) हानि पूरा करनेवाला; पूर्ति (स्त्री०) 1 घाटा पूरा होना क्षारण-सं० (पु०) 1 तेज़ाब को प्रभावहीन करना 2 टपकाना 2 मुआवज़ा, क्षतिपूरक धन
क्षाराक्ष-सं० (पु०) काँच की बनी आँख क्षत्र-सं० (पु.) 1 बल 2 सत्ता। पति (पु०) राज्य का क्षारीय-सं० (वि०) क्षारयुक्त, क्षार जैसा स्वामी; -विद्या (स्त्री०) युद्ध विद्या
क्षारोद-सं० (पु०) लवण समुद्र क्षत्राणी-सं० (स्त्री०) 1 क्षत्रिय जाति की स्त्री 2 बहादर स्त्री, क्षालन-सं० (पु०) साफ़ करना, धोना वीरांगना
क्षालित-सं० (वि०) साफ़ किया हुआ, धुला हुआ क्षत्रिय-सं० (पु०) 1 हिंदुओं का दूसरा वर्ण 2 योद्धा जाति क्षिता-सं० (स्त्री०) पृथ्वी, धरा क्षत्रियत्व-सं० (पु०) क्षत्रीपन
क्षिति-सं० (स्त्री०) 1 पृथ्वी 2 निवास स्थान । ज (पु०) क्षत्री-सं० (पु०) = क्षत्रिय
1 वह स्थान जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते दिखाई देते हैं क्षप-सं० (पु०) जल
2 दृष्टिसीमा; ~तन्या (स्त्री०) सीता क्षपणक-सं० (पु०) दिगंबर साधु
क्षिपण-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 आक्षेप करना 3 अभियोग क्षपांत-सं० (पु०) भोर, रात्रि-अंत
लगाना क्षपा-सं० (स्त्री०) 1 रात 2 हल्दी। कर [ (वि०) रात क्षिप्त-सं० (वि०) 1 फेंका हआ 2 उपेक्षित 3 त्यागा हुआ करनेवाला II (पु०) चंद्रमा
4 चंचल क्षपित-सं० (वि०) 1 नष्ट किया हुआ 2 कुचला हुआ 3 दबाया
क्षिप्र-[ सं० (अ०) 1 शीघ्र, जल्दी 2 तुरंत II (वि०) हुआ
अस्थिर, चंचल। -चेता (वि०) जागरूक, सचेत; क्षम-सं० (वि०) 1 सहनशील, सहिष्णु 2 चुप रहनेवाला ~लेखन (पु०) शीघलिप; ~हस्त (वि०) 1 जल्दी हाथ 3 समर्थ 4 क्षमा करनेवाला। ता (स्त्री०) 1 शक्ति , चलानेवाला 2 कुशल सामर्थ्य 2 विशेषता, योग्यता (जैसे-सैनिक क्षमता) क्षीण-सं० (वि०) 1 जिसका क्षय हआ हो 2 कमज़ोर, निर्बल। क्षमणीय-सं० (वि०) 1क्षमा किए जाने योग्य, क्षम्य ~काय (वि०) अधिक दुर्बल; चंद्र कृष्णपक्ष की अष्टमी क्षमा-सं० (स्त्री०) 1 अपराध को बिना प्रतिकार भावना के सह से शुक्ल पक्ष की अष्टमी तक का चंद्रमा; ता (स्त्री०) लेने की प्रवृत्ति, सहनशीलता 2 माफ़ी। ~दान (पु०) क्षमा
क्षीण होने की अवस्था
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क्षीणक
187
खंजर
हुआ हो
ख
सीणक-सं० (वि०) कमज़ोर करनेवाला (~रोग) क्षेमी-सं० (वि०) 1 मंगलकारी 2 शुभचिंतक, शुभाकांक्षी शीर-सं० (पु०) 1 दूध 2 खीर। व्रत केवल दूध पीकर | देण्य-सं० (पु०) = क्षीणता, दुबलापन रहनेवाला व्रत; सार (पु०) मक्खन
क्षैतिज-सं० (वि०) 1क्षितिज का 2 बेड़ा क्षुण्ण-सं० (वि०) 1 खंडित 2 पिसा हआ 3 पराजित क्षैतिजत:-सं० (क्रि० वि०) बेड़ा-बेड़ा भद्र-सं० (वि०) 1 नीच, अधम 2 ओछा 3 कम 4 नन्हा, छोटा क्षोणी-सं० (स्त्री०) पृथ्वी (जैसे-क्षुद्र जीव)। ~ग्रह (पु०) छोटे ग्रह जो मंगल एवं क्षोद-सं० (पु०) 1 चूर्ण, बुकनी 2 जल, पानी बृहस्पति ग्रह के मध्य है; ~घंटिका (स्त्री०) 1 धुंधरुदार क्षोदित-सं० (वि०) 1पीसा हुआ 2 चूर्ण किया हुआ करधनी 2 धुंघरु; ~प्रकृति (वि०) नीच स्वभाववाला, ओछा क्षोभ-सं० (पु०) 1 खलबली 2 व्याकुलता 3 रोष (जैसे-क्षोभ क्षुद्रांत्र-सं० (पु०) छोटी आंत, शेषान्तर
आना)। युक्त (वि०) 1 रोषपूर्ण 2 क्षुब्ध भद्रा-सं० (स्त्री०) 1 निम्न विचारोंवाली स्त्री 2 कुलटा 3 वेश्या क्षोभण-सं० (पु०) क्षोभ उत्पन्न करना भद्रात्मा-सं० (वि०) निम्न विचारोंवाला व्यक्ति
क्षोभित, क्षोभी-सं० (वि०) 1 क्षुब्ध होनेवाला 2 जो क्षुब्ध क्षुधा-सं० (स्त्री०) 1 भूख 2 अतृप्ति। -निवृत्ति (स्त्री०) भूख मिटाना; ~वर्धक (वि०) भूख बढ़ानेवाली; ~वान क्षौम-सं० (पु०) रेशमी कपड़ा (वि०) = क्षुधातुर
क्षौर-सं० (पु०) 1 छुरे से बाल मुंड़ने का काम 2 सिर के बाल क्षुधाग्नि-सं० (स्त्री०) अत्यधिक भूख लगना
काटने का काम। -कर्म (पु०) हज़ामत बनाना; ~गृह, क्षधातुर, क्षुधार्त-सं० (वि०) भूख से व्याकुल, भूखा ~मंदिर, ~क्षौरालय (पु०) हज़ामत बनवाने की दुकान क्षुधित-सं० (वि०) जिसे भूख लगी हो, भूखा
क्षौरिक-सं० (पु०) नाई, हज्जाम क्षुप-सं० (पु०) 1 झाड़ी 2 छोटे तने
क्ष्मा-सं० (स्त्री०) पृथ्वी क्षब्य-सं० (वि०) 1 जो क्षोभ से भरा हो 2 विकल, परेशान
3 कुपित, क्रुद्ध क्षुर-सं० (पु०) 1 छुरी 2 उस्तरा क्षुरी-I सं० (पु०) नाई II खुरवाला पशु क्षेत्र-सं० (स्त्री०) 1 खेत 2 स्थान 3 उत्पत्ति स्थल 4 भूमि, ज़मीन 5 मैदान 6 सीमा-बद्ध जगह (जैसे-निषिद्ध क्षेत्र) 7 देह, शरीर। गणित (पु०) गणित की एक शाखा जिसमें खंक-बो० (वि०) दुर्बल, निर्बल भूमि की नाप आदि की गणना की जाती है; ~ज्ञ, पति खंख-(वि०) 1 छूछा, खाली 2 उजाड़ 3 सुनसान (पु०) 1 जीवात्मा 2 परमात्मा 3 किसान 4 साक्षी; ~पाल खंखड़-(वि०) उजड़ा हुआ, वीरान (१०) 1 खेत की रक्षा करनेवाला व्यक्ति 2 व्यवस्थापक, खंखार-(पु.) = खखार प्रबंधकर्ता; ~फल (पु०) ग० लंबाई एवं चौड़ाई का | बँखारना-(अ० क्रि०) = खखारना गुणनफल, रतबा; ~मिति (स्त्री०) क्षेत्रगणित; ~मापी । खंग-सं० (पु०) तलवार (जैसे-खंग चलाना) (पु०) क्षेत्र मापने का यंत्र
खंगड़-(वि०) अक्खड़, उजड्ड क्षेत्रक-सं० (पु०) छोटा क्षेत्र, सेक्टर
खंगना-(अ० क्रि०) बोल घटना, कमी होना क्षेत्राधिकार-सं० (पु०) क्षेत्र में प्रशासकी अधिकार खंगर-(वि०) 1 सूखा, शुष्क 2 दुबला-पतला, क्षीण। क्षेत्रालेख्य-सं० (पु०) खेतों का रिकार्ड
~लगना सूखा रोग होना क्षेत्रिय सं० (वि०) 1 क्षेत्र संबंधी 2 खेत में उत्पन्न होनेवाला - बँगारना, छंगालना-(स० क्रि०) 1 बर्तन में पानी डालकर क्षेत्रिन्-असाध्य रोग
बर्तन को धोना 2 साफ़ करना क्षेत्री-सं० (पु०) खेत का स्वामी
बँगी-(स्त्री०) कमी, छीज क्षेत्रीय सं० (वि०) क्षेत्र-संबंधी
बँगैल-(वि०) 1 लंबे दाँतोंवाला, दंतैला 2 जिसके खुर पके हों क्षेप-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 उछालना 3 व्यतीत करना, बिताना बँचना-I (अ० क्रि०) बो० । खाँचा जाना 2 अंकित होना (जैसे-काल क्षेप) 4 आघात 5 अतिक्रमण 6 निंदा
II (अ० क्रि०) पूरी तरह भरा होना क्षेपक-I स० (वि०) 1 फेंकनेवाला 2 नष्ट करनेवाला II | बँचाना-(स० क्रि०) अंकित करना, चिह्न लगाना। अपनी (पु०) मूल रचना में दूसरों के जोड़े गए अंश। -कार बँचाना स्वार्थ की बातें करना (पु०) मूल रचना में अपना जोड़नेवाला
चिया-(स्त्री०) खाँची, टोकरी क्षेपण-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 गिराना 3 मारना 4 आक्षेप बँचुला-(पु०) खाँचा, बड़ा टोकरा करना 5 बिताना
खंज, खंजक-[ सं० (पु०) पैर एवं जांघ का वातरोग क्षेपणी-सं० (स्त्री०) 1 फेंककर मारनेवाला अस्त्र 2 डाँड II (वि०) 1 जिसे खज रोग हुआ हो 2 पंगु, लँगड़ा (खंजक क्षेप्य-सं० (वि०) फेंकने योग्य, निकृष्ट क्षेप्यास्त्र-सं० (१०) फेंकने योग्य अस्त्र
खैजड़ी-(स्त्री०) - खंजरी क्षेमंकर-सं० (वि०) मंगल करनेवाला
खंजन-सं० (पु०) काले रंग की एक प्रसिद्ध चंचल चिड़िया क्षेम-सं० (पु०) 1कुशल मंगल 2 सुख 3 मुक्ति | खंजर-अ० (पु०) छोटी तलवार, कटार, छुरा
भी)
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खंजरी
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खैजरी-(स्त्री०) छोटी डफली
खंदक-अ० (स्त्री०) गहरा गड्ढा, खाई (जैसे-जवानों द्वारा खंजरी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) कटार
खंदक खोदना) खंजरीट-सं० (पु०) = खंजन
बंधवाना, बँधियाना-(स० क्रि०) बो० खाली कराना खंड-सं० (वि०) 1 टुकड़ा हुआ, खंडित, विभक्त 2 छोटा, खंभ, खंभा-(पु०) 1 स्तंभ (जैसे-ईंटों का खंभा) 2 सहारा,
आंशिक (जैसे-खंड काव्य)। ~कथा (स्त्री०) छोटो | टेक 3 अख़बार का कालम कहानी; ~काव्य (पु०)छोटी कथा पर आधारित काव्य, लघु | खंभार-बो० (पु०) 1क्षोभ 2 घबराहट, बेचैनी 3 आशंका काव्य; ~ग्रहण (पु०) अपूर्ण ग्रहण; -पीठ (पु०) (उच्च | 4 शोक, रंज न्यायालय का) उपकार्यालय; ~प्रलय (पु०) प्रलय जब | खैभिया-बो० (स्त्री०) छोटा खंभा पृथ्वी को छोड़कर सब नष्ट हो जाता है; ~वाणिक् (पु०) । ख-सं० (पु०) 1 शून्य स्थान, आकाश 2 शून्य 3 सूर्य 4 क्षेत्र छोटा व्यापारी; ~वर्षा (स्त्री०) रुकरुक कर होनेवाली या ___5 ज्ञानेंद्रिय 6 कर्म 7 गड्ढा
असमान वर्षा; ~शीला (स्त्री०) व्यभिचारिणी स्त्री खकार-सं० (पु०) 'ख' वर्ण खंडक-सं० (पु०) टुकड़े करनेवाला
खक्खा -I (पु०) अट्टहास, कहकहा II (पु०) 1 खत्री खंडन-सं० (पु०) 1 टुकड़े-टुकड़े करने की क्रिया 2 विभाजित | 2 पंजाबी सिपाही 3 अनुभवी पुरुष करना 3 ग़लत ठहराना (जैसे-सरकार द्वारा खंडन)। ~मंडन खखार-(पु०) गाढ़ा लेसदार बलगम । (पु०) दोनों पक्षोंका प्रतिपादन
खखारना-(अ० क्रि०) खखार निकालना, थूकना खंडनक-सं० (पु०) 1 खंडन करनेवाला 2 टुकड़े करनेवाला खखोंडर-बो० (पु०) पेड़ के कोटर में बना घोंसला खंडनात्मक-सं० (वि०) खंडन करनेवाला
खखोरना-(स० क्रि०) बो० 1 खोजना 2 खोजते फिरना खंडनी-(स्त्री०) मालगुज़ारी की किश्त
खग-सं० (पु०) पंछी, पक्षी। पति (पु०) गरुड़ खंडनीय-सं० (वि०) खंडन करने योग्य
खगोल-सं० (पु०) 1 आकाश मंडल, 2 आकाशीय पिंडों का बँडपूरी-(स्त्री०) मीठी पूरी
अध्ययन। मिति (स्त्री०) ऐसी ज्योतिष विद्या जिसमें तारों बँडबरा-(पु०) मीठा बड़ा
नक्षत्रों आदि की दृश्य स्थितियों एवं गतियों का ज्ञान होता है; बैंडरा-(पु०) बेसन का बना बड़ा
~वर्ती (वि०), विज्ञ (पु०) खगोल विज्ञान का ज्ञाता; बैंडला-(पु०) टुकड़ा, कतला
-विज्ञान (पु०), विद्या (स्त्री०), ~शास्त्र (पु०) बैंडवानी-(स्त्री०) 1 खाँड़ का शर्बत 2 बारातियों को भेजा आकाश में ग्रहों आदि की गतिविधियों का ज्ञान करानेवाली जानेवाला जलपान
विद्या, ज्योतिष शास्त्री (प०) - खगोल विज्ञ; खंडशः-सं० (अ०) खंड-खंड करके (जैसे-खंडशः विभक्त ~शास्त्रीय (वि०) खगोल शास्त्र संबंधी होना, खंडशः प्रकाशित करना)
खग्रास-सं० (पु०) (सूर्य या चंद्रमा का) पूर्ण ग्रहण बँडसार-(स्त्री०) = देशी ढंग से चीनी बनाने का कारखाना खचन-सं० (पु०) 1 जड़ना 2 बाँधना 3 अंकित करना बँडसारी-(स्त्री०) देशी चीनी
खचना-(अ० क्रि०) 1 जड़ा जाना 2 अंकित होना बँडसाल-(स्त्री०) =बँडसार
खचर-सं० (पु०) 1 आकाश में चलनेवाले पदार्थ एवं प्राणी, बँडहर-(पु०) गिरे हुए मकान का अवशेष, भग्न अवशेष आकाशगामी जीव एवं पदार्थ 2 पक्षी, चिड़िया खंडिका-सं० (स्त्री०) 1 क़िस्त 2 काँख
खचरा-(वि०) 1 वर्ण संकर, दोग़ला 2 दुष्ट, पाजी खंडित-सं० (वि०) 1 टूटा हुआ, टुकड़े किया हुआ खचाखच-(क्रि० वि०) दूंसा हुआ (जैसे-खचाखच भरना) (जैसे-खंडित मूर्ति) 2 अलग किया हुआ (जैसे-खंडित खचित-सं० (वि०) 1 जड़ित (जैसे-मणिखचित) 2 अंकित प्रदेश) 3 जिसका कौमार्य भंग हआ हो 4 अपूर्ण 5 ग़लत खचित्र-सं० (प.) 1 वैसी ही अनहोनी बात 2 जड़नेवाली ठहराया हुआ (जैसे-~युक्तियाँ)। -विग्रह (वि०) मशीन विकलांग
खचेड़ना-(स० क्रि०) दबाकर वश में करना खंडिता-सं० (स्त्री०) अपने प्रिय पर अन्य स्त्री के साथ रति खच्चर-(पु०) घोड़े एवं गधे की मिश्रित संतान संसर्ग जनित लक्षणों को देखकर दुःखी नायिका (जैसे-मुग्धा खजमज-(वि०) कुछ ख़राब (जैसे-आज मेरी तबीयत कुछ खंडिता, प्रौढ़ा खंडिता)
खजमज है) बँडिया-(स्त्री०) ऊँख की गँडेरी बनानेवाला व्यक्ति खजमजाना-(अ० क्रि०) कुछ भारी-भारी लगना खंडी-(स्त्री०) 1 गाँव के वृक्षों का समूह 2 राजकर 3 क़िस्त (जैसे-तबियत खजमजाना) खंडीकरण-सं० (पु०) 1 टुकड़े करना 2 किस्तों में देना खजला-(पु०) = खाजा खंडीय-सं० (वि०) टुकड़े का
खज़ानची-अ० +तु० (पु०) 1 कोषाध्यक्ष 2 रोकड़िया खंडेतर-सं० (वि०) स्वर-व्यंजन ध्वनियों से भिन्न खज़ाना-अ० (पु०) 1 संचित धनराशि 2 कोष, धनागार बैंडौरा-बो० (पु०) 1मिसरी का लड्डू 2 ओला ___3 राजस्व (जैसे-खजाने का मंत्री) खंडय-(स्त्री०) सं० (वि०) खंडनीय
खजिल-अ० (वि०) लजित, शर्मिंदा चतरा-(पु०) 1 दरार, खोडरा 2 अंतराल
खजूर-(स्त्री०) ताड़ की तरह का एक पेड़ और उसका फल खंता-बो० (पु०) 1 मिट्टी खोदने का उपकरण 2 ज़मीन । खजूरी-(वि०) खजूर का, खजूर संबंधी खोदने का औज़ार 3 गड्ढा, गर्त
खट-(स्त्री०) दो वस्तुओं के टकराने की ध्वनि। खट
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खटक
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खत
(स्त्री०) 1खटखट की ध्वनि 2 झंझट झमेला; ~पट | खटेटी-बो० (स्त्री०) बिना बिस्तर की चारपाई, खाली खाट (स्त्री०) 1दो वस्तुओं के टकराने से उत्पन्न ध्वनि | खटोला-(पु०) छोटी खाट 2 वैर-विरोध, अनबन 3 आपस की फूट; पटिया I | खटोली-(स्त्री०) = खटिया (वि०) 1 झगड़ालू 2 उपद्रवी II (स्त्री०) काठ का बना | खट्टा-(वि०) खटास युक्त पदार्थ (जैसे-खट्टा फल, खट्टा चप्पल, चट्टी
आम)। ~मीठा (वि०) खटमीठा; होना अप्रसन्न एवं खटक-(स्त्री०) 1 खटकने का भाव 2 चुभन, टीस 3 खटका, उदासीन होना; खट्टी मीठी बातें सुनना जली कटी बातें
आशंका (जैसे-यह बात कुछ खटक पैदा करती है) सुनना, अनुचित बातें सुनना; खट्टे-मीठे दिन अच्छे-बुरे दिन खटकना-(अ० क्रि०) 1 खटका होना 2 चुभना 3 बुरा लगना, खट्टी-बो० (स्त्री०) 1 खट्टी नारंगी 2 नींबू खलना
खटू-(वि०) कमानेवाला खटका-(पु०) 1 आशंका 2 चिंता- (जैसे-खटका लगना) ! खट्वांग-सं० (पु०) चारपाई के अंग 3 खट से होनेवाला शब्द, आहट 4 सिटकनी 5 पेंच खट्वा-सं० (स्त्री०) खाट, चारपाई खटकाना-(अ० क्रि०) 1 खटखटाना 2 भड़काना 3 बिगाड़ खड्जा -(पु०) ईंटों की खड़ी जोड़ाई कराना
खड़-(पु०) खर, घास खटखटा-(पु०) = खड़खड़ा
खड़कना-(अ० क्रि०) 1 खड़खड़ शब्द होना 2 खटकना खटखटाना-(स० क्रि०) आघात करके खटखट शब्द उत्पन्न | खड़खड़ा-(पु०) 1 = खटखटा 2 = खड़खड़िया करना (जैसे-दरवाज़ा खटखटाना)
खड़खड़ाना-I (अ० क्रि०) 1 खड़खड़ शब्द होना 2 घबराहट खटखटिया-(स्त्री०) खड़ाऊँ
में पड़ना II (स० क्रि०) 1 खड़खड़ ध्वनि करना 2 विचलित खटना-I (स० क्रि०) कमाना, उपार्जन करना II (अ० क्रि०) करना कठोर श्रम करना
खड़खड़ाहट-(स्त्री०) खड़खड़ करने एवं होने की अवस्था खटपाटी-(स्त्री०) खाट की पाटी। ~लगना/लेना रूठकर खड़खड़िया-(स्त्री०) 1 एक तरह की पालकी 2 गाड़ी का जा लेटना
ढाँचा खटबुना-(पु०) खाट बुननेवाला व्यक्ति
खड़बड़-(स्त्री०) 1 टकराहट से उत्पन्न ध्वनि 2 खलबली खटमल-(पु०) मटमैले उन्नाबी रंग का रक्त चूसनेवाला एक | खड़बड़ाना-I (अ० क्रि०) 1 घबराना 2 अस्त-व्यस्त होना प्रसिद्ध कीड़ा, उडुस
II (स० क्रि०) खड़बड़ करना खटमिट्ठा, खटमीठा-(वि०) खट्टा और मीठा खड़बड़ाहट, खड़बड़ी-(स्त्री०) 1 बेतरतीबी 2 खलबली (जैसे-खटमिट्ठा फालसा)
3 घबराहट खटर-पटर-(पु०) छोटी-छोटी वस्तुओं के इधर-उधर होने का | खड़मंडल-सं० + हिं० + सं० (पु०) गड़बड़, गोलमाल शब्द
खड़ा-(वि०) 1 ऊपर को सीधा उठा, लंबरूप 2 पावों पर स्थित खटराग-(पु०) 1लड़ाई-झगड़ा 2 झंझट,बखेड़ा 3 ठहरा हुआ 4 रुका हुआ (जैसे-खड़ा व्यक्ति) 5 उद्यत, 3 कूड़ा-करकट
तैयार (जैसे-कुश्ती के लिए खड़ा आदमी)। खड़ी चढ़ाई खटला-(पृ०) 1 बाल-बच्चे, परिवार 2 पत्नी 3 कान में बाली (स्त्री०) सीधी चढ़ाई; खड़ी पाई (स्त्री०) पूर्ण विराम जैसा पहनने का छेद
चिह्न; खड़े-खड़े (क्रि० वि०) तुरंत; खड़े पाँव लौटना बिना खटवाटी-(स्त्री०) = खटपाटी
रुके वापस आना खटाई-(स्त्री०) 1 खट्टा होने की अवस्था 2 खट्टी वस्तु। में खड़ाऊँ-(स्त्री०) काठ की बनी खुली खूटीदार पादुका डालना (काम) लटकाए रखना; ~में पड़ना टल जाना, | | खड़ाका-I (क्रि० वि०) चटपट, तुरंत II (पु०) खड़-खड़ (काम का) लटक जाना
शब्द, खटका खटाक-(पु०) वस्तु का गिरकर या टकराकर टूटने का शब्द | खड़िका, खड़िया-सं० (स्त्री०) 1 सफ़ेद-मुलायम मिट्टी खटाखट-I (पु०) खट-खट की आवाज़ II (क्रि० वि०) | 2 इस मिट्टी की बनी बत्ती। मिट्टी (स्त्री०) = खड़िया; 1खट-खट की ध्वनि सहित 2 तुरंत, चटपट 3 लगातार शब्द | ~में कोयला अच्छे में बुरे का मिश्रण करते हुए
खड़ी बोली-(स्त्री०) आधुनिक हिंदी का रूप खटाना-I (अ० क्रि०) खट्टापन आना II (अ० क्रि०) | खड्ग-सं० (पु०) तलवार। कोश (पु०) म्यान; ~धारा 1 गुजारा होना 2 टिकना 3 परख में ठीक उतरना III (स० (स्त्री०) 1 तलवार का फल 2 अत्यधिक कठिन कार्य; क्रि०) मेहनत से काम लेना
हस्त (वि०) जिसके हाथ में तलवार हो खटाव-(पु०) निबाह, निर्वाह
खड्गिक-सं० (पु०) तलवारधारी खटास-(स्त्री०) = 1 खटाई 2 खट्टापन
खड्ड्-(पु०) अत्यंत गहरा गड्ढा खटिक-(पु०) फल एवं सब्जी आदि का व्यवसाय करनेवाली | खड्ढा-(पु०) = 1 खड्ड 2 गड्ढा एक जाति
खत-अ० (पु०) 1 पत्र, चिट्ठी 2 लिखावट 3 जो कुछ लिखा खटिका-सं० (स्त्री०) खड़िया
जाए, लेख 4 दाढ़ी एवं मूंछों के बाल की रेख (जैसे-ख़त खटिया-(स्त्री०) छोटी खाट, चारपाई
काटना)। कशी + फ़ा० (स्त्री०) 1 रेखाएँ खींचना खटी-(स्त्री०) खड़िया
2 लिखने का काम; किताबत (स्त्री०) 1 पत्र-व्यवहार, चिट्ठी-पत्री 2 लिखा-पढ़ी
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खतखोट
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खतखोट-(स्त्री०) सूखेघाव पर जमनेवाली झिल्ली, खुरंड खतना-अ० (पु०) मुस्लिम बच्चों के लिंग की अगले हिस्से की
त्वचा काटने की रस्म, मुसलमानी, सुत्रत । खतम-अ० (वि०) 1 जो समाप्त हो गया हो (जैसे-पढ़ाई खत्म हो गई) 2 जिसकी मृत्यु हो गई हो (जैसे-कारीगर खत्म हो गया) खतर-अ० (पु०) = खतरा खतरनाक-अ० + फा० (वि०) 1 खतरे का, खतरे से भरा हआ (जैसे-खतरनाक कार्य) 2 भयजनक (जैसे-खतरनाक
आदमी) खतरा-अ० (पु०) 1 डर, भय 2 आशंका 3 जोखिम (जैसे-खतरे में पड़ जाना, खतरे से खाली, खतरे से बाहर होना)। पाँचना क्षति पहुँचना; ~मोल लेना संकट में | पड़ना खता-अ० (पु०) 1 अपराध, कसूर 2 भूल। ~वार + फ़ा० (वि०) अपराधी, दोषी (जैसे-खतावार निगाह); खाना हानि उठाना; खिलाना हानि करना; होना 1 कसूर होना 2 भूल जाना खतियाना-(स० क्रि०) खातों में लिखना खतियौनी-(स्त्री०) = खतौनी खतीब-अ० (पु०) 1 खुतबा पढ़नेवाला 2 मुसलमान |
धर्मोपदेशक खतौनी-(स्त्री०) 1 विभिन्न मदों के अलग-अलग खातेवाली बही 2 ऐसी बही जिसमें पटवारी काश्तकार के खेत-संबंधी सभी विवरण रखता है 3 खतियाने का काम खत्ता (पु०), खत्ती-(स्त्री०) 1 गड्ढा 2 ढेर खत्म-अ० (वि०) समाप्त खत्री-(पु०) क्षत्रियों के अन्तर्गत आनेवाली एक व्यापारी जाति
[स्त्री खत्रानीख खदबदाना-(अ० क्रि०) उबलने का शब्द करना खदरा--बो० (वि०) निकम्मा खदशा-अ० (पु०) 1 आशंका, भय 2 शक, संदेह खदान-(स्त्री०) = खान खदिर-सं० (पु०) 1 खैर का पेड़ 2 कत्था, खैर खदेड़ना, खदेरना-(स० क्रि०) बलपूर्वक हटाना, भगाना खद्दड़, खद्दर-(पु०) हाथ का कता बुना कपड़ा, खादी।
~धारी + सं० (पु०) खद्दर पहननेवाला व्यक्ति खद्योत-सं० (पु०) जुगनूं खन-I (पु०) मंजिल, खंड II (पु०) बो० समय का बहुत | छोटा भाग, पल,क्षण 2 समय, वक्त III (स्त्री०) रुपए पैसे के बजने की ध्वनि (जैसे-खन-खन करना) खनक-सं० (पु०) 1 खोदनेवाला 2 खान खोदनेवाला मज़दूर
3 सेंध लगानेवाला चोर खनक-(स्त्री०) (धातुओं की) खन-खन । दार + फ़ा०
(वि०) खन-खन की आवाज़ करनेवाला खनकना-(अ० क्रि०) खन-खन की ध्वनि होना खनकाना-(स० क्रि०) खन-खन की ध्वनि उत्पन्न करना खनकार-(स्त्री०) खनक, झंकार (जैसे-तलवारों की खनकार) खनखनाना-I (अ० क्रि०) - खनकना II (स० क्रि०) -
खनकाना
खनखनाहट-(स्त्री०) = खनकार खनन-सं० (पु०) खोदना, खुदाई खनना-(स० क्रि०) बो० खोदना खनवाना-(स० क्रि०) खोदने की क्रिया में अन्य को लगाना खनि-सं० (स्त्री०) = खान । जI (वि०) खान से निकला हुआ (जैसे-खनिज उद्योग, खनिज द्रव्य, खनिज नमक, खनिज लोहा, खनिज संपत्ति) II (पु०) खान से प्राप्त पदार्थ;
ज-विज्ञान (पु०) खान से हए उत्पादन एवं खान-विषयक तथ्यों की जानकारी का विज्ञान; ज-वैज्ञानिक (पु०) खनिज उत्पादक वस्तुओं के विषय की जानकारी रखनेवाला खनिक-सं० (पु०) 1 गड्ढा या खान खोदनेवाला व्यक्ति 2 खान का मालिक। -विद्यालय (पू०) ऐसी संस्था जहाँ
खान संबंधित विषयों का अध्ययन किया जाए खनिज-I सं० (वि०) खान से उत्पन्न II (पु०) खान से
उत्पन्न पदार्थ खनिजिकी-सं० खनिज विज्ञान खनित्र-सं० (पु०) खोदने का औज़ार खपची-(स्त्री०) 1 बाँस की पतली तीली 2 बाँस की फट्टी खपड़ा-(पु०) मकान छाने के लिए मिट्टी का बना एवं पकाया हुआ कुछ चौड़े आकार का टुकड़ा (जैसे-खपड़ा छाना) खपड़ी-(स्त्री०) 1मिट्टी की पूड़ी 2 छोटा खपड़ा खपड्रैल-(स्त्री०) खपड़े से छाई हुई छाजन (जैसे-खपडैल
डालना) खपत-(स्त्री०) 1 खपने का भाव 2 माल की बिक्री 3 खर्च
(जैसे-माल की खपत) खपना-(अ० क्रि०) 1 उपयोग में आना, लग जाना 2 समाप्त होना 3 समा जाना 4 नष्ट होना 5 मारा जाना (जैसे-युद्ध में सैनिकों का खपना) 6 परेशान होना (जैसे-सारा दिन खपने पर काम हो सका) खपरा-(पु०) = खपड़ा खपरैल-(स्त्री०) = खपडैल खपाना-(स० क्रि०) 1 खतम कर देना (जैसे-सारा माल खपा दिया) 2 मार डालना 3 तंग करना 4 काम में लाना 5 बेचना
6निभाना खपुष्प-सं० (पु०) 1 आकाश कुसुम 2 असंभव बात खप्पर-(पु०) 1 नारियल का बना भिक्षापात्र 2 कपाल खफकान-अ० (पु०) 1 हृदय धड़कने का रोग 2 पागलपन खफ़गी-फ़ा० (स्त्री०) अप्रसन्नता, नाराज़गी खफ़ा-फा० (वि०) अप्रसन्न,नाराज़। खफ़ीफ़-अ० (वि०) 1 हल्का 2 थोड़ा, कम 3 तुच्छ
4 लज्जित खबर-अ० (स्त्री०) 1 संदेश (जैसे-खबर पहँचाना 2 समाचार, हाल (जैसे-खबर मिलना) 3 जानकारी (जैसे-घटना की खबर सभी को है) 4 होश, चेत । ~गीर + फ़ा० I (पु०) जासूस 2 पहरेदार II(वि०) 1खबर भेजनेवाला 2 देख-रेख करनेवाला; ~गीरी + फ़ा० (स्त्री०) 1 खोज-ख़बर, देख रेख 2 ख़बरगीर का काम; ~दार + फ़ा० (वि०) सावधान चौकन्ना; दारी + फ़ा० (स्त्री०) सावधानता, होशियारी नवीस, निगार + फ़ा० (पु०) समाचार लिखनेवाला कर्मचारी; ~रसाँ + फ़ा० (पु०) ख़बर
गुन
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ख़बीस
पहुँचानेवाला, संदेशवाहक; ~लेना 1 हाल-चाल पूछना 2 जवाब तलब करना 3 डाँटना-फटकारना 4 दंड देना ख़बीस - अ० (वि०) 1 नापाक 2 दुष्ट 3 क्रूर ख़ब्त - अ० (पु० ) 1 झक, सनक 2 पागलपन की सीमा का शौक (जैसे-ख़ब्त सवार होना)
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ख़ब्ती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 झक्की, सनकी 2 पागल खब्बा - (वि०) 1 बायाँ 2 बाएँ हाथ से काम करनेवाला ख़म - फ़ा० ( पु० ) 1 टेढ़ापन, वक्रता 2 घुमाव, झुकाव। दम (पु० ) साहस, हिम्मत दार (वि०) 1 झुका हुआ 2 घुँघराला ; ~खाना हारना; ~ ठोंकना 1 ललकारना 2 दृढ़ता दिखाना
ख़मसा - अ० ( पु० ) पाँच-पाँच चरणोंवाली एक प्रकार की
ग़ज़ल
ख़मीदा फ़ा० (वि०) खमदार, झुका हुआ ख़मीर - अ० (पु०) गुँथे आटे में पैदा होनेवाली खटास ख़मीरा - अ० (वि०) ख़मीरवाला ख़मीलन-सं० (पु० ) तंद्रा
खयानत - अ० (स्त्री०) 1 अमानत रखी वस्तु को चुरा लेना 2 अमानत रखी वस्तु का अनधिकार प्रयोग, ग़बन 3 बेईमानी ख़याल - अ० (पु० ) 1 ध्यान, सोच-विचार 2 कल्पना 3 याद (जैसे-मेरे खयाल में बने रहना) । ~करना ध्यान देना; पड़ना ध्यान में आना 2 याद आना; बाँधना कल्पना करना; में न लाना परवाह न करना; में रहना याद रखना; में लाना सोच-विचार करना; में समाना हर वक्त याद रहना से उतरना याद न रहना, भूल जाना ख़यालात - अ० (पु०) विचार (जैसे-पुराने ख़यालात के लोग) खयाली - अ० + फ़ा० (वि०) 1 सोचा हुआ, कल्पित
2 ख़याल में रहनेवाला। पुलाव पकाना कल्पना के महल बनाना, असंभव बातें सोचना
ख़र - I सं० ( पु० ) 1 गधा 2 खच्चर । दिमाग़ + अ० (वि०) मूर्ख
खर - I (वि०) 1 कड़ा 2 तेज़, तीक्ष्ण II ( पु० ) तिनका । पात (पु०) घास-पात
खरक - ( पु० ) 1 बाड़ा 2 चारागाह खरकना - (अ०
क्रि०) 1 = खटकना 2 = खड़खड़ाना
3 - खड़कना
खरका - (पु० ) 1 सूखा कड़ा तिनका 2 दाँत खोदने का तिनका
खरखशा - फ़ा० (पु० ) 1 व्यर्थ का झगड़ा, बघेड़ा 2 व्यर्थ का विवाद
खरगोश - फ़ा० (पु०) खरहा, चौगड़ा
खरच फा० ( पु० ) खर्च
पर
ख़रचना - फ़ा + हिं (स० क्रि) 1 धन व्यय करना 2 बरतना ख़रची-फ़ा० + हिं० (स्त्री० ) 1 व्यय किए जानेवाला धन 2 दुश्चरित्राओं को गुज़ारे हेतु दिया जानेवाला धन । ~ कमाना धनोपार्जन के लिए कुकुर्म कराते फिरना; चलना, पर जाना धन हेतु संभोग कराना खरचीला - फ़ा० + हिं० (वि०) अनावश्यक खर्च करनेवाला खरना - (स० क्रि०) साफ़ करना, स्वच्छ करना खरब - (पु० ) सौ अरब
=
खरीता
खरबूज़ा - फ़ा० (पु०) एक प्रसिद्ध फल जो गर्मी के मौसम में होता है। खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है जैसी संगत वैसी रंगत
खर - भर - बो० (पु० ) 1 खड़बड़ ध्वनि 2 शोर, रौला, हल्ला 3 खलबली, हलचल
क्रि० )
खरभराना - ( अ०
मचाना
खरमस्त - फ़ा० ( वि० ) 1 हमेशा प्रसन्न रहनेवाला 2 पाजी, दुष्ट
खरमस्ती - फ़ा० (स्त्री०) खरमस्त होने की अवस्था खरमिटाव-बो० (पु०) जलपान, कलेवा खरर - खरर - ( स्त्री०) खर खर की आवाज़
1 खलबलाना 2 हलचल
खरल - (पु० ) पत्थर की कुँडी (जैसे- खरल में दवा पीसना ) । ~ करना चूर्ण करना, पीसना
खरसा-बो० (पु०) एक प्रकार का पकवान
खरसान - (स्त्री०) तेज़ सान
खरहरा - ( पु० ) 1 दंतपंक्तियोंवाली लोहे की चौकोर कंघी 2 अरहर के डंठलों की झाडू खरहा - ( पु० ) खरगोश खरही बो० (स्त्री० ) ढेर, राशि
खरा - (वि०) 1 विशुद्ध, खालिस (जैसे-खरा सोना) 2 सच्चा 3 निष्कपट 4 ईमानदार (जैसे खरा आदमी)। खोटा (वि०) भला-बुरा; उतरना ठीक सिद्ध होना; खरी-खरी सुनाना सच्ची बात कहना; रुपए खरे करना अपनी वसूली कर लेना
खराई - (स्त्री०) प्रातः जलपान न मिलने से तबियत खराब होना
खराद - I फ़ा० (पु० ) बनी वस्तुओं के बेडौल अंग को सुडौल बनानेवाला एक यंत्र II (स्त्री० ) 1 खरीदने की क्रिया 2 बनावट का ढंग, गढ़न पर उतारना सुंदर एवं सुडौल
बनाना खरादना-फ़ा० हिं० (स० क्रि०) 1 सुडौल करना 2 छील-छालकर दुरुस्त करना खरादी - फ़ा० (पु० ) खराद का काम करनेवाला खरापन - (पु० ) 1 खराई 2 स्पष्टवादिता
3 निश्छलता
4 सत्यता
ख़राब - अ० (वि०) 1 बुरा, हीन 2 नष्ट, बरबाद 3 दुश्चरित्र (जैसे-लड़के का खराब होना) 4 बिगड़ा हुआ (जैसे- ~ मशीन)
1 दोष, बुराई 2 दुर्दशा
ख़राबी- अ० + फ़ा० (स्त्री०)
(जैसे -ख़राबी में पड़ना )
ख़राश - फ़ा० (स्त्री०) 1 खरोंच 2 खुजली
खरिया - ( स्त्री०) 1 रस्सी आदि की बनी जाली 2 झोली 3 राख
खरियाना - (स० क्रि०) 1 झोली में भरना 2 प्राप्त
करना
खरी-खोटी - (वि०) कड़वी कसैली। ~सुनना दो टूक बात सुनना, साफ उत्तर पाना; ~सुनाना कोरा जवाब देना, कटु वचन कहना
खरीता - अ० (पु० ) 1 थैली 2 जेब 3 बड़ा लिफ़ाफ़ा
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खरीद
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खस
खरीद-फा० (स्त्री०) 1 खरीदने का काम, क्रय 2 जो कुछ । खल-बल-(पु०) 1 शोर, हल्ला 2 कुलबुलाहट 3 खलबली खरीदा जाए वह सामान (जैसे-थोक ख़रीद, नक़द ख़रीद)। खलबलाना-I (अ० क्रि०) 1खल-खल शब्द करना
दार (पु०) = ख़रीदार; दारी (स्त्री०) = ख़रीद; 2 उबलना, खौलना 3 कुलबुलाना II (स० क्रि०) हलचल ल्लामा (पु०) ~फरोखल, ~बिक्री + हिं०, बेच + उत्पन्न करना हिं० (स्त्री०) (जैसे-गुलामों की खरीद फरोख्त करनेवाला) खलबलाहट-(स्त्री०) = खल-बल खरीदार-फा० (पु०) 1 ग्राहक 2 चाहनेवाला
खलबली-(स्त्री०) 1 खलबल होने की अवस्था, हड़बड़ी खरीदारी-फा० (स्त्री०) खरीदने का काम (जैसे-खरीदारी (जैसे-भूख से पेट में खलबली होना) 2 हलचल 3 क्षोभ हल्की पड़ना)
(जैसे-खलबली उत्पन्न होना) खरीफ़-अ० (स्त्री०) असाढ़-सावन एवं कातिक-अगहन खलल-अ० (पु०) बाधा, रुकावट, अड़चन (जैसे-खलल
महीनों के बीच उत्पादित फ़सल (जैसे-खरीफ़ की बुआई) डालना)। ~अंदाज + फ़ा० (वि०) बाधा पैदा करनेवाला, खरोंच-(स्त्री०) 1 त्वचा का छिल जाना, खराश 2 खराश का रुकावट डालनेवाला; दिमाग़ सनक, पागलपन निशान (जैसे-खरोंच पर)
खलाना-(स० क्रि०) बो० 1 खाली करना 2 बाहर निकालना खरोंचना-(स० क्रि०) 1 खुरचना 2 छीलना
(जैसे-कुएँ से पानी खलाना) 3 फँसाना खरोंट-(स्त्री०) खरोंच
खलार-(वि०) नीचा, गहरा (जैसे-खलार भूमि) खरोंटना, खरोचना, खरोटना-(स० क्रि०) = खरोंचना खलास-अ० (पु०) 1 छुटकारा, मुक्ति 2 समाप्त, खतम खरोष्टी, खरोष्ठी-सं० (स्त्री०) दाहिनी ओर से बाईं ओर लिखी 3 खाली जानेवाली एक प्राचीन लिपि, गांधार लिपि
खलासी-I अ० + फ़ा० (स्त्री०) मुक्ति, निवृत्ति II (पु०) । खर्च, खर्चा-फा० (पु०) 1 व्यय 2 पैसे, धन आदि का किसी जहाज़ी मज़दूर (जैसे-कुली-खलासी) कार्य में लगना (जैसे-उत्पादन का ख़र्च) 3 आवश्यक कार्यों खलियान-(पु०) 1 काटी हुई फसल के रखने का स्थान में लगनेवाला पैसा (जैसे-अतिरिक्त ख़र्च)। -निर्धारक + 2 काटी गई फसल के माँडने का स्थान। ~करना फ़सल का सं० (वि०) आय-व्यय का ब्यौरा रखनेवाला (जैसे-ख़र्चा ढेर लगाना निर्धारक समिति); ~उठाना भार वहन करना; जुटाना खलियाना-I (स० क्रि०) खाल उतारना II (स० क्रि०) = धन एवं पैसा एकत्र करना; ~खर्चे में डालना अतिरिक्त खलाना कार्यों में खर्च हेतु रखना
खलिश-फ़ा० (स्त्री०) 1 चुभन 2 कसक 3 रंजिश, बैर खर्ची-फ़ा० + हिं० (स्त्री) = ख़रची
खलिहान-बो० (पु०) = खलियान खर्चीला-फा० + हिं० (वि०) = खरचीला
खली-(स्त्री०) खल, तेल आदि की तलछट खर्जु-सं० (स्त्री०) खुजली
खलीज-अ० (स्त्री०) खाड़ी खर्जूर-सं० (पु०) खजूर का पेड़ एवं फल
खलीता-अ० (पु०) ख़रीता, थैली खर्पर-सं० (पु०) 1 खोपड़ा 2 खप्पर नाम का पात्र खलीफ़ा-अ० (पु०) 1पैगंबर का उत्तराधिकारी खर्ब-सं० (वि०) 1 विकलांग 2 लघु, छोटा 3 ठिंगना 2 उत्तराधिकारी 3 धूर्त व्यक्ति 4 बौना
खलेल-(पु०) फुलेल में व्याप्त खली का वह अंश जो निथारने खर्बट-सं० (पु०) पहाड़ी बस्ती
से ही प्राप्त होता है खर्रा-(पु०) 1लंबा चिट्ठा 2 मसौदा 3 विवरण
खल्क-अ० (पु०) = ख़लक खर्राटा-(पु०) सोते समय मुँह से निकलनेवाली खर-खर | खल्त-मल्त-अ० (वि०) मिला-जुला, गड्ड-मड्ड ध्वनि। ~भरना, ~मारना बेसुध होकर सोना
खल्ल-सं० (पु०) 1 चमड़ा 2 मशक 3 खरल खर्व-सं० (पु०) 1 खरब 2 टुंडा 3 नाटा
खल्लड़-(पु०) 1 मृत पशु की उतारी गई खाल 2 मशक, खल-सं० (वि०) 1 दुष्ट, दुर्जन, पाजी, लुच्चा 2 अधम, नीच थैला 3 खरल 3निर्लज्ज 4 धोखेबाज 5 चुगलखोर। नायक (पु०) | खल्व-(पु०) गंज नायक का प्रतिद्वंद्वी
खल्वाट-(वि०) गंजा खल-बो० (पु०) = खरल
खवा-(पु०) कंधा। खवे से छिलना धक्का लगना खलक-अ० (पु०) 1 संसार 2 संसार के सभी लोग, लोक खवाई-(स्त्री०) खाने की क्रिया समूह
खवास-अ० (पु०) 1 विशिष्ट लोग, चुने हुए लोग 2 ख़ास खलकत-अ० भीड़
खिदमतगार, अंतरंग सेवक [स्त्री खवासिन].. खल-खल-(पु०) 1 उँडेलने की आवाज़ 2 खिलखिलाकर खवासी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 ख़वास का काम एवं पद हैसने की ध्वनि
2 नौकरी 3 गाड़ी में खवास के बैठने की जगह खलखलाना-I (अ० क्रि०) 1 खल-खल शब्द करना खवैया-(पु०) 1 खानेवाला 2 बहुत खानेवाला 2 खोलना II (स० क्रि०) 1 खल-खल ध्वनि उत्पन्न करना | खशखाश-फा० (पु०) पोस्ते का पौधा एवं दाना 2 उबालना, खौलाना
खशी-सं० (वि०) पोस्ते के फूल के रंग का, हल्का आसमानी खलना-I (अ० क्रि०) 1 बुरा लगना, अखरना 2 खटकना खस-फा० (स्त्री०) 1 सूखी घास 2 गाडर नाम की घास की II (स० क्रि०) 1 मोड़ना, झुकाना 2 पोला करना 3 घोंटना । जड़
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खसकना
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खाता
खसकना-(अ० क्रि०) 1चुपचाप चले जाना, खिसकना - II (पु०) बो० .. खाँप 2 बच्चे का घुटनों के बल खिसकना
खाँदना-(स० क्रि०) बो० 1 दबाना 2 खोदना खसकाना-(स० क्रि०) 1 इधर-उधर करना 2 गुप्त रूप से खाँप-(स्त्री०) 1 फाँक 2 टुकड़ा कुछ लेकर चले जाना
खाँपना-(स० क्रि०) बो० 1 खोंसना 2 जड़ना खसखस-(पु०) = खुशखाश, पोस्त के दाने
खाँभना-(स० क्रि०) बंद करना खसखसा-(वि०) I = खस्ता II 1 पोस्ते के दानों की तरह खाँसना-(अ० क्रि०) 1 झटके से हवा के बाहर निकलते समय (जैसे-खसखसी दाढ़ी)
__ होनेवाली आवाज़ 2 बलम आदि का बाहर आना खमखसी-(वि०) 1 खसखस के रंग का, कुछ मटमैला सफ़ेद खाँसी-(स्त्री०) 1 खाँसने की क्रिया 2 एक प्रकार का निरंतर 2 महीन, छोटा
खाँसने का रोग (जैसे-काली खाँसी) खसना-(अ० क्रि०) बो० 1 खिसकना 2 गिरना
खाई-(स्त्री०) 1खंदक 2 युद्ध में खोदे जानेवाले गड्ढे खसम-अ० (पु०) 1 पति, खाविंद 2 स्वामी। ~करना पर (जैसेरेंगने की खाई) पुरुष से संबंध बनाना
खाऊ-(वि०) 1 बहुत खानेवाला (जैसे-खाऊ बीर) 2 घूस खसरा-[ फ़ा० (पु.) 1 पटवारी की ऐसी बही जिसमें खेत । लेनेवाला, रिश्वतखोर
संबंधी अनेक बातें लिखी जाती हैं 2 हिसाब-किताब का | खाक-फ़ा० (स्त्री०) 1 धूल 2 मिट्टी 3 राख। दान (पु०) चिट्ठा II (पु०) एक प्रकार का दानेदार संक्रामक रोग, कूड़ा फेकने का पात्र; ~पत्थर + हिं० (अ०) कुछ नहीं मसूरिका (जैसे-बच्चे को खसरा निकलना)
(जैसे-मैं खाक-पत्थर समझा); ~बाज़ी (स्त्री०) ~रोब खसलत-अ० (स्त्री०) आदत, स्वभाव
(पु०) झाडू देनेवाला, भंगी; ~सार (वि०) 1 तुच्छ, नाचीज़ खसाना-(स० क्रि०) 1 ढकेलना 2 फेंकना 3 गिराना 2 दीन; ~सारी (स्त्री०) 1 दीनता 2 तुच्छता 3 विनम्रता; खसारा-अ० (पु०) 1 नुकसान, हानि 2 घाटा (जैसे-खसारा ~उड़ना 1 बदनामी होना 2 विनाश चिह्न दिखाई देना; उठाना)
उड़ाना 1 व्यर्थ का काम करना 2 व्यर्थ इधर-उधर मारे-मारे खसिया-अ० + हिं० (वि०) बधिया, नपुंसक
फिरना; का पुतला मनुष्य; चाटना 1 धूल चाटना खसी-अ० (वि०) 1 जिसके अंडकोष निकाल लिए गए हों, 2 दीनता दिखाना; छानना 1 हैरान होना, मारा-मारा फिरना बधिया (जैसे-ख़सी करना) 2 हिजड़ा
2 खोजना, ~डालना 1 पर्दा डालना, छिपाना 2 भूल जाना; खसीस-अ० (वि०) कंजूस, कृपण
बरसना उजाड़ लगना; ~में मिलना 1 धूल में मिलना खसोट -I (स्त्री०) लूट, छीना-झपटी II (वि०) 2 नष्ट होना; ~में मिलाना बर्बाद कर देना; सियाह कर खसोटनेवाला (जैसे-कफ़न खसोट)
देना 1 जलाकर राख करना 2 नष्ट कर देना; ~पर उड़ाना खसोटना-(स० क्रि०) बलपूर्वक उखाड़ना, नोचना मातम मनाना, शोक करना (जैसे-बाल खसोटना)
खाका-फ़ा० (पु०) 1 ढाँचा 2 मानचित्र (जैसे-खाका भरना, खस्तगी-फ़ा० (स्त्री०) खस्तापन
खाका खींचना)। उड़ाना उपहास करना खस्ता-फा० (वि०) 1 भुरभुरा एवं मुलायम, कुरकुरा | खाकी-फ़ा० (वि०) 1 मिट्टी के रंग का, भूरा (जैसे-खाकी (जैसे-खस्ता पापड़, खस्ती पकौड़ी) 2 दुर्दशाग्रस्त । हालत पोशाक) 2 मिट्टी का। ~अंडा 1 गंदा अंडा, बयंडा 2 वर्ण
संकर, दोगला खस्वस्तिक-सं० (पु०) शीर्षबिंदु
खाज-(स्त्री०) खुजली, ख़ारिश खस्सी-अ० (वि०) बधिया
खाजा-(पु०) 1 खाने की वस्तु 2 मैदे की बनी एक प्रसिद्ध खाँ-फा० (पु०) = ख़ान
मिठाई खाँखर-बो० (पु०) 1 जिसमें बहुत से छिद्र हों 2 झीना | खाट-(स्त्री०) चारपाई, खटिया (जैसे-खाट बिछाना)। खाँग-I (पु०) बो० 1 काँटा, कंटक 2 जंगली सूअर का बाहर ~खटोला (पु०) गृहस्थी का सामान, बोरिया बंधना; निकला दाँत 3 गैंडे की नाक पर की सींग 4 पक्षियों के पैर का ~कटना सख्त बीमार पड़ना; ~पर पड़ना अस्वस्थ होना, काँटा 5 खुरपका रोग II (स्त्री०) बो० 1 छीजन 2 कसर, त्रुटि बीमार होना; ~से उतारा जाना मरणासन्न होना; ~से खाँगड़, खाँगड़ा-(वि०) 1 जिसे खाँग रोग हो 2 हथियार बंद लगना रोग से अशक्त हो जाना 3 ताकतवर
खाड़ी-(स्त्री०) 1 समुद्र का भाग जो तीन तरफ़ स्थल से घिरा खाँच-बो० (स्त्री०) 1 खाँचने की क्रिया 2 खाँचने से बना हो (जैसे-बंगाल की खाड़ी, कच्छ की खाड़ी) 2 गड्ढा, गर्त निशान
खात-(पु०) 1 खोदने का काम, खोदाई 2 गड्ढा खाँचा-(पु०) टोकरा, झाबा
खातमा-अ० (पु०) 1 अंत, समाप्ति 2 मृत्यु खाँची-(स्त्री०) = बँचिया
खाता-I (पु.) 1 आय-व्यय एवं लेन-देन आदि का लेखा खाँड-(स्त्री०) कच्ची चीनी। ~की रोटी जहाँ तोड़ो वहाँ 2 ऐसी बही जिसमें लेन-देन क्रमिक रूप में लिखा जाता है मीठी
3 मद, विभाग II (पु०) अनाज रखने का गड्ढा, बरवार । खाना-(स० क्रि०) बो० 1 खंड-खंड करना 2 चबाना 3 दाँत बही (स्त्री०) ऐसी बही जिसमें विभिन्न मदों, व्यक्तियों के से काटना
अलग-अलग खाते बने होते हैं;~खोलनालेन-देन आरंभ खाँडा-I (पु०) सीधी एवं चौड़ी तलवार (जैसे-खाँडा बजना) | करना
दुर्गति
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खाति
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खामी
खाति-सं० (स्त्री०) खुदाई
खानसामा-फ़ा० (पु०) रसोइया खातिर-1 अ० (स्त्री०) आवभगत, आदर-सत्कार II (अ०) खाना-I (स० क्रि०) 1 भोजन करना (जैसे-रोटी खाना) वास्ते, लिए (जैसे-आपकी खातिर)। ~खाह + फ़ा० I 2 भक्षण करना (जैसे-शेर बकरी को खा गया) 3 परेशान (वि०) यथेष्ट; II (क्रि० वि०) संतोषजनक रूप में; जमा करना (जैसे-क्यों मेरी जान खाते हो) 4 रिश्वत लेना I (स्त्री०) तसल्ली, संतोष II (क्रि० वि०) रखना दारी (जैसे-आजकल दफ्तरों के बाबू खूब खाते हैं) 5 आघात (स्त्री०) सत्कार
सहना (जैसे-गाली खाना, धक्का खाना) II (पु०) 1 खाद्य ख़ातिमा-अ० (पु०) समाप्ति, अंत
पदार्थ 2 भोजन कमाना मेहनत एवं मज़दूरी करके खाती-(स्त्री०) 1 गड्ढा 2 तालाब
गुजर-बसर करना (जैसे-खाता-कमाता आदमी); दाना, खातून-तु० (स्त्री०) बीबी, श्रीमती
नाश्ता + फ़ा० (पु०) = खान-पान; -पीना (स० खातेदार-हिं० + फा० (पु०) जिसके नाम हिसाब-किताब हो क्रि०) 1 खाने-पीने की क्रिया 2 खाने-पीने का सुख पाना; खा खाते-बाकी- + हिं० + अ० (स्त्री०) अतिशेष
पका जाना, खा डालना 1 मार डालना 2 पूँजी खर्च कर खाद-(स्त्री०) 1 सड़ा-गलाकर बनाई गई गोबर, पत्ते आदि की डालना; न पचना आराम न मिलना; मुँह की खाना कड़ी
खाद 2 रासायनिक खाद (जैसे-नाइट्रेट खाद, पोटाश खाद) बात सुनना; ~लह करना भोजन के समय दुःख देना खादक-सं० (वि०) खानेवाला
खाना-फ़ा० (पु०) 1 घर, मकान (जैसे-ग़रीबख़ाना, खादन-सं० (पु०) 1 खाना, भक्षण 2 दाँत
यतीमखाना) 2 स्थान, जगह (जैसे-डाकखाना, दवाखाना) खादर-(पु०) 1 कछार, तराई 2 तंग घाटी 3 चारागाह । 3 छोटा बक्सा, डिब्बा (जैसे-चश्मे का खाना, किताबखाना) लगाना घास लगाना
4 (अलमारी का) हिस्सा। खराब + अ० (वि०) खादित-सं० (वि०) खाया हुआ, भक्षित
1 आवारा 2 दूसरों को बिगाड़नेवाला 3 बेघरबार का 4 बर्बाद; खादिम-अ० (पु०) सेवक, ख़िदमतगार (जैसे-आपका खराबीअ० + फ़ा० (स्त्री०) आवारागर्दी; जंगी ख़ादिम)
(स्त्री०) आपसी लड़ाई, गृहयुद्ध; ~ज़ाद (वि०) घर में खादिमा-अ० (स्त्री०) सेविका
(दासी से) जन्मा; ~तलाशी (स्त्री०) घर की तलाशी; खादी-I (स्त्री०) = खद्दर II (वि०) बो० 1 दोष दामाद (पु०) घरजवाई; दार (वि०) घर गृहस्थीवाला, निकालनेवाला 2 दोषों से भरा हुआ। ~धारी - सं० (वि०) गृहस्थ; दारी (स्त्री०) घर गृहस्थी का काम, ग्रार्हस्थ्य; खद्दर पहननेवाला
नशीन (वि०) 1 घर में ही बैठा रहनेवाला 2 बेकार; खादी-सं० (वि०) खानेवाला, भक्षक
पुरी + हिं० (स्त्री०) सारणी के खानों को भरना, रिक्त खादुक-सं० (वि०) 1 कष्ट देनेवाला 2 बुराई करनेवाला स्थानों को भरना; बदोश I (वि०) जिसका ठौर-ठिकाना न खाद्य-I सं० (वि०) खाने योग्य II (पु०) खाने की चीज़ । हो, यायावर II (पु०) स्थायी आवासरहित जन-जाति;
~अनुभाजन (पु०) = खाद्य समवितरण; उद्योग (पु०) खेदोशी (स्त्री०) यायावरी; बरबाद (वि०) घर उजाड़, खाने की वस्तुएँ बनाने का काम; ~कोष्ठ (पु०) अनाज का उड़ाऊ; बरबादी (स्त्री०) घर उजड़ना; ~वीरानी कोठा; ~द्रव्य, ~पदार्थ खाने योग्य वस्तुएँ; ~भोज्य (स्त्री०) घर का सुनसानपन; ~शमारी (स्त्री०) घरों की (पु०) = खाद्य संकट (पु०) खाने की चीज़ों की कमी; गिनती करना गृह, गणना
समवितरण (पु०) खाद्य को समान रूप से बाँटना; - खानि-I (स्त्री०) = खान II (स्त्री०) 1 ओर, तरफ 2 ढंग,
सामग्री (स्त्री०) = खाद्य द्रव्य खाद्याखाद्य-सं० (पु०) खाने योग्य और न खाने योग्य वस्तुएँ खानिल-सं० (पु०) सेंध लगाकर चोरी करनेवाला चोर, सेंध खाद्यान्न सं० (पु०) खाने योग्य अन्न (गेहूँ, चावल आदि) मारनेवाला खाद्यान्नाभाव-सं० (पु०) खाद्यान्न की कमी
खाप-(स्त्री०) आघात खाद्योत्पादन-सं० (पु०) अन्नादि का उत्पादन
खाब-फ़ा० (पु०) = ख़्वाब। ~गाह (स्त्री०) = ख्वाबगाह खान-I (स्त्री०) 1 खदान (जैसे-नमक की खान, लोहे की खाबड़-खूबड़-(वि०) ऊबड़-खाबड़, ऊँचा-नीचा, पथरीला खान) 2 खज़ाना, भंडार II (पु०) 1 खाने की क्रिया | (जैसे-खाबड़-खूबड़ मार्ग) 2 भोजन। ~पान (पु०) खाना-पीना ~पान करना | खाब व ख्याल-फा० + अ० (पु०) = ख़ामख़याली व्यवहार बनाना; ~मज़दूर + फ़ा०, ~श्रमिक + सं० खाम-(पु०) 1 लिफाफा 2 जोड़ (पु०) खान में काम करनेवाला
खाम-फा० (वि०) 1 कच्चा 2 अनुभवहीन, अप्रौढ़ 3 अनुचित खान-फा० (पु०) 1 सरदार 2 मालिक 3 स्वामी [स्त्री खानमख एवं निराधार । ल्खयाल + अ० (वि०) नासमझ, बेवकूफ;
~काह (स्त्री०) दरगाह, मठ; जादा (पु०) ख़ान का खयाली + अ० (स्त्री०) नासमझी, व्यर्थ की कल्पना बेटा; दान (पु०) 1 घराना, कुल 2 कुटुंब; ~दानी | खामखाह-फ़ा० (वि०) = ख़ाहमख़ाह (वि०) 1 कुल क्रमागत, पुश्तैनी 2 कुलीन; बहादुर खामना-(स० क्रि०) 1 गीली मिट्टी आदि से मुँह बंद करना (पु०) 1 ख़ानदान का वीर पुरुष 2 परिवार का मालिक (जैसे-कुठला खामना) 2 गोंद लगाकर बंद करना खानक-(पु०) 1 खान खोदनेवाला 2 खोदनेवाला
(जैसे-लिफाफा खामना) खानगी-1 फा० (वि.) 1 घर का, घरेलू 2 आपस का, निजी | खामी-फा० (स्त्री०) 1कमी 2 कच्चापन 3 दोष (जैसे-काम II (स्त्री०) व्यभिचार से धनोपार्जन करनेवाली औरत, वेश्या | की ख़ामियों की तरफ़ से आँख मूंदना)
तरह
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ख़ामोश
खामोश - फ़ा० (वि०) 1 चुप, मौन 2 शांत (जैसे-बच्चो ! खामोश रहो )
खामोशी - फ़ा० (स्त्री०) 1 खामोश रहने की अवस्था, चुप्पी 2 शांति
खाया - फ़ा० ( पु० ) 1 अंडकोश, फ़ोता 2 पक्षियों आदि का अंडा । -बरदार (वि०) चापलूस, खुशामदी; -दारी (स्त्री०) चापलूसी, खुशामद
खार - (पु० ) 1 क्षार, 2 राख 3 लोना
ख़ार-फ़ा० (पु०) 1 काँटा, फाँस 2 द्वेष, जलन । दार (वि०) काँटों से युक्त, कँटीला (जैसे-ख़ारदार तार ) । खाना द्वेष करना
खारा - I (वि०) 1 क्षारयुक्त 2 नमकीन 3 अरुचिकर II ( पु० ) 1 घास-फूस बाँधनेवाली जाली 2 खाँचा, झावा ख़ारिज-अ० (वि०) 1 निकाला हुआ, बहिष्कृत (जैसे- रजिस्टर से खारिज करना ) 2 अस्वीकृत करना (जैसे - मुक़द्दमा खारिज़ करना)
ख़ारिजी - अ० (वि०) 1 बाहरी, बाह्य 2 परराष्ट्र-संबंधी खारिश - फा० (स्त्री०) 1 खुजली 2 खुजली रोग
खारी - (वि०) क्षारयुक्त, खारा। पन (पु० ) लवणमयता खारुओं - ( पु० ) गहरा लाल रंग का कपड़ा खाल - I (स्त्री०) 1 चमड़ा, त्वचा (जैसे-खाल उतारना, खाल उधेड़ना) 2 मृत देह की खाल (जैसे- पशु की खाल) II (स्त्री०) 1 नीची ज़मीन 2 खाड़ी (जैसे-कच्छ की खाल ) । अपनी खाल में मस्त होना 1 बेपरवाह होना 2 संतुष्ट होना खाल-अ० (पु०) तिल (जैसे-बाँह की खाल)
खालसा - I अ० (वि०) बिना मेल का II (पु०) 1 सिखों का एक प्रमुख संप्रदाय 2 राजा की निजी भूमि
ख़ाला - अ० (स्त्री०) मौसी। ज़ाद, जी का घर
समझना बहुत आसान काम
खाला - (वि०) नीचा (जैसे-ऊँचा-खाला)
खालिक - अ० ( पु० ) बनानेवाला, सृष्टिकर्ता, ईश्वर खालिस - अ० (वि०) 1 शुद्ध (जैसे- खालिस दूध) 2 खरा,
सच्चा
खाली - I अ० (वि०) 1 जिसमें कुछ भरा न हो, रीता, शून्य 2 जिसमें कोई रहता न हो (जैसे-खाली मकान) 3 बेरोज़गार, बेकार (जैसे- खाली बैठना) II (अ०) केवल (जैसे- खाली पेट का धंधा है) । जाना निशाने पर न लगना, व्यर्थ होना; देना हट बढ़कर वार बचाना; ~ हाथ लौट आना निराश
वापस जाना
खालू- अ० (पु० ) 1 मौसी 2 मामूँ
खाविंद - फ़ा० (पु० ) 1 पति, स्वामी, शौहर 2 मालिक ख़ास - अ० (वि०) विशेष, विशिष्ट (जैसे- ख़ास तौर से, ख़ास
सड़क) । ~कर + हिं० (अ० ) 1 विशेषतः 2 विशेष रूप से; ~ कलम ( पु० ) निजी मुंशी; दान + फ़ा० (पु० ) खासक़लम; ~महल
पानदान; ~नवीस + फ़ा० (पु० ) (पु० ) जनानखाना
अत्युत्तम
ख़ासा - I अ० (वि०) 1 काफी अच्छा, (जैसे- अच्छा-खासा) 2 सुंदर (जैसे-खासा चुनना) 3 यथेष्ट II (पु०) मुख्य लक्षण, गुण
ख़ासियत - अ० (स्त्री०) 1 विशेषता 2 स्वभाव
=
खियानत
खाह - फ़ा० ( क्रि० वि०) चाहे (जैसे- ~ यही कर लो ) । -मखाह (कि० वि०) अनावश्यक एवं व्यर्थ का (जैसे- खाहमखाह क्यों परेशान करते हो) खाहाँ-फ़ा० (वि०) चाहनेवाला ख़ाहिश - फ़ा० (स्त्री०) ख़्वाहिश
खिँचना- (अ० क्रि०) 1 खींचा जाना, तनना (जैसे-तार खिंचना) 2 आकृष्ट होना (जैसे- चित्त खिँचना ) 3 बाहर निकलना (जैसे-म्यान से तलवार खिंचना) 4 चित्रित होना (जैसे-तस्वीर ~ ) 5 सार, अर्क निकलना 6 अंकित होना (जैसे- लकीर खिंचना) 7 अप्रसन्न होना (जैसे-मन खिंचना) खिंचवाना - (स० क्रि०) खींचने की क्रिया में अन्य को लगाना खिंचाई - (स्त्री०) 1 खींचने का काम 2 डाँट-डपट खिंचाव - (पु० ) 1 तनाव 2 नाराज़गी, अप्रसन्नता खिंडाना - (स० क्रि०) बो० छितराना, बिखेरना खिचड़ी - I (वि०) आपस में मिला जुला मिश्रित (जैसे- खिचड़ी भाषा, बाल खिचड़ी होना) II (स्त्री०) 1 दाल चावल के मिश्रण से बना भोज्य पदार्थ (जैसे-पतली खिचड़ी) 2 शादी में संपन्न होनेवाली एक रस्म (जैसे- आज खिचड़ी है)। पकाना 1 गुप्त मंत्रणा 2 षड़यंत्र रचना; अपनी खिचड़ी अलग पकाना अपने मतानुसार कार्य करना खिजलाना - (अ० क्रि०) I खीजना II (स० क्रि०) 1 चिढ़ाना 2 विकल करना
ख़िज़ां - फ़ा० (स्त्री०) 1 पतझड़ की ऋतु 2 अवनति काल खिजाना - (स० क्रि०) खिजलाना ख़िज़ाब - अ० (पु०) बालों को काला करने की दवा, केश कल्प (जैसे-दाढ़ी में ख़िज़ाब लगाना )
खिज्र - अ० (पु० ) 1 एक मुस्लिम पैगंबर जो गुमराह लोगों को सन्मार्ग पर लगाने का कार्य करते हैं तथा जिनके अमर होने की कल्पना चिर नवीन है 2 पथप्रदर्शक, मसीहा खिझना - (अ० क्रि०) खीझना खिझाना - (स० क्रि० ) = खिजलाना खिड़कना - (अ० क्रि० ) = खिसकना
खिड़काना - (स० क्रि०) 1 टालना, हटाना 2 बेच देना खिड़की - (स्त्री०) 1 वातायन 2 झरोखा (जैसे-खिड़की की जाली) । दार फ़ा० (वि०) जिसमें खिड़की हो (जैसे-खिड़कीदार कमरा); ~बंद + फ़ा० (वि०) जो किराए पर लिया गया हो
+
195
=
ख़िता - फ़ा० (पु० ) प्रांत, भूखंड
ख़िताब - अ० ( पु० ) 1 उपाधि 2 पदवी
खिताबी - अ० + पु० (वि०) ख़िताब का ख़िदमत - अ० (स्त्री०) सेवा-सत्कार (जैसे-ख़िदमत करना, ख़िदमत में पेश करना) । गार + फ़ा० (पु०) नौकर, टहलुआ; ~गारी + फ़ा० (स्त्री०) टहल, सेवा; गुज़ार + फ़ा० ( पु० ) = ख़िदमतगार; गुज़ारी + फ़ा० (स्त्री०) ख़िदमतगारी
=
ख़िदमती - अ० + फ़ा० (वि०) 1 सेवा करनेवाला 2 ख़िदमत के बदले मिलनेवाला (जैसे-ख़िदमती जागीर) खिद्यमान सं० (वि०) खीझनेवाला
खिन्न सं० (वि०) 13 1 दुःखी 2 उदास 3 दीन खियानत - अ० (स्त्री०)
ख़यानत
=
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खियाना
खियाना - I (अ० क्रि०) बो० घिस जाना II (स० क्रि० ) भोजन कराना
ख़ियाल - अ० ( पु० ) = ख़याल
ख़िराज - अ० (पु० ) 1 कर, मालगुज़ारी 2 अधीनस्थ राज्यों द्वारा दिया जानेवाला राजस्व
196
खिरिदना - (स० क्रि० ) 1पछोरना 2 खुरचना खिलअत - अ० (स्त्री०) सम्मानार्थ दी जानेवाली पोशाक (जैसे- खिलअत देना, खिलअत पहनाना ) ख़िलक़त - अ० (स्त्री०) 1 सृष्टि 3 प्रकृति
रचना 2 जगत, संसार
खिलकौरी - (स्त्री०) बो० खिलवाड़, खेल खिलना - ( अ० क्रि०) 1 विकसित होना 2 प्रसन्न होना 3 भला लगना, अच्छा लगना, फबना 4 अलग-अलग होना (जैसे-चावल खिलना )
खिलवत - अ० (स्त्री०) 1 एकांत स्थल 2 जनशून्य स्थान । ~ खाना + फ़ा० (पु०) अकेले में मिलने का स्थान, गुप्त
स्थान
खिलवाड़ - (पु० ) खेल, मन बहलाव खिलवाडी - (वि०) खिलवाड़ करनेवाला खिलवाना - I (स० क्रि०) भोजन करवाना II (स० क्रि०) 1 प्रसन्न कराना 2 खेल खिलाना III (स० क्रि०) खीलें
लगवाना
खिलाई - I (स्त्री०) 1 खिलाने का काम (जैसे-खिचड़ी खिलाई) 2 खिलाने का नेग 3 खेल खिलाने का काम एवं उसका पारिश्रमिक II (स्त्री०) प्रफुल्ल करवाना, प्रसन्न
करवाना
खिलाड़ी - (पु० ) 1 खेलनेवाला व्यक्ति (जैसे-फुटबाल का खिलाड़ी) 2 खिलवाड़ी (जैसे वह फ़ुटबाल का अच्छा खिलाड़ी है) । ~ प्रशिक्षक + सं० ( पु० ) खिलाड़ियों को खेल संबंधी ज्ञान देनेवाला
खिलाना - I (अ० क्रि०) खाने में प्रवृत्त करना (जैसे- खाना खिलाना) II (स० क्रि०) खेल खेलाना (जैसे-क्रिकेट खिलाना)
ख़िलाफ़ - अ० (वि०) 1 प्रतिकूल, उलटा 2 विपरीत, विरुद्ध । ~मरज़ी (वि०) इच्छा के विरुद्ध वर्जी + फ़ा० (स्त्री०)
1 विरुद्धाचरण 2 आज्ञा का उल्लंघन ख़िलाफ़त - अ० (स्त्री०) 1 ख़लीफ़ा का पद 2 पैगंबर का प्रतिनिधि होना 3 विरोध
ख़िलाल - I अ० (पु० ) फ़ासला (जैसे- ख़िलाल करना) II
(पु०) दाँत खोदने का तिनका (जैसे-दाँतों में ख़िलाल करना) खिलौना - ( पु० ) 1 खेलने की वस्तुएँ (जैसे- काठ का
खिलौना) 2 मन बहलाव की चीज़ 3 बहुत मामूली चीज़ खिलौरी - ( स्त्री०) भोजनोपरांत मुँह का स्वाद बदलने हेतु दी
जानेवाली वस्तु, इलायची, पान आदि
खिल्ली - (स्त्री०) I हँसी-मज़ाक, ठट्ठा II पान का बीड़ा। बाज + फ़ा० (पु० ) उपहास करनेवाला, खिल्ली उड़ानेवाला; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) मज़ाक उड़ाना; उड़ाना उपहास करना, मज़ाक करना
ख़िश्त-फ्रा० (स्त्री०) ईंट
खिसकना - (अ० क्रि०) 1 सरकना 2 चुपके से चल देना
खुचर
खिसकाना - (स० क्रि०) 1 सरकाना 2 चुपके से हथिया लेना खिसलना - (अ० क्रि०) फिसलना (जैसे- पैर खिसलना) खिसलाना - (स० क्रि०) खिसलने के कार्य में अन्य को प्रवृत्त
करना
खिसलाव - ( पु० ) 1 खिसलने की क्रिया का भाव 2 पैर फिसलनेवाला स्थान
खिसारा - अ० (पु० ) 1 घाटा, टोटा (जैसे- खिसारा उठाना ) 2 नुकसान, हानि
खिसिआनपन - (पु० ) खिसियाने की क्रिया खिसिआना - (वि०) 1 क्रुद्ध 2 अप्रसन्न, नाराज़ 3 लज्जित । खिसिआनी बिल्ली खम्भा नोचे दूसरों पर गुस्सा उतारना खींच - (स्त्री०) 1 खींचने की अवस्था (जैसे- पेट्रोलियम की खींच) । खाँचकर, (स्त्री०) खींचा- खींची, नोक-झोंक; खींची (स्त्री०) खींचा-तानी
2 खपत
तान
खींचना - (स० क्रि०) 1 तानना, ऐंचना (जैसे- क्रेन से खींचना ) 2 बाहर निकालना (जैसे- तलवार खींचना ) 3 आकृष्ट करना (जैसे- किसी का दिल खींचना) 4 दूर करना (जैसे-दर्द खींचना ) 5 अर्क निकालना खींचातानी - (स्त्री० ) खींच-तान खीज - (स्त्री०) झुंझलाहट, कुढ़न (जैसे- खीज उठना, खीज भरे स्वर में पूछना ) । ~निकालना गुस्सा उतारना खीजना - (अ० क्रि०) चिढ़, कुढ़न खीझना - (अ० क्रि०) झुंझलाना, चिढ़ना, कुढ़ना खीर - ( स्त्री०) दूध में मिलाकर पकाया गया चावल, सूजी, मखाना आदि (जैसे-खीर चटाना) । चटाना अन-प्राशन करना; टेढ़ी खीर कठिन कार्य
खीरा - (पु० ) ककड़ी की जाति का एक फल । ककड़ी (स्त्री०) तुच्छ वस्तुः खीरे के मोल बिकना 1 सस्ते दाम में बिकना 2 ख़ास महत्त्व न देना
खीरी - (स्त्री०) मादा आदि पशुओं में दूध एकत्र होने का थन का ऊपरी भाग
=
खील - I (स्त्री०) बो० 1 भुना दाना, लावा 2 बहुत छोटा टुकड़ा II (स्त्री०) 1 कील 2 बाँस की पतली तीली 3 खूँटी (जैसे-चक्की की खील) 4 मांस कील 5 मवाद की कील खीली- (स्त्री०) खिल्ली (स्त्री० II ) खीवन - (स्त्री०) मतवालापन, मस्ती
खीस- (स्त्री०) I 1 पशुओं के नुकीले एवं लंबे दाँत 2 खुले एवं बाहर से दिखाई देनेवाले दाँत II लज्जा, शर्म III खीझ, गुस्सा, कुढ़न IV पेउसी। ~निकालना बेहयापन दिखाना
=
खीसा - फ़ा० (पु० ) 1 जेब 2 थैली, बटुआ खुदाना - (स० क्रि०) 1 खोदने के काम में लगाना 2 कुदाना (जैसे- घोड़ा खुदाना )
खुसना - (अ० क्रि०) खोंसा जाना
खुक्ख - (वि०) 1 परम दरिद्र 2 खोखला, निस्सार खुखड़ा - ( पु० ) I घुन लगा पेड़ II कटारनुमा छुरा खुखड़ी - ( स्त्री०) । सूत का पिंड II छोटा खुखड़ा खुगीर - फ़ा० (पु० ) खूगीर खुचर - ( स्त्री०) छिद्रान्वेषण, दोष निकालना (जैसे-खुचरबाजी)
=
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खुजलाना
197
खुरमा
व
खुजलाना-(अ० क्रि०) खुजली होना (जैसे-खोपड़ी | (पु०) खुदा और भगवान् (जैसे-खुदा परमेश्वर सबकी खुजलाना)
सौगंध/कसम खाना); परस्त (वि०) ईश्वर को खुजलाहट, खुजली-(स्त्री०) 1सुरसुरी (जैसे-खुजली पूजनेवाला, भक्त; ~वंद (पु०) 1 ईश्वर 2 मालिक, स्वामी उठना) 2 एक प्रकार का संक्रामक रोग, खाज
खुदाई-(स्त्री०) खोदने का काम, अस्मिता खुजवाना-(स० क्रि०) खोज कराना, खोजवाना
खुदी-फा० (स्त्री०) 1 आपा अहंता 2 गर्व, अहंकार, शेखी खुजाई-(स्त्री०) खोजने का भाव
खददी-(स्त्री०) किनकी (जैसे-चावल की खुद्दी) खुजाना-(अ० क्रि०/स० क्रि०) = खुजलाना
खुनकी-फ़ा० (स्त्री०) ठंड, सरदी खझरा-(पु०) 1 ज़मीन पर फैलनेवाली पेड़ों की जड़ें 2 गुथे | | खुनखुना-(पु०) झुनझुना नाम का खिलौना हुए तंतु
खुनस-(स्त्री०) रोष, क्रोध खुटकना-(स० क्रि०) दाँतों से नोचना, तोड़ना
खुनसाना-(अ० क्रि०) 1क्रोध में कहना 2 बिगड़ना खटका-(पु०) बो० = खटका
खुनसी-(वि०) क्रोधी, गुस्सावर खुटचाल-(स्त्री०) बुरा चाल-चलन, दुराचार
खुफ़िया-I अ० (वि०) छिपा हुआ, गुप्त II (क्रि० वि०) खुटना-(अ० क्रि०) बो० 1 समाप्त होना 2 घटना 3 टूटकर गुप्त रूप से, छिपकर (जैसे-खुफिया जाँच-पड़ताल करना) अलग होना
III (पु०) गुप्तचर, भेदिया। खाना + फ़ा० (पु०) खुटपन, खुटाई-(स्त्री०) = खोटाई, दुष्टता
चकलाघर खटिला-(पु०) कान में पहने जानेवाला एक आभूषण, खुभना-(अ० क्रि०) गड़ना, चुभना करनफूल
खुभी-(स्त्री०) कान में पहनने का फूल, कील, लौंग खुट्ठी-(स्त्री०) खुरंड (जैसे-घाव पर खुट्ठी पड़ना) खुम-फा० (पु०) 1 मटका, घड़ा खुडुआ-(पु०) = खोई
खाना (पु०) शराबख़ाना, मदिरालय खड्डी-(स्त्री०) 1 पायदान (जैसे-पाखाने की खड्डी) खुमार-अ० (पु०) नशा, मद। -तोड़ना नशा दूर करना 2 पाखाने का चूल्हा
खुमारी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) सुस्ती, आलसपन खुतबा-अ० (पु०) 1 तारीफ़, प्रशंसा 2 व्याख्यान 3 भाषण खुमी-(स्त्री०) | ऐसी वनस्पतियाँ जिसमें फूल एवं पत्ते बिल्कुल (जैसे-किसी के नाम का खुतबा पढ़ना)
नहीं रहते (जैसे-कुकुरमुत्ता, गुच्छी आदि) II 1 दाँत में जड़ी खुद-फा० स्वयं, आप। इख्तियार । अ० (वि०) - हई सोने की कील 2 कानों में पहना जानेवाला एक प्रकार का खुदमुख्तार; कार (वि०) अपनो: ~काश्त I (वि०) गहना खद जोती-बोई हई II (स्त्री०) ऐसी ज़मीन जिसे ज़मींदार खुद खुरंड-(पु०) घाव के ऊपर की पपड़ी जोते; कुशी (स्त्री०) आत्महत्याः ग़र्ज + अ० (वि०) | खुर-सं० (पु०) 1 सुम, नख 2 चारपाई के पाये का निचला स्वार्थी, मतलबी; ~ग़ज़ी + अ० (स्त्री०) स्वार्थपरता, | हिस्सा 3 नख नामक गंध द्रव्य 4 नाल। ~बंदी + फ़ा० मतलबपरस्ती; दार (वि०) स्वाभिमानी; ~नुमा (वि०) (स्त्री०) नालबंदी आत्म प्रशंसक; नुमाई (स्त्री०) आत्मप्रशंसा की नुमाईश; । खुर, खुर-खुर-(स्त्री०) बलगम आदि फँसने से होनेवाला
परस्त (वि०) 1 घमंडी 2 स्वार्थी; ~पसंद (वि०) घर-घर शब्द 1 हठी, जिद्दी 2 घमंडी, -ब-खद (क्रि० वि०) आप से खुरखुरा-(वि०) खुरदरा आप, स्वतः (जैसे-ऐसा खुद-ब-खुद हो गया); -बीं खुरखुराना-(अ० क्रि०) | खरखर शब्द होना (जैसे-गला (वि०) रूप एवं गुण का घमंड करनेवाला, घमंडी, खुट्परस्त: खुरखुराना) || ऊबड़-खाबड़ लगना ~मतलब + अ० (वि०) = खुदग़रज़; ~मतलबी + अ० खुरखराहट स्त्री०) - स्तुर-खुर • फा० (स्त्री०) -- खुदग़रज़ी; ~~मुख्तार + अ० (वि०) खरचन-(स्त्री०) 1 खरचकर निकाली गई वस्तु 2 खुरचने की जिसपर किसी का नियंत्रण न हो, स्वतंत्र; मुख्तारी + अ० क्रिया 3 खुरचकर निकाली गई मलाई • फा० (स्त्री०) स्वतंत्रता; रंग (वि०) अपने असली रंग खरचना-(स० क्रि०) जमी चॉज़ को छीलकर अलग करना का; राई, अ० + फ़ा० (स्त्री०) स्वेच्छाचारिता: राय (जैसे-कड़ाही में से मलाई खुरचना) + अ० (वि०) स्वेच्छाचारी
खुरचनी-(स्त्री०) खुरचने का आला, खुरचने का उपकरण खुदरा-(वि०) 1 फुटकर (जैसे-खुदरा पैसा, खुदरा सौदा) खुरचाल-(स्त्री०) दुष्टता 2 खरखुरा
खुरजी-फा० (स्त्री०) पशुओं की पीठ पर सामान रखने का खुदरा-फा० (पु०) 1 छोटी और साधारणं वस्त्, फुटकर वस्तु बड़ा थैला 2 छोटे-छोटे अंश 3 फुटकर वस्तु [विलोमः थोक दाम खुरदरा-(वि०) जो चिकनी सतह का न हो. रुक्ष, दानेदार + हिं० (पु०) फुटकर कीमत; ~फ़रोश (पु०) खुदरा चीजें (जैसे-खुरदरा कपड़ा, खुरदरा पत्थर) बेचनेवाला; बिक्री • हिं० (स्त्री०) फुटकर बिक्री, , खुरदा-फा० (पु०) - खुदरा थोड़ा-थोड़ा करके बेचना
खुरदुरा-(वि०) रुक्ष, दानेदार खदवाना-(स० क्रि०) खोदने का काम किसी अन्य से करवाना खुरपा (पु०). खुरपी-(स्त्री०) घास काटने एवं बाँस आदि खुदा-फा० (पु०) परमात्मा, परमेश्वर; ~ई (स्त्री०) | छीलने का एक औज़ार 1 ईश्वरता 2 ईश्वर की महिमा 3 दुनियाः परमेश्वर + सं० | खुरमा-फा० (पु०) 1 एक प्रकार का मीठा पकवान 2 छुहारा
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खुरहर
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झूटना
खुरहर-(पु०) बो० 1 पशुओं के खुर का निशान, खुर की छाप खत + अ० (वि०) 1 सुंदर लिखनेवाला, सुलेखक 2 पगडंडी
2 स्पष्ट एवं सुंदर अक्षरों में लिखा हुआ; -खती + अ + खरा-(पु०) 1 खुरपका रोग 2 हल के फाल में लगाया फ़ा० (स्त्री०) स्पष्ट एवं सुंदर लिखावट; खबरी + अ० . जानेवाला काँटा
फ़ा० (स्त्री०) शुभ समाचार, मंगल संदेश; खश अ० खुराई-(स्त्री०) पशुओं के आगे या पीछे के दोनों पैरों को एक खुशी-खुशी, प्रसन्नता पूर्वक; गवार (वि०) 1 प्रिय साथ बाँधनेवाली रस्सी
2 सुखद; ~गुज़रान (वि०) सुखमय जीवन व्यतीत खुराक-फा० (स्त्री०) 1 भोजन, खाना 2 भोजन की एक समय करनेवाला; -दिल (वि०) प्रसन्नचित्त; नवीस (वि०)
की नियत मात्रा 3 दवा की खुराक। -बंदी (स्त्री०) कब स्पष्ट एवं सुंदर लिखनेवाला, सुलेखक, खुशखत; नवीसी खुराक देनी है इसकी व्यवस्था
(स्त्री०) 1 सुंदर एवं स्पष्ट लिखावट 2 सुंदर एवं स्पष्ट लिखने खराकी-I फ्रा० (वि०) अधिक भोजन करनेवाला II (स्त्री०) की कला; नसीब + अ० (वि०) = खुशकिस्मत; 1 खाने का खर्च 2 भोजन सामग्री
नसीबी + अ० (स्त्री०) - खुशकिस्मती, नुमा खुराघात-सं० (पु०) 1 खुर से किया गया प्रहार 2 टाप से (वि०) भला लगनेवाला, सुंदर; ~पोश (वि०) अच्छे मारना
कपड़े पहननेवाला; ~फहमीअ० + फ़ा (स्त्री०) ठीक खुराफात-अ० (स्त्री०) 1 शरारत 2 गालीगलौज 3 अश्लील समझ; बयान + अ० (वि०) अच्छे ढंग से वर्णन बातें (जैसे-खुराफात उठाना)
करनेवाला, सुवक्ता; बू (स्त्री०) सुगंधि; बू-दार खुरिया-(स्त्री०) कटोरी, छोटी प्याली
(वि०) सुगंधियुक्त, सुगंधित, मिज़ाज + अ० (वि०) खुरी-(स्त्री०) सुम का निशान, खर-छाप (जैसे-पशु की 1 अच्छे स्वभाववाला (जैसे-खुशमिज़ाज इसान) खुरी)। ~करना जल्दी मचाना
2 प्रसन्नचित्त, हँसमुख; हाल + अ० (वि०) संपन्न, सुखी; खुर्द-फा० (वि०) छोटा, लघु। -बीन (स्त्री०) अणुवीक्षण हाली + अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 खुशहाल होने की यंत्र, सूक्ष्मदर्शक यंत्र; -बुर्द I (पु०) 1 खा-पी जाना अवस्था 2 संपन्नता (जैसे-घर की खुशहाली) 2 राबन, खयानत II (वि०) नष्ट-भ्रष्ट; ~साल (वि०) खुशामद-फा० (स्त्री०) झूठी प्रशंसा, चापलूसी 1 कमसिन 2 छोटा; ~साली (स्त्री०) 1 कमसिनी 2 बचपन (जैसे-खुशामद करना) खा-I फ्रा० (पु०) साधारण वस्तु II (वि०) खाया हुआ, खुशामदी-फ़ा० (वि०) खुशामद करनेवाला, चापलूस भक्षित III (अ०) थोड़ी मात्रा में
खुशी-फा० (स्त्री०) 1 प्रसन्नता 2 मर्जी, इच्छा (जैसे-आपकी झुर्रा-(वि.) = खुरखुरा
खुशी से मेरा काम हो जाएगा)। ~का सौदा ऐसा काम जो खुर्राट-(वि०) 1 धूर्त, काइयाँ 2 अनुभवी 3 वृद्ध, बूढ़ा स्वेच्छा से किया जाए; ~से फूल उठना अति प्रसन्न होना, खुलता-(वि०) खुला हुआ (जैसे-खुलता मकान)
खिल उठना खुलना-(अ० क्रि०) 1आवरण हटना 2 रोक हटना खुश्क-फ़ा० (वि०) 1रूखा 2 सूखा 3 अरसिक, नीरस (जैसे-फाटक का खुलना) 3 बंधन छूटना (जैसे-बेड़ियाँ (जैसे-खुश्क मिज़ाजवाला)। ~साली (स्त्री०) । अनावृष्टि खुलना) 4 दरार होना 5 अलग होना (जैसे-साड़ी का पल्ला 2 अकाल खुलना) 6 उधड़ना (जैसे-सिलाई खलना) 7 मनोभाव प्रकट खुश्का-फा० (पु०) पानी में पका हुआ चावल करना 8 (रंग) साफ़ होना 9 उदित होना (जैसे-भाग्य खुश्की -फ़ा० (स्त्री०) 1 रूखापन 2 सूखापना 3 नीरसता, खलना) 10 स्थापित होना (जैसे-विद्यालय खलना)। रसहीनता 4 अवर्षण 5 सूखी ज़मीन, स्थल खुलकर 1 निःसंकोच 2 प्रकट रूप में; बिरादरी में खुस-खुस-(वि०) = खुसुर-फुसुर हुक्का-पानी खुलना एक बार फिर सम्मान मिलना, दोबारा खुसफुसाहट-(वि०) खुसुर-फुसुर मेलजोल होना
खुसिया-अ० (पु०) अंडकोश, फोता खुला-(वि०) 1 प्रकट 2 ज़ाहिर 3 जो बंद न हो (जैसे-खला खुसियाबरदार-अ० + फ़ा० (वि०) सभी तरह की सेवा करके दरवाजा) 4 जो बैंधा न हो (जैसे-खुला हआ बैल) 5 जो बंद | खुश करनेवाला न हो (जैसे-खुला पानी का नल) 6 जो तंग न हो (जैसे-खुला | खुसियाबरदारी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) खुश करने के लिए रास्ता)। खुली मुट्ठी झेना दान देने में उदार होना; खुले घटिया से घटिया सेवा करना आम, खुले खज़ाने, खुले बंदा, खुले बाज़ार, खुले खुसुर-फुसुर-I (स्त्री०) कानाफूसी II (क्रि० वि०) मैदान बेधड़क, सबके सामने, अलानिया; खले दिल का कानाफूसी में उदार, साफ़ दिल; खुले दिल से उदारतापूर्वक
खुसूसन्-अ० (क्रि० वि०) खास तौर पर, विशेषतः खुलासा-I अ० (पु०) सारांश (जैसे-खुलासा निकालना) II खुसूसियत-अ० (स्त्री०) 1 विशेषता 2 मेल, सौहार्द
(वि०) 1 खुला हुआ 2 विस्तृत 3 स्पष्ट 4 बिना रुकावट का खुही-(स्त्री०) = खोई खुल्लम,खुल्ला -(क्रि० वि०) 1 खुलकर, सबके सामने वखार, बख्खार-फा० (वि०) 1 हिंसक 2 अत्यधिक क्रूर, 2 सबको सूचित करते हुए |
निर्दयी खश-फा० (वि०) 1 प्रसन्न 2 सुखी (जैसे-खुश होना, खुश | बैट-(पु०) 11 कपड़े आदि का छोर 2 किसी ओर का सिरा करना)। किस्मत + अ० (वि०) भाग्यवान; किस्मती 3 दिशा 4 भाग, खंड II कान का मैल + अ० + फ्रा० (स्त्री०) सौभाग्य (जैसे-खुशकिस्मती से); | बँटना-(स० क्रि०) 1खोंटना (जैसे-मेंहदी टना)
2 छेड़-छाड़ करना 3 रोकना
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खूँटा
खूँटा - ( पु० ) मेख (जैसे- गाय बाँधने का खूँटा) गाड़ना 1 जम जाना 2 केंद्र निश्चित करना
खूँटी - (स्त्री०) 1 छोटी मेख 2 कपड़े आदि टांगने की दीवार में लगी हुक 3 चक्की की किल्ली (जैसे-चक्की की खूँटी
कसना)
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खुदना - (अ० क्रि०) 1 टाप से ज़मीन खोदना 2 पाँव पटकना 3 पाँव से रौंदना खूगीर - फा० (पु० ) 1 ज़ीन के नीचे का ऊनी कपड़ा 2 चारजामा, ज़ीन 3 रद्दी सामान
=
खून फा० (पु० ) 1 लहू, रक्त 2 हत्या, क़त्ल । खच्चर + हिं० (पु०) खराबा + अ० (पु०), खराबी अ० + फ़ा० (स्त्री०) मार-काट, खून-क़त्ल पसीना हिंο (पु० ) कड़ा परिश्रम; ~रेज़ (पु०) खून बहानेवाला; रेज़ी (स्त्री०) खून खच्चर; ~ उतरना अत्यधिक क्रुद्ध होना; ~का जोश सगे न की मुहब्बत, ममता का प्यासा जानी दुश्मन के आँसू रोना अत्यधिक विलाप करना; ~के घूँट पीना क्रोध सह जाना; ~खौलना गुस्से से लाल होना; पानी होना 1 बहुत ग़म होना 2 बेहद तकलीफ़ होना; पीना 1 बहुत सताना 2 मार डालना; बहाना रक्तपात करना, क़तल करना; मुँह को लगना 1 काटने की आदत पड़ जाना 2 चाट लगना; ~ सफ़ेद हो जाना 1 मानवता न रह जाना 2 निष्ठुर होना; सिर पर चढ़कर बोलता है हत्या का पाप नहीं छिपाया जा सकता; सिर पर चढ़ना, सिर पर सवार होना 1 खून करने पर आमादा हो जाना 2 घबराहट प्रकट होने लगना; सूख जाना डर जाना; ~होना जान जाना
+
खूनी - I फ़ा० ( वि० ) 1 खून संबंधी, खून का 2 खून से भरा हुआ 3 खून करनेवाला, हत्यारा (जैसे- खूनी व्यक्ति ) II (पु० ) हत्यारा
खूब - I फ़ा० (वि०) 1 अच्छा, बढ़िया 2 सुंदर II ( अ० ) 1 अच्छी तरह 2 बहुत 3 वाह। सूरत + अ० (वि०) सुंदर, रूपवान् सूरती + अ० + फ़ा० (स्त्री०) सुंदरता खूबड़-खाबड़ - (वि०) ऊपर-नीचे, ऊँचा-नीचा (जैसे- खूबड़-खाबड़ जगह )
खेला-खाया
करना; कमाना खेत को उपजाऊ बनाना; ~करना 1 खेत समतल करना 2 युद्ध करना; काटना खड़ी फ़सल चोरी करना; छोड़ना भाग जाना, पीठ दिखलाना; रखना युद्ध में शत्रु को मारना, शत्रु को न जीतने देना; ~ रहना युद्ध में
मारा जाना
खेतिहर - ( पु० ) किसान, कृषक। किसान (पु० ) खेतिहर ; ~दल सं० (पु० ) किसानों का समूह; देश
सं० (पु० ) कृषि प्रधान देश मज़दूर + फ़ा० (पु० ) खेत मज़दूर
+
=
खेती - (स्त्री०) 1 किसानी 2 खेत की फ़सल (जैसे-खेती काटना, खेती मारी जाना) । -किसानी (स्त्री०) खेती; ~बाड़ी, बारी (स्त्री०) खेती; भूमि + सं० (स्त्री०) खेती किए जाने योग्य भूमि व्यवस्था ( स्त्री०)
~
खूबानी - फ़ा० (स्त्री०) एक बढ़िया फल, जरदालू खूबी - फ़ा० (स्त्री०) 1 अच्छाई, अच्छापन 2 विशेषता 3 भलाई खूसट - (वि० ) 1 मूर्ख 2 शुष्क हृदय खुष्टीय-अं० खेचर -सं० (पु०) 1 पक्षी 2 ग्रह
+ सं० (वि०) ईसा का
खेचरी-सं० (स्त्री०) आकाश में उड़ने की शक्ति खेजड़ी - (स्त्री०) एक प्रकार का वृक्ष खेटक, खेट-सं० (पु० ) 1 किसानों की बस्ती 2 ढाल 3 आखेट
खेड़ा - (पु० ) 1 छोटा गाँव 2 रद्दी अन्न । पति + सं० (पु० ) गाँव का पुरोहित, मुखिया
खेड़ी - (स्त्री०) 1 एक तरह का इस्पात 2 आँवल खेत - (पु० ) 1 फ़सल उत्पन्न करने हेतु ज़मीन एवं क्षेत्र 2 खेत में खड़ी फ़सल (जैसे-खेत काटना) 3 युद्ध क्षेत्र, समरभूमि । ~ खलिहान ( पु० ) खेत आदि; मज़दूर + फ़ा० (पु० ) खेत में काम करनेवाला श्रमिक आना वीरगति प्राप्त
खेती
खेद-सं० (पु० ) दुःख, रंज (जैसे-खेद प्रकट करना, खेद होना) । चकित (वि०) दुःखी जनक (वि०) 1 दुःख देनेवाला 2 शोचनीय प्रदर्शन (पु० ) दुःख प्रकटन खेदना - (स० क्रि० ) = खदेड़ना खेदा - ( पु० ) 1 हँकवा 2 आखेट, शिकार खेदित-सं० (वि०) 1 दुखी किया गया 2 थका हुआ, शिथिल खेना- (स० क्रि०) 1 पतवार चलाना, डाँड़ मारना (जैसे-नदी में नाव खेना) 2 व्यतीत करना, गुज़ारना (जैसे- संकट के दिन खेना) खेनेवाला - (पु० ) खेवनहार खेप - (स्त्री०) 1 बोझ 2 एक बार में ढोया जानेवाला बोझ 3 एक फेरा। ~ हारना 1 घाटा उठाना 2 मेहनत बेकार जाना खेपना - (स० क्रि०) 1 = खेना 2 सहन करना खेमा - अ० (पु० ) डेरा, तंबू । गाह + फ़ा० (स्त्री०) तंबू गाड़ने की जगह; गाड़ना पड़ाव डालना, टिकना खेल - (पु० ) 1 मन बहलाव के लिए की जानेवाली चेष्टा, क्रीड़ा 2 करतब 3 तमाशा 4 अभिनय 5 लीला । -कूद (स्त्री०) 1 उछल-कूद 2 खेलक्रीड़ा (जैसे- खेल-कूद का मैदान); -कूद समारोह + सं० (पु०) खेल-क्रीड़ा हेतु एकत्र होना; ~टिप्पणीकार सं० (पु०) खेल की आलोचना करनेवाला; ~ करना हँसी में उड़ाना, उपेक्षा करना; के दिन 1 लड़कपन 2 खेलने-खाने के दिन; खेलना कोई अप्रत्याशित बुरा काम करना; बिगाड़ना काम बिगाड़ना; ~ समझना आसान काम जानना खेलना-I (अ० क्रि०) 1 उछलना-कूदना 2 क्रीड़ा करना 3 अभुआना II (स० क्रि०) 1 कोई खास खेल खेलना (जैसे- जुआ खेलना ) 2 अभिनय करना (जैसे- नाटक खेलना ) । ~ खाना (स० क्रि०) खेलने-खाने से मतलब रखना, निर्द्वद्व होकर जीवन का मज़ा लूटना, मौज-मस्ती करना; जान पर ख़तरा मोल लेना खेलवाड़ - (पु० ) खेल खेलवाड़ी - (वि०) खेल-कूद में अधिक रुचि रखनेवाला खेलवाना - (स० क्रि०) 1 किसी अन्य को खेलने में प्रवृत्त करना 2 अपने साथ अन्य को खेलने देना खेला-खाया - (वि०) जिसने विलासिता के सुख का अनुभव एवं ज्ञान प्राप्त किया हो
=
=
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खेलाड़ी
खेलाड़ी - (पु० )
खिलाड़ी
खेलाना - (स० क्रि०) 1 खेल में शामिल करना 2 खेलने का अवसर देना 3 बहलाना
खेवट - ( पु० ) I पटवारियों की बही II केवट, नाव खेनेवाला । दार + फ़ा० (पु०) पट्टीदार
खेवनहार - (पु० ) 1 नाव खेनेवाला 2 पार लगानेवाला खेवा - (पु०) 1 नाव खेने की मज़दूरी, उतराई 2 नाव की खेप खेवाई - ( स्त्री०) 1 खेने का काम 2 खेने का पारिश्रमिक खेवैया - ( पु० ) नात्र खेकर पार ले जानेवाला, नाविक खेस - (पु० ) मोटे सूत की बनी चादर खेसारी - ( स्त्री०) लतरी दाल
खेह - (स्त्री०) 1 धूल 2 राख खैंचना - (स० क्रि०) खींचना
=
खैनी- (स्त्री०) सुरती के पत्ते का चूर्ण
खैर - (पु० ) 1 कथ कीकर, सोनकीकर 2 कत्था ख़ैर- I अ० (अ०) 1 ऐसा ही सही, अच्छा 2 कोई चिंता नहीं, देखा जाएगा II (स्त्री०) कुशल । आफ़ियत (स्त्री०) कुशल-मंगल, कुशलक्षेम; खाह + फ़ा० (पु० ) भलाई चाहनेवाला व्यक्ति; ख़ाही + फ़ा० (स्त्री०) शुभचिंतना, कल्याण कामना; बाद + फ़ा० कुशल पूर्वक रहो खैरा - (वि०) खैर या कत्थे के रंग का
खैरात - अ० (स्त्री०) दान
खैराती-अ० + फ़ा० (वि०) खैरात के धन से चलनेवाला (जैसे-ख़ैराती अस्पताल)
खैरियत - अ० (स्त्री० ) खैर - आफ़ियत खोइचा - (पु० ) 1 साड़ी का अंचल, किनारा 2 विदाई के समय का धन । ~ भरना आँचल में गुड़ आदि देना (जैसे-विदाई समय खोइचा भरना )
खोंगाह - सं० ( पु०) सफ़ेद और भूरे रंग का घोड़ा खोंच - ( स्त्री०) खरोंच (जैसे- खोंच आना, खोंच लगना) खोंचा - (पु० ) 1 लग्घी 2 बेचने की छोटी-मोटी चीज़ों का
बक्सा
खोंची - (स्त्री०) भिखारी को दिया जानेवाला अन्न खोंटना - (स० क्रि०) 1 फुनगी नोच लेना 2 टुकड़े-टुकड़े करना खोंडर - (पु० ) वृक्ष के तने का खोखला भाग, कोटर खोड़ा - I (वि०) 1 विकलांग 2 टूटा हुआ 3 कुंठित II ( पु० ) कोठिला
खोंता - (पु० ) घोंसला
खोंप - (स्त्री०) 1 दूर-दूर लगा हुआ टाँका 2 खोंच खोंपा - (पु० ) 1 हल में फाल लगानेवाली लकड़ी 2 छाजन
आदि का कोना 3 छाजनदार घेरा 4 स्त्रियों के बालों का जूड़ा खोंसना - (स० क्रि०) अटकाना, फँसाना (जैसे- कमर में धोती खोंसना)
200
खोभार
-ख़बर + अ० (स्त्री०) जाँच पड़ताल; पूछ (स्त्री०) पूछ-ताछ; बीन + फ़ा० (स्त्री०) खोज - ख़बर; मारना पैर या लीक के चिह्न न रहने देना; मिटाना चिह्न तक न रहने देना खोंजड़ा - ( पु० ) पदचिह्न
खोजना - (स० क्रि० ) 1 ढूँढ़ना 2 अनुसंधान, शोध करना खोजवाना - (स० क्रि०) खोजने के कार्य में अन्य को प्रवृत्त
खोई - (स्त्री०) 1 रस निकाले हुए ईख के डंठल 2 लाई, लावा 3 रामदाने की लइया
खोखला - (वि०) 1 पोला 2 थोथा । पन (पु० ) पोलापन खोखा - I (पु० ) 1 हुंडी लिखा हुआ काग़ज़ 2 अदा की गई हुंडी II ( पु० ) बालक, लड़का
खोज - (स्त्री०) 1 तलाश 2 अन्वेषण, शोध (जैसे - वैज्ञानिक खोज) । ~कर्ता + सं० (वि०) खोज करनेवाला, अन्वेषक;
करना
खोजा - फ़ा० ( पु० ) 1 सम्मानित व्यक्ति 2 नपुंसक सेवक 3 सेवक
खोजी - (वि०) खोजनेवाला, ढूँढ़नेवाला (जैसे- खोजी दल) खोट - ( पु० ) 1 दोष 2 निकृष्टता 3 दुष्टता 4 मिलावट खोटा - (वि०) 1 सदोष, बुरा 2 घटिया (जैसे-खोटा सोना) 3 खल, दुष्ट 4 मिलावट वाला । खरा (वि०) 1 अच्छा-बुरा 2 सच्चा झूठा 3 घटिया-बढ़िया पन (पु० ) खोटाई खाना बेईमानी की कमाई खाना; पैसा बिना क़ीमत का ; ~ माल मिलावटी सामान, निकृष्ट वस्तु खोटाई - ( स्त्री० ) 1 खोटापन 2 कपट, छल 3 ऐब, दोष खोड़रा - (पु० ) वृक्ष का खोखला भाग खोद-फ़ा० (पु० ) लोहे का टोप
खोद - (पु०) बो० 1 खोदने की क्रिया 2 छानबीन, जाँच-पड़ताल । ~ विनोद (पु० ) छेड़-छाड़ खोदना - (स० क्रि०) 1 खुरचना, कुरेदना 2 गड्ढा करना 3 खुदाई करके उखाड़ना (जैसे-पेड़ की जड़ खोदना) 4 नक्काशी करना (जैसे-पत्थर पर चित्र खोदना) 5 उभारना
6 उकसाना
खोदनी - (स्त्री०) खोदने का औज़ार
खोदाई - (स्त्री०) 1 खोदने की क्रिया 2 खोदने का पारिश्रमिक (जैसे- कोयले की खोदाई) 2 बेल-बूटे बनाने का काम (जैसे- लकड़ी की खोदाई) 3 खोदकर बाहर निकालने का भाव खोनचा - फ़ा० (पु० ) फेरी लगाकर सौदा बेचनेवाला बड़ा
थाल । ~ लगाना गली-गली घूमकर सौदा बेचना खोना - I (अ० क्रि०) अन्यमनस्क हो जाना II (स० क्रि० )
1 गँवाना, भूल जाना 2 नष्ट होना, क्षति होना (जैसे-दुर्घटना में आँखें खोना) 3 बरबाद करना (जैसे- सारी दौलत खोना) 4 सदुपयोग न कर पाना (जैसे- अवसर हाथ से खोना) । खो जाना सिटपिटा जाना, हक्का-बक्का रहना, खोया-खोया रहना 1 गुम सुम रहना 2 सोच-विचार में निमग्न रहना खोपड़ा - (पु०) 1 कपाल 2 सिर 3 मस्तिष्क 4 नारियल का बना
खप्पर
खोपड़ी - ( स्त्री०) 1 सिर की हड्डी, कपाल 2 सिर। खा जाना, चाट जाना व्यर्थ की बातें करके परेशान करना; ~ खुजलाना मार खाने का कार्य करना; गंजी करना खूब मारना; -~ गढ़ना बलात् धन वसूलना; बजाना तंग कराना खोपरा - (पु० ) बो० खोपड़ा खोपा - (पु० ) 1 छाजन का कोना 2 मकान का बाहरी कोना 3 जूड़ा बँधी चोटी 4 गरी का गोला खोभना - (स० क्रि०) धँसाना, गड़ाना, चुभाना खोभार - (पु०) बो० 1 कूड़ा फेंकने का गड्ढा 2 तंग अँधेरी कोठरी
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ग
खोमचा 201
गंज खोमचा-(पु०) = खोनचा
ख्रिष्टीय-अं० + सं० (वि०) ख्रिष्ट संबंधी, मसीही खोया-(पु०) दूध औटने से बना हुआ नया पदार्थ ख्रीष्ट-अं० (पु०) ईसा मसीह खोर-(स्त्री०) 1 सँकरी गली, कूचा 2 नाँद
ख़्वाजा-फ़ा० (पु०) फ़कीर, महात्मा खोरना-(स० क्रि०) स्नान करना, नहाना
ख़्वान, ख़्वानचा-फा० (पु०) = खोनचा खोरनी-(स्त्री०) भट्टी में ईंधन रूप में झोंकी जानेवाली लकड़ी । ख्वाब-फ़ा० (पु०) 1 स्वप्न, सपना 2 सोने की अवस्था, नींद। खोरा-I (पु०) छोटा कटोरा, प्याला II (वि०) लूला-लंगड़ा गाह शयनागार, शयनकक्ष खोराक-फ़ा० (स्त्री०) = खुराक
ख्वाबी-फ़ा० (वि०) चाब का खोरिया-(स्त्री०) बो० छोटी कटोरी
ख्वार-फा० (वि०) 1 तबाह, नष्ट भ्रष्ट 2 बेइज़्ज़त, ज़लील खोरी-(स्त्री०) सँकरी गली
ख़्वारी-फ़ा० (स्त्री०) 1 दुर्गत, दुर्दशा 2 बेइज्जती खोल-(पु०) 1 आवरण (जैसे-दाँत पर खोल चढ़ाना) ख्वास्तगार-फ़ा० (वि०) चाहनेवाला, इच्छुक 2 केंचुल 3 गिलाफ़ (जैसे-तकिये का खोल)
ख्वाह-फ़ा० (अ०) चाहे, अथवा, या खोलना-(स० क्रि०) | आवरण हटाना, अवरोध हटाना ख्वाहमख्वाह-फ़ा० (वि०) = ख़ाहमख़ाह (जैसे-खिड़की का पर्दा खोलना) 2 बंधन रहित करना ख्वाहाँ-फ़ा० (वि०) 1 इच्छुक 2 प्रेमी (जैसे-पैरों की बेड़ियां खोलना) 3 छेद करना (जैसे-फोड़े का ख्वाहिश-फा० (स्त्री०) अभिलाषा, चाह। ~मंद (वि०) = मुँह खोलना) 4 उधेड़ना (जैसे-कपड़े की सिलाई खोलना)
ख्वाहाँ 5 ज़ाहिर करना, प्रकट करना (जैसे-मन की बात खोलना) 6 आरंभ करना 7 स्थापित करना (जैसे-विद्यालय खोलना) 8कायरिंभ करना 9 अनुष्ठान आदि समाप्त करना (जैसे-रोज़ा खोलना) खोली-(स्त्री०) 1 तकिये आदि का ग़िलाफ़ 2 छोटी कोठरी खोशा-फा० (पु०) 1 फलों का गुच्छा 2 अनाज की बाल।
चीनी (वि०) दूसरे की विद्या, पांडित्य से लाभ उठानेवाला खोह-(स्त्री०) 1 गुफा, कंदरा 2 गहरा गड्ढा
गंग-(स्त्री०) गंगा। ~धर (पु०) शिव; बरा + फ़ा० खों-(स्त्री०) खात, गड्ढा
(स्त्री०) नदी की धारा से कटी हुई ज़मीन खौफ़-अ० (पु०) डर, भय, आतंक। नाक + फ़ा०
गंगा-सं० (स्त्री०) 1 भारतवर्ष की एक प्रसिद्ध एवं पवित्र नदी (वि०) डरावना, भयानक
जिसे लाने का श्रेय भगीरथ को माना गया है 2 भागीरथी, खौर-(पु०) 1 चंदन का आड़ा तिलक 2 तिलक लगाने का जाहनवी। गति (स्त्री०) 1मौत 2 मुक्ति, मोक्ष; पीतल का टुकड़ा 3 माथे पर पहने जाने योग्य स्त्रियों का एक जमनी, जमुनी + हिं० (वि०) गंगा और जमुना के गहना
मेल की तरह, दो रंगा, मिला जुला; -जल (पु०) गंगा नदी खौरना-(स० क्रि०) 1 तिलक लगाना 2 छेड़छाड़ करना का पवित्र एवं स्वच्छ पानी; जली + हिं० (स्त्री०) गंगाजल खोरहा-(वि०) 1 गंजा 2 खौरा रोगवाला
उठाने का छोटा सुराहीनमा पात्र; -जली उठाना कसम खाना; खोरा-(पु०) 1 सिर के बाल झड़ने का रोग, गंज 2 एक प्रकार द्वार हरिद्वार; ~धर (पु०) शिव; पुत्र (पु०) । भीष्य की खुजली जो पशुओं को होती है
2 पंडा; यात्रा (स्त्री०) मरणासन्न व्यक्ति को गंगातट पर ले खौलना-(अ० क्रि०) 1 उबलना 2 जोश खाना। मिजाज जाने की प्राचीन प्रथा, स्वर्गवास; ~लाभ (पु०) मृत्यु, खोलना-आवेश में आना
स्वर्गवास; ~सागर (पु०) एक प्रसिद्ध तीर्थस्थान; खौलाना-(स० क्रि०) 1 उबालना (जैसे-पानी खौलाना)
नहाना कर्तव्य पालन करके मुक्त होना 2 क्रुद्ध करना
गंगाल-(पु०) बड़ा जलपात्र, कंडाल खौहा-(पु०) अत्यधिक भोजन करनेवाला व्यक्ति, पेट्र एवं गंगावतरण-सं० (पु०) गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर आना भुक्खड़ व्यक्ति
गंगेश-सं० (पु०) शिव ख्यात-I सं० (वि०) प्रसिद्ध, मशहूर II (पु०) कालवृत्त,
गंगोत्तरी-सं० (स्त्री०) गंगा के निकलने का स्थान, गंगा का इतिवृत्त
उद्गम स्थल ख्याति-सं० (स्त्री०) प्रसिद्धि, यश, शोहरत। प्राप्त (वि०)
गंगोदक-सं० (पु०) = गंगाजल = ख्यात
गंगोटी-(स्त्री०) 1 गंगा के किनारे की बालू 2 गंगा के किनारे ख्यापक-सं० (वि०) 1 घोषणा करनेवाला 2 अपराध स्वीकार की मिट्टी करनेवाला
गंज-(पु०) सिर के बाल झड़ने का रोग, गंजापन ख्यापन-सं० (पु०) 1 घोषणा करना 2 अपराध स्वीकार करना गंज-फा० (पु०) 1 ख़ज़ाना, धनराशि 2 ढेर, राशि 3 समूह, ख्याल-अ० (पु०) = ख़याल
झंड 4 अनाज रखने का कोठा। गोला + हिं० (पु०) तोप ख्याली-अ० (वि०) = ख़याली
का ऐसा गोला जिसमें बहुत सी गोलियाँ भरी हों; चाकू ख्रिष्टान-अं० (पु०) ईसाई, मसीही
(पु०) ऐसा चाकू जिसमें फल के अतिरिक्त अन्य उपकरण ख्रिष्टाब्द-अं० + सं० (पु०) ईस्वी सन्
कैंची आदि भी लगे हों
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गंजन
गंजन-सं० (पु० ) 3 पददलित करना
गैंजना - (अ० क्रि०) 1 ढेर लगना 2 पूरित होना, भरा जाना गंजना - (स० क्रि०) 1 अपमान करना 2 नष्ट-भ्रष्ट करना 3 परास्त करना, हराना गंजा - (वि०) गंज रोगवाला
गँजाई - (स्त्री०) ढेर लगाना
गँजिया - (स्त्री०) 1 पैसा रखने की सूत की बनी जालीदार थैली 2 घास बाँधने का जाल
=
202
1 अवज्ञा तिरस्कार 2 दुर्गत, दुर्दशा
(पु० ) खज़ाना, कोष
गंजी - I (स्त्री०) ढेर, राशि II (स्त्री०) बनियाइन, बंडी III (वि०/स्त्री०) बो० बिना बालोंवाली (स्त्री) IV (पु० ) गाँजा पीनेवाला गंजीना - फ़ा० गंजीफ़ा - फ़ा० (पु०) ताश की तरह का एक खेल जिसमें पत्ते गोल होते हैं और संख्या में 96 रहते हैं गैजेड़ी - (पु० ) गंजी IV गँठकटा - ( पु० ) गिरहकट गठजोड़, गठजोड़ा, गँठ बंधन- सं० (पु० ) 1 विवाह की एक रस्म जिसमें वर एवं वधू के कपड़े के छोर बाँध दिए जाते हैं 2 पक्का नाता, अटूट संबंध 3 साँठ-गाँठ, गुप्त संबंध गंड - I सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा 2 बहुत भारी (जैसे-गंड स्थल) II (पु० ) 1 मंडलाकार चिह्न 2 गाल 3 कनपटी 4 गाँठ । ~मंडल (पु० ) कनपटी -माला (स्त्री०) कंठमाला रोग; ~ माली (वि०) गंठमाला का रोगी; स्थल (पु० ) कनपटी
गंडक, गंडा - I (पु० ) 1 गाँठ 2 मंत्र पूत धागा 3 गले का पट्टा । तावीज़ अ० (पु० ) जंतर-मंतर, झाड़-फूँक गंडा - II (पु०) चार का समूह (जैसे-चार गंडा संतरे ) गँड़ासा (पु० ), गँड़ासी - (स्त्री०) 1 हँसिये के आकार का घास काटने का एक औज़ार 2 चारा काटने का औज़ार गंडिका - सं० (स्त्री०) गाल की हड्डी, गंडास्थि गंडूष -सं० (पु० ) 1 चुल्लू 2 कूल्ला 3 हाथी के सूंड की नोक गँडेरी - (स्त्री०) ईख के टुकड़े
गैंडोल - सं० ( पु० ) 1 गुड़ 2 कच्ची लाल शक्कर 3 गन्ना, ईख ! 4 कौर, ग्रास
गंतव्य - I सं० (वि०) जाने योग्य (जैसे- गंतव्य स्थान ) II (पु० ) मंज़िल, लक्ष्य
गंता-सं० (वि०) जानेवाला
+
गंतुक -सं० (वि०) जानेवाला
गंत्रिका, मंत्री-सं० (स्त्री०) 1 गाड़ी 2 बैलगाड़ी गंद - (स्त्री०) 1 बुरी बात 2 बुरी वस्तु। ~बकना गालियाँ देना गंदगी - फ़ा० (स्त्री०) 1 मलिनता, मैलापन 2 सड़ी-गली वस्तुएँ 3 नापाकी, अपवित्रता 4 मल, सड़यँध
गंदना - (पु० ) 1 प्याज लहसुन की जाति का एक मसाला 2 एक प्रकार की घास, दंदना
गँदला - (वि०) गंदा, मटमैला
+
गंदा - फ़ा० (वि०) 1 मैला 2 नापाक 3 खराब, बुरा (जैसे- गंदा कपड़ा, गंदा आदमी) । पन हिं० (पु० ) गंदगी; पानी (पु० ) 1 शराब 2 वीर्य 3 रज गंदुम - फ़ा० ( पु० ) गेहूँ ।
गैसीला
दिखाकर जौ बेचनेवाला
गंदुमी - फा० (वि०) गेहुँए रंग का गंदोलना-फ़ा० हिं० (स० क्रि०) गंदा करना गंध-सं० (स्त्री०) 1 बास, बू 2 सुगंध 3 सुगंधित द्रव्य 4 लेश, नाममात्र का पता (जैसे-उनमें सौजन्य की गंध भी नहीं है)। ~ काष्ठ (पु० ) अगर- तगर, कारिता (स्त्री०) सुगंधित द्रव्य तैयार करने की कला; कुटी (स्त्री०) मंदिर में का मूर्तिकक्ष; पत्र ( पु० ) 1 सफ़ेद तुलसी 2 बेल, बिल्व; ~बिलाव + हिं०, मादिनी (स्त्री०) मदिरा; वाह. (वि०) गंध वहन करनेवाला, पवन हरण (पु०) गंध हटा देना; ~ लगना सुराग मिलना गंधक-सं० (स्त्री०) पीले रंग का उग्र गंधवाला एक खनिज पदार्थ (जैसे-गंधक का तेज़ाब )
गंधकी, गंधकीय सं० (वि०) गंधक का (जैसे-गंधकी तेज़ाब )
गंधर्व -सं० (पु० ) 1 एक प्रकार के पौराणिक उपदेवता जो स्वर्ग में गाने-बजाने का काम करते हैं 2 एक आधुनिक जाति जिनकी कन्याएँ नाचने-गाने एवं वेश्यावृत्ति का काम करती हैं। ~नगर ( पु० ). 1 ऐसा स्थान जो विशिष्ट प्रकार की प्राकृतिक अवस्थाआ से मिथ्या एवं मनोरम सा जान पड़े 2 भ्रम; रोग (पु० ) उन्माद; ~ विद्या (स्त्री०) संगीत विवाह (पु० ) ऐसा विवाह जिसमें माता-पिता की अनुमति लिए बग़ैर वर-कन्या प्रेम से प्रेरित हो गठबंधन कर लें; ~वेद (पु० ) संगीत का उपवेद; ~सार (पु०) चंदन गंधाना - (स० क्रि०) गंध फैलाना गंधालु-सं० (वि०) छछूंदर
गंधी - I सं० (पु० ) सुगंधित तेल, इत्र आदि बनाने एवं बेचनेवाला, अत्तार II ( वि०) गंधवाला गंधेंद्रिय -सं० (स्त्री०) सूँघने की इंद्रिय, नासिका, गंध्य-सं० (वि०) गंधयुक्त
गंभीर - सं० (वि०) 1 गहरा 2 ऊँची और भारी (जैसे- गंभीर आवाज़) 3 जटिल, दुरूह (जैसे- गंभीर प्रश्न, गंभीर समस्या) 4 चिंताजनक (स्थिति) 5 संजीदा, शांत (व्यक्ति); ~ता (स्त्री०) 1 गहराई 2 ऊँचाई एवं भारीपन 3 जटिलता, दुरूहता 4 संजीदगी
गँव - (स्त्री०) बो० गौं गँवईं, गँवई - I (स्त्री० ) 1 छोटा गाँव 2 गाँव II ( वि०) 1 गाँव का गँवार
गँवरदल - I (वि०) गँवारों की तरह का, गँवारू II गँवारों का दल
गँवर - मसला - हिं० + अ० (पु०) ग्रामीणों में प्रचलित कहावत गँवाऊ - (वि०) धन-संपत्ति नष्ट करनेवाला (जैसे- पूत) गँवाना - (स० क्रि०) खोना, नष्ट करना (जैसे- जुए में धन गँवाना) गँवार - (वि०)
1 गाँव का रहनेवाला, देहाती 2 अनाड़ी
-
3 उजड्ड
गँवारिन - ( स्त्री०) गँवार स्त्री
गँवारी - I (वि०) गँवार की सी, गँवारू II (स्त्री०) गँवार स्त्री गँवारू - (वि०) अशिष्ट, असभ्य, उजड्डु
नुमा जौ फ़रोश ( पु०) गेहूँ । गँसीला - (वि०) 1 गाँस, गाँसी की तरह नुकीला और
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F
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गठरी
चुभनेवाला 2 गँसा हुआ, ठस, गठा हुआ
~टूटना, पड़ना अचानक भारी संकट आ पड़ना; गई-(वि०) गयी। ~करना तरह देना, ख़याल न करना ढाना आफ़त करना, जुल्म करना गऊ-(स्त्री०) गाय। ~घाट (पु०) बिना सीढ़ी का ढलुआ गजर-(पु०) 1 समय-समय पर बजनेवाला घंटा 2 भोर का घाट जहाँ पशु पानी पी सकें; ~शाला + सं० (स्त्री०) गायों घंटा 3 जल्द-जल्द बजनेवाला शब्द। दम (अ०) तड़के, के रहने की जगह
पौ फटते; -बजर (पु०) 1 अंड बंड 2 बेमेल वस्तुओं की गकार-सं० (पु०) 'ग' अक्षर और ध्वनि
मिलावट गगन-सं० (पु०) आकाश, आसमान। कुसुम (पु०) गजरभात-(पु०) गाजर के साथ पकाया गया भात
आकाश कुसुम, अवास्तविक वस्तु: गिरा (स्त्री०) गजरा-(पु०)। चौपायों को खिलाने हेतु गाजर का पता II आकाशवाणी; चर (पु०) आकाश में उड़नेवाले पक्षी 1 फूलों की माला 2 हार 3 कलाई में पहने जानेवाला एक आदि; -चुंबी (वि०) आकाश को छूनेवाली; अत्यधिक गहना 4 मशरू नाम का रेशमी कपड़ा ऊँचा (जैसे-गगनचुंबी इमारत); ~भेदी (वि०) आकाश को ग़ज़ल-अ० (स्त्री०) ऐसी पद्यात्मक रचना जिसमें नायिका के भेदनेवाला, प्रचंड (जैसे-गगन भेदी नारे); ~मंडल (पु०) | सौन्दर्य एवं उसके प्रति उत्पन्न प्रेम का वर्णन हो 1 पृथ्वी के ऊपर का आकाश रूपी घेरा 2 ब्रह्मांड; ~वाटिका गजानन सं० (पु०) गणेश (स्त्री०) = गगन कुसुम । ~खेलना बहते जल प्रवाह का गज़ी-फ़ा० (स्त्री०) एक प्रकार का देशी मोटा कपड़ा, गाढ़ा रह-रह कर उछलना; होना अधिक ऊँचा जाना सल्लम। ~गाढ़ा + हिं० (पु०) मोटा सस्ता कपड़ा गगरी-(स्त्री०) छोटा गगरा। -फोड़ना मृतक के दाहकर्म की गजेंद्र-सं० (प.) 1 हाथियों का राजा, ऐरावत 2 बहुत बड़ा समाप्ति करना
| हाथी गच-1 (स्त्री०) फँसाने से होनेवाला शब्द (जैसे-गच से छी गजेटियर-अं० (पु०) भूवृत्त धंसाना)
गजर-(पु०) बो० दलदल गच-II (स्त्री०) 1 संगजराहत का चूना 2 चूने-सुखर्जी का गज्झा-I (पु०) बो० तरल पदार्थ में होनेवाले बहुत से मसाला 3 पक्की साफ़-सुथरी ज़मीन, फ़र्श 4 पलस्तर, लेप। छोटे-छोटे बुलबुलों का समूह, गाज, फेन II (पु०) 1 ढेर, ~कारी + फ़ा० (स्त्री०) फ़र्श बनाने का काम; गर । राशि 2 खज़ाना 3 धन-संपत्ति, दौलत 4 फ़ायदा, मुनाफ़ा। फ़ा०, लगीर + फ़ा० (पु०) गच बनानेवाला कारीगर; । मारना अत्यधिक धन प्राप्त करना । -गीरी + फ़ा० (स्त्री०) = गचकारी
गझिन-(वि०) बो० 1 घना, सघन 2 गाढ़ा और मोटा गचपच-(वि०) = गिचपिच
गट-(पु०) तरल पदार्थ को पीते समय होनेवाला गट शब्द। गच्चा-(पु०) 1 गड्ढा, गर्त 2 जोखिम हानि आदि की संभावना गट I (पु०) गट-गट शब्द II (क्रि० वि०) 1 गट-गट
3 धोखा। खाना धोखे में आकर अपनी हानि कर बैठना की ध्वनि के साथ 2 जल्दी-जल्दी 3 लगातार। से गच्छ-सं० (पु०) पेड़, गाछ
एकबारगी गज-सं० (पु०) हाथी। गति (स्त्री०), ~गमन (प.) गटई-(स्त्री०) बो० गला, गर्दन हाथी के समान मंद एवं मस्त चाल; ~गामी (वि०) हाथी के गटकना-(स० क्रि०) 1 निगलना (जैसे-दूध गटकना) समान चाल चलनेवाला; ~गाह (३०) हाथी की झूल; 2 हड़पना
दंत (पु०) हाथी का दाँत; दंती (वि०) हाथी दाँत का गटकीला-(वि०) निगल जानेवाला बना हुआ; दान (पु०) 1 हाथी का दान 2 हाथी के गटगटाना-(स० क्रि०) गट-गट ध्वनि के साथ पीना गंडस्थल से बहनेवाला मद; ~धर (पु०) राजगीर, नाल __(जैसे-पानी गटगटाना) (स्त्री०) ऐसी तोप जिसे हाथी खींचकर ले जाया करते थे गटपट-(स्त्री०) 1 घनिष्ठता, प्रगाढ़ता 2 सहवास, संभोग
निमीलिका (स्त्री०) 1 बहाना करना, अनजान बनना गटागट, गट्ट-(पु०) = गट 2 लापरवाही; पति (पु०) 1 हाथी रखनेवाला गट्टा-(पु०) 1 कलाई 2 गाँठ 3 मोटा और कड़ा बीज 2 विशालकाय हाथी; बाँक + हिं०, बाग + हिं० (जैसे-कमल गट्टा) (पु०) हाथी का अंकुश; मुक्ता , मुख (पु०) गणेश; गटू-(पु०) बो० दस्ता, मुठिया
राज (पु०) - गजपति; ~वदन (पु०) गणेश; ~वान गट्ठर, गट्ठा-(पु०) 1 बड़ी गठरी (जैसे-रूई का गट्ठा) - हिं० (पु०) महावत; शाला (स्त्री०) फ़ीलखाना; 2 घास, लकड़ी आदि का बोझा 3 प्याज आदि की गाँठ -~-शुंड (पु०) हाथी का सुंड, स्नान (पु०) 1 हाथी का गठकतरा-(पु०) = गँठकटा नहाना 2 व्यर्थ कार्य
गठजोड़ा-(पु०) = गँठजोड़ा गज़-फा० (पु०) लंबाई की नाप जो 36 इंच के बराबर होती है गठड़ी-(स्त्री०) - गठरी गज़क-फ़ा० (पु०) 1 नशीली वस्तु 2 एक प्रकार की तिल गठन-(स्त्री०) 1 बनावट, रचना 2 अंगों का कसाव पापड़ी
गठना-(अ० क्रि०) 1 जुड़ना 2 गाँठा जाना 3 ठीक तौर से गज़ट-अं (प०) राजपत्र
बनना 4 कसा हुआ 5 दृढ़ होना गज़टेड-अं० (वि०) राजपत्रित
गठबंधन-हिं० + सं० (पु०) = गठजोड़ा ग़ज़ब-अ० (पु०) 1 अँधेर 2 क्रोध, कोप 3 विपत्ति, संकट | गठरिया-(स्त्री०) गठरी ( जैसे-ग़ज़ब टूटना)। नाक (वि०) आतिक्रुद्ध, कुपित; । गठरी-स्त्री.) 1 कपड़े में बँधा हुआ सामान, छोटा गट्ठर
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गठवाँसी
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गढ़ाई
2 बोझ। मठरी (स्त्री०) गठरी में बँधा हुआ सामान; गड़बड़ी-(स्त्री०), गड़मड़ (वि०) = गड़बड़ ~कटना भारी रक़म हाथ से निकल जाना, ख़र्च होना; गड़रिया-(पु०) भेड़ बकरियाँ चरानेवाला
बाँधना सफर की तैयारी करना; ~मारना दूसरे का धन गड़वाँत-(स्त्री०) पहिए की लीक हड़प लेना, हथिया लेना
गड़वाना-(स० क्रि०) गाड़ने का काम किसी अन्य से कराना गठवाँसी-(स्त्री०) बिस्वे का बीसवाँ अंश, बिस्वासीं गड़हा-(पु०) गड्ढा गठवाना, गठाना-(स० क्रि०) 1 गठने-गाँठने का काम अन्य गड़ा-(पु०) ढेर, गाँज, राशि। बटाई (स्त्री०) फ़सल का
से कराना 2 बड़ी एवं मोटी गाँठें लगवाना 3 जोड़ लगवाना बिना माँड़े हुए बाँटा जाना गठाव-(पु०) = गठन
गड़ाना-(स० क्रि०) चुभाना, धंसाना गठित-(वि०) गठा हुआ
गड़ाप-(पु०) भारी वस्तु के डूबने का शब्द गठिया-(स्त्री०) 1 ऐसा थैला जिसमें अनाज भरकर घोड़ों आदि गड़ारी-(स्त्री०) 1 चरखी, घिरनी (जैसे-कुएँ की गरारी) पशुओं पर लादा जाता है, खुरजी 2 छोटी गठरी 3 शरीर के 2 घेरा, वृत्त। दार + फ़ा० (वि०) 1घेरदार 2 जिसमें जोड़ों में होनेवाला एक वातरोग। बाई, ~खाव (स्त्री०)
गरारी जैसा गड्ढा हो = गठिया
गड़ासा-(पु०) = गँडासा गठियाना-(स० क्रि०) 1 गाँठ देना 2 गाँठ में बाँधना गडु-सं० (पु०) = गंड माला (जैसे-धोती के पल्ले में पैसा गठियाना)
गडुआ-(पु०) एक प्रकार का टोंटीदार लोटा गठीला-I (वि०) 1 गठा हुआ, कसा हुआ (जैसे-गठीला | गडुई-(स्त्री०) छोटा गडुआ शरीर, गठीला बदन) 2 पुष्ट, दृढ़
गड़ेरिया-(पु०) 1 भेड़ पालनेवाली एक प्रसिद्ध जाति गठीला-II (वि०) अनेक गाँठोंवाला
2 गड़ेरिया जाति का व्यक्ति। -पुराण + सं० (पु०) गँवारू गठौत, गठौती-(स्त्री०)1 = गठजोड़ 2 काम और बात की बात-चीत एवं किस्सा-कहानी उपयोगिता 3 आपस में तय की गयी गुप्त बात
गडोलना-(पु०) बों बच्चों के खेलने की छोटी गाड़ी गडंग-I (पु०) अस्त्रागार, शास्त्रागार II बो० 1 घमंड, शेखी गड़ौना-(पु०) पकने के लिए ज़मीन में रखा जानेवाला एक 2 आत्मश्लाघा
तरह का पान गड़त-(स्त्री०) टोटके, जादू-टोने के लिए गाड़ी गई वस्तु गड्ड्-(पु०) 1गंज, थाक 2 ढेर 3 समूह। बड्ड, गड-सं० (पु०) 1 ओट, आड़ 2 घेरा, मंडल
~मड्ड-(वि०) 1 अव्यवस्थित रूप से मिला हुआ गड़कना-(अ० क्रि०) गड़-गड़ शब्द होना
2 अंडबंड, बेमेल - गड़कना-अ० + हिं० (अ० क्रि०) 1 ड्रबना 2 नष्ट होना गड्डर-सं० (पु०) 1 भेड़ा 2 भेड़ गड़गज-(पु०) = गरगज ।
गड्डरिका-सं० (स्त्री०) भेड़ों की पंक्ति। -प्रवाह (पु०) गड़-गड़-(स्त्री०) बादल की आवाज़
1 भेड़िया धसान 2 अविच्छिन्न प्रवाह गड़-गड़ा-(पु०) हुक्का जिसमें नली लगी हो
गड्डा-(पु०) 1 गट्ठा 2 एक तरह की चीज़ों का बंडल (स्त्री० गड़गड़ाना-(अ०) 1 गड़-गड़ होना (जैसे-हक्का गड़गड़ाना) 2 गरजना (जैसे-बादल गड़गड़ाना)
गड्डी-(स्त्री०) = गड्ड गड़गड़ाहट-(स्त्री०) गड़गड़ाने की आवाज़
गड्ढा (पु०), गड्ढी--(स्त्री०) 1 गढ़ा, गर्त (जैसे-गड्ढा गड़गड़ी-(स्त्री०) 1 बड़ी डुग्गी 2 छोटा नगाड़ा
पाटना, गड्ढे में गिरना) 2 आस-पास के तल का गहरा अंश गड़ना-(अ० क्रि०) 1 चुभना, फँसना 2 पीड़ा होना 3 घुसना
(जैसे-आँखों का गड्ढा ) । 4 गाड़ा जाना (जैसे-तार का खंभा गड़ना) 5 किरकिराना गढ़त-(वि०) कपोल-कल्पित (जैसे-मन-गढंत कहानी) (जैसे-धूल के कण से आँखें गड़ना) 6 स्थिर होना, टिकना गढ़-(पु०) 1 किला, कोट. दुर्ग (जैसे-गढ़ को जीत लेना, गढ़ (जैसे-मेरी आँखे उसके चेहरे पर गड़ गयीं)। गड़ जाना को घेर लेना) 2 मुख्य स्थान (जैसे-उपद्रवियों का ~)। अत्यधिक शर्मिंदा होना, लज्जा अनुभव करना
~पति + सं० (पु०) किले का प्रधान अधिकारी, किलेदार; गड़प-(स्त्री०) 1 पानी में डूबने का शब्द, बिना चबाए निगल बंदी + फ़ा० (स्त्री०) क़िला घेरना; रक्षा + सं० जाने की क्रिया। ~से 1 गड़प आवाज़ के साथ 2 झट, तुरंत; (स्त्री०) दुर्ग की रक्षा; ~वाल, ~वाला (पु०) = गढ़पति; लोना डूब जाना, फँस जाना
जीतना, ~तोड़ना 1 दुर्ग पर विजय प्राप्त करना 2 कठिन गड़पना-(स० क्रि०) निगलना, गपकना
कार्य पूरा करना गड़प्पा-(पु०) 1 भारी गड्ढा 2 बहुत दलदल
गढ़त, गढ़न-(स्त्री०) 1 गठन, बनावट 2 - गढ़त गड़बड़-I (वि०) 1 अस्त-व्यस्त, विश्रंखल 2 ऊट पटाँग II गढ़ना-(स० क्रि०) 1 स्थूल पदार्थ को तराशकर तैयार करना (स्त्री०) 1 अव्यवस्था 2 उपद्रव 3 खराबी। ~झाला (पु०)
(जैसे-पत्थर, शीशे की मूर्ति आदि गढ़ना) 2 काट-छाँटकर गोलमाल, अव्यवस्था
सुडौल बनाना 3 कल्पना करना (जैसे-किस्सा गढ़ना) गड़बड़ाना-I (अ० क्रि०) गड़बड़ होना II (स० क्रि०) 4मरम्मत करना, पीटना गड़बड़ करना
गढ़-बढ़-(स्त्री०) = गढंत गड़बड़िया-(वि०) गड़बड़ करनेवाला, अव्यवस्था उत्पन्न गढ़ा-(पु०) = गड्ढा करनेवाला
गढ़ाई-(स्त्री०) 1 गढ़ने का काम 2 गढ़ने का पारिश्रमिक
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गढ़ाना
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गत्यवरोध
गढ़ाना-[ (स० क्रि०) गढ़वाना, बनवाना || (अ० क्रि०) | 3 जो योग्यता की दृष्टि से मान्य हो (जैसे-गण्यमान्य विद्वान्) । खलना, कष्टकर होना
~मान्य (वि०) प्रतिष्ठित गढ़िया-I (पु०) गढ़नेवाला व्यक्ति II (स्त्री०) छोटा गड्ढा गत-सं० (वि०) 1 बीता हुआ (जैसे-गत वर्ष) 2 मृत, गया गढ़ी-(स्त्री०) 1 छोटा गढ़ 2 ऊँचाई पर बनी इमारत हुआ 3पिछला (जैसे-गत सायंकाल) 4 प्राप्त गढ़ेला-(पु०) छोटा गढ़, कोटला
(जैसे-हस्तगत) 5 नष्ट हो चुका, लुप्त हो गया (जैसे-गत गण-सं० (पु०) 1 समूह 2 गिरोह 3 वर्ग, श्रेणी 4 संघ यौवन, गत वैभव) 6 रहित, विहीन (जैसे-गत चेतना) । 5 अनुचर वर्ग 6 दूत (जैसे-शिव के गण) 7 सेवक, नौकर -चेतन (वि०) अचेतन; जीत (वि०) मरा हुआ; 8 छंद शास्त्र में तीन वर्षों का वर्ग 9 आचार्यों एवं आचार्य के ~प्राय (वि०) जो करीब-करीब जा चुका हो; संग शिष्यों का वर्गसमूह। कार (पु०) समूह में बाँटनेवाला; (वि०) उदासीन
तंत्र (पु०) ऐसा राष्ट्र जिसकी सत्ता जनसाधारण में समाहित | गत-(स्त्री०) 1 अवस्था, दशा 2 दुर्दशा। बनाना दुर्दशा हो; तंत्रावादी, तंत्रात्मक, तंत्रीय (वि०) गणतंत्र | करना संबंधी; देवता (पु०) समूहों में बँटे हुए देवता गतका-(पु०) पटा बनेठी खेलने का डंडा (जैस-आदित्य, मरुत्, रूद्र); ~द्रव्य (पु०) वर्ग की गतर-(पु०) 1 अंग 2 पौरुष 3 रक्षा एवं शरण का स्थान सामूहिक संपत्ति; नाथ, ~पति (पु०) 1 गणस्वामी गतांक-सं० (पु०) पिछला अंक 2 गणेश 3 शिवजी; ~पाठ (पु०) व्याकरण के एक ही | गतांत-सं० (वि०) जिसका अंत पास आ गया हो नियम के अंतर्गत आनेवाला पाठ एवं शब्द समूह; पूरक गताक्ष-सं० (वि०) जिसकी आखें न रह गई हों, अंधा (पु०), पूर्ति (स्त्री०) सभा, समिति आदि की बैठक में गतागत-1 सं० (वि०) गया-आय || (पु०) जीवन-मरण निर्धारित मानी जानेवाली अल्पतम उपस्थिति, कोरम; | गतागति-सं० (स्त्री०) 1 आना और जाना 2 मरना और जीना
~भोजन (पु०) बहुत से लोगों को एक साथ बैठाकर कराया गतात्मा-सं० (वि०) मृत व्यक्ति जानेवाला भोजन, सहभोज; ~मुख्य (पु०) गण का प्रधान गतानुगत-सं० (वि०) परंपरा से चला आता हुआ व्यक्ति, मुखिया; --राज्य, राष्ट्र (पु०) = गणतंत्र; गतानुगतिक-सं० (वि०) अंधानुयायी ~संख्या (स्त्री०) गिनती की संख्या
गतायात-सं० (पु०) यातायात गणक-सं० (पु०) 1 गणना करनेवाला व्यक्ति या यंत्र 2 गणित । गतायु-सं० (वि०) 1 जिसकी आयु समाप्त हो चली हो जाननेवाला व्यक्ति
2 अत्यंत वृद्ध गणन-सं० (पु०) 1 गिनना 2 हिसाब करना। -यंत्र (पु०) | गतार-(स्त्री०) जूए से बैल की गरदन बाँधने की रस्सी
गणना करनेवाली मशीन (जैसे-इलेक्ट्रानिक गणनयंत्र) गतार्थ-सं० (वि०) 1 अर्थहीन 2 बेकार 3 निर्धन । गणना-सं० (स्त्री०) 1 गिनना 2 गिनती 3 हिसाब (जैसे-गणना गतावधिक-सं० (वि०) जिसकी अवधि बीत गई हो करना)। पट्ट (पु०). परीक्षा (स्त्री०) हिसाब की गति-सं० (स्त्री०) 1 जाना, गमन 2 चाल, रफ़्तार 3 हरकत परीक्षा; विभाग (पु०) 1 ऐसा विभाग जहाँ गणित की 4 प्रयत्न की सीमा 5 हालत, दशा (जैसे-तुमने कैसी गति बना पढ़ाई हो 2 हिसाब-किताब को नियमित रूप से रखने का रखी है) 6 सद्गति 7 एकमात्र सहारा (तुम ही मेरी ~हो)। विभाग (जैसे-जनगणना विभाग)
~ज (वि०) गति से उत्पन्न हआ (जैसे-गतिज ऊर्जा); गणनातीत-सं० (वि०) अगणित, अनगिनत
पूर्ण (वि०), ~भंग (पु०) लय टूट जाना; ~मत्ता गणनाध्यक्ष-सं० (पु०) 1 गणों का स्वामी 2 गणेश 3 शिव (स्त्री०) गतिमान होना; ~मान् (वि०) गतिशील; गणनीय-सं० (वि०) जो गिना जा सके, गिनने योग्य 2 मान्य रुद्ध (वि०) जिसकी गति में बाधा उत्पन्न हुई हो; ~रोध गणाधिप-सं० (पु०) 1 गणस्वामी 2 सेनानायक 3 गणेश (पु०) कार्य में बाधा उत्पन्न होना (जैसे-गतिरोध मिटाना); 4शिवजी
~वान् (वि०) जिसमें गति हो, चलता हुआ; ~वाहक गणिका-सं० (स्त्री०) वेश्या, रंडी
(वि०) गति प्रदान करनेवाला; -विज्ञान; (१०), विद्या गणित-सं० (पु०) परिमाण और संख्या आदि का नियमपूर्वक (स्त्री०) = गतिकी; विधि (स्त्री०) आचरण-व्यवहार विवेचन करनेवाली विद्या, हिसाब (जैसे-सांख्यिकी गणित, आदि करने का ढंग (जैसे-सामाजिक गतिविधियाँ); ~शास्त्र रेखा गणित)। ~कार, -ज्ञ (वि०) 1 गणित शास्त्री (पु०) = गति विज्ञान; ~शील (वि०) निरंतर चलने, बढ़ने 2 ज्योतिषी; ज्योतिष (पु०) गणित के आधार पर नक्षत्रों, वाला; ~शून्य (वि०) 1 जिसमें गति न हो (जैसे-गति शून्य ग्रहों का अध्ययन; विद्या (स्त्री०), -शास्त्र (पु०) = पदार्थ) 2 रुका हुआ 3 असहाय गणित
गतिक-I सं० (पु०) 1 चलने की क्रिया, चाल 2 मार्ग, रास्ता गणितीय-सं० (वि०) गणित संबंधी (जैसे-गणितीय प्रश्न) 3 आश्रय, सहारा II (वि०) गति संबंधी गणित्र-सं० (पु०) गणना करने की मशीन
गतिकी-सं० (स्त्री०) विभिन्न पदार्थों और पिंडों की गतियों का गणेश-सं० (पु०) एक प्रसिद्ध हिंदू देवता जो विघ्नों के | अध्ययन विनाशक माने जाते हैं, गणपति । चतुर्थी (स्त्री०) भाद्रपक्ष गत्ता-(पु०) एक तरह की मोटी दफ़्ती
और माध पक्ष की कृष्णा चतुर्थी जो व्रत का दिन है; ~भूषण | गत्तालखाता-(पु०) बट्टाखाता (जैसे-रक़म का गत्ताल-खाते (पु०) सिंदूर
में जाना) गण्य-सं० (वि०) 1 गण संबंधी 2 जो गिना जा सकता हो | गत्यवरोध-सं० (पु०) = गतिरोध, गति का रुक जाना
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गत्यात्मक
गत्यात्मक-सं० (वि०) गतिशील
गत्वर-सं० (वि०) 1 गति में रहनेवाला, गतिमय, गमनशील 2 नष्ट हो जानेवाला, नश्वर
गद - I ( पु० ) गद - II ( पु० )
1 विष, ज़हर 2 बीमारी, रोग आघात से होनेवाला शब्द
गदका - ( पु० ) गदकारा - (वि०) गदन - सं० (पु० ) कथन, वर्णन गदना - (स० क्रि०) कहना, बोलना
गतका
1 गुदगुदा और मुलायम 2 मांसल
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गदबदा - (वि०) 1 मुलायम, कोमल 2 दोहरे शरीरवाला ग़दर - अ० (पु० ) सैनिक विद्रोह
गदरा - (वि०) गदराया हुआ, अधपका
गदराना- (अ० क्रि०) 1 सुडौल होना, रूप निखरना (जैसे- गदराया बदन) 2 पकने पर होना
गदला - (वि०) गंदा, मिट्टी मिला हुआ गदलाना - I (अ० क्रि०) गदला होना II (स० क्रि०) गदला करना
गदहपचीसी - (स्त्री०) = गधा पचीसी गदहपन - (पु० ) = गधापन गदहलोटन - (पु० ) = गधालोटन गदहा - ( पु० ) = गधा। गीरी फ़ा० (स्त्री०) गदहा - I सं० (पु०) रोग हरनेवाला वैद्य, चिकित्सक II (पु० )
+
गधा
गदहिला - ( पु० ) वह गधा जिस पर ईंट-पत्थर आदि लादा गया
गदा -सं० (स्त्री०) 1 मुद्गर 2 बाँस के डंडे में पहनाया हुआ पत्थर का गोला । ~धर (वि०) गदा धारण करनेवाला, विष्णु गदा - फ़ा० (पु० ) 1 भिक्षुक, भिखमंगा 2 फ़कीर गदाई-फ़ा० (वि०) 1 तुच्छ, नीच 2 रद्दी, बेकार गदागद - ( क्रि० वि० ) 1 लगातार, निरंतर 2 गद-गद शब्द करते हुए
गदाला - ( पु० ) गद्दा
गदित-सं० (वि०) कहा हुआ, कथित गदेला - (पु० ) गद्दा (जैसे-मोटा गदेला )
गदेली, गदोरी- (स्त्री०) हथेली
गद्गद -सं० (वि०) 1 आनंदविभोर 2 आवेगातिरेक से जो अवरुद्ध हो 3 अत्यधिक प्रसन्न
गद्दा - ( पु० ) 1 मोटा तोशक 2 हाथी के पीठ पर हौदे के नीचे
रखा जाने का गद्दा, मोटा बिस्तर ३ मुलायम चीज़ों का बोझ ग़द्दार - अ० (पु० ) 1 राष्ट्रदोही, देशद्रोही 2 बाग़ी, विद्रोही ग़द्दारी -अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 ग़द्दार होने की अवस्था 2 बाग़ीपन
गद्दी - (स्त्री०) 1 छोटा गद्दा 2 सम्मानित व्यक्ति का आसन 3 राजा आदि का पद । ~दार + फ़ा० (वि०) गद्देदार; ~धारी + सं० (पु० ) गद्दी धारण करनेवाला व्यक्ति; ~नशीन + फ़ा० (वि०) 1 जो राजगद्दी पर बैठा हुआ हो 2 उत्तराधिकारी; नशीनी (स्त्री०) गद्दी पर बैठना द्य-सं० (पु० ) 1 ऐसी रचना जिसमें रस, छंद, तुक आदि का विधान न हो, वचनिका 2 बनावटहीन रचना एवं भाषा । ~काव्य (पु०) ऐसा गद्य जिसमें भावनाएँ कवित्वपूर्ण हों;
गपोड़ेबाज़
-- गीत ( पु० ) ऐसी गद्य रचना जिसमें सरस ढंग से विचारों को व्यक्त किया गया हो; नाटक (पु० ) जिस गद्य रचना को अभिनय रूप में खेला जा सके; पद्य (पु०) गद्य एवं पद्य युक्त रचना; -पद्य मय (वि०) गद्य एवं पद्य दोनों से युक्त; ~ भेद (पु०) गद्य के प्रकार ; ~मय (वि०) जो गद्य रूप में हो; लेखक (पु०) गद्य लिखनेवाला; साहित्य (पु० ) गद्य रूप में लिखी गई रचनाएँ (जैसे- हिंदी गद्य साहित्य)
= गद्यमय
गद्यवत् सं० (वि०) गद्यात्मक - सं० (वि०) 1 गद्य रूप में लिखा हुआ 2 गद्य संबंधी 3 कवित्वहीन
गद्यानुरूप - सं० (वि०) जो गद्य के ढंग एवं आकार का हो गधा - I (पु० ) घोड़े की नस्ल का जानवर जो बोझा ढोने के काम आता है, खर, गदहा II (वि०) मूर्ख, बेवकूफ़ । पचीसी (स्त्री०) ऊल-जलूल काम करनेवाली अवस्था जो 16 से 25 वर्ष तक मानी गई है; पन (पु० ) मूर्खता, बेवकूफ़ी; ~लोटन (पु० ) थकावट दूर करने के उद्देश्य से इधर-उधर लोटना
गधी - (स्त्री०) गधे की मादा
गधेड़ी - (स्त्री०) फूहड़ औरत गन-अं० (स्त्री०) बंदूक
गनगनाना-(अ० क्रि०) 1 थरथर कांपना 2 रोमांच होना गनगौर - ( स्त्री०) चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से चैत्र शुक्ल तृतीया तक चलनेवाला पर्व जिसमें कन्याएँ एवं स्त्रियाँ गणेश और गौरी की पूजा करती हैं
गनना - (स० क्रि०) गिनना ग़नी-अ० (वि०) 1 धनवान, संपन्न 2 बहुत बड़ा दाता, उदार गनी - अं० (स्त्री०) बोरा। बैग (पु०) बोरा, बोरी ग़नीम-अ० (पु० ) 1 लुटेरा, डाकू 2 दुश्मन, शत्रु ग़नीमत - अ० (स्त्री०) 1 लूट का माल 2 मुफ़्त का माल 3 संतोष की बात (जैसे यह भी ग़नीमत है ) गन्ना - (पु० ) ईख, ऊख
गन्नी-अं० (स्त्री०) गनी, बोरा
गप - I (स्त्री०) 1 इधर-उधर की बातें, व्यर्थ की बातें (जैसे-गप मारना) 2 कपोल कल्पित बातें 3 डींग । ~बाज़ + फ़ा० (पु०) गप्पी; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) गोड़ेबाजी गप-II (पु०) निगलने की क्रिया (जैसे-मिठाई गप कर जाना) गपकना - (स० क्रि०) 1 तुरंत निगल जाना 2 हड़पना गपड़-चौथ - I (पु०) व्यर्थ की बात-चीत II (वि०) अंड बंड, ऊट पटांग
=
★
=
गपना - (स० क्रि०) गप मारना
गपशप - ( स्त्री० ) 1 इधर-उधर की बात-चीत, व्यर्थ की बातें 2 मन बहलाव की बात-चीत (जैसे- इधर-उधर गपशप करना)
गपागप - ( क्रि० वि०) बहुत जल्दी-जल्दी, चटपट गपिया - (वि०)
गप्पी
गपोड़ा - (पु० ) 1 बढ़ा-चढ़ाकर कही गई बात 2 कपोल कल्पित मिथ्या बात, गप गपोड़िया - (वि०) बहुत बढ़ा-चढ़ाकर कहनेवाला, गप्पी गपोड़ेबाज़ -हिं० फ़ा० (वि०) गप्पी
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गपोड़ेबाजी
गपोड़ेबाज़ी - हिं० गप्प - (स्त्री०)
+ फ़ा० (स्त्री०) झूठी बकवास बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०)
= गप।
गपोड़ेबाज़ी
गप्पी - (वि०) गपोड़िया, गपबाज़
गप्पा - (पु० ) 1 बड़ा कौर 2 बड़ा आर्थिक लाभ
गफ - (वि०) जो ठस बुना हो, उस बुना हुआ ग्रफ़लत - अ० (स्त्री०) 1 असावधानी, बेपरवाही 2 अचेतनता, बेसुधी
ग्रफ़लती-अ० + फ़ा० (वि०) प्रमादी, असावधान गफूर - अ० (वि०) माफ़ करनेवाला, दयालु गबद्द - (वि०) जड़, मूर्ख
ग़बन - अ० (पु०) अमानत की रकम खा जाना, ख्यानत गबरू - (वि०) 1 नौजवान 2 हृष्टपुष्ट
207
+
गबरून - (पु० ) मोटा एवं चारख़ानेदार कपड़ा
गब्बर - (वि०) 1 अभिमानी, घमंडी 2 ढीठ, हठी 3 अड़ियल 4 मालदार, धनी
गर्भस्ति-सं० (पु० ) 1 किरण, रश्मि 2 सूर्य
गधुआर - (वि०) 1 गर्भ के समय का 2 जन्म के समय का 3 जिसका मुडंन न हुआ हो 4 अनजान, नासमझ ग़म - अ० ( पु० ) 1 गहरा दुःख 2 शोक 3 चिंता, परवाह । + फ़ा० (वि०) अन्याय एवं अत्याचार सहन कर जानेवाला, ग़म खानेवाला; खोरी फ़ा० (स्त्री०) अत्याचार सह जाने की प्रवृत्ति; 2 संतप्त, दुःखी; ~ गुसार + फ़ा० (वि०) दुःख बाँटनेवाला, हमदर्द नाक + फ़ा० (वि०) दुःख भरा, दुःख पीड़ित;
गीन
+ फ़ा० 1 उदास
खाना 1 क्षमा करना, सह लेना 2 दूसरे के दुःख से दुःखी होना; ग़लत करना 1 दुःखदायक बात भूलना 2 मन
बहलाना
गमक - ( स्त्री० ) 1 महक, सुगंध 2 संगीतं का विशेष कंपन गमक सं० (वि०) गमन करनेवाला, जानेवाला
गमकना - (अ० क्रि०) महँकना
गमकीला - (वि०) 1 गमक से युक्त 2 सुगंधित गमछा - (पु० ) अँगोछा
गमथ सं० ( पु० ) 1 मार्ग, रास्ता 2 पथिक, राही, राहगीर गमन -सं० ( पु० ) 1 जाना, चलना 2 प्रस्थान 3 संभोग (जैसे- परस्त्री ~ ) । पत्र (पु० ) 1 पारपत्र 2 चालान; ~पथ (पु०) जाने का रास्ता गमनागमन-सं० (पु० ) 1 आना-जाना 2 यातायात (जैसे- गमनागमन साधन ) गमनीय-सं० (वि०) गम्य गमला - (पु० ) मिट्टी का बना बाल्टी जैसा पात्र जिसमें फूल-पौधे लगाए जाते हैं
ग़मी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 शोक जनक मृत्यु 2 मृत्यु के बाद उसका होनेवाला दुःख गम्मत - (स्त्री०) बो० 1 हँसी, परिहास 2 मौज की स्थिति 3 मज़ेदार बात
गम्य-सं० (वि०) 1 पहुँचा जाने योग्य 2 प्रवेश होने योग्य (जैसे- बुद्धि गम्य) 3 जो साध्य हो 4 संभोग करने योग्य गयंद - (पु० ) गजेंद्र, हाथी
गया - I (अ० क्रि०) 'जाना' भूतकालिक रूप II (वि०) गया
गरबीला
हुआ (जैसे - आदमी गया)। ~गुज़रा, बीता (वि०) 1 ख़राब, रद्दी 2 निकृष्ट
गया - सं० (स्त्री०) मगध की एक नगरी एवं प्रसिद्ध तीर्थस्थल गयावाल - I (वि०) गया का रहनेवाला II ( पु० ) गया का पंडा, पुरोहित
गयी - I (अ० क्रि०) 'जाना' का भूतकालिक रूप II (वि०) गयी हुई (जैसे- औरत गयी )
ग़रक़ - अ० (वि०) 1 डूबा हुआ, निमग्न 2 नष्ट, बरबाद ग़रक़ाब - 1 अ० फ़ा० (पु०) डुबाव II (वि०) 1 डूबा हुआ, जलमग्र 2 निमग्र, लीन
+
ग़रक़ी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 डुबाव 2 अतिवृष्टि 3 पानी में डूबी ज़मीन । ~देना अत्यधिक दुःख देना
गरगज - I (पु०) 1 हाथियों के आने-जाने का बना चौड़ा रास्ता
2 किले का बुर्ज II (वि०) बड़ा एवं शक्तिशाली ग़रज़ - अ० (स्त्री०) 1 स्वार्थजन्य इच्छा 2 आवश्यकता, ज़रूरत (जैसे- अपनी ग़रज़ गाँठना) । ~मंद + 4510 (fão) 1 ज़रूरतवाला 2 इच्छुक 3 स्वार्थी; ~ का बावला स्वार्थांध गरजना - (अ० क्रि०) 1 गंभीर एवं तीव्र ध्वनि करना (जैसे- बादल गरजना) 2 चटकना, तड़कना ग़रज़ी-अ० + फ़ा० (वि०) = गरजमंद गरण-सं० ( पु० ) निगलना
गरदन - फ़ा० (स्त्री०) गला, ग्रीवा। बाँध + हिं० (पु० ) कुश्ती का पेंच उठाना विरोध करना; उड़ाना, ~ उतारना खून करना, क़तल करना; ऐंठी रहना घमंड में चूर रहना; काटना 1 गला काटना 2 बहुत बड़ी क्षति पहुँचाना; झुकना 1 लज्जित होना 2 हार मान लेना; उठना 1 शर्मिंदा होना 2 सब-कुछ बरदाश्त करना; नापना ~ पकड़कर बाहर निकालना; पर छुरी फेरना 1 हलाल करना 2 घोर अन्याय करना; पर जूआ रखना बहुत बड़ा काम सौंपना; पर होना ज़िम्मेदार होना; फँसना वश में
होना; मरोड़ना मार डालना; कर देना; में हाथ डालना, देना 2 अपमान करना गरदना-फ़ा० + हिं० (पु० ) 1 मोटी गरदन 2 गरदन पर किया जानेवाला प्रहार गरदनिया - फ़ा० निकालना
+ हिं० (स्त्री०) गला पकड़कर बाहर
गरदनी - फा० (स्त्री०) 1 गरेबान 2 गले में पहने जानेवाली हँसली आदि 3 घोड़े की पीठ पर उढ़ाया जानेवाला कपड़ा 4 गरदनियाँ 5 गरदन पर किया जानेवाला आघात, घस्सा, रद्दा गरदा - फ़ा० (पु० ) धूल (जैसे- गरदा उड़ रहा है) गरदान - फ़ा० (वि०) 1 बिंदु के चारों ओर घूमनेवाला 2 घूमकर एक ही स्थान पर आनेवाला
मारना वध करना, खत्म में हाथ देना 1 गरदनियाँ
गरदानना-फ़ा० + हिं० (स० क्रि०) 1 किसी बात को विस्तारपूर्वक समझाकर कई बार कहना, उद्धरणी करना 2 ध्यान देना, महत्त्वपूर्ण समझना 3 व्या० शब्द के विभिन्न विकारी रूप बतलाना
गरनाल - ( स्त्री०) चौड़े मुँह की तोप, घननाल गरब गहेला - (वि०) भारी घमंडी गरबीला - (वि०) गर्ववत्
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गरभाना
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गर्भ
गरभाना-I (अ० क्रि०) 1 गर्भधारण करना 2 गर्भवती होना | गरिमान्वित सं० (वि०) गरिमा से भरा हुआ II (स० क्रि०) गर्भ धारण कराना
गरियाना अ० क्रि०) बो० गालियाँ बकना, दुर्वचन कहना गरम-फ़ा० (वि०) 1 तपा हुआ (जैसे-गरम हवा, गरम पानी) गरियार-(वि०) 1 सुस्त (जैसे-गरियार पशु) 2 काम-काज में 2 जिसका तापमान स्वाभाविक तापमान से कुछ अधिक हो सुस्त, आलसी (जैसे-गरम शरीर, सिर गरम है) 3 जो शरीर के अंदर उष्णता गरियालू-I (पु०) ऊन रंगने का काला-नीला रंग II (वि०) उत्पन्न करता हो (जैसे-गरम मसाला) 4 उत्तेजक (जैसे-गरम काला-नीला मिज़ाज, गरम स्वभाव)। दल + सं० (पु०) ऐसा दल या गरिष्ठ-सं० (वि०) कठिनता से पचनेवाला बहत भारी पक्ष जिसमें उग्रता एवं जोश प्रधान हो; ~दली + सं० (जैसे-गरिष्ठ भोजन) (वि०) = गरम दलवाला; ~पड़ना गुस्से में लड़ाई करना गरी-(स्त्री०) 1 देवताड़ 2 नारियल का खाया जानेवाला गुदा गरमबाज़ारी-फ़ा० (स्त्री०) महँगाई, भाव में तेज़ी ग़रीब-अ० (वि०) 1 दीन एवं नम्र 2 दरिद्र, निर्धन गरमाई-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) 1गरमी 2 शक्ति एवं ऊर्जा (जैसे-गरीब आदमी)। ~खाना + फ़ा० (पु०) ग़रीब का प्रदान करनेवाली वस्तु
घर (जैसे-मेरा गरीबखाना रामपुर में है); निवाज़ + फ़ा० गरमागरम-फ़ा० (वि०) अत्यधिक गरम (जैसे-गरमागरम (वि०) ग़रीबों पर दया करनेवाला, दयालु; ~परवर + फ़ा
चाय एवं समोसा देना) 2 तुरंत का 3 उत्तेजनायुक्त (वि०) ग़रीब को पालनेवाला, दीनों की देख-भाल करनेवाला; गरमागरमी-फ़ा० (स्त्री०) 1 तत्परता, मुस्तैदी 2 अनबन का ~की जोरू सबकी भाभी गरीब की हर चीज़ पर मज़ाक भाव 3 आवेशपूर्ण कहासुनी
किया जाना गरमाना-I फ़ा० + हिं० (अ० क्रि०) 1 गरम होना 2 आवेश, गरीबान-(पु०) = गरेबान उग्रता आदि तीव्र भावनाओं से युक्त होना 3 कार्य करने के गरीबाना-अ० + फ़ा० (वि०) ग़रीब की तरह का लिए तैयार होना (जैसे-गवैये का गला गरमाना) ग़रीबी-अ० + फा० (स्त्री०) 1 ग़रीब होने की अवस्था 4 काम-वासना युक्त होना (जैसे-घोड़े आदि पशुओं का 2 दीनता, नम्रता 3 दरिद्रता, निर्धनता (जैसे-ग़रीबी आना) । गरमाना) II (स० क्रि०) 1 हलका गरम करना (जैसे-पानी ग़रीबी में आटा गीला मुश्किलों पर और मुश्किलें आना गरमाना) 2 साधारण उष्णतामय करना (जैसे-रज़ाई ओढ़कर गरुड़-सं० (पु०) पुराणों में मान्य पक्षिराज जो विष्णु के वाहन बदन गरमाना) 3 आवेश आदि भावना उत्पन्न करनेवाले कार्य हैं। ~गामी (पु०) 1 विष्णु 2 कृष्ण; पाश (पु०) शत्रु करना (जैसे-कटु वचन कहकर आदमी को गरमाना, धीर-धीर को फँसाने का एक फंदा गाकर गवैये को गरमाना) 4 संतुष्ट करना, प्रसन्न करना गरुत्-(पु०) पंख, पक्ष
(जैसे-दरोगा को गरमाकर अपने अनुकूल करना) ग़रूर-अं० (पु०) अभिमान, घमंड गरमी-फा० (स्त्री०) 1 गरम होने की अवस्था (जैसे-आग की गरेबान-फा० (पु०) कोट कमीज़ का गला गरमी) 2 ग्रीष्म ऋतु (जैसे-गरमी की छुट्टी) 3 मानसिक गरेहआ-(वि०) बो० 1 भारी, वज़नी 2 भीषण, विकट आवेग, उमंग आदि (जैसे-ऐसी गरमी से बात नहीं बनती)। गरोह-फा० (पु०) गुट, टोली, दल। बंदी (स्त्री०)
दाना (पु०) अंभोरी, पित्ती; ~रोक + हिं० (वि०) गरमी गुटबंदी, दलबंदी रोकनेवाला; निकालना 1 संभोग करना 2 क्रोध उतारना, ग़र्क-अ० (वि०) 1 डूबा हुआ 2 बरबाद, नष्ट मन शांत करना
गर्ज-सं० (स्त्री०), गर्जन सं० (पु०) घोर ध्वनि की क्रिया, गरल-सं० (पु०) विष । ~धर (पु०) साँप
भीषण शब्द का भाव, गरज। तर्जन (पु०) डाँट-डपट गराँव-(स्त्री०) पशुओं के गले में बाँधी जानेवाली दोहरी रस्सी गर्जना-सं० (स्त्री०) = गरज। पूर्ण (वि०) गराज-अं० (पु०) ऐसा स्थान जहाँ मोटर-गाड़ी आदि रखी जा गर्डर-अं० (पु०) लोहे का ढला लंबा एवं मोटा छड़ सके, गिराज
गर्त-सं० (पु०) 1 गड्ढा, गढ़ा 2 छेद 3 दरार। ~शीर्ष गराड़ी-(स्त्री०) = गड़ारी
(पु०) गरानी-फ़ा० (स्त्री०) महँगाई
गर्द-फा० (स्त्री०) गर्दा, धूल (जैसे-गर्दा उठना, गर्द उड़ना)। गरामी-फ़ा० (वि०) प्रसिद्ध, नामी ~
खोर (वि०) जो गर्द पड़ने से खराब न हो; ~गुबार + गरारा-I (वि०) 1 घमंडी, अभिमानी 2 प्रबल, बलवान् अ० (पु०) आँधी-बवंडर में धूल एवं मिट्टी का इधर-उधर 3 तेज़, प्रचंड
गिरना। ~उठना धूल उड़ना; फाँकना बेकार घूमना गरारा-II (पु०) 1 पायजामे की ढीली मोहरी 2 ढीली मोहरी गर्दन-फा० (स्त्री०) = गरदन का पायजामा 3 बहुत बड़ा थैला
गर्दभ-सं० (पु०) गधा [(स्त्री०) गर्दभी] ग़रारा-अ० (पु०) 1 गर-गर शब्द करते हुए कुल्ली करना गर्दावाद-फा० (वि०) 1 गर्द से भरा हुआ 2 उजाड़, वीरान 2 घुर-घुर शब्द का पशु रोग
3टूटा-फूटा 4 ध्वस्त गरारी-(स्त्री०) = गड़ारी
गर्दिश-फा० (स्त्री०) 1 चक्कर 2 संकट (जैसे-गर्दिश के दिन, गरित-सं० (वि०) 1 विषमय, विषयुक्त 2 जिसमें जहर | गर्दिश का वक्त) मिलाया गया हो (जैसे-गरित पदार्थ)
गर्दिशे-ज़माना-फा० (स्त्री०) ज़माने का चक्कर गरिमा-सं० (स्त्री०) 1 महिमा, महत्त्व 2 अहंकार, घमंड / गर्भ-सं० (पु०) 1 गर्भाशय 2 गर्भवती होने की अवस्था पेट 3 गुरुत्व, भारीपन 4 आत्मश्लाघा, शेख़ी
के अंदर का भाग, उदर (जैसे-गर्भस्थल)। कारी (वि)
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गर्भस्थ
=
=
जिससे गर्भ ठहर जाए; ~काल (पु०) गर्भवती होने की अवधि; ~ केसर (पु० ) मादा फूलों के बीच का केसर जिसके साथ पुंकेसर का संपर्क होने पर फल एवं बीज उत्पन्न होते हैं; ~ कोष (पु०) गर्भाशय, गर्भ; ~क्लेश (पु० ) गर्भावस्था का कष्ट क्षय (पु० ) गर्भपात; गुर्वी (वि०) = गर्भवती; ~गृह (पु० ) 1 प्रसूति घर, प्रसव करने की कोठरी 2 मकान के मध्य की कोठरी 3 मंदिर के बीच का मूर्तिगृह; ~ ग्रह (पु० ) • गर्भधारण; ~घाती (वि०) गर्भ नष्ट करनेवाला; च्युति (स्त्री०) 1 प्रसव 2 गर्भपात; ~ दास (पु० ) जन्म से दास; ~ दुह (वि०) गर्भ को नष्ट करनेवाला; ~धारण (पु० ) गर्भवती होना; नाड़ी, ~नाल (स्त्री०) गर्भाशय एवं बच्चे की नाभि को मिलानेवाली नाड़ी; ~ निरोध ( पु० ) गर्भ रोकना (जैसे- गर्भ निरोध का सामान); ~ निरोधक (वि०) गर्भ रोकनेवाली (जैसे-गर्भ निरोधक गोलियाँ); ~निस्स्रव (पु० ) गर्भ से निकलनेवाली झिल्ली, खेड़ी; पत्र (पु०) कोंपल, कल्ला; पात (पु० ) 1 गर्भ गिरना 2 गर्भ व्यर्थ जाना; पातक (वि० / पु० ) = गर्भपाती औषध पातन (पु० ) गर्भ नष्ट करना, गर्भ गिराना; पाती (वि०) गर्भपात करनेवाला; ~मंडप (पु० ) गर्भगृह; ~ मोक्ष (पु० ) गर्भपात; ~वती (वि०) गर्भिणी; विज्ञान (पु० ) ऐसा विज्ञान जिसमें गर्भ के आकार, काल एवं उसके संचार आदि का विवेचन होता है; विज्ञानी (पु० ) गर्भ विज्ञान का ज्ञाता; ~स्थापन (पु० ) गर्भ धारण कराना, गर्भाधान; स्त्राव गर्भ कातरलावस्था में गिरना; ~ स्रावक (पु० ) गर्भ गिरानेवाला; ~ गिरना गर्भपात होना; ~ रहना गर्भ होना, पेट में शिशु का होना
=
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गर्भस्थ - सं० (वि०) गर्भ में आया हुआ गर्भाक-सं० (पु० ) 1 नाटक में एक दृश्य का अंक 2 नाटक में दिखलाया जानेवाला दूसरा दृश्य
गर्भागार - सं० ( पु० ) 1 प्रसूति गृह 2 तहख़ाना गर्भाधान-सं० ( पु० ) गर्भ धारण, गर्भस्थापन गर्भावधि-सं० (स्त्री०) गर्भ का समय गर्भावस्था-सं० (स्त्री०) गर्भ की अवस्था गर्भाशय - सं० (पु०) बच्चेदानी
गर्भिणी -सं० (वि०) गर्भवती
गर्भित - सं० (वि०) 1 गर्भ से युक्त 2 जिसने कुछ छिपा रखा हो (जैसे- सारगर्भित भाषा) 3 भरा हुआ, पूरित (जैसे- संस्कृतगर्भित शैली)
गर्म - फ़ा० (वि०) गरम। जोशी (स्त्री०) 1 जोश 2 गहरी दोस्ती; ~ मिज़ाज + अ० (वि०) गरम स्वभाववाला; ~सर्द ठंडा गरम
गर्मी - फ़ा० (स्त्री०) गरमी
गर्मीला - फ़ा० + हिं० (वि.) जोशीला
गर्रा - (वि०) लाख के रंग जैसा, लाखी
=
गर्व-सं० (पु०) 1 अहंभाव 2 घमंड (जैसे- गर्व करना) । ~प्रद (वि०) अभिमानी, घमंडी; वती (स्त्री०) घमंड करनेवाली स्त्री; ~शील (वि०) = गर्ववंत गर्हण - सं० (पु० ), गर्हणा - ( स्त्री०) निंदा, भर्त्सना, बुराई गर्हणीय-सं० (वि०) निंदा किए जाने योग्य, निंद्य
गलना
गर्हा - सं० (स्त्री०) निंदा, बुराई
+
+
गर्हित, गर्ह्य-सं० (वि०) जिसकी भर्त्सना की गई हो, निंदित गल-सं० (पु० ) = गला। ~ कंबल (पु० ) गाय आदि पशुओं के गले के नीचे लटकनेवाला भाग, झालर, लहर; ~ कटा (वि०) जिसका गला कटा हो; गंड (पु० ) चि० गले का एक रोग, घेघा; ग्रह (पु० ) गले में पड़ा बंधन घोंटू हिं० (वि०) गला दबानेवाला; फाँसी हिंο (स्त्री०) गले में पड़ा फाँसी का फंदा; बहियाँ + हिं०, बाँही + हिं० (स्त्री०) गले में हाथ डालकर आलिंगन करने की अवस्था; ~ बिल (पु० ) गले का सुराख; ~शुंडी (स्त्री०) जीभ की जड़ के पास एक छोटी घंटी, कौआ ~ शोथ (पु०) गले की भीतरी सूजन; ~सुआ + हिंο (पु०) गाल के नीचे के भाग का सूजना, कनपेड़ा रोग; ~स्तन (पु० ) गलथना; ~ हस्त (पु० ) गरदनिया गलका - (पु० ) हाथ की उँगलियों के अगले सिरे पर होनेवाला एक प्रकार का ज़हरीला फोड़ा गलगंजन - (पु० ) शोर गुल, हो हल्ला
गलगल - (पु० ) 1 मैना जाति की एक काली चिड़िया 2 नींबू की जाति का एक बड़ा फल
गलगला - (वि०) 1 भीगा हुआ, आर्द्र, तर 2 आँसुओं से भरा हुआ 3 अत्यधिक मुलायम, अति कोमल (जैसे- गलगला पदार्थ) गलगुच्छा - (पु० ) गलमुच्छा गलगुथना - (वि०) जिसका शरीर भारी हो और गाल फूले हों (जैसे- गलगुथना बच्चा)
गलछट - (स्त्री०) = गलफड़ा
गलजंदड़ा - (पु० ) 1 जो सदा साथ लगा रहे, गले का हार 2 गले में लटकाई जानेवाली पट्टी ग़लत-अ० (वि०) 1 जो असत्य हो (जैसे-ग़लत अफवाहें उड़ाना) 2 जो उचित न हो (जैसे-ग़लत मार्ग पर जाना) 3 जो नियमतः ठीक न हो (जैसे-यह सवाल ग़लत है) 4 जो व्याकारणिक दोषयुक्त हो। नामा + फ़ा० ( पु० ) अशुद्धि-पत्र फ़हमी + फ़ा० (स्त्री०) बात का सही अर्थ न समझना, बात समझने में धोखा खा जाना; बयानी + फ़ा० (स्त्री०) किसी की बात ग़लत ढंग से बताना गलतकिया-हिं० + फ़ा० (पु०) गाल के नीचे रखा जानेवाला गोल तकिया
ग़लतान - फ़ा० (वि०) 1 लंड़खड़ाता हुआ, लुढ़कता हुआ 2 चक्कर खाता हुआ
ग़लती- अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 उचित रूप से कार्य न करने की अवस्था 2 नियम, रीति, व्याकरण आदि की दृष्टि से होनेवाली भूल, अशुद्धि 3 गणना संबंधी भूल
गलथना - (पु० ) बकरियों के गले में लटकनेवाला मांसपिंड गलदश्रु - सं० (वि०) रोता हुआ गलन-सं० (पु० ) (सर्दी से) गलने की अवस्था । ~बिंदु (पु० ) गलनांक; ~शील (वि०) जो गलने योग्य हो (जैसे- गलनशीन पदार्थ)
=
गलनांक - सं० (पु० ) किसी पदार्थ का वह निश्चित तापक्रम जिसपर कोई पदार्थ गलने लगता है
गलना - (अ० क्रि०) 1 ठोस पदार्थ का तरल होना (जैसे-बर्फ़
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गलना) 2 पक जाना (जैसे-दाल गलना) 3 नरम हो जाना (जैसे - काग़ज़ गलना) 4 दुर्बल एवं निस्सार होना (जैसे- शरीर गलना) 5 रोग आदि के कारण नष्ट होना (जैसे- कोढ़ से उँगलियाँ गलना) 6 अत्यधिक ठंड महसूस होना (जैसे-पूस की रात में पूरा बदन गलना) 7 व्यर्थ होना (जैसे- आज सौ रुपए सिनेमा में गल गए ) 8 समय से पहले ही नष्ट होना (जैसे- गर्भ गलना) 9 सड़ना (जैसे-फल गल गए ) गलफड़ा - (पु० ) (मछली के) गाल का चमड़ा गलफूट - (स्त्री०) 1 अंड बंड बकने का भाव 2 नींद में बड़बड़ाने की अवस्था
गलबली - (पु० ) 1 गड़बड़ 2 कोलाहल
मवैहा
सब को सुनाते फिरना; गली मारे फिरना 1 व्यर्थ इधर-उधर घूमना 2 जीविका हेतु भटकना; अपनी गली में कुत्ता भी शेर होता है अपने ठिकाने पर सब बहादुर हैं ग़लीचा - फ्रा० (पु० ) ऊन की मोटी चादर ग़लीज़-अ० (वि०) 1 अपवित्र, नापाक 2 गेंदला, मैला गलेबाज़ - हिं० + फ़ा० (वि०) 1 बहुत अधिक बातें करनेवाला 2 अत्यधिक तानें लेनेवाला
ग़लबा - अ० (पु० ) प्रभुत्व गवमुच्छा - ( पु०), गलमोछा - गालों तक बढ़ी मूँछें गलवाना - (स० क्रि०) किसी को गलाने की क्रिया में प्रवृत्त करना (जैसे- लोहा गलवाना)
गलेबाज़ी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 बढ़-चढ़कर बातें करने की क्रिया 2 गाते समय तानें लेना
गल्प - (स्त्री०) 1 मिथ्या प्रलाप, गप्प 2 डींग, शेखी 3 छोटी कहानी
गल्ला - फ़ा० (पु० ) 1 जानवरों का समूह, विशिष्ट पशु दल (जैसे- भेड़ों का गल्ला) 2 ऐसा बक्सा, थैली जिसमें दुकानदार
रोज़ की बिक्री हुआ धन रखते हैं, गुल्लक (जैसे-पैसा गल्ले में डाल देना)
ग़ल्ला - अ० (पु० ) अनाज, अन्न (जैसे-गल्ला मंडी) ।
चोर + हिं० (पु०) अनाज की चोरी करनेवाला व्यक्ति; फ़रोश + फ़ा० (पु० ) अनाज बेचनेवाला व्यापारी गल्लेबान-फ्रा० (पु०) 1 थैलीवाला, गुल्लकवाल 2 पशुदल
गलही - (स्त्री०) नाव का अगला गोलाकार उठा हुआ कोना गांकुर - सं० (पु० ) गले के अंदर का कौआ सूजने का रोग गला - ( पु० ) गरदन, ग्रीवा। ~ काटू (पु० ), काटना 1 हत्या करना 2 बहुत बड़ी हानि करना (जैसे- दूसरों का गला काट कर ही तो लोग बड़े बन रहे हैं); घोंटना मार डालना; ~घोंटू (वि०) गला घोंटनेवाला; छूटना 1 कष्ट या संकट आदि से छुटकारा पाना 2 जान बचना (जैसे- आपके आ जाने से मेरा गला छूट गया); जकड़ना बोलने में रुकावट पैदा करना; जोड़ना गहरा संबंध स्थापित करना, पक्की दोस्ती करना; दबाना 1 मार डालना 2 विवश करना, दबाव डालना; पकड़ना उत्तरदायी ठहराना; फँसना संकट में फँसना (जैसे- आपके कारण मेरा गला फँस गया); बैठना कंठ का स्वर कर्कश हो जाना; रेतना कष्ट पहुँचाकर स्वार्थ सिद्ध करना, मतलब निकालना (जैसे-मज़दूरों का गला रेतना अच्छा नहीं है); गले पड़ना ज़बरदस्ती भार आ पड़ना; गले मढ़ना भार सौंपना; गले लगाना आलिंगन करना; गले से नीचे न उतरना समझ में न आना, ग्राह्य न होना गलाई - (स्त्री०) 1 गलने की अवस्था 2 गलाने का पारिश्रमिक गलाऊ - (वि०) 1 गलानेवाला 2 गलने योग्य गलाना - (स० क्रि०) 1 तपाना (जैसे- सोना गलाना) 2 पकाना
(जैसे-दाल गलाना) 3 दुर्बल एवं क्षीण बनाना (जैसे- देश एवं राष्ट्रहित में शरीर गलाना) 4 नष्ट करना 5 घुलाना (जैसे- तेज़ाब में चाँदी गलाना ) 6 बोझ डालना (जैसे- पुल का खंभा गलाना) गलावट - (स्त्री०) गलाई गलित-सं० (वि०) 1 गला हुआ 2 जो निस्सार हो गया हो। (जैसे-गलित यौवन) 3 नष्ट-भ्रष्ट 4 जिसमें गलने - गलाने का लक्षण हो (जैसे-गलित कुष्ठ) 5 जो मत्त होकर अवश हो गया हो (जैसे-गलित यौवना )
गलिया - I (वि०) जो अत्यधिक सुस्त हो, निरा आलसी गलिया - II ( स्त्री०) चक्की के ऊपरी पाट में वह छेद जिसमें पीसने के लिए अनाज डाला जाता है। गलियारा - (पु० ) गली की तरह का लंबा सीधा रास्ता गली - (स्त्री०) सँकरा रास्ता कमाना गली-सड़क आदि पर झाडू देकर जीविका उपार्जित करना; गली ढिंढोरा पीटना |
का रखवाला
गल्ह - (वि०) धृष्ट, ढीठ
गवर्नमेंट-अं० (स्त्री०) शासन, सरकार गवर्नर -अं०
(पु० ) 1 शासक, हाकिम 2 राज्यपाल । ~ जनरल (पु० ) प्रधान शासक गवर्नरी-अं० गवाहियाँ - ( पु०) बो० गँवार गवाँना - (स० क्रि०) खो देना
+
हिं० (वि०) गवर्नर संबंधी
गवाक्ष -सं० (पु० ) 1 झरोखा 2 खिड़की
गवाना - (स० क्रि०) किसी को गाने की क्रिया में प्रवृत्त कराना (जैसे गाना गवाना )
गवारा - फ़ा० (वि०) 1 स्वीकार किए जाने योग्य 2 अनुकूल, रुचिकर 3 सहनेयोग्य
गवाह - फ़ा० (पु० ) 1 साक्षी (जैसे अनेक लोग इस घटना के गवाह हैं) 2 तथ्य एवं सच्चाई का समर्थन करनेवाला व्यक्ति । ~नामा (पु० ) साक्ष्य-पत्र
गवाही - फ़ा० (स्त्री०) गवाह का कथन, साक्ष्य (जैसे-झूठी गवाही देना)
गवीश-सं० (पु०) गौओं का मालिक
गवेल - (वि०) बो० 1 गाँव संबंधी 2 गँवार, देहाती गवेषक-सं० (वि०) खोज करनेवाला, खोजी गवेषण-सं० (५०) 1 खोजना, छानबीन करना 2 चाहना । ~ संस्था ( स्त्री०) अनुसंधान केंद्र गवेषणा-सं० (स्त्री०) 1 खोज 2 अध्ययन एवं अनुसंधान 3 इच्छा करना । पूर्ण (वि०) खोज से भरा हुआ; ~शाला (स्त्री०) गवेषण संस्था गवेषणीय-सं० (वि०) जो गवेषणा किए जाने योग्य हो गवेषित-सं० (वि०) 1 तलाश किया हुआ 2 अन्वेषित 2 जिसके विषय में गवेषणा हुई हो गवेषी-सं० (वि०) गवेषणा करनेवाला गवैहा- (वि०) 1 ग्रामीण, देहाती 2 गँवारों की तरह का, देहाती
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गवैया
गवैया - (पु० )
गव्य-सं० (वि०) गौ से प्राप्त (दूध, घी आदि ) । ~शाला (स्त्री०) गायों के रहने का स्थान ग्रश-अ० (पु०) बेहोशी, मूर्च्छा। मूर्च्छित होना, बेहोश होना
आना, खाना
गश्त - फ्रा० (स्त्री०) 1 पुलिस कर्मचारियों का पहरे के लिए घूमना 2 भ्रमण, फिरना
गश्ती -फा० (वि०) 1 गश्त लगानेवाला 2 जगह-जगह घूमनेवाला (जैसे- गश्ती दल, गश्ती दस्ता ) 3 सब संबंधित लोगों को भेजा जानेवाला (जैसे गश्ती चिट्ठी)
= गायक
गसना - (स० क्रि० ) 1 जकड़कर बाँधना, कसना 2 मिलाकर बैठाना (जैसे- स्वेटर का फंदा गसना )
गसीला - (वि०) 1 बँधा हुआ 2 गठा हुआ, गठीला 3 जिसके सूत खूब सटे हों, गफ
गरसा - (पु० ) भोजन का कौर, ग्रास। ~मारना जल्दी-जल्दी कौर मुँह में लेना; मुँह में डालना कौर चबाकर खाना गह- (स्त्री०) टेक
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गहकना - (अ० क्रि०) 1 प्रबल लालसा युक्त होना, ललकना 2 उमंग में आना
गहगड - (वि०) 1 इकट्ठा एवं बहुत ज़्यादा 2 गहरा, घोर गहगहा - (वि०) 1 परम प्रसन्न, प्रफुल्लित 2 उमंग से भरा हुआ गहगहाना - (अ० क्रि०) 1 अत्यधिक प्रसन्न होना 2 लहलहाना गहगहे - ( क्रि० वि० ) 1 प्रसन्नतापूर्वक 2 ज़ोरों से 3 धूमधाम से
गहड़ोरना - (स० क्रि०) गंदा करना
गहन - (स्त्री०) 1 पकड़ 2 हठ
गहन - [सं० (वि०) 1 गहरा (जैसे-गहन पठन) 2 घना (जैसे- गहन अंधकार) 3 कठिन, गूढ़ (जैसे- गहन विश्लेषण) II (पु० ) 1 गहराई, गहरापन 2 दुर्गम स्थान 3 घिरा हुआ स्थान। ~ता (स्त्री०) गहराई गहना - I ( पु० ) 1 बंधक (जैसे- गहना रखना) 2 ज़ेवर गहना - II (स० क्रि०) कसकर पकड़ना गहने - I ( क्रि० वि०) बो० रेहन के रूप में II ( वि०) रेहन रखा हुआ
गहबर - (वि०) बो० 1 गंभीर, गहरा 2 दुर्गम, विकट 3 घबराया हुआ, उद्विग्न 4 घना 5 चमकीला गहमागहमी - ( स्त्री०) चहल-पहल, रौनक
गहरा - (वि०) 1 जिसका तल आसपास के स्थान से नीचे की ओर अधिक दूरी तक हो (जैसे- गहरा कुआँ, गहरी खाई) 2 जिसकी थाह बहुत नीचे हो, गंभीर 3 गूढ़ रहस्यमय (जैसे- गहरा अध्ययन)। घनेरा अत्यधिक रहस्यमय; ~आसामी मालदार आदमी; गहरी घुटना 1 गाढ़ी भाँग पीसना 2 प्रगाढ़ मित्रता होना 3 अत्यधिक खुशी होना; गहरी छनना 1 अधिक भाँग पीना 2 दिली दोस्ती होना 3 घुल घुलकर बात होना
गहराई - (स्त्री०) 1 गहरापन 2 गंभीरता, गहनता 3 घनता, निविड़ता
गहराना - I (अ० क्रि०) बो० गहरा होना II (स० क्रि०) गहरा करना (जैसे- कुआँ गहराना)
गहराव - (पु० ) गहराई
गाँधी
गहरेबाज़ - हिं० + फ्रा० (वि०) 1 तेज़ी से चलनेवाला 2 तेजी से चलानेवाला
गहरेबाजी - हिं० + फ्रा० (स्त्री०) इक्के, ताँगे को बहुत तेज़ दौड़ाना
गहवारा- फ्रा० ( पु० ) 1 झूला 2 पालना
गहाना - (स० क्रि०) पकड़ाना
गहीला - (वि०) 1 उन्मत्त, पागल 2 अभिमानी, गर्वीला, घमंडी गहुआ - ( पु० ) छोटे मुँह की सैंड़सी
गहेला - (वि०) 1 धारण करनेवाला 2 अभिमानी 3 उन्मादग्रस्त, पागल 4 गँवार 5 हठी
गहैया - (वि०) 1 पकड़नेवाला 2 ग्रहण करनेवाला गर - I सं० ( पु० ) 1 दुर्भेद्य एवं विषम स्थान 2 अत्यधिक गहरा एवं अँधेरा स्थान 3 गुफा 4 वन II ( वि०) 1 दुर्गम 2 छिपा हुआ 3 गंभीर गांग-सं० (वि०) गंगा का
गाँगन - (स्त्री०) बो० छोटा फोड़ा, फुंसी
गांगेय, गांग्य-सं० (वि०) 1 गंगा का 2 गंगा से उत्पन्न गाँज - (पु० ) 1 ढेर लगाने की क्रिया 2 ढेर, राशि गाँजना - (स० क्रि०) ढेर लगाना (जैसे भूसा गाँजना ) गाँजा - (पु० ) भाँग की जाति का एक मादक पौधा और उसकी सूखी कलियाँ एवं फूल
गाँठ - (स्त्री०) 1 रस्सी आदि के सिरों को घुमाकर एक दूसरे में फँसाकर कसने से बननेवाला उभरा हुआ रूप, ग्रंथि, गिरह (जैसे-गाँठ खुलना, गाँठ छोड़ना) 2 कपड़े के छोर में कुछ रखकर लगाई गई गिरह 3 गठरी (जैसे-कपड़े की गाँठ, रूई की गाँठ ) 4 जेब । ~कट (पु० ) गाँठ काटनेवाला व्यक्ति, गिरहकट; गँठीला (वि०) जिसमें अनेक गाँठें पड़ी हों; दार + फ़ा० (वि०) जिसमें गाँठें पड़ी हों। कटना 1 जेब कटना 2 जेब से पैसा निकल जाना 3 ठगा जाना; ~करना, काटना जेब कतरना; का पूरा धनी; ~ खुलना 1 उलझन दूर होना 2 दिल साफ़ होना 3 मन की बात कहना; पर गाँठ पड़ना कठिनाई बढ़ते जाना; बाँधना याद रखना
गाँठना - (स० क्रि०) 1 गाँठ देना 2 मोटी सिलाई करना (जैसे-जूता गाँठना, मोट गाँठना) 3 स्वार्थ हेतु संबंध बनाना 4 अनुचित रूप से कार्य पूरा करना (जैसे- मतलब गाँठना) गाँड - (स्त्री०) 1 मल त्याग की इंद्रिय, गुदा 2 तला, पेंदा गाँडा - (पु० ) 1 ईख की गँडेरी 2 ईख, गन्ना 3 मेंड़री गांडीव - सं० (पु० ) 1 अर्जुन को अग्निदेव द्वारा दिया गया धनुष 2 धनुष
गाँडु - (वि०) 1 गांड मरानेवाला 2 कायर और निकम्मा गाँती - (स्त्री० ) = गाती
गांधर्व-सं० (वि०) 1 गंधर्व का 2 गंधर्व जाति का 3 गंधर्व देश का । ~ वेद (पु० ) सामवेद का उपवेद जिसमें सामगान का विवेचन रहता है, संगीत शस्त्र
गांधार - I सं० (वि०) 1 गांधार देश का 2 गांधार देश में रहनेवाला II ( पु० ) गंधार नामक प्राचीन देश गाँधी - (पु० ) 1 गुजराती वैश्यों का एक वर्ग 2 सुगंधित तेल बनाने और बेचनेवाला। टोपी (स्त्री०) खद्दर की बनी किश्तीनुमा लंबोतरी टोपी; दर्शन (पु० ) गाँधी का
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गांभीर्य
जीवनसंबंधी दृष्टिकोण; ~ भक्त (पु० ) गाँधीवादी; ~वाद (पु०) महात्मा गाँधी द्वारा प्रतिपादित वह सिद्धांत एवं विचारधारा जिसमें सत्य एवं अहिंसा तथा तप एवं त्याग को ध्यान में रखते हुए अपने उद्देश्य को प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाता ~वादी (वि०) गाँधीवाद का अनुसरण करनेवाला गांभीर्य-सं० (पु० ) = गंभीरता गाँव - ( पु० ) 1 ग्राम, छोटी बस्ती 2 मनुष्यों की बस्ती जहाँ खेती-बाड़ी पेशा प्रधान है। पंचायत (स्त्री०) ग्राम पंचायत ~ सभा + सं० (स्त्री०) = ग्राम सभा; -मारना गाँव में डाका डालना, लूट-पाट करना गाँवटी - (वि०) 1 गाँव में रहनेवाला 2 गाँव में होनेवाला 3 (दे०) गँवार
गाँवड़ा - (पु० ) छोटा गाँव
गाँस - (स्त्री०) 1 तीर, बरछी, भाले आदि का नुकीला फल 2 मनोमालिन्य 3 गाँठ (जैसे-मन की गाँस) । ~निकालना बदला चुकाकर मन शांत करना
गाँसना - (स० क्रि०) 1 कसना 2 सालना 3 छेदना गाँसी - (स्त्री०) = गाँस
गाइड - अं० (पु० ) पथप्रदर्शक। ~बुक (स्त्री०) ऐसी पुस्तक जिसमें नगर या देश के प्रमुख दर्शनीय स्थान, वस्तुएँ एवं अन्य महत्त्वपूर्ण सामग्रियाँ क्रमिक रूप से वर्णित हों गाउन - अं० (पु० ) 1 लंबी और ढीली पोशाक 2 डाक्टर, वकील एवं स्नातक आदि को उच्च परीक्षा उत्तीर्ण करने पर चिह्न स्वरूप मिलनेवाली पोशाक
गाऊघप्प - (वि०) 1 सब कुछ खा-पी जानेवाला 2 दूसरों का माल हड़पनेवाला
गाकरी - (स्त्री०) बाटी, लिट्टी
गागर - ( स्त्री० ) ऊँचे गलेवाला घड़ा। में सागर भरना 1 थोड़े स्थान में बहुत सी वस्तुएँ भरना 2 थोड़े शब्दों में अधिक से अधिक भाव प्रकट करना
गाव -अं० (स्त्री०) 1 झीनी बुनावट का पतला कपड़ा 2 रंगीन बूटीदार कपड़ा
गाद्द - (पु० ) पेड़, वृक्ष
गाज - I (स्त्री०) वज्र, बिजली (जैसे- गाज गिरना ) II ( पु० ) फेन, झाग III (स्त्री०) काँच की चूड़ी
गाजना - (अ० क्रि०) 1 गरजना 2 शोर मचाना। मन ही मन गाजना अंदर ही अंदर प्रसन्न होना
गाजर - ( स्त्री०) एक प्रसिद्ध मीठा, लंबोतरा कंद जो सब्जी और
अचार आदि के काम आता है। मूली समझना 1 तुच्छ समझना 2 असमर्थ समझना
ग़ाज़ा - फ़ा० (पु० ) एक प्रकार का लेप जो मुँह पर लगाया जाता है
ग़ाज़ी - अ० (पु० ) धर्म योद्धा । -मर्द + फ़ा० (पु०) बड़ा वीर
गाटा - (पु० ) बो० 1 छोटा खेत, गाटर 2 बैलों की वह दौनी जिससे पयाल का चूरा किया जाता है
गाड़ - (पु० ) 1 ज़मीन में खोदा गया गड्ढा 2 अनाज भरने हेतु खोदा गया गड्ढा 3 गन्ने का रस इकट्ठा होनेवाला गड्ढा 4 खेत की मेड़
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गाना
गाड़ना - (स० क्रि०) 1 दफ़न करना (जैसे-मुर्दा गाड़ना) 2 ज़मीन में धँसाना (जैसे- पुल का खंभा गाड़ना) 3 छिपाकर रखना (जैसे- सोने का आभूषण तहखाने में गाड़ना) गाडर - ( स्त्री०) बो० भेड़
गाड़ा - (पु० ) जंगल में डाकुओं का छिपकर बैठनेवाला गड्ढा ! गाड़े बैठना घात में छिपकर बैठना
गाड़ी (स्त्री०) पहिये के सहारे चलनेवाली सवारी (जैसे - मालगाड़ी, तोप की गाड़ी)। खाना + फ़ा० (पु० ) ऐसा स्थान जहाँ गाड़ियाँ रखी जाती हों; खान, (वान्) (पु० ) 1 गाड़ी हाँकनेवाला 2 गाड़ी चलानेवाला गाढ़-सं० (वि०) 1 दृढ़, पक्का 2 गंभीर, गहरा 3 घना 4 कठिन 5 तेज़। ~ता (स्त्री०) 1 गहनता 2 कठिनता गाढ़ा - (वि०) 1 जो कम तरल हो (जैसे गाढ़ा शहद, गाढ़ा दूध) 2 जो बहुत गहरा हो (जैसे गाढ़ा हरा, गाढ़ा पीला) 3 ठस बुनावटवाला 4 पक्का 5 अति घनिष्ठ (जैसे गाढ़ी मित्रता) । गाढ़ी छनना गहरी मित्रता होना: गाढ़े का साथी संकटकाल में मदद करनेवाला; गाढ़े दिन मुसीबत के दिन; गाढ़े पसीने की कमाई बहुत अधिक परिश्रम से कमाया गया धन एवं पैसा. आदि; गाढ़े में विपत्ति में गाणपत-सं० (वि०) 1 गणपति संबंधी 2 गणपति का गाणपत्य -सं० (पु०) गणेश का उपासक गाणितिक - I सं० (वि०) गणित संबंधी II ( पु० ) गणितज्ञ गात - (पु० ) 1 शरीर, देह 2 नारियों का यौवनकाल । से होना गर्भवती होना
गातव्य-सं० (वि०) गाने योग्य
गात्र-सं० (पु० ) देह, शरीर। रूह (पु० ) शरीर के रोएँ गात्रावरण-सं० ( पु० ) शरीर ढकने की कोई चीज़ गाथ-सं० (पु० ) 1 गाना, गान 2 प्रशंसा, स्तुति 3 कथा, कहानी गायक - सं० ( पु० ) गाथा लिखने/सुनानेवाला गाथा - सं० (स्त्री० )
1 गीत कथा 2 कथा, वृत्तांत 3 प्रशंसा,
स्तुति गाथिक-सं० (पु० ) गाथा गानेवाला गाद - (स्त्री०) बो० 1 तलछट 2 गाढ़ी चीज़
गादड़ - I (वि०) मट्ठर, सुस्त II ( पु० ) 1 गीदड़ 2 डरपोक 3 जल्दी न चल सकनेवाला बैल गादर - (वि०) गदराया हुआ
गादा - ( पु० ) 1 खेत में बिना पकी हुई खड़ी फ़सल 2 खड़ी फ़सल के अधपके अत्र के दाने 3 हरा महुआ गादी - (स्त्री०) छोटी टिकिया के आकार का एक पकवान गादुर - (पु० ) चमगादड़
गाध - I सं० (पु० ) 1 स्थान, जगह 2 जल के नीचे का तल 3 नदी का प्रवाह II (वि०) 1 छिछला, कम गहरा 2 अल्प, थोड़ा
गान-सं० ( पु० ) 1 गाना 2 गीत 3 वर्णन। ~ विद्या (स्त्री० ) संगीत का ज्ञान; -वृंद (पु० ) गानमंडली
गाना - (स० क्रि०) 1 कविता, गीत आदि का सुर एवं लय के साथ उच्चारण करना 2 स्तुति करना 3 पक्षियों आदि का मृदु स्वर में बोलना, कलरव करना 4 विस्तार रूप में वर्णन करना 5 आराधना करना (जैसे- भजन गाना)। बजाना (पु० ) संगीत
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ग़ाफ़िल
ग़ाफ़िल - अ० (वि० ) 1 अचेत, बे-सुध 2 असावधान
3 लापरवाह
गाम - (पु० ) मादा पशुओं का गर्भ। डालना अपना गर्भ गिराना, बाहर निकालना
गाभा - (पु० ) 1 नया कोमल पत्ता, कल्ला 2 पौधों, वृक्षों आदि के डंठलों के अंदर का कोमल भाग
गाधिन, गाभिनी - (वि०) (मादा पशु) जिसके पेट में बच्चा हो, गर्भिणी
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गाम - ( पु० ) गाँव
गामा किरण-अं० सं० (स्त्री०) नाभिक से निकलनेवाली विद्युतचुंबकीय किरण
गामी -सं० (वि०) जानेवाला (जैसे-दुरगामी, कुपथगामी) गाय - (स्त्री०) 1 दो सींगोंवाला एक पशु जिसका दूध बहुत स्वादिष्ट एवं पुष्टिकारक होता है तथा जिसके दूध से अनेक पदार्थ बनते हैं 2 अत्यधिक सीधा सादा एवं निरीह व्यक्ति । ~गोठ (स्त्री०) = गांवख़ाना; भैंस (स्त्री०); ~की तरह काँपना बहुत डरना
गायक - सं० ( पु० ) 1 गानेवाला, गवैया 2 गाकर अपनी जीविका चलानेवाला व्यक्ति 3 स्तुति करनेवाला व्यक्ति गायकवाड़ - (पु०) बड़ौदा के पुराने महाराजाओं की उपाधि जो मराठों के उत्तराधिकारी थे
गायकी -सं० (स्त्री०) 1 गान विद्या 2 गाने की उच्चकला
3 गान विद्या के अनुसार गाना
ग़ायत - I अ० (वि०) 1 बहुत अधिक अत्यधिक 2 हद दरजे का II (स्त्री०) सीमा अधिकता
गायताल - I ( पु० ) निकृष्ट चौपाया II (वि०) निकम्मा एवं निकृष्ट, रद्दी
गायत्र - सं० ( पु० ). गायत्री-सं० (स्त्री०) 1 एक वैदिक छंद 2 वैदिक छंद में रचित एक प्रसिद्ध वैदिक मंत्र 3 वेदमाता, सावित्री
गायन -सं० ( पु० ) 1 गाने की क्रिया 2 गीत, गान 3 गवैया, गायक वादन, वाद्य (पु० ) = गाना बजाना गायनोत्सव - सं० (पु०) संगीत समारोह ग़ायब - अ० (वि०) 1 जो आँखों से ओझल हो गया हो, लुप्त 2 छिपा हुआ 3 अनुपस्थित 4 अदृश्य। बाज़ (पु०) बिना देखे शतरंज खेलनेवाला करना चालाकी से कोई वस्तु उड़ा लेना
+ फ़ा
गायबाना - अ
फा० ( क्रि० वि०) 1 गुप्त रीति से, छिपे-छिपे 2 पीठ पीछे, चोरी से
गायिका, गायिनी -सं० (वि० / स्त्री०) 1 गानेवाली स्त्री 2 ऐसी स्त्री जो गाकर अपनी जीविका चलाती हो गारंटी--अं० (स्त्री०) प्रत्याभूति, जमानत शुदा
+ फ़ा
प्रत्याभूत ग़ार - अ० ( पु० ) 1 नीची ज़मीन 2 गड्ढा 3 गुफा, कंदरा ग़ारत - I अ० (स्त्री०) लूट-मार II (वि०) ध्वस्त, बरबाद । ~गर + फ़ा० (पु० ) 1 लूटमार करनेवाला, लुटेरा 2 तबाह करनेवाला गरी + फ़ा० (स्त्री०) 1 लूटमार 2 तबाही गारद - अं० (स्त्री०) 1 सिपाहियों का छोटा दस्ता 2 सुरक्षा के लिए नियुक्त सैनिक टुकड़ी 3 पहरा घर + हिं० (पु०),
ग़ासिया
~ में करना, में रखना 1 पहरे में रखना 2 हवालात में बंद करना
गारना-I (स० क्रि०) 1 निचोड़ना 2 घिसकर रस निकालना (जैसे- चंदन गारना) 3 गिराना, निकालना (जैसे-गड्ढे का पानी गार दो) 4 अलग करना
गारना - II (स० क्रि०) 1 क्षीण करना (जैसे गहन तपस्या से शरीर गारना) 2 दर्प अभिमान चूर करना
गारा - I ( पु०) 1 मिट्टी एवं पानी आदि का लेसदार घोल 2 सुख, चूने आदि का बनाया गया मसाला II (वि०) गीला,
तर
गारुड़ सं० (वि०) गरुड़ संबंधी, गरुड़ का गारुड़ी -सं० (पु०) विष उतारनेवाला
गारुत्मत - I सं० (वि०) गरुड़ का II (पु० ) पन्ना (रत्न) गार्जियन - अं० ( पु० ) अभिभावक गार्ड-अं० (पु०) रक्षा करनेवाला व्यक्ति, रक्षक गार्डेन अं० (पु०) बाग़, उद्यान । पार्टी (स्त्री०) उद्यान- गोष्ठी
गार्हपत सं० (वि०) गृहपति का गार्हपत्य-सं० (वि०) गृहपतित्व गार्हस्थ्य -सं० (पु० ) 1 गृहस्थ होने की अवस्था 2 गृहस्थाश्रम 3 गृहस्थधर्म । ~ विज्ञान (पु० ) घर गृहस्थी संबंधी विज्ञान, गृहविज्ञान
गाल - (पु० ) 1 कपोल, रुखसार 2 मुँहजोरी, वाचालता 3 एक बार मुट्ठी से चक्की में डाला गया अत्र झींक करना 1 बढ़-बढ़ कर बातें करना 2 मुँहजोरी करना; पिचकना 1 गालों का धँस जाना 2 दुबला होना फुलाना 1 गर्व करना 2 रूठना; -बजाना 1 बढ़-बढ़ कर बातें करना 2 बकवास करना; मारना 1 डींग हाँकना 2 मुँह में कौर डालना; काल के में जाना संकट में पड़ना गालगूल - ( पु० ) व्यर्थ की बातें, गपशप गालन सं० (पु० ) 1 गलाना 2 पिघलाना गाला - (पु० ) पूनी। रूई का अति उज्ज्वल, प्रकाशमान गालित-सं० (वि०) 1 गलाया हुआ 2 पिघलाया हुआ ग़ालिब - अ० (वि) 1 छाया हुआ. हात्री. प्रभावी 2 विजयी श्रेष्ठ
ग़ालिबन-अ ( क्रि० वि०) संभावना है कि संभवतः गाली - (स्त्री०) 1 दुर्वचन, अश्लील बात (जैसे- गाली देना, गाली बकना) 2 कलंक सूचक बातें। -गलौज (स्त्री०), ~गुफ़्ता फ़ार (पु० ) एक दूसरे को अपशब्द कहना; गालियों पर उतरना गालियाँ बकने लगना
गालू - (वि०) 1 बढ़ चढ़कर बातें करनेवाला 2 बकवादी गाव-फा० (पु०) 1 गाय-बैल 2 वृष राशि । कुशी (स्त्री०) गोवध. गऊ हत्या खाना (पु० ) 1 गोशाला 2 मवेशीखाना, खुर्द (वि०) 1 गायब, लापता 2 नष्ट-भ्रष्ट ; ~ तकिया (पु० ) लंबा और गोल तकिया, मसनद, दुम (वि०) 1 जो गाय की पूँछ की तरह हो 2 ढालुवाँ गावदी - (वि०) 1 नासमझ 2 मूर्ख, जड़ ग्रासिया-अ० (पु० ) घोड़े की ज़ीन पर बिछाया जानेवाला कपड़ा, जीन पोश
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गाह
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A
गाह-फा० (स्त्री०) 1 स्थान (जैसे-बंदरगाह, ईदगाह) 2 कोई गिन्नी-(स्त्री०) 1 चक्कर 2 घुमाने की क्रिया। खाना विशिष्ट काल
चक्कर खाना (जैसे-पतंग का गिनी खाना) गाहक-(पु०) खरीदार
गिरगिट-(पु०) रंग बदलनेवाला छिपकली की जाति का एक गाहकी-(स्त्री०) 1 खरीदारी 2बिक्री
जंतु। की तरह रंग बदलना किसी बात पर स्थिर न रहना, गाहन-सं० (पु०) 1 पानी में बैठकर गोता लगाना 2 थाह लेना चंचल होना (जैसे-गिरगिट की तरह हमेशा रंग बदलना अच्छा गाहना-(स० क्रि०) 1 थाह लेना 2 बिलोड़ना 3 ग्रहण करना नहीं है) (जैसे-अनाज गाहना) 4 अवगाहन करना 5 झाड़ना गिरजा-पुर्त० (पु०) ईसाइयों का प्रार्थनामंदिर। ~घर + हिं० (जैसे-अनाज को गाह कर दाने अलग करना) 6 पैठना, (पु०) ईसाइयों का उपासनागृह घुसना
गिरते-पड़ते-(क्रि० वि०) ठोकरें खाते हुए किसी तरह गाही-(स्त्री०) पाँच-पाँच का समूह (जैसे-20 गाही आम)। गिरदा-फा (पु०) 1 घेरा 2 चक्कर 3 तकिया 4 काठ का बड़ा ~के गाही अत्यधिक
थाल 5 खजरी, ढोल आदि का मेंडरा 6 ढाल गाहे-बगाहे-फा० (क्रि० वि०) 1 इधर-उधर 2 बीच-बीच में, गिरदावर-फ्रा० (पु०) घूम-घूमकर कामों की जाँच करनेवाला कभी-कभी
अधिकारी जिंजना-(अ० क्रि०) गीजा जाना
गिरदावरी-फा० (स्त्री०) 1 गिरदावर का काम 2 गिरदावर का गिजाई-(स्त्री०) गिजने की क्रिया गिडुवा-(पु०) तकिया
गिरना-(अ० क्रि०) 1 अचानक तीव्र गति से ज़मीन पर आ गिदौड़ा-(पु०) जमाई हुई चीनी की गोलाकार मोटी परत पड़ना (जैसे-आकाश से हवाई जहाज़ गिरना) 2 टूट कर नीचे गिच-पिच, गिचिर-पिचिर-(वि०) अस्पष्ट लिखा हुआ आ पड़ना (जैसे-पेड़ की डाल टूटकर कुएँ में बाल्टी गिरना) गिजगिजा-(वि०) 1 मुलायम एवं गीला (जैसे-गिजगिजा 3 स्थिर एवं गतिमान वस्तु का गिर जाना (जैसे-दीवार का
आम) 2 गुदगुदा, मांसल (जैसे-गिजगिजा गाल) गिरना, दौड़ती रेलगाड़ी का पटरी से गिरना) 4 नदी, समुद्र में ग़िज़ा-अ० (स्त्री०) पौष्टिक भोजन
मिलना (जैसे-गंगा नदी का बंगाल की खाड़ी में गिरना) गिटकिरी-(स्त्री०) तान लेते समय स्वर को कैंपाना 5 नीचे आना (जैसे-वायुमंडल का तापक्रम गिरना) गिटकौरी--(स्त्री०) कंकड़ी
6 अवनति होना (जैसे-चरित्र गिरना, मनोबल गिरना) गिट-पिट-(स्त्री०) विकृत शब्दावली। करना अशुद्ध भाषा 7 कार्य-व्यापार ठप्प होना 8 कमी होना 9 धक्के लगाना में बात करना
(जैसे-अत्यधिक भीड़ में एक दूसरे पर गिरना) 10 रोग होना गिट्टक-(स्त्री०) 1 चिलम के नीचे रखा जानेवाला कंकड़ (जैसे-फ़ालिज गिरना) 11 सहसा आ पड़ना (जैसे-सिर पर 2 पत्थर आदि का छोटा टुकड़ा
विपत्ति का पहाड़ गिरना) गिट्टा-(पु०) 1 चिलम के छेद पर रखने की कंकड़ी 2 पत्थर का गिरफ़्त-फ़ा० (स्त्री०) 1 अच्छी तरह से पकड़ने की क्रिया, छोटा टुकड़ा
पकड़ 2 अपराध, दोष आदि का पता लगाने का खास ढंग गिट्टी-(स्त्री०) 1 ईंट-पत्थर के तोड़े हुए छोटे टुकड़े, रोड़ी गिरफ़्तार-फ़ा० (वि०)1 जिसे अपराध के सिलसिले में पकडा 2 चिलम की गिट्टक
__ गया हो 2 संकट, कष्ट आदि में जो फँसा हो गिड़गिड़ाना-(अ० क्रि०) सहायता हेतु दीनता पूर्वक प्रार्थना गिरफ़्तारी-फ़ा० (स्त्री०) 1 गिरफ़्तार होने की अवस्था 2 कैद
करना (जैसे-अफसर के सामने नौकर गिड़गिड़ा रहा था) गिरमिट-1 अंक (पु०) लोहे लकड़ी आदि में छेद करने का गिड़गिड़ाहट-(स्त्री०) 1 गिड़गिड़ाने की क्रिया 2 गिड़गिड़ाकर बड़ा बरमा अं० II (पु०) इक़रारनामा की जानेवाली प्रार्थना
गिरमिटिया-अं० (पु०) बंधुवा मज़दूर गिद्ध-(पु०) 1 शव खानेवाला लंबी गर्दन का प्रसिद्ध पक्षी, गिरवाना-(स० क्रि०) 1 किसी को कोई वस्तु गिरवाने में प्रवृत्त गीध 2 धूर्त व्यक्ति। राज (पु०) जटायु
करना 2 किसी से गिराने का काम करवाना (जैसे-मकान गिनगिनाना-I (अ० क्रि०) 1 देह का काँपना, शरीर काँपना गिरवाना) 2 रोमांच होना II (स० क्रि०) झकझोड़ना
गिरवी-फ़ा० (वि०) 1 रेहन, बंधक 2 रेहन संबंधी। ~कर्ता गिनती-(स्त्री०) 1 गिनने की क्रिया, गणना 2 संख्या, तादाद + सं० (वि०) गिरवी रखनेवाला; ~ग्राही + सं० बंधक 3 हाज़िरी की जाँच।
लेनेवाला; ~दार (पु०) बंधक रखनेवाला, रेहनदार; गिनना-(स० क्रि०) 1 संख्या मालूम करना, गिनती करना नामा (पु०) रेहननामा
2 हिसाब लगाना 3 महत्त्वपूर्ण समझना। गिन गिनकर | गिरस्ती-(स्त्री०) = गृहस्थी 1 अच्छी और पूरी तरह से (जैसे-गिन-गिनकर मारना) गिरह-फा० (स्त्री०) 1 गाँठ, बंधन 2 गुत्थी 3 गज़ का 16वाँ 2 एक-एक करके और बहुत कठिनता से (जैसे-गिन-गिनकर भाग। ~कट + हिं० (पु०) जेब कतरा; ~कटी (स्त्री०) समय बिताना) 3 धीरे-धीरे और सावधान होकर जेब काटने का काम; ~दार (वि०)जिसमें गाँठ लगी हो, (जैसे-गिन-गिनकर पैर बढ़ाना)
गठीला; बाज़ (पु०) वह कबूतर जो उड़ते समय गिना-चुना-(वि०) 1 विशिष्ट 2 थोड़ा सा
कलाबाज़ी करता है गिनाना-(स० क्रि०) गिनने का काम दूसरे से कराना गिरी-फा० (वि०) 1 बहुमूल्य, महँगा 2 भारी 3 अप्रिय, गिनी-अं० (स्त्री०) सोने का सिक्का
अरुचिकर
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mकाव
गिरा 215
ग़ीबत गिरा-सं० (स्त्री०) 1 वाणी 2 बोली, भाषा 3 सरस्वती | गिलना-(स० क्रि०) 1 निगलना 2 छिपा लेना 3 ग्रसना गिराना-(स० क्रि०) 1 किसी वस्तु को बलपूर्वक नीचे उतारना गिलबिला-(वि०) = गिलगिला
(जैसे-परदा गिराना) 2 खड़ी वस्तु को आघात द्वारा ज़मीन पर गिलबिलाना-(अ० क्रि०) अस्पष्ट उच्चारण करना लाना (जैसे-मेज़ से प्याला गिराना, रेल की पटरी गिराना) गिलम-[फा० (स्त्री०) 1 ऊन का चिकना कालीन 2 मोटा और 3 ध्वंस करना (जैसे-दीवार गिराना, मकान गिराना) 4 कम __ कोमल गद्दा II (वि०) मुलायम करना (जैसे-बाज़ार भाव गिराना) 5ढाल की तरफ़ ले जाना गिलहरा-I (पु०) नर गिलहरी II (पु०) धारीदार मोटा सूती (जैसे-कुएँ की जगत से खेत की क्यारी में पानी गिराना) कपड़ा 6 नीचे आ पड़ना (जैसे-कलम गिराना) 7 उँडेलना | गिलहरी-(स्त्री०) चूहे की तरह एक छोटा जंतु जो प्रायः बगीचों (जैसे-बाल्टी से फर्श पर पानी गिराना) 8 उपस्थित करना । एवं पेड़ों पर रहता है, गिलाई, चिंखुरी (जैसे-ईंटा-बालू गिराना) 9 घायल करना 10 मार डालना , गिला-फा० (पु०) 1 उलाहना, उपालंभ 2 निंदा, शिकायत । (जैसे-उसने रणभूमि में शत्रु को मार गिराया)
-शिकवा + अ० (पु०) उलाहना व शिकायत गिरानी-फा० (स्त्री०) 1 महँगाई 2 पेट का भारीपन गिलाफ़-अ० (पु०) 1खोल, लिहाफ (जैसे-तकिये का गिरा-पड़ा-(वि०) 1 ज़मीन पर गिरकर पड़ा हुआ 2 टूटा-फूटा, गिलाफ़) 2 म्यान, कोष जीर्ण-शीर्ण 3 बिना महत्त्व का
गिलावा-फा० (पु०) बो० = गारा गिराव (पु०), गिरावट-(स्त्री०) 1 गिरने की अवस्था गिलास-अं० (पु०) शीशे आदि का बना लंबोतरा छोटा बर्तन 2 अधःपात, पतन
गिली-फा० (वि०) 1 मिट्टी का बना हआ 2 मिट्टी से संबंध गिरि-सं० (पु०) पर्वत, पहाड़। जा (स्त्री०) पार्वती, गौरी; रखनेवाला
घर (पु०) कृष्ण; नाथ (पु०) शंकर जी; ~पथ गिलौरी-(स्त्री०) पान का बीड़ा। दान (पु०) पान रखने का (पु०) दर्रा; -पाद (पु०) पहाड़ के नीचे का मैदान; द्वार डिब्बा, पानदान (पु०) दर्रा; ~माला (स्त्री०) पर्वत श्रेणी; राज (पु०) गिल्टी-(स्त्री०) = गिलटी हिमालय पर्वत; ~वर (पु०) हिमालय; -शिखर (पु०) गिल्ली-(स्त्री०) 1 गुल्ली 2 गुल्ला। -डंडा (पु०) = गुल्ली पहाड़ की चोटी; ~सुता (स्त्री०) पार्वती
डंडा। गिरिस्ती-(स्त्री०) = गृहस्थी
गिष्णु-सं० (पु०) 1 मंत्र सस्वर गानेवाला व्यक्ति 2 गवैया, गिरी-(स्त्री०) बीज के अंदर का गूदा, मग्ज (जैसे-बादाम की गायक गिरी)
गींजना-(स० क्रि०) हाथ से मसलकर खराब करना गिरीश-(पु०) पर्वतों का राजा, हिमालय पर्वत
(जैसे-कपड़े गांजना) गिरेबान-फ़ा० (पु०) = गरेबान
गीगर-काउंटर-अं० (पु०) - गाइगर-गणक गिरों-फ़ा० (पु०) = गिरवी। ~गट्ठा! + हिं० (वि०) जो | गीड़-(पु०) बो० आँख का कीचड़
रेहन रखी गई हो II (पु०) रेहन रखने का व्यवसाय | गीत-1 सं० (वि०) गाया हुआ II (पु०) 1 छोटी पद्यात्मक गिरोह-फा० (पु०) = गरोह
रचना 2 प्रशंसा, बड़ाई 3 कथन, चर्चा । ~कार (पु०) गीत गिर्जा-पुर्त० (पु०) = गिरजा
की रचना करनेवाला; क्रम (पु०) 1 गीत के स्वरों के गिर्द-[फा० (अ०) 1 आस-पास 2 चारों ओर II (पु०) वस्तु उतार-चढ़ाव 2 संगीत में एक तान; ~भार (पु०) टेक
की गोलाई, घेरा। -पेश (क्रि० वि०) आसपास गीता-सं० (स्त्री०) गुरु शिष्य संवाद रूप में आध्यात्म तत्त्व का गिर्दागिर्द-फा० (अ.) 1 आस पास 2 चारों तरफ़
उपदेश करनेवाला पद्यग्रंथ (जैसे-शिवगीता, गिर्दाब-फा० (पु०) भँवर
श्रीमद्भगवद्गीता) गिर्दावर-I फ़ा० (वि०) चारों तरफ़ घूमनेवाला II (पु०) । गीतातीत-सं० (वि०) 1 जो गाया न जा सके 2 जिसका वर्णन
घूम-घूम कर कार्यों का निरीक्षण करनेवाला अधिकारी न हो सके, अवर्णनीय, अकथनीय गिर्दावरी-फा० (स्त्री०) गिरदावर का काम और पद गीतात्मक-सं० (वि०) गतिमय गिल-फ्रा० (स्त्री०) 1 मिट्टी 2 गीली मिट्टी 3 गारा। ~कार | गीति, गीतिका-सं० (स्त्री०) गान, गीत। -काव्य (पु०) (पु०) मिट्टी का पलस्तर करनेवाला; ~कारी (स्त्री०) ऐसा काव्य जो गाने के लिए ही लिखा हो; नाट्य (पु.) दीवारों पर पलस्तर करने का काम
ऐसा नाटक जिसमें पद्य की प्रधानता हो; नाट्यकार (पु०) गिलगिला-(वि०) 1 गीला और नरम 2 करुणा आदि के गीतिनाट्य की रचना करनेवाला; ~रूपक (पु०) = गीति कारण रोमांचित
नाट्य गिलगिलिया-(स्त्री०) सिरोही नाम की चिड़िया
गीधा-सं० (स्त्री०) 1 वाणी 2 गीत गिलट-अं० (पु०) 1 ऐसी वस्तु जिस पर सोने, चाँदी आदि का | गीदड-I (पु०) भेड़िये की जाति का एक जानवर जो लोमड़ी से
पानी चढ़ा हो 2 सोने, चाँदी आदि का पानी चढ़ाने की क्रिया | मिलता जुलता होता है, सियार, श्रृंगाल II (वि०) डरपोक । गिलटी-(स्त्री) 1 शरीर के अंदर संधि स्थल पर होनेवाली ल्म की (स्त्री०) डराने के लिए झूठी धमकी गोल गाँठ 2 शरीर के विभिन्न अंगों में गाँठ निकलने का रोग गीदी-फ्रा० (वि०) 1 गीध संबंधी 2 कायर, डरपोक (जैसे-गले की गिलटी)
गीष-(पु०) = गिद्ध से० (पु०) निगलना
ग्रीवत-अ० (स्त्री०) 1अनुपस्थिति, गैर हाजिरी 2 चुग़ली
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गीयर
गीयर -अं० (पु० ) (मोटरगाड़ी में ) रफ़्तार बदलने की गरारी गीर्ण-सं० (वि०) 1 कथित, कहा हुआ 2 विस्तार से बतलाया हुआ, वर्णित
गीर्देवी-सं० (स्त्री०) शारदा गीर्वाण -सं० (पु०) देवता
गीला - (वि०) भीगा हुआ, तर, नम (जैसे- गीला कपड़ा) । ~पन (पु० ) गीला होने की अवस्था, तरी, नमी गीव - (स्त्री०) गरदन, ग्रीवा
गैंग - (वि०) बो० = गूँगा । बहरी (स्त्री०) बरम, बाँबी गैंगुआना - ( अ० क्रि०) 1 गूँगे की तरह गूँ-गूँ शब्द करना 2 अच्छी तरह न जलना, धुआँ देना
गुंचा - (पु० ) 1 फूल की कली, कोरक 2 आनंद मंगल 3 नाच रंग । ~ खिलना 1 खूब नाच रंग होना, आनंद मंगल होन. 2 मुख की आकृति आनंदपूर्ण और प्रफुल्लित होना गुंची - (स्त्री०) घुंघची गुंज सं० (स्त्री०), गुंजन - (पु० ) 1 भौरे का गुंजार 2 पक्षियों का
=
कलरव
गुंजना-सं० + हिं० (अ० क्रि०) 1 गुंजार करना 2 गुनगुनाना गुंजल्क - सं० (पु०) 1 शिकन 2 गाँठ गुंजा -सं० (स्त्री०) घुँघची
गुंजाइश - फ़ा० (स्त्री०) 1 स्थान 2 समाई (जैसे- भीड़ में अब गुंजाइश नहीं है) 3 अवकाश (जैसे- इस पर बहस की गुंजाइश नहीं है)
गुंजान - (वि०) घना ( ~ आबादी)
गुंजायमान् -सं० (वि०) गूँजता हुआ
गुंजाइश
गुंजार युक्त
गुंजायश -फ़ा० (स्त्री० ) गुंजार - (पु० ) गुंज गुंजारित, गुंजित - (वि०) गुँजिया - (स्त्री०) कान में पहनने का एक गहना गुंठन - सं० ( पु० ) 1 ढकना 2 छिपाना 3 घूँघट गुठित-सं० (वि०) 1 ढका हुआ 2 छिपाया हुआ गुंड -सं० (वि०) चूर्ण किया हुआ पीसा हुआ गुंडई - (स्त्री०) गुंडापन
गुँडली - ( स्त्री०) 1 गेंडुरी 2 कुंडली
गुंडा - ( पु० ) उद्दंडतापूर्वक आचरण करनेवाला व्यक्ति,
बदमाश । गर्दी + फ़ा०,
गिरी + फ़ा० (स्त्री०), शाही + 9510 (fao)
~न (पु० ) गुंडई बदमाशी गुंडागर्दी, गुंडा राज गुंडित - सं० (वि०) 1 पीसा हुआ 2 धूल में मिलाया हुआ
3 धूल से ढका हुआ गुँथना - (अ० क्रि०) गुथना गुँदीला - (वि०) गोंदवाला
=
गुँधना - I (अ० क्रि०) 1 गूँधा जाना 2 माँड़ा जाना, साना जाना (जैसे - आटा गुँधना ) II (अ० क्रि०) गुँथना गँधाई, गुघावट - (स्त्री०) 1 गूंधने की क्रिया 2 गूंधने की
216
मजदूरी
गुंफ-सं० (पु०) 1 गूँथना 2 संयुक्त करना 3 फूलों का गुच्छा गुंफन -सं० (पु० ) 1 गुच्छल बनना 2 पिरोना 3 गूँथना ( जैस - माला गुंफन )
गुंफित - सं० (वि०) 1 गूंथा हुआ 2 सजाया हुआ 3 मिलाया
गुज़ारा
हुआ 4 गुच्छित गुंबज़ - फ़ा० (पु० ) गुंबद (जैसे- गुंबज़ की आवाज़ ) । ~दार जिसमें गुंबद बना हो
गुंबद - फा० (पु० ) इमारत पर अर्ध गोलाकार शिखर (जैसे-मस्जिद का गुंबद )
गुंबदी - फ़ा० (वि०) गुंबद की शक्ल का
गुंबा - फ़ा० (पु०) चोट लगने से बनी गांठ, गुलमा गुइयाँ-I (स्त्री०) सखी II ( पु० ) 1 खेल का साथी 2 मित्र गुग्गुल -सं० (५०) सलई का पेड़ और उसकी राल गुची - (स्त्री०) आधी ढोली
गुच्ची - (स्त्री०) 1 छोटा गड्ढा 2 गुल्ली-डंडा का छोटा गड्ढा । पाला (पु०) कौड़ी का खेल खेलने के लिए बनाया गया छोटा गड्ढा
गुच्छ, गुच्छक-सं० (पु०) 1 गुच्छा 2 फूलों का गुच्छा 3 गुलदस्ता
गुच्छा - (पु०) 1 एक प्रकार की एकत्रित वस्तुओं का समूह (जैसे- चाबी का गुच्छा) 2 झब्बा, फुंदना 3 एक साथ उत्पन्न हुई वस्तुओं का समूह (जैसे- अंगूर का गुच्छा) गुच्छिका -सं० (स्त्री०) नसों की ग्रंथि
गुज - ( पु० ) 1 बाँस की कील 2 बाँस की मेख गुज़र - फ़ा० ( पु० ) 1 रास्ता (जैसे- रहगुज़र) 2 पहुँच (जैसे- इस कमरे में हवा का गुज़र नहीं) 3 जीवन निर्वाह, गुज़ारा (जैसे- हमें सौ रुपए में गुज़र करना पड़ता है) 4 जाना, निकलना । ~गाह (स्त्री०) 1 आने-जाने का मार्ग 2 नदी पार करने का घाट 3 मार्ग, रास्ता; ~नामा (पु०) मार्ग से गुजरने हेतु दिया जानेवाला अधिकार पत्र, पार पत्र; बसर ( पु० ) गुज़ारा (जैसे- गुज़र-बसर होना); खान (पु० ) 1 रास्ते की रखवाली करनेवाला 2 मल्लाह 3 घाट की उतराई वसूल करनेवाला ।
गुज़रना - फ़ा० + हिं० (अ० क्रि०) 1 जाना, निकलना 2 गुज़र होना, निर्वाह होना 3 घटित होना (जैसे वहाँ पर आप पर कैसी गुज़री) 4 व्यतीत होना, बीतना (जैसे- मुश्किल से दिन गुज़रना) । गुज़र जाना मर जाना, मृत्यु होना (जैसे- नेताजी गुज़र गए)
गुजराती - (वि०) 1 गुजरात प्रांत का रहनेवाला 2 गुजरात का बना हुआ (जैसे- गुजराता ताला)
गुज़रान - फा० (स्त्री०) = गुज़र-बसर
गुज़रानना-फ़ा० + हिं० (स० क्रि०) 1 पेश करना 2 व्यतीत करना, बिताना गुजरिया- (स्त्री०)
गूजरी
गुजरी - (स्त्री०) कलाई में पहनने की पहुँची गुजरेटा - ( पु० ) 1 गूजर का पुत्र 2 गूजर जाति का व्यक्ति गुजरेटी - (स्त्री०) गूजरी गुज़श्ता - फ़ा० (वि०) बीता हुआ, अतीत गुज़ारना - फ़ा० + सिं० (स० क्रि०) 1 बिताना 2 आगे बढ़ाना 3 पेश करना (जैसे- अर्ज गुज़ारना) 4 पालन करना, अदा करना (जैसे-नमाज़ गुज़ारना)
गुज़ारा - फ़ा० ( पु० ) 1 गुजारने की क्रिया 2 गुज़र, निर्वाह 3 निर्वाह हेतु दी जानेवाली आर्थिक मदद 4 नाव से नदी पार
करना
=
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गुज़ारिश
गुज़ारिश - फा० (स्त्री०) प्रार्थना, निवेदन (जैसे-आपसे गुजारिश है कि यह कार्य कर दीजिएगा, किसी की ख़िदमत में गुज़ारिश करना) । ~नामा (पु०) प्रार्थना-पत्र, निवेदन पत्र गुज्झा - I (पु० ) 1 रेशेदार गुदा 2 रेशों का गुच्छा II ( वि०) छिपा हुआ, गुप्त
गुझिया - (स्त्री०) खोए की एक मिठाई (जैसे- होली की गुझिया खाओ)
गुट - I (पु० ) = गुट्ट । तंत्र (पु०) किसी विशिष्ट गुट का शासक; ~ निरपेक्ष (वि०) जो किसी गुटविशेष से संबद्ध न हो निरपेक्षता नीति सं० (स्त्री०) किसी गुट में शामिल न होने के नियम बंद + फ़ा० (वि० ) = गुट्टबंद; -बंदी + फ़ा० (स्त्री०) गुट बनाकर मतभेद बनाये रखना; बाज़ + फ़ा० गुट बनाने में निपुण व्यक्ति; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) गुटबंदी; ~ युद्ध (पु० ) गुटबंदी के कारण संघर्ष
=
गुट - II (पु० ) कबूतर आदि के बोलने का शब्द, गुट ध्वनि गुटकना - I (अ० क्रि०) गुट-गुट शब्द करना (जैसे- कबूतर का गुटकना) II (स० क्रि०) = गटकना (जैसे- दवा की गोली गुटकना)
गुटका - (पु० ) 1 छोटे आकार की पुस्तक (जैसे-गुटका रामायण) 2 काग़ज़ आदि दबाने का शीशे आदि की ठोस एवं छोटी वस्तु (जैसे-गुटका से चिट्ठियां दबा दो ) गुटरगूँ - (स्त्री०) कबूतरों की आवाज़
गुटिका -सं० (स्त्री०) गोली
गुट्ट - (पु० ) 1 दल, समूह 2 थोड़े से व्यक्तियों का आक्रमणकारी समूह (जैसे- पार्लियामेंट वाला गुट्ट, आक्रमण कारी गुट | बंद + फ़ा० (वि०) जो गुट में शामिल हो; बदी + फ़ा० (स्त्री०) 1 गुट बनाने की क्रिया 2 मत भेद आदि के कारण छोटे-छोटे गुट बनाना (जैसे-गुट्टबंदी से परे होना, सरकार - विरोधी गुट्ट); ~बाज़ + फ़ा० (पु० ) गुट बनाने का पक्षपाती; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) गुटबंदी | बाँधना दल बनाना
=
"
गुट्टा - I (पु०) चौकोर छोटी गोटी / II (वि०) छोटे कद का ठिगना, नाटा
गुट्ठल - (वि०) गुठलीवाला
गुठला - I (वि०) कुंद, भोथरा II ( पु० ) बड़ी और मोटी गुठली
गुठलाना - ( अ० क्रि०) 1 गुठली की तरह कड़ा एवं गोल होना 2 कुंद होना 3 खट्टा पदार्थ खाने के बाद दाँतों का कुछ चबाने योग्य न रहना
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गुठली - (स्त्री०) फल का कड़ा और कुछ बड़ा बीज, कुसली (जैसे-आम की गुठली)
गुडंबा - ( पु० ) गुड़ की चाशनी में पकाया गया कच्चा आम गुड़ - (पु० ) ऊख के रस को पकाकर खूब गाढ़ा करने पर प्राप्त होनेवाला कड़ा पदार्थ (जैसे-गुड़ की बट्टी, गुड़ की भेली) । ~ खाना गुलगुलों से परहेज करना बहुत बुराई करना; ~गोबर करना चौपट करना, नष्ट करना; गोबर हो जाना बरबाद होना, नष्ट होना (जैसे- तुम्हारी करनी से सब गुड़ गोबर हो गया); दिखाकर ढेला मारना लाभ का लोभ दिखाकर कष्ट देना; भरा हँसिया ऐसा कार्य जो प्रिय होने पर भी
गुणांकन
अत्यधिक कठिन होने के कारण न किया जा सके; ~ से मरे तो जहर क्यों दे नरमी से काम हो जाए तो सख़्ती क्यों की जाए गुड़-गुड़ - (स्त्री०) 1 हुक्का पीने से उत्पन्न होनेवाला शब्द 2 वायु संचार से पेट में होनेवाला शब्द गुड़गुड़ाना - 1 (अ० क्रि०) गुड़गुड़ शब्द होना II (स० क्रि०) गुड़गुड़ शब्द उत्पन्न करना (जैसे- हुक्का गुड़गुड़ाना) गुड़गुड़ाहट - (स्त्री०) गुड़गुड़
गुड़गुड़ी - (स्त्री०) 1 बार-बार गुड़गुड़ शब्द होने की अवस्था 2 काठ की निगालीवाला छोटा हुक्का (जैसे-गुड़गुड़ी पीना) गुड़धानी - (स्त्री०) गुड़ में मिलाकर बनाया गया लड्डू गुड़हर, गुड़हल - ( पु० ) 1 अड़हुल का पेड़ 2 अड़हुल का फूल, जपाकुसुम
गुड़ाई - ( स्त्री०) खेत गोड़ने का काम
गुड़ाकू - ( पु० ) गुड़ मिलाकर बनाया गया पीने का तंबाकू गुडाकेश- सं० (पु०) 1 शिव 2 अर्जुन
गुड़िया- (स्त्री०) कपड़े, लकड़ी आदि का बना एक खिलौना जिससे लड़कियाँ खेलती हैं। सरकार + फ़ा० (स्त्री०) कठपुतली सरकार; सँवारना हैसियत के अनुसार लड़की की शादी करना; गुड़ियों का खेल बहुत छोटा एवं सहज काम गुड्डा - (पु० ) कपड़े का बना हुआ पुतला। बाँधना पुतला
बनाकर बदनाम करना
गुड्डी - I ( स्त्री०) गुड़िया II पतंग
=
गुढ़ा - (पु० ) चोर, डाकुओं के छिपने का स्थान गुण-सं० (पु० ) 1 निजी विशेषता 2 निपुणता 3 हुनर 4 प्राकृतिक वृत्तियाँ (जैसे-सत्व, रज, तम ) 5 लक्षण । ~ कथन ( पु० ) प्रशंसा करना, गुणगान, गुणवर्णन कर, ~ कारक, कारी (वि०) लाभकारी कीर्तन (पु० ), ~ कीर्ति (स्त्री०) गुणगान, गुणकथन; गत ( वि०) गुण-संबंधी गान (पु० ) गुण कथन, (पु०) गुण और गुणी का सम्मान करनेवाला व्यक्ति; (वि०) गुण को परखकर उसका आदर करनेवाला; (वि०) 1 ईर्ष्या करनेवाला 2 कृतघ्न ज्ञ (वि०) गुणग्राही दोष (पु०) अच्छाइयाँ और बुराइयाँ (जैसे-गुण-दोष बखानना); ~धर्म (पु० ) वस्तुगत विशेषताएँ: ~ वंत् (वि०) = गुणी; ~वती (स्त्री०) विशिष्ट गुणवाली महिला; वाचक (वि०) गुण या विशेषता सूचित करनेवाला (जैसे- गुणवाचक विशेषण); ~वान् (वि० ) = गुणी; ~संग (पु० ) गुणों का मेल; ~सागर (वि०) अत्यधिक गुणी; शून्य (पु० ) गुणहीन व्यक्ति गुणक-सं० (पु०) वह अंक जिससे गुणा किया जाए गुणज - सं० (पु० ) गुण्य अंक गुणन-सं० (पु० ) 1 ग० गुणा करना 2 हिसाब करना, गिनना । -खंड (पु० ) गुणक; फल (पु० ) गुणा करने पर प्राप्त संख्या (जैसे- गुणनफल निकालना) गुणना सं० + हिं० (स० क्रि०) 1 गुणा करना 2 मन में सोचना, गुनना गुणनीय सं० (वि०) जो गुणा किया जाने को हो गुणांक -सं० (पु०) ग० वह संख्या जिसको गुणा किया जाए (जैसे- तीन-चार का गुणांक है) गुणांकन-सं० (पु०) गुणा करना
=
ग्राहक ग्राही
घाती
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218
=
गुणा
गुणा - (पु० ) ग० वह क्रिया जिससे यह पता चलता है कि किसी अंक को एक से अधिक बार जोड़ने पर कितना प्राप्त होता है। (जैसे-8 को 4 से गुणा करना) गुणाकर-सं० (वि०) गुण-सागर, गुणों की खान गुणागुण-सं० (वि० ) = गुण-दोष गुणाढ्य - सं०
(वि० ) गुण-सागर
गुणातीत-सं० (वि०) सत्व रज तम से परे, अलिप्त गुणात्मक-सं० (वि०) गुणों पर आधारित गुणानुवाद-सं० (पु० ) गुण-कथन, बड़ाई गुणान्वित-सं० (वि०) गुणों से युक्त गुणार्थ - सं० ( पु० ) गुणों का सूचक अर्थ गुणावली -सं० (स्त्री०) गुणों की लड़ी, अनेक गुण गुणिका - सं० (स्त्री०) सूजन, गाँठ गुणित-सं० (वि०) गुणा किया हुआ गुणी - I सं० (वि०) गुण से युक्त, गुण संपन्न II ( पु० ) 1 कला-कुशल व्यक्ति, हुनरमंद 2 अलौकिक गुणवाला व्यक्ति । भूत (वि०) 1 मुख्य अर्थ से भिन्न 2 गौण बनाया हुआ; ~ व्यंग्य (पु० ) गौण व्यंग्यार्थ गुणे-सं० + हिं० गुणा करें (जैसे- 7 गुणे 5) गुणेश्वर - सं० (पु० ) 1 तीन गुणों का स्वामी 2 परमेश्वर, ईश्वर गुणोपेत-सं० (वि०) गुणों से युक्त, गुणी गुण्य-सं० ( पु० ) 1 गुणा किए जाने योग्य संख्या 2 गुणी गुण्यांक -सं० (पु० ) गुणांक गुत्ता - (पु० ) 1 लगान पर खेत जोतने-बोने के लिए खेतिहार को देने का व्यवहार 2 लगान
=
गुत्थमगुत्था - (पु० ) 1 भिड़ंत, द्वंद युद्ध 2 उलझाव, फँसाव गुत्थी - (स्त्री०) 1 धागे आदि का उलझा हुआ रूप 2 उलझाव,
समस्या (जैसे-गुत्थी सुलझाने पर ही कार्य आगे बढ़ सकेगा ) गुथना - ( अ० क्रि०) 1 आपस में उलझना 2 पिरोया जाना 3 सीया जाना (जैसे- कथरी गुथना) 4 कसकर दबाना गुथली - (स्त्री०) थैली
गुथवाना - (स० क्रि०) गूथने का काम अन्य से कराना (जैसे-गद्दा गुथवाना)
गुथीला - (वि०) 1 गुथा हुआ 2 हृष्ट पुष्ट गुथुवाँ - (वि०) 1 गूथकर बनाया हुआ, गूथा हुआ 2 उलझा हुआ गुद-सं० (स्त्री०) = गुदा। ~ग्रह (पु० ) (चि०) कोष्ठबद्धता रोग; ~भ्रंश (पु० ) चि० गुदा से काँच निकलने का रोग गुदकार, गुदकारा, गुदगुदा - (वि०) 1 मुलायम एवं अच्छा 2 जिसमें कोई मुलायम चीज़ भरी गई हो (जैसे-गुदगुदा गद्दा) 3 मांसल (जैसे-गुदगुदा शरीर ) गुदकील, गुदांकुर-सं० (पु०) बवासीर गुदगुदाना - (स० क्रि०) 1 कोमल मांसल अंग सहलाना 2 परिहास में छेड़ना 3 लालसा उत्पन्न करना गुदगुदाहट - ( स्त्री०) 1 गुदगुदाने की क्रिया 2 मन में उत्पन्न होनेवाली हल्की इच्छा
गुप्त
गुदड़ी - (स्त्री०) 1 फटे-पुराने कपड़ों को सीकर बनाया गया ओढ़ना 2 रद्दी एवं फटी-पुरानी वस्तुओं के मिलने का स्थान 3 टूटी-फूटी वस्तुएँ। फरोश + फ़ा० (पु०) फटे-पुराने कपड़े, बर्तन आदि बेचनेवाला; बाज़ार + फ़ा० (पु०) वह बाज़ार जहाँ फटी-पुरानी रद्दी वस्तुएं प्राप्त होती हैं; का लाल 1 तुच्छ स्थान में छिपी वस्तु 2 निम्नकुल में जन्मा व्यक्ति 3 साधारण पोशाक में असाधारण गुणी व्यक्ति गुदनहारी - (स्त्री०) = गोदनहारी
गुदना - ( अ० क्रि० ) 1 गोदा जाना 2 चुभना गुदा-सं० (स्त्री०) मलद्वार
गुदाज़ - फ़ा० (वि०) 1 गदराया हुआ, गुदकारा 2 गूदेदार 3 मांसल (जैसे-गुदाज़ देह, गुदाज़ बदन) गुदाना - (स० क्रि०) गुदवाना गोदाम
गुदाम - ( पु० ) =
गुदारा - फ़ा० (पु० ) 1 नाव से नदी पार करने की क्रिया, उतारा 2 वह स्थान जहाँ से लोग नाव पर सवार होते हैं एवं उतरते हैं। गुदारे लगना 1 किनारे लगना 2 कार्य समाप्त होना गुदी - (स्त्री०) वह स्थान जहाँ टूटी-फूटी नौकाएँ बनाई जाती हैं। गुद्दी - (स्त्री०) बो० 1 फल के बीज के अंदर का गुदा, मगज 2 सिर का पिछला हिस्सा 3 हथेली का माँसल अंश। ~की नागिन गरदन के पीछे के बालों की भौंरी जो अशुभ मानी गई है; में आँखें हो जाना ऐसी मानसिक स्थिति जिसमें कुछ भी समझ में न आए एवं न कुछ दिखाई पड़े; ~से जीभ निकालना 1 ज़बान खींचकर निकाल लेना 2 कठोर दंड देना गुनगुना - I ( वि०) जो नाक से बोलता हो II हल्का गरम, कुनकुना (जैसे- गुनगुना पानी)
गुनगुनाना - (अ० क्रि०) 1 भौंरो का गुनगुन शब्द करना 2 नाक से बोलना 3 अस्पष्ट एवं धीरे-धीरे बोलना
गुदगुदी - (स्त्री०) 1 पुलक 2 हल्की वासना, उमंग 3 उल्लास गुदड़िया - I ( पु० ) 1 गुदड़ी पहननेवाला 2 रद्दी ख़रीदकर बेचनेवाला व्यापारी 3 खेमा, दरी आदि वस्तुएँ किराये पर देनेवाला व्यापारी II (वि०) गूदड़ी, गूदड़ संबंधी
गुनगुनाहट - (स्त्री०) गुन-गुन गुन- धुन - ( स्त्री०) सोच विचार
=
गुनना - I (अ० क्रि०) 1 गुणों आदि से युक्त होना (जैसे-पढ़ना और गुनना) 2 मन में सोच-विचार करना 3 किसी को महत्त्व का समझना II (स० क्रि०) 1 वर्णन करना 2 गुणा करना गुनहगार - फ्रा० (वि०) 1 गुनाह करनेवाला, पापी 2 अपराधी 3 दोषी
गुना - I संख्यावाचक शब्दों के अंत में लगनेवाला प्रत्यय (जैसे- चौगुना, दस गुना ) II ( पु० ) गु० गुणन क्रिया गुनाह - फ़ा० (पु०) अपराध । ~गार ( पु० ) गुनहगार गुनाही -फ़ा० (वि०) 1 अपराधी, दोषी 2 पापी गुनिया - I फ़ा० + हिं० (पु० ) गुणवान्, गुणी II (स्त्री०) कोने आदि की सीध लेने का एक औज़ार गुनी - (वि० / पु० )
=
गुणी
गुनोबर - (पु० ) देवदार की जाति का एक पेड़ गुन्ना - अ० (पु० ) अनुस्वार को सूचित करनेवाला चिह्न गुन्नी - ( स्त्री०) रस्सी का कोड़ा
=
गुप-चुप - ( क्रि० वि०) बिना कहे हुए (जैसे-गुप-चुप बैठना) गुप्त-सं० (वि०) 1 छिपा हुआ (जैसे- गुप्त पत्रों द्वारा ) 2 अपरिचित (जैसे- गुप्त दान, गुप्त मार्ग) 3 रक्षित 4 गूढ़, दुरूह, दुर्बोध । ~ क्षेत्र (पु० ), घाती (वि०) छिपकर हमला करनेवाला; ~वर (पु०) छिपकर टोह लेनेवाला,
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गुप्तक
जासूस चर विभाग (पु०) गुप्त रूप से अपराधियों का पता लगाने का विभाग; चर्या (स्त्री०) गुप्तचर की कार्रवाई; गुप्तता की शपथ रहस्यों को प्रकट न करने की शपथ; ~दान (पु० ) 1 छिपाकर दिया जानेवाला दान 2 ऐसा दान जिसके दाता का पता न हो; ~ प्रणिधि (पु०) गुप्तचर के रूप में प्रतिनिधि अधिकारी मत (पु०) अप्रकट राय / वोट संचरण (पु० ) गुप्त रूप से गमन करना गुप्तक-सं० (वि०) छिपाकर रखेनवाला गुप्तांग-सं० (पु० ) स्त्री एवं पुरुष के गुप्त अंग, उपस्थ गुप्ता-सं० (स्त्री०) 1 परकीया नायिका जो पर पुरुष से अपना संबंध छिपाने का प्रयत्न करे 2 रखेली
गुप्ति-सं० (स्त्री०) 1 छिपाव 2 रक्षा 3 कारागार
गुप्ती - (स्त्री०) ऐसी लंबी एवं पोली छड़ी जिसमें पतली तलवार छिपी रहती है
गुप्फा - (पु० ) = गुच्छा
गुफा -- (स्त्री०) ज़मीन या पहाड़ के अंदर का गहरा एवं अँधेरा गड्ढा, कंदरा (जैसे- शेर गुफा में रहता है) गुफ़्तगू - फ़ा० (स्त्री०) वार्तालाप, बातचीत
गुफ़्तार - फ़ा० (स्त्री० ) 1 बात चीत 2 बात-चीत करने का ढंग गुबरैला - (पु० ) = गोबरैला
गुबार - अ० (पु० ) 1 गर्द, धूल 2 उद्गार (जैसे-मन का गुबार निकालना)
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गुबारा, गुब्बारा - (पु० ) 1 रबर की थैली जिसमें हवा से हल्की गैस भरने से वह हवा में उड़ती है 2 हवा भरी रबर की थैली जिसे सैनिक प्रयोग करते हैं, छतरी
गुम - फ़ा० (वि०) 1 छिपा हुआ, गुप्त 2 खोया हुआ 3 जिसका पता न हो 4 जो ख्यात न हो (जैसे-गुमनाम) । राह (वि०) 1 भटका हुआ 2 पथभ्रष्ट (जैसे- गुमराह करना); ~राही (स्त्री०) पथभ्रष्टता; -शुदा (वि०) खोया हुआ; ~सुम (वि०) चुप और निश्चेिष्ट, स्तब्ध गुमकना - (अ० कि०) भीतर ही भीतर गूँजना
गुमटा - ( पु०) गल सूजन
गुमटी - (स्त्री०) 1 मकान के ऊपरी भाग में शेष से कुछ अधिक उठी हुई सीढ़ी की छत 2 रेलवे लाइन के किनारे खलासी के रहने के लिए छोटा गोलाकार गुंबदनुमा कमरा
गुमना - I फ़ा० + हिं० (अ० क्रि०) गुम हो जाना, खो जाना II (स० क्रि०) गुम करना, खो देना
गुमनाम - फ्रा० (वि०) 1 जिसका नाम कोई न जानता हो, अप्रसिद्ध (जैसे-गुमनाम शिकारी, गुमनाम चोर) 2 बिना नाम का (जैसे-गुमनाम चिट्ठी गुमनाम शिकायत ) गुमर - (पु० ) 1 घमंड, शेखी 2 दुर्भाव, गुबार गुमान - फ़ा० ( पु० ) 1 अभिमान, घमंड 2 अनुमान 3 कल्पना 4 कल्पना के आधार पर किया जानेवाला शक गुमानी - फा० + हिं० (वि०) गुमान करनेवाला, अभिमानी गुमाश्ता - फा० (पु० ) एजेंट के रूप में काम करनेवाला कर्मचारी । ~ गीरी (स्त्री०) 1 गुमाश्ते का काम 2 गुमाश्ते का
पद
गुम्मट - ( पु० ) 1 गुंबज 2 गुमटा गुम्मा - I (पु० ) बड़ी एवं मोटी ईंट II ( वि०) गुमसुम रहनेवाला, चुप्पा
गुरुत्वाकर्षण
गुर - (पु० ) 1 अत्यंत अच्छी युक्ति 2 अमोघ साधन 3 गुरु 4 गुरुमंत्र । मुखी (स्त्री०) गुरु के मुख से निकली गुरगा - ( पु० ) 1 दास, सेवक 2 अनुचर 3 जासूस गुरगाबी - ( स्त्री०) देशी जूता
गुरदा - फ़ा० (पु० ) रीढ़दार जीवों में वे दो अंग जो किए गए भोजन से बने रक्त को साफ़ करता है और शेष तरल पदार्थ को पेशाब रूप में मूत्राशय में भेजता है।
गुरबत - अ० (स्त्री०) 1 विदेश का निवास, प्रवास 2 पथिक की परवशता एवं विवशता 3 निराश्रयता
गुरल - (पु० ) भूरे रंग की पहाड़ी बकरी
गुराई - बो० (स्त्री०) गुराव - ( पु० ) 1 तोप लादने की गाड़ी 2 ऐसी नाव जिसमें मस्तूल हो
युद्ध
+
गुरिया - (स्त्री०) 1 मनका 2 छोटी गोली गुरिल्ला - अं० (पु० ) छापामार दस्ते का सैनिक सं० (पु० ), ~ लड़ाई + सं० (पु० ) ऐसा युद्ध जिसमें सैनिक टुकड़ियाँ मौका पाकर शत्रु पर हमला करती हैं; सेना + सं० (स्त्री०) ऐसी सेना जो घात लगाकर हमला करती है। गुरु - I सं० (वि०) 1 पूज्य 2 वज़नदार, भारी 3 बड़ा 4 कठिन II (पु०) 1 शिक्षक 2 पूज्य पुरुष 3 बुजुर्ग 4 कला आदि सिखानेवाला व्यक्ति, उस्ताद 5 दीर्घ मात्रा। कुल (पु०) 1 गुरु का घराना 2 गुरुगृह; ~ गंभीर (वि०) बहुत भारी गंभीर / संजीदा गत (वि० ) गुरु के पास गया हुआ; ~घंटाल (पु० ) चालाक आदमी घर हिं० (पु०) गुरु के रहने का स्थान, गुरु का वास स्थान; जन (पु० ) पूज्य पुरुष, आचार्य, जनहंता (पु०) बड़े बूढ़ों का हत्यारा; ~डम (पु० ) गुरुआई का दंभ या ढोंग; ~ता (स्त्री०) 1 गुरुत्व (दे०) 2 भारीपन; दक्षिणा (स्त्री०) सारी विद्या पढ लेने पर गुरु को दी जानेवाली दान-दक्षिणा (जैसे-गुरु दक्षिणा चुकाना ); द्वारा + हिं० (पु० ) 1 गुरुगृह 2 सिखों का मठ, मंदिर; पाक (वि०) 1 देर से पकनेवाला 2 देर से पचनेवाला, पूर्णिमा ( स्त्री० ) गुरु पूजा का पर्व आषाढ़ पूर्णिमा, भाई + हिं० (पु०) एक ही गुरु के दो से अधिक शिष्य गुरुभाई कहलाते हैं; मंत्र ( पु० ) गुरु द्वारा दिया गया मंत्र या सीख; मार + हिं० (वि० ) गुरु को परास्त करनेवाला; ~ मुख (वि०) जिसने अध्यात्मिक रूप में गुरु से मंत्र लिया हो; मुखी + हिं० (स्त्री०) = गुरमुखी; रत्न (पु० ) 1 पुखराज नामक रत्न 2 गोमेद नामक रत्न; वार (पु०) बृहस्पतिवार
गुरुआई -सं० + हिं० (स्त्री०) गुरु का कार्य, धर्म गुरु आनी - सं० हिं० (स्त्री०) 1 गुरु
2 शिक्षिका गुरुजनोचित -सं० (वि०) बड़े लोगों के लिए उचित गुरुत्व-सं० ( पु० ) 1 गुरु होने की अवस्था 2 गुरु का कार्य 3 भारीपन 4 बड़प्पन, श्रेष्ठता। केंद्र (पु०) पिंड में मध्य बिंदु जिसमें पदार्थ का संपूर्ण भार केंद्रित हो; ~लंब (पु०) रेखा जो गुरुत्वकेन्द्र से नीचे खींची जाए गुरुत्वाकर्षण-सं० (पु० ) वह शक्ति जिसके द्वारा कोई पिंड दूसरे पिंड को अपनी ओर आकृष्ट करता है, पिंडों की एक-दूसरे को आकृष्ट करने की वृत्ति (जैसे- शून्य गुरुत्वाकर्षण) । हीन (वि०) ऐसा पिंड जिसमे
पत्नी
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गुरुवार 220
गुलाम गरुत्वाकर्षण शक्ति न हो; हीनता (स्त्री०) गुरुत्वाकर्षण
गए बेल-बूटे मेंहदी + हिं० (स्त्री०) अनेक रंग के शक्ति न होने की अवस्था
फूलोंवाला एक पौधा; ~मेख (स्त्री०) ऐसी कील जिसका गुरुवार-सं० (पु०) सप्ताह का पाँचवाँ दिन, बृहस्पतिवार ऊपरी भाग फूल के आकार का होता है, फुलिया; ~संग गुरू-I (पु०) गुरु, आचार्य II (व्यंग्य में) धूर्त, चालाक।
(वि०) गुलाब के रंग का, लाल गुलाबी; ~रुख, ~~ घंटाल (पु०) बड़ा धूर्त एवं चालाक
(वि०) फूल के समान मुखवाला; -रोगन (पु०) गुलाब गुरूब-अ० (पु०) (सूर्य) डूबा हुआ
की पत्तियों से बनाया गया तेल, ~कतरना 1 बत्ती का गुल गुरेरना-(स० क्रि०) आँखें फाड़कर क्रोध पूर्वक देखना, घूरना काटना 2 काराज़-कपड़े आदि को काटकर फूल बनाना; गुरेरा-(पु०) 1गुरेरने का भाव 2 आमना-सामना, देखा-देखी ~करना बुझाना; खिलना विलक्षण बात होना; गुर्ग-फा० (पु०) भेड़िया। ~आशनाई (स्त्री०) कपटपूर्ण -खिलाना अचंभे की बात करना; ~बैधना खूब जल मित्रता
जाना; हो जाना ठण्डा पड़ जाना, बुझ जाना गुर्ज-फा० (पु०) 1 गदा 2 बुर्ज
गुलगुला-(वि०) कोमल, नरम (जैसे-गुलगुला आम, गुर्जर-सं० (पु०) 1 गुजरात प्रांत 2 गुजरात का निवासी 3 गूजर गुलगला पदार्थ) गुर्जरी-सं० (स्त्री०) 1 गुजरात प्रांत की स्त्री 2 गूजर जाति की गुलगोथना-(वि०) नाटा मोटा भारी आदमी स्त्री, गूजरी
गुलचला-(पु०) तोप का गोला चलानेवाला, तोपची गुर्रा-अ० (पु०) 1 मुहर्रम महीने की द्वितीया का चाँद 2 काम । गुलचा-(पु०) 1 प्रेम से गाल पर लगाई जानेवाली हल्की चपत के बीच में पड़नेवाला नागा (जैसे-गुर्रा करना)
2 छोटी गोल मुलायम चीज़ गुर्राना-(अ० क्रि०) 1 गुर्र-गुर्र शब्द करना (जैसे-कुत्ते का | गुलछर्रा-(पु०) भोग विलास, मौज-मस्ती (जैसे-गल
गुर्राना) 2 कर्कश ध्वनि में बोलना (जैसे-परस्पर गुर्राना) उड़ाना) गुर्राहट-(स्त्री०) गुरनि की क्रिया ।
गुलझटी-(स्त्री०) 1 तागों आदि के उलझने से पड़ी गाँठ गुर्विणी-सं० (स्त्री०) 1 गुरु की पत्नी 2 गर्भवती स्त्री
2 कपड़े की सिकुड़न, सिलवट (जैसे-गुलझटी दूर करना, ग़ल-फा० (पु०) शोर (जैसे-गुल मचाना)। ~गपाड़ा +
गुलझटी पड़ना) हिं० (पु०) शोरगुल, हो हल्ला
गुलता-(पु०) मिट्टी की छोटी गोली गुल-फा० (पु०) 1 पुष्प, फूल 2 हँसते समय गालों में गुलत्थी-(स्त्री०) अधिक गीला पड़नेवाला गड्ढा 3 दीपक की बत्ती का जला हुआ अंतिम भाग |
गुलथी-(स्त्री०) 1 गाढ़ी चीज़ की जमी हई गाँठ 2 गिल्टी जो छोटे से फूल का आकार धारण कर लेता है 4 आँख का गुलबंद-फ़ा० (पु०) दे० गुलूबंद डेला 5 गोल निशान 6 दाग़ने का निशान । ~कंद + अ० गुलमा-(पु०) 1 चोट लगने से बनी गोल कड़ी सूजन (पु०) चीनी में गुलाब की पंखुड़ियों को मिलाकर बनाई गई 2 मसालेदार कीमा भरी हुई बकरी की आँत औषध; ~कट + हिं० (पु०) कपड़े पर बेल-बटे छापने का गुलशन-फ़ा० (पु०) बारा, उद्यान ठप्पा; ~कार (पु०) बेल-बूटे आदि बनानेवाला कारीगर; गुलाब-फा० (पु०) एक तरह का प्रसिद्ध कटीला पौधा जिसमें ~कारी (स्त्री०) 1 बेल-बूटे बनाने का काम 2 बने हुए अनेक रंग के सुगंधित फूल खिलते हैं (जैसे-लाल गुलाब, बेल-बूटे, फूल पत्तियाँ; ~केश + सं० (पु०) 1 मुर्गकेश सफेद गुलाब)। जल + सं० (१०) गुलाब के फूलों का नामक पौधा, कलगा 2 कलगा का फूल; ~गीर (पु०) गुल
अरक (जैसे-गुलाब जल छिड़कना); जामुन + हिं० काटने की कैंची; ~(वि०) गुलाब के रंग का, गुलाबी;
(पु०) जामुन की शक्ल की एक प्रसिद्ध मिठाई, पाश ल्गूना (पु०) मुँह पर लगाया जानेवाला एक तरह का (पु०) गुलाब जल छिड़कने का झारी के आकार का लंबा उबटन; चमन, ज़ार I (पु०) खिला हआ बाग़-बगीचा
पात्र; ~बारी + हिं० (स्त्री०) गुलाब के फूलों से सजाया II (वि०) 1 खिला हुआ, प्रफुल्ल 2 चहल पहलवाला; गया स्थान तराश (पु०) 1 गुलगीर 2 वह माली जो बाग़ में
गुलाबी-[फा० (वि०) 1 गुलाब संबंधी, गुलाब का 2 गुलाब फूल-पौधों को काट-छांटकर सुंदर एवं व्यवस्थित आकृतियाँ के रंग का 3 गुलाब के फूल की तरह 4 गुलाब से सुगंधित आदि बनाता है 3 पत्थर पर बेल-बूटे आदि बनाने का औज़ार; किया हुआ II (पु०) गुलाब के फूल की तरह का रंग III दस्ता (पु०) 1 फूलों का गुच्छा 2 चुनी हुई वस्तुओं का |
(स्त्री०) 1 शराब पीने की प्याली 2 गुलाब की पंखुड़ियों से संग्रह; ~दान (पु०) गुलदस्ता रखने का पात्र; ~दार I बनी एक मिठाई (वि०) 1 जिसमें फूल लगे हों (जैसे-गुलदार वृक्ष) 2 जिस गुलाम-अ० (पु०) 1 दास, नौकर (जैसे-कुतुबद्दीन ऐबक ने पर फूल पत्तियाँ, बेल-बूटे बने हों II (पु०) 1 ऐसा जानवर गुलामवंश की नींव डाली) 2 ताश का एक पत्ता जिसपर जिसके शरीर पर फूल सा गोल निशान बना हो 2 एक तरह का गुलाम का चित्र बना होता है (जैसे-पान का गुलाम)। कशीदा; दुम (स्त्री०) बुलबुल; नार (पु०) 1 अनार ज़ादा + फ़ा० (पु०) दास की संतान; देश + सं० का फूल 2 एक प्रकार का अनार जिसमें सुंदर फूल होते हैं, (पु०) जो देश स्वतंत्र न हो (जैसे-भारतवर्ष सदियों तक फल नहीं होते 3 अनार के फूल की तरह का गहरा लाल रंग गुलामदेश बना रहा); ~फ़रोश + फ़ा० (पु०); ~माल
फ्राम (वि०) फूलों के समान रंगवाला, अत्यंत सुंदर; (पु०) 1 सस्ती चीजें जो बहुत दिनों तक काम दे सकें 2 कम बदन (वि०) फूल की तरह कोमल एवं रंगवाली दाम में खरीदी गई वस्तु: राष्ट्र + सं० (पु०) = गुलाम अत्यधिक सुंदर; -बूटा + हिं० (पु०) खोदे, छापे, बनाये | देश; ~शाही + फ़ा० (स्त्री०) = गुलामी
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गुलामी
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गूढत्व गुलामी-1 अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 गुलाम होने की अवस्था, | गुह-(पु०) पाख़ाना, मल । उछालना निंदनीय कार्यों का दासता 2 परतंत्रता, पराधीनता II (वि०) गुलाम संबंधी, प्रचार करना; ~उठाना । पाखाना साफ करना 2 तुच्छ से गुलामी की तरह का (जैसे-गुलामी में बेच देना)। प्रथा + तुच्छ सेवा करना; खाना अत्यंत तुच्छ कार्य करना; ~में सं० (स्त्री०) ऐसी प्रथा जिसमें लोगों को खरीद लिया जाता था घसीटना अपमान करना; ~में ढेला फेंकना नीच के साथ
और उनसे मनचाहा काम लिया जाता था जिसे अब समाप्त काम करके अपना ही अहित करना; ~में नहलाना अत्यधिक कर दिया गया है
दुर्गति करना गुलाल-(पु०) अबीर (जैसे-होली का गुलाल)
गुह-० (पु०) कंदरा, गुफा गुलिका-सं० (स्त्री०) 1 छोटी गेंद 2 गोली 3 गल्ली गुहाँजनी-(स्त्री०) बिलनी, अंजनहारी गुलिस्ताँ-फा० (पु०) फूलों का बाग़, फुलवारी
गुहा-सं० (स्त्री०) 1 गुफा, कंदरा 2 पशुओं की माँद गुलू-फा० (पु०) गरदन, गला। बंद (पु०) । गले में 3 अंतःकरण, हृदय 4 सृष्टि के उद्भव एवं विकास का कल्पित पहनने का एक जेवर 2 गले में लपेटे जानेवाली पट्टी मूल (जैसे-किस गहन गुहा से अति अधीर)। ~मानव (जैसे-गुलूबंद लपेटना)
(पु०) पाषाण युग में पर्वत-कंदराओं में रहनेवाले मनुष्य गुलेनार-फ़ा० (पु०) = गुलनार
लेख (पु०) = गुहाभिलेख गुलेल-(स्त्री०) दो दाँतों की कमान जिसपर छोटा कंकड़, मिट्टी | गुहाभिलेख-सं० (पु०) पत्थरों, गुफाओं आदि पर खुदा हुआ गोली रखकर चिड़ियों आदि को मारते हैं
लेख गुलेला-(पु०) 1 मिट्टी की गोली 2 गुलेल
गुहार-(स्त्री०) रक्षा के लिए पुकार, दुहाई गुलौर-(पु०) वह स्थान जहाँ रस पकाकर गुड़ बनाया जाता है गुहाशय-सं० (पु०) माँद में रहनेवाला जंत गुल्फ-सं० (पु०) एड़ी के ऊपर की गाँठ, गट्टा, टखना गुहिका-सं० (स्त्री०) 1 विवर 2 गह्वर गुल्म-सं० (पु०) 1 झाडी 2 सैन्यदल 3 पेट की गाँठ (रोग)। गुह्य-I सं० (वि०) 1 गुप्त रखने योग्य 2 रहस्यमय II (पु०) ~वात (पु०) तिल्ली का रोग
1 छल, कपट 2 रहस्य, भेद 3 गुप्त अंग। दीपक (पु०) गुल्लक-(पु०) - गोलक
जुगनें; द्वार (पु०) 1 मलद्वार, गुदा 2 चोर दरवाज़ा; गुल्ला -I (पु०) 1 गुल्ला 2 शोरगुल (जैसे-हल्ला-गुल्ला) II | विद्या (स्त्री०) साधुओं के रहस्यपूर्ण विषयों का ज्ञान फ़ा० (पु०) = गुल
गूंगा-फ़ा० (वि०) 1 जो बोल न सके, मूक 2 न बोलने वाला, गुल्ली-(स्त्री०) 1 लकड़ी का लंबोतरा टुकड़ा जिसके दोनों जो मौन साधे हो। ~पन + हिं० (पु०) गूंगा होने की तरफ़ का सिरा नुकीला होता है (जैसे-गल्ली-डंडा) अवस्था; बहरा + हिं० (पु०) जो न सुन सके न बोल सके 2 छापेखाने में फरमा कसने का लंबोतरा धातु का टुकड़ा। ऐसा व्यक्ति; गूंगे का गुड़ ऐसी स्थिति जिसमें अनुभव का ~डंडा (पु०) हाथ भर का लंबा डंडा तथा चार छ अंगुल की बयान न किया जा सके गूंगे का सपना अकथनीय अनुभव गुल्ली जिससे बच्चे खेलते हैं (जैसे-गल्ली डंडा खेलना); गूंज-(स्त्री०) 1 भौंरों का गुनगुन शब्द करना, गुजंन 2 परावर्तित बँधना युवावस्था में वीर्य का एकत्र होना
होकर सुनाई पड़नेवाली ध्वनि, प्रतिध्वनि 3 विस्तृत चर्चा, धूम गुवाक-सं० (पु०) 1सुपारी 2 चिकनी सुपारी
गूंजना-(अ० क्रि०) 1 भौंरों का गुंजारना, गुंजन करना गुवारा-फा० (वि०) - गवारा
2 प्रतिध्वनि होना गुसल-अ० (पु०) नहाने की क्रिया, सारे शरीर से नहाना। गूंधना-I (स० क्रि०) माँड़ना (जैसे-आटा गूंधना) II =
खाना + फ़ा० (पु०) स्नानागार, नहाने का कमरा - गूथना (जैसे-माला गूंधना, चोटी गूंधना) गुसाई-(पु०) = गोसाई
गू-(पु०) मल। ~मूत (पु०) पाखाना-पेशाब। ~मूत गुसैल-अ० + हिं० (वि०) गुस्सैल
करना गंदा करना, बर्बाद करना गुस्ताख-फा० (वि०) बे अदब, उदंड
गूजर-(पु०) 1 गुर्जर देश की एक प्राचीन जाति 2 ग्वाला, गुस्ताखाना-फा० (अ०) ढिठाई के साथ अशिष्टतापूर्वक ___ अहीर 3 क्षत्रियों का एक भेद गुस्ताखी-फा० (स्त्रो०) बे अदबी, अशिष्टता
गूजरी-(स्त्री०) 1 गूजर जाति की स्त्री 2 ग्वालिन 3 पैर का गुस्ल-अ० (पु०) = गुसल। ~खाना + फ़ा० (पु०) = गुसलखाना
गूढ-सं० (वि०) 1छिपा हुआ, गुप्त (जैसे-गूढ पुरुष) गुस्लेसेहत-अ० + फ़ा० + अ० (पु०) स्वस्थ होने के बाद का । 2 दुर्बोध, जटिल, दुरूह (जैसे-गूढ़ विषय) 3 अभिप्राय को
छिपाए हुए, गंभीर । चर (पु०) गुप्तचर; जात (वि०) गुस्सा-अ० (पु०) क्रोध, कोप (जैसे-उसके दुर्व्यवहार से जिसके पिता का पता न हो; -जीवी (पु०) गुप्त रूप से अध्यापक को गुस्सा आ गया, गुस्से के मारे लाल होना)। जीविका चलानेवाला; ता (स्त्री०) गूढ़ होने की अवस्था; ~उतरना क्रोध शांत होना; ~उतारना गुस्से में आकर ~पत्र (पु०) 1 करील वृक्ष 2 अंकोट वृक्ष; पथ, मारना, गुस्से में बिगड़ना; ~थूक देना क्षमा करना; नाक ~मार्ग गुप्त रास्ता, सुरंग 2 अंतः करण, हृदय; ~~भाषा पर होना तुरंत क्रोध करना; ~मारना क्रोध सहना, माफ़ (स्त्री०) कूटभाषा; लेख (पु०), संहिता (स्त्री०) करना
1 संवाद भेजने की गुप्त लिपि-प्रणाली 2 ऐसा संग्रह जिसमें गुस्सेवर-अ० + फा०, गुस्सैल-अ० + हिं० (वि०) क्रोध गहन विषयों के नियम-सिद्धांतों आदि का विवेचन रहता है करनेवाला
| गृहत्व-सं० (पु०) = गूढ़ता
गहना
स्नान
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गूढांग
गूढांग - सं० ( पु० ) 1 कछुआ 2 गुप्त अंग गूढा - बो० (स्त्री०) 1 वह बात जिसका अभिप्राय जल्दी न समझा जा सके 2 पहेली
गूढार्थ - सं० ( पु० ) गूढ़ अभिप्राय से युक्त बात गूढोक्ति-सं० (स्त्री०) 1 गूढ़ कथन 2 अर्थालंकार जिससे कोई बात संबंधित व्यक्ति को न कहकर अन्य को लक्ष्य कर के कही जाये
222
गूढोत्तर - सं० (पु० ) उत्तर अलंकार का एक भेद जिसमें दिया
जानेवाला उत्तर अपने में कोई गंभीर अर्थ छिपाये रहता गूथना - (स० क्रि०) 1 पिरोना (जैसे -माला गूथना) 2 टाँकना 3 मोटी सिलाई करना (जैसे - कथरी गूथना)
गूदड़ - ( पु० ) फटा-पुराना कपड़ा गूदा - (पु० ) 1 फल आदि के अंदर का गुदगुदा भाग (जैसे-आम का गूदा ) 2 चीज के अंदर का गीला गाढ़ा सार भाग, मज्जा 3 खोपड़ी का सार भाग, भेजा। मारते-मारते निकालना दुर्गति करना, अत्यधिक सताना गून - (स्त्री०) नाव खींचने की रस्सी
गूमड़ा - ( पु० ) माथे पर की कड़ी सूजन
गूमना - बो० (स० क्रि०) 1 गूंधना, माड़ना, सानना 2 कुचलना, रौंदना
गूलर - (पु० ) पीपल, की जाति का एक पेड़ एवं उसका फल । उदूंबर । ~ का कीड़ा कूप मंडूक; ~का पेट फड़वाना भेद खुलवाना ~ का फूल 1 दुर्लभ फूल 2 असंभव बात गृह - ( पु० ) पाखाना, मल
गूहन-सं० (पु०) छिपाना गूहा - छीछी - ( स्त्री०) गंदी कहा-सुनी
गुंजन-सं० (पु०) 1 लाल रंग का लहसुन 2 शलजम गृध्र-सं० (पु० ) गीध, गिद्ध; ~राज (पु०) जटायु गृध्रसी - सं० (स्त्री०) चि० एक तरह का वात रोग सृष्टि - सं० (स्त्री०) 1 एक ही बार ब्यायी हुई गाय 2 ऐसी स्त्री जिसे एक ही संतान हुई हो
गृह-सं० ( पु० ) घर, भवन। ~ उद्योग (पु० ) घरेलू उद्योग;
कन्या (स्त्री०) = ग्वारपाठा; कलह (पु० ) 1 आपस का लड़ाई-झगड़ा, घरेलू झगड़े 2 राष्ट्र देश में होनेवाला झगड़ा - लड़ाई (जैसे- आंतरिक गृह कलह ); ~कार्य (पु० ) 1 घर गृहस्थी के काम-काज 2 घर में किया जानेवाला कार्य (जैसे- अध्यापक ने बच्चों का गृह कार्य देखा; गोधा (स्त्री०) छिपकली; जन (पु०) घर परिवार के लोग, कुटुंबी; ज्ञानी (वि०) जिसका सारा ज्ञान घर तक ही सीमित हो, कूप मंडूक; ~ त्याग (पु० ) घर को छोड़कर चला जाना; ~ दाह (पु० ) 1 घर में आग लगाना 2 इस तरह का गृह कलह कि घर का सब कुछ नष्ट हो जाये; देवता (पु० ) घर के विभिन्न कार्यों के विभिन्न देवता; देवी (स्त्री०) घर की स्वामिनि, गृहिणी; ~ निर्माण (पु०) घर बनाने की क्रिया; ~ निर्माण कला (स्त्री०) गृह निर्माण की विधि; ~ निर्माण सामग्री (स्त्री०) गृह निर्माण में प्रयुक्त होनेवाली वस्तुएँ: पति (पु०) 1 घर का मालिक 2 परिवार का मुख्य व्यक्ति; पत्नी (स्त्री०) = गृहिणी; (स्त्री०) घर घुस्सूपन; परिभाग (पु० ) परिस्थिति (स्त्री०) घर की दशा (जैसे-गृह परिस्थिति अब
=
गृहीत
बिगड़ चुकी है); ~शु (पु०) पालतू जानवर (जैसे-गाय एक गृह पशु है); ~पाल (पु०) घर की रखवाली करनेवाला चौकीदार प्रबंध (पु०) घर-गृहस्थी का इंतज़ाम; ~ प्रवेश (पु० ) नए घर में पहली बार विधि पूर्वक पूजन अदि करने के बाद जाना (जैसे- आज मेरे यहाँ गृह प्रवेश है); ~ भूमि (स्त्री०) घर बनाने के लिए उपयुक्त जमीन; भेद (पु०) घर में लड़ झगड़कर अलग होना, अलगोझा, बँटवारा; ~ भेदी (वि०) घर में फूट डालनेवाला; ~ मंत्रालय (पु०) ऐसा विभाग जहाँ राष्ट्र, देश के लोग राष्ट्र के गृह संबंधी कार्यो की देख-भाल करते हैं; मंत्री (पु० ) राष्ट्र एवं राष्ट्र के आंतरिक मामलों की व्यवस्था करनेवाला मंत्री (जैसे- भारत देशका गृह मंत्री कौन है, केंद्रीय गृह मंत्री मणि (पु० ) दीपक, दीया युद्ध (पु० ) 1 घरेलू लड़ाई-झगड़ा 2 देश का आंतरिक लड़ाई-झगड़ा (जैसे- पाकिस्तान में गृह-युद्ध चल रहा है); ~ रक्षक (पु०), रक्षी (स्त्री०) 1 अर्द्ध सैनिक संगठन जो भारत में स्थायी शांति एवं सुरक्षा के उद्देश्य से बनाया गया है 2 अर्द्ध सैनिक संगठन का कोई अधिकारी, . सदस्य लक्ष्मी (स्त्री०) गृहस्वामिनी, बहू विच्छेद (पु० ) परिवार में पड़नेवाली फूट, परिवार की बरबादी; ~ विहीन (वि०) बिना घर का शिल्प (पु०) घरेलू दस्तकारी; ~ संघर्ष (पु०) गृह युद्ध; ~ सचिव (पु०) गृह मंत्रालय का प्रधान शासनिक अधिकारी; ~सज्जा (स्त्री०) घर की सजावट और उसकी सामग्री, स्वामिनि (स्त्री० ) गृहिणी; ~ स्वामी (पु०) घर का मालिक गृहणी -सं० (स्त्री०) काँजी गृहप-सं० ( पु० ) घर का स्वामी, गृहपति गृहस्थ-सं० ( पु० ) 1 घर-बार बनाकर परिवार के साथ रहनेवाला व्यक्ति 2 ब्रह्मचर्य का पालन समाप्त करके विवाहित होकर अन्य आश्रम में प्रवेश करनेवाला व्यक्ति, गृही। जीवन (पु० ) गृहस्थाश्रम
गृहस्थाश्रम -सं० (पु०) 1 ब्रह्मचर्य के बाद का आश्रम 2 विवाहित जीवन
गृहस्थी -सं० + हिं० (स्त्री०) 1 गृहस्थ का जीवन 2 घर-बार और बाल-बच्चे, गार्हस्थ्य (जैसे-गृहस्थी सँभालना) 3 घर का सामान, माल असबाब 4 खेती-बारी (जैसे-गृहस्थी का काम कैसे किया जाएगा)
परता गृहोपांत;
गृहाक्ष-सं० (पु० ) घर की खिड़की, झरोखा गृहागत - I सं० (वि०) घर में आया हुआ II (पु० ) अतिथि, मेहमान
गृहावली -सं० (स्त्री०) घरों का सिलसिला गृहाश्रम -सं० (पु० ) गृहस्थाश्रम
गृहासक्त - सं० (वि.) 1 घर से दूर रहने के कारण जो चिंतित एवं दुःखी हो 2 जिसे हर समय घर गृहस्थी की चिंता लगी हो, घरघुस्सू
गृहिणी -सं० (स्त्री०) 1 घर की मालकिन, गृहस्वामिनी 2 पत्नी, भार्या
गृहिणीत्व - सं० (पु०) गृहिणी का गुण-कर्म गृही-सं० ( पु० ) गृहस्थ
गृहीत - सं० (वि०) 1 प्राप्त किया गया 2 पकड़ा हुआ 3 धारण किया हुआ
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गृहीतार्थ
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ग्रंथ
गृहीतार्थ-[ सं० (वि०) जिसने अर्थ समझ लिया हो । गेय-सं० (वि.) 1गाया जाने योग्य 2 जो गाया जा सके II (पु०) प्रचलित अर्थ
(जैसे-गेय पद) गृहोद्यान-सं० (पु०) गृह वाटिका
गेरना-बो० (स० क्रि०) 1 गिराना 2 उँडेलना गृहोपकरण-सं० (पु०) घर गृहस्थी के सब सामान गेराँव-बो० (पु०) 1 पगहा 2 चौपायों के बंधन का गले में पड़ा गृह्य-सं० (वि०) 1 घर-घर से संबंधित, घर का 2 घर में किया रहनेवाला भाग जानेवाला (जैसे-गृह्य कर्म)। -कर्म (पु०) घर के कर्त्तव्य; | गेरुआ-I (वि०) 1 गेरू के रंग का, मटमैलापन लिये लाल रंग सूत्र (पु०) गृह कर्मों आदि की विधियाँ बतानेवाला वैदिक | का 2 गेरू मिट्टी के रंग में रंगा हआ, जोगिया, भगवा
II (पु०) गेरू से तैयार किया हआ रंग गह्यक-सं० (पु०) घर में पाला-पोसा हआ बच्चा | गेरुई-(स्त्री०) फसल, पौधों को होनेवाला रोग जो उनकी जड़ों गेंड-(पु०) 1 डंठल-पत्तियों आदि से बनाया गया घेरा | में गेरुए रंग के कीड़े लगने से होता है
(जैसे-इस जगह को गेड़ देना चाहिये) 2 मंडल, घेरा | गेरू-(पु०)/(स्त्री०) खानों से प्राप्त होनेवाली एक तरह की गेंड़ना-(स० क्रि०) 1 मेड़ बनाना 2 चारों तरफ से घेरना | लाल मिट्टी जो रंगने एवं दवा आदि के काम आती है (जैसे-खेत को डंठल आदि से गेड़ने से पशु अंदर नहीं | गेलरी-अं० (स्त्री०) वीथि (जैसे-आर्ट गेलरी) आएगें) 3 अन्न के लिए गेड़ बनाना
गेली-अं० (स्त्री०) छापे के अक्षर जोडकर बैठानेवाली धात की गेंडली-(स्त्री०) कुंडली
छिछली किश्ती। ~प्रूफ़ (पु०) कंपोज़ किये गये मैटर का गेंडा-(पु०) 1 ईख के ऊपर के पत्ते 2 ईख, गत्रा 3 ईख के पहला प्रूफ टुकड़े, गँडेरी
गेल्हा-बो० (०) चमड़े का बड़ा कुप्पा गेंडुआ-बो० (पु०) 1 बड़ा गेंद 2 तकिया
गेसू-फ़ा० (पु०) बालों की लट, जुल्फ गेंडुरी-(स्त्री०) 1 ईंडुरी 2 फेटा, कुंडली
गेह-सं० (पु०) = गृह गेंद-(पु०) 1 रबड़, कपड़े आदि का बना गोला जिससे बच्चे | गेहनी-(स्त्री०) घरवाली, गृहिणी
खेलते हैं, कंदुक 2 टोपियाँ एवं पगड़ियाँ आदि बनाने का गेहँअन-(पु०) मटमैले रंग का फनदार एक अत्यंत ज़हरीला कलबूत 3 तार की जालियों का बना गोला। ~घर (पु०) साँप ऐसी जगह जहाँ गेंद से तरह-तरह के खेल खेले जाते हैं; गेहँआ-(वि०) गेहूँ के रंग का, हल्का बादामी
तड़ी (स्त्री०) एक-दूसरे को गेंद से मारने का खेल; गेहूँ-(पु०) छोटे दानोंवाला एक प्रकार का अन्न एवं उसका पौधा नियंत्रण + सं० (पु०), ~बल्ला (पु०) 1 गेंद और | जिसके आटे की रोटियाँ आदि पकवान बनाए जाते हैं लकड़ी का बना कुछ चौड़ाई एवं लम्बाई का बल्ला (जैसे-गेहूँ का आटा) 2 ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ियों की दो टोलियों में होनेवाला एक गेहेशूर-सं० (पु०) केवल घर में ही बहादुरी दिखानेवाला प्रसिद्ध खेल जिसमें गेंद और बल्ले का प्रयोग किया जाता है, __ व्यक्ति क्रिकेट; ~बाज़ + फ़ा० (पु०)
गैंग-अं० (पु०) गिरोह, जत्था, टोली; ~मैन (पु०) मेट, गेंदई-(वि०) 1 गेंद से संबंध रखनेवाला, गेंदे का 2 गेंदे के टोली मज़दूर फूल के रंग का
गैंगलियन-अं० (पु०) गुच्छिका गेंदनुमा-हिं० + फ़ा० गेंद की आकृति का
गैंडा-(पु०) भैंसे की शक्ल का एक पशु जिसके थुथने पर एक गेंदवा-(पु०) पीले, नारंगी एवं लाल रंग के फूलोंवाला एक या दो सींग होते हैं छोटा पौधा (जैसे-गेंदा का फूल)
गैंती-(स्त्री०) ज़मीन खोदने की कुदाल गेगला-I (पु०) मसूर की जाति का जंगली पौधा II (वि०) गैना-(पु०) नाटा बैल मूर्ख, निर्बुद्धि .
रौब-अ० (पु०) 1 अदृश्य लोक 2 परोक्ष गेज-अं० (पु०) 1 नापने का साधन 2 रेल की दो पटरियों के | रौबत-अ० (स्त्री०) निंदा, चुगली बीच की दूरी (जैसे-मीटर गेज, नैरो गेज)
गैबदा-अ० + फ़ा० (वि०) परोक्ष की बातों का ज्ञाता, गेट-अं० (पु०) फाटक (जैसे-बँगले का गेट बंद कर दो)। परोक्षदर्शी कीपर (पु०) द्वारपाल
गैबी-अ० (वि०) 1 परोक्ष, रौब का 2 छिपा हुआ, गुप्त गेट-अप-अं० (पु०) उठना, जागना
___ 3 बिल्कुल नया एवं अपरिचित गेटिस-अं० (पु०) 1 सैनिकों का चमड़े का बना आवरण गैया-(स्त्री०) = गाय जिसमें पिंडलियाँ ढकी रहती हैं 2 मोज़ा बाँधने का | गैर-अ० (वि०) 1 अन्य, दूसरा 2 कोई और, प्रस्तुत से भिन्न
3 जिसके साथ आत्मीयता का संबंध न हो (जैसे-और आदमी) गेड़ना-(स० क्रि०) 1 मेंड़ बनाना, घेरना 2 परिक्रमा करना, 4 भिन्न (जैसे-गैर मुमकिन)। ~आबाद + फ़ा० (वि०) घूमना 3 चक्कर लगाना
1 जो आबाद न हो, उजाड़ 2 जो जोती-बोई न गयी हो, परती: गेड़ी-(स्त्री०) गेड़ने की क्रिया
~इंसाफ़ी + फ़ा० (स्त्री०) अन्याय; इलाही (वि०) जो गेदा-बो० (पु०) बिना पर का चिड़िया का बच्चा, बेपर का ईश्वरीय न हो; ~ईमानदारी + फ़ा० (स्त्री०) बेईमानी; चिड़िया का बच्चा
-कांग्रेसी + अं0 + हिं० (वि०) जो कांग्रेस का नहीं है गेम-अं० (पु०) खेल
(जैसे-गैर कांग्रेसी मंत्रिमंडल, गैर कांग्रेसी राज्य); कानूनी
फ्रीता
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(वि०) जो नियम और कानून के विपरीत हो (जैसे-गैर कानूनी | गैरिज़न-अं० (पु०) दुर्ग-सेना काम, पैर कानूनी पार्टी, गैर कानूनी व्यापार); ~खिलाड़ी | गैरियत-अ० (स्वी०) गैर होना, परायापन कप्तान + हि + अं० (पु०) ऐसा कप्तान जो खिलाड़ी न गैरी-I बो० (स्त्री०) लांगलिका वृक्ष, विषलांगला II (वि०) हो; -जरूरी + फ़ा० (वि०) अनावश्यक; जवाबदार + __ खाद बनाने का गड्ढा फ़ा० (वि०) = गैरज़िम्मेदार; जवाबदारी + फ़ा० गैल-(स्त्री०) 1 मार्ग 2 गली (जैसे-गैल जाना)। जाना (स्त्री०) = गैरज़िम्मेदारी; जानिबदार + फ़ा० (वि०) | अनुसरण करना; बताना दगाबाज़ी करना अपक्षपाती; जानिबदारी + फ़ा० (स्त्री०) अपक्षपात; गैलन-अं० (पु०) तरल पदार्थ नापने का एक पैमाना जिसका
ज़िम्मेदार + फ़ा० (वि०) 1 जो ज़िम्मेदार न हो, मान पाँच लीटर के बराबर होता है (जैसे-इस टंकी में सौ गैलन दायित्वहीन 2 जिसका भरोसा न किया जा सके; ज़िम्मेदारी | पानी आता है) + फ़ा० (स्त्री०) दायित्वहीनता; ~ज़िम्मेवार + फ़ा० | गैलरी-अं० (स्त्री०) 1 व्याख्यान भवन आदि में बना हुआ (वि०) = गैरज़िम्मेदार; तजुर्बेकार + फ़ा० जिसे कुछ भी सीढ़ीनुमा स्थान 2 बारजा (जैसे-दशर्क गैलरी में जाकर बैठ अनुभव न हो, अनुभवहीन (जैसे-औरतजुर्बेकार इंसान);
जायें) तरफ़ी + फ़ा० (स्त्री०) = [रजानिबदारी; दखलंदाजी गैला, गैलारा-(पु०) 1 गाड़ी के पहियों की लीक 2 बैलगाड़ी + फ़ा० (स्त्री०) अहस्तक्षेप; निवासी + सं० (वि०) आदि के चलने का रास्ता 3 बटोही अन्य मुल्क, देश का रहनेवाला; ~पार्टी + अं० (वि०) गैस-अं० (स्त्री०) 1 सूक्ष्म वायुरूप जो अत्यंत प्रसरणशील दूसरे दल का (जैसे-गैरपार्टी जनता); ~पेशेवर + फा० होता है 2 ऐसा ज्वलनशील पदार्थ जो रोशनी उत्पन्न करता है (वि०) शौकिया (~ खिलाड़ी, गायक); ~फ़ौजी (वि०) (जैसे-हाइड्रोजन गैस) 3 पाखाने आदि से निकलनेवाली दुर्गंध असैनिक; ~मज़रूआ (वि०) जो जोती बोई न गई हो, गैस। ~उत्पादक + सं० (पु०) गैस पैदा करनेवाला; परती; ~मनकूला (वि०) अचल (जैसे-गैरमनकूला ~कारखाना + फा० (पु०) ऐसा कारखाना जहाँ गैस बनाई जायदाद); ~मर्द + फ़ा० (पु०) 1 पति से भिन्न पुरुष जाती है; निवारण + सं० (पु०) गैस को हटाना; 2 बेगाना आदमी; ~मामूली + फ़ा० (वि०) असाधारण; पाइप गैस का नल, ~प्रतिरोधक + सं०, प्रफ़ ~मुकम्मल (वि०) अधूरा, अपूर्ण; ~मुनासिब (वि०) (वि०) गैसरोक; बत्ती + हिं० (स्त्री०) गैस का लैंप; अनुचित; ~मुमकिन (वि०) जो संभव न हो, असंभव; ~माइन गैस की खान; ~मापी + हिं० (पु०) ऐसा ~मुल्की + फ़ा० (वि०) जो अपने देश का न हो, विदेशी; उपकरण जो गैस के बाहर निकलने पर उसका मान बतलाता ~मुस्तकिल (वि०) 1 अस्थिर 2 अस्थायी; ~मौजूदगी + है; ~मास्क (पु०) गैस का मुखौटा; युक्त + सं० फा० (स्त्री०) अनुपस्थिति; ~मौजूदा (वि०) अनुपस्थित; (वि०) ऐसा द्रव जो गैस के संयोग से बना हो (जैसे-गैसयक्त ~मौरूसी + फ़ा० (वि०) 1 जो बपौती न हो 2 जो विरासत पानी); विशिष्ट + सं० (वि०) जिस पदार्थ में गैस में न मिला हो; रस्मी (वि०) 1 जो परंपरागत न हो विद्यमान हो 2 अनौपचारिक; ~राजनीतिक + सं० (वि०) जो राजनीति गैसीकरण-अं० + सं० (पु०) गैस में बदलना से संबंध न रखता हो; ~लड़ाका + हिं० (पु०) गैसीय-अं० + सं० (वि०) गैस का लड़ाई-झगड़ा न करनेवाला व्यक्ति; ~लोहा + हिं० (पु०) गसीयकरण-अं० + सं० (पु०) = गैसीकरण ऐसा पदार्थ जिसमें लोहे का अंश न हो; ~वर्गीय + सं० गोंछ-(स्त्री०) 1 गलमुच्छा 2 बहुत बड़ी मूंछ (वि०) 1 जो किसी पक्ष, दल, श्रेणी का न हो 2 जो दूसरे गोंठ-(स्त्री०) धोती की लपेट, मुर्गी पक्ष, दल का हो; वसूल (वि०) जो वसूला न गया हो, | गोंठना-I (स० क्रि०) धार, नोंक कुंठित करना, मोंक भोथरा बाकी; ~वाजिब (वि०) = गैर मुनासिब ~सरकारी + | करना फा० (वि०) जो सरकारी या राजकीय न हो, अराजकीय गोंठना-II (स० क्रि०) 1 लकीरें बनाकर घेरना 2 गझिया (जैसे-गैर सरकारी लेख); ~सोवियत + रू० (वि०) जो आदि पकवान का मुँह मोड़ना रूस से संबंध न रखता हो; हथियार बंदी + हिं० + फ़ा० | गोंड-(पु०) 1 असभ्य, जंगली जाति 2 गोंड जाति का व्यक्ति (स्त्री०) निरस्त्रीकरण; हाज़िर (वि०) अनुपस्थित; | गोड़ा-(पु.) 1घेरा हुआ स्थान, बाड़ा (जैसे-गोड़ा खींचना)
हाज़िरी + फ़ा० (स्त्री०) अनुपस्थिति; हिंदी भाषी . 2 घर के बीच का आँगन 3 विवाह के समय की परछन नामक हिंदी भाषा से संबंद्ध न हो (जैसे-और हिंदी भाषी राज्य);
जानरमंद + फ्रा० (वि०) जो कुशल न हो, अकुशल गोडी-(स्त्री०) गोंड जाति की बोली, गोंडवानी गैरत-अ० (स्त्री०) लज्जा, शर्म; ~दार + फा०, ~मंद + गोंद-(स्त्री०) 1 लसीला तरल पदार्थ जो काग़ज़ आदि चिपकाने फ्रा० (वि०) 1 लज्जाशील, शर्म-हयावाला 2 प्रतिष्ठित; | के काम आता है 2 पेड़ से निकलनेवाला लसीला द्रव। ~मंदी + फा० (स्त्री०) लाज-शर्म
~कश + फ्रा० (पु०) काग़ज़ पर गोंद फैलाने का आला गैरमिसिल-(वि०)1 जो दूसरे वर्ग का हो 2 अनुचित, अयोग्य | गोंदा-(पु०) बेसन की गोलियाँ। -दिखाना 1 बुलबुलों को 3 अश्लील
लड़ाने के लिए उनके आगे गोंदा फेंकना 2 दो पक्षों में लड़ाई गैरसियासी-(वि०) = गैरराजनीतिक
लगवाना गैरिक-I सं० (पु.) 1 गेरू 2 सोना, स्वर्ण II (वि०) 1गेरू J गोंदी-(स्त्री०) चटाई बनाने की घास, गोंदरी (जैसे-गोंदी सा के रंग में रंगा हआ 2 गेरू के रंग का
लदना)
रीति
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गोंदीला
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गोडी
गोंदीला-(वि०) 1 जिसमें से गोंद निकलता हो 2 जिसमें गोंद | गोई-फा० (स्त्री०) कथन (जैसे-साफ़गोई) लगा हो, गोंद से युक्त
गोकर्णी-सं० (स्त्री०) मुरहरी नाम की लता गो-1 सं० (स्त्री०) 1 गाय 2 इंद्रिय 3 वाणी 4 जिहवा 5 देखने की | गोकि-फ़ा० (अ०) यद्यपि शक्ति, दृष्टि 6 दिशा 7 माता, जननी। -कर्ण I (वि०) गाय गोक्ष-(पु०) जोंक के समान कानोंवाला II (पु०) गाय के कान; ~~कुंजर गोखरू-(पु०) 1 कड़ा एवं कटीला फलवाला एक प्रकार का (पु०) बलिष्ठ बैल; ~कुल (पु०) 1 गायों का झुंड, गो क्षुप 2 क्षुप का फल जो दवा के काम आता है 3 क्षुप की समूह 2 गोशाला 3 मथुरा के पास की बस्ती जहाँ कृष्ण का आकार के धातु के कटीले टुकड़े 4 पावों में पहनने का एक पालन-पोषण हुआ था; ~कोस + हिं (पु०) जहाँ तक गहना 5 काँटा गड़ने के कारण बना हआ कड़ा गोलाकार उभार गाय की आवाज सुनाई दे उतनी दूरी; खुर (पु०) 1 गाय 6 गोटे एवं बादले से बनाया गया क्षुप के आकार का साज़ का खुर 2 गाय के खुर का निशान; ग्रास (पु०) 1 गाय के गोख-बो० (पु०), गोखा-(पु०) 1 झरोखा, गवाक्ष 2 ताक लिए अलग किया गया भोजन का अंश 2 गाय की तरह मुँह से गोगापीर-(पु०) छोटी जाति का एक पीर जिसकी समाधि पर उठाकर भोजन करना; घात (पु०) गऊ हत्या, गोहत्या; हिंदु-मुसलमान दोनों पूजा करते हैं (जैसे-गोगापीर की ~यातक, ~घाती I (वि०) गोवध करनेवाला II (पु०) छड़ियां) कसाई; चर (वि०) इंद्रिय-ग्राहय; चर-भूमि (स्त्री०) | गोचना-बो० (पु०), गोचनी-(स्त्री०) चना मिलाया हुआ गेहूँ चारागाह, चरी; चर्म (पु०) गाय का चमड़ा; जल गोज़-फ़ा० (पु०) 1 अपनावायु, पाद 2 चिलगोजा। -शुतुर (पु०) गाय का पेशाब, गोमूत्र दंत (पु०) गोदंती हरताल; (वि०) जिसका कोई मूल्य न हो, बेवक्त
दान (पु०) 1 गाय का दान 2 विवाह पूर्व किया जानेवाला गोजई-(स्वी०) जौ मिला हुआ गेहूँ एक संस्कार, केशांत; दोहन (प.) गाय का दूध दहने की | गोजर-(पु०) कनखजूरा क्रिया; -धन (पु०) 1 गायों के रूप में संपत्ति 2 गायों का गोजरा-(पु०) = गोजई समूह; ~धूलि (स्त्री०) साँझ, शाम; पति (पु०) गाय गोजी-(स्त्री०) लाठी, डंडा का स्वामी, गोपाल; ~पद (पु०) = गोखुर; पाल (पु०) गोझा-बो० (पु०) गुझिया 1 गऊ का स्वामी 2 अहीर, ग्वाला 3 इंद्रियों का पालन एवं रक्षा गोट-I (स्त्री०) चुनरी, धोती, लिहाफ़ आदि के किनारों पर करनेवाला, मन 4 कृष्ण; पालन (पु०) गाय पालना; लगाई जानेवाली कपड़े की पट्टी, मगजी
पालिका, पाली (स्त्री०) 1 ग्वालिन, अहीरिन 2 गौ गोट-II (स्त्री०) 1 सभा, गोष्ठी 2 गोशाला पालनेवाली स्त्रीः पुर (पु०) किला, मंदिर आदि का ऊँचा, गोट-III (स्त्री०) चौसर आदि खेल की गोटी (जैसे-गोट बड़ा और मुख्य द्वार; ~प्रवेश (पु०) गायों के चरकर लौटने बनाना) का समय, गोधूलि, ~मय, ~मल (पु०) गोबर; ~मांस गोट-IV बो० (पु०) छोटा गाँव (पु०) गाय बैल का मांस; ~मुख I (पु०) 1 गाय का मुख गोटा-I (पु०) = गोट | 2 गंगा का उद्गम स्थान 3 गंगोत्री की गोमुखाकृति गुहा जिसमें गोटा-II (पु०) 1 गोला पदार्थ (जैसे-सुपारी का गोटा, बादाम से गंगा निकलती है; मृग (पु०) नीलगाय; रज का गोटा आदि) 2 सूखा मल, कंडी (स्त्री०) गायों के चलने से उनके खुरों से उड़नेवाली धूल; | गोटी-(स्त्री०) 1 छोटा कंकड़ 2 मोहरा (जैसे-शतरंज की रस (पु०) 1 गाय का दूध 2 दही 3 छाछ, मट्ठा आदि; गोटी)। जमना, बैठना युक्ति सफल होना; ~मरना रसा (पु०) जो गाय का दूध पीकर पला हो ऐसा बच्चा, खेल में काम न आना; ~लाल झेना 1 युक्ति ठीक होने से
रोचन (पु०) एक पीला सुगंधित द्रव्य; लोक (पु०) पूरा लाभ होना; 2 चौसर की गोटी का सब खानों में होकर उठा स्वर्ग: लोक वास परलोक वास; लोक वासी (वि०) लिया जाना स्वर्गवासी; ~वत्स (पु०) बछड़ा; ~वध (पु०) = गो | गोठ-(स्त्री०) 1 गोष्ठ 2 गोशाला हत्या; ~वर्धन (पु०) 1 गायों को पालने का काम 2 वृंदावन | गोड़ना-(स० क्रि०) मिट्टी खोदकर उसे भुरभुरी कर देना का एक प्रसिद्ध पर्वत जिसे कृष्ण ने अतिवृष्टि के कारण उँगली । (जैसे-खेत गोड़ना) पर उठा लिया था ऐसी कल्पना की गई है; ~व्रज (पु०) | गोड़वाना-(स० क्रि०) अन्य को गोडने के काम में लगाना चारागाह; ~सर्ग (पु०) गायों को बाहर छोड़ने का समय, गोडा-(पु०) घुटना। गोडे थकना अत्याधिक शिथिल प्रातः काल; ~स्वामी (पु०) 1 गाय का मालिक 2 जिसने होना इंद्रियों को वश में कर लिया हो ऐसा व्यक्ति, जितेंद्रिय; | गोड़ा-बो० (पु०) 1 चौकी, चारपाई आदि का पाया 2 थाला, लत्या (स्त्री०) गाय को मार डालना, गोवध; नाहर, | थांवला
व्याघ्र अत्याधिक कुटिल मनुष्य, क्रर एवं हिंसक व्यक्ति | गोड़ाई-(स्त्री०) 1 गोड़ने की क्रिया 2 गोड़ने का पारिश्रमिक गो-II फा० (पु०) गुप्तचर, जासूस भेदिया
गोड़ारी-(स्त्री०) 1 पलंग, चारपाई आदि का पैताना 2 जूता गोईठा-(पु०) = गोसा, उपला, कंडा
गोड़ाना-(स० क्रि०) गोड़ने की क्रिया अन्य से कराना गो-(पु०) 1 गाँव की सीमा 2 गाँव की सीमा के पास की गोड़िया-I (स्त्री०) 1 छोटा गोड़ा 2 छोटा पैर
भूमि 3 किसी स्थान के आस-पास का प्रदेश, प्रांत गोड़िया-II (पु०) 1 मल्लाह 2 सँपेरा गोइंदा-फा० (पु०) गुप्तचर, जासूस, मेदिया
गोड़ी-I (सी०) प्राप्ति, फायदा। जमना, बैठना सफल गोइयाँ-(वि०) हमेशा साथ रहनेवाला, साथी, संगी | होना; नाब से जाना कुछ भी प्राप्ति न होना
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गोड़ी
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गोरखा
गोड़ी-II (स्त्री०) 1 पैर की नली 2 पैर। ~आना, पड़ना गोनी-(स्त्री०) 1 टाट का थैला, बोरा 2 पाट, सन उपस्थित होना, पहुँचना।
गोप-(पु०) गले में पहनने का एक गहना गोणी-सं० (स्त्री०) 1 दोहरे टाट का बोरा 2 अनाज की परानी | गोप-सं० (पु०) 1 गोपाल (क) 2 ग्वाला, अहीर 3 गोशाला तौल 3 झीना कपड़ा
का अध्यक्ष गोत-I (पु०) 1 गोत्र 2 वंश, कुल II (स्त्री०) डुबाया जाना गोपन-सं० (पु०) 1 छिपाना, दुराव 2 बात छिपाकर रखना गोता-अ० (पु०) जलाशय में डुबकी लगाना। खोर + गोपनीय-सं० (वि०) छिपाने योग्य, गुप्त रखने योग्य फ्रा०, बाज़ + फा०, ~मार + हिं० (पु.) 1 जलाशय मे | (जैसे-गोपनीय बातों को निकालना) गोता लगानेवाला व्यक्ति 2 पनडुब्बी नाव। खाना 1 डूबना गोपयिता-सं० (पु०) छिपानेवाला 2 धोखा खाना; देना 1 डुबकी देना 2 धोखा देना; गोपा-I सं० (वि०) 1 छिपानेवाला 2 रहस्य प्रकट न ~मारना, लगाना 1 डुबकी लगाना 2 नागा करना, करनेवाला II (स्त्री०) 1.गोप जाति की स्त्री, गोपी 2 अहीरिन, अनुपस्थित रहना
ग्वालिन गोतिया-बो० (वि०) 1 गोत्र संबंधी 2 गोत्र का, गोती गोपाष्टमी-सं० (स्त्री०) कार्तिक शक्ला अष्टमी गोती-(वि०) जो अपने ही गोत्र का हो
गोपिका-सं० (स्त्री०) 1 गोप जाति की स्त्री, गोपी 2 ग्वालिन गोत्र-सं० (पु०) 1 संतति, संतान 2 वर्ग, समूह 3 कुल, वंश। गोपित-सं० (वि०) 1 छिपाया हुआ 2 छिपा हुआ
~ज (वि.) 1 गोत्र से उत्पन्न हआ 2 एक ही गोत्र में उत्पन्न गोपी-I सं० (वि०) छिपानेवाला II (स्त्री०) ग्वालिन, होनेवाला
गोपिका। नाथ (पु०) गोपियों के स्वामी, श्री कृष्ण; गोत्रा-सं० (स्त्री०) गायों का झुंड
-चंदन (पु०) एक प्रकार की पीली मिट्टी गोत्री-सं० (वि०) एक ही गोत्र में उत्पन्न
गोपेंद्र-सं० (पु०) 1 गायों का स्वामी 2 श्री कृष्ण गोदंती-सं० (स्त्री०) कच्ची एवं सफ़ेद हरताल
गोप्ता-सं० (वि०) 1 छिपानेवाला 2 संरक्षक गोद-(स्त्री०) 1 क्रोड़, पहलू 2 आँचल, अंचल (जैसे-शिशु माँ | गोप्य सं० (वि०) गोपनीय ।
की गोद में छिप गया)। मशीन + फ्रा० (वि०) गोद गोफना-(पु०) ढेलवाँस, गुलेल लिया, दत्तक; नशीनी (स्त्री०) गोद लिया जाना। देना | गोफा-(पु०) नया मुँहबंद पत्ता, अंकुर अपना लड़का दत्तक रूप में किसी को देना; बिठाना गोद | गोबर-(पु०) गाय का मल, गोमल। ~गणेश + सं० लेना; ~भरना 1 सौभाम्यवती स्त्री के आँचल को नारियल (वि०) 1 अत्याधिक भद्दा 2 बिल्कुल भोंदू, मूर्ख; ~मिट्टी आदि से भरना (जैसे-आज उसकी गोद भरकर शादी की (स्त्री०), ल्खाना असफलता मिलने पर भी सही ढंग से पहली रस्म अदा की जाएगी) 2 संतान होना (जैसे-कई वर्ष काम न करना बाद उसकी सूनी गोद भर गई); लेना दत्तक बनाना; गोबरहारा-(पु.) 1 गोबर उठानेवाला व्यक्ति 2 गोबर सूनी रह जाना संतान न होना
पाथनेवाला व्यक्ति गोदनहारा-(पु०) = गोदनिया
गोबरी-I (स्त्री०) गोबर की लिपाई गोदनहारी-(स्त्री०) गोदना गोदनेवाली स्त्री
गोबरी-II (स्त्री०) कंडा, उपला गोदना-I (स० क्रि०) 1 चुभाना, गड़ाना (जैसे-चमड़े में सुई | गौबरैला, गौबरौरा-(पु०) गोबर से उत्पन्न होनेवाला और
गोदना) 2 ताना मारना 3 अंकुश देना II (पु०) नील या गोबर में ही रहनेवाला कीड़ा कोयले से किसी अंग पर बना चिह्न
गोभी-(स्त्री०) 1 एक प्रसिद्ध सफ़ेद रंग का बड़ा फूल वाला गोदनिया-(पु०) गोदना करनेवाला
पौधा 2 एक प्रसिद्ध पौधा जिसके फूल की सब्जी बनती है गोदनी-(स्त्री०) 1 गोदनी की सूई 2 टीका लगाने की सूई । (जैसे-गोभी का फल) गोदा-(पु०) 1 बड़, पीपल आदि के पके हुए फल 2 वृक्ष की गोमर-(पु०) 1 गाय को मारनेवाला व्यक्ति 2 कसाई, बूचड़ ___डाल, शाखा
गोमेद, गोमेदक-सं० (पु०) अनेक रंग का बहुमूल्य रत्न गोदाना-(स० क्रि०) गोदने का काम अन्य व्यक्ति से कराना गोयड़-(स्त्री०) गाँव के आस-पास की भूमि गोदाम-(पु०) माल रखने का स्थान (जैसे-तेल का गोदाम) गोयंदा-फा० (पु०) = गुप्तचर गोदी-(स्त्री०) 1 गोद 2 जहाज़ी घाट, डॉक
गोया-फा० (अ०) 1 जैसे 2 मानों गोध-(स्त्री०) छिपकली की तरह का गोह नामक जंगली जंतु । गोर-फा० (स्त्री०) क़ब्र (जैसे-मुर्दे के लिए गोर बनाना); गोधा-सं० (स्त्री०) = गोह
~खोदू + हिं० (पु०) कब्र खोदनेवाला गोधिका-सं० (स्त्री०) गोह, छिपकली
गोर-बो० (वि०) गौर वर्ण का, गोरा गोधूम-सं० (पु०) गेहूँ
गोरख डिब्बी-(स्त्री) 1 पानी का कुंड जिसमें से खनिज गोन-I (स्त्री०) 1 बैल की पीठ पर, अनाज आदि लादनेवाला | पदार्थ युक्त जल निकलता हो 2 पानी का कुंड जिसमें से गर्म
थैला, बोरा 2 अनाज की एक तौल। ~रखा (पु०) गोन | जल निकलता हो बाँधकर खींचनेवाली नाव की मस्तूल II (स्त्री०) = गून गोरखर-(पु०) गधे की जाति का एक जंगली पशु जो गोनिया-I (पु०) 1पीठ पर बोरा लादकर ढोनेवाला व्यक्ति | गोरखर-2-10 (पु०) गधे की जाति का एक जंगली पशु जो ... 2 पीठ पर बोरा लादकर ढोनेवाला बैल
गधे से बड़ा तथा घोड़े से छोटा होता है गोनिया-II (पु०) रस्सी बाँधकर नाव खींचनेवाला मल्लाह | गोरखा-(पु०) 1 नेपाल देश का एक प्रदेश 2 नेपाल में
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गोरखाली
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गोश्त
रहनेवाली एक जाति 3 गोरखा जाति का व्यक्ति | गोलक-सं० (पु०) 1 गोल पिंड 2 विधवा की जारज संतान गोरखाली-(स्त्री०) गोरखा नामक जाति और प्रदेश की बोली 3 कुंडा 4 आँख का डेला 5 आँख की पुतली 6 गुंबद आकार गोरसी-(स्त्री०) अँगीठी
की गोल रचना गोरा-(वि०) जो बर्फ की तरह सफ़ेद और स्वच्छ हो, गौर | गोलची-अं० + तु० (पु०) = गोलकीपर (जैसे-गोल पर वर्णवाला। -चिट्टा (वि०) अत्यधिक गोरा; ~भभूका | जमाया शॉट गोलची सेक गया) (वि०) जो बेहद गोरा हो।
गोला-(पु०) 1 गेंद के आकार का गोलाकार पिंड, गोलाकार गोरिल्ला-अं० (पु०) 1 अफ्रीकी बनमानुस 2 छापामार (युद्ध) वस्तु 2 सूत, ऊन आदि का गोला 3 भाँग आदि का गोला । गोरिस्तान-मा० (पु०) क़ब्रिस्तान
फेंक (स्त्री०) गोला फेंकने की क्रिया; बाज़ी + फ्रा०, गोरी-(स्त्री०) 1 गौर वर्णवाली स्त्री 2 रूपवती स्त्री
बारी + फ़ा० (स्त्री०) तोप से की जानेवाली गोलों की गोरू-(पु०) मवेशी, जानवर
वर्षा; बारूद + फ़ा० (स्त्री०) 1 गोला और बारूद गोलंदाज-फा० (पु०) तोप में गोला भरकर चलानेवाला व्यक्ति 2 युद्धसामग्री (जैसे-तोप से गोलाबारी करना) गोलंदाजी-फा० (स्त्री०) तोप से गोला चलाने का काम | गोलाई-(स्त्री०) गोलापन गोलंबर-(पु०) 1 गोलाकार रचना 2 गोलाई 3 जूता, टोपी | गोलाकार-(वि०) जिसकी आकृति गोल हो, गोल आदि रखकर सिलनेवाली कलबूत
आकारवाला (जैसे-गोलाकार टुकड़ा) गोल-I (पु०) 1 वृत्ताकार रचना 2 गोलाकार पिंड, गोला II | गोलाधार-(वि०) मूसलाधार, अत्यधिक तेज (जैसे-गोलाधार (वि०) वृत्ताकार, वर्तुल (जैसे-गोल पहिया, गोल अँगूठी)। __बरसना) -कलम (स्त्री०) धातुओं पर नक्काशी करनेवाली एक गोलार्द्ध, गोलार्ध-सं० (पु०) गोले का आधा भाग प्रकार की छेनी; ~कली (स्त्री०) एक प्रकार का अंगूर एवं (जैसे-पृथ्वी का गोलार्द्ध, पूर्वी एवं पश्चिमी गोलार्द्ध) उसकी लता; ~गप्पा I (पु०) घी, तेल में तली गई छोटी - गोलिका-सं० (स्त्री०) गोली फुलकी II (वि०) जो गोल गप्पे के समान फूला हो; गोलियाना-(स० क्रि०) 1 गोल करना 2 गोलियाँ बनाना ~गाल, ~गोल (वि०) 1 गोला 2 अस्पष्ट ___ 3 गोल करना, उड़ाना (जैसे-गोल-गोल चेहरा); ~घर (पु०) मंडलाकार मकान; गोली-(स्त्री०) 1 छोटा गोलाकार पिंड, छोटी गोल वस्तु
चक्कर (पु०) चला (पु०) = गोलंदाज; ~मटोल (जैसे-दवा की गोली, बंदूक की गोली, शीशे की गोली) (वि०) जिससे स्पष्ट अर्थ न निकल सके, अस्पष्ट; ~माल 2 बच्चों का गोली खेलने का छोटा गोलाकार पिंड (जैसे-मिट्टी (पु०) गड़बड़, घपला; -मिर्च (स्त्री०) काली मिर्च की गोली)। -कांड + सं० (पु०) हत्या की वारदात, हत्या ~मेज़ + फ़ा० (स्त्री०) वह गोलाकार मेज़ जिसके चारों कांड; चालन, प्रहार + सं०, -बार (पु०) = गोली , ओर बैठकर समस्या पर न्यायोचित रूप से विचार-विमर्श किया कांड; बारुद + फ़ा० (स्त्री०) = गोली गट्ठा; ~मार जाय (जैसे-गोल मेज़ कांफ्रेंस); ~मोल (वि०) - (वि०) गोली मारनेवाला; रोक (वि०) गोली रोकनेवाला; गोल-मटोल। -करना गायब करना; रहना बिल्कुल चुप वर्षा + सं० (स्त्री०), ~वार (पु०) - गोली कांड। रहना; होना चुपचाप हट जाना, खिसक जाना
खाना बंदूक आदि की गोली का आघात सहना; गोल-II (पु०) गोला (जैसे-गोल बनाना, गोल करना) चलाना बंदूक से गोली चलाना; ~मारना 1 गोली से गोल-अं० (पु०) फुटबाल, हॉकी आदि के खेल में वह भाग घायल करना 2 उपेक्षा करना और त्याग देना जिसमें गेंद चली जाने से जीत का फैसला होता है (जैसे-भारत - गोली-अं० (पु०) = गोलकीपर (जैसे-टीम का गोली कौन एक गोल से जीत गया)। ~अवसर + सं० (पु०) गोल करने का मौका (जैसे-गोल अवसर खोना, गोल अवसर पर गोलीय-सं० (वि०) 1 गोल, गोलाकार 2 भूगोल या खगोल असमर्थ रहना); ~कीपर (पु०) वह व्यक्ति जो गोल की | हो संबंधित रक्षा करता है (जैसे-गोल कीपर के हाथ से गेंद निकल गई, गोल्फ़-अं० (१०) एक प्रकार का अंग्रेजी खेल जो डंडे और इस शॉट को गोलकीपर ने आराम से बचा लिया); ~क्षेत्र + गेंद से खेला जाता है (जैसे-गोल्फ़ का खिलाड़ी) सं० (पु०) वह भाग जहाँ तक गोल-कीपर जा सकता है एवं गोविंद-सं० (पु०) 1 श्री कृष्ण 2 परमात्मा 3 गौओं का मालिक अन्य खिलाड़ी उसमें नहीं जा सकते; ~पाल + सं० (पु०) 4 गोशाला का स्वामी 5 इंद्रियों का स्वामी = गोल कीपर; -प्रयास + सं० (पु०) गोल करने की गोश-फ़ा० (पु०) श्रवण इंद्रिय, कान। गुज़ार (वि०) कोशिश; खाँस - हिं० (पु०) गोल का खम्भा (जैसे-गेंद __ कानों तक पहुँचाया हुआ (जैसे-गोशगुज़ार करना, गोशकुज़ार गोल बाँस से टकरा गई); ~रक्षक + सं० (पु०) = गोल । होना); ~माली (स्त्री०) 1 कान उमेटना, कान मलना कीपर; ~लाइन (स्त्री०) वह वृत्ताकार रेखा जिसके बाहर | 2 भर्त्सना, ताड़ना गोलकीपर नहीं जा सकता तथा अन्य खिलाड़ी उस रेखा के गोशवारा-फ़ा० (पु०) पटवारी का रजिस्टर और ज़मीनों का अंदर नहीं आ सकते; ~शून्य + सं० (पु०), रहित + सं० (वि०) बिना गोल का। उतारना बराबर करना गोशा-फा० (पु०) 1 एकांत स्थान 2 दिशा 3 कोण, कोना। गोल-फा० (पु०) 1 एक ही जाति के पशुओं का समूह 2 एक | नशीं (वि०) एकांत वास करनेवाला ही प्रकार के लोगों का झंड। -बंद (वि०) जो समूह में घिरा | गोश्त-फ़ा० (पु०) 1 मारे हुए पशु का मांस (जैसे-बकरे का
गोश्त) 2 शरीर के अंदर का मांस (जैसे-जाँघ का गोश्त)।
नक्शा
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228
पंथि
~खोर (वि०) गोश्त खानेवाला, मांसाहारी
(जैसे-गौर करना)। ~तलब (वि०) विचारने योग्य, गोष्ठ-सं० (पु०) 1 गोशाला 2 एक ही प्रकार के पशुओं के रहने विचारणीय
का स्थान (जैसे-अश्वगोष्ठ) 3 परामर्श, सलाह मशविरा | गौरव-सं० (पु०) 1 बड़प्पन, महत्त्व 2 गुरुता, भारीपन 4 दल, मंडली। ~शाला (स्त्री०) सभा भवन, गोष्ठी का 3 आदर, सम्मान (जैसे-गौरव में चार चाँद जड़ देना) स्थान
4 मर्यादा, प्रतिष्ठा (जैसे-गौरव घटाना); ~पूर्ण (वि०) गोष्ठागार-सं० (पु०) = गोष्ठशाला
सम्मान से ओत-प्रोत, सम्मानित, सम्मानित किया गया हो; गोष्ठी-सं० (स्त्री०) 1 मित्र मंडली (जैसे-गोष्ठी जमना) ~युक्त (वि०) = गौरवपूर्ण; ~शाली (वि०) जो महान 2 औपचारिक बैठक (जैसे-उद्यान गोष्ठी)
हो (जैसे-गौरवशाली व्यक्ति); -स्थल (पु०) ऐसा स्थान गोसा-सं० (पु०) उपला, कंडा
जहाँ जाने से मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि हो गोसाई-I (पु०) 1 गृहस्थ होने पर भी गेरुए वस्त्र धारण गौरवान्वित-सं० (वि०) = महिमा से युक्त करनेवाली एक जाति 2 जितेंद्रिय 3 साधु-सन्यासियों का गोरवासन-सं० (पु०) सम्मानित पद सम्बोधन, गोस्वामी II (वि०) बड़ा, श्रेष्ठ
गौरवित-सं० (वि०) गौरवपूर्ण, प्रतिष्ठित गोसी-(स्त्री०) समुद्रगामिनी अनेक मस्तूलोंवाली नौका । गौरांग-[सं० (पु०) 1 विष्णु 2 श्री कृष्ण 3 चैतन्य महाप्रभु II गोह-(स्त्री०) छिपकली की जाति का एक बड़ा एवं जहरीला | (वि०) गोरे अंगवाला जंगली जंतु
गौरा, गौरी-सं० (स्त्री०) 1 पार्वती 2 गोरी स्त्री। -कांत गोहरा-(पु०) = गोसा
(पु०) शिव; ~शंकर (पु०) 1 शिव और पार्वती गोहार-(स्त्री०) 1 रक्षा के लिए पुकार 2 शोरगुल, 2 हिमालय की सबसे ऊँची चोटी हल्ला-गुल्ला। ~मारना सहायता के लिए पुकारना; गौरैया-I बो० (स्त्री०) एक प्रसिद्ध छोटी चिड़िया जो घरों में भी लड़ना अखाड़े में पहलवानों का ललकारना
अक्सर रहती हैं, चिड़ी गोहवन-बो० (पु०) = गेहुँअन
गौरैया-II (पु०) मिट्टी का बना छोटा हुक्का गौ-(स्त्री०) 1 स्वार्थ साधन की प्रबल इच्छा 2 प्रयोजन, स्वार्थ गौल्पिक-सं० (पु०) सेना की टुकड़ी का नायक सिद्ध होने का समय 3 ढंग, चाल। ~का यार स्वार्थी, गौहर-फ़ा० (पु०) मोती मतलबी; ताकना अवसर की तलाश में रहना; ग्यारस-(स्त्री०) एकादशी
निकलना स्वार्थ सिद्ध होना; ~पड़ना काम पड़ना; ~से ग्यारह-[ (वि०) दस और एक II (प०) दस और एक की चुपके से
संख्या, 11 गौ-(स्त्री०) गाय, झुंड (पु०) गायों का समूह। ~मुखी | ग्रंथ-सं० (पु०) 1 मोटी एवं बड़ी महत्त्वपूर्ण पुस्तक
(स्त्री०) = गोमुखी; ~शाला (स्त्री०) = गोशाला (जैसे-रामचरित मानस एक धार्मिक ग्रंथ है) 2 किताब गौग़ा-फ़ा० (पु०) 1 शोर गुल्ल, हो हल्ला 2 अफ़वाह (जैसे-साहित्यिक ग्रंथ)। ~कर्ता ~कार (पु०) पुस्तक, गौचरी-(स्त्री०) चरवाहों से वसूल किया जानेवाला कर ग्रंथ का रचयिता, लेखक; -चुंबक (पु०) जो पुस्तक को गौड़-सं० (पु०) 1 भारतीय ब्राह्मणों की एक उपजाति 2 बंगाल सरसरी तौर पर देख जाता है, किसी विषय का छिछला
का पुराना नाम 3 प्रदेश के निवासी 4 कायस्थों की एक अध्येता; चुंबन (पु०) अध्ययन किए बिना पुस्तक को .उपजाति 5 एक राग जो संध्या समय हर जाति में गाई जाती है सरसरी तौर पर देख जाना; निर्देश (०) = ग्रंथ संकेत; गौड़ी-सं० (स्त्री०) 1 गुड़ से बनाई गई शराब 2 संध्या समय -~भांडार (पु०) पुस्तकालय; ~माला (स्त्री०) एक ही संपूर्ण जाति में गाई जानेवाली एक रागिनी
प्रकार की पुस्तकों की प्रकाशित होनेवाली पुस्तकों की श्रृंखला; गौण-सं० (वि०) 1 अप्रधान 2 जो मूल अर्थ से भिन्न हो।। रचना (स्त्री०), ~लेखन (पु०) पुस्तक लिखना; ~कर्म साधारण कर्म, सामान्य कार्य
विज्ञान (पु०) विज्ञान की पुस्तकें; विज्ञानी (पु०) गौणिक-सं० (वि०) 1 गुण संबंधी 2 गुणी, गुणवान विज्ञान की पुस्तकें पढ़नेवाला; विवरणी (स्त्री०) विवरण गौणी भक्ति-सं० (स्त्री०) पराभक्ति की पहली सीढ़ी सहित पुस्तक सूची; ~संधि (स्त्री०) ग्रंथ का विभाग; गौद गौदा-(पु०) = घौद
संकेत (पु०) पुस्तक चिहृन; संग्रह (पु०) ग्रंथावली; गौनहार-(स्त्री०) गौना समय दुलहिन के साथ ससुराल संधि (स्त्री०) ग्रंथ का कोई विभाग; ~सारिणी (स्त्री०) जानेवाली स्त्री
ग्रंथ सूची; साहब + हिं० (पु०) सिक्खों का धार्मिक ग्रंथ गौनहारिन, गौनहारी-(स्त्री०) निम्न कोटि की गाने-बजाने का | ग्रंथन-सं० (पु०) 1 ग्रंथ की रचना करना 2 गाँठना, गूंथना पेशा करनेवाली स्त्रियों का समाज जो प्रायः वेश्यावृत्ति भी 3 जोड़ना करती हैं
ग्रंथागार-सं० (पु०) ग्रंथ भांडार गौना-(पु०) विवाह पश्चात पति का अपने ससुराल से अपनी ग्रंथागारिक-सं० (पु०) पुस्तकाध्यक्ष
पत्नी को पहली बार अपने घर ले जाना, द्विरागमन । ग्रंथालय-सं० (पु०) पुस्तकालय गौर-I सं० (वि०) 1 गौर वर्ण का, गोरा 2 उज्वल, स्वच्छ | ग्रंथावली-सं० (स्त्री०) = ग्रंथमाला 3 श्वेत, सफेद II (पु०) 1 गोरा रंग 2 लाल रंग 3 पीला; | ग्रंथावलोकन-सं० (पु०) पुस्तक, ग्रंथ का अध्ययन ~वर्ण (वि.) = गौर
ग्रंथि-सं० (स्त्री०) 1 गाँठ, गिरह (जैसे-ग्रंथि सुलझाना) गौर-अ० (पु०) 1सोच-विचार, चिंतन 2 ख्याल, ध्यान | 2 गांठ के आकार की गोलाकार कड़ी वस्तु 3 शरीर के अंदर
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ग्रंथिच्छेदक
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ग्रासक
की गाँठ 4 कोषाणुओं के योग से बनी प्रत्येक गाँठ। ~पिंड | (जैसे-चंद्रग्रहण, सूर्यग्रहण); 5 (मान) प्रतिष्ठा पर धब्बा (पु०) = ग्रंथि; बंधन (पु०) 1 गाँठ बाँधकर दो वस्तुओं लगना~शील (वि०) लेनेवाला को एक साथ करना 2 विवाह, गँठबंधन, गँठजोड़ा; ~मूल ग्रहणी-सं० (स्त्री०) 1 उदर एवं पक्वाशय के बीच की आँत (पु०) गाँठ रूप में पाई जानेवाली वनस्पति; ~मोचक 2 दस्त की बीमारी संग्रहणी (पु०) गिरहकट
ग्रहणीय-(वि०) 1 स्वीकार किए जाने योग्य 2 मानने योग्य प्रथिच्छेदक-सं० (पु०) गिरहकट
प्रहिल-सं० (वि०) 1 ग्रस्त किया हआ 2 भूत-प्रेतादि की बाधा प्रथित-सं० (वि०) 1 गाँठ लगी हुई 2 गाँठ लगाकर बाँधा से पीड़ित 3 दुराग्रही, हठी 4 अनुरागी, रसिक हुआ 3 गूंथा हुआ
ग्रहीत-सं० (वि०) = गृहीत ग्रंथिल-सं० (वि०) जिसमें गांठें हों, गाँठदार
ग्रांट-अं० (स्त्री०) अनुदान प्रथिला-सं० (स्त्री०) 1 गाडर दूब 2 माला दूब ग्राम-सं० (पु०) 1 गाँव 2 बस्ती। -कंटक (पु०) गाँव में ग्रंथी-[ सं० (पु०) 1 ग्रंथ कर्ता 2 ग्रंथ का पाठ करनेवाला उपद्रव मचानेवाला; कुक्कुट (पु०) पालतु मुर्गा; कूट, व्यक्ति II (वि०) 1जिसके पास बहत से ग्रंथ हों 2 जिसने ~कूटक (पु०) गाँव का मुखिया; ~ज, जात गाँव में बहुत से ग्रंथ पढ़े हों, विद्वान्
उत्पन्न; दान (पु०) गाँव भेंट देना; देवता (पु०) गाँव प्रथन-सं० (पु०) 1 गाँठ लगाकर बाँधना 2 ग्रंथ के रूप में का अधिष्ठाता 2 गाँव की रक्षा करनेवाला, देवता; ~धर्म रचना 3 गूथना, पिरोना
(पु०) संभोग, मैथुन; ~पंचायत (स्त्री०) गाँव के प्रथित-सं० (वि०) 1 बँधा हआ 2 रचा हुआ. रचित 3 गुथा लड़ाई-झगड़े हल करने एवं अन्य व्यवस्था करनेवाला मंडल;
पाठशाला (स्त्री०) गाँव का स्कूल, देहाती मदरसा; प्रसन-सं० (पु०) 1 पकड़ना, पकड़ 2 निगलना 3 कौर, ग्रास ~पाल (पु०) 1 गाँव का मालिक 2 गाँव का प्रधान 4 ग्रहण
अधिकारी; ~मुख (पु०) गाँव का बाज़ार, हाट; ~याजक प्रसना-सं० - हिं० (स० क्रि०) 1 अच्छी तरह से दबाते हए (पु०) ऐसा ब्राह्मण जो सभी जातियों का पुरोहित हो; ~वासी पकड़ना, जकड़ना 2 खाना
(वि०) गाँव में रहनेवाला; ~सभा (स्त्री०) गाँव की प्रसनी-सं० (स्त्री०) गले की नली; ~शोथ (पु०) चि० गले पँचायत; ~समाज (पु०) गाँव के लोग; सुधार (पु०) की नली का सूजन
गाँव के जीवन को सुधारने का काम; सेवक (पु०) प्रसनीय-सं० (वि०) जो ग्रसन योग्य हो
ग्राम-सुधार करनेवाला; सेविका (स्त्री०) ग्राम-सुधार में प्रसिका-सं० (स्त्री०) भोजन नली, ग्रास नली
काम आनेवाली प्रसित, प्रस्त-सं० (वि०) 1 पकड़ा हुआ 2 निगला हुआ ग्राम-अं० (पु०) एक अंग्रेज़ी तौल (जैसे-इसका वज़न सौ 3 पीड़ित (जैसे-रोग ग्रस्त)
ग्राम है) प्रस्ता-सं० (पु०) पकड़नेवाला
ग्रामणी-सं० (पु०) 1 गाँव का मालिक 2 गाँव का मुखिया प्रस्तास्त-[सं० (वि०) जो ग्रहण लगने पर बिना मोक्ष अस्त हो ग्रामांतिक-सं० (पु०) गाँव का पड़ोस जाये II (पु०) ऐसा ग्रहण जो सूर्य, चंद्रमा के समय अस्त ग्रामाचार-सं० (पु०) गाँव की विशिष्ट प्रथाएँ और रीति-रिवाज होने तक न छूटा हो
ग्रामाधिकारी-सं० (१०) गाँव का प्रधान, ग्राम प्रधान प्रस्तोदय-सं० (पु०) सूर्य या चन्द्रमा का ग्रहण लगे ही उदय ग्रामिक-I सं० (वि०) 1 गाँव में होनेवाला 2 ग्रामवासियों से
संबंध रखनेवाला II (पु०) 1 ग्राम प्रधान 2 ग्रामवासी प्रह-सं० (पु०) आकाशस्थ पिंड (जो सूर्य के गिर्द घूमते हैं) | ग्रामी, ग्रामीण-I सं० (वि०) 1 गाँव में रहनेवाला 2 गाँव का, (जैसे-शनि ग्रह, बृहस्पति ग्रह आदि) । गृहीत (वि०) ग्रह | ग्राम्य 3 गँवारू II (पु०) ग्रामवासी, देहाती द्वारा पीड़ित; चिंतक (पु०) ज्योतिषी; दशा (स्त्री०) ग्रामीण-सं० (वि०) = ग्राम्य 1 गोचर ग्रहों की स्थिति 2 ज्योतिष के अनुसार ग्रहों की स्थिति - ग्रामेश-सं० (पु०) ग्रामपाल, ग्राम प्रधान में होने के परिणाम स्वरूप मनुष्य की होनेवाली अवस्था | ग्रामोद्योग-सं० (पु०) गाँव के उद्योग धंधे, खेती-बाड़ी आदि
-पथ (पु०) कक्षा; नायक (पु०) सूर्य; ~पति कार्य (पु०) 1 सूर्य 2 शनि: ~मैत्री (स्त्री०) वर-कन्या के ग्रहों की ग्रामोफ़ोन-अं० (पु०) शब्द ध्वनियों को टेप करके पुनः अनुकूलता; ~यज्ञ (पु०) ग्रहों की उग्रता शांति के लिए सुनानेवाला यंत्र (जैसे-ग्रामोफ़ोन बजाना) किया जानेवाला पूजन; यात्रा (स्त्री०) ग्रह का अपनी कक्षा ग्राम्य-सं० (वि०) 1 गाँव से संबंधित गाँव का (जैसे-ग्राम्य में चलना; विप्र (पु०) ज्योतिषी; ~वेध (पु०) ग्रहों की सुधार, ग्राम्य अर्थ व्यवस्था) 2 गाँव की प्रथाओं एवं स्थिति का ज्ञान प्राप्त करना; समागम (पू०) किसी राशि रीतिरिवाजों से संबद्ध 3 गाँव में पाया जानेवाला 4 गँवारू में चंद्रमा के साथ अन्य ग्रहों का योग; स्वर (पु०) राग -कर्म (पु०) मैथुन आरंभ करने का स्वर। देखना शुभ-अशुभ अवसर का | ग्राव-सं० (पु०) 1 पत्थर 2 पहाड़ पता लगाना; -बिगड़ना अशुभ घड़ी होना
ग्रास-सं० (पु०) 1 ग्रसना 2 कौर, निवाला 3 सूर्य-चंद्रमा की ग्रहण-सं० (पु०) 1 पकड़ने की क्रिया 2 लेने की क्रिया | ग्रहण स्थिति 3 अंगीकार करना, स्वीकार करना 4 पृथ्वी की छाया पड़ने से | ग्रासक-सं० (वि०) 1कसकर पकड़नेवाला 2 मुँह में सूर्य-चंद्रमा की ज्योति का कुछ समय के लिए लुप्त हो जाना | रखनेवाला 3 भक्षक
होना
हाना
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प्रासना
प्रासना - (स० क्रि०) = प्रसना
ग्राह-सं० (पु० ) 1 मगर, घड़ियाल 2 ग्रहण 3 सूर्य-चंद्रमा को लगनेवाला ग्रहण
ग्राहक - I सं० ( पु० ) 1 लेनेवाला 2 खरीददार, गाहक II (वि०) ग्रहण करनेवाला (जैसे- ग्राहक यंत्र) । यंत्र (पु० ) संदेश ग्रहण करनेवाला यंत्र, रिसीवर
ग्राहकांग-सं० (पु० ) ग्राहकी -सं० + हिं०
(वि०)
ग्राही सं० (जैसे-गुणग्राही)
= ग्राहक यंत्र (स्त्री०) गाहकी
लेनेवाला, ग्रहण
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करनेवाला
प्राह्म-सं० (वि०) 1 ग्रहण करने योग्य 2 लिए जाने योग्य । ~ व्यक्ति (पु० ) ऐसा व्यक्ति जिसे अन्य देश के लोग भी महत्त्व प्रदान करें
ग्रीक - I अं० (वि०) यूनानी II ( पु० ) यूनान देश का निवासी III (स्त्री०) यूनान देश की प्राचीन भाषा प्रीज़-अं० (स्त्री०) चिकनाई, स्नेह
ग्रीवा-सं० (स्त्री०) गरदन, गला प्रीवी-सं० (वि०) लंबी गरदनवाला
ग्रीष्म - I सं० (स्त्री०) 1 गर्मी की ऋतु 2 गरमी, ताप II ( वि०) उष्ण, गरम। ऋतु (स्त्री०), ~ काल (पु०) ग्रीष्म; ~ कालीन (वि०) ग्रीष्म ऋतु से संबंधित ग्रीष्माकुल- सं० (वि०) गर्मी से परेशान, व्याकुल ग्रीष्मावकाश-सं० (पु०) गर्मी की छुट्टियाँ ग्रीष्मावास-सं० (पु० ) गर्मियों में रहने का मकान प्रीस - अं० ( पु० ) यूनान देश
ग्रूप अं० ( पु० ) समूह, झुंड, गुट प्रेच्युयटी-अं० (स्त्री०) उपदान ग्रेजुएट-अं० (पु० ) स्नातक
ग्रेड -अं० ( पु०) श्रेणी, कोटि, दर्जा, पदक्रम प्रेन-अं० (पु०) एक अंग्रेज़ी तौल जिसका मान आधी रत्ती होता है
ग्रेनाइट -अं० (पु० ) एक तरह का बहुत कड़ा बिल्लौरी पत्थर ग्रेफाइट -अं० (पु० ) एक खनिज
प्रेम-अं० (पु० ) = ग्राम ( वज़न, तौल)
ग्रैव - I सं० (वि०) गले में पहना जानेवाला II ( पु० ) 1 हार 2 ज़ंजीर
ग्रैष्म, प्रैषिमक-सं० (वि०) 1 ग्रीष्म संबंधी 2 ग्रीष्म ऋतु में होनेवाला (जैसे-ग्रैष्मं रोग) 3 ग्रीष्म ऋतु में बोया जानेवाला ग्लाइडर -अं० (पु०) सरकने का एक उपकरण ग्लान-सं० (वि०) 1 पड़ित रोगी 2 थका हुआ, शिथिल 3 कमजोर, दुर्बल
घटकर्कट
ग्वार - ( स्त्री०) एक पौधा जिसकी फलियाँ सब्जी बनाने के काम आती हैं तथा उसकी फलियों से निकले हुए बीजों से दाल बनाई जाती है। पाठा घी-कुआँर
ग्लानि-सं० (स्त्री० ) 1 मानसिक शिथिलता 2 शारीरिक शिथिलता 3 दुःख, खेद (जैसे- किसी पर ग्लानि होना) ग्लानिमय सं० (वि०) दुःख से भरा हुआ, दुःखपूर्ण, दुःखी ग्लास-अं० ( पु० ) गिलास ग्लासवेयर-अं० (पु० ) शीशे का सामान ग्लिसरीन - अं० ( पु० ) चरबी से बना एक मीठा तेल ग्लुकोज़-अं० (पु० ) दुग्ध-शर्करा
ग्लेज्ड अं० (वि०) काचित 2 चमकदार ग्लेशियर -अं० ( पु० ) हिमनद, हिमानी
ग्वाल, ग्वाला - ( पु० ) अहीर, गोपालक ग्वालिन - ( स्त्री०) 1 ग्वाल जाति की स्त्री 2 ग्वाले की भी
घ
घरा-बो० (पु० )
घँघरी - ( स्त्री०) लहँगा
घोरना - बो० (स० क्रि०), घँघोलना (स० क्रि० ) 1 पानी को गंदा करना 2 पानी में मिट्टी आदि घोलना घंट - I ( पु० ) घड़ा
घंट - II बो० (पु०), घंटा - ( पु० ) 1 धातु का बना हुआ गोलाकार टुकड़ा (जैसे-घंटा बजाना, घंटा घनघनाना) 2 घंटा बजाकर समय पर दी जानेवाली सूचना 3 दिन-रात का चौबीसवाँ भाग (जैसे साठ मिनट का एक घंटा होता है) 4 काम करने की निश्चित अवधि (जैसे-कक्षा का चौथा घंटा गणित विषय का है) 5 विद्यालय में कक्षाएँ समाप्त होने पर घंटा बजाकर दी जानेवाली सूचना 6 निराशाजनक शब्द, ठेंगा । ~ घर (पु० ) ऊँची मीनार जिस पर बड़ी घड़ी लगी होती है; रव + सं० (पु०) घंटे का शब्द। ~हिलाना 1 व्यर्थ का काम करना 2 व्यर्थ बैठे रहना
= घघरा
घाटिका - सं० (स्त्री०) 1 छोटा घंटा 2 घुँघरू 3 रहट में बाँधी जानेवाली घंटी 4 करधनी की घंटी
घंटी - I (स्त्री०) जीभ की जड़ के ऊपर लटकनेवाला मांसखंड, कौआ
घंटी - II ( स्त्री०) 1 बहुत छोटी घंटी जो अर्धगोलाकार एवं औंधे मुँह की होती है (जैसे-विद्युत घंटी, साइकिल की घंटी)
घंटे की तरह बजाया जानेवाला अर्धगोलाकार उभरा हुआ धातु का टुकड़ा (जैसे-घंटी बजाना, खतरे की घंटियाँ) । घंटील - ( स्त्री०) चारे के काम में आनेवाली घास घकार-सं० (पु० ) 'घ' अक्षर
घघरा (पु० ) घघरी - (स्त्री०) 1 स्त्रियों का लंबा, गोल घेरेवाला प्रसिद्ध पहनावा 2 लँहगा
घट-सं० (पु०) 1 कलश, घड़ा 2 देह, शरीर 3 अन्तः करण, मन । ~ कार ( पु० ) कुंभकार, कुम्हार, कर्कट संगीत का एक ताल में बसना, -में बैठना 1 हृदय में स्थापित होना, मन में बसना 2 ध्यान में बना रहना घटक - I सं० (वि०) 1 रचनेवाला बनानेवाला 2 प्रस्तुत करनेवाला II (पु० ) 1 संबंध स्थिर करानेवाला, दलाल 2 तत्त्व 3 घटित करनेवाला अंश; ~ दासी (स्त्री०) 1 दूती 2 कुटनी
घटका - (पु० ) साँस का घर-घर शब्द करते हुए रुक-रुककर चलना, घर्रा
घटकर्कट - सं० ( पु० ) संगीत का एक ताल
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घटती
घटती - I (स्त्री०) 1 कमी, घटाव 2 उच्च स्तर से निम्न स्तर पर आना 3 अवनति, ह्रास II (वि०) जिसमें कुछ कमी आ रही हो। ~का पहरा अवनति के दिन, बुरा ज़माना घटदासी - सं० (स्त्री०) 1 दूती 2 कुटनी घटन - (पु० ) घटित होना
घटना-I (अ० क्रि०) 1 घटित होना 2 वचन का यथार्थ सिद्ध होना 3 काम आना
घटना - II ( अ० क्रि०) 1 कम होना 2 तौल में कम होना 3 अभाव होना 4 छीजना बढ़ना (अ० क्रि०) 1 कम - बेश होना 2 छोटा-बड़ा होना घटना-सं० (स्त्री०) 1 कार्य रूप में सामने आनेवाली बात
2 अप्रत्याशित या विलक्षण बात, वाक़या 3 अनिष्टकारी बात (जैसे- आकस्मिक घटना, भारी घटना) । क्रम, चक्र (पु०) घटनाओं का सिलसिला, एक के बाद दूसरी घटना होना (जैसे- ऐतिहासिक घटना क्रम); जन्य (वि०) घटना से युक्त प्रवाह (पु० ) घटना क्रम; वश (वि०) जो घटना के अधीन हो; - श्रृंखला (स्त्री०) घटनावली; ~ स्थल (पु० ) वह स्थान जहाँ घटना घटित हुई हो; ~स्थिति (स्त्री०) = घटना क्रम
घटनात्मक-सं० (वि०) घटनामय (जैसे-घटनात्मक उपन्यास, घटनात्मक जीवन)
घटनामय-सं० (वि०) जो घटना से भरा हो घटनावली -सं० (स्त्री०) अनेक घटनाओं का समूह घट-बढ़ - (स्त्री०) 1 कमी बेशी 2 उतार-चढ़ाव, परिवर्तन घटवाई - I (पु० ) घाट का कर लेनेवाला अधिकारी II (स्त्री०) घाट पर यात्रियों से वसूल किया जानेवाला कर घटवाना - (स० क्रि०) कम कराना
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घटवार - (पु० ) 1 मल्लाह 2 घाट का महसूल लेनेवाला व्यक्ति
घटवाह - ( पु० ) घाट का ठेकेदार घटवाही - (स्त्री०) = घटवाई
घटहा - I बो० (पु० ) 1 घाट का ठेका लेनेवाला व्यक्ति, ठेकेदार 2 नाव II (वि०) घाट पर का, घाटवाला
घटा - (वि०) कम हुआ (जैसे- अनाज का भाव सरकार ने दस रुपए घटा दिया ) । बढ़ा (वि०) बढ़ी (स्त्री०)
घट-बढ़
घटा-सं० (स्त्री०) बादलों का समूह, मेघमाला (जैसे-आकाश घटा घिर आना) । ~ोप (पु०) घने बादलों की छाई हुई घटा, घनघारे घटा घटाकाश-सं० (पु०) घट के भीतर का खाली स्थान घटा धूम - (स्त्री०) काम या बात की अधिकता से मचनेवाली हलचल
घटाना - (स० क्रि०) 1 कम करना (जैसे-मज़दूरी घटाना)
2 उच्च स्तर से निम्न स्तर पर लाना (जैसे मान घटाना) 3 ग० बाकी निकालना (जैसे-दस में से चार घटाना) घटाव - (पु० ) 1 कम होने की अवस्था, कमी 2 उतार 3 अवनति । बढ़ाव (पु०) 1 घट-बढ़ 2 घटने एवं बढ़ने की
अवस्था
घटिक - सं० (पु०) घंटा बजानेवाला सिपाही घटिका -सं० (स्त्री०) 1 घड़ी 2 छोटा घड़ा, गगरी । यंत्र
घतिया
(पु० ) घड़ी; शतक (पु०) घड़ी भर में सौ काम करनेवाला
घटित सं० (वि०) 1 जो अर्थ रूप में सही उतरा हो, घटा हआ 2 जो घटना रूप में सामने आया हो 3 जो गढ़कर बनाया गया हो, निर्मित
घटिया - (वि०) 1 जो बढ़िया न हो, तुच्छ 2 निकृष्ट (जैसे घटिया आदमी)
घटिहा - (वि०) 1 धोखा देनेवाला, विश्वासघाती 2 नीच, वाहियात 3 दुष्ट एवं लंपट 4 मक्कार, धूर्त
घटी - (स्त्री०) 1 कम होने की क्रिया, कमी (जैसे- घटी आना) 2 घाटा, टोटा 3 क्षति, नुकसान
घटी - सं० (स्त्री०) 1 घड़ी 2 गगरी । यंत्र ( पु० ) = घटिका यंत्र
घटौती - ( स्त्री०) 1 कम करना 2 कम की गई रकम घट्ट -सं० (पु० ) 1 घाट 2 चुंगी वसूलने की जगह । कर (पु० ) घाट पर लिया जानेवाला टैक्स
घट्टा - ( पु० ) 1 घाटा 2 घट्ठा
घट्टा - ( पु० ) उभारदार गाँठ (जैसे-लाठी की चोट से घट्टा पड़ना)
घड़-घड़ - ( पु० ) बादल आदि के गरजने की आवाज़ घड़घड़ाना - ( अ० क्रि०) घड़-घड़ शब्द होना। गड़गड़ाना (जैसे-बादलों का घड़घड़ाना)
घड़घड़ाहट - (स्त्री०) घड़ घड़ होने की ध्वनि
=
घड़नई
घड़नई - ( स्त्री०) घड़े में बाँस बाँधकर बनाया गया ढाँचा घड़ना-दे० (स० क्रि०) गढ़ना घड़नैल-बो० (स्त्री०) घड़ा - ( पु० ) मिट्टी का बना गोलाकार पात्र (जैसे-घड़ा में पानी भरा है । घड़ों पानी पड़ना अत्यधिक लज्जित होना; चिकना घड़ा बहुत बड़ा निर्लज्ज, बिल्कुल बेहया; चिकने घड़े पर पानी पड़ना कुछ भी प्रभाव न पड़ना घड़ाई - दे० गढ़ाई
घड़िया - ( स्त्री०) 1 छोटी घड़ी, गगरी 2 सोनारों की घरिया घड़ियाल - I (पु० ) बड़ा घंटा II ( पु० ) छिपकली की जाति का गहरे जल में पाया जानेवाला बहुत बड़ा, भीषण एवं हिंसक जंतु, ग्राह
+
घड़ियाली - ( पु० ) घड़ियाल बजानेवाला व्यक्ति घड़ी - (स्त्री०) 1 काल का एक प्राचीन मान जो चौबीस मिनट का होता है 2 काम, बात के घटित होने का अवसर (जैसे-पढ़ने की घड़ी, खेलने की घड़ी) 3 समय बतलानेवाला छोटा यंत्र (जैसे-घड़ी में क्या समय है, जेब घड़ी) 4 पानी का छोटा घड़ा। ~ साज फ़ा० (पु०) घड़ी की मरम्मत करनेवाला कारीगर; साजी + फ़ा० (स्त्री०) घड़ी की मरम्मत करने का काम फैक्ट्री + अं० (स्त्री०) वह स्थान जहाँ घड़ियाँ बनाई जाती हैं) घड़ी बनाने का कारखाना । घड़ी रह-रहकर, बार-बार (जैसे-घड़ी-घड़ी यहाँ क्यों आते हो); ~सायत पर होना मरणासन्न अवस्थाः घड़ियाँ गिनना उत्सुकता से प्रतीक्षा करना
घड़ोला - (पु० ) = छोटा घड़ा घड़ौची - ( स्त्री०) घड़ा रखने की चौकी
घतिया - (पु० ) विश्वासघात करनेवाला, धोखेबाज
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घतियाना
घतियाना-(स० क्रि०) 1 घात में लाना 2 छिपाना
अवस्था 2 गहरी दोस्ती (जैसे-घनिष्ठता बढ़ाना; पूर्ण घन-I सं० (पु०) 1 मेघ, बादल 2 घनसार, कपूर 3 बहुत बड़ा (वि०) = घनिष्ठ (जैसे-घनिष्ठतापूर्ण व्यवहार) हथौड़ा 4 ग० किसी अंक को किसी अंक से गुणा करने पर | घनीकरण-सं० (पु०) घना बना देना, गाढ़ा कर देना प्राप्त होनेवाला गुणनफल (जैसे-पाँच का घन - 5 x 5 x 5 घनीभवन, घनीभाव-सं० (पु०) पदार्थ का जमकर घना होना = 125 होगा) 5 पदार्थ के लंबाई, चौड़ाई एवं ऊँचाई के घनीभूत-सं० (वि०) 1 जो घना हो गया हो 2 ठोस 3 गहरा गुणनफल का मान 6 क्यूब II (वि०) 1 घना, ठस 2 ठोस | (जैसे-घनीभूत पीड़ा) 3 अभेद्य 4 दृढ़, पक्का 5 गंभीर। काल (पु०) वर्षा ऋतुः | घनोपल-(पु०) ओला ~कोदंड (पु०) इंद्रधनुष; ~क्षेत्र (पु०) लंबाई, चौड़ाई घपचिआना-I (अ० क्रि०) 1 असमंजस में पड़कर और गहराई का विस्तार, आयतन; ~गरज + हिं० (स्त्री०) चकपकाना, चक्कर में पड़ना 2 घबराना II (स० क्रि०) 1 बादल के गरजने की आवाज़ 2 एक तरह की तोप; घोर 1 असमंजस में डालना 2 परेशान करना (वि०) 1 अत्यधिक घना 2 डरावना (जैसे-घनघोर युद्ध; घपची-(स्त्री०) दोनों हाथों से कसकर पकड़ लेना, मज़बूत
ज्वाला (स्त्री०) बिजली; ता (स्त्री०), त्व (पु०) पकड़ 1 घनापन 2 ठोसपन 3 दृढ़ता, मज़बूती 4 पदार्थ की लंबाई, घपला-(पु०) 1 अव्यवस्था, गड़बड़ी 2 गोलमाल चौड़ाई एवं मोटाई का समूह; नाद (पु०) बादलों की गरज; घपलेबाज़-हिं० + फ़ा० (वि०) घपला करनेवाला
पटल (पु०) बादलों का आवरण, ~फल (पु०) पदार्थ घपलेबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) घपला करने की अवस्था, की लंबाई, चौड़ाई एवं मोटाई का गुणनफल, ~मान (पु०) घपलापन लंबाई, चौड़ाई एवं मोटाई का सम्मिलित मान; मूल (पु०) घपुआ, घप्पु-बो० (वि०) बिल्कुल मुर्ख, निर्बुद्धि ग० किसी घन का मूल अंक (जैसे-सत्ताइस का घनमूल तीन घबड़ाना, घबराना-(अ० क्रि०) 1 अधीर होना 2 उद्विग्न होना है); ~रस (पु०) जल, पानी; ~वर्धन (पु०) हथौड़े से 3 हक्का-बक्का होना 4 आशंकित होना पीटकर बढ़ाना; ~वल्ली (स्त्री०) बिजली; ~वाद (पु०) । घबराहट-(स्त्री०) घबराने की अवस्था, व्यग्रता हवा, पवन; ~श्याम I (वि०) बादल की तरह काला II | घमंका-बो० (पु०) 1 मुक्का, घूसा 2 घम् शब्द (पु०) कृष्ण; ~सार (पु०) 1 जल, पानी 2 कपूर 3 सुंदर | घमंड-(पु०) 1 अहंकार, दर्प 2 शेख़ी, अभिमान (जैसे-घमंड बादल। -का अत्यधिक घना (जैसे-घन की संपत्ति): । करना, घमंड टूटना) ~की विपत्ति बहुत भारी संकट
घमंडी-(वि०) घमंड करनेवाला, अभिमानी, अहंकारी घनकना-(अ० क्रि०) गरजना
घम-(पु०) किसी कोमल वस्तु पर कड़ी वस्तु के आघात से घनकारा-(वि०) ऊँची आवाज करनेवाला, गरजनेवाला उत्पन्न शब्द (जैसे-घम की आवाज़ होना) . घनघनाना-I (अ० क्रि०) घन-घन की आवाज होना II (स० घमकना-I (अ० क्रि०) 1 घम-घम शब्द होना 2 तीव्र ध्वनि क्रि०) घन-घन शब्द उत्पन्न करना
करना, गरजना (जैसे-बादलों का घमकना) II (स० क्रि०) घनघनाहट-(स्त्री०) 1 घन-घन ध्वनि 2 घंटे की आवाज़ घम-घम शब्द उत्पन्न करना घन-घोर-I (वि०) 1 अत्यधिक घना (जैसे-घनघोर बादल घमका-(पु०) 1 चोट की आवाज़ 2 उमस 2 भीषण, विकट (जैसे-घनघोर बादल 2 भीषण, विकट घमखोर-हिं० + फ्रा० (वि०) 1जो धूप सह सके 2 धूप (जैसे-घनघोर युद्ध) II (पु०) 1 भीषण ध्वनि, तुमुल नाद खानेवाला 2 बादलों की गरज
घमघमा-(पु०) ऐसा समय जब धूप निकली हो घन-चक्कर-(पु.) 1 चंचल बुद्धिवाला व्यक्ति 2 बेवकूफ़, घमघमाना-I (अ० क्रि०) घम-घम शब्द होना II (स० मूर्ख 3 जंजाल, झंझट
क्रि०) घम-घम शब्द उत्पन्न करना (जैसे-मुक्के घमघमाना) घनत्व-सं० (पु०) घनता, घनापन, ठोसपन
घमर-(पु०) 1 नगाड़े आदि का शब्द 2 गंभीर ध्वनि घनात-(पु०) वर्षा की समाप्ति
घमरौल-(स्त्री०) बहुत बड़ी अव्यवस्था, अत्यधिक गड़बड़ी घना-(वि०) 1 जिसके विभिन्न अंश, अवयव अवभित्र रूप से घमस (स्त्री०), घमसा-(पु०) 1 उमस 2 घनापन, घनता
आपस में मिले हों (जैसे-घना कुहरा, घने बादल) 2 जिसमें घमसान-(वि०/पु०) = घमासान (जैसे-घमसान लड़ाई) बहुत सी वस्तुएँ सट-सटकर पड़ी हों (जैसे-घना जंगल, घना घमाका-(पु०) = घम शहर) 3 गफ, गुंफित (जैसे-घना वस्त्र) 4 जिसमें अत्यधिक घमाघम-(क्रि० वि०) घम-घम (आघात) ध्वनि के साथ प्रवरता हो (जैसे-घना अंधकार) 5 घनिष्ठ, गहरा (जैसे-घना घमाघमी-(स्त्री०) 1 जोर का शब्द 2 गहरी मार-पीट संबंध) 6 अत्यधिक, अतिशय
घमाना-I (अ० क्रि०) धूप खाना, धूप सेंकना II (स० घनाक्षरी-सं० (स्त्री०) एक छंद, कवित्त वर्णों का क्रि०) धूप दिखाना घनागम-सं० (पु०) वर्षा का आरंभ
घमायल-(पु०) धूप की गर्मी से पका हुआ फल घनात्मक-सं० (वि०) 1 लम्बाई, चौड़ाई और मोटाई में बराबर घमासान-I (पु०) 1 भीषण मारकाट 2 भयानक युद्ध II
2 लंबाई, चौड़ाई और मोटाई को गुणा करने से प्राप्त होनेवाला । (वि०) भीषण, अत्यंत घोर (जैसे-घमासान युद्ध) घनिष्ठ-सं० (वि०) 1जिसके साथ अत्यधिक मित्रता का संबंध घर-(पु०) 1 मकान 2 निवास स्थान 3 ठिकाना 4 घराना, कुल
हो 2 बहुत घना या गहरा मित्रता का संबंध हो (जैसे-घनिष्ठ | 5 कार्यालय (जैसे-बिजली घर, तार घर) 6 घर का माल मित्र, घनिष्ठ शिष्य)। ता (स्त्री०) 1घनिष्ठ होने की। असबाब, घर-बार, गृहस्थी 7 घर के समान ही सुख-आराम
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घर
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घरेलू
मिलने का स्थान (जैसे-यह आपका ही घर है, बेफ़िक्र रहिए) बराबर घर की अच्छी वस्तु की भी कद्र नहीं होती; के 8 जन्मभूमि, स्वदेश 9 विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए बनाया जाले बुहारना घर-घर फिरना. भटकनाः चलाना परिवार गया कमरा (जैसे-पूजा घर, किताब घर) 10 आलमारी आदि क खर्च निबाहना; जमना गृहस्थी टीक होना: डूबना में सामान रखने के अलग-अलग खाने (जैसे-ज़ेवर आलमारी घर बर्बाद होना; तक पहँचना 1 माँ-बहिन की गाली देना के चौथे घर में रख दो)। -गृहस्थ + सं० (पु०) अपने 2 पूरा करना 3 बाप-दादा बखानना; पर गंगा आना बिना परिवार के साथ रहनेवाला एवं गृहस्थी के निर्वाह हेतु काम मेहनत के कार्य पूरा होना; फूंक तमाशा देखना घर तबाह करनेवाला व्यक्तिः गृहस्थी । सं० (स्त्री०) 1 घर में करके मौज मस्ती लेनाः -फोड़ना घर में फूट डालना; रहनेवाले परिवार के सदस्य एवं उनकी सब वस्तुएँ 2 परिवार के बसना 1 घर का आबाद होना 2 घर में स्त्री आना, ब्याह लोग; ~घर (क्रि० वि०) सबके यहाँ; घराना (पु०) होना; बसाना 1 शादी करा देना 2 घर आबाद कराना; 1 संपन्न और प्रतिष्ठित परिवार 2 कुल एवं उसकी मर्यादा; -बिगाड़ना 1 घर को बर्बाद करना 2 घर में फूट पैदा करना;
घाट (पु०) 1 ठौर-ठिकाना । रंग-ढंग; ~घालक बे चिराग हो जाना 1 बेटे का मर जाना 2 कोई नाम लेवा (वि०) 1 घर को बर्बाद करनेवाला 2 वंश को कलंकित न रह जाना; बैठना 1 नौकरी त्याग देना 2 बाहर निकलना करनेवाला; घालन बो० (पु०) 1 घर बर्बाद करना बंद कर देना 3 एकांतवासी होना 4 मकान ढह जाना; बैठी 2 कुल को कलंकित करना II (वि०) = घर घालक; रोटी घर बैठे मिलनेवाली रोज़ी; ~भरना 1 धन जोड़ना 2 घर
घुसना (वि०) जो सदा घर में ही घुसा रहे, जनानखाने में को धन-धान्य से भरना 3 घर का धन-जन से भरा होना; ही बैठा रहना (जैसे-वह बहत घर धुसना है); ~घुस्सु (पु०) ~भाँय-भाँय करना सूनेपन के कारण घर डरावना लगना; - घर घुसना; -चित्ता (पु०) घर में रहनेवाला सर्प; ~में डालना रखेली बना लेना; सिर पर उठा लेना ऊधम
जवाई (पु०) ससुराल में बस जानेवाला दामाद, जुगत मचाना; ~से पाँव निकालना मर्यादा का उल्लंघन करना, (स्त्री०) घर गृहस्थी चलाने की योग्यता: ~दासी + सं० स्वछंदाचारी (स्त्री०) 1 गृहिणी 2 पत्नी; द्वार + सं० (पु०) = घर-बार, | घरघराना-I (अ० क्रि०) घर-घर शब्द निकालना II (स० ठौर-ठिकाना; -फोड़ा, फोरा बो० (वि०) 1 घर में क्रि०) घर-घर शब्द उत्पन्न करना कलह उत्पन्न करनेवाला 2 दूसरों के घर में लड़ाई-झगड़ा - घरघराहट-(स्त्री०) घर-घर शब्द होने की क्रिया करानेवाला; बंद (वि०) 1 घर में बंद किया हुआ घरणी, घरनी-(स्त्री०) 1 गृह स्वामिनी 2 पत्नी, भार्या । बिन 2 पूर्णतम अधिकार में लिया हआ (जैसे-सरस्वती किसी की घरनी घर भूत का डेरा बिना घरवाली के घर सूना-सूना घर बंदी नहीं है); बंदी (स्त्री०) अपराधी को उसके घर में लगता है ही केट रखने की आज्ञा; ~बसा (पु०) 1 स्त्री का पति घरम-(पु०) घाम, धूप 2 उपपति, यार; बसी (वि०/स्त्री०) 1 घर बसानेवाली, घरर-घरर-(पु०) रगड़ से उत्पन्न होनेवाला शब्द भाग्यवती 2 उपपत्नी, रखैल; ~बार (पु०) 1 घर, __ (जैसे-रेलगाड़ी के पहिए की घरर-घरर) वास-स्थान 2 गृहस्थी, परिवार; बारी (पु०) घररना-I (स० क्रि०) घरर-घरर शब्द उत्पन्न करना II (अ० बाल-बच्चोंवाला व्यक्ति, गृहस्थ; ~वाला (पु०) 1 घर का क्रि०) घरर-घरर शब्द होना मालिक, गृह स्वामी 2 स्त्री का पति (जैसे-तुम्हारा घरवाला क्या | घरवा, घरवाहा-(पु०) 1 घरोंदा 2 छोटा घर काम करता है); वाली (स्त्री०) 1 घर की मालकिन, गृह | घरसा-बो० (पु०) = घिस्सा स्वामिनी 2 पत्नी (जैसे-आज-कल घरवाली मायके गई है); | घरहाया-(वि०) घर में फूट डालनेवाला, मत-भेद उत्पन्न
हाया (वि०) घर में मतभेद पैदा करनेवाला; ~आबाद करनेवाला करना 1 घर बसाना 2 शादी करना; ~उजड़ना 1 घर तबाह | घराँव-(पु०) मेल-जोल, घनिष्ठता होना 2 पत्नी का मर जाना; उठना 1 घर बनना 2 घर पर घराऊ-(वि०) घर से संबंधित, घरेलू तबाही आना; ~करना 1 स्थान बनाना 2 बसना 3 मन में घराड़ी-(स्त्री०) ऐसा स्थान जहाँ कोई व्यक्ति और उसके पूर्वज बस जाना, लगनाः का अच्छा खुशहाल, संपन्न; ~का दीर्घ काल से रहते चले आये हों, डीह । आँगन हो जाना 1 संतान उत्पन्न होना 2 खंडहर हो जाना; घरानी-(पु०) विवाह में कन्या पक्ष के लोग
का काँटे खाना 1 घर में जरा भी मन न लगना 2 घर का घराना-(पु०) 1 ख़ानदान, वंश 2 (संगीत में) वंश-परंपरा भयानक लगना; ~का घरौना करना सत्यानाश करना; घरिया-(स्त्री०) 1 छोटा घड़ा 2 मिट्टी का प्याला 3 मिट्टी की
का चिराग़ 1 घर भर का प्यारा 2 घर की शोभा; ~कान | हाँडी 4 घड़िया घाट का 1 निकम्मा 2 जो कहीं का न हो; ~का बोझ | घरियाना-बो० (स० क्रि०) तह लगाना उठाना घर बार सँभालना; ~का भेदिया, ~का भेदी घर | घरी-(स्त्री०) तह, परत का भेद जाननेवाला; ~का रास्ता लेना 1 चल देना, घरुआ-[ बो० (पु०) घर गृहस्थी का प्रबंध II (वि०) घर सिधारना 2 घर को वापस जाना; ~का शेर घर में बहादरी
| संबंधी दिखानेवाला; ~की खेती 1 अपना माल 2 अपने यहाँ पैदा | घरु-(वि०) 1 घर का 2 आपसदारी का, निजी होनेवाली वस्तु; ~की बात 1 घर का मामला 2 घर का भेद; | घरेलू-(वि०) 1 घर संबंधी (जैसे-घरेलू धंधा, घरेलू काम)
~की मुर्गी 1 घर का व्यक्ति किंतु असम्मानित व्यक्ति | 2 निजी 3 घर का (जैसे-घरेलू झगड़ा) 4 पालतू (जैसे-घरेलू 2 पत्नी; ~की मुर्गी दाल बराबर, ~की मुर्गी साग । पशु)
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घरोप
घरोप - (पु० ) घनिष्ठ संबंधी
घरौंदा, घरौना - (पु० ) 1 छोटा घर 2 मिट्टी का छोटा घर घर्घर - सं० (पु०) घर-घर की आवाज़ धर्म-सं० (पु० ) 1 गरमी 2 धूप। बिंदु (पु० ) पसीना धर्माक्त-सं० (वि०) पसीने से तर-बतर घर - घर - ( स्त्री०) ज़ोर की रगड़ की आवाज़ घर्रा - (पु० ) 1 कफ की घरघराहट 2 आँखों में लगाया जानेवाला अंजन 3 कोल्हू पेरने का दंड घर्राटा - ( पु० ) घर्र-घर्र शब्द । मारना गहरी नींद में सोना घर्रामी - (पु० ) छप्पर छाने का काम करनेवाला मिस्त्री, छपरबंद घर्ष -सं० ( पु० ) 1 रगड़, घर्षण 2 संघर्ष 3 टक्कर घर्षण - सं० ( पु० ) 1 रगड़ने की क्रिया, घिस्सा, रगड़ 2 पारस्परिक विचारधाराओं में होनेवाला संघर्ष
घर्षित - सं० (वि०) रगड़ा हुआ
घर्षी सं० (वि०) रगड़ता हुआ
घलना - (अ० क्रि०) 1 घाला जाना 2 चलाया जाना घलाघल, घलाघली - (स्त्री०) 1 गहरी आघात-प्रतिघात 2 मार-पीट
घलुआ - I बो० (पु० ) तौल के अतिरिक्त दिया जानेवाला पदार्थ II (वि०) घालनेवाला
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घसखुदा - (वि०) घास खोदनेवाला, घसियारा
घसिटना - (अ० क्रि०) घसीटा जाना
घसियारा - ( पु० ) घास खोदने एवं बेचनेवाला व्यक्ति घासियारिन घसियारी- (स्त्री०) घास खोदने एवं बेचनेवाली स्त्री
घसीट - (स्त्री०) 1 घसीटने की क्रिया 2 जल्दी-जल्दी लिखने की क्रिया 3 घसीट कर लिखी हुई लिखावट
घसीटना - (स० क्रि०) 1 वस्तु को इस प्रकार खींचना कि वह रगड़ खाती हुई खींचनेवाले की तरफ बढ़ती जाये (जैसे-पत्थर घसीटना ) 2 शामिल करना (जैसे- कृपया, मुझे इस काम में मत घसीटिए) 3 बहुत जल्दी-जल्दी तथा अस्पष्ट लिखना घस्सा-बो० (पु० ) = घिस्सा
घहनाना - I बो० (अ० क्रि०) 1 घंटा बजने का शब्द होना, घंटे आदि से ध्वनि निकलना 2 तीव्र ध्वनि होना, गरजना II (स० क्रि०) जोर की आवाज उत्पन्न करना घहर - घहर - ( स्त्री०) घर्र-घहर
घहराना - I (अ० क्रि०) 1 भीषण आवाज़ होना 2 सहसा गिरना, आ पहुँचना 3 चारों ओर से आकर घिरना II (स० क्रि०) 1 भीषण शब्द करना 2 घेरना, छाना घाँघरा - (पु० ) लहँगा
घाई - I (स्त्री०) 1 ओर, तरफ़ 2 बार, दफ़ा घाई - II ( स्त्री०) दो उँगलियों के बीच की जगह, अंटी घाऊघप - (वि०) 1 गुप्त रूप से माल हजम करनेवाला 2 सब कुछ नष्ट करनेवाला 3 चालाक एवं धूर्त
घाग, घाघ - (पु० ) 1 चालाक एवं धूर्त व्यक्ति 2 एक अनुभवी कवि जिनकी कहावतें बहुत प्रसिद्ध हैं
घाघरा - I ( पु० ) = घाघरा II (स्त्री०) घाघरा नदी घाघी- (स्त्री०) बड़ा जाल
घान
के आस पास का सीढ़ीदार स्थान 3 ठिकाना II (स्त्री०) घटने की अवस्था III (वि०) 1 कम, थोड़ा 2 घटिया IV ( क्रि० वि०) घटकर । कप्तान + अं० (पु०) बंदरगाह का उच्च अधिकारी; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) 1 घाट, बंदरगाह पर माल चढ़ाने एवं उतारने का निषेध, रुकावट 2 घाट बनाने की क्रिया; मार (पु०) घाट पर चुंगी मारनेवाला: घर का न ~ का दो किशतियों में कहीं का नहीं: ~~ का पानी पीना तरह तरह के अनुभव पाना; बहाना शव का क्रियाकर्म; ~मारना नाव की उतराई या चुंगी न देना; लगना 1 किनारे लगना 2 सुरक्षित पहुंचना
घाट पहल - ( पु० ) तराशकर बनी वस्तु में बनावट का
उतार-चढ़ाव
घाट - I (पु० ) 1 जलाशय या नदी का नाव से पार उतरने का किनारा, तट (जैसे-गंगा नदी का किनारा, सरयू घाट ) 2 तट
घाटवाल - ( पु० ) घाट का अधिकारी, घाट का पंडा घाटा - (पु० ) 1 नुकसान, हानि 2 घटना 3 कमी घाटिका-सं० (स्त्री०) गले का पिछला भाग, गरदन घाटिया - ( पु० ) 1 नहानेवालों से दान-दक्षिणा लेनेवाला ब्राह्मण । 2 घाट का मालिक
घाटी - ( स्त्री०) 1 दो पर्वतों के बीच का सँकरा मार्ग 2 पर्वतीय प्रदेशों के मध्य का मैदान (जैसे- कश्मीर की घाटी) 3 पहाड़ की ढाल । मार्ग + सं० (पु० ) 1 पर्वतों के बीच में नदी की धारा आदि से बना तंग रास्ता 2 दर्रा
घात - ( स्त्री०) 1 अनुकूल अवसर 2 दाँव पेच 3 विश्वासघात 4 घात या छल करने का स्थान (जैसे घात लगाए बैठना ) । ~ ताकना हमला करने का अवसर देखना; पर चढ़ना, ~में आना वश में आना, दाँव पर चढ़ना; में फिरना ताक में घूमना; में बैठना दांव के लिए छिपकर बैठना; ~लगना उपयुक्त अवसर मिलना
घात - सं० (पु०) 1 चोट, प्रहार 2 जान से मार डालना, वध, हत्या (जैसे-गो घात) 3 धोखे में रखकर की जानेवाली बुराई 4 ग० किसी संख्या को उसी संख्या से गुणा करने पर प्राप्त होनेवाला गुणनफल (जैसे- 42 = 16 ) | ~ तिथि (स्त्री०) अशुभ तिथि, प्रतिघात (पु० ) 1 चोट और उसके बदले में की गई चोट 2 संघर्ष
घातक - I सं० (वि०) 1 प्रहार करनेवाला 2 मार डालनेवाला, वधिक 3 हानि, कष्ट पहुँचानेवाला (जैसे घातक विचार, घातक भाव) 4 जिसके कारण कोई मर जाये (जैसे- घातक रोग) II ( पु० ) हिंसक, हत्यारा घातन- (पु०) वध करना
घाता - ( पु० ) ग्राहक को तौल या गिनती में निर्धारित मात्रा के अतिरिक्त दिया जानेवाला पदार्थ, घाल घातिया - (वि०)
घाती
घाती-सं० (वि०) 1 प्रहार करनेवाला 2 वध करनेवाला 3 नाश करनेवाला
घातुकसं० (वि०) 1 घातक 2 हानि करनेवाला 3 क्रूर, निर्दय घात्य-सं० (वि०) 1 मारा जाने योग्य 2 नष्ट किया जानेवाला घान - I (पु० ) 1 एक बार में पीसने के लिए डाला गया अनाज
2 एक बार में पेरने के लिए डाला, उँडेला गया पदार्थ 3 एक बार में पकाया गया पदार्थ 4 एक निश्चित मात्रा का बार-बार डालना, उड़ेलना, पीसना उतरना ठीक उतरना, पूरा होना; ~ डालना धान रूप में कार्य कार्य शुरू करना; पड़ना,
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घान
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घीया
पेरना
लगना घान रूप में काम आरंभ होना
घिन-(स्त्री०) घृणा, नफ़रत घान-II (पु०) 1 बड़ा हथौड़ा, घन 2 गहरा आघात, भीषण घिनाना-(अ० क्रि०) घृणा करना प्रहार
घिनौना-(वि०) घृणित घानी-(स्त्री०) 1 ऐसा स्थान जहाँ घान डाले जाते हैं 2 ऊख, घिनौनापन-(पु०) घृणा का भाव तेल आदि पेरने का कोल्हू 3 ढेर, राशि। ~करना पीसना, घिन्नी-बो० (स्त्री०) 1 गित्री 2 घिरनी
घिया-(स्त्री०) = घीया घाम-(पु०) 1 सूर्य का प्रकाश, धूप (जैसे-घाम आना) घिया तोरी-(स्त्री०) 1 सब्जी के काम आनेवाली एक बेल 2 कष्ट, विपत्ति (जैसे-घाम बचाना)। छाँह (स्त्री०) | 2 नेनुआँ धूप-छाँव; ~खाना धूप में रहना; ~लगना लू लगना; घिरना-(अ० क्रि०) 1 घेरे में आना (जैसे-ब्रैकेट में घिरना) छाँह सहना सुख दुःख दोनों को सहना
2 ढक लिया जाना (जैसे-बादलों से आकाश घिरना) घामड़-(वि०) 1 धूप से विकल (जैसे-घामड़ पशु) घिरनी- 1 चरखी, गरारी 2 चक्कर, फेरा। दार + फ़ा० 2 नासमझ, मूर्ख 3 आलसी, सुस्त
(वि०) जिसमें घिरनी लगी हो (जैसे-घिरनीदार विमान)। घापल-(वि०) 1 जिसे चोट लगी हो, ज़ली (जैसे-वह बुरी | रवाना चक्कर लगाना
तरह से घायल हो गया था) 2 दुःख पहुँचाया हुआ घिराई-(स्त्री०) 1 घेरने की क्रिया 2 घेरने की मज़दूरी 3 पशु घारी-बो० घास-फूस से बना कमरा जिसमें पश बंधते हैं
चराने का काम 4 पशु चराने का पारिश्रमिक घाणिक-सं० (वि०) घर्षण-संबंधी
घिराव-(पु०) 1 घेरने की क्रिया 2 घेरा बंदी घाल-(पु०) 1 तौल या गिनती में निर्धारित मात्रा में मिल घिरिया-(स्त्री०) 1 शिकार को घेरने के लिए बनाया गया घेरा जानेवाला पदार्थ (जैसे-घाल में मिल जाना, घाल न गिनना) 2 संकट की स्थिति 2 तुच्छ पदार्थ
घिरीं-(स्त्री०) एक ही घेरे में बार-बार चक्कर लगाने की घालक-(वि०) 1 मारनेवाला, वध करनेवाला 2 नाशक क्रिया। खाना बार-बार आना जाना 3 अत्यधिक हानि पहँचानेवाला
घिस-पिस-(स्त्री०) 1 ढिलाई, सुस्ती (जैसे-घिस-घिस करना) घालना-(स० क्रि०) 1 डलना 2 रखना 3 फेंकना (जैसे-शस्त्र 2 अनिश्चय घालना) 4 मार डालना 5 नष्ट करना
घिसटना-बो० (अ० क्रि०) 1 घसीटा जाना 2 रगड़ खाते हए घालमेल-(पु०) 1 मिलावट, गड्डमड्ड 2 अनुचित संबंध धीरे-धीरे चलना 3 मेल जोल
घिसना-I (स० क्रि०) । रगड़ना (जैसे-चंदन घिसना) घाव-(पु०) 1 ज़ख्म, क्षत (जैसे-घाव पर मरहम लगाना) | 2 मलना। ~माँजना II (अ० क्रि०) क्षीण हो जाना 2 विकृत अंग (जैसे-घाव भरना, घाव पूजना) 3 मन की दुःख __ (जैसे-बर्तन घिस गया है) पूर्ण स्थिति (जैसे-घाव हरा होना)। खाना आहत होना; - घिस-पिस-I बो० (स्त्री०) - घिस-घिस II (वि०) =
देना दुःख पहुँचाना; पर नमक छिड़कना पीड़ित को घिचपिच और पीड़ा पहँचाना; पूजना, ~भरना घाव अच्छा होना | घिसवाना-(स० क्रि०) रगड़वाना घास-(स्त्री०) 1 पशुओं को खिलानेवाली हरी वनस्पतियाँ | घिसाई-(स्त्री०) 1 घिसने की क्रिया 2 घिसाने का पारिश्रमिक; (जैसे-दूब की छ.स) 2 तृण, तिनका । ~पात, फूस टुटाई (स्त्री०) घिसने और टूटने की क्रिया (जैसे-मशीन (पु०) 1 कूड़ा-करकट 2 तृण या वनस्पति; ~~भूसा (पु०) | की) व्यर्थ की रद्दी चीजें। काटना, ~खोदना, छीलना घिसा-घिसाया, घिसा-पिटा, घिसा-पिसा-(वि०) 1 तुच्छ काम करना 2 व्यर्थ का काम करना; ~खाना 1 पशु 1 उपयोग में लाया हुआ, पुराना 2 जीर्ण-शीर्ण, कमज़ोर तुल्य होना 2 मूर्खता का परिचय देना
घिसाव (पु०), घिसावट-(स्त्री०) घिसने की क्रिया, रगड़। घासलेट-अं० गैस-लाइट से (३०) 1 मिट्टी का तेल 2 तुच्छ ~कोष + सं०, ~फंड + अं० (पु०) घिसाई के लिए वस्तु
सुरक्षित निधि; ~टुटाव (पु०) : घिसाव घासलेटी-अं० + हिं० (वि०) 1 निम्न कोटि का 2 गंदा, घिसिर-पिसिर-(स्त्री०) दे० घिस-पिस अश्लील (जैसे-घास लेटी साहित्य)
घिस्सम-घिस्सा-(पु०) 1 धक्कम धक्का, रेल-पेल 2 नख में घासाहारी-सं० (पु०) घास खानेवाला पशु
डोरी फँसाकर खेलनेवाला खेल 3 बार-बार रगड़ने की क्रिया घिआँडा-(पु०) घी रखने का पात्र
घिस्सा-(पु०) 1 रगड़ 2 धक्का 3 धोखा घिआ-(स्त्री०) = घीआ
घी-(पु०) मक्खन को तपाकर बनाया गया चिकना पदार्थ। घिग्घी-(स्त्री०) 1 अधिक रोने के कारण थकावट हो जाने से खिचड़ी (स्त्री०) अत्यधिक घनिष्टता (जैसे-वे दोनों कैसे श्वास अवरोध से घी घी शब्द निकलना 2 भयभीत होने से घी खिचड़ी हो रहे हैं)। ~का कुप्पा लुढ़कना । महान् क्षति साफ़ ध्वनि न बोल पाना (जैसे-घिग्घी बँधना)
होना 2 धनी व्यक्ति का मर जाना; के कुप्पे से लगना घिधियाना-(अ० क्रि०) 1 चिल्लाना 2 करुण स्वर में प्रार्थना अत्याधिक लाभ होना; के दीये जलाना खुशी मनाना, करना, गिड़गिड़ाना, (जैसे-नौकर का घिघियाना)
प्रसन्न होना; पाँचों उँगलियाँ घी में होना अत्यधिक लाभ घिचपिच-I (स्त्री०) 1 अस्पष्ट या न पढ़ी जा सकनेवाली | होना लिखावट 2 भीड़ तंगी II (वि०) अस्पष्ट
घीया-(पु०) 1 लौकी 2 कद्दू
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घीयातोरी
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घुमाना
घीयातोरी-(स्त्री०) 1 सब्जी बनाई जानेवाली छोटे लंबोतरे से घुटाला-(पु०)घोटाला
फूल की लता 2 सब्जी बनाई जानेवाली लता का फल | घुट्टी-(स्त्री०) नवजात शिशु को पिलाई जानेवाली रेचक-पाचक घुघची-(स्त्री०) 1 लाल-लाल रंग के छोटे-छोटे बीज वाली दवा। ~में पड़ना स्वभाव बनना जंगली बेल, गुंजा 2 उक्त जंगली बेल के बीज
घुड़कना-(स० क्रि०) धमकी के स्वर में डाँटना, डपटकर घुघनी-(स्त्री०) भिगोंकर तला हुआ अन्न (जैसे-चने की बोलना घुघनी)
घुड़की-(स्त्री०) 1 घुड़कने की क्रिया 2 धमकी भरी डाँट । धुंघराला-(वि०) घुघरवाला छल्लेदार (जैसे-घुघराले बाल) खाना डॉट पड़ना; जमाना रोब जमाना घुघरू-(पु०) 1 गोल एवं पोली गुरिया जिसमें कंकड़, लोहे | घुड़चढ़ा-(पु०) घुड़सवार, अश्वारोही
आदि का छोटा टुकड़ा पड़ा होता है जिसके हिलने पर घनघन घुड़चढ़ी-(स्त्री०) 1 वर का घोड़े पर चढ़कर वधू के घर चलना की ध्वनि होती है 2 पैरों में पहना जानेवाला एक गहना जिसमें 2 घुड़नाल 3 घोड़े पर चढ़कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर कई धुंघरू लगे होते हैं। दार + फ़ा० (वि०) जिसमें धुंघरू जानेवाली गाँव की वेश्याएँ लगे हों; बंद + फ़ां० (स्त्री०) नाचनेवाली वेश्या । घुड़दौड़-I (स्त्री०) 1 घोड़ों की दौड़ 2 शर्त बदकर की बाँधना नाचने के लिए तैयार होना
जानेवाली घोड़ों की दौड़ 3 घोड़े की तरह तेज चाल II (क्रि० घुघुवारे-(वि०) = धुंघराले
वि०) घोड़ों की तरह बहुत तेजी से आगे बढ़ते हुए धुंडी-(स्त्री०) 1 कपड़े का गोल बटन 2 सिरे पर बनी गोलाकार घुड़नाल (पु०), घुड़बहली-(स्त्री०) घोड़े की पीठ पर रखकर
छोटी आकृति 3 टेढ़ापन, मन का खोट। दार + फ़ा० __ चलाई जानेवाली तोप (वि०) जिसमें धुंडी लगी हो; ~मारना बाधा पहुँचाना
घुड़बहल-(स्त्री०) वह रथ जिसमें घोड़े जतते हों । घुग्घी-(स्त्री०) 1 घोघी 2 फ़ाख्ता 3 पंडुक
घुडमक्खी-(स्त्री०) घोड़ों को काटनेवाली भरे रंग की मक्खी घुग्घू, घुघुआ-(पु०) उल्लू
घुड़ला-(पु०) पत्थर, मिट्टी आदि का बना छोटा घोड़ा घुघुआना-(अ० क्रि०) 1 उल्लू पक्षी का बोलना 2 उल्लू की घुड़सवार-हिं० + फ़ा० (पु०) घोड़े पर सवार व्यक्ति,
तरह स्पष्ट स्वर में बोलना 3 बिल्ली की तरह गर्राना अश्वारोही (जैसे-घुड़सवार सेना) घुघुरी-(स्त्री०) = घुघनी
घुड़सवारी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) घोड़े पर सवार होने की क्रिया घुटकना-बो० (स० क्रि०) घुट-घुट करके पीना
घुड़सार, घुड़साल-(स्त्री०) घोड़े बाँधने का थान, अस्तबल घुटकी-(स्त्री०) 1 रुक रुककर आने-जानेवाली साँस 2 गले । घुण-सं० (पु०) घुन । लिपि (स्त्री०) = घणाक्षर
की आहार नलिका। लगना मृत्यु के समय रुक रुककर | घुणाक्षर-सं० (पु०) धुन लगने से बने अक्षरों के आकार । साँस चलना
न्याय (पु०) घटनाएं संयोगवश हो जाती हैं घुटन-(स्त्री०) 1 दम घुटने की अवस्था 2 घबराहट घुन-(पु०) 1 अनाज को खाकर पोला कर देनेवाला लाल रंग घुटनमय-हिं० + सं० (वि०) घुटनवाला
का कीड़ा 2 काग़ज़ एवं लकड़ी आदि खानेवाला सफ़ेद कीड़ा घुटना-I (अ० क्रि०) 1 साँस रुकना 2 अटकना 3 कसा
(जैसे-घुन लगना)। लगना चिंता आदि के कारण क्षीण जाना। घुट-घुटकर मरना असह्य कष्ट सहते हुए मरना
होना घुटना-II (अ० क्रि०) 1 घिसना 2 घनिष्ठ संबंध होना ।
घुनघुना-(पु०) झुनझुना नामक खिलौना (जैसे-आजकल उन दोनों में खूब घुटती है) 3 अभ्यास होना
पटती है। 3 अभ्यास होना , घुनना-(अ० क्रि०) 1 घुन द्वारा खाया जाना 2 चिंता आदि के 4मूड़ा जाना III (स० क्रि०) अच्छी तरह से कसना।
कारण शरीर का क्षीण होना घुटा हुआ काइयाँ, चालाक एवं धूर्त
घुनाना-(अ० क्रि०) घुन लगना घुटना IV (पु०)घुटनी-(स्त्री०) जाँघ और टाँग के बीच का
घुन्ना-(वि०) मन के भावों को गुप्त रखनेवाला, चुप्पा जोड़ (जैसे-घुटनों के बल चलना)। टेकू (वि०) 1 घुटना
घुन्नी-(वि०)/(स्त्री०) मन के भावों को गुप्त रखनेवाली टेकनेवाला 2 हार स्वीकार करनेवाला। आत्म समर्पण
घुप-(वि०) गहरा, निबिड़ (अँधेरा) करनेवाला। घुटने टेकना आत्म समर्पण करना, हार जाना;
घुमंतू-(वि०) इधर-उधर घूमनेवाला घुटनों में सिर देना 1 सोच में बैठना, उदास होना 2 लज्जित
घुमक्कड़-(वि०) बहुत अधिक घूमनेवाला, रमंता। ~पन होना; घुटनों से लगाकर बैठना हरदम पास रहना, सटे रहना
(पु०) घूमने की आदत घुटन्ना-(पु०) 1 घुटनों तक पहुँचनेवाला पायजामा 2 तंग
घुमक्कड़ी-(स्त्री०) = घुमक्कड़पन मोहरीवाला पायजामा
घुमची-बो० (स्त्री०) = घुघची घुटरूँ-बो० (क्रि० वि०) घुटनों के बल
घुमटा-(पु०) सिर का चक्कर घुटरू-बो० (पु०) बच्चे का घुटना
घुमड़ना-(अ० क्रि०) 1 इकट्ठा होना 2 बादलों का घुटवाना-(स० क्रि०) 1 घोटने का काम अन्य से कराना,
उमड़-उमड़कर इकट्ठा होना मुँडाना 2 रगड़वाना 3 पिसवाना (जैसे-भाँग घुटवाना)
घुमड़ी-(स्त्री०) 1 केंद्र के चारों ओर घूमने की क्रिया 2 घूमते घुटाई-(स्त्री०) 1 घोटने की क्रिया 2 घोटने की मजदूरी
| रहने से सिर में आनेवाला चक्कर 2 चिकना बनाने का काम
घुमरना-I (अ० क्रि०) चक्कर खाना घटाना-(स० क्रि०) 1 घोटने का काम अन्य से कराना | घुमरना।I, घुमराना-(अ० क्रि०) = घुमड़ना 2 घुटवाना 3 मुँडाना
घुमाना-(स० क्रि०) 1 घूमने में प्रवृत्त करना (जैसे-आँखें
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घुमारा
घुमाना 2 चक्कर देना (जैसे-घड़ी की सूई घुमाना ) 3 इधर-उधर दिखाने के लिए ले जाना (जैसे शहर घुमाना ) 4 दूसरी दिशा में मोड़ देना (जैसे- पूरब से पश्चिम को घुमाना) घुमारा-1 (वि) 1 घूमनेवाला 2 घूमता हुआ; II 1 जिसे नींद आ रही हो, उनींदा 2 मतवाला, मत्त घुमाव - ( पु० ) 1 घूमने, घुमाने का भाव 2 मोड़, घूम (जैसे- सड़क का घुमाव ) 3 बात की जटिलता, चक्कर (जैसे- घुमाव की बात) | दार + फ़ा० (वि०) 1 जिसमें कुछ घुमाव हो 2 चक्करदार; ~फराव (पु० ) 1 घूमने-फिरने की क्रिया 2 व्यवहार में होनेवाला पेचीलापन
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घुर घुर - (पु० ) 1 गले में कफ संचय होने से साँस लेने में निकलनेवाला शब्द 2 बिल्ली, सूअर आदि के गले से निकलनेवाली आवाज़
घुरघुराना - I (अ० क्रि०) गले से घुर घुर शब्द निकलना II (स० क्रि०) गले से घुर घुर शब्द उत्पन्न करना घुरघुराहट - ( स्त्री०) घुर घुर शब्द निकलने की क्रिया घुरबिनिया - I (स्त्री०) कूड़े-करकट के ढेर से अनाज के दाने एकत्र करने की क्रिया II (पु० ) कूड़े-करकट के ढेर से अनाज के दाने चुनकर अपना निर्वाह करनेवाला व्यक्ति घुराना - (अ० क्रि०) चारों ओर से आकर छा जाना घुलनशील - हिं० सं० (वि०) घुलनेवाला घुलना - ( अ० क्रि०) 1 तरल पदार्थ में अच्छी तरह मिलना (जैसे-चीनी पानी में घुलनशील है, दूध और पानी में शक्कर आदि घुलना) 2 पककर नरम होना (जैसे-दाल का घुलना) 3 खूब मिल जाना 4 क्षीण होना। मिलना (अ० क्रि०) मेल-जोल रखना; घुल-घुलकर काँटा होना बहुत कमज़ोर हो जाना, घुल-घुलकर बातें करना घनिष्ठतापूर्वक़ बातें करना; घुल-मिलकर बहुत मेलजोल से घुलनीय - हिं० + सं० (वि०) घुलनशील घुलवाना - (स० क्रि०) घोलने का काम अन्य से कराना घुलाना - (स० क्रि०) 1 तरल पदार्थ में घुलनशील पदार्थ
डालकर हिलाना 2 पिघलाना, गलाना 3 चुभलाना 4 शरीर क्षीण करना । मिलाना (स० क्रि०) मेल जोल बनाना या कराना
+
=
घुला मिला - (वि०) मिला जुला घुलावट - (स्त्री०) 1 घुलने-घुलाने की क्रिया 2 व्यवहार की घनिष्ठता
घुल्य - (वि०) घुलने योग्य
घुसना - ( अ० क्रि०) 1 प्रवेश करना, भीतर जाना 2 धँसना 3 बलपूर्वक आगे बढ़ना (जैसे- शत्रु का देश की सीमा में घुस आना)
घुसपैठ - (स्त्री०) 1 घुसने और पैठने की क्रिया 2 पहुँच 3 अवैध प्रवेश
घुसपैठिया - ( पु० ) अवैध प्रवेश करनेवाला
घुसर - पुसर - ( स्त्री०) कानाफूसी
घुसवाना - (स० क्रि०) घुसने घुसाने का काम अन्य से कराना घुसाना - (स० क्रि०) 1 घुसने में प्रवृत्त करना 2 गड़ाना, चुभाना घुसेड़ना - (स० क्रि०) 1 हँसना 2 धँसाना घूँघट - (पु० ) पल्लू से मुँह ढँकना (जैसे-घूँघट उठाना, घूँघट उलटना) । ~उठाना, उलटना परदा हटाना; ~करना,
~ काढ़ना परदा करना घूँघर - (पु० ) छल्ला
घूँ-घूँ- (स्त्री०) सन्नाटे में गहरी और मंद आवाज़
=
घूँचा - (पु० ) घूँसा
घूँट - ( पु० ) मुँह से एक बार में ली जानेवाली तरल पदार्थ की मात्रा, चुसकी
घूँटना - (स० क्रि०) घूँट घूँट करके पीना घूँटी - (स्त्री०) घूँस - (स्त्री०)
घुट्टी घूस, रिश्वत
घूँसा - (पु० ) 1 मुक्का 2 मुक्के का प्रहार। ~मारना मुक्के से
घूस
=
प्रहार करना
घूँसेबाज - हिं० + फ़ा० (पु०) घूँसेबाजी के खेल में भाग लेनेवाला खिलाड़ी, बॉक्सर
घूँसेबाजी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) घूँसों के प्रहार से होनेवाली लड़ाई
घूआ - ( पु० ) 1 रूई की तरह का काँस, मूँज आदि का फूल 2 कीचड़ में होनेवाला एक प्रकार का छोटा कीड़ा, रेवाँ 3 चूल धँसानेवाली दरवाज़े के पास का छेद
घूका - ( पु० ) 1 बॉस, बेंत 2 मूँज आदि की बनी सँकरे मुँह की डलिया
धूध - I (स्त्री०) सिर पर चोट बचाने हेतु पहनी जानेवाली टोपी, धातु की टोपी II (पु०) उल्लू
घूघी - बो० (स्त्री०) 1 थैली 2 जेब, खीसा 3 पंडुक 4 फ़ाख़्ता घूघू - (पु० ) = घुग्घू
घूम - I (स्त्री०) 1 घूमने की क्रिया, घुमाव, मोड़ 2 चक्कर, घेरा 3 मोड़ II 1 निद्रा, नींद 2 नशा । घुमारा (वि०) 1 चक्कर खाता हुआ 2 अलसता, मद से भरा हुआ घूमना - (अ० क्रि०) 1 टहलना (जैसे-सबेरे का घूमना सेहत के लिए बहुत अच्छा है ) 2 चक्कर लगाना (जैसे गोले के चारों ओर घूमना) 3 एक वस्तु का दूसरी वस्तु को केंद्र बनाकर उसके चारों ओर चक्कर लगाना (जैसे-पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है) 4 किसी वस्तु का अक्ष के चारों तरफ़ नाचना (जैसे- लट्टू का घूमना ) 5 मुड़ना 6 भ्रमण (जैसे-विदेश घूमना) 7 एक दिशा से दूसरी दिशा को अचानक प्रवृत्त होना। घामना फिरना (अ० क्रि०) सैर करना; घूम पड़ना क्रोध में आकर दूसरे से बात करना घूर - ( पु० ) कूड़े करकट का ढेर
करना
1
घूरना - (अ० क्रि०) आँखें निकालकर क्रोधपूर्वक देखना (जैसे- अध्यापक का घूरना देखकर लड़के कक्षा में चले गए)
घूरा - ( पु० ) कूड़े-करकट का ढेर
घूरा - घारी - ( स्त्री०) 1 घूरने की क्रिया 2 नज़र मिलाने का कार्य घूर्ण - I सं० (पु० ) चारों ओर घूमना II (वि०) घूमता हुआ ~वात (पु० ) चक्रवात
घूर्णन सं० (पु० ) चक्कर लगाना घूर्णमान-सं० (वि०) घूमता हुआ घूर्णित सं० (वि०) 1 घुमाया हुआ 2 भ्रमित घूर्ण्य - सं० (वि०) 1 जिसे घुमाया जा सकता हो 2 घूमनेवाला घूस - I (पु० ) रिश्वत (जैसे- घूस लेना, घूस देना) । खोर
+ फ्रा० (वि०) रिश्वती; खोरी फ्रा० (स्त्री०)
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घृणा
238
घोर
II (स्त्री०) चूहे के वर्ग का ऐसा बड़ा जंतु जो ज़मीन में बिल | घोंचा-(पु०) 1 फूलों, फलों आदि का गुच्छा, स्तबक 2 कानों खोदकर रहता है, घुइस
तक मुड़कर पहुँची हुई सींगवाला बैल घणा-सं० (स्त्री०) नफ़रत, घिन। ~सूचक (वि०) घृणा का घोची-(स्त्री०) कानों की ओर मुड़ी हई सींगवाली गाय संकेत करनेवाला
घोंचू-(वि०) बुद्ध घृणास्पद-सं० (वि०) घृणा योग्य, घृण्य
घोंटना-(स० क्रि०) = घोटना घृणित-सं० (वि०) घिनौना (जैसे-घृणित कार्य)
घोंट-(वि०) कसकर दबानेवाला (जैसे-गला घोंट) घृणी-सं० (पु०) घृणा करनेवाला
घोंपना-(स० क्रि०) 1 गड़ाना, चुभाना 2 फँसाना (जैसे-छुरा घृण्य-सं० (वि०) घृणा योग्य
घोंपना) घृत-सं० (पु०) घी। पूर (पु०) घेवर
घोंसला-(पु०) नीड़, खोता घृताक्त-सं० (वि०) घो से तर
घोखना-(स० क्रि०) बार-बार पढ़ना, रटना घृतात्र-सं० (पु०) घी में पकाया हुआ अन्न
घोखवाना, घोखाना-(स० क्रि०) घोपने के कार्य करवाना घृष्ट-सं० (वि०) घिसा हुआ, रगड़ा हुआ
घोखू-(वि०) रटू घष्टि-सं० (स्त्री०) 1 घिसने की क्रिया 2 घर्षण, घिसाई 3 स्पर्धा घोघा-(पु०) चने आदि फसल को हानि पहुँचानेवाला एक घृष्टय-सं० (वि०) घिसने योग्य
छोटा कीड़ा घेघा-बो० (पु०) = घेघा
घोट, घोटक-सं० (पु०) घोड़ा घंटा-(पु०) सूअर का बच्चा
घोटना-I (स० क्रि०) जोर से दबाना (जैसे-गला घोटना) घंटी-बो० (स्त्री०) चने की फली
II 1मलना, रगड़ना (जैसे-दीवार घोटना, फर्श घोटना) घेघा-(पु०) 1 गला 2 गले की आहार नलिका 3 गले का एक 2 महीन करना, पीसना (जैसे-भाँग घोटना) 3 अभ्यास करना रोग, गलगंड
__ (जैसे-अक्षर घोटना) 4 याद करना 5 बाल साफ़ करना, घेपना-बो० (स० क्रि०) 1 लथ-पथ करना, रौंदकर मिलाना मूंडना (जैसे-सिर के बाल घोटना) 2 खुरचना
घोटा-(पु०) 1 घोटने, पीसने, रगड़ने की क्रिया 2 घोटने का घेर-(पु०) 1 घेरा, फैलाव 2 परिधि 3 घेरने की क्रिया। दार साधन 3 घुटी हुई चीज़ 4 रटने का काम (जैसे-घोटा लगाना) __ + फ़ा० (वि०) बड़े घेरेवाला
5 घोटने का उपकरण 6 हजामत घेर-धार-(स्त्री०) 1 चारों ओर घेरने की क्रिया (जैसे-बादलों घोटाई-(स्त्री०) 1 घोटने की क्रिया 2 घोटने का पारिश्रमिक का घेर-घार) 2 घेरा, फैलाव
घोटाला-1 गोलमाल, घपला 2 अव्यवस्था, गड़बड़ी घेरना-(स० क्रि०) 1 घेरा बनाना 2 सीमा निर्धारित करना घोटू-I बो० (वि०) 1 घोटनेवाला 2 कसकर दबानेवाला 3 छेकना (जैसे-पुलिस ने चोर को घेर लिया है) 4 छा जाना ___II (पु०) घोटा (जैसे-बादलों ने आकाश को घेर लिया) 5 रुकावट में लाना घोड़चढ़ा-(पु०) = घुड़चढ़ा (जैसे-रोग का आ कर घेरना) 6 स्थान छेकना (जैसे-लड़कों | घोड़दौड़-(स्त्री०) = घुड़दौड़ ने सारी कुर्सियाँ पीछे घेर रखी हैं) 7 खुशामद करना घोड़राई-(स्त्री०) घोड़ों को खिलायी जानेवाली बड़े दाने की राई (जैसे-चापलूस लोग हमेशा अधिकारी को घेरने में ही अपनी घोड़-सवार-हिं० + फ़ा० (पु०) = घुड़सवार चतुराई समझते हैं)
घोड़साल-(स्त्री०) = घुड़साल घेरा-(पु०) 1 विस्तार, फैलाव 2 घेरने की क्रिया 3 मंडलाकार घोड़ा-(पु०) 1 एक प्रसिद्ध पालतू पशु जिस पर सवारी की रूप (जैसे-दीवार का घेरा) 4 परिधि (जैसे-वृत्त का घेरा) जाती है तथा जो रथ आदि खींचता है, अश्व, तुरंग 5 घेरनेवाली दीवार (जैसे-दर्ग का घेरा) 6 हाथ से हाथ (जैसे-घोड़ा बहुत तेज़ दौड़नेवाला पशु है) 2 घोड़े के आकार मिलाकर व्यक्तियों द्वारा बनाया गया गोला (जैसे-नेता का घेरे का बंदूक आदि का खटका (जैसे-घोड़ा दबाना) 3 शतरंज का में घिरना)। बंदी + फ़ा० (स्त्री०) घेरा डालने की क्रिया एक मोहरा 4 घोड़े की आकृति का बच्चों का एक खिलौना घेराई-(स्त्री०) = घिराई
5 घोड़े की आकृति की छूटी। ~गाड़ी (स्त्री०) ऐसी गाड़ी घेराव-(पु०) = घिराव
जिसमें घोड़े जुतते हों, घोड़े द्वारा खींची जानेवाली गाड़ी; घेरेदार-हिं० + फ़ा० (वि०) = घेरदार
~उड़ाना घोड़े को सरपट दौड़ाना; ~कसना घोड़े पर जीन घेवर-(पु०) मैदे, घी एवं चीनी के मिश्रण से बनी मिठाई, फेनी कसना; ~~डालना, फेंकना घोड़े को तेज दौड़ना; पँटा-(पु०) = घंटा
~फेरना घोड़े को दौड़ाने का अभ्यास कराने के लिए एक वृत्त पैया-(स्त्री०) 1 गाय के थन से निकली दूध की धार 2 मक्खन में घुमाना, कावा देना; बेचकर सोना निश्चिंत होकर गहरी को काछकर एकत्र करने का काम
नींद सोना; घोड़े पर चढ़ आना लौटने को जल्दी मचाना घेहा-बो० (वि०) घायल, आहत
घोडिया-(स्त्री) 1 घोड़ी 2 छोटी घोड़ी 3 कपड़ा आदि टाँगने घोंखना-(स० क्रि०) रटना, घोटना
की खुंटी घोंघा-I (पु०) 1 शंख के आकार का एक कीड़ा 2 निरर्थक | घोड़ी-(स्त्री०) 1 घोड़े की मादा 2 विवाह की एक रस्म जिसमें वस्तु II (वि०) बेवकूफ़, मूर्ख। बसंत बिल्कुल मूर्ख; वर घोड़ी पर चढ़कर कन्या के घर जाता है 3 काठ का विशेष
भरे समुंदर ~ हाथ बहुत में से बहुत कम हाथ आना ___ आकृति का आयताकार ढाँचा घोंघी-(स्त्री०) = घुग्घी
| घोर-I सं० (वि०) 1 डरावना 2 गहरा (जैसे-घोर निद्रा)
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घोल
3 कठोर, कठिन (जैसे-घोर (जैसे- घोर निंदा) 5 सघन, घना वि०) बहुत अधिक, अत्यंत घोल -सं० (पु० ) तरल पदार्थ में अन्य पदार्थ का गाढ़ा मिश्रण । घोलक - सं० ( पु० ) घोलनेवाला पदार्थ घोलना - (स० क्रि०) किसी तरल पदार्थ में घुलनशील पदार्थ मिलाना (जैसे-दूध में शक्कर घोलना) । घोलकर पी जाना संपूर्णतया अंत कर देना (जैसे-लज्जा घोलकर पी जाना) घोला - ( पु० ) घोलकर बनाई गई चीज़ (जैसे- भाँग का गोला) । घोले में डालना 1 उलझन में डाल रखना 2 टाल-मटोल करना; घोले में पड़ना झंझट में पड़ना घोलुवा - (वि०) घोलकर बनाया हुआ, घोला हुआ घोष - I सं० ( पु० ) बस्ती, गाँव II 1 शब्द, नाद 2 ज़ोर से की गई पुकार, गर्जन 3 नारा 4 व्या० शब्दों के उच्चारण में होनेवाला बाह्य प्रयत्न घोषक - I सं० घोषणा करनेवाला व्यक्ति II ( वि०) घोष करनेवाला
साधना ) 4 अत्यंत बुरा (जैसे- घोर वन) II ( क्रि०
घोषण-सं० ( पु०) घोषणा करना
घोषणा -सं० (स्त्री०) 1 सार्वजनिक रूप से की गई राजाज्ञा 2 सार्वजनिक बात 3 ऐलान, ढिंढोरा 4 मुनादी, डुग्गी । पत्र (पु० ) 1 राजाज्ञा 2 राजनैतिक दल का नीति- पत्र 3 सत्यता घोषित पत्र
घोषा सं० (स्त्री०) सौंफ़
घोषित - सं० (वि०) घोषणा हुई
घोषीकरण-सं० (पु०) घोषणा करना
239
घोसी - ( पु० ) अहीर, ग्वाला
घौर, घौद, घौर, घौरा - (पु० ) फलों का बड़ा गुच्छा घौद - (पु०) फलों का गुच्छा
घ्राण सं० (स्त्री०) 1 सूँघने की इंद्रिय, नाक 2 सूँघने कीं शक्ति। ~ शक्ति (स्त्री०) सूँघने की शक्ति घ्राणेन्द्रिय-सं० (स्त्री०) नाक
घ्रात सं० (वि०) सूँघा हुआ
घ्रातव्य-सं० (वि०) सूँघा जाने योग्य घ्राता-सं० (पु०) सूँघनेवाला
च
अंकुर -सं० (पु० ) 1 रथ, यान 2 पेड़, वृक्ष चंक्रमण - सं० (पु० ) 1 टहलना, घूमना, सैर करना 2 सैर करने
चंडोला
2 उत्तम, अच्छा 3 पवित्र, स्वच्छ (जैसे-मन चंगा तो कठौती में गंगा)
चंगु - (पु० ) 1 पकड़ रखने की क्रिया, पकड़ 2 अधिकार, वश चंगुल - ( पु० ) 1 पशु-पक्षियों का टेढ़ा पंजा 2 उँगलियों को हथेली की ओर मोड़ने से बनी आकृति (जैसे-एक चंगुल आटा देना) 3 पकड़, अधिकार में पड़ना, में फँसना, होना पूरी तरह वश में होना
चँगेर, चँगेरी, चँगेली - (स्त्री०) 1 बाँस की खपचियों से बनी छोटी डलिया 2 चमड़े की मशक 3 पालने के आकार की टोकरी
का स्थान 3 बार - बार घूमना
चंग - I फ्रा० (स्त्री०) डफ के आकार का बड़ा बाजा, डुगडुगी II (स्त्री०) बड़ी गुड्डी, पतंगा
चंग-सं० (वि०) 1 दक्ष, कुशल 2 स्वस्थ 3 सुंदर जंगला - सं० (स्त्री०) एक रागिनी जो मेघराग की पुत्रवधू कही गई है
जंगा - (वि०) 1 तंदुरुस्त, स्वस्थ (जैसे- रोगी चंगा हो गया) ।
चंचनाना - (अ० क्रि०) चुनचुनाना चंचरी -सं० (स्त्री०) भ्रमरी, भौंरी चंचरीक-सं० (पु० ) भ्रमर, भौंरा चंचल सं० (वि०) 1 जो बराबर गतिशील हो, हिलने-डुलनेवाला (जैसे- चंचल नयन) 2 अस्थिर 3 चुलबला 4 चलचित्त (जैसे- चंचल किशोर) 5 नटखट, शरारती 6 जो शांत न हो, उद्विग्न (जैसे-मन चंचल होना) । ता (स्त्री०) 1 अस्थिरता 2 चपलता 3 पाजीपन, शरारत 4 उद्विग्नता चंचला-सं० (स्त्री०) 1 बिजली, विद्युत् 2 लक्ष्मी चंचा-सं० (स्त्री०) 1 घास-फूस का पुतला 2 बाँस, बेत आदि की बनी चटाई, टोकरी आदि
चंचु - सं० (स्त्री०) चोंच। पुट (पु०) बंद चोंच प्रवेश
(पु० ) अल्पज्ञान, आरंभिक ज्ञान मान (पु० ) पक्षी चचोरना - (स० क्रि०) दाँतों से दबाकर चूसना
चंट - (वि०) 1 अत्यधिक चालाक 2 चालबाज़, धूर्त 3 तेज़ चंड-सं० (वि०) 1 अति प्रखर, बहुत उग्र 2 क्रोधी 3 प्रबल 4 बहुत कठोर ।
चंडता (स्त्री०), चंडत्व - (पु० ) 1 उग्रता, 2 कठोरता 3 उष्णता, गरमी
पक्षी (पु० ) कौआ
चंडा-सं० (स्त्री०) 1 उग्र स्वभाववाली स्त्री 2 दुर्गा चंडातक - सं० (पु० ) चोली, कुर्ती चंडाल - सं० (वि० ) चांडाल । ~ वीणा (स्त्री०) तंबूरा, चिकारा चंडालिका-सं० (स्त्री०) = चंडी चंडालिनी - सं० (स्त्री०) 1 चंडाल स्त्री 2 दुष्ट एवं निकृष्ट स्त्री चंडावल - सं० (पु० ) 1 बहुत बड़ा योद्धा 2 सेना में पीछे रहनेवाला सिपाही 3 पहरेदार, संतरी
=
चंडासा - (पु० ) जल्दी । चढ़ाना बहुत जल्दी मचाना चंडिमा - सं० (स्त्री०) 1 उग्रता 2 निष्ठुरता 3 तीव्रता 4 चंडिका, चंडी-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 उग्र स्वभाववाली नारी, कर्कशा एवं दुष्ट स्त्री । चंडी कुसुम (पु० ) लाल कनेर; पति (पु०) शिव जी
चंडु-सं० ( पु०) 1 चूहा 2 छोटा बंदर
चंडू - (पु० ) तंबाकू की तरह पिया जानेवाला अफ़ीम से बनाया हुआ अवलेह । खाना फ़ा० (पु० ) चंडू पीने का स्थान; बाज़ + फ़ा० (पुं०) चंडू पीनेवाला व्यक्ति । चंडूखाने की गप झूठी बात
चंडूल - (पु० ) 1 भद्दी शक्ल का आदमी, कुरूप व्यक्ति 2 मधुर स्वरवाली ख़ाकी रंग की चिड़िया
चंडोला - (पु०) 1 पालकी 2 मिट्टी का एक खिलौना, चौपड़ा
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चंद्रायतन
चंद-फा० (वि०) 1 कई (जैसे-चंद दिनों की याद) 2 थोड़े से, पर पहनने का एक गहना 5 मोर पंख की चंद्रिका; ~कलाधर कुछ (जैसे-कृपया उसे चंद रुपये दे दीजिए)
(पु०) शिव; ~कांत (पु०) 1 एक प्रसिद्ध कल्पित मणि जो चंद-सं० (पु०) चंद्रमा
लोक मान्यतानुसार चंद्र किरण पड़ने से पसीजने लगती है चंदक-सं० (पु०) 1 चाँदनी, ज्योत्स्ना 2 चाँद 3 अर्द्धचंद्राकार 2 कुमुद 3 चंदन; ~कांता (स्त्री०) 1 चंद्रमा की पत्नी गहना जिसे सिर पर धारण किया जाता है
2 रात्रि, रात; ~कांति (स्त्री०) 1 चाँदनी 2 चाँदी; कुमार चंदन-सं० (पु०) 1 एक सुगंधित वृक्ष जिसकी लकड़ी को (पु०) चंद्रमा का पुत्र, बुध ग्रह; ~कैपस्युल + अं० घिसकर मस्तक पर लगाया जाता है, मलयज 2 चंदन वृक्ष की (पु०), ~क्षय (पु०) अमावस्या; ~गाड़ी + हिं० लकड़ी (जैसे-चंदन का लेप) 3 चंदन वृक्ष की लकड़ी का (स्त्री०) चाँद पर पहुँचनेवाला यान; ~गोल (पु०) लेप (जैसे-चंदन की शीतलता)। गिरि (पु०) मलय चंद्रमंडल; ~ग्रहण (पु०) पृथ्वी की छाया पड़ने से चंद्रमा का पर्वत; ~गोह + हिं० (स्त्री०) 1 चंदन वृक्ष पर रहनेवाली बिंब न दिखाई देने की स्थिति, चंद्रमंडल का पृथ्वी की छाया गोह 2 छोटी गोह; ~पुष्प (पु०) लौंग; लेप (पु०) पड़ने से छिप जाना; चूड़ (पु०) शिव; जोत + हिं० घिसकर बनाया गया चंदन का लेप; ~सार (पु०) नौसादर; (स्त्री०) चाँदनी, ज्योत्स्ना; तल (प्०) चंद्रमा की धरती;
हार (पु०) - चंद्राहार; उतारना पानी के साथ चंदन धति (स्त्री०) 1 चंद्रमा का प्रकाश, चाँदनी 2 चंदन की को घिसकर उसका लेप निकालना; चढ़ाना, ~लेपना लकड़ी; ~धर (पु०) चंद्रमा धारण करनेवाला देवता, शिव चंदन का लेप करना
जी; ~परिक्रमा (स्त्री०) चांद का चक्कर लगाना; चंदनादि-तैल-सं० (पु०) लाल चंदन के योग से बनाया गया पाषाण (पु०) चंद्रकांत मणिः प्रभा (स्त्री०) चंद्रमा तेल
की ज्योति, चाँदनी; ~बाण (पु०) अर्द्धचंद्राकार फलवाला चंदनी-(वि०) 1 चंदन संबंधी, चंदन का 2 जिसमें चंदन की बाण; बाला (स्त्री०) 1 चंद्रमा की पत्नी 2 चंद्रमा की सुगंध हो 3 चंदन की लकड़ी के रंग का
किरण; बिंदु (पु०) सानुनासिक वर्ण के ऊपर लगाई चंदनीया-सं० (स्त्री०) गोरोचन
जानेवाली अर्द्ध चंद्र बिंदी:~भस्म (पु०) कपूर; ~भागा चैदराना-I बो० (अ० क्रि०) 1 विक्षिप्त होना, पागल होना (स्त्री०) चनाब नदी; ~मंडल (पु०) 1 चंद्रमा का पूर्ण बिंब 2 जान बूझकर अनजान बनना II (स० क्रि०) 1मूर्ख बनाना 2 चंद्रमा की परिधि; ~मणि (पु०) चंद्रकांत मणि; 2 धोखा देना, चकमा देना
~माड्यूल + अं० (पु०) चंद्रयान का भाग; ~मुख चैदला-(वि०) गंजा, खल्वाट
(वि०) चंद्रमा के समान सुंदर मुखवाला; ~मुखी चैदवा-(पु०) 1 चँदोवा, वितान 2 छोटा शामियाना 3 मोर पंख (स्त्री०)/(वि०) चंद्रमा के समान मुखवाली; ~मौलि की चंद्रिका 4टोपी के ऊपर का गोल भाग
(पु०) चंद्रशेखर, शिव; यात्रा (स्त्री०) चाँद पर जाना; चंदौ-फा० (वि०) 1 इतना 2 अधिक, बहुत
~यात्री (पु०) चाँद पर जानेवाला; ~यान (पु०) चाँद पर चंदा-(पु०) चंद्रमा (जैसे-चंदामामा)
जानेवाला जहाज़; राकेट + अं० (पु०) चाँद पर जहाज़ चंदा-फा० (पु०) 1 चाँद 2 सार्वजनिक कार्य हेतु दी गई भेजनेवाला राकेट; ~लोक (पु०) चंद्रमा; ~वंश (पु०)
आर्थिक सहायता (जैसे-होली का चंदा, अनाथालय को दिया क्षत्रियों का वंश; ~वंशी (वि०) 1 चंद्रवंश संबंधी 2 क्षत्रिय गया चंदा) 3 निश्चित अवधि तक के लिए दिया गया धन वंश में जन्म लेनेवाला; ~वधू (स्त्री०) बीर बहटी; विंद (जैसे-वार्षिक चंदा, पत्रिका का वार्षिक चंदा दस रुपये है) (पु०) = चंद्रबिंदु: -विज्ञान (पु०) चाँद के संबंध में 4 सदस्यता का शुल्क (जैसे-आपने संस्था का वार्षिक चंदा शास्त्रीय अध्ययन; विज्ञानी (पु०) चंद्र विज्ञान विशेषज्ञ; नहीं जमा किया है)
~शाला (स्त्री०) 1 चाँदनी, चंद्रिका 2 छत के ऊपर का वह चंदावल-फा० (पु०) सेना का पिछला भाग, चंडावल कमरा जिसमें बैठकर चाँदनी का आनंद लिया जाता है; (विलोम : हरावल)
शेखर (पु०) शिव; हार (पु०) गले का हार जो अर्द्ध चंदिका-(स्त्री०) = चंद्रिका
चंद्राकार धातु के अनेक टुकड़ों से युक्त होता है तथा जिसके चैंदिया-(स्त्री०) 1 खोपड़ी, चाँद (जैसे-बँदिया खुजलाना) बीच में पूर्ण चंद्र के आकार का गोल टिकड़ा लगा होता है; 2 चाँदी की टिकिया। ल्खाना बकवाद करना; हास (पु०) 1 खड्ग, चमकीली तलवार 2 रावण की
खुजलाना, खुजाना 1 सिर खुजलाना 2 मार खाने का तलवार का नाम काम करना; ~पर बाल न छोड़ना सब कुछ ले लेना; चंद्रमा सं० (पु०) सौर मंडल का एक उपग्रह जो रात में पृथ्वी ~मुंडना 1 हजामत बनाना 2 लूटकर खाना
को चाँदनी से उजाला करता है, चाँद, शशि चंदुला-(वि०) चाँद से गंजा
चंद्रवार-सं० (पु०) सोमवार चैदोवा-(पु०) मंडप का शामियाना, वितान
चंद्रा-सं० (स्त्री०) 1 चंदोआ 2 छोटी इलायची चंद्र-सं० (पु०) 1 चंद्रमा, चाँद 2 मोर पंख का अर्द्धचंद्राकार | चंद्रा-(स्त्री०) चि० मृत्यु के पूर्व की ऐसी अवस्था जिसमें चिह्न 3 अर्द्ध अनुनासिक का चिह्न 4 इड़ा नाड़ी। ~अभियान पुतलियाँ स्थिर हो जाती हैं तथा कफ के कारण गला ऊँघ जाता (पु०) चाँद पर पहुँचने का उपक्रम; चंद्रक (पु०) 1 छोटा है और बोला नहीं जाता चांद 2 मोर पंख का चांद; कक्षा (स्त्री०) वह पथ जिस पर | चंद्रातप-सं० (पु०) 1 चाँदनी 2 खुला दालान 3 वितान, चंद्र घूमता है; ~कला (स्त्री०) 1 चंद्रमा की सोलह कलाएँ । चँदोवा 2 चंद्रमा की सोलहों कलाओं में से एक कला 3 किरण 4 माथे | चंद्रायतन-सं० (पु०) = चंद्रशाला
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चंद्रार्द्ध
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चकला
चंद्रार्द्ध-सं० (पु०) आधा चाँद
III (वि०) चक्र के आकार का, गोल चंद्रालोक-सं० (पु०) चंद्रमा का प्रकाश, चाँदनी
चकचकाना-(अ० क्रि०) 1 रसना 2 गीला होना, भीग जाना चंद्रालोकित-सं० (वि०) चाँदनी से प्रकाशित
चकचकी-(स्त्री०) करताल नाम का बाजा चंद्रावतारण-सं० (पु०) चाँद पर उतरना
चकचून-(वि०) 1 चूर किया हुआ, चकनाचूर 2 बारीक किया चंद्रिका-सं० (स्त्री०) 1 चंद्रमा का प्रकाश, चाँदनी 2 मोर पंख हुआ का चंद्राकार चिह्न। ल्पायी (पु०) चाँदनी का पान चकचौध-(स्त्री०) = चकाचौंध करनेवाला, चकोर
चकचोंधना-I (अ० क्रि०) चकाचौंध होना, चौधियाना चंद्रिकोत्सव-(पु०) शरद् पूर्णिमा का कौमुदी महोत्सव II (स० क्रि०) चकाचौंध उत्पन्न करना चंद्रोदय-सं० (पु०) 1 चंद्रमा का उदित होना 2 चँदोआ चकचोहना-(अ० क्रि०) प्रेम पूर्वक देखना चंपई-सं० + हिं० (वि०) चंपा के फूल के रंग का, पीला चकचौहाँ-(वि०) 1 नेत्रों को चौधियानेवाला 2 अत्यंत चंपक-सं० (पु.) 1 चंपा 2 चंपा की कली। ~माला (पु०) प्रकाशवान चंपा के फूलों की माला
चकड़वा-(पु०) = चकरबा चंपत-(वि०) 1 बिना कुछ बताए जो भाग गया हो 2 जो गायब चकत-(स्त्री०) दाँतों की पकड़। ~मारना दाँतों से मांस आदि कर दिया गया हो
नोचना चपना-I (अ० क्रि०) 1 झुकना, दबना 2 लज्जा आदि के चकता-(पु०) दे० चकत्ता कारण झुकना II (स० क्रि०) चाँपना
चकती-(स्त्री०) 1 धज्जी, थिगली 2 पट्टी (जैसे-परात में लगी चंपा-(पु०) 1 पीले रंग के फूलोंवाला तीव्र गंधयुक्त एक वृक्ष चकती उखड़ गई है)। आसमान में ~लगाना 1 असंभव 2 तीव्र गधयुक्त पीले रंग का फूल (जैसे-चंपा का फूल पीला काम करने का प्रयास करना 2 अपनी शक्ति एवं सामर्थ्य से होता है)। कली (स्त्री०) गले का हार जिसके दाने चंपा अधिक बढ़चढ़कर बातें करना की कली के आकार के होते हैं
चकत्ता-(पु०) 1 शरीर पर पड़ा गोल दारा, चमड़ी पर उभरा चंपू-सं० (पु०) गद्य एवं पद्य में लिखा गया नाटक (जैसे-चंपू हुआ धब्बा 2 शरीर पर गड़ाए हए दाँतों का निशान । काव्य)
~भरना, मारना दाँतों से काटकर मांस निकाल लेना चंबई-I (पु०) गहरा फ़िरोज़ी रंग || (वि०) फ़िरोज़ी रंग में चकनाचूर-(वि०) 1 चूर-चूर, टुकड़े-टुकड़े (जैसे-चकनाचूर रंगा हुआ
कर देनेवाली चोट) 2 थका-मांदा चंबल-I (स्त्री०) 1 विंध्य पर्वत से निकलकर यमुना में चकपक-I (वि०) चकित, भौंचक्का, हक्का-बक्का मिलनेवाली एक नदी 2 पानी की बाढ़
II (स्त्री०) चकित होने की अवस्था चंबल-II (पु०) तलुए, हथेली में होनेवाला चर्म रोग चकपकाना-(अ० क्रि०) अत्यंत चकित होना. चौंकना चंखेली-बो० (स्त्री०) = चमेली
चकबक-(वि०) = चकमक चैवर-(पु०) पशुओं की पूँछ के लंबे बालों का गुच्छा जिसे दस्ते चक्रमक-तु० (पु०) एक प्रकार का पत्थर जिसपर प्रहार करने के अगले भाग में लगाया जाता है और जो राजाओं आदि के से आग पैदा होती है ऊपर मक्खियाँ आदि उड़ाने के लिए डुलाया जाता है, पशुओं चकमा-(पु०) धोखा, भुलावा (जैसे-चकमा देकर भाग के पंछ के लंबे बालों का बना पँखा (जैसे-जैवर इलाना)।
जाना) द्वार (पु०) ●वर इलानेवाला सेवक
चक्रमाक-तु० (पु०) = चकमक चंवरी-(स्त्री०) = छोटा चैवर
चक्रमाकी-I तु० (वि०) जिसमें चकमक लगा हो II (स्त्री०) चंसुर-(पु०) 1 कटावदार पतले पत्तोंवाला साग का पौधा ऐसी बंदूक जो चकमक पत्थर के योग से गोली छोड़ती थी 2 कटावदार पतले पत्तोंवाला साग
चकरबा-(पु०) 1 असमंजस एवं विकट अवस्था 2 व्यर्थ का बहला-(पु०) = चैला
लड़ाई-झगड़ा चतरा-बो० (पु०) चबूतरा
चकर-मकर-हिं० + अ० (पु०) धोखेबाजी, कपट भरी बातें चट्ट-(पु०) = चौहट्ट
चकराना-(अ० क्रि०) 1 चकित होना 2 भ्रमित होना, भटकना चक-(पु०) 1 ज़मीन का बड़ा खंड 2 चकवा 3 चाक, पहिया __ 3 चक्कर में पड़ना 4 (सिर) चक्कर खाना 4 चक्र नामक अस्त्र 5 अधिकार, प्रभुत्व (जैसे-चक जमना, चकरानी-फा० + हिं० (स्त्री०) = चाकरानी, दासी चक बंधना)। -डोर (स्त्री०) 1 जुलाहों के करघे की डोरी चकरी-(स्त्री०) 1 चक्की 2 चक्की का पाट 3 चकई 2 लटू आदि नचाने की डोरी; फेरी (स्त्री०) परिक्रमा; (जैसे-चकरी नचाना)
दी (स्त्री०) 1 बड़े भू भाग को कई भागों में बाँटने की चकल-(पृ०) 1 पौधे को अन्य स्थान पर लगाने के लिए उसे क्रिया 2 छोटे-छोटे भू खंडों को बड़े चक का रूप देने की मिट्टी सहित उखाड़ना 2 उखाड़े गए पौधे में लगी हई मिट्टी की क्रिया; बंदी अधिकारी फ़ा० + सं० (पु०) वह अधिकारी, कर्मचारी जो चकबंदी करवाता है; जमना प्रभुत्व चकलई-(स्त्री०) विस्तार, फैलाव होना, रंग जमना; ~बैंधना वृद्धि होना
चकला-I (पु०) रोटी बेलने का पाटा, चौका 2 व्यभिचार से धकई-I (स्त्री०) मादा चकवा, मादा सुरखाब II डोरी जीविका चलानेवाली स्त्रियों की बस्ती, कसबीखाना II (वि०) लपेटकर नचाए जानेवाला घिरनी के आकार का एक खिलौना । अधिक विस्तारवाला, चौड़ा। - खाना + फा० (पु.)
पिंडी
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चकलाना
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चक्रांग
वेश्याओं का अड्डा; बेलन (पु०) चौका-बेलना में घूमना; ~में आना धोखे में आना; ~में डालना उलझन चकलाना-I (स० क्रि०) पौधे को मिट्टी समेत उखाड़ना, में डालना; ~में फँसना धोखे में आ जाना; ~लगाना किसी चकल उठाना II (स० क्रि०) चौड़ा करना
की तलाश करना चकली-(स्त्री०) 1 छोटा चकला 2 गड़ारी, घिरनी चक्कस-सं० (पु०) बुलबुल, बाज़ आदि का अड्डा चकलेदार-हिं० + फ़ा० (पु०) चकले का हाकिम, चकला चक्का -(पु०) 1 पहिया (जैसे-रेलगाड़ी का चक्का) 2 कुम्हार अधिकारी
का चाक 3 ईंट-पत्थर आदि का टुकड़ा (जैसे-चक्का फेंककर चकल्लस-(स्त्री०) 1 झंझट, झगड़ा 2 हास-परिहास, हँसी मारना)। ~फेंक (स्त्री०) चक्र फेंकने का व्यायाम मज़ाक
चक्की -I (स्त्री०) 1 पीसने का यंत्र (जैसे-भाप, विद्युत से चकबैंड-I (पु०) एक प्रकार का जंगली बरसाती पौधा जिसकी चलनेवाली आटे की चक्की) 2 जाँता (जैसे-हाथ की पत्तियाँ तने की ओर नुकीली एवं सिरे की ओर गोल और चौड़ी ___ चक्की)। चूल्हा (पु०) घर का काम-काज; ~पीसना होती हैं, पमार, पवाड़ II (पु०) चक्क के पास रखा गया जल 1कड़ी मेहनत करना 2 अन पीसना भरा मिट्टी का छोटा पात्र जिसमें कुम्हार अपना हाथ धोने आदि चक्की -II (स्त्री०)1 पैर के घटने की गोल हड्डी 2 ऊँट के का काम करता है
बदन पर का गोल घट्ठा चकवा-(पु०) जलाशयों के किनारे पाया जानेवाला एक प्रसिद्ध चक्की रहा-(पु०) चक्की को खुरदनेवाला कारीगर पक्षी जो रात में अपने जोड़े से अलग हो जाता है ऐसी कल्पना चक्कीवाला-(पु०) चक्की का मालिक की गई है, सुरखाब
चक्खी -(स्त्री०) 1 चटपटी एवं नमकीन पदार्थ, चाट 2 बटेरों चकाचक-I (स्त्री०) शरीर पर तलवार का निरंतर आघात होने __ आदि को दाना चुगाने की क्रिया से उत्पन्न शब्द II (क्रि० वि०) अच्छी तरह से चक्र-सं० (पु०) 1 पहिया 2 वर्तुलाकार वस्तु 3 कुम्हार का (जैसे-चकाचक भोजन किया गया) III (वि०) 1 चटकीला चाक 4 चक्की 5 प्राचीन गोलाकार अस्त्र (जैसे-सुदर्शन चक्र) 2 तर-बतर, तराबोर
6 सैनिक व्यूह (जैसे-चक्रव्यूह) 7 कोल्हू 8 पानी का भँवर चकाचौंध, चकाचौंधी-बो० (स्त्री०) 1 आँख का झपकना, 9 हवा का बवंडर 10 फेरा, चक्कर 11 सुदर्शन चक्र 12 सैन्य दृष्टि का स्थिर न रह सकना 2 चुधियानेवाली चमक 3 धन का पुरस्कार 13 योग में शरीर अंतस्थान। -क्रम (पु०) चक्र की प्रदर्शन
तरह बार-बार घूमकर आनेवाला क्रम (जैसे-जाड़ा, गर्मी, चकाबू-(पु०) 1 सैनिक व्यूह (जैसे-चकाबू में फँसना) बरसात का चक्रक्रम);~गति (स्त्री०) 1 केंद्र के चारों ओर 2 भूल-भुलैया। ~में पड़ना चक्कर में पड़ना
घूमने की क्रिया 2 चक्र क्रम; ~गोप्ता (पु०) 1 सेनापति चकार-सं० (पु०) च की ध्वनि
2 राज्य का रक्षक, अधिकारी 3 रथ एवं उसके चक्र आदि की चकित-सं० (वि०) 1आश्चर्य में आया हुआ, विस्मित रक्षा करनेवाला योद्धा; चर (वि०) चक्र में चलनेवाला; 2 शंकित 3 घबराया हुआ
~घर I (वि०) चक्र धारण करनेवाला II (पु०) 1 विष्णु चकिया-बो० (स्त्री०) चौकोर छोटा टुकड़ा (जैसे-पत्थर की 2 श्री कृष्ण; नाभि (स्त्री०) पहिए का मध्य भाग; नेमि चकिया)
(स्त्री०) चक्र का घेरा; ~पाणि (पु०) विष्णु, कृष्ण; चकुला-बो० (पु०) चिड़िया का बच्चा, चेटुआ
पाल (पु०) 1 चक्र धारण करनेवाला व्यक्ति 2 व्यूह रक्षक चकेठ-(पु०) चाक को घुमानेवाला कुम्हार का डंडा । 3 सेनापति 4 प्रदेश विशेष का शासक; -बंधु, बांधव चकोट-(पु०) 1 चकोटने की क्रिया 2 पहिए से ज़मीन पर बनी (पु०) सूर्य ~मंडल (पु०) नृत्य का वह रूप जिसमें नर्तक लीक
केंद्र के चारों ओर नाचता हुआ घूमता है; ~मुख (वि०) चकोटना-(स० क्रि०) चिकोटी काटना, बकोटना
गोल मुखवाला; ~मुद्रा (पु०) शरीर के अंगों पर दगवाया चकोतरा-(पु०) नींबू की जाति का खट-मीठे फलोंवाला पेड़ जानेवाला चक्राकार निशान; ल्यान (पु०) पहिए वाली और उसका बड़ा-सा फल
गाड़ी; लेखिन (पु०) विशेष प्रकार के काग़ज़ पर चकोर-सं० (पु०) तीतर जाति का एक पक्षी जो चंद्रमा का प्रेमी प्रतिलिपियां तैयार किए जाने का उपकरण जिसके नोक पर माना जाता है
छोटा चक्र लगा होता है; ~वाक (पु०)चकवा; ~वात चकोरी-सं० (स्त्री०) मादा चकोर
(पु०) बवंडर, बगूला; ~वाल (पु०) घेरा, मंडल; वृद्धि चक्क-(पु०) 1पीड़ा, दर्द 2 चकवा 3 चाक
(स्त्री०) वह ब्याज जिसमें संचित ब्याज भी मूलधन में शामिल चक्कर-(पु०) 1 पहिया 2 चक्र 3 चाक 4 घेरा, मंडल | हो जाए; ~व्यूह (पु०) चक्र के रूप में सेना की स्थापना 5 मोड़ोंवाला मार्ग 6 मोड़, घुमाव (जैसे-इस मार्ग में कई | (जैसे-महाभारत के युद्ध में अभिमन्यु ने चक्रव्यूह तोड़ा था) चक्कर पड़ेंगे) 7 फेरा 8 हैरानी, उलझन (जैसे-इस प्रश्न ने | चक्रवर्ती-I सं० (वि०) सार्वभौम II (पु०) 1 समुद्रपर्यंत सबको चक्कर में डाल दिया है) १ धोखा, भुलावा | पृथिवी का अधिपति 2 सम्राट् 3 समूह का नायक 10 असमंजस की स्थिति 11 सिर का घूमना, घुमटा। -दार चक्रांक-सं० (पु०) = चक्रमुद्रा + फ्रा० (वि०) घुमाववाला (जैसे-चक्करदार मार्ग); चक्रांकित-सं० (वि०) 1जिस चक्र का निशान अंकित हो ~आना घुमटा आना; ~काटना इधर-उधर घूमना, फेरे | 2 जिसने चक्र का निशान अपने शरीर के किसी अंग पर लगाना; खाना धोखा खाना; खाता हआ चारों ओर | लगवाया हो घूमता हुआ, परिक्रमा करता हुआ~मारना इधर-उधर व्यर्थ । चक्रांग-(पु०) चकवा .
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चक्रांत
चक्रांत-सं० (पु० ) गुप्त अभिसंधि, षड्यंत्र चक्रांश - (पु०) 360° का कोई भाग चक्राकार-सं० (वि०) चक्र के आकार का, मंडलाकार, गोल चक्राट - सं० (पु० ) 1 मदारी, सँपेरा 2 बाजीगर 3 ठग 4 स्वर्ण मुद्रा चक्रावर्त - (पु० ) चक्कर में घूमना चक्राव-सं० (पु० ) 1 चकवा पक्षी, चक्रवाक 2 चकवड़ चक्रिका - सं० (स्त्री०) घुटने की गोल हड्डी, चपनी चक्री - I सं० ( पु० ) 1 चक्र धारण करनेवाला व्यक्ति 2 विष्णु 3 चकवा पक्षी II (वि०) 1 चक्र धारण करनेवाला 2 जिसमें पहिया लगा हो 3 गोलाकार
चक्रीय सं० (वि०) 1 चक्र संबंधी, चक्र का 2 चक्र क्रम के अनुसार होनेवाला
चक्रेश्वर - सं० (पु० ) 1 चक्रवर्ती 2 तंत्र में चक्र के देवता चक्षण-सं० (पु० ) 1 कृपा दृष्टि 2 अनुग्रह पूर्ण व्यवहार चक्षुःपथ - सं० (पु० ) 1 दृष्टि पथ 2 क्षितिज चक्षु-सं० (पु०) आँख, नेत्र गह्वर, घर (पु० ) नेत्रगुहा चक्षुरिन्द्रिय-सं० (स्त्री०) आँख, नेत्र त्रक्षुर्मल - सं० (पु० ) आँख की कीचड़ चक्षुष्मान-सं० (वि०) आँखोंवाला चक्षुष्य - I सं० (वि०) 1 नेत्र संबंधी 2 जो आँखों को प्रिय लगे 3 नेत्र से उत्पन्न II ( पु०) आँखों में लगाया जानेवाला काजल, सुरमा
चख - फ़ा० (स्त्री०) झगड़ा चख (स्त्री०) लड़ाई-झगड़ा, कहा-सुनी, बक-झक
चखना- (स० क्रि०) 1 चीखना, स्वाद लेना 2 रसास्वादन करना चखाचखी-फा० (स्त्री०) 1 वैर-विरोध 2 बक-झक, लाग- डाँट (जैसे- आपस में चखाचखी होना) चखाना - (स० क्रि०) चखने में किसी को प्रवृत करना चखिया फ़ा० + हिं० (वि०) तकरार करनेवाला, झगड़ालू चखौती - ( स्त्री०) स्वादिष्ट वस्तु
चगड़ - (वि०) चंट, चालाक
चचा - (पु० ) = चाचा । ~बनाकर छोड़ना उचित दंड देना; ज़ाद + फ़ा० (वि०) चचेरा
चचिया (वि०) चाचा या चाची के स्थान पर पड़नेवाला (जैसे- चचिया ससुर, चचिया सास )
चचड़ा- (पु० ) एक प्रकार की लता जो तोरई की तरह की होती है और तरकारी बनाने के काम आती है
चची - (स्त्री०) चाचा की पत्नी
+
हिं०
चचेरा - (वि०) 1 चाचा से उत्पन्न (जैसे- चचेरा भाई, चचेरी बहन) 2 संबंध के विचार से चाचा-चाची के स्थान पर पड़नेवाला, चचिया (जैसे- चचेरी सास) चचोड़ना - (स० क्रि०) दाँत से दबाकर खाना, रस चूसना (जैसे- आम चचोड़ना)
चट - I ( क्रि० वि० ) 1 जल्दी से तुरंत (जैसे-चट से खा जाओ) 2 चट शब्द करते हुए II (वि०) 1 चाट कर समाप्त कर दिया गया, खाया हुआ (जैसे- वह सारी मिठाई चट कर गया) 2 नष्ट किया हुआ, समाप्त किया हुआ (जैसे-उसने सारी सम्पति जूआ में चट कर दी। ~कर जाना 1 सब
243
चट-चट
कुछ खा जाना 2 हड़प लेना III (पु० ) 1 वस्तु के टूटने से उत्पन्न शब्द (जैसे-लकड़ी का चट से टूट जाना) 2 हड्डियों की रगड़ से उत्पन्न होनेवाला शब्द (जैसे- उँगलियों का चट से बोलना )
चटक - I (वि०) 1 चटकीला, चमकीला 2 फुरतीला, तेज़ II ( क्रि० वि०) झटपट, तुरंत दार + फ़ा० (वि०) 1 चमक-दमकवाला, चमकीला 2 तेज, स्फूर्तिवान चटक - III (वि०) चटपटा, चटकारा (जैसे- सब्ज़ी बहुत चटक है)
चटक-सं० (पु० ) गौरिया, चिड़ा
चटकना - I (अ० क्रि०) 1 'चट' शब्द करके टूटना, फूटना (जैसे - गिलास का चटकना, शीशा चटकना) 2 दरार पड़ना (जैसे- दीवार चटकना) 3 लकड़ी का जलते समय चट-चट शब्द करना 4 कलियों का चट-चट शब्द करते हुए खिलना (जैसे- गुलाब की कलियाँ चटकना) 5 झुंझलाना (जैसे- वह ज़रा सी बात पर चटक जाता है) 6 बिगाड़ होना II ( पु० )
थप्पड़ तमाचा
चटकनी - (स्त्री० ) = सिटकिनी (जैसे- दरवाज़े की चटकनी बंद कर देना)
चटक मटक - (स्त्री०) 1 नाज़-नखरा, हाव-भाव 2 सजधज चटकल - (स्त्री०) ऐसा कारखाना जहाँ जूट की चीजें बनाई जाती हैं, पटसन की वस्तुएँ बनाने का कारखाना चटका - I (पु० ) 1 चटकने की क्रिया 2 मन का उचटना, विराग 3 तमाचा, थप्पड़ (जैसे- चटका लगना) II 1 चरपरा स्वाद 2 स्वाद मिलने से उत्पन्न होनेवाली लालसा, चसका चटकाना - (स० क्रि०) 1 किसी को चटकने में प्रवृत्त करना 2 ज़ोर से खींचना 3 दबाना 4 चट चट शब्द उत्पन्न करना (जैसे-जूतियाँ चटकाना ) 5 चट शब्द उत्पन्न करते हुए कोई वस्तु तोड़ना 6 अप्रसन्न एवं उद्विग्न करना 7 विरक्ति भाव उत्पन्न करके भगाना 8 चिढ़ाना चटकारना- (स० क्रि०) जीभ का स्वाद लेना चटकारा - ( पु० ) 1 स्वाद लेने का शब्द 2 चाटने का शब्द । चटकारे का अत्यधिक स्वादिष्ट कि खाते-पीते समय चट-चट शब्द उत्पन्न हो; चटकारे भरना चाट चाटकर और स्वाद लेते हुए कोई वस्तु खाना, खाते-पीते समय जीभ से होठ चाटते
रहना
चटकाली-सं० (स्त्री०) 1 गौरा पक्षियों की पंक्ति 2 चिड़ियों की पंक्ति
चटकाहट - (स्त्री०) 1 चटकने से उत्पन्न होनेवाला चट शब्द 2 चटकने, तड़कने की क्रिया चटकीला - (वि०) 1 चमकीला और तेज (जैसे-चटकीला लाल, चटकीला कपड़ा) 2 जो बहुत आभा युक्त एवं चमकदार हो 3 जिसमें खूब नमक मिर्च और मसाला आदि पड़ा हो, चटपटा (जैसे-चटकीली तरकारी) 4 लुभावना' (जैसे- चटकीला राग ) चटखना-I (अ० क्रि०) चटकना 1 चटखना - II ( पु० ) - चटकना ॥ चटखनी बो० (स्त्री०) चटकनी चटख (वि०) / (पु०), चटकारा
चट-चट - 1 (स्त्री.) 1 वस्तु के टूटते समय होनेवाला चट-चट
1
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चटचटा
शब्द 2 जलने से होनेवाला चट-चट शब्द (जैसे- लकड़ियाँ चट चट कर जल रही थीं) 3 उँगलियाँ चटकाने पर होनेवाला चट-चट शब्द II ( क्रि० वि०) चट चट शब्द उत्पन्न करते हुए। बलैयाँ लेना उँगलियाँ चटकाते हुए प्रिय व्यक्ति की मंगलकामना करना चटचटा - I (पु०) बारम्बार होनेवाला II (वि०) जिसमें से बार-बार चट चट (जैसे-चट-चटी लकड़ी)
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चट-चट शब्द ध्वनि उत्पन्न हो
चटचटाना-I (अ० क्रि०) 1 चट चट ध्वनि करना 2 चट-चट ध्वनि के साथ वस्तु का टूटना, तड़कना 3 चट चट शब्द करते हुए जलना II (स० क्रि०) चट-चट ध्वनि उत्पन्न करते हुए कार्य करना
चटना - (अ० क्रि०) चाटा जाना
चटनी - (स्त्री० ) 1 चाटकर खाई जानेवाली वस्तु, अवलेह 2 घोला हुआ गाढ़ा चरपरा अवलेह (जैसे-आम की चटनी, इमली की चटनी) । ~करना, बनाना 1 पदार्थ आदि को चूर-चूर करना 2 व्यक्ति आदि को बहुत मारना; होना पिस
जाना
चट-पट - I ( क्रि० वि०) 1 बहुत जल्दी, तुरंत (जैसे-चट-पट ही चले जाना) 2 अपेक्षाकृत कम समय में (जैसे- काम चट-पट ख़त्म करके चले जाना) II (वि०) = चटपटा चटपटा - (वि०) मसालेदार (जैसे-चटपटा पदार्थ ) चटपटाना - I (अ० क्रि०) जल्दी मचाना II (स० क्रि०) जल्दी करने में किसी को प्रवृत्त करना चटपटी - (स्त्री०) 1 जल्दी, शीघ्रता 2 उतावली, हड़बड़ी 3 आकुलता, घबराहट चटर - (पु० ) चट-चट शब्द
चटर - चटर - (पु० ) खड़ाऊँ पहनकर चलने से उत्पन्न चट-चट ध्वनि
चटवाना - (स० क्रि०) चटाना
चटशाला - हिं० + सं०, चटसार, चटसाल - (स्त्री०) छोटे बच्चों की पाठशाला, शिशुमंदिर
चटाई - (स्त्री०) बाँस आदि की खपाचियों को गूथकर बनाया गया आसन, साथरी (जैसे- चटाई बुनना) । ~दार + फ़ा० (वि०) जो चटाई की तरह बुना गया हो (जैसे- चटाईदार किनारा मेज़पोश पर अच्छा लगेगा ) चटाक - ( पु० ) 1 वस्तु के टकराने से उत्पन्न होनेवाला शब्द 2 वस्तु के गिरकर टूटने से उत्पन्न शब्द 3 थप्पड़ मारने से उत्पन्न होनेवाली ध्वनि
C
चटाक-पटक - ( क्रि० वि० ) 1 चटाक शब्द उत्पन्न करते हुए 2 बहुत जल्दी, तुरंत
चटाका (पु०), चटाख - I बो० (पु० ) 1 कड़ी वस्तु के ज़ोर से टूटने का शब्द 2 थप्पड़ लगने से होनेवाला शब्द 3 तीव्रता, प्रबलता II ( क्रि० वि०) चट-पट, तुरंत । चटाके का कड़ाके का, ज़ोरों का (जैसे-चटाके की धूप) चटाचट - 1 (स्त्री०) लगातार टूटती वस्तुओं से उत्पन्न होनेवाली ध्वनि II ( क्रि० वि०) एक पर एक, लगातार (जैसे-चटाचट थप्पड़ मारना) चटान-बो० (स्त्री० ) चटाना - (स० क्रि० ) 1 चाटने की क्रिया में किसी को प्रवृत्त
चट्टान
1
चढ़न
करना (जैसे- बच्चे को खीर चटाना) 2 थोड़ा-थोड़ा खिलाना (जैसे- बच्चे को कुछ खीर चटा देना) 3 घूस देना, रिश्वत देना (जैसे- दफ़्तर में बाबुओं को बग़ैर कुछ चटाए कोई काम नहीं पूरा होता है)
चटापटी - I (स्त्री०) चटपटी, जल्दी II ( क्रि० वि०) चट-पट चटावन - ( पु० ) 1 चटाने की क्रिया 2 छोटे बच्चों को पहले-पहल अन्न खिलाने का एक संस्कार, अन्नप्राशन चटियल - (वि०) उजाड़ और सपाट
=
चटी - I (स्त्री०) = चटशाला II (स्त्री०) चट्टी चदु-सं० (पु० ) ख़ुशामद, चापलूसी। ~लालसा (वि०) खुशामदपसंद
चटुल-सं० (वि०) 1 चंचल, चपल 2 घुमक्कड़ 3 बातों में लुभानेवाला
चटुला -सं० (स्त्री०) बिजली
चटोर, चटोरा - (वि०) 1 चटपटी चीज़ खाने का शौक़ीन 2 अधिक खाने का लोभी (जैसे-चटोरा आदमी) । न (पु० ) चटोर होने की अवस्था (स्त्री० चटौरी) चट्ट - I बो० (वि०) 1 जिसे चाट लिया गया हो, चाटा हुआ
2 जिसे खा-पीकर ख़त्म कर दिया गया हो 3 कुछ भी न बचा हुआ II ( क्रि० वि० ) = चट
चट्टा - I (पु० ) चेला, शिष्य II (पु० ) 1 चकत्ता, ददोरा 2 ईंट, बालू आदि को गिनने, नापने के लिए लगाया गया थाक, ईंट, बालू आदि का लगाया हुआ ढेर III (पु० ) चाटनेवाला चट्टान - (स्त्री०) 1 पत्थर का अत्यधिक विशाल खंड (जैसे- यह चट्टान नहीं तोड़ी जा सकेगी ) 2 वस्तु का बहुत बड़ा ठोस टुकड़ा
=
चट्टानी - (वि०) जो चट्टान से संबंध रखता हो, चट्टान संबंधी चट्टा - बट्टा - (पु० ) काठ के खिलौनों का समूह। चट्टे-बट्टे लड़ाना - वैर-विरोध पैदा कराना, आपस में लड़ाना चट्टी - I (स्त्री०) पड़ाव, मंज़िल II (स्त्री०) खुली एड़ी की काठ की बनी चप्पल III (स्त्री० ) 1 क्षति 2 दंड चट्टू - I बो० (वि०) चटोरा II ( पु० ) 1 पत्थर का बड़ा खरल 2 छोटे बच्चों का मुँह से चूसते रहने का खिलौना, चुसनी चड़ - (पु० ) 1 लकड़ी आदि के टूटने, फटने से उत्पन्न होनेवाला शब्द 2 सूखी लकड़ी के जलने से होनेवाला शब्द चड़-बड़ - (स्त्री०) टें-टें, बक-बक, व्यर्थ का प्रलाप (जैसे- हमेशा चड़-बड़ मत किया करो) चड़बड़िया - (वि०) चड़-बड़ करनेवाला चड़ी - (स्त्री०) 1लात 2 दुलत्ती
चड्डा - I (पु० ) जाँघ की जड़ II (पु० ) जाँघ और पेट का जोड़ चड्डी - (स्त्री०) एक तरह की लँगोट जिसमें डोरी नहीं होती है (जैसे- बच्चे को चड्डी पहना दो )
चड्ढी - (स्त्री०) पीठ की सवारी। गाँठना सवारी करना;
देना हार जाने पर पीठ पर सवार कराना चढ़त - (स्त्री०) चढ़ाया हुआ पदार्थ, भेंट, चढ़ावा चढ़ता - (वि०) 1 आरंभ होकर बढ़ता हुआ (जैसे-चढ़ता दिन
अब धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है) 2 विकासशील (जैसे-चढ़ता हुआ यौवन भी एक दिन ढल जाएगा) (स्त्री० चढ़ती) चढ़न - (स्त्री०) 1 चढ़ने चढ़ाने की क्रिया, चढ़ाई 2 चढ़ावा,
चढ़त
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चढ़ना
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चतुर्वर्षीय
पढ़ना-(अ० क्रि०) 1 ऊपर की ओर बढ़ना (जैसे-आदमी का | चतुरंगुल-स० (पु०) अमलतास पहाड़ पर चढ़ना, सीढ़ी पर चढ़ना) 2 सवार होना (जैसे-घोड़े | चतुर-सं० (वि०) चार (जैसे-चतुर्भुज, चतुर्गुण) पर चढ़ना) 3 चढ़ाई करना 4 मेंट किया जाना 5 आवेश होना | चतुर-सं० (वि०) 1कुशल 2 अपना मतलब निकालनेवाला (जैसे-लगता है तुम पर भूत चढ़कर बोल रहा है) 6 अग्रसर ___3 दक्ष, निपुण 4 चालाक एवं धूर्त 5 बातें बनानेवाला। पता होना (जैसे-वह दसवीं कक्षा में चढ़ गया) 7 समर्पित होना (स्त्री०) 1 दक्षता 2 चालाकी एवं धूर्तता 3 बहानेबाज़ी (जैसे-मंदिर में दस किलो प्रसाद चढ़ेगा) 8 उठना, तनना चतुरई, चतुराई-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 चतुर होने की अवस्था
जैसे-आकाश में पतंग चढ़ गई) 9 मान, मूल्य आदि बढ़ना 2 होशियारी 3 चालाकी एवं धूर्तता (जैसे-बाज़ार का चढ़ना) 10 फैलाया जाना, पोता जाना चतुरस्त-सं० (वि०) चौकोर (जैसे-दरवाज़े पर रंग चढ़ गया) 11 लिखा जाना चतुरानन-सं० (पु०) ब्रह्मा (जैसे-रजिस्टर में नाम चढ़ना) 12 संचार होना (जैसे-ठंड चतुर्गुण-सं० (वि०) 1 चौगुना 2 चार गुणोंवाला 3 चौपहला लगने से बुखार चढ़ गया) 13 मनोवेगों का उत्कट रूप में चतुर्थ-सं० (वि०) चौथा (जैसे-चतुर्थ आश्रम)। -काल प्रकट होना (जैसे-शराब पीने से मस्ती चढ़ना)
(पु०) 1 दिन का चौथा पहर 2 संध्या का समय; ~श्रेणी चढ़वाना-(स० क्रि०) 1 चढ़ने की क्रिया में अन्य को प्रवृत्त । (स्त्री०) सरकारी कर्मचारियों का निम्न वर्ग करना 2 चढ़ाने का काम कराना (जैसे-ट्रक पर मज़दूरों से माल | चतुर्थक-सं० (पु०) हर चौथे दिन आनेवाला बुखार, चौथिया चढ़वाना आवश्यक है) चढ़ाई-(स्त्री०) 1 चढ़ने की क्रिया 2 ऊँचाई की ओर जानेवाली | चतुर्थाश-सं० (पु०) 1 चौथाई 2 चार भागों में से एक भाग भूमि (जैसे-उस रास्ते से ज्यादा चढ़ाई पड़ेगी) 3 आक्रमण, | चतुर्थाशी-सं० (वि०) चौथा हिस्सा पानेवाला हमला (जैसे-शत्रु ने देश पर अचानक चढ़ाई कर दी) | चतुर्थाश्रम-सं० (पु०) आश्रमों में चौथा, संन्यास चढ़ा-उतरी-(स्त्री०) बार-बार चढ़ने-उतरने की क्रिया चतुर्थी-सं० (स्त्री०) चांद्र मास के किसी पक्ष की चौथी तिथि, चढ़ा-ऊपरी, चढ़ा-चढ़ी-(स्त्री०) 1लाग-डाट, होड़ __ चौथ 2 प्रतियोगिता
चतुर्दश-सं० (वि०) चौदह चढ़ाना-(स० क्रि०) 1 किसी को ऊपर जाने में प्रवृत्त करना चतुर्दश-पदी-सं० (स्त्री०) चौदह पदों की कविता, सॉनेट 2 कोई वस्तु ऊपर ले जाना 3 गाड़ी आदि में बैठाना (जैसे-उसे | चतुर्दशी-सं० (स्त्री०) चांद्र मास के किसी पक्ष की चौदहवीं रेलगाड़ी में चढ़ाना है) 4 अग्रसर करना, बढ़ाना (जैसे-उसे | तिथि, चौदस पाँचवें दरजा में चढ़ाया गया) 5मान, मूल्य आदि बढ़ाना | चतुर्दिक-I सं० (क्रि० वि०) चारों दिशाओं में, चारों ओर (जैसे-वेतन में वृद्धि होते देख व्यापारियों ने भी अनाज का | II (पु०) चारों दिशाएँ भाव चढ़ा दिया) 6 समर्पित करना 7 तानना (जैसे-आकाश में | चतुर्दिश-I सं० (पु०) चारो दिशाएँ II (क्रि० वि०) चारों पतंग चढ़ाना) 8 पहनाना (जैसे-तकिये पर खोल चढ़ाना) | ओर से, दिशाओं से 9 पोतना, फैलाना 10 अपने ऊपर लेना (जैसे-उसने मुझ-पर | चतुर्दोल-सं० (पु०) 1 हिंडोला, पालना 2 ऐसी सवारी जिसे सौ रुपये कर्ज़ चढ़ा दिए)
चार कहार उठाकर चलते हों, पालकी चढ़ानी-(स्त्री०) ऐसा स्थान जो उत्तरोत्तर ऊँचा होता चला गया चतुर्धा-सं० (क्रि० वि०) चार प्रकार से
चतुर्धाम-सं० (पु०) चार प्रमुख तीर्थस्थल (बद्रीनाथ, द्वारका, चढ़ा-बढ़ा-(वि०) बहुत उन्नत या समृद्ध
रामेश्वरम्, जगन्नाथ पुरी) चढ़ाव-(पु०) 1 चढ़ने-चढ़ाने की क्रिया 2 चढ़ाई 3 बढ़ती, चतुर्बाहु-सं० (वि०) चार बाहोंवाला, चार भुजाओंवाला वृद्धि 4 भाव की तेज़ी (जैसे-अनाज व्यापार चढ़ाव पर है) | चतुर्भद्र-I सं० (पु०) अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष इन चार पदार्थों 5 धारा के बहाव की उल्टी दिशा। ~उतार (पु०) | का समूह II (वि०) चारों पदार्थों से युक्त 1ऊँचा-नीचा स्थान 2 उन्नति-अवनति; जोड़ (पु०) शादी | चतुर्भुज-I सं० (वि०) 1 चार भुजाओंवाला 2 ग० आकृति में चढ़ाया जानेवाला कपड़ों का जोड़ा
जिसमें चार भुजाएँ हों (जैसे-समांतर चतुर्भुज) II (पु०) चढ़ावा-(पु०) 1 देवताओं आदि को चढ़ाई जानेवाली सामग्री, | 1 चार भुजाओंवाला क्षेत्र 2 विष्णु पूजाप 2 विवाह में वर पक्ष की तरफ़ से कन्या को दिए गए | चतुर्भुजाकार-सं० (वि०) चतुर्भुज की आकृति का
आभूषण 3 उत्तेजना, बढ़ावा 4 टोटके की सामग्री, उतारा चतुर्मास-सं० (पु०) चौमासा-आषाढ़ शुक्ला एकादशी से चढ़त-(वि०) 1 चढ़नेवाला 2 सवार होनेवाला
लेकर चार मास चढ़ावों-(वि०) = चढ़ाया जानेवाला
चतुर्मुख-I सं० (वि०) चार मुँहवाला II (क्रि० वि०) चारों चणक-(पु०) चना
ओर III ब्रह्मा (स्त्री०-चतुर्मुखी) चतुःशाख-सं० (वि०) चार शाखाओंवाला
चतुर्युगी-सं० (स्त्री०) सतयुग, द्वापर, त्रेता एवं कलियुग इन चतुःषष्ठि-सं० (वि०) चौंसठ
चार युगों का समूह चतुःसप्तति-सं० (वि०) चौहत्तर
चतुर्वर्ग-सं० (पु०) 1 धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष 2 चार का समूह चतुरंग-I सं० (वि०) चार अंगोंवाला II (पु०) 1 चतुरंगिणी | चतुर्वर्ण-सं० (पु०) हिंदुओं के चार वर्ण-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य
सेना 2 चतुरंगिणी सेना का सेनापति 3 शतरंज का खेल | शूद्र चतुरंगिनी-सं० (स्त्री०) चार वर्गों में बँटी सेना | चतुर्वर्षीय-सं० (वि०) चार वर्ष का, चार वर्षवाला
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होना
कोटि का
आकृति
चतुर्विद्या
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चबकना चतुर्विधा-सं० (स्त्री०) चार वेदों की विद्या, चार वेदों का ज्ञान चपड़-चपड़-I (स्त्री०) कुत्ते आदि जानवरों के पानी पीते समय चतुर्विध-सं० (वि०) चार प्रकार का
होनेवाला शब्द II (क्रि० वि०) चपड़-चपड़ ध्वनि करते हुए चतुर्वेद-सं० (पु०) चारों वेद
चपड़ा-(पु०) 1 साफ की गई लाख का पत्तर 2 किसी चीज़ का बतुर्वेदी-सं० (पु०) चारों वेदों को जाननेवाला पुरुष पत्तर 3 लाल रंग का फतिंगा चतुल-सं० (वि०) स्थापन करनेवाला, स्थापक
चपत-(पु०) 1 तमाचा (जैसे-अध्यापक ने लड़के को चपत चतुश्शती-सं० (स्त्री०) चार सौ वर्ष का समय
जमाया) 2 क्षति, नुकसान। बैठना, लगना नुकसान चतुप्-सं० (वि०) चार (जैसे-चतुष्कोण) चतुष्क-I सं० (वि०) जिसके चार अंग हों, चौपहल चपतियाना-(स० क्रि०) किसी को चपत लगाना II (पु०) चार वस्तुओं का समूह, चौका
चपती-(स्त्री०) लकड़ी की पतली, लंबी और कम चौड़ी पटरी चतुष्कोण-I सं० (वि०) चार कोणोंवाला, चौकोर, चौकोना चपना-(अ० क्रि०) 1घुसना 2 दबना, कुचल जाना 3 नष्ट II (पु०) ग० चार कोणों वाला क्षेत्र
होना चतुष्टय-सं० (पु०) 1 = चतुष्क 2 चार की संख्या 3 चारों चपनी-(स्त्री०) 1 छिछली कटोरी 2 घुटने की हड्डी 3 दरियाई चतुष्पथ-सं० (पु०) चौराहा, चौमुहानी
नारियल का कमंडल चतुष्यक्तिक-(वि०) चार पंक्तियोंवाला
चपर-कनातिया-+ हिं० + अ + हिं० चपर-कनाती-हिं० + चतुष्पद-I सं० (वि०) 1 चार पैरोंवाला 2 चार पदोंवाला अ० + फ्रा० (वि०) खुशामद करके पेट पालनेवाला, तुच्छ
II (पु०) चौपाया चतुष्पदी-सं० (स्त्री०) 1 चौपाई 2 चार चरणोंवाला छंद । चपर-गट्ट-(वि०) 1 चारों तरफ से कसकर पकड़ा हुआ चतुष्पर्णी-सं० (वि०) चार पत्तोंवाला
2 विपत्ति का मारा चतुष्पाठी-सं० (स्त्री०) ऐसा विद्यालय जहाँ बच्चों को चारों चपरा-I (पु०). = चपड़ा II (वि०) बात कहकर मुकर वेदों का ज्ञान दिया जाता है
जानेवाला, झूठा III (अ०) 1 हठात् 2 ख़्वाहमख्वाह चतुष्पाद-सं० (वि०) = चतुष्पद
चपरास-(स्त्री०) 1 धातु आदि का टुकड़ा जिस पर कार्यालय, चतुष्पार्श्व-सं० (वि०) चौपहला
अधिकारी आदि का नाम अंकित होता है तथा जिसे अरदली, चतुष्फलक-सं० (पु०) चार-चार त्रिकोणिक तलोंवाली । सिपाही पेटी में लगाकर पहनते हैं 2 सुनारों की मुलम्मा करने
की कलम चतुस्सूत्री-सं० (वि०) चार मद्दोंवाला (कार्यक्रम) चपरासी-(पु०) 1 अरदली 2 नौकर 3 सिपाही चत्वर-सं० (पु०) 1चौकोर स्थान 2 चौकोर टुकड़ा चपल-सं० (वि०) 1 गतिमान् 2 अस्थिर, चंचल 3 चुलबुला
3 चौमुहानी, चौराहा 4 चार रथों का समूह 5 वेदी। 4 फुर्तीला 5 जल्दबाज़। “ता (स्त्री०) 1 चंचलता, चत्वारिंशत-सं० (वि०) चालीस
अस्थिरता 2 जल्दबाज़ी, शीघ्रता 3 फुर्तीलापन 4 चुलबुलापन चद्दर-फा० (स्त्री०) 1 चादर 2 धातु का लंबा एवं चौड़ा टुकड़ा, | चपला-I सं० (स्त्री०) 1 बिजली, विद्युत, 2 लक्ष्मी 3 जीभ पत्तर (जैसे-मुझे लोहे की चद्दर खरीदना है)।
4 दुश्चरित्र स्त्री II (वि०) चपल, चंचल चना-(पु०) चैती की फ़सल का एक प्रसिद्ध पौधा जो हाथ भर चपाती-(स्त्री०) रोटी, फुलका। ~सा पेट होना दबा हुआ ऊँचा होता है और जिसके दानों की गिनती अन्न में की जाती है पेट होना, कृशोदर होना (जैसे-चने की दाल खाने में अच्छी होती है)। चबेना | चपाना-(स० क्रि०) 1 किसी को चपने में प्रवृत्त करना (पु०) 1 चबाकर खाने योग्य भूना हुआ चना 2 खाने योग्य 2 दबवाना 3 रस्सी जोड़ना भूना पदार्थ; लोहे के चने चबाना बहुत कठिन एवं कठोर चपेट-सं० (स्त्री०) 1 आघात, प्रहार 2 तमाचा, चपत, थप्पड़ परिश्रम का काम करना (जैसे-राणा प्रताप को हराने के लिए __3 संकट। में आ जाना दबाव में आना, वश में अकबर को लोहे के चने चबाने पड़े थे)।
होना चनार-फा० (पु०) एक बहुत बड़ा छायादार पेड़
चपेटना-(स० क्रि०) 1 दबोचना 2 दबाव डालकर फाँसना चप-(स्त्री०) घोली हुई वस्तु, घोल (जैसे-चूने की चप) | 3 डाँटना, बिगड़ना चप-फा० (वि०) बायाँ, वाम
चपेटा-(पु०) = चपेट चपकन-(स्त्री०) बंद गले का लंबा कोट, अचकन चप्पल-(स्त्री०) खुली एड़ी का प्रसिद्ध जूता जिसमें पंजा प्रायः चपकना-(अ० क्रि०) = चिपकना
खुला रहता है चपकाना-(स० क्रि०) = चिपकाना
चप्पा-I (पु०) 1 चौथाई भाग 2 टुकड़ा, भाग 3 चार अंगुल चपकूलिश-तु० (स्त्री०) 1 तलवारों से होनेवाली लड़ाई की नाप II (वि०) एक चौथाई। चप्पा 1 रत्ती-रत्ती 2 हर 2 अड़चन, असमंजस
जगह चपट-सं० (पु०) चपत, तमाचा
चप्पी-(स्त्री०)चरण-सेवा चपटा-बो० (वि०) = चिपटा
चप्पू-(पु०) पतवार का काम देनेवाली डाँड, किलवारी चपटी-(स्त्री०) 1 चौपायों को लगनेवाली किलनी 2 ताली | चबक-I (स्त्री०) रह-रहकर उठनेवाला दर्द, चिलक, टीस 3 भग, योनि। ~खेलना वासना पूरी करने के लिए दो स्त्रियों II (वि०) डरपोक, कायर का परस्पर योनि मिलाकर रगड़ना
चबकना-(अ० क्रि०) टीसना, चमकना
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चबर-चबर
बर-चबर- I (स्त्री०) बकवास II ( क्रि० वि०) चब-चब ध्वनि करते हुए
बवाना - (स० क्रि०) किसी को चबवाने में प्रवृत्त करना बाई - (पु० ) चुगलखोर
बखाना- (स० क्रि०) दाँतों से कुचलना, चूर करना । चबा-चबाकर बातें करना धीरे-धीरे रुक-रुककर बातें करना; चबे को चखा जाना किए गए काम को बार-बार करना, पिष्ट-पेपण करना
चबूतरा - (पु० ) खुली हुई चौकोर और चौरस जगह, चौतरा चबेना-(पु० ) 1 चबाकर खाने योग्य सूखा भूना हुआ चना 2 चबाकर खाने योग्य भूना हुआ पदार्थ, भूना हुआ अन चबेनी - (स्त्री०) 1 जलपान सामग्री 2 जलपान हेतु दिया गया धन, जलपान की रकम चबैना - (पु० ) = चबेना
चब्बू - (वि०) बहुत अधिक खानेवाला
चमक - (स्त्री०) 1 पानी में वस्तु आदि के डूबने का शब्द 2 डंक चमड़-चभड़ - (स्त्री०) कुत्ते-बिल्ली आदि के खाते-पीते समय मुँह से निकलनेवाली आवाज़
चभाना - (स० क्रि०) 1 किसी से चाभने, खाने का काम कराना 2 अच्छी तरह भोजन कराना
+ फ़ाο
चोरना - (स० क्रि०) तरल पदार्थ में कोई वस्तु अच्छी तरह डुबाना, डुबोकर तर करना (जैसे-घी में रोटी चभोरना) चमक - (स्त्री०) 1 चमकने की क्रिया 2 प्रकाश, रोशनी 3 आभा, कांति 4 झटका लगने से होनेवाला दर्द 5 चौकने की क्रिया। चाँदनी (स्त्री०) हमेशा बन-ठनकर रहनेवाली स्त्री, हर समय सज-संवर कर रहनेवाली नारी; दमक (स्त्री०) 1 कांति-दीप्ति 2 तड़क-भड़क, ठाट-बाट; दार (वि०) चमकवाला, चमकीला चमकना-I (अ० क्रि०) 1 जगमगाना 2 प्रकाश देना 3 उज्ज्वल एवं प्रकाश पूर्ण होना (जैसे- धूप में शीशा चमकना) 4 चौंधियाना (जैसे धूप में आँखों का चमकना) 5 उन्नति एवं वृद्धि होना (जैसे-ईश्वर की कृपा से मेरा रोजगार बहुत चमका) 6 कीर्ति, वैभव से युक्त होना (जैसे- अथक परिश्रम से मेरा भाग्य चमक गया) 7 नाराज होना, बिगड़ना (जैसे-बिना गलती के आप क्यों चमक पड़े) 8 नाज़ नखरे दिखाना (जैसेस्त्रियों का स्वभाव ही ऐसा है कि वे बात-बात पर चमक जाती हैं) II (वि०) 1 खूब चमकनेवाला 2 ज़रा सी बात में बिगड़नेवाला, चिढ़ जानेवाला 3 नाज़-नखरा दिखलानेवाला
चमकवाना (स० क्रि०) 1 चमकने का काम करवाना
2 चमक उत्पन्न कराना
चमकाना - (स० क्रि०) 1 कांति युक्त करना, चमक लाना 2 उज्ज्वल करना 3 चौंकाना 4 भड़काना 5 खिझाना, चिढ़ाना 6 मटकाना, जल्दी-जल्दी हिलाना (जैसे- आँखें चमकाना) 7 उन्नति कराना, वृद्धि कराना (जैसे-उन्होंने आकर मेरा रोज़गार चमका दिया )
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चमकारा, चमकाव - I ( पु० ) चकाचौंध उत्पन्न करनेवाला प्रकाश II (वि०) चमकनेवाला, चमकता हुआ चमकी - (स्त्री०) सुनहले तारों के छोटे-छोटे गोल टुकड़े, सुनहले तारों के चौकोर छोटे टुकड़े, सितारे
चमरौट
= चमकाव
चमकीला - (वि०) = चमकदार। न (पु० ) चमकौक्ल- (स्त्री०) चमकाने मटकाने की क्रिया चमक्को - ( स्त्री०) 1 बहुत अधिक चमकने-मटकनेवाली स्त्री, चंचल और निर्लज्ज स्त्री 2 झगड़ालू स्त्री
चमगादड़ - (पु० ) एक छोटा जंतु जो रात के समय उड़ता है, जिसके पैर झिल्लीदार होते हैं तथा जो दिन में वृक्ष की डालों आदि में लटका रहता है, इस जंतु को दिन में दिखाई नहीं देता चम चम - I (वि०) चमकता हुआ, चमकीला II ( क्रि० वि०)
खूब चमक-दमक से II (स्त्री०) एक लंबोतरी बंगला मिठाई चमचमाना - I (अ० क्रि०) खूब चम चम करना, चमकना,
प्रकाशयुक्त होना II (स० क्रि०) क्रिया से चमक पैदा करना (जैसे- पालिश करने से जूता चमचमाने लगा ) चमचमाहट - (स्त्री०) चमक
चमचा - फा० (पु० ) 1 छिछली कलछी 2 चम्मच 3 चिमटा चमचञ्चड़ - (वि०) 1 जो किलनी की तरह चिपटा रहे 2 पीछा न छोड़नेवाला
चमची-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) 1 छोटा चम्मच 2 आचमनी 3 चौड़ी एवं चिपटी मुँहवाली मलाई (जैसे-पान में चूना लगाने की चमची कहाँ रख दी है)
चमटा - ( पु० ) चिमटा
चमड़ा - (पु० ) 1 पशु एवं मानव शरीर का ऊपरी आवरण, त्वचा 2 मृत पशुओं की उतारी गई खाल (जैसे- चमड़े का जूता अधिक मज़बूत और टिकाऊ होता है) 3 छाल, छिलका चमड़ी - ( स्त्री०) 1 चर्म, खाल 2 त्वचा। उधेड़ना इतना
अधिक मारना जिससे शरीर की त्वचा उधड़कर रक्त बहने लगे चमत्करण-सं० (पु० ) चमत्कार करना चमत्कार - सं० (पु० ) 1 आनंदरूप विस्मय 2 विलक्षण बात, करामात 3 विलक्षण शक्ति। पूर्ण (वि०) जो चमत्कार से भरा हो, आश्चर्यमय
चमत्कारक-सं० (वि०) चमत्कार उत्पन्न करनेवाला चमत्कारी -सं० (वि०) 1 जिसमें कुछ चमत्कार हो, अद्भुत 2 करामाती
=
चमत्कृत - सं० (वि०) अचम्भे में आया हुआ, विस्मित, चकित (जैसे- इतनी न चमत्कृत हो, बाले) चमत्कृति-सं० (स्त्री०) 1 चमत्कृत होने की अवस्था
2 चमत्कार
चमन - फ़ा० (पु० ) छोटा बग़ीचा, फुलवारी। बंदी (स्त्री०)
बाग लगाना
चमर - सं० (पु० ) 1 सुरा गाय 2 सुरा गाय की पूँछ का बना
हुआ चँवर, चामर 3 किसी प्रकार का चैवर चमर चलाक - हिं० + फ़ा० (वि०) बहुत तुच्छ चमर - जुलाहा - (पु० ) हिंदू जुलाहा, कोरी चमर-बगली - (स्त्री०) बगले की जाति की काले रंग की चिड़िया
चमरस - (पु० ) चमड़े के जूते की रगड़ से पैर में होनेवाला घाव चमरावत - (स्त्री०) मोट आदि बनाने की मजदूरी, चमरौट चमरिक - सं० ( पु० ) कचनार का पेड़
चमरी-सं० (स्त्री०) 1 सुरा गाय 2 चंवर 3 पौधों की मंजरी चमरौट - ( स्त्री०) चमारों को उनके काम के बदले में मिलनेवाला फ़सल आदि का भाग
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चमरौधा
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चरथ
चमरौधा-(पु०) चमड़े का कड़ा देशी जूता
दाराने का निशान 3 घोखा, चकमा। चराना, पढ़ाना चमला-(पु०) भीख मांगने का ठीकरा, भिक्षा पात्र धोखा देना, मूर्ख बनाना चमस-सं० (पु.), चमसी-सं० (स्त्री०) 1 सोम पान करने चरख-फा० (पु०) 1 पहिया 2 चक्कर, चाक 3 चरखा
का चम्मच के आकार का लकड़ी का बना यज्ञपात्र 2 करछी 4 घिरनी 5 रेशम लपेटने की चरखी। ~कश (पु०) खराद चमाऊ-(पु०) = चामर, चैवर
का पट्टा खींचनेवाल व्यक्ति चमाचम-(वि०) चम-चम करता हुआ, चमकता हुआ चरखा-फा० (पु०) 1 ऊन, रशम, सूत आदि कातने का चमार-(पु०) 1 चमड़े के जूते, मोट आदि बनाने का पेशा लकड़ी का एक यंत्र 2 सूत लपेटकर लच्छी बनाने का यंत्र करनेवाली जाति 2 गलियों, सड़कों आदि पर झाडू देनेवाली 3 गराड़ी, घिरनी 4 बेडौल पहियोंवाली गाड़ी 5 खड़खड़िया जाति 3 ऐसा व्यक्ति जो उक्त जाति का हो (जैसे-गाँधी जी ने | 6 कुएँ से पानी निकालने का चरख
चमार जाति के लोगों को हरिजन कहकर पुकारा था) चरखी-फा० (स्त्री०) 1 पहिए के आकार की घूमनेवाली वस्तु चमारिन, चमारी-I (स्त्री०) 1 चमार जाति की स्त्री 2 चमार 2 गोलाकार घूमनेवाला किसी तरह का छोटा उपकरण
की स्त्री 3 चमार का पेशा 4 चमारों की सी. वत्ति II (वि०) 3 कुम्हार का चाक 1 चमार का 2 चमारों की तरह का
चरग़-फा० (पु०) 1शिकारी चिड़िया 2 लकड़बग्घा चमू-स० (स्वा०) 1सेना, फ़ोज 2 सेना का एक भाग। पति | चरचना-(स० क्रि०) 1चंदन पोतना 2 लेप लगाना (पु०) सेनानायक
3 अनुमान, कल्पना आदि से समझना, ताड़ना 4 चर्चा करना चमूकन-(पु०) चौपायों के शरीर में चिपकी रहनेवाली किलनी चर-चर-(पु०) बकवास चमोलिया-I (वि०) 1 चमेली के फूल की तरह का 2 चमेली चरचरा-I (वि०) चिड़चिड़ा II तीखे स्वाद वाला
की गंध से युक्त II (पु०) हल्का पीलापन लिए सफेद रंग चरचराना-(अ० क्रि०) 1 चर-चर शब्द करते हुए टूटना चमेली-(स्त्री०) 1 सुगंध से युक्त पीलापन, सफ़ेद रंग के 2 चर-चर शब्द करते हुए जलना 3 चरीना
छोटे-छोटे फूलोंवाली एक लता 2 उक्त लता में लगनेवाले चरचराहट-I (स्त्री०) 1 चरचराने की क्रिया 2 चर-चर ध्वनि सफेद एवं पीलापन लिए हुए सुगंधित पुष्प। ~का जाल II = चिड़चिड़ाहट क़सीदे का काम
चरचा-(स्त्री०) = चर्चा चमोटा-(पु०) नरम चमड़े का टुकड़ा
चरट-सं० (पु०) खंजन पक्षी चमोटी-(स्त्री०) 1 चाबुक, कोड़ा 2 पतली छड़ी, कमची, बेंत चरण-सं० (पु०) 1 पाँव (जैसे-चरण कमल बंदी हरि राई) चमौवा-(पु०) चमड़े का बना देशी जूता, चमरौधा 2 सामीप्य, सानिध्यं (जैसे-ईश्वर के चरण छोड़कर संत कहीं चम्मच-(पु०) बड़ा चमचा
नहीं जाया करते) 3 श्लोक का चतुर्थांश (जैसे-श्लोक का चम्मल-(पु०) = चमला
अंतिम चरण पढ़ो) 4 काल, मान आदि का चौथाई भाग चय-सं० 1 ढेर, राशि 2 टीला, द्रह 3 किला 4 किले की । (जैसे-अब हम बीसवीं शताब्दि के अंतिम चरण में प्रवेश कर चारदीवारी, परकोटा
रहे हैं)। -चिह्न (पु०) 1 पैर के तलुवों की रेखाएँ 2 चलने चयक-सं० (वि०) चयन करनेवाला
से ज़मीन पर पड़े पैर के निशान 3 पत्थरों पर बनी चरणों की चयन-सं० (पु०) 1 चुनकर अलग करने की क्रिया, चुनना आकृति; दासी I (वि०) चरणों की सेवा करनेवाली 2 चुनी गई वस्तुओं का समूह, संकलन। “कर्ता (वि०) II (स्त्री०) 1 पत्नी, भार्या 2 सेविका, दासी, नौकरानी; चुननेवाला, चुनकर अलग करनेवाला; ~शील (वि०) पादुका (स्त्री०) खड़ाऊँ; रज (स्त्री०) पैरों की धूल; संग्रह करने में लगा रहनेवाला
-वंदना (स्त्री०) पैरों पर गिरना; ~सेवक I (वि०) चरणों चयनिका-सं० (स्त्री०) चुनी हुई कविताओं आदि का संग्रह की सेवा करनेवाला II (स्त्री०) सेवक, नौकर; सेवा चयनीय-सं० (वि०) चयन किए जाने योग्य
(स्त्री०) पाँव दबाना; ~स्पर्श (पु०) चरण छूना, पूज्य एवं चयापचय-सं० (पु.) (कुछ) चुन लेना, (कुछ) छोड़ देना महान व्यक्ति के चरणों पर अपना मस्तक झुकाकर प्रणाम चयित-सं० (वि०) 1 चुना हुआ 2 चुनकर एकत्र किया हुआ करना चर-(पु०) कपड़े आदि के फटने का शब्द
चरणांत-सं० (पु०) (कविता में) पंक्ति या पंक्ति के अंश का चर-I सं० (वि० ) 1 चलने-फिरनेवाला 2 विचरण करनेवाला अंत
(जैसे-नभचर, जलचर) 3 चरनेवाला, खानेवाला II (पु०) | चरणानति-सं० (स्त्री०) चरणों पर झुकना, चरण-स्पर्श 1जासूस, गुप्तचर, गूढ पुरुष 2 दूत। द्रव्य (पु०) चल चरणानुग-सं० (पु०) चरणचिह्नों पर चलनेवाला
संपत्ति; ~राशि (स्त्री०) मेष, कर्क, तुला या मकर चरणामृत-सं०(पु०) 1 वह जल जिससे किसी देवी-देवतादि चरई-(स्त्री०) पशुओं को चारा-पानी आदि देने के लिए पत्थर के पाँव पखारे गए हों 2 पंचामृत __का बना हौज (जैसे-घोड़े को चरई में पानी पिला देना) चरणायुध-सं० (पु०) अपने पैरों के पंजों से लड़नेवाला मुरगा चरक-बो० (पु०) बदन पर सफ़ेद दाग़ होने का कुष्ठ रोग, फूल चरणार्द्ध-[ सं० (वि०) चरण का आधा (भाग) II (पु०) चरक-सं० (पु०) 1दूत, चर 2 गुप्तचर, जासूस, भेदिया 1 वस्तु का आठवाँ भाग 2 पद्य के चरण का आधा भाग 3पथिक 4 भिक्षुक, भिखारी
चरणोदक-सं० (पु०) = चरणामृत चरकटा-(पु०) चारा काटनेवाला व्यक्ति
चरती-(पु०) व्रत न रखनेवाला व्यक्ति चरका-(पु०) 1 हल्का घाव, ज़ख़्म 2 धातु के गरम टुकड़े से | चरथ-सं० (वि०) 1 चलीवाला, चर 2 जंगम
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चरन
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चरित्र
चरन-(पु०) = चरण। बरदार + फ़ा० (पु०) 1 जूता | घरवाना-(स० क्रि०) चराने का काम किसी अन्य से कराना पहनानेवाला 2 जूता लेकर चलनेवाला
चरवाहा-(पु०) पशुओं को चराकर अपनी जीविका चरना-I (अ० क्रि०) 1 इधर-उधर फिरना (जैसे-घास खाने चलानेवाला के लिए पशुओं को मैदान में चरना पड़ता है) 2 विचरण करना | चरवाही-(स्त्री०) 1 पशु चराने का काम 2 पशु चराने की II (स० क्रि०) खाना (जैसे-घोड़ा खेत में घास चरता है) मज़दूरी चरपट-(पु०) 1 चपत, तमाचा 2 उचक्का
चरवैया-I (वि.) 1 चरनेवाला 2 चरानेवाला II (पु०) चरपरा-I (वि०) तीखे स्वादवाला, तेज़ मसालेदार II (वि०) चरवाहा तेज़, चुस्त
चरस-(स्त्री०) गाँजे के पेड़ से निकला हुआ गोंद जो गाँजे की चरपराना-I (अ० क्रि०) घाव में खुश्की के कारण तनाव से तरह ही पीया जाता है (जैसे-चरस पीना स्वास्थ्य के लिए पीड़ा होना II चरपरी वस्तु खाने से मुँह में जलन होना हानिकारक है)। ~गाँजा (पु०) = चरस और गाँजा चरपराहट-(स्त्री०) 1 चरपरा होने की अवस्था 2 जख्म आदि चरसा-(पु०) 1 चमड़े का मोट 2 ज़मीन की एक नाप जो की चरचराहट
2000 हाथ लंबी एवं इतनी ही चौड़ी होती है, गो चर्म चरब-फ़ा० (वि०) तेज़, तीखा। -ज़बान (वि०) 1 कटु चरसिया-(पु०) = चरस पीनेवाला भाषी 2 वाचाल 3 तेज़ बोलनेवाला; ज़बानी (स्त्री०) चरसी-I (पु०) = चरसिया II (प्०) मोट खींचनेवाला 1 वाचालता 2 चापलूसी
चराई-(स्त्री०) 1 चरने की क्रिया 2 चराने का पारिश्रमिक चरबौक-(वि०) 1 चतुर, होशियार 2 निडर, निर्भय 3 उदंड चराग़-फा० (पु०) बो० = चिराग़ 4 चंचल, चुलबुला
चरागाह-फ़ा० (स्त्री०) चरने का स्थान (जैसे-पशुओं को चरबा-फा० (पु०) 1 पतला पारदर्शी चिकना काग़ज़ चरागाह में छोड़कर तुम चले आना) 2 अनुलिपि, नक़ल 3 हिसाब आदि का लिखा हुआ पूर्व रूप, चराचर-[ स० (वि०) जड़ और चेतन, स्थावर और जंगम खाका
II (पु०) 1 संसार 2 संसार के सभी प्राणी चरबाक-(वि०) = चरबाँक
चरान-I बो० (पु०) = चरागाह || (पु०) समुद्र के चरबाना-(स० क्रि०) ढोल पर चमड़ा मढ़ाना
किनारे को दलदल चरबी-फा० (स्त्री०) शरीर में रहनेवाला सफ़ेद हल्के पीले रंग चराना-(स० क्रि०) 1 पशुओं का चरने में प्रवृत्त करना का गाढ़ा, चिकना तथा लसीला पदार्थ। चढ़ना मोटा होना; (जैसे-मुझे जानवरों को चराने जाना है) 2 चातुर्यपूर्ण आचरण छाना अभिमान, मद में अंधा होना
करना (जैसे-मुझे चराने की कोशिश मत करना) चरम-सं० (वि०) 1 हद दरजे का, अंतिम सीमा को प्राप्त चराव-(पु०) पशुओं के चरने का स्थान, चरागाह 2 सबसे अधिक, सबसे आगे बढ़ा हआ (जैसे-घुड़सवारी में चरिंदा-फ़ा० (पु०) चरनेवाला जीव, पशु हैवान उसकी गति चरम स्थिति को पहुंच गई थी) 3 अंतिम, आखिरी | चरिंद-परिंद-फा० (पु०) पशु-पक्षी (जैसे-जीवन की चरम अवस्था बुढ़ापा है) 4 (नाटक आदि चरित-सं० (३०) 1 आचरण और व्यवहार, रहन-सहन में) कथावस्तु के विकास की अंतिमस्थिति। -काल (प०) 2 जीवन की घटनाओं का उल्लेख, जीवन-चरित्र 3 अनुचित मृत्यु का समय: पंथ - हिं० (प्०) समाज को अस्वस्थ काम, निंदनीय कर्म, करतूत (जैसे-इनके चरित की तो बात मत बनानेवाले तत्त्वों को अतिशीघ्र संपूर्ण शक्ति से दूर कर देने का कीजिए)। -काव्य (पु०) काव्य जिसमें जीवन-वृत्तांत हो; सिद्धांत प्रतिपादित करनेवाली विचार-धारा; -पंथी + हिं० नायक (पु०) कथा-कहानी आदि का प्रधान पात्र (१०) चरम-पंथ को माननेवाला व्यक्ति, चरम-पंथ का चरितव्य-सं० (वि०) जो आचरण योग्य हो समर्थक; -पत्र (पु०) वसीयतनामा, दित्सापत्र; बिंद चरितार्थ-सं० (वि०) 1 जिसका अभिप्राय पूरा हो गया हो, (पु०) परमोत्कर्ष, पराकाष्ठा; लक्ष्य (पु०) अंतिम उद्देश्य कृतकार्य, कृतार्थ 2 जिसके अस्तित्व का उद्देश्य पूर्ण हो गया हो (जैसे-जीवन का चरम-लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना है); | (जैसे-विभीषण ने राम भक्ति में ही अपना जीवन चरितार्थ सीमा, स्थिति (स्त्री०) अंतिम स्थिति
करना उचित समझा) 3 जो अपने सही अर्थ में पूर्ण हो चरमर-(पु०) 1 चीमड़ वस्तु के दबने से उत्पन्न शब्द 2 चीमड़ (जैसे-विश्वामित्र की भविष्यवाणी चरितार्थ हो गई) वस्तु के मुड़ने से उत्पन्न शब्द
चरितावली-सं० (स्त्री०) अनेक चरित्रों का वर्णन चरमरा-(वि०) चरमर ध्वनि करनेवाला (जैसे-चरमरा जूता चरित्तर-बो० (पु०) छलपूर्ण अनुचित आचरण एवं व्यवहार अच्छा नहीं होता है)
चरित्र-सं० (पु०) 1 आचरण, चाल-चलन, सदाचार चरमराना-I (अ० क्रि०) चरमर शब्द होना II (स० क्रि०) 2 कार्यकलाप 3 स्वभाव, गुणधर्म 4 जीवन-चरित, जीवनी चरमर ध्वनि उत्पन्न करना
(जैसे-रामचरितमानस में राम के उदात्त चरित्र की संपूर्ण कथा चरमराहट-(स्त्री०) चरमर ध्वनि
है) 5 कहानी, नाटक आदि का पात्र । --चित्रण (पु०) चरित्र चरमावस्था-सं० (स्त्री०) अंतिम अवस्था
का चित्रात्मक वर्णन; नायक (पु०) - चरितनायक; चरमोत्कर्ष-सं० (पु०) दे० चरम बिंदु
-निष्ठ (वि०) सच्चरित्र, चरित्रवान; ~पंजी (स्त्री०) ऐसी चरवाँक-(वि०) = चरबाँक
पंजी जिसमें कर्मचारियों के चरित्र का विवरण हो; बंधक चरवाई-(स्त्री०) 1 पशु चरवाने की क्रिया 2 पशु चरवाने का (पु०) मैत्रीपूर्ण तथा सद्व्यवहार की प्रतिज्ञा; ~भ्रष्ट (वि०) पारिश्रमिक
निंदनीय आचरणवाला; ~मालिका (स्त्री०) दे० चरितावली;
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चरित्रांकन
250
चलता
shikili
वती (वि०) उत्तम चरित्रवाली; ~वर्णन (पु०) (पु०) चमड़े का कुप्पा, थैला; प्रसाधक (पु.) चमड़ा चरित्रांकन , चरित्र का विवरण देना; ~वान् (वि०) उत्तम कमानेवाला; बंध (पु०) 1 चमड़े की पट्टी 2 चमड़े का चरित्रवाला, सदाचारी; ~शास्त्र (पु०) वह विद्या जिसके द्वारा कोड़ा; ~मुद्रा (स्त्री०) चमड़े का सिक्का; रोग (पु०) चरित्र का विश्लेषण हो; हत्या (स्त्री०) चरित्र को कलंकित चमड़ी की बीमारी; ~वाद्य (पु०) ढोल, नगाड़ा आदि बाजे करना; हीन (वि०) बुरे आचरणवाला, बदचलन जिनपर चमड़ा मढ़ा रहता है; वृक्ष (पु०) भोजपत्र का पेड़; चरित्रांकन-सं० (पु०) चरित्र का वर्णन
~शोधक (वि०) चमड़े को साफ़-सुथरा बनानेवाला; चरिष्णु-सं० (वि०) चलनेवाला, जंगम
~शोधन (पु०) चमड़े को साफ़-सुथरा बनाना; चरी-I(स्त्री०)1 ज्वार के हरे पेड़ जो पशुओं को चारे के काम ~शोधनालय (पु०) वह कारखाना जहाँ चर्म शोधन का आते हैं, कड़बी 2 चरागाह
कार्य होता है चरी-II सं०(स्त्री०)1 संदेशा ले जानेवाली स्त्री, दूती 2 दासी, चर्म-चटका, चर्म-चटी-सं० (स्त्री०) चमगादड़ नौकरानी
वार-सं० (पु०) चर्मकार, चमार चरु-सं० (पु०) 1 यज्ञ की आहुति हेतु पकाया गया अन्न, वर्मी-I सं० (वि०) 1 चमड़े का बना हुआ 2 ढालवाला हविष्यान 2 यज्ञ। पात्र (पु०), ~स्थाली (स्त्री०) हवन _II (पु०) 1 भोजपत्र का पेड़ 2 चर्मधारी सैनिक का अन्न पकाने का पात्र, यज्ञ का अन्न पात्र
चर्मीय-सं० (वि०) चमड़े से संबंधित चरुआ-बो० (पु०) चौड़े मुँहवाला मिट्टी का बरतन चर्य-सं० (वि०) 1 आचरण करने योग्य 2 करने योग्य, कर्तव्य चरेरा-(वि०) 1कड़ा और खुरदरा 2 कर्कश
चर्या सं० (स्त्री०) 1 आचरण, चाल-चलन 2 वह कार्य जो चरैला-(पु०) चार मुँहोंवाला चूल्हा
नियत किया जाए (जैसे-आपकी कल दिनचर्या क्या है) चरोआ-(पु०) पशुओं को चराने का स्थान
3 काम-धंधा 4 जीविका, वृत्ति 5 सेवा चरोखर-(पु०) 1 चरी, चरागाह 2 पशुओं के चरने की जगह चर्राना-(अ० क्रि०) 1 लकड़ी आदि के टूटने से उत्पन्न चर-चर 3 नाँद बैठाने की मिट्टी आदि की रचना
शब्द 2 प्रबल इच्छा होना चरोतर-(पु०) किसी को जीवन निर्वाह हेतु दी गई भूमि चरी-(स्त्री०) मर्म पर आघात करनेवाली बात चर्ख-फा० (पु०) = चरख। -हिंडोला + हिं० (पु०) | चर्वण-सं० (पु०) 1 चबाना 2 चबेना 3 चबाकर खाई चक्कर में घूमनेवाला हिंडोला
जानेवाली वस्तु चा-फा० = चरखा
चर्वित-सं० (वि०) चबाया हुआ। चर्वण (पु०) कही हुई ची-(स्त्री०) = चरखी
बात को फिर-फिर कहना, पिष्टपेषण चर्च-अं० (पु०) 1 ईसाइयों का उपासना मंदिर, गिरजा 2 ईसाई । वळ-सं० (वि०) चबाने योग्य धर्म संघ
चलंता-(वि.) 1 चलता हआ 2 चलनेवाला चर्चक-सं० (वि०) चर्चा करनेवाला
चल-I सं० (वि०) 1 जो चल रहा हो 2 जो चल सकता हो चर्चन-सं० (पु०) 1 चर्चा करना 2 चर्चा
3 चलता हुआ 4 चंचल, अस्थिर 5 अनित्य II (पु०) चलने, चर्चरिका-सं० (स्त्री०) 1 दर्शकों के मनोरंजन के लिए दो हिलने, काँपने की क्रिया। चित्त (वि०) चंचल मनवाला; अंकों के मध्य होनेवाला गीत 2 सस्वर पाठ
चित्र (पु०) मूवी, सिनेमा; ~चित्र कर्मी (पु०) सिनेमा चर्चरी-सं० (स्त्री) 1 चाँचर, फाग 2 होली की धूम-धाम और में काम करनेवाले लोग; चित्रकला (स्त्री०) सिनेमा बनाने हुल्लड़ 3 होली-गीत 4 रंगरलियाँ मनाना 5 गाना-बजाना, की कला; चित्रकार (वि०) सिनेमा बनानेवाला; नाचना-गाना
चित्रण चल चित्र तैयार करना; चित्र निर्माता (वि०) चर्चा-(स्त्री०) 1 वाद-विवाद 2 जिक्र, बयान 3 वार्तालाप चल चित्र बनानेवाला; -चित्रालय (पु०) सिनेमाघर; 4 किंवदंती, अफ़वाह
-चित्रित (वि०) चल चित्र के रूप में तैयार किया हआ; चर्चित-सं० (वि०) 1 जिसकी चर्चा की गई हो 2 लेपा हुआ दल (पु०) पीपल का पेड़; द्रव्य (पु०) चल संपत्ति; चर्पट-सं० (पु०) 1 खुली हथेली 2 तमाचा, थप्पड़
~पत्र (पु०) = चल दल; पूँजी (स्त्री०) जो पूँजी चर्पटी-सं० (स्त्री०) चपाती, रोटी
प्रचलन में है; ~मुद्रा (स्त्री०) प्रचलित सिक्का; विचल चर्ब-फा० (वि०) = चरब
(वि०) 1 स्थान से हटा हुआ 2 अस्थिर, चंचल चर्बी-फा० (स्त्री०) = चरबी
3 अस्त-व्यस्त; विवरण (पु०) आँखों देखा हाल चर्म-सं० (पु०) 1 शरीर पर की खाल, त्वचा 2 स्पशैद्रिय । चलकना-(अ० क्रि०) = चिलकना
~कार (पु०) चमड़े का काम करनेवाला, चमार; ~कार्य चल-चलाव-(पु०) 1 चल पड़ने की क्रिया, चलाचली 2 मृत्यु (पु०) चमड़े की वस्तु बनाने का काम; ~कील (स्त्री०) चलता-(वि०) 1 जो गतिवान् हो (जैसे-चलती गाड़ी से नहीं 1 बवासीर 2 शरीर पर निकल आनेवाली मांस की कीलें; उतरना चाहिए) 2 जो व्यवहार में होता आ रहा है
कूप (पु०) रोमछिद्र; चक्षु (पु०) चमड़े के (बाहरी (जैसे-संस्कृत भाषा सदियों से चलती आ रही है) 3 जो ठीक नेत्र); चित्रक (पु०) चि० श्वेत कुष्ठ; ज I (वि०) प्रकार से काम करने की स्थिति में हो (जैसे-यह मशीन अच्छी चमड़े से उत्पन्न होनेवाला II (पु०) रोआँ, रोम; तरंग तरह नहीं चलती) 4 कार्य, व्यापार का उचित रूप में होता (पु०) चमड़ी पर पड़ी हुई झुर्रियाँ; दंड (पु०) चमड़े का आना 5 जिसका क्रम बराबर चलता हो (जैसे-यह पैसा चलता चाबुक; दूषिका (स्त्री०) चि० दाद रोग; ~पुट, पुटक | खाता में जमा कर देना) 6 होशियार, चतुर, चालू (जैसे-वह
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चलती
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चश्म
चलता परजा आदमी है) 7 जो अंत को प्राप्त हो रहा हो | चलान-(स्त्री) 1 व्यापारिक क्षेत्र में माल तो म
चलान-(स्त्री०) 1 व्यापारिक क्षेत्र में माल को कहीं भेजने की (जैसे-चलती उम्र का क्या भरोसा करना) । ~करना क्रिया 2 अपराधी, अभियुक्त को न्यायालय आदि में भेजने की निपटाना; बनना चुपचाप चला जाना; -फिरता (वि०) क्रिया (जैसे-पुलिस ने ट्रक चालक का चालान कर दिया) स्वस्थ; चलते फिरते नज़र आना चला जाना
3 भेजी गयी वस्तुओं की सूची। दार + फ़ा० (पु०) माल चलती-1 (स्त्री) 1 कार्य करने का अधिकार 2 कार्य करा की रक्षा के लिए साथ जानेवाला व्यक्ति सकने का अधिकार II (वि०) 1 जो गति करता हो चलाना-(स० क्रि०) 1 किसी को चलाने में प्रवृत्त करना 2 जिसका प्रचलन हो रहा हो (जैसे-हिंदी स्कूलों में विदेशी (जैसे-बच्चे को पैदल चलाना) 2 यान सवारी आदि को आगे भाषा नहीं चलती है) 3 धूर्त एवं चतुर (जैसे-वह बहुत चलती बढ़ाना (जैसे-वायुयान चलाना आसान नहीं है, रेलगाड़ी फिरती औरत है) 4 जिस पर विशेष ध्यान न दिया जाता हो चलाना कठिन है) 3 गति रूप देना, हिलाना-डुलाना (जैसे-यह पुस्तक चलती निगाह से देखी गई है) (जैसे-दाल पक गई हो तो चलाकर उतार लो) 4 निर्वाह योग्य चलतू-(वि०) दे० चलता
बनाना (जैसे-यह लड़का आठवीं कक्षा में नहीं चल सकेगा) चलन-(पु०) 1 चाल, गति 2 चलने की अवस्था 3 प्रचलित 5 सक्रिय रखना (जैसे-पाठशाला चलाना बहुत परिश्रम का रहने की अवस्था, प्रचलन (जैसे-मुग़ल काल में ताम्र सिक्कों कार्य है) 6 उत्तरदायित्व वहन करना (जैसे-गृहस्थी चलाना का भी चलन था) 4 रीति-रिवाज, आचार-व्यवहार प्रथा अब कठिन हो गया है) 7 तत्परता से कार्य करना 5 अच्छा आचरण, अच्छा व्यवहार। ~कलन (पु०) (जैसे-शासन को उचित ढंग से चलाना ही विवेकशीलता है) ज्योतिष में एक प्रकार का गणित; ~सार (वि०) 1 जो 8 उग्र रूप से सक्रिय रहना (जैसे-अधिक जबान चलाना भी प्रचलित हो, चलन-व्यवहार वाला (जैसे-दस पैसे का सिक्का अविवेकता है) 9 प्रहार हेतु अन्य साधन का प्रयोग करना अब चलनसार रूप में नहीं रह गया) 2 जो टिकाऊ हो (जैसे-वह तलवार चलाना भी जानता है) 10 प्रचलित करना, (जैसे-सस्ता कपड़ा चलनसार नहीं होता)
जारी करना (जैसे-अकबर ने दीन-ए-इलाही धर्म चलाया था) चलना-(अ० क्रि०) 1 पैदल आगे बढ़ना 2 पहियों आदि की 11 धोखे से देना (जैसे-मैंने खोटी अठन्नी दुकान पर चला दी) सहायता से अग्रसर होना 3 गति युक्त होकर आगे बढ़ना ___ 12 विचार के लिए प्रस्तुत करना (जैसे-हानि-लाभ का मुकदमा (जैसे-आकाश में ग्रहों का चलना देखो) 4 हिलते-डुलते चलाना ज़रूरी है) कार्य संपादित होना (जैसे-घड़ी की सूई चलना बंद हो गई) चलानी-1 (वि०) 1 बिकने के लिए लाया हआ, विक्रय हेतु 5 सक्रिय रहना (जैसे-मेरी कलम अच्छी तरह नहीं चलती है) लाया गया 2 चलान से संबंध रखनेवाला II (स्त्री०) विक्रय 6 निर्वाह होना (जैसे-सौ रुपये में काम नहीं चलेगा) 7 शरीर हेतु बाहर भेजने का माल । के अंग का कार्य में प्रवृत्त होना (जैसे-काम करने के लिए चलायमान-सं० (वि.) 1 जो चलता हो, चलनेवाला हाथ-पैर का चलना ज़रूरी है) 8 बात आरंभ होना 2 अस्थिर 3 विचलित (जैसे-उसके यहाँ आते ही व्यर्थ की चर्चा चल पड़ी) चलार्थ-सं० (पु०) चालू मुद्रा। पत्र (पु०) = चल पत्र 9 अस्त्र-शस्त्र आदि का प्रहार होना (जैसे-सभा में लाठी चल चलावा-(पु०) रीति, रस्म, रिवाज पड़ी) 10 वैर-विरोध का व्यवहार होना 11 विकृत रूप में चलित-सं० (वि०) 1 अस्थिर, चलायमान 2 चलता हुआ बाहर आना 12 मार्ग में आना-जाना (जैसे-सवेरा होते ही गली 3 जो चलन में हो में चलना शुरु हो जाता है) 13 परंपरा का जारी रहना चलित्र-सं० (पु०) अपनी शक्ति से चलनेवाला इंजन (जैसे-युद्ध में राजपूतों की सदा चलती रही है) 14 ठीक तरह चलिष्णु-सं० (वि०) घटने-बढ़नेवाला से पढ़ा एवं समझा जाना 15 व्यवहार करना (जैसे-हम सबको चलोना-(पु०) 1 दूध, तरकारी आदि चलाने का लकड़ी का मिलकर चलना चाहिए) 16 प्रस्थान करना, मर जाना एक उपकरण 2 चरखा चलानेवाला लकड़ी का टुकड़ा (जैसे-एक न एक दिन हम सभी को संसार से चलना ही है)। चवन्नी-(स्त्री०) पच्चीस नए पैसे के मूल्य का सिक्का
बसना स्वर्गवासी होना, मर जाना (जैसे-वह हमेशा के चवरा-(पु०) लोबिया लिए संसार से चल बसा)
चवर्ग-सं० (पु०) च,छ,ज,झ,ञ वर्गों का समूह चलनी-बो० (स्त्री०) छलनी
चवल-सं० (पु०) = चवरा चलबांक-(वि०) तेज़ चलनेवाला, शीघ्रगामी
चवाई-I (वि०) दूसरों की बुराई फैलानेवाला, निंदक चल-बिचल-(वि०) = चल-विचल
II (स्त्री०) 1 निंदा 2 अफ़वाह चलवाना-(स० क्रि०) 1 चलने का काम अन्य से कराना चवालीस-(वि०) = चौवालीस 2 चलाने में प्रवृत्त करना
चवाव-(पु०) 1 चारों ओर फैलाई जानेवाली चर्चा, प्रवाद, चला-सं० (स्त्री०) बिजली, दामिनि
अफ़वाह 2 निंदा चलाऊ-(वि०) 1 किसी तरह काम चलानेवाला (जैसे-सस्ता चशमा-फा० (पु०) = चश्मा कपड़ा केवल काम चलाऊ ही होता है) 2 अधिक समय तक
चश्म-फा० (स्त्री०) 1 आँख, नयन 2 आँख की तरह की न ठहरनेवाला, कम टिकाऊ
रचना। दीद (वि०) 1 आँखों देखा 2 प्रत्यक्षदर्शी चलाचल-सं० (वि०) चंचल, चपल
(जैसे-इस घटना का चश्मदीद कौन है); ~नुमाई (स्त्री०) बालाचली-(स्त्री०) 1 चलने की क्रिया 2 चलने की तैयारी | आँखें दिखाकर डराना, भयभीत करना; ~पोशी (स्त्री०) 3 प्रस्थान 4 एक के बाद दूसरे का भी चला जाना
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चश्मक
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चाँद
एवं अनुचित बात को देखते हुए भी टालना, दुर्गुणों की उपेक्षा | चही-चहा-(पु०) परस्पर देखने की क्रिया करना
चहेटना-(स० क्रि०) 1 खदेड़ना, भगाना 2 दबाकर रस चश्मक-फ़ा० (स्त्री०) 1 आँख का इशारा 2 ऐनक, चश्मा । निकालना चश्मा-फ़ा० (स्त्री०) 1 आँखों पर लगाया जानेवाला शीशा चहेता-(वि०) जिसे कोई बहुत अधिक चाहता हो, अत्यधिक
लगा हुआ कमानीदार धातु आदि का ढाँचा, ऐनक (जैसे-अब प्रिय, अति प्यारा (जैसे-अपने चहेते से पूछकर मेरे घर आना) बिना चश्मा के दिखाई नहीं देता)। नशीं (वि०) चश्मा | चहोड़ना, चोरना-(स० क्रि०) 1 रोपना 2 सँभालना लगानेवाला
चॉइयों-(पु०) 1 उचक्का 2 चालाक एवं धूर्त चषक-सं० (पु०) प्याला, सुरापात्र
चौक-(पु०) 1 चिह्न खुदे हुए काठ की थापी 2 अन्न की राशि चसक-(स्त्री०) हल्का दर्द, कसक
को गोंठने का चिह्न 3 टोटके हेतु पीडित स्थान के चारों ओर चसकना-(अ० क्रि०) टीस उठना, कसक होना
खींचा जानेवाला घेरा, गोंठ चसका-(पु०), चसकी-(स्त्री०) = चस्का
चाँकना-(स० क्रि०) 1 गोंठना 2 अन्न की राशि को गोबर चसना-I (अ० क्रि०) प्राण त्यागना, मर जाना II चिपकना, आदि से गोंठना 3 निशान लगाना सटना
चाँका-(पु०) 1 = चाँक 2 = चक्का चस्का-(पु०) 1 एक बार सुख प्राप्त होने के फलस्वरूप चाँगला-I (वि०) 1 अच्छा, बढ़िया 2 स्वस्थ, तंदुरुस्त बार-बार वैसा ही सुख प्राप्त करने की मनोवृत्ति (जैसे-उसे भी 3 हृष्ट-पुष्ट 4 चालाक, चतुर II (पु०) घोड़ों का एक प्रकार शराब पीने का चस्का लग गया) 2 लत, आदत (जैसे-उसे का रंग जूए का चस्का है)
चांचल्य-सं० (पु०) = चंचलता चस्पाँ-फा० (वि०) 1चिपकाया हुआ 2 चिपका हुआ, लगा
चाँचिया-I (पु०) 1 चोरी, डाके आदि से जीविकोपार्जन हुआ
करनेवाली छोटी जाति 2 चोर 3 उचक्का 4 डाकू, लुटेरा चह-(पु०) 1 नदी पर बनाया गया अस्थायी पुल 2 नदी के । 5 काँइयाँ II (वि०) चोर, डाकुओं आदि से संबद्ध । ~गीरी किनारे बनाया गया पाट
+ फ़ा० (स्त्री०) चोर, डाकुओं आदि का व्यवसाय; चहक-(स्त्री०) 1 चहकने की क्रिया 2 चिड़ियों का चह-चह जहाज़ + अ० (पु०) समुद्री डाकुओं एवं लुटेरों का शब्द
जहाज़ चहकना-(अ० क्रि०) 1 चिड़ियों का चह-चह ध्वनि करना, चाँटा-(पु०) तमाचा, थप्पड़ (जैसे-क्रोध में उसने बच्चे के गाल चहचहाना 2 खुशी में खिलकर बोलना (जैसे-बच्चों का पर चाँटा जमा दिया) खेल-खेल में चहकने लगना)
चाँड-I (वि०) 1 उग्र, प्रबल 2 बलवान् 3 उदंड 4 श्रेष्ठ 5 चतुर चहका-I (पु०) होली के अवसर पर गाया जानेवाला एक तरह । 6 अघाया हुआ II (स्त्री०) 1 छत आदि को गिरने से रोकने का गाना II (पु०) 1लुआठी, लूका 2 बनेठी
के लिए लगाई गई टेक, थूनी 2 प्रबल कामना, तीव्र अभिलाषा चहकार-(स्त्री०) = चहक
3 आकुलता, बेचैनी। ~सरना लालसा पूरी होना चहचहा-I (पु०) 1 चहचहाने की क्रिया 2 खब ज़ोरों से | चाँड़ना-(स० क्रि०) 1 टेक लगाना 2 रौंदना 3 नष्ट-भ्रष्ट करना होनेवाला हँसी-ठट्ठा II (वि०) आनंद एवं खुशी उत्पन्न __4 खोदना, खोद डालना करनेवाला
चांडाल-सं० (पु०) 1 नीच और बर्बर जाति, मातंग 2 अत्यंत चहचहाना-(अ० क्रि०) = चहकना
पतित व्यक्ति। -चौकड़ी + हिं० (स्त्री०) नीच लोगों का चहचहाहट-(स्त्री०) = चहक
समूह चहनना-(स० क्रि०) कुचलना, रौंदना
चांडाली-सं० (स्त्री०) 1 चांडाल जाति की स्त्री 2 चांडाल होने चहबच्चा-फा० (पु०) 1 पानी की हौदी, गड्ढा 2 धनं छिपाकर | की अवस्था 3 चांडाल का काम रखने के लिए बनाया गया गड्ढा
चाँद-I (पु०) 1 चंद्रमा 2 दूज की चाँद की शक्ल का एक चहर-फा० (वि०) चार (जैसे-चहरदीवारी)
गहना 3 चंद्रमा के आकार का अर्घ गोलाकार धातु खंड चहल-I (स्त्री०) आनंद मनाना II (वि०) 1 अच्छा, बढ़िया 4 कलाई पर गोदा जानेवाला एक तरह का गोदना। तारा 2 चटकीला, तेज़ 3 चंचल, चुलबुला। ~पहल (स्त्री०) (पु०) 1 एक प्रकार की बढ़िया मलमल जिसपर चाँद और 1 रौनक 2 धूमधाम
तारों के आकार की बूटियाँ बनी होती हैं 2 एक प्रकार की पतंग चहलकदमी-फा० + अ० + फ़ा० (स्त्री०) सुखपूर्वक एवं जिस पर तारों एवं चाँद की बूटियाँ बनी होती है; बाला धीरे-धीरे चलने की क्रिया
(पु०) अर्ध चंद्राकर एक बाला जो कान में पहना जाता है; चहला-बो० (पु०) 1कीचड़ 2 दलदल
~मारी (स्त्री०) 1 चंद्र चिह्नों पर तीर, बंदूक आदि से निशाना चहलुम-फा० (पु०) = चेहलुम
लगाने की अभ्यासात्मक क्रिया 2 ऐसा मैदान जहाँ चाँद मारी चहार-I फा० (वि०) तीन और एक, चार II (पु०) चार की किया जाए; यात्रा + सं० (स्त्री०) = चंद्र यात्रा; सूरज संख्या। दीवारी (स्त्री०) मैदान, क्षेत्र आदि को चारों ओर (पु०) चोटी में गूथकर पहना जानेवाला एक गहना; ~का से घेरने हेतु बनाई गई दीवार, प्राचीर; ~शंबा (पु०) बुधवार टुकड़ा अति सुंदर; ~को ग्रहण लगना सुंदर वस्तु में दोष चहारुम-I फ़ा० (वि०) चौथा II (पु०) चौथाई अंश, लगना; चढ़ना 1 नया महीना शुरू होना 2 गर्भ रहना; चतुर्थाश
~पर खाक उड़ाना, ~पर धूल उड़ाना निर्दोष व्यक्ति
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चाट
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चातुरी आदि में दोष निकालना; पर थूकना महान् पुरुष पर लांछन चाकचक-(वि०) 1 चारों ओर से सरक्षित 2 दे० चाक-चौबंद लगाकर स्वयं लांछित होना; ~सा मुखड़ा अत्यधिक प्यारा
चाकचक्य-सं० (स्त्री०) 1 चमक-दमक 2 चकाचौंध मुखड़ा
3 सुंदरता, शोभा चाँद-II (स्त्री०) 1 खोपड़ी का सबसे ऊँचा और मध्य भाग चाकना-(स० क्रि०) 1 वृत्ताकार रेखा खींचना 2 अन राशि पर 2 खोपड़ी। पर बाल न छोड़ना 1 सब कुछ ले लेना निशान लगाना 3 पहचान हेतु वस्तु पर निशान लगाना 2 मारते-मारते गंजा कर देना
चाकर-फा० (पु०) 1 नौकर 2 दास चाँदना-(पु०) उजाला, प्रकाश। पख (पु०) शुक्ल पक्ष
चाकरानी-फा० + हिं० (स्त्री०) दासी, नौकरानी चांदनिक-सं० (वि०) 1 चंदन का 2 चंदन से होनेवाला चाकरी-फा० (स्त्री०) 1 नौकरी 2 चाकर का काम 3 चाकर का .. 3 चंदन से सुवासित
पद 4 टहल, सेवा (जैसे-अब उनकी चाकरी में मन नहीं चाँदनी-(स्त्री०) 1 चाँद का प्रकाश, ज्योत्स्ना 2 लंबी चौड़ी लगता) सफ़ेद चादर 3 छतगीर। पाख (पु०) उजाला पखवारा; चाकलेट-अं० (पु.) एक प्रकार की पाश्चात्य मिठाई ~ात (स्त्री०) शुक्ल पक्ष की रात; ~मारना लोकापवाद |
चाकू-फा० (पु०) फल, सब्जी आदि काटने का औज़ार के अनुसार चाँदनी के बुरे प्रभाव के कारण घाव आदि का चाक्रिक-1 सं० (पु०) 1 स्तुति गानेवाला, चारण, भाट 2 चक्र अच्छा न होना
चलाकर रोटी कमानेवाला II (वि०) 1 चक्र संबंधी 2 चक्र चाँदला-(वि०) 1 टेढ़ा, वक्र 2 चॅदला, गंजा
के आकार का 3 मंडली में होनेवाला चाँदा-(पु०) 1 ज्यामिति में धातु आदि का अर्ध वृत्ताकार कोण
चाक्षष-I सं० (वि.) 1 नेत्र संबंधी 2 दृश्य 3 जिसने आँखों से नापने का प्रसिद्ध उपकरण 2 दूरबीन का लक्ष्य स्थान 3 आधार
देखा हो II (पु०) आँखों से होनेवाला प्रत्यक्ष प्रमाण चाँदी-(स्त्री०) 1 एक प्रसिद्ध नरम एवं चमकदार धातु जिसके चाखना-बो० (स० क्रि०) = चखना गहने बनते हैं, रजत 2 चाँदी के सिक्कों के आधार पर चाचर-(स्त्री०) 1 युद्धस्थल, रणभूमि 2 होली का खेल तमाशा धन-दौलत 3 चँदिया। -कटना अत्यधिक आमदनी होना; चाचा-(पु०) 1 पिता का छोटा भाई 2 संबोधन के लिए
कर देना जलाकर राख कर देना; ~का जूता मारना प्रचलित शब्द (जैसे-चाचा जी नमस्ते) (स्त्री० चाची) रिश्वत देना; ~का पहरा सुख-समृद्धि का समय; ~की चाट-I (स्त्री) 1 चाटने की क्रिया 2 चटपटी चीज़ 3 खाने की ऐनक लगाना घूस लेकर ही काम करना (जैसे-अब तो आदत 4 लत, बुरी आदत (जैसे-उसे अफ़ीम की चाट लग सरकार के सभी कर्मचारी चाँदी की ऐनक लगाने लगे); गई है) 5 लोलुपता। पर लगना चस्का लगना, लत पड़ना
खलवाना चाँद के ऊपर के बाल मुंडवाना; -बरसना चाट-II सं० (पु०) 1 विश्वासपात्र बनकर किसी का धन हरण खूब आमदनी होना
__ करनेवाला, ठग 2 उचक्का, उठाईगीरा चांद्र-I सं० (वि०) 1 चंद्रमा संबंधी 2 चंद्रमा का II (पु०) चाटना-(स० क्रि०) 1 जबान से समेटना (जैसे-दवा के साथ 1 चांद्रायण व्रत 2 चंद्रकांत मणि। ~खंड (पु०) चाँद का शहद चाटना) 2 लोलुपता पूर्वक खाना (जैसे-वह पूरी खीर टुकड़ा; ~मास (पु०) पूर्णिमा के दूसरे दिन से लेकर अगली चाटकर खा गया) 3 ऊँगली से उठाकर जबान पर लगाना पूर्णिमा तक का महीना; ~वत्सर (पु०) चंद्रमा की गति के (जैसे-खाने के साथ चटनी चाटना) 4 नष्ट करना (जैसे-फीस अनुसार होनेवाला वर्ष; ~वर्ष (पु०) बारह चांद्र मासों का के सारे पैसे क्यों चाट गए) 5 पशुओं का प्रेम से किसी के समय; ~व्रतिक (वि०) चांद्रायण का व्रत करनेवाला शरीर पर जीभ फेरना (जैसे-कुत्ता मालिक का हाथ चाटता है) चांद्रायण-सं० (पु०) चंद्रमा की कलाओं के हिसाब से आहार 6 खा जाना (जैसे-कीड़े पूरी क़मीज़ चाट गए) को घटाने-बढ़ाने का व्रत
चाटवाला-(पु०) चाट बेचनेवाला व्यक्ति चांद्रायणिक-सं० (वि०) चांद्रायण व्रत करनेवाला वाटु-सं० (पु०) 1 मधुर वचन 2 खुशामद, चापलूसी। चॉप-(स्त्री०) = चाप
कार (पु०) खुशामद करनेवाला व्यक्ति, चापलूस; चाँपना-(स० क्रि०) दबाना
~कारी + हिं० (स्त्री०) चापलूसी; ~पटु (वि०) चाँय-चाँय, चाँव-चाँव-(स्त्री०) व्यर्थ की बातें, बकवाद चाटुकार, खुशामदी चांस-अं० (पु०) अवसर, मौका
चाटुकारिता-सं० (स्त्री०) चाटुकार होने की अवस्था चांसलर-अं० (पु०) (विश्वविद्यालय का) कुलाधिपति | चाटूक्ति-सं० (स्त्री०) चापलूसी की बात, खुशामद भरी बात चा-फा० (स्त्री०) = चाय
| चातक-सं० (पु०) पपीहा पक्षी चाक-I (पु०) 1 कील पर घूमनेवाला गोलाकार पत्थर जिसपर | वातकानंदन-सं० (पु०) 1 वर्षा काल 2 बादल, मेघ कुम्हार मिट्टी का बर्तन बनाता है 2 पहिया 3 हथियारों पर सान चातर-I (पु०) 1 मछली पकड़ने का बड़ा जाल, महाजाल तेज़ करने का चक्कर 4 मंडलाकार चिह्न
2 साजिश, षड्यंत्र II (वि०) चतुर चाक-II फा० (पु०) 17 फटा हुआ अंश 2 आस्तीन की खुली / चातुर-I सं० (वि०) आँखों से दिखाई देनेवाला II (पु०) हई मोहरी II (वि०) फटा हुआ, फाटा हुआ
चार पहियों की गाड़ी III (वि०) 1 चतुर, होशियार चाक-III अं० (स्त्री०) दुद्धी, खड़िया
2 चालाक और धूर्त 3 खुशामदी चाक़-तु० (वि०) 1 दृढ़, मज़बूत 2 हृष्ट-पुष्ट । -चौबंद | चातुराश्रमिक-सं० (वि०) चारों आश्रमों से संबंधित +हिं० (वि०) 1 चारों ओर से ठीक एवं दुरुस्त 2 चुस्त, चातुरी-सं० (स्त्री०) 1 चतुरता, होशियारी 2 चालाकी और फूर्तीला 3 मज़बूत
धूर्तता 3 निपुणता
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मरा
चातुर्भद्र 254
चारी चातुर्भद्र-सं० (पु०) अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष ये चारों पदार्थ चामरी-सं० (स्त्री०) सुरा गाय, याक चातुर्मास्य-(पु०) 1 चौमासा, वर्षाकाल 2 चार महीने चामुंडा-सं० (स्त्री०) चंड मुंड का नाश करनेवाली देवी, दर्गा चातुर्य-सं० (पु०) चतुरता, चतुराई। पूर्ण (वि०) चालाकी चाय-फा० (स्त्री०) एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी पत्तियाँ पानी में
उबालकर दूध एवं चीनी मिलाकर पीने योग्य होती हैं चातुर्वर्ण्य-I सं० (पु०) हिंदुओं के चारों वर्ण II (वि०) चारों (जैसे-चार प्याले चाय तैयार करना)। खाना (पु०) वों में होनेवाला
चायघर; दान (पु०), दानी + हिं० (स्त्री०) चाय चातुर्विद्य-[ सं० (वि०) चारों (वेदों) का ज्ञाता II (पु०) बनाने का पात्र; पान + सं० (पु०) चाय पीना; पानी चारों वेद
+ हिं० (पु०) चाय सहित दिया जानेवाला नाश्ता; पार्टी चादर-फा० (स्त्री०) 1 आयताकार कपड़े का वह भाग जिसे __ + अं० (स्त्री०) जलपान; ~फरोश (पु०) चाय बेचनेवाला बिछाया एवं ओढ़ा जाता है 2 धातु आदि का बड़ा आयताकार चायक-सं० (वि०) चुननेवाला पतला पत्तर (जैसे-टीन की चादर का भाव क्या है)।
चार-I (वि०) 1 तीन और एक 2 कुछ 3 अनेक II (पु०) ~उतारना बेइज़्ज़त करना; ~ओढ़ाना, डालना विधवा से चार की संख्या। ~आँखें करना आँखें मिलाना; चाँद शादी करना; देखकर पाँव फैलाना विसात देखकर खर्च लगना अत्यधिक सुंदर होना, सुंदरता में वृद्धि होना; चश्म करना; हिलाना आत्मसमपर्ण हेतु कपड़ा हिलाकर संकेत + फ़ा० (वि०) 1 निर्लज्ज 2 कृतघ्नः चाँद लगाना करना
अत्यधिक सुंदर बनाना; दिन की जिंदगी अल्प काल का चादरा-फा० (पु०) बड़ी चादर
जीवन, थोड़े समय का जीवन; दिन में ही कुछ समय में ही चाप-I (स्त्री०) 1 चापने की क्रिया 2 पैरों की आहट (जैसे-मालिक के व्यवहार से नौकर चार दिन में ही ऊब चाप-II सं० (पु०) 1 धनुष 2 ग० वृत्त की परिधि का कोई गया); पाँच करना इधर-उधर की बातें करना . भाग (जैसे-दो इंच की त्रिज्या से एक चाप लगाओ)3 मेहराब। चार-सं० (पु०) 1सेवक, दास 2 गुप्तचर, जासूस। कर्म ~रूप (वि०) धनुषाकार
(पु०) जासूस का काम, जासूसी; पुरुष (पु०) गुप्तचर; चापड़-(वि०) 1 जो चिपटा हो गया हो 2 चौपट
~भट (पु०) वीर सैनिक; ~वायु (स्त्री०) गरम हवा, लू; चापना-(स० क्रि०) 1 दबाना, चाँपना (जैसे-पैर ~) व्यवस्था (स्त्री०) = चार कर्म । 2 आलिंगन करते समय दबाना
चारखाना-फा० (पु०) 1 चौकोर खानोंवाली रचना 2 चौकोर चापर-बो० (वि०) = चापड़
खानोंवाला कपड़ा चापल-I सं० (पु०) चंचलता, चपलता II (वि०) चंचल, चारज-अं० (पु०) = चार्ज चपल
चारजामा-फ़ा० (पु०) घोड़े की पीठ पर कसा जानेवाला जीन चापलूस-फ़ा० (वि०) खुशामदी, चाटुकार
चारण-I सं० (पु०) 1 बंदीजन, भाट 2 भाट जाति का व्यक्ति चापलूसी-फ़ा० (स्त्री०) खुशामद, चाटुता
II (पु०) चराना (जैसे-गोचारण) चापल्य-सं० (पु०) चंचलता, चपलता, अस्थिरता चारदीवारी-फ़ा० (स्त्री०) = चहारदीवारी चाप्य-अं० (स्त्री०) तला हुआ टुकड़ा
चार-ना-चार-फ़ा० (क्रि० वि०) विवश होकर, लाचार होकर चाफंद-(पु०) मछलियाँ पकड़ने का जाल
चारपाई-(स्त्री०) खाट (जैसे-वह चारपाई पर लेटा है)। चाबना-(स० क्रि०) 1 चबाना, दबाना (जैसे-दाँतों से गन्ना ~धरना, पकड़ना, ~पर पड़ना 1 सख़्त बीमार होना
चबाकर रस चूसना) 2 पेट भरकर भोजन करना, चाभना 2 चारपाई पर लेट जाना; से पीठ लगना बीमार पड़ जाना चाबी-(स्त्री०) 1 ताली, कुंजी (जैसे-चोर ने बिना चाबी के चारा-(पु०) 1 घास-फूस, भूसा (जैसे-गाय को चारा डाल ताला कैसे खोला) 2 यंत्र को गतिशील रखने के लिए कमानी दो) 2 निकृष्ट भोजन 3 प्रलोभन (जैसे-भुझे चारा डालकर कसना (जैसे-घड़ी बंद है, चाबी दे दो) 3 युक्ति, साधन फँसाने की कोशिश मत करो)। घास (स्त्री०) घास-भूसा; (जैसे-घबराने की बात नहीं, उनकी चाबी तो मेरे पास है)। दाना + फ़ा० (पु०) चरने खाने की चीज़
देना, ~भरना कमानी कसना (जैसे-घड़ी में चाबी देना) चाराजोई-फ़ा० (स्त्री०) याचना, फरियाद (जैसे-अदालत में चाबुक-फ़ा० (पु०) चमड़े आदि का कोड़ा। दस्त (वि०) चाराजोई करना) दक्ष, कुशल; दस्ती (स्त्री०) दक्षता, कुशलता; सवार चारित-I सं० (वि०) चलाया हुआ, गतिमान किया हुअ (पु०) घोड़े को चाल सिखानेवाला व्यक्ति; सवारी II (पु०) आरा
(स्त्री०) 1 चाबुक सवार का पद 2 चाबुक सवार का काम चारितार्थ्य-सं० (पू०) चरितार्थ होने की अवस्था, चरितार्थत चाभना-(स० क्रि०) - चाबना
चारित्र-सं० (पु०) 1 अच्छा चाल-चलन 2 रीति-व्यवहा चाभी-(स्त्री०) = चाबी
3 वंश का आचार-व्यवहार चाम-(पु०) चमड़ा, खाल। -चोरी (स्त्री०) गुप्त रूप से चारित्रिक-सं० (वि०) 1 अच्छे चरित्रवाला 2 चरित्र में किया गया परस्त्री गमनः के दाम चलाना 1 चमड़े के संबंधित। ता 1 अच्छा चरित्र 2 चरित्र चित्रण की कल सिक्के चलाना 2 व्याभिचार से धन कमाना 3 बल, वैभव चारित्र्य-सं० (पु०) चरित्र, आचरण। -पतन (पु०) चरिः आदि से असाधारण कार्य करना
की गिरावट चामत्कारिक-सं० (वि०) चमत्कारी
चारी-[सं० (वि०) चलनेवाला (जैसे-स्वेच्छाचारी, अनाचारी चामर-सं० (पु०) चंवर, मोरछल
व्योमचारी) II (पु०) पैदल चलनेवाला सिपाही
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चारु
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जारु - I सं० (वि०) सुंदर (जैसे-चारु कपोल, चारु चंद्र की चंचल किरणें ) II ( पु०) कुंकुम, केसर। ता (स्त्री०) सुंदरता; दर्शन (वि०) देखने में सुंदर; फला (स्त्री०) अंगूर की लता, द्राक्षा लता; ~वर्धना (स्त्री०) सुंदर स्त्री; ~ शीला (वि०) उत्तम शील-स्वभाववाली; हासी (वि०) 1 मनोहर हँसीवाला, सुंदर मुस्कानवाला 2 जो हँसने में सुंदर लगे
चार्चिक्य-सं० (पु० ) अंगराग
चार्ज - अं० (पु० ) 1 कार्य भार 2 देख-रेख 3 अभियोग 4 सेवा का पारिश्रमिक, परिव्यय (जैसे-ईंट की ढुलाई का कितना चार्ज होगा ) 5 यकायक किया गया हमला, आक्रमण (जैसे- पुलिस को भीड़ पर लाठी चार्ज करना पड़ा। शीट (पु० )
अभियोग पत्र
चार्जर-अं० ( पु० ) 1 कार्य भार सँभालनेवाला 2 अभियोग लगानेवाला
चार्ट -अं० (पु० ) नक्शा
चार्टर -अं० (पु० ) अधिकार-पत्र
चार्म -सं० (वि०) 1 चर्म संबंधी 2 चमड़े का बना हुआ चार्य सं० (वि०) दूतकर्म
चार्वाक -सं० (पु० ) 1 एक प्रसिद्ध अनीश्वरवादी विद्वान्, बार्हस्पत्य 2 चार्वाक दर्शन 3 एक नास्तिक मत
चाल - 1 (स्त्री०) 1 गति (जैसे- रेलगाड़ी की चाल बहुत तेज़ है) 2 स्थान परिवर्तन के साथ आगे बढ़ने की क्रिया 3 चलने का ढंग 4 चलने की सायत 5 आचरण, चलन (जैसे- मुझे यह चाल पसंद नहीं है) 6 रीति-रिवाज (जैसे-पुराने चाल-चलन को अपनाना मूर्खता है) 7 ढंग, प्रकार 8 छल, धोखे की बात (जैसे-चाल में आना) 9 मुहरे आदि चलना (जैसे-हाथी की चाल) 10 आहट 11 दाँव 12 ग़रीब बस्ती (जैसे-बम्बई में) ।
चलन (पु० ) 1 नैतिक आचरण, चरित्र 2 आचरण एवं व्यवहार का ढंग ; ~ ढाल (स्त्री०) 1 तौर-तरीका, रंग-ढंग 2 गति-विधि: बाज़ + फ़ा० (वि०) कपट-भरी चालें चलनेवाला, कपटी बाज़ी + फ़ा० धोखेबाज़ी; ~ मिलना चलने की ध्वनि सुनाई पड़ना (जैसे मकान के पीछे कुछ लोगों की चाल मिल रही है)
चाल - II (०) छप्पर, छाजन 2 छत, पाटन चालक - I सं० (वि०) 1 चलानेवाला 2 बिजली की धारा को आगे बढ़ानेवाला II (पु० ) इंजन, यंत्र आदि को गतिमान करनेवाला व्यक्ति । चक्र (पु०) गति देनेवाला चक्का; ~ता (स्त्री०) चालक होने की सामर्थ्य या अवस्था; ~ मंडल (पु० ) चलानेवालों का समूह चालन-संघ (पु० ) 1 चलाने की क्रिया, परिचालन, चलने की क्रिया, गति
चालनी-सं० (स्त्री०) छलनी
चाला - ( पु० ) 1 चलने की क्रिया. रवानगी 2 प्रस्थान का मुहूर्त चालाक - फ़ार (वि) 1 होशियार 2 चालबाज़ चालाकी-फ़ा० (स्त्री०) 1 चतुराई, दक्षता, 2 चालबाज़ी । ~ खेलना धूर्ततापूर्ण चाल चलना, कपट भरा आचरण
करना
चालान - ( पु० ) चालानदार - (पु० )
- चलान
= चलानदार
चालिया - (पु० ) चालबाज़, धूर्त
चालिस - (वि०)
चालीस
चाली - (वि०)
= चालबाज़
चालीस - I (वि०) 1 तीस से दस अधिक II चालीस की संख्या, 40
चालीसा - (पु० ) 1 चालीस वस्तुओं का समूह 2 चालीस पदों का समूह (जैसे- हनुमान चालीसा) 3 चालीस दिनों का समय 4 मृत्यु के चालीसवें दिन होनेवाला, चालीसवाँ चालू- (वि०) 1 जो चलता 2 चलन में होनेवाला, प्रचलित (जैसे- चालू सिक्का, चालू प्रथा) 3 जो अभी जारी हो (जैसे- चालू खाता) 4 जो प्रयोग हो रहा हो (जैसे- यह कार अभी चालू हालत में है) 5 चालाक (जैसे वह चालू लड़का है)
~निकालना
=
चिंगारी
चाव - ( पु० ) 1 शौक 2 इच्छा 3 उत्साह । 1 अभिलाषा पूरी होना 2 शौक पूरा होना चावड़ी - ( स्त्री०) पड़ाव
चावल - (पु० ) 1 धान के बीजों के दाने 2 तंडुल 3 पकाया हुआ चावल, भात 4 रत्ती का आठवाँ भाग ~भर 1 बहुत कम 2 रत्ती के आठवें भाग के बराबर चाशनी -फ़ा० (स्त्री०) 1 शीरा (जैसे-गुड़ की चाशनी)
2 चस्का (जैसे- उसे भी शराब की चाशनी मिल गई) 3 चखकर देखने की वस्तु, खाने की वस्तु का नमूना चाष-सं० (पु० ) नीलकंठ पक्षी
चास- (स्त्री०) 1 जोताई 2 जोता हुआ खेत चासना - (स० क्रि०) (खेत) जोतना चासा - ( पु० ) चाह - (स्त्री०)
1 किसान, खेतिहर 2 हलवाहा 1 लालसा, इच्छा 2 अनुराग,
3 आवश्यकता, ज़रूरत
चाहक - (वि०) 1 चाहनेवाला 2 प्रेम करनेवाला चाहत - (स्त्री०) चाह, प्रेम
प्रेम
चाहना - I (स० क्रि०) 1 इच्छा करना 2 प्रेम करना 3 पसंद करना 4 माँगना (जैसे- मैं आपसे कुछ रुपये चाहता हूँ) II (स्त्री०) चाहने की अवस्था
चाहा - (पु०) एक जल पक्षी जिसका सारा शरीर फूलदार और पीठ सुनहरी होती है।
चाहिए - अ० 1 आवश्यकता 2 उचित (जैसे- हमें गंदी जगह नहीं जाना चहिए)
-
चाही - I फ़ा० (वि०) कूएँ के पानी से सींचा जानेवाला (जैसे चाही खेत) II (स्त्री०) चहेती
चाहे अ० 1 यदि जी चाहे, यदि मन में आवे 2 जो इच्छा हो (जैसे-चाहे कपड़ा खरीदो चाहे जूता ) 3 जो कुछ हो सकता हो वह सब (जैसे चाहे वज्रपात हो लेकिन तुम्हें आना है) I ~अनचाहे ( क्रि० वि०) 1 अनिच्छापूर्वक 2 जैसे-तैसे चिं- (पु० ) दे० चीयाँ चिउँटा - (पु० ) दे० च्यूँटा चिंऊँटी - ( स्त्री०) = दे० च्यूँटी
चिंगट - सं... चिंगड़ - (पु० ) झींगा मछली
चिंगना - बो० ( पु० ) 1 मुरगी का छोटा बच्चा, चूजा 2 छोटा
बच्चा
चिंगारी - (स्त्री०)
चिनगारी
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चिंगुड़ना
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चिकोटी
विंगुडना-(अ० क्रि०) 1 शिकन पड़ना, झुर्रियां पड़ना | चिकन-फा० (पु०) एक तरह का सूती कपड़ा जिसपर सूई-औ 2 सिकुड़ना
से उभारदार फूल-पत्तियाँ बनी हों। कारी (स्त्री०) चिंघाड़-(स्त्री०) 1 हाथी के चिल्लाने की आवाज़ 2 सहसा उभारदार फूल-बूटियाँ काढ़ने का काम; ~गर, दोज़ उत्तेजित होकर चिल्लाने की ध्वनि, चीत्कार
(पु०) चिकन का काम करनेवाला कारीगर चिंघाड़ना-(अ० क्रि०) 1 हाथी का ज़ोर से चिल्लाना चिकना-I (वि०) 1 जिसका तल खुरदरा न हो (जैसे-चिकना 2 चिल्लाना, चीखना
पत्थर, चिकना लोहा) 2 जो बिल्कुल कोमल एवं सम हो विचा-सं० (स्त्री०) 1 इमली 2 इमली का बीज
(जैसे-चिकना मलमल) 3जिसपर हाथ-पैर फिसले चिंतक-सं० (वि०) चिंतन करनेवाला, विचारक 2 ध्यान (जैसे-चिकनी मिट्टी) 4 जिसे मोहक एवं स्वच्छ बनाया गया रखनेवाला
हो (जैसे-चिकना चेहरा देखते ही वह उस पर मुग्ध हो गया) चिंतन-सं० (पु०) 1 मन ही मन में किया जानेवाला विवेचन, 5 स्निग्ध पदार्थ लगा हुआ (जैसे-घी लगने से रोटी चिकनी हो
गौर (जैसे-यह बात अधिक चिंतन योग्य है) 2 ध्यान, स्मरण गई) 6 ख़शामदी, चाटुकार (जैसे-वह चिकनी-चुपड़ी बातें (जैसे-वृद्धावस्था में ईश चिंतन ही अच्छा है)। ~गत खूब जानता है) II (पु०) विकने पदार्थ । चुपड़ा (वि०) (वि०) 1 मनन किया हुआ 2 स्मरण किया हुआ; ~धारा __ अच्छी तरह सजाया हुआ; पन (पु०) = चिकनाई (स्त्री०) सोचने-विचारने का क्रम; ~प्रक्रिया (स्त्री०) चिंतन चिकनाई-(स्त्री०) 1चिकनापन, चिकनाहट 2 स्निग्धता, विधि; ~शील (वि०) जो चिंतन करता हो; ~स्वंतत्रता सरसता 3 चिकना पदार्थ (स्त्री०) चिंतन करने की आज़ादी
चिकनावट-बो० (स्त्री०) 1 चिकनी-चुपड़ी बातें करने की चिंतना-I सं० (स्त्री०) 1 चिंतन करने की क्रिया 2 सोच-विचार स्थिति, भाव 2 बिगड़ा हुआ काम सुधारने हेतु मीठी बातें करने
3 फिक्र, चिंता II (स० क्रि०) 1 ध्यान करना की क्रिया 2 सोचना-समझना 3 फिक्र करना, चिंता करना
चिकनाहट-(स्त्री०) = चिकनाई चिंतनीय-सं० (वि०) 1 जो चिंतन के योग्य हो 2 जो चिंता का चिकनिया-(वि०) प्रायः सज-सँवरकर रहनेवाला, सुंदर और विषय हो (जैसे-मरीज़ की हालत चिंतनीय है)
सजधजवाला चिंता-सं० (स्त्री०) 1 चिंतन करने का कार्य 2 ध्यान, स्मरण चिकरना-(अ० क्रि०) 1 ज़ोर से चिल्लाना 2 चिंघाड़ना
3 मन में कुछ क्षण तक बनी रहनेवाली भावना 4 सोच, फ़िक्र, चिकवा-बो० (पु०) बकर-कसाई रंज। प्रस्त (वि०) चिंता में डूबा हुआ, चिंता में पड़ा हुआ; चिकारा- (पु०) एक वाद्य II (पु०) हिरन का एक प्रकार
जनक (वि०) 1 चिंतित करनेवाला 2 जिसकी अवस्था चिकित्सक-सं० (पु०) दवा-इलाज करनेवाला, वैध । शोचनीय हो (जैसे-रोगी की हालत चिंताजनक है); ~धारा प्रमाणक (पु०) चिकित्सक द्वारा अस्वस्थता का दिया गया (स्त्री०) चिंताओं का क्रम, प्रवाह; पूर्ण (वि०) जो प्रमाण पत्र चिंताओं में डूबा हो, चिंतामय; मग्न (वि०) चिंताओं में चिकित्सन-सं० (पु०) चिकित्सा करना लगा हुआ; ~मणि (पु०) 1 कामनाओं को पूरा करनेवाला चिकित्सा-सं० (स्त्री०) इलाज, उपचार। -गृह (पु०) एक कल्पित रत्न 2 सभी कामनाओं को पूर्ण करने की सामर्थ्य दवाखाना, चिकित्सालय; ~दल (पु०) वैद्य, डाक्टरों का रखनेवाली शक्ति; ~मुक्त (वि०) निश्चिंत; ~व्यथित समूह; पद्धति (स्त्री०) इलाज का तरीका, उपचार विधि (वि०) जो चिंता से दुःखी हो; ~शील (वि०) जो प्रायः परामर्श (पु०) डॉक्टरी राय; ~पोत (पु०) जहाज़ सोच-विचार करता हो
जिसमें दवा दारू रहता है; ~भवन (पु०) = चिकित्सा गृह; चिंताकुल-सं० (वि०) चिंता से व्याकुल, उद्विग्न
~व्यवसाय (पु०) वैद्यकी; व्यवसायी (पु०) पेशेवर चिंतातुर-सं० (वि०) 1 चिंता से परेशान 2 घबराया हुआ, डॉक्टर; शास्त्र (पु०) वह विद्या जिसमें विभिन्न रोगों, उनके विकल
लक्षणों एवं निदान का विवेचन रहता है; ~सेवा (स्त्री०) चिंतामय-सं० (वि०) = चिंतापूर्ण
डॉक्टरी नौकरी चिंतित-सं० (वि०) = चिंतातुर
चिकित्सालय-सं० (पु०) अस्पताल, दवाखाना चिंत्य-सं० (वि०) 1 जो चिंता योग्य हो 2 दे० चिंतनीय चिकित्सावकाश-सं० (पु०) बीमारी की छुट्टी चिंदी-(स्त्री०) छोटा टुकड़ा। ~~-~करना टुकड़े-टुकड़े | चिकित्सित-सं० (वि०) जिसका इलाज किया गया हो करना, धज्जियाँ उड़ाना
चिकित्सीय-सं० (वि०) चिकित्सा किए जाने योग्य चिंपाज़ी-अं० (पु०) अफ्रीका में पाया जानेवाला वनमानुष चिकित्सु-सं० (पु०) = चिकित्सक चिउड़ा-(पु०) उबालकर और कूटकर सुखाया गया चावल चिकित्स्य-संo (वि०) 1 उपचार योग्य 2 जिसे स्वस्थ बनाया चिक-I (पु०) मांस बेचनेवाला कसाई, बूचड़ || (स्त्री०) जा सके ___ कमर आदि में बल पड़ने के कारण सहसा उत्पन्न होनेवाला | चिकीर्षक-सं० (वि०) कार्य करने की इच्छक दर्द, चिलक III अं० (पु०) दे० चिलमन
चिकीर्षा-सं० (स्त्री०) काम करने की इच्छा चिक़-तु० (स्त्री०) बाँस की तीलियों आदि का बना हुआ झींना / चिकुटी-बो० (स्त्री०) = चिकोटी
चिकुर, चिंकूर-I सं० (पु०) सिर के बाल, केश II (वि०) चिकट-I(वि०) = चिक्कट HI (पु०) टसरी कपड़ा चंचल, चपल चिकटना-(अ० क्रि०) मैल जमने से चिपचिपा होना | चिकोटी-(स्त्री०) चुटकी
परदा
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चिकोरी
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चिता
चिकोरी-अं० (स्त्री०) कासनी साग
चिड़चिड़ा-I (वि०) 1 बात-बात पर क्रूद्ध हो जानेवाला चिक्क-(वि०) चिपटी नाकवाला
2 जिसमें चिड़चिड़ापन हो II (पु०) भूरे रंग का एक छोटा चिक्कट-(वि०) 1चिकनाहट या मैल से भरा हुआ
___ पक्षी। ल्पन (पु०) चिड़चिड़ाने की अवस्था 2 अत्यधिक गंदा 3 चिपचिपा, लसीला
चिड़चिड़ाना-(अ० क्रि०) 1 ज़रा-ज़रा सी बात पर नाराज होना चिक्कण-सं० (वि०) चिकना
2 पदार्थ आदि के जलने पर चिड़चिड़ शब्द होना 3 फट जाना चिक्कणन-पं० (वि०) चिकना करना
(जैसे-चमड़े का जूता चिड़चिड़ाना) चिक्करना-(अ० क्रि०) ज़ोर से चिल्लाना, चीत्कार करना | चिड़चिड़ाहट-(स्त्री०) = चिड़चिड़ापन चिक्कस-सं० (पु०) 1 जौ का आटा 2 तेल एवं हल्दी के | चिड़वा-(पु०) = चिउड़ा मिश्रण से बना जौ के आटे का उबटन
चिड़ा-(पु०) गौरैया पक्षी का नर, गौरा चिक्कार-(पु०) = चीत्कार
चिडिया-(स्त्री०) 1 पक्षी 2 गौरैया 3 संदर किन्तु कुछ चंचल चिक्की-(स्त्री०) मसालेदार मीठी पपड़ी
स्त्री (जैसे-अब तुमने कौन-सी चिड़िया फँसायी है) 4 ताश का चिखरन-(स्त्री०) पौधों के आस-पास उग आनेवाली घास रंग चिड़ी 5 बैसाखी आदि के सिर पर लगाई जानेवाली चिड़िया चिखरना-(स० क्रि०) पौधों के आस-पास की घास निकालना की शक्ल की लकड़ी 6 अँगिया आदि के गोलाकार टुकड़े, चिखुरा-(पु०) नर गिलहरी, गिलहरा
कटोरी। खाना + फ़ा० (पु०), -घर (पु०) चिखुराई-I (स्त्री०) 1 चिखुरने की क्रिया 2 चिखुरने की पशु-पक्षियों के रखने का स्थान, जंतुशाला; चुनमुन (पु०)
मज़दूरी II (स्त्री०)1 चखने की क्रिया 2 चखने की मज़दरी चिड़िया एवं अन्य छोटे जीव जंतु, पक्षी, पखेरू; का दूध चिखुरी-(स्त्री०) गिलहरी
अलभ्य वस्तु, अनहोनी बात; ~फँसना 1 शिकार फँसाना चिचड़ी-(स्त्री०) कीलनी
2 सुंदर युवती को फुसलाना; सोने की ~ 1 बहुत बड़ा और चिचिंडा-(पु०) = चचीड़ा
मालदार व्यक्ति 2 अत्यंत सुंदर स्त्री चिचियाना-(अ० क्रि०) बार-बार ज़ोर से चिल्लाना चिड़ियावाला-(पु०) उल्लू, मूर्ख चिचियारी, चिचियाहट-(स्त्री०) = चिल्लाहट
चिड़िहार-(पु०) बहेलिया चिचुकना-(अ० क्रि०) = चुचुकना
चिड़ी-(स्त्री०) 1 चिड़िया 2 ताश का चिड़िया नामक रंग चिचोड़ना-(स० क्रि०) = चचोड़ना
___ 3 बैडमिंटन की गुड़िया विजारा-(पु०) मकान बनानेवाला कारीगर, राज, मेमार । चिड़ीमार-(पु०) बहेलिया चिट-(स्त्री०) 1 छोटा पत्र, रुक्का 2 काग़ज़ का छोटा टुकड़ा। चिढ़-(स्त्री०) 1चिढ़ने की अवस्था, खीझ 2 नाराजगी। नवीस + फा० (पु०) मुहरिर, मुंशी
निकालना चिढ़ाने के लिए खास बात ढूँढ़ना चिटकना-(अ० क्रि०) 1चिट शब्द करते हुए टूटना 2 चिट | चिढ़ना-(अ० क्रि०) 1 नाराज होना 2 बुरा मानना शब्द के साथ दरार पड़ना (जैसे-शीशे का गिलास चिटकना) | विड़वाना-(स० क्रि०) दूसरे से चिढ़ाने का काम कराना 3 जलती लकड़ी का चिट-चिट करना 4 चिट ध्वनि करते हए चिढाना-(स० क्रि०).1 अप्रसन्न एवं खिन्न करना, खिझाना खिलना (जैसे-कलियाँ चिटकना) 5 चिढ़ना
___2 उपहास करना 3 छेड़ना चिटकाना-(स० क्रि०) 1 चिटकने में प्रवृत्त करना 2 खिझाना,
| चित्-सं० (स्त्री०) 1 हृदय, मन 2 चेतना, ज्ञान 3 ब्रह्म चिढ़ाना
4 अनुभूति, विचार 5 आत्मा चिटनीस-(पु०) = चिटनवीस
चित-I (वि०) पीठ के बल लेटा हुआ, पड़ा हआ (जैसे-मैने चिट्ट-(स्त्री०) = चिट
उसे चित कर दिया) II (क्रि० वि०) पीठ के बल विट्टा-I (वि०) 1 सफेद, गोरा II (पु०) सीप के आकार का (जैसे-चित गिरना, चित लेटना) III (पु०) कुश्ती। चारों सफेद छिलका III झूठा बढ़ावा। लड़ाना अनुचित कार्य में
खाने ~ोना परास्त होना; करना कश्ती में प्रतिपक्षी को प्रवृत्त करना
पछाड़ना; ~पट करना निश्चय करना; पटना निर्णय चिट्ठा-(पु०) 1 खाता 2 आय-व्यय आदि का वार्षिक विवरण | होना; लेना 1 कुश्ती में हार जाना 2 हक्का-बक्क है.
3 मज़दूरी या वेतन का हिसाब 4 काम में लगनेवाले धन का जाना विवरण, खर्च के मदों की सूची 5 काम आदि का पूरा ब्योरा । चितकबरा-(वि०) 1रंग-बिरंगा 2 चितला
बही (स्त्री०) मज़दूरों को हिसाब देने का रजिस्टर । चित-पट-(पु०) 1बाज़ी लगाकर खेला जानेवाला खेल चिट्ठी-(स्त्री०) 1 ख़त, पत्र (जैसे-मुझे आपकी चिट्ठी नहीं | 2 मल्लयुद्ध, कुश्ती । मिली) 2 आज्ञापत्र 3 निमंत्रण पत्र 4 पुरजे डालकर विशेष वस्तु चितरना-(स० क्रि०) 1चित्रित करना 2 बेल-बूटों आदि की के अधिकारी का नाम निश्चित करना। ~पत्री (स्त्री०) तरह आकृतियाँ बनाना 3 अच्छी तरह लगाना 1 एक स्थान से दूसरे स्थान पर आने-जानेवाला खत, पत्र चितला-(वि०) चितकबरा, सफ़ेद-काले रंग का 2 पत्राचार, पत्र-व्यवहार; -बही (स्त्री०) पत्रादि का हिसाब चितवन-(स्त्री०) 1प्रेमपूर्वक देखने का ढंग, कटाक्ष 2 दृष्टि, रखने का रजिस्टर; रसाँ + फ़ा० (पु०) डाकिया; हूंडी निगाह (स्त्री०) चिट्ठी द्वारा दिया गया महाजनी चेक; डालना | चिता-सं० (स्त्री०) शव जलाने हेतु लकड़ियों का ढेर। लाटरी डालना; ~भरना 1 लिखे हुए पत्र के अनुसार रुपए ~भूमि (स्त्री०) श्मशान घाट; रोहण (पु०) चिता पर देना 2 ऋण देना, ऋण चुकता करना
रखना; ~पर चड़ना मरने हेतु चिता पर रखा जाना
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चिताना
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चिथड़ा सजाना शवदाह हेतु चिता तैयार करना; साधन (पु०) -लेखनी, लेखा (स्त्री०) चित्र बनाने की कलम, कधी; चिता पर तंत्र-मंत्र करना
~वत् (वि०) चित्र की तरह; विचित्र (वि०) 1 अनेक चिताना-(स० क्रि०) 1 चेताना, ध्यान दिलाना 2 मचेत करना रंगोंवाला, रंग बिरंगा 2 अद्भुत, विलक्षण 3 बेल-बूटेदार; चितावनी-(स्त्री०) = चेतावनी
विद्या (स्त्री०) = चित्र कला; विनोद (पु०) चित्र द्वारा चिति-सं० (स्त्री०) 1 ढेर, राशि 2 चेतना
मनोरंजन; ~शब्द (पु०) ऐसा शब्द जो चित्र उपस्थित कर चितिया-(वि०) चित्तीदार
दे; ~शाला (स्त्री) 1 वह स्थान जहाँ चित्र बनाए जाते हो चितेरा-(पु०) चित्रकार (स्त्री० चितेरिन)
2 वह कमरा, गैलेरी आदि जहाँ अनेक चित्र लगे हों; सर्प चित्त-(वि०) = चित
(पु०) चीतल साँप; सामग्री (स्त्री०) चित्र बनाने का चित्त-सं० (पु०) 1 अंतःकरण, मन 2 दृष्टि, चितवन । सामान; ~सारी + हिं० (स्त्री०) 1चित्रशाला 2 रंगमहल,
निवृत्ति (स्त्री०) संतोष और सुख, संयम; प्रदासन विलास भवन 3 सलमे-सितारे युक्त ओढ़नी; ~स्थ (वि०) (पु०) चित्त के परिष्कार द्वारा प्राप्त प्रसन्नता; अंश (पु०) 1चित्र में अंकित किया हुआ 2 चित्र के समान स्तब्ध एवं पागलपन; विकृति (स्त्री०) 1मन का विकार 2 मानसिक निश्चल सदोषता; विक्षेप (पु०) मन की अस्थिरता; विपर्यय | चित्रक-सं० (पु०) 1 चीता 2 टीका (पु०) उन्माद; विप्लव (पु०) 1 उन्माद 2 नशा, मस्ती; | चित्रण-सं० (पु०) 1 चित्र अंकित करने की क्रिया 2 चित्र में -विभ्रम (पु०) प्रांति; विश्लेषण (पु०) मैत्री भंग; रंग भरने का भाव। फलक (पु०) चित्र बनाने का फट्टा वृत्ति (स्त्री०) 1चित्त की अवस्था 2 मन का भाव; चित्रल-सं० (वि०) = चितकबरा शद्धि (स्त्री०) चित्त का निर्मल होना, निर्विकार होनाः चित्रांकन-सं० (पु०) हाथ से तस्वीर बनाने का काम उचटना मन उदास होना; चढ़ना ध्यान बना रहना; | चित्रांकित-सं०(वि०)जिसे चित्र रूप में अंकित किया गया
देना मन लगाना; पर चढ़ना = चित्त चढ़ना; बैटना | चित्रांग-I सं० (वि०) जिसके अंग पर चित्तियाँ, धारयाँ, चिह्न मन का किसी एक विषय में न लग सकना; से उतरना ___ आदि हों II (पु०) 1 चीता नाम का पेड़ ? नीतल साँप 1 अप्रिय हो जाना 2 भूल जाना
चित्राकृति-सं० (स्त्री०) चित्र द्वारा आकृति चित्ताकर्षक, चित्तापहारक-सं० (वि०) मन को मोहित चित्राक्ष-सं० (वि०) विचित्र और सुंदर आँखोंवाला करनेवाला, लुभानेवाला
चित्राक्षर-सं० (पु०) चित्र के रूप में लिखे गए अक्षर चित्ताभोग-सं० (पु०) 1 पूर्ण चेतनता 2 आसक्ति
(जैसे-चीनी अक्षर) चित्तायुक्त-सं० (वि०) चित्तवाला
चित्रागार-सं० (पु०) = चित्रकक्ष चित्ती-(स्त्री०) 1 छोटा धब्बा 2 वस्त्रों पर छापे गए छोटे-छोटे | चित्रात्मक-सं० (वि०) चित्रमय। -ता (स्त्री०) चित्रमयता, चिह्न 3 काढ़े गए छोटे-छोटे चिह्न । -दार + फा० (वि०) | चित्रपूर्णता धब्बेवाला
चित्राधार-सं० (पु०) 1चित्रपट 2 चित्र आदि को सुरक्षित चित्य-सं० (वि०) चुने जाने योग्य
रखने की किताब, अल्बम चित्र-सं० (पु०) 1 तसवीर (जैसे-चित्र खींचना मना है) | चित्रालय-सं० (पु०) = चित्रशाला 2 आलेख्य (जैसे-सुंदर चित्र बनाना)। -कक्ष (पु०) चित्रों चित्रालेखन-सं० (पु०) चित्र बनाना का कमरा; ~कर (पु०) चित्र बनानेवाला, चित्रकार; | चित्रालोचक-सं० (पु०) चित्र की आलोचना करनेवाला ~करण (पु०) -- चित्रकला; कला (स्त्री०) चित्र बनाने | व्यक्ति की कला; ~कार (पु०) चित्र बनानेवाला; ~कारी + हिं० चित्रावली-सं० (स्त्री०) चित्रों की माला, अल्बम (स्त्री०) 1चित्र बनाने की विद्या 2 चित्रकार का काम 3 बनाए | चित्रिणी-(स्त्री०) 1 अनेक कलाओं में प्रवीण नारी 2 कामसूत्र हुए चित्र;-काव्य (पु०) चित्रों के आकार में लिखित काव्य; | के अनुसार स्त्री का एक प्रकार
जल्प (पु०) साहि० नायक-नायिकाओं का रूठ जाने पर | चित्रित-० (वि०) 1चित्र रूप में अंकित किया हुआ एक दूसरे को अनाप-शनाप कही जानेवाली बात; नेत्रा | 2 चित्रयुक्त (स्त्री०) मैना पक्षी; ~पट (पु०) 1 जिसपर चित्र बनाया | चित्रीकरण-सं० (पु०) 1 चित्रित करना 2 चित्र के रूप में जाय वह तख्ता, कपड़ा आदि 2 सिनेमा का परदा; -पटी __लाना 3 सजाना (स्त्री०) छोटा चित्रपट; परिचय (पु०) चित्र संबंधी | चित्रोक्ति-सं० (स्त्री०) 1 अलंकृत भाषा में कही हुई बात विवरण; प्रतियोगिता (स्त्री०) अनेक चित्रों में श्रेष्ठ एवं 2 अलंकारयुक्त सुंदर कविता सुंदर चित्र का चुनाव; ~प्रदर्शनी (स्त्री०) चित्रों का मेला; | चित्रोत्तर-सं० (पु०) साहि० एक शब्दालंकार जिसमें प्रश्न के ~फलक (पु०) पटिया जिस पर चित्र बना हो; बद्ध शब्दों में ही उसका उत्तर होता है (वि०) तस्वीर में अंकित; ~मद (पु०) चित्र देखकर चित्रोपम-सं० (वि०) चित्र चित्रण जैसा सजीव (वर्णन) अनुराग होना; ~मय (वि०) चित्रयुक्त; ~मृग (पु०) | चित्रोपयोगी-सं० (वि०) चित्र बनाने के लिए उपयोगी चितकबरा हिरन, चीतल, ~लिपि (स्त्री०) ऐसी लिपि जिसमें चित्र्य-सं० (वि०) जो चित्र रूप में अंकित किए जाने योग्य हो
शब्दों, अक्षरों आदि के स्थान पर वस्तुओं एवं क्रियाओं के चित्र | चिथड़ा-I (पु०) फटा-पुराना कपड़ा, गूदड़ II (वि०) बहुत 'बने होते हैं; ~लेखक (पु०) = चित्रकार; लेखन फटा हुआ। गुदड़ा (पु०) रद्दी कपड़ा; चिथड़े-चिथड़े (पु०) 1चित्र बनाना 2 बना-बनाकर सुंदर अक्षर लिखना; कर देना धज्जियाँ उड़ा देना
पणता
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चिथाड़ना
259
चिर
विद्याइना-(स० क्रि०) 1 फाड़ना, चिथड़ा करना 2 धज्जियाँ नाखूनों के नीचे तथा आस-पास का मांस गलने लगता है उड़ाना 3 ज़लील करना, लथेड़ना
चिप्पख-(वि०) 1चिपका हुआ, दबा हुआ 2 अत्यंत चिदाकाश-सं० (पु०) आकाश के समान निर्लिप्त, ब्रह्म । दुबला-पतला 3 चिपटा चिदात्मा, चिदानंद-सं० आनन्द और चैतन्य स्वरूप, ब्रह्म । चिप्पड़-(पु०) लकड़ी की छाल आदि का टुकड़ा चिठ्ठलास-स० (पु०) ब्रह्म की माया
चिप्पी-I (स्त्री०) धातु आदि का छोटा चिप्पड़ II बो० चिनक-(स्त्री०) 1 चुनचुनाहट 2 हल्की जलन एवं पीड़ा । (स्त्री०) = चिपड़ी चिनगारी, चिनगी-(स्त्री०) अग्निकण, स्फुलिंग। -छोड़ना | चिबुक-(पु०) ठोड़ी झगड़ा लगानेवाली बात कहना; ~डालना 1 आग लगाना चिमटना-(अ० क्रि०) 1 सट जाना (जैसे-गड़ में च्यूटों का 2 झगड़ा लगाना
चिमटना) 2 मतलब के लिए बराबर साथ लगे रहना चिनाना-(स० क्रि०) = चुनवाना
(जैसे-ठेकेदारों का अधिकारियों से चिमटना) 3 पिंड न छोड़ना चिनिया-I (वि.) 1 चीन देश में होनेवाला 2 चीन दश का (जैसे-भिखारी का यात्री से चिमटना) II (वि०) 1 चीनी का बना हुआ 2 चीनी के रंग का 3 चीनी | चिमटा-(पु०) धातु का बना दो फलवाला एक लंबा उपकरण के स्वाद जैसा
चिमटाना-(स० क्रि०) 1चिमटने में दूसरे को प्रवृत्त करना चिनौती-(स्त्री०) = चुनौती
2 आलिंगन करना, गले लगाना चिन्मय-I सं० (पु०) पूर्ण तथा विशुद्ध ज्ञानमय II (पु०) चिमटी-(स्त्री०) चिमटे के आकार का छोटा उपकरण परमात्मा, परमेश्वर
चिमड़ा-(वि०) = चीमड़ चिन्ह-(पु०) = दे० चिह्न (शुद्ध रूप)
चिमनी-अं० (स्त्री०) 1 इंजनों, भवनों में लगी गोलाकार नली चिन्हन-(पु०) दे० चिह्नन (शुद्ध रूप)
जिसमें से धुआँ निकलता है (जैसे-बिजलीघर की चिमनी) चिन्हांकन-(पु०) = दे० चिह्नांकन (शुद्ध रूप)
2 लेंपों आदि की शीशे की गोलाकार नली चिन्हाना-(स० क्रि०) 1 पहचान करना, परिचय कराना चिरंजीव-I सं० (वि०) बहुत समय तक जीवित रहनेवाला, 2 पहचानने में प्रवृत्त करना
दीर्घजीवी, दीर्घायुवाला II (अ०) आशीर्वादात्मक विशेषण चिन्हानी-(स्त्री०) 1 निशानी 2 पहचान 3 रेखा आदि का | जिसका अर्थ है दीर्घायु हो निशान
चिरंजीवी-सं० (वि०) चिरजीवी चिन्हार-(वि०) 1 जान पहचानवाला, परिचित 2 जिसे कोई चिरंटी-सं० (स्त्री०) 1 पिता के घर रहनेवाली सयानी लड़की जानता हो
__2 युवती चिपक-(स्त्री०) चिपकने की स्थिति
चिरंतन-सं० (वि.) बहत दिनों से चला आता रहनेवाला, चिपकना-(अ० क्रि०) 1 सटना, जुड़ना (जैसे-काग़ज़ पुरातन। "ता (स्त्री०) पुरातनता, पुरानापन चिपकना) 2 लिपटना (जैसे-नायिका-नायक के गले से चिर-1 सं० (वि०) 1 दीर्घकालीन 2 जो बहुत दिनों तक बना चिपक गई) 3 सटकर बैठना (जैसे-चिपकने की ज़रूरत नहीं | रहे, दीर्घकालव्यापी 3 दीर्घ, बहुत || (पु०) देर विलंब है) 4 प्रगाढ़ प्रेम होना।
III (क्रि० वि०) बहुत दिनों तक। (पु०) तीन मात्राओं का चिपकाना-(स० क्रि०) 1 जोड़ना (जैसे-इस चित्र को कापी में वह गण जिसका पहला वर्ण लघु हो; ऋणी (पु०/वि०) चिपका दो) 2 लिपटाना, आलिंगन करना 3 काम में लगाना जो सदा के लिए ऋण ग्रस्त हो (व्यक्ति): कार, ~कारी (जैसे-इसे भी रोज़गार में चिपकाए रहो)
(वि०) देर लगानेवाला, दीर्घ सूत्री; काल (पु०) बहुत चिपकाव-(पु०) जोड़
समय, दीर्घकाल; ~कालिक, कालीन (वि०) 1 बहुत चिपचिपा-(वि०) चिपकनेवाला, लसदार (जैसे-चिपचिपा | दिनों से चला आता हुआ, पुराना 2 बहुत दिनों तक बना
रहनेवाला; ~कुमार (वि०) विवाह न करनेवाला; कृतज्ञ चिपचिपाना-I (अ० क्रि०) लसीली वस्तु का चिपचिप शब्द (वि०) हमेशा आभार माननेवाला; क्रिय (वि०) काम में करना (जैसे-गुड़ की चाशनी का चिपचिपाना) II (स० देर करनेवाला; क्रिय-ता (स्त्री०) दीर्घसूत्रता; जीवक क्रि०) पदार्थ को चिपचिपा बनाना
(वि०) बहुत दिनों तक जीवित रहनेवाला, चिरजीवी; चिपचिपाहट-(स्त्री०) लसीलापन, लसी
जीवन (पु०) अमर जीवनः जीवी (वि०) चिपटना-(अ० क्रि०) 1चिपकना, सटना 2 दे० चिमटना = चिरजीवक; तिक्त (पु०) चिता; तुषार रेखा 3 आलिंगन में लेना
(स्त्री०) जिसपर सदैव बर्फ जमी रहे, नवीन (वि०) जो चिपटा-(वि०) उभरा हुआ न हो, पैंसा हुआ (जैसे-उसकी कभी पुराना न हो, हमेशा नया रहनेवाला; ~निद्रा (स्त्री०) नाक चिपटी है)
मृत्युः परिचित (वि०) जो बहुत दिनों से चिपटाना-(स० क्रि०) 1 चिपकाना, सटाना 2 आलिंगन जान-पहचानवाला हो; ~पोषित (वि०) जिसे बहुत दिनों करना, लिपटाना
तक पाला-पोसा गया हो; ~प्रतीक्षित (वि०) जिसकी बहुत चिपटापन-(पु०) चिपटे होने का भाव
दिनों से प्रतीक्षा की जा रही हो; ~प्रसिद्ध (वि०) जो बहुत चिपड़ा-I (वि०)जिसकी आँख में कीचड़ हो II उपला, गोइठ, दिनों से मशहूर हो; ~मान्य (वि०) जो बह- दिनों से सम्मान चिपड़ी-(स्त्री०) छोटा उपला, गोंइठी
पाता रहा हो; रोगी (वि०) सर जाहनेवाला 2 जो चिटप-सं० (पु०) चि० एक तरह का नख रोग जिसमें
बहुत दिनों से बीमार हो; ~यांछित (वि०) बहुत दिनों से
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चिरई
चाहा हुआ; वियोग (पु० ) दीर्घ काल की जुदाई - विस्मृत (वि०) बहुत दिनों से भूला हुआ; ~वियोग (पु० ) दीर्घ काल की जुदाई ~ विस्मृत (वि०) बहुत दिनों से भूला हुआ; ~ शत्रु ( पु० ) 1 सदा का दुश्मन 2 पुराना दुश्मन; शांति (स्त्री०) मृत्यु ~संगी I ( वि०) सदा साथ रहनेवाला II (पु० ) पुराना साथी सखा (पु० ) पुराना दोस्त; ~ सम्मानित (वि०) = चिर मान्य; ~स्थ, स्थायी (वि०) देर तक रहनेवाला, टिकाऊ; ~ स्नेह (पु०) सदा के लिए प्यार, स्थायी प्रेम; ~स्मरणीय (वि०) जिसे बहुत दिनों तक याद रखा जा सके; स्वप्न (पु०) देर का सपना चिरई -बो० (स्त्री० ) चिड़िया चिरक ढाँस - (स्त्री०) हमेशा किसी न किसी रोग का बना रहना चिरकना - (अ० क्रि०) बहुत कष्ट से थोड़ा-थोड़ा मल त्यागना चिरकीन - फ़ा० (वि०) 1 थोड़ा-थोड़ा मल त्याग करनेवाला 2 अत्यंत मैला
चिरकुट - (गु० ) चिथड़ा
चिरना-I (अ० क्रि०) 1 कट जाना 2 फटना II (पु०) चीरने का औजार
चिरबती - (वि०) चिथड़े-चिथड़े किया हुआ चिरवाई - I (स्त्री०) 1 चीरने का काम 2 चीरने की मज़दूरी II वर्षा होने पर पहली जोताई
=
=
260
=
चिरवाना - (स० क्रि०) चीरने के काम में दूसरे को लगाना चिरौंदा - (वि० ) = चिड़चिड़ा चिराइता - ( पु० ) चिरायता चिराई - (स्त्री०) 1 चीरने का काम 2 चीरने की मज़दूरी चिराग़ - फ़ा० (पु० ) दीपक, दीआ । गुल (पु०) 1 युद्ध आदि के समय रोशनी का घर से बाहर न आने देना 2 बत्तियाँ न जलाने से उत्पन्न स्थिति, ब्लैक आऊट; ~दान (पु०) वह आधार जिसपर दीआ रखा जाए, दीयट, शमादान का हँसना चिराग़ से फूल झड़ना, चिनगारियाँ झड़ना; गुल करना दीआ बुझाना; गुल होना दीआ बुझना; ठंडा करना = चिराग़ गुल करना; ~तले अँधेरा 1 रखवाले के सामने चोरी 2 ज्ञानी के घर में घोर मूर्खता का आचरण होना; ~ दिखाना रोशनी करना; बढ़ाना दीआ बुझाना; खत्ती का वक़्त दीया जलाने का समय; ~से~ जलता है एक के गुण से दूसरे को लाभ होता है; ~से फूल झड़ना जलती बत्ती से चिनगारियाँ निकलना
चिराग़ी - फ़ा० (स्त्री०) 1 दीआ बत्ती का खर्च 2 पवित्र स्थान
पर दीआ - बत्ती के निर्वाह हेतु दी गई भेंट 3 जुए के अड्डे पर दिया जलानेवाले को दिया जानेवाला पैसा चिराना - I (स० क्रि०) चीरने का काम किसी अन्य से कराना,
फड़वाना
चिराना - II ( वि०) 1 पुराना, प्राचीन 2 जीर्ण-शीर्ण चिरायध - (स्त्री०) 1 चमड़े, चरबी, बाल आदि के जलने से फैलनेवाली दुर्गंध 2 फैलनेवाली बदनामी
चिरायता - ( पु० ) कड़वे स्वादवाला एक छोटा पौधा जो दवा के काम आता है।
चिरायु-सं० (वि०) लंबी उम्रवाला, दीर्घायु चिराव- (पु० ) 1 चीरने की क्रिया 2 चीरने से होनेवाला जख़्म,
घाव
चिहुँकना
चिरु-सं० (पु० ) कंधे एवं बाँह का जोड़, मोढ़ा चिरौंटा - ( पु० ) चिड़िया का बच्चा चिरौरी - ( स्त्री०) प्रार्थना, विनती
चिलक - (स्त्री०) 1 क्षणिक कांति या चमक 2 क्षणिक पीड़ा या टीस
चिलकना - (अ० क्रि०) 1 रह-रहकर दर्द होना, पीड़ा होना 2 रह-रहकर चमकना
चिलका - बो० (पु०) नवजात शिशु चिलकाना-(स० क्रि०) 1 चिलकने में प्रवृत्त करना
2 चमकाना
चिलगोज़ा - फ़ा० (पु० ) चीड़ का फल जिसकी गिरी खाई जाती है
चिलचिल - I (पु० ) अबरक, अभ्रक II (वि०) चमकीला चिलचिलाना - [ ( अ० क्रि०) चिलकना, चमकना II (स० क्रि०) = चमकाना
चिलड़ा - ( पु० ) बेसन आदि की बनी पूरी चिलता - फ़ा० (पु० ) कवच, बख़्तर चिलबिला, चिलबिल्ला - (वि०) चंचल, चपल, नटखट चिलम - फ़ा० (स्त्री० ) . कटोरी के आकार का नलीदार मिट्टी का बना पात्र (जैसे-हुक्के की चिलम में आग भर दो) । ~चट + हिं० (पु०) तंबाकू पीनेवाला; ~बरदार (पु०) तंबाकू पिलानेवाला नौकर चिलमची-तु० (स्त्री०) 1 थाल के किनारे का आकार जैसा पात्र जिसके बीच का भाग देगची जैसा होता है जिसमें कुल्ली आदि करते हैं 2 चिलम रखनेवाला हुक्के का भांग चिलमन - फ़ा० (स्त्री०) बाँस की तिलियों आदि का बना पर्दा, चिक़
चिलमिलिका- (स्त्री०) 1 जुगनू, खद्योत 2 विद्युत, बिजली चिल्लड़ - (पु० ) चीलर चिल्ल-पों - (स्त्री०) 1 चिल्लाहट 2 शोर गुल (जैसे-घर में हमेशा चिल्ल-पोँ मची रहती है) चिल्लर - (पु०) रेजगारी, खुदरा चिल्लवाँस - (पु० ) रोग आदि के समय बच्चों का चिल्लाना
चिल्लवाना - (स० क्रि०) चिल्लाने में प्रवृत्त करना चिल्ला - I फ़ा० (पु० ) 1 चालीस दिनों का काल 2 चालीस दिनों का व्रत, अनुष्ठान 3 प्रसूता के चालीसवें दिन का स्नान II (पु०) 1 धनुष की डोरी, प्रत्यंचा 2 पगड़ी का पल्ला 3 चीला
चिल्लाना - (अ० क्रि०) 1 शोर मचाना, हल्ला करना (जैसे -गली में कुत्ते चिल्ला रहे थे ) 2 ज़ोर से कहना (जैसे- नेता चिल्ला-चिल्लाकर भाषण दे रहे थे) 3 बार - बार कहना (जैसे- भिखारी गली में बैठा राम-राम चिल्लाता है) चिल्लाहट - ( स्त्री० ) 1 शोर गुल, हो हल्ला 2 चिल्लाने की क्रिया
चिल्ली -सं० (स्त्री०) 1 झिल्ली नाम का कीड़ा, लोध 2 बिजली
चिविट -सं० (पु०) चिड़वा चिवुक - सं० (पु० ) चिबुक, ठुड्डी, ठोढ़ी चिहुँकना-बो० (अ० क्रि०) चौंकना
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चिहुँटना
चिहुँटना - (स० क्रि० ) 1 चिकोटी काटना 2 मर्म भेदी पीड़ा पहुँचाना 3 दबोच लेना 4 लिपटना चिह्न - सं० ( पु० ) 1 शारीरिक निशान (जैसे चाकू से बना चिह्न) 2 दाग़ (जैसे- फोड़े का चिह्न) 3 घर्षण, दाब से बना निशान (जैसे-चरण- चिह्न) 4 जन्म जात शरीर पर बना दाग़, निशान, लक्षण (जैसे-पैदा होने का चिह्न अमिट है) चिह्नांकन -सं० (पु० ) 1 विराम चिह्न लगाना 2 निशान लगाना चिह्नांकित सं० (वि०) निशान लगाया हुआ चिह्नित सं० (वि०) जिस पर निशान लगाया गया हो चीं - (स्त्री०) 1 चिड़ियों के बोलने का शब्द 2 कष्ट, पीड़ा से निकलनेवाली बारीक आवाज़। चपड़ (स्त्री०) हल्का प्रतिवाद, मामूली विरोध; चीं (स्त्री०) 1 चीं-चीं की ध्वनि, कोमल एवं दीनतासूचक शब्द 2 धीमे स्वर में की जानेवाली बातें बोलना असमर्थता एवं दीनता के लक्षण दिखाना,
हार स्वीकार करना
चींटा - (पु० ) चींटी - (स्त्री०)
च्यूँटा, चिउँटा
च्यूँटी, चिउँटी
चींथना - (स० क्रि०) = चीथना
-
चीक - (स्त्री०) चीख
चीकट - (पु० ) / (वि०) चिक्कट, मैल, कीचड़
चीकना-I (अ० क्रि०) 1 चीत्कार करना, चीखना 2 चिल्लाकर बोलना II (वि०) चिकना चीकर - ( पु० ) चरस द्वारा कूएँ से निकाले गए पानी को बहाने
=
=
261
का स्थान
चीकू - ( पु० ) आलू जैसे छिलकेवाला एक मीठा फल चीख - (स्त्री०) 1 तीव्र ध्वनि 2 तीव्र एवं कटु ध्वनि (जैसे- इंजन की चीख से वह डर गया)। पुकार (स्त्री०) चिल्लाकर मचाई जानेवाली पुकार; मारना ज़ोर से चिल्लाना चीखना - I (स० क्रि०) = चखना II ( अ० क्रि०) = चीकना चीखर - (पु० ) कीचड़ चीखुर - (पु० ) गिलहरी
चीज़ - फ़ा० (स्त्री०) 1 वस्तु, पदार्थ 2 बहुमूल्य अनूठी वस्तु
3 महत्त्व की वस्तु 4 बात 5 साहित्य, कला की वस्तु चीड़, चीढ़ - (पु० ) 1 एक प्रकार का देशी लोहा 2 चमड़ा छीलकर साफ़ करने की क्रिया 3 एक सुंदर सदाबहार वृक्ष जिसका तना बहुत लंबा होता है तथा उसकी लकड़ी अनेक सामान बनाने के काम आती है चीतना-I (स० क्रि०) 1 सोचना 2 स्मरण करना
I (अ० क्रि०) 1 होश में आना, चेतना 2 चित्रित करना चीतल - (पु० ) 1 चित्तीदार और सुंदर बारहसिंघा 2 चित्तीदार सर्प
चीता - I (पु० ) धारीदार प्रसिद्ध हिंसक एवं विशाल जंतु, बाघ चीता - II ( पु० ) एक प्रकार का क्षुप जिसकी पत्तियाँ दवा के काम आती है
चीत्कार - सं० ( पु० ) 1 चिल्लाहट 2 चीख-पुकार (जैसे- सर्प देखकर लड़का चीत्कार उठा) चीथड़ा - (पु० )
= चिथड़ा
चीथना - (स० क्रि०) फाड़ना
चीदा फ्रा० (वि०) 1 चुना हुआ 2 बढ़िया चीनक-सं० (पु० ) चीनी कपूर
चील्ह
चीनज - 1 सं० ( पु० ) एक प्रकार का लोहा II (वि०) चीन देश में उत्पन्न होनेवाला
+
चीन - पंथी - (वि०) चीनवादी चीन - विज्ञान-हिं० सं० ( पु० ) चीन से संबंधित विज्ञान चीन-विज्ञानी-हिं० + सं० (पु० ) चीन से संबंधित विद्या का विशेषज्ञ
चीनांशुक-सं० (पु० ) 1 चीन से आनेवाला रेश्मी वस्त्र 2 रेशमी कपड़ा
चीना - I ( पु० ) चीन देश का निवासी II (वि०) चीन देश का चीनिया - (वि०) जो चीन देश से संबंधित हो चीनी - I (वि०) चीन देश का (जैसे चीनी भाषा, चीनी मिट्टी) चीनी - II (स्त्री०) सफ़ेद शक्कर (जैसे-चाय में चीनी कम है) । चंपा (पु०) बढ़िया केला चीन्ह - (पु० ) दे० चिह्न (शुद्ध रूप ) चीन्हना - (स० क्रि०) देखे हुए लेना
व्यक्ति आदि को पहचान
चीपड़ - (पु० ) 1 आँख का कीचड़ 2 दे० चिप्पड़ चीफ़ - 1 अं० (वि०) मुख्य, प्रधान (जैसे- चीफ़ कमिश्नर, चीफ़ जस्टिस ) II (पु० ) 1 मुखिया 2 कबीले, जाति का नेता
3 राजा
चीमड़ - (वि०) 1 जो चमड़े की कड़ी हो 2 जो पीछा न छोड़ता हो 3 जिससे जल्दी पैसा वसूल न किया जा सके चीयाँ - ( पु० ) इमली का बीज
चीर-सं० (पु० ) 1 कपड़ा, वस्त्र 2 कपड़े, काग़ज़ आदि का कम चौड़ा और लंबा टुकड़ा 3 चिथड़ा, लत्ता 4 साधुओं, योगियों आदि के पहनने का कपड़ा। हरण (पु० ) वस्त्र चुरा ले जाना (जैसे-गोपियों का चीर हरण) चीर - ( स्त्री०) 1 चीरने की क्रिया 2 चीरकर बनाई गई दरार । ~घर (पु० ) मुर्दाखाना, मुर्दाघर, लाशघर, फाड़ (स्त्री०) 1 चीरने फाड़ने की क्रिया शल्य चिकित्सा, ऑपरेशन चीरक - (पु० ) 1 गोलाकार लपेटा हुआ लंबा काग़ज़ 2 काग़ज़ पर लिखी हुई सार्वजनिक घोषणा 3 लिखने का ढंग 4 लेख्य चीरना- (स० क्रि०) 1 फाड़कर अलग करना (जैसे- कपड़ा,
लकड़ी आदि चीरना) 2 अलग कर देना, निकाल देना 3 रास्ता बनाना (जैसे- नाव नदी में जलधार चीरती हुई बढ़ती है) चीरा - I ( पु० ) 1 पगड़ी के काम आनेवाला लहरदार रंगीन कपड़ा 2 लहरदार रंगीन कपड़े की बनी पगड़ी। ~बंद + फ़ा० (पु०) चीरा बाँधने का काम करनेवाला; ~बंदी + फ़ा० (स्त्री०) 1 चीरा बाँधने की क्रिया 2 ताश के कपड़े पर पगड़ी बनाने के लिए की जानेवाली बुनावट चीरा - II ( पु० ) 1 चीरने की क्रिया 2 चीरकर बनाया हुआ घाव 3 कौमार्य । फाड़ी (स्त्री०) चीरने फाड़ने का काम चीरि - ( स्त्री०) 1 आँख पर बाँधी जानेवाली पट्टी 2 घोती आदि की लाँग
चीरी - (वि०) चिथड़े लपेटनेवाला
चीर्ण-सं० (वि०) चिरा हुआ
चील - ( स्त्री०) बाज़ की जाति का प्रसिद्ध मांसाहारी पक्षी । ~ झपट्टा (पु०) चील की तरह झपट्टा मारकर ले भागना चीड़, वीलर - (पु० ) चील्ह - बो० (स्त्री०) =
=
चिल्लड़ चील
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चीवर
चीवर - सं० (पु० ) योगियों भिक्षुओं आदि के पहनने का वस्त्र, चादर आदि
चीवरी -सं० (पु० ) 1 चीवर पहननेवाला 2 भिक्षुक चुँगना - (स० क्रि०)
चुगना
चंगुल
चुँगल - (पु० ) चुँगाना - (स० क्रि०) चुगाना
चुंगी - ( स्त्री०) 1 महसूल (जैसे- माल ले जाने से पहले चुंगी देना) 2 चंगुल भर वस्तु। कचहरी (स्त्री०) नगर पालिका आदि का प्रधान कार्यालय; कानून + अ० (पु०) चुंगी देने के संबंध में बनाए गए नियम आदि; घर (पु० ) चुँगी कार्यालय; ~ नियम सं० (पु० ) चुँगी संबंधी कायदा
+
=
चुंडी - (स्त्री०) चुंदरी - (स्त्री०)
क़ानून चुंगीवाला - ( पु० ) चुंगी लेनेवाला चुँघाना - I (स० क्रि०) 1 माँ का शिशु को अपना स्तन चूसने में प्रवृत्त करना 2 पशुओं का अपने बच्चों का थन पिलाना II (स० क्रि०) = चुगाना
चुंदी, शिखा
चुनरी
=
=
262
चुंदी - I (स्त्री०) चोटी, शिखा
चुंदी - II सं० (स्त्री०) कुटनी, दूती
बुंधा - (वि०) 1 जिसे कुछ दिखाई न देता हो, अंधा 2 बहुत छोटी आँखोंवाला
=
चुँधियाना - ( अ० क्रि०) चौधियाना चुंबक - I सं० (वि०) 1 चुंबन करनेवाला 2 कामुक II ( पु० ) 1 एक तरह का पत्थर जो लोहे को अपनी ओर खींचता है 2 अपनी ओर आकृष्ट करनेवाला व्यक्ति । ता (स्त्री०) आकर्षित करने का गुण
लोहा
+
चुंबकत्व -सं० (पु०) चुंबक का गुण, आकर्षण । मापी (पु०) चुंबक की शक्ति मापने का यंत्र; लेखी + हिं० (पु०) चुबंक की शक्ति का रेखांकन करने का यंत्र; हिं० (पु० ) चुंबक का शक्तिवाला लोहा चुंबकीय - सं० (वि०) 1 चुंबक संबंधी 2 जिसमें चुंबक का गुण हो (जैसे- उसकी सुंदरता में चुंबकीय आकर्षण है) चुंबन-सं० (स० क्रि०) चुम्मा, चूमना । ~आलिंगन (पु० ) चूमना और गले लगाना
चुंबित - सं० (वि०) 1 चूमा हुआ 2 स्पर्श करता हआ चुंबी - सं० (वि०) 1 चूमनेवाला 2 जो किसी को स्पर्श करता हो, बहुत ऊँचा (जैसे-गगनचुंबी इमारतें ) चुआ - (पु० ) चार पैरोंवाला पशु चौपाया बुआई - (स्त्री०) 1 चुआने की क्रिया, टपकाने की क्रिया 2 चुआने की मज़दूरी
चुआना - (स० क्रि०) बूँद-बूँद गिराना, टपकाना चुकंदर - फ्रा० (पु०) लाल रंग का प्रसिद्ध मीठा फल जो सब्ज़ी के काम आता है।
चुक - (पु० )
= चूक II
चुकचुकाना - (अ० क्रि०) पसीजना
चुटकी
3 तै होना 4 पूरा-पूरा परिशोध होना 5 संयोज्य क्रिया जो मुख्य क्रिया की समाप्ति की सूचक होती है (जैसे खेल चुकना, लड़ चुकना)
चुकवाना - (स० क्रि०) चुकाने में दूसरे को लगाना (जैसे- कर्ज चुकवाना पड़ेगा )
चुकाई - (स्त्री०) 1 चुकने-चुकाने की क्रिया 2 चुकने-चुकाने की मज़दूरी
चुकट - (पु० ) = चंगुल चुकटी-बो० (स्त्री०) = चुटकी
चुकता - (वि०) 1 चुकाया हुआ 2 लेना-देना बराबर हुआ चुकना - (अ० क्रि०) 1 समाप्त होना, बाकी न रहना 2 निबटना
चुकाना - (स० क्रि० ) 1 वापस करना 2 क्षतिपूर्ति करना (जैसे-ट्रक दुर्घटना में ट्रक मालिक को दस हज़ार रुपये चुकाना पड़ा) 3 निपटाना
चुकारा, चुकाव - (पु०) चुकने-चुकाने की क्रिया चुकावरा- बो० (पु०) कर्ज़, देन आदि चुकाने की क्रिया चुकौता - बो० (पु० ) 1 रुपया पाने के समय लिखी जानेवाली रसीद 2 कर्ज़ का साफ़ हो जाना
चुक्कड़ - (पु० ) कुल्हड़, पुरवा चुक्कार - (पु० ) गर्जन, गरज
चुक्र -सं० (पु० ) 1 चूक 2 चूका नामक खट्टा साग। फल (पु० ) इमली
चुक्रिमा - सं० (स्त्री०) खट्टापन, खटाई चुग़द - I फ़ा० (पु०) उल्लू II (वि०) महामूर्ख चुगना- (स० क्रि०) पक्षियों का चोंच से अन्न के दाने
उठा-उठाकर खाना
चुग़ल - फ़ा० (पु० ) 1 चुगलखोर 2 कंकड़, गिट्टक। खोर (पु०) पीठ पीछे निंदा करनेवाला; खोरी (स्त्री०) चुगलखोर का काम, पिशुनता
चुग़ली - फ्रा० (स्त्री०) निंदा, बुराई। खाना पीठ पीछे दूसरों से की जानेवाली अभियोगात्मक निंदा
चुगा - I ( पु० ) चिड़ियों का चारा चुगा - II बो० (पु०) चोग़ा, पहनावा
चुगाना - (स० क्रि०) चिड़ियों को दाना खिलाना चुग्गुलखोर -फ़ा० (पु० ) चुगलखोरी - फा० (स्त्री० )
चुगलखोर चुग़लख़ोरी
=
=
चुगुली - फ्रा० (स्त्री०) चुग़ली चुग्गा - ( पु०) चिड़ियों का दाना-दुनका
चुचकना - (अ० क्रि०) 1 सूखकर सिकुड़ना 2 मुरझा जाना
चुचकारना - (स० क्रि०) चुमकारना चुचकारी - (स्त्री०) चुमकार, पुचकार खानाबो० (अ० क्रि०), चुचुआना- (अ० क्रि०) दे० चुकचुकाना
=
=
खुचुकना - ( अ० क्रि०) 1 सूख जाना 2 रस समाप्त हो जाना चुटकना - I (स० क्रि०) 1 चुटकी से तोड़ना 2 चिकोटी काटना II (स० क्रि०) कोड़ा मारना
=
चुटका - ( पु० ) 1 उतना पदार्थ जितना चुटकी में आ सके (जैसे- चुटकी भर आटा देना) 2 बड़ी चुटकी चुटकिला - (पु० ) 'चुटकुला चुटकी - (स्त्री०) 1 अँगूठे, तर्जनी और बीच की उँगली को मिलाने से बनी हुई मुद्रा (जैसे-चुटकी से पत्तों का दोना बनाना) 2 चिकोटी 3 व्यंग्यपूर्ण बात (जैसे- मीठी चुटकियाँ देना) 4 अंगूठे एवं तर्जनी को मिलाकर चटकाने की क्रिया (जैसे- चुटकी बजाना)। देना 1 चुटकी बजाना 2 भीख
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चुटकुला
देना; बजाना चुटकी से आवाज़ निकालना;
भरना |
1 चुटकी काटना 2 चुटकी लेना; माँगना भीख माँगना; ~लगाना 1 चुटकी से पकड़ना 2 मसलना 3 कपड़े को दो उँगलियों में फँसाकर फाड़ना 4 जेब काटना; लेना हँसी उड़ाना, व्यंग्य करना; चुटकियों में चुटकी बजाते, दम भर में; चुटकियों में उड़ाना 1 बात की बात में कर डालना 2 खेल
समझना
चुटकुला - (पु० ) चमत्कारपूर्ण और विलक्षण उक्ति, बढ़िया और मज़ेदार बात, लतीफ़ा । छोड़ना मनोरंजक,
कुतूहलजनक बात कहना चुटफुट - I (वि०) बिखरा हुआ किंतु छोटा और साधारण (जैसे- चुट-फुट सामान एक जगह रखना) II (स्त्री०) इधर-उधर फैली हुई फुटकर और मामूली वस्तुएँ चुटिया - I (स्त्री०) शिखा, चोटी। हाथ में होना वश में होना, अधिकार में करना II ( पु० ) चोरों, ठगों आदि का
सरदार
चुटियाना - (स० क्रि०) 1 चोट पहुँचाना 2 डसकर घायल
करना
चुटीला - I ( वि०) 1 चोट खाया हुआ 2 चोट करनेवाला II (वि०) 1 चोटी पर का, सिरे का सबसे अच्छा और बढ़कर 2 ठाठ-बाटवाला, भड़कीला चुटैल - (वि०) चुटीला I चुड़िहारा - ( पु० ) 1 चूड़ियाँ बनानेवाला 2 चूड़ियाँ बेचनेवाला व्यक्ति
=
चुड़ैल - (स्त्री०) भूत की स्त्री, डायन 2 अत्यंत दुष्ट स्वभाववाली स्त्री 3 अत्यंत कुरूप एवं घृणित स्त्री
चुत-सं० (पु०) गुदद्वार
चुस्थल - I (वि०) मसखरा, ठट्ठेबाज़ II (वि०) चुत्थलपना - (पु० ) ठट्ठेबाज़ी
खुत्था - I (पु०) वह बटेर जिसे दूसरे बटेर ने घायल कर दिया हो II चोथा-बकोटा
=
चुत्था
चुदक्कड़ - (वि०) अत्यधिक मैथुन करनेवाला, अतिकामी चुदना - (अ० क्रि०) पुरुष द्वारा संभोग किया जाना चुदवाना - (स० क्रि०) 1 पुरुष से संभोग कराना, मैथुन कराना 2 स्त्री का पुरुष से संभोग कराना
चुदाना - (स० क्रि०) संभोग कराना
खुदास - (स्त्री०) संभोग की प्रबल कामना
चुदवास- (स्त्री०) मैधुन कामना, संभोग इच्छा चुदवैया - (वि०) मैथुन करनेवाला, संभोग करनेवाला खुदाई - (स्त्री०) 1 मैथुन, संभोग 2 मैथुन, संभोग के बदले दिया जानेवाला धन
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खुदासा - (पु० ) संभोग की प्रबल इच्छा करनेवाला पुरुष, संभोग की प्रबल कामना से अभिभूत व्यक्ति चुदौवल - (स्त्री०) संभोग करने की क्रिया
खुन - (पु० ) 1 गेहूँ, जौ आदि का आटा 2 चूर्ण, बुकनी चुनचुना - ( पु० ) मलाशय में पैदा होनेवाला सफ़ेद कीड़ा । लगना बुरा लगना
चुनचुनाना - (अ० क्रि०) 1 खुजली और जलन सी होना (जैसे- अच्छा होने पर ज़ख़्म चुनचुनाना) 2 हल्की जलन होना चुनचुनाहट, चुनचुनी - (स्त्री०) 1 चुनचुनाने की अवस्था
2 हल्की जलन
चुनट - (स्त्री०) 1 दे० चुनना 2 सिलावट, शिकन । दार फ़ा० (वि०) जो चुना गया हो, चुनट डाली हुई चुनत-बो० (स्त्री०)
=
चुन्नट
चुनट
चुनन - (स्त्री०) 1 चुनने की क्रिया 2 अनाज का कूड़ा कंकड़ आदि । ~दार + फ़ा० (वि०) जिसमें चुनन पड़ी हो, जो चुना गया हो
चुनना - (स० क्रि०) 1 एक-एक करके इकट्ठा करना, बीनना 2 चोंच से दाना आदि उठाना, चुगना 3 अलग करना, छाँटना 4 पसंद करना 5 वोट, मतदान द्वारा पसंद करना 6 सजाना चुनरी - (स्त्री०) लाल रंग का कपड़ा जिस पर अनेक रंग की बुंदियाँ पड़ी हों, चुत्री
चुनवाँ I ( वि०) 1 चुना हुआ 2 बढ़िया, अच्छा II (पु० ) छोटा लड़का, बालक
चुनवाना - (स० क्रि०) किसी दूसरे से चुनने का काम करवाना चुन-चुनीं - फा० (स्त्री०) 1 व्यर्थ की आपत्ति (जैसे- चुनाँ-चुनीं से अब कोई फ़ायदा नहीं है) 2 आदेश, राय आदि के विषय में होनेवाला औचित्य
चुनाँचे-फ़ा० (अ०) इसलिए, अतः
चुनाई - (स्त्री०) 1 चुनने की क्रिया 2 चुनने की मज़दूरी 3 चुनने का ढंग (जैसे- इस दीवार की चुनाई अच्छी नहीं है) चुनाखा - ( पु० ) परकार, कंपास चुनाना - (स० क्रि० )
=
+
=
चुनवाना
चुनाव - ( पु० ) 1 पद के लिए उम्मीदवारों में से बहुमत के आधार पर चुनना 2 चुनने की क्रिया 3 रुचि, पसंद आदि के अनुरूप ग्रहण करना (जैसे- पुरस्कार हेतु पुस्तकों का चुनाव करना) 4 चुनी गई वस्तु । अभियान सं० (पु०) चुनाव के लिए लोगों के पास जाना; आंदोलन + सं० (पु० ) चुनाव के लिए हलचल मचाना; - क्षेत्र निर्वाचन क्षेत्र गठबंधन (पु० ) चुनाव के लिए परस्पर समझौता और जोड़ मेल; घोषणा पत्र चुनाव के लिए किसी दल का नीति संबंधी प्रचार पत्र; ~टिकट + अं० (पु० ) चुनाव के लिए दल की तरफ़ से दिया गया आज्ञा पत्र ~ट्रिब्यूनल + अं० (पु० ) चुनाव का फ़ैसला करनेवाला न्यायाधिकरण; दंगल (पु० ) निर्वाचन संघर्ष; ~ निरीक्षक + सं० (पु०) चुनाव की देखभाल करनेवाला अधिकारी; प्रणाली + सं० (स्त्री०) चुनाव का ढंग; याचिका + सं० (स्त्री०) चुनाव में अवैध तरीकों के प्रयोग होने के विरोध में अदालत में दी गई अर्जी, रण नीति + सं० (स्त्री०) चुनाव लड़ने के लिए आंदोलन संबंधी नीति; ~ संग्राम + सं० (पु०) चुनाव लड़ना; ~समझौता (पु०) चुनाव के लिए दलों का परस्पर समझौता चुनिंदा - फा० (वि०) 1 चुना हुआ 2 श्रेष्ठ, उत्तम 3 प्रतिष्ठित चुनी - (स्त्री०) अत्र, दाल आदि का पीसा हुआ आटा, चूर्ण
~भूसी (स्त्री०) मोटे अन्न का चूर्ण, चोकर आदि चुनौटिया - I (पु० ) 1 कत्थई रंग 2 काकरेजी रंग II (वि०) 1 काकरेजी रंग का 2 कत्थई रंग का चुनौटी - (स्त्री०) गीला चूना रखने की छोटी डिबिया चुनौती - (स्त्री०) ललकार, चैलेंज चुन्नट-बो० (स्त्री०)
चुनट
+
+
सं० (पु० )
सं० (पु० )
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चुन्ना
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फूसी
मा-(पु०) बेटे बच्चों को प्यार से बुलाने का शब्द | चुरगना-(अ० क्रि०) प्रसन्न होकर बोलना बुजी-(सी०) 1 ओढ़नी, चुनरी 2 सुनहले, रूपहले सितारे, | चुरगम-(स्त्री०) 1 प्रसन्न होकर की जानेवाली बातें 2 काना
चमकी चुप-I (वि०) जो कुछ भी बोल न रह हो, मौन, खामोश | चुरचुरा-(वि०) चुर-चुर ध्वनि निकलने वाला (जैसे-चुरचुरा II (सी०) चुप्पी, मौन। चाप (अ०) 1बिना कुछ | पापड़, चुरचुरा खस्ता) कहे-सुने, मौन रहकर 2 गुपचुप। जाबना, ~मारना, चुरचुराना-I (अ० क्रि०) 1 चुर-चुर शब्द उत्पन्न होना
लगाना, साधना चुप रहना, कुछ न बोलना __2 टुकड़े-टुकड़े होना II (स० क्रि०) चुर-चुर ध्वनि निकालना चुपका-I (वि०) 1 मोन, ख़ामोश 2 घुत्रा II (पु०) मौन रहने | चुरट-अं० (पु०) = चुरुट की अवस्था
चुरना-I (अ० क्रि०) बो० 1 उबलकर पकना (जैसे-बटलोई चुपकी-(स्त्री०) = चुप्पी
में चावल चुरना) 2 रहस्यपूर्ण बात होना II (अ० क्रि०) चोरी चुपके-(क्रि० वि०) चुप करके
जाना, चुराया जाना III (पु०) = चुनचुना चुपाना-(स० क्रि०) 1 तेल, घी आदि लगाना (जैसे-रोटी पर | चुरमुर-(पु०) खरी वस्तु के टूटने का शब्द मक्खन चुपड़ना) 2 चापलूसी करना 3 आरोप करना चुरमुरा-(वि०) चुरमुर शब्द उत्पन्न करनेवाला, करारा (जैसे-सारा दोष मेरे ही सिर चुपड़ते हो)
चुरमुराना-I (अ० क्रि०) चुरमुर शब्द करते हुए चूर होना II खुपाना-I (अ० क्रि०) चुप हो जाना, मौन रहना II (स० (स० क्रि०) चुरमुर ध्वनि के साथ चूर करना क्रि०) चुप कराना, मौन कराना (जैसे-दाई, ज़रा बच्चे को | चुरवाना-I (स० क्रि०) उबलने एवं पकने में प्रवृत्त करना चुपाना)
चुरवाना-II (स० क्रि०) चोरी कराना चुपीता-(वि०) चुप्पा, घुत्रा
चुरस-I (स्त्री०) शिकन, सिकुड़न II (पु०) - चुरुट चुप्पा-(वि०) 1मन की बात मन में ही रखनेवाला, घुन्ना | चुराई-(स्त्री०) 1 पकाने की क्रिया, पकाना (चावल, खाना 2 बहुत कम बोलनेवाला
| आदि) 2 पकाने की उजरत चुप्पी--(स्त्री०) खामोशी, मौन। -उघाडना मौन तोड़ना. | चुराना-I (स० क्रि०) 1 चोरी करना (जैसे-घड़ी चुराना, बोलना; ~साधना मौन हो जाना, चुप रहना
जैसे-उसने मेरी किताब चुरायी है) 2 अधिकार, वश में करना खुबलाना-(स० क्रि०) = चुभलाना
(जैसे-उसने मेरा मन चुरा लिया है) 3 बात दबा रखना बुभकना-(अ० क्रि०) बार-बार डूबना-उतराना
4 छिपाना (जैसे-लज्जा से नायिका ने आँखें चुरा ली) II बुभकाना-(स० क्रि०) बार-बार गोता देना
(स० क्रि०) गरम करते हुए पकाना (जैसे-बटलोई में दाल चुभकी-(स्त्री०) 1 चुभकने की क्रिया 2 गोता, डुबकी चुराना) चुभता-(वि०) चुभनेवाला
चुरुट-अं०, चुर्ट - (पु०) तंबाकू के चूरे से बनाई गई बत्ती, बुमन-(स्त्री०) 1 चुभने की क्रिया 2 टीस, कसक, पीड़ा सिगार बुमना-(अ० क्रि०) 1घुसना, सना (जैसे-पैर में काँटा चुल-I (स्त्री०) 1 खुजली, खुजलाहट 2 प्रबल काम वासना
चुभना) 2 कष्टदायक जान पड़ना, खलना (जैसे-आपकी बातें 3 कामना मुझे चुभती है) 3 मन में घर करना
चुल-II (स्त्री०) बो० = चुर | बुभर-भर-(अ०) चुप-चुप शब्द (जैसे-कुत्ता चुभर-चुभर चुलचुलाना-(अ० क्रि०) 1 हल्की खुजली होना पानी पीता है)
2 चिलबिलापन करना चुभलाना-(स० क्रि०) चूसते हुए स्वाद लेना
चुलचुलाहट-(स्त्री०) चुलचुलाने की क्रिया चुभवाना-(स० क्रि०) चुभाने में प्रवृत्त करना
चुलचुली-(स्त्री०) - चुल I चुभाना-(स० क्रि०) गड़ाना, साना (जैसे-हाथ में सूई चुलबुल-(स्त्री०) 1 चुलबुलापन 2 चंचलता, चपलता चुभाना)
चुलबुला-(वि०) 1 नटखट 2 चपल 3 वाक्पद चुभोना-(स० क्रि०) बो० = चुभाना
चुलबुलाना-(अ० क्रि०) 1 बार-बार हिलना-डोलना, चुलबुल चुमकार-(स्त्री०) 1 पुचकार 2 चुम शब्द
करना 2 चंचलता दिखाना चुमकारना-(स० क्रि०) चुम-चुम शब्द करते हुए दुलार चुलबुलापन-(पु०), चुलबुलाहट (स्त्री०) -- चुलबुल करना, पुचकारना (जैसे-बच्चे को चुमकारना)
चुलबुलिया-(वि०) - चुलबुला चुमकारी-(स्त्री०) = चुमकार
चुलहाई-[ (वि०) - (स्त्री०) अत्यधिक कामातुर II (स्त्री०) चुमवाना-(स० क्रि०) चूमने में प्रवृत्त करना, चुंबन कराना छिनाल चुमाना-(स० क्रि०) दूसरे से चूमने का काम कराना चुलहाया-(वि०) जो अत्यधिक कामातुर हो चुम्मा-चाटी-(स्त्री०) बार-बार चूमना और चाटना चुलाना-(स० क्रि०) = चुआना चुर-I (पु०) 1 माँद, गड्ढा 2 कुछ लोगों के मिलकर बैठने का | चुलाव-(पु०) चुआने की क्रिया स्थान || सूखे पत्तों के टूटने से उत्पन्न शब्द
चुल्ली-सं० (स्त्री०) 1 छोटा चूल्हा 2 अंजली चुरकना-(अ० क्रि०) 1 चूर-चूर होना 2 चटकना, दरकना | चुल्लू--(पु०) 1 उँगलियों को अंदर की तरफ़ मोड़कर हथेली चुरकुट-(वि०) 1 चूर-चूर किया हुआ, चूर्णित 2 सहमा हुआ, | को गहरा करके बनाया गया रूप, अंजलि (जैसे-चुल्ल घबराया हुआ
बनाओ) 2 मुड़ी हुई उँगलियों एवं हथेली की बनी गहराई में
चुहा
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चुवाना
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चूनेदानी आनेवाला जल, द्रव आदि (जैसे-चार चुल्लू पानी डालना)। पुंडी, चूचुक चूचियों में हाड़ टटोलना दुर्लभ वस्तु हेतु ~भर पानी में डूब मरना लज्जा से मुँह न दिखा सकना; निरर्थक प्रयास करना ~भर लह पीना शत्रु को मारकर चुल्लू भर रक्त पीना; ~में | चूचुक-सं० (पु०) स्तन का अग्रभाग, स्तन के ऊपर की चूची उल्लू बनना थोड़ी शराब आदि पीकर मस्त हो जाना; | चूज़ा-फा० (पु०) मुर्गी का बच्चा चुल्लुओं रोरा बहुत रोना; चुल्लुओं लह पीना बहुत कष्ट | चूड़-(पु०) 1 चोटी, शिखा 2 (पक्षियों आदि की) कलसी देना, सताना
चूड़ांत-[सं० (वि०) 1 चरम सीमा तक पहुँचा हुआ, पराकाष्ठा चुवाना-(स० क्रि०) = चुआना
को प्राप्त हुआ 2 बहुत अधिक, अत्यंत II (पु०) शिखर का चुसकी-(स्त्री०) 1 सुरकने की क्रिया 2 एक बार में सुरके अंतिम और ऊपरी भाग जानेवाला द्रव पदार्थ
चूड़ा-I(पु०) 1 केश 2 शिखर 3 सिर II (पु०) चिड़वा, चुसना-I (अ० क्रि०) 1 चूसा जाना 2 सोखा जाना 3 शोषण | चिउड़ा किया जाना II (पु०) बड़ी चुसनी ।
चूड़ाकरण, चूड़ा-कर्म-सं० (पु०) बालक के सिर के बाल को चसनी-(स्त्री०) 1 चूसने की क्रिया 2 बच्चों को दूध पहले-पहल [डना, मुंडन संस्कार पिलानेवाली शीशी में लगी कटोरी नुमा लंबी नली, निपिल | चूड़ामणि-सं० (पु०) 1 सिर पर पहनने का गहना, शीशफल चुसवाना-(स० क्रि०) 1 चुसाना 2 शोषण करवाते जाना 2 कुल-ख़ानदान का श्रेष्ठ व्यक्ति चुसाई-(स्त्री०) 1 चूसने-चुसाने की अवस्था 2 चूसने- चसाने | चूड़ी-(स्त्री०) 1 काँच आदि धातु का बना वृत्ताकार गहना जिसे का पारिश्रमिक
स्त्रियाँ कलाईयों में पहनती हैं (जैसे-सोने की चड़ियाँ बनवा चुसाना-(स० क्रि०) चूसने का काम अन्य से कराना, चुसवाना लेना) 2 कल-पुर्जो आदि में चूड़ी की शक्ल की बनाई गई चुस्त-1 फ़ा० (वि०) 1 खूब कसा हुआ (जैसे-यह कमीज़ गहरी रेखाएँ (जैसे-नल की चूड़ी ढीली हो गई है, पेंच की चूड़ी
चुस्त है) 2 जो शिथिल, आलसी न हो, फुर्तीला 3 जिसमें त्रुटि घिस गई है) 3 ग्रामोफ़ोन का रिकार्ड 4 पुरजा 5 चूडी की न हो (जैसे-उसकी लिखावट चुस्त है) 4 दृढ़, मज़बूत II शक्ल का गोदना 6 चूड़ी की शक्ल की वस्तु। दार + फ़ा० (पु०) जहाज़ में अंदर की और झुका हुआ भाग। (वि०) 1 जिसमें चूड़ियों के आकार की वृत्ताकार अनेक
चालाक (वि०) फुर्तीला एवं चतुर; तंदुरुस्त (वि०) धारियाँ बनी हों (जैसे-चूड़ीदार पायजामा सिलवा लो) चुस्त और बलिष्ठ
2 जिसमें चूड़ियाँ हो (जैसे-चूड़ीदार पेंच नहीं चाहिए); चुस्ती-फा० (स्त्री०) 1 फुर्ती 2 कसावट 3 दृढ़ता, मज़बूती चूड़ियाँ ठंडी करना, चूड़ियाँ तोड़ना विधवा होने पर अपने 4 प्रौढ़ता 5 चुस्त होने की अवस्था
हाथ की चूड़ियाँ तोड़ देना; चूड़ियाँ पहनना 1 स्त्रियों जैसा चुचुहा, चुहचुहाता-(वि०) रंगीला एवं रसीला
व्यवहार करना 2 ज़नाना भेस बनानाः ~पहनाना 1 विधवा चुहचुहाना-I (अ० क्रि०) 1 रस टपकना 2 चहचहाना का पुनः ब्याह कराना 2 विधवा को पत्नी बनाकर घर में रखना; चहटना-I (स० क्रि०) 1 चिकोटी काटना 2 पैरों से रौंदना | हाथों में चूड़ियाँ पहनकर बैठना कायर बनना
3 कुचलना, मसलना II (अ० क्रि०) चिमटना। चूत-(स्त्री०) भग, योनि चुहड़ा-(पु०) 1 भंगी, मेहतर 2 चमार 3 निकृष्ट और नीच | चूत-सं० (पु०) आम का पेड़, आम्र वृक्ष व्यक्ति
चूतड़-(पु०) शरीर में कमर के नीचे एवं जाँघ के ऊपर का चहल-(स्त्री०) हलका हँसी-मज़ाक, हँसी-ठिठोली। ~बाज़ पिछला अर्द्धगोलाकार मांसल भाग, नितंब। दिखाना भाग + फा० (वि०) हँसी ठिठोली करनेवाला, दिल्लगी खड़े होना, पीठ दिखाना; --पीटना, बजाना ओछेपन से करनेवाला; बाज़ी (स्त्री०) हँसी-मज़ाक, मसखरापन, प्रसत्रता प्रकट करना दिल्लगीपन
चूतिया-(वि०) 1 बिल्कुल नासमझ, महामूर्ख 2 चूत संबंधी चुहिया-(स्त्री०) 1 मादा चूहा, चूही 2 चूहे का बच्चा (जैसे-चूतिया चक्कर में न पड़ना) चहकना-(स० क्रि०) पशुओं के बच्चों का थन चूसना | चून-(पु०) 1 चूर्ण, चूरा 2 आटा -(स्त्री०) 1 आपत्ति, विरोध से संबंधित हल्की बात | चूनर, चूनरी-(स्त्री०) रंगीन बंदकियोंवाला महीन पतला (जैसे-बिना चूँ-चपड़ किए उसने मेरे रुपये चुका दिए) । ___ कपड़ा, ओढ़नी, दुपट्टा 2 पक्षियों के बोलने की ध्वनि। चपड़ (स्त्री०) आपत्तिपूर्ण चूना-I (पु०) पत्थर, कंकड़ आदि को फूंककर बनाया बात
जानेवाला तीक्ष्ण और दाहक क्षार जो पलस्तर आदि के काम चूँकि-फ़ा० (अ०) कारण यह है कि, क्योंकि
आता है (जैसे-चूना से घर पुतवाना)। दानी +फ़ा० चूचिरा-फा० (पु०) आपत्तिजनक बात
+ हिं० (स्त्री०) = चुनौटी; पत्थर (पु०)लाइम स्टोन, चूँची-(स्त्री०) = चूची
~फेरना सफ़ेदी करना; लगाना नीचा दिखाना 2 हानि चूक-I (स्त्री०) 1 भूल, ग़लती 2 अपराध II (पु०) 1 खट्टे पहुँचाना 3 मूर्ख बनाना
फल के रस से बनी तेज खटाई 2 खट्टा साग | चूना-II (अ० क्रि०) 1 बूंद-बूंद करके गिरना, टपकना चूकना-(अ० क्रि०) 1 भूल करना 2 निशाना खाली जाना (जैसे-घड़ा चूना, छत चूने लगी) 2 घाव आदि से रक्त 3 समय से लाभ न उठा पाना 4 समाप्त होना, चुकना निकलकर टपकना 3 नीचे आ गिरना (जैसे-पेड़ से आम चू चूका-(पु०) चूक नामक खट्टा साग
पड़ा), (वि०) चूनेवाला (जैसे-चूना लोटा, चूनी छत) चूची-(स्त्री०) 1 स्तन, कुच 2 स्तन का अगला भाग, स्तन की | चूनेदानी-हिं० + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) चुनौटी
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चूनेदार
खूनेदार - हिं०
+ फ़ा० (वि०) चूनेवाला
चूमना - (स० क्रि०) 1 प्रेमवश, स्नेहपूर्वक किसी प्रिय के किसी अंग को होठों से स्पर्श करना, चुंबन करना (जैसे-नायिका के कपोल चूमना ) 2 सम्मानपूर्वक बड़ों के पाँव ओठों से स्पर्श करना (जैसे-चरण चूमना) चाटना (स० क्रि०) 1 बार-बार चुंबन करना एवं चाटना 2 चूमना एवं दुलराना चूमा - ( पु० ) चुंबन, चुम्मा चाटी (स्त्री०) चुंबन और
आलिंगन, चूमना चाटना चूर - (वि०) 1 छोटे-छोटे टुकड़ों में बँटा हुआ (जैसे- काँच की प्लेट गिरकर चूर हो गई) 2 परिश्रम आदि के कारण शिथिल हो जाना (जैसे- काम करते करते वह थककर चूर हो गया ) 3 आवेग, उमंग आदि भावों में बेसुध (जैसे- घमंड में चूर होना) । चूर (वि०) 1 जो पूर्णतः नष्ट हो गया हो (जैसे- प्याला गिरकर चूर-चूर हो गया) 2 मान-मर्दन होना (जैसे- उसकी सारी शान-शौकत चूर-चूर कर दी गई ) चूरण - ( पु० ) = चूर्ण
चूरन - ( पु० ) अत्यधिक महीन औषधि आदि की बुकनी चूरमा - ( पु०) रोटी को घी में गूंध एवं भूनकर तथा चीनी मिलाकर बनाया गया खाद्य पदार्थ
चूरमूर - ( पु० ) फ़सल कटने पर बची हुई खूँटियाँ चूरा - I (पु० ) 1 चूर्ण, बुरादा (जैसे लकड़ी का चूरा ) 2 टूटे-फूटे बारीक टुकड़े (जैसे- शीशे का चूरा ) II ( वि० ) = दे० चूर
चूरी - (स्त्री०) 1 बुकनी 2 चूरमा चूर्ण - I सं० ( पु० ) 1 चूरा, बुकनी 2 चूरन (जैसे-हिंगाष्टक का चूर्ण पेट दर्द दूर करता है) II (वि०) 1 चूर किया हुआ 2 शक्तिहीन किया हुआ (जैसे- घमंड चूर्ण करना) । (पु० ) कंकड़ ~मय (वि०) चूर चूर चूरेवाला; (पु० ) पीसकर मिलाए गए अनेक पदार्थ चूर्णन-सं० ( पु०) चूर्ण करना चूर्णि -सं० (स्त्री०) कौड़ी
खंड योग
चूर्णित-सं० (वि०) 1 पीसकर चूर्ण किया हुआ 2 अच्छी तरह तहस-नहस किया हुआ
चूर्मा-सं० (पु०) बो० = चूरमा
चूल - (स्त्री०) 1 लकड़ी, बाँस आदि का पतला सिरा 2 किवाड़ के नीचे-ऊपर का गोल लंबोतरा भाग। चूलें ढीली करना अधिक परिश्रम कराके थका देना, त्रस्त करना; चूलें ढीली होना पस्त हो जाना, थक जाना
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चूल -सं० ( पु० ) 1 सिर के बाल 2 शिखा, चोटी चूलिका -सं० (स्त्री०) 1 नाटक में वह स्थिति जिसमें घटना की सूचना नेपथ्य से पात्रों द्वारा दी जाती है 2 परोक्ष रूप से मिलनेवाली सूचना
चूल्हा - ( पु० ) मिट्टी, लोहे आदि का बना वह उपकरण जिसमें लकड़ियाँ आदि जलाकर खाना पकाया जाता है। जलना खाना पकना, खाया पकाया जाना, झोंकना, फूँकना खाना पकाना; ~ न्योतना सारे परिवार को खाने पर बुलाना; चूल्हे में जाय, चूल्हे में पड़े भले ही नष्ट हो जाय; चूल्हे से निकलकर भट्ठी में पड़ना छोटी मुसीबत से निकलकर बड़ी मुसीबत में फँसना चूषक-सं० (वि०) चूसनेवाला
चेतक
खूषण-सं० (पु० ) चूसने की क्रिया, चूसना चूषिका-सं० (स्त्री०) चूसने की नली चूषित - सं० (वि०) चूसा हुआ
चूसना - (स० क्रि०) 1 मुँह से रस अंदर खींचना (जैसे- आम चूसना) 2 दाँतों से दबाकर रस पीना (जैसे-गन्ना चूसना ) 3 चाटते हुए रस लेना (जैसे- दवा की गोली चूसना, टाफी चूसना) 4 शिशु का माँ के स्तन का दूध पीना 5 अनुचित रूप से सत्त्व शोषित करना (जैसे-मालिक ने अत्यधिक परिश्रम कराके रक्त चूस लिया) । चूस डालना, चूस लेना कंगाल बना देना, दरिद्र बना देना
चूहड़, चूहड़ा - (पु०) 1 भंगी, मेहतर 2 अत्यंत गंदा एवं तुच्छ व्यक्ति (स्त्री० चुहड़ी )
चूहर - (पु० ) दे० चूहड़ा
चूहा - (पु० ) लंबी पूँछ और चार पैरोंवाला एक प्रसिद्ध छोटा घरेलू जंतु, मूषक । दंती (स्त्री०) सोने, चाँदी की बनी एक पहुँची जिसके दाँत चूहे के दाँत जैसे लंबे और नुकीले होते हैं तथा रेशम, सूत आदि में पिरोये होते हैं; दान + फ़ा० (पु० ) चूहा फँसाने का पिंजड़ा चूहेदानी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) = चूहादान चें - (स्त्री०) चिड़ियों का शब्द, चीं। वें (स्त्री०) 1 चीं-चीं 2 बक-बक, पें (स्त्री०) चीं-चपड़ चेंगड़ा - ( पु० ) छोटा बच्चा, शिशु चेंच - (पु० ) बरसाती साग चेंटुआ - (पु० ) चिड़िया का बच्चा
चेंबर - अं० ( पु० ) 1 कमरा 2 अधिकारी का विशेष कक्ष 3 सभा गृह 4 परिषद्
चेअर-अं० (स्त्री० ) = चेयर। मैन (पु० ) = चेयर मैन चेक - I अं० (पु०) बैंक आदि के नाम किसी व्यक्ति, संस्था आदि को रुपया देने का लिखित आदेश । कर्ता + सं० (पु०) चेक का आदेश देनेवाला व्यक्ति; बुक (स्त्री०) चेकबही II अं० (पु० ) चारखाना चेचक - फ़ा० (स्त्री०) शीतला नामक रोग (जैसे उसे चेचक निकली है) । ~रू (वि०) जिसके मुँह पर चेचक के दाग़ हों चेजा - ( पु० ) सुराख, छेद
चेट-सं० (पु० ) 1 दास, सेवक 2 पति, स्वामी 3 दुराचारिणी को पुरुषों से मिलानेवाला दलाल 4 भाँड़
चेटक - (पु० ) 1 इंद्रजाल, बाज़ीगरी 2 तमाशा 3 जादू चेटक -सं० (पु० ) 1 विशेष काम में लगा हुआ नौकर, दास,
सेवक 2 उपपति 3 नायक को नायिका से मिलानेवाला चतुर सेवक 4 चसका 5 शीघ्रता, जल्दी चेटकी - (पु० ) 1 इंद्रजाल करनेवाला, इंद्रजाली, जादूगर 2 तरह-तरह के कौतुक करनेवाला, कौतुकी चेटकी, चेटिका-सं० (स्त्री०) दासी, सेविका चेटिया - ( पु० ). 1 चेला, शिष्य 2 नौकर, दास चेटी-सं० (स्त्री०) दासी, नौकरानी चेटुवा - ( पु०) = चेंटुआ
चेत-सं० (पु० ) 1 चेतना, होश (जैसे-चेत में रहकर काम
करो) 2 ज्ञान, बोध 3 सावधानी, होशियारी 4 याद 5 मन | चेतक - I सं० (वि०) 1 सचेत रहनेवाला 2 चेतन II ( पु० )
राणा प्रताप का प्रसिद्ध एवं प्रिय घोड़ा
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चेतकी
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चेतकी-सं० (स्त्री०) 1.हड़, हरॆ 2 चमेली का पौधा । (पु०) सृष्टि का अंत, प्रलय। -बिगड़ना मरने से कुछ चेतन-I सं० (पु०) 1 आत्मा 2 जीव, प्राणी 3 आदमी पहले चेहरा बिगड़ जाना 4 परमात्मा II (वि०) जिसमें चेतना हो, जो ज्ञानमय हो, चेष्टित-सं० (वि०) जिसके लिए प्रयत्न हुआ हो सजीव। ~ता (स्त्री०) 1 चेतन होने की अवस्था 2 चैतन्य, | चेस-अं० (पु०) 1 शतरंज का खेल (जैसे-चेस खेलना) सज्ञानता 3 सजीवता
__ 2 लोहे का चौखट चेतनकी-(स्त्री०) हरीतकी, हड़
चेहरई-फा० + हिं० (वि०) हल्का गुलाबी रंग चेतना-सं० (स्त्री०) 1 ज्ञानमूलक मनोवृत्ति 2 बुद्धि, समझ | चेहरा-फा० (पु०) 1 मुखड़ा, बदन 2 शक्ल, आकृति 3 होश-हवास 4 स्मृति, याद। युक्त, ~वान् (वि०) (जैसे-पहले शीशे में चेहरा देखो) 3 काराज़, मिट्टी, धातु 1 बुद्धिवाला, समझवाला;
आदि का बना देवता, दानव, पशु आदि की आकृति का साँचा चेतना-(अ० क्रि०) 1 होश में आना 2 सावधान होना 4 वस्तु के सामने का भाग। ~मुहरा, ~मोहरा (पु०) 3 सोच-समझकर ध्यान देना। -शक्ति (स्त्री०) चैतन्यता; शक्ल-सूरत, मुख की आकृति; ~शाही (स्त्री०) ऐसा
~शील (वि०) = चेतनामय; ~शून्य (वि०) अचेतन सिक्का जिसपर बादशाह का चेहरा होता था; उतरना चेतनीय-सं० (वि०) 1 जो जानने योग्य हो 2 जो चेतन का 1 उदासी प्रकट होना 2 लज्जा, भय आदि के कारण चेहरा अधिकारी हो
कांतिहीन होना; -खिल उठना प्रसन्न होना; पीला हो चेताना-(स० क्रि०) 1 ध्यान दिलाना 2 सावधान करना जाना रोग आदि के कारण चेहरे पर पीलेपन की झलक आना; चेतावनी-(स्त्री०) 1 सावधान करने के लिए कही जानेवाली -बिगाड़ना इतना अधिक मारना कि पहचाना न जा सके; बात 2 ख़तरे की पूर्व सूचना 3 अधिकारिक एवं आदेशात्मक ~सफ़ेद हो जाना चेहरे पर से चमक खत्म हो जाना, तौर पर दी जानेवाली सूचना (जैसे-अधिकारी द्वारा दी गई। लालिमा गायब होना; चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना घबराहट से चेतावनी) 3 शिक्षा
चेहरे का रंग उड़ जाना। चेत्य-सं० (वि०) 1 जो चेतना का विषय हो 2 जो जानने योग्य | चेहलुम-फ़ा० (पु०) 1 मुहर्रम में ताज़िया दफ़न होने के दिन
चालीसवाँ दिन 2 मुहर्रम के बाद चालीसवें दिन होनेवाला चेन-अं० (स्त्री०) जंजीर, सिकड़ी (जैसे-गले की चेन कहाँ रख | काम-काज 3 मुत्यु के उपरांत होनेवाला चालीसवाँ दिन
9-9-(स्त्री०) ची चेन्ज-अं० (स्त्री०) 1 रेज़गारी 2 परिवर्तन
चैंपियन-अं० (पु०) खेलविजेता, सर्वजेता चेप-पुं० 1 लसीला पदार्थ 2 पक्षियों को फँसाने हेतु फैलाया चैंपियनशिप-अं० (स्त्री०) सर्व विजय, सर्व विजयी का पद जानेवाला लासा। ~दार + फ़ा० (वि०) जो चिपचिपा हो, चैंबर-अं० (पु०) = चेंबर लसीला
चैंसलर-अं० (पु०) = चांसलर चेपना-(स० क्रि०) 1 चेप लगाना 2 चेप लगाकर चिपकाना, चैक-अं० (पु०) चेक I सटाना
चैत-(पु०) फागुन के बादवाला महीना चेपी-(स्त्री०) चिप्पी
चैतन्य-[सं० (पु०) 1 चेतन में होने का भाव, चेतनता 2 चेतन चेयर-अं० (स्त्री०) कुर्सी। ~मैन (पु०) अध्यक्ष, सभापति आत्मा 3 प्राणियों में होनेवाला ज्ञान, प्रज्ञा 4 परमात्मा 5 प्रकृति चेयरमैनी-अं० + हिं० (स्त्री०) अध्यक्षता, सभापतित्व II (वि०) 1 सचेत 2 जो सोचने समझने की स्थिति में हो चेरा-(पु०) 1 चेला, शिष्य 2 नोकर, सेवक 3 गुलाम, दास | चैतन्यात्मक-सं० (वि०) चैतन्य संबंधी (स्त्री०) चेरी
चैतन्यावस्था-सं० (स्त्री०) चैतन्य होने का भाव चेरी-अं०(स्त्री०) गिलास (फल)
चैती-I (वि०) चैत महीने में होनेवाला II (स्त्री०) चैत माह में चेल-I सं० (पु०) कपड़ा, वस्त्र II (वि०) अधम होनेवाली फ़सल, रवी की फ़सल (जैसे-चैती फ़सल बो दी चेला-(पु०) 1 शिष्य 2 वह व्यक्ति जो गुरु मंत्र लेकर शिष्य | गई) बना हो 3 जिसने गुरु से शिक्षा पाई हो वह व्यक्ति। ~मूडना | चैत्त-I सं० (वि०) 1 चित्त संबंधी 2 चित्त का II (१०) बौद्ध शिष्य बनाना
दर्शन में विज्ञान स्कंध के अलावा शेष सभी स्कंध चेलान-सं० (पु०) तरबूज़ की लता
चैत्य-[सं० (पु०) 1 चिता संबंधी 2 चिता का II (पु.) चेलाल-(पु०) बो० चेलों का वर्ग
1 देवालय, मंदिर 2 यज्ञशाला 3 शवदाह के स्थान पर बना चेलिन, चेली (स्त्री०) गुरुदीक्षा. गुरु उपदेश प्राप्त करनेवाली | चबूतरा 4 घर, मकान 5 चिता 6 मठ। तरु (पु०)
1 पीपल का पेड़ 2 बरगद, पाल (पु०) चैत्य अधिकारी, चेले-चाटी-(पु०) अनुयायियों, चेलों आदि का समूह चैत्य रक्षक; ~मुख (पु०) कमंडल; -विहार (पु०) बौद्ध चेष्टक-I सं० (वि०) चेष्टा करनेवाला II (पु०) काम शास्त्र में मंदिर के साथ लगा आश्रम; वृक्ष (पु०) = चैत्य तरु; एक प्रकार का आसन, रतिबंध
~स्थान (पु०) 1 वह स्थान जहाँ बुद्ध देव की मूर्ति स्थापित चेष्टन-सं० (पु०) चेष्टा करने की क्रिया
की गई है 2 कोई पवित्र स्थान चेष्टा-सं० (स्त्री०) 1 कोशिश, प्रयत्न 2 मनोभाव सूचित | चैत्यक-सं० (पु०) पीपल, अश्वत्थ करनेवाली शारीरिक चंचलता अंगभंगिमा 3 मनोभाव प्रकट | चैत्र-I सं० (पु०) फागुन महीने के बाद एवं बैसाख माह के करनेवाली मुख की आकृति 4 हिलना-डोलना, गति। नाश | पहले का महीना, फागुन एवं बैसाख के बीच का महीना II
स्त्री
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चैत्रक
मख
(वि०) 1 चित्रा नक्षत्र संबंधी 2 चित्रा नक्षत्र का । (पु०) मदन संबंधी चैत मास का उत्सव ~सखा (पु० ) कामदेव
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चैत्रक -सं० (पु०) चैत का महीना
चैत्रावली - सं० (स्त्री०) 1 चैत्र मास की पूर्णिमा 2 चैत्र शुक्ला त्रयोदशी
चैन - (पु० ) 1 आराम 2 मानसिक शांति 3 आनंद एवं सुखभोग ~ उड़ाना मौज करना, सुख पूर्वक रहना । की बंसी बजाना मौज मस्ती में दिन गुजारना, ऐश्वर्यपूर्ण, सुखभरी जिंदगी बिताना; पड़ना सुख-शांति मिलना; से कटना, से गुज़रना आनंद एवं ऐश्वर्य से जीवन बसर होना चैन-अं० (स्त्री०) - चेन चैनेल -अं० (पु० ) 1 मार्ग, सरणी 2 जल मार्ग, नाली चैल-सं० (पु० ) 1 कपड़ा, वस्त्र 2 पहनने का कपड़ा, पोशाक चैलक-सं० (पु० ) शूद्र पिता और क्षत्रिय माता से उत्पन्न
=
बालक
चैला - (पु० ) लकड़ी का बड़ा टुकड़ा चैलिक-सं० (पु० ) कपड़े का टुकड़ा चैली - (स्त्री०) 1 लकड़ी के पतले-पतले टुकड़े 2 गर्मी के कारण नाक से निकलनेवाला जमे हुए खून का थक्का चैलेंज-अं० (पु०) ललकार
चैस - अं० (पु० ) शतरंज का खेल
चोंक - (स्त्री०) दाँत गड़ाते हुए चुंबन के समय गाल पर पड़ा निशान, चुंबन का निशान
चोंकना - (स० क्रि०) 1 स्तन से दूध पीना 2 पानी पीना चोंका - (पु०) बो० चूसने की क्रिया। पीना बच्चों का माँ
स्तनपान करना
चोंगा - (पु० ) 1 बाँस की खोखली नली जिसका एक सिरा बंद होता है 2 काग़ज़ धातु आदि की बनी नली जिसका एक भाग बंद रहता है
चोंच - (स्त्री०) पक्षियों के मुँह का अगला नुकीला भाग, टोंट। ~बंद करना मुँह बंद करना, चुप रहना; दो-दो चोंच होना कहा-सुनी होना
चों-चों- (स्त्री०) = चूँ
चोंटना - (स० क्रि०) चुटकी से तोड़ना (जैसे- चने का साग चोंटना)
चोंड़ा - I (पु०) कच्चा कुआँ II ( पु० ) 1 स्त्रियों के सिर के बाल, झोंटा 2 सिर । चोंडे पर चढ़कर किसी की परवाह न करते हुए चोथ - (पु० ) गाय, बैल आदि के द्वारा एक बार में गिराए गए गोबर की मात्रा
चोंथना - (स० क्रि०) 1 नोच-बकोटकर निकालना 2 ज़बरदस्ती ले लेना
चोंधर - (वि०) 1 बहुत छोटी आँखोंवाला 2 मूर्ख चोआ - (पु० ) 1 चुआकर गिराई हुई चीज़ 2 बाट की कमी पूरी करने हेतु पलड़े पर रखा जानेवाला कंकड़ आदि 3 अनेक सुगंधित पदार्थों को पकाकर निकाला गया गंध द्रव्य 4 दे० चोटा
चोथ
चोकर - (पु० ) गेहूँ, जौ आदि के आटे को छानने पर उसका बचा हुआ छिलके का अंश जो दरदरा तथा मोटे कणों के रूप में रहता है
चोई - (स्त्री०) 1 मछली के शरीर के खुरंड जैसे गोल चमकदार टुकड़े 2 दाल आदि का छिलका
चोक्ष-सं० (वि०) 1 पवित्र, शुद्ध 2 चतुर, पक्ष 3 तेज, तीक्ष्ण 4 प्रशंसित
चोखना - (स० क्रि० ) थन से मुँह लगाकर दूध पीना चोखा - (वि०) उत्तम, अच्छा चोखाई - I
(स्त्री०)
1 चोखने - चोखाने की क्रिया 2 चोखने चोखाने का पारिश्रमिक II (स्त्री०) = चोखापन चोखाना - I (स० क्रि०) 1 बछड़ों आदि को थन पीने में प्रवृत्त
करना 2 स्तन पान कराना II (अ० क्रि०) 1 स्तन पान किया जाना 2 दूहा जाना III (स० क्रि०) धार चोखी करना, धार तेज करना
चोग़ा - तु० (पु० ) घुटनों तक का लंबा ढीला-ढाला पहनावा, लबादा
चोचला - ( पु० ) नाज़-नखरा, हाव-भाव 2 आडंबर । चोचले बघारना हाव भाव दिखलाना, नाज़-नखरा करना चोज - ( पु० ) 1 चमत्कारपूर्ण उक्ति 2 व्यंग्यपूर्ण हँसी की
बात
वोट- (स्त्री०) 1 घाव 2 आघात, प्रहार 3 क्लेश, दुःख (जैसे- दुर्वचन से चोट पहुँचना) 4 संताप (जैसे- पति की मृत्यु से उसे गहरी चोट पहुँची) 5 व्यंग्य, कटाक्ष 6 छल, कपट (जैसे - चोट पहुँचाने की नीयत से कार्य करना) । चपेट (स्त्री०) घाव, ठेस; ~उभरना चोट का पुनः सूज आना, दर्द करना; ~ करना 1 हमला करना, वार करना 2 डँसना, काटना (जैसे- साँप ने फन से चोट किया); ~खाना 1 घायल होना 2 आघात सहना; पर चोट करना 1 सदमे पर सदमे बैठना 2 हानि पर हानि होना; चोटें चलना दो आदमियों का एक दूसरे पर वार होना
चोटहा - (वि०) 1 जिस पर चोट के निशान हो 2 चोट करनेवाला
चोटा - (पु० ) गुड़ का पसेव, शीरा पोटा (वि०) खुशामद से भरा हुआ, चिकनी-चुपड़ी (बात-चीत) चोटियाना - (स० क्रि०) 1 चोट पहुँचाना 2 चोटी पकड़ना 3 चोटी गूँथना
चोटी - (स्त्री०) 1 स्त्री के सिर के गूँथे हुए बाल, वेणी (जैसे- कंघी चोटी करना) 2 चुंदी, शिखा (जैसे-चोटी रखना हिंदू अपनी शान मानता है) 3 चोटी बाँधने के काम में आनेवाला रंगीन डोरा 4 चोटी, जूड़े में खोंसनेवाला पान के आकार का गहना 5 पहाड़ आदि का सबसे ऊँचा भाग, शिखर दार + फ़ा० (वि०) 1 जिसमें चोटी लगी हो 2 चोटी रखनेवाला, चोटीवाला; ~वाला (पु०) वह व्यक्ति जिसने चुंदी रखी हो; काटना गुलाम बनानो, वश में करना; ~करना सिर के बाल गूंथना; ~का औवल दरजे का, सर्वोत्कृष्ट दबाना, हाथ में होना अधिकार में आना; वश में आना; एड़ी चोटी का जोर लगाना जी-जान से परिश्रम करना
चोटीला - (वि०) चोटवाला
चोट्टा - (पु० ) छोटे दरजे का चोर (जैसे - चोट्टा कहीं का ) चोथ - (पु० ) चोंध
=
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चोद
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चौंराना
चोद-सं० (पु०) 1 चाबुक 2 ऐसी लकड़ी जिसके सिरे पर | (स्त्री०) मकान, महल आदि की छोटी एवं सँकरी सीढ़ी जिसे नुकीला लोहा लगा हो
हर कोई न जानता हो; हटिया (पु०) 1 चोरी का माल चोदक-सं० (वि०) कर्म में प्रवृत्त करनेवाला
खरीदनेवाला दुकानदार 2 चोरों से माल खरीदनेवाला चोदन-सं० (पु०) 1 उकसाना 2 प्रेरणा
दुकानदार; ~के घर मोर पड़ना एक चोर के घर में दूसरे चोर चोदना-(स० क्रि०) मैथुन करना, संभोग करना
का चोरी करना चोदना-सं० (स्त्री०) 1 वह वाक्य जिसमें काम करने का विधान | चोरा-(स्त्री०) = चोर पुष्पी हो, विधिवाक्य 2 प्रेरणा 3 प्रयत्न
चोराना-(स० क्रि०) = चुराना । चोदू-(पु०) संभोग करनेवाला
चोरिका-सं० (स्त्री०) चुराने का काम, चोरी चोध-1 सं० (वि०) प्रेरणा योग्य II (पु०) 1 प्रश्न, सवाल चोरी-(स्त्री०) 1 चुगने की क्रिया 2 छिपाने की क्रिया (जैसे-मन 2 वाद-विवाद में पूर्व पक्ष
की चोरी) 3 ठगी, धोखेबाजी (जैसे-चोरी-छिपे भाग जाना) । चोप-(पु०) उत्साहयुक्त अभिलाषा
-चकारी, चमारी (स्त्री०) चोरी आदि अपराध; चोब-फा० (स्त्री०) 1 शामियाना खड़ा करने का खंभा, बाँस चोरी, छिपे (क्रि० वि०) 1 चुपके-चुपके 2 नगाड़ा बजाने की पतली लकड़ी, खपाची 3 सोने-चाँदी का | (जैसे-चोरी-चोरी बातें करना) 2 बिना बतलाए पत्तर चढ़ा हुआ मोटा डंडा। ~कारी (स्त्री०) ज़रदोज़ी का (जैसे चोरी-चोरी कहाँ चले गए थे) काम, दार (पु.) वह दरबान जिसके हाथ में चोब हो । चोल-[ सं० (पु०) 1 दक्षिण भारत का एक प्राचीन जनपद चोबी-फा वि०) लकड़ी का बना हुआ
बोल देश का निवासी 3 कवच. जिरह-बख़्तर II (वि०) चोर-17 ) 1 चोरी करनेवाला 2 छिपकर काम करनेवाला 3 मोह लेनवाला (जैसे-मन का चोर) 4 कम माल देनेवाला, चोलकी-सं० (पु०) 1 बाँस का कल्ला 2 नारंगा का पेड़ बेईमान (जैसे-वह बनिया चोर है) 5 मन में छिपी बुराई, 3 कलाई 4 कवचधारी सैनिक दुर्भाव (जैसे-तुम्हारे मन में चोर छिपा है) II (वि०) 1 छिपा चोलना-I (स० क्रि०) थोड़ी मात्रा में कोई वस्तु खाना हुआ, गुप्त : जिसका रूप धोखा देनेवाला हो। कट | II (पु०) बो० साधुओं का लंबा कुर्ता (पु०) उचक्का, चोट्टा; खाना + फ़ा० (पु०) अलमारी चोला-(पु०) 1 फ़कीरों का एक ढीला-ढाला लंबा और घेरदार आदि में छिपा ख़ाना, गुप्त खाना, खिड़की (स्त्री०) छोटा कुर्ता 2 तन, शरीर 3 शिशु को पहली बार पहनाया जानेवाला चोर दरवाज़ा; ~गली (स्त्री०) 1 छोटी एवं तंग गली जिसका कपड़ा। बदलना 1 एक शरीर त्याग कर दूसरा शरीर धारण पता सबको न हो 2 पाजामे की मियानी; चकार (पु०) करना 2 रूप बदलना चोर, उचक्का; ज़मीन + फ़ा० (स्त्री०) ऐसी ज़मीन जो चोली-(स्त्री०) स्त्रियों का एक पहनावा जिससे केवल वक्षस्थल ऊपर से ठोस लगे किंतु अंदर से पोली हो और भार पड़ते ही ही ढका जा सकता है, अंगिया। दामन का साथ सदा बने फंस जाएताला (पु०) गुप्त ताला जिसका पता ऊपर से रहनेवाला साथ (जैसे-उनसे तो मेरा चोली दामन का रिश्ता है) न लग सके -दंत (पु०) बत्तीस दाँतों के अतिरिक्त चोवा-(पु०) = दे० चोआ निकलनेवाला दाँत; दरवाज़ा + फ़ा० (पु.), द्वार दोषक-सं० (वि०) चूसनेवाला + सं० (१०) महल आदि में पिछवाड़े की ओर का वह छोटा चोषण-सं० (पु०) चूसना दरवाज़ा जो आड़ में हो और जिसका पता सबको न हो; चोष्य-सं० (वि०) जो चूसा जा सके, चूसने योग्य
पहरा (पु०) 1 गुप्त रूप से घूमते-फिरते रहने की क्रिया चौंक-(स्त्री०) चौंकने की क्रिया 2 भेष बदलकर घूमते-फिरते रहने की अवस्था; पेट (पु०) चौंकना-(अ० क्रि०) 1 यकायक उत्तेजित एवं विकल हो 1 ऐसा पेट जिसमें गर्भ की स्थिति का ऊपर से देखने में जल्दी उठना 2 सहसा घबरा जाना पता न लग सके 2 ऐसा पेट जिसमें साधारण से अधिक भोजन | चौंकाना-(स० क्रि०) 1 भड़काना 2 ऐसा कार्य करना जिससे समा जाए 3 वस्तु आदि के अंदर का वह गुप्त स्थान जो ऊपर __ कोई चौंक उठे से न जाना जा सके; पैर (पु०) जिन पैरों के चलने की चौतिस, चौंतीस-I (वि०) तीस और चार II (पु०) चौंतीस आहट न मिले; बत्ती (स्त्री०) हाथ में लेनेवाली बिजली की संख्या की बत्ती, टार्च; बदन + अ० (वि०) जो देखने में कमजोर चौंध-(स्त्री०) क्षणिक किंतु तीव्र प्रकाश की वह स्थिति जिसे जान पड़े किंतु अपेक्षाकृत शक्तिशाली हो; बाज़ार +फा० आँखें सहसा न सहन कर सकें, कौंध, चकाचौंध (पु०) वह दुकान या स्थान जहाँ नाजायज़ तरीके से माल बेचा चौधियाना-I (अ० क्रि०) चकाचौंध होना II (स० क्रि०)
और खरीदा जाए; बाज़ारी + फा० (स्त्री०) कर बचाने के | चौंध उत्पन्न करना लिए नाजायज़ तरीके से माल खरीदने और बेचने का धंधा: चौंधी-(स्त्री०) = चौंध चालू (पु०) ऐसी रेत जिसके नीचे दलदल, पोलापन हो; चौबक-सं० (वि०) 1 चुंबक संबंधी 2 चुंबक का, चुंबकीय
महल +अ० (पु०) 1 राजाओं, रईसों आदि का वह मकान 3 चुंबक से युक्त जिसमें उनकी रखेली स्त्रियाँ रहती हों 2 मकान में वह गुप्त | चौर-(पु०) = चैंवर कमरा जिसे कोई न जानता हो; मिहीचनी (स्त्री०) | चौरगाय-(स्त्री०) सुरागाय आंखमिचौली का खेल; रास्ता + फ़ा० (पु०) वह गुप्त चौरा-(पु०) अन्न रखने का गड्ढा मार्ग जिसे जन साधारण न जानता हो, चोर गली; सीढ़ी। चौराना-(स० क्रि०) 1चैवर डुलाना 2 बुहारना
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चौंरी 270
चौड़ाई चौरी-(स्त्री०) 1 छोटा चँवर, चंवरी 2 रेशम, सूत आदि का | आदि के चौखट की ऊपरी लकड़ी (जैसे-चौखट से चोट लच्छा, चोटी 3 सफ़ेद पूँछवाली गाय
लगना) 3 डेहरी, ढ्यौढ़ी (जैसे-आज से चौखट पर पाँव न चौंसठ-I (वि०) साठ और चार II (पु०) चौंसठ की संख्या पड़े) | ~न झाँकना कभी न आना चौ-(वि०) चार का संक्षिप्त रूप जो यौगिक पदों के आरंभ में चौखटा-(पु०) 1 लकड़ी आदि का वह ढाँचा जिसमें आईना लगने से प्राप्त होता है (जैसे-चौकोना, चौगना)
आदि जड़ा जाता है, फ्रेम 2 शरीर का ढाँचा चौआ-I (पु०) गाय, बैल आदि पशु, चौपाया II (वि०) चार | चौखा-(पु०) वह स्थान जहाँ चार गाँवों की सीमा मिलती हो से युक्त
चौखाना-हिं० + फ़ा० वि०/पु० = चारखाना चौआई-(स्त्री०) = चौवाई
चौखानेदार-हिं० + फ़ा० (वि०) चार खानोंवाला चौआना(अ० क्रि०) 1 चकपकाना, चकित होना 2 चौंकना | चौमूट-I (पु.) 1 चारों दिशाएँ 2 सारी पृथ्वी मंडल II (क्रि० चौक-(पु०) 1 नगर का मुख्य बाज़ार 2 चौमुहानी, चौराहा वि०) 1 चारों ओर 2 सब ओर III (वि०) = चौखुंटा 3 चौखूटा चबूतरा 4 आँगन, सेहन 5 पूजन आदि में आटे चौबटा-(वि०) चार कोनोंवाला, चौकोना, चौकोर
आदि की रेखाओं से बनाया जानेवाला क्षेत्र (जैसे-चौक पूरना) चौगड़ा-I (पु०) 1 खरगोश, खरहा 2 चौघड़ा II (वि०) चार चौकठ-बो० (पु०) = चौखट
पैरोंवाला (पशु) चौकठा-बो० (पु०) = चौखटा
चौगडा-(पु०) 1 चार वस्तुओं का समूह 2 वह स्थान जहाँ चार चौकड़-(वि०) अच्छा, बढ़िया
गाँवों की सीमाएँ मिलती हों, चौहद्दी, चौखा चौकड़ा-(पु०) कान में पहने जानेवाली दो-दो मोतियोंवाली | चौपडी-(स्त्री०) जानवर फँसाने का बाँस की फट्टियों का चौकोर बाली, दो-दो मोतियोंवाली बाली
ढाँचा चौकड़ी-(स्त्री०) 1 चौपायों की दौड़, छलाँग 2 चार घोड़ों, चौगान-फा० (पु०) घोड़े पर खेला जानेवाला गेंद बल्ले का बैलों से जुती हुई गाड़ी 3 चार आदमियों की बैठकबाज़ी । ___ एक खेल । बाज़ी (स्त्री०) चौगान खेलना। ~भरना छलाँग लगाना, कुलाँचें भरना
चौगानी-I (स्त्री०) हुक्के की निगाली II (वि०) चौगान चौकन्ना-(वि०) 1 आहट लेनेवाला 2 ध्यान रखनेवाला संबंधी 3 सावधान, चौकस 4 चौंका हुआ, सशंकित
चौगिर्द-हिं० + फ़ा० (क्रि० वि०) चारों ओर, चारों तरफ़ चौकस-(वि०) 1 ठीक, दुरुस्त 2 चारों ओर से अच्छी तरह चौगुना-(वि०) वस्तु का चार गुना । मन चौगुना बढ़ना कसा हुआ 3 जो पूर्णतः सचेत हो
• अत्यधिक उत्साह बढ़ना चौकसाई, चौकसी-(स्त्री०) चौकस होने की अवस्था चौगोड़ा-(वि०) चार पैरोंवाला (जानवर) चौका-(पु०) 1 चार वस्तुओं का समूह (जैसे-क्रिकेट में ~ चौगोडिया-(स्त्री०) 1 चिड़ियों को फँसाने हेतु बाँस की लगाया) 2 पत्थर आदि का बना गोलाकार टुकड़ा, चकला तीलियों का बना ढाँचा 2 चार पायों की ऊँची सीढ़ीदार डंडियाँ (जैसे-चौका-बेलन) 3 रसोईघर (जैसे-चौका साफ़ कर देना) लगी तिपाई 4 चार बूटियोंवाला ताश का पत्ता, चौआ 5 किसी स्थान को चौगोशा-हिं० + फ़ा० (पु०) चौकोर तस्तरी साफ़ करने की क्रिया (जैसे-यहाँ यज्ञ हवन होना है चौका लगा चौगोशिया-हिं० + फ़ा० I (वि०) चार कोनोंवाला दो) । बरतन, बासन (पु०) चौका बरतन को ___II (स्त्री०) चार तिकोने टुकड़ों से बनाई गयी टोपी III धोने-माँजने की क्रिया; चौके की रॉड विवाह के कुछ दिन (पु०) तुर्की घोड़ा बाद ही विधवा हुई स्त्री; ~फेर देना चौपट कर देना चौघड़-(पु०) दोनों जबड़ों के चारों सिरों पर होनेवाले एक-एक चोकी-(स्त्री०) 1 लकड़ी आदि का बना हआ चार पायोंवाला चिपटे तथा चौड़े दाँतों की सामूहिक संज्ञा, चौभड़
आसन, चौकोर आसन 2 वह स्थान जहाँ सेना या पुलिस के | चौघड़ा-(पु०) 1 चार खानोंवाला डिब्बा 2 ऐसा दीवट जिसमें कुछ सिपाही निगरानी हेतु रखे जाते हैं (जैसे-बदमाशों ने चारों ओर जलाने हेतु चार दीये होते हैं 3 एक साथ बँधे हए पुलिस चौकी में आग लगा दी) 3 पहरा, रखवाली 4 पड़ाव, | पान के चार बीड़े 4 चौडोल नामक बाजा ठिकान 5 मंदिर आदि की चौकोर भूमि। घर (पु०) छोटा चौघड़िया-I (वि०) चार घड़ियों का II (स्त्री०) चार सा छाया हुआ स्थान जहाँ चौकीदार वर्षा, धूप आदि के समय | पायोंवाली ऊँची चौकी खड़ा हो जाता है; दार + फ़ा० (पु०) 1 पहरा देनेवाला चौघड़ी-(वि०) चार तहोंवाली, चार परतोंवाली कर्मचारी 2 विशेष स्थान पर पहरा देनेवाला राजकीय कर्मचारी; | चौचंद-(पु०) 1 कलंक सूचक चर्चा, बदनामी 2 झगड़ा-फसाद
दारी + फा० (स्त्री०) 1 चौकीदार का काम, रखवाली 3 क्रीड़ा 2 चौकीदार का पद; ~दौड़ (स्त्री०) प्रतियोगिता रूप में | चौचंदाई- (स्त्री०/वि०) जिसे निंदा करने का व्यसन हो होनेवाली वह दौड़ जिसमें सभी को थोड़ी-थोड़ी दूर बनी हई | चौजुगी-I (स्त्री०) चार युगों का काल, चतुर्युगी II (वि०) चौकियों पर नए दौड़ाक को प्रतीक रूप में एक डंडा सौंपना | चार युगों में होनेवाला III (स्त्री०) चार युगों का समूह पड़ता है, रिले रेस; ~मार (पु०) चौकी चुंगी मारनेवाला, चौड़ा-(वि०) जिसके दोनों पार्श्व के बीच में अधिक फैलाव हो तस्कर
__ (जैसे-गंगा नदी यमुना नदी से कम चौड़ी है) 2 जो सँकरा न चौकोन, चौकोना-(वि०) 1 चार कोनोंवाला, चौखूटा | हो (जैसे-चौड़ा रास्ता, चौड़ी सड़क)। ~बकला I (वि०) 2 जिसमें चार कोण हों
__ फैला हुआ, विस्तृत II (पु०) अनाज रखने का गड्ढा चौखट-(स्त्री०) 1 लकड़ी आदि का चौकोर ढाँचा 2 लकड़ी | चौड़ाई, चौड़ान-(स्त्री०) 1 चौड़ा होने की अवस्था, चौड़ापन
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चौड़ाना
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चौबग़ला
2 वह मान जिससे यह ज्ञात होता है कि वस्तु कितनी चौड़ी है चौपट-(वि०) 1 नष्ट-भ्रष्ट, बर्बाद (जैसे-सारा काम-काज (जैसे-इस कपड़े की चौड़ाई चार मीटर है)
चौपट कर दिया) 2 बिगड़ा हआ (जैसे-उसने अपना जीवन चौड़ाना-I (स० क्रि०) चौड़ा करना, फैलाना II (अ० क्रि०) चौपट कर डाला) 3 चारों ओर से खुला हुआ, अरक्षित । चौड़ा होना
चरण + सं० (वि०) जिसके पहँचते ही तबाही आ जाए, चौतगी-(स्त्री०) चार सूत मिलाकर बटा हुआ डोरा सत्यानाशी चौतनी-(स्त्री०) बच्चों की एक टोपी
चौपटा-(वि०) 1 चौपट करनेवाला 2 नष्ट-भ्रष्ट करनेवाला चौतरफा-हिं० + अ० + हिं० (वि०) चारों ओर का, चतुर्मुखी, चौपड़-(स्त्री०) 1 चौसर (खेल) 2 चौसर की आकृति का चौगिर्द (जैसे- चौतरफ़ा दृश्य)
खाट-पलंग आदि की बुनावट 3 मंदिर आदि के आँगन में चौतरा-(पु०) चबूतरा
चौसर आकृति की बनावट । ~मैंडना, ~मढ़ना, चौतही-(स्त्री०) चार तहोंवाला कपड़ा
~माँड़ना चौपड़ खेलने के लिए बिसात बिछाना चौताल-(पु०) 1 मृदंग की एक ताल जिसमें चार आघात और | चौपत-I (वि०) 1 चार परतों में लपेटा हुआ 2 चार तहोंवाला
दो खाली होते हैं 2 मृदंग की ताल पर गाया जानेवाला गीत | II (प०) वह पत्थर जिसमें लगी कील पर कुम्हार का चाक चोतुका-I (वि०) चार तुकोंवाला II (पु०) वह छंद जिसके टिका रहता है चारों चरणों में अनुप्रास होते हैं, वह छंद जिसके चारों चरणों के चौपतना-(स० क्रि०) कपड़े आदि तह करना तुक मिलते हों
चौपतिया-I (वि०) 1चार पत्तोंवाला 2 जिसमें चार पत्तियों चोथ-I (स्त्री०) 1 चांद्रमास के प्रत्येक पक्ष की चौथी अवस्था, ___ एक साथ दिखाई दें II (स्त्री०) 1 क़सीदे, चित्रकला आदि में चतुर्थी 2 चौथाई अंश, चतुर्थांश II (वि०) = चौथा ~पन | ऐसी बूटी जिसमें चार पत्तियाँ बनी हों 2 चार पत्रों की पुस्तिका 1 मानव जीवन की चौथी अवस्था, संन्यास आश्रम का समय चौपत्ती-(स्त्री०) चार लोगों में खेला जानेवाला ताश का खेल 2 बुढ़ापा, वृद्धावस्था; ~का चाँद भाद्र शुक्ल चतुर्थी का | चौपथ-(पु०) 1 चौराहा, चौमुहानी 2 कह पत्थर जिसकी कील चंद्रमा जिसे देखने से झूठा कलंक लगता है ऐसा अपवाद है । पर कुम्हार का चाक रहता है चोथा-(वि०) चार की जगह पड़नेवाला (जैसे-वह चौथी कक्षा | चौपदा-(पु०) 1 चार पैरोंवाला पशु, चौपाया 2 चार में पढ़ता है) । -पन (पु०) जीवन की चौथी अवस्था, चरणोंवाला पद्य बुढ़ापा
चोपन्ना-(पु०) चार पृष्ठ तह वाला काग़ज़ चौथाई-(स्त्री०) चौथा भाग, चतुर्थांश
चौपल-(पु०) = चौपथ चौथिया-(पु०) 1 हर चौथे दिन आनेवाल र 2 चौथे हिस्से | चौपहरा-(वि०) 1 चार पहर का 2 चार-चार पहरों के अंतर पर का मालिक
__ होनेवाला 3 चारों पहर होता रहनेवाला चौथी-(स्त्री०) 1 विवाह के चौथे दिन वर-वधू के कंगन चौपहल-हिं० + फ़ा० (वि०) चार पहल या पार्श्व का
खोलने की रस्म 2 विवाह के चौथे दिन कन्या के घर से कपड़े, | चौपहलू-हिं० + फ़ा० I (वि०) चार पहलुओंवाला II (पु०) मिठाइयाँ आदि भेजे जाने की रस्म 3 जमींदार को मिलनेवाला - = चौपाल । फ़सल का चौथाई भाग। ~का जोड़ा वर के घर से कन्या के | चौपहिया-I (वि०) चार पहियोंवाला II (पु०) चार लिए चौथे दिन आनेवाला कपड़े का कुलक
पहियोंवाली गाड़ी चौथैया-(पु०) चौथाई भाग, चतुर्थांश
चौपाई- (स्त्री०) चार चरण का प्रसिद्ध मात्रिक छंद जिसके चौदंता-(वि०) 1 चार दाँतोंवाला 3 छोटी उम्र का और अल्हड़ प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ होती हैं चोदंती-(स्त्री०) 1 अल्हड़पन 2 अक्खड़पन
चौपाया-I (पु०) चार पैरोंवाला पशु, मवेशी II (वि.) चौदस-(स्त्री०) चांद्रमास के प्रत्येक पक्ष की चौदहवीं तिथि, जिसमें चार पावे हों चतुर्दशी
चौपार-बो० (स्त्री०) चोपाल (पु०) 1 छायादार बड़ा चबूतरा चौदह-I (वि) दस से चार अधिक II (पु०) चौदह की ___ 2 मंडपाकार बैठक जहाँ गाँव के लोग पंचायत करते हैं 3 एक संख्या
तरह की पालकी जो ऊपर से ढकी एवं चारों ओर से खली चौदाँत-I (वि०) जिनके दाँत लड़ने के लिए परस्पर आकर होती है
आमने-सामने मिल गए हों II (पु०) हाथियों की लड़ाई चौपुरा-(पु०) ऐसा कुआँ जिसपर एक साथ चार पुर चल सके चोदानी-हिं० + फ़ा० (स्त्री) 1 चार पत्तियोंवाली कान में | चौपेजी-हिं० + अं० + हिं० (वि०) चार पृष्ठोंवाला
पहनने की बाली 2 चार मोतियोंवाली कान की बाली चौफेर-I (क्रि० वि०) चारों ओर, चारों तरफ़ II (वि०) चार चौधराइन-(स्त्री०) चौप- की स्वी
तरफ मोड़ा हुआ चौधराई-(स्त्री०) चौधरा होने की अवस्था, चौधरीपन चौफेरी-I (स्त्री०) चारों ओर लगाई जानेवाली फेरी, परिक्रमा चौधरात-(स्त्री०) 1 चौधराना 2 चौधराई
__ II (क्रि० वि०) चारों ओर चौधराना-(पु०) 1 चौधरी का पद 2 चौधरी का हक़ 3 चौधरी | चौबंदी-हिं० + फ्रा० (स्त्री०) 1 चारों ओर से बांधने की क्रिया का काम
2 एक कुरती जिसके दोनों तरफ दो-दो बंद लगते हैं, बगलबंदी वोपरी-(पु०) 1 प्रधान, मुखिया 2 अगुआ 3 जाटों, कुर्मिये 3 घोड़े के चारों सुमों में नाल जड़ने की क्रिया आदि की पदवी
| चौबग़ला-हिं० + फ्रा० + हिं० 1 (पु०) करती, अंगे आदि में चोपखा-बो० (पु०) 1 चारों ओर की दीवारें 2 चहारदीवारी । दोनों बग़ल के नीचे और कली के ऊपर का पाग II (क्रि.
क
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चौबच्चा
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यामाग
वि०) ना.
चाचार
वि०) चारों ओर III (वि०) जिसमें चार पार्थ हों चौरानपन (पु०) तस्करी, स्मगलिंग चौबच्चा-फा० (पु०) = चहबच्चा
दौरानवे-I (वि०) नब्बे से चार अधिक II (पु०) 94 की चौबरसी-(स्त्री०) घटना आदि के चौथे साल होनेवाला उत्सव, संख्या कर्म
चौरासी-I (वि०) जो अस्सी से चार अधिक हो II (पु०) चौबा-(पु०) = चौबे
84 की संख्या चौबाइन-(स्त्री०) चौबे की स्त्री
चौराहा-हिं० +फ्रा० +हिं० (पु०) चारों ओर से आकर चौबाई-(स्त्री०) 1 चारों ओर से बहनेवाली हवा 2 चारों ओर मिलनेवाले रास्तों का केंद्र बिंदु, चौमुहानी, चौरस्ता फैलनेवाली बदनामी 3 धूम-धाम
| चौरी-I सं० (स्त्री०) चुराने की क्रिया, चोरी II (स्त्री०) छोटा चौबाछा-(पु०) मुग़ल काल में लगनेवाला कर
चैवर चौबारा-I (पु.) 1 वह कमरा जिसमें चारों ओर दरवाज़े हों | चौरेठा-(पु०) चावल पीसकर बनाया गया महीन चूर्ण 2 वह कमरा जिसमें चारों ओर खिड़कियाँ हों II (क्रि० वि०) चौर्य-सं० (पु०) चोरी। -पणन (पु०) चोरी का व्यापार; चौथी बार
वृत्ति (स्त्री०) 1 चोरी का पेशा :2 चोरी के धन से चौबीस-I (वि०) बीस से चार अधिक II (पु०) चौबीस की जीविकोपार्जन करनेवाला संख्या
चौर्योन्याद-सं० (पु०) चोरी करने का चस्का चौबे-(पु०) चतुर्वेदी
चौलड़ा-(वि०) जिसमें चार मालाएँ हों, चार लड़ियोंवाला चौबोला-(पु०) 15 मात्राओं का एक मात्रिक छंद चौला-(पु०) एक लता और उसके बीज, बोड़ा, लोबिया चौभड़-(पु०) = दे० चौघड़
चौलाई-(स्त्री०) एक पौधा जिसका साग खाए जाने योग्य होता चौमंजिला-हिं० + अ० (वि०) चार तल्लोंवाला, चार | है, खादेय साग का पौधा खंडोंवाला
चौवन-I (वि०) जो पचास से चार ज्यादा हो II (पु०) चौमसिया-(वि०) 1 चौमासे से संबंध रखनेवाला 2 चौमासे में 54 की संख्या होनेवाला
चौवा-(पु०) = चौआ चौमहला-हिं० + अ० + हिं० (वि०) = चौ मंजिला । चौवाई-(स्त्री०) = चौआई, चौबाई चौमाप-हिं० + सं० (स्त्री०) नाप के लंबाई, चौड़ाई, ऊँचाई | चौवालिस-(वि०/३०) चवालिस
एवं काल चारों का समन्वित रूप, चारों आयाम चौस-I (पु०) 1 बार-बार जोता हआ खेत 2 खेत की चौथी चौमापी-हिं० + सं० (वि०) चार आयामोंवाला __ जोताई II (पु०) चूर्ण, बुकनी चौमार्ग-हिं० + सं० (पु०) चौरस्ता, चौमुहानी
चौसठ-(वि०/(पु०) = चौंसठ चौमास, चौमासा-I (पु०) 1 वर्षाऋतु के चार महीने, चौसर-(पु०) 1 चार रंगों की चार-चार गोटियों और तीन पासों चातुर्मास 2 वर्षा ऋतु में गाया जानेवाला गीत 3 गर्भवती के | से खेला जानेवाला खेल, चौपड़ 2 चौपड़ की बिसात चौथे माह का कृत्य II (वि०) 1 चातुर्मास में होनेवाला 2 चार | चौहट्टा-(पु०) 1 ऐसा स्थान जिसके चारों ओर दुकानें हों महीनों में होनेवाला
2 चौरस्ता, चौमुहानी चौमासी-(स्त्री०) चातुर्मास का श्रृंगारिक गीत
चौहड़-(पु०) = दे० चौघड़ चौमुख-हिं० + सं० (क्रि० वि०) चारों तरफ़ II (वि०) | चौहत्तर-I (वि०) जो सत्तर से चार ज़्यादा हो II (पु०) चौमुखा
___74 की संख्या चौमुखा-हिं० + सं० + हिं० (वि०) 1 जिसके चारों ओर चार | चौहद्दी-हिं० + अ० + हिं० (स्त्री०) किसी स्थान के चारों ओर मुख हों 2 जो चारों ओर उन्मुक्त हो (जैसे-चौमखी लड़ाई छिड़ __ की सीमा (जैसे-महल की चौहद्दी)
गई)। दीया जलाना दिवाला निकालना, दिवालिया बनाना | चौहरा-I (वि०) 1 चार तहोंवाला (जैसे-चौहरा कपड़ा) चौमुहानी-(स्त्री०) चौरस्ता, चौराहा
2 चौगुना II (पु०) 1 एक में बँधी हुई एक प्रकार की चार चौरंग-(पु०) तलवार का एक प्रहार
चीजें 2 दे० चौषा चौरंगा-(वि०) 1 चार रंगोंवाला, चौरंगा 2 चारों ओर समान | चौहान-(पु०) अग्निकुल के अंतर्गत क्षत्रिय वंश की रूप से होनेवाला 3 सब तरह से एक जैसा
शाखा चौर-सं० (पु०) 1 चोर 2 चैवर
चौहैं-(क्रि० वि०) बो० चारों ओर, चारों तरफ़ चौरस-I (वि०) 1जो ऊबड़-खाबड़ न हो, समतल च्यवन-सं० (पु०) 1 चूना, टपकना 2 एक ऋषि (जैसे-चौरस ज़मीन, चौरस आँगन) 2 सब तरफ़ से एक जैसा च्यावन-सं० (पु०) टपकाना II (पु०) बर्तन खुरचकर चौरस करनेवाला ठठेरों का एक च्युत-सं० (वि०) 1 गिरा हुआ, पतित (जैसे-कर्तव्यच्यत, औज़ार
पदच्युत) 2 टपका हुआ। ~संस्कारता (स्त्री०) 1 संस्कार चौरसाई-(स्त्री०) 1 चौरसपन 2 चौरस करने की मज़दूरी | से च्युत होने की अवस्था 2 साहित्यिक रचना में व्याकरण चौरसाना-(स० क्रि०) चौरस करना, बराबर करना संबंधी दोष चौरस्ता-हिं० + फ़ा० (पु०) = चौराहा, चौमुहानी च्यताधिकार-सं० (वि०) पद, अधिकार से हटाया हुआ, हटा चौरा-(पु.) 1 चबूतरा, वेदी 2 चबूतरे के रूप में बनी हुई हुआ वास्तुरचना
| च्युति-सं० (स्त्री०) पतन (जैसे-पदच्युति, कर्तव्यच्युति)
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यूटा
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छक्केबाज़
यूटा-(पुल) च्यूटी की जाति या प्रकार का किंतु आकार में | (जैसे-घोड़े का पेर छंदना ) उससे बड़ा कीड़ा
छंदा-(वि०) दोनों पैर बाँधकर चरने हेतु छोड़ा हुआ यूटी-(स्त्री०) गुड़, शक्कर आदि चीजें खानेवाला अत्यंत छोटा (पशु) कीड़ा
छंदाघात-(०) (शब्द पर) संगीतात्मक बल व्यूड़ा-(पु०) चिवड़ा, भुने धान का कूटा हुआ चबेना
छंदात्मक-सं० (वि.) छद रूप में रचा हआ. पद्यमय छंदानुवृत्ति-(स्त्री०) स्वार्थपरायणता छंदित-सं० (वि०) प्रसन्न किया हुआ छंदोगति-(स्त्री०) ऐसी छंदयोजना कि शब्द में लय
और गति हो छंदोबद्ध-सं० (वि.) छंदात्मक, पद्य रूप में, पद्यबद्ध छंदोभंग-सं० (पु०) छंद-रचना में लय और गति का
अभाव, छंददोष छंगा-(वि.) जिसके हाथ में छह उँगलियाँ हों
छंदोयोजना-सं० (स्त्री०) छंद बनाना छंगुलिया, छंगुली-(स्त्री०) हाथ की सबसे छोटी । छंदोविश्लेष-सं० (पु.) छंद का वर्णों और मात्राओं में उंगली
वर्णन करना छंगू-(पु०) . छंगा
छः-I (वि०) गिनती में पांच से एक अधिक [[ (पु०) छंटना-(अ. क्रि०) 1 छाँटा जाना 2 अलग होना | छह की संख्या का सूचक अंक, 61 कोना (वि०) । जैसे-दल से चार आदमी उँट गए) 3 अनावश्यक षटकोण; ~माही (वि.) छ: महीने में होनेवाला अंश निकलना 4 तितर-बितर होना (जैसे-बादलों का (जैसे-छमाही परीक्षा) छरना) 5 क्रिया के फलस्वरूप कम होना (जैसे-आँख | छ-(वि०) = छ: की लाली छंटना) । छैटा हआ 1 चालाक, 2 धूर्त | छई-I (वि०) 1क्षय होनेवाला 2 क्षय रोगवाला 3 चुना हुआ
II (स्त्री०) क्षय रोग छंटनी-(स्त्री०) छाँटने की क्रिया, छंटाई (विशेषतः | छक-(स्त्री०) तृप्ति कर्मचारियों की)
छक-छक-(स्त्री०) छुक-छक छैटवाना-(स० क्रि०) छाँटने का काम दुसरे से कराना | छकड़ा-[ (वि.) 1ढीले ढाँचेवाला 2 धीमे चलनेवाली छंटाई-(स्त्री) 1 छाँटने की क्रिया 2 छाँटने की मज़दूरी (गाड़ी) II (पु०) माल ढोनेवाली गाड़ी छंटाना-(स० कि०) बो० - उँटवाना
छकड़ी-(स्त्री०) 1छ कहारों द्वारा उठाई जानेवाली छैटाव-(पु.) छंटाई
पालकी 2 छह का समूह छैटेल-(वि०) 1 छंटा हुआ 2 अत्यंत धूर्त
छकना-I (अ० क्रि०) 1 पूर्ण संतुष्ट होना, जी भरकर छंदःशास्त्र-सं० (पु०) वह शास्त्र जिसमें विभिन्न छंदों खाना, अघाना 2 नशे में चूर, मदमस्त होना 3 कौशल, के रूप और लक्षण बतलाए जाते हैं।
चातुरी आदि में परास्त होना, हारना || (अ० क्रि०) छंद-[ सं (पु.) 1 मात्राओं का निश्चित मान जिनके 1 चकराना 2 हैरान होना
अनुसार पद्य रचना की जाती है (जैसे-मात्रिक छंद, छकाछक-I (क्रि० वि०) 1 पूरी तरह से, भरपूर मुक्तक छंद) 2 मात्रा की गणना के अनुसार बना 2 भली-भाँति II (वि०) 1 पूर्णतः तृप्त 2 नशे में भरा पद्यबंध 3 वेद 4 कपट 5 मतलब। ~मुक्त (वि०) । जो छंद के नियमानुसार न हो (जैसे-छंदमुक्त रचनाएँ । छकाना-[ (स० क्रि०) 1 पूर्णतः संतुष्ट करना 2 भरपेट आधुनिक काव्य की देन हैं); -वासी (पु०) खिलाना || (स० क्रि०) 1 चक्कर में डालना मनमाना आचरण करनेवाला; -विधान (पु०), 2 परेशान करना 3 खिला-पिलाकर तृप्त करना ~व्यवस्था (स्त्री०) (काव्य रचना में) छंदयोजना; छकार-सं० (पु०) 'छ' वर्ण ~शास्त्र (पु०) = छंद शास्त्र
छक्का -(पु०) । छह का समूह 2 छह अवयवोंवाली छंद-II सं० (पु०) 1 अभिलाषा, इच्छा 2 अभिप्राय, वस्तु 3 ताश का छह बूटियोंवाला पत्ता (जैसे-पान का मतलब 3 कपट, छल 4 तरक़ीब, युक्ति, उपाय
छक्का ) 4 चौसर के खेल में पासे का छह छंदक-दान-सं० (पु०) 1 धोखा देना 2 रक्षा दान बिंदियोंवाला पहल 5 छह रनों का समह (क्रिकेट)। छंदक-पत्र-सं० (पु०) 1 छल पत्र 2 रक्षा पत्र
~~पंजा (पु०) दाँव-पेंच, छल-कपट, चालबाज़ी; छंदक-पेटिका, छंदक-पेटी-सं० (स्त्री०) रक्षक पेटी छूटना 1 हिम्मत हारना 2 परेशान होना; ~पंजा छंदक-प्रणाली-सं० (स्त्री०) रक्षा करने का ढंग भूल जाना अक्ल का काम न करना, उपाय न छंदत:-(क्रि० वि०) छल-कपट से
चलना; छक्के छुड़ाना हौंसला पस्त करना, पैर उखाड़ छंदन-(पु०) प्रसन्न करना
देना; छक्के छूटना बुद्धि चकराना छंदना-I (अ० क्रि०) 1 छंद बनाना 2 छंद में कविता | छक्केबाज़-हिं० , फ़ा० (वि.) 1 अत्यधिक चालबाज़ करना 3 कविता करना II (अ० क्रि०) बाँधा जाना | 2 अत्यंत धूर्त
हुआ
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छक्केबाज़ी
छक्केबाज़ी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) धूर्तता छगन- (पु० ) छोटा बच्चा, छोटा बालक । ~मगन (पु० ) छोटे-छोटे हँसते-खेलते बच्चे छगल - ( पु० ) बकरा (स्त्री० छगली) छगुनी - ( स्त्री०) छँगुलियाँ
छछिआ, छछिया- (स्त्री०) छाछ रखने का मिट्टी का छोटा पात्र
274
छछूंदर - (पु० ) 1 चूहे की जाति का दुर्गंधयुक्त प्रसिद्ध जंतु 2 एक तरह की आतिशबाज़ी जिसके छूटने पर छू-छू ध्वनि निकलती है । छोड़ना झगड़ा लगाना, खुराफ़ात करना छजली - (स्त्री०) 1 छोटा और पतला छज्जा 2 दीवार के बाहर निकली ऊपरी भाग पर बनी छज्जे के आकार की वास्तु रचना, कारनिस
छज्जा - ( पु० ) 1 दीवार से बाहर निकली हुई छत का भाग, बारजा 2 ओलती, ओरी
छज्जेदार हिं० + फ़ा० (वि०) जो किनारा आगे को निकाला हुआ हो, आगे को निकला हुआ किनारा (जैसे-छज्जेदार
मकान)
छटंकी - I (स्त्री०) छटाँक भर तौल का बटखरा II बहुत छोटा एवं हल्का
छटकना - (अ० क्रि०) 1 उछलकर दूर जा गिरना (जैसे- हाथ से अठन्नी छटकना) 2 बंधन से निकल जाना 3 उछलना, कूदना (जैसे- इतना छटकते क्यों हो ) 4 दूर रहना 5 बंधन से निकलने का प्रयत्न करना (जैसे - व्यर्थ का छटकना)
छटका - ( पु० ) 1 दो जलाशयों के बीच मछली फँसाने का तंग गड्ढा 2 झटका
छटकाना- (स० क्रि०) 1 उछालना 2 झटका देकर छुड़ाना 3 दूर करना
छटनी - (स्त्री०) छँटनी
छटपट - I (वि०) 1 तेज, फुर्तीला 2 चंचल II (स्त्री०) छटपटाने की क्रिया
=
छत्तीस
-पसनी (स्त्री०), ~ का दूध निकलना 1 कड़ी मेहनत पड़ना 2 बचपन का खाया पिया निकलना; ~ का दूध याद आना 1 अत्यधिक कष्ट मिलने से बचपन का सुख याद आ जाना 2 अत्यधिक कठिन मेहनत पड़ना छठे-छमासे - ( क्रि० वि०) कभी कभार, कभी कभी छड़ - ( पु० ) धातु आदि का लंबा डंडा । दार (वि०) छड़वाला
+ फ़ा०
छड़ना- (स० क्रि० ) 1 अनाज के दाने भूसी अलग करना 2 खूब मारना
छड़ा-I (पु०) 1 पैर में पहनने का एक गहना 2 मोतियों की लड़ी 3 गुच्छा II (वि०) अकेला, एकाकी छड़िया-I (पु० ) ड्योढ़ीदार II (वि.०) जिसके हाथ में, छड़ी हो
छड़ी - (स्त्री०) 1 बाँस आदि का पतला एवं छोटा डंडा, सोटी 2 क़ब्र, मज़ार पर लगाई जानेवाली झंडी 3 बाँस आदि की वह डंडी जिसपर फूल-पत्तियाँ आदि बँधी रहती हैं। दार + फ़ा०, बरदार + फ़ा० (५०) चोबदार
छत - (स्त्री०) 1 कमरे की पाटन, छाजन 2 पाटन का ऊपरी भाग 3 पाटन का नीचला तल । गीर + फ़ा० (पु० ) कमरे में ऊपर वाली छत को ढकने के लिए तानी जानेवाली चाँदनी गीरी -फ़ा० हिं० (स्त्री०) कमरे की छत के नीचले भाग को ढकने हेतु बाँधी गई चाँदनी; ~दार + फ़ा० (वि०) छतवाला, छत पड़ा हुआ
छतना-I (स० क्रि०) छत डालना, छत बनाना II ( अ० क्रि०) छाया जाना
छटपटाना - (अ० क्रि०) 1 पीड़ा के कारण हाथ पैर आदि पटकना (जैसे-दर्द से बच्चे का छटपटाना) 2 अधिक दुःख के कारण परेशान होना 3 उद्देश्य आदि की सिद्धि हेतु अत्यंत चिंतित होना छटपटाहट, छटपटी - ( स्त्री० ) 1 छटपटाने की क्रिया 2 घबराहट 3 आतुरता, आकुलता छटाँक - (स्त्री०) 1 एक सेर का सोलहवाँ भाग, पाँच तोला 2 सेर के सोलहवें भाग का बटखरा छटा-सं० (स्त्री०) 1 शोभा, छवि 2 दीप्ति, चमक (जैसे- देवमंदिर में मूर्ति की छटा ) । ~मंडल (पु० ) प्रकाश का घेरा
छटाभा-सं० (स्त्री०) 1 बिजली 2 बिजली की चमक छदुआ - बो० (वि०) छाँटकर निकाला हुआ छठ - ( स्त्री०) जन्म से छठे दिन की रस्म
=
छतनार, छतनारा - (वि०) जिसकी शाखाएँ छत की तरह चारों तरफ़ दूर-दूर तक फैली हों छतरी - (स्त्री०) 1 लोहे की तीलियों पर कपड़ा चढ़ाकर वर्षा आदि से बचने के लिए बनाया हुआ आच्छादन या आवरण, छाता 2 खुले स्थान के ऊपर का मंडप 3 चंदोवा 4 छत्राकार मँड़ई 5 बाँस की पत्तियों का टट्टर 6 हवाई जहाज़ से कूदने का छाता, पैराशूट। धारी
+
सं० (वि०) छतरी धारण करनेवाला; फ़ौज अ० (स्त्री०) छतरी के सहारे वायुयान से नीचे उतरनेवाली सेना; ~बाज़ + फ़ा० (पु० ) छतरी के सहारे (हवाई जहाज़ से) उतरनेवाला; - सैनिक सं० ( पु० ) छतरीबाज़ सिपाही छतिया - (स्त्री०) छाती
+
छतियाना - (स० क्रि०) 1 छाती से लगाना, छाती से सटाना 2 छाती के पास लाना
छतीसा - (वि० ) 1 अत्यंत चालाक 2 ढोंगी छतौना - (पु० ) छाता
छत्ता - ( पु० ) 1 छतरी, छाता 2 मधुमक्खियों आदि का घर 3 वह पौधा जिसकी शाखाएँ छतरीनुमा फैली हों 4 कमल का बीजकोष । ~ पेटी (स्त्री०) पेटी में • मधुमक्खियाँ पालने की युक्ति
छठवाँ छठा - (वि०) छः के स्थान पर आनेवाला छठी - (स्त्री०) 1 चांद्रमास के प्रत्येक पक्ष की छठवीं तिथि 2 शिशु के जन्म के छठे दिन होनेवाला उत्सव | छत्तीस - I (वि०) जो तीस से छः अधिक हो II (पु०)
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छत्तीसा 275
छपाई छत्तीस की संख्या
छनछनाना-I (अ० क्रि०) 1 छन-छन शब्द होना छत्तीसा-(वि०) 1बत चालाक 2 मक्कार
2 खौलते घी, तेल में तलने हेतु वस्तु आदि डालने पर छत्तीसी-(स्त्री०) छिनाल
छन-छन की आवाज़ होना, बजना II (स० क्रि०) छत्र-सं० (पु०) 1 राज-सिंहासन के ऊपर लगाया छन-छन ध्वनि उत्पन्न करना जानेवाला बड़ा छाता 2 छतरी। ~छाँह + हिं० बो० छनछनाहट-(स्त्री०) छन छन की आवाज़ (स्त्री०), छत्र-छाया (स्त्री०) ऐसा आश्रय जो छाते छनन-मनन-(पु०) 1 घुघरुओं आदि के बजने से की तरह सुरक्षित रखनेवाला और सुखद हो, शरण; होनेवाला छन-छन शब्द 2 खौलते घी, तेल में डाले ~धर (पु०) : छत्र धारण करनेवाला राजा 2 छत्र गए पदार्थ से उत्पन्न होनेवाला शब्द लगानेवाला सेवक; ~धारी (वि०) छत्र धारण छनना-1 (अ० क्रि०) 1 छाया जाना, छानने की क्रिया करनेवाला; पति (पु०) बहुत बड़ा राजा; भंग होना 2 छोटे-छोटे छिद्रों से होकर निकलना 3 अलग (पु०) 1 राजा का नाश, राज्य का पतन 2 अराजकता; होना II (पु०) 1 छानने का साधन महीन कपड़ा हीन (वि०) बिना छत्र का
आदि (जैसे-दूध छनना, चाय छनना) III (अ० छत्रक-सं० (पु०) 1 छतरी 2 शहद का छत्ता क्रि०) 1 मादक पदार्थ का सेवन किया जाना 3 कुकरमुत्ता, खंभी
(जैसे-शराब, भाँग आदि छनना) 2 खौलते तेल आदि छत्रकायमान्-सं० (वि०) छत्रक रूप में होनेवाला में सिक्त होकर पूरी कचौरी आदि निकलना । गाढ़ी~ छत्राक-(पु०) खंभी
घनिष्ठ संबंध होना (जैसे-आजकल दोनों मित्रों में गाढ़ी छत्री-I (पु०) - क्षत्रिय II (स्त्री०) छतरी। ~धारी
छन रही है) + सं० (वि०) = छतरीधारी
छनवाना-(स० क्रि०) छानने का काम अन्य से कराना द, छदन-सं० (पु०) 1 ढकनेवाली चीज़, आवरण छनाका-(पु०) 1 छन की आवाज़ 2 झनकार 2 खाल 3 छाल 4 खोल, गिलाफ़
छनाना-(स० क्रि०) 1 = छनवाना 2 पिलाना छदाम-(पु०) पुराने पैसे का चौथाई भाग
(जैसे-मित्रों को भाँग छनाना) छदम-I सं० (पु०) 1 छल, कपट, ढोंग 2 असली रूप |
छन्ना-(पु०) 1 द्रव पदार्थ आदि छानने का महीन कपड़ा छिपाना 3 बदला हुआ रूप, भेस 4 आवरण II 2 चलनी, छलनी (वि०) बनावटी, कृत्रिम । तापस (पु०) कपटी छप-(स्त्री०) 1 तरल पदार्थ, जल आदि के गिरने से साधु; नाम (पु०) बनावटी नाम; ~युद्ध (पु०) उत्पन्न शब्द 2 ज़ोर से छींटा पड़ने का शब्द दिखाऊ युद्ध, नकली लड़ाई; ~लीला (स्त्री०) । छपकना-(अ० क्रि०) पतली चीज़ से प्रहार करना कपटलीला; ~वेश (पु०) बनावटी रूप; छपका-I (पु०) 1 बाँस आदि की कमाची 2 पतली ~वेशधारी, ~वेशी (वि०) भेस बदलनेवाला, छड़ी II (पु०) 1 वस्तु को कीचड़, जल आदि में
फेंककर उसे उछालने की क्रिया 2 कपड़े आदि पर पड़ा दमावरण-सं० (पु०) धोखा देने के लिए वस्तु का रूप ढक कीचड़ आदि का धब्बा III (पु०) सिर पर पहनने
का एक गहना दमी-सं० (वि०) 1 = छदवेशी 2 छली
। छपछपाना-I (अ० क्रि०) छप-छप शब्द होना छन-I (पु०) क्षण, पल 2 पुण्यकाल II (स्त्री०) II (स० क्रि०) छप-छप शब्द करना 1 जलते तवे आदि पर पानी, कलकलाते घी, तेल छपटी-(स्त्री०) लकड़ी का टुकड़ा आदि में आटे की लोई आदि के पड़ने से होनेवाली
छपद-(पु०) भौंरा, भ्रमर आवाज़ 2 घुघरू आदि की ध्वनि, झनकार। छ्न छपना-(अ० क्रि०) 1 मुद्रित होना (जैसे-समाचार (स्त्री०) छन-छन की आवाज़
छपना, पुस्तक छपना) 2. ठप्पे आदि की छाप से युक्त छनक-I (स्त्री०) 1 छन-छन शब्द, झनकार | होना (जैसे-धोती छपना) (जैसे- घुघरुओं की झनक) 2 छन-छन शब्द होने की | छपरखट. छपरखाट-(स्त्री०) वह पलंग जिसके ऊपर अवस्था II (क्रि० वि०) क्षण-भर III (वि०) __ डंडों के सहारे कपड़ा तना हो 1 क्षणिक, क्षण भंगुर 2 क्षण-क्षण में अपना विचार छपरबंद-हिं० + फ़ा० (वि०/पु०) = छप्पर बंद बदलनेवाला। ~मनक (स्त्री०) 1 झनकार छपरबंदी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) = छप्पर बंदी 2 सजधज, नखरा
छपरा-बो० (पु०) 1 छप्पर 2 बाँस का टोकरा मकना-I (अ० क्रि०) 1 छन-छन शब्द होना, | छपरिया, छपरी-बो० (स्त्री०) 1 छोटा छप्पर 2 झोंपड़ी झनकार होना 2 छनछनाना II (अ० क्रि०) चौंकना, छपवाना-(स० क्रि०) = छपाना भड़कना
छपवैया-(वि०) छापनेवाला (जैसे-समाचार छपवैया) नकाना-I (स० क्रि०) 1 गर्म, तपे हुए पात्र में द्रव | छपा छपाया-(वि०) जो छपा हुआ प्राप्त हुआ हो पदार्थ डालकर गर्म करना 2 पानी को खौलाकर उसका (जैसे-छपा छपाया पत्र) परिमाण कम करना II (स० क्रि०) भड़काना छपाई-(स्त्री०) 1 छपने-छापने की क्रिया 2 छपने-छापने चौकाना
का पारिश्रमिक
कपटवेशी
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हपाका
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छलावा
देना
छपाका-(पु०) 1 कीचड़, पानी आदि में कोई वस्तु छरछराहट-II (स्त्री०) पीड़ा, जलन फेंकने से होनेवाला शब्द 2 धाराओं के टकराने से छरद-(स्त्री०) है, वमन
उत्पन्न शब्द 3 छींटा (जैसे-ज़ोर का छपाका मारना) छरना-I (अ० क्रि०) 1 चूना, रसना 2 छंटना, अलग छपाछप-(स्त्री०) पानी पर हाथ मारने की आवाज़ होना II (स० क्रि०) 1 ठगना, छलना 2 मोहना छपाना-(स० क्रि०) 1 छापने का काम दूसरे से कराना। ___3 आतंकित करना 2 टीका लगवाना
छरहरा-(वि०) 1 दुबला-पतला 2 चुस्त, फुर्तीला छपाव-बो० (पु०) = छिपाव
छरा-(पु०) 1 माला, हार की लड़ी 2 इज़ारबंद छप्पन-I (वि०) पचास से छः अधिक II (पु०) | छरोरा-बो० (पु०) शरीर के छिलने से बना हुआ 56 की संख्या
ज़ख़्म, घाव छप्पय-(पु०) छः चरणोंवाला मात्रिक छंद जिसमें पहले छर्दि-सं० (स्त्री०) है, उल्टी, वमन, मतली चरण में रोला के और फिर दो चरण उल्लाला के होते छर्दिधन-सं० (पु.) कै रोकने की दवाई
छर्रा-(पु०) 1 धुंघरुओं, गहनों आदि में भरी जानेवाली छप्पर-(पु०) बाँस, लकड़ी, फूस आदि से बनाई गई कंकड़ी 2 सीसे, लोहे के छोटे-छोटे टुकड़े जो बारूद के
झोंपड़ी पर्णकुटी। ~बंद +फा० I (पु०) छप्पर साथ बंदूक़ में भरे जाते हैं 3 कंकड़। पिलाना छानेवाला मजदूर II (वि०) जो छप्पर में रहता हो; बंदूक में छर्रा भरना ~बंदी + फा० (स्त्री०) 1 छप्पर छाने का काम छल-सं० (पु०) 1 धोखा, कपट 2 बहाना। कपट 2 छप्पर छाने की उजरत; ~टूट पड़ना एकाएक कोई (पु०) छोखेबाज़ी; छंद, छद्म (पु०) 1 छल पूर्व बड़ा संकट आ पड़ना; ~पर फूस न होना अत्यधिक | व्यवहार 2 कपट-जाल, चालबाज़ी; ~छंदी (वि०) । निर्धन होना; ~फाड़कर देना 1 अनायास बहत छल-कपट करनेवाला; ~~छाया (स्त्री०) कपटजाल. अधिक धन देना 2 बिना परिश्रम के घर बैठे माया; ~छिद्र (पु०) = दे० छल-कपट; छिद्रव
(पु०) (दूसरों के) छलछिद्र (दोष) निकाला छबड़ा-(पु०) = टोकरा, झाबा (स्त्री० छबड़ी)
-छिद्री (वि.) कपटी; ~बल (पु०) मायाजाल छबीना-(पु०) पड़ाव
छलक-(स्त्री०) छलकने की क्रिया छबीला-(वि०) 1 जो बन ठनकर रहता हो, छैला, | छलकना-(अ० क्रि०) 1 उमड़कर बाहर गिरना बाँका 2 छवियुक्त, सुंदर
(जैसे-आँखों से आँसू छलकना) 2 झटके से उछलकर | छब्बीस-I (वि०) जो बीस से छः अधिक हो बाहर आना (जैसे-लोटे से दूध छलकना) 3 चारों। II (पु०) 26 की संख्या
ओर से फैला हुआ दिखाई पड़ना (जैसे-हृदय में प्रेम छमक-(स्त्री०) छमकने की क्रिया
का छलकना) छमकना-(अ० क्रि०) 1 घुघरुओं आदि के बजने का छलकाना-(स० क्रि०) हिलाकर गिराना (जैसे-बाल्टी ।
शब्द होना 2 स्त्रियों का आभूषण पहनकर इठलाते हुए _का पानी छलकाना) इधर-उधर आना-जाना
छल-छल-(पु.) पानी के छलकने की ध्वनि छम-छम-I (स्त्री०) 1 पायल, घुघरू आदि के बजने से छलछलाना-(अ० क्रि०) आँखों में आँस भर आना, उत्पत्र ध्वनि 2 ज़ोर से पानी बरसने का शब्द | आर्द्र हो जाना (जैसे-छम-छम वर्षा होना) II (क्रि० वि०) छलन-सं० (पु०) छलने की क्रिया, छलना
1 छम-छम शब्द करते हुए 2 चमकते-मटकते हुए || छलना-I (स० कि०) धोखा देना, ठगना सं० (स्त्री०) छमछमाना-I (अ० क्रि०) 1 छम-छम शब्द उत्पन्न 1 छलने का भाव 2 धोखा, वंचना (जैसे-सृष्टि स्वयं में होना 2 चमकना II (स० क्रि०) छम-छम शब्द उत्पन्न छलना है) 3 छल करनेवाली स्त्री (जैसे-छलनाओं से करना
दूर रहना) 4 माया, भ्रांति छमाछम-(क्रि० वि०) छमछम
छलनी-(स्त्री०) 1 आटा आदि छानने का जालीदार छमाशी-(स्त्री०) छः माशे की तौल का बाट
छोटा उपकरण, चलनी 2 छलनीदार वस्तु । ~में छमाही-I हिं० + फा० (स्त्री०) 1 छ: माह बाद होनेवाला कृत्य डालकर छाज में उड़ाना थोड़े से दोष को लेकर (जैसे-छमाही परीक्षा) 2 छः माह का समय II (वि०) हर अत्यधिक बदनाम करना; हो जाना फट-चिथकर छ: माह पर होनेवाला
बेकार हो जाना, नष्ट हो जाना छरकना-(अ० क्रि०) बिखरना
छलबल-(स्त्री०) 1 चटक-मटक 2 शोभा छर-छर-(पु०) चुन चुन शब्द
छलाँग-(स्त्री०) वेग पूर्वक उछलकर अन्य स्थान पर छरछराना-I (अ० क्रि०) 1 घाव में चुनचुनाहट होना जाने की क्रिया। - भरना, ~मारना 1 बहुत तेज़ या जलन होना 2 कणों का बिखरना II (स० क्रि०) चलना 2 शीघ्र तरक्की करना चुनचुनाहट उत्पन्न करना, जलन पैदा करना
छलावरण-सं० (पु०) धोखा देने के लिए रूप या छरछराहट-I (स्त्री०) 1 'छर-छर' ध्वनि में गिरने की | स्थान को ढक लेना आवाज़ 2 चुनचुनी
छलावा-(पु०) 1 धोखा 2 भ्रांति, माया 3 जंगलों और
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छलित
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छाती
दलदलों में दिखाई देनेवाला फासफोरस का प्रकाश. रस्सी 2 छाँदने की क्रिया भूत-प्रेतादि की तुरंत अदृश्य हो जानेवाली छाया। छाँदना-(स० क्रि०) 1 रस्सी से बाँधना (जैसे-असबाब ~खेलना अगिया वैताल का इधर-उधर दिखाई देना; __ आदि बाँधना-छाँदना) 2 चौपायों के पिछले दोनों पैर ~हो जाना गायब हो जाना
बाँधना छलित-सं० (वि०) जो छला गया हो, प्रतारित छाँदस-सं० (वि०) वेद संबंधी, वैदिक छलिया-(वि०) छलनेवाला
छाँव-(स्त्री०) = छाँह । छली-सं० (वि०) छलपूर्ण आचरण करनेवाला छाँस-(स्त्री०) अनाज छाँटने से निकला कूड़ा करकट छलौरी-(स्त्री०) चि० नाखूनों के नीचे का मांस सड़ने | छाँह-(स्त्री०) 1 = दे० छाया 2 ऊपर से छाया हुआ का रोग
स्थान 3 शरण। ~गीर + फ़ा० (पु०) 1 चंदोआ छल्ला-(प०) 1 धातु आदि की बनी अंगूठी के आकार 2 राजछत्र 3 दर्पण; ~न छुने देना पास न आने देना; की गोलाकार रचना 2 अँगूठी के आकार की गोलाकार बचाना बहुत दूर रहना आकृति (जैसे-बालों का छल्ला)
छाक-(स्त्री०) 1 छकने की क्रिया, तृप्ति 2 दोपहर का कलेवा छल्ली-सं० (स्त्री०) 1 छाल 2 लता 3 मक्का की बाल 3 चाट 4 नशा 5 मादक पदार्थ छल्लेदार-हिं० + फ़ा० (वि०) 1 मंडलाकार घेरेवाला । छाग-सं० (पु०) 1 बकरा 2 बकरी का दूध 2 जो छल्लों से युक्त हो
छागल-I (स्त्री०) पानी भरने की कपड़े की मशक, डोल छवना-(पु०) दे० छौना
छागल-II (स्त्री०) पाँव में पहनने का एक गहना छवाई-(स्त्री०) 1 छाने-छवाने की क्रिया 2 छाने-छवाने छागल-सं० (पु०) बकरा की उजरत
छागी-(स्त्री०) बकरी छवाना-(स० क्रि०) छाने का काम अन्य से कराना छाछ--(स्त्री०) मट्ठा (जैसे-छाछया भर छाछ प नाच नचावे) छवि-सं० (स्त्री०) 1 शोभा 2 सुंदरता। चित्र (पु०) छाज-(पु०) 1 सूप 2 छप्पर 3 छज्जा । छाजों में मेह बरसना सुंदर फोटो, तस्वीर; चित्रकार (वि०) सुंदर तस्वीर, मूसलाधार वर्षा होना फ़ोटो निकालने वाला; ~मय (वि०) जो छवि युक्त छाजन-I (स्त्री०) 1 छाने की क्रिया 2 छाने की मज़दरी, छवाई हो, जो सुंदर हो
3 छप्पर 4 छदम रूप 5 त्वचा रोग जिसमें जलन होती है, छवि-अ० (स्त्री०) 1 तस्वीर 2 चित्र। ~गह + सं० । अपरस II (पु०) कपड़ा, वस्त्र (पु०) सिनेमाघर, चल चित्र भवन
छाजना-I (अ० क्रि०) 1 सुंदर लगना 2 सुशोभित होना, छवैया-बो० (पु०) छाने-छवाने का काम करनेवाला फबना II (स० क्रि०) 1 सुंदर बनाना, सजान! 2 सुशोभित व्यक्ति
करना छहरना-(अ० क्रि०) बिखरना
छाता-(पु०) 1 दे० छतरी 2 छत्ता। ~धारी + सं० (वि०) छहियाँ-बो० (स्त्री०) - छाँह
___ = कृतरीधारी; ~सैनिक + सं० (पु०) = छतरी सैनिक छाँगना-(स० क्रि०) काटना, छाँटना .
छाती-(स्त्री०) 1 वक्षःस्थल, सीना 2 (स्त्रियों के) स्तन छाँगुर-(वि०/पु०) = छंगा
3 हृदय, मन 4 साहस, हिम्मत। -का काँटा हमेशा दुःख छंगुरता-(स्त्री०) छह उँगलियाँ होना
देनेवाली चीज़; ~कूटना दे० छाती पीटना; ~के किवाड़ छाँछ-(स्त्री०) 1 = छाछ 2 छाछ रखने का मिट्टी का खुलना 1 छाती फटना 2 गहरी चीख निकलना; छलनी छोटा पात्र, छछिया
होना दुःख, आघात सहते-सहते ऊब जाना, कलेजा पक छाँट-I (स्त्री०) 1 छाँटने की क्रिया 2 छाँटकर अलग जाना; जलना 1 मन का अत्यधिक संतप्त होना 2 अति किया गया रद्दी अंश 3 चुनाव 4 दे० छंटनी II बो० द्वेष, ईर्ष्या होना; ~ जुड़ाना अभिलाषा पूर्ण होने पर मन का (स्त्री०) है, वमन
शांत होना; ~ठंडी करना जी की जलन को शांत करना; छाँटन-(स्त्री०) = छाँट I
~ठंडी होना मन शांत होना; ~ठोंककर कहना कठिन छोटना-(स० क्रि०) 1काटकर अलग करना कार्य करने की प्रतिज्ञा करना, विश्वास दिलाना; देना स्तन से (जैसे-सिर के बाल छाँटना) 2 अनाज की भूसी अलग बच्चे को दूध पिलाना; ~धड़कना आशंका आदि से हृदय करना (जैसे-धान आदि छाँटना) 3 साफ़ करना का जल्दी-जल्दी स्पंदित होना; निकालकर चलना (जैसे-कपड़े की मैल छाँटना) 4 काम की वस्तुएँ अकड़कर चलना; ~पकना 1 परेशान हो जाना 2 स्तनों में अलग करना (जैसे-पुस्तके छाँटना) 5 अवांछनीय अंश
घाव होना; पत्थर की करना हृदय को कठोर बनाना; काट देना एवं उपयोगी अंश ले लेना पर का जम हर पल साथ लगा रहनेवाला आदमी; पर (जैसे-निबंध-लेख आदि छाँटना) 6 अनावश्यक रूप का पत्थर ऐसी वस्तु, व्यक्ति जिसकी चिंता हमेशा बनी रहे; से योग्यता का बखान करना (जैसे-पंडिताई छाँटना) पर मूंग दलना 1 दिखा-दिखाकर जलाने-कुढ़ानेवाली बात 7 कतरकर छोटा करना (जैसे-पैजामा छाँटना)
कहना 2 सौत लाना; ~पर लादकर ले जाना मरने पर साथ छोड़-चिट्ठी-(स्त्री०) रिहाई का परवाना
ले जाना; ~पर पत्थर घर लेना दे० छाती पत्थर की करना; छोड़ना-(स० क्रि०) बो० = छोड़ना
~पर बाल होना भरोसा करने लायक होना; छाती पर छाँद-(स्त्री०) 1 चौपायों के पैरों में बाँधी जानेवाली सौप लोटना 1 अत्यंत गहरी वेटना होना ? ईर्ष्या से हृदय जल
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छात्र
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छावा
आदि
वाला
हुआ
उठना; -पीटना मातम मनाना; फटना 1 दुःख का छापा-(पु०) 1 ठप्पा 2 ठप्पे से बना निशान 3 तप्त मुद्रा से असहय हो जाना 2 ईर्ष्या डाह करना; फुलाना गर्व करना, शरीर पर अंकित चिह्न 4 मांगलिक अवसर पर पाँचों उँगलियों इतराना; ~से लगाना आलिंगन करना, गले लगाना; ~से में हल्दी लगाकर दीवारों आदि पर लगाया गया निशान लगा रखना पास से हटने न देना
5 छापने का यंत्र 6 अचानक किया जानेवाला हमला छात्र-I सं० (पु०) 1 विद्यार्थी 2 शिष्य II (वि०) गुरू पर छत्र (जैसे-आक्रमणकारियों द्वारा छापा मारना)। खाना लगाकर उसके पीछे चलनेवाला। ~आंदोलन (पु०) छात्रों + फ्रा०, घर (पु०) वह स्थान जहाँ छपाई का काम होता द्वारा की गई हलचल, ~वृत्ति (स्त्री०) विद्यार्थी को | है, मुद्रणालय, प्रेस; ~मार आकस्मिक आक्रमण करनेवाला; सहायतार्थ मिलनेवाला धन, वज़ीफ़ा; ~वेतन (पु०) | मारी (स्त्री०) छापा मारने की क्रिया विद्यार्थियों को अध्ययन काल में दिया जानेवाला रुपया-पैसा छापेमार-(वि०) अचानक आक्रमण करनेवाला।
छाबड़ी-(स्त्री०) खोंचा, टोकरी। ~वाला (पु०) खोमचे छात्रक-सं० (पु०) विद्यार्थी, छात्र छात्रा-सं० (स्त्री०) 1 महिला विद्यार्थी 2 शिष्या
छायांक-सं० (पु०) चंद्रमा छात्राध्यापक-सं० (पु०) अध्यापन का प्रशिक्षण प्राप्त | छायांकन-सं० (पु०) फ़ोटो लेना . करनेवाला विद्यार्थी
छायांकित-सं० (वि०) फ़ोटो या अक्स बनाया हुआ छात्रालय, छात्रावास-सं० (पु०) स्कूल या कालेज से संबद्ध छाया-स० (स्त्री०) 1 अंधकार पूर्ण वातावरण जहाँ प्रकाश की इमारत जिसमें विद्यार्थी रहते हैं, होस्टल
किरणें आड़/आवरण आदि के कारण न पहँच सकें छाद-सं० (पु०) 1 छत 2 छप्पर
2 अंधकारमय वातावरण 3 परछाई, प्रतिबिंब (जैसे-पेड़ गमले छादक-सं० (वि०)/(पु०) 1 टैंकनेवाला 2 छानेवाला की छाया, उड़ते पतंग की छाया देखो) 4 आश्रय, सहारा छादन-सं० (पु०) 1 छाने की क्रिया 2 छाने या ढकने की वस्तु, (जैसे-मैं अनाथ आपकी छाया में ही रहना चाहता है) आवरण 3 छिपाव, दराव 4 पर्दा 5 कपड़ा
5 कालापन, शेड 6 बाधा (जैसे-भूत, प्रेत आदि की छाया) छादित-सं० (वि०) 1 ऊपर छाया हुआ, आच्छादित 2 ढका 7 कांति, दीप्ति । ~गणित (प.) ग्रहों की गतिविधि जानने
का गणित; चित्र (पु०) अक्सी तस्वीर, फ़ोटो; चित्रण छादिनी-सं० (स्त्री०) खाल, चमड़ी
(पु०) छाया चित्र उतारने का काम, फोटोग्राफ़ी; ~तनय छादिमक-सं० (वि०) 1 बहुरूपिया 2 ढोंगी
(पु०) शनि; दान (पु०) अनिष्ट की शांति हेतु घी/तेल में छान-I (स्त्री०) 1 छप्पर, छाजन 2 छानने की क्रिया (जैसे-छान अपनी छाया देखकर किया जानेवाला दान; ~दार + फ़ा० बीन करना) II (स्त्री०) चौपायों के पैरों में बाँधी जानेवाली (वि०) जो छाया करनेवाला हो (जैसे-छायादार वृक्ष); लट रस्सी
(पु०) रात के प्रथम पहर में गाया जानेवाला संकर राग; छानना-(स० क्रि०) 1 आटे आदि का मोटा कण छलनी से नाट्य (पु०) छाया कृति द्वारा अभिनीत पुतली का नाट्य; निकालना 2 दूध आदि को साफ करने के लिए बारीक कपड़े पथ (पु०) आकाश गंगा; पात्र (पु०) छायादान करने
आदि से निकालना (जैसे-चाय छानना, जल छानना) का तैलपात्र; ~पुरुष (पु०) काल्पनिक झलक; ~भास 3 मिश्रित वस्तुओं को अलग-अलग करना, बिलगाना (पु०) झूठी छाया; ~यंत्र (प.) 1 छाया द्वारा समय का 4 ढूँढ़ना, खोजना (जैसे-सारा शहर छान डाला किंतु कुछ भी ज्ञान करानेवाला यंत्र 2 धूपघड़ी; ~लोक (पु०) अमूर्त पता न चला) 5 जाँच-पड़ताल करना 6 नशा करना, नशा जगत्, अदृश्य जगत्; ~वाद (पु०) आत्माभिव्यक्ति का वह पीना 7 घी, तेल आदि में तलना 8 दे० छाँदना
ढंग जिसके अनुसार सौंदर्यमय प्रकृति की कल्पना करके ध्वनि छान-बीन-(स्त्री०) 1 छानने और बीनने की क्रिया 2 जाँच लक्षणा आदि के द्वारा उसके संबंध में अपनी अनुभूति प्रकट पड़ताल (जैसे-अपराध की छान-बीन करना)
करना; ~वादी (वि०) 1 छायावाद का अनुयायी 2 छायावाद छाना-I (स० क्रि०) 1 ढकना, आवरण डालना (जैसे-झोंपड़ी संबंधी पर छप्पर छाना) 2 तानना, फैलाना (जैसे-चादर से खुली । छायानुवाद-सं० (पु०) अधूरा परंतु निकटस्थ अनुवाद सब्जियाँ छा दो) 3 निर्मित करना II (अ० क्रि०) ऊपर छायाभ-I सं० (वि०) 1 छायायुक्त 2 जिस पर छाया पड़ी हो फैलना, पसरना (जैसे-बादल छाना, अंधकार छाना) II (स्त्री०) अंधकार और प्रकाश छानी-(स्त्री०) घास-फूस की छाजन, छप्पर
छार-(पु०) 1 भस्म, राख 2 खारा नमक छाप-(स्त्री०) 1 छापने की क्रिया 2 छापने का ठप्पा, साँचा छाल-(स्त्री०) वृक्ष आदि के तने पर का कड़ा खुरदरा और मोटा 3 छापने से बननेवाला चिह्न (जैसे-कलाई पर शंख की छाप) छिलका (जैसे-फोड़े पर छाल घिसकर लगाना) 4 मुहर का निशान 5 असर, प्रभाव (जैसे-किसी की छाप छालटी-(स्त्री०) अलसी आदि के रेशों से बना कपड़ा पड़ना, छाप डालना)
छालना-(स० क्रि०) 1 छानना 2 छेद करना 3 धोना छापना-(स० क्रि०) 1 मुद्रित करना 2 तल पर काला काग़ज़ छाला-(पु०) 1 फफोला 2 छाल, चर्म (जैसे-मृगछाला) रखकर लिखना, चित्र बनाना जिससे दूसरी तरफ़ छप जाए | छालित-(वि०) धोकर साफ किया हुआ (जैसे-कारबन पेपर से छापना) 3 ठप्पे आदि पर स्याही | छावनी-(स्त्री०) 1 सैनिकों की बस्ती 2 पड़ात, डेरा 3 छप्पर लगाकर किसी वस्तु पर दबाना जिससे ठप्पे पर बनी आकृति | 4 छप्पर आदि छाने की क्रिया छप जाए
| छावा-(पु०) 1 बच्चा 2 बेटा 3 हाथी का पट्ठा
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छिकना
छिंकना - (अ० क्रि०) छिकना हिँड़ाना- (स० क्रि०) छीन लेना
छि- (अ०) घृणा, तिरस्कार आदि का सूचक शब्द (जैसे- छि: तुमने क्या कर दिया)
छिउँकी - (स्त्री०) भूरे रंग की च्यूँटी
छिकना - (अ० क्रि०) 1 घेरा जाना 2 रोका जाना छिवका - (स्त्री०) छींक
छिगुनी - (स्त्री०), छिगुली - बो० (स्त्री०) कानी। छोटी उँगली, कनिष्ठिका
छिछड़ा - (पु० ) = छीछड़ा
छिछड़ी - (स्त्री०) लिंगेन्द्रिय के अगले भाग का आवरण, शिश्नच्छद
छिछियाना - (स० क्रि०) 1 घृणा करना 2 निंदा करना छिछला - (वि०) 1 जो कम गहरा हो (जैसे- छिछला कुआँ )
2 उथला
छिछोरपन - ( पु० ) ओछापन, क्षुद्रता
छिछोरा - (वि०) 1 ओछा, क्षुद्र 2 कमांना
खिजाना - (स० क्रि०) 1 छीजने देना 2 छीजने का कारण होना छिटकना (अ० क्रि०) 1 कणों का इधर-उधर बिखरना (जैसे- चांदनी छिटक रही है) 2 छिड़कना
छिटकाना - (स० क्रि०) कणों को चारों तरफ़ बिखेरना, फेंकना (जैसे चावल छिटकाना, रेत छिटकाना) छिटकी - ( स्त्री०) छींटा
छिट-फुट - ( क्रि० वि०) 1 छितराया हुआ. कुछ यहाँ कुछ वहाँ 2 कहीं-कहीं, चुट-फुट 3 कोई-कोई छिटवा-बो० (पु०) टोकरा
छिड़कना - (स० क्रि०) 1 जल आदि के छोटे फेंकना (जैसे- पानी छिड़कना, होली में रंग छिड़कना) 2 = छिटकना छिड़कवाना - (स० क्रि०) छिड़कने का काम अन्य से करवाना छिड़काई - (स्त्री०) 1 छिड़कने का कार्य 2 छिड़कने का पारिश्रमिक
छिड़काना - (स० क्रि०) छिड़कने का काम कराना छिड़काव - ( पु० ) छिड़काई, पानी छिड़कना
छिड़ना - (अ० क्रि०) 1 छेड़ा जाना (जैसे बात छिड़ना) 2 शुरू होना (जैसे-युद्ध छिड़ना)
छितनी बो० (स्त्री०) छिछली टोकरी
छितर-बितर - (वि०) तितर-बितर छितराना-I (अ० क्रि०) 1 चारों ओर बिखरना 2 विशाल
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भूभाग में फैलना (जैसे-मुसलमान विश्व भर में छितराए हुए हैं) II (स० क्रि०) 1 चारों ओर फेंकना, बिखेरना 2 फैलाना (जैसे- सामान आदि छितराना) 3 तितर-बितर करना (जैसे आदमियों की भीड़ छितराना) छितराव- (पु०) छितरे-छितराए हुए होने की अवस्था छिदना- (अ० क्रि०) 1 छेद होना (जैसे कान छिदना) 2 सुराख होना, छेदा जाना (जैसे-भाले से शरीर छिदना) 3 घायल होना 4 चुभना, धँसना
छिदरा - (वि०) 1 छेदोंवाला 2 छितराया हुआ छिदवाना, छिदाना - (स० क्रि०) सूराख़ करवाना छिद्र-सं० (पु० ) 1 छेद, सुराख (जैसे-कपड़े में अनेक छिद्र हो गए) 2 कुछ अंश निकाल लेने से हुआ गहरा, रिक्त स्थान
छिपना
(जैसे-फल में छिद्र करना) 3 दोष, ऐब (जैसे-उस व्यक्ति में न जाने कितने छिद्र मिलेंगे) । दर्शी (पु०) दोष निकालनेवाला व्यक्ति; युक्त (वि०) दोष युक्त, दोषी, ऐबी
छिद्रण-सं० (पु० ) छेद करना
छिद्रल-सं० (वि०) 1 जिसमें पास-पास बहुत अधिक छेद हों 2 छिद्रित
छिद्रात्मा-सं० (वि०) छिद्रान्वेषी छिद्रान्वेषण-सं० (पु०) दोष ढूँढ़ना छिद्रान्वेषी-सं० (पु०) दोष निकालनेवाला व्यक्ति छिद्रित सं० (वि०) 1 सूराखदार 2 छेदा हुआ छिद्रिल-सं० (वि०) छेदोंवाला
छिद्रीकरण-सं० (पु० ) छेद बनाना
छिन बो० (पु० ) = क्षण
छिनक - I ( पु० ) एक क्षण II ( क्रि० वि०) क्षण भर, थोड़ी देर छिनकना - (स० क्रि०) नाक से ज़ोर से हवा निकालना कि नाक का मल बाहर आ सके, सिनकना (जैसे- नाक छिनकना) छिनकु - (पु०) / ( क्रि० वि०) छिनक छिनकुरना - ( अ० क्रि०) 1 एक क्षण रुकना 2 रुकना छिनना - (अ० क्रि०) छीना जाना (जैसे- रुपया-पैसा छिनना) छिनभंग - (वि०) 1 जो क्षण भर में नष्ट हो जानेवाला हो, क्षणिक 2 नश्वर
=
छिनरा - (वि०) = छिनाल
छिनवाना - (स० क्रि०) छीनने का काम अन्य से कराना छिनाना - I (अ० क्रि०) छीन लिया जाना II (स० क्रि०) छीनना
छिनार - ( स्त्री०) व्यभिचारिणी स्त्री, पुंश्चली छिनाल - I (वि०) पर पुरुषों से संबंध रखनेवाली II (स्त्री०)
दुश्चरित्रा स्त्री, पुश्चली। पन (पु० ) दुश्चरित्र, व्यभिचार छिनाला - ( पु० ) व्यभिचार
छिन्न-सं० (वि०) 1 कटा हुआ 2 काटकर अलग किया हुआ खंडित 3 नष्ट किया हुआ 4 क्षीण । नास (वि०) नाककटा पक्ष (वि०) जिसके डैने कटे हों; बंधन (वि०) मुक्त; भिन्न (वि०) 1 कटा-फटा 2 नष्ट-भ्रष्ट 3 तितर-बितर, छितराया हुआ; भिन्नांग (वि०) जिसके अंग छिन्नभिन्न हो गए हों; मस्त (वि०) जिसका सिर कट गया हो; मस्ता (स्त्री०) काली का एक रूप; मूल (वि०) जड़ से कटा; रुहा ( स्त्री० ) गुडुची, गुर्च; ~ विछिन्न (वि०) छिन्न-भित्र; वेशिका (स्त्री०) पाठा; ~ श्वास श्वास रुकने का रोग; संशय (वि०) जो संशय मुक्त हो
छिन्नक सं० (वि०) अंशतः कटा हुआ छिन्नांग-सं० (वि०) जिसका अंग कटा हो छिन्नासं० (स्त्री०) व्यभिचारिणी स्त्री, छिनाल छिन्नाधार-सं० (वि०) 1 जिसका आधार कट चुका हो 2 निस्सहाय, असहाय
छिपकली - (स्त्री०) एक प्रसिद्ध चार पैरों एवं लंबी दुमवाला सरीसृप, गृहगोधी (जैसे- दीवार पर छिपकली चिपकी है) छिपटी - (स्त्री०) लकड़ी की खपाची
छिपना - (अ० क्रि०) 1 आड़ में होना, परदे में होना 2 दृश्य न
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छिपा
होना 3 अस्त होना छिपा - (वि०) लुका छिपी
छिपाना - (स० क्रि०) 1 आड़ में, परदे में करना 2 ढकना 3 प्रकट न करना
छिपाव- (पु० ) छिपने-छिपाने की क्रिया (जैसे-दुराव-छिपाव) छिपे छिपे - (अ०) छिपकर, गुप्त रूप से छिया-I (स्त्री०) गुह, मल II (वि०) 1 मैला, गंदा 2 घृणित 3 तुच्छ । छरद (स्त्री०) घिनौनी चीज़; छरद करना छी छी करना, घृणित समझकर दूर हटाना
छियाज - (पु० ) ब्याज की रक़म पर भी जोड़ा जानेवाला ब्याज, कटुआँ ब्याज, चक्रवृद्धि ब्याज
छियानबे - I (वि०) नब्बे से छः अधिक II ( पु० ) 96 की संख्या
छियालिस - I (वि०) चालीस और छः II (पु० ) संख्या
छियासठ - 1 (वि०) साठ और छः II ( पु० ) 66 की संख्या छियासी-I (वि०) अस्सी और छः II (पु० ) 86 की संख्या छिलका - (पु० ) फल की त्वचा (जैसे-केले, आम आदि का छिलका)
(जैसे-सूर्य देवता छिप गए ) गुप्त (जैसे- छिपा धन)।
छिपी (स्त्री०)
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46 की
छिलन - (स्त्री०) 1 छिलने छीलने की क्रिया 2 त्वचा आदि का रंगड़ से छिल जाने का भाव
छिलना- (अ० क्रि०) 1 फलों आदि का छिलका उतारा जाना 2 वृक्ष आदि की छाल उतारी जाना 3 पशु आदि की खाल उतारी जाना 4 शरीर के किसी अंग की त्वचा रगड़ से उधड़
जाना
छिलवा - ( पु० ) ( ईख की पत्ती) छीलनेवाला छिलवाना-(स० क्रि०) छीलने का काम अन्य से कराना छिलाई - (स्त्री०) 1 छिलने-छिलाने की क्रिया 2 छीलने की मज़दूरी
छिलाना- (स० क्रि०) - छिलवाना
-
छिलाव - I ( पु० ) छिलावट II (स्त्री०) छिलाई
छिलौरी - ( स्त्री०) छोटा छाला
छिहत्तर - 1 (वि०) जो सत्तर से छः अधिक हो II (पु० ) 76 की संख्या
छींक - (स्त्री०) 1 श्वास की वायु का अचानक नाक एवं गले से * एक-साथ एक विशेष ध्वनि करती हुई बाहर निकलना 2 छींकने की ध्वनि, आवाज़ । -कारक + Ho (fao) छींक लानेवाला; होना अपशकुन होना
छींकना - ( अ० क्रि०) ज़ोर से नाक एवं मुँह से अचानक श्वास वायु फेंकना
छींका - ( पु० ) 1 खूँटी आदि में लटकाया जानेवाला तारों, रस्सियों का बना एक उपकरण (जैसे- हँडिया छींका पर लटका देना) 2 बैलों के मुँह पर बाँधी जानेवाली रस्सी की जाली । बिल्ली के भाग से टूटना संयोग से वांछित घटना होना छींट - (स्त्री०) । रंग-बिरंगी बूटियोंवाला कपड़ा 2 जलकण, पानी की बूँद 3 किसी तरल पदार्थ की बूँद पड़ने से बना धब्बा, दाग 4 चित्र आदि में बनाए जानेवाले बेल-बूटे, फूल पत्तियाँ आदि
छींटना - (अ० क्रि०) छितराना, बिखेरना
छुई-मुई
छींटा - (पु० ) 1 जल आदि द्रव पदार्थ की उछली-उछाली गई बूँदें (जैसे- मुँह पर पानी का छींटा मारना) 2 बूँदों से वस् आदि पर बना निशान, धब्बा 3 हल्की वृष्टि, बौछार (जैसे - वर्षा की छींटे आने लगीं ) 4 खेतों में बीज बिखेरने की प्रक्रिया 5 बोआई का एक ढंग जिसमें बीज खेत में छींटे जाते हैं 6 चुभती हुई व्यंग्यपूर्ण बात। ~कशी + फ़ा० (स्त्री०) दोषारोपण, आक्षेप, गोला (पु० ) ढोल के आकार का टोकरा ~ कसना, छोड़ना, फेंकना आक्षेप करना, व्यंग्य करना
छींबी - (स्त्री०) मटर की छीमी
छी-I (अ०) घृणा, तिरस्कार आदि का सूचक शब्द II (स्त्री०) छिया, गूह
छीका - ( पु० ) = छींका छीछ- (वि०) क्षीण
छीछड़ा - (पु० ) 1 मांस का रद्दी टुकड़ा 2. पशुओं की अतड़ी का मल भरा हुआ भाग
छीछालेदर - ( स्त्री०) दुर्गति, फ़ज़ीहत होना दुर्दशा होना छीजन - (स्त्री०) 1 नष्ट किया गया अंश 2 क्षय, नाश छीजना- (अ० क्रि०) 1 क्षीण होना 2 घटना 3 नष्ट होना छीटा-बो० (पु० ) 1 बाँस की तीलियों का बना टोकरा 2 चिलमन, चिक
छीड़ - (स्त्री०) मनुष्य के जमघट की कमी छीती- छान- (वि०) = छिन्न-भिन्न छीदा - (वि०) जो सघन न हो, छिदरा
छीन - (स्त्री०) छीनने की क्रिया। झपट ( स्त्री०) परस्पर छीना-झपटी
छीनना - (स० क्रि०) ज़बरदस्ती ले छीना-बो० (स० क्रि०) = छूना। ~ झपटी (स्त्री०) = छीन-झपट छीप - I (स्त्री०) 1 चिह्न 2 दाग़ 3 छाप II (वि०) तेज़, वेगवान
छीपना - (स० क्रि०) छीप को झटका देकर कँटिया में फँसी मछली को बाहर निकालना
छीपा - ( पु० ) 1 टोकरा 2 थाली
छीपी-I (पु० ) 1. कपड़े पर बेल-बूटे आदि छापने का काम करनेवाला व्यक्ति, रंगरेज़ 2 दरजी ।
लेना, ऐंठ लेना खसोटी, छीनी,
छीपी - II (स्त्री०) 1 धातु की तश्तरी 2 कबूतर उड़ाने का लग्गा छीबर - (स्त्री०) 1 छींट की चुनरी 2 बेल-बूटेदार कपड़ा छीमी-बो० (स्त्री० ) छींबी छीर - I ( पु० ) = क्षीर II (पु० ) 1 कपड़े का छोर 2 कपड़े का
फटना
छीलन - (स्त्री०) 1 छीलने की क्रिया 2 छीलने पर निकले हुए छोटे-छोटे टुकड़े.
S
छीलना - (स० क्रि०) 1 खरोचना 2 खुरचकर अलग करना 3 उतारना (जैसे- जानवर की खाल छीलना) छीलर - I ( पु० ) पानी से भरा छोटा गड्ढा II ( वि०) छिछला छुआ-छूत - (स्त्री०) 1 छूत छात का खयाल 2 अस्पृश्य को छूना
छुआना-बो० (स० क्रि० ) छुई-मुई - (स्त्री०) = छुई-मुई
= छुलाना
(पौधा), लाजवंती
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छेक
मुछा-(वि०) = ,छा छुच्छी-I (वि०)/(स्त्री०) दे० छंछी || (स्त्री०) 1 पतली एवं छोटी नली 2 नाक में पहनने के लौंग का पूरक अंश जो अत्यंत छोटी पतली नली के रूप में होता है 3 कीप छुच्छू-(वि०) 1 मूर्ख 2 तुच्छ छुछमछली-(स्त्री०) मेढक आदि जल जंतुओं के बच्चों का |
आरंभिक रूप, टेडपोल छुछहयु--(स्त्री०) 1 खाली हाँडी 2 वह हाँड़ी जिसमें से पकाई
गई वस्तु निकाली गई हो छुछुआना-(अ० क्रि०) व्यर्थ इधर-उधर भटकना छुटकारा-(पु०) 1 बंधन मुक्त होना, रिहाई 2 छुट्टी, फुरसत
3निस्तार छुटपन-(पु०) 1 छोटाई 2 बचपन 3 लड़कपन छुट-फुट-(वि०) 1 मूल अंग से कटकर छोटे-छोटे टुकड़ों के । रूप में इधर-उधर फैला हुआ 2 चुट-फुट (जैसे-छुट-फुट वर्षा होना) छूटभैया-(पु०) बड़ों की तुलना में अपेक्षया निम्न स्थिति का
व्यक्ति छुटाई-(स्त्री०) दे० छोटाई। बड़ाई (स्त्री०)
= छोटाई-बड़ाई छुटाना-बी० (स० क्रि०) - छुड़ाना छुटौती-(स्त्री०) ब्याज आदि में छूट छुटा-I (वि०) 1 जो स्वतंत्र हो, बंधनमुक्त 2 जो अपने दल से । अलग हो गया हो 3 एकाकी 4 फुटकर (जैसे-पाँच रुपये का छुट्टा दीजिएगा) II (पु०) छोटे सिक्के, रेजगारी। छरिंदा (वि०) अकेला, एकाकी छुट्टी-(स्त्री०) 1 अवकाश काल, फुरसत 2 छुटकारा 3 काम बंद रहने का दिन 4 जाने की अनुमति (जैसे-अब आपको छुट्टी दी जाती है)। वेतन + सं० (पु०) छुट्टी की तनख्वाह छुड़वाना--(स० क्रि०) छोड़ने का काम अन्य से कराना छुड़ाई-I (स्त्री०) 1 छोड़ने की क्रिया 2 छोड़ने का पारिश्रमिक
II (स्त्री०) 1 छुड़ाने की क्रिया 2 छुड़ाने का पारिश्रमिक छुड़ाना-(स० क्रि०) 1 बंधन मुक्त कराना, स्वतंत्र कराना (जैसे-जेल से कैदियों को छुड़ाना) 2 पकड़ आदि से दूर रहना (जैसे-धोती का पल्ला छुड़ाना) 3 उलझाव दूर करना (जैसे-रस्सी की गाँठ छुड़ाना) 4 देन चुकाकर अपनी वस्तु वापस लेना जैसे-ऋण चुकाकर धरोहर छुड़ाना) 5 सेवा से अलग करना (जैसे-नौकरी छुड़ाना) 6 चिपकी, लगी वस्तु आदि अलग करना (जैसे-कपड़े पर से दाग छुड़ाना, लिफ़ाफ़े पर से टिकट छुड़ाना) 7 कुछ कमी कराना (जैसे-सौ रुपये में से बीस रुपये छुड़ाना) 8 किसी क्रिया आदि से रहित करना (जैसे-आदत छुड़ाना, पढ़ाई छुड़ाना) छुड़ाव-(पु०) 1 छुड़ाने की क्रिया 2 मुक्ति छुडोती-(स्त्री०) 1 बंधन मुक्त करने के बदले में दिया
जानेवाला धन 2 छुटौती छुतहा-(वि०) 1 छूत से होने वाला, संक्रामक (जैसे-छुतहा
रोग) 2 जो अस्पृश्य हो गया हो 3 जिसे छूना निषिद्ध हो छुतिहर-बो० (वि०) 1 जो अशुद्ध हो गया हो 2 बुरा व्यक्ति | छुतैला-(वि०) = छुतहा छुधा-बो० (स्त्री०) = क्षुधा
छुनछुनाना-(अ० क्रि०) 'छन-छन' आवाज पैदा करना छुनन-मनन, छुन-मन-(०) बच्चों की पैजनियों अदि की
आवाज़ छुपना-(बो० (अ० क्रि०) - छिपना छुपाना-बो० (स० क्रि०) - छिपाना छुरा-(पु०) 1 बड़ा चाकू 2 उस्तरा । उलटे छुरे से मूंड़ना मूर्ख
बनाकर काम निकालना छुरी-(स्त्री०) छोटा छा। --कटारी रहना दुश्मनी होना, लड़ाई-झगड़ा होते रहना; ~~कटारी लिए रहना लड़ने को तैयार रहना; चलाना । बह्त सताना, कष्ट देना 2 भारी हानि करना; - तले दम लेना विपत्ति में धैर्य धारण करना;
तेज़ करना अपकार की तैयारी करना; -फेरना दे० छी चलाना छुरेबाज़- - फा० (पु०) छा चलाकर मारनेवाला छुरेबाज़ी- + फ़ा० (स्त्री०) 1 रेबाज़ का काम 2 छुरे से
हत्याएँ करना छुलाना-(स० क्रि०) स्पर्श कराना छुहारा-(पु०) खजूर की जाति का सूखा मेवा ठूछा--(वि०) = छूछा छूछी-(स्त्री०) - छुच्च्छी छू-(पु०) 1 मंत्र पढ़कर फेंकने की आवाज़ 2 फूंकने की
आवाज़। ~मंतर (पु०) 1 मंत्र, जादू 2 मंत्र पूँकना छूआछून-(स्त्री०) = छुआछूत छुई-मूई-(स्त्री०) = छुई-मुई (पौधा) छंछा, छूछा-(वि०) । खाली (जैसे-वह छ्छा बर्तन पानी से भर दो) 2 जो हाथ में कुछ न लिए हो (जैसे-छ्छे हाथ चले
आना) 3निस्सार छूछू-I (वि०) १ बुधू 2 अहमक छूछू-II (स्त्री०) धाय छुट-(स्त्री०) 1 बंधन आदि से मुक्त होने की अवस्था 2 नियम, मर्यादा आदि से मिली हुई स्वतंत्रता (जैसे-प्रेम की छूट, युद्ध में दी गई छूट) 3 रियायत, सुविधा 4 कम करना (जैसे-दंड में छूट देना) 5 संबंध त्याग, तलाक (जैसे-मैं उनसे छूट कर अलग हो गई) 6 परिहास आदि के समय अप्रिय बातों का प्रयोग, अश्लील परिहास छूत-(स्त्री०) 1 छूने की क्रिया 2 निषिद्ध संसर्ग जिससे रोग
आदि फैलने की आशंका हो (जैसे-हैजा छत का रोग है) 3 घृणित वस्तु का संसर्ग 4 अपवित्र वस्तु को छूने से लगनेवाला दोष 5 छूने से अपवित्र होने की धारणा (जैसे-हरिजन को छूने से छूत लगना)। छात (स्त्री०) = छूआछूत; ~उतारना, झाड़ना भूत-प्रेतादि की छाया को झाड़-फेंक से दूर करना छूना-(स० क्रि०) 1 हाथ आदि अंग से स्पर्श करना 2 किसी से
लगना (जैसे-तुम्हें उस शूद्र ने छू दिया) 3 ऐसा काम करना जिससे गति उत्पन्न हो 4 कुछ लिखना (जैसे-क्या आपने इस विषय को छुआ है) 5 हल्की चपत लगाना छेकना, छेकना-(स० क्रि०) 1 स्थान घेरना 2 सामने से रोकना
3 लकीर आदि से घेरना 4 मार्ग अवरुद्ध करना छेक-I सं० (पु०) पालतु पशु || 1 पालतु
2 नागरिक
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छेकानुप्रास 282
छोरना छेकानुप्रास-सं० (पु०) एक ही चरण में एक से अधिक वर्षों | छेवा-(पु०) 1 छीलने, काटने आदि का काम 2 छीलने, काटने की आवृत्ति
आदि से बना निशान 3 हिसाब-किताब, वस्तु आदि की वापसी छेकापहति-(स्त्री०) किसी के यथार्थ अनुमान का अयथार्थ पर मिलान करते समय वस्तु के सामने निशान लगाना उक्ति द्वारा खंडन
छै-[ बो० (वि०) = छः II (पु०) = क्षय छेकोक्ति-सं० (स्त्री०) अलंकार जिसमें किसी बात को सिद्ध | छैल-चिकनिया, छैल-छबीला, छैला-(पु०) बहुत
करने के लिए उसके साथ लोकोक्ति का उल्लेख करते हैं | बन-ठनकर रहनेवाला नवयुवक, बाँका, रंगीला पुरुष छेटा-बो० (स्त्री०) = रुकावट
छोई-बो० (स्त्री०) 1 ईख की सूखी पत्ती 2 निस्सार, व्यर्थ की छेड़-(स्त्री०) 1 छेड़ने की क्रिया 2 चिढ़ानेवाली बात चीज़ 3 नोंक-झोंक, झगड़ा 4 पहल। खानी, छाड़ छोकड़ा-(पु०) लड़का। पन (पु०) 1 बालकपन (स्त्री०) अनुचित रूप से कोई बात कहना, अशिष्ट व्यवहार 2 नासमझी करना, तंग करना (जैसे-राह चलती लड़कियों से छेड़-खानी, छोकड़ी-(स्त्री०) लड़की छेड़-छाड़ करना); निकालना लड़ाई-झगड़ा पैदा करने का छोकरा-(पु०) लड़का (स्त्री० छोकरी) काम करना
छोटा-(वि०) 1 उमर, अवस्था की तुलना में कम (जैसे-वह छेड़ना-(स० क्रि०) 1चिढ़ाने, तंग करने के उद्देश्य से परिहास मुझसे चार साल छोटा है) 2 मान, विस्तार आदि में कम थोड़ा
के रूप में कोई बात कहना 2 बाधा उत्पन्न करना, अडंगा (जैसे-छोटा मकान नहीं चाहिए) 3 मान-प्रतिष्ठा आदि में औरों डालना 3 अकारण छूना 4 जीव-जंतु आदि को बेवजह तंग से घटकर, तुच्छ (जैसे-वह छोटी जाति का किसान है, वह करना (जैसे-सर्प को छेड़ना खतरा है) 5 बार-बार कुछ छोटा काम करता है)। ~पन (पु०) = छोटाई; बड़ा कहकर चिढ़ाना (जैसे-आओ जोरू के गुलाम कहकर छेड़ना) (वि०) अमीर-गरीब; ~मोटा (वि०) साधारण 6 स्पर्श करना (जैसे-वीणा सुनने हेतु उसके तार छेड़ना) छोटाई-(स्त्री०) 1क्षुद्रता 2 ओछापन। बड़ाई (स्त्री०) 7 बात आदि शुरू करना (जैसे-चर्चा छेड़ना)
__ अमीरी-गरीबी छेडवाना-छेड़ने का काम अन्य से कराना
छोड़कर-(अ०) अतिरिक्त, सिवाय, अलावा छेत्ता-सं० (पु०) छेदनेवाला
छोड़ चिट्ठी-(स्त्री०) 1 ऋण से मुक्ति की चिट्ठी 2 तलाक़नामा छेद-(पु०) 1 काटने या छेदने की क्रिया 2 सूराख, बिल। छोड़ छुट्टी-(स्त्री०) संबंध त्याग दार + फ़ा० (वि०) जिसमें सूराख हो
छोड़ना-(स० क्रि०) 1 बंधन मुक्त करना, स्वतंत्र करना छेद-सं० (पु०) 1 छेदन 2 खंडन 3 कटने का भाव 2 अभियोग, अपराध से मुक्त करना 3 त्याग देना, संबंध छेदक-सं० (वि०/पु०) छेदनेवाला
विच्छेद करना (जैसे-उसने अपना पति छोड़ दिया) छेदन-सं० (पु०) छेदने की क्रिया, काटना
4 उत्तराधिकार रूप में बाक़ी रहने देना (जैसे-वह अपने पत्र छेदना-(स० क्रि०) 1 सूराख करना (जैसे-चारपाई का पावा हेतु पर्याप्त संपत्ति छोड़ गए) 5 शेष रखना (जैसे-आज का
छेदना) 2 घाव करना (जैसे-तीरों से बदन छेदना) 3 काटना, काम कल पर मत छोड़ना) 6 डालना (जैसे-डाक में पत्र छिन्न करना
छोड़ना, जलते अंगारों पर पानी छोड़ना) 7 स्वामित्व हटा लेना छेदा-(पु०) 1 घुन 2 अनाज का खोखला होना
(जैसे-मकान छोड़ना) 8 रियायत करना (जैसे-सौ रुपए में छेदा-सं० (स्त्री०) छिद्र, विवर
पच्चीस रुपये छोड़ना) 9 ध्यान न देना, उपेक्षा करना 10 छेदिका-सं० (स्त्री०) 1 छेदन करनेवाली चीज़ 2 छेदनेवाली | यांत्रिक, रासायनिक आदि क्रियाएँ करना (जैसे-आकाश में रेखा 3 ग० ज्यामिति में वक्र रेखा को कई भागों में काटनेवाली | उपग्रह छोड़ना) 11 अपने से अलग करना (जैसे-पेड़ को रेखा, छेदक रेखा
छाल छोड़ना) 12 भूलकर, जान-बूझकर कहीं रख देना छेदित-सं० (वि०) 1 छेदा हुआ 2 काटा हुआ
13 कर्तव्य आदि का पालन न करना (जैसे-आधा काम क्यों छेदी-सं० (वि०) काटनेवाला
छोड़ दिया) 14 गुप्त रूप से नियुक्त करना (जैसे-चोर के पीछे छेना-I (पु०) फटे हुए दूध का गाढ़ा अंश जिसका पानी पुलिस छोड़ना) निकाल दिया जाता है II (स० क्रि०) 1 छीलना 2 काटना | छोड़वाना-(स० क्रि०) = छुड़वाना III (अ० क्रि०) क्षीण होना
छोड़ाना-(स० क्रि०) = छुड़ाना छेनी-(स्त्री०) पत्थर, धातु आदि काटने, खुदाई करने का
छोप-(स्त्री०) 1 ढंकने की क्रिया 2 आवरण 3 मोटा लेप औज़ार, टाँकी
4 अंश 5 चिड़िया का अपने अंडों पर बैठना। छाप (पु०) छेरना-I बो० (अ० क्रि०) बार-बार पतली टट्टी करना, पोंकना टूट-फूट आदि भरना II (स० क्रि०) छेड़ना
छोपना-(स० क्रि०) 1 गाढ़ी वस्तु का लेप करना, गाढ़ी वस्तु
लगाना 2 ढकना 3 दबोचना (जैसे-शेर ने हिरन को छोप लिया) छेरी-(स्त्री०) बकरी
छोपाई-(स्त्री०) 1 छोपने की क्रिया 2 छोपने की उजरत छेव-(पु०) 1 वार, चोट 2 घाव 3 काटने, छीलने की क्रिया छोर-(पु०) 1 अंतिम सिरा, किनारा (जैसे-कपड़े का छोर 4छेद 5 नाश 6 मृत्यु
पकड़ो) 2 सीमा (जैसे-नगर का छोर ख़त्म हो गया) छेवना-(स० क्रि०) 1 आघात करना, चोट पहुँचाना 2 छेव छोरना-(स० क्रि०) 1 गाँठ आदि खोलना 2 बलात छीन लेना लगाना 3 कष्ट आदि झेलना 4 फैकना
(जैसे-चोर ने मेरी घड़ी छोर लीया) 3 वस्त्र उतारना
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छोल
छोल - ( स्त्री०) 1 खरोंच का निशान 2 दाँत लगने का चिह्न । दारी + फा० हिं० (स्त्री०) छोटा तंबू छोलना-1 बो० (स० क्रि०) । छीलना 2 अनावश्यक एवं फ़ालतू रूप से अधिक योग्यता दिखाना II ( पु० ) छीलने का
उपकरण
छोलनी - ( स्त्री०) छीलने का औज़ार, खुरचनी छोला - I ( पु० ) चना II ( पु० ) छीलने का काम करनेवाला व्यक्ति
छोह - बो० ( पु० ) 1 प्रेम, स्नेह 2 कृपा, दया। गर (वि०) प्रेम करनेवाला, प्रेमी
छौंक - (स्त्री०) 1 छौंकने की क्रिया, तड़का बघार 2 सब्जी आदि छौकने का मसाला । बघार (स्त्री०) 1 छौंकने को क्रिया 2 बातें बनाकर कहना छौंकना - I क्रि० ) बघारना, सोंधा करना (जैसे- सब्ज़ी - दाल छौंकना) II ( अ० क्रि०) 1 हिंसक जंतु का अकस्मात उछल कर आगे बढ़ना 2 आक्रमण हेतु अचानक उछलकर आगे बढ़ना
छौंड़ा-I (पु०) लड़का, बालक II ( पु० ) अनाज रखने का
(स०
283
गड्ढा
छौना - (पु० ) 1 पशु का बच्चा (जैसे- मृग छौना) 2 बच्चा छौर बो० (पु० ) 1 क्षौर 2 = छौरा छौरा- (पु० ) 1 ज्वार, बाजरे का चारे के काम आनेवाला डंठल 2 छोकरा छौलदारी - हिं० + फ़ा०
+ हिं० (स्त्री०) छोटा खेमा, रावटी
=
ज
जंकशन - अं० (पु०) वह स्थान जहाँ दो से अधिक दिशाओं से गाड़ियाँ आती जाती हों। स्टेशन (पु० ) रेलवे स्टेशन का वह अड्डा जहाँ दो से अधिक दिशाओं से रेलगाड़ियों का आवागमन होता हो जंक्शन अं० (पु० ) जंकशन जंग-फ़ा० (स्त्री०.) सशस्त्र सैनिकों की लड़ाई युद्ध । ~आवर, ~खोर, जू (वि०) लड़ाका, योद्धा, जूई (स्त्री०) लड़ाकापन, लड़ाई-झगड़ा; परस्त (पु० ) युद्ध प्रिय व्यक्ति, युद्ध प्रेमी; बंदी (स्त्री०) जंग के लिए घेरा बनाना; बाज़ (पु० ) जंगखोर बाज़ी (स्त्री०) लड़ाई करना, युद्ध करना; वादी + सं० (पु० ) जंगखोर, विरोधी + सं० (वि०) युद्ध का विरोध करने वाला
जंग-फ़ा० ( पु० ) वायु एवं नमी के प्रभाव से लोहे आदि
धातुओं पर जमनेवाली मैल, मोरचा। ~ आलूदा (वि०) जंग लगा हुआ; ~रोधक + सं० (वि०) मोरचा रोकनेवाला जंगम - सं० (वि०) जो चल सकता हो 2 जिसे कहीं ले जाया
जंतरी
जंगल-सं० (पु० ) 1 ऐसा स्थान जहाँ अनेक वृक्ष, वनस्पतियाँ आप से आप उग आई हों, सघन वनस्पतिवाला क्षेत्र, वन, अरण्य 2 रेगिस्तान 3 उजाड़ स्थान । जलेबी हिं (स्त्री०) काँटेदार जंगली पौधा
जा सके 3 सजीव । गुल्म (पु० ) पैदल सेना का दस्ता जैंगरा - I (पु०) वनस्पतियों के डंठल II ( पु० ) शारीरिक बल जँगरैत - (वि०) जाँगरवाला, परिश्रमी
जंगला - पु० ( पु० ) 1 खिड़की आदि की वह चौखट जिसमें लोहे की छड़ लगी होती हैं 2 खिड़की जंगलात-सं० अ० (पु०) बहुत से वन विभाग सं (पु० ) वानिकी विभाग, वन विभाग जंगली - I (वि०) 1 जंगल में उपजनेवाला 2 जो आप से आप उग आई हो (जैसे- जंगली गुलाब) 3 जंगल में रहनेवाला (जैसे- जंगली जानवर, जंगली जातियाँ) 4 जंगल में रहनेवाले पशुओं, व्यक्तियों जैसा (जैसे-जंगली आचरण, जंगली स्वभाव) 5 असभ्य एवं असंस्कृत, गँवार 6 मूर्ख II (पु० ) 1 जंगल में रहनेवाला व्यक्ति 2 असभ्य, अशिष्ट व्यक्ति । पन (पु० ) असभ्यता, उजड्डपन
जंगार - फा० (पु० ) 1 ताँबे का कसाव, तृतिया 2 ताँबे को सिरके में भिगोकर निकाला गया नीला रंग
जंगारी - फ़ा० (वि०) नीले रंग वाला, नीला जंगाल - फ़ा० (पु० ) = जंगार जंगाली - फ़ा० (वि०) = जंगारी
जंगी - फ़ा० ( वि० ) 1 युद्ध संबंधी 2 युद्ध में भाग लेनेवाला, सामरिक 3 सेना संबंधी, सैनिक (जैसे-जंगी असबाब ) जंघा - सं० (स्त्री०) पैर का घुटने एवं पेड़ के बीच का भाग, जाँघ, रान। त्राण (पु०) जाँघ पर बाँधने का कवच; ~ मथानी + हिं० (स्त्री०) 1 छिनाल स्त्री, पुंश्चली 2 वेश्या जंघाल - सं० (पु० ) 1 धावक 2 मृग जंघिल - I सं० (वि०) तेज़ दौड़नेवाला II ( पु० ) दूत जँचना - (अ० क्रि०) 1 जाँचा जाना, जाँचा परखा जाना 2 जान
पड़ना, प्रतीत होना 3 भला जान पड़ना (जैसे मुझे पाखंडियों की बातें नहीं जँचतीं)
जँचा-(वि०) जाँचा हुआ, जाँचा गया। तुला (वि०) सटीक, ठीक-ठीक
जंज - I (स्त्री०) बरात II ( अ० ) जो
जंजाल - (पु० ) 1 प्रपंच, झंझट, बखेड़ा 2 उलझन 3 माया (जैसे- इस जंजाल से उबरना मुश्किल है ) जालिया, जंजाली (वि०) 1 जंजाल में फँसा हुआ 2 झगड़ा - बखेड़ा करनेवाला 3 प्रपंची
ज़ंजीर - फ़ा० (स्त्री०) 1 साँकल 2 सिकड़ी (जैसे-गले की जंजीर कहाँ रख दी) 3 किवाड़ के पल्ले बंद करने की साँकल (जैसे-किवाड़ में ज़ंजीर लगा देना) 4 श्रृंखला (जैसे- बातों की ज़ंजीर टूट जाना) 5 रेलगाड़ी में लगी लोहे की अनेक जुड़ी हुई कड़ियों का रूप (जैसे- खतरे की ज़ंजीर खींचना ) ज़ंजीरी - I फ़ा० (वि०) ज़ंजीर में बँधा हुआ, बंदी ज़ंजीरी-फ़ा + हिं० (स्त्री०) कलाई में पहना जानेवाला गहना जंट-अं० (पु० ) एजेंट
जंतर- पु० 1 तावीज़ 2 गले में पहनने का गहना 3 यंत्र 4 वाद्य यंत्र । ~मंतर (पु० ) 1 जादू-टोना 2 वेधशाला जंतरी - I (स्त्री०) 1 छोटा जंतर 2 पंचांग, पत्रा 3 सुनारों का एक तार खींचने का औज़ार II ( पु० ) जंतर-मंतर करनेवाला, जादूगर III (पु० ) बाजा बजानेवाला व्यक्ति
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जैतसर
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जगदंतक
जैतसर-(पु०) चक्की जांता पीसते समय स्त्रियों द्वारा गाया | जई-1 (स्त्री०) 1 जौ की जाति का एक अनाज जो प्रायः धोड़ों जानेवाला गीत
को खिलाया जाता है, ओट 2 जौ का अँखुआ 3 विशिष्ट पौधों जंता-I (पु०) । यंत्र, कल 2 सुनारों का तार खींचने का | में लगनेवाली बतिया। -डालना अत्र को अँखुए निकलने
उपकरण || (वि०) । दंड देनेवाला 2 यंत्रणा देनेवाला हेतु भिगोना II (वि०) विजयी जैताना-(अ० क्रि०) जाते में पीसा जाना
ज़ईफ़-अ० (वि०) 1 बूढा, वृद्ध 2 कमज़ोर, दुर्बल जंती-I (स्त्री०) छोटा जंता || (स्त्री०) जननी, माता ज़ईफ़ी-अ० + फा० (स्त्री०) 1 बुढ़ापा, वृद्धावस्था 2 कमज़ोरी, जंतु-सं० (पु०) 1 पाणी, जीव 2 कीड़ा-मकोड़ा 3 पशु । दुर्बलता
~कोष (पू०) शरीर के भीतर की जीव इकाई; जगत जक-I (पु०) 1 यक्ष 2 कंजूस आदमी II (स्त्री०) हठ, ज़िद (१०) जानवरों की दुनिया, पशुवर्गः नाशक (वि०) ज़क-अ० (स्त्री०) 1 हार, पराजय 2 हानि कीड़ों, जंतुओं को मारनेवाला, फल (१०) गूलर; जकड़-(स्त्री०) 1 जकड़ने की क्रिया 2 दृढ़ बंधन में होने की
बाधा (स्त्री०) जीवों का अधिक होकर तंग करना: अवस्था। बंद फ़ा० (वि०) कसकर बाँधा हुआ -विज्ञान, शास्त्र (पु०) पशु-पक्षियों, जीव-जंतुओं जकड़ना-I (स० क्रि०) कसकर बाँधना II (अ० क्रि०)
आदि की उत्पत्ति, विकास, स्वभाव आदि का विवेचन 1 जकड़ा जाना, कसकर बाँधा जाना 2 अकड़ना (जैसे-ठंड से करनेवाला शास्त्र
शरीर जकड़ना) जंतुन-[सं० (वि०) - जतु-नाशक II (पू०) 1 बाय बिडंग ज़कात-अ० (स्त्री०) 1कर, महसूल 2 दान, खैरात 2 हींग
जकार-सं० (पु०) 'ज' व्यंजन या वर्ण जंतुला-सं० (स्त्री०) काँस नाम की घास
जक्ष-(पु०) : यक्ष जंत्र-(पु०) 1 यंत्र 2 ताबीज 3 ताला। ~मंत्र (पु०) दे० । जक्षण-सं० (पु०) 1 भक्षण 2 खाना, भोजन जंतर-मंतर
जखम-फा० (पु०) घाव। ~खाना चोट लगना; पर जंत्री-I (पु०) वीणा आदि बजानेवाला व्यक्ति II (स्त्री०) नमक छिड़कना दुःखी व्यक्ति को और दुःखी करना; हरा तिथि-पत्र
होना बीते हुए दुःख का पुनः याद आ जाना, अपकार स्मरण हो जंदरा-(पु०) 1 जाँता 2 ताला
आना जंपर-अं० (पु०) ब्लाउज, अंगिया, चोली
जखमी-फा० (वि०) घायल जंब-सं० (पु०) 1 कीचड़ 2 पाप
जखीरा-अ० (पु०) 1 ढेर, राशि 2 कोष जंबाल-सं० (पु०) । कीचड़ 2 मिट्टी 3 पानी में होनेवाली घास जखीरेबाज़-अ० + फ़ा० (पु०) जमाखोर जंबीर-सं० (पु०) 1 अँबीरी नीबू 2 वन तुलसी
जखीरेबाज़ी-अ० + फ्रा० (स्त्री०) जमाखोरी जंबील-फ़ां० (स्त्री०) फकीरों, साधुओं आदि की भिक्षा रखने | ज़ख़्म-फा० (पु०) दे० ज़ख़म की थैली
जग-(पु०) 1 संसार, जगत् 2 चेतन सृष्टि। “जाना, जंबु-सं० (पु०) जामुन का पेड़ एवं उसका फल
ज़ाहिर +अं० (वि०) सर्व विदित; बीती (स्त्री०) जंबुक-सं० (पु०) 1 जामुन 2 गीदड़, शृगाल, सियार किस्सा-कहानी; -हँसाई (स्त्री०) लोक निंदा, बदनामी जंबु द्वीप-सं० (पु०) संसार के सात महाद्वीपों में से एक जिसमें | जग-अं० (पु०) लोटे के तरह का एक पात्र भारत भी है
जगजगाना-(अ० क्रि०) बो० - जगमगाना जंबुमणि-(पु०) जमुनिया, याकूत (रत्न)
जगजगाहट-(स्त्री०) = जगमगाहट जंबुल-सं० (पु०) दे० जंबु
जगजनी-सं० (स्त्री०) 1 जगदंबा 2 परमेश्वरी 3 सीता जंबू-सं० (पु०) दे० जंबु
जगजयी-(वि०) विश्वविजयी जंबूका-सं० (स्त्री०) किशमिश
जगत्-सं० (पु०) 1 दुनिया, विश्व, संसार (जैसे-जगत् के जंबू द्वीप-सं० (पु०) = जंबुद्वीप
जंजाल से छूटना) 2 विशिष्ट प्रकार का कार्य क्षेत्र (जैसे-हिंदी जंबूर-फा० (पु०) सँड़सी
जगत, सौर जगत्) 3 पृथ्वी के निवासी (जैसे-जगत् तो हंसी जंबूरक-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 छोटी तोप 2 तोपगाड़ी उड़ाने पर तुला है) जंबूरची-अ० + तु० (पु०) 1 तोपची 2 सिपाही | जगत-(स्त्री०) कुएँ के ऊपर चारों तरफ बना हुआ चबूतरा जंबूरा-अ० + हिं० (पु०) कील निकालने का एक औज़ार, (जैसे-जगत् पर पानी मत गिराओ) प्लास
जगतारण-सं० (वि०) संसार को तारनेवाला जंभ-सं० (पु०) 1दाढ़ 2 जबड़ा 3 जंभाई
जगती-सं० (स्त्री०) 1 जगत् 2 पृथ्वी 3 लोग, मनुष्य जंभका, जंभा-सं० (स्त्री०) जम्हाई, जंभाई
4जीवन। तल (पु०) 1 धरती 2 संसार भाई-(स्त्री०) शारीरिक क्रिया जिसमें गहरी श्वास हेतु मनुष्य | जगतासिद्ध-सं० (वि०) विश्व विख्यात
को पूरा मुँह खोलना पड़ता है (जैसे- भाइयाँ लेना) जगतप्राण-सं० (पु०) 1संसार को जीवित रखनेवाला तत्व जैभाना-(अ० क्रि०) पूरा मुँह खोलकर गहरी साँस लेना, 2 परमात्मा अँभाई लेना
जगत्साक्षी-सं० (पु०) सूर्य जंभिका-सं० (स्त्री०) जबड़ा
जगदंतक-सं० (पु०) 1 संसार का नाश करनेवाला 2 समाज ज-सं० (वि०) से उत्पन्न (जैसे-जारज, पंकज, आत्मज) | 3 मृत्यु
(पु०) 1 धरती 2 संसर
मनुष्य | जगतासि
ना पड़ता है और
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जगदंबा
जगदंबा-सं० (स्त्री०) दुर्गा जगदीश -सं० (पु० ) परमेश्वर, ईश्वर जगद्गुरु सं० (५०) जगत् का गुरु, विश्व गुरु (जैसे - जगद्गुरु शंकराचार्य) जगद्गौरी-सं० (स्त्री०) दुर्गा
जगद्धाता - सं० (पु०) 1 ब्रह्मा 2 विष्णु 3 महेश जगद्धात्री -सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 सरस्वती जगद्विख्यात सं० (वि०) जगत्प्रसिद्ध जगद्विजेता-सं० (पु०) संसार को जीतनेवाला, विश्वविजेता जगद्विनाश-सं० (पु० ) प्रलयकाल
जगद्व्यापी -सं० (वि०) जो विश्व में व्याप्त हो
जगना - (अ० क्रि०) 1 जागना 2 प्रज्वलित होना, जलन, (जैसे-ज्योति जगना)
जगन्नाथ - सं० (पु० ) 1 संसार का स्वामी, ईश्वर 2 विष्णु । अपना हाथ जगन्नाथ अपने हाथ का काम सबसे अच्छा जगन्नियंता-सं० (पु० ) संसार का नियंत्रण करनेवाला, ईश्वर जगन्माता-सं० (स्त्री०) दुर्गा
जगमग, जगमगा -- (वि०) जगमगाता हुआ, चमकदार जगमगाना - I (अ० क्रि०) चमकने लगना, जगमग करना (जैसे- बिजली के प्रकाश में पंडाल का जगमगाना) II (स० क्रि०) प्रकाश आदि से चमकाना
जगमगाहट - (स्त्री०) जगमगाने की अवस्था
जगर-मगर - (वि०) जगमग
=
जगवाना - (स० क्रि०) जगाने का काम दूसरे से कराना जगह - फ़ा० (स्त्री० ) 1 स्थान 2 अवकाश, विस्तार (जैसे-बैठने के लिए जगह दे दो) 3 पद (जैसे-कार्यालय में अब कोई जगह रिक्त नहीं है)
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जगात - (स्त्री०) दे० ज़कात
जगाना - (स० क्रि०) 1 सोते से उठाना 2 सावधान करना 3 प्रदीप्त करना (जैसे-ज्योति जगाना) 4 तंत्र-मंत्र सिद्ध करना (जैसे जादू जगाना, अलख जगाना)
जगौहाँ - (वि०) १ बराबर जागता रहनेवाला 2 दूसरों को जगाने का प्रयत्न करता रहनेवाला
जग्य - ( पु० ) - यज्ञ
जघन-सं० ( पु० ) 1 स्त्रियों का पेडू 2 नितंब, चूतड़ 3 जंघा, जाँघ । चपला ( स्त्री०) 1 दुश्चरित्रा स्त्री कुलटा 2 बहुत तेज़ नाचनेवाली स्त्री
जघनास्थि-सं० (स्त्री०) जाँघ की हड्डी जघन्य - 1 सं० (वि०) 1 अति निंदनीय और बुरा, गर्हित (जैसे- जघन्य अपराध) 2 क्षुद्र, नीच (जैसे जघन्य पुरुष ) 3 अंतिम सीमा पर का, चरम II (पु० ) नीच जाति का व्यक्ति
=
जघ्रि-सं० (वि०) सूँघनेवाला
ज़चगी - फा० (स्त्री०) 1 प्रसव 2 प्रसूतावस्था जचना - (अ० क्रि०) जँचना ज़चा, जच्चा-फ़ा० (स्त्री०) हाल ही में बच्चे को जन्म देनेवाली स्त्री, सद्यः प्रसूता । खाना (पु० ) प्रसूति गृह, सौरी; बच्चा + हिं० (पु०) शिशु और उसकी माँ जज - अं० ( पु० ) न्यायाधीश (जैसे- प्रधान जज आकस्मिक अवकाश पर हैं)
जठराग्नि
जज़बात - अ० (पु० ) भावना (जैसे- प्यार केवल एक जज़बात है)
जजमान - (पु० ) = यजमान जजमानी - (स्त्री०) 1 यजमान होने की अवस्था 2 जजमान का
काम, जजमान वृत्ति जज़ा-अ० (स्त्री ० ) मिलनेवाला फल
जज़िया- अं० (पु० ) 1 दंड 2 सैनिक सेवा के बदले में लगाया जानेवाला कर जो मुस्लिम काल में प्रायः हिंदुओं पर लगता था जजी-अं० + हिं (स्त्री०) 1 जज होने की अवस्था 2 जज की
अदालत, जज की कचहरी
जज़ीरा -अ० (पु० ) द्वीप। नुमा फ़ा० (पु० ) प्रायद्वीप जम्ब-अ० (वि०) 1 जिसे सोख लिया गया हो, शोषित 2 हड़पा हुआ
जज्बा - अ० (पु० ) 1 भाव, भावना 2 रोष 3 जोश जज्बाती - (वि०) 1 भावना प्रधान 2 आवेशपूर्ण जटना- (स० क्रि०) धोखा देकर लेना, ठगना जटल - (स्त्री०) व्यर्थ की बात, बकवाद, -~क़ाफ़िये उड़ाना बेतुकी एवं झूठी बातें करना; मारना
बकवास ।
1 बदला, प्रतिफल 2 परलोक में
गए मारना
जटा-सं० (स्त्री०) 1 गुथे एवं लिपटे हुए बालों की लट (जैसे- साधु-संतों की जटा) 2 बालों जैसी किसी वस्तु आदि का चिपका हुआ रूप (जैसे-नारियल की जटा) 3 उलझे हुए रेशे 4 जूट, पाट 5 जटामासी। जूट (पु० ) जटा को लपेटकर बनाया गया जुड़ा धर, -धारी I (वि०) जिसके सिर पर जटा हो II (पु० ) 1 शिव जी 2 ऐसा साधु जिसके सिर पर जटाएँ हो
जटाना-(अ० क्रि०) ठगा जाना (जैसे-कपड़ा खरीदने में मैं जटा गया)
जटामांसी-सं० (स्त्री०) एक सुगंधित वनस्पति जो दवा के काम आती है, बालछड़
जटायु-सं० (पु०) रामायण में वर्णित एक प्रसिद्ध गिद्ध जिसने सीता की रक्षा में अपने को उत्सर्ग कर दिया था (जैसे-राम ने जटायु का उद्धार किया)
जटाल- (वि०) जटावाला
जटाला-सं० (स्त्री० ) - जटामांसी
जटित -सं० (वि०) 1 जड़ा हुआ 2 जड़ाऊ (जैसे-रत्नजटित मुकुट)
जटियल - (वि०) निकम्मा रही
जटिल - सं० (वि०) 1 कठिन दुर्बोध (जैसे- जटिल समस्या सुलझाना) 2 उलझा हुआ, पंचीदा 3 जटाधारी. जटावाला । -ता (स्त्री०) 1 पेचीदगी 2 कठिनाई 3 उलझन जदुल -सं० (५०) त्वचा पर काला दाग़, लच्छन जठर- I सं० (पु० ) 1 पेट 2 पेट का भीतरी भाग, मेदा 3 उदर रोग जिसमें पेट फूलने लगता है और भूख बंद हो जाती है !I (वि०) 1 कठोर कड़ा 2 पुराना 3 वृद्ध, बृढ़ा 4 बँधा हुआ । जठरिकी (स्त्री०) जठरा का निदान जठरीय (वि०) मेदे का; ~ शोथ (पु० ) मेदे की सूजन जठरांत्रीय-सं० (वि०) पेट की आंतों का जठराग्नि-सं० (स्त्री०) 1 पेट के अंदर का शारीरिक ताप जो
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जठरामय
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जन
भोजन पचाने का काम करता है 2 पाचक शक्ति जडिमा-सं० (स्त्री०) 1 जड़ता, जड़त्व 2 स्तब्धता 3 संज्ञाहीनता जठरामय-सं० (पु०) चि० 1 अतिसार रोग 2 जलोदर रोग | 4बुद्धूपन जड़-(स्त्री०) 1 पेड़-पौधों आदि का वह मूल भाग जो ज़मीन के जड़िया-(पु०) नग जड़ने का काम करनेवाला, कुंदनसाज
अंदर रहता है, मूल (जैसे-बरगद की जड़ बहुत गहराई में है) | जड़ी-(स्त्री०) औषधि के काम आनेवाली वनस्पति की जड़। 2 नींव आधार स्थल (जैसे-संस्था की जड़ दृढ़ होनी चाहिए) -बूटी (स्त्री०) वन औषधि 3 बिलकुल नीचेवाला भाग (जैसे-नाखून को जड़ से मत | जड़ीकृत-सं० (वि०) जड़ रूप में लाया हुआ काटना) 4 जगह जिसमें कोई वस्तु गड़ी फँसी हो (जैसे-दाँत | जड़ीभूत-सं० (वि०) जो जड़ हो गया, निःस्पंद, स्तब्ध को जड़ से उखाड़ना) 5 मूल कारण (जैसे-यही है सारे फ़साद जड़ीला-(वि०) जो जड़युक्त हो की जड़)। ~उखाड़ना, काटना, ~खोदना 1 ऐसा जड़ल-(पु०) त्वचा पर काला दाग़, प्राकृतिक लच्छन, पैदाइश काम करना जिससे कोई आगे न बढ़ सके 2 बहत बड़ी हानि दाग करना; ~जमना अच्छी तरह प्रगति की स्थिति में आना; | जडैया-I बो० (स्त्री०) जाड़ा लगकर आनेवाला ज्वर, जडी,
-जमाना ऐसा आधार बनाना जिससे आगे काम बढ़ता रहे; | मलेरिया II (वि०) जड़िया .~में पानी देना 1 पौधों-वृक्षों को सींचना 2 समूल नाश जतनी-I (वि०) यल करनेवाला || (स्त्री०) सूत कातने के करने का प्रयत्न करना
चरखे की रस्सी जड़-सं० (वि०) 1जिसमें जीवन न हो, निर्जीव (जैसे-पत्थर जतलाना-(स० क्रि०) जताना
आदि जड़ पदार्थ हैं) 2 जिसमें चेतना शक्ति न हो, अचेतन जतसर-(पु०) = जैतसर 3 जिसमें व्यावहारिक बुद्धि न हो। ~ता (स्त्री०) 1 जड़ होने जताना-(स० क्रि०) 1 जानकारी कराना, ज्ञात कराना, बतलाना की अवस्था, अचेतनता 2 मूर्खता 3 साहित्य में एक संचारी ___ 2 पूर्व सूचना देना, चेताना भाव एवं पूर्वराग की अवस्था जिसमें मनुष्य आश्चर्य एवं भय के जतारा-(पु०) कुल, वंश कारण अत्यधिक स्तब्ध हो जाता है कि उसे कर्तव्य बोध नहीं हो जती-(पु०) = यति पाता; पूजक (पु०) जड़ (मूर्ति आदि) की पूजा जतु-सं० (पु०) लाख, लाक्षा। पुत्रक (पु०) 1 शतरंज का करनेवाला; पूजा (स्त्री०) जड़ (मूर्ति आदि) की पूजा; मोहरा 2 चौसर की गोटी
बुद्धि (वि०) मूर्ख, उल्लू; ~भक्त (पु०) जड़ पदार्थों में जतुक-सं० (पु०) 1 हींग 2 लाख 3 दे० जटुल भक्ति रखनेवाला; ~मूल (पु०) वास्तविक जड़; ~वत् जत्था-(पु०) छोटा संगठित दल जो कार्य विशेष से कहीं (वि०) जड़ के समान, पत्थर की तरह; ~वाद (पु०) चेतन __ आता-जाता हो, यूथ (जैसे-स्वयं सेवकों का जत्था) आत्मा का अस्तित्व न माननेवाला दार्शनिक मत: वादी जत्थेदार-हिं+फा० संगठित दल का नेता सिख धर्म का औहदा (वि०) जड़वाद का अनुयायी; -विज्ञान (१०) पदार्थ | जत्बंद-हिं. + फ़ा० (वि०) दल में संगठित विज्ञान, प्रकृति विज्ञान
जत्थेबंदी-हिं + फ़ा० (स्त्री०) जत्था बनाना, दलबंदी जड़त-(स्त्री०) जड़ाऊ काम
(जैसे-स्वयं सेवकों की जत्थेबंदी) जड़त्व-सं० (पु०) = जड़ता
जत्र-(क)-सं० (पु०) गले के नीचे एवं छाती के ऊपर दोनों जड़ना-(स० क्रि०) 1 ठोंक ठाककर नियत स्थान पर बैठाना । __तरफ की अर्द्धचंद्राकार हड्डियाँ, हँसली (जैसे-दीवार में कील जड़ना) 2 जमाकर अच्छी तरह बैठाना जथा-(पु०) धन, पूँजी (जैसे-अँगूठी में नगीना जड़ना) 3 आघात करना, मारना जदीद-अ० (वि०) 1 नया, नवीन 2 आधुनिक, हाल का (जैसे-घूसा जड़ना, लाठी जड़ना) 4 चुगली खान्न जद्द-बद्द-(पु०) अश्लील बात, बुरी बात (जैसे-आपने उनसे सारी बातें जड़ दी)
जद्दी-I अ० (वि०) बाप-दादाओं के समय से चला आनेवाला जड़हन-(पु०) एक जगह से उखाड़ कर दूसरी जगह रोपा II (स्त्री०) कोशिश, प्रयत्न जानेवाला धान का पौधा
जद्दोजेहद-अ० + फ़ा० + अ० (स्त्री०) 1 संघर्ष 2 दौडधूप जड़ाई-(स्त्री०) 1 जड़ने की क्रिया 2 जड़ने की मज़दरी जन-स०I (पु०) 1 लोक, लोग 2 प्रजा 3 सर्वसाधारण, जनता जड़ाऊ-(वि०) जिसमें नग, मोती आदि जड़े गऐ हों 4 अनुयायी, अनुचर II (अ०) = जनि। ~अवज्ञा जड़ात्मवाद-सं० (पु०) यह मत कि प्रकृति में भी चेतन आत्मा आंदोलन (पु०) जनता द्वारा सरकारी आज्ञा के उल्लंघन का से विकार होता है
आंदोलन; ~आंदोलन (पु०) विशेष उद्देश्य की पूर्ति हेतु जड़ाना-I (स० क्रि०) जड़ने का काम कराना, जड़वाना II जनता द्वारा चलाया गया आंदोलन; ~आदेश (पु०) (अ० क्रि०) बो० जाड़ा लगना, ठंडे से सिकुड़ना (जैसे-नगन लोकतंत्र में जनता की राय -कथा (स्त्री०) लोक कथा; जड़ाती ते अब नगन जड़ाती हैं)
~कथा विज्ञान (पु०) लोक कथा विज्ञान; कला जड़ाव-(पु०), जड़ावट-(स्त्री०) जड़ने का काम, पच्चीकारी (स्त्री०) लोक कला; -कलाकार (पु०) लोक कलाकार; जड़ावर-(पु०) 1 जाड़े में पहनने के वस्त्र, गर्म कपड़ा 2 नौकर, ~कवि (पु०) लोक कवि; ~कार्य विभाग (पु०) लोक श्रमिक आदि को जाड़े के मौसम में दिया जानेवाला कार्य विभाग; क्रांतिदल (स्त्री०) जनता द्वारा उलट फेर; कपड़ा
क्रांति (पु०) क्रांति चाहनेवाला लोकदल, जड़ावर्त-सं० (पु०) अज्ञान का चक्कर
ल्खुशहाली-फा० + अ० + फ्रा० (स्त्री०) लोक की जड़ित-(वि०) 1 जड़ा हुआ 2 जकड़ा हुआ
'संपन्नता; ~गणना (स्त्री०) मर्दमशुमारी; ~घनत्व (पु०)
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जन
आबादी का घनापन; चर्चा (स्त्री०) सर्वसाधारण में फैली हुई बात; जाति (स्त्री०) जंगलों और पहाड़ी स्थानों में रहनेवाली जातियाँ; जीवन (पु०) सार्वजनिक जीवन; ~तंत्र (पु० ) ऐसा शासन जो देश की जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जाता है, लोकतंत्र तंत्र वाद (पु० ) यह सिद्धांत कि शासन में जनता का हाथ होना चाहिए; तंत्र वादी I (वि०) जनतंत्रवाद संबंधी II ( पु० ) जनतंत्रवाद का अनुयायी तंत्रात्मक, तंत्री (वि०) जनतंत्र संबंधी; तंत्रीयता (स्त्री०) जनतंत्र होने का भाव; तांत्रिक (वि०) जनतंत्र संबंधी; द्रोही (वि०) लोक से द्रोह करनेवाला; ~ नायक (पु०) लोक नायक; ~ निर्देश (पु० ) जनता के प्रतिनिधियों, संसद आदि के निश्चयों एवं प्रस्तावित कार्यों आदि के संबंध में की जानेवाली व्यवस्था जिसके अनुसार मतदाता वर्ग की इच्छा एवं राय जानी जाती है (रेफरण्डम); नेता (पु० ) = जननायक; न्यायालय (पु०) लोक अदालत, पद (पु० ) 1 ज़िला 2 राज्य विशेष का ग्राम-क्षेत्र पदी (पु०) जनपद का शासक पदीय (वि०) जनपद का पूर्ण (वि०) भीड़ से भरा हुआ; ~ प्रचलित (वि०) लोक प्रचलित प्रतिनिधि ( पु० ) लोक प्रतिनिधि; ~ प्रतिनिधित्व (पु०) लोक का प्रतिनिधि होना; प्रदर्शन (पु० ) लोगों द्वारा किया गया प्रदर्शन; ~ प्रवाद (पु० ) लोक निंदा प्रिय (वि०) 1 लोक प्रिय (जैसे- जनप्रिय कलाकार ) 2 जिसे जनसाधारण उचित एवं वांछनीय समझते हो (जैसे-जन-प्रिय विचार); ~प्रियता (स्त्री०) लोक प्रियता; प्रेम (पु० ) लोगों के साथ प्रेम; ~फुसलाव-कला हिं + सं० (स्त्री०) जन साधारण को बहकाने की कला बल (पु०) जन शक्ति भावना (स्त्री०) लोगों के विचार; मत (पु० ) जनता की राय, लोकमत ~ मत संग्रह (पु० ) जनता की राय की जानकारी; ~मरक (पु० ) = महामारी मुक्ति आंदोलन (पु० ) बंधन से मुक्त होने का जनता द्वारा किया गया आंदोलन; ~मुक्ति सेना ( स्त्री०) मुक्ति हेतु संघर्ष करनेवाली जनता की सेना ~ यात्रा (स्त्री०) जुलूस; ~ युद्ध (पु०) जनता की लड़ाई, रक्षा (स्त्री०) जनता की रक्षा; रव (पु० ) 1 अफ़वाह, जनश्रुति 2 लोगों का कोलाहल, शोरगुल; ~राज्य (पु० ) जनता का राज्य ~ रुचि (स्त्री०) लोक रुचि, जनता की रुचि वाणी (स्त्री०) जनता की आवाज़, लोकवाणी; ~वाद (पु० ) यह मत कि सत्ता सामान्य जनता के हाथ में होनी चाहिए; ~वाद प्रिय (वि०) जनवाद से प्रेम करनेवाला; वाद विरोधी (वि०) जनवाद का विरोध करनेवाला; ~वादिता (स्त्री०) = जनतंत्रीयता; वादी I ( वि०) जनवाद संबंधी II ( पु० ) जनवाद में विश्वास रखनेवाला; ~वासा (पु० ) मनुष्यों के रहने का स्थान 2 बारात ठहराने का स्थान; ~ वास्तु विभाग (पु० ) लोक भवन निर्माण कला से संबंधित विभाग विज्ञान (पु० ) लोक शास्त्र; ~ विज्ञानी (पु० ) जन विज्ञान का ज्ञाता; ~ विरोधी (वि०) लोक की मान्यताओं से विरोध करने वाला वृद्धि (स्त्री०) जनसंख्या का बढ़ना; ~व्यापी (वि०) लोक में व्याप्त शक्ति (स्त्री०) काम करने के लिए लोगों की शक्ति ~ शिक्षा (स्त्री०) लोक शिक्षा, आम शिक्षा;
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जननेंद्रिय
संकुल संख्या
-समाज
~ शून्य (वि०) सुनसान, निर्जन श्रुत (वि०) जिसके विषय में सुना गया हो 2 प्रसिद्ध श्रुति (स्त्री०) 1 अफ़वाह 2 परंपरा से चली आनेवाली बात, जन-प्रसिद्धि; (वि०) घनी आबादीवाला, लोगों की भीड़वाला; (स्त्री०) 1 राज्य, प्रदेश, स्थान पर बसे हुए कुल लोग 2 देश, राज्य, स्थान आदि पर बसे लोगों की संख्या, आबादी, ~संगठन (पु०) लोगों का संगठन; ~ संघ (पु०) लोगों का समूह, एक राजनीतिक दल जिसका विलय जनतापार्टी में हुआ; ~संघटन (पु० ) = जन संगठन; ~ संघर्ष (पु० ) लोक द्वारा संघर्ष संपत्ति (स्त्री०) लोक संपति; संपर्क अधिकारी (पु०) सरकार का जनता से संपर्क बनानेवाला अधिकारी संस्था (स्त्री०) लोगों द्वारा स्थापित विद्यालय आदि; ~ संहार (पु० ) आम लोगों की हत्या; सत्ता (स्त्री०) लोक शक्ति; सत्ताकीयं (वि० ) जन सत्तात्मक समर्थन (पु०) जनता द्वारा समर्थन; (पु० ) 1 जन साधारण 2 समाज; समुदाय (पु०) लोगों की भीड़, मजमा समुद्र (पु० ) समुद्रवत् विशाल जन समूह, भारी भीड़ समूह (पु० ) = जन समुदाय; ~ सम्मानित (वि० ) = जन प्रिय; सम्मेलन (पु०) लोक सम्मेलन; ~सहयोग (पु० ) = जनता द्वारा प्राप्त सहायता, जन समर्थन; ~ सांख्यिकी (स्त्री०) जन संबंधी आँकड़े; ~साधारण, सामान्य (पु० ) 1 साधारण जन 2 जन समाज 3 जनता; सामुदायिक (वि०) जन समुदाय से संबंधित; ~ सेना ( स्त्री०) जनता की सेना; सेवक (पु० ) जन साधारण की सेवा करनेवाला व्यक्ति; सेवा (स्त्री०) जन साधारण के हित का कार्य स्वास्थ्य सेवा (स्त्री० ) लोक स्वास्थ्य सेवा; ~ हत्या ( स्त्री०) लोक हत्या, कल्ले आम; ~ हानि (स्त्री०) 1 लोक की हानि 2 लोगों का हताहत होना; ~ हित (पु० ) 1 जन साधारण की भलाई 2 जनता के हित का काम हितकर (वि०) लोक कल्याणकारी; ~हिताकांक्षी (वि०) जनता का कल्याण चाहनेवाला; ~ ह्रास (पु० ) जनता का पतन, जनसंख्या में कमी होना जनक - I स० (वि०) जन्म देनेवाला (जैसे-आधुनिक साहित्य के जनक) II (पु० ) 1 पिता 2 मिथिला के राजवंश की उपाधि, मिथिला के राजा। ता ( स्त्री०) पितृत्व, वल्दीयत ~सुता (स्त्री०) सीता जनड़ी - ( स्त्री०) माँ, माता
जनता-सं० (स्त्री०) 1 जन साधारण, प्रजा (जैसे जनता का संगठन करना, जनता की सरकार ) 2 जन का भाव। - जनार्दन (पु० ) ईश्वर के रूप में जनता पार्टी + अं० (स्त्री०) एक विशेष राजनीतिक दल
जनन -सं० (पु० ) 1 उत्पत्ति 2 आविर्भाव 3 संतान को जन्म देने की क्रिया । काल (पु० ) प्रसवकाल; गति (स्त्री०) 1 प्रति हज़ार व्यक्तियों के पीछे होनेवाले शिशु जन्म की गति, बर्थरेट 2 जन्मदर
जननांग-सं० (पु०) स्त्री योनि जनना- (स० क्रि०) जन्म देना, प्रसव करना जननी-सं० (स्त्री०) जन्म देनेवाली स्त्री, माँ, माता जननेंद्रिय, जनेंद्रिय -सं० (स्त्री०) संतान उत्पन्न करने करानेवाली इंद्रिय-लिंग और योनि
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जनम
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जनम-(पु०) 1 जन्म 2 जावनकाल, जिंदगी। चूंटी (स्त्री०) | जनावर-(पु०) = जानवर बच्चों के जन्म के बाद कुछ समय तक दी जानेवाली घुट्टी, जनाश्रम-सं० (पु०) धर्मशाला 2 सराय 3 घर 4 मकान नवजात शिशु को पिलाई जानेवाली घुट्टी; ~जला (वि०) जनाश्रय-सं० (पु०) 1 मकान 2 शामियाना 3 धर्मशाला, अभागा, भाग्यहीन; दिन (पु०) = जन्म तिथि; ~धरती | सराय (स्त्री०) = जन्म भूमि; ~पत्री + सं० (स्त्री०) = जन्म पत्री | जनि-I सं० (स्त्री०) 1 उत्पत्ति, जन्म, पैदाइश 2 स्त्री, नारी जनमाना-(सं० क्रि०) 1 जन्म देना 2 जनना
3पत्नी 4 माता II (अ०) मत, नहीं जन मुरीद-फा० + हिंb (वि०)/(पु०) पत्नी का गुलाम जनिका-(स्त्री०) पहेली, बुझौवल जनयिता-सं० (पु०) पिता, जनक
जनित-सं० (वि०) 1 जन्मा हुआ 2 जना हुआ 3 उत्पा जनयित्री-सं० (स्त्री०) माता, जननी
ह्येनेवाला (जैसे-रोग जनित दुर्बलता) । जनिता (पु०) पित जनरल-I अं० (पु०) 1सेनानायक, सेनापति II (वि०) | जनित्र-सं० (पु०) जन्म-स्थान
साधारण, सामान्य (जैसे-जनरल पोस्ट आफिस) जनित्री-सं० (स्त्री०) माता, माँ जनरेटर-अं० (पु०) विद्युत उत्पादक यंत्र
जनी-I सं० (स्त्री०) 1 प्रकृति 2 माता 3 स्त्री, नारी 4 बेटी जनवरी-अं० (स्त्री०) ईसवी सन का पहला महीना 5 दासी II (वि०) पैदा की हुई, जिसे जना गया हो जनवाई-(स्त्री०) 1 प्रसव में सहायक होने की क्रिया 2 प्रसव में | जनून-अ० (पु०) पागलपन, उन्माद सहायक होने का पारिश्रमिक 3 दे० जनाई
जनूनी-अ० (वि०) पागल जनवाना-I (स० क्रि०) प्रसव करने में सहायक होना जनूब-अ० (पु०) दक्षिण (दिशा) जनवाना-II (स० क्रि०) विदित कराना, जनाना जनूबी-अ० (वि०) दक्षिण दिशा का, दक्षिणी जनवासा-(पु०) = बरातियों के ठहरने की जगह जनेंद्र-सं० (पु०) राजा जनांकिकी-सं० (स्त्री०) जनता संबंधा जन्म-मृत्यु के आँकड़े जनेऊ-(पु०) 1 यज्ञोपवीत संस्कार 2 यज्ञोपवीत तैयार करने की विद्या
जनेत-(स्त्री०) बरात जनांनिकीय-सं० (वि०) जनांकिकी से संबंधित
जनेता-सं० (पु०) पिता जनांत-सं० (पु०) 1 जनहीन स्थान 2 प्रदेश की सीमा जनेरा-(पु०) मक्का, जोन्हरी जनांतक-सं० (पु०) मनुष्यों का अंत करनेवाला, यम जनेव-(पु०) = जनेऊ जनांतिक-सं० (पु०) नाटक में वह सांकेतिक बातचीत जिसका | जनेश-सं० (पु०) 1 परमात्मा 2 राजा आशय औरों की समझ में न आता हो
जनोन्मुख-सं० (वि०) जन की ओर रुख किए हुए जनाई-I (स्त्री०) 1 प्रसव कराने की क्रिया 2 प्रसव कराने की जनोपयोगी-सं० (वि०) जन साधारण के लिए उपयोगी
मज़दूरी 3 प्रसव में सहायक होनेवाली दाई II (स्त्री०) (जैसे-जनोपयोगी कार्यक्रम) परिज्ञान, परिचय कराने की क्रिया
जन्नत-अ० (पु०) स्वर्ग, वहिश्त जनाकीर्ण-सं० (वि०) 1 घनी बस्तीवाला 2 जो मनुष्यों से भरा | जन्नती-अ० (वि०) 1 स्वर्गीय 2 स्वर्ग में रहनेवाला हुआ हो
जन्म-सं० (पु०) 1 उत्पत्ति, पैदाइश 2 अस्तित्व में आना, जनावार-सं० (पु०) लोकाचार
आविर्भाव (जैसे-आपने नए विचारों को जन्म देकर सबका जनाज़ा-अं० (पु०) 1 शव, लाश 2 अरथी, ताबूत उत्थान किया) 3 जीवन, ज़िंदगी (जैसे-जन्म-मरण ईश्वराधीन (जैसे-जनाज़ा उठाना)
है) 4 जीवन काल, आयु (जैसे-जन्म-शती मनाना)। जनाधार-सं० (पु०) 1 लोक का आधार 2 आधार के रूप में -कुंडली (स्त्री०) फलित ज्योतिष में जन्म काल के ग्रहों की
स्थिति बतानेवाली कुंडली, चक्र; ~क्षेत्र (पु०) जन्म स्थान, जनाधिकार-सं० (पु०) जनता को कानून द्वारा प्राप्त अधिकार जन्म भूमि; ~त (वि०) जन्म से ही साथ लगा रहनेवाला, जनाधिक्य-सं० (पु०) जन की अधिकता, भीड़
पैदाइशी; ~गाँठ + हिं० (स्त्री०) जन्म दिन की वर्षगाँठ; जनानखाना-फा० (पु०) मकान का वह भीतरी भाग जिसमें ग्रहण (पु०) जन्म लेना, जीवन प्राप्त करना; ज औरतें रहती हैं
(वि०) जन्म लिया हुआ; जन्मांतर (पु०) अनेक जन्म; जनाना-I (स० क्रि०) अवगत कराना, बतलाना, जनानखाना जात + हिं० (वि०) पैदाइशी (जैसे-वह जन्मजात साधु
II (स० क्रि०) प्रसवकाल में गर्भिणी की सहायता करना, प्रकृति का है); तिथि (स्त्री०) = जन्म दिन; दाता प्रसव कराना
(पु०) पिता; दात्री (स्त्री०) माता, माँ; दिन, दिवस जनानामा० (वि०) 1 स्त्रियों का सा आचरण करनेवाला (पु.) वह दिन जिसमें किसी ने जन्म लिया हो; नक्षत्र व्यक्ति 2 स्त्रियों का सा 3 स्त्रियों में होनेवाला। ~पन (पु०) (पु०) वह नक्षत्र जिसमें किसी का जन्म हुआ हो; नियंत्रण स्त्री होने की अवस्था, स्त्रीत्व
(पु०) जन्म दर पर रोक लगाना; ~पंजी (स्त्री०) ऐसी जनानुमोदित-सं० (वि०) लोक द्वारा समर्थित
पंजिका जिसमें नवजात बच्चे का समय, स्थान एवं दिन आदि जनाब-अ० महाशय, महोदय। ~आली + फा० + अ | लिखा जाता है; -पत्र (पु०), पत्रिका, पत्री (स्त्री०) (पु०) मान्य महोदय
1 वह खर्रा जिसमें किसी के जन्म काल के समय के ग्रहों की जनाव-I (पु०) जानकारी कराने की क्रिया जनाव II (पु०) । स्थिति, दशा, अंतर्दशा आदि का विस्तार से उल्लेख रहता है प्रसव कराने की क्रिया
| 2 किसी घटना का आदि से अंत तक का सविस्तार विवरण;
लोक
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जन्मतः
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ज़बाँ
मा'
प्रतिष्ठा (स्त्री०) 1 जन्म होने का स्थान 2 माँ, माता; | (जैसे-राम-राम जपना) 2 पूजा, संध्या वंदन करते समय
प्रदेश (पु०) - जन्म भूमिः -प्रमाणक, प्रमाण-पत्र संख्यानुसार मन ही मा उच्चारण करना 3 यज्ञ करना (पु०) ऐसा प्रमाण-पत्र जिसमें किसी के जन्म काल, जन्म जपनी-(स्त्री) 1 जप करने की माला 2 गोमखी 3 जपने की तिथि, जन्म स्थान आदि का अधिकारिक विवरण होता है, बर्थ क्रिया 4 बार-बार आग्रह पूर्वक कहना, रटना सर्टिफिकेट; ~भूमि (स्त्री०) वह देश, राज्य, गाँव जहाँ | जपनीय-सं० (वि०) जपे जाने योग्य किसी का जन्म हुआ हो; --मरण (प्०) जीना-मरना; जपा-[सं० (स्त्री०) अड़हल II (प.) जप करनेवाला व्यक्ति
योग (३०) जन्म होने का समय एवं ग्रह स्थिति बताने जपी-सं० (वि०) जप करनेवाला वाली पत्रिका; राशि (स्त्री०) वह राशि जिसमें किसी का जप्त-(वि०) = ज़ब्त जन्म हुआ हो; -रोगी (वि०) जन्म का रोगी; लग्न जप्ती-(स्त्री०) - ज़ब्ती (पु०) - जन्म राशि; विधवा (स्त्री०) अक्षत योनि, बाल जप्य-सं० (वि०) जपे जाने योग्य, जपनीय विधवा; शताब्दी, शती (स्त्री०) जन्म से सौवाँ वर्ष; ज़फ़र-अ० (पु०) विजय, सफलता -सिद्ध (वि०) जिसकी सिद्धि या प्राप्ति जन्म से ही मानी गई | जफ़ा-अ० (स्त्री०) 1 अत्याचार, जुल्म, अन्याय पूर्ण कार्य। हो (जैसे-जन्म सिद्ध अधिकार होना); ~स्थली (स्त्री०) कश + फ़ा० (वि०) 1 अन्याय सहन करनेवाला, स्थान (पु.) 1 जन्म भूमि 2 माँ का गर्भ
सहनशील 2 कठोर परिश्रम करनेवाला, मेहनती, परिश्रमी जन्मतः-सं० (क्रि० वि०) जन्म से
ज़फ़ीर, ज़फ़ील-अ० (स्त्री०) 1 मुँह से निकाली जानेवाली जन्मना-I सं0+ हिं० (अ० क्रि०) 1 जन्म होना, जन्म ग्रहण सीटी की आवाज़ 2 सीटी करना, पैदा होना 2 अस्तित्व में आना II (स० क्रि०) 1 जन्म जब-(अ०) 1 जिस समय, जिस वक्त (जैसे-जब सबेरा होगा देना, प्रसव करना 2 अस्तित्व में लाना
तब तारे डूब जायेंगे) 2 जिस अवस्था में, जिस हालत में जन्मना-|| सं० (अ०) जन्म के विचार से, जन्म की दृष्टि से (जैसे-जब उन्हें क्रोध आता है उनकी आँखें लाल हो जाती हैं) जन्मांतर-सं० (पु०) मरने के बाद होनेवाला दूसरा जन्म जबड़ा-(पु०) मुँह में नीचे-ऊपर की हड़ी जिसमें दाँत जमे होते जन्मांतरीय-सं० (वि.) अनेक जन्मों से संबंधित
हैं। तोड़ (वि०) 1जो मुंह तोड़ सके, बलिष्ठ, बलवान् जन्मांध-सं० (वि०) जो जन्म से अंधा हो
2 जिसका उच्चारण कठिन हो (शब्द) जन्मा-सं० पैदा हुआ, उत्पन्न
जबर-अ० (पु०) जुल्म, अत्याचार जन्मा-[ सं० (पु०) जिसका जन्म हुआ हो वह शिशु जन्म जबर-फा० (वि०) 1 ऊपर का 2 अधिक प्रबल। दस्त लेनेवाला शिशु, वस्तु आदि (जैसे-अग्र जन्मा) Ii (वि०) । (वि.) 1 जो अत्यधिक शक्तिशाली एवं कठोर प्रकृति का हो जन्मा हुआ, जो पैदा हुआ हो।
(जैसे-वह ज़बरदस्त इंसान है) 2 जो बहुत दृढ़, मज़बूत हो जन्माना-(स० क्रि०) जन्म देना, पैदा करना
3 जो अत्यधिक कठिन हो; ~दस्ती (स्त्री०) 1बलपूर्वक जन्माष्टमी-सं० (स्त्री०) भाद्र पक्ष की कृष्णाष्टमी किया गया काम, व जुल्म 2 ज्यादती; दस्ती जनमास्पद-सं० (पु०) जन्म भूमि, जन्म स्थान
(अ०) बलपूर्वक (जैसे-वे ज़बरदस्ती अंदर चले आए) जन्मी-I सं० (पु०) प्राणी, जीव II (वि०) जन्मा हुआ | ज़बरजद-अ० (पु०) एक तरह का पत्रा, पुखराज जन्मोत्सव-सं० (पु०) 1 जन्म के समय होनेवाला उत्सव जबरन-अ० (अ०) बलपूर्वक, बलात् 2 जन्म दिन के स्मरण में होनेवाला उत्सव (जैसे-भाई का जबरा-अं० (पु०) घोड़े की तरह का एक जंगली जानवर, जन्मोत्सव मनाना) जन्य-[ सं० (वि०) 1 जन संबंधी 2 जन्म लेनेवाला 3 जाति, जबह-अ० (पु०) 1 गला काटकर प्राण लेने की क्रिया 2 मंत्र वंश, राष्ट्र आदि से संबंध रखनेवाला, जातीय, राष्ट्रीय आदि पढ़कर पशु-पक्षियों आदि का गला काटना 4 किसी चीज़ से उत्पन्न होनेवाला (जैसे-कृषि-जन्य पदार्थ) | जबहा-(पु०) जीवट, साहस II (प०) 1 साधारण मनुष्य 2 पिता 3 राष्ट्र 4 जन्म 5 पुत्र । ज़बाँ, ज़बान-फा० (स्त्री०) 1 जीभ, रसना 2 वाणी, बोली ता (स्त्री०) जन्म होने की अवस्था
3 भाषा (जैसे-वह उर्दू ज़बान बोलता है) 4 वचन, बात जन्या-सं० (स्त्री०) 1माता की सखी 2 वध की सहेली (जैसे-गंदी ज़बान मत निकालो)। दराज़ (वि०) 1 बहुत 3 आनन्द
बोलनेवाला 2 बदज़बान 3 बोलने में धृष्ट, मुँहफट; दराज़ी जप-सं० (पु०) 1 जाप करने की क्रिया 2 वह पद, वाक्य या (स्त्री०) 1 वाचालता 2 धृष्टता 3 बदज़बानी; दाँ (वि०) शब्द जिसका उच्चारण बारंबार किया जाए (जैसे-राम-राम भाषा का पंडित, दान (वि०) जो भाषा का विद्वान् हो; जप) 3 मंत्र या नाम आदि में संख्या पूर्वक पाठ करना। --जी दानी (स्त्री०) भाषा का पूर्ण ज्ञान, पांडित्य; बंदी + हिं० (पु०) सिक्खों का प्रसिद्ध ग्रंथ; तप (पु०) (स्त्री०) 1 खामोशी. चुप्पी 2 साक्षी की गवाही। खींचना पूजा-पाठ; ~ध्यान (पु०) जपना और ध्यान लगाना, कठोर दंड देना; खलना 1 बोलने में समर्थ होना, मँह से
माला (स्त्री०) जप करते समय हाथ में ली जानेवाली • भत निकलना 2 बच्चे का बोलने लगना; खलवाना अप्रिय माला, जपनी
बात कहने को विवश करना. मुंह खुलवाना; खुश्क होना जपतव्य-सं० (वि०) जपे जाने योग्य
अत्यधिक प्यासा होना; खोलना 1कुछ बोलना जपन-सं० (पु०) जपने की क्रिया, जप
2 शिकायत करना; चलना बराबर कुछ न कुछ बोलते जपना-(स० क्रि०) 1 श्रद्धा पूर्वक बार-बार कहना । रहना; चलाना 1 जल्दी-जल्दी बातें कहना 2 अन्चित बातें
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ज़बानी
कहना 3 बहस करना; करके जीविका चलाना स्पष्ट उच्चारण करने लगना
चलाने की रोटी खाना खुशामद चाटना, ओठ चाटना; टूटना देना वचन देना, वादा करना; पकड़ना 1 बात न कहने देना 2 वचन में दोष गलती निकालना 3 टोकना पर आना किसी बात को कहने पर होना; पर चढ़ना कहा जाना; पर ताला लगना चुप रहना, मौन धारण करना पर मुहर होना ज़बान बंद होना, बोल न सकना; पर लाना कहना, बयान करना; पर होना 1 हर वक्त याद रहना 2 चर्चा का विषय होना: ~पलटना बात कहकर मुकरना, वचन भंग करना; बंद होना 1 बोल न सकना, चुप रहने को विवश होना 2 बहस में हार जाना; बदलना दे० ज़बान पलटना, बिगड़ना 1 अपशब्द कहने की आदत पड़ना 2 चटोरेपन की आदत पड़ना; में काँटे पड़ना ज़बान सुखकर खुरदरी हो जाना; --में खुजली होना लड़ने-झगड़ने को जी चाहना: -में लगाम न होना बोलने में उचित-अनुचित का विचार न होना, मुँहफट होना; रोकना 1 बोलना बंद करना, चुप हो रहना - सँभालना बोलने में उचित - अनुचित का विचार रखना से निकलना उच्चारित होना कहा जाना; हिलाना
" जबान पकड़ना:
हारना वचन बद्ध होना, प्रतिज्ञा करना 1 बोलने की कोशिश करना : बोलना जवानी-फ़ा० (वि०) 1 जबान संबंधी 2 मौखिक (जैसे-ज़बानी
याद करना) 3 जी केवल कहा गया हो उस पर अमल न किया गया हो (जैसे-ज़बानी जमा खर्च )
ज़बून- अ० (वि०) 1 खराब निकृष्ट 2 निर्बल
ज़ब्त - अ० (वि०) 1 दबाया हुआ (जैसे गुस्सा ज़ब्त करना) 2 जो शासन द्वारा छीन ली गई हो जैसे- न्यायालय के आदेश से संपत्ति जब्त करना ); शुदा फ़ा.. (वि.) ज़ब्त किया हुआ ज़ब्ती-अ • फा० (स्त्री०) जब्त होने की अवस्था जब्र - अ० (पु० ) 1 दबाव मजबूरी जबरदस्ती 3 सख्ती, जुल्म (जैसे- अपने ऊपर जब करना)
जब्रन-अ ज़बरदस्ती से दबाव देकर बलात जनी - अ० (वि०) जबरदस्ती किया हुआ बलात् किया हुआ जभी- ( क्रि० वि०) जब ही, जिस ही समय में जम - ( पु० )
यम
जमकातर-1 बोल (पु० ) भँवर || (स्त्री०) 1 यम का खाँड़ा 2 तलवार, खाँड़ा जमघट - ( पु० ) भीड़
जम-जम - (अ० ) 1 सदा हमेशा 2 आवश्यक और शुभ रूप
में
जमना - 1 (अ० क्रि०) 1 ठोस रूप धारण करना (जैसे- पानी जमना) 2 ठोस रूप धारण करके स्थित होना (जैसे-पर्वत पर बर्फ जमना) 3 तरल पदार्थ में विकार उत्पन्न किए जाने पर उसका ठोस रूप में आना (जैसे-ददी जमना) 4 दृढतापूर्वक स्थित होना (जैसे मूल्य में उनकी धाक जम गई है ) 5 प्रभावशाली रूप में निर्वाह हो जैसे- खेल जमना) 6 काम का अच्छी तरह चल निकलना (जैसे-गज़गार जमना) 7 एकत्र होना इकट्टा होना (जैसे अखाड़ा देखने को भीड जमना) चोट पड़ना जैसे जमकर पिटाई हुई, लाठी
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जमाना
जमना) 9 अभ्यास होना (जैसे-लिखने में हाथ जमना) II (अ० क्रि०) उत्पन्न होना, उगना (जैसे- सिर पर बाल जमनी, ज़मीन पर घास जमना) ज़मनौता-अ० + हिं० (पु०) ज़मानत करनेवाले को ज़मानत के बदले में दी गई रकम
=
लोकतंत्र, जनतंत्र
जमवट - ( स्त्री०) जामुन की लकड़ी का गोल चक्कर जमहूर - अ० (पु०) जनसमूह जमहूरियत - अ० (स्त्री० ) जमहूरी - अ० (वि०) प्रजातांत्रिक जमा - I अ० (वि०) 1 जोड़कर रखा हुआ, बचा 2 प्राप्त होनेवाला धन (जैसे क्या सदस्यों का चंदा जमा हो गया)
3 अमानत रूप में रखा हुआ धन (जैसे-मैंने बैंक में रुपये जमा कर दिया) 4 खाते के आय पक्ष में लिखा हुआ II (स्त्री०)
खोरी
1 मूलधन, पूँजी 2 धन, रुपया-पैसा 3 ग० जोड़। कर्ता + सं० (पु० ) पैसा जमा करनेवाला ~ खर्च + फ़ा० (पु० ) 1 आय और व्यय 2 आय-व्यय का हिसाब; खाता + हिं० (पु० ) वह खाता जिसमें रुपया जमा हो; खोर + फ़ा० (पु० ) अवैध माल जमा रखनेवाला; (स्त्री०) अवैध माल जमा रखना, काला बाज़ारी; हिं० (स्त्री०) इकट्ठा किया गया धन बंदी (स्त्री०) 1 लगान का हिसाब 2 पटवारी की बही; मार + हिं० (पु०) दूसरे का पावना हजम कर लेनेवाला व्यक्ति, बेईमान | खर्च करना हिसाब में आय-व्यय लिखना; ~मारना दूसरे का पैसा, धन आदि मार लेना, हड़प लेना जमाई - I (पु० ) जँवाई, दामाद II (स्त्री०) 1 जमाने की क्रिया 2 जमाने की मज़दूरी
+ फ़ा०
पूँजी
+ फ़ा०
जमात - अ० (स्त्री०) 1 कक्षा ( विद्यार्थियों की) (जैसे- तुम किस जमात में पढ़ते हो) 2 समुदाय, संघ (व्यक्तियों का) 3 गिरोह
जमाती - अ० (वि०) सहपाठी
जमादार - अ० + फ़ा० (पु० ) छोटे कर्मचारियों के कार्यों का निरीक्षक (जैसे- सिपाहियों का जमादार, भंगियों का जमादार) जमादारिन-अ० + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) जमादार की स्त्री जमादारी -अ० + फ़ा० (स्त्री०) जमादार का कार्य ज़मानत - अ० (स्त्री०) 1 ज़िम्मेदारी 2 किसी के कोई काम करने, समय पर हाज़िर होने, ऋण चुकाने आदि की दूसरे द्वारा ली जानेवाली ज़िम्मेदारी (जैसे अदालत में मुलज़िम की ज़मानत कौन देगा) 3 ज़िम्मेदारी के समय जमा की गई रकम (जैसे- पाँच हज़ार रुपये की ज़मानत पर छोड़ना) । ~दार + फ़ा० (वि०) ज़मानत लेनेवाला; नामा + फ़ा० (पु० ) ज़ामिन होने की लिखित स्वीकृति
ज़मानती - I अ० + फ़ा० (पु०) ज़मानत करनेवाला व्यक्ति, ज़िम्मेदार II (वि०) 1 ज़मानत संबंधी 2 जो ज़मानत के रूप में हो
जमाना - I (स० क्रि०) 1 तरल पदार्थ को ठोस बनाना (जैसे- बर्फ़ जमाना ) 2 मज़बूती से बैठाना 3 दिल में बैठाना 4 सजाकर रखना, चुनाई करना 5 जमाने का कारण होना 6 जड़ मज़बूत करना (जैसे-मकान की नींव जमाना) 7 चलने योग्य बनाना (जैसे-रोज़गार जमाना ) 8 प्रभावशाली सिद्ध होना (जैसे-महफ़िल जमाना ) 9 स्थापित
करना
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ज़माना
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ज़र
समूह
(जैसे-महफ़िल में अपनी धाक जमाना) 10 प्रहार करना, चोट | जमोग-(पु०) जमोगने की क्रिया। दार + फ़ा० (पु०) देना (जैसे-उसने सिर पर ज़ोर से लाठी जमा दी) II (स० | ऋणी का ऋण चुकानेवाला व्यक्ति क्रि०) उगाना, उपजाना (जैसे-मैदान में घास जमाना) | जमोगना-(स० क्रि०) 1 आय-व्यय की जाँच करना 2 ब्याज ज़माना-अ० (पु०) 1 काल 2 युग 3 अवधि 4 संसार, दुनिया | को मूलधन में जोड़ना 3 अपने उत्तरदायित्व को दूसरे को 5 सौभाग्यकाल (जैसे-उनका भी ज़माना था कि सफलता सौंपकर पूरा करने की स्वीकृति दिला देना, सरेखना 4 बात उनकी अनुगामिनी थी)। ~साज़ + फ़ा० (वि०) 1 जो | आदि का अन्य व्यक्ति से समर्थन कराना समय के अनुरूप अपने को ढाल सके 2 विभिन्न परिस्थितियों जमौआ-बो० (वि०) जमाकर बनाया हआ (जैसे-जमौआ में विभिन्न रूप धारण करनेवाला; ~साज़ी + फ़ा० (स्त्री०) | कंबल) परिस्थिति के अनुरूप ढालना; उलटना समय का | जम्बो-जेट-अं० (पु०) एक प्रकार का तेज़ हवाई जहाज़ यकबारगी बदल जाना, नया युग शुरू होना; छानना बहुत | जम्हाई-(स्त्री०) = जंभाई तलाश करना; ~देखना अनुभव प्राप्त करना; ~देखे होना जम्हाना-(अ० क्रि०) = अँभाना अनुभवी होना; ~पलटना, बदलना अच्छे-बुरे दिन का जयंत-I सं० (वि.) 1 जय प्राप्त करनेवाला, विजयी आते-जाते रहना; ज़माने भर का अत्यधिक (जैसे-उसने | 2 बहुरूपिया 3 इंद्र का पुत्र ज़माने भर का दुःख उठाया है)
जयंती-I सं० (वि०) विजय प्राप्त करनेवाली. विजयिनी II जमाल-अ० । (पु०) बहुत सुंदर रूप, खूबसूरती 2 सुंदरता, (स्त्री०) 1 विजय प्राप्त करनेवाली स्त्री, दुर्गा 2 किसी महापुरुष खूबसूरती;
या संस्था की जन्म-तिथि (25 वर्ष में रजत जयंती, 50 वर्ष में जमालगोटा-(पु०) एक पौधा जिसका बीज अत्यधिक रेचक स्वर्ण जयंती, 100 वर्ष में हीरक जयंती) होता है, दंतीफल
जय-सं० (स्त्री०) महत्त्वपूर्ण विजय, सफलता। ~कार जमाव-(पु०) 1 जमने का भाव 2 भीड़, मजमा (जैसे-सेनाओं (पु०) 'जय' कहने की क्रिया; ~घोष (पु०) ज़ोर से कही का जमाव कैसा है)
जानेवाली जय (जैसे-श्री रामचंद्र जी की जय); चिह्न जमावट-(स्त्री०) 1 जमने का भाव 2 जमाने की क्रिया (पु०) ऐसा संकेत जो जीत का सूचक हो, ट्राफी; ~जयकार जमावटी-(वि०) जिसे जमाया गया हो (जैसे-जमावटी दूध) (स्त्री०) सामूहिक रूप से बार बार जय कहने की क्रिया; जमावड़ा-(पु०) एक स्थान पर इकट्ठा होनेवाले व्यक्तियों का जीव (पु०) 'चिरंजीवी हो' ऐसा अभिवादन; ~ढक्का
(स्त्री०) जीत का डंका; ~दुंदुभि जीत का नगाड़ा; --ध्वज ज़मी-फ़ा० (स्त्री०) ज़मीन। ~कंद + सं० (पु०) सूरन; (पु०) विजय पताका; ~ध्वनि (स्त्री०), नाद (पु०).
दार (पु०) 1 ज़मीन का मालिक 2 काश्तकारों और जय जयकार; पत्र (पु०) 1 न्यायालय द्वारा दिया गया सरकार के बीच का बिचौलिया अधिकारी; दोज़ (वि०) मुकद्दमे की जीत से संबंधित पत्र 2 पराजित राजा द्वारा विजयी ज़मीन में दबा हुआ
राजा को पराजय संबंधित दिया गया पत्र; -पाल (पु०) जमींदारी-फा० (स्त्री०) 1 ज़मींदार होने की अवस्था 2 ज़मींदार 1 जमालगोटा 2 राजा; ~भेरी (स्त्री०) जय दुदुभिः की वह भूमि जिसका लगान वह काश्तकारों से वसूल करता है ~मंगल (पु०) राजा की सवारी का हाथी; ~~माला
उन्मूलन + सं० (पु०) ज़मीदारी खत्म कर देना; ~प्रथा (स्त्री०) 1 विजेता को पहनाई जानेवाली माला, विजयहार + सं० (स्त्री०) ज़मींदार बिचौलिया के होने का रिवाज़: 2 कन्या द्वारा वर को पहनाई जानेवाली माला, वरमाला;
दोज़ (वि०) 1 ज़मीन से सटा हुआ 2 जो ज़मीन के बराबर यज्ञ (पु०) अश्वमेध यज्ञ; लेख (पु०) : जय पत्र; हो गया हो 3 भू गर्भ में स्थित
~शब्द (पु०) जय जयकार; ~श्री (स्त्री०) 1 विजय की जमीन-फा० (स्त्री०) 1 पृथ्वी 2 पृथ्वी का धरातल धरती, भूमि अधिष्ठात्री देवी, विजय लक्ष्मी 2 विजय; --स्तंभ (पु०) 3 पृथ्वी का स्थल भाग 4 ज़मीन का टुकड़ा 5 आधार, सतह विजय स्मृति में बनवाई गई वास्तु रचना (जैसे-इस साड़ी की ज़मीन चिकनी है)। जायदाद जयकरी-(स्त्री०) चौपाई नामक छंद (स्त्री०) अचल संपत्ति; ~दोज़ (वि०) = ज़मींदोज़; जयखाता-(पु०) वह बही जिसमें बनिया अपना प्रतिदिन का ~आसमान एक करना बहुत अधिक श्रम करना; लाभ खिता है ~असमान का फ़र्क बहुत भारी अंतर; पैरों से ~ जयदेव-(पु०) 'गीत गोंविद' पस्तक के रचयिता; खिसकना होश-हवास न रहना; ~पर पैर न रखना घमंड जयचंद -(स्त्री०) जयचंद जैसा देसाप्रोटी दिखाना
जयपत्री-सं० (स्त्री०) जावित्री ज़मीना-फा० (वि०) ज़मीन संबंधी, ज़मीन का जया-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 भाँग 3 पताका जमीमा-अ० (पु०) 1 पूरक 2 परिशिष्ट 3 कोड पत्र जयिष्णु-सं० (वि०) 1 जय दिलानेवाला 2 विजय प्राप्त जमीर-अ० (स्त्री०) आत्मा, अंतःकरण
करनेवाला 3 सदा जीतनेवाला जमुरी-(स्त्री०) नालबंदों का औजार
जयी-सं० (वि०) विजयी जमुरंद-फा० (पु०) पन्ना (रत्न)
जरंड-(वि०) सीण 2 वृद्ध जमुरंदी-I फा०+ हिं० (वि०) पन्ने के रंग का, नीलापन लिए | जरंत-सं० (पु०) 1 अत्यंत वृद्ध व्यक्ति 2 भैंसा हुए हरे रंग का
ज़र-फा० (पु०) 1 धन, संपत्ति 2 स्वर्ण, सोना। खरीद जमेयत-अ० (स्त्री०) परिषद, संस्था
(वि०) 1 धन देकर ख़रीदा हुआ (ज़मीन, गुलाम) 2 जिसपर
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जरई
पूर्ण स्वामित्व प्राप्त हो; खेज़ (वि०) उपजाऊ (जैसे-ज़रखेज़ ज़मीन); -खेज़ी (स्त्री०) उपजाऊपन; ~गर (पु० ) स्वर्णकार, सुनार; ~गरी (स्त्री०) स्वर्णकार का काम, सुनारी; तार (पु०) सोने-चाँदी आदि के तार; -तारी (स्त्री०) ज़री से बना हुआ बेल-बूटों का काम; ~दार (वि०) धनी, मालदार, दोज I (वि०) जिसपर ज़री का काम हुआ हो II ( पु० ) ज़र दोज़ी का काम करनेवाला; दोज़ी I (स्त्री०) 1 सलमे सितारे का काम 2 सलमे - सितारे का किया हुआ काम II ( वि०) जिसपर सलमे सितारे का काम हुआ हो; दोस्त, परस्त (वि०) 1 लोभी 2 कंजूस, पेशगी (स्त्री०) बयाना; बफ़्त (पु०) वह कपड़ा जिसपर कलाबत्तू का काम किया गया हो; ~ खपती (वि०) 1 ज़रबफ़्त संबंधी 2 जिसपर ज़रबफ़्त का काम हुआ हो; खाफ़ (पु०) ज़रबफ़्त का काम करनेवाला व्यक्ति; खाफ्री I (वि०) जरबाफ़ संबंधी II ( स्त्री०) ज़रदोजी
जरई - (स्त्री०) 1 बीज से निकलनेवाला अंकुर 2 धान, जौ का छोटा अंकुर जरगा - फ़ा० (पु० ) जिरगा जरछार - (वि०) 1 जो जलकर राख हो गया हो 2 नष्ट जरजर - (वि०) जर्जर
=
=
जरठ - I सं० (वि०) 1 बुड्ढा, वृद्ध 2 जीर्ण 3 कठिन, कठोर 4 कर्कश 5 जर्दी लिए हुए सफ़ेद रंग का II (पु०) बुढ़ापा ज़रण - सं० (पु० ) 1 क्षीण होना 2 वृद्ध होना जरणा-सं० (स्त्री०) वृद्धावस्था
जरत्-सं० (वि०) 1 बुड्ढा, वृद्ध 2 क्षीण, पुराना ज़रद - फ़ा० (वि०) पीले रंग का
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ज़रदा - फ़ा० (पु० ) मसालेदार सुगंधित सुरती
ज़रदालू-सं० (पु०) खूबानी
ज़रदी - फ़ा० (स्त्री०) 1 पीला होने की अवस्था, पीलापन 2 अंडे में से निकलनेवाला पीला अंश
जरनल - अं० (पु०) पत्रिका जरनैल अं० (पु०) = जनरल ज़रब - अ० (स्त्री०) 1 आघात, प्रहार 2 मृदंग, तबले आदि पर दिया जानेवाला आघात, चांटी 3 कपड़े आदि पर काढ़ी गई बेल 4 गुणा
जरमन - I अं० (पु० ) जर्मनी देश का निवासी II ( स्त्री० ) जर्मनी की भाषा III (वि०) 1 जरमनी देश में रहनेवाला 2 जर्मन देश संबंधी । ~ सिलवर (पु०) जस्ते, ताँबे एवं निकिल के योग से बनाई गई चमकदार धातु जमुआ - (वि० ) ईर्ष्या, द्वेष आदि से जलनेवाला ज़रर - अ० (पु० ) 1 नुकसान, हानि 2 आघात, चोट 3 विपत्ति, संकट
जरसी - अ० (स्त्री०) गरम कुर्ती, बंडी जरा-सं० (स्त्री०) 1 बुढ़ापा, वृद्धावस्था 2 बुढ़ापे में होनेवाली
कमज़ोरी । ~ ग्रस्त (वि०) वृद्धावस्था के कारण कमज़ोर एवं शिथिल जीर्ण (वि०) जरा से जर्जर
ज़रा - I अ० (वि०) अल्प, कम II (अ०) काम, बात आदि की अल्पता, तुच्छता, सामान्यता आदि पर जोर देने हेतु प्रयोग किया जानेवाला अव्यय (जैसे-ज़रा सी बात पर नाराज़ हो
जाना, ज़रा मेरी भी अर्ज़ सुनिए) ज़राअत- (स्त्री०) खेती-बारी जरातुर-सं० (वि०) = जरा ग्रस्त, बूढ़ा ज़राफत-अ० (स्त्री०) मसखरापन जरायम- पेशा-अ० + फ़ा० (वि०) जो अनेक अपराधों के ज़रिए अपनी जीविका चलाता हो, अपराधशील जरायु -सं० (पु० ) 1 वह झिल्ली जिसमें लिपटा हुआ बच्चा माँ गर्भ से बाहर आता है, आँवल 2 गर्भाशय । ज (पु०) वह शिशु, जीव जो खेड़ी में लिपटा हुआ पैदा हो, पिंडज जराह- अ० (पु० ) = जर्राह जरित सं० (वि०) बुड्ढा
जरिमा-सं० (स्त्री०) वृद्धावस्था, बुढ़ापा
ज़रिया - अ० (पु० ) 1 साधन 2 कारण, हेतु संबंध, लगाव जरी -सं० (वि०) बुड्ढा, वृद्ध
ज़री -फ़ा० (स्त्री०) सोने के तार जिनसे कपड़ों पर बेल-बूटे बनाए जाते हैं (जैसे- इस साड़ी पर ज़री का काम है) जरीदा - I अ० (पु० ) बही, पुस्तक II (वि०) अकेला, तनहा ज़रीफ़ अं० (वि०) 1 परिहास - प्रिय 2 हंसोड़
ज़रीब - अ० (स्त्री०) 1 खेत, ज़मीन नापने की डोरी, जंजीर जो लगभग साठ गज लंबी होती है, लाठी, डंडा । कश + फ़ा० (पु० ) जरीब से ज़मीन नापनेवाला व्यक्ति; कशी + फ़ा० (स्त्री०) 1 ज़मीन नापना 2 जरीब कश का काम जरीमाना-अ० + फ़ा० (पु०) बो० ज़रीया - अ० (पु० ) ज़रिया जरीला - (वि०) 1 सोने का 2 सोने के तारों का ज़रूर - I अ० ( क्रि० वि०) अवश्य, अवश्यमेव II ( वि० ) आवश्यक, अवश्य करणीय, ज़रूरी
जुरमाना
=
ज़र्दी
=
ज़रूरत -अ० (स्त्री०) 1 आवश्यकता 2 प्रयोजन।
बेज़रूरत-फ्रा० + अ० (क्रि० वि०) आवश्यकता और बिना आवश्यकता के ; मंद फ़ा० (वि०) आवश्यकता रखनेवाला, मुहताज
ज़रूरियात - अ० (स्त्री०) आवश्यक क्रियाएँ, आवश्यकताएँ । ~ज़िंदगी + फ़ा० (स्त्री०) जीवनोपयोगी वस्तुएँ आदि; ~से फ़ारिग होना शौचादि से निवृत्त होना ज़रूरी -अं० (वि०) 1 आवश्यक वाजिब (जैसे- रोगी को समय से दवा देना ज़रूरी है) 2 जिसका होना पूर्णतः निश्चित हो ( जैसे - सायंकाल सूर्यास्त होना ज़रूरी है) 3 जिसे होना चाहिए (जैसे - मुज़रिम को दंड मिलना ज़रूरी है) 4 जिसे तुरंत करना पड़े (जैसे- मुझे एक ज़रूरी काम से दिल्ली जाना पड़
गया)
ज़र्दा - फ़ा० (पु० ) = जरदा ज़र्दालू-फ़ा० (पु० ) जरदालू ज़र्दी-फ़ा० (स्त्री०)
ज़रदी
ज़र्क -बर्क - अ० (वि०) चमक दमक वाला, चमकीला जर्जर - सं० (वि०) 1 जो कमज़ोर एवं बेकार हो (जैसे-जर्जर झोपड़ी, जर्जर कपड़ा) 2 जिसका महत्त्व कम हो गया हो। (जैसे - साहित्यिक परंपराओं का जर्जर हो जाना) 3 खंडित, टूटा-फूटा 4 वृद्ध, बुड्ढा जर्जरित - सं० (पु० ) जर्जर किया हुआ, जीर्ण ज़र्द - फ़ा० (वि०) पीले रंगवाला, पीला
=
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जर्नल
जर्नल-अं० (५०) = जरनल जर्नलिज़्म-अं० (पु० ) पत्रकारिता
जर्नलिस्ट-अं० (पु० ) पत्रकार ज़र्रा - अ० (पु०) अत्यंत छोटा टुकड़ा, अणु, कण जर्रार - अ० (वि०) बहादुर, वीर
जर्राह - अ० ( पु० ) चीर-फाड़ करनेवाला व्यक्ति जर्राही - अ० + फ़ा० (स्त्री०) जर्राह का काम
293
जर्हिल-सं० (पु०) जंगली तिल, जर्तिल जलंधर - सं० (पु० ) जलोदर रोग
जल-सं० (पु०) पानी (जैसे- वर्षा का जल, कुएँ का जल, नदी का जल आदि) । ~ अपघटन (पु० ) जल के तत्त्वों का अलग-अलग हो जाना; कंटक (पु०) सिंघाड़ा; ~ कपाट (पु० ) जलधारा को रोकने और खोलने के लिए लगाया गया किवाड़ कपि (पु०) सूँस नामक जल जंतु; ~करंक (पु० ) 1 कमल 2 नारियल 3 तरंग, लहर; ~कर (पु० ) 1 पानी का महसूल 2 जलाशयों में उत्पन्न पदार्थों पर लगनेवाला महसूल; ~ कल + हिं० (स्त्री०) पानी का नल, इप; ~ कल्क (पु० ) 1 कीचड़ 2 सेवार 3 काई; काँच + हिं० (पु०) 1 काँच का बड़ा पात्र जिसमें मछलियाँ एवं वनस्पतियाँ आदि रह सकें 2 एक प्रकार का यंत्र जिसके पेंदे में शीशा लगा होता है, वाटर - ग्लास; किराट (पु० ) घड़ियाल, ग्राह; कीट (पु० ) जल में रहनेवाले कीड़े; ~ कुक्कुट (पु० ) मुरगाबी नामक पक्षी; कूपी (स्त्री०) 1 तालाब 2 भँवर; कूर्म (पु० ) = जल कपि; केलि (स्त्री०) जल-विहार, जल क्रीड़ा; केश (पु०) सेवार; ~कौआ (पु० ) = जल कुक्कुट; क्रीड़ा (स्त्री०) जलाशय में नहाते समय की जानेवाली क्रीड़ा, जल विहार; ~क्रीड़ा केंद्र (पु०) जल में खेलने-कूदने का स्थान; खावा + हिं० (पु० ) जलपान, कलेवा; गुल्म (पु० ) 1 पानी में का भँवर 2 कछुआ 3 आयताकार, चौकोर तालाब; ~ ग्रहण क्षेत्र (पु० ) वह क्षेत्र जहाँ नहर के लिए पानी इकट्ठा किया जाता है; ~घुमर + हिं० (पु०) पानी का भंवर, जलावर्त्त घेरा + हिं० (पु० ) पानी का घेरा; चर (पु० ) पानी में रहनेवाले जीव-जंतु चरी (स्त्री०), चारी (पु०) 1 मछली 2 जल के जीव-जंतु; चलित + हिं० (वि०) जो जल से चलता हो; चिकित्सा ( स्त्री० ) जल के माध्यम से इलाज; जंतु (पु० ) पानी में रहनेवाले प्राणी, जलप्राणी; जंतुका (स्त्री०) जोंक; जI (वि०) जल से उत्पन्न होनेवाला II ( पु० ) कमल; जात (वि०) जो से उत्पन्न हुआ हो; ~ डमरू मध्य (पु०) दो समुद्रों को मिलानेवाली जल-रेखा; डाकू हिं० (पु० ) समुद्री डाकू, लुटेरा; ~डिंब (पु० ) घोंघा तरंग I ( पु० ) एक प्रकार का वाद्य यंत्र जिसमें जल पूरित कटोरियों पर छड़ी से आघात कर ध्वनि उत्पन्न की जाती है II (स्त्री०) पानी की लहर ; ~ताड़न (पु० ) जल पर आघात करने के समान व्यर्थ का काम करना; त्रास (पु० ) चि० जलांतक रोग; थंभ (पु०) जल स्तंभ; ~थल + हिं० (पु०) जल और स्थल; ~थल- गामी + हिं० + सं० (वि०) जल-थल दोनों में चलनेवाला (जैसे जल-थलगामी टैंक); दस्यु (पु० ) जल डाकू; ' -दस्युता (स्त्री०) समुद्री चोरी; दान (पु०)
+
जल
1
( पितरों का) तर्पण; दीप (पु० ) समुद्री मीनारों में जलनेवाली बत्ती; देवता ( पु० ) वरुण; द्रव्य (पु० ) जल में उत्पन्न होनेवाली वस्तुएँ; ~धर (पु० ) 1 बादल 2 समुद्र ~धरी (स्त्री०) जलहरी; ~धारा (स्त्री०) जल प्रवाह; ~ निकासी + हिं० (स्त्री०) जल निकलने का रास्ता; ~ निधि (पु० ) समुद्र ~ निर्गम (पु० ) पानी का निकास, जलपथ निर्गमन (पु०) पानी निकलना; निवास (पु०) जल में रहना; पक्षी (पु० ) जलाशयों के समीप रहनेवाले पक्षी; पथ (पु० ) 1 दे० जलमार्ग 2 नहर; परी + फ़ा० (स्त्री०) कल्पित जल जंतु जिसका धड़ स्त्री की शक्ल का तथा निचला भाग मछली जैसा माना गया है; पान (पु० ) नाश्ता, कलेवा पान गृह (पु० ), जलपान घर + हिं० (पु० ) नाश्ता करने का स्थान; ~पोत (पु० ) जलयान; पोत निर्माण (पु० ) जलयान बनाना, प्रणाली (स्त्री०) जल वितरण और निकास का ढंग; --प्रदान (पु० ) तर्पण क्रिया; ~प्रदाय (पु० ) तर्पण; ~ प्रधान (वि०) जहाँ जल अधिक हो; प्रपात (पु० ) ऊँचे से गिरनेवाला प्राकृतिक झरना; प्रलय (पु०) सृष्टि का जलमग्न होना; प्रवाह (पु० ) जल की धारा के बहने की क्रिया 2 जल में बहाने की क्रिया प्रांगण (पु०) समुद्र का वह भाग जितने पर उसके तट पर स्थित राज्य का अधिकार माना जाता है; प्रांत (पु० ) जलाशय के आस-पास का प्रदेश प्राणी (पु० ) = जल जंतु; ~ प्राणी शास्त्र (पु० ) जल जंतु से संबंधित विज्ञान; प्राय (वि०) जलाशय युक्त; ~प्रिय (पु० ) 1 मछली 2 चातक, पपीहा; ~प्लव (पु० ) ऊदबिलाव ~ प्लावन (पु० ) 1 जलप्रलय 2 विस्तृत बाढ़ ~ प्लावित (वि०) 1 जलमग्न 2 जलग्रस्त, बाढ़ग्रस्त; ~बंधक (वि०) जल को बाँधनेवाला; बम + अं० (पु०) जल में छोड़ा जानेवाला रासायनिक विस्फोटक गोला; ~बल (पु० ) जल सेना; बिजली + हिं० (स्त्री०) पानी द्वारा उत्पन्न बिजली; बिजली घर हिं० (पु० ) पानी द्वारा बिजली उत्पन्न करने का स्थान; बिडाल (पु० ) = जल प्लव - बुदबुद (पु० ) पानी का बुलबुला; बेंत + हिं (पु०) नदी में होनेवाली लता जैसी बेंत; ~भीति (स्त्री०) जल से डरने का एक तरह का मानसिक रोग, हाइड्रोफोबिया; ~ मन (वि०) 1 जल प्लावित 2 पानी में डूबा हुआ; मल I (पु० ) 1 फेन 2 जल की गंदगी; मापक (पु०) जल की मात्रा अंकित करनेवाला यंत्र, पानी की घड़ी; माया (स्त्री०) मृग-तृष्णा; ~ मार्ग (पु०) 1 जलपथ 2 नदी, समुद्र आदि में जलयानों के आने-जाने का रास्ता; मूर्तिका (स्त्री०) ओला; ~ यंत्र (पु० ) 1 ऐसा उपकरण, यंत्र जिससे कुंओं आदि से पानी निकाला जाता है 2 जल घड़ी;
यातायात (पु० ) जल मार्ग द्वारा आवागमन; यात्रा (स्त्री०) समुद्र, नदी के द्वारा होनेवाली यात्रा; ~यान (पु० ) 1 पानी में चलनेवाला जहाज़, पोत 2 जल नौका; रंग (पुc) पानी मिलाकर तैयार किया गया रंग; रंग चित्र (पु० ) जल रंग से तैयार किया गया चित्र, तस्वीर; रस (पु० ) नमक; ~ राशि (पु० ) 1 समुद्र 2 अपार या अथाह जल; ~रुद्ध (वि०) जल से घिरा हुआ; ~ I ( वि० ) जल में उत्पन्न होनेवाला II ( पु० ) 1 जल में उत्पन्न जीव,
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जल
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जाधिदैवत
~काल (पु०) वर्षा ऋतु क्षय (पु०) शरद ऋतु जलदागम-सं० (पु० ) 1 वर्षाकाल 2 वर्षारंभ जलधि-सं० (५०) समुद्र जलधिगा-सं० (स्त्री०) नदी
पदार्थ 2 कमल; ~रोधक (वि०) जल रोकनेवाला; ~लता (स्त्री०) तरंग, लहर; ~वल्ली (स्त्री०) सिंघाड़ा; ~ वायु (पु० ) देश की प्राकृतिक स्थिति जिसकी गरमी-सर्दी का विशेष प्रभाव जीव-जंतुओं आदि पर पड़ता है; ~वायु परिवर्तन (पु०) प्राकृतिक स्थिति का बदलना; ~ वायु-विज्ञान (पु०) जलवायु संबंधी विद्या; ~ वायु-विज्ञानी (पु० ) जलवायु विज्ञान का ज्ञाता; वाष्प (पु०) पानी का भाप; ~वास (पु०) जल में रहने की क्रिया; ~ वाहक (पु०) पानी ढोनेवाला; ~विद्युत (स्त्री०) = जल बिजली; विद्युत गृह (पु० ) जल बिजली घर; ~ विद्युतीय (वि०) पानी द्वारा उत्पन्न बिजली से संबंधित; ~विभाजक (वि०) जल का बँटवारा करनेवाला; ~ विभाजन (पु० ) जल को अलग करना, पानी का बँटवारा ; ~ विशेषज्ञ (पु०) जल की विशेष जानकारी रखने वाला; ~ विश्लेषण (पु०) जल के संयोजक तत्त्वों को अलग-अलग करने की क्रिया; विश्लेषित (वि०) जल के संयोजक तत्वों को अलग किया हुआ; ~ विहार ( पु० ) = जल क्रीड़ा; ~विहीन (वि०) जिसमें जल न हो; ~ वृश्चिक (पु० ) झींगा मछली; वैकृत्य (पु० ) 1 पानी में उत्पन्न विकार 2 एक अशुभ योग; ~व्याघ्र (पु० ) सील जैसा एक जल-जंतु व्याल (पु०) पानी में रहनेवाला साँप; ~ शक्ति (स्त्री०) = जल-बल; ~ शायी (पु० ) विष्णुः -शूक (पु० ) सेवार, काई; ~शोक (पु०) जलोदर; ~ शोष (पु० ) अनावृष्टि, सूखा; ~शोषक (वि०) जल सोखनेवाला; शोषण (पु०) जल सोखना; संस्कार (पु० ) 1 स्नान करना, नहाना 2 शव को नदी में प्रवाहित करना; ~ सप्लाई + अं० (स्त्री०) जल आपूर्ति, समाधि (स्त्री०) 1 जल में डूबकर मरना 2 जल में डुबाया जाना; ~ समाधिस्थ (वि०) जो जल में डूब गया हो; सह (वि०) जिसपर जल का प्रभाव न हो; ~सिंह (पु०) सील की जाति का विशाल हिंसक जल जंतु (स्त्री०) वह सीप जिसके अंदर मोती हो; (स्त्री०) जल के लिए बनाई गई सुरंग; 1 जंगी जहाजों पर से जल में लड़नेवाली सेना, नौसेना 2 जंगी जहाज़ों का बेड़ा; सेनापति (पु०) जल सेना का उच्चतम अधिकारी ~ सैनिक I (वि०) जल सेना संबंधी II ( पु० ) जल सेना का जवान; स्तंभ (पु० ) वह प्राकृतिक घटना जिसमें समुद्र में आकाश से बादल झुक पड़ते हैं तथा समुद्र का जल कुछ पलों के लिए ऊपर उठकर स्तंभ रूप ग्रहण कर लेता ~ स्तंभन (पु० ) पानी के प्रवाह को रोकना; ~ स्थल-चारी (वि०) जल और थल में विचरण करनेवाला; --हरण (पु० ) 32 मात्राओं का एक वृत्त, हस्ती (पु० ) स्तन पायी जल जंतु; ~हार (पु० ) पनिहारा हीन (वि०) = जल विहीन
सीप + हिंο सुरंग + हिं० सेना (स्त्री०)
जलक - सं० (पु० ) 1 शंख 2 कौड़ी जलजला - (वि०) क्रोधी, बिगड़ैल जलजला - अ० (पु०) भूकंप, भूडोल जलजलाना - (अ० क्रि०) नाराज होना जलत्रा - सं० (स्त्री० ) छाता
जलद - I सं० (वि०) जल देनेवाला II (पु० ) मेघ, बादल ।
जलन - ( स्त्री०) 1 जलने की अवस्था 2 जलने से होनेवाली पीड़ाकारक चुनचुनाहट 3 किसी अन्य कारण से शरीर में होनेवाली कष्टकारक चुनचुनाहट (जैसे- खुजली से पूरे शरीर में जलन होना) 4 ईर्ष्या, द्वेष 5 मनस्ताप, मानसिक कष्ट जलना - (अ० क्रि०) 1 किसी पदार्थ आदि में आग पकड़ना (जैसे- लकड़ी का जलना) 2 प्रकाश देना (जैसे- चिराग जलना) 3 ताप (जैसे-तवा का जलना) 4 जलकर भस्म हो जाना (जै (जैसे- शव जलना) 5 विकृत अवस्था प्राप्त होना (जैसे खाना पकाते समय हाथ जल गया) 6 ताप की अधिकता से मुरझा जाना (जैसे-भीषण गर्मी से धान की सारी फसल जल गई) 7 शरीर का बहुत अधिक तपना (जैसे- ज्वर के कारण शरीर जलना) 8 विशिष्ट गुणों आदि का नष्ट होना (जैसे- विद्युत का तार जलना, तेजाब से कपड़ा जलना) 9 अत्यधिक उत्तप्त होना (जैसे-क्रोध में उसका शरीर जल रहा था, उन्नति होने से शत्रु का जलना) । ~खलना (अ० क्रि०) 1 जलना 2 अत्यधिक ईर्ष्या, द्वेष करना; बुझना (अ० क्रि०) जलना और बुझना भुनना (अ० क्रि०) जलना, कुढ़ना; जलती आग में कूदना जान बूझकर विपत्ति में फँसना; जलती आग में घी डालना झगड़ा बढ़ाना, क्रोध बढ़ाना; जले पर नमक छिड़कना जले को जलाना, दुःखी को और दुःख देना; जले पाँव की बिल्ली यहाँ से वहाँ फिरती रहनेवाली स्त्री, स्थिर न रह सकनेवाली स्त्री; जले फफोले फोड़ना भड़ास निकालना
जलपना - (अ० क्रि०) 1 व्यर्थ की बातें कहना 2 डींग हाँकना जलवाना - (स० क्रि०) जलाने का काम अन्य व्यक्ति से कराना (जैसे किसी का मकान जलवाना) जलवाह-सं० (पु० ) मेघ, बादल जलसा - अ० (पु० ) 1 उत्सव, समारोह 2 अधिवेशन जलांक-सं० (पु०) (काग़ज़ में) जलचिह्न जलांचल - सं० (पु० ) 1 पानी की नहर 2 सिवार जलांजलि -सं० (स्त्री०) तर्पण के लिए अंजलि-भर जल जलांशरहित-सं० (वि०) बिना जल के अंश का जलाऊ- (वि०) 1 जलानेवाला 2 जो जलाने को हो (जैसे- जलाऊ लकड़ी)
जलाक - (स्त्री०) 1 पेट की जलन 2 तेज़ धप की लपट 3 लू जलाकर -सं० (पु० ) जलाशय जलागार - अ० (पु० ) जलाशय जलाजल - (पु० ) / (वि०) झलाझल
जलातंक -सं० (पु०) पागल कुत्ते के काटने से जल से लगनेवाला भय, हाइड्रोफ़ोबिया
जलातन - I (वि०) 1 जिसका तन जल गया हो, अत्यंत दुःखी, संतप्त 2 क्रोधी 3 ईर्ष्यालु II (पु० ) कष्ट देने की क्रिया जलात्मिका-सं० (स्त्री०) 1 जोंक 2 कुआँ जलात्यय-सं० (पु० ) = जलद क्षय जलाधार-सं० (पु० ) = जलाशय जलाधिदैवत-सं० (पु०) वरुण
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जलाना
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जवाब
जलाना-(स० क्रि०) 1 जलने में प्रवृत्त करना, प्रज्वलित होना
जलेश-सं० (पु.) वरुण (जैसे-कोयला जलाना) 2 प्रकाश उत्पन्न करना (जैसे-चिराग
| जलोत्सारण-सं० (पु.) पानी हटना, उलीचना जलाना, लैम्प जलाना) 3 नष्ट कर देना (जैसे-मकान जलाना,
जलोदर-सं० (पु०) चि० नाभि के पास पेट के चमड़े के नीचे झोंपड़ी जलाना) 4 अन्य प्रक्रियाओं से आग, रोशनी करना की तह में पानी जमा होकर पेट फूलने का रोग (जैसे-बिजली जलाना) 5 पदार्थ आदि का विकृत हो जाना जल्द-अ० (क्रि० वि०) दे० जल्दी। -बाज़ + फ़ा० (वि०) (जैसे-दाल जलाना) 6 भाप रूप में उड़ा देना (जैसे-सब्जी आवश्यकता से अधिक जल्दी करनेवाला; --बाज़ी - फा० का रसा जलाना) 7 ईर्ष्या-जन्य कष्ट उत्पन्न करना, सताना (स्त्री०) जल्दपन, शीघ्रता करना (जैसे-अपनी अदाओं से उचक्कों के मन को जलाना)
जल्दी-[अ० + फ़ा० (स्त्री०) तेज़ी, शीघ्रता II (क्रि० वि०) 8 संतप्त करना (जैसे-कुमार्ग पर चलकर माँ का दिल
शीघ्रता से (जैसे-जल्दी लिखो, जल्दी जाओ) जलाना)। जला-जलाकर मारना घुला-घुलाकर मारना,
जल्प-सं० (पु.) 1 बकवाद, प्रलाप 2 औचित्य, सत्य आदि अत्यधिक कष्ट पहुँचाना
का विचार किए बगैर केवल अपनी ही बात को सही प्रमाणित जलापा-(पु०) लंबे समय तक मन ही मन जलते रहना करने का प्रयत्न करना 3 कथन जलाभाव-सं० (पु०) जल की कमी
जल्पक-सं. (वि०) 1कहनेवाला 2 बकवादी, वाचाल जला-भुना-(वि०) कुढ़ा हुआ, चिढ़ा हुआ
3 मिथ्या तर्क-वितर्क करनेवाला जलार्क-सं० जल में दिखाई पड़नेवाला सूर्य का प्रतिबिंब | जल्पन-सं० (पु०) 1 जल्प करने की क्रिया 2 डींग जलार्णव-सं० (पु०) जलदागम, वर्षाकाल
जल्पना-सं० + हिं (अ० क्रि०) । बहुत बोलना 2 बकवास जलार्द्र-सं० (वि०) पानी से भीगा हुआ, गीला, तर
करना 3 व्यर्थ का तर्क-वितर्क करना जलाल-अ० (पु०) 1 प्रकाश, तेज़ 2 प्रताप, महिमा 3 वैभव जल्पाक-सं० (वि०) - जल्पक और संपन्नता
जल्पित-सं० (वि०) 1कहा हुआ 2 बका हुआ 3 मन गढ़त जलालत-अ० (स्त्री०) अपमान, बेइज्जती
_और मिथ्या जलालुक-सं० (पु०) कमल की जड़, कमलनाल जल्लाद-अ० (पु०) 1 राजाज्ञा से दंडित व्यक्ति को फाँसी जलाव-(पु०) 1 जलने-जलाने की क्रिया 2 जलने के कारण देनेवाला कर्मचारी, वधिक 2 अत्यंत कर एवं निर्दय कम हुआ अंश 3 खमीर 4 खमीर का उठना
जल्वा-अ० (पु०) । शोभा, सौंदर्य 2 प्रकाश, तेज़ जलावतन-अ० (वि०) देश निकाला हआ, देश से निर्वासित जव-(पु.) = जौ जलावतनी-अ० +फ़ा० (स्त्री०) देश निकाला, निर्वासन
जव-[ सं (पु.) वेग, तेज़ी 2 जल्दी, शीघ्रता II (वि०) जलावतरण-सं० (पु०) 1 जलयान को पानी में उतारना 2 पोत 1 वेगवान् 2 शीघ्रता करनेवाला संतरण
जवन-I (पु०) दे० यवन जलावन-(पु०) 1 जलाने की वस्तु, ईंधन 2 वस्तु का जला | जवन-II सं० वेगवान् , तेज़ III (पु.) वेग हुआ अंश
जवनिका-(स्त्री०) 1 यवनिका, पर्दा 2 कनात 3 पाल जलापत-सं० (पु०) पानी का भँवर
जवस-सं० (पु०) घास जलाशय-सं० (पु०) जल भरा हुआ गहरा स्थल, झील, |
जवाँ-फा० (वि०) जवान का संक्षिप्त रूप। -मर्दी (पु०) तालाब
1वीर पुरुष, बहादुर 2 नौजवान आदमी। --मर्दी (स्त्री०) जली-कटी-(वि०) बहुत चुभनेवाली
1 नौजवानी 2 बहादुरी, वीरता जलीय-सं० (वि०) 1 जल संबंधी, जल का (जैसे-जलीय | जवा-I बो० (पु०) 1 जौ के आकार का दाना 2 लहसुन का
क्षेत्र) 2 जल में उपजने वाला, जल में रहनेवाला दाना II (स्त्री०) अड़हुल, जपा (जैसे-जलीय जीव जंत) 3 जिसमें जल का अंश हो | जवाई-बो० (पु०) जैवाई, दामाद (जैसे-जलीय विलयन)
जवाखार-(पु०) जौ के क्षार से बनाया जानेवाला नमक ज़लील-अ० (वि०) 1 जिसका अपमान हुआ हो, अपमानित जवान-I फ़ा० (वि०) 1 युवा, तरुण 2 वीर, बलवान् 2 तुच्छ, नीच 3 जो अपमानित होने पर भी हठवश वही काम II (पु०) । वीर पुरुष 2 सिपाही। जहाज़ (वि०) पूर्ण
यौवन प्राप्त जलील-अ० (वि०) पूज्य
जवानी-फा० (स्त्री०) 1 तरुणाई, यौवन, युवावस्था 2 यौवन जलूस-अ० (पु०) 1 प्रदर्शन, प्रचार हेतु निकलनेवाला का जोश। ~उठना नवयौवन आना; उतरना यौवन व्यक्तियों का समूह (जैसे-जलूस निकलना) 2 ठाठ-बाट,
ढलना; ~की नींद बे-फिक्री की नींद, निश्चिंत; -चढ़ना सजावट की अवस्था
जवानी आना, मस्ती आना; ~ढलना यौवन का समाप्त होना जलेचर-सं० (वि०) = जलचर
जवाब-अ० (पु०) 1 उत्तर (जैसे-अभी पत्र का जवाब नहीं जलेतन-(वि०) = जलातन
आया) 2 बदला चुकाने के उद्देश्य से किया गया कार्य जलेबा-(पु०) बड़ी जलेबी
(जैसे-ईंट का जवाब पत्थर से देना) 3 जोड़, बराबरी जलेबी-(स्त्री०) घी में तलकर शीरे में पकाई गई मैदे की | • (जैसे-ताजमहल की रचना सौंदर्य का जवाब नहीं है) कुंडलाकार प्रसिद्ध मिठाई
4 सवाल का हल (जैसे-प्रश्न-पत्र के किन्हों चार सवालों का जलेवाह-सं० (पु०) गोताखोर, पनडुब्बा
जवाब देना है) 5 नकारात्मक आदेश (जैसे-उसे नौकरी से
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जवाबी 296
जॉगर जवाब दे दिया गया) 6 प्रतिवाद (जैसे-अदालत में तो जवाब | चि० ज़हरीला एवं बहुत ही कष्टदायक फोड़ा; ~मार + हिं. देना पड़ेगा)। तलब (वि०) जवाब माँगने लायक, पूछने
(पु०) प्रतिविष, विषहर; ~मोहरा (पु०) एक तरह का योग्य; तलबी + फा० (स्त्री०) जवाब मांगा जाना; दार
पत्थर जिसमें ज़हर को सोख लेने की विशेषता पाई जाती है: +फा० (वि०) जवाब देनेवाला, उत्तरदायी; दारी फ़ा० ~उगलना जली-कटी बातें कहना; - कर देना 1 बहत (स्त्री०) उत्तरदायित्व; दावा (पु०) प्रतिवादी का उत्तर; कडुआ कर देना 2 कटु वचन से भोजन का स्वाद-सुख बिगाड़
देह + फ्रा० (वि०) + जवाबदार; देही + फ़ा. देना; ~का घुट अति अप्रिय एवं असह्य बात; ~पीकर रह (स्त्री०) - जवाब देही; ~सवाल (पु०) 1 प्रश्नोत्तर जाना, -पीना असह्य क्रोध को सह लेना; ~की पडिया 2 बहस (जैसे-मैं मूखों से जवाब-सवाल नहीं करता)
1 अत्यंत क्रोधी 2 फसादी; खाना आत्महत्या करना; जवाबी-अ० + फ्रा० (वि०) 1 जवाब संबंधी 2 जो जवाब ~मारना ज़हर का असा दूर करना; में बुझाना । बात दिए जाने योग्य हो 3 जवाब रूप में हो
को मर्मभेदी एवं असह्य बना देना 2 किसी अग्नि तप्त अस्त्र को जवार-अ० (पु०) 1आस-पास का स्थान 2 पड़ोस विषमिश्रित जल आदि द्रव में बुझाना जवारा-(पु०) जौ के अंकुर
ज़हरी-फ़ा० + हिं० (वि०) विषैला जवारी-(स्त्री०) जौ, छुहारे को एक में गूंथकर बनाया गया हार, ज़हरीला-फा० - हिं० (वि०) 1 जो जहर से भरा हो, विषयुक्त घोड़ी
(जैसे-ज़हरीला साँप, ज़हरीली गैस) 2 अत्यंत अप्रिय एवं जवाल-अ० (पु०) 1 अवनति, उतार, हास 2 आफत, झंझट, | कटुभाषी। पन + हिं० (पु०) विषैलापन विपत्ति (जैसे-ज़वाल में डालना)
जहाँ -(अ०) जिस जगह, जिस स्थान पर (जैसे-जहाँ-कहीं जवास, जवासा-(पृ०) एक तरह का कैंटीला क्षप जिसके ! जाओगे वह मिलेगा)। ~का तहाँ अपनी ही जगह पर अनेक अंग को औषधि में प्रयोग करते हैं।
(जैसे-सामान जहाँ का तहाँ रख देना) जवाहर-अ० (पु०) रत्न, मणि। खाना + फ़ा० (पु०) वह | जहाँ-फा० (पु०) संसार, लोक। ~गीर (वि०) दुनिया पर
स्थान जहाँ पर जवाहर आदि कीमती वस्तुएँ रखी जाएँ राज्य करनेवाला, विश्वविजयी; ~गीरी (स्त्री०) 1 विश्व जवाहरात-अ० (पु०) अनेक तरह के रत्नों का संग्रह विजय 2 हथेली के पिछले भाग में पहना जानेवाला प्रसिद्ध जवाहिर-अ० (पु०) = जवाहर
गहना जिसमें पाँचों उँगलियों के लिए पाँच अंगठियाँ बनी होती जवाहिरात-अ० (पु०) - जवाहरात
हैं; दीद, दीदा (वि०) जिसने संसार को देखा परखा जवैया-बो० (वि०) जानेवाला
हो, अनुभवी; पनाह I (वि०) विश्व की रक्षा करनेवाला जश्न-फा० (पु०) जलसा. उत्सव (जैसे-धार्मिक जश्न । II (पु०) 1 ईश्वर 2 सम्राट्, बादशाह मनाना)
जहाज़-अ० (पु०) जलयान, जलपोत (जैसे-समुद्री जहाज़) जस-1 बो० (पु०) यश, कीर्ति II (वि०) बो० जैसा (क्रि० 2 वायुयान (जैसे-हवाई जहाज़) 3 समुद्र में चलनेवाली बहुत वि०) जैसे
बड़ी नाव (जैसे-जहाज़ पर माल लादना)। गोदी + हिं० जसीम-अ० (वि०) स्थूल आकारवाला, भारी-भरकम (स्त्री०) जहाज़ ठहराने की जगह; ~घाट + हिं० (पु.) जस्टिस-I अं० (स्त्री०) न्याय, इंसाफ II (पु०) जहाज़ पर माल लादने-उतारने की जगह; -रान + फा० न्यायाधीश
(पु०) जहाज़ चलानेवाला व्यक्ति; रानी + फ़ा० (स्त्री०) जस्त-(पु०) = जस्ता
1 जहाज़ चलाना 2 जहाज़ चलाने का काम; साज़ी + फ़ा० जस्त-फ्रा० (स्त्री०) छलाँग, चौकड़ी
(स्त्री०) जहाज़ बनाना जस्तई-(वि०) 1 जस्ते का बना हुआ 2 जस्ते के रंग का | जहाज़ा-1 अ० (वि०) 1 जहाज़ पर र
जहाज़ी-I अ० (वि०) 1 जहाज़ पर रहनेवाला 2 जहाज के जस्ता-(पु०) मटमैले रंग की एक प्रसिद्ध धातु
कर्मचारियों से संबंध रखनेवाला II (पु०) 1 जहाज़ का जहक-(वि०) कुढ़नेवाला, ईर्ष्यालु
कर्मचारी, खलासी 2 जहाज़ पर यात्रा करनेवाला व्यक्ति जहकना-(अ० क्रि०) 1चिढ़ना, कुढ़ना 2 बढ़-बढ़कर बातें
~कौआ 1 जिस व्यक्ति का एक ही ठिकाना हो 2 अत्यंत करना
चालाक एवं धूर्त जहदना-(अ० क्रि०) 1कीचड़ होना 2 शिथिल होना जहाद-अ० (पु०) धर्म की रक्षा हेतु किया जानेवाला युद्ध, जहन-अ० (पु०) दिगारा, मस्तिष्क
धर्मयुद्ध जाहनियत-अ० (स्त्री०) मानसिकता
जहान-फा० (पु०) संसार, दुरीया, विश्व जहन्नुम-अ० (पु०) नरक
जहानक-सं० (पु०) प्रलय जहन्नुमी-अ० (वि०) 1 नरक संबंधी 2 नरक में वास जहालत-अं० (स्त्री०) अज्ञान, मूर्खता, अशिक्षा करनेवाला
ज़हीन-अ० (वि०, 1 समझदार, बुद्धिमान 2 तीक्ष्ण बुद्धिवाला, जहमत-अ० (स्त्री०) 1 आपत्ति 2 विपत्ति 3 कष्ट 4 झंझट,
मेधावी बखेड़ा। ~उठाना कष्ट उठाना, विपत्ति भोगना । जहर-अ० (पु०) प्रकट करने की अवस्था, प्रकाश में आना जाहर-I फ्रा० (स्त्री०) 1 विष 2 अत्यंत कट एवं दोषयुक्त कार्य | जहूरा-अ० + हिं० (पु०) बो० 1 प्रताप 2 अभिव्यक्त .3 अप्रिय एवं अति क्लेशप्रद बात (जैसे-जहर भरी बातें | जहेज़-अ० (पु०) = दहेज़ कहना) II (वि०) 1विषाक्त 2 घातक 3 अत्यंत कट। जांगर-(पु०) 1 पौरुष 2 श्रमशीलता 3 शरीर, देह (जैसे-जाँगर
दार (वि०) जहरीला, विषयुक्त, विषमय; याद (प०) डुलाना, जाँगर चलाना)/ चोर (वि०)/(पु०) मेहनत न
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जांगल
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जागीर
करनेवाला; ~~थकना 1 पौरुष का जवाब देना 2 शरीर
जा-I फ़ा० (वि०) उचित, मुनासिब II (स्त्री०) जगह, स्थान शिथिल होना
जाइंट-अं० (वि०) संयुक्त (जैसे-जाइंट सेक्रेटरी) जांगल-I सं० (पु०) 1 ऐसा ऊसर एवं निर्जन प्रदेश जहाँ जाइरोस्कोप-अं० (पु०) घूर्णाक्षदर्शी वनस्पतियाँ बहुत कम होती हैं 2 ऊसर एवं निर्जन तथा अल्प
जाई-1 (स्त्री०) 1कन्या, पुत्री. 2 चमेली ॥ वनस्पतिवाले क्षेत्र में रहनेवाले लोग, जीव-जंतु II (वि०)
___ = जाही 1 जंगल संबंधी 2 जो पालतू न हो, जंगली
जाएल-I बो० (वि०) जिसे दो बार जोता गया हो II (पु०) जांगलि, जांगलिक-[सं० (वि०) जो जंगल से संबंध रखता
दो बार जोता हुआ खेत हो, जंगली II (पु०) 1 सँपेरा, मदारी 2 विष वैद्य जाकट-अं० (स्त्री०) = जाकेट जाँगलू-(वि०) 1 असभ्य, उजड्ड 2 जंगली
जाकड़-(पु०) 1 नापसंद होने पर लौटा देने की शर्त पर लिया जांगुल-सं० (पु०) 1 विष, ज़हर 2 तोरई
जानेवाला सामान 2 पसंद-नापसंद की शर्त पर होनेवाला जांगुलि, जांगुलिक-सं० (पु०) सँपेरा
लेन-देन। बही (स्त्री०) ऐसी बही, रजिस्टर जिसमें जाकड़ जांगुली-सं० (स्त्री०) विष-विद्या
संबंधी वस्तुओं का विवरण रहता है जाँघ-(स्त्री०) घुटने एवं कमर के बीच का भाग। - उघाड़ना
जाकी-अं० (पु०) घुड़दौड़ का सवार स्वयं कलंक की बात करना; का कीड़ा अत्यंत तुच्छ एवं
जाकिट, जाकेट-अं० (स्त्री०) सदरी की तरह की आधुनिक हीन व्यक्ति; नंगी करना = जाँघ उघाड़ना
पोशाक जाँघा-बो० (पु०) 1 गड़ारी का धुरा 2 गड़ारी रखने का खंभा
जाग-I (स्त्री०) 1 जगह, स्थान 2 गृह, धर II (स्त्री०) जागने जांघिक-[सं० (वि०) 1 जाँघ संबंधी 2 बहुत तेज़ चलनेवाला
की क्रिया। ता (वि०) 1 जागा हआ 2 जो जाग रहा हो II (पु०) तेज़ चलनेवाला जीव
(जैसे-जागता हुआ आदमी) 3 सतर्क, सावधान (जैसे-जागते जाँघिया-(पु०) कमर में पहना जानेवाला एक प्रकार का सिला
रहो) 4 अस्तित्व, शक्ति एवं कला का परिचय देनेवाला हुआ छोटा पहनावा
(जैसे-जागती हुई कला, जागता हआ सैनिक, जागता समुद्र) जांघिल-(वि०) 1 बहुत तेज़ दौड़नेवाला 2 चलने में जिसका
जागतिक-सं० (वि०) 1 जगत्-संबंधी, जगत् का 2 संसार में पैर कुछ लचकता हो (पशु)
होनेवाला, सांसारिक जाँच-(स्त्री०) 1 जाँचने की क्रिया, परख (जैसे-सोने की जागना-(अ० क्रि०) 1सोकर उठना 2 निद्रा रहित होना 3
अंगूठी की जाँच करना) 2 परीक्षा (जैसे-अध्यापक गणित की सावधान होना (जैसे-आज रात भर जागना पड़ेगा) जाँच करेंगे) 3 छान-बीन, तहकीकात (जैसे-पुलिस अपराध
4 अस्तित्व, शक्ति आदि का स्पष्ट एवं प्रत्यक्ष प्रमाण दे सकने की जाँच कर रही है) 4 अनुसंधान (जैसे-मेडिकल जाँच, खून की अवस्था 5 अपना प्रभाव दिखलाना (जैसे-अंततः देवी को की जाँच करना)। ~आयोग + सं० (पु०) जाँच-पड़ताल
अन्याय के विरोध में जागना पड़ा) 6 उत्तेजित होना 7 विख्यात हेतु गठित कमीशन; ~कर्ता + सं० (पु०) जाँच करनेवाला
होना (जैसे-हज़ारों वर्षों से दुनियाँ में बुद्ध का नाम जाग रहा व्यक्ति; पड़ताल (स्त्री०) छान-बीन, तफतीश; ब्यरो + अं० (स्त्री०) जाँच आयोग
जागर, जागरण-सं० (पु०) 1 जागने की क्रिया 2 अंतःकरण जौचना-(स० क्रि०) 1 परखना (जैसे-सोने की शुद्धता
की वह अवस्था जिसमें सब वृत्तियाँ जाग्रत हों 3 उन्नति एवं जाँचना) 2 गुण-दोष का पता लगाना (जैसे-रक्त में उपयोगी
रक्षा हेतु सचेष्ट रहने की स्थिति कीटाणुओं को जाँचना) 3 सिद्धांत, बात की सत्यता का पता
जागरित-सं० (वि०) जागता हुआ, जाग्रत लगाना (जैसे-ओहम नियम को जाँचना) 4 सही-गलत देखना, जागरू-- बो० (पु०) 1 वह फसल जिसमें भूसा और कुछ अन (जैसे-गणित जाँचना) 5 योग्यता, क्षमता का पता लगाना
कण भी मिले हों 2 भूसा (जैसे-रोगी को जाँचना, सैनिकों को जाँचना) 6 अनुसंधान
जागरूक-I सं० (वि०) 1 सजग, जाग्रत 2 सतर्क एवं करना (जैसे-चुंबक के गुण-दोष जाँचना) 7 पूछ-ताछ करना
सावधान II (पु०) पहरेदार । ता (स्त्री०) 1 जागते रहने (जैसे-अपराधी को जाँचना) 8 याचना करना, माँगना ।
की अवस्था, जाग्रतावस्था 2 सतर्कता, सावधानी परखना जाँचना और समझना
(जैसे-क्रांतिकारी जागरूकता) जाँझ-बो० (पु०) तेज़ हवा के साथ होनेवाली वर्षा, तूफानी | जागरूप-(वि०) जो अति प्रत्यक्ष एवं स्पष्ट हो वर्षा
जागर्ति-सं० (स्त्री०) 1 जाग्रत होने की अवस्था, जागरण, जाँत-(पु०) जाँता
2 चेतना (जैसे-राजनैतिक एवं सामाजिक जागर्ति) जांतव-सं० (वि०) 1 जीव-जंतुओं से संबंधित 2 जीव-जंतुओं | जागर्या-सं० (स्त्री०) = जागरण से उत्पन्न होनेवाला
जागा-I (पु०) रात भर जागते रहने की क्रिया II (स्त्री०) = जाँता-(पु०) हाथ से चलाई जानेवाली बड़ी चक्की
जगह जॉनिसार-फा० + अ० (वि०) जान कुर्बान करनेवाला
जागीर-फा० (स्त्री०) पुरस्कार स्वरूप राजाओं-महाराजाओं द्वारा जांबाज़-फा० (वि०) अपनी जान पर खेल जानेवाला
दी गई जमीन। दार (पु०) जागीर का स्वामी; दारी जांबील-सं० (पु०) घुटने पर की गोल हड्डी
(स्त्री०) 1 जागीरदार होने का भाव 2 रईसी, धनाढ्य; जा-I सं० (स्त्री०) 1माता, माँ 2 देवरानी II (वि०)/(स्त्री०) |
प्रथा + सं० (स्त्री०) ऐसा रिवाज़ जिसमें छोटे नवाबों को उत्पन्न होनेवाली (जैसे-गिरिजा, जनकजा)
जागीर देकर उनसे सैनिक सेवा ली जाती थी
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जागीरी
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जात्याभिमान
जागीरी-I फ़ा० (स्त्री०) 1 जागीरदार होने की अवस्था जातक-सं० (पु०) 1 नवजात शिशु 2 बच्चा, बालक 3 फलित
2 अमीरी, रईसपन II (वि०) जागीर संबंधी, जागीर का ज्योतिष का वह अंग जिससे नवजात शिशु का शुभाशुभ फल जागृत-सं० (वि०) - जाग्रत
कहा जाता है 4 बुद्ध के जन्मों की कहानी जागृति-सं० (स्त्री०) जागरण
जातना-(स्त्री०) बो० पातना। जाग्रत-सं० (वि०) 1 जागता हआ 2 सचेत, सावधान 3 जो जाता-सं० (स्त्री०) कन्या, बेटी, पत्री
अपने को दूषित वातावरण के प्रति सतर्क रखने एवं उन्नति हेतु जाति-सं० (स्त्री०) 1 वंश, कुल 2 जन्म, उत्पत्ति 3 वर्ण 4 वर्ग जागरूक हो
(जैसे-पशु जाति) 5 जात (जैसे-परिगणित जाति)। जाप्रति-सं० (स्त्री०) 1 जागते रहने की क्रिया जागरण -कोश (पु०) जायफल; -कोशी (स्त्री०) जावित्री; 2 जाग्रतावस्था
~गत (वि०) जाति संबंधी; गौरव (पु०) = जाघनी-सं० (स्त्री०) जंघा, जाँघ
जात्याभिमान; च्युत (वि०) जिसे बिरादरी से निकाल दिया जाजम-फ़ा० (स्त्री०) दे० जाज़िम
गया हो, जिसके साथ व्यवहार न किया जाता हो; ~ च्यति जाजरा-(वि०) 1 बहुत पुराना, जर्जर 2 जिसमें कई छेद हों | (स्त्री०) जाति से गिर जाना; ~~द्रोह (पू०) जाति के प्रति बैर जाजरी-(पु०) चिडिमार, बहेलिया
विरोध; ~धर्म (पु०) 1 किसी जाति में समान रूप से जाज़रूर-फ़ा० + अ० (पु०) मल त्याग करने का स्थान, होनेवाले गुण, धर्म, कार्य आदि 2 जातगत विशिष्ट कर्म; पाखाना
-नियम (पु०) जात संबंधी विशिष्ट आचार, व्यवहार आदि जाज़िब-अ० (वि०) 1सोखनेवाला 2 अपनी ओर नियमः --नीति (स्त्री०) जात से संबंध रखनेवाले व्यवहार खींचनेवाला, आकर्षक
संबंधी नीति; पत्री (स्त्री०) जावित्री; ~~पाँति - हिं. जाज़िम-फा० (स्त्री०) 1 फर्श आदि पर बिछाई जानेवाली छपी (स्त्री०) = जात-पाँत; ~प्रथा (स्त्री०) जाति-पात का हई चादर 2 कालीन 3 बिछाने की चादर
रिवाज़; प्रेम (पु०) स्वजाति प्रेम; ~फल (पु०) जाज्वलित-सं० (वि०) प्रकाशमान
जायफल; -बिरादरी + फ़ा० (स्त्री०). अपनी जाति और जाज्वल्य, जाज्वल्यमान्-सं० (वि०) 1 चमकता हुआ, भाई-चारे के लोग; ब्राह्मण (पु०) वह ब्राह्मण जो केवल प्रकाशमान् 2 प्रज्वलित तेजपूर्ण, तेजोमंडित ब्राह्मण कुल में उत्पन्न हुआ हो परंतु स्वजाति धर्म का पालन न (जैसे-जाज्वल्यमान् नक्षत्र) ।
करता हो; ~भाई + हिं० (पु०) स्वजाति का होने के कारण जाट-I (पु०) 1 भारत में खेती -बारी करनेवाली प्रसिद्ध जाति भाई; ~भेद (पु०) जातियों का अलगपन; मिश्रण
जो पंजाब, पश्चिमी उत्तर-प्रदेश आदि क्षेत्रों में रहती है। (पु०) जातियों का घोल मेल होना; ~लक्षण (पु०) जाति 2 कृषक II (वि०) गँवार, उजड्ड
में विशेष रूप से पाया जानेवाला लक्षण; ~वाचक (वि०) जाटू-(स्त्री०) करनाल, रोहतक, हिसार आदि के जाटों की 1 जाति बतानेवाला 2 जाति के प्रत्येक सदस्य का समान रूप बोली, बाँगड़, हरियाणवी
से सूचक; ~वाद (पु०) अपनी जाति को सर्वश्रेष्ठ मानने का जाठ-(पु०) कोल्हू की फॅडी में रहनेवाला लकड़ी का गोल सिद्धांत; ~वादी (वि०) जातिवाद को माननेवाला; विद्वेष
चिकना बल्ला 2 तालाब आदि के बीच में गड़ा हुआ लट्ठा (पु०) = जाति वैर; ~वैर (पू.) एक जाति का दूसरी जाति जाठर-I सं० (वि०) पेट संबंधी, जठर का II (पु०) 1 जठर के प्रति होनेवाला प्राकृतिक वैर; ~शास्त्र (पु०) वह शास्त्र
पेट 2 भोजन पकानेवाली पेट की अग्नि 3 क्षुधा, भूख जिसमें मानव की जातियों के विभागों, उनके पारस्परिक संबंधों जाठराग्नि-सं० (स्त्री०) = जठराग्नि
एवं जातिगत गुणों आदि का विवेचन होता है; ~शास्त्री जाड़ा-(पु०) 1 शीतकाल 2 शीत, सरदी। ~खाना जाड़े का (पु०) जाति शास्त्र का विशेषज्ञ; ~संकर (पु०) वर्णसंकर, कष्ट सहन करना; जाड़े की चांदनी बेकार चीज़
दोगला जाड्य-सं० (पु०) जड़ता, निश्चेष्टा, मूर्खता
जाती-सं० (स्त्री०) 1 चमेली 2 मालती जात-I सं० (वि०) 1जिसने जन्म लिया हो, उत्पन्न | ज़ाती-अ० (वि०) 1 वस्तुगत, असली 2 व्यक्तिगत, अपना,
(जैसे-नवजात, जल जात) 2 जिसे कुछ उत्पन्न हुआ हो 3 जो | किसी से उत्पन्न हआ हो (जैसे-जन्मजात दाग, जन्मजात जातीय-सं० (वि०) 1 जाति संबंधी, जाति का 2 जाति में लक्षण) II (पु०) 1 पुत्र, बेटा 2 जीव, प्राणी। -रूप I होनेवाला। ता (स्त्री०) 1 जाति के गुण, कौमीयत (वि०) रूपवान, सुंदर II (पु०) 1 स्वर्ण, सोना 2 धतूरा; 2 जातिगत अभिमान; ~वाद (पु०) = जातिवाद; ~वादी ~वेश्म (पु०) सौरी
(वि०) = जातिवादी जात-(स्त्री०) बो० = जाति। -निकाला (पु०) अपनी | जातु-सं० (अ०) कदाचित् बिरादरी से अलग किया हुआ व्यक्ति; ~पाँत, -पाँति | जातुज-सं० (पु०) गर्भिणी की इच्छा (स्त्री०) जाति एवं उपजाति से संबंध रखनेवाला विभाग जातुधान-सं० (पु०) राक्षस, असुर (जैसे-जात-पाँत की व्यवस्था); बाहर (क्रि० वि०) जात जातेष्टि-सं० (स्त्री०) जातकर्म । से अलग
जात्यंध-सं० (वि०) जो जन्म से ही अंधा हो, जन्मांध जात-अ० (स्त्री०) 1 वस्तु का स्वरूप, व्यक्तित्व 2 स्वभाव | जात्य-सं० (वि०) 1 सजातीय, नातेदार 2 कुलीन 3 उत्तम, श्रेष्ठ उदेह 4 व्यक्ति। परस्त + फा० (पु०) जातिवाद सुंदर, सुरूप 5 समकोण परस्ती + फ्रा० (स्त्री०) जातिवादिता
जात्याभिमान-सं० (पु०) जाति के प्रति गौरव की भावना
"
माणका
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जात्रा
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जात्रा-बो० (पु० )
1=
जात्री-बोर (पु० ) जादू - फा० (पु० ) 1 जंतर-मंतर, टोना-टोटका (जैसे- जादू करना) 2 वशीकरण 3 मोहिनी 4 इंद्रजाल 5 हाथ की सफ़ाई का काम (जैसे-नट का जादू करना)। ~गर ( पु० ) 1 जादू करनेवाला मदारी 2 बाज़ीगर गरी (स्त्री०) 1 जादू का काम 2 जादू करने की विद्या; घर + हिं० (पु०) जादू के खेल दिखाने का स्थान; ~टोना + हिंο (पु० ) टोना-टोटका,
झाड़-फूँक नज़र + अ० (वि०) अत्यधिक सुंदर एवं लुभावनी आँखोंवाला; मंतर + हिं० (पु०) जंतर-मंतर ; -उतरना जादू का असर दूर होना; चलना 1 जादू का असर होना 2 बात का असर होना डालना, मारना जादू करना वह जो सिर पर चढ़कर बोले उपाय वही अच्छा है जो सफल हो तथा विरोधी को भी मानना पड़े जान - 1 (स्त्री० ) 1 जानकारी, परिज्ञान, परिचय 2 ख्याल, समझ जान- II फ़ा० I (स्त्री०) 1 जोवन, प्राण 2 शारीरिक शक्ति, सामर्थ्य II (वि०) प्रिय, प्यारा। जोखिम + हिंο (स्त्री०) जान का ख़तरा जोखों + हिं० (स्त्री०) जान जाने का डर दार (वि०) 1 हिम्मतवाला 2 सजीव 3 जिसमें बल हो; निसार + अ० (वि०) 1 जान देनेवाला 2 जो किसी के लिए मरने को तैयार हो 3 स्वामिभक्त; ~निसारी + अ + फ़ा० (स्त्री०) वफादारी स्वामिभक्ति; -पहचान (स्त्री०) जानने-पहचानने की क्रिया; पहचानी (वि०) परिचित; फ़िशानी (स्त्री०) जी तोड़ कोशिश, अत्यधिक श्रमः बख़्शी (स्त्री०) 1 प्राणदान 2 प्राणदंड के अपराधी को क्षमादान; बाज़ (वि०) जान पर खेलनेवाला, वीर, साहसी बाज़ी (स्त्री०) साहस, वीरता; बीमा (पु० ) जीवन की वह व्यवस्था जिसके अंतर्गत निश्चित अवधि के अंदर बीमा करनेवाले को जीवन बीमा कंपनी अवधि की समाप्ति से पूर्व अचानक मृत्यु होने पर कुछ निर्धारित धन देती है; ~ माज + अ० (स्त्री०) वह ज़ाज़िम जिसपर बैठकर नमाज़ पढ़ी जाती है; बूझकर सोच समझकर माल + अ० (पु० ) प्राण एवं धन; ~लेवा + हिं० (वि०) जानी दुश्मन; -आँखों में आ जाना आसन मरण होना; आना मन स्थिर होना; ~का अज़ाब जी का जंजाल, झंझट, बखेड़ा का गाहक जान का दुश्मन; ~का नुक़सान प्राणहानि का रोग कष्ट देनेवाली वस्तुः ~का लागू जान का वैरी की अमान प्राण रक्षा, प्राण दान; ~ की ख़ैर मनाना 1 प्राण रक्षा होना 2 कुशल मनाना; ~ की तरह रखना 1 ज़रा भी कष्ट न होने देना 2 बहुत सँभालकर रखना; की पड़ना जान रक्षा की चिंता लगना; के लाले पड़ना जान बचाना कठिन हो जाना; को आना दे० जान खाना; को न समझना तकलीफ़ की परवाह न करना; ~को रोना किसी के द्वारा किए गए अहित का स्मरण होने पर कुढ़ना; खपाना अत्यधिक श्रम करना; खाना परेशान कर देना; खोना 1 जान देना 2 किसी के दुःख में घुलना; चुराना, काम से जी चुराना, आलस करना; छुड़ाना पीछा छुड़ाना, मुक्त होना; छूटना 'छुटकारा मिलना; देना 1 मरना 2 मरने को तैयार होना (किसी पर); देना किसी पर आसक्त होना, अनुरक्त
= यात्रा
यात्री
जाना
निसार करना पड़ना 1 प्राण पर आ
होना; निकलना बहुत कष्ट होना; प्राणोत्सर्ग करना, अत्यधिक प्रेम करना; संचार होना 2 शक्ति आना 3 हरा-भरा होना; बनना 1 जान का खतरा होना 2 भारी संकट में पड़ना; पर खेलना 1 प्राणों के जोखों का काम करना 2 साहस, वीरता का काम करना; --पर नौबत आना दे० जान पर बनना; ~बचाना कष्ट साध्य काम से कतराना, भागना; बची लाखों पाए मरने से बच गए यही परम लाभ है; भारी होना जीना दूभर हो जाना, जीवन से ऊब जाना; मारना दे जान लेना, कठिन परिश्रम करना; में आना ढांढस बँधना, इतमीनान होना; में होना जिंदा होना; लड़ाना
तोड़ कोशिश करना, भरसक प्रयत्न करना; लेना 1 वध करना 2 बहुत कष्ट देना 3 कड़ी से कड़ी मेहनत लेना; ~सूखना डर से होश गुम हो जाना, सुन्न हो जाना; सूली पर होना 1 जान खतरे में होना 2 भारी परेशानी, संकट में होना; ~ से गुजर जाना, से जाना मर जाना; ~से तंग आना, ~ से बेज़ार होना जीना असह्य हो जाना, जीने से ऊब जाना ~ से मारना कतल कर देना; ~ से हाथ धोना मरना; -है तो जहान है दुनिया का सब सुख ज़िंदगी के साथ है जानकार - (वि०) 1 जाननेवाला 2 परिचित 3 अच्छा ज्ञाता (जैसे- वह चित्रकला का जानकार है)
जानकारी- (स्त्री०) जानकार होने की अवस्था जानकी-सं० (स्त्री०) जनक पुत्री, सीता । नाथ (पु० ) श्री रामचंद्र
जानना - (स० क्रि० ) 1 ज्ञान होना (जैसे-मकान का पता जानना, उर्दू भाषा जानना) 2 सूचना पाना, परिचय होना (जैसे-रोगी का हाल जानना) 3 जानकारी तथा समर्थता होना (जैसे- वह मोटर चलाना जानता है) 4 सत्यता पर विश्वास होना (जैसे- ईश्वर को जानना आसान बात नहीं है) 5 भाँप लेना (जैसे-मन की बात जानना)। पड़ना मालूम होना, दिखाई देना जानपद - I सं० (वि०) जनपद संबंधी, जनपद का II ( पु० ) 1 जनपद प्रदेश 2 जनपद का निवासी 3 ज़मीन पर लगनेवाला कर, मालगुजारी (जैसे-जानपद ऋण) जानराय - ( पु० ) बहुत बड़ा जानकार, ज्ञानी पुरुष जानवर - फ़ा० (पु० ) 1 पशु 2 प्राणी 3 पशुओं का सा आचरण करनेवाला (जैसे-बिल्कुल जानवर हो गए हो क्या) 4 गँवार आदमी, उजड्ड, मूर्ख व्यक्ति (जैसे- तुम निरे जानवर हो) जा नशीन - फ़ा० ( पु० ) अधिकारी की अनुपस्थिति पर उसके पद पर बैठनेवाला व्यक्ति, उत्तराधिकारी
जाना - (अ० क्रि०) 1 गमन, प्रस्थान करना (जैसे- आज मुझे दिल्ली जाना है ) 2 विशेष उद्देश्य हेतु प्रस्थान करना (जैसे-सेना का युद्ध पर जाना, कर्मचारी का अधिकारी के पास जाना) 3 नियमित रूप से यात्रा आरंभ करना (जैसे-यहाँ से यह रेलगाड़ी प्रतिदिन आगरा जाती है) 4 प्रसारित होना (जैसे- अब संपूर्ण विश्व में हिंद समाचार जाने लगा है) 5 बहना, रसना (जैसे- आँखों से पानी जाना, फोड़े से मवाद जाना) 6 एक बिंदु, स्थान से दूसरे स्थान तक विस्तृत होना (जैसे यह सड़क कानपुर से आगरा तक जाएगी) 7 उन्मुख होना, प्रवृत्त होना (जैसे-सुंदरता की तरफ़ ध्यान जाना) 8 चोरी
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जानिब
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जाया
रहना
होना, खोना (जैसे-आलमारी से रुपए निकल जाना)
(पू०) 1मद्य पीने का विशेष पात्र 2 मद्य पीने का प्याला III 9 बिगड़ना (जैसे-किसी के हँसने से हमारा क्या जाता है) 10 (वि०) 1 रुका हुआ 2 अड़ा हुआ अधिकार से निकल जाना (जैसे-मुकदमेबाज़ी में सारी जायदाद जामदानी-फ़ा० + हिं० (पु०) 1 कपड़ा रखने का संदूक चली जाना) 11 अलग होना (जैसे-शरीर की कमज़ोरी चली
2 खिलौने आदि रखने की पेटी 3 कपड़े पर होनेवाला कसीदे जाना) 12 नष्ट हो जाना, समाप्त होना (जैसे-आँखों की रोशनी का काम, कढ़ाई जाना) 13 मरना (जैसे-दुनिया से गुज़र जाना) 14 गुज़रना,
जामन-(पु०) दूध जमाने हेतु छोड़ी गई खट्टी दही व्यतीत होना (जैसे-इस महीने को जाने में अभी चार दिन शेष
जामा-फ़ा० (पु०) 1 ऐसी पोशाक जिससे गला, छाती, पीठ हैं)। माना प्रसिद्ध, मशहूर; जा धमकना एकाएक पहुँच
एवं पेट ढका हो 2 घुटने तक का लंबा पहनावा जिसमें कमर जाना; जा निकलना अचानक पहँच जाना; जाने देना 1 छोड़
के नीचे का भाग घेरदार होता है। जामे में फूला न समाना देना 2 माफ़ कर देना; जा रहना ठहरना, टिकना (जैसे-मैं रात
बहुत खुश होना, इतराना; जामे से बाहर होना आपे में न में किसी सराय में जा रहँगा); जा लेना 1 बराबर हो जाना 2 भागनेवाले को पकड़ लेना
जामाता-सं० (पु०) कन्या का पवि, दामाद जानिब-अ० (स्त्री०) तरफ़, ओर, दिशा। ~दार + फ़ा०
जामा-मस्जिद-अ० (स्त्री०) नगर की सबसे बड़ी एवं पुरानी (वि०) तरफ़दारी करनेवाला; दारी + फ़ा० (स्त्री०)
मस्जिद जहाँ नमाज पढ़ी जाती है तरफदारी करना, पक्षपात करना
जामि-सं० (स्त्री०) 1 बहन, भगिनी 2 कन्या, लड़की 3 पुत्री, जानी-I फ़ा० (वि०) प्राणों से संबंध रखनेवाला (जैसे-जानी बेटी 4 पुत्र-वधू 5 उच्च कुल की स्त्री
दुश्मन, जानी दोस्त) II (स्त्री०) अत्यंत प्रिय स्त्री ज़ामिन-अ० (पु०) 1 अपराधी, अभियुक्त की जमानत जानु-सं० (पु०) घुटना। पाणि (क्रि० वि०) घुटनों एवं
करनेवाला व्यक्ति 2 दूसरे के कार्य का दायित्व अपने ऊपर हाथों के बल
लेनेवाला व्यक्ति। ~दार + फ़ा० (पु०) ज़मानतदार, जानू-फ़ा० (पु०) जंघा, जाँघ
ज़मानत लेनेवाला जाने-(अ०) मालूम नहीं कि (जैसे-न जाने कौन-सा गम उन्हें ज़ामिनी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) = ज़मानत सता रहा है)
जामुन-(पु०) 1 गर्म देशों में होनेवाला वह सदाबहार वृक्ष जानो-(अ०) बो० 1 इस प्रकार प्रतीत होता है कि 2 इस प्रकार जिसमें गोल, छोटे एवं काले कसैलापन युक्त मीठे फल लगते समझ लो कि
हैं 2 कालेरंग का छोटा, गोल खटमिट्ठा फल, जंबूफल जानोईमान-फ़ा० + अ० (पु०) जान और ईमान, जीवन और जामुनी-I (वि०) जामुन के रंग का, स्याह, काला II (पु०)
जामुन के फल की तरह का काला रंग जाप-सं० (पु०) = जप
जामेय-सं० (पु०) भानजा, बहिन का पुत्र जापक-सं० (वि०) जाप करनेवाला, जपनेवाला
जामेवार-फा० (पु०) 1 बेल-बूटेदार दुशाला 2 बेल-बूटे छपी जापा-सं० (पु०) 1 स्त्री का संतान उत्पन्न करना, प्रसव 2 सौरी, हुई छींट प्रसूतिका गृह
जायक-सं० (पु०) पीला चंदन जापानी-I अं0+ हिं० (वि०) 1 जापान देश का, जापान में ज़ायक़ा-अ० (पु०) स्वाद होनेवाला II (पु०) जापान देश का निवासी III (स्त्री०)
ज़ायकेदार-अ० + फ़ा० (वि०) स्वादयुक्त, स्वादिष्ट जापान देश की भाषा
जायचा-फा० (पु०) जन्म कुंडली जापी-सं० (वि०) जप करनेवाला
जायज़-अ० (वि०) 1उचित, वाज़िब 2 वैध ज़ाफ़-अ० (स्त्री०) 1 मूर्छा, बेहोशी 2 घुमटा, चक्कर
जायज़रूर-अ० + फ़ा० (पु०) टट्टी-पेशाब करने की जगह, जाफ़त-अ० (स्त्री०) प्रीति भोज, दावत, ज़ियाफ़त
शौचालय ज़ाफ़रान-अ० (पु०) केसर
जायजा-अं० (पु०) 1 जाँच-पड़ताल 2 किए गए कामों का जाफ़रानी-अ० (वि०) 1जिसमें केसर पड़ा हो, केसरिया विवरण, कैफियत 3 सरसरी तौर से देखना (जैसे-कमरे का 2 केसर के रंग का पीला
जायज़ा लेने के बाद वह आगे बढ़ी) 4 अनुमान, अन्दाज़ जा बजा-फ़ा० (क्रि० वि०) जगह-जगह पर, बहुत सी जगहों | जायद-अ०
ज़ायद-अ० (वि०) 1 अधिक, ज्यादा 2 अतिरिक्त
जायदाद-फा० (स्त्री०) 1संपत्ति, धन-दौलत 2 जगह-जमीन ज़ाबता-अ० (पु०) = ज़ाब्ता
(जैसे-उसने अपनी दस बीघे की जायदाद बेच दी)। जाबित-अ० (वि०) 1 जब्त करनेवाला, सहनशील
ल्वाला + हिं० धन-दौलत मंद, अत्यधिक धनवान 2 नियामक, रक्षक
जायनमाज-फा० + अ० (स्त्री०) जानमाज ज़ाबिता-अ० (पु०) = जाब्ता
जायफल-(पु०) एक सुगंधित फल जो मसाले और दवा के जाबिर-अ० (वि०) 1 ज़बरदस्ती करनेवाला 2 अत्याचारी
रूप में काम में लाया जाता है, जातीफल 3 उग्र, प्रचंड 4 जालिम
जायरीन-अ० (पु०) हज करनेवाले जा बेजा-फा० (वि०) उचित-अनुचित
जायल-अ० (वि०) जो नष्ट हो चुका हो, विनष्ट जाब्ता-अ० (पु०) 1नियम 2 क़ानून, विधान
जाया-सं० (स्त्री०) पत्नी। ~जीव, ~अनुजीवी (पु०) जाम-I (पु०) 1 जामुन का पेड़ 2 जामन का फल II मा० | वह जो अपनी पत्नी से व्यभिचार करवा कर रोजी कमातो
धर्म
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301
ज़ाया
ज़ाया- अ० (वि०) नष्ट, बर्बाद
जायु - I सं० (पु० ) औषध, दवा II (वि०) जीतनेवाला, जेता, III (पु० ) वैद्य
जार - सं० ( पु० ) 1 परस्त्री से प्रेम करनेवाला 2 उपपति, यार । ~कर्म (पु० ) व्यभिचार, छिनाला; ज (पु०) उपपति के संयोग से उत्पन्न संतान जात (वि०) स्त्री के उपपति से उत्पन्न; ~ भरा (स्त्री०) यार से संबंध रखनेवाली स्त्री ज़ार रू० (पु०) रूस के पुराने बादशाहों की उपाधि । ~कालीन सं० (वि०) ज़ार के समय (1917 से पहले)
का
जारक-सं० (वि०) 1 जलानेवाला 2 नष्ट करनेवाला 3 पाचक ज़ार ज़ार - फ्रा० (वि०) बहुत ज्यादा (जैसे-ज़ार-ज़ार रोना ) जारण-सं० (पु० ) जलाने की क्रिया
ज़ारडम रू० अं० ( पु० ) तानाशाही
जारणी-सं० (स्त्री०) सफ़ेद जीरा
ज़ारन - (पु० ) 1 जलाने की क्रिया 2 ईंधन, जलावन जारना - (स० क्रि० ) = जलाना ज़ार-बेज़ार - फा० (वि०) कम-ज्यादा जारिणी -सं० (स्त्री०) पर-पुरुष 'से प्रेम करनेवाली स्त्री, पुंश्चली जारी - I ( वि०) 1 जिसका प्रचलन हो 2 प्रवाहित (जैसे-गले से खून जारी है) 3 जो इस समय लागू हो (जैसे- अध्यादेश जारी होना) II (स्त्री०) परस्त्री गमन, जार-कर्म जारी - अ० ( पु० ) मुहर्रम में ताजियों के सामने गाया जानेवाला गीत
जारोब - फ़ा० (स्त्री०) झाडू, बुहारी । कश (पु० ) झाडू लगानेवाला व्यक्ति
जार्जेंट अं० (पु०) एक तरह का कृत्रिम रेशमी कपड़ा जाल - सं० (पु० ) 1 सूत, सन आदि की जालीदार बुनी हुई चींज़ 2 कोई जालीदार रचना (जैसे-मकड़ी का जाल) 3 झरोखा 4 वस्तुओं को परस्पर काटती हुई जालदार रचना (जैसे-रेल लाइनों का जाल बिछाना) 5 आपस में गुथी एवं फैली हुई चीज़ों का विस्तार 6 इंद्रजाल 7 धोखा (जैसे- जाल में फँसना ) ~ कारक (पु०) मकड़ा; कीट (पु० ) 1 मकड़ी
2 मकड़ी के जाल में फँसा हुआ कोड़ा; जीवी (पु० ) मछुआ, धीवर; दार फ़ा० (वि०) 1 जालीदार 2 जिस पर जरदोजी आदि के तारों का जाल बुना हुआ हो (जैसे- जालदार साड़ी); पोत (पु० ) मछलियाँ फँसाने के लिए जालवाला जहाज़ - प्राया (स्त्री०) जिरह-बख़्तर
कवच
जाल - अ० (पु० ) 1 धोखा देने के लिए किसी चीज़ की की गई नकल 2 दस्तखत की नकल। फ़रेब + फ़ा० धोखाधड़ी; ~साज़ + फ़ा० (पु०) जाल करनेवाला, ठग; ~साज़ी + फ़ा० (स्त्री०) 1 जाल करना 2 ठगने, फँसाने की युक्ति 3 नकली दस्तावेज़ बनाना
जालक-सं० (पु० ) 1 जाल 2 झरोखा
जाल-जंजाल - (पु०) झंझट जाल-बंद - हिं० + फ़ा० (पु० ) ऐसी कालीन जिसपर कढ़ी हुई लताएँ एवं बेल-बूटे बने हों जो एक-दूसरे को जाल रूप में काटते हों
जाला - I (पु० ) 1 मकड़ी द्वारा बनाया गया जाल 2 घास, भूसा
जाहिली
आदि बाँधने का जाल 3 आँखों की पुतली पर पड़नेवाली झिल्ली (जैसे- आँखों में जाला पड़ना) II दीवार में बना छोटा रोशनदान, झंझरी
जालाक्ष सं० (पु०) झरोखा, गवाक्ष जालिक-सं० (पु०) 1 रस्सियों आदि का जाल बनानेवाला व्यक्ति 2 बहेलिया 3 बाज़ीगर, इंद्रजालिक 4 मछुआरा 5 ठग, मकड़ा
जालिका -सं० (स्त्री०) 1 जाली 2 पाश, फंदा 3 कवच, जिरह बख्तर 4 मकड़ी 5 केला 6 लोहा
जालिनी -सं० (स्त्री०) 1 कद्दू, तरोई आदि फल 2 परवल की
लता
ज़ालिम - अ० (वि०) 1 अत्याचारी 2 क्रूर ज़ालिमाना-अ० + फ़ा० (वि०) अत्याचारपूर्ण जालिया - [ अ० + हिं० (पु०) जालसाज़ी करनेवाला व्यक्ति,
जालसाज़
जालिया - II बो० (पु०) जाल में मछलियाँ आदि फँसाकर अपनी जीविका चलानेवाला व्यक्ति
जाली - I (स्त्री०) 1 छेद, कटाव (जैसे- साड़ी में चूहे ने जाली कर दी है) 2 जालीदार रचना (जैसे सीमेंट की जाली, लोहे की जाली) 3 कच्चे आम आदि के अंदर के तंतुजाल 4 घास भूसा रखने की डोरी की बनी जालीदार रचना । दार + फ़ा० (वि०) जिसमें जाली बनी हो
जाली - IIअ० (वि०) झूठा एवं नकली (जैसे- जाली सिक्का, जाली हस्ताक्षर ), फर्जी
जाल्प-सं० (वि०) 1 नीच 2 मूर्ख
जाल्मक-सं० (वि०) 1 घृणित 2 नीच
जावक - I (पु० ) 1 अलता 2 मेंहदी II (वि०) जानेवाला जावर - बो० (पु० ) 1 ऊख के रस में पकाई हुई खीर 2 कद्दू के
टुकड़ों के साथ पकाया हुआ चावल
जावित्री - (स्त्री०) जायफल के ऊपर का सुगंधित छिलका जासूस - अ० (पु० ) गुप्तचर, भेदिया जासूसी - I अ० (स्त्री०) 1 जासूस होने की अवस्था, भेदियापन 2 जासूस का काम II (वि०) जासूस संबंधी (जैसे- जासूसी उपन्यास) जाह - फ़ा० (पु० ) 1 पद, पदवी 2 वैभव 3 गौरव, मर्यादा जाहक सं० (पु० ) 1 गिरगिट 2 जोंक 3 घोंघा 4 बिस्तर, बिछौना
ज़ाहिद - अ० (पु० ) संसारिक प्रपंचों आदि से दूर रहकर भगवत् भजन करनेवाला व्यक्ति
+
ज़ाहिर अ० (वि०) 1 जो स्पष्ट रूप से सबके सामने हो 2 प्रकट, ज्ञात, विदित। दार फ़ा० (वि०) प्रकट करनेवाला; दारी + फ़ा० (स्त्री०) दिखावा शिष्टाचार; परस्त + फ़ा० (वि०) दुनियादार; परस्ती (स्त्री०) दुनियादारी
ज़ाहिरा - I अ० ( क्रि० वि०) ऊपर से देखने पर II (वि०) बाहर से दिखाई देनेवाला
ज़ाहिरी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 जो प्रकट हो 2 दिखौआ, बनावटी
जाहिल - अ० (वि० ) 1 निरा अशिक्षित और मूर्ख 2 उजड्ड जाहिली-अ० + फ़ा० (स्त्री०) मूर्खता
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जाही
302
जिप्सम
जाही-(स्त्री०) 1 चमेली की जाति का एक पौधा 2 चमेली जाति | जिज्ञासित-सं० (वि०) 1जिज्ञासा किया हुआ 2 पूछा हुआ के पौधे का फूल
जिज्ञास-सं० (वि०) जिज्ञासा करनेवाला, उत्सुक जाह्नवी-सं० (स्त्री०) जहनु (ऋषि) से उत्पन्न नदी, गंगा | जिज्ञास्य-सं० (वि०) 1जिसके संबंध में जिज्ञासा की जाए जिंक-अं० (स्त्री०) जस्ता
2 जिज्ञासा किए जाने योग्य ज़िंदगानी-फ़ा० (स्त्री०) जिंदगी
जिठानी-(स्त्री०) = जेठानी जिंदगी-फा० (स्त्री०) 1 जीवित रहने की अवस्था, जीवन | जित्-सं० (पु०) जीतनेवाला (जैसे-इंद्रजित्- जितेन्द्रिय)
2 जीवन काल (जैसे-किसी तरह जिंदगी के दिन गुज़र रहे जित-सं० (वि०) 1 जीता हुआ 2 वश में किया हुआ। हैं)। ~में गैत का मज़ा चखना अत्यंत कष्ट भोगना ~मन्यु (वि०) क्रोध को जीतनेवाला; ~लोक (वि०) जिंदा-फा० (वि०) 1जिसमें जीवन हो, जीवित 2 सक्रिय और 1जिसने दुनिया को जीत लिया हो 2 जिसने स्वर्ग को जीत सचेष्ट। दिल (वि०) 1 हँसमुख 2 उत्साही; दिली लिया हो; ~शत्रु (वि०) जिसने शत्रु पर विजय पाई हो
(स्त्री०) 1 हँसमुख होना 2 जिंदादिल होना; बाद जीता रहे जितना-I (वि०) जिस मान, मात्रा में हो (जैसे-जितना चाहो जिंस-अ० (स्त्री०) 1 गल्ला, अनाज 2 असबाब 3 पदार्थ लूट लो) II (क्रि० वि०) जिस मात्रा में 4 वर्ग, किस्म। ~खाना + फा० (पु०) भंडारघर; ~वार जितवाना-(स० क्रि०) दूसरे को विजय दिलाना, दूसरे की जीत + फ़ा० (वि०) वर्ग के अनुसार; ~वारी + फ़ा० (स्त्री०) कराना वर्गीकरण
जितवार-बो० (वि०) 1 जीतनेवाला, विजेता 2 जितेंद्रिय जिउ-बो० (पु०) = जीव
जितवैया-(वि०) विजय प्राप्त करनेवाला जिउकिया-(पु०) 1 विशिष्ट कार्य से जीविका निर्वाह | जितात्मा-सं० (वि०) जितेंद्रिय करनेवाला व्यापारी 2 रोज़गारी
जिताना-(स० क्रि०) 1 जीतने का कारण होना 2 जीतने में जिउतिया-(स्त्री०) = जीवित पुत्रिका
किसी की सहायता करना ज़िक्र-अ० (पु०) 1विवेचनात्मक वर्णन, चर्चा 2 संक्षिप्त | जितारि-सं० (वि०) 1 शत्रुओं को जीतनेवाला 2 मनोविकारों
कथन 3 स्मरण (जैसे-हम लोग आप का ज़िक्र कर रहे थे) | को जीतनेवाला जिगर-फा० (पु०) 1 कलेजा 2 साहस, हिम्मत 3 चित्त, मन । जिताष्टमी-सं० (स्त्री०) जीवित-पुत्रिका सोज़ (वि०) दिल जलानेवाला
जिति-सं० (स्त्री०) जीत, विजय जिगरा-फा० + हिं० बो० (पु०) कठिन काम करने का होंसला जितेंद्रिय-सं० (वि०) जिसने इंद्रियों को अपने वश में कर . जीवट, साहस
लिया हो, संयमी जिगरी-फा० (वि०) 1 दिली, अंतरंग (जैसे-जिगरी दोस्त) जित्वर-सं० (वि०) जीतनेवाला, विजयी 2 जिगर संबंधी
ज़िद-अ० (स्त्री०) 1 हठ 2 दुराग्रह (जैसे-मैं इस तरह की ज़िद जिगीषा-सं० (स्त्री०) 1 जीतने की इच्छा, विजय कामना नहीं मानता) 2 युद्ध करने की इच्छा 3 उद्योग, प्रयत्न
ज़िदियाना-अ० + हिं० 1 (अ० क्रि०) जिद करना II (स० जिगीषु-सं० (वि०) 1 विजय कामी, जीत का इच्छुक 2 युद्ध क्रि०) ज़िद करने में प्रवृत्त करना चाहनेवाला
ज़िद्द-अ० (स्त्री०) बो० = ज़िद जिघत्सु-सं० (वि०) भूखा
ज़िद्दन-अ० (क्रि० वि०) ज़िद करते हुए, हठ करते हुए जिघांसक-सं० (वि०) वध का इच्छुक
ज़िद्दी-अ० (वि०) दुराग्रही जिघांसा-सं० (स्त्री०) वध की इच्छा
जिधर-(क्रि० वि०) जिस तरफ़, जिस तरह जिघांसु-सं० (वि०) = जिघांसक
जिन-(सर्व०) 'जिस' का बहवचन (जैसे-जिनको, जिनसे जिघ्र-सं० (वि०) सूंघनेवाला जिच-(स्त्री०) 1 शतरंज में खेल की ऐसी स्थिति जिसमें | जिन-सं० (पु०) जैनों के तीर्थकर
बादशाह को शह तो न लगे पर उसके चलने को कोई घर न हो जिन-अ० (पु०) भूत-प्रेत। -चढ़ना, सवार होना गुस्से 2 ऐसी स्थिति जहाँ वाद-विवाद में समझौते का कोई रास्ता न | में पागल होना
जिन-अं० (पु०) एक विलायती शराब जिजिया-(स्त्री०) जीजी
ज़िनगी-फा० (स्त्री०) बो० जिंदगी जिज़िया-अ० (पु०) मुगल शासकों द्वारा गैर-मुसलमान प्रजा | | जिना-अ० (पु०) छिनाला, व्यभिचार। कार + फ्रा० पर लगाया जानेवाला कर
(वि०) पर-स्त्री गमन करनेवाला; ~कारी +फा० (स्त्री०); जिजीविषा-सं० (स्त्री०) जीने की चाह
-विज्जन (पु०) पर-स्त्री के बलात् किया जानेवाला संभोग, जिजीविषु-सं० (वि०) जो अधिक समय जीवित रहना चाहता बलात्कार
जिनिस-अ० (स्त्री०) = जिंस जिज्ञासा-सं० (स्त्री०) 1 जानने की इच्छा, ज्ञान की चाह 2 ज्ञान | जिन्नात-अ० (पु०) भूत-प्रेतादि प्राप्ति के लिए उत्सुकता
जिन्हें-(सर्व०) जिनको जिज्ञासाकुल-सं० (वि०) पूछताछ या जानने की चाह से ज़िप-अं० (पु०) चेननुमा एक बंधन व्याकुल
| जिप्सम-अं० (पु०) चूने के सल्फेट का एक खनिज पदार्थ
आदि)
दिखाई दे
हा
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जिप्सी
जिप्सी - अं० (पु०) बंजारा, कंजर, खानाबदोश ज़िबह - अ० (पु० ) गला काटना जिभला बो० (वि०) चटोर, जिह्वालोलुप जिमखाना- अं० + फ़ा० (पु०) सार्वजनिक व्यायामशाला एवं क्रीडास्थल
जिमनार - ( स्त्री०)
भोज
जिमनास्टिक-अं० (पु०) व्यायाम, कसरत जिमाना - (स० क्रि०) भोजन कराना, खिलाना
ज़िम्मा - अ० ( पु० ) 1 संरक्षण का भार 2 कार्य संपादित करने का दायित्व (जैसे- अपने ऊपर किसी कार्य का ज़िम्मा लेना) 3 जवाबदेही, उत्तरदायित्व दार फ़ा० (वि०) ज़िम्मेदार; दारी फ़ा० ज़िम्मेदारी; वार फ़ा० (वि०) ज़िम्मादार; ~वारी + फ़ा० (स्त्री० ) = ज़िम्मादारी ज़िम्मेदार अ० + फ़ा० (पु०) किसी कार्य, बात आदि का दायित्व लेनेवाला व्यक्ति (जैसे वह ज़िम्मेदार व्यक्ति है ) ज़िम्मेदारी -अ० + फ़ा० (स्त्री०) ज़िम्मेदार होने की अवस्था, उत्तरदायित्व का काम (जैसे- ज़िम्मेदारी महसूस करना) ज़िम्मेवार - अ० + फ़ा० (वि०) ज़िम्मेदार ज़िम्मेवारी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) जियान - फ़ा० ( पु० ) 1 नुकसान, हानि 2 आर्थिक हानि, घाटा ज़ियाफ़त - अ० (स्त्री०) 1 मेहमानदारी, आतिथ्य 2 दावत, भोज
ज़िम्मेदारी
+
=
=
303
ज़ियारत - अ० (स्त्री०) 1 साधु-संत, देव प्रतिमा के दर्शनार्थ जाना 2 तीर्थयात्रा । गाह + फ़ा० (पु०) दर्शनीय स्थल,
दरगाह
ज़ियारती + फ़ा० (वि०) 1 ज़ियारत से संबंध रखनेवाला 2 ज़ियारत हेतु कहीं जानेवाला
जिरगा - फ़ा० ( पु० ) 1 मंडली, दल, सामूहिक सभा, सम्मेलन जिरह - अ० ( पु० ) 1 व्यर्थ में किया जानेवाला तर्क 2 न्यायालय
में की जानेवाली पूछ-ताछ (जैसे-जज ने वकील से जिरह की) ज़िरह - फ़ा० (स्त्री०) छाती पर पहना जानेवाला लोहे का जाल । पोश जिरह पहननेवाला व्यक्ति ।
ज़िरही-फ़ा० (वि०) जिसने जिरह पहना हो ज़िराअत-अ० (स्त्री०) खेती, कृषि पेशा + फ़ा० (पु० ) किसान, खेतिहर
ज़िराअती- अ० (वि०) कृषि संबंधी, कृषि का जिराफ - अं० (पु० ) अफ्रीका के जंगलों में पाया जानेवाला
=
हिरन की जाति का एक पशु जिरायत - अ० (स्त्री०) ज़िराअत जिला - अ० (स्त्री०) 1 चमकाने की क्रिया 2 चमक-दमक । कार + फ्रा० (पु०) चमकानेवाला कारीगर
जिला - अ० (पु० ) 1 प्रदेश, प्रांत 2 प्रांत का सबसे बड़ा भाग, जनपद । जज + अं० (पु०) ज़िले का प्रधान न्यायाधिकारी, डिस्ट्रिक्ट जज; ~दार +फ़ा० (पु० ) = ज़िलेदार, दारी फ़ा० (स्त्री०) जिलेदारी; ~ न्यायालय कचहरी; परिषद + सं० (स्त्री०) डिस्ट्रिक्ट बोर्ड; ~पालिका + सं० (स्त्री०), बोर्ड अं० (पु०) ज़िले के निर्वाचित प्रतिनिधियों की संस्था मंडली + सं० (स्त्री०) ज़िले के लोगों द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का संगठन जो ज़िले की शिक्षा, स्वास्थ्य, यातायात आदि की व्यवस्थ
+ सं० (पु० )
+
जिलेवार
करता है; वार फ़ा० (वि०) जिलाधिकारी -अ० + सं० (पु०) कलक्टर जिलाधीश- अ० + सं० (पु०) जिला मजिस्ट्रेट जिलाना - (स० क्रि०) 1 मृत शरीर को पुनः जीवित करना, जीवन देना 2 मरते हुए को मरने से बचाना 3 पालना -पोसना (जैसे- तोता जिलाना )
जिलेटिन - अं० (स्त्री०) सरेस
ज़िलेदार - अ० + फ़ा० (पु० ) 1 जमींदार का कारिंदा जो गाँव का लगान वसूल करे 2 सिंचाई विभाग में कर वसूल करनेवाला अधिकारी
जिह्मग
=
+
S
ज़िलेदारी -अ० + फ़ा० (स्त्री०) ज़िलेदार का काम जिलेवार - अ० फ़ा० ( क्रि० वि०) ज़िले के अनुसार जिल्द - अ० (स्त्री०) 1 काग़ज़, चमड़े आदि से मढ़ी हुई दफ़्ती 2 पुस्तक की प्रति 3 त्वचा । गर फ़ा० ( पु० ) ज़िल्दबंद; ~दार + फ़ा० (वि०) जिसकी जिल्द बँधी हो; बंद फ़ा० (पु० ) किताबों की जिल्द बाँधनेवाला कारीगर बंदी + फ़ा० ~वाला + हिं० (वि०)
+
(स्त्री०) जिल्द बाँधने का काम;
=
जिल्ददार; ~ साज़ + फ़ा०
(पु० ) = जिल्दबंद; ~ साज़ी + फ़ा० (स्त्री० ) = जिल्दबंदी जिल्दी -अ० (वि०) त्वचा संबंधी
=
जिल्लत - अ० (स्त्री०) 1 अपमान, तिरस्कार 2 हीनता, दुर्गति । ~ उठाना अपमानित होना, लज्जित होना जिल्होर- बो० (पु०) अगहनी धान जिव-बो० (पु०) जीव
जिष्णु - I सं० (वि०) विजय प्राप्त करनेवाला, विजयी II (पु० ) विष्णु
जिस - (सर्व०) 'जो' का विकारी रूप एकवचन (जैसे- जिसको, जिसका, जिसने )
जिसिम - अ० ( पु० ) जिसे - ( सर्व०) जिसको जिस्ता - ( पु० ) 1= जस्ता 2 = दस्ता जिस्म - अ० ( पु० ) शरीर, देह, बदन जिस्मानी - अ० (वि०) शारीरिक (जैसे- जिस्मानी ताकत का प्रयोग करना)
ज़िहन - अ० ( पु० ) = जेहन, बुद्धि । खुलना 1 बुद्धि साफ़ होना 2 अक्ल तेज़ होना; में बैठना अच्छी तरह समझ में
आना
जिहनी - अ० (वि०) बौद्धिक, दिमाग़ी
जिहाद - अ० (पु० ) धर्मयुद्ध (जैसे-जिहाद छेड़ना) । ~का झंडा खड़ा करना धर्म के नाम पर लड़ाई छेड़ना, धर्म युद्ध शुरू करना
जिहासा-सं० (स्त्री०) त्याग की इच्छा जिहासु सं० (वि०) त्याग की इच्छा रखनेवाला जिहीर्षा-सं० (स्त्री०) हरण करने की इच्छा जिहीर्षु-सं० (वि०) हरण करने की कामना करनेवाला जिल्हा - I सं० (वि०) 1 टेढ़ा, वक्र 2 क्रूर, निर्दय 3 कपटी, छली 4 दुष्ट, पाजी 5 दुःखी, खिन्न 6 मंद, धीमा II (पु० ) अधर्म । ~ता (स्त्री०) 1 टेढ़ापन 2 घीमापन 3 कुटिलता 4 दुष्टता जिह्मग- I सं० (वि०) 1 टेढ़ी चाल चलनेवाला 2 धीमी चाल चलनेवाला 3 चालबाज़ II ( पु० ) साँप, सर्प
जिस्म, शरीर
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जिति
जिति-सं० (वि०) 1 टेढ़ा 2 घूमा हुआ 3 चकित, विस्मित जिह्मिकृत-सं० (वि०) झुकाया हुआ जिह्नक-सं० (पु०) स्पष्ट न बोल सकने का सन्निपात रोग जिल-सं० (वि०) चटोरा
304
जिला-सं० (स्त्री०) जीभ, रसना । नोक + फ़ा० (स्त्री०) जीभ की नोक या सिरा; पश्च (पु० ) जीभ का पिछला हिस्सा फलक (पु०) पट्टी के रूप में जीभ; ~मल (पु०) जीभ पर जमी मैल भूल (पु० ) जीभ की जड़; ~मूलीय (वि०) जो जिह्वा मूल से उच्चारित हो; (पु० ) जीभ का स्वाद
स्वाद
जिह्वाप्र - I सं० (पु०) जीभ का अगला भाग II (वि०) जो हमेशा जीभ के अगले भाग पर रहे जिका-सं० (स्त्री० ) जीभी
जीना
जाना;
बहलाना चित्त को किसी प्रिय कार्य में लगाना; ~ बिगड़ना 1 जी मतलाना 2 घृणा लगना; बैठ जाना आंतरिक शक्ति का क्षीण हो जाना; ~भर आना दे० 1 जी पानी होना 2 अत्यधिक करुणा होना; ~ भरकर जितना जी चाहे (जैसे जी भरकर सता लो); ~भरना 1 तृप्ति होना, अघाना 2 संतुष्ट होना; भारी होना अनमना होना, तबीयत सुस्त होना; ~ मतलाना कै, वमन की इच्छा होना; आना 1 इच्छा होना; 2 विचार उठना में गड़ना मन में बस जाना; में जलना मन में कुढ़ना में धरना मन में स्थान देना, ध्यान देना; में बसना दिल में समा जाना, सदा याद रहना में बैठना 1 हृदय पर अंकित होना 2 उचित जान पड़ना में रखना 1 याद रखना, ख़याल करना 2 बुरा मानना; लगना दिल लगना; ~लगाना दिल लगाना; ~लरजना कलेजा काँपना; ललचाना 1 प्रबल इच्छा होना 2 लालच पैदा करना; लेना 1 मन टटोलना 2 प्राण लेना; ~लोटना इच्छित वस्तु के लिए दिल का बेचैन हो जाना; --सन्न होना होश उड़ जाना; -से जाना मर जाना; जाना विरक्ति होना, घृणा होना; हलका होना चिंता दूर होना; हाथ में करना, हाथ में रखना किसी को वश में करना, अपने अनुकूल बनाना हारना हिम्मत हारना; ~ हिल जाना दे० जी दहलना जी-II (अ०) 1 नाम, अल्ल, पदवी के साथ प्रयुक्त होनेवाला आदर सूचक शब्द (जैसे-अच्छा गुरु जी, आया पिताजी) 2 बड़ों के प्रति स्वीकृति, समर्थन आदि में प्रयुक्त होनेवाला शब्द (जैसे-जी हाँ, मैं गया था)। हुजूर + अ० (पु० ) हाँ सरकार; ~ हुजूरी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) खुशामद जीजा - (पु० ) बहन का पति, बहनोई जीजी - ( स्त्री०) बड़ी बहन, दीदी
जींगन - (पु० ) = जुगनू
जी - I (पु० ) 1 जान, जीव 2 मन, चित्त, तबीयत 3 जीवट, साहस। जान से + फ़ा० (क्रि० वि०) दिल और जान से ~ आना किसी पर आसक्त होना, आशिक होना; उचटना किसी काम में मन न लगना; ~उड़ा जाना चित्त का उद्विग्न होना, घबराहट होना; उलझना दिल घबराना; ~करना 1 इच्छा होना, दिल चाहना 2 हिम्मत करना; का बुखार निकालना दिल का गुबार निकालना; ~ का बोझ हल्का हो जाना आशंका दूर हो जाना; की अमान माँगना प्राण रक्षा की प्रार्थना करना; की में रहना अरमान का पूरा न होना; ~ की पड़ना दे० जान की पड़ना; की लगी 1 मन की बात 2 मन का दुःख, मनोव्यथा को रोग लगना किसी बात की फ़िक्र करना; को लगना दिल पर चोट पहुँचना, दिल पर असर होना; - खट्टा करना दिल में घृणा भाव पैदा करना, विरक्ति का भाव भर देना; खट्टा होना मन में विरक्ति उत्पन्न हो जाना; खोना 1 जान देना 2 दिल का हाथ में न रहना; खोलकर जी भरकर, यथेष्ट चाहना इच्छा होना; चुराना काम से भागना, जान चुराना; छूटना हिम्मत पस्त होना, हताश होना; छोटा करना उत्साह कम करना; छोड़कर भाग जाना बदहवास होकर भागना;
छोड़ना हिम्मत हारना; जलना 1 संताप होना 2 कुढ़ना; जलाना 1 सताना 2 कुढ़ाना; जान लड़ाना 1 कठिन परिश्रम करना 2 मन लगाकर प्रयत्न करना; जान से 1 पूरे मन से, हृदय से 2 पूरी शक्ति से जान से फ़िदा होना पूर्णतः आशिक होना, तन-मन से प्यार करना; टँगा रहना आशंका बनी रहना; टूट जाना उत्साह न रह जाना, निराश हो जाना; ठंडा होना अभिलाषा पूर्ण होने से मन शांत होना, प्रसन्नता होना; डूबना मन का शिथिल एवं हतोत्साह होना; तरसना इच्छित वस्तु के लिए दिल का बेचैन होना; -दहलना भयभीत होना; दुखाना मन को कष्ट पहुँचाना; ~ देना 1 न्योछावर होना, प्राण देना 2 अत्यधिक प्यार करना; ~धक-धक करना भय से घबराना, दिल धड़कना; ~ निढाल होना चित्त व्याकुल होना; पक जाना कष्ट का असह्य हो जाना; पर आ बनना प्राण पर संकट आना, सुख-शांति का अंत होना; पर खेलना दे० जान पर खेलना पानी होना चित्त का दया से द्रवित होना; फट जाना विरक्त हो जाना; -बँटना ध्यान का दूसरी ओर चला
जीत - (स्त्री०) 1 विजय 2 सफलता, कामयाबी जीत-हार - ( स्त्री०) जय-पराजय
जीतना - (स० क्रि०) 1 विजय प्राप्त करना, विजयी होना 2 सफल होना (जैसे- मुक़दमे में जीतना ) 3 प्राप्त करना (जैसे- पुरस्कार जीतना)
जीता - I (वि०) ज़िंदा, जीवित (जैसे- दीवाल में ज़िंदा चुनवाना)। जागता (वि०) भला-चंगा, सशक्त, सजीव; जीती मक्खी निगलना जान बूझकर ग़लती करना II (वि०) जीता हुआ (जैसे-जीता खेल हार जाना) जीतालू - ( पु० ) अरारोट
जीतोड़ - (वि०) अति कठिन (जैसे-जीतोड़ प्रयास करना ) जीन - (वि०) जीर्ण, क्षीण
जीन-अं० (पु० ) बढ़िया, मज़बूत तथा मोटा सूती कपड़ा ज़ीन -फ़ा० (पु० ) घोड़े आदि की पीठ पर रखने की गद्दी, काठी, चारजामा (जैसे-ज़ीन कसना ) । ~ साज़ (पु० ) ज़ीन बनानेवाला कारीगर
ज़ीनत - अ० (स्त्री०) 1 शोभा 2 सजावट, श्रृंगार जीना - (अ० क्रि०) 1 जीवित रहना, शरीर में प्राण रहना (जैसे रोगी का दवा के बिना जीना मुश्किल है) 2 जीवन के दिन बिताना (जैसे- वृद्धावस्था में जीना मुश्किल हो जाता है) 3 प्रसन्न होना। जी उठना 1 हरा-भरा हो जाना (जैसे-पानी पाते ही पौधे जी उठे) 2 मरते का जी जाना
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ज़ीना
शीना का (पु०) सीढ़ी जीप अं० (स्त्री०) हल्की मोटर गाड़ी + हिं० (स्त्री०) हल्की मोटरगाड़ी जो कच्ची सड़कों पर भी चल सकती है जी बहलाव - ( पु० ) मन बहलाव जीभ - (स्त्री०) 1 रसना, जिह्वा, जुबान 2 जीभ के आकार की चिपटी तथा लंबोतरी कोई वस्तु, निब (जैसे-क़लम की जीभ टूट गई) । ~ चलना 1 तरह-तरह का स्वाद लेने की इच्छा होना 2 कटुतापूर्ण बात कहना; ~ निकालना 1 जुबान बाहर करना 2 दंड देने हेतु जुबान काट लेना; ~हिलाना बोलना जीभी - (स्त्री०) 1 धातु आदि की बनी पतली धनुषाकार पत्ती जिससे ज़बान साफ़ करते हैं 2 जुबान साफ़ करने की क्रिया 3 क़लम की निब
जीमखाना -अं० + फ़ा० (पु०) खेल-कूद का क्लब जीमट - ( पु० ) पेड़-पौधों की शाखा, टहनी आदि के अंदर का
गूदा
जीमना - (स० क्रि०) भोजन करना
जीमूत - I सं० (पु० ) 1 बादल, मेघ 2 पहाड़, पर्वत II ( वि०) पोषण करनेवाला । ~ वाहन (पु० ) इंद्र जीयट - बो० ( पु० ) जीर, जीरक - I सं० ( पु० )
जीवन
=
जीरा II ( वि०) 1 तेज़
चलनेवाला 2 क्षिप्र
जीरा - (पु० ) 1 सुगंधित बीज जो दवा एवं मसाले के रूप में प्रयोग किया जाता है 2 उक्त सुगंधित बीज का पौधा 3 फूलों का सर
जीर्ण-सं० (वि०) 1 फटा-पुराना 2 जर्जर एवं शिथिल (जैसे- जीर्ण पुरुष) 3 क्षय प्राप्त 4 बहुत दिनों का (जैसे- जीर्ण रोग) 5 महत्त्वहीन (जैसे- जीर्ण सिद्धांत) । ज्वर (पु० ) पुराना बुखार; ~ता (स्त्री०) 1 पुरानापन 2 बुढ़ापा; पत्र (पु०) कदंब का वृक्ष; शीर्ण (पु० ) टूटा फूटा, बहुत पुराना, सड़ा-गला; ~संस्कार (पु०) वे संस्कार जो लगभग समाप्त होते जा रहे हों
जीर्णक-सं० (वि०) मुरझाया हुआ, सूखा हुआ जीर्णा - 1 सं० (स्त्री०) काला जीरा II (वि०) वृद्ध एवं जर्जर III (स्त्री०) वृद्ध एवं जर्जर स्त्री
जीर्णोद्धार - सं० ( पु० ) मरम्मत करना, पुरानी इमारत का उद्धार जील - (स्त्री०) धीमी, हल्की आवाज़
जीवंत - सं० (वि०) जीता-जागता, जीवित, प्राणवान् । ता (स्त्री०) प्राणशक्ति, ओज
जीवंतिका - सं० (स्त्री०) अन्य वृक्षों पर रहकर फैलनेवाली
लता
जीव-सं० (पु० ) 1 प्राण, जान 2 जीवन 3 जीवात्मा 4 जीवधारी, प्राणी। कोष (पु०) सूक्ष्म शरीर जो मृत्यु के बाद फल भोगता है; ~जंतु (पु० ) 1 प्राणी 2 छोटे प्राणी; ~ जगत् (पु०) 1 प्राणिसमिष्ट, संसार के समस्त जीव जंतु; जनक (पु० ) जीव का आदि पुरखा; दान (पु० ) 1 क्षमा कर देना, प्राण बचाना 2 किसी मरते प्राणी की रक्षा करना; द्रव्य (पु० ), धातु (स्त्री०) विशिष्ट रासायनिक तत्त्व जिसमें जीवन-शक्ति होती है तथा जो आधुनिक विज्ञान में जीव-जंतु, वनस्पति आदि के भौतिक स्वरूप का मूल आधार माना गया है, प्रोटोप्लाज्म ~धानी (स्त्री०) पृथ्वी
धारी
305
जीवन
(वि०) जीव युक्त, सजीव प्रक्रिया (स्त्री०) जीवन प्रक्रिया; ~ प्रभा (स्त्री०) आत्मा; ~याज (पु० ) ऐसा यज्ञ जिसमें पशुबलि का विधान हो; योनि I (स्त्री०) 1 जीवधारियों की योनि, जीव जंतु का वर्ग 2 सजीव सृष्टि II (पु० ) वह जीव जो इंद्रियों द्वारा ज्ञान प्राप्त करता हो; ~ रसायन (पु० ) जीव विज्ञान और रसायन शास्त्र का योग, सजीव शरीर रचना का रसायन; ~ रसायन शास्त्र ( पु० ) जीव रसायन संबंधी विद्या; रासायनिक (वि०) जीव रसायन से संबंधित; ~ लोक (पु०) भू लोक, पृथ्वी लोक; ~ विज्ञान (पु०) जीव-जंतुओं एवं पौधों की रचना, वर्गीकरण, जीने का ढंग आदि का जिसमें अध्ययन किया जाए, प्राणिशास्त्र (बायलॉजी); विज्ञानात्मक, विज्ञानीय (वि०) जीव विज्ञान संबंधी; ~विद्या (स्त्री) = जीव विज्ञान; ~वृत्ति (स्त्री) 1 जीव का गुण, धर्म, व्यापार 2 जीव-जंतुओं को पालकर चलायी जानेवाली जीविका वैज्ञानिक (वि०) 1 जीव विज्ञान संबंधी 2 जीव विज्ञान का ज्ञाता; ~ शाक (पु० ) मलाया में पाया जानेवाला सुसना नामक साग; ~ शास्त्र (पु० ) जीव विज्ञान; ~ शास्त्रीय (वि०) दे० जीव वैज्ञानिक ~ विज्ञानीय, संक्रमण (पु०) जीव का एक शरीर से दूसरे शरीर में जाना; ~साधन (पु० ) अन्न, धान आदि; ~सुता (स्त्री०) जीवत्पुत्रिका; स्थान (पु० ) मर्मस्थल, हृदय; हत्या (स्त्री०) जीवों को मारना, जीव हिंसा हिंसा (स्त्री०) प्राणि वध
जीवक - सं० (पु० ) 1 जीवधारी, प्राणी 2 सेवक 3 अष्टवर्ग के अन्तर्गत एक औषध जिसे कामोद्दीपक एवं बलवर्द्धक माना गया है
जीवट - ( पु० ) 1 साहस, हिम्मत 2 पराक्रम
जीवड़ा - (पु० ) 1 तुच्छ जीव 2 जीवन 3 जीवट, दम 4 नाई, धोबी आदि की सेवाओं के बदले में दिया जानेवाला अनाज जीवत्-सं० (वि०) जीवित जीवत्तोका - सं० (स्त्री०) वह स्त्री जिसके बच्चे जीवित हों जीवत्पितृक-सं० (पु० ) वह जिसका पिता जीवित हो जीवथ - I सं० ( पु० ) 1 जीवन शक्ति, प्राण 2 बादल, मेघ
II (वि०) 1 दीर्घजीवी 2 धार्मिक, धर्म-निष्ठ
=
जीवन - I सं० ( पु० ) 1 जीता रहना, प्राण धारण 2 जीवित दशा, जिंदगी 3 प्राणी 4 जीविका II (वि०) अत्यधिक प्यारा, परम प्रिय । ~ अवधि (स्त्री०) जीने की आयुः कथा (स्त्री०) जीवन चरित; ~ काल (पु० ) उम्र (की अवधि); क्रम (पु०) जीवन यात्रा, रहन-सहन का ढंग; ~क्षम (वि०) जीने की क्षमता से युक्त; चक्र (पु० ) = जीवन क्रम चरित चरित्र (पु० ) जीवन वृत्तांत, जीवन वृत्त, जीवन - कथा; चर्या (स्त्री०) रहन-सहन का कार्यक्रम; ~ जगत् (पु० ) जीवलोक; ~ तल (पु० ) = जीवन स्तर; ~तत्त्व (पु० ) 1 जीवन का स्वरूप 2 जीवन सार; दर्शन (पु० ) जीवन संबंधी विचार; दाता (पु० ) परमात्मा, ईश्वर दान (पु० ) 1 जान बख़्श देना, ज़िंदा छोड़ देना 2 सेवा में जीवन अर्पित कर देना; दानी (वि०) जीवन दान देनेवाला; दायिनी (स्त्री०) जीवन देनेवाली स्त्री, माँ, माता; ~दायी (वि०) = जीवन दानी; दृष्टि ( स्त्री०) जीवन दर्शन ~ धन (वि०) 1 अत्यंत प्रिय, अत्यधिक प्यारा 2 प्राण
=
=
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जीवन
धारा
=
प्रिय, प्राणाधार धारण (पु० ) जन्म लेना; (स्त्री०) जीवन गति; ध्येय (पु०) जीवन का उद्देश्य; ~ निर्वाह (पु० ) जीवन बसर करना; निर्वाह प्रणाली (स्त्री०) = जीवन चर्या निर्वाह मान (पु० ) जीवन स्तर; ~ निर्वाह संग्राम (पु० ) = जीवन संग्राम; नौका (स्त्री०) जीवन रक्षा हेतु बड़ी नाव के साथ जोड़ी जाने वाली छोटी नौका, नाव, लाइफ बोट पथ (पु० ) जीवन का मार्ग; ~ पद्धति (स्त्री०) 1 जीवन चर्या 2 रहन-सहन का ढंग; पर्यंत ( क्रि० वि०) उम्र भर, जीते जी प्रक्रिया (स्त्री०) जीवन चर्या -प्रद (वि०) जीवन देनेवाला, जीवनदाता ~ प्रभा (स्त्री०) आत्मा; बीमा + फ़ा० (पु०) जीवन पर कोई ख़तरा होने पर कंपनी ज़मानत; बूटी + हिं० (स्त्री०) 1 मरे हुए आदमी को जिलानेवाली कल्पित जड़ी, संजीवनी 2 प्राण प्रिय वस्तु मरण (पु० ) जीना मरना, जिंदगी-मौत; मान (पु० ) जीवन स्तर; ~ मार्ग (पु० ) = जीवन पथ; मुक्त (वि०) जीवन-मरण के बंधन से मुक्त; मूरि + हिं० (स्त्री०) जीवन बूटी; ~यापन (पु० ) जीवन निर्वाह; यापन व्यय (पु० ) जीवन निर्वाह का खर्च, रक्षक, रक्षी (वि०) जीवन की रक्षा करनेवाला; रस (पु० ) जीव धातुः ~लीला (स्त्री०) जीवन के कार्य-कलाप वृत्तांत (पु० ) जीवन - कथा, जीवन-चरित; वृत्ति (स्त्री०) जीवन साधन, जीविका; ~ वृद्धि (स्त्री०) जिंदगी बढ़ जाना; ~ व्यवस्था (स्त्री०) जीवन चर्या
=
=
वृत्त,
=
=
306
+
शक्ति (स्त्री०) जीवन का बल; ~ शास्त्र (पु० ) = जीव विज्ञान; ~शैली (स्त्री०) = जीवन चर्या: ~ श्वास (पु० ) प्राण; संगिनी (स्त्री०) पत्नी; ~संगी (पु० ) पति संग्राम, संघर्ष (पु० ) जीवित बने रहने के लिए किया जानेवाला कठिन प्रयत्न, अपने अस्तित्व को बनाए रखने हेतु किया गया प्रयास; ~संध्या (स्त्री०) बुढ़ापा, सहचर (पु० ) = जीवन संगी; ~सहचरी (स्त्री०) = जीवन संगिनी; ~साथी जीवन संगी; ~ साधन (पु० ) जीने का ज़रिया; (पु० ) रहन-सहन का तौर-तरीक़ा हीन (वि० ) निर्जीव; हेतु (पु० ) जीवन साधन
हिंο
स्तर
=
जीवनक-सं० (पु० ) 1 अन्न 2 आहार जीवनांक -सं० (पु० ) जीवन-मृत्यु के आँकड़े जीवनांत - सं० (पु०) जीवन का अंत, मृत्यु जीवनाघात-सं० (पु०) विष, ज़हर जीवनानंद -सं० (पु०) जीवन का सुख जीवनावस्था-सं० (स्त्री०) 1 जीवन की अवस्था 2 जीने की
उम्र
जीवनावास - I सं० (वि०) जल में रहनेवाला II ( पु० ) 1 शरीर 2 वरुण
जीवनी -सं० + हिं० (स्त्री०) जीवन कथा, जिंदगीनामा जीवनीय - I सं० (वि०) 1 जो जीने योग्य हो, जी सकनेवाला 2 जीवन शक्ति प्रदान करनेवाला 3 स्वयं अपनी जीविका चलानेवाला II ( पु० ) 1 जल 2 दूध जीवनोत्तर -सं० (वि०) जीवन के बाद का जीवनोद्देश्य-सं० (पु० ) = जीवन ध्येय जीवनोपयोगी-सं० (वि०) जीवन के लिए लाभदायक
जीवन साधन
जीवनोपायसं० (पु० ) जीवनोपार्जन -सं० (पु० ) जीविका हेतु धन कमाना जीवनौषध-सं० (स्त्री०) जीवन बूटी, संजीवनी जीवन्मुक्त-सं० (वि०) आत्मज्ञान प्राप्त कर जो सांसारिक बंधनों से मुक्त हो गया हो, मोक्ष जीवन्मृत-सं० (वि०) जो जीवित होने पर भी मरे के समान हो जीवांतक - सं० (वि०) जीव का नाश करनेवाला जीवांतर - I सं० ( क्रि० वि०) जीवन के बाद II ( पु० ) दूसरा
जीवन
जुआ
जीवा - सं० (स्त्री०) 1 एक सिरे से दूसरे सिरे तक जानेवाली सीधी रेखा, ज्या (जैसे- वृत्त की जीवा ) 2 धनुष की डोरी, प्रत्यंचा
जीवाणु -सं० ( पु० ) 1 विकार से उत्पन्न होनेवाले अतिसूक्ष्म जीव जो अनेक रोगों की उत्पत्ति के कारण होते हैं तथा कुछ शरीर के लिए लाभदायक भी होते हैं 2 क्षुद्रतम जीव । त्व (पु० ) = जीवाणु विज्ञान; नाशक, नाशी (वि०) जो रोग उत्पन्न करनेवाले जीवाणुओं का नाश करने में समर्थ हों, रोगजन्य जीवाणुओं को नाश करनेवाला (जैसे-जीवाणु नाशक दवाएँ); ~ विज्ञान (पु०) वह विज्ञान जिसमें जीवाणुओं की उत्पत्ति, विकास आदि का विवेचन होता है; विद (पु०) जीवाणु संबंधी जानकारी रखनेवाला, जीवाणु विज्ञान जाननेवाला; ~हीन (वि०) जीवाणु रहित जीवातु-सं० (पु० ) 1 प्राणदायक औषधि 2 आहार जीवात्मा - सं० ( पु० ) 1 जीव, प्राणियों में रहनेवाली आत्मा 2 हृदय (जैसे- किसी की जीवात्मा को मत सताओ) जीवाधार सं० ( पु० ) हृदय
जीवाशेष, जीवाश्म -सं० ( पु०) मृत जीवों के अवशेष, पुराजीव । ~विज्ञान (पु० ) वह विज्ञान जिसमें पुराजीव एवं उनके मिलने के स्थानों के विषय में अध्ययन किया जाता है; - वैज्ञानिक ( पु०) जीवाश्म विज्ञान का ज्ञाता जीविका सं० (स्त्री०) जीवन निर्वाह का साधन, रोज़ी (जैसे- जीविका अर्जित करना) । वृत्ति (स्त्री०) जीविका
=
का काम
जीविकार्जन -सं० (पु०) रोज़ी कमाना जीविकार्थ-सं० (वि०) रोज़ी-रोटी के लिए जीविकावश-सं० (वि०) जीविका के लिए जीविकोपार्जन-सं० (पु० ) जीविकार्जन जीवित-सं० (वि०) 1 जीता हुआ, जीवन युक्त 2 जो क्रिया रूप में वर्तमान हो (जैसे- भारतीय आर्य भाषाएँ अभी जीवित हैं) । ~ काल जीवन काल; ~क्रिया (स्त्री०) = जीवन क्रिया
=
जीवितावस्था-सं० (स्त्री०) जीवनावस्था जीवितेश - सं० (पु०) जीवन का स्वामी जीवी-सं० (पु० /वि०) 1 जीनेवाला 2 जीविका से अपना निर्वाह करनेवाला (जैसे- श्रमजीवी मज़दूर, शस्त्र जीवी योद्धा) जीवेश-सं० (पु० ) 1 ईश्वर 2 प्रियतम जुंबिश - फा० (स्त्री०) गति, हिलना-डुलना । खाना इधर-उधर होना
जुआँ- (पु०) = जूँ
जुआ - I (पु०) बो० बैलगाड़ी, हल आदि के आगे की लकड़ी
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लड़ाई
जुआर
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जुतिऔवल जो पशुओं के कंधे पर रखी जाती है II (पु०) जाँते की मूठ 1जिल्दबंदी हेतु किताब के जज़ों को सीना 2 किताब की III (पु०) बाजी लगाकर खेला जानेवाला खेल, द्यूत सिलाई (जैसे-जुआ खेलना बुरा काम है)। खाना + फ़ा० (पु०) | जुज़वी-अ० (वि०) 1 बहुत थोड़ा 2 छोटा 3 आंशिक वह स्थान, घर जहाँ जुआ खेला जाता है; चोर (पु०) बहुत । जुझाऊ-(वि०) 1 लड़ाका 2 युद्ध संबंधी (जैसे-जुझाऊ बड़ा ठग, धूर्त; चोरी (स्त्री०) ठगी, धूर्ताई
जहाज़) जुआर-(स्त्री०) = ज्वार, खाद्यान्न की एक किस्म जो खरीफ की जुझारू-I (वि०) योद्धा, लड़ाका, वीर II (पु०) युद्ध, रण,
फसल में बोया जाता है जुआर-भाटा-(पु०) = ज्वार-भाटा
जुट-(पु०) 1 जोड़ा, युग्म 2 अनेक वस्तुओं का समूह जुआरी-(पु०) ऐसा व्यक्ति जिसे जुआ खेलने की लत, आदत | (जैसे-कपड़ों, गहनों आदि का जुट) 3 दल, जत्था हो, जुआ खेलनेवाला
जुटक-सं० (पु०) 1 जटा 2 कबरी, जूड़ा जुई-(स्त्री०) 1 = नँ 2 मटर, सेम आदि फलियों में लगनेवाला जुटना-(अ० क्रि०) 1 जुड़ना, संयुक्त होना, सटना 2 समीप एक छोटा कीड़ा
होना 3 कार्य में योग देना (जैसे-सभी लोग मंदिर निर्माण में जुएबाज़- + फ़ा० (पु०) जुए की लतवाला
जुट गए) 4 एक जगह एकत्र होना (जैसे-लकड़ी, अनाज, जुएबाज़ी- + फ़ा० (स्त्री०) जुआ खेलने की लत पानी आदि जुटना, तमाशा देखनेवालों का जुटना) 5 संभोग जुकाम-अ० (पु०) सरदी-गरमी के योग से होनेवाला एक रोग करना (जैसे-वह कोठे पर जाते ही जुट गया) 6 मयस्सर होना जिसमें नाक से कफ मिश्रित पानी निकलता है तथा सिर में (जैसे-वह दो वक्त की रोटी भी नहीं जुटा पाता) हल्का दर्द होता है, प्रतिश्याय सरदी (जैसे-वह जुकाम से | जुटाना-(स० क्रि०) 1 इकट्ठा करना 2 जोड़ना 3 मिलाना, पीड़ित है)
सटाना जुखना-(अ० क्रि०) जोखा जाना, वज़न होना
जुटाव-(पु०) जुटाने की क्रिया, जमाव जुग-I बो० (पु०) 1 युग (जैसे-जुग जुग जियो मेरे लाल) । जुटिका-सं० (स्त्री०) 1 चोटी, शिखा 2 जूड़ा 3 गुच्छा 2 पीढ़ी (जैसे-अनेक जुगों तक तुम्हारी कीर्ति बनी रहे) जुट्टी-(स्त्री०) 1 पूला 2 गड्डी, थाक II (पु०) 1 एक तरह की दो वस्तुओं का जोड़ा, युग्म 2 चौसर | जुठारना, जुठालना-(स० क्रि०) 1 खाने-पीने की वस्तु को के खेल में दो गोटियों का एक ही घर बैठने की अवस्था खा-पीकर जूठी करना (जैसे-बिल्ली ने दूध जुठार दिया, प्रसाद 3 करघे का डोरा जो ताने के सूतों को अलग-अलग करने के जुठारना) 2 नाम मात्र का ज़रा-सा खाकर छोड़ देना लिए होता है
(जैसे-थाली जुठारना) 3 बहुत कम खाना जुगजुगाना-(अ० क्रि०) टिमटिमाना, रह रहकर चमकना, | जुठिहारा-(पु०) जूठा खानेवाला झिलमिलाना
जुडंगी-(वि०) बहुत ही निकट का संबंधी जुगत-(स्त्री०) 1 तरकीब, युक्ति 2 कौशल
जुड़ना-(अ० क्रि०) 1 जोड़ा जाना, संयुक्त होना 2 इकट्ठा जुगती-(पु०) समझ-बूझकर उत्तम उपाय निकालनेवाला होना, जुटना (जैसे-रोटी-कपड़ा आदि जुड़ना) 3 प्राप्त होना व्यक्ति
4 जोता जाना (जैसे-इक्के में घोड़ा जुड़ना) 5 सम्मिलित होना जुगनी-(स्त्री०) = जुगनूं
(जैसे-मंदिर निर्माण में सभी जुड़े हुए हैं) जुगनू-(पु०) एक प्रसिद्ध कीड़ा जिसके रात में उड़ने पर इसके । जुड़वा-(वि०) 1जिसका जन्म एक साथ या तुरंत आगे-पीछे पिछले भाग से चमक पैदा होती है, खद्योत
हुआ हो 2 जो आपस में एक साथ जुड़े या सटे हों जुगल-(वि०) = युगल
(जैसे-जुड़वाँ फल, जुड़वाँ केले) जुगवना-(स० क्रि०) युक्तिपूर्वक बचाकर रखना
जुड़वाना-(स० क्रि०) 1 मिलवाना. लगवाना 2 जुड़ाना जुगाड़-(पु०) 1 आवश्यक साधन, वस्तु आदि को हाज़िर जुड़ाई-I (स्त्री०) बो० = जोड़ाई II (स्त्री०) 1 शीतलता, करना 2 कठिन कार्य सिद्ध करने की युक्ति
ठंडक 2 तृप्ति III (स० क्रि०) 1 जोड़ने में प्रवृत्त जुगादरी-(वि०) बहुत पुराना
करना जुगाना-(स० क्रि०) जुगवना
जुड़ाना-I (अ० क्रि०) 1 शीतल होना, ठंडा होना 2 तृप्त होना जुगाल-(पु०) दे० जुगाली
II (स० क्रि०) ठंडा करना 2 शांत एवं सुखी करना जुगालना-(अ० क्रि०) पागुर करना
जुड़िया-बो० (वि०) = जुड़वाँ जुगाली-(स्त्री०) गाय, भैंस आदि पशुओं का निगले हुए चारे जुतना-(अ० क्रि०) 1 जोता जाना (जैसे-गाड़ी में या हल में को थोड़ा-थोड़ा निकालकर चबाना, पागुर
बैल जुतना) 2 खेत आदि जोता जाना (जैसे-खेत जुत गया) जगुत-(स्त्री०) = जुगत
3 मनोयोग से काम में लगना (जैसे-वह सारा दिन काम में जुगुप्सन-सं० (पु०) निंदा करना
जुता रहा) जुगुप्सा-सं० (स्त्री०) 1 निंदा, बुराई 2 उपेक्षापूर्वक की जुतवाना-(स० क्रि०) 1 जोतने का काम किसी अन्य से कराना जानेवाली घृणा, बीभत्सा
2 घोड़े, बैल आदि को नधवाना (जैसे-कोल्हू में बैल जुतवाना, उगप्सित-सं० (वि०) 1निदित 2 घृणित
गाड़ी में घोड़े जुतवाना) जुल-अ० (पु०) 1 अंश, भाग 2 छपे हुए काराज़ के सोलह | जुताऊ-(वि०) जोतने लायक पठों का समूह, एक फारम। दी + फ्रा० (स्त्री०) | जतिऔवल-(स्त्री०) जूतों से होनेवाली लड़ाई
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जुतियाना 308
जूता जुतियाना-(स० क्रि०) 1 जूतों से प्रहार करना 2 खरी-खोटी जुलाहा-(पु०) कपड़ा बुननेवाला कारीगर, बुनकर सुनाकर अपमानित एवं लज्जित करना
जुलूस-अ० (पु०) = दे० जलूस जुदा-फा० (वि०) 1 अलग, पृथक् (जैसे-एक-दूसरे से जुदा जुल्फ़-फा०, जुल्फ़ी (स्त्री०) 1 सिर के बाल 2 बालों का पट्टा होना) 2 भिन्न प्रकार का (जैसे-यह जुदा बात है कि वो नहीं जुल्म-अ० (पु०) 1 अत्याचार 2 अन्याय 3 जबरदस्ती आएँगे)
4 अंधेर। ~पसंद + फ़ा० (पु०) जुल्म प्रिय व्यक्ति, जुदाई-फा० (स्त्री०) 1 अलगाव 2 वियोग, बिछोह 3 भिन्नता अत्याचारी; ~ढाना, तोड़ना अत्याचार करना जुदागाना-फा० (अ०) अलग-अलग
जुल्मी-अ० + फ़ा० (वि०) अत्याचार करनेवाला जुद्ध-(पु०) = युद्ध
जुल्लाब-अ० (पु०) = जुलाब जुनटा-अ० (पु०) दल, संघ, गुट
जुवा-I (पु०) = जूआ I जुनून-अ० (पु०) पागलपन, सनक
जुवा-II (पु०) - जूआ III जुनूनी-अ० (वि०) पागल, सनकी
जुवार-(स्त्री०) = ज्वार I जुनूब-अ० (पु०) दक्षिण
जुवारी-(पु०) = जुआरी जुन्हरी-(स्त्री०) ज्वार नामक अन्न
जुस्तजू-फ़ा० (स्त्री०) खोज, तलाश जुन्हाई-(स्त्री०) चंद्रमा का प्रकाश, चाँदनी, चंद्रिका जुहाना-(स० क्रि०) बो० 1 इकट्ठा करना, जुटाना 2 जमाना, जुत-फा० (पु०) जोड़ा, सम संख्या
बैठाना 3 यथास्थान बैठाना, संयोजन करना जुबली-अं० (स्त्री०) 1 उत्सव 2 जयंती (जैसे-फिल्म की
जुहार-(स्त्री०) अभिवादन, प्रणाम गोल्डन जुबली, स्वर्ण जयंती)
जुहारना-I(स० क्रि०) प्रणाम करना जुबान-फ़ा० (स्त्री०) बो० = ज़बान
जुही-(स्त्री०) = जूही जुबानी-फ़ा० (वि०) बो० = ज़बानी
जें-(स्त्री०) सिर के बालों में पसीने एवं मैल से पैदा हो जुमकना-(अ० क्रि०) बो० 1 दृढ़तापूर्वक खड़े रहना, डटना जानेवाला कीड़ा; लाउस (जैसे-जूं पड़ना)। की चाल 2 समीप आना, पास आना
अत्यंत धीमी गति; कानों पर ~ तक न रेंगना स्थिति पर जुमला-I अ० (वि०) कुल, पूरा II (पु०) वाक्य
ध्यान न देना, होश न आना जुमहूर-अ० (पु०) = जमहूर
गंठ-(स्त्री०) बो०, जूंठन (स्त्री०) = जूठन जुमहरियत-अ० (स्त्री०) जनतंत्र
[मुँहाँ-(वि०) जो देखने में सीधा-सादा होने पर भी वास्तव में जुमा-अ० (पु०) शुक्रवार। ~मस्जिद (स्त्री०) वह मस्जिद अत्यंत धूर्त हो. जिसमें शुक्रवार को दोपहर की सामूहिक नमाज पढ़ी जाय,
| जू-वि०) = जी II जामा मस्जिद। जुमा आठ दिन थोड़े दिन, चंद रोज़ जूआ-[ (पु०) = जुआ I जुमेरात-अ० + हिं० (स्त्री०) गुरुवार, बृहस्पतिवार जूआ-II (पु०) = जुआ II जुरअत-अ० (स्त्री०) साहस, हिम्मत
जूआ-III (पु०) = जुआ III खाना + फ़ा०, धर जुरमाना-अ० + फ़ा० (पु०) 1 न्यायालय द्वारा अपराधी को
(पु०) = जुआख़ाना; चोर (पु०) = जुआचोर दिया गया अर्थ-दंड 2 सामान्य रूप से भूल, त्रुटि आदि के जू-जू-(पु०) एक कल्पित जीव, हौआ लिए दिया जानेवाला अर्थ-दंड (जैसे-पुस्तक न लौटाने पर एक जूझ-(स्त्री०) 1 जूझने की क्रिया 2 लड़ाई, युद्ध हफ़्ता बाद जुरमाना देना पड़ेगा) 3 दंड स्वरूप दिया धन | जूझना-(अ० क्रि०) 1 उठा-पटक और हाथापाई करना (जैसे-जुरमाने की रकम)
(जैसे-बदमाशों का आपस में जूझना) 2 तकरार करना, जुरी-(स्त्री०) = जूड़ी
हुज्जत करना जुर्म-अ० (पु०) 1 अपराध (जैसे-चोर ने अपना जुर्म कबूल
जूट-सं० (पु०) जटा, केशजाल किया) 2 भूल, त्रुटि
जूट-अं० (पु०) पटसन। ~उद्योग + सं० (पु०) जूट का जुर्माना-अ० + फ़ा० (पु०) = जुरमाना
व्यवसाय; मिल (स्त्री०) जूट का कारखाना जुर्रत-अ० (स्त्री०) = जुरअत
जूठन-(स्त्री०) खाने-पीने से बची हुई जूठी वस्तु, अवशिष्ट जुर्रा-अ० (पु०) नर बाज़
जूठा-(वि०) 1 जिसे अशुद्ध कर दिया गया हो (जैसे-कुत्ते का जुर्राब-तु० (स्त्री०) मोजा
जूठा खाना) 2 खाने से बचा हुआ, उच्छिष्ट 3 जिसमें कुछ जुल-(पु०) झाँसा, चकमा। -बाज़ + फ़ा० (वि०) धोखा खाया-पीया गया हो (जैसे-जूठा बर्तन) 4 जिसका पहले ही देनेवाला, धोखेबाज़; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) धोखे बाज़ व्यवहार, उपयोग हो चुका हो (जैसे-जूठी बात, जूठी उक्ति, का काम, धोखेबाज़ी
जूठी रचना) जुलना-(स० क्रि०) मेल-मिलाप करना (जैसे-मित्रों से
जूड़ा-(पु०) सिर के बालों को लपेटकर बनाया गया गुच्छा मिलना-जुलना)
जूड़ी-(स्त्री०) जाड़ा देकर आनेवाला ज्वर (जैसे-जूड़ी आना)। जुलम-अ० (पु०) बो० = जुल्म
-ताप + सं० (पु०) जडैया बुखार जुलाई-अं० (स्त्री०) अंग्रेज़ी का सातवाँ महीना, जूलाई
जूता-(पु०) उपानह, पनही, पदत्राण (जैसे-चमड़े का जूता, जुलाब-अ० (पु०) 1 दस्त लानेवाली दवा, रेचक औषधि जूता-चप्पल)। खोर + फा० (वि०) लतखोर, बेहया, 2 रेचन, दस्त (जैसे-जुलाब लगना)
बेशर्म । -उछलना मार-पीट होना; ~उठाना किसी को जूता
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जूती
309 से मारने को तैयार होना; उठाना नीच सेवा करना; | जेंवन-बो० (पु०) 1 भोजन करने की क्रिया 2 भोज्य पदार्थ
खाना 1 जूते से पीटा जाना 2 ज़लील होना; ~गांठना | जेंवना-(स० क्रि०) भोजन करना 1 जूतों की मरम्मत करना 2 नीच काम करना, तुच्छ कार्य | जेंवाना-(स० क्रि०) भोजन कराना करना; चलना = दे० जूता उछलना; चाटना 1 ज़लील | जेट-(स्त्री०) ढेर, समूह खिदमत करना 2 खुशामद करना; ~पड़ना, बरसना जूतों | जेट-अं० (पु०) जेट वायुयान की मार पड़ना; ~मारना 1 जूता से मारना 2 बेइज्ज़त करना, जेटी-अं० (स्त्री०) समुद्र तट पर बना वह स्थान जहाँ से जहाज़ों ज़लील करना 3 मुंहतोड़ जवाब देना; ~लगना 1 अपमानित | पर माल लादा एवं उतारा जाता है, गोदी होना 2 जूता पड़ना; ~लगाना 1 जूते मारना 2 तिरस्कार | जेठंस-(पु०) 1 बड़े भाई का अंश 2 बड़े भाई का बपौती में करना, लताड़ना; जूतों से बात करना 1 जूते लगाना | अपना हिस्सा पाने का हक़, अधिकार 2 अत्यंत अनादरपूर्ण व्यवहार करना, तिरस्कार करना जेठ-I (पु०) पति का बड़ा भाई II बैसाख और आषाढ़ के जूती-(स्त्री०) ज़नाना जूता। कारी (स्त्री०) लगातार जूतों | बीच का महीना की मार; खोर + फ़ा० (वि०) = जूताखोर; छुपाई जेठा-(वि०) 1 वय, उम्र में बड़ा (जैसे-जेठा लड़का) (स्त्री०) 1 विवाह की वह रस्म जिसमें वधू की बहन या सखी वर के जूते छिपा देती है 2 विवाह की रस्म में जूता छिपानेवाली जेठाई-(स्त्री०) 1 जेठापन 2 बड़प्पन, महत्त्व को दिया जानेवाला नेग, धन आदि; पैज़ार + फ़ा० जेठानी-(स्त्री०) पति के बड़े भाई की पत्नी (स्त्री०) 1 परस्पर होनेवाली जूतों की मारपीट 2 लड़ाई-झगड़ा, जेठी-I (वि०) 1 जेठ संबंधी, जेठ मास का 2 जेठ मास में मार-पीट; की नोक पर मारना कुछ न समझना; की होनेवाला II (स्त्री०) 1 जेठ मास का शेषांश जिसमें अगली नोक से कुछ परवाह नहीं; के बराबर न समझना कुछ फसल के लिए ज़मीन जोती जाती है 2 जेठ मास में होनेवाली भी न समझना; गाँठना 1 जूतियों की मरम्मत करना 2 हीन
कपास 3 जेठ में होनेवाला धान। ~मधु + सं० (स्त्री०) कार्य करना; चटखाते फिरना मारा-मारा फिरना; पर मुलेठी रखकर रोटी देना हीन, तुच्छ समझकर अपने पास रखकर | जेठौत बो० (पु०), जेठौता-(पु०) पति के बड़े भाई का पुत्र, खिलाना पिलाना; बगल में दबाना धीरे से खिसक जाना; | जेठ का पुत्र
सिर पर रखना चापलूसी करना; ~सीधी करना नीच जेतव्य-सं० (वि०) जिसे जीता जा सके, जेय सेवा करना
जेता-सं० (वि०) विजयी जूथ-(पु०) = यूथ
जेन-केन-(क्रि० वि०) जैसे-तैसे जून-I (पु०) समय, बेला
जेनरल-अं० (वि०) = जनरल जून-II (पु०) तिनका, तृण
जेना-I बो० (स० क्रि०) = जीमना II (वि०) = जितना जून-III -अं० (पु०) ईसवी सन् का छठा महीना जेनेरेटर-अं० (पु०) = जनरेटर, विद्युत उत्पन्न करनेवाला यंत्र जूना-I (पु०) 1 घास-फूस को बटकर बनाई गई रस्सी जेन्य-सं० (वि०) अभिजात, कुलीन 2 घास-फूस आदि का पूला II (वि०) पुराना
ज़ेप्लिन-अं० (पु०) विशाल युद्धोपयोगी हवाई जहाज़ जूनियर-अं० (वि०) कनिष्ठ, अवर
जेब-फा० (पु०) खीसा, पॉकेट (जैसे-मेरी जेब में सौ रुपए पड़े जूप-1 बो० (पु०) 1 जूआ, द्यूत 2 विवाह के बाद वर-वधू के हैं)। ~कट + हिं० (पु०) बो०, कतरा + हिं० (पु०) जूआ खेलने की एक रीति II (पु०) खंभा, स्तंभ
जेब काटकर पैसे निकाल लेनेवाला व्यक्ति, पाकिटमार; जूरी-(स्त्री०) पूला, गड्डी
खर्च (पु०) 1 निजी खर्च 2 वह रकम जो खुद व्यय करने जूरी-अं० (स्त्री०) पंचों का मंडल, अभिनिर्णायक।। को मिलती है; ~घड़ी + हिं० (स्त्री०) जेब में रखी जानेवाली ~अदालत + अ० (स्त्री०)पंचों की अदालत
घड़ी; ~तराशी (स्त्री०) जेब काटना; के मुताबिक़ होना जूल-अं० (पु०) ऊर्जा का एक मात्रक
शक्ति एवं सामर्थ्य के अनुसार खर्च करना; गरम करना जूलाई-अं० (स्त्री०) ईसवी सन् का सातवाँ महीना रिश्वत देना, घूस देना जूस-I (पु०) 1 दाल, सब्जी को उबालकर निकाला हआ पानी जेब-फ़ा० (स्त्री०) 1 शोभा 2 प्रोत्साहन, बढ़ावा। दार 2 रोगी को दिया जानेवाला हल्का पेय पदार्थ 3 सब्जी आदि | (वि०) शोभायुक्त, सुंदर । का रसा, शोरबा 4 पके फल का रस
ज़ेबरा-अं० (पु०)= जेबरा धारियोंवाला घोड़े जैसा अफ्रीकी पशु जूस-II (वि०) जो गिनती में सम हो। ताक + फ़ा० ज़ेबा-फ़ा० (वि०) फबनेवाला, शोभाजनक (पु०) एक तरह का जूए का खेल जिसमें मुट्ठी में कोडियाँ | जेबी-फ़ा० (वि०) जेब में रखने लायक भरकर उसकी समविषम संख्या पूछी जाती है | जेमन-सं० (पु०) 1 भोजन करना, जीमना 2 ज्योनार जूसी-(स्त्री०) ऊख के रस को उबालकर गाढ़ा करते समय | जेय-I सं० (वि०) जो जीता जा सके II (वि०) जीतनेवाला, उसमें से निकलनेवाली गाढ़ी तल-छट, चोटा
| जेता ब्रही-(स्त्री०) 1 चमेली की तरह का सुगंधित एवं संदर | जेर-(स्त्री०) आँवल (खेड़ी) फूलोंवाला पौधा 2 उक्त पौधे का फूल
ज़ेर-फा० (वि०) 1 पराजित, परास्त 2 वश में किया हुआ जेंटिलमैन-अं० (पु०) 1 सजन, कुलीन, नेक इंसान 2 सभ्य ____ 3 नीचे लाया हुआ। तजवीज़ + अ० (वि०) जिस पर वेश-भूषावाला आदमी, भद्र पुरुष
विचार हो रहा हो, विचाराधीन; पाई (स्त्री०) 1 ज़नाना जूती
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जेल
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2 जूता; बंद (पु०) वह तस्मा जिसका एक सिरा घोड़े की होनेवाला। रसायन (पु.) = जीव रसायन; ~~ रसायनज्ञ मोहरी में और दूसरा तंग में बाँधा जाता है; -बार (वि०) (पु०) जीव रसायन विशेषज्ञ 1 बोझ के नीचे दबा हुआ 2 व्यय आदि के भार से दबा हुआ; जैविक-सं० (वि०) जीव का (जैसे-जैविक क्रियाएँ)।
बारी (स्त्री) 1 ज़ेरबार होना 2 नुकसान 3 परेशानी; रासायनिक (वि०) = जैव रासायनिक ~साये (वि०) आश्रय में रहनेवाला
जैविकी-सं० (स्त्री०) जीवविज्ञान जेल-अं० (पु०) कैदखाना, बंदीगृह। खाना + फ़ा० जैविकीय-सं० (वि०) = जैविक
(पु०) = जेल; ~मुक्त + सं० (वि०) जो कारागार से छोड़ जैसा-(वि०) 1 जिस तरह का (जैसे-आप जैसा चाहो वैसा दिया गया हो; ~मुक्ति + सं० (स्त्री०) जेल से छूटना; करो) 2 समान सदृश (जैसे-आप जैसा आदमी ढूँढ़ने पर भी
~यात्रा + सं० (स्त्री०) जेल जाना; यात्री + सं० (पु०) न मिलेगा) 3 जितना (जैसे-जैसा इसे याद है वैसा किसी को कैदी; ~काटना, ~भोगना कैद की सज़ा भुगतना नहीं)। ~को तैसा जो जैसा है उसके साथ वैसा, तदनुरूप जेलर-अं० (पु०) जेल का अधिकारी, प्रबंधक
तदनुसार; जैसी की तैसी करना शेखी, घमंड चूर करना; जो जेलाटीन-अं० (स्त्री०) बढ़िया, गंधहीन और पारदर्शक सरेस जैसा करेगा वैसा भरेगा कर्म के अनुसार फल मिलेगा जेली-(स्त्री०) घास-भूसा इकट्ठा करने का उपकरण, पाँचा जैसे-(क्रि० वि०) 1 जिस तरह से, जिस प्रकार (जैसे-तुम जैसे जेली-अं० (स्त्री०) फलों का जमा हुआ पाग -फ़िश (पु०) पढ़ोगे वैसे मैं भी पढूँगा) 2 उदाहरणार्थ, यथा जेली के रूप में एक मछली
जों-बो० (अ०) = ज्यों जेवड़ी-(स्त्री०) = जेवरी
जोंक-(स्त्री०) 1 पानी का कीड़ा जो प्राणियों का रक्त चूसता है. जेवना-बो० (स० क्रि०) = जीमना
जलौका 2 चिपकू व्यक्ति जेवनार-(स्त्री०) ज्योनार, प्रीति-भोज, दावत
जोंकी-(स्त्री०) 1 रक्त चूसनेवाला जल जंतु, जल सार्पणी जेवर-फा० (पु०) आभूषण, गहना
2 पशुओं का पानी पीने के साथ पेट में जोंक चले जाने से जेवरा-(पु०) मोटा रस्सा
होनेवाली जलन जेवरात-फा० + अ० (पु०) बहुत से आभूषण जोंधरी-(स्त्री०) एक तरह की छोटे दानोंवाली ज्वार जेवरी-(स्त्री०) रस्सी
जो-I (सर्व०) संबंधवाचक सर्वनाम (जैसे-जो लड़का कल जेष्ठ-I (पु०) जेठ मास II (वि०) वय, उम्र में बड़ा मेरे पास आया था वह बदमाश था) II (वि०) जेह-(स्त्री०) 1 धनुष की डोरी का वह अंश जो खींचकर लक्ष्य, __ अनिश्चयवाचक विशेषण (जैसे-जो बात कहना चाहते हो निशाने की सीध में रखा जाता है, कमान का चिल्ला 2 दीवार कहो) III (अ०) यदि, अगर के नीचेवाले भाग में होनेवाला मोटा पलस्तर
जोख-(स्त्री०) तौल जेहड़-(स्त्री०) एक के ऊपर एक करके रखे गए जलपूरित घड़े जोखना-(स० क्रि०) 1 वजन करना, तौलना 2 अच्छा-बुरा जेहन-अ० (पु०) = ज़िहन। दार + फा० (वि०) तेज़ समझना बुद्धिवाला
जोखम-बो० (स्त्री०) = जोखिम जेहनी-अ० (वि०) = ज़िहनी
जोखा-(पु०) 1 तौलने की क्रिया 2 अच्छी तरह समझकर ठीक जेहाद-अ० (पु०) = जिहाद
करने की क्रिया (जैसे-लेखा-जोखा रखना) जेहन-अ० (पु०) = ज़िहन
जोखिम-(स्त्री०) 1 हानि, अनिष्ट, घाटे की संभावना 2 ख़तरा, जै-(स्त्री०) = जय
संकट (जैसे-जान जोखिम में डालना) जैक-अं० (पु०) भारी वस्तु को उठाने का उपकरण। ~फूट जोखिमी-(वि०) जोखिम का (जैसे-जोखिमी माल) (पु०) कटहल
जोखुआ-I (पु०) माल जोखनेवाला, तौलनेवाला II (वि०) जैतून-अ० (पु.) एक सदाबहार वृक्ष जिसके फल दवा के तौला हुआ, जोखा हुआ काम आते हैं (जैसे-जैतून का तेल)
जोखों-(स्त्री०) = जोखिम जैतूनी-अ० (वि०) जैतून संबंधी
जोग-I (पु०) 1 जादू-टोना 2 कन्या एवं वर दोनों पक्षों में जैत्र-सं० (पु०) विजेता, विजयी
विवाह से पहले गाया जानेवाला गीत 3 दे० - जोड़ जैन-सं० (पु०) 1 अनीश्वरवादी धार्मिक संप्रदाय 2 उक्त | II (वि०) = 1 योग्य 2 संयोग 3 वैराग्य 4 योग संप्रदाय का व्यक्ति। ~मत (पु०) अनीश्वरवादी धार्मिक | जोगड़ा-(पु०) 1 जोगी 2 बनावटी योगी संप्रदाय के विचार एवं सिद्धांत; ~मतावलंबी (पु०) जैनमत | जोगिन, जोगिनी-(स्त्री०) 1विरक्त स्त्री 2 योगियों के समान का अनुयायी
संयमपूर्वक रहनेवाली स्त्री जैनी-I सं० + हिं० (वि०) 1 जैन धर्म संबंधी 2 जैनियों का | जोगिया-I (वि०) 1 जोगी जैसा 2 गेरुआ, गैरिक II (पु०)
II (पु०) जैन धर्म को माननेवाला व्यक्ति, जैन धर्मावलंबी | गेरू के रंग की तरह का लाल रंग जैम-अं० (पु०) मुरब्बा
जोगी-(पु०) 1 नाथपंथी कनफटा साधु 2 योगी जैल-अ० (पु०) 1 आगा, दामन 2 नीचे की ओर का भाग | जोगीड़ा-(पु०) 1 होली के समय गाया जानेवाला गँवारू गाना
3 समुदाय 4 इलाका, भू भाग। ~दार + फ़ा० (पु०) = 2 गवारू गाना गानेवालों का दल । ज़िलेदार
| जोड़-(पु०) 1दो वस्तुओं का आपस में मिला होना, सटा होना जैव-सं० (वि०) 1 जीव संबंधी, जीव का 2 जीवों से उत्पन्न | 2 दो या दो से अधिक वस्तुओं के मिलने का स्थान, संधिस्थल
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जोड़न
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3 वह अंग जो किसी अन्य वस्तु के साथ जोड़ा गया हो 4 दो वस्तुओं के संधि स्थल का चिह्न (जैसे-कुरसी के हत्थे में का जोड़) 5 ऐसा संयोग, मिलान जो अच्छा लगे (जैसे- वर-कन्या का जोड़ सराहनीय है) 6 समानता (जैसे तुम्हारा उनके साथ कुछ जोड़ नहीं बैठता) 7 जोड़ने की क्रिया 8 ग० दो या दो से अधिक संख्याओं को जोड़ने की क्रिया 9 जोड़ने से प्राप्त होनेवाली संख्या (जैसे- तीन और दो का जोड़ पाँच होता है) 10 धन आदि का संचय, संग्रह 11 दे० जोड़ा (जैसे-दो पहलवानों का जोड़) । ~तोड़ (पु० ) 1 जोड़ने-तोड़ने की क्रिया 2 दाँव-पेंच से मिली हुई कारर्रवाई; पत्र + सं० (पु० ) (साथ में) जोड़ी गई चिट्ठी
=
जोड़न- ( पु० ) = जामन
जोड़ना - (स० क्रि० ) 1 अच्छी तरह दृढ़तापूर्वक मिलाना (जैसे- लकड़ी के तरने और पाये जोड़कर मेज़ बनाना, कपड़ों के टुकड़ों को जोड़कर मेज़पोश बन्गना) 2 बैठाना, लगाना (जैसे-पैर की हड्डी जोड़ना) 3 यथास्थान बैठाना (जैसे- छापे के अक्षर जोड़ना) 4 संग्रहीत करना, संचय करना (जैसे-धन-संपत्ति जोड़ना) 5 ग० संख्याओं का योगफल प्रस्तुत करना 6 उपयुक्त क्रम से लगाना (जैसे-शब्द जोड़कर वाक्य बनाना) 7 संबंध स्थापित करना (जैसे-मित्रता जोड़ना) 8 वृद्धि करना, बढ़ाना (जैसे- शिकायत करते हुए उसने दो-चार बातें और भी जोड़ दीं ) जोड़वा-बो० (वि०) जुड़वाँ जोड़वाना - (स० क्रि०) जोड़ने का काम अन्य से कराना जोड़ा - (पु० ) 1 एक साथ दो व्यक्ति 2 एक साथ दो वस्तुएँ
(जैसे- धोतियों का जोड़ा, कंगन का जोड़ा) 3 एक साथ पहने जानेवाले दो या दो से ज़्यादा कपड़े, जोड़ 4 एक ही प्रकार के पशु-पक्षियों, जीवों आदि के नर एवं मादा का युग्म (जैसे- पति-पत्नी का जोड़ा, शेर शेरनी का जोड़ा)। जामा + फ़ा० (पु० ) 1 पूरी पोशाक 2 दूल्हा का वेश जोड़ाई - (स्त्री०) 1 जोड़ने की क्रिया 2 जोड़ने की मज़दूरी 3 ईंट आदि जोड़ने की क्रिया 4 ईंट आदि जोड़ने के बदले दिया जानेवाला पारिश्रमिक
=
जोड़ी - (स्त्री०) 1 साथ-साथ रहनेवाले जीवों के नर एवं मादा की सामूहिक संज्ञा (जैसे- पति-पत्नी की जोड़ी सुंदर है) 2 एक साथ जोते जानेवाले दो बैल 3 दो घोड़ों की गाड़ी, बग्घी 4 समान गुण, आकार एवं धर्मवाली दो वस्तुएँ (जैसे-मुगदरों की जोड़ी) 5 मंजीरा 6 दे० जोड़। दार + फ्रा० [ (पु०) बराबरी करनेवाला व्यक्ति II (वि०) मुकाबले का; ~वाल ( पु० ) गायक दल के साथ मंजीरा बजानेवाला बोडू - (वि०) जोड़-जोड़ कर (धन) रखनेवाला
=
जोत - I (स्त्री०) 1 जोतने की क्रिया 2 काश्त 3 उतनी भूमि जितनी एक काश्तकार जोतता है 4 चमड़े आदि की लंबी पट्टियाँ जो घोड़ों, बैलों आदि के पावों में उनकी गर्दन से इक्के-गाड़ी, हल तक बाँधी जाती हैं 5 तराजू की रस्सी जिसमें पलड़े लटकते हैं। दार फ़ा० (पु० ) काश्तकार जोत - II ( स्त्री०) ज्योति, प्रकाश जोतना - (स० क्रि०) 1 नाँधना, बाँधना (जैसे-बग्घी में घोड़े जोतना) 2 हल से ज़मीन को चीरना (जैसे-खेत जोतना) 3 इच्छा के विरुद्ध काम में लगाना
+
ज़ोर
जोतनी- (स्त्री०) जोतते समय पशु के गले में बाँधने की रस्सी जोतांत - ( स्त्री०) खेत की मिट्टी की ऊपरी तह जोता - I (पु०) जुआठे में बँधी हुई रस्सी जिसमें जोते जानेवाले बैल की गर्दन फँसायी जाती है II (वि०) जोतनेवाला जोताई - ( स्त्री०) 1 जोतने की क्रिया 2 जोतने की मज़दूरी। ~बोवाई (स्त्री०) जोतने बोने का काम जोताना - (स० क्रि०) जोतने का काम कराना जोति-बो० (स्त्री०) जोती बोई जा सकनेवाली भूमि जोतिहा - ( पु० ) 1 खेत जोतनेवाला मज़दूर 2 कृषक, खेतिहर जोति - (स्त्री०) 1 लगाम, रास 2 चक्की की कीली और हत्थे में बँधी रहनेवाली रस्सी 3 तराजू की वह रस्सी जिसमें उसके पल्ले बँधे होते हैं 4 खेत सींचने की दौरी में बँधी रस्सी जोधा - (पु० ) योद्धा
ज़ोन - टिकट-अं० (पु०) एक क्षेत्र में यात्रा करने का टिकट जोन्ह, जोन्हाई - (स्त्री०) चाँदनी, चंद्रिका, ज्योत्स्ना जोफ़ - अ० (पु०) 1 वृद्धावस्था, बुढ़ापा 2 शारीरिक दुर्बलता, कमज़ोरी
जोबन - ( पु० ) 1 यौवन 2 युवावस्था में लावण्य एवं सौंदर्य मिश्रित शारीरिक गठन 3 यौवन जनित सुंदरता 4 उभरती एवं खिलती जवानी 5 स्त्रियों के कुच, स्तन, उरोज उतरना जवानी ढलना; पर आना पूर्ण यौवनावस्था प्राप्त होना; .~ लूटना स्त्री के साथ भोग-विलास करना
जोम - अ० (पु० ) 1 उमंग, उत्साह 2 आवेश, जोश 3 शक्ति आदि का अभिमान, घमंड
ज़ोर - I फ़ा० ( पु० ) 1 शारीरिक ताकत बल, शक्ति 2 दृढ़ता, ओज, उत्साह (जैसे-ज़ोर-शोर से काम करना) 3 आर्थिक, मानसिक, शारीरिक किसी प्रकार की योग्यता (जैसे- धन-दौलत का जोर, विद्या का ज़ोर, भुजाओं का जोर) 4 प्रबलता (जैसे तपेदिक का ज़ोर ) 5 वेग, तेज़ी, प्रचंडता (जैसे- हवा का ज़ोर नदी की धाराओं का ज़ोर) 6 रचना कौशल में विशेष दक्षता, योग्यता (जैसे-क़लम का ज़ोर ) 7 अनुभूति, तर्क आदि की शक्ति (जैसे-ज़ोर की बात कहना) 8 सहारा, साधन (जैसे-किसके ज़ोर पर इतना गुमान करते हो) 9 उत्कर्ष, वृद्धि की होनेवाली प्रवृति 10 अधिकार, वश (जैसे- दुष्टों पर किसका ज़ोर चलता है) 11 अधिक काम करने से होनेवाला हानिकारक परिणाम (जैसे-अधिक पढ़ने से आँखों पर ज़ोर पड़ना) II ( क्रि० वि०) कार्य, फल आदि के विचार से असाधारण तेज़, बहुत अधिक, काफी खूब । ~आज़माई (स्त्री०) बल परीक्षा; ज़बरदस्ती (स्त्री०) ज्यादती; जुल्म + अ० (पु० ) अन्याय, अत्याचार; दार (वि०) ताकतवर, ताकतवाला; शोर (पु० ) 1 उग्रता, तेज़ी 2 प्रबलता 3 जोश; -आज़माना बल परीक्षा करना, मुकाबला करना; ~करना 1 बल लगाना 2 कोशिश करना;
चलना वश चलना डालना दबाव डालना, आग्रह करना; ~दिखाना शक्ति, अधिकार का परिचय देना, -देकर आग्रहपूर्वक, दृढ़ता के साथ देना 1 सहारा देना 2 आग्रह करना 3 बोझ डालना; पकड़ना 1 बल प्राप्त करना 2 बढ़ना; पर होना बाढ़ पर होना, प्रबल होना; बाँधना बल प्राप्त करना; मारना 1 बहुत ज़ोर लगाना 2 बहुत कोशिश करना; ज़ोरों से बहुत आग्रह के साथ
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जोरन
जोरन-बो० (स्त्री०) = जामन जोराजोरी - I फ़ा० (स्त्री०)
=
बलपूर्वक बलात् जोरावर - फ़ा० (वि०) बलवान्, शक्तिशाली जोरावरी-फ़ा० बलवान् होने की अवस्था 2 ज़बरदस्ती, धींगा-धींगी
जोरू - (स्त्री०) भार्या, स्त्री, पत्नी । जाँता (पु० ) पत्नी एवं घर-बार । ~ का गुलाम जो पत्नी के वश में हो, स्त्री भक्त जोली - (वि०) संगी-साथी
ज्ञानद
=
जौहड़ - बो० ( पु० ) 1 वह गड्ढा जिसमें बरसाती जल जमा होता ज़बरदस्ती II ( क्रि० वि०) 2 छोटा तालाब जौहर - (पु० ) जुहार I जौहर - I अ० (पु० ) आत्म-सम्मान की रक्षा हेतु (स्त्रियों द्वारा ) की जानेवाली आत्महत्या II ( पु० ) 1 बहुमूल्य पत्थर, रत्न 2 गुणवत्ता (जैसे-विकट परिस्थितियों में आदमी का जौहर देखा जा सकता है) 3 तलवार की बारीक धारियाँ जिससे लोहे की उत्तमता का पता चलता 4 उत्तमता, श्रेष्ठता 5 रत्न
6 राजपूत स्त्रियों का सती होना जौहरी - अ० ( पु० ) 1 बहुमूल्य रत्न परखने एवं बेचनेवाला व्यापारी 2 काम, चीज़ के गुण-दोष आदि को अच्छी तरह जानने एवं समझनेवाला व्यक्ति, पारखी (जैसे-शब्दों का जौहरी)
+
जोश - फ़ा० (पु० ) 1 उत्तेजना, गर्मी, उत्साह (जैसे-जोश में आकर काम कर डालना) 2 आवेश, रोष 3 उबाल, उफान । ~ खरोश (पु० ) अत्यंत उत्सुकतापूर्ण आवेश पूर्ण सं० (वि०) उत्साह से भरा हुआ; खून का जोश कुल, परिवार, वंश के किसी मनुष्य के प्रति होनेवाला प्रेम का प्रबल वेग
जोशन - फ़ा० ( पु० ) 1 बाँह पर पहने जानेवाला एक प्रकार गहना 2 कवच, जिरह बख्तर
=
312
जोशाँदा - फ़ा० (पु० ) जड़ी-बूटियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा 2 काढ़ा बनाने के लिए एक में मिलाई गई जड़ी-बूटियाँ जोशी - (पु० ) जोषी जोशीला - फा० + हिं० (वि०) जोश में भरा हुआ, ओजपूर्ण
(जैसे-जोशीला भाषण, जोशीला चेहरा )
जोष, जोषण-सं० (पु० ) प्रेम, प्रीति जोषा, जोषिता-सं० (स्त्री०) दे० योषिता (शुद्ध) जोषी - (पु० ) दे० ज्योतिषी जोह - (स्त्री०) 1 प्रतीक्षा 2 खोज, तलाश जोहड़ - ( पु० ) कच्चा तालाब
जोहना - (स० क्रि०) 1 ध्यान पूर्वक देखना 2 तलाश करना, खोजना 3 प्रतीक्षा करना
जौर - (पु० ) अत्याचार जौशन - अ० (पु० )
ज़ोहरा - अ० (स्त्री०) शुक्र ग्रह जोहार-बो० (स्त्री०)
= जुहार II
जोहारना - बो० (अ० क्रि०) जुहारना, नमस्कार करना जोहारी - (स्त्री०) सलाम, नमस्कार
जौंकना - (स० क्रि०) 1 रोष जतलाते हुए ऊँचे स्वर में बोलना 2 यकायक बहुत ज़ोर से चिल्ला उठना जौंरा - भौंरा - I खज़ाना रखने का तहख़ाना जौरा - भौंरा - II ( पु० ) 1 एक साथ पैदा होनेवाले दो बालक 2 प्रायः एक साथ रहनेवाले दो व्यक्ति
=
जौ - ( पु० ) 1 गेहूँ जैसा एक प्रसिद्ध पौधा जिसके दानों को पीसकर रोटी बनाई जाती है 2 उक्त पौधे का दाना (जैसे-जौ का आटा) । ~ केराई (स्त्री०) मटर मिला जौ जौक़ - अ० ( पु० ) 1 सेना, फ़ौज 2 जत्था, समूह जौक़-अ० (पु० ) वस्तु से प्राप्त होनेवाला सुख, आनंद जौजा- अ० (स्त्री०) जोरू, पत्नी जौतुक - (पु० ) यौतुक जौनाल - ( स्त्री०) 1 जौ के पौधे का डंठल और बाल 2 वह भूमि जिसमें जौ बोया जाय 3 वह खेत जिसमें रवि की कोई फसल पैदा हो
=
जोशन
ज्ञ-सं० (वि०) जाननेवाला (जैसे- विशेषज्ञ, अल्पज्ञ ) ज्ञपित, ज्ञप्त-सं० (वि०) 1 जाना हुआ, ज्ञात 2 जतलाया हुआ, बतलाया हुआ
ज्ञप्ति - सं० (स्त्री०) 1 सूचना 2 जानी - जनाई हुई बात ज्ञात-सं० (वि०) जाना हुआ, विदित (जैसे- मुझे ज्ञात है कि वह चोर है ) यौवना (स्त्री०) नायिका जिसे अपने यौवनारंभ का एहसास हो
ज्ञातव्य-सं० (वि०) 1 जानने योग्य 2 जो जाना जा सके, बोधगम्य 3 जिसकी जानकारी आवश्यक हो ज्ञाता-सं० (वि०) जानकार
ज्ञाति-सं० (पु० ) एक ही गोत्र में उत्पन्न मनुष्य, गोती ज्ञान-सं० ( पु० ) 1 बोध, जानना, जानकारी 2 विद्या 3 पदार्थ को ग्रहण करनेवाली मन की वृत्ति 4 आत्म साक्षात्कार । ~कृत (वि०) जो जान बूझकर तथा सचेत अवस्था में किया गया हो; कोश, कोष (पु० ) ऐसा कोश जिसमें ज्ञातव्य विषयों का विवरण दिया गया हो; गम्य (वि०) जिसका ज्ञान प्राप्त किया जा सकता हो; गोचर (वि०) जो ज्ञान के द्वारा जाना जा सके; चक्षु I (पु० ) अंतर्दृष्टि II (वि०) ज्ञान दृष्टि रखनेवाला, विद्वान दाता I (वि०) ज्ञान देनेवाला II ( पु० ) गुरु; -दात्री (स्त्री०) सरस्वती; ~ निधि (स्त्री०) ज्ञान रूप संपत्ति पति (पु०) 1 परमेश्वर 2 गुरु; ~ पिपासा ( स्त्री०) ज्ञान की इच्छा; ~ पिपासु (वि०) जो ज्ञान का इच्छुक हो; पीठ (पु० ) विद्या केंद्र पूर्वक (वि०) = ज्ञानतः मंदिर (पु० ) = ज्ञान संस्थान; मीमांसा (स्त्री०) ज्ञान का विवेचन; ~ मूलक (वि०) = ज्ञानाश्रयी; ~युक्त (वि०) जो ज्ञानी हो; ~ योग (पु० ) शुद्ध ज्ञान की प्राप्ति; ~लिप्सा (स्त्री०) = ज्ञान पिपासा; ~वर्द्धक (वि०) ज्ञान में वृद्धि करनेवाला; -वर्द्धकता (स्त्री०) ज्ञान बढ़ाना; ~वान् (वि०) 1 जो बहुत जानकर हो 2 योग्य एवं समझदार; ~विज्ञान (पु० ) ज्ञान और विज्ञान; ~ विस्तार ( पु० ) ज्ञान का फैलाव; ~ वृद्ध (वि०) ज्ञान के कारण बड़ा, विद्या-वृद्ध; वृद्धि (स्त्री०) ज्ञान की बढ़ोत्तरी, शून्य (वि०) नासमझ, मूर्ख; ~ साधन (पु० ) 1 इंद्रियाँ जो ज्ञान देती हैं 2 ज्ञान प्राप्त करने का प्रयत्न
ज्ञानतः सं० (अ०) जानते हुए, ज्ञानपूर्वक, जान-बूझकर ज्ञानद-सं० (पु० ) ज्ञानदाता
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ज्ञानमय
ज्ञानमय - I सं० (वि०) ज्ञान से भरा हुआ, ज्ञान युक्त II (पु० ) ईश्वर
ज्ञानात्मक-सं० (वि०) ज्ञान संबंधी
=
ज्ञानोपलब्धि
ज्ञानार्जन-सं० (पु० ) ज्ञानालय-सं० (पु० ) = ज्ञान का घर या संस्थान ज्ञानावरण-सं० (पु०) ज्ञान प्राप्ति में बाधक पापकर्म ज्ञानाश्रयी-सं० (वि०) 1 ज्ञान पर आश्रित 2 ज्ञान संबंधी ज्ञानी - I सं० (वि०) 1 जो जानकार हो 2 योग्य एवं समझदार II (पु० ) 1 दैवज्ञ 2 ऋषि
ज्ञानेंद्रिय सं० (स्त्री०) विषयों का ज्ञान करानेवाली इंद्रियाँ (जैसे- आँख, कान, नाक, जीभ एवं त्वचा ज्ञानेंद्रियाँ हैं) ज्ञानोदधि-सं० ( पु० ) = ज्ञान-निधि ज्ञानोदीप्ति-सं० (स्त्री०) ज्ञान का प्रकाश
ज्ञानोपदेश-सं० (५०) ज्ञान का उपदेश ज्ञानोपलब्धि-सं० (स्त्री०) ज्ञान प्राप्त करना ज्ञाप सं० ( पु० ) जताना
ज्ञापक-सं० (वि० ) 1 ज्ञान प्राप्त करानेवाला 2 परिचय देनेवाला 3 सूचक
ज्ञापन सं० (पु० ) 1 जताना, बताना 2 प्रकट करना 3 याद दिलाने का परिपत्र, मेमेरेिंडम पत्र (पु० ) स्मरण पत्र ज्ञापित-सं० (वि०) जतलाया, बतलाया हुआ ज्ञाप्य सं० (वि०) ज्ञापन योग्य
ज्ञेय-सं० (वि०) 1 जो जानने योग्य हो 2 जो जाना जा सके ज्या सं० (स्त्री०) 1 चाप के सिरों को मिलानेवाली सीधी रेखा 2 वृत्त का व्यास 3 धनुष की डोरी, प्रत्यंचा
ज्यादती - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 ज़बरदस्ती 2 अत्याचार, जुल्म 3 अधिकता
ज़्यादा - अ० (वि०) 1 आवश्यकता से अधिक, अतिरिक्त (जैसे- ज़्यादा बात करना मूर्खता है). 2 बहुत अधिक (जैसे- निकम्मी औरतें ज्यादा बातें करती हैं) ज्यादातर -अ० फ़ा० (वि०) अधिकतर ज्याफ़त - अ० (स्त्री०) दावत, भोज ज्या-मिति-सं० (स्त्री०) रेखागणित, ज्यामेट्री ज्यामितिक-सं० (वि०) रेखागणित से संबंधित ज्यामेट्री -अं० (स्त्री०) ज्यामिति
ज्यू- अ० बो० = ज्यों ज्यूरी-अं० (स्त्री०) जुरी II ज्येष्ठ - I सं० (वि०) 1 सबसे बड़ा (जैसे- ज्येष्ठ पुत्र) 2 श्रेष्ठ (पु० ) 1 बड़ा भाई 2 जेठ का महीना । ता (स्त्री०) 1 बड़प्पन, श्रेष्ठता 2 बड़े होने की अवस्था ज्येष्ठक - सं० ( पु० ) नगर का प्रधान अधिकारी ज्येष्ठा-सं० (स्त्री०) 1 एक नक्षत्र 2 पति की सर्वाधिक प्रिय पत्नी 3 सब से बड़ी उँगली ज्येष्ठी -सं० (स्त्री०) छिपकली ज्यों- (अ० ) 1 जिस प्रकार, जिस तरह (जैसे-ज्यों चाहा काम कर दिया) 2 जिस क्षण, जिस पल (जैसे-ज्यों ही मैं पहुँचा वह भाग गया)
ज्योति - सं० (स्त्री०) प्रकाश, रोशनी
ज्योतित-सं० (वि०) प्रकाशित
ज्योतिमान् -सं० (वि०)
ज्योतिष्मान
+
313
=
=
=
ज्वलन
ज्योतिमंडल - सं० ( पु०) आकाश में स्थित तारों, नक्षत्रों आदि का मंडल
ज्योतिष
ज्योतिर्मय - सं० (वि०) जगमगाता हुआ, अत्यंत प्रकाशमान् ज्योतिर्विज्ञान-सं० (पु० ) ज्योतिर्विद-सं० (पु० ) ज्योतिर्विद्या-सं० (स्त्री०) ज्योतिश्चक्र-सं० (पु० ) ज्योतिश्चुंबी -सं० (वि०) चूमनेवाला, गगनचुंबी ज्योतिष -सं० (पु० ) 1 ग्रह, नक्षत्रों की गति, स्थिति आदि का विचार करनेवाला शास्त्र 2 ग्रह, नक्षत्रों आदि के शुभाशुभ फल बतानेवाला शास्त्र । - शास्त्र ( पु० ) वह विद्या जिसके अंतर्गत ग्रह, नक्षत्र का सम्यक ज्ञान किया जाय ज्योतिषाचार्य-सं० (पु० ) ज्योतिष का ज्ञाता ज्योतिषिक-सं० (वि०) ज्योतिष से संबंध रखनेवाला ज्योतिषी - I सं० ( पु० ) 1 ज्योतिष शास्त्र का विद्वान, दैवज्ञ 2 आधुनिक फलित ज्योतिष का ज्ञाता जो ग्रहों की गतिविधियों के अनुसार भविष्यवाणी करता है एवं पर्व आदि का समय स्थिर करता है II (स्त्री०) तारा ज्योतिष्क-सं० (पु० ) 1 ग्रह, तारे, नक्षत्र आदि आकाश में रहनेवाले पिंड 2 देवताओं का वर्ग
=
=
ज्योतिषी
ज्योतिष ज्योतिमंडल
आकाश स्थित ज्योति को
ज्योतिष्पिंड-सं० (पु० ) नक्षत्र, तारा, ग्रह ज्योतिष्मान् - I सं० (वि०) 1 ज्योतिवाला 2 प्रकाशमान II (पु० ) सूर्य
ज्योत्स्ना -सं० (स्त्री०) 1 चंद्रमा का प्रकाश 2 पृथ्वी पर छिटकी हुई चाँदनी 3 चाँदनी रात। वृक्ष (पु० ) दीपाधार, दीवट ज्योत्स्त्री-सं० (स्त्री०) पूर्णिमा ज्योत्स्नेश-सं० ( पु० ) चंद्रमा ज्योनार - (स्त्री०) 1 पका हुआ
भोजन 2 भोज दावत । -बैठना भोजन करने बैठना ~लगाना खाना परोसना ज्योरी-बो० (स्त्री०) डोरी, रस्सी
ज्यौतिष सं० (वि०) ज्योतिष संबंधी
ज्यौतिषिक सं० (पु० ) ज्योतिषी ज्यौनार - (स्त्री०) ज्योनार
ज्वर-सं० (पु०) बुखार (जैसे- ज्वर आना, ज्वर उतरना ) । ~कुटुंब (पु०) चि० ज्वर के कारण होनेवाले अन्य उपद्रव; ~ग्रस्त (वि०) बुखार से पीड़ित; -नाशक (वि०) ज्वर को दूर करनेवाला (जैसे- ज्वर नाशक दवाएँ ) ज्वरघ्न-सं० (वि० ) ज्वर नाशक
ज्वरांतक - सं० (वि०) ज्वर का अंत करनेवाला ज्वराक्रांत-सं० (वि०) - ज्वर-ग्रस्त ज्वरित -सं० (वि०) जिसे बुखार चढ़ा हो ज्वरी-सं० (वि०) ज्वर से पीड़ित ज्वलंत - सं० (वि०) 1 जलता और चमकता हुआ. देदीप्यमान् 2 स्पष्ट रूप से दिखाई देनेवाला (जैसे ज्वलंत प्रमाण ) ज्वल-सं० ( पु० ) 1 ज्वाला, अग्नि 2 दीप्ति, प्रकाश ज्वलका सं० (स्त्री० ) आग की लपट, अग्निशिखा ज्वलन - सं० ( पु० ) 1 जलना, दहन 2 जलन, दाह 3 अग्नि. आग। ~शील (वि०) 1 जो आसानी से जल उठे (जैसे- ज्वलनशील पदार्थ) 2 ज्वलनीय, दहनशील
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ज्वलित
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झकझकाहट
ज्वलित-सं० (वि०) 1 जलता हुआ 2 जलाया हुआ 3 खूब | मंझरित-सं० (वि०) क्षतविक्षत चमकता हुआ
झैझरी-(स्त्री) 1 कोई जालीदार चीज़ 2 झरोखा 3 जालीदार ज्वायंट-अं० (वि०) 1 जुड़ा हुआ 2 जोड़ा हुआ, मिलाया हुआ चादर 4 चलनी। दार + फ्रा० (वि०) जालीदार ज्वार-I (स्त्री०) खरीफ की फसल में होनेवाला एक मोटा झंझा-(स्त्री०) तेज़ हवा, अंधड, आँधी
अनाज और इसका पौधा II (स्त्री०) समुद्र के जल का ऊपर झंझानिल, झंझावात-सं० (पु०) प्रचंड वायु, आँधी-तूफ़ान उठना। जल + सं० (पु०) उठान का पानी; ~भाटा झंझार-(स्त्री०) आग की ऊँची लपट (पु०) समुद्र के जल का वेगपूर्वक ऊपर उठना और पुनः नीचे | झंझी-(स्त्री०) 1 फूटी कौड़ी 2 दलाली की रकम गिरना, चढ़ाव-उतार
झंझोटी-(स्त्री०) एक रागिनी ज्वारी-बो० (पु०) = जुआरी
झंझोड़ना-(स० क्रि०) झटकना, झकझोरना ज्वाल-सं० (पु०) = ज्वाला
झंडा-(पु०) पताका, ध्वजा (जैसे-राष्ट्रीय झंडा फहराना)। ज्वालक-सं० (वि०) जलानेवाला, प्रज्वलित करनेवाला । जहाज़ + अ० (पु०) बेड़े के नायक का जहाज़; ज्वाला-सं० (स्त्री०) 1 आग की लपट, अनिशिखा 2 दुःख, बरदार + फ्रा० (पु०) झंडा ले चलनेवाला; ~गाड़ना कष्ट आदि के कारण होनेवाली पीड़ा, संताप 3 अत्यधिक अधिकार जमाना; झंडे तले आना एक हो जाना गर्मी। -जिह्न (पु०) अग्नि, आग; ~मुखी (पु०) पृथ्वी झंडी-(स्त्री०) 1 छोटा झंडा 2 काग़ज़ों की झंडाकार कतरन के तल पर कुछ ऐसे स्थानों मुख्यतः पर्वतों में मुख के आकार झेंडूला-I (वि०) 1 जिसका मुंडन संस्कार न हआ 2 जो गर्भ के बड़े-बड़े गड्ढे जिनमें से आग की लपटें, लावा, गली । काल से चला आता हो II (पु०) 1 वह बालक जिसके सिर धातुएँ आदि धुएँ सहित निकलते हैं (जैसे-ज्वालामुखी पर्वत); पर गर्भ के बाल हों 2 गर्भ समय से चले आते बाल ~मुखी विज्ञान (पु.) ज्वालामुखी से संबंधित विज्ञान: झंडोत्तोलन-हिं० + सं० (पु०) झंडा फहराना ~मुखी वैज्ञानिक (पु०) ज्वालामुखी विशेषज्ञ
झंप-सं० (पु०) 1 उछाल 2 कुदान पकना-(अ० क्रि०) = झपकना झंपन-सं० (पु०) 1 छिपाव 2 उछाल 3 झोंका अपना-(अ० क्रि०) 1 झपटना 2 उछलना 3 कूदना 4 झेंपना, लजाना 4 पलकों का बंद होना (स० क्रि०) 1 मूंदना, बंद करना 2 ढकना 3 छिपाना अपरिया-बो० (स्त्री०), झेंपरी (स्त्री०) पालकी के ऊपर
डाला जानेवाला कपड़ा झं-(पु०) धातु के पात्र पर आघात होने से उत्पन्न ध्वनि झंपाक-सं० (पु०) बंदर झंकना-(अ० क्रि०) = दे० झीखना
झैपान-(पु०) पहाड़ पर सवारी के काम आनेवाली खली झंकार-सं० (स्त्री०) 1 झनझन शब्द, झनकार (जैसे-पायल | खटोली, डांडी
की झंकार) 2 कीड़ों आदि का झन-झन शब्द (जैसे-झींगुर की | झंपित-सं० (वि०) 1 छिपा हुआ 2 ढंका हुआ झंकार)
अपोला-(पु०) 1 छोटा झापा 2 पिटारा झंकारना-I (स० क्रि०) झन-झन शब्द उत्पन्न करना II (अ० झैवना, झैवराना-I (अ० क्रि०) 1 झाँवला, काला पड़ना क्रि०) झन-झन शब्द उत्पन्न होना
2 कुम्हलाना, मुरझाना II (स० क्रि०) 1 काला करना किया-(स्त्री०) 1 झरोखा, रोशनदान 2 झंझरी, जाली 2 कुम्हलाने में प्रवृत्त करना झंकृत-सं० (वि०) झंकार उत्पन्न करता हुआ
झैव-बो० (पु०) = झाँवाँ झंकृति-सं० (स्त्री०) = झंकार
झैवाना-I (अ० क्रि०) 1 काला, झाँवला हो जाना (जैसे-धूप झंखना-(अ० क्रि०) झीखना
से शरीर का रंग अँवाना) 2 आग का जलते-जलते बुझने को झंखाड़-I (पु०) 1 काँटेदार एवं अन्य घने पौधों का समूह होना, आँच मंद पड़ना 3 कुम्हलाना, मुरझाना 4 निर्जीव, बेदम
2 कूड़े-करकट का ढेर II (वि०) जिसके पत्ते झर गए हों | होना 5 झेंपना || (स० क्रि०) 1 काला करना 2 बुझाना झंगरा-बो० (१०) बाँस की खपचियों का बना जालीदार बड़ा | 3 कुम्हलाने में प्रवृत्त करना 4 लज्जित करना 5 बेदम करना टोकरा
सना-I (स० क्रि०) ठगना, धोखा देकर पैसे वसूलना II अँगा, अँगुला-(पु०) झगा, बच्चों का ढीला कुरता (अ० क्रि०) रगड़ते हुए मलना जोड़ना-(स० क्रि०) = झंझोड़ना
झउआ-(पु०) : झाबा झंझट-(स्त्री०) झगड़ा, बखेड़ा (जैसे-झंझट पैदा करना)। झक-I (स्त्री०) हल्का पागलपन, ख़ब्त (जैसे-झक सवार ~झमेला (पु०) बखेड़ा
होना) II (वि०) 1 स्वच्छ तथा उज्ज्वल 2 चमकदार, झंझटी-(वि०) 1 झगड़ा पैदा करनेवाला 2 झगड़ालू
चमकीला झंझनाना-I (अ० क्रि०) झन-झन शब्द उत्पन्न होना। झक-झक-(स्त्री०) व्यर्थ की तकरार, किचकिच II झन-झन करना
झकझका-(वि०) 1बिल्कुल साफ़, स्वच्छ 2 चमकीला, झैझरा-I (पु०) छोटे-छोटे छेदोंवाला ढकना II (वि०) चमकदार 1 जिसमें बहुत से छोटे-छोटे छिद्र हों 2 झीना | झकझकाहट-(स्त्री०) 1 ओप, चमक 2 उज्ज्वलता
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झकझोर
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झपट
झकझोर-I (पु०) 1 झकझोरना 2 झोंका 3 झटका II (वि०) 2 झटकारना 3 झंझोड़ना 4 झिड़कना 1 झकझोरा हुआ 2 तीव्र, तेज़
झड़न-(स्त्री०) 1 झड़ने की क्रिया 2 झड़ने-झाड़ने से झकझोरना-(स० क्रि०) = झंझोड़ना, झटका देना निकलनेवाली वस्तु झकझोरा-(पु०) । झटका, धक्का, झोंका 2 तेज़ हिलोर । झड़ना-(अ० क्रि०) 1 टूट-टूटकर गिरना (जैसे-पेड़ से पत्तियाँ झकझोरी-(स्त्री०) छीना झपटी
झड़ना) 2 छोटे-छोटे कणों का अलग होकर गिरना झकझोलना-(स० क्रि०) - झकझोरना
(जैसे-कपड़ों से धूल झड़ना) झकड़ी-बो० (स्त्री०) दूध दुहने का बर्तन
झड़प-(स्त्री०) 1 झड़पने की क्रिया 2 अल्पकालिक भिडंत झकना-(अ० क्रि०) 1 बकना 2 झख मारना
3 क्रोधपूर्ण कहा-सुनी, कटु बातचीत झकाझक-(वि०) झकझका
झड़पना-(अ० क्रि०) 1 आवेश एवं क्रोध पूर्वक किसी पर झकार-सं० (पु०) 'झ' वर्ण
आक्रमण करना, टूट पड़ना 2 उलझना झकोरना-I (अ० क्रि०) हवा का झोंका मारना II (स० । झड़पा-झड़पी-(स्त्री०) 1 हाथापाई, गुत्थम-गुत्था 2 झड़प क्रि०) झकझोरना
झड़पाना-(स० क्रि०) आपस में लड़ाना झकोरा-(पु०) हवा का झोंका
झड़बेरो-(स्त्री०) जंगली बेर झकोला-(पु०) = झकोरा
झड़वाना-(स० क्रि०) 1 झाड़ने का काम कराना 2 झाड़-फूंक झक्कड़-I (पु०) तेज़ आँधी, अँधड़ II (पु०) = दे० झक्की कराना (जैसे-नज़र झड़वाना) झक्का -(पु०) प्रचंड आँधी।
झड़ाका-I (पु०) झड़प II (क्रि० वि०) झट से, चटपट झक्की-(वि०) सनकी, ख़ब्ती
झडाझड़-(क्रि० वि०) 1 लगातार, निरंतर 2 जल्दी-जल्दी झख-(स्त्री०) 1 झीखना 2 मछली। मारना तुच्छ काम झड़ी-I (स्त्री०) लगातार झड़ते रहने की क्रिया 2 लगातार कुछ
करने को मजबूर होना (जैसे-वहाँ झख मारने क्यों जाते हो) समय तक होनेवाली वर्षा (जैसे-चार दिन से पानी की झड़ी झगड़ना-(अ० क्रि०) झगड़ा करना, भिड़ना लड़ना लगी है) 3 लगातार एक पर एक होती रहनेवाली बात झगड़ा-(पु०) 1 लड़ाई 2 कहा-सुनी। झंझट, टंटा; | (जैसे-गालियों की झड़ी लगना) II (स्त्री०) = झड़ II
फसाद + अ० (पु०) लड़ाई झगड़ा ~मोल लेना झणत्कार-सं० (स्त्री०) झंकार 1 जान-बूझकर संकट में पड़ना 2 जान-बूझकर झगड़ा करना झन-(स्त्री०) = झं झगड़ालू-(वि०) झगड़ा करनेवाला, कलहप्रिय, फ़सादी झनक-(स्त्री०) झन-झन की ध्वनि झगला-(पु०) ढीला-ढाला कुरता
झनकना-(अ० क्रि०) 1झन-झन शब्द निकलना झगा-(पु०) = झगला
2 बकना-झकना 3 झीखना 4 आवेश में हाथ-पाँव पटकना झगुलिया-(स्त्री०) छोटा झगला
झनक-मनक-(स्त्री०) 1 पहने हुए गहनों के परस्पर टकराहट झज्झर-(स्त्री०) = झंझर, पानी का बर्तन
से उत्पन्न ध्वनि 2 धुंघरुओं का शब्द झज्झी-(स्त्री०) = झंझी
झनकार-(स्त्री०) = झंकार झझक-(स्त्री) 1 झझकने की क्रिया 2 यदा-कदा होनेवाला झन-झन-(स्त्री०) नृत्य के समय पैरों में पहनी हुई पायलों से पागलपन 3 रह-रहकर निकलनेवाली हल्की दुर्गंध
होनेवाली झंकार झझकना--(अ० क्रि०) 1 सनक में आकर बिगड़ना 2 दे० झनझनाना-I (अ० क्रि०) झन-झन शब्द होना 2 दे० झनझना झिझिकना
II (स० क्रि०) झन-झन शब्द उत्पन्न करना झझकाना-I (स० क्रि०) चौंकाना II (स० क्रि०) झिझकने झनझनाहट-(स्त्री०) 1 झंकार 2 झुनझुनी में प्रवृत्त करना
झनझनाना-(अ० क्रि०) झन-झन शब्द होना झझकार-(स्त्री०) फटकार
झनाझन-I (स्त्री०) झंकार II (क्रि० वि०) झन-झन शब्द झझकारना-(स० क्रि०) 1 डाँटना, डपटना 2 दुरदुराना करते हुए झट-अ० 1 चट-पट, तुरंत 2 फुर्ती से, तेज़ी से
झन्नाना-(अ० क्रि०) 1 झनझन शब्द करना 2 सिहरना झटकना-(स० क्रि०) 1 झटका देना 2 ज़बरदस्ती ले लेना | झनाहट-(स्त्री०) झनझनाहट 3 हड़प लेना (जैसे-उसने जेब से दस रुपये झटक लिए) झप-I (स्त्री०) वस्तु का यकायक ऊँचाई से गिरना झटका-(पु०) 1 झटकने की क्रिया 2 हल्का धक्का, झोंका | ___ II (क्रि० वि०) जल्दी से। खाना यकायक गिरना 3आकस्मिक और अल्पकालिक बीमारी 4 अचानक आई झपक-(स्त्री०) 1 बार-बार पलक खोलने एवं बंद करने की विपत्ति 5 पशु आदि की गर्दन को एक ही बार में हलाल करना क्रिया 2 एक बार पलक गिरने में लगनेवाला समय 3 झपकी झटकारना-(स० क्रि०) ज़ोर से झटका देना (जैसे-कपड़ा झपकना-(अ० क्रि०) 1 पलकें गिरना 2 पलकों का खुलना झटकारना)
और बंद होना 3 झपकी लेना, ऊँघना झट-पट-(क्रि० वि०) अतिशीघ्र, तुरंत ही, फ़ौरन झपका-(पु०) झोंका झटाका-(क्रि० वि०) = झड़ाका
झपकाना-(स० क्रि०) 1 पलकें गिराना 2 आँखें खोलना और झड-I (स्त्री०) झड़ी II (स्त्री०) ताले के भीतर का खटका बंद करना झड़कना-(स० क्रि०) = झिड़कना
झपकी-(स्त्री०) 1 हल्की नोंद 2 चकमा, धोखा झडझड़ाना-(स० क्रि०) 1 झड़-झड़ शब्द उत्पन्न करना | झपट-(स्त्री०) 1 झपटने की क्रिया 2 टूट पड़ना, झपट्टा
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झपटना
झपटना - I (अ० क्रि०) 1 वेगपूर्वक किसी की ओर बढ़ना (जैसे-बिल्ली का चूहे पर झपटना) 2 लपक कर लेना (जैसे- उसने मेरी मिठाई झपट ली) II (स० क्रि०) झपटकर छीन लेना, पकड़ लेना
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= झपट
झपटान-बो० (स्त्री० ; झपटाना - (स० क्रि०) झपटने की क्रिया कराना झपट्टा - (पु० ) 1 झपट 2 सहसा किया जानेवाला आक्रमण, धावा। ~मार (वि०) झपटनेवाला
झपड़ियाना - (स० क्रि०) लगातार कई थप्पड़ लगाना झपना - (अ० क्रि०) 1 पलक गिराना 2 ऊपर से नीचे यकायक आना
झपताल - (पु०) संगीत में पाँच मात्राओं का एक ताल झपवाना - (स० क्रि०) पलकें मुँदवाना झपसट - बो० (स्त्री०) धोखेबाज़ी (जैसे-झंपसट में अपना काम करवाना)
झपसना - (अ० क्रि०) पेड़-पौधों लताओं आदि का चारों ओर फैलना
झपाक - ( क्रि० वि०) पलक मारते, झटपट झपाका - ( पु० ) जल्दी, शीघ्रता
झपाटा-बो० (पु०) = झपट्टा
झपाना - I (स० क्रि०) = झपकाना II ( अ० क्रि०) झेंपना III (स० क्रि०) लज्जित करना
झपित - (वि०) 1 मुँदा हुआ 2 झेंपा हुआ, लज्जित
झपिया - बो० (स्त्री०) 1 हँसुली के आकार का एक गहना 2. पिटारी झपेट - (स्त्री०)
= झपट
झपेटना - (स० क्रि०) 1 झपटना 2 दबोच लेना झपेटा - ( पु० ) 1 धक्का 2 चपेट 3 प्रेतबाधा 4 झकोरा झपोला - (पु० )
=
झपोला
झप्पड़ - ( पु० ) = झापड़
झप्पान-बो० (पु०) झपान
झप्पानी - ( पु० ) पालकी उठानेवाला मज़दूर
झबरा - (वि०) बड़े-बड़े बालोंवाला (जैसे-झबरा कुत्ता, झबरी बिल्ली)
=
झबरीला - (वि०) जिसके शरीर पर चारों ओर बाल बिखरे हों (जैसे-झबरीला भालू)
झबा-बो० (पु० ) = झब्बा झबार-बो० (स्त्री०) दे० झगड़ा
झबिया - (स्त्री०) 1 छोटा झब्बा, छोटा फुंदना 2 बाजूबंद आदि में नीचे लटकनेवाली कटोरी
=
झब्बा - (पु० ) 1 गुच्छा 2 कपड़ों, गहनों आदि में लगाया जानेवाला फुंदना 3 टोकरा
झमक - (स्त्री०) 1 झम झम की आवाज़ 2 ठसक, नखरा (जैसे-झमक भरी चाल) 3 चमक, प्रकाश
झलकना
झम-झम - I. (स्त्री०) 1 घुँघरूओं आदि के बजने से उत्पन्न ध्वनि 2 ज़ोर से वर्षा होने की आवाज़, छम-छम 3 चमक-दमक II (वि०) 1 झम-झम शब्द करता हुआ (जैसे-झम-झम पानी बरसना 2 खूब चमकता हुआ III ( क्रि० वि०) 1 झम-झम शब्द करते हुए (जैसे- पानी का झम-झम बरसना) 2 दे० झमाझम झमझमाना-I (अ० क्रि०) 1 झम-झम शब्द होना 2 चमचमाना II (स० क्रि०) 1 झम-झम शब्द उत्पन्न करना 2 चमक-दमक से युक्त करना 3 चमक-दमक दिखलाना (जैसे- गहने झमझमाना )
झमकना - (अ० क्रि०) 1 रह-रहकर चमकना 2 झम-झम शब्द होना 3 झम-झम ध्वनि करते हुए उछलना-कूदना 4 ठसक दिखाना
झमकाना - (स० क्रि०) 1 चमकाना 2 मटकाना 3 झम-झम की आवाज़ करना
झमकारा - (पु० ) बौछाड़
झमना - (अ० क्रि०) 1 झपकना 2 दे० झमाना 3 झुकना, नम्र होना
झमाका - I (पु० ) 1 झम-झम शब्द 2 ठसक, नख़रा
II ( क्रि० वि०) 1 झम-झम शब्द करते हुए 2 झट से तुरंत झमाझम - I ( क्रि० वि० ) 1 झमझम ( रिमझिम) की आवाज़ करते हुए 2 चमचमाते हुए II (वि०) 1 झमाझम शब्द करता हुआ 2 चमकता-दमकता हुआ झमाना-I (अ० क्रि०) दे० झँवाना II इकट्ठा होना, एकत्र होना III (स० क्रि०) झमने में प्रवृत्त होना
झमूरा - I (वि०) झबरा II ( पु० ) 1 घने और घुँघराले बालोंवाला छोटा सुंदर बच्चा 2 नटों एवं बाजीगरों के साथ रहनेवाला लड़का 3 भालू झमेला - (पु० ) 1 झगड़ा 2 झंझट - बखेड़ा 3 भीड़-भाड़ (जैसे-झमेले से भागना )
झमेलिया - ( पु० ) झगड़ा करनेवाला व्यक्ति
झर-सं० (स्त्री०) 1 झरना, निर्झर, सोता 2 झड़ी 3 लपट झर झर झर्झर
झरझराना-I (अ० क्रि०) 1 झर-झर शब्द होना 2 झर-झर की आवाज़ करते हुए बहना II (स० क्रि०) झर-झर की आवाज़ करते हुए गिराना झरन- (स्त्री०)
= दे० झड़न
झरना - I (पु० ) 1 सोता, निर्झर 2 पहाड़ आदि ऊँचे स्थान से नीचे गिरनेवाला जल प्रवाह II (अ० क्रि०) 1 लगातार गिरना 2] दे० = झड़ना
झरना - (अ० क्रि०) झड़ना, गिरना
झरहराना - (अ० क्रि०) = झरझराना
झरझर - ( क्रि० वि० ) 1 लगातार, निरंतर 2 जल्दी-जल्दी वेग पूर्वक 3 झर-झर शब्द करते हुए
झरी - (स्त्री०) 1 पानी का झरना, सोता 2 दे० झड़ी झरोखा - (पु०) रोशनदान, गवाक्ष
झर्झर - I सं० ( पु० ) 1 पानी के गिरने की आवाज़ 2 झरना II (स्त्री०) झाँझ
झर्राटा - I ( पु० ) कपड़ा फटने या फाड़ने से होनेवाला शब्द II ( क्रि० वि०) तुरंत, झट-पट
झल - ( पु० ) 1 स्वाद आदि की तीक्ष्णता, झाल 2 जलन, ताप 3 काम वासना 4 कामना, इच्छा 5 खप्त
झलक - ( स्त्री०) 1 चमक, प्रभा 2 आभास 3 क्षणिक दर्शन । दार + फ़ा० (वि०) चमकदार, चमकीला झलकना - (अ० क्रि०) 1 चमकना 2 आभास होना 3 दिखाई
देना
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झलका
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झाँवा
झलका-(पु०) छाला, फफोला
झल्ली-(स्त्री) 1 चमड़े से मढ़ा हुआ एक छोटा बाज़ा झलकाना-(स० क्रि०) 1 चमकाना 2 झटकदार बनाना - 2 टोकरी 3 आभास कराना 4 दिखाना
झवर-बो० (पु०) = झगड़ा झलकी-(स्त्री०) 1 झाँकी 2 झलक 3 कोई विशेष नमूना झष-सं० (पु०) 1 मछली 2 मीन राशि। -केतु (पु०) 4 रेडियो नाटिका
कामदेव; राज (पु०) मगरमच्छ झल-झल-I (स्त्री०) चमक-दमक || (वि०) झषांक-सं० (पु०) कामदेव । चमकता-दमकता हआ III (क्रि० वि०) 1 चमक-दमक से । झहनाना-(स० क्रि०) 1 झनकार पैदा करना 2 रोमांच उत्पन्न 2 प्रकाशयुक्त होकर (जैसे-गहनों का झल-झल चमकना) करना 3 चौंकानेवाला काम करना झलझलाना-I (अ० क्रि०) चमकना II (स० क्रि०) खूब | झाँई-(स्त्री०) 1 छाया, परछाईं 2 अंधकार, अँधेरा 3 छल, चमकाना
धोखा 4 धब्बा 5 झलक, आभा । ~झप्पा (पु०) बो० = झलझलाहट-(स्त्री०) चमचमाहट, चमकाहट
झाँसा; माँई (स्त्री०) बच्चों का एक खेल जिसमें वो गाते झलना-I (स० क्रि०) हिलाना-इलाना (जैसे-पंखा झलना) हए झुमते हैं। ~ आना आँखों के सामने अँधेरा छाना II (अ० क्रि०) हिलना-डुलना
देना धोखा देना झलमल-I (स्त्री०) 1 रह-रहकर होनेवाला हल्का प्रकाश | झाँक-(स्त्री०) 1 झाँकने की क्रिया 2 झलक
2 चमक-दमक II (वि०) अस्थिर, झलमलाता हुआ झाँकना-(अ० क्रि०) 1आड़ से, झरोखे आदि से देखना झलमला-(वि०) झलकता हुआ, चमकीला
2 झुककर देखना (जैसे-कुआँ झाँकना) झलमलाना-I (अ० क्रि०) चमचमाना II (क्रि० वि०) झाँकर-बो० (पु०) = झंखाड़ रह-रहकर चमकाना
झाँका-(पु०) 1 झरोखा 2 जालीदार खाँचा झलराना-[ (स० क्रि०) 1 झालर का रूप देना 2 झालर झाँकी-(स्त्री०) 1 सुखद अवलोकन, संक्षिप्त दर्शन 2 झाँकने लगाना II (अ० क्रि०) झालर रूप में छाना
की क्रिया 3 मनोहर दृश्य (जैसे-दशहरा की झाँकी) 4 झरोखा झलवाना-I (स० क्रि०) झलने का काम करवाना (जैसे-पंखा झाँखर-I (पु०) 1 अरहर की खूटियाँ 2 झाड़-झंखाड़ झलवाना) II (स० क्रि०) झालने का काम दूसरे से । II (वि०) 1 जिसके तल में बहुत से छेद, सूराख हों 2 झीनी कराना
बुनावटवाला झालहाया-(वि०) 1 जिसे किसी तरह की सनक हो 2 डाह झाँगला-I (वि०) ढीला-ढाला II ढीला-ढाला कुर्ता, झगा करनेवाला, ईर्ष्यालु
झाँझ-I (स्त्री०) 1 काँसे, पीतल आदि के मोटे पत्तर की बनी माला--सं० (स्त्री०) आतप, धूप II (पु०) 1 हल्की वर्षा ___ कम उभारदार कटोरियों का जोड़ा, झाल, छैना 2 क्रोध, गुस्सा 2 पंखा (झलनेवाला) III (स्त्री०) = झालर
3 पाजीपन, शरारत झलाई-(स्त्री०) 1 टाँका लगाना 2 धातुओं को जोड़ने की झाँझ-II (स्त्री०) = झाँझन मजदूरी
झाँझन-(स्त्री०) पैजनी, पायल झालाऊ-(वि०) 1 झोलवाला 2 ढीला-ढाला
झाँझा-I (पु०) फसल में लगनेवाला कीड़ा II (पु.) 1 झाँझ झलाझल-I (वि०) अत्यधिक चमकीला, अत्यंत चमकदार ___2 छानने का पौना III (पु०) 1 झंझट 2 हुज्जत II (क्रि० वि०) चमकते हुए III (पु०) एक तरह का झाँझिया-(पु०) झाँझ बजानेवाला व्यक्ति चमकीला वस्त्र
झाँझी-(स्त्री०) 1 एक उत्सव जिसमें बालिकाएँ रात के समय झलाझली-I (स्त्री०) झलाझल होने की अवस्था, स्थिति झंझरीदार हाड़ी में दीपक रखकर गीत गाती हई घर-घर जाती हैं II (वि०)/(क्रि० वि०) = झलाझल III (स्त्री०) झलवाया तथा वहाँ से पैसे या अनाज पाती हैं 2 उक्त अवसर पर गाया जाना (पंखा) .
जानेवाला गीत झलाना-(स० क्रि०) = झलवाना
झाँट-(स्त्री०) 1 जननेंद्रिय पर के बाल, पशम 2 अत्यंत तुच्छ झलाबोर-I (पु०) 1रूपहले तारों से बना गया साड़ी का |
एवं निकम्मी चीज़ आँचल 2 ज़री का काम किया हुआ सामान 3 चमक-दमक II | झाप-(स्त्री०) 1ऊपरी आवरण 2 परदा, चिक 3 साया. शेड। (वि०) खूब चमक-दमकवाला
दार + फ़ा० (वि०) छायावाला झलामल-(स्त्री०)/(वि०) = झलमल
झाँपना-I (स० क्रि०) 1 ढंकना, आवरण करना 2 दबोचना झलारा-(वि०) तीक्ष्ण स्वादवाला, झालदार
II (अ० क्रि०) झेंपना झल्ल-(स्त्री०) पागलपन, सनक
झापा-(पु०) 1 बड़ी टोकरी, दौरी 2 बड़ी पिटारी झल्ला-I (पु०) बहुत बड़ा टोकरा, झाबा II (पु०) झंझा झापो-(स्त्री०) 1 खंजन पक्षी 2 दुश्चरित्रा स्त्री, पुंश्चली स्त्री III (वि०) पागलों का आचरण करनेवाला, सिड़ी IV झावना-I (स० क्रि०) झाँव से रगड़कर धोना II (स० (वि०) बहुत तरल, पतला
क्रि०)/(अ० क्रि०) = झैवाना झल्लाना-I (अ० क्रि०) 1 क्रोध में चिल्लाना 2 बहुत चिढ़ना झाँवर-I (स्त्री०) धान के लिए उपयुक्त नीची भूमि II (वि०) II (स० क्रि०) खीझने में प्रवृत्त करना
1काला 2 मलिन, गंदा 3 कुम्हलाया हुआ झल्लाहट-(स्त्री०) क्रोध
झावली-(स्त्री०) 1 झलक 2 झाँई 3 आँख का संकेत, कनखी मल्लिका-सं० (स्त्री०) शरीर पोंछने का कपड़ा झावा-(पु०) 1 भट्टे में पकी काली ईंट 2 जली ईंट का टुकड़ा
मजदूरा
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झाँसना
झाँसना - (स० क्रि०) 1 धोखा देना 2 झँसना झाँसा - ( पु० ) दमबाज़ी
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1 धोखा 2 छलपूर्ण बात। पट्टी (स्त्री०)
झाँसिया, झाँसू - (पु०) झाँसा देनेवाला, छली झा - (पु०) मैथिल तथा गुजराती ब्राह्मणों की उपाधि झाई - (स्त्री०) झाँईं
3
= झागदार
झाऊ - I (पु० ) छोटा झाड़ II ( पु० ) मोर पंखी की जाति का एक पौधा जिसकी पत्तियाँ दवा के काम आती हैं झाग - (पु० ) फेन, गाज़ (जैसे- साबुन का झाग ) । ~दार + फ़ा० (वि०) जो झागयुक्त हो (जैसे-झागदार साबुन) झागना - I (अ० क्रि०) फेन निकलना II (स० क्रि०) फेन उत्पन्न करना झागिया - (वि०) झाझा- (वि०) 1 जला हुआ, दग्ध 2 गहरा गाढ़ा, तेज़ झाट-सं० (पु० ) 1 कुंज 2 झाड़ी 3 घाव धोकर साफ़ करना झाड़ - I (पु० ) 1 छोटे उलझे छितराए पेड़-पौधों का वर्ग 2 झाड़ की तरह का अनेक शाखाओंवाला चिराग़ आदि जलाने का शीशे का बहुत बड़ा आधान । - खंड + सं० (पु०) झार खंड; ~ झंखाड़ (पु० ) 1 काँटेदार झाड़ियों का समूह 2 व्यर्थ के पेड़-पौधों का समूह; ~दार I (वि०) 1 कँटीला 2 घना II (पु० ) कसीदा; फ़ानूस + अ० (पु० ) शीशे का बना दीपाधार; ~ का काँटा झगड़ालू आदमी झाड़- II (स्त्री०) 1 झाड़ने की क्रिया 2 झाड़ने पर निकलनेवाली धूल आदि, झाड़न झूड़ना (स० क्रि०) सफ़ाई करना; पोंछ (स्त्री०) सफ़ाई (जैसे-झाड़-पोंछ करना); ~ फूँक (स्त्री०) 1 झाड़ना-फूँकना 2 प्रेत बाधा दूर करना; ~बुहार (स्त्री०) = झाड़-पोंछ झाड़न - (स्त्री०) 1 झाड़ने से निकलनेवाली धूल आदि 2 झाड़ने का कपड़ा
झाड़ना - (स० क्रि०) 1 झटकारना (जैसे-दरी झाड़ना) 2 साफ़ करना (जैसे- अलमारी झाड़ना) 3 आघात करना जिससे सटी, जुड़ी वस्तुएँ अलग हो जाऐं (जैसे-पेड़ से आम झाड़ना, इमली झाड़ना) 4 मंत्र पड़कर फूँकना (जैसे भूत-प्रेत झाड़ना, नज़र झाड़ना) 5 कंघी करना (जैसे- बाल झाड़ना) 6 फटकारना (जैसे-अधिकारी ने लिपिक को खूब झाड़ा) 7 योग्यता दिखाकर धाक जमाने के लिए उल्टी-सीधी बातें करना (जैसे- कानून झाड़ना) । ~ झटकना (स० क्रि०) डाँट फटकार सुनाना, डाँटना-फटकारना; पोंछना
साफ़-सुथरा करना
झाड़ा - I ( पु० ) 1 जामा तलाशी 2 मंत्रोपचार II ( पु० ) 1 पाखाना फिरने की क्रिया 2 पाखाना, शौचालय 3 मल, गुह III (पु० ) झांड-फूँक झाड़ी - (स्त्री०) 1 कँटीले पौधों का समूह 2 एक में मिले हुए कँटीले पौधे । ~दार + फ़ा० (वि०) 1 काँटेदार 2 छोटे झाड़ का सा 3 जहाँ बहुत सी झाड़ियाँ हों, झाड़दार झाडू-(पु०) लंबी सीकों आदि का मुट्ठा जिससे कूड़ा साफ़ करते हैं, बुहारी । ~कश + फ़ा० (पु० ) 1 झाडू देनेवाला व्यक्ति 2 भंगी; बरदार + फ़ा० (पु० ) 1 झाडू देनेवाला . सेवक 2 गलियों-नालियों में झाडू देनेवाला मेहतर; बुहारी (स्त्री०) 1 झाडू 2 घर की सफ़ाई; देना 1 कूड़ा-करकट
झिर
साफ़ करना 2 सब कुछ नष्ट करना, फिरना कुछ बाकी न रहना, बर्बाद हो जाना; मारना ठोकर मारना, तिरस्कार
करना
झापड़ - ( पु० ) थप्पड़, तमाचा झाबर - ( पु० ) दलदल
झाबा - (पु० ) 1 टोकरा 2 कुप्पा 3 चमड़े का बड़ा थाल, सफरा 4 शीशे का बड़ा झाल
झामक - सं० (पु० ) जली हुई ईंट, झाँवा
झामर - सं० ( पु० ) 1 टेकुआ रगड़ने की सान, सिल्ली 2 पैर में पहनने का गहना
झामर झुमर - (पु० ) 1 व्यर्थ की बातें 2 निर्रथक एवं सारहीन
तथ्य
झाँय - झाँय - (स्त्री०) सुनसान जगह में होनेवाली झन झन की
आवाज़
झारखंड - हिं० + सं० (पु० ) 1 उजाड़ ज़गह 2 बिहार में एक भूभाग
झारन - (स्त्री०) = झाड़न झारना- (स० क्रि०) = झाड़ना
झारा - ( पु० ) बहुत पतली धुली हुई भाँग झारी- (स्त्री०) टोटीदार बर्तन
झाल - I (स्त्री०) 1 गंध, स्वाद आदि की तीव्रता 2 स्वाद का चरचरापन, तीक्ष्णता II (स्त्री०) 1 झालने की क्रिया 2 धातु आदि का वह अंश जिसमें टाँका लगा हो III (स्त्री०) 1 बादलों आदि के कारण होनेवाला अँधेरा 2 झड़ी झालना - (स० क्रि० ) 1 धातु की बनी वस्तु को टाँके से जोड़ना 2 ठंडा करने के लिए शोरे या बर्फ़ में रखना झालर - ( स्त्री०) 1 लटकनेवाला हाशिया 2 लहरदार किनारा । दार + फ़ा० (वि०) जिसमें झालर लगी हो झाँव - झाँव - (स्त्री०) हुज्जत, तकरार झावर - ( पु० ) = झाबर झावुक-सं० (पु०) झाऊ झिंगवा - ( स्त्री०) झींगा मछली
झिंगारना - I (अ० क्रि०) झींगुर का बोलना II (स० क्रि०) झींगुर की तरह का शब्द उत्पन्न करना झिझिया - (स्त्री०) झाँझी झिंझी-सं० (स्त्री०) झींगुर, झिल्ली
झिंझोटी - ( स्त्री०) एक रागिनी जो दिन के चौथे पहर में गाई जाती है
=
झिझक - (स्त्री०) संकोच, हिचक झिझकना - (अ० क्रि०) संकोच करना झिटकारना - (स० क्रि०) झटकारना
झिड़कना - (स० क्रि०) 1 डाँटना, फटकारना 2 तिरस्कार के साथ फेंक देना
झिड़की - (स्त्री०) डाँट फटकार
झिझिङ्गाना- (अ० क्रि०) = चिड़चिड़ाना झिपना-बो० (अ० क्रि०) झेंपना झिपाना - (स० क्रि०) लज्जित करना झिमकना - बो० (अ० क्रि०) झमकना झिमिटना - (अ० क्रि० ) इकट्ठा होना झिर-बो० (स्त्री०)
झिरी
=
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झिर-झिर
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झुनझुनाना
झिर-झिर-(क्रि० वि०) 1 धीरे-धीरे 2 धीरे-धीरे एवं झिर-झिर | झींसी-(स्त्री०) छोटी-छोटी महीन बूंदों के रूप में होनेवाली शब्द करते हुए
हल्की वर्षा झिरझिरा-(वि०) झीना, पतला
झीखना-I (अ० क्रि०) कुढ़-कुढ़कर अपना दुखड़ा रोते रहना, झिरना-(अ० क्रि०) झरना
खीझना II (पु०) कुढ़-कुढ़कर कही जानेवाली बात झिरी, झिरी-(स्त्री०) 1 छोटा सूराख, छेद, दरज़ 2 गड्ढा | झीना-(वि०) 1 बारीक, महीन (जैसे-झीना कपड़ा) 2 जिसकी जिसमें आस-पास का पानी इकट्ठा होता हो 3 बड़े जलाशय बुनावट ठस न हो, पतला-पतला (जैसे-झीना खटोला, झीना के पास का छोटा झरना
परदा) झिलैंगा-I (वि०) 1 ढीले अंगोंवाला 2 झीनी बुनावटवाला झीमना-(अ० क्रि०) 1 झूमना 2 ऊँघना
II (पु०) हल्की खाट जिसकी बुनावट ढीली हो झीमर-(पु०) - झीवर (मल्लाह) झिलना-I (अ० क्रि०) 1 सहा जाना 2 अंदर धंसना 3 तृप्त झील-(स्त्री०) प्राकृतिक जलाशय, बहुत बड़ा ताल, सरोवर होना, अघाना 4 मगन होना, तन्मय होना
झीलर-(पु०) छोटी झील, ताल झिलना-II (पु०) झिल्ली, झींगुर ।
झीली-(स्त्री०) 1 दही, दूध आदि के ऊपर की मलाई 2 दे० झिलम-(स्त्री०) लोहे का टोप। -टोप (प०) शिरस्त्राण | झिल्ली झिलमिल-I (स्त्री०) 1 प्रकाश की किरणों के हिलते रहने की | झीवर-(पु०) माँझी, मल्लाह, केवट स्थिति (जैसे-तारों का झिलमिल करना) 2 अंधकार एवं | झंझलाना-(अ० क्रि०) क्रुद्ध एवं व्यथित होकर बोलना प्रकाश के मध्य की स्थिति जो संध्या एवं सबेरे दिखाई देती है | इँझलाहट-(स्त्री०) झुंझलाने की क्रिया, गुस्सा 3 रह-रहकर चमकती हुई रोशनी II (वि०) झिल-मिलाता झुंड-(पु०) समूह, टोली (जैसे-हिरनों का झुंड) हुआ
झंडी-(स्त्री०) पौधों की खूटी 2 कुलाबा जिसपर परदा टाँगा झिलमिला-(वि०) 1 थोड़ा अँधेरा एवं थोड़ा उजाला (समय) जाता है 2 जो रह-रहकर चमकता हो (जैसे-झिलमिला प्रकाश) झकना-(अ० क्रि०) 1 लटकना (जैसे-सिर झुकना, गर्दन 3 झीना
झुकना) 2 मुड़ना (जैसे-लोहे की छड़ बीच से झुकना) झिलमिलाना-I (अ० क्रि०) रह-रहकर चमकना (जैसे-लौ | 3 नमित होना, दबना 4 पक्षपात करना (जैसे-मुझे किसी तरफ
का झिलमिलाना) 2 टिमटिमाना (जैसे-तारों का झिलमिलाना) नहीं झुकना है) 5 नीचा होना (जैसे-आँखे झुकना) 6 किसी II (स० क्रि०) 1 चमकीली वस्तु को थोड़ा-थोड़ा हिलाना | कार्य की ओर प्रवृत्त होना.. 2 हिलाते-हिलाते चमकाना
झुक-मुख-(पु०) दे० झुट-पुटा झिलमिलाहट-(स्त्री०) 1 टिमटिमाहट 2 झिलमिलाने की | झुकरना-(अ० क्रि०) झुंझलाना क्रिया
झुकराना-बो० (अ० क्रि०) झोंके खाना झिलमिली-(स्त्री०) 1चिक, चिलमन 2 जाफ़री झुकवाना-(स० क्रि०) झुकने में प्रवृत्त करना 3 झिलमिलाहट 4 कान में पहनने का गहना
झुकाई-(स्त्री०) 1 झुकाने की क्रिया 2 झुकाने की उज़रत झिल्लड़-(वि०) पतला एवं झंझरा, झीना
झकाना-(स० क्रि०) 1 टेढ़ा करना, लटकाना 2 मोड़ना झिल्ला-(वि०) 1 पतला, बारीक, महीन 2 जो गफ न हो | 3 नीचा करना (जैसे-आँखें झुकाना) 4 कार्य में लगाना 5 नीचे झिल्लिका-अं० (स्त्री०) 1 झींगुर 2 झिल्ली 3 झींगुर की | की ओर लाना (जैसे-झंडा झुकाना) 6 परास्त करना झनकार
(जैसे-शत्रु को झुकाना आसान नहीं है) झिल्ली-सं० (स्त्री०) झींगुर
झुकार-(पु०) हवा का झोंका, झकोरा झिल्ली-(स्त्री०) 1 पारदर्शक आवरण (जैसे-गर्भस्थ शिशु के झुकाव, झुकावर-(स्त्री०) 1 झुकने की क्रिया, झुके होने की चारों ओर लिपटी झिल्ली) 2 फल आदि का छिलका 3 खाल ___ अवस्था 4 प्रवृत्ति, रुख (जैसे-दर्शन के प्रति मेरा विशेष झुकाव की पतली तह 4 आँख का जाला नामक रोग। ~दार + फ़ा० (वि०) झिल्ली से युक्त
झुग्गी-(स्त्री०) ग़रीब की झोपड़ी झिल्लीक-सं० (पु०) झींगुर
झट-पुटा-(पु०) थोड़ा-थोड़ा अँधेरा हो जाने का समय झींक-(पु०) = दे० झींका
झुटुंग-(वि०) जटाधारी, झोटेवाला झींकना-I(अ० क्रि०) = दे० झाँखना II बो० (स० क्रि०) झुठकाना-(स० क्रि०) भ्रम में डालना 1 पटकना 2 फेंकना, सज्जित करना
झुठलाना-(स० क्रि०) झूठा ठहराना झींका-(पु०) पीसे जानेवाले अन्न की एक बार में चक्की में झठाना-(स० क्रि०) झूठा सिद्ध करना डालने के लिए निर्धारित मात्रा
झठालना-बो० (स० क्रि०) - झुठलाना झीखना-(अ० क्रि०) 1 दुःखी होना 2 कुढ़ना 3 - झीखना झुनका-(पु०) छल, धोखा झींगा-(पु०) 1 एक मछली जिसके मुँह एवं पूँछ पर लंबे बाल झनझन-(स्त्री०) धुंघरुओं आदि के बजने से उत्पन्न शब्द होते हैं 2 बढ़िया अगहनी धान 3 कपास की फसल में | झनझना- (पु०) बच्चों का एक खिलौना, बाजा लगनेवाला कीड़ा
झुनझुनाना-I (अ० क्रि०) 1 झन-झन की आवाज़ होना नींगुर-(पु०) बरसाती कीड़ा जो झी-झी की ध्वनि करता है, 2 झुनझुनी होना II (स० क्रि०) झुन-झुन ध्वनि उत्पन्न
करना
चौरी
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झुनझुनियाँ
320
झेल
झुनझुनियाँ-(स्त्री०) 1 पैरों में पहनने का एक गहना 2 पैरों में | झुठन-बो० (स्त्री०) = जूठन II (स्त्री०) दुफसली ज़मीन पहनाई जानेवाली बेड़ी
झूठा-1 (वि०) 1 जो सत्य न हो, पिथ्या 2 असत्य, झूठ झुनझुनी-(स्त्री०) चुनचुनाहट एवं सनसनी
बोलनेवाला (जैसे-झूठा गवाह) 3 जो विश्वसनीय एवं झुनी-बो० (स्त्री०) जलाने की पतली लकड़ी
सत्यनिष्ठ न हो (जैसे-झूठा प्रेमी, झूठा मित्र) 4 जिसमें झबझुबी-(स्त्री०) कानों पर पहनने का एक आभूषण, झुपझुपी वास्तविकता न हो, आडंबरपूर्ण (जैसे-झूठी मुहब्बत, झूठी झमका-(पु०) कानों में पहनने का एक आभूषण
दोस्ती) 5 जो धोखा देने के लिए बनाया गया हो, दिखाऊ झुमरा-बो० (पु०) बहुत बड़ा हथौड़ा
(जैसे-झूठा सिक्का, झूठा गहना) II (वि०) दे० जूठा। झुमरी-(स्त्री०) छोटी मुँगरी
का मुँह काला झूठा हर जगह ज़लील होता है; की झुमाऊ-(वि०) झूमनेवाला
कब्र तक पहँचना झूठे का झूठ साबित कर उसे लज्जित झुमाना-(स० क्रि०) झूमने में प्रवृत्त करना
करना; ~को घर पहुँचा देना झूठे को कायल कर देना; झुरकुट-(वि०) 1 मुरझाया हआ 2 सूखा 3 दुबला-पतला झूठों का पीर (बादशाह) बहुत बड़ा झूठा । झुरझुरी-(स्त्री०) हल्की कँपकँपी
झूठों-(अ०) 1 झूठ-मूठ, यों ही 2 सिर्फ कहने भर के लिए, झुरना-(अ० क्रि०) 1 अंदर ही अंदर विकल रहकर घुलना नाम मात्र को 2 सूखना 3 कुम्हलाना, मुझाना
झूबना-(अ० क्रि०) = झूमना झुरमुट-(पु०) 1 घनी झाड़ियों का समूह (जैसे-झुरमुट में छिप झूम-(स्त्री०) 1 झूमने की क्रिया 2 ऊँघने की अवस्था जाना) 2 बहुत से लोगों का समूह
झूमक-(पु०) 1 झूम-झूमकर नाचनेवाला नाच, नृत्य, झुमकरा झुरवन-(स्त्री०) = झुरावन
2 झूमर नृत्य के साथ होनेवाला गीत 3 झुमका 4 मोतियों आदि झुरवाना-(स० क्रि०) 1 झुरने में प्रवृत्त करना 2 सुखाना का गुच्छा। साड़ी जिसमें मोतियों के गच्छे टके हों (जैसे-धान झुरवाना)
झूमका-(पु०) 1 = झूमक 2 - झुमका झुरहुरी-(स्त्री०) = झुरझरी
झूमड़-बो० (पु०) = झूमर । झामड़ (पु०) व्यर्थ का झुराना-I बो० (अ० क्रि०) 1 सूखना 2 झुरना II (स० | प्रपंच, आडंबर क्रि०) 1 झुरने में प्रवृत्त करना 2 सुखाना
झमना-(अ० क्रि०) 1 इधर-उधर हिलना, झोंके खाना झरी-(स्त्री०) त्वचा पर पड़नेवाली शिकन। दार + फ़ा० (जैसे-हवा के झोंके से पेड़ों की डालियों का झूमना) (वि०) जिसके शरीर पर झुर्रियाँ पड़ी हों
2 लड़खड़ाना (जैसे-शराब के नशे में झूमना) 3 लहराना झुलका-बो० (पु०) = झुनझुना
(जैसे-सिनेमा के गीत सुनकर मस्ती में झूमना)। झामना झलना-I (पु०) 1 झुल्ला, ढीला कुर्ता 2 झूला II (वि०) | (अ० क्रि०) इधर-उधर डोलना झूलनेवाला
झूमर-(पु०) 1 होली में नाच के साथ गाया जानेवाला गीत झलनी-(स्त्री०) 1 मोतियोंवाली लटकन 2 झूमर
2 सिर का एक गहना 3 कान में पहनने का झमका 4 स्त्रियों का झलमला-बो० (वि०) = झिलमिला।
घेरे में नाच-गाना झुलवाना-(स० क्रि०) अन्य से झुलाने का काम कराना झूरा-बो० (वि०) सूखा, खुश्क झुलसना-(अ० क्रि०) 1 त्वचा का कुछ-कुछ जल जाने के रै-(क्रि० वि०) 1 व्यर्थ ही, बेकार 2 बिना किसी सामग्री कारण काला पड़ जाना (जैसे-रोटी पकाते समय हाथ झुलसना) 2 सूखकर काला पड़ना (जैसे-गेहूँ की बलियाँ | झूल-(स्त्री०) 1 झूलने की क्रिया 2 मवेशियों की पीठ पर डाला झुलसना)
| जानेवाला कपड़ा 3 ढीला-ढाला भद्दा पहनावा झलसवाना-(स० क्रि०) झुलसाने का काम अन्य से कराना झूलन-बो० (पु०) 1 झूलने का उत्सव 2 हिंडोला झुलसाना-(स० क्रि०) 1 झुलसाना 2 झुलसवाना
झलना-I (अ० क्रि०) 1 इधर-उधर लहराना 2 पेंग लगाकर झलाना-(स० क्रि०) 1 इधर-उधर हिलाना (जैसे-पालना
बार-बार आगे-पीछे होना 3 किसी आशा में लटके रहना झुलाना) 2 लटकाकर हिलाना (जैसे-पंखा झलाना) 4 लटक जाना (जैसे-फाँसी पर झूलना) II (पु०) हिंडोला झुहिरना-(अ० क्रि०) लदना, लादा जाना
III (वि०) झूलनेवाला झैझल-बो० (स्त्री०) झुंझलाहट
झूला-(पु०) 1 झूलने का साधन 2 हिंडोला 3 जंजीरों आदि का झूटा-I (वि०) झूठा II (पु०) पेंग
बना खंभे का पुल, झूलता पुल झूट-I (पु०) झूठ II (वि०) झूठा
झूली-(स्त्री०) वह कपड़ा जिससे हवा करके अन्न ओसाया झूट-(पु०) जो बात सच न हो
जाता है झूठ-I (पु०) मिथ्या, असत्य II (वि०) झूठा, असत्य। । झंपना-(अ० क्रि०) संकोच करना, लज्जित होना यानी + अ० + फ्रा० (स्त्री०) असत्य बात कहना,
झेंप-(स्त्री०) संकोच, लज्जा बताना; ~भरा (वि०) असत्यपूर्ण; ~मूठ (अ०) 1 बिना
झेंपाना-(स० क्रि०) लज्जित करना सत्य आधार के, झूठ ही (जैसे-झूठ-मूठ किसी को तंग झेपू-(वि०)झेंपनेवाला, लज्जालु, संकोची करना) 2 यों ही बहकाने के लिए; ~का पुतला बहुत झूठा
झेपना-(अ० क्रि०) = झेंपना आदमी; का पुल बाँधना झूठ पर झूठ बोलते जाना;
झेल-(स्त्री०) 1 झेलने की क्रिया 2 हल्का एव सुखद आघात लाव जोड़ना सच्ची बात में भी झूठी बात मिलाकर कहना । 3 हिलोरा
cataliti LILILLEL
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झेलना
झेलना - (स० क्रि० ) 1 सहना 2 बर्दाश्त करना (जैसे-दुःख झेलना) 2 ठेलना
झेलनी - (स्त्री०) चाँदी, सोने की ज़ंजीर जो कान के गहनों का बोझ सँभालने के लिए बालों में अटकाई जाती है (जैसे- नथ की झेलनी, बालों की झेलनी) झोंक - (स्त्री०) 1 झोंकने की क्रिया 2 मन की प्रवृत्ति (जैसे-झोंक में आकर कोई काम कर बैठना ) 3 धुन, आवेश 4 दे० झोंका 5 दे० झोंकी 6 तीव्रता (जैसे नींद के झोंके में पलंग से गिर जाना) 7 झुकाव। ~दार + फ़ा० (वि०) जो झुका हुआ हो
झोंकना - (स० क्रि०) 1 आगे की ओर फेंकना (जैसे-कोयला झोंकना) 2 धकेलना (जैसे- आग में झोंकना) 3 उड़ाना, खर्च करना (जैसे- नाच-गाने में उसने हज़ारों रुपए झोंक दिए) झोंकवा - (पु० ) भाड़ आदि झोंकने का काम करनेवाला झोंकवाना - (स० क्रि०) झोंकने का काम किसी अन्य से
करवाना
झोंका - ( पु० ) 1 वेगपूर्वक चलेन वाली हवा 2 हिलोरा 3 झटका, आघात 4 अचानक आनेवाली नींद
झोंकाई - (स्त्री०) 1 झोंकने की क्रिया 2 झोंकने का पारिश्रमिक झोंकिया- (पु० ) झोंकवा झोंकी - (स्त्री०) 1 जोखिम 2 जवाबदेही, उत्तरदायित्व झोंझ - I बो० ( पु० ) विशिष्ट पक्षियों के गले में लटकनेवाली मांस की झालर
झोंझ - II ( पु० ) घोंसला । ~मारना अनुचित बात की कामना
होना झोंझल- (स्त्री०) झुंझलाहट झोंट - (पु० ) 1 झाड़ी 2 पौधों का झुरमुट 3 घास-फूस आदि का पूला, जूरी 4 झुंड, समूह
झोंटा - I (पु०.) सिर पर के लंबे-लंबे बालों का समूह ।
~ झोंटी (स्त्री०) स्त्रियों की आपस में झोंटा पकड़कर होनेवाली लड़ाई; झोंटी करना झोंटा पकड़कर लड़ना झोंटा - II ( पु० ) 1 भैंसा 2 भैंस का बच्चा झोंपड़ पट्टी - ( स्त्री०) झोंपड़ियों का मुहल्ला झोंपड़ा - ( पु० ) घास-फूस से छाया हुआ छोटा कच्चा घर, कुटिया, मँ
=
झोंपड़ी - (स्त्री०) छोटा झोपड़ा, कुटी
झोंपा - ( पु० ) 1 झब्बा 2 गुच्छा झोकना - (स० क्रि०) झोंकना झोका - (पु०) झोंका झोझ - I ( पु० ) झोझा - (वि०) तोंदवाला झोटिंग - (वि०) झोटेवाला
=
झोंझ
=
झोपड़ा - (पु० ) झोंपड झोर - बो० ( पु० )
=
झोल
झोरना - (स० क्रि०) 1 ज़ोर से हिलाना, झकझोरना 2 डाल को ज़ोर से हिलाना कि फल गिर जाए (जैसे- आम की डाल झोरना) 3 बटोरना 4 छककर भोजन करना झोल - I ( पु० ) 1 झूलना, लटकना 2 लटकनेवाला अंश 3 आँचल 4 परदा । ~ झाल (वि०) 1 ढीला-ढाला 2 व्यर्थ, बेकार 3 बुरा, दूषित II (०) 1 वह झिल्ली जिसमें लिपटा
=
I ( पु० )
झोंझ II
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टंका
हुआ बच्चा पैदा होता है, जरायु 2 गर्भ III ( पु० ) 1 जलन, दाह 2 भस्म, राख IV (पु० ) 1 रसा, घोल 2 मामड़ V (पु० ) अंडे-बच्चे झोलना - (स० क्रि०) तपाना, जलाना 2 दुःखी करना झोला - ( पु० ) 1 कपड़े आदि का बना थैला 2 खोली, गिलाफ 3 साधुओं का ढीला-ढाला कुर्ता 4 पाल की रस्सी को ढीला करने की क्रिया
झोली - I (स्त्री०) 1 छोटा थैला, थैली 2 चारों कोने बाँधकर कंधे आदि से लटकाया हुआ कपड़ा जो थैले का काम दे 3 अनाज ओसाने का कपड़ा 4 घास भूसा बाँधने का जाल 5 गोद (जैसे- बच्चे को झोली में लेना) । ~ डालना भिक्षा ग्रहण हेतु झोली फैलाना - झोली - II (स्त्री०) राख, भस्म झोलेदार - I हिं० + फ़ा० (वि०) रसेदार झोलेदार - II हिं० + फ़ा० (वि०) 1 जिसपर मुल्म्मा हुआ 2 जिसमें झोल पड़ता हो झझट-बो० (स्त्री०) झौंद - (पु० ) झोंझ (पेट)
झंझट
झौड़ - (स्त्री०) 1 कहा-सुनी 2 डाँट फटकार 3 झंझट, बखेड़ा झौर - ( पु० ) 1 समूह 2 गुच्छा
झौरे - ( क्रि० वि० ) 1 पास, निकट 2 साथ, संग झौवा - बो० (पु० ) झौआ
झौहाना - ( अ० क्रि०) क्रुद्ध होकर झल्लाते हुए बोलना
=
=
ट
टंक - I सं० (पु० ) 1 चार माशे की एक तौल 2 उक्त तौल का बटखरा 3 उक्त तौल का चाँदी का सिक्का । ~शाला (पु० ) (स्त्री०) टकसाल
टंक - II सं० (पु० ) 1 पत्थर काटने और गढ़ने की टाँकी 2 कुदाल, फरसा 3 कुल्हाड़ी 4 तलवार 5 तलवार की म्यान 6 अभिमान, घमंड 7 क्रोध, गुस्सा
टंक-III अं० (पु०) 1 तालाब 2 बड़ा हौज़
टंक - IV अं० (पु०) युद्धयान, टैंक । ~मार + हिं० (वि०) टैंकतोड़
टंकक - Iसं० (पु०) चाँदी का सिक्का; ~शाला (स्त्री०) सिक्के ढालने का कारखाना, टकसाल
टंकक - II सं० (पु० ) टाइप करनेवाला, टाइपिस्ट । ~शाला (पु० ) टंकण यंत्र बनाने का कारखाना
टंकण -सं० (पु० ) 1 टाइप करना 2 सिक्कों आदि की ढलाई । ~यंत्र ( पु० ) टाइप-राइटर
टैंकना - (अ० क्रि०) 1 टाँका जाना 2 सिलना 3 सिलाई द्वारा अटकाया जाना 4 सिल आदि का कुटना टैंकवाना - (स० क्रि०) 1 टाँका लगवाना 2 सिलवाना 3 सिल आदि कुटवाना
टंका - I (पु० ) 1 टंक नाम की पुरानी तौल 2 टका (सिक्का)
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टैंकाई
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टक्क
II (स्त्री०) 1 जांघ 2 संपूर्ण जाति की एक रागिनी टकराना) 3 छेड़ना, बाधा डालना 4 संघर्ष करना (जैसे-अ टैकाई-(स्त्री०) 1 टाँकने की क्रिया 2 टाँकने का पारिश्रमिक बदमाश से टकराना अच्छा नहीं है) 5 सहसा आघात कर टैंकाना-I (स० क्रि०) 1 टाँके लगवाना 2 सिल आदि (जैसे-किले की दीवार से लहरों का टकराना) 6 इधर-उध
कुटवाना II (स० क्रि०) याददाश्त, स्मरण हेतु लिखवा देना मारा-मारा फिरना, ठोकरें खाना II (स० क्रि०) दो वस्तुऊं टंकार-1 सं० (स्त्री०) 1 धनुष की ध्वनि 2 धातु आदि की को आपस में लड़ा देना टन-टन, टनाका
टकराव-(पु०), टकराहट (स्त्री०) भिडंत टंकार-सं० 1 (स्त्री) 1 चिल्लाहट 2 आश्चर्य विस्मय, टकसाल-(स्त्री०) 1सिक्के आदि ढालने का कारखाना 24 अचरज
हर तरह से निर्दोष एवं प्रामाणिक हो। चढ़ाना ऐसी जगा टंकारना-सं० - हि० (स० क्रि०) 1 धनुष की प्रत्यंचा तानकर ले जाना जहाँ भलाई-बुराई की परख हो सके; बाहर
छोड़ना जिससे टन-टन ध्वनि उत्पत्र हो 2 टन-टन शब्द उत्पन्न प्रामाणिक न मानी जाती हो करना
टकसालना-(स० क्रि०) सिक्कों में ढालना टंकिका-सं० (स्त्री०) टाँकी, छेनी
टकसाली-(वि०) 1 टकसाल का 2 टकसाल में ढला हा टंकी-अं० + हिं० (स्त्री) कुंड, हौज, हौदी (जैसे-टंकी में | 3खरा 4 चलनसार एवं मान्य, सम्मत 4 प्रामाणिक
पानी नहीं है) टैकुआ-बो० (वि०) जिस पर कुछ टाँका गया । (जैसे-उनकी हर बात टकसाली होती है) हो (जैसे-टॅकुआ दुपट्टा)
टकहाई-(स्त्री०) = टकाही । टंकोर-(स्त्री०) . टंकार |
टकहाया-(वि०) = टकाहा टंकोरना-(स० क्रि०) . टंकारना
टकही-(वि०) टके भर का, सस्ता टंकौरी-(स्त्री०) बहुत छोटी तराज़
टका-(पु०) 1 चाँदी का पुराना सिक्का, रुपया 2 अंग्रेज़ी शासन टंग-सं० (पु०) 1 टॉग ? कुल्हाड़ी 3 फरसा 4 चार माशे की काल में प्रचलित दो पैसे का सिक्का, अधना 3 आधी छरक एक तौल, टंक
की तौल 4 धन-संपत्ति, रुपया-पैसा । ~पास न होना निर्ध टैंगड़ी-(स्त्री०) 1 टाँग पैर 2 अडंगा। -बाज़ - फ़ा० अड़गे होना; ~भर ज़रा सा, बहुत कम; ~सा जवाब देना साफ लगानेवाला
इन्कार कर देना ~सा मुँह लेकर रह जाना निराशा से.लज टंगण-सं० (१०) सोहागा
जाना; टके को न पूछना कोई मूल्य न रह जाना टैंगना-1 (अ० क्रि०) 1 टाँगा जाना 2 अटकाया जाना, जड़ा टकाटकी-(स्त्री०) = दे० टकटकी
जाना 3 फाँसी पर चढ़ाया जाना || (पु०) अलगनी टकार-सं० (पु०) 'ट' वर्ण टैंगरी-(स्त्री०) . टॅगडी
टकासी-(स्त्री०) 1 एक रुपपये पर प्रतिमास दो पैसे मुद लेने टैगाना-(स० क्रि०) टाँगने में पवन करना (जैसे-दीवार पर देने का ढंग 2 मध्ययुग में प्रत्येक गक्ति पर एक टके के तस्वीर टॅगाना)
हिसाब से लगनेवाला चंदा । टंग्स्टन-अं० (१०) क्रोमियम की जाति का एक धातु तत्त्व टकाहा-बो० (वि०) टके-टके पर बिकनेवाला, अत्यंत तुच्छ, टंच-1बो० (विल) 1 अत्यधिक कंजूस 2 दुष्ट 3 धूर्त, काँइयाँ, । हीन चंट 4 निष्टर
टकाही-I (स्त्री०) अत्यंत निम्न कोटि की वेश्या, बहुत है। टंच-II (वि०) 1 तैयार ? हृष्ट पुष्ट 3 ठीक-ठाक
दुश्चरित्रा स्त्री II बो० (स्त्री०) = टकासी टंट-घंट-(पु०) 1 पूजा-पाठ की आडंबरपूर्ण पद्धति, प्रपंच टकुआ-(पु०) 1 चरखे में का तकला 2 अँकुसीदार औजार 2 फ़ालतू सामान
| (जैसे-मोची का टकुआ) टंटा-(प०) 1 झंझट 2 सारहीन लड़ाई-झगड़ा, व्यर्थ का | टकुली-(स्त्री०) 1 पत्थर काटने की छेनी 2 नक्काशी करने का वैर-विरोध 3 फ़ालत सामान का फैलाव
___ एक औज़ार 3 छोटा टकुआ टंडल-(१०) टंडैल,
टकैत-(वि०) टकेवाला, धनवान, अमीर टैंडिया-(स्त्री०) बाँह पर पहना जानेवाला गहना
टकोर-(स्त्री०) 1 टंकार 2 डंके की चोट, नगाड़े की आवाब टंडैल-(पु०) मज़दूरों का मेट
3 हलका आघात, हलकी चोट 4 सेंक टक-(स्त्री०) गढ़ाकर लगी नजर, टक-टकी (जैसे-एक टक | टकोरना-(स० क्रि०) 1 धीरे से आघात करना 2 बजान देखना) दे० एकटक। लगाना । आसरा देखते रहना । 3 डंके आदि पर चोट करना 4 सेंक देना एकटक देखते रहना
टकोरा-(पु०)1 डंडे की चोट 2 आघात, ठेस टकटकाना-1बी (स० क्रि०) टकटकी लगाकर किसी की टक्क-सं० (पु०) 1 वाहीक जाति का आदमी 2 कंजूस
और देखते रहना ।। ( क्रि०) टक-टक ध्वनि उत्पन्न करना टक्कर-(स्त्री०) 1 आपस में भिड़ जाना, भिड़त (जैसेनेल टकटकी-(स्त्री०) स्थिर दृष्टि. एक टक
और बस की रक्कर में अनेक लोग मारे गए) 2 ठोक टकटोना, टकटोग्ना, टकटोलना-(म० क्रि०) टटोलना (जैसे-बाल्टी से टक्कर लगकर उसका सिर फट गया टकटोहन-(प.) टटोलकर देखना
3 मुकाबला (जैसे-आज अखाड़े में दो पहलवानों की टक्क टकतंत्री-सं० (सी) सितार की तरह का बाजा है)। का मुकाबले का; ~का होना बराबर होन टकराना-1 । अ० कि.। 1दी वस्तओं का आपस में भिड़ ~खाना 1 मारा-मारा फिरना 2 मकाबले का होना; ~मारन
जाना ? ठोकराना । जैसे- आदमी का रास्ता चलने पन्थर से । हैरान होना; ~लेना मुकाबला करना
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टखना
टखना - (पु० ) पिंडली एवं एड़ी के बीच की दोनों ओर उभरी हड्डी, गुल्फ
टगण-सं० (पु० ) छह मात्राओं का एक गण
टघरना - (अ० क्रि०) पिघलना (जैसे- हल्की आँच पाकर घी टघरना)
टघराना - (स० क्रि०) आँच पर पिघलाना
टघार - (पु० ) 1 पिघलना 2 पिघलने पर बहनेवाली धार टटका - (वि०) 1 हाल का 2 ताज़ा 3 कोरा, नया टटाना - बो० (अ० क्रि०) 1 शुष्क होना, सूखना 2 सूखकर अकड़ना 3 भूख आदि से व्याकुल होना टटिया-बो० (स्त्री०) टट्टी टोल - (स्त्री०) टटोलने की क्रिया, तलाश
=
टटोलना - (स० क्रि०) 1 छूकर पता लगाना 2 तलाश करना, ढूढ़ना 3 ( मन की) याह लेना 4 आज़माना टट्टनी -सं० (स्त्री०) छिपकली
टट्टर - (पु०) परदे के लिए बनाया बाँस की फट्टियों का जालीदार
पल्ला
टट्टरी-सं० (स्त्री०) 1 नगाड़े आदि की आवाज़ 2 लंबा कथन 3 हँसी-मज़ाक, ठट्ठा
टट्टा - (पु० ) 1 टट्टर, बड़ी टट्टी 2 लकड़ी का तख्ता पल्ला टट्टी - (स्त्री०) 1 छोटा टट्टर, पल्ला 2 ओट, परदा, चिक 3 पल्ले की दीवार 4 शिकार खेलने की आड़ 5 पाखाना 5 अंगूर आदि की लतर चढ़ाने के लिए बनाई गई बाँस की फट्टियों की दीवार । ~ की आड़ से शिकार खेलना छिपाकर चाल चलना, गुप्त कार्यवाई करना; की ओट बैठना छिपकर कोई कार्य करना; में छेद करना खुले आम कुकर्म करना, निर्लज्ज हो जाना
टट्टू- (पु०) छोटे कद का घोड़ा। भाड़े का ~ पैसे के लालच में काम करनेवाला; पार होना प्रयोजन सिद्ध हो जाना, काम पूरा होना
टड़िया-बो० (स्त्री०) टाड़ (गहना)
=
टण- (पु० ) = टना
टन - (पु० ) घंटा बजने का शब्द, टंकार हो जाना झट से
मर जाना
2
टन-अं० (पु० ) 29 ' मन के बराबर की एक अंग्रेजी तौल टनकना - (अ० क्रि०) 1 टन टन शब्द होना 2 अत्यधिक धूप के कारण सिर में पीड़ा होना
टनटनाना-I (स० क्रि०) टन टन शब्द उत्पन्न करना (जैसे- घंटा टनटनाना) II (अ० क्रि०) टन टन की आवाज़ होना
टनमन - I (पु० ) जादू-टोना, तंत्र-मंत्र II (वि०) =टनमना टनमना - (वि०) 1 नीरोग एवं स्वस्थ 2 प्रसन्नचित और मन टना - (पु० ) 1 भग, योनि 2 स्त्रियों की योनि में का निकला हुआ वह टुकड़ा जो दोनों किनारों के मध्य होता है, टिंगा, भगनासा टनाका - I (पु० ) 1 घंटा बजने का शब्द 2 कुछ समय तक टन टन ध्वनि का होते रहना II (वि०) बहुत ही तेज़ उग्र (जैसे-टनाका धूप, टनाका ठंड )
323
टनाटन - I (स्त्री०) लगातार घंटा बजने से होनेवाला टन टन शब्द II (क्रि० वि०) 1 टन टन शब्द करते हुए 2 अच्छी एवं ठीक अवस्था में
टमुकी
टनेल -अं० (स्त्री०) पहाड़ या नदी के नीचे से निकाली गई सुरंग टप - I स्त्री० 1 तरल पदार्थ की बूँद के गिरने से होनेवाला शब्द
2 यकायक किसी भारी वस्तु के गिरने से होनेवाला शब्द टप - II ( पु० ) एक औज़ार जिससे ढिबरी के पेच को 'घुमावदार बनाते हैं
टप -अं० (पु० ) टीन आदि का बना हुआ चौड़े मुँह का बर्तन,
टब
टपक -- (स्त्री०) 1 टपकने की क्रिया 2 टप टप शब्द 3 फोड़े आदि से मवाद के कारण होनेवाला दर्द, टीस टपकना - (अ० क्रि०) 1 बूँद-बूँद गिरना (जैसे-भीगे कपड़े से पानी टपकना) 2 ऊपर से सहसा गिरना (जैसे-पेड़ से आम टपकना) 3 सहसा आ पहुँचना (जैसे-अरे आप कहाँ से आ टपके) 4 रह-रहकर दर्द होना (जैसे-फोड़ा टपकना) 5 भावना का आभासित होना, झलकना (जैसे उनकी आँखों से सदा प्रेम भाव टपकता रहता है) 6 मोहित होना, लुभा
जाना
टपका-(पु० ) 1 टप टपकर गिरने की अवस्था 2 टपका हुआ फल आदि 3 रह-रहकर होनेवाली पीड़ा, दर्द 4 चौपायों के खुर में होनेवाली एक बीमारी 5 रसकर निकली हुई चीज़, रसाव ~ टपकी (स्त्री०) 1 रह-रहकर टपकना (जैसे- जामुन की टपका- टपकी) 2 रह-रहकर होनेवाली बूँदा बाँदी, हल्की वर्षा टपकाना - (स० क्रि०) 1 छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में गिराना 2 चुआना
टपकाव - (पु० ) टपकने टपकाने की क्रिया टपकी - (स्त्री०) 1 टपकने की क्रिया 2 अचानक होनेवाली मृत्यु । पड़े बर्बाद हो जाय (बोल-चाल ) टपकेबाज़ - + फ़ा० (पु०) वह जो दूसरों को मूर्ख बनाकर लग लेता है।
टपना-I (अ० क्रि०) 1 बिना खाए-पीए पड़े रहना 2 व्यर्थ किसी के भरोसे बैठें रहना 3 पशु-पक्षियों का जोड़ा खाना, संभोग करना 4 उछलना, कूदना II (स० क्रि०) 1 लाँघना 2 ढकना, आच्छादित करना
टपनामा हिं० + फ़० (पु०) वह रजिस्टर जिसमें समुद्री जहाजों पर तूफानों आदि का लेखा रहता है टपरा (पु० ) = टप्पर टपाटप - ( क्रि० वि०) 1 टप टप शब्द करते हुए (जैसे- टपाटप आँसू गिरना) 2 निरंतर, लगातार 3 चटपट, तुरंत टपाना - (स० क्रि०) 1 बिना खिलाए -पिलाए रखना 2 झूठ-मूठ परेशान करना 3 व्यर्थ आसरे में रखना 4 लधाना, पार कराना 5 पशु-पक्षियों का जोड़ा मिलाना, संभोग कराना टपाल - (स्त्री०) भेजी जानेवाली चिट्ठी-पत्री. डाक टप्पर बो० ( पु० ) 1 झोपड़ा, छप्पर 2 बिछाने का टाट टप्पा- (पु० ) 1 उछलती हुई वस्तु का बीच-बीच में पृथ्वी ना 2 वह फ़ासला जहाँ तक कोई वस्तु पहुँचे 3 उछाल, फलॉग टब-स्नान-अं० + सं० (५०) टब में विशेष आसन में बैठकर
नहाना
टमकी - ( स्त्री०) डुगडुगी नामक बाजा टमटम-अं० (स्त्री०) दो पहियोंवाली ऊँची पोडागाडी टमाटर - (पु० ) टोमाटो, गोल सब्जी टमुकी - (स्त्री०)
टमकी
IM
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टाँचनी
टर-(सी०) 1कर्कश ध्वनि (जैसे-मेढक का टर-टर होना) | टहना-(पु०) बहुत बड़ी तथा मोटी टहनी 2 ईद के चाँद का मेला 3जिद
टहनी-(स्त्री०) वृक्ष की शाखा, डाली टरकना-(अ० क्रि०) = टलना
टहल-(स्त्री०) सेवा-सुश्रूषा, ख़िदमत। ~टई (स्त्री०) टरकाना-(स० क्रि०) = टालना
सेवा-सुश्रूषा; ~टकोर, टकोरी (स्त्री०) = टहल टरकी-अं० (पु०) पीरू पक्षी (अमरीकी)
टहलना-(अ० क्रि०) धीरे-धीरे चलना, मंद गति से भ्रमण टरकुल-(वि०) 1घटिया, निकम्मा 2 बहुत ही साधारण __करना हवाख़ोरी करना। -जाना चुपचाप चले जाना टरटराना-(अ० क्रि०) 1अंड-बंड बकना, लगातार व्यर्थ की । टहलनी-I (स्त्री०) 1 सेविका 2 मजदूरनी
बात करना 2 ज़ोर-ज़ोर से बोलना (जैसे-मेंढक) टहलनी-II (स्त्री०) दीये की बत्ती उसकाने की छोटी सींक टरना-बो० (अ० क्रि०) = टलना
टहलाना-(स० क्रि०) चलाना, घुमाना-फिराना टाइन-अं० (स्त्री०) गैस संचालित इंजन
टहलुआ-(पु०) सेवा करनेवाला व्यक्ति टर्र-टर्र-(स्त्री०) मेढक की तीव्र एवं कर्कश ध्वनि, मेढक की टहलुई-(स्त्री०) = टहलनी I __ आवाज़
टहलू-बो० (पु०) = टहलुआ टर्रा-(वि०) 1 कटुवादी 2 ऐंठकर बात करनेवाला 3 कठोर एवं टही-बो० (स्त्री०) 1 थाक 2 छोटी-मोटी युक्ति कर्णकटु (शब्द) 4 धृष्ट
टाआटारी-बो० (स्त्री०) चुगलखोरी टर्राना-(अ० क्रि०) 1 गर्व के साथ बातें करना 2 कटुवचन टहका-(पु०) 1 पहेली 2 चुटकुला कहना
टोका-(पु०) 1 हाथ-पैर से किया गया हल्का आघात 2 ठेस टर्स-(पु०) 1 अनावश्यक रूप से बोलनेवाला व्यक्ति 2 टर्रा 3 छटका आदमी 3 मेढक
टॉक-I (स्त्री०)- 1 चार माशे की एक तौल 2 अंश, हिस्सा टलन-I सं० (पु०) घबड़ाहट II (स्त्री०) टलने की अवस्था ___II1 टाँकने की क्रिया 2 लिखावट 3 क़लम का अगला भाग टलना-(अ० क्रि०) 1विचलित होना 2 खिसकना 3 अपने ___ III मान, मूल्य आदि का अनुमान, कूत स्थान से हटना, सरकना 4 मिटना 5 खंडित होना 6 स्थगित टांकना-(स० क्रि०) 1 सिलाई करके जोड़ना, सिलाई करके होना
दृढ़ करना (जैसे-रज़ाई टाँकना) 2 सूई डोरे से सीकर लगाना टलमल- (वि०) हिलता हुआ
(जैसे-बटन टॉकना) 3 सिल कूटना 4 स्मरण हेतु लिखना टलआ-I (वि०) टाल संबंधी II (पु०) टाल का स्वामी (जैसे-बही पर टॉकना) टल्ला -(पु०) 1 ठोकर 2 धक्का 3 टाल-मटोल
टाँका-I (पु०) सीवन (जैसे-कमीज़ के टॉक खुल गए) टल्लेनवीसी- +फ्रा० (स्त्री०) 1निकम्मे काम 2 बहानेबाज़ी 2 सिलाई के दिखनेवाले चिह्न, निशान 3 टाँका लगाकर जोड़ा टल्लेबाज़ी- + फ्रा० (पु०) बहानेबाज़
जानेवाला टुकड़ा, चकती 4 धातुओं का जोड़ 5 धातुएँ जोड़ने टल्लो-बो० (स्त्री०) छोटी हरी टहनी
का मसाला 6 छेनी टवर्ग-सं० (पु०) वर्णमाला के ट, ठ, ड, ढ एवं ण व्यंजनों का | टाँका-II (पु०) 1 हौज़ 2 कंडाल समूह
टाँकाटूक-(वि०) तौल में ठीक-ठाक टस-(स्त्री०) 1 भारी वस्तु के खिसकने का शब्द 2 ज़ोर लगाए टॉकी-I (स्त्री०) 1 छेनी 2 काटकर बनाया गया छेद 3 आरी जाने पर भी भारी चीज़ के अपने स्थान से न हिलने की का दाँत। बंद (वि०) टाँक लगाकर जोड़ा हुआ अवस्था। ~से मस न होना 1 ज़रा सा भी न हिलना 2 थोड़ा | टाँकी-II (स्त्री०) = टाँका II सा भी प्रभावित न होना
टाँग-(स्त्री०) 1 जाँघ से लेकर एड़ी तक का भाग 2 कुश्ती का टसक-(स्त्री०) टीस, कसक
एक पेंच जिसमें प्रतिद्वंद्वी की टाँग में टाँग अड़ाकर उसे चित टसकना-I (अ० क्रि०) 1 खिसकना 2 विचलित होना 3 टीस गिराते हैं। ~अड़ाना अनाधिकार हस्तक्षेप करना, बाधा उठना 4 फलों आदि का पककर गदराना II (अ० क्रि०) डालना, दखल देना; ~उठाना 1 जल्दी-जल्दी चलाना धीरे-धीर रोते हुए आँसू बहाना
2 प्रसंग करना; तले से निकलना पराजय स्वीकार करना; टसकाना-(स० क्रि०)1 खिसकाना 2 विचलित करना 3 आँसू पसारकर होना 1 बे खटके सोना 2 निश्चिंत रहना बहाना
टाँगन-(पु०) छोटे कद का घोड़ा, टट्ट टसना-(अ० क्रि०) मसकना, दरकना
टाँगना-(स० क्रि०) 1 अटकाना (जैसे-खटी पर कपड़े टाँगना टसर-(पु०) 1 मटमैले पीले रंग का मोटा रेशम 2 ऐसे ही रेशम | ___ 2 फाँसी देना का बना हुआ कपड़ा
टाँगा-I (पु०) कुल्हाड़ा II (पु०) दो ऊँचे पहियोंवाली एक टसरी-(वि०) 1 टसर का बना हुआ 2 टसर जैसा मटमैला घोड़ा गाड़ी टसुआ-बो० (पु०) आँसू, अश्रु
टाँगी-(स्त्री०) = टाँगा I टहक-(स्त्री०) 1 टहकने की क्रिया 2 रह-रहकर दर्द होने की | टाँच-(स्त्री०) 1 टाँचने की क्रिया 2 टाँका 3 चकृती 4 काटकर अवस्था
निकाला गया अंश 5 छीलन टहकना-(अ० क्रि०) 1 रह-रहकर दर्द होना 2 पिघलना टाँचना- (स० क्रि०) 1 टाँकना 2 सिलाई करना 3 काट-छाँट 3टक-टक शब्द करना
करना 4 उल्टी-सीधी बात कहकर काम में बाधा खड़ी करना टाटहा-(वि०) 1 हरा-भरा, लहलहाता हुआ 2 टटका, ताज़ा | टाँचनी-(स्त्री०) टाकने का उपकरण
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टाँची
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टाला
हाना
द्वीप
टोची-I (स्त्री०) पतली लंबी थैली II (स्त्री०) = टाँच ~उलटना दिवाला निकलना टॉट-(पु०) खोपड़ी। ~के बाल तक उड़ जाना अत्यधिक टाटर-(पु०) 1दे० टट्टर 2 ठठरी, खोपड़ी दुर्दशा होना
टाठ-(पु०) 1 बड़ी थाली 2 बटुआ, बटलोई टाँठा-I (वि०) कड़ा एवं नीरस II (वि०) = टाठा टाठा-I (वि०) 1 मोटा-ताज़ा, हृष्ट-पुष्ट 2 उग्र, विकट II = टाँड-I (स्त्री०) 1 सामान रखने के लिए बनी हई लकड़ी या टाँठा
ईंट-सीमेंट की पाटन, आलमारी जैसा ढाँचा 2 मचान टान-I (स्त्री०) 1 तनाव, खिंचाव 2 आकर्षण 3 मुद्रण में टाँड-II (स्त्री०) बाँह पर पहनने का एक गहना
काराज़ पर पड़ी छाप 4 सितार बजाने का ढंग II (स्त्री०) = टाँड़-III (पु०) 1 समूह राशि 2 टाँडा
टाँड III (पु०) टान, मचान टाँडा-I (पु०) चौपायों का झुंड जिसपर व्यापारी सामान लादकर टानना-(स० क्रि०) 1 तानना 2 खींचना 3 काराज़ पर कुछ
चलते हैं 2 चौपायों पर माल लादकर ले जाने की व्यवस्था | छापना 3 लादकर ले जाया जानेवाला सामान 4 पैदल यात्रियों, बंजारों, टानिक-अं० (पु०) चि० पोषक तत्वों से बनी स्वास्थ्यवर्द्धक व्यापारियों आदि के दलों का प्रस्थान का दल 5 बंजारों दवाई व्यापारियों आदि का दल 6 ढेर
टाप-(स्त्री०) 1 खुर का निचला हिस्सा 2 खुर के ज़मीन पर टाँडा-II (पु०) गत्रे की फसल में लगनेवाला हरा कीड़ा आघात होने से उत्पन्न शब्द टाँडी-(स्त्री०) = टिड्डी
टापड़-(पु०) ऊसर मैदान टाँय-टाँय-(स्त्री०) कर्कश स्वर में कही गई निरर्थक बात, टापना-(अ० क्रि०) 1 टाप मारना जिससे टप-टप शब्द हो, बक-बक। -फिस होना लंबी चौड़ी बातों के बाद भी कोई छंद करना 2 लांघना, पार करना परिणाम न निकलना
टापा-(पु०) 1मैदान 2 झाबा 3 उछाल टॉस-(स्त्री०) नसों में तनाव और पीड़ा
टापू-(पु०) ज़मीन का वह भाग जो चारों ओर जल से घिरा हो. टा-सं० (स्त्री०) 1 पृथ्वी 2 शपथ टाइट-अं० (वि०) कसा हुआ
टॉप्स-अं० (पु०) कान का एक गहना टाइटिल-अं० (स्त्री०) उपाधि शीर्षक। पेज (पु०) पुस्तक | टॉफ़ी-अं० (स्त्री०) एक मिठाई का आवरण पृष्ठ
टाबर-I (पु०) 1बाल-बच्चे, संतान 2 परिवार II छोटा टाईप-अं० (पु०) धातु आदि का वह टुकड़ा जिसपर कोई जलाशय 2 झील
अक्षर या चिह्न खुदा हो। ~कर्ता + सं० (पु०) टाइप टामन-(पु०) तंत्रविधि, टोटका करनेवाला, टाइपिस्ट; ~कत्री + सं० (स्त्री०) टाइप टामी-अं० (पु०) सेना का साधारण विशेषतः गोरा सिपाही करनेवाली महिला; राइटर (पु०) टंकण यंत्र; राइटिंग टायफ्रायड-अं० (पु०) मियादी बुखार (स्त्री०) टाइप करना;
टायर -अं० (पु०) पहिए पर चढ़ाने की एक खोखली वस्तु टाइपिंग-अं० (स्त्री०) टाइप करना
(जैसे-मोटर का टायर जल गया) टाइपिस्ट-अं० (पु०) टंकक
टायलेट-अं० (स्त्री०) 1 प्रसाधनगृह 2 शौचालय, शौचगृह टाइफ़ायद-अं० (पु०) = टायफ्रायड
टार-सं० (पु०) 1घोड़ा 2 लौंडा 3 दलाल, कुटना टाइफोन-अं० (पु०) प्रचंड तूफान, बवंडर
टारना-(स० क्रि०) = टालना । टाइम-अं० (पु०) समय। ~कीपर (पु०) मज़दूरों के समय टारपीडो-अं० (पु०) स्वतः चालित विध्वंसक पनडुब्बी। का हिसाब करनेवाला; -टेबुल (पु०) समय सारिणी; बोट (स्त्री०) स्वतः चालित पनडुब्बी नौका; वाहक +
-पीस (स्त्री०) छोटी घड़ी जो मेज़ आदि पर रखी जाती है | सं० (वि०) पनडुब्बी ले जानेवाला (जैसे-टारपीडो वाहक टाइल-अं० (स्त्री०) 1 (छत पर) खपड़ा 2 (फ़र्श पर) चौका हवाई जहाज़) टाई-अं० (स्त्री०) कपड़े की वह पट्टी जिसे गले में कमीज़ के टार्च-अं० (स्त्री०) बैटरी की मशाल कालर के ऊपर बाँधा जाता है तथा जिसके दोनों सिरे सामने | टार्टर-अं० (पु०) 1 अट्टाल, ढेर 2 दांतों पर जमी मैल लटकते रहते हैं, कंठबंध। ~कालर (पु०) टाई बाँधने का टाल-I (स्त्री०) 1 लकड़ी, पुआल आदि का ढेर, अटाला कालर; पिन (स्त्री०) टाई में लगाई जानेवाली पिन 2 लकड़ी, पुआल आदि की दुकान टाउन-अं० (पु०) नगर । हाल (पु०) नगर का सार्वजनिक | टाल-II (स्त्री०) 1 बहाना 2 टरकाने की क्रिया। टूल, भवन, नगर भवन
ल्मटूल, ~मटोल (स्त्री०) 1 बहानेबाज़ी, हीला-हवाला टाकिज़-अं० (पु०) (बोलता) सिनेमा
2 बार-बार टालने की क्रिया टाकी-फिल्म-अं० (स्त्री०) बोलपट सिनेमा
टाल-III (स्त्री०) = टाली I टाकी-हाउस-अं० (पु०) बोलपट सिनेमाघर
टाल-IV (पु०) औरतों का दलाल, कुटना टाकू-बो० (पु०) तकला, टकुआ
टालना-(स० क्रि०) 1 खिसकाना, हटाना 2 टरकाना 3 स्थगित टाट-(पु०) 1 पटसन का बना मोटा कपड़ा 2 मोटा कपड़ा कर देना 4 उल्लंघन करना, उपेक्षा करना 3 बिरादरी 4 महाजन की गद्दी। बाफ्री + फ्रा० (स्त्री०) टाल-मटूल-(स्त्री०) बहानेबाज़ी 1 टाट बुनने का काम 2 कलाबत्तू का काम; जूता + फ्रा० टाला-(वि०) आधा। ट्रली (स्त्री०) = टाल+ हिं० (पु०) कामदार जूता; बोरा (पु०) = टाट; | मटूल
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टाली
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टिप्पणी
टाली-I (स्त्री०) 1 गाय-बैल आदि के गले में बाँधने की घंटी | टिकुरी-(स्त्री०) = टिकली (तकली)
2 बहुत चंचल बछिया II आठ आने का सिक्का टिकुली-बो० (स्त्री०) माथे पर लगाई जानेवाली धातु आदि की टाहली-बो० (पु०) = टहलुआ
बनी बिंदी, टिकली टिंचर-अं० (पु०) रंजक द्रव्य, घोल
टिकैत-(पु०) 1 राजा के बाद तिलक का अधिकारी होनेवाला टिंड-बो० (पु०) रहट में लगा हुआ धातु आदि का वह पात्र राजकुमार, युवराज 2 अधिष्ठाता जिसके द्वारा कुएँ का पानी सिंचाई हेतू खींचकर बाहर निकाला टिकोरा-बो० (पु०) आम का कच्चा छोटा फल जाता है II (पु०) घुटा, मूड़ा हुआ सिर
टिक्कड़-(पु०) 1 बाँटी 2 बड़ी टिकिया टिंडा-(पु०) 1 एक लता जिसके छोटे गोल फलों की तरकारी टिक्का-(पु०) 1टिकड़ा 2 टीका बनाई जाती है 2 ऐसी लता का फल
टिक्की-बो० (स्त्री) 1 छोटी पूरी या छोटी रोटी 2 छोटी टिंडी-(स्त्री०) 1 हल की मुठिया 2 वह खूटा जिसे पकड़कर टिकिया 3 ताश के पत्ते पर की बूंटी, बँदकी 4 अंगूठे आदि का चक्की का पाट घुमाया जाता है
किसी रंग से बना निशान, टिप्पी टिकई-(वि०) टीका लगा हुआ
टिख-टिख-(स्त्री०) = टिक-टिक टिकट-अं० (पु०) निश्चित मूल्य पर दिया जानेवाला काराज़, | टिघलना-(अ० क्रि०) पिघलना (जैसे-घी टिघलना) दफ़्ती आदि का टुकड़ा (जैसे-रेल टिकट, सिनेमा टिकट)। टिघलाना-(स० क्रि०) पिघलाना (जैसे-आँच पर घी ~कलक्टर (पु०) 1रेल आदि का टिकट इकट्ठा टिघलाना) करनेवाला कर्मचारी 2 टिकट संग्रहक; ~घर + हिं० (पु०) टिचन-(वि०) 1 दुरुस्त, बिलकल ठीक 2 तैयार, उद्यत वह स्थान जहाँ टिकट प्राप्त होता हो, बुकिंग आफिस, टिटकारना-(स० क्रि०) टिक-टिक ध्वनि करते हए घोड़े को
चेकर (पु०) टिकट चेक करनेवाला, टिकट की जाँच हाँकना पड़ताल करनेवाला; दर + हिं० (स्त्री०) टिकट का मूल्य; टिटकारी-(स्त्री०) 1 टिक-टिक करने की क्रिया 2 मुँह से
परीक्षक + सं० (पु०) = टिकट-चेकर; बाबू + हिं० निकलनेवाला टिक-टिक शब्द (पु०) टिकट देनेवाला कर्मचारी; ~संग्रहण + सं० (पु०) टिटिहरी-(स्त्री०) पानी के किनारे रहनेवाली एक चिड़िया, करी टिकट इकट्ठा करना; संग्रही + सं० (पु०) टिकट टिटिहा-(पु०) नर टिटिहरी। ~रोर (पु०) 1 टिटिहरी के इकट्ठा करनेवाला
बोलने का शब्द 2 व्यर्थ का हल्ला-गुल्ला टिक-टिक-(स्त्री०) 1 घड़ी के चलते समय उसमें से उत्पन्न टिट्टिभ-सं० (पु०) टिटिहरी, कुररी (स्त्री० टिट्टिभी) .. होनेवाला शब्द 2 घोड़े आदि को हांकने के लिए किया | टिहा-(पु०) उड़नेवाला बड़ा फतिंगा जानेवाला शब्द
टिही-(स्त्री०) 1 दल बाँधकर उड़नेवाला बड़ा फतिंगा जो टिकटिकी-(स्त्री०) 1 टकटकी 2 अपराधी को बाँधकर बेंत | फसल को नष्ट कर देता है 2 घरों में रहनेवाला छोटा कीड़ा जो लगाने के लिए बना हुआ ढाँचा
कपड़ों आदि को खाता है। दल (पु०) बड़ा झंड टिकठी-(स्त्री०) 1 अरथी 2 फाँसी का तख्ता 3 तिपाई टिढ़-बिंगा-(वि०) टेढ़ा-मेढ़ा टिकड़ा-(पु०) 1 चिपटा गोल टुकड़ा 2 जड़ाऊ गहने में लगा | टिन-अं० (पु०) 1 कनस्तर 2 कलई की हई लोहे की चद्दर
गोल या चौकोर टुकड़ा 3 आँच पर पकाई गई चिपटी मोटी रोटी 3 रॉगा। बंद + फ़ा० (वि०) जो टिन में बंद किया गया हो टिकना-(अ० क्रि०) 1 ठहरना 2 कुछ समय के लिए वास __ (जैसे-टिन-बंद मांस, टिन-बंद फल); बंदी - फ़ा०
करना 3 अड़ना 4 विशेष अवधि तक काम देना 5 जमना | (स्त्री०) टिन में बंद करने का काम; ~शेड (पु०) ऐसा 6 युद्ध में डटना
स्थान जिसके ऊपर टिन की छत हो टिकरी-(स्त्री०) 1 बेसन और मैदे की टिकियों को एक में टिन्नाना-(अ० क्रि०) क्रुद्ध होना
बेलकर एवं घी में तलकर बनाया गया नमकीन पकवान | टिप-(स्त्री०) सर्पदंश से रक्त में विष फैलने की अवस्था 2 टिकिया
टिपकारी-(स्त्री०) ईंटों के रद्दे की सीमेंट से भराई टिकली-I (स्त्री०) 1 माथे पर लगाई जानेवाली काँच आदि की | टिप-टिप-I (स्त्री०) 1 जल की बूंदें गिरने से होनेवाला शब्द
छोटी टुकड़ी, बिंदी 2 टीका नामक आभूषण II छोटी टिकिया 2 छोटी-छोटी बूंदों के रूप में होनेवाली हल्की वर्षा II (क्रि० III तकली
वि०) टिप टिप शब्द करते हुए (जैसे-टिप-टिप पानी बरसना) टिकस-अं० (पु०) टैक्स, कर
टिपवाना-I (स० क्रि०) 1 दबवाना 2 लिखवाना II (स० टिकाऊ-(वि०) टिकनेवाला
क्रि०) प्रहार कराना टिकान-(स्त्री०) 1 टिकने की क्रिया 2 पड़ाव
टिपाई-(स्त्री०) 1टीपना, आँकना 2 टीपने का पारिश्रमिक टिकाना-(स० क्रि०) 1 ठहराना 2 वास के लिए स्थान देना | 3 चित्रकला में आकृतियों आदि की आरंभिक रूप-रेखा 3 सहारे पर खड़ा करना, अड़ाना
अंकित करने की क्रिया 3 दे० टीप टिकाव-(पु०) 1 टिके होने की अवस्था 2 स्थिरता 3 टिकने का | टिपारा-(पु०) तिकोनी टोपी स्थान 4 पड़ाव
टिपुर-(पु०) 1 अभिमान, घमंड 2 आडंबर, ढोंग टिकिया-[ (स्त्री०) 1 ठोस पदार्थ का गोला और चिपटा । टिप्पण-सं० (पु०) नोट
टुकड़ा, बटी (जैसे-दवा की टिकिया) 2 बाटी, लिट्टी टिप्पणी-सं० (स्त्री०) 1 संक्षिप्त रूप में लिखने की क्रिया टिकिया-II (स्त्री०) 1 माथा, ललाट 2 माथे पर लगी बिंदी । 2 संक्षिप्त रूप में लिखा गया लेख, नोट 3 संक्षिप्त विचार,
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टिप्पन
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टुकनी
उपकथन 4 संक्षिप्त टीका ~कार (पु०) टिप्पणी करनेवाला अल्पकालीन ठहराव। टाप (स्त्री०) । टोप करने का काम टिप्पन-(पु०) 1 टीका 2 व्याख्या 3 जन्मपत्री
2 ठाट-बाट, सजावट टिप्पस-बो० (स्त्री०) 1 युक्ति, उपाय 2 प्रयोजन सिद्धि का ढंग टीप-II (स्त्री०) 1 जन्मपत्री 2 हंडी 3 दस्तावेज़ 4 टिप्पणी। टिप्पी-(स्त्री०) = टिक्की
दार + फ़ा० (वि०) । जो जन्मपत्री बनाता हो 2 जो टिफ़न, टिफ़िन-अं० (पु०) खाना। दान + फा० (पु०) टिप्पणी आदि करता हो। भोजन पात्र
टीपन-I (स्त्री०) कंकड़ आदि चुभने से पड़नेवाली गाँठ, घट्ठा टिबरी-बो० (स्त्री०) पहाड़ की छोटी चोटी
II (स्त्री०) जन्मपत्री टिब्बा-(पु०) दूह, टीला, भीटा
टीपना-I (स० क्रि०) 1 दबाना, मसलना 2 हल्का आघात टिमटिमाना-(अ० क्रि०) 1 रह-रहकर हल्का प्रकाश होना करना, प्रहार करना 3 ईंट निर्मित दीवार एवं फ़र्श की संधियों में 2 बुझने से पहले रह-रहकर हल्का प्रकाश देना
मसाला भरना 4 उच्चारण करना 5 ऊँचे सर में गाना टिमटिमाहट-(स्त्री०) रह-रहकर होनेवाला प्रकाश
II1 लिखना (जैसे-हिंदी को परीक्षा में मैंने दस पत्रे टीप टिमाक-(स्त्री०) 1 बनाव-शृगांर 2 ठसक
दिए) 2 अंकित करना, निशान लगाना टिमिला-(पु०) छोकरा, लड़का
टीबा-(पु०) = टीला टिम्मा-बो० (वि०) छोटे डील-डौलवाला, ठेगना, नाटा टीम-अं० (स्त्री०) 1 टोली (जैसे-भारत की हॉकी टीम) 2 दल टियर-बम-अं० (पु०) आँसू बम, अश्रु गैस का गोला । (जैसे-पर्वतारोही टीम तक पहुँच गई) टिरफिस-(स्त्री०) 1 तुच्छ कोटि का प्रतिवाद 2 व्यर्थ का | टीम-टाम-(स्त्री०) 1 ऊपरी बनाव-श्रृंगार 2 तड़क-भड़क टापन
__ 3 व्यर्थ का आडंबर, दिखावा टिरीना-बो० (अ० क्रि०) = टर्राना
टीला-(पु०) 1 मिट्टी या बालू का ऊँचा ढेर, दूह 2 छोटी पहाड़ी टिरिकबाज़ी- + फ़ा० (स्त्री०) चालाकी
टीस-(स्त्री०) सहसा रह-रहकर उठनेवाली पीड़ा, हल, टिलटिली-(स्त्री०) पतला दस्त फिरने की क्रिया
कसक टिलवा-(पु०) 1 ठिंगना आदमी 2 चापलूस आदमी टीसना-(अ० क्रि०) रह-रहकर तीव्र पीड़ा होना टिलिया-बो० (स्त्री०) 1 छोटी मुर्गी 2 मुर्गी का बच्चा टुगस्टन-अं० (पु०) = टंग्सटन टिल्ला-I (पु०) 1 चोट 2 धक्का II (वि०) = निठल्ला टुंच-I (वि०) 1 क्षुद्र, तुच्छ 2 दे० टुच्चा II (स्त्री०) बहुत ही टिल्लेनवीसी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 निम्न कोटि की सेवा थोड़ा धन, अत्यल्प पूँजी 2 निठल्लापन 3 टालमटोल, बहाने बाज़ी
टुंटा, टुंड, टुंडा-I (वि०) 1जिसकी डाल या पत्तियाँ कटकर टिल्लेबाज़- + फा० (स्त्री०) 1 निठल्ला 2 बहानेबाज़ या झड़कर गिर गई हों 2 जिसका एक या दोनों हाथ कटा हो टिल्लेबाज़ी- + फ़ा० (स्त्री०) 1 निठल्लापन 2 बहानेबाज़ी 3जिसका एक या दोनों सींग टूट कर अलग हो गया हो टिहकना-(अ० क्रि०) 1 ठिठकना 2 चौंकना
4जिसका कोई अंग खंडित हो II (पु०) 1 लूंठ वृक्ष 2 लूला टिहनी-बो० (स्त्री०) 1 घुटना 2 कोहनी
3 एक सींगवाला पशु टी-अं० (स्त्री०) चाय। -कोज़ी (स्त्री०) केतली ढकने का टुंडी-I (स्त्री०) नाभि, ढोंढी || बाँह, मुश्क आवरण; हाउस (पु०) चाय घर
टुइँयाँ-I (पु०) एक तरह का छोटा तोता II (वि०) 1 बहुत टीक-(स्त्री०) 1 माथे पर पहनने का टीका नामक आभूषण छोटा 2 ठिंगना, नाटा 2 गले में पहनने का आभूषण
टुक-I (वि०) ज़रा सा, थोड़ा II (क्रि० वि०) ज़रा, तनिक टीकन-(पु०) = टेकन
III (पु०) टुकड़ा टीकना-(स० क्रि०) 1 तिलक लगाना 2 संकेत के लिए बिंदी टुक-टुक-(क्रि० वि०) टुकुर-टुकुर लगाना
टुकड़खोर-हिं० + फ़ा० (वि०) टुकड़ा माँगकर खानेवाला टीका-(पु०) 1 माथे का तिलक 2 विवाह के पूर्व की एक रस्म, टुकड़ गदा-[हिं० + फ़ा० (वि०) रोटी के टुकड़े माँगनेवाला तिलक, सगाई 3 राज तिलक 4 सूई द्वारा शरीर में औषध __II (पु०) भिखारी, मँगता प्रवेश करने की क्रिया (जैसे-चेचक का टीका) 5 भेंट, टुकड़ गदाई-[हिं० + फ़ा० (स्त्री०) टुकड़े माँगना, भिखारीपन नज़राना
II (वि०) = टुकड़गदा टीका-सं० (स्त्री०) अर्थ का विवरण, व्याख्या (जैसे-रामायण टुकड़तोड़-(पु०) आश्रित व्यक्ति .. की टीका)। ~कार (पु०) टीका करनेवाला व्यक्ति, टुकड़ा-(पु०) 1 वस्तु का खंड (जैसे-ईंट, पत्थर आदि का
भाष्यकार; टिप्पणी (स्त्री०) गुण-दोष आदि का विवेचन, टुकड़ा) 2 ज़मीन या खेत का एक भाग (जैसे-खेत के इस समीक्षा
टुकड़े में तरबूज बोया गया है)। तोड़ जवाब देना टीड़ी-(स्त्री०) = टिड्डी
साफ़-साफ़ इनकार कर देना; टुकड़े तोड़ना दूसरे के दिए गए टीन-अं० (पु०) = टिन। -बंद + फ़ा० (वि०) = टिनबंद; भोजन पर गुज़र करना; टुकड़ों पर पड़ना, पलना पराश्रित
साज़ + फ़ा० (पु०) टिन बनानेवाला टीप-I (स्त्री०) 1 टीपना 2 ठोकने पीटने की क्रिया 3 ईंटों की | टुकड़ी-(स्त्री०) 1 छोटा टुकड़ा 2 छोटा झंड 3 सैनिकों का छोटा बनी दीवार और फ़र्श की संधियों में मसाला भरकर बंद करने दल, कंपनी का काम 4 ऊँचा स्वर 5 तार-सप्तक में से किसी एक पर | ट्रकनी-बो० (स्त्री०) = टोकनी (टोकरी)
रहना
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टुकुर-टुकुर
टुकुर-टुकुर- ( क्रि० वि०) 1 ललचाई हुई नज़र से 2 विवशता की दशा में
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टुक्कड़-बो० (पु०) रोटी का टुकड़ा टुक्का - (पु० ) अंश, टुकड़ा। ~सा जवाब देना कोरा जवाब देना दुघलाना - (स० क्रि०) चुभलाना टुच्चा - (वि०) 1 ओछा, कमीना 2 दुष्ट 3 अनुचित एवं हेय (जैसे- टुच्ची बात कहना) टुटका - बो० (पु०) = टोटका टुटनी - (स्त्री०) झाड़ी की टोंटी
टुटपुँजिया - (वि०) बहुत कम पूँजीवाला । पन (पु० ) कम पूँजी होने की अवस्था
टुटरूँ - (पु० ) पेंडुकी नामक चिड़िया । हूँ I (स्त्री०) पंडुकी के बोलने का शब्द II (वि०) 1 एकदम अकेला 2 बहुत कम 3 दुबला-पतला 4 तुच्छ, हीन
टुटियल - (वि० ) 1 जो टूटा-फूटा हो, जर्जर 2 कमज़ोर, दुर्बल
3 टुटपुँजिया
टुड़ी - 1 (स्त्री०) नाभि II ( स्त्री० ) टुकड़ी टुथ पाउडर -अं० (पु०) दंत मंजन टुथपेस्ट - अं० (पु० ) दंत मंजन लेप दुनगी - ( स्त्री०) 1 फुनगी 2 टहनी का सिरा टुनटुन - ( स्त्री०) मोटी और थुलथुल औरत टुनटुनाना - (अ० क्रि०) घंटी की आवाज़ होना टुनहाया - ( पु० ) टोनहा
दुनियाँ - ( स्त्री०) टोंटीदार मिट्टी का छोटा पात्र टुन्ना - ( पु० ) वह डंठल जिसमें फल लगता है टुपकाना - बो० (स० क्रि०) 1 धीरे से काटना 2 डंक मारना 3 झगड़ा लगानेवाली बात धीरे से कह देना दुम्मा - ( पु० ) कच्ची रसीद
दुर्रा- (पु० ) 1 जमा हुआ ठोस टुकड़ा 2 मोटे अन्न का बड़ा दाना 3 कण, टुकड़ा (जैसे- नमक का टुर्रा ) दुसकना - (अ० क्रि०) = टसकना II लँगना - (स० क्रि०) काटना, कुतरना ट्रैंड - (पु० ) 1 जौ, गेहूँ, धान आदि की बाल में ऊपर की ओर निकला हुआ नुकीला भाग 2 मच्छर आदि कीड़ों के मुँह के आगे सूँड़ की तरह निकली हुई पतली नली ढूँडी - ( स्त्री० ) 1 गाजर, मूली आदि की नोंक 2 लंबी नोंक 3 नाभि
=
टूक- बो० (पु० ) टुकड़ा, खंड। दो टूक जवाब देना साफ़ इंकार कर देना
टूका- बो० (पु० ) टुकड़ा
टूट, टूटन - ( स्त्री०) 1 टूटने की क्रिया 2 टूटने या कटने पर निकला हुआ अंश 3 भूल-चूक कमी, त्रुटि । ~दार (वि०) मोड़ा जानेवाला
टेकानी.
(जैसे- पाठशाला टूट गई) व्यतिक्रम उत्पन्न होना (जैसे-खाँसते-खाँसते दम टूटना, व्रत, उपवास टूटना ) 9 शक्ति का ह्रास होना (जैसे-लंबे बुखार से शरीर टूट गया) 10 मनोदशा का सबल एवं स्वस्थ न होना (जैसे-दिल टूटना) 11 दल-बल के साथ आ धमकना (जैसे-फ़ौज अचानक दुश्मन पर टूट पड़ी) 12 जुटना (जैसे-गिद्धों का मांस पर टूटना ) 13 अनायास अत्यधिक मात्रा में प्राप्त होना 14 भुनना (जैसे-सौ का नोट टूटना )
टूटा - (वि०) खंडित । -फूटा (वि०) 1 जीर्ण-शीर्ण 2 सामान्य कोटि का । टूटी-फूटी अवस्था बर्बादी की हालत, टूटी-फूटी बात व्यर्थ की बात, निरर्थक कथन टूटी - (स्त्री०) टोंटी
S
टूथ पाउडर- अं० (पु० ) = टुथ पाउडर
टूम - (स्त्री०) 1 आभूषण, गहना 2 बनाव-श्रृंगार, सजावट। ~छल्ला (पु०) छोटे-छोटे गहने, टाम (स्त्री०) सजावट की सामग्री, साज-श्रृंगार का सामान
टूरनामेंट- अं० (पु०) खेलों की प्रतियोगिता का आयोजन टूल - अं० (पु० ) औज़ार । - बाक्स (पु० ) औज़ार रखने का बक्सा ~ मेकर ( पु० ) औज़ार बनानेवाला टें- (स्त्री०) 1 तोते की बोली 2 कर्कश स्वर । ~टें (स्त्री०) व्यर्थ की बात, बकवाद; ~बोलना चट-पट मर जाना; फिस्स होना दे० टाँय-टॉय फिस
टेंकी - (स्त्री० ) शुद्ध जाति का एक राग !टेंघुना- बो० (पु०) = घुटना टेंघुनी - (स्त्री०). कोहनी
टेंट - I (स्त्री०) धोती का कमर में मुड़ा हुआ हिस्सा II अं० (पु० ) खेमा
टेंदुवा - (पु० ) 1 गर्दन, नटई, 2 घाँटी टेंडर -अं० (पु० ) ठेके के लिए पेशकश, निविदा। सं० (पु० ) ठेके के लिए पेशकश करनेवाला; (स्त्री०) निविदा सूचना
+
कर्ता नोटिस
टेंपरेचर - अं० (पु० ) 1 ताप 2 तापक्रम टेउकी- बो० (स्त्री०) = टेवकी
टेक - ( स्त्री०) 1 सहारा 2 हठ 3 आदत 4 संकल्प, प्रतिज्ञा । बंदी + फ़ा० (स्त्री०) जिद्द पकड़ना हठ करना,
आग्रह करना
टेकड़ी - (स्त्री०) टेकरी टेकन - (पु० ) चाँड़, थूनी
टेकना - (स० क्रि०) 1 सहारा लेना 2 सहारे के लिए कोई वस्तु पकड़ना 3 थाम लेना 4 हठ पकड़ना, हठ करना टेकनी - (स्त्री०) टेक लगाने की छड़ी टेकनोलाजिस्ट -अं० ( पु० ) प्रौद्योगिकीविद् टेकनोलाजी-अं० (स्त्री०) प्रौद्योगिकी
=
टेकरा - (पु०) प्राकृतिक रूप से ऊँची उठी हुई भूमि, छोटी सी पहाड़ी, टीला
टूटना - ( अ० क्रि०) 1 खंडित होना, भग्न होना (जैसे- पेड़ की डाल टूट गई) 2 हड्डी का जोड़ अलग होना (जैसे- उसका पैर टूट गया) 3 गति का रुक जाना 4 इस प्रकार खंडित हो जाना कि पुनः काम के योग्य न हो (जैसे-मकान की छत टूटना) 5 अलग होना (जैसे-गवाह का टूटना) 6 संबंध विच्छेद होना
थामना
(जैसे-रिश्ता टूटना ) 7 कार्य - व्यवहार का बंद हो जाना | टेकानी- बो० (स्त्री०) 1 टेक 2 भारी त्रस्तु का कुछ किसी
टेकरी - (स्त्री०) दूह, ऊँची भूमि, भीटा
टेकान - (पु० ) 1 टेके जाने की अवस्था 2 टेक, चाँड़ टेकाना - (स० क्रि०) 1 सहारा देना 2 हाथ का सहारा देना,
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टेकी
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टोई
आधार पर स्थित करना 3 बैलगाड़ी का जूआ 4 पहिये को | टेलीटाइप-अं० (पु०) तार भेजने पाने का टंकण यंत्र गिरने से रोकने वाली धुरी की कील
टेलीपैथी-अं० (स्त्री०) मनस्संचार टेकी-(वि०) 1 टेक पर अड़ा रहनेवाला 2 ज़िद्दी टेलीप्रिंटर-अं० (३०) तार भेजने पाने का यंत्र टेकुआ- बो० (पु०) 1 तकला 2 टेकानी
टेलीफ़ोटोग्राफ़ी-अं० (स्त्री०) टेलीफ़ोन द्वारा दर का चित्रण टेकुरी-(स्त्री०) 1 सूत कातने की तकली 2 चरखे में का तकला टेलीफ़ोन-अं० (पु०) - टेलिफ़ोन। ~एक्सचेंज (पु०) 3 सूजा 4 रेशम फँसाने की फिरकी 5 मूर्ति का तल चिकना दूरभाष-केन्द्र: निदेशिका । सं० (स्त्री०) दूरभाष नाम करने का औज़ार
पुस्तिका डायरेक्टरी टेक्सी -अं० (स्त्री०) भाड़े का वाहन (मोटर)। ~ड्राइवर टेलीविज़न-अं० (पु०) - टेलिविज़न । कार्यक्रम + सं०
(पु०) टेक्सी चालक; स्टैंड (पु०) टेक्सी अड्डा (पु०) दूरदर्शन प्रोग्राम; केंद्र + सं० (प्०) दूरदर्शन केंद्र; टेढ़-(स्त्री०) 1 टेढापन, वक्रता 2 उजड़पन 3 दुष्टता
~प्रसारण + सं० (पु०) दूरदर्शन द्वारा कार्यक्रम का प्रसारण टेढ़ा-(वि०) 1 जो सीधा न हो, वक्र, झुका हुआ 2 कुटिल,
~प्रोग्राम (पु०) - टेलीविज़न कार्यक्रम; सेट (पु०) बाँका 3 कठिन, दुः साध्य (जैसे-टेढ़ा काम) 4 विनय रहित, दूरदर्शन ~स्टेशन (पु०) दूरदर्शन केन्द्र अनम्र, उदंड 5 पेचीदा। ~पन (पु०) टेढ़ा होने की अवस्था, टेलीस्कोप-अं० (पु०) दूरदर्शक यंत्र, दूरबीन टेढ़ाई: --मेढ़ा (वि०) 1 घुमाव-फिराववाला 2 जो कठिन टेलेक्स-अं० (पु०) 1 टेलिप्रिंटर पर टेलीफ़ोन का संदेश हो; —पड़ना रुखाई से बात करना; टेढ़ी आँख से देखना अंकित करनेवाला यंत्र 2 दो तरफ़ा टेलीप्रिंटर संचार व्यवस्था
शत्रुता भाव से देखना; टेढ़ी-सीधी सुनाना बुरा-भला कहना टेव-(स्त्री०) आदत, बान टेढ़े, टेढ़े-मेढ़े-(क्रि० वि०) तिरछे, टेढ़ेपन के साथ टेवकी-(स्त्री०) टेक टेना-(स० क्रि०) 1 रगड़ना 2 धार तेज़ करना 3 उमेठना टेवना- बो० (स० क्रि०) = टेना __ (जैसे-मूंछ के बाल टेना)
टेवा-(पु०) 1 छोटी जन्मपत्री 2 लग्नपत्री, कुंडली टेनिस-अं० (पु०) गेंद का एक विदेशी खेल
टेवैया- बो० (वि०) 1 टेनेवाला 2 उमेठनेवाला (जैसे-मूंछ टेनी-बो० (स्त्री०) 1 सबसे छोटी उँगली, कानी 2 एक प्रकार टेवैया) की छोटी चिड़िया
टेसू-(पु०) पलाश जाति का पौधा और फूल टेप-अं० (पु०) फीता। रिकार्ड (पु०) टेप पर अंकित | टेस्ट-I अं० (पु०) चि० स्वास्थय की परीक्षा II परीक्षण
आलेख, गाना आदि; रिकार्डर (प०) टेप पर रिकार्ड करने टैंक-अं० (पु०) 1 तालाब 2 हौज़ 3 एक तरह का बड़ा की मशीन
युद्धयान जिस पर तोपें लगी होती हैं। ची + तु० (पु०) टेबुल-अं० (पु०) मेज़। क्लाथ (पु०) मेज़पोश; ~घड़ी छोटा टैंक; -तोड़ + हिं० (वि०) टैंक को नष्ट करनेवाला;
+हिं० (स्त्री०) = टाइम पीस; ~प्किन (पु०) मेज़ पर दस्ता + फ़ा० (पु०) टैंक चलानेवाली टुकड़ी; ~भेदी + रखा जानेवाला रुमाल, ~पंखा - हिं०, -फ़ैन (पु०) मेज़ सं० (वि०) = टैंकतोड़; ~युद्ध + सं० टैंकों द्वारा लड़ाई पर रखने का पंखा; लैंप (१०) मेज़ पर रखा जानेवाला -विरोधी + सं० (वि०) प्रतिटैंक यंत्र; सिपाही + फ़ा०
(पु०) टैंक पर रहनेवाला सैनिक; ~सेना + सं० (स्त्री०) टेम-I (स्त्री०) दीये की लौ, दीपशिखा II (पु०) = टाइम
टैंकों से युद्ध करनेवाली फ़ौज; ~सैनिक + सं० (पु०) = ___ अं० (समय)
टैंक सिपाही टेम्पू-अं० (पु०) छोटी मोटर-गाड़ी
टैंकर-अं० (पु०) तेल-यान टेर-(स्त्री०) 1 पुकार, हाँक 2 ऊँचा स्वर, तान
टैक्स-अं० (पु०) 1कर, महसूल 2 शुल्क टेरना-I (स० क्रि०) 1चिल्लाकर पुकारना 2 ऊँचा स्वर | टैक्सी-अं० (स्त्री०) = टेक्सी
निकालना (जैसे-बंशी टेरना) II टालना, टरकाना टैनरी-अं० (स्त्री०) चमड़ा कमाने का कारखाना टेरा-(वि०) ऐंचाताना
टैबलेट-अं० (पु०) दवा की टिकिया टेराकोटा-अं० (पु०) मृणमूर्ति
टैरिफ़-अं० (पु०) शुल्क-सूची टेरीलीन-अं० (पु०) कृत्रिम तागों का एक चमकदार कपड़ा टोंक-I (पु०) = टोका (सिरा) II बो० (स्त्री०) = टोक टेलर-अं० (पु०) दर्जी
टोंचना-(स० क्रि०) 1 सिलाई करना, सीना 2 गड़ाना, चुभाना टेलिग्राफ-अं० (पु०) विद्युत से समाचार भेजने का साधन, 3 व्यंग्य करना तार, दूरलेख
टोट-(स्त्री०) चोंच टेलिग्राम-अं० (पु०) तार द्वारा भेजी गई खबर
टोटा-(पु०) 1 नोंक की तरह निकली हई गोलाकार लंबी टेलिफ़ोन-अं० (पु०) वह यंत्र जिसमें तार के संबंध से दूर के खोखली वस्तु (जैसे-बाँस का टोंटा) 2 बंदूक की गोली का शब्द ज्यों के त्यों सुनाई देते हैं, दूरभाष
ऊपरी आवरण, कारतूस टेलिविज़न-अं० (पु०) दृश्य प्रतिबिंबो का लघु रेडियो तरंगों | टोंटी-(स्त्री०) 1 पात्र या नल में आगे की ओर लगा हुआ छोटा द्वारा प्रेषण तथा दूरस्थ स्टेश्नों पर उन्हीं प्रतिबिंबों का पुनर्निर्माण, | मुँह, टैप (जैसे-नल की टोंटी बंद कर दो) 2 सूअर आदि दूरदर्शन
पशुओं का थूथन । दार + फ़ा० (वि०) जिसमें टोंटी लगी टेलीग्राफ़-अं० (पु०) = टेलिग्राफ़
हो (जैसे-टोंटीदार नल) टेलीग्राम-अं० (पु०) = टेलिग्राम
टोई- बो० (स्त्री०) ऊँगली का खंड, पोर
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टोक
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ट्राम
टोक-(स्त्री०) 1 टोकना, रुकावट, विघ्न 2 पूछ-ताछ 3 बुरी | टोल-I अं० (पु०) मार्ग-कर
दृष्टि का प्रभाव, नज़र । --टाक (स्त्री०) पूछ-ताछ । टोल-II(पु०) संपूर्ण जाति का एक राग टोकना-(स० क्रि०) 1 चलते समय यात्रा के विषय में | टोल-III (पु०) मंडली पूछ-ताछ करना 2 किसी बात की याद दिलाना 3 ऐतराज़ करना टोला-[ (पु०) 1 छोटी बस्ती, मुहल्ला 2 एक पेशे, जातिवालों (जैसे-हर बात पर टोकना अनुचित है)
__की बस्ती (जैसे-महाजनी टोला में जाऊँगा) टोकनी-(स्त्री०) 1 देगची, बटलोई 2 छोटा हंडा 3 टोकरी टोला-II (पु०) 1 गुल्ली पर किया जानेवाला डंडे का आघात टोकरा-(पु०) झाबा, खाँचा, डाला
2 उँगली मोड़कर उसकी हड्डी से किया जानेवाला आघात टोकरी-(स्त्री०) छोटा टोकरा, बँचिया, डलिया। पेट की 3 बेंत आदि की चोट का निशान 4 बड़ी कौड़ी, कौड़ा
खातिर ~ उठाना जीवन बसर हेतु छोटा, निम्न काम टोली-(स्त्री०) 1 छोटा मुहल्ला 2 मंडली, जत्था 3 झंड। करना
नायक + सं० (पु०) टोली का नेता टोका- बो० (पु०) 1 किनारा, सिरा (जैसे-धोती का टोका, टोस्ट-[ अं० (पु०) सेंका हआ डबलरोटी का टुकड़ा धागे का टोका) 2 नोक
टोस्ट-[ अं० (पु०) स्वास्थ्य का जाम टोका-टाकी-(स्त्री०) रोक-टोक, निरंतर बाधा
टोस्टर-अं० (पु०) टोस्ट सेंकने का उपकरण टोकारा-(पु०) 1 सचेत करने के लिए कही गई बात 2 याद टोह-(स्त्री०) 1 थाह 2 खोज 3 टटोल दिलाने का संकेत 3 टोकने के लिए संकेत
टोहना-(स० क्रि०) 1 थाह लेना 2 छूकर देखना, टटोलना टोटका-(पु०) टोना। ~करने आना नाम करने के लिए 3 खोजना
आना, बहुत कम समय के लिए आना (जैसे-आप तो दावत में टोहम-टाई, टोहा-टाई-(स्त्री०) छान-बीन, खोज टोटका करने आते हैं)
टोहिया-(वि०) = टोही। ~पन (पु०) छानबीन करने की टोटकेहाई-(स्त्री०) जादू-टोना करनेवाली
प्रवृत्ति टोटम-अं० (पु०) गणचिह्न, कुलचिह्न
टोही-I (वि०) पता लगानेवाला II (पु०) खुफ़िया, जासूस टोटल-अं० (पु०) संख्याओं का जोड़, योग (जैसे-टोटल | टौन-हाल-अं० (पु.) = टाउन हाल मिलाना)
टौरना-(स० क्रि०) 1 जाँच करना, परखना 2 पता लगाना टोटा-I (पु०) 1 घाटा 2 कमी
ट्यूटर-अं० (पु०) अनुशिक्षक टोटा-II (पु०) 1 कारतूस 2 बाँस आदि का टुकड़ा ट्यून-अं० (स्त्री०) स्वर टोड़ा-(पु०) छाजन के नीचे बाहर की ओर लगाई जानेवाली ट्यूब-अं० (पु०) नली घोडिया, ब्रैकेट
ट्यूब-वेल-अं० (पु०) नलकूप टोड़ी-अं० (पु०) 1 नीच प्रकृति का मनुष्य 2 खुशामदी तथा ट्यूलिप-अं० (पु०) चमकीले फूलोंवाला पौधा कमीना
ट्यूशन-अं० (पु०) 1 अनुशिक्षण 2 शिक्षा शुल्क टोड़ी-(स्त्री०) सुबह गाई जानेवाली एक रागिनी ट्योंझा-(पु०) व्यर्थ का झगड़ा टोनहा-(वि०) टोना करनेवाला
ट्रंक-अं० (पु०) टीन का बड़ा संदूक टोनहाई-(स्त्री०) टोना-टोटका करनेवाली
ट्रंक-काल-अं० (पु०) दूरभाष द्वारा आह्वान टोनहाया-(वि०) - टोनहा
ट्रंक-टेलीफ़ोन-लाइन-अं० (स्त्री०) दूरभाष तार व्यवस्था टोना-I (पु०) जादू, टोटका । ~टोटका (पु०) = जादू-टोना ट्रक-अं० (पु०) माल ढोने की मोटर-गाड़ी टोना-II (स० क्रि०) टटोलना
ट्रस्ट-अं० (पु०) 1 दूसरे के लाभार्थ संपत्ति का प्रबंध सौंपना, टोप-I (पु०) 1 बड़ी टोपी 2 युद्ध में सिर पर पहना जानेवाला न्यास 2 इस तरह की संपत्ति से लाभ उठाने का अधिकार ।
खोल, शिरस्त्राण 3 खोली, गिलाफ़ II (स्त्री०) बूंद फंड (पु०) ट्रस्ट की संपत्ति (जैसे-दो-चार टोपे दवा लेना)
ट्रस्टी-अं० (पु०) ऐसा व्यक्ति जिसे ट्रस्ट की संपत्ति सौंपी जाय, टोपन-(पु०) = टोकरा
_ 'न्यासी'। ~बोर्ड (पु०) न्यास परिषद टोपा-I (पू०) 1 टोप 2 टोकरा, दौरा II बो० (पु०) = तोपा | ट्रस्टीशिप-अं० (स्त्री०), न्यासधारिता, न्यासिता (सिलाई का)
ट्रांज़िस्टर-अं० (पु०) निर्वात वाल्व द्वारा धारा का प्रवर्द्धन टोपी-(स्त्री०) 1 सिर पर का एक हल्का पहनावा (जैसे-गाँधी | करनेवाला छोटा रेडियो। ~सेट (पु०) ट्रांज़िस्टरवाला रेडियो टोपी, तुर्की टोपी) 2 राजमुकुट, ताज 3 टोपी के आकार का | ट्रांसफर-अं० (पु०) तबादला, बदली धातु आदि का बना गहरा ढक्कन (जैसे-चिलम ढकने की | ट्रांसफ़ोर्मर-अं० (पु०) ऐसा विद्युत उपकरण जो उच्च वोल्ट टोपी) 4 शिकारी जानवर की आँख पर लगाने की पट्टी की प्रत्यावर्ती धारा को निम्न वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारो में 5 अंगुश्ताना 6 लिंग का अग्र भाग। ~दार + फ़ा० (वि०) प्रवर्तित कर सके तथा निम्न वोल्ट की प्रत्यावर्तित धारा को जिस पर टोपी लगी हो; ~वाला (पु०) जिसके सिर पर टोपी | उच्च वोल्ट की प्रत्यावर्ती धारा में बदल सके
हो। उछालना अपमानित करना, बेइज़्ज़त करना ट्रांसमीटर-अं० (पु०) प्रेषित, प्रेषी, वायर लैस टोमाटो-अं (पु०) टमाटर
ट्रांस्पोर्ट-अंक (पु०) परिवहन टोमी-गन-अं० (पु०) = टामी-गन
ट्राफी-अं० (पु०) वैजयंती टोरा-I (पु०) लड़का II (पु०) = टोडा
ट्राम-अं० (स्त्री०) नगरों की सड़कों पर बिछी पटरियों पर विद्यत
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ट्रायल
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ठगाई
संघ
शक्ति से चलनेवाली गाड़ी। ~कार, ~गाड़ी + हिं०ठंढक-(स्त्री०) 1 हल्की ठंढ 2 तृप्ति, संतोष (स्त्री०) ट्राम पर चलनेवाली गाड़ी; ~लाइन (स्त्री०) ट्राम | ठंढा-(वि०) - ठंडा । के लिए बनी पटरी: ~वाला + हिं० (पु०) ट्राम चालक; ठंढाई-(स्त्री०) = ठंडाई ~वे (स्त्री०) - ट्राम
ठई-(स्त्री०) 1 अवस्था, दशा 2 स्थिति ट्रायल-अं० (पु०) । परीक्षण, जाँच, परख 2 (विधि) न्याय ठक-1 (स्त्री०) ठोकने का शब्द (जैसे-बर्तन पर आघात करने विचार, विचारण
से ठक-ठक होना) || (वि०) सत्राटे में आया हुआ, स्तब्ध, ट्रिगर-अं० (पु०) बंदूक का घोड़ा
भौंचक्का (जैसे-ठक रह जाना)। ठक (स्त्री०) ट्रिब्युनल-अं० (पु०) अधिकरण
1 बार-बार आघात करने से होनेवाला शब्द 2 कहा-सुनी, तू-तू ट्रेंच-अं० (पु०) खाई, खंदक ट्रे-अं० (स्त्री०) बड़ी तश्तरी
ठकठकाना-I (स० क्रि०) 1 ठक-ठक ध्वनि करना 2 खूब ट्रेक्ट-अं० (पु०) गुटका, पुस्तिका
पीटना ट्रेजेडी-अं० (स्त्री०) 1 त्रासदी 2 दुखांत घटना
ठकठकाना-II (अ० क्रि०) ठक-ठक ध्वनि होना ट्रेड-मार्क-अं० (पु०) व्यापार चिह्न, मार्का
ठकठकिया-(वि०) 1 ठक-ठक शब्द उत्पन्न करनेवाला ट्रेड-यूनियन-अं० (स्त्री०) व्यापार संघ, श्रमिक संघ, मज़दूर 2 बखेड़िया, हुज्जती
ठकठोआ-(पु०) 1करताल 2 करताल बजाकर भीख ट्रेड-यूनियनिस्ट-अं० (पु०) श्रमिक संघवादी
माँगनेवाला ट्रेडिल-मशीन-अं० (स्त्री०) छापे की छोटी मशीन ठकमुरीं-(स्त्री०) स्तब्धता ट्रेन-अं० (स्त्री०) रेलगाड़ी
ठकार-सं० (पु०) 'ठ' अक्षर ट्रेनर-अं० (पु०) प्रशिक्षक
ठकुरसुहाती-(स्त्री०) खुशामद, चापलूसी ट्रेनिंग-अं० (स्त्री०) प्रशिक्षण (जैसे-शिक्षा की ट्रेनिंग पाना)। ठकुराइत-(स्त्री०) = ठकुरायत
~केंद्र + सं० (पु०) प्रशिक्षण केंद्र; ~ग्राउंड (पु०) ठकुराइन-(स्त्री०) = ठकुरानी प्रशिक्षण स्थल; ~प्राप्त + सं० (वि०) जिसने प्रशिक्षण | ठकुराई-(स्त्री०) 1 ठाकुर होने की अवस्था 2 ठाकुरों का सा पाया हो, प्रशिक्षित
आधिपत्य 3 मनमानापन 4 बड़प्पन, महत्त्व 5 ज़मींदारी ट्रैक्टर-अं० (पु०) कृषि इंजन। ~ड्राइवर (पु०) ट्रेक्टर 6 सरदारी चालक
ठकुरानी-(स्त्री०) 1 राजपूत जाति की स्त्री 2 ठाकर, ज़मींदार ट्रैफ़िक-अं० (पु०) यातायात। लाइट (पु०) यातायात की पत्नी 3 मालकिन, स्वामिनी
प्रकाश; विभाग + सं० (पु०) यातायात विभाग ठकुरायत-(स्त्री०) 1 प्रभुता, स्वामित्व 2 अधीश्वरता ट्रौली-अं० (स्त्री०) 1रेल की पटरियों पर चलनेवाली 3 शासनाधीन प्रदेश ठेला-गाड़ी 2 ठेला-गाड़ी
ठकोरी-(स्त्री०) सहारा लेने की छड़ी ठक्कर-(स्त्री०) दे० टक्कर ठक्कुर-(पु०) ठाकुर, देवता, देव प्रतिमा ठग-(पु०) 1 धोखा देकर लूटनेवाला 2 धोखेबाज़ आदमी
3 छली। ~पना (पु०) 1 ठगहाई 2 ठगने की क्रिया 3 धूर्तता; ~मूरी (स्त्री०) ठगने की गर्ज़ से सँघाई जानेवाली जड़ी; मोदक + सं०, लाडू (पु०) नशीला बेहोश करनेवाला लड; ~लीला + सं० (स्त्री०) ठगी, धोखाधड़ी:
विद्या (स्त्री०) धोखा देने का हुनर
ठगई- बो० (स्त्री०) धोखेबाज़ी, ठगी ठंठ-(वि०) 1 जिसकी डालें और पत्तियाँ सूख और झड़ गई हों, | ठगड़ा-(पु०) = ठग
ढूंठा 2 जिसका दूध सूख गया हो, ठाँठ 3 निर्धन, अकिंचन ठगण-सं० (पु०) छंदशास्त्र में पाँच मात्राओं का एक गुण ठंठार-(वि०) 1 ठनठन गोपाल 2 खाली, रीता
ठगना-I (स० क्रि०) 1 धोखा देकर लूटना 2 दगाबाज़ी करना ठंठी-I (स्त्री०) पीटने के बाद बाल में लगा अन्न II (वि०) 3 धोखा देना, छलना 4 अधिक दाम लेना 5 वंचना करना
6 मोहित करके अपना वशवर्ती बनाना (जैसे-उसकी सुंदरता ने ठंड- बो० (स्त्री०) = सर्दी
मुझे खूब ठगा) II (अ० क्रि०) 1 ठगाना 2 चकित होना ठंडक-(स्त्री०) = ठंढक
ठगनी-(स्त्री०) 1 ठग की पत्नी 2 धोखा देनेवाली स्त्री 3 कुटनी ठंडा-(वि०) 1 ठंढा, शीतल (जैसे-ठंडा पानी पीना) 2 बुझा | ठगवाना-(स० क्रि०) 1 दूसरे द्वारा धोखा दिलवाना 2 ठगे
हुआ (जैसे-आग ठंडी हो गई) 3 बेरौनक, श्रीहत जाने में सहायक होना ठंडाई-(स्त्री०) 1 शीतलता 2 मसालेदार ठंढा पेय ठगहाई- बो० (स्त्री०) = ठगपना ठंढ-(स्त्री०) शीत, सर्दी (जैसे-कड़ाके की ठंढ पड़ रही है) | ठगहारी-(स्त्री०) = ठगई ठंढई-(स्त्री०) = ठंढाई
| ठगाई- बो० (स्त्री०) ठगी
ठ
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ठगाठगी
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ठयना
ठगाठगी-(स्त्री०) धोखेबाज़ी, वंचकता
खड़ा होना ठगाना- बो० ( क्रि०) 1 ठगा जाना, धोखा खा जाना - ठन-(स्त्री०) 1 धातु के बर्तन की आवाज़ 2 रुपये के गिरने, 2 अविश्वासी को अपना धन दे बैठना, सौंप बैठना 3 अनुरक्त । बजने से उत्पन्न शब्द होना
ठनक-(स्त्री०) 1 ठन-ठन की शब्द 2 रह-रहकर उठनेवाली ठगिन, ठगिनी-(स्त्री०) = ठगनी
पीड़ा, टीस ठगिया-(पु०) = ठग
ठनकना-(अ० क्रि०) 1 ठन-ठन शब्द होना, (जैसे-पीतल की ठगी-(स्त्री०) 1 ठगने का काम 2 ठग का पेशा 3 ठगपना थाली ठनकना, (तबला ठनकना) । माथा ~संदेह पैदा होना ठगोरी-(स्त्री०) 1 ठगने की विद्या, ठगी 2 जादू-टोना ठनका-(पु०) 1 दे० = ठनक 2 आघात 3 गरजता हुआ ठट-(पु०) 1 ठठ 2 ठाठ
बादल ठटकीला-(वि०) सजा हुआ
ठनकाना-(स० क्रि०) 1 ठन-ठन शब्द उत्पन्न करना 2 ढोल ठटना-(अ० क्रि०/स० क्रि०) = ठठना
आदि बजाकर ठन-ठन शब्द करना ठटरी-(स्त्री०) = ठठरी
ठनकार-(पु०) ठनक, ठनठन ठट्ट-(पु०) ढेर, समूह
ठन-गन-(पु०) आग्रह, हठ (जैसे-नाई, कहार आदि का राजा ठट्टी-(स्त्री०) 1 ढाँचा 2 शरीर का ढाँचा, कंकाल 3 भसा रखने से ठनगन करना) का जाल 3 अरथी
ठन-ठन-(स्त्री०) 1 धातु बजने का शब्द, ठनक 2 ठनठन, ठट्ठा-(पु०) ठट्ठा, मज़ाक, ठठोली
हठ। ~गोपाल + सं० I (वि०) 1 निर्धन 2 जिसमें कुछ ठठेबाज़-हिं० + फ़ा० मज़ाक बनानेवाला
भी सार न हो, निस्सार II (प.) रुपये-पैसे का अभाव ठठेबाज़ी-हिं० + फ़ा० मज़ाक बनाने की लत
ठनठनाना-I (स० क्रि०) ठन-ठन ध्वनि उत्पन्न करना II ठठ-(पु०) 1 जमाव, भीड़ 2 ठाट, सजावट
(अ० क्रि०) ठन-ठन ध्वनि उत्पत्र होना ठठकना- बो० (अ० क्रि०) = ठिठकना
ठनना-(अ० क्रि०) 1 छिड़ जाना (जैसे-दो देशों में युद्ध ठठना-I (अ० क्रि०) 1 खड़ा होना, स्थित होना 2 अड़ना रुक ठनना) 2 पक्का होना, निश्चित होना, तय होना
जाना 3 सुसज्जित होना, सजना II (स० क्रि०) 1 ठहराना 3 कार्य-व्यापार में उद्यत होना 4 दृढ़ता-पूर्वक उपस्थित होना, 2 निश्चित करना 3 सुसज्जित करना, सजाना
मुस्तैद होना ठठनी-(स्त्री०) सजावट
ठनाका-(पु०) 1 अचानक उत्पन्न होनेवाली तीव्र ठन-ठन ठठरी- बो० (स्त्री०) 1 हड्डियों का ढांचा, कंकाल 2 ढांचा ध्वनि 2 कुछ समय तक निरंतर होनेवाली ठन-ठन ध्वनि 3 अरथी 4 भूसा बाँधने का जाल
ठनाठन-(क्रि० वि०) 1 ठन-ठन शब्द करते हुए 2 टनाटन ठठाना-I (स० क्रि०) 1 आघात करना 2 मारना-पीटना ठप-I (वि०) 1 पूर्णतः बंद (जैसे-घनघोर वर्षा से सारा काम ठठाना-II (अ० क्रि०) ज़ोर से हँसना, अट्टहास करना ठप हो गया) 2 अनखोला (जैसे-वाद्य-यंत्र का ठप पड़ा ठठाना-III (अ० क्रि०) ठाट से एवं अच्छी तरह से होना रहना) II (पु०) 1 खुली पुस्तक सहसा बंद करने से उत्पन्न ठठियाना-(स० क्रि०) 1 सुसज्जित करना 2 सब कुछ लेकर शब्द, बंद करने की अवस्था कंगाल बनाना
ठपका-(पु०) 1 ठप शब्द 2 खली पुस्तक बंद करने की क्रिया ठठिरिन-(स्त्री०) ठठेरिन
3 आघात, धक्का ठठुकना- बो० (अ० क्रि०) - ठिठकना
ठपना-(स० क्रि०) 1 इस प्रकार बंद करना कि ठप शब्द होना ठठेरा-I (पु०) 1 ताँब, पीतल आदि के बर्तन बनानेवाला 2 कार्य-व्यापार बंद करना 3 बंद करके रखना कारीगर, कसेरा 2 बर्तन बेचनेवाला दुकानदार
ठप्प-(वि०) - ठप ठठेरा-II (पु०) ज्वार-बाजरे आदि का डंठल
ठप्पा-(पु०) 1 चिह्न विशेष, छाप लगाने के काम में आनेवाला ठठेरिन-(स्त्री०) ठठेरे की स्त्री, ठठिरिन
साँचा (जैसे-कपड़े छापने का ठप्पा, सिक्का बनाने का टप्पा) ठठेरी-I (स्त्री०) 1 ठठेरे का काम 2 ठठेरे की औरत, स्त्री | 2 इस तरह के साँचे से लगाई गई छाप, चिह्न (जैसे-टप्पा और (वि०) ठठेरों से संबंध रखनेवाला (जैसे-ठठेरी बाज़ार)।। मुहर लगा देना)
बज़ार • फ़ा० (पु०) वह बाज़ार जहाँ अधिकांश दुकानें ठमकना-1 (अ० क्रि०) 1 चलते-चलते सहसा रुक जाना, ठठेरों की हों.
ठिठकना 2 दे० ठुमकना || (अ० क्रि०) ठम-ठम की ठठोल-I (वि०) ठठोली करनेवाला, हँसोड || (प०) आवाज़ निकलना ठठोली। बाज़ - फ़ा० (वि०) हँसी-मज़ाक करनेवाला; ठमकाना-1 (स० क्रि०) 1 चलते-चलते सहसा रोक देना, ~बाज़ी (स्त्री०) हँसी-मज़ाक
ठिठकना 2 ठसक दिखलाते हए अंगों का संचालन करना ठठोली-(स्त्री०) हँसी-दिल्लगी (जैसे-हँसी-ठठोली मारना) 3 ठम-ठम शब्द उत्पन्न करना ठड़ा- बो० (वि०) खड़ा, सीधा स्थित
ठमकारना- बो० (स० क्रि०) 1 अचानक रोक लेना ठड्डा-(पु०) 1 रीढ़ 2 पतंग की खड़ी खपची
2 ठसकते हुए अंग संचालन करना ठढ़ा-(वि०) - ठड़ा
ठयना-| बो० (स० क्रि०) 1 ठहराना 2 प्रयुक्त करना, लगाना ठढ़िया-(पु०) ऊँचा ओखल
3 दे० ठानना II (अ० क्रि०) 1 स्थित होना 2 प्रयुक्त होना, ठढ़ियाना-[ बो० (स० क्रि०) खड़ा करना || (अ० क्रि०) | लगना 3 दे० ठनना
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ठरना
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ठिकाना
ठरना-(अ० क्रि०) 1ठिठुरना 2 ठंड पड़ना
क्रिया से उत्पन्न 'ठाँय' शब्द। ~ठाँय (स्त्री०) 1लगातार ठरमरुआ-(वि०) 1.जो सर्दी से ठिठुर कर मर गया हो 2 जिसे | बंदूक से गोलियाँ छोड़ते चलने से उत्पन्न ध्वनि 2 ऐसा झगड़ा पाला मार गया हो (फ़सल)
जिसमें व्यर्थ की बक-बक हो ठर्रा-(पु०) 1 देशी घटिया शराब 2 बटा हआ कड़ा मोटा सूत, | ठाँव-(पु०) 1 जगह, स्थान 2 ठिकाना डोरा 3 अंगिया, चोली का बंद
ठाँसना-I (अ० क्रि०) शब्द करते हुए खाँसना ठलुआ-(पु०) निठल्ला, निकम्मा, बैठा-ठाला
ठाँसना-II (स० क्रि०) लूंसकर भरना ठवन-(स्त्री०) 1 अंग संचालन की मुद्रा 2 भावाभिव्यक्ति हेत् | ठाकना- बो० (पु०) मना करना बनाई गई विशेष मुद्रा 3 अंदाज़, ढंग
ठाकुर-(पु०) 1 क्षत्रियों की उपाधि 2 नाइयों के लिए एक ठवनी-बो० (स्त्री०) 1 अंग संचालन का विशेष ढंग 2 स्थिति संबोधन (जैसे-आओ भाई नाऊ ठाकुर) 3 देवमूर्ति 3 मुद्रा
4 मालिक, स्वामी 5 किसी भूखंड का स्वामी 6 मुखिया ठस-I (वि०) 1 दृढ़ एवं मज़बूत (जैसे-ठस मकान) 2 घना, 7 नायक, सरदार 8 पूज्य व्यक्ति 9 परमेश्वर। द्वारा (पु०) सघन (जैसे-ठस कपड़ा) 3 घनी बनावटवाला 4 अत्यधिक देवालय, मंदिर; बाड़ी बो० (स्त्री०) देव स्थान; शाही वज़नदार 5 कृपण, कंजूस 6 आलसी. सुस्त 7 हठी, ज़िद्दी II • फ़ा० (स्त्री०) ठाकुरों का राज्यः सेवा • सं० (स्त्री०) गंभीर
1 देव पूजन और उनकी सेवा 2 देवोत्तर संपत्ति ठसक-(स्त्री०) 1 नखरा 2 अभिमान, गर्व 3टीस. पीड़ा। । ठाकुराइन-(स्त्री०) = ठकाइन
दार . फ़ा० (वि.) 1 नाज़-नखरा करनेवाला । ठाकुरी-(स्त्री०) - ठकुराई 2 अभिमानी, घमंडी
ठाट-(पु०) - ठाठ। बंदी • फ़ा (स्त्री०) - ठाठ बंदी; ठसका-(पु) 1 सूखी खाँसी 2 धक्का, ठेस
बाट (पु०) - ठाठ-बाट ठसाठस-(वि०) 1 खचाखच (जैसे-यात्रियों से रेल का डिब्बा ठाटर-(पु०) = ठाठर ठसाठस भरा था) 2 ट्रंस-ठूसकर
ठाठ-I (पु०) 1 रक्षा, रोक के काम में आनेवाला बाँस का ठस्सा-(पु०) 1 अभिमान भरी चाल, ठसक ठाठबाट, शान ढाँचा (जैसे-नाव का ठाठ) 2 लंबी-चौड़ी कोई बनावट, रचना 2 खासी का गहरा शब्द
(जैसे-कालीन बनने का ठाठ) 3 तड़क-भड़कवाला, ठहक-(स्त्री०) नगाड़े, मृदंग आदि का शब्द
वेश-विन्यास सजधज 4 आयोजन, व्यवस्था (जैसे-अपना ठहना-I (अ० क्रि०) 1 हिनहिनाना 2 ठनठनाना || 1 बनाना, मतलब सिद्ध करने के लिए सब ठाठ है)। दार । फा. संवारना 2 बचाना. रक्षा करना ||| ठहरना
(वि०) शानदार; बाट (पु०) शान, तड़क-भड़क ठहरना-(अ० क्रि०) 1 रुकना (जैसे-सवारी गाड़ी हर स्टेशन ठाठ-II (पु०) 1 झंड. दल 2 अधिकता. बहतायत 3 डिल्ला पर ठहरती है) 2 टिकना (जैसे-रात में धर्मशाला में ठहरना) ठाठना-(स० क्रि०) 1 ठाठ बनाना 2 सजाना 3 अस्थाई रूप से रहना (जैसे-ज्वर का दो-चार दिन ठहरना) ठाड़ा-(वि०) 1 सीधा खड़ा, दंडायमान 2 जो मूल रूप में 4 स्थित होना (जैसे-यह छत चारों खंभों पर ठहरी है) 5 चेष्टा, | वर्तमान हो (जैसे-ठाढ़ा चना खाना) 3 हट्टा-कट्टा. हृष्ट पुष्ट व्यापार से रहित होना (जैसे-वर्षा का ठहरना) 6 निश्चित | ठाढ़ेश्वरी-(प्०) साधुओं का एक वर्ग जो रात-दिन खड़ा रहता पक्का होना (जैसे-उनकी शादी ठहर गई) 7 गर्भ रहना 8 धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा करना 9 विशिष्ट स्थिति में होना (जैसे-अरे | ठान-(स्त्री०) 1 दृढ़ निश्चय. हठ र ठानने की क्रिया 3 हठ भाई आप तो हमेशा के रईस ठहरे)
पूर्वक आरंभ किया गया काम || (पू.) थान, जगह ठहराई-(स्त्री) 1 ठहराने की क्रिया 2 ठहराने की मज़दरी ठानना-(स० क्रि०) 1 दृढ़तापूर्वक आरंभ करना, छेड़ देना 3 अधिकार, कब्जा
2 दृढ़ संकल्प करना 3 पक्का करना, ठहराना (जैसे-मन में ठहराऊ-(वि०) 1 टिकाऊ 2 ठहरने-ठहरानेवाला
ठानना) ठहराना-(स० क्रि०) 1 ठहरने में प्रवृत्त करना 2 रोककर खड़ा ठायँ-(स्त्री०) - ठाँय || करना (जैसे-गाड़ी, बस ठहराना) 3 स्थिर करना 4 दृढ़तापूर्वक ठार-I (पु०) कड़ा जाड़ा. गहरी सर्दी, पाला || (वि०) स्थापित करना (जैसे-खंभों पर छत ठहराना) 5 टिकाना अत्यधिक ठंडा (जैने-मित्र को अपने घर ठहराना) 6 तय करना, पक्का करना ठाला-I (पु०) निठल्ला || (पु०) । कुछ भी बिक्री-बट्टान (जैसे-शादी की तिथि ठहराना)
होने की स्थिति 2 किसी बात का होनेवाला प्रत्यक्ष और विशेष ठहराव-(पु०) 1 ठहरने-ठहराने की अवस्था 2 स्थिरता __ अभाव (जैसे-रुपये-पैसे का ठाला पड़ना) 3 समझौता 4 निर्णय 5 मूल्य-निर्धारण
ठालिनी-(स्त्री०) करधनी ठहाका-बो० (पु०) 1 ज़ोर की हँसी 2 जोर से हँसने का शब्द ठाली-I (वि०) बिल्कुल निकम्मा || (स्त्री०) धीरज, ठाँ-(स्त्री०) 1 ठाँव 2 ठाँय ठाँई-1 बो० (स्त्री०) जगह, स्थान || (वि०) निकट, पास ठावण-(पु०) ठिकाना ठाँठ-(वि०) 1 नीरस, सूखा 2 (गाय-भैंस) जिसका दुध सुख ठिंगना-(वि०) छोटे कदवाला. नाटा गया हो
ठिकाई-(स्त्री०) ठीक होने की अवस्था ठाँय-[ (क्रि० वि०) निकट, समीप
ठिकाना-(पु०) 1 स्थान, जगह 2 वासस्थान 3 रहने, ठहरने की 'ठाँय-II (स्त्री०) 1 बंदूक के चलने से उत्पत्र शब्द 2 किसी | जगह 4 अवलंब 5 गुज़र करने का स्थान 6 नियत अनुकूल
ढाढस
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ठिकियाना
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स्थान 7 उपाय, व्यवस्था 8 भरोसा, विश्वास 9 जागीर।। अफीम का ठीका) 2 कर आदि वसूलने का जिम्मा; पत्र -~लगना अवलंब प्राप्त होना; ~ लगाना 1 रहने का स्थान सं० (पु०) ठीके का इकरारनामा ठीक करना 2 नौकरी आदि का प्रबंध करना; ठिकाने आना | ठीकेदार-हिं० + फ़ा० (पु०) ठीके पर काम करनेवाला व्यक्ति ठीक रास्ते पर आना, असलियत पर पहँचना; ठिकाने की ठी-ठी-(स्त्री०) हल्की हँसी, बेहूदा हँसी। ~करना बेहूदा बात काम की बात, युक्ति संगत बात; ठिकाने न रहना हँसी हँसना चंचल बना रहना; ठिकाने पहँचाना अभीष्ट स्थान तक पहँचा ठीहा-(पु०) 1 लकड़ी या लोहे का टुकड़ा जिस पर रखकर देना; ठिकाने लगना 1 उचित स्थान पर पहुँच जाना 2 काम में कोई वस्तु गढ़ी, काटी जाती है 2 बढ़ई, लुहार आदि का कुंदा
आना 3 मर जाना; लगाना 1 मार डालना 2 खत्म कर देना __ 3 सीमा 4 वेदी 5 गद्दी 6 चाँड, थूनी ठिकियाना-(स० क्रि०) ठीक करना
ढूंठ-(पु०) = ढूँठ ठिगना-(वि०) छोटे कद का
ठकना-(अ० क्रि०) 1 ठोंका जाना 2 पीटा जाना 3 घाटा होना ठिठक-(स्त्री०) संकोच
4 व्यर्थ होना 5 ज़बरदस्ती आगे बढ़ना 6 परास्त होना ठिठकना-(अ० क्रि०) 1 सहसा रुक जाना 2 सहम जाना, ठकराना-(स० क्रि०) 1 ठोकर मारना 2 तिरस्कार पूर्वक हटाना स्तब्ध होना, ठक रह जाना
___3 दुतकारना ठिठरना, ठिठुरना-(अ० क्रि०) सर्दी से सिकड़ जाना, काँपना ठुकवाना-(स० क्रि०) 1 पिटवाना, मार खिलाना 2 ठोकने का ठिनकना-(अ० क्रि०) 1 मचलना 2 ठनकना 3 बनावटी तौर काम कराना से रोना
ठुड्डी-[ बो० (स्त्री०) भुना हुआ दाना जो खिला न हो, ठरौं ठिया-(पु०) अड्डा
ठुड्डी-II (स्त्री०) होंठ के नीचे निकली हुई हड्डी, ठोड़ी ठिर-(स्त्री०) 1 ठिठुरने की अवस्था ? सदों, पाला ठुनकना-1 (अ० क्रि०) - ठिनकना ठिरना-(अ० क्रि०) ठिठुरना
ठुनकना-II (स० क्रि०) 1 ठोंकना 2 इन शब्द उत्पन्न करना ठिलना-(अ० क्रि०) 1 ठेला जाना. ढकेला जाना 2 बढ़ाया | ठुनकाना-1 (स० क्रि०) ठुन-ठुन शब्द उत्पन्न करना
जाना, खिसकाया जाना 3 तेज़ी से घुसना 4 फँसना ठुनकाना-II (स० क्रि०) ठनकने में प्रवृत्त करना. ठिनकाना ठिलिया-(स्त्री०) मिट्टी की गगरी
ठुन-ठुन-(पु०) 1 बर्तन. धातु के टुकड़ों के बजने से उत्पन्न ठिलुआ-I (वि०) निठल्ला. बेकार II (वि०) जो ठेला जाता ध्वनि 2 रुक-रुककर एवं ठून-ठन करते हुए रोने का शब्द
(जैसे-यह लड़का हमेशा ठन-ठन लगाए रहता है। ठिल्ला-(पु०) मिट्टी का घड़ा
ठुमक-(स्त्री०) लुभावनी चाल ठिल्ली-(स्त्री०) - ठिलिया
ठुमकना-(अ० क्रि०) 1 बच्चों का धीर-धीर पैर पटकते और ठिहार-(वि०) । विश्वास करने योग्य. विश्वसनीय 2 ठीक इठलाते हुए चलना 2 नाच में धीरे-धीरे पैर पटकते हुए आगे 3 निश्चित
बढ़ना 3 नखरे से चलना ठिहारी-(स्त्री०) 1 ठहराव, स्थिति 2 निश्चय 3 विश्वास ठुमका-(पु०) । हल्का आघात 2 हल्का झटका (जैस-ठुमका ठीक-1 (वि०) । उपयुक्त ? युक्ति संगत 3 अच्छा लगाना)
4 मनोनुकुल 5 उचित 6 शुद्ध, सही ? यथार्थ 8 दुरुस्त न ठुमकारना-(स० क्रि०) ठुमका देना इधर न उधर 10 जैसा चाहिए वैसा. न ढीला न कसा || ठमकी-(स्त्री०) 1 ठुमककर चलने की क्रिया 2 धीर से किया (पू.) निश्चित होने की अवस्था (जैसे-उनके आने का कोई जानेवाला आघात, थपकी 3 दें० इमका ठीक नहीं) III (क्रि० वि०) । उचित प्रकार से (जैसे-घड़ी | ठुमरी-(स्त्री०) 1 छोटा मधुर गीत जिसे गाते समय प्रायः कई ठीक चल रही है) 2 नियत समय पर (जैसे-ठीक चार दिन | रागों का मिश्रण कर दिया जाता है बाद में वापस आया ) 3 ठहराव (जैसे-पहले रहने का तो ठीक ठुरियाना- बोल (अ० क्रि०) . ठिटरना हो जाए तब आगे बातें होंगी) 4 मुनासिब ढंग से (जैसे-इन्हें ठुरी-(स्त्री०) - ठुड्डी II ठीक करके सज़ा दो)। ठाक (वि.) | जो बिल्कुल ठुसकना-(अ० क्रि०) 1 [स-दस शब्द करते हुए रोना, दुरुस्त अवस्था में हा, पक्का || (पु०) 1 व्यवस्था, प्रबंध ठुन-ठुन करना 2 ठुस शब्द करते हुए पादना 2 निश्चय
ठुसना-(अ० क्रि०) 1 ठूस-ठूसकर भरा जाना 2 पेट भरकर ठीकड़ा-(प०) ठीकरा
खाया जाना ठीकम-ठीक-(अ०) । बिल्कुल ठीक 2 पूर्ण रूप से ठुसवाना-(स० क्रि०) ठूसने का काम कराना ठीकरा-(पु०) 1 मिट्टी के टूटे बर्तन का बड़ा टुकड़ा. भीख | ठुसाना-(स० क्रि०) 1 ठूसने में प्रवृत्त करना 2 भोजन करान माँगने का मिट्टी का बर्तन, भिक्षा पात्र 3 पुराना बर्तन 4 तुच्छ
खिलाना वस्त। -फोड़ना दोष मढ़ना; समझना कुछ न समझना; दूंग-(स्त्री०) ठोंग, चोंच होना अंधाधुंध खर्च होना
दूंठ-(पु) 1 वृक्ष का बचा हुआ धड़ 2 कटा हाथ ठीकरी-(स्त्री०) 1 छोटा ठिकर 2 तुच्छ वस्तु 3 चिलम पर दूंठा-(वि०) 1 बिना डाली-पत्ती का, शाखा रहित 2 जिसका रखने का मिट्टी का तवा
हाथ कटा हुआ हो, लंज 3 खाली, रिक्त 4 थोथा, निस्सार ठीका-(पू.) 1 नियत समय, दर पर कोई काम. बात ह्ठिया- बो० (वि.) 1 लूला-लँगड़ा 2 नपुंसक, हिजड़ा करने-कराने का इकरार. ठका (जैस-पल बनाने का ठीका. | ,ठी-(स्त्री०) फ़सल काट लेने के बाद पौधे की जड़ के पास
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स
क्रि०)
1 दबा-दबाकर
भरना
रह जानेवाली अरहर, ज्वार, बाजरे आदि की खूँटी, डंठल ठूंस ठूंस-ठाँस- (स्त्री०) अत्यधिक (भरना) ठूंसना, ठूसना - (स० 2 ज़बरदस्ती डालना, भरना 3 खूब पेट भरकर खाना ठेंगना- बो० (वि०) ठिंगना ठेंगा - (पु० ) 1 हाथ का अंगूठा 2 डंडा, सोंटा। ~दिखाना 1 साफ़ इनकार करना 2 निराश करना; बजना लज्जाजनक विफलता होना; ठेंगे से बला से ठेंगुर - (पु०) उच्छृंखल पशुओं के गले में बाँधी जानेवाली लकड़ी ठेघा- (पु० ) टेक
=
ठेंठा - (पु०) सूखा डंठल
ठेंठी- (स्त्री०) 1 कान की मैल 2 कान के छेद पर लगाई जानेवाली रूई 3 बोतल या शीशी का काग, डाट ठेंपी- बो० (स्त्री०) ਰੇਂਤੀ ठेक- (स्त्री०) 1 टेक, चाँड़ 2 सहारा 3 तल, पेंदा ठेकना - (स० क्रि०) 1 सहारा लेना 2 सहारा लगाना ठेका - I (पु० ) 1 ठहरने ठहराने की जगह 2 ठेकनेवाली वस्तु 3 हल्का आघात, थपेड़ा 4 डुग्गी 5 तबला बजाने की वह रीति जिसमें केवल ताल दी जाए
=
=
ठेका - II ( पु० ) दे० ठीका। पत्र + सं० (पु० )
=
पत्र
ठेकाई - (स्त्री०) 1 ठेकना-ठेकाने की क्रिया 2 ठेकना- ठेकाने का पारिश्रमिक
335
ठेकी - (स्त्री०) 1 टेक, सहारा 2 धूनी
ठेकेदार हिं० + फ़ा० (पु० ) ठीकेदार ठेगनी - (स्त्री०)
टेकनी
ठेठ - (वि०) 1 जो बिल्कुल मूल रूप में हो (जैसे-ठेठ बनारसी) 3 निर्विकार । ~पन (पु० ) 1 अकृत्रिमता 2 विशुद्धता, निरा शुद्ध 3 निर्विकारता
ठेपी- (स्त्री०) 1 ठेंठी, डाट, काग 2 छोटा ढक्कन ठेलना - 1 (स० क्रि०) 1 ढकेलना (जैसे-गाड़ी ठेलना ) 2 अपना दायित्व दूसरे पर डालना II (अ० क्रि०) बल प्रयोग करना, ज़बरदस्ती करना
ठेलमठेल - I (स्त्री०) धक्कम धक्का II ( क्रि० वि०) एक-दूसरे को ढेलते हुए
ठेला - ( पु० ) 1 ठेलकर चलाई जानेवाली गाड़ी 2 धक्का 3 भीड़-भाड़। ठेल (स्त्री०) ठेलमठेल ठेस- (स्त्री०) 1 हलकी चोट 2 हलका मानसिक कष्ट 3 धर्म पर होनेवाला आघात (जैसे- मान-मर्यादा को ठेस पहुँचाना) 4 आश्रय, सहारा (जैसे-तकिए पर ठेस लगाकर बैठना ) ठेसना - I बो० (स० क्रि०) = ठूसना ठेसना - II (अ० क्रि०) सहारा लेना ठैरना- बो० (अ० क्रि०) = ठहरना ठैराना- बो० (स० क्रि०) = ठहराना ठैल-पैल - (स्त्री०) = ठेल-पेल ठोंक - (स्त्री०) = ठोक
ठोंकना - (स० क्रि०) ठोकना बजाना (स० क्रि० ) अच्छी तरह परखना
ठोंग - (स्त्री०) 1 चोंच 2 चोंच की मार 3 मुड़ी हुई उँगली से
11
=
= ठीका
=
डंक
किया गया आघात
ठोंगना - (स० क्रि०) 1 चोंच मारना 2 मुड़ी हुए उँगली से चोट
करना
ठोंगा - ( पु० ) काग़ज़ की थैली
ठोंठी - (स्त्री०) 1 चने के दाने का खोल 2 पोस्ते की ढेढ़ी ठो- (अ०) संख्यावाचक शब्दों के साथ लगनेवाला एक अव्यय (जैसे-एक ठो किताब, बीस ठो रुपया)
ठोक - (स्त्री०) प्रहार, आघात
ठोकना - (स० क्रि०) 1 आघात करना 2 धँसाना 3 प्रहार करना 4 मारना 5 पीटना 6 ताड़न करना 7 जड़ना 8 जकड़ना ठोकर - ( स्त्री०) 1 चलते हुए कंकड़, पत्थर आदि से टकराने से लगी चोट 2 ऐसी वस्तु जिससे चोट लगने की संभावना हो 3 पैर से किया गया आघात 4 धक्का (जैसे भीड़-भाड़ में ठोकर भी सहनी पड़ेगी)। उठाना 1 घाटा सहना 2 तकलीफ उठाना खाते फिरना 1 मारा-मारा फिरना 2 असफल होते रहना; खाना असावधानी का कुपरिणाम भोगना; ठोकरों पर पड़ा रहना अपमान सहकर रहना ठोकवा- बो० (पु० ) गुना नामक मीठा पकवान ठोट - (वि०) 1 तत्त्वहीन 2 मूर्ख
ठोड़ी, ठोढ़ी - (स्त्री०) ठुड्डी, चिबुक। ~तारा (पु० ) ठुड्डी पर का गोदना; पकड़ना मिन्नत के लिए किसी की ठोढ़ी छूना ; ~पर हाथ धरकर बैठना कुछ सोचना-विचारना ठोप- बो० (पु०) पानी की बूँद, जलकण ठोर - ( पु० ) पूरी जैसा चीनी में पका हुआ पकवान ठोस - (वि०) 1 ठस और पक्का (जैसे-ठोस पत्थर, ठोस
धातु) 2 जो पोला न हो (जैसे- ठोस प्रतिमा, सोने का ठोस कंगन) 3 जो पुष्ट एवं सारगर्भित हो (जैसे- ठोस विचारों से भरी पुस्तक) 4 जो दृश्य एवं मूर्तरूप में सामने हो (जैसे- ठोस प्रस्ताव ) 5 जो दृढ़ एवं तत्त्वप्रधान हो (जैसे- ठोस आदमी, ठोस महाजन)
ठोसा - (पु० ) 1 व्यंग्य 2 ठेंगा 3 धक्का देते हुए किया जानेवाला
आघात
ठोहर - (पु० ) 1 अकाल 2 महंगी
ठौका - (पु० ) वह स्थान जहाँ मोट का पानी गिराया जाता है,
चवना
कुठौर
ठौर - (पु० ) 1 जगह स्थान 2 अवसर, मौक़ा (पु०) जा-बेजा, जगह- बेजगह; ~ठिकाना (पु०) आश्रय
ड
डंक - ( पु० ) 1 बिच्छू. मधुमक्खी, भिड़ आदि छोटे जंतुओं का ज़हरीला काँटा, दंश 2 डंक द्वारा किया गया भेदन 3 चुभनेवाली द्वेषपूर्ण बात (जैसे- तुम तो हमेशा डंक मारा करते हो) 4 कलम का निब । दार डंकवाला (जैसे-डंकदार जंतु)
फ़ार (वि०)
+
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डंका
डंका - ( पु० ) नगाड़ा बजना 1 अधिकार होना 2 चलती होना; (लड़ाई का ); बजना युद्ध आरंभ होना; पीटना प्रचार करना; -बजाना घोषित करना, ज़ोर-ज़ोर से सुनाना; डंके की चोट पर कहना निडर होकर खुलेआम कहना डंकिनी - (स्त्री०) डाकिनी, डाइन डंकिनी बंदोबस्त - फ़ा० ( पु० ) स्थायी व्यवस्था डैकियाना - I (स० क्रि०) 1 डंके से चोट करना 2 डंक मारना डैकियाना - II ( अ० क्रि०) 1 पार करने के लिए चलना
+
=
2 चलकर आना
डंकी - I (वि०) डंकदार, डंकवाला
डंकी - II ( स्त्री०) कुश्ती का एक दाँव
डंकीमैन-अं० (पु० ) सहायक इंजन का चालक डंकीला - बो० (वि०) डंकदार
डकौरी- बो० (स्त्री०) बर्रे, भिड़
336
डंग - (पु० ) अधपका छुहारा
डंगर - I निर्बुद्धि
डेंगरी - I (स्त्री०) लंबी लकड़ी II (स्त्री०) डाइन, चुड़ैल डैंगवारा - (पु० ) किसानों की बैल आदि की आपस की सहायता डंगू ज्वर-अं० + सं० (५०) एक जकड़नवाला ज्वर डँगोरी - (स्त्री०) 1 डाँग, लाठी 2 वृद्ध की वह लाठी जिसे लेकर वह टेक कर चलता है
(पु० ) चौपाया, पशु II ( वि०) पशुओं की तरह
डंठल - (पु० ) पौधों आदि का धड़ जो पतला और लंबा होता है (जैसे- अरहर का इंटल)
डंठी- बो० (स्त्री०) 1 किसी वस्तु में लगा हुआ लंबा अंश
2 डंठल
डंड - (पु० ) 1 डंडा, सोंटा 2 बाहु-दंड, बाँह, भुजा 3 प्रसिद्ध भारतीय व्यायाम जो हाथ-पैर के पंजों के सहारे पेट के बल की जाती है (जैसे-डंड पेलना) 4 सजा, दंड 5 जुर्माना 6 घाटा । ~पेल (पु० ) 1 डंड पेलनेवाला पहलवान, तंदुरुस्त एवं हट्टा-कट्टा 2 मौज मस्ती करनेवाला व्यक्ति
डंडना - (स० क्रि०) दंड देना
डँड़वारा - ( पु० ) ऊँची दीवार (जैसे-डॅड़वारा खींचना ) डँडहरा - बो० ( पु० ) 1 पतली, गोल लंबांतरी लकड़ी जो दरवाज़ों को खुलने से रोकने के लिए अंदर से लगाई जाती है. 2 दरवाज़ों को बंद करने के लिए उनमें लगाया जानेवाला लोहे आदि का उपकरण
डंडा - (पु० ) 1 बाँस आदि का लंबा टुकड़ा, लाठी, सोंटा 2 लकड़ी की सीढ़ी में पैर रखकर चढ़ने के लिए लगा बाँस का गोल लंबोतरा टुकड़ा 3 सोपान 4 किसी पदार्थ का अपेक्षाकृत कम चौड़ा तथा मोटा किंतु अधिक लंबा टुकड़ा। बेड़ी (स्त्री०) वह बेड़ी जिसमें छड़ लगे हों; शाही + फ़ाο (स्त्री०) डंडे के बल पर राज्य करना; खाना डंडे से पिटना; ~ बजाते फिरना मारा-मारा फिरना
डंडाल - (पु० ) डंका, नगाड़ा डैंड्रिया-I (स्त्री०) लकीरों के रूप में गोटे-पट्टे से टँकी हुई साड़ी II (स्त्री०) गेहूँ, जौ आदि की बालों की लंबी सींक डैंड्रियाना - (स० क्रि०) 1 कपड़े के दो पाटों को मिलाकर सीना 2 साड़ी में गोटे आदि टाँककर लकीरें बनाना डंडी - (स्त्री०) 1 पतली-लंबी छडी, पंखे की डंडी 2 तराजू की
डगर
लकड़ी 3 विशिष्ट पौधों का बड़ा एवं लंबा डंठल (जैसे-कमलं की डंडी) 4 तने का ऊपरी भाग जिसपर फूल-फल लगते हैं (जैसे- गेंदे की डंडी) 5 पुरुष की लिंगेंद्रिय, शिश्न; ~मार I (वि०) कम तौलनेवाला II (पु०) बनिया; ~मारना कम सौदा तौलना
डंडीर - ( स्त्री०) सीधी लकीर, सीधी रेखा
डंबर - सं० (पु० ) 1 आडंबर 2 विस्तार 3 झुंड 4 भारी आवाज़ डंबेल -अं० (पु० ) 1 लट्ठ जैसे गोल सिरोंवाला लोहे का उपकरण जिसे पंजे से पकड़कर कसरत करते हैं 2 इस तरह के उपकरण से की जानेवाली कसरत
डॅवरुआ - ( पु० ) गठिया (रोग) डॅवरू - (पु० ) = डमरू डॅवाँडोल - बो० (वि०) = डाँवाँडोल
डॅस - (पु० ) 1 डाँस 2 डंक
डँसना - (स० क्रि०)
इसना
डऊ - (वि०) 1 हृष्ट-पुष्ट, लंबा-चौड़ा 2 पशुओं की तरह निर्बुद्धि, मूर्ख
डक - (पु०) खेलने का स्थान
डक - I अं० (पु० ) 1 एक प्रकार का गफ कपड़ा जो जहाज़ की पाल के काम आता है 2 एक प्रकार का मोटा कपड़ा जिसे कमीज़, कोट आदि की कालर में लगाते हैं II (पु० ) जहाज़ की ऊपरी छत
डकरना, डकराना - (अ० क्रि०) 1 बैल, भैंस आदि का बोलना 2 डकार लेना
डकार - ( स्त्री०) 1 आवाज़ के साथ निकलती हवा, उर्ध्ववायु 2 दहाड़
पेट से मुँह के रास्ते तक न लेना इस तरह
हज़म कर जाना कि किसी को पता तक न चले डकार सं० (पु० ) 'ड' वर्ण
डकारना-I (अ० क्रि०) 1 डकार लेना 2 दे० डकरना ||
(स० क्रि०) हज़म कर जाना डकैत - (पु० ) डाकू, लुटेरा
डकैती - (स्त्री०) 1 डकैत का काम 2 डाका डकौत - (पु० ) भड्डर, भड्डरी
डग- ( पु० ) क़दम (जैसे- डग भरना, डग मारना) । देना क़दम रखना; भरना क़दम बढ़ाना, चलना; -मारना लंबे-लंबे डग डालना
डगडगाना - (अ० क्रि०) 1 अस्थिर होना, काँपना 2 इधर-उधर घूमते फिरना 3 डगमग होना डगडौर- बो० (वि०) डाँवाडोल
डगण-सं० (पु० ) छंदशास्त्र में चार मात्राओं का एक गण डगना - (अ० क्रि०) 1 डग भरना 2 डगमगाना 3 इधर-उधर होना 4 भूल करना
डग-मग-1 (वि०) 1 जिसके क़दम लड़खड़ा रहे हों 2 विचलित II ( पु० ) अस्थिरता डगमगाना - 1 (अ० क्रि०) 1 क़दम ठीक से न पड़ना 2 जोर से इधर-उधर हिलना-डुलना (जैसे- नाव डगमगाना) 3 विचलित होना (जैसे मन का डगमगाना) II (स० क्रि०) 1 डगमग करने लगना 2 विचलित करना
डगर - ( स्त्री०) 1 मार्ग, रास्ता 2 तंग रास्ता । - बगर (स्त्री०) राह- कुराह
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डगराही
डिगाना
=
डगराही - हिं० + फ्रा० ( पु० ) राहगीर डगना- बो० (स० क्रि०) डच - I जअं० (पु० ) हालैण्ड का निवासी II ( वि०) हालैण्ड का, होलैण्ड संबधी
डटना - (अ० क्रि०) 1 साहसपूर्वक खड़े रहना (जैसे-युद्ध भूमि में फ़ौज डटी थी) 2 जगह से न हटना 3 लगना, प्रवृत्त होना (जैसे- वह काम में बराबर डटा रहा)
337
उटाना - (स० क्रि० ) 1 डटने में प्रवृत्त करना 2 ठहराना, रोकना 3 भिड़ाना, सटाना
डट्टा - (पु० ) 1 हुक्के का नेचा 2 साँचा 3 डाट, काग डढ़मुड़ा - (वि०) दाढ़ी मुँड़ा
डढ़ार, डढ़ारा - (वि०) 1 डाढ़वाला 2 दाढ़ीवाला डढ़ियल - (वि०) दढ़ियल, दाढ़ीवाला डपट - I (स्त्री०) 1 डपटने की क्रिया 2 घुड़की, डाँट डपट - II ( स्त्री०) घोड़े की सरपट चाल
डपटना - I (स० क्रि०) 1 झिड़कना 2 घुड़कना 3 डाँटना डपटना - II (अ० क्रि०) सरपट दौड़ना
डपोर संख - ( पु० ) 1 डींग मास्नेवाला 2 मूर्ख व्यक्ति डप्पू - (वि०) 1 लंबे-चौड़े आकारवाला 2 बहुत मोटा डफ - अ० (पु० ) लावनी गानेवालों का एक तरह का बाजा, चंग डफला - अ० (पु०) डफ बाजा
डफली- अ० (स्त्री०) छोटा डफ, खंजरी
डफालची-अ० बजानेवाला
डब - (पु० ) 1 धोती आदि का छोर जिसमें रुपये-पैसे लपेटकर रखे जाते हैं 2 जेब 3 थैला 4 कुप्पे बनाने का चमड़ा डब-अं० (स० क्रि०) (फ़िल्म में नया स्वर भरना डबकना - (अ० क्रि०) 1 आँखों का अश्रुपूर्ण होना 2 दर्द करना, टीसना 3 लँगड़ाकर चलना
डबकहा - (वि०) डबडबाया हुआ डबडबाना - ( अ० क्रि०) अश्रुपूर्ण होना, आँसू भर आना डबरा - ( पु० ) 1 छिछला गंदा गड्ढा 2 वह खेत जिसमें आस-पास का पानी जमा हो
डबरी - ( स्त्री०) छोटा गड्ढा, ताल
+
तु०, डफाली-अ० + हिं० (पु०) डफ
डबल-अं० दुगुना । रोटी (स्त्री०) पाव रोटी डबा - बो० (पु० ) डिब्बा
डबिया - बो० (स्त्री०) = डिबिया (डिब्बी ) डबोना - (स० क्रि०) = डुबाना
डब्बा - ( पु० ) 1 डिब्बा (जैसे-रेल का डब्बा) 2 ढक्कनदार छोटा पात्र (जैसे- दूध का डब्बा) । ~बंद + फ़ा० (वि०) डिब्बे में बंद, टिन बंद; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) डिब्बा बंद करने का व्यवसाय
डब्बी - (स्त्री०) डिबिया डब्बू - (पु० ) कटोरदान
डभकना - (अ० क्रि०) 1 आँसू भर आना 2 डूबना - उतारना
3 भर जाने से बाहर गिरना, छलकना 4 जी भरकर खाना-पीना डभका - (पु०) 1 कुछ-कुछ भुना हुआ चना, मटर आदि 2 कुएँ से निकला ताज़ा पानी
डमर-सं० (पु० ) 1 दो गाँवों के बीच होनेवाली लड़ाई
2 उपद्रव, उत्पात 3 हलचल, भगदड़
उहना
डमरुआ - ( पु० ) घेघा रोग
डमरू - सं० (पु०) एक बाजा जिसके दोनों तरफ़ चमड़ा मढ़ा होता है तथा बीच का भाग पतला होता है। मध्य (पु० ) दो बड़े भूखंडों को मिलानेवाला स्थल का संकीर्ण भाग; यंत्र (पु०) अर्क खींचने तथा सिंगरफका पारा और कपूर उड़ाने का एक यंत्र
डयन - सं०. (पु० ) 1 हवा में उड़ना, उड़ान 2 पालकी डर - (पु० ) 1 भय, त्रास, खौफ़ 2 अंदेशा, आशंका 3 संकोच (जैसे-दादा जी से कहने में डर लगता है) 4 वह बात, वस्तु जिससे कोई डरे (जैसे- सर्प काटने का डर )
डरना - ( अ० क्रि०) 1 भय खाना, भयभीत होना, खौफ़ होना 2 सशंक होना 3 संकोच होना
डरपोक - (वि०) कायर, भीरु
डरवाना, डराना - I (स० क्रि०) 1 भयभीत करना 2 सशंकित करना II (स० क्रि० )
= डलवाना
डरावना - (वि०) भयकारक, भयानक (जैसे- डरावनी रात, डरावना चेहरा )
पुरावा - (पु० ) 1 डराने के लिए कही जानेवाली बात 2 डराने की वस्तु
डरीला - I बो० (वि०) जो शाखायुक्त हो II (वि०) डरपोक (जैसे-डरीला स्वभाव )
डल - I (पु० ) खंड, टुकड़ा
डल - II ( स्त्री०) 1 झील 2 कश्मीर की एक झील का नाम डलना - (अ० क्रि०) 1 डाला जाना, छोड़ा जाना 2 लटकाया जाना (झूला) 3 घुसेड़ा जाना (सुई में डोरा) 4 पसारा जाना, फैलाया जाना 5 पड़ना
डलवा - (पु० ) दौरा, डला
डलवाना - (स० क्रि०) डालने का काम करवाना डला - I (पु० ) ठोस चीज़ का टुकड़ा, खंड II बाँस आदि का
बना पात्र
डलिया - ( स्त्री० ) टोकरी
डली - (स्त्री०) 1 छोटा टुकड़ा 2 सुपारी
डवँरू - (पु० ) डमरू डसन - ( स्त्री०) 1 डसने की क्रिया 2 डंक मारने का ढंग डसना - (स० क्रि० ) 1 सर्प आदि ज़हरीले जंतु का काटना 2 डंक मारना
डसवाना, डसाना - (स० क्रि०) सर्प आदि से कटवाना डसी - बो० (स्त्री०) 1 निशानी 2 याद कराने के लिए दी गई
वस्तु
डस्ट कवर-अं० (पु०) पुस्तक आवरण डस्टर - अं० ( पु० ) झाड़न
डहकना - I (अ० क्रि०) 1 विकसित होना, फूलना 2 शोभा युक्त होकर चारों ओर फैलना 3 हुंकार भरते हुए गरजना 4 ठगा जाना II (स० क्रि० ) 1 छल करना, मूर्ख बनाना 2 ललचाकर भी न देना डहडहा- (वि०) 1 हरा-भरा 2 ताज़ा sesहाना - (अ० क्रि०) 1 लहलहाना 2 प्रफुल्लित होना डहना - 1 (अ० क्रि०) । जलना, भस्म होना 2 कुढ़ना, चिढ़ना II (स० क्रि० ) 1 भस्म करना, जलाना 2 डाह उत्पन्न करना, डाहना
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डॉक
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डाटना
डॉक-I (स्त्री०) चाँदी आदि का अत्यंत पतला पत्तर II गाड़ी; ~घर (पु०) = डाकख़ाना; चौकी (स्त्री०) व (स्त्री०) 1 लाँघने की क्रिया 2 कै, वमन
स्थान जहाँ सवारी के घोड़े आदि बदले जाँय; टिकट . डॉकना-I (अ० क्रि०) उल्टी करना, के करना
अं० (पु०) पत्र आदि पर लगाया जानेवाला सरकारी टिकट डॉकना-II (स० क्रि०) 1 लाँघना 2 कूदते हुए पार करना ~पाल (पु०) पोस्ट-मास्टर; बैंगला (पु०) दौरे पर (जैसे-रस्सी डाँकना)
जानेवाले सरकारी अधिकारियों के ठहरने हेतु बनाए गए डोंगर-1 (वि०) 1 अत्यधिक दुबला-पतला 2 बेवकूफ, मर्ख सरकारी भवन; ~भार + सं० (पु०) = डाकखर्व, II (पु०) चौपाया, डंगर। ~घसीटना अत्यंत तुच्छ कार्य महसूल + अ० (पु०) डाक द्वारा वस्तु आदि भेजने कब करना
महसूल, डाक शुल्क; ~मुंशी + अ० (पु०) = फोर डॉट-(स्त्री०) 1 फटकार, झिड़क 2 दबाव, शासन। उपट, मास्टर; ~मुहर + फ़ा० (स्त्री०) डाक द्वारा लगाया जानेवाला ~फटकार (स्त्री०) झिड़की, घुड़की
ठप्पा; ~वाला (पु०) डाकिया; विभाग , सं० डाक का डॉटना-(स० क्रि०) 1 फटकारना, झिड़कना 2 डराने के लिए | महकमा; ~व्यय + सं० (पु०) = डाकखर्च ज़ोर से बोलना
डाक-II (स्त्री०) वमन, कै डॉठ-(पु०) = डंठल
डाक-III अं० (पु०) बंदरगाह का वह विशिष्ट अंश जहाँ डॉई-(पु०) 1 डंडा 2 नाव खेने का डंडा, पतवार 3 मेंड़ जहाज़ों पर का माल लादा एवं उतारा जाता है, गोदी4 सीमा, हद 5 दंड. अर्थ-दंड
डाक-IV (स्त्री०) 1 नीलाम की बोली 2 पुकार डाँड़ना--1 (स० क्रि०) दंड लगाना, जुर्माना करना । (स० | डाकना-I (अ० क्रि०) कै करना, वमन करना क्रि०) डाँटना
डाकना-II (स० क्रि०) लाँघना, फाँदना डाँडा-(प०) 1 डंडा 2 डाँडा, पतवार 3 सीमा, हद। ~मेड़ डाकना-III बो० (स० क्रि०) 1 पुकारना 2 नीलाम की बोली (१०) खेत आदि की वह सीमा जिस पर मेंड बनी हो; बोलना
--मेड़ी (स्त्री०) दो मीमाओं के बीच की मेंड डाकयार्ड-अं० (पु०) गोदीबाड़ा डाँडी-1 (स्त्री) 1 पतली लंबी लकड़ी 2 वृक्ष आदि की पतली डाका-(पु०) लुटेरों द्वारा किया गया धावा, छापा (जैसे-डाका शाखा टहनी 3 सीधी रेखा 4 तराज़ की डंडी 5 तने का वह पड़ना)। ज़नी + फ़ा० (स्त्री०) डाका मारना, लट, डकैत भाग जिस पर फल-फूल लगे हों 6 हिंडोले में की चारों डाकिन, डाकिनी-सं० (स्त्री०) 1 कालि देवी की एक अनुची लकड़ियाँ 7 डंडे में बँधी हुई झोली के आकार की पहाड़ी __2 चुडैल, डाइन। -आखेट (पु०) डाकिनी का शिकार सवारी, डांडी. झम्पान 8 चरखी की थवनी में डाली जानेवाली डाकिया-(पु०) वह सरकारी कर्मचारी जो घर-घर चिट्ठियं जुलाहे की लकड़ी ।। (पुल) 1 डाँड खेनेवाला आदमी 2 सुस्त ___ आदि पहुँचाता है, डाकवाला, चिट्ठीरसान आदमी
डाकी-I (स्त्री०) कै, उल्टी, वमन डॉवरू-(प०) बाघ का बच्चा
डाकी-II (वि०) 1 बहुत अधिक खानेवाला, पेटू 2 प्रचंड डाँवाँडोल-(वि०) 1 चंचल, अधीर. (जैसे-उसका मन बहुत डाकू-I (पु०) डकैत, लुटेरा। -संचित + सं० (पु०) डाँवाँडोल है) 2 इधर-उधर हिलनेवाला (जैसे- भूकंप के __ डाकुओं द्वारा लूटकर इकट्ठा किया गया धन कारण पृथ्वी का डाँवाँडोल होना) 3 अस्थिर (जैसे-आर्थिक डाकू-II (वि०) = डाकी II स्थिति का डाँवाँडोल हो जाना)
डाकेट-अं० (पु०) 1 विषय सूची 2 निर्णय सूची डाँस-(पु०) 1 बड़ा मच्छर 2 डक
डाक्टर-अं० (पु०) 1 रोगी का इलाज करनेवाला, चिकित्सक डाइन-(स्त्री०) 1 भृतनी, चुडैल, 2 कुरूपा एवं डरावनी स्त्री वैद्य, हकीम : किसी विद्या, विषय का आचार्य, विषय-विद्य
3 जादू करनेवाली स्त्री, टोनहाई 4 अत्यंत दुष्ट एवं क्रूर स्त्री का प्रकांड विद्वान, पंडित 3 इस तरह के आचार्य, पंडित की डाइनामाइट-अं० (पु०) - डायनामाइट
उपाधि 4 ऐसा व्यक्ति जिसे इस तरह की उपाधि प्राप्त डाइनिंग-रूम-अं० (पु०) खाना खाने का कमरा, भोजन कक्ष डाइरेक्टर-अं० (१०) निदेशक
डाक्टरनी-अं० + हिं० (स्त्री०) महिला चिकित्सक डाइरेक्टरी-अं० (स्त्री०) निर्देशिका पुस्तिका (जैसे-टेलीफ़ोन डाक्टरी-अं० + हिं० (स्त्री०) 1 डाक्टर होने की अवस्था का डाक्टरी)
2 डाक्टर का काम, पेशा (जैसे-डाक्टरी करना) डाई-अ० (१०) 1 साँचा टप्पा 2 रंगाई । जैसे-कमीज़ डाई डाक्टरेट-अं० (स्त्री०) डॉक्टर की उपाधि कराना)
डागा-(पु०) डुग्गी, ढोल, नगाड़ा आदि बजाने की लकड़ी डाउन-[ अं० (क्रि.० वि०) नीचे ।। (वि०) (ट्रेन) समुद्र की डाट-(स्त्री०) 1 काग (जैसे-बोतल का डाट बंद कर देना) ओर जानेवाली
2 मेहराब के बीच का. पत्थर, ईंट 3 टेक 4 रोक, अटकाव, डाक-1 (स्त्रा०) 1 डॉकने की क्रिया सवारी का ऐसा प्रबंध जिसमें हर पड़ाव पर वाहन आदि मिला करे 3 पत्र आदि डाटना-I (स० क्रि०) 1 टेक लगाना 2 मुँह डाट लगाकर बंद पहचान का सरकारी व्यवस्था में पहुँचाया जानेवाला पत्र, करना 3 भिड़ाकर आगे ढकेलना 4 ज़ोर से भिड़ाना 5 कसकर सामग्ना आदि जैसे यह द्वारा बहत जरूरी है) खर्च . ठसना 6 अच्छी तरह पेट भरकर खाना 7 पहनना II (अ०
.० (१०. ग्राव, शल्क: खाना + फा० (१०) डाक क्रि०) 1 डटकर सामने बैठना 2 वेष बनाना III (स० क्रि०) कायालय, पास आफिमगाड़ी (स्त्री०) डाक ढोनेवाली डाँटना
चाँड
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डाढ़
डाढ़ - (स्त्री०) 1 चबाने के दाँत, दाढ़, चौभड़ 2 सूअर का निकला हुआ दाँत
डाढ़ा - (पु० ) 1 जंगल की आग, दावानल, दावाग्नि 2 ताप,
जलन
डाड़ी - (स्त्री०) 1 ठुड्डी के बाल 2 ठुड्डी । ~मुंडा (वि०) डाढ़ी मुड़ा
डाबक - (वि०) = डाभक
डाबर - I (पु० ) 1 गंदा पानी इकट्ठा होनेवाला गड्ढा, झाँवर 2 छोटा तालाब, पोखरा 3 चिलमची II (वि०) 1 गँदला 2. मटमैला
339
डाबा-बो० (पु० ) डिब्बा
डाबी - (स्त्री०) 1 फ़सल का दसवाँ अंश 2 घास, पुआल आदि का पूला
डाभ - (पु०) 1 ऊसर भूमि में उत्पन्न होनेवाली घास, दर्भ 2 कुश 3 आम के वृक्ष के आरंभिक अंकुर जो मंजरी का रूप लेते हैं 4 कच्चा नारियल
=
डाभक-बो० (वि०) कुएँ से तुरंत का निकाला गया, ताज़ा डामचा - ( पु० ) वह मचान जिसपर बैठकर पशु-पक्षियों से फ़सल की रक्षा की जाती है
डामर - (पु० ) 1 साल का गोंद, राल 2 अलकतरा, गाढ़ा तारकोल
डामर -सं० (पु० ) 1 धूम-धाम 2 ठाट-बाट 3 हलचल 4 अद्भुत दृश्य, चमत्कार
डामल-अ०, डामिल (पु० ) 1 सदा के लिए बंदी बनाकर रखने की सज़ा, आजीवन कारावास का दंड 2 देश निकालने का दंड, निर्वासन दंड
डायें - डायँ - ( क्रि० वि०) व्यर्थ, बिना काम के इधर-उधर (जैसे-डायँ डायँ घूमना) डायन - (स्त्री०)
= डाइन
डायनामाइट -अं० (पु०) एक शक्तिशाली विस्फोटक पदार्थ डायनेमो-अं० (५०) बिजली पैदा करनेवाली एक मशीन डायबिटीज़ - अं० (स्त्री०) मधुमेह
डायरिया -अं० (पु०) दस्त
डायरी -अं० (स्त्री०) दैनिकी, दैनंदिनी
डिग्री
सिक्का । शाह + फ़ा० (पु० ) अत्यंत धनी व्यक्ति डालरी-अं० + हिं० (वि०) डालर का
डाली - I (स्त्री०) टहनी, शाखा II 1 भेंट के रूप में भेजे हुए फल-मिठाई आदि, नज़र 2 डलिया
डायल-अं० (पु० ) ( घड़ी, टेलीफ़ोन आदि का) अंकपट डायलेक्टिक्स-अं० (पु०) 1 द्वंद्वात्मक पद्धति 2 द्वंद्वात्मक तर्क डायोक्साइड-अं० (पु०) दो आक्सीजन के अणुओं से बना एक अणु
डारा - (पु० ) 1 कपड़ों को लटकाकर सुखाने के प्रयोग में आनेवाली रस्सी 2 वह रस्सी जिसपर कपड़े लटकाए जाते हैं डाल - 1 (स्त्री०) 1 शाखा, टहनी II (स्त्री०) डलिया, टोकरी डालना - (स० क्रि० ) 1 गिराना 2 ऊपर से नीचे पहुँचाना 3 फेंकना (जैसे- इसे गड्ढे में डाल दो) 4 छोड़ना (जैसे-आग में पानी डालना) 5 मिलाना (जैसे- दाल-चावल एक बर्तन में ही डालना) 6 घुसाना, प्रविष्ट कराना 7 ज़िम्मे करना (जैसे- काम का बोझ डालना) 8 पहनाना (जैसे- कन्या का वर के गले में जयमाल डालना) 9 लटकाना (जैसे-झूला डालना) 10 ढकना, फैलाना (जैसे- सिर पर पल्ला डालना) 11 सम्मिलित करना
डालर -अं० (पु० ) अमरीका और कुछ अन्य देशों का बड़ा
डासन - ( पु० ) 1 बिछावन, बिस्तर 2 चटाई का आसन डासना - I (स० क्रि०) बिछाना II 1 डसना 2 काटना डासनी - ( स्त्री०) 1 चारपाई 2 शय्या
डाह - (स्त्री० ) ईर्ष्यापूर्ण, जलन, कुढ़न। भरा (वि०) ईर्ष्यापूर्ण, डाहयुक्त
डाहना - (स० क्रि०) 1 संतप्त करना 2 जलाना 3 तंग करना डाहुक-सं० (पु०) टिटहरी की तरह का एक जलपक्षी डिंग डांग - ( पु० ) अनुकरणात्मक ध्वनि
डिंगर -- I (पु० ) गाय आदि के गले में बाँधी जानेवाली लकड़ी II (पु० ) 1 धूर्त 2 नीच व्यक्ति 3 मोटा आदमी 4 गुलाम,
दास
डिंगल - I ( वि० ) दूषित और नीच
डिंगल - II ( स्त्री०) भाटों या चारणों की पुरानी काव्यभाषा डिंडिभ-सं० पानी का साँप डिंडिम-सं० (पु० ) डुगडुगी, डुग्गी डिंडिर- मोदक-सं० ( पु० ) 1 गाजर 2 लहसुन डिंब - सं० (पु० ) 1 स्त्री के गर्भ की आरंभिक अवस्था, भ्रूण 2 अंडा 3 गर्भाशय । ~ ग्रंथि (स्त्री०) गर्भाशय की गिल्टी; ~ प्रणाली (स्त्री०) गर्भाशय की नली; ~युद्ध (पु० ) मामूली लड़ाई
डिंभ - सं० (पु० ) 1 छोटा बच्चा 2 छौना, शावक 3 मूर्ख 4 एक तरह का उदर रोग
डिंभक-सं० (पु०) छोटा बच्चा
डिंभिया - (वि०) 1 पाखंडी 2 घमंडी
डिक्की - I (स्त्री०) सींगों का आघात II अं० (स्त्री०) मोटरकार के पीछे सामान भरने की जगह डिक्टेटर-अं० (पु०) तानाशाह ।
शाही
+ फ़ा० (स्त्री०)
तानाशाही
डिक्टेशन-अं० (पु० ) इमला (जैसे- डिक्टेशन बोलना ) श्रुतलेख
डिक्री -अं० (स्त्री०) डिगरी II डिक्लेरेशन -अं० (पु०) घोषणा डिक्शनरी-अं० (स्त्री०) शब्दकोश
डिगना - ( अ० क्रि०) 1 डोलना 2 हिलना 3 वचनभंग करना, विचलित होना
डिगरी - I अं० (स्त्री०) 1 विश्वविद्यालय से मिलनेवाली उपाधि (जैसे- बी० ए० की डिगरी मिलना) 2 अंश । धारी
+
सं०, प्राप्त + सं० (वि०) जिसे उपाधि मिली हो डिगरी - II - अं० (स्त्री०) वादी को संपत्ति आदि पर अधिकार दिलानेवाला फ़ैसला। ~दार + फ़ा० (वि०) जिसके पक्ष में
=
अदालत का हक़ दिलानेवाला फ़ैसला हुआ हो डिगाना - (स० क्रि०) 1 हटाना 2 विचलित करना 3 हिलाना डिग्गी- I (स्त्री०) 1 छोटा तालाब, पोखरा 2 बावली II साहस, हिम्मत
डिग्री - I अं० (स्त्री०) डिग्री - IIअं० (स्त्री० )
=
=
डिगरी I डिगरी 11
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डिज़ाइन
340
डुबवाना
२जन
तृष्णा
डिज़ाइन-अं० (स्त्री०) बनावट (जैसे-नयी डिज़ाइन की साड़ी)। | डिवीज़न-अं० (पु०) 1 ग० भाग 2 (प्रशासन), प्रमंडल
~कर्ता + सं०, साज़ + फ्रा० (पु०) डिज़ाइन । डिश-अं० (पु०) तश्तरी बनानेवाला कारीगर
डिसमिस-अं० (पु०) खारिज डिज़िल-अं० (पु०) डिजेल-इंजन
डिस्काउंट-अं० (पु०) कमीशन, कटौती डिटेक्टिव-पुलिस-अं० (स्त्री०) खुफ़िया पुलिस
डिस्वार्ज-अं० (पु०) 1 मुक्ति 2 पदमुक्ति 2 सेवा मुक्ति डिठार, डिठियारा-(वि०) जिसे अच्छी तरह दिखाई देता हो डिस्ट्रिक्ट-अं० (पु०) ज़िला। ~कोर्ट (पु०) डिठोहरी-(स्त्री०) एक फल का बीज जो बच्चों को नज़र लगने ज़िला-न्यायालय; जज (पु०) ज़िला-न्यायाधीश; बोर्ड से बचाने के लिए पहनाते हैं
(पु०) ज़िला परिषद डिठौना-(पु०) कुदृष्टि से बचाने के लिए लगाई जानेवाली डिस्पेंसरी-अं० (स्त्री०) दवाखाना, औषधालय काली बिंदी, काला टीका
डिस्पैच-अं० (पु०) भेजना डिडिका-(स्त्री०) युवावस्था में ही सिर के बालों का सफेद हो डिस्सपैचर-अं० (पु०) भेजनेवाला, प्रेषण कर्मी जाने का एक रोग
डींग (स्त्री०) 1 लंबी-चौड़ी आत्मप्रशंसा 2 अभिमान भरी कोरी डिदया-(स्त्री०) 1 लालच भरी निगाह 2 तीव्र लोभ, उत्कट गप 3 शेखी। ~मार (वि०) गप मारनेवाला। हाँकना
लंबी-चौड़ी बातें कहना . डिनर-अं० (पु०) रात का भोजन । ~सेट (पु०) भोजन के डींगिया-(वि०) डींग मारनेवाला बर्तन
डीक-(स्त्री०) आँख का जाला डिपटी-अं० (पु०) 1 नायब 2 सहायक अधिकारी डीठ-(स्त्री०) 1 दृष्टि, नज़र (जैसे-डीठ चुराना) 2 ज्ञान चक्षु, डिपाजिट-अं० (स्त्री०) जमा करना (जैसे-यह पैसा बैंक में | अंतर्दृष्टि 3 ऐसी दृष्टि जिसके पड़ने से वस्तु की अच्छाई को डिपाज़िट कर दो
कम कर दे, नज़र। बंध + सं० (पु०) ऐसा जादू जिससे डिपार्टमेंट-अं० (पु०) विभाग
वस्तु दूसरे रूप में दिखाई पड़े, नज़रबंदी; चुराना, डिपुटी-अं० (पु०) उप, नायब (जैसे-डिपुटी डॉयरेक्टर) -छिपाना सामने न ताकना; बाँधना जादू द्वारा दृष्टि में डिपो-अं० (स्त्री०) गोदाम
भ्रम उत्पन्न करना; ~मारना नज़र डालना; रखना डिटी-अं० (पु०) = डिपटी
देख-रेख करना; ~लगाना नज़र लगाना । डिप्लोमा-अं० (पुं०) उपाधि पत्र, प्रमाण पत्र
डीडीटी-अं० (स्त्री०) कीट नाशक दवा जो चूर्ण रूप में श्वेत डिप्लोमेट-अं० (पु०) राजनयिक
रासायनिक यौगिक होता है डिफ्रेंस-अं० (पु०) 1 रक्षा, बचाव 2 देश की रक्षा व्यवस्था । डीन-[ अं० (पु०) (विश्वविद्यालय में) संकायाध्यक्ष डिबिया-(स्त्री०) छोटा डिब्बा
डीन-IIसं० (पु०) 1 पक्षियों आदि की उड़ान 2 पक्षियों आदि डिबेंचर-अं० (पु०) ऋणपत्र
के उड़ने से उत्पन्न शब्द डिब्बा-(पु०) डब्बा, ढक्कनदार पात्र । बंद + फा० (वि०) = | डीनक-सं० (वि०) उड़नेवाला
डब्बाबंद; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) = डब्बाबंदी डीबुआ-बो० (पु०) पैसा डिब्बी-(स्त्री०) = डिबिया
डील-(पु०)1 क़द 2 व्यक्तित्व, 3 कलेवर, काठी। -डौल डिम-सं० (पु०) इंद्रजाल और लड़ाई आदि के दृश्योंवाला (पु०) 1 शरीर का विस्तार 2 शरीर, देह (जैसे-अच्छे नाटक
डील-डौलवाला आदमी) डिमडिमी-(स्त्री०) = डुगडुगी
डीलर-अं० (पु०) 1 विक्रेता 2 दुकानदार डिमरेज-अं० (पु०) हरज़ाना
डीह-(पु०) 1 आबादी, बस्ती 2 छोटा गाँव 3 उजड़े हुए गाँव डिमांड-अं० (स्त्री०) माँग। ~ड्राफ्ट (पु०) दर्शनी हुंडी __का अवशेष 4 टीला । दारी (स्त्री०) ज़मींदार का हक डिमाई-अं० (स्त्री०) 18 x 22 इंच की काग़ज़ की नाप डुक-(पु०) घूसा, मुक्का डिमाक्रेट-अं० (पु०) लोकतंत्रवादी
डुकिया-(स्त्री०) = डोकिया, डोकी डिमाक्रेटिक-अं० (वि०) लोकतंत्रीय, जनतंत्रीय
डुकियाना-(स० क्रि०) 1 से मारना 2 खूब मारना डिमोक्रेसी-अं० (स्त्री०) लोकतंत्र, प्रजातंत्र, जनतंत्र डुगडुगाना-I (स० क्रि०) इग-ड्ग ध्वनि उत्पन्न करना डिलीवरी-अं० (स्त्री०) 1चिठियों, पार्सल आदि को उन्हें | II (अ० क्रि०) डुग-डुग शब्द होना पाने के अधिकारी व्यक्तियों तक पहँचा देने का कार्य 2 बच्चे हुगडुगी-(स्त्री०) डुग्गी, डौंडी। फेरना डुग्गी बजाते हए को जन्म देने की क्रिया, प्रसव 3 माल का छुड़ाना, अदा सार्वजनिक रूप से सूचना देना, मुनादी करना करना। -मैन (पु०) चिट्ठियाँ, पार्सल आदि पहँचानेवाला डुग्गी-(स्त्री०) 1 चमड़े से मढ़ा चौड़े मुँहवाला बाजा 2 डुगडुगी कर्मचारी; विभाग सं० (पु०) 1 वितरण विभाग 2 चि० डुपटना-बो० (स० क्रि०) 1 दो परत करना 2 चुनना, चुनियाना : जनन विभाग
(जैसे-धोती डुपटना) डिल्ला-I(पु०) बैल के कंधे पर उभरा हआ मोटा भाग, कुब्बा, | सुबकनी-(स्त्री०) पनडुब्बी
दुबकी-(स्त्री०) 1 पानी में डूबकर निकलना, गोता 2 एक स्थान डिल्ला -II(पु०) एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में 16 मात्राएँ | से गोता लगाकर दूसरी जगह निकलने की क्रिया और अंत में भगण (5॥) होता है
| बवाना-(स० क्रि०) डुबाने का काम कराना
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डुबाना
डुबाना - (स० क्रि०) 1 गोता देना, बोरना (जैसे-क़लम स्याही में डुबाना) 2 कलंकित करना (जैसे-कुल का नाम डुबाना) 3 प्रतिष्ठा नष्ट करना 4 बर्बाद करना (जैसे- उसने सारी संपत्ति को शराब - जूआ में डुबा दिया )
डुबाव - (पु० ) 1 डूबने भर की गहराई (जैसे नदी में दो हाथियों का डुबाव है ) 2 डूबने-डुबाने की क्रिया डुबोना - बो० (स० क्रि० ) डुबाना डुब्बा - ( पु० ) पानी में डुबकी लगानेवाला, पनडुब्बा डुब्बी - (स्त्री०) 1 डुबकी 2 पनडुब्बी (नाव) डुलना - ( अ० क्रि०) 1 हिलना 2 इधर-उधर घूमना-फिरना डुलाना - (स० क्रि०) 1 हिलाना, चालित करना 2 झलना (जैसे- चंवर डुलाना) 3 इधर-उधर घुमाना फिराना 4 विचलित
करना
डुलि-सं० (स्त्री०) कछुई, कच्छपी
ड्रैगर - (पु० ) 1 पहाड़ी 2 टीला 3 ढूह, भीटा
डूंगरी - (स्त्री०) छोटी-सी पहाड़ी
341
हूँगा - ( पु० ) 1 चम्मच, चमचा 2 दे० डूंगर 3 काठ को खोदकर बनाई गई नाव
डा - (वि०) जिसका एक सींग टूट गया हो (जैसे-ढूँड़ा बैल) डूबना - (अ० क्रि०) 1 जल में समाना (जैसे- नाव डूबना ) 2 गोता खाना 3 लीन होना 4 डूबकर खत्म हो जाना, मर जाना (जैसे-उनका लड़का नदी में डूब गया) 5 अस्त होना (जैसे- सूरज डूबना ) 6 कलंकित होना (जैसे-उसके कुकृत्य से वंश का नाम डूब गया) 7 बर्बाद होना (जैसे- उसकी सारी दौलत व्यभिचार में डूब गई) 8 समाप्त होना (जैसे-दिन डूबना ) । ~ उत्तराना (अ० क्रि०) रह-रहकर चिंता-सोच में लीन होना, उलझन में पड़ना । डूबते को तिनके का सहारा असहाय, अवलंबहीन को थोड़ी मदद मिलना; डूब मरना 1 लज्जा के मारे मुँह न दिखाना 2 लज्जा के मारे मर-मर जाना, अत्यधिक लज्जित होना
डेक-अं० (पु०) लकड़ी के तख्तों आदि से बनी जहाज़ की
पाटन ।
डेढ़ - (वि०) एक और आधा (जैसे डेढ़ किलो अनाज, अभी डेढ़ बजा है)। ईंट की मसजिद जुदा बनाना अक्खड़पन के कारण सबसे अलग. काम करना; चावल की खिचड़ी पकना सबसे अलग राय कायम करना; चुल्लू लहू पीना बहुत कठोर दंड देना
ड्योढ़ा, डेवढ़ा
डेढ़ा - (वि०) डेढ़िया - (स्त्री०) 1 स्त्रियों की चादर, धोती का आँचल 2 उधार देने का वह प्रकार जिसमें फसल पर मूल का ड्योढ़ा वसूल किया जाता है
=
डेढ़ी- (स्त्री०) ऐसा लेन-देन जिसमें उधार ली गई वस्तु डेढ़-गुनी मात्रा में वापस करनी पड़ती है।
डेपुटेशन - अं० (पु० ) प्रतिनिधि मंडल, शिष्ट मंडल (जैसेडेपुटेशन के पास विचारार्थ भेजना )
डेबरा - बो० (पुं०) बायें हाथ से काम करनेवाला व्यक्ति डेमरेज़ - अं० (पु० ) = 1 डिमरेज़ 2 देरी की वजह से हरजाना डेयरी - अं० (स्त्री०) वह स्थान जहाँ दूध देनेवाले पशुओं को पाला जाता है।
डेरा - (पु० )
डोर
3 निवास स्थान (जैसे- आपका डेरा कहाँ पड़ेगा 4 खेमा, तंबू 5 वह स्थान जहाँ पेशा करनेवालों की मंडली रहती हो (जैसे - जुआरियों का डेरा) । ~ डंडा (पु०) डेरा डालने की आवश्यक सामग्री
डेरी -अं० (स्त्री०) = डेयरी
1 टिकाव, पड़ाव 2 अल्पकालिक निवास
डेलटा - अं० ( पु० ) नदी के मुहाने पर बनी तिकोनी भूमि (जैसे- नील नदी का डेल्टा )
डेला - ( पु० ) 1 आँख का गोलक 2 ढेला, रोड़ा डेलिगेट - अं० (पु० ) शासन संस्था का अधिकृत प्रतिनिधि डेलिगेशन - अं० (पु० ) 1 प्रतिनिधि मंडल, शिष्ट मंडल 2 ( शक्ति का) प्रतिनिधान
डेलिरियम - अं० (पु० ) मस्तिष्क रोग के कारण प्रलाप डेलीगेट-अं० (पु० ) डेलिगेट
डेल्टा - अं० (पु० ) = डेलटा
डेवढ़ा - I (वि०) डेढ़ गुना II ( पु० ) डेढ़ गुनी संख्या डेवढ़ी - (स्त्री०) 1 ड्योढ़ी 2 डेढ़ी
डेस्क- अं० ( पु० ) खानेदार छोटी चौकी
डेहरी - I ( स्त्री०) दहलीज़, देहरी II मिट्टी का छोटा बर्तन डैना - (पु० ) 1 बड़ा पंख, पर 2 डाँड़ डैम-अं० (पु०) बाँध
डैश - अं० (पु० ) लंबी बेड़ी रेखा, हाइफन डोंगा - ( पु० ) 1 बिना पाल की नाव 2 बड़ी नाव डोंगी - (स्त्री०) छोटी नाव
डोंड़ी - (स्त्री०) 1 टोंटी 2 डोंगी 3 डौंडी, डुगडुगी डोई - (स्त्री०) काठ की डाँडीवाली कलछी
डोई- फोड़िया - (पु० ) 1 बहुत बड़ा दुराग्रही 2 अपना सिर तक फोड़ने को तैयार भिखमंगा
डोकरा - (पु० ) बूढ़ा आदमी डोकरी - (स्त्री०) बूढ़ी औरत डोका - (पु०) काठ का कटोरा डोकिया- (स्त्री०) लकड़ी का छोटा कटोरा
डोगरी - (स्त्री०) काश्मीर के डोगरा लोगों की बोली डोज़-अं० (पु०) खुराक
डोड़ा - (पु० ) 1 विशिष्ट पौधों की बड़ी फली-बौंडी (जैसे-पोस्ते का डोड़ा, सेमल का डोड़ा) 2 फली
डोब - ( पु० ) 1 डुबाने की क्रिया 2 गोता, डुबकी डोबना - (स० क्रि० ) डुबाना डोभरी - (स्त्री०) अंकुर
=
डोम - (पु० ) श्मशान में मृतकों के लिए आग देने का काम करनेवाली जाति 2 गाने-बजाने का पेशा करनेवाली एक जाति, मीरासी । कौआ काला जंगली कौआ डोमड़ा - ( पु० ) डोम जाति का व्यक्ति
डोमनी - ( स्त्री०) 1 डोम जाति की स्त्री 2 गंदा एवं घृणित कार्य करनेवाली स्त्री 3 नाचने-गाने का पेशा करनेवाली डोम जाति की स्त्री
डोमिन - ( स्त्री०) डोम की स्त्री
डोमिनियन - अं० (पु० ) 1 औपनिवेशिक राज्य 2 उपनिवेश । ~ स्टेटस (पु० ) औपनिवेशिक स्वराज्य का दर्ज़ा डोर - सं० (स्त्री०) 1 धागा, तागा 2 सूत 3 सूत आदि का बटा मज़बूत मोटा तार 4 आसरा, सहारा। पर लगाना रास्ते पर
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डोरक
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ढंढोरची
लाना; ~मज़बूत होना दीर्घ-जीवी होना; ~होना प्रेम सूत्र में | ड्योढ़ा-(वि०) = डेवढ़ा बँधकर प्रायः उसके साथ लगे रहना
ड्योढ़ी-(स्त्री०) 1 दहलीज़ 2 पौरी। दार + फ़ा० (पु०) डोरक-सं० (पु०) सूत्र. धागा
दरबान, द्वारपाल, ~वान (पु०) ड्योढ़ी की रखवाली डोरा-(पु०) 1 मोटा तागा 2 धारी, रेखा 3 आँख की पतली करनेवाला। खुली रहना भीतर आने की अनुमति, आज्ञा लाल नसें 4 सुराग, सूत्र 5 प्रेम का बंधन। ~डालना किसी मिलना; बंद होना आने-जाने की मनाही होना; लगना को प्रेम पाश में बाँधने हेतु मधुर आचरण करना; ~लगना इयोढ़ी पर द्वारपाल नियुक्त करना प्रेम पाश में पड़ना
ड्रगिस्ट-अं० (पु०) औषध विक्रेता डोरिया-(पु०) एक धारीदार कपड़ा
ड्रम-अं० (पु०) 1 ढोल, नगाड़ा 2 ढोल के आकार का बड़ा डोरी-(स्त्री०) 1 रस्सी (जैसे-कूएँ से पानी निकालने की डोरी | पात्र, पीपा टूट गई) 2 जुलूसों, सवारियों आदि के आगे दोनों ओर लेकर ड्राइंग-अं० (स्त्री०) रेखाओं द्वारा चित्र बनाने की कला; चलनेवाली रस्सी 3 कलबत्तू, रेशम आदि की वह रचना जो ~काग़ज़ + फ़ा० (पु०) कला बनाने के लिए प्रयोग में कपड़ों पर शोभा के लिए टाँकी जाती हैं 4 आकर्षण, बंधन, आनेवाला पन्ना। ~रूम (पु०) बैठक पाश (जैसे-प्रीति की डोरी में उलझना)। ~ढीली करना ड्राइवलीनर-अं० (पु०) बिना पानी (पेट्रोल आदि से) धुलाई देख-रेख कम करना; ~लगना ध्यान लगा रहना
करनेवाला डोल-I (पु०) पानी भरने का लोहे का गोल बर्तन II 1 पालकी ड्राइक्लीनिंग-अं० (स्त्री०) बिना पानी (पेट्रोल आदि से)
2 झूला नौकियाँ डाल (पु०) चलने-फिरने, धुलाई करना हिलने-डुलन आदि की क्रिया
ड्राइवर-अं० (पु०) चलानेवाला, चालक (जैसे-इंजन ड्राइवर, डोलची-हिं० + फा० (स्त्री०) 1 छोटी टोकरी 2 छोटा गोल मोटर ड्राइवर) बर्तन
ड्राफ्ट-अं० (पु०) 1 हुंडी 2 मसौदा डोलना-(अ० क्रि०) 1 हिलना (जैसे-भूकंप से पृथ्वी का ड्राफ्ट्स मैन-अं० (पु०) नक्शा नवीस डोलना) 2 इधर-उधर आना-जाना, दोलित होना (जैसे-दीवार ड्राम-अं० (पु०) औंस का 1/16 वां भाग, एक अंग्रेज़ी तौल घड़ी का पेंडुलम डोलना) 3 अस्थिरता एवं शंका होना ड्रामा-अं० (पु०) नाटक (जैसे-मन डोलना) 4 टहलना, घूमना 5 विचलित होना | डिल-अं० (स्त्री०) क़वायद, पी० टी० 6 अपनी जगह से हटना
ड्रेनेज-अं० (पु०) जल निकास ओला-(पु०) 1 पालकी 2 पालकी की तरह की छायी हई | ड्रेस-अं० (पु०) वेश-भूषा, पोशाक चौकोर सवारी जिसे कहार उठाकर चलते हैं 3 झोंका, पेंग।
देना 1 लड़की को वर के घर ले जाकर ब्याह देना 2 राजा को भेंट के रूप में अपनी लड़की देना डोलाना-(स० क्रि०) = डुलाना डोली-(स्त्री०) छोटा डोला। ~करना जैसे-तैसे दूर करना,
हटाना डौंडी-(स्त्री०) 1 डुग्गी, ढिंढोरा 2 डुग्गी पीटकर की जानेवाली घोषणा, मुनादी। देना 1 ढोल बजाकर सर्व-साधारण को | कना-I बो० (स० क्रि०) = ढकना सूचित करना, मुनादी करना 2 किसी बात को चारों ओर सबसे ढंकना-II (पु०) ढकना, ढक्कन कहते फिरना; बजना 1 घोषणा होना 2 दुहाई फिरना 3 तेज़ ढंग-(पु०) 1 तरीका (जैसे-अपने-अपने ढंग से काम करना) एवं प्रताप सब पर प्रकट होना
2 चलन (जैसे-अपने ढंग का अकेला आदमी) 3 तरह, प्रकार डोरू-बो० (पु०) = डमरू
(जैसे-पुराने ढंग का पहनावा) 4 बनावट, रूप डोआ-(पु०) बड़ी डोई
(जैसे-काम-काज का ढंग) 5 आचरण (जैसे-बात-चीत का डोल-(पु०) 1 बाहरी आकृति, ढाँचा (जैसे-आदमी-औरत का । ढंग) 6 कुशलता (जैसे-वैज्ञानिक शोधकर्ताओं का ढंग)
डील-डौल सामान्य है) 2 बनावट, गठन 3 ढंग, सलीका 7 उपाय (जैसे-सही ढंग अपनाकर काम करना) 8 पाखंड 4 उपाय, युक्ति 5 रंग-ढंग, तौर-तरीका, लक्षण। ~डाल (जैसे-पूजा-पाठ का यह ढंग अच्छा नहीं है) १ लक्षण (पु०) 1 उपाय 2 कोशिश; ~दार + फा० (वि०) सुडौल (जैसे-अच्छे ढंग से व्यवहार करना) 10 स्थिति (जैसे-सही 2 सुंदर। ~डालना रूप रेखा तैयार करना। पर लाना ढंग से जीवन-बसर होना)। पर चढ़ना उद्देश्य साधन में रास्ते पर लाना, अनुकूल बनाना
अनुकूल होकर सहायक बनना; ~पर लाना अभिप्राय साधन लियाना-(स० क्रि०) 1 गढ़कर दुरुस्त करना 2 अपने हेतु अपने अनुकूल बनाना अनुकूल बनाना
ढंगी-(वि०) 1 ढंग से काम करनेवाला 2 चालबाज़, धूर्त बैवा-(पु०) = डौआ
3दे० ढोंगी इयूटी-अं० (स्त्री०) 1 कर्तव्य 2 कर्म 3 बँधा हुआ काम बैंडरच, इंडस-(पु०) ढकोसला 4 चुंगी, शुल्क। ~वाला + हिं० (पु०) 1 काम करनेवाला डार-(वि०) अकुशल एवं मूर्ख व्यक्ति
Iोरची-हिं० + तु० (पु०) ढंढोरा फेरनेवाला, ढिंढोरिया
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ढंढोरना
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डोरना-(स० क्रि०) 1ढंढोरा पीटना 2 ढंढोरा फेरना, मनादी | ढम-ढम शब्द करते हुए कराना
ढयना-(अ० क्रि०) = ढहना ढंढोरा-(पु०) 1 डुग्गी 2 मुनादी
ढरकना-(अ० क्रि०) 1 ढलकना 2 लेटना डटोरिया-(पु०) डुगडुगी बजाकर घोषणा करनेवाला, ढंढोरची | ढरका-(पु०) आँख से पानी बहने का रोग डोलना-(स० क्रि०) टटोलकर खोजना ।
ढरकी-(स्त्री०) जुलाहों का शटल डेपना-I (अ० क्रि०) ढाँपा जाना (स० क्रि०) ढकना ढरहरी-बो० (स्त्री०) ढालुई ज़मीन, ढाल उपना-II (पु०) ढकना, ढक्कन
ढरारा-(वि०) 1 ढलनेवाला 2 द्रवित होनेवाला 3 सहज ई-(स्त्री०) 1गिर पड़ने की अवस्था 2 धरना
अनुरक्त होनेवाला 4 ढालू, ढालुआँ ढकना-I (स० क्रि०) 1 छिपाना, आच्छादित करना ढर्रा-(पु०) 1 मार्ग, रास्ता 2 परंपरागत पद्धति, प्रणाली 3 आदत (जैसे-घूघट से मुँह ढकना) 2 आवरण डालना (जैसे-देगची 4 उपाय को कटोरे से ढकना) 3 आड़ में करना (जैसे-बादलों से सूरज ढलकना-(अ० क्रि०) 1 ढलना, बहना (जैसे-आखों से आँस का ढकना) 4 प्रकट न होने देना (जैसे-अपना ऐब ढकना) ढलकना) 2 लुढ़कना 3 नीचे की ओर प्रवृत्त होना 4 अनुरक्त II (अ० क्रि०) छिपना, आच्छादित होना III (पु०) ढक्कन होना (जैसे-डिब्बे का ढकना कहाँ है)
ढलका-(पु०) आँखों से पानी गिरने का रोग ढकनी-(स्त्री०) 1 छोटा ढकना 2 कसोरा
ढलकाना-(स० क्रि०) 1 नीचे गिराना 2 लुढ़काना ढका-(पु०) 1 तीन सेर की एक तौल, आढक 2 तीन सेर की ढलना-(अ० क्रि०) 1 ढरकना 2 लुढ़कना 3 नीचे की ओर तौल का बटखरा बाट, बट्टा, वजन
जाना (जैसे-छत से पानी ढलना) 4 अस्ताचल की ओर जाना कार-सं० (पु०) 'ढ' वर्ण
(जैसे-सूरज का ढलना) 5 साँचे में ढाला जाना 6 अंत की ढकेलना-(स० क्रि०) 1धक्का देकर आगे बढ़ाना ओर जाना (जैसे-उम्र ढलना) 7 इधर-उधर हिलाया जाना (जैसे-ठेला ढकेलना) 2 ठेलकर गिराना (जैसे-पहाड़ पर से 8 उड़ेला जाना १ अनुरक्त होना पत्थर ढकेलना) 3 बाहर निकालना (जैसे-मंत्री को पंडाल से | ढल-मल-(वि०) 1दुलमुल, अस्थिर 2 शिथिल ढकेलना) 4 आगे बढ़ने में विवश करना (जैसे-भीड़ को पीछे | ढलवा-(वि०) 1 ढाला हुआ (जैसे-ढलवाँ सिक्का) 2 दे० ढकेलना)
ढालुआँ, ढालवाँ ढकेला-ढकेली-(स्त्री०) एक-दूसरे को बार-बार धक्का देने ढलवाना-(स० क्रि०) ढालने का काम कराना की क्रिया
ढलाई-(स्त्री०) 1 ढालने की क्रिया 2 ढालने की मज़दूरी। उकोसना-(स० क्रि०) एक बारगी पी जाना, भकोसना ~घर (पु०) जहाँ ढालने का काम होता है वह कारखाना, ढकोसला-(पु०) 1 झूठा दिखावा 2 आडंबर, पाखंड जगह
3 विसंगतिपूर्ण उक्ति (जैसे-अमीर खुसरो का ढकोसला) । । ढलान-(स्त्री०) ढालवाला भूखंड 2 ढालू होने की अवस्था ढकोसलेबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) आडंबर, पाखंड ढलाव-(पु०) 1 ढलने-ढालने का ढंग 2 उतारपन, शिथिलता ढक्कन-(पु०) ढकना, ढाँकने की वस्तु
(जैसे-मानसिक ढलाव) ढक्का-सं० (स्त्री०) 1 बड़ा ढोल 2 डंका, नगाड़ा ढलिया-(पु०) = ढालिया ढगण-सं० (पु०) छंदशास्त्र में तीन मात्राओं का एक गण ढलुवा-(वि०) ढलवाँ, ढाल, ढालदार चर-I (पु०) 1 ढाँचा 2 आडंबर, ढोंग 3 व्यर्थ का झंझट | ढलैया-I (वि०) ढालनेवाला II (पु०) ढालनेवाला कारीगर II (वि०) दुबला-पतला, जर्जर
बहना-(अ० क्रि०) 1 मकान आदि का गिरना 2 ध्वस्त होना, टींगड़-(वि०) 1 बड़े डील-डौलवाला, ढींग 2 मोटा-ताज़ा, नष्ट होना हृष्ट-पुष्ट 3 सुंदर किंतु निकम्मा
ढहवाना-(स० क्रि०) 1गिरवाना 2 ढहाने का काम कराना टींगड़ा-(पु०) मोटा-ताज़ा आदमी, हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति ढहाना-(स० क्रि०) गिराना; ध्वस्त करना हट्ठा-(पु०) दाढ़ी बाँधने की पट्टी
ढाँकना-(स० क्रि०) = ढकना बड़ा-(वि०) 1 अनावश्यक विस्तारवाला 2 जिसमें दिखावा ढाँचा-(पु०) 1 वस्तु आदि की रचना का आरंभिक रूप 2 पंजर
अधिक हो II (पु०) 1 बाँस आदि की वह रचना जिसपर (जैसे-शारीरिक ढाँचा) 3 बनावट (सामाजिक ढाँचा) खड़े होकर मिस्त्री, राज आदि ऊँची दीवार बनाते हैं 2 दिखावटी 4 तरह, प्रकार 5 तरीका (जैसे-रहन-सहन का ढाँचा) ठाटबाट, व्यर्थ का आडंबर
6 आरंभिक रूप (जैसे-महाकाव्य का ढाँचा) ड्ढो-(स्त्री०) 1 बूढ़ी स्त्री 2 बकवासिन औरत
ढाँपना-(स० क्रि०) = ढकना, ढाँकना ढपना-I (स० क्रि०) ढाँकना, ढकना
ढाँस-(स्त्री०) 1 सूखी खाँसी 2 खाँसने की आवाज़ ढपना-II (पु०) ढकने की वस्तु, ढक्कन
ढाँसना-(अ० क्रि०) सूखी खाँसी खाँसना ढपोरसंखी-(वि०) पाखंडी |
ढाँसी-(स्त्री०) = ढाँस ढब-(पु०) 1 ढंग, तौर-तरीक़ा, रीति 2 तरह, प्रकार 3 बनावट ढाई-1 (वि०) 1दो और आधा (जैसे-ढाई मीटर कपड़ा, ढाई 4 प्रकृति, स्वभाव 5 आदत, बान 6 उपाय, युक्ति
लीटर पानी मिलाना) 2 दो से आधा अधिक (जैसे-ढाई बज ढबैला-(वि०) मिट्टी एवं कीचड़ मिला हुआ, गैंदला रहा है) II (पु०) ढाई की संख्या, 21 दिनों की ढम-ठम-I (पु०) ढोल आदि की ध्वनि II (क्रि० वि०) बादशाहत थोड़े समय का सुख भोग, चंद दिनों की मौज मस्ती
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डाक
डाक - I (पु० ) पलाश, छिउला । ~के तीन पात हमेशा तंगदस्त रहना डाक - II बो०
(पु०) ढक्का, बड़ा ढोल
डाका पाटन - (पु०) बढ़िया मलमल जिसपर बूटियाँ बनी होती हैं, बूटियोंवाला मलमल
डाटा - ( पु० ) दाढ़ी बाँधने की पट्टी
मारना
ढाड़ - (स्त्री०) 1 चीत्कार, चीख 2 चिंघाड़, दहाड़ चीत्कार करना; ढाड़ें मार मारकर रोना खूब ज़ोर से चिल्लाते हुए रोना
ढाढ़स - (पु० ) ढारस, धैर्य, हौसला ढादिन - ( स्त्री०) ढाढ़ी जाति की स्त्री
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ढाड़ी - (पु० ) 1 घूम-घूमकर जन्मोत्सव के गीत गानेवाली एक जाति 2 मुसलमान गवैयों की एक जाति
ढाना - (स० क्रि०) 1 गिराना 2 ध्वस्त करना 3 विकट बात प्रस्तुत करना (जैसे-गज़ब ढाना )
ढाबा - (पु० ) 1 रोटी आदि की दुकान 2 ओलती 3 जाल 4 परछत्ती, मियानी 5 टोकरा, खाँचा
कामक- (पु० ) ढोल, नगाड़े आदि के बजने की आवाज़ ढार - I (पु० ) 1 ढालुई ज़मीन 2 उतार 3 ढाँचा 4 मार्ग, रास्ता II (स्त्री०) 1 कान का बिरिया नामक गहना 2 हाथ में पहनने की पिछले
ढारस - (पु० ) 1 कष्ट में बनी रहनेवाली हिम्मत, धीरज 2 दिलासा, सांत्वना 3 मन की दृढ़ता
ढाल - I (स्त्री०) 1 आगे की ओर क्रमशः नीची होती गई ज़मीन 2 उतार (जैसे ढाल की तरफ मत जाना) 3 ढंग, प्रकार (जैसे-चाल-ढाल)
ढाल - II सं० (स्त्री०) तलवार आदि के आघात को रोकने के लिए लोहे आदि का बना हुआ गोलाकार फलक ढालना - (स० क्रि०) 1 गिराना, उँडेलना (जैसे-गिलास में दूध ढालना) 2 पिघली हुई धातु को साँचे में उँडेलना (जैसे- कल-पुरज़े ढालना) 3 उलटना, गिराना (जैसे- शराब ढालना) 4 शराब पीना (जैसे- तुम भी शराब ढालने लगे) 5 ठेलना 6 हिलाना ढालवाँ - (वि०) ढालुआँ ढालिया - I (पु० ) 1 बर्तन ढालनेवाला कारीगर 2 गहने बनानेवाला II ( पु० ) ढाल रखनेवाला योद्धा
ढालुआँ-I (वि०) जिसमें ढाल हो, क्रमशः उतारवाला (जैसे-पहाड़ का ढालुआँ किनारा)
ढालुआँ - II (वि०) जो साँचे आदि में ढालकर बनाया गया हो (जैसे- ढालुआँ लोटा)
ढालू - (वि०) ढालवाँ, ढालुआँ (तल), ढालदार ढावना बो० (स० क्रि०) = ढाना
=
ढास - बो० (पु० ) 1 ठग 2 लुटेरा 3 डाकू ढासना - ( पु० ) 1 टेक, सहारा 2 तकिया ढिंढोरची हिं० + तु० ( पु० ) ढोरची ढिंढोरना-I (स० क्रि०) ढिंढोरा पीटना ढिंढोरना - II (स० क्रि०) 1 तलाश करना, ढूँढ़ना 2 बिलोड़ना,
=
मथना
ढिंढोरा - (पु० ) 1 डुग्गी बजाकर की गई घोषणा मुनादी 2 डुग्गी, डुगडुगी पीटना, बजाना ढोल बजाकर सर्वसाधारण को
दुल-मुल
सूचना देना, मुनादी करना
डिग - I ( क्रि० वि०) पास, नज़दीक, निकट II ( स्त्री० ) 1 समीपता, नज़दीकी 2 जलाशय का किनारा, तट 3 छोर, सिरा 4 कपड़े का किनारा, पाड़
ढिठाई - (स्त्री०) 1 पृष्ठता 2 उद्दडंतापूर्ण आचरण 3 दुस्साहस ढिबरी - I (स्त्री०) टीन आदि की कुप्पी
ढिबरी - II ( स्त्री०) चूड़ीदार छल्ला (जैसे- डिबरी कसना ) ढिमका - (सर्व०) अमुक, कलाँ, फ़लाना ढिलढिला - (वि०) 1 ढीला-ढाला 2 जो अधिक गाढ़ा न हो,
हल्का पतला ढिल-मिल - (वि०) जल्दी विश्वास करनेवाला
= ढल-मल। ~ यक़ीन + अ० (वि०)
ढिलाई - (स्त्री०) 1 ढीलापन 2 शिथिलता, सुस्ती 3 छूट (जैसे- ढिलाई देना)
ढिलाना - (स० क्रि०) 1 ढीला कराना 2 बंधन से छुड़ाना ढिल्लड़ - (वि०) 1 ढिलाई करनेवाला 2 आलसी ढींढ़ - (पु० ) 1 गर्भ 2 बड़ा पेट। ~ गिरना गर्भपात ढीठ - (वि०) 1 धृष्ट, बेअदब 2 संकोच रहित, उद्दंड 3 साहसी 4 निडर 5 चपल । ता (स्त्री०) 1 धृष्टता, बेअदबी 2 निडरता 3 चंपलता 4 साहसपन 5 ढिठाई ढीम, ढीमा - ( पु०) 1 मिट्टी का ढोका 2 ईंट-पत्थर आदि का टुकड़ा
ढील - I (स्त्री०) 1 ढिलाई, सुस्ती 2 शिथिलता 3 व्यर्थ की देर 4 रियायत II (वि०) = ढीला । ~ ढाल (स्त्री०) शिथिलता ढील - II ( पु० ) सिर के बालों में पड़नेवाला प्रसिद्ध कीड़ा, ढीलना - (स० क्रि०) 1 ढीला करना 2 बंधन मुक्त करना छोड़ देना 3 द्रव पतला करना 4 सरकने देना 5 विलंब
करना
ढीला - (वि०) 1 जो कसा न हो, शिथिल 2 जिसमें तनाव या खिंचाव न हो 3 सुस्त 4 शांत, नरम 5 मंद, मद्धिम । ढाला (वि०) शिथिल
ढीह, ढीहा-बो० (पु० ) 1 टीला, दूह 2 डीह कुँढवाना - (स० क्रि०) खोजने का काम कराना ढुँढी - (स्त्री०) बाँह
ढुकना - ( अ० क्रि०) 1 घुसना 2 किसी के समीप पहुँचना 3 ताक में बैठना 4 आड़ में छिपना 5 टूट पड़ना ढुकास-बो० (स्त्री०) तेज़ प्यास ढुक्का - (पु० ) तुनमुनिया-बो० (स्त्री०) 1 लुढ़कने की क्रिया 2 स्त्रियों का घेरा बनाकर नाचते हुए कजली गाना
दूका
ठुरना - ( अ० क्रि०) 1 ढलना 2 अनुकूल होना 3 लुढ़कना, झुकना 4 दुलकना
दुराना - (स० क्रि०) 1 ढरकाना 2 दुलकाना 3 गिराना 4 डुलाना ढर्री- (स्त्री०) पगडंडी
ठुलकना - ( अ० कि० ) 1 नीचे की ओर बहना 2 लुढ़कना 3 अनुरक्त होना
ढुलकाना - (स० क्रि०) 1 लुढ़काना 2 गिराना तुलना - I बो० (अ० क्रि०) 1 ढुलकना 2 डुलना तुलना - II ( अ० क्रि० ) ढोया जाना
कुल- मुल - (वि०) 1 ढीला, शिथिल 2 अस्थिर । यक़ीन
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ढुलवाई
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तंग
अ० (वि०) = ढिल-मिल यक़ीन; यक़ीनी अ० + फा० | ढोंगी-(वि०) ढोंग करनेवाला, पाखंडी, बगुला भगत (स्त्री०) अनिश्चितता
डोंढ-(पु०) कपास, पोस्ते आदि की कली दुलवाई-(स्त्री०) = ढुलाई
ढोंढी-(स्त्री०) 1 नाभि 2 कली, डोडी दुलवाना-(स० क्रि०) ढोने का काम कराना
ढोका-(पु०) - ढोंका ढलाई-(स्त्री०) 1 ढोने की क्रिया 2 ढोने की उज़रत ढोना-(स० क्रि०) 1 बोझ एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहँचाना हुलाना-I बो० (स० क्रि०) 1 ढलकाना, बहाना 2 लुढ़काना (जैसे-मज़दूरों का माल ढोना) पशु, यान आदि द्वारा माल 3 चलाना-फिराना 4 अनुरक्त कराना 5 डुलाना
दूसरे स्थान पर ले जाना (जैसे-बैलगाड़ी पर अनाज ढोना) ढुलाना-II (स० क्रि०) = ढुलवाना
3 निर्वाह करना (जैसे-विपत्ति का बोझ ढोना) ढुलुआ-(स्त्री०) खजूर की बनी हुई चीनी
ढोर-(पु०) चौपाया, मवेशी। डंगर (पु०) पशु आदि; दुवारा-बो० (पु०) घुन
पालक + सं० (पु०) पशु पालनेवाला ढूँकना-बो० (अ० क्रि०) 1 ढकना 2 झाँकना
ढोरा-(पु०) जानवर, पशु, ढोर ,का-बो० (पु०) = इका
ढोरी-(स्त्री०) 1 ढोरने का भाव 2 उत्कट अभिलाषा 3 धुन, ढूँढ-(स्त्री०) खोज, तलाश। -ढाँढ़ (स्त्री०) खोजखाज लगन ढूँढना-(स० क्रि०) खोजना, तलाश करना। ~ढाँढ़ना (स० ढोल-(पु०) 1 एक प्रकार का गोल और लंबोतरा बाजा जिसके क्रि०) खोज करना
दोनों तरफ़ चमड़ा मढ़ा होता है 2 कान के भीतर का पर्दा, कर्ण दूका-(पु०) 1 आड़ में छिपकर बैठना 2 प्रविष्ट होने की पटह। ~ढमक्का (पु०) 1 बाजा-गाजा ? चहल-पहल, क्रिया। ~देना लुक-छिपकर बात-चीत सुनना, रंग-ढंग धूम-धाम 3 आडंबर; -पीटना चारों ओर कहते फिरना; देखना
~के भीतर पोल केवल ऊपर का दिखावा टूह-(पु०) 1 ढेर, अटाला 2 टीला, भीटा
ढोलक-(स्त्री०) छोटा ढोल ठेकली-(स्त्री०) 1 धान कूटने का एक यंत्र, ढेंकी 2 सिंचाई के ढोलकिया-(पु०) ढोल बजानेवाला व्यक्ति लिए पानी निकालने का एक यंत्र
ढोलकी-(स्त्री०) = ढोलक ढेंका-(पु०) 1 कोल्ह में जाट के सिरे से लगाया जानेवाला बाँस ढोलन-(पु०) 1 दूल्हा 2 पति 2 बड़ी ढेंकी
ढोलना-I (पु०) ढोल की शक्ल का गले में पहनने का जंतर ढेंकी-(स्त्री०) धान कूटने का यंत्र, ढेंकली
II (स० क्रि०) 1 ढालना 2 ढोरना, डोलाना ढेंकुली-(स्त्री०) = ढेकली
ढोलनी-(स्त्री०) बच्चों का छोटा झूला. पालना डेंढर-(पृ०) आँख के डेले पर मांस निकल आना ढोला-I (पु०) 1 फल आदि में पड़नेवाला एक सफ़ेद कीड़ा ढेंढी-(स्त्री०) कपास, पोस्त आदि की डोडी
2 हद, सीमा का निशान 3 देह, शरीर हॅप, ढेपी-(स्त्री०) 1 फल या पत्ते के ऊपर का वह पतला भाग ढोला-II बो० (पु०) । वर, दूल्हा 2 पति 3 प्रियतम 4 विवाह जिसके बल यह पेड़ की टहनी से लटकत्ता रहता है, ढिपनी के समय गाया जानेवाला गीत । 2 फल में वानस्पतिक रस के जमने से उभरी हुई (जैसे-धुंडी) ढोलिया-(पु०) ढोल बजानेवाला व्यक्ति 3 स्तन का अग्र भाग)
ढोली-I (स्त्री०) दो सौ पानों की गड़ी ढेबरी-(स्त्री०) = ढिबरी II
ढोली-II बो० (स्त्री०) हँसी-ठिठोली, दिल्लगी ढेर-(पु०) राशि, पुज, अटाला. टाल। ~करना मार डालना; ढोवा-(प०) पढाये जाने की क्रिया, दलाई 2 माल ढोनेवाला __ हो जाना मर जाना
व्यक्ति 3 लूट-खसाट ढेरा-(प्०) सुतली आदि बटने का लकड़ी का एक औज़ार | ढोवाई-(स्त्री०) - ढुलाई ढेरी-(स्त्री०) छोटा ढेर (जैसे-आमों की ढेरी) । ढौंका-(पु०) बड़ा पत्थर ढेलवाँस-(स्त्री०) ढेला फेंकने की रस्सी जिसमें उसे रखने के ढौंचा-(पु०) साढ़े चार लिए फंदा लगा होता है, गोफना
ढोकन–सं० (पु०) 1 घूस, रिश्वत 2 उपहार, भेंट ढेला-(पु०) मिट्टी, पत्थर आदि का टुकड़ा; चौथ (स्त्री०) | ढोरी-(स्त्री०) - ढोरी भादों सुदी चौथ जब चंद्रमा को देखने पर दोष निवारणार्थ लोग दूसरे के घर पर ढेला फेंकते हैं ढेलेबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) देला फेंककर घायल करने की
क्रिया
लैया-(स्त्री०) ढाई सेर या किलो ढोंकना-(स० क्रि०) अधिक मात्रा में और जल्दी-जल्दी पीना ढोंका-(पु०) बड़ा ढेला ढोंग-(पु०) 1 आडंबर, पाखंड 2 छल। -धतूर (पु०)
1 ढोंग रचकर अपना काम निकाल लेनेवाला व्यक्ति 2 धूर्त विद्या। बाज़ी । फा० (स्त्री०) पाखंड, आडंबर ढोंगिया-(पु०) ढोंग करनेवाला व्यक्ति
तंग-I फ़ां० (वि०) 1 परेशान, हैरान (जैसे-तंग करना) 2 जिसमें उदारता, सहदयता का अभाव हो (जैसे-तंग दिल का आदमी) 3 सँकरा, संकीर्ण (जैसे-तंग कमरा, तंग गली) 4 आवश्यकता से अधिक कसा हुआ एवं कुछ छोटा
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तंगिया
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तक़दीर
(जैसे-तंग जूता, तंग कुरता) 5 जिसमें उचित विस्तार हेत् | परिश्रम 2 तल्लीनता, तत्परता अवकाश न हो (जैसे-आजकल उनका हाथ बहुत तंग है) | तंद्रा-सं० (स्त्री०) 1 हल्की नींद, ऊँघाई 2 थकान। युक्त II (पु०) ज़ीन कसने की पेटी। दस्त (वि०) 1अर्थ | (वि०) आलसी संकट में पड़ा हुआ, निर्धन, धनहीन 2 कृपण; दस्ती | तंद्राच्छन्न-सं० (वि०) जिसे आलस ने घेर रखा हो (स्त्री०) आर्थिक संकट, निर्धनता; -दिल (वि०) तंद्रालस-सं० + हिं० (स्त्री०) तंद्रा के फलस्वरूप होनेवाला 1 अनुदार, संकीर्णहृदय 2 कंजूस 3 ओछा; -दिली (स्त्री०) आलस अनुदारता, संकीर्णहदयता 2 कंजूसी 3 ओछापन; लज़र । तंद्रालु-सं० (वि०) जिसे तंद्रा आ रही हो अ० (वि०) 1 अनुदार 2 धर्माध; नज़री अ० + फ़ा० तंद्रिक-सं० । (पु०) एक प्रकार का ज्वर II (वि०) तंद्रायुक्त (स्त्री०) 1 अनौदार्य 2 धर्मांधता; हाल + अ० (वि०) तंद्रित-सं० (वि०) अलसाया हुआ 1 तंगदस्त 2 विपदग्रस्त; ~हाली अ० + फ़ा० (स्त्री०) तंद्रिल-सं० (वि०) 1 तंद्रा संबंधी 2 तंद्रालु तंगहाल होने की अवस्था, दुर्दशा; हौसला + अ० (वि०) तंबा-फ़ा० (पु०) ढीली एवं चौड़ी मोहरी का पायजामा उत्साहहीन; ~आना परेशान होना; करना 1 परेशान तंबाकू-फ़ा० (पु०) 1 सुरती से बनायी हुई एक नशीली वस्तु करना 2 दुःख पहुँचाना
जिसे चिलम आदि पर रखकर पीते हैं 2 जर्दा। -फ़रोश तैगिया-फा० + हिं० (स्त्री०) 1 छोटा तंग 2 पहनने के कपड़ों | (पु०) तंबाकू बेचनेवाला; ~फैक्टरी + अं० (स्त्री०)
में लगाई जानेवाली तनी, बंद (जैसे-अँगिया की तँगिया) तंबाकू बनाने का कारखाना तंगी-फा० (स्त्री०) 1 तंग होने की अवस्था 2 संकीर्णता तंबिया-I (वि०) तांबे का बना हुआ II (पु०) 1 तांबिया 3 परेशानी 4 निर्धनता, गरीबी
2 तसला तंज़ीम-अ० (स्त्री०) 1 प्रबंध 2 संगठन
तबियाना- (अ० क्रि०) 1 पीला पड़ना (जैसे-आँखें तंज़ेब-फा० (स्त्री०) एक प्रकार का बढ़िया महीन कपड़ा तँबियाना) 2 ताँबे के बर्तन में खाद्य-पदार्थ अधिक समय तक तंड-सं० (पु०) नाच, नृत्य
रखने से उसमें तांबे की गंध एवं स्वाद आ जाना (जैसे-दही तंडुल- (पु०) चावल
तँबियाना) तंडुलोदक- (पु०) चावल का पानी
तंबीह-अ० (स्त्री०) 1 चेतावनी 2 दंड, सज़ा तंतु-सं० (पु०) 1 सूत 2 तागा 3 रेशा, ताँत 4 नस। उद्योग तंबू- (पु०) खेमा, शामियाना (जैसे-तंबू गाड़ना, तंबू तानना)।
(पु०) धागे बनाने का व्यवसाय; - कीट (प०) । रेश्म का | -घर (पु०) कीड़ा 2 मकड़ी; जाल (पु०) जाल के रूप में फैली हुई | तंबूर-फा० (पु०) छोटा ढोल। ची + तु० (पु०) तंबूरा नसें; ~मय (वि०) तंतुओंवाला; वादक (पु०) बजानेवाला तारवाला बाजा बजानेवाला व्यक्ति; वाद्य (पु०) तारवाला तंबूरा- (पु०) तानपूरा बाजा; ~वाय (पु०) बुनकर जुलाहा
तंबोल- (पु०) पान तंतुकी-सं० (स्त्री०) 1 नाड़ी 2 रस्सी
तँबोलिन- (स्त्री०) पान बेचनेवाली स्त्री तंत्र-सं० (पु०) 1 डोरा, सूत 2 चमड़े की डोरी ताँत 3 शासन तँबोली- (पु०) पान का व्यवसाय करनेवाला व्यक्ति, तमोली
प्रबन्ध 4 शासन प्रणाली (जैसे-जनतंत्र, प्रजातंत्र) 5 राज्य तंभावती- (स्त्री०) रात के दूसरे पहर में गाए जानेवाली एक 6 वीणा आदि का तार 7 शिव-शक्ति की पूजा एवं अभिचार रागिनी आदि का विधान करनेवाला शास्त्र; झाड़ फूंक, टोना। ता तअजुब-अ० (पु०) = ताज्जुब (स्त्री०) व्यवस्था; ज्ञ (पु०) तंत्र (शासन या अभिचार) तअल्लुक़-अ० (पु०) - ताल्लुक़ का ज्ञाता; ~मंत्र (पु०) । जादू-टोना 2 उपाय-युक्ति; तअल्लुकेदार-अ० + फ़ा० (पु०) = ताल्लुकेदार ~युक्ति (स्त्री०) किसी विषय का अर्थ समझने की यक्ति; तअस्सुब-अ० (पु०) पक्षपात
विशारद (पु०) तंत्र में दक्ष; ~स्कंद (पु०) ज्योतिष तइनात-अ० (वि०) = तैनात . तंत्रण-सं० (पु०) 1 शासन में रखना 2 तंत्र के अनुसार चलाना | तई- (अ०) 1 अव्यय, इसका प्रयोग व्यक्तियों के संबंध में तंत्राचार्य-सं० (पु०) तांत्रिक गुरु
__'को', 'प्रति' के अर्थ में होता है (जैसे-आपके तई = आपके तंत्री-सं० । (स्त्री) 1 वीणा आदि में लगा तार 2 तारवाला प्रति) 2 लिए, वास्ते बाजा 3 वीणा II(पु०) 1 गवैया, संगीतज्ञ 2 एक तारवाला | तई-I (स्त्री०) जलेबी आदि बनाने की छिछली कड़ाही बाजा, वीणा III (वि०) 1 तंत्र संबंधी 2 जिसमें पतले तार II (अ०) उस समय, तब
लगे हों 3 तंत्रशास्त्र का अनुयायी 4 जो किसी तंत्र के अधीन हो | तक-I (अ०) सीमा, अवधि सूचित करनेवाला अव्यय तंदुरुस्त-फा० (वि०) जो स्वस्थ हो
(जैसे-103 डिग्री तक, चार बजे तक) तंदुरुस्ती-फ़ा० (स्त्री०) स्वास्थ्य, आरोग्य
तक-II (स्त्री०) 1 तराजू 2 तराजू का पल्ला तंदूर-फ़ा० (पु०) एक प्रकार का चूल्हा जिसे गरम करके रोटियाँ | तक-III (स्त्री०) 1 ताकने की क्रिया 2 टकटकी, टक, पकाते हैं
निर्निमेष दृष्टि तंदूरी-फा० + हिं० (वि०) 1 तंदूर संबंधी 2 तंदूर में पका हुआ | तकड़ा- (वि०) = तगड़ा (जैसे-तंदूरी रोटी)
तक़दमा-अ० (पु०) अटकल, अनुमान, कूत तंदेही-फा० (स्त्री०) 1 तन-मन लगाकर किया जानेवाला । तक़दीर-अ० (स्त्री०) भाग्य, किस्मत। ~वर (वि०)
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तक़दीरी
भाग्यवान्। -आज़माना भाग्य के ~ का खेल भाग्य का करिश्मा -जागना भाग्य का उदय होना; होना
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तक़दीरी - अ० (वि०) भाग्य संबंधी तकना-I बो० (स० क्रि०) 1 ताकना, देखना 2 ताक में रहना 3 आसरा देखना, प्रतीक्षा करना 4 बुरी दृष्टि से देखना 5 शरण लेना Il ( पु० ) बुरी दृष्टि से देखनेवाला व्यक्ति तकनीक -अं (स्त्री०) प्रविधि शिल्प विज्ञान तकनीकी-अंग हिं० (वि०) प्राविधिक, शिल्पक तकबीर - अ० ईश्वर की प्रशंसा
भरोसे कोई काम करना; का धनी भाग्यवान्; फूटना किस्मत खराब
तकब्बुर - अ० ( पु० ) अभिमान
तकमील - अ० (स्त्री०) समाप्ति 2 पूर्णता (जैसे तकमील को
पहुँचना )
तकरार - अ० (स्त्री०) 1 झगड़ा 2 विवाद 3 कहा-सुनी तकरारी - अ० (वि०) 1 तकरार संबंधी 2 तकरार करनेवाला,
झगड़ालू
तक़रीब - अ० (स्त्री०) 1 समीपता 2 वजह 3 विवाह आदि संबंधी जलसा, उत्सव
+
तक़रीबन-अ (अ०) करीब-करीब, लगभग
तक़रीर - अ० (स्त्री०) 1 बातचीत, बोलना 2 भाषण, वक्तृता तकरीरी-अ हिं० (वि०) मौखिक तक़र्रुरी -अ० तकला - (पु० ) सूत कातने और लपेटने के काम आनेवाली चर्खे से लगी लोहे की सलाई, टेकुआ
+
फ़ा० (स्त्री०) नियुक्ति
तकली - (स्त्री०) 1 छोटा तकला 2 बिना चर्खे के सूत कातने और लपेटने का एक आला
तक़लीद-अ० (स्त्री०) नकल, अनुकरण. तकलीफ़ - अ० (स्त्री०) 1 दुःख, कष्ट 2 विपत्ति, संकट (जैसे- तकलीफ़ में परेशान होना) । देह फ़ा० (वि०) कष्ट दायक
+
तकल्लुफ़ - अ० (पु० ) 1 शिष्टाचार, बनावट, औपचारिकता तकल्लुफ़ाना-अ फ़ा० (वि०) औपचारिक तकवा - (पु० ) तकला तक़सीम-अ० (स्त्री०) 1 बाँटने की क्रिया, बँटाई, बँटवारा
2 ग० भाग देना। नामा + फ़ा० (पु० ) विभाजन पत्र तक़सीमी-अ + फ़ा० (वि०) 1 बँटवारे का 2 भाग देने का तक़सीर- अ० (स्त्री० ) 1 अपराध, कसूर 2 चूक, भूल । ~मंद (वि०) अपराधी, दोषी
तकाई - (स्त्री०) ताकने की क्रिया
तक़ाज़ा - अ० (पु० ) 1 तगादा, पावना, माँगना 2 इच्छा 3 आवश्यकता 4 आदेश 5 अनुरोध
तकाना - 1 (स० क्रि०) दिखाना तक़ावी- अ० (स्त्री०) किसानों को सरकार द्वारा दिया जानेवाला
ऋण
तकिया - फ़ा० ( पु० ) 1 रुई से भरी बड़े मुँह की थैली, बालिश 2 छज्जे में रोक के लिए लगाई जानेवाली पत्थर की पटिया 3 विश्राम स्थान 4 आश्रय, सहारा 5 फकीर का डेरा। ~कलाम + अ० (पु०) सखुन तकिया; ~गाह (स्त्री० ) फकीर के रहने की जगह; ~दार (पु० ) तकिया में रहनेवाला
फकीर, तकियानशीन तकुआ, तकुला, तकुवा - तक्र-सं० (पु० ) छाछ मट्ठा,
= तकला
पिंड (पु० ) छेना; प्रमेह
(पु० ) छाछ की तरह पेशाब आने का रोग तक्षक-सं० 1 (पु० ) सर्प, साँप II (वि०) 1 तक्षण करनेवाला 2 लकड़ी आदि की मूर्ति बनाना
तक्षण-सं० (पु० ) लकड़ी काटना। कृति (स्त्री०) काटकर बनाई गई मूर्ति
तक्षणी - (स्त्री०) रंदा
तक्षित सं० (वि०) काटा हुआ
तक्षी - सं० ( पु० ) 1 बढ़ई 2 हलका होना तख़फ़ीफ़ - अ० (स्त्री०) 1 कमी, न्यूनता तखमीनन-अ ( क्रि० वि०) अंदाज़ से अटकल से,
तग़ाफ़ुल
(पु० )
अनुमानतः तख़मीना-अ० (पु० ) 1 अंदाज़ा 2 खर्च का अंदाज़ा
3 अटकल
तख़लिया-अं० (पु० ) 1 निर्जन स्थान 2 तनहाई 3 खाली
करना
तख़ल्लुस - फ़ा० (पु० ) कवि या लेखक का उपनाम तखान - ( पु० ) तक्षण, बढ़ई
तख़ैयुल - अ० (पु० ) कल्पना तख़्त-फ़ा० (पु०) 1 राजसिंहासन 2 तख़्तों की बनी बड़ी चौकी। गाह (स्त्री०) राजधानी; ताऊस अ० (पु० ) मोर के आकार का बना हुआ प्रसिद्ध सिंहासन नशीन (वि०) जो राजसिंहासन पर बैठा हो, सिंहासनारूढ़ ~नशीनी (स्त्री०) राज सिंहासन पर बैठना, राज्यारोहण; पोश (पु०) तख़्त पर बिछाने की चादर बंदी (स्त्री०) तख़्त की बनी दीवार: -बख़्त (पु० ) राज्य और सौभाग्य (आशीर्वाद); खाँ (पु० ) 1 बड़ी चौकी 2 उड़न खटोला 3 वह तख़्त जिसपर बादशाह सवार होकर निकलता था; - उलटना एक राजा को गद्दी से हटाकर दूसरे को बैठाना; --की रात वधू की सुहागरात
तख़्ता- फा० (पु० ) 1 ऊँची चौकी 2 लकड़ी का लंबा और कम मोटा चौकोर टुकड़ा, पल्ला 3 अरथी टिकटी। ए नर्द (पु० ) शतरंज खेलने का तख्ता; पुल (पु० ) काठ की पटरियों को बिछाकर बनाया गया पुल, स्याह (पु० ) श्यामपट, ब्लेक बोर्ड- -उलटना बना काम बिगाडना तख़्ती-फा० + हिं० (स्त्री०) 1 छोटा तख़्ता 2 काठ की छोटी पटिया
तख़्तोताज - फ़ा० (पु० ) राज सिंहासन और राजमुकुट, राज्य तगड़ा - (वि०) 1 मज़बूत एवं हट्टा-कट्टा 2 अच्छा, बड़ा और भारी 3 अधिक प्रबल, सशक्त
तगण-सं० (पु० ) गुरु और लघु मात्रा का गण, 55 1 तगना- (अ० क्रि०) तागों से भरा जाना, तागा जाना तगमा-तु० (पु०) दे० तमग्रा
तगाई - (स्त्री०) 1 तागने की क्रिया 2 तागने की मज़दूरी (जैसे-लिहाफ की तगाई)
=
तगाड़ - फ़ा० (पु० ) तगार तगादा - अ० (पु० ) - तक़ाज़ा
तग़ाफ़ुल - अ० ( पु० ) ध्यान न देना, उपेक्षा, गफ़लत
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तग़ार
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तडिद्दाम
देना
तग़ार-फा० (पु०) 1 मिट्टी का फँडा, नाँद 2 चूना, सुरखी आदि | तटावरोध-सं० (पु०) तट पर बाधा खड़ी करना का गारा बनाने हेतु बनाया गड्ढा 3 तसला
तटिनी-सं० (स्त्री०) नदी, दरिया तग़ारा- + फ़ा० + हिं० (पु०) 1 मिट्टी की नांद 2 पीतल का तटी-सं० (स्त्री०) 1 नदी का किनारा, कूल, तट 2 नदी . बड़ा बर्तन
तटीय-सं० (वि०) तटवर्ती तग़ारी-फ़ा० + हिं० (स्त्रो०) छोटा तगार
तड़-I (पु०) 1 थप्पड़ 2 गुट । -बंदी + फा० (स्त्री०) तगीर-अ० (स्त्री०) बदलने की अवस्था, परिवर्तन, तबदीली __ 1 गुट बनाने की क्रिया 2 दलबंदी। तगीरी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) स्थिति-परिवर्तन
तड़-II (पु०) टूटने, फटने, फूटने आदि से होनेवाला शब्द तचना-बो० (अ० क्रि०) 1 तप्त होना. तपना 2 संतप्त होना, तड़क-(स्त्री०) 1 तड़कने की क्रिया 2 चमकने की क्रिया जलना, कुढ़ना
3 तड़कने का चिह्न । ~भड़क (पु०) 1 ठाट-बाट 2 दिखावा तचाना- (स० क्रि०) 1 तपाना 2 संतप्त करना, मानसिक कष्ट 3 आडंबर
तड़कना- (अ० क्रि०) 1 तड़ शब्द करते हुए टूटना, चटकना तज- (पु०) दारचीनी का जाति की एक वृक्ष जिसकी छाल दवा (जैसे-शीशा तड़कना) 2 दरार पड़ना 3 ज़ोर का तड़ शब्द के काम आती है
होना 4 क्रोधपूर्ण व्यवहार करना 5 कर्कश स्वर में बोलना तजकिरा-अ० (पु०) 1 चर्चा. ज़िक्र 2 जीवन-चरित तड़का-I (पु०) प्रभात, सबेरा (जैसे-तड़के पाँच बजे चलेंगे) तजदीद-अ० (पु०) 1 नया करना 2 पट्टे आदि बदलना तड़का-II (पु०) 1 छोड़ने की क्रिया, बघार 2 छौंकने का तजना- (स० क्रि०) छोड़ना, त्यागना
मसाला तजरबा-अ० (पु०) 1 अनुभव परीक्षण, प्रयोग। -कार + | तड़काना- (स० क्रि०) 1 तड़ शब्द के साथ तोड़ना फ़ा० (पु०) (वि०) अनुभवी: कारी • फ़ा० (स्त्री०) | 2 खिजाना, चटकाना अनुभव से प्राप्त हुई जानकारी
तड़के- (क्रि० वि०) सबेरे, भोर में (जैसे-तड़के जागना) तजवीज़-अ० (स्त्री०) 1सलाह. राय 2 फैसला निर्णय तड़-तड़- (पु०) - तड़ II 3निर्देश, विचार। आखिर फ़ा० । अ० (स्त्री०) तड़तड़ाना-I (अ० क्रि०) तड़-तड़ शब्द होना || (स० क्रि०)
अंतिम निर्णयः -सानी • फ़ा० . अ० (स्त्री०) किसी तड़-तड़ शब्द उत्पन्न करना। फ़ैसले, का उसी अदालत में पुनर्विचार
तड़प- (स्त्री०) 1 तड़पने की अवस्था, छटपटाहट 2 बेचैनी तजुर्बा-अ० (पु०) 1 अनुभवी 2 जानकारी
3 बिजली की चमक। झड़प (स्त्री०) तड़क-भड़क; तजुर्बेकार-अ० । फा० (वि०) - तजरबाकार
~दार (वि०) भड़कीला, चमकीला तजुर्बेकारी-अ० . फ़ा० (स्त्री०) . तजरबाकारी तड़पना-(अ० क्रि०) 1 अत्यंत दुःखी होना, कलपना, तजनित, तज्जन्य-सं० (वि०) उसके द्वारा उत्पन्न
छटपटाना (जैसे-दर्द से तड़पना) 2 बेचैन होना 3 आवेश के तज्ञ-सं० (वि०) 1 तत्व जाननेवाला. तत्वज्ञ 2 ज्ञानी 3 अच्छा कारण ज़ोर से बोलना जानकार
तड़पाना-(स० क्रि०) 1 अत्यधिक कष्ट पहुँचाना, कलपाना, तट-| सं० (पु०) 1 किनारा, कल 2 नदी के किनारे की भूमि सताना 2 बेचैन करना il (क्रि० वि०) निकट, पास। कर (पु०) जलमार्ग द्वारा तड़फड़ाना -I(अ० क्रि०) - तड़पना ||(स० क्रि०) - आयात-निर्यात वस्तुओं पर लगनेवाला कर. महसूल; प्रदेश तडपाना (पु०) तटवर्ती प्रदेश; बंध (पु०) बाँध; वर्ती (वि०) तड़फना -(अ० क्रि०) - तड़पना तट के पास होनेवाला
तड़ाक-I (पु०) तड़ाग, तालाब II (स्त्री०) = तड़ III तटक-सं० (पु०) नदी
(क्रि० वि०) । तड़-तड़ शब्द करते हए 2 जल्दी-जल्दी, तटस्थ-I (वि०) 1 जो समीप रहता हो, निकटस्थ 2 तीर पर चटपट 3 निरंतर, लगातार । ~फड़ाक (क्रि० वि०) चटपट, रहनेवाला 3 किसी का पक्ष न लेनेवाला, दलबंदी से दूर फ़ौरन रहनेवाला 4 उदासीन, निरपेक्ष II (प०) उदासीन व्यक्ति । | तड़ाका-I (पु०) चिटकने, टूटने, फटने से होनेवाला तड़ शब्द
ता (स्त्री०) 1 उदासीनता 2 नवलेखन में प्रचलित वह __ II (क्रि० वि०) चटपट, तुरंत स्थिति जिसमें साहित्यकार किसी मतवाद को स्वीकार न करे | तड़ाग-(पु०) 1 तालाब, सरोवर 2 हिरन फँसाने का फंदा 3 तटस्थ रहने की अवस्था; -ता-पूर्ण (वि०) जो तटस्थता | तड़ातड़ (क्रि० वि०) 1 तड़-तड़ शब्द करते हुए (जैसे-तड़ातड़ से भरा हो (जैसे-तटस्थतापूर्ण नीति); ता वादी (वि०) वो | थप्पड़ लगाना) 2 निरंतर लगातार (जैसे-तडातड़ जवाब देना) जो तटस्थ रहने में विश्वास करता है; वाद (पु०) किसी एक | तडातड़ी-(स्त्री०) 1 जल्दी 2 उतावलापन, व्यग्रता के पक्ष में न रहने का सिद्धांत, निष्पक्षता; वादी (वि०) | तड़ाना-(स० क्रि०) ताड़ने में प्रवृत्त करना निष्पक्ष; वृत्ति (स्त्री०) तटस्थ रहने का स्वभाव तड़ावा-(पु०) दिखावटी तड़क-भड़क तटस्थीकरण- (पु०) 1 किसी देश, स्थान आदि को तटस्थ तड़ित्-सं० (स्त्री०) 1 आकाशीय विद्युत् 2 बिजली। ~गर्भ बना देने, घोषित कर देने की क्रिया 2 प्रतिकूल गण, शक्ति | (पु०) बादल; रक्षक (पु०) ऊँचे मकानों आदि पर आदि द्वारा किसी के गुण या शक्ति का फल या प्रभाव बेकार | लगाया जानेवाला एक उपकरण जो बिजली को गिरने से कर देने की क्रिया, निराकरण
रोककर उन्हें नष्ट होने से बचाता है तटाक-सं० (पु०) तड़ाग, तालाब
| तडिद्दाम-सं० (स्त्री०) बिजली कौंधने की रेखा
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तन्मिय
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.
तदर्थ
तडिन्मय-सं० (वि०) कौंधवाला
ता (स्त्री०) 1 तत्त्व होने की अवस्था 2 यथार्थता, तडिल्लता-सं० (स्त्री०) बिजली की कौंध की लहर वास्तविकता; दर्शन (१०) - तत्व ज्ञान; दर्शी (पु०) तड़ी-(स्त्री) 1 चपत, थप्पड़ 2 धोखा, छल 3 बहाना 4 झूठी - तत्त्वज्ञ; दृष्टि (स्त्री०) 1 बात के मूल कारण का पता शान
लगानेवाली दृष्टि 2 दिव्य दृष्टिः . भाव (पू०) स्वभाव, मूल तत्-सं० सर्व० 1 वही, वह 2 उस, उसी (जैसे-तत्काल, प्रकृति; ~भाषी (पु०) सच्ची बात कहनेवाला; मसि । तु तत्क्षण)
वही है 2 तत्सतः -मीमांसा (स्त्री०) । ईश्वरीय सत्ता तथा ततहँड़ा-(पु०) मिट्टी की बड़ी हाँड़ी
सृष्टि की उत्पत्ति से संबंधित विद्या 2 अध्यात्मज्ञान - वाद ततारना-(स० क्रि०) 1 गरम जल से धोना 2 जल आदि की (१०) 1 दर्शन शास्त्र संबंधी विचार 2 दार्शनिक विचार धार गिराना
प्रणाली; ~वादी I (पु०) तत्ववाद का ज्ञाता एवं समर्थक तति-सं० (स्त्री०) 1 ताँता, पंक्ति 2 फैलावा; विस्तार II (वि०) 1 तत्ववाद संबंधी तत्त्वकी 2 सच्ची और साफ़ बात ततिम्मा -अ परिशिष्ट, क्रोडपत्र
कहनेवाला; विचार (पु०) = तत्व मीमांसा; विद ततैया-I (स्त्री०) बरे, भिड़ II (वि०) तीखा, तीक्ष्ण, चपल (पु०) = तत्त्वज्ञ; -विद्या (स्त्री०); शास्त्र (पु०) और तीव्र बुद्धिवाला
दर्शनशास्त्र; --शून्य (वि०) निस्सार, असार ततोधिक-सं० (वि०) 1 उससे अधिक 2 उससे बढ़कर तत्वतः-सं० (अ०) यथार्थतः, वस्तुतः तत्काल-सं० (अ०) उसी समय, फौरन । रचित (वि०) तत्वान्वेषी-सं० (वि०) तत्व की खोज करनेवाला आशुलिखित, उसी समय का लिखा हआ
तत्वावधान-सं० (पु०) देखरेख, निरीक्षण तत्कालीन सं० (वि०) 1 उस समय का 2 उन दिनों का तत्सदृश-सं० (वि०) उसके समान तत्क्षण-सं० (अ०) उसी क्षण, तुरंत (जैसे-तत्क्षण प्रभाव तत्सम-सं० (पु०) शब्द जो मूल भाषा के शुद्ध रूप में हो' डालना)
तत्साामयिक-सं० (वि०) उस समय का तत्क्षेत्रीय-सं० (वि०) उसी क्षेत्र से संबंधित
तत्स्वरूप-सं० (वि०) तत्सदृश तत्ता-(वि.) अधिक तपा हुआ, गर्म, उष्ण
तथा-सं० (अ०) 1 और, व 2 किसी के अनुरूप, वैसा ही तत्ताथेई (स्त्री०) नाच के बोल, शब्द
(जैसे-यथा नाम तथा गुण) । -कथित, कथ्य (वि०) तत्तोथंबो (पु.) 1 बीचबचाव 2 दिलासा 3 बहकावा जो इस नाम से प्रसिद्ध हो परंतु ऐसा होना विवादस्पद एवं तत्त्व-सं० (प.) 1 आकाश, अग्नि, जल, थल और पवन ये संदिग्ध हो (जैसे-देश का तथाकथित नेता); गत (पु.) पाँच गुण 2 रसायन शास्त्र के अनुसार ऐसा पदार्थ जिसमें दूसरे भगवान् बुद्ध; -विध (वि०) उसी प्रकार का, तत्सदृश पदार्थों का कुछ भी अंश न पाया जाता हो, अमिश्र एवं विशुद्ध, तथापि-सं० (अ०) तो भी, तिस पर भी, फिर भी एलिमेंट 3 सार-वस्तु 4 असलियत 5 ईश्वर। -ज्ञ (पु०) तथास्तु-सं० 1 ऐसा ही हो 2 एवमस्तु 1 ब्रह्म ज्ञानी 2 दार्शनिक; ज्ञान (पु०) अध्यात्मज्ञान; तः तथैव-सं० (अ०) उसी प्रकार, वैसे ही (क्रि० वि०) मूल गुण के विचार से, वस्तुतः तथोक्त-सं० (वि०) उस प्रकार कहा हुआ तत्पद-(पु०) परमपद
तथ्य-सं० (पु०) 1 यथार्थ 2 वास्तविक घटना 3 सार तत्पर-सं० (वि०) 1 जो काम करने को तैयार हो, उद्यत, मुस्तैद | 4 सच्चाई। -कथन (पु०), गत (वि०) = तथ्यात्मक 2 मनोयोगपूर्वक लगा हुआ 3 दक्ष, निपुण, होशियार तः (क्रि० वि०) वस्तुतः; ~परक (वि०) वास्तविकता 4 चालाक, चतुर। ~ता. (स्त्री०) 1 मुस्तैदी 2 दक्षता, के अनुकूल; ~भाषी (वि०) सच्ची और सार गर्भ बात निपुणता 3 चतुराई, होशियारी
कहनेवाला; ~वाद (पु०) यर्थाथवाद; ~वादी (वि०) = तत्परायण-सं० (वि०) उसके प्रति आसक्त
तथ्यभाषी; हीन (वि०) 1 निस्सार 2 झूठा तत्पश्चात्-सं० (अ०) उसके बाद, अनंतर
तथ्यातथ्य-सं० (पु०) सचझूठ तत्पुरुष-सं० (पु०) 1 व्या० संस्कृत व्याकरण में एक समास तथ्यात्मक-सं० (वि०) वास्तविक जिसमें दो संज्ञाओं के बीच की विभक्ति लुप्त हो जाती है तथा तथ्यान्वेषी-सं० (वि०) तथ्य की खोज करनेवाला दूसरा पद प्रधान हो. यह बतलाता है कि वह पहले पद का तद्-I सं० (वि०) वह II (क्रि० वि०) उस समय, तब कार्य है (जैसे-देश-भक्ति में देश की भक्ति तत्पुरुष है) तदंतर, तदनंतर-सं० (अ०) उसके बाद, उसके उपरांत 2 ईश्वर, परमेश्वर
तदनन्यत्व-(पु०) कार्य-कारण की एकता तत्पूर्व-सं० (क्रि० वि०) उससे पहले
तदनुकूल-सं० (वि०) उसके अनुकूल, तदनुसार तत्र-सं० (अ०) उस स्थान पर, उस जगह, वहाँ तदनुरूप-सं० (वि०) उसी के रूप का, उसी के जैसा तत्रत्य-सं० (वि०) वहाँ रहनेवाला
तदनुवर्ती-सं० (वि०) उसके पीछे का तत्रापि-सं० (अ०) तथापि, तो भी
तदनुसार-I(क्रि० वि०) उसी के अनुसार, उसी तरह तत्व-सं० (पु.) 1 वास्तविकता 2 सार 3 जगत् का मूल कारण, | II (वि०) उसके अनुसार होनेवाला ईश्वर 4 घटक। (वि०) 1 ब्रह्म को जाननेवाला 2 जिसे तदपि-सं० (अ०) तो भी, तिस पर भी, तथापि मार वस्तु का ज्ञान हो 3 अध्यात्मवेत्ता 4 दार्शनिक; ज्ञान तदबीर-अ० (स्त्री०) 1 युक्ति 2 उपाय 3 यत्न, प्रयास (पु०) आत्मा, परमात्मा एवं उसकी सृष्टि के संबंध में | तदर्थ-सं० (अ०) केवल इसके वास्ते। समिति (स्त्री०) होनेवाला सच्चा ज्ञान, ब्रह्मज्ञान; नानी (पु०) = तत्वज्ञ; | इस विशिष्ट कार्य के लिए बनी समिति
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तदर्थ
350
तन्मात्रा
प्रत्यय
तदर्थ, तदर्थीय-सं० (वि०) समानार्थक
तनपरवर-फा० (वि०) = तनपोषक तदा-सं० (अ०) उस समय, तब
तनवाना-(स० क्रि०) तानने का काम कराना तदाकार-सं० (वि०) 1 उसी के आकार का 2 तन्मय, तल्लीन तनहा-I फ़ा० (वि०) अकेला II (क्रि वि०) अकेले तदारुक-अ० (पु०) 1 प्रतिबंध 2 रोक-थाम, पूर्वोपाय 3 दंड, तनहाई-फा० (स्त्री०) 1 अकेलापन 2 एकान्त सज़ा
तना-फा० (पु०) पेड़ का ज़मीन के ऊपर का मोटा भाग जहाँ से तदीय-सं० उसी का
शाखाएँ निकललती हैं, घड़ तदुपरांत-सं० (अ०) उसके बाद, उसके पीछे
तनाज़ा-अ० (पु०) 1 लड़ाई-झगड़ा 2 शत्रुता तद्गत-सं० (वि०) 1 उसके संबंध का 2 उसके अंतर्गत तनातनी-अ० (स्त्री०) खींचातानी तद्गुण-सं० एक अलंकार जिसमें एक वस्तु का पास की वस्तु तनाना-(स० क्रि०) तानने में प्रवृत्त करना, तनवाना से गुणग्रहण करने का वर्णन होता है।
तनाब-अ० (स्त्री०) 1 रस्सी 2 रस्सा। तद्धन-सं० (वि०) कृपण
तनाव-(पु०) 1 तनने की अवस्था 2 खींचतान, द्वेष की स्थिति, तद्धित-सं० (पु०) 1 व्या० क्रिया से भिन्न शब्दों में जुड़नेवाला टैंशन। दार + फ़ा० (वि०) तननेवाला; पूर्ण + सं०
(वि०) क्षोभ पूर्ण, उत्तेजनामय; भरा (वि०) तनाव पूर्ण तद्धितांत-सं० (वि०) जिसके अंत में तद्धित प्रत्यय जुड़ा हो । तनावर-फ़ा० (वि०) मोटा ताज़ा, हट्टा-कट्टा तद्भव-सं० (पु०) किसी भाषा से विकसित शब्द तनासुख-अ० (पु०) आवागमन तद्यपि-सं० (अ०) तथापि
तनिक-I (वि०) थोड़ा, अल्प I] (अ०) कुछ, ज़रा तद्प-1 सं० (वि०) उसी के रूप का, वैसा ही II (पू०) तनिमा-1 सं० (स्त्री०) 1 शारीरिक कृशता, दुबलापन
साहि० एक अर्थालकार जिसमें उपमेय को उपमान से पथक 2 सुकुमारता, नज़ाकत II (पु०) ज़िगर, यकृत मानते हुए भी उसे उपभान का दूसरा रूप और उसके कार्य का तनिया-बो० (स्त्री०) 1 लँगोटी 2 काछा, जाँधिया 3 चोली कर्ता बतलाया जाता है। ~ता (स्त्री०) वही रूप होने का 4 दे० तनी . भाव
तनिष्ठ-सं० (वि०) बहुत दुबला-पतला तद्वत-सं० (वि०) उसके समान, उस जैसा
तनी-I (स्त्री०) बंधन, बंद। दार + फा० (वि०) तन-(पु०) शरीर, देह। -तोड़ (वि०) 1 शरीर तोड़नेवाला | बंधनयुक्त 2 कड़ी मेहनत चाहनेवाला; -पोषक + सं० (वि०) अपना तनी-II (वि०/अ०) = तनिक ही शरीर पालनेवाला; बदन + अ० (पु०) सारा शरीर | तनु-I सं० (वि०) 1 दुबला-पतला, कृश 2 अल्प, थोड़ा (जैसे-तन बदन में आग लगाना); ~मन + सं० (पु०) 3 तुच्छ 4 छिछला 5 कोमल, सुकुमार 6 अच्छा, बढ़िया शरीर और हृदय (जैसे-तन मन से प्यार करना); ~रक्षक. 7 विरल II (पु०) 1 देह, शरीर 2 चर्म, त्वचा III (स्त्री०) सं० (पु०) शरीर की रक्षा करनेवाला, अंगरक्षक; ~~सुख 1 औरत, स्त्री 2 केंचुली IV (क्रि० वि०) ओर, तरफ़। (पु०) फलदार बढ़िया मलमल ; ~कसना तपस्या के द्वारा ~कूप (पु०) त्वचा के सूक्ष्म छिद्र; ~केशी (स्त्री०) सुन्दर अपने आपको सहनशील बनाना; तोड़ना 1 अंगड़ाई लेना पतले बालों वाली; च्छद (पु०) 1 कवच 2 वस्त्र; ज 2 अत्यधिक परिश्रम कराना; देना ध्यान देना; ~मन (पु०) पुत्र; जा (स्त्री०) पुत्री; ता (स्त्री०) 1 दुबलापन मारना इंद्रियों को वश में रखना; ~लगना 1 उपयोग में 2 सुकुमारता 3 लघुता; त्राण (पु०) 1 कवच 2 वर्म आना 2 प्रभाव पड़ना
~धारी (वि०) शरीर धारण करनेवाला, शरीरधारी; पात तनक-सं० (स्त्री०) मेघ राग की एक रागिनी
(पु०) शरीर-त्याग; ~मृत (वि०) देहधारी; ~मध्य तनकीद-अ० (स्त्री०) 1 आलोचना 2 पहचान
(वि०) पतली कमरवाला; ~रूह (पु०) रोऑ। तनकीह-अ० (स्त्री०) 1 पूछताछ 2 मुकद्दमें में प्रतिप्रश्न तनू-1 सं० (पु०) 1 शरीर, देह 2 व्यक्ति 3 पुत्र, बेटा। जा तनखा, तनखाह, तनख्खाह-फ़ा० (स्त्री०) वेतन। ज़ाती | (स्त्री०) पुत्री, बेटी
+ अ० (स्त्री०) निजी वेतन; दार (पु०) वेतनभोगी । तनू-IIसं० (स्त्री०) गाय, गौ। ~करण (पु.) तीव्रता, तनज़ीम-अ० (स्त्री०) संघटन
चटकीलापन आदि कम करने की क्रिया, पतला करना, तनज़ेब-फ़ा० (स्त्री०) = तंज़ेब
क्षीणीकरण; रूह (पु०) 1 रोम, रोज 2 पंखा, पंख, पर तनजुल-अ० (पु०) घटाव, कमी
3 पुत्र, बेटा तन-तनहा-फा० (क्रि० वि०) बिल्कुल अकेले
तनेना-सं० (वि०) 1 तना हुआ, खिंचा हुआ 2 टेढ़ा, तिरछा तनतना-(पु०) 1 दबदबा 2 आतंक
3 रुष्ट 4 जो क्रोधपूर्वक बातें करता हो तनतनाना-(अ० क्रि०) झुंझलाना, क्रोध करना
तन्मनस्क-सं० (वि०) तल्लीन तनदेही-फा० (स्त्री०) = तदेही
तन्मय-सं० (वि०) तल्लीन, दत्त चित्त, मग्न (जैसे-तन्मय होकर तनना-(अ० क्रि०) 1 खिंचकर कड़ा होना 2 फैलना 3 पढ़ना)। ता (स्त्री०) तल्लीनता
खिंचना, रुष्ट होना 4खड़ा होना (जैसे-तंबू तनना) तन्मात्र-I सं० (वि०) बहुत थोड़ी मात्रा का II (पु०) पंचभूतों तनपोषक-सं० (वि०) अपने ही शरीर का ध्यान रखनेवाला । का मूल सूक्ष्म रूप तनय-सं० (पु०) बेटा
तन्मात्रा-सं० (स्त्री०) पंचभूतों का सूक्ष्म रूप-शब्द, स्पर्श, तनया-सं० (स्त्री०) बेटी, पुत्री
रूप, रस, गंध
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तन्मूलक
351
तफावत
मौसम
तम्मूलक-सं० (वि०) उससे निकला हुआ, तज्जन्य तपोभूमि-सं० (स्त्री०) तपोवन, तपस्थल तन्य-सं० (वि०) जिसे खींचा जा सके, तानने योग्य। ता तपोधन-सं० (पु०) तप ही जिसका धन है, तपस्वी (स्त्री०) 1 तन्य होने की अवस्था 2 तार के रूप में खींचे ज तपोधाम-सं० (पु०) तपोभूमि सकने का गुण
तपोनिधि-सं० (पु.) बहुत बड़ा तपस्वी तन्वंग-सं० (वि०) 1 सुकुमार अंगोंवाला, कोमलाग 2 दुर्बल तपोनिष्ठ-सं० (वि०) तप में लीन तन्वंगी-सं० (स्त्री०) सुकुमार और दुबले पतले अंगोंवाली स्त्री तपोमूर्ति-सं० (पु०) 1 ईश्वर 2 तपस्वी तन्वी-I सं० (वि०) कोमल अंगोंवाली II (स्त्री०) सुकुमार तपोलोक-सं० (पु०) पुराणानुसार सात लोकों में से छठा लोक स्वी. दुबली पतली स्त्री
जो जन लोक के बाद तथा सत्य लोक के पहले तप कश-सं० (वि०) तपस्या के कारण कमज़ोर तपःपूत-सं० (वि०) तपस्या के द्वारा पवित्र
तपोवन-सं० (१०) वह आश्रम, वन जहाँ बहुत से तपस्वी तपःशक्ति-सं० (स्त्री०) तपस्या का बल।
तपस्या करते हैं तप-1 सं० (पु०) 1 तपस्या (जैसे-राजा भगीरथ ने घोर तप तपोवृद्ध-[सं० (पु०) बढ़ा-चढ़ा तपस्वी II (वि०) तपस्या में किया। 2 ताप, दाह । - ऋतु (स्त्री०) ग्रीष्प काल, गर्मी का बढ़ा-चढ़ा
तपोव्रत-सं० (पु०) 1 तपस्या का व्रत 2 तपस्या का व्रत तपन- वि०) 1 तपनेवाला 2 दुःख देनेवाला II (पु०) सूर्य | लेनेवाला III स्त्री०) 1 तपे हुए होने की अवस्था 2 तपिश तपौनी-(स्त्री०) 1 तपाकर ठीक करने की क्रिया 2 मुसाफ़िरों को (जैसे-कमरे में तपन है)। ~मणि (पु०) सूर्यकांत मणि लूट चुकने पर ठगों का देवी को प्रसाद चढ़ाने का रिवाज । तपनांशु-सं० (पु०) सूर्य की किरण
~का गड खिलाना किसी नए आदमी को दीक्षित करके तपना-(अ० क्रि०) 1 तप्त होना (जैसे-धरती तपना) 2 तपस्या अपनी मंडली में मिलाना
करना 3 संतप्त होना 4 सिक्का जमाना, प्रभाव दिखाना तप्त-सं० (वि०) । गर्म 2 तपाया हुआ (जैसे-भट्ठी में का तप्त (जैसे-शहर कोतवाल अपने समय में बहुत तपा था) 5 व्यर्थ लोहा) 3 जिसने तपस्या की हो 4 परम दुःखी 5 आवेश आदि का व्यय करना
के कारण विकल। -कुंड, स्रोत (पू०) प्राकृतिक रूप तपनी-बो० (स्त्री०) 1 कौड़ा, अलाव 2 तपस्या, तप 3 तपन से गर्म जलाशय; कृच्छ (पु०) गरम दूध जल घी पीते तपश्चरण-सं० (पु०), तपश्चर्या-सं० (स्त्री०) तपस्या रहने का व्रत; ~~मुद्रा (स्त्री०) गरम ठप्पे का शरीर पर लगा तपस्-सं० (पु०) तप
दाग तपसी-सं० (पु०) तपस्वी
तप्तायनी-सं० (स्त्री०) दुःख का लोक, पृथ्वी तपस्या-सं० (स्त्री०) 1 तप, साधना (जैसे-सफलता हेतु कठिन | तप्ति-सं० (स्त्री०) ताप, गर्मी तपस्या करना) 2 अभीष्ट की सिद्धि के लिए किया जानेवाला तप्य-सं० (वि०) 1 तपाने योग्य 2 तप करनेवाला कठोर एवं कष्टदायक आचरण (जैसे-मोक्ष प्राप्त हेतु कठोर तकंग-फ़ा० (स्त्री०) - तुफंग तपस्या करना) 3 कष्टमय प्रतीक्षा
तफ़क्कुर-अ० (पु०) चिन्ता तपस्विता-सं० (स्त्री०) तपस्वी भाव
तफतीश-अ० (स्त्री०) 1 छानबीन 2 जाँच-पड़ताल तपस्विनी-सं० (स्त्री) 1 तपस्या करनेवाली स्त्री 2 तपस्वी की तफ़रक़ा-अ० (पु०) मन-मुटाव, भेदभाव पत्नी 3 पतिव्रता एवं सती स्त्री
तरीक़-अ० (स्त्री०) 1 अंतर 2 भित्रता 3 अलगपन, तपस्वी-सं० (पु०) तपस्या करनेवाला व्यक्ति, तपी
पार्थक्य 4 बँटवारा, विभाजन 5 ग० घटाना । तपाक-फा० (पु०) 1 जोश, आवेश 2 उत्साह और प्रेम | तफ़रीह-अ० (स्त्री०) 1 मन-बहलाव, मनाविनोद 2 (जैसे-बड़े तपाक से स्वागत करना) 3 तेज़ी, वेग। मन-बहलाव हेतु इधर-उधर घूमना-फिरना, सैर-सपाटा 3 मन बदलना नाराज़ होना, बिगड़ना
में होनेवाली प्रफुल्लता 4 पारस्परिक हास-परिहास, तपानल-सं० (पु०) तप का तेज़
हँसी-दिल्लगी। बाज़ + फ़ा० (पु०) 1 मनोरंजन कर्ता तपाना-(स० क्रि०) 1 खूब गर्म करना (जैसे-भट्टी में ईंट 2 सैर करनेवाला; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) 1 मनोरंजन तपाना) 2 आग पर पिघलाना 3 शरीर को कष्ट देना | करना 2 सैर करना
(जैसे-तपस्या में शरीर तपाना) 4 दुःखी करना, संतप्त करना | तफरीहन-अ० (अ०) 1मनबहलाव के रूप में 2 तपाव-(पु०) 1 तपने की अवस्था 2 तपाने की क्रिया 3 ताप, हँसी-दिल्लगी के लिए
तफसीर-अ० (स्त्री०) 1 स्पष्टीकरण, टीका 2 कुरान की तपित-सं० (वि०). 1 तपाया हुआ 2 तपा हुआ
___ व्याख्या, भाष्य तपिश-फा० (स्त्री०) 1 गर्मी, ताप (जैसे-ज़मीन की तपिश) तफ़सील-अ० (स्त्री०) 1 विस्तृत वर्णन 2 विवरण केफ़ियत
2 बहुत बढ़ा हुआ ताप 3 ग्रीष्म ऋतु में होनेवाली तपन 3 व्याख्या 4 ब्यौरा 5 ब्योरेवार सूची। ~वार +फ़ा० (वि०) तपी-सं० (पु०) तपस्वी
ब्योरेवार बनाई गई तपेदिक-फा० + अ० (स्त्री०) क्षय, यक्ष्मा, टी० बी० का रोग तफ़सीली-अ० + फ्रा० (वि०) तफ़सील संबंधी तपेला-(पु०) 1 भट्ठा, बड़ी भट्ठी 2 पानी गर्म करने का बड़ा तफावत-अ० (पु०) 1 अंतर, फ़र्क 2 दूरी फ़ासला 3
मन-मुटाव 4 भेद-भाव
गर्मी
बर्तन
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तब
तव - ( क्रि० वि०) 1 विशिष्ट परिस्थिति में (जैसे- इतना हो जाए तब तुम्हारा काम करूँगा) 2 इसके पश्चात्, तुरंत बाद (जैसे - वहाँ तब अंधेरा छा गया) 3 इस कारण से (जैसे- मुझे ज़रुरत है तब मैं माँग रहा हूँ) तबक़ - अ० ( पु० ) 1 तह, परत 2 सोने, चाँदी आदि का वरक 3 वह फूल, दीप जो मुसलमान स्त्रियां भूत-प्रेतों और परियों को समर्पित करती हैं 4 बड़ी रिकाबी 5 सप्त लोक तबकडी-बो० अ० + हिं० (स्त्री०) छोटी रिकाबी तबका - अ० (पु० ) 1 भूखंड 2 पृथ्वी के ऊपर और नीचे के तल 3 परत, तह 4 मनुष्यों का वर्ग
तबदील - अ० (वि०) 1 जिसे बदल दिया गया हो 2 अन्य स्थान पर भेजा गया तबदीली-अ० + स्थानांतरण
फ़ा० (स्त्री०) 1 परिवर्तन 2 तबादला,
तबर - फ़ा० (पु० ) 1 कुल्हाड़ी, टाँगी 2 परशु । ~दार I (पु० ) तबर चलानेवाला व्यक्ति II (वि०) 1 जिसके पास तबर हो 2 जो तबर चलाना जानता हो
तबर्रा - अ० (पु० ) दुर्वचन तबल - अ० ( पु० ) 1 बड़ा ढोल 2 डंका, नगाड़ा। तु० (पु० ) तबला बजानेवाला, तबलिया
=
तबला - अ० (पु० ) चमड़े से मढ़ा एक बाजा तबलिया-अ० + हिं० ( पु० ) दे० तबलची तबलीग़- अ० (पु०) 1 अपने धर्म का प्रचार 2 अपने धर्म का अनुयायी बनाना
तबाक़-फ़ा० (पु० ) बड़ा थाल
352
तबस्सुम - अ० (पु० ) मधुर मुस्कान
तबाख - फ़ा० (पु०) बड़ी एवं काली परात
तबाख़ी - फ़ा० (पु० ) परात में रखकर सौदा बेचनेवाला तबाखी - कुत्ता - फ़ा० हिं० ( पु० ) ऐसा साथी जो अपना स्वार्थ सिद्ध होने के समय तक साथ दे और दुर्दिन में साथ छोड़
+
दें
तबादला - अ० (पु० ) 1 परिवर्तन 2 एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजना, बदली, अंतरण (जैसे-अधिकारी का तबादला हो
गया)
तबाबत- अ० (स्त्री०) चिकित्सा का पेशा तबाशीर - फ़ा० (स्त्ररी०) बंसलोचन तबाह - फ़ा० (वि०) 1 जो पूर्णतः बर्बाद हो हो 2 जिसका सर्वस्व लुट गया हो । हाल + अ० (पु० ) दुर्गति तबाहकुन - फ़ा० (वि०) तबाह करनेवाला तबाही - फ़ा० (स्त्री०) बर्बादी, विनाश। खाना बर्बाद होना, नष्ट-भ्रष्ट हो जाना
तबियत, तबीयत -अ० (स्त्री०) 1 शरीर की स्थिति 2 मन की स्थिति 3 मन, हृदय, जी 4 समझ (जैसे- तबीयत मुताबिक काम करना) । ~दार + फ़ा० (वि०) 1 मिलनसार 2 रसिक, भावुक ~~ आना 1 प्रेम उत्पन्न होना 2 वस्तु प्राप्ति की इच्छा होना; फड़क उठना अत्यधिक प्रसन्न होना; पाना अच्छे स्वभाववाला; ~ भर जाना अनुराग, कामना आदि न रह जाना और विरक्ति-सी उत्पन्न होना; ~ भरना तसल्ली करना; ~ लगना मन लगना (जैसे- तबीयत लगाकर काम करना); ~लगाना 1 प्रेम करना 2 मन लगाना
तमाशबीन
तबीब-अ० (पु०) हकीम, चिकित्सक तबेला - अ० (पु०) घुड़साल, अस्तबल तभी - (अ०) 1 उसी समय 2 विशिष्ट स्थिति में ही (जैसे-तभी तो आप भी आए हैं) 3 उसी कारण से तमंचा - तु० (पु० ) पिस्तौल
तम - I सं० ( पु० ) 1 अँधेरा, अंधकार 2 कालिख, कालिमा 3 अज्ञान, अविद्या 4 माया, मोह 5 क्रोध, गुस्सा II (वि०) 1 काला 2 दूषित 3 बुरा III एक प्रत्यय जो संस्कृत विशेषणों के अंत में लगकर 'सबसे बढ़कर' का अर्थ देता है। (जैसे- अधिकतम, श्रेष्ठतम ) । ~ता (स्त्री०) 1 अँधेरा
2 कालापन
तमकना - ( अ० क्रि०) 1 क्रोधपूर्वक बोलने को उद्यत होना 2 क्रोधावेश में चेहरा लाल हो जाना, तमतमाना 3 जोश में
आना
तमग़ा - तु० ( पु० ) पदक, मेडल तमतमाना- (अ० क्रि०) 1 अत्यधिक ताप के कारण लाल होना 2 क्रोधातिरेक में चेहरा लाल होना 3 चमकना तमतमाहट - (स्त्री०) तमतमाने की अवस्था तमहुन - अ० (पु० ) 1 सभ्यता 2 नागरिकता तमन्ना - अ० (स्त्री०) कामना, आकांक्षा तमर - अ० (पु० ) इमली
तमस् -सं० ( पु० ) 1 अंधकार 2 अज्ञान 3 प्रकृति का 'तम' नामक तीसरा गुण । ~कांड (पु०) घोर अंधकार, तमस्विनी तमसावृत्त-सं० (वि०) = तमाच्छन्न
तमस्वती सं० (स्त्री०) अँधेरी रात
तमस्वी-सं० (वि०) अंधकारपूर्ण
तमस्सुक - अ० ( पु० ) 1 ऋणपत्र 2 दस्तावेज़, विधिक लेख्य तमहर-सं० (वि०) अंधकार दूर करनेवाला तमहोद - अ० (स्त्री०) 1 प्रस्तावना, प्राक्कथन 2 ग्रंथ आदि की
भूमिका
तमा - I सं० (स्त्री०) रात, रजनी तमा-II अ० (स्त्री०) लोभ, लालच | (स्त्री०) लालच देना
तमाकू - फ़ा० ( पु० ), तमाखू-बो० फ़ा० (पु० ) तंबाकू तमाचा-फ़ा० (पु० ) थप्पड़ (जैसे तमाचा लगाना, तमाचा
मारना)
तमाच्छन्न सं० (वि०) अंधकार युक्त तमाच्छादित-सं० (वि०) अंधकारमय
तमादी - अ० [ (स्त्री०) अवधि का बीत जाना II (वि०) जिसकी अवधि बीत चुकी हो, अवधि बाधित
तमाम - अ० (वि०) 1 कुल, सारा, समस्त 2 समाप्त, खत्म। -तर + फ़ा० (वि०) सारे का सारा काम तमाम करना जान से मार डालना; तमाम होना 1 उस होना 2 मर जाना तमामी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 समाप्ति 2 एक प्रकार का ज़रीदार कपड़ा
=
फ़ा०
तमाल-सं० (पु०) एक सदाबहार पेड़
तमाविष्ट, तमावेष्टित-सं० (वि०) अंधकार में घिरा हुआ तमाशगीर -अ० + फ़ा० ( पु०) तमाशा देखनेवाला व्यक्ति तमाशबीन - अ० + फ़ा० (पु० ) 1 तमाशा देखनेवाले लोग 2 वेश्यागामी, रंडीबाज़,
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तमाशबीनी
तमाशबीनी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 तमाशा देखने की क्रिया 2 रंडीबाज़ी, वेश्यागमन
तमाशा - अ० (पु० ) 1 मनोरंजक दृश्य 2 खेलकूद, हँसी अदि की कोई घटना 3 अद्भुत बात 4 ऐसा कार्य जिसे सुगमता किया जा सके (जैसे-लेख लिखना तमाशा नहीं है)। फ़ा० (स्त्री०) तमाशे की जगह
से गाह
353
तमाशाई अ० + फ़ा० (पु० ) 1 तमाशा देखनेवाला व्यक्ति 2 तमाशा दिखलानेवाला व्यक्ति
तमिल - I ( पु० ) 1 दक्षिण भारत का एक प्रसिद्ध क्षेत्र 2 दक्षिण भारत की एक प्रसिद्ध जाति II (स्त्री०) दक्षिण भारत की
भाषा
तमित्र-सं० (पु० ) 1 अंधकार 2 अज्ञान तमिस्त्र -सं० (स्त्री०) अँधेरी रात तमी - सं० ( स्तरी०) अँधेरी रात। चर ( पु० ) राक्षस । तमीज़ - अ० (स्त्री०) 1 अदब, शिष्टाचार 2 अच्छे-बुरे की पहचान, विवेक। दार फ़ा० (वि०) 1 अदबवाला, शिष्ट 2 विवेकवाला, विवेकी
+
तमूरा - बो० ( पु० ) तंबूरा तमोऽन्ध-सं० (वि० ) अज्ञानी
तमोगुण-सं० (पु० ) अंधकार अज्ञान आदि गुण तमोगुणी - सं० (वि०) तमोगुणवाला
तमोघ्र-सं० (वि०) अंधकार का नाश करनेवाला
तमोमय-सं० (वि०) 1 अंधकार पूर्ण 2 तमोगुणी 3 अज्ञानी तमोल-बो० (५०) तंबोल तमोलिन-बो० (स्त्री० ) तमोली- बो० (पु० ) = तँबोली
तँबोलिन
तमोविकार-सं० (पु० ) तमोगुण से उत्पन्न विकार या दोष तमोवृत्ति-सं० (स्त्री०) तामसिक स्वभाव
तय - अ० (वि०) निश्चित, निर्णीत ।
तयार - अ० (वि०) = तैयार
=
तरंग-सं० (स्त्री०) 1 पानी की लहर, हिलोर 2 मौज़, उमंग (जैसे-मन की तरंग) 3 उछाल 4 हिलना-डोलना 5 स्वरों का आरोह-अवरोह । दैर्ध्य (पु० ) 1 अनुप्रस्थ तरंग में एक श्रृंग से निकटवर्ती श्रृंग तक की दूरी 2 अनुदैर्ध्य तरंग में एक संपीडन से निकटवर्ती संपीडन तक की दूरी; माला (स्त्री०) लगातार आनेवाली तरंगें; ~ लंबाई + हिं० (स्त्री० ) = तरंग दैर्ध्य तरंगायित-सं० (वि०) 1 तरंगयुक्त 2 लहरदार तरंगिका सं० (स्त्री०) लहरी
तरंगिणी -सं० (स्त्री०) नदी
तरंगित - सं० (वि) 1 लहराता हुआ 2 कंपायमान 3 जो मग्न हो रहा हो
तरंगी - सं० (वि०) 1 जिसमें लहरें उठती हों 2 भावुक, रसिक 3 मन की तरंग के अनुसार काम करनेवाला
तर - फ़ा० (वि०) 1 गीला, आर्द्र 2 आर्द्रता युक्त, नमी युक्त (जैसे - तर हवा) 3 ठंडा, शीतल (जैसे-तर जगह) 4 बहुत अच्छा और बढ़िया (जैसे- तर माल खाओ ) 5 खूब हरा-भरा । फ़ा० (पु० ) मृदुभाषी तरक - अ० ( पु० ) त्याग, छोड़ना तरकश - फ्रा० (पु०) तीर रखने का चोंगा, तूणीर, निषंग, भाथा
ज़बान +
तरफ़
रिका - अ० (पु० ) 1 उत्तराधिकारी को मिलनेवाली संपत्ति 2 उत्तराधिकार
तरकारी- (स्त्री०) 1 सब्ज़ी, शाक 2 तड़का देकर पकाई हुई सब्ज़ी आदि
तरकी - (स्त्री०) फूल की तरह का कान का एक गहना तरकीब - अ० (स्त्री०) 1 उपाय, युक्ति 2 ढंग, तरीका 3 बनावट, रचना 4 मिलान, मेल
तरकुला - (पु० ), तरकुली - (स्त्री०) कान का एक गहना = तरकी
तरक्क़ी - अ० (स्त्री०) 1 अभिवृद्धि (जैसे - यह पौधा तरक्की कर रहा है ) 2 उन्नत दशा प्राप्त करना (जैसे यह लड़का पढ़ाई में तरक्की करेगा) 3 पदोन्नति (जैसे-अधिकारी की तरक्की कर दी गई ) । पसंद फ़ा० (वि०) प्रगतिशील; ~~याफ़्ता + फ़ा० (वि०) उन्नत, विकसित तरखा - बो० (पु० ) नदी आदि के पानी का तेज़ बहाव तरखान - ( पु० ) बढ़ई, तक्षक
तरछाना-बो० (अ० क्रि०) 1 आँख से इशारा करना 2 तिरछी नज़र से देखना
तरज़ - अ० (पु० )
तर्ज़
तरजना - (स० क्रि०) 1 डाँटना 2 मना करना
तरजनी - (स्त्री०) तर्जनी
तरजीला - (वि०) 1 तर्जन करनेवाला 2 क्रोधपूर्ण 3 उग्र, प्रचंड तरजीह-अ० (स्त्री०) 1 प्रधानता 2 बढ़-चढ़कर होना 3 वरीयता, प्राथमिकता
=
=
+
तरजुमा - अ० (पु० ) अनुवाद, भाषांतर (जैसे तरजुमा करना) तरजुमान - अ० (पु० ) 1 अनुवादक 2 प्रवक्ता तरण - सं० (पु० ) 1 पार जाना, पार करना 2 पार करने का साधन 3 छुटकारा, निस्तार 4 उद्धार
तरणि-सं० ( पु० ) सूर्य ।
तनूजा ( स्त्री०) यमुना सुता (स्त्री०) यमुना
(पु० ) 1 यम 2 शनि तरणी-सं० (स्त्री०) नाव, नौका
तरतीब - अ० (स्त्री०) क्रम, सिलसिला (जैसे- तरतीब से लगाना); ~वार + फ़ा० ( क्रि० वि०) सिलसिलेवार, क्रमवार, क्रम से
तरदीद-अ० (स्त्री०) 1 रद करना 2 खंडन तरद्दुद - अ० (पु० ) 1 झंझट, बखेड़ा 2 परेशानी 3 चिंता 4 अंदेशा (जैसे- तरद्दुद में पड़ना)
तरना-I (अ० क्रि०) 1 पार होना 2 तैरना 3 भव बंधन से मुक्ति पाना, सद्गति प्राप्त करना II (स० क्रि०) पार करना तरनी - I (स्त्री०) तरणी, नाव
तरनी - II ( स्त्री०) खोमचा रखने का डमरू की शक्ल का
आसन
तरपट - I (पु० ) 1 टेढ़ापन 2 अंतर, भेद II ( वि०) जिसमें कनेव पड़ी हो, जो टेढ़ा हो
तर पर - (अ०) 1 एक दूसरे के ऊपर और नीचे 2 एक के ऊपर एक-एक करके (जैसे- ऐसी घटनाएँ तर पर होती रहीं) 3 निरंतर, लगातार (जैसे वह सवाल-जवाब तर पर करता गया)
तरफ़ - अ० (स्त्री०) 1 ओर, बगल 2 दो या अधिक पक्षों आदि मैं से प्रत्येक, हर एक 3 दो या अधिक तलों में से कोई तल
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तरफ़ा
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तर्क
4 किनारा, तट । ~दार + फा० (वि०) किसी पक्ष का | तरावट-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) 1 तरी (जैसे-वातावरण में कुछ समर्थन करनेवाला; ~दारी + फ़ा० (स्त्री०) पक्षपात तरावट आ गई है) 2 शीतलता, ठंडक (जैसे-तरफ़दारी करना)
तराश-फ़ा० (स्त्री०) 1 काटना 2 काट-छाँट 3 बनावट 4 ढंग. तरफ़ा-अ० + हिं० (वि०) ओर का, तरफ़ का (जैसे-एक | तर्ज। ल्ख़ राश (स्त्री०) काट-छाँट तरफ़ा न्याय)
तराशना-फ़ा० + हिं० (स० क्रि०) 1 काटना 2 कतरना तरफ़ैन.-अ० (१०) पक्ष
(जैसे-नाखून तराशना) तर-बतर-फा० (वि०) अधिक भीगा हुआ (जैसे-खून से | तरास-(पु०) त्रास, भय, आतंक तर-बतर)
तरित्री-सं० (स्त्री०) नाव तरबियत-अ० (स्त्री०) 1 पालन-पोषण, परवरिश 2 शिक्षा, तरियाना-(स० क्रि०) 1 नीचे करना 2 लेवा लगाना 3 तर तालीम 3 देख-रेख
करना 4 ढाँकना तरबूज़, तरबूज़ा-फ़ा० (पु०) बलुई ज़मीन पर फैलनेवाला एक तरी-सं० (स्त्री०) नौका, नाव
गोल बड़ा फल जो तासीर में ठंडा होता है | तरी-फ़ा० (स्त्री०) 1 गीलापन, आर्द्रता 2 ठंडक, शीतलता तरबूज़िया-फा० + हिं० 1 (वि०) तरबूजे के रंग का, गहरा हरा तरीक़त-अ० (स्त्री०) आत्म-शुद्धि II (पु०) गहरा हरा रंग
तरीका-अ० (पु०) 1 ढंग, प्रकार 2 उपाय, युक्ति तरमीम-अ० (स्त्री०) 1 सुधार 2 संशोधन
3 चाल-ढाल (जैसे-ज़मींदाराना तरीक़ा) तरल-सं० (वि०) 1 बहनेवाला पदार्थ, द्रव (जैसे-पानी तरल | तरु-सं० (पु०) पेड़, वृक्ष। ~मंडित (वि०) पेड़ों से सजाया होता है) 2 अस्थिर, चंचल। ता (स्त्री०) 1 तरल अवस्था, | हुआ; ~रोपण (पु०) वृक्ष लगाने की क्रिया; ~वीथी द्रवता 2 चंचलता, अस्थिरता।
(स्त्री०) दोनों तरफ़ पेड़ लगा सड़क मार्ग तरलायित-सं० (वि०) लहर की तरह काँपता हुआ तरुण-[ सं० (वि०) नवजवान, नवयुवक II (पु०) युवा तरलित-सं० (वि०) 1 तरल किया हुआ 2 हिलता हुआ, | पुरुष । ज्वर (पु०) ज्वर जो सात दिन के बाद भी रहता हो; अस्थिर 3 पसीजता हुआ
ता (स्त्री०) = तरुणाई तरलीकृत-सं० (वि०) 1 द्रव रूप में लाया हुआ 2 प्रवाहशील तरुणाई-सं० + हिं० (स्त्री०), तरुणावस्था-सं० (स्त्री०) तरवरिया-(पु०) 1 तलवार चलानेवाला व्यक्ति 2 तलवार से युवावस्था, जवानी युद्ध करनेवाली एक जाति
तरुणास्थि-सं० (स्त्री०) पतली लचीली हड्डी तरवार-(स्त्री०) तलवार
तरुणिमा सं० (स्त्री०) तारुण्य, जवानी तरवारी-(पु०) = तरवरिया
तरुणी-सं० (वि०/स्त्री०) नवयुवती तरस-(पु०) करुणा, दया, रहम
तरेंदा-(पु०) जलाशय पार करने का लकड़ी आदि का बना तरसना-I (अ० क्रि०) 1 बेचैन रहना, लालायित रहना । ढाँचा, बेड़ा 2 पीड़ित होना
तरे-बो० (क्रि० वि०) तले, नीचे तरसना-II (स० क्रि०) 1 तराशना, काटना 2 ललचना 3 कोई । तरेड़ा-(पु०) रोष भरी दृष्टि, तरेरा
चीज़ प्राप्त न होना (जैसे-इस बार तो हम खरबूज़ों से तरस गए) | तरेरना-(स० क्रि०) रोषपूर्वक देखना, घूरना तरसाना-(स० क्रि०) 1 ललचाना 2 दुःखी करना तरेरा-I अ० (पु०) 1 लगातार डाली जानेवाली जलधार तरसौहाँ-बो० (वि०) तरसनेवाला
2 लहरों का आघात, थपेड़ा तरस्वान्, तरस्वी-सं० (वि०) वेगवान्, तेज़
तरेरा-II (पु०) रोषपूर्ण दृष्टि तरह-अ० (स्त्री०) 1 प्रकार, ढंग (जैसे-अनेक तरह के | तरैया-I (स्त्री०) तारा
आदमी) 2 बनावट (जैसे-किस तरह का कपड़ा) 3 स्थिति | तरैया-II (वि०) 1 तरनेवाला 2 तारनेवाला (जैसे-वह बुरी तरह से फँस गया)। दार + फ़ा० (वि०) | तरैला-(पु०) सौतेला 1 अच्छे ढंग का 2 अनोखी एवं सुंदर बनावटवाला | तरोड़ा-(पु०) फ़सल का अलग किया गया वह भाग जो 3 सज-धज से युक्त, सजीला
हलवाहों, मज़दूरों आदि को दिया जाता है तरहटी-(स्त्री०) = तलहटी
तरोई-(स्त्री०) = तुराई तराई-(स्त्री०) 1 पहाड़ के नीचे का समतल मैदानी भू भाग तरोताज़ा-फा० (वि०) 1 तर और ताज़ा 2 हरा-भरा 2 दे० घाटी
तरॉछ-(स्त्री०) = तलछट तराजू-फा० (पु०) सामान तौलने हेतु दो पलड़ों का बना एक तरौटा-(पु०) नीचेवाला पाट यंत्र, तुला
तरोता-(पु०) ठाट के नीचे लगाई जानेवाली छाजन की लकड़ी तराना-I फा० (पु०) अच्छे ढंग में गाया जानेवाला सुंदर गीत | तरोना-(पु०) कान का एक गहना
(जैसे-कौमी तराना) II (स० क्रि०) = तैराना तर्क-सं० (पु०) 1 जानने-समझाने हेतु किया जानेवाला यत्न तराबोर-फा० + हिं० (वि०) डूबा हुआ, भीगा हुआ, शराबोर | 2 सुविचारित बात, दलील 3 चमत्कार कथन, बात 4 व्यंग्यपूर्ण तरारा-(पु०) 1 छलाँग, कुलाँच 2 लगातार गिरनेवाली जल की बात, ताना 5 बहस । “जाल (पु०) घुमाव-फिराव की बात; धारा। तरारे भरना, तरारे मारना 1 खूब उछल-कूद करना । ज्ञानी (वि०) तर्क करने में प्रवीण पूर्ण (वि०) तर्क से 2 खूब डाँग हाँकना
परा हुआ, तर्क युक्त; प्रणाली (स्त्री०) तर्क करने का
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तर्क
ढंग मुद्रा (स्त्री०) तांत्रिक उपासना में एक शारीरिक मुद्रा; ~मुक्त (वि०) = 1 तर्कपूर्ण 2 तर्क संगत; ~ वितर्क (पु० ) ऊहापोह, असमंजस; शास्त्र (पु० ) 1 वह विद्या जिसमें प्रतिपादित सिद्धांतों आदि के खंडन-मंडन करने की पद्धतियों का विवेचन होता है 2 दे० न्याय शास्त्र; शील, ~संगत, सम्मत (वि०) 1 जो तर्क के आधार पर सिद्ध हो 2 जो तर्क पर आधारित हो 3 युक्ति युक्त; सिद्ध (वि०) जो तर्क की दृष्टि से बिल्कुल प्रमाणित हो तर्क - अ० ( पु० ) छोड़ना, परित्याग
तर्कण (पु० ), तर्कणा -सं० (स्त्री०) 1 विवेचन 2 दलील
3 बहस
तर्कना - I ( स्त्री०) 1 विचार 2 युक्ति II ( अ० क्रि० ) =
तरकना
तर्कश - फ़ा० (पु० ) = तरकश तर्काभास - सं० (पु० ) 1 ऐसा तर्क जो केवल ऊपर से ठीक सा जान पड़े परंतु वास्तव में सही न हो 2 गलत तर्क तर्कित सं० (वि०) तर्क सिद्ध
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तर्जुमा - अ० ( पु० ) तर्जुमान - अ० (पु० )
तरजुमा तरजुमान
तर्पण - सं० (पु० ) 1 देवताओं, ऋषियों एवं पित्रों को जल दान 2 तृप्त करने की क्रिया
तर्पणी - सं० (स्त्री०) तृप्त करनेवाली
तर्पित सं० (वि०) 1 जिसका तर्पण हुआ हो 2 तृप्त किया हुआ तप सं० (पु०) तर्पण करनेवाला
तर्बियत - अ० (स्त्री०) 1 परवरिश, लालन-पालन 2 प्रजनन । ~गाह + फ़ा० (स्त्री०) प्रजनन केंद्र; याफ़्ता + फ़ा० (वि०) सभ्य तबूज़-फ़ा० (पु० ) तरबूज़ तर्राना - (अ० क्रि०) चर्राना
=
तर्राना -फ़ा० (पु० ) दे० तराना तर्रारा - (पु० )
= तरारा
तर्ष-सं० (पु० ) 1 इच्छा 2 तृष्णा
तर्षण सं० ( पु० ) 1 पिपासा, प्यास 2 अभिलाषा, इच्छा तर्षित-सं० (वि०) 1 प्यासा 2 अभिलाषा करनेवाला, इच्छुक तल-सं० (पु० ) 1 तला, पेंदा 2 जलाशय आदि के बिल्कुल नीचे की ज़मीन (जैसे- समुद्र का तल) 3 नीचे की जगह (जैसे- तरुतल) 4 ऊपरी सतह (जैसे धरातल) 5 पदार्थ के पार्श्व का फैलाव, विस्तार (जैसे-चौकोर वस्तु के चारों तल) 5 हाथ की हथेली 7 पैर का तलवा। ~कर (पु० ) तालाब आदि पर लगनेवाला कर; गृह (पु० ), घर, घरा + हिं० (पु० ) नीर्चे का घर, तहखाना; छट + हिं० (स्त्री०)
=
तलहटी
पट
द्रव पदार्थ के नीचे बैठनेवाला मैल, तलौंछ; ताल (पु० ) 1 हाथ से बजाया जानेवाला एक बाजा 2 थपोड़ी; (पु० ) आय-व्यय फलक तलक-सं० ( पु० ) ताल, पोखरा तलक़ीन - अ० (स्त्री०) शिक्षा, तालीम तलख-फ़ा० (वि०) 1 कड़आ 2 उग्र, प्रचंड तलखी-फ़ा० (स्त्री०) कड़आपन 2 चिड़चिड़ापन तलगू - (स्त्री०)
तेलगू
तलना - (स० क्रि०) गर्भ स्निग्ध द्रव्य में खाद्य वस्तु छोड़कर पकाना (जैसे पापड़ तलना)
तलपट - (वि०) 1 चौपट, बर्बाद 2 आय-व्यय फलक तलफ़- अ० (वि०) तबाह, नष्ट
तलफना - (अ० क्रि०) = तड़पना तलफ़ाना- (स० क्रि०) तड़पाना तलफ़ी-फ़ा० 1 नाश 2 नुक़सान
तलफ्फुज़ - अ० ( पु०) उच्चारण
तलब -अ० (स्त्री०) 1 खोज, तलाश 2 प्राप्त करने की इच्छा 3 आवश्यकता 4 बुलावा, बुलाहट । गार +10 (fao) 1 तलब करनेवाला 2 माँगनेवाला; नामा + फ़ा० (पु० ) अदालत में हाज़िर होने की लिखित आज्ञा, समन तलबाना - अ० + फ़ा० (पु०) 1 गवाहों को तलब करने के हेतु जमा किया जानेवाला धन 2 समय पर माल गुज़ारी न जमा करने पर लगनेवाला दंड तलबी-अ
तर्की-सं० (पु०/वि०) बहुत तर्क करनेवाला तर्क-सं० (पु०) तकला टेकुआ
तर्ज- अ० ( पु० ) 1 रीति, शैली, ढंग 2 बनावट तर्ज़न-सं० (पु०) 1 धमकाना 2 डाँटना 3 डराना 4 क्रोध । ~गर्जन (पु० ) डराना-धमकाना
तर्जनी-सं० (स्त्री०) अँगूठे के पास की उँगली (जैसे-होंठों पर
तर्जनी रखना)
+
फ़ा० (स्त्री०) 1 बुलाहट 2 माँग तर्जित-सं० (वि०) 1 जिसे डराया धमकाया गया हो तलबेली - (स्त्री०) 1 छटपटी, व्यग्रता 2 विकलता, बेचैनी 2 अपमानित
=
=
तलमलाना-बो० (अ० क्रि०) = तिलमिलाना
तलवा - (पु० ) पैर के बिल्कुल नीचे का चिपटा अंश, पद-तल ।
- खुजलाना कहीं बाहर जाना ऐसी मान्यता; तलवे चाटना 1 दीनता प्रकट करना 2 खुशामद करना; तलवे छलनी होना पैरों में दम न रहना; तलवे धोकर पीना 1 बहुत सेवा सुश्रूषा करना 2 अत्यंत प्रेम प्रकट करना; तलवे सहलाना सभी तरह की सेवाएँ करना; तलवों तले मेटना 1 कुचलकर नष्ट करना, रौंद डालना 2 उपेक्षा करना, तुच्छ समझना तलवों से आँखें मलना अत्यधिक आदर-सत्कार करना; तलवों से मलना रौंदकर नष्ट करना; तलवों से लगना सिर में जाकर बुझना क्रोध के कारण नीचे से ऊपर तक सारा शरीर जलना तलवार - ( स्त्री०) 1 लोहे का लंबा धारदार प्रसिद्ध हथियार 2 तेग 3 खड्ग । बाज़ + फ़ा० (पु०) = तलवारिया; बाज़ी फ़ा० (स्त्री०) तलवार चलाने का काम । ~ करना तलवार की सहायता से युद्ध करना, तलवार चलाना; ~ कसना तलवार की उत्तमता की जाँच करना; ~का पानी पिलाना तलवार से आघात करना; की छाँह में चारों तरफ़ से खतरे में; के घाट उतारना तलवार के आघात से जान लेना; ~खींचना आघात करने हेतु म्यान से तलवार निकालना; पर हाथ रखना तलवार से आघात करने को उद्यत होना; बाँधना तलवार सदा पास रखना; ~ से बात करना लड़ाई करना तलवारिया - (पु० ) = तलवार चलानेवाला व्यक्ति तलस्पर्शी-सं० (वि०) तल को छूनेवाला तलहटी - (स्त्री०) दे० तराई
+
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तलांगुलि
356 तलांगुलि-सं० (स्त्री०) पैर की उँगली
(जैसे-तवा पर रोटी सेंकना) 2 लोहे का गोलाकार बड़ा तला-(पु०) 1 तल, पेंदा 2 तलवा 3 जूते के नीचे का चमड़ा टुकड़ा। सिर से बाँधना 1 आघात सहने को तैयार रहना जो ज़मीन पर पड़ता है
2 अपने को सुरक्षित रखना; तवे का हँसना सुकाल का तलाई-I (स्त्री०) छोटा ताल, तलैया II (स्त्री०) | प्रतीक; ~की बूंद 1 आवश्यकता से बहुत कम 2 क्षणस्थायी
1 तलने-तलाने की क्रिया 2 तलने-तलाने की मज़दरी एवं नश्वर; तवे सा मुँह कुरूप आकृति तलाक़-अ० (पु०) वैधानिक रीति से विवाह संबंध का | तवाना-फ़ा० (वि०) मोटा-ताज़ा, हृष्ट-पुष्ट विच्छेद। नामा + फ़ा० (पु०) तलाक़पत्र, तलाक़ का | तवायफ़-अ० (स्त्री०) वेश्या, रंडी दस्तावेज़; ~-शुदा + फ़ा० (वि०) जिसका वैधानिक रूप से तवारा-(पु०) 1 अत्यधिक गर्मी 2 गर्मी से उत्पन्न कष्ट संबंध विच्छेद हुआ हो ।
तवालत-अ० (स्त्री०) 1 लंबाई 2 विस्तार 3 झंझट-झमेला तलाची-सं० (स्त्री०) चटाई
तवी-(स्त्री०) छोटा तवा । तलाफ़ी-अ० (स्त्री०) क्षति-पूर्ति
तवील-अ० (वि०) लंबा तलावत-अ० (स्त्री०) कुरान-शरीफ़ पढ़ना
तवेला-अ० (पु०) -- तबेला तलाश-तु० (स्त्री०) 1 खोज 2 चाह
तशखीस-अ० (स्त्री०) 1 जाँच-पड़ताल 2 निश्चय 3 रोग का तलाशना-तु० + हिं० (स० क्रि०) 1 खोजना 2 चाहना निदान तलाशी-तु० + फ़ा० (स्त्री०) 1 तलाश करने के लिए किया | तशदुद-अ० (पु०) 1आक्रमण 2 कष्टदायक व्यवहार
जानेवाला प्रयत्न 2 अवैध रूप से छिपाई गई वस्तु का पता | 3 सख्ती, ज्यादती लगाने के लिए संदिग्ध व्यक्ति के शरीर, घर आदि की होनेवाली देख-भाल
तशरीफ़-अ० (स्त्री०) 1 महत्व, बड़प्पन 2 आदर, सम्मान तली-(स्त्री०) 1 पेंदी 2 हथेली 3 तलवा 4 दे० तलछट 3 सम्मान सूचक संज्ञा (जैसे-आप भी यहाँ तशरीफ़ तलीय-सं० (वि०) तल से संबंधित
लाइयेगा)। आवरी + फ़ा० (स्त्री०) पधारना; रखना तलुआ-I बो० (पु०) तलवा
विराजना; ~लाना पधारना; ~ले जाना चला जाना तलुआ-II (पु०) तालू
तशरीह-अ० (स्त्री०) व्याख्या तलुवा-(पु०) तलवा
तश्त-फा० (पु०) 1 थाली 2 परात जैसा छिछला बर्तन तले-(क्रि० वि०) 1 नीचे वाले भाग में 2 वश में, शासन में तश्तरी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) छोटी थाली, बड़ी प्लेट
(जैसे-अधिकारी के तले दस लोग हैं)। ~ऊपर 1 एक के तश्ता-फ़ा. + हिं० (पु०) परात ऊपर दूसरा 2 उलट-पलट किया हुआ। ~की दुनिया ऊपर तष्ट-सं० (वि०) 1 छीला हुआ 2 पीटा हुआ होना महान् परिवर्तन होना
तस-(वि०) तैसा, वैसा (जैसे-जस का तस) तलेटी-(स्त्री०) 1 पेंदी 2 तलहटी, तराई
तसकीन-अ० (स्त्री०) ढाढस, सांत्वना तलैया-(स्त्री०) छोटा तालाब
तसदीक़-अ० (स्त्री०) 1 सत्यापन, प्रमाणन, पुष्टि 2 सचाई, तलोदर-सं० (वि०) तोंदवाला
सत्यता 3 गवाही तलौंछ- (स्त्री०) तलछट
तसद्दुक-अ० (पु०) न्यौछावर 2 बलिदान तलौवन-अ० (पु०) 1 मत, विचार, सिद्धांत आदि में होनेवाला तसनीफ़-अ० (स्त्री०) साहित्यिक रचना परिवर्तन 2 एक बात पर क़ायम न रहना
तसफ़ीया-अ० (पु०) 1 फ़ैसला 2 समझौता तल्ख-फ़ा० (वि०) 1कड़आ, कटु 2 जिसमें कट्ता, तसबीह-अ० (स्त्री०) माला, सुमिरनी चिड़चिड़ापन ज्यादा हो (जैसे-तल्ख मिज़ाजवाला)। | तसमा-फ़ा० (पु०) चमड़े आदि की चौड़ी पट्टी। खींचना -मिज़ाज + अ० (वि०) जो चिड़चिड़े स्वभाव का हो
गला घोटकर हत्या करना तल्खी -फ़ा० (स्त्री०) कड़वापन, कटुता
तसला-(पु०) कटोरे की शक्ल का बड़ा एवं गहरा बर्तन तल्प-सं० (पु०) 1 बिछौंन 2 अटारी
तसली-(स्त्री०) छोटा तसला तल्ला -I (पु०) जूते का वह भाग जो पाँव तले रहता है | तसलीम-अ० (स्त्री०) 1 अभिवादन 2 अंगीकार तल्ला -II (पु०) मंज़िल, खंड (जैसे-चार तल्ले का मकान) 3 आज्ञा-पालन तल्लीन-सं० (वि०) मग्न, दत्तचित (जैसे-काम में तल्लीन तसल्ली-अ० (स्त्री०) ढाढस, दिलासा (जैसे-तसल्ली व्यक्ति)
दिलाना)। ~बला + फ़ा० (वि.) संतोषजनक तवक्कुफ़-अ० (पु०) 1 देर, विलंब 2 ढील
तसवीर-अ० (स्त्री०) चित्र, प्रतिमा, आकृति (जैसे-तसवीर तवजह-अ० (स्त्री०) 1 ध्यान 2 अनुग्रह दृष्टि और व्यवहार खींचना, तसवीर बनाना)। ~कशी + फ़ा० (स्त्री०) फोटो तवना-I (अ० क्रि०) 1 तपना 2 दुःखी होना 3 गुस्से से लाल खींचना होना II(स० क्रि०) = तपाना
तसव्वुफ़-अ० (पु०) सूफ़ीपन तवर्ग-सं० (पु०) देवनागरी वर्णमाला के त, थ, द, ध और न | तसव्वुर-अ० (पु०) कल्पना इन पाँच वर्गों का समूह
तसू-(पु०) प्रायः सवा इंच के बराबर की एक देशी नाप तवर्गीय-सं० (वि०) तवर्ग से संबंध रखनेवाला, तवर्ग का | तस्कर-सं० (पु०) 1 दो देशों, प्रदेशों की सीमा पर चुंगी आदि तवा-(पु०) 1 लोहे का गोलाकार छोटा छिछला टुकड़ा / दिए बिना चोरी से माल ले आनेवाला, स्मगलर 2 चोर।
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तस्करी
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ताक
व्यापार (पु०) अवैध रूप से माल मँगाने एवं भेजने का अधीन रहता है 2 तहसीलदार का कार्यालय 3 मालगुजारी व्यापार; व्यापारी (पु०) तस्करी करनेवाला
वसूल करना। दार + फ़ा० (पु०) 1 तहसील का प्रधान तस्करी-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 चोरी 2 टैक्स की चोरी 3 चोरी अधिकारी 2 लगान वसूल करनेवाला अधिकारी; दारी +
से सीमा पर माल ले जाने की क्रिया (वि०) 1 तस्कर संबंधी फ़ा० (स्त्री०) तहसीलदार का पद व काम 2 चोरी से लाया हुआ (जैसे-तस्करी का माल) तहसीलना-अ० - हिं० (स० क्रि०) वसूल करना, उगाहना तस्करी-|| सं० (स्त्री०) 1 चोर की स्त्री 2 चोरी करनेवाली स्त्री, | तहाँ-(क्रि० वि०) उस स्थान पर, वहाँ (जैसे-जहाँ-तहाँ घूमना) चोरनी
तहाना-(स० क्रि०) तह करना, परतें लगाना तस्फिया-अ० (पु०) 1 फैसला 2 सुलह । नामा । फ़ा० तहाशा-अं० (पु०) 1 परवाह 2 डर, भय (पु०) निर्णय पत्र
तहियाना-बो० (स० क्रि०) - तहाना तह-फा० (स्त्री०) । परत (जैसे-चादर की चार तह लगाना) | तहेदिल-फ़ा० (वि०) अंतर्मन 2 नीचेवाला भाग, स्तर (जैसे-गिलास की तह में मिट्टी जमी । तहैया-अ० (पु०) दृढ़ निश्चय है) 3 पानी के नीचे की ज़मीन, तल । खाना (पु०) ज़मीन तहोबाला-फ़ा० (पु०) उलट-पलट के नीचे बना कमरा; दरज़ (वि०) जिसकी तह न खुली हो, ताँगा-(पु०) पीछे की ओर लटकी एक प्रकार की गाड़ी जिसमें बिल्कुल नया; दार (वि०) तहवाला (जैसे-तहदार कोट); ___ एक घोड़ा जोता जाता है
देगी (स्त्री०) खरचन; - नशीन (वि०) नीचे बैठनेवाली; ताँगेवाला-(पु०) ताँगा रखनेवाला निशाँ (पु०) तलवार के कब्जे पर होनेवाला सोने आदि | तांडव-सं० (पु०) 1 शिव का उग्र नृत्य 2 उग्र तथा औद्धत्यपूर्ण का काम; ~पेंच (पु०) पगड़ी के नीचे सिर में लपेटा क्रिया कलाप 3 पुरुषों का नृत्य। नृत्य (पु०) 1 शिव का जानेवाला कपड़ा; ~पोश (पु०) पेटीकोट, साया; बंद उग्र नाच 2 रौद्र रूप
पु०) लुंगी; बाज़ारी (स्त्री०) हाट, बाज़ार, सट्टी आदि में तांडवी-सं (स्त्री०) संगीत का एक ताल दुकान लगानेवालों से लिया जानेवाला कर; ~करना चौपरत | ताँत-(स्त्री०) 1 पशुओं के चमड़े या नसों को बटकर बनाई गई करना; चढ़ाना, ~देना स्तर चढ़ाना, लेप लगाना; | डोरी 2 धनुष की डोरी 3 जुलाहों का राछ नामक औज़ार
तोड़ना मूल आधार नष्ट करना; ~की बात 1 दिल की ताँतड़ी-(स्त्री०) ताँत बात 2 तत्व की बात तहे दिल से सच्चे दिल से (जैसे-तहे ताँता-(पु०) 1 लगातार चलते रहनेवाला क्रम (जैसे-वर्षा का दिल से चाहना)
ताँता लगना) 2 सिलसिला, अट्रट 3 कतार (जैसे-ताँता तहक़ीक़-अ० (स्त्री०) 1 असलियत, सत्यता 2 यथार्थता की | बाँधना) जाँच-पड़ताल 3 जिज्ञासा, पूछ-ताछ
ताँतिया-(वि०) 1 ताँत संबंधी 2 ताँत की तरह क्षीणकाय एवं तहक़ीक़ात-अ० (स्त्री०) जाँच-पड़ताल
लंबा तहज़ीब-अ० (स्त्री०) सभ्यता, शिष्टता। ~याफ्ता +फ़ा० । ताँती-I (स्त्री०) 1 कतार, पंक्ति 2 सिलसिला (वि०) सभ्य, शिष्ट
ताँती-II (पु०) 1 जुलाहा 2 जुलाहों की राछ तहज्जी-अ० (स्त्री०) वर्तनी, अक्षर उच्चारण
तांत्रिक-सं० (वि०) 1 तंत्र शास्त्र का ज्ञाता तहत-अ० (पु०) 1 अधीनता, मातहती 2 अधिकार, वश तांबरा-(पु०) जाड़ा देकर आनेवाला एक बुखार तहमद-फ़ा० (पु०) - तहबंद
ताँबा-(पु०) लाल रंग की एक प्रसिद्ध धातु । तहमैदानी-फ़ा० (पु०) मैदान की सतह
ताँबिया-(वि०) 1 ताँबे का बना हआ 2 ताँबे के रंग का 3 ताँबे तहम्मुल-अं० (पु०) सहनशीलता
से संबंध रखनेवाला तहरी-(स्त्री०) चने, मटर, पेठे आदि मिलाकर बनाई गई | ताँबी-(स्त्री०) 1 छोटी ताँबिया 2 ताँब की बनी करछी खिचड़ी (जैसे-तहरी पकाना)
तांबूल-सं० (पु०) = तंबोल, पान तहरीक-अं० (स्त्री०) 1 प्रस्ताव 2 उत्तेजन, उकसाना तांबूली-सं० + हिं० (पु०) तँबोली 3 आंदोलन
ताँवरना-(अ० क्रि०) 1 तप्त होना 2 ज्वर के कारण शारीरिक तहरीर-अं० (स्त्री०) 1 लिखावट, लिखाई 2 लिखी हुई बात तापमान अधिक होना, बुखार होना 3 बिगड़ना, नाराज़ होना
3 लिखा हुआ काग़ज़, लेख्य 4 लिखने की उजरत, पारिश्रमिक ____4 बेसुध होना तहरीरी-अ० + फ़ा० (वि०) लिखा हुआ, लिखित ताँसना-बो० (स० क्रि०) 1 डराना 2 डाँटना 3 धमकाना 4 तंग तहलका-अ० (पु०) 1 उत्पात, उपद्रव 2 खलबली, हलचल ___ करना, दुःखी करना
(जैसे-हत्या हो जाने से नगर में तहलका मच गया) ताई-(स्त्री०) पिता के बड़े भाई की पत्नी तहलील-अ० (स्त्री०) अभिशोषण, हज़म
ताईद-I अ० (स्त्री०) 1 पक्षपात, तरफ़दारी 2 समर्थन, पुष्टि तहवील-अ० (स्त्री०). 1 बदलना 2 हवाले करना 3 अमानत, ___II (पु०) 1 मुंशी 2 नायब धरोहर 4 रकम रखने की जगह । ~दार +फ़ा० (पु०) ताऊ (पु०) पिता का बड़ा भाई। -बछिया का ताऊ अत्यंत खजांची; ~दारी + फ़ा० (स्त्री०) खजांची का काम मूर्ख व्यक्ति तहस-नहस-(वि०) नष्ट-भ्रष्ट, बर्बाद (जैसे-तहस-नहस | ताऊन-अ० (पु०) प्लेग ।
ताऊस-अ० (पु०) मोर, मयूर (जैसे-तख़्तताऊस) तहसील-अ० (स्त्री०) 1 ज़िले का वह भाग जो तहसीलदार के | ताक-(स्त्री०) 1 अवसर की प्रतीक्षा, घात 2 ताकने की क्रिय
करना)
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ताक्र
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तात्त्विक
3 अचल दृष्टि 4 खोज, टोह। झाँक (स्त्री०) 1 छिपकर ताज़ीर-अ० (स्त्री०) दंड, सज़ा बुरी नियत से ताकने की क्रिया 2 रह-रहकर ताकने की क्रिया ताज़ीरात-अ० (पु०) दंडविधियों का संग्रह, दंडसंहिता ताक़-I अ० (पु०) ताखा, आला
ताज़ीरी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 दंड विधान संबंधी ताक-II अ० (वि०) 1 अकेला 2 अद्वितीय, निरुपम 3 जो दो 2 दंडस्वरूप। पुलिस (स्त्री०) उपद्रवग्रस्त स्थान पर तैनात से अविभाज्य हो, विषम। चा +फा० (पु०), जुपत +
पुलिस फ्रा० (पु०) कौड़ियों से खेला जानेवाला जूस नामक खेल ताजुब-अ० (पु०) तअज्जुब ताकत-अ० (स्त्री०) 1 बल, शक्ति (जैसे-ताक़त आ जाने ताटंक-सं० (पु०) 1 कान का एक आभूषण 2 एक छंद जिसमें पर) 2 साहस (जैसे-फ़ौजी ताक़त)। ~आज़माई + फ़ा० ___ 30 मात्राएं होती हैं अंत में भगण (जा) (स्त्री०) बल परीक्षण; ~वर + फा० (वि०) बलवान्, ताटस्थ्य-सं० (पु०) तटस्थता शक्तिशाली;
ताड़-(पु०) एक बहुत ऊँचा और लंबा पेड़ जिसमें शाखाएँ नहीं ताकना-(स० क्रि०) 1 देखना 2 ध्यानपूर्वक देखना 3 कुदृष्टि होती तथा इसी का मादक रस ताड़ी कहलाता है डालना 4 अवसर की प्रतीक्षा में रहना 5 समझना 6 रखवाली | ताड़-(स्त्री०) भाँप। बाज़ + फ़ा० (वि०) ताड़नेवाला भाँप करना
लेने वाला ताका-(वि०) तिरछे ताकनेवाला। ~झाँकी (स्त्री०) = ताड़क-(वि०) ताड़ना करनेवाला ताक-झाँक
ताड़न-सं० (पु०) 1 मारना-पीटना 2 डाँट-डपट 3 दंड, सज़ा ताकि-फ़ा० (अ०) इसलिए कि
4 गुणा करना ताकीद-अ० (स्त्री०) बार-बार चेताने की क्रिया, आग्रह ताड़ना-I (स० क्रि०) 1 मारना-पीटना 2 डाँटना-डपटना ताग-(पु०) तागा
ताड़ना-II (स० क्रि०) भाँपना, समझना तागड़ी-(स्त्री०) करधनी, क्षुद्रघंटिका
ताड़ना-III सं० (स्त्री०) 1 मार 2 आघात 3 मारने-पीटने की तागना-(स० क्रि०) 1 सीना (जैसे-गद्दा तागना) 2 पिरोना, क्रिया 4 डाँट-डपट बखिया करना
ताड़नीय-सं० (वि०) दंडनीय ताग-पाट-(पु०) विवाह के समय पहना जानेवाला एक गहना ताडूय-सं० (वि०) जिसे डॉटा या पीटा जा सके जिसे वर का बड़ा भाई वधू को पहनाता है
ताड़ित-सं० (वि०) 1 जिसे मार पड़ी हो 2 जिसे दंड मिला हो. तागा-(पु०) सूत, डोरा
___ दंडित 3 जिसे डाँटा गया हो ताज-फा० (पु०) । राजा का मुकुट 2 कलगी 3 ताजमहल का ताड़ी-I (स्त्री०) ताड़ के वृक्ष से निकलनेवाला सफेद मादक
संक्षिप्त नाम 4 छज्जा 5 बुर्जी 6 कलगी, शिखा। - दार I । रस। खाना + फ़ा० (पु०) देशी शराब घर (वि०) 1 ताज के ढंग का 2 जिसमें ताज की सी आकृति हो | ताड़ी-II (स्त्री) 1 समाधि, ध्यान 2 तारी (जैसे-ताजदार कँगूरा) II (पु०) बादशाह; --पोशी तात-[सं० (पु) 1 पिता 2 आदरणीय व्यक्ति 3 प्रयोग किया (स्त्री०) 1 राज्याभिषेक 2 ताज धारण करते समय का उत्सव: जानेवाला संबोधन II (वि०) 1 पूज्य 2 प्रशस्त ~महल + अ० (पु०) शाहजहाँ की बेगम मुमताजमहल का तात-(वि०) तप्त, गरम आगरा में बना भव्य एवं विशाल मकबरा
तातगु-सं० (पु०) चाचा ताजक-फ़ा० (पु०) । ज्योतिष का अरबी में लिखित एक ग्रंथ ताता-बोठ (वि०) 1 तपा हुआ 2 तपाया हुआ 2 एक ईरानी जाति
ताताथेई-(स्त्री) 1 नृत्य में विशेष प्रकार से पैर रखने के बोल ताज़गी-फ़ा० (स्त्री०) 1 ताज़ा होने का भाव 2 नयापन 2 नाच, नृत्य ताज़न-(पु०) 1 उत्तेजन देनेवाली वस्तु 2 दे० ताज़ियाना । तातार-फा० (पु०) मध्य एशिया का एक प्रदेश ताज़ा-फ़ा० (वि०) 1 हरा-भरा 2 जो माया न हो 3 तुरंत का तातारी-I फ़ा० (वि०) 1 तातार प्रदेश में होनेवाला तैयार किया हुआ (जैसे-ठंडा एवं ताज़ा शर्बत) 4 तुरंत का
2 तातार-प्रदेश संबंधी || (पु०) तातार प्रदेश का निवासी निकाला हुआ (जैसे-ताज़ा दूध) 5 तुरंत का तोड़ा हुआ III (स्त्री०) तातार प्रदेश की भाषा (जैसे-ताज़ा आम)। दम (क्रि० वि०) नए उत्साह के | तातील-अ० (स्त्री०) छुट्टी का दिन साथ
तात्कालिक-सं० (वि०) 1 तत्काल का, तरंत का ताजिंदगो-फ़ा० (क्रि० वि०) आजीवन
(जैसे-तात्कालिक आवश्यकता) 2 उसी समय का ताज़िया-अ० (पु०) मकबरे का वह ढाँचा जिसमें इमाम हुसैन । (जैसे-तात्कालिक समस्या) की कब्र दिखाई जाती है
तात्क्षणिक-सं० (वि०) 1 उस पल का, उस काल का 2 तुरंत ताज़ियाना-फा० (पु०) कोड़ा, चाबुक ताजिर-अ० (पु०) सौदागर, व्यापारी
तात्पर्य-सं० (पु०) अभिप्राय, आशय, मंशा (जैसे-तात्पर्य ज्ञात ताज़ी-[फा० (वि०) अरबी, अरब का II (पु०) 1 अरबी करना)
घोड़ा 2 शिकारी कुत्ता ।। (स्त्री०) अरबी भाषा तात्पर्यक-सं० (वि०) आशयवाला, अभिप्राय वाला ताजीक-फा० (वि०) ताजिक
तात्पर्यार्थ-सं० (पु०) वाक्यार्थ एवं शब्दार्थ से भिन्न अभिप्रेत ताज़ीम-अ० (स्त्री०) 1 दूसरे को बड़ा समझना 2 आदर भाव __ अर्थ 3 सलाम
| तात्त्विक-सं० (वि०) ! तत्त्व संबंधी 2 वास्तविक, यथार्थ
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भाव
ताबीज़ तात्स्थ्य
359 3 तत्व से युक्त (जैसे-तात्विक पदार्थ)। विज्ञान (पु०) | तीन प्रकार के दुःख आधिभौतिक आधिदैविक, आध्यात्मिक = तत्व मीमांसा
दायक (वि०) गर्मी पहुँचानेवाला 2 दुःख देनेवाला तास्थ्य-सं० (पु०) एक वस्तु में दूसरी वस्तु के स्थित रहने का | -दीप्त (वि०) गर्मी से चमकता हुआ; नाभिकीय
(वि०) 1ऊष्मा केंद्रीय 2 परमाणवीय; पारमाणविक ताथेई-(स्त्री०) दे० ताताथेई
(वि०) = ताप नाभिकीय; बिजलीघर + हिं० (पु.) नादर्थ्य-सं० (पु०) 1 समानार्थ होने की अवस्था 2 अर्थ की। ईंधन की गर्मी से बिजली उत्पन्न करने का स्थान; ~मान
एक-रूपता 3 उद्देश्य की समानता 4 उद्देश्य, प्रयोजन (१०) थर्मामीटर द्वारा मापी गई ताप की मात्रा (जैसे-शरीर का तादात्मय-सं० (पु०) 1 तल्लीनता 2 एक जान होना तापमान 98.6° है); ~मानयंत्र (पु०) थर्मामीटर; तादाद-अ० (स्त्री०) संख्या, जोड़ (जैसे-आदमियों की तादाद मापक, ~मापी (वि०) ताप नापनेवाला (जैसे-ताप ज्यादा है)
मापक यंत्र); ~रोधक (वि०) = ताप अवरोधक; लहरी तादृश-सं० (वि०) उसके समान, वैसा
+ हिं० (स्त्री०) = ताप तरंग; लेखी (पु०) वह ताप ताधर्म्य-सं० (पु०) वैसा ही गुण-धर्म
मापक यंत्र जिसमें ताप का घटना-बढ़ना स्वयं अंकित हो जाता ताधा-(स्त्री०) दे० ताताथेई
है; विकिरण (पु०) ताप लहरियों का एक केंद्र से चारों तान-सं० (स्त्री०) 1 संगीत में स्वर का विस्तार 2 तानने की ओर फैलना; वियत स्टेशन + अंक (पु०) = ताप क्रिया, खिंचाव 3 समुद्र की तरंग, लहर। ~कर्म (पु०) बिजलीघर; ~शक्ति (स्त्री०) ईंधन आदि से उत्पत्र बिजली%B 1 स्वरसाधना 2 आलाप तरंग (स्त्री०) अनेक प्रकार की ~सह (वि०) जिसमें अधिक ताप सहने की क्षमता तानों का संगीत तानना-(स० क्रि०) 1 फैलाना 2 खींचकर कड़ा करना 3 खड़ा तापक-I सं० (वि०) 1 ताप उत्पन्न करनेवाला, तापोत्पादक
करना 4 खिंचाव पैदा करना 5 मारने के लिए अस्त्र आदि । 2 कष्ट देनेवाला II (पु०) 1 ज्वर, बुखार 2 गर्मी उत्पत्र उठाना (जैसे-धनुष तानना, हाथ तानना) । तानकर सोना करनेवाला यंत्र निश्चिंत होकर सोना
तापकी-सं० (वि०) ताप उत्पन्न करनेवाला तानपूरा-(पु०) सितार की तरह का एक बाजा
तापन-[ सं० (वि०) 1 गर्मी देनेवाला 2 दुःख देनेवाला तानव-सं० (पु०) कृशता, दुबलापन
II (पु०) 1 तपाने की क्रिया 2 सूर्य, सूरज ताना-I अ० (पु०) व्यंग्यपूर्ण चुटीली बात (जैसे-ताना मारना, - तापना-I (अ० क्रि०) आँच से शरीर गरमाना II (स० क्रि०)
ताना देना)। ~मेहना + हिं० (पु०) उपालंभ, शिकायत 1 धूनी आदि के सामने बैठकर ताप सहना 2 जलाना 3 नष्ट ताना-II (स० क्रि०) 1 तपाना 2 परीक्षा के लिए तपाना करना 3 संतप्त करना
तापस-सं० (पु०) साधु, तपस्वी ताना-III (पु०) 1 करघे में लंबाई के बल फैलाया गया स्त तापसिक-सं० (वि०) तप से संबंधित 2 तानी हुई वस्तु 3 तानने की क्रिया 4 कालीन दरी आदि बनने तापसी-I सं० (वि०) 1 तापस संबंधी 2 तपस्या संबंधी का करघा। ~पाई (स्त्री०) घूम-फिरकर आते-जाते रहना; II (स्त्री०) 1 तपस्विनी 2 तपस्वी की स्त्री। स्वेद (पु०)
बाना (पु०) लंबाई के बल ताने और चौड़ाई के बुने गरमी पहुंचाकर उत्पन्न पसीना जानेवाले तागे। ~मारना चुटीली बात कहना
तापस्य-सं० (पु०) 1 तापस धर्म 2 संन्यास, वैराग्य ताना-रीरी- (स्त्री०) 1 साधारण गाना 2 नौसिखिये का गाना तापाणविक-सं० (वि०) - ताप नाभिकीय तानाशाह-हिं० + फ़ा० (पु.) 1 स्वेच्छाचारी 2 निरंकुश तापावरोध-सं० (पु०) ताप सहने की शक्ति शासक
तापित-सं० (वि०) 1 तपाया गया, तप्त 2 जिसे कष्ट पहँचाया तानाशाही-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 स्वेच्छाचारिता | गया हो, संतापित 2 अधिनायकत्व
तापी-सं० (वि०) 1 ताप देनेवाला 2 ताप से युक्त, तप्त । तानी-(स्त्री०) = ताना। ताना (पु०) ताना-बाना ~करण (पु०) ताप देना तानूर-सं० (पु०) 1 जल भँवर 2 चक्रवात, बवंडर तापीय-सं० (वि०) ताप का तानेज़नी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) व्यंग्य करना
तापेन्द्र-सं० (पु०) सूर्य तानेबाज़ी-अ० + फ़ा० (वि०) कटाक्ष करना
तापोपचार-सं०(पु०) गरमी पहँचाकर प्रभाव उत्पन्न करने की ताप-सं० (पु०) 1 गर्मी, तपिश 2 आँच 3 ज्वर, बुखार विधि 4 मानसिक कष्ट। ~अवरोधक (वि०) ताप को ताफ़्ता-फ़ा० (पु०) धूप-छाँह का रेशमी कपड़ा रोकनेवाला; -कक्ष (पु०) ऊष्मा प्रवाहित करने का कमरा; ताब-I फ़ा० (स्त्री०) 1 ताप, गर्मी 2 चमक, दीप्ति
| ताब-II फ़ा० (स्त्री०) 1 मजाल 2 हिम्मत 3 धैर्य 4 शक्ति, सूचित करनेवाली संख्या (जैसे-शरीर का तापक्रम 98.6 ° | सामर्थ्य (जैसे-ताब न रहना) है); चालक (पु०) ऐसा पदार्थ जिसमें ताप एक सिरे से | ताबड़-तोड़- (अ०) 1 लगातार (जैसे-ताबड़तोड़ जवाब दूसरे सिरे तक पहुँच जाय; चालकता (स्त्री०) वस्तुओं के | देना) 2 तुरंत तापचालक होने का गुण; ~तरंग (स्त्री०) अत्यंत गर्म हवा | ताबा-अ० (वि०) = ताबे की लहर, लू; तिल्ली (स्त्री०) प्लीहा रोग; त्रय (पु०) | ताबीज़-अ० (पु०) = तावीज़
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ताबूत
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तारा
ताबूत-अ० (पु०) मृत शरीर रखने का संदूक ~गर + फ़ा० धातुः खाना + फ़ा० (पु०), -घर (पु०) तार द्वारा (पु०) ताबूत बनानेवाला बढ़ई
संदेश पारे एवं भेजने का सरकारी कार्यालय (जैसे-तार-घर का ताबे-अ० (वि०) मातहत, वशवर्ती, अधीन; ~दार + फ़ा०I चपरासी); घाट (पु०) व्यवस्था, उपाय;
(वि०) आज्ञाकारी II (पु०) नौकर, सेवक; दारी + फ़ा० ~डाक-कर्मचारी + सं० (१०) डाक और तार विभाग का (स्त्री०) सेवा, नौकरी
कर्मचारी; तार (वि०) 1 जिसके तार अलग हो गए हों ताम-I सं० (पु०) 1 दोष, विकार 2 मनोविकार 3 कष्ट, 2 पूर्णतः छिन्न-भित्र; तोड़ (पु०) ज़रदोजी का काम;
तकलीफ II (वि०) 1 डरावना, विकराल 2 परेशान, व्याकुल बक्री (स्त्री०) बिजली का तार; स्तार करना धजियाँ तामचीनी-(स्त्री०) इनमल, मीना चढ़ाने का काम
उड़ाना; ~~ोना चिथड़े-चिथड़े है, जाना तामजान, तामझाम-(पु०) एक तरह की खुली पालकी तार-II सं० (वि०) 1 उच्च 2स्वच्छ, साफ 3 चमकता हुआ, तामड़ा-I (वि०) ताँबे के रंग का, लाली लिए हुए भूरा प्रकाशमान
II (पु०) 1 ताँबे के रंग का सा स्वच्छ आकाश 2 गंजी तार-III सं० (पु०) 1 अपने उपासकों को तारनेवाला 2 पार खोपड़ी 3 ताँबे के रंग का एक नगीना 4 पकी हुई ईंट । करना 3 तारा 4 आँख की पुतली 5 उच्च स्वर। -कूट (पु०) निकल आना खोपड़ी गंजी होना
पीतल-चाँदी मिली नकली धातु तामरस-सं० (पु०) कमल
तारक-I सं० (वि०) तारनेवाला II (पु०) आँख की पुतली। तामरसी-सं० (स्त्री०) कमल सरोवर
-चिह्न (पु०) पाद टिप्पणी प्रदर्शित करने के लिए लिपि में मस-1 स० (वि०) 1जिसम तमा गुण का अधिकता हो । प्रयक्त तारा जैसा निशान (जैसे-तामस स्वभाव) 2 ज्ञानहीन 3 कुटिल 4 पापी II (पु०) तारकांकित-सं० (वि०) = तारांकित 1 अंधकार, अँधेरा 2 खल, दुष्ट । ~मद्य (पु०) कई बार की तारका-सं० (स्त्री०) 1 नक्षत्र 2 उल्का 3 आँख की पुतली खींची हुई शराब
तारकित-सं० (वि०) : तारों से भरा हुआ 2 तारे जड़ा हुआ तामसिक-सं० (वि०) 1 तमोगण संबंधी 2 अंधकार संबंधी तारकीय सं० (वि०) तारों से युक्त तामसी-[ सं० (वि०) तमोगुण से संबंधित (जैसे-तामसी । तारकोल-अं० (पु०) अलकतरा
स्वभाव) II (स्त्री०) 1 महाकाली 2 अँधेरी रात तारण-[सं० (पु०) 1 तारने की क्रिया, उद्धार करने की क्रिया तामिल-(पु०)/(स्त्री०) = तमिल
2 निस्तार 3 मोक्ष दिलाने की क्रिया II (वि०) तारनेवाला तामित्र-सं० (पु०) 1 तामसिक मनोविकार 2 तमोगण से 2 उद्धार करनेवाला 3 मोक्ष दिलानेवाला उत्पन्न अविद्या
तारतम्य-सं० (पु०) 1 जोड़मेल 2 क्रम या सिलसिला। तामी-(स्त्री०) ताँब का तसला
बोध (पु०) घट-बढ़ होने का ज्ञान तामीर-अ० (स्त्री०) 1 इमारत बनाना 2 इमारत, भवन | तारतम्यात्मक-सं० (वि०) क्रमबद्ध, क्रमिक 3निर्माण, रचना
तारतम्यिक-सं० (वि०) क्रमिक तामील-अ० (स्त्री०) 1 अमल करना 2 आज्ञा का पालन तारत्व-सं० (पु०) सुर का तीखापन बतलानेवाला ध्वनि का तामीली-अ० + फ़ा० (स्त्री०) आज्ञापालन तामसेरी-(स्त्री०) गेरु के मेल से बना एक तरह का तामड़ा रंग तारन-I (पु०) 1 छत, छज्जे की ढाल 2 छाजन में काड़ियों के ताम्र-सं० (पु०) 1 ताँबा 2 चि० कोढ़। कार (पु०) ताँब नीचे रहनेवाला बाँस II (वि०)/(पु०) - तारण
के बर्तन आदि बनानेवाला कारीगर; चूड़ (पु०) कुक्कुट, तारना-(स० क्रि०) 1 पार लगाना 2 सदगति देना 3 डूबते को मुर्गा; ~पट्ट, पत्र (पु०) 1 ताँबे पर दानपत्र 2 ताँबे का किनारे पर पहुँचाना पत्तर 3 प्रशस्ति-पत्र; पाषाण (पु०) ताँबेवाला पत्थर; | तारपीन-अं० (पु०) चीड़ के पेड़ से निकला हुआ एक तरह का
-फलक (पु०) = ताम्रपत्र; ~युग (पु०) इतिहास का वह युग जिसमें ताँबे के औज़ार, पात्र आदि काम में लाए जाते तारल्य-सं० (पु०) 1 तरल होने की अवस्था, तरलता थे; ~वर्ण (वि०) 1 तामड़ा रंग का 2 रक्त वर्ण का; 2 चंचलता ~वर्णी (वि०) ताम्र वर्ण का
तारीयता (त)-सं० (पु०) तारनेवाला ताम्राक्ष-सं० (वि०) लाल आँखांवाला
तारांकित-सं० (वि.) जिसके साथ सितारे का चिह्न दिया गया तायफ़ा-I अ० (१०) नाचने-गाने आदि का व्यवसाय | हो करनेवाले लोगों का संघटित दल (जैसे-रंडियों का तायफ़ा) तारा-सं० (पु०) 1 आकाश में चमकनेवाला नक्षत्र, सितारा II (स्त्री०) वेश्या, तवायफ़
2 आँख की पुतली (जैसे-पुत्र-पिता की आँखों का तारा है)। ताया-(पु०) बाप का बड़ा भाई, ताऊ
-चिह्न (पु०) - तारक चिह्न; ~नाथ (पु०) चंद्रमा; तार-1 (पु०) 1 धातु से तैयार किया गया डोर ~पथ (पु०) आकाश; -पुंज (पु०) - तारा मंडल;
(जैसे-अल्युमिनियम का तार, सोने का तार) 2 वह तार ~भौतिक (वि०) खगोल के भौतिक विज्ञान से संबंधित; जिसके द्वारा बिजली की शक्ति से समाचार भेजे जाते हैं ~भौतिकी (स्त्री०) खगोल का भौतिक विज्ञान; ~मंडल (जैसे-तार भेजने का पता) 3 तार द्वारा भेजी गई खबर (पु०) 1 नक्षत्रों का समूह 2 कृत्रिम नक्षत्र कक्ष (प्लेनिटेरियम (जैसे-दिल्ली से तार आया है)। कश (पु०) धातु का मृग (पु०) मृगशिरा नक्षत्र । तारे गिनना नींद न आना; तार खींचनेवाला; ~कूट (पु०) चाँदी-पीतल आदि की मिश्र | तारे तोड़ लाना असंभव काम कर दिखाना तारे दिखाई दे
गुण
तेल
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ताराज
जाना तिलमिलाहट होना; तारों की छाँह तड़के
ताराज - फा० (पु० ) 1 लूट-पाट 2 ध्वंस, नाश तारावली-सं० (स्त्री०) तारामंडल
तारिक सं० (पु० ) नदी पार करने का भाड़ा या महसूल तारिका - I सं० (स्त्री०) ताड़ी II (स्त्री०) अभिनेत्री (जैसे- सिनेमा तारिका) । धूलि विश्व में तारों-तारिकाओं के मध्य के अवकाश में सर्वत्र व्याप्त बहुत ही बारीक एवं सूक्ष्म धूल, स्टारडस्ट तारिणी-सं० (स्त्री०) तारनेवाली
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तारित सं० (वि०) 1 पार कराया हुआ 2 जिसका उद्धार किया गया हो
तारीक - फ़ा० (वि०) 1 काला, स्याह 2 अंधकारपूर्ण, अँधेरा तारीकी-फ़ा० (स्त्री०) 1 कालिमा, स्याही 2 अंधकार, अंधेरा तारीख- अ० (स्त्री०) 1 तिथि 2 मिति 3 ऐतिहासिक घटना तिथि। ~नामा + फ़ा० (पु०) तिथिपत्र, कैलेंडर; ~वार + फ़ा० ( क्रि० वि०) तारीख के अनुसार तारीखी-अ० (वि०) तवारीखी. ऐतिहासिक तारीफ़ -अ (स्त्री०) 1 परिचय 2 प्रशंसा, बड़ाई 3 विशेषता
तारुण-सं० (वि०) जवान, युवा
तारुण्य-सं० ( पु० ) तरुणता, यौवन, जवानी
तारुण्यागम-सं० ( पु० ) 1 तरुणावस्था का आगमन, यौवनारंभ 2 प्रौढता
तार्किक - 1 सं० (वि०) तर्क का II (पु० ) 1 तर्क शास्त्र का ज्ञाता 2 तत्त्ववेत्ता
करने योग्य
तार्य-सं० (वि०) पार ताल - I सं० (पु० ) 1 हथेली 2 करतल ध्वनि, ताली 3 नाचने-गाने का मान 4 जाँघ या बाँह पर हथेली से उत्पन्न किया जानेवाला शब्द 5 संगीत में नियत मात्राओं पर हथेली से स्वर उत्पन्न करना। पत्र (पु०) ताड़ का पत्ता: पर्णी (स्त्री०) बनसौंफ बद्ध (वि०) (संगीत में) तालयुक्त; ~ मात्रा (स्त्री०) (संगीत में) काल और क्रिया का परिमाण:
~युक्त (वि०) तालपूर्ण रस (पु० ) ताड़ी; वन (पु०) ताड़ के पेड़ों का जंगल
ताल - II ( पु० ) 1 तालाब, तड़ाग 2 प्राकृतिक गड्ढा । ~ मखाना (पु ं) सफेद रंग का एक गोल बीज़ ताल ठोंकना - (स० क्रि०) पहलवानों का जाँघ पर थापी मारना तालबंद - (पु० ) वह लेखा जिसमें आमदनी की सब मदें दिखाई गई हों
तालमूल-सं० (पु०) लकड़ी की हाल
ताल-मेल - ( पु० ) 1 तालों का मिलान 2 संगति
ताल-मेली - (स्त्री०) तालमेल
तालव्य - I सं० (वि०) तालु संबंधी II ( पु० ) तालू की सहायता से उच्चारित होनेवाले वर्ण (जैसे-चवर्ण) तालव्यीकरण-सं० (पु० ) किसी अन्य स्थान के वर्ण को तालू से बोलना
तालव्यीकृत-सं० (वि०) तालू से उच्चारित ताला - I ( पु० ) 1 लोहे पीतल आदि का बना यंत्र जो खास कुंजी से बंद होता है और खुलता है (जैसे-कमरे में ताला लगा दो) 2 किसी प्रकार के आनेजाने का मार्ग (जैसे-नहर का ताला)। ~ कुंजी (स्त्री०) ताला और ताली; बंदी
ताश
फ़ा० (स्त्री०) 1 ताला बंद करने की क्रिया 2 कारखाने के मालिक द्वारा अनिश्चित काल के लिए कारखाने को बंद रखना, लाक आउट। जड़ना पूरी तरह से रोकना ताला - II अ० ( पु० ) भाग्य, किस्मत तालाब - फ़ा० ( पु० ) छोटा जलाशय
तालिका -सं० (स्त्री०) 1 नाम सूची 2 कुंजी। कार (पु०) तालिका बनानेवाला
तालिब-अ० (वि०) 1 तलब करनेवाला 2 खोजनेवाला 3 चाहनेवाला । ~ इल्म (पु० ) विद्यार्थी ताली - I (स्त्री०) करतल ध्वनि (जैसे-ताली बजाना) ताली - II सं० (स्त्री०) कुंजी (जैसे- साइकिल के ताले की ताली)
ताली - III (स्त्री०) ताड़ी
ताली - IV (स्त्री०) छोटा ताल, तलैया
तालीक़ा - अ० (पु० ) 1 कुर्की जब्ती 2 ज़ब्त किए गए माल की तालिका
ताली - पत्र - सं० ( पु० ) तालीश पत्र तालीम-अ० (स्त्री०) 1 शिक्षा 2 उपदेश (जैसे- तालीम प्राप्त करना) । ~याफ़्ता + फ़ा० (वि०) शिक्षित तालीमी अ + फ़ा० (वि०) शैक्षिक, शिक्षा संबंधी तालीश - पत्र - सं० ( पु० ) 1 एक पहाड़ी वृक्ष जिसका पौधा औषधि के काम आता है 2 आँवले की जाति का एक प्रकार का छोटा पौधा, भुँइ आँवला
=
तालु -सं० (पु० ) = तालू। ~कंटक (पु० ) तालू में काँटे निकल आने का रोग: पाक (पु० ) तालू में घाव होने का एक रोग
तालू - (पु० ) मुँह के अंदर का वह ऊपरी भाग जो ऊपरवाले दाँतों की पंक्ति और गले के कौए तक विस्तृत रहता है तालेमंद -अ फ़ार. तालेवर अ फ़ार (वि०) 1 धनाढ्य धनी 2 भाग्यवान, सौभाग्यशाली ताल्लुक़ - अ० ( पु० ) 1 संबंध 2 लगाव
+
ताल्लुक़ा-अ० (पु०) इलाका
फ़ार (पु० ) ज़मींदार
ताल्लुकेदार-अ ताल्लुकेदारी-अ फ़ा० (स्त्री०) ज़मींदारी ताल्वर्बुद -सं० ( पु० ) तालु का फोड़ा
+
ताव - ( पु० ) 1 अहंकार युक्त रोष का आवेश 2 अहंकार का झोंक 3 गर्मी, आँच, ताप 4 काग़ज़ का बड़ा, चौकोर टुकड़ा। ~ भाव (पु०) मोल भाव
तावत्सं (अ० ) 1 उस समय तक, तब-तक 2 वहाँ तक 3 उस परिणाम तक
तावरी - ( स्त्री०) 1 गर्मी, ताप 2 जलन, दाह 3 घाम, धूप 4 ईर्ष्या, जलन 5 सिर का चक्कर, घुमा
+
+
तावा - ( पु० ) तवा तावान - फ़ा० (पु० ) 1 डाँड़ 2 हर्जाना, क्षतिपूर्ति तावीज़ - अ० (पु० ) 1 काग़ज़ आदि पर अंकित मंत्र 2 सोने-चाँदी आदि का गोलाकार या चौकोर संपुट ताश - I ( पु० ) 1 काग़ज़ का चौकोर टुकड़ा जिस पर पान, ईंट आदि रंगों के छापे हों 2 ताश का खेल 3 ताश के खेल का कोई पत्ता । ~ पत्ता (पु०) ताश के खेल में प्रयुक्त कार्ड (जैसे- चिड़ी का पत्ता)
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ताश
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तित्रा
ताश-II (पु०) एक प्रकार का ज़रदोजी का कपड़ा |तितरफ़ा-हिं + अ० (वि०) तीन ओर का (जैसे-तितरफ़ा ताशा, तासा-का० (पु०) डुग्गी की तरह का किंतु डुग्गी से | बरामदा) कुछ बड़ा और चिपटा बाजा
तितर-बितर-(वि०) 1 अस्त-व्यस्त 2 अनियमित रूप से तासीर-अ० (स्त्री०) 1 असर करना 2 प्रभाव, असर 3 गुण का | बिखरा हुआ (जैसे-सारा सामान तितर-बितर पड़ा है) प्रभाव
तितली-(स्त्री०) 1 रंग-बिरंगे पंखवाला एक छोटा कीड़ा जो तास्कर्य-सं० (पु०) तस्करी
प्रायः फूलों का रस चूसता है 2 बनी-ठनी रहनेवाली सुंदर एवं ताहम-फ़ा० (अ०) तथापि
चंचल बालिका ताही-बो० (सर्व०) उसे, उसको
तितलौआ-(पु०), तितलौकी बो० (स्त्री०) एक प्रसिद्ध लता तितिडिका, तितिड़ी-सं० (स्त्री०) इमली
जिसमें कद्दू के आकार के फल लगते हैं जो स्वाद में कड़वे होते ति--(वि०) 'तीन' का संक्षिप्त रूप (जैसे-तिपत्ती, तिबारा, तिहत्तर)
तितारा-I (पु०) तीन तारोंवाला ताल देने का बाजा II (वि०) तिआह-I बो० (पु०) 1 तीसरी बार होनेवाला 2 वह व्यक्ति | तीन तारोंवाला जिसकी तीसरी बार शादी हुई हो
| तितिंबा, तितिम्मा-अ० (पु.) 1 बचा हुआ भाग 2 पूरक तिआह-II (पु०) मृत्यु के पैंतालिसवें दिन होनेवाला श्राद्ध __ अंश 3 पुस्तक का परिशिष्ट तिकड़म, तिकड़मबाज़ी-हिं (स्त्री) 1 घात 2 उपाय तितिक्षा-सं० (स्त्री०) सरदी-गरमी दुःख आदि सहन करने की 3चालाकी
शक्ति तिकड़मी- (वि०) तिकड़म से काम करनेवाला; चालाक, धूर्त | तितिक्षु-सं० (वि०) सहनशील तिकानी-(स्त्री०) तिकोनी लकड़ी जो पहिए की धुरी में लगाई तितीर्षा-सं० (स्त्री०) तैरने या तर जाने की इच्छा जाती है
तितीर्घ-सं० (वि०) तैरने या मोक्ष पाने को इच्छुक तिकुरा-(पु०) उपज का तीसरा भाग
तित्तिर-सं० (पु०) तीतर (पक्षी) तिकोना-(वि०) जिसमें तीन कोने हों (जैसे-तिकोना मकान, | तिथि–सं० (स्त्री) 1 तारीख 2 वह काल विशेष जिसमें चंद्रमा तिकोनी मेज़)
एक कला बढ़ता-घटता है 3 दिनांक। क्रम (पु०) एक के तिकोनिया-(वि०) तीन कोनोंवाला
बाद दूसरी तिथि आना; क्षय (पु०) किसी तिथि का घटित तिक्का -[ फा० (पु०) मांस की कटी हुई बोटी। खोटी न होना; -निर्देश (पु०) तारीख बताना; ~पति (३०) करना काटकर खंड-खंड करना
तिथि का स्वामी देवता; पत्र (प०) पंचांग, पत्राः युग्म तिक्का -II (पु०) तीन बृटियोंवाला ताश का पत्ता (जैसे-पान (पु०) दो तिथियों का योग: संक्रामी (वि०) निर्धारित का तिक्का)
तिथि का संक्रमण करनेवाला तिक्की-(स्त्री०) ताश का तीन बुटियोंवाला पत्ता तिथित-सं० (वि०) जिस पर तिथि अंकित हो तिक्त-सं० (वि०) तीता. चरपरा II (पु०) 1 सुगंध 2 पित्त तिदरा-हिं . फ़ा | (वि०) तीन दरवाज़ोंवाला II (पु०) तीन पापड़ा। ता (स्त्री०) तोतापन
दरोंवाला कमरा तिक्ताक्ति-सं० (स्त्री०) वर्ण हीन एवं उग्र गंधवाली गैस | तिद्वरी-हिं । सं० (वि०) तीन दरवाज़ोंवाला तिखंडा-(वि.) तिमजला
तिधर- बो० (क्रि० वि०) उधर, उस ओर तिखाई-(स्त्री०) तोक्षणता, तेज़ी, तीखापन
तिधारा-(पु०) थूहर वृक्ष जिसमें पने नहीं होते हैं तिखारना-(अ० क्रि०) तीन बार कहना
तिन-(प्०) - तिनका तिखूटा-(वि०) तिकोना
तिनकना-(अ० क्रि०) तिनगना. झल्लाना तिगला-(पु०) तिगलिया
तिनका-(पु.) मुखी घास आदि का छोटा टुकड़ा, तृण तिगलिया-(पु०) तिरमुहानी. तिराहा
(जैसे आँख में तिनका पड़ गया)। तोड़ (पु०) नाता तिगुना-(वि०) जो मात्रा. अनपात आदि में तीन गुना हो तोड़, संबंध विच्छेद। उतारना बला टालना; -तोड़ना तिग्म–सं० (वि०) । तेज़, तीक्ष्ण ? उग्र। ता (स्त्री०) । न्यौछावर करना, बलैया लेना 2 संबंध तोड़ना; - दांतों से तीक्ष्णता
पकड़ना दया की भीख मांगना तिनके का सहारा थोड़ी सी तिजरा-(पु०) - तिजारी
सहायता, तिनके की ओट पहाड़ छोटी सी बात में बड़े रहस्य तिजारत-अ० (स्त्री०) रोज़गार, व्यापार
का छिपा होना; तिनके चुनना विक्षिप्त होना; तिनके तिजारत-अ० . फ़ा० (वि०) तिजारत संबंधी
चुनवाना विक्षिप्त कर देना तिजारी-(स्त्री०) हर तीसरे दिन आनेवाला ज्वर
तिनगना- क्रि०) बिगड़ना, रूठना तिजिया-(वि०) जिसने तीन विवाह किए हों
तिनदरी-हिं । फ़ा० (स्त्री०) तीन दरवाज़ोंवाला कमरा तिजोरी-(स्त्री०) लोहे की मजबूत, छोटी एवं भारी आलमारी तिनधरा-(स्त्री०) तिकोनी रेती तिड़ी-(स्त्री०) 1 ताश की तिक्की 2 गायब होना
तिनपहला-(वि०) तीन परतोंवाला तिडीबाज़-हिं । फ़ा० (पु० )खिसक जानेवाला व्यक्ति, हट | तिनपावा-(पु०) तीन पाए वाला जानेवाला व्यक्ति
तिनिश-सं० (पु०) शीशम की जाति का एक वृक्ष तिड़ी-बिड़ी-(वि०) - तितर बितर
तिना-सं० (पु०) तित्री के धान का पौधा
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तिन्नी
तिनी - 1 (स्त्री०) स्वयं उत्पन्न होनेवाला धान तिन्नी - II ( स्त्री०) नीवी, फफूंदी तिपल्ला - (वि०) 1 तीन पल्लेवाला (दरवाजा) परतोंवाला 3 तीन तागों या तारों का तिपहिया - (वि०) तीन पहिएवाला तिपाई - (स्त्री०) तीन पायोंवाली बैठने की चौकी तिपाड़ - ( पु० ) 1 तीन पाट जोड़कर बनाया गया पड़ा (जैसे- तिपाड़ चादर ) 2 तीन परतोंवाला कपड़ा तिब-अ० (दे०) तिब्ब
तिबारा - I ( क्रि० वि०) तीसरी बार II ( पु० ) 1 तीन बार चुआने पर तैयार की गई शराब 2 तीन दरवाज़ोंवाला कमरा तिबारी- (स्त्री०) तिदरा तिबासी - (वि०) तीन दिन का बासी ( खाद्य पदार्थ ) तिब्ब- अ० (स्त्री०) 1 चिकित्साशास्त्र 2 यूनानी चिकित्साशास्त्र, हकीमा
=
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2 तीन
तिब्बती - I ( वि०) तिब्बत संबंधी, तिब्बत का II (पु० ) तिब्बत देश का निवासी III (स्त्री०) तिब्बत देश की भाषा तिभाषिया हिं + सं० (वि०) तीन भाषाएँ बोलनेवाला तिमंज़िला - हिं अ० (वि०) तीन मंज़िलवाला ( मकान ) तिमाना- (स० क्रि०) भिगोना तिमाही हिं + फ़ा० (वि०) तीन माह पर होनेवाला तिमिंगल-सं० (पु०) ह्वेल मछली
तिमि - I सं० ( पु० ) ( चि०) रतौंधी रोग II बड़ा मगरमच्छ
+
तिमुहानी - हिं फ़ा. (स्त्री०) तिरमुहानी तिय-सं० (स्त्री०) औरत, स्त्री
तिमित सं० (वि०) 1 अचल 2 शान्त
तिमिर - सं० (पु० ) अंधकार, अँधेरा। हर (वि०) अंधकार दूर करनेवाला
तिमिराच्छन्न, तिमिराच्छादित, तिमिरावृत्त-सं० (वि०) अंधकार से छाया हुआ, अंधकारमय
तिमिरारि-सं० ( पु० ) सूर्य
तियतरा - ( पु० ) तीन पुत्रियों के उपरांत पैदा होनेवाला पुत्र तियला - ( पु० ) स्त्रियों का एक पहनावा, पोशाक तिया - ( पु० ) स्त्री, औरत
तिरंगा - (वि०) तीन रंगोंवाला (जैसे-तिरंगा झंडा ) तिरक-सं० ( पु० ) रीढ़ के नीचे दोनों कूल्हों की अस्थि-संधि तिरकट - ( पु०) नाव का अगला पाल
तिरकना-I (अ० क्रि०) तड़कना II (अ० क्रि०) थिरकना तिरकाना - (सं० क्रि०) रस्सी ढीली छोड़ना तिखूँटा - (वि०) तिकोना
तिरछा - (वि०) 1 जो एक ओर कुछ झुका हो, वक्र, बाँका 2 कुटिल। ~ई (स्त्री०) = तिरछापन; पन (पु० ) तिरछा होने का भाव
तिरछाना - I (अ० क्रि०) तिरछा होना II (स० क्रि०) तिरछा
करना
तिरछे - ( क्रि० वि०) तिरछेपन की अवस्था में, वक्रता से तिरछोहा-बो० (वि०) तिरछा
तिरपन - I ( वि०) पचास से तीन अधिक II (पु० ) तिरपन की संख्या, 53 की संख्या
तिरपाई - (स्त्री०) तिपाई
रोगन चढ़ाया हुआ
तिरपाल - अ० (पु० ) के नीचे सरकंडे का मुट्टा
तिर्यक्
मोटा कपड़ा, छाजन
तिरपोलिया - ( पु० ) तीन फाटकवाला स्थान
तिरमिरा - I ( पु० ) 1 आँख का एक रोग जिसमें देखने की शक्ति क्षीण हो जाती है 2 चकाचौंध
तिरमिरा - II ( पु० ) घी, तेल की तैरती चिकनाहट तिरमिराना - 1 (अ० क्रि०) आँखें चौंधियाना II ( अ० क्रि०) तिलमिलाना
तिरमिराहट - (स्त्री०) तैरती चिकनाहट
तिरमुहानी - (स्त्री०) वह स्थान जहाँ से तीन तरफ़ को रास्ता जाता हो 2 वह स्थान जहाँ तीन ओर से नदियाँ आकर मिलती हों
तिरलोक - (पु० ) त्रिलोक
तिरश्चीन-सं० (वि०) 1 तिरछा 2 टेढ़ा
तिरशूल - ( पु० ) त्रिशूल
तिरसठ - I (वि०) साठ से तीन अधिक II ( पु० ) 63 की संख्या
तिरस्कारिणी -सं० (स्त्री०) 1 आड़ 2 परदा 3 अदृश्य हो जाने की विद्या
तिरस्कार-सं० ( पु० ) 1 अपमान, अनादर 2 अवज्ञा तिरस्कृत -सं० (वि०) 1 अपमानित, अनादृत 2 जिसकी अवज्ञा की गई हो 3 आड़ में छिपा हुआ
तिरस्क्रिया - सं० (स्त्री०) 1 तिरस्कार 2 आच्छादन 3 पोशाक,
वस्त्र
तिरहुत - ( पु० ) मिथिला प्रदेश
तिरहेल - (वि०) क्रम में तीसरा
तराई
तिराई - ( स्त्री०)
तिरानवे - I ( वि०) नब्बे से तीन ज्यादा II (पु० ) 93 की संख्या
तिराना (स० क्रि०) 1 तैराना 2 तारना
तिरासी - 1 (वि०) अस्सी से तीन अधिक II ( पु० ) 83 की संख्या
तिराहा - हिं + फ़ा० ( पु० ) तिरमुहानी
तिरिया - (स्त्री०) औरत, लुगाई । चरित्तर (पु० ) स्त्रियों द्वारा दूसरों को बेवकूफ़ बनाने की चतुराई, अभिनय, ढोंग तिरेंदा - (पु० ) 1 पानी में तैरता हुआ पीपा जो ख़तरे की सूचना हेतु लगाया जाता है 2 बंसी की डोरी में लगी हुई छोटी लकड़ी जो उतराती रहती है
तिरोधान-सं० ( पु० ) 1 अंतर्धान, लोप 2 अदृश्यता तिरोधायक-सं० (वि०) आड़ में छिपनेवाला तिरोभाव - सं० (पु० ) 1 अदृश्य हो जाना, अदर्शन 2 गोपन, छिपाव, दुराव 3 लोप
तिरोभूत-सं० (वि०) जो गायब हो गया हो, अंतर्हित, अदृश्य तिरोहित-सं० (वि०) 1 छिपा हुआ, अदृश्य 2 ढका हुआ तिरौंछा बो० (वि०) = तिरछा तिरौंदा - (पु० ) तिरेंदा
तिर्यक् - I सं० (वि०) 1 तिरछा 2 आड़ा 3 वक्र 4 कारकचिह्न लगने से बननेवाला (स्वर) II ( क्रि० वि० ) 1 वक्रतापूर्वक 2 तिरछे 3 आड़े। गामी (वि०) टेढ़ा चलनेवाला; पाती (वि०) आड़ा रखा हुआ
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तिर्यदिशा
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तिहद्दा तिर्यगदिशा-सं० (स्त्री०) उत्तर दिशा
तिलड़ी-(स्त्री०) तीन लड़ियोंवाली माला तिर्यगयन-सं० (पु०) सूर्य की वार्षिक परिक्रमा
तिलदानी-हिं + फ़ा० (स्त्री०) सुई, तागा, अंगश्ताना आदि तिर्यग्गति-सं० (स्त्री०) तिरछी चाल
रखने की थैली तिलंगा-(पु०) 1 तैलंग देश का निवासी 2 अंग्रेज़ी फ़ौज का तिलमिल-(स्त्री०) 1 तिलमिलाहट 2 चकाचौंध हिंदुस्तानी सिपाही
तिलमिलाना-(अ० क्रि०) 1 बेचैन होना 2 चकाचौंध होना तिलंगी-I (पु०) तिलंगाने का निवासी, तैलंग II (स्त्री०) तिलमिलाहट-(स्त्री०) बेचैनी तिलंगाने की बोली III (स्त्री०) 1 एक तरह की पतंग | तिलवा-(पु०) तिल का लड़ 2 चिनगारी
तिलस्म-अ० (पु०) 1 जादू के काम 2 अलौकिक व्यापार तिल-सं० (पु०) 1 काले-सफेद रंग का एक छोटे दाने का | तिलस्मात-अ० (पु०) 1 जादू 2 अलौकिक काम
तेलहन 2 तिल का पौधा 3 तिल के बराबर एक गोदना | तिलस्मी-अ० + फ़ा० (वि०) जादू संबंधी 4 पदार्थ का बहुत छोटा टुकड़ा, कण 5 आँख की पुतली के तिलहन-(पु०) = तेलहन बीच का बिंद। कालक (पु०) । शरीर पर होनेवाला तिल तिलहा-(वि०) तिलवाला के बराबर काला दाग 2 पुरुष लिंग पर होनेवाला एक रोग तिलांजलि-सं० (स्त्री०) 1तिल एवं जल मृतक के नाम से जिसमें लिंगेंद्रिय पक जाती है तथा उस पर काले दाग पड़ जाते । छोड़ने की रस्म 2 हमेशा के लिए साथ छोड़ना हैं; किट्ट (पु०) तिल की खली: कुट • हिं० (पु०) | (जैसे-तिलांजलि देना) का लड्डू; चटा • हिं० एक प्रकार का झींगुर, चपड़ा; तिला-I (पु०) नपुंसकता नष्ट करनेवाला एक तेल
चतुर्थी (स्त्री०) माघ के कृष्णपक्ष की चतुर्थी; चावला तिला-II अ० + फ़ा० (पु०) कलाबत्तू का काम करनेवाला + हिं० (वि०) जो तिल और चावल के मेल की तरह हो, कारीगर कुछ काला और कुछ सफ़ेद (जैसे-तिल चावले बाल); तिलाबाफ़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) कलाबत्तू का काम
चावली (स्त्री०) तिल और चावल की खिचड़ी; चूर्ण तिलावा-(वि०) 1 पुलिस की गश्त 2 तीन पुरवट वाला कुआँ (पु०) तिलकुट; ज (पु०), तेल (पु०) तिल का तेल; तिलिस्म-अ० (पु०) = तिलस्म
पपड़ी, पट्टी + हिं० (स्त्री०) खाँड या गुड़ की चासनी तिली-I (स्त्री०) - तिल में पगे तिल की बनी पट्टी: ~पीड़ + हिं० (पु०) तिल तिली-II (स्त्री०) = तिलहन पेरनेवाला, तेली; पुष्प तिल का फूल; ~शकरी + हिं० तिलेगु-(स्त्री०) = तेलगू (स्त्री०) = तिल की पपड़ी; ~का ताड़ करना बात का तिलेदानी-हिं + फ़ा० (स्त्री०) = तिलदानी बतंगड़ करना, थोड़ी सी बात को बड़ा रूप देना; ~की ओट | तिलोक-(पु०) त्रिपुर, त्रिलोक पहाड़ छोटी बात के अंदर बहुत बड़ी बात होना; -तिल तिलोकी-(स्त्री०) 1 त्रिलोकी 2 छब्बीस मात्राओं का एक छंद करके थोड़ा-थोड़ा करके; ~धरने की जगह न होना | तिलोदक-सं० (पु०) तिलांजलि ठसाठस भरा होना, रत्ती भर जगह न होना ~भर 1 थोड़ा सा तिलोरी-I बो० तेलिया मैना भी, रंचमात्र 2 थोड़ी देर; तिलों में तेल न होना शील-संकोच तिलोरी-II = तिलौरी | न होना, मुरौवत न होना
तिलौंछना-(स० क्रि०) तेल लगाना तिलक-सं० (पु०) 1 शोभा हेतु घिसे चंदन, केसर आदि से | तिलौछा-(वि०) 1 तेल के स्वादवाला 2 चिकना
मस्तक पर बनाया हुआ विशेष आकार का चिह्न, टीका । तिलौरी-(स्त्री०) तिल मिश्रित उर्द या मूंग की बरी 2 सिंहासनारूढ़ होते समय युवराज के मस्तक पर लगाया तिल्ला-अ० (पु०) 1कलाबत्तू आदि का काम 2 दुपट्टा, जानेवाला टीका 3 विवाह की एक रस्म जिसमें कन्या पक्ष के साड़ी, पगड़ी आदि का वह आँचल जिसमें कलाबत्तू आदि का लोग वर के मस्तक पर टीका लगाते हैं 4 स्त्रियों का एक __ काम हुआ हो शिरोभूषण 5 किसी ग्रंथ पर लिखि गई टीका, भाष्य । तिल्ली-I (स्त्री०) प्लीहा
~कामोद (पु०) संपूर्ण जाति का राग जो रात को दूसरे पहर तिल्ली-II (स्त्री०) तिलहन में गाया जाता है; ~मुद्रा (स्त्री०) तिलक का निशान; तिल्ली-III (स्त्री०) तिल -शैल (पु०) दान के लिए तिलों का ढेर; हार + हिं० तिल्लेदार-अ० (वि०) जिसमें कलाबत्तू बादले आदि के तार (पु०) वर पक्ष को तिलक चढ़ानेवाला व्यक्ति । भी बुने हों (जैसे-तिल्लेदार पगड़ी) तिलक-I तु० (पु०) 1 सूथन के ऊपर पहनने का बिना | तिवाड़ी, तिवारी-(पु०) ब्राह्मणों की एक उपाधि, त्रिपाठी
आस्तीन का ढीला जनाना कुरता 2 राजा की ओर से सम्मानार्थ तिशना-अ० (पु०) 1 ताना, मेहना 2 व्यंग्य मिलनेवाले पहनने के कपड़े, खिलअत, सिरोपाव II (वि०) तिस-(सर्व०) बो० 'ता' का रूप जो कई विभक्तियों में प्रयुक्त 1 उत्तम, श्रेष्ठ 2 कीर्ति, शोभा आदि बढ़ानेवाला
होता है (जैसे-तिसपर भी वो नहीं आए) तिलकना-(अ० क्रि०) गीली मिट्टी का सूखकर फटना तिसरायत-(स्त्री०) परायापन, गैर आदमी तिलकित-सं० (वि०) जिसे तिलक लगा हो
तिसरैत-(पु०) 1 तटस्थ व्यक्ति 2 तीसरा व्यक्ति 3 मध्यस्थ, तिलछना-(अ० क्रि०) 1 विकल तथा व्यग्र होना 2 छटपटाना, पंच 4 तीसरे भाग का अधिकारी विकल होना
तिहत्तर-I (वि०) सत्तर और तीन II (पु०) 73 की संख्या तिलड़ा-(वि०) तीन लड़ोंवाला
| तिहद्दा-हिं + अ० (पु०) वह स्थान जहाँ तीन हदें मिलती हों
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तिहरा
तेहरा
तिहरा - I ( वि०) तिहरा - II मिट्टी का बर्तन
तिहराना - (स० क्रि०)
तेहराना तिहरी - I ( स्त्री०) तीन लड़ों की माला
तिहरी - II (स्त्री०) दही जमाने का मिट्टी का छोटा बर्तन तिहवार - ( पु० ) त्योहार
तिहाई - (स्त्री०) 1 तीसरा भाग, तीसरा अंश 2 फ़सल, उपज । ~मारी जाना फ़सल का न उपजना, नष्ट होना तिहायत - (पु० ) तिसरैत
तिहाव बो० (वि०) 1 क्रोध, गुस्सा 2 अनबन, बिगाड़ तिहुँलोक - हिं + सं० (पु० ) तीन लोक-स्वर्ग, पृथ्वी, पाताल तिहैया - ( पु० ) तीसरा भाग
ती - (स्त्री०) 1 स्त्री औरत 2 जोरु, पत्नी
I=
365
तीकुर - ( पु० ) तीन हिस्सों में फ़सल का बँटवारा
तीक्ष्ण - I सं० (वि०) 1 तेज़ नोकवाला 2 तीव्र बुद्धिवाला, कुशाग्र 3 प्रखर, तेज़ 4 मर्मभेदी 5 उग्र, तीखा 6 चरपरे स्वादवाला 7 उत्कट गंधवाला । ~ता (स्त्री० ) पैनापन; - दंष्ट्र (वि०) तेज़ दाढ़वाला; दृष्टि (वि०) 1 जिसकी नज़र तेज़ हो 2 सूक्ष्मदर्शी । ~ धार (पु० ) खड्ग, तलवार; बुद्धिवाला; रश्मि (वि०) जिसकी किरणें बहुत
तेज़
हों
तीक्ष्णाग्नि-सं० (स्त्री०) प्रबल जठराग्नि तीक्ष्णान-सं० (वि०) नुकीला
तीक्ष्णायस - सं० ( पु० ) इस्पात तीखा - (वि०) 1 तीक्ष्ण 2 कटु
तीखुर - (पु० ) हल्दी की जाति का एक पौधा जिसकी जड़ का सार सफेद चूर्ण के रूप में होता है
तीखेपन - ( पु० ) तीक्ष्णता
तीज - (स्त्री०) प्रत्येक पक्ष की तीसरी तिथि, तृतीया तीजा - I ( वि०) तीसरा II मुसलमानों में मृत्यु के बाद का तीसरा दिन
तीतर - (पु० ) मुर्गी की जाति का एक प्रसिद्ध पक्षी । आधा तीतर आधा बटेर न इधर का न उधर का, दोगला तीता - 1 (वि०) तीखा और चरपरा (जैसे- तीता मिर्चा) तीता - II ( वि०) गीला, आर्द्र
तीन - I ( वि०) दो से एक अधिक II (पु० ) 3 की संख्या । पाँच करना 1 बहानेबाज़ी करना 2 हुज्जत की बात करना; ~तेरह करना 1 वर्ग-भेद उत्पन्न करना 2 तितर-बितर करना तीमार - फ़ा० (पु० ) 1 टहल, सेवा 2 रक्षा। दार (वि०) 1 सेवा करनेवाला 2 रक्षा करनेवाला; दारी (स्त्री०) रोगी की सेवा सुश्रुषा
तीय - (स्त्री०) 1 औरत, स्त्री 2 पत्नी तीरंदाज़ - फ़ा० (पु०) तीर से लक्ष्य को भेद करनेवाला तीरंदाजी - फ़ा० (स्त्री०) तीर से लक्ष्य भेद करने की क्रिया तीर - I सं० (पु० ) 1 नदी का किनारा, तट 2 किसी वस्तु का किनारा (जैसे- साड़ी का तीर पकड़ना) । ~वर्ती (वि०) किनारे का
तीर - II फ़ा० (पु० ) 1 वाण, शर (जैसे-धनुष पर तीर चढ़ाना) 2 चालाकी से भरी हुई तरकीब कमान (स्त्री०) धनुषवाण । चलाना, फेंकना तरकीब लगाना;
-- लगना काम बनना, युक्ति सफल होना
तीरस्थ-सं० (वि०) तीरवर्ती
तीर्ण-सं० (वि०) 1 जो पार हो गया हो 2 जिसे पार कर लिया हो
तीर्णा-सं० (स्त्री०) एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में एक नगण और एक गुरु होता है
तीर्थंकर -सं० (पु० ) जैनियों के 24 महान् व्यक्ति तीर्थ - सं० ( पु० ) 1 पुण्यस्थान (जैसे- गया एवं बद्रीनाथ पवित्र तीर्थ हैं) 2 क्षेत्र 3 घाट । काक (पु०) 1 तीर्थ पर रहकर धन ऐंठनेवाला 2 अत्यंत लोभी पति (पु० ) तीर्थराज; पादीय (वि०) वैष्णव; ~ यात्रा (स्त्री०) तीर्थ हेतु की गई यात्रा, तीर्थाटन यात्रिणी (स्त्री०) तीर्थयात्रा करनेवाली स्त्री ~ यात्री (पु०) तीर्थ यात्रा करनेवाला पुरुष; ~राज (पु० ) प्रयाग; स्थान (पु० ) पुण्य स्थान तीर्थाटन-सं० (पु० ) तीर्थयात्रा
तीर्थिक सं० (पु० ) 1 पंडा 2 तीर्थंकर 3 तीर्थयात्री तीला - ( पु० ) लंबा तिनका
तीली - (स्त्री०) 1 सलाई, मोटी सींक (जैसे- माचिस की तीली) 2 रेशम लपेटने का पटवों का एक औज़ार तीव्र सं० (वि०) 1 तेज़, तीक्ष्ण 2 अत्यधिक, अत्यंत 3 कडुआ, कटु 4 ऊँचा (जैसे- तीव्र स्वर ) 5 उग्र, प्रचंड 6 असह्य (जैसे- तीव्र वेदना)। गामी (वि०) तेज़ गतिवाला; ता (स्त्री०) तीव्र होने की अवस्था तीव्रानुराग-सं० (पु० ) अत्यधिक अनुराग तीव्रीकरण-सं० (पु० ) और तेज़ करना
तीस - I (वि०) बीस से दस अधिक II (पु० ) 30 की संख्या तीसमार खाँ हिं + फ़ा० (पु०) बहुत बड़ा बहादुर तीसर - ( स्त्री०) खेत की तीसरी जुताई
तीसरा - (वि०) 1 तीन के स्थान पर पड़नेवाला 2 जो दो में से किसी पक्ष का न हो, गैर, पराया
तुंद
तीसी - (स्त्री०) 1 तेलहन, अलसी 2 तीस वस्तुओं का एक मान तीहा - I ( पु० ) तिहाई, तृतीयांश II (वि०) तिहाई (जैसे-आधा तीहा माल )
तीहा - II बो० ( पु० ) तसल्ली, ढाढ़स
तुंग- I सं० (वि०) 1 बहुत ऊँचा 2 उग्र, तीव्र 3 प्रधान, मुख्य II (पु० ) पर्वत । ~ता (स्त्री०) ऊँचाई ~नाथ (पु० ) हिमालय पर स्थित एक शिव लिंग और तीर्थस्थान तुंगिमा -सं० (स्त्री०) ऊँचाई
तुंड - सं० (पु०) 1 मुख, मुँह 2 चोंच 3 थूथन 4 तोंद 5 तलवार का अगला भाग
तुंडि -सं० (स्त्री०) 1 नाभि 2 बिंबाफल, कुंदरू तुंडिक - सं० (वि०) जिसका मुँह आगे की ओर निकला हो तुंडिका-सं० (स्त्री०) 1. टोंटी 2 चोंच 3 नाभि । शोथ (पु० ) चि० घाँटी की सूजन तुंडिल-सं० (वि०) तोंदवाला
लुंडी - I सं० (वि०) 1 तुंडवाला 2 चोंचवाला 3 थूथनवाला II (पु० ) 1 गणेश 2 शिव की नंदी III (स्त्री०) 1 ढोंढ़ी 2 तोंद
तुंद - I सुंद - II फ्रा०
सं० (पु० ) उदर, पेट, तोंद
(वि०) तेज़, तीव्र, प्रचंड
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तुंदि
तुंदि-सं० (स्त्री०) तोंदी
तुंदिका - सं० (स्त्री०) नाभि
तुंदिल - सं० (वि०) तोंदल - तुंदाला तुंदी-सं० (स्त्री०) तोंदी तुंबा - (पु० )
तँबा
तुंबी - सं० (स्त्री०) 1 छोटा कड़वा कद्द, तितलौकी 2 छोटा तूंबा । पात्र (पु०) तुंबी का बना भिक्षा पात्र तुंबरू - सं० (पु० ) एक प्रसिद्ध गंधर्व
तुक - (स्त्री०) छंद के चरणों के अंतिम अक्षरों का मेल, सामंजस्य, अंत्यानुप्रास (जैसे- तुकबंदी कविता) । ~बंदी फ़ा० (स्त्री०) 1 तुक मिलाने की क्रिया 2 साधारण पद्य-रचना तुकमा - फ़ा० (पु०) फंदा, बटन फँसाने की घुँडी तुकांत - हिं० + सं० (वि०) तुकबंद, तुक में अंत होनेवाला तुकांतक - हिं० + सं० (वि०) 1 तुक बैठानेवाला 2 तुकांतपूर्ण तुका - फ़ा० (पु० ) तुक्का
तुकार - हिं + सं० (पु०) 'तू' कहकर पुकारना
तुकारना - (स० क्रि०) 'तू' कहकर संबोधित करना तुक्कड़ - (पु० ) तुकबंदी करनेवाला, साधारण कवि तुक्कल - (स्त्री०) बड़ी पतंग
=
366
+
तुक्का - फ़ा० (पु० ) 1 शल्यरहित वाण, बिना फल का वाण 2 बेकार उपाय
तुख - (पु० ) 1 छिलका 2 अंडे के ऊपर का छिलका 3 भूसी तुख्म - फ़ा० (पु० ) 1 बीज 2 वीर्य
तुग़यानी - अ० (स्त्री०) बाढ़, सैलाब तुच्छ-सं० (वि०) 1 निःसार,, सत्त्वरहित 2 महत्त्वहीन 3 घटिया, क्षुद्र 4 अल्प, थोड़ा। -ता (स्त्री०) 1 निःसारता 2 घटियापन, क्षुद्रता, हीनता 3 अल्पता, कमी; बुद्धि (वि०) हीन बुद्धिवाला
तुच्छार्थक-सं० (वि०) तुच्छता सूचक (शब्द) तुच्छीकृत - सं० (वि०) घटिया बनाया गया
तुच्छत्व-सं० (पु० ) = तुच्छता तुच्छातितुच्छ-सं० (वि०) अत्यंत तुच्छ, एकदम गया गुज़रा, घटिया से घटिया
तुजुक - तु० ( पु० ) 1 शोभा, शान-शौकत 2 ऐश्वर्य, वैभव 3 विधान, व्यवस्था 4 अभिनंदन 5 प्रथा
तुझ - (सर्व०) 'तू' का वह रूप जो उसे कर्ता एवं संबंध कारक के अतिरिक्त अन्य कारकों में प्रयुक्त होने के पहले प्राप्त होता है (जैसे- तुझको, तुझसे)
तुझे - ( सर्व०) 'तू' का कर्म एवं संप्रदान कारक का रूप (जैसे-तुझे भी मिलेगा )
तुड़वाना - (स० क्रि० ) 1 तोड़ने में प्रवृत्त करना, तुड़ाना (जैसे-गिट्टी तुड़वाना) 2 भुनाना (जैसे- दस रुपये की नोट तुड़वाना)
तुड़ाई - (स्त्री०) 1 तोड़ने की क्रिया 2 तोड़ने का पारिश्रमिक तुड़ाना - (स० क्रि०) 1 तुड़वाना 2 बंधन तोड़ना (जैसे- गाय रस्सा तुड़ाकर भाग गई ) 3 संबंध-विच्छेद करना, अलग करना 4 सिक्का भुनाना 5 मूल्य घटवाना
तुतला - (वि० ) = तोतला । पन (पु० ) तुतलाहट तुतलाना - (अ० क्रि०) 1 अस्पष्ट उच्चारण करना 2 अस्पष्ट एवं रुक-रुककर बोलना (जैसे - तुतलाना बंद करो )
तुतलाहट - (स्त्री०) तुतलाने की क्रिया तुत्थ, तुत्थांजन-सं० ( पु० ) तूतिया, नीला थोथा तुथपेस्ट - अं० (पु०) दंत मंजन
तुदन - सं० ( पु० ) 1 पीड़न 2 कष्ट, पीड़ा 3 भेदन, चुभाना तुन-I (पु०) तुन-तुन शब्द II ( पु० ) तूती नामक वृक्ष तुनक - फ़ा० (वि०) 1 दुर्बल, कमज़ोर 2 नाजुक, कोमल 3 हल्का, सूक्ष्म । ~ दिल (वि०) जिसका हृदय कोमल हो; ~ मिज़ाज + अ० (वि०) जो बात-बात पर नाराज़ हो जाए, चिड़चिड़ा; ~ मिज़ाजी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) चिड़चिड़ापन तुनकना - I फ़ा० + हिं ज़रा-ज़रा सी बात पर अप्रसन्न हो जाना II (वि०) तुनक मिज़ाज III उँगली से डोर को झटका देना
तुनकी-फ़ा० (स्त्री०) तुनक होने की क्रिया तुनुक - फ़ा० (वि०) / (स्त्री०) = तुनक तुपक- तु० (स्त्री०) तुग तुपकिया - फ़ा० + हिं०
(पु० ) तोपची
तुफंग - फ़ा० (स्त्री०) 1 एक प्रकार की लंबी नली जिसके द्वारा फूँक के ज़ोर से कंकड़ी आदि छोड़े जाते हैं 2 हवाई बंदूक तुफ़ - फ़ा० ( पु० ) 1 थूक 2 धिक्कार, लानत तुफ़ैल - अ० ( पु० ) 1 ज़रिया, साधन, वसीला 2 कृपा तुम - (सर्व०) संबोधित व्यक्ति के लिए प्रयोग किया जानेवाला शब्द (जैसे- तुम भी साथ चल सकते हो) तुमड़ी - (स्त्री०) बड़ी तुम-तड़ाक - (स्त्री०) तड़क-भड़क तुमरा - (सर्व०) तुम्हारा
तुरग
=
तुमरु - (पु० ) = तुंबरु
तुमुल - I सं० (पु० ) 1 कोलाहल, हो-होला, हलचल 2 रणभेरी 3 भीषण युद्ध, भिड़ंत II (वि०) घोर प्रचंड
तुम्हारा - ( पु० ) (सर्व०) 'तुम' का संबंध कारक का रूप (जैसे- तुम्हारा घर कहाँ है)
तुम्हें- (सर्व०) 'तुम' का कर्म और संप्रदान कारक रूप (जैसे- तुम्हें मिठाई दूँगा )
तुरंग, तुरंगम - सं० (पु० ) घोड़ा। ~ ब्रह्मचर्य (पु० ) ऐसा ब्रह्मचर्य जो स्त्री के न मिलने तक हो
तुरंगी - I सं० ( पु० ) घुड़सवार II (स्त्री०) घोड़ी तुरंज - फ़ा० ( पु० ) 1 चकोतरा नींबू 2 बिजौरा नींबू तुरंत - ( क्रि० वि०) 1 ठीक इसी समय 2 जल्दी से जल्दी | बुद्धि + सं० (वि०) तत्काल समझ लेनेवाला तुरंता - (पु० ) गाँजा
तुर - (पु० ) वह लकड़ी जिस पर जुलाहा कपड़ा लपेटता जाता है तुरई - I ( स्त्री०) तोरी नामक बेल जिसके लंबे फलों की तरकारी बनाई जाती है, तोरी। का फूल-सा अत्यंत कोमल व हल्का
तुरई - II ( स्त्री०) तुरही
तुरक - फ़ा० (पु०) तुर्क
+
तुरकाना - फ़ा० (वि०) तुर्कों का सा तुरकिन- फा०
हिं० (स्त्री०) तुर्किन
तुरकी - I फ़ा० (वि०) तुर्क देश का II (पु०) तुर्की III (स्त्री०) तुर्क की भाषा तुरग-सं० ( पु० ) घोड़ा
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तुल्य
तुरगुला
367 तुरगुला-(पु०) झुमका 2 लटकन, लोलक
तुशरू-फा० (वि०) तीखे स्वभाववाला, कटुभाषी तुरत-(क्रि० वि०) तुरंत । फुरत (अ०) तत्काल, चटपट तुर्शाई-फा० + हिं० (स्त्री०) = तुर्शी तुरतुरा-(वि०) 1 वेगवान् तेज़ 2 जल्दबाज़ 3 जल्दी-जल्दी तुर्शाना-I फ़ा० + हिं० (अ० क्रि०) खट्टा हो जाना II (स० बोलनेवाला
क्रि०) खट्टा करना तुरपई-(स्त्री०) 1 एक प्रकार की सिलाई, तुरपन
तुर्शी-फा० (स्त्री०) 1 अम्लता, खट्टापन 2 खटाई तुरपन-(स्त्री०) 1 तुरपने की क्रिया 2 सीयन
3 तीखापन तुरपना-(स० क्रि०) 1 कच्चे टाँके लगाना 2 सीना (जैसे-फ्राक तुलन-सं० (पु०) 1 तौलना 2 तौल। -पत्र (पु०) पक्का तुरपना)
चिट्ठा, बैलेंस शीट तुरपवाना-(स० क्रि०) तुरपन की सिलाई कराना तुलना-I (अ० क्रि०) 1 तौला जाना, मापित होना 2 तौल में तुरपाना-(स० क्रि०) तुरपने का काम करवाना
समान होना 3 सधकर स्थित होना (जैसे-तुलकर बैठना) तुरम-(पु०) तुरही
4 सधना 5 सन्नद्ध या उतारू होना तुरमती-(स्त्री०) शिकारी चिड़िया
तुलना-II (स्त्री०) 1 समता, सादृश्य, बराबरी 2 मिलान तुरमनी-(स्त्री०) रेती
3 उपमा, उठाना; ~मूलक (वि०) = तुलनात्मक तुरही-(स्त्री०) फूंककर बजाया जानेवाला लंबा बाजा | तुलनात्मक-सं० (वि०) कई वस्तुओं के गुणों की समानता तुराई-(स्त्री०) 1 गुदगुदा बिछावन, गद्दा 2 ओढ़ने की हल्की | और असमानता दिखानेवाला (जैसे-तल
और असमानता दिखानेवाला (जैसे-तुलनात्मक अध्ययन) रजाई, दुलाई
तुलनावस्था-सं० (स्त्री०) विशेषण की तर, तम अवस्था तुरावान्-सं० (वि०) वेगवान्
तुलनीय-सं० (वि०) तुलना किए जाने योग्य तुरी-(स्त्री०) 1 घोड़ी 2 घोड़े की लगाम 3 तुरही
तुलबुली-(स्त्री०) जल्दबाज़ी तुरी-अ० (स्त्री०) 1 फूलों का गुच्छा 2 जुलाहों की कूँची तलवाई-(स्त्री०) 1 तौलाने की क्रिया 2 तौलाने का पारिश्रमिक 3 मोतियों, सूतों आदि का झब्बा
3 पहियों को आँगने का पारिश्रमिक तुरी-यंत्र-सं० (पु०) वह यंत्र जिसके द्वारा सूर्य की गति का पता तुलवाना-(स० क्रि०) 1 तौलने में प्रवृत्त करना औंगवाना, लगाया जाता है
तुलसी-(स्त्री०) तीक्ष्ण गंधवाला एक प्रसिद्ध पवित्र पौधा । तुरीय-वर्ण-I सं० (वि०) चतुर्थ वर्ण का II (पु०) शूद्र
दल + सं० (पु०) तुलसी के पौधे का पत्ता, तुलसी पत्र; तुरीयावस्था-सं० (स्त्री०) चौथी अवस्था, ब्रह्मलीनता
दाना + फा० (पु०) एक तरह का आभूषण; ~पत्र + तुरुप-1 अ० (पु०) ताश के खेल में वह पत्ता जो अन्य पत्तों से
सं० (पु०) तुलसी दल, ~वन + सं० (पु०) तुलसी के बड़ा मान लिया जाता है, ट्रंप II (पु०) सेना का दस्ता | पौधों का समूह तरुष्क-सं० (पु०) 1 तुर्किस्तान का रहनेवाला, तुर्क 2 तुर्की तला-सं० (स्त्री०) 1 तराज, काँटा 2 समानता मिलान 3 भार देश 3 तुर्क देश का घोड़ा
का मान, तौल 4 तुला राशि। ~कूट (पु०) 1 तौल में की तुर्क-फ़ा० (पु०) 1 तुर्किस्तान का निवासी 2 मुसलमान गई कमी 2 कम तौलनेवाला; ~कोटि (स्त्री०) 1 तराजू की (जैसे-तुर्क नवयुवक) 3 सैनिक। ~मान (पु०) 1 तुर्क
डंडी के दोनों छोर 2 एक अरब संख्या; दंड (पु०) तराजू जाति का व्यक्ति 2 तुर्की घोड़ा; ~वंशज + सं० (पु०) तुर्क
की डंडी; ~दान (पु०) शरीर के वज़न के बराबर तौलकर वंश से उत्पन्न व्यक्ति
दिया जानेवाला दान; ~धार I (पु०) 1 वणिक 2 सौदागर तुर्कनी, तुर्किन-फा० + हिं० (स्त्री०) 1 तुर्क जाति की स्त्री
3 तराजू की तन्नी II (वि०) तराजू से तौलने का काम 2 मुसलमान स्त्री
करनेवाला व्यक्ति; ~पत्र (पु०) आय-व्यय का चिट्ठा, तुर्किनी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) 1 तुर्क जाति की औरत
तलपट; ~परीक्षा (स्त्री०) अभियुक्त के दोषी एवं निर्दोष 2 मुसलमान औरत
होने की परीक्षा; ~भार (पु०) तुलादान का द्रव्य; ~मान तुर्की-I फ़ा० (वि०) तुर्किस्तान का (जैसे-तुर्की घोड़ा)
(पु०) 1 तौलकर निकाला गया वज़न 2 तराजू की डंडी II (पु०) 1 तुर्किस्तान देश 2 तुर्किस्तान का घोड़ा ।
3 बाट, बटखरा; ~यंत्र (पु०) तराजू तुर्की-II फ़ा० (स्त्री०) 1 तुर्किस्तान की भाषा, तुकों की सी
तुलाई-I (स्त्री०) 1 तौलने की क्रिया 2 तौलने की मज़दूरी शान, शेख़ी
तुलाई-II (स्त्री०) पहियों को औंगाने की क्रिया तुर्त-फुर्त-(क्रि० वि०) झटपट, तुरंत
तुलाई-III (स्त्री०) हलकी रजाई, दुलाई तुर्फरी-सं० (पु०) अंकुश का अगला नुकीला सिरा
तुलाना-I (स० क्रि०) तुलवाना तुर्य-सं० (वि०) 1 चौथा 2 चौगुणा
तुलाना-II (स० क्रि०) औंगवाना तुर्या-सं० (स्त्री०) = तुरीयावस्था
तुलि-सं० (स्त्री०) 1 जुलाहों की कूँची 2 चित्रकारों की क़लम तुर्याश्रम-सं० (पु०) चतुर्थ आश्रम, संन्यास आश्रम तुलित-सं० (वि०) 1 तुला हुआ 2 समान, बराबर तुर्रा-[ अ० (पु०) 1 पगड़ी आदि में लगा फुदना, कलगी
तुली-सं० (स्त्री०) = तुलि 2 घंघराले बालों की लट, जुल्फ, काकली 3 कोड़ा, चाबुक | तुल्य-सं० (वि०) 1 बराबर, समान 2 अनुरूप, सदश। II (वि०) अनोखा, विलक्षण
कुल (वि०) समान कुल का; ~कालिक, ~कालिय तुरेबाज़-अ० + फ़ा० (पु०) झूठी शान दिखानेवाला
(वि०) समकालीन, समसामयिक; ~ता (स्त्री०) 1 समानता तुर्श-फा० (वि०) खट्टा
2 अनुरूपता; ~मान (वि०) जिससे तुलना की जा रही है।
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तुल्यांक
368
तृण
अन्न
~व्यंग्य (पु०) ऐसा व्यंग्य जिसमें वाच्यार्थ और व्यंग्यार्थ | तून-(पु०) 1 तुन का पेड़ 2 तूल नामक लाल रंग का कपड़ा समान हों
तूना-(अ० क्रि०) 1 बूंद-बूंद करके गिरना, टपकना 2 गिरना तुल्यांक-सं० (वि०) रसायन समसंयोजक.
3 गर्भपात होना तुवर-I सं० (वि०) 1कसैला 2 बिना दाढ़ी-मूंछ का | तूनी-(स्त्री०) पेडू में उठनेवाली पीड़ा II (पु०) 1 कषाय रस, कसैला स्वाद 2 अरहर
तूफ़ान-अ० (पु०) 1 ज़ोर की बाढ़, सैलाब 2 अत्यंत वेगमयी तुष-सं० (पु०) 1 अन्न कण के ऊपर का छिलका, भूसी 2 अंडे आँधी जिसमें वर्षा भी हो 3 भारी आपत्ति, कहर (जैसे-तूफ़ान के ऊपर का छिलका 3 बहेड़े का पेड़
खड़ा करना) 4 हंगामा 5 दंगा-फसाद। गाड़ी + हिं० तुषार-I सं० (पु०) 1 हवा में मिली हुई भाप जो जमकर श्वेत (स्त्री०) बहुत तेज़.चलनेवाली गाड़ी; ~ग्रस्त, पीड़ित + कणों के रूप में दिखाई देते हैं, पाला 2 बर्फ़, हिम II (वि०) सं० (वि०) आपदा में फँसा हुआ, मुसीबत का मारा हुआ। बर्फ़ की तरह ठंडा। ऋतु (स्त्री०) शरद ऋतु: गिरी, ~खड़ा करना उपद्रव मचाना; ~बाँधना झूठा कलंक
पर्वत (पु०) हिमालय पहाड़; ~पाषाण (पु०) ओला; लगाना रेखा (स्त्री०) सीमा-रेखा जिसके ऊपर सदा बर्फ जमी तूफ़ानी-अ० (वि०) 1 तूफ़ान का 2 तूफान जैसा प्रचंड रहती है; ~शैल (पु०) हिमालय
3 उपद्रवी 4 फ़सादी तुषारापात-सं० (पु०) पाला गिरना (जैसे-आशाओं पर तूमड़ी-(स्त्री०) 1 तूंबी 2 लँबी से बनाया गया एक बाजा तुषारापात होना)
(जैसे-सपेरे की तूमड़ी) तुषारावृत्त-सं० (वि०) पाले से घिरा हुआ।
तूम-तड़ाक-(स्त्री०) 1 तड़क-भड़क 2 ठसक 3 आडंबर तुषोदक-सं० (पु०) छिलके समेत कुटे हुए जौ का पानी तूमना-(स० क्रि०) 1 रेशे नोच-नोच कर अलग करना 2 भद्दी तुष्ट-सं० (वि०) 1 तृप्त, संतुष्ट 2 प्रसन्न, खुश
गालियाँ देना 3 टुकड़े-टुकड़े करना 4 धज्जियाँ उड़ाना, दुर्दशा तुष्टि-सं० (स्त्री०) 1 संतोष, प्रसन्नता 2 तुष्ट होने की अवस्था करना 4 मसलना 5 सारा रहस्य खोलना तुष्टिकरण-सं० (पु०) 1 प्रसन्न रखना 2 संतुष्ट रखना तूमार-अ० (पु०) 1 बात का बतंगड़ 2 व्यर्थ का विस्तार तुस-(पु०) तुसी (स्त्री०) = तुष
(जैसे-तूमार बाँधना) तुहमत-अ० (स्त्री०) तोहमत
तूर-I सं० (पु०) 1 नगाड़ा 2 तुरही तुहिन सं० (पु०) 1 तुषार, पाला 2 बर्फ़, हिम; -गिरि | तूर-II (स्त्री०) 1 अरहर का पौधा और उसका बीज 2 अनाज,
(पु०) हिमालय तूं-बो० (सर्व०) = तू
तूरा-(पु०) तुरही तूंगी-बो० (स्त्री०) 1 पृथ्वी, भूमि 2 नौका, नाव तूरान-फा० (पु०) मध्य एशिया जहाँ मंगोल, तुर्क, तातरी आदि तूंबड़ा-(पु.) = तूंबा
जातियाँ रहती हैं तूंबा-(पु०) 1 कडुआ गोल कद्दू, तितलौकी : कद्द को | तूर्ण-सं० (वि०) वेगवान्
खोखला कर बनाया गया पात्र। ~फेरी (स्त्री०) इधर-उधर | तूर्य-सं० (पु०) 1 मृदंग 2 तुरही। ~घोष (पु०) मृदंग की करना, चोरों, उचक्कों का लक्षण
आवाज़ तूंबी-(स्त्री०) 1 छोटा तूंबा 2 तूंबे का बना छोटा पात्र तूल-I अ० (पु०) लंबाई। ~कलाम (पु०) लंबी चौड़ी तू-I (सर्व०) 1 संबोधित किए जानेवाले व्यक्ति के लिए प्रयोग बात; तवील (पु०) लंबा चौड़ा। -खींचना किया जानेवाला सर्वनाम 2 'तुम' का एकवचन रूप II (पु०) आवश्यकता से बहुत अधिक बढ़ जाना; देना व्यर्थ का कुत्तों आदि को बुलाने का शब्द। -तू मैं मैं करना बढ़ाना कहा-सुनी करना, गाली-गलौज़ करना
तूल-II (पु०) 1 सूती वस्त्र, सूती कपड़ा 2 रूई तूण-सं० (पु०) तीर रखने का चोंगा, तरकश
तूल-अ० (पु०) 1 लबाई 2 विलंब तूणक-सं० (पु०) एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में 25 वर्ण तूलना-(स० क्रि०) आँगना, तेल डालना (जैसे-गाड़ी का होते हैं
पहिया तूलना) तुणीर-सं० (पु०) तरकश, निषंग, भाथा
तूलम-तूल- (अ) 1लंबाई के बल 2 आमने-सामने तूत-(पु०) 1 एक पेड़ जिसके पत्ते पान की तरह अनीदार होते हैं। तूलि, तूलिका-सं० (स्त्री०) फॅची (जैसे-तूलिका से चित्रित 2 उक्त पेड़ की मीठी फलियाँ, शहतूत
करना) तू-तड़ाक-(स्त्री०) 1 तड़क-भड़क 2 हल्ला-गुल्ला तूवर, तूवरक-सं० (पु०) बिना सींग का बैल, डूंडा ततिया-(पु०) गंधक के अम्ल के योग से बना ताँबे का क्षार, | तूष्णी-सं० (स्त्री०) मौन नीला थोथा
तूष्णीक-सं० (वि०) मौनावलंबी . . तती-फा० (स्त्री०) 1 बाँसुरी जैसा एक बाजा 2 छोटी जाति का तूस-I (पु०) = तुष तोता 3 मधुर बोल बोलनेवाली एक चिड़िया 4 टोंटीदारतूस-II (पु०) 1बढ़िया और मुलायम ऊन, पशम 2 उक्त ऊन घरिया। -बोलना धाक जमना
का जमाया हुआ उम्दा कंबल 3 पशमीना तू-तुकार-हिं० + सं० (पु०) = तू-तड़ाक
तूसदान- + फ्रा० (पु०) कारतूस सदा-फा० (पु०) 1 ढेर, राशि 2 हदबंदी का निशान 3 वह तृण-सं० (पु०) 1 तिनका 2 घास 3 खर-पात, खर-पतवार टीला जिस पर से तीरंदाज़ निशाना लगाते हैं। | . (जैसे-तृण अलग करना)। कांड (पु०) तृण समूह;
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तृणकीय
369
तेजोजल
कूट (पु०) घास का ढेर; ग्रंथी (स्त्री०) स्वर्ण जीवंती; | तेंदुआ, तेंदुवा-(पु०) चीते की जाति का एक हिंसक पशु ~ग्राही (पु०) 1 नीलम 2 कहरुवा चर I (वि०) घास तेंदू-(पु०) 1 एक पेड़ जिसका हीर आबनूस के नाम से बिकता चरनेवाला II (पु०) पशु; द्रुम (पु.) 1 ताड़ का पेड़ ___है 2 आबनूस का फल जो नींबू की तरह होता है 2 सुपारी का पेड़ 3 खजूर का पेड़ 4 नारियल का पेड़; निंब तेईस-I (वि०) बीस से तीन ज्यादा II (३०) 23 की संख्या (पु.) चिरायता; ~पात (पु०) घास और पत्ता; पूर्ण तेग़-फा० (स्त्री) 1 तलवार, असि 2 कृपाण, खड्ग; (वि०) तृणमय, --पूली (स्त्री०) घास-फूस की चटाई, बाज़ (वि०) तलवार चलानेवाला नरकट की चटाई: ~प्राय (वि०) तिनके के समान, तुच्छ; | तेग़ा-फ़ा० (पु०) खाँडा, छुरा
~भक्षक, ~भक्षी (वि०) घास-भूसा खानेवाला; ~भूमि | तेज़-(पु०) 1 चमक 2 प्रताप 3 पराक्रम, बल 4 गर्मी 5 तीव्रता (स्त्री०) घास क्षेत्र; ~मणि (स्त्री०) कहरुवा, कपूरमणि; । 6 तत्व, सार; ~धारी (वि०) --पुंज + सं० (वि०)
शय्या (स्त्री) 1 घास का बिछौना 2 चटाई, सारा तेज़-फ़ा० (वि०) 1 उग्र, प्रबल. प्रचंड (जैसे-तेज़ धूप) (स्त्री०) केला, कदली: स्कंद, (वि०) हर्म्य (पु०) 2 वेगवान् द्रुतगामी (जैसे-तेज़ घोड़ा, तेज़ हवा) 3 चोखी, पैनी तिनकों की कुटिया; गहन., पकड़ना 1 शरण में आना धारवाला (जैसे-तेज़ चाकू) तीखा, चरपरा (जैसे-तेज़ 2 दैन्य प्रकट करना; गहाना, पकड़ाना 1 दया की खटाई) 5 योग्यता एवं सामर्थ्यवाला (जैसे-तेज़ विद्यार्थी) भीख मँगवाना 2 वशीभूत करना; टूटना न्योछावर कर देना; 6 यथेष्ट प्रभाव उत्पन्न करनेवाला (जैस-तेज़ दवा) -तोड़ना । नाता तोड़ना 2 बलैया लेना 3 अपने को न्योछावर 7 बढ़-चढकर बोलनेवाला (जैसे-तेज़ औरत) 8 जिसमें करना
चंचलता एवं चपलता की अधिकता हो 9 जिसका भाव बढ़ तृणकीय-सं० (वि०) तृणमय
गया हो। -ज़बान (वि०) 1 तीखी बोली बोलनेवाला तृणत्व-सं० (पु०) तृण होने की अवस्था
2 वाचाल, ~तराक + हिं, तर्रार + हिं० (वि०) तृणमय-सं० (वि०) घास-फूस का बना हुआ (जैसे-तृणमय 1 चालाक 2 शोखः दस्त (वि०) फूर्ती से काम करनेवाला; कुटी)
दस्ती (स्त्री०) फुर्ती से काम करना; निगाह (वि०) तृणवत्-स० (वि०) जिसका महत्व तृण के समान कुछ भी न पैनी दृष्टिवाला; मिज़ाज . अ० (वि०) गुस्सेवाला हो, तुच्छ, नगण्य
रफ़्तार (वि०) शीघ्रगामी. तणावर्त-सं० (पू०) 1 तिनकों का बवंडर 2 कृष्ण को मारने के तेजडिया, तेजड़ी-(पु०) 1 सट्टेबाज़ 2 व्यापारी लिए कंस द्वारा भेजा गया एक दैत्य ।
तेजन-सं० (वि०) तेज़ उत्पन्न करनेवाला तृणोत्तम-सं० (पु०) ऊखल तृण, उखर्वल
तेजपत्ता-(पु०), तेजपत्र - सं० (पु०). तेजपात (पु०) तणोल्का-सं० (स्त्री०) घास-फूस की बनी मशाल
सब्जी मसाले का पना । तृतीय-सं० (वि०) तीसरा
तेजमान्- (वि०) - तेजवान् तृतीयक-सं० (पु०) तीसरे दिन आनेवाला ज्वर
तेजवंत, तेजवान्-हिं० । सं० (वि.) 1 तेज से युक्त, तेजस्वी तृतीयतः-सं० (क्रि० वि०) तीसरे दर्जे पर
2 वीर्यवान् 3 बलवान्, शक्तिशाली 4 कांतिमान, चमकीला तृतीयांश-सं० (पु०) तिहाई
तेजस्कर-सं० (वि०) तेज को बढ़ानेवाला। ततीया-[सं० (स्त्री०) पक्ष की तीसरी तिथि, तीज II (वि०) तेजस्क्रिय-सं० (वि०) जिसमें से तेज निकलता हो एवं अन्य तीसरी। ~वृत्ति (स्त्री०)
| को प्रभावित करता हो, विद्युत शक्ति से प्रभावित करनेवाला। तृतीयाश्रम-सं० (पु०) तीसरा आश्रम, वानप्रस्थ आश्रम ता (स्त्री०) विद्युत शक्ति जो विशेष अवस्थाओं में रश्मि तृप्त-सं० (वि०) 1 अघाया हुआ 2 संतुष्ट हो चुका हो 3 प्रसन्न | रूप में बाहर निकलकर दूसरे पदार्थों पर प्रभाव डालती है, तृप्ति-सं० (स्त्री०) 1 आवश्यकता पूरी होने पर मिलनेवाली रेडियो एक्टिविटी मानसिक शांति 2 तृप्त होने का भाव। दायक (वि०) | तेजस्विता-सं० (स्त्री०) तेजस्वी होने का गुण, तेजवत्ता 1 शांति देनेवाला 2 तृप्ति प्रदान करनेवाला; ~लाभ (पु०) तेजस्विनी-I सं० (स्त्री) 1 तेज से युक्त स्त्री 2 मालकंगनी, तषा-सं० (स्त्री०) 1 प्यास 2 अभिलाषा, इच्छा 3 तृष्णा - महाज्योतिष्मती II (वि.) तेजवाली 4 लोभ, लालच
तेजस्वी-सं० (वि०) 1 तेजवाला 2 प्रतापी 3 शक्तिशाली तृषातुर, तृषालु-सं० (वि०) अत्यंत प्यासा, प्यास से विकल | 4 प्रभावशाली तषित-सं० (वि०) 1 प्यासा 2 विशेष कामना रखनेवाला | तेज़ाब-फा० (पु०) अम्ल. एसिड (जैसे-गंधक का तेज़ाब) 3 विकल
तेज़ाबियत-फ़ा० . अ. (स्त्री०) अम्लिकता तृष्णा-सं० (स्त्री०) 1 प्यास 2 विशेष कामना रखनेवाला तेज़ाबी-फा० (वि०) 1 अम्ल संबंधी. अम्ल का, अम्लीय, 3 विकल
अम्लिक 2 जिसमें तेज़ाब मिला हो तृष्णाल-सं० (स्त्री०) 1 प्यासा, तृषित 2 लोभी, लालची, | तेजिष्ठ-सं० (वि०) तेजस्वी 3 वासनायुक्त
तेज़ी-फा० (स्त्री०) 1 तेज़ होने की अवस्था 2 उग्रता, प्रचंडता तष्य-I सं० (पु०) 1 लालच 2 प्यास II (वि०) चाहने योग्य 3 तीव्रता, प्रबलता 4 शोघ्रता, जल्दबाज़ी (जैसे-तेज़ी से काम तेंतालिस-I (वि०) 1 चालीस से तीन अधिक II (पु०) | करो) 5 महंगी (जैसे-भाव में तेजी आ गई)। ~मंदी + हिं० 43 की संख्या
(स्त्री०) महंगी-सस्ती तेतीस-I (वि०)तीस से तीन अधिक II(पु०)33 की संख्या तेजोजल-सं० (पु०) आँख का शीशे के ताल जैसा भाग, लेंस
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तेजोन्मत्त
तेजोन्मत्त-सं० (वि०) तेज से पागल
तेजोबीज-सं० ( पु० ) मज्जा तेजोभंग - सं० (पु० ) अपमान, बेइज़्ज़ती तेजोभ्रष्ट-सं० (वि०) जिसका तेज नष्ट हो गया हो तेजोमंडल - सं० ( पु० ) आकाशीय पिंडों के चारों ओर का मंडल, छटा-मंडल, आभा-मंडल
तेजोमय - सं० (वि०) 1 तेज से परिपूर्ण 2 शक्ति से परिपूर्ण 3 तेजस्वी
=
तेजोमूर्ति - सं० ( पु० ) तेजस्वी पुरुष तेजोवान् -सं० (वि०) तेजवान् तेजोहत-सं० (वि०) जिसका तेज नष्ट हो चुका हो तेन - ( पु० ) गीत का आरंभिक स्वर
तेम-सं० (पु०) आर्द्रता, गीलापन
तेमरु - (पु० ) 1 तेंदू का पेड़, आबनूस 2 आबनूस की लकड़ी तेरज - (पु० ) 1 खतियौनी का गोशवारा 2 आय-व्यय का लेखा-जोखा
तेरस - (स्त्री०) पखवारे की तेरहवीं तिथि
तेरह - I (वि०) दस से तीन अधिक II (पु० ) 13 की संख्या । ~ बाइस करना टाल-मटोल करना, बहानेबाज़ी करना तेरहीं- (स्त्री०) हिंदुओं में किसी के मरने के दिन से तेरहवाँ दिन तेरा - (सर्व०) 'तू' का संबंध कारक का रूप (जैसे- तेरा मकान कहाँ है) । मेरा करना पार्थक्य के भाव से युक्त बातें
करना
तेलँडा - (पु० ) तेल रखने का बर्तन
तेल - ( पु० ) 1 वनस्पतियों आदि से निकलनेवाला स्निग्ध तरल पदार्थ 2 वर-वधू को विवाह के पूर्व हल्दी मिला हुआ तेल लगाने की रीति । उत्पादक + सं० (वि०) तेल उत्पन्न करनेवाला (जैसे- तेल उत्पादक क्षेत्र); उद्योग + सं० (पु० ) तेल का व्यापार; ~उद्योगपति + सं० तेल उद्योग का मालिक कंपनी + अं० (स्त्री०) तेल की संस्था; -कारखाना + फ़ा० (पु०) जहाँ तेल उद्योग चले; ~कुआँ (पु०), कूप + सं० (पु०) प्राकृतिक तेल के बहुत बड़े गड्ढे; क्षेत्र + सं० (पु०) वह क्षेत्र जहाँ तेल निकलता है; खान + सं० (स्त्री०) = तेल कूप;
=
चलित + सं० (वि०) तेल से चलनेवाली; ~चित्र + सं० (पु० ) तेल मिले रंगों से बना चित्र, आयल पेंटिंग; ~ डिपो + अं० (पु०) तेल भंडार; ~धारी + सं० (वि०) तेल धारण करनेवाला (जैसे-तेलधारी पौधा); पति + सं० (पु० ) तेल- उद्योगपति; फुलेल (पु० ) इत्र आदि; ~ भंडार (पु० ) तेल संग्रह मज़दूर + फ़ा० (पु०) तेल श्रमिक; मालिश + फ़ा० (स्त्री०) तेल मलना (जैसे-तेल मालिश करना); रिफ़ाइनरी + अं० (स्त्री०) तेल- शोधन - कारखाना; ~वाला (वि०) तेल का व्यापार करनेवाला; वाहक + सं० (वि०) तेल ले जानेवाला (जैसे- तेल वाहक जहाज़) ~शोधक + सं० (वि०) तेल साफ़ करनेवाला; ~ शोध-कारखाना + सं० + फ़ा० (पु० ) तेलशोधन कारखाना; ~शोधन + सं० (पु० ) तेल की सफ़ाई; ~शोधन उद्योग + सं० (पु०) तेल सफ़ाई का काम; ~शोधन कारखाना + सं० + फ़ा० (पु०) वह स्थान जहाँ तेल सफाई होती है; शोधनी + सं० (स्त्री०)
=
तेहा
+
तेल साफ़ करने का स्थान; स्त्रोत सं० (पु०) तेल उद्गम हँड़ा (पु० ) तेल रखने का मिट्टी का बड़ा बर्तन, -हँड़ी (स्त्री०) छोटा तेल हँड़ा; चढ़ना विवाह संबंधी तेल की रस्म पूरी होना; चढ़ाना तेल की रस्म पूरी करना; ~में हाथ डालना सत्यता के प्रमाण हेतु खौलते तेल में हाथ डालना; तिलों से ही निकलता है हर चीज़ का खर्च उसी में से निकाला जाता है; तेल देखो की धार देखो सोच-समझकर काम करो तेलगू - (पु०/स्त्री०/वि०)
तेलुगू
तेलवाई - (स्त्री०) 1 तेल लगाने की क्रिया 2 तेल लगवाने का पारिश्रमिक 3 विवाह की रस्म जिसमें कन्यापक्ष से जनवासे में वर के लगाने हेतु तेल एवं कुछ रुपये भेजते हैं तेलहन - (पु० ) कुछ वनस्पतियों के बीज जिनसे तेल प्राप्त होता है
370
=
तेलहा - (वि०) 1 जिसमें तेल हो 2 तेल से बना हुआ (जैसे-तेलही जलेबी) 3 जिसपर तेल गिरा हो (जैसे- तेलहा कपड़ा) 4 जिसमें तेल सी सुगंध हो 5 जो तेल सा चिकना हो तेला - ( पु० ) तीन दिन तक चलनेवाला उपवास तेलिन - ( स्त्री०) 1. तेली की स्त्री 2 तेली जाति की स्त्री तेलिया - I (वि०) 1 जो तेल-सा चमकीला और चिकना हो 2 जो तेल के रंग का जैसा हल्का काला हो II (पु०) तेल की तरह का काला चमकीला रंग। काकरेज़ी + 4570 (90) कालापन युक्त गहरा लाल रंग कुम्मैत + फ़ा०, सुरंग + सं० (पु० ) 1 घोड़े का कालिमा-मिश्रित लाल रंग 2 इस रंग का घोड़ा; पाखान (पु० ) एक प्रकार का काला चिकना पत्थर
तेली - (पु० ) 1 हिंदुओं की एक जाति जो तेल का व्यापार कर है 2 तेलहन पेरकर तेल निकालने एवं बेचनेवाला व्यक्ति । ~ का बैल रात-दिन परिश्रम करनेवाला व्यक्ति, कठोर परिश्रम करनेवाला
तेलुगू - (स्त्री०) तैलंग देश की भाषा तेलौंची- (स्त्री०) तेल रखने की प्याली तेवट - (स्त्री० ) [ संगीत ] 14 लघु मात्राओं का एक ताल तेवर - (पु० ) 1 क्रोध सूचक भ्रू-भंग, क्रोधपूर्ण दृष्टि (जैसे-तेवर चढ़ना) 2 भौंह, भृकुटी (जैसे-तेवर चढ़ाकर देखना) । - चढ़ना क्रोध के मारे भौंहों का तन जाना; ~बदलना क्रुद्ध होना
तेवरसी - (स्त्री०) 1 ककड़ी 2 खीरा 3 फूट तेवराना - बो० (अ० क्रि०) 1 तेवर का ऊपर खिंचना 2 बेसुध होना
त्योरी
तेवरी - (स्त्री०) तेवहार - (पु० )
त्योहार तेहर - ( स्त्री०) तीन लड़ोंवाली करधनी
तेहरा - (वि०) 1 तीन परतों में लपेटा हुआ 2 जिसमें तीन परतें हों 3 जिसे तीसरी बार करना पड़े (जैसे- तेहरा काम, तेहरी मेहनत ) 4 जो एक साथ तीन हो 5 तिगुना तेहराना - (स० क्रि०) 1 तीन परतों में करना 2 फिर से तीसरी बार करना 3 तीसरी बार पढ़ना (जैसे- कविता पाठ को तेहराना)
तेहा - (पु० ) 1 स्वाभिमान 2 ऐंठ ताव 3 क्रोध घमंड, शेखी
=
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तेही
+
तेही - (पु० ) 1 स्वाभिमानी 2 क्रोधी 3 घमंडी तेहेदार, तेहेबाज़- हिं० फ़ा० (पु० ) तेही तैंतालिस - I (वि०) चालीस से तीन ज़्यादा II (पु० ) 43 की संख्या
तैंतीस - I (वि०) तीस से तीन ज़्यादा II ( पु० ) 33 की संख्या -1370 (fao) = तय। तमाम ( क्रि० वि०) पूरे तौर पर
371
तय
तै- II बो० (अ०) उस मात्रा का, उस मान का
तैवत्य सं० (पु०) तीतापन, चरपराहट तैक्ष्ण्य-सं० (पु० ) तीक्ष्णता
तैजस - I सं० (वि०) 1 तेज से युक्त 2 तेज से उत्पन्न 3 चमकीला 4 शक्तिशाली 5 उत्साही 6 साहसी II ( पु० )
पराक्रम
तैतिक्ष-सं० (वि०) सहनशील
तैथिक -सं० (पु० ) 15 मात्राओं के छंदों की संज्ञा तैनात - अ० (वि०) जो किसी कार्य हेतु नियत किया गया हो, मुर्करर (जैसे- पहरे पर बराबर तैनात रहना) तैनाती-अ० + फ्रा० (स्त्री०) नियुक्ति, मुकर्ररी तैयार - अ० (वि०) 1 जो बनकर बिल्कुल ठीक हो गया हो 2 जो पककर खाने योग्य हो गया हो (जैसे-भोजन तैयार हो गया) 3 पूर्णतः व्यवहार योग्य, बिल्कुल दुरुस्त 4 उद्यत, कटिबद्ध (जैसे-सेना युद्ध के लिए तैयार है) 5 मुस्तैद (जैसे- आपकी घड़ी तैयार है) 6 प्रस्तुत, मौजूद (जैसे- आपके साथ चलने को वह तैयार हो गया) 7 काम के योग्य बनाया हुआ (जैसे- आपका ग्रंथ छपकर तैयार है) तैयारी - अ० फ़ा० (स्त्री०) 1 तैयार होने की क्रिया 2 तत्परता, मुस्तैदी 3 आयोजन 4 शारीरिक पुष्टता 5 धूम-धाम सजावट 6 अभ्यास से प्राप्त कुशलता
+
तैरना - ( अ० क्रि०) 1 जीव का हाथ-पाँव आदि चलाते हुए पानी पर चलना, बढ़ना (जैसे- बतख का तैरना) 2 पानी के ऊपर-ऊपर फिरना 3 उतारना 4 पैरना (मनुष्य का नदी में तैरना ) 5 प्राणी आदि का सहज एवं सरल गति में इधर-उधर बढ़ना (जैसे-कीटाणुओं का हवा में तैरना, पतंग का हवा में तैरना ) तैराई - (स्त्री०) 1 तैरने की क्रिया 2 तैरने तैराने के बदले मिलनेवाला द्रव्य
तैराक - I (पु० ) तैरनेवाला व्यक्ति II (वि०) तैरने में कुशल
या दक्ष
तैराकी - (स्त्री०) तैरने की क्रिया
तैराना - (स० क्रि०) 1 तैरने का काम कराना 2 दूसरे को तैरने में प्रवृत्त करना
तैर्थक, तिर्थ-सं० (वि०) तीर्थ में होनेवाला
तैलंग-सं० (पु० ) 1 आधुनिक आंध्र प्रदेश का पुराना नाम 2 तैलंग देश का रहनेवाला
तैलंगी - I सं० + हिं० (वि०) तैलंग देश का II (पु०) तैलंग
देश का निवासी III (स्त्री०) तैलंग देश की भाषा, तेलगू तैल - I सं० (वि०) तिल संबंधी, तिल का II ( पु० ) 1 तिल को पेरकर निकाला गया तेल 2 कोई तेल। इंजन (पु० ) तेल से चलनेवाला यंत्र; ~ कार ( पु०) तेली; ~ कूप (पु० ) = तेल कूप; ~ किट्ट (पु० ) खली; ~क्षेत्र (पु० ) = तेल क्षेत्र; ~ चित्र (पु० ) = तेल चित्र; जनित
+ 370
तोड़ना
(वि०) तेल से उत्पन्न; पात्र; पोत (पु०) (पु०) तेल फुलेल;
द्रोणी (स्त्री०) तेल रखने का एक तेल ढोनेवाला जहाज़; फुलेल रंग (पु० ) तेल मिश्रित रंग, आयल कलर; वाहक (वि०) तेलवाहक; शोधनी = तेल शोधनी; ~ सम्राट (पु०) तेल का राजा (जैसे- अरब देश); ~स्फटिक (पु०) अंबर, तृणमणि तैलत्व-सं० (पु०) तेल का गुण तैलाक्त-सं० (वि०) तेल से सना हुआ तैलाभ्यंग-सं० (पु०) तेल की मालिश तैलाशय-सं० (पु०) तेल क्षेत्र तैलिक-सं० (वि०) तेल का तैली -सं० (पु०) तेली
तैश- अ० (पु०) आवेगपूर्ण क्रोध (जैसे-तैश में आना) । में आना अत्यंत क्रुद्ध होना
तैषी -सं० (स्त्री०) पूस की पूर्णिमा
तैसा - (वि०) उस जैसा, वैसा तैसे- ( क्रि० वि०) वैसे तो बो० (क्रि० वि०) त्यों
तोंद - (स्त्री०) बढ़ा हुआ पेट, फूला हुआ पेट तोंदल - (वि०) तोंदवाला
तोंदा - I (पु० ) वह रास्ता जहाँ से तालाब का पानी बाहर जाता है तोंदा - II बो० (पु० ) तोंदवाला तोंदी - (स्त्री०) ढोंढ़ी, नाभि
तोंदीला, तोंदूमल, तोंदिल - (वि०) तोंदल - तुंदाल, तो - I (अ०) एक अव्यय जिसका प्रयोग वाक्य में किसी संभावित बात पर जोर देने, विशिष्टता आदि सूचित करने के लिए किया जाता है (जैसे-तो मैं क्या करूँ, वे किसी तरह आवें तो सही) II (अ०) उस अवस्था में (जैसे-यदि वह जाएगा तो मैं भी जाऊँगा)
तो - III (सर्व०) 1 तेरा 2 ब्रज भाषा में 'तू' का वह रूप जो उसे विभक्ति लगने से प्राप्त होता है तोई - (स्त्री०) मग़ज़ी, गोट, पट्टी
तोटक-सं० (पु० ) एक छंद जिसके प्रत्येक चरण में चार सगण होते हैं तोटका-(पु०)
टोटका तोड़ - I ( पु० ) फुटकर, रेज़गारी
तोड़ - II (पु० ) 1 टूट फूट 2 नदी आदि के जल का ज़ोरदार बहाव 3 कुश्ती में एक दाँव के जवाब में किया गया दूसरा दाँव 4 अप्रभावी साधन 5 झोंक 6 दही का पानी। जोड़ (पु० ) 1 दाँव-पेंच 2 उपाय, युक्ति, ताड़, फोड़, मरोड़, ~ मोड़ (पु० ) जान बूझकर नष्ट-भ्रष्ट करने की क्रिया तोड़क - (वि०) तोड़नेवाला (जैसे- जातपाँत तोड़क, वायुयान
तोड़क)
तोड़न-सं० ( पु० ) 1 तोड़ना 2 भेदना 3 आघात करना तोड़ना - (स० क्रि०) 1 झटके से दो या दो से अधिक टुकड़े करना (जैसे- छड़ी तोड़ना) 2 अलग करना (जैसे- कुर्सी का पावा तोड़ना) 3 खंडित करना, बेकाम करना (जैसे- हाथ तोड़ना) 4 बल प्रभाव आदि नष्ट करना (जैसे- घमंड तोड़ना गुस्सा तोड़ना) 5 फुसलाना, फोड़ना (जैसे- संगी-साथी को तोड़ना) 6 कारोबार बंद कर देना (जैसे- विद्यालय तोड़ना,
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तोड़वाना
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तोष
फ़ैक्टरी तोड़ना) 7 नियम आदि रद्द करना (जैसे-प्रतिज्ञा बाँधा जानेवाला थैला। -चढ़ाना, ~लगाना बलपूर्वक तोड़ना) 8 आज्ञा का उल्लंघन करना (जैसे-कानून तोड़ना) बोलने से रोकना १नाता-रिश्ता न निभाना 10 दूर करना। -मरोड़ना (स० तोबा-अ० (स्त्री०) 1 घृणित एवं निंद्य कर्म पुनः न करने की क्रि०) पूर्णतः नष्ट करना
प्रतिज्ञा 2 अफसोस, पछतावा (जैसे-तोबा करना)। तोबा तोड़वाना-(स० क्रि०) 1 तोड़ने का कार्य कराना 2 तोड़ने में (अ०) हाय अफ़सोस; तिल्ला करना, तिल्ला प्रवृत्त करना 3 तोड़ने देना
मचाना 1 चीखना, चिल्लाना 2 क्षति होने पर हाय-हाय करना; तोड़ा-I (पु०) 1 तोड़ने की क्रिया, टूट 2 टूटा हुआ अंश, खंड, तोड़ना 1 अपनी बात पर कायम न रहना 2 तोबा किए हुए
टुकड़ा (जैसे-मिस्त्री का तोड़ा) 3 घाटा, टोटा 4 हरिस कार्य को पुनः करना, बुलवाना किसी को इतना तंग करना तोड़ा-II (पु०) 1 रुपये रखने की थैली जिसमें एक हज़ार रुपये | कि वह पनाह माँगने लगे
अट सकें (जैसे-तोड़े उलटना) 2 अभिमान, घमंड तोम-(पु०) समूह, राशि तोड़ा-III (पु०) 1 पैर या कलाई में पहनने का एक गहना तोमर-सं० (पु०) 1 भाले की तरह का एक प्रसिद्ध अस्त्र
2 चाँदी आदि की लच्छेदार और चौड़ी जंजीर 3 पलीता | 2 बारह मात्राओं का एक छंद जिसके अंत में एक गुरु और एक तोड़ाई-(स्त्री०) = तुड़वाई, तुड़ाई
| लघु होता है 3 राजपूतों की एक जाति तोड़ाना-(स० क्रि०) 1 तोड़ने का काम कराना 2 बंधन से | तोय-सं० (पु०) जल. पानी। -कृच्छ (पु०) केवल जल
अपने आपको मुक्त करना (जैसे-रस्सी तोड़ाना) 3 भुनाना पीकर रहने का व्रत; - मल (पु०) समुद्र का फेन; - यंत्र (जैसे-दस का नोट तोड़ाना)
(पु०) । जल-घड़ी 2 फुहारा; राज (पु०) सागर; तोड़ेदार-हिं + फ़ा० (वि.) फलीते से चलनेवाली राशि (पु०) 1 बड़ा तालाब 2 झील 3 समुद्र, (बंदूक)
सागर तोत-बो० (पु०) राशि, समूह
तोयद-सं० (पु०) बादल तोतई-I (वि०) तोते के रंग का II (पु०) तोते सा रंग | तोयदागम-सं० (पु०) बरसात तोतरा, तोतला-(वि०) = तुतला। पन (पु०) = | तोयालिक-सं० (वि०) 1 जल से संबंध रखनेवाला 2 जल तुतलाहट
_शक्ति से चलनेवाला तोतलाना-(अ० क्रि०) - तुतलाना
तोयालिकी-सं० (स्त्री०) जलाशयों से संबंधित विद्या तोता-(पु०) 1 लाल चोंचवाला हरे रंग का एक प्रसिद्ध पालतू | तोयालेख-सं० (पु०) जलाशयों के बारे में लेखा-जोखा पक्षी, कीर, शुक 2 बंदूक का घोड़ा। चश्म + फ़ा० तोयाशय-सं० (पु०) । सरोवर 2 सागर (वि०) 1 तोते की तरह आँखें फेर लेनेवाला, बेवफा, बे तोयेश-सं० (पु०) वरुण मुरौवत 2 जिसमें लज्जा एवं संकोच का पूर्ण अभाव हो; तोरई-(स्त्री०) = तुरई --चश्मी + फ़ा० (स्त्री०) 1 तोता चश्म होने का भाव तोरण-सं० (पु०) 1 मंडपाकार सजावटी फाटक, बहिवार 2 बेवफाई, बे मुरौवती 3 निर्लज्जता; ~पंखी (वि०) कुछ 2 बहिर को सजाने के लिए लगाई जानेवाली पताकाएँ, हरा पीला; रटंत, रटन (स्त्री०) बिना समझे रटते रहना मालाएँ आदि, बंदनवार 3 मेहराब तोती-(स्त्री०) 1 तोते की मादा 2 रखेली स्त्री
तोरा-(पु०) 1 स्वागत-सत्कार के लिए रखा मिठाइयों का थाल तोदन-सं० (पु०) 1 पशुओं को हाँकने का डंडा 2 पीड़ा, व्यथा 2 वर पक्ष को विवाह के अवसर पर भेजा जानेवाला मिठाई तोदरी-फ़ा० (स्त्री०) 1 फ़ारस देश में होनेवाला एक पेड़ और भरा थाल उसका फल 2 खतीम का बीज
तोरिया-I (स्त्री०) गोटा-किनारी बुननेवालों का छोटा बेलन तोप-तु० (स्त्री०) युद्ध में गोलाबारी करने का एक प्रसिद्ध यंत्र II (स्त्री०) वह गाय, भैंस जिसका बच्चा मर गया हो तथा
(जैसे-तोप में आग लगाना, आग फेंकने की तोप)। कला दूध दूहने के लिए कोई युक्ति करनी पड़े। + सं० (स्त्री०) - तोप विद्या; खाना + फा० (पु०) तोल-I सं० (पु०) बारह माशे की तौल, तोला 1 तोप एवं उसके आवश्यक उपकरण रखने का स्थान तोल-II (स्त्री०) = तौल II ( तोपखाने का गोदाम ) 2 युद्ध के लिए सुसज्जित तोपों का तोल-III बो० (वि०) तुल्य, समान (पु०) नाव का डाँडा समूह; ~गाड़ी + हिं० (स्त्री०) वह गाड़ी जिसपर रखकर | तोल-जोख-(स्त्री०) तौलना-नापना, नाप-तौल तोप को कहीं ले जाते हैं ~ची (पु०) तोप चलानेवाला, तोलन-I सं० (पु०) 1 तौलना 2 ऊपर उठाना II (स्त्री०) गोलंदाज़; तलवार + हिं० (स्त्री०) तोप और तलवार, | चाँड़, थूनी हथियार; विद्या + सं० (स्त्री०) तोप निर्माण एवं प्रबंध | तोलना-(स० क्रि०) = तौलना
आदि का काम; ~सैनिक + सं० (पु०) = तोपची तोला-(पु०) 1 बारह माशे की या दस ग्राम से कुछ अधिक की तोपना-(स० क्रि०) 1 ढाँकना 2 छिपाना
___एक तौल 2 इस तौल का बाट तोपा-(पु०) सिलाई में का कोई टाँका। ~भरना सीधी | तोल्य-सं० (वि०) तौले जाने योग्य सिलाई करना
तोशक-फ़ा० (स्त्री०) हल्का गद्दा। खाना (पु०) 1 अमीरों तोफा-I अ० (वि०) बहुत बढ़िया, अति उत्तम II (पु०) = के वस्त्र, ज़ेवर आदि रखने का स्थान 2 खाने-पीने का सामान तोहफ़ा
रखने की जगह, भंडार गृहः तोबड़ा-फ़ा० (पु०) घोड़े को दाना खिलाने हेतु उसके मुँह पर | तोष-सं० (पु०) 1 तृप्ति, तुष्टि, अघाना 2 प्रसन्नता, प्रसाद
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तोषक 373
त्यों 3 मन में होनेवाली तृप्ति। -धन (पु०) दे० तोषणिक; | तौल-II (स्त्री०) 1 तौलने की क्रिया 2 माप, जोख वज़न, पत्र (पु०) बख्शिशनामा
परिमाण 3 तौलने की नियत प्रणाली (जैसे-पक्की तौल, कच्ची तोषक-सं० (वि०) संतोष देनेवाला, संतुष्ट करनेवाला तौल) 4 कल्पना, थाह (जैसे-पहले इन्हें तौल कर देख लेना) तोषण-सं० (पु०) 1 तृप्त करना 2 संतोष
तौलना-(स० क्रि०) 1 जोखना (जैसे-गल्ला तौलना) तोषणिक-सं० (पु०) तुष्ट करने के लिए दिया जानेवाला धन 2 साधना (जैसे-हाथ में लेकर तौलना) 3 परखना तोषल-सं० (पु०) 1 मूसल 2 कृष्ण द्वारा धनुर्यज्ञ में मारा गया (जैसे-किसी को तौलकर देखना) 4 अनुमान लगाना कंस का एक असुर मल्ल
तौलनिक-सं० (वि०) - तुलनात्मक तोषित-सं० (वि०) 1तुष्ट, तृप्त 2 प्रसादित
तौलवाई-(स्त्री०) = तौलाई तोस-अं० (पु०) डबल रोटी का सेंका हुआ टुकड़ा, टोस्ट | तौलवाना-(स० क्रि०) तौलने का काम कराना तोसदान-फा० + फ़ा० (पु०) - तूसदान
तौला-I (पु०) 1 तौलने का काम करनेवाला व्यक्ति 2 मटका तोसा-फा० (पु०) = तोशा। ~खाना (पु०) - तोशाख़ाना तौला-II (पु०) महए की शराब तोहफ़गी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 भलाई 2 अच्छाई, खुबी तौलाई-(स्त्री०) 1 तौलने की क्रिया 2 तौलने का पारिश्रमिक। तोहफ़ा-[ अ० (पुल) 1 अद्भुत और सुंदर पदार्थ, बढ़िया एवं मशीन अं० (स्त्री०) तौलने का यंत्र विलक्षण वस्तु 2 भेंट, उपहार 3 सौगात II (वि०) अच्छा, तौलाना-(स० क्रि०) तौलने का काम कराना
तौलिया-अं० + हिं० (पु०) मोटा अँगोछा तोहमत-अ० (स्त्री०) झूठा आरोप। तराशी + फ़ा० तौली-(स्त्री०) 1 मिट्टी की प्याली 2 मिट्टी का घड़ा (स्त्री०) आरोप गढ़ना
तौलैया-बो० (पु०) गल्ला तौलनेवाला, बया तोहमती-अ० + हिं० (वि०) झूठा दोषारोपण करनेवाला, तौल्य-सं० (पु०) 1 वज़न, तौल 2 समानता, सादृश्य लांछन लगानेवाला
तौषार-सं० (पु०) पाले का पानी तोहरा, तोहार- (सर्व०) बो० :- तुम्हारा
तोसना-(अ० क्रि०) = तौंसना तॉकना-(अ० क्रि०) = तौंसना
तौहीद-अ० (स्त्री०) एकेश्वरवाद। ~परस्त + फ़ा० (पु०) तौंस-बो० (स्त्री) 1 धूप, अत्यधिक गर्मी से लगी प्यास एकेश्वरवाद को माननेवाला 2 ताप, ऊमस
तौहीन-अ० (स्त्री०) बेइज्जती, अपमान तौंसना-1 (अ० क्रि०) झुलस जाना II (स० क्रि०) विकल त्यक्त-सं० (वि०) त्यागा हुआ, छोड़ा हुआ; ~लज (वि०) करना, संतप्त करना
निर्लज तोक्र-अ० (पु०) 1 हँसुली 2 लोहे का भारी घेरा जो कैदियों त्यक्तव्य-सं० (वि०) छोड़ने योग्य, त्यागने योग्य
आदि को गले में पहनाया जाता है 3 पक्षियों आदि के गले में त्यक्ता-सं० (वि०) 1 त्यागनेवाला, छोड़नेवाला 2 त्यागी हुई होनेवाला प्राकृतिक गोलाकार चिह्न . तौकीर-अ० (स्त्री०) आदर, सम्मान
त्यवतात्मा-सं० (वि०) हताश, निराश तैक्षिक-सं० (पु०) धनु राशि
त्यजन-सं० (पु.) त्याग, छोड़ना तौचा-(पु०) सिर पर पहनने का एक प्रकार का गहना त्यजनीय-सं० (वि०) त्याज्य तोजा-[अ० (पु०) 1 खेतिहरों को विवाह आदि में खर्च करने त्यज्यमान-सं० (वि०) जिसे त्यागा जा रहा हो के लिए पेशगी में दिया जानेवाला धन, बियाही 2 उधार दिया त्याग-सं० (पु०) 1 वस्तु पर से अपना स्वत्व हटा लेना, उत्सर्ग हआ धन II (वि० ) कुछ समय के लिए उधार लिया या दिया 2 नाता तोड़ देने की क्रिया 3 सांसारिक विषयों एवं व्यवहारों हुआ
आदि को छोड़ देने की क्रिया 4 स्वार्थ की उपेक्षा (जैसे-जन तौन-(स्त्री०) वह रस्सी जिसमें गौ दुहने के समय उसका बछवा कल्याण हेतु मैंने नौकरी त्याग दी) 5 उदारता पूर्वक दिया गया उसके अगले पैर से बाँध दिया जाता है
दान (जैसे-निर्धन हेतु वस्त्रों का त्याग करना)। पत्र (पु०) तौनी-I (स्त्री०) छोटा तवा, तवी, तई
इस्तीफ़ा, ~वान् (वि०) त्यागी, पूर्ण, शील (वि०) तौनी-II (वि०)/(स्त्री०) = तौन
उदार, त्यागी तौफ़ीक़-अ० (स्त्री०) 1 शक्ति, सामर्थ्य 2 हिम्मत, हौसला | त्यागना-सं० + हिं० (स० क्रि०) त्याग करना, छोड़ना, 3 दैवकृपा
तजना तौबा-अ० (स्त्री०) = तोबा
त्यागी-सं० (वि०) 1 जो सांसारिक सख-साधनों में लिप्त न हो तौर-अ० (पु०) 1 ढंग, तरीका 2 चाल-चलन, चाल-ढाल 2 जिसने स्वार्थ-भोग की इच्छाओं को छोड़ दिया हो, विरक्त 3 दशा, हालत, अवस्था (जैसे-मनमाने तौर पर काम करना)। त्याजित-सं० (वि०) 1 परित्याग कराया गया 2 उपेक्षा कराई तरीका (पु०) 1 चाल-ढाल 2 रंग-ढंग
गई तौर-बो० (पु०) मथानी मथने की रस्सी
त्याज्य-सं० (वि०) छोड़ने योग्य (जैसे-त्याज्य पदार्थ) तोरात, तोरीत, तौरेत-अ० (पु०) यहदियों का प्रधान धर्मग्रंथ |त्यू-(क्रि० वि०) बो० = त्यों तौर्य-सं० (पु०) 1 ढोल मँजीरा आदि बाजे 2 इन बाजों को | त्यरस-(पु०) त्योरस । बजाना
त्यों-(क्रि० वि०) 1 उस प्रकार, उस तरह 2 उसी समय, उसी तोल-I सं (पु०) 1 तराजू, तुला 2 तुला राशि
वक्त
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त्योरस
स्पोरस - ( पु० ) 1 बीता हुआ तीसरा वर्ष 2 आगे आनेवाला तीसरा साल
त्योरी - ( स्त्री०) 1 भौंह 2 माथे का बल 3 विशिष्ट दृष्टि, तेवर । चढ़ना, बदलना क्रोध से माथे पर बल पड़ना; चढ़ाना भौहें चढ़ाना में बल पड़ना त्योरी चढ़ना त्योहार - (पु० ) 1 वह दिन, तिथि जिसमें धार्मिक उत्सव मनाया जाता है (जैसे-ईद का त्योहार, होली का त्योहार ) 2 पर्व-दिन त्योहारी - ( स्त्री०) त्योहार के उपलक्ष्य में बाँटा जानेवाला धन
आदि त्यौं - (वि०) त्यौनार - ( पु० ) ढंग, तरीका
त्यों
=
त्यौर - I बो० ( पु० )
त्यौर - Il (पु०) (बो)
त्यौनार
त्यौराना - (अ० क्रि०) सिर में चक्कर आना
=
=
त्योरी
374
त्यौरी - (स्त्री०) त्यौहार - (पु० ) त्रपा - I सं० (स्त्री०) 1 कीर्ति, यश 2 लज्जा, शर्म 3 व्यभिचारिणी स्त्री, कुलटा, पुंश्चली II (वि०) 1 कीर्तिमान् 2 लज्जित, शर्मिंदा । ~रंडा (स्त्री०) 1 छिनाल स्त्री 2 वेश्या, रंडी
त्योरी त्योहार
त्रपित सं० (वि०) 1 लज्जित 2 नम्र, विनयी त्रपिष्ठ-सं० (वि०) परितृप्त त्रपुष - सं० ( पु० ) राँगा
त्रय-सं० (वि०) 1 तीन 2 तीसरा 3 तीन अंगों, अंशों, इकाइयोंवाला । ताप (पु० ) आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक दुःख
त्रयी-सं० (स्त्री०) 1 तीन विभिन्न इकाइयों का योग (जैसे- वेदत्रयी, लोकत्रयी, देवत्रयी) 2 वह स्त्री जिसका पति एवं बच्चा जीवित हों । धर्म (पु०) वैदिक धर्म त्रयोदश-सं० (वि०) तेरह
त्रयोदशी - सं० (स्त्री०) तेरहवीं तिथि, तेरस ऋष्टा - सं० ( पु० ) बढ़ई
त्रस - I सं० (वि०) चलानेवाला, चलनशील II (पु० ) 1 वन, जंगल 2 चलने-फिरनेवाले समस्त जीव। रेणु (स्त्री०) धूल का वह कण जो प्रकाश किरणों में उड़ता एवं चमकता सा दिखाई पड़ता है
त्रसन -सं० (पु०) 1 भयभीत होना या करना 2 चिंता 3 व्याकुलता
त्रसाना - (स० क्रि०) भयभीत करना
त्रसित - सं० (वि०) 1 डरा हुआ 2 पीड़ित त्रसुर-सं० (वि०) 1 भयभीत 2 डरपोक त्रस्त - सं० (वि०) 1 भयभीत 2 आक्रांत त्राटक-सं० (पु० ) हठयोग में किसी बिंदु पर ध्यान जमाना त्राण-सं० (पु० ) 1 रक्षा, बचाव 2 आश्रय, शरण 3 सहायता, मदद 4 रक्षा का साधन
त्राणक-सं० (वि०) बचानेवाला
त्रात - सं० (वि०) 1 संकट से बचाया हुआ 2 आश्रय दिया हुआ श्राव्य-सं० (वि०) जिसकी रक्षा करना उचित हो श्राता-सं० (वि०) 1 रक्षा करनेवाला 2 शरण देनेवाला त्रापुष-सं० (वि०) राँगे का
त्रायक-सं० (वि०) रक्षा करनेवाला त्रायमाण-सं० (वि०) रक्षा करता हुआ त्रास - सं० (स्त्री०) 1 अनिष्ट का डर या भय, ख़ौफ़ 2 कष्ट तकलीफ़
त्रासक - सं० (वि०) 1 डरानेवाला 2 नाशक 3 दूर करनेवाला त्रासद - सं० (वि०) दुःखद
त्रासदी-सं० + हिं० (स्त्री०) दुःखांत रचना
त्रासन - सं० (पु० ) डराने का काम
त्रासित - सं० (वि०) 1 डराया धमकाया हुआ 2 कष्ट पहुँचाया
हुआ
त्राहि-सं० (अ०) रक्षा करो, बचाओ (जैसे- त्राहि-त्राहि पुकारना)
त्रिंश-सं० (वि०) तीसवाँ
त्रिशंत्-सं० (वि०) तीस
त्रिशांश-सं० (पु० ) तीसवाँ भाग
त्रि-सं० (वि०) तीन (जैसे-त्रिदेव, त्रिकाल ) । ~कंटक (पु०) 1 त्रिशूल 2 गोखरू 3 तिधारा, थूहर कटु, कटुक (पु०) तीन कड़वी वस्तुओं का वर्ग; सोंठ, पीपर एवं मिर्च ~कर्मा (पु०) तीन कार्य (वेदाध्ययन, यज्ञ और दान) करनेवाला ब्राह्मण; ~ कांड I ( वि०) जिसमें तीन कांड हो II (पु० ) 1 अमरकोश 2 निरुक्त; कांडी (वि०) तीन कांडोंवाला; ~ काल (पु० ) 1 भूत, वर्तमान एवं भविष्य ये तीनों काल 2 प्रातः, मध्याहून और शाम ये तीन समय; ~कालज्ञ (पु० ) त्रिकाल को जाननेवाला; दर्शिता (स्त्री०) त्रिकालदर्शी होने की शक्ति दर्शी (पु० ) त्रिकालज्ञ; ~कुटा (पु० ) = त्रिकुट; ~कुटी (स्त्री०) भौंहों के मध्य के ऊपर का स्थान जहाँ त्रिकुट चक्र की स्थिति मानी जाती है; कूट (पु० ) 1 वह पर्वत जिसपर लंका की स्थापना मानी गई है 2 तीन श्रृंगोंवाला पर्वत 3 क्षीरोद समुद्र में स्थित एक कल्पित पर्वत; कोण I (वि०) तीन कोणोंवाला II (पु० ) 1 तीन कोणोंवाली वस्तु 2 ज्या० ग० वह आकृति जिसमें तीन कोण हों (जैसे- त्रिभुज 4); कोण-घंटा + हिं० ( पु० ) लोहे के छड़ का बना हुआ तिकोना बाजा; ~ भवन (पु०) जन्मकुंडली में लग्न से पाँचवाँ और नौवाँ स्थान; कोण मिति (स्त्री०) गणित शास्त्र की वह शाखा जिसमें त्रिभुजों के कोण, भुजा, वर्ग आदि का मान ज्ञात किया जाता है, ज्यामिति, रेखागणित; कोणाकार, कोणात्मक (वि०) तीन कोणों वाला; कोणीयन (पु० ) = त्रिभुजीकरण; क्षार (पु० ) जौखार, सज्जी और सुहागा, खंडी + हिं०, खंडीय (वि०) तीन खंडोंवाला, तीन टुकड़ोंवाला, गण (पु० ) = त्रिवर्ग; गर्ता (स्त्री०) व्यभिचारिणी, पुंश्चली; गुट + हिं० (पु० ) तीन का समूह; ~गुण I (पु०) सत्व, रज और तम II (वि०) 1 जिसमें तीनों गुण हों 2 तिगुना ~गुणात्मक (वि०) जो तीनों गुणों युक्त हो; गुणित (वि०) तिगुना किया हुआ; गुणी I (स्त्री० ) = त्रिगुणात्मक II (स्त्री०) बेल का पेड़ गूढ़ (पु०) स्त्री वेष में पुरुष का नाच; ~घट (पु०) स्थूल सूक्ष्म और कारण रूप तीन शरीर; चक्षु (पु० ) शिव चरणी
से
+
हिं० (वि०) तीन चरणवाला; जगत् (पु० ) = त्रिलोक; जीवा (स्त्री०) तीन राशियों ( 90 अंशों) तक फैले
हुए
~
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त्रुटि
ईश्वर ; ~ लोचन (पु० ) शिव; ~ वर्ग (पु० ) 1 धर्म, अर्थ और काम ये तीन वर्ग 2 सत रज एवं तम ये तीन समूह 3 ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ये तीन जातियाँ 4 क्षय, स्थिति एवं वृद्धि ये तीन बातें (राजनीति); ~ वर्त्मा (वि०) तीन मार्गों में जानेवाला; ~ वर्षात्मक (वि०) तीन वर्ष का; विक्रम (पु०) विष्णु वली (स्त्री०) = त्रिबली; ~विद (पु० ) तीन वेदों का या विद्याओं का ज्ञाता; ~विध ( वि०) तीन प्रकार का; वृत् I (वि०) तीन हिस्सोंवाला II (पु० ) 1 तीन लड़ियों की करधनी, 2 एक यज्ञ 3 निसोथ; वेणी (स्त्री०) 1 वह स्थान जहाँ तीन नदियाँ आकर मिलती हों 2 तीन नदियों की संयुक्त धारा 3 गंगा, यमुना एवं सरस्वती इन तीन नदियों का संगम; ~वेद (पु०) 1 ऋक्, यजुः एवं साम ये तीन वेद 2 इन तीन वेदों का ज्ञाता; ~वेदी (पु०) 1 ऋक्, यजुः एवं साम वेदों का ज्ञाता 2 ब्राह्मणों की एक जाति; ~ शंकु (पु०) प्रसिद्ध सूर्य वंशी राजा जो यज्ञ करके स-शरीर स्वर्ग पहुँचना चाहते थे; शक्ति (स्त्री०) इच्छा, ज्ञान एवं क्रिया रूपी तीन शक्तियाँ, शिख I (वि०) तीन चोटियोंवाला II (पु० ) 1 त्रिशूल 2 बेल का पेड़; ~शिर I (वि०) तीन सिरोंवाला II (पु० ) खर-दूषण की सेना में राम के द्वारा मारा गया एक राक्षस 2 कुबेर; शीर्ष I (वि०) तीन चोटियोंवाला II (पु० ) त्रिकुट नामक पर्वत; शूल (पु० ) 1 लोहे का एक अस्त्र जिसमें तीन नोकदार फल होते हैं। (जैसे - शिव का त्रिशूल) 2 दैहिक, दैविक एवं भौतिक ये तीन दुःख, त्रिताप; ~शूली I ( पु० ) त्रिशूल धारण करनेवाला शिव II (स्त्री०) दुर्गा; शोक (पु० ) = त्रिताप, त्रय ताप; षष्ठ (वि०) तिरेसठ षष्ठी (वि०) तिरेसठवाँ; ~संगम (पु० ) 1 तीन नदियों के मिलने का स्थान, त्रिवेणी 2 तीन तरह की वस्तुओं का मिश्रण; ~संध्य (पु०) दिन के तीन भाग-प्रातः, मध्याहून एवं शाम; ~संध्या (स्त्री०) प्रातः, मध्याहून एवं शाम ये तीनों संध्याएं ~सदस्यीय (वि०) तीन सदस्योंवाली, जिसमें तीन सदस्य हों; सप्तति (वि०) तिहत्तर; ~ स्थली (स्त्री०) काशी, गया, और प्रयाग ये तीन पवित्र नगर ~ स्थान (पु० ) 1 सिर, ग्रीवा और वक्ष ये तीन स्थान 2 तीनों लोकों में रहनेवाला, ईश्वर; हायण (वि०) तीन वर्ष का त्रिक - I सं० (वि० ) 1 तीन अंगों या इकाइयों या रूपोंवाला 2 तीसरी बार होनेवाला 3 तीन प्रतिशत II (पु०) 1 एक ही तरह की तीन वस्तुओं का समूह 2 तीन अंग-कमर, पीठ और रीढ़ 3 त्रिफला 4 त्रिकटु 5 त्रिमुहानी 6 तीन प्रतिशत लाभ; - शूल (पु०) कमर और रीढ़ का दर्द त्रितय-सं० (पु० ) तीन का समूह (जैसे- धर्म, अर्थ काम) त्रिधा - I ( क्रि० वि०) 1 तीन तरह से 2 तीन रूपों में II (वि०) 1 तीन तरह से 2 तीन रूपोंवाला। मूर्ति (पु० ) परमेश्वर जिसके अंतर्गत ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीनों हैं; ~सर्ग (पु० ) तीन तरह की सृष्टि (देव, कीड़े-मकोड़े, मनुष्य)
त्रिल-सं० ( पु० ) तीन लघुवर्ण (III) त्रुटि-सं० (स्त्री०) 1 भूल, चूक 2 कमी, (पु० ) त्रुटियों की ओर संकेत करना; कमियों से भरा हो, जिसमें कमियाँ हों;
चाप की ज्या ज्या (स्त्री०) वृत्त के केंद्र से परिधि तक खिंची हुई रेखा, व्यासार्थ; ~ताप (पु० ) = त्रय ताप; दंड (पु० ) संन्यासियों का वह डंडा जिसके ऊपरी सिरे पर दो छोटी लकड़ियाँ बँधी होती हैं जिसके सहारे वे चलते हैं; दंडी (पु०) 1 वह संन्यासी जो त्रिदंड धारण किए हो 2 मन, वचन एवं कर्म को वश में रखनेवाला व्यक्ति दल (पु०) बेल का पेड़ दली, दलीय (वि०) तीन दलवाला; ~दिवसीय (वि०) तीन दिनोंवाला, तीन दिन तक चलनेवाला (जैसे- त्रिदिवसीय समारोह); दश (वि०) तीनों दशाओं में एक-सा बना रहनेवाला; ~दिव (पु०) स्वर्ग; देव (पु० ) ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश; दोष (पु० ) 1 वात, पित्त एवं कफ ये तीन दोष 2 काम क्रोध लोभ ~धातु (पु०) चाँदी, सोना एवं तांबा तीन धातुएँ धाम (पु० ) 1 विष्णु 2 अग्नि 3 शिव धारा (स्त्री०) गंगा; --नयन (पु० ) शि; नेत्र (त्रि०) तीन आँखोंवाला (शंकर भगवान्); पताक (पु०) एस्तक जिसपर तीन बल पड़े हों; पथ (पु० ) 1 ज्ञान, कर्म एवं उपासना ये तीन मार्ग 2 आकाश, पृथ्वी और पाताल 3 वह स्थान जहाँ तीन रास्ते मिले हों; पत्र (पु०) तुलसी, कुंद और बेल के पत्ते; पथगा त्रिपथा (स्त्री०) गंगा नदी पद (वि०) 1 तीन चरणोंवाला, तीन पदोंवाला 2 जिसमें तीन पाये हों; पदा (स्त्री०) एक वैदिक छंद पदी (स्त्री०) 1 तीन पदोंवाली कविता 2 तीन पायोंवाला आसन, तिपाई 3 गायत्री छंद; पाठी I (वि०) तीनों वेदों का ज्ञाता II (पु० ) ब्राह्मणों की एक उपाधि, तिवारी, त्रिवेदी; पाल (पु० ) दे० तिरपाल I; ~पिंड (पु० ) पिता, पितामह प्रपितामह के निमित्त श्राद्ध; ~पिटक (पु०) तीन बौद्ध महाग्रंथ पुंड (पु० ) तीन आड़ी रेखाओं का तिलक, पुटी (स्त्री०) 1 छोटी इलायची 2 (ज्ञाता, ज्ञान एवं ज्ञेय) तीन का समूह; पुर (पु० ) 1 मय निर्मित स्वर्ग, अंतरिक्ष एवं पृथ्वी पर के नगर 2 बाणासुर; पुरा (स्त्री०) एक देवी पुरारि (पु० ) शिव पुरुष (पु० ) तीन पीढ़ियाँ, फला (पु० ) 1 हरड़ 2 बहेड़ा 3 आँवला, बली (स्त्री०) पेट पर पड़नेवाले तीन बल; ~ भंगी (वि०) तीन बल (गर्दन कमर और पैर में) देकर खड़ा भाषा-सूत्र (पु०) हिंदी, अंग्रेज़ी और अपनी भाषा की पढ़ाई से संबंधित नियम; भुज | (वि०) तीन भुजाओंवाला II (पु० ) ज्या० तीन भुजाओंवाली आकृति: -भुजाकार (वि०) त्रिभुज के आकारवाला, त्रिभुज की तरह का (जैसे- त्रिभुजाकार यंत्र); भुजीकरण (पु० ) त्रिभुज के समान बनाने की क्रिया; भुवन (पु० ) 1 त्रिलोक 2 त्रिपुर; - मधु (पु० ) घी शहद और चीनी का मधुपर्क मार्गा (स्त्री०) = त्रिपथगा; मात्रिक (वि०) तीन मात्राओंवाला; -मास (पु० ) 1 तीन महीनों का समय 2 वर्ष के तीन महीनों के चार विभागों में कोई एक मुहानी + फ़ा० + हिंο (स्त्री०) = तिरमुहानी मूर्ति (पु० ) ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीन देवता; -यामा (स्त्री०) रात्रि युग (पु० ) सतयुग, द्वापर एवं त्रेता ये तीन युग; ~ रत्न (पु० ) बुद्ध, धन और संघ - लवण (पु०) तीन नमक सेंधा, साँभर और सोंचर, लोक (पु० ) स्वर्ग, मर्त्य एवं पाताल ये तीन लोक; लोक-नाथ, पति (पु०) तीनों लोकों का स्वामी,
कसर। निर्देश पूर्ण (वि०) जो स्वीकार ( पु० )
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हुआ
त्रुटित 376
थनैत भूल-चूक मानना
लेखन (पु०) शीघ्रलिपि, शार्टहैंड; ~वान् (वि०) घटित-सं० (वि०) 1जिसमें कोई त्रुटि हो, त्रुटि पूर्ण 2 टूटा | 1 शीघ्रता करनेवाला 2 द्रुतगामी 3 जल्दी किया हुआ 4 तेज़
त्वरित-I सं० (वि०) तीव्र गतिवाला II (अ०) तेज़ी से, तुरंत प्रेता-सं० (पु०) 1 चार युगों में से दूसरा युग 2 तीन वस्तुओं त्वष्टा-सं० (पु०) विश्वकर्मा, बढ़ई का समूह । “युग (पु०) त्रेता नाम का युग
त्विषा-सं. (स्त्री०) चमक, प्रभा -सं० (वि०) तीन
विषि-सं० (स्त्री०) किरण, दीप्ति कालिक-सं० (वि०) 1 त्रिकाल संबंधी 2 तीनों कालों में होनेवाला 3 त्रिकालवर्ती त्रैकाल्य-सं० (पु०) तीनों काल त्रैकोणिक-सं० (वि०) 1 तीन कोणोंवाला 2 तिपहला त्रैगुण्य-सं० (पु०) तीन गुण त्रैध-सं० (वि०) तिहरा त्रैमातुर-सं० (पु०) लक्ष्मण । त्रैमासिक-सं० (वि०) 1 हर तीसरे महीने होनेवाला | थंब, थंभ-(पु०) 1 खंभा, स्तंभ 2 सहारा (जैसे-त्रैमासिक परीक्षा) 2 तीन महीनों का 3 तीन महीनों में | थंभन-(पु०) 1 रुकावट 2 स्तंभन करनेवाली औषध होनेवाला
थैभना-(अ० क्रि०) बो० 1 ठहरना, रुकना 2 सँभलना त्रैमास्य-सं० (पु०) तीन महीने का समय, तिमाही थक-(पु०) थाक, समूह, ढेर त्रैराशिक-सं० (प०) ग. तीन ज्ञात राशियों की सहायता से थकन- (स्त्री०) थकान
चौथी अज्ञात राशि का मान ज्ञात करने की विधि धकना-(अ० क्रि०).1 शिथिल होना. श्रांत होना 2 धीमी पड़ना त्रैलोक्य-सं० (पु०) दे० त्रिलोक
3 सुध-बुध भूल जाना 4 छकना त्रैवर्णिक-1 सं० (वि०) तीन वर्णोवाला II (१०) ब्राह्मण थका-(वि०) 1 जो शिथिल हो गया हो (जैसे-थका ऊँट. क्षत्रिय और वैश्य इन तीन जातियों का धर्म
थका बैल) 2 जो धीमा पड़ गया हो (जैसे-थका इंसान)। त्रैवार्षिक-सं० (वि०) 1 तीन वर्षों का 2 तीन वर्षों में होनेवाला ~थकाया (वि०) पूर्णतः थका हआ (जैसे-थका-थकाया 3 हर तीसरे वर्ष होनेवाला
आदमी); ~माँदा, -हारा (वि०) 1 थका, हारा हुआ विद्य-[सं० (१०) तीनों वेदों का ज्ञाता II (वि०) बहुत बड़ा 2 पूर्णतः शिथिल चालाक, चलता-पुरज़ा
थकाई-(स्त्री०) थकान त्रोटक-सं० (पु०) श्रृंगार प्रधान एक नाटक
थकान-(स्त्री०) 1 थकावट (जैसे-काम करते करते थकान त्रोण-सं० (पु०) तरकश
आना) 2 शैथिल्य (जैसे-थकान दूर करना) त्र्यंबक-सं० (पु०) 1 शिव 2 एक कर्नाटकी राग थकाना-(स० क्रि०) 1 श्रांत करना 2 शिथिल बना देना त्र्यध्वगा-सं० (स्त्री०) - त्रिपथगा
3 हराना । थका डालना, देना अशक्त बना देना. श्रांत कर यशीति-(वि०) तिरासी
देना अक्षर-सं० (वि०) तीन अक्षरोंवाला
थकार-सं० (पु०) 'थ' वर्ण त्वक-सं० (पु०) 1 वृक्ष की छाल 2 फलों आदि का छिलका थकावट, थकाहट-(स्त्री०) थकने का भाव, श्रांति
3 शरीर पर की खाल, त्वचा, चमड़ा 4 पाँच ज्ञानेंद्रियों में से थकित-(वि०) 1 शिथिल 2 धका हुआ 3 मुग्ध एक जिसके द्वारा स्पर्श ज्ञान होता है। छेद (पु०) 1 खरोंच, थकिया-(स्त्री०), थक्का (पु०) जमा हुआ टुकड़ा, लोंदा क्षत 2 क्षीरीश का वृक्ष, क्षीर कंचकी; ~पंचक (पु०) बड़, (जैसे-नमक की थकिया, खून का थक्का) गूलर, पीपल, शिरीश और पाकड़ की छाल, ~पाक (पु०) थक्का -(पु०) जमी हुई बूंद शरीर पर फोड़े-फुसियां
थगित-सं० (वि०) 1 रुका हुआ 2 शिथिल त्वगिन्द्रिय सं० (पु०) स्पर्शेन्द्रिय
थट-(पु०) झुंड त्वग्दोष-सं० (पु०) कुष्ठ, कोढ़
थड़ा-(पु०) 1 चबूतरा 2 बैठने की जगह त्वच्-सं० (पु०) 1 छाल 2 त्वचा 3 दारचीनी 4 तेजपात थत्ती-(स्त्री०) राशि, ढेर त्वचन-सं० (पु०) खाल या छाल से ढोकना
थन-(पु०) गाय-भैंस आदि का स्तन, गाय-भैंस का थैलीनुमा त्वचा-सं० (स्त्री०) 1 चर्म, चमड़ा 2 छाल। -शोथ (पु०) वह अंग जिसमें दूध रहता है। टुट (वि०) जिसके स्तन न
चमड़े की सूजन; ~स्थानांतरण (प्०) चि० प्रतिरोपण रह गया हो; दार + फ़ा० (वि०) थनवाला (जैसे-थनदार प्लास्टिक सर्जरी
जानवर) त्वदीय-सं० (सर्व०) तुम्हारा
थनदुहा-(वि०) थन से सीधे दुहा हुआ त्वरक-सं० (पु०) रफ़्तार तेज़ करने का उपकरण थनी-(स्त्री०) गलथना त्वरण-सं० (पु०) यंत्रादि की गति में तेजी लाना थनेला-(पु०) 1 थन और स्तन पर होनेवाला फोड़ा 2 गुबरैले त्वरता-सं० (स्त्री०) शीघ्रता
की जाति का एक कीड़ा त्वरा-सं० (स्त्री०) 1 शीघ्रता 2 तेज़ी। लिपि (स्त्री०),| थनैत-(पु०) 1 गाँव का मुखिया 2 ज़मींदार का कारिंदा
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थनैल
थनैल - (वि०) भारी थनोंवाली
थपक - (स्त्री०)
थपकी
थपकन - (पु० ) थपकी देना
थपकना - (स० क्रि०) हाथ से धीरे-धीरे ठोंकना
थपकी - (स्त्री०) हथेली का हल्का आघात । देना, ~ लगाना हाथ से धीरे-धीरे ठोकना
=
थपड़ी - (स्त्री०) ताली, करतल ध्वनि। पीटना,
बजाना
1 हथेलियों के परस्पर आघात द्वारा शब्द उत्पन्न करना
2 उपहास करना
थपना - (स० क्रि०) धीरे-धीरे पीटना
= थपकना
थपथपाना - (स० क्रि०) थपथपाहट, थपथपी - (स्त्री०) = थपकन
थपुआ - (पु० ) चौड़ा चिपटा खपड़ा जिसके ऊपर नरिया रखी जाती है
थपेड़ना - (स० क्रि०) 1 चपत जमाना 2 आघात करना 3 ठोकर
मारना
थपेड़ा - ( पु० ) 1 चपत, चपेटा 2 घात-प्रतिघात 3 दरेरा, धक्का थपोड़ी, थपोरी-बो० (स्त्री०) दे० थपडी
थप्पड़ - ( पु० ) तमाचा, झापड़ । ~ कसना,
~लगाना तमाचा मारना
जमाना,
+
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थप्पा - ( पु० ) एक प्रकार का जहाज़ थमना - (अ० क्रि०) 1 रुकना, ठहरना 2 बंद होना (जैसे वर्षा थम गई) 3 प्रतीक्षा करना 4 ठहरा रहना, धैर्य रखना थमाना- (स० क्रि०) 1 सँभालना, पकड़ाना 2 टिकाना थमुआ - (पु० ) नाव के डाँड़े का हत्था
थर - 1 (स्त्री०) 1 दीवार में ईंटों की जोड़ाई की पंक्ति, रद्दा, तह 2 शेर की माँद, गुफा बोर स्थान जगह
थर - II ( पु० ) राजपूताना के उत्तर में एक रेगिस्तान थरकना (अ० क्रि०) बो० 1 भय से कंपित होना 2 थर्राना थरकाना - (स० क्रि०) बो० भय से काँपना थर-थर- ( क्रि० वि०) 1 थरथराहट के साथ 2 इस प्रकार कि सभी अंगों में कंपन हो जाए
थरथराना - (अ० क्रि०) 1 भय के मारे काँपना 2 काँपना थरथराहट - (स्त्री०) कँपकँपी
थरथरी (स्त्री०) भय आदि के कारण होनेवाली कँपकँपी धरना - 1 (स० क्रि०) 1 पीटना 2 थूरना 3 ठगना थरना-II (पु०) नक्काशी करने का सुनारों का एक औज़ार थरमस - अं० ( पु० ) थर्मस, थर्मस फ्लास्क, थर्मस बोतल थरमामीटर - अं० ( पु० ) थर्मामीटर
थरसना - 1 (अ० क्रि०) बो० त्रस्त होना, थहरना II (स० क्रि०) त्रस्त करना
थरहरी - ( स्त्री०) डर के मारे कँपकँपी
थरी - (स्त्री०) सिंह, बाघ आदि की माँद
थर्ड - अं० (वि०) तीसरा, तृतीय (जैसे- थर्ड क्लास का डिब्बा) थर्मल-अं० (वि०) तापीय इंजीनियर (पु० ) तापीय विद्युत अभियंता; बिजली-घर हिंग, बिजली स्टेशन हिं० + फ़ा० ( पु० ) तापीय विद्युत् गृह थर्मस - अं० ( पु० ) थरमस थर्मामीटर - अं० (पु०) तापमापक यंत्र (जैसे-फारेनहाइट् थर्मामीटर)
थाना
थर्मोटेकनीक्स-अं० (स्त्री०) तापीय प्रविधि थर्मोडाइनेमिक्स-अं० (स्त्री०) तापगतिकी थर्मोन्यूक्लियर - अं० (वि०) तापनाभिकीय थरांना - I (अ० क्रि०) काँप उठना, दहलना II (स० क्रि० ) भयभीत करना
थल - ( पु० ) 1 स्थान, जगह, स्थल 2 जलरहित भूमि । चर + सं० (पु० ) पृथ्वी पर रहनेवाले जीव-जंतु चारी + सं० (वि०) पृथ्वी पर विचरण करनेवाला; ज़मीन और पानी पति
सं०
जल + सं० (पु० )
(
पु० ) राजा, भूपति;
बेड़ा (पु० ) 1 नाव,
बल + सं० (पु०) थलसेना; जहाज़ के किनारे लगने की जगह 2 ठिकाना
सं० (पु० ) सड़कों पर होनेवाला आवागमन (स्त्री०) युद्ध भूमि में लड़नेवाली सेना, मिलिट्री थलकना - (अ० क्रि०) 1 थलथल करना 2 काँपना 3 माँस का
यातायात + सेना + सं०
लटकना
थल-थल - (वि०) मोटा और ढीला-ढाला (जैसे- थलथल बदन )
थलथलाना - (अ० क्रि०) शरीर की स्थूलता के कारण माँस का नीचे-ऊपर हिलना
थलिया-बो० (स्त्री०) थाली (जैसे-थलिया-लोटा) थली - (स्त्री०) 1 स्थान 2 जल के नीचे का तल 3 प्रदेश 4 भूमि 5 वह भूखंड जो अपने प्रकृत रूप में हो, प्राकृतिक भूखंड
T
थलीय- हिं० • सं० (वि०) थल संबंधी थवई - ( पु० ) राजगीर, मिस्त्री
थसकना - (अ० क्रि०) दबना, बैठना (जैसे- कमरे की छत थसकना)
थहराना - I (अ० क्रि०) 1 भय से काँपना 2 हिलना II (स० क्रि० ) 1 भय से कँपाना 2 हिलाना थहाना - (स० क्रि०) 1 थाह लेना, गहराई का पता लगाना 2 अवगाहन करना 3 किसी के मन की थाह लेना थाँग - (पु० ) 1 चोरों का गुप्त अड्डा 2 खोज सुराग 3 भद थाँगी - (स्त्री०) 1 चोरों का मुखिया 2 चोरी का माल लेनेवाला 3 चोरों का पता देनेवाला 4 चोरों का पता लगानेवाला, जासूस 5 चोरों को आश्रय देनेवाला। फ़ा० (स्त्री० ) थाँगी
दारी
का पेशा
थाँवला - ( पु० ) थाला
था - (अ० क्रि०) 'होना' का भूतकालिक रूप
थाई - I (स्त्री०) 1 जगह 2 बैठक II (वि०) लंबे समय तक बना रहनेवाला, स्थायी
थाक - ( पु० ) 1 सीमा 2 राशि समूह 3 थकान थाती - (स्त्री०) • धरोहर, अमानत 2 संचित धन, पूँजी थान - (पु० ) 1 बँधी हुई लंबाई का कपड़े का बड़ा टुकड़ा (जैसे-चार थान कपड़ा) 2 गहनों आदि की संख्या (जैसे पांच थान गहना) 3 पशुओं के बाँधे जाने की जगह 4 देवता, ब्रह्म आदि का स्थान 5 स्थान
थानक - ( पु० ) 1 स्थान 2 नगर 3 थाला थाना - ( पु० ) 1 पुलिस की चौकी 2 निवास स्थान । ~ अधिकारी + सं० (पु० ) दारोगा पति + सं० ( पु० ) ग्राम देवता
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थानाध्यक्ष
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थूथन
बुज़दिल
थानाध्यक्ष- + हिं० + सं० (पु०) थाने का प्रधान अधिकारी, उठना, गिरना एवं हिलना दारोगा
थिरकना-(अ0 क्रि०) 1 चंचलता के साथ पैरों को उठाते, थानी-(पु०) 1 स्थान का स्वामी 2 घरवाला
गिराते एवं हिलाते हुए नाचना 2 नाचते समय अंगों को थानेदार- + हिं० + फ़ा० (पु०) = थानाध्यक्ष
हाव-भाव के साथ संचालित करना 3 आगे-पीछे डोलना थानेदारी- + हिं० + फ़ा० (स्त्री०) दारोगा का पद एवं पेशा थिरना-(अ० क्रि०) 1 द्रव पदार्थों का हिलना रुक जाना थानत-(पु०) 1 किसी स्थान का स्वामी 2 थाना पति 2 आलोड़ित जल आदि का रुक जाना 3 पानी आदि द्रव में थाप-(स्त्री०) 1 हथेली का आघात जिससे थप ध्वनि निकले मैल, गंदगी का नीचे बैठना 4 ठहरना 2 थप्पड़ 3 आदर, सम्मान 4 हाथ आदि का पूरा-पूरा पड़ा हुआ | थिराना-(स० क्रि०) 1 पानी आदि द्रव का हिलना बंद करना चिह्न । ~थोप (स्त्री०) मिट्टी भरकर लीपना
2 आलोडित द्रव को स्थिर होने देना 3 मैल उँटकर निर्मल होने थापना-I (स० क्रि०) 1 स्थापित करना 2 उखड़ी हुई जड़ को
मजबूत करना 3 साँचे आदि में ढालकर वस्तु तैयार करना थुकवाना-(स० क्रि०) 1 थूकने में प्रवृत्त करना 2 थूकने का थापना-II (स्त्री०) स्थापन, प्रतिष्ठा
काम कराना 3 उगलवाना 4 निंदा करना थापरा-(पु०) छोटी नाव, डोंगी
थुकहाया-(वि०) घृणित थापा-(पु०) 1 हाथ का छापा 2 चिह्न डालने का छापा 3 साँचा थुकाई-(स्त्री०) थूकने का काम 4 नेपालियों की एक जाति 5 पूजा का चंदा
थुकाना-(स० क्रि०) = थुकवाना थापिया, थापी-(स्त्री०) 1 मुंगरी, ण्टिनी. पिटना 2 थपथपाने थुकायल, थुकेल-बो० (वि०) थुकहाया की क्रिया
थुक्का-फ़ज़ीहत-हिं० + अ० (स्त्री०) धिक्कार और तिरस्कार थाम-I (पु०) खंभा
थुड़दिला-हिं० + फ़ा० + हिं० (वि०) थोड़े दिलवाला, थाम-II (स्त्री०) 1 थामने की क्रिया 2 पकड़ 3 अवरोध थामना-(स० क्रि०) 1 पकड़ना (जैसे-प्याला थामना) थुड़ी-I (अ०) धिक्कारसूचक शब्द, छिः II (स्त्री०) 2 अवरुद्ध करना 3 रोके रहना (जैसे-उसे थामे रहना) धिक्कार, लानत । ~थूड़ी करना धिक्कारना, थू-थू करना; 4 सँभालना (जैसे-सीढ़ी थामना) 5 उत्तरदायित्व लेना ~होना सबकी निगाह में गिर जाना थारु-(पु०) नेपाल की तराई में बसनेवाली एक जंगली जाति थुथकारना-(स० क्रि०) 1 थू-थू करना, धिक्कारना 2 घोर थाल-(पु०) थाली की शक्ल का बड़ा बर्तन
घृणा प्रकट करना 3 बार-बार थूकना थाला-(पु०) पौधे, वृक्ष की जड़ के चारों ओर बनाया घेरा, थुथना-(पु०) थूथन आलवाल, थाँवला
थुथाना-(अ० क्रि०) मुँह फुलाना थाली-(स्त्री०) पीतल आदि धातु का बना गोलाकार छिछला थुनेर-(पु०) एक तरह का गठिवन पात्र । -जोड़ (पु०) ~का बैंगन कभी इस पक्ष और कभी थुन्नी-(स्त्री०) खंभा, थूनी उस पक्ष में हो जानेवाला; गिरी झनकार सबने सनी थुपथुपी-(स्त्री०) 1 थपकी 2 झोंका छिपाने से बात छिपती नहीं
थुरना-I (अ० क्रि०) कम पड़ना II (स० कि०) 1 कूटना थाव, थाह-(स्त्री०) 1 नदी, ताल, समुद्र आदि के नीचे की 2 पीटना
धरती 2 नदी आदि में वह स्थान जहाँ बिना ड्रबे पाँव टिक सके | थुलथुल-(वि०) 1 स्थूल, भारी 2 मांसल (जैसे-थुलथुल 3 गहराई की सीमा, गाध (जैसे-थाह लगाना, थाह पाना) शरीर) 4 सीमा 5 इंतिह' 6 छिपकर लगाया गया पता। लगना | थुलमा-(पु०) पहाड़ी कंबल जिसमें ऊपर से बाल जमाए जाते गहराई का पार मिलना: ~लेना 1 गहराई का अंदाज़ लगाना 2 रहस्य की जाँच करना
थुली-बो० (स्त्री०) दलिया थाहना-(स० क्रि०) 1 थाह लेना 2 गहराई का पता लगाना थू-I (पु०) थूकने का शब्द II (अ०) घृणा एवं 3मन की टोह लेना, अंदाज़ लेना
धिक्कारसूचक शब्द, छिः III (स्त्री०) थुड़ी, लानत । थाहरा-बो० (वि०) कम गहरा, उथला
~~करना घृणा एवं तिरस्कार सूचित करना; ~~~होना थिएटर-अं० (पु०) 1 रंगशाला 2 अभिनय
चारों ओर निंदा होना थिएट्रिकल-अं० (वि०) थिएटर-संबंधी
थूक-I (पु०) लार की तरह का रस जो मुँह से अपने आप छूटा थिगली-(स्त्री०) पैबंद, चकती (जैसे-थिगली लगाना) करता है, पीक II (स्त्री०) थूकने की क्रिया। ~कर चाटना थियासोफ़ी-अं० (स्त्री०) ब्रह्मविद्या
कुछ देकर वापस ले लेना; ~लगाना नीचा दिखाना; थूकों थियेटर-अं० (पु०) = थिएटर। ~घर + हिं० (पु०) सत्तू सानना 1अत्यंत कंजूसी से काम चलाना 2 थोड़ी सामग्री नाट्यशाला; ~प्रेमी + सं० (पु०) 1 नाटक, अभिनय देखने से बड़ा काम करना
के शौकीन लोग 2 अभिनय पसंद करनेवाले लोग थूकना-I (अ० क्रि०) 1 मुँह से बाहर निकालना थियेट्रिकल-अं० (वि०) = थिएटर-संबंधी
2 धिक्कारना, छि:-छि: करना II (स० क्रि०) 1 उगलना थिर-(वि०) 1 गतिहीन, स्थिर 2 अचल, न डिगनेवाला 2 निंदा करना । थूककर चाटना 1 त्यक्त वस्तु को पुनः ग्रहण 3 अचंचल 4 एक ही स्थिति में रहनेवाला
करना 2 वचन देकर मुकर जाना थिरक, थिरकन-(स्त्री०) नाच में चंचलता के साथ पैरों का | थूथन-(पु०), थूथनी (स्त्री०), थूथुन (पु०) बो० लंबे मुँह
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थूनी
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का आगे को निकला हुआ भाग (जैसे-ऊँट का थूथन)। | थोपना-(स० क्रि०) 1 मोटा लेप लगाना (जैसे-गीली मिट्टी फुलाना नाराज़ हो जाना
थोपना) 2 आरोपित करना. मत्थे मढ़ना (जैसे-कलंक थूनी-(स्त्री०) बोझ को रोकने के लिए लगाया जानेवाला छोटा थोपना) 3 रक्षा करना (जैसे-माँ ने शिशु को आँचल में थोप खंभा, टेक
रखा था) थूरना-(स० क्रि०) 1 अच्छी तरह पीटना, कूटना 2 तोड़ देना थोपी-बो० (स्त्री०) = थोपड़ी 3 चूर करना
थोबड़ा-(पु०) 1 थूथन 2 फुलाया हुआ मुँह 3 तोबड़ा थूला-(वि०) मोटा, हृष्ट-पुष्ट
थ्यावस-बो० (पु०) 1 स्थिरता, ठहराव 2 धीरता, धैर्य 3 चैन, थूली-(स्त्री०) थूली, दलिया
कल थूवा-(पु०) दूह, टीला
थ्योरी-अं० (स्त्री०) सिद्धांत थूहर-(पु०) सेहँड का पेड़
थ्रिल-अं० (पु०) रोमांच, पुलक थूहा-(पु०) 1 अटाला, ढेर 2 टीला
थ्रेशर-अंक (पु०) गाहने-कूटने की मशीन थेगली-(स्त्री०) = थिगली थेथर-(वि०) दुबला-पतला थेर-सं० (पु०) बौद्ध भिक्षु थेवा-(पु.) अंगूठी में जड़ा हुआ नगीना थैचा-(पु०) मचान के ऊपर का छप्पर थैला-(पु०) 1 एक प्रकार का झोला 2 रुपयों का तोड़ा।
~करना मारते-मारते बेदम कर देना । थैली-(स्त्री०) 1 छोटा थैला 2 रुपए आदि रखने की थैली दंग-फा० I (वि०) 1आश्चर्य में पड़ा हुआ, चकित 3 थैली में रखा हआ धन जो समर्पित किया जाता है 2 हक्का-बक्का, स्तब्ध II (पु०) 1 घबराहट 2 डर, भय । (जैसे-राष्ट्रपति को दस हज़ार रुपयों की थैली भेंट की गई) ~रह जाना चकित हो जाना। 4 थैली जैसी कोई वस्तु । ~दार + फा० (पु०) 1 रोकड़दंगाई-I (वि०) दंगा करनेवाला, झगड़ालू 2 दंगल रखनेवाला,खजाने में रुपये उठानेवाला; बरदार + फ़ा० II (स्त्री०) दंगा-फसाद (पु०) थैली ढोनेवाला; - बरदारी + फ़ा० (स्त्री०) थैली दंगल-फ़ा० (पु०) 1 कुश्ती आदि की प्रतिद्वंद्विता 2 अखाड़ा। ढोने का काम शाह - फ़ा० (पु०) बहुत धनी व्यक्ति, बाज़ (पु०) दंगल लड़नेवाला, दंगली पहलवान; मालदार आदमी; शाही + फ़ा० (वि०) पूँजीवाद बाज़ी (स्त्री०) दंगल की पहललानी; ~मारना कुश्ती थैलेदार- + फा० (पु०) = थैलीशाह। ~का मुँह जीतना; ~लड़ना कुश्ती लड़ना। खोलना यथेष्ट पन देने को तैयार होना; ~मारना रुपयों की । दंगली-फ़ा० (वि०) 1 दंगल संबंधी 2 दंगल में शामिल थैली त्तुरा लेन
होनेवाला 3 दंगल मारनेवाला थैलेदार-I हिं) + फ्रा० (पु०) = थैलीशाह
दंगवारा-(पु०) किसानों की परस्पर सहायता थोक-(पु.) । राशि, ढेर 2 एकत्र किया हुआ माल 3 माल की दंगा-(पु०) 1 मार-पीट, लड़ाई-झगड़ा 2 उपद्रव 3 हो-हल्ला , बड़ी राशि (जैसे-योक खरीदनेवाला)। खरीदार + फा० शोर (जैसे-दंगा मचाना)। ~कारी + सं० (पु०) = दंगाई; (पु०) थोक खरीदनेवाला । दार + फा०, ~फ़रोश + । फ़साद + अ० (०) लड़ाई-झगड़ा; बाज़ + फ्रा० फ़ा० (पु०) थोक माल बेचने वाला व्यापारी, लंद + फ़ा० (पु०) = दंगाई, फ़सादी आदमी (पु०) थोक व्यापारी; अंदी - फ़ा० (श्री) थोक व्यापार; दंगाई, दंगैत-चो० (पु०) उपद्रव करनेवाला व्यक्ति, उपद्रवी, ~भाव + सं० (पु.) माल को एक साथ खरीदने की दर; | उपद्रनकारी ~वाला (पु०) = थोक ख़रीदार; ~व्यापार + सं० = | दंड-सं० (पु०) 1 सज़ा (जैसे-अपराधी को दंड मिलेगा) थोक बंदी
2 डंडा, लाठी 3 राजा के हाथ में रहनेवाला डंडा 4 डंडे के थोड़ा-I (वि०) 1कम, ज़रा-सा (जैसे-थोड़ा दूध चाहिए) समान कड़ी एवं सीधी वस्तु 5 भूमि की एक नाप, लट्ठा 2 जो कम कीमत का हो (जैसे-थोड़े दामवाला कपड़ा) । 6 तराजू की डंडी (जैसे-तुलादंड)7 दंडवत् 8 हर्जाना १ हाथों II (क्रि० वि०) कुछ, ज़रा (जैसे-थोड़ा सँभलकर चलो)। और पैरों के पंजों के बल की जानेवाली कसरत (जैसे-दंड -थोड़ा होना लज्जित होना, संकुचित होना
पेलना)। ~कर (पु०) दंड लल्प लगाया गया टैक्सा; थोथ-(स्त्री०) 1 थोथापन 2 खोखलापन 3 निःसारता
कला (स्त्री०) 32 मात्राओं वाला एक छंद जिसके अंत में थोथनी-(स्त्री०) 1 जानवर का मुँह 2 (घणा में) आदमी का एक गुरु या सगण होता है; ~कार्यवाही (स्त्री०) सज़ा का
काम; ~ग्रहण (पु०) संन्यास लेना; दास (पु०) अर्थ थोथरा, थोथा-I (वि०) 1 तत्वरहित, निःसार (जैसे-थोथा दंड न दे सकने के कारण दास बनाया गया व्यक्ति; ~~अर विवाद) 2 निकम्मा, बेढंगा और भद्दा 3 भोथरा 4 खोखला (पु०) 1 दंड धारण करनेवाला व्यक्ति 2 राजा 3 शासक बोथा-(पु०) 1 खाली 2 खोखला
4 संन्यासी; नायक (पु.) 1 न्यायाधीश 2 एंड विधायक चोपड़ी-(स्त्री०) चपत, थोपी
3राजा 4 सेनापति; ~नीति (स्त्री०) दंड देकर वश में करने बोप-थाप-(सी०) गड्ढे भर कर लीपना
की नीति; ~पाशक (पु०) 1दंड देनेवाला कर्मचारी,
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दंडक
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दकियानूस
जल्लाद ? दंड देनेवाला अधिकारी; ~प्रणाम साष्टांग प्रणाम; से उच्चारित होनेवाला (जैसे-तवर्ग ध्वनियाँ); ~बल्क
पाशक (पु०) 1 दंड देनेवाला अधिकारी, जल्लाद; ~वेष्ट मसूड़ा शूल (पु०) दाँत का दर्द, -शोफ (पु०) ~प्राप्त, ~भोगी (वि०) जिसे सज़ा मिली मसूड़ों में होनेवाला फोड़ा; हीन (पु०) बिना दाँत का हो; ~ भंग (पु.) शासन का उल्लंघन: - भृत | (वि०) दंताघात-सं० (पु०) दाँतों से किया गया आघात या चोट डंडा उठानेवाला II (पु०) यमराज; --मानव (पु०) जिसे । दंताज-सं० (पु०) दाँत की जड़ में लगनेवाला रोग, पायरिया अधिक दंड देना पड़े. ~मुख (पु०) सेनापति; ~मुद्रा दंतादंति-सं० (स्त्री०) परस्पर दाँत से काटना (स्त्री०) मुट्ठी बाँधकर बीच की ऊँगली को ऊपर खड़ा रखने दंतार्बुद-सं० (पु०) मसूड़ों में होनेवाला फोड़ा की एक तंत्र मुद्रा; --यात्रा (स्त्री०) शत्रु को दंड देने के दैतार, दंतारा-(वि०) बड़े-बड़े दाँतोंवाला उद्देश्य से की गई यात्रा; वध (पृ०) प्राणदंड, विज्ञान दैतिया-(स्त्री०) छोटे-छोटे दाँत (पु०) अपराध और दंड में संबंधित शास्त्र, अपगध और दंड दंतुर, दैतुला-(वि०) = =तार, दंतारा से संबंधित विद्या; -विधाता (१०) दंड का विधान दंतोष्ठय-सं० (वि०) दाँत एवं ओठ से उच्चारित होनेवाला करनेवाला व्यक्तिः --विधान (प०) दंड की व्यवस्था; | (जैसे-'व') --विधि (स्त्री०) वह प्रणाली जिसमें अपराधों एवं उनके | दंत्य-सं० (वि०) 1 दाँतों का (जैसे-दंत्य-चिकित्सा) 2 जो दाँत अनुरूप दंडों का विवरण रहता है, . संग्रह (पु० से उच्चारित हो (जैसे-तवर्ग)। ~मूलीय (वि०) जिसका -संहिता (स्त्री) या ग्रंथ जिममें अपराध हेतु दंडों का उच्चारण दंत मूल से होता हो विधान हो, पेनल कोड
दंत्योष्ठय-सं० (वि०) = दंतोष्ठय दंडक-[ सं० (वि०) दंड देनेवाला II (पु०) 1 डंडा, सोंटा दंद-I (स्त्री०) गर्मी II (पु०) 1 झगड़ा 2 उपद्रव। फंद
? दंड देनेवाला व्यक्ति । - ज्वर (पु०) डींगू बुखार | (पु०) लड़ाई-झगड़ा दंडन-सं० (वि.) डंडे से प्रहार करनेवाला
दंदान-फा० (पु०) दाँत। ~साज़ (पु०) दाँत बनानेवाला दंडन-सं० (पु.) 1 दंड देना 2 शासन
दंदाना-फा० (पु०) आरा, कंघी आदि का दाँत दंडनीय-सं० (वि०) 1 दंडित किए जाने योग्य 2 दंड योग्य | दंदाना-I (अ० क्रि०) 1 गर्मी मालूम पड़ना 2 गर्म होना (जैसे-दंडनीय अपराध)
II (स० क्रि०) गर्म करना दंडवत्-पं० (पु०) साष्टांग प्रणाम
दंदानेदार-फ़ा० (वि०) जिसमें दंदाने हों दंडाकार-सं० (वि०) दंड के आकार का
दंदारू-(पु०) छाला, फफोला दंडाज्ञा-सं० (स्त्री०) दंडादेश
दंदी-(वि०) 1 झगड़ालू 2 उपद्रवी दंडाणु-सं० (पु.) एक विशेष जीवाणु , बैक्टिरिया दंपति-सं० (पु०) - दंपती दंडात्मक-सं० (वि०) 1 दंड संबंधी 2 दंड रूप में होनेवाला
दंभ-सं० (पु०) 1 मिथ्या अभिमान (जैसे-जातीय दंभ) (जैसे-दंडात्मक सुधार)
2 आडंबर, पाखंड दंडादंडि-सं० (स्त्री०) लट्ठबाज़ी
दंभक-सं० (पु०) पाखंडी दंडादेश-सं० (पु०) दंड मिलने का आदेश
दंभन-सं० (पु०) ढोंग करना दंडोदेशित-सं० (वि० } जिसे दंड का आदेश दिया गया हो। दंभी सं० (वि०) 1 मिथ्याभिमानी 2 पाखंडी दंडाधिकारी पं० (३०) आपराधिक अभियोगों पर विचार कर | दैवरी-(स्त्री०) बैलों से रौंदवाना
अपराधियों को दंड देनेवाला अधिकारी, मजिस्ट्रेट दंश-सं० (पु०) 1 दाँत काटने की क्रिया 2 दाँत काटने का घाव दंडायमान-सं० (वि०) जो डंडे की भाँति सीधा खडा हो सके 3 डंक मारने, काटने का घाव (जैसे-सर्प-दंश) 4 एक दंडाह-सं० (वि०) दंडनीय
ज़हरीली मक्खी, डाँस दंत-सं० पु०) दाँतः -कथा (स्त्री०) कल्पित कथा, दंशक-I सं० (वि०) 1 दाँत से काटनेवाला 2 डंक मारनेवाला किंवदंती, जनश्रुति। ~कार (पु०) 1 नकली दाँत | II (पु०) दंश नामक मक्खी बनानेवाला र हाथी दाँत का काम करनेवाला, क्षत (पु०) दंशन-सं० (पु०) 1 दाँत से काटने की क्रिया 2 डंक मारने की दाँत से कटा हुआ निशान; खोदनी -हिं० क्रिया (स्त्रील) धातु का लंबा, पतला एवं छोटा टुकड़ा; ~घर्ष दंशित-सं० (वि०) 1 दाँत से काटा हुआ 2 डंक मारा हुआ (पु०) दातों की चिकित्सा करनेवाला, दाँत का डाक्टर, डेंटिस्ट: दंशी-सं० (वि०) 1 दाँत से काटनेवाला 2 चुभती बात
चिकित्सकीय (वि०) दंत चिकित्सा संबंधी, । कहनेवाला ~चिकित्सा (स्त्री०) दाँत का इलाज; चिकित्सा विज्ञान | दंष्ट-सं० (पु०) दाड़ (पु०) वह विद्या जिसमें दाँत के रोग आदि के विषय में दंष्ट्रा-पं. (स्त्री०) जबड़ा। लखविष (वि०) जिसके दाँतों अध्ययन किया जाता है; च्छद (१०) ओंठ, ओष्ठ; और नखों में विष हो --जात (वि०) जिसके दाँत निकल आए हों; --तालव्य दंष्टायुध, दंष्टाख-सं० (वि०) दाँतों से अस्त्र का काम लेनेवाला (वि०) दाँत और तालु से बोला जानेवाला; ~धावन (पु०) | दई-(पु०) 1 ईश्वर 2 भाग्य, दैव 1 दाँत साफ़ करने का काम 2 दातुन; पालि (स्त्री०) | दकार-सं० (पु०) तवर्ग का तीसरा अक्षर 'द'। जारा, मसूड़ा; प्रक्षालन (पु०) दाँत साफ़ करना; ~मंजन | ~मारा (वि०) 1 दैव के प्रकोप से पीड़ित 2 अभागा (पु०) दाँत साफ़ करने का चूर्ण; ~मूलीय (वि०) दंत मूल | दकियानूस-अ० (वि०) 1रुढ़िग्रस्त 2 पुराने विचारों का
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दकियानूसी
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दज्जाल
फरेब
दकियानूसी-अ० (वि०) पुराने विचारों का समर्थक, पुराने 3 प्रवेश, घुसना । -दिहानी + फ़ा० (स्त्री०) कानूनी ढंग से खयालवाला
क़ब्जा दिलाना दक़ीक़ा-अ० (पु०) 1 सूक्ष्म विचार 2 उपाय, युक्ति दखिन-(पु०) - दक्षिण दक्खिन-(१०) दक्षिण दिशा
दखिनहा-बो० (वि०) दक्षिण का, दक्षिणी दक्खिनी-I (वि०) दक्षिण दिशा का II (पु०) दक्षिण दिशा में | दखील-अ० (वि०) 1 हस्तक्षेप करनेवाला 2 क़ब्जा किया
पड़नेवाला देश III (स्त्री०) दक्षिण देश की भाषा हुआ, क़ाबिज़। कार + फ़ा० (पु.) स्थायी रूप से क़ब्ज़ा दक्ष-[ सं० (वि०) कुशल, निपुण II (पु०) प्रजापति । करनेवाला काश्तकार; ~कारी + फ़ा० (स्त्री०) ~कन्या (स्त्री०) सती; ता (स्त्री०) कुशलता, निपुणता; 1 दखीलकार का पद एवं काम 2 दखीलदार के द्वारा क़ब्ज़ा की सुत (पु०) देवता
गई भूमि 3 क़ब्ज़ा दक्षिण-[ सं० (वि०) 1 दाहिना 2 उत्तर दिशा के सामने दगड़-(पु०) जंगी ढोल पड़नेवाला II (पु०) 1 उत्तर के सामने पड़नेवाली दिशा, दगदग़ा-अ० (पु०) 1 डर. भय 2 आशंका. खटका दक्खिन (जैसे-उत्तर-दक्षिण) 2 साहि० सभी प्रेमिकाओं से दगदगाना-I (अ० क्रि०) चमकना ।। (स० क्रि०) चमकाना समान रूप से प्रेम करनेवाला नायक। नायक (पु०) दगध-[ बो० (वि.) दग्ध II (पु.) = दाह अनेक नायिकाओं से समान अनुराग रखनेवाला नायक; दगधना-I (स० क्रि०) 1 जलाना, दग्ध करना 2 अत्यंत दुःखी -पंथी + हिं० (पु०) सरकार के पक्षधर; पश्चिम करना, दाहना || (अ० क्रि०) 1 जलना 2 दुःखी होना (पु०) दक्षिण एवं पश्चिम दिशाएँ; पश्चिमी (वि०) दग़ना-फा० + हिं• I (अ० क्रि०) 1 चलाया जाना, छूटना दक्षिण-पश्चिम से संबंधित; पूर्व (पु०) दक्षिण और पूर्व (जैसे-तोप दराना) 2 दागा जाना, अंकित होना 3 झलस जाना दिशाः पूर्वी (वि०) दक्षिण और पूर्व संबंधी; ~मार्ग | II (स० क्रि०) दाग़ना (पु०) एक तंत्रोक्त आचार; ~वादी (वि०) सरकार का पक्ष दग़ल-अ० (पु०) धोखा, छल। -फ़सल (पु०) कपट, लेनेवाले दक्षिणा-सं० (स्त्री०) 1 दक्षिण दिशा 2 यज्ञ आदि की समाप्ति दगल-(पु०) रूईदार ढीला अँगरखा पर दिया जानेवाला द्रव्य, दान 3 साहि० उपपत्नी के होते हए । दगला-(पु०) रूई का बना ढीला-ढाला पहनावा, लबादा भी अपने प्रेमी से पूर्ववत् प्रेम करनेवाली नायिका। पथ दग़वाना-फा० + हिं० (स० क्रि०) दागने का काम करवाना (पु०) दक्षिण दिशा को जानेवाला रास्ता, दक्षिण का रास्ता दगा-फा० (पु.) 1 धोखा, कपट 2 विश्वासघात। दार 2 दक्षिण भारत
(वि०) 1 धोखा देनेवाला 2 विश्वासघात करनेवाला; ~दारी दक्षिणाचार-सं० (पु०) 1 भद्र आचरण 2 विलोम-वामाचार । (स्त्री०) धोखेबाज़ी; -बाज़ (वि०) 1 धोखेबाज़ दक्षिणाभिमुख-सं० (वि०) 1 जो दक्षिण को मुँह किए हो 2 विश्वासघाती; बाज़ी (स्त्री०) 1 दगाबाज़ होने की 2 दक्षिण की ओर उन्मुख
अवस्था ? दगा करने की क्रिया, छलबाज़ी दक्षिणायण-[ सं० (वि०) दक्षिण की ओर रहनेवाला । दगीला-फा० + हिं०, दगैल-फ़ा० + हि० (वि०) II (पु०) विषुवत् रेखा की ओर से मकर रेखा की ओर सूर्य 1 धब्बेवाला, दारादार 2 दग्ध रूप में अंकित किया हआ का गमन 3 वह छः माह का समय जब सूर्य विषुवत रेखा से 3 दारा लगा हुआ, दूषित. कलंकित दक्षिण दिशा में रहता है
दौल-अ० (वि०) दगाबाज़, कपटी दक्षिणायान-सं० (पु०) छः माह का वह समय जब सूर्य दग्ध-सं० (वि०) 1 जला हुआ 2 जलाया हआ 3 अत्यंत दुःखी दक्षिण की ओर जाता हो
एवं संतप्त 4 दाग़ा हुआ। --कारी (वि०) जिसे दागा गया दक्षिणावर्त-सं० (वि०) दाहिनी ओर घूमनेवाला
हो। व्रण (पु०) जलने का फोड़ा । दक्षिणी-सं० + हिं• I (वि०) 1 दक्षिण प्रदेश से संबंध | दग्धांकित-सं० (वि०) जिसपर दाग़ने का निशान हो रखनेवाला (जैसे-दक्षिणी पोशाक, दक्षिणी व्यंजन) 2 दक्षिण दग्धाक्षर-सं० (पु०) छंद के आरंभ में वर्जित झ, ह, र, भ और दिशा से संबंधित II (पु०) दक्षिण प्रदेश का निवासी ष अक्षर III (स्त्री०) भारत के दक्षिण प्रांत की भाषा (जैसे-तमिल दवक-(स्त्री०) 1 दचकने की क्रिया 2 धक्का, ठोकर 3 दबाव भाषा)। ध्रुव (पु०) पृथ्वी के गोले का दक्षिणी सिरा ___4 दबाव से लगी चोट दक्षिणीय-सं० (वि०) 1 दक्षिण संबंधी 2 दक्षिण प्रांत का, दचकना-I (अ० क्रि०) 1 धक्का खाना 2 झटका खाना दक्षिण देश का 3 दक्षिणा योग्य
3 दबना II (स० क्रि०) 1 धक्का लगाना 2 झटका देना दखनी-(वि०/स्त्री०) दक्खिनी
3 दबाना दखमा-फा० (पु०) पारसियों का कब्रिस्तान
दवका-(पु०) दे० दचक दखलंदाज़-अ० + फ़ा० (पु०) रोड़ा अटकानेवाला, हस्तक्षेप दवना-I (अ० क्रि०) एकाएक गिरना II (अ० क्रि०/स० करना
क्रि०) = दचकना दखलंदाजी-अ० + फ़ा० (पु०) रोड़ा अटकाना, हस्तक्षेप | दजाल-अ० (वि०) 1धोखेबाज़, दगाबाज़ 2 बेईमान करना
II (पु०) मुस्लिम मतानुसार क़यामत के पहले जन्म लेकर दवल-अ (पु०) 1 हस्तक्षेप, टोक 2 क़ब्ज़ा, अधिकार खुद को खुदा होने का दावा करनेवाला व्यक्ति
सका
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दडोकना
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दबैल
दड़ोकना-(अ० क्रि०) गरजना, दहाड़ना
तिरस्कारपूर्वक हटाया हुआ, भगाया हुआ। दफ़ान (पु०) दढ़-मुंडा-(वि०) दाढ़ी मुँडा हुआ (एक गाली)
= दफ़ा II दढ़ियल-(वि०) दाढ़ीवाला
दफ़्रीना-अ० (पु०) ज़मीन में गड़ा हुआ धन दतारा-(वि०),तार
दफ़्तर-अ० (पु०) कार्यालय, ऑफ़िस। नवीस + फ़ा० दतुवन, दतुन, दतौन-(स्त्री०) = दातुन
(पु०) कार्यालय के ख़त लिखनेवाला दत्त-I सं० (वि०) 1 दिया हुआ 2 चुकता किया हुआ दफ्तरी-अ० + फ़ा० (पु०) 1 कार्यालय के काग़ज़ात आदि II (पु०) दान। चित्त (वि०) एकाग्र मनवाला; दृष्टि ___ अच्छी तरह से रखनेवाला कर्मचारी 2 जिल्दसाज़ी करनेवाला (वि०) एकटक देखनेवाला; ~प्राण (वि०) विधान कारीगर। खाना (पु०) दफ्तरी के काम करने का स्थान (पु०) = दत्तक ग्रहण; हस्त (वि०) हाथ से सहारा दिया दफ़्ती-अ० (स्त्री०) मोटा, कढ़ा एवं सूखा कागज हुआ
दबंग-(वि०) 1 जो किसी से न दबे, निधड़क 2 प्रभावशाली दत्तक-सं० (पु०) विधिवत् पुत्र बनाया गया लड़का, गोद लिया 3 रोबीला 4 दिलेर पुत्र, मुतबन्ना। ग्रहण (पु०) दत्तक पुत्र बनाने की क्रिया; दबक-(स्त्री०) 1 दबकने की क्रिया 2 सिकुड़न, शिकन ~ग्राही (वि०) दत्तक पुत्र बनानेवाला; ~पत्र (पु०) 3 धातुओं को पीटकर पत्तर बनाना इकरारनामा, अनुबंध पत्र-पुत्र (पु०) दत्तक रूप में लिया | दबकना-I (अ० क्रि०) 1 छिप जाना, दुबकना 2 दबका रह गया लड़का, गोद लिया गया लड़का
जाना II (स० क्रि०) धातु को पीटकर लंबा करना दत्तात्मा-सं० (पु०) स्वयं को किसी का दत्तक पुत्र कहनेवाला | दबकाना-(स० क्रि०) 1 छिपाना, लुकाना 2 आड़ में करना बालक
दबकी-(स्त्री०) 1 दबकने की क्रिया 2 धातु पीटकर तार बनाने दत्तावधान-सं० (वि०) 1 किसी ओर ध्यान देनेवाला की क्रिया 2 सावधान
दबकैया-(वि०) 1 छिपनेवाला 2 छिपानेवाला दत्रिम-I सं० (पु०) दत्तक पुत्र II (वि०) दान में प्राप्त दबगर-(पु०) 1 ढाल बनानेवाला 2 चमड़े के कुप्पे बनानेवाला ददा-(पु०) दादा, बड़ा भाई
दबड़-घुसड़-(वि०) डरपोक, कायर ददिऔरा-बो० (पु०) ददिहाल
दबदबा-अं० (पु०) 1 रोब, धाक (जैसे-इस इलाके में दरोगा ददिया-ससुर-(पु०) ससुर का पिता (स्त्री० ददिया सास) __ का दबदबा ज्यादा है) 2 आंतक ददिहाल-(पु०) दादा का कुल, वंश,
दबना-(अ० क्रि०) 1 दाब के नीचे पड़ना (जैसे-संदूक के नीचे ददौड़ा, ददौरा-(पु०) चकत्ता
कपड़ा दबा है) 2 दाब में आना 3 संकटपूर्ण स्थिति में आना दगु-सं० (पु०) दाद (रोग)
4 असमर्थ होना 5 मंद पड़ना (जैसे-रोग का प्रकोप दबना) द्रुण-सं० (वि०) दाद से पीड़ित
6 मनोविकार शांत होना (जैसे-क्रोध दबना, वैर-विरोध दधि-सं० (पु०) दही। -काँदो + हिं० (पु०) जन्माष्टमी के दबना) 7 पहले सा प्रबल रूप न रहना 8 बात, काम आदि का
बाद होनेवाला वह उत्सव जिसमें एक-दूसरे पर हल्दी मिला | हल्का होना (जैसे-आमदनी के अभाव में हाथ दबना) दही फेंका जाता है; कूर्चिका (स्त्री०) फटे दूध का सार | 9 फीका पड़ना
भाग, छेना; ~सुत (पु०) 1 चंद्रमा 2 कमल 3 मक्खन दबस-(पु०) जहाज़ पर की रसद दधिधानी-(स्त्री०) दही का पात्र
दबाई-(स्त्री०) 1 दबाने की क्रिया 2 दबाने की मज़दूरी दन-(पु०) बंदूक आदि के चलने से उत्पन्न शब्द दबाऊ-(वि०) दबानेवाला दनदनाना-I (अ० क्रि०) 1 दन-दन शब्द होना 2 आनंद दबाना-(स० क्रि०) 1 दबाव के नीचे लाना (जैसे-पत्थर से पैर
करना, खुशी मनाना II (स० क्रि०) दन-दन ध्वनि उत्पन्न दबाना) 2 भार पहुँचाना (जैसे-गुटका से काग़ज़ दबाना) करना
3 गाड़ना (जैसे-गड्ढे में दबाना) 4 हल्का भार डालकर पीड़ा दनादन- (अ०) 1 दन-दन शब्द करते हुए 2 निरंतर, लगातार दूर करना (जैसे-हाथ-पैर दबाना) 5 दमन करना 6 अत्यधिक 3 चटपट, तुरंत
त्रस्त करना 7 शांत करना (जैसे-उसने अपना क्रोध दबा दनज-[ सं० (वि०) दनु के गर्भ से उत्पन्न II (पु०) राक्षस, लिया) 8 हड़पना 9 छिपाना (जैसे-उसने मेरे सौ रुपए दबा दानव
लिए हैं) 10 विवश करना दन-(पु०) = दन
दबाव-(पु०) 1 दाब (जैसे-पैर दबाव कम करना) 2 प्रभाव दपट-(स्त्री०) = डपट
(जैसे-दबाव में आकर काम करना) 3 असर (जैसे-गैस का दपटना-(अ0 क्रि०) = डपटना
दबाव कम हो गया) दफ़तर-अ० (पु०) = दफ्तर
दबीज़-फा० (वि०) 1 मोटा, गफ 2 मज़बूत दफ़न-अ० (पु०) (मुर्दा) गाड़ना
दबीर-फा० (पु०) मुंशी, मुहरिर दफ़नाना-(स० क्रि०) (मुर्दा) ज़मीन में गाड़ना
दवसा-बो० (पु०) 1 जहाज़ का पिछला भाग 2 नाव में दफा-I अ० (स्त्री०) 1 बार, मर्तबा 2 कानून का एक नियम, | पतवारवाला भाग 3 जहाज़ का कमरा
धारा (जैसे-दफा 144 लागू हो गई)। दार + फ्रा० (पु०) | दबेला-(वि०) दबा हुआ पुलिस
दबैल-(वि०) 1 दबाववाला, प्रभावशाली 2 डरनेवाला, दबू दफा-II अ० (पु०) दूर हटाना, ढकेलना II (वि०) | दबनेवाला 3 कमज़ोर
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दबोचना
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दर
दबोचना-(स० क्रि०) 1 झपटकर दबा बैठना, धर दबाना । काम (जैसे-दमन-चक्र) 3 कठोरतापूर्वक दबाया जाना 2 छिपाना
(जैसे-दमन नीति)। ~कारी (वि०) दमन करनेवाली दबोसना-बो० (स० क्रि०) अधिक मात्रा में पीना
(जैसे-दमनकारी कार्रवाइयाँ); चक्र (प०) लोगों को दब्बू-(वि०) दब कर रहनेवाला, डरपोक
दबाने के लिए चलाया गया अभियान; विरोधी (वि०) दम-फा० (पु०) 1 जान, प्राण 2 साँस, श्वास 3 जीवन शक्ति दमन का विरोध करनेवाला; शील (वि०) दमन 4 चरस आदि पीने की क्रिया 5 ताकत, ज़ोर 6 धोखा, फरेब ।
करनेवाला खम (पु०) शक्ति और दृढ़ता; ~घोंटू + हिं० (वि०) दमनात्मक-सं० (वि०) = दमनकारी दम घोटनेवाली (जैसे-दम घोंटू स्थिति); चूल्हा + हिं० दमनी-बो० (स्त्री०) संकोच, लज्जा (पु०) कोयला जलाने का चूल्हा; ~झाँसा + हिं० (पु.) | दमनीय-सं० (वि०) दमन योग्य, दम्य झूठी तसल्ली; दमड़ी + हिं० (स्त्री०) शक्ति एवं दमयिता-सं० (पु०) दमन करनेवाला धन-दौलत; दार (वि०) 1 मज़बूत, दृढ़ 2 ताकतवर; दमा-फ़ा० (पु०) साँस का रोग
दिलासा (पु०) 1कोरी आशा 2 फुसलावा; ~पट्टी दमाद-(पु०) दामाद, जामाता (स्त्री०) झाँसा-पट्टी; -बाज़ (वि०) 1 चकमा देनेवाला दमादम-(क्रि० वि०) 1 दम-दम शब्द करते हुए 2 निरंतर, 2 चरस-गाँजा पीनेवाला; बुत्ता + हिं० (पु०) झूठा लगातार आश्वासन; ~मार + हिं० (पु०) गाँजा आदि पीनेवाला; | दमामा-फ़ा० (पु०) बहुत बड़ा नगाड़ा, डंका साज़ (पु०) गवैये के साथ सुर मिलानेवाला व्यक्ति। दमित-सं० (वि०) दमन किया हुआ (जैसे-दमित वासनाएँ) ।
अटकना साँस का अवरुद्ध होना; ~खींचना 1 चुप्पी | दमी-सं० (वि०) दमनशील साध लेना 2 साँस ऊपर चढ़ाना; घुटना श्वास प्रक्रिया का दमोड़ा-(पु०) दाम, मूल्य बंद होना; ~घोंटना 1 गला दबाकर साँस लेना बंद करना दम्य-सं० (वि०) 1 दमनीय 2 (पशु) बधिया किए जाने योग्य 2 साँस न लेने देना; चुराना साँस रोककर खुद को मरा-सा दयनीय-सं० (वि०) दया करने योग्य दिखाना; टूटना 1 साँस रुक जाना 2 दौड़ने आदि के कारण दया-सं० (स्त्री०) करुणा, रहम (जैसे-गरीबों पर दया करना)। हाँफने लगना; ~तोड़ना मर जाना; नाक में (या नाक में दृष्टि (स्त्री०) करुणा भरी दृष्टि; निधि (पु०) 1 दया दम) आना अत्यधिक परेशान होना; निकलना मर जाना, का भंडार, अत्यंत दयालु 2 ईश्वर; पात्र (वि०) जो दया मृत्युः ~फ़ना होना 1 जी सूख जाना 2 मर जाना; फूलना का पात्र हो, करुणापात्र; ~प्रार्थी (वि०) जो दया चाहता हो, साँस का भारीपन एवं वेग से चलना; ~ब दम 1 प्रतिक्षण 2 करुणा इच्छुक; ~भाव (पु०) करुणा भाव; ~मूलक बार-बार; ~भरना 1 साँस चढ़ना 2 दावा करना 3 भरोसा (वि०) दया भाव पैदा करनेवाला; ~युक्त (वि०) करना, यकीन करना 4 प्रशंसा करना; ~मारना थकावट दूर करुणापूर्ण; ~वीर (पु०), ~शील (वि०) स्वभाव से करना, सुस्ताना; ~में रहना जान रहना; लगाना चरस, दयाल; सागर (पु०) अत्यंत दयालू व्यक्ति; हीन गाँजा आदि का कश लेना; लेना = दम मारना; ~साधना (वि०) निष्करुण 1 चुप लगाना 2 साँस रोकना; ~सूखना होश उड़ना 2 डर दयानत-अ० (स्त्री०) ईमानदारी, सच्चाई। दार । फ़ा० जाना; ~सूली पर होना 1 बहुत परेशान होना 2 जान खतरे (वि०) ईमानदार, सच्चा; दारी . फ़ा० (स्त्री०) में होना; ~ओंठों पर आना मरने के करीब आना, मरणासन्न ___ = दयानत
दयामय-सं० (वि०) दयापूर्ण, परम दयालु दम-सं० (पु०) 1 दमन करने की क्रिया 2 कुकर्मों से मन को |
दयार-अ० (पु०) भूखंड, प्रदेश हटाना 3 दंड, सज़ा 4 इंद्रिय संयम
दयार-बो० (पु०) देवदार दमक-(स्त्री०) चमक। ~दार + फ़ा० (वि०) चमकनेवाला, दयार्द्र-सं० (वि०) दया से द्रवित होनेवाला चमकीला, चमकदार
दयालु-सं० (वि०) दयावान्, कृपालु। हृदय (वि०) दमकना-(अ० क्रि०) 1 चमकना, सुलग उठना
दयार्द्र दमकल-(स्त्री०) आग बुझाने की मशीन। -कर्मचारी + दयावंत, दयावान्-सं० (वि०) दयालु सं० (पु०) मशीन से आग बुझानेवाला; ~घर (पु०) वह | दयित-I सं० (वि०) प्यारा II (पु०) पति स्थान जहाँ दमकल मशीनें रखी जाती हैं; -विभाग + सं० दयिता-सं० (स्त्री०) 1 प्रियतमा 2 पत्नी (पु०) दमकल कार्यालय
दर-I फा० (पु०) 1 दरवाज़ा 2 दहलीज़! ~खास्त (स्त्री०) दमकला-(पु०) 1 गुलाब जल आदि छिडकने का यंत्र
गलाब जल आदि छिडकने का यंत्र | 1 प्रार्थना 2 प्रार्थनापत्र; गाह (स्त्री०) फ़कीर का मक़बरा; 2 दमचूल्हा 3 दमकल
गुज़र (वि०) 1 अलग 2 उपेक्षित 3 माफ़; दर (क्रि० दमड़ा-(पु०) दमड़ी, दाम 2 रुपया-पैसा, धन
वि०) दरवाज़े-दरवाज़े; पेश (क्रि० वि०) सामने, आगे; दमडी-(स्त्री०) पैसे का आठवाँ हिस्सा। -के तीन होना -बान (पु०) चौकीदार, ड्योढ़ीदार; बानी (स्त्री०) 1अत्यंत तुच्छ होना 2 बहुत सस्ता
चौकीदार का काम; बार (पु०) राजसभा; बार दार दमदम-अं० (पु०) मुलायम नोकवाली गोली, डमडम (पु०) = दरबारी; बारदारी (स्त्री०) 1 पास बैठना दमदमा-फा० (पु०) 1 चहारदीवारी 2 मोर्चेबंदी।
2 खुशामद करना; बार साहब + अ० (पु०) सिक्खों का दमन-सं० (पु०) 1 आत्मनियंत्रण 2 बलपूर्वक शांत करने का | प्रधान गुरुद्वारा; बार हाल + अं० (पु०) वह बड़ा कमरा
होना
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दर
384
दरेस
जहाँ दरबार लगता है, बारी I (पु०) राज सभा का सदस्य दरमान-फा० (पु०) 1 दवादारू, इलाज II (वि०) दरबार का
दरवाज़ा-फ़ा० (पु०) 1 फाटक 2 किवाड़ दर-II (स्त्री०) भाव, कीमत, मूल्य। बंदी (स्त्री०) | दरवी-(स्त्री०) दर्वी
अलग-अलग दर निश्चित करना, - अनुसूची (स्त्री०) भाव दरवेश-फ़ा० (पु०) 1 फ़कीर 2 भिखारी, मंगन तालिका; --मुलाई (स्त्री०) कीमत मुलवाना
दरशन-(पु०) = दर्शन दर-III फ़ा० (क्रि० वि०) में, अंदर । --असल अ० (क्रि० दरशनी-(वि०) दर्शन संबंधी वि०) वास्तव में; कार, कारी I (वि०) आवश्यक, दरस-(पु०) 1 दर्शन 2 भेंट, मुलाकात जरूरी II (स्त्री०) आवश्यकता; --किनार I (वि०) दरशन-(पु०) = दर्शन, दरस अलग, जुदा II (क्रि० वि०) 1 बगल में 2 एक तरफ़; | दरसनिया-बो० (पु०) दर्शन करानेवाला व्यक्ति --कूच (क्रि० वि०) बराबर यात्रा करते हुए; परदा (क्रि० दरसाना-[ बो० (स० क्रि०) 1 दिखलाना 2 दर्शन कराना वि०) पर्दे की आड़ में; ~पेश (क्रि० वि०) आमने-सामने, | II (अ० क्रि०) दिखाई देना
आगे; --माहा (पु०) मासिक वेतन, तनख्वाह; --मियान || दरहम-फ़ा० (वि०) अस्त-व्यस्त। बरहम (वि०) (पु०) बीच, मध्य II (क्रि० वि०) बीच में; ~मियाना | अस्त-व्यस्त (वि०) 1 बीच का 2 न बहुत बड़ा न बहुत छोटा; ~~मियानी दराँत (पु०), दराँती-(स्त्री०) हँसिया (वि०) भीतरी, आंतरिक; हक़ीकत (क्रि० वि०) वास्तव | दराई-बो० (स्त्री०) 1 दलना 2 दलने की मजदूरी
दराज-बो० (स्त्री०) दरार दर-IV सं० (पु०) 1 भय 2 विदारण 3 कंदरा, गुफा दराज़-I फ़ा० (वि०) 1 बहुत बड़ा 2 फैला हुआ, विस्तृत दरक-(स्त्री) दरार
3 लम्बा II (क्रि० वि०) अधिक, बहुत। दस्त (वि०) दरक-सं० (वि०) कायर, डरपोक
लंबे हाथवाला; ~दस्ती (स्त्री०) लंबा हाथ मारना दरकच-(स्त्री०) कुचलने की चोट
दराज़-अं० (स्त्री०) मेज़ में लगा सामान रखने का खाना दरकचना-I (स० क्रि०) 1 दबाना 2 पीसना II (अ० क्रि०) दरामद-फ़ा० (स्त्री०) अंदर आना क्षत होना, दबना
दरार-(स्त्री०) रेखा की तरह का अवकाश, दरज (जैसे-दरवाजे दरकना-(अ० क्रि०) दबाव से फटना
की दरार) दरका-(पु०) चीर, दरार
दरारना-I (अ० क्रि०) फटना II (स० क्रि०) फाड़ना दरकाना-I (स० क्रि०) फाड़ना, विदीर्ण करना II (अ० दरिंदा-फ़ा० (पु०) हिंसक जंतु, हिंसक पशु क्रि०) फटना, विदीर्ण होना
दरित-सं० (वि०) 1 फटा हुआ 2 डरा हुआ दरख्त-फ़ा० (पु०) पेड़, वृक्ष
दरिद्दर-बो० (पु०) दरिद्र दरज-अ० (वि०) दर्ज
दरिद्र-I सं० (वि०) निर्धन, कंगाल II (पु०) निर्धन व्यक्ति । दरज़-फ़ा० (स्त्री०) दरार
ता (स्त्री०) निर्धनता, कंगालपन दरजन-अं० (पु०) = दर्जन
दरिद्रित-सं० (वि०) 1 दरिद्र 2 दुःखी दरजा-अ० (पु०) = दर्जा
दरिया-फा० (पु०) नदी। दिल (वि०) खुले दिलवाला, दरज़िन-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) = दर्जिन
अति उदार; दिली (स्त्री०) अति उदारता; बरामद, दरजी-फ़ा० (पु०) = दर्जी
बरार (स्त्री०) नदी हटने से निकली ज़मीन; बुर्द, दरण-सं० (पु०) 1 पीसना, दलना 2 विनाश
~शिकस्त (स्त्री०) नदी के चढ़ने से डूबी हुई ज़मीन दरणि-सं० (स्त्री०) 1 धारा 2 तरंग
दरियाई-I फ़ा (वि०) नदी संबंधी, नदी का (जैसे-दरियाई दरणी-सं० (स्त्री०) 18वर 2 प्रवाह 3 लहर
घोड़ा) II (स्त्री०) धारीदार रेशमी कपड़ा दरद-[ सं० (वि०) भयदायक II (पु०) पहाड़ III बो० पीड़ा | दरियाप्त-फा० (वि०) पता लगाया हुआ दरदीला-(वि०) दरदवाला
दरी-I (स्त्री०) मोटे सूत का बिछावन II सं० (स्त्री०) गुफा, दरदरा-(वि०) बारीक कणवाला (जैसे-दरदरा आटा) कंदरा। ~मंदिर (पु०) गुफामंदिर; ~मुख (पु०) गुफा का दरदराना-(स० क्रि०) दरदरे कण के रूप में पीसना, दरदरा | द्वार III (वि०) कायर, डरपोक पीसना (जैसे-गेहूँ दरदराना)
दरीखाना-फा० (पु०) 1 अनेक दरवाज़ोंवाला मकान 2 अनेक दरदरी-(वि०) मोटे दानोंवाला
दरवाज़ोंवाला कमरा 2 बारहदरी दरना-बो० (स० क्रि०) दलना, पीसना
दरीचा-फा० (पु०) 1 छोटा दरवाज़ा 2 खिड़की 3 रोशनदान दरपनी-(स्त्री०) चौखटे में मढ़ा शीशा
दरीबा-(पु०) 1 बाज़ार 2 वह बाज़ार जहाँ एक सी चीजें बिकती दरब-बो० (पु०) द्रव्य, धन दरबर-बो० (वि०) दरदरा
दती-(स्त्री०) अनाज दलने की चक्की दरबा-फा० + हिं० (पु०) 1 खानेदार आलमारी 2 दीवार आदि | दरेग़-फा० (पु०) कसर, त्रुटि का कोटर
दरेरना-(स० क्रि०) 1 रगड़ के साथ धक्का देना 2 रगड़ना दरमन-फा० (पु०) 1 उपचार, इलाज 2 दवा, औषध दरेस-I अं० (स्त्री०) फूलदार छींट II (वि०) तैयार होकर दरमा-(स्त्री०) बाँस की चटाई
| तुरंत काम में आनेवाला
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दरेसी
दोसी-अं० (स्त्री०) 1 काट-छाँटकर दुरुस्त करना 2 सजाना 3 समतल करना
दरैया-बो० (पु०) दलनेवाला
+ अ + फ़्रा०
दरोग - I फ्रा० (पु० ) असत्य कथन II (वि०) झूठा, असत्य । ~गोई (स्त्री०) झूठ बोलना; हलफ्री (स्त्री०) शपथ लेकर भी झूठ बोलना, झूठा हलफ़ दरोगा -फा० ( पु० ) = दारोगा
दरोगी - फ्रा० (वि०) दारोगा संबंधी
दर्कार-फ्रा० (वि०) = दरकार
दर्ज - अ० (वि०) लिखा हुआ, अंकित । ~ रजिस्टर (वि०) पंजी में लिखा हुआ
दर्जन - 1 अं० (पु०) बारह का समाहार II (वि०) बारह (जैसे- एक दर्जन अंडा ) दर्जा - अ० ( पु० ) 1 कक्षा 2 स्थान, श्रेणी 3 पद, ओहदा 4 खाना बंदी + फ्रा० (स्त्री०) श्रेणीबद्ध करना; वार + फ़ा० (वि०) श्रेणीबद्ध दर्जिन-फा० + हिं० (स्त्री०) 1 दर्ज़ी जाति की स्त्री 2 दर्ज़ी की स्त्री
दर्दर-सं० (वि०) फटा हुआ दर्दी -फ़ा० (वि०) हमदर्द
385
+
दर्जी - फा० (पु० ) कपड़ा सीने का धंधा करनेवाला व्यक्ति । ~ गिरी (स्त्री०) दर्ज़ी का काम। ~ की सूई हर तरह का काम करनेवाला आदमी
दर्दीला - फ़ा० + हिं० (वि०) दर्द भरा दर्दुर-सं० (पु० ) मेंढक
दर्देदिल - फ़ा० (पु० ) दिल का दुःख दर्देशिकम-फ़ा० (पु०) पेट का दर्द
दर्द-फ़ा० (पु०) 1 पीड़ा, व्यथा 2 कष्ट, दुःख । ~ तोड़ + हिंο (वि०) दर्द हटानेवाला; ~ नाक (वि०) दर्द से भरा हुआ; -भरा + हिं० (वि०) दुःखपूर्ण (जैसे- दर्द भरी कहानी); ~मंद (वि०) 1 पीड़ित 2 हमदर्द, करुणाशील; मंदी (स्त्री०) 1 सहानुभूति 2 दया; शरीक +370 (fão) दुःख में शामिल होनेवाला; ~सर (पु० ) सिर का दर्द; ~सरी (स्त्री०) दिक्कत तक़लीफ़
अं०
दर्पक सं० (वि०) दर्प करनेवाला
दर्पण -सं० ( पु० ) शीशा, आईना
दर्पणाकार -सं० (वि०) दर्पण की आकृति का
दर्प - सं० ( पु० ) 1 घमंड, अभिमान 2 मान 3 अक्खड़पन, उद्दंडता 4 रोब
दर्पणी - सं० (वि०) दर्पण संबंधी
दर्पित-सं० (वि०) 1 दर्प युक्त 2 अभिमानी, घमंडी दर्पी -सं० (वि०) 1 दर्पवाला 2 रोबवाला दर्पोन्नत, दर्पोत्पद-सं० (वि०) दर्पित दर्भ-सं० (पु०) कुशा, कुश दर्भट -सं० (पु० ) बंद कमरा दर्मियान - फ़ा० (वि०) दरमियान दर्मियानी - फ़ा० (वि०) दरमियानी
दर्श - (पु० ) 1 मोटा पीसा हुआ चूर्ण (जैसे- दाल का दर्रा)
2. कँकरीली मिट्टी
दर्श - फ़ा० ( पु० ) सँकरा एवं दुर्गम रास्ता
दर्शना - (अ० क्रि०) बेधड़क चले जाना
दर्व सं० (पु० ) 1 हिंसक व्यक्ति, आततायी 2 राक्षस दव-सं० (स्त्री०) 1 साँप का फन 2 बड़ी करछी दर्श - सं० (पु० ) 1 दर्शन 2 अमावस्या तिथि 3 अमावस्या के दिन होनेवाला यज्ञ
दर्शक - I सं० (वि०) 1 देखनेवाला, द्रष्टा 2 दिखानेवाला निर्देश करनेवाला (जैसे- मार्गदर्शक, दिग्दर्शक) II (पु० ) व्यक्तियों का समूह (जैसे-सिनेमा में आए दर्शक बैठ जाएँ) । ~गण (पु० ) देखनेवाले लोग; दीर्घा (स्त्री०) दर्शकों के बैठने हेतु ऊँचाई पर बना स्थान, विजिटर्स गैलरी; पंजिका, पत्रिका (स्त्री०) दर्शकों द्वारा संस्था के विषय में अपने विचार प्रकट करने हेतु निर्मित रजिस्टर, वृंद (पु०) = दर्शकगण
दल
दर्शन - सं० ( पु० ) 1 देखना (जैसे- नाट्य दर्शन) 2 साक्षात्कार (जैसे- ब्रह्म दर्शन) 3 प्रेम भक्ति से देखना (जैसे- महात्माजी के दर्शन ) भेंट मुलाकात (जैसे- माता के दर्शन को जाना) । ~ कार ( पु० ) दर्शन करनेवाला व्यक्ति; गृह (पु० ) सभा भवन पद्धति प्रणाली (स्त्री०) दर्शन शास्त्र की विधि प्रतिभू (पु०) विशिष्ट समय एवं स्थान पर व्यक्ति को उपस्थित कराने की ज़िम्मेदारी लेनेवाला ज़मानतदार; ~वादी (वि०) दर्शन के सिद्धांत को माननेवाला; ~ विज्ञान, ~ शास्त्र (पु०) जगत्, आत्मा, प्रकृति, समाज और व्यक्ति से संबंधित गूढ़ प्रश्नों का विवेचन करनेवाला
शास्त्र
दर्शनाभिलाषी-सं० (वि०) दर्शन की इच्छा करनेवाला दर्शनार्थी-सं० (पु०) दर्शन करनेवाले लोग (जैसे- हज़ारों दर्शनार्थी गंगा सागर गए)
दर्शनी-सं०
हिं० (वि०) दरशनी
दर्शनीय-सं० (वि०) दर्शन करने योग्य (जैसे-दर्शनीय स्थल,
+
दर्शनीय वस्तु)
दर्शनेंद्रिय -सं० (स्त्री०) आँख
दर्शाना सं० + हिं० (स० क्रि०) - दरसाना दर्शिका-सं० (स्त्री०) मार्ग दर्शन करनेवाली दर्शित -सं० (वि०) दिखलाया हुआ
दर्शी - सं० (वि०) देखनेवाला (जैसे-आकाशदर्शी), करनेवाला (जैसे- आत्मदर्शी)
दर्स - अ० (पु० ) 1 पढ़ना, पठन 2 उपदेश 3 शिक्षा । गाह + फ़ा० (पु० ) पाठशाला
दल - सं० ( पु० ) 1 गुट, गिरोह (जैसे- डाकुओं का दल) 2 झुंड, टोली (जैसे-पर्वतारोही दल) 3 पौधों के छोटे एवं कोमल पत्ते (जैसे- तुलसी दल) 4 एक जाति, वर्ग आदि का समूह (जैसे- कांग्रेस कर्मियों का दल) 5 फ़ौज का दस्ता, सैनिक दल 6 सामूहिक रूप से कार्यकर्ताओं का संगठन (जैसे- साम्यवादी दल) | कपाट (पु० ) पंखुड़ी का कोष; - कोमल (पु० ) कमल; - गंजन (वि०) व्यक्तियों के समूह को नाश करनेवाला, बहुत बड़ा वीर त्यागी (पु० ) दल से अलग होनेवाला व्यक्ति; दार • फा० (वि०) दलवाला; ~ नायक, दल नेता (पु०) दल का मुखिया; बंदी फा० (स्त्री०) दल बदल (पु० ) दल परिवर्तन;
पति (पु० ) दल का स्वामी; का निर्माण एवं संगठन करना;
साक्षात्कार
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दलक़
बद्ध
बदलू + हिं० (पु० ) दल बदलनेवाला व्यक्ति; (वि०) दल में बँधा हुआ; ~बल (पु० ) 1 फ़ौज, लाव-लश्कर 2 नौकर-चाकर, संगी-साथी आदि; बादल + हिं० ( पु० ) 1 बादलों का समूह 2 बहुत बड़ी सेना 3 बड़ा खेमा; ~वाला हिं० (वि०) दलबद्ध; ~ विभाजन (पु० ) दल का विभक्त होना; ~ विरोधी (वि०) दल का विरोध करनेवाला
+
दलक़ - अ० (स्त्री०) गुदड़ी। पहननेवाला
पोश
386
+ फ़ा० (वि०) गुदड़ी
दलक - (स्त्री०) 1 टीस, पीड़ा 2 कंप, थरथराहट दलकन - ( स्त्री०) 1 दलकना 2 दलक, टीस दलकना - I (अ० क्रि०) 1 काँपना 2 डगमगाना 3 विकल होना, घबराना II (स० क्रि०) 1 कँपा देना 2 विकल करना दलगत सं० (वि०) दल में शामिल ( दलगत भावना, दलगत राजनीति)
दलदल - (स्त्री०) 1 बहुत गीला और मुलायम पदार्थ 2 कीचड़, पंक । भूमि + सं० (स्त्री०) कीचड़ भरी ज़मीन; में फँसना मुसीबत में फँसना
दलदला - (वि०) दलदलवाला
दलदलाना - (स० क्रि०) दे० दरदराना
=
दलन - 1 सं० ( पु० ) 1 पीसना, कुचलना 2 नाश, संहार II (वि०) संहारक, नाशकारक
दलना - (स० क्रि० ) 1 चक्की में पीसना (जैसे- गेहूँ दलना) 2 कुचलना, मसलना 3 नष्ट करना बर्बाद करना दलनि-बो० (स्त्री०) दलन दलनीय -सं० (वि०) पीसने-कुचलने के योग्य
दलमलना - (स० क्रि०) 1 रौंद डालना, कुचल डालना 2 मसल डालना 3 छिन्न-भिन्न करना
दलवाई - (स्त्री०) 1 दलाने का काम 2 दलाने की मज़दूरी दलवाना - (स० क्रि०) 1 दलने का काम करवाना 2 ध्वस्त कराना, नाश कराना
दलवैया - (वि०) दलनेवाला
दलहन - ( पु० ) तैयार दाल के बीज दलहरा - ( पु० ) 1 दाल बनानेवाला 2 दाल का व्यापारी दलहा - ( पु० ) थाला दलादली - (स्त्री०) दलों की होड
दलान बोर फ़ार (५०) दालान दलाना - (स० क्रि०) दलवाना दलारा - ( पु० ) झूलनेवाला बिस्तरा दलाल - अ० ( पु० ) 1 बिचवई, बिचौलिया, मध्यस्थ 2 कुटना 3 पारसियों की एक जाति। बाज़ + फ़ा० (पु०) दलाल; बाज़ी फ़ा० (स्त्री०) दलाल का काम
दलालत - अ० (स्त्री०) 1 दलील 2 प्रमाण 3 लक्षण दलाला - अ० (स्त्री०) कुटनी
दलाली - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 दलाल का काम 2 दलाल का पारिश्रमिक (जैसे-सौ रुपए दलाली प्राप्त हुई) दलित-सं० (वि०) 1 कुचला हुआ. दबाया हुआ (जैसे- दलित वर्ग) 2 नष्ट किया हुआ (जैसे- दलित जाति) दलिद्दर - I बो० (वि०) दरिद्र कंगाल II (पु० ) दरिद्रता दलिया - (पु०) दला हुआ अनाज
दशमिक
दली -सं० (वि०) 1 दलवाला 2 पत्तोंवाला
दलीय - सं० (वि०) दल संबंधी (जैसे दलीय एकता, दलीय
भाषण)
दलील-अ० (स्त्री०) 1 युक्ति, तर्क 2 बहस दलेपंज - (पु० ) बूढ़ा होनेवाला घोड़ा
दलेल - अ० (स्त्री०) सज़ा के तौर पर करायी जानेवाली कवायद दलैया - (पु० ) 1 दल नाशक 2 पीसनेवाला दवेंगरा - ( पु० ) पावस ऋतु की पहली वर्षा दव-सं० ( पु० ) जंगल, वन
दवा - अ० (स्त्री०) 1 उपचार, इलाज (जैसे तपेदिक की दवा) 2 औषध (जैसे- कडवी दवा का प्रयोग) 3 ठीक करने का उपाय, तरीका (जैसे- इस बदमाश की दवा दारोगा कर सकता है)। खाना + फ़ा० (पु० ) औषधालय; दरमन - फ़ा० ( पु० ). दारू + फ़ा० (स्त्री०) इलाज, उपचार; ~फ़रोश + फ़ा० (पु०) दवाइयाँ बेचनेवाला; साज़ + फ़ा (पु०) दवाइयाँ बनानेवाला
दवाई - अ० + हिं० (स्त्री०) दवा खाना - हिं० + फ़ा०, ~घर + हिं० (पु० ) = दवाखाना
दवाग्नि सं० (स्त्री०) वन में लगी आग, दावानल, दावाग्नि दवात - अ० (स्त्री०) मसि पात्र दवानल सं० (पु० ) = दवाग्नि
दवामी अ० + फ़ा० (वि०) चिरस्थायी । -काश्तकार (पु०) स्थायी रूप से काश्तकारी का अधिकार प्राप्त किसान; ~ बंदोबस्त (पु० ) सरकारी मालगुजारी को चिरकाल हेतु निश्चित करने की व्यवस्था;
दवारि-सं० (स्त्री०) दावाग्नि
दश-सं० (वि०) दस। छिद्र दो कान, आँख, नाक, एक मुख, गुदा, लिंग तथा ब्रह्मांड शरीर के दश छिद्र बाहु (पु०) शिव वार्षिक (वि०) दस वर्ष का; विधि (स्त्री०) दस प्रकार -ग्रीव (पु० ) रावण दशक -सं० ( पु० ) 1 दस का समाहार 2 दस वर्ष का समय दशधाभक्ति-सं० (स्त्री०) नवधा भक्ति में सम्मिलित दसवीं प्रेम लक्षणा भक्ति का सामूहिक रूप दशन सं० (पु०) दाँत । च्छद (पु०) होंठ दशनामी - सं० (पु० ) शंकराचार्य के शिष्यों द्वारा चला गया एक धार्मिक संप्रदाय
दशनावली -सं० (स्त्री०) दंतपंक्ति दशम सं० (वि०) दसवाँ (जैसे- दशम भाग, दशम अंश) । ~ भाव (पु० ) ज्योतिष में जन्म लग्न का दसवाँ धर दशमलव-सं० (पु० ) 1ग दसवें सौवें आदि के मध्य किसी अंश को बतलाने हेतु लगाया गया बिंदु (जैसे-दस दशमलव पाँच. 10.5) 2 दशमलव से सूचित की गई संख्या (जैसे- 5.82) । ~करण (पु० ) दशमलव का रूप देना: पद्धति (स्त्री०) दशमलव से सूचित करने की प्रणाली
=
दशमलवी -सं० (वि०) दशमिक। ~करण (पु.) दशमलव में परिवर्तित करना दशमांश -सं० (पु० ) दसवाँ भाग दशमिक सं० (वि०) दशमलव (जैसे- दशमिक मुद्रा प्रणाली)
भाग से संबंधित
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दशमी
दशमी - सं० (स्त्री०) 1 चांद्र मास के प्रत्येक पक्ष की दसवीं तिथि 2 विजयादशमी
दशहरा - ( पु० ) विजयादशमी
दशांग - सं० (पु०) दस प्रकार के सुगंधित द्रव्यों को मिलाकर
बनाया गया धूप
दशांत-सं० (पु० ) बुढ़ापा
दशांश - सं० ( पु० ) दसवाँ भाग
दशा-सं० (स्त्री०) 1 अवस्था, हालत 2 जीवन की कालगति के अनुसार अनेक अवस्था (जैसे - करुण दशा, क्रोध की दशा, प्रेम की दशा)
दशानन-सं० (पु० ) दशमुख, रावण दशाब्दी-सं० (स्त्री०) दस वर्ष का समय
दशावतार-सं० (पु० ) विष्णु के दस अवतार
दशाह -सं० (पु० ) 1 दस दिन 2 मृत्यु के दसवें दिन होनेवाला कर्मकांड आदि दशी-सं० +
हिं० (स्त्री०) (दे०) दशक
दश्त-फ़ा० (पु० ) जंगल
दश्ती - फ़ा० (वि०) जंगल से संबंधित, जंगली
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दष्ट-सं० (वि०) डसा हुआ
दस-I (वि०) नौ से एक अधिक II (पु० ) दस की संख्या, 10 की संख्या। गुना (वि०) जो दस का गुणा करने से प्राप्त हो (जैसे-सौ का दसगुना रुपया); दिवसीय + सं० (वि०) दस दिनोंवाला (जैसे-दस दिवसीय समारोह); ~नंबरी + अं० + हिं० (वि०) बहुत चालाक और बदमाश; ~साला + फ़ा० (वि०) दस वर्ष का दसखत-फ्रा० अ० (पु०) बो० = दस्तखत दसना - I (अ० क्रि०) बिछाया जाना, बिछना II (स० क्रि० ) बिछाना III ( पु० ) बिछौना, बिस्तर
दसवाँ - 1 (वि०) दस के स्थान पर आनेवाला (जैसे-दसवाँ राजा, दसवाँ फाटक) II (पु० ) = दशाह द्वार खुलना 1 ब्रह्मांड फटना 2 होश- हवास खत्म हो जाना दसाना - (स० क्रि०) बिछाना
दसी - (स्त्री०) 1 कपड़े का छोर, अंचल 2 निशान, चिह 3 चमड़ा छीलने का औज़ार, राँपी
दसोतरा - I (वि०) दस से अधिक II ( पु० ) प्रति सौ में दस III ( क्रि० वि०) दस प्रतिशत
दस्तंदाज़ -फ़ा० (वि०) हस्तक्षेप करनेवाला
दस्तंदाज़ी - फ़ा० (स्त्री०) हस्तक्षेप
दस्त - I फ़ा० ( पु० ) पतला मल
दस्त - IIफ़ा० ( पु० ) हाथ । ~कार ( पु० ) हस्त शिल्पी; ~कार उद्योग + सं० (पु० ) हस्त शिल्प उद्योग; कारी (स्त्री०) 1 दस्तकार का काम 2 हाथ से बनी कलापूर्ण कृति; ख़त अ० (पु० ) हस्ताक्षर ख़ती (वि०) हस्ताक्षरित ~ गिरिफ़्ता (वि०) 1 हाथ से पकड़ा हुआ 2 जिसकी मदद की जाए; ~ गीर (वि०) हाथ पकड़नेवाला, सहायक; ~ गीरी (स्त्री०) सहायता मदद चालाक (वि०) 1 चोर 2 हथलपक दराज़ (वि०) 1 ढीठ 2 हथछुट 3 हथलपक 4 परायी वस्तु हड़पनेवाला 5 परायी बहु-बेटी पर हाथ डालनेवाला; दराज़ी (स्त्री०) 1 हथछुटपन 2 हथलपकी 3 परायी बहु-बेटी पर हाथ डालना;
+
दहपटना
~ निगर (वि०) परमुखापेक्षी मोहताज पनाह (पु० ) चिमटा, ~बदस्त ( क्रि० वि०) हाथोंहाथ बंद (पु०) मोतियों एवं जवाहरात का लच्छा; ~बरदार (वि०) 1 हाथ हटा लेनेवाला 2 अलग रहनेवाला; ~बरदारी (स्त्री०) दस्तबरदार होना; ~ बस्ता ( क्रि० वि०) हाथ जोड़े हुए; ~याब (वि०) प्राप्त, हस्तगत
दस्तक - फ़ा० (स्त्री० ) 1 हाथ का हल्का आघात 2 दरवाज़ा खटखटाना (जैसे-दस्तक देना) 3 ताली 4 मालगुज़ारी वसूली का आज्ञापत्र 5 महसूल, राजस्व
दस्तरख़ान - फ़ा० ( पु० ) भोजन की थाली के नीचे रखा जानेवाला कपड़ा
दस्ता - I फ़ा० (पु० ) 1 बेंट, मूठ (जैसे-चाकू का दस्ता) 2 डंडा 3 चपरास II ( पु० ) 1 जत्था ( पहरेदार दस्ता) 2 सैनिकों की टोली 3 काग़ज़ के चौबीस तख्तों की गड्डी 4 फूलों का गुच्छा दस्तावर - फ़ा० (वि०) जिसके खाने से दस्त हो, रेचक दस्तावेज़ - फ़ा० (स्त्री०) 1 विधिक लेख्य 2 तहरीर 3 सनद 4 तमस्सुक
दस्तावेज़ी-फ़ा० (वि०) दस्तावेज़ संबंधी
दस्ती - I फ़ा० (वि०) 1 हाथ का 2 हाथ से ले जानेवाला II (स्त्री०) 1 छोटा बेंट 2 छोटा रूमाल 3 छोटा क़लमदान । ~ चिट्ठी (स्त्री०) हाथोंहाथ ले जानेवाली चिट्ठी दस्तूर - फा० (पु० ) 1 प्रथा, रीति 2 कायदा, नियम, विधि । -उल-अमल + अ० (पु० ) क़ायदा -क़ानून दस्तूरी - I फ़ा० (स्त्री०) सौदा खरीदने पर नौकरों को दुकानदारों
द्वारा दिया गया पुरस्कार स्वरूप धन II ( वि०) दस्तूर संबंधी दस्यु - सं० ( पु० ) 1 डाकू, लुटेरा 2 खल, दुष्ट; ता (स्त्री०) 1 दस्यु होने की अवस्था 2 डकैती, लुटेरापन 3 दुष्टता; वृत्ति (स्त्री०) डाकू का पेशा
दह - I (पु० ) नदी का बहुत गहरा भाग II (स्त्री०) - दाह
(जलन)
दहक - ( स्त्री०) 1 अग्नि ज्वाला, लपट 2 आग का दहकना 3 जलन, दाह 4 पश्चाताप
दहकना - ( अ० क्रि०) 1 धधकना 2 तपना 3 संतप्त होना, दुःखी होना
दहक़ान - फ़ा० (पु० ) देहाती आदमी
दहकाना - (स० क्रि०) 1 जलाना (जैसे-आग दहकाना) 2 भड़काना, उत्तेजित करना
दहक़ानियत - फा० + अ० (स्त्री०) गवारपन देहातीपन
दहक़ान II (वि०) गँवारों की तरह धधक धधककर (जैसे - दहड़ - दहड़
दहक़ानी - I फ़ा० (पु० ) हड़ - दहड़ - ( क्रि० वि०) जलना) दहन - सं० (पु० ) 1 जलना, दाह (जैसे-लंका दहन) 2 आग। ~ कक्ष (पु० ) जलाने का कमरा; ~शील (वि०) 1 शीघ्र जलनेवाला 2 जलानेवाला, दाहक
दहना - I (स० क्रि० ) 1 जलाना 2 अत्यधिक दुःखी करना, कुढ़ाना II (अ० क्रि०) 1 जलना 2 कुढ़ना दहनागार-सं० ( पु० ) = दहन कक्ष दहनीय सं० (वि० ) = दह्य
रौंदा हुआ
रौंदना
दहपट - (वि०) 1 ढाया हुआ, ध्वस्त 2 कुचला हुआ, दहपटना - (स० क्रि० ) 1 ध्वस्त करना, ढाना 2 कुचलना,
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दहरे-दहरे
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नाव
दहरे-दहरे-(क्रि० वि०) दहड़-दहड़
ओर III (पु०) 1 टीला 2 पर्वत श्रेणी, शिखर IV (पु०) दहल-(स्त्री) 1 डर से काँपना 2 थर्राना (जैसे-शेर की दहाड नगाड़ा, डंका से जी दहलना)
दाँज-(स्त्री०) बो० 1 तुलना, बराबरी 2 स्पर्धा, होड़ दहलना-(अ० क्रि०) 1 डर से काँपना 2 थर्राना (जैसे-शेर की दाड़ना-(स० क्रि०) 1 सज़ा देना 2 अर्थ दंड लगाना दहाड़ से जी दहलना)
दाँडा-मेड़ा-(पु०) 1 परस्पर अत्यंत समीप 2 अनबन, झगड़ा दहला-I (पु०) दस रंगीन चिह्नोंवाला ताश का पत्ता (जैसे-पान दांडिक-I सं० (पु०) जल्लाद II (वि०) दंड देनेवाला का दहला) II बो० (पु०) थाँवला, थाला
दाँत-(पु०) 1 रीढ़वाले प्राणियों के मुख में अर्धचंद्राकार रूप में दहलाना-(स० क्रि०) डराकर कँपा देना
पंक्तिबद्ध छोटे-छोटे अस्थिखंड, दंत (जैसे-दाँत से काटना, दहलीज़-फा० (स्त्री०) देहरी, डेहरी, देहली (जैसे-दहलीज़ पर | दाँत से दबाना) 2 आरी, कंघी आदि का दाँता। ~(घनी कदम रखना)
(स्त्री०) पहला दाँत निकलने पर बाँटी जानेवाली पोस्ते की दहशत-अ० (स्त्री०) आतंक, भय। ~गर्द + फ़ा० (वि०) घुघनी; दर्द + फ़ा० (पु०) दंत पीड़ा; दार + फ़ा० डरावना, भयानक; ~गर्दी + फ़ा० (स्त्री०) भयानकता; (वि०) आरीदार, कांटेदार (जैसे-दाँतदार पहिया, दाँतदार
-ज़दा + फ़ा० (वि०) डरा हुआ, भयभीत; नाक + कंघा); पीड़ा + सं० (स्त्री०) = दाँत दर्द; विज्ञान + फ्रा० (वि०) भयानक, डरावना
सं० (पु०) दंत चिकित्सा शास्त्र साज़ + फ़ा० (पु०) दहसनी-फा० + अ० + फ़ा० (स्त्री०) ऐसी बही जिसमें कृत्रिम दाँत बनानेवाला डाक्टर; काटी रोटी प्रगाढ़ मित्रता, दस-दस संवतों का हिसाब अलग-अलग किया जाता गाढ़ी दोस्ती; काढ़ना गिड़गिड़ाना; किरकिरे होना हार
मानना; ~कुरदने को तिनका न रहना पास में कुछ भी न दहा-फा० (पु०) 1 ताजिया 2 मुहर्रम का समय
रहना; खट्टे करना 1परास्त करना, हराना 2 नाक में दम दहाई-(स्त्री०) दाहिनी ओर से दूसरा स्थान (जैसे-बीस में दहाई करना, बहुत तंग करना; ~गड़ना बहुत लालायित होना; का अंक दो है)
-चबाना दे० दाँत पीसना; तले उँगली दबाना दे० दाँतों दहाड़-(स्त्री०) 1 गर्जन (जैसे-सिंह की दहाड़) 2 ज़ोर की उँगली काटना; तोड़ना परास्त करना; दिखाना घुड़कना; चिल्लाहट (जैसे-दहाड़ मार कर रोना)। ~मारकर रोना
--निकालना, निपोरना 1 गिड़गिड़ाना 2 व्यर्थ हँसना ज़ोर-ज़ोर से रोना
32 बोल देना; पर मैल न होना अत्यंत दरिद्र होना, दहाड़ना-(अ० क्रि०) 1 गरजना 2 चिल्ला-चिल्लाकर रोना अकिंचन होना; -पीसना अत्यधिक क्रुद्ध होना; -बैठना 3 डपटकर बोलना (जैसे-दारोगा का दहाड़ना सुनकर चोर भाग
बेहोशी के कारण दाँतों का सट जाना, मुँह न खुल पाना; निकला)
लगाना हड़पने की ताक में रहना; दाँतों उँगली काटना दहाना-फा० (पु०) 1 बड़ा और चौड़ा मुँह 2 मशक का मुँह आश्चर्य में पड़ जाना, दंग रहना; दाँतों पसीना आना 3 पनाला, मोरी 4 नदी का मुहाना
अत्यधिक श्रम पड़ना; दाँतों में जीभ-सा होना प्रतिपल दहार-I बो० (पु०) 1 प्रांत, प्रदेश 2 गाँव के आस-पास की शत्रओं के बीच रहना; दाँतों में तिनका गहना दीन भाव से ज़मीन II (स्त्री०) दहाड़
प्रार्थना करना; से उठाना कंजूसी से एकत्र करना दहिजरा-(वि०) तनजला (गाली)
दांत-[सं० (वि०) 1 दबाया हआ 2 वश में किया हुआ दहिने-(क्रि० वि०) 1 दाहिने हाथ की ओर (जैसे-इस मकान | 3 जितेन्द्रिय II 1 दाँत का बना हआ 2 दाँत का
के दहिने एक कूआँ है) 2 अनुकूल रहकर (जैसे-अधिकारी दाँता-(पु०) दाँत सा बड़ा एवं नुकीला सिरा, दंदाना । के दहिने रहना)
__-किटकिट, किलकिल (स्त्री०) तकरार, तू-तू-मैं मैं दहियल-बो० (पु०) - दहला |
दाँती-I (स्त्री०) हँसियाँ || नाव बाँधने का बँटा III दंतावली, दही-(पु०) जामन डालकर जमाया दूध (जैसे-दही जमाना, । बत्तीसी दही जमना)। बड़ा (१०) दही में पड़ा हआ बडा: दही दॉना-(स० क्रि०) फसल के बीज अलग करना. दाने अलग करना बेचने हेतु प्रचार करना
करना दहेंगर-(पु०) दही का मटका
दांपतिक, दांपत्य-[ सं० (वि०) दंपती-संबंधी (जैसे-दांपत्य दहेज़-अ० (पु०) विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष द्वारा वर प्रेम, दांपत्य कहा-सुनी) II (प.) 1 दंपती होने की अवस्था
पक्ष को दिया जानेवाला धन, रुपया आदि, दायज़ा, दाय 2 पति-पत्नी का संबंध। -जीवन (पु०) पति-पत्नी का दहेला-1 (वि०) जला हुआ, दग्ध 2 दुखी. संतप्त
जीवन; संबंध (पु०) पति-पत्नी का रिश्ता; दहेला-II (वि०) 1 भीगा हुआ, आई 2 भोग किया हुआ, ~~संबंध-विच्छेद (पु०) तलाक, डाइवोर्स भोगा हुआ
दांभिक-सं० (वि०) 1 दंभवाला, घमंडी 2 पाखंडी 3 वंचक, दहोतरसौ-(पु०) सौ से दम ऊपर की संख्या, एक सौ दस की ठग संख्या, 110
दाँय-[ (स्त्री०) बो० बंदूक, तोप आदि छूटने का शब्द दह्य-मं० (वि०) जल सकने योग्य
__ II (स्त्री०) =वरी दह्यमान-सं० (वि०) जलता हुआ
दाँव-(पु०) 1 दफ़ा, बार, मर्तबा (जैसे-दो दाँव का खेल) दाँ-बो० (पु०) दफा, बार, बारी
2 पारी, बारी (जैसे-हम दो दाँव से जीत गए) 3 खेलने की दाँग-I फ़ा० (स्त्री०) छः रत्ती की तौल II फ़ा० (स्त्री०) दिशा, | पारी, अवसर (जैसे-अब हमारा दाँव है) 4 हाथ (जैसे-जए में
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दाँवना
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दाना
दाँव मारना) 5 अनुकूल अवसर (जैसे-बच निकलने का दाँव दाढ़ा-I बो० (पु०) लंबी दाढ़ी II (पु०) डाढ़ा नहीं मिला) 6 तरकीब, युक्ति (जैसे-दाँव ढूँढ़ना) 7 चालाकी दाढ़ी-(स्त्री०) 1 ठुड्डी पर के बाल (जैसे-दाढ़ी बनवाना) (जैसे-दाँव दिखाना)। ~घात (स्त्री०) 1 छल, कपट 2 ठुड्डी, ठोढी। दार + फ़ा० (वि०) दाढ़ीवाला 2 मतलब गाँठने का ढंग; -पेंच + फ़ा० (पु०) चाल, (जैसे-दाढ़ीदार आदमी); ~मुढ़वाई (स्त्री०) 1 दाढ़ी के
मकरफ़रेब; लगाना बाजी लगाना; लेना बदला लेना बाल उस्तरे से साफ़ करवाना 2 दाड़ी बनवाने की मज़दूरी, दाँवना-(स० क्रि०) दाँना
पारिश्रमिक; ~मूंछ (स्त्री०) दाढ़ी और मूंछ दौवनी-(स्त्री०) बो० 1 = दावनी (गहना) 2 = =वरी 3 = | दातन-(स्त्री०) दातुन दाँवरी
दातव्य-1 सं० (वि०) 1 देने योग्य 2 दान का II (पु०) 1 दान दाँवरी-I (स्त्री०) रस्सी, डोरी II (स्त्री०) =वरी
2 दानशीलता दाई-(स्त्री०) 1 उपमाता, धाय 2 बच्चा जनानेवाली औरत । दाता-I सं० (वि०) 1 देनेवाला 2 दानशील II (पु०) (जैसे-दाई से पेट छिपाना) 3 दासी, नौकरानी। --गिरी + 1 ईश्वर 2 दानी व्यक्ति फ़ा० (स्त्री०) दाई का काम; ~से पेट छिपाना ऐसे व्यक्ति दातार-सं० (वि०) 1 अधिक दान देनेवाला 2 भगवान
से बात आदि छिपाना जो सारा रहस्य जानता हो दाति-सं० (स्त्री०) देना दाऊ-बो० (पु०) 1 बड़ा भाई 2 बलराम, बलदेव (कृष्ण के | दातुन-(स्त्री०) 1 वृक्ष की पतली, नरम टहनी का छोटा टुकड़ा एक बड़े भाई)
(जैसे-नीम की दातुन) 2 दाँत-मुँह साफ़ करना दाएँ-(क्रि० वि०) दायें। बाएँ (क्रि० वि०) इधर-उधर दातृता-सं० (स्त्री०) दानशीलता दाक्षिणात्य-सं० (वि०) दक्षिण का, दक्षिणी
दातृत्व-सं० (पु०) दानशीलता दाक्षिण्य-I सं० (वि०) दक्षिण संबंधी II (पु०) दातौन-(स्त्री०) दातुन 1 अनुकूलता 2 निपुणता, पटुता 3 साहि० नायक द्वारा नायिका दात्यूह-सं० (पु०) 1 पपीहा, चातक 2 मेघ, बादल का अनुवर्तन
दात्योह-(पु०) = दात्यूह दाख-I (स्त्री०) 1 अंगूर 2 मुनक्का II (वि०) दक्ष दात्र-सं० (पु०) दराँती, हँसिया दाखिल-अ० (वि०) 1 प्रविष्ट 2 शामिल (जैसे-बिना इज़ाज़त दात्री-सं० (स्त्री०) देनेवाली दाखिल होना)। खारिज़ (पु०) का० एक का स्वामित्व दाद-फ़ा० (स्त्री०) 1 इंसाफ, न्याय 2 न्याय हेत की गई प्रार्थना काटकर दूसरे का स्वामित्व काग़ज़ में दर्ज़ करना; दफ़्तर 3 सराहना, प्रशंसा (जैसे-दाद देना)। ख्वाह (वि०) करना (स० क्रि०) बिना कार्रवाई किए काग़ज़ को फाइल में न्याय चाहनेवाला लगा देना; ~करना अदा करना. जमा करना
दाद-(स्त्री०) चि० चकत्तेदार चर्म रोग दाखिला-अ० (पु०) 1 प्रवेश (जैसे-विद्यालय में दाखिला दादनी-फ़ा० (स्त्री०) 1 दातव्य 2 पेशगी दी जानेवाली रकम ।
करवाना) 2 अदायगी 3 चुंगी आदि की रसीद 4 प्रवेश शुल्क दार (पु०) पेशगी देनेवाला 5 दाखिल रजिस्टर
दादा-(पु०) 1 पितामह 2 बड़े-बूढ़ों के लिए प्रयुक्त आदर दाखिली-अ० (वि.) 1 भीतरी, आंतरिक 2 दिली, हार्दिक सूचक शब्द 3 बड़ा भाई। -गिरी , फ़ा० (स्त्री०) गुंडों की (जैसे-दाखिली तौर पर)
सरदारी. गुंडागर्दी दाग-(पु०) 1 दाह 2 दग्धकर्म (जैसे-दाग देना) 3 जलन, ताप दादी-(स्त्री०) पिता की माता, पितामही 4 डाह, ईर्ष्या 5 जलने का चिह्न
दादी-फ़ा० (पु०) न्याय का प्रार्थी । --फ़रियादी (प.) दाग़-फा० (पु०) 1 धब्बा (जैसे-स्याही का दाग) 2 विकार इंसाफ चाहनेवाला
सूचक चिह्न (जैसे-सेव पर सड़ने का दाग़ है) 3 लांछन, | दादू-बो० (पु०) दादा एवं बड़े भाई के लिए आदर सूचक कलंक (जैसे-कुल में दाग लगाना) 4 गर्म लोहे का निशान संबोधन शब्द (जैसे-घोड़े को दाग़ देना)। दार (वि०) 1 दाग़वाला दान-सं० (१०) 1 देन 2 खैरात (जैसे-गरीबों को दान देना) 2 कलंकित; ~बेल + हिं० (स्त्री०) नींव से पहले मकान 3 दी गई कोई वस्तु । ~धर्म (प०) दान देने का धर्म; पत्र आदि की खींची गई रेखाएँ -लगाना 1 कलंकित करना (पु०) ऐसा पत्र जिसमें दान संबंधी उल्लेख हो, परायण 2 कलुषित करना
(वि०) दानशील, ~पात्र (पू.) दान देने योग्य व्यक्तिः दाग़ना-फा० + हिं० (स० क्रि०) 1 गर्म धातु से शरीर पर पुण्य (पु०) - दान धर्मः -प्रतिष्ठा (स्त्री०) दान के निशान लगाना 2 बंदूक आदि छोड़ना 3 संतप्त करना, जलाना साथ की दक्षिणा; लेख (पु०) - दान पत्र: शील 4 शव को आग देना
(वि०) बहुत बड़ा दानी; दाग़ी-फ़ा० (वि०) 1 दागदार 2 लांछित 3 सज़ा भुगता हुआ दानव-सं० (पु०) राक्षस, असुर, दैत्य। गुरु (३०) दाघ-सं० (पु०) । गर्मी. ताप 2 जलन, दाह
शुक्राचार्य दाझना-(अ० क्रि०) 1 जलना 2 डाह करना
दानवारि-सं० (पु०) विष्णु दाड़क-(पु०) दाढ़, डाढ़
दानवी-I सं० (वि०) दानव संबंधी || (स्त्री०) दानव जाति दाडिम-सं० (पु०) 1 अनार 2 इलायची
की स्त्री, राक्षसी दाढ़-I (स्त्री०) चौभर (जैसे-दाढ़ दर्द करना) II (स्त्री०) | दाना-I फ़ा० (पु०) 1 अन्न कण 2 अनाज 3 भाड़ में भुंजा गया दहाड़
अन्न, चबेना 4 भोजन (जैसे-दाना-पानी देना) । चारा +
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दानाई
+
हिं०, पानी हिं० ( पु० ) 1 अन्न-जल 2 खाना-पीना; ~बंदी (स्त्री०) खड़ी फ़सल की कूत; पानी उठना रोज़ी खत्म होना, जीविका न रहना; दाने-पानी को तरसना भूखों मरना; दाने-दाने को मुहताज अत्यंत निर्धन, कंगाल II फ़ा० (वि०) बुद्धिमान, अक्लमंद
दानाई-फ़ा० (स्त्री०) अक्लमंदी, बुद्धिमत्ता दानिन -सं० (स्त्री०) दान देनेवाली स्त्री
दानिश - फ़ा० (स्त्री०) 1 अक्ल, बुद्धि, विवेक 2 विद्या । ~मंद (वि०) अक्लवाला, बुद्धिमान मंदी (स्त्री०) बुद्धिमत्ता, विवेकता
दानी - I सं० (वि०) 1 दानशील 2 देनेवाला II (पु० ) 1 बहुत बड़ा दाता 2 कर वसूलनेवाला
दानेदार - फ़ा० (वि०) जो कण रूप में हो (जैसे-दानेदार घी, दानेदार चीनी)
दाप - (पु० ) 1 अभिमान, दर्प 2 बल, शक्ति 3 रोब, दबदबा 4 क्रोध, गुस्सा 5 जलन, ताप
दापक - (पु० ) 1 दबानेवाला 2 रोकनेवाला दापना - (स० क्रि० ) 1 दबाना 2 रोकना, मना करना दाब - (स्त्री०) 1 दबाव (जैसे- वाष्पदाब, वायुदाब ) 2 शासन 3 नियंत्रण (जैसे- किसी के दाब में रहना) 4 अधिकार, रोब (जैसे- दाब दिखाना) 5 भार वजन। ~दार + फ़ा० (वि०) 1 आतंकवाला 2 रोबदार, प्रभावशाली; मापक + सं० (पु० ) वायुदाब, वाष्पदाब आदि नापनेवाला यंत्र; दिखाना रोब जमाना, मानना 1 प्रभुता स्वीकार करना 2 वश में रहना
3 भय खाना
दाबना - (स० क्रि० ) 1 दबाना 2 गाड़ना
दाबा - (पु० ) वृक्ष की टहनी को मिट्टी में गाड़ना दाम - (पु० ) 1 मूल्य, क़ीमत (जैसे-क़लम का दाम पाँच रुपए है) 2 रुपया-पैसा 3 दमड़ी का तीसरा अंश 4 सिक्का दाम - स० ( पु० ) 1 रस्सी 2 माला, हार 3 लड़ी दाम - फ़ा० (पु० ) फंदा
दामक - ( पु० ) 1 गाड़ी के जुए में बाँधी जानेवाली रस्सी 2 बागडोर
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दामन - फा० (पु० ) 1 अँगरखे का नीचे लटकता हुआ भाग 2 पहाड़ के नीचे की ज़मीन गीर (वि०) 1 मदद चाहनेवाला 2 पल्ला पकड़नेवाला छुड़ाना संबंध तोड़ देना, अलग हो जाना; - पकड़ना आश्रय ग्रहण करना; ~फैलाना दया की भीख माँगना (जैसे माँ ने बच्चे के लिए अपना दामन फैलाया)
दामर - ( स्त्री०) 1 गाढ़ा तारकोल, डामर 2 छोटे कानवाली भेड़ दामरी - (स्त्री०) 1 रस्सी, रज्जु 2 छोटा जाल
दामाद - फ़ा० (पु० ) पुत्री का पति, दमाद, जँवाई दामादी - I फ़ा० (वि०) 1 दामाद का 2 दामादों की तरह का
II (स्त्री०) दामाद होने का भाव। मे लेना दामाद बनाना दामासाह - ( पु० ) वह दिवालिया जिसकी संपत्ति पावनेदारों में बँट जाय
दामासाही - (स्त्री०) 1 दिवालिये की संपत्ति का बँटवारा 2 बँटवारे में मिला अंश
दामिनी-सं० (स्त्री०) आकाश में चमकनेवाली बिजली, तड़ित दामी - I (स्त्री०) मालगुज़ारी कर II ( वि०) 1 अधिक दाम |
का (जैसे-दामी कपड़ा) 2 मूल्यवान्
दाय - I सं० (पु० ) 1 दान 2 देने योग्य धन 3 दायजा, दहेज़ 4 बँटवारे में मिला धन II (वि०) 1 दिए जाने योग्य 2 जिसे दिया जाना आवश्यक हो III (स्त्री०) दाई । ~भाग (पु० ) 1 पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारियों में बँटवारा 2 इस बँटवारे की व्यवस्था, दायाधिकार; भागी (पु० ) पैतृक संपत्ति का उत्तराधिकारी
दारु
दायक -सं० (वि०) देनेवाला (जैसे कष्ट दायक, सुख दायक) दायज़, दायज़ा - ( पु० ) दहेज़
दायम-अ० ( क्रि० वि०) हमेशा, सदा दायमी - अ० + फ़ा (वि०) चिरस्थायी, सार्वकालिक दायमुल्हब्स-अ० (पु०) आजीवन क़ैद की सज़ा दायर - अ० (वि०) 1 पेश किया गया (जैसे- मुक़दमा दायर करना) 2 प्रचलित
दायरा - अ० ( पु० ) 1 कार्य क्षेत्र 2 गोल घेरा, वृत्त दायाँ - (वि०) दाहिना
दाया - फ़ा० (स्त्री०) दाई । ~गिरी (स्त्री०) 1 दाई का काम 2 बच्चा जनाने की विद्या
दायागत - I सं० (वि० ) पैतृक संपत्ति में मिला हुआ II (पु० ) दायरूप मे प्राप्तं धन
दायाद - I सं० (वि०) दाय का अधिकारी II (पु० ) 1 दाय का अधिकारी व्यक्ति 2 सपिंड संबंधी 3 पुत्र, बेटा दायादा -सं० (स्त्री०) उत्तराधिकारिणी दायाद्य-सं० (पु० ) पैतृक संपत्ति, मौरूसी संपत्ति दायाधिकारी-सं० (पु० ) दायाद का अधिकारी, वारिस 2 कार्यभार
दायित-सं० (वि०) दिलाया हुआ
दायित्व - सं० (पु० ) 1 ज़िम्मेदारी 2 कार्यभार । पूर्ण (वि०) ज़िम्मेदारी से भरा हुआ, दायित्वयुक्त शून्य, हीन (वि०) ग़ैर जिम्मेदार
दायी -सं० (वि०) 1 देने वाला 2 जो जवाबदेही हो उत्तरदायी दायें - ( क्रि० वि०) दाहिनी तरफ़, दाहिने दार-सं० (स्त्री०) पत्नी, भार्या। कर्म (पु० ), क्रिया (स्त्री०) विवाह (जैसे-दार कर्म में भाग लेना. दार क्रिया संपन्न करवाना); परिग्रह (पु० ) पुरुष का शादी करना, पत्नी बनाना ~ संग्रह ( पु० ) पत्नी रूप में स्वीकार करना दारक-सं० (पु० ) 1 पुत्र 2 बालक 3 फाड़नेवाला दारचीनी - (स्त्री०) एक प्रकार का तज दारण-सं० (पु० ) 1 चीर-फाड़ 3 चीरने - फाड़ने का औज़ार
2 शल्य चिकित्सा
2
दार ।
दार-मदार-फ़ा० (पु० ) 1 आश्रय, सहारा 2 ज़िम्मेदारी (जैसे- अब सारा दारमदार आप सँभालिए) दारा -सं० (स्त्री०) दारिका - सं० (स्त्री०) 1 कुँवारी लड़की, कुमारी 2 पुत्री, बेटी । सुंदरी (स्त्री०) असंभोगित वेश्या की कन्या दारित-सं० (वि०) फाड़ा हुआ दारिद्रय सं० (पु० ) दरिद्रता
दारी -सं० (स्त्री०) 1 दुश्चरित्रा स्त्री 2 दासी। जार (पु० ) दासी का पति (ग़ाली)
द्रारु - I सं० ( पु० ) 1 देवदारु 2 काष्ठ, काठ II ( वि० )
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दारुक
दानशील, दानी। ~कदली (स्त्री०) कठ केला, कर्म (पु० ) लकड़ी का काम; नारी (स्त्री०) कठपुतली; -पुत्रिका (स्त्री०) = दारुनारी; फल (पु० ) पिस्ता; ~ शिल्पकार ( पु० ) लकड़ी पर काम करनेवाला कारीगर; ~हलदी हिं० (स्त्री०) दवा के काम आनेवाली एक पीली लकड़ी
दारक - सं० ( पु० ) 1 देवदारु 2 कृष्ण का सारथि दारुण - I सं० (वि०) 1 कड़ा, कठोर 2 निर्दय (जैसे- दारुण दिल) 3 उम्र 4 तीव्र 5 भयानक 6 घोर II (पु० ) साहि०
भयानक रस
दारुण्य-सं० ( पु० ) 1 विकटता 2 प्रचंडता दारुमय-सं० (वि०) 1 काठ का 2 काठ का बना दारुलशफ़ा - अ० ( पु० ) 1 चिकित्सालय 2 आरोग्यशाला दारुलहुकूमत, दारुस्सलतनत-अ० (पु०) राजधानी दारू -फ़ा० (स्त्री०) 1 शराब 2 उपचार, चिकित्सा (जैसे- दवा-दारू करना) 3 दवा, अषध । ~कार ( पु० ) दारू बनानेवाला; ~खोर (पु०) दारू पीनेवाला; खोरी (स्त्री०) शराब पीना; दरमान (पु० ) उपचार, इलाज; ~बंदी (स्त्री०) शराब बंद करना
+
दारूड़ा-फा० हिं० बो० (पु० ) शराब, मद्य दारोगा - फ़ा० ( पु० ) 1 थानेदार 2 निगरानी करनेवाला 3 हिफ़ाज़त करनेवाला। चुंगी हिं० ( पु० ) चुंगी निरीक्षक जेल अं० (पु०) जेल की निगरानी करनेवाला, जेलर, सफ़ाई + अ + फा० (पु०) सफ़ाई निरीक्षक दारोग़ाई-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) 1 दारोगा का काम 2 दारोगा का
पद
दारोमदार - फ़ा० ( पु० ) = दार-मदार
दार्शनिक - I सं० (वि०) दर्शन शास्त्र संबंधी (जैसे- दार्शनिक सिद्धांत) II (पु० ) दर्शन शास्त्र का ज्ञाता
दाल - (स्त्री०) 1 दली हुई अरहर, मूँग, उरद आदि के दाने
2 इनका पका कर तैयार किया गया नया पदार्थ (जैसे-दाल से रोटी खाना) । चपाती (स्त्री०) दाल-रोटी; दलिया
(पु० ) रूखा-सूखा भोजन; --भात (पु०) दाल-चावल आदि, साधारण भोजन मोठ (स्त्री०) नमक-मिर्च मिलाकर तली हुई दाल (जैसे-चाय-दालमोट लेना); रोटी (स्त्री०) 1 साधारण भोजन 2 जीविका; - गलना युक्ति सफल होना; में काला होना कोई दोष छिपा होना; ~ रोटी चलना गुजर-बसर होना, निर्वाह होना दालचीनी - (स्त्री०) = एक मसाला
दालान - फा० (पु०) बरामदा
दालिम - (पु० ) दाड़िम, अनार दावँ - (पु० )
=
दाँव
दाव-सं० (पु० ) 1 जंगल, वन 2 जंगल में लगी आग, दावाग्नि 3 आग, अग्नि 4 जलन, ताप 5 पीड़ा, क्लेश दाव - (पु० ) = दाँव
दावत - अ० (स्त्री०) 1 निमंत्रण, बुलावा 2 भोज 3 भोज का निमंत्रण (जैसे- दावत देना) । नामा फ़ा० (पु० ) निमंत्रण पत्र
दावन - ( पु० ) 1 हँसिया 2 खुखड़ी
दावनी - (स्त्री०) माथे पर पहनने का झालरदार लंबोतरा गहना
दाहना
दावा- अ० (पु० ) 1 अधिकार, हक़ 2 न्याय हेतु न्यायालय में दिया गया प्रार्थना पत्र (जैसे-दावा करना) 3 आत्मविश्वास (जैसे-दावे के साथ कहना) 4 दीवानी अदालत का अभियोग, नालिश 5 फ़ौजदारी अदालत में पेश किया गया अभियोग (जैसे- मान-हानि का दावा करना) 6 गर्वोक्ति (जैसे - यह मेरा दावा है कि मैं जीत जाऊँगा) । ~गीर + फ़ा०, दार + फ़ा० ( पु० ) 1 दावा करनेवाला 2 हक़ जतानेवाला दावाग्नि-सं० (स्त्री०) जंगल में लगी आग, दावानल दावात - अ० (स्त्री० ) = दवात दावानल - सं० ( पु०) दावाग्नि दावेदार - अ० + फ़ा० (पु० ) दाशमिक-सं० (वि०) 1 दशम दाश-सं० (पु० ) धीवर दाशेय-सं० (पु०) धीवर पुत्र
= दावादार
संबंधी 2 दशमलव संबंधी
दाश्त - I फ़ा० (स्त्री०) 1 अपने पास रखना (जैसे-याद-दाश्त ) 2 परवरिश, भरण-पोषण II (वि०) अपने पास रखा हुआ दाश्ता - फ़ा० (स्त्री०) रखैल
दास - सं० (पु० ) 1 गुलाम (जैसे- दास प्रथा का अंत ) 2 नौकर, सेवक 3 जो वश में हो (जैसे-इंद्रियों का दास, परिस्थितियों का दास) । ~ता (स्त्री०) 1 गुलामी 2 दास का काम न + हिं० (पु०) सेवाकार्य; प्रथा ( स्त्री० ) दासत्व-प्रथा; ~ प्रधान (वि०) जिसमें गुलामों का महत्त्व हो; ~वृति (स्त्री०) नौकर का धंधा, सेवाकार्य; ~ व्यवस्था (स्त्री०) दासत्व प्रथा; व्यापार (पु०) गुलामों को ख़रीदना और बेचना ~ व्यापारी (पु० ) गुलामों को खरीदने एवं बेचनेवाला
दासत्व-सं० (पु० ) = दासता । ~ प्रथा ( स्त्री०) गुलाम परंपरा
दासा - I (पु० ) 1 दीवार से सटाकर उठाया हुआ पुश्ता 2 दीवार से सटाकर उठाया गया चबूतरा II बो० (पु० ) हँसिया दासानुदास - सं० (पु०) दास का भी दास दासिका, दासी-सं० (स्त्री०) 1 दास वर्ग की स्त्री 2 लौंडी, टहलनी 3 मज़दूरनी । पन हिं० (पु० ) = दीसत्व दासीत्व - सं० (पु० ) दासी होने का भाव दासेरक-सं० ( पु० ) दासी पुत्र
दास्तान - फ़ा० (स्त्री०) 1 कहानी, कथा 2 बहुत विस्तृत वर्णन दास्य - सं० ( पु० ) दासता, दासत्व (जैसे- दास्य भाव ) दाह-सं० (पु० ) 1 जलाना 2 शव जलाने का काम (जैसे- दाह - कर्म) 3 जलन, ताप 4 शोक, दुःख 5 ईर्ष्या से उत्पन्न जलन । ~कर्म (पु० ) 1 शव जलाने का काम 2 दाह संस्कार; ~ क्रिया (स्त्री०) मुर्दा जलाने का काम; गृह (पु० ) विद्युत द्वारा शव जलाने का कमरा; ज्वर (पु० ) जलन के साथ बुखार; -संस्कार ( पु० ) मुर्दा जलाने का
+
संस्कार सर ( पु०) मरघट, श्मशान दाहक - I सं०
(वि०) 1 जलानेवाला 2 दाह कर्म करनेवाला II (पु० ) आग, अग्नि । ता ( स्त्री०) जलाने का गुण दाहन सं० ( पु० ) 1 जलाना 2 भस्म करना
दाहना - 1 (स० क्रि०) जलाना, भस्म करना 2 नष्ट करना 3 कष्ट
देना, संतप्त करना
दाहना, दाहिन - II बोल (वि०) दाहिना
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दाहिना
392
दाहिना-(वि०) 1 दायाँ (जैसे- दाहिना हाथ) 2 दाहिने हाथ दिग्गज-I सं० (पु०) प्रत्येक दिशा का हाथी II (वि०) बहत
की दिशा में स्थित (जैसे-दाहिना फाटक बंद करना) बड़ा (आदमी) 3 अनुकूल (जैसे-अधिकारी के दाहिने होकर काम करना)। दिग्दर्शक-सं० (वि०) 1 दिशा ज्ञान करानेवाला 2 दिग्दर्शन दाहिनी देना, दाहिनी लाना परिक्रमा करना
करानेवाला। ~यंत्र (पु०) कुतुबनुमा, कंपास दाहिने-(क्रि० वि०) दहिने
दिग्दर्शन-सं० (पु०) 1 दिशा दिखलाना 2 जानकारी दाही-सं० (वि०) 1 जलानेवाला, भस्म करनेवाला 2 दुःख __ अभिज्ञता। ~यंत्र (पु०) = दिग्दर्शक यंत्र देनेवाला
दिग्दाह-सं० (पु०) क्षितिज में होनेवाली प्राकृतिक घटना दाह्य-सं० (वि०) जलाने योग्य
दिग्दिर्गत-सं० (पु०) अनेक दिशाएँ और उनके अंत, सब ओर दिअली-(स्त्री०) मिट्टी का छोटा दीया
दिग्देवता-सं० (पु०) = दिक्पाल दिआ-(पु०) दीया। बत्ती (स्त्री०) दीया-बत्ती; ~सलाई दिग्ध-सं० (वि०) विष में बुझा हुआ, विषाक्त (स्त्री०) दीया-सलाई
दिग्भ्रम-सं० (पु०) दिशा भ्रम दिउला-बो० (पु०), दिउली (स्त्री०) बो० = दिअली दिग्भ्रमित-सं० (वि०) दिशा भूला हुआ दिक्-सं० (स्त्री०) दिशा, तरफ़। पति (पु०) दिशाओं के दिग्भ्रांत-सं० (पु०) जिसे दिशा भ्रम हुआ हो स्वामी; ~पाल (पु०) दिशाओं का पालन करनेवाला देवता; दिग्मंडल-सं० (पुल) दिशाओं का समूह ~शुल (पु०) ऐसा समय जब विशेष दिशा मे जाना वर्जित दिग्व्यापी-सं० (वि.) सभी दिशाओं में व्याप्त हो; सूचक (पु०) दिशा दिखाने का एक यंत्र, कंपास दिग्विजय-सं० (स्त्री०) संपूर्ण दिशाओं पर विजय प्राप्त करना दिक़-अ० (वि०) हैरान, तंग
(जैसे-दिग्विजय यात्रा, प्रस्थान) दिक़्क़त-अ० (स्त्री०) 1 तकलीफ़ कष्ट 2 हैरानी, परेशानी दिग्विजयी-सं० (वि०) दिग्विजय प्राप्त करनेवाला 3 कठिनता, मुश्किल
दिग्शूल-सं० (पु०) = दिक्शूल दिखना-(अ० क्रि०) बो० दिखायी देना, देखने में आना दिङ्नारी-सं० (स्त्री०) 1 वेश्या 2 कुलटा दिखलवाई-(स्त्री०) 1 दिखलवाने की क्रिया 2 दिखलवाने का दिङ्मूढ़-सं० (वि०) दिग्भ्रमित पारिश्रमिक
दिठवन-(स्त्री०) = देवोत्थान दिखलवाना-(स० क्रि०) दिखलाने में प्रवृत्त करना दिठाना-I (अ० क्रि०) बो० 1 नज़र लगना 2 दिखाई देना दिखलाई-(स्त्री०) = दिखलवाई
II (स० क्रि०) 1 नज़र लगाना 2 दिखाना दिखलाना-(स० क्रि०) = दिखलवाना
दिठौना-(पु०) काजल का गोल चिह्न (जैसे-दिठौना लगाना) दिखलावा-(पु०) - दिखावट
दित्सा-सं० (स्त्री०) देने की इच्छा। ~पत्र (पु०) दिखवैया-बो० (पु०) 1दिखानेवाला व्यक्ति 2 देखनेवाला __वसीयतनामा, इच्छापत्र दिखाई-(स्त्री०) 1 देखा जाना 2 देखने के बदले में दिया | दित्सु-सं० (वि०) 1देने का इच्छक 2 वसीयत करनेवाला जानेवाला धन 3 दिखाने का पारिश्रमिक
दिदार-फ़ा० (पु०) = दीदार दिखाऊ-(वि०) 1 देखने योग्य 2 दिखौआ
दिदृक्षा-सं० (स्त्री०) देखने की इच्छा दिखादिखी-बो० (स्त्री०) - देखादेखी
दिदृक्षु-सं० (वि०) देखने को इच्छक दिखाना-(स० क्रि०) 1 देखने में प्रवृत्त करना (जैसे-हाथ दिन-I (पु०) 1 सूर्योदय से सूर्यास्त तक के मध्य का समय, दिखाना 2 उपस्थित करना (जैसे-पुस्तक दिखाना) 3 प्रकट प्रातः से शाम के मध्य का समय 2 सूर्योदय से सूर्योदय तक करना (जैसे-गुस्सा दिखाना) 4 प्रदर्शित करना (जैसे-जाद का समय, चौबीस घंटे का पूर्ण काल 3 समय, काल दिखाना, नाटक दिखाना) 5 सिद्ध करना
(जैसे-आप किस दिन गाँव चलेंगे) 4 तिथि, तारीख दिखाव-(पु०) 1 देखने का भाव 2 नज़ारा, दृश्य
(जैसे-आज कौन सा दिन है) 5 नियत समय (जैसे-पाँचवे दिखावट-(स्त्री०) 1 दिखलाने का ढंग 2 बाह्य रूप-रंग, दिन अवकाश है) 6 काल-विशेष (जैसे-दशहरा के दिन मेला
तड़क-भड़क 3 बनावट (जैसे-दिखावट का शिष्टाचार) लगेगा) II (क्रि० वि०) 1 नित्य-प्रति, हर रोज़ 2 सदा, दिखावटी-(वि०) 1 भड़कीला किंतु सारहीन 2 दिखौआ निरंतर (जैसे-रात-दिन काम करना)। ~कर + सं० (पु०) (जैसे-दिखावटी आचार-व्यवहार) 3 झूठा, मिथ्या
सूर्य; चर + हिं० (पु०) सूरज, सूर्य, चर्या + स० दिखावा-(पु०) आडंबर, ढोंग ।
(स्त्री०) नित्य किए जानेवाले काम; चारी + सं० (स्त्री०) दिखौआ-(वि०) 1 बनावटी 2 दिखावटी
रोज़नामचा, दैनंदिनी; ~पत्र + सं० (पु०) तिथि पत्र, दिग-सं० (स्त्री०) दिशा
कैलेंडर; ~प्रतिदिन + सं० (क्रि० वि०) दिनोंदिन; मणि दिगंत-सं० (पु०) 1 दिशा का अंत 2 क्षितिज 3 दिशा, ओर। (पु०) सूर्य; ~मान + सं० (पु०) सूर्योदय से सूर्यास्त के
व्यापी, व्याप्त (वि०) दिशाओं के अंत तक फैला | समय का मान; ~माली, रत्न (पु०) सूर्य; ~रात हुआ
(क्रि० वि०) निरंतर, हमेशा, सदा (जैसे-दिन-रात सोना); दिगंबर-सं० (वि०) नंगा, नग्न
~कटना समय व्यतीत होना, समय बीतना; ~काटना वक्त दिगंश-सं० (पु०) क्षितिज व्रत का ३६०वाँ अंश। ~यंत्र | गुज़ारना, समय बिताना; ~को तारे दिखाई देना होश (पु०) दिगंश नापने का यंत्र
ठिकाने न रहना; ~को तारे नज़र आना 1 घोर अंधकार दिगर-फ़ा० (वि०) दे० दीगर
होना 2 बहुत तेज़ नज़र होना; ~को दिन रात को रात न
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दिनांक
समझना काम की धुन में अपने स्वास्थ्य आदि को भूल जाना; ~को रात कहना उल्टी बात कहना; गिनना प्रतीक्षा करना; चढ़ना 1 सूर्योदय पश्चात कुछ और समय बीतना 2 गर्भ ठहरना; ~ डूबना सूर्यास्त होना, शाम होना; -दिहाड़े खुलेआम दूना रात चौगुना होना बहुत जल्द उन्नति करना; धरना दिन निश्चित करना; -निकलना सवेरा होना फिरना सुख के दिन आना दिनांक - सं० (पु० ) तारीख, तिथि दिनांकित सं० (वि०) तारीख लिखी हुई दिनांत सं० ( पु० ) सायंकाल, संध्या दिनांतक सं० (पु० ) अंधकार, अँधेरा दिनांध - 1 सं० (पु० ) उल्लू पक्षी II (वि०) जो दिन में न देख संके, दिवांध
दिनाई - बो० (स्त्री०) प्राणांत करनेवाली विषैली वस्तु अंतिम दिन
दिनागम - सं० ( पु० ) सुबह दिनाती - (स्त्री०) 1 एक दिन का काम 2 एक दिन की मज़दूरी दिनातीत सं० (वि०) जिसके दिन बीत चुके हों दिनानुदिन सं० ( क्रि० वि०) नित्य-प्रति, प्रति-दिन दिनाप्त-सं० (वि०) अद्यावधिक, अपटूडेट दिनार्द्ध-सं० (५०) दोपहर, मध्याह्न
दिनास्त-सं० (५०) सूर्यास्त, संध्या
दिनिका -सं० (स्त्री०) एक दिन की मज़दूरी, दिनाती दिनी - (वि) 1 पुराना 2 बासी दिनोंदिन - ( क्रि० वि०) दिन-प्रति-दिन
दिनौंधी - (स्त्री०) चि० दिवांधता
+ फ़ा०
दिमाग़ अ० (पु०) 1 बुद्धि, समझ 2 मस्तिष्क 3 भेजा 4 घमंड, अभिमान । चट हिं० (वि०) दिमाग़ चाटनेवाला, परेशान करनेवाला, बकवादी; दार (वि) 1 समझदार 2 विवेकी 3 अभिमानी, घमंडी; रौशन + फ़ा० (पु० ) सुँघनी; - आसमान पर होना अत्यधिक अभिमान होना; खाना बहुत बकवाद करना; खाली करना समझाते - समझाते थक जाना; चढ़ना बहुत घमंड होना; चाटना दे० दिमाग़ खाना; चौथे फ़लक पर होना = दिमाग़ आसमान पर होना में खलल होना मस्तिष्क में दोष होना: सातवें आसमान पर होना अत्यधिक घमंड होना दिमाग़ी-अ० फ्रा० (वि०) 1 दिमाग़, मानसिक (जैसे- दिमाग़ी उलझन ) 2 दिमाग़वाला (जैसे-दिमाग़ी काम) 3 घमंडी
दिया - I (स० क्रि०) देना का भूतकाल (जैसे- मैंने सौ रुपया दिया) II (पु० ) दीया । ~सलाई (स्त्री०) माचिस दियारा - ( पु० ) दरिया-बरार दियारा -अ० हिं० ( पु० ) 1 कछार 2 प्रदेश दिरमान -फ़ा० (पु०) बो० इलाज, चिकित्सा दिरमानी-फ़ा० (पु०) बो० इलाज करनेवाला, चिकित्सक दिरानी-बो० (स्त्री०) देवरानी
+
+
दिल -फ़ा० (पु० ) 1 हृदय, मन (जैसे-दिल की बात) 2 शरीर में रुधिर संचार का एक अंग (जैसे-दिल बंद हो गया) 3 हिम्मत, हौसला (जैसे- दिलवाला) 4 इच्छा (जैसे-पढ़ने को
393
दिल
चला
+
दिल नहीं करता)। ~कश (वि०) मन को खींचनेवाला, चित्ताकर्षक (जैसे- दिलकश नज़ारा) गीर (वि०) उदास, दुःखी; गुरदा (पु० ) 1 हिम्मत, साहस 2 वीरता, बहादुरी; हिं० (वि०) 1 दिलेर, साहसी 2 बहादुर, वीर 3 मनमौजी 4 रसिक; चस्प (वि०) मनोरंजक, चित्ताकर्षक; ~चस्पी (स्त्री०) 1 मनोरंजकता 2 शौक: चोर हिं० (वि०) 1 मन हरनेवाला 2 कामचोर; जमई अ० + फ़ा० (स्त्री०) इतमीनान, तसल्ली जला हिंग (वि०) दुःखी; जोई (स्त्री०) ढाढ़स, दिलासा; दादा (वि० ) = दिलबस्त; ~दार (वि०) 1 जिसके प्रति प्रेम हो 2 अच्छे दिल व स्वभाववाला 3 रसिक 4 उदार: दारी (स्त्री०) 1 रसिकता 2 उदारता 3 प्रेमिकता; दिमाग़ + अ० (पु० ) दिलोदिमाग़ नशीन (वि०) दिल में जमा हुआ पसंद (वि०) मनोवांछित फेंक + हिं० (वि०) रूपलोभी; ~बर | (वि०) प्यारा, प्रिय II (पु० ) प्रेमपात्र; ~बस्त (वि०) जिसका मन कहीं अन्यत्र लगा हो; ~बस्तगी (स्त्री०) मनबहलाव; बहलाव + हिं० (पु० ) मन लुभाने का साधन रुबा (वि०) 1 मनोरंजक, रमणीय 2 मन को लुभानेवाला 3 प्यारा; -शाद (वि०) 1प्रसन्नचित्त 2 मन को प्रसन्न करनेवाला; शिकन (वि०) 1 दिल तोड़नेवाला 2 हौसला पस्त करनेवाला; शिकस्ता (वि०) चिंतित, उदास ~ अटकना प्रेम हो जाना; -अटकाना प्रेम करना; कड़ा करना मन में दृढ़ता लाना; काब होना मन का जल-भुन जाना; का खोटा दगाबाज़, कपटी; ~का गवाही देना अंतरात्मा द्वारा स्वीकार किया जाना; ~ का गुबार निकालना मन का मलाल दूर करना; का बादशाह 1 मनमौजी 2 अति उदार की आग बुझना 1 इच्छा पूरी होना 2 जी ठंडा होना; की कली खिलना चित्त प्रसन्न होना; की दिल मे रहना इच्छा का पूर्ण न होना; ~ की फाँस आंतरिक दुःख; के फफोले फूटना मन का आवेग शांत होना; के फफोले फोड़ना आवेग शांत करना; को क़रार होना मन में चैन होना; खट्टा होना मन फिर जाना; चुराना काम में मन न लगना; जमना दिल लगना; जलना गम होना जलाना सताना; ~ डूबना 1 बेहोश होना 2 बेचैन होना; तोड़ना निराश करना; दहलना कलेजा काँपना; दुखाना सताना; -देना प्रेमासक्त होना; -पक जाना अत्यंत दुःखी होना; ~पर नक्श होना 1 मन में घर कर लेना 2 अच्छी तरह याद होना; पर साँप लोटना 1 विकल होना 2 सदमा होना; ~फट जाना दिल खट्टा होना; फटा जाना परेशान होना, विकल होना; ~ बढ़ना उत्साहित होना; बढ़ाना उत्साहित करना; बैठा जाना 1 बेहोश होना 2 व्याकुल होना; भर आना दया आदि से विचलित होना; मिलना 1 प्रेम होना 2 अनुकूल होना; में आना विचारों में आना, इच्छा होना; ~ में गाँठ पड़ना 1 ईर्ष्या होना 2 फूट पैदा होना; में घर करना, में जगह करना हृदय में अच्छी तरह बैठ जाना; ~में फफोले पड़ना अत्यधिक मानसिक कष्ट होना; में फ़र्क़ आना मनमुटाव होना; मैला करना दुःख उठाना; ~ लगना 1 प्रेम होना 2 रमना लगाना 1 मन से काम करना 2 प्रेम करना; ~ से उतरना स्नेह एवं श्रद्धा का पात्र न
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दिलवाना
दिलाना
=
दिल्ला
रह जाना; ~ से दूर करना भुला देना; से हट जाना मन फिर जाना; ~ही दिल में मन ही मन दिलवाना - (स० क्रि०) दिलहा - बो० (पु० ) दिलाना - (स० क्रि०) 1 प्राप्त कराना (जैसे- रुपए दिलाना) 2 प्राप्त करने में मदद करना (जैसे सामान दिलाना) दिलावर - फ़ा० (वि०) 1 बहादुर, वीर 2 साहसी, हिम्मती दिलावरी - फ़ा० (स्त्री०) 1 बहादुरी, वीरता 2 साहस, हिम्मत दिलासा - फ़ा० (पु० ) ढाढ़स, धीरज
दिली - फ़ा० (वि०) हार्दिक (जैसे- दिली प्रेम, दिली लगाव ) दिलेर - फ़ा० (वि०) दिलावर दिलेरी - फ़ा० (स्त्री० ) दिलोजान - फ़ा० (पु० ) तन-मन
=
दिलावरी
+
अ० ( पु० ) मन-बुद्धि
हिं० (स्त्री०) 1 हँसी-मज़ाक, मनोविनोद
=
=
दिलोदिमाग़-फा० दिल्लगी-फ़ा०
+
2 प्रेम (जैसे- दिल्लगी हो जाना)। बाज़ +फ़ा० 1 दिल्लगी हो जाना 2 मनोविनोदी, ठठोल, हँसोड़; उपहास करना; में हँसी में
दिल्ला - (पु० ) दिलहा
दिल्ली - (पु० ) यमुना तट पर बसी हुई भारत की प्रसिद्ध नगरी एवं राजधानी । ~वाला (वि०) 1 दिल्ली संबंधी, दिल्ली का 2 दिल्ली का रहनेवाला 3 दिल्ली का बना हुआ दिल्लेदार - हिं० फ़ा० (वि०) जिसमें दिल्ले लगे हों दिवंगत - सं० (वि०) परलोकवासी, स्वर्गीय दिवंगम - सं० (पु० ) परलोकगामी, स्वर्गगामी
+
दिव-सं० (पु० ) 1 स्वर्ग 2 आकाश 3 दिन । ~राज (पु० )
इंद्र
दिवस -सं० ( पु० ) दिन (जैसे- स्वतंत्रता दिवस)। (पु० ) सुबह, प्रातः काल
मुख
दिवसीय सं० (वि०) दिन का
=
दिवांध - I सं० (वि०) दिन में न देखनेवाला II (पु० ) 1 दिनौंधी 2 उल्लू
दिवांधकी-सं० (स्त्री०) छछूंदर
=
दिवा-सं० (स्त्री०) दिन, दिवस। ~कर (पु० ) सूर्य; रात्र ( क्रि० वि०) दिन रात, हर वक्त (स्त्री०) दिन में लगने वाला रोग जन्य भय दिवान - अ० (पु०) बो० दीवान दिवानी - अ० + फ़ा० (वि०) बो० दिवा - मध्य-सं० ( पु० ) दोपहर, मध्याह्न दिवार - फ़ा० (स्त्री०) दीवार
दिवाल - फ़ा० (स्त्री०) बो० दिवाल - (वि०) देनेवाला दिवाला - (पु० ) 1 ऋण चुकाने में असमर्थता 2 पूर्ण अभाव दिवालिया - (वि०) ऋण चुकाने में असमर्थ दिवाली - (स्त्री०) दीवाली दिवाशय-सं० (वि०) दिन में सोनेवाला दिवालियेपन - (५०) = दिवाला
दिवा स्वप्न - सं० (पु० ) अकर्मण्य एवं निराश व्यक्ति का बैठे-बैठे हवाई किले बनाना, डे ड्रीम, अवास्तविक दिवैया-बो० (वि०) देनेवाला
=
=
(पु० )
उड़ना
दीवार
=
दीवानी
दिनकर, भीति
दीक्षांत
दिवोल्का-सं० (स्त्री०) दिन में आकाश से गिरनेवाला पिंड दिव्य-सं० (वि०) 1 अलौकिक 2 अति सुंदर, भव्य 3 स्वर्गीय 4 आकाशीय 5 चमकीला । चक्षु I (पु० ) दिव्य-दृष्टिवाला व्यक्ति II ( वि०) सुंदर आँखोवाला; ता (स्त्री०) दृष्टि (स्त्री०) धर्मी (वि०)
1 उत्तमता, श्रेष्ठता 2 दिव्य अवस्था 3 सुंदरता; 1 सूक्ष्म दृष्टि, आंतरिक दृष्टि 2 ज्ञान दृष्टि; 1 निष्कलंक एवं पवित्र आचरणवाला 2 सदाचारी एवं सुशील; ~नारी (स्त्री०) अप्सरा, पुरुष (पु० ) पारलौकिक व्यक्ति; ~ रत्न (पु० ) चिंतामणि नाम का कल्पित रत्न; ~ रथ (पु० ) देवताओं का विमान ~ रस (पु० ) पारा, पारद; ~ वाक्य (पु०) आकाशवाणी सरिता (स्त्री०) आकाश गंगा
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दिव्यांगना -सं० (स्त्री०) 1 देवता की स्त्री, देव- पत्नी 2 अप्सरा दिव्या-सं० (स्त्री०) अलौकिक नायिका, स्वर्गीय नायिका । ~दिव्य (पु० ) लोकोत्तर गुण संपन्न नायक दिव्यास्त्र - सं० (पु०) देवता से प्राप्त अस्त्र दिव्योदक-सं० (पु०) वर्षा का जल दिश-सं० (स्त्री०) दिशा
दिशा - सं० (स्त्री०) 1 ओर, तरफ़ (जैसे उस दिशा मत जाना) 2 क्षितिज मंडल के चार भागों में से कोई। निर्देशक (वि०) दिशा का ज्ञान करानेवाला; निर्धारण, -- निश्चयन (पु० ) दिशा का निश्चय करना; बोध (पु०) दिशा का ज्ञान भ्रम (पु० ) दिशा भूल जाना, दिग्भ्रम शूल (पु० ) सूचक (वि०)
=
दिक्शूल,
दिशा का संकेत करनेवाला दिश्य-सं० (वि०) दिशा का
दिष्ट - I सं० (वि०) 1 निश्चित 2 बतलाया हुआ 3 दिखलाया हुआ II ( पु० ) 1 भाग्य, किस्मत 2 उपदेश 3 समय, काल दिष्टि सं० (स्त्री०) 1 भाग्य 2 उत्सव 3 प्रसन्नता दिसंतर-बो० (पु० ) 1 देशांतर, विदेश 2 विदेश भ्रमण दिसंबर-अं० (पु० ) अंग्रेज़ी वर्ष का अंतिम, बारहवाँ महीना दिसा - I (स्त्री०) झाड़ा फिरना, पैखाने जाना 2 दिशा
II (स्त्री०) = दशा
दिसावर - (पु० ) दूसरा देश, परदेश, विदेश
दिसावरी - (वि०) 1 परदेश का 2 परदेश से आया हुआ (जैसे- दिसावरी माल)
दिहंदा - फ़ा० (वि०) देनेवाला
दिहंरा-बो० (पु० ) देवालय, देवमंदिर
दिहक़ान - फ़ा० ( पु० ) दिहली - (स्त्री०) दिहाड़ा - I (पु० )
दिहाड़ी II = दिन, दिवस
दिहाड़ी - (स्त्री०) 1 दैनिक मज़दूरी 2 श्रमिकों के प्रतिदिन के काम का निर्धारित समय दिहात -फ़ा०
= दहक़ान दहलीज़
+ अ० (पु०) देहात
=
दिहाती-फ़ा० + अ० + फ़ा० (वि०) देहाती दीआ-बो० (पु० ) दीया दीक्षक - सं० ( पु० ) 1 दीक्षा देनेवाला 2 शिक्षक, गुरु दीक्षण-सं० (पु० ) दीक्षा देना
दीक्षांत - I सं० (पु० ) 1 पूर्व यज्ञ में हुए दोष मार्जन हेतु किया
गया पूरक यज्ञ 2 विशेष अध्ययन काल की समाप्ति
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दीक्षा 395
दीया (जैसे-दीक्षांत समारोह) II (वि०) दीक्षा के अंत में | दीनानाथ-सं० (पु०) 1 दुखियों का सहायक 2 परमात्मा, होनेवाला। ~भाषण (पु०) उपाधि वितरण के समय विद्वान
द्वारा स्नातकों को संबोधित कर दिया गया भाषण दीनार-सं० (पु०) 1 सोने का सिक्का 2 एक निष्क की तौल दीक्षा-सं० (स्त्री०) 1 उपनयन संस्कार 2 यज्ञ करना 3 पवित्र | दीप-सं० (पु०) दीया। कलिका, कूपी (स्त्री०) दीपक मंत्रोपदेश। गुरु (पु०) स्नातकों को उपाधि देने का | की बत्ती; ~गृह (पु०) दीया घर; तेल + हिं० (पु०) समारोह, मंत्रोपदेश देनेवाला गुरु; ~प्राप्त (वि०) मंत्रोपदेश दीये का तेल, ~दान (पु०) देवता के समक्ष दीपक जलाना; प्राप्त करनेवाला, जिसने मंत्रोपदेश प्राप्त किया हो।
दानी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) पूजा सामग्री घी, बत्ती आदि दीक्षित-[सं० (वि०) जिसने दीक्षा ग्रहण किया हो II (पु०) रखने की डिबिया; ~माला (स्त्री०) 1 जलते दीपों की पंक्ति ब्राह्मणों की उपजाति
2 आरती हेतु जलायी गई बत्तियों की पंक्ति; ~मालिका दीखना-(अ० क्रि०) दिखाई देना, देखने में आना (स्त्री०) 1 दीपावली का त्योहार 2 दीपावली; शिखा दीगर-फा० (वि०) अन्य, दूसरा
(स्त्री०) 1 दीपक की लौ 2 दीपाग्नि; ~स्तंभ (पु०) दीघी-(स्त्री०) 1 बड़ा तालाब 2 बावली
1 दीयट, दीवट, लाइट हाउस 2 दीपाधार दीठ-(स्त्री०) 1 दृष्टि, निगाह 2 आँख, नेत्र 3 देखने की शक्ति | दीपक-[सं० (वि०) 1 प्रकाश करनेवाला 2 यश फैलानेवाला 4 अनुग्रह, कृपा 5 अनिष्टकारक दृष्टि 6 परख, पहचान (जैसे-कुल दीपक) II (१०) 1 दीया, चिराग़ 2 साहि० एक 7 देखभाल, निगरानी। बंद (पु०), बंदी (स्त्री०) नज़र | अलंकार जहाँ उपमेय एवं उपमान का एक ही धर्म कहा जाए। बंद; ~खा जाना बुरी दृष्टि लगना; जलाना कुदृष्टि का वृक्ष (पु.) बड़ा दीवट, झाड़; सुत (पु०) काजल प्रभाव दूर करना; पर चढ़ना नज़र पर चढ़ना; -फिरना | दीपन-1 सं० (पु०) 1 जलाना 2 प्रज्वलित करना 3 आलोकित 1 दृष्टि का दूसरी ओर प्रवृत्त होना 2 कृपा न होना; बचाना करना 4 उत्तेजित करना II (वि०) प्रज्वलित करनेवाला देखा-देखी से बचना; बाँधना नज़र बाँधना; बिछाना दीपनीय-सं० (वि०) दीप्य 1 बहुत सम्मान करना, आवभगत करना 2 आशापूर्ण दृष्टि से दीपाधार-सं० (पु०) दीयट, चिरागदान प्रतीक्षा करना; ~मारना आँख से संकेत करना; ~मारी दीपाराधन-सं० (पु०) दीपक द्वारा पूजन, आरती जाना आँखों का प्रकाश खत्म होना; ~में समाना सदा ध्यान दीपालंकार-सं० (पु०) एक अर्थालंकार जहाँ उपमेय और रहना; ~लगना कुदृष्टि पड़ना; ~लगाना ध्यानपूर्वक देखना उपमान का एक ही धर्म कहा जाए दीठवंत-सं० (वि०) 1 देखनेवाला 2 दिव्य दृष्टिवाला दीपावली-सं० (स्त्री०) 1 दीवाली 2 दीपों की कतार दीद-फ़ा० (स्त्री०) देखा हुआ
दीपिका-I सं० (स्त्री०) 1 छोटा दीया 2 चाँदनी II (वि०) दीदबान-फा० (पु०) 1 बंदूक की मक्खी 2 निगरानी करनेवाला __ 1 (समासांत में) अर्थ बतानेवाली 2 प्रकाश करनेवाली व्यक्ति 3 भेदिया
दीपित-सं० (वि०) 1 जलाया हुआ 2 प्रज्वलित, प्रकाशित दीदा-फ़ा० (वि०) 1 आँख, नेत्र 2 आँख का डेला 3 दृष्टि, 3 चमकता हुआ 4 उत्तेजित 5 दीपों से युक्त नज़र। -फटी हिं० (स्त्री०) निर्लज्ज स्त्री, बेहया औरत। | दीपोत्सव-सं० (पू.) 1 दीवाली 2 दीप जलाकर मनाया
लगना काम में मन लगना; दीदे का पानी ढल जाना | जानेवाला उत्सव बेशर्म हो जाना, बेहया हो जाना; दीदे निकालना आँखे दीप्त-सं० (वि०) । जलता हुआ 2 प्रज्वलित 3 प्रकाशित। नीली-पीली करना, अत्यंत क्रुद्ध होकर देखना; दीदे फाड़कर | वर्ण (वि.) दमकते हए वर्णवाला देखना, ध्यान पूर्वक देखना
दीप्तांग-सं० (वि०) चमकते शरीरवाला दीदार--फ़ा० (पु०) 1 दर्शन, साक्षात्कार 2 छवि, सौंदर्य। । दीप्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रकाश, उजाला, रोशनी 2 आभा, चमक
परस्त (वि०) 1 दर्शन प्रिय 2 सौंदर्य प्रिय; ~बाज़ी 3 शोभा, छवि। ~प्रसरण (प्०) प्रकाश का फैलना (स्त्री०) नज़र लड़ाना, नज़र मिलाना
दीप्तिमान-सं० (वि०) । प्रभायुक्त 2 कांतिमान्, शोभन दीदारू-फ़ा० + हिं० (वि०) दर्शनीय
दीप्य-सं० (वि०) 1 प्रज्वलित करने योग्य 2 जिसे जलाया जा दीदी-सं० (स्त्री०) बड़ी बहन, अग्रजा, जीजी
सके 3 उजाला करने योग्य 4 भूख बढानेवाला दीन-सं० (वि०) 1 दयनीय दशावाला 2 ग़रीब, दरिद्र 3 दुःखी दीप्यमान्-सं० (वि०) चमकता हुआ एवं संतप्त 4 उदास, खित्र। ता (स्त्री०) 1 दयनीय दीमक-फा० (स्त्री०) सफेद चींटी (जैसे-काग़ज़ में दीमक लग अवस्था 2 दरिद्रता, गरीबी 3 उदासीनता, खिन्नता; दयाल | गए)। ~का खाया हआ खराब किया हुआ (वि०) दीनों पर दया करनेवाला II (पु०) ईश्वर; बंधु || दीया-(पु०) 1 तेल-घी के योग जलनेवाली वनी का आधार (१०) परमात्मा || (वि०) दीनों पर करुणा करनेवाला 2 छोटी कटोरी के आकार का बर्तन जिसमें बत्ती जलायी जा दीन-अ० (पु०) धर्म, मज़हव। -इलाही (पु०) मुगल सके 3 कटोरी के आकार का मिट्टी का छोटा पात्र। बत्ती सम्राट अकबर द्वारा चलाया गया धर्म: दार + फा० (स्त्री०); सलाई (स्त्री) 1 मसाला लगी लकड़ी की (वि०) धार्मिक, दारी । फ़ा० (स्त्री०) धार्मिकता; छोटी सींक 2 इन सीकों को रखने की छोटी डिब्बी : जलने
दुनिया (स्त्री०) लोक-परलोक (जैसे-दीन-दनिया का का समय संध्याकाल, शाम का समय: ठंडा करना दीपक लाभ उठाना): दुनिया दोनों से जाना कहीं का न बुझा देना; ठंडा होना चिराग़ ब्झना; -दिखाना सामने होना
रोशनी करना; बत्ती का समय सायंकाल, शाम का समय, दीनत्व-सं० (पु०) - दीनता
लेकर ढूँढ़ना बहुत परिश्रम से खोजना
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दीर्घ
396
दुःसाहस
दीर्घ-सं० (वि.) 1 बड़ा (जैसे-दीर्घ क्षेत्र, दीर्घकाय) 2 ऊँचा | 2आर्थिक || (स्त्री०) दीवान का पद (जैसे-दीर्घ फाटक) 3 गहरा (दीर्घ श्वास) 4 विस्तृत 5 गुरु दीवार-फा० (स्त्री०) भीत (जैसे-दीवार बनाना)। ~गीर (जैसे-दीर्घ मात्रा)। --कंधर (वि०) लंबी गरदनवाला; (पु.) 1 दीवार में दीया रखने का बनाया गया आधार
काय (वि.) लंबा-तगड़ा, डील-डौलवाला; काल 2 दीवार में लगाने का लैंप: -घड़ी . हिं० दीवार पर (पु०) लंबा समय: - कालिक, कालीन (वि०) लंबे लटकनेवाली घड़ी समयवाला (जैसे-दीर्घकालिक योजना): केश (वि०) | दीवाल-फ़ा० (स्त्री०) बो० - दीवार लंबे बालोंवाला; गति (वि०) तेज़ चलनेवाला; गमन दीवाली-(स्त्री०) 1 कार्तिक अमावस्या को होनेवाला प्रसिद्ध (पु०) तेज़ चलनाः जीवन (पु०) लंबी आयु, बड़ी उम्र; | हिंदू त्यौहार 2 शुभ अवसर (जैसे-दीवाली मनाना)
-जीवी (वि०) लंबी उम्रवाला; दर्शिता (स्त्री०) | दीवी-बो० (स्त्री०) दीवट दूरदर्शिता; दर्शी (वि०) दूरदर्शी: दृष्टि I (वि०) 1 दूर | दुंद-(पु०) 1 द्वंद्व 2 उपद्रव, उत्पात 3 हो-हल्ला, शोरगुल तक देखनेवाला 2 दूरदर्शी || (स्त्री०) दूरदर्शिता; निद्रा | 4 जोड़ा, युग्म (स्त्री०) मृत्यु, मौत; निःश्वास (पु०) गहरी साँस; पाद | दुंदुभ-सं० (पु०) मरणादि का दुःख (वि०) लंबी टाँगोंवाला; --भाषी (वि०) लंबी बातें | दुंदभि, दुंदभी-सं० (स्त्री०) डंका, नगाड़ा करनेवाला; ~मुख (वि०) बड़े मुँहवाला; रोगी (पु०) | दुंबा-सं० (पु०) एक प्रकार की भेड़ लंबे समय का रोगी; --वर्ण (पु०) - दीर्घस्वर; वृत्त | दूंबाल-फ़ा० (पु०) 1 चोड़ी पूँछ 2 पतवार 3 नाव का पिछला (पु०) वृत्त को पचका देने से बना लंबी आकृति का वृत्त; भाग
वृत्तीय (वि०) दीर्घ वृत्त संबंधी; ~श्रुत (वि०) 1 दूर दुःख-सं० (पु०) 1 कष्ट, क्लेश (जैसे-माँ के निधन से दःख तक सुना गया 2 दूर-दूर तक विख्यातः सूत्र (वि०) दीर्घ होना) 2 संकट, विपत्ति (जैसे-उसने कौन-सा दुःख नहीं सूत्री; ~सूत्रता (स्त्री०) देर में करने की आदत; ~सूत्री झेला)। कर (वि०) दुःखद, दुःखदायक; ~ग्राम | (वि०) अत्यंत धीरे-धीरे एवं देर में काम करनेवाला; (पु०) संसार || (वि०) दुःखपूर्ण; जात (वि०) दुःख से ~स्थायी (वि०) देर तक कायम रहनेवाला; स्वर (पु०) उत्पन्न; ~त्रय (पु०) तीन तरह का दुःख; दाता (वि०) दो मात्राओंवाला स्वर
दुःख देनेवाला; ~दायक, दायी, ~प्रद (वि०) - दीर्घा-सं० (स्त्री०) गैलरी
दुःखद; बहुल (वि०) दुःखमय; लोक (पु०) संसार; दीर्घाकार-सं० (वि०) दीर्घ आकार का, लंबा-चौड़ा
~ वाद (पु०) यह मत कि संसार दुःखों से पूर्ण है; दीर्घाकारी-सं० (वि०) बड़े आकारवाला (जैसे-दीर्घाकारी वादिता (स्त्री०) दुःखवाद की स्थिति; ~~वादी I (वि०) शीशा)
दुःखवाद संबंधी II (पु०) दुःखवाद का समर्थक; ~शील दीर्घायु-सं० (वि०) लंबी उम्रवाला
(वि०) दुःख का अभ्यासी; सागर (पु०) संसार दीर्घावकाश-सं० (पु०) लंबी छुट्टी
दुःखद-सं० (वि०) क्लेशकर (जैसे-दुःखद समाचार) दीर्घावधि-सं० (स्त्री०) लंबी अवधि। ऋण (पु०) लंबे | दुःखमय-सं० (वि०) दुःखों से भरा हुआ, दुःखपूर्ण समय तक का क़र्ज़
दुःखांत-[ सं० (वि०) 1 जिसका अंत दःखमय हो दीर्घिका-सं० (स्त्री०) बावडी, बावली
__ (जैसे-दुःखांत नाटक) 2 दुःखद अंतवाला II (पु०) 1 दुःख दीर्धीकरण-सं० (पु०) विस्तार बढ़ाना
की समाप्ति 2 दुःख की चरम सीमा दीघोच्चारण-सं० (पु०) वर्ण को लंबा करके किया गया | दुःखांतक-सं० (वि०) दुःख का अंत करनेवाला उच्चारण
दुःखाकुल-सं० (वि०) दुःख से परेशान दीर्ण-सं० (वि०) फटा हुआ. विदारित
दुःखात्मक-सं० (वि०) दुःखमय दीवॅक-(स्त्री०) दीमक
दुःखार्त-सं० (वि०) अत्यंत दुःखी दीवट-(स्त्री०) दीयट, दीपाधार
दुःखित-सं० (वि०) अत्यंत पीड़ित दीवा-(पु०) दीया
दुःखी-सं० (वि०) 1 जिसे दुःख हो 2 खिन्न, दुःखान्वित दीवान-अ० (पु०) 1 राजसभा 2 न्यायालय, कचहरी 3 मंत्री, दुःशकुन-सं० (पु०) बुरा शकुन
वज़ीर 4 संग्रह (जैसे-गालिब का दीवान)। ~आम (पु०) | दुःशील-सं० (वि०) बुरे स्वभाववाला 1 आम दरबार 2 आम दरबार का स्थान; ~आलम (पु०) दुःश्रव-सं० (पु०) श्रुतिकटु दोष सर्वसाधारण की सभा, जनसभा; ~आला (पु०) बड़ा दुःसंकल्प-I सं० (वि०) बुरा विचार सोचनेवाला II (पु०) दरबार; खाना + फ़ा० (पु०) 1 बेठक, कमरा 2 बड़े बुरा इरादा लोगों के बैठने का स्थान; खास (पु०) 1 खास दरबार, दुःसंग-सं० (पु०) कुसंग विशेष सभा या बैठक 2 खास सभा भवन
दुःसंवाद-सं० (पु०) बुरी ख़बर दीवाना-फ़ा० (वि०) 1 पागल, विक्षिप्त 2 प्रेम में पागल दुःसह-सं० (वि०) जिसे सहन करना कठिन हो. असह्य रहनेवाला 3 काम में लगा हुआ, तन्मय। ~पन + हिं० दुःसाध, दुःसाध्य-सं० (वि०) 1 दुष्कर 2 असाध्य (पु०) 1 पागलपन, विक्षप्तावस्था 2 तन्मयता 3 दीवाना होने दुःसाहस-सं० (पु०) अनुचित साहस। -वाद (पु०) की अवस्था
दुःसाहस कर्म करने में विश्वास; ~वादी (वि०/पु.) दीवानी-I फ़ा० + हिं० (वि०) 1 दीवान संबंधी, दीवान का | दुःसाहस में विश्वास रखनेवाला
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दुःसाहसिक
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दुतकारना
दुःसाहसिक-सं० (वि०) .. 1 दुःसाहसी, बदहिम्मत बूटियोंवाला ताश का पत्ता (जैसे-पान का दुक्का)। 2 दुःसाहसवादी। ~ता (स्त्री०) बदहिम्मती
--तिक्का (क्रि० वि०) 1 दो या तीन की संख्या में 2 एक या दुःसाहसी-सं० (वि०) दुःसाहस करनेवाला
दो और के साथ दुःस्थ-सं० (वि०) 1 दुर्दशाग्रस्त 2 निर्धन 3 मूर्ख
दुक्की-(स्त्री०) दो बृटियोंवाला ताश का पत्ता दुःस्थिति-सं० (स्त्री०) दुर्दशा
दुखंडा-(वि०) 1 दो भागोंवाला (जैसे-दुखंडा आलमारी) दुःस्र्पश-सं० (वि०) जिसे छूना कठिन हो
2 दो खंडोंवाला (जैसे-खंडा मकान) दुःस्वप्न-सं० (पु०) 1 बुरा स्वप्न. भयानक स्वप्न 2 बरे दुख-(पु०) = दुःख । दर्द • फ़ा० (पु०) संकट, मुसीबत फलवाला स्वप्न
दुखड़ा-(पु०) 1 दुःखगाथा, करुणकथा (जैसे-दुखड़ा रोना) दुःस्वभाव-[ सं० (वि०) बदमिजाज, कुटिल, नीच II (पु०) 2 संकट, विपत्ति। पीटना कष्ट से जीवन बिताना; रोना बुरा स्वभाव, दुष्ट प्रकृति
1 करुण कथा सुनाना 2 संकट का बयान करना दु-(वि०) 'दो' का संक्षिप्त रूप जो पदों के आरंभ में लगने पर | दुखद-(वि०) - दुःखद प्राप्त होता है (जैसे-दुभाषिया, दुअर्थी)
दुखना-(अ० क्रि०) दर्द करना (जैसे-आँखं दुखना) 2 पीड़ा दुअन-(पु०) - दुवन
बढ़ना (जैसे-फोड़ा दुखना) दुअनी-(स्त्री०) दो आने का सिक्का
दुखमय-(वि०) - दुःखमय दुअरिया-(स्त्री०) दुआरी ।
दुखहाया-बो० (वि०) अत्यंत दुःखी अर्थी-हिं० + सं० (वि०) दो अर्थवाला (जैसे-दुअर्थी शब्द) दुखाना-(स० क्रि०) 1 पीड़ा पहँचाना, व्यथित करना दआ-अ (स्त्री) 1 विनती, प्रार्थना 2 आशीर्वाद, असीस (जैसे-दिल दुखाना) 2 आघात आदि द्वारा दर्द बढ़ाना (जैसे-दआ देना)। --गो + फा० (वि.) दुआ माँगनेवाला; | (जैसे-फोड़ा दुखाना) ~गोई - फ़ा (स्त्री०) दुआ देना; सलाम (पु०) दुखारा-(वि०) दुखियारा 1 दुआ ओर सलाम 2 संबंध
दुखारी-(वि०) पीड़ित, व्यथित दुआब, दुआबा-फ़ा० (पु०) दो नदियों के बीच का प्रदेश दुखित-(वि०) दुःखित दुआर-(पु०), दुआरा (पु०) बो० द्वार
दुखिया-(वि०) 1 दुःखी 2 संकटग्रस्त दुआरी-बोर (स्त्री०) छोटा दरवाज़ा
दुखियारा-(वि०) । दुःख में फँमा हुआ 2 विपदग्रस्त दुआल-फ़ा० (स्त्री) 1 चमड़े का तसमा 2 रिकाब का तसमा दुखी-(वि०) - दुःखी दुआली-फ़ा० - हिं० (स्त्री०) खराद का तसमा, सान की बद्धी दुखीला-(वि.) 1 दुःखी र दःख का अनुभव करनेवाला दुआह-(पु०) पुरुष का दूसरा विवाह
दुगई-बो० (स्त्री०) दालान, बरामदा दुइ-बो० (वि०) दो
दुगना-(वि०) दूना (जैसे-दो का दगना चार होगा) दुई-I (स्त्री०) दो होने का भाव II (वि.) 1 दो 2 दोनों । दुग्ध-[सं० (पु०) 1 दूध 2 पोधों का दूध जैसा रस II (वि.) दुऊ-बो० (वि०) दोनों
दहा हुआ। खाद्य (पु.) दूध से बनी खाने की चीजें; दुकड़हा-बो० (वि.) 1 अत्यंत तुच्छ एवं हीन 2 कमीना, नीच ~ग्रंथि (स्त्री०) दूधवाली ग्रंथि; चूर्ण (पु०) दृध का दुकड़ा-(पु०) 1 दो चीज़ों का जोड़ा, युग्म 2 एक पैसे का पाउडर; ~पदार्थ (पु.) दूध की वस्तुएँ पोष्य (वि०) चौथाई भाग
दूध पर पलनेवाला; ~ शर्करा (स्त्री०) दूध से बनी चीनी; दुकड़ी-(स्त्री०) 1 एक साथ मिली हुई दो वस्तुएँ 2 दो शाला (स्त्री०) डेरी
बूटियोंवाला ताश का पत्ता 3 दो घोड़ों की बग्घी दुग्धालय-सं० (पु०) - दुग्धशाला दुकान-फा० (स्त्री०). 1 वह स्थान जहाँ सामान आदि रखकर | दुग्धी-I सं० (वि०) दूध से युक्त II (पु०) क्षीर का पेड़ III बेचा जाए (जैसे-कपड़े की दुकान, मिठाई की दुकान) 2 वह (स्त्री०) दुद्धी नामक घास, दृधिया स्थान जहाँ अन्य तरह की सेवाएँ की जाएं (जैसे-नाई की | दुघड़िया-(वि०) दो घड़ियोंवाला. दो घड़ियों का दुकान, दर्जी की दुकान)। दार (पु०) 1 दुकान का (जैसे-दुघड़िया मुहूर्त) मालिक, दुकानवाला 2 अर्थोपार्जन हेतु ढोंग करनेवाला दुचंद-फ़ा० (वि०) दो चंद व्यक्ति, पाखंडी, ठग; दारी (स्त्री०) 1 दुकानदार का धंधा दुछत्ता-(वि०) दो छतवाला 2 अर्थोपार्जन हेतु रचा गया साधन, ढकोसला
दछत्ती-(स्त्री०) एक ही छत के नीचे बना दूसरा कमरा दुकाल-(पु०) अकाल, दुर्भिक्ष
दुज़ानू-फ़ा० (वि०) दोज़ान दुकूल-सं० (पु०) 1 रेशमी कपड़ा 2 चिकना एवं बारीक कपड़ा दुटूक-(वि०) दो टुकड़ों में किया हुआ (जैसे-दुटूक जवाब 3 साड़ी 4 क्षौम वस्त्र 5 दुपट्टा
देना, दुटूक करना) दुकूलिनी-सं० (स्त्री०) नदी
दुड़ी-बो० (स्त्री०) = दुक्की दुकेला-(वि०) जो अकेला न हो (जैसे-अकेला-दुकेला) | दुत-(क्रि० वि०) दुतकारने का शब्द दुकेले-(क्रि० वि०) किसी एक के साथ (जैसे-अकेले दुकेले) | दुतकार-(स्त्री०) 1 दुतकारना 2 उपेक्षापूर्वक कहना दुक्कड़-(पु०) शहनाई के साथ बजाया जानेवाला तबले जैसा | (जैसे-दुतकार सहना) एक बाजा
दुतकारना-(स० क्रि०) । तिरस्कृत करना 2 उपेक्षा करना दुक्का -I (वि०) 1 दुकेला 2 जोड़ा, युग्म II (पू०) दो। 3 धिक्कारना
को बन्दी
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दुतरफ़ा
दुतरफ़ा, दुतर्फा - फ़ार + अ + फ़ा० (वि०) दोनों पक्ष में रहनेवाला (जैसे- दुतरफ़ा छपाई, दुतर्फा चाल) दुतारा - फ़ा० + हिं० (पु० ) सितारनुमा दो तारोंवाला बाजा दुदिला - फ़ा० (वि० ) 1 असमंजस में पड़ा हुआ 2 चिंतित एवं
व्यग्र
रूप
(जैसे-दुध-मुँहाँ) | पिट्ठी (स्त्री०),
दुद्धी - (स्त्री०) 1 दूधवाली घास 2 खड़िया मिट्टी दुध - ( पु०) दूध का समागत ~पाउडर + अं० (पु० ) - दुग्ध चूर्ण; ~पिठवा (पु०) मैदे की लंबी-लंबी बत्तियों को दूध में उबालकर बनाया गया पकवान, मुँहाँ (वि०) माँ का दूध पीनेवाला (छोटा बच्चा); -हँड़ी (स्त्री०) दूध गर्म करने की हंडिया दुधाड़ी-बो० (स्त्री०) दुधाती - (वि०) दो धातु का बना
दुधड़ी
दुधार - 1 (वि०) 1 दूध देनेवाली (जैसे-दुधार गाय) 2 जिसमें दूध हो
=
दुधार - II बो० (वि०), दुधारा- (वि०) दोनों ओर धारवाला (जैसे- दुधारा तलवार )
+
दुधारी - I ( वि० ) = दुधार I
दुधारी - II ( स्त्री०) दोनों ओर धारवाली कटार दुधारू - (वि०) दुधार
दुधित-सं० (वि०) 1 पीड़ित 2 व्याकुल दुधिया - (वि०/५० / स्त्री० ) दूधिया दुधैल - (वि०) दुधार
दुनाली - I (वि०) दो नली वाली (जैसे-दुनाली बंदूक) II (पु० ) दो नली की बंदूक
दुनियाँ, दुनिया - अ० (स्त्री०) 1 संसार, विश्व, जगत् 2 संसार के लोग, लोक, जनता 3 संसार एवं घर-गृहस्थी के लड़ाई-झगड़े। ई + हिं० I (वि०) सांसारिक II (स्त्री०) संसार; दार फ़ा० (वि०) 1 संसारी 2 लोक चतुर; -दारी फ़ा० (स्त्री०) 1 सांसारिक प्रपंच 2 सांसारिक व्यवहार कुशलता, लोक चातुरी 3 बनावटी व्यवहार; परस्त (वि०) कंजूस साज़ I ( वि० ) 1 चालाक 2 स्वार्थ साधक II ( पु० ) दुनियां के अनुरूप चलनेवाला व्यक्ति; ~साज़ी फ़ा० (स्त्री०) दुनियादार होने की अवस्था; ~ की हवा लगना 1 सांसारिक ज्ञान होना 2 सांसारिक तौर-तरीके अपनाना 3 सांसारिक कर्मों की ओर प्रवृत्त होना; ~के परदे पर संपूर्ण विश्व में; ~भर का अत्यधिक से उठ जाना मर जाना, मृत्यु होना दुनियावी - अ० (वि०) सांसारिक, दुनिया का दुपट्टा - (पु० ) ओढ़ने की चादर, उत्तरीय (जैसे-कंधे पर दुपट्टा डालना) । ~ तानकर सोना निश्चिंत होकर सोना, बेखटक सोना, बदलना सहेली बनाना
+
दुपद - बो० (पु० ) द्विपद दुपलिया - बो० (वि०) दो पल्ली
दुपल्ला - (वि०) दो पल्लोंवाला (जैसे-दुपल्ला दरवाज़ा) दुपल्लू - (वि०) दोपल्ली
=
दुपहर - ( स्त्री०) दोपहर दुपहरिया - बो० (स्त्री० ) दुफ़सली - फ़ा०
+ अ०
=
398
+
दोपहरी, दुपहरिया
फ़ा० (वि०) दोफ़सली
दुरदृष्ट
दुबकना - (अ० क्रि०) दबकना दुबधा - (स्त्री०) असमंजस, दुविधा (जैसे-दुबधा में पड़ना) दुबराना - (अ० क्रि०) / (स० क्रि०) दुबलाना दुबला - (वि०) 1 हल्के एवं कमज़ार शरीरवाला (जैसे-दुबला-पतला आदमी) 2 निर्बल | पतला (वि०) पन (पु० ) 1 निर्बलता 2 हल्कापन एवं
बहुत कमजोर; कमज़ोरी
दुबलाई - (स्त्री०)
दुबलापन
दुबलाना - ( अ० क्रि०) दुबला होना दुबारा - फ़ा० (वि०) दोबारा
दुबाला - फ़ा० बो० दोबाला दुबिधा - (स्त्री०) दुबधा
दुबीचा - (पु० ) 1 असमंजस, दुबिधा 2 अनिष्ट की आशंका.
खटका
दुभाषिणी - हिं० + सं० (स्त्री०) दो भाषा बोलनेवाली महिला दुभाषिया हिं० + सं० + हिं०, भाषी + सं० (वि०) दो भाषा का ज्ञान रखनेवाला दुमंज़िला - फा० (जैसे-दुमंजिला मकान )
+ अ० +
दुम - फ़ा० (स्त्री०) 1 पूँछ (जैसे- कुत्ते की दुम) 2 वस्तु का पिछला लंबा एवं लचीला सिरा (जैसे-पतंग की दुम ) ।
हिं० (वि०) दो तल्लेवाला
+
कटा + हिं० (वि०) कटी पूँछवाला; ची (स्त्री० ) 1 घोड़े के साज में दुम के नीचे रहनेवाला चमड़ा 2 पुट्ठों के बीच की हड्डी, छल्ला हिं० (पु० ) पुछलंगा; दार (वि०) पूँछवाला; ~ के पीछे फिरना पीछे-पीछे घूमना, साथ लगे रहना; ~ दबाकर भागना डरपोक कुत्ते की तरह भागना; -दबा जाना 1 डरकर भाग जाना 2 डरकर अपनी जगह बैठे रहना में घुसना लुप्त हो जाना, गायब हो जाना; में घुसा रहना खुशामद में पीछे-पीछे घूमना दुमन - (वि०) दुचित्ता दुमाता -हिं० + सं० (स्त्री०) 1 सौतेली माँ, विमाता 2 बुरी माँ दुमाहा - फ़ा० (वि०) 1 प्रत्येक दो महीने पर होनेवाला 2 दो माह का (जैसे- दुमाहा बच्चा ) दुमुँहा - (वि०) दोमुँहा
दुरंगा - (वि०) 1 दो रंगोंवाला 2 दो प्रकार का 3 दोहरी चालवाला (जैसे-दुरंगा आदमी)! ~पन (पु०) दुरंगा होने
का भाव
दुरंगी - (स्त्री०) 1 दोरंगापन 2 दो तरह का आचरण दुरंत सं० (वि०) 1 जिसका पार पाना कठिन हो, अपार 2 अत्यंत कठिन, दुस्तर 3 तीव्र, प्रचंड 4 बुरे परिणामवाला दुर्-सं० उपसर्ग 1 बुरा, कठिन (जैसे-दुरुपयोग, दुर्लभ) दुर-अ० (पु०) 1 मोती, मुक्ता 2 कान में पहनने की मोती का लटकन, लोलक
दुर - ( क्रि० वि०) तिरस्कारपूर्वक हटाने के लिए प्रयोग में लाया जानेवाला शब्द (जैसे- कुत्ते को दुर-दुर कहना) दुरत्यय -सं० (वि०) 1 जिससे पार पाना कठिन हो 2 जिसका उल्लंघन कठिन हो, दुस्तर, दुरतिक्रम
दुरदुराना - (स० क्रि०) 1 दुर-दुर कहते हुए भगाना 2 अपमान करते हुए हटाना (जैसे- कुत्ते की तरह दुरदुराना ) दुरदृष्ट - I सं० (वि०) अभागा, दुर्भाग्यशाली II (पु० ) दुर्भाग्य
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दुरधिगम
दुरधिगम - सं० (वि०) 1 जिसके पास पहुँचना कठिन हो 2 दुर्लभ, दुष्प्राप्य 3 दुर्बोध दुरधिष्ठित-सं० (वि० ) 1 बुरे 2 अव्यवस्थित
ढंग से किया हुआ
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दुरना - (अ० क्रि०) बो० 1 आड़ में होना 2 छिपना दुरपवाद-सं० (पु० ) 1 निंदा 2 बदनामी दुरबास - ( स्त्री०) दुर्गंध
दुरभिमान-सं० (पु०) बदगुमानी, झूठी शेखी दुरभिसंधि - सं० (स्त्री०) कुमंत्रणा, षड्यंत्र दुरभेव - बो० (पु० ) दुर्भाव दुरमुट - ( पु० ) ज़मीन पीटकर समतल करने का लंबी लकड़ी में जड़ा पत्थर का गोल टुकड़ा
=
दुरवग्रह, दुरवग्राह्य-सं० (वि०) जिसे नियंत्रित करना कठिन हो दुरवस्थ - सं० (वि०) हीन दशा में पड़ा हुआ दुरवस्था - सं० (स्त्री०) दुर्दशा दुराक्रमण-सं० (पु०) धोखे से किया जानेवाला आक्रमण दुरागम - सं० ( पु० ) 1 अवैध रूप से आना और मिलना 2 अनुचित प्राप्ति
दुरागमन-सं० (पु० ) द्विरागमन
दुराग्रह - सं० (पु० ) अनुचित ज़िद, हठ दुराग्रही - सं० (वि०) दुराग्रह करनेवाला
दुराचरण -सं० (५०) बुरा चाल-चलन
दुराचार - सं० (पु०) अनुचित एवं निंदनीय व्यवहार, आचरण दुराचारी-सं० (वि०) बदचलन
दुराज - ( पु० ) 1 ऐसा राज्य शासन जहाँ दो राजा एक साथ मिलकर शासन चलाएँ, दो अमली शासन 2 बुरा शासन, कुशासन
दुरात्मा-सं० (वि०) दुष्ट प्रकृतिवाला, नीच दुरादुरी - (स्त्री०) दुराव, छिपाव
दुराधर्ष-सं० (वि०) 1 जिसका दमन कठिन हो 2 प्रचंड, उग्र 3 विकट
दुराना - I (अ० क्रि०) 1 दूर होना, हटना 2 छिपना II (स० क्रि०) 1 हटाना 2 छिपाना 3 त्यागना, छोड़ना
दुरारुह - सं० ( पु० ) 1 बेल 2 नारियल दुरारुहा - सं० (स्त्री०) खजूर का पेड़ दुरालाप - 1 सं० (पु० ) अनुचित बातचीत II (वि०) कटुभाषी दुराव - (पु०) छिपाव
दुरावस्था - सं० (स्त्री०) दुर्दशा
दुराशय - I सं० (वि०) खराब नीयतवाला, बदनीयत II (पु० ) बुरी नीयत
दुर्द्धर
दुरुत्साहन - सं० (पु० ) विरुद्ध काम के लिए उत्साहित करना दुरुपयोग - सं० (५०) अनुचित उपयोग, बुरा इस्तेमाल दुरुपयोजन - सं० (पु० ) दुरुपयोग करना दुरुस्त - फ़ा० ( वि० ) 1 ठीक (जैसे-दुरुस्त हालत में) 2 दोष राहत 3 उचित, उपयुक्त 4 यथार्थ करना 1 सुधारना 2 दंड देना
दुराशा-सं० (स्त्री०) 1 बुरी आशा 2 व्यर्थ की आशा दुरिच्छा-सं० (स्त्री०) बुरी इच्छा
दुरित - I सं० ( पु० ) पाप, दुष्कृत II (वि०) पापी दुरियाना (स० क्रि०) बो० 1 दुरदुराना 2 दूर करना दुरुक्त-सं० (वि०) दुर्वचन कहा हुआ दुरुक्ति - सं० (स्त्री०) 1 दुर्वचन 2 बुरी युक्ति दुरुखा - फा० (वि० ) 1 दो रुखवाला 2 दो मुँहवाला 3 जिसके दोनों ओर एक तरह का निशान हो (जैसे-दुरुखा शाल) 4 जिसके दोनों तरफ़ दो प्रकार की छपाई हो (जैसे-दुरुखा कपड़ा, दुरुखा किनारा )
दुरुस्ती-फ़ा० (स्त्री०) 1 दुरुस्त करना 2 सुधारना, सुधार 3 संशोधन, शुद्धि
दुरूह - सं० (वि०) 1 दुर्बोध (जैसे- दुरूह विषय, दुरूह ज्ञान ) 2 कठिन (जैसे- दुरूह कार्य )
दुर्गंध - सं० (स्त्री०) बुरी गंध, बदबू । - शामक (वि०) दुर्गंध दूर करनेवाला
दुर्गंधमय - सं० (वि०) दुर्गंधवाला, बदबूदार दुर्ग - I सं० (वि०) 1 दुर्गम 2 दुर्बोध II ( पु० ) 1 गढ़, किला 2 दुर्गम पथ । पाल (पु० ) दुर्गरक्षक दुर्गत-सं० (वि०) 1 विपन्न 2 दरिद्र, ग़रीब दुर्गति - सं० (स्त्री०) 1 दुर्दशा 2 दरिद्रता दुर्गम - I सं० (वि०) 1 जहाँ पहुँचना कठिन हो 2 दुर्बोध 3 कठिन, विकट II ( पु० ) 1 किला, गढ़ 2 जंगल, वन 3 बीहड़ क्षेत्र
दुर्गमनीय-सं० (वि०) दुर्गम योग्य दुर्गा-सं० (स्त्री०) आदि शक्ति, पार्वती । नवमी (स्त्री०) 1 दुर्गा पूजन की कार्तिक शुक्ला नवमी 2 चैत्र शुक्ल नवमी 3 आश्विन शुक्ल नवमी दुर्गाध्यक्ष-सं० ( पु० ) दुर्गपाल दुर्गाष्टमी -सं० (स्त्री०) 1 आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी 2 चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी दुर्गुण - सं० ( पु० ) 1 ऐब 2 दोष, विकार दुर्घट - सं० (वि०) 1 दुःसाध्य 2 कठिनता से घटित होनेवाला दुर्घटना -सं० (स्त्री०) 1 अशुभ घटना 2 विपत्ति आफ़त । - ग्रस्त (वि०) क्षतिग्रस्त (जैसे -विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया); वश (वि०) संकटवश, विपदजन्य; ~ स्थल (पु० ) दुर्घटना होने की जगह
दुर्घोष -सं० (वि०) 1 बुरा शब्द करनेवाला 2 जिससे कर्णकटु ध्वनि निकले
दुर्जन-सं० (पु०) दुष्ट व्यक्ति
दुर्जय - सं० (वि०) जिसे जीतना कठिन हो, दुर्जेय दुर्जात -सं० (वि०) 1 व्यर्थ जन्मा हुआ 2 कमीना 3 अभागा दुर्जेय-सं० (वि०) जिस पर विजय पाना कठिन हो दुर्ज्ञेय - सं० (वि०) 1 जिसे जानना कठिन हो 2 दुर्बोध दुर्दम - सं० (वि०) प्रबल, प्रचंड दुर्दमनीय-सं० (वि०) जिसका दमन बहुत कठिन हो, दुर्दम दुर्दम्य - सं० (वि०) जिसको वश में करना दुष्कर हो दुर्दशा - सं० (स्त्री०) दुर्गति, दुरावस्था । ग्रस्त (वि०
1 संकटग्रस्त 2 दुर्गति में फँसा हुआ दुर्दात - सं० (वि०) 1 बेकाबू 2 धृष्ट दुर्दिन - सं० ( पु० ) 1 बुरे दिन 2 बुरा समय दुर्देव - सं० (पु० ) दुर्भाग्य, अभाग्य दुर्द्धर - सं० (वि०) 1 जल्दी पकड़ में न आनेवाला 2 प्रचंड, प्रबल 3 दुर्बोध
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दुर्द्धर्ष
दुर्द्धष-सं० (वि०) 1 जिसे जल्दी वश में न किया जा सके 2 जिसे परास्त करना कठिन हो 3 प्रबल, प्रचंड दुर्नाम - I सं० (वि०) 1 बदनाम 2 बुरे नामवाला II (पु०) 1 बुरा नाम, बदनामी 2 गाली, दुर्वचन दुर्निवार्य, दुर्निवार-सं० (वि०) 1 जिसे जल्दी न रोका जा सके 2 जिसका निवारण कठिन हो 3 जिसे हटाना दुष्कर हो दुर्नीति - I सं० (स्त्री०) नीतिविरुद्ध आचरण, कुनीति II (वि०) नीतिविरुद्ध आचरण करनेवाला दुर्बल-सं० (वि०) 1 कमज़ोर 2 दुबला-पतला, शिथिल (जैसे- दुर्बल चरित्रवाला) । ~ता (स्त्री०) 1 कमज़ोरी 2 दुबलापन 3 शिथिलता (जैसे - मानसिक दुर्बलता) दुर्बुद्धि - I सं० (वि०) नीच बुद्धिवाला, कुबुद्धि II (स्त्री०) नीच बुद्धि
दुर्बोध-सं० (वि०) 1 जिसे सरलता से न जाना जा सके (जैसे- दुर्बोध काव्य, दुर्बोध ज्ञान ) 2 क्लिष्ट, अत्यंत कठिन (जैसे - व्याकरण के दुर्बोध नियम ) दुर्भक्ष, दुर्भक्ष्य - I सं० (वि०) 1 जिसे जल्दी न खाया जा सके
2 जिसका स्वाद अच्छा न हो II ( पु० ) अकाल, दुर्भिक्ष दुर्भर-सं० (वि०) 1 जिसे उठाना कठिन हो, भारी, वज़नी दुर्भाग-सं० (पु० ) = दुर्भाग्य दुर्भागी - सं० (वि०) अभागा, भाग्यहीन
प्रस्त
दुर्भाग्य - सं० (पु० ) बदकिस्मती, बुरा भाग्य । (वि०) दुर्भाग्य में फँसा हुआ, बद-किस्मत, अभागा, (वि०) दुर्भाग्य से भरा हुआ, दुर्भाग्यशाली वश (वि०) बदकिस्मती से
पूर्ण
400
दुर्भाव - सं० (पु० ) 1 बुरा भाव, कुभाव 2 तुच्छ विचार दुर्भावना -सं० (पु० ) 1 बुरी भावना, कुविचार 2 आशंका,
खटका
दुर्भाव्य-सं० (वि०) जल्दी ध्यान में न आनेवाला दुर्भाषा-सं० (स्त्री०) गंदी बोली
दुर्भिक्ष - सं० (पु० ) अकाल (जैसे- दुर्भिक्ष से मरना ) । पीड़ित (वि०) अकालग्रस्त
दुर्भेद्य-सं० (वि०) 1 जिसे भेदना कठिन हो 2 जिसे जल्दी पार न किया जा सके 3 जिसके अंदर पहुँचना कठिन हो (जैसे- दुर्भेद्य किला)
दुर्मति - I सं० (वि०) 1 दुर्बुद्धि बुरी मतिवाला 2 खल, दुष्ट II (स्त्री०) दुष्ट बुद्धि
दुर्मद-सं० (वि०) 1 नशे में चूर 2 उन्मत्त, पागल 3 मदांध, अत्यंत घमंडी
दुर्मना -सं० (वि०) बुरे मनवाला 2 दुष्ट
दुर्मर - सं० (वि०) बुरी मौत मरनेवाला
दुर्मर्ष सं० (वि०) जिसे सहना कठिन हो, दुःसह दुर्मुख - सं० (वि०) 1 गंदे मुँहवाला 2 कडुवी और बुरी बात कहनेवाला
दुलारी
2 अति प्रशस्त 3 प्रिय (जैसे-ऐसी दुर्लभ वस्तु कहाँ मिलेगी) दुर्ललित - I सं० (वि०) 1 अत्यधिक प्यार से बिगड़ा हुआ -2 दुष्ट, पाजी 3 दूषित, बुरा II ( पु० ) उद्धतता दुर्लेख्य - I सं० (वि०) 1 बुरी लिखावटवाला 2 जिसकी लिखावट बुरी हो II (पु०) जाली काग़ज़, इनवैलिड डीड दुर्वचन - सं० . ( पु० ) 1 बुरा वचन, दूषित कथन 2 गाली, अपशब्द
दुर्मूल्य - सं० (वि०) बहुमूल्य दुर्यश-सं० ( पु० ) अपयश
दुर्रा - फ़ा० (पु० ) कोड़ा, चाबुक दुर्लक्ष्य - I सं० (वि०) जिसे कठिनता से देखा जा सके II (पु० ) बुरा उद्देश्य
दुर्लभ - सं० (वि०) 1 कठिनता से प्राप्त होनेवाला, दुष्प्राप्य
दुर्वाणी-सं० (स्त्री०) बुरी वाणी, दुर्वचन दुर्वाद-सं० (पु० ) 1 अपवाद, निंदा 2 अनुचित विवाद, तकरार 3 निंदित वाक्य
दुर्वासना-सं० (स्त्री०) 1 बुरी वासना, बुरी इच्छा 2 ओछी कामना 3 विषय जनित वासना दुर्वासनामय - सं० (वि०) 1 दुर्वासनापूर्ण 2 कामासक्त दुर्विनीत-सं० (वि०) अविनीत, उद्दंड
दुर्विपाक - सं० ( पु० ) 1 बुरा परिणाम 2 बुरा संयोग, कुसंयोग
(जैसे- दैवदुर्विपाक से उन्हें पुत्र-शोक सहना पड़ा) दुर्विभाव्य-सं० (वि०) जिसका अनुमान कठिनता से हो सके दुर्वृत्त - I सं० (वि०) 1 दुराचारी, दुश्चरित्र 2 बुरी वृत्तिवाला II (पु० ) निंदनीय एवं बुरा आचरण, बदचलनी दुर्वृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 बुरी वृत्ति 2 बुरा आचरण, बुरा स्वभाव दुर्व्यवस्था -सं० (स्त्री०) अव्यवस्था
दुर्व्यवहार - सं० (पु० ) 1 बुरा बर्ताव, अनुचित व्यवहार 2 गलत फ़ैसलेवाला मुकदमा, अन्यायपूर्ण मुकदमा
दुर्व्यसन - सं० (पु० ) बुरी लत, बुरी आदत (जैसे-मद्यपान भी एक दुर्व्यसन है )
दुर्व्यसनी - सं० (वि०) दुर्व्यसनवाला दुर्हृद-सं० (वि०) बुरे हृदयवाला, खोटा दुलकना - (स० क्रि०) दुलखना
दुलकी - (स्त्री०) घोड़े का उछल-उछलकर मध्य गति से दौड़ने की चाल
दुलखना - I (स० क्रि०) 1 बार-बार कहना, दोहराना 2 आपत्ति
करना, इनकार करना II ( अ० क्रि०) मुकर जाना दुलड़ा-I (वि०) दो लड़ोंवाला II (पु०) दो लड़ों की माला दुलड़ी - (स्त्री०) दो लड़ोंवाली माला
दुलत्ती - (स्त्री०) 1 घोड़े आदि का पिछली दोनों टाँगों को झटकार कर मारना (जैसे-दुलत्ती चलाना) 2 दुलत्ती से किया
गया आघात
दुलराना - (स० क्रि०) दुलारना
दुलरी - (स्त्री०) 1 दुलड़ी 2 दुलारी
दुलहन - (स्त्री०) 1 नई बहू, नवोढ़ा स्त्री 2 पत्नी
दुलहा - ( पु० ) 1 दर 2 पति
दुलहिन - (स्त्री०) = दुलहन
दुलहेटा - ( पु० ) 1 दुलहा 2 दुलारा बेटा दुलाई - (स्त्री०) हलकी रज़ाई
दुलार - (पु० ) 1 स्नेहपूर्ण व्यवहार (जैसे-दुलार करना) 2 उमंग में बच्चों द्वारा किया गया धृष्टतापूर्ण आचरण
दुलारना - (स० क्रि०) । दुलार करना 2 अधिक दुलार करके बच्चों को बिगाड़ना
दुलारा - (वि०) लाड़ला दुलारी - (वि०) लाड़ली
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दुलीचा
दुलीचा - (पु० ) 1 गलीचा, कालीन 2 छोटा ऊनी आसन दुवन - (पु० ) 1 खल, दुर्जन 2 दुश्मन, वैरी 3 राक्षस दुवार - बो० (पु० ) द्वार
दुवाल - फ़ा० (स्त्री० ) 1 चमड़े का तसमा 2 रकाब का समा दुवाली - (स्त्री० ) 1 घोंटने का बेलन, घोंटा 2 बंदूक, तलवार आदि लटकाने का परतला
दुविधा - (स्त्री०) 1 दुबधा, असमंजस, पशोपेश 2 अनिर्णय । जनक + सं० (वि०) असमंजसपूर्ण
दुशमन - फ़ा० (पु०) = दुश्मन दुशवार - फा० (वि०) 1 मुश्किल, कठिन 2 दुःसह दुशवारी - फा० (स्त्री०) 1 कठिनाई 2 विपत्ति की स्थिति दुशाला - फा० (पु० ) पशमीने की चादरों का जोड़ा। दुशाले में लपेटकर मारना मीठी-मीठी बातें कहते हुए कठोर व्यंग्य
करना
दुश्चक्र - सं० ( पु० ) षड्यंत्र
दुश्चरित, दुश्चरित्र - I सं० (वि०) बद-चलन, चरित्रहीन II (पु०) बुरा चाल-चलन दुश्चिंता-सं० (स्त्री०) बुरी चिंता
दुश्चिकित्स्य - सं० ( वि० ) 1 जिसकी चिकित्सा न की जा सके 2 असाध्य (रोग एवं रोगी)
दुश्चेष्टा - सं० (स्त्री०) बुरी चेष्टा, कुचेष्टा
दुश्मन - फ़ा० (पु० ) शत्रु, वैरी
दुश्मनी - फ़ा० (पु० ) शत्रुता, वैर
दुष्कर -सं० (वि०) दुःसाध्य
दुष्कर्म -सं० (पु० ) 1 अनुचित एवं निंदनीय कर्म 2 कठिन कार्य दुष्कर्मा-सं० (वि०) दुष्कर्म करनेवाला
दुष्कर्मी -सं० (वि०) दुराचारी, कुकर्मी
दुष्कल्पना-सं० (स्त्री०) कठिन कल्पना दुष्कांड-सं० (पु० ) बुरी घटना
दुष्काल - सं० (पु० ) 1 बुरा समय, कुसमय 2 अकाल, दुर्भिक्ष दुष्कीर्ति-सं० (स्त्री०) बदनामी, अपयश
दुष्कुल - I सं० (वि०) नीच कुल का II (पु० ) नीच कुल दुष्कुलीन-सं० (वि०) नीच घराने का दुष्कृत-सं० (पु०) दुष्कर्म
दुष्कृति - I सं० (वि०) कुकर्मी, दुष्कर्मी II (पु०) कुकर्म, बुरा
काम
दुष्कृत्य-सं० (पु० ) दुष्कर्म
दुष्क्रीत - सं० (वि०) 1 कठिनाई से ख़रीदा हुआ 2 महँगा दुष्पाह्य-सं० (वि०) कठिनता से ग्रहण करने योग्य दुष्ट - I सं० (वि०) 1 दूषित, सदोष 2 निकम्मा 3 परेशान करनेवाला II (पु०) कुष्ठ रोग । चरित्र (वि०) बुरे आचरणवाला; चेता (वि०) 1 अशुभ चिंतक 2 बुरी बात सोचनेवाला 3 कपटी, छली; व्रण (पु० ) 1 दुर्गंधयुक्त घाव 2 असाध्य रोग; ~साक्षी (पु०) बुरा गवाह दुष्टा - 1 सं० (वि०) 1 बुरा सोचनेवाली 2 बुरा चाहनेवाली II (स्त्री०) बुरी स्त्री
दुष्टाचरण, दुष्टाचार -सं० (पु० ) दुराचार दुष्टाचारी - सं० (वि०) दुराचारी
दुष्टात्मा-सं० (वि०) दुरात्मा
दुष्टान्न - सं० ( पु० ) 1 खराब अन्न 2 बासी भोजन 3 पाप की
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दुहत्थड़
कमाई का अन्न 4 नाच व्यक्ति का अत्र कुत्सित कमाई का
अन
दुष्टार्बुद-सं० (पु०) गंदा फोड़ा दुष्टि-सं० (स्त्री०) दोष
दुष्पच -सं० (त्रि०) 1 कठिनता से पकनेवाला 2 कठिनता से पचनेवाला
दुष्पद-सं० (वि०) दुष्प्राप्य
दुष्पराजय- सं० (वि०) दुर्जेय दुष्परिणाम -सं०
पु० कुपरिणाम, कुफल दुष्पर्श-सं० (वि०) 1 जिसे छूना कठिन हो 2 जिसे छुआ न जा सके 3 दुष्प्राप्य
दुष्पाठ्य-सं० (वि०) कठिनता से पढ़ने योग्य
दुष्पार-सं० (वि०) 1 जिसे कठिनता से पार किया जा सके 2 दुस्साध्य
दुष्पूर-सं० (वि०) 1 जिसे भरना कठिन हो 2 कठिनता से पूरा होनेवाला
दुष्प्रकृति - I सं० (वि०) बुरे स्वभाववाला II (स्त्री०) बुरा
स्वभाव
दुष्प्रभाव - सं० (पु० ) बुरा प्रभाव, कुप्रभाव, बुरा असर दुष्प्रयोग - सं० ( पु० ) = दुरुपयोग (जैसे शब्दों का दुष्प्रयोग) दुष्प्रवृत्ति - I सं० (स्त्री०) बुरी प्रवृत्ति II (वि०) बुरी प्रवृत्तिवाला
दुष्प्राप्य-सं० (वि०) कठिनता से प्राप्त होनेवाला दुष्प्रेक्ष्य - सं० (वि०) 1 जिसे देखना कठिन हो 2 जिसे देखा न जा सके 3 भीषण, विकराल 4 कुरूप, भद्दा
दुसरिहा - बो० (वि०) 1 अन्य दूसरा 2 संगी, साथी 3 दूसरी बार होनेवाला 4 प्रतिद्वंद्वी, प्रतियोगी
दुसही - बो० (वि०) 1 जिसे सहना बहुत कठिन हो 2 ईर्ष्या करनेवाला, जलनखोर
दुसाखा - ( पु० ) दोशाखा
दुसाध - I ( पु० ) सूअर पालनेवाली एक हिंदु जाति दुसाध - II बो० (वि०) नीच, अधम दुसार - (वि०) 1 अत्यंत कष्ट देनेवाला 2 दुसाल दुसाल - I (वि०) अत्यधिक कष्ट देनेवाला II (पु० ) आर-पार हुआ छेद III ( क्रि० वि०) इस सिरे से दूसरे सिरे तक दुसूती - (स्त्री०) दो-दो तागोंवाला बुना मोटा मज़बूत कपड़ा दुसेजा - (पु० ) दो व्यक्तियों के सोने काबिल बड़ी चारपाई दुस्तर - सं० (वि०) 1 जिसे तैर कर पार करना मुश्किल हो 2 कठिन, दुर्घट
दुस्त्यज सं० (वि०) जिसे त्यागना कठिन हो दुस्थित-सं० (वि०) दुर्दशाग्रस्त
दुस्संभावना - स० (स्त्री०) कठिन संभावना दुस्सह-सं० (वि०)
दुःसह
-
दुस्साहस -सं० (पु० ) दुःसाहस । वाद (पु० ) दुःसाहसवाद; ~वादी (वि०) = दुःसाहसवादी दुस्साहसिक - सं० (त्रि०) 1 दुःसाहसी 2 दुःसाहसवादी दुस्साहसिकता-सं० (स्त्री० ) दुस्साहसी -सं० (वि०) दुःसाहसी
दुःसाहसिकता
-
दुहता - (पु०) बेटी का बेटा, नाती, दोहता (स्त्री० दुहती) दुहत्थड़ - I (वि०) दोनों हाथों से किया जानेवाला
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दुहत्था
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दून
(जैसे-दुहत्थड़ प्रहार करना) II (पु०) दोनों हाथों से किया । 2 (साहि०) वह स्त्री जो प्रेमी-प्रेमिका का संदेश एक-दूसरे को गया प्रहार III (क्रि० वि०) दोनों हाथों से प्रहार करते हए | पहुँचाती है 3 कुटनी (जैसे-दुहस्थड़ छाती पीटना)
| दूत्य-सं० (पु०) 1 दूत का काम 2 दूत का पद दुहत्था-I (वि०) 1 दोनों हाथों से होनेवाला (जैसे-दुहत्थी । दूदकश-फा० धुआं निकलने की चिमनी
मार-पीट) 2 दो मूठोंवाला II (क्रि० वि०) दोनों हाथों से दूध-(पु०) 1 स्तनपायी मादा पशुओं के थन से निकलनेवाला दुहना-(स० क्रि०) 1 दूहना 2 निचोड़ना 3 (किसी का) धन सफ़ेद तरल पदार्थ (जैसे-गाय का दूध) 2 माँ के स्तन से अपहरण करना 4 (किसी) को चूसना
निकलनेवाला सफ़ेट तरल पदार्थ 3 अनेक वृक्ष के पत्तों एवं दुहनी-I (स्त्री०) दूध दुहने का पात्र, दोहनी
डंठलों से निकलनेवाला सफ़ेद तरल पदार्थ (जैसे-मदार का दुहरा-(वि०) = दोहरा। पन (पु०) दोहरा होने का भाव दूध) 4 रासायनिक विधि से तैयार दूध का चूर्ण। चढ़ी दुहराना-(स० क्रि०) - दोहराना; तिहराना (स० क्रि०) दो (वि०) बहुत अधिक दूध देनेवाली; दानी + फ़ा० + हिं० तीन बार करना
(स्त्री०) दूध रखने का बर्तन; ~धारा + सं० (स्त्री०) दूध दहाई-1 (स्त्री०) 1 दीनतापूर्वक चिल्लाकर की जानेवाली की धार; ~धुला + सं० (वि०) बिल्कुल पवित्र; पदार्थ याचना (जैसे-दुहाई देना) 2 उच्च स्वर में पुकार कर दी गई __ + सं० (पु०) दूध से बनी वस्तु; पाकशाला + सं० सूचना, मुनादी (जैसे-न्याय की दुहाई देना) 3 कसम, शपथ, (स्त्री०) = दुग्ध पाकशाला; -पिलाई (स्त्री०) 1 दुध सौगंध
पिलानेवाली दाई 2 दूध पिलाने का पारिश्रमिक; पीता दुहाई-II (स्त्री०) 1 दृहना 2 दूहने का पारिश्रमिक
(वि०) दुधमुँहा; पूत (पु०) धन-संतति; फेनी दहाग-(१०) 1 दुर्भाग्य, बद-किस्मती 2 वैधव्य, विधवापन (स्त्री०) दूध के साथ खाया जानेवाला एक पकवान; बहन दुहागिन-बो० (स्त्री०) विधवा औरत
(स्त्री०) एक ही स्त्री का दूध पीने के नाते मानी जानेवाली दुहागिल-बो० (वि०) दुहागी
बहन; - माई (पु०) ऐसे दो बालक जो सहोदर न होते हए दहागी-(वि०) 1 भाग्यहीन, अभागा 2 निर्जन, सूना 3 खाली भी एक ही स्त्री का दूध पीकर पले हों; ~भात (०) हल्का दुहाजू-(वि०) 1 पत्नी के मरने पर दूसरा विवाह करनेवाला और स्वादिष्ट भोजन; ~माँ (स्त्री०) दूध पिलानेवाली माँ
पुरुष 2 पति के मरने पर दूसरा विवाह करनेवाली स्त्री ~मुँहाँ, --मुँहा (वि०) = दुध मुँहा; ~~मुख • सं० दहाना-(स० क्रि.०) दूहने का काम कराना
(वि०) - दुधमुंहा; मूत (पु०) बच्चे का अच्छा बुरा सब दुहाव-(पु०) दूहने का काम
कुछ; ~~वाला (वि०) ग्वाला; ~हँड़ी (स्त्री०) - दूध हैंडी; दहावनी-(स्त्री०) दुध दुहने का पारिश्रमिक
उतरना स्तनों में दृध आना; ~का जला छाछ दुहिता-सं० (स्त्री०) पुत्री, बेटी
फूंक-फूंककर पीता है विपत्ति सहने के बाद बच बच कर दुहेला-1 (वि०) 1 कष्ट-प्रद, दुःखदायी 2 दुःसाध्य, कठिन कदम रखना; का दूध और पानी का पानी सच्चा-सच्चा
3 संकट में पड़ा हआ, दुखिया || (पु०) दुःखदायक कार्य न्याय; ~का बच्चा केवल दूध के सहारे रहनेवाला बच्चा, दुह्य-सं० (वि०) 1 दृहने योग्य 2 जिसे दृहा जाय
अति शिशुः की मक्खी अत्यंत तुच्छ एवं घृणित वस्तु; दूआ-(पु०) दुक्की
की मक्खी की तरह निकाल फेंकना धणित एवं तच्छ दूइज-बो० (स्त्री०) दृज
समझ एकदम अलग कर देना; - के दाँत न टूटना दूकान-फा० (स्त्री०) दुकान । - दार (पु०) - दुकानदार; अनुभवहीन होना; चढ़ना 1 स्तनों में दूध उतरना 2 स्तनों में दारी (स्त्री०) - दुकानदारी
दूध अधिक उतर आना; चढ़ाना पशुओं द्वारा मानों में दूध दूखना-I (स० क्रि०) बो० दोष लगाना II (अ० क्रि०) नष्ट चढ़ा लना, चुरा लेना; तोड़ना दृध देना बंद कर देना;
होना III (स० क्रि०) नष्ट करना IV (अ० क्रि०) दुखना ~पीता बच्चा एकदम नन्हा बच्चा, फटना दूध का जलीय दूज-(स्त्री०) चांद्रमास के प्रत्येक पक्ष की दूसरी तिथि, दइज. | अंश उसके सार भाग से अलग। होना
द्वितीया। का चाँद बहुत कम दिखाई पड़नेवाला दूधा-(पु०) । अगहन में तैयार होनेवाला एक प्रकार का धान दूजा-बो० (वि०) 1 दूसरा 2 पराया
2 अन्न के दानों से निकलनेवाला दूध के समान सफ़ेद रस। दूत-सं० (३०) 1 संदेश पहँचानेवाला व्यक्ति (जैसे-राजा का ~~धारी । सं० (वि०) केवल दूध पीकर निर्वाह करनेवाला;
दूत) 2 राष्ट्र का प्रतिनिधि (जैसे-राजदूत) 3 प्रेमी-प्रेमिका के । ~भाती (स्त्री०) एक वैवाहिक प्रथा जिसमे वर-कन्या एक संदेश को एक-दूसरे तक पहुँचानेवाला व्यक्ति 4 इधर की बात | दूसरे को अपने हाथ से दूध-भात खिलाते हैं, हारी । सं० उधर कहकर लड़ाई-झगड़ा करानेवाला व्यक्ति 5 राजदूत | (वि०) = दूधाधारी (जैसे-विदेशी दून)। कर्म (१०) दूत का काम। | दूधिया-I (वि०) 1 दूध मिला हुआ (जैसे-दधिया चाय,
-काव्य (पु०) । संदेश काव्य 2 ऐसा काव्य जिसमें पवन, | दूधिया पेड़ा) 2 जिसमें दूध हो (जैसे-दृधिया सिंघाड़ा) 3 दृध मेघ आदि के द्वारा प्रिय के पास विरह व्यथा पहुंचाने का वर्णन के रंग का (जैसे-दूधिया कपड़ा) || (स्त्री०) । एक तरह का हो; ~ता (स्त्री) 1 दृत का कार्य 2 दृत का पद; ~मंडल सफ़ेद पत्थर 2 खड़िया (जैसे-दूधिया से लिखना); पत्थर (पु०) दृतों का समूह
(पु०) 1 मुलायम सफ़ेद पत्थर 2 चमकीला और चिकना बड़ा दूतत्व-सं० (१०) . दृढता
पत्थर दूतालय, दूतावास-सं० (१०) राजदूत का कार्यालय | दून-I (स्त्री०) दूने का भाव दृतिका, दूती-सं० (स्त्री) 1 संदेश पहुँचानेवाली स्त्री | दून-II (पु०) तराई, घाटी .
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दूना
दूना - (वि०) दूब - ( स्त्री०)
दुगुना
एक प्रसिद्ध लंबी एवं नर्म घास, दूर्वा
दू-बदू-फा० ( क्रि० वि०) 1 आमने-सामने 2 मुकाबले में दूबरा - (वि०) दुबला
दूबे - ( पु० ) द्विवेदी ब्राह्मण
403
दूधर - (वि) 1 भारी, बोझिल 2 कठिन, मुश्किल 3 असह्य (जैसे- आज की ठंड कटना बहुत दूभर है) दूमना - (अ० क्रि०) बो० हिलना-डुलना दूरंदेश - फ़ा० (वि०) दूरदर्शी, अग्र-सोची दूरंदेशी फा० (स्त्री०) दूरदर्शिता
-प्रसार
दूर - 1 सं० (वि०) पास न होनेवाला, पास न रहनेवाला, असमीपस्थ II ( क्रि० वि०) 1 बहुत फ़ासले पर, बहुत अंतर पर 2 अलग, पृथक् । गामी (वि०) दूर तक जानेवाला (जैसे- दूरगामी दृष्टि); चित्र (पु० ) विद्युत की मदद से दूरी पर प्रस्तुत किया जानेवाला चित्र चित्रण (पु०) विद्युत की सहायता से दूर चित्र प्रस्तुत करना, टेलिफोटोग्राफी; ता (स्त्री०) - दूरी; दर्श (पु०) दूर-दर्शन, टेलीविज़न दर्शक 1 (वि०) 1 दूरदर्शी 2 बुद्धिमान II (पु० ) दूरबीन, दूर- वीक्षक; - दर्शक यंत्र ( पु० ) दूरबीन, -दर्शन (पु० ) 1 दूर की चीज़ देखना 2 दूर की बात सोचना 3 विद्युत तरंगों की मदद से अत्यधिक दूर के दृश्य को प्रत्यक्ष रूप से देखने की प्रणाली 4 दे० दूर दर्श; -दर्शन यंत्र (पु० ) टेलीविज़न: दर्शिता (स्त्री०) दूरदेशी; दर्शितापूर्ण, दर्शी | (वि०) दूर की बात सोचनेवाला, दूरंदेश II (पु० ) 1 पंडित, विद्वान 2 गिद्ध दृष्टि ( स्त्री०) पहले से सोचने-समझने की शक्ति देश (पु०) परदेश, विदेश - धावक (पु० ) दूर तक दौड़नेवाला, धावन (पु०) दूर तक दौड़ना; नियंत्रण (पु० ) दूर से यंत्र द्वारा नियंत्रण निरीक्षण (पु० ) दूर से यंत्र द्वारा निरीक्षण; ~पार हिं० (क्रि० वि०) जिसका किनारा दूर हो; (वि०) दूर तक फैलनेवाला - प्रहारी (वि०) दूरमार, ~बोध (५०) दूसरे के मन की बात को जानने की विद्या; ~बोधी । (वि०) दूर बांध की कला जाननेवाला | (पु) दूर-बोध की कला जाननेवाला व्यक्ति, टेलिपॅथिस्ट भाष - भाषक (पु० ) टेलिफोन; भाषिक (वि०) दूर भाषक यंत्र संबंधी, टेलिफोनिक (जैसे-दूर भाषिक संवाद); मार हिंο. -मारक (वि०) दूर तक मार करनेवाला (जैसे-दूर मारक राकेट, दूरमारक तोप ); मुद्र (पु०) दूर लेख. टेलिप्रिंट, मुद्रक, -मुद्रक यंत्र ( पु० ) दूर लेख छापनेवाला यंत्र, टेलिप्रिंटर, मुद्रण (पु०) दूर लेख छापना, टेलिप्रिंटिंग, मुद्रण यंत्र ( पु० ) दूर मुद्रक यंत्र; लेख (पु०) दूर लेखक यंत्र से छपा हुआ समाचार भेजने का यंत्र, टेलिग्राफ, टेलिग्राम - लेखक (पु० ) 1 तार द्वारा समाचार भेजने का यंत्र, टेलिग्राफक 2 टेलिग्राफ जाननेवाला व्यक्ति, टेलिग्राफिस्ट; लेखकतः ( क्रि० वि०) दूर लेखक यंत्र की सहायता से लेखी (वि०) दूर लेख से संबंध रखनेवाला; ~वर्ती (वि०) दूर का वीक्षक (पु० ) - दूरबीन; ~वीक्षण (पु०) दूर वीक्षक यंत्र से दूर की वस्तुएँ देखना; ~ वीक्षण यंत्र दूर वीक्षक समाचार भेजने का कार्य
संचार (पु०) दूर तक संदेश, करना 1 हटाना 2 अलग करना;
दृगंचल --की कहना बड़े सूझ की बात कहना की बात 1 असंभव बात 2 सूक्ष्म बात; की सोचना दूरंदेशी की बात सोचना क्यों जायँ दूर के विचार एवं दृश्य को छोड़कर निकट के दृष्टांत पर विचार करें; ~ भागना बहुत बचना, अलग रखना; होना 1 मिट जाना 2 हट जाना दूरत्व-सं० (पु० )
दूरता
दूरबीन - फ़ा० I (वि०) दूर तक देखनेवाला II (स्त्री०) दे० दूरवीक्षक (यंत्र)
दूरस्थ-सं० (वि०) 1 दूर रहनेवाला 2 (घटना) जो वर्तमान में न घट सके
दूरांतरित-सं० (वि०) 1 दूर किया हुआ 2 दूरस्थ दूरागत-सं० (वि०) दूर से आया हुआ
दूरापात -सं० (पु०) दूर से फेंककर चलाया जानेवाला अस् दूरारूढ़ -सं० (वि०) 1 बहुत आगे बढ़ा हुआ 2 तीव्र 3 बद्धमूल
4 प्रगाढ़
दूरी - फ़ा० (स्त्री०) 1 अंतर, फ़ासला (जैसे-दो खंभों के बीच की दूरी) 2 दो वस्तुओं आदि के बीच का अवकाश, विस्तार (जैसे-दो मकानों की दूरी नापना) । करण सं० (पु०) दूर करना, दूर हटाना कृत • सं० (वि०) दूर किया हुआ. हटाया हुआ भूत सं० (वि०) जो दूर हो गया; -मापक + सं० (५०) दूरी नापनेवाला यंत्र दूर्वा-सं० (स्त्री० ) दुब
दूलह, दूल्हा - (पु० ) 1 वर, नौशा 2 पति, स्वामि 3 बहुत बना-ठना आदमी
+
दूषक-सं० (वि०) 1 दोष लगानेवाला 2 आक्षेप करनेवाला 3. विकार उत्पन्न करनेवाला
दूषण - 1 सं० (पु० ) 1 दोष लगाना 2 आक्षेप करना 3 अवगुण, बुराई II (वि) विनाशक, संहारक दूषणीय-सं० (वि०) दोषारोपण योग्य दूषन खो० (५०) = दूषण
दूषित -सं० (वि०) 1 दोषयुक्त 2 बुरा, खराब दीप लगाया. हुआ, आरोपित
दूषिता-सं० (स्त्री०) विवाह से पहले दूषित कन्या दूज्य-सं० (वि०) 1 दोष लगाने योग्य 2 बुरा, निंदनीय 3 तुच्छ, हीन
दूसरा - 1 (वि०) 1 पहले के बाद का (जैसे- दूसरा मकान ) 2 दो में से कोई एक (जैसे-एक किताब यहाँ है और दूसरी वहाँ) 3 प्रस्तुत से भिन्न 4 अन्य अतिरिक्त II (सर्व०) 1 बचा हुआ 2 दोनों पक्षों में से किसी के साथ जिसका संबंध न हो (जैसे- पारस्परिक बात-चीत में दूसरों को नहीं पड़ना चाहिए) दूसरे - अ० अन्य बात यह है कि दूहना- (स० क्रि०) दुहना दूहा बो० (पु० ) = दोहा दृक्-सं० (पु० ) छेद, छिद्र ।
-पात (१०)
दृक्, दृग्-सं० (पु० ) आंख, नयन, नेत्र अवलोकन पथ (पु० ) दृष्टि पथ: दुक्क्षेप शक्ति (स्त्री०) 1 देखने की शक्ति प्रकाश रूप, चैतन्य 3 आत्मा दुर्गंचल - सं०
(५०) नयनपट, पलक
क्षेप (पु)
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दृग्-मिचाव
404 दुग-मिचाव-सं० । हिं० (प्०) आँख-मिचोली का दृश्यादृश्य-सं० (वि०) दिखाई पड़नेवाला और न दिखाई खेल
देनेवाला दृग्वृत्त-सं० (पु०) क्षितिज
दृश्याभास-सं० (पु०) आँखें बंद कर लेने पर भी देखी गई दृढ़-सं० (वि०) 1 प्रगाढ़ (जैसे-दृढ़ आलिंगन) 2 पक्का, | वस्तु का प्रतिबिंब, चित्र का आभास होना, विद्यमान-सा प्रतीत मज़बूत 3 बलवान् और हृष्ट-पष्ट 4 विचलित न होनेवाला, होना अटल (जैसे-दृढ़ विश्वास, दृढ़ प्रतिज्ञा) 5 जिसमें परिवर्तन न दृश्यालेख्य-सं० (पु०) देखने और लिखने का हो सके (जैसे-दृढ़ निश्चय, दृढ़ भरोसा, दृढ़ कर्म)। | दृश्यावली-सं० (स्त्री०) दृश्यों की श्रेणी
कारिता (स्त्री०) (बात) पक्का करना; ~कारी (वि०) दृश्यावलोकन सं० (पु०) दृश्य का देखना 1 दृढ़ निश्चय 2 दृढ़ बनानेवाला; चित्त (वि०) दृढ़ | दृष्ट-[ सं० (वि०) 1 देखा हुआ 2 दिखाई पड़नेवाला हृदयवाला; चेता (वि०) दृढ़ विचारोंवाला; --ता II (पु०) 1 दर्शन 2 साक्षात्कार। -कूट (पु०) 1 पहेली (स्त्री०) 1 मज़बूती 2 प्रतिज्ञा एवं विचारों आदि पर अडिग 2 रुढ़ अर्थ से निकलनेवाली अर्थप्रधान कविता; नष्ट रहने की अवस्था 3 दृढ़ रहने का भाव; ~ता-पूर्वक (वि०) (वि०) क्षण भर को दिखाई देकर लुप्त हो जानेवाली; पृष्ठ मज़बूती से; --निश्चय (वि०) अडिग, अटल रहनेवाला; (वि०) युद्धभूमि से भागनेवाला; ~वाद (पु०) प्रत्यक्ष
नेमि (वि०) मज़बूत धुरीवाला; प्रतिज्ञ (वि०) प्रतिज्ञा क्रियाओं की सत्ता का सिद्धांत पर अटल रहनेवाला; ~फल (पु०) नारियल; - बद्ध दृष्टमान्-सं० (वि०) दिखाई देनेवाला (वि०) मज़बूती से बँधा हुआ; व्रत (वि०) = दृढ़ प्रतिज्ञ; | दृष्टव्य-सं० (वि०) दिखाई देने योग्य
संकल्प (वि०) पक्का इरादा; - संकल्पता (स्त्री०) दृढ़ दृष्टांत-सं० (पु०) 1 निश्चित एवं प्रामाणिक रूप देखना निश्चितता; ~~संकल्पी (वि०) दृढ़ संकल्प करनेवाला; 2 मिसाल 3 साहि० सादृश्य मूलक अर्थालंकार जिसमें उपमेय -संधि (वि०) सटकर, जुड़कर एक हुआ
एवं उपमान वाक्यों तथा दोनों के धर्मों में बिंब-प्रतिबिंब भाव दृढ़त्व-सं० (पु०) - दृढ़ता
दिखाया जाए। परक (वि.) दृष्टांत पर आधारित रूप द्रढ़ांग-सं० (वि०) मज़बूत अंगोंवाला, हृष्ट-पुष्ट
(क्रि० वि०) दृष्टांत के तौर पर दृढ़ाना-+ हिं० 1 (स० क्रि०) 1 मज़बूत करना 2 स्थिर करना | दृष्टांतवत्-सं० (क्रि० वि०) दृष्टांत की तरह
II (अ० क्रि०) 1 कड़ा होना, मज़बूत होना 2 पक्का होना, दृष्टार्थ-सं० (वि०) 1 जिसका अर्थ एवं विषय स्पष्ट हो स्थिर होना
2 व्यावहारिक दृढ़ापन-सं० (पु०) । पक्का करना, पुष्टि 2 नियुक्ति आदि को दृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 अवलोकन, निगाह, नज़र 2 देखने की पक्का ठहराना, कनफर्मेशन
शक्ति 3 दीठ, टक 4 प्रकाश 5 ज्ञान 6 मत, विचार दृढ़ायुध-[सं० (वि०) 1 अस्त्र ग्रहण करने में पक्का 2 युद्ध में 7 अभिप्राय (जैसे-किस दृष्टि से आपने कहा) 8 आशा भरी तत्पर II (पु०) धृतराष्ट्र का एक पुत्र
नज़र। -कोण (पु०) देखने, सोचने-समझने का पहल, दृढ़ीकरण-सं० (पु०) = दृढ़ापन
व्यू-प्वाइंट; ~क्रम (पु०) मुनासिबत, पर्सपक्टिव; ~क्षेप दृता-सं० (स्त्री०) जीरा
(पु०) = दृष्टि-निक्षेप; ~गत, ~गोचर I (वि०) 1 स्पष्ट दृति-सं० 1 चमड़ा, खाल 2 खाल का बना पात्र 3 मशक। | दिखाई पड़नेवाला 2 देखा हुआ II (पु०) देखी जानेवाली हार (पु०) भिश्ती
वस्तु, देखने का विषय; दोष (पु०) 1 नज़र का बुरा प्रभाव दृप्त-सं० (वि०) 1 इतराया हुआ, गर्वित 2 प्रचंड, उग्र 2 देखने में त्रुटि होना; निक्षेप (पु०) नज़र डालना, 3 प्रफुल्लित 4 चमकता हुआ
अवलोकन; ~पटल (पु०) आँख की पुतली के पिछले भाग में दृश--[ सं० (वि०) 1 देखनेवाला, दर्शक 2 दिखानेवाला, निहित कोशिका का तंत्र; ~पथ (पु०) दृष्टि का प्रसार, नज़र की प्रदर्शक II (पु०) देखना III (स्त्री०) 1 दृष्टि 2 आँख पहुँच; परंपरा (स्त्री०) . - दृष्टि क्रम; पात 3 ज्ञान
(पु०) 1 सरसरी निगाह से देखना 2 अवलोकन; बंध दृशा-सं० (स्त्री०) आँख
(पु०) नज़रबंदी; -बिंदु (पु०) क्रम; ~पात (पु०) दृशि-सं० (स्त्री०) 1 आँख 2 उजाला, प्रकाश 3 शास्त्र सरसरी निगाह से देखना 2 दृष्टिकोण; ~भ्रम (पु०) वस्तु का दृशी-सं० (स्त्री०) 1 दृष्टि 2 प्रकाश
अस्तित्व न होने पर मात्र वस्तु का आभास होना, धोखा, भ्रांति; दृशी-I सं० (पु०) 1 नज़ारा 2 तमाशा II (वि०) 1 देखने रोध (पु०) 1 देखने के काम में होनेवाली रुकावट योग्य, दर्शनीय 2 दिखाई देनेवाला 3 ज्ञेय एवं स्पष्ट 4 जानने 2 व्यवधान (जैसे-दृष्टि-रोध उत्पन्न करना); ~वाद (पु०) योग्य, ज्ञातव्य। ~गत (वि०) दिखाई देनेवाला; चित्र = दृष्टवाद; विक्षेप (पु०) 1 तिरछी चितवन, कटाक्ष (पु०) प्राकृतिक दृश्य का फोटो; जगत् (पु०) वास्तविक 2 दृष्टिपात; हीन (वि०) जिसे दिखाई न पड़े, जो न देख
जगत्, फिनामेनल वर्ल्ड; ~ता (स्त्री०) दिखाई देने का भाव सके। ~उठाना 1 निगाह भर कर देखना 2 सामना करना; दृश्यत्व-सं० (पु०) 1 दृश्य होने की अवस्था 2 ऐसी स्थिति ~गडाना गौर से देखना; ~पर रखना देखते रहना;
जिसमें देखने की शक्ति अपना काम करती है, विजिबिलिटी -फिरना पहले जैसा प्रेम न रह जाना; फेरना उपेक्षा दृश्यमय-सं० (वि०) 1 दृश्योंवाला 2 दिखाई देनेवाला करना; बचाना 1 शर्माना 2 कतराना; ~भर देखना जी दृश्यमान्-सं० (वि०) दिखाई देनेवाला
भरकर देखना; ~मारी जाना अंधा होना; मिलाना दृश्यात्मक-सं० (वि०) दृश्य संबंधी
देखा-देखी करना; ~में समाना पसंद आ जाना; लगाना
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दृष्टमान्
1 एकटक देखना 2 प्रीति लगाना दृष्टमान्सं० (वि०) 1 आँखवाला 2 समझदार 3 ज्ञानी,
ज्ञानवान्
दृष्टिवंत सं० + हिं० (वि० ) 1 जिसे दिखाई पड़े 2 बुद्धिमान्, ज्ञानी 3 जानकार
देई - (स्त्री०) 1 देवी 2 'देवी' का विकृत रूप (जैसे- हीरादेई, बालदेई)
देउ-बो० (पु० ) देव देखना,
देख - (स्त्री०)
=
अवलोकना
(जैसे- देख-भाल,
देख-रेख )
देखन - (स्त्री०) 1 देखने का ढंग 2 चितवन, विलोकन । ~हारा I बो० (पु० ) दर्शक II (वि०) देखनेवाला देखना- (स० क्रि. ० ) 1 अवलोकन करना, निहारना (जैसे-पहाड़ पर का दृश्य देखना) 2 बुद्धि से समझना एवं सोचना (जैसे आपने इस सिद्धांत को देखा है) 3 ध्यान से पढ़ना (जैसे- पुस्तक का पहला अध्याय देखना) 4 निरीक्षण करना 5 भेंट करना, मिलना (जैसे-मैं उन्हें देखने गया था) 6 अनुभव प्राप्त करना (जैसे- मैंने जीवन में बहुत उतार-चढ़ाव देखे हैं) 7 भोगना (जैसे-युद्ध का परिणाम देखना) 8 ढूंढ़ना, तलाश करना 9 मुकाबला करने में समर्थ होना (जैसे-हम तुम्हें भी देख लेंगे) 10 सहन करना (जैसे कोई अत्याचार कहाँ तक देखेंगा) 11 ध्यान रखना (जैसे-मेरे न रहने पर ज़रा मकान देखते रहिएगा)। ~भालना (स० क्रि०) देख भाल करना सुनना (स० क्रि०) अनुभव करना देख-भाल - (स्त्री०) 1 देखना. निगरानी (जैसे-देख-भाल करनेवाला) 2 परवरिश (जैसे- बच्चों की देख-भाल ) देख-रेख - (स्त्री०) 1 देख-भाल (जैसे-क़ैदियों की देख-रेख ) 2 सेवा सुश्रुषा (जैसे- रोगी की देख-रेख ) देखवैया - (पु० ) 1 दिखानेवाला 2 देखनेवाला देखा-देखी-I (स्त्री० ) 1 देखने की अवस्था 2 दर्शन 3 साक्षात्कार II ( क्रि० वि०) अनुकरणवश देखा-भाली - (स्त्री०) देख-भाल
405
देखाव - (पु० )
देग - फा० (पु० ) चौड़े मुँह एवं छोटे पेट का एक बड़ा बर्तन (जैसे-देग में से चावल निकाल लो) । चा (पु० ) छोटा देग; ची हिं० (स्त्री०) छोटा देगचा देदीप्यमान-सं० (वि०) चमकता-दमकता हुआ, जाज्वल्यमान देन - (स्त्री०) 1 देना 2 दी जानेवाली वस्तु 3 दी गई महत्त्वपूर्ण वस्तु (जैसे- साहित्यकार की देन सदैव स्मरणीय है, संतान तो ईश्वर की देन है) 4 ऐसी दी गई वस्तु जिसका परिणाम व्यापक हो (जैसे- रिश्वत तो ब्रिटिश सम्राज्य की देन हैं) 5 चुकाने का दायित्व, भार, लायबिलिटी । -दार फ़ा० (पु० ) 1 ऋणी, कर्ज़दार 2 आभारी दारी + फा० (स्त्री०) देनदार होने की अवस्था; ~लेन (पु० ) 1 देने और लेने की क्रिया, लेना-देना (जैसे-आपस की देन लेन) 2 विनिमय 3 महाजनी व्यवसाय; हार, हारा (वि०) देनेवाला
देना - 1 (स० क्रि०) 1 सुपुर्द करना, हवाले करना (जैसे-दहेज़ में मकान देना) 2 हस्तांतरित करना (जैसे-प्रसाद देना) 3 अर्पित करना (जैसे- दक्षिणा देना) 4 थमाना, पकड़ाना (जैसे- भिखारी को रोटी देना) 5 पाने में सहायक होना
= दिखाव
+
देव
(जैसे- उपाधि पत्र देना) 6 प्रदान करना (जैसे- शिक्षण संस्था को अपनी सारी संपत्ति देना) 7 दुष्परिणाम भोगना (जैसे-दंड देना) 8 मारना, प्रहार करना (जैसे-घोड़े को चाबुक देना, नौकर को थप्पड़ देना) 9 धारण करना, पहनना (जैसे-टोपी देना, मुकुट देना) 10 बंद करना (जैसे किवाड़ देना, बटन देना) 11 अंकित करना (जैसे- बिंदी देना) II (पु० ) 1 कर्ज़, ऋण 2 देय धन देन
देय-सं० (वि०) देने योग्य, दातव्य । ~ता (स्त्री०) देने का उत्तरदायित्व ~ राशि (स्त्री०) दिया जानेवाला धन देयादेय - ( पु० ) आय-व्यय। फलक (पु० ) आय-व्यय; फलक, बैलेंस शीट
देयादेश-सं० (पु० ) अमुक व्यक्ति को दिए गए धन से संबंधित पत्र, पे आर्डर
देयासी - बो० (पु० ) झाड़-फूँक करनेवाला ओझा देर - फ़ा० (स्त्री०) 1 विलंब (जैसे लड़का देर से स्कूल जाता
है) 2 वक्त, समय (जैसे यह काम कितनी देर चलेगा) देरपा -फ़ा० (वि०) बहुत देर तक रहनेवाला, पायदार देरी-फ़ा० (स्त्री०) = टेर देवक - (स्त्री० ) = दीमक देव-सं० (पु० ) 1 स्वर्ग का दिव्य शक्ति संपन्न अमर प्राणी. देवता, सुर 2 परमात्मा 3 सम्मानित लोगों के लिए आदर सूचक शब्द (जैसे- गुरुदेव, पित्र देव) । ~ कन्या ( स्त्री० ) 1 देवता की कन्या, पुत्री 2 देवी; कर्म, कार्य (पु० ) देवताओं को प्रसन्न करने हेतु किया गया कर्म (जैसे-यज्ञ आदि); -कुंड (पु० ) 1 प्राकृतिक जलाशय 2 देव मंदिर, तीर्थ आदि के पास का पवित्र कुंड, जलाशयः -गंगा (स्त्री०) स्वर्गगंगा, आकाश गंगा; -गण ( पु० ) 1 देव समूह 2 देवता का अनुचरः -- गति (स्त्री०) मृत्योपरांत उत्तम गति, स्वर्ग-प्राप्ति; ~गुरु ( पु० ) 1 बृहस्पति 2 देवताओं के पिता कश्यप; ~ गिरा (स्त्री०) देववाणी: गृह (पु० ) 1 देवालय, मंदिर 2 देवताओं का घर ज (वि०) देवता से उत्पन्न, देव संभूतः ता (पु० ) 1 स्वर्ग में रहनेवाले अमर प्राणी 2 देव - प्रतिमा ता-गण (पु० ) देवगण -ता- गार (पु० ) = देवालय: ~ता गृह (पु० ) ~ता-प्रतिमा ( स्त्री०) देव-मूर्ति तीर्थ (पु० ) पूजन का स्थान 2 देव पूजन का उपयुक्त समय (स्त्री०) ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीन देवताओं का समूह; दत्त I ( वि०) 1 देवता का दिया हुआ, देवता से प्राप्त 2 देवता के निमित्त निकाला गया II देवता के निमित्त निकाला गया धन दार + हिं०. दारु ( पु० ) एक प्रसिद्ध पहाड़ी पेड़ जिसकी लकड़ी कड़ी, हल्की और पीले रंग की होती है; -दारा (स्त्री०) अप्सरा; - दास (पु० ) देवालय में काम करनेवाला नौकर दासी (स्त्री०) 1 देव मंदिर की नर्तकी 2 वेश्या, रंडी; दूत (पु०) 1 देवता का दूत 2 ईश्वर का दूत 3 फरिश्ता दूती (स्त्री०) स्वर्ग की अप्सरा, देवांगना; दृष्टि ( स्त्री०) देवता की निगाह नदी (स्त्री०) गंगा नदी नागरी (स्त्री०) भारत की प्रसिद्ध राष्ट्रीय लिपि (जैसे-हिन्दी देवनागरी लिपि की भाषा है); निकाय (पु० ) 1 देवताओं का समूह 2 देवताओं के रहने का स्थान, स्वर्ग; ~पथ (पु० ) 1 आकाश 2 देव मंदिर का मार्ग
देव गृह; 1 देव त्रयी
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देव
3 देव यान पुरी (स्त्री०) देवताओं की नगरी, अमरावती; ~ भक्ति (स्त्री०) देवता की आराधना, पूजा-पाठ, भाषा (स्त्री०) संस्कृत भाषा, भू, भूमि (पु० ) स्वर्ग; ~मंदिर (पु० ) = देवालय; मास (पु० ) 1 देवताओं का महीना 2 गर्भ का आठवाँ महीना; ~ मूर्ति (स्त्री०) देव-प्रतिमा; यान (पु० ) 1 देवताओं का विमान 2 देवताओं की ओर जाने का मार्ग 3 जीवात्मा के ब्रह्मलोक जाने का मार्ग -युग (पु० ) सत्ययुग योनि (स्त्री०) 1 देवता जाति 2 देवताओं के अंतर्गत आनेवाले जीवों का वग (जैसे - अप्सरा, किन्नर, गंधर्व आदि) राज (पु० ) इंद्र; --राज्य (पु०) देवताओं का राज्य, स्वर्ग; रिपु (पु० ) दैत्य; - लोक (पु०) स्वर्ग; ~ वधू (स्त्री०) 1 देवता की स्त्री 2 देवी 3 अप्सरा, वाणी (स्त्री०) 1 संस्कृत भाषा 2 देवता के मुख से निकली हुई बात 3 आकाशवाणी; वृक्ष (पु० ) कल्पवृक्ष, शिल्पी (पु०) विश्वकर्मा; सभा (स्त्री०) 1 देवताओं की सभा 2 राजसभा; सेना (स्त्री०) 1 देवताओ की सेना 2 देवताओं के सेनापति स्कंद की पत्नी; ~ स्थान (पु० ) देवालय देव-फ़ा० (पु०) दानव, दैत्य देवकी -सं० श्रीकृष्ण की माता देवकीय-सं० (वि.) देवता का देवोत्थान देवत्त-सं० (वि.) देवता द्वारा दिया गया
देवठान-बो (पु० )
देवत्व -सं० (पु० ) देवता होने की अवस्था (जैसे- देवत्व पद ग्रहण करना)
-
देवनागराक्षर-सं० (पु० ) देवनागरी लिपि के वर्ण देवर-सं० (पु० ) पति का छोटा भाई देवरानी - (स्त्री०) पति के छोटे भाई की स्त्री देवल-सं० (पु० ) 1 पंडा 2 धार्मिक व्यक्ति 3 देवर देवल- (पु० ) 1 देवालय 2 मंदिर
देवांगना-सं० (स्त्री०) 1 देवता की स्त्री 2 अप्सरा देवांश-सं० (पु० ) देवता का भोग
देवा - (वि०) देवैया
देवागार - सं० (पु०) देवालय
देवाधिदेव-सं० ( पु० ) विष्णु
देवाधिप-सं० (पु० ) इंद्र
देवानां प्रिय-सं० (पु०) 1 देवताओं को प्रिय 2 बड़ों के लिए प्रयुक्त किया जानेवाला आदर-सूचक संबोधन 3 बेवकूफ, मूर्ख
देवार्पण-सं० (पु० ) देवता के निमित्त किया गया उत्सर्ग देवालय संघ (पु०) 1 स्वर्ग 2 मंदिर देवा-लेई - (स्त्री०) लेना-देना, लेन-देन देवासुर संग्राम - सं० (पु० ) देव और राक्षसों का युद्ध देवी-सं० (स्त्री०) 1 स्त्री देवता 2 देव की पत्नी 3 शील एवं उत्तम गुणोंवाली स्त्री 4 स्त्री हेतु प्रयुक्त आदरसूचक संज्ञा 5 स्त्रियों के नाम के अंत में प्रयुक्त शब्द (जैसे- संध्या देवी) 6 पटरानी
देवैया-बोल (वि०) देनेवाला देवोत्तर-सं० ( पु० ) देवता हेतु निकाली गई संपत्ति देवोत्थान-सं० (पु०) विष्णु का शेष की शैया से उठना
406
देशाहंकारी
(कार्तिक शुक्ला एकादशी को )
देवोपाद-सं० (पु०) शरीर में देवता के आने का पागलपन देवोपासना-सं० (स्त्री०) देवता की आराधना, पूजा देश - सं० (पु० ) 1 प्राकृतिक आधार पर विभाजित विशिष्ट भू-भाग (जैसे- भारत एक विशाल देश है) 2 उक्त भू-भाग के निवासी 3 सर्वत्र व्याप्त वह अवकाश जिसमें सभी वस्तुएँ दिखाई देती हैं, स्पेस 4 स्थान, जगह 5 क्षेत्र (जैसे-आप किस देश के निवासी हैं) 6 मुल्क़ (जैसे आप किस देश से आए हैं)। काल (पु०) स्थान और समय; ~गत (वि०) देश संबंधी; ज (वि०) 1 देश में उत्पन्न 2 बोल-चाल की भाषा से स्वतः उत्पन्न हुआ (शब्द); जात (त्रि०) = देशगत; --ज्ञ (पु० ) देश का ज्ञाता; त्याग (पु०) देशांतरण; --द्रोह (पु० ) देश के प्रति विश्वासघात; द्रोही (वि०) देश के साथ विश्वासघात करनेवाला; धर्म (पु० ) देश की रीति, आचार-व्यवहार निकाला + हिं० (पु० ) निर्वासन निकासित हिं० (वि०) देश निष्कासित;
दंड;
निष्कासित
देश निकाला; पति (पु० ) 1 देश का स्वामी,
~ निष्कासन (पु० ) (वि०) देश निकाला हुआ; राजा 2 देश का प्रधान शासक प्रेम (पु० ) देश भक्ति; ~ प्रेमी (वि०) देश भक्त; बंधु (पु० ) देश का हितैषी; ~ भक्त (वि०) देशानुरागी व्यक्ति भक्ति (स्त्री०) देशानुराग, देशप्रेम भक्तिपूर्ण (वि०) देशप्रेम से भरा हुआ; भाई + हिं० (पु० ) = देश बंधु भाषा (स्त्री०) देश की प्रचलित भाषा (जैसे हिंदी भारतवर्ष की देश भाषा हैं); मुख (पु० ) देश का अगुआ, रक्षक (वि०) देश की रक्षा करनेवाला; रक्षा (स्त्री० ) देश की रक्षा रत्न (पु० ) देश की विभूति; -वाला हिं० (वि.) 1 देशगत 2 देशवासी; ~वासी (वि०) देश में रहनेवाला; ~ विभाजन (पु० ) देश का बँटवारा सेवा ( स्त्री०) देश की सेवा -हित (पु० ) देश की भलाई हितकर (वि०) देश की भलाई करनेवाला, हितैषिता (स्त्री०) = देश भक्ति हितैषी (वि०) देशभक्त देशना-सं० (स्त्री०) 1 शिक्षा 2 उपदेश 3 हिदायत निदेश देशस्थ - सर (वि) 1 देश में स्थित 2 देश में रहनेवाला देशांतर - सं० (पु० ) 1 दूसरा देश परदेश 2 भौगोलिक
याम्योत्तर का वृत्त तथा ग्रीनिच से गुजरनेवाले भौगोलिक याम्योत्तर वृत्त के बीच का कोण। रेखा (स्त्री०) (मानचित्र में) उत्तर से दक्षिण तक खींची गई रेखाएँ देशांतरण - सं० (पु० ) 1 परदेश में जाकर रहना 2 निर्वासन दंड देशांतरित सं० (वि०) 1 परदेश में जाकर बसा हुआ 2 निर्वासन दंड मिला हुआ देशांतरी-सं० (वि०) विदेशी, परदेशी देशांश-सं० (५०) देशांतर देशाचार-सं० (पु० ) देश के रीति-रिवाज देशाटन - सं० (५०.) देश भ्रमण, पर्यटन करना देशानुराग-सं० (पु०) देश-भक्ति देशानुरागी - सं० (वि०) देश-भक्त देशाहंकार-सं० ( पु० ) अपने देश पर किया या अभिमान
देशाहंकारी-सं० (वि०) देश पर अभिमान करनेवाला
=
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देशिक
देशिक - 1 सं० (वि०) 1 देश से संबंधित 2 देश का II (पु० ) पथिक, बटोही
देशित - सं० (वि०) 1 जिसे आदेश प्राप्त हो, आदिष्ट 2 जिसे उपदेश मिला हो, उपदिष्ट 3 बतलाया, समझाया हुआ देशिनी - सं० (स्त्री०) 1 सूची, सूई 2 तर्जनी, उँगली देशी - सं० (वि०) 1 देश का (जैसे- देशी शराब, देशी भाषा) 2 देश संबंधी । करण (पु०) स्वदेशी बनाना देशीय-सं० (वि० ) देश से संबंध रखनेवाला देशोत्पन्न-सं० (वि० ) देश में उत्पन्न
देशोन्नति-सं० (स्त्री०) देश की उन्नति
देश्य - I सं० (वि०) 1 देशी 2 स्थानीय II ( पु० ) देश का निवासी
देस-बो० (पु० )
देसवाल - (वि०) स्वदेश का (जैसे- देसवाल बनिया )
= देश
देसावर - (पु० ) परदेश, विदेश
देसावरी - (वि०) अन्य देश का, विदेश का
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देसी बो० (वि०) देशी
देहंभर-सं० (वि०) 1 अपनी जीविका चलानेवाला 2 परम स्वार्थी
-धारण
देह-सं० (स्त्री०) शरीर, तन बदन जाँगर + हिं० (पु० ) शारीरिक श्रमशक्ति; त्याग (पु० ) देहांत, मृत्युः (पु०) जन्म लेना; ~धारी (वि०) शरीरी, प्राणी; पंजर (पु०) शरीर की हड्डियों का ढाँचा, कंकाल, पात (पु० ) देहांत, मृत्यु; ~ यात्रा ( स्त्री० ) 1 शरीर त्याग, मौत, मृत्यु 2 जीवन-यापन; रक्षक (पु० ) अंगरक्षक; छूटना मृत्यु होना; छोड़ना मरना; धरना जन्म लेना; बिसरना सुध-बुध खोना, अपने को देह - फ़ा० (पु०) गाँव, खेड़ा।
भूल जाना कान (पु० ) 1 ग्रामवासी
2 किसान
क़ानी (वि०) 1 देहाती 2 गँवार
देहर - ( स्त्री०) नदी के पास की नीची भूमि
देहरा-I (पु०) देवालय
देहरा - II बो० (पु०) देह, शरीर
= देहली, दहलीज़
देहरी - (स्त्री०) देहल - (स्त्री०) दहलीज़
देहली-सं० (स्त्री०) दरवाज़े के चौखट के नीचे की लकड़ी, दहलीज़ (जैसे- देहली पर पैर रखना) । दीपक (पु० ) देहली पर का दीया
देहलीज़ - फ़ा० (स्त्री०) दहलीज़ देहवान् - I सं० (वि०) शरीरधारी II ( पु० ) जीव, प्राणी देहांत - सं० ( पु०) शरीरांत, मृत्यु
=
देहांतर - सं० (पु० ) जन्मांतर
+
देहांतरण - सं० ( पु० ) नया शरीर धारण करना देहात - फा० अ० (पु० ) गाँव, ग्राम देहातिन-फा० + अ० + हिं० (स्त्री०) ग्रामीण महिला देहाती -फा० + अ० + फ़ा० I (वि) 1 देहात का 2 देहातियों जैसा 3 गाँव का रहनेवाला II ( पु० ) गँवार देहात्मवाद - सं० (पु० ) देह को ही आत्मा मानने का सिद्धांत,
दो
देही - I सं० ( पु० ) आत्मा II (वि०) शरीरी, प्राणी देहोत्सर्ग - सं० ( पु० ) मरना, मृत्यु, देहावसान दैत्य-सं० (पु० ) 1 असुर, राक्षस 2 डील-डौलवाला कुरूप व्यक्ति 3 दुराचारी एवं नीच 4 राक्षस प्रवृत्ति का व्यक्ति दैत्याकार सं (वि०) दैत्य के (जैसे- दैत्याकार मानत )
आकार-प्रकारवाला
दैनंदिन - 1 सं० (वि०) प्रतिदिन होनेवाला, नित्य का II ( क्रि० वि०) 1 प्रतिदिन नित्य 2 दिनोंदिन लगातार दैनंदिनी-सं० (स्त्री०) डायरी, दैनिकी दैनिक - I सं० (वि०) 1 दिन का ( जैसे- दैनिक समाचार )
2 एक दिन में होनेवाला 3 प्रतिदिन होनेवाला (जैसे-दैनिक चर्या) 4 रोज़-रोज़ का (जैसे- दैनिक कलह, दैनिक झगड़ा) II ( पु० ) 1 दिन की मज़दूरी 2 प्रतिदिन का समाचार पत्र दैनिकी -सं० (स्त्री०) जेब में रखने योग्य छोटी पुस्तिका, डायरी । करण ( पु० ) दैनिक बनाना दैन्य-सं० (पु० ) 1 दीनता 2 दरिद्रता, गरीबी 3 नम्रता (जैसे- दैन्य भाव) 4 साहि० एक संचारी भाव जिसमें दुःख, कष्ट आदि के कारण मनुष्य कातर एवं नम्र हो जाता है। ~प्रस्त (वि०) दीनता से पीडित
दैया - I (पु० ) दई, दैव II ( स्त्री०) 1 माता, माँ 2 दाई III ( क्रि० वि०) आश्चर्य, भय आदि का सूचक शब्द (जैसे-हाय दैया)
मत
देहात्मवादी - सं० (पु० ) देहात्मवाद का अनुयायी व समर्थक देहावसान-सं० (पु०) देहांत, मृत्यु
दैव - I सं० (वि०) 1 देवता संबंधी (जैसे-दैव कार्य) 2 देवता की ओर से होनेवाला (जैसे- दैव-गति) II ( पु० ) 1 होनी, प्रारब्ध 2 ईश्वर, विधाता। गति (स्त्री०) 1 ईश्वरीय घटना 2 भाग्य, किस्मत; ज्ञ I (वि०) ईश्वरीय बातों को जाननेवाला II (पु० ) ज्योतिषी; दुर्विपाक (पु० ) 1 दुर्भाग्य 2 दैव द्वारा किया गया अनिष्ट योग (पु० ) ईश्वरीय संयोग, इत्तफ़ाक (जैसे- दैवयोग से आप साफ़-साफ़ बच गए); ~ वश ( क्रि० वि०) 1 संयोगवश 2 दैवयोग से; ~ वाणी (स्त्री०) 1 संस्कृत 2 आकाशवाणी; वाद (पु० ) भाग्यवाद; ~वादी (वि०) भाग्यवादी
दैवत - I सं० (वि०) 1 देवता संबंधी 11 (पु० ) 1 देवता 2 देव-मूर्ति
दैवागत-सं० (वि०) संयोग से होनेवाला, आकस्मिक दैविक-सं० (वि०) 1 देवता का (जैसे- दैविक श्राद्ध) 2 देवता का किया हुआ (जैसे- दैविक प्रकाश)
दैवी - I सं० (वि०) 1 संबंधी 2 देवता द्वारा किया गया 3 आकस्मिक II दैव द्वारा विवाहित पत्नी III ( पु० ) ज्योतिषी । गति (स्त्री०) 1 ईश्वरीय गति 2 भावी, होनहार दैहकीय-सं० (वि०) शारीरिक
दैहिक-सं० (वि०) शारीरिक (जैसे- दैहिक दंड)
दैहिकी-सं० (स्त्री०) शरीर-शास्त्र, फिजियालोजी दोंचना - (स० क्रि०) बो० दोचना दो- I (वि०) 1 एक से एक अधिक 2 विभिन्न, परस्पर विरोधी (जैसे- इसमें दो राय नहीं है) II ( पु० ) 1 दो की संख्या 2 दो की संख्या 2 एक और एक का जोड़ 3 जोड़ा 4 दुक्की । -अर्थी सं० (वि०) 1 दो अर्थवाला 2 विभिन्न अर्थोंवाला, अनेकार्थी, चित्ता (वि०) जिसका चित्त एकाग्र न हो, असमंजस में पड़ा हुआ; चित्ती (स्त्री०)
+
=
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दोअन्नी
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दोलन
1 असमंजस की स्थिति 2 विकलता, उद्विग्नता; ~तला बो० । दोतही-फा० (स्त्री०) देशी मोटी चादर, दो सूती (वि०), तल्ला (वि०) दो खंडवाला (जैसे-दो तल्ला दोतारा-फा० + हिं० (पु०) दुतारा मकान); ~धारा (वि०) दुधारा; ~~नला (वि०) दुनाली; दोदना-I (स० क्रि०) बो० 1 सामने कही हुई बात से मुकर नाली (वि०) दो नलीवाला (जैसे-दोनाली बंदूक); जाना 2 कही हुई बात सुनकर भी यह कहना कि तुमने ऐसा
पलिया बो (वि०). -पल्ली (वि०) दो पल्लोंवाला नहीं कहा था II (वि०) मुकरनेवाला (जैसे-दो पल्ली दरवाज़ा); ~भवन + सं० (वि०) दोदिला-फा० (वि०) दुदिला द्विसदनी; ~भाषिया + सं० - हिं० (वि०) दुभाषिया; दोन-(पु०) 1 दो पहाड़ों के बीच की नीची ज़मीन, दून ~मुँहा, ~मुखी (वि०) दोमुंहा; रंगा (वि०) = दुरंगा; 2 दोआबा 3 दो नदियों का संगम 4 दो वस्तुओं का मेल
रंगी (सी०) 1 दोरंगावस्था 2 दोनों पक्षों में होनेवाली ___ II (पु०) बाँस का खोखला लंबा टुकड़ा बात-व्यवहार; ~हत्थड़ । (वि०) दोनों हाथों से किया | दोना-(पु०) 1 पत्ते का बना हुआ कटोरानुमा पात्र (जैसे-दोना जानेवाला II (पु०) दोनों हाथों से किया गया आघात III ___ भरकर मिठाई देना) 2 दोने में भर कर रखी गई वस्तु (क्रि० वि०) दोनों हाथों से; हत्था I (वि०) 1 दोनों हाथों (जैसे-मुझे भी एक दोना देना) से किया जानेवाला (जैसे-दो हत्था मार-पीट) 2 दो मूठोंवाला | दोनिया-(स्त्री) छोटा दोना। II (क्रि० वि०) दोनों हाथों से; ~आखों देखना समान दृष्टि दोनों-(वि०) दो में से प्रत्येक, उभय से न देखना; दिन का 1 हाल का (जैसे-अभी दो दिन की दोपट्टा-(पु०) दुपट्टा बात है) 2 बहुत कम उम्र का; नावों पर चढ़ना, नावों | दोपल्लू-(वि०) दोपल्ली पर पैर रखना दो वस्तुओं का सहारा लेना; सिर होना। दोपहर-(स्त्री०) 1 दिन के मध्य का समय, मध्याह्न 2 दिन में मरने को तैयार होना
बारह बजे एवं उसके आस-पास का समय दोअन्नी-(स्त्री०) दो आने का एक पुराना सिक्का दोपहरिया-बो० (स्त्री०), दोपहरी-(स्त्री०) मध्याह्न, दोअमली-फ़ा० । अ० + फ़ा० (स्त्री०) दो शासकों का राज, दोपहर दो प्रकार का राज्य, द्वैध शासन
दोपाया-फ़ा० (वि०) दो टाँगोंवाला दोआब, दोआबा-फ़ा० (पु०) दो नदियों के बीच की ज़मीन, | दोपीठा-(वि०) 1दो रुखा 2 दोनों ओर छपा हआ भू खंड
दोपौवा-(पु०) 1 दो पाव (जैसे-दोपौवा दूध देना) 2 दो पाव दोई-बो० (वि०) दो
का बाट, अध-सेरा 3 पान की आधी ढोली दोउ-बो० (वि०) दोनों
दोप्याज़ा-फ़ा० (पु०) अधिक प्याज़ डालकर पकाया गया मांस दोकोहा, दोकोहान-फा० (वि०) दो कूबड़वाला दोफला-(वि०) दो फलवाला दोखसमी-फा० + अ० + फ़ा० (स्त्री०) दो पतिवाली स्त्री | दोफ़सली-फ़ा० + अ० + फ़ा० (वि०) 1 जिसमें दो फ़सलें दोखी-बो० (वि०) दोषी
उगाई जा सकें (जैसे-दोफ़सली खेत) 2 दोनों फ़सलों से दोग़ला-(पु०) वर्णसंकर दोगला-(पु०) बाँस की कमाचियों का बना गोलाकार गहरा | दोबरसी-(वि०) दोसाला पात्र
दोबल-(पु०) दोष, अपराध दोगा-I (पु०) लिहाफ़ का मोटा कपड़ा II पानी में घुली हुई दोबारा-फा० I (क्रि० वि०) दूसरी दफा, पुनः, फिर
सीमेंट आदि (जैसे-फर्श पर दोगा देकर चिकना करना) (जैसे-दोबारा पढ़ना) II (वि०) पुनः होनेवाला दोगाड़ा-(पु०) दोनाली बंदूक
दोबाला-फ़ा० (वि०) दुगुना, दूना दोगुना-बो० (वि०) दुगुना
दोमंज़िला-फ़ा० + अ० + हिं० (वि०) = दुमंज़िला दोचंद-फ़ा० (वि०) दुगुना, दूना
दोमहला-फा० + अ० (वि०) दो भवनोंवाला, दो मंज़िलवाला दोच-बो० (स्त्री०), दोचन (स्त्री०) 1 असमंजस, दुबधा (जैसे-दो महला बँगला) 2 तकलीफ़, कष्ट 3 संकट, विपत्ति 4 दबाव
दोरसा-(वि०) 1दो प्रकार के स्वादवाला (जैसे-दोरसा दोचना-(स० क्रि०) दबाव डालना
तम्बाकू) 2 ऋतु परिवर्तन के समय का (जैसे-दोरसा दिन) दोचल्ला-(पु०) दो पलिया छाजन
दोराहा-फ़ा० (पु०) वह स्थान जहाँ से दो रास्ते निकलते हों दोज-बो० (स्त्री०) दूज
दोरखा-फा० (वि०) 1 दोनों तरफ़ समान रंगवाला 2 कभी दोज़ख-फा० (पु०) नरक, जहनुम
एक तरह का और कभी दूसरी तरह का (जैसे-दोरुखा दोज़खी-फा० (वि०) 1 नर्क संबंधी 2 नर्क में जानेवाला व्यवहार) दोज़ी-फा० + अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 दोनाली बंदूक 2 दो दोरुखी-फ़ा० (स्त्री०) दुरंगी बार चुआई हुई शराब
| दोल-सं० (पु०) 1 झूला, हिंडोला 2 डोली। ~लेख (पु०) दोज़ानू-फा० (क्रि० वि०) दोनों घुटने टेककर (जैसे-दोज़ानू | = दोलन लेख; लेखी (स्त्री०) = दोलन लेखी बैठना)
दोलक-सं० (वि०) दोलन करनेवाला दोजिया बो० (स्त्री०), दोजीवा-(स्त्री०) गर्भवती स्त्री दोलती-(स्त्री०) दुलत्ती दोटूक-(वि०) खरा, साफ़-साफ़ (जैसे-दोट्रक जवाब देना) दोलन-सं० (पु०) झूलना। गति (स्त्री०) डोलने की चाल; दोतरफा-फा० + अ० + फ़ा० (वि०) दुतरफ़ा
दर्शी (पु०) दोलन गति देखने का यंत्र; लेख (पु०)
संबंधित
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दोला
दोलन गति का रिकार्ड; लेखी (पु० ) दोलन गति रिकार्ड करने का यंत्र
दोला - सं०. (स्त्री०) 1 झुला 2 डोली, पालकी । ~ यंत्र (पु० ) अर्क उतारने का भबका दोलायमान-सं०
(वि०) 1 झूलता हुआ 2 संशयग्रस्त
3 अस्थिर, दुलमुल
दोलायित, दोलित -सं० (वि०) 1 झूलता हुआ 2 अस्थिर (जैसे-दोलित विचार-भावनाएँ)
दोलोत्सव - ( पु० ) फागुन की पूर्णिमा में होनेवाला उत्सव दोशाखा - फा० [ ( पु०) दो बत्तियोंवाला शमादान II ( वि०) दो शाखाओंवाला, दो डालोंवाला
दोशाला - फ़ा० बो० (पु० ) दुशाला दोष-सं० (पु० ) 1 ऐब, खराबी, फाल्ट 2 अपराध, कसूर 3 लांछन, कलंक 4 कलुष, पाप 5 अशुद्धि 6 कमी 7 राग-द्वेष आदि । ~ गुण (पु० ) गुण-अवगुण, अच्छाई-बुराई पत्र (पु० ) आरोप पत्र; पूर्ण (वि०) दोष से भरा हुआ; ~प्रमाणित (वि० ) दोष-सिद्ध; ~मुक्त (वि०) इलज़ाम से मुक्त; वेचक (पु०) आपत्तिजनक अंश निकालनेवाला कर्मचारी, सेंसर; ~वेचन (पु० ) आपत्तिजनक अंश निकालना, सेंसरशिप सिद्ध (वि०)
दोषी सिद्ध हुआ
दोषा-सं० (स्त्री०) 1 रात्रि का अंधकार, रात 2 सायंकाल, संध्या 3 भुजा, बाँह
दोषाक्षर -सं० (पु० ) अपराध, अभियोग
दोषारोप, दोषारोपण-सं० (५०) अभियोग लगाना, दोष लगाना (जैसे-मिथ्या दोषारोपण करना)
=
दोषिन-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 अपराधिनी 2 पाप पूर्ण आचरण करनेवाली स्त्री 3 विवाह पूर्व पुरुष से संबंध स्थापित करनेवाली कन्या 4 दूसरों पर दोषारोपण करनेवाली स्त्री
दोषी -सं० (वि०/ पु० ) 1 अपराधी, अभियुक्त 2 ऐबी, दुष्ट
3 पापी
दोस बो० (पु० ) दोष दोसदारी-सं० (स्त्री०) दोस्ती
दोसाला - फ़ा० (वि०) दो सालवाला दोस्त - फ़ा० (पु० ) मित्र, यार ( जैसे-जिगरी दोस्त ) । ~अहबाब + अ० (पु०) मित्र बंधु दोस्ताना - फ़ा० I (पु० ) 1 मित्रता, दोस्ती 2 मित्रता का आचरण II (वि०) मित्रों का सा (जैसे- दोस्ताना व्यवहार, दोस्ताना बर्ताव )
दोस्ती - फा० (स्त्री० ) 1 मित्रता, सौहार्द 2 स्त्री एवं पुरुष का पारस्परिक अनुचित संबंध (जैसे- पड़ोसिन से दोस्ती गाँठना) । ~यारी (स्त्री०) मैत्री, मित्रता; रोटी + हिं० (स्त्री०) दो लोइयाँ बेलकर एवं मिलाकर बनाई गई रोटी, दुपड़ी दोहगा - बो० (स्त्री०) परपुरुष के संग पत्नी रूप में रहनेवाली
=
=
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विधवा दोहता - (पु० ) दुहता दोहती - (स्त्री०) दुहती
=
दोहद-सं० ( पु० ) 1 गर्भवती स्त्री के मन में उत्पन्न अनेक इच्छाएँ 2 गर्भवती को गर्भकाल में उत्पन्न कामनाएँ 3 गर्भावस्था में होनेवाली मिचली, डकौना 4 गर्भावस्था ।
दौड़ा-दौड़
~वती (स्त्री०) गर्भवती स्त्री. गर्भिणी
दोहदी - I सं० (स्त्री०) गर्भवती || स्त्री (वि०) प्रबल इच्छावाली
दोहन सं० ( पु० ) गाय-भैंस आदि का दूध दुहना (जैसे-दुग्ध दोहन)
दोहनी -सं० (स्त्री०) दुहनी
दोहर - ( स्त्री०) दोहरी सिली गई चादर। ~कम्मा (पु०) व्यर्थ परिश्रम करके दुबारा किया गया काम
दोहराना - I (अ० क्रि०) 1 दोहरा होना 2 दोबारा किया जाना, दोहराया जाना II (स० क्रि०) 1 दोहरा करना 2 दो बारा
करना
दोहरा - (वि०) 1 दो परतोंवाला 2 दो बार किया गया (जैसे- दोहरा काम, दोहरी सिलाई) 3 दुगुना, दूना 4 दो पक्षों पर लागू होनेवाला (जैसे- दोहरा कथन ) दोहराई - ( स्त्री०) दोहराव
दोहराना - (स० क्रि०) 1 दोहरा करना 2 पुनरावृत्ति करना दोहराव - (पु० ) 1 दोहराना, दोबारा करना 2 दोबारा करने का पारिश्रमिक
दोहा - ( पु० ) चार चरणोंवाला प्रसिद्ध छंद (जैसे- बिहारी का दोहा)
दोहाई - I ( स्त्री०)
दुहाई I
दोहाई - II (स्त्री०) दुहाई II दोहाग - बो० (पु० ) दुर्भाग्य, बदनसीबी दोहागा-बो० (वि०) अभागा, बदकिस्मत दोहित बो० ( पु० ) = दुहता
दोही - I सं० ( पु० ) ग्वाला II (वि०) दूहनेवाला
दोहा - 1 सं० (वि०) दूहने योग्य II ( पु० ) 1 दूध 2 दूध देनेवाले मादा पशु
दौंगड़ा - ( पु० ) ग्रीष्म ऋतु की अल्पवृष्टि
दौंचना - (स० क्रि०) बो० दबाव डालकर लेना दौंरी-बो० (स्त्री०) दैवरी
दौड़ - (स्त्री०) 1 दौड़ना 2 एकाएक वेगपूर्वक आ पहुँचना 3 वेगपूर्वक आगे बढ़ना (जैसे- घुड़दौड़) 4 आगे बढ़ने का यन (जैसे- उन्हें पकड़ने के लिए मैंने दौड़ लगाई) 5 गति, प्रयत्न आदि का वेग, सीमा। ~कूद (स्त्री०) खेल कूद; ~ झपट ( स्त्री०) छीना झपटी धपाड़, धूप (स्त्री०) 1 बार-बार इधर-उधर आना-जाना 2 ज़ोरदार कोशिश दौड़ना - (अ० क्रि० ) 1 अत्यंत वेग से आगे बढ़ना (जैसे- घोड़े का दौड़ना, इंजन दौड़ना) 2 अत्यंत वेग से चलना (जैसे- इतनी तेज़ मत दौड़ना कि ठोकर लग जाए) 3 बार-बार कहीं आना-जाना (जैसे नौकरी हेतु अधिकारी के पास दौड़ना) 4 दौड़ प्रतियोगिता में शामिल होना 5 तरल पदार्थ का वेगपूर्वक बढ़ना (जैसे-नसों में खून दौड़ना) 6 प्रभाव व्याप्त होना (जैसे-चेहरे पर लाली दौड़ना) । ~ धूपना (अ० क्रि०) कोशिश करना
-
=
दौड़-पट्टी (स्त्री०) दौड़ने का मार्ग दौड़-भाग- ( स्त्री०) प्रयत्न, कोशिश
दौड़ाई - (स्त्री०) 1 दौड़ना 2 बार - बार इधर से उधर आना-जाना 3 दौड़ने का पारिश्रमिक
दौड़ा-दौड़ ( क्रि० वि०) बेतहाशा
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दौड़ा-दौड़ी
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ग
दौड़ा-दौड़ी-(स्त्री) 1 जल्दबाज़ी 2 दौड़-धूप
द्रवत्व; ~पदार्थ (पु०) पानी जैसी वस्तु, तरल पदार्थ; दौड़ान-(स्त्री) 1 दौड़ 2 गति की तीव्रता, झोंक 3 सिलसिला, ~रूप (पु०) = द्रव-स्थिति; स्थिति विज्ञान (पु०) जल क्रम 4 लंबाई, विस्तार
आदि के ठहराव से संबंधित विज्ञान दौड़ाना-(स० क्रि०) । दौड़ने में प्रवृत्त करना (जैस-घोड़ा द्रवक-सं० (वि०) 1 बहनेवाला 2 द्रवित होनेवाला 3 दौड़ाना) 2 तुरंत काम हेतु भेजना 3 आनाकानी करना रसनेवाला (जैसे-काम के लिए बार-बार दौड़ाना) 4 जल्दी-जल्दी आगे द्रवण-सं० (पु०) 1 बहना 2 रसना 3 पिघलना 4 चित्त का
बढ़ने में प्रवृत्त कराना (जैसे-कापी पर क़लम दौड़ाना) द्रवित होना। -शील (वि०) 1 पिघलनेवाला दौत्य-[ सं० (वि०) दूत संबंधी II (पु०) दूतत्व 2 पसीजनेवाला दोना-I (पु०) कटावदार तेज़ सुगंधवाला पत्ता || दोना। द्रवणांक-सं० (पु०) ताप की वह मात्रा जिसपर वस्तु पिघलती दौर-अ० (पु०) 1 चक्कर, फेरा 2 क्रम, व्यवस्था 3 सौभाग्य __ है (मेल्टिंग प्वाइंट)
एवं दुर्भाग्य का चक्र 4 आतंक, दबदबा। ~दौरा (प०) द्रवत्व-सं० (वि०) द्रव का 1प्रधानता 2 प्रबलता
द्रविक-सं० (वि०) द्रव का दौरा-अ० (पु.) 1 चक्कर, भ्रमण 2 बराबर इधर-उधर द्रविड-1 सं० (पु०) 1 दक्षिण भारत का एक प्रदेश ? द्रविड घूमना-फिरना 3 सामयिक आगमन, फेरा 4 जाँच-पड़ताल हेत् प्रदेश का निवासी II (वि०) द्रविड प्रदेश से संबंध आना-जाना (जैसे-अधिकारी का दौरा) 5 रोग का आक्रमण रखनेवाला, द्राविड़ (जैसे-पागलपन का दौरा)। - जज + अं० दौरे पर द्रवित-सं० (वि०) पिघला हुआ, पसीजा हुआ जगह-जगह न्यायालय लगानेवाला न्यायाधीश
द्रवीकरण-सं० (पु०) द्रव में परिवर्तित करना दौरा-बो० (पु०) बाँस की पट्टियों का बना टोकरा द्रवीकृत-सं० (वि०) द्रव रूप में लाया हुआ दौरात्म्य-सं० (पु०) 1 दुर्जनता 2 दुरात्मता
द्रवीभूत-सं० (वि०) 1 पिघला हुआ 2 द्रव रूप में आया दौरान-अ० (प०) 1 दौर, चक्र 2 काल का चक्र, दिनों का फेर ___हुआ, तरलित 3 दयार्द्र
3 भोगकाल (जैसे-बुखार के दौरान खाना मना है) 4 फेरा. द्रवीय-सं० (वि०) द्रव संबंधी बारी
द्रव्य-सं० (पु०) 1 चीज़, वस्त. पदार्थ 2 सामान (जैसे-सोना. दौरी-बो० (स्त्री०) 1 छोटा दौरा 2 छोटी टोकरी, चंगेरी लोहा आदि द्रव्य हैं) 3 धन-दौलत, रुपया-पैसा (जैसे-व्यापार दौर्जन्य-सं० (पु०) दुर्जनता
में बहुत द्रव्य लगाना) 4 उपादान 5 ठोस, द्रव, गैस द्रव्य की दौर्बल्य-सं० (पु०) दुर्बलता
तीन अवस्था। ~मान (पु०) पिंड पर लगनेवाले बल और दौर्भाग्य-स० (पु०) दुर्भाग्य
त्वरण का अनुपात अर्थात बल त्वरण; ~वाचक (वि०) दौर्मद्य-सं० (पु०) 1 मस्ती 2 अभिमान
जिससे द्रव्य का बोध हो; ~ वान् (वि०) द्रव्यवाला दौर्य-सं० (पु०) दूरता, दूरी
द्रव्यत्व-सं० (पु०) द्रव्यता दौर्दि-सं० (पु०) 1 बुरे हृदय का व्यक्ति 2 दुष्ट स्वभाव | द्रव्यार्जन-सं० (पु०) धन कमाना, धनोपार्जर 3 दुर्भाव, द्वेष
द्रष्टव्य-सं० (वि०) 1 दिखाई पड़नेवाला, दृष्टिगोचर 2 दर्शनीय दौलत-अ० (स्त्री०) धन-संपत्ति। खाना + फ़ा० (पु०) | 3 निरीक्षण किए जाने योग्य 4 कर्तव्य
1 संपत्ति गृह 2 निवास स्थान; ~मंद + फ़ा० (वि०) द्रष्टा-I सं० (वि०) 1 देखनेवाला 2 दिखलानेवाला II (पु०) मालदार, धनवानः ~मंदी + फ़ा० (स्त्री०) धनाढ्यता । साक्षी दौहित्र-सं० (पु०) = दुहता (स्त्री०-दौहित्री)
द्राक्षा-सं० (स्त्री०) अंगूर। ~शर्करा (स्त्री०) अंगूर के रस धु-सं० (पु०) 1 दिन, दिवस 2 आकाश
से बनी चीनी, ग्लूकोज धुति-सं० (स्त्री०) 1 चमक 2 कांति 3 लावण्य, सुंदरता, छवि | द्राक्षासव-सं० (पु०) अंगूर का अर्क द्युतिमा-सं० (स्त्री०) 1 प्रकाश, रोशनी 2 चमक 3 तेज । द्राधिमा-सं० (स्त्री०) दीर्घता, लंबाई द्युतिमान्-सं० (वि०) 1 प्रकाशवाला 2 चमकदार द्राण-[ सं० (वि०) 1 भागा हुआ 2 सोया हुआ II (पु०) धूत-सं० (पु०) जुआ। ~कार (वि०) जुआरी
1 भागना, पलायन 2 सपना, स्वप्न द्योतक-सं० (वि०) 1 द्योतन करनेवाला 2 प्रकाश करनेवाला
द्राव-सं० (पु०) 1 बहना 2 रसना 3 पिघलना, गलना 3 प्रकट करनेवाला 4 व्यक्त करनेवाला
4 अनुताप, पछतावा द्योतन-[ सं० (पु.) 1 प्रकाश करना 2 दिग्दर्शन 3 व्यक्त द्रावक-सं० (वि०) 1 द्रवीभूत करनेवाला 2 पिघलानेवाला करना 4 प्रकट करना II (वि०) चमकीला, प्रकाशमान
3 दया-भाव उत्पन्न करनेवाला धोतनिका-सं० (स्त्री०) ग्रंथ की टीका, व्याख्या द्रावण-सं० (पु०) 1 द्रवीभूत करना 2 गलाना, पिघलाना घोतित-सं० (वि.) 1 प्रकाशित 2 व्यक्त किया हुआ
द्राविड-सं० (वि०) = द्रविड़ द्रमिल-सं० (पु०) तमिल देश का पुराना नाम
द्राविडी-[सं० (वि०) द्रविड़ संबंधी II (स्त्री०) द्रविड़ प्रदेश द्रव-[सं० (वि०) 1 तरल 2 गीला, आर्द्र, तर 3 पिघला हुआ
की स्त्री II (पु०) 1 द्रव पदार्थ 2 आसव 3 रस। ~गति विज्ञान द्रावित-सं० (वि०) 1 द्रव किया हुआ 2 गलाया हुआ 3 दयाई (पु०) जल आदि की गति से संबंधित विज्ञान; ~चालित | किया हुआ (वि०) पानी आदि से चलाया जानेवाला; ता (स्त्री०) = | द्रुत -I सं० (वि०) 1 शीघ्रतापूर्वक आगे बढ़नेवाला, पिघला
किया आ
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हुति
हुआ II ( क्रि० वि०) जल्दी, शीघ्र । गति (वि०) शीघ्रगामी गामी (वि०) तेज़ चलनेवाला इति - सं० ( स्त्री०) 1 गति, चाल 2 द्रव 3 सं० द्रवित होने की
अवस्था
द्रुम-सं० (५०) वृक्ष, पेड़ द्रोण-सं० (पु० ) दोना
द्रोणी-सं० (स्त्री०) 1 छोटी नाव, डोंगी 2 छोटा दोना, दोनियाँ 3 कठवत, कठौता
द्रोह-सं० (पु०) 1 अनिष्ट चाहना 2 हिंसा 3 अपराध । ~ चिंतन (पु० ) अनिष्ट करने का विचार
द्रोहाट - 1 सं० (वि० ) ऊपर से सीधा किंतु अंदर से क्रूर II (पु० ) 1 पाखंडी 2 झूठा व्यक्ति
द्रोहिता-सं० (स्त्री०) द्रोही होने का भाव द्रोही - I सं० (वि०) द्रोह करनेवाला II ( पु० ) शत्रु, बैरी द्वंद्व-सं० (पु० ) 1 दो वस्तुओं का जोड़ा, युग्म 2 लड़ाई-झगड़ा
3 संघर्ष 4 मानसिक संघर्ष 5 उत्पात, उपद्रव । युद्ध (पु० ) दो व्यक्तियों का पारस्परिक संघर्ष वाद (पु०) दर्शनशास्त्र में तर्क और विचार के पक्ष प्रतिपक्ष और संपक्ष का विवेचन द्वंद्वमय सं० (वि०) द्वंद्वात्मक द्वंद्वात्मक सं० (वि०) संघर्षपूर्ण
द्वंद्वी - I सं० (वि०) 1 परस्पर युद्ध करनेवाले 2 परस्पर युग्म बनानेवाले 3 द्वंद्व मचानेवाले II ( पु० ) झगड़ालू व्यक्ति द्वाज -सं० ( पु० ) जारज दोगला
द्वादश - I सं० (वि०) 1 दस और दो, बारह 2 बारहवाँ II (पु० ) 12 की संख्या
द्वादशाह -सं० (पु० ) 1 बारह दिनों का समूह 2 बारह दिन में समाप्त होनेवाला यज्ञ 3 मृत्यु के बारहवें दिन किया जानेवाला
श्राद्ध
द्वादशी-सं० (स्त्री०) चांद्रमास की किसी पक्ष की बारहवीं तिथि द्वापर - सं० ( पु० ) त्रेता एवं कलियुग के मध्य का युग द्वार -सं० (पु० ) 1 दरवाज़ा 2 माध्यम साधन (जैसे-प्रवेश द्वार! | - कंटक (पु०) दरवाज़े की सिटकिनी: चार (पु० ) बरात के आगमन पर की जानेवाली द्वार पूजा; पंडित प्रधान पंडित पट (पु०) दरवाज़े का पल्ला -पटी (स्त्री०) दरवाजे पर लगा परदा, चिक: पाल (पु० ) दरबान, ड्योढ़ीदार पूजा (स्त्री०) विवाह में कन्या पक्ष द्वारा दरवाज़े पर बरात का स्वागत एवं पूजन आदि धार्मिक कृत्य; ~ खुलना रास्ता निकल आना; खुला होना आने में बाधा न होना; ~द्वार फिरना 1 कार्य सिद्धि हेतु अनेक लोगों । के पास जाना 2 भीख माँगना; ~ लगना उद्देश्य, कार्य हेतु दरवाज़े पर आ पहुँचना: -लगाना दरवाज़ा बंद कर देना द्वारस्थ - I सं० (वि०) दरवाज़े पर बैठा हुआ II ( पु० )
द्वारपाल
द्वारा-1 सं० (पु० ) 1 द्वार, दरवाज़ा 2 स्थान, जगह (जैसे- गुरुद्वारा) II ( क्रि० वि०) 1 ज़रिये 2 मारफत 3 प्रयत्न से 4 हाथ से (जैसे- पत्र नौकर द्वारा भेजा गया) द्वाराचारसं० (पु० ) = द्वार चार द्वारावरोध-सं० (पु०) दरवाज़ा रोकना द्वि-सं० (उप०/वि०) दो। (जैसे- द्विकर्मक क्रिया);
कर्मक (वि०) दो कर्मवाली खंडित (वि०) जिसके दो भाग
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द्वित्व
हो; खंडी (वि०) दो खंडवाली; ~ गुण (वि०) दुगुना, दूना गुणित (वि०) दुगुना किया हुआ; तंत्री (स्त्री०) दो ताँतवाला बाजा; दल (वि०) 1 दो दलवाला 2 दो दलों द्वारा संचालित 3 दो पत्तोंवाला; दल- शासन प्रणाली (स्त्री०) वह शासन पद्धति जिसमें दो दल मिलकर शासन करते हैं; -दिवसीय (वि०) दो दिनवाला (जैसे-द्विदिवसीय नाटक, द्विदिवसीय प्रदर्शनी) - धातु, I (वि०) दो धातुओं से मिलकर बना II (स्त्री०) काँसा, पीतल आदि धातुएँ: ~धातु ~धात्विक (वि०) दो धातुओंवाली; ध्रुव (पु० ) दो ध्रुव - उत्तर और दक्षिण ध्रुव ध्रुवीय (वि०); ~नमक (पु० ) सुत्रतवाला व्यक्ति नाम (वि०) दो नामवाला नेत्री (स्त्री०) ऐनक, चश्मा; पक्ष (वि०) 1 जिसमें दो पक्ष हों 2 जिसमें दो दल हों; पक्षी, पक्षीय (वि०) 1 दोनों पक्ष में पड़नेवाला 2 दो पार्श्वो से संबंध रखनेवाला (जैसे- द्विपक्षी समझौता द्विपक्षीय निर्णय); ~पतिकरण (पु०) दो पति बनाना; पत्नीकरण (पु० ) दो पत्नी करना; पत्नीक (वि०) दो पत्नीवाला पथ ( पु० ) दोराहा ; पद | (वि०) 1 दो पैरवाला 2 दो पदोंवाला 3 ग० दो अलग-अलग संख्यावाला, बाईनेमियल (जैसे- (1/3) + (2/5)) II ( पु० ) दो पैरोंवाला जंतु (जैसे- मनुष्य द्विपद प्राणी है); परमाणुक (वि०) दो परमाणुवाला पाद (वि०) द्विपद पाश्विक (वि०) 1 दोनों पाश्र्व से संबंध रखनेवाला 2 द्विपक्षी बिंदु (पु० ) (:) विसर्ग भाजन (पु०) दो भागों में बाँटना; भाव I (वि०) 1 जिसमें दो भाव हों 2 कपटी, छली II ( पु० ) 1 द्वेषभाव 2 दुराव-छिपाव 3 छल कपट; - भाषावाद (पु०) दो भाषाओं के समर्थन का सिद्धांत -भाषी (वि०) दुभाषियाः मात्र मात्रिक (वि०) दो मात्राओंवाला दीर्घः मासिक (वि०) दो महीनेवाला (जैसे-द्विमासिक कार्यक्रम) : मुखा (स्त्री०) जांक, मुखी (स्त्री०) दो मुखवाली; लिंग (वि०) दोनों लिंगवाला; (पुत्र) व्या० दो का बोध करानेवाला वचन(वि०) दो वर्ष का (जैसे-द्विवर्षीय पाठ्यक्रम); (वि०) दो वर्षवाला -विवाह (५०) दूसरा विवाह; -शताब्दी (स्त्री०) दो सौ वर्ष का समय: शिर (वि०) दो सिरोंवाला सदनी (वि०) दी सदनवाली; स्वर (पु० ) दो स्वरों का गुच्छ हृदया ( स्त्री०) / (वि०) गर्भवती (स्त्री)
~
-वचन
--वर्षीय
- वार्षिक
द्विगु-सं० (पु०) तत्पुरुष समास का एक भेंट जिसका पहला पद संख्या वाचक होता है (जैसे-पचदेव)
द्विज - [सं० ( पु० ) ब्राह्मण II (वि०) जिसने दो बार जन्म लिया हो
द्विजन्मा, द्विजाती-सं० (वि०) दो बार जन्मा हआ द्वितीय सं० (वि) 1 दूसरा 2 दूसरी श्रेणी का द्वितीयक सं० (वि) 1 दूसरी बार होनेवाला 2 दूसरा द्वितीयतः सं० ( क्रि० वि०) दूसरे दर्जे पर द्वितीया-सं० (स्त्री०) चांद्र मास के प्रत्येक पक्ष की दूसरी तिथि । वृत्ति (स्त्री०) दो बार दोहराना द्वितीयाश्रम-सं० (१०) ग्रहस्थ आश्रम द्वित्व-सं० ( पु० ) 1 दो होने का स्थिति (जैसे-सूर्य में य का
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द्विधा
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धक
दुबधा
दोहरा होना) 2 युग्म 3 दो की संख्या
द्वैभाषिक-सं० (वि०) दो भाषाओंवाला द्विधा-[ सं० (क्रि० वि०) 1 दो प्रकार से 2 दोनों ओर 3 दो | द्वैमासिक-सं० (वि०) प्रति दो मास में होनेवाला
खंडों में II (स्त्री०) दुविधा। ~करण (पु०) दो खंड करना द्वैराज्य-सं० (पु०) 1दो राजाओं में विभक्त राज्य, द्विभा-सं० (स्त्री०) 1 प्रकाश 2 प्रभा, चमक
कांडोमिनियम 2 दुराज, दो-अमली द्विरागमन-सं० (पु०) 1 दूसरी बार आना, पुनरागमन 2 वधू । द्वैवार्षिक-सं० (वि०) दो वर्ष का
का पति के साथ दूसरी बार ससुराल आना, गौना द्वैविध्य-सं० (पु०) 1 दो तरह से होने का भाव 2 असमंजस, द्विरुक्त-[सं० (वि०) 1 दो बार कहा हुआ 2 दुबारा कहा हुआ
3 दो प्रकार से कहा हुआ और फलतः निरर्थक II (पु०) यक्षर-सं० (वि०) दो अक्षरवाला पुनर्कथन
यर्थी-सं० (वि०) दो अर्थोवाला द्विरुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 दुबारा कही गई बात 2 दो बार कही | योष्ठ्य-सं० (वि०) दोंनो ओंठो से उच्चारित होनेवाला
गई बात, पुनरुक्ति द्विरूढ़ा-स० (स्त्री०) दुसरा विवाह करनेवाली स्त्री द्विरेता-सं० (पु०) 1 दो भित्र जाति के पशु से उत्पन्न पशु
2 दोगला द्विरेफ-सं० (पु०) भौरा द्विविध-[सं० (वि०) दो प्रकार का II (क्रि० वि०) दो प्रकार
द्विविधा-सं० (स्त्री०) 1 अंदेशा, असमजस 2 अनिश्चय | धंधक-(पु०) झंझट, बखेड़ा। ~ धोरी (पु०) सांसारिक द्विवेदी-सं० (पु०) 1 दो वेदों का ज्ञाता 2 ब्राह्मणों की एक झंझटों में फंसा रहनेवाला व्यक्ति उपजाति, दूबे
धुंधला-(पु०) 1 छल-कपट 2 आडंबर, ढोंग द्विशफ-सं० (पु०) पशु जिसका खुर फटा हो, खुरफटा पशु धुंधलाना-I (अ० क्रि०) 1 छल-कपट करना 2 ढोंग करना द्विस्पृष्ट-सं० (पु०) दो स्थानों को स्पर्श करनेवाला व्यंजन II (अ० क्रि०) 1 धाँधली करना 2 जल्दी मचाना द्वीप-स० (पु०) 1 चारों ओर समुद्र से घिरा भू-भाग, टापू । धुंधलेबाज़-हिं० +फ़ा० (०) 1 धोखेबाज़ 2 ढोंगी
2 जल के बीच का स्थल। --निवासी (पु०) द्वीप में । धुंधलेबाज़ी-हिं० +फ़ा० (स्त्री०) 1 धोखेबाज़ी. धोखाधड़ी रहनेवाला व्यक्ति; ~पुंज (पु०), ~माला (स्त्री०) द्वीपों 2 ढकोसलेबाज़ी का समूह; ~वासी (पु०) - द्वीपनिवासी; --विश्व (पु०); | धंधा-(पु०) 1 काम-काज 2 पेशा, रोज़गार, व्यवसाय समूह (पु०) द्वीपज
___3 चौका-बरतन करने की नौकरी (जैसे-घरेल धंधा) द्वीपस्थ-सं० (पु०) = द्वीप निवासी
धंधार-बो० (वि०) अकेला द्वीपांतरण-सं० (पु०) 1 काले पानी की सज़ा 2 एक द्वीप से | धंधारी-(स्त्री०) 1 गोरखधंधा 2 अकेलापन 3 निस्तब्धता, दूसरे द्वीप में होनेवाला अंतरण
सन्नाटा द्वीपावली-सं० (स्त्री०) द्वीप पुज
धंधारू-(वि०) काम धंधे में लगा रहनेवाला द्वीपी-सं० (वि०) 1 द्वीप संबंधी 2 द्वोप में रहनेवाला धंधालू-(वि०) धंधे में लगा रहनेवाला द्वीप्य-सं० (वि०) 1 द्वीप का 2 द्वीप में उत्पन्न
धंधेवाला-(पु०) धंधा करनेवाला व्यक्ति द्वेष-सं० (१०) 1 राग का विरोधी भाव, वैमनस्यता, विरोध धुंधौरा-(प्०) 1 होलिका, होली 2 आग की लपट ज्वाला 2 शत्रुता, वैर। जनक (वि०) वैर पैदा करनेवाला; धंसन-(स्त्री०) 1 फँसना 2 धंसने की जगह
पूर्ण (वि०) द्वेष से भरा हआ; ~पोषक (वि०) द्वेष धंसना-(अ० क्रि०) 1 गढ़ना (जैसे-मिट्टी में फरुआ धंसना) बढ़ानेवाला ~भाव (पु०) द्वेष; ~मूलक (वि०) द्वेषपूर्ण 2 बैठना, भीतर घुसना (जैसे-दलदल में फंसना) 3 नीचे बैठ द्वेषी-[ सं० (वि०) द्वेष करनेवाला II (पु०) वैरी, शत्र जाना (जैसे-मकान धंसना, कुंआ फँसना) 4 चुभना (जैसे-सूई द्वेष्टा-सं० (वि०) वैमनस्य भाव रखनेवाला
धंसना, काँटा धंसना) 5 घुसा-सा प्रतीत होना (जैसे-गाल, नेत्र द्वैत-सं० (पु०) 1 दा होने का भाव 2 जोड़ा, युग्म 3 पराया आदि धंसना) 6 दिमाग़-दिल में समाना (जैसे-कोई बात समझने का भाव 4 असमंजस 5 अज्ञान. मोह। वाद समझने पर भी नहीं धंसती) (पु०) अद्वैतवाद से भित्र एवं उसका विरोध करनेवाला फंसान-(स्त्री०) 1 धंसना 2 दलदल 3 ढालू ज़मीन 4 ढकेलते सिद्धांत, जीव एवं आत्मा में भेद मानने का सिद्धांत, हुए आगे बढ़ना (जैसे-भेडिया धंसान)
आत्मा-परमात्मा के भेद का सिद्धांत; वादी (वि०) द्वैतवाद फँसाना-(स० क्रि०) 1 गड़ाना, चुभाना (जैसे-सूई धंसाना) का अनुयायी
2 अंदर प्रविष्ट कराना (जैसे-भीड़ में फंसाना. सिनेमा हाल में द्वैध-सं० (पु०) 1 दो प्रकार के होने का भाव 2 भित्रता धंसाना) 3 गाड़ना, अंदर को दबाना (जैसे-दलदल में पाँव 3 परस्पर विरुद्ध होने का भाव 4 दुरंगी नीति 5 संदेह, धंसाना, ज़मीन में खंभा फँसाना) अनिश्चय
धंसाव-(प्०) 1 धंसन 2 फँसान द्वैधीकरण-सं० (प्०) दो भागों में बाँटना
धक-(क्रि० वि०) 1अचानक, सहसा 2 तेज़ी से द्वैव्य-सं० (वि०) - द्वीप्य
(जैसे-धक-धक तबला बजाना)
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धकधकना 413
धतूरा धकधकना, धकधकाना-I(अ० क्रि०) 1 हृदय का | टुकड़े-टुकड़े कर देना 2 अत्यधिक मारना-पीटना धक-धक करना, हृदय धड़कना 2 दहकना, सुलगना घट-सं० (पु०) तराजू, तुला (जैसे-आग धकधकाना) II (स० क्रि०) दहकाना, सुलगाना घटी-सं० (पु०) तुला राशि धकधकाहट, धकधकी-(स्त्री०) 1 हृदय की धड़कन घडंग-(वि०) नंगा (जैसे-नंग-धड़ग) 2 आशंका, खटका 3 असमंजस, दुबघा
धड़-I (पु०) 1 कमर से गले तक का भुजा रहित भाग, कबंध धक-पक-1 (स्त्री०) 1 खटका 2 धकधकी II (क्रि० वि०) 2 पशु-पक्षियों आदि में पैर, दुम, पंख एवं सिर को छोड़कर 1 धक-धक करते हुए 2 धड़कते हुए हृदय से
बीच का भाग 3 वृक्ष का सबसे मोटा व कड़ा भाग, ता. धकपकाना-I (अ० क्रि०) जी में दहलना, डरना II (स० टूटा (वि०) 1 टूटे धड़वाला 2 कुबड़ा क्रि) दहलाना, डराना
धड़-II (पु०) ढोल, नगाड़ा; ~धड़ I () -धड़ धका-धूम, धका-पेल-I (स्त्री०) धक्कम-धक्का II (क्रि० शब्द (जैसे-गोलियों के छूटने से उत्पन्न धड-धड़ शब्द) II वि०) धक्का देकर हटाते हुए
(क्रि० वि०) 1 धड़-धड़ शब्द करते हुए (जैसे-धड़-धड़ मार धकार-सं० (पु०) 'ध' वर्ण
पड़ना) 2 दे० धड़ाधड़; से चटपट, तुरंत धकारा-(पु०) धकधकी, आशंका
धड़क-(स्त्री०) 1 असमंजस. आशंका 2 हिचक, रुकावट धकियाना-(स० क्रि०) 1 ढकेलना. धक्का देना 2 प्रोत्साहित 3 दे० धड़कन, स्पंदन करना
धड़कन-(स्त्री०) 1 हृदय का स्पदन, कलेजे की धकधक धकेल-गाड़ी-(स्त्री०) धकेलकर चलाने वाली गाड़ो 2 दिल धड़कने का रोग धकेलना-(स० क्रि०) 1 धक्का देकर आगे बढ़ाना, ढकेलना | धड़कना-(अ० क्रि०) 1 हृदय का स्पंदा करना 2 जी का
(जैसे-बैलगाडी धकेलना, मोटर धकेलना) 2 धक्का देकर | धक-धक करना (जैसे-बदमाशों को देखते ही स्त्रियों का गिराना (जैसे-आदमी को गड्ढे में धकेलना) 3 आगे बढ़ाना कलेजा धड़कने लगा। (जैसे- भीड़ में धकेलना)
धड़का-(पु०) हृदय की धड़कन ? खटका. आशंका धकेलू, धकैत-(वि०) धक्कम धक्का करनेवाला धड़काना-(स० क्रि) 1 हृदय की धड़कन पैदा करना धकोना-(स० क्रि०) धकेलना, धकियाना
2खटका, आशंका उपन्न करना 3 धड-धड़ शब्द उत्पन्न धक्कम-धक्का -(पु०) : धका-पेल
करना धक्का-(पु०) 1 धकेलने के लिए पीछे से किया जानेवाला । धड़धड़ाना-I (स० क्रि०) धड-धड़ शब्द उत्पन्न करना |
आघात (जैसे-धक्के से दरवाज़ा खोलना) 2 वेगपूर्वक | (अ० क्रि०) धड-धड़ शब्द होना लगनेवाला आधात (जैसे-गाड़ी के धक्के से वह गिर गया) धड़ल्ला -(पु०) 1 धड़ाका, तेज़ी. वेग (जैसे-धडल्ले से कमरे 3 उपेक्षा पूर्वक हटाने के लिए किया गया आघात | में घुसना) 2 बेखटक एवं निर्भीकता से कार्य करने की प्रति ।
जैसे-अधिकारी ने गो भक्का देकर निकाल दिया) 4 कष्ट धड़ल्ले से करना बिना झिझक काम करना का आधात, मार्मिक पाड़ा (कट बातों से हृदय को धक्का | धड़वाई-बो (पु०) अनाज आदि तौलनेवाला लगना) । - धक्की (स्त्री०) ठलमठेला; मार (वि०) | धड़ा-I (पु.) 1 चार था पाँच सेर की पुरानी तौल ? तौलने का 1 बल प्रयोग करनेवाला 2 उदंडतापूर्ण आधात करनेवाला; बटखरा, बाट 3 तराज, तुला। बंदी फ़ा (स्त्रो०) पसंगा
-मुक्की । स्त्री०) मुठ-भेड़। ~खाना । धक्का सहना ठीक करना 2 ठोकर खानः, अपमानित होना 3 भटकते रहना धड़ा-II (पुर) झुंड, जत्था, दल क्काड़ा-(वि०) जिसकी धाक जमी हो. धाकवाला धड़ाका-I (पुत) 'धड़' से होनेवाला ज़ोर क शब्द, धमाका धगड़-(पुल) धगड़ा। -बाज़ • फ़ा (वि०, स्त्री०) कुलटा, (जैसे-तोप का धड़ाका) || (क्रि० वि०) चटपट, तुरंत व्यभिचारिणी
धड़ा-धड़-(क्रि० वि०) 1 धड़-धड़ शब्द करते हुए धगड़ा-(पु०) । स्त्री का जार, उपपति 2 बिना विवाह बनाया (जैसे-धड़ा-धड़ गोलियां चलाना) 2 निरंतर लगातार गया पति 3 बदमाश, लुच्चा
(जैसे-धड़ा-धड़ जवाब देना) धगड़ी-(स्त्री) । व्यभिचारिणी स्त्री. कुलटा स्त्री 2 उपपत्नी, धड़ाम-(पु०) ज़ोर से कृदने, गिरने आदि से उत्पन्न शब्द, धड रखेली धाय
या धम शब्द धगधगाना- (अ० क्रि०) धकधकाना
धड़ी-I(स्त्री०) । तौल, धड़ा 2 संख्या आदि की यथेष्टता धचकना-I (अ० क्रि०) । दलदल में फँसना 2 संकट में धड़ी-II (स्त्री०) होंठों पर की मिस्सी
पड़ना || (स० क्रि) हल्के आघात से दबाना धत्-I (क्रि० वि०) तिरस्कारपूर्वक हटाने का शब्द धचका- धक्का
धत्-II लत्, दुर्व्यसन धज-(स्त्री०) । बनाव-सिंगार 2 संदर चाल-ढाल, रंग-ढंग | धता-(वि०) दूर किया हुआ, हटाया हुआ 3 काम करने का सुंदर ढग
धतिया-(वि०) जिसे लत पड़ी हो, दुर्व्यसनी धजा-(स्त्री०) ध्वजा, पताका
धतीगड़ा-(वि०) 1 बहुत बड़ा, भारी 2 मोटा-ताज़ा 2 जारज, धजीला-(वि.) 1 आकर्षक 2 बनाव-सिंगार से युक्त दोगला धज्जी-(स्त्री०) कपड़े आदि का लंबा पतला टुकड़ा। धज्जियाँ धतूरा-(पु०) एक प्रसिद्ध विषेला पौधा 2 इस पौधे का फल। उड़ना फटकर टुकड़े-टुकड़े हो जाना; ~ उड़ाना 1 फाड़कर | खाए फिरना पागल बना धृमना
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धतूरिया
धतूरिया - (पु० ) यात्रियों पर धतूरे का प्रयोग करके लूटनेवालों
का दल
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धत्तूर - सं० (पु०) धतूरा
धधक - (स्त्री०) 1 धधकना 2 आग की लपट 3 आँच, ताप धधकना - (अ० क्रि०) 1 दहकना 2 भड़कना धधकाना - (स० क्रि०) 1 दहंकाना 2 भड़काना धन-सं० (पु० ) 1 रुपया-पैसा (जैसे धन इकट्ठा करना) 2 जीवन निर्वाह हेतु साधन भूत द्रव्य (जैसे-कृषिधन के रूप में ज़मीन-जायदाद) 3 यथेष्ट संख्या के रूप में कोई वस्तु (जैसे-गोधन, वाजिधन) 4 प्रिय लाक्ति (जैसे-तुम तो मेरे जीवन धन हो) 5 गणित में जोड़ का निशान (जैसे 4+ 5 = 9) 6 विशिष्ट गुण एवं धर्म आदि की वर्तमान स्थिति (जैसे-विद्युत धारा में धन आवेश ) । - कुबेर (पु० ) अत्यंत धनी एवं संपन्न व्यक्ति; चिह्न (पु० ) गणित में प्रयुक्त जोड़ का निशान - जन (पु० ) : धनवान व्यक्ति 2 धन एवं व्यक्ति; -- जन शक्ति (स्त्री०) धन एवं मानव शक्ति, जान-माल की ताकत - तंत्र ( पु० ) धनसत्तावाद; -तेरस + हिं (स्त्री०) कार्तिक कृष्ण त्रयोदणी, दंड (पु० ) अर्थ दंड, जुर्माना देव (पु० ) धन के स्वामी कुबेर दौलत अ० (स्वी० ), ~ द्रव्य (पु.) धन रूपी पदार्थ; धान्य (पु० ) धन-दौलत एवं खाद्य पदार्थ धान्य संपन्न (वि०) धन दौलतवाला: -धाम (पु.) घर-बार और धन-संपत्ति -- धारी (पु० ) 1 धनदेव, कुबेर 2 धनवान पक्ष (पु० ) जमावाला पक्ष, क्रेडिट साइड; पति (पु० ) 1 धन-देव
धन्नासेठ
धनाणु-सं० (पु० ) धनात्मक विद्युत से आविष्ट अणु, पाजिटिव धनात्मक सं० (वि०) 1 धन पक्ष संबंधी 2 धनवाले तत्त्व से संबंद्ध (जैसे- धनात्मक ध्रुव )
धनादेश -सं० (पु०) 1 डाकखाने द्वारा भेजा जानेवाला धन, मनीआर्डर 2 धन देने की आज्ञा, आदेश
2 धनवान व्यक्ति; पत्र (पु) सरकार द्वारा प्रचलित मुद्रित कागज का टुकड़ा जो लेन देन सिक्कों के रूप में काम आता है. करेंसी नोट -पात्र (पू) धनी धनवान, पाल (पु.) १ खजांची 2 कुबेर, - प्रयोग (पु०) पूँजी का उप्योग, -मद (पु० ) धन होने पर उत्पन्न अभिमान, घमंड --राशि (स्त्री०) 1 धन का ढेर 2 अत्यधिक संपत्ति 3 निश्चित रकमः लाभ (पू) धन की प्राप्तिः लिप्सा (स्त्री) धन लोलुपता: लुब्ध (वि०) धन-लोलुप लोभ (पु० ) धन लोलुपता; -लोलुप; (वि०) धन का लालच करनेवाला; लोलुपता (स्त्री०) धन का लालनधन; विद्युतणु, विद्युदणु (पु० ) बिजली का धनात्मक कण; विधेयक (पु०) धन संबंधी कानून; ~शाली (वि०) - धनवान ~संपत्ति (स्त्री०) धन दौलत: संपन्न (वि०) धनवान् स्वामी (पु०) कुबेर; ~ हर I ( वि०) धन चुरानेवाला II (पु० ) चोर; हीन (वि०) निर्धन, दरिद्र उड़ाना धन बर्बाद करना; -लुटाना खुले हाथों देना
धन-बोल (वि०) धन्य
धनक बो० (पु० ) 1 धन की इच्छा 2 लोभ, लालच धनकटी, धनकुट्टी- (स्त्री०) धान की कटाई धनखर - (पु० ) बो० धान बोने का खेत धनद-सं० (वि०) 1 धन देनेवाला 2 उदार एवं दानी धनवंत, धनवान -सं० (वि०) दौलतमंद, धनी धनाग्र-सं० ( पु० ) विद्युत शास्त्र में धन दंड का भाग, एनोड धनाग्रीय-सं० (वि०) धनाय संबंधी
धनाढ्य संघ (वि०) धनवान्
धनाधीश - सं० ( पु० ) धनाध्यक्ष सं० (पु० ) धनाना-I (अ० क्रि०)
गाय आदि पशु का गर्भवती होना II (स० क्रि०) गाय, भैंस आदि का गर्भाधान कराना धनाभाव - स० (पु० ) धन की कमी धनार्चित-सं० (वि०) धन द्वारा संतुष्ट किया हुआ धनार्जन-सं० (पु० ) धनोपार्जन
धनार्थ-सं० ( क्रि० वि०) धन के लिए धनार्थी - सं० (वि०) धन चाहनेवाला, धनेच्छुक धनिक - I सं० (वि०) धनवाला, धनी II ( पु० ) धनवान् व्यक्ति । तंत्र (पु० ) ऐसी शासन प्रणाली जिसमें शासन की बागडोर बड़े-बड़े पूँजीपतियों के हाथ में हो, प्लूटो-कैसी, धन
1 धन का स्वामी, धनी 2 कुबेर कोषाध्यक्ष खजांची
सत्तावाद
धनिता-सं० (स्त्री०) धनाढ्यता
धनिया-सं० (स्त्री०.) एक प्रसिद्ध मसाला धनिष्ठा-सं० (स्त्री०) सत्ताइस नक्षत्रों में तेईसवाँ नक्षत्र धनी - 1 सं० (वि०) 1 धनवाला, दौलतमंद 2 कुशल II
(पु० ) 1 धनवान् 2 मालिक, स्वामी 3 सिद्ध हस्त व्यक्ति (जैसे-क़लम का धनी) । ~ धौरी हिं० (पु० ) 1 हाल-चाल पूछनेवाला, खोज - ख़बर लेनेवाला 2 मालिक, संरक्षक 3 कद्र करनेवाला; मानी (वि०) धनवान् और प्रतिष्ठित; -समुदाय (पु०) धनिक वर्ग धनी, धनीका-सं० II (स्त्री०) 1 पत्नी, वधू 2 प्रेमिका धनु: रोग-सं० ( पु० ) धनुक -बाई धनु-सं० (पु० ) धनुष, कमान
11.
धनुआ - ( पु० ) 1 कमान, धनुष, चाप 2 धुनकी धनुई - बो० (स्त्री०) 1 छोटा धनुष 2 धुनकी धनुक - (पु०) कमान, धनुष
धनुक - बाई - (स्त्री०) लकवे के समान एक वातरोग धनुर्द्धर, धनुर्द्धारी, धनुर्धारी-सं० (५०) धनुष-बाण चलानेवाला व्यक्ति
धनुर्यज्ञ-सं० (पु० ) धनुषभंग हेतु रचा गया यज्ञ धनुर्वात सं० (पु० ) - धनुक बाई धनुर्विद्या सं० (स्त्री०) धनुष चलाने की विद्या, तीरंदाजी धनुर्वेद - सं० ( पु० ) यजुर्वेद का उपवेद जिसमें धनुर्विद्या का निरूपण है
धनुष-सं० (पु० ) कमान
धनुषाकार -सं० (वि०) धनुष के आकारवाला, धनुष की आकृति का
धनेश सं० (पु० ) पक्षी धनेश्वर - सं० (पुं०) - धनदेव धनोत्पादन - सं० (५०) धन का उत्पादन धनोपार्जन -सं० (पु०) धन कमाना धन्नासेठ - (पु० ) अत्यधिक धनवान् व्यक्ति
1 धन का स्वामी 2 कुबेर 3 एक
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धन्नी
धन्नी - (स्त्री०) 1 गाय-बैलों की एक जाति 2 घोड़ों की एक जाति
धन्य - सं० (वि०) 1 श्रेष्ठ कर्म करनेवाला एवं पुण्यवान, सुकृति 2 कृतार्थ (जैसे- आपके दर्शन से मैं धन्य हो गया) । ~ भाग्य ( पु० ) अहोभाग्य - वाद (पु० ) 1 धन्य कहना, धन्य मानना 2 साधुवाद 3 कृतज्ञता प्रकट करना 4 कृतज्ञता प्रकट करने का एक शब्द वाद-पूर्वक ( क्रि० वि०) आभार प्रकट करते हुए
धन्याक - सं० (पु० ) धनिया
धन्वंतरि -सं० (पु० ) देवताओं के प्रधान चिकित्सक धन्व, धन्वा -सं० ( पु० ) 1 धनुष 2 मरु प्रदेश, रेगिस्तान धन्वाकार-सं० (वि०) धनुष की आकृति का, अर्धचंद्राकार धन्वी - सं० ( पु० ) धनुर्धर, धनुर्धारी
धप- (स्त्री० ) 1 भारी वस्तु के मुलायम वस्तु पर गिरने से उत्पन्न शब्द 2 सिर पर मारा जानेवाला थप्पड़
धपना- (अ० क्रि०) 1 तेज़ी से चलना 2 झपटना धपना - (स० क्रि०) 1 सिर पर थप्पड़ मारना 2 मारना पीटना धप्पा - (पु०) हल्का थप्पड़
धबधब - (स्त्री०) 1 भारी एवं मुलायम वस्तु के गिरने से उत्पन्न शब्द 2 चलते समय ज़मीन पर पैर पड़ने का शब्द धबधबाना - (अ० क्रि०) धबधब होना
धबला - (पु० ) 1 कमर के नीचे पहनने का ढीला-ढाला पहनावा 2 घाघरा, लहँगा
धब्बा - ( पु० ) 1 भद्दा और बेमेल निशान (जैसे- स्याही का धब्बा) 2 कलंक, दाग़ धब्बेदार - हिं०
+ फ़ा० (वि०) 1 जिस पर धब्बा लगा हो 2 दाग़वाला, कलंकी
धम - (स्त्री०) धमाका (जैसे- धम से गिरना) धमक - 1 (स्त्री०) 1 वजनदार वस्तु के गिरने से उत्पन्न धम शब्द 2 भारी वस्तु के चलने से आस-पास होनेवाली कंपन (जैसे- रेल के चलने से होनेवाली धमक) 3 रोग, ज्वर आदि से हल्का कष्टदायक कंप II (वि०) धौंकनेवाला III (पु० ) लोहार
धमकना - I (अ० क्रि०) 1 धम शब्द होना 2 कुछ-कुछ काँपना, हिलना 3 झपटना 4 रुक-रुककर पीड़ा होना (बुखार से सिर धमकना) II (स० क्रि०) 1 जड़ देना, लगा देना (जैसे - मुक्का धमकना) 2 हथिया लेना (जैसे- मेरी ज़मीन को उसने धमक लिया)
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1
धमकाना - (स० क्रि०) धमकी देना, डराना धमकी - (स्त्री०) धमका कर कही गई बात, घुड़की (जैसे- धमकी में आना) धमक्का-बो० (५०) बम गजर - ( पु० ) 1 उपद्रव 2 मारपीट, लड़ाई-झगड़ा धमधम - (स्त्री०) धूमधाम
धमाका
धमधमाना - I (स० क्रि०) धम-धम शब्द उत्पन्न करना II (अ० क्रि०) धम-धम शब्द होना
धमधमाहट - (स्त्री०) धम-धम की आवाज़
घमधूसर - (वि०) स्थूल और बेडौल, भद्दा और मोटा घमन सं० (पु० ) 1 फूँककर हवा भरना 2 धौंकना 3 धौंकनी ।
धरसना
~भट्टी + हिं० (स्त्री०) धातु गलाने की भट्टी, ब्लास्ट फर्नेस
धमनि, धमनी-सं० (स्त्री०) नाड़ी, सिरा आर्टरी (जैसे-रक्त वाहिनी धमनी)
धमनीय-सं० (वि०) धमनी से संबद्ध
धमस- (स्त्री०) थकान
धमाका - ( पु० ) 1 वजनदार वस्तु के गिरने से उत्पन्न गंभीर शब्द 2 बहुत जोर से होनेवाला 'धम' शब्द (जैसे बंदूक छूटने का
धमाका 3 धक्का
धमा चौकड़ी - (स्त्री०) 1 उछल-कूद कूद- फाँद 2 उपद्रव, ऊधम (जैसे- धमा चौकड़ी मचाना)
धमाधम- ( क्रि० वि०) 1 धम-भ्रम 2 लगातार निरंतर
शब्द करते हुए
धमार - 1 (स्त्री०) 1 धमा चौकड़ी 2 नटों की कलाबाज़ी धमार - II ( पु० ) 1 फाग का लोकगीत 2 लोकगीत के साथ बजनेवाला ताल
धमारिया - I ( पु० ) 1 धमा चौकड़ी करनेवाला व्यक्ति 2 नट II धमार गानेवाला
धमारी - 1 (वि०) धमारिया || (स्त्री०) धमा चौकड़ी धमूका - ( पु० ) 1 धमाका 2 घुसा. मुक्का धर - I सं० (स्त्री०) पृथ्वी (वि) 1 धारण करनेवाला 2 समस्त पदों के अंत में, उठानेवाला. धारण करनेवाला (जैसे-चक्रधर, गिरिधर )
धरण-सं० (५०) धारण धरणा-सं० (स्त्री० ) धरना II धरणि-सं० (स्त्री०) धरणी। -धर (पु० )
1 शेषनाग
2 कच्छप, कछुआ 3 विष्णु धरणी-सं० (स्त्री०) पृथ्वी धर (पु० ) 1 शेषनाग 2 भूधर, पर्वत
धरणीश्वर - सं० ( पु० ) 1 शिव 2 विष्णु 3 भू पति, राजा धरता-सं० (वि०) धारण करनेवाला
धरती - (स्त्री०) 1 पृथ्वी, ज़मीन 2 संसार, जगत्; --माता + सं० (स्त्री०) मातृ रूप धरणी
धरधराना - (अ० क्रि०) / (स० क्रि०) धड़धड़ाना धरन - ( स्त्री०) 1 पकड़ 2 हठ, जिद (जैसे धरन पकड़ना) 3 कड़ी, धरनी (जैसे- धरन खड़ी करना) 4 बो० धरती धरना-I (स० क्रि०) 1 पकड़ना, थामना 2 ग्रहण करना, धारण करना 3 अधिकार में लेना 4 रखना 5 अधिकार में देना (जैसे-पुस्तकें मित्र के पास धर दो) 6 स्थिर करना (जैसे- शादी का दिन धरना) 7 बंधक रखना 8 प्रभाव डालना (जैसे-आग धरना) 9 पल्ला पकड़ना II ( पु० ) अड़कर बैठना (जैसे-अधिकारी के बँगले पर कर्मचारियों का धरना) धरनी बो० (स्त्री०) ज़िद, टेक, हठ
धरनैत- बो० ( पु० ) धरना देनेवाला धर-पकड़ - (स्त्री०) धरना- पकड़ना
धरम-बो० (पु०) धर्म । ~करम (पु०) बो० धर्म के काम; ~सार बो० (स्त्री०) धर्मशाला
धरवाना - (स० क्रि०) 1 धरने का काम कराना 2 पकड़वाना,
थमाना 3 रखाना
धरसना - I (अ० क्रि०) 1 दबाया जाना, कुचला जाना
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धरहर
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धर्म
2 अपमानित होना 3 दुर्दशाग्रस्त होना 4 सहम जाना II (स० क्रि) 1 दबाना, मर्दन करना 2 अपमानित करना 3 र्दशा
करना धरहर-1 बो० (स्त्री०) 1 बीच-बचाव 2 बचाव, रक्षा 3 धीरज,
धैर्य 4 दृढ़ निश्चय 5 दे० धर-पकड़ II (वि०) रक्षक धरहरा-(पु०) मीनार, धौराहर धरहरिया-सं० बो० 1 बीच-बचाव करनेवाला 2 रक्षक धरा-सं० (स्त्री०) पृथ्वी, धरती। --तल । पृथ्वी की सतह
2 क्षेत्रफल 3 पृथ्वी; तलीय (वि०) धरातल का; -धर (पु०) -धरणिधर धराउहर-बो० (स्त्री०) धरोहर धराऊ- (वि०) ! पुराना 2 विशेष अवसर हेतु रखा हुआ धराधाम-सं० (पु०) घर और ज़मीन धराधिपति, धराधीश-सं० (पु०) राजा धराना-(स० क्रि०) 1 पकड़ाना, थमाना 2 पकड़वाना 3 रखने
में प्रवृत्त करना (जैसे-चोरों से माल धराना) 4 रखवाना, रखाना 5 निश्चित कराना, स्थिर कराना (जैसे-शादी-ब्याह का दिन धराना) धराशायी-सं० (वि.) 1 पृथ्वी पर लेटा हुआ (जैसे-वीरों का
धराशायी होना) 2 गिर जाना (जैसे-भवन धराशायी होना) धरिंगा-बो० (पु०) एक तरह का चावल धरित्री-सं० (स्त्री०) पृथ्वी धरी-1 (स्त्री०) 1 अवलंब, आश्रय 2 रखेली II (स्त्री०) कान
में पहनने का ढार धरेचा-(वि०)/(पु०) .. धरेला धरेजा-I (पु०) विधवा को पत्नी रूप में रखना II (स्त्री०)
पत्नी रूप में रखी गई विधवा स्त्री धरेला-I (वि०) अधिकार में किया हुआ II (पु०) बिना
विवाह के पति रूप में रखा गया पुरुष धरेली-(स्त्री०) रखेली, उपपत्नी धरेश-सं० (पु०) = धराधीश धरैया-बो० (वि०) 1 धरनेवाला, पकड़नेवाला 2 धारण
करनेवाला धरोहर-(स्त्री०) । अमानत 2 थाती (जैसे-पूर्वजों से प्राप्त
सांस्कृतिक धरोहर) धर्ता-सं० (वि०) 1 धारण करनेवाला 2 ज़िम्मेदारी लेनेवाला धतूर-सं० (पु०) धतूरा ध-सं० (पु०) 1 घर, गृह 2 सहारा, टेक 3 पुण्य, नैतिकता धर्म-[ सं० (पु०) 1 ईश्वरीय श्रद्धा व पूजा पाठ, ईश्वरीय
उपासना, आराधना आदि 2 लौकिक एवं सामाजिक कर्तव्य 3 पदार्थ का मूलभूत गुण (जैसे-जलाना आग का धर्म है) 4 नैतिक एवं व्यावहारिक नियम (जैसे-मानवता के सिद्धांत मानना हमारा धर्म है) 5 सदाचार 6 पुण्य, सत्कर्म 7 साहि० उपमेय एवं उपमान को समान करने की वृत्ति, साधारण धर्म 8 न्यायशीलता और विवेक II (वि०) संबंध सूचक शब्दों के प्रारंभ में लगनेवाला (शब्द) (जैसे-धर्म-पत्नी, धर्म-पुत्र)।
कर्म, कृत्य (पु०) 1 मनुष्य हेतु निहित वेद कर्म 2 धर्मानुसार किए जानेवाले लौकिक कर्म; ~क्षेत्र (पु०) धर्म संबंधी स्थान, तीर्थस्थान; ~खाता +हिं० (पु०) परोपकार आदि कार्यों का व्यय-विभाग; ~गाथा (स्त्री०) धर्म संबंधी ।
कहानियाँ -गुरु (पु०) 1 धार्मिक उपदेश देनेवाला 2 संप्रदाय का प्रधान आचार्य (जैसे-जगद्गुरु शंकराचार्य); ~ग्रंथ (पु०) धर्म संबंधी साहित्य; घड़ी हिं० (स्त्री०) सार्वजनिक स्थल पर लगी घड़ी; घात (पु०) धर्म की हत्या; चक्र (पु०) 1 समस्त धर्म संबंधी दायरा एवं व्यवहार 2 एक प्राच्य कालीन अस्त्र 3 धर्म शिक्षा रूपी पहिया;
-चर्या (स्त्री०) धर्मसिद्धांतों के अनुसार आचरण और व्यवहारः -चारी (वि०) धर्मानुसार आचरण एवं व्यवहार करनेवाला; च्युत (वि०) धर्म से गिरा हुआ, जिसने धर्म त्याग दिया हो; जन्य (वि०) धर्म संबंधी; ज (वि०) 1 धर्म का जाननेवाला 2 धर्मात्मा; --ज्ञान, तंत्र (पु०) धर्म प्रधान शासन प्रणाली, थियोक्रेसी; ~दान (३०) मात्र परोपकार की दृष्टि से किया जानेवाला दान; द्वेष (पु०) धर्म के प्रति वैर; ~धक्का हिं० (पु.). धर्म संबंधी कष्ट; ~धुरंधर (पु०) प्रकांड धार्मिक नेता ~ध्वज (पु०) धर्म की आड़ में कुकर्म करनेवाला व्यक्ति; ~ध्वजता (स्त्री०) धर्म की आड़ में किया गया कुकर्म; ~ध्वजी (पु०) = धर्मध्वज; निरपेक्ष (वि०) जहाँ धर्म के प्रति पक्षपात न हो (जैसे-धर्मनिरपेक्ष देश); -निष्ठ (वि०) धर्मपरायण;
निष्ठा (स्त्री०) धर्म में विश्वास; पति (पु०) धर्मात्मा; -पत्नी (स्त्री०) धर्म शास्त्र के अनुसार ब्याही गई स्त्री; ~परायण (वि०) =धर्म-निष्ठ; परायणता (स्त्री०) = धर्म-निष्ठा; ~परिवर्तन (पु०) - धर्मातरण; ~पाखंड (पु०) धर्म का आडंबर; पिता (पु०) धर्म रूप में बना हुआ पिता; पीठ (पु०) धार्मिक दृष्टि से पवित्र स्थान:
पुस्तक (स्त्री०) = धर्मग्रंथ; प्रचारक (पु०) धर्म को फैलानेवाला व्यक्ति; ~प्रवण (वि०) - धर्मनिष्ठ; प्राणी (वि०) - धर्मनिष्ठ; बहिष्कृत (वि०) धर्म से बाहर किया हुआ; बुद्धि (स्त्री०) 1 भले-बुरे का विचार 2 धर्म अधर्म का विवेक; ~भावना (स्त्री०) = धर्मनिष्ठा; ~भीरु (वि०) धर्म से डरनेवाला; ~भ्रष्ट (वि०) = धर्म च्युत; ~मत (पु.) मज़हब, धर्म; ~मति (स्त्री०) = धर्म बुद्धि ~मूर्ति (स्त्री०) धार्मिक व्यक्ति; ~याजक (पु०) - धर्म प्रचारक; युग (पु०) सत्ययुग; ~युद्ध (पु०) 1 धर्म की रक्षा हेतु किया जानेवाला युद्ध 2 न्यायपूर्ण युद्ध; रक्षक (पु०) धर्म की रक्षा करनेवाला व्यक्ति; ~रत (वि०) धर्म परायण; राज (पु०) राजा; लिपि (स्त्री०) 1 वह लिपि जिसमें धार्मिक पुस्तक लिखी गई हो 2 जगह-जगह सम्राट अशोक के खुदे हुए धार्मिक विधान; ~वाद (पु०) धार्मिक वाद-विवाद, धार्मिक बहस; ~वादी (वि०) धर्मवाद संबंधी;
विधि (स्त्री०) धर्म की व्यवस्था; विरुद्ध, विरोधी (वि०) धर्म का विरोध करनेवाला; विवाह (पु०) धार्मिक रीति से किया गया विवाह; ~वीर (पु०) सदा धर्म करने में तत्पर व्यक्ति; ~वेत्ता (पु०) धर्मज्ञाता; व्रत (वि०) धर्म परायण; ~शाला (पु०) 1 परमार्थ हेतु बनवाया गया भवन 2 ऐसा स्थान जहाँ धर्मार्थ अनादि बँटता हो 3 न्यायालय, विचारालय; ~शास्त्र (पु०) मानव के कर्तव्याकर्तव्य एवं दाय विधान संबंधित ग्रंथ; ~शास्त्री (पु०) धर्मशास्त्र का पंडित; ~शील (वि०) = धर्म-निष्ठा; ~श्रद्धा (स्त्री०) = धर्म-निष्ठा; ~~संकट (पु०) धार्मिक असमंजस; सभा
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धर्मतः
(स्त्री०) 1 न्यायालय, कचहरी 2 धर्म संबंधी सभा, धार्मिक संस्था, सारी (स्त्री० ) = धर्मशाला; ~ सुधारक + हिंο (पु०) धर्म का सुधार करनेवाला; ~ सेवन (पु० ) धर्म का पालन; ~ स्थल (पु०) धार्मिक स्थान; ~ हीन (पु० ) धर्म के अनुरूप आचरण न करनेवाला व्यक्ति; बिगाड़ना 1 धर्म नष्ट करना 2 धर्मच्युत करना 3 स्त्री का सतीत्व नष्ट करना; -- रखना 1 धर्म च्युत होने से बचना 2 धर्म- च्युत होने से बचा लेना
धर्मतः सं० ( क्रि० वि०) 1 धर्म के अनुसार 2 धर्म को साक्षी देकर
धर्मस्व - I सं० (वि०) पुण्यार्थ, धमार्थ कार्यों में लगाया हुआ II ( पु०) धार्मिक उद्देश्य की सिद्धि हेतु स्थापित की गई संस्था, समाज
धर्मांतर - सं० ( पु० ) दूसरा धर्म, अन्य धर्म धर्मांतरण - सं० ( पु० ) दूसरा धर्म ग्रहण करना धर्मातरित सं० (वि०) जिसने अन्य धर्म को स्वीकार किया हो धर्माध-सं० (वि०) 1 स्वधर्म में अंधश्रद्धा होने से दूसरे के धर्म को द्वेष भावना से देखनेवाला 2 स्वधर्म के अतिरिक्त अन्य धर्म की बातों को न माननेवाला 3 धर्म के नाम पर लड़नेवाला । ~ता (स्त्री०) 1 धर्मांध होने का भाव 2 धर्म में अंध श्रद्धा धर्माचार्य - सं० (पु०) धर्म गुरु
धर्मात्मा-सं० (वि०) 1 धर्मानुसार आचरण करनेवाला 2 बहुत नेक एवं भला
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धर्मादा - ( पु० ) धर्मार्थ निकाला गया धन धर्माधर्म-सं० ( पु० ) 1 धर्म और अधर्म 2 धर्म एवं अधर्म का
ज्ञान
धर्माधिकरण-सं० (पु०) न्यायालय
धर्माधिकरणिक-सं० ( पु०) न्यायाधीश.
धर्माधिकारी-सं० (५०) धर्म-अधर्म का विचारक
धर्माधिष्ठान-सं० (पु०) न्यायालय
धर्माधिपति सं० (५०) न्याय करनेवाला व्यक्ति, जज
धर्माध्यक्ष--सं० (पु०) धर्माधिकारी
धर्मानुकूल सं० ( क्रि० वि०) धर्म के अनुरूप
धर्मानुयायी -सं० (पु० ) धर्मावलंबी धर्मानुराग-सं० (५०) धर्मनिष्ठा धर्मानुष्ठान-सं० (पु०) धर्माचरण
धर्मापेत- I सं० (वि०) 1 अधार्मिक 2 अन्याय संगत II (पु० ) 1 अधर्म 2 अन्याय 3 पाप
धर्माभास -सं० ( पु० ) नाम मात्र का धर्म, असद्धर्म धर्माभिमानी-सं० (वि०) अपने धर्म पर गर्व करनेवाला धर्मार्थ - I सं० (वि०) 1 धार्मिक कार्य हेतु निकाला गया 2 धर्म हेतु किया गया II ( क्रि० वि०) मात्र धर्मार्थ निमित III (पु०) धार्मिक दान
धर्मावतार - सं० ( पु० ) 1 परम धर्मात्मा 2 न्यायाधीश धर्मावलंबी-सं० (बि०) धर्म का आश्रय लेनेवाला धर्माश्रयी -सं० (वि०) धर्म की शरण में आया हुआ धर्माश्रित-सं० (वि०) 1 धर्मानुकूल 2 न्यायपूर्ण धर्मासन - सं० ( पु० ) न्यायाधीश का आसन धर्मिणी - I सं० (स्त्री०) पत्नी II (वि०) धर्म करनेवाली
=
धाँसना
धर्मिष्ठ - सं० (वि०) 1 धर्म पर स्थित रहनेवाला, धार्मिक 2 पुण्यात्मा
धर्मी सं० (वि० ) 1 धर्म करनेवाला, धर्मात्मा, पुण्यात्मा 2 विशेष धर्म से युक्त (जैसे-द्रव-धर्मी, ताप-धर्मी) 3 विशेष धर्मानुयायी
धर्मेतर-सं० (वि०) धर्म से भिन्न धर्मोत्तर-सं० (वि०) अत्यंत धार्मिक
धर्मोन्माद - सं० (पु० ) 1 धर्मांधता में धर्म के नाम पर अनुचित कार्य कर जाना 2 धार्मिक विचारों में डूबे रहने का पागलपन धर्मोपदेशक-सं० (पु०) धर्म-गुरु
धर्म्य - सं० (वि०) 1 धर्म संबंधी 2 धर्म संगत, न्यायपूर्ण । --ता (स्त्री०) 1 न्यायपूर्णता 2 धार्मिकता धर्ष-सं० (पु० ) 1 ढिठाई, अविनय 2 असहिष्णुता 3 अधीरता
4 अनादर, अपमान 5 सतीत्व हरण 6 अशक्तता, असमर्थता धर्षण, धषणा-सं० ( पु० ) 1 दबोचना 2 पराभव 3 अनादर,
अपमान 4 स्त्री - प्रसंग, संभोग 5 सतीत्वहरण धर्षित - सं० (वि०) 1 पराजित 2 अपमानित
धर्षिता - सं० (स्त्री०) 1 पराजित स्त्री 2 भ्रष्टा 3 कुलटा, असती 4 पुंश्चली
धर्षी-सं० (वि०) 1 धर्षण करनेवाला 2 दबोचनेवाला 3 अपमान करनेवाला 4 परास्त करनेवाला 5 मैथुन करनेवाला धवरा-बो० (वि०) उजला, सफ़ेद धवरी बो० (स्त्री०) 1 धवर पक्षी की मादा 2 सफ़ेद रंग की
गाय
धवल-सं० (वि०) 1 उजला, सफ़ेद 2 निर्मल, स्वच्छ धवला -सं० (स्त्री०) सफ़ेद गाय
धवलित-सं० (वि०) 1 उज्वल 2 साफ़ किया हुआ धवलिमा सं० (स्त्री०) 1 उज्ज्वलता 2 सफ़ेदी
धवली -सं० (स्त्री०) सफ़ेद गाय
धसक - (स्त्री०) 1 खाँसते समय उत्पन्न होनेवाला खस-खस या धस - धस शब्द 2 सूखी खाँसी
धसकना - (अ० क्रि०) 1 धँसना, दबना 2 दुःखी होना 3 बैठना (जैसे-दिल धसकना) 4 दहलना
धसना - I (अ० क्रि०) बो० = धँसना II ( अ० क्रि०) ध्वस्त होना III (स० क्रि०) ध्वस्त करना
धसान- बो० (स्त्री०) धँसन, धँसान
धाँगड़ - (पु० ) अनार्य जंगली जति 2 कुएँ, तालाब आदि खोदनेवाली एक जाति
धाँधना - (स० क्रि०) 1 बंद करना, भेड़ना 2 बहुत अधिक खाना 3 ध्वस्त करना, नष्ट-भ्रष्ट करना 4 परेशान करना धाँधल - (स्त्री०) 1 शैतानी, ऊधम 2 धूर्तता 3 दग़ाबाज़ी 4 जल्दबाज़ी
धाँधली - (स्त्री०) 1 उत्पात, उपद्रव 2 शरारत, पाजीपन 3 कपट, छल 4 शीघ्रता
धाँय - (स्त्री०) बंदूक, तोप आदि के चलने से उत्पन्न होनेवाला शब्द (जैसे- धाँय धाँय दो फ़ायर हुए)
धाँस - (स्त्री०) 1 खाँसी पैदा करनेवाली तेज़ गंध 2 तंबाकू आदि की गंध से उत्पन्न खाँसी
धाँसना - ( अ० क्रि०) 1 पशुओं का खाँसना 2 पशुओं की तरह खाँसना, ढाँसना
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धाऊ
धाऊ - (पु० ) बो० धव वृक्ष धाक - I ( स्त्री० ) 1 दबदबा, आतंक 2 ख्याति, शोहरत II (पु० ) ढाक, पलास। -जमना रोब जमना दबदबा होना; जमाना रोब छा जाना
धाकड़ - (वि०) 1 जिसने रोब जमा रखा हो 2 हृष्ट-पुष्ट, तगड़ा 3 प्रसिद्ध, ख्यात
धागा - (पु० ) बटा हुआ महीन सूत, डोरा (जैसे-सृई-धागा धागा, तोड़ना)
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धाड़-1 (स्त्री०) 1 आक्रमण, चढ़ाई 2 डाकुओं का आक्रमण II (स्त्री०) ज़ोर-ज़ोर से रोने का शब्द (जैसे- धाड़ मारकर रोना)
धात बो० (स्त्री०) धातु धातविक, धातवीय-सं० (वि०) 1 धातु संबंधी 2 धातु का बना हुआ
धाता-सं० (वि० ) 1 धारण करनेवाला 2 पालन-पोषण करनेवाला
धातु-सं० (स्त्री०) 1 खनिज पदार्थ (जैसे-सोना, चाँदी आदि मूल्यवान् धातुएँ हैं) 2 पदार्थ का मूल तत्त्व 3 व्या० क्रियाओं के मूल रूप (जैसे- कृ, भृ आदि धातुएँ) 4 पुरुष का वीर्य. शुक्र (जैसे- पेशाब में धातु जाना) 5 पंच महाभूत (जैसे- जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी और वायु) । ~ उत्कीर्णक (पु० ) धातु पर नक़्क़ाशी करनेवाला; ~उद्योग (पु०) धातु संबंधी व्यवसाय, धंधा कर्म (पु०) धातु का काम; ~कर्म - उद्योग (पु० ) धातु-उद्योग; ~ कर्मशाला (स्त्री०) धातु कारखाना; कर्मी (पु०) धातु का काम करनेवाला; कर्मीय (वि०) धातुकर्मी से संबंधित; ~काट हिं० (वि०) धातु काटनेवाला; -कारखाना + फ़ा० (पु० ) धातु का कारखाना; क्षय (पु० ) 1 शरीर के तत्त्वों का क्षय 2 वीर्य हानि 3 क्षय रोगः क्षीणता (स्त्री०) वीर्य की कमी; ज | (वि०) धातु से उत्पन्न II ( पु० ) खनिज या शैलज तेल; ~ दुर्बलता (स्त्री०) धातु क्षीणता; ~परीक्षक (पु०) धातु की जाँच करनेवाला; परीक्षा (स्त्री०) धातु की जाँच; ~पाठ (पु० ) क्रियाओं के मूल रूपों की सूची; पाषाण (पु०) धातु वाला पत्थर; -पिंड (पु० ) धातु का ढेला भस्म (पु० ) धातु का कुश्ता; ~मर्म (पु० ) दे० धातुवाद; ~मल (पु० ) 1 शरीस्थ धातुओं के विकारी अंश 2 धातुओं को गलाने से निकलनेवाला व्यर्थ पदार्थ ~ मिश्रण, ~मेल (पु०) धातुओं का मिलाना; ~युग (पु० ) पाषाणकाल के बाद का युग; रचना (स्त्री०) क्रिया के मूल रूप की रचना -राग (पु० ) धातुओं से निकला रंग (जैसे- गेरू); ~रूप (पु० ) क्रिया के रूप; ~वाद (पु०) खनिज पदार्थ को साफ़ एवं उपयोगी बनाने की विद्या, कीमियागरी; ~वादी (पु०) धातुवाद का ज्ञाता; ~ विज्ञान (पु० ) धातुशास्त्र ~ विदू (पु०) = धातु शास्त्री ~ विद्या ( स्त्री०) = धातु शास्त्र; विशेषज्ञ (पु० ) = धातु शास्त्री; ~ शास्त्र ( पु० ) धातु तैयार करने, उन्हें परिष्कृत एवं शुद्ध करने आदि का वर्णन करनेवाला विज्ञान;
~ शास्त्री (पु० ) धातु शास्त्र का ज्ञाता -शिल्प (पु० ) धातु की कारीगरी; ~शोधन (पु०) धातु को साफ़ करने का काम शोध, शोधन कारखाना + फ़ा० (पु० ) धातु
धार
को साफ़ करने का कारखाना; -संकर (पु०) धातु मिश्रण; ~ स्तंभक (वि०) वीर्य स्खलन को रोकनेवाला धातुमय-सं० (वि०) 1 खनिज पदार्थों से पूर्ण 2 जिसमें खनिज पदार्थ का प्राचुर्य हो
धात्र - सं० ( पु० ) 1 बर्तन, पात्र 2 आधान धात्री - सं० (स्त्री०) 1 माता, माँ 2 दूध पिलानेवाली दाई, धाय 3 पृथ्वी । ~ विद्या (स्त्री०) प्रसव कराने की विद्या धात्वर्थ-सं० (पु० ) धातु से निकलनेवाला अर्थ, प्राथमिक अर्थ (जैसे- प्रभाकर का धात्वर्थ प्रकाश करनेवाला होगा ) धात्विकीकरण-सं० (पु० ) धातु बनाना धात्वीय-सं० (वि०) धातु का
धान - ( पु० ) 1 तृण जाति का एक प्रसिद्ध पौधा जिसके बीज को चावल कहा जाता है. शालि (जैसे- धान की खेती करना) 2 छिलके में बंद या लिपटा हुआ चावल (जैसे-महीन धान ) । ~पान I (पु० ) विवाह के कुछ ही समय पूर्व वर पक्ष द्वारा कन्या के घर धान एवं हल्दी भेजने की एक रस्म II (वि०) धान एवं पान की तरह दुबला-पतला धानक - ( पु० ) 1 धनिया 2 धनु चलानेवाला धानमाली-सं० (पु०) 1 दूसरे के चलाए गए अस्त्र का प्रतिकार करने की एक क्रिया 2 अन्य द्वारा चलाए गए अस्त्र को रोकना धाना - (अ० क्रि०) बो० 1 दौड़ना 2 तेज़ी से आगे बढ़ना 3 दौड़-धूप करना
धानी - I (वि०) धान की हरी पत्तियों के रंग जैसा, हल्का हरा (जैसे- धानी दुपट्टा )
:- जधानी)
धानी - II सं० (स्त्री०) 1 स्थान, अधिष्ठान 2 आधार, स्टैंड
धानुक - ( पु० ) 1 धनुर्द्धर, कमनैत, 2 कहारों की तरह सेवा कार्य करनेवाली एक जाति 3 इस जाति का व्यक्ति धान्य-सं० ( पु० ) 1 अनाज, गल्ला 2 धान। ~शाला (स्त्री०) = धान्यागार; ~हाट हिं० (स्त्री०) अनाज का
बाज़ार
धान्यागार - सं० (पु० ) अनाज का कोठा धाप - (पु० ) 1 धापना 2 एक साँस में दौड़कर पार की गई दूरी
धाप - (स्त्री०) संतोष, तृप्ति
धाबा - (पु०) 1 छत के ऊपर का कमरा अटारी 2 वह स्थान जहाँ दाम देकर कच्ची रसोई बैठकर खाने को मिले, बासा, होटल
धाभाई - (पु० ) विभिन्न माताओं से उत्पन्न वे बच्चे जो एक ही दाई का दूध पीकर पले हों, दूध भाई
धाम - सं० (पु० ) 1 रहने का स्थान 2 घर, मकान, तीर्थ स्थानें, देव स्थान (जैसे चारों धाम, बैकुंठ धाम ) धायँ - (स्त्री०) धाँय
धाय - (स्त्री०) दूध पिलानेवाली दाई
धार - 1 (स्त्री०) 1 धारा (जैसे पानी के तल की धार) 2 पानी का सोता 3 पशुओं आदि के स्तन दहने पर निकलनेवाली दूध की धारा 4 हथियार आदि का पैना किनारा (जैसे-तलवार की धार) II (वि०) धारवाला र +फ्रा० (वि०) जिसमें धार हो। चढ़ाना देवता आदि को दूध चढ़ाना; टूटना धार का प्रवाह खंडित होना; निकालना माद्रा पशु का
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धार
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धीरा
निकालना, बाँधना मंत्र बल के प्रयोग से हथियार की धार धावा-(पु०) दल-बल सहित बढ़ना, आक्रमण करना, हमला को कठित करना
धाविक-सं० (पु०) = धावक | धार-सं० (१०) 1 मुसलाधार वर्षा 2 वर्षा का इकट्ठा किया धावित-[ सं० (वि०) दौड़ा हुआ || (वि०) धोया हुआ, हआ जल
साफ़ किया हुआ धारक-सं० (वि०) धारण करनेवाला
धाह-(स्त्री०) 1 चिल्लाकर रोना, धाड़ 2 चिल्लाना, चीत्कार धारण-सं० । पु०) । पकड़ना, संभालना (जैसे-शस्त्र धारण करना करना) 2 पहनना (जैसे-वस्त्र धारण करना) 3 स्थिर करना धिंगा-(प०) 1 उपद्रवी, शरारती 2 दुष्ट, बदमाश 3 निर्लज्ज, (जैसे-व्रत धारण करना)
बेशर्म धारणा-सं० (स्त्री) 1 धारण करने की शक्ति 2 व्यक्तिगत धिंगाई-(स्त्री०) 1 धींगापन, धींगा-मस्ती 2 उपद्रव, शरारत विश्वास
3 बदमाशी, पाजीपन 4 निर्लजता, बेशर्मी धारणिक-सं० (पु०) कर्जदार
धिंगाना-I (स० क्रि०) बो० धींगा-धींगी में प्रवृत्त करना । धारा-सं० (स्त्री०) 1 लगातार बहनेवाली धार, लगातार बहाव (अ० क्रि०) धींगा-धींगी करना (जैसे नदी की धारा) 2 निरंतर गिरने का क्रम (जैसे -धारा धिंगी-(स्त्री०) 1 बदमाश स्त्री 2 निर्लज्ज स्त्री रूप में वर्षा होना) 3 निरंतर चलनेवाला क्रम 4 निरंतर प्रवाह धिक-सं० (क्रि० वि०) तिरस्कारपूर्वक भर्त्सना करने का शब्द, (जैसे-विद्युत धारा)। ~~धर (१०) बादल, ~प्रवाह I
__लानत है (पु०) धारा का बहाव, धारा का वेग || (क्रि० वि०) धारा धिकाना-(स० क्रि०) बो० 1 आग दहकाना 2 आग में तपाना, के प्रवाह के रूप में, अट क्रम में; ~प्रवाही (वि०) लाल करना लगातार होनेवाला; ~यंत्र (पु०) धारा के रूप में जल | धिक्कार-सं० (स्त्री०) भर्त्सना, लानत निकालनेवाला यंत्र; वर्षण (१०) तेज़ एवं अधिक वृष्टि, | धिक्कारना-+ हिं० (स० क्रि०) निंदा करना ज़ोर की वर्षा; वार +फ़ा० (क्रि० वि०) लगातार, निरंतर; धिक्कृत-सं० (वि०) धिक्कारा हुआ
वाहिक, वाहि (वि.) जिसका क्रम सदा चलता रहे | धिरकार-बो० (स्त्री०) - धिक्कार (जैसे-धारावाहिक उपन्यास, धारावाहिक भाषा): --संपात | धींग-(वि०) 1 हट्टा-कट्टा, हृष्ट-पुट 2 ताकतवर, बलवान । (पु०) धारा वर्षणा; सभा (स्त्री०) विधान सभा, ~-धुकड़ी (स्त्री०) 1 धींगा मस्तो 2 दुष्टता 3 शरारत विधायिका; सार (वि०) धारा के रूप में लगातार धींगा, धींगड़ा-1 बो० (वि०) । मोटा-ताज़ा 2 दुष्ट, पाजी II होनेवाला (जैसे-धारासार वर्षा)
(पु०) 1 गुंडा 2 उपपति 3 उठा-पटक, लड़ाई-झगड़ा 4 उपद्रव, धाराल-सं० (वि०) तेज़ धार वाला
ऊधम 5 अनुचित रूप से की गई ज़बरदस्ती (जैसे-धींगा-धींगी धारिणी-सं० (स्त्री०) पृथ्वी
से काम निकालना)। ~ मुश्ती + फ़ा० (स्त्री०) मार-पीट से धारित-सं० (वि०) 1 धारण किया हुआ 2 सँभाला हुआ युक्त उपद्रव, हाथा-बाही धारिता-सं० (स्त्री०) 1 धारण करने की योग्यता, सामर्थ्य धीजना-1 (अ० क्रि०) 1 धीर बनना 2 अत्यंत प्रसन्न होना 2 वस्तु आदि की धारण करने की पात्रता, समाई. 3 शांत एवं स्थिर होना II (स० क्रि०) 1 स्वीकार करना (जैसे-गिलास में 1 लीटर पानी की धारिता)
2 विश्वास करना धारित्र-सं० (पु०) धारण करने का उपकरण
धीति-सं० (स्त्री०) 1 पीना 2 प्यास थारी-(स्त्री०) 1 कपड़े आदि पर की लकीर 2 रेखा। दार . धीमर-(पु०) - धीवर, केवट फा० (वि०) धारीवाला (जैसे-धारीदार कपड़ा)
धीमा-(वि०) 1 कम वेगवाला (जैसे-रेलगाड़ी की गति धीमी धारी-सं० (वि०) 1 धारण करनेवाला (जैसे चक्रधारी, है) 2 जिसमें प्रखरता न हो (जैसे-आग धीमी जल रही है) वीणाधारी) 2 पहननेवाला (जैसे-खद्दरधारी)
3 निस्तेज, अप्रतिभ बाराव्या-सं० (पु०) तुरंत का दूहा गया दूध
धीमान्-सं० (वि०) बुद्धिमान्, प्रज्ञावान् पार्मिक-सं० (वि०) 1 धर्मशील, पुण्यात्मा 2 धर्म संबंधी धीमे-(क्रि० वि०) 1 हलकी गति में, हलकी गति से (जैसे-धार्मिक विचार) 3 धर्म के अनुसार (जैसे-धार्मिक (जैसे-गाड़ी धीमे चल रही है) 2 मंद स्वर में (जैसे-धीमे कार्य)। ता (स्त्री०) धार्मिक अवस्था
गाओ) मार्मिकोत्सव-सं० (पु०) धर्म संबंधी उत्सव
धीया-(स्त्री०) पुत्री, बेटी धार्य-[सं० (पु०) पहनने का कपड़ा, पोशाक II (वि०) धीर-सं० (वि०) 1 शांत स्वभाववाला 2 नम्र, विनीत। ~ता कारण किए जाने योग्य, धारणीय
(स्त्री०) 1 धीर होने की अवस्था, धैर्य 2 स्थिरता; ~प्रशांत पावक-1 सं० (वि०) दौड़नेवाला II सं० (पु०) धोबी (पु०) महाकाव्य आदि का प्रधान नायक; ~ललित (पु०) धावन-1 सं० (पु०) दौड़ना। पथ, ~मार्ग (पु०) दौड़ने महाकाव्य आदि का धीर और लालित्य प्रधान नायक का रास्ता
धीरज-बो० (पु०) = धैर्य सावर-- सं० (पु०) कपड़ों की धुलाई। ~शाला (स्त्री०) धीरा-I (वि०) धीमा II (पु०) धैर्य धोबीख़ाना
धीरा-सं० (स्त्री०) साहि० वह नायिका जो अपने प्रेमी के शरीर धावमान्–सं० (वि०) 1 दौड़ता हुआ 2 दौड़नेवाला पर स्त्री-रमण चिह्न देखकर शांत भाव से व्यंग्यपूर्ण शब्दों में धावरी-बो० (स्त्री०) सफ़ेद गाय, धौरी
क्रोध ज़ाहिर करे, प्रेमी पर पराई स्त्री के रमण-चिह्न देखकर
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धीरे 420
धुलाई शांत भाव से व्यंग्यात्मक रूप में क्रोध प्रकट करनेवाली धुडंगा-(वि०) 1 नंगा धडंगा 2 जिस पर धूल पड़ी हो नायिका
धुतकारना-(स० क्रि०) दुतकारना धीरे-(क्रि० वि०) 1 मंद गति से, आहिस्ता 2 हलके स्वर में | धुत्त-बो० (वि०) नशे में चूर, बेसुध, घुत 3 चुपके से (जैसे-भरे से ऊपर जाना)
धुधुकार, धुधुकारी-(स्त्री०) 1धू-धू का-सा ज़ोर का शब्द धीरोदात्त-सं० (पु०) साहि० भावनाओं पर पूर्ण नियंत्रण (जैसे-धू-धू करके जलना) 2 गड़गड़ाहट, गरज रखनेवाला नायक
धुन-I (स्त्री०) 1 लगन 2 मौज़ 3 विचार, चिंतन II (स्त्री०) धीरोद्धत-सं० (पु०) साहि० उग्र एवं सदैव आत्मप्रशंसा | स्वर के आरोह-अवरोह का विशेष ढंग करनेवाला नायक
पुनकना-(स० क्रि०) धुनना धीवर-सं० (पु०) मल्लाह, केवट
धुनकी-(स्त्री०) 1 रूई धुनने का एक प्रसिद्ध उपकरण, फटका धुआँरा-बो० (वि०) धुआँ निकलने की चिमनी
2 धनुष धुंआसा-I (वि०) धुएँ से युक्त, धुआँवाला II (पु०) धुनना-(स० क्रि०) 1रूई के रेशे अलग-अलग करना कालिख
2 अत्यधिक शारीरिक कष्ट देना, खूब पीटना (जैसे-सिर (आना-I (अ० क्रि०) 1 काला पड़ना 2 धुआँ-सा स्वाद | धुनना) 3 बिना रुके काम करना
आना II (स० क्रि०) धुएँ से युक्त करना । धुनवाना-(स० क्रि०) 1धुनने का काम कराना 2 खूब घुकार-(स्त्री०) ज़ोर का शब्द, गड़गड़ाहट
पिटवाना, मार खिलवाना । धुंगार-(स्त्री०) बघार, छौंक
धुनाई-(स्त्री०) 1 धुनना 2 धुनने का पारिश्रमिक धंगारना-(स० क्रि०) 1 छौंकना, बघारना 2 खूब मारना-पीटना
धुनि-बो० (स्त्री०) 1 ध्वनि 2 धूनी धुंध-(स्त्री०) 1 अँधेरा 2 धुंधलापन की स्थिति 3 हवा में उडती | धुनियाँ-(पु०) धुनकी की सहायता से रुई धुनने का पेशा
करनेवाला व्यक्ति, बेहना धुंधका-(पु०) धुआँ निकलने का छेद ,
धुनी-(वि०) जिसे किसी बात की धुन हो धुंधकार-(पु०) 1 गरज, गड़गड़ाहट 2 अंधकार, अँधेरा
धुपना-(अ० क्रि०) बो० धुलना धुंधकारी-(वि०) गरजनेवाला
धुपाना-(स० क्रि०) बो० धूप दिखाना, धूप में रखना धुंधर-बो० (स्त्री०) 1 हवा में उड़नेवाली धूल, गर्दा, गुबार धुपेली-(स्त्री०) पसीने से उत्पन्न फुसी। 2 धूल से होनेवाला अंधेरा
घुप्पल-(स्त्री०) धोखा, धुप्पस, ब्लफ धुंधराना-(अ० क्रि०) धुंधलाना
धुरंधर-सं० (वि०) 1 अधिक बढ़ा-चढ़ा, श्रेष्ठ (जैसे-धुरंधर धुंधलका-(वि०) धुंधला
विद्वान) 2 प्रधान, मुख्य धुंधला-(वि०) 1 धुंध से भरा 2 धुएँ सा हलका काला।
धुर-[सं० (पु०) 1 धुरा, अक्ष 2 श्रेष्ठ स्थान 3 ज़मीन की एक पन (पु०) अस्पष्ट होने की स्थिति
नाप, धूर, बिस्वांसी 4 बोझ, भार। - किल्ली + हिं० धुंधलाई-(स्त्री०) धुंधलापन
(स्त्री०) 2 धुरी में लगाई जानेवाली कील धुंधलाना-I (अ० क्रि०) धुंधला पड़ना II (स० क्रि०) | धुर-II (क्रि० वि०) और परे (जैसे-धुर उत्तर) धुंधला करना
धुर-III सं० (वि०) 1 दृढ़, पक्का 2 ठीक, दुरुस्त धुंधली -(स्त्री०) धुंध
धुरड्डी-बो (स्त्री०) धुलेंडी धुंधआना-(अ० क्रि०) धुआँ देते हए जलना
धुरा-(पु०) धुरी धुंधकार-(पु०) 1 अंधकार. अँधेरा 2 धुंधलापन
धुरिया-धुरंग-बो० (वि०) अकेला धुंधुरित -(वि०) धुंधला
धुरियाना--[ (अ० क्रि०) 1 मैला होना, गत्रे का खेत धुंधेरी-(स्त्री०) धुंध
पहले-पहल गोड़ा जाना II (स० क्रि०) 1 मैला करना 2 धूल धुवाँ बोल (पु०), धुआँ (पु०) - धृआँ। कश + फ़ा०
से ढकना 3 ऊँख का पहले पहल गोड़ना (पु.) भाप से चलनेवाली नाव, अग्निबोट, स्टीमर दान | धुरी-(स्त्री०) छोटा धुरा। राष्ट्र सं० (३०) राष्ट्र का गट; +फ़ा० (पु०) चिमनी
। हीन +सं० (वि०) दृढ़ न रहनेवाला धुआँधार-(वि०/क्रि० वि०) 1 धुआँधार, ज़ोरदार 2 धुएँ से | धुरीण-सं० (वि०) धुरंधर भरा 3 लगातार एवं ज़ोर से
धुरीय-सं० (वि०) धुर से संबंध रखनेवाला धुआँना-(अ० क्रि०) धुंआना
धुरेंडी-बो० (स्त्री०) = धुलेंडी धुआँयध-(वि०) धुएँ-सी गंधवाला
धुर्य-सं० (वि०) 1 जिस पर बोझ लादा जा सके 2 उत्तरदायित्व धुआँरा-(पु०) धुंधका
सँभालनेवाला 3 दे० धुरंधर धुआँसा--[ (वि०) कालिख लगा हुआ || (पु.) कालिख | धुर्रा-(पु०) 1 धूल का कण 2 किसी वस्तु का सूक्ष्म कण धुकड़-पुकड़ -(स्त्री०) मन का डाँवाडोल होना, असमंजस धुलना-(अ० क्रि०) 1 धोया जाना, साफ़ किया जाना 2 पानी धुकधुकी-(स्त्री०) 1 पेट एवं छाती के मध्य का गहरा भाग से कटकर बह जाना
2 कलेजा, हृदय 3 भय आदि से उत्पन्न कलेजे की धड़कन धुलवाना-(स० क्रि०) धोने का काम करवाना (जैसे-कपड़ा धुकनी-बो० (स्त्री०) = धूनी
धुलवाना) धुगधुगी-(स्त्री०) धुकधुकी
| धलाई-(स्त्री०) 1 धोना 2 धोने का पारिश्रमिक। ~मशीन ।
। सुपर
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धुलाना
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धूल
धनी देना
अं० (स्त्री०) वस्त्र धुलने का उपकरण, यंत्र
धुआँ करनेवाला; नाली (स्त्री०) धुंधका; ~पट (पु०) पुलाना-(स० क्रि०) धोने का काम कराना, घुलवाना धुएँ की दीवार; पान (पु०) 1 धुएँ में साधुओं आदि का (जैसे-धोबी से कपड़े धुलाना)
पड़े रहना 2 बीड़ी, सिगरेट आदि पीना; -पोत (पु०) = धुलिया-मिटिया-(वि०) जिस पर धूल-मिट्टी पड़ी हो, धुआँकश; रहित (वि०) जिसमें धुआँ न हो; ~वाला धूल-मिट्टी से सना हुआ
+हि० (वि०) धुआँवाला धुलेंडी-(स्त्री०) 1 होली जलने के दूसरे दिन चैत बदी 2 चैत धूम-(स्त्री०) उल्लासपूर्ण चहल-पहल (जैसे-धूम मचाना) । बदी का दिन
~धड़क्का, -धड़ाका (पु०), ~धाम (स्त्री०) धुवाँ-(पु०) धुआँ, घूआँ। ~कश +फा० (पु०) धुआँकश 1 अत्यधिक उमंग एवं उल्लासपूर्ण चहल-पहल 2 ठाठ बाट घुवाँस-(स्त्री०) उरद का आटा
और तैयारी, उत्साहपूर्ण आयोजन घुस्स-(पु०) गिरे हुए मकान का ढेर, टीला
धूमक-सं० (पु०) धुआँ धुस्सा-(पु०) ऊन की मोटी लोई
घूमक-धैया-(स्त्री०) 1 अशिष्टतापूर्ण उछलकूद, उपद्रव, धुंध-बो० (स्त्री०) 1 धुंध 2 धोखा
हो-हल्ला ? दे० धूम-धाम घुआं-(प०) पदार्थ आदि के जलने से निकलनेवाली गैस. | धूम-केतु-सं० (पु०) 1 आग, अग्नि 2 केतु ग्रह 3 पुच्छल तारा
वातीय पदार्थ, धूम (जैसे-जलती लकड़ी से धुआँ निकलना) धूमल-सं० (वि०) धुएँ के रंग का, मटमैला धूई-(स्त्री०) = धूनी
धूमला-(वि०) + धूमिल। धूजना-(अ० क्रि०) हिलना, काँपना
धूमवान्-सं० (वि०) धुएँ से युक्त धूत-सं० (वि०) 1 काँपता हुआ, कंपित 2 त्यागा हुआ, त्यक्त धूमायित-सं०. (वि०) धूमित 3 डॉटा हुआ, झिड़का हुआ
धूमावृत-सं० (वि०) धुएँ से घिरा हुआ । घूतुक, धूतू-(पु०) सीटी का शब्द 2 तुरही 3 नरसिंहा धूमित-सं० (वि०) धुएँ से युक्त धू-धू-(पु०) आग के ज़ोर से जलने का शब्द (जैसे-धू-ध धूमिल-(वि०) 1 धुएँ के रंग का 2 धुंधला 3 मलिन, गंदा । करके जलना)
ता (स्त्री०) धुंधलापन घूनना--1 (स० क्रि०) धुएँ से कमरा आदि सुवासित करना, धूम्र-I सं० (वि०) धुएँ के रंग का II (पु०) धुएँ का सा रंग।
तापन (पु०) धूम्रीकरण; पान (पु०) = धूमपान धूनना--II (स० क्रि०) दे० धुनना
(जैसे-धूम्रपान करना); ~पान-प्रेमी (पु०) धूम्रपान का धूना-(पु०) एक वृक्ष जिससे वारनिश तैयार की जाती है । शौकीन; ~वर्ण (वि०) धुएँ के रंग का, ललाईपन लिये धूनी-(स्त्री०) 1 गूगल, धूप, लोबान आदि जलना, सुगंधित | काला, धूमिल धुआँ करना 2 धुआँ के लिए कोई पदार्थ जलाना 3 ठंड से धूम्रवत्-सं० (वि०) धुएँ के समान, तंबाकू की तरह बचने हेतु साधुओं द्वारा जलाई जानेवाली आग (जैसे-धनी । धूम्राच्छन्न, धूम्रावेष्टित-सं० (वि०) धुएँ से घिरा हुआ, धुएँ से लगाना)
छाया हुआ धूप-[सं० (पु०) 1 घाम, सूर्य का प्रकाश (जैसे-कपड़े धूप में धूम्रीकरण-सं० (पु०) संक्रामक कीटाणुओं को मारने हेतु सुखाना) 2 आतप। ~घड़ी + हिं० (स्त्री०) धूप के सहारे सुगंधित धूप आदि का धुआँ करना, संक्रमण नाशक गैस समय ज्ञात होने का एक यंत्र; छाँह - हिं० (स्त्री०) कई आदि प्रसारित करना, प्रधुमन रंग दिखाई पड़नेवाला एक तरह का कपड़ा; तापी (वि०) धूर-I बो० (स्त्री०) धूल धूप तापनेवाला; प्रधान सेवन, स्नान (पु०) घाम धूर-II (स्त्री०) बिस्वे का बीसवाँ भाग लेना। खाना 1 धूप में सूखना या सुखाया जाना 2 घाम के धूरा-(१०) 1 धूल, गर्द 2 महीन, चूर्ण लिए बाहर बैठना; खिलाना, दिखाना धूप लगने के | धूर्त-1 सं० (वि०) 1 बहुत झूठा 2 कपटी, छली 3 लंपट II लिए बाहर रखना; निकलना सूर्योदय होना, घाम होना (पु०) 1 शठ नायक 2 जुआरी; ता (स्त्री०) 1 धूर्त का धूप-I[सं० (पु०) = धूनी। दान + फ़ा० (पु०) धूप नामक गुण, वंचना 2 कपट, छल 4 लंपटता सुगंधित द्रव्य रखने का बर्तन; ~दानी +फ़ा० + स्त्री० छोटा धूर्धर-सं० (वि०) धुरंधर धूपदान; दीप (पु०) धूप और दीया (पूजा सामग्री); धूल-(स्त्री०) सूखी मिट्टी के सूक्ष्म कण (जैसे-धूल उड़ाना) ।
बत्ती + हिं० (स्त्री०) मसाला लगी सींक; ~वासित धक्कड़ (पु०) चारों तरफ़ उड़नेवाली धूल, ~धूसर, (वि०) धूप आदि से सुगंधित किया हुआ
~~धूसरित सं० (वि०) धूल से लथपथ; मिट्टी धूपछाँही-(वि०) धूप छाँहवाला
(स्त्री०) गर्दा, रोक (वि०) गर्दा रोकनेवाला उड़ना धूपन-(पु०) 1 धूप देना
1 बर्बाद होना, सर्वनाश होना 2 सुनसान हो जाना; उड़ाते धूपना-I (स० क्रि०) बो० सुगंधित द्रव्य जलाना फिरना 1 मारा-मारा फिरना 2 जीविका की तलाश में घूमना; धूपना-II (अ० क्रि०) आने-जाने में परेशान होना | ~की रस्सी बटना असंभव बात, कार्य हेतु श्रम करना; (जैसे-दौड़ना-धूपना)
चाटना अत्यंत दीनता प्रकट करना; ~झाड़ना हार की धूपित-सं० (वि०) धूप-वासित
लाज छोड़ना; ~फाँकना इधर-उधर घूमते फिरना; ~में धूपित-(वि०) थका हुआ, शिथिल एवं श्रांत
मिलना नष्ट होना, बर्बाद होना; ~में मिलाना मटियामेट धूम-सं० (पु०) धुआँ (जैसे-धूम्रपान)। ~कर (वि०) | करना
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धौंकना
बाबा० घाव
पूला-बो० (पु०) धूल
सहन (पु०) 1धीरज रखना 2 धैर्य धारण करना धूलि-सं० (स्त्री०) धूल, गर्द। --कण (पु०) धूल के सूक्ष्म धैवत-सं० (पु०) संगीत में सप्तक का छठा स्वर कण; ~धूसरित (वि०) धूल ~धूसरित; ~धूल, घोडाल-(वि०) कंकड़-पत्थर से युक्त ~धूसात (वि०) धूल में मिलाया हुआ
घोंधका-बो० (पु०) धुआँ निकलने का छेद धूलिका-सं० (स्त्री०) 1 फुहार 2 कोहरा
घोंघा-I (पु०) 1 बेडोल पिंड, लोंदा 2 भद्दी एवं बेडोल घूवा-(पु०) धुआँ, धूआँ
आकृति II (वि०) 1 बे-डौल, बे-ढंगा 2 मूर्ख, मूढ़ धूसर-I सं० (वि०) 1धूल के रंग का, खाकी 2 धूल में सना घो-बो० धोव हआ II (पु०) पीलापन से युक्त सफ़ेद रंग, भरा या मटमैला घोई-(स्त्री०) धोकर छिलका अलग की हुई दाल
धोकड़-बो० (पु०) मोटा-ताज़ा, हट्टा-कट्टा धूसरा-(वि०) 1 धूल के रंग जैसा, मटमैला 2 धूल से लथपथ धोका, धोखा-(पु०) 1 भ्रम में डालने का काम, वंचना धूसरित-सं० (वि०) 1 धूल से लिपटा हुआ 2 मटमैले रंग का 2 भूल, भ्रम 3 भ्रम उत्पन्न करनेवाली बात 4 अज्ञानवश की घूहा-(पु०) 1 टूह 2 काली हाँड़ी या पुतला जिससे पक्षियों को गई भूल 5 अनिष्ट की संभावना। खाना 1 छला जाना, डराया जाता है
2 भुलावे में पड़ना 3 छल पूर्ण बर्ताव करना 4 नुकसान उठाना; धृत-I सं० (वि०) 1 हाथ से पकड़ा हुआ 2 गिरफ़्तार किया देना 1 छलना, भुलावे में डालना 2 विश्वासघात करना हुआ 3 धारण किया हुआ II (पु०) 1 ग्रहण करने का भाव 3 बनता काम बिगाड़ देना; लगना कसर होना; धोखे की 2 लड़ने का ढंग। दल (पु०) पकड़नेवालों का समूह; टट्टी मायाजाल; धोखे में आना =धोखा खाना,
राष्ट्र (पु०) 1 दुर्योधन के पिता 2 योग्य राजा का शासन धोखेबाज़-हिं +फा० (वि०) धोखा देनेवाला, छली, कपटी धृतात्मा-सं० (वि०) दृढ़ चित्तवाला धीर,
धोखेबाज़ी-हिं+फा० (स्त्री०) छल, कपट धृति-सं० (स्त्री०) 1 धारण 2 ग्रहण 3 पकड़ना 4 धैर्य धोखे-भरा -(वि०) कपटपूर्ण 5 ठहराव 6 प्रीति 7 तुष्टि
घोटा-बो० (पु०) पुत्र, बालक, ढोटा धृतिमान्-सं० (वि.) 1 धैर्यवान 2 तुष्ट, तृप्त
धोती-I (स्त्री०) कमर से लेकर शरीर के नीचे का भाग धृती-सं० (वि०) धर्मात्मा
ढकनेवाला लंबा चौड़ा कपड़ा घष्ट-1 सं० (वि०)1 लज्जारहित 2 दस्साहसी 3 ढीठ, उदंड II | धोती-II (स्त्री०) धौति (पु०) साहि० प्रेमिका को खिन्न करनेवाला नायक; ता | धोना-II स० क्रि० स्वच्छ करना, साफ़ करना (जैसे-कपड़े 1 निर्लज्जता 2 उदंडता, ढिठाई 3 दुस्साहस। वादी धोना) । धो बहाना 1 दूर करना, हटाना 2 पूरी तरह समाप्त अशिष्टता से बात करनेवाला
करना धृष्टा-I सं० (स्त्री०) दुश्चरित्र स्त्री II (वि०) धृष्ट धोप-(स्त्री०) तलवार, खंग धृष्य-सं० (वि०) 1 धर्षण करने योग्य 2 आक्रमण योग्य धोपा-(पु०) धोखा धेनु-सं० (स्त्री०) 1 दुधारु गाय, 2 गाय, गौः ~शाला धोब-(पु०) धो, धोव (स्त्री०) गौशाला
धोबिन-(स्त्री०) धोबी की स्त्री धेय-सं० (वि०) धारणीय
धोबिया-पाट-(पु०) - धोबी-पछाड़ घेरा- (वि०) भेंगा ।। (पु०) 1 पुत्र 2 लड़की का पुत्र जाती धोबी-(पु०) 1 कपड़े धोने का पेशा करनेवाली एक जाति धेलचा-I (वि०) धेले के मूल्य का II (पु०) आधा पैसा, ___ 2 उक्त जाति का व्यक्ति; खाना + फ़ा० (पु०) जहाँ पर अधेला, धेला
कपड़े धुलने का काम होता हो -गिरी +फ़ा० (स्त्री०) धोबी धेला-बो० (पु०) अधेला
का काम; ~घर (पु०) : धोबीखाना घाट (३०) कपड़ा धेली-(स्त्री०) अठत्री
धोने का घाट; -पछाड़, -पाट (पु०) कुश्ती का पेंच, धेवता-बो० (पु०) दोहता, नाती
का कुत्ता उठल्लू आदमी: का छैला परायी वस्तुओं पर बैताल-बो० (वि०) धौताल
घमंड करनेवाला व्यक्ति पैनव-सं० (वि०) 1 गौ संबंधी 2 गौ से उत्पन्न (जैसे-धैनव | धोया-धाया-(वि०) धुला हुआ
धोरी-I (पु०) स्वामी के रूप में रक्षण करनेवाला व्यक्ति || धैना-[ बो० (स्त्री०) 1 ग्रहण किया हुआ कार्य 2 ग्रहण की हुई (वि०) धुरा धारण करनेवाला 2 साज-सँभार करनेवाला
आदत, टेव 3 ज़िद, हठ ॥ (स० क्रि०) धरना धोव-(पु०) प्रत्येक बार की धुलाई (जैसे-चार धोव में यह धैर्य-सं० (पु०) 1 धीरता 2 चित्त की दृढ़ता, स्थिरता 3 धीरज, | कपड़ा फट गया) सब्र (जैसे- धैर्य छूट जाना, धैर्य टूटना)। गलित , धोवन-(पु०) 1 धोना 2 धोने पर निकला हुआ पानी
च्युत (वि०) जिसका धीरज टूट गया हो, हिम्मत हारा (जैसे-चावल का धोवन) हआ; ~धारण (पु०) 1 धीरज रखना, सब्र करना 2 धैर्य: धौंक-(स्त्री०) 1 धौंकने की क्रिया 2 गर्म हवा (जैसे-धौंक -धारी (वि०) 1 धैर्य रखोवाला 2 सब करनेवाला; मारना)
परीक्षक (वि०) धैर्य की परीक्षा लेनेवाला; ~~पूर्वक धौंकना-(स० क्रि) 1 आग तेज़ करने के लिए पंखे आदि से (क्रि०वि०) धीरज के साथ, सब्र से; ~युक्त, ~वान् हवा करना 2 भार लादना 3 कठोरतापूर्वक आदेश
शील (वि०) = धैर्य धारी; शून्य (वि०) धैर्य रहितः | देना
दुग्ध)
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पौंकनी
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ध्वंसित
बकनी-(स्त्री०) 1 आग दहकाने की चमड़े की थैली का बना | देना) 3 बुद्धि, समझ 4 स्मृति, ख्याल 5चित्त, मन उपकरण 2 फुकनी
(जैसे-पढ़ने से ध्यान हटना) 5 एक विषय-विशेष पर चित्त चौका-बो० (पु०) गर्म हवा, लू
स्थिर करना (जैसे-गणित में ध्यान देना ज़रूरी है) पूर्वक बोकिया-(पु०) 1 धौंकनेवाला आदमी 2 बर्तनों पर कलई (क्रि० वि०) ध्यान से; ~मन (वि०) ध्यान में लीन, ध्यान करनेवाला कारीगर
में लगा हुआ; ~योग (पु०) ध्यान लगाने की योग क्रिया। याँकी-(स्त्री०) धौंकनी
~आना स्मरण होना, याद आना; छूटना ध्यान भंग होना; घोकू-(वि०) धौंकनी चलानेवाला
देना 1 ख्याल करना 2 मन लगाना; ~धरना 1 ईश चिंतन बोज-(स्त्री०) 1 दौड़-धूप 2 घबड़ाहट
करना 2 स्वरूप चिंतन करना; ~पर चढ़ना याद होना; घोजन-(स्त्री०) 1 परेशानी, बेकली 2 दौड़-धूप से उत्पन्न बंधना मन का एकाग्र होना; ~में न लाना 1 न विचारना घबराहट
2 चिंता न करना; से खरना भूलना घोजना-I (अ० क्रि०) 1 दौड़-धूप करना 2 परेशान होना II ध्यानस्थ सं० (वि०) =ध्यान मम (स० क्रि०) कुचलना, रौंदना
ध्यानाकर्षक-सं० (वि०) ध्यान आकर्षित करनेवाला घोताल-(वि०) 1 धुन का पक्का 2 चतुर, चालाक 3 चंचल, ध्यानाकर्षण-सं० (पु०) ध्यान आकर्षित करना चपल 4 निपुण, पटु 5 साहसी 6 उज्डड, गवाँर 7 उपद्रवी, ध्यानावस्था-सं० (स्त्री०) ध्यान की स्थिति शरारती
ध्यानास्थ-सं० (वि०) = ध्यान-मग्न घो-धों-(पु०) दमामा से निकलनेवाली आवाज़। ~मार ध्यानी-सं० (वि०) 1 ध्यान लगानेवाला 2 ध्यानशील (स्त्री०) उतावली, जल्दी, शीघ्रता
ध्येय-[सं० (वि०) 1 ध्यान योग्य 2 जिसका ध्यान किया जाय घौर-बो० (स्त्री०) सफ़ेद ईख
II (पु०) 1 ध्यान का विषय 2 उद्देश्य, लक्ष्य। निष्ठा घाँस-(स्त्री०) 1 आतंक, भय 2 झाँसा, भुलावा 3 धाक
(स्त्री०) स्वउद्देश्य के प्रति आस्था; ~पथ (पु०) उद्देश्य 4 अनुचित आचरण (जैसे-धौंस दिखाकर रुपए ऐंठना)। मार्ग; ~वादिता (स्त्री०) = ध्येय निष्ठा; ~वादी (वि०)
पट्टी (स्त्री०) 1 झाँसा-पट्टी 2 आंतक भरी बात ध्येय में विश्वास रखनेवाला घोसना-(स० क्रि०) 1 धौंकना 2 ज़बरदस्ती बल प्रयोग करना ध्रुव-1 सं० (वि०) 1 अटल, अचल 2 नित्य, शाश्वत 3 डराना-धमकाना 4 मारना-पीटना
(जैसे-ध्रुव-सत्य) 3 बिल्कुल निश्चित और पक्का घोसा- (पु०) 1 बड़ा नगाड़ा, डंका 2 शक्ति, सामर्थ्य (जैसे-ध्रुक-प्रyि II (पु.) 1 उत्तर दिशा में स्थित एक घोसिया-I (पु०) 1 धौंस दिखानेवाला व्यक्ति 2 चालाक प्रसिद्ध तारा 2 भूगोल में पृथ्वी के दो नुकीले सिरे (जैसे-उत्तरी घोसिया-II (पु०) धौंसा बजानेवाला व्यक्ति
ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव)। ता (स्त्री) 1 अचलता, स्थिरता घोत-1 सं० (वि०) साफ़ किया हुआ 2 सफ़ेद, उजला II 2 निश्चय 3 ध्रुव होने की अवस्था; तारक, तारा (पु०) चाँदी
(पु०) उत्तर दिशा में सदा एक ही स्थान पर स्थित रहनेवाला वैति-सं० (स्त्री०) 1 धुलाई 2 आँत साफ़ करने की हठयोग तारा; दर्शक (पु०) 1 कुतुबनुमा 2 सप्तर्षि मंडल;
की एक क्रिया 3 इस क्रिया में काम आनेवाली कपड़े की पट्टी दर्शन (पु०) 1 विवाह के बाद वर-वधू को ध्रुव तारे का धौर-(पु०) सफ़ेद परेवा
कराया जानेवाला दर्शन 2 इस तरह की वैवाहिक रीति; घोरा-(वि०) 1 सफ़ेद 2 उजला, साफ़
~मत्स्य (पु०) कुतुबनुमा; ~यात्रा (स्त्री०) ध्रुव तक घोराहर-(पु०) मकान का ऊपरी भाग जिसमें चढ़ने के लिए जाना; ~वृत्त (पु०) ध्रुव का गोला अंदर से सीढ़ियाँ बनी हों
ध्रुवण-सं० (पु०) 1वस्तु की ध्रुवता का पता लगाना 2विद्युत, धोरी-(स्त्री०) सफ़दे गाय, कपिला
सूर्य आदि के प्रकाश को विभिन्न स्थितियों में लाना. घौल-1 (स्त्री०) 1 हथेली से किया गया आघात 2 आर्थिक पोलराइजेशन
आघात। ~ धक्कड़ (पु०) - धौल धप्पड़; ~धक्का ध्रुवांचल-सं० (पु०) ध्रुव प्रदेश (पु०) आघात; धप्पड़, ~धप्पा, ~धापड़ा (पु०)
ध्रुवी-सं० (वि०) ध्रुव से संबंधित, ध्रुव का। -करण (पु०) 1 मारपीट 2 उपद्रव, दंगा
__= ध्रुवण घोल-II(वि०) 1 उजला, साफ़ 2 सफ़ेद, श्वेत
ध्रुवीय-सं० (वि०) 1 धुव संबंधी 2 ध्रुव प्रेदश का धौला-(वि०) धवल
ध्रुवीयण-सं० (पु०) = ध्रुवीकरण, ध्रुवण घौलाई-(स्त्री०) धवलता
ध्रुवीयण-सं० (पु०) = धवीकरण, धुवण ध्यात-सं० (वि०) 1 ध्यान किया हुआ 2 विचारा हुआ, सोचा ध्वंस-सं० (पु०) विनाश। ~कारी (वि०) विनाश हुआ
करनेवाला, कीट (पु०) नाश करनेवाले कीटाणु ध्यातव्य-सं० (वि०) 1 ध्यान देने योग्य 2 विचार करने योग्य, ध्वंसक-सं० (वि०) नाश करनेवाला, (जैसे-ध्वंसक पदार्थ) विचारणीय
ध्वंसन-सं० (पु०) नाश करना, नष्ट करना ध्याता-सं० (पु०)/(वि०) 1ध्यान करनेवाला, ध्वंसात्मक-सं० (वि०) विनाशवाला 2 विचारनेवाला
ध्वंसावशेष-सं० (पु०) 1 खंडहर 2 टूट-फूट जाने पर बचे ध्यान-सं० (पु०) स्वरुप चिंतन (जैसे-ईश्वरीय ध्यान) | टुकड़े 2 चित्त की एकाग्रता, गौर (जैसे-आध्यात्मिक पुस्तकों पर ध्यान | ध्वंसित-सं० (वि०) ध्वंस किया हुआ
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ध्वंसी
ध्वंसी-सं० (वि०) ध्वंसक
ध्वज सं० ( पु० ) 1 झड़ा, पताका, ध्वजा 2 निशान, चिह्य (जैसे-देव- ध्वज, मकर-ध्वन) । दंड (पु०) झंडा या पताका का कपड़ा लगाने का डंडा; ~धारी (पु० ) झंडा लेकर चलनेवाला व्यक्ति पट (पु०) झंडा, पताका; पात (पु० ) = ध्वज भंग; पोत (पु०) बेड़े के जहाज़ पर लगा हुआ झंडा, फ्लैगशिप ~ भंग (पु० ) 1 नपुंसकता, हिजड़ापन 2 क्लीवता; ~वान् (वि०) 1 ध्वजवाला 2 चिह्न विशेष से युक्त; स्तंभ (पु० ) झंडे का खंभा ध्वजक-सं० (५०) नौ सैनिक झंडा
ध्वजा-सं० (स्त्रां०) झंडा, पताका
ध्वजारोपण - सं० (पु० ) झंडा गाड़ना, झंडा लगाना ध्वजारोहण-सं० (पु०) झंडा फहराना। झंडा फहराने का समारोह
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समारोह (पु०)
ध्वजिक-सं० ( पु० ) पाखंडी, ढोंगी. ध्वजी - I सं० (वि०) 1 पताका लिया हुआ 2 निशान युक्त II (पु०) सेना के आगे झंडा लेकर चलनेवाला व्यक्ति ध्वजोत्तोलन - सं० (पु० ) विशेष अवसर पर झंडे को कुछ
ऊँचाई तक उठाकर फहराना.
ध्वजोत्थान -सं० ( पु० ) 1 झंडा फहराना 2 इंद्रध्वज नामक प्राचीन महोत्सव
ध्वनन -सं० (पु०) 1 ध्वनि करना 2 व्यंग्यार्थ बोधक क्रिया ध्वनि-सं० (स्त्री०) 1 आवाज़, शब्द 2 अर्थ रहित आवाज़ (जैसे- पशु-पक्षियों की ध्वनि, मेघ की गर्जन ध्वनि) 3 बाजे आदि से उत्पन्न शब्द (जैसे- डंके की ध्वनि) 4 कथन का व्यंग्यपूर्ण आशय 5 गूढ़ आशय अन्वेषक (पु०) ध्वनि का पता लगानेवाला; अवयव (पु०) ध्वनि के अंग; ध्वनि-ग्राम-विज्ञान; क्षेपक (वि०) ध्वनि चारों ओर फैलानेवाला; ~क्षेपण (पु०) चारों ओर ध्वनि फैलाना; ~गत (वि०) ध्वनि संबधी ग्रहण (पु० ) आवाज़ सुनना; ग्राम (पु० ) मनुष्य की ध्वनि के भिन्न-भिन्न रुप; ~ ग्राम-विज्ञान (पु० ) ध्वनियों की इकाई ग्रामीय (वि०) ध्वनि - ग्राम - संबंधी; ग्राहक (वि०) आवाज़ सुननेवाला; ~ तंत्री (स्त्री०) ध्वनि निकलने की गले की तंत्री; तत्व (पु० ) 1 ध्वनि-ग्राम 2 ध्वनि-विज्ञान; तरंग (स्त्री०) हवा में ध्वनि का होनेवाला कंपन, साउंड वेव ~ द्विरावृत्ति ( स्त्री०) ध्वनि का दोहराना नियम (पु० ) ध्वनियों के परिवर्तन संबंधी नियम; पद्धति (स्त्री०) ध्वनि-प्रणाली; प्रसारक (पु०) ध्वनि फैलानेवाला यंत्र; ~ भेदी (वि०) = ध्वनि वेधी; मात्र (पु० ) ध्वनि - ग्राम; ~माला (वि०) = ध्वनि पद्धति; यंत्र (पु०) ध्वनि पैदा करने का यंत्र ~ रूप (वि०) ध्वनिमय; ~रोधक (वि०) ध्वनि में रुकावट डालनेवाला (जैसे ध्वनि रोधक यंत्र); ~लेख (पु०) ध्वनि को सुरक्षित रखने का यंत्र रिकार्ड; ~लेखन (पु०) ध्वनि को विशेष प्रक्रिया द्वारा सुरक्षित रखना, रिकार्डिंग; लेखी (पु०) ध्वनि सुरक्षित रखनेवाला यंत्र ~ वर्धक (वि०) ध्वनि विस्तारक; ~विचार, ~ विज्ञान (पु० ) मनुष्य के स्वर यंत्र से उत्पन्न ध्वनियों के भेद एवं प्रकार के विषय में विचार करने का विज्ञान; विपर्याय (पु० ) ध्वनियों का परस्पर बदल जाना; विस्तारक ध्वनि
नंद
फैलानेवाला (जैसे- ध्वनि-विस्तारक यंत्र); ~वेधी (वि०) जहाँ से शब्द आया है वहीं पर निशाना लगानेवाला (जैसे - ध्वनि वेधी विमान); शास्त्र (पु० ), शिक्षा (स्त्री०) = ध्वनि-विज्ञान; संकेत (पु०) ध्वनि बतानेवाले संकेत संगत ( वि०) = ध्वन्यात्मक; संयोग (पु० ) ध्वनियों का जोड़; ~ सूचक (वि०) ध्वन्यात्मक; ~ स्वरूप (वि०) = ध्वनिमय ध्वनिक-सं० (वि०) ध्वनि संबंधी
ध्वनित-सं० (वि०) ध्वनि रूप में प्रकट हुआ ध्वनिमय सं० (वि०) ध्वनिवाला
ध्वन्यंग-सं० (पु० ) ध्वनि संबंधी अवयव ध्वन्यनुरूप-सं० (वि०) = ध्वनिक ध्वन्यर्थ-सं० (वि०) शब्द, पद का व्यंग्यार्थ ध्वन्यात्मक-सं० (वि०) ध्वनि से युक्त (जैसे- ध्वन्यात्मक लिपि) । ~ता (स्त्री०) ध्वन्यात्मक होने का भाव ध्वन्यालेखन सं० ( पु० ) ध्वनि लेखन ध्वन्यालोचन -सं० (पु० ) ध्वनि-विज्ञान ध्वस्त - सं० (वि०) ढहा हुआ, नष्ट (जैसे- भूकंप-ध्वस्त इमारत)
ध्वांत-सं० (पु० ) अंधकार। चर (पु०) राक्षस ध्वान -सं० (पु० ) आवाज़, ध्वनि ध्वानिक सं० (वि०) ध्वनि संबंधी ध्वानिकी -सं० (स्त्री०) ध्वनि विज्ञान
न
नंग - I ( वि०) 1 नंगा 2 बदमाश, लुच्चा II ( पु० ) नंगापन, नग्नता धडंग (वि०) एकदम नंगा, निर्वस्त्र पैरा । उनेवाला II ( क्रि०
(वि०) 1 नंगे पैरोंवाला 2 नंगे वि०) नंगे पैरों
नंग - फ़ा० (पु० ) प्रतिष्ठा, इज़्ज़त
नंगा - (वि०) 1 बिना वस्त्र का, नम 2 खुला हुआ 3 बेहया, बेशर्म । ~ उघाड़ा (वि०) जिसके शरीर पर कोई वस्त्र न हो. विवस्त्र झोरी, झोली (स्त्री०) कपड़ों की तलाशी; ~धड़ंगा (वि०) बिल्कुल नंगा; ~नाच (पु० )
1 निर्लज्जतापूर्ण आचरण 2 घृणित व्यवहार ~पन (पु० ) नंगा होने की अवस्था; बुंगा (वि०) = नंग-धड़ंग; बच्चा, ~बूचा (वि०) अत्यंत निर्धन, कंगाल; मुंगा, मुनंगा (वि०) नंगा-धडंगा; ~ लुच्चा (वि०) निर्लज्ज, दुष्टफ ~करना 1 बेइज़्ज़त करना 2 भेद खोलना; नाच करना बेशर्मी दिखाना
नॅगियाना - (स० क्रि०) 1 नंगा करना 2 वास्तविक रूप में प्रकट न करना 3 सब कुछ छीन लेना
नंद - I सं० ( पु० ) 1 हर्ष, आनंद 2 परमात्मा, सच्चिदानंद II (वि) 1 सुख देनेवाला 2 उत्तम, श्रेष्ठ 3 शुभ ~ किशोर, ~कुमार, लाल + हिं० (पु०) नंद के पुत्र, श्री कृष्ण
=
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नंदक 425
नक्कू नंदक-सं० (वि०) आनंद देनेवाला। कानन (पु०) स्वर्ग में | कृति 6 हास्य रस का छोटा अभिनय, कथा आदि। ची । स्थित इंद्र का बाग
तु० (वि०) नक़ल करनेवाला; नवीस . फ़ा० (पु०) नंदन-1 सं० (वि०) आनंद देनेवाला || (१०) 1 पुत्र, बेटा काग़ज़ात की नक़ल करनेवाला कर्मचारीः - बही। हिं 2 राजा 3 मित्र । वन (पु०) नंदन नाम का इंद्र का वन, इंद्र (स्त्री०) हंडियों आदि की नकल की जानेवाली बही; बाज़
का उद्यान; --विहारी (वि०) इंद्र वन में विहार करनेवाला • फ़ा० (पु०) नकल करनेवाला व्यक्ति; बाज़ी • फ़ा नंदा-[ सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 गौरी 3 धन-संपत्ति || (वि०) (स्त्रो०) नक़ल करना 1 आनंद देनेवाली 2 शुभ
नक़ली-अ० (वि०) । अनुकरण पर बना हुआ 2 बनावटी, नंदि-सं० (पु०) 1 आनंद 2 आनंदमय व्यक्ति 3 सच्चिदानंद कृत्रिम 3 काल्पनिक 4 झूठ, मिथ्या (जैसे-नकली दस्तावेज़) परमात्मा । घोष (पु०) अर्जुन को अग्निदेव से प्राप्त एक नक़श-अ० (वि०) नक्श ।
नकसीर-(स्त्री०) । गर्मी आदि के कारण नाक से खन बहने नंदित-सं० (वि०) प्रसन्न, सुखी
का रोग 2 इस रोग में बहनेवाला खून नंदिनी-सं० (स्त्री०) पुत्री, बेटी 2 दुर्गा 3 उमा
नक़ाब-अ० (स्त्री०) 1 मुख ढकने का जालीदार कपड़ा, नंदी-[ सं० (वि०) प्रसत्र, सुख II (पु०) 1 शिव का गण | मुखावरण 2 घूघट । ~पोश + फ़ा० (वि०) 1 नक़ाब से विशेष 2 शिव का वाहन, बैल
ढका हुआ 2 नक़ाब धारण करनेवाला नंदीश-सं० (पु०) शिव
नकार-[सं० (पु०) 1 निषेध सूचक शब्द 2 इनकार । ~वाद नंदोई-(पु०) ननद का पति
(पु०) हर बात को निषेध करने का सिद्धांत; ~वादी (वि०) नंबर-अं० (पु० वि०) संख्यासूचक अंक 2 अदद संख्या नकारनेवाला 3 गणना 4 सामयिक पत्र-पत्रिका का कोई स्वतंत्र अंक।। नकार-II सं० (पु०) 'न' वर्ण
तख्ती + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) नंबर प्लेट; ~दार + नकारना-(स० क्रि०) मना करना, न मानना फा० (पु०) गाँव का ज़मींदार; ~प्लेट (पु०) = नंबर नकारा-फ़ा० (वि०) 1 निकम्मा 2 खराब 3 व्यर्थ 4 निष्कर्म तख्ती; ~वार + फ़ा० (क्रि० वि०) 1 सिलसिलेवार 2 अंक नकारात्मक-सं० (वि०) जिसमें कोई बात न मानी गई हो के क्रम से
(जैसे-नकारात्मक उत्तर देना) नंबरी-अ० + हिं० (वि०) 1 नंबर लगा हआ 2 नंबर संबंधी | नकाश-अ० (पु०) - नक्काश 3 बहुत बड़ा और मशहूर (जैसे-नंबरी चोर)
नकाशना-अ० - हिं० (स० क्रि०) नक्काशी करना नइहर-(पु०) मैका, पीहर
नक़ाशी-अ० + फा० (स्त्री०) = नक्काशी। - दार (वि०) नककटा-(वि०) 1 जिसकी नाक कटी हो, कटी नाकवाला ___ = नक्काशीदार; ~वाला + हिं० (वि०) जिसपर नक्काशी 2 बहुत बड़ा निर्लज्ज
किया गया हो नकघिसनी-(स्त्री०) 1 ज़मीन पर नाक घिसना 2 दीनता पूर्वक नकियाना-I (अ० क्रि०) 1 नाक से बोलना 2 नाक में दम की जानेवाली प्रार्थना
होना II (स० क्रि०) नाक में दम करना नकचढ़ा-(वि०) 1 चिढ़चिड़ा, बद मिज़ाज़ 2 बात-बात पर नक़ीब-अ० (पु०) चारण, वंदी चिढ़ जानेवाला
नकुल-सं० (पु०) नेवला नकछिकनी-(स्त्री०) एक तरह की घास जिसके सूंघने से छकिं नकेल-(स्त्री०) 1 ऊँट, भालू आदि की नाक में आर-पार आती हैं
पहनाई जानेवाली रस्सी, मुहार 2 वश में रखने की शक्ति । नकटा-(वि०) नककटा
हाथ में होना पूर्णतया वश में होना नकटी-(स्त्री०) नाक कटी स्त्री
नक्का -(पु०) 1 सूई का छेद 2 कौड़ी नकतोड़ा-(पु०) नखरा करना
नक्कारखाना-फ़ा० (पु०) नौबतख़ाना नक़द-अ० (वि०/पु०) = नगद । ~भुगतान + हिं० (पु०) नक़्क़ारची-फ़ा + तु० (पु०) नगाड़ा बजानेवाला नकद पैसा अदा करना
नक्क़ारा-फ़ा० (पु०) नगाड़ा नक़दी-अ० + हिं० (स्त्री०) रुपया-पैसा, कैश। पुर्जा + | नक़्क़ाल-अ० (पु०) 1 नक़ल करनेवाला 2 स्वाँग बनानेवाला, फ़ा० (पु०) कैशमेमो
भाँड नकना-(अ० क्रि०) नाक में दम करना, अत्यंत तंग करना नक्काली-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 नक्काल का काम नक़ब-अ० (स्त्री०) चोरी करने के लिए दीवार में बनाया गया 2 भाँडपन
छेद, सेंध। -ज़न + फ़ा० (पु०) सेंध मारनेवाला; ~ज़नी नक्काश-अ० (पु०) नक्काशी का काम करनेवाला कारीगर + फ़ा० (स्त्री०) सेंध लगाना
नक्काशी-अ० + फा० (स्त्री०) 1 धातु, लकड़ी आदि पर नकबेसर-(स्त्री०) नाक में पहनने की छोटी नथ, बेसर खोदकर बेल-बूटे बनाने का काम 2 खोदकर बनाए-गए नकमोती-(पु०) नाक में पहनने का मोती, लटकन बेल-बूटे। दार (वि०) जिस पर बेल-बूटे बने नक़ल-अ० (स्त्री०) 1 लेख आदि की प्रतिलिपि, कापी 2 परीक्षा में परीक्षार्थी द्वारा एक दूसरे का छिपकर नक़ल करना | नक्की -I (वि०) पक्का, दुरुस्त 3 अनुकृति 4ज्यों का त्यों किया जानेवाले अनुकरण नक्की -II (स्त्री०) जुए का एक दाँव (जैसे-गुंडों-बदमाशों की नक़ल) 5 विलक्षण और हास्यास्पद | नक्कू-(वि०) 1 बड़ी नाकवाला 2 अपने को बहुत बड़ा
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नक्त
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नगरीय
समझनेवाला 3 जिसकी ओर सभी उँगली उठाएँ 4 दोषी । (जैसे-अधिक नखरा भी अच्छा नहीं है)। तिल्ला : हिं) ठहराया जानेवाला, बदनाम
(पु०) नाज़-नखरा नक्त-[ सं० (वि०) लजित II (पु०) रात। चर, नखरीला-फ़ा० + हिं० (वि०) नखरा दिखानेवाला
चारी | (वि.) रात को घूमनेवाला II (१०) 1 राक्षस नखरेबाज़-फ़ा० (वि०) नखरा करनेवाला 2 उल्ल; ~भोजन (पु०) रात का भोजन; ~ता (स्त्री०) नखरेबाज़ी-फा० (स्त्री०) नखरा करना कलिकारी नामक विषैला पौधा
नखरौट-(स्त्री०) नाखून गड़ने से बना घाव, नख-क्षत नक्र-सं० (पु०) 1 मगर 2 घड़ियाल 3 नाक
नखलिस्तान-अ० - फ़ा० (पु०) मरूद्यान नक्श-[ अ० (वि०) जिस पर नक्काशी हुई हो || (पु०) नख-सिख-(पु०) नख-शिख 1 तस्वीर बनाना 2 तस्वीर, चित्र 3 फूल-पत्ती, बेल-बूटे आदि नखांक-सं० (पु०) 1 बाघ का नाखून 2 नख क्षत का काम। बंद + फ़ा० (प्०) नक्शा, चित्र बनानेवाला; नखास-अ० (पु०) 1 बाज़ार 2 पशुओं का बाज़ार बंदी (स्त्री०) नक्शा, चित्र बनाने का काम
नग-[सं० (वि०) 1 न गमन करनेवाला 2 अचल, स्थिर || नक्शा-अ० (पु०) 1 तस्वीर, चित्र 2 पृथ्वी एवं उसके विशिष्ट (पु०) 1 पहाड़, पर्वत 2 पेड़, वृक्ष। धर (पु.) पर्वत
अंश पर स्थित मुख्य-मुख्य वस्तु आदि का परिचायक चित्र, धारण करनेवाला, श्रीकृष्ण; ~पति (३०) पर्वतराज हिमालय मानचित्र (जैसे-नक्शा बनाना) 3 चेहरा-मोहरा, आकृति नग-(पु०) 1 बहुमूल्य पत्थर, नगीना 2 संख्या सूचक एक शब्द 4 मकान, सड़क आदि का चित्र ढंग, तर्ज (जैसे-नक्शा न नगण्य-सं० (वि०) 1 जो गिने जाने योग्य न हो 2 अत्यंत तुच्छ दिखाओ) 6 स्थिति, दशा, अवस्था 7 रूपरंग, बनावट, नगद-[अ० (पु०) 1 रुपया-पैसा 2 सोने-चाँदी का सिक्का || शक्ल। ~कशी • फ़ा० (स्त्री०) नक्शा खींचना, नक्शा | (वि०) 1 जो सामने हो, जो तैयार हो (जैसे-नगद रुपया, बनाना; नवीस + फ़ा० (पु०) = नक्शबंद; निगार + नगद माल) 2 जो रुपए-पैसे के रूप में चुकाया जाए III फ़ा० (पु०) खोदकर बनाया गया बेल-बूटा, निगारी + (क्रि० वि०) तुरंत दिए गए रुपये के बदले में फ़ा० (स्त्री०) बेल-बूटा बनाने का काम; साज़ + फ़ा० नगदी-[ अ० + हिं० (क्रि० वि०) नगद रूप में, इनकैश || (पु०) नक्शा बनानेवाला; ~~-साज़ी + फ़ा० (स्त्री०) नक्शा (पु०/वि०) = नगद बनाने का काम
नगनी-सं० (स्त्री०) 1 शरीर का ऊपरी भाग ढके बगैर नक्षत्र-सं० (पु०) 1 तारा, सितारा 2 मोती। ~गृह (पु०) __ घूमनेवाली कम उम्र की कन्या, लड़की 2 पत्री, बेटी 3 नंगी तारा मंडल घर; चक्र (पु०) राशिचक्र; ~दर्श (पु०) स्त्री, निर्वस्त्र नारी 1 नक्षत्र देखनेवाला व्यक्ति 2 ज्योतिषी; ~धारी (वि०) = नग़मा-अ० (पु०) 1 गाना, गीत 2 सुरीली आवाज़ नक्षत्री; नाथ (पु०) चंद्रमा; --पथ (पु०) नक्षत्रों के (जैसे-नग़मा निगार)। -संज + फ़ा० (पु०) गवैया चलने का मार्ग; ~भवन (पु०) - नक्षत्र गृह; ~माला नगर-सं० (पु०) 1 शहर 2 मुहल्ला (जैसे-आजाद नगर, पटेल (स्त्री०) सत्ताइस मोतीवाला हार; राज (पू.) नक्षत्रों के नगर)। ~आयोजन (पु०) नगर बसाना, नगर निर्माण स्वामी चंद्रमा, विद् (पु०) नक्षत्रों का ज्ञाता; विद्या योजना; कीर्तन (पु०) नगर में घूम-घूमकर किया (स्त्री०) ज्योतिष विद्या; वृष्टि (स्त्री०) तारों का टूटना, जानेवाला सामूहिक कीर्तन; ~क्षेत्र (पु०) नगर का इलाका; उल्कापात; ~साधन (पु०) विशिष्ट नक्षत्र पर विशिष्ट ग्रह -निगम (पु०) नगर-पालिका; निगमाध्यक्ष (पु०) - का स्थिति काल जानने की गणना
नगर प्रमुख; निवासी (पु०) शहर में रहनेवाले लोग; नक्षत्री-सं० (वि०) 1 अच्छे नक्षत्र में जन्म लेनेवाला परिवहन (पु०) नगर में वाहनों का आना-जाना; पाल 2 अत्यधिक भाग्यवान
(पु०) नगर की रक्षा करनेवाला व्यक्ति; पालिका नक्सल-पंथी-+ हिं०, नक्सलवादी नक्सलवादी + सं० (स्त्री०) नगर की सफ़ाई, रोशनी, पानी आदि की व्यवस्था (पु०) उग्रवादियों का एक दल
करनेवाली संस्था, म्युनिसिपलिटि; -पिता (पु०) नगर नक्सलिया- + हिं० (पु०) नक्सलवादी लोग
पालिका का सदस्य, नगर शासक, नगर प्रमुख; ~प्रमुख नक्सली- + हिं० (वि०) नक्सलवादी
(पु०) नगर महापालिका का प्रधान, निगमाध्यक्ष, मेयर; नख-सं० (पु०) नाखून (जैसे-पद नख, नख-शिख)। प्रांत (पु०) उपनगर; ~भवन (पु०) नगर का
~क्षत (पु०) नाखून से बना निशान; रेखा (स्त्री०) सार्वजनिक भवन; ~मजिस्ट्रेट + अं० (पु०) नगर का नखरौट; विंदु (पु०) नाखून पर महावर आदि का निशान; दंडाधिकारी, सिटी मजिस्ट्रेट; ~महापालिका (स्त्री०) नगर -शिख (पु०) पैर के नाखून से सिर के बाल तक के सब पालिका, नगर निगम, म्युनिसिपल कारपोरेशन, ~मार्ग (पु०) अंग; पति (पु०) 1 हिमालय 2 चंद्रमा
राज मार्ग; रक्षा (स्त्री०) नगर का शासन प्रबंध; रचना नख-फां० (स्त्री०) 1 बटा हुआ महीन रेशमी तागा (स्त्री०) = नगर सनिवेश; ~वासी (पु०) = नगर निवासी; 2 डोर
वृद्ध (पु०) नगर निगम का मेयर से छोटा पदाधिकारी; नखत-(पु०) = नक्षत्र
सन्निवेश (पु०) नए नगर बनाने की कला, सिटि प्लैनिंग; नखना-I (अ० क्रि०) लाँघा जाना, उल्लंघन होना II (स० सेठ + हिं० (पु०) नगर का सर्वाधिक संपन्न व्यक्ति क्रि०) 1 लाँघना, उल्लंघन करना 2 पार जाना, पारण III नगराध्यक्ष-सं० (पु०) नगर का प्रधान शासक, प्रशासक (स० क्रि०) नष्ट करना
नगरी-सं० (स्त्री०) छोटा नगर नखरा-फ़ा० (पु०) 1 हाव-भाव, विलास-चेष्टा 2 नाज़-अदा | नगरीय-सं० (वि०) नगर का
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नगरोपरांत
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नत्वर्थक
नगरोपरांत-सं० (पु०) नगर के आस-पास का क्षेत्र, उपनगर 2 अंग चालन की मृदुल एवं मनोहर चेष्टा नगाड़ा-फा० (पु०) डंका, धौंसा
नजात-अ० (स्त्री०) छुटकारा, मुक्ति नगीना-फ़ा० (पु०) बहुमूल्य पत्थर का चमकदार टुकड़ा, मणि, नज़ारत-अ० (स्त्री०) । निरीक्षक का पद 2 निरीक्षक का
रत्न। गर, साज़ (पु०) नगीना जड़नेवाला कारीगर | कार्यालय नग्न-सं० (वि०) नंगा; करण (पु०) नंगा करना; ~ता नज़ारा-अ० (पु०) 1 सुंदर दृश्य 2 नज़र, दृष्टि 3 तमाशा (स्त्री०) नंगापन। ता-वाद मनुष्य को नीरोग रहने के लिए नज़ारेबाज़ी-अ० । फ़ाc (स्त्री०) आँखें लड़ाना कुछ समय तक नंगा रहना चाहिए का सिद्धांत; नृत्य (पु.) (जैसे-पडोसिन से नज़ारेबाज़ी) नंगा नाच, ~वाद (पु०) - नग्रतावाद; वादी नज़ीर-अ० (स्त्री०) 1 उदाहरण, मिसाल 2 उच्च न्यायालय का (वि०/पु०) 1 नग्नवाद का समर्थक 2 नग्नवाद संबंधी वह निर्णय जो पुराने मुकदमे के तहत दिया गया हो तथा जिसे ननिका-सं० (स्त्री०) निर्लज्ज स्त्री
पक्ष समर्थन हेतु प्रस्तुत (पेश) किया जाए नघना-(स० क्रि०) लाँघना
नजूम-अ० (पु०) ज्योतिष नघाना-(म० क्रि०) लँघाना
नजूमी-अ० (पु०) ज्योतिषी नचना- (वि०) नाचनेवाला
नजूल-अ० (पु०) सरकारी भूमि (जैसे-नजूल विभाग) नचनिया-बो० (पु०) नाचकर जीविका कमानेवाला व्यक्ति नज्म-[अ० (स्त्री०) 1 कविता 2 पद्य II (पु०) आकाश का नचाना-(स० क्रि०) 1 नाचने में प्रवृत्त करना (जैसे-बंदर-भाल तारा, नक्षत्र नचाना) 2 हिलाना-इलाना (जैसे-आँखें नचाना) 3 बार-बार नट-सं० (पु०) नाटक खेलनेवाला व्यक्ति, अभिनेता उठाना-बैठाना, इधर-उधर भेजना (जैसे-आप मझे क्यों नचा । 2 खेल-तमाशा दिखानेवाली एक जाति। ता (स्त्री०) नट
का कार्य; नागर राज (पु०) 1 श्री कृष्ण, नटेश्वर नज़दीक-फ़ा० (क्रि० वि०) पास, निकट
2 शिव 3 नटों में प्रधान, कुशल नट; ~वर (पु०) नाट्य नज़दीकी-I फा० (वि०) पास का, निकट का II (स्त्री०) कला में बहुत कुशल और प्रवीण व्यक्ति विद्या (स्त्री०) समीपता, सामीप्य
नाटक खेलने की कला नज़म-अ० (स्त्री०) कविता
नटई-बो० (स्त्री) 1 गला 2 गले की घंटी नज़र-[ अ० (स्त्री०) 1 निगाह, दृष्टि 2 कृपा से युक्त दृष्टि, नट-खट-(वि०) 1 उपद्रवी 2 शरारती कृपा-दृष्टि 3 सतर्कतापूर्ण ध्यान 4 ख्याल, ध्यान (जैसे-ज़रा नट-खटी-(स्त्री०) शरारत, बदमाशी इस पर भी नज़र डाले रहना) 5 परख, पहचान 6 प्रभावकारी नटन-सं० (पु०) 1 अभिनय करना 2 नाचना कल्पित दृष्टि (जैसे-बच्चे को नज़र लगना)। ~अंदाज़ + नटना-(अ० क्रि०) 1 अभिनय करना 2 प्रतिज्ञा, वचन से फ़ा० (वि०) 1 जाँचा हुआ 2 ध्यान दिया हुआ 3 उपेक्षित मुकरना ~अंदाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) 1 जाँच, परख 2 उपेक्षा; बंद नटनी-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 नट जाति की स्त्री 2 अभिनेत्री + फ़ा०1 (वि०) नज़रबंदी की सज़ा प्राप्त, एक स्थान में कैद नटवर-सं० (पु०) 1कुशल एवं प्रवीण व्यक्ति 2 श्रीकृष्ण II (पु०) नज़र बदी का खेल दिखानेवाला जादूगर; ~बंद नटसाल-(स्त्री०) 1 शरीर में चुभे हए काँटे का टूटा अंश कैंप फा० + अं० (पु०) नज़र बंदों को रखने का शिविर; 2 बाण की गाँसी जो टूटकर शरीर में ही रह गई हो 3 कसक,
बंदी + फ़ा० (स्त्री०) 1 कड़ी निगरानी में रखे जाने की | टीस सज़ा 2 नज़रबंद होने की अवस्था 3 दर्शकों की नज़र बाँधकर नटी-सं० (स्त्री०) 1 नट जाति की स्त्री 2 नाटक की अभिनेत्री जादूगर द्वारा दिखलाया जानेवाला खेल; बाग़ + फ़ा० 3 नर्तकी 4 सूत्रधार की स्त्री 5 रंडी, वेश्या (पु०) घर से मिला बाग़; बाज़ + फ़ा० (वि०) 1 आँखें नटेश, नटेश्वर-सं० (पु०) 1 नटों में सर्वश्रेष्ठ 2 महादेव, शिव लड़ानेवाला 2 ताक-झाँख करनेवाला 3 पारखी; सानी नढ़ना-(स० क्रि०) बो० 1 गूथना, पिरोना 2 कसकर बाँधना (स्त्री०) संशोधन हेतु दुबारा करना, पुनरीक्षण; हाया + नत-सं० (वि०) 1 झुका हुआ 2 विनीत, नम्र 3 कुटिल, टेढ़ा। हिं० (वि०) नज़र लगानेवाला; ~अंदाज़ करना 1 उपेक्षा नासिक (वि०) चिपटी नाकवाला; ~मस्तक, शिर करना 2 नापसंद करना; ~आना दिखाई देना; पर चढ़ना (वि०) विनीत होनेवाला 1 पसंद आ जाना 2 कोपभाजन होना; बदलना 1 रुष्ट होना नति-सं० (स्त्री०) 1 झुकना, नम्र होना 2 नम्रता 3 नमन, 2 इरादा बदलना; लगना कुदृष्टि का असर होना नमस्कार 4 झुकाव 5 टेढ़ापन नज़र-II अ० (स्त्री०) उपहार, भेंट (जैसे-नज़र करना)। । नतीजा-अ० (पु०) 1फल, परिणाम 2 परीक्षाफल करना उपहार देना, भेंट देना
(जैसे-परीक्षा का नतीज़ा निकालना) 3 अंत, आखीर नज़राना-I अ० + फ़ा० (पु०) 1 भेंट स्वरूप दी जानेवाली नतेत-बो० (पु०) नातेदार, रिश्तेदार, संबंधी वस्तु 2 अग्रिम भुगतान (जैसे-दुकान हेतु एक हज़ार रुपया नतोदर-सं० (वि०) जिसका ऊपरी तल कुछ अंदर की ओर हो, नज़राना देना पड़ा) II (अ० क्रि०) नज़र लग जाना III अवतल कॉनकेव (जैसे-नतोदर दर्पण)। ~ता (स्त्री०) (स० क्रि०) नज़र लगाना
नतोदर अवस्था नज़ला-अ० (पु०) 1 जुकाम, सर्दी 2 सिर का विकार युक्त नत्थी-(स्त्री०) 1 काग़ज़ आदि के टुकड़ों को एक में गूंथना होने से नाक, आँख से पानी गिरने का रोग
2 एक में गूंथे हुए काग़ज़ आदि के टुकड़े नज़ाकत-फ़ा० (स्त्री०) 1 शारीरिक कोमलता, सुकुमारता | नत्वर्थक-सं० (वि०) नकारात्मक, नहिक, नेगेटिव
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नथ
नमदा
नथ-(स्त्री०) नाक में पहनने का एक गोलाकार गहना। नफ़र-अ० (पु०) 1 आदमी, व्यक्ति 2 सेवक, खिदमतगार नथना-I (पु०) नाक के छेदोंवाला अगला भाग। फुलाना ___3 मज़दूर, श्रमिक असंतोष, रोष आदि ज़ाहिर करना
नफ़रत-अ० (स्त्री०) 1 घृणा 2 विरक्ति नथना-|| (अ० क्रि०) 1 नाथा जाना 2 नत्थी होना 3 जोडा नफ़री-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 मज़दूर का दिन भर का काम
जाना, बाँधा जाना 4 भेदा जाना या छेदा जाना, भिदना या 2 एक दिन के काम की मज़दूरी छिदना
नफ़स-1 अ० (पु०) 1 साँस, श्वास 2 पल, क्षण नथनी-(स्त्री०) 1 छोटी नथ 2 बैल नाथने की रस्सी, नाथ | नफ़स-II अ० (पु०) 1 अस्तित्व 2 सत्यता 3 काम वासना 3 तलवार की मूंठ पर लगा नथ के आकार का छल्ला 4 नथ | नफ़सानियत-अ० (स्त्री०) 1 स्वार्थपरता 2 अभिमान के आकार की वस्तु । -उतरना वेश्या बननेवाली लड़की का नफ़सानी-अ० (वि०) । शारीरिक 2 काम वासना संबंधी पहला संबंध होना; -उतारना वेश्या बननेवाली स्त्री से नफा-अ० (पु०) 1 लाभ 2 आर्थिक लाभ 3 प्राप्ति । पहले-पहल संभोग करना
नुक़सान (पु०) लाभ-हानि: बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) नथुना-(पु०) - नथना ।
अनुचित लाभ नथुनी-(स्त्री०) - नथनी
नफ़ासत-अ० (स्त्री०) 1 सुंदरता, बढ़ियापन 2 कोमलता नद-सं० (पु०) नदी (जैसे-गंगा, यमुना आदि) __3निर्मलता नदना-(अ0 क्रि०) 1 आवाज़ होना 2 बजना 3 पशुओं का नफ़ीरी-फ़ा० (स्त्री०) 1 शहनाई के साथ बजनेवाला बाँसुरी की बोलना
| तरह का एक बाजा 2 शहनाई नदारद-फा० (वि०) 1 गायब, लुप्त 2 खाली 3 अनुपस्थित, नफ़ीस-अ० (वि०) 1 सुंदर 2 निर्मल 3 कोमल गैरमौजूद
नफ्स-अ० (पु०) - नफ़स II नदी-सं० (स्त्री०) 1 पहाड़, झील आदि से निकलकर विशिष्ट | नफ्सानियत-अ० (स्त्री०) 1 स्वार्थपरता 2 अभिमान मार्ग से बहनेवाली जल की बड़ी प्राकृतिक धारा 2 तरल पदार्थ नबी-अ० (पु०) पैगंबर की बड़ी धारा । ~गर्भ (पु०) नदी के दोनों तटों के बीच की नबेड़ना-(स० क्रि०) निबेड़ना जगह; --नाव-संयोग (१०) आकस्मिक घटना; ~मुख | नब्ज़-अ० (स्त्री०) नाड़ी (१०) समुद्र में नदी के गिरने का स्थान, भुहाना नब्बे-I (वि०) सौ से दस कम II (पु०) 90 की संख्या नदीदा-फ़ा० (वि०) 1 न देखा हुआ 2 लालची
नभ-सं० (पु०) आकाश, आसमान। चर 1 (पु०) 1 पक्षी नद्ध-सं० (वि०) 1 बाँधा हुआ 2 नाथा हुआ
2 बादल II (वि०) नभ में विचरण करनेवाला; ~~मंडल नधना-(अ० क्रि०) 1 नाथा जान 2 काम में लगाया जाना (पु०) आकाश (मंडल); ~यात्री (पु०) आकाशचारी;
3 नाक में रस्सी डालकर बाँधा जाना (जैसे-बैल नधना) सेना (स्त्री०) वायुसेना; ~स्थल (पु०) आकाश का तल ननद-(स्त्री०) पति की बहन
नभश्चर-[ सं० (वि०) आकाश में चलनेवाला, आकाशचारी ननदोई-(पु०) ननद का पति
II (पु०) 1 देवता 2 पक्षी ननसार-बो० (स्त्री०) ननिहाल
नभोवाणी-सं० (स्त्री०) आकाशवाणी ननिया ससुर-(पु०) पत्नी का नाना (स्त्री० ननिया सास) नम-फा० (वि०) गीला, आर्द्र ननिहाल-(पु०) 1 नाना का घर 2 नाना का घराना नमक-फ़ा० (पु०) खारे जल से तैयार किया गया प्रसिद्ध क्षार ननु-नच-(पु०) छोटी-मोटी आपत्ति
पदार्थ, लवण (जैसे-नमक की खान)। -कानून + अ० नत्रा-बो० (पु०) नाना
(पु०) नमक के खिलाफ़ लगाया गया कानून; ~खार नन्हा-(वि०) सबसे छोटा (जैसे-नन्हा बच्चा)
(वि०) नमक खानेवाला; ~दान (पु०) नमक रखने का नपवाना-(स० क्रि०) नापने का काम कराना. (जैसे-खेत पात्र; ~दानी +हिं० नमक रखने का छोटा बर्तन; मिर्च + नपवाना)
• हिं० (स्त्री०) नमक और मिर्चा; ~सार (पु०) 1 नमक नपाई-(स्त्री०) 1 नापना 2 नापने की मज़दरी
निकलने की जगह 2 नमक बनने की जगह; ~सेंधा + हिं० नपा-तुला-(वि०) नापा और तौला हुआ (जैसे-नपा-तुला (पु०) सेंधा नमक; हराम + अ० (वि०) उपकार न पदार्थ, नपी-तुली आलमारी)
माननेवाला, कृतघ्न; हरामी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) नपुंसक-I सं० (वि०) 1 काम शक्ति रहित 2 कायर 3 क्लीव कृतघ्नता; हलाल + अ० (वि०) उपकार माननेवाला, II (पु०) 1 काम शक्ति से हीन पुरुष, नामर्द 2 हिजड़ा कृतज्ञ; हलाली । अ० + फ़ा० (स्त्री०) कृतज्ञता। 3 व्या० नपुंसक लिंग। ~ता (स्त्री०) 1 नपुंसक होने की ~अदा करना स्वामी के प्रति कर्तव्य पूरा करना; खाना अवस्था 2 हिजड़ापन; लिंग (पु०) संस्कृत व्याकरण में से कृपा पर जीवन निर्वाह करना; ~फूटकर निकलना कृतघ्नता तीन लिंगों में से एक, जो न तो पुरुष और न ही स्त्री लिंग का ही का कुफल मिलना; -मिर्च लगाना बढ़ा-चढ़ाकर कहना; बोध कराते हैं
कटे पर छिड़कना दःखी को और भी दुःख देना नपुंसकत्व-सं० (पु०) नपुंसकता
नमकीन-फा० (वि०) 1 नमक मिला हुआ (जैसे-नमकीन नपुंसकीकरण-सं० (पु०) नपुंसक बनाना
पापड़) 2 नमक के स्वाद जैसा (जैसे-नमकीन पानी) नपुआ बो० (पु०) = नपना
3 सलोना, सुंदर (जैसे-नमकीन लड़का) नफ्रका-अ० (पु०) घर का खर्च
नमदा-मा० (पु०) ऊनी कंबल
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नमदार
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नरेश्वर
नमदार-फा० (वि०) गीला, आर्द्र
को खा जाना; ~भक्षी (पु०) = नर-भक्षक; ~मेघ (पु०) नमन-सं० (पु०) 1 नमस्कार, प्रणाम 2 अभिवादन
1 ऐसा यज्ञ जिसमें मानव बलि दी जाए 2 सामूहिक नर संहार; नमश-फा० (स्त्री०) ठंडक के कारण जमा दूध का फेन, नमिस | लोक (पु०) = नर-पुर; ~वंश-शास्त्र (पु०) मानव नमस्कार-सं० (पु०) अभिवादन करना, प्रणाम करना वंश संबंधी शास्त्र; ~वध (पु०) नर हत्या; ~~संहार (पु०) नमस्कार्य-सं० (वि०) 1 अभिवादन योग्य 2 पूज्य, वंदनीय मनुष्य को मार डालना; ~~संहारक (वि०) मनुष्य को मार नमस्क्रिया-स० (स्त्री०) नमस्कार
डालनेवाला, हत्यारा; --सिंघा + हिं० (पु०) तुरही के नमस्य-सं० (वि०) नमस्कार करने योग्य
आकार का एक बाजा; सिंह (पु०) - नृ-सिंह; हत्या नमस्ते-सं० (स्त्री०) नमस्कार
(स्त्री०) = नर-वध नमाज़-फ़ा० (स्त्री०) मुसलमानों की ईश प्रार्थना की पद्धति। नर-फा० (वि०) पुल्लिंग
~गाह (स्त्री०) 1 नमाज़ पढ़ने की जगह 2 मसजिद नरई-(स्त्री०) 1 जलाशय के पास होनेवाली एक घास 2 घास नमाज़ी-[ फा० (पु०) धर्मनिष्ठ मुसलमान II (पु०) बैठकर | आदि का पोला डंठल नमाज़ पढ़नेवाला वस्त्र
नरक-सं० (पु०) 1 धर्म शास्त्रानुसार पापात्माओं, पापियों के नमाना-(स० क्रि०) 1 झुकाना 2 वश में करना
रहने का स्थान 2 गंदी एवं धृणित जगह। ~गामी (वि०) नमित-सं० (वि०) 1 झुका हुआ 2 झुकाया हुआ
नरक में जानेवाला; चतुर्दशी (स्त्री०) दीवाली के ठीक नमिस-फ़ा० (स्त्री०) नमश
पहले पड़नेवाली चतुर्दशी; यातना (स्त्री०) नरक की पीड़ा नमी-फा० (स्त्री०) 1 गीलापन, आर्द्रता 2 सीलन निरोधी नरकट, नरकल-(पु०) बेंत की जाति का प्रसिद्ध पौधा __ + सं० (वि०) नमी दूर करनेवाला
नरगिस-फा० (पु०) प्याज के आकार का एक पौधा और नमूद-फा० (स्त्री०) 1 प्रकट होना, आविर्भाव 2 अस्तित्व | उसका पीले रंग का फूल 3 तड़क-भड़क
नरजा-बो० (पु०) तराजू का पलड़ा नमूदार-फा० (वि०) प्रकट, आविर्भूत
नरजी-(पु०) गल्ला तौलनेवाला व्यक्ति, बया नमूना-फ़ा० (पु.) 1 गुण, स्वाद आदि का पता लगाने हेतु । नरत्व-सं० (पु०) पुरुषत्व, नरता
वस्तु का कुछ अंश (जैसे-चावल का नमूना) 2 वस्तु की नरदा, नरदवां-(पु०) पनाला, नाबदान इकाइयों में एक इकाई (जैसे-पुस्तक का नमूना) 3 ढाँचा नरम-फा० (वि०) 1 मुलायम 2 कोमल, मृदुल (जैसे-नरम (जैसे-छपाई का नमूना)
स्वभाव)। गरम (वि०) मुलायम और गर्म नम्र-सं० (वि०) 1 विनीत 2 झुका हुआ, नत। ता (स्त्री) (जैसे-नरम-गरम पूड़ी); --दली + सं० (वि०) नरम दल नम्र होने का भाव
का; ~पंथी + हिं० (पु०) नरम दल का व्यक्ति नय-[ सं० (वि०) 1 ले जानेवाला 2 मार्गदर्शक 3 उचित, | नरमाई-फा० + हिं० (स्त्री०) नरमी उपयुक्त || (पु०) 1 ले जाना 2 व्यवहार, बर्ताव 3 ढंग, नरमाना-[फा० + हिं० (अ० क्रि०) 1 मुलायम होना 2 शांत आचरण 4 बुद्धिमना 5 नम्रता, विनय 6 नीति। -शील __ होना II (स० कि०) ।मलायम करना 2 शांत करना (वि०) 1 विनयी 2 नीतिज्ञ
नरमी-फा० (स्त्री०) 1 नरम होने की अवस्था 2 कोमलता। नयन-सं० (पु०) आँख, नेत्र। --गोचर (वि०) 1 दिखाई ~पसंद (वि०) कोमलता पसंद करनेवाला देनेवाला ? समक्ष; ~~-पट (पु०) पलक, दृगंचल; मनोहर नरसों-(क्रि० वि०) । परसो के बाद आनेवाले दिन में (वि.) आँख को सुंदर लगनेवाला
2 (अतीत) परसों के पहलेवाले दिन में नयनाभिराम-(वि.) 1 नयनों को संटर लगनेवाला 2 संदर, नराकार-सं० (वि.) मनुष्य के आकार का (जैसे-नराकार मनोहर .
बंदर) जया-(वि०) 1 नवीन, नूतन (जैसे-नया मकान) 2 हाल में नराधम-सं० (पु०) नीच व्यक्ति उत्पन्न होनेवाला (जैसे-नया चावल, नया आल) 3 ताज़ा नरिया-(स्त्री०) अर्धवृत्ताकार लंबा खपड़ा (जैसे-नई सभ्यता, नई जवानी) 4 परिवर्तन किया हुआ नरियाना-(अ० क्रि०) चिल्लाना (जैसे-नई चादर बिछाना) 5 कार्य में पहले-पहल लगना । नरी-फ़ा० (स्त्री०) बकरी का चमड़ा (जैसे-नया आदमी काम संभाल लेगा) 6 फिर से शुरू नरी-[ (स्त्री०) 1 नली ए जलाशय के किनारे होनेवाली एक होनेवाला (जैसे-नया वर्ष, नया चाँद) 7 समाप्त होते-होते पुनः
घास काम के होने योग्य (जैसे-नई जिंदगी मिलना); ~पन (पु.) नरी-II सं० (स्त्री०) औरत, स्त्री 1 नवीनता 2 नया होने का भाव
नरुआ-(पु०) = नरई नयाचार-सं० (प्०) बाइबिल का नव विधान
नरेंद्र-सं० (पु०) राजा, नरेश। -मंडल (प०) अंग्रेज़ी शासन नर-सं० (पु०) पुरुष, मर्द, मनुष्य । दारा (पु०) हिजड़ा: | काल में देशी राजाओं की संस्था, चैंबर ऑफ प्रिंसेज
पति (पु०) राजा, नृपति; पशु (वि०) - 1 नर पिशाच नरेतर-सं० (पु०) जानवर, पशु 2 नृसिंह अवतार; ~पाल (पु०) भूपति, नृप; -पिशाच नरेली-(स्त्री०) 1 छोटा नारियल ? नारियल का ऊपरी कठोर (पु०) नीच एवं दुष्ट व्यक्ति; ~पुर (पु०) मर्त्यलोक; | भाग 3 इस कठोर भाग का बना हक्का
बलि (स्त्री०) मनुष्यों की बलि; ~भक्षक (पु.) / नरेश-सं० (पू०) - नरेंद्र 1 मनुष्य को खानेवाला 2 राक्षस; ~भक्षिता (स्त्री०) आदमी | नरेश्वर-सं० (पु०) राजा, नप
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नरोत्तम
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नवागमन
नरोत्तम-[ सं० (वि०) मनुष्यों में श्रेष्ठ II (पु०) ईश्वर, (पु०) नई रचना; निर्वाचित (वि०) नया चुना हुआ परमात्मा
(जैसे-नव निर्वाचित सदस्य); ~परिणीता (स्त्री०) नव नर्क-(पु०) = नरक
विवाहिता; प्रवर्तन (पु०) नए सिरे से बात चलाना; नर्कट-(पु०) - नरकट
प्रसूत (वि०) - नवजात; ~प्रसूता (स्त्री०) तुरंत जन्म नर्तक-सं० (पु०) 1 नाचनेवाला व्यक्ति, नचनियाँ 2 नट देनवाली स्त्री; युग (पु०) नया युग; युवक (पु०) नर्तकी-सं० (स्त्री०) 1 नाचने का पेशा करनेवाली स्त्री 2 नटी नौजवान लड़का; युवती (स्त्री०) नौजवान लड़की; नर्तन-सं० (पु०) 1 नाचना 2 नाच, नृत्य
युवा (पु०) = नव-युवक; -युवा-काल, यौवन नर्तित-सं० (वि०) 1 नचाया हुआ 2 नाचता हुआ 3 नाचा हुआ (पु०) नौजवानी; न्यौवना (स्त्री०) - नवयुवती; नर्द-फ़ा० (स्त्री०) 1 चौसर का खेल 2 चौसर की गोटी। यौवनावस्था (स्त्री०) नव-युवाकाल; ~रंग (वि०) बान (पु०) 1 काठ की सीढ़ी 2 मार्ग, रास्ता
1 सुंदर 2 नए ढंग का, नवेला; ~वधू (स्त्री०) नई दुल्हन; नर्दन-सं० (पु०) भीषण ध्वनि, नाद
~~वर (पु०) नया दूल्हा; ~वर्ष (पु०) नया साल; नर्म-I सं० (पु०) हँसी-ठट्ठा, परिहास, मज़ाक
-वर्षाक (पु०) किसी पत्रिका का नए साल का अंक; नर्म-II फ़ा० (वि०) - नरम । सचिव सं० (५०) विदूषक ~वर्षोत्सव (पु०) नवीन वर्ष के उपलक्ष में मनाया गया नर्मद-1 सं० (वि०) 1आनंद देनेवाला 2 सुख देनेवाला II उत्सव; ~वादी (पु०) नए का पक्ष लेनवाला; विकासित (पु०) 1 परिहास प्रिय, ठठोल 2 चारण, भाँड़
(वि०) नया नया विकसित किया गया; शिक्षित (वि०) नर्स-अं० (स्त्री०) परिचारिका
हाल का पढ़ा हुआ; स्वतंत्र (वि०) नया नया हुआ आज़ाद नर्सरी-अं० (स्त्री०) बच्चों और पेड़-पौधों को पालने की नव-II सं० (वि०) 1 आठ से एक अधिक 2 नौ तरह का
जगह। स्कूल (पु०) एक पाठशाला जिसमें शिशुओं को (जैसे-नवरत्न)। ~ग्रह (पु०) सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, पालना और पढ़ना सिखाया जाता है
शुक्र, शनि, राहु एवं केतु ये नौ ग्रह; ~दुर्गा (स्त्री०) नर्सिंग-होम-अं० (प्०) रोगियों के इलाज़ और उनकी देखरेख शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, का केंद्र
कात्यायनी, कालरात्रि, महाकालि और सिद्धिधात्री ये ही दुर्गा के नल-I (पु०) 1 जल कल की टोटी (जैसे-नल बंद कर दो) नौ रूप हैं; ~द्वार (प.) दो आँख, दो कान, नाक के दो छिद्र
2 धातु आदि का वर्तुलाकार पोला लंबा टुकड़ा (जैसे-मकान गुदा और लिंग ये नौ द्वार हैं; निधि (स्त्री०) कच्छप, खर्व, में नल लगवाना)। कूप + सं० (पु०) ज़मीन से पानी नद, नील, पद्म, मकर, महा पद्म, मुकुट, शंक; रत्न निकालने का एक आधुनिक यंत्र, ट्यूबवेल
(पु०) मोती, पन्ना, मानिक, गोमेद, हीरा. लहसुनियाँ, मूंगा, नल-II सं० (पु०) 1 नरकट 2 कमल 3 राम की सेना का एक पद्मराग और नीलम ये नौ रत्न; रस (पु०) साहि० शृंगार, बंदर 4 विदर्भ नरेश की पुत्री दमयंती का पति
करुण, हास्य, रौद्र, वीर, भयानक, वीभत्स, अद्भुत और शांत नलक-सं० (पु०) शरीर की लंबी हड्डी
ये नौ रस; रात्र (पु०) 1 नौ दिनों का समय 2 वसंती नलका-(पु०) 1 ज़मीन से पानी खींचने का एक यंत्र 2 घरों, नवरात्र 3 शारदीय नवरात्र
मकानों में पानी पहुँचाने का नल 3 बड़ी नली, नल नवजवान-फ़ा० (पु०) नवयुवक नला-(पु०) बहुत बड़ा नल
नवधा-सं० (क्रि० वि०) 1 नौ प्रकार से (जैसे-नवधा भक्ति) नलाई-(स्त्री०) - निराई
2 नौ भागों में। ~भक्ति (स्त्री०) श्रवण, कीर्तन, स्मरण, नलिका-सं० (स्त्री०) नल के आकार की वर्तुलाकार पोली एवं अर्चन, वंदन, सख्य, दास, पादसेवन तथा आत्म निवेदन ये नौ लंबी वस्तु, नली
भक्ति-प्रकार नलिन-सं० (पु०) कमल
नवनीत-सं० (पु०) मक्खन, माखन नलिनी-सं० (स्त्री०) कमलिनी
नवम-सं० (वि०) नवाँ नली-(स्त्री०) 1 छोटा एवं पतला नल 2 बंदूक के आगे लगानवमी-सं० (स्त्री०) पक्ष की नवी तिथि धातु का पोला भाग 3 शरीर की मोटी गोल हड्डी। दार . नवल-सं० (वि०) । नया, नवीन 2 अनोखा और बढ़िया फ़ा० (वि०) जिसमें नली लगी हो
3 नव-युवक, जवान 4 उज्जवल, स्वच्छ। किशोर (पु०) नलुआ-(पु०) 1 छोटा नल 2 बाँस की पोर 3 पशुओं का एक कृष्ण रोग
नवसर-(पु०) नौ लड़ियोंवाला हार नल्लिका-(स्त्री०) पतली छोटी नली, पिपेट
नवाँ-(वि०) नौ के स्थान पर पड़नेवाला नवंबर-अं० (पु०) वर्ष का ग्यारहवाँ महीना
नवा-I (वि०) । नया नव-[सं० (वि०) नवीन। गठित + हिं०, ~गढंत - हिं० नवा-II फा० (पु०) 1 आवाज़, शब्द 2 गाना-बजाना, संगीत (वि०) नया गढ़ा हुआ; छात्र (पु०) हाल में ही पढ़ाई नवाई-I (स्त्री०) 1 झुकना, नमन 2 नम्र होना II (स्त्री०) शुरू करनेवाला विद्यार्थी -जागरण (पु०), जागर्ति नयापन, नवीनता III (वि०) नया, नवा (स्त्री०) नवीन चतनाः जाग्रत (वि०) अभी हाल का नवागंतुक-सं० (वि०) नया आनेवाला जागा हुआ; जात (वि०) तुरंत का पैदा हुआ; जीवन नवागत-सं० (वि०) नया आया हुआ (पु०) नया जीवन नई जिंदगी; दंपति (३०) नव विवाहित । नवागता-सं० (स्त्री०) नई आई हुई जोड़ी; नाज़ी अं० (वि०) = नव नाज़ीवादी; निर्माण | नवागमन-सं० (प०) पहली बार आना
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नवाचार
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नसं
नवाचार-सं० (पु०) (बाइबिल का) नया विधान नवोदक-सं० (पु.) 1 वर्षा का पहला जल 2 कुँए से निकला नवाज़-फा० (वि०) कृपा करनेवाला, कृपालु
पहला जल नवाज़िश-फा० (स्त्री०) कृपा, मेहरबानी
नवोदभावना-सं० (पु०) नई कल्पना, विचार, कथन नवाड़ा-बो० (पु०) एक तरह की छोटी नाव
नवोन्मेवी-सं० (वि०) नई-नई चीजें प्रकट करनेवाला नवाना-(स० क्रि०) 1 झुकाना (जैसे-अध्यापक के आगे सिर नव्य-सं० (वि०) 1 नया, नवीन 2 आधुनिक। ता नवाना) 2 नम्र होने के लिए प्रेरित करना
1 नयापन, नवीनता 2 आधुनिकता; ~भारतीय (वि०) नवान-सं० (पु०) 1 नया अन्न 2 हाल में तैयार किया गया आधुनिक भारत का (जैसे-नव्य भारतीय आर्यभाषा) अत्र 3 पितरों के नाम पर बाँटा गया अन्न
नब्बे-(वि०) नब्बे नवाब-अ० (पु०) 1 प्रदेश का प्रधान शासक 2 अंग्रेज़ सरकार नशन-सं० (पु०) नष्ट होना, नाश द्वारा मुसलमान रईसों को प्रदान की गई उपाधि 3 प्रदेश का नशा-फ़ा० (पु०) 1मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न दशा मुसलमान शासक (जैसे-हैदराबाद का नवाब) 4 झूठा प्रभुत्व (जैसे-शराब का नशा) 2 मादक द्रव्य 3 बुरी आदत, लत दिखलानेवाला। जादा + फ़ा० (पु०) 1 नवाब का पुत्र 4 मनोविकार की प्रबलता से उत्पन्न स्थिति, मद (जैसे-जवानी 2 अत्यधिक शौकीन एवं नवाबों की तरह रहनेवाला व्यक्ति; का नशा, दौलत का नशा, प्यार का नशा) 5 मस्ती। --खोर
ज़ादी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) नवाब की बेटी (पु०) नशा करनेवाला व्यक्ति; ~खोरी (स्त्री०) नशेबाज़ी; नवाबी-[ अ० + फ़ा० (वि०) 1 नवाबों का (जैसे-नवाबी ~घर - हिं० (पु०) नशा करने, पीने का स्थान; निषेध शासन) 2 नवाबों के रंग-ढंग जैसा (जैसे-नवाबी शान) II + सं० (पु०) = नशाबंदी; पानी + हिं० (पु०) नशीली (स्त्री०) 1 नवाब होने की अवस्था 2 नवाब का पद 3 नवाबों चीजें खाना-पीना; बंदी (स्त्री०) नशा बंद करना । का शासन-काल
~उतरना 1 नशा दूर होना 2 घमंड चूर होना; किरकिरा नवाभ्युत्थान-सं० (पु०) नए सिरे से उठना
होना नशे के आनंद, मौज-मस्ती में बाधा पड़ना; चढ़ना नवाविष्कृत-सं० (वि०) नया नया आविष्कार किया हुआ नशा होना; छाना मादक द्रव्य का असर होना; टूटना = नवासा-फ़ा० (पु०) बेटी का बेटा, नाती
नशा उतरंना नवासी-फा० + हिं० (स्त्री०) बेटी की बेटी, नतिनी । नशास्ता-फ़ा० (पु०) आटा नवासी-I (वि०) अस्सी से नौ अधिक II (पु०) 89 की - नशीन-फा० (वि०) बैठनेवाला संख्या
नशीला-फ़ा० + हिं० (वि०) 1 नशा करनेवाला, मादक नवाह-[सं० (पु०) चांद्र मास के किसी पक्ष का नया दिन | | (जैसे-नशीला पदार्थ) 2 नशा छाया हुआ, मदहोश (वि०) नौ दिनोंवाला (जैसे-रामायण का नवां पाठ) III नशेबाज़-फा० (पु०) - नशाखोर (पु०) नौ दिनों का समूह । ~पारायण (पु०) नौ दिन तक नशेबाज़ी-फ़ा० (स्त्री०) नशा करना होनेवाला
नशेला-फा० + हिं० (वि०) - नशीला नवीकरण-सं० (पु०) पुनः नया करना
नश्तर-फा० (पु०) चीर-फाड़ करने का चाक नवीकारक-सं० (पु०) नया करनेवाला
नश्वर-सं० (वि०) नाश होनेवाला (जैसे-नश्वर वस्तुएँ, नश्वर नवीन-सं० (वि०) 1 नया, नूतन 2 पहले-पहल बना हुआ शरीर)। ता (स्त्री०) नाश होने की अवस्था (जैसे-नवीन आदर्श) 3 अनोखा। ता (स्त्री०) नयापन, | नष्ट-[ सं० (वि०) 1 चौपट, बर्बाद 2 मरा हुआ 3 निष्फल, नूतनता; ता-वादी (पु०) नई बातों का पक्षधर; --प्राप्त व्यर्थ (जैसे-परिश्रम नष्ट करना) 4 पतित एवं हीन II (पु.) (वि०) नया मिला हुआ
1 नाश, विनाश (जैसे-पदार्थ नष्ट हो गया) 2 तिरोहित होना। नवीनतम-सं० (वि०) बिल्कुल नया
चित्त (वि०) 1 विवेक भ्रष्ट 2 पागल, ~चेत, चेतन नवीनीकरण-सं० (पु०) 1 नया रूप देना 2 अवधि बढ़ाना, | (वि०) बेसध, बेहोश, चेष्ट (वि०) प्रयत्न न कर रिन्युअल
सकनेवाला, चेष्टाहीन; निधि । (१०) दिवालिया II नवीनीकृत-सं० (वि०) नया किया हुआ
(वि०) जिसकी संपत्ति खो चुकी हो; --निधित्व (पु०) निधि नवीयन-सं० (पु०) नया कर देना
का नष्ट हो जानाः --प्राय (वि०) नष्ट होने के करीब पहुँचा नवीस-फ़ा० (वि०) लिखनेवाला
हुआ; बुद्धि (वि०) विवेक भ्रष्ट, प्रज्ञारहित; भ्रष्ट नवीसी-फ़ा० (स्त्री०) लिखाई का काम
(वि०) चौपट, बर्बाद नवेद-फा० (पु०) खुश खबरी
नष्टप्राय-सं० (वि०) लगभग नष्ट नवेखा-(पु०) - नव-युवक (स्त्री० नवेली)
नष्टा-सं० (स्त्री०) 1 चरित्रभ्रष्ट स्त्री, दाचारिणी 2 रंडी, वेश्या नवोहा-सं० (स्त्री०) 1 नौ जवान स्त्री, नव-युवती नष्टात्मा-सं० (वि०) अधम, नीच 2 नव-विवाहिता 3 साहि० लजाशील नायिका, संकोच नष्टार्थ-सं० (वि०) नष्ट निधि, नष्ट धन करनेवाली नायिका
नष्टि-सं० (स्त्री०) नाश नवोत्थान-सं० (पु०) दे० नव-जागरण
नष्टीकरण-सं० (पु०) नष्ट करना नवोत्थित-सं० (वि०) नया-नया उठा हुआ
नष्टेंद्रिय-सं० (वि०) 1 संज्ञाहीन, अचेष्ट 2 बेहोश ग्वाविष्कृत-सं० (वि०) नया नया आविष्कार किया | नस-(स्त्री०) । रुधिर वाहिनी नालका 2 पेशियों को बाँधनेवाला
तंतु। कटा (वि०) नपुंसक। --फड़क उठना प्रसन्नता
हुआ
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नसतालीक़
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की लहर दौड़ना; भड़कना नस का स्थान से इधर-उधर हो जाना; नसेंढीली करना हौसला पस्त करना, बल तोड़ देना; ~नसें ढीली होना हिम्मत पस्त होना, बल टूट जाना नसतालीक़ - I फ़ा० ( पु० ) फ़ारसी एवं अरबी लिपि को साफ़-सुडौल और सुपाठ्य रूप में लिखने का ढंग II (वि०) सुंदर एवं आकर्षक चाल-ढालवाला नसल-अ० (स्त्री०) 1 वंश 2 संतति । परस्त (पु० ) अपनी नसल का पक्षधर; परस्ती + फ़ा० (स्त्री०) अपनी नसल का पक्ष लेना; ~वाद + सं० (पु० ) परस्त; वादी + सं० (वि०) नसल परस्त नसली - अ० (वि०) (अच्छी) नसल का नसवार - ( स्त्री०) सूँघनी, सुँघनी
+ फ़ा०
= नसल
नसवारी - (वि०) नसवार के रंग का, गहरे खाकी रंग का नसहा - (वि०) नसोंवाला
नसाना - I (स० क्रि०) नष्ट करना II (अ० क्रि०) नष्ट होना नसीब - अ० (पु० ) 1 भाग्य, किस्मत, तक़दीर 2 हिस्सा; जला + हिं० (वि०) अभागा, भाग्यहीन; वर + फ़ा० (वि०) भाग्यशाली, खुशकिस्मत आजमाना भाग्य भरोसे काम करना; खुलना, चमकना, जागना भाग्य का उदय होना; टेढ़ा होना बुरे दिन आना; पलटना भाग्य का परिवर्तन होते रहना; फूट जाना ~सो जाना तक़दीर बिगड़ना; में लिखा होना तक़दीर में बदा होना; लड़ना भाग्य का साथ देना; होना मिलना, प्राप्त होना नसीर - अ० ( पु० ) 1 मदद करनेवाला 2 ईश्वर नसीला-फ़ा० + हिं० बो० (वि०) नशीला नसीहत- अ० (स्त्री०) 1 अच्छी शिक्षा, सम्मति 2 सदुपदेश नसूड़िया - (वि०) 1 नासूर संबंधी 2 अत्यंत उग्र, भीषण 3 अमांगलिक
नस्त-सं० (पु० ) 1 नाक 2 नसवार
नस्तक - सं० ( पु० ) 1 पशुओं की नाक में किया गया छेद 2 नाक का छेद
नस्ता - (स्त्री०) नाक का छेद
नस्तालीक़ फ़ा० (पु० ) नसतालीक़ नस्तित - I सं० (वि० ) 1 नाथ पहनाया हुआ 2 नत्थी किया हुआ II (पु० ) नाथा हुआ बैल
नस्ति-पंजी-सं० (स्त्री०) तार, टीन की पत्ती आदि में फँसाकर काग़ज़ पत्र को एक जगह रखने की पंजी, फाइल नस्य - सं० ( पु० ) 1 सुँघनी, नसवार 2 नाक के रास्ते दिमाग में चढ़ाई जानेवाली औषध, दवा
नस्यासं० (स्त्री०) 1 नाक 2 नाक का छेद
= नसल
नस्ल - अ० (स्त्री०) नह - ( पु० ) नाखून, नख नहन - ( पु० ) मोटी रस्सी, नार नहन्त्री-बो० (स्त्री०) नहर - अ० (स्त्री०) कृत्रिम जल मार्ग (जैसे- नहर में पानी नहीं है)
=
नहरनी
नहरनी - ( स्त्री०) नाखून काटने का छोटा उपकरण नहरी - I अ० (वि०) नहर संबंधी II (स्त्री०) नहर के पानी से सींचने योग्य भूमि
नहला - ( पु० ) नौ बूटियोंवाला ताश का पत्ता
नाक
नहलाई - (स्त्री०) 1 नहलाना 2 नहलाने का पारिश्रमिक नहलाना- (स० क्रि०) स्नान कराना
नहान - ( पु० ) 1 नहाना 2 नहाने का शुभ पर्व (जैसे- संक्राति का नहान)
नहाना (स० क्रि०) 1 स्नान करना 2 तरल पदार्थ से सराबोर हो जाना, लथपथ होना
नहार - ( वि० ) 1 निराहार 2 बासी मुँह । मुँह ( क्रि० वि०) बासी मुँह । ~ तोड़ना जलपान करना नहारी - ( स्त्री०) 1 सबेरे का जलपान, नाश्ता 2 नौकरों को जलपान के बदले दिया जानेवाला धन
नहीं - ( क्रि० वि०) असहमति, विरोध आदि प्रकट करनेवाला शब्द (जैसे- ऐसा नहीं होगा )
नहूसत - अ० (स्त्री०) मनहूसियत, मनहूसी
नाँधना - (स० क्रि०) बो० लाँघना (जैसे- दीवार नाँघना) नोंद - (स्त्री०) चौड़े मुँह का गोल पेंदेवाला मिट्टी, पत्थर आदि का बना पात्र (जैसे- नाँद में गाय को चारा डाल दो ) नांदी -सं० (स्त्री० ) 1 धन-संपत्ति, समृद्धि 2 अभ्युदय 3 मंगलाचरण (जैसे- नाँदी-पाठ)। पाठ (पु०) नाटक में
प्रस्तावना का पाठ नाँधना - (स० क्रि०) = नाधना
ना - ( क्रि० वि०) निषेधसूचक एक शब्द (जैसे-मैंने उसे ना कर दिया)
नाइट सूट - अं० (पु० ) सोने की पोशाक नाइटी अं० (स्त्री०) सोने का ड्रेस नाइट्राइट -अं० (पु० ) शोरे के अम्ल का तीन संयोजकवाला
नमक
नाइट्रेट - अं० (पु० ) शोरे के अम्ल का दो संयोजकवाला नमक नाइट्रोजन अं० (पु० ) रंग, स्वाद एवं गंध से रहित वायुमंडलीय एक गैस
नाइन - ( स्त्री० ) 1 नाई जाति की स्त्री 2 नाई की स्त्री नाइब - अ० (पु० )
नायब
नाइलन -अं० (पु० ) एडीपिक अम्ल एवं हेक्सामेथिलीन डायमीन के संयोग से प्राप्त एक यौगिक जिसे रासायनिक विधि
द्वारा नाइलॉन के धागे का रूप देते हैं (जैसे- नाइलन का मोज़ा) नाई - I (स्त्री०) समान दशा II ( क्रि० वि०) 1 समान, तुल्य 2 की तरह, जैसे 3 वास्ते, लिए
नाई - II ( पु० ) हज्जाम (जैसे-नाई से बाल कटवाना) नाउ - (स्त्री०) नाव
नाउन बो० (स्त्री०) नाइन
=
नाउम्मेद-फ़ा० (वि०) निराश नाउम्मेदी-फ़ा० (स्त्री०) निराशा नाऊ बो० (पु० ) नाई नाक - I (स्त्री०) 1 साँस लेने एवं सूँघने की इंद्रिय (जैसे-नाक से खून बहना) 2 नाक से निकलनेवाला गंदा तरल पदार्थ (जैसे- नाक बहना) 3 गौरव, सम्मान की बात (जैसे-उन्होंने मेरी नाक बचा ली, नाकदार आदमी ) II ( पु० ) 1 मंगर 2 घड़ियाल । ~कान (पु०) नाक और कान ( इज़्ज़त के प्रतीक); ~ नक्शा + अ० (पु० ) अंगों की बनावट, भौं (स्त्री०) गुस्से का रूप । ~कटना इज़्ज़त जाना, मर्यादा नष्ट होना; ~ काटना इज़्ज़त बिगाड़ना, प्रतिष्ठा नष्ट करना; का
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नाकड़ा
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नाच
बाल अत्यंत प्रिय; ~की सीध में ठीक सामने; घिसना उपदेवता 5 अत्यंत क्रूर एवं दुष्ट व्यक्ति। दंत (पु०) दे० नाक रगड़ना; चढ़ना गुस्से में नथनों का ऊपर की ओर 1 हाथी दाँत 2 दीवार पर गड़ी खूटी; नाथ (पु०) शेषनाग, खिंचना; चढ़ाना 1 गुस्से में नथनों को ऊपर खींचना 2 घृणा नागराज; ~पंचमी (स्त्री०) नाग की पूजा करने का श्रावण ज़ाहिर करना; छेदना परेशान करना; तक खाना शुक्ला पंचमी का दिन; ~पाश (पु०) 1 साँप के समान लूंस-ठूसकर खाना तक भरना 1ऊपर तक भरना लपेटकर बांधनेवाला वरुण का एक अस्त्र 2 साँप का फंदा 2 डूंस-ठूसकर खाना; तक न दी जाना असह्य दुर्गंध 3 डोरी आदि का फंदा (जैसे-नाग-बंध); --फनी + हिं० मालूम होना, तीव्र दुर्गंध आना; ~पकड़ते दम निकलना (स्त्री०) 1 साँप के फन के आकार का गूदेदार काँटों से भरा अत्यधिक अशक्त होना; ~पर गुस्सा होना बहुत जल्दी एक पौधा 2 नागफनी के आकार की एक कटार; ~फाँस + गुस्सा होना; पर दीया बालकर आना 1 जीतकर आना हिं० (स्त्री०) = नाग-पाश; ~फेन (पु०) 1 नाग झाग 2 सफल होकर आना; ~पर मक्खी न बैठने देना 1अत्यंत 2 अफ़ीम; ~मुख (पु०) गणेश; ~राज (पु०) शेषनाग; सावधान रहना 2 रंच मात्र भी कृतज्ञ न होना 3 बहुत ~लोक (प्०) नागों का देश, पाताल, ~वल्ली (स्त्री०) पाक-साफ़ रहना; पर सुपारी तोड़ना बहुत परेशान करना; पान की लता
फटने लगना दे० नाक तक न दी जाना; ~भौं चढ़ाना, नागन-(स्त्री०) -- नागिन भौं सिकोड़ना 1 गुस्सा दिखाना, नाराज़ होना 2 घृणा प्रकट नागर-[ सं० (वि.) 1 नगर का 2 नगर में रहनेवाला 3 चतुर करना; ~में दम करना खूब तंग करना ~में बोलना होशियार 4 नगर से संबंध रखनेवाला II (पु०) 1 नगर में नकियाना; रख लेना इज्जत बचाना; रगड़ना रहनेवाला व्यक्ति, नागरिक 2 सभ्य पुरुष 3 गुजराती ब्राह्मणों आरजू-मिन्नत करना, गिड़गिड़ाना; लगाकर बैठना की एक जाति। ~ता (स्त्री०) 1 नागरिकता, शहरातीपन इज्जतदार बनकर बैठना; सिकोड़ना घृणा प्रकट करना; 2 शिष्टता, सभ्यता 3 चालाकी, चतुरता नाकों चने चबवाना अत्यधिक परेशान करना; नाकों दम नागर-बेल-(स्त्री०) पान की बेल करना = दे० नाक में दम करना
नागरिक-I सं० (वि०) 1 नगर का रहनेवाला 2 चतुर, नाकड़ा-(पृ०) नाक पकने का एक रोग
चालाक || (पु०) 1 नगरवासी2 राज्य का वह निवासी जिसे नाक़बूल-फा० + अ० (वि०) अस्वीकार
राज्य में रहने, व्यापार आदि करने का अधिकार प्राप्त हो, राज्य नाका-(पु०) 1 थाना, चौकी 2 मुहाना 3 रास्ते आदि का मोड़ का अधिकार प्राप्त निवासी, सिटिजन। ता (स्त्री०) 4 प्रवेश द्वार 5 पहरा देने का स्थान । ~बंदी + फ़ा० (स्त्री०) 1 नागरिक होने की अवस्था 2 नागरिक होने पर प्राप्त 1 नाके पर पहरा बैठाना 2 अवरोध, रुकावट
अधिकार; ~शास्त्र (पु०) नागरिकों के अधिकारों, देश नाकाफ़ी-फ़ा० + अ० (वि०) कम
संबंधी विचारों एवं कर्तव्यों से संबंध रखनेवाला शास्त्र, नाक़ाबिल-फ़ा० + अ० (वि०) अयोग्य
सिविक्स नाकाम-फ़ा० (वि०) ख़राब
नागरिका-सं० (स्त्री०) नागरिक महिला नाकामयाब-फा० (वि०) असफल, विफल
नागरी-सं० (स्त्री०) 1 नगर की रहनेवाली स्त्री, शहर की औरत नाकामयाबी-फ़ा० (स्त्री०) असफलता, विफलता
2 चतुर स्त्री 3 पशु आदि की मादा (जैसे-नाग-नागरी) नाकारा-फ़ा० (वि०) 1निकम्मा 2 निष्कर्म
4 देव-नागरी नामक लिपि (जैसे-नागरी-लिपि); -लिपि नाकारी-फ़ा० (वि०) 'न' करनेवाला
(स्त्री०) संस्कृत, हिंदी, मराठी भाषा लिखने की देवनागरी नाक़िस-अ० (वि०) 1 खराब, बुरा 2 निकम्मा
लिपि की वर्णमाला नाकेदार-1 हिं० + फ़ा० (वि०) छेदवाला II (पु०) नाके पर | नागरेयक-सं० (वि०) 1 नगर में उत्पन्न 2 नागरिक संबंधी तैनात सिपाही
(जैसे-नागरेयक अधिकार) नाकेबंदी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) = नाकाबंदी
नागवार-फा० (वि०) अप्रिय, अरुचिकर नाक्षत्र-I सं० (वि०) नक्षत्र संबंधी (पु०) चांद्र मास । नागहाँ-फ़ा० (क्रि० वि०) 1 एकाएक, अचानक 2 कुसमय में
मास (पु०) चंद्रमा का सभी नक्षत्रों पर एक बार घूमने में | नागहानी-फ़ा० (वि०) अचानक उपस्थित होनेवाला लगा समय
नाग़ा-(पु०) शैव संप्रदाय का साधू, नंगा रहनेवाला साधू नाखूना-फा० (पु०) चि० 1 आँख का एक रोग जिसमें आँख नागा-(पु०) 1 अवकाश 2 व्यतिक्रम में सफेद झिल्ली पड़ जाती है 2 आँख के तल पर खून का दाग नागिन-(स्त्री०) 1 नाग जाति की स्त्री 2 नाग की मादा 3 क्रूर होने का रोग
एवं दुष्ट स्वभाव की स्त्री । नाखुश-फा० (वि०) अप्रसन्न, नाराज़। गवार (वि०) नागेंद्र-सं० (पु०) । वासुकि 2 बहुत बड़ा साँप 3 बहुत बड़ा अप्रिय, अप्रीतिकर
हाथी 4 ऐरावत नाखुशी-फ़ा० (स्त्री०) अप्रसनता, नाराज़गी
नागौरा-(वि०) 1 नागौर नगरी से संबंद्ध 2 अच्छी नस्ल का नाखून-फा० (पु०) 1 उंगलियों के ऊपरी तल का सफेद एवं नाच-(पु०) 1 संगीत का एक विशेष अंग जिसमें कलात्मक
कड़ा आवरण 2 पशुओं के पैरों का अगला कड़ा भाग, खुर की __ढंग से हाव-भाव का प्रदर्शन होता है, कला ढंग से हाव-भाव बढ़ी हुई कोर। पालिश + अं० (स्त्री०) नेल पालिश | प्रदर्शन करते हुए नाचना 2 कौतुक पूर्ण विलक्षण गतियाँ। नाग-सं० (पु०) 1 साँप, सर्प 2 काले रंग का बड़ा और | -कूद (स्त्री०) 1 रह-रहकर नाचना-कूदना 2 नाच-तमाशा; फनवाला साँप, करैत 3 हाथी 4 पाताल में रहनेवाला एक | गान (पु०) नाचना-गाना; ~घर (पु०) नृत्यशाला;
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नाचना
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नातमाम
~महल + अ० (पु०) नाचने-गाने का स्थान; रंग + सं० नाज़ो-फ़ा० (स्त्री०) 1 नाज़ नखरे दिखानेवाली स्त्री 2 कोमल (पु०) 1 नाच-गाने से युक्त जलसा 2 आमोद-प्रमोद | और प्यारी स्त्री ~काछना नाचने को तैयार होना; दिखाना उछल-कूद नाट-सं० (पु०) 1 नृत्य, नाच 2 नकल, स्वाँग मचाना; ~नचाना 1 परेशान करना 2 इच्छा के अनुसार काम नाटक-सं० (पु०) 1 साहि० रंगमंच पर अभिनय की जा सकने कराना
योग्य रचना 2 अभिनय, ड्रामा 3 रूपक 4 नट। कार नाचना-(अ० क्रि०) 1 मनमाने ढंग से उछलना-कूदना 2 नृत्य (पु०) नाटक लिखनेवाला; गृह, घर + हिं० (पु०) - 3 कलात्मक ढंग से अंग संचालन एवं उसका विकसित रूप नाटकशाला; ~टोली + हिं०, मंडली (स्त्री०) नाटक 4 पदार्थ का चक्राकार गति में आना जाना (जैसे-लट्ट नाचना) करनेवालों का समूह; रचना (स्त्री०) नाटक लिखना, 5 रह-रहकर जल्दी इधर-उधर आना-जाना (जैसे-वह कई नाटक बनाना; रचयिता (पु०) = नाटककार; ~शाला दिनों से नौकरी के लिए नाच रहा है) 6 गति में होना (पु०) नाटक खेलने का स्थान; समिति (स्त्री०) नाटक (जैसे-हवा चलने से दीपक की लौ नाचती सी जान पड़ती है) मंडली 7 कहने के अनुसार आचरण करना (जैसे-किसी के इशारे पर | नाटकत्व-सं० (पु०) नाटकीय होने का भाव नाचना)
नाटकिया-सं० + हिं० (पु०) 1 अभिनय करनेवाला नाचाकी-फ़ा० + तु० + फ़ा० (स्त्री०) 1 अनबन 2 मनमुटाव, 2 बहरूपिया वैमनस्य
नाटकी-I सं० (पु०) नाटक करके जीविका चलानेवाला नाचार-फा० (वि०) 1 लाचार, विवश 2 तुच्छ, व्यर्थ व्यक्ति, नाटकिया II (वि०) नाटकीय III (स्त्री०) इंद्रसभा नाचीज़-फ़ा० (वि०) 1 तुच्छ और हीन 2 रद्दी
नाटकीय-सं० (वि०) 1 नाटक संबंधी, नाटक का 2 कुशलता नाज-बो० (पु०) 1 अनाज, अन्न 2 भोजन सामग्री
एवं चतुरतापूर्वक किया जानेवाला (जैसे-नाटकीय ढंग से) नाज़-फा० (पु०) 1 नखरा, ठसक, चोचला, विलास-चेष्टा | नाटना-(अ० क्रि०) नटना 2 लाड़-प्यार एवं सम्मान के साथ की गई देखरेख (जैसे-नाज़ों नाटा -(वि०) छोटे क़द का (जैसे-नाटा आदमी) में पला बच्चा) 3 प्रशंसात्मक अभिमान, गर्व (जैसे-मुल्क़ पर | नाटित-I सं० (वि०) अभिनय किया हआ, अभिनीत II नाज़ करना)। ~अदा + अ० (स्त्री०) नाज़ नखड़ा; | (पु०) अभिनय
नखरा (पु०) हाव-भाव, मोहक-चेष्टा; --नी I (स्त्री०) | नाटो-बो० (स्त्री०) छोटे कद की लड़की, बौनी लड़की रूपवती स्त्री, सुंदर स्त्री || (वि०) सुंदर; ~बरदार (पु०) | नाट्य-सं० (पु०) 1 अभिनय कर्म 2 स्वाँग करना 3 नट का नाज़ बर्दाश्त करनेवाला व्यक्ति, आशिक, प्रेमी; बरदारी काम। ~कला (स्त्री०) अभिनय कला; -कला-प्रेमी (स्त्री०) नखरे सहन करना
(पु०) नाटक पसंद करनेवाला व्यक्ति; कार (पु०) = नाज़ॉ-फ़ा० (वि०) गर्वित
नाटककार; ~कारिता (स्त्री०) = नाटक रचना; ~धर्मी नाजायज़-फ़ा० + अ० (वि०) अनुचित, अनुपयुक्त (वि०) नाटक खेलने का व्यवसायी; ~~मंच (पु०) रंगमंच नाज़िम-अ० (पु०) 1 प्रबंध करनेवाला अधिकारी, प्रबंधकर्ता ~मंदिर (पु०) = नाटक शाला; रचना (स्त्री०) = 2 लिपिकों का प्रधान अधिकारी 3 मंत्री, सेक्रेटरी
नाटक रचयिता (पु०) = नाटककार; रूपांतर नाज़िम्मेवार-फ़ा० + अ० । फ़ा० (वि०) गैरज़िम्मेदार । (पु०) किसी कृति का नाटक के रूप में बदलना; लेखन नाज़िर-1 अ० (वि०) 1 देखनेवाला, दर्शक, देख-रेख (पु०) = नाटक रचना; ~शाला (स्त्री०) अभिनय मंच करनेवाला, निरीक्षक || (पु०) लिपिकों का प्रधान युक्त भवन, रंगशाला; ~शास्त्र (पु०) नाचने, गाने एवं
अभिनय कला से संबंध रखनेवाला शास्त्र नाज़िल-अ० (वि०) 1 अवतार लेनेवाला, अवतरित 2 आया | नाट्यागार-सं० (पु०) = नाटकशाला हुआ
नाट्यात्मक-स० (वि०) नाटकवाला नाज़ी-[ अं० (पु०) 1 जर्मनी का प्रसिद्ध राजनीतिक दल 2 इस नाट्योक्ति-सं० (स्त्री०) नाटकीय वाक्य विन्यास दल का सदस्य II (वि०) अत्यंत क्रूर
नाट्योचित-सं० (स्त्री०) अभिनय योग्य नाज़ुक-फा० (वि०) 1 कोमल, सुकुमार 2 पतला, महीन नाठ-(पु०) 1 नाश, ध्वंस 2 अभाव, कमी 3 लावारिस 3 गूढ़ और सूक्ष्म 4 जल्दी टूटनेवाला (जैसे-नाजुक पदार्थ)
जायदाद 5 संकट पूर्ण (जैसे-नाजुक समय)। ख्याली (स्त्री०) | नाठा-(पु०) लावारिस सूक्ष्म कल्पना; -दिमारा + अ० (वि.) 1 जल्द प्रभावित | नाड़-(स्त्री०) 1 गर्दन 2 नाल होनेवाला 2 बात-बात पर बिगड़नेवाला, चिड़चिड़ा; बदन नाड़ा-(पु०) इज़ारबंद (जैसे-पायजामे का नाड़ा)। + अ० (वि०) सुकुमार शरीरवाला, कोमलांग; मिज़ाज खोलना संभोग हेतु उद्यत होना अ० (वि०) 1 अत्यंत कोमल एवं मृदु प्रकृतिवाला 2 दे० नाड़ी-सं० (स्त्री०) 1 नली 2 रक्त वाहिनी शिराएँ 3 कलाई पर नाजुक दिमाग़
की नाड़ी (जैसे-डॉक्टर को नाड़ी दिखाना)। परीक्षा नाजुकी-फा० (स्त्री०) 1 सुकुमारता, कोमलता 2 गूढता एवं
(स्त्री०) नाड़ी की जाँच; ~मंडल (पु०) विषुवत रेखा; सूक्ष्मता 3 बारीकपन
~व्रण (पु०) नासूर। नाज़ेब-फा० (वि०) 1 बेमेल, अनुपयुक्त 2 भद्दा, कुरूप | नात-बो० (पु०) 1 नाता, संबंध 2 नातेदार, रिश्तेदार 3 अश्लील
नातमाम-फा० + अ० (वि०) 1 अपूर्ण 2 अधूरा
अधिकारी
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नातरफ़दार
नातरफ़दार- फा०
नातवाँ - फ़ा० (वि०) अशक्त, दुर्बल नातवानी-फा० (स्त्री०) 1 अशक्तता 3 वैवाहिक संबंध
अ० + फ़ा० (वि०) नित्र्यक्ष
नाता - ( पु० ) पारिवारिक संबंध, रिश्ता अ० (वि०) नातवाँ
+
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नाताक़त-फ्रा० +
नातिदूर-सं० (वि०) बहुत दूर नहीं, निकट
नातिन - (स्त्री०) लड़की की लड़की
नाती - (पु०) लड़की का लड़का
नाते - ( क्रि० वि०) 1 संबंध के विचार से, संबंध से 2 संबंध के बहाने 3 लिए, वास्ते । दार फ़ा० (वि०) रिश्तेदार, संबंधी दारी + फ़ा० (स्त्री०) रिश्तेदारी, संबंध; रिश्ते फ़ा० (पु०) संबंध
नाथ - I सं० ( पु० ) 1 स्वामी, प्रभु (जैसे- विश्वनाथ, देवनाथ ) 2 अधिपति मालिक 3 स्त्री का पति 4 गोरखपंथी संप्रदाय (जैसे- आदिनाथ के अनुयायी) 5 इन साधुओं के नाम के अंत में लगनेवाली उपाधि (जैसे- मत्स्येंद्रनाथ ) । पंथ (पु० ) कनफटे जोगियों का मत पंथी (वि०) नाथ पंथ का अनुयायी
नाथ - II ( स्त्री० ) 1 नाथना 2 नाथने की ररसी
नाथना - (स० क्रि०) 1 नथने में छेद करना (जैसे-ऊँट नाथना) 2 नथने में हुए छेद में रस्सी पहनाना 3 नत्थी करना 4 लड़ी रूप में गूँथना नाद-सं० (पु० ) आवाज़, शब्द (जैसे-भीषण नाद) । ~विद्या (स्त्री०) संगीत ; ~विधान (पु० ) संगीत के नियम; ~ सौंदर्य (पु०) संगीत का सौंदर्य
नादमय - सं० (वि०) शब्दयुक्त, ध्वनियुक्त
नादात्मक सं० (वि०) नादवाला नादान फ़ा० (वि०) 1 नासमझ 2 अनाड़ी नादानिस्ता-फ़ा० ( क्रि० वि०) 1 बिना समझे हुए 2 अनजान में
नादानी - फ़ा० (स्त्री०) 1 अकुशलता, अनाड़ीपन 2 मूर्खता नादार - फ्रा० (वि० ) अत्यंत निर्धन, कंगाल
नादारी - फ़ा० (स्त्री०) निर्धनता, गरीबी नादित - सं० (वि०) 1 ध्वनियुक्त 2 शब्द करता हुआ 3 गूँजता हुआ
नादिम - अ० (वि०) 1 लज्जित, शर्मिंदा 2 पश्चाताप करनेवाला नादिया - ( पु० ) 1 नंदी 2 विकृत अंगवाला बैल नादिर - अ० (वि०) 1 विचित्र, विलक्षण 2 उत्तम, श्रेष्ठ नादिरशाही - I (स्त्री०) 1 नादिरशाह का अत्याचार 2 बर्वरता एवं निर्दयतापूर्ण आचरण II (वि०) नादिरशाह के समान उग्र एवं कठोर (जैसे - नादिरशाही हुक्म )
नादिहंद - फ़ा० (वि०) लिया हुआ धन आदि जल्दी न वापस करनेवाला
+
2 सामान्य संबंध
नादिहंदी - फ़ा० (स्त्री०) जल्दी वापस न करना नादी-सं० (वि०) 1 शब्द संबंधी 2 शब्द करनेवाल 3 बजानेवाला
नाधना - (स० क्रि०) 1 नाथना 2 आरंभ करना 3 ठानना नान - फ़ा० (स्त्री०) 1 बड़ी और मोटी रोटी 2 खमीरी रोटी। ~ख़ताई (स्त्री०) 1 मीठा खस्ता 2 मीठी खस्ता रोटी;
नाबालिग
बाई
+
हिं० (पु० ) नान बेचनेवाला व्यक्ति
नानक पंथी - (पु० ) नानक पंथ को माननेवाला, नानक पंथ का
अनुयायी
नानकार - फ़ा० (स्त्री०) सेवक को जीविका हेतु पुरस्कार में दी गई ज़मीन
नानस्टाप - अं० (वि०) बिना रुके चलनेवाला नाना - I (पु०) माँ का पिता, मातृपिता नाना-II
सं० (वि०) 1 अनेक प्रकार के 2 अनेक । जातिक (वि०) अनेक जाति के रूप (वि०) नानाकार; रूपात्मक (वि०) अनेक रूपवाला; वर्ण (वि०) अनेक रंग के
नाना - III (स० क्रि०) बो० 1 नवाना, झुकाना 2 घुसाना 3 अंदर रखना 4 पूरा करना नानाकार-सं० (वि०) 1 अनेक आकारवाला 2 बहुविध नानात्मवाद-सं० (पु०) यह मत कि प्रत्येक व्यक्ति की आत्मा विश्वात्मा से अलग हैं
नानात्व-सं० (पु०) विविधता, अनेकता
नानार्थ-सं० (वि०) 1 अनेक अर्थोंवाला 2 अनेक कामों में काम आनेवाला
नानिहाल - ( पु० ) ननिहाल
नानी - (स्त्री०) माँ की माँ, मातामही । मरना अत्यधिक उदास होना
नानुकर, नानुक्कड़ - (पु०) 'नहीं' 'नहीं' कहना, मना करना ना-नू - (स्त्री०) इनकार
नान्येतर -सं० (क्रि० वि०) और जगह नहीं, यहीं नान्ह - (वि०) 1 नन्हा, छोटा 2 हीन वंश का 3 महीन, बारीक नाप - (स्त्री०) 1 नापना 2 वस्तु का नापने से प्राप्त परिमाण, माप
(जैसे- इस ज़मीन की नाप 100 मीटर है) 3 इकाई रूप में निश्चित परिणाम (जैसे कपड़े की नाप 36 इंच है) 4 इकाई का मानक पात्र (जैसे- दूध नापने का नपना) । काट (स्त्री०) नापना काटना ; जोख, तौल (स्त्री०) 1 नापना और तौलना 2 नापकर या तौलकर निर्धारित की गई मात्रा नापना- (स० क्रि०) मानदंड के अनुसार पदार्थ के विस्तार,
परिमाण, मात्रा आदि का निर्धारण करना (जैसे-कुएँ की गहराई नापना, खेत की लंबाई नापना, दूध नापना) नापसंद -फ़ा० (वि० ) अप्रिय होना नापसंदगी-फ़ा० (स्त्री०) अप्रिय नापाक़ फ़ा० (वि०) अपवित्र, अशुद्ध नापायदार-फ़ा० (वि०) 1 अधिक समय तक न चलनेवाला 2 अविश्वसनीय (जैसे- नापायदार जिंदगी) नापास हिं० + अं० (वि०) 1 अस्वीकृत 2 अनुत्तीर्ण नापित सं० (पु०) नाई, हज्जाम नापित्य -सं० (पु०) नाई का काम
नापैद - फ़ा० (वि०) 1 अजन्मा 2 जो उत्पन्न न हुआ हो नाफ़-फ्रा० (स्त्री०) 1 नाभि 2 केंद्र नाफरमानी-फ़ा० (स्त्री०) आज्ञा न मानना नाफ़ा - फ्रा० (पु० ) 1 मृगनाभि 2 कस्तूरी
नाबदान - फ़ा० (पु०) पनाला, नाली। ~में मुँह मारना घृणित एवं निंदनीय काम करना नाबालिग-फ्रा०
+
अ० (वि०) 1 अवयस्क 2 विधि द्वारा
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नाबालिगी
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नामावली
निर्धारित वयस्कता की उम्र से कम। पन + हिं० (पु०) = ~करना मशहूर होना; ~के लिए करना मर्यादा की रक्षा नाबालिगी
हेतु करना, ल्को मरना कीर्ति हेतु प्रयत्न करना; चमकना नाबालिगी-फा० + अ० + फा० (स्त्री०) अवयस्कता मशहूर होना, यश फैलना; चलना अस्तित्व बना रहना; नाबूद-फा० (वि०) 1 अस्तित्वहीन 2 गायब, लुप्त 3 बर्बाद, ~डुबाना मर्यादा नष्ट करना; तक मिट जाना कुछ भी विध्वस्त
चिह्न शेष न रहना; ~पर बैठना धैर्यपूर्वक बैठे रहना; पर नाभि-सं० (स्त्री०) 1 तुंदी, धुत्री 2 कस्तूरी पहिए के बीच का मरना मान रक्षा हेतु बहुत कुछ सहना; पाना प्रसिद्ध होना;
धुरा, पहनाया जानेवाला गड़ढा, नाह। नाड़ी, नाला बदनाम करना कलंक लगाना; ~भर बाकी रहना यश (स्त्री०) गर्भकाल में माता की रसवहा नाड़ी से जुड़ी नाभि की रूप में केवल स्मृति शेष रह जाना; लगना दोष लगना; नाड़ी
~लगाना दोषारोपण करना, कलंक लगाना नाभिक-सं० (पु०) परमाणु का केंद्रीय भाग
नामक-सं० (वि०) नाम का, नामवाला नाभिकीय-सं० (वि०) केंद्रक, केंद्रकीय
नामज़द-फा० (वि०) 1 नामांकित करना 2 मनोनीत 3 प्रसिद्ध, नाभिल-सं० (वि०) उभरी हुई नाभि वाला
ख्याति नाभील-सं० (पु०) 1 नाभि का गड्ढा 2 स्त्रियों की कमर के नामज़दगी-फा० (स्त्री०) 1 नामांकित करना, नामांकन नीचे का भाग
2 मनोनीत करना । ~अफ़सर + अं० (पु०) नामांकन नामंजूर-फा० + अ० (वि०) अस्वीकृत
अधिकारी नामंजूरी-फा० + अ० + फ़ा० (स्त्री०) अस्वीकृति नामतः-सं० (क्रि० वि०) नाम से नाम-(पु०) 1 वस्तु, प्राणी आदि का बोध सूचक शब्द, संज्ञा | नामदार-फ़ा० (वि०) नामवर, प्रसिद्ध (जैसे-इस फल का नाम आम है) 2 प्रसिद्धि 3 धाक 4 इज्ज़त
नामधेय-[ सं० (वि०) नामवाला II (पु०) 1 नाम (जैसे-आपने बहुत नाम कमाया) 5 यादगार 6 कुल 2 नामकरण (जैसे-पूर्वजों का नाम अब नहीं रहा)। ~कटा (वि०) नामन-सं० (पु०) नामांकन करना। ~कर्ता (पु०) नामांकन जिसका नाम कटा हो; करण + सं० (पु०) नाम रखना; करनेवाला
~करण संस्कार + सं० (पु०) नाम रखने की रस्म; ~कर्म नाम-निशान-फा० (पु०) पता-ठिकाना, चिह्न (जैसे-नाम सं० (पु०) - नामकरण; ~कीर्तन + सं० (१०) ईश्वर के निशान का पता लगाना) नाम का उच्च स्वर में जाप करना; ~कोश + सं० (पु०) = नाम-निहाद-फ़ा० (वि०) नाम मात्र का नाममाला; ~~गोत्रहीन + सं० (वि०) बिना नाम और गोत्र नामर्द-फ़ा० (वि०) 1 नपुंसक 2 कायर, भीरु का; ~ग्रहण + सं० (पु०) नाम धारण करना; ~ग्राम + नामर्दी-फ़ा० (स्त्री०) 1 नपुंसकता 2 कायरता, भीरुता सं० (पु०) नाम-गाँव , पता-ठिकाना; बाक़ी (स्त्री०), नामवर-फा० (वि०) अति प्रसिद्ध ~शेष (पु०) खाते में बैंक को देने की राशि; तालिका + नामवरी-फ़ा० (स्त्री०) प्रसिद्धि सं० (स्त्री०) = नामपट्ट; ~धराई (स्त्री०) 1 नाम रखना नामांक-I सं० (पु०) लिखित नामों पर लगाई संख्या || 2 नाम रखने का पारिश्रमिक; ~धातु + सं० (स्त्री०) संज्ञा से (वि०) नामांकित बनी क्रिया धातु (जैसे-हथियाना, लतियाना); ~धाम + सं० नामांकन-सं० (पु०) 1 नाम अंकित करना 2 नाम प्रस्तावित (पु०) = नामग्राम; ~धारक + सं०, ~धारी (वि०) नाम करना 3 आधिकारिक रूप से नियुक्त किया जाना, नामिनेशन । मात्र का; निर्दिष्ट + सं० (वि०) नाम से संकेत किया पत्र (पु०) वह पत्र जिसमें चुनाव में उम्मीदवार के रूप में हुआ; निर्देशन + सं०० (पु०) नाम से संकेत करना; खड़े होनेवाले व्यक्ति द्वारा अपनी योग्यता आदि का विवरण -निर्देश पत्र + सं०, पट्ट + सं० (पु०) नाम, संस्था देकर चुनाव अधिकारी को दिया जाता है आदि का नाम लिखने का तख्ता, साइनबोर्ड; ~पत्र + सं० नामांकित-सं० (वि०) 1जिस पर नाम अंकित किया गया हो (पु०) नाम लिखी काग़ज़ की पर्ची, लेबल, ~पत्रित + सं० 2 जिसका नामांकन हुआ हो, नामज़द, नामिनेटेड 3 प्रसिद्ध (वि०) नाम पत्र लगाया हुआ; बोला (पु०) ईश्वर का नामांतर-सं० (पु०) 1 दूसरा नाम 2 उपनाम जाप करनेवाला व्यक्ति; ~मात्र + सं० (क्रि० वि०) कहने नामांतरण-सं० (पु०) 1 नाम बदलना 2 रजिस्टर में दूसरे का भर को, अत्यल्प ~माला + सं० (स्त्री०) राशि (स्त्री०) | नाम चढ़ाना 1 एक ही नाम के व्यक्ति; -लिखाई (स्त्री०) 1 नाम नामाकूल-फ़ा० + अ० (वि०) 1 अनुपयुक्त, अनुचित लिखाना 2 नाम लिखाने का शुल्क; लेखन शुल्क + सं० 2 बेढंगा, बेढब 3 अयोग्य (पु०) नाम लिखने का शुल्क; लेवा (पु.) 1 मृतक को नामात्मक-सं० (वि०) नामवाला याद करनेवाला व्यक्ति 2 संतान, औलाद; ~वर्जित + सं० नामानिगार-फा० (पु०) संवाददाता (वि०) 1 नामहीन 2 मूर्ख; ~वाचक - सं०1 (वि०) नाम नामानुक्रमणिका-सं० (स्त्री०) नाम तालिका बतलानेवाला II (पु०) व्यक्तिवाचक संज्ञा; ~शेष + सं० नामापराध-सं० (पु०) सम्मानित व्यक्ति का नाम लेकर (वि०) 1 अस्तित्वहीन 2 ध्वस्त 3 मृत; ~सूची + सं० | अनुचित शब्दों का प्रयोग करना, सम्मानित व्यक्ति को (स्त्री०) नाम तालिका; - हँसाई (स्त्री०) नाम का उपहास अपशब्द कहना होना; ~उछलना बदनामी होना; उछालना बदनाम करना; - नामालूम-फ़ा० + अ० (वि०) अज्ञात ~उठ जाना अस्तित्व समाप्त होना; कमाना प्रसिद्ध होना; | नामावली-सं० (स्त्री०).1 नाम, व्यक्तियों आदि की सूची
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नामिक
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नाली
निंदा
2 राम, कृष्ण आदि देवताओं के नाम का छपा वस्त्र नारा-I (पु०) कुआँ नामिक-सं० (वि०) 1 नाम संबंधी 2 नाम भर का, नामिनल नारा-II अ० (पु०) 1 ज़ोर का शब्द, तेज़ आवाज़ बुलंद की नामिका-सं० (स्त्री०) विषय विवेचन हेतु किसी को चुनने की जानेवाली सामूहिक आवाज़ (जैसे-भारत माता की जय का सूची पैनेल
नारा लगाना) नामी-(वि०) 1 नामवाला 2 नामवर, प्रसिद्ध। -गिरामी नाराच-सं० (पु०) लोहे का बाण (वि०) प्रसिद्ध और पूजनीय
नाराज़-फ़ा० + अ० (वि०) नाखुश, अप्रसत्र । ~गी + फ़ा० नामीनेशन-पेपर-अं० (पु०) नामांकन पत्र
(स्त्री०) अप्रसत्रता नामुनासिब-फा० + अ० (वि०) अनुचित
नाराज़ी-फ़ा० + अ० (स्त्री०) नाराज़गी नामुमकिन-फा० + अ० (वि०) असंभव
नारायण-सं० (पु०) भगवान, ईश्वर नामुराद-(वि०) अभागा
नारायणी-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 लक्ष्मी नामुलायम-फा० + अ० (वि०) अकोमल, कड़ा नारायणीय-सं० (वि०) नारायण से संबंध रखनेवाला नामुवाफ़िक़-फा० + अ० (वि०) अननुकूल
नाराशंस-सं० (वि०) मानव स्मृति से संबंध रखनेवाला नामुसी-अ० + हिं (स्त्री०) 1 बेइज़्ज़ती, अप्रतिष्ठा 2 बदनामी, नारिकेल-सं० (पु०) नारियल का पेड़ एवं उसका फल
नारियल-(पु०) खजूर की जाति का एक ऊँचा पेड़ एवं उसका नामोनिशान-फा० (पु०) = नाम-निशान
फल (जैसे-नारियल तोड़ना) नामोल्लेख-सं० (पु०) नाम का उल्लेख
नारियली-(स्त्री०) 1 नारियल की खोपड़ी 2 नारियल की नामौजूदगी-फ़ा० + अ० + फ़ा० (स्त्री०) अनुपस्थिति खोपड़ी से बना हक्का 3 नारियल की ताड़ी नाम्य-सं० (वि०) 1 झुकाए जाने योग्य 2 लचीला नारी-सं० (स्त्री०) 1 गुण प्रधान स्त्री, महिला 2 वयस्क स्त्रियों नायक-सं० (पु०) 1 साहि० रचना का महान् पुरुष एवं युवतियों की सामूहिक संज्ञा (जैसे-भारतीय नारियाँ (जैसे-धीरोद्धत नायक, धीर ललितनायक) 2 अधिपति, पतिव्रता होती हैं) 3 प्रकृति 4 माया। गत (वि०) स्त्री स्वामी (जैसे-गण-नायक) 3 आज्ञानुसार चलानेवाला व्यक्ति संबंधी; जाति (स्त्री०) नारी समूह; तरंगक (पु०) 4 प्रधान अधिकारी 5 श्रंगार रस की रचना में आलंबन 1 स्त्रियों के चित्त को चंचल करनेवाला पुरुष 2 व्यभिचारी विभाव। “ता (स्त्री०) = नायकत्व
व्यक्ति; ~रोग (पु०) स्त्री रोग नायकत्व-सं० (पु०) नायक होने की अवस्था
नारीत्व-सं० (पु०) नारी होने की अवस्था, नारी-भाव नायन-(स्त्री०) 1 नाई जाति की स्त्री 2 नाई की पत्नी नारू-I (पु०) नँ, ढोल II (पु०) क्यारियों में होनेवाली नायब-अ० (वि०) 1 सहायक (जैसे-नायब तहसीलदार) बोआई 2 प्रतिनिधि बनकर काम करनेवाला
नारेबाज़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) नारे लगाना नायबी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 नायब का पद 2 नायब का नालंदा-(पु०) भारत का जगत्-प्रसिद्ध प्राचीन विश्वविद्यालय काम
नाल-I सं० (स्त्री०) 1 कमल, कुमुद आदि की लंबी डंडी, नायलन-अं० (पु०) = नाइलन
डाँडी 2 पौधों का डंठल, कांड 3 बंदूक की नली नायाब-फा० (वि०) 1 अप्राप्य 2 दुष्प्राप्य
नाल-II सं० (पु०) नाभि एवं गर्भाशय से जुड़ी रहनेवाली नायिका-सं० (स्त्री०) 1 स्वामिनी 2 पत्नी 3 साहि० नाटक नली, आँवला (जैसे-नाल काटना)। -कटाई (स्त्री०)
आदि की प्रधान पात्री 4 श्रृंगार रस में पुरुष से संबंध रखनेवाली 1 नाभि की नाड़ी काटने की रस्म 2 नाल कटाई का पारिश्रमिक पात्री (जैसे-परकीया नायिका)
नाल-III अ० (पु०) अर्द्धचंद्राकार लोहे का टुकड़ा नारंग-सं० (पु०) नारंगी का पेड़ और फल
(जैसे-घोड़े के खुर में नाल लगाना, जूते का नाल)। बंद नारंगी-I (स्त्री०) नीबू की जाति का एक पेड़ एवं उसका फल + फ़ा० (पु०) 1 घोड़े के खुर में नाल जड़नेवाला व्यक्ति
II (वि०) नारंगी के रंग का III (पु०) नारंगी का रंग 2 जूते में नाल लगानेवाला मोची; ~बंदी - फ़ा० (स्त्री०) नार-I (स्त्री०) 1 गला 2 गर्दन, ग्रीवा
नाल जड़ने का काम नार-II सं० (वि०) 1मनुष्य संबंधी, नर का आध्यात्मिक। नाल-कटाई-(स्त्री०) 1 नाल काटना 2 नाल काटने का सिंह (पु०) नृ-सिंह
पारिश्रमिक नार-III बो० (पु०) 1 नवजात शिशु की गर्भ से बंधी नालकी-(स्त्री०) पालकी रहनेवाली नाड़ी, नली, नाल 2 नाड़ा, नाला (जैसे-घाघरे का नाला-(पु०) कृत्रिम जल मार्ग (जैसे-शहर का गंदा नाला) नार टूट गया)
नालायक-फ़ा० + अ० (वि०) 1 अयोग्य 2 मूर्खतापूर्ण नारक-सं० (पु०) 1 नर्क, नरक 2 नर्क में रहनेवाला प्राणी आचरण करनेवाला नारकी-सं० (वि०) 1 नर्क में पड़ा हआ 2 नर्क में जानेवाला, नालायक़ी-फ़ा० + अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 अयोग्यता दुराचारी, पापी
2 मूर्खता से युक्त आचरण नारकीय-सं० (वि०) 1 नर्क से संबंद्ध 2 नर्क में होनेवाला । नालिका-सं० (स्त्री०) 1 छोटी नाल 2 नाली 3 अत्यंत दुराचारी, घोर पापी
नालिश, नालिस-फ़ा० (स्त्री०) 1 फरियाद, अभियोग नारद-सं० (पु०) 1 ईश्वर के परम भक्त एवं ब्रह्मा के पुत्र 2 मुकदमा (जैसे-नालिश करना) 2 लड़ाई-झगड़ा लगानेवाला व्यक्ति
| नाली-I (स्त्री०) 1 छोटा नाला, मोरी 2 छिछला जलमार्ग
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नाली
(जैसे-खेत की नाली) 3 पतला नल, नली। दार + फ़ा० (वि०) नाली से युक्त
नाली - II सं० (स्त्री०) नाड़ी
नालौट - (वि०) मुकरनेवाला
नाव - (स्त्री०) नौका, किश्ती। घाट (पु०) नदी, झील में नाव के रहने का स्थान; बेड़ा (पु०) नाव का बेड़ा में धूल उड़ाना बिल्कुल झूठ बोलना
नावक-फ्रा० (पु० ) 1 छोटा तीर 2 मधुमक्खी का डंक नावव्रत-फ्रा० + अ० ( क्रि० वि०) 1 अनुपयुक्त समय में 2 देर करके
नावना - I (स० क्रि०) 1 अंदर गिराना 2 घुसाना नावना - II (स० क्रि०) नवाना, झुकाना नावल-अं० (पु० ) उपन्यास नावलिस्ट -अं० (पु० ) उपन्यासकार नावाक़िफ़ - फा० + 2 अज्ञात
अ० (वि०) 1 अनजान, अपरिचित
नावाक़िफ्रियत-फ्रा० + अ० (स्त्री०) अपरिचय नावाजिब -फ़ा० + अ० (वि०) अनुचित नावाधिकरण-सं० (पु० ) नौसेना से संबंधित विभाग 2 नौसेना का अधिकारी वर्ग 3 जहाज़ी बेडा नाविक-सं० (पु० ) माँझी, मल्लाह । ~दल (पु० ) मल्लाहों का समूह; विद्रोह (पु० ) मल्लाहों का विद्रोह, सेना (स्त्री०) जल सेना, नौसेना
नावी-सं० ( पु० ) मल्लाह, माँझी
नावेल -अं० (पु० ) = नावल नाव्य-सं० (वि०) नाव से पार होने योग्य
नाश-सं० (पु० ) 1 अस्तित्व न रहना, सत्ता समाप्त हो जाना 2 बर्बादी, लय 3 ध्वस्त होना। कारक, कारी (वि०) नाश करनेवाला, नाशक; धर्मी (वि० ) = नाशवान्; ~ मूलक (वि०) नाशक वाद (पु० ) विश्व में सभी अस्तित्वमान पदार्थ एवं प्राणी का नाश अवश्य होगा ऐसा सिद्धांत, मत वादी (वि०) नाशवाद के सिद्धांत को माननेवाला, नाशवाद का समर्थक
नाशक-सं० (वि०) 1 नाश करनेवाला 2 वध करनेवाला (जैसे- कुलनाशक)
नाशन - I सं० ( पु० ) नाश करना II (वि०) नाश करनेवाला
नाशपाती - फ़ा० (स्त्री०) सेव की जाति का एक प्रसिद्ध पेड़ एवं
उसका फल
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नाशमय, नाशमान्, नाशवान्-सं० (वि०) नष्ट हो जानेवाला, नश्वर
नाशाइस्ता - फ्रा० (वि०) 1 अनुचित 2 असभ्य, अशिष्ट 3 अश्लील
नाशाद - फा० (वि०) 1 दुःखी, नाखुश 2 अभागा, बदनसीब नाशित-सं० (वि०) नष्ट, नाश हुआ
नाशी-सं० (वि०) 1 नाशक 2 नश्वर
नाशुदनी - फ़ा० (वि०) 1 असंभव 2 अभागा
नाश्ता - फ़ा० (पु० ) कलेवा
नाश्य-सं० (वि०) नाश योग्य
नास - I ( स्त्री०) 1 नाक से सूँघी जानेवाली औषध, नस्य
निंदास्पद
+ फ़ा० (पु०) सुँघनी रखने की
2 सुँघनी, नसवार। दान डिबिया
नास - II ( पु० ) नाश
नासपाल - फ़ा० (पु०) कच्चे अनार का छिलका 'नासपाली - I फ़ा० (पु० ) अनारी रंग II (वि०) अनारी रंग का नास-पीटा - (वि०) नष्ट हो जाने योग्य नासमझ फा० + हिं० (वि०) 1 मूर्ख 2 नादान नासमझी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) 1 मूर्खता 2 नादानी नास - मिटा - (वि०) नष्ट और मिटा हुआ (गाली) नासा -सं० (स्त्री०) 1 नाक 2 नथना। पुट (पु०) नथना; ~मल (पु०) नाक की मैल; ~ स्त्राव (पु०) नाक से पानी निकलना
नासाग्र-सं० (पु०) नाक का अगला. नुकीला भाग नासाफ़-फ़ा० अ० (वि०) गंदा
नासिका -सं० (स्त्री०) 1 नाक, नासा 2 नाक की तरह कोई चीज़। ~ विवर (पु) नाक का छेद
नासिका - सं० (पु० ) = नासाग्र नासिक्य - I सं० (वि०) नाक से उत्पन्न II (पु० ) 1 नासिका, नाक 2 अनुनासिक स्वर
नासिर - अ० (पु० ) गद्य लेखक
नासीर - I सं० (वि०) आगे-आगे चलनेवाला II ( पु०) सेना
का अगला भाग
नासूर - अ० (पु० ) ऐसा घाव जिसमें से बराबर मवाद निकलता हो, नाड़ी व्रण । आँखों का हो जाना बहुत खटकना; छाती में ~ डालना अत्यधिक दुःख देना नास्तिक - सं० (पु० ) ईश्वर की सत्ता को न माननेवाला । (स्त्री०) नास्तिक होने का भाव; ~वाद (पु० ) ईश्वर को न मानने का सिद्धांत; वादी (वि०) नास्तिकवाद का पक्षपाती नास्तिक्य-सं० (पु० ) नास्तिकता नास्तिवाद-सं० (पु०) नास्तिकों का तर्क
नास्य - I सं० (वि०) नाक का 2 नाक से उत्पन्न II ( पु० ) नाथ, रस्सी
नाहक़-फ़ा० + अ० ( क्रि० वि०) व्यर्थ
नाह - नूह - (स्त्री०) 1 कई बार 'ना'- 'ना' या 'नहीं' 'नहीं' का शब्द करना 2 इनकार
नाहर - (पु० ) 1 शेर, सिंह 2 बाघ 3 वीर एवं साहसी पुरुष नाहीं- ( क्रि० वि०) दे० नहीं
निंदक-सं० (वि०) निंदा करनेवाला निंदन - सं० (पु०) निंदा करना
निंदनीय - सं० (वि०) निंदा किए जाने योग्य, निंदा योग्य निंदा - सं० (स्त्री०) 1 बुराई करना 2 झूठ-मूठ दोष निकालना 3 बदनामी, अपकीर्ति, अपयश प्रद (वि०) निंदा देनेवाला या लानेवाला प्रस्ताव (पु० ) कार्य आदि के प्रति असंतोष प्रकट करने हेतु अधिकारी, अध्यक्ष आदि के समक्ष प्रस्तुत किया जानेवाला प्रस्ताव, सेंसर मोशन; सूचक (वि०) निंदा का बोध करानेवाला; ~ स्तुति (स्त्री० ) 1 निंदा और प्रशंसा 2 व्याज स्तुति
निंदाई - ( स्त्री०) निराई
निंदासा - (वि०) 1 जिसे नींद आती हो 2 अलसाया हुआ निंदास्पद -सं० (वि०)
निंदनीय
=
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निंदित
निंदित सं० (वि०) निंदा की गई निंदिया - (स्त्री०) नींद निंद्य-सं० (वि०) निंदनीय
निंब-सं० (पु० ) नीम निंबू - (पु० ) नीबू निंबोली - (पु० ) निबौरी निःकपट-सं० (वि०)
निष्कपट निः परिश्रम -सं० (वि०) बिना मेहनत का (जैसे- निः परिश्रम कारावास)
निःशंक - I सं० (वि०) निडर II ( क्रि० वि०) बिना डर के निःशक्त-सं० (वि०) शक्तिहीन, असमर्थ
निःशब्द - सं० (वि०) 1 बिना शब्द का, शब्द रहित 2 जिसमें शब्द, आवाज़ न हो
निःशब्दक-सं० (पु.) एक उपकरण जो यंत्र को शब्द करने से
रोकता है, साइलेंसर
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निःशुक्र - सं० (वि०) निरुत्साह, ओजहीन
नि: शुल्क - सं० (वि०) 1 शुल्करहित (जैसे- निःशुल्क शिक्षा) 2 शुल्क न देनेवाला (जैसे- निःशुल्क विद्यार्थी) निःशून्य-सं० (वि०) बिल्कुल खाली निःशेष-सं० (वि०) जिसमें कुछ भी न बचा हो, समाप्त निःशोक-सं० (वि०) शोकरहित
नि:शोध्य -सं० (वि०) 1 जिसका शोधन न किया जा सके 2 जो परिमार्जन योग्य न हो
निःश्रेणी -सं० (स्त्री०) सीढ़ी
निःश्वसन - I सं० ( पु०) साँस बाहर फ़ेंकना II (वि०) साँस बाहर निकालनेवाला
निःशस्तर-सं० (वि०) बिना हथियार का निहत्था निःशस्त्रीकरण - सं० (पु० ) हथियारों की होड़ खत्म करना | हथियारों को कम करना
नि:श्वास - सं० (पु० ) 1 साँस का बाहर आना 2 लंबी साँस
(जैसे- निःश्वास छोड़ना )
निःसंकोच -सं० ( क्रि० वि०) निस्संकोच निःसंख्य-सं० (वि० ) अनगिनत बे-शुमार निःसंग-सं० (वि० ) = निस्संग
निःसंतान-सं० (वि०) निस्संतान निःसंदिग्ध - सं० (वि०) निस्संदेह
निःसंदेह - I सं० (वि०) संदेहरहित II ( क्रि० वि०) 1 बिना
संदेह के 2 बेशक, अवश्य
निःसंधि-सं० (वि०) 1 संधिरहित 2 दृढ़, पक्का 3 कसा हुआ
नि:संबल - I सं० (वि०) 1 संबलहीन 2 असहाय II ( क्रि० वि०) बिना सहारे के
=
=
=
नि:संबाध-सं० (वि० ) 1 बड़ा 2 विस्तृत निःसंशय - I सं० (वि०) निःशंक II ( क्रि० वि०) संशय के बिना
निकलना
निःसीम सं० (वि०) 1 सीमारहित 2 अत्यधिक (जैसे- निःसीम सेवा)
निःसत्व-सं० (वि०) 1 थोथा, सारहीन 2 निःसार 3 बिना अस्तित्व का
निःसरण - सं० (पु० ) 1 बाहर आना 2 बाहर आने का रास्ता, निकास
निःसहाय -सं० (वि० ) निस्सहाय
त्रिःसृत-सं० (वि०) बाहर आया हुआ निःस्नेह-सं० (वि०) 1 बिना प्रेम का, स्नेहरहित 2 जिसमें तेल न हो
निःस्पृह-सं० (वि०) 1 इच्छा, कामना आदि से रहित 2 निःस्वार्थ भाषावाला (जैसे-निःस्पृह सेवक ) निःस्त्राव - सं० (पु० ) बहकर निकला हुआ अंश निःस्व-सं० ( पु० ) 1 अपनापन भूला हुआ व्यक्ति 2 निर्धन निःस्वाद-सं० (वि०) बिना स्वाद का निःस्वामिक-सं० (वि०) बिना स्वामी का, अनाथ निःस्वार्थ - I सं० (वि०) स्वार्थ साधन से मुक्त II ( क्रि० वि०) बिना स्वार्थ के
नि:स्वार्थी -सं० (पु०) स्वार्थहीन व्यक्ति निःस्वीकरण-सं० (पु० ) दरिद्र बनाना निआमत-अ० (स्त्री०) अलभ्य पदार्थ
निकंदन - I सं० ( पु० ) नाश, संहार II ( वि०) नाश करनेवाला, संहारकर्ता
+
निकट - I सं० ( क्रि० वि०) 1 पास ही में 2 विचार में II (वि०) पास का (जैसे निकट संबंधी) । ~कालीन (वि०) पास के समय का; पना हिं० (स्त्री०) = निकटत्व, निकटता; ~वर्ती (वि० ) = निकटस्थ निकटत्व-सं० (पु०) समीप होने का भाव निकटस्थ - सं० (वि०) पास का नज़दीकी
निकम्मा - (वि०) 1 बिना काम का (जैसे निकम्मा आदमी) 2 व्यर्थ का, रद्दी (जैसे- निकम्मी वस्तु) । पन (पु० ) बेकारी निकर - I सं० ( पु० ) 1 झुंड, समूह (जैसे-रवि-कर-निकर) 2 ढेर, राशि ( क्रि० वि०) निकट निकर-अं० (पु० ) = निक्कर निकर्तन-सं० (पु०) 1 काटना 2 फाड़ना
निकर्मा - ( वि०) 1 कुछ काम न करनेवाला, अकर्मण्य 2 आलसी, निकम्मा
निकर्षण-सं० (पु०) खेल का मैदान 2 आँगन 3 पड़ोस निकल-अं० (स्त्री०) चाँदी जैसी सफ़ेद एक धातु निकलना - (अ० क्रि०) 1 बाहर आना, बाहर होना (जैसे- घर से निकलना) 2 प्रकट होना, उदित होना (जैसे- सूरज निकलना) 3 परिधि, मर्यादा, सीमा आदि से बाहर आना (जैसे-चोर जेल से निकल गया, कुएँ से पानी निकलना, संस्था आदि से निकलना) 4 उत्पन्न होना, विकसित होना (जैसे- नया कल्ला, कोंपल निकलना) 5 शरीर पर उत्पन्न होना, उभर आना (जैसे- चेचक निकलना) 6 पास होना (जैसे- वह दसवीं कक्षा से निकल गया) 7 बंधन आदि से रहित होना (जैसे-कमान से तीर निकलना) 8 उद्गम स्थान से बाहर आना (जैसे- अंडे से बच्चा निकलना) 9 रहस्योद्घाटन होना, उद्देश्य आदि का स्पष्टीकरण होना (जैसे- श्लोक का अर्थ निकलना, मुहूर्त निकलना) 10 नए सिरे से सामने आना (जैसे- खान से सोना निकलना, नया क़ानून निकलना) 11 उपयोग में आने योग्य होना (जैसे- नई सड़क निकलना) 12 प्रकाशित होना (जैसे- समाचार निकलना) 13 ज़िम्मे बाक़ी ठहराना
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निकलवाना
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निखार
14 मनोरथ पूर्ण होना 15 समस्या का समाधान होना (जैसे-निकाह करना, निकाह पढ़ाना) (जैसे-गणित के सभी प्रश्नों का उत्तर निकलना) 16 उच्चारित | निकियाना- (स० क्रि०) 1 नोचकर धज्जियाँ अलग करना होना 17 व्यतीत होना, गुज़रना (जैसे-पढ़ने का समय निकल 2 नोचकर साफ़ करना 3 नोचकर अलग करना गया) 18 सिद्ध होना (जैसे-भविष्यवाणी सही निकलना) निकिल-अं० (पु०) निकल 19 बढ़ना, चलना (जैसे-जुलूस में आगे-आगे निकलना) निकुंचन-सं० संकुचन, सिकुड़ना 20 कर्तव्य, वचन आदि से दूर भागना (जैसे-किसी को | निकुंज-सं० (पु०) वन-वाटिका, कुंज फँसाकर चुप-चाप निकल जाना)
निकृतन-सं० (पु०) 1 काटना 2 नष्ट करना निकलवाना-(स० क्रि०) निकालने का काम करना निकृत-सं० (वि०) 1 अपमानित, तिरस्कृत 2 नीच, अधम निकष-सं० (पु०) 1 घिसना, रगड़ना 2 कसना 3 कसौटी ___ 3 दुष्ट, शठ 4सान
निकृति-सं० (स्त्री०) 1 अपमान, तिरस्कार 2 नीचता 3 दुष्टता निकषण-सं० (पु०) 1सान पर चढ़ाना 2 घिसना, रगड़ना । निकृत्त-सं० (वि०) 1 काटा हुआ 2 छिन्न, विदीर्ण 3 कसौटी
निकृष्ट-सं० (वि०) नीच, अधम (जैसे-निकृष्ट व्यक्ति, निकृष्ट निकाई-1 (स्त्री०) 1 अच्छापन, अच्छाई 2 सुंदरता, खूबसूरती विचार)। ~ता (स्त्री०) नीचता . II (स्त्री०) निराई
निकेत, निकेतन-सं० (पु०) घर, मकान निकाज़-(वि०) = निकम्मा
निकेल-अ० (पु०) निकल निकाम-(वि०) 1 बिना काम का, निकर्मा 2 निकम्मा निकोचन-सं० (पु०) सिकुड़ना निकाय-सं० (पु०) 1 समुदाय 2 निवास स्थान (जैसे-स्थानीय | निकोटिनिक अं० (वि०) तंबाकू का निकाय) 3 झुंड, समूह
निकोटीन-अं० (स्त्री०) तंबाकू का सार निकारण-सं० (पु०) मारण, वध
निकोसना-(स० क्रि०) बो० 1 दाँत निकालना 2 दाँत निकालना-(स० क्रि०) 1 बाहर लाना, निर्गत करना किटकिटाना
(जैसे-कपड़े निकालना, किताबें निकालना) 2 बाहर करना, निकौड़िया-(पु०) अत्यंत दरिद्र दूर करना (जैसे-समाज से निकालना) 3 मिश्रण से अलग | निक्कर-अं० (पु०) चौड़ी मोरी का घुटनों तक पहननेवाला एक करना (जैसे-चावल से कंकड़ियाँ निकालना) 4 अस्तित्व पहनावा मिटाना (जैसे-दवा से शरीर का रोग निकालना, शहर की निक्का -(वि०) सबसे छोटा भाई गंदगी निकालना) 5 सेवा आदि से हटाना (जैसे-दस आदमी निक्षिप्त-सं० (वि०) 1 फेंका हुआ 2 त्यागा हुआ, त्यक्त नौकरी से निकाले गए) 6 पृथक करना (जैसे-इसमें से चार ___ 3 जमा किया हुआ, डिपाज़िटेड 4 भेजा हुआ लीटर दूध निकाल देना) 7 प्रचलित करना (जैसे-नया क़ानून | निक्षिप्तक-सं० (पु०) 1 भेजी गई वस्तु, कन्साइनमेंट 2 जमा निकालना) 8 प्रस्तुत करना (जैसे-वैज्ञानिक ने एक नया __किया हुआ सिद्धांत निकाला है) 9 प्रकट करना (जैसे-वाक्य का अर्थ निक्षेप-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 भेजना 3 अमानत, धरोहर निकालना, मुहूर्त निकालना) 10 समाधान प्रस्तुत करना 4 धरोहर रखना 5 भेजी गई वस्तु 6 जमा किया गया धन। (जैसे-गणित के प्रश्नों के उत्तर निकालना) 11 मनोरथ सफल ~कर्ता (पु०) निक्षेप करनेवाला करना (जैसे अपना काम निकालना) 12 वास्तु रचना प्रस्तुत निक्षेपक-1 सं० (वि०) 1 फेंकनेवाला 2 छोड़नेवाला II करना (जैसे-नई रेल लाइन निकालना) 13 प्रचारित करना (३०) 1 निक्षेपकर्ता 2 धरोहर रखनेवाला 3 जमा करनेवाला, (जैसे-विज्ञापन निकालना) 14 स्वर उत्पन्न करना (जैसे-मधुर | डिपाजिटर, जमाकर्ता ध्वनि निकालना) 15 व्यतीत करना, गुज़ारना 16 ले जाना निक्षेपण-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 चलाना 3 त्यागना 4 जमा (जैसे-बारात निकालना) 17 उद्धार करना
करना 5 धरोहर रूप में रखना निकाला-(पु०) 1 निकालने का ढंग (जैसे-उसे घर से कैसे | निक्षेपित-सं० (वि०) निक्षिप्त निकाला जाय) 2 निकाले जाने का दंड, सज़ा (जैसे-देश निक्षेपी-सं० (वि०) 1 फेंकनेवाला 2 धरोहर रूप में निकाला)
रखनेवाला निकास-(पु०) 1निकलना 2 उद्गम स्थान 3 दरवाज़ा, द्वार
ना 2 उदगम स्थान 3 दरवाजा. द्वार | निखंड-सं० (वि०) मध्य 4 निकलने का मार्ग 5 खुला स्थान, मैदान। ~टोंटी (स्त्री०) निखट्टर-(वि०) कठोर हृदयवाला, निर्दय और निष्ठुर द्रव पदार्थ निकलने की टोंटी; द्वार + सं० (पु०) निकलने | निखट्ट-(वि०) 1 निकम्मा 2 बेकार, व्यर्थ का दरवाज़ा; नली (स्त्री०) (गैस आदि) निकलने की | निख़रचे-हिं० +फ़ा० (क्रि० वि०), बिना ख़र्च किए नली; पत्र +सं० (पु०) जमा-खर्च और हिसाब की बही, निखरना-(अ० क्रि०) 1 निर्मल होना, साफ़ होना 2 रूप आदि खत्रा; ल्वेग +सं० (पु०) निकलने का ज़ोर
खिलना 3 परिमार्जित होना निकासी-(स्त्री०) 1 निकलना 2 प्रस्थान 3 माल आदि का | निखरवाना-(स० क्रि०) निखारने का काम कराना बिकना और बाहर आना 4 खपत, बिक्री 5 आय, आमदनी । निखरी-(स्त्री०) पक्की रसोई 6 चुंगी (जैसे-माल की निकासी जमा करना)। पत्र + सं० | निखात-सं० (वि०) 1 खोदा हुआ 2 खोदकर निकाला हुआ (पु०) चुंगी अदा करने का काग़ज़
3 गाड़ा हुआ निकाह-अ० (पु०) इस्लाम धर्म पद्धति से होनेवाला विवाह | निखार-(पु०) 1निखरना 2 निर्मलता, स्वच्छता 3 सजावट
हुआ
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निखारना
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निचोड़ना
निखारना-(स० क्रि०) 1 साफ़ करना, निर्मल बनाना 2 पवित्र | 5 सूक्ष्म-दृष्टि (जैसे-बारीक निगाह से देखना)। ~ करना,
रखना 1 रखवाली करना 2 ख़याल रखना निखालिस-हिं+अ० (वि०) विशुद्ध, पवित्र
निगीर्ण-सं० (वि०) 1 निगला हुआ 2 अंतर्भूत, समाविष्ट निखिल-सं० (वि०) 1 अखिल, संपूर्ण 2 सारा, समस्त। निगुंफ-सं० (पु०) 1 सघन गुच्छा 2 चुस्त रचना 3 घनी गुंथाई ~भारतवर्षीय (वि०) अखिल भारतीय
निगूट-सं० (वि०) 1 रहस्यपूर्ण अर्थवाला 2 अत्यंत गुप्त निखुटना-(अ० क्रि०) 1 घट जाना 2 समाप्त होना निगढ़ार्थ-I सं० (वि०) निगूढ़ अर्थवाला II (पु०) गुप्त अर्थ निखोट-I (वि०) 1 बिल्कुल शुद्ध, दोष रहित 2 खरा, साफ़ | निगूहन-(पु०) छिपाना, गोपन
3निष्कपट, निश्छल II (क्रि० वि०) स्पष्ट रूप से निगृहीत-सं० (वि०) 1 पकड़ा हुआ, गिरफ्तार 2 वश में किया निखोड़ना-(स० क्रि०) 1 खोदना (जैसे-नाखून से निखोड़ना) हुआ 3 दबाया हुआ 4 आक्रमण किया हुआ, आक्रमित 2 नोचकर अलग करना)
5 विवाद में पराजित 6 आक्रांत 7 पीड़ित निखोड़ा-(वि०) 1 शीघ्र ही आवेश में आनेवाला 2 निष्ठर, कर | निगृहीति-सं० (स्त्री०) 1 बाधा 2 रोक 3 आक्रमण 4 हार निगंदना-(सं० क्रि०) तागना
निगेटिव-I अं० (पु०) वह प्लेट जिसपर प्रकाश एवं छाया का निगड़-सं० (स्त्री०) 1 जंजीर, आँदू 2 बेड़ी; बद्ध (वि०) अक्स उल्टा पड़ता हो (जैसे-निगेटिव रील) II (वि०) निगड़ित
1 नकारात्मकू ऋणात्मक (जैसे-निगेटिव तथा पाजिटिव धारा) निगड़ित-सं० (वि०) निगड़ से बँधा हुआ
निगोड़ा-(वि०) 1 अकर्मण्य 2 अभागा निगद-सं० (पु०) 1 कहना, बोलना 2 कथन, उक्ति निग्रह-सं० (पु०) 1 रोक, अवरोध 2 वश में करना 3 बाँधना 3 ज़ोर-ज़ोर से जपना 4 रटना
4 दंड, सज़ा 5 अनुग्रह का अभाव 6 पीड़ित करना, सताना निगदित-सं० (वि०) कथित, उक्त, कथोपकथन, व्याख्यान 7 भर्त्सना निगम-सं० (पु०) 1विधान के अनुसार अस्तित्व में आई हई | निग्रहण-सं० (पु०) 1निग्रह करना 2 पराभव संस्था (जैसे-जल-निगम, सेतु -निगम) 2 रोज़गार, व्यापार, निग्रही-सं० (वि०) 1 निग्रह करनेवाला 2 दमन करनेवाला 3 पथ, रास्ता, वेद का कोई अंश 4 मेला 5 कारवाँ 6 कायस्थ | 3दंड देनेवाला जाति का एक भेद 7 महापालिका। ~ अधिकारी (पु०) | निग्राहक-सं० (वि०) दमन करनेवाला निगम का मुख्य अधिकारी, प्रधान अधिकारी, प्रशासक; | निघंटु-सं० (पु०) 1 वैदिक शब्दों की सूची 2 शब्दों की सूची,
कमिश्नर +अं० (पु०) = निगमायुक्त; ~कर (पु०) शब्दकोश औद्योगिक निगमों पर लगनेवाला टैक्स, कर; ~प्रशासन निघर-घट-(वि०) 1 बिना ठौर-ठिकाने का 2 निर्लज्ज, बेशर्म (पु०) निगम के सभी कार्य-व्यापार, काम-धंधे; ~निकाय निघरा-(वि०) 1 घर-द्वार रहित 2 निगोड़ा, नीच (जैसे-निघरा (पु०) संस्था ~पति (पु०) 1 निगम का प्रधान अधिकारी __ कहीं का) 2 नगर-प्रमुख
निघर्षण-सं० (पु०) रगड़, घिसावट निगमन-सं० (पु०) 1 संस्था आदि को निगम का रूप देना - निघस-सं० (पु०) आहार, भोजन, खाना 2 अनुमान के लिए कम सामान्य से अधिक सामान्य का निघात-सं० (पु०) 1 आघात, प्रहार 2 संगीत में अनुदात्त स्वर निष्कर्ष निकालना।
निघुष्ट-सं० (०) 1 शब्द, आवाज 2 शोरगुल निगमागम-सं० (पु०) वेद-शास्त्र
निघष्ट-सं० (वि०) । रगड़ खाया हुआ 2 रगड़ा हुआ निगमायुक्त-सं० (वि०) 1निगम-कमिश्नर 2 निगम का ___ 3 पराभूत, पराजित प्रधान अधिकारी
निचय-सं० (वि०) 1 ढेर, राशि 2 समूह 3 संचय 4 निश्चय निगमित-सं० (वि०) निगम रूप में आया हुआ, निगम में निचयन-सं० (पु०) 1 इकट्ठा करना 2 खाते में जमा करना परिणत
निचला-1 (वि०) नीचेवाला (जैसे-मकान का निचला हिस्सा) निगमी-सं० (वि०) वेद का ज्ञाता, वेदज्ञ। ~करण (पु०) निचला-II (वि०) नीचे का निगम का रूप देना
निचाई-I (स्त्री०) 1 नीचापन 2 नीचे की ओर का फैलाव II निगरा-(वि०) (उख का रस) बिना पानी मिला हुआ, ख़ालिस (स्त्री०) नीचता, खोटाई निगरान-फा० (वि०) देखभाल करनेवाला
निचान-(स्त्री०) 1 नीचापन 2 ढाल (जैसे-निचान का खेत) निगरानी-फा० (स्त्री०) देख-भाल, निरीक्षण (जैसे-निगरानी निचाय-सं० (पु०) ढेर, राशि करना)
निचित-(वि०) = निश्चिंत निगलना-(स० क्रि) 1 घोंट जाना (जैसे-दवा की टिकिया | निचुड़ना-(अ० क्रि०) निचोड़ा जाना, गरना (जैसे-नींबू
निगलना) 2 हड़प लेना (जैसे- वह सारा रुपया निगल गया) | निचुड़ना) निगह-फ़ा० (स्त्री०) = निगाह । -बान (वि०) 1 देख-रेख | निचोड़-(पु०) 1 निचोड़ने पर निकला हुआ रस, पानी आदि
करनेवाला 2 रक्षक; बानी (स्त्री०) देखरेख, रखवाली | (जैसे-नींबू का निचोड़) 2 सारांश (जैसे-बात का निचोड़) निगाली-(स्त्री०) 1 हक्के की नली का मुँह में लगा हुआ भाग
| निचोड़ना-(स० क्रि०) 1 दबाकर, ऐंठकर तरल पदार्थ 2 बाँस की पतली नली
निकालना, गारना (जैसे-कपड़ा धुलकर निचोड़ना) 2 तत्व निगाह-फा० (स्त्री०) 1 नज़र, दृष्टि 2 कृपा-दृष्टि 3 विचार, निकालना (जैसे-नींबू, आम आदि निचोड़ना) 3 सर्वस्व ले समझ 4 ध्यान (जैसे-निर्धनों पर भी निगाह डालना) । लेना (जैसे-एक-एक पाई निचोड़ना)
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निचोल
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निद्राकुल
निचोल-सं० (पु०) 1 शरीर ढकने का कपड़ा, आच्छादन | नितंबिनी-सं० (स्त्री०) 1 सुंदर नितंबोवाली स्त्री'2 सुंदरी 2 ओढ़नी 3 चादर 4 उत्तरीय 5 कपड़ा, वस्त्र
नित-(क्रि० वि०) बो० नित्य निचौहाँ-(वि०) 1 नीचे झुका हुआ, नत 2 नीचा | नितांत-सं० (वि०) 1 अत्यधिक (जैसे-नितांत गर्म स्थल) निछक्का-(पु०) एकांत स्थान, निर्जन स्थान
2 असाधारण 3 बिल्कुल (नितांत पागल आदमी) निछत्र-I (वि०) 1 छत्रहीन 1 राज चिह्न रहित 3 राज्यहीन II | नित्य-[ सं० (वि०) अविनाशी शाश्वत, निरंतर II (क्रि० (वि०) क्षत्रियों से रहित, क्षत्रियहीन
वि०) 1 प्रतिदिन, हर रोज़ 2 हर समय, हमेशा। कर्म निछला-I (वि०) निश्चल II (वि०) खालिस
(पु०) 1 रोज़ का धार्मिक काम 2 रोज़ का काम; ता निछान-I (वि०) बो० विशुद्ध, ख़ालिस II (क्रि० वि०) (स्त्री०) अनश्वरता -नियम (१०) कभी भंग न होनेवाला एकदम, बिल्कुल
नियम; ~प्रति (क्रि० वि०) प्रति-दिन, हर-रोज़; मित्र निछावर-(स्त्री०) 1 रूप, गुण, समृद्धि आदि की सुरक्षा हेतु (पु०) शाश्वत मित्र; ल्युक्त (वि०) सदा तैयार;
व्यक्ति, शिशु के ऊपर चारों ओर से कोई वस्तु घुमाकर उत्सर्ग ~यौवनशाली (वि०) स्थायी यौवनवाला; सिद्ध करना 2 उत्सर्ग की गई वस्तु 3 नेग 4 ईनाम
(वि०) सदा के लिए प्रमाणित निछोही-(वि०) बिना लगाव का
नित्यशः-सं० (क्रि० वि०) 1 प्रतिदिन, रोज़ 2 सदा, सर्वदा निज-I सं० (वि०) 1 अपना 2 मुख्य, प्रधान 3 ठीक, यथार्थ | निथरना-(अ0 क्रि०) स्थिर तरल पदार्थ में गंदगी, भारी वस्तु II (क्रि० वि०) 1 निश्चित रूप से 2 पूरी तरह से 3 विशेष | आदि का तल में बैठना रूप से 4 अंत में। ता (स्त्री०) अपनापन, निजस्व | निथार-(पु०) 1 निथरा हआ जल, तरल पदार्थ आदि 2 तल में ल्वाचक-अ० स्वयं का बोध करानेवाला (जैसे-मैं आप, तू | बैठी वस्तु आप); स्वार्थ (पु०) अपना मतलब
निथारना-(स० क्रि०) तरल पदार्थ को इस तरह स्थिर करन निजस्व-सं० (पु०) अपना भाग। ~ता (स्त्री०) अपना भाग
कि उसमें का भारी पदार्थ तल में बैठ जाय (जैसे-मिट्टी का होना, अपनी भागदारी
तेल निथारना) . निजा-अ० (पु०) झगड़ा, विवाद
निदर्शक-सं० (वि०) दिखानेवाला निज़ाम-अ० (पु०) 1 प्रबधं, व्यवस्था 2 हैदराबाद के शासकों | निदर्शन-सं० (पु०) नमूना उदाहरण
की उपाधि 3 प्रबंध का क्रम। ~शाही + फ़ा० (स्त्री०) | निदर्शना-सं० (स्त्री०) साहि० एक अलंकार जिसमें उपमेय निज़ाम का शासन
और उपमान में सादृश्य का आरोप कर दोनों में बिब-प्रतिबिंब निजी-(वि०) 1 निज का (जैसे-निजी मामला, निजी बात) 2 का भाव प्रकट किया जाए
आपस का (जैसे-भाइयों का निजी झगड़ा)। ~पन (प०) | निदर्शित-सं० (वि०) दिखलाया हुआ अपनापन; सहायक (पु०) उच्चाधिकारी के काम में । निदाघ-सं० (पु०) 1 गर्मी, ताप 2 धूप। कर (पु०) सूर्य सहायता देनेवाला सहायक, पर्सनल असिस्टेंट
निदान-I सं० (पु०) 1कारण 2 रोग का कारण 3 अंत, निजू-बो० (वि०) = निजी
अवसान II (क्रि० वि०) 1 अंत में 2 इसलिए। कारण निजूठा-(वि०) 1 जिसे जूठा न किया गया हो 2 जो पहले न | (पु०) अंतिम कारण; ~गृह (पु०) चिकित्सालय; ज़ सोचा गया हो (जैसे-निजूठी कल्पना)
(पु०) चिकित्सक; ~शास्त्र (पु०) रोगों के कारण, लक्षण निझरना-(अ० क्रि०) 1 एकदम झड़ जाना 2 शोभा रहित होना | एवं उपचार संबंधी विज्ञान
(जैसे-फल के अभाव में वक्षों का निझरना) 3 सार भाग से | निदानिका-सं० (स्त्री०) = निदान-गृह
वंचित होना 4 अपने को निदोष बताना, सफ़ाई देना निदारुण-सं० (वि०) 1 भयानक, भीषण 2 निर्दय, निष्ठर निझाटना-(स० क्रि०) बो० झपटकर लेना
3 दुःसह निटर-(वि०) अनुपजाऊ
निदिग्ध-सं० (वि०) 1 लेप किया हुआ प्रवर्द्धित निटल-सं० (पु०) मस्तक, माथा
निदेश-सं० (पु०) 1 आज्ञा 2 शासन 3 कथन 4 निर्देश निटिंग-मशीन-अं० (स्त्री०) बनाई की मशीन
निदेशक-सं० (पु०) निदेश देनेवाला निठल्ला, निठल्लू-(वि०) निकम्मा, अकर्मण्य। -पन निदेशन-सं० (पु०) निदेश देना (पु०) निकम्मापन, बेकारी
निदेशालय-सं० (पु०) निदेशक कार्यालय निठाला-बो० (पु०) 1 बेकारी का समय 2 जीविका का अभाव निदेशिका-सं० (स्त्री०) निर्देश-ग्रंथ निठुर-(वि०) 1 निष्ठुर 2 कठोर हृदय। ता (स्त्री०) निष्ठुरता निद्रा-सं० (स्त्री०) नींद। ~कारक (वि०) नींद लानेवाला; निठौर-I (पु०) अनुचित जगह, कुठाँव (वि०) बिना
~गति (स्त्री०) 1निद्रा की अवस्था में रोगी का चलने का ठौर-ठिकाने का
रोग, स्लीप-वाकिंग 2 वनस्पतियों का निद्रावस्था में निडर-(वि०) 1निर्भय, निर्भीक 2 साहसी, हिम्मती। ~पन हिलना-डुलना, स्लीपिंग मूवमेंट; ~ग्रस्त (वि०) सोया हुआ; (पु०) 1निर्भयता 2 साहस, हिम्मत
~चारी (पु०) नींद में चलनेवाला व्यक्ति एवं वनस्पतियाँ निढाल-(वि०) 1 अत्यंत थका हआ, शिथिल 2 उत्साहहीन, आदि; -जनक (वि०) निद्राकर ~भ्रमण (पु०) :
निद्रा-गति; ~मन (वि०) सोया हआ नितंत-(वि०) नितांत
निद्राकर-सं० (वि०) नींद लानेवाला नितंब-सं० (पु०) 1 चूतड़
निद्राकुल-सं० (वि०) नींद से व्याकुल
पस्त
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निद्राचार
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निबेड़ा
निद्राचार-सं० (पु०) = निद्रा-गति
निपात-सं० (पु०) 1 पतन, अधःपतन 2 विनाश 3 मृत्यु निद्राच्छन्न-सं० (वि०) सोया हुआ
___4 आक्रमण 5 फेंकना निद्रालस-सं० (वि०) उनींदा, तंद्रालु
निपारक-सं० (पु०) दु. र्म, पाप निद्रालु-सं० (वि०) 1 सोनेवाला 2 निद्राशील 3 जिसे नींद आ | निपातन-सं० (पु०) 1 गिराना 2 विनाश 3 हत्या, खात्मा रही हो (जैसे-निद्रालु आँखें)
निपातित-सं० (वि०) 1 गिराया हआ 2 वध किया हुआ निद्रित–सं० (वि०) नींद में डूबा हुआ
निपाती-सं० (वि०) 1 फेंकनेवाला 2 नष्ट करनेवाला 3 मार निधड़क-(क्रि० वि०) 1 बेधड़क, बेखटके, निःशंक 2 बिना गिरानेवाला हिचके
निपीड़क-सं० (वि०) 1 दुःख दायक 2 पेरनेवाला निधन-[ सं० (पु०) 1 मृत्यु (जैसे-राजा का निधन हो गया) 3 दबानेवाला 2 नाश 3 मरण II (वि०) निर्धन, ग़रीब। ~कारी (वि०) निपीड़न-सं० (पु०) 1 पीड़ित करना 2 पेरना 3 दबाना घातक, नाशक; क्रिया (स्त्री०) 1 शवदाह 2 अंत्येष्टि; निपीड़ित-सं० (वि०) 1 पीड़ित किया हुआ 2 पेरा हुआ तिथि (स्त्री०) मृत्यु तिथि
3 दबाया हुआ निधनी-(वि०) निर्धन, ग़रीब
निपुण-सं० (वि०) चतुर, प्रवीण, कुशल। ता (स्त्री०) निधान-सं० (पू०) 1 स्थापन 2 सुरक्षित रखना 3 आधार, कुशलता, प्रवीणता आश्रय (जैसे करुणा-निधान) 4 संपत्ति, निधि
निपुत्र, निपूत, निपूता (वि०) निःसंतान निधि-सं० (स्त्री०) 1 संपत्ति, धन-दौलत 2 आश्रय स्थान निपेटा-बो० (वि०) 1 भुक्खड़ 2 खाली पेटवाला
(जैसे-दयानिधि) 3 विशेष उद्देश्य हेतु संचित धन, फंड निफ़ाक़-अ० (पु०) 1 एकता का अभाव 2 वैमनस्य, फूट (जैसे-भविष्य निधि)। करण ((पु०) निधि बनाना; निबंध-सं० (पु०) 1 बंधन 2 विचारपूर्ण लेख 3 संग्रह ग्रंथ ।
नाथ (पु०) 1 निधियों के स्वामी, कुबेर 2 धन-दौलत का कार (पु०) निबंध लिखनेवाला; ~पाठ (पुल) निबंध मालिक
का विषय; लेखक (पु०) = निबंधकार निधेय-सं० (वि०) 1 स्थापित किए जाने योग्य 2 रखने योग्य | निबंधक-सं० (पु०) निबंधन करनेवाला व्यक्ति निध्यात-सं० (वि०) मनन किया गया, विचारित निबंधन-सं० (पु०) 1 बाँधना 2 बंधन 3 नियम आदि में निध्यान-सं० (पु०) 1 ध्यान करना 2 देखना 3 निदर्शन बाँधकर रखना, व्यवस्था 4 राजकीय पंजी में चढ़ाया जाना, निनाद-सं० (पु०) ज़ोर की आवाज़
रजिस्ट्रेशन निनादित-I सं० (वि.) 1 शब्द से भरा हुआ, गुंजायमान निबंधनी-सं० (स्त्री०) बेड़ी
2 आवाज़ करता हुआ, शब्दित II (पु०) शब्द निबंधा-सं० (पु०) निबंधकार निनादी-सं० (वि०) ध्वनि उत्पन्न करनेवाला
निबंधावली-सं० (स्त्री०) निबंध संग्रह निनानवे-I (वि.) नब्बे से नौ अधिक II (पु०) 99 की | निबंधित सं० (वि०) = निबद्ध
निबंधी-I सं० (वि०) 1 बाँधनेवाला 2 संबद्ध II (पु०) निनावाँ-I (पु०) चि० जीभ एवं ताल आदि में छोटे-छोटे दाने | निबंधक निकलने का रोग
निब-अं० (स्त्री०) लोहे आदि का बना चोंच के आकार का एक निनावाँ-II (वि.) बिना नामवाला. बेनाम
उपकरण (जैसे-क़लम की निब) निन्यानवे-(वि० पु०) निनानवे
निबटना-(अ० क्रि०) = निपटना निपट-I (स्त्री०) निपटने की अवस्था II (क्रि० वि०) निरा, निबटाना-(स० क्रि०) = निपटाना एकदम (जैसे-निरा मूर्ख) ।
निबटारा, निबटेरा-(पु०) = निपटारा निपटना-(अ० क्रि०) 1 पूर्ण एवं संपन्न होना 2 निवृत होना | निबद्ध-सं० (वि०) 1 बँधा हुआ 2 रुका हुआ 3 गुथा हुआ,
3 निपटारा होना 4 लड़ना. जूझना (जैसे-शत्रु से निपटना) गुंफित 4 निबंधित, रजिस्टर्ड 5 चुकता होना (जैसे-कर्ज़ से निपटना)
निबरना-(अ० क्रि०) 1 छूटना 2 अलग होना 3 बंधन मुक्त निपटान-(स्त्री०) पुराने माल का विक्रय
होना, उबरना 4 समाप्त होना निपटाना-(स० क्रि०) 1 कार्य संपादित करना 2 झगड़ा खत्म | निबर्हण-सं० (पु०) 1 नष्ट करना 2 मारना, वध करना 3 कर्ज आदि चुकाना
निबहना-(अ० क्रि०) बो० = निभना निपटारा-(पु०) 1 निर्णय, फैसला (जैसे-भाग्य का निपटारा) निबाह-(पु०) 1 निर्वाह, गुज़ारा 2 पालन 3 पूर्ति (जैसे-निबाह 2 अंत, समाप्ति 3 निपटने का भाव
करना) 4 छुटकारे का उपाय, त्राण का रास्ता निपटेरा-(पु०) = निपटारा, निपटाना
निबाहना-(स० क्रि०) 1निबाह करना 2 छुड़ाना 3 दे० निभाना निपठन-सं० (पु०) 1 पढ़ना 2 सुनाना, रेसिटेशन निबिड़-(वि०) निविड़ निपतन-सं० (वि०) नीचे गिरना, निपात, पतन
निबेड़ना-(स० क्रि०) 1 मुक्त करना, छुड़ाना 2 अलग करना, निपतित-सं० (वि०) गिरा हुआ
छाँटना 3 दूर करना, हटाना 4 छोड़ना, त्यागना 5 निपटाना निपत्या-सं० (स्त्री०) 1 युद्ध-भूमि, रण-भूमि 2 चिकनी | 6 सुलझाना ज़मीन
निबेड़ा-(पु०) 1 छुटकारा, त्राण 2 बचाव 3 सुलझाव निपत्र-(वि०) पत्रहीन
4निबटारा, निर्णय 5 हटाव 6 पूरा करना
संख्या
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निबेरना
निबेरना - (स० क्रि०) निबेड़ना निबोधन -सं० ( पु० ) 1 समझना 2 समझाना निबौरी - ( स्त्री०) नीम के फल का बीज, निमकौड़ी निभ-सं० (पु० ) 1 प्रकाश 2 अभिव्यक्ति 3 छल-कपट निभाना - (अ० क्रि०) 1 संपादित होना 2 प्रेम - व्यवहार बना रहना (जैसे-सौतेले भाइयों में निभना) 3 चरितार्थ और फलित होना निभाना - (स० क्रि०) 1 निर्वाह (जैसे- आदेश निभाना ) 3 प्रेम (जैसे- मैंने उनके साथ चार वर्ष निभाव - ( पु० ) निबाह निभूत-सं० (वि०) बीता हुआ, गत
निभृत-सं० (वि०) 1 रखा हुआ 2 छिपा हुआ, गुप्त 3 अटल, निश्चित 4 अस्त होनेवाला 5 नम्र, विनीत 6 निर्जन, एकांत निमंत्रण - सं० (पु० ) भोज देना, दावत, न्योता (जैसे- शादी का निमंत्रण) । ~ पत्र (पु०) निमंत्रण का समय, दिन कार्य आदि का विवरण लिखा हुआ पत्र, कार्ड (जैसे- निमंत्रण पत्र देना) निमंत्रित सं० (वि०) बुलाया हुआ, आहूत निम-सं० (पु० ) 1 कील, खूँटी 2 शंकु, शलाका निमक- फ़ा० (पु० ) = नमक
निमकी - फ़ा० + हिं० (स्त्री०) नींबू का अचार निमकौड़ी - (स्त्री०) निबौरी
निमग्न-सं० लीन, मन (जैसे भावनाओं में निमग्न) निमज्जन-सं० (पु० ) 1 गोता लगाकर स्नान करना 2 डुबाना 3 लीन होना
निमज्जित सं० (वि०) 1 डूबा हुआ 2 स्नान किया हुआ निमटना - (अ० क्रि०) निबटना निमद-सं० (पु० ) मंद स्वर में किया जानेवाला स्पष्ट उच्चारण,
=
करना 2 पालन करना व्यवहार बनाए रखना तक निभाया )
444
मंद एवं स्पष्ट उच्चारण
निमि-सं० (पु० ) पलकें झपकाना, निमेष
निमित्त सं० (पु० ) 1 कारण 2 साधनभूत कारण 3 लक्ष्य, उद्देश्य 4 लक्षण चिह्न - कारण (पु०) मूल कारण निमित्तिक सं० (वि०) निमित्र मात्रवाला निमिष सं० (पु० ) आँखे मिचना, निमेष
निमिषांतर - सं० (पु० ) पल भर का अंतर निमीलन-सं० (पु० ) पलक का गिरना, झपकना निमुँहा - (वि०) 1 बिना मुँह का 2 चुप रहनेवाला 3 कारणवश कुछ न कह सकनेवाला
निमेष -सं० (पु० ) आँख की पलक झपकना 2 एक बार पलक झपकने में लगा समय 3 पलकें फड़कने का एक रोग निमेषण-सं० (पु० ) पलकें गिरना -गिराना निमोनिया -अं० (पु० ) अत्यंत ठंड लगने से उत्पन्न रोग जिसमें
फेफड़ों में सूजन हो जाती है।
निम्न-सं० (वि०) 1 नीचा 2 नीचे स्तर का 3 साधारण से कम (जैसे- निम्न रक्त चाप)। गत I (वि०) नीचे गया II (पु० ) नीची ज़मीन ~ लिखित (वि०) निम्नांकित; ~ वर्ग (पु०) नीचे का वर्ग; ~ सदन (पु० ) निचला सदन, लोअर हाउस; ~स्तर (पु० ) निम्न स्तर का व्यक्ति, वस्तु आदि बातें; स्तरीय (वि०) निम्न स्तर से संबद्ध; निम्नगासं० (स्त्री०) 1 नदी 2 पहाड़ी झरना
=
नियमतः
निम्नतम - सं० (वि०) कम से कम (जैसे निम्नतम योग्यता ) निम्नांकित - सं० (वि०) नीचे लिखा हुआ, अधोलिखित निम्नोन्नत सं० (वि०) नीचा-ऊँचा, ऊबड़-खाबड़ नियंता - सं० (वि०) 1 नियंत्रण रखनेवाला 2 प्रबंधक, प्रशासक 3 संचालक 4 चलानेवाला नियंत्रक सं० ( पु० ) = नियंता नियंत्रण -सं० (पु० ) 1 नियम में बाँधकर रखना 2 वश में रखना 3 प्रतिबंधन। ~ अधिकारी (पु० ) नियंत्रण करनेवाला अधिकारी; ~ कक्ष (पु० ) नियंत्रण करने का कमरा नियंत्रणाधीन, नियंत्रित -सं० (वि०) 1 नियंत्रण में रखा हुआ, प्रतिबद्ध 2 प्रतिबंधित
नियत-सं० (वि०) 1 नियम - बद्ध, पाबंद (जैसे- नियत समय पर आना) 2 निश्चित (जैसे- नियत समय) 3 स्थित, प्रेसक्राइब्ड 4 काम पर लगाया हुआ, पोस्टेड कालिक नियत समय का भागी (पु०) नियत-अ० (स्त्री०) नीयत
नियतन - सं० ( पु० ) निर्धारित करना, आवंटन नियतांक -सं० (पु०) नियत किया गया अंक नियतांश सं० ( पु० ) निश्चित किया गया अंश, कोटा (जैसे- नियतांश स्थिर करना)
नियतात्मा -सं० ( पु० ) = नियतेंद्रिय, संयमी नियताप्ति-सं० (स्त्री०) नाटक की एक अवस्था जिसमें फल प्राप्ति निश्चित होती है
नियताहार-सं० (वि०) नियत मात्रा में भोजन करनेवाला नियति-सं० (स्त्री०) 1 नियत होने की अवस्था 2 नियमन 3 अदृष्ट, भाग्य (जैसे-नियति गति, नियति फल)
4 आत्मसंयम 5 प्रकृति । निर्दिष्ट (वि०) प्रारब्ध द्वारा संकेतित; ~वाद (पु०) प्रकृति की प्रेरणा एवं ईश्वरीय इच्छा ही सर्व प्रधान एवं सर्वस्व है का सिद्धांत, डिटरमिनिज्म, ~वादी I (वि०) नियतिवाद से संबंधित II ( पु० ) नियतिवाद को माननेवाला, डिटरमिनिस्ट नियतेंद्रिय-सं० (वि०) इंद्रियों को वश में रखनेवाला, जितेंद्रिय नियम सं० (पु० ) 1 विधान के अनुरूप नियंत्रण
(जैसे- प्राकृतिक नियम) 2 स्थायी कार्यक्रम अनिश्चित व्यवस्था 4 रीति, पद्धति, क़ायदा 5 प्रतिज्ञा (जैसे-नियम का निर्वाह करना) 6 निश्चित सिद्धांत 7 अनुशासन (जैसे- पार्टी का नियम भंग करना) । तंत्र (वि०) नियमबद्ध, नियमाधीन ~ निर्धारक (वि०) नियमबद्ध, नियमाधीन; ~ निर्धारक (वि०) नियम का निश्चयन करनेवाला; ~ निष्ठा ( स्त्री०) नियम पालन पत्र (पु० ) प्रतिज्ञापत्र, शर्तनामा; परायण (वि०) नियम को माननेवाला; -पूर्वक ( क्रि० वि०) नियमित रूप से; बद्ध (वि०) 1 नियमों से जकड़ा हुआ 2 नियमों के अनुकूल; ~भंजन (पु० ) नियम तोड़ना; वाद (पु० ) नियम पालन का सिद्धांत वादी (वि०) नियम की पक्की तरह पालन करनेवाला; विधि (स्त्री०) दैनिक धार्मिक कृत्य; ~विरुद्ध, ~विरोधी (वि०) नियम का विरोध करनेवाला (जैसे-नियम विरोधी कार्य, संगत (वि०) नियम के अनुरूप ~ सम्मत (वि०) नियम द्वारा सम्मानित नियमतः सं० ( क्रि० वि०) नियम के अनुसार, नियमानुसार
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नियमन
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निरपराधी
नियमन-सं० (पु०) 1 नियम में बाँधने का कार्य 2 नियंत्रण, | निरंकार-(वि०/पु०) निराकार शासन 3 निग्रह, दमन
निरंकुश-सं० (वि०) स्वेच्छाचारी, उदंड (जैसे-निरंकुश नियमानुकूल-सं० (वि०) नियम के अनुकूल शासन)। ~ता (स्त्री०) स्वेच्छाचारिता; ता-वाद (पु०) (जैसे-नियमानुकूल कार्य)
यह सिद्धांत कि किसी प्रकार का नियंत्रण नहीं होना चाहिए; नियमानुरूप-सं० (वि०) नियम के अनुरूप
~ता-वादी । (वि०) निरंकुशतावाद संबंधी II (पु०) नियमानुसार-सं० (वि०) नियम के अनुसार
निरंकुशतावाद को माननेवाला नियमापवाद-सं० (पु०) नियम में छूट
निरंजन-1 सं० 1 (वि०) दुर्गुण एवं दोष रहित 2 बिना अंजन नियमावली-सं० (स्त्री०) 1नियमों का संग्रह का, अंजन रहित 3 माया रहित II (पु०) निर्गुण ब्रह्म,
(जैसे-नियमावली देखना) 2 अनुशासन संबंधी नियम परमात्मा नियमित-सं० (वि०) 1नियमबद्ध 2 नियमानुकूल निरंतर-[ सं० (वि०) 1 अंतर रहित 2 सदा चलनेवाला 3 नियमानुरूप
3 स्थायी II (क्रि० वि०) 1 लगातार 2 हमेशा, सदा नियमी-सं० (वि०) 1 नियम के अनुसार होनेवाला 2 नियम | निरंतराभ्यास-सं० (पु०) 1 बराबर किया जानेवाला अभ्यास संबंधी 3 नियम का पालन कर्ता
2 स्वाध्याय नियर-(क्रि० वि०) बो० पास, नज़दीक
निरंध-सं० (पु०) 1 पूरा अंधा 2 ज्ञानरहित 3 घोर अंधकार नियाज़-फा० (स्त्री०) 1 प्रार्थना 2 इच्छा 3 जान पहचान, युक्त परिचय 4 आज्ञा 5 मृतक उद्देश्य से दरिद्रों को दिया जानेवाला | निरंभ-सं० (वि०) 1निर्जल 2 पानी तक न पीनेवाला भोजन। ~मंद (वि०) 1 प्रार्थना करनेवाला 2 इच्छक निरंश-सं० (वि०) अपने अंश से वंचित 3 परिचित 4 आज्ञाकारी
निरकेवल-I सं० बो० (वि०) 1 खालिस, विशुद्ध 2 साफ़, नियामक-सं० (वि०) 1 नियम बनानेवाला 2 बंधन में स्वच्छ II (क्रि० वि०) केवल रखनेवाला 3 व्यवस्था करनेवाला
निरक्ष-I सं० (वि०) 1 बिना पासे का 2 पथ्वी के मध्य भाग नियामत-अ० (स्त्री०) 1 ईश्वर प्रदत्त वैभव 2 धन-संपत्ति का II (पु०) भूमध्य रेखा ~प्रदेश (पु०) विषुवत रेखा पर 3 दुर्लभ वस्तु
के देश; रेखा (स्त्री०) भूमध्य रेखा नियार-(पु०) सुनार, जौहरी की दुकान का कूढ़ा-कतवार निरक्षर-सं० (वि०) 1 अपढ़ 2 गँवार, मूर्ख। ~ता (स्त्री०) नियारा-I बो० (वि०) = न्यारा II (पु०) नियार 1 अपढ़ता 2 गँवारपन, मूर्खता; ~ता-निवारण (पु०) नियारिया-(पु०) 1 मिश्रित वस्तुओं को छाँटनेवाला 2 चतुर निरक्षरता दूर करना व्यक्ति
निरखना-(स० क्रि०) 1 ध्यानपूर्वक देखना 2 निरीक्षण हेतु नियुक्त-सं० (वि०) 1 लगाया हआ, तैनात (जैसे-मकान पर
देखना नियुक्त पहरेदार) 2 नियोजित 3 प्रेरित 4 स्थिर किया हुआ | निरचू-(वि०) 1 जिसे काम से छुट्टी मिल गई हो, अवकाश (जैसे-समय नियुक्त करना)
प्राप्त 2 निश्चित नियुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 तैनाती 2 प्रेरणा 3 नियोजन 4 स्थिर निरत-सं० (वि०) काम में लगा हुआ, लीन करना
निरति-सं० (स्त्री०) 1 अत्यंत रति, आसक्ति 2 तल्लीनता नियुत-I सं० (पु०) दस लाख की संख्या II (वि०) दस निरतिशय-I सं० (वि०) अद्वितीय II (पु०) परमात्मा, ईश्वर लाख
निरत्यय-सं० (वि०) 1 भयरहित 2 दोषरहित नियुद्ध -सं० (पु०) 1 हाथा-बाँही 2 कुश्ती
निरधारना-(स० क्रि०) 1 स्थिर करना, ठहराना 2 मन में धारण नियोक्ता-सं० (वि०) 1 नियुक्त करनेवाला 2 काम पर । करना, समझना लगानेवाला, एम्पलायर
निरध्व-सं० (वि०) रास्ता भूला हुआ नियोग-सं० (पु०) 1 नियत करना 2 काम में लाना 3 आज्ञा, निरनुक्रोश-I सं० (वि०) निर्दय II (पु०) निर्दयता
आदेश 4 निश्चय 5 प्रेरणा 6 अवधारणा 7 प्रयत्न, कोशिश निरनुग-सं० (वि०) बिना अनुयायी का नियोगस्थ-सं० (वि०) नियुक्त
निरनुनासिक-सं० (वि०) जिसके उच्चारण में नाक से ध्वनि नियोगी-सं० (वि०) 1नियोग करनेवाला 2 नियुक्त निकलती हो (जैसे-निरनुनासिक वर्ण) नियोजक-सं० (पु०) नियोक्ता
निरनुमोदन-सं० (पु०) समर्थन न करना, स्वीकृति न देना, नियोजन-सं० (पु०) नियुक्त करना (जैसे-सेवा-नियोजन)। __ अननुमोदन
केंद्र (पु०) नौकरी आदि की व्यवस्था करने का कार्यालय, | निरनुरोध-सं० (वि०) 1 सद्भाव शून्य, अमैत्रीपूर्ण 2 अनुरोध एम्प्लायमेंट ऑफिस, एम्प्लायमेंट एक्सचेंज नियोजनालय-सं० (पु०) = नियोजन केंद्र
निरन्न-सं० (वि०) 1 अन्न रहित 2 निराहार नियोजित-सं० (वि०) काम पर लगाया हुआ
निरन्ना-(वि०) निराहार | नियोज्य-सं० (वि०) नियोजन योग्य
निरन्वय-सं० (वि०) 1निःसंतान 2 असंबद्ध 3 दृष्टि से परे नियोद्धा-सं० (पु०) पहलवान
निरपराध-I सं० (वि०) निर्दोष II (क्रि० वि०) बिना अपराध नियोन-अं० (पु०) रोशनी देनेवाली एक गैस
किए मेरक-सं० (वि०) कोरा, ब्लैक
निरपराधी-(वि०) बेकसूर, निर्दोष
रहित
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निरपवर्त
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निरावलंब
परवाहा
निरपवर्त-सं० (पु०) 1 जिसका अपवर्तन न हो सके 2 जिसका | निराकांक्षा-सं० (स्त्री०) अनिच्छा उलटफेर या पलटाव ना हो सके
निराकार-सं० (वि०) 1 बिना आकार का, आकाररहित निरपवाद-सं० (वि०) 1 बिना अपवाद का 2 अच्छा, निर्दोष ____ 2 भद्दा, कुरूप निरपेक्ष-[ सं० (वि०) 1 अपेक्षा न रखनेवाला 2 निराश्रित, निराकाश-सं० (वि०) एकदम भरा हुआ निरवलंबित 3 लगाव न रखनेवाला, तटस्थ 4 अलग रहनेवाला निराकुल-सं० (वि०) 1 जो परेशान न हो 2 भरा हुआ, व्याप्त II (पु०) 1 अनादर 2 अवज्ञा, अवहेलना। ~ता (स्त्री०) 3 अत्यंत घबराया हुआ 1 निरावलंबता 2 तटस्थता 3 एकांत
निराकृत-सं० (वि०) 1निराकरण किया हआ 2 रद्द किया निरपेक्षा-सं० (स्त्री०) 1 उपेक्षा 2 उदासीनता 3 अवज्ञा हुआ 4 लापरवाही
निराकृति-I सं० (वि०) 1 निराकार 2 कुरूप II (पु०) निरपेक्षित-सं० (वि.) 1 उपेक्षित ? संपर्करहित, असंबद्ध निराकरण निरपेक्षी-सं० (वि०) 1 उपेक्षा करनेवाला 2 उदासीन निराचार-सं० (वि०) आचारहीन निरबंसी-(वि०) संतानहीन, निःसंतान
निरातंक-सं० (वि०) भयभीत न होनेवाला, निडर निरभिमान-सं० (वि०) अहंकाररहित, गर्वरहित
निरादर-सं० (पु०) 1 अपमान 2 आदर का अभाव निरभिलाष-सं० (वि०) कामनारहित, इच्छारहित, निरीह निरादिष्ट-सं० (वि०) पूर्णतः अदा किया गया निरभ्र-सं० (वि०) मेघरहित (जैसे-निरभ्र आकाश) निरादृत-सं० (वि०) अपमानित निरर्गल-सं० (वि०) 1 अर्गलारहित 2 प्रतिबंधरहित निरादेश-सं० (पु०) चुकता करना, ऋण-परिशोध 3 स्वच्छंद, अबाध
निराधार-सं० (वि०) 1 बिना आधार का, निराश्रय निरर्थक-सं० (वि.) 1 अर्थरहित 2 व्यर्थ, निष्फल 2 बेबुनियाद, निर्मूल 3 बिना प्रमाण का (जैसे-निराधार 3 निष्प्रयोजन
कल्पना, निराधार सिद्धांत) 4 निरावलंब, असहाय निरमर्ष-सं० (वि०) क्रोधहीन
निरानंद-[ सं० (वि०) आनंदरहित II (पु०) 1 आनंद का निरलस-सं० (वि०) आलस्यहीन
अभाव 2 दुःख निरवकाश-सं० (वि०) 1 अवकाशरहित 2 जिसे फुर्सत न हो | निराना-(स० क्रि०) निरर्थक वनस्पतियाँ खोदकर निकालना निरवछिन्न-[ सं० (वि०) 1 निरंतर होनेवाला 2 लगातार ! (जैसे-खेत निराना)
चलनेवाला 3 अनवच्छिन्न II (क्रि० वि०) निरंतर, लगातार निरानुभवी-सं० (वि०) अनुभवहीन निवद्य-सं० (वि०) 1 दोषरहित. विशुद्ध 2 अनिंद्य, उत्कृष्ट निरापद-1 सं० (वि०) आपत्तिरहित, निर्विध्र (जैसे-निरापद निरवधि-[ सं० (वि०) सीमारहित, निःसीम (क्रि० वि०) अवस्था) II (क्रि० वि०) बिना संकट के। ता (स्त्री०) लगातार, निरंतर
निरापद की अवस्था निरवलंब-सं० (वि०) ... निरालंब
निराबाध-सं० (वि०) बाधा रहित निरवशेष-सं० (वि०) संपूर्ण, समग्र
निरभिमानी-सं० (वि०) = निरहंकार निरवार-1 1 निबटारा 2 छुटकारा || (वि०) मुक्त निरामय-सं० (वि०) 1 नीरोग 2 निष्कलंक 3 निर्दोष निरवारना-(स० क्रि०) निवारण करना
निरामिष-सं० (वि०) 1 मांसरहित 2 मांस न खानेवाला। निरस-(वि०) - नीरस
~भोजी (वि०) मांस न खानेवाला, शाकाहारी निरसन-सं० (पु०) 1 दूर करना, हटाना 2 निवारण 3 रद्द करने | निरामिशाषी-सं० (वि०) शाकाहारी
का अधिकार 4 निराकरण, परिहार 5 रद्द करना, कैंसिलेशन | निराय-सं० (वि०) बिना आय का 6 बाहर करना. डिसचार्ज
निरायास-[ सं० (वि०) बिना परिश्रम के होनेवाला II (क्रि० निरस्त-सं० (वि०) निरसन किया गया
वि०) बिना परिश्रम किए निरस्त्र-सं० (वि०) निःशस्त्र
निरायुध-सं० (वि०) निरस्त्र निरस्त्रीकरण-सं० (१०) 1 अस्त्रविहीन करना 2 युद्ध की निरालंब-सं० (वि०) 1 बिना सहारा का, बेसहारा 2 निराश्रित
आशंका समाप्त करने हेतु सैनिक शक्ति कम करना, ___ 3 आधारहीन डिस-आममिंट (जैसे-निरस्त्रीकरण के सिद्धांत)
निराल-(वि०) 1 निराला 2 निपट, निरा 3 विशुद्ध निरस्त्रीकृत-सं० (वि०) अस्त्रहीन किया गया
निरालस्य-[ सं० (वि०) आलस्य न करनेवाला, फुर्तीला II निरस्थि-सं० (वि०) बिना हड्डी का।
(पु०) आलस्य का अभाव निरहंकार-सं० (वि०) अभिमान से रहित, दर्परहित निराला-I (वि०)1 अनोखा, अनूठा 2 एकांत और निर्जन निरा-(वि०) 1 एकमात्र 2 एकदम, कोरा (जैसे-निरा ताज़ा 3 विचित्र असाधारण ॥ (पु०) एकांत और निर्जन स्थान।
दूध) 3 जिसमें केवल एक ही विशेषता हो (जैसे-निरा पाजी, ~पन (पु०) 1 अनोखापन 2 विचित्रता निरा मूर्ख)
निरालेपन-(पु०) = निरालापन निराई-(स्त्री०) 1निराना 2 निराने की मज़दूरी
निरालोक-सं० (वि०) 1 अंधकारपूर्ण, अँधेरा 2 प्रकाशरहित निराकरण-सं० (पु०) 1 अलग करना 2 दूर करना, हटाना निरावरण-1 सं० (वि०) खुला हुआ || (पु०) पर्दा 3निर्वासन 4 निरस्त करना
हटाना निराकांक्ष-सं० (वि०) इच्छारहित, बिना इच्छावाला । निरावलंब-सं० (वि०) = निरालंब
NIR
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निरावृत 447
निर्ख निरावृत-सं० (वि०) आवरणहीन
निरुद्देश्य-[ सं० (वि०) बिना उद्देश्य का HI (क्रि० वि०) निराश-सं० (वि०) हताश (जैसे-निराश रोगी, निराश प्रेमी) | बिना किसी उद्देश्य के दृष्टि (स्त्री०) निष्प्रयोजन देखना निराशा-सं० (स्त्री०) 1 आशा का अभाव 2 निराश होने की। निरुद्ध-सं० (वि०) 1 निरोध किया हुआ 2 रोका हआ 3 बंधन अवस्था। जनक, जन्य (वि०) निराशा से उत्पन्न __ में पड़ा हुआ-कंठ (वि०) गला रुंधा हुआ
ल्वाद (पु०) संसार को दुःखमय एवं निराशपूर्ण समझने का निरुद्यम-सं० (वि०) 1 उद्यम न करनेवाला 2 बिना उद्यम का सिद्धांत, पेसिमिज्म; वादिता (स्त्री०) निराशावादी होने का निरुद्यमी-सं० (वि०) आलसी और कामचोर भाव; ~वादी I (वि०) संसार को निराशा एवं उदासीनता निरुद्योग-सं० (वि०) = निरुद्यम की दृष्टि से देखनेवाला, पेसिमिस्ट II (प०) निराशावाद को निरुद्योगी-सं० (वि०) उद्योग न करनेवाला माननेवाला व्यक्ति
निरुद्विग्न, निरुद्वेग-सं० (वि०) उनेजनारहित, धीर और शांत निराशात्मक, निराशामय-सं० (वि०) आशारहित निरुपचार-पं० (वि०) असाध्य निराशिष-सं० (वि०) आशीर्वाद से रहित
निरूपद्रव-सं० (वि०) शांतिमय, विनरहित 2 उपद्रव नं निराश्रय-सं० (वि०) = निरालंब
करनवाला निरास-I सं० (पु०) दे० निरसन
निरुपद्रवी-सं० (वि०) धीर एवं शांत निरास-II (वि०) - निराश
निरुपपत्ति-सं० (वि०) अयोग्य, अयुक्त निरास्वाद-सं० (वि०) बिना स्वाद का, अस्वादिष्ट निरुपम-सं० (वि०) अतुलनीय, बेजोड़ निराहार-I सं० (वि०) 1 जिसने भोजन नहीं किया 2 उपासा निरूपमित-सं० (वि०) उपमा न करने योग्य, बेजोड II (पु०) उपवास
निरुपयोगी-सं० (वि०) 1निकम्मा 2 बेकार निरिंद्रिय-सं० (वि०) 1 इंद्रियों से रहित 2 कमज़ोर इंद्रियवाला निरूपहत-सं० (वि०) 1 अनाहत 2 शुभ निरिच्छ-सं० (वि०) निराकांक्ष
निरुपाख्य-सं० (वि०) 1 असंभव और मिथ्या 2 व्याख्या के निरीक्षक-I सं० (पु०) निरीक्षण करनेवाला व्यक्ति II (वि०) | अयोग्य 1 देखनेवाला 2 निरीक्षण करनेवाला
निरूपाधि-सं० (वि०) 1 बाधा रहित 2 माया-मोह से रहित निरीक्षण-सं० (प्०) 1 देखना 2 गौर से देखना 3 देख-रेख निरुपाय-1 सं० (वि०) 1साधनहीन 2 जिसका उपाय न हो करना, इन्सपेक्शन (जैसे-निरीक्षण हेतु आयोग बैठाना)। सके || (क्रि० वि०) लाचार होकर ~कारी (वि०) निरीक्षण करनेवाला .
निरुपेक्ष-सं० (वि०) उपेक्षा न किए जाने योग्य निरीक्षणात्मक-सं० (वि०) निरीक्षण संबंधी
निरूढ़-सं० (वि०) 1 अत्यंत रूढ़ 2 अधिक प्रसिद्ध । निरीक्षा-सं० (स्त्री०) = निरीक्षण
लक्षणा (स्त्री०) जिसमें शब्द का प्रसिद्ध अर्थ रूढ़ हो निरीक्षित-सं० (वि०) 1 देखा हुआ 2 निरीक्षण किया गया गया हो ऐसी लक्षणा निरीक्ष्य-सं० (वि०) 1 देखा जाने योग्य 2 निरीक्षण योग्य | निरूढ़ा-सं० (स्त्री०) निरूढ़ लक्षणा निरीक्ष्यमाण-सं० (वि०) निरीक्षण हो रहा हो
निरूढ़ि-सं० (स्त्री) 1 ख्याति, प्रसिद्धि 2 निरूढ़ लक्षणा निरीश्वर-सं० (वि०) 1 ईश्वर के अस्तित्व को न माननेवाला, . निरूप-(वि०) 1 बिना रूप का 2 कुरूप, बद् शक्ल, भद्दा नास्तिक 2 जिसमें इश्वर की सत्ता न मानी गई हो। ल्वाद निरूपक-सं० (पु०/वि०) निरूपण करनेवाला (पु०) ईश्वर को न माननेवाला सिद्धांत; ~वादी I (वि०) निरूपण-सं० (पु०) 1 विवेचना करना 2 अच्छी तरह समझाना निरीश्वरवाद संबंधी II (पु०) निरीश्वरवाद का अनुयायी | 3 निर्णय । निरीह-सं० (वि०) 1 इच्छा एवं तृष्णा से रहित 2 उदासीन, निरूपित-सं० (वि०) निरूपण किया हआ विरक्त 3 निष्क्रिय, चेष्टारहित 4 नम्र एवं शांत (जैसे-निरीह निरूप्य-सं० (वि०) निरूपण योग्य प्राणी)
निरूहण-सं० (पु०) 1 तर्क करना 2 निश्चय करना 3 वस्ति निरुक्त-I सं० (वि०) 1 निःसंदेह एवं स्पष्ट 2 स्पष्ट रूप से का एक भेद कहा हुआ 3 ज़ोर से कहा गया, उद्घोषित II (पु०) | निरोग, निरोगी-(वि०) स्वस्थ शब्द-शास्त्र। कार (पु०) निरुक्त के रचयिता यास्क मुनि निरोध-सं० (पु०) 1 रुकावट, रोध 2 वश में करना, निग्रह । निरुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 शब्दों की व्युत्पत्ति एवं सिद्धांत बताने ___-शक्ति (पु०) 1 राकने की ताकत 2 वश में करने की की विद्या, शब्द शास्त्र 2 शब्द की व्युत्पत्ति, डेरिवेशन 3 साहिल
| क्षमता काव्यालंकार का एक भेद जिसमें नाम का प्रसिद्ध अर्थ छोड़कर | निरोधक-सं० (वि०) निरोध करनेवाला कोई मनमाना अर्थ लगाया जाय
निरोधन-सं० (पु०) निरोध। शिविर (पु०) नज़रबंद रखने निरुच्छ्वास-सं० (वि०) जहाँ साँस तक लेने में परेशानी हो का शिविर (जैसे-निरुच्छवास वातावरण)
निरोधा-सं० (स्त्री०) 1 संक्रामक रोगियों को मिश्रित होने से निरुत्तर-सं० (वि०) 1 उत्तर न देनेवाला 2 उत्तर न देने योग्य | रोकना 2 संक्रामक रोगियों को रोकने का स्थान 3 जिसका उत्तर न दिया गया हो
निरोधाचार-सं० (पु०) रुकावट निरुत्साह-I सं० (वि०) उत्साहरहित II (पु०) उत्साह न होना | निरोधाज्ञा-सं० (स्त्री०) रोकने का आदेश निरुत्साहित-सं० (वि०) जिसका उत्साह नष्ट कर दिया गया हो । निरोधी-सं० (वि०) निरोधक
| निर्ख-फ़ा० (पु०) दर, भाव, । ~नामा (पु०) विक्रेय वस्तु
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निर्गंध
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निर्धारणीय
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की भाव सूची; ~बंदी (स्त्री०) भाव ठहराना निर्णयात्मक-सं० (वि०) 1 निर्णय संबंधी 2 निर्णय रूप में निगंध-सं० (वि०) गंधहीन
होनेवाला निर्गत-सं० (वि०) बाहर आया हुआ, निःसृत
निर्णायक-[ सं० (वि०) निर्णय करनेवाला II (प०) निर्गम-सं० (पु०) 1 बाहर जाना, निकासी 2 निकास मार्ग। 1विवाद आदि का निर्णय करनेवाला व्यक्ति 2 खेल आदि का
द्वार (पु०) बाहर जाने का रास्ता; मूल्य (पु०) निर्णय करनेवाला व्यक्ति, अम्पायर । ~मत (पु०) पक्ष और व्यापारिक संस्थाओं आदि के द्वारा माल निकासी के समय विपक्ष में समान मत पड़ने पर निर्णय हेतु दिया गया मत निश्चित किया गया मूल्य; ~व्यापार (पु०) माल बाहर निर्णीत-सं० (वि०) निर्णय किया गया भेजने का व्यापार
निर्णीता-सं० (पु०) 1निर्णयदाता 2 निर्णय करनेवाला निर्गमन-सं० (पु०) 1 निकासी 2 बाहर जाने का रास्ता निदैड-सं० (वि०) हर तरह के दंड दिए जाने योग्य निर्गमित-सं० (वि०) बाहर निकाली हुई
निदैत-सं० (वि०) बिना दाँत का निर्गर्व-सं० (वि०) निरभिमान
निर्दभ- (वि०) दंभ-हीन निर्गुट-सं० (वि०) बिना दल बंदी का। ता (स्त्री०) गैर निर्दग्ध-सं० (वि०) न जला हुआ दलबंदी
निर्दय-सं० (वि०) 1 दया-हीन 2 अत्यंत कठोर, निष्ठर। ~ता निर्गुण-I सं० (वि०) 1 गुणरहित 2 त्रिगुणातीत II (पु०) (स्त्री०) 1 कठोरता, निष्ठरता 2 निर्दय होने का भाव त्रिगुणातीत परब्रह्म, परमात्मा
निर्दयत्व-सं० (पु०) = निर्दयता निर्गुणी-(वि०) गुणहीन
निर्दल-सं० (वि.) 1दलरहित 2 दल से अलग निर्गट-सं० (वि०) निर्दलीय, तःस्थ
(जैसे-निर्दल-व्यक्ति) निर्गुढ-सं० (वि०) अत्यंत गढ़, बहुत गुप्त
निर्दलन-[सं० (पु०) नाश करना II (वि०) नाश करनेवाला निर्ग्रथ-[ सं० (वि०) 1 निर्धन, गरीब 2 मूर्ख, बेवकूफ निर्दली, निर्दलीय-सं० (वि०) दल-विशेष से अलग, स्वतंत्र
3 असहाय 4 वस्त्रहीन || (पु०) धार्मिक ग्रंथ को माननेवाला | (जैसे-निर्दलीय सदस्य) निघंट-सं० (पु०) 1 शब्द-संग्रह, शब्द-संपद 2 ग्रंथों का निर्दिग्ध-सं० (वि०) 1 हृष्ट-पुष्ट, मोटा-ताज़ा 2 लिप्त सूचीपत्र 3 निघुट
3 निर्लिप्त निर्घात-सं० (पु०) 1 तेज़ हवा से उत्पन्न शब्द 2 आघात, प्रहार निर्दिष्ट-सं० (वि०) 1 बतलाया हुआ 2 निर्देश किया गया निघृण-सं० (वि०) 1 घणारहित 2 अत्यंत नीच 3 निर्दय 2 निश्चित किया हुआ (जैसे-निर्दिष्ट स्थान पर मिलना) 4 बेहया
निर्दिष्टि-सं० (स्त्री०) संकेत निर्घोष-[ सं० (वि०) घोषरहित II (पु०) 1 घोर शब्द निर्देश-सं० (पु०) 1 समझाना, बतलाना 2 नियत करना 2 आवाज़
3 आदेश, हिदायत 4 उल्लेख, कथन। ~ग्रंथ (पु०) निर्देश निर्जन-सं० (वि०) एकांत
हेतु लिखी गई पुस्तक; पुस्तक (स्त्री०) - निर्देश ग्रंथ; निर्जनीकरण-सं० (पु०) आबादी से हटा दिया जाना युक्त (वि०) निर्देशपूर्ण; ~वाचक (वि०) संकेत का निर्जर-[ सं० (वि०) वृद्ध न होनेवाला II (पु०) देवता | बोध करानेवाला निर्जल-I सं० (वि०) 1 जहाँ पानी न हो 2 जिसमें जल पीना | निर्देशक-सं० (वि०) निर्देश देनेवाला
भी निषेध हो 3 जिसे जल की अपेक्षा न हो (जैसे-निर्जल | निर्देशन-सं० (पु०) निर्देश देना खेती, निर्जल धुलाई) II (पु०) । मरुभूमि 2 निर्जल निर्देशांक-सं० (पु०) किसी बिंदु की स्थिति को निर्धारित उपवास। निराहार (पु०) बिना अन्न और पानी का करनेवाले अंक समूह का कोई अंक उपवास
निर्देशात्मक-सं० (वि०) निर्देशवाचक निर्जलित-सं० (वि०) निर्जलीकृत
निर्देशानुसार-सं० (वि०) निर्देश के अनुसार निर्जलीकरण-सं० (पु०) 1 रासायनिक विधि से वनस्पतियों | (जैसे-निर्देशानुसार कार्यक्रम तैयार करना)
आदि से जल का अंश निकालना 2 जल की कमी हो जाना | निर्देशिका-सं० (स्त्री०) निर्देश-ग्रंथ निर्जलीकृत-सं० (वि०) पानी निकाला हुआ
निर्देशित-सं० (वि०) निर्देश किया गया निर्जात-सं० (वि०) प्रकटित
निदोष-सं० (वि०) 1 बिना दोष का 2 निरपराध निर्जित-सं० (वि०) 1 जीता हआ 2 वश में किया हुआ | (स्त्री०) निदोष होने की अवस्था निर्जीव-सं० (वि०) 1 मरा हुआ, मृत 2 जीवन-शक्ति से रहित निदोषिता-सं० (स्त्री०) = निदोषता
3 जो ओजमय, सजीव न हो (जैसे-निर्जीव कथा) 4 उत्साहीन | निदोषी-सं० (वि०) = निदोष निर्जीवकरण-सं० (पु०) निर्जीव बनाना
निद्व-I सं० (वि०) द्वंद्वहीन II 1 बिना द्वंद्व के निर्झर-सं० (पु०) झरना
2 स्वच्छंदतापूर्वक निर्झरिणी-सं० (स्त्री०) सरिता
निर्धन-सं० (वि०) गरीब। ता (स्त्री०) गरीबी निर्णय-सं० (पु०) 1 फ़ैसला (जैसे-निर्णय करना) 2 उचित | निर्धारक-सं० (वि०) निर्धारण करनेवाला ठहराना 3 निष्कर्ष (जैसे-निर्णय पर पहुँचना)। कारी निर्धारण-स० (पु०) 1 नियत करना 2 निश्चित करना (वि०) निर्णय करनेवाला
3निर्णय, निश्चय निर्णयन-सं० (पु०) निर्णय करना
निर्धारणीय-सं० (वि०) निर्धार्य
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कमजोरी
निर्धारित
निर्यात निर्धारित सं० (वि०) निर्धारण किया हुआ (जैसे-निर्धारित | जानेवाला (जैसे-निर्मम हत्या)। ता (स्त्री०) निष्ठुरता, संपत्ति, निर्धारित फार्म)
कठोरता निर्धार्य-सं० (वि०) 1 निर्धारण योग्य 2 उत्साही 3 पक्का, निर्मम-सं० (वि०) हृदयहीन मज़बूत
निर्मल-सं० (वि.) 1 साफ़, स्वच्छ 2 पवित्र 3 अकलुष नित-I सं० (वि०) 1निकाला हुआ 2 त्यक्त 3 नष्ट किया | निर्मलीकरण-सं० (पु०) शुद्धिकरण हुआ II (वि०) धौत, धोया हुआ
निर्मास-सं० (वि०) मांसरहित निर्धूम-सं० (वि०) धुएँ से रहित (जैसे-निधूम गाड़ी) | निर्माण-सं० (पु०) 1 बनाना, रचना (जैसे-भवन निर्माण) निर्माथ-सं० (वि०) जिसका कोई न हो, अनाथ
2 पुस्तक आदि का निर्माण 3 उत्कृष्टतम रूप देना निर्निमत्त-I सं० बिना कारण का II (क्रि० वि०) बिना कारण (जैसे-चरित्र-निर्माण करना)। ~कारी (वि०) निर्माण
करनेवाला; ~कार्य (पु०) बनाने का काम, निर्माण; निर्निमेष-I सं० (क्रि० वि०) एकटक II (वि०) जिसकी | ~काल (पु.) निर्माण में लगनेवाला समय; ~मूलक पलक न गिरे
(वि०) निर्माण पर आधारित (जैसे-निर्माण मूलक योजना); निबंध-I सं० (वि०) बंधन मुक्त II (पु०) 1 अड़चन, बाधा -विद्या (स्त्री०) वास्तु कला, वास्तु विद्या; विभाग 2 रोक, रुकावट
(पु०) रचना विभाग (जैसे-सार्वजनिक निर्माण विभाग); निबंधन-सं० (पु०) 1 = निर्बध 2 = निबंधन
~सामग्री (स्त्री०) रचना में काम आनेवाले सामान, वस्तुएँ निबंधित-सं० पु०) शर्त लगाकर सीमित करना, नियंत्रित आदि; ~स्थल (पु०) निर्माण करने की जगह करना
निर्माणांतर्गत-सं० (वि०) 1 निर्माणाधीन 2 निर्माण के अंदर निर्बल-सं० (वि०) 1कमज़ोर (जैसे-निर्बल व्यक्ति) निर्माणात्मक-सं० (वि.) निर्माण करनेवाला 2 सहनशीलता से रहित (जैसे-निर्बल हृदय) 3 जिसमें यथेष्ट निर्माणी-सं० (स्त्री०) कारखाना सजीवता न हो (जैसे-निर्बल विचारधारा)। ता (स्त्री०) निर्माता-सं० (वि०) बनानेवाला
निर्मात्री-सं० (वि०) रचना करनेवाला निर्बलीकरण-सं० (पु०) कमज़ोर बनाना
निर्मायक-सं० (वि०) निर्माता निर्बाध-I सं० (वि०) बिना बाधा का, प्रतिबंधरहित निर्मार्जन-सं० (पु०) 1 साफ़ करना 2 धोना (जैसे-निर्बाध गति से बढ़ना) II (क्रि० वि०) 1 बिना बाधा | निर्माल्य-I सं० (वि०) निर्मल, शुद्ध II (प.) निर्मलता, के 2 निरंतर, लगातार
शुद्धता निर्बीजन-सं० (पु०) बीज नष्ट करना
निर्मित-सं० (वि०) बनाया हुआ, रचा हुआ निर्बद्धि-सं० (वि०) मूर्ख, बेवकूफ़
निर्मिति-सं० (स्त्री०) 1 बनाना 2 निर्मित वस्तु निबर्बोध-सं० (वि०) अज्ञान
निर्मुड-सं० (वि०) बिना सिर का निर्भग्न-सं० (वि०) 1 टूटा हुआ, तोड़ा हुआ 2 झुकाया हुआ | निर्मुक्त-सं० (वि०) 1 छुटकारा प्राप्त 2 बंधनमुक्त 3 अलग निर्भट-सं० (वि०) कठोर
हुआ निर्भय-सं० (वि०) निडर, भय-हीन
निर्मुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 मुक्ति, छुटकारा 2 मोक्ष 3 छोड़ देना निर्भर-सं० (वि०) 1 ठहरा हुआ, अवलंबित 2 भरा हुआ | निर्मूल-सं० (वि०) 1 बिना जड़ का 2 पूर्णतः विनष्ट
3 आश्रित। ~ता (स्त्री०) निर्भर होने की अवस्था (जैसे-निर्मल काटना) बनियाद (जैसे-निर्मूल निर्भर्त्सना-सं० 1 (स्त्री०) बुरा-भला कहना 2 तिरस्कार । दोषारोपण) 3 धमकी देना
निर्मूलन-सं० (पु०) 1 मूलरहित करना 2 विनाश 3 बेबुनियाद निर्भित्र-सं० (वि०) 1 छिदा हुआ 2 फाड़ा हुआ
सिद्ध करना (जैस-दोष निर्मूलन) निर्भीक-सं० (वि०) निडर। ता (स्त्री०) निडरता. निर्मष्ट-सं० वि०) 1 धुला हआ 2 मिटाया हुआ निर्भीरुता
निर्मेघ-सं, (वि.) विना बादल का, निरभ्र निर्भूति-[ सं० (स्त्री०) लुप्त होना
निर्मेध-स० वि०) मर्ष बुद्धिहीन निर्भति-II सं० (वि०) बेगार में
निमोक-
संप.) 1 सांप का केवल 2 शरीर के ऊपर की निर्भेद-[ सं० (पु०) 1 छेदना 2 फाड़ना 3 रहस्य खोलना II त्वचा, नमा (वि०) भेदरहित
निमोक्ष-सं। (प) याग ? पूर्ण ? निर्धम-[ सं० (वि०) भ्रमरहित II (क्रि० वि०) 1 बिना भ्रम निमोचन-सं० ।। छुटकारा के 2 बेखटके, बेधड़क
निमोही-म.नि(वि . ) अनुराण नवनवाला, निर्दय ।। निभ्रांत-सं० (वि०) 1 जिसे भ्रांति न हो 2 जिसमें भ्रम न हो नियंत्रणा (प.: यंत्रणाहित करना निधीति-सं० (स्त्री०) भ्रम का अभाव
निर्याण-सं.(पु . पापा निकलना ? प्रस्थान 3 सेना का निर्मज-सं० (वि०) दुबला-पतला
रणक्षेत्र में प्रस्थान धान मोक्ष नि। क्षेत्र (प) निर्मत्सर-सं० (वि०) द्वेष करनेवाला
प्रस्थान क्षेत्र निर्मद-सं० (वि०) 1 मद से रहित 2 अभिमानरहित निर्यात- ) माल बाहर भेजना, एक्सपोर्ट (जैस-कच्चे निर्मम-सं० (वि०) 1 ममतारहित, निष्ठुर 2 कठोरतापूर्वक किया ! माल का नियात।। आय (प)) निर्यात में होनेवाली :
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निर्यातक
आमदनी ~कर (पु० ) निर्यात पर लगनेवाला कर, टैक्स, ~कर्ता (वि०) निर्यात करनेवाला; वाणिज्य, ~ व्यापार (पु०) माल बाहर भेजने का व्यापार; -शुल्क ( पु० ) = निर्यात कर
निर्यातक-सं० (वि०) माल बाहर भेजनेवाला निर्यातन-सं० (पु०) माल बाहर भेजना निर्यात सं० (स्त्री०) 1 प्रस्थान, गमन 2 मृत्यु 3 मोक्ष निर्यामक-सं० (पु० ) नाविक, मल्लाह निर्यास - सं० ( पु० ) गोंद
निर्युक्तिक-सं० (वि०) बिना युक्तिवाला, युक्तिरहित निर्यूथ-सं० (वि०) दल से अलग हुआ निर्लज्ज -सं० (वि०) बेशर्म, बेहया । ~ता (स्त्री०) बेशर्मी, बेहयापन
निर्लिंग-सं० (वि०) जिसमें कोई परिचायक चिह्न न हो निर्लिप्त-सं० (वि०) 1 लगाव न रखनेवाला, संबंध विहीन 2 सांसारिक माया मोह से दूर रहनेवाला निर्लुचन सं० ( पु० ) निलुंठन -सं० ( पु० ) निर्लेखन -सं० ( पु० ) 1 खुरचना 2 खुरचने का उपकरण निर्लेप सं० (वि०) बिना लेप का
1 अलग करना 2 फाड़ना 3 छीलना 1 लुढ़कना 2 लूटना
निर्लोभ-सं० (वि०) बिना लोभ का, लोभ-रहित
निवेश-सं० (वि०) निःसंतान निर्वक्तव्य-सं० (वि०) न कहने के योग्य
निर्वचन - I सं० (वि०) चुप, मौन II ( पु० ) 1 कहना, बोलना 2 व्याख्या करना इंटरप्रेटेशन
निर्वचनीयसं० (वि०) व्याख्या के योग्य निर्वनीकरण -सं० (पु० ) वन समाप्त कर देना निर्वसन, निर्वस्त्र -सं० (वि०) बिना वस्त्र का नंगा निर्वहण -सं० 1 निबाह, निर्वाह, गुज़र 2 अंत, समाप्ति निर्वाक्-सं० (वि०) चुप, मौन
निर्वाचक - I सं० (पु० ) निर्वाचन करनेवाला II ( पु० ) मत देनेवाला व्यक्ति । ता (स्त्री०); नामावली (स्त्री०) निर्वाचक सूची; मंडल (पु० ) जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों का दल जो अप्रत्यक्ष रूप से विशेष अधिकारी का चुनाव करता है, एलेक्टोरल कालेज वर्ग, समूह (पु०) चुनाव करनेवाले लोग; ~ सूची (स्त्री०) मतदाताओं की अर्हता संबंधी सूची, मतदाता सूची (जैसे- निर्वाचक सूची तैयार करना)
निर्वाचन-सं० (पु० ) वोट द्वारा चुनाव करना, चुनाव, इलेक्शन (जैसे- निर्वाचन आयोग, निर्वाचन करना) । ~अधिकारी, ~अफ़सर + अं० (पु० ) चुनाव अधिकारी अभियान, ~ आंदोलन (पु० ) चुनाव संबंधी हलचल; ~ आयुक्त (पु० ) चुनाव कमिश्नर कमीशन + अं० (पु० ) निर्वाचन आयोग; ~ क्षेत्र (पु० ) चुनाव हलका जन्य (वि०) चुनाव से उत्पन्न नियम (पु० ) चुनाव के नियम पत्र (पु० ) चुनाव की पर्ची: पद्धति, प्रणाली (स्त्री०) चुनाव प्रणाली प्रथा ( स्त्री०) चुनाव का रिवाज संघर्ष (पु० ) चुनाव की प्रतिद्वंद्विता निर्वाचित - सं० (वि०) चुना गया, चुनाव हुआ, इलेक्टेड (जैसे- निर्वाचित मेंबर)
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निर्विवाद
निर्वाच्य-सं० (वि० ) 1न कहने योग्य 2 निर्वाचन योग्य 3 निर्दोष
निर्वाण - I सं० (वि०) 1 शून्य स्थिति को प्राप्त 2 निश्चल, शांत 3 अस्त 4 मंद प्राप्त 5 बुझा हुआ II (वि०) बिना बाण का III (पु० ) 1 बुझना 2 अंत, समाप्ति 3 डूबना, अस्त होना 4 मुक्ति, मोक्ष 5 मृत्यु । ~काल (पु० ) स्वर्गवास का समय निर्वात सं० (वि०) 1 वायुरहित, वैक्यूम 2 शांत, स्थिर निर्वातन-सं० (पु० ) हवा निकालना निर्वाद-सं० (पु० ) 1 निंदा, अपवाद 2 अवज्ञा, लापरवाही निर्वापण सं० (पु० ) 1 बुझाना 2 मारना, वध करना 3 अधिकार खत्म करना निर्वापित-सं० (वि०) 1 बुझाया हुआ 2 वध किया हुआ, हत 3 समाप्त किया हुआ 4 विनष्ट, बर्बाद निर्वास - I सं० (वि०) 1 गंधरहित 2 अगेह II (पु० ) विदेश
यात्रा, प्रवास
निर्वासन - सं० (पु० ) 1 बलपूर्वक निकाल देना 2 देश निकाले का दंड
+
निर्वासित-सं० (वि० ) देश निकाला हुआ निर्वास्य-सं० (वि०) निर्वासित किए जाने योग्य निर्वाह - सं० ( पु० ). 1 वहन करना, निबाहना 2 निष्पादन 3 अंत, समाप्ति अनुदान (पु० ) = निर्वाह व्यय; खर्च फ़ा० (पु० ) निर्वाह व्यय; निधि (स्त्री०) गुज़ारे के लिए खर्च भत्ता (पु० ) गुजारे के लिए भत्ता; भृति (स्त्री०) निर्वाह मजूरी, मजूरी फ़ा० (स्त्री० ) निर्वाह हेतु मिलनेवाला वेतन
निर्वाहक सं० (वि०) 1 निभानेवाला 2 पालन करनेवाला निर्वाहण -सं० (पु० ) 1 निभाना 2 ठीक से काम करना निर्वाहणिक-सं० (वि०) 1 निर्वाह-संबंधी 2 निर्वाह करनेवाला निर्वाहिका -सं० (स्त्री०) निर्वाह भृति निर्विकल्प-सं० (वि०) 1 सदा एक रस एवं एक रूप रहनेवाला 2 निश्चल, स्थिर । ~ समाधि (स्त्री०) विकल्प समाप्त होने की समाधि अवस्था निर्विकार-सं० (वि०) अविकारी निर्विकास-सं० (वि०) अविकसित निर्विघ्न - I सं० (वि०) बाधारहित ]] ( क्रि० वि०) बिना बाधा के
निर्विचेष्ट-सं० (वि०) बेहोश निर्विद्ध-सं० (वि०) घायल
निर्विद्य सं० (वि०) विद्याहीन, अपढ़, मूर्ख निर्विधायन -सं० (पु० ) विधान विरुद्ध बात निर्विधायित-सं० (वि०) निर्विध, हटाया हुआ निर्विधि सं० (वि०) विधिक दृष्टि से अमान्य निर्विभक्तिक-सं० (वि०) बिना विभक्ति का निर्विभाग-सं० (वि०) बिना विभाग का निर्विभेद - सं० (वि०) बिना भेद या प्रकार का निर्विरोध - I सं० 1 बिना विरोध का 2 बिना रुकावट II ( क्रि० वि०) बिना विरोध किए
निर्विवर-सं० (वि०) बिना छेद का
निर्विवाद - I सं० (वि०) बिना विवाद का II ( क्रि० वि० ) बिना विवाद किए
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निर्विवेक
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निवृत्ति
निर्विवेक-सं० (वि०) विवेक-रहित
निवसति-सं० (स्त्री०) निवास स्थान निर्विशंक-सं० (वि०) संदेहयुक्त, संदिग्ध
निवसन-सं० (पु०) 1निवास करना 2 निवास स्थान निर्विशेष-I सं० (वि०) 1 तुल्य, समान 2 सदा एक रूप 3 अधोवस्त्र 4 वस्त्र रहनेवाला II (पु०) परब्रह्म
निवह-सं० (पु०) 1 समूह, यूथ, समुदाय 2 सात हवाओं में से निर्विष्ट-सं० (वि०) 1 भोगा हुआ 2 विवाहित
एक, अनिल निर्वीज-सं० (वि०) 1 बीज-रहित 2 कारणरहित 3 नपुंसक निवाज़-अ० (वि०) कृपा करनेवाला निर्वीर-सं० (वि०) वीर-विहीन
निवाना-(स० क्रि०) नवाना, झुकाना (जैसे-सिर निवाना) निर्वीरा-सं० (स्त्री०) पति और पुत्र से विहीन नारी निवाप-सं० (पु०) 1 पितरों के उद्देश्य से किया जानेवाला दान निर्वीर्य-सं० (वि.) 1 नपुंसक 2 शक्तिहीन, निर्बल, कमज़ोर | 2 दान निर्वृत-सं० (वि०) 1 वापस आया हुआ 2 निष्पन्न निवार-I फ़ा० (स्त्री०) मोटे सूत की तीन-चार अंगुल चौड़ी निवृत्ति-सं० (स्त्री०) वापस आना, लौटना
पट्टी। ~ बाफ़ (पु०) निवार बुननेवाला निर्वेग-सं० (स्त्री०) वेग-हीन, स्थिर
निवार-IIसं० (पु०) 1 तिन्त्री का धान 2 निवारण निर्वेद-सं० (पु०) 1 ग्लानि 2 घृणा 3 ग्लानि एवं निराशा निवारक-सं० (वि०) 1 निवारण करनेवाला 2 दूर हटानेवाला 4 संचारी भाव
निवारण-सं० (पु०) 1 रोकना 2 दूर करना, हटाना निर्वैयक्तिक-सं० (वि०) जो निज का न हो
3 रोक-थाम 4 मनाही. निषेध निर्वैर-[सं० (वि०) वैर भाव आदि से रहित II (पु०) वैर का | निवारी- (स्त्री०) जूही की जाति का सुगंधित फूलोंवाला पौधा अभाव
___एवं फूल = नेवारी निर्व्यथन-सं० (पु०) 1 तीव्र पीड़ा, वेदना 2 पीड़ा से होनेवाली | निवारी-फ़ा० (वि०) 1 निवार संबंधी 2 निवार से बना हआ मुक्ति
निवार्य-सं० (वि०) 1 रोके जाने योग्य 2 हटाए जाने योग्य निळलीक-सं० (वि०) 1 निष्कपट 2 निरीह
निवाला-अ० (पु०) कोर. ग्रास। निवाले मारना निर्व्याकुल-सं० (वि०) न घबराया हुआ
जल्दी-जल्दी खाना निर्व्याज-सं० (वि०) 1 निर्विघ्न 2 छल कपट से रहित निवास-सं० (पु०) 1वास, रहना 2 वास-स्थान निधि-सं० (वि०) रोग से मुक्त, नीरोग
3 विश्राम-स्थल 4 घर, मकान (जैसे-आपका निवास कहाँ है) निर्व्यापार-सं० (वि०) 1 व्यापार रहित, बेकार 2 गतिहीन बस्ती + हिं० (स्त्री०) रहने के घरोंवाली कालोनी नियूंढ-सं० (वि०) 1 पूरा बनाया हुआ 2 विकसित 3 त्यक्त | निवासन-सं० (पु०) 1 बसकर रहना 2 घर, मकान 4 भाग्यवान्
3 काल-यापन निर्हरण-सं० (पु०) 1 अर्थी पर शव ले जाना 2 शव जलाना निवासित-सं० (वि०) 1 बसा हुआ 2 बसाया हुआ 3 नष्ट करना 4 बाहर निकालना
निवासिनी-सं० (स्त्री०) रहनेवाली स्त्री निरि-सं० (पु०) 1 धंसी वस्तु को निकालना 2 मल आदि निवासी-सं० (वि०) बसनेवाला. निवास करनेवाला त्यागना 3 धन-संपत्ति आदि जोड़ना
निवास्य-सं० (वि०) निवास करने योग्य, रहने के लायक निर्हेतु -[ सं० (वि०) हेतुरहित, अकारण II (क्रि० वि०) निविड़-सं० (वि०) 1 घना, सघन 2 गंभीर 3 भारी डील-डौल बिना किसी हेतु के
~ता (स्त्री०) 1 घनापन, सघनता 2 गंभीरता 3 स्थूलता निलंबन-सं० (पु०) 1 संदेह होने पर पद से हटाना 2 अप्रभावी | निविदक-सं० (वि०) निविदा देनेवाला । कर देना, टाल देना
निविदा-सं० (स्त्री०) आवश्यक रक़म लेकर वांछित वस्तुएँ निलंबित-सं० (वि०.) 1 पदच्युत किया गया 2 रोका गया | जुटा देने या काम पूरा करने का लिखित वादा। ~दाता 3 मुअत्तल
(पु०) निविदा देनेवाला निलय-सं० (पु०) 1 रहने की जगह 2 वास-स्थान, घर | | निविशमान-I सं० (वि०) कहीं निवास करनेवाला II (पु०) 3छिपना 4 लुप्त हो जाना
उपनिवेश बसानेवाले लोग, उपनिवेशी निलहा-(वि०) 1 नीले रंगवाला 2 नील रंग में रंगा हुआ निविशेष-सं० (वि०) 1 साधारण, सामान्य 2 तुल्य, समान 3 नीलवाला, नील संबंधी
निविष्ट-सं० (वि०) 1 बैठा हुआ, आसीन 2 डेरा डालकर निलाम-कर्ता-पु० सं० (पु०) सार्वजनिक रूप से बोली ठहरा हुआ 3 एकाग्र किया हुआ 4 प्रविष्ट 5 ठहरा हुआ, बोलकर बेचनेवाला व्यक्ति
ठहराया हुआ, स्थित 6 व्यवस्थित निलीन-सं० (वि०) 1 छिपा हुआ 2 विनष्ट 3 पिघला हुआ | निविष्टि-सं० (स्त्री०) 1 विश्राम करना 2 संभोग करना 3 खाते 4 अत्यंत लीन 5 परिवर्तित ।
__ आदि में दर्ज करना 4 चढ़ाई गई रकम, बात आदि निवर्तक-सं० (वि०) 1 लौटानेवाला 2 निवर्तन करनेवाला | निवृत्त-[ सं० (वि०) 1 वापस आया हुआ 2 विरत 3 मुक्त निर्वतन-सं० (पु०) 1 रोकना, निवारण 2 लौटाना 3 लौटना | ___4 हटाया हुआ 5 समाप्त II (पु०) 1 आवरण 2 पर्दा 4 पीछे हटना-हटाना 5 कानून आदि रद्द करना 6 घूमना, मुड़ना __ 3 लपेटने का कपड़ा 7 अंतर्निहित होना
निवृत्तात्मा-सं० (वि०) 1 विषयों से अलग रहनेवाला 2 यती निवर्तमान-सं० (वि०) पद से हट जानेवाला
निवृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 निवृत्त होना 2 वापस आना 3 प्रवृत्ति का निवर्तित-सं० (वि०) 1 लौटाया हुआ 2 लौटा हुआ 3 रद्द | अभाव होना 4 त्याग 5 मुक्ति 6 अवकाश प्राप्त करना,
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निवेदक
रिटायरमेंट (जैसे-सेवा-निवृत्ति) । ~मार्ग (पु० ) विरक्ति का मार्ग; ~बाद (पु० ) विरक्त रहने का सिद्धांत; ~वादी (वि०) निवृत्तिवाद को माननेवाला; ~ वेतन (पु० ) पेंशन निवेदक-सं० (वि०) निवेदन करनेवाला
निवेदन सं० (पु० ) 1 नम्रतापूर्वक कहना 2 प्रार्थना, विनती 3 समर्पण। पत्र (पु० ) प्रार्थना-पत्र निवेदित-सं० (वि०) 1 निवेदन स्वरूप कही गई 2 समर्पित निवेश -सं० (पु० ) कंपनी आदि में लाभ हेतु रकम लगाना निवेशन सं० ( पु० ) 1 घर 2 डेरा 3 नगर निवेष्ट सं० (पु० ) 1 आवरण 2 ढकने का कपड़ा निवेष्टन-सं० (पु० ) 1 ढकना 2 बैठन निशब्द - सं० (वि०) शब्दरहित 2 चुप, मौन निशस्त्रीकरण-सं० (पु० ) निःशस्त्रीकरण निशांत - [सं० (वि०) 1 अत्यधिक शांत 2 शांतियुक्त II ( पु० ) निशा का अंत
चरी
निशांध-सं० (वि०) रात को न देख सकनेवाला निशा-सं० (स्त्री०) रात रात्रि । ~चर I ( वि०) रात में विचरण करनेवाला II ( पु० ) 1 राक्षस 2 उल्लू [ ( स्त्री० ) 1 राक्षसी 2 अभिसारिका, नायिका II ( वि० ) 1 निशाचर संबंधी 2 निशाचरों की तरह; जल (पु० ) 1 ओस 2 पाला
निशाख़ातिर - फा० + अ० (स्त्री०) मन में होनेवाला पूर्ण विश्वास
निशान - फा० (पु० ) 1 चिह्न लक्षण 2 प्राकृतिक चिह्न 3 मोहर आदि की छाप 4 कलंक, धब्बा 5 हस्ताक्षर के बदले लगाया गया चिह्न (जैसे अंगूठे का निशान लगाना) 6 पता, ठिकाना 7 यादगार 8 परिचायक चिह्न (जैसे- पुल पर झंडे का निशान बना है) । ची तु | ( वि० ) निशान लगानेवाला II (पु) आगे-आगे झंडा लेकर चलनेवाला व्यक्ति; ~बरदार (पुत्र) व्यक्ति जो जुलूस आदि में झंडा लेकर आगे-आगे चलता है।
निशाना- फा० (पु० ) 1 वह बिंदु या पदार्थ जिसपर आघात किया जाय (जैसे- पक्षी पर निशाना लगाना) 2 वार जिसके प्रति कोई चुटकीली बात कही जाय वह व्यक्ति (जैसे- किसो की नज़र का निशाना ) । ~बाज़ (वि०) निशाना लगानेवाला; बाज़ी (स्त्री०) निशाना लगाना। ~ बाँधना लक्ष्य साधना; -- मारना, लगाना लक्ष्य को दृष्टि में रखकर वार करना; ~साधना 1 दे० निशाना बाँधना 2 निशाना मारने का अभ्यास करना निशानी-फ़ा० (स्त्री०) 1 यादगार, स्मृति चिह्न 2 निशान पहचान का चिह्न
निशास्ता - फ़ार (पु० ) 1 गेहूँ का सार 2 कॅलफ, माड़ी निशि-सं० (स्त्री) रात
निशित - I सं० (वि०) चोखा, तेज II ( पु०) लोहा निशीथ सं० (स्त्री०) 1 अर्ध रात्रि 2 विभावरी, रजनी,
रात
निशुंभ-सं० ( पु० ) 1 वध 2 हिंसा 3 दुर्गा द्वारा मारा गया एक
452
राक्षस
निश्चय - 1 सं० (पु० ) 1 संकल्प करना 2 प्रस्ताव, रिजोल्यूशन 3 निर्णय 4 विश्वास II ( क्रि० वि०) निश्चित रूप से,
निषेध
अवश्य। ~ कारी (वि०) निश्चय करनेवाला; ~ वाचक (वि०) निश्चय का बोध करानेवाला निश्चयन -सं० ( पु० ) निश्चय करना निश्चयात्मक-सं० (वि०) निश्चय रूप में होनेवाला, निःसंदेह निश्वयार्थ, निश्चार्थक-सं० (वि०) निश्चित अर्थवाला निश्चयेन - सं० ( क्रि० वि०) निश्चित रूप से, निश्चयपूर्वक निश्चल -सं० (वि० ) 1 अचल, स्थिर 2 अपरिवर्तनशील निश्चायक-सं० (वि०) निश्चय करनेवाला, निर्णायक निश्चित-सं० (वि०) बेफ़िक्र । ~ता (स्त्री०) बेफ़िक्रो निश्चित - सं० (वि०) 1 निश्चय किया गया 2 स्थिर हुआ 3 अपरिवर्तनीय
निश्चिति-सं० (स्त्री०) 1 निश्चित करना 2 निश्चय निश्चेतक सं० चेतनारहित करनेवाला
निश्चेतन - I सं० (वि०) संज्ञाहीन, बेहोश (पु०) संज्ञाहीन करना, बेहोश करना
निश्चेतनीकरण-सं० (पु० )
निश्चेष्ट सं० (वि०) चेष्टा न करनेवाला निश्चेष्टा-सं० (स्त्री०) चेष्टा न करना
निश्छल सं० (वि०) निष्कपट, छलरहित (जैसे-निश्छल हृदय)
निश्रम-सं० (पु० ) न थकना निश्रेणी-सं० (स्त्री०) सीढ़ी
निश्रेयस सं० (पु० ) 1 कल्याण 2 मोक्ष निश्वास - सं० ( पु० )
3 गहरी साँस निश्शंकसं० (वि०) निःशंक निश्शक्त सं० (वि०) शक्तिहीन, अशक्त निश्शब्द-सं० (वि० ) निःशब्द निश्शस्त्रीकरण-सं० ( पु० ) निःशस्त्री करण
=
निश्लील - सं० (वि०) 1 बुरे स्वभाववाला 2 बे-मुरौवत निश्शुल्क - सं० (वि०) निःशुल्क निषंग-सं० ( पु० ) 1 तरकश, तूणीर 2 तलवार निषंगी - सं० (वि०) 1 आसक्त 2 धनुर्धारी 3 खड्गधारी निषक्त-सं० (वि०) अत्यंत आसक्त निषाद - सं० (पु० ) 1 प्राचीन अनार्य जंगली जाति 2 नीच जाति का व्यक्ति 3 शूद्र माँ एवं ब्राह्मण पिता से उत्पन्न व्यक्ति 4 संगीत में सरगम का सातवाँ स्वर निषादित -सं० (वि०) 1 पीड़ित 2 बैठाया हुआ निषिक्त - 1 सं० (वि०) 1 जल छिड़का हुआ 2 सींचा हुआ 3 भीतर पहुँचाया हुआ II (पु० ) वीर्य जनित गर्भ निषिद्ध-सं० (वि०) 1 निषेध किया गया 2 रोका गया 3 अत्यंत बुरा एवं त्याज्य
निषिद्धि-सं० (स्त्री० ) निषेध
निषेक-सं० ( पु० ). 1 जल छिड़कना 2 सिंचाई करना 3 गर्भ धारण करना 4 वीर्य 5 शक्ति भरना
1 साँस बाहर निकालना 2 साँस, श्वास
=
निषेचन - सं० (पु० ) 1 छिड़कना 2 सींचना 3 गर्भ धारण करना निषेध - सं० ( पु० ) 1 मना करना 2 रोक, बाधा 3 अपवाद 4 मनाही 5 अस्वीकृति, इनकार। ~अधिकार ( पु० ) निषेधाधिकार पत्र (पु० ) मना करने से संबंधित लिखित
=
पत्र
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निषेधक
निषेधक सं० (वि० ) निषेधात्मक
निषेधन -सं० (पु० ) निषेध करना
निषेधाज्ञा - सं० (स्त्री०) निषेध संबंधी आदेश, आज्ञा निषेधात्मक सं० (वि०) मनाही करनेवाला निषेधादेश -सं० (पु०) निषेधाज्ञा निषेधाधिकार-सं० (पु० ) 1 काम करने से रोकने का अधिकार 2 राज्य, संस्था आदि के प्रधान को प्राप्त वह अधिकार जिसका सही प्रयोग कर वह पारित प्रस्ताव को रोक सकता है, वीटो
निषेधित - सं० (वि०) मना किया हुआ निषेवण-सं० (पु० ) 1 सेवा करना 2 आराधन करना 3 अनुष्ठान 4 व्यवहार में लाना 5 रहना, बसना निष्कंटक - I सं० (वि०) 1 बाधा, आपत्ति आदि से रहित, निर्विघ्न 2 जिसमें काँटे न हों II ( क्रि० वि० ) 1 बेखटके 2 बिना रुकावट के
निष्क - सं० ( पु० ) 1 सोलह माशे के मान के बराबर सोने का एक सिक्का 2 सोलह माशे के सिक्के के बराबर की तौल 3 सोना
=
(पु० )
निष्कपट-सं० (वि०) कपटरहित
निष्कपटी-सं० (वि०) बिना कपट का
निष्कर- I सं० (वि०) बिना शुल्क का II (स्त्री०) बिना कर की भूमि. माफ़ी
निष्करुण-सं० (वि०) करुणारहित निष्कर्तन-सं० (पु०) काट कर अलग करना निष्कर्म सं० (वि०) बिना काम का निष्कर्मा-सं० (वि०) निकम्मा निष्कर्ष सं० 3 निचोड
453
1 परिणाम, कनक्लूजन 2 निश्चय
निष्कर्षण - सं० (५०) 1 बाहर निकालना 2 दूर करना 3 मिटाना निष्कलंक - सं० (वि०) बेदाग़
निष्कल-सं० (वि०) 1 कलारहित 2 नष्टवीर्य 3 क्षीण निष्कला - सं० (स्त्री०) ऐसी स्त्री जिसका रजोधर्म बंद हो गया हो
निष्कलुष-सं० (वि०) निर्मल, पवित्र
निष्काम -सं० (वि०) 1 कामना एवं वासना से रहित, निर्लिप्त 2 बिना कामना के किया जानेवाला (जैसे- निष्काम कर्म) । ~वृत्ति (स्त्री०) निष्काम भाव निष्कारण - I सं० (वि०) बिना कारण का II ( क्रि० वि० )
1 बिना कारण के 2 व्यर्थ III ( पु० ) 1 हटाना 2 मारण निष्कालिक -सं० (वि०) 1 कुछ ही दिन जीनेवाला 2 जिसका अंत निकट हो
निष्काश-सं० (पु० ) = निष्कास निष्काशन सं० ( पु० ) निष्कासन निष्काशित-सं० (वि०) = निष्कासित
निष्कास - सं० (पु० ) 1 बाहर निकालना 2 बाहर निकला हुआ
=
भाग
निष्कासन -सं० ( पु० ) 1 बाहर करना 2 हटाना 3 निकालना, निःसारण
निष्ठीवन
निष्कीटक -सं० (वि०) 1 कीटाणुरहित 2 कीटाणुओं को नाश करनेवाला
निष्कीटन-सं० (पु०) रासायनिक प्रक्रिया से कीटाणुओं को
निष्कासित - सं० (वि०) 1 बाहर किया हुआ 2 निकाला हुआ, निःसारित 3 हटाया हुआ
नाश करना
निष्कीटित -सं० (वि०) किसी प्रक्रिया से कीटाणुओं को नष्ट किया गया
निष्कुल-सं० (वि०) 1 कुल से रहित 2 बिना कुल का निष्कुषित-सं० (वि०) 1 छीला हुआ 2 जहाँ-तहाँ काटा हुआ 3 निष्काषित
निष्कूट-सं० (वि०) छल-कपट से रहित निष्कृत - I सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 मुक्त 3 उपेक्षित II ( पु० ) 1 मिलन स्थान 2 प्रायश्चित निष्कृति - सं० (स्त्री०) 1 छुटकारा, मुक्ति 2 उपेक्षा, तिरस्कार 3 क्षमा 4 प्रायश्चित 5 दुराचरण। ~धन (पु०) फिरौती निष्कृष्ट - सं० (वि०) 1 निचोड़कर निकाला हुआ 2 सारभूत निष्कोषण-सं० (पु० ) 1 छीलना 2 खाल उतारना 3 नष्ट-भ्रष्ट करना 4 निष्कासन
निष्क्रम - I सं० (वि०) क्रम-हीन, बेतरतीब (पु० ) 1 मन की तृप्ति 2 जाति से बाहर निकालना। पत्र (पु०) बाहर निकलने का पत्र
निष्क्रमण -सं० (पु०) बाहर निकालना, बाहर लाना निष्क्रमणार्थी-सं० (पु०) निकलने की इच्छा रखनेवाला निष्क्रय - सं० (पु० ) 1 ख़रीद, क्रय 2 वेतन भृति 3 भाड़ा 4 पुरस्कार 5 शक्ति, सामर्थ्य 6 प्रत्युपकार 7 छुटकारे के लिए दिया जानेवाला द्रव्य निष्क्रयण-सं० (पु० ) निष्क्रय रूप में दिया जानेवाला धन निष्क्रात -सं० (वि०) 1 निकाला हुआ 2 निष्क्रमण हुआ निष्क्रमित सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 भगाया हुआ 3 दबाया हुआ निष्क्रिय-सं० (वि०) 1 काम-धाम न करनेवाला 2 निश्चेष्ट (जैसे- निष्क्रिय-विरोध) 3 विहित कर्म न करनेवाला । ~ता (स्त्री०) निष्क्रिय होने की अवस्था
निष्क्रीत - सं० (वि०) 1 चुकाया हुआ 2 निष्क्रीय दिया हुआ निष्क्वाथ सं० (पु०) माँस आदि का रसा, शोरबा निष्टपन-सं० ( पु० ) 1 पकाना 2 जलाना निष्टप्त-सं० (वि०) 1 पकाया हुआ 2 झुलसा हुआ निष्टाप-सं० ( पु० ) 1 जलाना 2 थोड़ा तप्त करना निष्ठ-सं० (वि०) 1 विश्वास करनेवाला (जैसे-धर्म-निष्ठ) 2 लगा रहनेवाला (जैसे-कर्म-निष्ठ) 3 मन से लगा रहनेवाला (जैसे-कर्तव्य-निष्ठ) 4 निष्ठा रखनेवाला
निष्ठांत-सं० (वि०) नश्वर
निष्ठा - सं० (स्त्री०) 1 अवस्था, दशा 2 दृढ़ निश्चय, निश्वास 3 श्रद्धा एवं भक्ति 4 आधार, नींव 5 अवधारण । प्रत्यय ( पु० ) निष्ठा पर विश्वास
निष्ठान-सं० (पु० ) चटपटी वस्तुएँ निष्ठानक-सं० (पु०) भोजन की चटपटी चीजें निष्ठावान -सं० (वि०) निष्ठा रखनेवाला
निष्ठित सं० (वि०) 1 दृढ़ रूप से स्थित 2 निष्ठायुक्त निष्ठीवन-सं० (पु० ) 1 खार आदि मुँह से फेंकना 2 खखार, थूक
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निष्ठुर
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निस्संकोच निष्ठर-सं० (वि०) 1 कठोर, कड़ा 2 निर्दय, बेरहम 3 उग्र, | निसार-बो० (वि०) निस्सार
तेज़। ता (स्त्री०) 1निष्ठुर होने की अवस्था 2 कठोरता । | निसास-(पु०) निसाँस 3निर्दयता 4 उग्रता
निसीठी-(वि०) 1निःसार 2 नीरस निष्ठयूत-सं० (वि०) 1 थूका हुआ 2 उगला हुआ 3 बाहर | निसूदन-सं० (पु०) 1 वध करना 2 नष्ट करना निकाला हुआ
निस्सृत-सं० (वि०) निकला हुआ निष्णात-सं० (वि०) 1 अच्छा ज्ञान रखनेवाला 2 पूरा किया | निसृष्ट -1 सं० (वि०) 1 दान-भेंट आदि के रूप में दिया हुआ हुआ, निष्पन्न 3 उत्तम, श्रेष्ठ
2 त्यागा हुआ 3 भेजा हुआ, प्रेषित II (वि०) मध्यस्थ निष्तब्ध-सं० (वि०) 1 मौन 2 चकित 3 निश्चल 4 शांत __III (पु०) दैनिक मज़दूरी निष्पक्ष-सं० (वि०) 1 बिना पक्ष का 2 तटस्थ | निसृष्टार्थ-सं० (पु०) 1 संदेशवाहक, दूत साहि० प्रेमिका एवं
3 पक्षपातरहित। ~ता (स्त्री०) 1 निष्पक्ष होने की अवस्था प्रेमी को मिलाने की व्यवस्था करनेवाला व्यक्ति 3 महत्वपूर्ण 2 निष्पक्ष किया जानेवाला आचरण
व्यक्ति, प्रबंधक आदि निष्पत्ति-सं० (स्त्री०) 1 आर्विभाव, उत्पत्ति 2 पूर्णता 3 समाप्ति | निसोथ-(स्त्री०) 1 दवा के काम में आनेवाली एक जड़ 2 एक 4 उद्देश्य आदि की सिद्धि 5 निर्वाह
लता जिसके पत्ते गोल एवं नुकीले होते हैं निष्यत्र-सं० (वि.) 1 पत्र-हीन 2 पंख-हीन
निस्तंद्र-सं० (वि०) 1निरालस्य 2 तंद्रारहित, जागरुक निष्पंद-सं० (वि०) कंपरहित
निस्तनी-सं० (स्त्री०) औषध की गोली निष्यन्न-सं० (वि०) 1 भली-भाँति पूरा किया हुआ 2 जन्मा | निस्तब्ध-सं० (वि०) 1निश्चेष्ट 2 गतिहीन 3 स्तब्ध हुआ, उत्पन्न
(जैसे-निस्तब्ध रात्रि)। ~ता (स्त्री०) 1निश्चेष्टता निष्पर्यंत-सं० (वि०) अपार, असीम
2 गतिहीनता निष्पलक-सं० (क्रि० वि०) बिना पलक गिराए
निस्तमस्क-सं० (वि०) अंधकाररहित निष्पादक-I सं० (वि०) निष्पादन करनेवाला II (पु०) | निस्तरंग-सं० (वि०) शांत एवं स्थिर
आज्ञा, निश्चय आदि के अनुसार कार्य करनेवाला व्यक्ति | निस्तरण-सं० (पु०) 1 पार उतरना 2 छुटकारा मिलना निष्पादन-सं० (पु०) पूरा करना, निष्पन्न करना
निस्तल-सं० (वि०) 1 बिना तल का 2 अत्यंत गहरा, निष्पाप-सं० (वि०) 1 पाप न करनेवाला 2 जिसे करने से पाप | अंतहीन न लगे
निस्तार-सं० (पु०) 1 तैरकर पार होना 2 छुटकारा, उद्धार निष्पिष्ट-सं० (वि०) 1 चूर्ण किया हुआ 2 पीड़ित 3 पीटा हुआ | 3 अभीष्ट प्राप्ति निष्पीड़न-सं० (पु०) 1 दबाकर रस निकालना 2 निचोड़ना निस्तारक-सं० (वि०) बचानेवाला निष्पुत्र-सं० (वि०) पुत्र-हीन
निस्तारण-सं० (पु०) 1 पार 2 बंधन मुक्त करना निष्पुरुष-सं० (वि०) 1 नपुंसक 2 निर्जन
निस्तीर्ण-सं० (वि०) 1 पार हुआ 2 बंधन मुक्त 3 पूरा किया निष्प्रकारक-सं० (वि०) साधारण
हुआ निष्प्रपंच-सं० (वि०) छलरहित निष्कपट
निस्तेज-सं० (वि०) तेज-हीन निष्प्रभ-सं० (वि.) 1 प्रभा-हीन 2 विवर्ण
निस्तोद-सं० (पु०) 1 चुभाना 2 डंक मारना निष्प्रभाव-सं० (वि०) अप्रभावी
निस्त्रय-सं० (वि०) निर्लज्ज निष्प्रयोजन-[ सं० (वि०) 1बिना मतलब का | निस्पंद-I सं० (वि०) स्पंदनरहित II (पु०) स्पंदन
(जैसे-निष्प्रयोजन प्रीति) 2 व्यर्थ का. निरर्थक | निस्पृष्ट -सं० (वि०) अछूता II (क्रि० वि०) बिना प्रयोजन के
निस्पृह-सं० (वि०) 1 इच्छारहित, वासनारहित 2 निलोभ निष्प्राण-सं० (वि०) 1 बिना प्राण का, मृत 2 महत्वहीन (जैसे-निस्पृह प्राणी) (जैसे-निष्प्राण सहित्य)
निस्फ़-अ० (वि०) आधा निष्फल-सं० (वि०) 1 बिना परिणाम का 2 व्यर्थ, बेकार | निस्फ़ानिस्फ़-अ० (क्रि० वि०) आधे-आध 2 बिना फल का
निस्बत-अ० (वि०) = निसबत निसंशय-सं० (वि०) = निःशंक
निस्बतन-अ० (वि०) = निसबत निसबत-सं० (स्त्री०) 1 संबंध, लगाव 2 मैंगनी, सगाई | निस्बतन-अ० (वि०) उत्थान 3 मुक़ाबला, तुलना
निस्यंदन-सं० (पु०) 1 चूना, रिसना, क्षरण 2 परिणाम 3 प्रकट निसर्ग-सं० (पु०) 1 छोड़ना, त्यागना 2 बाहर निकालना 3 मल | करना
त्यागना 4 दान, भेंट आदि देना 5 सृष्टि प्रकृति। -ज (वि०) निस्वन, निस्वान-सं० (पु०) 1 शब्द, आवाज़ 2 ध्वनि में निसर्ग से उत्पन्न; नियम (पु०) शाश्वत नियम, नेचुरल लॉ | होनेवाली सुरसुराहट। निसर्गतः-सं० (क्रि० वि०) प्रकृति के अनुसार निस्वामीयकरण-सं० (पु०) बेदखली, मालकाना हक़ हटा निसाँस-[ बो० (पु०) लंबी साँस, निःश्वास II (वि०) देना
निस्वामीयकृत-सं० (वि०) बेदखल किया हुआ निसा-(स्त्री०) 1 तृप्ति, तृष्टि 2 संतोष
निस्संकोच-I सं० (वि०) संकोचरहित II (क्रि० वि०) बिना निसार-अ० (पु०) 1 बलि, कुर्बान 2 निछावर
संकोच के
निसाँसा
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निस्संक्रामक
निस्संक्रामक -सं० (वि०) संक्रमण न करनेवाला, छूत न पैदा करनेवाला निस्संग-सं० (वि०) 1 बिना साथ का 2 अकेला 3 विषय-वासनारहित 4 एकांत, निर्जन निस्संतान-सं० (वि०) संतान हीन निस्संदिग्ध -सं० (वि० ) = निस्संदेह
निस्संदेह - I सं० (वि०) असंदिग्ध, संदेहरहित II ( क्रि० वि० ) 1 बिना संदेह के, बेशक 2 निश्चित रूप से, अवश्य (जैसे- निस्संदेह खाइए )
निस्संबल - सं० (वि०) = निःसंबल
निस्सत्व-सं० (वि० ) = निःसत्व निस्सरण - सं० ( पु० ) 1 निकलना 2 निकलने का मार्ग निस्सहाय सं० (वि०) असहाय
निस्सार-सं० (वि०) सार- हीन निस्सारक-सं० (नि०) निकालनेवाला निस्सारण-सं० ( पु० ) निकालना निस्सारित सं० (वि०) निकाला हुआ
निस्सीम सं० (वि०) 1 सीमारहित, असीम 2 अत्यधिक (जैसे- निस्सीम वेग)
निस्स्वादु - सं० (वि०) 1 बिना स्वाद का 2 बुरे स्वादवाला,
बदमज़ा
निस्स्वार्थ - I सं० ( वि० ) = निःस्वार्थ II ( क्रि० वि०) बिना स्वार्थ के
निहंग, निहंगम - I सं० (वि०) 1 अकेला, एकाकी 2 अविवाहित एवं परिवार हीन 3 नंगा 4 निर्लज्ज, बेशर्म II (पु० ) 1 विरक्त साधु 2 एक सिक्ख संप्रदाय निहंता-सं० (वि०) 1 नाश करनेवाला, विनाशक 2 हत्या करनेवाला
निहठा बो० (स्त्री०) लकड़ी का टुकड़ा निहत - सं० (वि०) 1 चलाया हुआ 2 नष्ट, विनष्ट 3 मार डाला
गया
निहतार्थ - सं० ( पु० ) काव्य-दोष
निहत्था - (वि०) 1 शस्त्र - हीन 2 जिसके हाथ में कुछ भी न हो निहनन सं० ( पु० ) वध, मारण
निहाई - (स्त्री०) लोहे का बड़ा टुकडा निहानी - ( स्त्री०) एक तरह की रुखानी (औज़ार) निहायत - अ० ( क्रि० वि०) बहुत अधिक (जैसे- निहायत मूर्ख)
निहार - I सं० ( पु० ) निकास II (वि०) III ( पु० ) = नीहार
निहारना - (स० क्रि०) 1 टक लगाकर देखना 2 ताकना (जैसे-खेत निहारना)
निहाल - (वि० ) 1 हर तरह से तृप्त, सफल मनोरथ 2 प्रसन्न एवं संतुष्ट
निहाल - फ़ा० ( पु० ) पौधा । चा (पु०) छोटी गद्दी निहाली - I फ़ा० (स्त्री०) 1 तोशक, गद्दा 2 रज़ाई II (स्त्री०) निहाई
455
=
निहाल, लट्टू
निहित-सं० (वि०) 1 स्थापित 2 सौंपा हुआ 3 अंदर छिपा हुआ। ~ स्वार्थ (पु० ) बीच में पड़ा हुआ हित; स्वार्थी (वि०) अपने हित रखनेवाला
नीति
निहितार्थ - सं० (पु० ) छिपा हुआ अर्थ
निहुरना - (अ० क्रि०) बो० 1 झुकना, नवना 2 नम्र होना निहोरा - I बो० (पुc) 1 कृतज्ञता, एहसान 2 निवेदन, प्रार्थना 3 आसरा, भरोसा II ( क्रि० वि०) के लिए, वास्ते नींद - ( स्त्री० ) = निद्रा । उचटना, उचाट होना नींद में बाधा उत्पन्न होना; ~ खुलना, टूटना नींद पूरी होने पर जागना; भर सोना इच्छा भर सोना; हराम होना कष्ट, चिंता आदि के कारण नींद न आना नींबू - (पु० ) = नीबू निचोड़ (वि०) -निचोड़ नींव - (स्त्री०) 1 ज़मीन के अंदर रहनेवाला महल, मकान, दीवार आदि का निचला हिस्सा 2 नींव हेतु खोदा जानेवाला गड्ढा 3 आरंभिक मौलिक कार्य जो आगे चलकर बहुत अच्छा हो (जैसे-पढ़ाई की नींव पक्की है)। ~का पत्थर 1 कार्य का आधार 2 बात का मूल नीकर-अं० (पु० ) = निक्कर नीकार-सं० (पु० ) 1 अवज्ञा 2 अनादर नीग्रो -अं० (पु० ) हब्शी नीग्रोयड - अं० (वि०) हब्शी जैसा
=
नीच - I सं० (वि०) 1 अधम, निकृष्ट 2 खल, दुष्ट II ( पु० ) नीच पुरुष । ~ ऊँच (पु०) सुफल-कुफल, अच्छा-बुरा परिणाम; ~ कुलोत्पन्न (वि०) नीच परिवार में उत्पन्न; ~गामी (वि०) 1 नीचे जानेवाला 2 ओछा, तुच्छ; जन्म (वि० ) = नीच कुलोत्पन्न ~ता (स्त्री०) 1 नीच होने की अवस्था 2 अत्यंत नीच पूर्ण आचरण; ~ता पूर्ण (वि०) नीचता से भरा हुआ; ~पन (पु० ) नीचता नीचट बो० (वि०) पक्का, दृढ़
नीचा - (वि०) 1 कम ऊँचाईवाला (जैसे-नीची दीवार, नीची छत) 2 झुका हुआ (जैसे-नीचा सिर) 3 निम्न स्तर पर स्थित (जैसे-नीची सड़क) 4 अधिकार, पद, मर्यादा में घटकर छोटा (जैसे-नीची जाति, नीची अदालत) 5 धीमा, मद्धिम । ऊँचा (वि०) नीच - ऊँच
नीचाशय-सं० (वि०) तुच्छ विचारवाला, ओछा, तुच्छ नीचू - I ( वि०) बो० न चूनेवाला II ( वि०) नीचा
III ( क्रि० वि०) नीचे
नीचे - ( क्रि० वि०) 1 नीचे की तरफ़, अधोभाग में 2 घटकर 3 अधीनता में। ~ ऊपर ( क्रि० वि०) उलट-पलट, अस्त-व्यस्त, अव्यवस्थित। ~ गिरना 1 पतन होना, अधोगति को प्राप्त होना 2 पछाड़ा जाना;
2 कुश्ती में पछाड़ना, पटकना;
गिराना 1 पतित बनाना लाना कुश्ती में पटकना ~ से ऊपर तक 1 सिर से पाँव तक 2 एक सिरे से दूसरे सिरे तक 3 सभी भागों में
नीठि -I (स्त्री०) अरुचि, अनिच्छा II ( क्रि० वि०) जैसे-तैसे नीड़-सं० (पु० ) चिड़ियों के बैठने का स्थान, घोंसला । ज सं० ( पु० ) पक्षी
नीत-सं० (वि०) 1 गृहीत 2 प्राप्त 3 लाया हुआ 4 स्थापित नीति-सं० (स्त्री०) 1 व्यवहार का ढंग, बर्ताव का तरीका 2 लोक - व्यवहार हेतु नियत किया गया आचार 3 सदाचार-व्यवहार आदि के नियम और रीतियाँ 4 शासन की रक्षा एवं व्यवस्था हेतु स्थिर किए गए तत्व एवं सिद्धांत 5 चतुरता से किया जानेवाला आचरण, तरक़ीब 6 राजनीति
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नीतिमान्
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नुकता
नेमि
7 नीतिशास्त्र। ~कुशल (वि०) नीति में कुशल या चतरः | नीरांजना-सं० (स्त्री०) आरती करना
~गत (वि०) नीति संबंधी; ~घोषणा (स्त्री०) सार्वजनिक नीराज्यिक-सं० (वि०) दो देशों के बीच में पड़नेवाली रूप से की गई लिखित घोषणा; ~ज्ञ (वि०) = नीरोग-सं० (वि०) 1 स्वस्थ 2 दोष एवं विकाररहित नीति-कुशल; -नियम (पु०) नीति के नियम; गरायण नील-I सं० (वि०) 1गहरे आसमानी रंग का (वि०) नीति का पालन करनेवाला; ~भ्रष्ट (वि०)
(जैसे-नील-कमल का पौधा) II (पु०) 1 नीले फूलों से आचारहीनः ~मत्ता (स्त्री०) नीति के अनुसार आचरण
युक्त नील का पौधा 2 नीला रंग 3 इन फूलों से तैयार किया करना; ~वाद (पु०) आचार एवं व्यवहार संबंधी गया नीला रंग, इंडिगो (जैसे-काड़े में नील देना) 4 अधिक नीति-नियम एवं सिद्धांत; विज्ञान (पु.) = नीति-शास्त्र
मार पड़ने से शरीर पर पड़ा नीला दाग़ 5 राम की सेना का एक व्यतिक्रम (पु०) नीति का उल्लंघन; ~शास्त्र (पु०)
बंदर (जैसे-नल और नील) 6 सौ खरब की संख्या, 1 आचार-संबंधी नियमों का विवेचन करनेवाला शास्त्र, 100000000000001 ~कंठ I (वि०) नीला कंठवाला, इथिक्स 2 राजनीति संबंधी शास्त्र; संगत (वि०) नीति के | नीली गर्दन, गलावाला II (पु०) 1 शिव 2 मोर 3 नीले कंठ अनुरूप
एवं नीले डैनोंवाला एक पक्षी; ~कांत (पु०) 1 विष्णु नीतिमान्-(वि०) । नीति-कुशल 2 नीति-पूर्ण
2 नीलम 3 एक पहाड़ी चिड़िया, दिगदल; क्रांता (स्त्री०) नीध्र-सं० (पु०) 1 ओलती 2 वन, जंगल 3 पहिये का धुरा, कृष्णा-पराजिता; ~गाय + हिं० (स्त्री०) नीलापन युक्त भूरे
रंग का गाय के आकार का एक वन्य-पशुः चक्र (पु०) नीप-सं० (पु०) 1 कदंब 2 गुलदुपहरिया, बंधूक 3 भू-कदंब
जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित एक चक्र; मणि (पु०) नीबू-(पु०) - नींबू । -निचोड़ (वि०) थोड़ा देकर बहुत
- नीलम; ~मुद्रण (पु०) = नीलिका मुद्रण; ~लोहित लेनेवाला
I (वि०) बैंगनी II (पु०) शिव, महादेव; ~वसन I नीम-(पु०) एक प्रसिद्ध पेड़ जिसकी पत्तियाँ, छाल आदि सभी (वि०) नीले वस्त्रवाला II (प्०) 1 नीला कपड़ा 2 शनिग्रह अंग कडुवा होता है
नीलम-(पु०) नीले रंग का प्रसिद्ध रत्न नीम-फ़ा० (वि०) आधा ! ~गुलामी + अ० + फ़ा० नीलांजन-सं० (पु०) 1 नीला सुरमा 2 तूतिया (स्त्री०) आधा गुलाम होने का भाव; -जाँ (वि०) अधमरा; नीलांबर-[ सं० (वि०) नीला वस्त्र पहननेवाला II (पु०) ~टर - हि० (वि०) कम पढ़ा-लिखा, अर्द्धशिक्षित नीला कपड़ा पुख्ता (वि०) आधा पका हुआ; रज़ा + अ०, | नीला-(वि०) आसमानी, ब्लू। ~काला (वि०) गहरा
राज़ी - अ० (वि.) आधा रज़ामंद; ~शब (स्त्री०) नीला; ~थोथा (पु०) तूतिया; ~पन (पु०) नीलवर्णता; आधी रात: सरकारी (वि०) अर्द्ध सरकारी (जैसे-अर्द्ध पीला (वि०) अत्यंत क्रुद्ध सरकारी पत्र); हकीम + अ० (प०) अनुभवहीन हकीम, नीलाकाश-सं० (पु०) नीला आसमान अधूरा हकीम
नीलाम-(पु०) 1 सार्वजनिक बिक्री 2 सार्वजनिक बिक्री का नीमन-बो० (वि.) 1 बढ़िया, उत्तम 2 स्वस्थ, नोरोग 3 काम ढंग; ~कर्ता सं० (पु०) नीलाम करनेवाला व्यक्ति, आने योग्य
नीलामीवाला नीमा-1 फा० (वि०) आधा, अर्ध II (पु०) एक तरह का नीलामी-पु० + हिं० (वि०) नीलाम के रूप में बिकनेवाला पाजामा
__ (जैसे-नीलामी घड़ी)। ~वाला (पु०) नीलाम-कर्ता नीमास्तीन-फा० (स्त्री०) आधी आस्तीन की कुरती नीलाहट-(स्त्री०) = नीलापन नीयत-अ० (स्त्री०) इरादा, इच्छा। डिगना, बिगड़ना, नीलिका-मुद्रण-सं० (पु०) 1 नीली ज़मीन पर सफ़ेद अक्षर
~बुरी होना विचार दृषित होना. मन में बुरी बात आना एवं रेखाएँ अंकित होनेवाली एक छपाई, ब्लू प्रिंटिंग 2 इस तरह नीरंध्र-सं० (वि०) छिद्ररहित
से छापा गया काग़ज़, ब्लू प्रिंट नीर-सं० (पु०) 1 पानी 2 आँस, नेत्र-जल (जैसे-नयनों का नीलिमा-सं० (स्त्री०) 1 नीलापन 2 श्यामलता नीर)। ~~क्षीर-विवेक (पु०) न्यिाय-अन्याय, भले-बुरे नीली-सं० (स्त्री०/वि०) दे० नीला का स्पष्ट भेद करने की शक्ति 2 दूध का दूध एवं पानी का पानी | नीलोत्पल-सं० (पु०) नील-कमल
अलग करने की सामर्थ्य; ज (वि०) जल से उत्पन्न नीलोपल-सं० (पु०) 1 नीला पत्थर 2 नीलम नीरण-(पु०) 1 जल देना, जल पहुँचाना 2 नल आदि की मदद नीलोफ़र-फा० (पु०) 1 नील-कमल 2 कुमुदनी, कुई
से जल एवं अन्य तरल पदार्थ पहँचाना, पाइपिंग नीव, नीव-(स्त्री०) = नींव नीरद-सं० (पु०) मेघ, बादल
नीवि, नीवी-सं० (स्त्री०) 1 कमर में लपेटी हई धोती की गाँठ नीरधि-सं० (पु०) समुद्र, सागर
2 कमर में धोती के ऊपर लपेट कर बाँधी जानेवाली डोरी, नीरव-सं० (वि०) 1 शब्दरहित 2 शब्द न करनेवाला। ~ता | फुबती 3 इज़ारबंद, नारा 4 जनानी धोती, साड़ी (स्त्री०) नीरव होने की अवस्था
नीहार-सं० (पु०) 1 कोहरा 2 तुषार, पाला नीरस-सं० (वि०) 1 रस-हीन 2 फीका 3 शुष्क (जैसे-नीरस | नीहारिका-सं० (स्त्री०) धुएँ की तरह का आकाश में छाया वातावरण)
रहनेवाला प्रकाशपुंज, नेब्युला। ~मंडल (पू०) = नीहारिका नीरांजन, नीराजन-सं० (पु०) 1 आरती 2 युद्ध पूर्व हथियार | नुकता-अ० (पु०) 1 रहस्यपूर्ण बात 2 ऐब, दोष 3 चटपटी एवं चमकाने का पर्व
मज़ेदार बात 4 घोड़े की आँख पर लगाई जानेवाला झालर, ,
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नुक़ता
तिल्हरी । चीन
फ़ा० (वि०) बुराइयाँ ढूँढ़नेवाला,
छिद्रान्वेषी;
चीनी + फ़ा० (स्त्री०) 1 बुराइयाँ ढूँढना, छिद्रान्वेषण 2 दोष दिखाना
+
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नुक़ता - अ० (पु० ) 1 उर्दू अक्षरों के साथ लगाई जानेवाली बिंदी 2 शून्य का सूचक चिह्न
नुकती - (स्त्री०) महीन और मीठी बुंदिया
नुक्ररा - अ० ( पु० ) 1 चाँदी 2 सफ़ेद रंग का घोड़ा नुक़सान - अ० ( पु० ) 1 हानि 2 क्षति 3 खराबी, विकार । देह + फ़ा० (वि०) नुक़सान पहुँचानेवाला; ~उठाना क्षतिग्रस्त होना; पहुँचाना हानि होना; पहुँचना हानि करना; ~ धरना क्षति पूर्ति करना नुकसानी - I अ० + फ़ा० बो० (स्त्री०) 1 नुक़सान, हानि 2 क्षतिपूर्ति II ( वि०) बिगड़ा हुआ, टूटा हुआ (जैसे- नुक़सानी माल) नुकीला - (वि०) 1 नोकदार 2 तेज़ नोकवाला, नोक-झोंकवाला (जैसे- नुकीला जवान)
नुक्कड़ - (पु० ) 1 नुकीला कोना 2 कोना 3 मकान, गली आदि का मोड़ (जैसे-गली के नुक्कड़ पर ) नुक्का - (पु० ) नोक नुक्केदार - हिं+ फ़ा० (वि०) नुकीला नुक्स - अ० ( पु० ) 1 त्रुटि 2 दोष सुचना- (अ० क्रि०) नोचा जाना
नुचवाना - (स० क्रि०) नोचने का काम कराना (जैसे- बाल नुचवाना)
नुत्फ़ा - अ० (पु० ) पुरुष का वीर्य, शुक्र । ~ ठहरना गर्भ रहना नुनखरा - ( वि०) खारापन से युक्त नुनना - (स० क्रि०) खेत काटना नुनेरा - ( पु० ) नमक बनानेवाला नुमाइंदगी - फा० (स्त्री०) प्रतिनिधित्व नुमाइंदा - फ़ा० (पु० ) प्रतिनिधित्व करनेवाला व्यक्ति नुमाइश, नुमायश-फ़ा० (स्त्री०) 1 दिखावट, प्रदर्शन 2 प्रदर्शनी । गाह (स्त्री०) प्रदर्शनी स्थल
नुमाइशी, नुमायशी-फ़ा० (वि०) 1 नुमाइश संबंधी 2 नुमाइश में रखे जाने योग्य 3 दिखावटी, दिखौआ नुमायाँ - फ़ा० (वि०) 1 साफ़ 2 ज़ाहिर नुसखा - अ० (पु० ) 1 काग़ज़ पर लिखी गई दवा एवं उसकी
सेवन विधि 2 लिखा हुआ काग़ज़ का टुकड़ा नूतन सं० (वि०) 1 नया, नवीन 2 हाल का, ताजा ता (स्त्री०) नयापन, नवीनता; ~बाद ( पु० ) नई बातों को अपनाने का सिद्धांत; ~वादी (वि०) नूतनवाद को माननेवाला
नूतनीकरण-सं० (पु०) नवीकरण
=
नून - (पु० ) नोन। ~ तेल (पु०) नमक और तेल नूपुर - सं० ( पु० ) 1 पैंजनी 2 घुँघरू
नूर - अ० (पु०) प्रकाश, ज्योति
नेता
नृवंश - विज्ञान;
तत्व (पु० ) तत्वज्ञ (पु० ) नृवंश - शास्त्री; तत्वविद् (पु० ) नृ वंश विज्ञानी; ~तत्व-विद्या (स्त्री० ) नृवंश - विज्ञान; तात्विक (वि०) नृ वैज्ञानिक; -देव (पु० ) राजा; लोक (पु० ) मर्त्यलोक; ~ वंश-विज्ञान, वंश शास्त्र ( पु०) मानव एवं उसके वंश से संबंधित विज्ञान वंश शास्त्री (पु० ) नृ-वंश-शास्त्र का ज्ञाता; वराह (पु० ) विष्णु जी; ~ विज्ञान (पु० ) नृ-वंश-विज्ञान वैज्ञानिक (वि०) नृ-विज्ञान को जाननेवाला; ~ सिंह (पु० ) नृ केशरी नृत्त - सं० (पु० ) अंग विक्षेप युक्त नाच नृत्य -सं० ( पु० ) नाच । कला (स्त्री०) नाचने की कला; --कार ( पु० ) नचैया; नाटिका ( स्त्री०), नाट्य
नूह - अ० ( पु० ) प्रलय में बच जानेवाला पैगंबर, मनु नृ-सं० ( पु०) नर, मनुष्य । ~कुल (पु० ) मनुष्य जाति; ~ विज्ञान (पु०) मानव उत्पत्ति तथा उसके रूप, आकार आदि का विवेचन करनेवाला शास्त्र; केशरी (पु० ) 1 नृसिंह अवतार 2 शेर के समान पराक्रमी और श्रेष्ठ व्यक्ति;
=
=
(पु० ) नृत्य प्रधान अभिनय - शाला ( स्त्री० ) नाचघर; ~संगीत ( पु० ) संगीत सहित नाच नृशंस - सं० (वि०) 1 निर्दय 2 अत्याचारी
नृपसं० (पु०) राजा, नरपति, भूपाल
ने- (विभ०) भूतकालिक सकर्मक क्रिया के कर्ता के साथ लगनेवाला एक कारक चिह्न (जैसे-राम ने पुस्तक पढ़ी, उसने आम खाया);
नेक - फ़ा० (वि०) अच्छा, उम्दा, भला (जैसे-नेक इंसान, नेक इरादे के लोग) । चलन + हिं० (वि०) उत्तम आचरण का, अच्छा आचरणवाला; चलनी हिं० (स्त्री०) अच्छा आचरण दिल (वि०) अच्छी नीयतवाला; दिली (स्त्री०) अच्छी नीयत होना; नाम (वि०) यशस्वी, सुख्यात नामी (स्त्री०) सुख्याति, यश, नीयत + अ० (वि०) 1 अच्छी नीयतवाला 2 ईमानदार और सच्चा; नीयती + अ + फ़ा० (स्त्री०) 1 ईमानदारी और सच्चाई 2 अच्छी नीयत; बख़्त (वि०) 1 भाग्यवान, सौभाग्यशाली 2 भोला-भाला; बख़्ती (स्त्री०) 1 सौभाग्य 2 भलमंसत
नेक - I (वि०) ज़रा-सा, थोड़ा-सा II ( क्रि० वि०) ज़रा, थोड़ा नेकटाई-अं० (स्त्री०) गले की टाई
नेकलेस-अं० (पु० ) गले का हार
नेकी - फा० (स्त्री०) 1 भलाई, अच्छाई (जैसे-नेकी का काम करना) 2 शिष्टता एवं सौजन्य 3 परोपकार। बदी (स्त्री०) 1 भलाई और बुराई 2 पाप और पुण्य नेग- ( पु० ) 1 शुभ अवसर पर नौकर-चाकर एवं अन्य आश्रितों को धन आदि देने की प्रथा 2 इस रूप में दिया गया धन 3 परम्परागत अधिकार, दस्तूर 4 शुभ कार्य 5 कृपा, अनुग्रह ।
-लगना
चार (५०) मांगलिक अवसर पर की गई शुभ क्रियाएँ; ~ निछावर (स्त्री०) नेग आदि का कारना; -जोग (पु० ) मांगलिक अवसरों पर होनेवाली सामाजिक प्रथा । 1 संपर्क में आना 2 लीन होना, समाना 3 सफल होना नेगी - ( पु० ) नेग पाने का अधिकारी नेजक-सं० (पु०) धोबी, रजक
नेजन-सं० (पु० ) 1 कपड़ा धोना 2 सफ़ाई करना नेजा - फ़ा० (पु० ) 1 भाला 2 बरछा 3 साँग नेट - I अं० (पु० ) जाल
नेट - II अं० (वि० ) शुद्ध
नेड़े- ( क्रि० वि०) बो० नज़दीक, पास
नेता - सं० ( पु० ) 1 अगुआ, नायक, सरदार (जैसे-दल का
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नेती 458
नैयत्य नेता) 2 पहँचानेवाला 3 स्वामी, मालिक 4 मार्ग-दर्शन | नेवला-(पु०) चूहे के आकार का भूरे रंग का एक प्रसिद्ध जंत करनेवाला सामाजिक व्यक्ति, लीडर (जैसे-कांग्रेसी नेता) । | जो सर्प को मार डालता है
गिरी + फ़ा० (स्त्री०) नेता बनकर मार्ग दर्शन कराना; नेवा-I (पु०) 1 रीति, प्रथा 2 कहावत, लोकोक्ति II (वि०) ~मंडली (स्त्री०) नेताओं का समूह; ~शाही + फ़ा० | 1समान, तुल्य 2 खामोश, चुप (स्त्री०) नेतृत्व का रोब जमाना
नेवार- (पु०) नेपाल की एक जाति नेती-(स्त्री०) मथानी चलाने की रस्सी। धोती (स्त्री०) पेट | नेवारी-(स्त्री०) 1 जूही की जाति का एक पौधा 2 इस पौधे का __ में कपड़े की लंबी एवं पतली पट्टी डालकर आँतें साफ़ करना | सुगंधित फूल नेतृत्व-सं० (पु०) मार्ग दर्शन एवं संचालन करना। नेस्तनाबूद-फ़ा० (वि०) समूल नष्ट नेत्र-सं० (पु०) आँख। ~कनीनिका (स्त्री०) आँख की | नेस्ती-फा० (स्त्री०) 1 अनस्तित्व 2 विनाश 3 आलस्य पुतली; ~गोलक (पु०) आँख का डेला; चिकित्सालय नेह-(पु०) स्नेह, प्रीति, प्यार (पु०) आँख का अस्पताल; जल (पु०) आँसू पट नैक-I सं० (वि०) 1 अनेक 2 अकेला न होनेवाला (पु०) पलक; ~मंडल (पु०) = नेत्र-गोलक; ~रंजन | II (वि०)/(क्रि० वि०) = नेक, जरा। ~चर (वि०) (पु०) काजल; रोग (पु०) आँख का रोग; विज्ञान __ अकेला न चरनेवाला; ~भेद (वि०) अनेक प्रकार का (पु०) = नैत्रिकी; ~स्राव (पु०) आँख से पानी बहना नैकटिक-सं० (वि०) = निकटवर्ती नेत्रक-सं० (पु०) छोटी आँख
नैकट्य-सं० (पु०) = निकटत्व नेत्रजन-अं० (पु०) = नाइट्रोजन
नैकथा-सं० (क्रि० वि०) अनेक रूपों में । नेत्रजनीय-अं० + सं० (वि०) नाइट्रोजन से उत्पन्न | नैकृतिक-सं० (वि०) 1 दूसरों की हानि करके जीविका (जैसे-नेत्रजनीय खाद)
चलानेवाला 2 अपकार करके स्वार्थ पूरा करनेवाला 3 दुष्ट नेत्राभिष्यंद-सं० (पु०) छत से फैलनेवाला नेत्र-रोग 4 कमीना 5 कटुभाषी नेत्रिक-सं० (पु०) छोटी पिचकारी
नैगम-सं० (वि०) 1 अध्यात्मिक 2 निगम संबंधी नेत्री-सं० (स्त्री०) रहनुमाई करनेवाली
नैचा-फा० (पु०) एक में बँधी हक्के की दोनों नलियाँ; बंद नेत्रोत्सव-सं० (पु०) 1 देखने का मज़ा 2 दर्शनीय एवं संदर | (पु०) नैचा बनानेवाला वस्तु
नैतिक-सं० (वि०) 1 नीति संबंधी (जैसे-नैतिक विचार) नेत्र्य-सं० (वि०) 1 नेत्र संबंधी 2 नेत्रों को सुख देनेवाला 2 नीति के अनुरूप होनेवाला (जैसे-नैतिक उत्तरदायित्व) नेदिष्ठ-सं० (वि.) 1 पास का, निकट का 2 निपुण, कुशल 3 नीति युक्त आचरण (जैसे-नैतिक पतन)। ता (स्त्री०) नेपकिन-अं० (पु०) छोटा रूमाल
नीति शास्त्र का ज्ञान एवं उसके अनुरूप किया जानेवाला नेपचून-अं० (पु०) नैप्चयून, वरुण नामक ग्रह
आचरण; ता-पूर्ण (वि०) नैतिकता से युक्त नेपथ्य-सं० (पु०) 1रंग-मंच के पर्दे के पीछे की जगह नैत्य-I सं० (वि०) 1नित्य संबंधी, नित्य का 2 दैनिक
2 वेश-भूषा 3 नटों की वेश-भूषा 4 रंग-भूमि, रंगशाला | II (पु०) नित्य-कर्म नेपाली-I (वि०).1 नेपाल राज्य से संबंधित 2 नेपाल में | नैत्यक, नैत्यिक-I सं० (वि०) नित्य किया जानेवाला, नैत्य बसनेवाला II (पु०) नेपाल देश का नागरिक III नेपाल देश ___ II (पु०) नित्य का बँधा हुआ क्रम की भाषा
नैत्रिकी-सं० (स्त्री०) नेत्र संबंधी रोग एवं उसकी चिकित्सा नेता-फा० (पु०) I पाजामे, लहँगे आदि का इज़ारबंद डालने प्रणाली से संबद्ध विज्ञान
का भाग II भारत का पूर्वोत्तरी भूभाग संक्षेप में अंग्रेजी भाषा | नैदानिक-I सं० (वि०) रोगों के निदान से संबंध रखनेवाला का शब्द नेफा भी है
II (पु०) रोग का निदान करनेवाला व्यक्ति, चिकित्सक नेपथलीन-अं० (पु०) रंगों में प्रयुक्त होनेवाला कोलतार से | नैन-(पु०) आँख, नयन। ~मूतना (पु०) जिसकी आँखों से . प्राप्त एक द्रव
शीघ्र आँसू निकले ऐसा व्यक्ति; ~सुख (पु०) सफ़ेद, नेम-(पु०) 1 नियम, कायदा 2 प्रथा, रीति। ~धरम (पु०) चिकना सूती कपड़ा संध्या-वंदन, पूजन आदि
नैनू-I (पु०) पुरानी चाल की बूटीदार मलमल II (पु०) नेमत-अ० (स्त्री०) = नियामत
मक्खन नेमि-सं० (स्त्री०) 1 घेरा 2 पहिए का ढाँचा 3 कुएँ की जगत नैपाली-(वि०) = नेपाली 4 कुएँ की जमवट 5 चरखी
नैपुण्य-सं० (पु०) = निपुणता नेमी-(वि०) नियम-धरम का पालन करनेवाला। ~ धरमी |नैप्चयून-अं० (पु०) जल देवता, वरुण
(वि०) धार्मिक सिद्धांतों का कठोरता से पालन करनेवाला | नैफ्था-अं० (पु०) पेट्रोलियम से प्राप्त एक ज्वलनशील द्रव नेरुवा-बो० (पु०) कोल्हू के नीचे की तेल बहने की नाली | नैमित्तिक-I सं० (वि०) 1 शकुन जाननेवाला 2 निमित्त से नेल-पालिश-अं० (स्त्री०) नाखून रँगने की पालिश किया जानेवाला 3 प्रयोजन की सिद्धि हेतु किया जानेवाला नेवता-(पु०) = न्योता
(जैसे-नैमित्तिक कर्म) 4 आकस्मिक II (पु०) ज्योतिषी नेवर-I (पु०) = नूपुर
| नैमेय-सं० (पु०) 1 वस्तुओं का अदला-बदला, विनिमय नेवर-II (स्त्री०) घोड़े के दो पैरों की आपस की रगड़ से बना | 2 रोज़गार, वाणिज्य घाव
। नैयत्य-सं० (पु०) नियत होने की अवस्था
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नैयमिक
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नौकरानी
नैयमिक-सं० (वि०) 1 नियम-संबंधी 2 नियमानुसार किया का। ~की लेना बढ़-बढ़कर बातें करना; दुम भागना जानेवाला
बड़े ज़ोर से भागना, बेतहाशा भागना; बनाना बनाव श्रृंगार नैया-बो० (स्त्री०) नौका, नाव
करना; ~रह जाना मान-मर्यादा की रक्षा होना, इज़्ज़त बच नैयायिक-सं० (पु०) न्याय-दर्शन का ज्ञाता, न्याय-वेत्ता जाना नैरंग-फा० (पु०) 1 अद्भुत बात 2 जादू 3 कपट, धोखा
नोका-झोंकी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) = नोंक-झोंक नैरंतर्य-सं० (पु०) निरंतरता, अविच्छिन्नता, निरंतरत्व नोकीला-बो० (वि०) नुकीला नैरपेक्ष्य-सं० (पु०) निरपेक्षता, उपेक्षा, तटस्थता
नोच- (स्त्री०) 1 नोचने का काम 2 बलपूर्वक लेने का कार्य। नैरर्थ्य-सं० (पु०) निरर्थकता
खसोट (स्त्री०) लूटपाट, छीनाझपटी । नैरात्म-सं० (वि०) आत्मा की सत्ता को अस्वीकृत करनेवाला | नोचना-(स० क्रि०) 1 झटके से खींचना (जैसे-सिर के बाल नैरात्मय-सं० (पु०) 1 निरात्म होने की अवस्था 2 आत्मा के नोचना) 2 खींचकर अलग करना (जैसे-गीदड़ ने बच्चे को अस्तित्व को न माननेवाला दर्शन, निहिलिज्म
जगह-जगह से नोच डाला) 3 बार-बार परेशान करना नैराश्य-सं० (पु०) निराशा। पूर्ण (वि०) निराश; ~वाद (जैसे-पैसे के लिए बार-बार नोचना)। ~खसोटना (स०
(पु०) = निराशावाद; ~वादी (वि०) = निराशावादी क्रि०) छीनाझपटी करना नैराश्यमय-सं० (वि०) निराशा से व्याप्त
नोट-अं० (पु०) 1 स्मरण हेतु लिखा गया छोटा लेख 2 संक्षिप्त नैरुक्त-I सं० (वि०) 1 शब्द व्युत्पत्ति से संबंध रखनेवाला
चिट्ठी 3 टिप्पणी 4 सरकार द्वारा काराज़ के रूप में चलाया गया 2 निरुक्त शास्त्र से संबंद्ध II (पु०) 1 शब्दों की व्युत्पत्ति
रुपया (जैसे-दस रुपये का नोट)। निर्गम + सं० (पु०) जाननेवाला व्यक्ति 2 शब्दों की निरुक्ति संबंधी ग्रंथ
नोट का निकास; ~पेपर (पु०) लिखने का काग़ज़; बुक नैर्गुण्य-सं० (पु०) 1 निर्गुणता 2 सत, रज एवं तम तीनों गुणों
(स्त्री०) स्मरणार्थ लिखी जाने हेतु पुस्तिका; विनिमय से रहित होने का भाव
___ + सं० (पु०) नोटों की अदला बदली नैर्मल्य-सं० (पु०) 1 निर्मलता 2 विषय-वासना से रहित होना नोटरी-अं० (पु०) लेख प्रमाणक नैर्वा हिक-सं० (वि०) निर्वाह के योग्य
नोटिस-अं० (स्त्री०) 1 सूचना, विज्ञप्ति 2 विज्ञापन, इश्तहार । नैर्लज्जय-सं० (पु०) निर्लज्जता
बोर्ड (पु०) सूचना-पट नैल्य-सं० (पु०) नीलापन
नोदन-सं० (पु०) 1 पशुओं को हाँकना 2 पैना, औंगी 3 खडन नैवासिक-सं० (वि०) 1 निवास संबंधी 2 निवास के योग्य | नोन-(पु०) नमक। तेल (पु०) घर का सामान; ~सत्तू नैवेद्य-सं० (पु०) भोग
(पु०) साधारण खाना नैश-सं० (वि०) = नैश्य
नोनचा-(पु०) 1 नमकीन अचार 2 केवल नमक डालकर नैशचल्य-सं० (पु०) निश्चलता, स्थिरता
बनाया गया आम का अचार 3 लोनी ज़मीन नैश्य-सं० (वि०) 1 निशा का 2 रात में होनेवाला 3 अंधकार | नोना-I (वि०) 1खारा 2 नमकीन 3 अच्छा, बढ़िया पूर्ण
4सलोना, सुंदर II (पु०) 1 प्राकृतिक रूप से दीवार से नैश्श्रेयस-सं० (वि०) 1 कल्याणकारक 2 मोक्ष दायक निकला नमकीन अंश, क्षार 2 नोनी मिट्टी नैषध-[ सं० (वि०) निषध देश का II (पू०) 1 निषध देश नोनिया-I (पु०) लोनी मिट्टी से नमक निकालने का काम
का राजा 2 राजा नल 3 निषध देश का निवासी 4 हर्ष रचित करनेवाली एक जाति || (स्त्री०) लोनिया नामक पौधा प्रसिद्ध संस्कृत काव्य
नोनी-(स्त्री०) 1 लोनी मिट्टी, नोना 2 लोनिया नाम का पौधा नैष्कर्म्य-सं० (पु०) 1 निष्क्रियता 2 अकर्मण्यता एवं आलस्य
नोमिनेशन-अं० (पु०) नामांकन। ~~आफ़िसर (पु०) 3 फल की कामना त्यागकर काम करना
नामांकन अधिकारी नैष्ठिक-सं० (वि०) 1 निष्ठावान् 2 निश्चित रूप से किया नोश-फ़ा० (पु०) पीना जानेवाला 3 दृढ़, पक्का
नौ-[ सं० (वि०) आठ और एक II (पु०) 9 की संख्या नैष्ठ्र्य-सं० (पु०) = निष्ठुरता
नौ-II (वि०) नया नैसर्गिक-सं० (वि०) 1 प्राकृतिक 2 स्वाभाविक
नौ-आबादी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) नई आबादी, नई बस्ती नैसर्गिकी-सं० (स्त्री०) निसर्ग संबंधी बात
नौकर-फ़ा० (पु०) 1 सेवक, भृत्य 2 कर्मचारी, सर्वेट नैहर-(पु०) = नइहर
(जैसे-सरकारी नौकर)। खाना (पु०) नौकर के रहने का नोंचना-(स० क्रि०) = नोचना
स्थान; चाकर (पु०) दास और सेवक; ~शाह (पु०) नोई-(स्त्री०) दूध दुहते समय गाय के पीछे की दोनों टाँग | नौकर होकर भी खुद को मालिक समझनेवाला व्यक्ति; बाँधनेवाली रस्सी
~शाही (स्त्री०) 1 दफ़्तरी हुकुमत, ब्यूरोक्रेसी 2 शासन द्वारा नोक-फ़ा० (स्त्री०) 1शंकु की तरह का अग्रभाग नियुक्त कर्मचारी (जैसे-पेंसिल की नोक) 2 वस्तु का आगे का नुकीला भाग नौकरशाहाना-फा० (वि०) = नौकरशाही 3 रेखाओं का मिलन बिंदु (जैसे-दीवार की नोक)। --झोंक नौकरशाहियत-फ़ा० + अ० (स्त्री०) नौकरशाह होने का भाव + हिं० (स्त्री०) 1 कहा-सुनी, वाद-विवाद 2 व्यंग्यपूर्ण बात, नौकराना-फ़ा० (पु०) वेतन के अतिरिक्त दिया जानेवाला धन ताना. 3 सजावट 4 दर्प, अभिमान; दार (वि०) | नौकरानी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) घर-गृहस्थी का काम 1 नोकवाला 2 चुभनेवाला, चुटीला 3 सजधज, ठाट-बाट | करनेवाली स्त्री, दासी
मचारा
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नौकरी
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न्याय
।
घोल)
नौकरी-फ़ा० (स्त्री) 1 वेतन के रूप में की जानेवाली सेवा | नो-ब-नो-फ्रा० (वि०) ताज़ा-ब-ताज़ा, बिल्कुल नया 2 नौकर बनकर सेवा करना 3 कृपा-पात्र हेतु की गई सेवा। | नौ-बल-सं० (पु०) =नौ सेना
चाकरी (स्त्री०) पेशा (१०) नौकरी करके जीवन नौबलाध्यक्ष-सं० (पु०) = नौसेनापति निर्वाह करनेवाला व्यक्ति; ~वाला + हिं० (पु०) नौकर; नौभार-सं० (पु०) नाव का भार
~बजाना 1 तरह-तरह की सेवाएँ करना 2 आदेश पालन | नौमि-(स्त्री०) = नवमी, नौमी (जैसे-राम नौमि) करना
नौ-युद्ध-सं० (पु०) नौकाओं के बीच में युद्ध नौकर्ण-सं० (पु०) नाव की पतवार
नौरोज़-फ़ा० (पु०) 1 नया दिन 2 साल का नया दिन नौका-सं० (स्त्री०) नाव। -दंड (पु०) नाव का डंडा; | नौ-विज्ञान-सं० (पु०) नौ-गमन या नौका-नयन संबंधी
दौड़ + हिं० (स्त्री०) नावों की दौड़; निर्माण (पु०) विज्ञान, नाटिकल सायंस नाव की रचना; -विहार (१०) नदी में नौका से की | नौ-शक्ति-सं० (स्त्री०) = नौसेना जानेवाली सैर
नौसर-I (वि०) नौ लड़ियोंवाला (जैसे-नौसर हार) II (पु०) नौकाधिकरण-सं० (पु०) नावाधिकरण
चालबाज़ी, फरेब, धूर्तता नौकाश्रय-सं० (पु०) नौकाघर
नौसरिया-(वि०) 1 बहुत धूर्त एवं धोखेबाज़ 2 जालसाज़, नौ-गमन-सं० (पु०) जल मार्ग से यात्रा करना
जालिया नौ-चालन-सं० (पु०) नौका-नयन
नौसादर-फा० (पु०) तीक्ष्ण झालदार क्षार (जैसे-नौसादर का नौज-अ० (क्रि० वि०) 1 ईश्वर न करे कि कभी ऐसा हो 2 न | हो तो न सही 3 ऐसा कभी न हो
नौसिख-बो० (पु०) = नौसिखिया नौ-जवान-I फ़ा० (वि०) 1 चढ़ती जवानीवाला 2 जवान नौसिखिया, नौसिखुआ-(वि०) हाल में काम सीखनेवाला II (पु०) नवयुवक
नौ-सेना-सं० (स्त्री०) समुद्री जहाज़ों पर रहकर युद्ध करनेवाली नौ-जवानी-फ़ा० (स्त्री०) उठती जवानी, चढ़ती युवावस्था सेना, नैवी नौटंका-(वि०) 1 अत्यंत हल्का 2 कोमल तथा सुकुमार नौ-सेनाध्यक्ष, नौ-सेना-पति-(पु०) नौ-सेना का सर्वोच्च __ अंगोंवाला
अधिकारी, एडमिरल नौटंकी-(स्त्री०) संगीत प्रधान लोक नाट्य
नौ-सेवा-सं० (स्त्री०) 1 नौ-सेना की नौकरी 2 नौ-सेना में काम नौतम-I (वि०) 1 बिल्कुल नया 2 हाल का, ताज़ा II (पु०) करनेवालों का समूह नम्रता
नौ-सैनिक-सं० (वि०) नौ-सेना संबंधी नौ-तरण-सं० (पु०) = नौ-गमन
न्यग्रोध-सं० (पु०) बरगद नौतरणीय-सं० (वि०)जिसमें नौका, जहाज़ आदि चल सकें न्यसन-सं० (पु०) 1 जमा करना 2 रखना 3 देना 4 छोड़ देना नौ-तल-सं० (पु०) नाव, जहाज़ के नीचे का वह लंबा शहतीर न्यस्त-सं० (वि०) 1 रखा हुआ 2 स्थापित किया हुआ 3 फेंका जिसपर जहाज़ का सारा ढाँचा खड़ा होता है।
हुआ 4 त्यागा हुआ, परित्यक्त 5 अलग किया गया 6 छिपा नौतार्य-सं० (वि०) नाव से पार उतरने योग्य
हुआ, निहित। -शस्त्र (पु०) छोड़ा हुआ हथियार नौतोड़-(वि०) नया तोड़ा हुआ, पहले-पहल जोता हुआ न्याय-[ सं० (पु०) 1 उचित-अनुचित का विवेक, नीति-संगत (जैसे-नौतोड़ ज़मीन)
बात, इंसाफ 2 निबटारा, फैसला II (वि०) उचित, ठीक, नौनगा-[ (वि०) नौ रत्नवाला. नौ नगवाला (जैसे-नौनगा वाजिब (जैसे-न्याय की बात)। ~कर्ता । (वि०) न्याय हार) II (पु०) नौ नगवाला हार
करनेवाला II (पु०) 1 न्यायाधीश, जज 2 फैसला करनेवाला नौनिहाल-I फ़ा० (१०) 1 नया पौधा 2 बालक, बच्चा व्यक्ति; ज्ञ (पु०) न्याय का ज्ञाता; ~तंत्र (पु०) II (वि०) नया किंतु होनहार
न्याय-पालिका; ~ता (स्त्री०) न्याय होने की अवस्था, स्थिति; नौ-परिवहन-सं० (पु०) = नौ-गमन
~पंचायत + हिं० (स्त्री०) न्याय समिति; -पत्र (पु०) नौ-पोत-सं० (पु०) समुद्री जहाज़, जलयान
वह पत्र जिसपर लिखित फ़ैसले हो, लिखित फैसले से संबद्ध नौ-प्रभार-सं० (पु०) जहाज़ पर लादा जानेवाला अधिक से | काराज़; पालक (पु०) न्यायज्ञ; ~पालिका (स्त्री०) अधिक भार का मान, टनेज, अधिकतम भार
न्याय तंत्र; ~पीठ (पु०) न्यायालय की सामूहिक बैठक;' नौबढ़-(वि०) हाल में बढ़ा हुआ
पूर्ण (वि०) न्याय से भरा हुआ, न्याय युक्त; प्रिय नौबत-अ० (स्त्री०) 1 पारी, बारी 2 अवांछनीय घटना के घटित (वि०) न्याय पसंद करनेवाला, न्याय का समर्थक; ~मूर्ति . होने की स्थिति (जैसे-भूखों मरने की नौबत आना) 3 दुर्गति, (पु०) न्यायज्ञ की उपाधि, जस्टिस; ~युक्त (वि०) = दर्दशा 4 मांगलिक अवसरों पर बजनेवाला बाजा (जैसे-राज न्यायपूर्ण; ~वर्ती (वि०) = न्याय-प्रिय; ~वादी (वि०) महल में नौबत बजना)। खाना + फ़ा० (पु०) नक्कार 1 न्याय करनेवाला 2 उचित बात कहनेवाला; -विभ्रंश खाना
(पु०) न्याय का उल्लंघन; विरुद्ध (वि०) न्याय के नौबती- अ० । फ़ा० (वि०) 1 बारी से होनेवाला विपरीत; ~वैफल्य (पु०) = न्याय-विभ्रंश; ~शास्त्र (जैसे-नौबती बुखार 2 जिसके घटित होने की संभावना हो (पु०) न्याय संबंधी शास्त्र; ~शास्त्री (पु०) न्यायशास्त्र का II (प्०) 1 नौबत बजानेवाला नक्कारची 2 पहरेदार, ज्ञाता; ~शील (वि०) = न्याय-प्रिय; ~शुल्क (पु०) चौकीदार 3 बिना सवार का सजा घोड़ा 4 तंब, शामियाना । न्याय की फ़ीस; ~संगत (वि०) = न्याय पूर्ण; सभा
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न्यायतः
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पंखनुचा
(स्त्री०) = न्यायालय; सभ्य (पु०) दौरा जज की सहायता | 2 कम-अधिक होनेवाला, मार्जिनल हेतु नियुक्त सभ्य गण, जूरी
न्यूनाधिक्य-सं० (पु०) कमीबेशी न्यायत:-सं० (क्रि० वि०) न्याय के अनुसार, न्याय से न्यूनीकरण-सं० (पु०) - न्यूनन न्यायपर-सं० (वि०) न्यायपूर्ण
न्यूनोन्नत-सं० (वि०) थोड़ा ऊपर उठा हुआ न्यायवान्-सं० (वि०) न्यायप्रिय
न्यूमोनिया-अं० (पु०) - निमोनिया न्यायांग-सं० (पु०) न्याय के अंग
न्योछावर-(स्त्री०) = निछावर न्यायाधिकरण-सं० (पु०) विवाद-ग्रस्त विषय पर निर्णय न्योतना-(स० क्रि०) निमंत्रण देना
करनेवाला न्यायालय एवं उसका अधिकारी, ट्रिब्यूनल न्योतनी-(स्त्री०) निमंत्रण, भोज, दावत न्यायाधिकारी सं० (पु०) जज
न्योतहरी-(पु०) निमंत्रण पर आया अतिथि न्यायाधिपति-सं० (पु०) - न्याय-मूर्ति
न्यौता-(पु०) 1 निमंत्रण, दावत 2 न्योता आने पर दिया न्यायाधिवक्ता-सं० (पु०) एडवोकेट
जानेवाला धन न्यायाधीश, न्यायाध्यक्ष-सं० (३०) विवाद-ग्रस्त मामलों पर
अपना फैसला देनेवाला अदालत का अधिकारी, न्यायकर्ता, जज न्यायानुमोदित-सं० (वि०) = न्यायपूर्ण न्यायालय-सं० (पु०) अदालत, कोर्ट (जैसे-सर्वोच्च न्यायालय)। अपमान (प०) न्यायालय की मान हानि
कक्ष (पु०) न्यायालय का कमरा न्यायासन-सं० (प०) जज का आसन न्यायिक-सं० (वि०) न्याय संबंधी
पंक-सं० (पु०) 1 कीचड़ 2 दलदल 3 पोतने योग्य गीला न्यायी-1 सं० (पु०) निष्पक्ष निर्णय करनेवाला II (वि०) । पदार्थ 4 लेप। -किट्ट (प०) कीचड़ का कीड़ा ~ग्राह न्यायशील
(पु०) मगर; चर कीचड़ का जीव; ज I (वि०) न्यायोचित-सं० (वि०) = न्याय संगत
कीचड़ में उत्पन्न होनेवाला II (पु०) कमल न्याय्य-सं० (वि०) न्याय युक्त
पंकजासन-सं० (पु०) ब्रह्मा । न्यारा-(वि०) 1 पास न होनेवाला, दूरस्थ 2 अलग, जुदा पंकार-सं० (पु०) 1 कीचड़ में होनेवाली वनस्पति जो कुकरमत्ते
3 अन्य, भिन्न, दूसरा (जैसे-न्यारी बात) 4 निराला (जैसे-तीन की जाति की होती है 2 सिंघाड़ा 3 जल कुब्जक 4 सिवार लोक से न्यारी प्रयाग नगरी)
5 सेतु 6 बाँध न्यारे-(क्रि० वि०) 1 अलग, पृथक 2 दूर
पंकिल-(वि०) 1 कीचड़ से युक्त (जैसे-पंकिल जल, पंकिल न्याव-(पु०) 1 न्याय, इंसाफ़ 2 उचित एवं कर्तव्य का पक्ष | ताल) 2 गंदा, मैला। ~ता (स्त्री०) गंदगी 3 विवेक
पंकेज-सं० (पु०) कमल न्यास-सं० (पु०) 1 स्थापित करना 2 यथास्थान रखना | पंक्ति-सं० (स्त्री०) 1 कतार (जैसे-पहली पंक्ति में बैठना) 3 निशान, चिह्न (जैसे-शस्त्र-न्यास, नख-न्यास) 4 अमानत, 2 किसी ग्रंथ, पुस्तक आदि में लिखने का क्रम (जैसे-कविता थाती, धरोहर 5 सौंपना, अर्पण, भेंट 6 छोड़ना, त्यागना की पहली पंक्ति पढ़ो) 3 पाँत, पंगत (जैसे-पहली पंक्ति में 7 विश्वासपूर्वक विशेष कार्य हेतु सौंपी गई संपत्ति, ट्रस्ट । भोजन कर लेना) 4 समूह (जैसे-पशुओं का पंक्ति में खड़ा ~धारी (वि०) 1 धरोहर रखनेवाला 2 जिसे विश्वासपूर्वक होना)। ~करण (पु०) पंक्तियों में लगाना, पंक्ति बनाना; संपत्ति सौंपी जाए, ट्रस्टी; ~भंग (पु०) न्यास का कुप्रबंध ~कृत (वि०) श्रेणीबद्ध; च्युत (वि०) पंक्ति से एवं दुरुपयोग, ब्रीच आफ ट्रस्ट
बहिष्कृत; दूषक (वि०) नीच, जाति च्युतः पावन न्यासी-सं० (पु०) न्यास-धारी
(पु०) जिसे श्रेष्ठ माना गया हो ऐसा व्यक्ति; ~बद्ध (वि०) न्युरालोजिस्ट-अं० (पु०) तंत्रिका विज्ञानी
1 कतार में लगाया हुआ 2 कतार में लगा हुआ; बाह्य न्यूक्लियर-अं० (वि०) नाभिकीय
(वि०) बिरादरी से निकाला हुआ; मध्य (वि०) कतार के न्यूज़प्रिंट-अं० (पु०) अख़बारी काग़ज़
बीच न्यूज़रील-अं० (स्त्री०) समाचार दर्शन
पंख-(पु०) पर, डैना, (जैसे-चिड़िया का पंख कट गया)। न्यूट्रान-अं० (पु०) अणु का एक सूक्ष्म भाग
~कटा (वि०) जिसका पंख कट गया हो; -जमना, न्यून-सं० (वि०) 1 कम, थोड़ा 2 घटकर, हल्का 3 नीच, निकलना 1 बुरे रास्ते पर जाने, बहकने का लक्षण प्रकट
क्षद्र। ता (स्त्री०) 1 अल्पता 2 हल्कापन 3 नीचता होना (जैसे-लगता है अब तुम्हें पंख निकल आए हैं) 2 अंत, 4 हीनता 5 सदोषता; ता-बोधक (वि०) न्यूनता का बोध मृत्यु के लक्षण ज़ाहिर होना (जैसे-अब चींटी के पंख निकल करानेवाला
आए हैं); लगना वेगपूर्वक दौड़ना न्यूनतम-सं० (वि०) सबसे कम, अल्पतम
पंखड़ी-(स्त्री०) फूल की पत्ती (जैसे-कमल की पंखडी, गलाब न्यूनन-सं० (पु०) कम करना, घटाना
की पंखडी) न्यूनाधिक-सं० (वि०) 1कुछ कम और कुछ अधिक पंखनुचा-(वि०) जिसके पंख तोड़ दिए गए हों
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पंखा
पंखा - (पु० ) हवा देनेवाली वस्तु (जैसे-बिजली का पंखा, हाथ का पंखा । कुली + तु० (पु० ) पंखा खींचनेवाला नौकर पंखी - I ( पु० ) चिड़िया, पक्षी II ( स्त्री०) 1 उड़नेवाला छोटा कीड़ा, फतिंगा 2 साखू के फल के सिरे पर की पतली पत्तियाँ 3 छोटा पंखा
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पंखुड़ी - (स्त्री०) पंखड़ी पंखेरू - ( पु० ) पक्षी, खग, पंछी
पंग - (वि०) 1 लंगड़ा 2 गतिहीन, निश्चल 3 स्तब्ध पंगत, पंगति - ( स्त्री० ) 1 पंक्ति 2 पाँति (जैसे-भोजन करनेवालों की पंगत में बैठ जाना) 3 भोज 4 समाज, समूह पँगला - (वि.) पंगुल पंगु - I सं० 1 लँगड़ा (जैसे- पंगु चढ़हि गिरिवर गहन ) 2 गतिहीन 3 शक्तिहीन II सं० 1 शनि ग्रह 2 वात रोग से ग्रस्त व्यक्ति
पंगुल - I सं० (वि०) 1 जो चल-फिर न सकता हो 2 अकर्मण्य और आलसी II ( पु०) लँगड़ापन
पंच-सं० (पु० ) पाँच मनुष्यों का समुदाय (जैसे-पंच परमेश्वर) । ~ कन्या (स्त्री०) अहल्या, द्रौपदी, कुंती, तारा तथा मंदोदरी ये पाँच कन्याएँ; ~ कृत्य (पु० ) सृष्टि, स्थिति, ध्वंस, विधान और अनुग्रह ये पाँच प्रकार के ईश्वरीय कर्म ~कोण I (वि०) पाँच कानोंवाला II ( पु० ) पाँच भुजाओंवाला; कोश वेदांत के अनुसार आत्मा के आवरण रूप पाँच कोश (जैसे- अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश, आनंदमय कोश ); गव्य (पु० ) गाय से प्राप्त होनेवाले पाँच द्रव्य (जैसे-दूध, दही, घी, गोबर, गोमूत्र); ~ग्रह (पु० ) मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि ये पाँच ग्रह जन (पु० ) 1 पाँच लोगों का समूह 2 ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र, निषाद पाँच वर्गों का समूह 3 जन समुदाय 4 गंधर्व, पितर, देव, असुर, राक्षस पाँच लोगों का समूह; -जन्य (पु० ) पंचजन नामक राक्षस की हड्डी से निर्मित श्री कृष्ण का प्रसिद्ध शंख तंत्र (पु० ) नीति शास्त्र का ग्रंथ जो संस्कृत भाषा में लिखा गया है; ~ तत्व (पु० ) पाँच प्रकार के तत्व. पंचभूत (जैसे-आकाश, पृथिवी, जल, अग्नि, हवा पंच तत्व हैं); ~ तन्मात्र (पु० ) शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध ये पाँच तत्व; तपा (वि०) पंचाग्नि तापनेवाला; ~ता, पंचतत्व (स्त्री०) पाँच होने की अवस्था देव (पु० ) पाँच देवता (जैसे- विष्णु, महेश, सूर्य, गणेश, दुर्गा पंच देव की आराधना हिंदू लोग करते हैं); ~द्रविड़ (पु०) दक्षिण भारत के पाँच प्रकार के ब्राह्मण (जैसे- महाराष्ट्र, तैलंग, कर्णाट, गुर्जर, द्रविड़ ); ~नद (पु० ) पाँच नदियों का समूह (जैसे- सतलुज, व्यास, रावी, चनाब और झेलम पंजाब प्रदेश की पंचनद कही जाती हैं); निर्णय (पु०) पंचों द्वारा किया गया फ़ैसला; परमेश्वर (पु० ) पंच में न्यायकारी ईश्वर; पल्लव (पु० ) पीपल, गूलर, पाकड़ और बड़ या आम, जामुन, कैथ, बेल और बिजौरा के पत्ते पात्र (पु० ) पाँच पात्रों का समाहार; प्राण (पु०) प्राण, अपान, समान, व्यान तथा उदान ये पाँच प्राण; ~भुज (पु० ) = पंचकोण; भूत (पु० ) = पंच तत्व; ~ भौतिक (वि०) पंच भूतों से युक्त; ~ मंडल (पु० ) पंचों की मंडली, पंचायत मकार ( पु० ) मद्य, माँस, मत्स्य, मुद्रा और मैथुन ये पाँच मकार;
पंचाक्षर
~ महापातक (पु० ) पाँच प्रकार के महापातक (जैसे- ब्रह्महत्या, सुरापान, चोरी, गुरु पत्नी से गमन तथा इन चार से सम्पर्क बनाने का काम, मेल जोल ये पाँच महापातक कर्म कहे गए हैं); ~महायज्ञ ( पु० ) ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, भूतयज्ञ, पितृयज्ञ तथा नृपयज्ञ ये पंच महायज्ञ; मुख (वि०) पाँच मुँहवाला (जैसे-पंच मुख ब्रह्मा, पंच मुख गणेश) ~ महाव्रत (पु० ) अहिंसा, सूनृता, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह ये पाँच महाव्रत ~ रंग (पु० ) मेंहदी का चूरा, अबीर, बुक्का, हल्दी और सुरवाली ये पाँच रंग; रत्न (पु० ) पाँच प्रकार के रत्न (जैसे- नीलम, पद्मराग, मणि, मूंगा, हीरा पंच रत्न के नाम से जाने गए हैं); ~वटी (स्त्री०) पीपल, वट, बेल, हरड़ और अशोक वृक्षों का समूह; ~ वर्षीय (वि०) पाँच वर्ष का ~ वाण (पु० ) 1 कामदेव के पाँच वाण 2 कामदेव के पाँच पुष्पवाण; वार्षिक, ~साला + फ़ा० (वि०) = पंचवर्षीय ~शील (पु०) 1 अस्तेय, अहिंसा, ब्रह्मचर्य, सत्य और मादक द्रव्यों का त्याग 2 अखंडता प्रभुसत्ता, आक्रमण न करना, हस्तक्षेप न करना, समानता- नीति तथा शांतिपूर्ण अस्तित्व ये पाँच सिद्धांत जो अंतर्राष्ट्रीय तनाव से मुक्ति हेतु हैं: की दुहाई सहायता हेतु की जानेवाली पुकार की भाख सब लोगों की कृपा पंचक-सं० (पु० ) 1 मांगलिक कार्य न करने से संबद्ध पाँच नक्षत्रोंवाला दिन 2 एक तरह की पाँच वस्तुओं का समूह पंचकार्ड - अं० (पु०) सछिद्र पत्रक । ~मशीन (स्त्री०) छिद्र करनेवाली मशीन
पंचतल्ला - (वि०) पाँच मंज़िलोंवाला
पंचनामा - हिं० + फा० (पु० ) 1 वह पत्र जिसपर पंचो ने अपना निर्णय लिखा हो 2 निर्णय लिखा हुआ पत्र पंचम सं० (वि०) पाँचवाँ
पंचमांग-सं० (पु० ) 1 पाँचवा अंश 2 पाँचवा अंग पंचमांगी-सं० (वि०) पंचमांग संबंधी पंचमांश सं० (पु० ) = पंचमांग
पंचमी-सं० (स्त्री०) चांद्रमास के प्रत्येक पक्ष की पाँचवी तिथि पँचमेल - (वि०) जिसमें पाँच चीज़ों का मिश्रण हो (जैसे- पँचमेल मिठाई)
पँच रँगा - (वि०) पाँच रंगोंवाला
पँच लड़ा - (वि०) पाँच लड़ोंवाला पँच लड़ी - (स्त्री०) पाँच लड़ोंवाला हार
पंचवाँसा - (पु० ) गर्भवती स्त्री के गर्भ के पाँचवे महीने होनेवाला संस्कार
पंचवाई - (स्त्री०) देशी शराब जो जौ, चावल आदि के मिलाने से बनाई जाती है
पंचांग - I सं० (वि०) पाँच अंगों वाला II (पु० ) 1 किसी वस्तु के पाँच अंग, 2 पाँच अंगोंवाली वस्तु 3 वारों, नक्षत्रों, तिथियों योगों और करणों वाली एक पंजी, पत्रा 4 जड़, छाल, पत्ती, फूल और फल वनस्पतियों के पाँच अंग । मास (पु० ) पंचांग में दिखाया जानेवाला पहली तिथि से अंतिम तिथि वाला महीना; वर्ष (पु०) पंचांग में दिखाया गया आदि से अंत तक कोई पूरा वर्ष, कलेंडर ईयर पंचाक्षर-सं० (वि०) पाँच अक्षरोंवाला (जैसे- पंचाक्षर मंत्र, पंचाक्षर शब्द )
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पंचाग्नि
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पंप
अवार्ड
पंचाग्रि-सं० (वि०) पाँच प्रकार की अग्नियों का आधान पंजीकरण हआ हो; बंधन (पु०) = पंजीकरण; ल्बद्ध करनेवाला
(वि०) = पंजीकृत पंचाट-(पु०) 1 पंचों द्वारा किया गया निर्णय 2 परिनिर्णय, |पंजीयक-सं० (पु०) 1 पंजी पर विवरण आदि लिखनेवाला
2 अभिलेख सुरक्षित रखनेवाला प्रधान अधिकारी पंचानन सं० (पु०) पाँच मुखवाला, शिव
पंजीयन-सं० (पु०) = पंजीकरण पंचानवे-I (वि०) नब्बे से पाँच अधिक II (पु०) 95 की | पंजीयित-सं० (वि०) = पंजीकृत संख्या
पंजेरा-(पु०) 1 बरतन झालने का काम करने वाला 2 बरतन में पंचामृत-सं० (पु०) दूध, दही, चीनी, मधु, घी के मिश्रण से
जोड़ लगानेवाला बना घोल
पंड-I सं० (वि०) फल रहित, निष्फल II (पु०) नसक, पंचायत-(स्त्री०) पंचों की सभा (जैसे-पंचायत घर, पंचायत ___ हिजड़ा III (स्त्री०) बड़ी और भारी गठरी बुलाना)। ~अदालत अ० (स्त्री०) पंचसभा की कचहरी; | पैड़वा-(पु०) भैंस का बच्चा, पड़वा
मामा + फ़ा० (पु०) पंच निर्णय; बोर्ड + अं० (पु०) | पंडा-(पु०) 1 तीर्थ यात्रियों को मंदिर आदि का दर्शन . - पंचायत; राज +सं० पंचों द्वारा शासन प्रबंध करानेवाला तथा उनसे प्राप्त धन में अपनी जीविका पंचायती-(वि०) 1 पंचायत संबंधी, पंचायत का 2 पंचायत | चलानेवाला ब्राह्मण द्वारा दिया गया (जैसे-पंचायती निर्णय, पंचायती हुकुम) | पंडाल-(पु०) बहुत बड़ा मंडप (जैसे-सभी दर्शक पंडाल में 3 जिसपर पंचायत का नियंत्रण हो
बैठने का कष्ट करें) पंचाल-सं० (पु०) 1 हिमालय एवं चंबल के मध्य गंगा के | पंडित-I सं० (वि०) निपुण, कुशल II (पु०) 1विद्वान
दोनों और स्थित एक पुराना राज्य 2 पंचाल देश का निवासी | 2 शास्त्रज्ञ विद्वान 3 ब्राह्मण पंचालिका, पंचाली-I सं० (वि०) पंचाल देश का रहनेवाला पंडिता-सं० (स्त्री०/वि०) विदुषी II (स्त्री०) द्रौपदी
पंडिताइन-सं० + हिं० बो० (स्त्री०) - पंडितानी पंचाश-सं० (वि०) पचासवाँ
पंडिताई-सं० + हिं० (स्त्री०) पांडिल्य, विद्वत्ता। -छाँटना पंचाशत्-सं० (वि०) पचास
1 अनावश्यक रूप से असमय अपनी विद्वता का बखान करना पंचाशिका-सं० (स्त्री०) पचास श्लोकों का संग्रह
2 पंडितों की वृत्ति पंचेंद्रिय-सं० (स्त्री०) 1 पाँच ज्ञानेंद्रियाँ 2 पाँच कर्मेद्रियां | पंडिताऊ-सं० + हिं० (वि०) 1 पंडितों जैसा 2 विद्वतापूर्ण पंछा-(पु०) 1 फुसी के फूटने पर निकलनेवाला सफ़ेद स्राव | 3 आडंबरपूर्ण। ~पन (पु०) - पंडिताई 2 पौधों एवं वृक्षों आदि से निकलनेवाला पानी की तरह का पंडितानी-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 पंडित की स्त्री 2 ब्राह्मणी स्राव
पंडु-सं० (वि०) 1 पीलापन लिए हए मटमैला 2 पीला 3 सफ़ेद पंछाला-(पु०) 1 फफोला, छाला 2 = पंछा
पंडुक-सं० (पु०) फाख्ता पक्षी पंछी-(पु०) चिड़िया, पक्षी (जैसे-पंछी का घोंसला) पंडुर-सं० (पु०) पानी में रहनेवाला साँप, जलसर्प पंजक-सं० (पु०) 1 पंजे का निशान 2 हाथ के पंजों की छाप पंडुलम-अं० (पु०) लोलक पंजर-सं० (पु०) 1 हड्डियों का ढाँचा 2 पसली 3 दह, शरीर। | पंडोह-(पु०) बो० पनाला, नाबदान
पंजर ढीला होना शरीर का सही ढंग से कार्य न करना | पैंतीजना-(स० क्रि०) बो० रूई ओटना पंजा-फा० (पु०) 1 पाँच उँगलियों सहित हथेली का अगला | पंथ-(पु०) 1 मार्ग, रास्ता 2 रीति, ढंग 3 धर्म, सम्प्रदाय भाग ? पैर की पाँच उँगलियों सहित पैर का अगला भाग (जैसे-खालसा पंथ, नानक पंथ)। ~वाद + सं० (पु०) (जैसे-पंजा से मारना, पंजा में काँटा चुभना) 3 एक ही प्रकार किसी सम्प्रदाय, धर्म आदि का सिद्धांत; ~~वादी + सं० की पाँच वस्तुओं का समूह (जैसे-चार पंजे आम) । (वि०) पंथवाद को माननेवाला; --गहना रास्ता पकड़ना; ~मोड़ना पंजे की लड़ाई में प्रतिद्वंद्वी को हराना; -फ़ैलाना ।
जोहना, देखना, निहारना रास्ता देखना, प्रतीक्षा अधिकार में करने की चेष्टा करना; ~मारना झपट्टा मारना; करना
लड़ाना बल परीक्षा करना; पंजे से छूटना अधिकार से पंथी-I (पु०) 1 पथिक, राही 2 सम्प्रदाय का अनुयायी बाहर हो जाना; पंजों पर चलना इतराना
(जैसे-कबीर पंथी) || (स्त्री०) पंथ होने की अवस्था पंजाबी-[ सं० 1 पंजाब का 2 पंजाब में रहनेवाला || (१०) पंद-फ़ा० (स्त्री०) 1सदुपदेश, नसीहत 2 परामर्श, पंजाब का नागरिक (स्त्री० पंजाबिन) III (स्त्री०) पंजाब राय-मशविरा प्रदेश की भाषा जो गुरुमुखी में लिखी जाती है पंद्रह-I (वि०) जो दस से पाँच अधिक हो || (प०) पंद्रह की पंजारा-(पु०) = पिंजारा
संख्या पंजिका-सं० (स्त्री०) 1 हिसाब-किताब लिखने की पुस्तिका - पंद्रहियों-अ० 1 लगभग पंद्रह दिनों का समय 2 लगभग पंद्रह 2 टीका जिसमें प्रत्येक, शब्द का अर्थ स्पष्ट लिखा गया हो दिनों से अधिक का समय ~कार (पु०) पंजिका लिखनेवाला क्लर्क
पंप-अं० (पु०) 1 पानी का नल जो पानी ऊपर खींचने का काम पंजी-सं० (स्त्री०) बही, रजिस्टर ~करण (पु०) 1 हिसाब करता है 2 साइकिल आदि के ट्यूब में हवा भरनेवाला आदि का पंजी में लिखा जाना 2 नाम सूची में नाम लिखा जाना उपकरण 3 एक तरह का रबर का जूता। हाउस (पु०) कार (पु०) = पंजिककार; ~कृत (वि०) जिसका। पंपघर
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पँवाड़ा
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पक्षपात मूलक पवाड़ा-(पु०) - पवाड़ा
(जैसे-गोभी का पकौड़ा) (स्त्री० पकौड़ी) पँवारना-(स० क्रि०) 1 काम करने से रोकना 2 उपेक्षापूर्वक | पक्का -(वि.) 1 पका हुआ 2 पकाया हुआ 3 जो मधुर और दूर करना 3 फेंकना
स्वादिष्ट हो गया हो (जैसे-पक्का आम, पक्का केला) 4 जो पँसरहट्टा-(पू०) पंसारियों का बाज़ार, पसरहट्टा
मज़बूत कर लिया गया हो (जैसे-पक्की ईंट, पक्का घड़ा) पैंसरहट्टी-(स्त्री०) पंसारी की दुकान
5 जिसमें खोट एवं मिलावट न हो (जैसे-पक्का सोना) पंसारी-(पु०) बनिया
6 जिसमें हेर-फेर न हो (जैसे-पक्की सलाह, पक्की नौकरी) पँसुली-(स्त्री०) - पसली
6 जिसमें दोष न हो, त्रुटि रहित (जैसे-पक्का चिट्ठा) 8 जो पंसेरी-(स्त्री०) 1 पाँच सेर की तौल 2 पाँच सेर बाट।। प्रमाणिक एवं मान्य हो (जैसे-पक्का वज़न. पक्की तौल खुराकवाला अधिक खानेवाला
9जिसका संशोधन हो चुका हो (जैसे-पक्का शोरा, पक्की पकड़-(स्त्री०) 1 पकड़ने की क्रिया 2 पकड़ने का ढंग 3 कुश्ती चीनी) 10 जिसमें प्रौढ़ता आ गई हो (जैसे-पक्का धूर्त, पक्का में एक बार की भिड़त 4 रोककर रखने की शक्ति 5 भुल, चोर, पक्की लिखावट) 11 जिसके बाल सफ़ेद हो गए हों अशुद्धि आदि खोजने की क्रिया 6 समझ। ~ढीली पड़ (जैसे-सिर के पक्के बाल अब काले नहीं हो सकते) 12 जो जाना नियंत्रण शिथिल हो जाना
किसी कला एवं संगीत में दक्ष हो (जैसे-पक्का गवैया) पकड़-धकड़-(स्त्री०) धर पकड़
13 जो अचल एवं सुदृढ़ हो (जैसे-पक्का मकान, पक्का पकड़ना-1 (स० क्रि०) 1 दृढ़ता से हाथ में थामना 2 वेगपूर्वक | कुआँ) (स्त्री० पक्की)
आती चीज़ को बढ़ने से रोकना (जैसे-गेंद पकड़ना) पक्तव्य-सं० (वि०) 1 पकाने योग्य 2 पचाने योग्य 3 गिरफ्तार करना (जैसे-अपराधी को पकड़ना) 4 खोज | पक्ति-सं० (स्त्री०) 1 पकने की क्रिया 2 शरीर में भोजन निकालना (जैसे-अशुद्धियाँ पकड़ना) 5 वश में करना | पकानेवाला अंग (जैसे-हिरन पकड़ना) 6 बराबरी करना (जैसे-घुड़दौड़ में घोड़े | पक्व-सं० (वि०) । पका हुआ 2 पक्का को पकड़ना) 7 बोलने से रोकना (जैसे-ज़बान पकड़ना) पक्वान-सं० (पु०) पका हुआ अन्न, पका भोजन 8 पहचानना, जानना (जैसे-अक्षर पकड़ना, स्वर पकड़ना) पक्वाशय-सं० (पु०) पेट का वह भीतरी भाग जहाँ खाया गया 9 उग्र रूप धारण करना (जैसे-दस दिनों से उसे बुखार ने | भोजन जाकर पचता है पकड़ रखा है) 10 प्रभाव युक्त होना (जैसे-खाना बनाते पक्ष-सं० (पु०) 1 किसी वस्तु का दायाँ भाग 2 किसी वस्तु का समय साड़ी के आँचल ने आग पकड़ ली) बायाँ भाग 3 वस्तु का वह किनारा जो उसके आगे-पीछे, ऊपर 11 आचार-व्यवहार के अनुरूप बनना (जैसे-उसने अच्छे और नीचवाले भागों से भिन्न हो और किसी बगल में पड़ता हो,
व्यक्तियों को पकड़ रखा है) II(अ० क्रि०) स्थायी न होना पार्श्व (जैसे-सेना का बाँया पक्ष दर्बल पड़ रहा था) 4 किसी पकड़वाना-(स० क्रि०) पकड़ने की क्रिया में किसी को प्रवृत्त वाद-विवाद में किसी की तरफ़ से बोलना (जैसे-आप किसके करना
पक्ष में हैं, आप किसी का पक्ष ग्रहण न करें) 5 किसी बात के पकड़ाई-(स्त्री०) पकड़ने की मज़दूरी
दो भागों में से प्रत्येक (जैसे-वाम पक्ष, दक्षिण पक्ष) पकड़ाना-I (स० क्रि०) किसी को कुछ देना 2 दे० पकड़वाना 6 चंद्रमास के दो बराबर भागों में से प्रत्येक (जैसे-शक्ल पक्ष,
II (अ० क्रि०) पकड़ लिया जाना, पकड़ा जाना कृष्ण पक्ष) 7 मत-सिद्धांत के अन्यायियों का समुदाय पकना-(अ० क्रि०) 1 मुलायम होना (जैसे-फल पकना) (जैसे-समाजवादी पक्ष, समाजविरोधी पक्ष) 8 समर्थक, 2 आग की आँच पर उबलकर बिल्कुल गल जाना (जैसे-दाल सहायक, साथी 9 तर्क शास्त्र में कथन, विचार जो प्रमाण एवं पक गई है) 3 कड़ा होना (जैसे-ईंट पकना) 4 बिगड़ जाना यक्ति द्वारा उचित एवं उपयुक्त हो। ~कार (प०) किसी (जैसे-घाव पकना) 5 सफ़ेद होना (जैसे-सिर के बाल पक कार्य में भाग लेनेवाला व्यक्ति; ~द्वय (पु०) 1 विवाद के गए हैं)
दोनों पक्ष 2 मास के दोनों पक्ष 3 महीना, माह; ~द्वार (पु०) पकवाई-(स्त्री०) 1 पकवाने का काम 2 पकवाने की मज़दूरी चोर दरवाज़ा; ~धर (वि०) पक्ष लेनेवाला, पक्षपाती; पकवान-(पु०) घी में बनाया गया खाद्य पदार्थ
पात (पु०) अनुकूल प्रवृत्तिः पातपूर्ण (वि०) पक्षपात पकवाना-(स० क्रि०) पकाने का काम अन्य व्यक्ति से कराना किया हुआ; पात शून्य, पात हीन (वि०) पक्षपात से पका-(वि०) जो पक गया हो
मुक्त; ~पाती (वि०) तरफ़दार; पोषक (पु०) पक्ष पकाई-(स्त्री०) 1 पकाने की क्रिया 2 पकाने का पारिश्रमिक | लेनेवाला व्यक्ति (जैसे-विश्व शांति का पक्ष पोषक) 3 पक्कापन, दृढ़ता
~पोषण (पु०) पक्ष की पुष्टि करना; ~मुक्त (वि०) जो पकाना-(स० क्रि०) 1 पकने में प्रवृत करना 2 उबालना,
किसी पक्ष का न हो; रचना (स्त्री०) 1 पक्ष साधन हेतु गरमाना 3 कड़ा एवं मज़बूत करना 4 मुलायम करना
किया गया आयोजन 2 षड्यंत्र चक्र; विभिन्त्रता (स्त्री०) (जैसे-भूसे में आम रखकर पकाना) 5 पक्का करना, निश्चित
तर्क में विचारों का भेद या विचार भेद; समर्थक (पु०) : करना (जैसे-शादी की बात पकाना)
पक्षपाती; ~हत (वि०) जिसका एक पार्श्व टूट-फूट गया हो; पका-पकाया-(वि०) तैयार (जैसे-पका पकाया खाना)
हीन (वि०) जो किसी पक्ष का न हो पकार-सं० (पु०) 'प' अक्षर
पक्षक-सं० (पु०) 1 पक्ष में पड़नेवाली खिड़की 2 पक्ष में पकाव-(पु०) 1 पकने की अवस्था 2 मवाद, पीप
पड़नेवाला दरवाज़ा पकौड़ा-(पु०) घी-तेल आदि में फलाई हई बेसन की बरी | पक्षपात मूलक-सं० (वि०) = पक्षतापूर्ण
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पक्षपातित्व
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पचासा
पक्षपातित्व-सं० (पु०) = पक्षपात
मिलना; बाँधना उत्तराधिकारी बनाना पक्षांत-सं० (पु०) 1 अमावस्या 2 पूर्णिमा
पगना-(अ० क्रि०) 1शरबत आदि के रस में भिगोना. मीठे पक्षांतर-सं० (पु०) दूसरा पक्ष
रस से ओत-प्रोत होना 2 प्रेम में पूर्णतः डूबना, मग्न होना पक्षाघात-सं० (पु०) लकवा, फ़ालिज
(जैसे-एक दूसरे के प्रेम में पगना) पक्षिशाला-सं० (स्त्री०) चिड़ियाघर
पगनी-(स्त्री०) 1 जूता 2 खड़ाऊँ पक्षी-I सं० (वि०) 1 पक्ष लेनेवाला, तरफ़दार 2 पक्षपात पगला-बो० (वि०) = पागल करनेवाला II (पु०) चिड़िया। -पालक (वि०) चिड़िया पगहा-(पु०) पशुओं के गले में बाँधी जानेवाली रस्सी, पघा पालनेवाला; ~पालन (पु०) चिड़ियों के पालने का पेशा; | पगाना-(स० क्रि०) 1 पागने का काम किसी अन्य व्यक्ति से
विज्ञान (पु०) वह विज्ञान जिसमें पक्षियों के प्रकारों, कराना 2 किसी को किसी काम में प्रवृत्त करना जातियों, रहन-सहन के ढंगों, उनकी प्रकृति आदि का विवेचन | पगार-I पु० (स्त्री०) वेतन (जैसे-उसे 100 रुपये पगार मिलती होता है; ~शाला (स्त्री०) पक्षियों के रहने का स्थान, चिड़ियाघर; ~शास्त्र (पु०) = पक्षी विज्ञान; ~शास्त्री पगार-II (पु०) 1 गारा 2 कीचड़ (पु०) पक्षी विज्ञान का ज्ञाता
पगोड़ा-पु० (पु०) बौद्ध मंदिर पक्षीय सं० (वि०) 1 पक्ष संबंधी 2 पक्ष का (जैसे-वाम पघा-(पु०) = पगहा पक्षीय, कुरु पक्षीय)
पच-(वि०) = पाँच। गुना (वि०) जो पाँच का गुणा करने पक्ष्म-सं० (पु०) 1 आँख की बरौनी 2 फूल का केसर 3 फूल से प्राप्त हो (जैसे-चार का पचगुना बीस होगा); ~मेल की पंखुड़ी
(वि०) = पँच मेल; ~रंगा (वि०) - पँच रंगा; ~लड़ी पख-(स्त्री०) 1 अडंगा 2 झंझट, बखेड़ा 3 व्यर्थ का दोष ढूंढ़ना (स्त्री०) पाँच लड़ियों की माला (जैसे-पंख निकालना, पंख लगाना)
पचकना-(अ0 क्रि०) = पिचकना पखड़ी-(स्त्री०) = पंखड़ी
पचड़ा-(पु०) 1 व्यर्थ की झंझट 2 ओझा लोगों द्वारा गाया पखवाड़ा-बो० (पु०), पखवारा (पु०) 1 चांद्र मास का कोई जानेवाला गीत पक्ष 2 पूरे 15 दिनों का समय
पचन-I सं० (वि०) पकानेवाला II (प.) 1 भोजन आदि पखाना-(पु०) 1 कथा, उपाख्यान 2 कहावत, लोकोक्ति पकाने की क्रिया 2 जठराग्नि ~संस्थान (३०) शरीर के वो पखारना-(स० क्रि०) धोकर साफ़ करना
भीतरी अंग जो भोजन पचाते हैं। पखाल-(स्त्री०) 1 मशक 2 धौंकनी। ~पेटिया (वि०) | पचना-(अ0 क्रि०) 1 भोजन का जठराग्नि की सहायता से रस
1 मशक के समान पेटवाला 2 बहुत खानेवाला, पेटू आदि में परिणित होना 2 दूसरे का धन अधिकार में आना पखाली-I (वि०) मशक संबंधी II (पु०) भिश्ती (जैसे-हराम की कमाई सबको नहीं पचती) 3 पता न लग पखावज-(स्त्री०) मृदंग के आकार का छोटा बाजा पाना (जैसे-औरतों के पेट में बात कभी नहीं पचती) 4 समाप्त पखावजी-1 (वि०) पखावज से संबंध रखनेवाला II (पु०) होना 5 अधिक परिश्रम से क्षीण होना 6 परेशान होना 7 खप पखावज बजानेवाला व्यक्ति
जाना, समा जाना (जैसे-उसे प्रतिदिन पाँच किलो दूध पच पखिया-(वि०) 1 व्यर्थ का दोष निकालनेवाला 2 व्यर्थ का जाता है)। पच-पचकर अत्यधिक परिश्रम करके; पच झगड़ा करनेवाला, झगड़ालू
मरना, पच हारना शिथिल हो जाना, थक जाना, हार जाना पखुवा-(पु०) मनुष्य के शरीर में कंधे और बाँह के जोड़ के | पचनीय-सं० (वि०) पचने योग्य पास का भाग, भुज-मूल के पास का भाग (जैसे-पखवे से पचपचा-(वि०) 1 अधपका 2 जिसका पानी अभी सूखा न हो लगाकर बैठना)
(जैसे-पचपचा पदार्थ) पखौटा-(पु०) डैना, पर
पचपन-I (वि०) पाँच कम साठ || (प्०) 55 की संख्या पग-(पु०) 1 पैर, पाँव 2 चलने में एक पैर से दसरे पैर तक की | पचहत्तर-1 (वि०) जो सत्तर से पाँच अधिक हो II (पू०) दूरी, फाल 3 पैर आगे बढ़ाने की क्रिया, डग (जैसे-लंबे-लंबे ___75 की संख्या पग धरना)। चाप (स्त्री०) चलने में पैर के तलुवे से पचहरा-(वि०) 1 पाँच परतोंवाला 2 पाँच गुना निकलनेवाली ध्वनि; चिह्न + सं० (पु०) चलने से जमीन | पचानवे-(वि०) - पंचानवे पर बने पैर के तलुवों के निशान; टुंडी (स्त्री०) पतला | पचाना-(स० क्रि०) 1खाई गई वस्तु को पक्वाशय की रास्ता, सँकरा मार्ग; ~ध्वनि + सं० (स्त्री०) पदचाप, आहट; जठराग्नि से रस आदि में परिणित करना 2 माल हज़म करना,
उठाना शुरू करना; ~पसारना लेट जाना; फूंककर हड़प लेना 3 कठोर परिश्रम कराके शरीर, मस्तिष्क आदि की धरना सावधान होकर चलना, सतर्क रहते हुए आगे बढ़ना क्षति करना 4 समाप्त कर देना 5 समा लेना पगड़ी-(स्त्री०) 1 साफा, पाग 2 प्रतिष्ठा, मान-मर्यादा 3 अवैध पचाव-(पु०) पचने-पचाने की क्रिया, पाचन रूप से पेशगी दिया जानेवाला धन (जैसे-दुकान पगड़ी पचास-I (वि०) चालीस से दस अधिक || (पु०) 50 की 1000 रुपए है)। ~अटकना झगड़ा लगना; ~उछलना संख्या अपमान होना; उछालना अपमान करना, मान-प्रतिष्ठा का | पचासा-(पु०) 1 एक वर्ग की पचास वस्तुओं का समूह मखौल उड़ाना; उतारना 1 अपमानित करना, बेइज़्ज़त 2 पचास रुपये (जैसे-सैर में पचासा खर्च हो गए) 3 पचास करना 2 दुर्दशा ग्रस्त करना; बँधना यश प्राप्त होना, सम्मान भरी का बटखरा
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पचासी
पचासी - 1 (वि०) जो अस्सी से पाँच अधिक हो II (पु० ) 85 की संख्या
पचित - सं० (वि०) 1 पचा हुआ 2 मिला हुआ पचीस - I (वि०) बीस से पाँच अधिक II ( पु० ) 25 की संख्या
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=
पचीसी (स्त्री०) 1 एक ही तरह की पचीस वस्तुओं का समूह 2 गणना का एक प्रकार जिसमें पचीस चीज़ों की एक इकाई मानी जाती है (जैसे-पचीसी गाही फल में 125 फल होते हैं) पचूका - बो० (पु० ) पिचकारी पचोतर - (वि०) पाँच अधिक, पाँच ऊपर (जैसे-पचोतर सौ) पचौनी - ( स्त्री०) 1 पचने पचाने की क्रिया 2 अँतड़ी, आँ पचौली - बो० (पु० ) गाँव का मुखिया, पंच पचौवर - (वि०) पंचवर पच्चड़, पच्चर - (पु० ) 1 बाँस, लकड़ी आदि का छोटा तथा पतला टुकड़ा (जैसा-पच्चड़ घुसेड़ना) 2 अड़चन, रुकावट । ~ ठोंकना, मारना बाधा खड़ी करना, रुकावट डालना पच्ची - (स्त्री०) धातुओं, पत्थरों आदि पर नगीने आदि के छोटे-छोटे टुकड़े जड़ने की क्रिया (जैसे सोने के कंगन में हीरे की पच्ची) । कारी + फ़ा० (स्त्री०) 1 पच्ची की जड़ाई करने की क्रिया 2 पच्ची करके तैयार किया गया काम पच्छम- (वि०) / (पु० ) पश्चिम पच्छमी - (वि०) पश्चिम का पच्छिम - I (पु० ) पिछला
पश्चिम (जैसे- पच्छिम दिशा) II (वि०)
-
=
पछड़ना - ( अ० क्रि०) : परास्त होना, हार जाना 2 पटका जाना पछताना - (अ० क्रि०) पश्चाताप करना पछतावा - (पु० ) पछताने की क्रिया, पश्चाताप (जैसे- पछतावा करना)
पछना - (अ० क्रि०) हल्का चीरा लगाया जाना पछवाँ-I (वि०) 1 पश्चिम दिशा संबंधी 2 पश्चिम की ओर से आनेवाला (जैसे-पछवाँ हवा) II (स्त्री० ) पश्चिम से आनेवाली हवा III (अ० ) - पीछे
पछाँह - ( पु० ) सुदूर पश्चिम का प्रदेश
पछाँहिया - (वि०) पछाँही
पछाड़ - ( स्त्री०) 1 पछाड़ने की क्रिया 2 पछाड़े जाने की अवस्था 3 बेसुध होने की अवस्था (जैसे-दुःखद समाचार सुनकर वह पछाड़ खाकर ज़मीन पर गिर पड़ी)। खाना बेसुध होना, बेहोश होना
पछाड़ना - 1 (स० क्रि०) साफ़ करने के लिए कपड़े को पत्थर आदि पर पटकना II (स० क्रि०) 1 कुश्ती आदि में चित करना 2 वाद-विवाद आदि में हराना पछिआना - (स० क्रि०) 1 पीछा करना 2 अनुगामी बनकर
चलना, अनुकरण करना पछियाँव - (स्त्री०)
पछवाँ पछियाना- (स० क्रि०) पछिआना
पछीत - (स्त्री०) मकान के पीछे का भाग, घर का पिछवाड़ा पछुवाँ - (वि०) / (पु० ) ( स्त्री० ) = पछवाँ पछेलना- (स० क्रि०) 1 आगे निकलना 2 पीछे ढकेलना पछली - (स्त्री०) पिछली पछोड़ना - (स० क्रि०) बो०, पछोरना (स० क्रि०) सूप
पटबंधक
अनाज आदि रखकर हिलाते हुए कूड़ा-करकट अलग करना, फटकना (जैसे- अनाज पछोड़ना)
पजरना - (अ० क्रि०) 1 प्रज्वलित होना 2 जलना 3 तपना पजामा - फ़ा० बो० (पु०) = पाजामा पजारना - (स० क्रि०) 1 प्रज्वलित करना 2 जलाना 3 संतप्त करना
पजावा - फ़ा० (पु० ) ईंट, चूना आदि पकाने का भट्ठा, आँवा पजोखा - ( पु० ) मातम - पुरसी
पटंबर - सं० (पु०) रेशमी कपड़ा, कौषेय
पट - सं० (पु० ) 1 वस्त्र, कपड़ा 2 पोशाक 3 परदा, आवरण । ~ कथा ( स्त्री०) मुख्य कथा ~ चित्र (पु० ) 1 पर्दे पर आनेवाला चित्र 2 सिनेमा की फ़िल्म ~धारी (वि०) जो वस्त्र पहने हो; परिवर्तन (पु० ) 1 परदा बदलना 2 दृश्य
बदलना
पट - I ( पु० ) 1 चिपटा एवं चौरस तल 2 चौरस ज़मीन (जैसे-पट उघड़ना) 3 दरवाज़ा
पट-II (वि०) 1 खाली पड़ा हुआ 2 उलटा पड़ा हुआ, औंधा (जैसे- भगोना पट पड़ा था )
पट - III (अ०) तुरंत, शीघ्र, तत्काल (जैसे-पट से बोल पड़ना)
पटकना - I (स० क्रि०) 1 गिराना (जैसे उसने थाली पत्थर पर पटक दी) 2 रखना (जैसे-सिर पर हाथ पटकना) 3 दे मारना (जैसे- उसने कुश्ती में उसे पटक दिया) पटकना - II ( अ० क्रि०) 1 सिकुड़ना 2 पट ध्वनि करते हुए टूटना (जैसे-मिट्टी का घड़ा पटकना) 3 पचकना पटकनी - (स्त्री०) 1 पटकने की क्रिया, पटकान 2 पटके जाने की क्रिया 3 पछाड़ खाकर गिरने की क्रिया पटका - (पु० ) 1 कमर में बाँधने का दुपट्टा, कमरबंद 2 गले क दुपट्टा । ~पकड़ना रोक रखना; बाँधना उद्यत होना, तैयार होना
पटड़ा - (पु० ) = पटरा
पटतर- I (पु०) 1 तुल्यता, बराबरी 2 सादृश्य आधार पर दी जानेवाली उपमा II (वि०) चौरस, समतल III ( क्रि० वि०) तुल्य, समान
पटना- (अ० क्रि०) 1 पाटा जाना 2 बराबर होना 3 पाटन पड़ना 4 खेत का पानी से सींचा जाना 5 सौजन्य पूर्ण संबंध होना (जैसे- आजकल उन लोगों की खूब पटती है) 6 सहमति होना (जैसे-सौदा पटना ) 7 चुकता होना (जैसे-सारा कर्ज़ पट गया) पटनिया- (वि०) पटना नगर से संबंध रखनेवाला पटनी - (स्त्री०) 1 पटने की अवस्था 2 पाटने की क्रिया 3 छत पट-पट - (स्त्री०) वस्तुओं के गिरने से उत्पन्न होनेवाला पट शब्द पटपटाना - I (अ० क्रि०) 1 पट-पट शब्द करना 2 कष्ट पाना 3 शोक करना II (स० क्रि०) पट-पट ध्वनि उत्पन्न करना पटपर-I (वि०) 1 चौरस, समतल 2 बरबाद II (पु०) उजाड़ और सुनसान जगह
पटबंधक - I हिंο + सं० (पु०) संपत्ति को रेहन रखने का वह प्रकार जिसमें संपत्ति की सारी आय महाजन ले लेता है तथा आय से सूद निकालने के बाद बचा धन मूल ऋण में जमा होता जाता है II (वि०) रेहन रखा हुआ
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पटबीजना
पटबीजना - ( पु० ) जुगनू पटरा - (पु० ) 1 काठ का लंबा, चौकोर एवं चौरस टुकड़ा, तख्ता पल्ला 2 धोबी का पाट 3 काठ का पीढ़ा 4 पाटा, हैंगा । ~फेरना पूर्णतः नष्ट कर देना
पट रानी - (स्त्री०) वह स्त्री जिसके साथ किसी राजा का पहला विवाह होता था
पटरी - (स्त्री०) 1 लकड़ी का लंबा, छोटा एवं पतला टुकड़ा 2 लिखने की तख्ती 3 रेलगाड़ी के चलने की लोहे की मज़बूत छड़ (जैसे- गाड़ी पटरी से उतर गई) 4 सड़क के दोनों तरफ़ पैदल चलनेवालों के लिए बना रास्ता 5 व्यवहार में हेल-मेल की स्थिति (जैसे- आजकल उन सबमें खूब पटरी है) जमाना घुड़सवारी में अपनी रान जमाना जिससे घोड़े के तेज दौड़ने पर भी उसका आसन स्थिर रहे; बैठना 1 मन मिलना 2 मेल खाना (जैसे- उन दोनों मित्रों में खूब पटरी बैठ रही है)
पटल, पटलक-सं० (पु० ) 1 परदा 2 तह, परत 3 छप्पर 4 छत 5 पटरा 6 पुस्तक का विशिष्ट खंड, परिच्छेद पटलता-सं० (स्त्री०) अधिकता पटवा - (पु० ) गहना आदि गूंथने का पेशा करनेवाला व्यक्ति,
पटहार
पटवाना - (स० क्रि०) 1 पाटने का काम अन्य से कराना (जैसे-गड्ढा पटवाना बहुत ज़रूरी है) 2 किसी को पटाने में प्रवृत्त करना
पटवारगिरी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 पटवारी का काम 2 पटवारी का पद
पटवारी- (पु० ) लेखपाल (जैसे- मैंने पटवारी को मालगुज़ारी दे दिया है)
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पट-वास - I सं० (पु० ) 1 खेमा, तंबू 2 छावनी, शिविर 3 लहँगा
पट-वास-II सं० (पु०) कपड़ों को सुगंधित करनेवाला सुगंधित पदार्थ
पटसन - (पु० ) 1 जूट, पटुआ 2 सनई का पौधा पटह-सं० (पु० ) 1 ढोल 2 नगाड़ा 3 डुगडुगी
पटहार - (पु० ) = पटवा
पटा - (पु०) पीढ़ा, पटरा
पटाई - I (स्त्री०) 1 पाटने की क्रिया 2 पाटने की मज़दूरी (जैसे-खेत की पटाई सौ रुपए हुई)
पटाई - II ( स्त्री०) 1 पटाने की क्रिया 2 चुकता करने की क्रिय 3 समझौता हेतु राज़ी करने की क्रिया
पटाक, पटाका - (पु०) 1 पट से होनेवाला ज़ोर का शब्द 2 तमाचा, थप्पड़ (जैसे- अध्यापक ने उसे दो-तीन पटाके जमा दिए ) 3 आतिशबाज़ी की गोली 4 युवा और सुंदर स्त्री पटाक्षेप सं० (पु० ) 1 परदा गिरना 2 परदा गिराना 3 एक दृश्य के पश्चात कुछ समय के लिए होनेवाला अंतराल, अल्प अवकाश (जैसे- प्रथम अंक का पटाक्षेप हो गया) 3 समाप्ति पटाख, पटाखा - (पु० ) = पटाका पटान - (स्त्री०) 1 पाटने की क्रिया 2 पाटन
पटोल
III चुकता करना (जैसे उसने सारा ऋण पटा दिया) IV (अ० क्रि०) बो० 1 पटना, पाटा जाना 2 कम होना, घटना 3 शांत एवं स्थिर होना
पटापट - I (अ०) 1 लगातार पट-पट ध्वनि करते हुए (जैसे- पटापट थप्पड़ मारकर उसको रुला दिया ) 2 बहुत जल्दी-जल्दी, चट-पट (जैसे-गोली की आवाज़ सुनते ही लोगों ने पटापट दुकानें बंद कर दीं ) II (स्त्री० ) निरंतर 'पटपट' की ध्वनि पटापटी - (स्त्री०) आकृतिवाली वस्तु
अनेक रंग-बिरंगी,
बेल-बूटों की
पटार - I (स्त्री०) 1 पेटी, पिटारी, मंजूषा 2 पिंजड़ा II ( स्त्री० ) रेशम की डोरी
पटाना - I (स० क्रि०) 1 गड्ढा आदि को पाटने के लिए अन्य को लगाना 2 छाजन आदि डलवाना II 1 कार्य आदि हल करना 2 बात तय करना (जैसे-सौदा पटाना, ग्राहक पटाना)
पटाव-I (पु०) 1 पाटने की क्रिया 2 पाटकर बराबर किया हुआ स्थान: 3 पाट कर बनाई गई छत, पाटन II दरवाज़े में चौखट के ऊपर रखी जानेवाली लकड़ी, भरेठा पटिका -सं० (स्त्री०) 1 कपड़ा, वस्त्र 2 कपड़े का टुकड़ा पटिया - (स्त्री०) 1 पत्थर का आयताकार, चौरस टुकड़ा
2 लकड़ी का आयताकार चौरस टुकड़ा, तख्ती, पाटी 3 छोटा गा 4 लंबा किंतु कम चौडा खेत का टुकड़ा 5 सिर के सँवारे हुए बाल
पटी - सं० (स्त्री० ) 1 कपड़े का लंबा एवं पतला टुकड़ा, पट्टी 2 पगड़ी, साफा 3 कमरबंद, पटका 4 आवरण, परदा 5 नाटक का परदा
पटीर-सं० (पु० ) 1 चंदन 2 कत्था, खैर 3 कत्थे का पेड़ पटीलना - (स० क्रि०) 1 फुसलाकर काम के लिए राजी करना. अर्थ-साधन के अनुकूल बनाना 2 छलना, ठगना 3 परास्त करना, हराना 4 पीटना, मारना पटु-सं० (वि०) 1 कुशल, प्रवीण 2 चालाक, चतुर (जैसे-स्वार्थ-साधन में वह बहुत पटु है)। ~ता (स्त्री०)
1 निपुणता 2 चालाकी
पटुआ - ( पु० ) पटसन, जूट पटुका - ( पु० ) = पटका पटेबाज़ - I हिं० + फ़ा० (पु० ) 1 पटा हाथ में लेकर लड़नेवाला व्यक्ति, पटैत 2 आतिशबाजी II (वि०) 1 दुश्चरित्रा एवं पुंश्चली, छिनाल 2 चालाक एवं धूर्त पटेबाज़ी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 पटेबाज का कार्य एवं कौशल 2 व्यभिचार, छिनाला 3 पूर्तता
पटेर - ( स्त्री०) जलाशयों में उत्पन्न होनेवाला सरकंडे की जाति का पौधा जिसके पत्ते चटाई एवं टोकरी आदि बनाने के काम आते हैं
पटेल - (पु० ) 1 गाँव का चौधरी, मुखिया 2 गाँव का नंबरदार पटेला - (पु० ) = पटैला पटैत- (पु० ) पटा खेलनेवाला खिलाड़ी, पटेबाज़ पटैला-I (पु०) एक प्रकार की बड़ी नाव जिसका बीचवाला भाग ऊपर से छाया रहता है। पटैले के साथ अपनी पन सूइया बाँधना बड़े कार्य के साथ छोटे कार्य को संबद्ध करना II (पु० ) अर्गला, ब्योंड़ा
पटोरी - (स्त्री०) 1 रेशमी धोती, रेशमी साड़ी 2 रेशमी किनारे की धोती, रेशमी किनारे की साड़ी
पटोल - सं० ( पु० ) 1 गुजरात में बननेवाला एक प्रकार का
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पटोला
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पड़पोता
रेशमी कपड़ा 2 परवल की लता और उसका फल | पट्ठा-I (वि०) 1 जो हृष्ट-पुष्ट तथा नौजवान हो 2 नवयुवक पटोला-बो० (पु०) कपड़े का छोटा टुकड़ा
II (पु०) पहलवान पटोलिका-सं० (स्त्री०) 1 पट्टा 2 मंजूषा, पेटी
पठक-सं० (वि०) पढ़नेवाला पटौंधन-(पु०) रेहन रखी गई वस्तु को पुनः किसी तरह अपने पठन-सं० (पु०) पढ़ने की क्रिया, पढ़ना अधिकार में लेने की क्रिया
पठनीय-सं० (वि०) जो पढ़ने योग्य हो, पाठ्य पटौतन-(पु०) - पटौनी
पठनेटा- (पु०) 1 पठान का बेटा 2 पठान जाति का पुरुष पट्ट-I (पु०) 1 मोटा ऊनी देशी कपड़ा 2 एक तरह का पठान-(पु०) 1 मुसलमानों की प्रसिद्ध उपजाति चारखानेदार कपड़ा
2 अफगानिस्तान का निवासी पट्ट-II सं० (पु०) 1 लकड़ी का वह टुकड़ा जिस पर सूचनाएँ पठानी-I (वि०) पठान सबंधी (जैसे-पठानी राज्य, पठानी
आदि लगाई जाती हैं (जैसे-सूचना पट्ट) 2 लिखने की तख्ती, घोड़ा) II (स्त्री०) 1 पठान होने की अवस्था 2 पठान जाति पटिया 3 पीढ़ा, पाटा 4 पत्थर आदि का चौकोर टुकड़ा 5 पट्टी की स्त्री 6 पगड़ी 7 दुपट्टा। ~कीट (पु०) रेशम का कीड़ा; पठार-(पु०) दूर तक फैली हुई चौरस और ऊँची ज़मीन
लेख्य, विलेख (पु०) पट्टे की शर्ते आदि लिखा | पठावन-(पु०) 1 भेजने की क्रिया 2 संदेशवाहक, दूत जानेवाला लेख्य; -शिष्य (पु०) सबसे बड़ा शिष्य पठित-सं० (वि०) जो पढ़ा जा चुका हो, पढ़ा हुआ पट्टक-सं० (पु०) 1 राजाज्ञा खुदवाने का ताम्र आदि का पट्ट पठिया-(स्त्री०) हृष्ट पुष्ट तथा नौजवान स्त्री 2 घाव आदि पर बाँधी जानेवाली पट्टी
पड़छती-(स्त्री०) = परछत्ती पट्टन-सं० (पु०) शहर, नगर
पड़ता-(पु०) 1माल की खरीद का खर्च 2 माल की तैयारी में पट्टला-सं० (स्त्री०) 1 प्राचीन प्रशासनिक इकाई जो अब लगी लागत 3 बिक्री के दाम में से लागत निकाल देने पर
आधुनिक जिला के रूप में मान्य है 2 इकाई में रहनेवाला होनेवाली बचत 4 लगान की दर 5 दर। ~खाना उचित जनसमूह
मूल्य निकालने के बाद लाभ होना --निकालना, पट्टा-सं० (पु०) 1 स्थायी संपत्ति के उपयोग का अधिकार पत्र, फैलाना, बैठाना लागत का विचार करना सनद (जैसे-इस मकान का मैंने उम्र भर का पट्टा अपने भाई | पड़ताल-(स्त्री०) 1 छान-बीन, देख-भाल 2 संशोधन, सुधार को लिख दिया) 2 ज़मींदार की ज़मीन जोतने-बोने के लिए | 3 तुलना, बराबरी। दिया जानेवाला लेख्य (जैसे-मैंने यह खेत किसान को पट्टे पर | पड़तालना-(स० क्रि०) जाँच करना दिया है) 3 पशुओं आदि के गले में बाँधी जानेवाली पट्टी पड़ती-(स्त्री०) खाली छोड़ी गई ज़मीन, बिना जोता बोया गया (जैसे-कुत्ते के गले में पट्टा बाँध दिया गया है) 4 काठ का | खेत। -उठना पड़ती पर खेती होना पड़ती ज़मीन को कृषि पटरा, पीढ़ा। दाता + सं० (पु०) पट्टा देनेवाला व्यक्ति; हेतु लगान पर देना
~धारी (पु०) पट्टे पर ज़मीन आदि लेनेवाला पड़ना-(अ० क्रि०) 1 पहुँचाया जाना, छोड़ा जाना (जैसे-कान पट्टिका-(स्त्री०) तख्ती, पटिया
में दवा पड़ना, तरकारी में नमक पड़ना) 2 विद्यमान होना, पट्टी-I (स्त्री०) 1 तख्ती, पटिया 2 पट्टी पर दिया जानेवाला गिरना, स्थित होना (जैसे-दूध में मक्खी पड़ गई) 3 फैलाया पाठ, सबक (जैसे-पट्टी पढ़ना, पट्टी लिखना) 3 बरी नीयत से जाना, बिछाया जाना (जैसे-आँगन में चारपाई पड़ी है) दी जानेवाली सलाह (जैसे-उसने तुमको पट्टी पढ़ा दी थी) 4 आघात होना, प्रहार होना (जैसे-लात-जूता पड़ना) 4 कपड़े, धातु, काठ आदि का लंबा, कम चौड़ा तथा पतला 5 आपातिक में उपस्थित होना (जैसे-कुकर्म से बदनामी ही टुकड़ा 5 जख्म, सूजन आदि पर बाँधने के काम में आनेवाला पल्ले पड़ेगी) 6 कष्टदायक घटना घटित होना (जैसे-जिस पर कपड़े का लंबा एवं कम चौड़ाई का टुकड़ा (जैसे-घाव पर पट्टी पड़ती है वही दर्द जानता है) 7 शरीक होना, शामिल होना बाँध देना) 6 स्कूलों में बिछाया जानेवाला टाट (जैसे-टाट (जैसे-आवश्यकता पड़ने पर मैं आपकी मदद अवश्य पट्टी) 7 पटिया, पाटी 8 तख्ता 9 पत्थर का लंबा, कम चौड़ा करूँगा) 8 ठहरना, टिकना (जैसे- रात में स्टेशन पर ही पड़े एतं पतला आयताकार टुकड़ा 10 सँवारे गये बालों की रचना ।
रहना) १ लेटना (जैसे-दफ्तर से आने के बाद वो बिस्तर पर ल्दार +फा० (पु०) 1 हिस्सेदार 2 बराबरी का हिस्सेदार; पड़ गये) 10 बीमार होना (जैसे- दस दिनों से लड़का चारपाई
दारी +फा० (स्त्री०) 1 पट्टीदार होने की अवस्था पर ही पड़ा है) 11 फँसना (जैसे-व्यर्थ के विवाद में कौन 2 पट्टीदारों का पारस्परिक संबंध 3 बराबरी का दावा पड़ेगा) 12 मिलना (जैसे-उनका घर इस रास्ते में पड़ेगा)
जमाना माँग के दोनों तरफ़ बालों को सँवारना; पढ़ाना 13 धुन सवार होना (जैसे-सबको अपनी-अपनी पड़ी रहती है बहकाने वाली शिक्षा देना, बहकाना; दारी अटकना 14 आश्रित होना (जैसे-वह अपने पिता पर कब तक बोझ पट्टीदारी के कारण विरोध होना
बनकर पड़ा रहेगा) पट्टी-II सं० (स्त्री०) 1 पगड़ी में लगाई जानेवाली कलगी, तुर्रा | पड़-पड़-I (स्त्री०) निरंतर पड़-पड़ होनेवाला शब्द (जैसे-रात
2 पठानी लोध 3 घोड़े की पट्टी, तस्मा 4 तोबड़ा में वर्षा के साथ-साथ ओले भी पड़-पड़ गिर रहे थे) पटू-I (पु०) 1 मोटा ऊनी देशी कपड़ा 2 चारखानेदार कपड़ा | II (क्रि० वि०) पड़-पड़ ध्वनि करते हुए। पटू-II बो० (पु०) तोता
पड़पड़ाना-I (अ० क्रि०) पड़-पड़ ध्वनि होना II (स० पट्टेदार-हिं० +फ्रा० (पु०) वह व्यक्ति जिससे पट्टा मिला हो | क्रि०) पड़-पड़ ध्वनि उत्पन्न करना पट्टोला-(पु०) 1 रेशमी कपड़ा 2 कपड़े की कतरन | पड़पोता-(पु०) = परपोता (स्त्री० पड़पोती)
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पड़वा
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पता
पड़वा-I (स्त्री०) प्रत्येक पक्ष की प्रथम तिथि, परिवा . पणी-सं० (पु०) व्यापारी, दूकानदार पड़वा-II (पु०) भैंस का नर बच्चा
पण्य-1 सं० (वि०) = पणितव्य || (पु०) 1 माल, सौदा पड़ाका-(पु०) = पटाका
2 व्यापार 3 बाज़ार 4 दूकान। ~क्षेत्र (पु०) = पण्य भूमि; पड़ाना-(स० क्रि०) = पड़वाना
-चिह्न (पु०) दे० वाणिज्य चिह्नः जीवी (वि०) पड़ाब-(पु०) 1 ठहरने की जगह, ठिकाना 2 मार्ग में कहीं 1 व्यापार आदि से अपना जीवन चलानेवाला 2 जूआ आदि से
ठहरना (जैसे-रात को धर्मशाला में पड़ाव डालना) प्राप्त धन से जीवन गुज़ारनेवाला; ~पति (पु०) 1 बहुत बड़ा पड़िया-(स्त्री०) भैंस का मादा बच्चा
व्यापारी 2 बहुत बड़ा साहूकार, सेठ; ~भूमि (स्त्री०) पडियाना-I (अ क्रि०) भैंस का भैंसे से संयोग होना, भैंसाना । 1 व्यापार करने का स्थान 2 मंडी, हाट 3 गोदाम; ~वस्तु II (स० क्रि०) भैंस का भैंसे से संयोग कराना
(स्त्री०) ख़रीद एवं बिक्री का माल, पण्य द्रव्य, शाला पड़ोस-(पु०) निवास स्थान के बगल का घर
(स्त्री०) = पण्य वीथि पड़ोसिन-(स्त्री०) पड़ोस में रहनेवाली स्त्री
पण्याजीव सं० (पु०) व्यापारी, रोज़गारी पड़ोसी-(पु०) पड़ोस में रहनेवाला व्यक्ति, हमसाया, प्रतिवेशी पतंग-[सं० (पु०) 1 पतिंगा. शलभ 2 सूर्य (जैसे-रघुवर बाल पढ़त-(स्त्री०) 1 पढ़ने की क्रिया 2 पढ़ा हुआ पाठ
पतंग) पढ़त-(स्त्री०) पठन, वाचन (जैसे-विधेयक की तीसरी पढ़त) पतंग-II सं० (स्त्री० ) कनकौआ, गुड्डी (जैसे-पतंग उड़ाना भी पढ़ना-(स० क्रि०) 1 उच्चारण आदि का ज्ञान प्राप्त करना मनोरंजन का साधन है)। छुरी -हिं० (वि०) बो० (जैसे-अंग्रेजी पढ़ना, उर्दू की पुस्तक पढ़ना) 2 उच्च स्वर में चुगलखोर; ~बाज़ + फ़ा० (पु०) पतंग उड़ाने का शौकीन; बोलते जाना, उच्चारण करना (जैसे-दस्तावेज़ पढ़ना ज़रूरी हो बाज़ी +फ़ा० (स्त्री०) पतंग उड़ाने की क्रिया। -काटना गया है) 3 अभ्यास के रूप में रटना, याद करना पतंग लड़ाकर दूसरे की पतंग की डोर काट देना; बढ़ाना (जैसे-गिनती-पहाड़ा पढ़ लेना) 4 विधिवत् अध्ययन करना पतंग को ऊँचाई तक पहुँचाना (जैसे-पाँचवी घंटी के बाद दर्शन शास्त्र पढ़ना है) 5 अध्ययन पतंगा-(पु०) 1 फतिंगा 2 दीये का फूल 3 चिनगारी एवं मनन करना (जैसे-ग्रंथकार ने अनके महाकाव्यों को पढ़ना पतंचिका-सं० (स्त्री०) धनुष की प्रत्यंचा उचित समझा)। ललिखना (पु०) पढ़ना और लिखना, | पत-I (स्त्री०) प्रतिष्ठा, आबरू, इज्ज़त II (पु०) 1 पति शिक्षा प्राप्त करना
2 स्वामी। -उतारना अपमान करना; रखना इज़्ज़त पढ़नेवाला-(वि०) 1 अध्ययन करनेवाला 2 उच्चारण बचाना; ~पानी (पु०) सम्मान, इज़्ज़त करनेवाला
पतझड़-(स्त्री०) 1 शिशिर ऋतु जिसमें पेड़ की पत्तियाँ झड़ पढ़वाई-(स्त्री०) पढ़वाने का पारिश्रमिक
जाती हैं (जैसे-यह पतझड़ का समय है) 2 पत्तों का झड़ना पढ़वाना-(स० क्रि०) 1 पढ़ने का काम किसी अन्य व्यक्ति से पतत्रि-सं० (पु०) पक्षी, चिड़िया करवाना 2 किसी को पढ़ाने में प्रवृत्त करना
पतन-1 सं० (पु०) 1 गिरने की क्रिया 2 निंदनीय आचरण करने पढ़वैया-(वि०) 1 पढ़नेवाला 2 पढ़ानेवाला
में प्रवृत्त होना 3 प्रभुता एवं महत्ता का नष्ट होने की स्थिति में पढ़ाई-(स्त्री०) 1 पढ़ने की क्रिया 2 पढ़ाने की क्रिया 3 पढ़ाने | आना 4 च्युत होना || (वि०) गिरनेवाला। --शील (वि०) का पारिश्रमिक। -लिखाई (स्त्री०) शिक्षा
जिसका पतन हो रहा हो पढ़ाकू-(वि०) पढ़नेवाला
पतनीय-सं० (वि०) पतन की ओर अग्रसर पढ़ाना-(स० क्रि०) 1 शिक्षा देना, शिक्षित बनाना (जैसे- पतनोन्मुख-सं० (वि०) जो पतन की ओर उन्मुख हो, पतन की
अध्यापक का कार्य बालकों को उत्तम ढंग से पढ़ाना है) | ओर जानेवाला 2 उच्चारण करना सिखाना (जैसे-तोते को राम-राम पढ़ाना) | पतला-(वि०) 1 जिसका फैलाव कम हो 2 जो मोटा न हो पढ़ा-लिखा-(वि०) शिक्षित (जैसे-पढ़ा-लिखा आदमी) 3 जिसका शरीर हृष्ट-पुष्ट न हो, कृश, क्षीण 3 तल के विचार पढ़या-(वि०) पढ़नेवाला
से जो महीन हो (जैसे-पतला काग़ज़) 4 जिसकी चौड़ाई बहुत पण-सं० (पु०) 1 पासों से खेला जानेवाला खेल 2 जूआ, छूत कम हो, सँकरा (जैसे-पतली गली, पतली नदी) 5 जो 3 बाज़ी, शर्त 4 प्रतिज्ञा 5 इकरार 6 पारिश्रमिकं 7 वेतन 8 मूल्य अत्यधिक तरल हो (जैसे-पतला दूध, पतली चाय) 6 जिसमें १ शुल्क 10 व्यापार, रोज़गार 11 माल, सौदा। -क्रिया मोटाई ज़रा भी न हो (जैसे-पतला सूत)। ~पन (पु०) (स्त्री०) बाज़ी लगाने का कार्य; बंध (पु०) बाज़ी बदना, पतला होने का भाव; ~पड़ना कमज़ोर होना, क्षीण हो जाना शर्त लगाना
पतलून-अं० (पु०) अंग्रेज़ी ढंग का पायजामा पणन-सं० (पु०) 1 क्रय करना, मोल लेना, 2 विक्रय 3 शर्त | पतलो-(स्त्री०) 1 सरपत की पताई 2 सरपत, सरकंडा
लगाने की क्रिया 4 व्यापार आदि करने की क्रिया पतवर-(वि०) 1 पंक्ति क्रम से 2 बराबर-बराबर पणव-सं० (पु०) 1 छोटा ढोल 2 नगाड़ा
पतवा-(पु०) ऊँची मचान पणाया-सं० (स्त्री) 1 क्रय-विक्रय का व्यवहार, पतवार-(स्त्री०) 1 नाव में पीछे की ओर लगी तिकोनी लकड़ी,
2 व्यापार-विनिमय 3 बाज़ार 4 व्यापार से होनेवाला लाभ कर्ण 2 पार उतारने का साधन पणि-सं० (स्त्री०) बाज़ार, हाट
पता-(पु०) 1 किसी काम, वस्तु, जगह आदि का परिचायक पणित-सं० (वि०) 1 जिसका क्रय-विक्रय हो चुका हो 2 बाज़ी (जैसे-मकान का पता बताने का कष्ट करें) 2 पत्र आदि के लगाई हुई, शर्त लगी हुई
ऊपर लिखा गया विवरणातक के द्वारा पत्र उचित
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पताई
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पत्थर
व्यक्ति को दिया जा सके (जैसे-क्ल सचिव का पता लिखकर भर खाद्य सामग्री। पड़ना खानेवालों के सामने पत्तल यह पत्र भेज देना) 3 जानकारी जो अभी ज्ञात न हो सकी हो रखना; ~परसना पत्तल पर खाद्य सामग्री रखकर खानेवाले (जैसे-अपराधी का पता चला या नहीं) 4 विषय के गूढ़ तत्व के सामने रखना; बाँधना ऐसी प्रतिज्ञा करना जिसके पूर्ण न की जानकारी जो अभी अज्ञात हो। पते की बात रहस्य भरी होने तक भोजन न करना; जिस में खाना उसी में छेद बात, तत्व की बात
करना उपकार करनेवाले का अहित करना, कृतघ्न होना पताई-(स्त्री०) सूखकर झड़ जानेवाली वृक्ष की पत्ता-I (पु०) 1 वृक्ष की टहनी से निकलनेवाला वह हरा पत्तियाँ।-झोंकना आग को तेज़ करने के लिए उसमें पत्तियाँ अवयव जिससे छाया रहती है और जो सूखने पर झड़ जाता है, डालना
पर्ण, पत्र (जैसे-पीपल का पत्ता नदी में तैर रहा है) 2 पनों पर पताका-सं० (स्त्री०) झंडा, ध्वजा, झंडी (जैसे-पताका रखकर दी जानेवाली चाट आदि वस्तुएँ (जैसे-एक पत्ता फहराना, राष्ट्रीय पताका का सम्मान करना हमारा पुनीत कर्तव्य दही-बड़ा देना) 3 कपड़े, काग़ज़ आदि पर बनाया गया पत्ते के है)। दंड (पु०) वह बॉस जिसमें पताका लगाई जाती है; आकार का चिह्न 4 ताश की गड्डी में कोई एक काग़ज़ का ~~धारी (वि०) पताका लेनेवाला; शीर्षक (पु०) पृष्ठ टुकड़ा (जैसे-पान का पत्ता, ईंट का पत्ता) 5 सरकारी मुद्रा, शीर्षक, सर्व प्रधान शीर्षक: गिरना पराजय होना, हार होना नोट (जैसे-सौ रुपए का एक पत्ता देना) || (वि०) पत्ते की पताकिक-सं० (प्०) पताकाधारी
तरह का बहुत पतला और हल्का। -खड़कना किसी की पताकित-सं० (वि.) जिस पर पताका लगाई गई हो, पताका आहट मिलना, कोई खटका होना; चाटना बाज़ारी चीजें से सजित
खाना; तोड़कर भागना बेतहाशा भागना; ~न हिलना पताकिनी-सं० (स्त्री०) सेना
ज़रा भी हवा न लगनाः हो जाना गायब हो जाना पताकी-सं० (वि०) झंडा लेकर चलनेवाला
पत्ति-सं० (३०) 1 पैदल चलनेवाला व्यक्ति 2 पैदल सिपाही, पता-लेखी-हिं . सं. (पु०) पता लिखने का यंत्र । प्यादा पतिंग-(पु०) - पतगा
पत्ती-(स्त्री०) 1 पेड़-पौधों का बहुत छोटा पत्ता (जैसे-नीम की पतिवरा-सं० (स्त्री०) पति का स्वयं वरण करनेवाली स्त्री पत्ती कड़वी होती है) 2 तम्बाक के बड़े-बड़े पत्तों का चूरा पति-सं० (पु०) 1 स्वामी, मालिक 2 शोहर, कांत, दूल्हा 3 फूलों की पंखुड़ियाँ (जैसे-गुलाब की पत्ती छोटी एवं कोमल (जैसे-आपके पति कहाँ काम करते हैं)। ~धर्म (पू०) पति होती है) 4 लोहे का छोटा एवं धारदार टुकड़ा (जैसे-दाढ़ी के प्रति पत्नी का कर्तव्यः भक्ति (स्त्री०) तन-मन से पति बनाने के लिए पत्ती ख़रीद लाना) 5 ताश का कोई पत्ता। की सेवा करना; वियोग (पु०) पति की अनुपस्थिति में दार + फ़ा० (वि०) 1 जिसमें पत्तियाँ हों 2 जिसका किसी होनेवाला दुःख, व्रत (पु०) = पति भक्ति; ~व्रता व्यापार में हिस्सा हो 3 जो संपत्ति का भागीदार हो। (वि०) पति धर्म ही जिसका व्रत हो, पति के प्रति अनन्य पत्थर-I (पु०) 1 वह द्रव्य जिससे पृथिवी का कड़ा स्तर बना अनुराग एवं भक्ति रखनेवाली; सुख (पु०) सधवा होने होता है 2 पृथिवी के कड़े स्तर का कोई टुकड़ा 3 सड़क के का सुख; -सेवा (स्त्री०) = पति व्रत
किनारे गाड़ा जानेवाला पत्थर का टुकड़ा (जैसे-मील का पत्थर पतित-सं० (वि.) 1 गिरा हुआ 2 जिसका नैतिक पतन हो चौराहे पर लगा होगा) 4 सीमा निर्धारित करने के लिए गाड़ा
चुका हो 3 अधम, पापी 4 अपवित्र, मलिन। पावन गया पत्थर का टुकड़ा 5 ओला 6 हीरा, जवाहर आदि 7 पत्थर (वि०) पतितों को पवित्र करनेवाला
के गुणों से युक्त (जैसे-पत्थर का कोयला खानों से प्राप्त होता पतितव्य-सं० (वि०) पतित होने के योग्य
है) 8 जो कठोरता, भारीपन आदि में पत्थर के समान हो पतितावस्था-सं० (स्त्री०) पतित होने की स्थिति
II (अ०) कुछ भी नहीं, बिल्कुल नहीं। ~कला (स्त्री०) पतित्व-सं० (पु०) 1 पति होने की अवस्था 2 प्रभुत्व, स्वामित्व तोड़ेदार बंदूक; ~कोयला (पु०) खान का कोयला, कोक; पतियाना-(स० क्रि०) विश्वास करना, सच समझना
चटा (पु०) 1 नरम एवं पतली टहनियोंवाली एक घास पतीला-(पु०) तांब, पीतल आदि का ऊँचे किनारेवाला 2 पत्थर चाटनेवाला सर्प; पानी (०) आँधी-पानी; गोलाकार बर्तन (स्त्री० पतीली)
फूल (पु०) शिलापुष्प, छरीला; ~फोड़ (पु०) 1 पत्थर पतुरिया-(स्त्री०) 1 नाचने-गाने का पेशा करनेवाली वेश्या, तोड़ने का पेशा करनेवाला, संगतराश 2 छरीला नाम का पौधा पातुरी 2 व्यभिचारिणी स्त्री. पंश्चली
जो पत्थरों की संधियों से उत्पन्न होता है; ~बाज़ + फ़ा. पतोखा-(पु०) 1 पत्ते का बना दोना 2 पत्तों से बनी छतरी । (वि०) पत्थर फेंक कर मारनेवाला II (५०) ढेलवाह; 3 एक प्रकार का बगुला पक्षी, पतंखा
बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) ढेलेबाज़ी। का कलेजा अति पतोहू-(स्त्री०) पुत्र की स्त्री, पुत्रवधू
कठोर हृदय, निष्करुण हृदय; ~की छाती घोर दुःख एवं कष्ट पत्तन-सं० (पु०) 1 पोताश्रय, बंदरगाह 2 बंदरगाही शहर में भी अस्थिर न होनेवाला; ~की लकीर सदा बनी रहनेवाली 3 छोटा नगर, कस्बा। ~क्षेत्र (पु०) जिसकी शासन एवं वस्तु; ~को जोंक लगाना असंभव कार्य करना: तले से व्यवस्था वहाँ के निर्वाचित सदस्यों द्वारा की जाती है ऐसा नगर हाथ निकलना भारी संकट, कष्ट से छुटकारा मिलना; तले पत्तर-(पु०) काग़ज़ के समान धातु आदि का पतला टुकड़ा हाथ दबना भारी विपत्ति में पड़ना; ~पर दूब जमना पत्तल-(स्त्री०) 1 थाली के स्थान पर उपयोग में लाने के लिए अनहोनी बात होना; ~पसीजना, पिघलना निष्ठर हृदय में पलाश आदि के पत्तों से बनाया गया पात्र (जैसे-खाने के लिए दया का संचार होना; ~मारे भी न मरना 1 मृत्यु का कारण पत्तल लगाना) 2 पत्तल पर परोसा गया खाद्य पदार्थ 3 पत्तल होते हुए भी न मरना 2 जल्दी न मरना; ~सा फेंक मारना
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पत्नी
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पथरीला
बहुत कड़ी बात कहना, दो टूक जवाब देना
पत्रांक-सं० (पु०) पत्र का अंक पत्नी-सं० (स्त्री०) भार्या, जोरू, परिणीता स्त्री। व्रत (पु०) पत्रा-(पु०) 1 तिथि पत्र 2 पन्ना, पृष्ठ 3 पंचांग
केवल अपनी परिणीता के संग संबंध बनाए रखनेवाला व्यक्ति पत्राचार-(पु०) लिखा-पढ़ी, पत्र-व्यवहार। - पाठ्यक्रम पत्नीत्व-सं० (पु०) पत्नी होने की अवस्था
(पु०) पत्र-व्यवहार द्वारा पढ़ाई; विद्यालय (पु०) पत्र पत्य-सं० (पु०) पति होने की अवस्था
व्यवहार द्वारा पढ़ाई कराने का स्कूल पत्र-सं० (पु०) 1 चिट्ठी, खत 2 पत्ता 3 ऐसा काग़ज़ जिसपर पत्रालय-सं० (पु०) डाकखाना, डाकघर कोई बात लिखी हो, कोई बात छपी हो ऐसा काराज़ 4 वह धातु पत्रालायिक-सं० (वि०) डाकघर का (जैसे-तुम्हें पत्रालायिक पट जिस पर प्रमाण स्वरूप कुछ खुदा हो, लिखा हो (जैसे-दान __ आदेश लेकर अधिकारी के पास जाना है) पत्र, प्रतिज्ञा पत्र) 5 अखबार, समाचार पत्र 6 पुस्तक आदि का पत्रालयित-सं० (वि.) 1 पत्रालय में छोड़ा हआ 2 पत्रपेटिका पन्ना (जैसे-स्वर्ण-पत्र); ~कार (पु०) समाचार पत्र का __ में डाला हुआ संपादक; ~कार-कला (स्त्री०) पत्रकारिता; चलार्थ | पत्रालाप-सं० (पु०) = पत्र व्यवहार (पु०) काग़ज़ी मुद्रा; चाप + हिं० (पु०) लकड़ी, पत्थर पत्राली-सं० (स्त्री०) 1 पत्रों की श्रृंखला 2 एक ही आकार में आदि का टुकड़ा जिससे काग़ज़ दबाया जाता है कि वह उड़ न | कटे हुए कोरे काग़ज़ की गड्डी, पैड सके; जात (पु०) आवश्यक काग़ज़-पत्तर; ~पंजी आने | पत्रावली-सं० (स्त्री०) 1 पत्तों की पंक्ति 2 पत्र-भंग एवं जानेवाले पत्रों की संख्या आदि लिखे जानेवाला रजिस्टर; | पत्रिका-सं० (स्त्री०) नियमित रूप से निकलनेवाली पुस्तिका ~पाल (पु०) डाकपाल; -पुष्प (पु०) फूल पत्ता; | पत्री-[ सं० (स्त्री०) 1 चिट्ठी, खत 2 जन्म पत्री 3 लग्न पत्री
पेटिका (स्त्री०), पत्र पेटी + हैं। (स्त्री०) 1 पत्र डालने पत्री-II सं० (वि०) जो पत्तों से युक्त हो, पत्रयुक्त के लिए डाक विभाग द्वारा विभिन्न जगहों पर लगाया गया लाल पत्रोत्तर-सं० (पु०) चिट्ठी का जवाब रंग का बड़ा डिब्बा 2 पत्र रखने का संदूक 3 घरों के मुख्य पथ-सं० (पु०) 1 रास्ता, मार्ग, राह (जैसे-संकटपूर्ण पथ पर प्रवेश द्वार पर लगा लकड़ी, लोहे का बना छोटा डिब्बा जिसमें चलना साहसी व्यक्तियों का कार्य है) 2 व्यवहार की पद्धति डाकिया व्यक्ति विशेष का पत्र डाल जाता है; -प्रतिनिधि (जैसे-विद्वान् कभी अपने पथ से भ्रष्ट नहीं हो सकता) 3 द्वार, (पु०) प्रेस की ओर से नियुक्त प्रतिनिधि; सम्मेलन (पु०) साधन जिससे आगे बढ़ा जाता हो (जैसे-दृष्टिपथ, निर्दिष्ट = पत्रकार सम्मेलन; -प्रेषक (पु०) पत्र भेजनेवाला व्यक्ति; । पथ)। कर (पु०) = मार्ग कर; ~गामी (पु०) मार्ग पर ~भंग (पु०) चंदन, कस्तूरी, केसर आदि से कपोल, स्तन चलनेवाला; ~दर्शक (पु०) रास्ता दिखानेवाला, मार्ग आदि की शोभा बढ़ाने के लिए बनाए जानेवाले फूल-पत्तियों दर्शक; -नियम (पु०) सड़क पर आवागमन के नियम; आदि के आकार का चिह्न; ~मंजूषा (स्त्री०) = पत्र पेटी; निर्देशक (वि०) रास्ता बतानेवाला, मार्ग दर्शक;
मित्र (पु०) पत्र-व्यवहार के द्वारा बनाए गए मित्र; ~प्रदर्शक (पु०) - पथदर्शक; ~प्रदर्शक पुस्तक ~वाहक (पु०) 1 पत्र ले जानेवाला व्यक्ति 2 डाकिया; (स्त्री०) वह पुस्तक जिसमें नगर, क्षेत्र आदि के महत्वपूर्ण
व्यवहार (पु०) पत्राचार (जैसे-फार्म पर पत्र-व्यवहार का स्थलों पर पहुँचने के लिए मार्ग आदि का विवरण दिया गया पता अवश्य लिखा होना चाहिए); ~व्यवहार-लिपिक हो; ~प्रदर्शन (पु०) मार्ग दिखाना (जैसे-मंदिर में (पु०) वह सरकारी एवं गैर सरकारी कर्मचारी जो पत्र-व्यवहार शिव-गुफा का पथ-प्रदर्शन कौन करेगा); -प्रदर्शनी, करता है; ~व्यवहार स्कूल + अं० (पु०) ऐसा विद्यालय ~प्रदर्शिका (स्त्री०) - पथ प्रदर्शक पुस्तक; ~भ्रष्ट जहाँ पत्राचार के माध्यम से पढ़ाई होती है; ~शैली (स्त्री०) (वि०) जो अपने उचित मार्ग, व्यवहार आदि के प्रतिकूल हो पत्रकारिता की शैली; ~संपादक (पु.) 1 भेजे गए समाचार गया हो; संशोधन (पु०) रास्ते का सुधार करना को समाचार पत्रों में संपादित करनेवाला 2 दैनिक पत्रों क पथक-सं० (वि०) मार्ग बतलानेवाला, पथ-प्रदर्शक संपादन एवं संचालन कर्ता; सूचना विभाग (पु०) ऐस पथरकला-(पु०) = पत्थर कला विभाग जो पत्रों के आवागमन का विवरण रखता है; सूची पथरना-(स० क्रि०) बो० पत्थर पर रगड़कर तेज़ करना
(स्त्री०) 1 आने-जाने वाले पत्रों की सूची 2 काँटा, कंटक पथराना-(अ० क्रि०) 1 पत्थर जैसा कड़ा हो जाना, पत्थर की पत्रक-[ सं० (पु०) 1 पत्ता 2 पत्तियों की श्रृंखला, पत्रावल तरह कठोर एवं ठोस होना 2 शुष्क हो जाना 3 स्तब्ध एवं स्थिर 3 स्मृति पत्र II (वि०) 1 पत्र संबंधी 2 पत्र के रूप में हो जाना (जैसे-मरणासन्न अवस्था में आँखों का पथराना) होनेवाला। ~धन (पु०) छपे हए काग़ज़ के रूप में निश्चित पथराव-(पु०) 1 पत्थर की तरह कठोर एवं स्तब्ध होने की मान का धन
अवस्था 2 बार-बार पत्थर फेंकते रहने की क्रिया पत्रकारिता-सं० (स्त्री०) 1 पत्रकार होने की अवस्था 2 पत्रकार (जैसे-विद्यार्थियों ने अनेक बार पुलिस दल पर पथराव किया) का काम 3 पत्रकार के कार्यों, उद्देश्यों आदि का विवेचन | पथरी-(स्त्री०) 1 पत्थर की बनी कटोरी 2 सिल्ली 3 चकमक करनेवाली विद्या
पत्थर 4 एक प्रकार का रोग जिसमें मूत्राशय में पत्थर के पत्रकीय-सं० (वि०) जो पत्र से संबंध रखता हो, पत्र संबंधी | छोटे-छोटे टुकड़ों के समान कोई चीज़ उत्पत्र हो जाती है जिससे पत्रवाला-सं० + हिं० (पु०) = पत्रकार
पेशाब करने में अत्यधिक कष्ट होता है पत्रवाह-सं० (पु०) = पत्र वाहक। -पंजिका (स्त्री०) वह | पथरीला-(वि०) 1 जिस जमीन में पत्थर के टुकड़े हों 2 जो पंजिका जिसमें पत्र वाहक द्वारा भेजे गए पत्रों का विवरण होता पत्थरों से बना हो (जैसे-नदी के उस तरफ़ पथरीला रास्ता है)
3 पत्थर के समान कठोर एवं ठोस
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था
पथरौड़ा - (पु० ) वह स्थान पर गोबर पाथा जाता हो, गोबर पाथने का स्थान
पारोही-सं० (पु० ) पथ पर चलनेवाला पांथक-सं० (पु० ) राही, बटोही
पथिकाश्रय-सं० ( पु० ) 1 पथिकों के लिए बनाया गया आश्रय स्थल 2 धर्मशाला 3 सराय
पथि - प्रिय-सं० (पु० ) साथ यात्रा करनेवाला मित्र, हमराही,
हमसफ़र
पथिया (स्त्री०) टोकरी पथी-सं० (पु० ) = पथिक
पथीय सं० (वि०) 1 पथ संबंधी 2 पथ का
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पथेरा - I ( वि०) पाथनेवाला II ( पु० ) 1 गोबर पाथकर कंडे बनानेवाला व्यक्ति 2 ईंट, खपड़ा पाथनेवाला व्यक्ति 3 कुम्हार पथौरा - (पु० ) पथरौड़ा
पथ्य - I सं० (वि०) 1 पथ संबंधी 2 जो स्वास्थ्य के लिए उपयोगी हो 3 लाभकर, हितकर II (पु० ) 1 रोगी को दिया जानेवाला हल्का भोजन 2 रोगी के लिए हितकर वस्तु। से रहना परहेज़ से रहना, संयम से रहना पथ्यापथ्य-सं० (पु० ) रोग की अवस्था में हितकर एवं अहितकर वस्तुएँ (जैसे रोगी को पथ्यापथ्य का विचार रखना आवश्यक है)
पथ्यासन -सं० (पु० ) पाथेय, संबल पथ्याशी-सं० (वि०) पथ्य खानेवाला
पद - सं० (पु० ) 1 पाँव, पैर 2 डग, क़दम 3 योग्यतानुसार नियत स्थान, ओहदा, दर्ज़ा (जैसे-अधिकारी को अपने पद का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए ) 4 प्रदेश (जैसे- आपके जनपद का क्या नाम है) 5 स्थान, जगह (जैसे- विद्यालय में अध्यापक के चार पद रिक्त हैं) काव्य आदि का पद्यांश (जैसे-सूरदास के पद कृष्ण आदि से संबंधित हैं) 6 आधार 7 चिह्न, निशान (जैसे- हमें महान् पुरुषों के व्यक्तित्व एवं उनके कृतित्व को पद - रज रूप में हृदय में अंकित करना चाहिए) । ~क्षेप (पु०) क़दम बढ़ाना; गति (स्त्री०) चलने का ढंग; ~ ग्रहण (पु० ) पद का कार्यभार संभालना; ग्रहीता (वि०) पद ग्रहण करनेवाला; ग्राम (पु०) पद समूह; चर I (वि०) 1 पैरों से चलनेवाला 2 पैदल चलनेवाला II (पु० ) पैदल, प्यादा; चाप + हिं० (स्त्री० ) पैदल चलने से पैर से उत्पन्न होनेवाली ध्वनिः चारण (पु० ) पैदल चलना; चारी (वि०) = पद चर; ~चालन (पु० ) पैरों से चलना; चिह्न (पु० ) ज़मीन पर पड़नेवाले पैर के निशान; ~च्युत (वि०) 1 जो अपने पद से हटा दिया गया हो 2 बर्खास्त किया हुआ; च्युति (स्त्री०) पदच्युत होना; ज (वि०) जो पैरों से उत्पन्न हुआ हो; तल (पु० ) पैर का तलवा; ~ त्याग (पु०) पद से हट जाना; दलन (पु० ) पैरों से रौंदना; ~दलित (वि०) 1 पैरों से कुचला हुआ, रौंदा हुआ 2 जो हीन अवस्था में पड़ा हो; धारी (पु०) 1 पद धारण करनेवाला व्यक्ति 2 पद पर रहकर कार्य करनेवाला अधिकारी, पदाधिकारी; ध्वनि (स्त्री०) = पद चाप; ~नाम (पु० ) पदाधिकारी के पद का सूचक नाम; न्यस्त (वि०) जो अपना अधिकार दूसरे को सौंपकर कुछ समय को पद से हट गया हो; ~न्यास (पु० ) 1 पैर रखना, डग भरना
पदाक्रांत
2 चलने में पैर रखने की एक विशेष मुद्रा 3 चलने का ढंग 4 पदचिह्न 5 रचना में शब्दों, पदों को चुन-चुनकर रखना 6 किसी कारणवश कुछ समय के लिए अपना पद छोड़ना;
परिचय (पु० ) प्रत्येक पद का व्याकरणिक परिचय देना; पाठ (पु०) वेद मंत्रों का वह क्रम जिसमें प्रयुक्त सभी पद विभक्त करके मूल रूप में अलग-अलग रखे गए हों;
पूरण (पु० ) छोड़े गए शब्दों की पूर्ति करना; भंजन (पु०) व्या० शब्दों का विश्लेषण; ~भार ( पु० ) उत्तरदायित्व; ~भार ग्रहण (पु० ) = पद ग्रहण; भ्रष्ट (वि०) जो अपने पद का उचित ढंग से निर्वाह न करता हो; ~ मुक्त (वि०) अपना पद छोड़कर अन्यत्र जानेवाला, निवर्तमान मुद्रा (स्त्री०) उच्च अधिकारी द्वारा अपने हस्ताक्षर सहित सूचित किया जानेवाला अधिकारिक एवं प्रामाणिक मोहर, मैत्री (स्त्री०) वर्णों का साम्य; यात्री . (पु० ) जो पैदल ही यात्रा करने निकला हो, ऐसा व्यक्ति; ~ योजना, ~ रचना (स्त्री०) पद, चरण, वाक्य आदि में शब्दों का बैठाना; रचयिता (पु०) काव्य में पद आदि की रचना करनेवाला; ~ लालसा, ~लिप्सा (स्त्री०) पद पाने का लोभ; ~ लोलुप (पु०) पद का लोभी; ~वंदन (पु० ) पद की पूजा; ~ विग्रह (पु० ) = पद भंजन; ~विज्ञान (पु०) शब्दों का व्याकरण में प्रयोग संबंधी शास्त्र; ~ विन्यास (पु० ) पदों, शब्दों को वाक्य में ठीक स्थान पर रखने की क्रिया; वृद्धि (स्त्री०) दे० पदोन्नति; ~वेदी (पु०) भाषा विज्ञान का ज्ञाता; ~ शब्द (पु० ) = पद ध्वनि, पग ध्वनि
पदक - सं० (पु०) 1 देवता के चरणों की बनाई गई प्रतिमूर्ति
गहने के रूप में पहनाया जानेवाला वह धातुखंड जिस पर देवता का चरण चिह्न अंकित हो 3 उपहार स्वरूप दिया जानेवाला सोने, चाँदी आदि धातु का गोल टुकड़ा जिसपर प्रायः देनेवाले का नाम अंकित रहता है (जैसे- प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर उसे राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया) । ~धारी (वि०) जिसे पदक प्राप्त हुआ हो पदच्छेद-सं० (पु०) व्या० प्रत्येक पद को नियमानुसार अलग-अलग करने की क्रिया
पदवी - सं० (स्त्री०) 1 राजकीय आदि सेवाओं में ऊँचा पद (जैसे-सेना में वह कर्नल की पदवी धारण किए है 2 राज्य द्वारा प्रदत्त सम्मानित उपाधि 3 प्रणाली, पद्धति 4 मार्ग, रास्ता। ~धर (त्रि०) पदवी धारण करनेवाला; पत्र (पु० ) ऐसा पत्र जिसपर प्राप्त करनेवाले की योग्यता एवं उसके नाम आदि का उल्लेख रहता है, उपाधि पत्र
पदस्थ - सं० (वि०) जो किसी पद पर स्थित हो (जैसे- इस विषय में आप उच्च पदस्थ अधिकारी से बात करिए) पदांक-सं० (पु०) पद चिह्न
पदांत - सं० (पु० ) : पद का अंतिम अंश 2 श्लोक आदि का अंतिम भाग
पदांतर - सं० ( पु० ) 1 दूसरा स्थान 2 दो पैरों के बीच की दूरी 3 दूसरा पैर
पदांत्य -सं० (वि०) पद के अंत में स्थित, अंतिम पदाक्रांत-सं० (वि०) 1 पाँवों से कुचला हुआ, रौंदा हुआ 2 दे० पद-दलित
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पदाघात
पदाघात - सं० (पु० ) पैर से लगाई जानेवाली ठोकर पदाति-सं० ( पु० ) 1 प्यादा 2 पैदल सिपाही पदादि - सं० ( पु० ) 1 पद का आरंभिक अंश 2 छंद के चरण का आरंभिक भाग
पदाधिकार-सं० (पु० ) पद पर काम करनेवाले को प्राप्त अधिकार
पदाधिकारी -सं० (पु० ) पद पर रहकर कार्य करनेवाला, ओहदेदार
पदाना - (स० क्रि०) 1 पदाने में प्रवृत्त करना 2 बार - बार हराना और दौड़ाना 3 हैरान करना, परेशान करना
पदानुराग - सं० ( पु० ) किसी के चरणों में होनेवाला अनुराग पदानुशासन-सं० ( पु०) शब्दानुशासन, व्याकरण पदान्वय-सं० (पु० ) वाक्य में पदों का परस्पर मेल पदारविंद-सं० (पु०) चरण कमल पदारूढ़ -सं० (वि०) पदासीन
पदार्थ - सं० (पु० ) 1 वस्तु 2 पद का अर्थ 3 अभिधेय वस्तु । ~वाद (पु० ) 1 वह सिद्धांत जिसमें भौतिक पदार्थ को ही सब-कुछ माना जाता है 2 ऐसा सिद्धांत जो अध्यात्मवाद से बिल्कुल भिन्न हो (जैसे- द्वंद्वात्मक पदार्थवाद को महत्व देना कहाँ तक समीचीन होगा); ~वादी I (वि०) पदार्थवाद संबंधी II (पु०) पदार्थवाद का अनुयायी; विज्ञान (पु० )
~ विद्या ( स्त्री०) वह विद्या जिसमें पदार्थों का निरूपण किया गया हो, भौतिक शास्त्र, भौतिक विज्ञान
पदार्थी-सं० (पु०) पद का इच्छुक या उम्मीदवार
पदार्पण -सं० (पु०) आगमन
पदावधि -सं० (स्त्री०) किसी पद पर काम करते रहने की अवधि
पदावनत - सं० (वि०) 1 विनीत, नम्र 2 जो पैरों पर झुका हो 3 जिसे पद से हटाकर निम्न पद पर कर दिया गया हो (जैसे- काम की अनियमितता के कारण अधिकारी ने उसे पदावनत कर दिया )
पदावली -सं० (स्त्री०) 1 रचना में अनेक पदों का क्रम 2 पदों की परंपरा 3 कवि की कविताओं एवं पदों का संग्रह (जैसे -सूरदास की पदावली)
पदावास - सं० (पु० ) पदाधिकारी का निवास स्थान पदाश्रित-सं० (वि०) 1 शरण में आया हुआ, शरणागत 2 जो किसी के आश्रय में रहता हो
पदासीन -सं० (वि०) जो पद पर बैठा हो पदाहत-सं० (वि०) पैर से ठुकराया हुआ पदे पदे-सं० (क्रि० वि०) पद पद पर पदेन सं० (अ०) पद की हैसियत से पदोड़ा - (वि०) 1 अधिक पादनेवाला 2 कायर, डरपोक पदोन्नति सं० (स्त्री०) तरक्की, पदवृद्धि
पद्धति - सं० (स्त्री०) 1 प्रणाली, ढंग 2 रिवाज, परिपाटी 3 पथ, रास्ता (जैसे- हमें ज्ञानार्जन पद्धति का अनुसरण करना हितकर होगा )
पद्म-सं० (पु०) कमल का पौधा और फूल । ~कंद (पु०) कमल की जड़; कोश (पु० ) 1 कमल का बीजकोश 2 कमल का संपुट; ~ I ( वि०) कमल से उत्पन्न II (पु०) ब्रह्मा; ~नाभ (पु० ) विष्णुः ~बंध ( पु० )
पन
कमल के आकार से सजाने का चित्र, काव्य का एक प्रकार; ~ भू (पु० ) ब्रह्मा; -भूषण (पु०) केंद्रीय सरकार द्वारा देश के उच्च, योग्य एवं सम्माननीय नागरिकों एवं विद्वानों को दिया जानेवाला तृतीय श्रेणी का अलंकरण; ~ योनि (पु० ) ब्रह्मा; -राग (पु०) मानक नाम का प्रसिद्ध रत्न; विभूषण (पु०) विशिष्ट सेवा हेतु दिया जानेवाला भारतीय सरकार का द्वितीय श्रेणी का अलंकरण; श्री (पु०) सुयोग्य देशवासियों को भारत सरकार द्वारा दिया जानेवाला चतुर्थ श्रेणी का अलंकरण
पद्मा-सं० (स्त्री०) लक्ष्मी
पद्माकर -सं० ( पु० ) कमल का तालाब, कमल युक्त
जलाशय
पद्मासन सं० (पु०) कमल का आसन पद्मिनी - सं० ( स्त्री० )
1 कमल की नाल 2 कमल का पौधा 3 कमलों का समूह 4 कमल युक्त जलाशय 5 नायिकाओं के चार वर्गों में प्रथम एवं सर्वश्रेष्ठ नायिका (जैसे-कामशास्त्र में पद्मिनी नायिका को विशेष स्थान दिया गया है) 5 चम्पा के समान गोरी, सुगंधमय एवं कमल सम कोमल नायिका पद्य - I सं० (वि०) 1 पदोंवाला 2 पद संबंधी II (पु० ) 1 चार चरणोंवाला छंद, छंदोबद्ध रचना 2 काव्य । बद्ध (वि०) जो पद्य रूप में संकलित हो
पद्यमय सं० (वि०) पद्यरूप, छंदोबद्ध
पद्या - सं० (स्त्री०) 1 पगडंडी 2 सड़क के किनार पैदल चलने की पटरी
पद्यात्मक सं० (वि० ) = पद्यमय
पद्यानुवाद-सं० (पु० ) दिए गए पद्य का दूसरी भाषा में परिवर्तन पद्यावली -सं० (स्त्री०) 1 पदों, पद्य का क्रम 2 पद संग्रह पधराना - (स० क्रि०) 1 अपने यहाँ आए हुए व्यक्ति का
सम्मान करना 2 स्थापित करना, प्रतिष्ठित करना पधरावनी - (स्त्री० ) 1 पधारने की क्रिया 2 देवता की स्थापना पधारना - I (अ० क्रि०) 1 पदार्पण करना 2 सम्मिलित होना, पहुँचना 3 आ पहुँचना II (स० क्रि०) आदर पूर्वक बैठाना,
पधराना
पन - ( पु० ) 1 प्रण, प्रतिज्ञा 2 पानी, पान एवं पाँच आदि का समासगत रूप । ~ कटा (पु०) खेतों में नालियाँ काटकर इधर-उधर पानी ले जानेवाला व्यक्ति कपड़ा (पु० ) चोट, घाव आदि पर बाँधा जानेवाला गीला कपड़ा, भीगा कपड़ा, ~ काल ( पु० ) 1 पानी का अकाल 2 अत्यधिक वर्षा के परिणाम स्वरूप नष्ट हुई खेती से उत्पन्न अकाल, अतिवृष्टि जति अकाल; ~घट (पु०) पानी भरने का घाट; चक्की (स्त्री०) पानी के बहाव से चलनेवाली चक्की; ~ डब्बा (पु० ), डिबिया (स्त्री०) = पानदान; ~डुब्बा (पु० )
+
1 गोताखोर 2 पानी में डूबकर मछलियाँ पकड़नेवाला पक्षी; ~ डुब्बी (स्त्री०) पानी में डूबकर चलनेवाली नाव (जैसे- समुद्र में अणु-चालित पनडुब्बी बहुत तेज़ गति में चला करती हैं); ~डुब्बी जहाज़ अ० ( पु० ), नाव (स्त्री०) = पनडुब्बी; ~ नाशक + सं० (वि०) पनडुब्बी को नष्ट करनेवाला; ~ भेदी + सं० (वि०) पनडुब्बी को क्षति पहुँचानेवाला; ~ बिजली (स्त्री०) झरनों नदियों के पानी से तैयार की जानेवाली बिजली; ~ बिजली घर (पु०) पानी से
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पनच
उत्पन्न बिजली का केंद्र; ~ भरा (पु० ) = पनहरा पनच - (स्त्री०) प्रत्यंचा
पनपना - (अ० क्रि०) 1 विकास एवं वृद्धि होना 2 संपन्न एवं सशक्त होना
पनपाना - (स० क्रि०) पनपने में मदद देना, सहायता करना पनबट्टा - ( पु० ) पान रखने का छोटा डिब्बा पनवाड़ी - I (स्त्री.) वह भूमि, खेत जहाँ पान पैदा होता है II (पु०) तमोली
पनवारा - ( पु० ) 1 पत्तल 2 पत्तल पर परोसा गया भोजन । ~ लगाना पत्तल पर भोजन परसना
पनसाखा - (पु० ) पाँच बत्तियोंवाली मंशाल
पंसारी
पनसारी- (पु० ) पनसाल - ( स्त्री०)
पौसल, प्याऊ
पनसोह - (वि०) 1 जल जैसा स्वादवाला 2 फीका पनहरा - (पु० ) पानी भरनेवाला नौकर, पनभरा पहा - (पु० ) कपड़े आदि की चौड़ाई, अरज II (पु० ) चोरी का पता लगानेवाला
पनहारा - ( पु० ) = पनहरा
पनहिया भद्र-बो० (पु०) जूतों की मार
पनही - (स्त्री०) जूता
पना - ( पु० ) आम, इमली आदि का बना खट-मीठा शरबत (जैसे- गर्मी में आम का पना बहुत फायदेमंद होता है) पनाती - (पु० ) 1 पोते का पुत्र 2 नाती का पुत्र, परनाती पनारा, पनाला-बो० (पु०) 1 नाबदान 2 नाला पनालिया-बो० (वि०) परनाले के समान गंदा एवं त्याज्य पनाली (स्त्री०) मोरी, नाली। दार फ़ा० (वि०) पनालोवाला पनासना - (स० क्रि०) बो० पालना- पोसना, पोषण करना पनाह - फ़ा० (स्त्री०) 1 शरण 2 परित्राण 3 आड़ 4 शरण लेने की जगह । माँगना अनिष्ट वस्तु, व्यक्ति आदि से बचने की इच्छा करना
पनिघट बो० (पु० ) पनघट
पनियाँ - (वि०) 1 जल संबंधी, पानी का 2 जल में रहनेवाला पनियाना - (स० क्रि०) बो० सींचना
पनियार - ( पु० ) पानी रुकने का स्थान पनियारा - बो० (पु० ) पानी की बाढ़ पनिहा - I (वि०) = पनियाँ
474
+
पनिहा - II ( पु० ) चोर का पता लगानेवाला तांत्रिक पनिहारा - ( पु० ) = पनहरा
पनिहारी - (स्त्री०) पानी भरनेवाली स्त्री
पनीर - फ़ा० (पु० ) 1 फटे दूध का थक्का, छेना 2 दही से पानी निकाल देने पर बचा हुआ अंश । चटाना चापलूसी करना; जमाना ऐसा कार्य करना जिससे अन्य कार्य भी सिद्ध हो सके
पनीरी - फ़ा० (वि०) 1 पनीर संबंधी 2 पनीर का बना हुआ पनीरी - ( स्त्री०) 1 फूल-पत्तों के बेहन 2 वह क्यारी जिसमें फूल-पत्तों के बेहन लगाए जायें पनीला बो० (वि० ) पनियाँ पनुआँ - (पु० ) गुड़ के कड़ाहे का धोवन जो शरबत के तौर पर पीया जाता है
=
=
पनैला - I (वि०) पनियाँ II (पु० ) पन्न - I सं० (वि०) गिरा हुआ, पड़ा हुआ पन्नग - सं० ( पु० ) सर्प, साँप
पन्ना - I ( पु० ) फिरोज़ी रंग का बहुमूल्य रत्न पन्ना - II (पु०) पृष्ठ (जैसे- पुस्तक का दस पन्ना नहीं छापा गया है)
पन्नी - ( स्त्री०) 1 रंगीन चमकीला काग़ज़ 2 सुनहला काग़ज़ 3 पीतल आदि का पत्तर साज़ + फ़ा० (पु०) पनी बनानेवाला कारीगर; - साज़ी + फ़ा० (स्त्री०) पत्नी बनाने
=
पयाल
पनीला II (पु० ) रेंगना
का काम
पपड़ा - (पु० ) 1 लकड़ी का रूखा, करकरा एवं पतला छिलका, चिप्पड़ 2 वस्तु, पदार्थ के ऊपर का कड़ा, पतला एवं सूखा छिलका
पपड़िया - (वि०) जो पपड़ी की तरह का हो पपड़ियाना- (अ० क्रि०) 1 पपड़ी जमना 2 पपड़ी की तरह सूखकर कड़ा होना
पपड़ियाहा - (वि०) पपड़ी लगा हुआ
पपड़ी - (स्त्री०) 1 सूखकर ऐंठी हुई वस्तु की ऊपरी परत 2 शरीर के विभिन्न अंगों पर होनेवाली पापड़ की तरह की सिकुड़न 3 पापड़ के आकार का पकवान 4 वृक्ष की छालों के सूखने पर बनी हुई दरारें 5 जख्म का घुरंड पपड़ीदार, पपड़ीला - (वि०) जिसमें पपड़ी की तह जमी हो पपनी बो० (स्त्री०) बरौनी
पपीता - (पु० ) 1 लंबोतरे फलोंवाला एक पौधा 2 लंबोतरे
आकार का मीठा फल जिसमें छोटे-छोटे काले बीज रहते हैं पपीहा - (पु० ) 'पी कहाँ, पी कहाँ की रट लगानेवाला काले रंग का पक्षी जो बसंत ऋतु में अक्सर मधुर ध्वनि में बोलता है,
चातक
पपैया - ( पु० ) पपोटा - (पु० ) पलक
पपोलना - ( अ० क्रि०) पोपले का चुभलाना
पब्लिक - I अं० (स्त्री०) जनसाधारण, जनता II ( वि०) जन साधारण संबंधी (जैसे- पब्लिक गार्डेन में आज एक प्रर्दशनी लगाई जाएगी)
पब्लिशर - अं० ( पु० ) प्रकाशक पब्लिसिटी-अं० (स्त्री०) प्रचार
पम्प -अं० (पु० ) = पंप। ~सेट (पु० ) पंप सेट; ~ हाउस (पु० ) = पंप हाउस; ~ शू (पु० ) बिना फीते का जूता
पम्फलेट - अं० (पु०) चौपन्ना, पत्रक पय-सं० (पु० ) 1 दूध, दुग्ध 2 जल, पानी पयस्य - सं० ( पु०) दूध से बनी वस्तु पयस्विनी -सं० (स्त्री०) 1 नदी, सरिता 2 दुधारू गाय पयस्वी – सं० (वि०) 1 दूध से युक्त 2 जलमय पयहारी - (पु० ) 1 केवल जल पीकर रहनेवाला साधु 2 केवल दूध पीकर रहनेवाला साधु
पयान - ( पु० ) प्रस्थान, रवानगी
पयाम - फ़ा० (पु० ) संदेश, संदेसा
आम की गुठली से बनाई गई सीटी
=
पयाल - (पु० ) पुआल, पियरा (जैसे- ठंड से बचने के लिए गाँव में लोग पुआल तापते हैं)
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पयोद
पयोद - सं० (पु०) बादल, मेघ पयोधर - सं० (पु० ) 1 स्तन 2 बादल 3 थन 4 नारियल 5 समुद्र पयोधि सं० ( पु० ) समुद्र
परंच -सं० (अ०) 1 परंतु 2 और भी 3 तो भी परंतप - सं० (पु० ) 1 योद्धा 2 तपस्वी
परंतु सं० (अ०) 1 लेकिन 2 इतना होने पर भी परंपर-सं० (पु० ) क्रमागत, सिलसिलेवार परंपरा सं० (स्त्री०) 1 चला आता हुआ क्रम, अटूट सिलसिला 2 प्रथा, प्रणाली 3 रीति-रिवाज । मुक्त (वि०) जो परंपरा के बंधन में न हो; वाद (पु० ) परंपरा से चले आ रहे सिद्धांत एवं मत ही ठीक हैं ऐसा विचार एवं कर्म; ~वादी I (वि०) 1 परंपरावाद संबंधी 2 परंपरावाद का II (पु० ) परंपरावाद का अनुयायी एवं समर्थक परंपरागत - सं० (वि०) 1 परंपरा से चला आता हुआ 2 परंपरा से प्राप्त होनेवाला (जैसे-दीपावली त्योहार परंपरागत राम कथा से संबंद्ध है) परंपरानुकूल, परंपरानुगत-सं० (वि०) जो अविछिन्न रूप से चला आता रहा हो, अनुक्रमागत परंपरित, परंपरीणसं० (वि०) पर- I (अ० ) परंतु पर- II (अ०) अधिकरण का चिह्न जिससे आधार एवं आधेय का संबंध सूचित होता है (जैसे-इस काग़ज़ पर अपना हस्ताक्षर कर दीजिए, आपको कुर्सी पर बैठना मना है, वह घर पर नहीं है, वह पानी भरने तालाब पर गई थी, शत्रु पर विजय प्राप्त करना आसान नहीं है, आपकी प्रार्थना पर मैंने उसे दंडमुक्त कर दिया, मैंने यह समाचार कल रेडियो पर सुना था, आपके आने पर ही मैं विद्यालय जाऊँगा, इतना समझाने पर भी उसने मेरी कही बातें न मानी, वैज्ञानिकों ने पोत-निर्माण पर भी कई पुस्तकें लिखी हैं)
परंपरागत
म
पर-सं० प्रत्यय
1=
475
परखचा
निर्गुण ब्रह्म; ~ भाग (पु०) दूसरी ओर का भाग, दूसरा भाग; ~ भाग्योपजीवी (वि०) दूसरे की कमाई खाकर जीवन व्यतीत करनेवाला; भृत (वि०) अन्य के द्वारा पालित; ~मुख (वि०) 1 जिसका मुँह दूसरी ओर हो, विमुख 2 जो उपेक्षा कर रहा हो और ध्यान न देता हो; मुखापेक्षी (वि०) दूसरों से अपेक्षा करनेवाला; राज्य, राष्ट्र (पु० ) दूसरा देश; ~राष्ट्र-नीति (स्त्री०) दूसरे देश के नीति-नियम एवं सिद्धांत आदि; ~राष्ट्र मंत्रालय (पु० ) परराष्ट्र मंत्री का मंत्रालय; ~राष्ट्र मंत्री (पु०) विदेश मंत्री; -राष्ट्र विभाग (पु० ) = परराष्ट्र मंत्रालय; ~राष्ट्र सचिव (पु०) = परराष्ट्र मंत्री; ~राष्ट्रिक (पु० ) दूसरे देश का निवासी; ~ राष्ट्रीय (वि०) दूसरे राष्ट्र का, अन्य देश का; ~लोक (पु०) दूसरा लोक, स्वर्ग; लोक गत ( वि०) स्वर्गवासी; लोक गमन (पु० ) स्वर्ग जाना, मरना; ~लोक गामी (वि०) परलोक गत; ~लोक वास (पु० ) = परलोक गमन; ~लोक वासी (वि०) परलोकगत; ~ लोक विद्या (स्त्री०) मृत्यु के बाद आत्मा संबंधी ज्ञान; ~ वश (वि०) जो दूसरे के अधिकार में हो, पराधीन -वशता (स्त्री०) पराधीनता; ~वश्य (वि०) परवश; ~सर्ग (पु० ) व्या० शब्द के अंत में जुड़नेवाला प्रत्यय; साल + फ़ा० ( क्रि० वि०) 1 गत वर्ष, पिछले साल 2 आगामी वर्ष अगले वर्ष स्त्री (स्त्री०) दूसरे की स्त्री, दूसरे की पत्नी स्त्री गमन (पु० ) = पर पत्नी व्यभिचार; ~ हित (पु० ) दूसरे की भलाई, दूसरे का कल्याण; ~ हितकारी (वि०) दूसरों की भलाई करनेवाला; हित वाद (पु० ) दूसरों की भलाई करने का सिद्धांत पर - फ़ा० (पु०) डैना, पंखा । ~कटा + हिं० (वि०) जिसके पंख कट गए हों
परक-सं० प्रत्यय शब्द के अंत में लगकर अनेक अर्थ का बोधक एक प्रत्यय (जैसे-सौंदर्यपरक, अध्यात्मपरक) परकना - (अ० क्रि० ) = परचना परकाना - (स० क्रि० ) = परचाना
परकार - फ़ा० (पु०) वृत्त की परिधि बनाने, नापने आदि का दो भुजाओंवाला उपकरण
परकारना - फ़ा + हिं० (स० क्रि०) बो० परकार से वृत्त बनाना
पर- I सं० (अ०) 1 उपरांत, बाद 2 निरंतर, लगातार II (वि०) दूसरे का, पराया। ~काजी + हिं० (वि०) दूसरे का काम करनेवाला, परोपकारी काय प्रवेश ( पु० ) आत्मा को दूसरे शरीर में प्रवेश कराना; जीवी (पु०) दूसरे जीवों को आहार बनाकर जीवित रहनेवाला पौधा एवं प्राणी; ~तंत्र (वि०) जो दूसरे के वश में हो, पराधीन; दुःख (पु०) दूसरे का कष्ट देश (पु० ) दूसरा देश; देशी (वि०) जो अपने देश का न हो, दूसरे देश का धर्म - ग्रहण (पु०) दूसरा धर्म स्वीकार करना; ~ निंदा (स्त्री०) दूसरों की बुराई; ~ निर्भर (वि०) जो दूसरों पर निर्भर हो, जो स्वावलंबी न हो; ~ निर्भरता (स्त्री०) पर निर्भर होने का भाव; पक्ष (पु०) दूसरा पक्ष, दूसरा दल; ~ पक्ष ग्राही (पु० ) दूसरे का पक्ष लेनेवाला; ~ पत्नी व्यभिचार (पु० ) दूसरे की पत्नी के साथ अनैतिक संबंध स्थापित करना; पीड़क (पु०) दूसरों को कष्ट पहुँचानेवाला व्यक्ति; ~पीड़न (पु० ) दूसरे को पीड़ा देना -पीड़न रति (स्त्री०) दूसरे को पीड़ा देकर स्वयं सुख का अनुभव करना; पौत्र (पु० ) परपोता; प्रत्यय (पु० ) व्या० शब्द के अंत में लगकर विशेषता उत्पन्न करनेवाला एक प्रत्यय (जैसे- 'सरलता' में 'ता' पर प्रत्यय है); पुरुष (पु० ) अपने से भिन्न पुरुष, अजनबी, अंजान; ब्रह्म (पु० )
=
=
परकाल - फ़ा० = परकार
परकाला - I (पु० ) 1 सीढ़ी, जीना 2 चौखट 3 दहलीज़ परकाला-II फ़ा० (पु० ) 1 शीशे का टुकड़ा 2 चिनगारी परकीकरण-सं० (पु० ) परकीय बनाने की क्रिया परकीय - सं० (वि०) 1 जिसका संबंध दूसरे से हो 2 दूसरे का,
पराया
परकीया -सं० (स्त्री०) अपने पति की उपेक्षा कर परपुरुष से प्रेम करनेवाली नायिका
परकोटा - (पु०) 1 गढ़ की रक्षा के लिए चारों ओर उठाई गई
ऊँची और बड़ी दीवार 2 ऊँची और बड़ी चहारदीवारी 3 बाँध परख - (स्त्री०) 1 परखने की क्रिया 2 गुण-दोष को निश्चय करने के लिए वस्तु की परीक्षा (जैसे व्यक्ति की आलोचना करने के पूर्व उसे परख लेना चाहिए) परखचा - (पु० ) टुकड़ा, खंड। परखचे उड़ाना छिन्न-भिन्न कर देना, धज्जियाँ उड़ाना
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परखना
परखना - I (स० क्रि०) 1 गुण, दोष आदि को जानना 2 अच्छे-बुरे की पहचान करना
परखना - II (स० क्रि०) प्रतीक्षा करना, राह देखना परखाई - (स्त्री०) 1 परखने की क्रिया 2 परखने की उज़रत, परखने की मज़दूरी
परखाना - (स० क्रि०) 1 परखने का काम करवाना 2 सहेजवाना, सहेजना
परखैया - ( पु० ) परखनेवाला व्यक्ति
परगत - I (वि०) 1 दूसरे में मिला हुआ 2 दूसरे से संबंध रखनेवाला II (स्त्री०) मानव प्रकृति एवं स्वभाव परगना - फ़ा० (पु० ) अनेक गाँवोंवाला भू भाग परचक - (स्त्री०) हल्की मारपीट
परचना - (अ० क्रि०) 1 हिल-मिल जाना 2 चसका लगना (जैसे- भिखारी को रोटी मिल जाने से वह इस घर को परच गया है)
परचम - फ़ा० (पु०) झंडा परचा - फ़ा० (पु० ) 1 काग़ज़ का टुकड़ा, चिट 2 काग़ज़ के टुकड़े पर लिखी बात, चिट्ठी 3 काग़ज़ के टुकड़े पर छपी कोई सूचना 4 विद्यार्थियों को दिया जानेवाला प्रश्न-पत्र (जैसे- गणित का परचा बहुत कठिन था ) 5 आवेदन-पत्र परचा - (पु० ) 1 जानकारी, परिचय 2 प्रमाण, सबूत 3 जाँच,
परख
परचाना - (स० क्रि०) 1 परचने में प्रवृत्त करना 2 घनिष्ठता स्थापित करना
परचून - ( पु० ) आटा, दाल, चावल आदि भोजन सामग्री (जैसे- परचून की दुकान)
परचूनिया - ( वि० ) परचून संबंधी परचूनी - I ( पु० ) आटा, दाल नमक आदि भोजन सामग्री बेचनेवाला बनिया II परचून बेचने का काम, परचून का रोज़गार
परछत्ती - ( स्त्री०) 1 टाँड़, मियानी 2 फूस आदि की छाजन परछन- (स्त्री०) वर के द्वार पर पहुँचने पर दही और अक्षत का टीका करने की रीति
परछा-I (पु० ) 1 बैलों की आँखों पर अँधोटी बाँधने का कपड़ा 2 सूत लपेटनेवाली घिरनी
परछा - II ( पु० ) 1 विरलता 2 भीड़ छट जाने पर होनेवाली विरलता 3 अंत, समाप्ति 4 निपटारा
परछाईं, परछाहीं- (स्त्री०) प्रकाश में पड़नेवाली व्यक्ति, वस्तु आदि की छाया, छायामय आकृति प्रतिच्छाया । से डरना, ~से भागना हिम्मत न पड़ना परछिद्रान्वेषण-सं० (पु० ) दूसरों की कमी निकालना, दूसरों के दोष देखना
परजन्म -सं० (पु० ) दूसरा जन्म, पुनर्जन्म परजा - ( स्त्री०) 1 प्रजा, असामी 2 नाई, कुम्हार, धोबी आदि आश्रित जन
परजौट - ( पु०) वार्षिक कर पर ज़मीन लेने की प्रथा परत: -सं० (अ० ) 1 दूसरे से, अन्य से 2 पीछे, बाद में 3 आगे, परे
परत - (स्त्री०) तह, स्तर (जैसे-सफ़ाई न होने से किताबों पर गर्द की मोटी परत जम गई है) । ~दार + फ़ा० (वि०) अनेक
परपैठ
तहवाला, तहोंवाला; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) परत में बंद होने की अवस्था
परतल - (पु० ) घोड़े की पीठ पर सामान भर कर रखा जानेवाला बोरा
परतला - (पु० ) कंधे से लटकाई जानेवाली चमड़े की पट्टी जिसमें तलवार आदि लटकाई जाती है
परती - I (स्त्री०) हवा करके अनाज के दानों का भूसा उड़ानेवाली चादर
धरती - II ( स्त्री०) = पड़ती (जैसे-परती ज़मीन में अरहर लगा देना) । ज़मीन + फ़ा० (स्त्री०) वह ज़मीन जिसे जोता - बोया न गया हो पड़ी (वि०) बिना जोती-बोई हुई परत्र - सं० (अ०) 1 दूसरे स्थान में 2 परकाल में, दूसरे समय में 3 परलोक में, परकाल में, मरने पर परत्व-सं० (पु०) 1 गैर, पराया होने का भाव 2 पहले होने का
भाव
परदा - फ़ा० (पु० ) 1 पट (जैसे- दरवाज़े का परदा गंदा हो गया है) 2 रंगमंच पर लगाया जानेवाला आड़ करने का वह कपड़ा जो समयानुकूल उठाया और गिराया जाता है 3 अभिनव, खेल तमाशों आदि का वह लंबा-चौड़ा कपड़ा जिस पर दृश्य अंकित होते रहते हैं, यवनिका (जैसे-सिनेमा का परदा फट गया है) 4 वह प्रचलित प्रथा जिसमें सभ्य घराने की स्त्रियाँ आड़ में रहती हैं (जैसे-परदा प्रथा का आधुनिक युग में अंत होता जा रहा है) 5 मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहना जानेवाला वस्त्र जिससे सारा शरीर नख-शिख ढका रहता है, नकाब 6 मकान आदि की कोई दीवार 7 परत (जैसे- आसमान के सात परदे कहे गए हैं) 8 झिल्ली (जैसे उसके कान का परदा फट गया था) 9 रहस्य (जैसे- अपनी बातों को परदे में क्यों छिपाते चले जा रहे हो) 10 नाव की पाल। ~निशीन (वि० / स्त्री०) जो परपुरुष से परदा करती हो, परदे में रहनेवाली पोश (वि०) अवगुणों, दोषों आदि को छिपानेवाला; पोशी (स्त्री०) ऐब, दोष छिपाना; ~फ़ाश (पु० ) रहस्य प्रकट होना; परदे में छेद होना छिपकर, गुप्त रूप से व्यभिचार होना; परदे में बैठना, परदे में रहना 1 स्त्रियों का घर से बाहर न निकलना 2 स्त्रियों का सबके सामने न आना 3 गुप्त रहना, छिपा रहना
परदादा - ( पु० ) दादा का पिता, प्रपितामह (स्त्री० परदादी) परदार-सं० (स्त्री०) दूसरे की पत्नी, पराई स्त्री । गमन (पु० ) = पर पत्नी व्यभिचार; ~गामी (वि०) पराई स्त्री के साथ व्यभिचार करनेवाला
परदेस - (पु० ) परदेश परदेसी - (वि० / पु० ) परदेशी परन-बो० (पु० ) प्रण, प्रतिज्ञा परनाती - ( पु० ) नाती का लड़का
परनाना - ( पु० ) नाना का पिता (स्त्री० परनानी) परनाला - ( पु० ) बड़ी नाली जिससे होकर गंदा पानी बहता है परपट - ( पु० ) चौरस मैदान, समतल भूमि
परपराना - (अ० क्रि०) जलन होना (जैसे- आँख में मिर्च लगने से वह परपरा रही है)
परपार-सं० (पु०) उस ओर का तट, दूसरी तरफ़ का किनारा परपैठ - ( स्त्री०) हुंडी की तीसरी नक़ल
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परपोता
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परवान
परपोता, परपोत्र-(पु०) पोते का लड़का (स्त्री० परपोती) ) परमान-II (पु०) 1 अवधि 2 सीमा, हद र प्रत्यय-सं० (पु०) व्या० वह प्रत्यय जो शब्द के अंत में | परमानुराग-सं० (पु०) अत्यंत प्रेम लगकर कोई नवीनता लाए (जैसे-कुशलता में 'ता' पर प्रत्यय परमायु-सं० (स्त्री०) जीवन काल की चरम सीमा. सर्वाधिक
आयु परफ्यूमरी-अं० (स्त्री०) इत्र का कारखाना
परमार-(पु०) अग्निकुल के अंतर्गत राजपूतों का एक वंश परबस-(वि०) - परवश ।
परमार्थ-सं० (पु०) 1 उत्कृष्ट वस्तु 2 नित्य एवं अबाधित परम-सं० (वि.) 1 अत्यंत 2 मुख्य, प्रधान 3 उत्कृष्ट । पदार्थ 3 यथार्थ तत्व 4 सत्य 5 मोक्ष 6 ब्रह्म, ईश्वर ~गति (स्त्री०) मोक्ष; तत्व (पु०) 1 ब्रह्म 2 मूलतत्व;
6 परोपकार। ~ता (स्त्री०) परमार्थ होने का भाव; ~वाद ~धन्य ~धर्म (पु०) उत्कृष्ट धर्म; ~धाम (पु०) (पु०) परमतत्व का चिंतन और प्राप्ति ही सबसे महान् कर्तव्य स्वर्गलोक (जैसे-राम के वन प्रस्थान के बाद दशरथ परमधाम है ऐसा मत; ~वादी I (वि०) परमार्थ वाद संबंधी सिधार गए); -पिता, पुरुष (प्०) = परब्रह्म, ईश्वर; II (पु०) 1 परमार्थवाद का अनुयायी 2 परमार्थ वाद का ज्ञाता
प्रिय (वि०) जो अत्यधिक प्यारा हो, अति प्रिय; वीर | परमार्थी-सं० (वि०) 1 मोक्ष चाहनेवाला, मुमुक्ष 2 वास्तविक चक्र (पू०) सैनिक अधिकारियों को असाधारण वीरता का तत्व को ढूंढ़नेवाला 3 दूसरों की भलाई करनेवाला, परोपकारी प्रदर्शन करने पर भारत सरकार द्वारा दिया जानेवाला परमावधि-सं० (स्त्री०) 1 किसी बात की अंतिम अवधि अलंकरण; सत्ता (स्त्री०) पूर्ण एवं अबाध्य अधिकार; 2 कार्य की अंतिम सीमा हंस (पु०) परमात्मा, परमेश्वर
परमावश्यक-सं० (वि.) बहत ज़रूरी, अपरिहार्य परमटा-(पु०) अस्तर के काम आनेवाला चिकना एवं रंगीन (जैसे-जल-प्रबंध करना सरकार द्वारा जनता के लिए कपड़ा, पनैला
परमावश्यक कार्य है) परमत-सं० (स्त्री०) 1 साख 2 ख्याति, प्रसिद्धि
परमिट-अं० (पु०) अनुमति जो सरकार द्वारा अधिकारिक तौर. परमल-(पु०) भुना हुआ गेहूँ
पर लिखित रूप में दी जाती है, अधिकृत लिखित अनुमति पत्र परमा-सं० (स्त्री०) बहुत बढ़ी-चढ़ी छवि, शोभा परमीन-बो० (वि०) = पराया परमाकांक्षा-सं० (स्त्री०) महान् इच्छा
परमेश्वर-सं० (पु०) सगुण ब्रह्म जो संपूर्ण सृष्टि का रचयिता परमाणविक-सं० (वि०) परमाणु संबंधी
एवं संचालक परमाणु-सं० (पु०) 1 अत्यंत सूक्ष्म कण 2 पदार्थ का ऐसा | परमेष्ट-सं० (वि०) परम इष्ट
अति सूक्ष्म कण जो अविभाज्य हो (जैसे-डाल्टन का परमाण परमेष्टि-सं० (स्त्री०) 1 अंतिम अभिलाषा 2 मोक्ष, मुक्ति सिद्धांत भी अब नई-नई खोजों की परतों में दब गया है)। परमेष्ठी-सं० (पु०) ब्रह्मा आदि देवता ~अस्त्र (पु०) परमाणु निर्मित अस्त्र; ऊर्जा (स्त्री०) । परमोचित सं० (वि०) जो सर्वाधिक उचित हो परमाणु से उत्पन्न शक्ति; ~परीक्षण (पु०) परमाणु शक्ति | परमोत्कर्ष-सं० (पु०) सर्वश्रेष्ठता से निर्मित नवीन अस्त्रों आदि का परीक्षण (जैसे-अमरीका एवं | परमोत्कृष्ट सं० (वि०) जो सर्वोत्तम हो रूस में आए दिन भूमिगत परमाणु परीक्षण होते रहते हैं); | परमोपयोगी-सं० (वि०) जो सबसे अधिक उपयोगी हो
पोत (पु०) परमाणु ऊर्जा से चलनेवाले जलयान; बम (जैसे-तुलसी परमोपयोगी पौधा है) + अं० (पु०) ऐसा बम जिसमें रासायनिक क्रियाओं द्वारा अणु पर रूपण-सं० (पु०) = पर समीकरण का विस्फोट होता है, एटमबम; ~भट्ठी + हिं० (स्त्री०) एक परलय-(पु०/स्त्री०) बो० = प्रलय भट्ठी जिसमें नाभिकीय विखंडन होता है और परमाणु ऊर्जा परला-(वि०) उस ओरवाला, उधर का। परले दरजे का परम उत्पन्न होती है; ~भार, ~मान (पु०) ऑक्सीजन के | कोटि का, हद दरजे का; परले पार होना 1 हद तक पहुँचना परमाणु भार को सोलह मानकर अन्य तत्वों के परमाणु भार को ___ अंतिम सीमा तक पहुँचना 2 समाप्त होना, पूरा होना व्यक्त करना; ~मुक्त (वि०) परमाणु रहित; ~वाद (पु०) | परवरदिगार-फ़ा० । (वि०) सबका पालन करनेवाला ऐसा सिद्धांत जो परमाणुओं से ही जगत् की सृष्टि मानता है; | II (पु०) परमेश्वर
~वादी (वि०) परमाणुवाद को माननेवाला; विखंडन | परवरिश-फ़ा० (स्त्री०) पालन-पोषण (जैसे-ग़रीबों की (पु०) परमाणुओं का अलग होकर रासायनिक क्रिया करना; | परवरिश का सहारा ईश्वर होता है)
शक्ति (स्त्री०) - परमाणु ऊर्जा; ~हथियार वाहक परवर्ती-सं० (वि०) 1 बाद के समय का 2 बाद में होनेवाला + हिं० + सं० (वि०) एटम बम आदि परमाणु अस्त्रों को परवलय-स० (पु०) वह बिंदुपथ जो किसी नियत बिंदु तथा ढोकर ले जानेवाला
नियत रेखा से समान दूरी पर रहता है, पैराबोला परमात्मा-सं० (पु०) - परब्रह्म, ईश्वर
परवा-फा० (स्त्री०) 1 परवाह, गरज़ 2 चिंता, फिक्र परमादेश-सं० (पु०) उच्चन्यायालय द्वारा दिया गया आदेश, (जैसे-धनी व्यक्ति किसी की परवाह नहीं करते) 3 ख़्वाहिश, उच्च-न्यायालय द्वारा दी गई आज्ञा
चाह परमाधिकार-सं० (पु०) 1 विशेषाधिकार 2 सर्वोच्च अधिकार | परवाज़-I फ़ा० (वि०) उड़नेवाला II (स्त्री०) उड़ान परमानंद-सं० (पु०) 1 उत्तम आनंद 2 आनंद स्वरूप ब्रह्म परवान-I (पु०) 1 प्रमाण, सबूत 2 सीमा, हद II (वि०) परमान-[ बो० (पु०) 1 प्रमाण, सबूत 2 सत्य बात, यथार्थ प्रामाणिक एवं विश्वसनीय। -चढ़ना 1 अत्यधिक उन्नति बात
करना 2 सफल होना
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परवानगी
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परापेक्षित परवानगी-फ़ा० (स्त्री०) आज्ञा, अनुमति
परांग-भक्षी-सं० (वि०) 1 दूसरों के अंग को खानेवाला परवाना-I फ़ा० (पु०) 1 लिखित आज्ञा, अनुमति पत्र, 2 परजीवी हुक्मनामा 2 इज़ाज़त, आज्ञा 3 नियुक्ति पत्र 4 अत्यंत मुग्ध पराँठा-(पु०) तवे पर घी लगाकर सेंकी गई रोटी, पराठा होकर आत्म बलिदान करनेवाला व्यक्ति (जैसे-चंद्रशेखर भी परांत-सं० (पु०) मृत्यु देश का एक महान् परवाना था) 5 प्रेमिका के रूपं सौन्दर्य पर परा-(पु०) कतार, पंक्ति (जैसे-फौजें रण भूमि में परा बाँध अत्यधिक मुग्ध व्यक्ति। राहदारी (पु०) स्वीकृति पत्र, | खड़ी थीं) पासपोर्ट
परा-I सं० (पु०) 1 एक उपसर्ग जो कई अर्थों में प्रयुक्त होता परवाना-II फ़ा० (पु०) पतिंगा, शलभ
है, दूरी पर (जैसे-पराकरण) 2 आगे की ओर परवाया-(पु०) चारपाई के पायों के नीचे रखी जानेवाली वस्तु (जैसे-पराक्रमण) 3 विपरीतता (जैसे-पराजय, पराभव) परवाह-फा० (स्त्री०) = परवा
II (वि०) 1 जो सबसे दूर हो 2 उत्तम, श्रेष्ठ III (स्त्री०) परवाह-(पु०) = प्रवाह
1 नादरूपिणी वाणी 2 ब्रह्म विद्या परश-सं० (पु०) पारस पत्थर
पराकरण-सं० (पु०) 1 दूर करना 2 अस्वीकृत करना. परशियन-अं० (वि०) फारस का
पराकाष्ठा-सं० (स्त्री०) चरम सीमा, सीमांत (जैसे-मुगल राज्य परशु-सं० (पु०) कुल्हाड़ी के आकार का प्रसिद्ध अस्त्र । __ एक समय उन्नति की पराकाष्ठा को प्राप्त हो गया था)
~धर I (वि०) परशु धारण करनेवाला II (पु०) पराक्रम-सं० (पु०) 1 शौर्य 2 सामर्थ्य, बल 3 पुरुषार्थ परशुराम
4 वीरता एवं उत्साह (जैसे-सैनिकों ने युद्ध में अपार पराक्रम परशराम-सं० (पु०) रेणुका के गर्भ से उत्पत्र जमदग्नि ऋषि के | का रूप दिखाया)
पराक्रमण-सं० किसी के विरुद्ध बढ़ना परस-(पु०) 1 स्पर्श, छूना 2 परसने की क्रिया
पराक्रमी सं० (वि०) 1 शूर, वीर 2 पुरुषार्थी परसना-I (स० क्रि०) 1 परोसना (जैसे-सब लोगों के बैठ
पराक्रांत-सं० (वि०) 1 शक्तिशाली 2 उत्साही 3 पीछे की जाने पर ही खाना परसना चाहिए) 2 थालियों आदि में खाद्य
__ ओर मोड़ा हुआ पदार्थ रखना (जैसे-आपके कहने पर ही मैंने खाना परसा था) पराग-सं० (पु०) 1 पुष्परज 2 केसर का चूर्ण 3 चंदन । II (अ० क्रि०) भोजन लगाया जाना
~केसर (पु०) फूलों के बीच का वह केसर जो उसका परसाना-(स० क्रि०) 1 परसने का काम अन्य से कराना | पुल्लिंग अर्थ माना जाता है। 2 स्पर्श कराना, छुआना
परागण-सं० (पु०) पुष्प रज से युक्त होना परसेंट-अं० (वि०) प्रतिशत
परागत-सं० (वि०) 1 दूर गया हआ 2 मरा हुआ 3 फैला हुआ परसों-(अ०) 1 बीते हुए दिन से ठीक पहलेवाला दिन पराङ्मुख-सं० (वि०) 1 विमुख 2 विपरीत, विरुद्ध 2 आगामी कल के बादवाला दूसरा दिन
पराचूट-अं० (पु०) दे० पैराशूट परस्थ-सं० (वि०) दूसरे में स्थित
पराजय-सं० (स्त्री०) हार, शिकस्त । ल्वाद (पु०) संघर्ष से परस्पर-सं० (अ०) 1 एक दूसरे के साथ 2 दो या दो से | बचने के लिए हार मान लेने की नीति; ~वादी (पु०)
अधिक पक्षों में 3 एक-दूसरे के प्रति (जैसे-हम सबको परस्पर __ पराजयवाद की नीति पर चलनेवाला प्रेम भावना रखनी चाहिए)। ~परिवर्तनीय (वि०) जो पराजित-सं० (वि०) हराया हआ (जैसे-अंततोगत्वा अकबर आपस में बदला-बदली किया जा सकने योग्य हो; विरोध ने हल्दीघाटी के युद्ध में राणा प्रताप को पराजित कर दिया) (पु०) आपस का भेद-भाव, आपसी मनमुटाव; ~विरोधी। पराजेता-सं० (पु०) हरानेवाला (वि०) एक-दूसरे के विरुद्ध; ~व्यवहार (पु०) आपस का पराठा-(पु०) = पराठा मेल-जोल, ~व्यापी (वि०) जो एक-दूसरे में समाहित हों; | परात-(स्त्री०) थाली के आकार का ऊँचे किनारेवाला बड़ा ~संबद्ध (वि०) जो एक-दूसरे से जुड़े हों
बरतन (जैसे-पीतल की परात में दही मत जमाना) परस्परावलंब-सं० (पु०) एक-दूसरे पर आश्रित रहना परात्पर-सं० (वि०) सर्वश्रेष्ठ, सर्वोपरि परस्मैपद-सं० (वि०) व्या० क्रियाएँ जो कर्ता की अनुसारी होती पराधि-सं० (स्त्री०) तीव्र मानसिक व्यथा
पराधीन-सं० (वि०) जो दूसरों के वश में हो, परवश । “ता परस्व-सं० (पु०) दूसरे की संपत्ति। -हरण (पु०) दूसरे का (स्त्री०) पराधीन होने की अवस्था, परवशता (जैसे-भारत ने धन बलपूर्वक ले जाना
अनेक वर्षों तक पराधीनता का मुख देखा, आर्थिक पराधीनता परस्वत्वाद-सं० (पु०) दूसरे के अधिकार का आदर करने का देश के लिए एक चुनौती है) सिद्धांत
पराध्वनिक-सं० (वि०) ध्वनि से भी अधिक तेज़ गति से परस्वत्वापहार-सं० (पु०) दूसरे के अधिकार को छीन लेना चलनेवाला (जैसे-भारत में पराध्वनिक विमान बनाए जा रहे परहेज़-फा० (पु०) 1 हानिकारक एवं अहितकर वस्तुओं का |
सेवन न करना 2 सयंमपूर्वक रहना 3 बुरी आदतों से बचना, | परानुकरण-सं० (पु०) दूसरे की नक़ल दोष-पाप से बचना । ~गार (पु०) 1 परहेज़ करनेवाला परान्न-सं० (पु०) 1 दूसरे का दिया गया अन्न, पराया धन 2 संयम से रहनेवाला, संयमी; ~णारी (स्त्री०) परहेज़गार | 2 पराया भोजन होने की अवस्था
परापेक्षित-सं० (वि०) दूसरे पर निर्भर
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परापेक्षी
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परिक्रमा
परापेक्षी-सं० (वि०) दूसरे का मुँह ताकनेवाला
परावर्ती-सं० (वि०) 1 पुनः अपने स्थान पर लौटकर परा-बैंगनी-सं० - हिं० (वि०) सूर्य की सात रंगी किरणों में से आनेवाला 2 पुनः अपनी पूर्व स्थिति में आनेवाला अत्यंत बैंगनी रंगवाली (किरण)
परार्त्य-सं० (वि०) जो लौटाया जा सके पराभव-सं० (पु०) 1 पराजय, हार 2 तिरस्कार 3 विनाश परावलंबन-सं० (पु०) - पराधीनता पराभूत-सं० (वि०) 1 पराजित, परास्त 2 विनष्ट, ध्वस्त परावलंबी-सं० (वि०) = पराधीन परा-मनोविज्ञान-सं० (पु०) नवीन खोजों के आधार पर | पराविद्या-सं० (स्त्री०) अध्यात्म विद्या प्रमाणित मानव की आध्यात्मिक एवं मानसिक शक्तियाँ जो | परावृत्त-स० (वि०) 1 पलटाया हुआ, परावर्तित 2 पलटा हुआ काल, देश तथा सीमाओं में बद्ध नहीं हैं तथा उनके द्वारा किए | 3 बदला हुआ जानेवाले अद्भुत कार्यों का साधारण बुद्धि एवं विज्ञान से कोई परावृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 परावर्तन, पलटाव 2 परावर्तन व्यवहार संबंध एवं समाधान नहीं होता
पराशक्ति-सं० (स्त्री०) मानवेतर शक्ति परा-मनोवैज्ञानिक-I सं० (वि०) परा-मनोविज्ञान संबंधी पराश्रय-सं० (पु०) 1 दूसरे का सहारा 2 परवशता, पराधीनता II (पु०) परा-मनोविज्ञान का ज्ञाता
पराश्रयी-सं० (वि०) 1 दूसरे के सहारे पर रहनेवाला 2 दे० परामर्श-सं० (पु०) 1 विवेचन हेतु आपस में होनेवाली सलाह परजीवी 2 दूसरे से ली जानेवाली सलाह (जैसे-मैं आपसे कुछ परामर्श पराश्रव्य-सं० (वि०) दूर से न सुनाई दे सके (जैसे-रेडियो में करना चाहता हूँ) 3 निर्णय 4 तरकीब, युक्ति। ~दाता हम पराश्रव्य ध्वनियाँ सुनते हैं) (पु०) दूसरों को सलाह देनेवाला; ~दात्री (स्त्री०) परामर्श पराश्रित-सं० (वि०) 1 दूसरों के आश्रय में रहनेवाला 2 जो देनेवाली (समिति); ~समिति (स्त्री०) वह समिति, परिषद दूसरे के भरोसे चलता हो जो किसी विषय पर अपनी राय देने के लिए गठित की जाती है, परास-सं० (पु०) 1 फेंकी गई वस्तु द्वारा तय की गई दूरी राय जानने के लिए नियुक्त की गई समिति
2 उतना क्षेत्र जहाँ तक किसी क्रिया का प्रभाव पड़ता हो परामर्शन-सं० (पु०) 1 सलाह करना 2 विवेचन करना परास्त-सं० (वि०) = पराजित 3चिंतन, स्मरण
पराह-सं० (पु०) दूसरा दिन परामर्शानुसार-सं० (वि०) जो सलाह के अनुरूप हो पराहत-सं० (वि०) 1 पीछे हटाया हुआ 2 आक्रांत 3 ध्वस्त परामर्षीय-सं० (वि०) सलाह-मशविरे का
पराह्न-सं० (पु०) दोपहर के बाद का समय, अपराह्न परामृत-सं० (वि०) जिसने मृत्यु को जीत लिया हो । परिंदा-फ़ा० (पु०) चिड़िया, पक्षी परामष्ट-सं० (वि०) 1जिसके विषय में सलाह हो चुकी हो । परिकंप-सं० (पु०) बहुत ज़ोरों का कंपन, कँपकँपी 2 जिसके विषय में विचारोपरांत निर्णय हो चुका हो परिकथा-सं० (स्त्री०) बड़ी कहानी के अंतर्गत आई हई छोटी परापचा-फ़ा० (पु०) 1 टोपियाँ आदि बेचनेवाला कहानी, अनुकथा 2 सिले-सिलाए कपड़े बेचनेवाला
परिकर-सं० (पु०) 1 घर के लोग 2 परिवार के लोग 3 राजा परायण-सं० (वि०) 1 अति आसक्त 2 निरत 3 निष्ठा आदि के साथ रहनेवाले लोग, परिजन (जैसे-कर्तव्यपरायण, धर्मपरायण स्त्री)
परिकर्म-सं० (पु०) देह को सजाने का काम, शारीरिक श्रृंगार परायत्त-सं० (वि०) पराधीन
परिकर्षण-सं० (पु०) ज़मीन जोतना-बोना आदि पराया-(वि०) 1 जिसका संबंध दूसरे से हो, अपने से भिन्न | परिकलक-सं० (पु०) । हिसाब लगानेवाला व्यक्ति 2 हिसाब (जैसे-पराया धन बेचना अनुचित है) 2 आत्मीय से भित्र लगानेवाला आधुनिक यंत्र (जैसे-भारतीय अन्य देशवासियों को पराया नहीं समझते हैं) | परिकलन-सं० (पु०) ग० जटिल गणना, कठिन हिसाब। परार-बो० (वि०) दूसरे का
~यंत्र (पु०) कंप्यूटर परार्थ-I सं० (वि०) जो दूसरे के निमित्त हो II (पु०) उपकार परिकलित-सं० (वि०) जिसका परिकलन हो चुका हो,
की दृष्टि से दूसरों का किया गया कार्य। -भाव, ~वाद ___ अनुमान लगाया हुआ (पु०) दूसरों की भलाई, हित करते रहने का सिद्धांत; ~वादी परिकल्पन-(पु०), परिकल्पना-सं० (स्त्रा०) 1 तर्क के | (वि०) 1 परार्थवाद संबंधी 2 परार्थवाद का अनुयायी लिए किसी बात की कल्पना करना 2 अनुमान करना 3 चिंतन,
II (पु०) दूसरों का सदैव उपकार करनेवाला व्यक्ति 'मनन परार्द्ध-सं० (पु०) उत्तरार्द्ध
परिकल्पित-सं० (वि०) 1मन में गढ़ा हआ, मनगढंत परावटु-ग्रंथि-सं० (स्त्री०) परेवाली गलग्रंथि
2 अनुमानित 3 तर्क के लिए माना हआ परावर-I सं० (वि०) 1 पहले और पीछे का 2 निकट और दूर | परीकीर्ण-सं० (वि०) 1 फैलाया हुआ 2 छितराया हुआ का II (पु०) कारण और कार्य
परिकीर्तन-सं० (पु०) 1 गुणों की अत्यधिक प्रशंसा करना, परावर्तक-सं० (वि.) 1 लौटकर पीछे आनेवाला | अति गुणगान करना 2 ऊँचे स्वर में कीर्तन करना 2 अदल-बदल जानेवाला ।
परिकूट-सं० (पु०) 1 नगर के द्वार को घेरनेवाली खाई 2 दर्ग परावर्तन-सं० (पु०) 1 लौटकर पीछे आना, प्रत्यावर्तन | के फाटक को घेरनेवाली खाई 2 उलटाया जाना 3 उलटने पर फिर ज्यों का त्यों हो जाना। | परिक्रम, परिक्रमण-सं० (पु०) । चारों तरफ़ घूमना 2 घूमना व्यवहार (पु०) पुनर्विचार
| 3 टहलना 4 कार्य निरीक्षण हेतु स्थान-स्थान पर जाना परावर्तित-सं० (वि०) पीछे की ओर लौटाया हआ परिक्रमा-सं० (स्त्री०) 1 प्रदक्षिणा 2 फेरी देने का मार्ग।
'चा
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परिक्रय
480
परिचालन
सके
पथ (पु०) प्रदक्षिणा के लिए बनाया गया मागे परिगृहीत-सं० (वि०) 1 स्वीकार किया हुआ, स्वीकृत परिक्रय-सं० (पु०) 1 खरीदने की क्रिया, ख़रीद 2 भाड़ा | 2 सम्मिलित 3 मज़दूरी
परिग्रह-सं० (पु०) 1 दान लेना 2 धन आदि का संग्रह परिक्रांत-सं० (वि०) जिसके चारों ओर चक्कर लगाया जा | 3 अनुग्रह, दया 4 पाणिग्रहण 5 परिजन
परिग्रहण-सं० (पु०) 1 पूरी तरह से ग्रहण करना 2 धारण परिक्रामी-सं० (वि०) 1 चारों ओर घूमनेवाला 2 एक स्थान करना पर घूमता रहनेवाला
परिग्राह्य-सं० (पु०) 1 यज्ञ वेदी 2 बलि स्थान के चारों ओर परिक्रिया-सं० (स्त्री०) 1 घेरना 2 दीवार आदि से घेरना | का घेरा 3 आनंद हेतु किया जानेवाला आयोजन
परिघ-सं० (पु०) 1 ब्योड़ा, अर्गल 2 आड़ हेत खड़ी की गई परिक्लांत-सं० (वि०) अत्यधिक थका हुआ
कोई वस्तु परिक्लिष्ट-सं० (वि०) 1 अत्यधिक दुःख पहुँचा हुआ परिघात-सं० (पु०) 1 मार डालना, हत्या 2 हत्या करने का अस्त्र 2 अत्यधिक कठिन 3 नष्ट-भ्रष्ट किया हुआ
परिघाती-सं० (वि०) हत्यारा परिक्षत-सं० (वि०) 1जिसे बहुत अधिक क्षति पहुँची हो परिघोष-सं० (पु०) 1 ज़ोर की आवाज़ 2 बादल का गर्जन 2 जिसे बहुत चोट लगी हो, आहत 3 नष्ट-भ्रष्ट
परिचपल-सं० (वि०) अत्यधिक चंचल परिक्षय-सं० (पु०) पूरा और सामूहिक विनाश
परिचय-सं० (पु०) 1 प्रत्यक्ष भेंट के आधार पर किसी को परिक्षाम-सं० (वि०) अत्यधिक क्षीण, बहुत कमज़ोर जानना (जैसे-आपसे तो मेरा बहुत पहले से परिचय है) परिक्षालन-सं० (पु०) धोने का काम
2 साहित्य आदि के अध्ययन से होनेवाला ज्ञान परिक्षिप्त-सं० (वि०) 1 जिसे चारों तरफ से घेरा गया हो (जैसे-रामचरित मानस से हम सबका थोड़ा-बहुत परिचय 2 फेंका एवं त्यागा हुआ
अवश्य होगा) 3 गुण, स्वभाव, धर्म आदि प्रदर्शित करने की परिक्षेप-सं० (पु०) 1 घुमाते हुए प्रहार करना 2 घूमना, टहलना क्रिया (जैसे-अंततोगत्वा उसने अपनी धृष्टता का परिचय
3 आवेष्टित करनेवाली वस्तु 4 परित्याग करना 5 फेंकना सबको दे ही दिया)। पत्र (पु०) किसी व्यक्ति का नाम, परिखा-सं० (स्त्री०) 1 दुर्ग, नगर आदि के चारों तरफ़ बनी हुई पद, पता आदि का उल्लेख किया हुआ पत्र गहरी खाई 2 गहराई
परिचयात्मक-सं० (वि०) परिचय संबंधी, परिचय देनेवाला परिखिन्न-सं० (वि०) अत्यधिक दुःखी
परिचर-सं० (पु०) सेवक, टहलुआ परिख्यात-सं० (वि०) जिसका यश बहुत ज़्यादा फैला हो, परिचरण-सं० (पु०) परिचय करना अत्यधिक यशवाला .
परिचरी-सं० (स्त्री०) दासी, लौंडी परिख्याति-सं० (स्त्री०) यथेष्ट ख्याति
परिचर्चा-सं० (स्त्री०) किसी विषय, पुस्तक आदि पर विस्तृत परिगंतव्य-सं० (वि०) 1 प्राप्त करने योग्य 2 जानने योग्य रूप से की जानेवाली बात-चीत, विषय संबंधित विस्तृत परिगणक-सं० (पु०) परिगणन करनेवाला कर्मचारी व्याख्या परिगणन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह गिनना, विशिष्ट उद्देश्य से | परिचर्या-सं० (स्त्री०) 1 ख़िदमत, सेवा ? रोगी की देख-भाल, किसी स्थान की वस्तु को एक-एक करके गिनना । तीमारदारी
(जैसे-जनसंख्या का परिगणन आसान काम नहीं है) परिचायक-सं० (वि०) 1 परिचय करानेवाला 2 जतानेवाला, परिगणनीय-सं० (वि०)परिगणन किए जाने योग्य, परिगण्य | सूचित करनेवाला परिगणित-सं० (वि०) 1जिसका परिगणन हो चुका हो परिचायका-सं० (स्त्री०) परिचय करानेवाली 2 जिसका उल्लेख हो चुका हो
परिचार-सं० (पु०) 1 सेवा, खिदमत 2 टहलने, घूमने की परिगण्य-सं० (वि०) = परिगणनीय
जगह । गाड़ी + हिं० (स्त्री०) घायल, रुग्ण लोगों को परिगत-सं० (वि०) 1 चारों ओर से घिरा हुआ, आवेष्टित | चिकित्सालय आदि स्थल पर ले जानेवाली गाडी, एम्बुलेंस कार 2 मरा हुआ 3 विस्मृत 4 जाना हुआ, ज्ञात
परिचारक-सं० (वि०) = परिचर परिगमन-सं० (पु०) 1 चारों ओर जाना 2 आवेष्टित करना | परिचारण-सं० (पु०) 1सेवा करना 2 परिचरण। दल 3 जानना 4 प्राप्त करना
(पु०) सेवक दल परिगीत-सं० (वि०) जिसकी अत्यधिक प्रशंसा की गई हो, परिचारिका-सं० (स्त्री०) 1सेविका, दासी 2 परिचय अत्यधिक गुण-कीर्तन किया गया
करानेवाली स्त्री परिगुंठन-सं० (पु०) अच्छी तरह ढकना
परिचारित-1 सं० (वि०) परिचारण किया गया हो II (पु०) परिगुंठित-सं० (वि०) छिपाया हुआ, ढका हुआ 1मनोविनोद 2 क्रीड़ा, खेल परिगुंडित-सं० (वि०) धूल से ढका हुआ
परिचारी-I सं० (वि०) भ्रमण करनेवाला II (पु०) सेवा परिगुण-सं० (पु०) शिक्षा, प्रशिक्षा आदि द्वारा प्राप्त योग्यता __ करनेवाला, सेवक, टहलुआ परिगुणन-सं० (पु०) संख्या को गुणा करके कई गुना बढ़ाना | परिचार्य-सं० (वि०) सेव्य परिगुणित-सं० (वि०) गुणा करके बढ़ाया हुआ परिचालक-सं० (वि०) परिचालन करनेवाला; ता (स्त्री०) परिगुणी-सं० (वि०) जिसने कोई योग्यता प्राप्त की हो | परिचालक होने का भाव परिगृद्ध-सं० (वि०) अतिलोभी
| परिचालन-सं० (पु.) 1 ठीक तरह से गति देना, चलान
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परितुष्ट
परिचालत
481 (जैसे-ट्रक परिचालन आसान नहीं है) 2 हिलाना-डुलाना | 3 परिणत होना 3संचालन
परिणय-सं० (पु०) विवाह, शादी परिचालित-सं० (वि०) जो चलाया गया हो।
परिणयन-सं० (पु०) विवाह की क्रिया परिचिंतन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह से सोचना 2 भली-भाँति परिणाम-सं० (पु०) 1 फल, नतीजा 2 परिवर्तन 3 निष्कर्ष स्मरण करना
(जैसे-विद्यालय में कराए गए कविता पाठ का क्या परिणाम परिचित-सं० (वि०) 1 जिसकी जानकारी हो चुकी हो, निकला) 4 क्रियात्मक रूप से पड़नेवाला प्रभाव (जैसे-युद्ध
जाना-बूझा (जैसे-मैं आपके परिवार से भली-भाँति परिचित देश को भयानक परिणाम की ओर ले जाता है)। दर्शी हैं) 2 जिससे मेल-जोल हो (जैसे-सभा-गृह में मेरे कई लोग (वि०) 1 जिसे होनेवाले परिणाम का पहले से ही आभास हो परिचित होंगे) 3 समझा हुआ (जैसे-इस पुस्तक से मैं बिल्कुल जाए 2 जो फल का ध्यान रखकर काम करता हो; दृष्टि परिचित नहीं हूँ)
(स्त्री०) कार्य के परिणाम को पहले ही समझ लेने की शक्ति; परिचिति-सं० (स्त्री०) 1 परिचित होने की अवस्था 2 परिचय, पथ्य (वि०) अच्छा फल देनेवाला; ~वाद (पु०) जगत् जान-पहचान
की उत्पत्ति और विनाश सदा नित्य परिणाम के स्वरूप होते रहते परिचय-सं० (वि०) जिसका परिचय प्राप्त किया जा सके हैं ऐसा मत; ~वादी (वि०) 1परिणामवाद संबंधी परिच्छद-सं० (पु०) 1 ढाँकनेवाला कपड़ा 2 ढाकने की वस्तु 2 परिणामवाद में विश्वास करनेवाला; ~स्वरूप (क्रि०
3 पहनावा, पोशाक 4 राजचिह्न 5 असबाब, सामान वि०) परिणाम के तौर पर परिच्छन्न-सं० (वि०) 1 जो अच्छी तरह से ढका हो 2 छिपाया परिणामक-सं० (वि०) परिणाम लानेवाला
परिणामतः, परिणामतया-सं० (क्रि० वि०) परिणाम स्वरूप परिच्छित्ति-सं० (स्त्री०) 1सीमा, हद 2 सीमा का निर्धारण | परिणामन-सं० (पु०) 1 परिणाम को प्राप्त कराना 2 वर्द्धित 3 विभाजन
करना परिच्छिन्न-सं० (वि०) 1 परिच्छेद किया हुआ 2 घिरा हुआ परिणामिक-सं० (वि०) परिणाम के रूप में होनेवाला 3 ढका हुआ
परिणामित्र-सं० (पु०) एक प्रकार की विद्युत धारा को दूसरे परिच्छेद-सं० (पु०) 1 काट-छाँटकर अलग करना 2 बँटवारा प्रकार की विद्युत धारा में परिवर्तित करने का यंत्र, ट्रांसफार्मर 3 खंड, भाग (जैसे-इस ग्रंथ का पाँचवाँ परिच्छेद नहीं छापा परिणामित्व-सं० (पु०) परिवर्तनशील होने की अवस्था गया है) 4 अध्याय, प्रकरण 5 सीमा, हद
परिणामी-सं० (वि०) 1 परिणाम के रूप में होनेवाला परिच्छेदक-[ सं० (वि०) सीमा निर्धारित करनेवाला 2 परिणाम संबंधी 3 परिवर्तनशील II (पु०) सीमा, हद
परिणायक-सं० (पु०) 1 विवाह करनेवाला 2 पथप्रदर्शक परिछेद्य-सं० (वि०) परिमेय
परिणाह-सं० (पु०) 1 विस्तार, फैलाव 2 घेरा, परिधि परिछत्र-सं० (पु०) बहुत बड़ी छतरी, पैराशूट
परिणीत-सं० (वि०) जिसका परिणय हो चुका हो, विवाहित परिछत्रक-सं० (वि०) परिछत्र की सहायता से उतरनेवाला परिणीता-[ सं० (वि०) विवाहिता II (स्त्री०) 1विवाहिता (जैसे-परिछत्रक सेना)
स्त्री 2 पत्नी परिजन-सं० (पु०) 1 परिवार के सदस्य 2 अनुगामी एवं परितंत्रिका-सं० (स्त्री०) चि० नाड़ियों का ऊतक गुच्छ अनुचर वर्ग
परितः-सं० (अ०) 1 चारों ओर 2 सब प्रकार से परिजात-सं० (वि०) जन्मा हुआ, उत्पन्न
परितप्त-सं० (वि०) 1 तपाया हुआ, अत्यधिक गर्म परिजीवन-सं० (पु०) 1 दीर्घजीवन 2 नियत काल से अधिक 2 अत्यधिक दुःखी एवं संतप्त चलनेवाला जीवन .
परितप्ति-सं० (स्त्री०) 1 परितप्त होने की अवस्था 2 अत्यधिक परिजीवी-सं० (पु०) दूसरों की अपेक्षा अधिक समय तक दुःख एवं संताप, मनस्ताप जीवित रहनेवाला प्राणी
परितर्कण-सं० (पु०) । अच्छी तरह से विचार करना 2 तर्क परिज्ञप्ति-सं० (स्त्री०) 1 बात-चीत, वार्तालाप 2 परिचय करना 3 पहचान
परितर्पण-सं० (१०) 1 अच्छी तरह प्रसन्न करना 2 संतुष्ट परिज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 ज्ञान 2 निश्चयात्मक, विशुद्ध एवं संशय करना रहित ज्ञान
परिताप-सं० (पु०) 1दुःख, संताप 2 पश्चाताप 3 अत्यधिक परिज्ञात-सं० (वि०) अच्छी तरह से जाना हुआ
ताप, अति गर्मी परिणत-सं० (वि०) 1 चारों ओर से झुका हुआ 2 झुकाया परितापी-सं० (वि०) 1 परिताप संबंधी 2 परिताप उत्पत्र हआ 3 अत्यधिक नम्र 4 परिवर्तन युक्त (जैसे-विधेयक कल करनेवाला सरकार द्वारा कानून में परिणत हो जाएगा) 5 समाप्त | परितिक्त-सं० (वि०) अत्यधिक तीता परिणति-सं० (स्त्री०) 1 परिणत होने की अवस्था 2 झुकाव, परितुलन-सं० (पु०) ग्रंथ की लिखित एवं मुद्रित प्रतियों एवं नति 3 परिवर्तन स्वरूप बननेवाला नया रूप 4 अंत, समाप्ति | उसके विभिन्न संस्करणों आदि का ठीक एवं मूल रूप जानने के 5 प्रौढ़ता, पुष्टता
लिए मिलान करना परिणद्ध-सं० (वि०) 1 दूर तक फैला हुआ, विस्तृत विशाल | परितुष्ट-सं० (वि०) 1 जो बहुत खश हो, अत्यधिक प्रसन्न परिणमन-सं० (पु०) 1 परिवर्तन होना 2 रूपांतर होना । 2 अच्छी तरह एवं हर प्रकार से तुष्ट, संतुष्ट
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परितृप्त
परितृप्त-सं० (स्त्री०) पूर्णतः अघाया हुआ परितृप्ति - सं० (वि०) पूर्णतः तृप्त होने का भाव परितोष-सं० (पु० ) 1 इच्छा पूर्ति से होनेवाली प्रसन्नता 2 संतोष
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परितोषक - सं० (वि०) 1 संतुष्ट करनेवाला 2 खुश करनेवाला परितोषण-सं० (पु० ) परितुष्ट करने की क्रिया परितोषी - सं० (वि०) जिसे परितोष हो, परितोषयुक्त परित्यक्त - सं० (वि०) जिसे उपेक्षापूर्वक छोड़ दिया गया हो परित्यजन-सं० (पु०) त्यागना, छोड़ना परित्याग - सं० ( पु० ) पूर्णतः छोड़ देना परित्याजन - सं० ( पु० ) पूर्णतः छोड़ देना परित्याज्य-सं० (वि०) जिसका परित्याग किया जा सके, परित्याग योग्य
परित्राण-सं० (पु० ) पूर्ण रक्षा, पूरा बचाव परित्रात सं० (वि०) रक्षा प्राप्त परित्राता-सं० (वि०) पूर्ण रक्षा करनेवाला परित्रास - सं० (पु० ) अत्यधिक भय परिदग्ध-सं० (वि०) जला हुआ, झुलसा हुआ परिदत्त-सं० (वि०) परिदान के रूप में दिया गया परिदर - सं० ( पु० ) चि० मसूड़ों से खून, मवाद निकलने का रोग पायरिया
परिदर्शक -सं० (पु० ) पूर्णरूप से देखनेवाला व्यक्ति
परिदर्शन - सं० (पु० ) पूर्ण दर्शन
परिदल पुंज - सं० (पु०) फूल के बाह्यदल और पंखुड़ियों का सामूहिक नाम
परिदहन -सं० ( पु० ) अच्छी तरह से जलनेवाला परिदान - सं० (पु० ) 1 वापस कर देना, फेर देना 2 अमानत लौटाना परिदाह - सं० ( पु० ) 1 अत्यंत जलन 2 अत्यधिक मानसिक दुःख
परिदेवन-सं० (पु० ) अत्यधिक रोना-चिल्लाना, बिलखना परिदृष्टा - सं० (वि०) परिदर्शन करनेवाला
परिधान - सं० ( पु० ) 1 पहनना, धारण करना 2 पोशाक परिधायक - I सं० (वि०) चारों ओर से घेरनेवाला II ( पु० ) 1 चहारदीवारी, प्राचीर 2 घेरा
परिधायन - सं० ( पु० ) 1 पहनना 2 पोशाक परिधावन - सं० ( पु० ) बहुत तेज़ दौड़ना परिधि - सं० (स्त्री०) 1 वृत्त की रेखा 2 गोलाकार वस्तु के चारों तरफ खिंची हुई रेखा 3 गोलाकार मार्ग 4 गोलाकार माना जानेवाला कल्पित घेरा 5 सूर्य-चंद्रमा के आस-पास दिखाई पड़नेवाला घेरा, परिवेश, मंडल
परिधिक-सं० (वि०) परिधि संबंधी
परिधिस्थ - I सं० (वि०) जो किसी परिधि में स्थित हो II (पु० ) नौकर, सेवक
परिधेय - I सं० (वि०) पहने जाने योग्य II (पु० ) परिधान, पोशाक
परिप्राप्ति
परिनिर्णय - सं० ( पु० ) 1 अंतिम फैसला, 2 पंचों द्वारा दिया गया वह पत्र जिसपर फैसला लिखा होता है परिनिर्धारण -सं० (पु० ) पूरी तरह से निश्चयन परिनिर्वाण -सं० (पु० ) मोक्ष, पूर्ण मोक्ष परिनिवृत्त सं० (वि०) पूर्णतः कार्य मुक्त परिनिवृत्ति - सं० (स्त्री० ) मुक्ति, मोक्ष परिनिष्ठा -सं० (स्त्री०) चरम सीमा या अवस्था परिनिष्ठित-सं० (वि०) पूर्णतया कुशल परिनैष्ठिक - सं० (वि०) सर्वोत्कृष्ट, सर्वश्रेष्ठ परिपक्व - सं० (वि०) 1 अभिवृद्धि विकास की दृष्टि से जो पूर्णता को प्राप्त हुआ हो, अच्छी तरह पका हुआ 2 पूर्णतया कुशल (जैसे- वह अपने कार्य में परिपक्व है ) । ता (स्त्री०) परिपक्व होने की अवस्था परिपक्वावस्था-सं० (स्त्री०) परिपक्व होने की दशा परिपणन सं० 1 शर्त लगाना 2 वादा करना, प्रतिज्ञा करना परिपणित-सं० (वि०) 1 शर्त लगाई हुई 2 शर्त में लगाया
परिध्वंस - सं० (पु० ) सर्वनाश परिध्वस्त-सं० (वि०) जो पूर्णतः नष्ट हो गया हो, जो संपूर्ण विनाश को प्राप्त हुआ हो
परिनत-सं० (वि०) पूर्णतः झुका हुआ
हुआ
परिपणितार्थ संधि-सं० (स्त्री०) वह संधि जिसमें पूर्व निश्चय के अनुसार कुछ काम करना पड़ता हो
परिपत्र - सं० ( पु० ) 1 अधिकारियों आदि को सूचनार्थ भेजे जानेवाला अधिकारिक पत्र 2 स्मृति पत्र
परिपथ - सं० (पु० ) वृत्ताकार वस्तु के किनारे-किनारे बना हुआ
पथ
परिपाक - सं० (पु० ) पकाया जाना, समाप्त होने की अवधि परिपाचित - सं० (वि०) पकाया हुआ परिपाटी - ( स्त्री०) 1 प्रथा 2 ढंग, शैली 3 चलता हुआ क्रम, अनुक्रम
परिपाठ -सं० (पु०) विस्तार के साथ पाठ करना परिपार्श्व - I सं० (वि०) बगल का, बहुत पास II ( पु० ) सामीप्य । चर (वि०) पास-पास चलनेवाला परिपाश्वय-सं० (वि०) आसपास रहनेवाला परिपालक-सं० (वि०) परिपालन करनेवाला परिपालन - सं० (पु०) पालन-पोषण, लालन-पालन परिपालित-सं० (वि०) पाला-पोसा हुआ परिपीड़न-सं० (पु० ) अत्यंत दुःख देना, कष्ट पहुँचाना परिपुटन -सं० (पु० ) अलग करना
परिपुष्ट - सं० (वि०) जिसका भली-भाँति पोषण हुआ हो, पूर्णाष्ट
परिपूत - I सं० (वि०) अति पवित्र II साफ़ किया हुआ अन्न परिपूरक-सं० (वि०) परिपूर्ण करनेवाला परिपूरित-सं० (वि०) अच्छी तरह भरा हुआ, लबालब परिपूर्ण-सं० (वि०) जो हर तरह से पूर्ण हो - परिपूर्णेदु - सं० (पु०) पूर्णिमा का पूरा चाँद पीरपूर्ति-सं० (स्त्री०) परिपूर्ण होने की अवस्था, परिपूर्णता परिपृच्छा - सं० (स्त्री०) 1 पूछताछ 2 प्रश्न 3 जिज्ञासा परिपोटन - सं० ( पु० ) 1 छिलका हटाना 2 ऊपरी आवरण निकालना
परिपोषण-सं० (पु० ) अच्छी तरह किया जानेवाला पोषण परिप्रश्न-सं० (पु० ) परिपृच्छा परिप्राप्ति-सं० (स्त्री०) मिलना, प्राप्त होना
=
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परिप्रेक्षण
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परिमुग्ध परिप्रेक्षण-सं० (पु०) चारों ओर अच्छी तरह देखना | परिभ्रमण-सं० (पु०) 1 चारों तरफ़ घूमना 2 चक्कर लगाना। परिप्रेक्षित-सं० (वि०) चारों तरफ़ अच्छी तरह देखा हुआ | ~कारी (पु०) घुमानेवाला परिप्रेक्ष्य-सं० (पु०) दृश्यों, व्यक्तियों आदि का ऐसा चित्रण परिभ्रष्ट-सं० (वि०) गिरा हुआ, पतित जिसमें पारस्परिक अंतर बिल्कुल उसी रूप में दिखाई पड़ता हो परिभ्रामी-सं० (वि०) चक्कर लगानेवाला
जैसा वह साधारणतया आँखों से देखने पर दिखाई पड़ता हो | परिमंडल-I सं० (वि०) गोल, वर्तुलाकार II (पु०) परिप्रेषण-सं० (पु०) 1 चारों ओर भेजना 2 दूत बनाकर भेजना 1 चक्कर 2 घेरा, परिधि 3 निर्वासन
परिमंथर-सं० (वि०) अत्यधिक धीमा परिप्रेषित-सं० (वि०) 1 भेजा हुआ, प्रेषित 2 निकाला हुआ, परिमंद-सं० (वि०) 1 अत्यधिक मंद, धुंधला 2 बहुत क्षीण निष्कासित
3 शिथिल, सुस्त परिप्लव-1 सं० (वि०) तैरता हुआ,बहता हुआII(पु०) तैरना परिमई-सं० (पु०) अच्छी तरह से किया जानेवाला मर्दन परिप्लावित-सं० (वि०) जो जलमग्न हो चुका हो परिमल-सं० (पु०) 1 खुशबू, सुगंध 2 चंदन आदि घिसना, परिप्लुत-I सं० (वि०) जिसके चारों तरफ़ जल ही जल हो रगड़ना 3 संभोग। ~ज (वि०) मैथुन से प्राप्त (सुख) II (पु०) छलाँग
परिमा-सं० (स्त्री०) सीमा, हद परिप्लुष्ट-सं० (वि०) 1 जला हुआ 2 जलाया हुआ 3 झुलसा
परिमाण-सं० (पु०) 1 नाप, तौल आदि की दृष्टि से वस्तु की हआ
लम्बाई, चौड़ाई आदि का 2 गिनने, तौलने, मापने आदि से परिप्लोष-सं० (पु०) 1 तपना, ताप 2 जलन, दाह 3 शरीर के प्राप्त होनेवाला फल (जैसे-इस लोहे का वज़न परिमाण में दस अंदर का ताप
किलोग्राम निकला)। लगत (वि०) परिमाण संबंधी; परिबंधन-सं० (पु०) जकड़कर बाँधना
~मंडल (पु०) भूगर्भ शास्त्र के अनुसार पृथ्वी के तीन मुख्य परिबद्ध-सं० (वि०) संलग्न
पटलों में बीच का पटल, ~मापक (वि०) परिमाण परिबल-सं० (पु०) यंत्र आदि का बल, यांत्रिक शक्ति नापने-जोखनेवाला; ~वाचक (वि०) परिमाण का बोध परिबाधा-सं० (स्त्री०) 1विकट परेशानी 2 कष्ट
करानेवाला परिबोध-सं० (पु०) 1 ज्ञान 2 तर्क
परिमाणक-सं० (पु०) तौल, भार परिबोधन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह बोध कराना 2 चेतावनी परिमाणात्मक-सं० (वि०) = परिमाणगत देना 3 चेतावनी
परिमाणी-सं० (वि०) परिमाण युक्त परिभंग-सं० (पु०) टुकड़े-टुकड़े करना
परिमाप-सं० (पु०) 1 ग० ज्यामिती में किसी आकृति, क्षेत्र परिभर्सन-सं० (पु०) हर तरफ़ पड़नेवाली डाँट-फटकार आदि को चारों ओर से घेरनेवाली रेखा की लंबाई 2 नापने की परिभव, परिभाव-सं० (पु.) 1 पराजय, हार 2 अपमान,
क्रिया 3 लंबाई, चौड़ाई आदि की नाप । अनादर
परिमापन-सं० (पु०) चारों ओर से नाप जोख करना परिभावना-सं० (स्त्री०) 1 विचार करना, विचारना 2 चिंतन परिमापित-सं० (वि०) चारों ओर से नापा हुआ परिभाषा-सं० (स्त्री०) 1 वाक्य में प्रयुक्त पद, शब्द का अर्थ परिमार्गण-सं० (पु०) 1 पता लगाने के लिए चारों तरफ़ जाना स्पष्ट करने की क्रिया 2 नपा-तुला परिचय जिससे वस्तु, व्यक्ति 2 अन्वेषण आदि का स्वरूप, गुण आदि को जाना जा सके 3 कला, विद्या परिमार्जक-सं० (वि०) 1 साफ़ करनेवाला 2 कमियाँ आदि आदि क्षेत्रों में प्रयुक्त होनेवाला शब्द 4 परिभाषा का शाब्दिक दूर करनेवाला रूप 5 परिभाषा की शब्दावली
परिमार्जन-सं० (पु०) 1 साफ़ करने हेतु धोना, साफ़ करना परिभाषित-सं० (वि०) जिसकी परिभाषा की गई हो 2 साहित्यिक त्रुटियों को दूर करना परिभाषी-सं० (वि०) 1 भाषण करनेवाला 2 बोलनेवाला परिमार्जनीय-सं० (वि०) जो परिमार्जन योग्य हो 3जिसकी परिभाषा की जा रही हो।
परिमार्जित-सं० (वि०) जिसका परिमार्जन हआ हो परिभाष्य-सं० (वि०) 1 स्पष्ट कहा जाने योग्य 2 परिभाषा के परिमित-सं० (वि०) 1 जिसे मापा जा चुका हो 2 परिमाण में
जो किसी विशेष बिंद, संख्या आदि से कम हो 3 जो परिमाण परिभिन्न-सं० (वि०) 1टूटा-फूटा 2 विकृत
में निश्चित बिंदु न बढ़ सकता हो। कथी (वि०) नपे-तुले परिभुक्त-सं० (वि०) जिसका परिभोग हो चुका हो शब्द कहनेवाला, अल्पभाषी; ~ता (स्त्री०) परिमित होने की परिभुन-सं० (वि०) टेढ़ा
अवस्था; ~व्यय (पु०) कम खर्च ~व्ययी (वि०) कम परिभू-सं० (वि०) जो चारों तरफ से घेरे हो
खर्च करनेवाला, मितव्ययी परिभूत-सं० (वि०) 1 जिसका परिभव हआ हो 2 तिरस्कृत परिमितायु-सं० (वि०) अल्पायु, कम उम्र का 3परास्त
परिमिताहार-सं० (वि०) कम खानेवाला, अल्पाहारी परिभूति-सं० (स्त्री०) 1 अपमानित होने की अवस्था 2 हारने परिमिति-सं० (स्त्री०) 1 परिमित होने की स्थिति 2 परिमाण की दशा
. 3 सीमा, हद परिभूषण-सं० (पु०) अलंकृत करना
परिमिलन-सं० (पु०) 1 संयोग 2 मिलन परिभूषित-सं० (वि०) अलंकृत किया हुआ
परिमिलित-सं० (वि०) 1 मिला हुआ 2 व्याप्त परिभ्रंश-सं० (पु०) 1 गिरना 2 गिराना 3 पलायन, भगदड़ ! परिमुग्ध-सं० (वि०) आकर्षक, सुंदर
योग्य
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परिमूढ़
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परिवार परिमूढ़-सं० (वि०) घबराया हुआ, व्याकुल
परिलूत-सं० (वि०) 1काटा हुआ 2 काटकर अलग किया परिमृष्ट-सं० (वि०) 1 साफ़ किया हुआ 2 अधिकार में लाया | हुआ हुआ, अधिकृत
परिलेख-सं० (पु०) 1 रेखा-चित्र, खाका 2 चित्र, तस्वीर परिमेय-सं० (वि०) 1 जिसका परिमाण जाना जा सके | 3चित्र अंकित करने की कलम, कूँची 2 सीमित 3 तौल, माप आदि में कम
परिलेखन-सं० (पु०) 1 वस्तु के चारों ओर रेखाएँ बनाना परिमोक्ष-सं० (पु०) 1 पूर्ण मोक्ष, निर्वाण, 2 परित्याग 2 लिखना 3 चित्र अंकित करना परिमोष-सं० (पु०) 1 चोरी 2 डाका
परिलोप-सं० (पु०) 1 लुप्त हो जाना 2 नाश 3 उपेक्षा परिमोषक-सं० (पु०) 1 चोर 2 डाकू
परिवंचन-सं० (पु०) धोखा देना, ठगना परिमोषण-सं० (पु०) 1 चुराना 2 डाका डालना 3 सब कुछ परिवत्सर-सं० (पु०) पूरा वर्ष, पूरा साल छीन लेना
परिवदन-सं० (पु०) निंदा, बुराई परिमोषी-सं० (पु०) = परिमोषक
परिवर्जन-सं० (पु०) परित्याग करना, त्यागना परिमोहन-सं० (पु०) पूर्णतः मुग्ध कर देना ।
परिवर्जित-सं० (वि०) त्यागा हुआ परियत्त-सं० (वि०) जो चारों तरफ से घिरा हो, घिरा हआ परिवर्त-सं० (पु०) 1 अदला-बदली 2 घुमाव, चक्कर 3 युग परिया-I (पु०) दक्षिण भारत की एक अस्पृश्य जाति __ का अंत 4 ग्रंथ का अध्याय, परिच्छेद II (वि०) 1 अछूत, अस्पृश्य 2 क्षुद्र, तुच्छ
परिवर्तक-सं० (वि०) 1घूमनेवाला 2 घुमानेवाला 3 विनिमय परियाण-सं० (पु०) 1 चारों ओर घूमना. 2 पर्यटन
करनेवाला परियात-सं० (वि०) जो घूम फिरकर लौट आया हो । परिवर्तन-सं० (पु०) 1 एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु देना परियुक्ति-सं० (स्त्री०) काम, बात आदि निश्चित करने के (जैसे-मैं पुस्तकों का परिवर्तन पसंद नहीं करता) 2 एक के लिए किसी को नियुक्त करने की क्रिया
स्थान पर दूसरे के आने का भाव (जैसे-प्रकृति में परियुद्धक-सं० (पु०) वह देश जो अपने हितों के रक्षार्थ ऋतु-परिवर्तन अवश्यंभावी है) 3 आकृति, गुण, रूप आदि में युद्धकाल में दूसरे देश से लड़ रहा हो
होनेवाला फेर-बदल (जैसे-युद्ध के बाद सम्राट् का परियोजना-सं० (स्त्री०) नियमित एवं व्यवस्थित रूप से स्थिर हृदय-परिवर्तन हो गया) सुधार होने की क्रिया किया गया विचार एवं स्वरूप
(जैसे-समय-सारिणी में कुछ परिवर्तन किया गया है) परिरंभ, परिरंभण-सं० (पु०) प्रगाढ़ आलिंगन, कसकर गले 5 घुमाव, चक्वर। ~काल (वि०) परिवर्तन का समय मिलना
~कारी (पु०) परिवर्तन करनेवाला ~वादी (पु०) परिरक्षक-सं० (वि०) हर तरफ़ से रक्षा करनेवाला परिवर्तन को अच्छा समझनेवाला व्यक्ति ~शील (वि०) परिरक्षण-सं० (पु०) हर तरह से रक्षा करना
जिसमें परिवर्तन होता रहे परिरक्षा-सं० (पु०) हर तरह से रक्षा करना
परिवर्तनीय-सं० (वि०) परिवर्तन के योग्य परिरक्षित-सं० (वि०) जिसकी अच्छी तरह से रक्षा की गई हो | परिवर्तित-सं० (वि०) 1 बदला हुआ 2 परिवर्तन किया गया परिरक्षी-सं० (वि०/पु०) पूरी तरह से रक्षा करनेवाला । __ 3 रूपांतारेत 4 बदले में मिला हुआ परिरथ्या-सं० (स्त्री०) रथ चलने योग्य चौड़ा मार्ग परिवर्ती-सं० (वि०) 1 बराबर बदलता रहनेवाला, परिरब्ध-सं० (वि०) आलिंगन किया हुआ
परिवर्तनशील 2 परिवर्तन करनेवाला। परिरूप-सं० (पु०) 1कला, शिल्प आदि में वह कलापूर्ण परिवर्तुल-सं० (वि०) ठीक एवं पूरा गोल रेखाचित्र जिसके आधार एवं अनुकरण पर कोई रचना बनाई परिवर्त्य-सं० (वि०) बदला जाने योग्य जाय 2 रेखाचित्र के आधार एवं अनुकरण पर बनाई गई रचना | परिवर्द्धन-सं० (पु०) बढ़ाया जाना, सम्यक् वृद्धि आदि
परिवर्द्धित-सं० (वि०) जिसे बढ़ाया गया हो (जैसे-पुस्तक का परिरेखा-सं० (स्त्री०) तिकोने, चौकोर आदि क्षेत्र के सब ओर नवीन संस्करण परिवर्द्धित हो गया है) पड़नेवाली रेखा
परिवहन-सं० (पु०) माल, यात्रियों आदि को एक स्थान से परिरोध-सं० (पु०) चारों तरफ़ से छेकना
दूसरे स्थान पर ले जाने का कार्य (जैसे-ट्रक, मोटर आदि परिलंघन-सं० (पु०) लाँघना
परिवहन के अन्तर्गत आते हैं) परिलक्षित-सं० (वि०) अच्छी तरह देखाभाला हआ परिवा-(स्त्री०) = प्रतिपदा परिलघु-सं० (वि०) 1 अत्यधिक छोटा 2 बहुत हल्का परिवाद-सं० (पु०) 1 शिकायत 2 मिथ्या दोषारोपण, झूठी परिलब्धि-सं० (स्त्री०) वेतन के अतिरिक्त दिया जानेवाला
निंदा धन, भत्ता
परिवादी-सं० (वि०) 1 निंदा करनेवाला 2 आरोप लगानेवाला परिलाभ-सं० (पु०) वेतन, पुरुस्कार आदि के रूप में होनेवाला 3 शिकायत करनेवाला लाभ
परिवापित-सं० [ढ़ा हुआ, मुंडित परिलिखन-सं० (पु०) रगड़कर चिकना करना, चिकना बनाना परिवार-सं० (पु०) 1 एक घर में और एक के ही संरक्षण में परिलिखित-सं० (वि०) 1 चिकना बनाया हुआ 2 वृत्त आदि । रहनेवाले लोग 2 एक ही पूर्व पुरुष के वंशज। ~आयोजन, से घेरा हुआ
-नियोजन (पु०) आवश्यकता से अधिक संतान उत्पत्र न परिलुप्त-सं० (वि०) 1 खोया हुआ 2 क्षतिग्रस्त
करने की योजना, फैमिली प्लानिंग
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परिवारण
परिवारण-सं० ( पु० ) 1 ढकना 2 आवरण, आच्छादन परिवारित-सं० (वि०) घेरा हुआ, आवेष्टित परिवारी - I सं० ( पु० ) परिवार के लोग II (वि०) पारिवारिक परिवार्षिक - सं० (वि०) जो पूरे वर्ष भर चलता रहे (जैसे- परिवार्षिक नाला कभी सूखता नहीं है) परिवास - सं० (पु० ) 1 ठहरना, टिकना 2 घर, मकान 3 सुगंध, सुवास
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परिवाह सं० ( पु० ) 1 पानी का उमड़कर चारों तरफ़ बहना 2 जल निकासी का मार्ग
परिवाही -सं० (वि०) छलककर बहनेवाला परिविद्ध-सं० (वि०) चारों ओर से बिधा हुआ परिविष्ट-सं० (वि०) 1 घेरा हुआ 2 घिरा हुआ परिवीक्षण-सं० ( पु० ) 1 अच्छी तरह देखना 2 चारों तरफ़ ध्यानपूर्वक देखना
परिवीत - सं० (वि०) 1 लपेटा हुआ 2 छिपाया हुआ 3 ढका हुआ, आच्छादित
परिवृत - सं० (वि०) 1 घेरा हुआ 2 उलटा-पलटा हुआ परिवृत्ति - सं० (स्त्री० ) 1 घेरा, वेष्टन 2 घुमाव, चक्कर 3 अंत, समाप्ति 4 विनिमय परिवृद्ध - सं० (वि०) चारों ओर से बढ़ा हुआ परिवृद्धि - सं० (स्त्री०) परिवृद्ध होने की अवस्था परिवेद - सं० ( पु० ) 1 पूर्ण ज्ञान 2 अनेक विषयों का ज्ञान परिवेदन -सं० ( पु० ) 1 बड़े भाई से पूर्व छोटे भाई का विवाह 2 विवाह, शादी 3 व्यापक ज्ञान 4 सर्वत्र विद्यमानता 5 कष्ट, विपत्ति
परिवेदना-संघ (स्त्री०) 1 विवेक शक्ति 2 चतुराई परिवेधन -सं० (पु० ) छेद करना
परिवेश सं० ( पु० ) 1 वेष्टन, परिधि 2 सूर्य, चंद्रमा के चारों तरफ़ दिखाई देनेवाला घेरा 3 प्रकाश पिंडों के चारों तरफ़ कुछ दूरी तक दिखाई पड़नेवाला मंडलाकार प्रकाश 4 महान् पुरुषों, देवी-देवताओं के चित्रों में उनके मुख मंडल के चारों तरफ़ दिखलाया जानेवाला प्रकाश का घेरा, प्रभा मंडल परिवेष-सं० (पु० ) भोजन परोसना, भोजन परसना परिवेषण-सं० (पु० ) भोजन परोसने का काम परिवेष्टक-सं० (वि०) भोजन परोसनेवाला
परिवेष्टन - सं० ( पु० ) 1 चारों ओर से घेरना 2 छिपानेवाली वस्तु, आच्छादन
परिवेष्टित सं० (वि०) 1 आच्छादित, ढका हुआ 2 घेरा 3 घिरा हुआ
परिव्यक्त-सं० (वि०) अति स्पष्ट परिव्यय - सं० ( पु० ) 1 खर्च लागत 2 पारिश्रमिक 3 शुल्क परिव्याप्त-सं० (वि०) अच्छी तरह से समाया हुआ परिव्याप्ति-सं० (स्त्री०) समाने की अवस्था परिव्रज्या - सं० (स्त्री०) 1 भ्रमण 2 तपस्या 3 भिक्षा माँगकर जीवन निर्वाह करने का नियम
हुआ
परिव्राज, परिव्राजक -सं० (पु० ) 1 संन्यासी 2 परिव्रज्या व्रत ग्रहण करके भिक्षा माँगकर जीवन निर्वाह करनेवाला संन्यासी परिशयन - सं० (पु० ) बहुत अधिक सोना परिशिष्ट - I सं० (वि०) छूटा हुआ, बाकी बचा हुआ, अवशिष्ट II (पु० ) 1 पुस्तकों के अंत में दी जानेवाली पूरक
परिसंख्या
बातें 2 दे० अनुसूची परिशीलन-सं० (पु०) गंभीर अध्ययन; ~कर्ता (वि०) गंभीर अध्ययन करनेवाला परिशीलित-सं० (वि०) जिसका परिशीलन किया गया हो
परिशुद्ध - सं० (वि०) 1 बिल्कुल शुद्ध, खरा 2 बिल्कुल ठीक परिशुद्धि - सं० (स्त्री०) पूर्ण शुद्धि, सम्यक् शुद्धि परिशून्य - I सं० (वि०) जो बिल्कुल शून्य हो II (पु०) वह पदार्थ जिसमें से वायु निकाल दी गई हो
परिशेष - I सं० (वि०) जो अब भी शेष हो II (पु० ) बचा हुआ तत्व
परिशोध-सं० (पु० ) अच्छी तरह शुद्ध करना परिशोधन -सं० ( पु० ) पूर्णतः शुद्ध करने की क्रिया परिशोधित - सं० (वि० ) शुद्ध किया हुआ (जैसे-ग्रंथ का नवाँ संस्करण परिशोधित हो चुका है)
परिश्रम - सं० ( पु० ) मेहनत (जैसे खेती करने में बहुत परिश्रम करना पड़ता है) । ~आधिक्य (पु०) परिश्रम की अधिकता; ~शील (वि०) परिश्रम करने के स्वभाववाला परिश्रमी -सं० (वि०) मेहनती
परिश्रय-सं० (पु० ) 1 परिषद, सभा 2 आश्रय 3 शरण स्थल परिश्रांत-सं० (वि०) थका-माँदा परिश्रांति-सं० (स्त्री०) अत्यधिक थकावट परिश्रुत-सं० (वि०) भली भाँति सुनी हुई परिश्लेष-सं० (पु०) आलिंगन
परिषद - सं० (स्त्री०) 1 सभा 2 वैदिक युग में राजा द्वारा बुलाई जानेवाली विद्वानों की सभा 3 सलाह देनेवाले सदस्यों की सभा (जैसे- कल से विधान परिषद का अधिवेशन आरंभ होगा) परिषद - सं० ( पु० ) 1 जुलूस में चलनेवाले अनुचर 2 दरवारी
3 सदस्य, सभासद
परिषद्य - सं० (पु० ) परिषद का सदस्य परिषिक्त सं० (वि०) 1 अच्छी तरह से सींचा गया 2 छिड़काव किया हुआ
परिष्कर-सं० (पु०) सजावट, सज्जा परिष्करण - सं० ( पु० ) साफ़ एवं सुंदर बनाने की क्रिया परिष्करणी-सं० (स्त्री०) यंत्रों की सहायता से तेल, धातुओं आदि को शुद्ध करने का कारखाना
परिष्कार - सं० ( पु० ) 1 अच्छी तरह से साफ़ करने की क्रिया, पूर्णतः स्वच्छ करना 2 सुरुचिपूर्ण, सुंदर एवं स्वच्छ बनाना 3 स्वच्छता, निर्मलता परिष्कृत-सं० (वि०) 1 साफ़ किया हुआ 2 सुधारा हुआ (जैसे- सबको सरल एवं परिष्कृत भाषा लिखनी चाहिए ) परिष्कृति-सं० (स्त्री०) परिष्कृत होने की अवस्था परिष्क्रिया-सं० (स्त्री०) परिष्कार परिष्टवन-सं० . ( पु० ) प्रशंसा, स्तुति परिष्ठल-सं० (पु०) आस-पास की ज़मीन परिष्वंग-सं० (पुल) परिरंभ, आलिंगन परिसंख्या -सं० (स्त्री०) 1 गणना, गिनती 2 अर्थालंकार जहाँ वस्तु का एक स्थान से निषेध करके अन्य स्थान में स्थापन हो 3 ऐसा विधान जहाँ विहित वस्तु से भिन्न सभी वस्तुओं को अमान्य कर दिया जाए
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परिसंघ
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परेग
परिसंघ-सं० (पु०) स्वतंत्र राष्ट्र के सदस्यों से निर्मित अंतर्राष्ट्रीय | परिहारी-सं० (वि०) परिहरण करनेवाला संगठन
परिहार्य-सं० (वि०) 1 त्यागने योग्य 2 निवारण योग्य परिसंचर-सं० (पु०) प्रलय काल
परिहास-सं० (पु०) 1 ज़ोरों की हँसी 2 हँसी-मजाक। परिसंचित-सं० (वि०) इकट्ठा किया हुआ
रसिक (वि०) हँसी-मज़ाक का रस लेनेवाला; ~शील परिसंतान-सं० (पु०) तार, ताँत
(वि०) जो परिहास प्रकृति का हो । परिसंपद-सं० (पु०) व्यक्ति, संस्था आदि का वह अधिकृत परिहास्य-सं० (वि०) परिहास के योग्य
धन जिसमें से उसका ऋण आदि चुकाया जा सके परिहित-सं० (वि०) 1आवृत्त, आच्छादित 2 पहना हुआ परिसंवाद-सं० (पु०) तर्क संगत वाद-विवाद, विचारपूर्ण | परिहीण-सं० (वि०) 1 अत्यंत हीन 2 त्यागा हुआ, उपेक्षित वाद-विवाद
परिहत-सं० (वि०) 1 त्यागा हुआ 2 नष्ट किया हुआ परिसज्जा-सं० (स्त्री०) पूरी सजावट
परी-फा० (स्त्री०) अप्सरा। ~कथा +सं० (स्त्री०) परियों परिसमापक-सं० (पु०) ख़त्म करनेवाला व्यक्ति
की कहानी परिसमापन-सं० (पु०) खत्म करना, खात्मा
परीक्षक-सं० (पु०) परीक्षा करनेवाला, परीक्षा लेनेवाला परिसमाप्त-सं० (वि०) जो पूर्णतः समाप्त हो चुका हो, ख़त्म | परीक्षण-सं० (पु०) परीक्षा लेने की क्रिया, जाँच, परख । परिसमाप्ति-सं० (स्त्री०) = परिसमापन
~काल (पु०) नौकरी आदि पर जाने के लिये व्यक्ति की परिसर-I सं० 1 चारों ओर बहनेवाला 2 फैला हुआ, विस्तृत क्षमता की परीक्षा का समय; केंद्र (पु०) 1 परीक्षा देने का II (पु०) 1 खुला मैदान 2 भूमि
स्थान 2 परीक्षा लेने का स्थान; ~ग्रह (पु०) परीक्षा भवन; परिसरण-सं० (पु०) चारों तरफ़ बहना
नलिका (स्त्री०) परखनली परिसर्प-सं० (पु०) 1 चारों ओर घूमना, परिक्रमण | परीक्षणात्मक-सं० (वि०) परीक्षण संबंधी 2 घूमना-फिरना
परीक्षणिक-सं० (वि०) जो परीक्षण काल में हो परिसार-सं० (पु०) = परिसरण
परीक्षा-सं० (स्त्री०) 1 योग्यता, क्षमता आदि को परखना परिसीमन-सं० (पु०) सीमा निर्धारित करना
(जैसे-मुझे डाक्टरी परीक्षा के लिए चिकित्सालय जाना है) परिसीमा-सं० (स्त्री०) चरमसीमा, अंतिम सीमा
2 इम्तहान (जैसे-कल से हाई स्कूल की परीक्षा-आरंभ होगी) परिसीमित-सं० (वि०) जिसका परिसीमन किया जा चुका 3 प्रयोग आदि के द्वारा वस्तु के गुण को निश्चय करना हो
(जैसे-गंधक की रासायनिक परीक्षा की विधि क्या है) परिस्तरण-सं० (पु०) 1 छितराना 2 फैलाना 3 लपेटना, ढकना 4 तर्क-प्रमाण आदि द्वारा वस्तु के तत्व को निश्चय करना परिस्तान-फा० (पु०) 1 अप्सराओं का देश, अप्सरालोक, परी
5 न्यायालय में अभियुक्त एवं साक्षी आदि के सच्चे एवं झूठे लोक 2 ऐसा स्थान जहाँ सुंदर स्त्रियों का जमघट हो। होने का पता लगाने की क्रिया 6 जाँच-पड़ताल 7 देखभाल परिस्थिति-सं० (स्त्री०) 1 व्यक्ति के चारों ओर वो बातें परीक्षात्मक-सं० (वि०) परीक्षा संबंधी जिनके परिणाम स्वरूप वो कार्य करने को विवश होता है परीक्षामूलक-सं० (वि०) परीक्षा पर आधारित (जैसे-आर्थिक परिस्थिति के कारण उसे कर्ज़ लेना पड़ा) परीक्षार्थ-सं० (अ०) परीक्षा के उद्देश्य से 2 चारों तरफ़ से उत्पन्न होनेवाली संकट की अवस्था परीक्षार्थी-सं० (वि०) परीक्षा देनेवाला (जैसे-देश-काल की परिस्थितियाँ और भी विषम होती जा रही परीक्षित-सं० (वि०) 1 जिसकी परीक्षा ली गयी हो हैं)। ~वश (क्रि० वि०) परिस्थिति के कारण; ~विज्ञान | 2 परीक्षार्थी (पु०) प्राणि विज्ञान की वह शाखा जो देश-काल की परीक्षितव्य, परीक्ष्य-सं० (वि०) 1 परीक्षा किये जाने योग्य परिस्थितियों का जीव-जंतुओं पर पड़नेवाले प्रभावों का 2 परखने योग्य अध्ययन कराता है
परीक्ष्यमाण-सं० (वि०) - परीक्षणिक परिस्पर्धा-सं० (स्त्री०) = प्रतिस्पर्धा
परीच्छा-बो० (स्त्री०) = परीक्षा परिस्फुट-सं० (वि०) 1 भली-भाँति व्यक्त, स्पष्ट 2 पूर्ण | परीज़ाद-फ़ा० (वि०) 1 जो परियों से उत्पन्न हो, जो परियों की विकसित
संतान हो 2 अत्यधिक सुंदर परिस्फुरण-सं० (पु०) 1 कल्लों आदि का निकलना 2 कंपन | परीवाह-सं० (पु०) = परिवाह परिस्थंद-सं० चूना, रिसना
परुष-सं० (वि०) 1 कठोर एवं कर्कश 2 उग्रतापूर्ण, तीव्र परिस्तुत-सं० (वि०) 1 चूता हुआ, चुआया हुआ 2 टपकाया ___ 3 नीरस, रसहीन 4 दयाहीन हुआ
परुषोक्ति-सं० (स्त्री०) कठोर वचन, कड़ी बात परिहत-1 (स्त्री०) हल की वह लकड़ी जिसे हाथ से पकड़े | परेंद्रिय-ज्ञान-सं० (पु०) वह अतींद्रिय ज्ञान जिससे दूर के रहना पड़ता है
__ लोगों के साथ भी मानसिक संबंध स्थापित कर सकते हैं परिहत-II सं० (वि०) 1 मारा हुआ 2 नष्ट
परे-अ० 1 उस ओर (जैसे-यहाँ नहीं परे जाकर खेलो) 2 और परिहरण-सं० (पु०) बलपूर्वक किया गया अधिकार आगे (जैसे-परे हटकर देखो वहाँ क्या लटक रहा है) 3 बहुत परिहाण-सं० (पु०) हानि उठाना
दूर (जैसे-उनका मकान जंगल की सीमा के परे है) 4 बाद, परिहार-सं० (पु०) 1 त्यागना, छोड़ना 2 दोष आदि को दूर | पीछे। ~बैठाना अयोग्य सिद्ध करना करना 3 त्याग करने की क्रिया
परेग-(स्त्री०) लोहे की छोटी कील
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परेट 487
पर्याय परेट, परेड-अं० (स्त्री) 1 सैनिक शिक्षा 2 सैनिक शिक्षा देने __ (पु०) पत्तों की बनी छाजनवाली कुटिया; रचना, का मैदान
~शाला (स्त्री०) - पर्णकुटी परेता-(प्०) 1 बाँसी की पतली तीलियों का बना बेलन 2 सुत | पर्णन-सं० (पु०) पत्ते आना लपेटने के काम आनेवाला जलाहों का आला
पर्णिका-सं० (स्त्री०) शालपर्णी परेवा-(पु०) 1 कबूतर 2 पंड़की पक्षी, फाख्ता 3 तेज़ | पर्णी-सं० (पु०) वृक्ष, पेड़ उड़नेवाला कोई पक्षी
पर्त- बो० (पु०) परत परेशान-फा० (वि०) 1 व्याकुल 2 हैरान 3 सताया हुआ । पर्दा-फा० (पु०) - परदा। ~फ़ाश (पु०) भेद प्रकट कर परेशानकुन-फा० (वि०) परेशान करनेवाला परेशानी-फ़ा० (स्त्री०) 1 विकलता, हैरानी 2 झंझट पर्धा-(वि०) 1 आधे से कुछ कम 2 आधे से कुछ अधिक परेषक-(पु०) पारसल द्वारा अपना माल भेजने वाला व्यक्ति पर्पटी-सं० (स्त्री०) एक प्रकार की सुगंधित मिट्टी जो सौराष्ट्र परेषण-(पू.) पारसल द्वारा अपना माल भेजना नोट +अं० ___ आदि प्रदेशों में पाई जाती है (पु०) माल भेजने का नोट
पर्यक-सं० (पु०) पलंग परेषणी-(पु०) ऐसा व्यक्ति जिसके नाम पार्सल भेजा जाये पर्यंत-1 सं० घिरा हुआ (जैसे-वह उनकी सेवा जीवनपर्यंत परेषित-(वि०) किसी के नाम पार्सल भेजा गया
करता रहा) परेषिती-(पू०) माल भेजनेवाला
पर्यटक-सं० (१०) दूसरे देशों में घूमने फिरनेवाला। परेह-(पु०) बेसन आदि का पकाया हुआ घोल
-शिविर, स्थल (१०) सैलानियों के लिए रुकने का परेहा-बो० (पु०) जोती एवं सींची गई ज़मीन
स्थान परोक्त-दोष-सं० (१०) न्यायालय में ग़लत बयान देने का | पर्यटन-सं० (प.) विस्तृत भू-भाग में किया जानेवाला भ्रमण । अपराध
दल (पु०) सैलानियों का दल; ~शील (वि०) परोक्ष-[सं० (वि०) 1 जो आँखों के सामने न हो, आँखों से । भ्रमणशील
ओझल 2 जो सामने उपस्थित न हो, गैरहाज़िर 3 छिपा हुआ, | पर्यय-सं० (पु०) चारों ओर चक्कर लगाना गुप्त 4 जिसका किसी से प्रत्यक्ष संबंध न हो, अप्रत्यक्ष पर्यवदात-सं० (वि०) 1 पूर्णतः निर्मल एवं शुद्ध 2 ज्ञात एवं संबंधवाला 5 अपरिचित, अनजान II (पु०) 1 आँखों के | परिचित सामने न रहने की अवस्था, अनुपस्थिति 2 वर्तमान न होने की पर्यवरोध-सं० (पु०) चारों ओर से होनेवाली बाधा स्थिति, भृतकाल 3 व्या० पूर्ण भूतकाल III अ० गैरहाज़िरी में, पर्यवलोकन-सं० (पु०) 1 चारों ओर देखना 2 निरीक्षणात्मक पीठ-पीछे (जैसे-परोक्ष में किसी की निंदा करना कायरता है)। | दृष्टि से देखना
दर्शन (पु०) अतींद्रिय दृष्टि; निर्वाचन (पु०) जनता पर्यवसान-सं० (पु०) 1 अंत, समाप्ति 2 अंतर्भाव द्वारा नहीं अपितु जनता के प्रतिनिधियों द्वारा किया गया चुनाव; | पर्यवसाया-स० (वि०) समाप्त करनेवाला ~श्रवण (पु०) अतींद्रिय श्रवण
पर्यवसित-सं० (वि०) 1 समाप्त 2 निश्चित परोक्षार्थ-सं० (वि०) रहस्यपूर्ण अर्थवाला
पर्यवस्था-सं० (स्त्री०) 1 विरोध 2 प्रतिपक्षवाद, खंडन परोपकार-सं० (पु०) दूसरों के हित का काम
पर्यवेक्षक-सं० (पु०) काम की देखभाल करनेवाला अधिकारी परोपकारिता-सं० (स्त्री०) परोपकार करने का भाव पर्यवेक्षण-सं० (पु०) निगरानी करने का काम। चौकी + परोपकारी-सं० (वि०) भलाई करनेवाला
हिं० (स्त्री०) निगरानी करने के लिए पुलिस चौकी परोपकृत-सं० (वि०) जिसका उपकार किया गया हो। पर्य-सं० (वि०) 1 आँसुओं से भीगा हआ 2 जिसकी आँखों परोपजीविता-सं० (स्त्री०) दूसरे के सहारे जीवन बिताना | में आँसू भरे हों परोपजीवी-सं० (वि०) दूसरे के सहारे जीवित रहनेवाला पर्यसन-सं० (पु०) 1निकालना, बाहर करना 2 हटाना 3 रद्द परोल-अं० (पु०) सशर्त कारामुक्ति
करना परोसना-(स० क्रि०) थाली आदि में खाद्य पदार्थ रखना पर्यस्त-सं० (वि०) जिसे निकाल दिया गया हो परोसा-(पु०) एक आदमी को खाने के लिए दिये जानेवाला पर्याकुल-सं० (वि०) 1 घबराया हुआ 2 अस्त-व्यस्त 3 गंदला भोजन
4क्षुब्ध परोसैया-(पु०) भोजन परोसनेवाला व्यक्ति
पर्याण-सं० (पु०) घोड़े की ज़ीन, काठी परोहन-(पु०) 1 वह पशु जिसपर सवारी की जाये 2 वह पशु पर्याप्त-सं० (वि०) 1 काफ़ी, यथेष्ट (जैसे-इस कार्य हेत सौ जिस पर बोझ लादा जाये
__ रुपए पर्याप्त है) 2 पाया हआ, प्राप्त 3 सीमित परोहा-बो० (पु०) 1 बाँस-बाल्टी आदि से लटकाई गई दौरी पर्याप्तत:-सं० (क्रि० वि०) पर्याप्त रूप में
की सहायता से पानी उठाकर सींचने का प्रकार 2 पानी पर्याप्ति-सं० (स्त्री०) 1 यथेष्टता 2 प्राप्ति, मिलना 3 तृप्ति, निकालनेवाली दौरी 3 मोट, चरसा
संतुष्टि पर्चा-फ़ा० (पु०) = परचा फ़ा०
पर्याय-सं० (पु०) 1 समानार्थक शब्द 2 क्रम, सिलसिला पर्जन्य-सं० (पु०) बरसनेवाला बादल, मेघ
3 प्रकार, भेद 4 अनेक आश्रय ग्रहण करनेवाला एक पर्ण-सं० (पु०) पेड़ का पत्ता, पत्र (जैसे-साधु-संन्यासी अर्थालंकार। क्रम (पु०) 1 पद, मान आदि के विचार से पर्ण-कुटियों में रहते हैं)। ~कुटी (स्त्री०), कुटीर । स्थिर किया जानेवाला क्रम 2 उत्तरोत्तर होनेवाली वृद्धि:
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पर्यायकी
वाचक, वाची तीन पर्यायवाची शब्द
~ वचन (पु० ) समानार्थक शब्द (वि०) समानार्थक (जैसे-सूरज के लिखो); शब्द (पु० ) पर्याय वचन; सेवा (स्त्री०) बारी-बारी से सेवा करना
पर्यायकी-सं० (स्त्री०) भाषा विज्ञान का वह अंग जिसमें पर्याय शब्दों के पारस्परिक सूक्ष्म अंतरों और भेद-प्रभेदों का अध्ययन किया जाता है।
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पर्यायात्मक-सं० (वि०) समानार्थक
पर्यायार्थी सं० (वि०) समान अर्थवाला पर्यायी सं० (वि० ) पर्यायवाची
पर्यायोक्ति-सं० (स्त्री०) एक अर्थालंकार जिसमें बात को चमत्कारिक और विलक्षण पूर्ण ढंग से व्यक्त किया जाता है। पर्यालोचन -सं० ( पु०), पर्यालोचना (स्त्री० ) 1 सम्यक् विवेचन 2 अच्छी तरह से की जानेवाली देख-भाल पर्यावरण-सं० ( पु० ) 1 वातावरण 2 परिस्थिति पर्यावर्त -सं० (५०) वापस आना, लौटना पर्यास-सं० (पु० ) 1 गिरना, पतन 2 नाश 3 वध, हत्या पर्युत्थान - सं० ( पु० ) उठ खड़ा होना पर्युपस्थान -सं० (पु० ) सेवा पर्युपासक-सं० ( पु० ) 1 उपासक 2 सेवक पर्युपासन -सं० (पु० ) 1 उपासना 2 सेवा पर्युप्त-सं० (वि०) जो बोया गया हो पर्युप्ति सं० (स्त्री०) बोआई पर्युषित-सं० (वि०) जो ताज़ा न हो, बासी पर्येषणा -सं० (स्त्री०) 1 तर्क युक्त पूछ-ताछ 2 छान-बीन, जाँच-पड़ताल
पर्येष्टि-सं० (स्त्री०) 1 अन्वेषण, खोज 2 पूछ-ताछ पर्व-सं० (पु० ) 1 उत्सव, त्योहार 2 धार्मिक कृत्य करने का दिन (जैसे- आज महा शिवरात्रि का पर्व है) 3 विशिष्ट अंश (जैसे- राम चरित मानस में राम जानकी का परिणय पर्व पठनीय है) 4 भाग (जैसे- महाभारत में अठारह पर्व हैं) 5 संधिस्थान, जोड़। संधि (स्त्री०) 1 पूर्णिमा एवं प्रतिपदा का संधिकाल 2 अमावस्या एवं प्रतिपदा का संधिकाल 3 चंद्र ग्रहण का समय 4 सूर्य ग्रहण का समय; समारोह (पु० ) त्योहार का उत्सव
पर्वक सं० (पु०) घुटना
पर्वणी -सं० (स्त्री०) पूर्णिमा
नंदिनी
पर्वत - सं० ( पु० ) 1 पहाड़ 2 अनेक वस्तुओं का बना हुआ बहुत ऊँचा ढेर । क्षेत्र (पु० ) पहाड़ी इलाका (स्त्री०) पार्वती; -माला (स्त्री०) पर्वत श्रेणी; (पु० ) पर्वत की चोटी; श्रृंखला (स्त्री०) -श्रृंग (पु० ) = पर्वत शिखर
शिखर पर्वत माला; श्रेणी (स्त्री० ) = पर्वत
माला
पर्वतारोहण सं० (पु० ) पहाड़ पर चढ़ना पर्वतारोही -सं० (वि०) पहाड़ पर चढ़नेवाला पर्वतीय सं० (वि०) 1 पहाड़ का 2 पहाड़ पर रहनेवाला,
पर्वतेश्वर - सं० (पु० ) हिमालय पर्वरिश - फ़ा० (स्त्री०) परवरिश पर्वा-फ्रा० (स्त्री०) = परवाह, परवा
पर्शियन - अं० (वि०) फ़ारस का रहनेवाला
पर्स अं० (पु० ) बटुवा पर्हेज़ - फ़ा० (पु० )
परहेज़
पलंग - (पु० ) निवार की बुनी हुई बड़ी एवं मज़बूत चारपाई । ~तोड़ (वि०) आलसी एवं निकम्मा; ~ पोश + फ्रा० (पु० ) पलंग पर बिछाई जानेवाली चादर को लात मारकर खड़ा होना कड़ी बीमारी से उठना, विकट रोग से अच्छा होना; ~ तोड़ना निठल्ला रहना; ~लगाना बिस्तर
=
लगाना
पलंगड़ी - (स्त्री०) छोटा पलंग
पल
- I सं० ( पु० ) समय का बहुत ही छोटा भाग भर में बहुत ही कम समय में, तुरंत (जैसे-मेरे पहुँचते ही वह पल भर में गायब हो गया )
पलस्तर
पल - II ( पु० ) पलक
करना;
पलक - फ़ा० (स्त्री०) आँख के ऊपर का पतला आवरण (जैसे - मरणासन्न अवस्था में प्रायः पलकें खुली रह जाती हैं)। दरिया (वि०) अति उदार; झपकना 1 पलक का नीचे-ऊपर गिरना, खुलना बंद होना 2 नींद आना; सीजना दयार्द्र होना; पाँवड़े बिछाना श्रद्धा से स्वागत जना आँख का इशारा होना; भाँजना आँख से इशारा करना; मारना 1 पलक गिराना 2 झपकी लेना 3 आँख से इशारा करना; लगना नींद आना; ~ लगाना 1 सोने के लिए आँख बंद करना, आँख बन्द करना; से पलक न लगना टकटकी लगी रहना, नींद न आना; पलकों से ज़मीन झाड़ना, पलकों से तिनके चुनना अति श्रद्धा भाव से सेवा करना
पलटनिया - I अं० सैनिक
पलटन - अं० (स्त्री०) 1 सैनिकों का समूह, सैनिक दल, फौज 2 झुंड (जैसे- चौपायों की पलटन के पीछे लट्ठ लिए भागना पलटना-I (अ० क्रि०) 1 उलट जाना 2 एकदम बदल जाना 3 मुड़ना 4 वापस आना, लौटना II (स० क्रि०) 1 उलटना (जैसे- इस चादर को फिर से पलटना पड़ेगा) 2 एकदम बदल देना 3 अदल-बदल करना
हिं० (वि०) पलटन का II (पु० )
+
पलटा - (पु० ) 1 पलटने की क्रिया 2 बदला 3 प्रतिफल । ~ खाना पूर्णतः परिवर्तित हो जाना
पलटाव - ( पु० ) पलट जाने की क्रिया पलटे - (अ०) बो० बदले में, प्रतिफल स्वरूप
पलड़ा - (पु० ) 1 तराजू के दोनों लटकते भागों में प्रत्येक, तराजू का प्रत्येक पल्ला 2 दो पक्षों में से एक की शक्ति। भारी होना अधिक शक्ति संतुलन होना
पलथी - (स्त्री०) दाहिने और बायें पैर के पंजे को क्रम से बायीं और दाहिनी जाँघों के नीचे दबाकर बैठने का एक आसन पलना- (अ० क्रि०) पालित होना, पाला-पोसा जाना (जैसे- प्रकृति की गोद में पलना अत्यंत रमणीय है ) पलवाना - (स० क्रि०) 1 किसी को पालने में प्रवृत्त करना
2 पालन कराना
पलवैया-बो० (वि०) पालन-पोषण करनेवाला पलस्तर - अं० (पु० ) 1 दीवारों फर्श आदि पर सीमेंट, बालू आदि का लेप 2 कोई मोटा लेप (जैसे-सड़क पर तारकोल का
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पलान
पलस्तर किया गया है)। कारी + फ़ा० (स्त्री०) पलस्तर करने की क्रिया; ढीला करना पस्त करना; ढीला होना 1 शिथिल होना 2 पस्त होना; बिगड़ना जर्जर होना
पलान- ( पु० ) काठी, ज़ीन
पलानी - ( स्त्री०) छप्पर
पलायक -सं० (वि० / पु० ) 1 भागनेवाला, भगोड़ा 2 भागा
हुआ
पलायन -सं० (पु० ) भागना, अन्यत्र चले जाना। वाद (पु० ) सृष्टि की सभी वस्तुएँ एवं बातें अपने प्रस्तुत रूप से विरक्त होकर नवीनता की ओर प्रवृत्त होती हैं ऐसा सिद्धांत; ~वादी (वि०) 1 पलायनवाद संबंधी 2 पलायनवाद के. माननेवाला; ~ वेग (पु०) वस्तु का पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति की पकड़ से छूटकर अन्य आकाशीय पिंड की गुरुत्वीय आकर्षण की पकड़ में आ जाना
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पलायमान् -सं० (वि०) भागता हुआ
पलायित-सं० (वि०) भागा हुआ पलाल - सं० ( पु० ) 1 धान का सूखा डंठल 2 पौधे का सूखा डंठल
पलाव -सं० ( पु० ) मछली फँसानेवाली बंसी, कटिया, काँटा पलाश - सं० (पु०) 1 पलास, टेसू 2 पलास का फूल पलाशी - I सं० (वि०) पत्तों से युक्त II (स्त्री०) लाख पलास - (पु० ) = पलाश पलिघ-सं० (पु०) काँच का घड़ा
पलित - I सं० (वि०) 1 वृद्ध, बुड़ढा 2 पका हुआ, सफ़ेद II (पु० ) 1 सिर के बालों का सफ़ेद होना 2 असमय बाल पकने का एक रोग
पलिहर - (पु० ) चैती फ़सल की बोआई हेतु परती छोड़ा गया
खेत
पली - (स्त्री०) 1 तेल नापने की छोटी एवं गहरी कटोरी 2 तेल की कटोरी में भरे हुए तेल की मात्रा । पली जोड़ना थोड़ा-थोड़ा करके संगृहीत करना
पलीता - अ० (पु० ) 1 चिराग़ की बत्ती 2 बत्ती के आकार का बारूद लगा छोटा डोरा । ~लगाना ऐसी बात कहना जिससे झगड़ा शुरू हो जाए पलीती-अ० + हिं० (स्त्री०) छोटा पलीता पलीद - 1 फ़ा० (वि०) 1 अपवित्र, गंदा नापाक 2 दुष्ट, नीच 3 घृणित विचार एवं आचरणवाला II ( पु० ) पलुआ - I बो० (पु०) सन की जाति का पौधा पाला हुआ पलेट-अं० (स्त्री०) 1 तश्तरी 2 पट्टी 3 कमीज़ आदि में कड़ापन लाने के लिए लगाई जानेवाली कपड़े की पट्टी पलेथन - (पु०) सूखा आटा जिसे रोटी बेलने के पहले चौके पर बिखेरते हैं, परथन
भूत, प्रेत II (वि०)
पलेनर-अं० (पु० ) काठ का चौड़ा एवं चिपटा टुकड़ा पलोटना-I (अ० क्रि०) लोट-पोट करना पलोटना - II (स० क्रि० ) पैर दबाना
=
पल्प - अं० (पु० ) लुग़दी
पल्लड़ - ( पु० ) झुंड, समूह
पल्लव - सं० (पु० ) नया एवं कोमल पत्ता । ग्राही (वि०) जिसमें पल्लव लगे हों, पल्लव युक्त
पशमीना
पल्लवक -सं० ( पु० )
नया हरा पत्ता
पल्लवन - सं० (पु० ) 1 विकास करना 2 बढ़ाना, लंबा चौड़ा
हुआ
पल्लविक-सं० (वि०) = पल्लवक
पल्लवित-सं० (वि०) 1 जिसमें पल्लव लगे हों 2 विकसित (जैसे- उनका हृदय चमन पुष्पित- पल्लवित होता रहा) 3 हरा-भरा एवं लहराता हुआ पल्लवी - 1 सं० (वि०) नए पत्तों से युक्त II (पु० ) वृक्ष, पेड़
पल्ला - I (पु० ) किवाड़ (जैसे-दरवाज़े का पल्ला ) पल्ला-II (पु०) 1 तराजू के दोनों पलड़ों में से प्रत्येक 2 तराजू 3 दो प्रतियोगी पक्षों में से प्रत्येक झुकना किसी पक्ष का अधिक ताकतवर होना; ~दबना विवश होना; भारी होना = पल्ला झुकना
पल्ला - III (पु० ) कैंची के दो भागों में से एक भाग पल्ला - IV (पु० ) 1 आँचल, छोर 2 ओढ़नी 3 चादर । ~ करना घूँघट करना; छुड़ाना बंधन से निकलना;
पकड़ना साथ होना, साथ करना; पसारना अनुग्रह करना; पल्ले बाँधना 1 सौंपना 2 ब्याहना पल्ली -सं० (स्त्री०) 1 छोटा गाँव, पुरवा 2 कुटी, झोपड़ी पल्लू - (पु० ) = पल्ला IV
पल्लेदार - I हिं० + फ़ा० (वि०) जिसमें पल्ले लगे हों II (पु० ) 1 अनाज तौलने का काम करनेवाला 2 अनाज ढोनेवाला मज़दूर पल्लेदारी - हिं०
फ़ा० (स्त्री०) : पल्लेदार का काम 2 पल्लेदार की मज़दूरी
पवन - सं० ( पु० ) हवा, वायु । चक्की + हिं० (स्त्री०) पवन के वेग से चलनेवाली चक्की; चक्र (पु०) चक्रवात, बवंडर
पवर्ग-सं० ( पु० ) व्या० प, फ, ब, भ, म इन पाँच अक्षरों की सामूहिक संज्ञा
पवारना - (स० क्रि०)
पँवारना
S
पँवाड़ा
पवाई - (स्त्री०) 1 जूतों की जोड़ी का प्रत्येक जूता 2 चक्की के दो पाटों में प्रत्येक पाट पवाड़ा - ( पु० ) पवित्र - I सं० (वि०) 1 निर्मल, स्वच्छ 2 निश्छल (जैसे- वह पवित्र हृदय का व्यक्ति है) II ( पु० ) शुद्ध करनेवाली वस्तु । -ता (स्त्री०) 1 निर्मलता 2. निश्छलता; हृदय (वि०) शुद्ध हृदयवाला
पवित्रात्मा - सं० (वि० ) शुद्ध हृदयवाला पवित्रित-सं० (वि० ) शुद्ध किया हुआ पवित्रीकरण-सं० (पु० ) पवित्र बनाना पशम-फ़ा० (पु० ) 1 पुरुष-स्त्रियों के जननेंद्रिय पर के बाल 2 उम्दा और नरम ऊन। उखाड़ना 1 कुछ भी नुक़सान न पहुंचा सकना 2 व्यर्थ समय नष्ट करना; तक न उखड़ना कुछ भी काम न हो सकना पर मारना, समझना बिल्कुल तुच्छ समझना पशमी-फ़ा० (वि०) पशम का
पशमीना - फ़ा० (पु० ) ऊन का बना हुआ कपड़ा, ऊन का मुलायम कपड़ा
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पशव्य
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पशव्य - I सं० (वि०) 1 पशुओं का 2 पशुओं की तरह का II (पु० ) पशुओं का झुंड
पशु - सं० ( पु० ) 1 जानवर, चौपाया (जैसे- शेर खूंख्वार एवं निर्भीक पशु है) 2 जंतु, प्राणी (जैसे- सभी पशु मांसाहारी नहीं होते) । ~ उत्पादन (पु० ) पशुओं की उत्पत्ति करना; कर्म (पु०), ~क्रिया (स्त्री०) 1 पशुओं का होनेवाला बलिदान 2 मैथुन ~चर (पु० ) पशुओं के चरने हेतु सुरक्षित भूमि; ~ चारण (पु० ) पशु चराना; ~ चिकित्सक (पु० ) पशुओं का इलाज करनेवाला, पशु डाक्टर; चिकित्सा (स्त्री०) पशुओं के रोगों एवं उनके निदान का कार्य एवं पद्धति; ~ चिकित्सालय (पु० ) पशुओं का दवाखाना; जगत् (पु० ) जीव-जंतु जन्य (वि०) पशु से उत्पन्न; जीवी (वि०) 1 पशु का मांस खाकर जीनेवाला 2 पशु पालन करके उनसे प्राप्त वस्तुओं से जीविका चलानेवाला; ~ता (स्त्री०) 1 पशु होने की अवस्था 2 पशुओं का सा स्वभाव; ता-मय (वि०) = पशव्य; ~तुल्य (वि०) जो पशु के समान आचरण करे ~धन (पु०) वो पालतू पशु जो आर्थिक उत्पादन एवं सुरक्षा दृष्टि से उपयोगी हैं; ~ धर्म (पु० ) पशुवत आचरण; ~पति (पु०) महादेव, पाल, पालक I (वि०) पशुओं को पालनेवाला II ( पु० ) ग्वाला, अहीर; ~पालन (पु० ) पशु पालने की क्रिया; पालन- फ़ार्म + अं० (पु० ) पालतू पशुओं के रहने का स्थान; बल (पु० ) पशु शक्ति भाव (पु० ) पशुता, जानवरपन; ~रति (स्त्री० ) 1 शुद्ध काम वासना की तृप्ति हेतु पशु के समान की जानेवाली रात 2 पशु वर्ग के किसी प्राणी के साथ मनुष्य द्वारा की गई रति; राज (पु० ) पशुओं के स्वामी, सिंह, शेर, ~वध (पु० ) पशु-हत्या; विक्रेता (पु० ) पशु बेचनेवाला; ~ विशेषज्ञ (पु०) पशुओं का अच्छा जानकार; ~वृत्ति (स्त्री०) पशुवत् आचरण; शाला (स्त्री०) पशुओं के रहने की जगह, पशु गृह; ~संहार ( पु० ) पशु वध; ~ सुधार (पु० ) पशुओं की नस्ल का सुधार; हृदय (वि०) पशु के से हृदयवाला, स्वार्थी और निर्दय पशुत्व-सं० (पु० ) = पशुता पशुवत्-सं० (वि०) पशु के स्वभाववाला, पशु तुल्य पश्च-सं० (वि०) पिछला (जैसे-सामयिक पत्र का पश्च अंक
गलत छपा था ) 2 बाद का, परवर्ती 3 पश्चिम का, पश्चिमी । ~गमन (पु० ) 1 पीछे की ओर चलना 2 अवनति होना, पतनोन्मुख होना; गामी (वि०) 1 पीछे हटनेवाला 2 अवनति दर्शन (पु० ) पीछे मुड़कर देखना; प्रभाव (पु० ) समय बीतने पर दिखाई देनेवाला प्रभाव; लेख (पु० ) पत्र लिखने के बाद लिखा जानेवाला कोई अंश, लेखांश
पश्चात् - I सं० अ० पीछे से, बाद में, उपरांत (जैसे-मेरे पश्चात् आपको दौड़ना पड़ेगा ) II (पु० ) अंत, समाप्ति पश्चाताप सं० (प्०) पछतावा, दुःख पश्चातापी-सं० (वि०) पश्चाताप करनेवाला पश्चाद्वर्ती सं० (वि०) 1 पीछे रहनेवाला 2 अनुसरण करनेवाला
पश्चार्द्ध-सं० (पु० ) 1 पीछेवाला आधा भाग 2 पश्चिमी भाग पश्चिम - I सं० (वि०) अंतिम, पिछला II (पु०) सूर्य के
पसारना
यूरोपीय सागर ( पु० )
+
अस्त होने की दिशा, प्रतीची, पश्चिम * अं० + सं० (वि०) पश्चिम यूरोप का एटलांटिक या अतलांतक महासागर पश्चिमांचल-सं० (पु०) अस्ताचल पश्चिमा सं० (स्त्री० ) पश्चिम दिशा पश्चिमात्य -सं० (वि०) पाश्चात्य, पश्चिमी पश्चिमी, पश्चिमीय सं० (वि०) 1 पश्चिम दिशा का 2 पश्चिम देशों में रहनेवाला 3 पछवाँ (जैसे- सागर से चलनेवाली पश्चिमी हवाएँ गर्म होती हैं) पश्चिमोत्तर-सं० (वि०) पश्चिम एवं उत्तर दिशाओं के मध्य स्थित। ~ सीमा- प्रदेश (पु० ) पाकिस्तान में पश्चिम उत्तर की सीमा में पड़नेवाला प्रांत
पश्तो - ( स्त्री०) एक प्राचीन आर्यभाषा जो भारत की पश्चिमोत्तर से लेकर अफगानिस्तान, तक बोली जाती है पश्म-फ़ा० (पु० ) = पशम पश्मीना - फ़ा० (पु० ) = पशमीना
पश्यंती-सं० (स्त्री०) विशेष प्रकार की ध्वनि पश्यतोहर - I सं० (वि०) देखते-देखते चतुरता से कोई वस्तु चुरा लेनेवाला II (पु० ) स्वर्णकार, सुनार पसंगा-बो० (पु० ).
पासंग
पसंद - फ़ा० (वि०) 1 रुचिकर लगनेवाली 2 रुचि के अनुकूल (जैसे-यह कपड़ा मेरी पसंद का है) 3 वरण की हुई, चुनी हुई (जैसे- दर्शनशास्त्र मेरे पसंद का विषय है ) पसंदगी - फ़ा० (स्त्री०) पसंद आने का भाव पसंदीदा - फ़ा० (वि०) पसंद आनेवाला, पसंद किया हुआ पस - I फ़ा० अ० 1 अंत में, बाद में 2 पुनः, फिर 3 अतः, इसलिए 4 बेशक, निःसंदेह
पस - II अं० ( पु० ) जख़्म से निकलनेवाला लसीला तरल पदार्थ, मवाद पस-ग़ैबत-फ़ा० अ० ( क्रि० वि०) अनुपस्थिति में पसनी - बो० (स्त्री०) बच्चे को पहले-पहल अन्न चटाना,
+
अन्नप्राशन
पस-माँदा - फ़ा० (वि०) बचा हुआ, शेष पसर-I (पु० ) 1 आधी अंजलि 2 अंजलि में भरी हुई वस्तु पसर - II ( पु० ) 1 पशुओं के चरने की भूमि, चरागाह 2 चढ़ाई,
आक्रमण
पसरना - (अ० क्रि०) 1 लेटना 2 फैलना
पसरहट्टा - (पु० ) पँसरहट्टा
पसराना - (स० क्रि०) 1 फैलवाना 2 पसरने में प्रवृत्त करना पसली - (स्त्री०) स्तनपायी जीवों की छाती के दोनों ओर की गोलाकार हड्डियों में से प्रत्येक । फड़क उठना, ~फड़कना मन में उत्साह पैदा होना, जी में उमंग होना; पसलियाँ ढीली करना, पसलियाँ तोड़ना बुरी तरह पीटना पसा - ( पु० ) पसर I
पसाना - I (स० क्रि०) 1 पके हुए चावल से माड़ निकालना
2 जलीय अंश निकालना II (अ० क्रि०) प्रसन्न होना पसार - (पु० ) 1 पसरने की क्रिया 2 फैलाव, विस्तार पसारना - (स० क्रि०) 1 फैलाना (जैसे- भिखारी ने राजा के सामने झोली पसार दी) 2 आगे बढ़ाना (जैसे-प्रसाद के लिए हाथ पसारना ) 3 विस्तृत करना । अपने पैर पसारना
=
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पसिंजर
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पहलौठी 1 आराम के लिए लेटना 2 शक्ति के अनुसार कार्य करना; 3सावधान करनेवाली पहरेदार की आवाज़ (जैसे-कल रात में हाथ पसारना दीनता पूर्वक माँगना
पहरा नहीं सुनाई पड़ा)। देना रखवाली करना, निगरानी पसिंजर-अं० (पु०) यात्री। ~गाड़ी + हिं० (स्त्री०), ~ट्रेन करना; ~पड़ना पहरा दिया जाना; ~बदलना निश्चित समय (स्त्री०) सवारी गाड़ी
समाप्त होने पर दूसरे पहरेदार का आना; ~बैठाना पहरेदार पसीजना-(अ० क्रि०) 1 अति ताप के प्रभाव से जलकणों का नियुक्त करना; पहरे में रखना हिरासत में रखना; पहरे में निकलना 2 दया भाव उमड़ना, करुणार्द्र होना।
होना हिरासत में रखा जाना पसीना-(पु०) 1 गरमी लगने से शरीर से निकलनेवाले जल | पहरा-II (पु०) विशेष व्यक्ति के अस्तित्व, आगमन, सत्ता बिंद, स्वेद 2 अधिक श्रम करने से उत्पन्न जल कण, श्रम आदि का समय, पौरा जल। छूटना अत्यधिक परेशान होना, घबरा जाना; पहराना-(स० क्रि०) बो० = पहनाना पसीने-पसीने होना पसीने से तर होना
पहरावनी-(स्त्री०) 1 पहनावा 2 शुभ अवसर पर छोटों को दिए पसूज-(स्त्री०) सीधे टाँके
जानेवाले कपड़े पसूजना-(स० क्रि०) टाँके लगाना
पहरावा-बो० (पु०) = पहनावा पसेरी-(स्त्री०) 1 पाँच सेर का बाट, पंसेरी 2 पाँच सेर की तौल | पहरी-(पु०) पहरा देनेवाला व्यक्ति, पहरेदार (जैसे-दस पसेरी दाल लेते आना)
पहरुआ-बो० (पु०), पहरू बो० (पु०) - पहरी, प्रहरी पसेव-(पु०) 1 कच्ची अफीम को सुखाने से प्राप्त तरल पदार्थ पहरेदार-हिं० + फ़ा० (पु०) 1 चौक़ीदार 2 रक्षक (जैसे-देश 2 जलांश, पसीना
__ की सीमा के पहरेदार) पसोपेश-फ़ा (पु०) सोच-विचार, असमंजस (जैसे-अधिक | पहरेदारी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 चौकीदारी 2 चौकीदार का पसोपेश में पड़कर काम बिगड़ गया)
पद पस्त-फा० (वि०) 1 थका हुआ 2 हारा हुआ 3 दबा हुआ, पहल-I (पु०) 1 कोरों के बीच का तल, पार्श्व 2 पहल, बगल झुका हुआ। क़द + अ० (वि०) ठिंगना, नाटा; हिम्मत । 3 मोटी तह, परत। दार + फ़ा० (वि०) पहलोंवाला + अ० (वि०) हारा हुआ, हतोत्साह; -हिम्मती | पहल-II (स्त्री०) नए कार्य का पहली बार होनेवाला आरंभ। + अ + फ़ा० (स्त्री०) कम हिम्मती
क़दमी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) पहल, आरंभ पस्ती-फा० (स्त्री०) पस्त होने की अवस्था
पहलवान-I फ़ा० (पु०) 1 वह व्यक्ति जो कुश्ती लड़ना पहँसुल-(पु०) हँसिया के आकार का छोटा उपकरण सिखाए 2 मोटा-ताज़ा, हट्टा-कट्टा || (वि०) अत्यधिक पहवनवाना-(स० क्रि०) 1 पहचानने का काम कराना बलवान् और मोटा-ताज़ा पहचान-(स्त्री०) पहचानने की क्रिया 2 वस्तु के गुण-दोष, स्वाद | पहलवानी-I फ़ा० (वि०) 1 पहलवानों से संबंध रखनेवाला
आदि को जानने की शक्ति (जैसे-फल, वस्त्र, अनाज आदि 2 पहलवानों की तरह का II (स्त्री०) 1 पहलवान होने की की पहचान करना आसान नहीं है)
अवस्था 2 पहलवान का पेशा पहचानना-(स० क्रि०) 1 पूर्व परिचित वस्तु, व्यक्ति आदि को | पहला-(वि०) 1 समयानुसार जो आदि में हो (जैसे-राम देखते ही जान लेना
दशरथ की पहली संतान थे) 2 प्रारंभिक अंशवाला पहनना-(स० क्रि०) शरीर पर वस्त्र गहने आदि धारण करना (जैसे-पुस्तक का पहला अध्याय पढ़ो) 3 जो सबसे आगे बढ़
(जैसे-शादी में कीमती पोशाक पहनना भी एक शान है) गया हो (जैसे-उसने दौड़ में पहला स्थान पाया) 4 वर्तमान से पहनवाना-(स० क्रि०) 1 पहनाने में प्रवृत्त करना । पूर्व का, विगत (जैसे-अब पहला ज़माना कहाँ रहा) (जैसे-मालकिन ने नौकर से बच्चे को कपड़े पहनवाने को | पहलू-फ़ा० (पु०) 1 पार्श्व, बगल 2 करवट, बल कहा) 2 पहनने के लिए विवश करना
(जैसे-लेटने पर भी किसी पहलू आराम नहीं मिलता) पहनाई-(स्त्री०) 1 पहनने का ढंग 2 पहनने-पहनाने का 3 गुण-दोष की दृष्टि से कोई पक्ष (जैसे-युद्ध के सभी पहलुओं पारिश्रमिक
पर विचार करना) 4 समतल पृष्ठ, पहल (जैसे-इसका एक भी पहनाना-(स० क्रि०) धारण कराना (जैसे-आपको अंगूठी पहलू चौकोर नहीं है)। दार (वि०) जिसके कई पहलू पहनानी पड़ेगी)
हों। गरम करना शरीर से सटकर बैठना; ~गरम पहनाव, पहनावा-(पु०) 1 पोशाक 2 विशेष प्रकार का वेश कराना शरीर से सटाकर बैठाना; ~दबाना 1 आक्रांत कर 3 पहनने का विशेष वस्त्र
देना 2 पीछे हटाना; बचाना बगल से निकल जाना; पहपट-(पु०) 1 शोरगुल, हल्ला 2 निंदात्मक चर्चा, बदनामी। बसाना पड़ोस में जाकर रहना; ~में बैठना सटकर
बाज़ + फ़ा० (वि०/पु०) 1 शोरगुल मचानेवाला बैठना; ~में रहना बहुत करीब रहना। 2 छलिया, धोखेबाज़ 3 निंदा करनेवाला
पहले-(क्रि० वि०) 1 शुरू में, सर्वप्रथम 2 आगे, पूर्व पहर-(पु०) 1 समय 2 तीन घंटे का समय। -रात (स्त्री०) (जैसे-मकान के पहले शिव जी का मंदिर है) 3 पूर्व काल में रात के तीन घंटे का समय
(जैसे-पहले जैसा खान-पान अब नहीं रह गया)। ~पहल पहरना-(स० क्रि०) बो० = पहनना
(अ०) 1 सबसे पहले 2 जीवन में पहली बार (जैसे-मैंने पहरा-I (पु०) 1 आदमी, वस्तु आदि की सुरक्षा हेतु किसी पहले-पहल कुतुब मीनार देखा था) व्यक्ति को नियुक्त करने की स्थिति 2 रक्षक का रक्षा कार्य में | पहलौठा-(वि०) जो सबसे पहले जन्मा हो, प्रथम प्रसव लगा हुआ समय (जैसे-पहरे में यहाँ कौन आया था) | पहलौठी-(स्त्री०) बच्चा जनने की पहली क्रिया
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पहाड़
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पांडव
पहाड़-(पु०) 1 प्राकृतिक रूप से उठी हुई पृथ्वी तल के ऊपर | (जैसे-आपने ही मुझे अधिकारी के पद पर पहुँचाया है)
पत्थर, चूने आदि की बड़ी-बड़ी चट्टानें जो प्रायः ऊबड़-खाबड़ | 4 प्रविष्ट कराना रूप में होती हैं, पर्वत 2 वस्तु का बहुत बड़ा भारी ढेर | पहुँची-(स्त्री०) 1कलाई पर पहनने का गहना 2 कलाई पर 3 अत्यधिक कठिन कार्य की स्थिति (जैसे-आज के युग में पहना जानेवाला आवरण चार-पाँच लड़कियों की शादी करना पहाड़ ढकेलना है)। पहनाई-(स्त्री०) 1 अतिथि सत्कार, आतिथ्य सत्कार ~उठाना अत्यधिक भारी काम करना, बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी | 2 सेवा-सत्कार आदि कराने की क्रिया। ~करना दूसरों के लेना; ~काटना 1 विकट कार्य कर डालना 2 संकट दूर आतिथ्य पर सुख-चैन से दिन गुज़ारना करना; टूटना बहुत बड़ी विपत्ति आ पड़ना; ~से टक्कर | पहन्नी-(स्त्री०) लकड़ी चीरते समय चिरे हुए अंश के बीच लेना अपने से अधिक शक्तिशाली व्यक्ति से भिड़ना | लगाया जानेवाला पच्चर पहाड़ा-(पु०) अंक की गुणन-सूची (जैसे-चार का पहाड़ा याद पहेटना-(स० क्रि०) 1 पकड़ने के लिए पीछा करना 2 सान पर करो)
रगड़ना 3 अनुचित रूप से ले लेना पहाडिन-(स्त्री०) पहाड़ी औरत
पहेली-(स्त्री०) 1 प्रश्नात्मक उक्ति जिसमें बात का लक्षण पहाड़िया, पहाड़ी-I बोल (वि०) 1 पहाड़ संबंधी बतलाते हुए यह कहा जाता है कि बताओ वह कौन-सी बात है (जैसे-जंगलों से होकर एक पहाड़ी रास्ता गुज़रता है) 2 पहाड़ 2 कोई गूढ़ बात जिसका निराकरण सहजपूर्ण न हो। पर मिलनेवाला (जैसे-पहाड़ी जड़ी-बूटियाँ औषध मय होती ~बुझाना घुमाव-फिराव की बात जिससे लोग चक्कर में आ हैं) 3 पहाड़ पर रहनेवालों से संबंधित (जैसे-कश्मीर में पहाड़ी जाएं बोली भी बोली जाती है) II (प०) पहाड़ पर रहनेवाला पाँक-(पु०) = पंक व्यक्ति (जैसे-पहाड़ी चौकीदार बहुत जिंदादिल होता है) | पांक्तेय-सं० (वि०) पंक्ति में बैठनेवाला III (स्त्री०) छोटा पहाड़
पाँख-(पु०) = पंख पहिचान-(स्त्री०) = पहचान
पाँखी-(स्त्री०) 1 फतिंगा 2 पक्षी, चिड़िया पहिचानना-(स० क्रि०) = पहचानना
पाँगा-नोन-(पु०) समुद्री नमक पहिनना-(स० क्रि०) = पहनना
पाँच-I (वि०) जो चार से अधिक तथा छह से कम हो पहिया-(पु०) 1 धुरी पर घूमनेवाला गाड़ी, यान आदि का मुख्य II (पु०) पाँच की संख्या जो इस प्रकार लिखी जाती है-5 ।
आधार जिसके घूमने से गाड़ी आगे बढ़ती है, चक्का 2 यंत्र ~पंच (पु०) मुख्य-मुख्य लोग (जैसे-पाँच-पंच का कहना आदि में लगा हुआ गोलाकार चक्र (जैसे-इस मशीन में ही मान्य होगा); सात (वि०) बहत कम, थोड़े से; दाँतेदार पहिया लगा है)। कुर्सी + अ० (स्त्री०) पहिएदार ~साला + फ़ा० (वि०) पाँच साल का; पाँचों उँगलियां कुर्सी
घी में होना हर काम में सफलता प्राप्त होना; पाँचों सवारों में पहिरना-(स० क्रि०) = पहनना
नाम लिखाना ज़बरदस्ती अपने को श्रेष्ठ मनुष्यों में गिनना पहिला-(वि०) = पहला
पाँचजन्य-सं० (पु०) = पंचजन्य पहिले-(वि०) = पहले
पाँचवाँ-(वि०) पाँच के स्थान पर पड़ने वाला। सवार पहँच-(स्त्री०) 1 पहुँचने की क्रिया 2 पहँचने की शक्ति 3 पहँच बनना ज़बरदस्ती अपने को श्रेष्ठ लोगों में गिनना
जाने की खबर 4 समझने की सामर्थ्य 5 जानकारी 6 प्रवेश, | पाँचा-(पु०) पाँच दाँतोंवाला भूसा बटोरने के काम में पैठ
आनेवाला बेंटदार आला पहुँचना-(अ० क्रि०) 1 एक स्थान से चलकर दूसरे स्थान पर पांचाल-I सं० (वि०) 1 पंचाल देश का 2 पंचाल देश में
जाना (जैसे-रेलगाड़ी कानपुर से नागपुर पहँच गई) 2 उपस्थित | होनेवाला II (पु०) 1 पंचाल नाम का देश 2 पंचाल जाति के होना (जैसे-मुझे चार बजे अधिकारी के यहाँ पहुँचना है) | लोग 3 दक्ष, पारंगत (जैसे-वह चित्रकला में बहुत पहुँचा हुआ है) | पांचालिका-सं० (स्त्री०) : पंचालिका 4 प्राप्त होना, मिलना (जैसे-कल रात तक यह संदेश पहुँचना | पांचाली-सं० (स्त्री०) 1 पंचाल देश की स्त्री 2 पंचाल देश की अति आवश्यक है) 5 सीमा तक जाना (जैसे-आग मकान की | राजकुमारी एवं पाँचों पांडवों की पत्नी द्रौपदी छत तक पहुँच गई) 6 बराबर होना, समान होना (जैसे-सभी । पाँचेक-बो० (वि०) 1 पाँच के लगभग 2 थोड़े से लोग आसमान पर पहुँचना चाहते हैं) 7 प्रविष्ट होना, घुसना पाँजना-(स० क्रि०) धातुओं के टुकड़ों को जोड़ने हेतु टाँका 8 प्रभावित होना (जैसे-शरीर में गर्मी पहँच गई) 9 एक दशा लगाना, झालना से दूसरी दशा को प्राप्त होना
पाँजर-I (अ०) पास, समीप || (पु०) निकटता, सामीप्य पहुँचा-(पु०) कलाई, गट्टा। ~पकड़ना बलपूर्वक हाथ पांटून-अं० (पु०) पीपा (जैसे-पांटून ब्रिज) पकड़कर काम करने को मना करना; उँगली पकड़ के | पांडर-सं० (पु०) 1 कुंद का वृक्ष और फूल 2 सफ़ेद रंग।
कड़ना अनुकूल देखकर स्वार्थ सिद्धि हेतु उसके पीछे पड़ | वायस (पु०) सफ़ेद कौआ, असंभव बात जाना
पांडरेतर-सं० (वि०) सफ़ेद से भिन्न पहँचाना-(स० क्रि०) 1 वस्तु आदि को एक स्थान से दूसरे | पांडव-I सं० (वि०) पांडु संबंधी, पांडु का II (पु०) 1 पांडु स्थान पर ले जाना 2 थोड़ी दूर तक किसी के संग चलकर उसे | के पुत्र 2 पंजाब का एक प्राचीन प्रदेश 3 पांडु प्रदेश का छोड़ने जाना 3 विशिष्ट पद, अवस्था आदि तक ले जाना / निवासी
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पांडवायन
पांडवायन - सं० (पु० ) श्रीकृष्ण पांडित्य -सं० (पु० ) 1 पंडित होने की अवस्था 2 विद्वान् को होनेवाला ज्ञान, विद्वता । -प्रदर्शन (पु० ) विद्वता का दिखावा
करना
पांडु - I सं० (वि०) हल्के पीला रंग का II (पु० ) 1 सफ़ेद रंग 2 लालिमा युक्त पीला रंग 3 पीलिया । ता (स्त्री०) पीलापन; ~ रोग (पु० ) पीलिया नामक रोग; लिपि (स्त्री०) पुस्तक की हस्तलिखित प्रति; लेख (पु० ) मसविदा; लेखक (पु० ) पांडुलिपि लिखनेवाला; ~लेखन (पु०) पांडुलिपि का काम; वर्ण (वि०) पीला
रंग
पांडुर - I सं० (वि०) सफ़ेद, श्वेत II ( पु० ) 1 लालिमा युक्त पीला रंग 2 सफ़ेद रंग
पांडुरिमा - सं० (स्त्री०) हल्का पीलापन
पाँडे, पांडेय - (पु० ) 1 ब्राह्मणों की एक उपाधि 2 अध्यापक, शिक्षक
पाँत - (स्त्री०) 1 पंक्ति, कतार 2 पंगत 3 समूह पाँति - (स्त्री०) 1 एक साथ खानेवालों का समूह अवली 3 स्वजन वर्ग
2 कतार,
शाला
पांथ - I सं० (वि०) पथिक II ( पु० ) सूर्य। (स्त्री०) पथिकों के विश्राम हेतु ठहरने का स्थान, धर्मशाला आदि
पाँव - (पु० ) 1 पैर 2 कोई आधार (जैसे-मैं आपके पाँव सहारे खड़ा रह सकता हूँ अन्यथा मेरा कोई नहीं) । अड़ाना व्यर्थ दखल देना; उखड़ जाना युद्ध में न
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ठहर सकना;
~ उठाकर चलना तेज चलना; कट जाना 1 शक्ति नष्ट
हो जाना 2 चल बसना; -का खटका पैर की आहट की जूती तुच्छ सेवक की बेड़ी जंजाल, झंझट गाड़ना 1 जमकर खड़ा रहना 2 डटा रहना; घिसना थक जाना; जमना 1 दृढ़तापूर्वक स्थित रहना 2 स्थिति मजबूत होना; ~डिगना स्थिर न रह सकना; तले की धरती खसकना अत्यधिक घबड़ा जाना; तले की धरती सरक जाना स्तब्ध रह जाना; तोड़कर बैठना आना-जाना बंद कर देना; -तोड़ना थका देना; धरती पर न पड़ना, धरती पर न रखना घमंड में चूर रहना; धरना पदार्पण करना, पधारना; धोकर पीना 1 अत्यधिक सम्मान करना 2 चरणामृत लेना; (किसी के) न होना ठहरने की शक्ति न होना, दृढ़ता का अभाव होना; निकलना बदनामी होना; ~निकालना 1 मनमानी करना हैसियत से बढ़कर काम करना 3 बुरे कर्म में प्रवृत्त होना; पकड़ना 1 दीनता एवं विनय प्रकट करना 2 माफ़ी माँगना; पड़ना 1 दैन्य भाव से विनय करना 2 चरणों पर गिरना, पैर छूना 3 क्षमा याचना करना; पर पाँव रखकर बैठना बेख़बर होना, निश्चिंत रहना; पसारना 1 अधिकार करना 2 ठाट-बाट करना; ~पीटना 1 छटपटाना 2 परेशान होना; -पूजना 1 अत्यधिक आदर-सम्मान करना 2 विवाह में कन्या कुल के लोगों का वर का पूजन करना एवं कन्या दान में योग देना, वर पूजन करके कन्या वर को समर्पित करना; फूलना भय आदि के कारण ठिठकना; फेरने जाना विवाहिता का पहले-पहल ससुराल जाना; फैलाना 1 अधिक पाने के
2
पाउडर
बढ़ाना 1 और अधिक - बाहर निकलना पाँव होना; (किसी से) भी
लिए प्रयास करना 2 लोभ करना; गति में चलना 2 कब्ज़ा करना; निकलना भारी होना गर्भवती
न धुलवाना अति तुच्छ समझना; -में बेड़ी पड़ना जंजाल में फँसना में मेंहदी लगना काम करने हेतु बाहर न जाना; ~रोपना 1 प्रण करना, प्रतिज्ञा करना 2 शर्त लगाना; ~ लगना चरण स्पर्श कर प्रणाम करना; समेटना 1 पैर सिकोड़ना 2 अलग रहना; ~से पाँव बाँधकर रखना सदा अपने पास रखना
पाँवड़ा - (पु० ) 1 आदरणीय व्यक्ति के मार्ग पर बिछाया गया कपड़ा जिसपर वह पैर रखकर चलता है 2 पैर पोछने के लिए बिछाया गया कपड़ा, पाउंदाज, पाँवदान
पाँवड़ी, पाँवरी - (स्त्री०) 1 खड़ाऊँ 2 जूता 3 सीढ़ी. सोपान पांशन - I सं० (वि०) 1 कलंकित करने वाला, भ्रष्ट करनेवाला 2 दुष्ट II ( पु० ) अपमान, तिरस्कार
पांशु - सं० (स्त्री०) 1 धूलि, रज 2 बालू 3 गोबर की खाद । -ज (पु० ) पाँगा नमक
पांशुल - I सं. (वि०) 1 गर्द युक्त, धूल-धूसरित 2 अपवित्र 3] लंपट, व्यभिचारी II (पु० ) 1 व्यभिचारी पुरुष 2 पूरितकंज पांशुला -सं० (स्त्री०) व्यभिचारिणी. पंश्चली
पाँस - (स्त्री०) 1 राख, गोबर आदि की खाद 2 खमीर 3 शराब निकाला हुआ महुआ
पाँसना - (स० क्रि०) खेतों में खाद डालना पाँसा - (पु० )
- पासा
पाँसी - (स्त्री०) रस्सी की बनी हुई जाली पाइंट-अं (स्त्री०) देव प्वाइंट पाइका-अं (पु० ) 12 प्वाइंट टाइप
पाइट - (स्त्री०) बाँस आदि का बनाया गया वह ढाँचा जिस पर खड़े होकर राजगीर दीवार आदि बनाने एवं पलस्तर आदि का काम करते हैं।
पाइप - अंग (पु० ) 1 नल (जैसे- नल बंद हो गया) : नल जिसमें से होकर पानी एक स्थान से दूसरे स्थान को जाता है (जैसे-दस फुट का पाइप कुएँ में लगाया गया है) 3 तम्बाखू पीने की नली 4 बाँसुरी की तरह का बाजा। ~लाइन (स्त्री०) ज़मीन के अंदर दूर तक जानेवाली नल वाहिका पाइरिया-अं० (पु०) दाँत में कीड़ा लगने का रोग पाइलट-अं० (पु० ) वायुयान चालक पाईंबाग़- फ़ार (पु० ) घर के साथ लगा हुआ बाग़, नजरबाग़ पाई - 1 (स्त्री०) 1 खड़ी लकीर सीधी लकीर 2 हिंदी वाक्यों आदि के अंत में लगाया जानेवाला पूर्ण विराम का संकेत करनेवाली रेखा, पूर्ण विराम सूचक चिह्न पाई - II अं० (स्त्री०) कचौड़ी
पाई - III (स्त्री०) एक सबसे छोटा पुराना सिक्का (एक पैसे में तीन पाई होती थी)
पाउंड - I अं० (पु० ) इंग्लैंड तथा कुछ अन्य देशों की सबसे बड़ी मुद्रा
पाउंड- II अं० (पु० ) एक बाट जो लगभग 400 ग्राम का होता है पाउडर - अं० (पु० ) 1 चेहरे पर लगाया जानेवाला सुगंधित चूर्ण 2. बुकनी, चूर्ण
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पाक
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पाटला
पाक-[सं० (पु०) 1 भोजन आदि पकाने की क्रिया 2 पकाया अतिशयता में जो अविवेकी हो गया हो (जैसे-प्रेयसी के हुआ भोजन, रसोई II (वि०) 1 छोटा 2 प्रशंसनीय 3 जो वियोग में वह पागल हो गया है) 3 जिसे कुछ भी सुध-बुध न परिपृष्ट एवं पूर्ण अवस्था प्राप्त हुआ हो। ~गृह (पु०) हो, आसक्त हो गया हो (जैसे-तरुणी के रूप सौंदर्य को देखते रसोईघर; नैपुण्य (पु०) पकाने की दक्षता या निपुणता; ही वह पागल हो गया) 4 जो प्रायः विक्षिप्तों की तरह व्यवहार
-विज्ञान (पु०) = पाक कला; शाला (स्त्री०) = पाक करे (जैसे-तुम बिल्कुल पागल हो गए हो क्या)। खाना गृह; ~शास्त्र (पु०) = पाक कला
+ फ़ा० (पु०) वह स्थान जहाँ विक्षिप्त लोगों का उपचार पाक-फा० (वि०) 1 निर्मल, पवित्र 2 साफ़, स्वच्छ 3 निर्दोष किया जाता है; ~पन (पु०) 1 विक्षिप्त होने की अवस्था (जैसे-उस पाक दिल को व्यर्थ कलंकित करना पाप है)। 2 पागलों के समान किया जानेवाला आचरण 3 बेवकूफ़ी, -दामन (वि०) जिसका चरित्र बिल्कुल निष्कलंक हो; | मर्खता
दामिनी (स्त्री०) पाक दामन होने का भाव; ~साफ़ पागलिनी-(स्त्री०) पगली, विक्षिप्त स्त्री + अ० (वि०) 1 साफ़ सुथरा, निर्मल 2 निर्दोष, निष्पाप पागुर-बो० (पु०) जुगाली पाकठ-(वि०) 1 पका हुआ 2 दक्ष, होशियार 3 दृढ़, मजबूत पाचक-1 सं० (वि०) पाचन की क्रिया करनेवाला II (पु०) पाकना-[ (अ० क्रि०) पकना II (स० क्रि०) पकाना | 1पकानेवाला, रसोइया 2 पाचन शक्ति बढ़ानेवाली पाकर-(पु०) बरगद की तरह का एक प्रकार का बड़ा पेड़ पाचन-I सं० (पु०) पचाने की क्रिया 2 भोजन पचानेवाली पाकागार-सं० (पु०) - पाक गृह
औषध 3 भोजन का पचाया जाना 4 भोजन बनाना II (वि०) पाकाभिमुख-सं० (वि०) जो पक रहा हो
1 भोजन पकानेवाला 2 भोजन पचानेवाला। प्रणाली पाकिस्तानी-फ़ा० I (वि०) 1 पाकिस्तान का 2 पाकिस्तान में (स्त्री०) शरीर में खाने को पचाने की शक्ति 2 हाज़मा
होनेवाला II (पु०) पाकिस्तान में रहनेवाला व्यक्ति पाचनीय-सं० (वि०) 1 जो पचाया जा सके 2 जो पकाया जा पाकीज़गी-फ़ा० (स्त्री०) 1 सफ़ाई 2 शुद्धता 3 निर्दोषता सके पाकीज़ा-फ़ा० (वि०) 1 पवित्र, शुद्ध 2 निर्दोष
पाचिका-सं० (स्त्री०) रसोई बनानेवाली स्त्री पाकेट-अं० (पु०) जेब। खर्च + फ़ा० (पु०) जेब खर्च | पाच्य-सं० (वि०) = पाचनीय
-बुक (स्त्री०) जेब किताब: मनी (स्त्री०) जेब खर्च पाछ-I (स्त्री०) 1 चीरा लगाकर रक्त आदि निकालने की क्रिया ~मार - हिं० (पु०) गिरहकट. जेबकतरा; ~मारी + हिं० 2 किया गया घाव (स्त्री०) गिरहकटी; ~वाच (पु०) जेब घड़ी पाछ-II (पु०) पिछला भाग, पीछा पाक्य-[ सं० (वि०) 1 पकाये जाने योग्य 2 पचने योग्य पाछना-(स० क्रि०) हल्का घाव करना
II (पु०) 1 काला नमक 2 साँभर नमक 3 शोरा पाजामा-फ़ा० (पु०) कमर से एड़ी तक का भाग ढकनेवाला पाक्ष-I सं० (वि०) = पाक्षिक II (पु०) = पक्ष । एक प्रकार का सिला हुआ वस्त्र जिसके ऊपरी भाग के नेफे में
पातिक (वि.) 1 पक्षपात करनेवाला, फूट डालनेवाला नारा डालकर कमर में बाँधा जाता है (जैसे-चूड़ीदार पाजामा 2 पक्षपात रूप में होनेवाला
साफ़ कर देना) पाक्षिक-[ सं० (वि०) 1 जो एक पक्ष में एक बार होता हो । पाजी-I (पु०) 1 पैदल सिपाही, प्यादा 2 पैदल चलनेवाला 2 चांद्र मास के पक्ष से संबंध रखनेवाला 3 पक्षपात व्यक्ति II (वि०) दुष्ट, लुच्चा । —पन (पु०) दुष्टता, करनेवाला. तरफ़दार II (पुल) 1 बहेलिया 2 शिकारी बदमाशी पाखंड-सं० (प.) 1 आडंबर, ढकोसला 2 वेद विरुद्ध किया | पाजेब-फ़ा० (स्त्री०) नपूर, पायल जानेवाला आचरण 3 छल, वंचना 4 मिथ्या धर्माचरण, धर्म पाटंबर-सं० (पु०) रेशमी कपड़ा. रेशमी वस्त्र का झूठा आचार व्यवहार। -फैलाना आडंबरपूर्ण थोथे पाट-(पु०) 1 रेशम 2 रेशम का बटा हुआ महीन डोरा 3 रेशम उपाय करना, ढोंग रचना
का कीड़ा 4 पटसन 5 कपड़ा, वस्त्र 6 पीढ़ा 7 पत्थर की पटिया पाखंडी-सं० (वि०) 1 ढोंगी, छली 2 वेद विरुद्ध आचरण 8 तख्ता 9 चौड़ाई का विस्तार (जैसे-यमुना नदी का पाट गंगा
करनेवाला, वेद-निंदक 3 मिथ्या धर्माचरण करनेवाला, प्रवंचक नदी से अधिक है) 10 चक्की के दोनों पल्लों में से प्रत्येक । पाख-(पु०) 1 पंद्रह दिन का समय 2 चांद्र मास का कोई पक्ष कृमि + सं० (पु०) रेशम के कीड़े पालनेवाला 3पंख, पर
पाटच्चर-सं० (वि०) चुरानेवाला पाखर-(स्त्री०) युद्ध के हाथी-घोड़ों की रक्षा हेतु पहनाई पाटन-I (पु०) चीरने-फाड़ने, तोड़ने-फोड़ने की क्रिया जानेवाली लोहे की झूल 3 ज़ीन
II (स्त्री०) 1 पाटने की क्रिया 2 पटाव 3 दीवारों को पाटकर पाखाना-फा० (पु०) 1मल, ग 2 शौचालय। -निकलना बनाई गई छत 4 मकान के ऊपर का दूसरा खंड
अत्यधिक भयभीत होना; -फिरना मल त्याग करना | पाटना-(स० क्रि०) 1 गड्ढे आदि को समतल करना 2 मकान • लगना मल त्यागने की प्रवृत्ति होना
की छत बनाना 3 भरमार करना (जैसे-सारी दुकान कपड़ों से पाग-I (स्त्री०) पगड़ी
पाट दी गई है) पाग-II (पु०) 1 चाशनी 2 चाशनी में डुबाई मई मिठाई | पाटल-I सं० (पु०) 1 गुलाब 2 पाढर का वृक्ष II (वि०) पागना-I (स० क्रि०) चाशनी में डुबाना II (अ० क्रि०) 1 गुलाब का 2 गुलाब के रंग का। ~वर्ण (वि०) गुलाबी शराबोर, होना, मग्न होना
रंग का, गुलाबी पागल-(वि०) 1 बावला, विक्षिप्त 2 मनोविकार की | पाटला-I सं० (स्त्री०) 1 पाढर वृक्ष 2 जल कुंभी
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पाटला
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पात्र
पाटला-II (पु०) बढ़िया और साफ़ सोना
सके। -काल (पु०) पढ़ाई की अवधि; ~क्रम (पु०) पाटलिपुत्र-सं० (पु०) मगध की प्रसिद्ध ऐतिहासिक नगरी | निर्धारित विषय एवं उनकी पुस्तकें (जैसे-परीक्षा का पाठ्यक्रम पाटव-सं० (पु०) 1 पटुता 2 दृढ़ता 3 शीघ्रता, जल्दी बदल दिया गया है); - ग्रंथ (पु०) - पाठ्य पुस्तक; पाटा-(पु०) 1 काठ का पीढ़ा 2 लंबी धरन की तरह चर्या (स्त्री०) निर्धारित विषयों एवं तत्संबंधी पाठ्यक्रमों
आयताकार लकड़ी जिससे जुते हुए खेत की मिट्टी को समतल की विवरण पुस्तिका; पुस्तक (स्त्री०) पढ़ाई की पुस्तक; करते हैं (जैसे-किसान खेत में पाटा चला रहा है) सामग्री (स्त्री०) पढ़ने-लिखने की आवश्यक वस्तुएँ 3 आयताकार लकड़ी का छोड़ा टुकड़ा जो पलस्तर को समतल (जैसे-कापी-किताब, क़लम-दवात ये सभी पाठ्य सामग्री के करने के काम आता है पाटी-(स्त्री०) 1 पाठ, सबक 2 माँग पट्टी 3 पलंग आदि के | पाड़-(पु०) 1 धोती, साड़ी आदि का किनारा 2 मचान चौखट की लंबाई के बल की लकड़ी 4 चट्टान, शिला | 3 लकड़ी की ठठरी 4 तख्ता, टिकठी 5 बासों का ढाँचा 6 पाटा
पढ़ना 1 पाठ पढ़ना, सबक लेना 2 अनुचित बात ग्रहण | पाड़ा-I (वि०) 1 मुहल्ला, टोला 2 खेत की सीमा, हद करना; ~पारना, ~बैठाना सिर के बालों को कंघी से | II (पु०) भैंस का नर बच्चा, पड़वा संवारना
पाड़ी-(स्त्री०) 1 भैंस की बच्ची, पड़िया पाटी-सं० (स्त्री०) 1 परिपाटी, रीति 2 हिसाब, गणित शास्त्र पाढ़-(पु०) 1 पीढ़ा 2 पाटा 3 गहनों पर नक्काशी करने का एक 3 पंक्ति, श्रेणी। गणित (प्०) ग० ज्ञात अंकों की उपकरण सहायता से अज्ञात अंकों को जानने की विद्या
पाढ़ा-(पु०) छोटा बारहसिंघा जिसकी भूरे रंग की खाल पर पाठ-सं० (पु०) 1 पढ़नेवाला विषय 2 पढ़ने की क्रिया, पढ़ाई | सफ़ेद चित्तियाँ होती हैं, चित्रमृग 3 सबक (जैसे-पढ़ाया गया पाठ याद करके आना) 4 धर्म | पाण-सं० (पु०) 1 व्यापार, व्यवसाय 2 व्यापारी ग्रंथ पढ़ने की क्रिया (जैसे-पुत्र कामना हेतु रामायण पाठ पाणि-सं० (पु०) हाथ, कर। ~ग्रहण (प्०) 1 स्त्री को पत्नी करना)। दोष (पु०) शब्दों के वर्णो तथा वाक्यों के शब्दों रूप में स्वीकारने हेतु उसका हाथ पकड़ना 2 हिंदू विवाह की को भ्रामक योजना; ~पद्धति (स्त्री०) पढ़ने की रीति या ढंग; एक रस्म जिसमें वह भावी पत्नी का हाथ पकड़ता है; ~भेद (पु०) एक ही ग्रंथ की दो प्रतियों के पाठ में ~ग्रहणिक (पु०) विवाह संबंधी, विवाह के समय का; मिलनेवाला अंतर, पाठांतर, मिलान - हिं० (प०) एक ही ~गृहीत (वि०) हाथ पकड़ा हुआ, पत्नी रूप में स्वीकार कृति के पाठों को जाँचना; --विज्ञान (पु०) पाठालोचन; किया हुआ; ~~ग्राहक I (वि०) हाथ पकड़नेवाला, पत्नी
शाला (स्त्री०) जहाँ विद्यार्थियों को पढ़ना-लिखना बनानेवाला II (पु०) विवाह के समय कन्या का हाथ सिखाया जाए, स्कूल (जैसे-आजकल प्राथमिक पाठशालाएँ पकड़नेवाला वर जर्जर होती जा रही हैं)
पात-(पु०) 1 पत्ता, पत्र (जैसे-इक दिन तन-तरुवर के सभी पाठक-[सं० (वि०) 1पाठ पढ़नेवाला 2 पाठ करनेवाला पात झरि अँहे) 2 पत्ते के आकार का कान में पहना जानेवाला 3 पाठ पढ़ानेवाला II (पु०) 1 विद्यार्थी 2 अध्यापक गहना। पातों आ लगना पतझड़ होना, पतझड़ का समय 3 धर्मोपदेशक
आना पाठन-सं० (पु०) 1 पाठ पढ़ाना 2 पढ़कर सुनाना पात-सं० (पु०) 1 पतन 2 गिराने की क्रिया 3 उचित स्थान से पाठशालाीय सं० (वि०) पाठशाला का
नीचे आने की क्रिया (जैसे-अधःपात होना) 4 पड़ने की क्रिया पाठांतर-सं० (पु०) = पाठ-भेद
(जैसे-सौन्दर्य पर दृष्टिपात होते ही मैं मुग्ध हो गया) पाठांश-सं० (पु.) पाठ का एक भाग
पातक-I सं० (वि०) गिरानेवाला II (पु०) नरक में पाठा-I (स्त्री०) पाढ़ा नाम की लता II (वि०) 1 पट्ठा, __ गिरानेवाला पाप जवान 2 हृष्ट-पुष्ट III (पु०) 1 जवान बकरा 2 जवान बैल | पातकी-सं० (वि०) अत्यधिक पाप करनेवाला, घोर पापी 3 जवान भैंसा
पातन-सं० (पु०) गिराने की क्रिया पाठालय-सं० (पु०) = पाठशाला
पातव्य-सं० (वि०) जो गिराए जाने योग्य हो पाठालोचना-सं० (स्त्री०) 1 ग्रंथ के मूल एवं वास्तविक पाठ पाताल-सं० (पु०) 1 अत्यधिक गहरा और नीचा स्थान का वह रूप एवं निर्धारण जो छान-बीन करके निश्चित किया 2 पृथ्वी के नीचे कल्पित लोक । नाग लोक। ~गंगा (स्त्री०) जाता है 2 साहित्यिक क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान के द्वारा मूल भूगर्भ में बहनेवाली नदी; ~जल (पु०) ज़मीन के अंदर ग्रंथ के वास्तविक स्वरूप एवं कृति की विवेचना करना बहुत गहराई में मिलनेवाला पानी पाठावली-सं० (स्त्री०) अनेक पाठोंवाली पुस्तक
पातालीय-सं० (वि०) पाताल संबंधी पाठिक-सं० (वि०) जो मूल पाठ के अनुरूप हो, जो मूल | पाति-बो० (स्त्री०) 1 पाती, चिट्ठी 2 पत्ती पाठानुकूल हो
पातित-सं० (वि०) 1 गिराया हुआ 2 झुकाया हुआ पाठिका-[ सं० (वि०) 1 पाठ पढ़नेवाली 2 पाठ पढ़ानेवाली पातित्य-सं० (पु०) 1 गिरावट 2 अधः पतन
3 पाठ करनेवाली II (स्त्री०) पाठा, पाढ़ा । पातिव्रत, पातिव्रत धर्म-सं० (पु०) पति के प्रति होनेवाली पाठित-सं० (वि०) पढ़ाया हुआ .
पूर्ण निष्ठा भावना .. पाठी-सं० (वि०) पढ़नेवाला, पाठक
पातिव्रत्य-सं० (पु०) पतिव्रता होने की अवस्था पाठ्य-सं० (वि०) 1 जो पढ़ाया जाने योग्य हो 2 जिसे पढ़ा जा | पात्र-I सं० (पु०)-1 बरतन 2 पानी पीने का बर्तन 3 पानी रखने
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पात्री
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पानी
गण
6 अन्न
हालमन
साजन
का बरतन (जैसे-जल पात्र गिरने से टूट गया) 4 यज्ञ में काम पादाहति-सं० (स्त्री०) पैर से लगाई जानेवाली ठोकर आनेवाले उपकरण (जैसे-सभी यज्ञ पात्र साफ़ कर लेना) पादिक-[ सं० (वि०) जो वस्तु के चौथाई अंश के बराबर हो 5 उपन्यास, नाटक आदि में काम करनेवाले व्यक्ति II (पु०) किसी वस्तु का चतुर्थांश (जैसे-गोदान उपन्यास का प्रमुख पात्र होरी है, इस नाटक में पादी-[सं० (वि०) 1 पैरवाला 2 चार चरणोंवाला II (प०) कई पात्रों ने भाग लिया) II (वि०) जिसे योग्यता के कारण पैरोंवाला कोई जीव 2 चौथाई अंश का मालिक चुना जा सके। ~गण (पु०) पात्रों का समूह; ~ता पादुका-सं० (स्त्री०) 1 खड़ाऊँ 2 जूता 3 पैरों में पहनने का (स्त्री०) पद, कार्य आदि की योग्यता; ~परिचय (प०) कोई उपकरण, पद त्राण नाटक में आनेवाले पात्रों की पहचान; ~~वर्ग (पु०) = पात्र पादोदक-सं० (पु०) 1 वह जल जिसमें पाँव धुलाया गया हो,
चरणोदक 2 चरणामृत पात्री-I सं० (वि०)/(प्०) 1जिसके पास बर्तन हो, पाद्य-[सं० (वि०) पैर से संबंध रखनेवाला, पैर का II (पृ०) बर्तनवाला 2 जिसके पास सुयोग्य पात्र हो
पैर धोने के लिए रखा गया जल पात्री-II सं० (स्त्री०) 1 पात्र का स्त्री रूप 2 छोटा पात्र पाद्यार्घ-सं० (पु०) 1 हाथ-पैर धोने एवं धुलाने का जल 2 देव 3 साहित्यिक रचना का स्त्री पात्र 4 अभिनेत्री
पूजन की सामग्री पाथ-सं० (पु०) 1 जल 2 सूर्य 3 अग्नि 4 आकाश 5 वाय पाधा-(पु०) 1 उपाध्याय 2 आचार्य
पान-सं० (पु०) पीना (जैसे-मद्यपान स्वास्थ्य के लिए पाथना-(स० क्रि०) गीली मिट्टी आदि को थपथपाते हए हानिकारक है)। ~गोष्ठी (स्त्री०) मद्य पान करनेवालों की
छोटे-छोटे पिंड बनाना (जैसे-ईंधन के लिए गोबर पाथना) मंडली; दोष (पु०) शराब पीने की लत पाथेय-[सं० (वि०) पथ संबंधी, पथ का II (प०) रास्ते का पान-(पु०) 1 कत्था, चूना आदि लगाकर खाए जानेवाला एक भोजन
प्रसिद्ध लता का पत्ता, ताम्बूल 2 लगा हुआ पान का पत्ता, पाद-सं० (पु०) चरण, पैर। चारी I (वि०) 1 पैरों से । गिलौरी, बीड़ा। दान + फा० (पु०) = पनडब्बा; ~पत्ता
चलनेवाला 2 पैदल चलनेवाला II (पु.) प्यादा; ~क्षेप (पु०) 1 पान का पत्ता 2 पान आदि; ~खाने को देना (पु०) चलते समय पैर रखना; चिह्न (पु.) चलने से 1 रिश्वत, घूस देना 2 इनाम रूप में धन आदि देना; ज़मीन पर बने तलुवों के निशान; जI (वि०) पैर से उत्पन्न -खिलाना विवाह के विषय में वर पक्षवालों को वचन देना; II (पु०) शूद्र; टिप्पणी, ~टीका (स्त्री०) ग्रंथ के पृष्ठ -चीरना व्यर्थ का काम करना; ~फेरना पानों को के निचले भाग में सूचना एवं निर्देश हेतु लिखी गई बात, उलट-पुलटकर देखना; बनाना, लगाना गिलौरी तलटीप; तल (पु०) पैर का तलवा; दलित (वि०) = बनाना पद दलित; ~पथ (पु०) पैदल चलने का रास्ता; ~पीठ पानक-सं० (पु०) आम आदि को भूनकर बनाया गया (पु०), ~पीठिका (स्त्री०) पीढ़ा, चौकी; पूरण (पु०), खट-मीठा पेय पदार्थ, पना
पूर्ति (स्त्री०) 1 श्लोक आदि के चरण को पूरा करना पानड़ी-(स्त्री०) एक लता जिसकी पत्तियाँ पेय पदार्थों तथा 2 पाद पूर्ति वह अक्षर, शब्द जिससे किसी श्लोक पद की पूर्ति उबटन आदि में सुगंध हेतु डाली जाती हैं होती हो; ~प्रणाम (पु०) पाँव छूकर प्रणाम करना, साष्टांग पानप-सं० (पु०) शराबी, मद्यपी दंडवत्; प्रहार (पु०) लात मारना; विक्षेप (पु०) पैर पाना-(स० क्रि०) किसी वस्तु का अपने अधिकार में आना, घुमाना; शब्द (पु०) पैर की आहट
हासिल करना (जैसे-भाग्य से मैंने अच्छा घर, उसने पूवों से पादक-I सं० (वि०) खूब चलनेवाला II (पु०) छोटा पैर अच्छी खासी जायदाद पाई है) 2 प्राप्त होना, मिलना पादना-(अ० क्रि०) 1मलद्वार से शब्द करती हई वाय (जैसे-पुरस्कार पाने के लिए परिश्रम करना पड़ता है)
निकालना 2 खेल में भगाया एवं परेशान किया जाना 3 हस्तगत करना (जैसे-मैंने यह अँगूठी सड़क पर पड़ी पाई पादप-सं० (पु०) वृक्ष, पेड़
थी) 4 मानसिक उपलब्धि करना (जैसे-उसने विश्वविद्यालय पादरी-पु० (पु०) मसीही धर्मानुयायियों का धर्मगुरु, मसीही से उच्च शिक्षा पाई है) 5 जानकारी हासिल करना (जैसे-चोर धर्मोपदेशक। समुदाय + सं० (१०) मसीही धर्मोपदेशकों का पता पाना बहुत मुश्किल है) 6 अचानक किसी स्थिति में का संगठन या वर्ग
देखना सामना होना (जैसे-मैंने उन्हें बड़े कमरे में जुआ खेलते पादशाह-फा० (पु०) बादशाह, सम्राट
पाया) 7 भोक्ता बनना (जैसे-उसे कुकर्म की सज़ा पाना ज़रूरी पादशाही-I फ़ा० (वि०) बादशाह का II (स्त्री०) राज्य, है) 8 समर्थ होना 9 समान होना शासन
पानागार-सं० (पु०) शराब पीने की जगह पादांक-सं० (पु०) = पाद चिह्न
पानात्यय-सं० (पु०) अधिक मदिरापान से उत्पन्न रोग पादांत-सं० (पु०) पैर का अंतिम भाग
पानी-(पु०) 1 जल 2 जल का ऐसा रूप जो अन्य पदार्थ में से पादाक्रांत-सं० (वि०) पैरों से कुचला हुआ, पद दलित आपसे आप निकला हो (जैसे-शिव पिंड पर नारियल का पानी पादाग्र-सं० (पु०) पैर का अगला भाग
चढ़ा देना) 3 वर्षा, मेह (जैसे-कल रात में बहुत पानी बरसा पादाघात-सं० (पु०) = पाद प्रहार
था) 4 पानी की तरह गीला, ठंडा पदार्थ (जैसे-भोजन पादाति-सं० पैदल सिपाही, प्यादा
बिल्कुल पानी कर डाला) 5 पानी की तरह फीका पदार्थ . पादारविंद-सं० (पु०) चरण रूपी कमल, चरण कमल (जैसे-दूध निरा पानी हो गया) 6 पुरुष वीर्य 7 मान-प्रतिष्ठा की
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पानी
भावना, अभिमान, पुरुषत्व (जैसे- ऐसा व्यक्ति किस काम जिसमें कुछ भी पानी न हो) 7 पदार्थ का विशेष गुण जिसके कारण वह आभायुक्त बना रहता है (जैसे- हीरे का पानी) । ~कल (स्त्री०) जलकल; तराश + फ़ा० (पु० ) जहाज़ पैदे में लगी वह लकड़ी जो पानी को चीरती हुई आगे बढ़ती है; दार + फ़ा० (वि०) 1 जिसमें आभा हो, कांतिमय (जैसे- पानीदार हीरा अब नहीं मिलता) 2 पानी चढ़ाया हुआ (जैसे- पानीदार तलवार की धार बहुत तेज़ है) 3 मान-प्रतिष्ठावाला, स्वाभिमानी (जैसे-पानीदार आदमी की सभी क़द्र करते हैं); ~देवा I (वि०) तर्पण, श्राद्ध आदि करनेवाला II (पु० ) 1 पुत्र 2 अपने कुल का व्यक्ति; ~फल + सं० (पु०) सिंघाड़ा; रोक (वि०) जो पानी को इधर-उधर न जाने दे। उठाना 1 पानी सोखना 2 पानी अटाना; उतरना 1 पानी घटना 2 आब कम होना; ~करना सहज कर डालना; काटना 1 बाँध काटना 2 मेड़ काटना 3 डाँड़ से पानी चीरना; का बताशा, का बुलबुला जो तुरंत नष्ट हो जाए वह पदार्थ, क्षण भंगुर पदार्थ; ~के मोल बहुत सस्ता; चढ़ाना चमक लाना; छानना चेचक की बीमारी में पानी छानने का एक कृत्य; छूना आबदस्त लेना; जाना अपमानित होना; दिखाना चौपायों को पानी पिलाना; देना 1 तर्पण करना 2 सींचना; ~न माँगना तत्काल मर जाना; -न रह जाना इज़्ज़त खाक
में मिल जाना; ~ निकलना वर्षा बंद होना; पड़ना वर्षा होना पड़ा जिसमें कसावट न हो, ढीलाढाला; पर नींव डालना कार्य, आयोजन आदि का स्थिर न होना, स्थायित्व का अभाव होना; पर लकीर खींचना बेकार काम करना; यानी करना 1 अत्यधिक लज्जित करना, लजवाना 2 क्रोध शांत करना; पानी होना बहुत लज्जित होना, झेंपना; ~पीकर जाति पूछना काम करने के बाद उसके औचित्य पर विचार करना; पी पीकर कोसना बहुत देर तक कोसना; ~फिरना चौपट होना, बरबाद होना; फेरना, फेर देना चौपट कर देना; बचाना, रखना मर्यादा की रक्षा करना; ~बाँधना बाँध आदि के द्वारा पानी को रोक रखना; भरना 1 अत्यधिक तुच्छ सिद्ध होना 2 फीका पड़ना; भरी खाल क्षणभंगुर शरीर; मरना 1 बेइज्ज़ती होना 2 पानी जज्ब होना; मारना दोषी ठहराना में आग लगाना 1 असंभव कार्य कर डालना 2 जहाँ लड़ाई-झगड़े की संभावना न हो वहाँ भी झगड़ा करवा देना; में फेंकना, में बहाना नष्ट कर देना, बरबाद कर देना; लगना 1 पानी जम जाना 2 पानी से दाँतों में टीस होना; ~लेना बेइज़्ज़त करना; से पतला 1 अति तुच्छ 2 बदनाम 3 आसान से पहले पुल बाँधना अनागत विपत्ति का पहले से ही प्रतिकार करने लगना, अनिष्ट संभावना न होने पर भी आशंकावश सुरक्षा का उपाय करना; ~ से पहले मोजा उतारना = पानी से पहले पुल बाँधना होना 1 धातु आदि का तरल अवस्था में परिणत होना; 2 क्रोध शांत होना
पानीपत – (पु० ) 1 दिल्ली से उत्तर की ओर स्थित एक नगर
2 दिल्ली के उत्तर ओर स्थित नगर के समीप का एक प्रसिद्ध क्षेत्र जहाँ अनेक बड़े-बड़े युद्ध हो चुके हैं। पानीय - I सं० (वि०) जो पीने योग्य हो II (पु०) पीने के
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पाम आयल
काम आनेवाला पदार्थ
पाप - I सं० (पु० ) 1 धर्म एवं नीति विरुद्ध किया जानेवाला आचरण, गुनाह (जैसे-गो हत्या जघन्य पाप है) 2 अपराध, क़सूर (जैसे- भगवान् मुझे किस पाप की सज़ा देते हो) 3 अनिष्ट, अहित 4 बुरी बुद्धि (जैसे- किसी पर कुदृष्टि डालना पाप को जन्म देता है) II (वि०) 1 पाप करनेवाला, पापी (जैसे- न जाने कहाँ से घर में पाप ने जन्म ले लिया) 2 दुराचारी 3 दुष्ट, पाजी 4 कमीना, नीच कर्म I ( पु० ) बुरा एवं निंदनीय कार्य II (वि०) पापी; कर्मी (वि०) पाप करनेवाला, पापी ग्रह (पु० ) कष्ट एवं दुःख देनेवाले अशुभ ग्रह; दर्शी (वि०) बुरी निगाहवाला; दृष्टि I (वि०) 1 अशुभ दृष्टिवाला 2 पाप दृष्टि से देखनेवाला II (स्त्री०) 1 पाप पूर्ण दृष्टि 2 कुदृष्टि नाशी (वि०) पाप नाश करनेवाला बुद्धि (वि०) जो सदा पाप कर्म में रत हो; -मति (वि०) सदा पापाचार करनेवाला, पोपचेता; ~मोचन (पु० ) पाप को नष्ट करना; रहित (वि०) जो पाप से दूर हो, जिसने कोई पाप न किया हो; ~लोक (पु०) 1 नरक 2 जहाँ पापकर्मों की अधिकता हो; वासना (स्त्री०) पाप करने की भावना; विनाशन (वि० ) पापमोचन ~ शील (वि०) पाप में लिप्त शोधन (पु० ) पापनिवारण; उदय होना दुर्दशा के दिन आना; कटना पाप का अंत होना; -काटना पाप को नाश करना; की गठरी जन्म भर के सब पाप; बटोरना पापमय कार्य करना, दुष्कर्म करना; ~ मोल लेना जान-बूझकर बखेड़े आदि में पड़ना; - लगना पाप का भागी होना पापन-सं० (वि०) पाप का नाश करनेवाला
पापड़ - I (पु०) आलू, उर्द की दाल आदि को उबालकर एवं पीसकर बनाई गई मसालेदार पतली चपाती जिसे तलकर, भूनकर खाया जाता है II (वि०) 1 पापड़ की तरह पतला 2 पापड़ की तरह सूखा एवं भुरभुरा पापमय-सं० पापयुक्त
पापा- (पु० ) जौ, बाजरे आदि में लगनेवाला एक तरह का बरसाती कीड़ा
पापा- फ़ा० (पु०) बाप, पिता पापाचार - I
सं० (वि०) पापपूर्ण आचरण करनेवाला; पापी II (पु०) पापपूर्ण आचरण पापाचारी-सं० (वि०) पापकर्म करनेवाला पापात्मा-सं० (वि०) घोर पापी, बहुत बड़ा पापी पापिष्ठ-सं० (वि०) 1 सबसे बड़ा पापी 2 अति पापी, अत्यंत
पापमय
पापी - I सं० (वि०) 1 पाप में रत रहनेवाला, पापानुरक्त,
पातकी 2 निर्मोही, निर्दय II ( पु० ) पाप करनेवाला व्यक्ति पापोश - फ़ा० (स्त्री०) जूता उपानह
पाबंद - फ़ा० (वि०) 1 बंधन में पड़ा हुआ 2 नियम, वचन आदि का पालन करनेवाला (जैसे वह समय का बहुत पाबंद है) 3 जिसके पैर बँधे हुए हों II (पु० ) नौकर
सेवक
पाबंदी - फ़ा० (स्त्री) 1 पाबंद होने की अवस्था, बद्धता 2 नियम, सिद्धांत आदि को पालने की ज़िम्मेदारी पाम आयल-अं० (पु० ) गरी का तेल
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पामर
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पारशव
पामर सं० (वि०) 1 अत्यधिक दुष्ट एवं नीच, अधम 2 पापी दिखानेवाला, पारदर्शक; ~देशिक I (वि०) दूसरे देश का, 3 नीच कुल में उत्पन्न हुआ
विदेशी II (पु०) 1 दूसरे देश का निवासी 2 यात्री; ~द्रष्टा पामरी-(स्त्री०) उपरना, दुपट्टा
(वि०) पारलौकिक बातों को भी जान सकनेवाला; पत्र पामाल-फा० (वि०) 1 तबाह, बरबाद 2 पद-दलित (पु०) विदेशों में जाने हेतु दिया जानेवाला अनुज्ञा पत्र; पायँचा-(पु०) पायजामें की टाँग
~प्रेषण दूर भेजना; ~बैंगनी +हिं० = पार नील लोहित; पायंट-1 अं० (स्रो०) = पाइंट I
~वहन (पु०) एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने की पायंट-II अं० (स्त्री०) - पाइंट II
क्रिया, भाव; ~उतरना 1 नदी के उस पार जाना 2 कार्य पायँता-(पु०), पायँती (स्त्री०) 1 पैताना 2 वह दिशा जिधर समाप्त करके छुट्टी पाना 3 कार्य में सफलता प्राप्त करना पैर फैलाकर सोया जाए
4 भवबंधन से मुक्त होना; ~उतारना 1 दूसरे किनारे पुहँचाना पाँयते-(क्रि० वि०) पैताने की ओर, पैताने
(जैसे-केवट राज मुझे उस पार उतार देना) 2 उद्धार करना; पायखाना-फ़ा० (पु०) - पाख़ाना
पाना अंत का पहुँचना; ~लगाना 1 उद्धार करना 2 नदी पायजेब-फ़ा० (स्त्री०) = पाजेब
के पार पहुँचाना पायठ-(स्त्री०) = पाइट
पारखी-(पु०) परखने की योग्यता रखनेवाला व्यक्ति पायतख्त-फ़ा० (पु०) राजधानी
पारग-सं० (वि०) 1 पार जानेवाला 2 विषय का पूरा जानकार पायताना-(पु०) - पायता
3 काम पूरा करनेवाला पायताबा-फ़ा० (पु०) मोजा, पातावा
पारचा-फा० (पु०) 1 टुकड़ा, खंड 2 कपड़ा, वस्त्र 3 रेशमी पायदान-फ़ा० (पु०) - पावदान
कपड़ा 4 पोशाक, पहनावा पायदार-फ़ा० (वि०) टिकाऊ और मज़बूत
पारण-सं० (पु०) 1 पार करने की क्रिया 2 पार ले जाने की पायदारी-फा० (स्त्री०) दृढ़ता एवं मज़बूती
क्रिया 3 उपवास के बाद भोजन 4 व्रत के बाद का पहला पायन-सं० (पु०) पिलाने की क्रिया
भोजन करने की क्रिया 5 उत्तीर्ण होना। ~पत्र 1 स्थान, पायना-सं० (स्त्री) 1 सींचना 2 तर करना 3 सान धरना सभागृह आदि के भीतर एवं बाहर आने-जाने का अनुमति पत्र पायनियर-अं० (पु०) अग्रणी, अग्रदूत
2 यात्रा करने का अनुमति पत्र पायमाल-फ़ा० (वि०) . पामाल
पारणक-सं० (वि०) पारण करनेवाला पायरा-(पु०) घोड़े की ज़ीन
पारणीय-सं० (वि०) पारण के योग्य पायल-1 (स्त्री०) 1 पैर में पहनने का घुघरूदार गहना, पाजेब । पारतंत्र्य-सं० (पु०) परतंत्रता 2 नूपुर II (वि०) जन्म के समय जिसके पैर बाहर निकले पारत्रिक-सं० (वि०) पारलौकिक
पारद-सं० (पु०) पारा पायलट-अं० (पु.), पाइलट
पारदिक-सं० (वि०) पारे से संबंधित पायस-सं० (पु०) खीर
पारधि, पारधी- I (पु०) 1 बहेलिया, व्याध 2 शिकारी पाया-फा० (पु०) 1 पावा, पेर (जेस-पलंग का पाया टूट गया 3वधिक है) 2 खंभा, स्तम्भ 3 बुनियाद, नींव 4 दरजा, पद 5 घोड़ों के । पारधी-II (स्त्री०) आड़, ओट । ~पड़ना आड़ में होकर कुछ पैर का रोग। ~बुलंद होना पदोन्नति होना
देखना-सुनना आदि पायी-सं० (वि०) पीनेवाला (जैसे-स्तनपायी प्राणी हर तरह की पारना-(स० क्रि०) 1 गिराना 2 डालना 3 लेटाना 4 पछाड़ना जलवायु में रह सकते हैं)
पारमाण्विक-सं० (वि०) = परमाणु संबंधित पायेदार-फ़ा० (वि०) - पायदार
पारमारिक-सं० (वि०) 1 परमार्थ संबंधित, परमार्थ का पायोनियर-अं० (पु०) : पायनियर
(जैसे पारमार्थिक ज्ञान सबको सुलभ नहीं हो सकता) पारंगत-सं० (वि०) 1 अत्यधिक ज्ञान प्राप्त करनेवाला 2 जो | 2 परमार्थ का शुभ फल दिलानेवाला (जैसे-पारमार्थिक कृत्य पार जा चुका हो
निरा आसान नहीं है पारंगामिता-सं० (स्त्री०) पार जाने की सामर्थ्य
पारमार्थ्य-सं० (१०) 1 परमार्थ की योग्यता, परमार्थ का गण पारंपरिक-सं० (वि०) परंपरागत
2 परम सत्य पार-I सं० (पु०) 1 नदी, समुद्र आदि का दूसरी ओर का पारमिक-सं० (वि०) 1 मुख्य, प्रधान 2 उत्तम, सर्वश्रेष्ठ 3 परम किनारा 2 वस्तु आदि का दूसरा किनारा 3 वस्तु के दो किनारों में पारमिता-सं० (स्त्री०) सीमा, हद से एक 4 बात, काम आदि का छोर, सिरा (जैसे-उनकी पारमेश्वर-सं० (वि०) परमेश्वर संबंधी करतूतों का कोई आर-पार नहीं है) || (क्रि० वि०) अलग पारलौकिक-1 सं० (वि०) परलोक संबंधी, परलोक का और दूर (जैसे-मझे संकट में डालकर वो पार हो गए)। II (पु०) अंत्येष्टि क्रिया ~गत (वि०) - पारंगत; ~गमन (पु०) एक स्थान से पारवर्ग्य-सं० (वि०) अन्य वर्ग से संबंध रखनेवाला दूसरे स्थान पर जाने की क्रिया; दर्शक (वि०) 1 जिसमें से पारवश्य-सं० (पु०) = परवशता दूसरी तरफ़ की वस्तु आदि को देखा जा सके 2 पारदर्शी, पारशव-[सं० (पु०) 1 लोहा 2 ब्राह्मण पिता एवं शूद्र माता से
दर्शकता, ~दर्शिता (स्त्री०) आर पार देखने की उत्पन्न पुत्र 3 पराई स्त्री के गर्भ से उत्पन्न करके प्राप्त किया हुआ अवस्था; ~दी (वि०) 1 दृरदर्शी 2 दूसरे किनारों को । पुत्र II (वि०) लौह संबंधी
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पारस
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पावण
स्वान
पारस-I (पु०) 1 लोहे से सोना बनानेवाला एक कल्पित पत्थर | के अनुरूप किया गया हो 2 बहुत लाभदायक और उपयोगी वस्तु
पारिस्थितिकी-सं० (स्त्री०) परिस्थिति संबंधी विज्ञान पारस-II (पु०) फ़ारस, ईरान का पुराना नाम
पारिस्थितीय-सं० (वि०) = पारिस्थितिक पारसल-अं० (पु०) डाक, रेल आदि द्वारा किसी के नाम भेजी पारिहारिक-I सं० (वि०) 1 हरण करनेवाला 2 घेरनेवाला जानेवाली वस्तु
II (पु०) 1 हरण करनेवाला व्यक्ति 2 हार आदि तैयार पारसा-फा० (वि०) पवित्र एवं शुद्ध चरित्र एवं उदात्त करनेवाला व्यक्ति विचारोंवाला, धर्मात्मा एवं सदाचारी
पारिहास्य-सं० (पु०) - परिहास पारसाल-फ़ा० (पु०) 1 गत वर्ष 2 आगामी वर्ष
पारी-(स्त्री०) 1 अवसर, बारी (जैसे-अभी मेरी पारी नहीं आई पारसी-I फ़ा० (पु०) फ़ारस देश का रहनेवाला व्यक्ति (वि०) है) 2 पाली फ़ारस देश से संबंध रखनेवाला, फ़ारस का
पारुष्य-सं० (पु०) परुष होने की अवस्था, परुषता पारस्परिक सं० (वि०) आपस का, आपसी (जैसे-पारस्परिक पारेषक-I सं० (वि०) भेजनेवाला II (पु०) विद्युत द्वारा
सहायता के बिना काम नहीं होगा! ~ता (स्त्री०) पारस्परिक समाचार भेजनेवाले यंत्रों के वे अंग जिससे समाचार भेजे जाते होने का भाव पारा-(पु०) प्रसिद्ध चमकदार एवं सफ़ेद धातु जो आनुपातिक | पारेषण-सं० (पु०) भेजना तौर पर बहुत वजनी होता है तथा साधारण गर्मी एवं सरदी में पारेषित-सं० (वि०) भेजा हुआ द्रव रूप में रहता है, पारद । चढ़ना गुस्से से बेहाल होना; | पारोक्ष-सं० (वि०) 1 रहस्यमय 2 गुप्त 3 अस्पष्ट
-पिलाना 1 पारा भरना 2 अत्यधिक भारी करना पारोक्ष्य-सं० (पु०) रहस्य पारापार-सं० (पु०) 1 समुद्र 2 इधर और उधर का किनारा | पार्क-अं० (पु०) सार्वजनिक उपवन पारायण-सं० (पु०) 1 धार्मिक ग्रंथ का किया जानेवाला पाठ | पार्किंग-अं० (स्त्री०) गाड़ी ठहरना; ~प्लेस (पु०) गाड़ी 2 अनुष्ठान की समाप्ति
ठहरने का स्थान पारावत-सं० (पु०) पर्वत, पहाड़
पार्ट-अं० (पु०) 1 अंश, हिस्सा 2 कर्तव्य का निर्वाह । पारावार-सं० (पु०) समुद्र
टाइम (वि०) अल्प कालिक पारिज-अं० (पु०) दलिया
पार्टनर-अं० (पु०) भागीदार, साझीदार पारिजात-सं० (पु०) 1 हरसिंगार का वृक्ष 2 कचनार 3 फरहद पार्टनरशिप-अं० (स्त्री०) हिस्सेदारी, भागीदारी 4 सुगंध
पार्टी-1 अं० (स्त्री०) 1 दल, मंडली (जैसे-समाजवादी पाई पारिणामिक-सं० (वि०) 1 परिणाम संबंधी 2 जिसका के सिद्धांत बहुत अच्छे हैं) 2 वादी पक्ष 3 प्रतिवादी। तोड़क विकास हो सके 3 जो पचाया जा सके
+हिं० (वि०) दल को बिगाड़नेवाला; ~~द्रोही +सं० (वि. पारिणाह्य-सं० (पु०) घर गृहस्थी के सामान
दल में फूट डालनेवाला; ~प्रोग्राम (पु०) दल का कार्यक्रम, पारित-सं० (वि०) 1 जिसका पारण हुआ. हो 2 जो उत्तीर्ण हो बाज़ी + फा० (स्त्री०) दलबंदी, गुटबंदी; ~मेंबर (पु० ) गया हो 3 जो स्वीकृत किया जा चुका हो
दल के सदस्य; संगठन + सं० (पु०) दल का गठम । पारितोषिक-सं० (पु०) पुरस्कार, इनाम। ~वितरण (पु०) सदस्य +सं० (पु०) = पार्टी मेंबर पुरुस्कार बाँटना
पार्टी-II अं० (स्त्री०) प्रीतिभोज पारिध्वजिक-सं० (पु०) झंडा लेकर चलनेवाला व्यक्ति पार्थ-सं० (पु०) अर्जुन पारिपार्श्व, पारिपार्श्विक-सं० (१०) अनुचर, सेवक पार्थक्य-सं० (पु०) 1 पृथक होने की अवस्था 2 अंतर पारिप्लव-I सं० (वि०) 1 तैरनेवाला 2 हिलने-डुलनेवाला, | ___3 जुदाई। ~वाद (पु०) अलगाववाद
लहरानेवाला || (पु०) 1 अस्थिरता 2 विकलता 3 नाव, पार्थिव-I सं० (वि०) 1 पृथ्वी से संबंध रखनेवाला 2 पृथ्वी से जलयान
उत्पन्न 3 पृथ्वी पर शासन करनेवाला 4 पृथ्वी पर उत्पन्न वस्तुओं पारिभाव्य-सं० (पु०) जमानत करने की अवस्था
से बना हुआ II (पु०) 1 काया, देह, शरीर 2 पृथ्वी से उत्पन्न पारिभाषिक-सं० (वि०) परिभाषा संबंधी
पदार्थ पारिभाषिकी-सं० (स्त्री०) पारिभाषिक शब्दों की सूची पार्यतिक-सं० (वि०) अंतिम पारिमिता, पारिमित्य-सं० (प०) सीमा, हद
पार्याप्तिक-सं० (वि०) पर्याप्त, यथेष्ट पारिमुखिक-सं० (वि०) 1 जो मुख के सामने हो 2 जो समीप | पार्लमेंट-अं० (स्त्री०) संसद
पार्लमेंटरी-अं० (वि०) संसद संबंधी. संसदीय पारिवारिक-सं० (वि०) 1 परिवार से संबंध रखनेवाला पार्लर-अं० (पु०) कक्ष, कमरा 2 परिवार का (जैसे-पारिवारिक झंझटों से वह परेशान हो चुका पार्लामेंट-अं० (स्त्री०) - पार्लमेंट; ~वाद सं० (पु०) .
पार्लमेंटगीरी पारिशेष्य-स० (पु०) शेष, बचा हुआ पदार्थ आदि पार्लमेंटी-अं०+हिं० (वि०) - पार्लमेंटरी पारिश्रमिक-सं० (पु०) मज़दूरी, उजरत
पार्वण-[ सं० (वि.) 1 पर्व पर होनेवाला 2 अमावस्या पर पारिषद-सं० (पु०) परिषद का सदस्य
किया जानेवाला II (प्०) 1 अमावस्या पर किया जानेवाला पारिस्थितिक-सं० (वि०) 1 परिस्थिति संबंधी 2 जो परिस्थिति | श्राद्ध 2 पर्व पर किया जानेवाला श्राद्ध
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पार्वत
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पाली
पार्वत-सं० (वि०) 1 पहाड़ पर होनेवाला 2 पहाड़ पर | पालकी-(स्त्री०) एक प्रकार की प्रसिद्ध सवारी जिसे कहार रहनेवाला 3 जहाँ पहाड़ हो ।
अपने कंधे पर उठाकर चलता है। ~गाड़ी (स्त्री०) पालकी पार्वतिक-सं० (पु०) पर्वतमाला, पर्वत श्रेणी
के आकार की घोडागाड़ी पार्वती-सं० (स्त्री०) हिमालय पर्वत की पुत्री, गिरिजा पालट-I (पु०) गोद लिया हुआ लड़का, दत्तक पुत्र पार्वत्य-सं० (वि०) = पार्वत
पालट-II (पु०) 1 पलटने की क्रिया, पलट 2 पटेबाजी में एक पार्श्व-सं० (पु०) 1 छाती के दाहिने और बाएँ भागों में से प्रकार का प्रहार
प्रत्येक भाग, बगल 2 अगल-बगल की जगह 3 सामीप्य | पालतू-(वि०) जो पकड़कर पाला गया हो (जैसे-गाय एक 4 हाशिया 5 वस्तु के क्षेत्र का वह अंग जो एक ओर पडता हो | पालतू पशु है) 6 पंजर, पाँजर। ~आकृति (स्त्री०) एक तरफ़ का चित्र; पालथी-(स्त्री०) = कमलासन, पद्मासन
~गत [ (वि०) बगल में आया हआ || (पु०) जिसकी | पालन-सं० (पु०) 1 भरण-पोषण करने की क्रिया 2 आज्ञा, रक्षा की गई हो; चर (वि०) पास में रहकर साथ कर्तव्य आदि का निर्वाह 3 पशु आदि को पालकर उनके वंश, चलनेवाला; टिप्पणी (स्त्री०) हाशिये में लिखी गई सामर्थ्य एवं उपज आदि को बढ़ाने का काम (जैसे-कृषि के टिप्पणी; नायक (पु०) 1 एक साथ अभिनय आदि लिए पशु पालन करना, अंडा हेतु मुर्गीपालन करना)। करनेवाला, सहनायक 2 वायुसेना के दो-तीन दस्तों की बनी ~पोषण (पु०) पालना पोसना . टुकड़ी का नायक; ~भूमि (स्त्री०) बग़ल की भूमि, पालना-I (स० क्रि०) 1 पालन करना, भरण-पोषण करना आस-पास की ज़मीन; रक्षक (वि०) अंगरक्षक; पार्श्व | 2 व्यवहार करना, आचरण करना 3 खिलाना-पिलाना की रक्षा करनेवाला; ~शूल (प०) पाँजर में होनेवाला दर्द (जैसे-खेती के लिए गाय-बैल आदि पशुओं को पालना पड़ता 2 पार्श्वदेश में होनेवाली सूजन; संगीत (पु०) चल चित्र है) 4 रक्षा करना। में परोक्ष रूप में गाया जानेवाला गाना 2 अभिनय के | पालना-II (पु०) छोटा झुला, हिंडोला साथ-साथ परोक्ष रूप में होनेवाला संगीत
पालनीय-सं० (वि०) पालन करने योग्य पार्श्वक सं० (पु०) वह चित्र जिसमें किसी आकृति का एक ही पालयिता-सं० (पु०) पालन-पोषण करनेवाला पार्श्व दिखलाया गया हो
पाला- [ (पु०) हवा में मिले हुए भाप के सूक्ष्म कण जो पार्श्वग-[ सं० (वि०) 1साथ में रहनेवाला 2 साथ में । अधिक ठंड पड़ने पर सफ़ेद तह के रूप में पेड़-पौधों आदि पर चलनेवाला II (१०) नौकर, सेवक
जम जाते हैं, तुषार (जैसे-पाला गिरने से सारी फ़सल नष्ट हो पार्श्ववर्ती-सं० (वि०) पास रहनेवाला
गई) 2 अत्यधिक ठंड। -पड़ना बुरी तरह नष्ट हो जाना पार्श्वस्थ-सं० (वि०) जो पार्श्व में स्थित हो
पाला-II (पु०) किसी प्रकार के व्यवहार का अवसर, पाश्र्वागत-सं० (वि०) = पार्श्वगत
सानिका। -पड़ना साबिका होना, काम पड़ना पाश्वासन्न-सं० (वि०) पार्श्व में बैठा हुआ
पाला-III (पु०) 1 कोठला 2 अखाड़ा 3 कबड्डी आदि पार्वा स्थि-सं० (स्त्री०) पसली
खेलों में अलग-अलग निर्धारित क्षेत्र (जैसे-हमारे पाले में पाविक-सं० (वि०) पार्श्व संबंधी
आने के लिए हिम्मत चाहिए) पार्षद-सं० (स्त्री०) परिषद्, सभा
पालागन-(स्त्री०) पैर छूने की क्रिया, चरण-स्पर्श पार्सल-अं० (पु०) - पारसल
पालाश-[ सं० (वि०) 1 पलाश से संबंध रखनेवाला पाल-I (पु०) फलों को पकाने की विधि जिसमें फलों को पत्तों | 2 पलाश का बना हुआ 3 हरा II (पु०) 1 हरा रंग 2 तेज पर रखकर उन्हें पत्तों-भूसों से ही ढक दिया जाता है। ~डालना फलों को पकाना।
पालि- [सं० (स्त्री०) 1 कान के नीचे लटकने वाला कोमल पाल-II (पु०) 1 नाव के मस्तृल के सहारे ताना जानेवाला मांस खंड, कान की लौ 2 वस्तु का किनारा II एक प्राचीन
कपड़ा जिसमें हवा के भरने से नाव चलती है 2 शामियाना, ___ भाषा जिसमें बौद्ध साहित्य मिलता है तंबू । दार +फ़ा० (वि०) जो पाल युक्त हो; नौका | पालिक-(पु०) = पालकी सं० (स्त्री०) पालवाली नाव
पालिका-सं० (स्त्री०) 1 पालन करनेवाली स्त्री 2 पदों के अंत पाल-III (स्त्री०) मेड़
में लगकर अनेक अर्थ देनेवाला शब्द (जैसे-नगर पालिका, पाल-सं० (पु०) पालनेवाला, पालक
राज्यपालिका आदि) पाल-सं० (वि०) 1 पालन करनेवाला, पालक 2 संज्ञाओं के | पालित-सं० (वि०) पाला हआ
अंत में लगनेवाला एक शब्द जिसके अनेक अर्थ होते हैं | पालिनी-सं० (वि०) भरण पोषण करनेवाली (जैसे-गोपाल, राज्यपाल, लेखपाल आदि)
पालिश-अं० (स्त्री) 1 चमकाने हेतु लगाया जानेवाला लेप पालक-[सं० (वि०) पालन करनेवाला II (पु०) 1 पालकर | (जैसे-जूते में पालिश करवाना है) 2 चमक। -दार +फा०
अपने पास रखा हुआ लड़का 2 प्रधान शासक, राजा ___ (वि०) चमकदार, चमकवाला पालक-सं० (पु०) एक तरह का प्रसिद्ध साग जिसकी तरकारी पालिसी-I अं० (स्त्री०) नीति-रीति बीमा संबंधी प्रतिज्ञा
बनती है (जैसे-पालक की पकौड़ी खिलाओ) , पत्र। होल्डर (पु०) बीमा कंपनी की पालिसी रखनेवाला पालकरी-(स्त्री०) पलंग आदि के पायों के नीचे रखा जानेवाला व्यक्ति लकड़ी का छोटा टुकड़ा
पाली-I (स्त्री०) 1 देग, बटलोई 2 पालि भाषा
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पाली
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पाहुर
पाली-II (स्त्री०) तीतर, बटेर आदि लड़ाने की जगह पाश्चात्यीकरण-सं० (पु०) देश-जाति को पाश्चात्य ढंग का णाली-III (वि०) = पैदल
बनाना पाली-IV (स्त्री०) 1 श्रमिकों के एक दल के लिए बँधा हुआ | पाषंड-सं० (पु०) 1 छलयुक्त धार्मिक कृत्य, ढोंग 2 वेद काम करने का समय 2 खेलों में खिलाड़ियों के दल का पहली विरुद्ध कार्य बार खेलना, पारी
पाषंडी-सं० (वि०) 1 वेद विरुद्ध आचरण करनेवाला 2 धर्म पाल-(वि० = पालतू (जैसे-यह मेरा पालू कुत्ता है) के नाम पर छल करनेवाला, ढोंगी पालोंवाला-(वि०) = पालवाला
पाषाण-I सं० (पु०) पत्थर, शिला II (वि०) निर्दय, कठोर पाल्य-सं० (वि०) पालन के योग्य
(जैसे-पाषाण हृदयवाला)। ~प्रतिमा, मूर्ति (स्त्री०) पाँव- (पु०) = पाँव
पत्थर की मूर्ति; ~युग (पु०) पत्थर काल; ~लेख (पु०) पाव-(पु०) 1 तौल में एक सेर का चौथाई भाग, चार छटाँक | पत्थर पर खुदा लेखहदय (वि०) क्रूर हृदयवाला, निर्दय 2 सेर के चौथाई भाग का बटखरा 3 पदार्थ आदि का चौथाई | पाषाणमय-सं० (वि०) अत्यंत कठोर, निष्ठर अंश
पाषाणी-I सं० (स्त्री०) पत्थर का बटखरा II (वि०) कठोर पावक-1 सं० (वि०) पवित्र करनेवाला II (पु०) आग, अग्नि | हृदयवाली पावती-(स्त्री०) 1 वस्तु के पहँचने की लिखित सूचना, प्राप्ति पाषाणीय-सं० (वि०) 1 जो पाषाण का बना हो 2 जिसका
की स्वीकृति 2 दी जानेवाली पक्की रसीद। पत्र सं० (पु०) हृदय अति कठोर हो, निर्दय पैसे का भुगतान करने पर मिलने वाली रसीद
गसंग-फा० (पु०) 1 तराजू के दोनों पल्लों पर बिना कोई पावदान-फा० (पु०) 1 पाँव रखने का स्थान (जैसे-रेलगाड़ी वजन रखे होनेवाला सूक्ष्म अंतर, पसंगा 2 दोनों पल्लों के इस के पावदान पर मत खड़े होना) 2 पैर पोंछने के लिए जटा, सन सूक्ष्म अंतर को दूर करने हेतु अंतर युक्त पल्ले के विपरीत आदि का बनाया गया चौकोर टुकड़ा
पल्ले में बाँधा गया पत्थर आदि का छोटा टुकड़ा। ~भी न पावन-[ सं० (वि०) 1 पवित्र, शुद्ध 2 पवित्र करनेवाला होना मुकाबले में कुछ भी न होना
(जैसे-साधुओं का हृदय पतित पावन होता है) II (प०) | पास-I (पु०) = पाश पावक अग्नि, पावकाग्नि। ता (स्त्री०) पवित्रता पास-II (क्रि० वि०) 1 निकट, समीप 2 अधिकार में पावना-I (पु०) 1 प्राप्त किया जानेवाला अधिकार 2 प्राप्त (जैसे-मेरे पास दस गाएँ हैं) III (प्०) निकटता, सामीप्य; किया जानेवाला धन II (स० क्रि०) प्राप्त करना, पाना पड़ोस (पु०) आसपास रहनेवाला व्यक्ति; ~पास अ० पावनेदार-हिं० + फ़ा० (पु०) पानेवाला व्यक्ति
एक-दूसरे के निकट पावर-अं० (पु०) 1 यंत्र चालक शक्ति (जैसे-विद्युत पावर का पास-IV अं० पार पत्र, पारक (जैसे-रेलगाड़ी का पास साथ उपयोग बढ़ता जा रहा है) 2 अधिकार 3 शक्ति 4 सैन्यबल लेना मत भूलना) V (वि०) 1 उत्तीर्ण (जैसे-वह इण्टर की 5 शासनिक शक्ति। ~गृह सं०, ~प्लांट (पु०) वह स्थान ! परीक्षा पास कर गया) 2 आगे बढ़ने योग्य (जैसे-संसद ने जहाँ वितरण हेतु विद्युत तैयार की जाती है; ~सप्लाई दहेज संबंधी कानून पास कर दिया) (स्त्री०)विद्युत वितरण; ~स्टेशन हाउस (पु०) = पावर गृह पास-VI अं० (पु०) स्वीकृत किया गया, माना गया पावरोटी-(स्त्री०) डबल रोटी
(जैसे-कर्मचारी का वेतन-भत्ता पास कर दिया गया) पावस-(स्त्री०) 1 वर्षा काल, बरसात (जैसे-पावस ऋतु में पासपोर्ट-अं० (पु०) अनुमति पत्र, पार पत्र आना-जाना असंभव है) 2 वर्षा, वृष्टि
पासबान-फा० (पु०) पहरा देनेवाला व्यक्ति, द्वारपाल पाश-सं० (पु०) 1 वह वस्तु जिसमें कोई वस्तु आदि फँसाई जा पासबानी-फ़ा० (स्त्री०) 1 द्वारपाल का पद एवं काम सके 2 रस्सी से बनाया गया घेरा 3 बंधन (जैसे-वह नाग पाश 2 पहरेदारी से मुक्त नहीं हो सका) II (पु०) खंड, टुकड़ा पासबुक-अं० (स्त्री०) = लेखा पुस्तिका पाशन-सं० (पु०) 1 रस्सी 2 बंधन
पासशुदा-अं० +फ़ा० (वि०) जिसके पास अनुमति पत्र हो पाशव-[सं० 1 पशु संबंधी, पशुओं का 2 पशुओं की तरह पासा-(पु०) चौपड़ का खेल, चौसर का खेल। पड़ना जीत
का, पशुओं का सा II (पु०) पशुओं का झुंड। -ता __का दाँव पड़ना; ~पलटना चौसर में हार-जीत का दाँव पड़ना; (स्त्री०) = पशुता
फेंकना भाग्य की परीक्षा करना, किस्मत की आजमाइश पाशविक-सं० (वि०) पशुवत् आचरण करनेवाला; ता | करना (स्त्री०) पशुवत् आचरण
पासी-I (पु०) 1 सूअर पालने आदि का पेशा करनेवाली एक पाशांत-सं० (पु०) सिले हए कपड़े का पीछेवाला भाग जाति 2 बहेलिया पाशित-सं० (वि०) पाशबद्ध
पासी-II (स्त्री०) 1 पिछाड़ी 2 घास बाँधने की रस्सी की जाली पाशुपत-[सं० (वि०) 1 पशुपति संबंधी 2 पशुपति का, शिव | पाहन-बो० (पु०) पत्थर का II (पु०) शिव के उपासक, शैव
पाहि-सं० (क्रि० वि०) रक्षा करो, बचाओ। ~माम् (क्रि० पाशुपतास्त्र-सं० (पु०) शिव का अस्त्र
वि०) मेरी रक्षा करो, त्राहिमाम् पाश्चात्य-सं० (वि०) 1 पीछे का, पिछला 2 पश्चिमी देशों का पाना-(पु०) 1 अतिथि, मेहमान 2 दामाद (जैसे-पाश्चात्य दर्शन में अरस्तू का विशेष योगदान रहा है)| पाहुनी-(स्त्री०) 1 मेहमानदारी 2 रखेली स्त्री 3 पश्चिम दिशा का
| पाहुर-बो० (पु०) 1 बैना, बापन 2 भेंट, नज़र
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पिंग
पिंग - I सं० (वि०) 1 पीलापन लिये हुए भूरा 2 भूरापन लिये हुए लाल, तामड़ा II ( पु० ) भैंसा 2 चूहा 3 हरताल पिंग पांग-अं० (पु० ) मेज़ पर छोटी बाल से खेला जानेवाला टेनिस की तरह का एक खेल
502
)
पिंगल - I सं० (वि० ) 1 पीला 2 भूरापन लिये 3 भूरापन लिये हुए लाल रंग II ( पु० पढ़ाना उल्टी-सीधी बातें समझाना; 1 टालमटोल करना 2 नखरा करना, इतराना पिंगला-सं० (स्त्री०) हठयोग में चर्चित एक नाड़ी, सूर्य नाड़ी पिंगिमा-सं० (स्त्री०) भूरापन लिए हुए लाल रंग पिंजड़ा - (पु० ) पिंजरा
=
पिंजर - I ( वि०) 1 लालिमा युक्त पीले रंग का 2 पीला 3 सुनहला II (पु० ) 1 पिंजरा 2 पंजर 3 हरताल पिंजरा - (पु० ) धातु आदि की तीलियों का बना हुआ बक्स की
हुए
पीला रंग
छंद शास्त्र ।
~साधना
तरह का आधान
पिंजरापोल - ( पु० ) 1 पशुशाला 2 गोशाला पिंजरित सं० (वि०) पीले रंग का पिंजा - I बो० (स्त्री०) 1 हल्दी 2 रूई II (पु०) = पिंजारा पिंजाई - ( स्त्री०) धुनने का काम और मज़दूरी पिंजाना - (स० क्रि०) धुनवाना पिंजारा - (पु०) धुनिया पिंजिका-सं० (स्त्री०) रूई की पूनी
पिंड - I सं० (वि०) 1 धन, ठोस 2 घना II ( पु० ) 1 ठोस वस्तु का छोटा प्राय: गोलाकार खंड, ढेला 2 गोलाकार पदार्थ (जैसे-नेत्र पिंड की रक्षा पलक करती है) 3 श्राद्ध में पितरों को तर्पण किया जानेवाला आटे, भात आदि का बनाया हुआ गोलाकार खंड (जैसे- आज गंगा स्नान करके पिंड दान करना होगा) 4 मांस, गोश्त 5 गर्भ की आरंभिक अवस्था 6 मनुष्य का शरीर, देह 7 पैर की पिंडली। ~खर्जूर (पु० ) 1 खजूर की जाति का एक पेड़ 2 खजूर की जाति का एक फल ज (पु० ) गर्भ से उत्पन्न होनेवाला दान (पु०) कर्म कांड के अनुसार पितरों को पिंड देने का कर्म; ~~भार (पु०) शरीर का वज़न ~ रोग (पु० ) चि० 1 ऐसा मर्ज जिसने शरीर में घर कर लिया हो और जल्दी न छूटता हो 2 कोढ़; छोड़ना परेशान करने से बाज आना, पीछा छोड़ना पड़ना | स्वार्थ साधन हेतु पीछे पड़ना 2 स्त्री का गर्भधारण करना पिंडक - सं० (पु० ) 1 गोलाकार पिंड, गोला 2 पिंडालू पिंडली - ( स्त्री०) घुटने के पीछे का निचला मांसल भाग पिंडस्थ-सं० (वि०) 1 जो शरीर में स्थित हो, गर्भ में स्थित 2 जो पिंड के रूप में लाया गया हो
पिंडा - I (पु० ) 1 ठोस वस्तु का टुकड़ा 2 गीली वस्तु का टुकड़ा 3 लोंदा II (स्त्री०) हल्दी पानी (पु०) श्राद्ध और तर्पण; ~फीका होना तबीयत खराब होना पिंडारी - (पु० ) कर्नाटक की लूटमार करनेवाली एक जाति पिंडालू - (पु० ) एक प्रकार का शकरकंद जिसके ऊपर कड़े सूत की तरह रेशे होते हैं, पिंडिया पिंडिका-सं० (स्त्री०) = पिंडी
पिछड़ना
पिंडीकरण-सं० (पु० ) पिंड का रूप देना
पिअरी-बो० (स्त्री०) 1 हल्दी के रंग में रंगी गई धोती जो विवाह के समय वर-वधू को पहनाई जाती है 2 गंगा आदि को चढ़ाई जानेवाली धोती (जैसे- केवल पियरी चढ़ाने देने से धर्म पूरा नहीं हो जाता)
पिंडिया- (स्त्री०) पदार्थ आदि की पिंडी (जैसे- उसे गुड़ की दो चार पिंडिया दे देना)
पिंडी-सं० (स्त्री०) गीली वस्तु का गोलमटोल टुकड़ा, लुगदी
पिक-सं० (पु० ) कोयल
पिकी-सं० (स्त्री०) मादा कोयल
पिक्चर-अं० (स्त्री०) चलचित्र
पिघलना - (अ० क्रि०) 1 द्रव रूप में बदलना (जैसे सारा घी पिघलकर ज़मीन पर गिर गया ) 2 द्रवित होना, पसीजना (जैसे- भिखारी की पंगु दशा देखकर उसका हृदय पिघल
गया)
पिघलाऊ - (वि०) पिघलानेवाला पिघलाना - (स० क्रि०) 1 पिघलने में प्रवृत करना (जैसे-भट्टी में शीशा पिघलाना) 2 कोमल करना (जैसे-पत्नी की रुग्णावस्था निर्दय पति के हृदय को पिघलाने में सफल हो गई) पिचकना - ( अ० क्रि०) फूले हुए अंग के उभार का कम होना
पिचकाना - (स० क्रि०) पिचकने में प्रवृत्त करना पिचकारी - (स्त्री०) 1 नली के आकार का धातु का बना उपकरण जिस के मुँह पर बने छोटे-छोटे छिद्रों से नली में भरा तरल पदार्थ दबाव से बाहर आता है 2 पिचकारी से निकलने वाली द्रव की पतली धार 3 मरीज आदि को सूई लगाने का एक छोटा यंत्र । चलाना, छोड़ना 1 रंग छिड़कना 2 सुगंधित द्रव डालना; छूटना द्रव पदार्थ का वेग से बाहर आना (जैसे- सिर से रक्त पिचकारी की तरह निकल रहा था); ~मारना = पिचकारी छोड़ना
पिच पिचा - बो० (वि०) 1 जो पिचकता रहता हो 2 दबा और गुलगुला पिचपिचाना-(अ० क्रि०) पिचपिच शब्द करते हुए रिसना
(जैसे-फोड़े का पिचपिचाना देखकर उसे उल्टी हो गई) पिचुकिया - बो० (स्त्री०) 1 छोटी पिचकारी 2 गुड़ एवं सोंठ भरी हुई गुझिया
पिचोतर सौ - I (पु० ) एक सौ पाँच की संख्या II जो गिनती में सौ से पाँच अधिक हो
पिच्चट - I सं० (वि०) चिपटा किया हुआ II ( पु० ) 1 सीसा 2 राँगा
पिच्चित-(वि०) पिचका हुआ पिच्छ-सं० ( पु० ) 1 पशु की बालदार पूँछ, बालदार दुम, लांगूल 2 मोर की दुम 3 मोर की चोटी पिच्छक सं० (पु०) पूँछ, दुम
पिच्छल-1 सं० फिसलनेवाला II (पुत्र) 1 सर्प 2 शीशम का पेड़ 3 मोचरस 4 आकाश बेल
पिच्छिल - [सं० (वि०) 1 सरस एवं स्निग्ध, गीला और चिकना 2 इतना चिकना जिसपर पैर फिसलता हो 3 जिसके सिर पर चोटी हो 4 जिसके सिर पर जूड़ा हो 5 चि० जो खट्टा, कोमल फूला हुआ और कफकारी हो II (पु० ) 1 लिसोड़ा 2 सरस एवं स्निग्ध व्यंजन, सालन पिछड़ना - (अ० क्रि०) 1 पीछे रह जाना (जैसे-राम को श्याम से दौड़ में पिछड़ना अच्छा नहीं लगा) 2 उन्नति न कर सकने
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पिछड़ा
के कारण पीछे रह जाना (जैसे-विषमताओं के परिणाम स्वरूप देश का पिछड़ना निश्चित है )
पिछड़ा- (वि०) 1 जो पीछे रह गया हो 2 जो उन्नति न कर सका हो
पिछलगा - I (वि०) 1 पीछे-पीछे लगा रहनेवाला 2 अनुगमन करनेवाला 3 आश्रित II ( पु० ) सेवक, दास पिछलगी - (स्त्री०) 1 पिछलगा होने की अवस्था 2 अनुगमन, अनुसरण
पिछलगुआ - (वि० ) = पिछलगा। पन (पु० ) अनुगामिता पिछलगू, पिछलग्गू - (वि०) पिछलगा पिछलत्ती - (स्त्री०) 1 पशुओं का पीछे पैर से आघात करने की क्रिया 2 पीछे पैर से किया गया आघात
=
503
पिछलना- (अ० क्रि०) बो० 1 पीछे हटना 2 = फिसलना पिछला - (वि०) 1 पीछे का (जैसे-मकान का पिछला हिस्सा टूटा पड़ा है) 2 पहले होनेवाला (जैसे- अभी आपने पिछला हिसाब चुकता नहीं किया) 3 पूर्व काल में होनेवाला (जैसे-पिछले जमाने के लोगों ने हवाई जहाज़ नहीं देखा होगा ) 4 बीता हुआ (जैसे-सज्जन पिछली घटनाओं को भूल जाते हैं) । पहर 1 दोपहर का समय 2 आधी रात के बाद का समय: पिछली रात रात में आधी रात के बाद का और प्रभात के कुछ पहले का समय
पिछवाई - ( स्त्री०) मूर्तियों, सिंहासनों आदि के पीछे लटकाया जानेवाला बेल-बूटेदार परदा
पिछवाड़ा - (पु०) 1 घर का पृष्ठ भाग 2 घर के पीछेवाले भाग के पास की ज़मीन 3 घर के पीछे पास का मकान पिछवाड़े - ( क्रि० वि०) पीछे के भाग में पिछाड़ी - (स्त्री०) 1 पिछला भाग, पीछे का हिस्सा 2 घोड़े के पिछले दोनों पैर बाँधने की रस्सी
पिछलना- (स० क्रि०) 1 पीछे छोड़ देना 2 पीछे हटाना पिछौरा-बो० (पु० ) पुरुषों की चादर या दुपट्टा पिछौरी - ( स्त्री०) स्त्रियों की चादर या दुपट्टा
पिटंत - (स्त्री०) 1 पीटने की क्रिया 2 पीटे जाने की अवस्था 3 पड़नेवाली मार
पिटक -सं० (पु० ) 1 पिटारा 2 कोठार 3 फुंसी पिटका -सं० (स्त्री०) 1 पिटारी 2 छोटी फुंसी पिटना - I (अ० क्रि०) 1 पीटा जाना 2 हारना 3 गोटी, मोहरे आदि का मारा जाना 4 मार खाना (जैसे-शतरंज के खेल में वजीर से बादशाह का पिटना) II (पु० ) पीटनेवाला उपकरण (जैसे- छत का पिटना कहाँ रख दिया )
पिट-पिट - (स्त्री०) लगातार पीटने से उत्पन्न होनेवाला शब्द पिट-पिटाना - ( अ० क्रि०) 1 लाचार होकर यों ही रह जाना 2 छटपटाना
पिटवाना (स० क्रि०) पीटने का काम दूसरे से कराना पिटाई - (स्त्री०) 1 पीटने की क्रिया 2 पीटने की मज़दूरी
(जैसे- छत की पिटाई पचास रुपये हुई ) 3 पिंटत, मार पिटा - पिटाया - (वि०) 1 मार खाया हुआ 2 पीटा हुआ 3 बेकार पिटारा - (पु०) बाँस, बेंत आदि के नर्म छिलकों से बना हुआ
ढक्कनदार बड़ा पात्र
पिटारी- (स्त्री०) छोटा पिटारा । ~का खर्च 1 स्त्रियों को पानदान खर्च हेतु दिया जानेवाला धन 2 व्यभिचारणी को
पितृ
व्यभिचार कराने पर मिलनेवाला थोड़ा धन पिटीशनर अं० (पु० ) प्रार्थी, फ़रियादी पिट्टक-सं० (पु०) दाँतों की जड़ों में जमी मैल पिट्टस - ( स्त्री०) 1 दुःख से छाती पीटने की क्रिया 2 पिटंत पिट्टू - (वि०) 1 जो बराबर मार खाता हो 2 जो मार खाकर ही सीधे रास्ते पर आता हो
पिट्ठी - (स्त्री०) = पीठी
पिट्टू - ( पु० ) 1 पिछलगा, अनुयायी 2 लुक-छिपकर मदद करनेवाला 3 साथी (जैसे मेरा पिट्ठू कहाँ गया) पिठौरी - (स्त्री०) 1 पीठी की पकौड़ी 2 पीठी की बरी पिड़क-सं० (५०) छोटा फोड़ा पिड़की - (स्त्री०) पेंडुकी
पिढ़ई- बो० (स्त्री०) छोटा पीढ़ा पितर-सं० (पु० ) परलोकवासी पूर्वज पितराईंध, पितराई - (स्त्री०) पीतल के बर्तन में खट्टी वस्तु रखने तथा उसके विकार युक्त होने पर निकलनेवाली दुर्गंध पितरिहा - I (वि०) 1 पीतल संबंधी 2 पीतल का बना हुआ II (पु० ) पीतल का घड़ा पिता-सं० (पु० ) जनक, बाप। ~तुल्य (वि०) जो पिता के समान हो (जैसे- राजा ने सीता की पिता तुल्य देखभाल की थी)
पितामह - सं० (पु० ) पिता का पिता, दादा (स्त्री० पितामही) पितिया - (पु० ) बाप का भाई, चाचा (स्त्री० पितियानी ) । ~ ससुर (पु० ) चचिया ससुर सास (स्त्री०) चचिया
सास
1
पितृ-सं० ( पु० ) 1 पिता 2 मृत पूर्वज उत्पन्न करने से होनेवाली ऋण मुक्ति; के उद्देश्य से किया जानेवाला तर्पण आदि कर्म कल्प (पु० ) श्राद्धादि कर्म; कानन (पु० ) श्मशान, मरघट; ~कुल (पु०) बाप, दादा आदि का कुल, परिवार, खानदान; ~कृत्य (पु० ) पितरों से संबंधित कर्म; गृह (पु० ) 1 पिता का घर 2 श्मशान घात (पु०) पिता की हत्या; ~घाती (पु०) पिता का हत्यारा; -तंत्र (पु०) पितृ प्रधान शासन व्यवस्था; तर्पण (पु०) पितरों के उद्देश्य से किया गया जलदान 2 गया नामक तीर्थ; ता (स्त्री०) पितृ भाव; ~ तिथि (स्त्री०) अमावस्या; तीर्थ (पु० ) गया तीर्थ; ~ दत्त (वि०) पितरों को तर्पण किया हुआ; दाय (पु० ) पिता का धन, पैतृक सम्पत्ति; दिन (पु० ) = पितृ तिथि; ~ देश (पु० ) पूर्वजों के रहने का देश; ~निष्ठ (वि०) 1 पिता पर आश्रित 2 पिता में विश्वास करनेवाला पक्ष (पु० ) 1 कृष्ण पक्ष 2 पितृ कुल; पति (पु०) यमराज; ~पद (पु० ) 1 पितरों का देश 2 पितर होने की स्थिति; पैतामह (वि०) बाप-दादों का प्रधान (वि०) जहाँ पिता मुखिया हो; प्रसू (स्त्री०) पिता को जन्म देनेवाली, दादी, प्राप्त (वि०) जो पिता से मिला हो; भक्ति (स्त्री०) पिता के प्रति होनेवाली श्रद्धा; भूमि (स्त्री०) मातृभूमि भोजन (पु० ) पितरों को अर्पित किया जानेवाला भोजन; यज्ञ (पु० ) पितृ तर्पण; ~याण (पु०) पितरों के चलने का मार्ग; ~लोक (पु०) पितरों का निवास स्थान; वत् (वि०) पिता के समान वन (पु० )
=
ऋण (पु०) पुत्र कर्म (पु०) पितरों
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पितृक
=
श्मशान, मरघट वित्त (पु० ) पैतृक संपत्ति (स्त्री०) पितृ प्रधान राज्य; ~ हत्या (पु० ) पितृक - सं० (वि०) 1 पैतृक 2 पितरों पितृष्य-सं० (पु० ) 1 पिता
का
2 चाचा
कोष
पितृष्वसा - सं० (स्त्री०) बूआ, फूफी पित्त-सं० (पु० ) यकृत में बननेवाला तरल पदार्थ (पु० ) दे० पित्ताशय; ~ क्षोभ (पु० ) पित्त के बिगड़ने से उत्पन्न विकार; ज (वि०) पित्त से उत्पन्न; ज्वर (पु० ) चि० पित्त बिगड़ने से होनेवाला बुखार; --पथरी +हिं० (स्त्री०) पित्ताशय में पित्त की कंकड़ियाँ बनने का रोग; ~ प्रकृति (वि०) जिसमें वात और कफ की अपेक्षा पित्त की अधिकता हो; ~ उबलना बहुत क्रोध आना; उभरना पित्त का विकार उत्पन्न होना; गरम होना स्वभावतः क्रोधी होना; ~ डालना कै करना पित्तन्नसं० (वि०) पित्त को नाश करनेवाला
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- सत्ता
पितृघात
तुल्य आदरणीय व्यक्ति
पित्तल - I सं० (वि०) 1 जिसमें पित्त की बहुलता हो 2 जिससे पित्त का विकार पैदा हो II ( पु० ) 1 पीतल 2 भोजपत्र पित्ता - (पु० ) 1 पित्त एकत्र होने की थैली, पित्ताशय 2 शरीर में पाया जानेवाला पित्त। मार (वि०) क्रोध दबानेवाला; - उबलना अत्यधिक क्रोध उत्पन्न होना; ~ निकलना अत्यधिक परिश्रम, कष्ट आदि के कारण शरीर की दुर्दशा होना; ~मारना 1 मन में दूषित भाव उमड़ने न देना 2 मन की उमंग आदि को दबाकर रखना पित्तासरसं० ( पु० ) पित्त ज्वर पित्ताशय - सं० (पु० ) शरीर के अंदर यकृत के पीछे की ओर रहनेवाली थैली के आकार का वह अंग जिसमें पित्त एकत्र होता है, पित्त-कोष
=
1
पिन्हाना - (स० क्रि०) बो० = पहनाना पेपरमिंट - अं० (पु० ) पुदीने की जाति का पौधा जो प्रायः दवा के काम आता है 2 इस पौधे का सत्त पिपासा - सं० (स्त्री०) 1 प्यास, तृष्णा 2 इच्छा, लोभ पिपासाकुल-सं० (वि०) जो प्यास से व्याकुल हो पिपासित सं० (वि०) जिसे प्यास लगी हो, प्यासा पिपासु - सं० (वि०) 1 जो प्यासा हो 2 पीने का इच्छुक 3 जो उग्र कामना युक्त हो
पिपियाना - (अ० क्रि०) बो० पीप पैदा होना, मवाद भरना पिपीलक-सं० (पु०) चींटा पिपीलिका-सं० (स्त्री०) चींटी पिप्पल - सं० (५०) पीपल का पेड़ पिप्पलक-सं० (पु०) स्तनमुख, चूचुक पियक्कड़ - (पु० ) (शराब) पीनेवाला पियराना-बो० (अ० क्रि०) पीला पड़ना
=
पियरी - बो० (स्त्री०) 1 पीले रंग में रंगी हुई धोती 2 पीलापन पिया - (पु० ) पिय पियाज़ - फ़ा० (पु० ) पियादा फ़ा० (पु० ) पियानो - अं० ( पु० ) हारमोनियम की तरह का मेज़ के आकार का बड़ा अंग्रेज़ी बाजा। ~वादक + सं० (पु०) पियानों बजानेवाला; वादन +सं० पियानों बजाना; वादिक
= प्याज = प्यादा
सं० (स्त्री०) पियानो बजाने वाली स्त्री पियारा - (वि०) / बो० (पु०) = प्यारा पियाला - फ़ा० ( पु० ) = प्याला पिरकी-बो० (स्त्री०) फुंसी पिराक - (स्त्री०) गुझिया नामक पकवान
पित्र्यं - I सं० (वि०) पिता का II ( पु० ) 1 पिता की प्रकृति पिराना - ( अ० क्रि०) बो० 1 पीड़ा होना, दर्द करना 2 दुःख
2 बड़ा भाई 3 माघ मास
अनुभव करना 3 दुःख से दुःखी होना पिरामिड-अं० (स्त्री०) मिस्र के त्रिकोणाकार प्राचीन समाधि स्थल
पिरोना - (स० क्रि०) 1 धागा डालना (जैसे- सूई में धागा पिरोना) 2 एक साथ नत्थी करना (जैसे- माला पिरोना) पिलई - (स्त्री०) 1 शरीर के भीतर का तिल्ली नामक अंग 2 प्लीहा नामक रोग
पिलचना - (अ० क्रि०) 1 दो आदमियों का आपस में भिड़ना,
पित्ती - (स्त्री०) 1 रक्त में अति उष्णता होने से पित्त प्रकोप के कारण शरीर के अंगों में निकलनेवाले ददोरे 2 अंभौरी । ~ उछलना पित्ती की बिमारी होना
पित्रार्जित सं० (वि०) पिता की संपत्ति
पिद्दी - (स्त्री०) 1 बया की तरह एक सुंदर छोटी चिड़िया
2 अत्यंत तुच्छ जीव
पिधान सं० ( पु० ) 1 पर्दा 2 आच्छादन, आवरण 3 ढक्कन 4 तलवार का कोष, म्यान
पिन-अं० (स्त्री०) काग़ज़ नत्थी करने की धातु की पतली पिन, आलपीन
पिनकना - (अ० क्रि०) 1 अफीमची का पीनक लेना 2 निद्रा के कारण सिर का रह-रहकर झुक पड़ना पिनकी- - (पु० ) वह व्यक्ति जो अफीमचियों की तरह बैठे-बैठे सोता हो और रह-रहकर नीचे को सिर झुकता हो पिन- पिन- (स्त्री०) बच्चों के रह-रहकर रोने पर होनेवाला
अनुनासिक और अस्पष्ट शब्द
पिन- पिनहाँ- (वि०) पिन-पिन करनेवाला, जो हमेशा रोया करे
पिलपिलाना
पिनपिनाना - (अ० क्रि०) 1 रोते समय पिन-पिन स्वर निकालना 2 रुक-रुककर रोना
पिनाक - सं० (पु० ) शिव का धनुष पिनाकी-सं० (पु०) शिव, महादेव
पिन्नी - (स्त्री०) 1 आटे में चीनी, मसाले आदि को मिलाकर तैयार किया गया लड्डू 2 धागे आदि को लपेटकर बनाया गया गोलाकार पिंड
गुथना 2 काम में लीन रहना, तत्पर होना पिलना- (अ० क्रि०) 1 भिड़ जाना (जैसे-क्रोध में आकर दोनों पिल पड़े) 2 अंदर की ओर वेगपूर्वक धँसना (जैसे- दरवाज़ा खुलते ही लोग सिनेमाहाल में पिल पड़े) 3 पूरी शक्ति से कार्य में लगना
अत्यधिक कोमल, पिचपिचा
पिलपिला - (वि०)
(जैसे-पिलपिला आम फेंक दो)
पिलपिलाना - I (अ० क्रि०) पिलपिला होना II (स० क्रि०) चारों ओर से दबाकर पिलपिला बनाना
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पिलपिलाहट
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पीटना
पिलपिलाहट-(स्त्री०) पिलपिलापन
पिस्टन-अं० (पु०) मशीन को गति प्रदान करनेवाला एक पिलवाना-I (स० क्रि०) पिलाने के काम में दूसरे को लगाना सिलिंडर (जैसे-मेहमानों को शर्बत पिलवाना)
पिस्तई-फा०1 (वि०) पिस्ते के रंग का पीलापन युक्त हरे रंग पिलवाना-II (स० क्रि०) पेरने के काम में दूसरे को लगाना का || (पु०) पिस्ते का रंग (जैसे-कोल्हू में तिल पिलवाना)
पिस्त.-फा० (पु०) 1 एक प्रकार का प्रसिद्ध मेवा 2 मेवा का पिलाई-(स्त्री०) 1 पिलाने की क्रिया 2 तरल पदार्थ को इस पेड़ तरह उड़ेलना कि छिद्रों में समा जाय (जैसे-सड़क पर | पिस्तौल-अं० (स्त्री०) गोली चलाने की छोटी बंदूक, तमंचा अलकतरे की पिलाई करना) 3 गोली आदि गड्ढे में डालना | पिस्सू-(पु०) 1 मच्छर की तरह रक्त चूसनेवाला उड़नेवाला 4 स्तन का दूध पिलानेवाली दाई
कीड़ा 2 मच्छर पिलाना-(स० क्रि०) 1 पीने में प्रवृत्त करना (जैसे-रोगी को पिहकना-(अ० क्रि०) कायल, मोर आदि का पी-पी करके
दवा पिलाना) 2 तरल पदार्थ उड़ेलना (जैसे-कान में सीसा | चहकना, पी-पी करके बोलना . पिलाना) 2 बात अच्छी तरह जमाना, बात बैठाना 4 गड्ढे में पिहान-(पु०) ढकना, ढक्कन गोली डालना
पिहित-1 सं० (वि०) 1 ढका हुआ 2 छिपा हुआ पिल्ला-(पु०) कुत्ते का बच्चा
II अर्थालंकार जिसमें क्रिया के वर्णन द्वारा मन के गुप्त भाव पिल्लू-(पु०) सड़े हुए फलों एवं घावों आदि में होनेवाला को समझ लेना दर्शाया जाता सफ़ेद कीड़ा, ढोला
पींग-(स्त्री०) दे० पेंग पिवाना-(स० क्रि०) = पिलाना
पींजना-I (स० क्रि०) रूई धुनना. पिंजना II (पु०) = पिशंग-I सं० (पु०) लालिमा युक्त भूरा रंग II (वि०) | धुनिया लालिमा युक्त भूरे रंग का
पींड-(पु०) 1 वृक्ष का तना 2 गीली मिट्टी का बनाया हआ घेरा पिशाच-सं० (पु०) भूत, प्रेत। बाधा (स्त्री०) पिशाच के ___ 3 चरखे का मध्यभाग, बेलन 4 दे० पिंड 5 दे० पिंड खजूर कारण होनेवाला कष्ट
पी-I (पु०) प्रियतम, कांत पिशाचन-सं० (वि०) पिशाच को नष्ट या दूर करनेवाला | पी-II (स्त्री०) पपीहे के बोलने का शब्द पिशाचिका, पिशाचिनी-सं० (स्त्री०) पिशाच योनि की स्त्री पीक-(स्त्री०) थूक। ~दान +फ़ा० (पु०) थूकने का पात्र, पिशाची-सं० (स्त्री०) पिशाच स्त्री
उगालदान पिशित-सं० (पु०) कीमा
पीकना--(अ० क्रि०) पी-पी शब्द करना पिशुन-[ सं० (वि०) 1 नीच 2 चुगलखोर II (पु०) पीका-बो० (पु०) वृक्ष का नया कोमल पत्ता, कोंपल 1 गर्भिणी स्त्रियों को बाधा पहँचानेवाला प्रेत 2 लड़ाई पीच-(स्त्री०) चावल उबालने पर बचा हुआ तरल पदार्थ, माँड़ लगानेवाला व्यक्ति। ता (स्त्री०) 1 चुरालख़ोरी 2 पिशुन पीछा-(पु०) 1 पीठ की ओर का भाग, पृष्ठ भाग 2 वस्तु के अवस्था
पीछे की ओर का फैलाव 3 पीछे-पीछे चलने की क्रिया में साथ पिष्ट-[ सं० (वि०) पिसा हुआ, पीसा हुआ II (पु०) पानी के देने की अवस्था। छुड़ाना अप्रिय व्यक्ति आदि से संबंध साथ पिसा अन्न । -पेषण (पु०) पुनः पीसना; ~प्रेषित छुड़ाना, पिंड छुड़ाना; छूटना 1 अप्रिय वस्तु आदि से जान (वि०) पुनः भेजा हुआ
छूटना, पिंड छूटना; छोड़ना काम से ध्यान छोड़ना; पिष्टक-सं० (पु.) 1 पीठी का बना खाद्य पदार्थ 2 तिल का पकड़ना साथी बनाना; ~भारी होना 1 अधिक कष्ट चर्ण
साध्य होना 2 सहायक अंश का पीछे की तरफ़ ज्यादा होना पिष्टान्न-सं० (पु०) पिसे हुए अत्र का बना पकवान पीछे-(क्रि० वि०) 1 पीठ की ओर, पृष्ठ देश में (जैसे-हम पिष्टि-सं० (स्त्री०) 1 अनचूर्ण 2 पीठी
लोग अन्य दर्शकों के पीछे बैठे थे) 2 अनुपस्थिति, पिसनहारा-(पु०) अन्न पीसकर जीविकोपार्जन करनेवाला अविद्यमानता (जैसे-पीठ पीछे बुराई करना कायरता है) 3 मर व्यक्ति (स्त्री० पिसनहारी)
जाने पर, मरणोपरांत (जैसे-आदमी अपने पीछे अपना पिसना-(अ० क्रि०) 1 पीसा जाना (जैसे-चक्की में गेहँ यश-अपयश ही छोड़ जाता है) 4 बाद में, उपरांत पिसना) 2 बुरी तरह दबाया जाना, कुचला जाना (जैसे-वह (जैसे-इसके पीछे उनकी संपति में वृद्धि होने लगी, पंक्ति में ट्रक से पिस गया) 3 अत्यधिक काम करने से शिथिल हो लोग एक दूसरे के पीछे चल रहे थे) 5 वास्ते, लिए 6 विचार जाना 4 शोषित होना
से, हिसाब से। चलना अनुगमन करना, अनुयायी होना; पिसवाना-(स० क्रि०) पीसने की क्रिया में अन्य को प्रवृत्त छूटना पिछड़ जाना; छोड़ना हरा देना (जैसे-मैंने उन्हें करना
दौड़ में पीछे छोड़ दिया); ~पड़ना 1 समाप्त करने के लिए पिसाई-(स्त्री०) 1 पीसने की क्रिया 2 पीसने की मज़दूरी तुल जाना 2 निरंतर प्रयास करना; ~लगना 1 आश्रय लेना 3 चक्की पीसने का व्यवसाय 4 अत्यधिक परिश्रम करने की 2 पीछे-पीछे चलना 3 साथ न छोड़ना (जैसे-वह शराब के अवस्था
पीछे पड़ गया है) पिसान-बो० (पु०) पीसा हुआ अन्न, आटा
पीटना-I (स० क्रि०) 1 आघात करना (जैसे-कुत्ते को डंडे से पिसाना-I (स० क्रि०) = पिसवाना II (अ० क्रि०) पिसना मत पीटना) 2 निरंतर प्रहार करना (जैसे-हथौड़ी से पत्थर पिसानी-बो० (स्त्री०) पेशानी
पीटना) 3 अपने शरीर के अंग पर अपने हाथ से जोरों से
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पीठ
आघात करना (जैसे- पति मृत्यु का समाचार सुनते ही वह छाती पीटने लगी) 4 विपक्ष की गोट मारना (जैसे- वजीर से प्यादा पिटना) 5 जैसे-तैसे कोई काम पूरा होना II ( पु० ) 1 मृत्यु, शोक (जैसे- उनके घर किसी का रोना पीटना पड़ा है) 2 मुसीबत, आपद
पीठ - I सं० (पु० ) 1 लकड़ी, पत्थर आदि का बना हुआ बैठने का आधार, आसन 2 मूर्ति स्थापित करने का नीचे का स्थान 3 उपदेश, शिक्षा आदि देने का स्थान (जैसे- धर्मपीठ, विद्यापीठ) 4 सम्मानित व्यक्ति के बैठने का स्थान (जैसे-हिंदी की उच्च शिक्षा हेतु पीठ की स्थापना करना) 5 न्यायाधीशों का वर्ग 6 न्यायाधीश 7 राजसिंहासन 8 वेदी 9 व्रतियों के बैठने का आसन ।
पीठ - II ( स्त्री०) प्राणियों के शरीर में छाती एवं पेट आदि की विपरीत दिशा में पड़नेवाला भाग जिसमें लंबाई के बल रीढ़ होती है। दर्द + फ़ा० (पु०) पीठ में होनेवाली पीड़ा; मर्द + फ़ा० (पु० ) प्रणय प्रसंग में नायक का सखा; । मर्दिका + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) प्रणय प्रसंग में नायिका की सखी; ~का सहोदर के पीछे जन्मा हुआ; ~का कच्चा (घोड़ा) जो सवारी का काम ठीक तरह से न देता हो; का सच्चा (घोड़ा) जो अच्छी तरह से सवारी का काम देता हो; चारपाई से लगना बीमार का उठने-बैठने में असमर्थ होना; ठोंकना 1 शाबासी देना 2 बढ़ावा देना; ठोंकना; भाग जाना, डर जाना; देना 1 साथ छोड़ देना 2 लेटना; पर हाथ फेरना दे० पीठ दिखाना; (किसी की) पीठ
लगाना
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लगना कुश्ती में चित किया जाना, पछाड़ा जाना; चित कर देना, पछाड़ देना
पीठा-(पु०) आटे की लोई में पीठी भरकर बनाया जानेवाला
पकवान
पीठासीन सं० (वि०) जो अध्यक्ष के आसन पर बैठा हो । ~होना अध्यक्ष का स्थान ग्रहण करना
पीठिका - ( स्त्री०) 1 छोटा पीढ़ा, पीढ़ी 2 वह आधार जिस पर देवमूर्ति आदि लगाई गई हो 3 ग्रंथ के विशिष्ट भागों में से कोई एक (जैसे-पूर्व पीठिका, उत्तर पीठिका) पीठी- (स्त्री०) भींगी दाल को पीसकर तैयार किया गया रूप (जैसे- उड़द की पीठी)
पीरज़ाल
आनेवाले व्यक्तियों का समुदाय (जैसे-दादा की पीढ़ी में दस लोगों का परिवार था) 3 विशिष्ट काल के प्रायः समान अवस्था के लोगों का समूह (जैसे-पुरानी पीढ़ी लगभग समाप्त हो चली) 4 परपंरागत स्थिति पीढ़ी - II ( स्त्री०) छोटा पीढ़ा
पीत - I सं० पीले रंग का, पीला II ( पु० ) पीला रंग III ( वि०) पीया हुआ । ~ कंद (पु० ) गाजर; ता (स्त्री०) पीलापन; मणि (पु० ) पुखराज; रक्त I (पु० ) पीलापन लिये लाल रंग; II (वि०) पीलापन लिये लाल रंग का ~ राग I ( पु० ) 1 पद्म केसर 2 पीला रंग II (वि०) पीले रंग का वर्ण (पु० ) पीलारंग पीतक - I ( पु० ) ज़रदी (अंडे की ) II (वि०) पीले रंग का, पीला
पीतल-सं० (पु० ) ताँबे एवं जस्ते के मेल से बनी प्रसिद्ध धातु (जैसे- पीतल का गगरा खरीदना है) पीतशाल - सं० (पु० ) विजयसार नाम का पेड़ पीतांबर - I सं० ( पु० ) 1 पीले रंग का वस्त्र, पीला कपड़ा 2 पीला वस्त्र धारण करनेवाला व्यक्ति II (वि०) पीला वस्त्र धारण करनेवाला
पीताभ - I सं० (वि०) जिसमें पीला रंग झलक रहा हो II (पु० ) पीला चंदन
पीन - I सं० (वि०) 1 पुष्ट 2 भरा-पूरा, संपन्न II ( पु० ) स्थूलता, मोटाई
पीनक - (स्त्री०) पिनक पीनस - सं० ( पु० ) सर्दी या जुकाम
पीना - (स० क्रि०) 1 मुँह के द्वारा तरल पदार्थ को आत्मसात करना 2 वनस्पतियों का जड़ों द्वारा पानी आदि तरल पदार्थ सोखना 3 धूम्रपान करना (जैसे-चिलम पीना, सिगरेट पीना) 4 मनोविकार को दबा लेना (जैसे-उसके गाली देने पर भी वह सारा गुस्सा पीकर रह गया) 5 निंदनीय घटना, बात को चुपचाप दबा लेना (जैसे-रक्षा घोटाले के मामले को सरकार पी गई । घोलकर पी जाना पूर्णतः खत्म कर देना (जैसे- सारी लज्जा तो तुम घोलकर पी गई हो ) पीप- (स्त्री०) मवाद (जैसे-फोड़े से पीप बहना) पीपल - I ( पु० ) बरगद की जाति का एक प्रसिद्ध वृक्ष, चलदल, बोधिद्रुम
पीपल - II ( स्त्री०) एक लता जिसकी कलियाँ औषधि के रूप में काम आती हैं, पिप्पली
=
पीड़क -सं० (वि०) 1 पीड़ा देनेवाला 2 अत्याचारी, जुल्मी पीड़न-सं० (पु० ) 1 तकलीफ़ देना 2 दबाना पीड़ा-सं० (स्त्री०) 1 तकलीफ़, वेदना (जैसे-अपने मृत पति की याद आते ही उसे असह्य पीड़ा होती 2 दर्द (जैसे घाव में ज़ोर की पीड़ा हो रही है) 3 कष्टदायक अवस्था । ~कर, कारी, जनक (वि०) जिससे पीड़ा पहुँचे
पीड़ित - सं० (वि०) 1 जो पीड़ा से ग्रस्त हो (जैसे- ज्वर पीड़ित ) 2 जो जुल्म आदि से आक्रांत हो (जैसे वह समाज के अनुचित व्यवहार से अत्यंत पीड़ित है) 3 जो सताया गया हो 4 जो नष्ट कर दिया गया हो (जैसे- भूकंप पीड़ित क्षेत्र एवं जन ) पीढ़ा - (पु० ) लकड़ी का पाएदार छोटा आसन पीढ़ी - I (स्त्री०) 1 कुल, वंश परंपरा में क्रम-क्रम से बढ़नेवाली संतान की प्रत्येक कड़ी (जैसे-पीढ़ी दर पीढ़ी विचारों एवं
कष्ट
पहनावों में अंतर आता गया) 2 किसी पीढ़ी के अंतर्गत पीरज़ाल - फ़ा० (स्त्री०) अत्यंत बूढ़ी स्त्री
पीपलामूल - ( पु० ) एक प्रसिद्ध औषधि जो पीपल नामक लता की जड़ है
पीपा - पु० (पु० ) काठ, लोहे का ढोल के आकार का बना हुआ बड़ा पात्र (जैसे-तेल का पीपा कहाँ रखा है) पीब - (स्त्री०) पीप
पीयूष -सं० (पु० ) अमृत, सुधा
पीर - I फ़ा० (वि०) 1 बड़ा और पूज्य, बुजुर्ग 2 वृद्ध, बुड्ढा पीर - II फ़ा० (पु० ) 1 मार्गदर्शक, धर्म गुरु 2 महात्मा एवं सिद्ध पुरुष । ~मर्द (पु०) बुजुर्ग आदमी
पीर - III (स्त्री०) 1 दर्द, वेदना 2 तकलीफ़, दुःख 3 पीड़ा,
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पीरी
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पुच्छल
पीरी-फा० (स्त्री०) 1 वृद्धावस्था 2 पीर होने की अवस्था पुंड-सं० (पु०) चंदन आदि का टीका, तिलक 3 शिष्य बनाने का पेशा 4 चमत्कारपूर्ण कार्य करने की शक्ति पुंडरीक-सं० (पु०) 1 सफ़ेद कमल, श्वेत कमल 2 कमल 5 विशेषाधिकार
पुंडरीकाक्ष-सं० (वि०) कमलवत् नेत्रोंवाला पील-फ़ा० (पु०) 1 हाथी, गज 2 शतरंज के खेल का हाथी का | पुंड-सं० (पु०) 1 लाल रंग का मोटा गना 2 सफ़ेद कमल
मोहरा। ~पाँव हिं० (पु०) (चि०) = फील पाँव पुलिंग-I सं० (पु०) 1 व्या० संज्ञा शब्दों में नरों का सूचक पीलपाया-फा० (पु.) 1 आश्रय हेतु लगाए जानेवाली टेक, शब्द 2 पुरुष लिंग 3 पुरुष का चिह्न || (वि०) पुरुष वाचक
थूनी 2 किलों आदि की दीवारों के नीचे बनी हुई मोटी दीवार | पुंवत-[ सं० (वि०) पुरुष जैसा || (अ०) पुरुष की तरह पीलवान-फ़ा० (पु०) - फीलवान
पुंश्चली-[ सं० (वि०) पर पुरुषों से गप्त संबंध रखनेवाली, पीला-I (वि०) 1 पीत (जैसे-पीला कपड़ा खरीदना) 2 रक्त व्यभिचारिणी II (स्त्री०) कुलटा, व्यभिचारिणी स्त्री की कमी के कारण हल्का सफ़ेद (जैसे-लंबी बीमारी से उसका पुंश्चलीय-सं० (पु०) व्यभिचारिणी की संतान शरीर पीला पड़ गया) 3 भय, लज्जा आदि के कारण जिसके पुंसत्व-सं० (पु०) 1 पुरुषत्व 2 पुरुष की काम शक्ति चेहरे का रंग उड़ गया हो (जैसे-दरोगा को देखते ही उनका पुंसवन-सं० (वि०) पुत्र उत्पन्न करनेवाला चेहरा पीला पड़ गया) 4 हल्दी के रंग का II (पु०) पील, | पुंस्त्व-सं० (पु०) = पुंसत्व रंग। ~पन (पु०) 1 पीला होने की अवस्था, पीतता, जर्दी | पुआल-(पु०) 1 इमारतों के काम में आनेवाली जंगली पेड की
2 रक्त अल्पता के कारण शरीर की होनेवाली रंगत पीली लकड़ी 2 पयाल पीलाई, पीलाहट-(स्त्री०) = पीलापन
पुकार- (स्त्री०) 1 ज़ोर से नाम लेकर संबोधित करने की क्रिया पीलिया-(पु०) चि० कमल रोग
2 उपस्थित होने के लिए ज़ोर से बुलाना (जैसे-राम सेवक की पीली- (स्त्री०) प्रभात के समय आकाश में दिखाई देनेवाली कचहरी में पुकार हो रही है) 3 आत्मरक्षा हेतु ज़ोर से चिल्लाना पीलापन युक्त लाली, प्रभात वेला की पीलापन लिए हुए (जैसे-आग लगने पर उसने चारों तरफ़ जोर से पुकार की) लालिमा। ~फटना पौ फटना, प्रभात होना
4 फरियाद 5 किया जानेवाला निवेदन (जैसे-भिखारी ने पीलू-(पु०) 1 दक्षिण भारत में होनेवाला काँटेदार वृक्ष जिसकी मकान-मालिक को देखते ही पुकार की) 6 देर तक
पत्तियाँ औषधि के काम आती हैं 2 पिल्लू नामक कीड़ा चलनेवाला ऊँचा स्वर (जैसे-शहनाई की पुकार सुनते ही ग्राम पीवर-I सं० 1 भरा-पूरा 2 स्थूल 3 पुष्ट II (पु०) कछुवा बालाएँ घरों से निकल पड़ी) III (वि०)/(स्त्री०) भरे-पूरे स्तनोंवाली
पुकारना-(स० क्रि०) 1 नाम लेकर बुलाना 2 आवाहन करना पीवरी-सं० (स्त्री०) 1 युवती स्त्री 2 गाय, गौ
(जैसे-भारत माता नवयुवकों को पुकारती है) 3 धुन लगाना, पीसना-I (स० क्रि०) 1 चूर्ण रूप में करना, बिल्कुल महीन रटना (जैसे-ईश्वर का नाम पुकारने से ही काम नहीं हो
(जैसे-चक्की में गेहूँ पीसना 2 कुचलना, दबाना (जैसे-दरोगा जाएगा) 4 चिल्लाकर माँगना (जैसे-भिखारी कभी से पुकारता ने चोर पैरों तले पीस-पीसकर मारा) 3 दबाते हुए रगड़ना
है) 5 चिल्लाना (जैसे-उसका पुकारना सुनकर सभी लोग (जैसे-क्रोध में दाँत पीसना) 4 कठोर परिश्रम करना उसकी तरफ़ दौड़ पड़े) (जैसे-कोल्हू के बैल की तरह पीसते जाना) II (१०) पीसने पुक्कस-1 सं० (वि०) अधम, नीच II (१०) निषाद पिता की क्रिया
एवं शूद्रा माता से उत्पन्न एक प्राचीन जाति पीहर-(पु०) विवाहिता के माता-पिता का घर, मैका, मायका | पुखराज-(पु०) वृहस्पति ग्रह का दोष दूर करनेवाला पीले रंग पुं०-सं० (पु०) 1 पुलिंग शब्द 2 व्या० पुलिंग
का एक रत्न पुंकेसर-सं० (पु०) स्त्री केसर से संयोग करनेवाला फूलों का | पुख्ता-फा० (वि०) 1 पक्का, मजबूत 2 जानकार, अनुभवी पुंसत्व युक्त केसर
(जैसे-वह पुख्ता इंसान है) 3 स्थिर एवं निश्चित किया हआ पुंख-सं० (पु०) बाण का पिछला भाग
4 पूरी उम्र का, प्रौढ़ पुंग-सं० (पु०) बहुत बड़ा ढेर
पुगाना-(स० क्रि०) 1 पहुँचाना 2 निश्चित सीमा तक पहुँचाना पुंगफल-(पु०) = पुंगीफल
(जैसे-गड्ढे में गोली पुगाना) 3 भरना (जैसे-महाजन का पुंगल-सं० (पु०) आत्मा
कर्जा पुगाना) पुंगव-I सं० (पु०) बैल, साँड II (वि०) उत्तम, श्रेष्ठ | पुचकार-(स्त्री०) पुचकारने की क्रिया, चुमकार पुंगीफल-(पु०) सुपारी
पुचकारना-(स० क्रि०) प्यार जतलाते हुए मुँह से पुच-पुच {छल्ला-(पु०) = पुछल्ला
शब्द करना पुंज-सं० (पु०) 1 ढेर 2 राशि, समूह
पुचकारी-(स्त्री०) = पुचकार पुंजन-सं० (पु०) राशि बनाने की क्रिया
पुचारा-(पु०) 1 पोतने का काम 2 गीले कपड़े से ज़मीन पुंजशः-सं० अ० ढेरों
रगड़कर पोंछने का काम 3 वह गीला कपड़ा जिससे पोताई पुंजि-सं० (स्त्री०) = पुंज
आदि का काम हो 4 पोतने का तरल पदार्थ, घोल 5 खुशामद पुंजित-सं० (वि०) 1 ढेर के रूप में लगाया हआ 2 संचित 6 उत्साह वर्धक वचन पुंजीभूत-सं० (वि०) जो राशि रूप में हो गया हो । पुछ-सं० (स्त्री०) 1 दुम, पूँछ 2 पिछला एवं प्रायः नुकीला पुंजोत्पादन-सं० (पु०) यंत्र आदि की सहायता से वस्तुओं को | भाग। पद (पु०) पिछला भाग अधिक मात्रा में तैयार करना
पुच्छल-(वि०) 1 जिसमें दुम हो, दुमदार 2 जिसमें पूँछ की
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पुच्छी
तरह पीछे प्रायः व्यर्थ का अंग लगा हो (जैसे-पुच्छलवाली पतंग उड़ाओ ) । तारा (पु० ) धूमकेतु पुच्छी-I सं० (वि०) पूँछवाला, दुमदार II ( पु० ) 1 आक, मदार 2 मुरगा
पुछल्ला - ( पु० ) 1 लंबी दुम 2 पूँछ की तरह जोड़ी गई लंबी चीज़
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पुछवाना - (स० क्रि०) पूछने का काम कराना पुछवैया - (वि०) 1 पृछनेवाला 2 खोज-खबर लेनेवाला पुछार, पुछैया-बो० (वि०) 1 हाल-चाल पूछनेवाला 2 कुछ बात पूछनेवाला
पुजना - (अ० क्रि०) 1 पूजा जाना 2 सम्मानित होना पुजवना - (स० क्रि०) 1 पूरा करना 2 सफल करना पुजवाना - (स० क्रि) 1 पूजन कराना 2 आवभगत कराना 3 भेंट चढ़वाना, सेवा आदि कराना (जैसे-शिष्यों से पैर पुजवाना गुरु अपना अधिकार समझता है) पुजाई - I (स्त्री०) 1 पूजने की क्रिया (जैसे-गंगा पुजाई के लिए लडडू लेना है) 2 पुजाने का पारिश्रमिक (जैसे-गंगा पुजाई दस रुपये देने पड़े)
पुजाई - II (स्त्री०) 1 सफल करने की क्रिया 2 सफल करने का पारिश्रमिक
पुजाना- 1 (स० क्रि०) 1 पूजा कराना 2 आदर सम्मान कराना 3 दबा और फुसलाकर वसूल करना
पुजाना - II (स० क्रि०) 1 पूरा करना, पूर्ति करना 2 सफल करना, सिद्ध करना
पुजापा - (पु०) पूजन की सामग्री। फैलाना आडंबरपूर्ण
व्यवस्था करना
पुजारिन - ( स्त्री०)
पूजा करनेवाली स्त्री
पुजारी - (पु० ) 1 पूजा करनेवाला व्यक्ति 2 देव तुल्य मानकर भक्ति करनेवाला व्यक्ति
पुजाही - (स्त्री०) 1 पूजन सामग्री रखने का झोला 2 पुजापा पुजैया - I (वि०) पूजनेवाला, पूजक II (स्त्री०) पुजाई III (वि०) पूरा करनेवाला, भरनेवाला IV (स्त्री०) पूरा करने-कराने की क्रिया
पुट - I (पु० ) 1 तरल पदार्थ का छीटा 2 हल्के रंग में डुबाना 3 थोड़ी सी मिलावट । पाक (पु०) औषध पकाने की एक क्रिया
पुट - II सं० ( पु० ) 1 खाली स्थान 2 बनाया गया आधान 3 ढकनेवाला आवरण
पुटक-सं० (पु० ) 1 कमल 2 दोना
पुटकी - I (स्त्री०) छोटी गठरी, पोटली
पुटकी - II ( स्त्री०) 1 यकायक होनेवाली मृत्यु 2 आकस्मिक दैवी विपत्ति, आफत 3 आलन पड़ना 1 चट पट मर जाना
2 भारी विपत्ति आना
पुटित सं० (वि०) पुट रूप में लाया हुआ पुटी - I सं० (स्त्री०) 1. छोटा होना 2 खाली स्थान II (वि०) जो पुटपाक विधि में प्रस्तुत हो
पुटीन - अं० ( पु० ) लकड़ी की दरारों आदि में भरने का
मसाला
पुतली
विशेषकर घोड़े का चूतड़ । पुट्ठे पर हाथ न रखने देना सवार को पास न आने देना; पुट्टे पर हाथ रखना राजी कर लेना पुठवार - अ० 1 पीछे 2 बगल में
पुड़ा - I (पु० ) 1 बड़ी पुड़िया 2 गौ का गर्भाशय II ढोल मढ़ा जानेवाला चमड़ा। (पु०) टूटना गाय को गर्भ ठहरना पुड़िया - (स्त्री०) 1 काग़ज़ को विशेष प्रकार से मोड़कर एक नया रूप देना जिसमें कोई चीज़ बंद हो जाय (जैसे- उसने दवा की एक पुड़िया फेंक दी ) 2 पुड़िया में लपेटी हुई दवा (जैसे- सुबह-शाम एक-एक पुड़िया खाना है)
पुड़ी - I (स्त्री०) ढोल मढ़ने का चमड़ा पुड़ी - II (स्त्री०)
पुड़िया
पुण्य - I सं० (वि०) 1 पवित्र, शुद्ध 2 मंगलकारक, शुभ 3 उत्तम फल देनेवाला II (पु० ) 1 धर्म विहित कर्म, सुकृत 2 अच्छा एवं भला कार्य (जैसे-गरीबों को दान देना पुण्य कार्य है) 3 विशिष्ट कर्म से प्राप्त फल (जैसे-गरीबों को दान देने से मुझे सुख शांति का पुण्य प्राप्त हुआ) 4 अच्छे एवं पवित्र कार्यों का संचित रूप जिसका फल आगे मिलता हो (जैसे-बड़े. पुण्य से उन्हे पुत्र रत्न प्राप्त हुआ) । ~कर्ता (पु०) पुण्य कार्य करनेवाला; कर्म, कार्य (पु०) शुभ काम, भला काम; ~ काल (पु० ) अच्छे-भले कार्य करने का समय; ~ कीर्ति I (वि०) जिसके यशोगान से पुण्य हो II (स्त्री०) पुण्यात्मक यश; कृत (पु० ) पुण्य करनेवाला; कृत्य (पु० ) पुण्य कर्म; ~ क्षेत्र (पु० ) ऐसा स्थान जहाँ जाने से पुण्य होता हो; जन (पु०) धर्मात्मा, सज्जन ता (स्त्री०) पुण्य होने का भाव; ~ तिथि (स्त्री०) पुण्यकाल; ~तीर्थ (पु० ) पुण्य क्षेत्र; पर्व (पु० ) शुभ त्योहार; ~ भाव (स्त्री०) उत्तम विचार; भूमि (स्त्री०) 1 तीर्थ स्थान 2 पुत्रवती स्त्री; योग (पु० ) पूर्वजन्म के किये गये शुभ कर्मों का फल; ~वान् (वि०) शुभ कर्म करनेवाला; ~ शती (स्त्री०) मरने के बाद की शताब्दी; श्लोक (वि०) शुभ चरित्र; स्थान (पु० ) पुण्य क्षेत्र पुण्यात्मा-सं० (वि०) पुण्य कर्म करनेवाला, पुण्यशील पुण्यार्थ - I सं० (वि०) 1 पुण्य के विचार से किया जानेवाला 2 जो लोकोपकारी कार्य हेतु दिया गया हो II शुभफल की प्राप्ति के विचार से III (पु० ) 1 लोकोपकार की भावना 2 लोकोपकार की भावना से दिया जानेवाला धन निधि (स्त्री०) 1 धार्मिक कार्य हेतु दी गई संपत्ति 2 लोकोपकार के लिए दिया गया धन
=
=
गुण्योदय -सं० ( पु० ) सौभाग्य का उदय
पुट्ठा - ( स्त्री०) बड़ा झाबा
पुट्ठा - ( पु० ) 1 चूतड़ के ऊपर का माँसल भाग 2 चौपायों
=
पुतना - (अ० क्रि०) पुताई होना
पुतला - (पु० ) काग़ज़, कपड़े आदि की पुरुष की बनाई गई - आकृति । जलाना निंदा करने के उद्देश्य से पुतला बनाकर जलाना; बाँधना अपयश फैलाना, बदनामी करना पुतली - I (स्त्री०) आँख के बीच का वह काला भाग जिसके
मध्य में प्रकाश की किरणें प्रवेश करती हैं तथा जिसके फलस्वरूप मस्तिष्क में पदार्थ का प्रतिबिंब उभरता है। फिर जाना 1 आँखें पथरा जाना 2 घमंड होना
पुतली - II (स्त्री०) 1 लकड़ी, धातु आदि की बनी हुई स्त्री आकृति 2 सुंदर और कोमलांगी स्त्री 3 कपड़ा बुनने का यंत्र ~घर (पु० ) कपड़ा बनाने की मिल
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पुतवाना
पुनर्भव
पुतवाना - (स० क्रि०) पुताई का काम कराना
पुनरीक्षण-सं० (पु० ) 1 दुबारा देखना 2 पुनरावलोकन
पुता - (वि०) जिसे पोता गया हो (जैसे यह मकान सफेद चूने पुनरीक्षित-सं० (वि०) पुनरीक्षण किया हुआ से पुता है)
पुताई - (स्त्री०) 1 पोतने की क्रिया 2 पोतने की मज़दूरी पुत्तलक-सं० ( पु० ) पुतला
पुत्र - सं० (पु० ) 1 बेटा 2 प्यारा बच्चा । ~ कलत्र (पु०) बच्चे और बीबी; ~वत् (वि०) पुत्र के समान; ~वती (स्त्री०) पुत्रवाली, बेटोंवाली माँ; ~वधू (स्त्री०) पुत्र की पत्नी, पतोहू ~वान् (वि०) बेटोंवाला प्रसू (वि०) पुत्र उत्पन्न करनेवाली
=
पुत्रक-सं० (पु० ) पुत्र, बेटा
पुत्रार्थी - सं० (वि०) पुत्र प्राप्ति की इच्छा करनेवाला
509
पुत्रिका - सं० [स्त्री० 1 बेटी 2 पुत्र के समान मानी गयी लड़की पुत्री - सं० (स्त्री०) लड़की, बेटी
पुत्रोत्सव -सं० (पु० ) पुत्र जन्म पर मनाया जानेवाला उत्सव पुदीना - फ़ा० (पु०) एक तरह का सुगंधित पौधा जिसकी पत्तियों से चटनी बनती है
पुनः सं० ( क्रि० वि०) फिर दोबारा (जैसे- पुनः लिखना, पुनः पढ़ना) । ~ एकीकरण (पु०) फिर एक कर देना; करण (पु०) फिर से कार्य करना, दोहराना कल्पन (पु० ) यंत्र आदि के कल-पुर्जों को अलग-अलग करके फिर से ठीक करना; पंजीयन (पु० ) फिर से रजिस्टर में दर्ज करना; पर्यादान (पु० ) फिर से वसूलना पुनः ( क्रि० वि०) बार-बार, फिर-फिर; प्रकाशन (पु०) फिर से प्रकाशित करना; प्राप्ति (स्त्री०) दोबारा प्राप्त की गई वस्तु ~ रचना (स्त्री०) फिर से बनाना; शस्त्रीकरण (पु० ) दोबारा हथियार बंदी; संगठन (पु० ) दोबारा गठन करना; ~संगठित (वि०) दोबारा गठन किया हुआ; ~संस्थापन (पु०) = पुनः संगठन; सैनिकीकरण (पु० ) = पुनः शस्त्रीकरण; ~ स्थापना (पु० ) = पुनः संगठन; स्थापित ( वि० ) = पुनः संगठित; -स्वास्थ्य (पु०) दोबारा स्वस्थ होना
पुनना - (स० क्रि०) गालियां देना, दुर्वचन कहना पुनर-सं० (अ०) एक बार और, फिर पुनरपि सं० (अ० ) 1 फिर भी 2 बार - बार पुनरभ्याससं० (पु०) फिर से, बार-बार करना पुनरवलोकन - सं० (पु० ) 1 फिर से देखना 2 दुबारा जाँचना पुनरस्त्रीकरण-सं० (पु० ) पुनः शस्त्रीकरण पुनरागमन -सं० (पु०) दोबारा आना पुनरारंभ - सं० ( पु० ) फिर से शुरू करना
पुनरावर्तक - I सं० पुनः पुनः आनेवाला II ( पु० ) पुनः पुनः आनेवाला ज्वर
-
पुनरावर्तन सं० (पु०) फिर से लौटकर आना पुनरावृत्त - सं० (वि०) 1 फिर से घूमकर आया हुआ 2 फिर से दोहराया हुआ, किया हुआ
पुनरावृत्ति सं० (स्त्री०) 1 फिर से घूमकर आना 2 किये गये
काम की फिर से होनेवाली आवृत्ति, काम का दोहराया जाना पुनरावेदक-सं० ( पु० ) फिर से आवेदन करनेवाला पुनरावेदन - सं० (पु० ) फिर से प्रार्थना करना। न्यायालय (पु०) अपील कोर्ट
पुनरुक्त - I सं० (वि०) फिर से कहा हुआ II ( पु० ) साहि० कही हुई बात को पुनः कहने का दोष पुनरुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 कही गई बात को फिर से कहना 2 दुबारा कही गयी बात
पुनरुज्जीवन-सं० (पु० ) फिर से जीवित होना पुनरुज्जीवित -सं० (वि०) जिसने पुनः जीवन प्राप्त किया हो पुनरुत्थान -सं० ( पु० ) 1 फिर से उठना 2 पुनः उन्नति करना । ~काल (पु० ) पुनः उन्नति करने का समय पुनरुत्थित-सं० (वि०) पुनरुत्थान हुआ पुनरुत्पत्ति-सं० (स्त्री०) फिर उत्पन्न होना पुनरुपनयन-सं० (पु० ) महापाप के प्रायश्चित स्वरूप किया गया दुबारा जनेऊ संस्कार
पुनरुत्पादन - सं० ( पु० ) दोबारा माल या उपज तैयार करना पुनरुद्धार - सं० (पु० ) टूटी-फूटी वस्तु को फिर से सुधारना पुनरुन्नयन -सं० (पु० ) पुनः उन्नति करना पुनर्गठन सं० (पु०) फिर से गठन करना पुनर्ग्रहण-सं० (पु०) फिर से ग्रहण करना पुनर्जन्म -सं० (पु० ) पुनः होनेवाला जन्म । ~वाद (पु० ) यह सिद्धांत कि आत्मा एक शरीर छोड़ने पर पुनः दूसरे शरीर में प्रवेश कर जाती है पुनर्जागरण - सं० (पु० ) फिर से जागना पुनर्जागृति - सं० (वि०) फिर से जागा हुआ पुनर्जात सं० (वि०) जिसने पुनः जन्म लिया हो पुनर्जीवन - सं० 1 = पुनरुज्जीवन 2 = पुनर्जन्म पुनर्जीवित-सं० (वि०) पुनरुज्जीवित पुनर्ददर्शन-सं० (पु० ) फिर से देखना
पुनर्दर्शनीय-सं० (वि०) जो फिर से देखे जाने योग्य हो पुनर्देशावर्तन-सं० (पु० ) फिर से देश लौटना पुनर्नव-सं० (वि०) जो फिर से नया हो गया हो, पुनः नया किया हुआ
पुनर्नवा -सं० (स्त्री०) औषधि के काम आनेवाली एक विशेष वनस्पति
=
पुनर्नवीकरण-सं० (पु० ) फिर से नया कर देना पुनर्नियुक्ति-सं० (स्त्री०) फिर से नियुक्त करना या होना पुनर्निरीक्षण-सं० (पु० ) = पुनः देखना, दोबारा जाँचना पुनर्निर्धारण-सं० ( पु० ) फिर से निश्चय करना पुनर्निर्माण-सं० (पु० ) फिर से बनाना (जैसे-पुल के पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हो गया है )
पुनर्निर्यात - सं० (पु०) फिर से माल बाहर भेजना पुनर्निर्वाचन-सं० ( पु० ) फिर चुनाव करना पुनर्याय- प्रार्थना-सं० (स्त्री०) पुनः न्याय करने के लिए आवेदन करना
पुनर्यायार्थी - सं० (वि०) पुनः न्याय का इच्छुक, न्याय की पुनः इच्छा रखनेवाला
=
पुनर्परीक्षण - सं० (पु० ) पुनः परीक्षण करना, दोबारा जाँचना पुनर्प्रकाशन-सं० (पु० ) पुनः प्रकाशन पुनप्रेषण-सं० (पु०) फिर से भेजना पुनर्भव-सं० (वि०) फिर से उत्पन्न
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पुनर्भाव
510
पुरा
यात्रा
पुनर्भाव-सं० (पु०) पुनर्जन्म
है (जैसे-अनुगमन में 'अनु' पूर्व प्रत्यय है); ~~सर I (वि०) पुनर्भू-सं० (स्त्री०) पति के मरने पर पुनः विवाह करनेवाली स्त्री 1 मिला हुआ, युक्त 2 साथ होनेवाला II (पू०) आगे-आगे पुनभोग-सं० पूर्व कर्मों का प्राप्त होनेवाला फल, भोग चलनेवाला, अगुआ; ~स्थ (वि०) आगे रखा हुआ; पुनर्मिलन-सं० (पु०) फिर से मिलना, पुनः मिलाप होना ~स्थापन (पु०) आगे रखना पुनर्मुद्रण-सं० (पु०) फिर से छापना 2 पुनः प्रकाशन पुरंदर-सं० (पु०) इंद्र पुनर्मुद्रणाधिकार-सं० (पु०) फिर छापने का अधिकार पुर-[सं० (वि०) भरा हुआ, पूर्ण II (पु०) 1 बस्ती 2 घर पुनर्मुद्रित-सं० (वि०) पुनः छापा हुआ।
3 नगर 4 अटारी, कोठा। द्वार (पु०) 1 नगर का फाटक पुनर्मूल्यन-सं० (पु०) फिर से दाम लगाना
2 पुर का मुख्य दरवाज़ा; ~वासी (पू०) नगर का रहनेवाला, पुनर्मूल्यांकन सं० (पु०) फिर से मूल्य आँकना
नागरिक पुनर्रचना-सं० (पु०) : पुनः रचना
पुर-(पु०) कुएँ से पानी खींचने का मोट, चरसा। लेना पानी पुनर्वचन-सं० (पु०) - पुनरुक्ति
भरा पुरवट खींचकर उसका पानी गिराना पुनर्वरण-सं० (पु०) फिर से चुनना
पुर-फ़ा० (वि०) भरा हुआ, पूर्ण। ~अमन +अ० (वि०) पुनर्वर्गीकरण-सं० (पु०) फिर से वर्गों में बाँटना
शांतिमय, शांतिपूर्णः ~असर +अ (वि०) प्रभावपूर्ण; पुनर्वाद-सं० (पु०) पुनः कोई बात उसी रूप में कहना ~ज़ोर (वि०) 1 जोरदार 2 ओजपूर्णः -जोश (वि०) पुनर्वादी-सं० (वि०) 1 फिर से कहनेवाला 2 फिर से विचार | जोश में भरा हुआ, जोशपूर्ण; ~मज़ाक +अ० (वि०) हेतु प्रार्थना करनेवाला
हास्यपूर्ण; ~शोर (वि०) शोरगुलवाला, कोलाहलपूर्ण पुनर्वास-सं० (पु०) 1 फिर से बसना 2 फिर से बसाना, पुरखा-(पु०) 1 पूर्वज 2 सयाना और वृद्ध व्यक्ति (स्त्री० आबाद करना; --मंत्री (पु.)
पुरखिन) । पुरखे तर जाना पूर्वजों को उत्तम गति प्राप्त होना, पुनर्वासन-सं० (पु०) फिर से बसाने की क्रिया
कृत्य-कृत्य होना पुनर्विचार-सं० (पु०) फिर से विचार करना (जैसे-मुकदमे पर पुरचक-(सतरी०) 1चुमकार, पुचकार 2 बढ़ावा, प्रेरणा,
पुनर्विचार की अनुमति दी जानी चाहिये)। न्यायालय __ उकसाना 3 पृष्टपोषण (पु०) वह अदालत जहाँ पुनर्विचार किया जाय; ~प्रार्थना पुरज़ा-फा० (पु०) 1 टुकड़ा, खंड 2 काटकर निकाला हआ (स्त्री०) पुनर्विचार हेतु की गई विनती, निवेदन; ~प्रार्थी टुकड़ा, कतरन 3 काग़ज़ के टुकड़े पर लिखी सूचना 4 हाथ से (वि०) पुनर्विचार की प्रार्थना करनेवाला
भेजी हुई चिट्ठी 5 यंत्र का कोई अंग, अंश (जैसे-घड़ी का पुनर्वितरण-सं० (पु०) फिर से बाँटना
पुरजा खराब हो गया)। पुरज़े-पुरज़े उड़ाना टुकड़े-टुकड़े पुनर्विधान-सं० (पु०) फिर से बनाना
करना, खंड-खंड कर देना पुनर्विधायन-सं०(पु०)विधान को नए सिरे से पुनःनया रूप देना | पुरतः-सं० (अ०) आगे, सामने पुनर्विनियोजन-सं० (पु०) 1फिर से भाग करना 2 फिर से | पुरबला-(वि०) बो० 1 पूर्व का, पहले का 2 पूर्व जन्म का अर्पण करना
पुरबिया-11 पूरब का, पूर्व देश का 2 पूर्व दिशा से आनेवाला पुनर्विभाजन-सं० (पु०) विभाजित की गई वस्तु का पुनः .. II (पु०) पूर्वी देश का निवासी विभाजन करना
पुरवट-बो० (पु०) चरसा, मोट पुनर्विलोकन-सं० (पु०) फिर से देखना, दुबारा देखना पुरवा-I (पु०) छोटा गाँव पुनर्विवाह-सं० (पु०) दूसरा ब्याह ।
पुरवा-II (स्त्री०) पूरब की ओर से बहनेवाली हवा पुनर्विहित-सं० (वि०) 1 जिसका फिर से विधान हुआ हो | पुरवा-III (पु०) प्याले के आकार का मिट्टी का बर्तन, कुल्हड़ 2 नए विधान के रूप में लाया हुआ
पुरवाई, पुरवैया-(स्त्री०) = पुरवा II पुनश्च-I सं० (अ०) 1 इसके बाद, फिर 2 दूसरी बार, दोबारा पुरश्चरण-सं० (पु०) काम की पहले से की जानेवाली तैयारी 3जो कुछ कहा जा चुका है उसके बाद II (पु०) कह चुकने पुरसाँ-फा० (वि०) खोज-खबर लेनेवाला। के बाद कही गई बात
पुरसा-(पु०) उँचाई, गहराई नापने की नाप जो हाथ उठाकर पुनश्चर्या-सं० (स्त्री०) काम को दोहराना
खड़े आदमी के या लगभग पाँच हाथ के बराबर होती पुनश्चित्रण-सं० (पु०) दोबारा चित्रित करना
है। से-यह कूआँ पाँच पुरसा गहरा है) पुनश्शस्त्रीकरण-सं० (पु०) = पुनः शस्त्रीकरण पुरस्कार-सं० (पु०) 1 इनाम 2 उपहार, भेंट । विजेता पुनस्संघटन, पुनस्संस्थापन-सं० (पु०) = पुनः संगठन (पु०) पुरस्कार प्राप्त करनेवाला व्यक्ति; वितरण (पु०) पुनीत-सं० (वि०) 1 पवित्र 2 उत्तम (जैसे-दान करना पुनीत | इनाम देना कर्तव्य है)
पुरस्कारणीय-सं० (वि०) पुरस्कार पाने योग्य पुपली-सं० (स्त्री०) बो० 1 आम की गुठली को घिसकर | पुरस्कारार्थ-सं० (वि०) इनाम के लिए
बनाया गया बाजा, सीटी 2 बाँस की पतली एवं पोली नली पुरस्कृत-सं० (वि०) जिसने पुरस्कार प्राप्त किया हो पुरः-सं० (अ०) 1 समक्ष, सामने 2 पहले, पूर्वी 3 पूर्व दिशा पुरस्सर-सं० (वि०) = पुरः सर, अगुआ, साथी
का, पूर्वी। दत्तः (वि०) पहले से दिया हुआ; दान पुरा-I (स्त्री०) छोटी बस्ती, गाँव (पु०) नियत समय से पहले देना; प्रत्यय (पु०) व्या० | पुरा-II सं० (अ०) 1 पुराने समय में 2 थोड़े समय में प्रत्यय जो शब्द के पहले लगकर अर्थ में नवीनता उत्पन्न करता । 3 अब-तक। -कथा (स्त्री०) 1 इतिहास 2 पुरानी कहानी;
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पुराण
~कल्प (पु०) प्राचीन समय, पुराना युग; (वि०) 1 बहुत पुराना 2 अत्यधिक प्राचीन युग का; (वि०) पूर्व काल में किया हुआ II ( पु० ) जन्म में किये गये कर्म; कोश (पु० ) ऐसा शब्दकोश जिसमें प्राचीन भाषाओं के अत्यधिक पुराने शब्दों की व्याख्या हो; गत (वि०) पूर्वगामी जीव (पु० ) = दे० जीवाश्म; ~जीव-कल्प (पु० ) = पुरा कल्प; जीव- शास्त्र (पु० ) = पुरा जैविकी; जीव-शास्त्रज्ञ (पु० ) जीवाश्म विज्ञान को जाननेवाला वैज्ञानिक; जीव संग्रहालय (पु०) पुराने ज़माने के जीव जंतुओं का अजायबघर जैविकी (स्त्री०) जीवाश्म विज्ञान; तत्व (पु० ) प्राचीन अनुसंधान एवं अध्ययन से संबंधित ज्ञान; तत्वज्ञ (पु० ) पुरातत्व विद्या को जाननेवाला व्यक्ति; तत्ववेत्ता (वि०) प्राचीन संबंधी खोजों एवं विद्याओं को जाननेवाला; तत्व- शास्त्र (पु० ) = पुरातत्व; तत्व शास्त्रीय (वि०) पुरातात्विक; ~तात्विक (वि०) पुरातत्व संबंधी पाषाण (वि०) पत्थर युग से पहले का; भूगोल (पु०) भूगोल से पहले का ज्ञान ~ लिपि (स्त्री०) प्राचीन लिपि; ~लेख (पु० ) प्राचीन स्मृति चिह्न पर अंकित किया हुआ लेख; वनस्पति विज्ञान (पु० ) प्राचीनकाल के वनस्पतियों से संबंधित विज्ञान; ~विद् (वि०) प्राचीन इतिहास आदि विषयों को जाननेवाला; ~वृत्त (पु० ) प्राचीन युग का वृत्तांत
~
कालीन
कृत I
511
=
पुराण - I सं० (वि०) 1 पुराना, प्राचीन 2 जीर्ण-शीर्ण II (पु० ) हिन्दुओं के अनेक धार्मिक ग्रंथ (जैसे- विष्णु पुराण, गरुण पुराण आदि) ~ता (स्त्री०) प्राचीनता, पुरानापन; पंथी + हिं० (वि०) जो पुराण आदि धर्म ग्रंथों का अनुयायी हो; पाषाणयुग (पु० ) अति प्राचीन पत्थर का समय; ~~बाद (पु० ) = पुरातनमतवाद; ~वादी (वि०) पुरातन पंथी; विज्ञान (पु० ) पुरा कथा शास्त्र पुरातन सं० (वि०) 1 पुराना, प्राचीन 2 सबसे पहले का, आद्य पंथी + हिं० (वि०) प्राचीन धर्म एवं संस्कृति को माननेवाला; ~मतवाद (पु०) यह सिद्धांत कि प्राचीन मत ही श्रेष्ठ हैं; मतवादी (वि०) पुरातन पंथी पुराना - I ( वि०) 1 प्राचीन काल का बहुत पहले का (जैसे-यह सभ्यता अब पुरानी है) 2 दीर्घ काल का (जैसे-यह बहुत पुराना काव्य है) 3 जीर्ण शीर्ण (जैसे यह पुराना कपड़ा है) 4 यथेष्ट रूप में परिपक्व, पूर्ण अनुभव प्राप्त (जैसे- यह कारीगर अब पुराना हो गया है) 5 जिसका प्रचलन समाप्त हो गया हो (जैसे यह पुराना पहनावा है) II (स० क्रि०) 1 पूरा करना 2 निर्वाह करना, पालन करना। ~चिराना, घिराना (वि०) जीर्ण-शीर्ण, बेकार, पन (पु० ) पुराना होने की अवस्था, खुर्राट बहुत बड़ा अनुभवी; ~ घाघ बहुत बड़ा
=
चालाक
पुरी-सं० (स्त्री०) छोट. नुर, नगरी पुरीष-सं० (पु०) मल, विष्ठा
पुरु-I सं० (वि०) बहुत अधिक, विपुल II (पु० ) देवलोक, स्वर्ग
पुरुष - सं० (पु० ) 1 नर, मर्द 2 मानव जाति 3 स्त्री का पति 4 व्या o वक्ता की दृष्टि से सर्वनामों का वर्गीकरण (जैसे- प्रथम पुरुष में 'मैं' हम ) । -कार ( पु० ) 1 पुरुषार्थ, पौरुष
पुलकी
2 उद्योग; पुंगव (पु०) श्रेष्ठ व्यक्ति; युगल (पु० ) पुरुषों का जोड़ा; ~वाचक (वि०) पुरुष का बोध करानेवाला पुरुषत्व - सं० ( पु० ) पुरुष होने की अवस्था (जैसे-उसमें पुरुषत्व के लक्षण हैं)
पुरुषानुक्रम-सं० (पु० ) वंशधरों की परंपरा पुरुषानुक्रमिक-सं० (वि०) पुरुषों के क्रम से होनेवाला पुरुषायित-सं० ( क्रि० वि०) 1 पुरुष जैसा आचरण 2 स्त्री का काम संबंधों में पुरुष जैसा आचरण पुरुषार्थ सं० ( पु० ) 1 पुरुष के उद्देश्य एवं लक्ष्य का विषय 2 मनुष्योचित बल, पौरुष
पुरुषार्थी - सं० (वि०) 1 पुरुषार्थ करनेवाला 2 उद्योगी 3 बी पुरुषोचित-सं० (वि०) जो पुरुषों के लिए उचित हो पुरुषोत्तम - I सं० (वि०) जो पुरुषों में सबसे उत्तम हो, जो सर्वश्रेष्ठ हो II ( पु० ) सर्वश्रेष्ठ पुरुष पुरोगत-सं० (वि०) 1 जो पहले गया हो 2 जो सामने हो पुरोगमन - सं० ( पु० ) 1 आगे बढ़ना 2 उन्नति की ओर प्रवृत्त होना
पुरोगामी - I सं० (वि०) 1 अगुआ, अग्रगामी 2 बराबर उन्नति
करता हुआ II ( पु० ) 1 नायक 2 अग्रदूत पुरोदर्शन सं० ( पु० ) 1 सामने की ओर से दिखाई देनेवाला रूप 2 वास्तु रचना में वह चित्र जो उसके सामनेवाले भाग को दिखाता हो
पुरोधा - सं० (पु० ) पुरोहित
पुरोभाग-सं० ( पु० ) अगला हिस्सा, अग्रभाग पुरोभागी - सं० (वि०) आगे की ओर होनेवाला, अग्रभाग का पुरोवर्ती - सं० (वि०) पहले आनेवाला
पुरोहित - I सं० (वि०) धार्मिक कृत्य करनेवाला II ( पु० ) धार्मिक कर्म संपन्न करानेवाला याजक। तंत्र (पु०) वह शासन प्रणाली जिसमें पुरोहित की प्रधानता हो पुरोहिताई -सं० + हिं० (स्त्री०) पुरोहित का काम एवं पद पुरोहितानी -सं० + हिं० (स्त्री०) पुरोहित की पत्नी पुरोहिती - I सं० (वि०) पुरोहित का II (स्त्री०) = पुरोहिताई पुर्ज़ा - फ़ा० ( पु० ) = पुरज़ा पुर्ज़ा - फ़ा० (स्त्री०) छोटा पुर्ज़ा
पुर्तगाली - अं० + हिं० I (वि०) पुर्तगाल देश का II (पु० ) पुर्तगाल देश का निवासी III (स्त्री०) पुर्तगाल देश की भाषा पुर्तगीज़ - अं० (वि०) पुर्तगाली पुल - फ़ा० 1 (पु० ) खाइयों, नदी-नालों, रेललाइनों आदि के ऊपर आर-पार जाने के लिए बनाई गई वास्तु रचना, सेतु (जैसे- पुल के नीचे नदी बहती है) 2 बात आदि का बहुत लंबा क्रम, झड़ी, ताँता (जैसे- तारीफ के पुल बाँधना ) II (वि०) 1 बहुत अधिक 2 अतिविशाल, विस्तृत । प्रशंसा के पुल बाँधना प्रशंसा की झड़ी लगा देना; हवाई पुल बाँधना अलभ्य एवं असंभाव्य कल्पनाएँ करना पुलक-सं० (पु० ) 1 हर्ष, भय आदि मनोविकारों की प्रबलता में रोंगटे खड़े होना, रोमांच 2 कामना, वासना । प्रकंपित (वि०) रोमांच के कारण काँपता हुआ; प्रद (वि०) रोमांचकारी
=
पुलकित-सं० (वि०) प्रेम, हर्ष आदि से गद्गद् रोमांचित पुलकी-सं० (वि०) जिसे रोमांच हुआ हो
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512
पुलटिस
पुस्तक
पुलटिस-अं० (स्त्री०) फोड़े आदि पर लगाया जानेवाला __ (वि०) 1 बहुत, प्रचुर 2 परिपूर्ण, पर्याप्त 3 श्रेष्ठ, उत्तम अलसी, रेंडी आदि का लेप
पुष्ट-सं० (वि०) 1 मोटा ताजा एवं बलवान, बलिष्ठ पुलपुला-(वि०) 1 ढीला और मुलायम 2 दे० पोला (जैसे-हष्ट-पुष्ट शरीरवाला) 2 जिसमें कोई कोर-कसर न हो, पुलपुलाना-I (स० क्रि०) हाथ से दबाकर पुलपुला करना II पक्का 4 सब तरह से पूरा, परिपूर्ण (अ० क्रि०) पुलपुला होना
पुष्टई-सं० +हिं० (स्त्री०) पुष्टता पुलपुलाहट-(स्त्री०) 1 पुलपुलापन 2 पोलापन
पुष्टांग-सं० (वि०) पुष्ट अंगवाला पुलाक-सं० (पु.) 1 भात 2 माँड 3 पुलाव 4 कदन्न पुष्टि-सं० (स्त्री०) 1 दृढ़ता, मजबूती 2 पोषण 3 बढ़ती 4 पुष्ट पुलाव-(पु०) 1 मांस एवं चावल के मिश्रण से बना व्यंजन. किया गया तर्क 5 कही हुई बात का अनुमोदन, समर्थन मांसोदन 2 पकाया हुआ मीठा चावल
(जैसे-आपकी बात से संदेह की पुष्टि हो गई)। कर पुलिंदा-(पु०) काग़ज़, कपड़े आदि की बंधी बड़ी गठरी (वि०) 1 पुष्ट करनेवाला 2 पुष्टि करनेवाला 3 बलवर्द्धक पुलिन-सं० (पु०) 1 गीली भूमि 2 रेतीला किनारा, तट 3 नदी ~कारक (वि.) 1 पोषण करनेवाला 2 शक्ति बढानेवाला: में पड़ी रेत का दूह
~मार्ग (पु०) शुद्धाद्वैत मत की साधना व्यवस्था पुलिनमय-सं० (वि०) जो बहते हुये पानी से तर हो (जैसे-बल्लभाचार्य ने पुष्टि-मार्ग चलाया था) पुलिया-फ़ा० +हिं० (स्त्री०) छोटा पुल
पुष्टीकरण-सं० (पु०) कही गई बात, काम आदि का समर्थन पुलिस-अं० (स्त्री०) 1 अपराधियों को पकड़ने के लिए बनाया करते हुए पुष्टि करना, कन्फर्मेशन
गया राजकीय विभाग 2 अपराधियों को पकड़ने हेतु राजकीय | पुष्टीकृत-सं० (वि०) जिसकी पुष्टि की गई हो विभाग के लोगों का दल 3 सिपाही (जैसे-चोर को पुलिस ने | पुष्प-सं० (पु०) फूल, कुसुम। ~कीट (पु०) 1 फूल का पकड़ा)। अधीक्षक सं० (पु०) पुलिस सुपरिनटेंडेंट; | कीड़ा 2 भौरा, भ्रमर; ~गृह (पु०); ~धन्वा (पु०)
चौकी +हिं० (स्त्री०) वह स्थान जहाँ निगरानी हेतु पुलिस कामदेव; पूर्ण (वि०) फूलों से भरा हुआ, पुष्प पूरित, के कुछ आदमी रहते हों; निरीक्षक +सं० (पु०) पुलिस पुष्पमय; ~माला (स्त्री०) फूलों की माला, फूलों का हार; इंस्पेक्टर; ~पदाधिकारी सं० (पु०) पुलिस अफसर ~रज, रस (पु०) पराग; राग (पु०) पुखराज नाम ~महानिरीक्षक सं० (१०) इंस्पेक्टर जनरल पुलिस; का रत्न; रेणु (पु०) पुष्परज, पराग; ~वाटिका (स्त्री०) ~मैन (पु०) पुलिस का कर्मचारी, सिपाही; राज +हिं० फुलवारी; ~वृष्टि (स्त्री०) पुष्पवर्षा; ~शय्या (स्त्री०) (पु०) पुलिस द्वारा अत्याचारी शासन; ~स्टेशन (पु०) थाना फूलों की सेज; ~सार (पु०) 1 पुष्प का मधु, पुष्परस पुली-फ़ा० +हिं० (स्त्री०) छोटा पुल
2 फूलों का इत्र; हार (पु०) = पुष्पमाला; ~हास (पु०) पुली-अं० (स्त्री०) 1 वह पहिया जिस पर रस्सा रखकर भार | फूलों का खिलना खींचा जाता है 2 वह पहिया जिस पर यंत्र आदि का पट्टा रखा | पुष्पक-सं० (पु०) 1 कुबेर का विमान 2 फूल, पुष्प जाता है (जैसे-चक्की की पली पर से पट्टा गिर गया) 3 पहियों पुष्पांजलि-सं० (स्त्री०) फूलों से भरी अंजलि (जैसे-देव का सामूहिक यांत्रिक रूप
प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करना) पुलोवर-अं० (पु०) स्वेटर
पुष्पागम-सं० (पु०) बसंत ऋतु पुवाल-बो० (पु०) = पयाल
पुष्पान्वित-सं० (वि०) पुष्पित पुश्त-फ़ा० (स्त्री०) 1 पीढ़ी (जैसे-पुश्त-दर पुश्त शत्रुता बढ़ती पुष्पाभरण-सं० (पु०) फूलों के गहने, गजरा
गई) 2 पिछला भाग, पीछा। ~ नामा (प्०) वंशावली पुष्पायुध-सं० (पु०) फूल ही जिसका अस्त्र हो ऐसा व्यक्ति, पश्तक-फ़ा० (स्त्री०) पिछले दोनों पैरों से किया गया आघात. कामदेव दोलती
पुष्पिका-सं० (स्त्री०) ग्रंथ के अध्याय का समापक वाक्य पुश्ता-फा० (पु०) 1 ईंट, पत्थर आदि की ढालुई वास्तु रचना | पुष्पित-सं० (वि०) 1 पुष्पों से युक्त 2 उन्नत एवं समृद्ध 2 किताब की जिल्द के पीछे लगा हआ मोटा चमड़ा आदि । पुष्पोद्यान-सं० (पु०) फुलकारी, पुष्पवाटिका
पुश्त (अ०) 1 कई पीढ़ियों से 2 कई पीढ़ियों तक; | पुष्योहार-सं० (पु०) फूलों की बनाई हुई माला, पुष्पहार, बंदी (स्त्री०) पुश्ता बाँधने का काम
पुष्पमाला पुश्ती-फ़ा० (स्त्री०) 1 टेक, सहारा 2 सहायता, मदद पुसाना-(अ० क्रि०) 1 पोषण होना, पोसा जाना 2 पूरा पड़ना
3 पक्षपात, तरफदारी 4 तकिया, मसनद । -बान तख्ने आदि | 3 उचित जान पड़ना, भला लगना में पीछे की ओर लगाई जानेवाली लकड़ी, थूनी पुस्त-सं० (पु०) 1 मिट्टी, लकड़ी, लोहे आदि से बनाई गई पुश्तैनी-फ़ा०+हिं० (वि०) 1 जो कई पीढ़ियों से चला आ रहा वस्तु 2 कारीगरी, शिल्पकारी 3 किताब, पुस्तक। डाक हो (जैसे-हमारा पुश्तैनी मकान बिक गया) 2 जो कई पीढ़ियों (स्त्री०) डाक द्वारा पुस्तक भेजने की विधि; पाल (पु०) : तक चला जाय (जैसे-क्षय पुश्तैनी रोग है)
पुस्ताकाध्यक्ष पुषित-सं० (वि०) जिसका पोषण किया गया हो, पुष्ट | पुस्तक-सं० (स्त्री०) 1 किताब, ग्रंथ 2 हाथ की लिखी हुई पुष्कर-सं० (पु०) 1 जलाशय, पोखरा 2 जल 3 कमल 4 नील पोथी। डाक +हिं० (स्त्री०) = पुस्तडाक; ~प्रकाशक कमल
(पु०) पुस्तक छपवाकर प्रकट करनेवाला, पब्लिशर; पुष्करिणी-सं० (स्त्री०) छोटा जलाशय
~प्रणयन (पु०) पुस्तक निर्माण; -प्रदर्शनी (स्त्री०) पुस्तकों पुष्कल-I सं० (पु०) 1 भिक्षा 2 एक प्रकार की वीणा II की नुमाइश, पुस्तकों का मेला; ~प्रेमी (पु०) पुस्तकों से प्रेम
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पुस्तकाकार
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पूजा
रखनेवाला; ~भांडार (पु०) पुस्तकालय; ~माला (स्त्री०) प्रणाली जिसमें धनिक वर्ग उत्पादन साधनों पर अधिकार कर एक ही प्रकार की पुस्तक श्रेणी; लेखक (पु०) किताब श्रमिकों का शोषण करता है, कैपिटलिज्म; ~वादी + सं० लिखनेवाला; विक्रय (पु०) किताब बेचना; -विक्री (वि०) 1 पूँजीवाद सिद्धांत को माननेवाला 2 पूँजीवाद संबंधी; (स्त्री०) पुस्तक बेचने की क्रिया; विक्रेता (पु०) पुस्तक ~वादी-ज़मींदार + सं० + फ़ा० (पु०) पूँजी जमा करने के बेचनेवाला; ~संपादक (पु०) पुस्तक को संपादित कर पक्ष में रहनेवाला ज़मींदार; ~विनियोग + सं० (पु०) पूँजी प्रकाशन के योग्य बनानेवाला व्यक्ति
लगाना; ~विनियोजक + सं० (वि०) पूँजी लगानेवाला; पुस्तकाकार-सं० (वि०) पुस्तक के आकार का (जैसे-उनके -विनियोजन + सं० (पु०) पूँजी लगाना; ~शाही + निबंध पुस्तकाकार रूप में छप गये)
फ़ा० (स्त्री०) पूँजीपतित्व; ~संचय + सं० (पु०) धन एकत्र पुस्तकागार-सं० (पु०) = पुस्तकालय
करना, धन जुटाना पुस्तकाध्यक्ष-सं० (पु०) पुस्तकपाल, लाइब्रेरियन पूआ-(पु०) पूरी की तरह का मीठा पकवान पुस्तकालय सं० (पु०) वह भवन जहाँ अध्ययन हेतु पुस्तकों | पूग-सं० (पु०) 1सुपारी का पेड़ एवं फल 2 कटहल 3 शहतूत
का संग्रह किया गया हो (जैसे-सार्वजनिक पुस्तकालय में दस | का पेड़ हजार पुस्तकें हैं)। -विज्ञान (पु०) वह भवन जहाँ विज्ञान | पूगना-(अ० क्रि०) 1 पूरा होना 2 चौसर आदि के खेल में संबंधी किताबों का संग्रह किया गण हो
गोट, पासे आदि का नियत मार्ग से होते हए घर में पहँचना पुस्तकालयाध्यक्ष-सं० (पु०) पुस्तकालय का प्रधान | पूगी-I (पु०) सुपारी का पेड़ II (स्त्री०) सुपारी अधिकारी
पूछ-(स्त्री०) 1 पूछने की क्रिया, जिज्ञासा 2 चाह, तलब । पुस्तकास्तरण-सं० (पु०) 1 पुस्तक की बेठन 2 पुस्तक पर ~गाछ (स्त्री०) बोल, ~ताछ (स्त्री०), ~पाछ (स्त्री०) चढ़ाया जानेवाला कागज
बो० पक्की जानकारी हेतु प्रश्न पूछना, वास्तविकता का पता पुस्तकी-सं० (स्त्री०) पुस्तिका
लगाने के लिए बार-बार किसी से पूछना, प्रश्न करना पुस्तकीय-सं० (वि०) 1 पुस्तक संबंधी, पुस्तक से प्राप्त | (जैसे-पुलिस ने मुज़रिम से पूछ-ताछ किया) 2 अनुसंधान होनेवाला (जैसे-पुस्तकीय ज्ञान)
आदि के लिए जिज्ञासा प्रकट करना पुस्तिका-सं० (स्त्री०) छोटी पुस्तक। ~कार (वि०) छोटी | पूछना-(स० क्रि०) 1 जिज्ञासा करना (जैसे-कुशल समाचार पुस्तक की तरह का
पूछना) 2 प्रश्न करना (जैसे-परीक्षा में अनेक तरह की बातें पुहना-1 (अ० क्रि०) गूंथा जाना, पोहा जाना II (स० क्रि०) | पूछना) 3 हाल-चाल, खोज-खबर लेना (जैसे-मरीज़ को चार - पोहना
दिनों से कोई पूछने भी नहीं आया) 4 उचित ध्यान देना पुहुप-(पु०) फूल, पुष्प
(जैसे-इस जमाने में कौन किसको पूछेगा) 5 कदर करना, पुहमी-(स्त्री०) 1 पृथ्वी 2 भूमि
आँकना (जैसे-अब पैसों के आगे योग्यता को कौन पूछता है) पूँगी-(स्त्री०) सुपारी
6 जवाब-तलब करना 7 टोकना (जैसे-सीधे ऊपर चढ़ जाना पूँछ-(स्त्री०) पुच्छ, लांगल. दुम (जैसे-घोड़े की पूँछ, कुत्ते की | कोई कुछ नहीं पूछेगा) पंछ)। दार । फ़ा (वि०) पूँछवाला (जैसे-पूँछदार | पूछा-पाछी, पूछा-ताछी-(स्त्री०) - पूछ-ताछ जानवर)। पकड़कर चलना 1 अनुयायी बनकर चलना पूजक-सं० (वि०) पूजा करनेवाला। 2 सहारा लेकर चलनाः हिलाना दीनता प्रकट करना | पूजन-सं० (पु०) 1 आराधना एवं वंदना 2 आदर, सम्मान पूँजी-(स्त्री) 1 जमा किया हुआ धन (जैसे-पूँजी का संचय) | पूजना-I (स० क्रि०) 1 पूजन करना 2 सेवा-सत्कार करना 2 आय देने हेतु व्यवसाय में लगाया धन (जैसे-औद्योगिक 3 प्रसत्र करने हेतु कुछ धन आदि देना (जैसे-रिश्वत देकर पंजी) 3 मूलधन 4 रुपया-पैसा, द्रव्य (जैसे-वित्तीय पूँजी) 5 पूजना) 4 खूब मारना-पीटना (जैसे-घबड़ाओ मत आज विषय की योग्यता, ज्ञान (जैसे-साहित्यिक पूँजी का योगदान)। तुम्हारी मजे में पूजा होगी)
करण । सं० (पु०) पूँजी बनाना; गत । सं० (पु०) पूजना-II (अ० क्रि०) 1 पूरा होना, भरना (जैसे-घाव पूजना) पूँजी संबधी; जीवी । सं० (पु०) पूँजी पर गुज़ारा | 2 पूर्ति होना (जैसे-कर्ज पूजना) 3 अवधि पूरा होना करनेवाला; दार । फ़ा० (प्०) धनवान व्यक्ति, धनी | (जैसे-किस्त पूजना) 4 बराबर होना, समतुल्य होना व्यक्ति; दारी । फा० (स्त्री०) पूँजीदार होने की अवस्था; पूजनीय-सं० (वि०) । पूजने योग्य, अर्चनीय, वंदनीय
-नियोजन । सं० (पु०) पूँजी लगाना: निर्गमन । सं० | 2 आदरणीय, सम्माननीय (पु०) पूँजी निकालना; निर्माण + सं० (पु०) पूँजी बनाना पूजमान-(वि०) पूजित होनेवाला, पूज्य -निवेश । सं० (पु०) पूँजी लगाना: पंथी (वि०) .. पूजयिता-सं० (वि०)/(पु.) पूजा करनेवाला पूँजीवादी, पति । सं० (३०) अत्यधिक धनी व्यक्ति; पूजा-सं० (स्त्री०) 1 अर्चना, पूजन 2 यथेष्ट आदर सत्कार,
~पतिक (वि०) पूँजीपति संबंधी; ~पति वर्ग । सं० आव-भगत 3 संतुष्ट करने हेत् किया जानेवाला कार्य (पु०), पति श्रेणी । सं० (स्त्री०) धनी व्यक्तियों का 4 रिश्वत, घुस (जैसे-अधिकारी को उसने सौ रुपये पूजा है) समूह, धनिक वर्ग: परस्त + फ़ा० (वि०) = पूँजीवादी; 5 दंडित करने का भाव। ~गृह (पु०), ~घर । हिं० परिचलन । सं० (पु०) पूंजी का चालू रहना; (पु०) 1 उपासना मंदिर 2 देवालय, मंदिर; - पाठ (पु०)
परिव्यय । सं० (१०) पूँजी की लागत; ~प्रधान • सं० भजन-कीर्तन, वंदना पाठ; ~पात्र (पु०) 1 वह जिसकी (वि०) - पूंजीवादी; वाद + सं० (१०) ऐसी आर्थिक | अर्चना की जाय 2 सम्मान किए जाने योग्य व्यक्ति, आदर का
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पूजित
514 पात्र; ~विधि (स्त्री०) वंदना करने का तरीका
कोर-कसर न हो, पक्का (जैसे-वह काम में पूरा होशियार है) पूजित-सं० (वि०) जिसे पूजा गया हो
6 पूर्णतः संपन्न, पूर्णतः संपादित (जैसे-इस ग्रंथ को पूरा करने पूजितव्य-सं० (वि०) - पूजनीय, पूज्य
में पाँच वर्ष लगे) 7 जो कार्यतः ठीक सिद्ध हो पूजोपकरण-सं० (पु०) पूजन सामग्री, पूजा सामग्री (जैसे-अध्यापक का कहना पूरा होकर रहेगा) 8 समय व्यतीत पूज्य-सं० (वि०) 1 पूजा किए जाने योग्य 2 आदर योग्य, करना (ज़िंदगी के कुछ ही दिन अब पूरे करने हैं) माननीय। ता (स्त्री०) पूज्य होना; पाद (वि०) १ संतोषजनक रूप में सफल होना (जैसे-मेरी सभी कामनाएँ पूजनीय; ~मान् (वि०) जो पूजा जाता हो, सेव्यमान; ~वर पूरी हो गईं) II (क्रि० वि०) पूर्ण रूप से. पूरी तरह से। (वि०) पूज्य और बड़ा
~उतरना भली-भाँति संपन्न होना; ~पड़ना 1 समा जाना, पूटरी-बो० (स्त्री०) खाँड़ बनने से पूर्व ईख के रस की अवस्था अँट जाना 2 कमी न होना; दिन पूरे होना, आयु, अवधि पूठा-बो० (पु०) = पुट्ठा
आदि का समाप्त होना पूड़ा-(पु०) पूआ
पूरित-सं० (वि०) 1 पूर्ण किया हुआ, परिपूर्ण 2 भरा हुआ, पूड़ी-(स्त्री०) दे० पूरी
लबालब 3 तृप्त पूत-I (पु०) पुत्र, बेटा (जैसे-इक लख पूत सवा लख नाती) पूरी-I (स्त्री०) रोटी की तरह तेल, घी में छाना हुआ प्रसिद्ध पूत-II सं० (वि०) पवित्र, शुद्ध
पकवान II (वि०) 'पूरा' का स्त्री० (जैसे-वह पूरी पुस्तक पढ़ पूतात्मा-सं० (वि०) पवित्र अंतःकरणवाला, शुद्ध हृदयवाला गया) III (स्त्री०) घास आदि का छोटा पूला पूर्ति-सं० (स्त्री०) 1 पवित्रता, शुद्धता 2 दुर्गध। व्रण | पूर्ण-सं० (वि०) 1 पूर्णतः भरा हुआ (जैसे-जल पूर्ण कलश) ... (पु०) अत्यंत दुर्गंधवाला एक फोड़ा
2 पूरी तरह से युक्त (जैसे-पूर्ण अधिकार प्राप्त) 3 हर प्रकार पूतिक-I सं० (पु०) 1 दुर्गंध 2 विष्ठा, मल II (वि०) जो से तृप्त और संतुष्ट (जैसे-मेरी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो गईं) दुर्गंध से भरा हो, बदबूदार
4 सब का सब, समूचा, पूरा, समस्त (जैसे-पूर्ण योजनाएँ पूती-(स्त्री०) 1 गाँठ रूप में पौधों की जड़ 2 लहसुन आदि की अच्छी तरह सफल हो गईं) 5 सफल, सिद्ध (जैसे-संकल्प गाँठ
पूर्ण होना) 6 समाप्तप्राय होना (जैसे-आयु पूर्ण होना. दंड की पूतीकरण-सं० (पु०) पवित्र करने की क्रिया
अवधि पूर्ण होना)। -काम (वि०) 1 जिसकी कामनाएँ पूनी-(स्त्री०) 1 सूत कातने की रूई की बत्ती
पूर्ण हो गई हों 2 कामना रहित, निष्काम; ~कालिक (वि०) पूनो-बो० (स्त्री०) = पूर्णिमा
जो पूरे समय का हो (जैसे-पूर्ण कालिक रोज़गार, पर्ण कालिक पूप-सं० (पु०) मीठी पूरी
योजना); -क्रिया द्योतक (वि०) पूर्ण क्रिया का बोध पपूली-सं० (स्त्री०) छोटा पूआ
करानेवाला: गर्भा (स्त्री०) जिस स्त्री के गर्भ के दिन परे हो पूयन-सं० (पु०) फोड़े का पीप, मवाद । ~रक्त (पु०) चुके हों; चंद्र (पु०) पूर्णिमा का चंद्रमाः ता (स्त्री०) .
1 नाक से पीव मिला रक्त निकलने का रोग 2 पीव मिला रक्त पूर्ण होने की अवस्थाः भूत (पु०) किसी क्रिया का पूर-I (पु०) 1 पकवान के अंदर भरा जानेवाला मसाला | भूतकाल में पूर्ण होने का रूपः ~मासी (स्त्री०) - पूर्णिमा, 2 कार्य पूरा करने की क्रिया II (वि०) पूर्ण
पूनो; ~रूपेण (वि०) पूरी तरह से: वयस्क (वि०) पूरा पूरक-सं० (वि०) 1 पूरा करनेवाला 2 तुष्ट करनेवाला (जैसे-वे बालिरा; विराम (पु०) वाक्य की समाप्ति का सूचक चिह्न, एक दूसरे के पूरक हैं)
फुल स्टाप; सत्ता (स्त्री) पूरा अधिकार पूरण-1 सं० (पु०) 1 पूरा करने की क्रिया 2 पूर्ति करना II पूर्णतः, पूर्णतया-सं० (अ०) ५. पूर्ण रूपेण (वि०) पूरा करनेवाला ।
पूर्णाक-सं० (पु०) 1 पूरी संख्या 2 प्रश्न पत्र के लिए निर्धारित पूरणीय-सं० (वि०) पूर्ण किए जाने योग्य
अंक 3ग अविभक्त संख्या पूरन-पूरी-(स्त्री०) मीठी कचौरी
पूर्णाश-सं० (वि०) पूरा भाग पूरना-I (स० क्रि०) 1 कमी को दूर करना, कमी को पूरा पूर्णाभिलाष-सं० (वि०) 1 जिसकी अभिलाषाएँ पूर्ण हो चुकी करना 2 अच्छी तरह भरना 3 आच्छादित करना, ढाँकना हों 2 तृप्त, संतुष्ट 4 सफल करना 5 पवित्र स्थान पर चौक बनाना (जैसे-चौक पूर्णायु-1 सं० (वि०) पूरी उम्रवाला, सौ वर्ष का II (स्त्री०) पूरना) 6 बटकर तैयार करना (जैसे-सेवई पूरना) || (अ० - पूरी आयु, सारा जीवन क्रि०) 1 पूरा होना 2 व्याप्त होना, ओत-प्रोत होना 3 समाप्त पूर्णावतार-सं० (पु०) सोलहों कलाओं से युक्त अवतार होना
पूर्णाहति-सं०. (स्त्री०) 1 यज्ञ समाप्ति पर दी जाने वाली पूरब-I (पु०) 1 सूर्य उदित होने की दिशा, पूर्व, प्राची 2 पूर्व में ___ आहुति 2 कार्य समाप्ति पर किया जानेवाला अंतिम कृत्य
पड़नेवाला क्षेत्र, प्रदेश, स्थान II (वि०) - पूर्व II (क्रि० पूर्णिमा-सं० (स्त्री०) चांद्र मास के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि वि०) पूर्व, पहले
पूर्णमासी . पूरबी-(वि०) 1 पूरब का, पूरब संबंधी 2 पूर्व दिशा से | पूर्णोपमा-सं० (पु०) उपमा अलंकार का पहला भेद जो आनेवाला
उपमेय, उपमान, वाचक और धर्म सभी अंगों से युक्त रहता है पूरयिता-सं० (पु०) पूर्ण कर्ता, पूरक
| पूर्त-1 सं० (वि०) 1 पूरी तरह भरा हुआ 2 ढका हुआ || पूरा-! (वि०) 1 भरा हुआ, परिपूर्ण 2 यथेष्ट, भरपूर 3 समग्र, . (पु०) पूर्णता। विभाग (पु०) सरकारी विश्वग जो
समूचा, सारा 4 जो विस्तृत एवं व्याप्त हो 5 जिसमें कुछ भी । सड़क, पुल, नहर आदि का निर्माण कराता है; -संस्था
माग
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(स्त्री०) लोकोपयोगी कार्य को पूरा करनेवाली संस्था, विभाग 1 पहले से किया जानेवाला निरूपण 2 तकदीर, भाग्य; पूर्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूरा होने की क्रिया, पूर्णता 2 अपेक्षित, निर्मित (वि०) पहले से बना हुआ; निश्चित (वि०)
अभाव वस्तुओं को लाकर प्रस्तुत करना, कमी पूरा करने का जो पहले से निश्चय हो; ~पक्ष (पु०) 1 शास्त्रीय विषय काम (जैसे-जल समस्या की पूर्ति) 3 आवश्यकतानुसार कुछ आदि के संबंध में उठाये गए प्रश्न, शंका आदि का दूसरे पक्ष लिखने, भरने का काम (जैसे-प्रश्न पत्र में रिक्त स्थानों की द्वारा समाधान करना 2 अभियोग, व्यवहार आदि में वादी द्वारा पूर्ति) 4 गुणा करने की क्रिया, गुणन
उपस्थित किया हुआ अभियोग, बात, मुद्दई का दावा 3 कृष्ण पूर्य-सं० (वि०) 1 जिसे पूर्ण करना उचित हो, पूरणीय 2 जो पक्ष; ~पक्षी (पु०) 1 पूर्वपक्ष उपस्थित करनेवाला व्यक्ति पूर्ण किए जाने को हो 3 परिपालन योग्य
2 न्यायालय में अभियोग उपस्थित करनेवाला व्यक्ति, मुद्दई; पूर्व-1 सं० (वि०) 1 जो सबसे आगे हो 2 सबसे पहले पक्षीय (वि०) पूर्व पक्ष का; ~पद (पु०) 1 समास में होनेवाला 3 अति प्राचीन, पुराना II (पु०) सूर्य उदित होने की पहला पद 2 पहला स्थान; ~पीठिका (स्त्री०) भूमिका; दिशा (जैसे-पूर्व दिशा का प्रकाश) पश्चिम के सामने की ~पुरुष (पु०) पूर्वज; प्रज्ञा (स्त्री०) अतीत का ज्ञान, दिशा, पूरब III (अ०) पहले, आगे (जैसे-पूर्वगामी, पूर्व स्मृति; ~प्रत्यय (पु०) शब्द के पहले लगाया जानेवाला दृष्टा)। ~अनुमति (स्त्री०) पहले ली गई आज्ञा; प्रत्यय; ~प्रयोग (पु०) पहले का प्रयोग; ~भाग (पु०) ~इतिहास (पु०) पहले का इतिहास; इतिहास काल पहला हिस्सा; ~भाषी (वि०) पहले बोलनेवाला, पहले (पु०) इतिहास से पहले का काल; -कथन (पु०) 1 पहले बोलने का इच्छुक; ~मंजूरी अ० । फा० (स्त्री०) = कही गई बात 2 आमुख; ~कर्म (पु०) 1 पहला काम पूर्व-अनुमति; ~मध्य-काल (पु०) मध्यकाल; -मीमांसा 2 पहले जन्म के किए हुए कर्म 3 रोगोत्पत्ति के पहले किया (स्त्री०) मीमांसा दर्शन का वह भाग जिसमें कर्मकांड की जानेवाला काम; ~कल्प (पु०) प्राचीन काल; ~कल्पना व्याख्या की गई है; ~योजित (वि०); रंग (पु०) नाटक (स्त्री०) पहले किया गया अनुमान; ~कल्पित (वि०) पूर्व शुरु होने से पहले की जानेवाली स्त्तिः राग (पु०) साहित्य अनुमानित; ~काय (पु०) शरीर का ऊपरी भाग, नाभि से में प्रिय को देखे बिना उसके रूप, गुण आदि को सुनकर उसके ऊपर का भाग; ~काल (पु०) 1 बीता हुआ समय 2 पुराना प्रति मन में उत्पन्न हुआ प्रेम; ~रूप (१०) 1 पहले का रूप जमाना; ~कालिक (वि०) 1जिसका जन्म पूर्वकाल में आकार, रंग-ढंग आदि (जैसे-इस ग्रंथ का पूर्व रूप कुछ बदल हुआ हो 2 जो प्राचीन काल से संबंद्ध हो 3 पुराने जमाने का; गया है) 2 वस्तु के बनने से पहले का रूप (जैसे-इमारत का
कालिक क्रिया (स्त्री०) व्या० क्रिया विशेषण की तरह पूर्व खाका इस तरह का होगा) 3 एक अर्थालंकार जिसमें प्रयोग होनेवाला धातु से बना कृदंत; कालीन (वि०) किसी के विनष्ट रूप, गुण आदि के पुनः लौट आने का उल्लेख 1 पूर्व काल संबंधी 2 प्राचीन 3 पहले का; ~कृत (वि०) होता है; लेख (पु०) पहले दिया गया लेख; ~वत् । पहले किया हुआ; क्रयाधिकार (पु०) भूमि या मकान को (अ०) 1 जिस प्रकार पहले हुआ हो उसी प्रकार 2 पहले की खरीदने का पहला अधिकार; ~गत् (वि०) 1 जो पहले गया ही तरह, ज्यों का त्यों || (पु०) कार्य का वह अनुमान जो हो 2 बीता हुआ (जैसे-पूर्वगत समाचार); ~गामी (वि०) उसके कारणों को समझकर उसके होने से पहले ही किया जाता पहले जानेवाला, पहले गया हआ; ~ग्रस्त (वि०) 1 जिसके है; ~वत्करण (पु०) पहले जैसा बना देना; ~~वर्ती संबंध में मन में पहले पहले से ही कोई ग्रह हो 2 जिसके मन (वि०) पहले रहनेवाला, पहले होनेवाला; वाद (पु०) में किसी विषय के संबंध में पहले से कोई ग्रह हो, प्रेजुडिस्ट; व्यवहार शास्त्र के अनुसार वह पहला अभियोग जिसे न्यायालय ~ग्रह (पु०) किसी विषय के संबंध से वह आग्रहपूर्ण धारणा आदि में प्रस्तुत किया जाए, पहला दावा, नालिश; ~वादी जो पहले से बिन सोचे-समझे मन में स्थिर कर ली गई हो, (पु०) वादी, मुद्दई; विवेचन (पु०) पहले से प्रेजुडिस; ~ज I (वि०) जो पहले उत्पन्न हुआ हो II (पु०) सोचने-समझने की क्रिया; विहित (वि०) 1 जिसका 1 पुरखा 2 बड़ा भाई, अग्रज; जन्म (पु०) पिछला जन्म, विधान पहले ही किया जा चुका हो 2 पहले का जमा किया
जन्मा (पु०) बड़ा भाई; ~जा (स्त्री०) बड़ी बहन; हुआ; ~वृत्त (पु०) पूर्वकाल की बातें, इतिहास; ~वैदिक ज्ञान (पु०) 1 पूर्व जन्म की बात का ज्ञान 2 पहले का (वि०) वैदिक काल से पहले का; ~शर्त + अ० (स्त्री०) ज्ञान; ~ता (स्त्री०) पहल; तिथि (स्त्री०) पहले की पहले की शर्त; ~संध्या (स्त्री०) प्रातः काल; ~संयोजित तारीख तिथित (वि०) जिस पर पहले की तारीख अंकित (वि०) पहले से जोड़ा हुआ; ~संस्कार (पु०) पहले के हो; दत्त (वि०) पहले का दिया हुआ; दर्शन (पु०) = संस्कार; समय (पु०) पहले का समय; सम्मति पूर्वज्ञान; दशा (स्त्री०) पहली हालत; ~दान (पु०) (स्त्री०) पहले की गई सलाह = पूर्व अनुमति; ~सर (वि०) पहले ही चुका देना, पेशगी देना; दिन (पु०) दोपहर से आगे चलनेवाला, अग्रगामी; ~सर्ग (पु०) दे० उपसर्ग; पहले का समय; दिश्य (वि०) पूर्व दिशा से संबंध साचित्य (पु०) रक्षा हेतु पहले से सोच-विचारकर किया रखनेवाला; -दिष्ट (पु०) पूर्व जन्म के परिणाम स्वरूप जानेवाला उपाय आदि; ~सूचन (पु०) पहले से सूचना, मिलनेवाला सुख-दुःख; दृष्टि (स्त्री०) वह विचार शक्ति चेतावनी देना; ~सूचना (स्त्री०) पहले दी गई सूचना; जिसके द्वारा होनेवाली बात के सभी पहलुओं को पहले से ही ~स्थ (वि०) पहले का स्थित; स्थिति (स्त्री०) पहले की समझ लिया जाता है; दैहिक (वि०) पूर्व जन्म में किया अवस्था; ~स्मृति (स्त्री०) पहले की याद; स्वीकृत हुआ; ~धारणा (स्त्री०) पहले से निश्चित किया गया मत; (वि०) पहले स्वीकार किया हुआ; ~स्वीकृति (स्त्री०) -नियत (वि०) पहले से निश्चित; निरूपण (पु०) | पहले से ली मंजूरी
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पूर्वक
516 पूर्वक-सं० (अ०) सहित् या साथ जैसे-ध्यानपूर्वक, | पूर्वोत्तरीय-सं० (वि०) पूरब-उत्तर से संबंधित नम्रतापूर्वक
पूर्वोदाहरण-सं० (पु०) = पूर्विका पूर्वतः-सं० (अ०) 1 पहले 2 सामने
पूर्वोदित-सं० (वि०) = पूर्वोक्त पूर्वा-सं० (स्त्री०) 1 पूर्व दिशा, पूरब 2 राजाओं आदि के महान पूर्वोपाय-सं० (पु०) पहले से किया जानेवाला उपाय कार्यों का उल्लेख, प्रशास्ति
पूर्वोपायी-सं० (वि०) पहले से उपाय करनेवाला पूर्वाकलन-सं० (पु०) पूर्व की गणना
पूला-(पु०) घास-फूस आदि का बँधा गटठर पूर्वागम-सं० (पु०) भाषा विज्ञान में शब्द के आदि में रहनेवाले | पूली-(स्त्री०) = छोटा पूला व्यंजन के साथ स्वाभाविक रूप से 'इ', 'उ' स्वर का लगना | पूष-सं० (पु०) पौष का महीना (जैसे-'स्त्री' का उच्चारण ‘इस्त्री' के रूप में पूर्वागम का प्रयोग | पूस-(पु०) विक्रमी संवत् का दसवाँ महीना, पौष
पृक्का -सं० (स्त्री०) असवरग नाम का गंधद्रव्य पूर्वाग्रह-सं० (पु०) पहले से निश्चित कर रखा गया मत पृक्त-सं० (वि०) 1 मिला हुआ, मिश्रित 2 संबंद्ध, भरा हुआ पूर्वाग्रही-सं० (वि०) पहले से मत निश्चित कर रखनेवाला पृक्ति-सं० (स्त्री०) 1 संबंध, लगाव 2 स्पर्श 3 मिलन पूर्वदिश-सं० (पु०) 1 पहले से दिया हआ आदेश 2 पहले से | पृक्थ-सं० (पु०) धन, संपत्ति बतलाई हुई कार्यप्रणाली
पृच्छक-सं० (वि०) 1 प्रश्न करनेवाला 2 जिज्ञास पूर्वाधिकारी-सं० (पु०) जो व्यक्ति पहले से अधिकारी के रूप पृच्छन-सं० (पु०) पूछना में रह चुका हो
पृच्छय-सं० (वि०) पूछने योग्य पूर्वानिल-सं० (पु०) पूरब से आनेवाली हवा, पुरवा पृच्छा-सं० (पु०) सवाल, प्रश्न पूर्वानुमान-सं० (पु०) पहले से की जानेवाली कल्पना, पृथक्-सं० (वि०) 1 अलग, भित्र 2 हटाया हुआ (जैसे-उसे पूर्वकल्पना (जैसे-घटना का पूर्वानुमान)
उच्च श्रेणी से पृथक् कर दिया गया)। ~ता (स्त्री०) पूर्वानुराग-सं० (पु०) - पूर्व-राग
पार्थक्य; ता वाद (पु०) अलगाववाद; ता वादी पूर्वापर-1 सं० (अ०) आगे-पीछे II (वि०) आगे का और (वि०) अलगाववादी पीछे का III (पु०) आगा-पीछा, ऊँच-नीच बात | पृथक्करण-सं० (पु०) 1 अलग करने की क्रिया 2 काटकर (जैसे-पूर्वापर तथ्यों पर विचार करना)
अंग अलग करना 3 पद से हटाना पूर्वापक्षया-सं० (क्रि० वि०) पहले की तुलना में पृथक्कारी-सं० (वि०) अलग करनेवाला पूर्वाभास-सं० (पु०) पूर्वज्ञान
पृथक्तव-सं० (पु०) अलगाव, पार्थक्य पूर्वाभिनय-सं० (पु०) नियत समय से किया जानेवाला पृथगात्मा-सं० (वि०) भिन्न, विशिष्ट यथा-तथ्य अभ्यास, रिहर्सल
पृथगात्मिका-सं० (स्त्री०) व्यक्तिगत सत्ता पूर्वाभिमुख-1 सं० (वि०) जिसका मुँह, रुख पूरब की ओर हो पृथग्भाव-सं० (पु०) 1 भिन्न अवस्था 2 अंतर, भित्रता II (अ०) पूरब की ओर मुंह करके
पृथगवासन-सं० (पु०) अलग-अलग बसाने का काम पूर्वाभ्यास-[ सं० (पु०) किसी कार्य आदि को दर्शकों के पृथग्विध-सं० (वि०) अनेक प्रकार का
समक्ष प्रस्तुत करने के पहले उसका किया जानेवाला अभ्यास, | पृथिवी-सं० (स्त्री०) = पृथ्वी रिहर्सल || (वि०) दे० पूर्वाभिनय
पृथु, पृथुल-सं० (वि०) 1 अधिक विस्तारवाला, विस्तीर्ण पूर्वार्जित-सं० (वि०) पहले का अर्जित किया हुआ, पहले का 2 बड़ा, महान् 3 अगणित, अत्यधिक 4 चतुर, होशियार 5 कमाया हुआ
महत्वपूर्ण। ~दर्शी (वि०) दूरदर्शी; ~लोचन (वि०) पूर्वार्द्ध-सं० (पु०) शुरु का आधा हिस्सा (जैसे-मैच के पूर्वार्द्ध | बड़ी-बड़ी आँखोंवाला में गोल नहीं हुआ)
पृथूदर-सं० (वि०) बड़े पेटवाला पूर्वावश्यक-सं० (वि०) जो पहले ज़रूरी हो। ता (स्त्री०) पृथ्वी-सं० (स्त्री०) 1 धरती, ज़मीन, स्थल 2 सौर्य मंडल का पहले की ज़रूरत
प्रसिद्ध ग्रह जिसपर मर्त्यलोक स्थित है 3 स्वर्ग और नरक से पूर्वावस्था-सं० (स्त्री०) = पूर्व स्थिति
भिन्न हमारा विश्व जिसमें हम लोगों की सत्ता है। तल पूर्वाह्न -सं० (पु०) सबेरे से दोपहर तक का समय, दिन का (पु०) 1 जमीन का ऊपरी धरातल जिसपर सभी चर, अचर
पहला भाग (जैसे-वह पूर्वाह्न में ही आगरा प्रस्थान कर गए) जीवधारिओं एवं वस्तुओं का अस्तित्व है 2 दुनिया, संसार; पूर्विका-सं० (स्त्री०) नजीर रूप में पहले की घटना नाथ (पु०) राजा; परिक्रमा (स्त्री०) पृथ्वी का चक्कर पूर्वी-सं० (वि०) पूरब का, पूरबी (जैसे-पूर्वी देश उन्नति प्रधान पृश्नि-सं० (वि०) 1 दुबला-पतला, कृश 2 चितकबरा देश हैं)
___3 साधारण, मामूली पूर्वीण-सं० (वि०) 1 पुराना 2 पैतृक
पृषोदर-सं० (वि०) छोटे पेटवाला पूर्वीय-सं० (वि०) = पूर्वी
पृष्ट-सं० (वि०) 1 पूछा हुआ 2 जिससे पूछा गया हो पूर्वोक्त-सं० (वि०) जो पहले कहा जा चुका हो पृष्ठ-सं० (पु०) 1 पत्रा (जैसे-किताब का अंतिम पृष्ठ फटा है) पूर्वोत्तर-सं० (वि०) पूर्व और उत्तर के बीच का (जैसे-पूर्वोत्तर | 2 वस्तु, पदार्थ आदि के पीछे का भाग, पीठ (जैसे-आलमारी रेलवे)
का पृष्ठ भाग टूट गया है) 3 पदार्थ का ऊपरी तल पूर्वोत्तरा-सं० (स्त्री०) पूर्व और उत्तर के मध्य की दिशा | (जैसे-पलंग का पृष्ठ भाग बहुत चिकना है)। करण
ती
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पृष्ठक
~
(पु० ) पदार्थ आदि का ऊपरी तल चौरस, बराबर करना; गत (वि०) पीछे की ओर का, पीछे का; गामी (वि०) पीछे चलनेवाला, अनुयायी; ज (वि०) पीछे जन्म लेनेवाला, जो बाद में पैदा हो; पट (पु० ) = पृष्ठ भूमि; ~ पोषक (वि०) पृष्ठ पोषण करनेवाला, सहायक; पोषण (पु० ) सहायता करना; पोषित (वि०) जिसकी मदद की गई हो; -भाग (पु० ) 1 पिछला भाग, पिछला अंश 2 पीठ; -भूमि (स्त्री०) 1 पीछे का हिस्सा (जैसे-मकान की पृष्ठ-भूमि) 2 भूमिका (जैसे- साहित्यिक पृष्ठ-भूमि); ~ भौमिक (वि०) पृष्ठ भूमि से संबंधित; मर्म (पु० ) पीठ पर का मर्म स्थान; ~मांसाद (पु० ) पीठ पीछे बुराई करनेवाला व्यक्ति, चुगलखोर व्यक्ति; रक्षक (वि०) पीठ पर रहकर रक्षा करनेवाला; ~रक्षण (पु० ) पीछे रहकर रक्षा करना; ~ लग्न (वि०) 1 पीछे लगा रहनेवाला 2 अनुयायी; ~ वंश (पु० ) रीढ़; ~ शीर्षक (पु०) दे० पताका शीर्षक; पृष्ठक-सं० (पु० ) पिछला भाग, पीछे का हिस्सा पृष्ठतः -सं० (अ०) 1 पीछे 2 पीछे से 3 चुपके से पृष्ठांकन - सं० (पु० ) धनादेश आदि की पीठ पर कुछ लिखना और हस्ताक्षर करना
पृष्ठांकित - सं० (वि०) हुंडी आदि में पीछे हस्ताक्षर किया हुआ पृष्ठाधार-सं० (पु०) पीठ के लिए टेक पृष्ठानुग-सं० (वि०) अनुगमन करनेवाला, अनुगामी पृष्ठास्थि-सं० (स्त्री०) पीठ की लंबी हड्डी, रीढ़ पृष्ठिका - सं० (स्त्री०) 1 पिछला भाग 2 घटना के पहले की बातें, पृष्ठ भूमि
पृष्ट्य - I सं० (वि०) 1 पृष्ठ संबंधी, पीठ का, पीछे का 2 पुस्तक आदि के पन्ने से संबंधित II ( पु० ) लदुआ घोड़ा पें- (स्त्री०) रोने आदि की क्रिया के फलस्वरूप निकलनेवाला पें-पें शब्द
पेंग - (स्त्री०) झूला झूलते समय उसका इधर-उधर जाना । ~बढ़ाना, ~मारना ज़ोर पहुँचाकर झूले को तेज़ गति देना पेंच - (पु० ) पेच पेंट-अं० (पु०) रोग़न
पेंटर - अं० ( पु० ) रंगसाज़, चित्रकार
पेंटिंग-अं० (स्त्री०) चित्रकारी, चित्रकला
=
पेंडुलम - अं० ( पु० ) लोलक
पेंदा - (पु० ) 1 वस्तु का निचला भाग, तला (जैसे-बाल्टी का पेंदा टूटा है) 2 गहरी वस्तु का निचला भाग स्तर। पेंदे के बल बैठना 1 पलथी मारकर बैठना 2 हार मानकर चुप हो
जाना
पेंदी - (स्त्री०) 1 वस्तु का बिल्कुल निचला भाग, सबसे निचला हिस्सा 2 ऐसा आधार जिसके सहारे कोई वस्तु टिकी हो। बिना पेंदी का लोटा 1 ऐसा व्यक्ति जिसका कोई सिद्धांत न हो 2 वह व्यक्ति जिसकी मति सदैव बदला करे 3 वह व्यक्ति जो कभी इधर कभी उधर करता रहे, अदल-बदल करते रहनेवाला व्यक्ति
पेट
पेंशन - अं० (स्त्री०) पूर्ण अवकाश प्राप्त होने पर दिया जानेवाला वेतन, निवृत्ति वेतन । खोर, याफ़्ता + फ़ा०
(पु० ) वह व्यक्ति जो पेंशन प्राप्त करता है पेंसिल-अं० (स्त्री०) सीसे की लेखनी पेंसिलिन - अं० (पु० ) पेनिसिलिन पे-अं० (स्त्री०) वेतन । ~ ऑफिस (पु० ) वेतन कार्यालय, वेतन घर
पेउसी-बो० (स्त्री०) 1 ब्याई हुई गाय, भैंस के शुरू के पाँच-छः दिनों का दूध 2 ब्याई गाय आदि पशु के प्रारंभिक पाँच-छः दिनों के दूध में पकाया हुआ सोंठ आदि मसाला पेग -अं० (पु० ) 1 शराब एवं सोडावाटर के मिश्रण का पान 2 पीने के लिए शराब की एक नाप 3 एक बार में पी जानेवाली शराब की निश्चित मात्रा
पेंडुकी - (स्त्री०) 1 पंडुक पक्षी, फाख़ता 2 सुनारों की फुंकनी पेचीदगी - फ़ा० (स्त्री० ) 1 पेचीलापन 2 घुमावदार 3 उलझन
3 गुझिया नामक पकवान
पेचीदा - फ़ा०, पेचीला फ़ा०
पेच - फ़ा० ( पु० ) 1 एक तरह की कील जिसमें चूड़ी की तरह कई घुमाव, चक्कर होते हैं, चूड़ीदार कील, स्क्रू 2 घुमाव - फिराव, हेर-फेर की स्थिति (जैसे- जब देखो तब पेच की बातें करते हो) 3 कठिनाइयाँ (जैसे- जो भी काम किया जाए उसमें पेच ज़रूर मिलेगा) 4 पतंग की डोर का परस्पर रगड़ खाकर किसी की डोर का काट जाना 5 पतंग की डोर का परस्पर उलझाने की क्रिया (जैसे- आओ दो चार पेच लड़ाये जाऐं) 6 कुश्ती का दाँव 7 चालाकी से भरी युक्ति 8 फरेब, धोखा 9 पेट में होनेवाली पेचिश, मरोड़ 10 चारों ओर लपेटी जानेवाली वस्तु का प्रत्येक फेरा (जैसे- पगड़ी का पेच ) । ~कश (पु० ) 1 बढ़इयों, लोहारों आदि का वह उपकरण जिससे वे पेच कसते एवं निकालते हैं 2 लोहे का बना हुआ घुमावदार पेचदार उपकरण; ~ताब ( पु० ) 1 विवशता आदि के कारण न प्रकट किया जा सकनेवाला गुस्सा, अव्यक्त क्रोध 2 बेचैनी, विकलता; ~दार I (वि०) पेचवाला 2 जिसमें अनेक चक्कर, घुमाव हो, पेचीला 3 जिसमें घुमाव - फिराव, हेर-फेर हो (जैसे- पेचदार बातें मत किया करो) II ( पु० ) कसीदे का काम जिसमें सीधी रेखा के इधर-उधर फंदे भी लगाए जाते हैं; पुर्जा (पु० ) नट-बोल्ट आदि; वान (पु० ) 1 हुक्के, फरशी में लगाई जानेवाली बड़ी एवं लंबी सटक 2 बड़ा हुक्का
पेचक - फ़ा० (स्त्री०) तागे की गुच्छी, गोली
पेचक - सं० (पु० ) 1 उल्लू पक्षी 2 जूँ नाम का कीड़ा पेचिश - फ़ा० (स्त्री० ) अमाशय में मरोड़ की बिमारी
हिंο (वि०) 1 घुमाव फिराववाला 2 चक्करदार 3 उलझनवाला 4 अत्यंत कठिन एवं जटिल (जैसे- अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियाँ बहुत ही पेचीली हैं)
पेज-अं० (पु० ) पुस्तक, पत्रिका, कापी आदि के पृष्ठ का एक ओर का भाग, वरक, पन्ना (जैसे अपनी किताब का दसवाँ पेज पढ़ो )
पेट - ( पु० ) 1 शरीर के अंग का वह ऊपरी एवं मध्य भाग जो छाती के नीचे और पेडू के ऊपर रहता है 2 शरीर के अंग का वह भीतरी भाग जिसमें भोजन पचता है, अमाशय, उदर 3 गर्भाशय 4 अंतकरण, मन (जैसे- औरत के पेट में बात नहीं पचती) 5 किसी खोखली वस्तु का भीतरी भाग । चोट्टी (स्त्री०) वह स्त्री जो गर्भिणी होते हुए भी गर्भमय न जान पड़े;
दर्द
+ फ़ा० (पु०) उदर पीड़ा;
पूजा
+ सं० (स्त्री०)
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पेटक
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पेराई
भोजन करना, खाना; वाली (वि०)/(स्त्री०) गर्भवती। | पेटेंट-अं० (वि०) जो किसी विशिष्ट नाम से प्रसिद्ध हो तथा
का गहरा भेद प्रकट न करनेवाला; काटना 1 कंजूसी | जिसे उक्त विशिष्ट नाम से बनाने एवं बेचने का एकाधिकार करना 2 कम पारिश्रमिक देना; ~ का धंधा जीविका; का | प्राप्त हो (जैसे-पेटेंट दवाएँ) पानी न पचना कोई बात पूछे बिना न रहा जाना; ~का पानी पेट्रोल-[ अं० (पु०) वाहन आदि के चलने हेतु प्रयोग किया न हिलना कुछ भी श्रम न करना; का हल्का जो गंभीर न | जानेवाला खनिज तेल (जैसे-मोटर में दस लीटर पेट्रोल डाल हो; का हाल तहे दिल की बात; की आग भूख, देना) क्षधा; की आग बुझाना भूख शांत करना, भूख मिटाना; | पेट्रोल-II अं० (१०) 1 घूम-घूम कर पहरा देना 2 पहरा
की बात रहस्य की बात; ~की मार मारना आहार न देनेवाला सैनिक देना, भूखा रखना; खलाना 1 भूखा होने का संकेत करना | पेट्रोलियम-अं० (पु०) पेट्रोल 2 अत्यधिक दीनता प्रकट करना; ~गदराना गर्भ का लक्षण पेठा-(पु०) 1 सफ़ेद कुम्हड़ा 2 सफ़ेद कुम्हड़े की मिठाई प्रकट होना; --गिरना गर्भपात होना; गिराना गर्भपात पेड़-(पु०) वृक्ष, दरख्त। -काट के पल्लव सींचना करना; चलना दस्त होना; छंटना पेट का मल रहित | अनुपयुक्त काम करना; बोये पेड़ बबूल का तो आम कहाँ होना; छूटना - पेट चलना; ~जलना भर पेट भोजन न | से खाय कर्म के अनुसार फल प्राप्त होना मिलना; दिखाना भूखे रहने का संकेत करना; देना भेद | पेडल-अं० (पु०) साइकिल आदि का वह अंग जिसपर पैर की बात बताना; पालना किसी तरह पेट का निर्वाह करना; | रखा जाता है ~पीठ एक हो जाना बहुत कमजोर हो जाना; ~पीठ से | पेड़ा-(पु०) खोए और चीनी के मिश्रण से बनी एक प्रसिद्ध लगना क्षीण हो जाना; फूलना ।बेचैन हो उठना 2 गर्भ गोलाकार चिपटी टिकिया के आकार की मिठाई रहना; ~मसोसकर रह जाना कुढ़कर रह जाना; | पेड़ी-(स्त्री०) 1 छोटा पेड़-पौधा 2 पान की पुरानी बेल 3 ऐसा
~मसोसना भूखा रहना; ~मारकर मरना आत्महत्या खेत जिसमें से ऊख की फसल कट चुकी हो और जिसे करना; ~में घुसना भेद जानने के लिए घनिष्ठ मित्र बनाना; | जोतकर गेहूँ आदि बोने के योग्य बनाया गया हो ~में चूहे कूदना, ~में चूहे दौड़ना भूख से व्याकुल होना, पेडू-(पु०) 1 मानव शरीर में नाभि के नीचे तथा मूत्रंद्रिय से बहुत ज़ोर से भूख लगना; ~डालना खा जाना, हड़प जाना; ऊपर का स्थान 2 गर्भाशय। -की आँच 1 स्त्री के मन में
में दाढ़ी होना अल्प आयु में अत्यधिक बुद्धिमान होना; होनेवाली काम वासना 2 केवल कामुकता के कारण पुरुष के
रखना गर्भवती कर देना; रहना गर्भ रहना; ~से पाँव साथ होनेवाली आसक्ति निकालना भले आदमी का मार्ग में प्रवृत्त होना पेदड़ी-बो० (स्त्री०) = पिद्दी पेटक-सं० (पु०) 1 पिटारा, मंजूषा 2 संदूक
पेन-अं० (पु०) धातु की निब लगी कलम पेटकैयाँ-(क्रि० वि०) पेट के बल
पेनल-अं० (पु०) = पैनल। ~कोड (पू०) दंड संहिता पेटल-(वि०) बहुत बड़े पेटवाला, तोंदल
पेनल्टी-अं० (स्त्री०) दंड। ~अंक + सं० दंड स्वरूप कटा पेटा-(पु०) 1 गहरी वस्तु का मध्य भाग, बीच का हिस्सा | अंक 2 वस्तु का भीतरी भाग 3 गर्भ 4 घेरा, वृत्त 5 फैलाव, विस्तार | पेनिसिलिन-अं० (पु.) एक प्रतिजैविक दवाई 6 शीर्षक के अंतर्गत होनेवाला अंश 7 शीर्षक के अंतर्गत | पेन्शन-अं० (स्त्री०) निवृत्ति वेतन। ~याफ्ता +फ़ा० (पु०) लिखा हुआ विवरण 8 वह गड्ढा जिसमें नदी बहती है 9 नदी पेंशन पाया हुआ, निवृत्त का पाट 10 उड़ती पतंग का वह भाग जो ढीला पड़कर नीचे पेन्शनर-अं० (पु०) निवृत्ति वेतन भोगी लटक जाता है। छोड़ना उड़ती हई पतंग का बीच में से | पेन्सिल-अं० (स्त्री०) मसाले की बत्ती भरी हुई लकड़ी का बना झूल जाना; ~तोड़ना अपनी पतंग की डोर से दूसरे की पतंग ___ पतला गोलाकार लंबा उपकरण (जैसे-काग़ज़-पेंसिल लाओ) की डोर- काट देना
पेपर-अं० (पु०) 1 काग़ज़ 2 समाचार पत्र, अखबार पेटारा-(पु०) = पिटारा
3 दस्तावेज आदि विधिक पत्र 4 प्रश्न पत्र । ~बोर्ड (प०) पेटारी-(स्त्री०) = पिटारी
दफ़्ती, गत्ता पेटिका-सं० (स्त्री०) 1 छोटी पेटी 2 छोटी पिटारी पेपरमाशी-फ्रैंच (पु०) काग़ज़ की लुगदी से बनाई गई पेटिया-(पु०) दैनिक भत्ता
कलाकृतियाँ पेटी-I (स्त्री०) 1 मानव शरीर में छाती एवं पेड़ के मध्य का | पेपरमिंट-अं० (स्त्री०) = पिपरमिंट उभार जो प्रायः कुछ आगे निकल आता है तथा जिसमें त्रिबली | पेमेंट-अं० चुकाया जाना, भुगतान की तरह दो-तीन बल पड़ जाते हैं 2 कमर में लपेटकर बाँधने | पेम्फलेट-अं० (पु०) = पम्फलेट का तस्मा, कमरबंद 3 चपरास लगा हुआ तस्मा 4 बुलबुल के | पेय-I सं० (वि०) जो पीने योग्य हो II (पु०) पीने योग्य तरल कमर में बाँधा जानेवाला तागा। ~दार + फ़ा० (वि०) पदार्थ। -जल (पु०) पीने का पानी पेटी-II (स्त्री०) 1 छोटा संदूक, संदूकची 2 छोटी पिटारी | पेयूष-सं० (पु०) 1 गाय के ब्याने के दिन से सात दिन तक का पेटी कोट-अं० (पु०) साड़ी के नीचे पहना जानेवाला छोटे | दूध, पेउस 2 ताजा घी 3 अमृत घेरेवाला घाघरा, साया
पेरना-I (स० क्रि०) कोल्हू आदि में दबाकर पदार्थ का रस पेटू-(वि०) 1 बहुत अधिक खानेवाला 2 जो हमेशा खाने के ही | निकालना II (स० क्रि०) प्रेरित करना चक्कर में पड़ा रहे, भुक्खड़
। पेराई-(स्त्री०) 1 पेरने की क्रिया 2 पेरने की मजदूरी
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पेरोल
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पैकार
पेरोल-अं० (पु०) कारावास में रखे गए दंडित अपराधी को | को दिया जानेवाला धन (जैसे-वकील ने चार सौ पेशी दी।) कुछ नियत अवधि तक खुला छोड़ना
पेशी-II सं० (सी०) 1 शरीर के भीतर मांस के रेशों की पेलना-(स० क्रि०) 1 दबाकर, ढकेलकर अंदर घुसाना, गुलथी 2 गर्भ का आंतरिक रूप 3 मांस खंड, मांस का टुकड़ा फंसाना 2 धक्का देना, ढकेलना 3 बल प्रयोग करना पेशीनगो-फ्रा० (पु०) भविष्यवक्ता 4 अप्राकृतिक संभोग करना |
पेशीनगोई-फा० (स्त्री०) भविष्यवाणी पेला-(पु०) 1पिल पड़ने की क्रिया 2 मार-पीट, हाथा-बाँही पेशेवाला-फ्रा. + हिं० (वि०) = पेशावर 3 झगड़ा, तकरार
पेशोपस-फ्रा० (वि०) = पसोपेश पेवस-(पु०) = पेयूष
पेश्तर-फा० (क्रि० वि०) = पेशतर पेश-फा० अ० उपस्थिति में, सामने, समक्ष। -कदमी + अ० पेषक-सं० (वि०) पीसनेवाला + फ़ा० (स्त्री०), ~कश (पु०) 1 उपहार, नज़र, भेंट पेषण-सं० (पु०) 1 पीसना 2 पिसाई 2 सौगात, तोहफा; ~कार (पु०) 1 न्यायालय का एक पेषणी-सं० (स्त्री०) सिल कर्मचारी जो न्यायाधीश के समक्ष काग़ज़-पत्र उपस्थित करता पेस्ट-अं० (पु०) लेई हो 2 पेश करनेवाला व्यक्ति; ~कारी (स्त्री०) 1 पेशकार का पेस्टल-अं० (पु०) रंग की बत्ती काम 2 पेशकार का पद; ~खेमा + अ० (पु०) 1 मंजिल, पेस्ट्री-अं० (स्त्री०) केक की तरह का एक खाद्य पड़ाव पर पहुँचने से पहले लगाया गया खेमा 2 सेना का | पेहँटा-(पु०) मक्के आदि के खेतों में होनेवाली एक लता आगेवाला भाग; ~गी (स्त्री०) 1 किसी वस्तु के मूल का वह । जिसके फूल की कचरी एवं तरकारी बनाई जाती है अंश जो काम करनेवाले को पहले ही दे दिया जाता है 2 नियत - पंच-(स्त्री०) धनुष की डोरी, प्रत्यंचा तिथि के पहले ही दे दिया गया वेतन आदि का अंश, अगौड़ी, पैंचना-(स० क्रि०) 1 अनाज फटकना, पछोरना 2 पलटना,
अग्रिम; ~गोई (स्त्री०) भविष्यवाणी; तर (अ०) पहले, फेरना पूर्व; ~दस्त (वि०) पेश करनेवाला, पेशकार; बंद पैंचा-(पु०) 1अदला-बदली, हेर-फेर 2 मंगनी, हाथ-उधार (पु०) चारजामे में लगा दोहरा बंद जो घोड़े की गर्दन पर से | पैंट-अं० (पु०) पायजामे की तरह का अंग्रेज़ी पहनावा, लाकर दूसरी ओर बाँध दिया जाता है; बंदी (स्त्री०) रक्षार्थ पतलून। -कोट (पु०) सूट हेतु पहले से किया गया प्रबंध, पूर्व की गई व्यवस्था; राज पैंट्री-अं० (स्त्री०) रसोई का भंडार + हिं० (पु०) राज की मदद करनेवाला मज़दूर, पत्थर, ईंट | पैंठ--(स्त्री०), पैंठौर (पु०) 1 वह खुला स्थान जहाँ निश्चित आदि ढोनेवाला मजदूर
दिन छोटे व्यापारी अपना माल बेचने के लिए बैठते हों शिल-I सं० (वि०) 1 मनोमुग्धकारी, मनोहर 2 कुशल, 2 सप्ताह का वह खास दिन जिसमें विशेष स्थान पर दुकान, प्रवीण 3 चालाक 4 मुलायम II (पु०) विष्णु
हाट लगती हों 3 छोटी दुकान 4 खोई हुई हूंडी के स्थान पर पेशवा-फा० (पु०) 1 सरदार, नेता 2 दक्षिण भारत के महाराष्ट्र लिखी गई दूसरी हुंडी साम्राज्य के प्रधान मंत्रियों की उपाधि
पैंड़-(पु०) 1 रास्ता 2 डग। ~भरना कदम उठाकर चलना, पेशवाई-फा० (स्त्री०) 1 नेतृत्व 2 पेशवाओं की शासन | डग भरना प्रणाली, शासन काल 3 आगे बढ़कर अतिथियों का किया पैंड़ा-(पु०) 1 चली गई दूरी, चला आ रास्ता 2 नियत रूप से जानेवाला आदर-सत्कार
आने-जाने की प्रथा, चलन। ~मारना दूर तक पैदल चलकर पेशवाज-फ़ा० (स्त्री०) बड़े घेरे का लँहगा जो नाचते समय कहीं जाना (जैसे-तुम्हारे लिए मुझे इतनी दूर तक पैंडा मारना स्त्रियाँ पहनती हैं
पड़ा); पैंड़े पड़ना बाधा खड़ी करना, परेशान करना पेशा-फा० (पु०) 1 जीविकोपार्जन का साधन, धंधा, काम | पैंतरा-(पु०) 1 तलवार आदि चलाने, कुश्ती आदि में (जैसे-वह किस पेशे में लगा है) 2 वेश्यावृत्ति (जैसे-पेशा __ पहलेवाली मुद्रा से दूसरी ओर अधिक उपयुक्त मुद्रा में आना अख्तियार कर लेना)। ~कमाना वेश्यावृत्ति करना, वेश्या 2 चालाकी से भरी हुई कोई चाल 3 पैर का निशान का काम करना
पैंतरेबाज़-हिं० . फ़ा० (स्त्री०) 1 जो हथियार आदि चलाने पेशानी-फा० (स्त्री०) 1 मस्तक, माथा, ललाट, किसी पदार्थ का सही ढंग जानता हो 2 जो समयानुसार रंग-ढंग बदलना का अगला और ऊपरी भाग
जानता हो पेशाब-फा० (पु०) मूत्र, मूत। खाना (पु०), ~घर + पैंतालीस-I (वि०) चालीस से पाँच अधिक II (प.) हिं० (पु०) पेशाब करने के लिए बनाई गई जगह ~करना | 45 की संख्या 1 अत्यंत तुच्छ समझना 2 लानत भेजना; ~का चिराग़ | पैंती-(स्त्री०) 1कुश का छल्ला जिसे तर्पण आदि करते समय जलना बहुत प्रतापी एवं प्रभावशाली होना; ~की राह बहा | उँगली में पहनते हैं 2 ताँबे आदि का बना छल्ला देना भोग-विलास में धन नष्ट करना; बंद होना अत्यंत डर | पैंतीस-I (वि०) तीस से पाँच अधिक || (प.) 35 की जाना पेशावर-फा० (वि०) पेशा करनेवाला (जैसे-पेशावर | पैंसठ-I (वि०) साठ से पाँच ज्यादा II (पु०) 65 की संख्या साहित्यकार, पेशेवर स्त्री)
| पै-फा० (पु०) कमान, गुलेल आदि में लगाई जानेवाली ताँत पेशी-I फ़ा० (स्त्री०) ? पेश होने की अवस्था 2 उपस्थित होना | पैकर-अं० (पु०) पैकिंग करनेवाला व्यक्ति (जैसे-पेशी की तारीख कब पड़ेगी) 3 वकील, मुख्तार आदि | पैकार-फा० (पु०) युद्ध, लड़ाई
माहा
संख्या
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पैकिंग
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पैकिंग-अं० (स्त्री०) 1 मजबूती एवं हिफाजत से बाँधने की चलना (जैसे-पैदल का रास्ता) 2 पैदल चलनेवाला सिपाही क्रिया 2 पैकिग करने का पारिश्रमिक (जैसे-दाम डाक और | 3 शतरंज में एक गोट जो पैदल का प्रतीक है (जैसे-पैदल से पैकिंग खर्च सहित)
हाथी मारना) पैकेट-अं० (पु०) किसी चीज़ का बना हुआ छोटा पुलिंदा | पैदा-I फ़ा० (वि०) 1 नव प्रसूत, उत्पन्न (जैसे-कल उसको पैक्ट-अं० (पु०) समझौता, वचन पत्र
लड़का पैदा हुआ) 2 जो अभी प्रकट हआ हो (जैसे-कौन सी पैखाना-फा० (पु०) = पाखाना
नई बिमारी पैदा हो गई) 3 यत्न पूर्वक अर्जित किया हुआ पैरांबर-फा० (पु०) वह पूज्य व्यक्ति जो ईश्वर का संदेश (जैसे-खेत में अच्छी फसल पैदा हई) II (स्त्री०) आय,
सुनानेवाला माना जाता है तथा किसी नए धर्म, संप्रदाय का आमदनी (जैसे-परिश्रम से पैदा किया पैसा) प्रवर्तक होता है, धर्मप्रवर्तक (जैसे-मोहम्मद साहब मुस्लिम पैदाइश-फा० (स्त्री०) 1 उत्पत्ति 2 जन्म 3 पैदावार, उपज पैगंबर थे)
4 आय (जैसे-सौ रुपए रोज की पैदाइश होना) पैरांबरी-I फ़ा० (वि०) पैगंबर से संबंध रखनेवाला | पैदाइशी-फा० (वि०) जन्म जात (जैसे-पैदाइशी दाग, निशान, II (स्त्री०) पैगंबर होने की अवस्था
पैदाइशी बिमारी) पैग़ाम-फा० (पु०) संदेश, समाचार
पैदायश-फा० (स्त्री०) = पैदाइश पैजनी-(स्त्री०) - पैंजनी
पैदावार-फा० (स्त्री०) 1 उपज (जैसे-फ़सल की पैदावार पैज़ार-फ़ा० (स्त्री०) जूता, पनही
अच्छी रही) 2 उत्पादन (जैसे-उद्योग की पैदावार) पैटर्न-अं० (पु०) 1 नमूना 2 नक्शा
पैन-अं० (पु०) - पेन, लेखनी पैट्रोल-अं० (पु०) = पेट्रोल
पैनल-अं० (पु०) 1 नाम सूची, नामिका 2 दिलहा पैट्रोलियम-अं० (वि.) = पेट्रोलियम
पैना-I (वि०) 1 धारदार, चोखा तेज (जैसे-यह चाकू बहुत पैठ-(स्त्री०) 1 पैठने की क्रिया 2 पहँच (जैसे-क्या राजा साहब पैना है) 2 तीक्षण, तीव्र (जैसे-पैनी बुद्धि) II (पु०) छोटी के यहाँ तुम्हारी पैठ है)
छड़ी पैठना-(अ० क्रि०) 1 घुसना 2 बैठना
पैनाना-(स० क्रि०) चोखा करना, टेना पैठाना-(स० क्रि०) बल पूर्वक अंदर ले जाना, प्रवेश कराना पैनापन-(पु०) तीक्षता, तीखापन, तेज़ी पैठार-(पु०) 1 प्रवेश, पैठ 2 प्रवेश द्वार, फाटक पैनिसिलीन-अं० (पु०) = पैनिसिलीन पैड-अं० (पु०) 1 पत्र आदि लिखने के काम में आनेवाले पैमाईश-फ़ा० (स्त्री०) ज़मीन आदि नापने की क्रिया काग़ज़ की गद्दी 2 स्याही सोखनेवाला काग़ज़ की मोटी गद्दी पैमाना-फ़ा० (पु०) 1 मानदंड (जैसे-तौल का आधुनिक 3 छोटी मुलायम गद्दी (जैसे-मोहर का इंक पैड कहाँ रख । पैमाना)2 शराब का प्याला (जैसे-पैमाना गिरकर टूटना)
पैर-I (पु०) 1 पाँव, चरण (जैसे-पिता के पैर छूना) 2 पैर से पैडल-अं० (पु०) = पैडिल
बना निशान, चरण-चिह्न (जैसे-बिस्तर पर किसका पैर पड़ा पैडा-(पु०) खड़ाऊँ
है)। ~गाड़ी (स्त्री०) पैर से चलाई जानेवाली गाड़ी; पैडिक-सं० (वि०) फंसी संबंधी
~उखड़ जाना टिक न सकना, पराजित होना; उठाना पैडिल-अं० (पु०) पैर से गति देने का एक उपकरण 1 रवाना होना 2 तेज़ी से चलना; ~कॉपना शक्ति एवं साहस पैड़ी-(स्त्री०) मकान आदि की सीढ़ी, जीना
न होना; छूटना अधिक रजःस्राव होना; छूना = दे० पैतरा-(पु०) - पैंतरा
पाँव छूना; जमना दृढ़ता पूर्वक खड़े होना; जमाना पैतरी-I (स्त्री०) रेशम फेरने की परेती || (स्त्री०) पग-तरी, अपनी स्थिति मजबूत करना; टिकना 1 आश्रय मिलना जूता
2 स्थिर भाव से रहना; ~डगमगाना, डिगना विचलित पैतरेबाज़-हिं० + फ़ा० (पु०) - पैंतरेबाज़
होना, स्थिर न रहना; ~तले ज़मीन खिसकना होश-हवास पैतरेबाज़ी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) = पैंतरेबाज़ी
गायब होना; तोड़ना कुछ करने-धरने में असमर्थ करना; पैतला-(वि०) - दे० पैथला
दबाना सेवा टहल करना; दबाकर चलना आहट तक पैताना-(पु०) - पायता
न मिलना; न उठना साहस न होना; न रखना 1 घमंड पैतामह-सं० (वि०) पितामह संबंधी
में साधारण आचरण-व्यवहार की जगह बड़े लोगों का ढोंग पैतामहिक-सं० (वि०) पितामह से प्राप्त (धनादि) करना 2 अत्यधिक प्रसन्नता के कारण सुध-बुध भूल जाना; पैतृक-सं० (वि०) 1 पिता संबंधी 2 पुरखों का, पुश्तैनी ~पकड़ना = दे० पाँव धरना; ~पड़ना 1 झुककर प्रणाम (जैसे-पैतृक संपत्ति)
करना 2 दीनतापूर्वक आग्रह करना; ~पसार देना हतोत्साह पैतृमत्य-सं० (पु०) अविवाहिता का पुत्र
होकर चुपचाप बैठ रहना 2 मर जाना; ~फैलाना 1 अधिक पैत्तल-सं० (वि०) पीतल का
पाने के लिए हठ करना 2 शक्ति एवं सामर्थ्यानुसार कार्य पैत्तिक-सं० (वि०) 1 पित्त संबंधी 2 पित्त का रोग करना; ~भारी होना गर्भवती होना, हमल रहना; में पैत्रिक-सं० (वि०) - पैतृक
बाँधकर रखना दूर न होने देना; फूंक-फूंककर पैर रखना पैथला-(वि०) उथला
बहुत सँभलकर काम करना। पैदल-I (वि०) अपने पैरों से चलनेवाला, जो पैरों से चलता हो | पैर-II (पु०) 1 खलिहान 2 खेत से काटकर लाए हुए अनाज (जैसे-राजा पैदल चला जा रहा था) II (पु०) पाँव-पाँव | का ढेर, राशि
दिया)
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पैरना
पैरना - (अ० क्रि०) तैरना (जैसे नदी में पैरना)
पैरवी -फ़ा० (स्त्री०) 1 खुशामद 2 अनुगमन 3 आज्ञा पालन 4 कोशिश। ~कार ( पु० ) पैरवी करनेवाला व्यक्ति पैरहन - ( पु० ) लबादा जैसा लंबा पहनावा पैरा-अं० (पु० ) पैराग्राफ़
पैरा - I (पु० ) 1 आया हुआ कदम 2 पैर में पहना जानेवाला कड़ा II (वि०) पैरोंवाला
पैराई - (स्त्री०) 1 तैरने की क्रिया 2 तैरने की कला पैराक - ( पु० ) तैरनेवाला, तैराक
पैराग्राफ़ - अं० ( पु० ) लेख आदि का वह अंश जितने में कोई बात कही गई हो तथा दूसरे अंश में कुछ जगह छोड़कर लिखा गया हो, अनुच्छेद
पैराट्पर-अं० (पु० ) छतरी सैनिक
पैरानो - (स० क्रि० ) पैरने में प्रवृत्त करना, तैराना पैराफ़िन - अं० (पु० ) एक तरह का गाढ़ा चिकना पदार्थ जो कोमल लकड़ियों से निकाला जाता है तथा जो मोमबत्ती आदि बनाने के काम में आता है
पैरामीटर - अं० (पु०) ग० ऐसा स्वतंत्र चर जिसके पदों में किसी समीकरण के चरों को व्यक्त किया जा सके, प्राचल पैराव - (पु० ) अधिक जलवाला गहरा स्थान पैराशूट - अं० ( पु० ) हवाई छतरी
पैरी - (स्त्री०) 1 काँसे आदि का बना हुआ पैर में पहनने का चौड़ा गहना 2 दौनी हेतु फैलाए गए फसल के पौधे 3 अनाज की दौनी, दवाँई, दौरी
पैरेलल अं० (वि०) समानांतर
521
पैरोकार - फ़ा० (पु०) पैरवीकार पैला - (पु० ) 1 नाँद के आकार का मिट्टी का बड़ा पात्र, बड़ी पैली 2 टोकरी, दौरी 3 अनाज नापने का चार सेर का बर्तन पैवंद - फ़ा० (पु० ) फटे हुए कपड़े पर लगाई जानेवाली चकती, थिगली
पैवंदी-फ़ा० (वि०) 1 जिसमें पैवंद लगाया गया हो, पैबंद लगा हुआ 2 दोगला, वर्णसंकर
पैवस्त - फ़ा० (वि०) अच्छी तरह सोखा एवं समाया हुआ पैवीलियन-अं० (पु०) मंडप पैशाच - Iसं० (वि०) 1 पिशाच का 2 पिशाच देश का II (पु० ) पिशाच
पैशाचिक सं० (वि०) 1 पिशाच संबंधी 2 पिशाचों की तरह
=
वीभत्स (जैसे- पैशाचिक अत्याचार )
पैशाचिकी - सं० (स्त्री०) राक्षसों के बारे में अध्ययन पैशाची - I सं० (स्त्री०) प्राकृत भाषा का वह रूप जिससे दरद वर्ग की बोलियाँ निकली हैं II (वि०) पिशाचों की तरह का पैशाच्य - सं० (पु० ) पिशाचों का सा क्रूर एवं निर्दय स्वभाव पैशुन्य -सं० ( पु० ) चुगलखोरी, पिशुनता पैष्ट-सं० (वि०) आटे का बना हुआ पैसा - (पु० ) 1 ताँबे का चलता सिक्का जो अब रुपए का सौवाँ भाग है) 2 धन-संपत्ति, दौलत (जैसे वह बहुत पैसेवाला आदमी है) । ~ कमाऊ (वि० ) पैसा कमानेवाला; ~धेला, ~टका (पु०) धन
पैसार - बो० ( पु० ) 1 प्रवेश द्वार 2 प्रवेश, पैठ पैसिंजर - अं० (पु० ) यात्री।
गाड़ी
+ हिं० (स्त्री०)
पोढ़ा
सवारी गाड़ी जिसमें यात्री लोग यात्रा करते हैं; ट्रेन (स्त्री०) सवारी गाड़ी
पैसेवाला - (वि०) मालदार, धनवान, दौलतमंद पैहम-फ़ा० (अ०) निरंतर, लगातार
पों- (स्त्री०) 1 भोंपा 2 भोंपा से निकलनेवाला पों शब्द (जैसे-पो-पों मत करो)। बजाना बिना समझे बूझे समर्थन
करना
पोंकना - (अ० क्रि०) 1 पतला पाखाना फिरना 2 बहुत डरकर पों-पों शब्द करना
पोंका - (पु०) बड़ा फतिंगा, बोका
पोंगला, पोंगा - I ( पु०) 1 बाँस की नली 2 धातु की नली II (वि०) 1 ना समझ, निरा मूर्ख, बेवकूफ 2 निकम्मा, बेकाम 3 पोला, खोखला । पंथी I (वि०) वज्र मूर्ख II (स्त्री०) मूर्खतापूर्ण आचरण, व्यवहार
पोंछन - ( स्त्री०) 1 पोंछने की क्रिया 2 पोंछकर निकाला गया अंश 3 पोंछने के काम आनेवाला कपड़ा। पेट की पोंछन स्त्री की अंतिम संतान
पोंछना - I (स० क्रि०) 1 कपड़े से नमी, आर्द्रता सोखना (जैसे- रुमाल से आँसू पोंछना, तौलिया से पसीना पोंछना) 2 रगड़ते हुए फेरना (जैसे-फर्श की काई पोंछना, स्लेट पोंछना) II (पु० ) 1 पोंछने के काम में आनेवाली वस्तु (जैसे-पैर-पोंछना) 2 पोंछने से निकलनेवाली वस्तु पोंटा- (पु० ) नाक की मैल
पोआ - (पु० ) साँप का छोटा बच्चा, संपोला पोआना - (स० क्रि०) पोने का काम कराना पोइया - ( स्त्री०) घोड़े की सरपट चाल
पोई - (स्त्री०) पान की तरह हरी मोटी पत्तियोंवाली प्रसिद्ध लता जिसके साग पकौड़े आदि बनते हैं
पोखर, पोखरा - ( पु०) छोटा ताल पोखराज - ( पु० ) = पुखराज पोखरी - ( स्त्री०) तलैया
पोगंड - सं० (पु० ) पाँच से दस वर्ष तक की उम्र का बालक पोच - फ़ा० ( वि० ) 1 खराब, निकृष्ट 2 तुच्छ, क्षुद्र 3 निःसार
4 आवारा
पोचाई बो० (स्त्री०) देशी शराब पोज़ीशन-अं० (स्त्री० ) 1 स्थिति 2 पद 3 प्रतिष्ठा पोट- 1 (स्त्री०) 1 घर की नींव 2 मिलान, मेल पोट-II (स्त्री०) 1 टाट, कपड़े की बनी गठरी 2 ढेर, राशि पोट - III ( स्त्री०) पुस्तकों की सिलाई में उसका पुट्ठा पोटलक - ( पु० ) गठरी
पोटली - (स्त्री०) 1 छोटी गठरी 2 छोटी थैली पोटा-1 (पु० ) पेट की थैली, उदराशय। तर होना प्रसन्नता एवं निश्चिंतता होना
पोटा - II ( पु० ) 1 पुरुषों के लक्षणोंवाली 2 सेविका पोटाश-अं० (पु० ) एक तेज़ क्षार पोटैशियम-अं० (पु० ) पोटाश का धात्विक आधार पोडु - सं० (स्त्री०) खोपड़ी की ऊपरी हड्डी पोढ़ना - ( अ० क्रि० ) 1 मजबूत होना, दृढ़ होना 2 निश्चित होना, पक्का होना
पोढ़ा - (वि०) पुष्ट, मजबत
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पोत
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पोष्टा
पोत-[ सं० (पु०) जलयान (जैसे-विमान वाहक पोत)।। अँगूठे आदि के जोड़ों के बीच का अंश 3 वस्तु के दो भागों,
~घाट + हिं० (पु०) जहाज़ खड़ा करने का किनारा; जोड़ों के बीच का भाग (जैसे-ईख का पोर) ~धारी (पु०) जहाज़ का अधिकारी, मालिक; ~ध्वज पोरा-(पु०) लकड़ी का गोल कुंदा 2 दे० पोरी (पु०) जहाज़ पर लगा राष्ट्र सूचक झंडा; नायक (पु०) पोरिया-(स्त्री०) उँगलियों के पोरों पर पहनने का गहना जहाज़ का कप्तान निर्माण (पु०) जहाज़ बनाना; पति पोर्चुगीज़-अं० (पु०) = पुरचगीज़ . (पु०) जहाज़ का मालिक; ~भंग (पु०) जहाज़ का नष्ट हो | पोर्ट-अं० (पु०) पत्तन (जैसे-सी पोर्ट, एअर पोर्ट) . जाना; ~भार (पु०) जहाज़ पर लादा जानेवाला सामान, पोर्टफोलियो-अं० (पु०) 1 मंत्रिपद 2 पत्राधान माल, ~भारक (पु०) भार, माल ढोनेवाला जलयान; पोर्टमेंटों-अं० (पु०) 1 सूटकेस 2 कपड़े टाँगने का रैक ~वाह (पु०) मल्लाह; ~वाहिनी (स्त्री०) - पोत्य; पोर्टर-अं० (पु०) 1 रेलवे कुली 2 जहाज़ का कुली ~संतरण (पु०) जहाज़ का तैरना।
पोर्टिको-अं० (पु०) द्वार मंडप, ड्योढ़ी पोत-II (पु०) पुताई (जैसे-दीवार पोत देना)
पोर्टेबल-अं० (वि०) 1 सफ़री 2 जिसे उठाकर इधर-उधर ले पोत-III फा० (पु०) ज़मीन का लगान, भूमि कर। दार | जाया जा सके
(पु०) कर इकट्ठा करनेवाला व्यक्ति 2 खजांची पोल-I (स्त्री०) निःसारता, खोखलापन - पोतक-सं० (पु०) छोटा बच्चा
पोल-II (पु०) प्रवेश द्वार पोतड़ा- (पु०) छोटे बच्चों के नीचे बिछाया जानेवाला कपड़ा। पोल-III अं० (पु०) 1 खंभा 2 लग्गा
पोतड़ों के अमीर संपन्न घर में उत्पन्न होनेवाला पोल-IV अं० (पु०) ध्रुव (जैसे-नार्थ पोल) पोतन-(वि०) 1 शुद्ध करनेवाला 2 पवित्र
पोल-V (पु०) साढ़े पाँच गज़ की जरीब पोतना-I (स० क्रि०) 1 लेप करना (जैसे-दरवाज़े पर रंग | पोलक-(पु०) बिगड़े हाथी को डराने के लिए लंबे बाँस के छोर
पोतना) 2 लगाना (जैसे-गुलाल पोतना, मुँह पर कालिख पर चरखी में बँधा पयाल जिसे लुक की तरह जलाते हैं पोतना) 3 पवित्र करने के उद्देश्य से लीपकर साफ करना पोला-(वि०) 1 खोखला (जैसे-पोला बाँस) 2 जो कड़ा एवं (जैसे-आँगन को गोबर से पोतना 4 छिपाना (जैसे-सरकार ने ___ठोस न हो (जैसे-पोली ज़मीन) 3 जिसमें कोई तत्त्व, सार न भ्रष्टाचार के सभी मामले पोत डाले) II (पु०) पोतने का ___ हो, थोथा कपड़ा 2 पोतने का अन्य साधन, उपकरण
पोलाव-(पु०) = पुलाव पोतला-(पु०) तवे पर घी पोतकर सेंकी हुई चपाती, पराँठा पोलिंग-अं० (स्त्री०) वोट डालना, मतदान ~स्टेशन (पु०) पोतांगन-सं० (पु०) = पोत-आगार
मतदान केंद्र पोता-I (पु०) बेटे का बेटा, पौत्र
पोलिटिकल-अं० (वि०) राजनीतिक पोता-II फा० (पु०) फ़ोता, अंडकोष
पोलिया-(पु०) पैर में पहना जानेवाला पोला गहना पोता-III (पु०) पोतने या पोछने का कपड़ा
पोलियो-रोग-अं० + सं० (पु०) चि० (बच्चों का) टाँगों का पोताई-(स्त्री०) = पुताई
अधरंग हो जाने का रोग पोताध्यक्ष-सं० (पु०) = पोत-पति
पोलीक्लीनिक-अं० (स्त्री०) अनेक रोगों का चिकित्साकेंद्र पोताश्रय-सं० (पु०) बंदरगाह
पोलीटेक्निकल-अं० (वि०) बह प्राविधिक पोती-I (स्त्री०) बेटे की बेटी, पौत्री
पोलो-अं० (पु०) चौगान जैसा एक खेल पोती-II (स्त्री०) पोतने का काम (जैसे-लीपा पोती) पोशाक-फा० (स्त्री०) 1 पहनने का कपड़ा, परिधान 2 पहनावा पोत्या-सं० (स्त्री०) जलयानों का समूह
(जैसे-विद्यालय की पोशाक)। ~पहनावा + हिं० (पु०) पोथा-(पु०) 1 बहुत बड़ी पुस्तक 2 काग़ज़ों का बहुत बड़ा विशेष रूप से पहना जानेवाला वस्त्र (जैसे-सैनिक पुलिंदा
पोशाक) पोथी-I (स्त्री०) छोटी पुस्तक। खाना + फ़ा० (पु०) पोशीदगी-फ़ा० (स्त्री०) छिपाव, गुप्त पुस्तकालय
पोशीदी-फ़ा० (वि०) 1 ढका हुआ 2 छिपाया हुआ 3 गुप्त पोथी-II (स्त्री०) प्याज, लहसुन आदि की गाँठ पोष-सं० (पु०) 1 पोषण, पुष्टि 2 उन्नति 3 तृप्ति, संतोष, तुष्टि पोदना-(पु०) 1 छोटी चिड़िया 2 ठिंगना, नाटा आदमी पोषक-सं० (पु०)/(वि०) 1 पोषण करनेवाला 2 बढ़ानेवाला पोना-I (स० क्रि०) 1 [धे आटे से रोटी का आकार देना । 3सहायक (जैसे-आटा पोना) 2 पकाना, सेंकना
पोषण-सं० (पु०) 1 पीसने की क्रिया, पालन 2 बढ़ाने की पोना-II (स० क्रि०) = पिरोना
क्रिया, वृर्द्धन 3 सहायता देना। वृत्ति (स्त्री०) भरण पोषण पोप-अं० (पु०) कैथोलिक धर्मगुरु। -लीला + सं० | हेतु दी गई वृत्ति (स्त्री०); ~शाही + फ़ा० (स्त्री०)
पोषणीय-सं० (वि०) पोषण योग्य पोपला-(वि०) 1 पिचका एवं सिकुड़ा हुआ 2 जिसके सभी | पोषयिता-सं० (वि०)/(१०) पोषण करनेवाला . दाँत टूट गए हों (जैसे-पोपला मुँह)
पोषाहार-सं० (पु०) पोषण एवं वर्द्धन करनेवाला, तत्व, पदार्थ पोपलाना-(अ० क्रि०) पोपला होना
पोषिका-सं० (स्त्री०) पोषण करनेवाली स्त्री पोया-(पु०) 1 वृक्ष का नरम पौधा 2 बहत छोटा बच्चा | पोषित-सं० (वि०) 1 पाला हुआ 2 पोषण किया हुआ पोर-(स्त्री) 1 उँगली, अँगूठे आदि का कोई जोड 2 उँगली | पोष्टा-सं० (वि०) = पोषक
पापण याग्य
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पोष्य
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पौरिक
डोडा
पोष्य-I सं० (वि०) 1 पालने योग्य 2 पाला हआ, गोद लिया पौढ़ाना-II (स० क्रि०) हिलाना-डुलाना, झुलाना हुआ II (पु०) सेवक, नौकर
पौतिक-सं० (वि०) चि० जो विषाक्त किटाणुओं के उत्पन्न होने पोसना-(स० क्रि०) 1 पालना 2 पालन करना 3 दुर्व्यसन आदि __ के कारण सड़ने लगा हो, पूति दूषित, सेटिक की आदत को बनाए रखना
पौत्र-सं० (पु०) लड़के का लड़का, पोता पोस्ट-I अं० (स्त्री०) 1 पद 2 स्थान, जगह ।
पौत्रिक-सं० (वि०) 1 पुत्र संबंधी 2 पौत्र संबंधी पोस्ट-II अं० (स्त्री०) डाक विभाग। ~आफिस (पु०) पौत्री-सं० (स्त्री०) लड़के की लड़की, पोती डाक कार्यालय; ~कार्ड (पु०) डाक टिकट लगा कार्ड; पौद-(स्त्री०) 1 निकलता हुआ नया पौधा 2 एक जगह से
-टिकट (पु०) डाक का स्टाम्प; बक्स (पु०) जिसमें उखाड़कर दूसरी जगह लगाया जानेवाला छोटा पौधा 3 संतान डाक टिकट लगा पत्र डाला जाए, पत्र पेटिका; ~मास्टर 4 उपज (पु०) डाकघर का प्रधान अधिकारी; ~मैन (पु०) डाकिया, | पोदर-(स्त्री०) 1 पैर का निशान 2 पैदल चलने का रास्ता पत्रवाहक
3 पगडंडी पोस्ट-मार्टम-अं० (पु०) शव-परीक्षा
पौदा-(पु०) = पौधा। ~गाह + फ़ा० (स्त्री०) वह जगह पोस्टर-अं० (पु०) काग़ज़ पर बड़े अक्षरों में छपी हुई नोटिस । जहाँ छोटे पौधे लगे हों जिसे जनता की जानकारी हेतु जगह-जगह दीवारों आदि पर | पौध-(स्त्री०) = दे० पौद। घर, ~शाला + स० (स्त्री०) चिपका दिया जाता है (जैसे-सिनेमा का पोस्टर लगाना)। | (पौधों की) नर्सरी बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) बार-बार पोस्टर निकालते रहना |
| पौधा-(पु०) छोटा पेड़ पोस्टल-अं० (वि०) 1 डाक विभाग संबंधी (जैसे-पोस्टल | पौन-I (वि०) पूरे में चौथाई कम, तीन चौथाई (जैसे-पौन घंटे गाइड) 2 डाक विभाग के माध्यम से आने-जानेवाला __ में काम होगा) (जैसे-पोस्टल आर्डर)
पौन-II (पु०) 1 हवा, वायु 2 जीव, प्राण 3 जादू-टोना पोस्टिंग-अं० (स्त्री०) नियुक्ति
4 भूत-प्रेत। पानी (पु०) हवा और जल; चलाना, पोस्टेज-अं० (पु०) डाक ख़र्च। ~स्टांप (पु०) डाक टिकट ~मारना जादू टोना करना पोस्त-फा० (पु०) 1 पोस्ता 2 त्वचा 3 पेड़ की छाल 4 पोस्ते का | पौनरुक्त्य-सं० (पु०) दुबारा कहने की अवस्था
पौनादिक-सं० (वि०) 1 पुनर्वाद संबंधी, पुनर्वाद का पोस्ता-फा० (पु०) एक तरह का पौधा जिसके डोडों से अफीम 2 पुनर्वाद के विचार के परिणाम स्वरूप होनेवाला बनायी जाती है
पौना-I (पु०) पौने का पहाड़ा || (वि०) पौन पोस्ती-फ़ा० (पु०) 1 अफ़ीम खानेवाला 2 मदक पीनेवाला पौना-II (पु०) कलछी 3 सुस्त आदमी
पौनार-(स्त्री०) कमल के फूल की नाल, डंठल पोस्तीन-फा० (पु०) 1 गर्म एवं मुलायम रोएँवाले जानवरों की पौनी-I (स्त्री०) छोटा पौना II (पु०) वे लोग जिन्हें मंगल
खाल 2 गर्म एवं मुलायम रोएँ की खाल का बना पहनावा ___ अवसरों पर नेग मिलता है (जैसे-धोबी, कुम्हार, नाई को पोहना-1 (स० क्रि०) 1 पिरोना, गूंथना 2 आर-पार छेद करना
मिलनेवाली पौनी) (जैसे-माला की गुरिया पोहना) 3 जमाना, बैठाना 4 चढ़ाना, पौने-(वि०) पौन, पौना का वह रूप जो उसे संख्यावाचक लगाना II (वि०) पोहनेवाला
शब्दों के पहले लगने पर प्राप्त हाता है (जैसे-पौने चार बजा पोहर-बो० (पु०) 1 पशुओं के चरने की जगह 2 चारा, चरी है. पौने तीन सेर चीनी है)। सोलह आने बहुत अधिक पोहा-बो० (पु०) पशु चौपाया
अंशों में (जैसे-आपकी बात पौने सोलह आने सच है) पोहियाबो० (पु०) चरवाहा
पौरंदर-सं० (वि०) पुरंदर संबंधी पौंचा-(पु०) साढ़े पाँच पहाड़ा
पौर-1 सं० (वि०) 1 पुर का, नगर संबंधी 2 पुर में उत्पन्न पौंड-अं० (पु०) - पाउंड
होनेवाला II (पु०) नगर निवासी, नागरिक। -जन (पु०) पौंडा-पु० एक प्रकार का मोटा गन्ना
नागरिक पॉश्चल्य-(पु०) स्त्री का व्यभिचार
पौर-(स्त्री०) 1 ड्योढ़ी 2 दरवाज़ा पौ-I (स्त्री०) भोर का प्रकाश
पौरव-1 सं० (वि०) 1 पुरु संबंधी, पुरु का 2 पुरु के वंश का पौ-II (स्त्री०) पासे का एक दाँव
__ II(पु०) पुरु का वंशज, संतान पोआ-(पु०) 1 एक सेर का चौथाई भाग, पाव 2 पाव भर के । पौरा-(पु०) घर में नए व्यक्ति का होनेवाला आगमन मान का बटखरा 3 नापने का ऐसा पात्र जिसमें पाव भर तरल (जैसे-बहू का पौरा अच्छा है) पदार्थ आता है
पौराणिक-[सं० (वि०) 1 पुराण संबंधी, पुराण का 2 जिसका पौगंड-सं० (पु०) पाँचवें वर्ष से लेकर सोलवें वर्ष तक की | उल्लेख पुराण में हुआ हो (जैसे-पौराणिक कथा) 3 प्राचीन अवस्था
काल का, पुराना II (पु०) पुराण को जाननेवाला विद्वान, पौडर-अं० (पु०) = पाउडर
पुराण ज्ञाता पौढ़ना-I (अ० क्रि०) बो० आराम करने के लिए लेटना - पौरिक-[ सं० (पु०) 1 पुर में रहनेवाला व्यक्ति, नागरिक पौढ़ना-II (अ० क्रि०) 1 तैरना 2 झूलना
2 नगर का प्रधान शासक II (वि०) नगर से संबंध पौढ़ाना-I (स० क्रि०) लेटाना, सुलाना
रखनेवाला, नगर संबंधी
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पौरिया
पौरिया - (पु० ) द्वारपाल, ड्योढ़ीदार, दरबान पौरी - (स्त्री०) ड्योढ़ी
पौरुष - I सं० (वि०) 1 पुरुष की शक्ति 2 पुरुष से संबंध रखनेवाला II (पु०) 1 पुरुष होने का भाव 2 पुरुष में सामान्य रूप से होनेवाले गुण (जैसे- शौर्य तो पौरुष का प्रतीक है ) 3 पुरुष का कर्म, पुरुषार्थ
पौरुषेय - I सं० (वि०) 1 पुरुष संबंधी, पुरुष का 2 मनुष्य निर्मित, मनुष्यकृत II ( पु० ) 1 पुरुष कर्म, पुरुषार्थ 2 जनसमुदाय
पौरुष्य-सं० (पु० ) पौरुष
पौरेय - सं० ( पु० ) नगर के समीप का स्थान पौरोहित्य -सं० ( पु० ) 1 पुरोहित का काम 2 पुरोहितों का
समाज
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=
पौर्णमासिक-सं० (वि०) 1 पूर्णिमा संबंधी 2 पूर्णिमा के दिन होनेवाला
पौर्णमासी-सं० (स्त्री०) पूर्णिमा पौर्वदैहिक - सं० (वि०) 1 पूर्व जन्म- संबंधी 2 पूर्व जन्म में किया हुआ
=
पौर्वपदिक-सं० (वि०) पूर्वपद से संबंध रखनेवाला पौर्वात्य -सं० (वि०) 'पाश्चात्य' के अनुकरण पर बना हुआ अशुद्ध शब्द, दे० शुद्ध रूप 'पौरस्तय'
पौर्वापर्य - सं० (पु० ) 1 पूर्वापर का भाव, पूर्वापरता 2 अनुक्रम, सिलसिला
पौर्वदैहिक सं० (वि०) पूर्वाद्ध संबंधी
पौर्विक-सं० (वि०) 1 पहले का 2 जो पहले किया जाने को हो पौल - (स्त्री०) 1 पोल 2 बड़ा दरवाज़ा
पौला - ( पु० ) एक प्रकार की खड़ाऊँ जिसमें खूँटी की जगह रस्सी लगी होती है पौलिया - (पु० ) पौरिया
पौली - I (स्त्री०) पौरी, ड्योढ़ी
पौली-II (स्त्री०) 1 पैर का तलुआ 2 पैर का निशान, पद-चिह्न पौष्कर-सं० (वि०) पुष्कर संबंधी
पौष्टिक - I सं० (वि०) शक्तिवर्द्धक, पुष्ट करनेवाला II (पु० ) धन-जन की वृद्धि करनेवाले कर्म । ~ता (स्त्री०) शक्तिवर्द्धकता
पौष्प - I सं० (वि०) पुष्प संबंधी, फूल का II (पु० ) 1 फूलों
प्रकर
प्यादा - I फ़ा० ( पु० ) 1 पैदल चलनेवाला व्यक्ति, पदाति 2 पैदल चलनेवाला सैनिक 3 शतरंज की एक गोट, पैदल II (वि०) जो पैदल चल रहा हो
के रस से बनाया जानेवाला मद्य 2 पुष्प रेणु, पराग पौसरा, पौसला - (पु० ) जहाँ लोगों को परोपकार की दृष्टि से पानी पिलाया जाता है ऐसा स्थान, प्याऊ
पौसार - ( स्त्री०) करघे में की वह लकड़ी जिसे पैर से दबाने पर राछ ऊँचा - नीचा होता है
पौसेरा - ( पु० ) 1 पाव सेर की तौल 2 एक पाव का बाट पौहारी - I (वि०) जो केवल दूध पीता हो II (पु० ) केवल दूध पीनेवाला व्यक्ति प्याऊ - I ( पु० ) पौसला II (वि०) पानी पिलानेवाला प्याज़ - फ़ा० (पु० ) 1 एक प्रसिद्ध छोटा पौधा जिसमें गुच्छे के रूप में सफेद फूल लगता है 2 उक्त पौधे का गोल गाँठ के रूप में लगनेवाला कंद
प्याज़ी - I फ़ा० (वि०) प्याज़ के ऊपरी छिलके के रंग का, हल्का गुलाबी II ( पु० ) हल्का गुलाबी रंग
प्यानो-अं० ( पु० ) एक तरह का पश्चिमी बाजा प्यायन - I सं० (पु० ) वृद्धि, वर्द्धन II (वि०) शक्ति-वर्द्धक प्यपित सं० (वि०) 1 जिसकी वृद्धि हुई हो, बढ़ा हुआ 2 जिसकी शक्ति बढ़ गई हो 3 जो मोटा हो गया हो 4 जो तृप्त किया गया हो
प्यार - ( पु० ) 1 प्रीति, मुहब्बत 2 प्रेम पूर्वक किया जानेवाला आलिंगन, चुंबन आदि, प्रेम सूचक स्पर्श 3 लाड़-प्यार प्यारा - (वि०) 1 जिसे प्यार किया जाए, जो प्रेम का पात्र देखने में अच्छा एवं भला लगे (जैसे-उनके गोद में एक प्यारा बच्चा सो रहा था) 3 जिसके प्रति अत्यधिक प्रेम एवं मोह हो (जैसे-जीवन सबको प्यारा होता है)
4
सं० (पु० ) यह
प्याला - फ़ा० (पु० ) 1 चीनी मिट्टी, धातु आदि का बना कटोरी के आकार का पात्र (जैसे- चाय का प्याला) 2 शराब पीने का कटोरीनुमा विशेष पात्र, जाम 3 कटोरीनुमा पात्र में भरा हआ तरल पदार्थ (जैसे-प्याला छलक गया) जुलाहों का नरी भिगोने का बर्तन 5 भिक्षा पात्र । ~ वाद मत कि प्याले पर प्याला आते रहना चाहिए; (पु० ) प्यालावाद का समर्थक। ~देना शराब पिलाना; पीना शराब पीना; बहना गर्भपात होना; भरना आयु पूरी होना प्याली - फ़ा०
वादी + सं०
+
+
हिं० (स्त्री०) छोटा प्याला
प्यास - (स्त्री०) 1 पिपासा, तृष्णा 2 उत्कट इच्छा । बुझाना इच्छा की पूर्ति करना
प्यासा - (वि०) 1 जिसे प्यास लगी हो, तृषित, पिपासित 2 जिसे किसी काम, बात आदि की प्रबल कामना हो प्यून -अं० (पु० ) चपरासी
प्यूपा -अं० (पु०) कीड़े के रूपांतरण की तीसरी अवस्था प्योरिटन - अं० ( पु० ) शुद्धतावादी, शुद्धाचारवादी प्यौंदा - बो० (पु० ) पैबंद
प्रकंप - सं० (पु० ) बहुत कँपकँपी, अत्यधिक थरथराहट प्रकंपन - I सं० ( पु०) बहुत काँपने की क्रिया II ( वि०) 1 कँपानेवाला 2 हिलानेवाला
प्रकंपमान -सं० (वि०) अत्यंत काँपता हुआ प्रकंपित - सं० (वि०) 1 कँपाया हुआ 2 हिलाया हुआ 3 काँपता हुआ, थरथराता हुआ 4 हिलता हुआ प्रकट-सं० (वि०) 1 जो सामने हो, प्रत्यक्ष 2 जाहिर, स्पष्ट 3 जिसका प्रादुर्भाव हुआ हो 4 जो गुप्त, छिपा न हो,
व्यक्त
प्रकटतः सं०
प्रकटित - सं० (वि०) 1 जो प्रकट हुआ हो 2 प्रकट किया हुआ, प्रकाशित
प्रकटीकरण-सं० (पु० ) 1 प्रकट करने की क्रिया (जैसे- भावनाओं का प्रकटीकरण) 2 प्रकट करना प्रकटीभवन-सं० ( पु० ) प्रकट होना प्रकथन-सं० (पु० ) घोषित करना प्रकथनात्मक-सं० (वि०) प्रकथन का प्रकर-सं० (पु० ) 1 कुशल व्यक्ति 2 अगर नामक गंध द्रव्य
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प्रकरण
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प्रकृतत्व
3 खिला हुआ फूल 4 अधिकार 5 सहायता, मदद 6 दोस्ती, विश्लेषण एवं विवेचन होता है; वर्ष (पु०) एक वर्ष में मित्रता 7 गुलदस्ता
प्रकाश द्वारा तय की गई दूरी, लाइट ईयर; ~वान् (वि०) = प्रकरण-सं० (पु०) 1 प्रसंग, संदर्भ 2 ग्रंथ पुस्तक का वह भाग प्रकाशमान; ~व्यवस्था (स्त्री०) रोशनी का प्रबंध जिसमें एक विषय का प्रतिपादन हो, परिच्छेद 3 निर्माण, रचना -शिखा (स्त्री०) प्रकाश की लौ; स्तंभ (१०) रोशनी 4 वर्णन, प्रतिपादन 5 उत्पन्न करना, अस्तित्व में लाना 6 ऐसा का मीनार ग्रंथ जिसमें शास्त्र के सिद्धांत का प्रतिपादन हो
प्रकाशक-[ सं० (वि०) 1 प्रकाश उत्पन्न करनेवाला प्रकरणी-सं० (स्त्री०) नाटिका
2 प्रकाशित करनेवाला II (पु०) 1 सूर्य 2 समाचार पत्र, प्रकरी सं० (स्त्री०) 1 नाटक में अवांतर कथा की सहायता से | पुस्तकों आदि को प्रकाशित करनेवाला कथा-वस्तु का प्रयोजन सिद्ध करना 2 नाटक में वह प्रकाशकीय-सं० (पु०) प्रकाशक संबंधी छोटी-छोटी प्रासंगिक कथाओं में से एक जो समय-समय पर प्रकाशन-I सं० (पु०) 1 प्रकाश करने की क्रिया 2 प्रकट बीच में आकर मुख्य कथा की सहायक बनकर समाप्त हो करने की क्रिया 3 ग्रंथ आदि छपवाकर बेचने एवं प्रचारित जाती हैं, प्रासंगिक कथा वस्तु 3 एक तरह का गान करने का व्यवसाय II (वि.) 1 प्रकाश करनेवाला प्रकर्ष-सं० (पु०) 1 उत्कर्ष, उत्तमता 2 अतिरेक, अधिकता 2 दीप्तिमान्। प्रतिबंध (पु०) प्रकाशन पर रोक; प्रकर्षण-सं० (पु०) 1 पीछे ढकेलना 2 अशांत करना, क्षुब्ध प्रतिबंधक (पु०) प्रकाशन पर रोक लगानेवाला; करना 3 बहुतायत
~व्यवसाय (पु०) प्रकाशन का कार्य, धंधा; शाला प्रकर्षित-सं० (वि०) 1 खींचा हुआ 2 क्षुब्ध किया हुआ (स्त्री०) जहाँ प्रकाश कार्य होता हो, प्रेस; स्वामित्व (पु०) प्रकर्षी-सं० (वि०) 1 उत्कृष्ट, श्रेष्ठ 2 नेतृत्व करनेवाला प्रकाशन की मिल्कियत प्रकलना-सं० (स्त्री०) निश्चयन
प्रकाशनार्थ-सं० (वि०) प्रकाशन के निमित्त प्रकल्पित-सं० (वि०) 1जिसकी प्रकल्पना हई हो 2 निश्चित प्रकाशनालय-सं० (पु०) - प्रकाशनशाला एवं स्थिर किया हुआ
प्रकाशिकी-सं० (स्त्री०) प्रकाश विज्ञान प्रकल्प्य-सं० (वि०) 1 जो प्रकल्पना किए जाने योग्य हो | प्रकाशित-सं० (वि०) 1 प्रकाशयुक्त, प्रकाशवान् 2 जो छापा 2 निश्चित किए जाने योग्य
एवं प्रचारित किया गया हो 3 चमकता हुआ प्रकांड-सं० (वि०) 1विशाल 2 बहुत अधिक, विस्तृत | प्रकाशी-सं० (वि०) 1 चमकता हुआ 2 प्रकाश करनेवाला 3 उत्तम, श्रेष्ठ (जैसे-प्रकांड विद्वान)
प्रकाशीय-सं० (वि०) रोशनी का प्रकाम-[सं० (वि०) 1 जितना आवश्यक हो, उतना 2 यथेष्ठ प्रकाश्य-[ सं० (वि०) 1 प्रकाश में लाए जाने योग्य 2 प्रकट 3 जिसमें अत्यधिक काम वासना हो II (पु०) 1 इच्छा, करने योग्य II (अ०) प्रकट रूप से, स्पष्ट रूप से कामना 2 तृषित
प्रकिरण-सं० (पु०) 1 फैलाना, बिखेरना 2 मिश्रण, मिलाना प्रकार-[ सं० (पु०) 1 भेद, किस्म 2 रीति, ढंग (जैसे-किस प्रकीर्ण-[ सं० (वि०) फैला हुआ, विस्तृत 2 छितराया हुआ, प्रकार करना होगा) 3 सादृश्य 4 विशेषता II (स्त्री०) प्राकार बिखरा हुआ 3 मिला हुआ, मिश्रित 4 अस्त-व्यस्त किया हुआ (प्राचीर)
II (पु०) 1 पुस्तक का अध्याय 2 अनेक प्रकार की वस्तुओं प्रकारांतर-सं० (पु०) दूसरी तरह
का मिश्रण 3 बिखेरना प्रकालन-1 सं० (वि०) 1 पीछा करनेवाला 2 हिंसक प्रकीर्णन-सं० (पु०) छितराना. बिखेरना II (पु०) हिंसा करना, मार डालना
प्रकीर्तन-सं० (पु०) 1 घोषणा 2 ज़ोर-ज़ोर से कीर्तन करना प्रकाश-[ सं० (पु०) 1 रोशनी (जैसे-सूर्य का प्रकाश) ___ 3 यश का गान, प्रशंसा 2 ज्योति, रोशनी (जैसे-आँखों का प्रकाश मंद पड़ गया) प्रकीर्तना-सं० (स्त्री०) उल्लेख करना, नाम लेना 3 वह स्रोत जिससे हमारी दृष्टि शक्ति वस्तु को देखने में सफल प्रकीर्ति-सं० (स्त्री०) 1 ख्याति, यश 2 घोषणा होती है (जैसे-दीपक का प्रकाश) 4 ऐसा तत्त्व जिससे किसी प्रकीर्तित-सं० (वि०) 1 प्रशंसित 2 जिसकी घोषणा की गई हो विषय का ज्ञान स्पष्टतः समझ में आता हो (जैसे-विद्या का प्रकुपित-सं० (वि०) अति क्रुद्ध प्रकाश) 5 ख्याति, प्रसिद्धि 6 सूर्य का आतप, धूप 7 किरण प्रकुल-सं० (पु०) सुंदर शरीर 8 ग्रंथ आदि का कोई अध्याय 9 ज्योतिष्मान् पदार्थों से उत्पन्न प्रकृत-सं० (वि०) 1 जो प्रकृति से उत्पन्न हुआ हो, प्रकृतिजन्य होनेवाली शक्ति जो आकाशतत्त्व के द्वारा चारों ओर फैलती है, __ (जैसे-प्रकृत झीलें, प्रकृत वनस्पतियाँ) 2 जिसमें कोई बनावट, आलोक, द्योत, उजेला II (वि०) 1 जगमगाता हुआ, दीप्त, कृत्रिमता न हो 3 जो स्वभाव के आधार पर हो, स्वाभाविक प्रकाशित 2 खिला हुआ, विकसित 3 गोचर, प्रत्यक्ष 4 प्रसिद्ध (जैसे-प्रकृत संवेदनशीलता) 4 सहज, साधारण, नार्मल 5 खुला हुआ, स्पष्ट । काम (वि०) ख्याति का इच्छुक; 5 वांछनीय, संगत। ज (वि०) प्रकृत से उत्पन्न, ~वाद
कौंध - हिं० (स्त्री०) रोशनी की झलक; गृह (पु०) (पु०) आधुनिक साहित्य में यथार्थवाद का बढ़ा हुआ रूप रोशनी घर; परावर्तक (पु०) प्रकाश को परावर्तित जिसमें समाज के प्रायः नग्न चित्र उपस्थित करना सही समझा करनेवाला; -पुंज (पु०) ढेर सारी रोशनी; ~प्रक्षेपक जाता है; ~वादी [ (वि०) प्रकृतवाद संबंधी, प्रकृतवाद का (पु०) रोशनी फेंकनेवाला यंत्र; ~मान् (वि०) 1 चमकता II (पु०) प्रकृतवाद का अनुयायी हुआ, चमकीला 2 प्रसिद्ध, विख्यात; रसायन (पु०) | प्रकृतत्व-सं० (पु०) 1 प्रकृति होने की अवस्था 2 असलियत, रसायन शास्त्र की वह शाखा जिसमें प्रकाश की किरणों का | यथार्थता
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प्रकृतार्थ
S
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प्रक्षेप्य प्रकृतार्थ-I सं० (वि०) असल, वास्तविक II (पु०) यथार्थ | प्रकोपित-सं० (वि०) 1 जिसे प्रकोप उत्पन्न हुआ हो 2 क्रुद्ध और वास्तविक अर्थ
किया हुआ प्रकृति-सं० (स्त्री०) 1 स्वभाव, मिजाज 2 वह मूलतत्व जिसका | प्रकोष्ठ-सं० (पु०) 1 महल के सदर फाटक के पास का कमरा परिणाम जगत् है 3 माया 4 परमात्मा 5 सदा बना रहनेवाला | 2 इमारत के भीतर का आँगन 3 इमारतों से घिरा हुआ सहन 6 मूल गुण, धर्म 7 स्त्री 8 चराचर संसार। ~कृत (वि०) 4 बाँह का कलाई से लेकर कोहनी तक का भाग, पहँचा प्रकृति द्वारा बनाया हुआ; ~गत (वि०) प्रकृति संबंधी; ज | स्वार्ता (स्त्री०) बंद कमरे में बातचीत (वि०). 1 जो प्रकृति से उत्पन्न हुआ हो, प्राकृतिक 2 जो. | प्रकोष्ठक-सं० (पु०) प्रासाद के मुख्य द्वार के पास का कमरा स्वभाव से ही होता हो, प्रकृतिजन्य; दत्त (वि०) जो प्रकृति प्रक्रम-सं० (पु०) 1क्रम, सिलसिला 2 आरंभ 3 अवसर, द्वारा दिया गया हो; देववाद (पु०) एक प्रकार का मौका 4 प्रक्रिया। ~शील (वि०) प्रक्रम करने का दार्शनिक मत जो सृष्टि की रचना ईश्वर द्वारा संपन्न मानता है स्वभाववाला किंतु उस पर अपना नियंत्रण नहीं रखता, शेष सभी कार्य प्रकृति प्रकमण-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह घूमना, खूब भ्रमण करना पर छोड़ देता है; देववादी (वि०) प्रकृति देववाद का | 2 आगे बढ़ना 3 पार करना 4 आरंभ करना समर्थन करनेवाला, प्रकृति देववाद का समर्थक; ~पूजा प्रकांत-सं० (वि०) 1 प्रकरण में आया हआ 2 जिसका प्रकरण (स्त्री०) प्रकृति की आराधना, वंदना प्रकोप (पु०) दैवी चल रहा है प्रकोप; ~प्रदत्त (वि०) = प्रकृति दत्त; ~भाव (पु०) 1 ! प्रक्रिया-सं० (स्त्री०) 1 प्रकरण 2 क्रिया 3 अमल 4 उच्च पट स्वभाव 2 अविकृति एवं मूल रूप; ~मनोहर (वि०) जो 5 ग्रंथ का अध्याय 6 पुस्तक का आरंभिक अध्याय प्राकृतिक रूप से सुंदर एवं मन लुभावन हो, ~वश (क्रि० 7 विशेषाधिकार 8 प्रयोग का साधन (जैसे-वाक्य प्रयोग की वि०) स्वभाव के कारण; ~वाद (पु०) 1 यह सिद्धांत कि प्रक्रिया)। ~गत (वि०) प्रक्रिया रूप में आया हआ; मनुष्य के सभी आचरण प्रकृति से उत्पन्न होनेवाली कामनाओं -विधान (पु०) पद्धतियों का नियमबद्ध अध्ययन और एवं प्रवृत्तियों पर आश्रित हैं 2 यह सिद्धांत जो संपूर्ण सृष्टि को प्रयोग प्रकृतजन्य मानता है तथा उसमें दैवी शक्ति शून्य है 3 यह प्रक्लिन्न सं० (वि०) 1 आर्द्र, गीला 2 दयार्द्र सिद्धांत जो मनुष्य में धर्म शक्ति का कारण किसी दैवी शक्ति प्रक्लेद-सं० (पु०) 1 आर्द्रता, तरी 2 दयार्द्रता को नहीं मानता बल्कि उसने सभी विचार प्राकृतिक जगत् से ही प्रक्लेदन-सं० (पु०) तर करना, भिगोना प्राप्त किए हैं 3 कला एवं साहित्य में प्राकृतिक एवं वास्तविक प्रक्वाथ-सं० (पु०) 1 उबालने की क्रिया 2 उबाल स्वरूप का ज्यों का त्यों अंकन, चित्रण किया जाने का सिद्धांत; प्रक्षय-सं० (पु०) अंत, विनाश
~वादी (वि०) जो प्रकृतिवाद को मानता हो, प्रकृतवाद का | प्रक्षयण-सं० (पु०) बर्बाद करना, नष्ट करना समर्थक, विज्ञान (पु०) 1वह शास्त्र जिसमें सृष्टि की प्रक्षालन-सं० (पु०) 1 साफ करना, धोना 2 वह पानी जिसमें उत्पत्ति, विकास, लय आदि का अध्ययन किया जाता है 2 वह वस्तु धोई जाय 3 शुद्ध करने का साधन विज्ञान जिसमें भौतिक जगत के भिन्न-भिन्न अंगों, क्षेत्रों, रूपों प्रक्षालयिता-सं० (पु०) धोनेवाला आदि का विचार एवं विवेचन होता है, नैचुरल साइंस प्रक्षालित-सं० (वि०) 1 साफ किया हुआ 2 धोया हुआ, धुला 3 लौकिक व्यवहार में वह ज्ञान जिसमें जीव-जंतुओं, वृक्षों हुआ 3 शुद्ध किया हुआ खनिज पदार्थों और भूगर्भ की बातों का अध्ययन एवं विवेचन प्रक्षिप्त-सं० (वि०) 1 फेंका हुआ 2 मिलाया हुआ 3 आगे को होता है, नैचुरल हिस्ट्री; विद्वे त्ता (पु०) प्रकृति विज्ञान बढ़ा हुआ का ज्ञाता; शास्त्र (पु०) = प्रकृति विज्ञान; ~शास्त्री प्रक्षीण-[ सं० (वि०) जो पूर्णतः नष्ट हो गया हो, विनष्ट (पु०) = प्रकृति वेत्ता; ~संभूत (वि०) प्रकृति से उत्पन्न; II (पु०) विनाश स्थल
सिद्ध (वि०) 1 जो प्रकृति विषयानुरूप हो 2 प्राकृतिक, प्रक्षेत्र-सं० (पु०) नैसर्गिक 3 स्वाभाविक; सुभग (वि०) जो स्वभाव से सुंदर प्रक्षेप-सं० (पु०) 1 आगे की ओर ज़ोर से फेंकना 2 छितराना,
हो, सहज सौंदर्यवाला; ~सुषमा (स्त्री०) प्राकृतिक सुंदरता बिखेरना 3 ऊपर से मिलाना 4 मिलायी जानेवाली वस्तु 5 ग्रंथ । प्रकृतितः-सं० (क्रि० वि०) स्वभावतः
में जोड़ा गया अंश, क्षेपक 6 ग० किसी दिए बिंदु से किसी दी प्रकृतिस्थ-सं० (वि०)1 जो अपने स्वभाव एवं स्वरूप में स्थित हुई रेखा पर प्रक्षिप्त करने का प्रक्रम
हो, क्षोभ-विकार से रहित, जो सामान्य हालत में हो 2 जिसका प्रक्षेपक-सं० (वि०) प्रक्षेपण करनेवाला चित्त उद्विग्न एवं विचलित न हो, ठहरा हआ एवं शांत प्रक्षेपण-सं० (१०) सामने की ओर फेंकने की क्रिया 2 ऊपर प्रकृत्या-सं० (अ०) स्वभावतः
से मिलाना 3 निश्चय करना प्रकृष्ट-सं० (वि०) 1 उत्तम, श्रेष्ठ 2 प्रधान, मुख्य 3 खींचा | प्रक्षेपणास्त्र-सं०. (पु०) फेंककर मारनेवाला अस्त्र, हुआ, निकाला हुआ
मिसाइल प्रकोध-सं० (पु०) सड़ने की अवस्था 2 दूषित होना 3 सूखना, प्रक्षेपणीय-सं० (वि०) प्रक्षेपण योग्य शोष
प्रक्षेपास्त्र-सं० (पु०) = प्रक्षेपणास्त्र। ~ अट्टा - हिं० (पु०) प्रकोप-सं० (पु०) 1 अत्यधिक क्रोध 2 क्षोभ 3 उत्तेजना। मिसाइल स्टेशन 4 प्रबलता (जैसे-शहर में हैजे का प्रकोप फैल गया प्रक्षेपित-सं० (वि०) फेंका हुआ
| प्रक्षेप्य-सं० (वि०) फेंकने योग्य
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प्रक्षोभण
प्रक्षोभण-सं० (पु० ) 1 क्षोभ उत्पन्न करने की क्रिया 2 घबराहट, बेचैनी
प्रखंड-सं० (पु० ) विभाग का छोटा विभाग प्रखर-सं० (वि०) 1 तीक्ष्ण, तेज 2 उग्र, प्रचंड
प्रखल-सं० (वि०) अत्यंत दुष्ट
प्रखाद-सं० (वि०) निगलनेवाला
प्रख्या सं० (स्त्री०) 1 विख्याति, प्रसिद्धि 2 समता, बराबरी
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3 उपमा, तुलना
प्रख्यात सं० (वि०) 1 अति प्रसिद्ध, मशहूर प्रख्याति -सं० (स्त्री०) प्रसिद्धि, ख्याति प्रख्यान-सं० (पु० ) 1 सूचित करना 2 सूचना प्रख्यापन-सं० (पु० ) 1 प्रचार करना 2 सूचित करना प्रगत - सं० (वि०) 1 जो चल पड़ा हो 2 आगे बढ़ा हुआ 3 जो अधिक दूरी पर हो
प्रगति - सं० (स्त्री०) 1 आगे की ओर बढ़ना 2 सामूहिक रूप से होनेवाली क्रमिक उन्नति । बाधक (वि०) विकास में बाधा डालनेवाला; मूलक (वि०) प्रगति पर आधारित; ~रोधक (वि०) = प्रगति बाधक; वाद (पु० ) सामाजिक यथार्थवाद को प्रतिष्ठित करने का सिद्धांत; वादी I ( वि०) प्रगतिवाद संबंधी, प्रगतिवाद का II (पु० ) प्रगतिवाद का अनुयायी, समर्थक; ~शाली (वि०) प्रगति लानेवाला; ~शील (वि०) प्रगति करनेवाला प्रगम -सं० ( पु० ) प्रेम का प्रथम उदय प्रगमन - सं० (पु० ) 1 आगे बढ़ना 2 उन्नति करना, तरक्की करना 3 पूर्वानुराग
प्रगल्भ -सं० (वि०) 1 चतुर 2 होशियार 3 प्रतिभाशाली 4 उत्साही, हिम्मती 5 वाचाल 6 निर्लज्ज 7 अभिमानी। ता (स्त्री०) 1 चतुरता 2 प्रतिभा 3 उत्साह 4 वाचालता 5 धृष्टता 6 अभिमान; ~ वचना (स्त्री०) अपनी बातों में चतुराई प्रकट करनेवाली मध्या नायिका
प्रगल्भा -सं० (स्त्री०) 1 प्रौढ़ा 2 धृष्ट स्त्री प्रगति - सं० (वि०) 1 प्रतिभायुक्त 2 उत्साहपूर्ण 3 प्रगल्भता से युक्त प्रगाढ़-सं० (वि०) 1 बहुत अधिक (जैसे- प्रगाढ़ मित्रता ) 2 गहरा, बहुत गाढ़ा (जैसे- प्रगाढ़ संबंध) 3 घना 4 कठिन प्रगाता - सं० (पु० ) गानेवाला, गवैया
प्रगामी - सं० (वि०) गमन करनेवाला, जानेवाला प्रगीत - I सं० (वि०) गाया हुआ II ( पु० ) गाना प्रगीतात्मक-सं० (वि०) गीतोंभरा
प्रगुण-सं० (वि०) 1 गुणवान, गुणी 2 चतुर, होशियार 3 अच्छा एवं लाभदायक 4 शुभ
प्रगुणित - सं० (वि०) 1 सीधा किया हुआ 2 सुव्यवस्थित प्रगुणी - सं० (वि०) 1 गुणवान 2 चालाक, होशियार प्रगृहीत-सं० (वि०) अच्छी तरह ग्रहण किया प्रग्रह-सं० (पु० ) 1 अच्छी तरह पकड़ने की क्रिया 2 धारण करने की क्रिया 3 सूर्य या चंद्र ग्रहण का आरंभ, ग्रस्त होना 4 नियमन 5 बागडोर 6 बंधन
प्रमाण-सं० (पु० ) 1 धारण 2 सूर्य या चंद्र ग्रहण का आरंभ 3 बंधन 4 लगाम 5 पगहा
प्राह-सं० (पु० ) 1 तराजू आदि की डोरी 2 लगाम 3 पगाहा
प्रचुर
प्रघटक-सं० (पु० ) 1 सिद्धांत 2 नियम प्रघटन - सं० ( पु० ) 1 घटित होने की क्रिया 2 मामला प्रघट्टक - I सं० ( पु० ) सिद्धांत II (वि०) प्रकट करनेवाला प्रघण-सं० (वि०) 1 बहुत घना 2 अत्यधिक प्रघात -सं० ( पु० ) 1 आघात, चोट 2 मार डालना प्रघोरसं० (वि०) 1 अत्यधिक घोर 2 अत्यधिक कठिन प्रघोष -सं० (पु० ) बहुत शोर
प्रचंड सं० (वि०) 1 अति उग्र, अति तीव्र 2 अत्यधिक गर्म 3 भयंकर, भीषण 4 कठिन, कठोर 5 असह्य । ~ता (स्त्री०) 1 प्रचंड होने की अवस्था प्रबलता, उग्रता 2 भयंकरता, भीषणता 3 कठोरता, कठिनता 4 असह्यनीयता
प्रचय - सं० ( पु० ) 1 समूह, झुंड 2 ढेर, राशि 3 वृद्धि, बढ़ती 4 फल-फूल तोड़ना, चयन
प्रचर -सं० (पु० ) 1 मार्ग, रास्ता 2 रीति-रिवाज प्रचरण -सं० (पु० ) 1 आगे बढ़ना, कदम बढ़ाना 2 घूमना-फिरना 3 उपभोग करना 4 प्रचलित होना प्रचरित-सं० (वि०) 1 जो प्रचरण में हो, जिसका प्रचार हो 2 प्रचलित 3 अभ्यस्त
प्रचल - सं० (वि०) 1 अत्यंत चंचल 2 बहुत चलनेवाला प्रचलन-सं० (पु० ) 1 चलनसार होना 2 उपयोग-व्यवहार आदि में आना 3 प्रथा, रिवाज
प्रचला - सं० (स्त्री०) बैठे या खड़े होने की स्थिति में आनेवाली नींद प्रचलित-सं० (वि०) 1 चलनसार 2 उपयोग-व्यवहार आदि में लाया हुआ 3 जो चल चुका हो (जैसे- प्रचलित सिक्का) प्रचाय सं० (पु० ) = प्रचय
प्रचायक - सं० (वि०) 1 चयन करनेवाला, चुननेवाला 2 संग्रह करनेवाला 3 ढेर लगानेवाला
प्रचार - सं० ( पु० ) 1 व्यवहार में आना 2 प्रयोग 3 आचरण 4 चलन, रिवाज 5 प्रसिद्धि 6 प्रकट होना। कर्ता (पु० ) प्रचार करनेवाला व्यक्ति कार्य (पु० ) प्रचार का काम, प्रोपेगेंडा प्रसार ( पु० ) प्रचार करना और फैलाना प्रचारक-सं० (वि०) प्रचार करनेवाला (जैसे- हिंदी भाषा प्रचारक )
प्रचारण-सं० (पु० ) 1 प्रचार करने की क्रिया 2 फैलाना प्रचारात्मक-सं० (वि०) प्रचार संबंधी
प्रचारिका -सं० (स्त्री०) प्रचार करनेवाली स्त्री प्रचारिणी सं० (वि०) प्रचार करनेवाली
प्रचारित-सं० (वि०) 1 चलाया हुआ 2 प्रचार किया हुआ 3 फैलाया हुआ
प्रचारी सं० (वि०) 1 घूमने फिरनेवाला 2 प्रकट होनेवाला 3 प्रचार करनेवाला, प्रचारक प्रचालन-सं० (पु०) चलाने की क्रिया प्रचालित-सं० (वि० 1 जिसका प्रचलन हुआ हो 2 प्रचलित किया हुआ
,
प्रचित-सं० (वि०) 1 चयन किया हुआ 2 एकत्र किया हुआ, संग्रहीत 3 भरा हुआ 4 अनुदात्त
प्रचुर - I सं० (वि० ) 1 विपुल, बहुत अधिक (जैसे- प्रचुर संपत्ति का स्वामी) 2 भरा-पूरा, पूर्ण 3 पर्याप्त II (पु०) चोर -ता (स्त्री०) अधिकता, विपुलता
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प्रचूषण
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प्रज्ञापित
प्रचूषण-सं० (पु०) 1 चूसना 2 शोषण करना, सोखना ब्रह्मा। -काम (वि०) जिसे पुत्र की कामना हो; ~क्षोभ प्रचेता-सं० (वि०) चतुर, बुद्धिमान
(पु०) प्रजा में हलचल या खलबली; जन (पु०) प्रजा के प्रचेय-सं० (वि.) 1 चयन के योग्य 2 संग्राह्य
लोग; तंतु (पु०) 1 संतान, संतति 2 कुल, वंश प्रचोदक-सं० (वि०) 1 प्रेरित करना 2 उत्तेजित करनेवाला, 3 वंश-परंपरा; तंत्र I (पु०) प्रजा के प्रतिनिधियों द्वारा उत्तेजक
परिचालित शासन-व्यवस्था II (वि०) प्रजा के प्रतिनिधियों प्रचोदन-सं० (पु०) 1 प्रेरित करना 2 उत्तेजित करना 3 आदेश द्वारा परिचालित; तंत्रवाद (पु०) प्रजा के प्रतिनिधियों द्वारा करना 4 आदेश 5 सिद्धांत
बनाए गये सिद्धांत नियम आदि; -तंत्रवादी (वि०) प्रचोदित-सं० (वि०) 1 प्रेरित किया हुआ 2 उत्तेजित किया प्रजातंत्रवाद का समर्थक; -तंत्र-विरोधी (वि०) प्रजातंत्र का हुआ 3 आदिष्ट 4 घोषित 5 प्रेषित
विरोध करनेवाला; तंत्रात्मक, ~तंत्री, तंत्रीय (वि०) प्रचोदी-सं० (वि०) 1प्रेरित करनेवाला 2 बढ़ावा देनेवाला प्रजातंत्रवादी; तांत्रिक (वि०) 1 प्रजातंत्रवाद का अनुयायी प्रच्छद-सं० (पु०) 1 ढकनेवाला कपड़ा आदि, आच्छादन 2 प्रजातंत्रवाद से संबंधित; ~पति (पु०) 1 सृष्टि का 2 बिछावन की चादर
रचयिता, ब्रह्मा 2 राजा 3 पिता 4 स्वामी 5 जामाता, दामाद; प्रच्छन्न-1 सं० (वि०) 1 ढका हुआ, आच्छादित 2 छिपा हुआ, पालक (पु०) प्रजा का पालन करनेवाला, राजा; भक्त आच्छन्न II (पु०) 1 चोर दरवाज़ा 2 खिड़की
(वि०) प्रजा के प्रति निष्ठावान्; ~भक्ति (स्त्री०) प्रजा के प्रच्छर्दक-सं० (वि०) 1कै करनेवाला 2 वमन कारक प्रति निष्ठा; ~वती (स्त्री०) 1 वह स्त्री जिसके बहुत से बच्चे प्रच्छर्दन-सं० (पु०) कै करना
हों 2 गर्भवती स्त्री 3 भाई की स्त्री 4 बड़े भाई की स्त्री, भौजाई, प्रच्छर्दिका–सं० (स्त्री०) वमन कारक औषधि
भाभी; ~वाद (पु०) = प्रजातंत्रवाद; ~वादी (वि०) : प्रच्छादक-सं० (वि०) 1 छिपानेवाला 2 ढंकनेवाला
प्रजातंत्रवादी; ~वान् (वि०) संतानवाला; सत्ता (स्त्री०) प्रच्छादन-सं० (पु०) 1 ढकने की क्रिया 2 छिपाने की क्रिया - प्रजातंत्र सत्तात्मक (वि०) = प्रजातंत्रवादी 3 उत्तरीय, ओढ़नी
-हित I (पु०) जल II (वि०) जो प्रजा के लिए हितकर हो प्रच्छादित-सं० (वि०) 1 ढका हुआ, आवृत्त 2 छिपाया हुआ प्रजागरण-सं० (पु०) 1 जाग्रति 2 चौकसी प्रच्छाय-सं० (पु०) 1 छायादार जगह 2 घनी छाया प्रजात-सं० (वि०) उत्पन्न किया हआ, उत्पन्न । प्रच्छाया-सं० (स्त्री०) 1 गहरी छाया 2 सूर्य के विपरीत दिशा में प्रजाता-सं० (स्त्री०) बच्चे को जन्म देनेवाली स्त्री, प्रसूतिका, पड़नेवाली किसी ग्रह की छाया 3 ग्रहण काल में सूर्य या चंद्रमा । जच्चा पर पड़नेवाली छाया
प्रजाति-सं० (स्त्री०) मानव जाति की विभिन्न नस्लें प्रच्छेदन-सं० (पु०) 1 टुकड़े-टुकड़े करना 2 भेदन करना, प्रजातीय-सं० (वि०) मानव जातियों से संबंधित
प्रजाद-सं० (वि०) 1 जन्म देनेवाला 2 बाँझपन दूर करनेवाला प्रच्यवन-सं० (पु०) 1 पतन 2 क्षरण, चूना 3 हटना 4 हानि प्रजापिनी-सं० (स्त्री०) माता प्रच्युत-सं० (वि०) 1 गिरा हुआ, पतित, भ्रष्ट 2 विचलित | प्रजेप्सु-सं० (पु०) संतान का इच्छुक 3 क्षरित, झरा हुआ 4 निष्कासित 5 हटाया हआ 6 भगाया प्रज्ञ-[ सं० (वि०) 1 चतुर एवं बुद्धिमान, प्रज्ञा-शक्ति संपन्न
2 जाननेवाला, जानकार II (पु.) 1 विद्वान, पंडित प्रच्युति-सं० (स्त्री०) 1 अपने स्थान से गिरने की अवस्था, 2 बुद्धिमान्। ~ता (स्त्री०) 1 प्रज्ञ होने की अवस्था च्युति 2 पतन 3 हानि
2 पांडित्य, विद्वता 3 अच्छी जानकारी प्रजंघा-सं० (स्त्री०) जाँघ का निचला भाग
प्रज्ञप्त-सं० (वि०) जतलाया हुआ, बतलाया हुआ प्रजन-[ सं० (पु०) 1गर्भ धारण हेतु जोड़ा खाना, मैथुन प्रज्ञप्ति-सं० (स्त्री०) 1 सूचित करने की क्रिया 2 सूचना (पशु) 2 संतान उत्पन्न करना II (वि०) जन्म देनेवाला। प्रज्ञा-I सं० (स्त्री०) 1 बुद्धि 2 समझ 3 विदुषी एवं सभ्य स्त्री
ऋतु (पु०) पशुओं के गर्भ धारण का मौसम 4 सरस्वती। चक्षु (पु०) 1 बुद्धिरूपी नेत्र 2 अंधा व्यक्ति प्रजनक-I सं० (वि०) उत्पत्र करनेवाला II (पु०) पिता 3 ज्ञानी पुरुष II (वि०) जिसकी बुद्धि ही आँख हो; प्रजनन-सं० (पु०) 1संतान उत्पन्न करना 2 जन्म 3 पशुओं ~पारमिता (स्त्री०) पूर्ण ज्ञान की स्थिति; ~वाद (पु०)
आदि को पाल-पोसकर उनकी उन्नति एवं वृद्धि करना ऐसा मत जो सभी कार्य प्रज्ञानुसार ही किए जाने का हिमायती 4 संतान। -क्रिया (स्त्री०) संतान उत्पन्न करने की क्रिया हो; ~शील (वि०) जिसमें न्याय-बुद्धि हो प्रजनयिता-सं० (वि०)/(पु०) उत्पन्न करनेवाला
प्रज्ञात-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह जाना हआ 2 जिसका प्रज्ञान प्रजनिका-सं० (स्त्री०) माता, जननी
हुआ हो 3 विवेचित प्रजनित-सं० (वि०) उत्पन्न
प्रज्ञान-सं० (पु०) 1 प्राप्त किया गया ज्ञान 2 विवेक, बुद्धि प्रजनू-सं० (स्त्री०) योनि, भग
3 विद्वान, चैतन्य । प्रजल्प, प्रजल्पना-सं० (पु०) इधर-उधर की बात, गप, | प्रज्ञापक-I सं० (वि०) सूचित करनेवाला II (पु०) छपा बकवाद
| हुआ विज्ञापन, पोस्टर प्रजा-सं० (स्त्री०) 1 राज्य की जनता, रिआया 2 छोटी जाति के | प्रज्ञापन-सं० (पु०) ज्ञान कराना लोग (जैसे-नाऊ, धोबी, भाट, लोहार, कुम्हार, चमार आदि | प्रज्ञापित-सं० (वि०) 1 जिसका प्रज्ञापन हुआ हो 2 जिसे प्रजा शासित हैं) 3 प्रजनन 4 संतति, औलाद 5 सृष्टिकर्ता, । सूचना दी गई हो
छेदना
हुआ
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प्रज्ञेय
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प्रतारित
प्रज्ञेय--सं० (वि०) जो प्रज्ञान योग्य हो
समाधि 4 शृद्धा एवं भक्तिपूर्ण उपासना 5 एकाग्रचित्त ध्यान प्रज्वलंत-सं० (वि०) जलता हुआ, दमकता हुआ
6 आग्रह, अभिनिवेश 7 कर्मफल का त्याग प्रज्वलन-सं० (पु०) जलाना (जैसे-दीप प्रज्वलन) प्रणिधि-1 सं० (पु०) 1 दूत 2 भेदिया, गुप्तचर II (स्त्री०) प्रज्वलित-सं० (वि०) 1 जलाया हुआ 2 चमकता हुआ, 1 प्रार्थना 2 मन की एकाग्रता 3 तत्परता चमकीला
प्रणिनाद-सं० (पु०) घोरध्वनि प्रज्वार-सं० (पु०) ज्वर का ताप
प्रणिपात-सं० प्रणाम, नमन प्रज्वालन-सं० (पु०) प्रज्वलित करना
प्रणिहित-सं० (वि०) 1 स्थापित 2 मिश्रित 3 पाया हुआ, प्राप्त प्रण-I (पु०) प्रतिज्ञा (जैसे-प्रण तोड़ना)
4 सौंपा हुआ 5 समाधिस्थ 6 कृतसंकल्प प्रण-II सं० (वि०) पुराना, प्राचीन
प्रणीत-[ सं० (वि०) 1 बनाया हुआ, निर्मित 2 फेंका हुआ प्रणख-सं० (पु०) नाखून का अगला भाग
3 अलग किया हुआ 4 संशोधित, संस्कृत 5 लाया हुआ प्रणत-[सं० (वि०) 1 झुका हुआ 2 नम्र, विनीत 3 जो प्रणाम II (पु०) 1 मंत्र द्वारा संस्कार किया गया जल 2 मंत्र द्वारा करने के लिए झुका हो II (पु०) 1 दास 2 नौकर, सेवक | संस्कृत अग्नि 3 पकाया गया पदार्थ 3 उपासक, भक्त। ~पाल, ~पालक (वि०) शरणागत | प्रणेता-सं० (वि०) 1ले जानेवाला 2 बनानेवाला, रचयिता का रक्षक
(जैसे-ग्रंथ का प्रणेता) 3 सिद्धांत, मत का प्रवर्तक प्रणति-सं० (स्त्री०) प्रणाम
प्रणय-सं० (वि०) 1 ले जाने योग्य 2 संस्कार के काबिल प्रणमन-सं० (पु०) 1 प्रणाम करना 2 झुकना
प्रणोद-सं० (पु०) 1 प्रेरित करना 2 भेजना, प्रेषण। -कक्ष प्रणम्य-सं० (वि०) प्रणाम के योग्य प्रणय-सं० (पु०) 1 प्रेम, प्रीति 2 प्रीतियुक्त प्रार्थना 3 भरोसा, प्रणोदक-सं० (पु०) 1 प्रेरित करनेवाला व्यक्ति 2 भेजनेवाला विश्वास 4 उदारता, कृपा 5 श्रृद्धा । ~कोप (पु०) रोष प्रकट प्रणोदन-सं० (पु०) 1 भेजना, प्रेषण 2 प्रेरित करना करना, रूठ जाना; ~सूत्र (पु०) प्रेम का बंधन प्रणोदित-सं० (वि०) 1प्रेरित 2 प्रेषित करना प्रणयन-सं० (पु०) 1 पूरा करना 2 पहुँचाना 3 रचना प्रणोदित्र-सं० (पु०) प्रेरित करने का उपकरण (जैसे-काव्य-प्रणयन) 4 निर्माण 5 उपस्थित करना 6 अग्नि का प्रणोदी-सं० (वि०) प्रेरित करनेवाला संस्कार करना
प्रतन-सं० (वि०) पुराना, प्राचीन प्रणयाकुल-सं० (वि०) कामातुर
प्रतनु-सं० (वि०) 1 बहुत पतला 2 अति सूक्ष्म 3 अत्यल्प प्रणयालाप-सं० (पु०) प्रेमपूर्वक की जानेवाली बातचीत, प्यार प्रतन्य-सं० (वि०) तनने योग्य करनेवालों की आपसी बातचीत
प्रतपन-I सं० (पु०) 1 गरम करना, गरमाहट पहुँचाना 2 तप्त प्रणयिता-सं० (स्त्री०) अनुरक्ति, प्रीति
करना, तपाना II (वि०) 1 गरमाहट पहुँचानेवाला प्रणयिनी-सं० (स्त्री०) 1 प्रेम करनेवाली, प्रेमिका 2 कांता, 2 तपानेवाला पत्नी।
प्रतप्त-सं० (वि०) तपाया हुआ, अत्यधिक गर्म किया हआ प्रणयी-[ सं० (वि०) 1 प्रेम करनेवाला, प्रेमी, अनुरागी | पतरण-सं० (पु०) 1 तैरकर पार करना 2 तैरना
2 चाहनेवाला, इच्छक II (पु०) 1 प्रेमी 2 प्रार्थी 3 पति | प्रतर्क-सं० (पु०) 1 तर्क वितर्क 2 कल्पना प्रणव-सं० (पु०) 1 ओंकार 2 परमेश्वर 3 त्रिदेव प्रतर्कण-सं० (पु०) 1 वाद-विवाद करना, तर्क-वितर्क करना प्रणाद-सं० (पु०) 1 ज़ोर की आवाज़ 2 गर्जन 3 गुहार 2 अनुमान करना, कल्पना करना 3 संशय 4 प्रसत्रता से मुहँ से निकलनेवाला शब्द, शीत्कार 5 झंकार प्रतळ-सं० (वि०) 1 तर्क करने योग्य 2 कल्पना योग्य (जैसे-नूपुरों का प्रणाद)
प्रताड़ना-सं० (स्त्री०) डांट-फटकार, कष्ट पहुंचाने या सताने प्रणाम-सं० (पु०) 1 नत-मस्तक होकर अभिवादन, नमस्कार की क्रिया करने का ढंग 2 झुकना, नत होना
प्रतान-[सं० (पु०) 1पेड़-पौधे का नया कल्ला 2 झाड़, लता प्रणामांजलि-सं० (स्त्री०) हाथ जोड़कर किया जानेवाल 3 लता तंतु, रेशा 4 फैलाव, विस्तार II (वि०) 1 फैला हआ, प्रणाम, करबद्ध प्रणाम
विस्तृत 2 रेशेदार प्रणामी-I सं० (पु०) प्रणाम करनेवाला II (स्त्री०) प्रणाम प्रताप-सं० (पु०) 1 तेज 2 वीरता, प्रभुत्व आदि का प्रभाव, करते समय दी जानेवाली दक्षिणा
इकबाल 3 अत्यधिक गर्मी 4 पौरुष 5 बहादुरी, वीरता प्रणायक-सं० (पु०) 1 पथ प्रदर्शक 2 सेनापति 3 नेता 6 साहस, हिम्मत। ~शाली (वि०) तेजस्वी प्रणाल-सं० (पु०) 1 बड़ा जलमार्ग 2 पनाला
प्रतापी-सं० (वि०) 1 प्रताप संबंधी 2 दुःख देनेवाला, प्रणालिका-सं० (पु०) परनाली
सतानेवाला 3 जिसके चारों ओर प्रताप फैला हो प्रणाली सं० (स्त्री०) 1 परंपरा, प्रथा 2 पद्धति 3 ढंग, तरीका प्रतारक-सं० (वि०) 1 प्रतारण करनेवाला, ठगनेवाला
4 दो बड़े जलमार्गों को मिलानेवाला छोटा जलमार्ग 5 परनाला | 2 चालाक 3 धूर्त 4 धोखेबाज़ प्रणाश-सं० (पु०) 1 विनाश, बर्बादी 2 मृत्यु 3 पलायन, प्रतारण-सं० (पु०) 1 ठगना 2 धोखेबाज़ी भागना
प्रतारणा-सं० (स्त्री०) 1वंचना, ठगी 2 धूर्तता 3 चालाकी प्रणाशी-सं० (वि०) नाश करनेवाला
4 धोखेबाज़ी प्रणिधान-सं० (पु०) 1 देखा जाना 2 प्रयत्न 3 योग साधन में| प्रतारित-सं० (वि०) 1छला हुआ 2 ठगा हुआ
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प्रति
प्रति - I सं० (अ०) संस्कत अव्यय जो शब्दों के पहले लगकर अनेक अर्थ देता है (जैसे- प्रतिक्रिया, प्रतिद्वंद्वी, प्रतिलिपि, प्रतिरक्षा, प्रति व्यक्ति आदि) II (स्त्री०) 1 नकल (जैसे- इस
ग्रंथ की सौ प्रतियाँ छापी गयी थीं) 2 किसी चीज़ की अनुकृति प्रतिकर - सं० (पु०) अपकार, क्षति आदि के बदले में दिया जानेवाला धन, मुआवजा
प्रतिकरण-सं० (पु० ) विरोध में किया जानेवाला कार्य प्रतिकर्ता - सं० (वि०) प्रतिकार करनेवाला
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प्रतिकर्म -सं० ( पु० ) 1 प्रतिकार 2 बदला 3 श्रृंगार, प्रसाधन प्रतिकर्मक-सं० (पु०) द्रव्य के अस्तित्व की जाँच हेतु उसमें मिलाया जानेवाला द्रव्य
प्रतिक- स्वत्व-सं० (पु०) लेखक, कवि आदि का कृति की प्रतियाँ छपवाने आदि का स्वत्व प्रतिकार्मिनी-सं० (स्त्री०) सौत प्रतिकाय सं० (पु० ) पुतला प्रतिकार - सं० (पु० ) 1 बदला 2 कार्य आदि को रोकने के लिए किया जानेवाला प्रयत्न, उपाय 3 क्षति पूर्ति के निमित्त दिया जानेवाला धन 4 इलाज, चिकित्सा प्रतिकारक-सं० (वि०) 1 प्रतिकार करनेवाला 2 क्रिया के प्रभाव को नष्ट करनेवाला
प्रतिकारिक-सं० (वि०) प्रतिकार से संबंधित प्रतिकारी -सं० (वि०) विरोध करनेवाला
प्रतिकार्य-सं० (वि०) जिसका प्रतिकार किया जा सके प्रतिकाश-सं० (पु० ) 1 प्रतिरूप 2 सादृश्य प्रतिकितव-सं० ( पु०) जुआ खेलनेवाले का जोड़ीदार प्रतिकूल - सं० ( वि० ) 1 विरुद्ध पक्ष का अवलंबन करनेवाला
2 जो अनुकूल न हो, विपरीत, विरुद्ध 3 जो किसी कार्य आदि में बाधक हो (जैसे- प्रतिकूल परिस्थिति ) । ~ता (स्त्री०) 1 प्रतिकूल होने की अवस्था, विपरीतता 2 विरोध प्रतिकूला -सं० (स्त्री०) सपत्नी प्रतिकृत-सं० (वि०) 1 जिसका प्रतिकार हो चुका हो 2 जिसका बदला चुकाया जा चुका हो
प्रतिच्छायित
संयोग की प्रतिक्रिया से जल की संरचना) 5 श्रृंगार-प्रसाधन । ~वाद (पु० ) पहले से चली आ रही बात में सुधार करनेवालों का विरोध करने का सिद्धांत; ~वादी I ( वि०) प्रतिक्रियावाद संबंधी II (पु० ) प्रतिक्रियावाद का समर्थक; ~ शील (वि०) जो प्रतिक्रियावाद का समर्थन करे प्रतिक्रियात्मक-सं० (वि०) प्रतिक्रिया से युक्त प्रतिक्रोश-सं० (पु० ) नीलामी
प्रतिक्षण-सं० (अ० ) प्रत्येक पल में, हरदम, निरंतर प्रतिक्षय-सं० (पु०) अंगरक्षक
हो
प्रतिक्षिप्त-सं० (वि०) 1 फेंका हुआ 2 जो अमान्य किया गया हो 3 बलपूर्वक हटाया हुआ प्रतिक्षेप-सं० (पु०) 1 बलपूर्वक पीछे हटाना 2 अस्वीकृत करना 3 अलग करना 4 तिरस्कार 5 खंडन 6 रोकना प्रतिख्यात -सं० (वि०) बहुत अधिक प्रसिद्ध प्रतिख्याति -सं० (स्त्री०) बहुत अधिक प्रसिद्धि प्रतिगत - I सं० (वि०) 1 लौटा हुआ 2 जो पुनः प्राप्त हुआ 3 विस्मृत, भूला हुआ II ( पु० ) पक्षियों की एक प्रकार की उड़ान, पक्षियों का आगे-पीछे जाते हुए उड़ना प्रतिगमन-सं० (पु०) वापस आना, लौटना प्रतिगामिता-सं० (स्त्री०) प्रतिगामी होना प्रतिगामी - सं० (पु० ) दे० प्रतिक्रियावादी प्रतिगुंजित -सं० (वि०) प्रतिध्वनित प्रतिगृहीत-सं० (वि०) 1 स्वीकृत किया हुआ 2 विवाहित प्रतिगृहीता-सं० (स्त्री०) 1 विवाहिता स्त्री 2 धर्म पत्नी प्रतिगृह्य - सं० (वि० ) = प्रतिग्राहय
प्रतिग्रह -सं० ( पु० ) 1 लेना 2 वश में करना 3 स्वीकृति, मंजूरी 4 दान आदि ग्रहण करने का अधिकार 5 उपहार भेंट 6 अभ्यर्थना 7 धरोहर
प्रतिग्रहण-सं० ( पु० ) 1 स्वीकार करना 2 दान लेना 3 ग्रहण करना, ब्याहना
प्रतिग्रहीता - सं० ( पु० ) 1 प्रतिग्राही 2 पति प्रतिग्राहक सं० (वि०) दान लेनेवाला प्रतिग्राह्य-सं० (वि०) 1 दान लेने योग्य 2 स्वीकार्य प्रतिघ-सं० ( पु० ) 1 विरोध 2 युद्ध, लड़ाई 3 शत्रु प्रतिघात - सं० ( पु० ) 1 आघात के बदले किया गया आघात 2 रुकावट, बाधा 3 मारण, वध प्रतिघातक -सं० ( पु० ) प्रतिघात करनेवाला प्रतिघातन - सं० ( पु० ) 1 प्रतिघात करने की क्रिया 2 जान से मार डालना, हत्या 3 बाधा, रुकावट प्रतिघाती-सं० (वि०) 1 प्रतिघात करनेवाला 2 टक्कर मारनेवाला 3 प्रतिद्वंद्वी
प्रतिकृति-सं० (स्त्री०) 1 प्रतिरूप, प्रतिमा 2 बदला, प्रतिकार 3 सादृश्य, प्रतिबिंब 4 प्रतिनिधि
प्रतिकृत्य - I सं० (वि०) 1 जिसका प्रतिकार किया जा सके
2 जिसका प्रतिकार करना उचित हो II (पु० ) प्रतिकार प्रतिकृष्ट - सं० (वि०) 1 दोबारा जोता हुआ (खेत) 2 जिसका निवारण हुआ हो 3 छिपा हुआ 4 तुच्छ, हे प्रतिक्रम - सं० (पु० ) 1 विपरीत क्रम 2 विपरीत आचरण II (वि०) जो विपरीत क्रम से लगा हो प्रतिक्रमात -सं० (अ०) विपरीत क्रम से प्रतिक्रांति-सं० (स्त्री०) क्रांति को रोकने के लिए होनेवाली क्रांति। ~कारी, वादी (वि०) 1 प्रतिक्रांति करनेवाला 2 जो प्रतिक्रांति का विरोध करे प्रतिक्रिया-सं० (स्त्री०) 1 प्रतिकार, बदला 2 क्रिया के विरोध में होनेवाली घटना 3 प्राकृतिक नियम के अनुसार होनेवाली क्रिया के विपरीत स्वाभाविक क्रिया (जैसे-गेंद का दीवार से टकराकर लौट आना प्रतिक्रिया का उदाहरण है) 4 दो या दो से अधिक द्रव्यों के पारस्परिक संयोग से पड़नेवाला प्रभाव, परिणाम (जैसे- हाइड्रोजन और आक्सीजन की पारस्परिक
प्रतिघ्न-सं० (पु० ) काया, शरीर प्रतिचिंतन - सं० ( पु० ) पुनर्विचार करना प्रतिचुंबकीय-सं० (वि०) चुंबक विरोधी प्रतिचिकीर्षा-सं० (स्त्री०) प्रतिकार करने की इच्छा प्रतिच्छन्न-सं० (वि०) 1 छाया हुआ 2 ढका हुआ प्रतिच्छवि-सं० (स्त्री०) प्रतिबिंब, परछाई प्रतिच्छाया-सं० (स्त्री०) 1 प्रतिरूप 2 प्रतिमा 3 प्रतिबिंब 4 चित्र
प्रतिच्छायित-सं० (वि०) प्रतिबिंबित
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प्रतिच्छेद
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प्रतिपत्र
प्रतिच्छेद-सं० (पु०) 1 बाधा, विरोध 2 प्रतिरोध 3 खंडित प्रतिध्वनिक-सं० (वि०) प्रतिध्वनि संबंधी, प्रतिध्वनि का करना
प्रतिध्वनित-सं० (वि०) गूंजा हुआ प्रतिजल्प-सं० (३०) 1 किसी के उत्तर में कही हई बात प्रतिध्वन्यात्मक-सं० (वि०) प्रतिध्वनि संबंधी 2 विपरीत बात
प्रतिध्वान-सं० (पु०) प्रतिध्वनि प्रतिजल्पक-[सं० (पु०) टाल-मटोलवाला उत्तर II (वि०) प्रतिनंदन-सं० (पु०) 1 आशीर्वाद के साथ अभिनंदन करना विपरीत बोलनेवाला
2 धन्यवाद देना 3 बधाई देना 4 प्रसन्नतापूर्वक स्वागत करना प्रतिजागर-सं० (पु०) सचेत होकर देख-भाल करना प्रतिनव-सं० (वि०) नया, ताजा, नृतन प्रतिजिह्वा-सं० (स्त्री०) गले के भीतर की घंटी, कौआ | प्रतिनाद-सं० (पु०) = प्रतिध्वनि प्रतिजीव-सं० (प्०) जीव विरोधी
प्रतिनादित-सं० (वि०) - प्रतिध्वनित प्रतिजीवन-सं० (पु०) फिर से जी जाना, पुनर्जीवन प्रतिनायक-सं० (पु०) नायक का प्रतिद्वंद्वी प्रतिजीवी, प्रतिजैविक-सं० (वि०) जीव विरोधी प्रतिनारी-सं० (स्त्री०) प्रतिद्वंद्वनी स्त्री प्रतिज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 दृढ़ संकल्प 2 वादा 3 निश्चय। प्रतिनिधान-सं० (पु०) 1 प्रतिनिधि मंडल 2 स्थानापन्न करना
~कर्ता (पु०) प्रतिज्ञा करनेवाला; ~पत्र (पु०) 1 ऐसा पत्र प्रतिनिधानिक-सं० (वि०) 1 स्थानापन्न 2 प्रतिनिधि जिस पर प्रतिज्ञा लिखी हो 2 इकरारनामा; ~पन (पु०) प्रतिनिधानित-सं० (वि०) स्थानापन्न किया हुआ विशेष रूप से ज़ोर देकर कोई बात कहना; -परायण प्रतिनिधि-सं० (पु०) 1 किसी के स्थान पर कार्य करनेवाला (वि०) प्रतिज्ञा पर अटल रहनेवाला; ~पालन (पु०) प्रतिज्ञा व्यक्ति, किसी का स्थानापन्न व्यक्ति 2 प्रतिरूप, प्रतिमा 3 संसद पूरी करना; ~बद्ध (वि०) वचन बद्ध; ~भंग (पु०) आदि का वह सदस्य जो निर्वाचन क्षेत्र से चुना गया हो प्रतिज्ञा तोड़ देना, प्रतिज्ञा न मानना; लेख (पु०)- प्रतिज्ञा पत्र __4 प्रतिभू, जामिन। ~द्रव्य (प्०) औषध के अभाव में दी प्रतिज्ञात-सं० (वि०) 1 जिसके विषय में प्रतिज्ञा की गई हो गई औषध; पत्र (पु०) प्रतिनिधि को चिट्ठी; पूर्ण 2 घोषित किया हुआ, कहा हुआ
(वि०) जिसे प्रतिनिधित्व अधिकार प्राप्त हों; -मंडल प्रतिज्ञाता-सं० (पु०) प्रतिज्ञा करनेवाला
(पु०), ~मंडली (पु०) प्रतिनिधियों का समूह; ~शासन प्रतिज्ञान-सं० (पु०) 1 प्रतिज्ञा 2 निष्ठापूर्वक बात कहना (पु०) जनता के चुने गए प्रतिनिधियों द्वारा चलाया जानेवाला प्रतितुलन-सं० (पु०) 1 दोनों ओर का भार समान करना राज्य; ~संस्था (स्त्री०) प्रतिनिधियों द्वारा चलाई गई संस्था; 2 संतुलन, बराबर-बराबर शक्ति
सभा (स्त्री०) प्रतिनिधियों की सामूहिक बैठक; - समूह प्रतिदंड-सं० (वि०) अवज्ञा करनेवाला, आज्ञा न माननेवाला, (पु०)
प्रतिनिधित्व-सं० (पु०) 1 प्रतिनिधि का कार्य 2 प्रतिनिधि का प्रतिदत्त-सं० (वि०) 1 बदले में दिया हआ 2 वापस किया
भाव
प्रतिनिनाद-सं० (पु०) प्रतिध्वनि प्रतिदर्श-सं० (पु०) नमूना
प्रतिनियम-सं० (पु०) सामान्य नियम प्रतिदान-सं० (पु०) 1 वापस करना 2 बदले में दूसरी वस्तु । प्रतिनियुक्त-सं० (वि०) प्रतिनिधि के रूप में भेजा हआ देना, विनिमय
प्रतिनियुक्ति-सं० (स्त्री०), प्रतिनियोजन (पु०) अधीनस्थ प्रतिदारण-सं० (पु०) 1 फाड़ना, चीरना 2 विदीर्ण करना कर्मचारी के रूप में नियुक्त करना प्रतिदिन-सं० (अ०) प्रत्येक दिन, हर रोज़ (जैसे-प्रतिदिन का | प्रतिनिर्देश-सं० (पु०) पुनः उल्लेख करना, पुनः कथन करना
प्रतिनिर्यातन-सं० (पु०) 1 लौटाना 2 बदला लेना प्रतिदीप्ति-सं० (स्त्री०) चौंध
प्रतिनिवर्तन-सं० (पु०) 1 निवारण 2 लौटाना प्रतिदेय-1 सं० (वि०) जो लौटाया जा सके II (पु०) लौटाई । प्रतिनिवर्तित-सं० (वि०) लौटाया हुआ गई वस्तु
प्रतिनिविष्ट-सं० (वि०) जो दृढ़ हो गया हो प्रतिद्वंद्व-सं० (पु०) 1 बराबर शक्तियों का पारस्परिक विरोध, | प्रतिनिश्चय-सं० (पु०) विरोधी मत बराबरवालों का झगड़ा 2 प्रतिद्वंद्वी
प्रतिनोद-सं० (पु.) 1 पीछे हटाना 2 दूर भगाना प्रतिद्वंद्विता-सं० (स्त्री०) प्रतिद्वंद्वी होने की अवस्था प्रतिपक्ष-सं० (पु०) 1 विरोधी का पक्ष, विपक्ष 2 प्रतिवादी प्रतिद्वंद्विनी-सं० (स्त्री०) प्रतिद्वंद्वी स्त्री
3विरोधी। ता (स्त्री०) प्रतिपक्षी होने की अवस्था प्रतिद्वंद्वी-[ सं० (पु०) विपक्षी II (वि०) मुकाबला 2 विरोध करनेवाला, प्रतिपक्षी
प्रतिपक्षी-सं० (वि.) विरोधी पक्ष का प्रतिघान-सं० (पु०) 1 धरना, रखना 2 लौटाना 3 निराकरण प्रतिपण-सं० (पु०) एक सा मूल्य, समान मूल्य प्रतिधारण-सं० (पु०) धारण किए रखना
प्रतिपत्ति-सं० (स्त्री०) 1 कार्य रूप में लाना 2 अनुमान प्रतिधारित-सं० (वि०) धारण किया हुआ
3 प्राप्ति, पाना 4 ज्ञान 5 विषय आदि का प्रतिपादन, निरूपण प्रतिधावन-सं० (पु०) आक्रमण
6 ग्रहण, स्वीकार प्रतिध्वनि-सं० (स्त्री०) तल से परावर्तित होकर सुनाई | प्रतिपत्तिमान्-सं० (वि०) 1 बुद्धिमान 2 प्रसिद्ध 3 कार्य कुशल पड़नेवाली ध्वनि-तरंगें, [ज, प्रतिशब्द (जैसे-प्रतिध्वनि सुनाई प्रतिपत्र-सं० (१०) किसी के स्थान पर वोट डालने का पड़ना)। ~शब्द (पु०)
अधिकार पत्र
कार्य)
"
)
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प्रतिपत्री
प्रतिपत्री सं० (पु० ) परोक्ष प्रतिनिधि
प्रतिपद् -सं० (स्त्री०) 1 बुद्धि, समझ 2 मार्ग, रास्ता 3 आरंभ प्रतिपद-सं० (स्त्री०) एकम
प्रतिपदा -सं० (स्त्री०) पक्ष की पहली तिथि
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प्रतिपन्न - सं० (वि०) 1 अवगत, जाना हुआ 2 स्वीकृत, अंगीकृत 3 प्रचंड 4 भरा हुआ 5 पराभूत 6 सम्मानित प्रतिपरीक्षण-सं० (पु० ) कही गई बात पर प्रश्न करना प्रतिपर्ण - सं० ( पु० ) रसीद, काउंटर फॉयल प्रतिप्राण-सं० ( पु० ) प्रतिपक्षी द्वारा दाँव पर लगाया गया धन प्रतिपादक-सं० (वि०) 1 प्रतिपादन करनेवाला, निरूपक
2 प्रतिपत्र करनेवाला 3 निर्वाह करनेवाला
प्रतिपादन - सं० ( पु० ) 1 भली-भाँति ज्ञात कराना, अच्छी तरह समझाना 2 निरूपण, निष्पादन 3 प्रमाण, सबूत 4 उत्पत्ति, जन्म प्रतिपादयिता - I सं० (वि०) प्रतिपादन करनेवाला II ( पु० ) शिक्षक
प्रतिपादित-सं० (वि०) 1 जिसका प्रतिपादन हो चुका हो 2 निर्धारित, निश्चित 3 जो दिया जा चुका हो, दत्त प्रतिपाद्य-सं० (वि०) 1 जो प्रतिपादन योग्य हो 2 जो दिया जाने योग्य हो
प्रतिपाप - I सं० (वि०) अपकार के बदले अपकार करनेवाला II (पु० ) बुराई के बदले बुराई करना प्रतिपाल - I सं० (वि०) 1 प्रतिपालन करनेवाला 2 रक्षा करनेवाला, रक्षक II (पु० ) 1 रक्षा 2 सहायता प्रतिपालक-सं० (वि०) 1 पालन-पोषण करनेवाला, पोषक 2 रक्षक । ~ अधिकरण (पु० ) अल्प-वयस्क, बौद्धिक अयोग्यता वाले, शारीरिक दृष्टि से असमर्थ लोगों की संपत्ति की व्यवस्था करनेवाला राजयकीय विभाग
प्रतिपालन - सं० ( पु० ) 1 पालन करना 2 रक्षा करना, रक्षण प्रतिपालित-सं० (वि०) 1 जिसका प्रतिपालन किया गया हो
2 पाला-पोसा हुआ 3 जिसकी रक्षा की गई हो, रक्षित प्रतिपाल्य-सं० (वि०) 1 प्रतिपालन योग्य 2 रक्षणीय प्रतिपिंड - सं० (पु० ) एक पिंड का विरोधी पिंड प्रतिपीड़न-सं० (पु०) पीड़ा पहुँचाना, कष्ट देना प्रति- पुरुष - सं० (पु० ) 1 प्रतिनिधि 2 साथी 3 आदमी का पुतला । पत्र (पु० ) वह पत्र जिसमें किसी व्यक्ति को किसी
के बदले कुछ काम करने का अधिकार दिया जाता है प्रतिपुस्तक-सं० (स्त्री०) पुस्तक की हस्तलिखित प्रतिनकल प्रतिपूजन-सं० (पु० ) 1 अभिवादन के बदले अभिवादन करना
2 आवभगत करना
प्रतिपूजित-सं० (वि० ) 1 अभिवादित 2 सम्मानित प्रतिपूज्य - सं० (वि०) प्रति पूजन योग्य
प्रतिपूर्ति -सं० (स्त्री०) मद से ली गई पूँजी को जमा करना प्रतिपोषक-सं० (वि०) मदद करनेवाला, सहायक प्रतिपोषण-सं० (पु० ) सहायता, मदद
प्रतिपौतिक-सं० (वि०) चि० मवाद न उत्पन्न होने देनेवाला,
प्रतिबोधनं
प्रतिप्रश्न - सं० (पु० ) प्रश्न के बदले में पूछा गया प्रश्न प्रतिप्रसव-सं० ( पु० ) 1 अपवाद का अपवाद 2 प्रतिजन्म प्रतिप्रस्थान -सं० (पु०) शत्रु के पक्ष में जाना, शत्रु से मिल
पूतिका मारक
प्रतिप्रणाम - सं० ( पु० ) के उत्तर में किया गया प्रणाम प्रतिप्रदत्त-सं० (वि०) वापस दिया हुआ प्रतिप्रदान -सं० (पु० ) प्रतिदान 2 प्रत्यर्पण प्रतिप्रयाणसं० (पु० ) वापस होना
जाना
प्रतिप्रहार - सं० ( पु० ) प्रहार के बदले किया गया प्रहर प्रतिप्राप्ति-सं० (स्त्री०) पुनः मिलना, रिकवरी
प्रतिफल - सं० (पु० ) 1 परिणाम 2 पुरुस्कार 3 प्रतिबिंब प्रतिफलक-सं० (पु०) अक्स डालने का यंत्र प्रतिफलन-सं० (पु० ) दे० प्रतिफल प्रतिफलित-सं० (वि०) 1 जो प्रतिफल के रूप में हो 2 जो प्रतिफल दे रहा हो 3 जिसका प्रतिफल मिल रहा हो 4 प्रतिबिंबित
प्रतिबंध - सं० ( पु०) 1 बाँधने की क्रिया, बंधन 2 रुकावट, बाधा 3 प्रतिरोध 4 सदा बना रहनेवाला संबंध प्रतिबंधक-सं० (वि०) प्रतिबंध लगानेवाला 2 रुकावट डालनेवाला, बाधक
प्रतिबंधात्मक-सं० (वि०) रुकावटवाला, पाबंदीवाला प्रतिबंधि - सं० (स्त्री०) 1 दोनों पक्षों पर लागू होनेवाली दलील 2 आपत्ति
प्रतिबंधित सं० (वि०) रोका हुआ, पाबंद प्रतिबंधी-सं० (वि०) प्रतिबंधक प्रतिबंधु - सं० (पु० ) 1 जो व्यक्ति बंधु के समान हो 2 वह जो पद आदि में समान हो
प्रतिबद्ध - सं० (वि०) 1 बँधा हुआ 2 लगाया हुआ, जमाया हुआ 3 जिस पर प्रतिबंध हो 4 जिसमें बाधा डाली गई हो 5 जिसे अलग न किया जा सके। ~ता (स्त्री०) वचनबद्धता प्रतिबल - सं० (वि०) 1 समान बलवाला, समबल 2 समर्थ, सशक्त
प्रतिबाधक-सं० (वि०) 1 बाधा खड़ा करनेवाला, बाधक 2 रुकावट पैदा करनेवाला 3 कष्ट पहुँचानेवाला प्रतिबाधन-सं० (पु० ) 1 विघ्न, बाधा 2 कष्ट, पीड़ा प्रतिबाधित-सं० (वि०) 1 बाधित 2 पीड़ित प्रतिबाधी - I सं० (वि०) 1 रोकनेवाला 2 बाधा डालनेवाला 3 कष्ट पहुँचानेवाला II (पु०) शत्रु, वैरी प्रतिबिंब - सं० ( पु० ) 1 परछाईं, प्रतिच्छाया 2 छाया 3 प्रतिमा,
प्रतिमूर्ति 4 चित्र, तस्वीर । ~वाद (पु० ) जीव को ईश्वर का प्रतिबिंब मानने का सिद्धांत
प्रतिबिंबक - I सं० (वि०) छाया की तरह अनुगमन करनेवाला II (पु० ) अनुगामी, अनुचर
प्रतिबिंबन-सं० ( पु० ) 1 छाया डालना 2 अनुकरण प्रतिबिंबित - सं० (वि०) जिसका प्रतिबिंब पड़ता हो, जिसकी परछाईं पड़ती हो
प्रतिबिंबीकरण-सं० ( पु० ) परछाई में बदलना प्रतिबुद्ध-सं० (वि०) 1 जिसे प्रतिबोध मिला हो 2 जागा हुआ 3 चतुर, होशियार
प्रतिबोध - सं० (पु० ) 1 जागरण, जागना 2 ज्ञान 3 चातुर्य, होशियारी
प्रतिबोधक - सं० (वि०) 1 प्रतिबोध करानेवाला 2 जगानेवाला 3 ज्ञान उत्पन्न करानेवाला
प्रतिबोधन-सं० (५०) 1 जगाना 2 ज्ञान उत्पन्न करना
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प्रतिबोधित
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प्रतिरोध
प्रतियोधित-सं० (वि०) 1 जगाया हआ 2 जिसे किसी बात का | प्रतिमास-सं० (क्रि० वि०) हर महीने ज्ञान कराया गया हो
प्रतिमित-सं० (वि०) 1 प्रतिबिंबित 2 अनुकृत 3 जिसकी प्रतिबोधी-सं० (वि०) 1 जागता हुआ 2 शीघ्र ज्ञान प्राप्त | तुलना की गई हो करनेवाला
प्रतिमुक्त-सं० (वि०) 1 पहना हुआ 2 त्यागा हुआ, परित्यक्त प्रतिभा-सं० (स्त्री०) 1 विलक्षण बौद्धिक शक्ति 2 बद्धि __3 खुला हुआ 3 प्रभा, दीप्ति 4 समझ (जैसे-उनके पास उच्च कोटि की प्रतिमुख-सं० (वि०) सामने खड़ा हुआ प्रतिभा है)। ल्वान् (वि०) 1 प्रतिभाशाली 2 दीप्तिमान, | प्रतिमद्रण-सं० (पु०) 1 यथा-तथ्य छापने की क्रिया 2 ज्यों की चमकीला; ~शाली (वि०) 1 जिसमें प्रतिभा हो त्यों छापी हुई प्रति (जैसे-शिलालेख का प्रतिमुद्रण) 2 प्रभावशाली; -संपन्न (वि०) 1 जो प्रतिभामय हो | प्रतिमुद्रांकन सं० (पु०) 1 जिस पर मुद्रांकन हो चुका हो 2 दीप्तिमय
2 लगाई हुई मोहर प्रतिभाग-सं० (पु०) 1 राजकर 2 उत्पादनकर
प्रतिमुद्रा-सं० (स्त्री०) 1 मुद्रा की छाप 2 मुद्रण से ली प्रतिभात-सं० (वि०) 1 प्रभायुक्त चमकदार 2 ज्ञात, अवगत जानेवाली छाप प्रतिभान-सं० (पु०) 1 प्रभा, चमक 2 बुद्धि, समझ | प्रतिमूर्ति-सं० (स्त्री०) 1 देव-मूर्ति 2 प्रतिमा 3 प्रगल्भता 4 विश्वास
प्रतिमूल्य-सं० (पु०) मुआवजा प्रतिभान्वित-सं० (वि०) 1जिसमें प्रतिभा हो 2 असाधारण प्रतिमोक्ष-सं० (पु०) मोक्ष, मुक्ति बुद्धिवाला, प्रतिभाशाली
प्रतिमोक्षण-सं० (पु०) 1मोक्ष 2 कर से मुक्ति प्रतिभाव्य-सं० (वि०) जिसकी जमानत हो सके
प्रतिमोचन-सं० (पु०) 1 बंधन-मुक्त करना 2 रिहाई 3 बदला प्रतिभाषण-सं० (पु०) उत्तर में दिया गया भाषण
लेना, प्रतिकार प्रतिभाषा-सं० (स्त्री०) 1 उत्तर जवाब 2 प्रत्युत्तर प्रतिमोचित-सं० (वि०) बंधनमुक्त प्रतिभास-सं० (पु०) 1 एकाएक होनेवाला ज्ञान 2 आभास प्रतियातन-सं० (पु०) प्रतिकार, प्रतिशोध 3 भ्रम 4 मिथ्याज्ञान
प्रतियोग-सं० (पु०) 1 विरोध 2 विरुद्ध संबंध 3 दो विरोधी प्रतिभासन-सं० (पु०) 1 चमकना 2 दिखाई देना 3 जान | तत्त्वों आदि का होनेवाला संयोग 4 प्रभाव नष्ट करनेवाला तत्त्व, पड़ना, भासित होना
मारक 5 पुनः किया जानेवाला प्रयत्न प्रतिभिन्न-सं० (वि०) 1 जिसका भेदन किया गया हो 2 जो | प्रतियोगात्मक-सं० (वि०) द्वंद्वमय, संघर्षपूर्ण अलग किया गया हो, विभक्त
प्रतियोगिता-सं० (स्त्री०) 1 प्रतिद्वंद्विता, होड़ 2 शत्रुता, प्रतिभू-सं० (पु०) ज़मानत करनेवाला, ज़ामिन। -पत्र दुश्मनी। परीक्षा (स्त्री०) किसी पद के उम्मेदवारों की वह (१०) वह पत्र जिसमें जमानतदार अपने उत्तरदायित्व की | परीक्षा जो उनकी योग्यता की जाँच हेत् की जाती है स्वीकृति लिखता है
प्रतियोगिनी-सं० (स्त्री०) प्रतियोगी स्त्री प्रतिभूत-सं० (वि०) जिसकी ज़मानत की गई हो 2 जो ज़मानत | प्रतियोगी-सं० (पु०) 1 प्रतिद्वंद्वी, जोड़ 2 साझेदार, हिस्सेदार रूप में जमा किया गया हो 3 जो ज़मानत रूप में दी गई हो । 3 सामना करनेवाला व्यक्ति 4 वह जिसका किसी से प्रतिकूल प्रतिभूति-सं० (स्त्री०) 1 निश्चित आश्वासन, मुचलका, संबंध हो 5 शत्रु, विरोधी 6 वह जिसका अभाव हो, बाधक सिक्योरिटी 2 ऋण आदि संबंधित सरकारी काग़ज़, साख-पत्र प्रतियोजना-सं० (स्त्री०) योजना के उत्तर में एक योजना 3 प्रतिभू के द्वारा दी गई जमानत
प्रतियोद्धा-सं० (पु०) 1 मुकाबले में रहकर युद्ध करनेवाला प्रतिभेद-सं० (पु०) 1 विभाग करना, विभाजन 2 रहस्य प्रकट 2 विरोधी 3 शत्रु, दुश्मन करना, भेद खोलना
प्रतिरक्षण-सं० (पु०), प्रतिरक्षा सं० रक्षा, हिफ़ाजत । प्रतिभेदन-सं० (पु०.) 1 अंतर उत्पन्न करना 2 विभाग करना, क्षमता (स्त्री०) 1 सामर्थ्य, रक्षा शक्ति 2 सैनिक बल;
~मंत्रालय (पु०) वह विभाग जहाँ रक्षा संबंधी नियम कानून प्रतिभोग-सं० (पु०) उपभोग
बनाए जाते हैं; ~मंत्री (पु०) रक्षा मंत्रालय का प्रमुख; प्रतिभोजन-सं० (पु०) निर्दिष्ट किया हुआ भोजन
~व्यय (पु०) रक्षा पर होनेवाला खर्च व्यवस्था प्रतिमंडल-सं० (पु०) ग्रह, नक्षत्र आदि के चारों ओर का घेरा, (स्त्री०) रक्षा प्रबंध परिवेश प्रभा-मंडल
प्रतिरव-सं० (पु०) प्रतिध्वनि प्रतिमंडित-सं० (वि०) सजाया हुआ, अलंकृत
प्रतिरात्रि-सं० (अ०) प्रत्येक रात, हर रात प्रतिमा सं० (स्त्री०) 1 मूर्ति (जैसे-देव प्रतिमा) 2 जिसकी प्रतिरुद्ध-सं० (वि०) 1 जिसका प्रतिरोध हुआ हो 2 रुका हुआ,
पूजा की जाती है, अनुकृति 3 प्रतिबिंब, परछाईं 4 चित्र, अवरुद्ध 3 अटका हुआ तस्वीर । निर्माणक (पु०) प्रतिमा को बनानेवाला कारीगर प्रतिरूप-[ सं० (पु०) 1 प्रतिमा, मूर्ति 2 चित्र, तस्वीर प्रतिमान-सं० (पु०) 1 परछाईं 2 प्रतिमा, प्रतिमूर्ति 3 चित्र, 3 प्रतिनिधि II (वि०) नकली, जाली नमूना 4 मानक, स्टैंडर्ड
प्रतिरूपक-सं० (पु०) जो नकली चीजें बनाता हो प्रतिमानित-सं० (वि०) 1मानक रूप दिया हआ, मानकित प्रतिरूपात्मक-सं० (वि०) प्रतिरूप युक्त, प्रतिरूप संबंधी 2 प्रतिरूपित
प्रतिरोद्धा-सं० (वि०) 1विरोधी 2 बाधक . प्रतिमानीकरण-सं० (पु०) प्रतिमान रूप में लाने की प्रक्रिया | प्रतिरोध-सं० (पु०) 1 रोक, रुकावट, बाधा 2 प्रतिबंध,
विभाजन
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प्रतिरोधक
तिरस्कार 3 दुराव, छिपाव 4 विरोध 5 घेरा डालना; -विरोधी (वि०) प्रतिरोध के विरुद्ध
प्रतिरोधक - 1 सं० (वि०) प्रतिरोध करनेवाला, बाधा डालनेवाला II ( पु० ) चोर, ठग, डाकू प्रतिरोधित-सं० (वि०) 1 जो रोका गया हो 2 जिसमें बाधा डाली गई हो
=
प्रतिरोधी-सं० (वि०) 1 रोकनेवाला 2 प्रतिरोध करनेवाला 3 बाधा पहुँचानेवाला 4 घेरा डालनेवाला प्रतिरोपण-सं० (पु०) पुनः रोपा जाना प्रतिरोपित सं० (वि०) जो पुनः रोपा गया हो
प्रतिलंभ - सं० (पु० ) निंदा, इल्जाम 2 कुरीति, बुरी चाल 3 लाभ, प्राप्ति
प्रतिलक्षित सं० (वि०) चिह्नित
प्रतिलाभ - सं० (पु० ) 1 प्रति प्राप्ति 2 पुनः प्राप्त करना प्रतिलिपि सं० (स्त्री०) लिखी हुई चीज की नकल । कार (पु० ) प्रतिलिपिक प्रतिलिपिक-सं० (पु० ) प्रतिलिपि बनानेवाली मशीन, अनुलिपित्र
=
प्रतिलिपित - सं० (वि०) जिसकी प्रतिलिपि तैयार हो चुकी हो प्रतिलिप्यधिकार-सं० (पु० ) प्रतिक स्वत्व प्रतिलेखन-सं० (पु० ) लिखी हुई चीज़ की ज्यों की त्यों नकल उतारने की क्रिया
प्रतिलोम -सं० (वि०) 1 विपरीत, उल्टा 2 नीच, अधम । - (पु० ) 1 वह जो प्रतिलोम विवाह के फलस्वरूप पैदा हुआ हो 2 वर्ण संकर; ~ विवाह (पु० ) वह विवाह जिसमें पुरुष निम्न वर्ण तथा स्त्री उच्च वर्ण की हो प्रतिलोमक-सं० (पु० ) विपरीत क्रम प्रतिलोमतः सं० (अ०) उलटे क्रम से
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प्रतिवक्ता - सं० (पु० ) 1 उत्तर देनेवाला 2 व्याख्या करनेवाला प्रतिवचन -सं० (पु० ) 1 उत्तर, जवाब 2 गूँज, प्रतिध्वनि प्रतिवर्णिक सं० (वि०) 1 एक जैसे रंगवाला 2 समान प्रतिवर्तन-सं० (पु०) 1 लौटना 2 लौटाना 3 बदले में किया गया आचरण 4 अनुदर्शन
प्रतिवद्ध-सं० (वि०) जो मुकाबला कर सके प्रतिवर्ष-सं० (अ०) प्रत्येक वर्ष, हर साल प्रतिवस्तु-सं० (स्त्री०) 1 दूसरी सदृश्य वस्तु 2 उपनाम प्रतिवहन - सं० (पु० ) विपरीत दिशा में ले जाने की क्रिया प्रतिवाक्य-सं० (पु० ) प्रतिवचन प्रतिवाद-सं० (पु० ) 1 वादी की बात के विरोध में कही जानेवाली बात, वादी के जवाब का जवाब 2 विरोध, खंडन 3 विवाद, बहस
प्रतिवादी - [सं० (वि०) 1 प्रतिवाद करनेवाला 2 वादी की बात का जवाब देनेवाला 3 खंडन करनेवाला 4 प्रतिपक्षी II ( पु० ) 1 दूसरों द्वारा लगाए गए अभियोगों का उत्तर देनेवाला व्यक्ति 2 मुद्दालेह
प्रतिवार - I सं० (पु०) हटाना, निवारण II (अ० ) 1 प्रतिदिन
2 हर बार
प्रतिवारण-सं० (पु० ) 1 निवारण 2 रोकना 3 चेतावनी प्रतिवारित-सं० (वि०) निवारित 2 रोका हुआ 3 जिसे चेतावनी दी गई हो
प्रतिशोध
प्रतिवार्ता - सं० (स्त्री०) उत्तर में भेजा गया संवाद, प्रत्युत्तर वृतांत
प्रतिवास-सं० (पु० ) 1 सुगंधि, सुवास, खुशबू 2 समीप रहना,
प्रतिवासी-सं० (पु० ) पड़ोसी
प्रतिविघात -सं० (पु० ) 1 निवारण 2 रक्षण प्रतिविधान-सं० (पु० ) 1 प्रतिकार 2 एहतियात प्रतिविधि-सं० (स्त्री०) प्रतिकार
प्रतिविरुद्ध-सं० (वि०) विद्रोही
प्रतिविशिष्ट-सं० (वि०) अति उत्तम, बहुत बढ़िया
प्रतिविष - I सं० ( पु० ) विष का प्रभाव नष्ट करनेवाला पदार्थ II (वि०) विष मारक
प्रतिविहित-सं० (वि०) निवारित
प्रतिवीर-सं० (पु० ) 1 विरोधी 2 प्रतिद्वंद्वी 3 प्रतिभट प्रतिवार्य - सं० (पु० ) 1 जिसमें प्रतिरोध करने की यथेष्ट शक्ति हो 2 अद्वितीय, बेजोड़
.
प्रतिवेदन -सं० (पु० ) 1 प्रार्थना 2 जाँच-पड़ताल के बाद तैयार किया गया विवरण, रिपोर्ट
प्रतिवेदित सं० (वि०) 1 प्रार्थित 2 जताया हुआ 3 प्रतिवेदन किया हुआ
प्रतिवेदी - I सं० ( पु० ) 1 प्रतिवेदन तैयार करनेवाला व्यक्ति 2 जानने-समझनेवाला II (वि०) प्रतिवेदन संबंधी प्रतिवेश-सं० (पु०) पड़ोस प्रतिवेशी - सं० (पु०) पड़ोसी
प्रतिवेश्य -सं० (पु०) जो पड़ोस में रहता हो, पड़ोसी प्रतिवैर-सं० (पु० ) 1 शत्रुता के बदले में की जानेवाली शत्रुता 2 वैर का प्रतिकार
•
प्रतिव्यक्ति सं० (वि०) = प्रतिजन
प्रतिव्यूह -सं० (पु० ) व्यूह रचना, मोर्चाबंदी
प्रतिशंका - सं० (स्त्री०) 1 शंका के उत्तर में की जानेवाली दूसरी शंका 2 बराबर बनी रहनेवाली शंका, संदेह प्रतिशत सं० (अ०) हर सौ पर फी सदी, परसेंट प्रतिशतक-सं० (पु०) सौ के हिसाब से लगाया जानेवाला लेखा, परसेन्टेज
प्रतिशपथ पत्र -सं० (पु०) (मुक़दमे में) शपथपत्र के उत्तर में दिया गया शपथ पत्र
प्रतिशब्द-सं० (पु० ) 1 प्रतिध्वनि, गूँज 2 पर्याय प्रतिशम -सं० (पु० ) छुटकारा, निवृत्ति
प्रतिशयन -सं० (पु०) मनोरथ सिद्धि हेतु देवता के समक्ष निराहार पड़े रहने की अवस्था, धरना प्रतिशयित-सं० (वि०) प्रतिशयन करनेवाला प्रतिशाखा-सं० (स्त्री०) प्रशाखा
प्रतिशाप - सं० ( पु० ) शाप के बदले में दिया जानेवाला शाप प्रतिशासन - सं० (पु० ) 1 काम पर नियुक्त करना 2 विरोधी का शासन, वैरी का शासन
प्रतिशिष्ट सं० (वि०) 1 काम पर नियुक्त किया हुआ
2 निराकरण किया हुआ, निराकृत 3 अस्वीकृत 4 प्रसिद्ध प्रतिशीत-सं० (वि०) 1 पिघला हुआ 2 चूता हुआ, तरल प्रतिशोध - सं० (पु० ) प्रतिकार। ~कामी (पु०) बदला करने की इच्छा करनेवाला
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प्रतिशोधात्मक
प्रतिशोधात्मक-सं० (वि०) प्रतिशोध संबंधी प्रतिशोधार्थी-सं० (पु० ) प्रतिशोध कामी प्रतिशतक-सं० (पु०) सौ के हिसाब से लगाया जानेवाला लेखा, परसेन्टेज
प्रतिश्रम -सं० ( पु० ) परिश्रम, मेहनत
प्रतिश्रय-सं० (पु० ) 1 आश्रम 2 निवास स्थान 3 आश्रय 4 आश्रय स्थान 5 यज्ञशाला 5 सभा प्रतिश्रव -सं० (पु० ) 1 प्रतिज्ञा 2 प्रतिध्वनि, गूँज प्रतिश्रवण-सं० (पु० ) 1 सुनना 2 प्रतिज्ञा करना प्रतिश्रुत-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह सुना हुआ 2 स्वीकृत किया हुआ 3 प्रतिज्ञात 4 जिसकी प्रतिज्ञा की गई हो प्रतिश्रुति सं० (स्त्री०) 1 प्रतिज्ञा 2 प्रतिध्वनि, गूँज प्रतिश्रोता-सं० (वि०) / (पु० ) 1 मंजूर करनेवाला 2 अनुमति देनेवाला 3 प्रतिश्रुति दनेवाला
प्रतिषिद्ध-सं० (वि०) जिसे करने से किसी को रोका गया हो प्रतिषेध-सं० (पु० ) 1 निषेध, मनाही 2 निवारण 3 खंडन । ~लेख (पु० ) अंतरिम काल तक कार्य पर रोक लगाने की न्यायालय द्वारा दी गई लिखित आज्ञा प्रतिषेधक - I सं० (वि०) प्रतिषेध करनेवाला II ( पु० ) प्रतिषेध करनेवाला व्यक्ति प्रतिषेधाधिकार-सं० (पु०) वह संवैधानिक अधिकार जिससे शासन के किसी अन्य अंग की आज्ञा, प्रस्ताव आदि को रद्द किया जा सकता है, निषेधाधिकार, वीटो प्रतिष्टंभ - सं० (पु० ) 1 स्तब्ध करने की क्रिया 2 स्तब्ध होने की क्रिया 3 बाधा
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प्रतिष्ठ-सं० (वि०) प्रसिद्ध, मशहूर प्रतिष्ठा-सं० (स्त्री०) 1 स्थापन 2 ठहराव, स्थिति 3 मान-मर्यादा, इज़्ज़त 4 ख्याति, प्रसिद्धि 5 गौरव 6 यश, कीर्ति 7 यश की प्राप्ति जगह, स्थान। ~ता (पु० ) प्रतिष्ठापन करनेवाला; ~वान् (वि०) 1 गौरवशाली 2 इज़्ज़तदार, मान-मर्यादावाला
प्रतिष्ठान -सं० ( पु० ) 1 बैठाना, स्थापन 2 देवमूर्ति की स्थापना 3 उपाधि, पदवी 4 जगह, स्थान 5 संस्था प्रतिष्ठापक-सं० (पु० ) = प्रतिष्ठाता प्रतिष्ठापन-सं० (पु०), प्रतिष्ठापना सं० (स्त्री० ) स्थापित करने की क्रिया
प्रतिष्ठापयिता-सं० (पु०) प्रतिष्ठाता प्रतिष्ठापित-सं० (पु० ) = जिसका प्रतिष्ठापन किया गया हो प्रतिष्ठित - I सं० (वि०) 1 सम्मान प्राप्त, आदर प्राप्त 2 स्थापित (जैसे- मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठित करना) 3 जिसे बैठाया गया हो (जैसे - आसन पर प्रतिष्ठित ) II ( पु० ) विष्णु प्रतिसंक्रम-सं० (पु० ) परछाईं, प्रतिच्छाया प्रतिसंक्रात सं० (वि०) प्रतिबिंबित
प्रतिसंख्या - सं० (स्त्री०) 1 चेतना 2 ज्ञान की एक अवस्था प्रतिसंगी-सं० (वि०) साथ लगा रहनेवाला प्रतिसंदेश - सं० ( पु० ) संदेश के जवाब में भेजा गया संदेश प्रतिसंधान-सं० (पु० ) अनुसंधान प्रतिसंधि-सं० (स्त्री०) 1 वियोग, विछोह 2 तलाश, खोज
=
3 अंत, समाप्ति 4 दो युगों का संधिकाल प्रतिसंविद-सं० (स्त्री०) सांगोपांग ज्ञान
=
प्रतिहारी
प्रतिसंवेदक - सं० (वि०) विषय की पूरी जानकारी करानेवाला प्रतिसंवेदन -सं० (पु० ) परीक्षण प्रतिसंहरण-सं० (पु० ) 1 रद्द करना
प्रतिसंहार - सं० ( पु० ) 1 रद्द करना 2 त्यागना प्रतिसंहत-सं० (वि०) 1 समेटा हुआ 2 त्यागा हुआ प्रतिसम-सं० (वि०) 1 जो समान हो 2 जो बराबरी का हो प्रतिसर्ग - सं० ( पु० ) 1 ब्रह्मा के मानस पुत्रों द्वारा की गई सब
सृष्टियाँ 2 प्रलय 3 सृष्टि एवं प्रलय संबंधित पुराण का अंश प्रतिसारण सं० (पु० ) 1 दूर करना, हटाना 2 घाव की मरहम-पट्टी करना 3 मरहम लगाने का एक औज़ार 4 मंजन । ~ शाला (स्त्री०) रोगियों के मरहम-पट्टी करने का कमरा, ड्रेसिंग रूम
प्रतिसारणीय सं० (वि०) 1 प्रतिसारण योग्य 2 जिस पर मरहम-पट्टी की जा सके
प्रतिसारी-सं० (वि०) उल्टी दिशा में जानेवाला प्रतिसृष्ट-सं० (वि०) 1 भेजा हुआ. प्रेषित 2 निराकरण किया हुआ, निराकृत 3 मतवाला मत्त प्रतिसेना-सं० (स्त्री०) विपक्षी की सेना प्रतिसैकड़ा-सं० + हिं० (वि०) प्रतिशत प्रतिस्त्री-सं० (स्त्री०) परायी स्त्री प्रतिस्थान-सं० (अ०) हर जगह, सर्वत्र प्रतिस्थापन - सं० ( पु० ) 1 वस्तु के नष्ट होने पर या हट जाने पर उसी स्थान पर अन्य वस्तु का रखा जाना 2 व्यक्ति के हट जाने पर उसके पद पर दूसरा व्यक्ति नियुक्त करना प्रतिस्थापित -सं० (वि०) कार्य चलाने हेतु किसी के पद पर नियुक्त किया हुआ
प्रतिस्नात सं० (वि०) नहाया हुआ
प्रतिस्नेह - सं० (पु० ) प्रेम के बदले किया गया प्रेम, प्रेम का प्रतिदान
प्रतिस्पर्द्धा - सं० (स्त्री०) लाग-डाट, होड़ प्रतिस्पद्ध-सं० (पु० ) प्रतिद्वंद्वी प्रतिस्पर्धात्मक-सं० (वि०) प्रतियोगितापूर्ण
प्रतिस्त्राव -सं० (पु०) नाक से पीला एवं गाढ़ा कफ निकलने का रोग
प्रतिस्वन, प्रतिस्वर -सं० (पु०) प्रतिशब्द प्रतिहत सं० (वि०) 1 ठोकर लगा हुआ 2 हटाया हुआ 3 निराश किया हुआ 4 विघ्न में पड़ा हुआ 5 निरस्त प्रतिहति-सं० (स्त्री०) 1 आघात के बदले किया गया आघात, प्रतिघात 2 हटाने की क्रिया 3 रोष, क्रोध प्रतिहनन - सं० ( पु० ) 1 प्रतिघात करना 2 हनन करनेवाले को
मार डालना
प्रतिहस्त, प्रतिहस्तक-सं० (पु० ) 1 प्रतिनिधि 2 सहायक प्रतिहस्ताक्षरण-सं० (पु० ) हस्ताक्षर के अनुमोदन हेतु अन्य बड़े अधिकारी का भी हस्ताक्षर पूर्व हस्ताक्षर के साथ करना प्रतिहस्ताक्षरित -सं० (वि०) हस्ताक्षर के समर्थन में अन्य बड़े अधिकारी द्वारा किया गया हस्ताक्षर प्रतिहार-सं० (पु० ) 1 द्वारपाल, ड्योढ़ीदार 2 निवारण 3 चोबदार 4 जादूगर, ऐंद्रजालिक
प्रतिहारण-सं० ( पु० ) 1 दरवाज़ा 2 प्रवेश करने की अनुमति प्रतिहारी-सं० (पु० ) दरबान, द्वारपाल
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प्रतिहिंसा
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प्रतिहिंसा-सं० (स्त्री०) हिंसा के बदले में की गई हिंसा । ~वाद (पु० ) यह मत कि हिंसा का जवाब हिंसा ही है; ~वादी (वि०) प्रतिहिसावाद का समर्थक प्रतिहिंसित-सं० (वि०) बदले में की गई हिंसा प्रतिहित-सं० (वि०) 1 रखा हुआ 2 जमाया हुआ, स्थापित किया हुआ
प्रतीक - I सं० किसी तरफ़ बढ़ाया हुआ 2 विपरीत रूप में लाया हुआ 3 प्रतिकूल, विरुद्ध 4 विलोम, प्रतिलोम II ( पु० ) 1 अंग, अवयव 2 भाग, अंश 3 आकृति, रूप 4 प्रतिमा, मूर्ति 5 प्रतिरूप ऐसा वाक्य, अक्षर आदि जो पूर्णता के द्योतक हों 7 सामने का हिस्सा, सामना ~ कथा (स्त्री०) अमूर्त तत्वों को पात्र मानकर एवं शरीरधारी मानव का रूप देकर आचरण कराए जाने की प्रवृत्ति (जैसे- कामायनी एक प्रतीक कथा है); ~वाद (पु० ) वह अभिव्यंजनात्मक प्रणाली जिसके अनुसार प्रतीकों के आधार पर भावों एवं विषयों आदि का ज्ञान कराया जा सके; ~वादी I ( वि०) प्रतीकवाद से संबंधित II (पु० ) जो प्रतीकवाद का समर्थक हो प्रतीकतः सं० (क्रि० वि०) प्रतीक रूप में
प्रतीकत्व - सं० (पु० ) प्रतीक भाव
प्रतीकात्मक-सं० (वि०) जो प्रतीक से संबद्ध हो, प्रतीक
संबंधी
प्रतीकार-सं० (पु० ) बदला, प्रतिकार प्रतीकार्थ-सं० (पु० ) प्रतीक में निहित अर्थ प्रतीकार्य-संग (वि०) प्रतिकार के योग्य प्रतीकोपासना-संघ (स्त्री०) 1 प्रतीक आधार पर ईश्वरीय आराधना 2 प्रतिमा पूजन
प्रतीक्षक-सं० (वि०) प्रतीक्षा करनेवाला
प्रतीक्षण-सं० (पु०) आसरा देखना, बाट जोहना प्रतीक्षणीय-सं० (वि०) प्रतीक्षा करने योग्य प्रतीक्षा-सं० (स्त्री०) आसरा इंतज़ार (जैसे-डाकिये की प्रतीक्षा करना) । ~ गृह (पु० ) प्रतीक्षालय प्रतीक्षाकुल- सं० (वि०) प्रतीक्षा में परेशान
प्रतीक्षालय - सं० (पु० ) वह स्थान जहाँ ठहरकर किसी का इंतजार किया जाय (जैसे- गाड़ी आने तक प्रतीक्षालय में बैठना)
=
प्रतीक्षित सं० (वि०) जिसकी प्रतीक्षा की गयी हो प्रतीक्ष्य-सं० (वि०) प्रतीक्षा के योग्य
प्रतीची-सं० (स्त्री०) पश्चिम
प्रतीच्य-सं० (वि०) 1 पश्चिम संबंधी 2 पश्चिम में होने वाला प्रतीत-सं० (वि०) 1 ज्ञान हुआ, ज्ञात 2 प्रसिद्ध, विख्यात 3 प्रसन्न एवं संतुष्ट
प्रतीति-सं० (स्त्री०) 1 प्रतीत होने की क्रिया 2 जानकारी, ज्ञान 2 दृढ़ निश्चय, यकीन 4 हर्ष, प्रसन्नता
प्रतीप - 1 सं० (वि०) 1 उलटा, विलोम 2 विरुद्ध, प्रतिकूल 3 पिछड़ा हुआ 4 पीछे की ओर होनेवाला (जैसे-प्रतीप गति ) 5 अप्रिय 6 बाधक 7 हठी II ( क्रि० वि०) उलटे 111 (पु० ) साहि एक अलंकार जिसमें प्रसिद्ध उपमान को उपमेय बना दिया जाता है। गमन (पु० ) पीछे जाना; -वचन (पु० ) प्रतिकूल कथन प्रतीपादन - सं० ( पु० ) 1 लौटकर पुनः पूर्व स्थान पर आना
प्रत्यब्द
2 कष्टप्रद मनोदशा से मुक्त होकर मन की स्वाभाविक स्थिति मे आनेवाली दशा प्रतीपोक्ति-सं० (स्त्री०) कथन के विरुद्ध कहा गया कथन, खंडन
प्रतीयमान् सं० (वि०) 1 जान पड़ता हुआ 2 जो समझ में आता हो 3 जो वास्तविक सा जान पड़े 4 जो व्यंजना द्वारा प्रकट हो (जैसे- प्रतीयमान् अर्थ )
प्रतीयमानतः सं० अ० ऊपर से देखने पर, बाह्य रूप में, प्रतीयमान रूप में
प्रतुष्टि सं० (स्त्री०) संतोष
प्रतोली -सं० (स्त्री०) 1 चौड़ी सड़क, राजमार्ग 2 गली-कूचा 3 किले के नीचे का रास्ता
प्रत्न - सं० (वि०) 1 प्राचीन, पुराना 2 पहले का 3 परंपरागत ।
~ जीव-विज्ञान (पु० ) ऐसा शास्त्र जिसमें पुराने जीव-जंतुओं के रूप आदि का विवेचन होता है; जीव-विज्ञानी (पु०) प्रत्न- जीव विज्ञान को जाननेवाला
प्रत्नतत्व-सं० ( पु० ) पुरातत्व प्रत्यंकन सं० (पु०) अनुरेखन प्रत्यंकित - सं० (वि०) अनुरेखित
प्रत्यंग - सं० ( पु० ) 1 शरीर का कोई छोटा अंग 2 वस्तु आदि का गौण अंश 3 ग्रंथ का अध्याय
प्रत्यंचा -सं० (स्त्री०) धनुष की डोरी, चिल्ला प्रत्यक्ष - I सं० (वि०) 1 स्पष्ट दिखाई पड़नेवाला 2 जिसका ज्ञान इंद्रिय द्वारा स्पष्ट हो (जैसे- प्रत्यक्ष बात) 3 जिसमें घुमाव फिराव न हो, साफ़, स्पष्ट (जैसे- प्रत्यक्ष कर ) II ( क्रि० वि०) आँखों के सामने। ~ज्ञान (पु० ) इंद्रिय एवं विषय के सन्निकर्ष से उत्पन्न ज्ञान; ~ता (स्त्री० ) प्रत्यक्ष होने की स्थिति; दर्शी (वि०) साक्षात देखनेवाला; ~दर्शी- विवरण (पु०) साक्षात देखा हुआ बयान वाद (पु० ) इंद्रिय द्वारा प्राप्त ज्ञान ही केवल सत्य हैं शेष मिथ्या ऐसा मत एम्परिसिज्म वादी I ( वि०) प्रत्यक्षवाद संबंधी, प्रत्यक्षवाद का II (पु० ) प्रत्यक्षवाद को माननेवाला प्रत्यक्षतः, प्रत्यक्षतया सं० ( क्रि० वि०) प्रत्यक्ष रूप से प्रत्यक्षर-सं० (क्रि० वि०) प्रत्येक अक्षर में प्रत्यक्षरीकरण-सं० ( पु० ) 1 प्रत्यक्ष रूप देना 2 इंद्रिय द्वारा ज्ञान कराना
प्रत्यक्षी - सं० (वि०) 1 प्रत्यक्ष दर्शी । ~करण (पु० ) 1 स्वयं आँखों से देखना 2 इंद्रिय द्वारा ग्रहण करना; कृत (वि०) 1 आँखो से देखा हुआ 2 इंद्रिय द्वारा ग्रहण किया हुआ; ~ भूत (वि०) जो प्रत्यक्ष हो चुका हो प्रत्यग्र - सं० (वि०) बढ़ा हुआ वय (वि०) जो चढ़ती जवानी में हो
प्रत्यधिकार - सं० (पु०) एक के जवाब में दूसरे का जताया गया अधिकार
प्रत्यनंतर - I सं० ( पु० ) उत्तराधिकारी II (वि०) सन्निकट,
प्रत्यासन्न
प्रत्यनुयोग-सं० (पु०) प्रतिप्रश्न
प्रत्यपकार-सं० (पु०) अहित के बदले किया गया अहित प्रत्यब्द-सं० ( क्रि० वि०) प्रतिवर्ष, हर साल
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प्रत्यभिज्ञा
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प्रत्याह्वान
विधि
प्रत्यभिज्ञा-स० (स्त्री०) 1 ज्ञान प्राप्त करना, जानना ___ अवज्ञा 4 आपत्ति, विरोध 2 पहचानना
प्रत्यागत-सं० (वि०) 1 वापस आया हआ 2 पुनः प्राप्त हुआ प्रत्यभिज्ञात-सं० (वि०) 1 जाना हआ 2 पहचाना हुआ प्रत्यागति-सं० (स्त्री०) लौट आना, वापसी प्रत्यभिज्ञान-सं० (पु०) 1 प्रत्यभिज्ञा 2 स्मृति जन्य ज्ञान प्रत्यागमन-सं० (पु०) वापस आना प्रत्यभिज्ञेय-सं० (वि०) पहचानने योग्य
प्रघात-सं० (पु०) आघात के बदले में किया जानेवाला प्रत्यभिभूत-सं० (वि०) = पराभूत
आघात प्रत्यभियुक्त-सं० (वि०) प्रत्यभियोग लगा हुआ
प्रत्याचार-सं० (पु०) अनुकूल व्यवहार प्रत्यभियोग-सं० (पु०) प्रतिवादी की तरफ़ से वादी पर लगाया प्रत्यातप-सं० (पु०) छाया, परछाईं गया अभियोग
प्रत्यादान-सं० (पु०) पुनः प्राप्त करना प्रत्यभिवादन-सं० (पु०) प्रणाम के बदले प्रणाम करना प्रत्यादिष्ट-सं० (वि०) 1 निराकृत 2 लांछित 3 निर्देशित प्रत्यमित्र-सं० (पु०) शत्रु, दुश्मन
4 अस्वीकृत प्रत्यय-सं० (पु०) 1विश्वासमय दृढ़ धारणा, (आइडिया) प्रत्यादेश-सं० (पु०) 1 आदेश, आज्ञा 2 घोषणा 3 इनकार 2 प्रमाण 3 विचार, ख्याल 4 ज्ञान 5 व्याख्यान 6 आवश्यकता 4 हिदायत, चेतावनी 7 हेतु, कारण 8 चिहन, लक्षण। ~कारी (वि०) विश्वास प्रत्यानयन सं० (पु०) वापस लाना उत्पन्न करनेवाला; ~पत्र (पु०) प्रधान अधिकारी द्वारा प्रत्यानीत-सं० (वि०) लौटाया हुआ हस्ताक्षर कृत एवं मुहर युक्त वह प्रमाण पत्र जो किसी को प्रत्यापत्ति-सं० (स्त्री०) 1 पुनरागमन 2 वैराग्य अधिकारिक रूप से अमुक पद पर कार्य करने हेतु दिया जाता प्रत्याभास-सं० (पु०) तेज, शक्ति के फलस्वरूप होनेवाला है; ~प्रतिभू (पु०) मौखिक विश्वास की जमानत देनेवाला; आभास (जैसे-मन में आत्मा का प्रत्याभास होना)
प्रतिवचन (पु०) निश्चित एवं स्पष्ट उत्तर; ~वाद (पु०) प्रत्याभूति-सं० (स्त्री०) वस्तु की वास्तविक स्थिति के विषय में आदर्शवाद, आइडियलिज्म; ~वादी (वि०) 1 आदर्शवाद विश्वास दिलाना का समर्थक (पु०) 2 प्रत्ययवाद का; ~वृत्ति (स्त्री०) शब्द प्रत्याय-सं० (स्त्री०) 1 राजस्व, कर 2 आय के अंत में प्रत्यय लगाकर नए शब्द बनाने की विधि, निष्पत्ति प्रत्यायक-I सं० (वि०) 1 विश्वास दिलानेवाला 2 प्रमाणित विधि
करनेवाला 3 व्याख्याता II (पु०) प्रत्यय-पत्र प्रत्ययांत-सं० (वि०) प्रत्यययुक्त (जैसे-चायवाला, दूकानदार । प्रत्यायन-सं० (पु०) 1 विश्वास दिलाना 2 प्रमाणित करना आदि प्रत्ययांत शब्द हैं)
3 व्याख्यान 4 (वधू) लिवा ले जाना 5 सूर्यास्त होना प्रत्ययिक-सं० (वि०) 1 प्रत्यय संबंधी, प्रत्यय का 2 विश्वस्त प्रत्यायुक्त-I सं० (वि०) अधीन II (पु०) प्रतिनिधि 3 आप्त
प्रत्यायुक्ति-सं० (स्त्री०) प्रतिनिधित्व प्रत्ययिक-सं० (वि०) 1 विश्वास किया हुआ 2 प्रत्यय लगा प्रत्यारंभ-सं० (पु०) पुनरारंभ
प्रत्यारोप-सं० (पु०) आरोप के बदले लगाया गया आरोप प्रत्ययी-सं० (वि०) 1विश्वासयुक्त 2 प्रत्ययिक
(जैसे-प्रत्यारोप करना) प्रत्यर्थ-I सं० (वि०) उपयोगी II (पु०) 1 जवाब, उत्तर प्रत्यालोचना-सं० (स्त्री०) आलोचना की समीक्षा 2 विरोध
प्रत्यावर्तन-सं० (पु०) वापस आना, लौट आना प्रत्यर्थी-सं० (पु०) 1 प्रतिवादी 2 प्रतिद्वंद्वी 3 शत्रु, दुश्मन प्रत्यावेदन-सं० (पु०) अपने आवेदन के बदले में दिया गया प्रत्यर्पण-सं० (पु०) वापस करना, लौटाना
आवेदन प्रत्यर्पित-सं० (वि०) लौटाया हुआ
प्रत्याशा-सं० (स्त्री०) आशा, उम्मीद, भरोसा प्रत्वरोध, प्रत्यवरोधन-सं० (पु०) बाधा, रूकावट डालना | प्रत्याशिक-सं० (वि०) प्रत्याशा संबंधी, प्रत्याशात्मक प्रत्यवरोह, प्रत्यवरोहण-सं० (पु०) 1उतारना, अवरोह प्रत्याशित-सं० (वि०) पूर्वानुमानित 2 उतरना
प्रत्याशी-[ सं० (वि०) प्रत्याशा करनेवाला II (पु०) 1 पद प्रत्यवलोकन-सं० (पु०) लौटकर देखना
इच्छुक व्यक्ति 2 उम्मीदवार प्रत्यवसान-सं०(पु०) भोजन करना
प्रत्याश्रय-सं० (पु०) आश्रय स्थल, शरणागार प्रत्यवस्कंद-सं० (पु०) प्रतिवादी का जवाबदावा प्रत्याश्वासन-सं० (पु०) ढाढ़स, सांत्वना प्रत्यवस्थाता-सं० (पु०)1 शत्रु 2 प्रतिवादी
प्रत्यासन्न-सं० (वि०) पास आया हुआ प्रत्यवेक्षण-सं० (पु०) 1 चौकसी करना 2 ध्यान रखना प्रत्याहत-सं० (वि०) 1 अस्वीकृत 2 हटाया हुआ, निवारित प्रत्यस्त-गमन-सं० (पु०) अस्त होना
प्रत्याहरण-सं० (पु०) 1 वापस लेना 2 हटना 3 इंद्रिय निग्रह प्रत्यस्थ-सं० (वि०) खींचने पर लंबा होनेवाला, तन्यक प्रत्याहार-सं० (पु०) 1 पीछे खींचना, हटाना 2 आशा, वचन प्रत्याक्रमण-सं० (पु०) जवाबी हमला
आदि वापस लेना 3 व्या० वर्गों को संक्षेप रूप में ग्रहण करना प्रत्याक्षेप-सं० (पु०) = प्रत्यवस्कंद
प्रत्याहत-सं० (वि०) वापस बुलाया हुआ प्रत्याख्यात-सं० (वि०) 1अस्वीकृत 2 मना किया हुआ | प्रत्याहत-सं० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 संयम में रखा गया
3 निवारित 4 सूचित किया हुआ 5 अतिक्रांत 6 प्रसिद्ध । प्रत्याहान-सं० (पु०) 1 वापस बुलाना 2 वापस बुलाने का प्रत्याख्यान-सं० (पु०) 1 इनकार 2 निराकरण 3 उपेक्षा, | आदेश
हुआ
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प्रत्युक्त
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प्रदेशीय
हुआ
'बाहुआ
प्रत्युक्त-सं० (वि०) 1 उत्तरित 2 उत्तर द्वारा खंडित प्रदत्त-सं० (वि०) दिया हुआ प्रत्युक्ति-सं० (स्त्री०) जवाब
प्रदर-सं० (पु०) 1 तितर-बितर होना 2 तोड़ना-फोड़ना 3 स्त्रियों प्रत्युच्चार -सं० (पु०) पुनः उच्चारण करना
के गर्भाशय से निकलनेवाला लसदार गंदा तरल पदार्थ का प्रत्युज्जीवन-सं० (पु०) पुनरुज्जीवन
रोग, ल्यूकोरिया 4 दरार प्रत्युत-सं० (क्रि० वि०) बल्कि, वरन्
प्रदर्शक-1 सं० (वि०) 1 प्रदर्शन करनेवाला 2 दिखलानेवाला प्रत्युत्क्रम-सं० (पु०) 1 युद्ध में पहले पहल का आक्रमण ___ II (पु०) 1 गुरु 2 दर्शक 2 गौण कार्य 3 आक्रमण के बदले आक्रमण
प्रदर्शन सं० (पु०) दिखलाना, दिखाना। -कक्ष (पु०) प्रत्युत्तर-सं० (पु०) जवाब का जवाब
दिखाने का कमरा, शोरूम; ~कारी (वि०) दिखानेवाला प्रत्युत्थान-सं० (पु०) 1 स्वागत हेतु खड़ा होना 2 सामना करने प्रदर्शनात्मक-सं० (वि०) प्रदर्शन संबंधी को उठ खड़ा होना
प्रदर्शनी-सं० (स्त्री०) 1 नुमाइश (जैसे-गिरजाघर में प्रदर्शनी प्रत्युत्पन्न-सं० (वि०) 1 तत्काल उत्पन्न हुआ 2 पुनः उत्पन्न | लगी है) 2 नजारा (जैसे-चलती-फिरती प्रदर्शनी)
प्रदर्शिका-सं० (स्त्री०) प्रदर्शनशाला प्रत्युदाहरण-सं० (पु०) प्रतिकूल उदाहरण
प्रदर्शित-सं० (वि०) 1 दिखाया गया 2 जनाया हुआ 3 प्रदर्शनी प्रत्युद्गमन-सं० (पु०) प्रत्युत्थान
में रखा हुआ प्रत्युद्यम-सं० (पु०) 1 विरोध में किया गया कार्य 2 प्रतिकार | प्रदाता-सं० (पु०) देनेवाला, दानी, दाता प्रत्युपकार-सं० (पु०) नेकी के बदले की गई नेकी, हित के | प्रदान-सं० (पु०) 1 देना 2 दी जानेवाली वस्तु 3 कन्यादान बदले हित
4 इनाम, पुरुस्कार। ~पत्र (पु०) दानपत्र प्रत्युपकारी-सं० (पु०) प्रत्युपकार करनेवाला
प्रदाय-सं० (पु०) 1 दी गई वस्तु 2 भेंट, उपहार प्रत्युपदेश-सं० (पु०) 1 उपदेश के बदले दिया गया उपदेश प्रदायक, प्रदायी-सं० (वि०) देनेवाला (जैसे-सुखप्रदायक) 2 राय के बदले दी गई राय
प्रदाह-सं० (पु०) .1 दाह, जलन 2 कष्ट, ताप 3 विनाश प्रत्युपमान-सं० 1 उपमान का उपमान
प्रदिग्ध-सं० (वि०) खूब पका हुआ प्रत्युपस्थान-सं० (पु०) पड़ोस
प्रदिष्ट-सं० (वि०) 1 दिखाया हुआ 2 बताया हुआ 3 नियत प्रत्युप्त-सं० (वि०) 1 जमाया हुआ, जड़ा हुआ 2 बोया हुआ | किया हुआ 4 आदिष्ट, प्रेसक्राइब्ड प्रत्येक सं० (वि०) हर एक
प्रदीप-I सं० (वि०) प्रकाश करनेवाला II (पु०) 1 दीया, प्रथन-सं० (पु०) 1 विस्तार करना 2 प्रक्षेपण करना 3 प्रकाश दीपक 2 प्रकाश, रोशनी 3 संपूर्ण जाति का राग। स्तंभ में लाना, प्रदर्शन करना
(३०) प्रथम-I सं० (वि०) 1 पहला, अव्वल 2 सर्वश्रेष्ठ II (क्रि० | प्रदीपक-[सं० (वि०) प्रदीपन करनेवाला 2 रोशनी करनेवाला वि०) आगे, पहले। ता I (स्त्री०) 1 प्राथमिकता 2 प्रथम | II (पु०) छोटा दीपक होने की अवस्था II (क्रि० वि०) साधारणतः देखने पर; - प्रदीपन-सं० (पु०) 1 प्रकाश करना 2 उत्तेजित करना वय (पु०) बाल्यकाल
प्रदीपिका-सं० (स्त्री०) 1 छोटा दीया 2 छोटी पुस्तक प्रथमत:- (क्रि० वि०) सबसे पहले
प्रदीप्त-सं० (वि०) 1 जलता हुआ 2 प्रकाशित 3 उज्जवल, प्रथमवयसी-सं० (वि०) नई उम्र का
चमकीला प्रथमा-सं० (स्त्री०) व्या० कर्ताकारक (जैसे-प्रथमा विभक्ति) | प्रदीप्ति-सं० (स्त्री०) 1 रोशनी, प्रकाश, 2 चमक प्रथमाक्रमण-सं० (पु०) पहले आक्रमण करना, एग्रेशन प्रदीर्घ-सं० (वि०) अत्यधिक दीर्घ प्रथमाक्रमणकारी-सं० (पु०) पहला आक्रमण करनेवाला, | प्रदुष्ट-सं० (वि०) 1 दोष युक्त, बिगड़ा हुआ 2 दुष्ट 3 लंपट, एग्रेसर
व्यभिचारी प्रथमाक्षर-सं० (पु०) पहला अक्षर
प्रदूषक-सं० (वि०) 1 अपवित्र करनेवाला 2 नष्ट करनेवाला प्रथमार्द्ध-सं० (पु०) दो बराबर भागों में पहला, पूवार्द्ध प्रदूषण-सं० (पु०) 1 नष्ट करना 2 अपवित्र करना प्रथमेतर-सं० (वि०) दूसरा
प्रदेय-I सं० (वि०) देने योग्य II (पु०) भेंट, उपहार प्रथमोदित-सं० (वि०) पहले उदय हुआ
प्रदेश-सं० (पु०) 1 संघ राज्य की इकाई (जैसे-मध्य-प्रदेश) प्रथमोपचार-सं० (पु०) प्राथमिक उपचार
2 प्रांत 3 अंग, अवयव 4 भू भाग का कोई खंड, भूखंड। प्रथा--सं० (स्त्री०) 1 रीति, परिपाटी 2 प्रसिद्धि, ख्याति 3 नियम सात (वि०) = प्रदेशीय; ~वाद (पु०) प्रदेश को प्रथानुकूल, प्रथानुसार-सं० (वि०) पारंपरिक
प्रमुखता देने का मत; विदेश (पु०) देश-विदेश, प्रथित-सं० (वि०) 1 प्रसिद्ध, मशहूर 2 लंबाचौड़ा, विस्तृत देश-परदेश प्रथिति-सं० (स्त्री०) 1 विस्तार 2 ख्याति, प्रसिद्धि प्रदेशन-सं० (पु०) 1 उपहार, भेंट 2 उपदेश देना, परामर्श प्रथिवी-सं० (स्त्री०) पृथ्वी
3 दिखलाना, प्रद-सं० (वि०) देनेवाला (जैसे-आनंदप्रद)
प्रदेशनी-सं० (स्त्री०) तर्जनी प्रदक्षिण-सं० (वि०) 1 योग्य, समर्थ 2 चतुर, होशियार | प्रदेशित-सं० (वि०) 1 दिखलाया हुआ 2 प्रदिष्ट प्रदक्षिणा-सं० (स्त्री०) परिक्रमा (जैसे-देवता की प्रदक्षिणा)/ प्रदेशीय-सं० (वि०) प्रदेश संबंधी (जैसे-प्रदेशीय समस्या एवं प्रदग्ध-सं० (वि०) अत्यधिक जला हआ
समाधान),
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प्रदेह
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प्रबंध
प्रदेह-सं० (पु०) 1 फोड़े आदि पर दवा लगाना 2 लेप करना 2 झंझट, बखेड़ा, लड़ाई-झगड़ा 3 मायावी एवं मिथ्या दृश्य प्रदोष-सं० (पु०) 1 सूर्यास्त का समय, संध्या 2 त्रयोदशी व्रत 4 विस्तार, फैलाव 5 प्रतिकूलता। -वचन (पु०) विस्तृत 3 बहुत बड़ा दोष
कथन प्रदोह-सं० (पु०) दृध दुहना, दोहन
प्रपंचित-सं० (वि०) 1 ठगा हुआ 2 विस्तारित प्रद्योत-सं० (पु०) 1 किरण, रश्मि 2 आभा, चमक प्रपंची-सं० (वि०) 1 धोखेबाज़, छलिया 2 झगड़ा करनेवाला प्रद्योतन-सं० (पु०) 1 चमकाना 2 दीप्ति
3 प्रपंच करनेवाला प्रद्रावण-सं० (पु०) भागना, पलायन करना
प्रपंजी-सं० (स्त्री०) खाता, बही, लेजर प्रद्वार-सं० (पु०) 1 दरवाज़े, फाटक के पास की जगह 2 मुख्य प्रपठन-सं० (पु०) 1 ज्यों का त्यों पढ़ा जाना, पाठ 2 उद्धरणी
प्रपतन-सं० (पु०) 1 गिरना 2 उड़ जाना 3 मृत्यु प्रद्वेष, प्रद्वेषण-सं० (पु०) 1 अधिक द्वेष 2 घृणा, नफ़रत प्रपतित-सं० (वि०) 1 गिरा हआ 2 विनष्ट, क्षति प्राप्त 3 मृत प्रधर्ष -सं० (पु०) 1 अपमान 2 पराभव 3 किसी स्त्री का 4 उड़ा हुआ सतीत्व नष्ट करना, बलात्कार 4 आक्रमण
प्रपत्ति-सं० (स्त्री०) अनन्य भक्ति प्रधर्षक-सं० (वि०) प्रधर्ष करनेवाला
प्रपत्र-सं० (पु०) छपा हुआ पत्र जिसमें पूछी गई बातें भरी जाती प्रधर्षण-सं० (पु.) 1 बेइज़्ज़ती 2 बलात्कार 3 चढ़ाई हैं, फार्म (जैसे-आवेदन का प्रपत्र) प्रधर्षित-सं० (वि०) 1 अपमानित 2 आक्रमण किया गया | प्रपथ-[ सं० (वि०) थका-माँदा II (पु०) बड़ा एवं चौड़ा 3 बलात्कार किया गया
मार्ग प्रधान-I सं० (वि०) मुख्य (जैसे-सभा का प्रधान व्यक्ति) प्रपद-सं० (पु०) पंजा II (पु०) 1 नेता, मुखिया (जैसे-ग्राम-प्रधान) 2 सचिव | प्रपन्न-सं० (वि०) 1आया हुआ, पहँचा हुआ 2 शरणागत 3 संस्था का सबसे बड़ा अधिकारी (जैसे-कार्यालय-प्रधान) प्रपर्ण-सं० (पु०) गिरा हुआ पत्ता . 4 सृष्टि का उपादान कारण। ~मंत्री (पु०) 1 देश, राज्य का प्रपलायक-सं० (पु०) भगोड़ा, फ़रार सबसे बड़ा मंत्री) (जैसे-भारत का प्रधान मंत्री 2 संस्था आदि प्रपलायन-सं० (पु०) फरार होना, भाग जाना का सबसे बड़ा मंत्री, जनरल सेक्रेटरी; ~वाक्य (पु०) मुख्य प्रपा-सं० (स्त्री०) 1 पौसरा 2 कूप, कुआँ वाक्य; ~सचिव (पु०) मुख्य सचिव
प्रपाक-सं० (पु०) 1 घाव पकना 2 प्रदाह प्रधानतः-सं० (क्रि० वि०) मुख्यरूप से
प्रपाठ-सं० (पु०) 1 सबक, पाठ 2 अध्याय प्रधानांग-सं० (पु०) विषय वस्तु
प्रपात-सं० (पु०) 1 तेज़ी से गिरना (जैसे-जल प्रपात) प्रधानाचार्य-सं० (पु०) कालेज का प्रधान अधिकारी, 2 झरना प्रिंसिपल
प्रपातन-सं० (पु०) गिराना, फेंकना प्रधानाध्यापक-सं० (पु०) स्कूल का सर्वप्रमुख अध्यापक, प्रपाती- (पु०) ऐसी चट्टान जिसका किनारा खड़ा हो हेडमास्टर
प्रपाती-सं० ऊँची-नीची चट्टानों में होनेवाला जलप्रपात प्रधानामात्य-सं० (पु०) प्रधानमंत्री
प्रपाथ-सं० (पु०) सड़क, मार्ग प्रधारण-सं० (पु०) 1 रक्षण 2 धारण करना
प्रपान-सं० (पु०) 1 पीना 2 प्रपा, पौंसला प्रधारणा-सं० (स्त्री०) ध्यान लगाना, ध्यान जमाना प्रपितामह-सं० (पु०) पितामह, परदादा (स्त्री० प्रपितामही) प्रधावन-सं० (पु०) 1 प्रक्षालन, मार्जन 2 वायु
प्रपीड़क-सं० (वि०) 1 पेरनेवाला 2 सतानेवाला प्रधी-सं० (वि०) अत्यंत चतुर ।
प्रपीड़न-सं० (पु०) 1 पेरना 2 सताना प्रधूपित-सं० (वि०) 1 तपाया हआ 2 संतापित 3 दीप्त । प्रपुंज-सं० (पु०) ढेर, राशि प्रधूमित-सं० (वि०) 1 धुआँ देनेवाला 2 अंदर ही अंदर प्रपुत्र-सं० (पु०) पोता I सुलगनेवाला
प्रपूरक-सं० (वि०) 1 पूरा करनेवाला 2 तृप्त करनेवाला प्रधृष्ट-सं० (वि०) 1 अपमानित 2 उदंड, उद्धत 3 घमंडी, प्रपूरण-सं० (पु०) 1 भरना 2 तृप्त करना 3 मिलाना अभिमानी, दंभी
प्रपूरित-सं० (वि०) 1 भरा हुआ 2 तृप्त किया हआ प्रध्यान-सं० (पु०) गंभीर चिंतन, विशेष चिंतन
प्रपौत्र-सं० (पु०) परपोता (स्त्री० प्रपौत्री) प्रध्वंस-सं० (पु०) 1 विनाश, नाश 2 पदार्थ की अतीतावस्था । | प्रफुल्ल-सं० (वि०) 1 खिला हुआ, विकसित 2 जिसमें फूल (सांख्य)
लगे हों 3 प्रसन्न। ~वदन (वि०) प्रसन्न मुख प्रध्वंसक-सं० (वि०) नाश करनेवाला
प्रफुल्लित-सं० (वि०) 1 खिला हुआ, कुसुमित 2 हँसता हुआ प्रध्वस्त-सं० (वि०) नष्ट, बर्बाद
3 विकसित प्रनष्ट-सं० (वि०) 1 विनष्ट 2 पलायित, भागा हुआ 3 लुप्त | प्रबंध-सं० (पु०) 1 बाँधने की वस्तु, बंधन (जैसे-डोरी, रस्सी प्रनियम-सं० (पु०) उपनियम
आदि)2 आयोजन 3 व्यवस्था (जैसे-भोजन का प्रबंध, दावत प्रन्यास-सं० (पु०) विशिष्ट कार्य हेतु सौंपा गया धन, विशेष का प्रबंध) 4 काव्य का भेद (जैसे-प्रबंध काव्य)। ट्रस्ट
~अभिकर्ता (पु०) प्रबंध करनेवाला संस्था का एजेंट; प्रन्यासी-सं० (पु०) विशेष ट्रस्टी
कर्ता (पु०) = प्रबंध अधिकारी; ~की (स्त्री०) प्रबंध प्रपंच-सं० (पु०) 1 छल-कपट से भरा कार्य, छलपूर्ण कार्य | करनेवाली महिला; ~कल्पना (स्त्री०) कल्पना प्रधान कथा;
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प्रबंधक
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प्रभुत्व
~कार (पु०) प्रबंध काव्य का लिखनेवाला; ~कारिणी (वि०) भोर के समय का; -फेरी +हिं० (स्त्री०) प्रचार के (वि०) प्रबंध करनेवाली ~कारी (वि०) प्रबंध करनेवाला; उद्देश्य से प्रातःकाल जुलूस बनाकर बस्तियों में घूमना; ~कार्य (पु०) आयोजन का काम; काल (पु०) खेला (स्त्री०) प्रभात; ~संस्करण (पु०) तड़के आयोजन का समय; -काव्य (१०) महाकाव्य एवं खंड निकलेवाला समाचार पत्र का अंक काव्य; कुशल (वि०) प्रबंध करने में दक्षः -कौशल प्रभाती-I सं० (स्त्री०) प्रातःकाल गाया जानेवाला गीत (पु०) = प्रबंध अभिकर्ता; पटु (वि०) प्रबंध कुशल; __ II (वि०) प्रभात संबंधी (पु०) आयोजन का खर्च; ~~परिषद (स्त्री०) संस्था का प्रभामय-सं० (वि०) प्रकाशपूर्ण संचालन करनेवाली समिति; -मंत्री (प०) संस्था का प्रभार-सं० (पु०) कार्यभार, चार्ज अध्यक्ष, सचिव, विभाग (पु०) संस्था आदि का विभाग; प्रभारी-सं० (वि०) कार्यभार, चलानेवाला
परिव्यय, व्यय (पु०) व्यवस्था का खर्च प्रभाव-सं० (पु०) 1 अस्तित्व में आना, उद्भव 2 सामर्थ्य, ~संचालक (पु०) : प्रबंध अभिकर्ता; ~संपादक (पु०) शक्ति 3 बुद्धिबल, चारित्रिक विशेषता आदि के परिणाम पत्र-पत्रिकाओं आदि का संपादन करनेवाला व्यक्ति. मैनेजिंग स्वरूप पड़नेवाला असर (जैसे-नैतिकता का प्रभाव, साधूता एडिटर; समिति (स्त्री०) संस्था, सभा आदि के चुने गए का प्रभाव) 4 अच्छा एवं बरा परिणाम (जैसे-सिनेमा का लोगों की समिति, प्रबंध परिषद
प्रभाव, औषध का प्रभाव) 5 ग्रहों की विशिष्ट स्थिति से उत्पन्न प्रबंधक-[ सं० (वि०) व्यवस्था करनेवाला II (पु०) अच्छा एवं बुरा परिणाम 6 आतंक (जैसे-शासन का प्रभाव व्यवस्थापक, मैनेजर । -एजेंसी +अं० (स्त्री०) प्रबंध बहुत कठोर है)। ~कर कारी (वि०) असर अभिकर्ता प्रणाली
डालनेवाला, प्रभावशाली; ~क्षेत्र (प०) वह क्षेत्र जिस पर प्रबंधन-सं० (पु०) 1 व्यवस्था करना 2 आयोजन करना किसी का प्रभाव हो; ~वाद (पु०) यह सिद्धांत हर कार्य पर 3 काव्य रचना आदि की शैली (जैसे-गद्य प्रबंधन की किसी पूर्व कार्य का प्रभाव रहता है; ~वादी (वि०) प्रभाव कुशलता)
वाद का समर्थक; ~शाली (वि०) प्रभाववाला; ~शील प्रबंधात्मक-सं० (वि०) प्रबंध संबंधी
(वि०) असरदार; ~संपन्न (वि०) प्रभावयुक्त, प्रभावमय; प्रबंधार्थ-सं० (पु०) साहित्यिक रचना में उल्लखित विषय स्वरूप (क्रि० वि०) प्रभाव के रूप में प्रबंधी-सं० (वि०) प्रबंधक
प्रभावक-सं० (वि०) प्रभाव उत्पन्न करनेवाला, प्रभावशाली प्रबल-सं० (वि०) 1 बलवान 2 उग्र, तेज, प्रचंड प्रभावना-सं० (स्त्री०) 1 उद्भावना 2 प्रकाश प्रबलक-सं० (वि०) बल बढ़ानेवाला
प्रभावान्-सं० (वि०) 1 प्रतापी 2 प्रभावशाली प्रबलन-सं० (पु०) 1 बल बढ़ाना 2 बल बढ़ाने का उपाय प्रभावान्वित-सं० (वि०) प्रभावित प्रबलित-सं० (वि०) बल बढ़ाया हुआ
प्रभावापन्न-सं० (वि०) प्रभावशाली, प्रभावमय प्रबाधक-सं० (वि०) 1निवारण करनेवाला 2 हटानेवाला प्रभावित-सं० (वि०) प्रभाव पड़ा हआ (जैसे- भावनाओं से प्रबाह-सं० (पु०) हाथ का अगला भाग, पहँचा
प्रभावित होना) प्रबुद्ध-I सं० (वि०) 1 चैतन्य, सचेत 2 जागा हुआ, जाग्रत | प्रभावी-सं० (वि०) = प्रभावक
3 प्रबोधयुक्त 4 विकसित II (पु०) 1 ज्ञानी 2 विद्वान, पंडित प्रभावोत्पादक-सं० (वि०) प्रभावशाली प्रबोध-सं० (पु०) 1 जागना 2 यथार्थज्ञान 3 ढारस, दिलासा प्रभावोत्पादन-सं० (पु०) प्रभाव उत्पन्न करना, प्रभाव डालना ___4 सतर्कता, चेतावनी 5 विकास
प्रभाषण-सं० (पु०) व्याख्या प्रबोधक-सं० (वि०) 1 जगानेवाला 2 सचेत करनेवाला प्रभाषी-सं० (वि०) व्याख्या करनेवाला 3 ज्ञान देनेवाला 4सांत्वना देनेवाला
प्रभास-I सं० (वि०) 1 प्रभापूर्ण 2 अत्यंत चमकदार, प्रबोधन-सं० (पु०) 1 जागरण, जागना 2 नींद से उठाना, चमकीला II (पु०) 1 ज्योति 2 दीप्ति, चमक जगाना 3 यथार्थ ज्ञान 4 जताना 5 सचेत करना, ढारस देना, प्रभासन-सं० (पु०) 1 दीप्ति 2 दीप्ति उत्पन्न करना तसल्ली देना 6 विकसित करना
प्रभिन्न-सं० (वि०) 1अलग हआ 2 अत्यधिक भेदवाला प्रबोधित-सं० (वि०) 1 जगाया हुआ 2 ज्ञान दिया हुआ | 3 विभक्त 4 विकृत 5 ढीला किया हुआ 6 खिला हुआ 3 समझाया-सिखलाया हया 4 ढारस दिया गया
प्रभु-सं० (पु०) 1ईश्वर, परमात्मा 2 स्वामी, मालिक 3 आदर प्रभंजन-सं० (पु०) 1 प्रदंड वायु 2 तोड़ना फोड़ना सूचक संबोधन (जैसे-प्रभु की जैसी इच्छा)। ता (स्त्री०) प्रभव-सं० (पु०) 1 सृष्टि का ल कारण 2 उत्पत्ति, जन्म 1 ईश्वरता 2 स्वामित्व, प्रभुत्व 3 महत्त्व 4 हुकूमत 5 वैभव; 3 उत्पत्ति स्थान 4 सृष्टि जगत, संसार
~भक्त (वि०) 1 ईश्वर का पूजक 2 वफादार; ~भक्ति प्रभवन-सं० (पु०) 1 उत्पत्ति 2 आकार 3 उत्पत्ति स्थान (स्त्री०) 1 ईश्वर की पूजा 2 वफादारी; ~राज्य; (पु०) प्रभविष्णु-I सं० (वि०) 1 प्रभावशील 2 बलवान II (पु०) प्रभुसत्ता संपत्र वैधानिक राज्य; ~वर्ग (पु०) स्वामी समुदाय, 1 प्रभु 2 विष्णु
स्वामी लोक; सत्ता (स्त्री०) संप्रभुता, पूर्ण अधिकार; प्रभा- (स्त्री) 1 प्रकाश, दीप्ति 2 किरण। ~मंडल (प०) सत्ताक (वि०) 1 प्रभुसत्ता संपत्र, प्रभुसत्ता प्राप्त दीप्ति मंडल, परिवेश
2 बिल्कुल स्वतंत्र; सत्तात्मक (वि०) 1 जिसे प्रभुसत्ता प्रभाग-सं० (पु०) 1 विभाग का भाग 2 भिन्न का भिन्न | प्राप्त हो 2 पूर्ण स्वतंत्र प्रभात-सं० (पु०) प्रातःकाल, सबेरा, तड़का। ~कालीन | प्रभुत्व-सं० (पु०) = प्रभुता
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प्रभूत
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प्रमुख
प्रभूत-सं० (वि०) 1 भूत 2 उत्पन्न, उद्गत 3 बहुत ज्यादा, प्रमाणन-सं० (पु०) 1 प्रमाणित करना 2 प्रमाण देकर सिद्ध प्रचुर 4 उन्नत 5 जो अच्छी तरह हुआ हो
करना प्रभूति-सं० (स्त्री०) 1 उत्पत्ति स्थान 2 आधिक्य, प्रचुरता | प्रमाणांतर-सं० (पु०) एक और प्रमाण प्रभृति-सं० (क्रि० वि०) इत्यादि, आदि, वगैरह
प्रमाणाभाव-सं० (पु०) प्रमाण का न होना प्रभेद-सं० (पु०) 1 भेद, प्रकार, किस्म 2 अंतर 3 विभाग
प्रमाणिक-सं० (वि०) प्रामणिक (जैसे-प्रमाणिक शास्त्र) प्रभेदक-सं० (वि०) 1 प्रभेद उत्पन्न करनेवाला प्रमाणित-सं० (वि०) प्रमाण द्वारा सिद्ध हुआ 2 तोड़ने-फोड़नेवाला
प्रमाणीकरण-सं० (पु०) प्रमाणन प्रभेदन-सं० (पु०) 1 प्रभेद उत्पन्न करना 2 तोड़ना-फोड़ना प्रमाणीकृत-सं० (वि०) प्रमाण स्वरूप ठहराया हुआ प्रमंडल-सं० (पु०) 1 पहिये के बाहरी हिस्से का खंड, चक्के प्रमाता-I सं० (वि०) 1 प्रमाण द्वारा ज्ञान प्राप्त करनेवाला
का खंड 2 प्रदेश का अनेक मंडलोंवाला भाग, कमिश्नरी 2 विषय का साक्षात्कार करनेवाला, विषयी प्रमग्न-सं० (वि०) निमग्न, डूबा हुआ
प्रमाता-II सं० (पु०) 1 प्रमाण को माननेवाला अधिकारी प्रमत-सं० (वि०) 1 चतुर 2 सोचा हुआ
2 न्यायाधीश 3 आत्मा, चेतन पुरुष 4 विषय भिन्न द्रष्टा, साक्षी प्रमत्त-सं० (वि०) 1 नशे में चूर, मतवाला 2 पागल, बावला,
प्रमातामह-सं० (पु०) परनाना प्रमादयुक्त 3 लापरवाही करनेवाला, असावधान
प्रमात्रा-सं० (स्त्री०) आवश्यक एवं निश्चित मात्रा प्रमथ, प्रमथन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह मथना 2 पीड़ित
प्रमाथ-सं० (पु०) 1 मंथन, मथना 2 बल पूर्वक हरण करना करना 3 मार डालना 4 बर्बाद करना
3 कष्ट देना, पीड़न, मार डालना 4 बलात् संभोग, बलात्कार प्रमथित-I सं० (वि०) 1 अच्छी तरह मथा हुआ 2 सताया 5 नष्ट करना हुआ II (पु०) शुद्ध मठा
प्रमाथी-सं० (वि०) मथनेवाला प्रमद-[ सं० (वि०) 1 नशे में चूर, मतवाला 2 असावधान प्रमाद-सं० (पु०) 1 नशा, मद 2 अनवधानता 3 भूल-चूक, II (पु०) 1 मतवालापन 2 धतूरे का फल 3 हर्ष, आनंद । गफलत 4 अंतकरण की दुर्बलता 5 पागलपन, उन्माद ~~वन (पु०) विहारोद्यान
6 संकट, विपत्ति। ~वश (वि०) प्रमदा-सं० (स्त्री०) सुंदर एवं युवती स्त्री रूपवती यवती | प्रमादवान-सं० (वि०) । नशे में चूर 2 लापरवाह 2 सुंदर स्त्री 3 पत्नी
प्रमादित-सं० (वि०) उपेक्षित प्रमन्यु-सं० (वि०) अत्यंत क्रुद्ध
प्रमादिनी-सं० (स्त्री०) हिंडोल राग की एक सहचरी प्रमर्दन-I सं० (पु०) 1मलना, मसलना 2 दमन करना II प्रमादी-सं० (वि०) 1 प्रमादवान् 2 पागल 3 लापरवाह (वि०) नष्ट करनेवाला, रौंदनेवाला
प्रमापक-सं० (पु०) प्रमाणित करनेवाला प्रमस्तिष्क-सं० (पु०) मस्तिष्काय, मस्तिष्क का सामने का प्रमापन-सं० (पु०) 1 मार डालना 2 नाश 3 आकृति, रूप बड़ा भाग
प्रमापयिता-सं० (वि०) 1 घातक 2 नाशक 3 अनिष्टकारक, प्रमा-सं० (स्त्री०) चेतना, बोध
हानिकारक प्रमाण-I सं० (पु०) 1 सबूत, प्रफ 2 साक्षी, एविडेंस | प्रमापीकरण-सं० (पु०) प्रमाणित करना
3 सत्यता, सचाई 4 पूरा एवं सच्चा ज्ञान 5 नाप-तौल आदि की प्रमार्जक-सं० (वि०) ।साफ करना 2 दूर हटानेवाला नियत इकाई. इयत्ता 6 विस्तार II (वि०) 1 सिद्ध हुआ 2 जो प्रमार्जन-सं० (पु०) 1 साफ करना 2 सुधार करना 3 दूर करना सर्व मान्य हो III (क्रि० वि०) 1 अवधि सूचक शब्द, पर्यंत, | प्रमित-सं० (वि०) 1 नापा हुआ, मापा हुआ 2 परिमित 3 जाना तक 2 किसी के तुल्य, समान। -कर्ता (पु०) प्रमाणित | हुआ, ज्ञात 4 निश्चित 5 प्रमाणित : जिसका यथार्थ ज्ञान हुआ करनेवाला व्यक्ति; कुशल (वि०) वाद-विवाद में चतुर, युक्ति पटु; ~कोटि (स्त्री०) प्रमाणिक वस्तुओं का वर्ग; प्रमिताशन-स० (पु०) नपा तुला भोजन -पत्र (पु०) 1 प्रमाणक, सर्टिफिकेट (जैसे-हाई स्कूल का प्रमिति-सं० (स्त्री०) । नापना 2 नाप 3 यथार्थ ज्ञान प्रमाण पत्र) 2 प्रमाण माना जानेवाला लेख (जैसे-प्रमाण पत्र | प्रमीत-[सं० (वि०) 1 मृत 2 बलि चढ़ाया हुआ 3 नष्ट, बर्बाद पेश करना); -पुरुष (पु०) पंच; -पुष्ट (वि०) प्रमाणित | II (पु०) बलि चढ़ाया हुआ पशु
जिसे प्रमाण माना गया हो प्रमाण रूप. प्रमीति-सं० (स्त्री०) 1 हनन, वध 2 मृत्यु 3 नाश ~वाद (पु०) यह मत कि बिना प्रमाण के कोई सिद्धांत मान्य प्रमीलन-सं० (पु०) आँख बंद करना, मूंदना नहीं है; ~वादी (वि०) प्रमाण वाद का समर्थक; ~शास्त्र
प्रमीला-सं० (स्त्री०) 1 तंद्रा 2 शिथिलता 3 थकावट 4 मूंदना (पु०) तर्क शास्त्र; ~शास्त्रीय (वि०) प्रमाण शास्त्र संबंधी; | 5 अर्जुन की एक भार्या
स्वरूप (क्रि० वि०) प्रमाण के तौर पर; हीन (वि०) प्रमीलिका–सं० (स्त्री०) नींद बिना सबूत का
प्रमीलित-सं० (वि०) मुंदा हुआ प्रमाणक-1 सं० (वि०) 1 समस्त पदों के अंत में विस्तार प्रमुक्त-सं० (वि०) 1 बंधन मुक्त 2 परित्यक्त 3 प्रक्षिप्त संबंधी 2 प्रमाणित करनेवाला II (प.) 1 प्रमाणिक पत्र, प्रमुक्ति-सं० (स्त्री०) मोक्ष, मुक्ति सर्टिफिकेट 2 आय-व्यय संबंधी ब्योरे का प्रजा, | प्रमुख-I सं० (वि०) 1 मुख्य, प्रधान 2 प्रथम 3 श्रेष्ठ वाउचर
4 सम्मानित, प्रतिष्ठित 5 समस्त पदों के अंत में लगनेवाला प्रणाणतः- (अ०) प्रमाण के अनुसार
(जैसे-राज-प्रमुख) II (पु०) 1 प्रधान 2 प्रधान शासक III
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प्रमुग्ध
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प्रलंबी
(क्रि० वि०) 1 आगे, सामने 2 उसी समय, तत्काल 3 आदि, प्रयोग, मनोवैज्ञानिक प्रयोग) 4 विधि, ढंग 5 उपयोग, व्यवहार वगैरह। ता (स्त्री०) प्रमुख होने की स्थिति
(जैसे-राज भाषा का प्रयोग) 6 अभिनय 7 तरकीब, युक्ति प्रमुग्ध-सं० (वि०) 1 अत्यंत सुंदर 2 हत-बुद्धि 3 अचेत, 8 परिणाम, फल। कर्ता (पु०) प्रयोग करनेवाला; ~कृत मूर्च्छित
(वि०) प्रयोग में लाया हआ; ~वाद (प.) साहित्यिक प्रमुद, प्रमुदत-सं० (वि०) हर्षित, आनंदित
परंपराओं को प्रयोगात्मक परीक्षण द्वारा जाँचने का आधुनिक प्रमूढ़-सं० (वि०) 1 घबराया हुआ 2 मोहित 3 मूर्ख, मूढ़ साहित्यिक सिद्धांत; ~वादी I (वि०) प्रयोगवाद से संबंध प्रमृत-I सं० (वि०) 1 मरा हुआ 2 ढका हुआ 3 दृष्टि से रखनेवाला II (पु०) प्रयोगवाद का समर्थक, अनुयायी; ओझल II (पु०) 1 मृत्यु 2 कृषि, खेती
विधि (स्त्री०) प्रयोग करने का ढंग; ~शाला (स्त्री०) प्रमष्ट-सं० (वि०) 1 साफ़ किया हुआ 2 चमकाया हुआ वह स्थान जहाँ पदार्थ विज्ञान, रसायन विज्ञान आदि का परीक्षण प्रमेय-[ सं० (वि०) 1 नापने योग्य 2 जिसे समझा जा सके किया जाता है; ~हीन (वि०) बिना प्रयोग का 3 जिसे प्रमाण द्वारा सिद्ध किया जा सके II (पु०) सिद्ध करने प्रयोगतः-सं० (क्रि० वि०) प्रयोग द्वारा, परिणाम रूप में का विषय, प्रमा का विषय, थियोरम (जैसे-पैथागोरस की प्रयोगात्मक-सं० (वि०) प्रयोग संबंधी प्रमेय)
प्रयोगार्थ-सं० (पु०) कार्य सिद्धि हेत किया जानेवाला गौण प्रमेह-सं० (पु०) चि० थोड़ी-थोड़ी देर बाद धात् सहित पेशाब कार्य होने का एक रोग
प्रयोगार्ह-सं० (वि०) प्रयोग के योग्य प्रमेही-सं० (वि०) प्रमेह रोग से पीड़ित
प्रयोगालय-सं० (पु०) प्रयोगशाला प्रमोक्ष-सं० (पु०) मोक्ष
प्रयोगावृत्तिसं० (स्त्री०) प्रयोग का दोहराव प्रमोद-सं० (पु०) 1 प्रसत्रता, खुशी, हर्ष 2 सुख प्रयोगी-सं० (वि०) 1 प्रयोग करनेवाला, प्रयोग कर्ता 2 प्रेरक प्रमोदक-सं० (वि०) खशी उत्पन्न करनेवाला
(जैसे-प्रयोगी संयत्र) 3 उद्देश्यवाला प्रमोदी-सं० (वि०) हर्षजनक
प्रयोजक-सं० (पु०) 1 प्रयोगकर्ता 2 काम में लगानेवाला प्रमोशन-अं० (पु०) उन्नति, तरक्की
3 प्रेरणा करनेवाला प्रमोह-सं० (पु०) 1मोह 2 मूर्छा 3 मुर्खता
प्रयोजन-सं० (पु०) 1 उपयोग, प्रयोग, व्यवहार 2 अभिप्राय, प्रयत-सं० (वि०) 1 प्रयत्नशील 2 पवित्र 3 संयत 4 दीन, नम्र मतलब 3 साधन, उपाय 4 हेतु 5 लाभ। ~वाद (पु०) यह प्रयति-सं० (स्त्री०) संयम
मत कि बिना मतलब कोई काम नहीं होता; ~~वादी (वि० ) प्रयत्न-सं० (पु०) 1 प्रयास, कोशिश 2 उद्योग, कृत्य प्रयोजनवाद का समर्थक, अन्यायी; ~वान् (वि०) 3 क्रियाशीलता, सक्रियता 4 सतर्कता, सावधानी। पूर्वक 1 प्रयोजनवाला 2 खुदगर्ज 3 उपयोगी (क्रि० वि०) प्रयत्न करते हुए; ~वान् (वि०) प्रयत्न में | प्रयोजनीय-सं० (वि०) 1 प्रयोग में लाने योग्य, उपयोगी लगा हुआ 2 उद्योगशील; ~शील (वि०) उद्योग में लगा | 2 मतलब का
प्रयोज्य-[सं० (वि०) 1 प्रयोग में लाए जाने योग्य 2 काम में प्रयागवाल-सं० • हिं० (प्०) प्रयाग तीर्थ का पंडा आने लायक 3 आचरित होने योग्य II (१०) नौकर, भत्य प्रयाचन-सं० (पु०) गिड़गिड़ाकर माँगना
प्ररक्षण-सं० (पु०) रक्षण प्रयाण-सं० (पु०) 1 प्रस्थान, कूच 2 यात्रा, सफर 3 अभियान, प्ररूढ़-सं० (वि०) 1 उगा हुआ 2 बढ़ा हुआ
चढ़ाई 4 अनुष्ठान 5 संसार से विदा होना। काल (पु०) प्ररूढ़ि-सं० (स्त्री०) बाढ़, वृद्धि 1 यात्रा का समय 2 मृत्यु का समय; ~पटह (पु०) कूच का प्ररूपण-सं० (पु०) 1 व्याख्या करना 2 समझाना डंका; ~भंग (पु०) यात्रा के दौरान बीच में रुकना, यात्राभंग प्ररूपी-सं० (वि०) प्ररूप के रूप में स्वीकार किया जानेवाला, प्रयापित-सं० (वि०) 1 आगे बढ़ाया हआ 2 चलने को विवश प्रारूपिक किया हुआ
प्ररोचना-सं० (स्त्री०) 1 अभिनय के प्रति रुचि उत्पन्न करना प्रयास-सं० (पु०) 1 उद्योग 2 प्रयत्न, कोशिश
2 रुचि उत्पन्न करनेवाली बात। प्रयासी-सं० (वि०) प्रयत्न या कोशिश करनेवाला प्ररोह-सं० (पु०) 1 चढ़ाव, आरोह 2 अंकरित होना, बढ़ना प्रयुक्त-सं० (वि०) 1 सम्मिलित, मिलाया हुआ 2 काम में | 3 उत्पत्ति 4 अंकुर 5 कल्ला, कोंपल लगाया हुआ 3 प्रयोग में लाया हुआ
प्ररोहण-सं० (पु०) 1 उगना, जमना 2 उत्पन्न होना 3 बढ़ना प्रयुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रयुक्त होने की स्थिति 2 प्रयोग प्ररोही-सं० (वि०) 1 उगनेवाला 2 बढ़नेवाला 3 उत्पन्न 3 प्रयोजन
होनेवाला प्रयोक्तव्य-सं० (वि०) प्रयोग करने योग्य
प्रलंब-सं० (वि०) 1 लटकनेवाला 2 लटकाया हआ 3 लंबा प्रयोक्ता-J सं० (वि०) 1 प्रयोग करनेवाला 2 नियुक्त प्रलंबन-सं० (पु०) 1लंबा करना 2 सहारा लेना, आलंबन करनेवाला || (पु०) 1ऋण देनेवाला, उत्तमर्ण 2 नाटक का 3 प्रलंब स्थिति में लाना सूत्रधार
प्रलंबित-सं० (वि०) 1 प्रलंब रूप में लाया हुआ 2 लटका प्रयोग-सं० (पु०), 1 इस्तेमाल, व्यवहार (जैसे-शब्द का
हुआ वाक्य-प्रयोग, जाड़े में गर्म कपड़ों का प्रयोग) 2 प्रत्यक्ष रूप से प्रलंबी-सं० (वि०) 1 लटकनेवाला 2 लंबा 3 सहारा सिद्ध करने की क्रिया 3 जाँच, परीक्षण (जैसे-रासायनिक | लेनेवाला, अवलंब
हुआ
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प्रलयंकर
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प्रविकीर्ण
गम
प्रलयंकर-सं० (वि०) सर्वनाशकारी, प्रलयकारी। प्रवर-सं० (वि०) 1 श्रेष्ठ 2 अवस्था में बड़ा 3 अधिकार में प्रलय-सं० (पु०) 1 नाश, विलीनता,लय 2 विस्तृत भू-भाग में | बड़ा माना जानेवाला, सुपीरियर। समिति (स्त्री०) विषय होनेवाली भयंकर बर्बादी। ~कारक, ~कारी (वि०) की जाँच-पड़ताल एवं विचार-विमर्श के पश्चात अपनी राय प्रलयंकर; ~पर्यत (क्रि० वि०) प्रलय काल तक देने के लिए बनाई गई समिति, सिलेक्टिव कमिटी प्रलव-सं० (पु०) छोटा टुकड़ा
प्रवरण-सं० (पु०) योग्यता के आधार पर चयन प्रलाप-सं० (पु०) 1 वार्तालाप 2 पागलों जैसी बात करना प्रवर्ग-सं० (पु०) छोटा विभाग 3 व्यथा सुनाना 4 साहि० श्रृंगार रस के प्रसंग में विरह व्याकुल प्रवर्त-सं० (पु०) अनुष्ठान, ठानना, प्रवर्तन होकर विक्षिप्तों की तरह बातें करना 5 कुछ विकट रोगों की वह प्रवर्तक-सं० (वि०) 1 प्रवृत्त करनेवाला 2 प्रतिष्ठाता 3 प्रेरित
अवस्था जिसमें रोगी पागलों सा अंडबंड बकता है। करनेवाला 4 उकसानेवाला 5 आविष्कार करनेवाला प्रलापक-I सं० (पु०) सत्रिपात रोग जिसमें रोगी | प्रवर्तन-सं० (पु०) 1 प्रवृत करना, ठानना 2 आरंभ करना
अनाप-शनाप बकता है II (वि०) 1 प्रलाप करनेवाला | 3 उसकाना 4 आविष्कार करना 2 अंड-बंड बकनेवाला
प्रवर्तित-सं० (वि०) 1 ठाना हुआ, आरब्ध 2 चालित प्रलापावस्था-सं० (स्त्री०) बड़बड़ाने की अवस्था
3 स्थापित 4 उत्तेजित प्रलापी-सं० (वि०) 1 प्रलाप करनेवाला 2 अंडबंड बकनेवाला | प्रवर्द्धन-सं० (पु०) 1 बढ़ाना 2 वृद्धि प्रलाभ-सं० (पु०) विशिष्ट रूप में होनेवाला लाभ प्रवर्द्धित-सं० (वि०) बढ़ाया हुआ प्रलाभी-सं० (वि०) 1 जिससे यथेष्ट आर्थिक लाभ हो प्रवर्षण-सं० (पु०) 1 वर्षा ऋतु की पहली वर्षा 2 वर्षा 2 अर्थिक लाभ हेतु प्रयास करनेवाला
प्रवसन सं० (पु०) 1 विदेश जाकर बसना 2 अन्य स्थान पर प्रलीन-सं० (वि०) 1 घुला हुआ 2 ध्वस्त एवं नष्ट-भ्रष्ट 3 छिपा बसना हुआ, तिरोहित
प्रवह-सं० (पु०) तेज बहाव प्रलुब्ध-सं० (वि०) 1 लोभ में पड़ा हुआ, लालच में पड़ा हुआ प्रवहमान्-सं० (वि०) बहता हुआ 2 मोहित 3 वंचक
प्रवाक्-सं० (वि०) 1 घोषणा करनेवाला 2 बकवादी प्रलेख-सं० (पु०) 1 लेख्य, दस्तावेज, डाक्यूमेंट 3 अनुबंधक प्रवाचक-सं० (पु०) प्रवचन करनेवाला व्यक्ति
प्रवाचन-सं० (पु०) प्रवचन करना प्रलेखक-सं० (पु०) लेख्य लिखनेवाला कर्मचारी, अर्जीनवीस प्रवात-सं० (पु०) 1 साफ हवा 2 तेज़ हवा प्रलेप सं० (पु०) 1 लेप चढ़ाना 2 लेप आदि चढ़ाने का प्रवाद-सं० (पु०) 1 बात-चीत, वार्तालाप 2 जनख, जनश्रुति मलहम
3 झूठी बदनामी प्रलेपन सं० (पु०) 1 लेप चढ़ाना 2 पोताई
प्रवारण-सं० (पु०) 1 वारण करना, मनाही 2 कारणवश किया प्रलेप्य-[ सं० (वि०) लेप चढ़ाने योग्य II (१०) घुघराले | गया दान बाल
प्रवाल-सं० (पु०) 1 मूंगा, विद्रूम 2 नया एवं मुलायम पत्ता, प्रलोप-सं० (पु०) लोप
कोंपल। द्वीप (पु०) समुद्र में पाये जानेवाले मूंगे के प्रलोभ-सं० (पु०) लालच, लोभ
विशाल ढूह प्रलोपक-सं० (वि०) 1 लालच देनेवाला 2 लुभानेवाला प्रवाली-I सं० (वि०) 1 मूंगे के रंग का, मुंगिया 2 मूंगे का II प्रलोभन-सं० (पु०) 1 लोभ उत्पन्न करना 2 लोभ 3 लुभाना (स्त्री०) समुद्र में मूंगे की चट्टान का वृत्ताकार घेरा प्रलोभित-सं० (वि०) 1 ललचाया हुआ 2 लुभाया हुआ प्रवास-सं० (पु०) 1 परदेश जाकर रहना 2 विदेश जाना। प्रलोभी-सं० (वि०) लालच करनेवाला, लालची
~गत (वि०) विदेश गया हुआ; ~गमन (पु०) परदेश प्रवंचक-सं० (पु०) 1 धोखेबाज़ 2 ठग
की यात्रा करना; ~गृह (पु०); पत्र (पु०) परदेश जाने प्रवंचन-सं० (पु०) 1 ठगना 2 धोखा देना
का अनमति पत्र; स्थित (वि०) परदेश में गया हुआ प्रवंचना-सं० (स्त्री०) 1 धोखेबाज़ी 2 ठगी
प्रवासन-सं० (पु०) 1 विदेश में रहना 2 देश निकाला प्रवंचित-सं० (वि०) 1 धोखा खाया हुआ 2 ठगा हुआ प्रवासित-सं० (वि०) देश निकाला हुआ प्रवक्ता-[सं० (वि०) 1 अच्छी तरह समझानेवाला 2 प्रवचन प्रवासी-सं० (वि०) परदेश में रहनेवाला करनेवाला II (पु०) 1 विद्वान 2 मत प्रकट करनेवाला प्रवास्य-सं० (वि०) 1 परदेश जाने योग्य 2 देश निकाले योग्य व्यक्ति, स्पोक्समैन
प्रवाह-सं० (पु०) 1 बहाव (जैसे-नदी का प्रवाह) 2 जल प्रवचन-सं० (पु०) 1 विशेष रूप से कहना, समझाना 2 वेद, आदि की धारा (जैसे-रक्त प्रवाह) 3 अटूट क्रम 4 विद्युत पुराण आदि का उपदेश करना 3 उपदेशपूर्ण भाषण। -कर्ता गति। पूर्ण (वि०) - प्रवाहमयः - संस्कार (पु०) (पु०) 1 प्रवक्ता 2 प्रवचन करनेवाला व्यक्ति; ~पटु (भस्मी) बहा देने की रस्म (वि०) उपदेश देने में कुशल
प्रवाहमय-सं० (वि०) बहता हुआ प्रवचनीय-सं० (वि०) प्रवंचन योग्य
प्रवाहित-सं० (वि०) 1 बहाया हुआ 2 बहता हुआ 3 प्रवाह प्रवण-1 सं० (वि०) 1 नत, झुका हआ 2 नम्र, विनीत 3 सच्चा | युक्त एवं स्पष्ट व्यवहारी, खरा 4 ढालुआँ 5 उदार एवं सहृदय | प्रविकट-सं० (वि०) अत्यंत विशाल 6 अनुकूल, मुआफिक II (प०) 1 ढलान 2 चौराहा । प्रविकीर्ण-सं० (वि०) छितराया हुआ
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प्रविख्यात
प्रविख्यात -सं० (वि० ) अत्यधिक प्रसिद्ध प्रविचय - सं० ( पु० ) 1 खोज, अनुसंधान 2 जाँच-पड़ताल प्रविचित-सं० (वि०) 1 खोजा हुआ 2 जाँचा हुआ प्रवितत - सं० (वि०) 1 फैला हुआ 2 बिखरा हुआ प्रविद्ध-सं० (वि०) 1 फेंका हुआ 2 विद्ध परिविद्रुत सं० (वि०) 1 तितर-बितर किया हुआ 2 भगाया
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हुआ
प्रविधान सं० (पु० ) व्यवस्था
प्रविधि - सं० (स्त्री०) 1 यंत्र निर्माण आदि क्षेत्र में कार्य करने की विशेष क्रियात्मक पारिभाषिक विधि 2 उक्त विधि द्वारा अर्जित कौशल पूर्ण दक्षता, कुशलता। शास्त्र (पु० ) तकनीकी विज्ञान; ज्ञ (पु०) प्रविधि का कुशल ज्ञाता प्रविधिक-सं० (वि०) तकनीकी, प्रौद्योगिकी प्रविध्वस्त-सं० (वि०) 1 क्षुब्ध 2 फेंका हुआ प्रविष्ट - सं० (वि०) 1 जिसका प्रवेश हो चुका हो, प्रवेश हुआ 2 अंदर पहुँचा हुआ
प्रविष्टि-सं० (स्त्री० ) 1 प्रवेश विवरण आदि लिखना 3 विवरण
प्रवीण-सं० (वि०) निपुण, कुशल । ~ता (स्त्री०) निपुणता, कौशल
प्रवीर-सं० (वि०) 1 योद्धा 2 अच्छा, उत्तम प्रवृत्त - सं० (वि०) 1 ग्रहण किया हुआ 2 कार्य आदि में लगा हुआ
प्रवृत्ति - सं० (स्त्री० ) 1 मन का झुकाव 2 आरंभ 3 प्रवाह, बहाव 4 आचार-व्यवहार 5 अध्यवसाय 6 इंद्रिय आदि का विषयों में निरत होना, सांसारिक आसक्ति प्रवृत्यात्मक-सं० (वि०) झुकाववाला प्रवृद्ध-सं० (वि०) 1 अतिशय वृद्धि को प्राप्त 2 प्रौढ़ 3 घमंडी 4 विस्तृत
प्रवेक्षण सं० (पु० ), प्रवेक्षा - (स्त्री०) प्रत्याशा प्रवेग - सं० ( पु० ) तीव्र गति, प्रबल वेग प्रवेश - सं० (पु० ) 1 अंदर जाना (जैसे- गृह प्रवेश) 2 संस्था आदि में प्रवेश, एडमिशन 3 विषय आदि की जानकारी, अभिज्ञता 4 भीतर जाने का रास्ता (जैसे- प्रवेश द्वार ) । ~कारी (वि०) 1 अंदर जानेवाला 2 प्रवेश करनेवाला 3 विषय को जाननेवाला; द्वार (पु० ) अंदर जाने का रास्ता; पत्र (पु० ) 1 प्रवेश करने हेतु दिया गया अनुमति पत्र, पास 2 टिकट परीक्षा (स्त्री०) प्रवेश के पूर्व ली जानेवाली परीक्षा; फ़ीस + अं० (स्त्री०) = प्रवेश शुल्क; ~ शुल्क (पु० ) संस्था आदि में प्रवेश करते समय दिया जानेवाला शुल्क
प्रवेशक - I सं० (वि०) प्रवेश करनेवाला II (पु०) नाटकों में दो अंकों के मध्य का एक अंक जिसमें निम्न पात्र द्वारा भावी कथांक की सूचना दी जाती है
प्रवेशार्थी-सं० (पु०) प्रवेश का इच्छुक व्यक्ति प्रवेशिका -सं० (स्त्री०) 1 प्रवेश पत्र 2 प्रवेश शुल्क प्रवेश्य-सं० (वि०) 1 प्रवेश योग्य 2 जिसका प्रवेश हो सके
प्रशिक्षणार्थी
प्रव्रजित - सं० (वि०) 1 जिसने संन्यास लिया हो 2 परदेश गया हुआ
प्रव्रज्या -सं० (स्त्री०) 1 विदेश गमन 2 संन्यास ग्रहण करना 3 देश निकाला। ग्रहण (पु० ) संन्यास लेना प्रशंसक - सं० (वि०) प्रशंसा करनेवाला प्रशंसन-सं० (पु० ) प्रशंसा करना, सराहना प्रशंसनीय सं० (वि०) प्रशंसा करने योग्य प्रशंसा - सं० (स्त्री०) 1 तारीफ़ 2 बड़ाई । पत्र (पु० ) स्तुति पत्र पूर्ण (वि०) प्रशंसा से भरा हुआ; ~युक्त (वि०) प्रशंसामय; ~ सूचक (वि०) प्रशंसापूर्ण प्रशंसात्मक-सं० (वि०) प्रशंसापूर्ण प्रशंसिका -सं० (स्त्री०) प्रशंसा करनेवाली स्त्री प्रशंसित सं० (वि०) प्रशंसा किया हुआ, सराहा हुआ प्रशंसी-सं० (वि०) = प्रशंसाकारी प्रशंसोक्ति-सं० (स्त्री०) प्रशंसात्मक कथन प्रशक्य-सं० (वि०) शक्ति के अनुरूप काम करनेवाला प्रशम, प्रशमन - I सं० (पु० ) 1 शांत करना 2 रोग, क्रोध
आदि दबाना 3 नाशन II ( वि०) शमन करनेवाला प्रशस्त - सं० (वि० ) 1 प्रशंसा किया हुआ 2 प्रशंसा योग्य 3 उत्तम, शुभ
प्रव्रजन - सं० ( पु० ) 1 एक जगह से दूसरी जगह जाना, माइग्रेशन 2 संन्यास लेना
=
प्रशस्य-सं० (वि०) 1 प्रशंसनीय, सराहनीय प्रशांत-सं० (वि०) 1 अत्यधिक शांत, स्थिर 2 निश्चल एवं शांत वृत्तिवाला । ~काम (वि०) पूर्ण इच्छावाला, संतुष्ट; ~ चित्त (वि०) शांत मनवाला; चेष्ट (वि०) जिसने प्रयत्न करना त्याग दिया हो प्रशांति-सं० (स्त्री०) 1 प्रशांत होने का भाव, शांति 2 शमन प्रशाख -सं० (वि०) अनेक शाखाओंवाला प्रशाखा - सं० (स्त्री०) 1 शाखा से निकली हुई शाखा 2 टहनी प्रशाखिका-सं० (स्त्री०) 1 छाया हुआ मंडप 2 छोटी डाल, टहनी
प्रशासक - सं० (पु० ) 1 शासन करनेवाला अधिकारी 2 नगर, संस्था आदि का प्रधान अधिकारी (जैसे-नगर प्रशासक ) प्रशासन-सं० (पु० ) 1 नगर, संस्था आदि के अधिकारों कर्तव्यों को कार्य रूप देना (जैसे- विद्यालय प्रशासन ) 2 शासन (जैसे- जिला प्रशासन) । तंत्र ( पु० ) प्रशासन प्रणाली सेवा (स्त्री०) प्रशासकीय सेवा प्रशासनाधिकारी - सं० (पु० ) = प्रशासक प्रशासनिक -सं० (वि०) प्रशासन संबंधी, एडमिनिस्टरेटिव (जैसे- प्रशासनिक भ्रष्टाचार ) प्रशासनीय सं० (वि०) प्रशासन का
प्रशासित -सं० (वि०) 1 जिसका प्रशासन हो 2 शासित किया हुआ
प्रशासी-सं० (वि०) = प्रशासनिक - प्रशिक्षक-सं० (पु० ) प्रशिक्षण देनेवाला प्रशिक्षण-सं० (पु० ) नियमित रूप से दी जानेवाली व्यावहारिक शिक्षा, ट्रेनिंग कार्यक्रम (पु० ) प्रशिक्षण संबंधी कार्य एवं योजना केंद्र (पु०) जहाँ प्रशिक्षण प्रदान किया जाए, ट्रेनिंग सेंटर ; ~ विद्यालय (पु० ) प्रशिक्षण संबंधी संस्था; शिविर, ~ स्थल (पु० ) = प्रशिक्षण केंद्र प्रशिक्षणार्थी - सं० (पु० ) प्रशिक्षण पाने की चाहवाला
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प्रशिक्षित
प्रशिक्षित - सं० (वि०) प्रशिक्षण प्राप्त, ट्रेंड
प्रशीत - सं० (वि०) 1 ठंड से जमा हुआ 2 अत्यधिक ठंडा प्रशीतक - I सं० (वि०) अत्यंत ठंडा रखनेवाला II ( पु० ) हिमिकर, रेफ्रिजरेटर
प्रशीतन सं० (पु० ) ठंडा रखना
प्रशुल्क - सं० (पु०) आयात और निर्यात पर लगनेवाला कर प्रशोषण-सं० (पु०) अच्छी तरह सोखना प्रश्न-सं० (पु० ) 1 सवाल (जैसे-गणित के प्रश्न) 2 पूछ-ताछ 3 पूछी जानेवाली बात 4 भविष्य संबंधी जिज्ञासा 5 विचारणीय विषय, समस्या । ~कर्ता प्रश्न पूछनेवाला व्यक्ति; ~ चिह्न (पु० ) प्रश्नात्मक वाक्यों के अंत में लगाया जानेवाला निशान (जैसे- आप वहाँ क्यों गए? ); पत्र (पु०) प्रश्न लिखा हुआ परचा (जैसे- गणित का प्रश्न पत्र); ~बोधक, वाचक, वाची, सूचक (वि०) प्रश्न की सूचना देनेवाला
प्रश्नात्मक सं० (वि०) प्रश्नों के रूप में होनेवाला प्रश्नावली - सं० (स्त्री०) 1 प्रश्नों की सूची 2 अधिकारिक रूप से विषय की जानकारी हेतु तैयार की गई प्रश्नों की सूची
प्रश्नी-सं० (वि०) प्रश्न करनेवाला
प्रश्नोत्तर - सं० ( पु० ) 1 प्रश्न और उसका उत्तर, सवाल और जवाब 2 पूछ-ताछ
प्रश्नोत्तरी -सं० (स्त्री०) प्रश्न एवं उत्तर का संग्रह प्रश्रय-सं० (पु० ) 1 आश्रय स्थान 2 आधार, टेक, सहारा 3 नम्रता, विनय
प्रश्रयी -सं० (वि०) 1 नम्र 2 भला आदमी 3 धीर, शांत 4 शिष्ट, सज्जन
प्रश्लिष्ट - सं० (वि०) 1 जुड़ा हुआ, सुसंबद्ध 2 युक्तियुक्त प्रश्लेष-सं० ( पु० ) 1 घनिष्ठ संबंध 2 व्या० स्वरों की संधि प्रश्वास - सं० ( पु० ) 1 साँस बाहर निकालना 2 बाहर निकली हुई प्रष्टा-सं० (पु० ) प्रश्न- कर्ता प्रष्ठ-सं० (वि०) 1 आगे-आगे चलनेवाला, अगुआ 2 श्रेष्ठ
=
3 प्रधान
प्रसंख्या-सं० (स्त्री०) अंकों का जोड़
प्रसंख्यान सं० (पु० ) 1 अंक जोड़ना 2 सत्य ज्ञान 3 ध्यान प्रसंग - सं० ( पु० ) 1 संबंध, लगाव 2 अनुराग, आसक्ति 3 वार्तालाप का पूर्व अंश, कानटेक्सट 4 प्रकरण 5 स्त्री-पुरुष संभोग
प्रसंगी - सं० (वि०) 1 प्रसंग युक्त 2 अनुरागी 3 सहवास करनेवाला
प्रसंगोचित - सं० (वि०) प्रसंग के अनुकूल
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प्रसंध-सं० (पु० ) बहुत बड़ा समूह प्रसंधान-सं० (पु० ) संधि, योग
प्रसक्त-सं० (वि०) 1 साथ लगा हुआ, संश्लिष्ट 2 सदा साथ रहनेवाला 3 संबंद्ध 4 आसक्त 5 प्रस्तावित प्रसक्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रसंग, संपर्क 2 आसक्ति 3 आपत्ति 4 अनुमिति 5 व्याप्ति
प्रसन्न - सं० (वि०) 1 खुश, हर्षित 2 संतुष्ट एवं प्रफुल्लित । ~ चित्त (वि०) प्रसन्न मनवाला; चेता (पु० ) प्रसन्न
प्रसार
व्यक्ति; ~सा (स्त्री०) खुशी, हर्ष; ~मुख (वि०) प्रसन्न दिखाई देनेवाला
प्रसन्नात्मा-सं० (वि०) सदा प्रसन्न रहनेवाला प्रसम-सं० (वि०) प्रसामान्य, नार्मल प्रसमा - सं० (स्त्री०) प्रसामान्यक, नार्म प्रसार-सं० (पु० ) 1 फैलाव, विस्तार 2 आगे बढ़ना 3 वेग, तेजी
4 प्रवाह
प्रसरण - सं० (पु० ) 1 फैलना 2 आगे बढ़ना 3 सेना का इधर-उधर घूमना
प्रसरणी -सं० (स्त्री०) 1 सेना द्वारा शत्रु को घेरना 2 प्रसरण प्रसारित - सं० (वि०) 1 फैला हुआ 2 बढ़ा हुआ 3 विस्तृत प्रसर्ग - सं० ( पु० ) 1 गिराना 2 फेंकना 3 अलग करना प्रसर्जन-सं० (पु० ) 1 गिराना 2 फेंकना 3 बरसाना प्रसर्पण - सं० (पु० ) 1 खिसकना 2 सेना का चारों ओर फैलना 3 घेरना 4 शरण स्थल
प्रसर्पी - सं० (वि०) 1 रेंगनेवाला 2 गतिशील
प्रसव - सं० ( पु० ) 1 बच्चा जनना, प्रसूति, डेलिवरी 2 जन्मा हुआ बच्चा 3 जन्म; ~काल (पु०) जन्म काल; ~कालीन (वि०) प्रसव काल संबंधी (जैसे- प्रसव कालीन छुट्टी); ~गृह (पु०) बच्चा जनने का घर, सौरी; बेदना (स्त्री०) प्रसव पीड़ा
प्रसवावकाश-सं० (पु० ) प्रसूति - छुट्टी
प्रसविता - I सं० (पु० ) पिता, जनक II (वि०) 1 जन्म देनेवाला 2 उत्पन्न करनेवाला
प्रसविनी - I सं० (वि०) जन्म देनेवाली II (स्त्री०) माँ, माता प्रसवोत्तरकाल-सं० (पु०) प्रसव के बाद का समय प्रसहन - I सं० (पु० ) 1 हिंसक पशु 2 सहनशीलता, क्षमा II ( वि० ) 1 हिंसक 2 सहनशील प्रसाद-सं० (पु० ) 1 अनुग्रह, कृपा 2 देवता को चढ़ाई गई वस्तु 3 ईश्वरीय कृपा 4 महात्मा एवं गुरु की जूठन 5 (साहि०) काव्य का विशेष रूप से सुबोध एवं सरल होना । ~दान (पु० ) प्रसन्न होकर दी गई वस्तु प्रसादक - I सं० (वि०) 1 कृपा करनेवाला 2 प्रसन्न करनेवाला II ( पु० ) 1 प्रसाद 2 देवधन
प्रसादन - I सं० (पु० ) 1 प्रसन्न रखना 2 अन्न II (बि० ) 1 प्रसन्न करनेवाला 2 सुख देनेवाला प्रसादमय - सं० (वि०) कृपापूर्ण प्रसादांत-सं० (वि०) जिसका अंत सुखमय हो, सुखांत प्रसादित-सं० (वि०) 1 आराधित 2 प्रसन्न किया हुआ प्रसादी - I सं० (वि०) 1 प्रसन्न करनेवाला 2 प्रेम उत्पन्न करनेवाला, प्रीतिकर II (स्त्री०) 1 नैवेद्य, प्रसाद 2 प्रसाद का अंश
प्रसाधक-सं० (वि०) प्रसाधन करनेवाला प्रसाधन-सं० (पु० ) 1 सजाना 2 सजावट की सामग्री, टॉयलेट 3 वेश-भूषा 4 कार्य का संपादन 5 परिष्कृत करने योग्य, ड्रेसिंग 6 सज्जा, उपस्कर, इक्विपमेंट प्रसाधित-सं० (वि०) 1 सजाया हुआ 2 सुसंपादित प्रसार-सं० (पु० ) 1 फैलाव 2 संचार 3 फैलने की सीमा । ~ क्षेत्र (पु० ) प्रसार की सीमा; ~वाद (पु०) अपनी सीमा बढ़ाते रहने का सिद्धांत; यादी (वि०) प्रसारवाद का
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प्रसारक
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प्रस्फोट
समर्थक; शक्ति (स्त्री०) प्रसार क्षमता
पर लिखकर छापने का कार्य, लीथोग्राफ; ~मूर्ति (स्त्री०) प्रसारक-सं० (वि०) फैलानेवाला
पत्थर की बनाई गई प्रतिमा; युग (पु०) पाषाण युग प्रसारण-सं० (पु०)1 फैला-1 2 बढ़ाना (जैसे-कार्य क्षेत्र का | प्रस्तरण-सं० (पु०) 1 फैलाना, बिछाना 2 बिछावन प्रसारण) 3 दूर-दूर तक फैलाना, ब्राडकास्टिंग | प्रस्तरीभूत-सं० (वि०) पत्थर की तरह बेकार (जैसे-आकाशवाणी प्रसारण केंद्र)
प्रस्तार-सं० (पु०) 1 फैलाव, विस्तार 2 अधिकता 3 बिछावन प्रसारिणी-सं० (वि०) प्रसार करनेवाली
बिस्तरा 4 घास-फूस आदि का बिछौना प्रसारित-सं० (वि०) 1 फैलाया हुआ 2 प्रसारण किया हुआ प्रस्ताव-सं० (पु०) 1 बात, प्रस्तावना, प्राक्कथन 2 शुरू, (जैसे-आकाशवाणी से प्रसारित समाचार)
आरंभ 3 विषय-चर्चा, बात 4 विषय, प्रकरण (जैसे-पाठ्य प्रसार्य-सं० (वि०) प्रसारण योग्य
पुस्तक का प्रस्ताव क्या है) 5 उपयुक्त समय, अवसर मौक प्रसाविका-सं० (स्त्री०) प्रसव करानेवाली दाई, धात्री, (जैसे-बिना प्रस्ताव बोलना उचित है) 6 उद्देश्य के विचारार्थ मिड-वाइफ
रखी गई बात, ऑफर, प्रोप्रोज़ल। ~कर्ता प्रस्ताव करनेवाल प्रसाह-सं० (पु०) 1 सयंम 2 पराजित करना, हराना व्यक्ति प्रसिद्ध-1 सं० (वि०) 1मशहर, ख्यात (जैसे-प्रसिद्ध इमारत, प्रस्तावक-सं० (वि०) प्रस्ताव करनेवाला प्रसिद्ध ग्रंथ) II (क्रि० वि०) साफ़-साफ़
प्रस्तावना-सं० (स्त्री०) 1 आरंभ 2 प्रस्ताव 3 विषय-चर्चा के प्रसिद्धि-सं० (स्त्री०) ख्याति, मशहरी
पूर्व का तसंबंधी आरंभिक संक्षिप्त कथन, भूमिका, प्रसुप्त-सं० (वि०) 1 गहरी नींद में सोया हआ, अंदर छिपा प्राक्कथन, इंट्रोडक्शन हुआ, प्रषुप्त (जैसे-प्रसुप्त कीटाणु)
प्रस्तावित-सं० (वि०) 1 प्रस्ताव रूप में रखा गया 2 आरंभ प्रसुप्ति-सं० (स्त्री०) 1 गाढ़ी नींद 2 सुषुप्ति
किया हुआ 3 कथित प्रसूत-I सं० (वि०) उत्पन्न II (पु०) प्रसव-काल में | प्रस्तुत-I सं० (वि.) 1 उपस्थित 2 विशेष रूप से स्तुत होनेवाला एक रोग
3 आरंभ किया हुआ, आरब्ध 4 अभिलाषित, इच्छित 5 तैयार प्रसूता-सं० (स्त्री०) नवजात शिशु की माँ (जैसे-शिशु एवं | II (पु०) 1 प्रकरण प्राप्त विषय 2 (साहि०) चल रही बात, प्रसूता की सुरक्षा)
चर्चा में प्रसंगवश अन्य बात का भी उल्लेख होना। कर्ता प्रसूति-सं० (स्त्री०) 1 शिशु को जन्म देना 2 उत्पत्ति 3 संतति (पु०) प्रस्तुत करनेवाला व्यक्ति 4 प्रसूता। ~गृह (पु०) बच्चा जनने का घर, सौरी; छुट्टी प्रस्तुति-सं० (स्त्री०) 1 प्रस्तुत होने की अवस्था 2 प्रशंसा, स्तुति + हिं० (स्त्री०) प्रसवाक्काश; ज (पु०) प्रसव-वेदना; __3 प्रस्तावना, भूमिका 4 उपस्थिति 5 तैयारी -ज्वर (पु०) चि० प्रसव के कुछ समय बाद होनेवाला | प्रस्तुतीकरण-सं० (पु०) प्रस्तुत करना बुखार; ~भवन (पु०) प्रसूति गृह; विज्ञान, विद्या प्रस्तोता-[ सं० (पु०) सामवेदी ऋत्विक् II (पु०) प्रस्ताव (स्त्री०), ~शास्त्र (पु०) गर्भवती, स्त्रियों को प्रसव कराने करनेवाला व्यक्ति, प्रस्तावक की कला का विवेचन करानेवाला शास्त्र
प्रस्थ-1 सं० (वि०) 1 प्रस्थान करनेवाला,कहीं जाकर रहनेवाला प्रसूतिका-सं० (स्त्री०) प्रसूता स्त्री
(जैसे-वानप्रस्थ) प्रसून-1 सं० (वि०) 1 जन्मा हुआ 2 उत्पन्न, पैदा II (पु०) प्रस्थान-सं० (पु०) 1 जाना, रवानगी 2 सेना का युद्ध क्षेत्र में फूल, पुष्प
जाना, कूच 3 गमन (जैसे-शुभ मुहर्त में प्रस्थान करना) प्रसृत-I सं० (वि०) 1 फैला हुआ 2 बढ़ा हुआ 3 विनीत 4मरण, मरना 5 रास्ता मार्ग । संसार से प्रस्थान करना मर 4 संलग्न 5 प्रचलित II (पु०) अर्धांजलि
जाना, स्वर्गवास प्रसृति-सं० (स्त्री०) 1 फैलाव, प्रसार 2 फैलाई हुई अंजलि प्रस्थापन-सं० (पु.) 1 प्रस्थान करना, भेजना 2 प्रेरणा प्रसृष्ट-सं० (वि०) त्यागा हुआ, परित्यक्त
3 स्थापना 4 प्रतिष्ठित करना 5 व्यवहार करना 6 संस्थापन प्रसेक-सं० (पु०) 1सींचना 2 निचोड़ना 3 निचोड़ने पर प्रस्थापना-सं० (स्त्री०) 1 भेजना, प्रेषण 2 प्रस्ताव लाना निकलनेवाला तरल पदार्थ 4 छिड़काव 5 रसना
3 प्रस्तुत करना प्रसेकी-I सं० (वि०) बहनेवाला II (पु०) एक तरह का प्रस्थापित-सं० (वि०) 1 प्रस्थापन किया गया 2 भेजा हुआ, असाध्य घाव, व्रण
प्रेषित प्रसेव-सं० (पु०) 1बीन की तूंबी 2 थैली
प्रस्थित-सं० (वि०) 1 प्रस्थान किया हआ 2 स्थित 3 प्रेषित प्रसेवक-सं० (पु०) 1थैलियाँ बनानेवाला व्यक्ति 2 प्रसेव | प्रस्थिति-सं० (स्त्री०) 1 प्रस्थित होने की अवस्था 2 प्रस्थान, प्रस्कंदन-सं० (पु०) 1कूदकर लाँघना 2 छलाँग
गमन प्रस्कन-I सं० (वि०) 1गिरा हुआ, पतित 2 पराजित | प्रस्फुट-सं० (वि०) 1 खिला हुआ, विकसित, स्पष्ट, प्रकट
II (पु०) 1 जाति-च्युत व्यक्ति 2 पापी 3 घोड़े का एक रोग | प्रस्फुटन-सं० (पु०) 1 खिलना 2 व्यक्त होना, प्रकट होना प्रस्वालन-सं० (पु०) पतन, गिरना
प्रस्फुटित-सं० (वि०) 1 खिला हुआ, विकसित 2 प्रकट हई प्रस्तर-सं० (पु०) पत्थर। ~अंकन (पु०) पत्थर पर अंकित | प्रस्फुरण-सं० (पु०) 1काँपना 2 फैलना 3 चमकना 4 स्पष्ट करना; कला (स्त्री०) पत्थर को काट-छाँट एवं गढकर | होना उनकी विशेष आकृति बनाने की कला; - कार (पु०) पत्थर | प्रस्फुरित-सं० (दि०) काँपता हआ पर काम करनेवाला; ~मुद्रण (पु०) विशेष प्रकार के पत्थर | प्रस्फोट-सं० (पु०) फूटकर बाहर निकलना
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प्रस्फोटक
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प्राक्कथन
प्रस्फोटक-I सं० (वि०) प्रस्फोट करनेवाला II (पु०) प्रहष्ट-सं० (वि०) अत्यंत प्रसन्न, आह्लादित। -चित्त (वि०)
प्रस्फोट करनेवाली वस्तु, उपकरण आदि (जैसे-प्रस्फोटक प्रसन्न मनवाला पदार्थ)
प्रहेलिका-सं० (स्त्री०) पहेली प्रस्फोटन-सं० (पु०) 1 प्रस्फोट करना 2 अचानक फूटना प्रहेली-सं० (स्त्री०) 1 कूट प्रश्न 2 बुझौवल 3 विकसित करना
प्रहाद-सं० (पु०) 1 हिरण्यकशिपु का पुत्र 2 आनंद प्रस्मृत-सं० (वि०) भूला हुआ, विस्मृति
प्रहादक-सं० (वि०) प्रसन्न करनेवाला प्रस्मृति-सं० (स्त्री०) भूलना, विस्मृत
प्रह्लादन-सं० (पु०) प्रसन्न करना प्रस्त्रव-सं० (पु०) 1 धारा रूप में बहना, लगातार चूना | प्रहादित-सं० (वि०) प्रसन्न 2 बहनेवाली धारा, प्रवाह 3 स्तन से निकलता दूध 4 झरना, - प्रागंण-सं० (पु०) आँगन प्रपात 5 आँसू
प्रांजल-सं० (वि०) 1 सरल एवं स्पष्ट (जैसे-प्रांजल भाषा) प्रस्रवण-सं० (पु०) 1 बहना, चूना 2 पसीना, प्रस्वेद 3 सोता, 2 सच्चा 3 साफ़, स्वच्छ झरना 4 स्तन से दूध निकलना
प्रांजलि-I सं० (वि०) अंजलिबद्ध II (स्त्री०) 1 अंजलि प्रस्त्राव-सं० (पु०) = प्रस्रव
2 अंजलि मुद्रा प्रविन्न-सं० (वि०) पसीने से तर
प्रांत-सं० (पु०) 1 प्रशासनिक इकाई (जैसे-उत्तर-प्रदेश भारत प्रस्वेद-सं० (पु०) पसीना
का एक प्रांत है) 2 अंत, सीमा 3 छोर, सिरा 4 तरफ़, दिशा प्रस्वेदक-I सं० (वि०) पसीना उत्पन्न करनेवाला II (पु०) (जैसे-दक्षिणी प्रांत को जाना)। ~पति (पु०) प्रांत का पसीना लानेवाली दवा
स्वामी; ~वाद (पु०) प्रांतीयता प्रस्वेदित-सं० (वि०) 1 पसीने से भीगा हुआ 2 पसीना | प्रांतर-सं० (१०) 1 दो प्रदेशों के बीच का स्थान 2 निर्जन पथ लानेवाला
3 दो गाँवों के बीच की ज़मीन प्रस्वेदी-सं० (वि०) पसीने से तर-बतर, पसीने से लथ-पथ | प्रांतिक-सं० (वि०) प्रांत का प्रहत-I सं० (वि०) मारा हुआ, हत II (पु०) आघात, प्रहार प्रांतीय-सं० (वि०) प्रांत संबंधी। ~ता (स्त्री०) 1 प्रांतीय प्रहति-सं० (स्त्री०) 1 प्रहत होने की अवस्था 2 प्रहार, चोट होने की अवस्था 2 प्रांत के प्रति होनेवाला पक्षपात, मोह, प्रहर-सं० (पु०) = पहर
प्राविंशलिज्म प्रहरक-सं० (पु०) = प्रहरी
प्राइम-मिनिस्टर-अं० (पु०) प्रधान मंत्री प्रहरण-सं० (पु०) 1 छीनना 2 प्रहार, आघात 3 आक्रमण प्राइमर-अं० (पु०) वर्णमाला सिखानेवाली प्रारंभिक पुस्तक, 4 परित्याग 5 अस्त्र
पहली किताब प्रहरी-सं० (पु०) 1 पहरेदार (जैसे-प्रहरी युद्ध पोत) प्राइमरी-अं० (वि०) 1 प्राइमर संबंधी 2 आरंभिक 3 प्राथमिक 2 समय-समय पर घंटा बजानेवाला कर्मचारी
(जैसे-प्राइमरी पाठशाला) प्रहर्ता-सं० (पु०) 1 प्रहार करनेवाला व्यक्ति 2 योद्धा प्राइमस-चूल्हा-अं० + हिं० (पु०) एक तरह का स्टोव प्रहर्ष-स० (पु०) 1 अत्यधिक प्रसन्नता 2 हर्षजन्य रोमांच प्राइवेट-अं० (वि०) 1निज का (जैसे-प्राइवेट सेक्रेटरी) प्रहर्षण-सं० (पु०) 1 हर्षित करना 2 प्रसन्नता 3 साहि० एक 2 आपसी (जैसे-प्राइवेट बात) 3 गैर-सरकारी (जैसे-प्राइवेट तरह का गौण अर्थालंकार जिसमें अनायास आशातिरेक फल नौकरी) प्राप्ति की स्थिति का उल्लेख मिलता है
प्राक-I सं० (क्रि० वि०) 1 सामने 2 पहले 3 पिछले भाग में प्रहर्षित-सं० (वि०) प्रहर्ष प्राप्त
___ II (वि०) पुराना III (पु०) पूर्व दिशा, पूरब प्रहसन-सं० (पु०) 1 प्रसन्नतापूर्वक हँसना 2 परिहास, दिल्लगी प्राकट्य-सं० (पु०) प्रकटता 3 भाण की तरह का हास्य रस प्रधान रूपक
प्राकार-सं० (पु०) 1 चहारदीवारी 2 घेरा; ~युक्त, प्रहसित-I सं० (पु०) जोर की हँसी, ठहाका II (वि०) हँसता ~वेष्टित (वि०) चहारदीवारी से घेरा हुआ
प्राकाश्य-सं० (पु०) 1 प्रकाशित होने की अवस्था 2 प्रकटता प्रहार-सं० (पु०) 1 आक्रमण, वार 2 चोट, आघात प्राकृत-I सं० (वि०) 1 प्राकृति का 2 प्रकृति से उत्पन्न, प्रहारक-सं० (वि०) प्रहार करनेवाला
नैसर्गिक 3 लौकिक, सांसारिक 4 स्वाभाविक 5 साधारण, प्रहारात-1 सं० (वि०) हत, आहत II (पु०) 1 प्रहार से हुआ मामूली 6 अशिक्षित II (स्त्री०) 1 संस्कृत के नाटकों में घाव 2 उक्त घाव से उत्पन्न पीड़ा, दर्द
प्रयुक्त प्राचीन भाषा 2 प्रांत की बोली (जैसे-प्राकृत-भाषा)। प्रहारी-सं० (वि०) प्रहार करनेवाला
ज प्राकृत से उत्पन्न; ~वाद (पु०) = प्रकृतिवाद; प्रहारुक-सं० (वि०) हरण करनेवाला ।
~वादी (वि०) = प्रकृतिवादी प्रहास-सं० (पु०) 1 प्रहसन, हँसी 2 अट्टहास 3 नट प्राकृतिक-सं० (वि०) 1 प्रकृति से उत्पन्न, नैसर्गिक 2 प्रकृति प्रहासी-सं० (वि०) ज़ोर से हँसानेवाला, मसखरा
संबंधी 3 लौकिक, सांसारिक 4 प्रकृति (जैसे-आमिष पशुओं प्रहित-सं० (वि०) 1 भेजा हुआ, प्रेरित 2 फेंका हुआ का प्राकृतिक भोजन है) 5 साधारण, सामान्य 3निष्कासित
प्राकृतीभूत-सं० (वि०) जो प्राकृतिक अवस्था में हो गया हो प्रहत-I सं० (वि०) 1 फेंका हुआ 2 चलाया हुआ 3 मारा हुआ प्राक्कथन-सं० (पु०) 1 प्रस्तावना 2 पहले कही गई II (पु०) मार, प्रहार
बात
हुआ
न
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प्राक्कर्म
प्रावकर्म -सं० (पु० ) 1 पहले किया जानेवाला काम 2 पूर्व जन्म के कर्म 3 भाग्य
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प्राक्कलन - सं० (पु० ) पहले से की जानेवाली गणना, अनुमान आदि, एस्टिमेशन
प्राक्कलित -सं० (वि०) पूर्वानुमानित प्रावकाल-सं० (वि०) पहले का युग प्रावकालीन-सं० (वि०) पूर्व युग का प्रावकृत-सं० (वि०) पहले किया हुआ प्राक्षेपिक-सं० (वि०) प्रक्षेप संबंधी प्राक्षेपिकी-सं० (स्त्री०) प्रक्षेप विज्ञान प्राक्सी-अं० (स्त्री०) 1 प्रतिपत्र 2 प्रतिपत्री प्राखर्य-सं० (पु० ) प्रखरता, प्रचंडता प्रागतिक-सं० (वि०) प्रगति संबंधी प्रागनुराग-सं० ( पु० ) पूर्वानुराग
प्रागल्भ्य-सं० (पु० ) 1 प्रगल्पता 2 साहस 3 दक्षता 4 प्रबलता 5 वाग्मिता
प्रागैतिहासिक-सं० (वि०) लिखित इतिहास से पहले का,
प्री-हिस्टॉरिक
प्राग्भव-सं० (पु० ) पूर्व - जन्म
प्राग्भाग-सं० ( पु० ) आगे का भाग
प्राग्वैदिक-सं० (वि०) वेद कालीन के पहले का प्राचंड्य-सं० (पु० ) = प्रचंडता प्राचल-सं० (पु० ) पैरामीटर
प्राचार्य - सं० (पु० ) प्रधानाचार्य प्राची-सं० (स्त्री०) पूरब
प्राचीन-सं० (वि०) 1 पुराना 2 पूरब का । ~कालिक, ~कालीन (वि०) पुराने समय का; ता (स्त्री०) पुरानापन ~ता-वाद (पु०) प्राचीन संस्कृति को श्रेष्ठ मानने का सिद्धांत; ता-वादी (वि०) प्राचीनता वाद का समर्थक प्राचीनतम सं० (वि०) पुराने से पुराना प्राचीनावीत-सं० (पु०) दाहिने कंधे पर से धारण किया हुआ यज्ञोपवीत
प्राचीर-सं० (पु०) चहारदीवारी, प्राकार प्राचुर्य - सं० (पु० ) प्रचुरता, आधिक्य (जैसे-प्राचुर्य धनराशि ) प्राच्य - I सं० (वि०) 1 पुराना, प्राचीन 2 पूरब का पूरबी (जैसे-प्राच्य सभ्यता) II (पु०) 1 पूर्वी भूभाग 2 पूर्वी देश । ~ विज्ञान (पु० ) प्राचीन देश की सभ्यता, विज्ञान एवं साहित्य आदि; ~ विज्ञानी (पु० ) प्राच्य विज्ञान का ज्ञाता; ~ विद्या ( स्त्री०) प्राच्य देशों की भाषा, धर्म, इतिहास, साहित्य का विवेचन करनेवाला पुरातत्त्व का अंग; वेत्ता (पु० ) = प्राच्य विज्ञानी, ओरिएंटलिस्ट ; ~ संस्थान (पु० ) प्राच्य विज्ञान एवं विद्या का अध्ययन करानेवाली संस्था प्राज्ञ - I सं० (वि०) 1 बुद्धिमान 2 चतुर, दक्ष II ( पु० ) 1 विद्वान व्यक्ति 2 चतुर व्यक्ति । मानी (वि०) अपने को बहुत बुद्धिमान माननेवाला
प्राज्ञी-सं० (स्त्री०) 1 बुद्धिमती स्त्री 2 बुद्धि प्राज्य-सं० (वि०) 1 अधिक, प्रचुर 2 विशाल, ऊँचा प्राटीन-अं० (पु०) = प्रोटीन
प्राण-सं० ( पु० ) 1 साँस, श्वास 2 जीवनी शक्ति, जान, लाइफ 3 साँस के अंदर-बाहर आने-जानेवाली हवा, वायु
प्राणन
4 प्राण के समान प्रिय (जैसे- प्राण-प्रिया, प्राण-नाथ) । ~कष्ट (पु०) मरते समय होनेवाला कष्ट, मरण काल की वेदना, यातना; घात (पु०) मार डालना, मारण; घातक (वि०) 1 प्राण लेनेवाला (जैसे-प्राण घातक विष) 2 मार डालनेवाला; घाती (पु०) जानलेवा; त्याग (पु०) मर जाना, मृत्यु दंड (पु०) मृत्यु दंड; दाता (वि०) प्राण की रक्षा करनेवाला, प्राण रक्षक; दात्री (स्त्री०) प्राण देनेवाली; दान (पु० ) 1 जीवनदान 2 प्राण की रक्षा करना 3 प्राण युक्त करना; दायी (वि०) प्राण देनेवाला; द्रोह (पु०) प्राण लेने हेतु किया जानेवाला दुस्साहस; ~ धन (पु० ) प्रियतम, प्राणप्रिय, प्राणनाथ; ~धारी I (वि०) प्राण धारण करनेवाला, प्राणयुक्त II (पु०) जीव, प्राणी; ~ ध्वनि (स्त्री०) व्या० शब्दों के उच्चारण में मुँह से निकलनेवाली ऐसी ध्वनि जिसमें स्वर के उच्चारण पूर्व श्वास पर कुछ अधिक ज़ोर पड़ता है (जैसे- 'ए' के उच्चारण में प्राण ध्वनि लगने पर हे का उच्चारण होना); ~नाथ (पु० ) = प्राण पति; नाश (पु० ) 1 मृत्यु 2 हत्या; नाशक (वि०) = प्राण घातक; पखेरु + हिं० (पु० ) प्राण रूपी पक्षी, आत्मा; पण (पु० ) जान की बाज़ी; पति (पु० ) 1 प्राण नाथ 2 आत्मा 3 वैद्य; परिक्रय (पु० ) प्राण की बाज़ी लगाना; प्रतिष्ठा (स्त्री०) 1 मंत्र द्वारा देवता का उसकी प्रतिमा में निवास कराना 2 प्राण- युक्त करना, सजीव बनाना; प्रद (वि०) 1 प्राण देनेवाला, प्राणदायक 2 प्राण की रक्षा करनेवाला; प्रिय 1 (वि०) प्राण के समान प्रिय II ( पु० ) अत्यंत प्रिय व्यक्ति 2 प्रियतम, पति, स्वामी यात्रा (स्त्री०) 1 श्वास-प्रश्वास क्रिया 2 जीवन-निर्वाह; रक्षा (स्त्री०) जान की रक्षा; ~ वायु (पु० ) प्राण, श्वास, आक्सीजन संकट (पु० ) जान जाने का भय; ~ संचार (पु०) जान में जान डालना; ~संदेह (पु० ) प्राण संकट; संयम (पु० ) = प्राणायाम ~संशय (पु० ) = प्राण-संकट; ~ स्वरूप (वि०) अत्यंत प्रिय, बहुत प्यारा; हंता (पु०) प्राण- घाती; हर I (वि०) प्राण लेनेवाला II ( पु० ) प्राण लेनेवाला पदार्थ; ~हरण (पु० ) = प्राण-घात; हारी (वि०) = प्राण-हर; हीन (वि०) निर्जीव आना भय कम होना; ~ उड़ जाना 1 बदहवास हो जाना 2 बहुत अधिक घबरा जाना 3 अत्यंत डर जाना; गले तक आना मरणासन्न होना; छूटना, जाना, निकलना देहावसान होना, मरना छोड़ना, त्यागना मरना; डालना जीवन संचार करना, सजीव बनाना; देना 1 मरना 2 अत्यधिक कष्ट पाना 3 अत्यंत प्यार करना (जैसे- प्रेमी के लिए प्राण देना ); ~बचाना 1 जान-बचाना 2 पिंड छुड़ाना; मुँह को आना दुःख से बहुत परेशान, बेचैन होना; मुट्ठी में लिए रहना हथेली पर लिए रहना मरने को तैयार रहना; रखना जिलाना; ~लेना मार डालना; ~ हरना जान से ख़त्म करना;
=
हारना हतोत्साह होना; से हाथ धोना मर जाना; प्राणों पर आ पड़ना जान जोख़िम में होना; प्राणों में प्राण आना भय कम होना
प्राणकर-सं० (वि०) शक्ति बढ़ानेवाला, पौष्टिक प्राणन-सं० (वि०) = प्राण घातक
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प्राणछेद
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प्राधनिक
प्राणछेद-सं० (पु०) = प्राण-घात
सबेरे का स्नान; ~स्मरण (पु०) सबेरे देवता, ईश्वर से प्राणद-सं० (वि०) 1 प्राण-दाता 2 प्राण की रक्षा करनेवाला संबंधित किया जानेवाला भजन-पाठ; ~स्मरणीय (वि०) 3 प्राण-शक्ति बढ़ानेवाला
प्रातः स्मरण योग्य प्राणमय-सं० (वि०) प्राण युक्त
प्रातराश-सं० (पु०) प्रातः काल का जलपान, कलेवा प्राणवत्ता-सं० (स्त्री०) जीवित होने की अवस्था
प्रातभोजन-सं० (पु०) सबेरे का भोजन । प्राणवान्–सं० (वि०) जीवित, सप्राण
प्रातिकूल्य-सं० (पु०) प्रतिकूल होने की अवस्था प्राणांत-सं० (पु०) मृत्यु
प्रातिदैवसिक-सं० (वि०) नित्य होनेवाला, दैनिक प्राणांतक-सं० (वि०) 1 जान लेनेवाला, घातक 2 मरने प्रातिनिधिक-1 सं० 1 प्रतिनिधि का 2 प्रतिनिधि रूप में का-सा दुःख देनेवाला (जैसे-प्राणांतक परिश्रम)
होनेवाला II (पु०) 1 प्रतिनिधि 2 स्थानापन्न प्राणाघात-सं० (पु०) = प्राण-घात
प्रातिपक्ष्य-सं० (पु०) 1 विरोध, प्रतिकूलता 2 शत्रुता प्राणात्यय-सं० (पु०) - प्राणांत
प्रातिपथिक-I सं० (वि०) यात्रा करनेवाला II (पु०) यात्री प्राणाधार-सं० (पु०) = प्राण-पति
प्रातिपद-सं० (वि०) 1 प्रतिपदा संबंधी 2 प्रतिपदा के दिन प्राणान्वित-सं० (वि०) प्राण युक्त, जीवित
होनेवाला 3 आरंभिक प्राणाबाध-सं० (पु०) प्राण जाने की आशंका
प्रातिपदिक-सं० (पु०) धातु शब्द, मृल और रूढ़ प्राणायाम-सं० (पु०) 1 प्राण को अपने वश में करना शब्द 2 श्वास-प्रश्वास की गति का नियमन
प्रातिभ-[सं० (वि०) 1 प्रतिभा संबंधी, प्रतिभा का 2 प्रतिभा प्राणार्पण-सं० (पु०) जान दे देना
से उद्भूत II (पु०) प्रतिभा संपन्न व्यक्ति प्राणाशय-सं० (पु०) प्राण-शक्ति
प्रातिभासिक-सं० (वि०) 1 भ्रममूलक अस्तित्ववाला, प्राणिक-[ सं० (वि०) 1 प्राण संबंधी, प्राण का 2 बिना शोर । अवास्तविक, अव्यवहारिक मचाए बोलनेवाला II (वि०) जीव-धारियों से संबंध प्रातिरूपिक-सं० (वि०) उसी रूप का, नकली रखनेवाला, प्राणियों का
प्रातिलोमिक-सं० (वि०) 1 प्रतिकूल, विरुद्ध 2 प्रतिलोम प्राणिज-सं० (वि०) प्राणी से उत्पन्न
संबंधी 3 अप्रिय, अरुचिकर प्राणि-जात-(पु०) = प्राणी-जगत्
प्रातिलोम्य-सं० (पु०) प्रतिलोम होने की अवस्था प्राणित-सं० (वि०) प्राण-शक्ति से युक्त
प्रातिस्विक-सं० (वि०) 1 अपना-अपना, प्रत्येक का 2 निजी प्राणि-भूगोल-सं० (पु०) जलवायु एवं प्राणि संबंधी विज्ञान प्रातीतिक-सं० (वि०) 1 प्रतीति करानेवाला 2 काल्पनिक प्राणि-मंडल-सं० (पु०) जीव मंडल, बायोस्फीयर प्रात्यहिक-सं० (वि०) प्रतिदिन का, दैनिक प्राणि-मात्र-सं० (पु०) प्राणी-जगत्
प्राथमिक-सं० (वि०) 1 शुरू का, आरंभिक (जैसे-प्राथमिक प्राणि-रसायन-सं० (पु०) जीव रसायन
पाठशाला) 2 शुरू में, पहले-पहल होनेवाला (जैसे-प्राथमिक प्राणि-वाचक-सं० (वि०) सजीव पदार्थ का बोध करानेवाला उपचार)। ~ता (स्त्री०) प्राथमिक अवस्था 2 प्रथमता, प्राणि-विज्ञ-सं० (पु०) = प्राणि-शास्त्री
वरीयता प्राणि-विज्ञान-सं० (पु०) = प्राणि-शास्त्र
प्राथम्य-सं० (पु०) = प्राथमिकता प्राणि-विद्या-सं० (स्त्री०) प्राणि संबंधी विज्ञान
प्रादार्शनिक-सं० (वि०) 1 प्रदर्शन संबंधी 2 प्रदर्शनात्मक प्राणिशाला-सं० (स्त्री०) = प्राणि उद्यान
प्रादुर्भाव-सं० (पु०) 1 प्रकट होना 2 उत्पत्ति 3 अस्तित्व ग्रहण, प्राणि-शास्त्र-सं० (पु०) प्राणियों की जाति, वर्ग भेद आदि का पनपना 4 विकास अध्ययन करानेवाला विज्ञान, जूलॉजी
प्रादुर्भूत-सं० (वि०) 1 प्रकट हुआ 2 उत्पन्न 3 विकसित प्राणि-शास्त्री-सं० (पु०) प्राणिशास्त्र का ज्ञाता
4 अस्तित्व में आया हुआ। ~मनोभवा (स्त्री०) एक प्रकार प्राणि-शास्त्रीय सं० (वि०) प्राणि-शास्त्र से संबंध रखनेवाला की मध्या नायिका प्राणि-संसार-सं० (पु०) = प्राणी-जगत्
प्रादुष्करण-सं० (पु०) 1 प्रकट करना 2 उत्पन्न करना प्राणी-I सं० (वि०) प्राण-धारी, जीव-धारी II (पु०) 1 प्राण 3 अस्तित्व में लाना युक्त शरीर 2 मनुष्य, व्यक्ति। -जगत् (पु०) जीव जगत्, प्रादुष्कृत-सं० (वि०) 1 प्रकट किया हुआ 2 उत्पन्न किया हुआ जीव जंतु आदि; विज्ञान (पु०) = प्राणि-शास्त्र; __ 3 अस्तित्व में लाया हुआ विज्ञानी (पु०) = प्राणि-शास्त्री
प्रादेश-सं० (पु०) 1 प्रदेश 2 जगह, स्थान 3 अंगूठे के सिरे से प्राणेश-सं० (पु०) प्राण-पति
तर्जनी के सिरे तक की दूरी प्राणेश्वर-सं० (पु०) 1 पति, स्वामी 2 परम प्रिय व्यक्ति प्रादेशात्मक-सं० (वि०) प्रादेशानुसार होनेवाला प्राणोत्सर्ग-सं० (पु०) मृत्यु
प्रादेशिक सं० (वि०) 1 प्रदेश संबंधी (जैसे-प्रादेशिक भाषा) प्राणोपहार-सं० (पु०) प्राणों का बलिदान
2 प्रदेश के भीतरी भागों से संबंध रखनेवाला (जैसे-प्रादेशिक प्रातः-I सं० (पु०) सबेरा, तड़का II (क्रि० वि०), सबेरे, सेना)। ~ता (स्त्री०) प्रांतीयता तड़के। (पु०) प्रातः काल किया जानेवाला काम; ~काल | | प्रादेशी-सं० (वि०) एक प्रादेश की लंबाई का (पु०) सबेरे का समय, प्रभात; ~कालीन (वि०) प्रातः | प्राधनिक-सं० (पु०) 1 विनाशकारी अस्त्र 2 युद्ध के काल का; क्रिया (स्त्री०) = प्रातः कर्म; स्नान (पु०) | अस्त्र-शस्त्र आदि उपकरण
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प्राधानिक
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प्रायोजना
योग्य
प्राधानिक-सं० (वि०) 1 प्रधान संबंधित (जैसे-प्राधानिक प्राप्यक-सं० (पु०) 1 ऐसा पत्र जिसमें प्राप्य धन का ब्योरा हो, शासन) 2 उत्तम, श्रेष्ठ 3 सुख्यात
विपत्र 2 बीजक। ~समाहर्ता (पु०) प्राप्यक की शेष रकम प्राधान्य-सं० (पु०) 1 प्रधान होने की अवस्था 2 श्रेष्ठता, उगाहने का काम करनेवाला अधिकारी, बिल कलक्टर उत्तमता
प्राबल्य-सं० (पु०) प्रबलता, प्रधानता प्राधिकरण-सं० (पु०) 1 प्राधिकार देना 2 प्राधिकारी का प्राभातिक-I सं० (वि०) 1 प्रभात में होनेवाला 2 प्रभात अधिकार
संबंधी (पु०) प्रभात में गाया जानेवाला गीत प्राधिकार-सं० (पु०) 1 आदेश देने का अधिकार | प्राभाविक-सं० (वि०) प्रभाव उत्पन्न करनेवाला
2 पदाधिकारी को पद के कारण प्राप्त विशेष अधिकार प्राभिकर्ता-सं० (पु०) विधि विहित अधिकार प्राप्त व्यक्ति प्राधिकारी-सं० (पु०) अधिकार प्राप्त व्यक्ति प्राभियोक्ता-सं० (पु०) विरोध में मामला चलानेवाला, (जैसे-प्राधिकारी-वर्ग)
प्रॉसीक्यूटर प्राधिकृत-सं० (वि०) 1विधिविहित अधिकार प्राप्त प्राभियोजक-सं० (पु०) विरोध में अभियोग चलानेवाला (जैसे-प्राधिकृत अभिकर्ता) 2 जिसके लिए अधिकार प्राप्त हो प्राभियोजन-सं० (पु०) विरोध में अभियोग चलाना, (जैसे-प्राधिकृत-पूँजी)
प्रॉसीक्यूशन प्राधिदत्त-सं० (वि०) अधिकारपूर्वक दिया हुआ
प्राभृत-सं० (पु०) 1 उपहार, भेंट 2 नज़राना प्राधीत-सं० (वि०) प्रकृष्ट रूप से शिक्षित
प्राभृतक-सं० (पु०) नज़र, रिश्वत प्राध्यापक-सं० (पु०) महाविद्यालय का अध्यापक, प्रोफेसर । प्रामाणिक-सं० (वि०) 1 प्रमाण द्वारा सिद्ध 2 प्रमाण स्वरूप ~पीठ (पु०)
माना जानेवाला 3 सत्य, ठीक 4 सभी जगह ठीक माना प्राध्यापन-सं० (पु०) उच्च श्रेणी के विद्यार्थियों को पढ़ाना. जानेवाला 5 शास्त्र आदि से प्रमाणित (जैसे-रामायण एक प्राध्व-[सं० (पु०) 1 बहुत लंबा रास्ता 2 सवारी II (वि.) प्रामाणिक ग्रंथ है)। ता (स्त्री०) प्रामाणिक होने की स्थिति बहुत दूर
प्रामाण्य-सं० (पु०) 1 प्रमाण 2 प्रमाणत्व 3 विश्वसनीयता प्रापक-सं० (वि०) 1 प्राप्ति संबंधी 2 प्राप्त होनेवाला प्रामादिक-सं० (वि०) प्रमादवाला, प्रमाद जनित प्रापण-सं० (पु०) 1 प्राप्त करना 2 पहुँचाना
प्रामाद्य-सं० (पु०) 1 नशा, उन्माद 2 लापरवाही प्रापणिक-सं० (पु०) व्यापारी
प्रामिसरी-नोट-अं० (पु०) प्रोनोट, रुक्का प्रापणीय-सं० (वि०) 1 प्राप्त करने योग्य, प्राप्य 2 पहुँचाने | प्रामुख्य-सं० (पु०) प्रधानता, प्रमुखता
प्रायः-सं० (क्रि० वि०) 1 अक्सर 2 करीब-करीब, लगभग प्रापयिता-सं० (पु०) = प्राप्ति-कर्ता
3 जल्दी-जल्दी प्रापी-सं० (वि०) 1 प्राप्त करनेवाला 2 पहँचानेवाला प्राय-I सं० (वि०) 1समान, अनुरूप (जैसे-नष्ट-प्राय, प्राप्त-सं० (वि०) 1 पाया हुआ, हस्तगत 2 उपस्थित 3 अनुभूत मृत-प्राय) 2 भरा हुआ (जैसे-कष्ट-प्राय, जल-प्राय) II हुआ (जैसे-सुख-प्राप्त)। -काल I (पु०) 1 उचित समय (पु०) 1 मृत्यु, मौत 2 अनशन मृत्यु। ~गत (वि०) 2 मृत्यु का समय II (वि०) समयोचित; जीवन (वि०) मरणासन्न जीवन युक्त; दोष (वि०) सदोष, दोषमय; बीज प्रायण-सं० (पु०) 1 एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना, प्रयाण (वि०) बोया हुआ; -बुद्धि (वि०)1 होश में आया हुआ 2 धारण करना 3 दूसरा जन्म 4 अनशन करके मरना 2 बुद्धिमान; ल्यौवन (वि०) जवानी-प्राप्त; ~रूप 5 अनशन समाप्ति पर किया गया जलपान, भोजन (वि०) 1 सुंदर 2 आकर्षक, मनोहर 3 विद्वान
प्रायणीय-I सं० (पु०) 1 आरंभिक कृत्य 2 सोमयाग का प्राप्तव्य-सं० (वि०) प्राप्त करने योग्य
पहला दिन II (वि०) आरंभिक (जैसे-प्रायणीय कर्म) प्राप्तांक-सं० (पु०) मिले हुए अंक (नंबर)
प्रायद्वीप-सं० (पु०) तीन ओर से समुद्र से घिरा भू-भाग, प्राप्ताधिकार-सं० (पु०) विशेषाधिकार
पेनिशुला प्राप्तानुज्ञ-सं० (पु०) अनुज्ञप्तधारी
प्रायद्वीपीय-सं० (वि०) प्रायद्वीप से संबद्ध प्राप्तार्थ-I सं० (वि०) सफल II (पु०) प्राप्त धन, वस्तु प्रायशः-सं० (क्रि० वि०) अकसर, बहुधा आदि
प्रायश्चित-सं० (पु०) 1 पाप कर्म के फल, भोग से बचने हेतु प्राप्तावसर-सं० (पु०) = प्राप्त-काल
किया जानेवाला शास्त्र विहित कर्म (जैसे-दान-व्रत करके प्राप्ति-सं० (स्त्री०) 1 पाया-जाना, मिलना, उपलब्धि 2 प्रत्यक्ष प्रायश्चित करना) 2 ग्लानिवश किया गया कठोर आचरण होना (जैसे-सुख की प्राप्ति) 3 फ़ायदा, लाभ (जैसे-धन की | 3 कष्ट, हानि प्राप्ति, व्यापार में अच्छी प्राप्ति हुई) 4 उपस्थित होना |प्रायश्चित्तिक-सं० (वि०) 1 प्रायश्चित संबंधी 2 प्रायश्चित्त (जैसे-पत्र प्राप्ति, यौवन-प्राप्ति) 5 ग्रहण करना। कर्ता योग्य (पु०) प्राप्त करनेवाला व्यक्ति; ~स्वीकार (स्त्री०) पहँच | प्रायश्चित्ती-सं० (वि०) प्रायश्चित करनेवाला की स्वीकृति
प्रायिक-सं० (वि०) प्रायः होनेवाला प्राप्तिका-सं० (स्त्री०) पावती, रसीद
प्रायोगिक-सं० (वि०) 1 प्रयोग संबंधी 2 प्रयोग किया प्राप्याशा-सं० (स्त्री०) प्राप्ति की आशा, मिलने की आशा | जानेवाला, एक्सपेरिमेंटल 3 व्यावहारिक, क्रियात्मक प्राप्य-सं० (वि०) 1 प्राप्त करने योग्य 2 पावना, इयू 3 गम्य / प्रायोजना-सं० (स्त्री०) योजना का प्रस्तावित रूप
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प्रायोज्य
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प्रासिक्यूटर प्रायोज्य-सं० (वि०) प्रयोजन के योग्य, जो किसी के विशेष प्रावगलिक-सं० (वि०) प्रवाल (मुंगे) का प्रयोजन की हो
प्रावास-सं० (वि०) यात्रा संबंधी प्रायोपयोगिक-सं० (वि०) प्रायिक, सामान्य
प्रावासिक-सं० (वि०) यात्रा के उपयुक्त प्रायोपवेश, प्रायोपवेशन-सं० (पु.) 1अनशनव्रत | प्राविडंट-फंड-अं० (पु०) भविष्य निधि 2 अन्न-जल त्याग देना
प्रावित्र-सं० (पु०) 1 रक्षण 2 आश्रय प्रायोभावी-सं० (वि०) प्रायिक, साधारण
प्राविधानिक-सं० (वि०) प्राविधि संबंधी प्रारंप-सं० (पु०) 1 शुरू का अंश 2 जारी होना (जैसे-कार्य प्राविधिक-सं० (वि०) 1कला, शिल्प, यंत्र आदि से संबंधित प्रारंभ होना)
(जैसे-प्राविधिक शिक्षा) 2 प्रायोगिक एवं व्यावहारिक प्रक्रिया प्रारंभण-सं० (पु०) शुरू करना
संबंधी, तकनीकी, टेकनिकल (जैसे-प्राविधिक ज्ञान, प्रारंभिक-सं० (वि०) 1शुरू का (जैसे-प्रारंभिक | प्राविधिक कर्मचारी) पाठ्य-पुस्तक) 2 प्रारंभ में होनेवाला (जैसे-प्रारंभिक प्राविधिज्ञ-सं० (पु०) तकनीकी ज्ञान रखनेवाला, टेकनिशियन शिक्षा)
प्रावीण्य-सं० (पु.) = प्रवीणता प्रारंभीय-सं० (वि०) प्रारंभ का
प्रावृट्-सं० (पु०) = प्रावृषा प्रारक्षण-सं० (पु०) कार्य, बात आदि को निश्चित रूप से | प्रावृत-I सं० (वि०) 1 घिरा हुआ, आवृत 2 ढका हुआ II पहले से ही अलग करना, रिज़र्वेशन
(पु०) 1 ओढ़ने का कपड़ा 2 ढकने का कपड़ा, आच्छादन प्रारक्षित-सं० (वि०) पहले से अलग किया हआ, रिज़र्ल्ड | प्रावृषा-सं० (स्त्री०) वर्षा ऋतु प्रारब्ध-I सं० (वि०) आरंभ किया हुआ II (पु.) 1 भाग्य, प्रावेशिक-सं० (वि०) 1 प्रवेश संबंधी 2 प्रवेश का साधन तकदीर 2 पूर्व जन्म के कार्य 3 पूर्व कर्मों का फल भोग। रूप ~लेख (पु०) किस्मत का लिखा
प्रावैगिक-सं० (वि०) प्रवेग संबंधी प्रारब्धि-सं० (स्त्री०) आरंभ
प्रावैधिक-सं० (वि०) - प्राविधिक प्रारब्धी-सं० (वि०) भाग्यवाला, भाग्यवान्
प्राव्राज्य-1 सं० (वि०) सन्यास संबंधी || (पु०) सन्यासी प्रारिप्सित-सं० (वि०) शुरू करने की इच्छा की गई। जीवन प्रारूप-सं० (पु०) 1 प्राथमिक रूप, मसौदा, प्रालेख | प्राश-सं० (पु०) भोजन करना 2 पूर्वगामी रूप
प्राशक-सं० (वि०) भोजन करनेवाला प्रारूपस्थ-सं० (वि०) प्रारूप में लाया गया
प्राशन-सं० (पु०) भोजन करना प्रारूपिक-सं० (वि०) 1 प्रारूप संबंधी 2 नमूने का प्राशनीय-सं० (वि०) प्राश्य प्रार्थक-सं० (वि०) = प्रार्थी
प्राशस्त्य-सं० (पु०) प्रशस्तता प्रार्थन-सं० (पु०) प्रार्थना करना
प्राशित-[सं० (वि.) 1 खाया हआ 2 उपभोग किया हुआ | प्रार्थना-सं० (स्त्री०) 1 निवेदन 2 भक्ति एवं श्रद्धापूर्वक ईश्वर, | __ (पु०) 1 तर्पण, पितृ यज्ञ 2 खाना, भक्षण देवता आदि से माँगना, निवेदन करना 3 अरजी, दावा। -पत्र प्राशी-सं० (वि०) = प्राशक (१०) अरजी (जैसे-प्रार्थना पत्र प्रस्तुत करना); ~भंग प्राश्निक-[ सं० (वि०) 1 प्रश्न पूछनेवाला 2 प्रश्न रूप में (पु०) प्रार्थना न मानना
होनेवाला 3 प्रश्न लिखा हुआ, प्रश्न युक्त || (पु०) प्रार्थनीय-सं० (वि०) प्रार्थित
प्रश्न-कर्ता प्रार्थयिता-सं० (पु०) प्रार्थी ।
प्राश्य-सं० (वि०) प्राशन योग्य प्रार्थित-सं० (वि०) प्रार्थना की गई
प्रासंगिक-सं० (वि०) 1 प्रसंग का 2 प्रसंग से संबंध प्रार्थी-सं० (वि०) 1 प्रार्थना करनेवाला 2 प्रार्थना पत्र देनेवाला रखनेवाला 3 प्रसंग-प्राप्त (जैसे-प्रासंगिक कथा-वस्त्) 3 उम्मीदवार
प्रास-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 फेंकी जानेवाली वस्तु की क्षैतिज प्रार्थ्य-सं० (वि०) प्रार्थना योग्य
दूरी, मार 3 अनुप्रास प्रालंब-सं० (पु०) 1 लटकनेवाली वस्तु 2 सीने तक | प्रासक-सं० (पु.) 1 प्रास नामक अस्त्र 2 जुआ खेलने का लटकनेवाली माला
पासा, पाशक प्रालेख-सं० (पु०) = प्रारूप
प्रासविक-सं० (वि०) प्रसव संबंधी प्रालेय-I सं० (पु०) 1 तुषार 2 बर्फ, हिम II (वि०) प्रलय | प्रासाद-सं० (पु०) 1 राज-भवन, राज-महल 2 देवमंदिर, संबंधी
देवालय प्रावट-सं० (पु०) जौ
प्रासादिक-सं० (वि०) 1 दया करनेवाला 2 प्रसाद रूप में प्रावर-सं० (पु०) चहारदीवारी
दिया जानेवाला 3 प्रासाद संबंधी प्रावरण-सं० (पु०) 1 आवरण 2 ओढ़नी, उत्तरीय प्रासादीय-सं० (वि०) 1 राजमहल संबंधी 2 भव्य एवं प्रावसादन-सं० (पु०) 1 अकर्मण्य एवं निरुत्साह होने की। सुसज्जित अवस्था 2 पदार्थ की निष्क्रियता 3 व्यापार आदि की मंदी | प्रासायन-सं० (पु०) तोप आदि के निकलने का अर्ध चंद्राकार 4 वातावरण का तापमान गिरना, डिप्रेशन
मार्ग, ट्रेजेक्टरी प्रावस्था-सं० (स्त्री०) 1 परिवर्तन की विशेष स्थिति 2 स्वरूप | प्रासिक्यूटर-अं० (पु०) अभियोजक, अभियोक्ता
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प्रास्तविक
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प्रेतात्मविद्या
उप
रीडर
प्रास्तविक-सं० (वि०) 1 प्रस्ताव रूप में होनेवाला | संबंधित कार्य; ~वाद (पु०) मैत्रीपूर्ण वाद; विवाह 2 प्रासंगिक, प्रसंग प्राप्त
(पु०) = प्रेम विवाह सम्मेलन (पु०) स्नेह पूर्वक किया प्रास्थानिक-सं० (वि०) 1 प्रस्थान संबंधी 2 जो प्रस्थान के जानेवाला सम्मेलन, स्नेह सम्मेलन (जैसे-विद्यालय का वार्षिक लिए शुभ हो
प्रीति सम्मेलन) प्रास्पेक्टस-अं० (पु०) भविष्य
प्रीतिकर-सं० (वि०) प्रसत्रता उत्पन्न करनेवाला प्राहारिक-सं० (पु०) 1 चौकीदार, पहरुआ 2 प्रहरियों का प्रीत्यर्थ-सं० (क्रि० वि०) प्रेम के कारण प्रधान
प्रीमियम-अं० (पु०) 1 बीमा किस्त 2 अधिमूल्य, बढ़ौती प्रिंटर-अं० (पु०) छापनेवाला, मुद्रक
प्रीमियर-अं० (पु०) 1 सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति 2 प्रधान मंत्री प्रिंटिंग-अं० (स्त्री०) छपाई, मुद्रण। ~आफ़िस (पु०) ___ 3 (सिनेमा का) प्रथम प्रदर्शन मुद्रण-कार्यालय; ~इंक (स्त्री०) छपाई के काम आनेवाली पृष्ट-सं० (वि०) जला हुआ, दग्ध स्याही; ~प्रेस (पु०) छापाखाना; ~मशीन (स्त्री०) छपाई प्रूफ़-अं० (पु०) 1 संशोधन हेतु छपाई का आरंभिक नमूना की मशीन
(जैसे-प्रूफ़ पढ़ना) 2 प्रमाण। रीडर (पु०) प्रूफ़ प्रिंस-अं० (पु०) 1 राजा 2 राजकुमार, शाहजादा 3 राजकुल |
पढ़नेवाला व्यक्ति; ~रीडिंग (स्त्री०) प्रूफ़ पढ़ना; का पुरुष
~शोधक + सं० (पु०) = प्रूफ रीडर; ~शोधन + सं० प्रिंसिपल-अं० (पु०) 1 प्राचार्य 2 सूद पर दिया गया धन, (पु०) प्रूफ रीडिंग; ~संशोधक + सं० (पु०) = प्रूफ़
मूलधन प्रियंवद-सं० (वि०) प्रियभाषी, मधुरभाषी
घूम-(पु०) समुद्र, नदी आदि की गहराई नापने का शीशे का प्रिय-[ सं० (वि०) 1 अत्यंत प्यारा 2 संबोधक विशेषण निर्मित यंत्र (जैसे-प्रिय मित्र) 3 शुभ ॥ (पु०) 1प्रेमी 2 पति ; प्रेखण-सं० (पु०) झूलना ~कलत्र (पु०) अपनी पत्नी को प्यार करनेवाला पुरुष; प्रेक्षक-सं० (पु०). दर्शक ~कांक्षी (वि०) भला चाहनेवाला; ~काम (वि०) शुभ प्रेक्षण-सं० (पु०) देखना, निगरानी। -कूट (पु०) आँख का चाहनेवाला, हितैषी; ~कारक (वि०) = प्रियकर; ता डेला; चौकी + हिं० (स्त्री०) निगरानी चौकी; ~शाला (स्त्री०) प्रिय होने का भाव (जैसे-लोक-प्रियता); दर्शन __ (स्त्री०) वेधशाला (वि०) भला एवं सुंदर लगनेवाला; “दर्शी (वि०) | प्रेक्षणीय-सं० (वि०) = प्रेक्ष्य प्रेमपूर्वक दूसरों को देखनेवाला; निवेदन (पु०) सुसंवाद; प्रेक्षा-सं० (स्त्री०) 1 देखना 2 दृष्टि, निगाह 3 विवेक, बुद्धि ।
निवेदयिता (पु०) संवाद वाहक; पात्र (वि०) ~कारी (वि०) सोच समझकर काम करनेवाला; ~गार, प्रेम-पात्र, प्यारा; ~भाव (पु०) प्रेम; ~भाषी (वि०) प्रिय ~गृह (पु०) 1 मंत्रणागृह 2 रंगशाला; प्रपंच (पु०) बोलनेवाला, प्रियवादी; वचन (वि०) मधुर वचन, मीठी नाटक का अभिनय; ~समाज (प्०) दर्शक समुदाय बात; ~वर (वि०) अत्यंत प्यारा; ~वादी (वि०) प्रेक्षावान-सं० (वि०) = प्रेक्षाकारी। मृदुभाषी; ~व्रत (वि०) जिसे व्रत प्रिय हो; ~संगमन प्रेक्षित-सं० (वि०) ध्यानपूर्वक देखा हुआ (पु०) प्रेमी एवं प्रेमिका के मिलने का स्थान, प्रिय एवं प्रिया प्रेक्षिता-सं० (स्त्री०) दर्शक, प्रेक्षक
का मिलन-स्थल; ~सत्य (पु०) प्यारा लगनेवाला सत्य प्रेक्ष्य-सं० (वि०) देखे जाने योग्य प्रियकर-सं० (वि०) 1 हर्ष उत्पन्न करनेवाला, हर्षप्रद 2 हित प्रेजीडेंसी-अं० (स्त्री०) - प्रेसीडेंसी करनेवाला
प्रेत-[सं० (वि०) मरा हुआ, मृत II (पु०) 1 मृतात्मा 2 मृत प्रियतम-[ सं० (वि०) परम-प्रिय ॥ (१०) पति, स्वामी व्यक्ति का शरीर, शव, लाश 3 प्रेत शरीर 4 नर्क में रहनेवाला (स्त्री० प्रियतमा)
प्राणी 5 कठिन काव्य रचनेवाला (जैसे-काव्य का प्रेत) प्रिया-सं० (स्त्री०) नारी, स्त्री 2 प्रेमिका 3 पत्नी, भार्या 6 चालाक व्यक्ति। कर्म, कार्य मृतक संबंधी कार्य, प्रियात्मा-सं० (पु०) उदार एवं सरल हृदयवाला
दाह-पिंड आदि कर्म; ~गृह (पु०) श्मशान; तर्पण प्रियैषी-सं० (वि०) प्रियकांक्षी
(पु०) मृतक के लिए पिंडदान; दाह (पु०) शव जलाना; प्रियोक्ति-सं० (स्त्री०) मधुर कथन
~पति (पु०) यम; ~पिंड (प०) प्रेत के निमित्त पारा गया प्रिवी-कौंसिल-अं० (स्त्री०) सम्राट के परामर्शदाताओं की । पिंडा; ~भूमि (स्त्री०) - प्रेत गृह; राज (पु०) परिषद
= प्रेतपति; लोक (पु०) यमपुर, यम-लोक; वाहित प्रिवी-पर्स-अं० (पु०) शाही भत्ता
(वि०) भूत के प्रभाव से ग्रस्त, भूताविष्ट; विद्या (स्त्री०) प्रीणित-सं० (वि०) प्रसन्न एवं संतुष्ट किया हुआ
प्रेत संबंधी ज्ञान; विधि (स्त्री०) = प्रेत-कर्म प्रीतम-सं० (वि०) = प्रियतम
प्रेतनी-सं० + हिं० (स्त्री०) प्रेत की स्त्री प्रीति-सं० (स्त्री०) 1 प्यार, प्रेम 2 हर्ष, आनंद। कारक प्रेतात्मवाद-सं० (पू०) प्रेतात्मा में विश्वास करने की बात (वि०) - प्रीतिकर; दान (प०) प्रेम पूर्वक दी जानेवाली प्रेतात्मवादिक-सं० (वि०) प्रेतात्मवाद से संबद्ध वस्तु; पात्र (पु०) प्यारा, प्रेम पात्र; पूर्वक (क्रि० । प्रेतात्मवादी-सं० (वि०) प्रेतात्मा में विश्वास करनेवाला वि०) प्यार के साथ; ~भोज (पु०) दावत; ~भोज्य प्रेतात्मविद्या-सं० (स्त्री०) प्रेतात्माओं से संबंध स्थापित (वि०) प्रेम से खाए जानेयोग्य; रीति (स्त्री०) प्रेम से | करनेवाली विद्या, साइकिक्स
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प्रेतात्मा
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1.
प्रेतात्मा-सं० (स्त्री०) मृत्योपरांत प्राप्त होनेवाली आत्मा की अवस्था, स्पिरिट
प्रेताशौच-सं० ( पु०) मृत्यु के कारण होनेवाला अशौच प्रेप्सा-सं० (स्त्री०) प्राप्त करने की इच्छा प्रेप्सु -सं० (वि०) प्राप्त करने का इच्छुक प्रेम-सं० ( पु० ) 1 प्रीति, प्यार 2 माया, लोभ 3 लगाव (जैसे- साहित्य के प्रति प्रेम) । ~ कथा (स्त्री०) प्रेम कहानी; ~ कलह (पु० ) प्रेम में होनेवाला झगड़ा; गर्विता (स्त्री०) प्रेम पर गर्व करनेवाली नायिका; गाथा (स्त्री०) प्रेम-कहानी; जल (पु०) प्रेम के कारण आँखों से निकले आँसू, प्रेमाश्रु ~ निवेदन (पु० ) प्रेम में की गई याचना या प्रार्थना पत्र ( पु० ) प्रेम में लिखा गया पत्र; पात्र (पु० ) प्रिय पात्र; पाश (पु० ) 1 प्रेम का फंदा 2 आलिंगन पुलक (स्त्री०) प्रेम जन्य रोमांच पूर्ण (वि०) प्रेम से व्याप्त, प्रेम युक्त; ~बंधन (पु० ) प्रेम का बंधन ~ भक्ति (स्त्री०) प्रेम भाव से की गई भक्ति; ~भाजन (पु० ) प्रेम पात्र; -भाव (पु०) प्रेम का भाव; ~ मार्ग (पु० ) भक्ति के अंतर्गत भगवान से प्रेम करने की पद्धति; मूलक (वि०) प्रेम पर आधारित; लक्षणा (स्त्री०) कृष्ण के चरणों की प्रेम मूलक भक्ति; वृत्तांत (पु० ) प्रेम का वर्णन; ~ शिथिलता (स्त्री०) प्रेम का ढीला पड़ जाना ~ शैथिल्य (पु० ) प्रेम का ढीलापन; सूत्र (पु० ) प्रेम की डोरी
प्रेममय-सं० (वि०) प्रेमपूर्ण
प्रेमाकांक्षा-सं० (स्त्री०) प्रेम की इच्छा
प्रेमाख्यान-सं० (पु०) = प्रेम गाथा
प्रेमाख्यानक-सं० प्रेम-कहानी
प्रेमातिशयता-सं० (स्त्री०) प्रेम की अधिकता प्रेमानुभूति - सं० (स्त्री०) प्रेम में होनेवाला अनुभव, प्रेम अनुभूति
प्रेमानुराग-सं० (पु०) प्रेम और अनुराग प्रेमाभिनय-सं० (पु० ) प्रेम का अभिनय
प्रेमालाप - सं० ( पु० ) प्रेम में होनेवाली बातचीत (जैसे-प्रेमी एवं प्रेमिका का प्रेमालाप)
प्रेमालिंगन-सं० (पु० ) 1 प्रेम में गले लगाना 2 नायक-नायिका का पारस्परिक आलिंगन प्रेमाश्रयी - सं० (वि० ) प्रेम मार्गी
प्रेमाश्रु - सं० ( पु० ) प्रेम-जल प्रेमिक-सं० ( पु० ) प्रेमी
प्रेमिका-सं० (स्त्री०) 1 प्रेम करनेवाली स्त्री 2 प्रेम की जानेवाली स्त्री (जैसे-राधा कृष्ण की प्रेमिका है) प्रेमी - I सं० (वि०) प्रेम करनेवाला II ( पु० ) 1 प्रेम करनेवाला व्यक्ति (जैसे- देश-प्रेमी) 2 स्त्री से प्रेम करनेवाला व्यक्ति
प्रोक्षण
=
~ शक्ति (स्त्री०) प्रेरणा- शक्ति प्रेरण - सं० (पु० ) 1 उत्साहित करना 2 काम में प्रवृत्त करना प्रेरणा-सं० (स्त्री०) 1 काम में लगाना 2 मन में उत्पन्न भाव, विचार 3 संकेत (जैसे-अध्यापक की प्रेरणा से जाना) । ~दाता (पु० ) प्रेरणा देनेवाला व्यक्ति; प्रद (वि०) = प्रेरणात्मक; ~ मूलक (वि०) प्रेरणा पर आधारित; - स्फूर्त (वि०) प्रेरणामय प्रेरणात्मक-सं० (वि०) प्रेरणा संबंधी प्रेरणामय-सं० (वि०) प्रेरणायुक्त प्रेरणार्थक-सं० (वि०) प्रेरणा रूप में होनेवाला । ~क्रिया (स्त्री०) व्या० प्रेरणा देकर कराई या करवाई जानेवाली क्रिया प्रेरणास्पद-सं० (वि०) = प्रेरणामय प्रेरणीय-सं० (वि०) प्रेरयिता - सं० (पु० ) प्रेरित सं० (वि०) 1 प्रेरणा प्राप्त 2 प्रोषित प्रेषक-सं० (पु० ) भेजनेवाला
प्रेरणा - योग्य प्रेरणा - दाता
प्रेषण-सं० ( पु० ) भेजना। ~कर्मी (पु० ) प्रेषण कर्मचारी; पुस्तक (स्त्री०) पत्रपार्सल आदि का ब्यौरा लिखी जानेवाली बही
प्रेमोन्मत्त-सं० (वि०) प्रेम में पागल
( पु० )
प्रेय, प्रेयस् - I सं० (वि०) अत्यधिक प्रिय II 1 परम प्रिय व्यक्ति 2 पति 3 प्रेमी 4 सांसारिक सुख । वाद (पु० ) सुखवाद, भोगवाद
प्रेयसी-सं० (स्त्री०) 1 प्रेमिका 2 पत्नी
प्रेरक-सं० (वि० ) 1 प्रेरित करनेवाला 2 भेजनेवाला ।
प्रेषणीय-सं० (वि०) प्रेषितव्य । ~ता (स्त्री०) यह गुण कि कोई कृति पाठक तक पहुँचती है। प्रेषित - सं० (वि०) भेजा हुआ प्रेषितव्य-सं० (वि०) भेजा जाने योग्य
प्रेषिती-सं० (पु० ) 1 पानेवाला 2 वह व्यक्ति जिसके नाम माल भेजा जाय
प्रेषित्र - सं० (पु० ) दूर विक्षेपक यंत्र, प्रेषी
प्रेष्य - I सं० (वि०) जिसे भेजा जाय II ( पु० ) नौकर, सेवव 2 दूत। ता (स्त्री०) = प्रेषणीयता
प्रेस - अं० (पु० ) 1 छापाखाना, मुद्रणालय (जैसे-सरकारी प्रेस) 2 समाचार पत्रों का समुदाय (जैसे-प्रेस विज्ञप्ति) । ~कर्मचारी + सं० (पु०) प्रेस में काम करनेवाला कर्मचारी; ~ कांफ्रेंस (स्त्री.) प्रेस सम्मेलन; कामगार संघ + हिं + फ़ा० + सं० (पु० ) प्रेस में काम करनेवालों का वर्ग, समूह; - गैलरी (स्त्री०) पत्रकारों के बैठने का स्थान; प्रतिनिधि + सं० (पु०) पत्रकार मज़दूर + फ़ा० (पु० ) प्रेस में कार्य करनेवाले मज़दूर श्रमिक; मैन (पु० ) = प्रेस मज़दूर सम्मेलन + सं० (पु० ) प्रेस कांफ्रेंस प्रेसिडेंट - अं० ( पु० ) 1 अध्यक्ष 2 सभापति 3 राष्ट्रपति प्रेसीडेंसी - अं० (स्त्री०) 1 प्रेसिडेंट का पद एवं कार्य 2 गवर्नर की अधीनता में शासन का एक निश्चित भाग प्रैक्टिस अं० (स्त्री०) 1 अभ्यास 2 डॉक्टर, वकील का व्यवसाय, पेशा 3 व्यवहार
प्रैष-सं० (पु० ) 1 क्लेश, कष्ट 2 प्रेरणा करना 3 उन्माद, नशा प्रोंछन-सं० ( पु० ) 1 पोंछना 2 चुनना
प्रोंठ - सं० (पु० ) पीकदान
प्रोक्त - I सं० (वि०) कहा हुआ, कथित II ( पु० ) कही गई बात, उक्ति
प्रोक्यूरेटर -अं० (पु० ) अभिकर्ता, मुख्तार
प्रोक्षण-सं० ( पु० ) 1 छिड़काव 2 बलि से पूर्व पशु पर जल छिड़कना 3 हत्या, वध
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प्रोक्षित
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प्लास्टर
प्रोक्षित-I सं० (वि०) 1 सींचा हआ 2 बध किया गया 3 जल नायक II (वि०) 1 प्रवासी 2 बीता हुआ (जैसे-प्रोषित छिड़का गया II (पु०) यज्ञ हेतु संस्कृत किया गया मांस यौवन)। नायिका, पतिका (स्त्री०) पति के परदेश प्रोक्षितव्य-सं० (वि०) छिड़काव करने योग्य
चले जाने पर दुःखी स्त्री; ~मरण (पु०) विदेश में मरना प्रोग्राम-अं० (पु०) 1 कार्यक्रम 2 कार्यक्रम छपा हुआ पत्र | प्रोष्ण-सं० (वि०) अत्यधिक गर्म प्रोजैक्ट-अं० (स्त्री०) प्रायोजना, निर्माण योजना
प्रोसेशन-अं० (पु०) जुलूस प्रोजैक्टर-अं० (पु०) चित्र प्रक्षेपी यंत्र
प्रोस्पेक्टस-अं० (पु०) विवरण पत्रिका प्रोटान-अं० (पु०) धन-विद्युत आवेश युक्त छोटा, सूक्ष्म कण प्रौढ़-सं० (वि०) 1 पूर्णतः बढ़ा हुआ, (जैसे-प्रौढ़ बुद्धि, प्रौढ़ प्रोटीन-अं० (स्त्री०) खाद्य-पदार्थ में पाया जानेवाला व्यक्तित्व) 2 मध्य अवस्था को प्राप्त (जैसे-प्रौढ़ उम्र)
शक्तिवर्धक तत्व (जैसे-दाल में प्रोटीन अधिक होती है) 3 शक्तिशाली 4 दृढ़, मजबूत 5 गंभीर, गूढ़। “ता (स्त्री०) प्रोटेस्टेंट-अं०(पु०) 1 विरोध करनेवाला 2 इसाई संप्रदाय 3 इस प्रौढ़ होने की अवस्था, प्रौढ़ावस्था, वयस संप्रदाय का अनुयायी
प्रौढ़त्व-सं० (पु०) = प्रौढ़ता प्रोटोकल-अं० (पु०) अधिकारिक लेख, विज्ञप्ति प्रौढ़ा-सं० (स्त्री०) 1 प्रौढ़ वयसवाली स्त्री 2 साहि० प्रौढ़ वयस प्रोटोप्लाज्म-अं० (पु०) जीवद्रव्य
प्राप्त नायिका। ~अधीरा ऐसी प्रौढ़ा नायिका जो पति पर प्रोत-[सं० (वि०) 1 मिला हआ (जैसे-ओत-प्रोत) 2 पिरोया | विलास सूचक चिह्न देखकर प्रत्यक्ष कोप करे; ~धीरा हुआ 3 छिपा हुआ, गुप्त II (पु०) कपड़ा
(स्त्री०) ताना देकर कोप प्रकट करनेवाली प्रौढ़ा; प्रोत्कंठ-सं० (दि०) उत्कंठित
~धीराधीरा (स्त्री०) अपने प्रेमी या पति पर स्त्री रमण के प्रोत्कट-सं० (वि०) 1 उत्कट 2 बहुत बड़ा
चिह्न देखकर प्रत्यक्ष तथा व्यंग्यपूर्ण कोप करनेवाली प्रोढ़ा प्रोत्तेजन-सं० (पु०) 1 प्रोत्साहन 2 तीव्र उत्तेजन
प्रौढ़ावस्था-सं० (स्त्री०) प्रौढ़ अवस्था प्रोत्थित-सं० (वि०) उठाया हुआ 2 बढ़ा हुआ, निकला हुआ प्रौढ़ि-सं० (स्त्री०) 1 प्रौढ़ता 2 शक्ति, सामर्थ्य 3 धृष्टता प्रोत्फुल्ल-सं० (वि०) 1 खिला हुआ 2 अत्यंत प्रसन्न, हर्षित 4 साहस प्रोत्सारण-सं० (पु०) 1 निकालना 2 हटाना
प्रौढ़ोक्ति-सं० (स्त्री०) 1 प्रबल उक्ति 2 साहि० एक प्रोत्साह-सं० (पु०) उत्साह, उमंग
काव्यालंकार जहाँ उत्कर्ष का कारण न होने पर भी उसका प्रोत्साहक-सं० (वि०) उत्साह देनेवाला
कारण बताया जाय प्रोत्साहन-सं० (पु०) 1 उत्साह बढ़ाना 2 हिम्मत बँधाना प्रौढोपयोगी-सं० (वि०) प्रौढ़ व्यक्तियों के काम का प्रोत्साहित-सं० (वि०) 1 उत्साहित 2 हिम्मत बँधाया हआ प्रौद्योगिक-सं० (वि०) कला विशेष से संबंधित प्रोथ-सं० (पु०) 1 घोड़े की नाक के आगे का भाग 2 सूअर का __(जैसे-प्रौद्योगिक शिक्षा) थूथन 3 स्त्री गर्भाशय
प्रौद्योगिकी सं० (स्त्री०) प्राविधिकी प्रोदक-सं० (वि०) गीला, आर्द्र
प्लक्ष-सं० (पु०) 1 पुराणानुसार एक द्वीप 2 पाकड़ का पेड़ प्रोदर-सं० (वि०) तोंदवाला
3 पीपल, अश्वस्थ प्रोद्गन-सं० (वि०) आगे निकला हुआ
प्लग-अं० (पु०) सुराख को बंद करने का एक उपकरण प्रोद्दीप्त-सं० (वि०) जलता हुआ, प्रज्वलित
प्लवक-सं० (वि०) तैरनेवाला, तैराक प्रोद्धरण-सं० (पु०) 1 लेख, पुस्तक आदि का कोई अंश | प्लवन-सं० (पु०) 1 उछलना, कूदना 2 तैरना
पढ़कर सुनाना 2 लेख, पुस्तक आदि का कोई अंश प्लांट-अं० (पु०) षंगयंत्र, कारखाना प्रोद्भवन-सं० (पु०) निकलना
प्लाइवुड-अं० (पु०) एकाधिक पतली लकड़ी की चादरों से प्रोद्भूत-सं० (वि०) निकला हुआ
जुड़ी एक चादर प्रोनोट-अं० (पु०) रुक्का
प्लाज्मा-अं० (पु०) जीवद्रव्य प्रोपगेंडा-अं०/(पु०) प्रचार
प्लाट-अं० (पु०) 1 ज़मीन का टुकड़ा 2 उपन्यास, नाटक आदि प्रोन्नत-सं० (वि०) उन्नत, बढ़ा चढ़ा
की कथावस्तु 3 षड़यंत्र प्रोन्नति-सं० (स्त्री०) उन्नति
प्लाटून-अं० (पु०) पलटन। -कमांडर (पु०) पलटन का प्रोप्राइटर-अं० (पु०) मालिक
ऊँचा अधिकारी प्रोफ़ेशन-अं० (पु०) पेशा, व्यवसाय
प्लाव-सं० (पु०) 1 जलाशय में लंगर आदि के सहारे पीपे की प्रोफ़ेशनल-अं० (वि०) पेशेवर
तरह की कोई तैरती वस्तु 2 रबर आदि का खोखला गोलाकार प्रोफ़ेसर-अं० (पु०) विश्वविद्यालय, महाविद्यालय का । पट्टा 3 गोता, डुबकी अध्यापक
प्लावन-सं० (पु०) 1 उमड़कर बहना 2 बाढ़, सैलाव 3 डुबाना प्रोफ़ेसरी-अं० + हिं० (स्त्री०) प्रोफेसर का कार्य
4 तैरना प्रोमोशन-अं० (पु०) प्रोन्नति
प्लावित-सं० (वि०) 1 डूबा हआ (जैसे-जल प्लावित) प्रोलेटेरियट-अं० (पु०) श्रमजीवी वर्ग
2 बाढ़ में समाया हुआ प्रोष-1 सं० (पु०) 1 जलना 2 संताप.कष्ट, दुःख, II (वि०)
प्लाव्य-सं० (वि०) तैरने योग्य 1 जलता हुआ 2 दुःखी, संतप्त
प्लास्टर-अं० (पु०) 1 सूजन, फोड़े, हड्डी टूटने पर लगाई प्रोषित-[सं० (प०) साहि० श्रृंगार रस का आंलबन प्रवासी | जानेवाली लेई जैसी दवा (जैसे-कलाई पर प्लास्टर चढाना)
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प्लास्टिक
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फ़ज़ीलत
2 दीवाल पर चढ़ाया जानेवाला सीमेंट, बालू आदि के मिश्रण | फँफाना- (अ० क्रि०) 1 हकलाना 2 उबाल आना का लेप (जैसे-दीवार पर प्लास्टर करवाना)
फँसना-(अ० क्रि०) 1 फंदे में पड़ना 2 उलझना 3 धोखा खाना प्लास्टिक-अं० (पु०) ढलकर बना हुआ एक प्रकार का कड़ा | (जैसे-माया जाल में फँसना) पदार्थ
फंसनी-(स्त्री०) गगरे आदि का गला बनाने की हथौड़ी प्लीडर-अं० (पु०) वकील
फँसरी-(स्त्री०) 1 फंदा फाँस 2 फाँसी प्लीहा-अं० (स्त्री०) 1 पेट के अंदर की तिल्ली 2 तिल्ली के | फँसवार-बो० (पु०) = फंदा सूजकर बढ़ने का रोग
फँसाना-(स० क्रि०) 1 फंदे में लाना, उलझाना 2 वश में प्लुत-I सं० (वि०) तीन मात्राओंवाला II (पु०) व्या० तीन | करना 3 अटकाना (जैसे-काग फँसाना) 4 अनुचित संबंध मात्राओंवाला स्वर, ओडम्
स्थापित करना प्लेग-अं० (पु०) महामारी (जैसे-प्लेग का प्रकोप) फँसाव-(पु०) 1 फंसने की क्रिया 2 फँसाने की वस्तु 3 फँसाने प्लेट-अं० (पु०) 1 तश्तरी 2 अंकित, लिखा हुआ धातु आदि | की बात का पत्तर (जैसे-नंबर प्लेट) 3 कपड़ों की पट्टी 4 फोटो लेने के | फँसिहारा-(वि०) फँसानेवाला काम का शीशा
फक-(वि०) जिसके चेहरे का रंग उड़ गया हो (जैसे- उसका प्लेटफार्म-अं० (पु०) चौकोर चौरस तथा ऊँचा चबूतरा | चेहरा फक हो गया) (जैसे-रेलवे स्टेशन का प्लेटफ़ार्म)
फकड़ी-(स्त्री०) 1 फक्कड़पन 2 दुर्दशा, दुर्गति प्लेटिनम-अं० (पु०) सफ़ेद रंग की प्रसिद्ध एवं बहुत कड़ी | फ़क़त-अ० 1 बस इतना ही 2 केवल, सिर्फ धातु, एक बहुमूल्य धातु
फकार-सं० (पु०) 'फ' वर्ण प्लैटफ़ार्म-अं० (पु०) प्लेटफार्म
फ़क़ीर-अ० (पु०) 1 महात्मा 2 संत, साधु 3 परम दरिद्र, प्लैटिनम-अं० (पु०) प्लेटिनम
कंगाल 4 भिखारी। पुरानी लकीर का फ़क़ीर दकियानूसी, प्लैनेटेरियम-अं० (पु०) तारामंडल घर
परंपरावादी प्वाइंट-अं० (पु०) 1 बिंदु 2 निशान 3 अंक 4 दशमलव चिह्न | फ़क़ीरनी-(अ० + हिं०) (स्त्री०) भीख माँगनेवाली औरत 5नोक, अनी 6 तर्क संगत बात
फ़क़ीराना-(अ० + फ़ा०) (वि०) फ़कीरों जैसा फ़कीरी-I अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 फ़कीर होने की अवस्था
2 कंगालपन, निर्धनता II (वि०) फ़क़ीर का (जैसे-फकीरी इलाज) फ़कीह-अं० (पु०) इस्लामी धर्म शास्त्र का पंडित फकोड़िया-(पु०) = फक्कड़बाज़ फक्कड़-I (पु०) 1 उच्छंखल एवं उद्धत व्यक्ति 2 लापरवाह
एवं निश्चिंत व्यक्ति। बाज़ + फ़ा० (पु०) दुर्वचन फंक-(स्त्री०) 1 फाँक 2 फंकी
कहनेवाला व्यक्ति; (पु०) तौलना गाली-गुप्ता बकना फंका-(पु०) 1 एक बार में खाई जानेवाली पदार्थ की निश्चित | फक्कड़-II (पु०) 1 भिखमंगा 2 फ़कीर मात्रा 2 निर्धारित मात्रा को एक बार में फाँकने की क्रिया। | फक्किका-सं० (स्त्री०) 1कूट प्रश्न 2 अनुचित व्यवहार ~करना नाश करना, नष्ट करना; ~मारना मुँह में रखकर |.3 धोखेबाज़ी फाँकना
फ़क्कुलरेहन-अ० (पु०) रेहन रखी हुई चीज़ छुड़ाना फंकी-(स्त्री०) 1 फाँकने की क्रिया 2 फाँककर खाई जानेवाली फ्रखर, फ़न-अ० (पु०) सात्विक अभिमान, गौरवजन्य गर्व
वस्तु 3 एक बार में फाँकी जानेवाली निर्धारित मात्रा (जैसे-फ़ख़र करना) फंड-सं० (पु०) उदर, जठर
फगुआ-(पु०) 1 होली 2 होली के अवसर पर होनेवाला फंड-अं० (पु०) सुरक्षित धन राशि, कोश
आमोद-प्रमोद फैद-(पु.) 1 फंदा, फाँस 2 जाल, पाश 3 कपट, छल 4 | फगुआना-I (स० क्रि०) होली खेलना II (अ० क्रि०) क्लेश, दुःख
उच्छंखल एवं मस्त होना फैदना-I (अ० क्रि०) 1 जाल मे फँसना 2 धोखे में आना | फगुनहट-(स्त्री०) 1 फागुन में होनेवाली वर्षा 2 फागुन मास की (स० क्रि०) 1 जाल बिछाना 2 फंदे में फँसना
तेज़ हवा फैदना-II (अ० क्रि०) मुग्ध होना
फगुहरा, फगुहारा-(पु०) 1 फाग खेलनेवाला व्यक्ति 2 फाग फैदवार-(वि०) 1 जाल मे फँसानेवाला 2 जाल बिछानेवाला । नामक गीत गानेवाला व्यक्ति फैदा-(पु०) 1 रस्सी में गाँठ लगाकर बनाया गया घेरा
| फ्रजर-अ० (स्त्री०) 1 प्रातःकाल, सवेरा 2 प्रातःकाल पढ़ी (जैसे-फाँसी का फंदा) 2 रस्सियों आदि का बुना हुआ जाल जानेवाली नमाज। हई फ्रजर चूल्हे पर नज़र सुबह होते ही (जैसे-फंदा डालना) 3 छल, प्रपंच, धोखा (जैसे-फंदे में | पेट की चिंता पड़ जाती है आना) 4 दुःख, कष्ट (जैसे-फंदे में डालना)। छुड़ाना कैद | फ़ज़ल-अ० (पु०) कृपा, मेहरबानी (जैसे-फ़ज़ल करना) से मुक्त करना; ~मारना जाल मे फँसाना
फ्रज़ीलत-अ० (स्त्री०) 1 उत्कृष्टता, श्रेष्ठता 2 प्रधानता। फैदाना-(स० क्रि) = फंदना
-की पगड़ी सर्वोत्तम उपाधि
छाना 2
(अ.क्रि.
फेदवार-
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फ़ज़ीहत
अ०
फ़ज़ीहत, अ० फ़ज़ीहती+ फ़ा० (स्त्री०) 1 अत्यधिक दुर्दशा 2 घृणित तकरार (जैसे-फ़ज़ीहत पैदा करना) फ़ज़ूल - I अ० (वि०) निरर्थक (जैसे- फ़ज़ूल की बातें मत करो) II अ० व्यर्थ, बे फ़ायदा (जैसे-फ़जूल का काम ) । खर्च + फ़ा० I ( वि०) अधिक एवं व्यर्थ का खर्च करनेवाला, अपव्ययी II ( पु० ) व्यर्थ का व्यय, अपव्यय; -ख़र्ची फ़ा० (स्त्री०) व्यर्थ खर्च करना, अपव्यय फट - (स्त्री०) 1 फटने की क्रिया 2 वस्तु के फटने से उत्पन्न शब्द, मशीन आदि के चलने से उत्पन्न होनेवाला शब्द । ~से अति शीघ्र, तत्काल
+
556
फटक - I (स्त्री०) बो० फटकने की क्रिया
फटक - II ( पु० ) बो० स्फटिक (अ०) फट से, तुरंत फटकन - (स्त्री०) फटकने से निकला हुआ सारहीन पदार्थ, रद्दी अंश
फटकना - I (स० क्रि०) 1 फट फट शब्द करना 2 कपड़े आदि को फाड़ना 3 पटकना 4 सूप में अनाज लेकर उछालना । ~पछोरना (स० क्रि०) 1 सूप द्वारा अन्न साफ़ करना 2 देखभाल कर दोष या त्रुटि का पता लगाना फटकना - II ( अ० क्रि०) 1 उपस्थित होना (जैसे- उसे दरवाजे
पर फटकने न देना 2 फटफटाना फटकवाना-(स० क्रि०) फटकने का काम अन्य से कराना फटका - (पु०) 1 फटफटाने की क्रिया 2 रूई आदि धुनने के धुनकी 3 फाटक
फटकाना - (स० क्रि०) 1 फटकवाना 2 अलग करना फटकार - ( स्त्री०) 1 फटकारने की क्रिया 2 झिड़की, डाँट, दुतकार (जैसे-फटकार खाना)
फटकारना- (स० क्रि०) 1 क्रोधपूर्वक कड़ी बातें कहना 2 छितराना 3 पटकना, पछारना (जैसे चादर फटकारना) 4 झटकारना
फटकी - (स्त्री०) चिड़िया रखने का झाबा
फटन- (स्त्री०) 1 फटने का भाव 2 दरार या रेखाकार चिह्न फटना - ( अ० क्रि०) 1 विभक्त हो जाना 2 दरार पड़ जाना 3 अलग हो जाना, विकृत हो जाना (जैसे-दूध फटना) 4 पीड़ा होना (जैसे- सिर फटना ) 5 उचट जाना (जैसे-चित फटना ) । फट पड़ना 1 सहसा आ पड़ना 2 अधिकता होना फट फट - (स्त्री०) फट फट शब्द (जैसे-चप्पल की फट-फट) फटफटाना - I (स० क्रि०) फट फट शब्द उत्पन्न करना II (अ० क्रि०) मारा-मारा फिरना फटफटिया - (स्त्री०) मोटर साइकिल
फटहा - बो० (वि०) फटा हुआ
फटा - (वि०) जो फट गया हो (जैसे-फटा वस्त्र ) । पुराना (वि०) जीर्ण शीर्ण
फतिंगा
फट्टा - I ( पु० ) 1 छोटा तख्ता 2 बाँस का पतला खंड फट्टा - II ( पु० ) टाट (जैसे-फट्टा उलटना ) । उलटना दिवाला निकालना
फटाका - (पु० ) फट की तरह होनेवाला ज़ोर का शब्द फटाव - (पु० ) फटी जगह, दरार फटिक - (पु० ) 1 स्फटिक 2 संगमरमर (जैसे-फटिक शिला) फटिका - (स्त्री०) जौ आदि के खमीर से बनी शराब फटीचर - (वि०) 1 फटे-पुराने कपड़े पहननेवाला 2 अत्यंत तुच्छ
फटेहाल -हिं० + अ० ( क्रि० वि०) दुर्दशाग्रस्त रूप में फटैला - (वि०) फटनेवाला
फड़ - I (स्त्री०) = फट
फड़ - II ( पु० ) 1 दुकानदार का वह कपड़ा जिसे वह ज़मीन पर बिछाकर अपनी विक्रय सामग्री सजाता है 2 बिछावना, बिछौना 3 जूआ खेलने का स्थान । फ़ा० जुआरी; बाज़ी फ़ा० (स्त्री०) जूआ खेलना फ़ड़ - III (पु० ) 1 गाड़ी का हरसा 2 तोप रखने की गाड़ी,
बाज़
+
+
चरख
फड़क - (स्त्री०) फड़कने की क्रिया फड़कन - I (स्त्री०) 1 फड़कने की क्रिया, फड़फडाहट
2 धड़कन II (वि०) भड़कनेवाला (जैसे-फड़कन बैल) फड़कना - (अ० क्रि०) 1 इधर-उधर हिलना 2 उभरना-दबना 3 फड़फड़ाना
= फट
फड़काना - (स० क्रि०) 1 फड़कने की क्रिया में किसी को लगाना 2 भड़काना 3 हिलाना-डुलाना फड़फड़ - (स्त्री०) फड़फड़ाना - I (अ० क्रि०) 1 फड़फड़ शब्द होना 2 चंचल होना II (स० क्रि०) फड़फड़ ध्वनि उत्पन्न करना (जैसे-पंख फड़फड़ाना)
फड़वाना - (स० क्रि०) फाड़ने का काम किसी अन्य व्यक्ति से
कराना
फड़िया - (पु० ) 1 फुटकर अन्न बेचनेवाला बनिया 2 फड़बाज़ फड़ी - (स्त्री० ) ईंट-पत्थरों का परिमाण स्थिर करने के लिए लगाया गया ढेर फडुई - (स्त्री०) फरही फड़ोलना - (स० क्रि०) बो० उलटना-पलटना, नीचे-ऊपर
=
करना
फण-सं० (पु० ) साँप का सिर (जैसे-फण उठाना) । धर (पु० ) साँप
फणाकृति सं० साँप के फन के आकार का फणिकन्या -सं० (स्त्री०) नागकन्या
फणिजिह्वा-सं० (स्त्री०) 1 महाशतावरी 2 कंघी नाम का पौधा फणिपति-सं० (पु०) वासुकि
फणिमुक्ता-सं० (स्त्री०) साँप की मणि
फ़तवा - अ० (पु० ) शास्त्रीय लिखित आदेश (जैसे-फ़तवा देना)
फ़तह - अ० (स्त्री०) 1 विजय, जीत 2 सफलता, कामयाबी (जैसे - फ़तह की खुशी)। नसीब (वि०) 1 विजयी 2 सफल नामा + फ़ा० (पु० ) जीत की खुशी में की गई रचना, विजयगान; निशान + फ़ा० (पु० ) जीत का झंडा, विजय पताका; पेच + हिं० (पु० ) 1 पगड़ी बाँधने का ढंग 2 स्त्रियों के बाल गूंथने का ढंग 3 एक तरह का हुक्के का नैचा; मंद + फ़ा० (वि०) 1 विजयी 2 सफल; मंदी + फ़ा० (स्त्री०) सफलता; पाब फ़ा० (वि०) 1 सफल 2 जिसने विजय हासिल की हो; ~याबी + फ़्रा (स्त्री०) 1 कामयाबी 2 विजय प्राप्ति:
फतिंगा - ( पु० ) 1 आग की लपट के चारों तरफ़ घूमनेवाला पाँवोंवाला छोटा कीड़ा 2 पाँवोंवाला छोटा कीड़ा
+
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फ़तीलसोज़
557
फ़र-फ़र
फ़तीलसोज़-अ० + फ़ा० (पु०) 1 धातु की चौमुखी दीअट छाला 3 पानी का बुलबुला। दिल के फफोले फोड़ना रोष 2 दीअट
प्रकट करना फ़तीला-अ० (पु०) 1 दीये की बत्ती 2 बत्ती 3 ज़रदोजी का फबकना-(अ० क्रि०) = फफदना
काम करनेवालों की वह तीली जिसपर कारीगर तार को लपेटते फबती-(स्त्री०) व्यंग्यात्मक एवं हास्यपूर्ण बात। ~उड़ाना, हैं ३ बंदूक में दी जानेवाली बत्ती
~कसना चुटकी लेना फ़तूर-अ० (पु०) 1 दोष, विकार 2 उत्पात, उपद्रव 3 बाधा, | फबन-(स्त्री०) 1 फबने का भाव 2 शोभा, सौंदर्य विघ्न (जैसे-फ़तूर डालना)
फबना-(अ० क्रि०) 1 शोभा देना, सजना 2 भला मालूम होना फ़तूरिया-अ० + हिं० (वि०) 1 उपद्रवी 2 शरारती फबाना-(स० क्रि०) 1 सुंदर लगने के लिए उपयुक्त स्थान पर फ़तूह-अ० (स्त्री०) 1 विजय 2 लूट में मिली संपत्ति रखना 2 सुंदर बनाना फ़तूही-I अ० + फ़ा० (स्त्री०) बंडी II (स्त्री०) लूट-पाट में | फबीला- जो फब रहा हो, फबता हुआ प्राप्त किया गया धन
फ़र-I अ० (पु०) देवदारु फ़तेह-अ० (स्त्री०) = फ़तह
फ़र-II अ० (पु०) लोमवाला चमड़ा फदकना-(अ० क्रि०) फद-फद शब्द होना, खद-बद करना फ़रऊन-अ० (पु०) 1 मिस्त्र के प्राचीन राजाओं की उपाधि (जैसे-दाल फदकना)
2 अत्यंत अत्याचारी, अभिमानी तथा उदंड व्यक्ति फदका-बो० (पु०) गुड़ का वह भाग जो बहुत अधिक गाढ़ा न | फरक-अ० (पु०) 1 अलगाव, पार्थक्य 2 विषमता 3 अंतर
4 फासला 5 भेद-भाव, दाव (जैसे-फ़रक करना. फरक फद-फद-(स्त्री०) गाढ़े पानी में होनेवाला शब्द
रखना) फदफदाना-(अ० क्रि०) 1 फद-फद शब्द होना 2 गरमी से | फ़रकना-अ० + हिं० बो० 1 फड़कना 2 अलग होना, दूर होना शरीर में दाने निकल आना 3 फदकना
फरका-(पु०) 1 बँडेर पर रखा जानेवाला छप्पर 2 दरवाज़े पर फन-I (पु०) = फण। ~मारना आवेश में विशेष प्रयत्न लगाया जानेवाला टट्टर करना
फरकिल्ला -(पु०) गाड़ी में हरसे से बाहर पटरी में लगाया फ़न-II अ० (पु०) 1 गुण 2 कला 3 कौशल 4 विद्या। जानेवाला छटा जिसके सहारे ऊपर का ढाँचा बनाया जाता है हरफ़न मौला अत्यंत कुशल व्यक्ति
फरकी-बो० (स्त्री०) लासायुक्त लकड़ी फनकना-(अ० क्रि०) 1 फन-फन शब्द करना (जैसे-साँप का फरचा-बो० (वि०) 1 जो जूठा न हो 2 साफ़ 3 शुद्ध फनकना) 2 तेज़ चलने से हवा से वस्त्र का फनफन शब्द फरचाई-बो० (स्त्री०) 1 शुद्धता 2 सफ़ाई करना
फरचाना-(स० क्रि०) बो० 1 साफ़ करना 2 शुद्ध करना फनकार-(स्त्री०) फन-फन होनेवाला शब्द
फ़रज़ंद-फ़ा० (पु०) पुत्र, बेटा । फनगना-(अ० क्रि०) 1 अंकुर युक्त होना 2 उन्नति करना फ़रज़ंदी-फा० (स्त्री०) पुत्र भाव, पितापुत्र का संबंध। ~में फनना-(अ० क्रि०) बो० 1 फंदा बनना 2.फंदा लगना 3 कार्य लेना बेटा बनाना आरंभ होना
फ़रज़ानगी-फ़ा० (स्त्री०) बुद्धिमानी फन-फन-(स्त्री०) = फनकार
फ़रज़ाना-फा० (वि०) बुद्धिमान फनफनाना-(अ० क्रि०) 1 फन-फन शब्द करना (जैसे-साँप | फ़रजाम-फा० 1 अंत, समाप्ति 2 परिणाम, फल का फनफनाना) 2 तेज़ी से इधर-उधर हिलना
फ़रज़ी-I फ़ा० (पु०) 1 शतरंज का मोहरा जिसे रानी कहते हैं फ़ना-[अ० (स्त्री०) 1 लीन होना 2 पूर्ण विनाश, बरबादी II 2 वज़ीर कहे जानेवाला शतरंज का मोहरा II (वि०)
(वि०) नष्ट, बरबाद। फ़िल्ला (वि०) ईश्वर में लीन 1 नकली 2 माना हुआ 3 काल्पनिक। ~बंद (पु०) 1 पैदल फनी-(स्त्री०) 1कपड़ा बुनने का औज़ार 2 पच्चर
के ज़ोर पर पड़नेवाली वजीर की शह 2 वजीर के ज़ोर पर बैठा फपकना-(अ० क्रि०) बढ़ना, पुष्ट होना
हुआ मोहरा फप्फस-(वि०) अत्यधिक मोटा एवं भद्दे शरीरवाला फ़रतूत-फा० (वि०) अत्यधिक वृद्ध, बहुत बूढ़ा फफकना-(अ० क्रि०) रुक रुककर फफ-फफ ध्वनि में रोना फ़रद-I अ० (स्त्री०) 1हिसाब-किताब लिखा जानेवाला फफदना-(अ० क्रि०) बो० इधर-उधर फैलना (जैसे-घाव रजिस्टर 2 सूची, तालिका II (पु०) 1 अकेला आदमी 2 एक फफदना)
साथ काम में आनेवाली वस्तुओं में से प्रत्येक III (वि०) फफसा-I (पु०) फेफड़ा II (वि०) 1 फूला हुआ और पोला 1 अकेला 2 बेजोड़ 2 स्वाद रहित, फीका
फ़रदा-फ़ा० (पु०) आनेवाला दिन, कल फफूंद-(स्त्री०) भुकड़ी। नाशक + सं० (पु०) फफूंद को | फरफंद-(पु०) 1 दाँव-पेंच, छल-कपट 2 झूठा आचरण नष्ट करनेवाली दवा आदि; विज्ञान + सं० (पु०) भुकड़ी ___3 नखरा, चोचला लगने के कारणों, निरोधक आदि पर विचार करने | फरफंदी-(वि०) 1 फरफंद करनेवाला, चालबाज़ 2 नखरेबाज़, की विद्या
नखरीला फफूंदी-(स्त्री०) भुकड़ी
फ़र-फ़र-I (पु०) वस्तु, पदार्थ, पक्षी आदि के उड़ने, हिलने, फफोला-(पु०) 1 जलने से त्वचा पर पड़नेवाला छाला फड़कने से उत्पन्न होनेवाला फर-फर शब्द II (क्रि० वि०) (जैसे-फफोला पड़ना) 2 शारीरिक विकार के कारण होनेवाला । फर-फर शब्द करते हुए (जैसे-फ़र-फ़र उड़ाना)
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फरफराना
558
फरफराना-I (अ० क्रि०) फर-फर शब्द उत्पन्न करना II ( क्रि० वि०) फर-फर शब्द करते हुए हिलना (जैसे-पतंग का
फरफराना)
फ़रमाँ - फ़ा० (पु० ) 1 अधिकारिक आदेश 2 आदेश लिखा हुआ पत्र, आदेश पत्र । गुज़ार (वि०) आज्ञाकारी; ~ गुज़ारी (स्त्री०) आज्ञाकारिता; देह (वि०) फ़रमाँगुज़ार; ~देही (स्त्री०) फ़रमागुज़ारी फ़रमाँबरदार - फ़ा० (वि०) आज्ञाकारी फ़रमाँबरदारी-फ़ा० (स्त्री०) आज्ञाकारिता फ़रमौरवा-फ़ा० (वि०) फ़रमाँगुज़ार फ़रमाँरवाई - फा० (स्त्री०) फरमाँगुज़ारी फ़रमा - अं० ( पु० ) 1 डौल, साँचा 2 कालबूत 3 काग़ज़ का पूरा तख़्ता जो एक बार में प्रेस में जाता है 4 एक बार में छपनेवाला पुस्तक आदि का निश्चित अंश 5 छापेखाने में ढाँचे में कसी हुई छपनेवाली सामग्री फ़रमाइश - फ़ा० (स्त्री०) 1 आज्ञा, आदेश 2 ऐसी वस्तु जिसके लिए अनुरोध किया गया हो (जैसे फ़रमाइश क़बूल करना) फ़रमान - फ़ा० (पु० ) 1 राजकीय आज्ञा, आज्ञापत्र 2 अस्थायी राजकीय आज्ञा फ़रमाना-फ़ा० + हिं० (स० क्रि०) कहना, आज्ञा करना फरराना - (अ० क्रि० स० क्रि०) बो० = फहराना फ़रलांग-अं० (पु०) दूरी की 220 गज की एक नाप फ़रलो -अं० (स्त्री०) आधी तनख्वाह पर दी गई लंबी छुट्टी फ़रवरी - अं० (पु० ) ईसवी सन् का दूसरा महीना फरवार - बो० (पु० ) खलिहान
फरवारी - बो० (स्त्री०) बढ़ई, नाई, ब्राह्मण आदि को दिया जानेवाला फ़सल का भाग
फरवी - (स्त्री०) भूना हुआ चावल, लाई
फ़रश - अ० (पु० ) फ़र्श फ़रशी-अ० +
=
=
=
फ़ा० (वि०) फ़र्शी
फ़रसंग - फ़ा० (पु० ) 18000 फुट की फासले की एक नाप
फरसा - ( पु० ) 1 परशु 2 फावड़ा
फ़रसूदा - फ़ा० (वि०) घिसा हुआ, जीर्ण
फ़रहंग - फ़ा० ( पु० ) 1 कोश 2 टीका, व्याख्या 3 कुंजी
फ़रहत - अ० (स्त्री०) प्रसन्नता, खुशी।
बख़्श + फ़ा०
(वि०) फ़रहत देनेवाला
फरहर-बों० (वि०) तेज़, चालाक
फरहरा - I ( पु० ) पताका फरहरा - II ( वि०) फरहर
फरही-बो० (स्त्री०) ठेठेर का लकड़ी काटने का चौड़ा भाग फरा-बो० (पु०) खौलते पानी में पकाया गया एक व्यंजन फ़राऊन अ० (पु० ) = फ़रअन
फ़राख़ - फा० (वि०) चौड़ा, विस्तृत । ~ दिल (वि०) उदार हृदयवाला; ~दिली (स्त्री०) उदारता, उदार हृदयता फ़राखी - फ़ा० (स्त्री०) 1 फ़राख़ होना, फैलाव 2 खुशहाली 3 बहुलता
फ़राग़त - अ० (स्त्री०) 1 छुटकारा 2 बेफिक्री; खाना + फ़ा० (पु०) शौचालय, पाखाना फ़राज़ - I फ़ा० (वि०) ऊँचा II (पु० ) ऊँचाई, बुलंदी फ़रामोश - फ़ा० (वि०) भूला हुआ, विस्मृत । कार (वि०)
विस्मरणशील
फ़रामोशी - फ़ा० (स्त्री०) भूल-चूक, विस्मृति
फ़रार - अ० (वि०) भागा हुआ, पलायित (जैसे- फ़रार व्यक्ति) फ़रारी - I अ० + फ़ा (वि०) भाग गया II (पु० ) भागा हुआ अपराधी
फ़र्टिलाइज़र
फ़राहम - फ़ा० (वि०) इकट्ठा किया हुआ फ़राहमी - फ़ा० (स्त्री०) इकट्ठा करना, जुटाना
फरिया - (स्त्री०) 1 लहँगा 2 ओढ़नी
फ़रियाद - फ़ा० (स्त्री०) 1 शिकायत 2 दुहाई 3 नालिश (जैसे- अदालत में फ़रियाद करना)
फ़रियादी - I फ़ा० (वि०) नालिश करनेवाला II ( पु० ) अभियोक्ता
फरियाना - I (अ० क्रि०) बो० 1 साफ़ होना 2 निर्णीत होना II (स० क्रि०) 1 निर्णय करना 2 साफ़ करना फ़रिश्ता - फ़ा० (पु० ) 1 देवदूत 2 देवता 3 लोकोपकारी तथा सात्विक वृत्तिवाला व्यक्ति
फरी-बो० (स्त्री०) चमड़े की ढाल
फ़रीक़ - अ० ( पु० ) 1 जुदा करनेवाला 2 वादी-प्रतिवादी पक्ष का कोई व्यक्ति 3 जमात। ~ औवल (पु० ) मुद्दई; ~सानी (पु०) मुद्दालेह; बंदी फ़ा० (स्त्री०) गुटबंदी, तरफ़दारी; ~ सालिस (पु० ) तीसरा पक्ष फ़रीक़े अव्वल - अ० + फ़ा० + अ० (पु०) = फ़रीक़ अव्वल फ़रीके सानी-अ० + फ़ा० + अ० ( पु० ) फ़रीक़ सानी फ़रीक़ैन- अ० (पु०) उभय पक्ष
=
फ़रीज़ा - अ० ( पु० ) खुदा का हुक्म, ईश्वरीय आदेश फरुआ-बो० (पु०) फावड़ा फरुई - (स्त्री०) फरुही
फरुहा - बो० (पु०) फावड़ा
फरुही - I बो० (स्त्री०) छोटा फावड़ा II भूना हुआ चावल, लाई फ़रफ़्ता - फ़ा० (वि०) 1 मोहित, मुग्ध 2 प्रेमी, आशिक फ़रेब - I फ़ा० (पु० ) छल, धोखा II (वि०) (समास के अंत में) लुभानेवाला, ठगनेवाला (जैसे-दिल फ़रेब, नज़र फ़रेब) । ~ कार (वि०) धोखेबाज़, ठगनेवाला फ़रेबी-फ़ा० (वि०) फ़रेब करनेवाला फरेरा-बो० (पु०) झंडा, पताका
+
फ़रोख्त - फ़ा० (स्त्री०) बिक्री, विक्रय (जैसे-खरीद फरोख़्त) फ़रोख़्ता - फ़ा० (वि०) बिका हुआ
फ़रोश - फ़ा० (वि०) (समास के अंत में) बेचनेवाला (जैसे- दवाफ़रोश, हुस्नफ़रोश )
= फ़रक़
फ़रोशी-फ़ा० (स्त्री०) 1 बेचना 2 बेचने से प्राप्त धन, बिक्री फ़र्क़ - अ० ( पु० ) फ़र्ज़द - फ़ा० (पु० ) = फ़रज़ंद फ़र्ज़ - अ० (पु० )
1 कर्तव्य, कर्म 2 शास्त्र विहित कर्म
3 ज़िम्मेदारी 4 कल्पना
फ़र्जी-अ० (वि०) 1 फ़र्ज़ किया हुआ, काल्पनिक 2 आवश्यक कर्तव्य
=
फ़र्ज़ी - फ़ा० (पु०) फ़रज़ी फ़र्ज़े मुहाल - अ० + फ़ा० + अ० (पु०) असंभव को संभव मान लेना
फर्टिलाइज़र-अं० (पु० ) उर्वरक (खाद )
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फ्रर्द
(स्त्री० ) 1 सूची जुर्म (स्त्री०) किए गए माल की
फर्द - I अ० (वि०) 1 अकेला 2 बेजोड़ II 2 चिट्ठा III ( पु० ) अकेला व्यक्ति। अभियोग सूची; तालिका (स्त्री०) कुर्क सूची; ~सजा + फ़्रा० (स्त्री०) दंडपत्र, हकूक़ (स्त्री०) अधिकारपत्र; ~ हिसाब (स्त्री०) हिसाब का चिट्ठा फ़र्दन-फ्रर्दन-अ० ( क्रि० वि०) अलग-अलग, हर आदमी से प्रदेजुर्म - अ० + फ़ा० + अ० (स्त्री०) फ़र्दजुर्म प्रदेसज़ा-अ० + फ़ा० (स्त्री०) फ़र्नीचर - अं० (पु० ) मेज़ - कुर्सी आदि
फ़र्दसज़ा
फ़र्म-अं० (पु०) व्यापारिक संस्था (जैसे- अनुषंगी फ़र्म, निजी फ़र्म)
=
फ़र्मा-अं० ( पु० ) फ़रमा
फ़र्रा - (पु० ) गेहूँ या धान की फ़सल का एक रोग फर्राटा - ( पु० ) वेग, तेज़ी
फ़र्राश - अ० (पु० ) 1 फ़र्श बिछानेवाला 2 खेमा लगानेवाला । ~ खाना + फ़ा० (पु०) खेमा आदि सामान रखने का कमरा फ़र्राशी- अ० + फ़ा० (स्त्री०) फ़रार्श का काम फर्री - (स्त्री०) पतली ईंट
फ़र्श - अ० ( पु०) 1 धरातल 2 कंकर आदि पीटकर पक्की की गई ज़मीन 3 ज़मीन पर बिछाई जानेवाली वस्तु 4 बिछावन फ़र्शी- अ० + फ़ा० (वि०) फ़र्श का, फ़र्श संबंधी फ़र्शेज़मीं -अ० + फ़ा० (स्त्री०) धरातल फर्स्ट - अं० (वि०) पहला, प्रथम । ~ क्लास (स्त्री०) प्रथम श्रेणी
(जैसे- परीक्षाफल, (जैसे - कर्मफल)
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+
फल - I सं० ( पु० ) 1 नतीजा, परिणाम झगड़े का फल ) 2 सुख-दुःख का भोग 3 पेड़ पौधों का गूदेदार बीजकोश (जैसे आम का फल, केले का फल) 4 गणित क्रिया से प्राप्त अंक । कंटक (पु० ) कटहल ; ~ काम (वि०) फल की कामना करनेवाला; ~ कामना (स्त्री०) फल की इच्छा; ~ काल (पु०) फल का मौसम, कोष (पु० ) पौधे का वह कोष जिसमें से फल निकलता है; खंडन (पु०) फल की अप्राप्ति, निराशा; त्रय (पु० ) 1 द्राक्षा, परुष और काश्मीरी इन तीनों फलों का समाहार 2 त्रिफला; त्रिक (पु० ) 1 सोंठ, पीपल और काली मिर्च 2 त्रिफला; -दाता (वि०) फल देनेवाला: ~दान (पु० ) ब्याह निश्चित होने पर वर को रुपए आदि देने की रस्म दायक (वि०) फल देनेवाला; दार | फ़ा० (वि०) 1 फलनेवाला 2 फलयुक्त (जैसे-फलदार वृक्ष); परिणाम (पु० ) फल का पूर्णतः पक जाना; ~ परिरक्षण (पु०) फल को हानि, सड़ने-गलने से बचाना; ~पूर (पु० ) बिजौरा, नीबू पूर्ण (वि०) 1 फलयुक्त 2 फलदायक प्रद (वि०) फल देनेवाला; प्राप्त (वि०) 1 फलयुक्त 2 फल मिला हुआ, परिणाम को प्राप्त; ~ प्राप्ति (स्त्री०) 1 सफलता, क़ामयाबी 2 भोग; प्रिय (वि०) फल पसंद करनेवाला; फलारी + हिं० (स्त्री०) कई तरह के फल, मेवे, फूल + हिं० (पु० ) फल और फूल; ~ भागी (वि०) = फल भोगी; ~भित्ती (स्त्री०) फल का आवरण; भूमि (स्त्री०) कर्मफल भोगने का स्थान; ~ भोग (पु० ) कर्मफल का भोग भोगी (त्रि०) कर्मफल का भोग भोगनेवाला भोजी भोजी (वि०)
-
फलाम्लिक
फल खानेवाला; योग (पु० ) फलागम, फल-प्राप्ति; वंध्य (वि०) फलरहित; ~ वर्ति (स्त्री०) घाव में भरने की मोटी बत्ती; ~विक्रयी (पु०) फल बेचनेवाला; वृक्ष (पु० ) फल देनेवाला पेड़ ~ शर्करा (स्त्री०) फलों में रहनेवाली चीनी; श्रुति (स्त्री०) 1 सत्कर्म विशेष का फल बतानेवाला वाक्य 2 इस तरह के वाक्य का श्रवण साधन (पु० ) अभीष्टसिद्धि का साधन सिद्धि (स्त्री०) फल-प्राप्ति; ~ स्वरूप ( क्रि० वि०) परिणामतः, परिणाम
स्वरूप
फल - II सं० (पु० ) 1 तीर, बर्छा आदि का अगला भाग 2 तलवार आदि की धार। ~दार फ़ा० (वि०) धारदार, धारवाला
फलक - I सं० (पु०) 1 तख़्ता 2 पटल ~ यंत्र ( पु० ) ज्योतिष संबंधी यंत्र
फ़लक - I अ० (पु० ) 1 आकाश 2 स्वर्ग । ज़दा + फ़ा० (वि०) मुसीबत का मारा; सैर (वि०) वायु वेगवाला फलका - बो० (पु०) फफोला फ़लकी- अ० (वि०) आकाशीय फलतः सं० (क्रि० वि०) फलस्वरूप, इसलिए फलतः - ( क्रि० वि०) फलस्वरूप, परिणाम स्वरूप फलद-सं० (वि०) फल देनेवाला फलन-सं० ( पु० ) 1 फलना 2 परिणाम उत्पन्न करना फलना - ( अ० क्रि०) 1 फल आना, फलयुक्त होना 2 फल देना (जैसे-आम का पेड़ फलने लगा ) 3 संतानवती होना । फूलना (अ० क्रि०) 1 फलयुक्त होना 2 सुख-सौभाग्ययुक्त होना
फलवती-सं० (स्त्री०) फलवाली फलवान्-सं० (वि०) फलयुक्त
फ़लसफ़ा - अ० (पु० ) 1 ज्ञान, विद्या 2 दर्शन शास्त्र, तर्क विद्या फ़लसफ़ी-अ० (वि०) 1 फ़लसफ़ा संबंधी 2 फ़लसफ़ा जाननेवाला, दार्शनिक
फलहरी-बो० (स्त्री० ) = फरेरी
फ़लाँ- अ० (वि०) अमुक (जैसे-फ़लाँ व्यक्ति) फलाँग - (स्त्री०) 1 छलाँग 2 छलाँग में तय की गई दूरी फलाँगना - (अ० क्रि०) छलाँग मारना, कूदना फलांश-सं० (पु०) तात्पर्य, सारांश फलाकांक्षा-सं० (स्त्री०) फल की इच्छा
फलागम - सं० ( पु० ) 1 फल आना 2 फल आने का काल 3 फलयोग
फलादन-सं० (वि०) - फलाशन
फलादेश -सं० पु० ग्रहों आदि का फल बताना फलाना - (स० क्रि०) फलने का कारण होना फ़लाना- अ० (वि०) - फ़लाँ फलानुबंध-सं० (पु० ) परिणाम की अनुक्रम फलानुमेय - सं० (वि०) फल से जानने योग्य फलान्वेषी-सं० (वि०) फल का आकांक्षी फलापेक्षा-सं० (स्त्री०) फल कामना
फला-फूला - (त्रि०) 1 संपन्न, समृद्ध 2 विकसित फलाम्लिक - 1 सं० (वि०) खट्टे फल से बना II (पु० ) इमली आदि की चटनी
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फलार
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फाँटा
निचोड़, वाला लंबाबी
फलार-बो० (पु०) फलाहार
फसद-अ० (स्त्री०) फ़स्द फलारिष्ट-सं० (पु०) फल का काढ़ा या अर्क
फसल-अ० (स्त्री०) 1 अनाज आदि की पैदावार (जैसे-रबी फलार्थी-सं० (वि०) फल की कामना करनेवाला
की फ़सल) 2 खड़े अनाज के पौधे (जैसे-फसल पक गई) फ्रलालीन, फलालेन-अं० (स्त्री०) एक तरह का मुलायम 3 मौसम, ऋतु। ~क्षेत्र + सं० (पु०) फ़सलवाला खेत; ऊनी कपड़ा
बंधक + सं० (पु०) फ़सल गिरवी रखना फलावरण-सं० (पु०) = फल-भित्ती
फ़सली-[ अ० + फ़ा० (वि०) 1 फ़सल संबंधी, फ़सल का फलाशन-I सं० (वि०) फलभोजी II (पु०) तोता 2 विशेष ऋतु में होनेवाला II (स्त्री०) हैजा नामक रोग फलाशी-सं० (वि०) फलाहारी
फ़साद-अ० (पु०) 1लड़ाई-झगड़ा 2 उत्पात, उपद्रव फलासंग-सं० (पु०) फल के प्रति आसक्ति
3 बिगाड़, खराबी। ~का घर झगड़े की जड़ फलासक्त-सं० (वि०) फलार्थी
फ़सादी-अ० + फ़ा० (वि०) फ़साद करनेवाला, झगड़ाल, फलाहार-I सं० (पु०) फल का आहार II (वि०) फल |
. उपद्रवी खाकर रहनेवाला
फ़सादे-खून-अ० + फा० (पु०) खून की खराबी,खून खराबी फलाहारी-सं० (वि०) 1 फलाहार करनेवाला 2 दूध आदि से फ़साना-फ़ा० (पु०) 1 कल्पित साहित्यिक रचना 2 उपन्यास निर्मित, अनरहित
3 कहानी। वीसू, निगार (पु०) 1कहानीकार फलिक-सं० (वि०) फल का उपभोग करनेवाला । 2 उपन्यासकार फलित-[ सं० (वि०) 1 फला हआ 2 फलीभूत II (प०) | फ़साहत-अ० (स्त्री०) भाषा का सरल एवं स्वाभाविक गुण फल - वृक्ष। ज्योतिष (पु०) ग्रह-नक्षत्रों की गति से | फ़सील-अ० (स्त्री०) चहारदीवारी
शुभाशुभ अदृष्ट बतानेवाला ज्योतिष का एक अंग फ़सीह-अ० (वि०) स्वाभाविक बोलचाल के शब्दों तथा फलितव्य-सं० (वि०) फलने योग्य
. प्रयोगों की बहुलता से युक्त फलिता-सं० (स्त्री०) रजस्वला स्त्री
फ़स्द-अ० (स्त्री०) रगों से विकारग्रस्त, गंदा रक्त निकालने की फलितार्थ-सं० (पु०) 1 निचोड़, सारांश 2 तात्पर्य
क्रिया। ल्खुलवाना 1 शरीर का गंदा खुन निकलवाना फली-(स्त्री०) 1 फल के रूप में होनेवाला लंबोतरा अंग | 2 पागलपन का इलाज़ करवाना 2 फल के आकार का लंबोतरा एवं चिपटा फल, छींबी फ़स्लेइस्तादा-अ० + फा० (स्त्री०) खड़ी फ़सल (जैसे-सेम की फली) । ~दार + फ़ा० (वि०) फलियों से | फ़स्लेखरीफ-अ० + फ़ा० + अ० (स्त्री०) सावनी फ़सल युक्त
फ़स्लेबहार-अ० + फ़ा० (स्त्री०) बसंत ऋतु फली-सं० (वि०) 1 फलयुक्त, फलवाला 2 लाभदायक। फ़स्लेरबी-अ० + फ़ा० + अ० (स्त्री०) असाढ़ी फ़सल
~करण (पु०) फटकना, माँड़ना; कृत (वि०)फटका हुआ फ़हम-अ० (स्त्री०) 1 ज्ञान 2 बुद्धि, समझ 3 तमीज़ फ़लीता-अ० (पु०) 1 पलीता 2 गोटे के साथ टाँकी जानेवाली फ़हमाइश-अ० + फा० (स्त्री०) 1 शिक्षा, सीख 2 आज्ञा, डोरी 3 बत्ती 4 ताबीज
हकम 3 चेतावनी फलीभूत-सं० (वि०) फल रूप में परिणत, फलित फहरना-(अ० क्रि०) फर-फर करके उड़ना (जैसे-फलीभूत कार्य)
फहरान-(स्त्री०) फहराना, उड़ान, उड़ना फलोत्यत्ति-सं० (स्त्री०) फल की उत्पत्ति 2 आर्थिक लाभ | फहराना-I (स० क्रि०) इस तरह फैलाना कि फर-फर करते फलोदय-सं० (पु०) 1 फल होना 2 हर्ष
हए लहराए (जैसे-धोती फहराना) II (अ० क्रि०) फलोद्भव-[सं० (वि०) फल से उत्पन्न || (पु०) फल की इधर-उधर हिलना (जैसे-हवा में झंडा फहराना) उत्पत्ति
फ़हश-फा० (वि०) फूहड़, अश्लील फलोपजीवी-सं० (वि०) फल-व्यवसाय से जीविका | फ़ॉक-(स्त्री०) 1 फल आदि का लंबोतरा टुकड़ा (जैसे-आम चलानेवाला
की फाँक) 2 नारंगी, चकोतरे आदि का प्राकृतिक रूप में फल्क-सं० (वि०) फैला हुआ
विभाजित अंश फला-सं० (वि०) 1 निस्सार 2 निरर्थक, व्यर्थ 3 क्षुद्र, तुच्छ | फाँकड़ा-(वि०) 1 बाँका, तिरछा 2 तगड़ा फल्गुन-सं० (पु०) फाल्कुन
फाँकना-(स० क्रि०) 1 चूर्ण पदार्थ को झटके से मुँह में डालना फलानी-सं० (स्त्री०) फाल्कुनी। ~भव (पु०) वृहस्पति (जैसे-सत्तू फाँकना) 2 भुने दाने खाना फल्प-सं० (पु०) 1 फूल 2 कली
फ़ॉका-(पु०) 1 = फंका। -कशी + फ़ा० (स्त्री०) भूखों, फल्ला -(पु०) एक प्रकार का रेशम
रहना फ़व्वारा-अ० (पु०) 1 अनेक छिद्रोंवाली टोंटी 2 इस टोंटी से फाँकी-I बो० (स्त्री०) 1 फंका 2 = फाँक निकलनेवाली अनेक धाराएँ
फाँकी-II (स्त्री०) छल, धोखा फसकड़ा-बो० (पु०) पैर फैलाकर बैठने का ढंग फाँट-I (स्त्री०) कई भागों में बाँटना 2 बाँटे गए भाग। बंदी फसकना-I (अ० क्रि०) 1 फट जाना, मसकना 2 फँसना II _+ फ़ा० (स्त्री०) कई भागों में बांटने की क्रिया (वि०) 1 मसकनेवाला 2 धंसनेवाला
फ़ॉट-II (वि०) आसानी से तैयार किया जानेवाला फसकाना-(स० क्रि०) 1 कपड़े का मसकना, दबाकर फाड़ना | फाँटना-I (स० क्रि०) कई भागों में बाँटना II उबालना 2 धंसाना
| फाँटा-(पु०) कोनिया
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ड
फ़ौड़ा - (पु०) फेंटा
पकड़ना भागने से रोकना
फाँद - I (पु० ) फँदा II (स्त्री०) फाँदना, लाँघना फाँदना - I (स० क्रि०) 1 कूदकर लाँघना (जैसे-नाला फाँदना) 2 जाल में फँसाना
=
फाँदना - II ( अ० क्रि०) कूदना, उछलना (जैसे-रस्सी फाँदना) फाँदी - (स्त्री०) 1 रस्सी 2 गट्ठा फॉफ - (स्त्री०) संधि, दरज
फाँफी - (स्त्री०) 1 बहुत महीन झिल्ली, बारीक तह 2 माँड़ा फाँस - I (स्त्री०) 1 रस्सी का फंदा 2 फाँसा फाँस - II (स्त्री०) 1 सूखी लकड़ी आदि का सूक्ष्म किंतु कड़ा तंतु (जैसे- फाँस गड़ना) 2 अप्रिय बात, गाँस 3 पतली तीली
फाँसना - (स० क्रि०) 1 फंदे में फँसाना 2 फंदे में कसना 3 दाँव-पेंच में बाँधना
फाँसा - (पु० ) लंबा रस्सा
फाँसी - (स्त्री०) 1 रस्सी आदि का फंदा 2 फंदा लगाकर दिया जानेवाला प्राणदंड (जैसे- मुज़रिम को फाँसी दी गई ) 3 संकटपूर्ण बंधन (जैसे-प्रेम की फाँसी)। काठ (पु० ) फाँसी का तख़्ता घर (पु०) फाँसी देने का स्थान: चढ़ना फाँसी चढ़ाया जाना; चढ़ाना, देना फंदे से गला घोंटकर मौत की सज़ा देना; पड़ना फाँसी की सज़ा पाना; ~लंगना फंदे से गला कसना फाइटर-अं० (पु० ) योद्धा फ़ाइन - I अं० (पु० ) अर्थ दंड II (वि०) बढ़िया, सुंदर फ़ाइनल अं० (वि०) 1 अंतिम (जैसे-फ़ाइनल परीक्षा) 2. निष्कर्ष
फ़ाइबर - अं० (पु० ) 1 रेशा 2 तंतु
फ़ाइल - I अं० (स्त्री०) 1 काग़जों की नत्थी मिसिल 2 दफ़्ती आदि की जिल्द मात्र
फ़ाइल-II अं० (स्त्री०) सेना की टुकड़ी फ़ाइल - III अं० (स्त्री०) रेती
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फ़ाइलिंग-अं० (स्त्री०) फ़ाइल करना
फाउंटेन पेन- अं० (पु० ) नलिकादार क़लम (जैसे-फाउंटेन पेन में स्याही भरना)
फ़ाक़ा - अ० (पु० ) उपवास, अनाहार (जैसे-फ़ाक़ा करना) | ~कश + फ़ा० (वि०) फ़ाक़ा करनेवाला, क्षुधा पीड़ित, ~कशी + फ़ा० (स्त्री०) भूखा मरना; मस्त का (वि०) भूखा होने पर भी निश्चित रहनेवाला। फ़ाकों मरना भूखों मरना
फ़ाख़तई - I अ + फ़ा० (वि०) भूरापन युक्त लान्ट || (पु० ) भूरापन लिये लाल रंग
फ़ाख़्ता, फ़ाख़्ता- अ० (स्त्री०) पंडुक नामक पंक्षी। जाना 1 घबड़ा जाना 2 बेहोश होना
उड़
फाग - (पु० ) 1 फागुन माह का उत्सव 2 फागुन माह के उत्सव का गीत
फागुन - ( पु० ) माघ के बाद का महीना, फागुन माह फागुनी - (वि०) फागुन का
फ़ाजिर - अ० (वि०) दुश्चरित्र, बदकार
फ़ाजिरा - अ० (स्त्री०) दुश्चरित्र स्त्री, बदकार औग्न फ़ाज़िल - अ० (वि०) 1 आवश्यकता से अधिक 2 बहुत बड़ा
फ़ारम
विद्वान्, स्नातक (जैसे-फ़ाज़िल इंस्गन)। बाक़ी (स्त्री०) शेष रक़म
फांट - ( पृ०) खंड
फाटक - I (पु० ) 1 बड़ा दरवाजा, सिंहद्वार 2 मवेशीखाना, काँजी हौस । दार + फ़ा० (पु० ) कांजीहौस का प्रबंधक -बंदी - फ़ा० (स्त्री०) काँजीहौम में बंद करना; में देना कांजीहौस में बंद करना
फाटक - II बो० (पु०) पछोड़न, फटकन
फाटका - (पु०) सट्टा, खेला, स्पेक्युलेशन। -बाज़ + फा० (पु० ) = फाटकेबाज़
फाटकी - (स्त्री०) फिटकरी
फाटकेबाज़ - हिंο फा० (पु० ) सट्टेबाज़ फाड़ - (पु० ) फाड़ना (जैसे- चीर-फाड़)। खाऊ (वि०) फाड़ खानेवाला, कटखन्त्रा
+
फाड़न - (स्त्री०) 1 फाड़ना 2 फाड़ने से निकला हुआ टुकड़ा, पदार्थ 3 जलीय भाग (जैसे- दूध की फाड़न) फ़ाड़ना - (स० क्रि०) 1 चीरना (जैसे लकड़ी फाड़ना) 2 टुकड़े करना (जैसे- काग़ज़ फाड़ना) 3 फैलाना, बढ़ाना (जैसे-हाथी
मुँह फाड़ना, आँखे फाड़कर देखना) 4 जलीय अंश अलग करना (जैसे- दूध फाड़ना) । फाड़ खाना 1 चीरकर खा जाना 2 झल्लाना
फ़ातिहा - अ० (स्त्री० ) 1 आरंभ 2 प्रार्थना 3 कुरान की पहली आयत (जैसे-मरने पर फ़ातिहा पढ़ना) । ख्वानी + फ़ा (स्त्री० ) फ़ातिहा पढ़ने की रस्म पढ़ना निराश होना
फानना - I (स० क्रि०) धुनना फानना - II (स० क्रि०) बोल शुरू करना फानी - अ० (वि०) नश्वर
फ़ानूस - अ० (पु० ) 1 शीशे की चिमनी 2 छत पर लटकाया जानेवाला शीशे का शमादान 3 मोमबती जलाने का शीशे का गिलास 4 ग्लोबदार शमादान, पिंजरे के आकार की कंदील फाफा - (स्त्री०) पोपली बुढ़िया । ~कुटनी (स्त्री०) झगड़ा लगानेवाली बुढ़िया
फ़ायदा -अ (पु० ) 1 लाभ, नफा 2 प्राप्ति (जैसे- व्यापार में सौ रुपये का फ़ायदा हुआ) 3 अच्छा असर प्रभाव (फ़ायदा होना) फायदेमंद - अ फ़ायर -अं
4
फ़ार (वि०) लाभदायक, उपकारक ( पु० ) | आग 2 दागना, फैर (जैसे- बंदूक फायर) | -- अलार्म (पु०) आग लगने की सूचना अपने आप मिल जाने की व्यवस्था: आर्म (पु० ) आग्नेय अस्त्र: इंजन (पु) आग बुझाने की मशीन, -प्रूफ़ (वि) अग्रिमहः - प्लग (पु० ) आग बुझाने का नलका बाक्स (पु०) बायलर, भड्डी -ब्रिक (पु) पकी हुई इंट ब्रिगेड (पु) आग बुझानेवालों का
दमकल,
दम्नाः
मैन (पु) | आग बुझानेवाला व्यक्ति 2 भट्टी, इंजन भट्टी में कोयला डालनेवाला व्यक्ति
फायरिंग-अं० (स्त्री.) फायर । जैसे बंदूक की फायरिंग) |
ग्राउंड (पु) चांदमारी का मैदान
फाया (पु) फाहा
फ़ारखती-अ • फ़ार (स्त्री०) । रसीद 2 बेबाकी की रसीद फारम -1 अं ( पु० ) | प्रार्थना पत्र का विहित रूप
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फिडरेशन
(जैसे-नौकरी का फ्रारम देखना)2 किसी रूप का छपा हुआ | प्रासिस्ट-अं० साम्यवाद के विरोधी उग्र मतावलंबी। ल्वाद कागज़ (जैसे कोण फारम) 3 शारीरिक एवं मानसिक वस्त्र सं० (पु०) साम्यवाद का विरोधी उग्र मत; यादी + सं० स्थिति (जैसे-खिलाड़ी फारम में नहीं है)
(वि०) फासिस्टवाद को माननेवाला; विरोधी + सं० फ्रारम-II अं० (पु०) = फार्म I
(वि०) = फासिज्म-विरोधी फ्रारमूला-अं० (पु०) सूत्र
फ्रासिस्टी-अं० + हिं० (वि०) = फासिस्टवादी फ्रारसी-I फ्रा० (वि०) फरस का ॥ (सी०) आधुनिक ईरान फ्रासोट-अं० (पु०) एक रासायनिक उर्वरक
की भाषा। दान (पु०) फारसी पढ़ा हआ व्यक्ति; दानी फाह्म-(पु०) 1 इत्र, घी आदि में तर की गई रूई 2 मलहम (स्त्री०) फ़ारसी भाषा का ज्ञान; ~पन + हिं० (पु०) फ़ारसी लगी पट्टी (जैसे-घाव पर फाहा रखना) प्रयोग; बघारना बेमौके विद्वता प्रदर्शित करना फ्राहिश-अ० (वि०) 1 दूषित, बहुत बुरा 2 हेय, घृणित फारा-बो० (पु०) 1 = फार 2 फरा
फ्राहिशा-अ० (स्त्री०) कुलटा, पुंश्चली फारिग-अ० (वि०) 1मुक्त (जैसे-काम से फारिंग होना) फिंकरना-(अ० क्रि०), बो० गीदड़ का बोलना
2 अवकाश प्राप्त। खती फ्र० (स्री०) = फरखती फिंकवाना-(स० क्रि०) फेंकने का काम कराना फ्रार्म-I अं० (पु०) 1खेत 2 बड़े रकबे का खेत किंगा-(पु०) एक चिड़िया, फेंगा (जैसे-सरकारी फ़ार्म)
फ्रिक्ररा-अ० (पु०) 1 छलभरी बात 2 व्यंग्यपूर्ण बात। फ्रार्म-II अं० (पु०) = फारम |
बंदी + फ़ा० (स्त्री०) तुकबंदी; चल जाना चकमे का फ्रामिंग-अं० (स्त्री०) खेती
काम कर जाना; बताना धोखा देना, चकमा देना; फ़िकरे फ्रार्मूला-अं० (पु०) = फारमूला
सुनाना आवाज़ कसना, व्यंग्य भरी बातें कहना फ्रार्मेसी-अं० (स्त्री०) 1 औषधशाला 2 औषध निर्माण विज्ञान | फ़िकरेबाज़-अ० + फ़ा० (वि०) 1 चकमा देनेवाला, फाल-I (स्त्री०) कटी सुपारी
धोखेबाज़ 2 व्यंग्य कसनेवाला फाल-II (पु०) 1डग 2 एक डग का फासला फ्रिकरेबाज़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) चकमा देना, धोखेबाज़ी फाल-III सं० (स्त्री०) 1ठोस वस्तु का टुकड़ा 2 कुसी फिकैत-(पु०) 1 गतका-फरी, पटेबाज़ 2 भाला फेंककर
(जैसे-हल की फाल)। -कृष्ट (वि०) जोता गया खेत __ लड़नेवाला योद्धा फाल-अ० (स्त्री०) शकुन। लामा + फ़ा० (पु०) शकुन फिकैती-(स्त्री०) 1 पटेबाज़ी 2 भाला आदि फेंककर चलाने संबंधी एक ग्रंथ
की कला फालतू-(वि०) 1 बेकार, निरर्थक 2 निकम्मा
फ़िक्र-अं० (स्त्री०) 1चिंता 2 ध्यान 3 विचार। -मंद . फालसई-I (वि०) फालसे के रंग का, ललाईयुक्त काला II फ्रा० (वि०) चिंतित, चिंताकुल; ~मंदी । फा० (स्त्री०) (पु०) ललाईयुक्त काला रंग
चिंताकुलता फ़ालिज-अ० (पु०) लकवा, पक्षाघात। -ज़दा + फ़ा० फ़िक्रे-मआश-अ० + फ़ा० + अ० (स्त्री०) जीविका की (वि०) लकवे से मारा हुआ
चिंता फ़ाल्दा-फा० (पु०) सेवई की तरह का शर्बत के साथ पीया | फ़िक्स-अं० (वि०) 1नियत 2 पक्कास्थायी जानेवाला एक खाद्य
फ़िक्सचर-अं० (पु०) अनुलग्नी फ़ालेज़-फा० (पु०) खरबूजे-ककड़ी का खेत
फिचकुर-(प०) झाग, फेन (जैसे-फिचकर निकलना) फाल्गुन-सं० (पु०) फागुन
फ़िज़िकल-अं० (वि०) शारीरिक (जैसे-फिजिकल ट्रेनिंग) फाल्गुनिक-I सं० (वि०) 1 फाल्गनी नक्षत्र संबंधी | फिज़िक्स-अंक (स्त्री०) भौतिक विज्ञान
2 फाल्गुनी की पूर्णिमा से संबद्ध II (पु०) फाल्गन मास | फिजूल-अ० (वि०) फजल फाल्गुनी- सं० (स्त्री०) 1 फाल्गुनी मास की पर्णिमा 2 पूर्वा | फिट-[ बो० (अ०) दुत्कारने का शब्द, थुड़ी फाल्गुनी एवं उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र
फ़िट-II अं० (वि०) 1 ठीक, उपयुक्त 2 दुरुस्त, बिल्कुल फावड़ा-(पु०) फरसा बजना खुदाई का काम शुरू होना तैयार फावड़ी-(स्त्री०) 1 छोटा फावड़ा 2 काठ की कुदाल फ़िट-III अं० (पु०) 1बीमारी का दौरा 2 बेहोशी फ़ाश-फा० (वि०) 1खुला हुआ, प्रकट 2 अनावृत |
फिटकार-(स्त्री०) धिक्कार, लानत (जैसे-पर्दाफाश करना)
फिटकिरी-(स्त्री०) दवा आदि के काम आनेवाला एक प्रसिद्ध फासफ़रस-अं० (पु०) ज्वलनशील मूल तत्व
सफ़ेद रंग का खनिज पदार्थ, एलम फ़ासला-अं० (पु०) अंतर (जैसे-चार मील का फ़ासला)| फिटकी- स्त्री०) 1 कपड़े की बनावट में निकले छोटे-छोटे फ़ासिज्म-अं० (पु०) साम्यवाद के विरोध में मुसोलिनी द्वारा । फुचरे 2 छींटा चलाया गया इताली राष्ट्रीय आंदोलन। विरोधी (वि०)| फिटन-सं० (स्त्री०) एक पुराने ढंग की घोड़ा गाड़ी फ़ासिज्म का विरोध करनेवाला
फ़िटर-अं० (पु०) मशीन में कल-पों को यथास्थान फ़ासिद-अ० (वि०) 1दंगा-फ़साद करनेवाला 2 विकार पैदा| __ बैठानेवाला मिस्तरी (जैसे-फ़िटर की नौकरी) करनेवाला 3 बुरा, खोटा
फ्रिटिंग-अं० (स्त्री०) लगवाई-जुड़ाई फ़ासिल-अ० (वि०) अंतर करनेवाला, जुदा करनेवाला फिट्टा-(वि०) निर्लज्ज, बेहया फ़ासिला-अ० (पु०) दूरी, अंतर
फ्रिडरेशन-अं० (पु०) परिसंघ
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फिड्डा
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फिल्माना किडा-(वि०) पाँव रगड़कर चलनेवाला
का भाव 2 लौटना-लौटाना फितना-अ० (पु०) 1 अचानक होनेवाला उपद्रव फ़िरदौस-अ० (पु०) 1 वाटिका, बाग 2 स्वर्ग, बहिश्त
2 दंगा-फसाद। ~अंगेज + फा० (वि०) झगड़ालू, फिरना-(अ० क्रि०) 1 लौटना, पलटना 2 बदलना 3 लौटाया फ़सादी; ~अंगेजी + फ़ा० (स्त्री०) झगड़ालूपन; ~अंदाज जाना 4 घूमना; भ्रमण करना 5 मंडलाकर घूमना (जैसे-पहिया + फा० (वि०) झगड़ा उठानेवाला, फ़सादी; ~अंदाजी + फिरना, माला फिरना) 6 घुमाया जाना (जैसे-डुग्गी फिरना) फ़ा० (स्त्री०) झगड़ा उठाना; परदाज़ + फ़ा० (वि०) = 7 मुड़ना (जैसे-पीछे फिरना) 8 दशा बदलना (जैसे-किस्मत फ़ितनाअंदाज़
फिरना) 9 हीन अवस्था को प्राप्त होना (जैसे-बुद्धि फिरना) फ़ितरत-अ० (स्त्री०) 1 स्वभाव, प्रकृति 2 चालाकी, 10 मुकरना (जैसे-वचन देकर वह फिर गया) 11 मल चालबाज़ी 3 शरारत 4 धूर्तता
त्यागना 12 पोता जाना फ़ितरतन-अ० (क्रि० वि०) स्वभावतः
फिरनी-(वी०) चीनी, मेवे आदि से युक्त एक प्रकार का खाद्य फ़ितरती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 चतुर, चालाक 2 शरारती | फिरवा-(पु०) 1 गले में पहनने का एक आभूषण 2 सोने के 3 प्रकृतिगत 4 धूर्त
तार से कई लपेट देकर बनाई गई अँगूठी फ़ितरी-अ० (वि०) 1 प्राकृतिक 2 जन्मगत
फिरवाना-(स० क्रि०) फेरने का काम कराना फ़ितूर-अ० (पु०) = फ़तूर
| फिराऊ-(वि०) 1 लौटनेवाला 2 जिसे लौटाया जा सके फ़ितूरी-अ० + फ़ा० (वि०) = फ़तूरिया
(जैसे-फिराऊ रेहन) फ़िदवी-अ० (वि०) 1 स्वामी-भक्त, आज्ञाकारी 2 निछावर, | फ़िराक़-अ० (पु०) 1वियोग, जुदाई 2 सोच, चिंता बलिदान
__ (जैसे-नौकरी के फ़िराक़ में इधर-उधर घूमना) फ़िदा-I अ० (पु०) 1 बलिदान करना (जैसे-देश पर सर्वस्व | फिराना-(स० क्रि०) 1फिरने में प्रवृत्त करना 2 घुमाना, फ़िदा करना) 2 आत्म-बलिदान करना (जैसे-प्यार में फ़िदा | टहलाना 3 चक्कर देना 4 वापस करना, लौटाना होना) 3 आसक्त भाव II (वि०) 1 आत्म बलिदान फिराव-(पु.) 1 वापसी 2 घुमाव करनेवाला 2 बलिदान करनेवाला 3 पूर्णतः आसक्त, मुग्ध | फिरासत-अ० (स्त्री०) समझदारी, बुद्धिमानी (जैसे-किसी के रूप-यौवन पर फ़िदा होना)
फ़िरियाद-फा० (स्त्री०) = फ़रियाद फ़िदाई-अ० (वि०) 1 प्राणोत्सर्ग करनेवाला 2 प्रेम में पागल | फ़िरियादी-फ़ा० (वि०) = फ़रियादी होनेवाला
फ़िरिश्ता-फा० (पु०) = फ़रिश्ता फिनायल-अं० (पु०) कोलतार से बना एक कीटनाशक द्रव फ़िरिहरी-बो० (स्त्री०) फिरकी नामक खिलौना फिनिया-(स्त्री०) कान में पहनने का एक गहना फिरौती-(स्त्री०) 1 फेरना, लौटाना 2 लौटाने का पारिश्रमिक फ़िरंग-फा० (पु०) 1 यूरोप का देश, फिरंगिस्तान 2 गर्मी 3 बेची गई वस्तु को लौटाते समय दुकानदार द्वारा विक्रय मूल्य नामक रोग
__ में काटा गया धन फिरंगी-[फा० (वि०) 1 फिरंग देश में उत्पन्न 2 फिरंग देश से | फ़िा -अ० (पु०) = फ़िरक़ा संबद्ध 3 फिरंग रोग से संबंधित II (पु०) फिरंग देश का फ़िदोस-अ० (पु०) = फ़िरदौस निवासी
फ़िलफ़ौर-अ० (क्रि० वि०) फ़ौरन, तुरंत फ़िरंट-(वि०) प्रतिकूल, विरुद्ध
फ़िलमाना-अं० + हिं० (स० क्रि०) फ़िल्माना फिरंदर-(वि०) इधर-उधर घूमनेवाला
फ़िलहक़ीक़त-अ० (क्रि० वि०) सचमुच फिर-(क्रि० वि०) 1 एक बार और, दोबारा 2 भविष्य में किसी। फ़िलहाल-अ० (क्रि० वि०) अभी, इसी समय समय 3 अनंतर, उपरांत, बाद 4 इसके सिवाय
फिलामेंट-अं० (पु०) तंतु, रेशा फ़िरऔन-[ अं० (पु०) मिश्र के प्राचीन बादशाहों की उपाधि फ़िलासफ़ी-अं० (स्त्री०) दर्शन-शास्त्र II (वि०) घमंडी, सरकश
फ़िल्टर-अं० (पु०) छन्ना, छन्नी फिरक-(स्त्री०) एक प्रकार की छोटी गाड़ी
फ़िल्म-अं० (स्त्री०) 1 चल-चित्र 2 एक्स-रे की छाया चित्र फिरकना-(अ० क्रि०) 1 फिरकी की तरह घूमना 2 थिरकना | पट्टी (जैसे-फ़िल्म तैयार करना)। उत्सव + सं० (पु०) नाचना
चलचित्र समारोह; ~उद्योग + सं० (पु०) सिनेमा व्यवसाय; फ़िरक़ा-अ० (पु०) 1 जाति 2 वर्ग 3 गिरोह, जत्थ | एक्टर (पु०) चल-चित्र अभिनेता; ~एक्ट्रेस (स्त्री०) (जैसे-फ़िरका परस्त)। परस्त + फ़ा० (वि०)। चल-चित्र अभिनेत्री; ~डायरेक्टर (पु०) चल-चित्र साम्प्रदायिक; ~परस्ती + फ़ा० (स्त्री०) पाम्प्रदायिकता निर्देशक; तारिका । सं० सिनेमा अभिनेत्री; निर्देशक बंदी + फ़ा० (स्त्री०) जमात बनाना, गिरोहबंदी; । सं० (पु०) - फ़िल्म-डायरेक्टर; --प्रदर्शन सं० (पु०)
वाराना + फ़ा० (वि०) सांप्रदायिक, संप्रदायगत चल-चित्र दिखाना; - शूटिंग (स्त्री०) चलचित्र के लिए फिरकी-(स्त्री०) 1 दफ़्ती आदि का गोल, चक्राकार टुकड़ा फोटो खींचना; ~शो (पु०) सिनेमा का प्रदर्शन; समारोह 2 फिरहरी, भैंभीरी 3 चकई, चकरी नामक खिलौना
+ सं० (पु०) = फ़िल्म-उत्सव फ़िरकेबंदी-फ़ा० (स्त्री०) दलबंदी
फ़िल्मांतरण- + सं० (पु०) चलचित्र का रूप फिरता-I (वि०) 1 लौटा हुआ 2 लौटाया (जैसे-फिरता | देना माल) 3 घूम-फिर कर काम करनेवाला II (पु०) 1 लौटने | फ़िल्माना-अं० + हिं० (स० क्रि०) चलचित्र बनाना
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फ़िल्मी
+
फ़िल्मी -अं० हिं० (वि०) फ़िल्म संबंधी, फ़िल्म का 2 सिनेमा संबंधी (जैसे- फ़िल्मी गीत) । ~करण + सं० (पु० ) फ़िल्म का रूप देना फिल्ली-बो० (स्त्री०) पिंडली फिश - ( क्रि० वि०) धिक्, छी फिस - (वि०) सारहीन, कुछ नहीं
फिसड्डी - (वि०) 1 निकम्मा 2 पिछड़ा हुआ फिसफिसाना-(अ० क्रि०) 1 ढीला पड़ना 2 कमज़ोर हो जाना फिसलन- (स्त्री०) फिसलने की जगह
फिसलना - I (अ० क्रि०) 1 रपटना (जैसे-पैर फिसलना) 2 प्रवृत होना (जैसे-निगाह फिसलना) II (वि०) फिसलनवाला (फिसलना पत्थर )
फिसलाऊ - (वि०) फिसलनवाला
फिसलाना - (स० क्रि०) फिसलने के काम में लगाना फिसलाव - (पु० ), फिसलाहट (स्त्री०) 1 फिसलन 2 फिसलने का भाव
फ़िहरिस्त - फ़ा० (स्त्री०) सूची
फींचना - (स० क्रि०) कचारना (जैसे-कपड़ा फींचना ) फ़ी-अ० ( क्रि० वि०) हर एक, प्रत्येक फी - (स्त्री०) दोष, ऐब फीका - (वि०) मलिन 3 व्यर्थ । पन 3 फीका होने का भाव फ़ीचर - I अं० (पु० ) 1 रूपक 2 लक्षण, विशेषता II (स० क्रि०) 1 रूपरेखा प्रस्तुत करना, लक्षण बताना 2 सदृश होना फ़ीता - (पु० ) 1 सूत आदि की पतली पट्टी 2 इंच, सेंटीमीटर आदि के चिह्न बने हुए कपड़े आदि की पट्टी, टेप 3 जूता बाँधने का फ़ीता फ़ीरनी-फ़ा० (स्त्री० ) = फ़िरनी फ़ीरोज़ - फा० (वि) 1 हरापन लिये पीला रंग का 2 विजयी 3 सफल
1 बेमज़ा, बेस्वादवाला, हल्का 2 धूमिल, (मु०) 1 हल्कापन 2 मलिनता
फ़ीरोज़ा - फा० (पु० ) हरापन से युक्त नीले रंग का कीमती पत्थर । चश्म (वि०) नीली आँखोवाला फ़ीरोज़ी - I फ़ा० (वि०) हरापन लिये नीला II ( पु० ) हरापन युक्त नीला रंग
फ़ील - फ़ा० ( पु० ) हाथी । खाना (पु० ) हाथीखाना; -दाँ I बड़े-बड़े दाँतोवाला II (पु० ) हाथीदाँत; -पाँव + हिं० (पु०) चि० पैर सूजने का एक रोग; ~पा (पु०) = फीलपाँव -पाया (पु०) 1 ईंट का बना बड़ा खंभा 2 पाँव सूजने का एक रोग; ~बान (पु०) हाथीवान, महावत फ़ीला - फ़ा० (पु०) शतरंज के खेल में हाथी नामक मोहरा फीली - (स्त्री०) पिंडली
फ़ील्ड - अं० (पु० ) मैदान। ~ अस्पताल (पु० ) रणक्षेत्र का चिकित्सालय; ~ गिलास (पु०) दूरबीन; मार्शल (पु० ) सेना का सर्वोच्च पदाधिकारी
फ़ीस अं० (स्त्री०) 1 शुल्क
(जैसे-परीक्षा फ़ीस) 2 पारिश्रमिक रूप में दिया गया धन (जैसे-वकील की फ़ीस)
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3 कर
फुंकना - I (अ० क्रि०) 1 भस्म होना (जैसे शव फुंकना) 2 बर्बाद होना (जैसे- रुपया फुंकना) 3 फूंककर हवा देना
फुत्कृत
(जैसे- अँगीठी फुंकना) II ( पु० ) धातु आदि की पतली पोली नली
फुंकनी - (स्त्री०) बाँस, धातु आदि की लंबी पतली नली फुंकरना - (अ० क्रि०) फूँ-फूँ शब्द करना फुंकवाना, फुंकाना - (स० क्रि०) फूँकने का काम कराना फुंकार - (स्त्री०) फुफकार फुंकारना - (अ० क्रि०) = फुंकरना
फुंकैया - (पु० ) 1 फूँकनेवाला 2 बर्बाद करनेवाला फुंदना - (पु० ) 1 सूत, ऊन आदि का गुच्छा, 2 झब्बा 3 सूत आदि की गाँठ (जैसे- तराजू की डंडी का फुंदना ) फुंदनेदार - हिं० + फ़ा० (वि०) फुंदनेवाला फुंदिया - (स्त्री० )
फुंदना फुंदी - I (स्त्री०) फंदा, गाँठ
फुंदी - II ( स्त्री०) बिंदी, टीका
फुंसी - (स्त्री०) त्वचा पर निकलनेवाला मवादयुक्त छोटा दाना फुआ - (स्त्री०) पिता की बहन, बूआ फुकना - I (अ० क्रि०) = फुंकना II ( पु० ) हवा फूँकनेवाली नली
=
=
फुकनी - (स्त्री०) बाँस आदि की पतली नली फुचड़ा - (पु० ) बुनावट में बाहर निकला हुआ सूत, रेशा फुज़ला - अ० (पु०) 1 जूठन 2 रद्दी अंश फुट - (वि०) टूटा हुआ
फुट-अं० (पु०) 1 लंबाई नापने का एक उपकरण (जैसे- बारह इंच बराबर एक फ़ुट) 2 इस लंबाई का मान फुटकर, फुटकल - (वि०) 1 अकेला, अलग, अयुग्म 2 कई मेल का (जैसे-फुटकर कविता, फुटकर दूकान) 3 थोक में न होनेवाला (जैसे-फुटकर बिक्री)
फुटका - I (पु० ) 1 फफोला, छाला 2 फफोले के आकार का
दाग, धब्बा
फुटका - II ( पु० ) ऊख का रस पकाने का बड़ा कड़ाहा फुटकी - ( स्त्री०) 1 बहुत छोटी अंठी 2 गाढ़ी चीज़ का छींटा 3 एक छोटी चिड़िया, फुदकी
फुटनोट - अं०- (पु० ) पाद टिप्पणी फुटपाथ -अं० (पु० ) पगडंडी
फुटबाल - अं० (पु० ) पैर से मारकर खेले जानेवाला हवा भरा रबर का बड़ा गेंद (जैसे-फुटबाल मैच खेलना ) । ग्राउंड (पु० ) फ़ुटबाल खेलने का मैदान प्रेमी सं० (पु०) फुटबाल का शौकीन मैच (पु० ) फ़ुटबाल प्रतियोगिता फुटबोर्ड-अं० (पु०) पावदान फुट-मत - हिं० + सं० ( पु० ) मत - भेद फुटेहरा - ( पु० ) मटर आदि का भूना हुआ दाना फुटैल - (वि०) फुट्टैल
फुट्ट - ( वि०) फुट
=
फुट्टेल - (वि०) 1 अलग हुआ 2 अलग रहनेवाला 3 हतभाग्य, बदकिस्मत
फुड़िया - (स्त्री०) फोडिया
फुतूर - अ० (पु० ) फ़तूर फुतूरी-अ० + फ़ा० (वि०) फ़तूरिया फुत्कार-सं० (पु० ) फूल्कार फुत्कृत - सं० (वि०) फूँका हुआ
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फुत्कृति
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फुहारा
पुस्कृति-सं० (अ० क्रि०) फुत्कारना
डंडी की आतिशबाज़ी (जैसी-फुलझड़ी का खेल) 2 झगड़ा फुदकना-(अ० क्रि०) 1 उछलते हुए चलना, कूदना लगानेवाली बात (जैसे-मेढक का फुदकना) 2 उमंग में उछलना, इधर-उधर फुलरा-(पु०) = फूंदना आना (बच्चा फुदकता है)
फुलवर-(पु०) = फुलकारी फुदकी-(स्त्री०) 1 उछलना 2 एक छोटी चिड़िया फुलवारी-(स्त्री०) 1 पुष्प-वाटिका 2 बाल-बच्चे फुनंग-(स्त्री०) = फुनगी
फुलसुंघी-(स्त्री०) नीलापन युक्त काले रंग की एक प्रसिद्ध फुनकार-(स्त्री०) = फुत्कार
चिड़िया फुनगी-(स्त्री०) 1 पेड़ की शाखा का अग्र भाग 2 शाखा के फुलस्केप-अं० (पु०) काग़ज़ का एक साइज़ 17" x 13," अंत की कोमल पत्ती और ट्रॅसा
~कागज़ + फा० (पु०) उक्त नाप का काराज़ फुनना-बो० (पु०) फुदना ।
फुलहारा-(पु०) माली फुप्फुस-सं० (पु०) फेफड़ा। ~क्षय (पु०) फेफड़ा खराब फुलहारी-(स्त्री०) मालिन होना; -प्रदाह (पु०) निमोनिया
फुलाई-(स्त्री०) 1 फूलने की अवस्था 2 फुलाना फुफॅदी-(स्त्री०) 1 साड़ी कसने की डोरी 2 धोती में पेड़ पर फुलाना-(स० क्रि०) 1 पुष्पित करना 2 हवा भरकर फैलाना लगाई गई गाँठ 3 भुकड़ी
(जैसे-गुब्बारा-फुलाना) 3 गर्व उत्पन्न करना 4 प्रसन्न करना फुफकार-(स्त्री०) फूत्कार
फुलायल-(पु०) = फुलेल फुफकारना-(अ० क्रि०) क्रोध में -फॅ करना, फूत्कार करना फुलाव-(पु०) फूलने का भाव (जैसे-साँप का फुफकारना)
फुलावट-(स्त्री०) 1फैलाव, उभार 2 फूलने की अवस्था फुफिया-(वि०) फूफी के संबंध का (जैसे-फुफिया ससुर) फुलावा-(पु०) बाल गूंथने की डोरी, खजुरा फुफू-बो० (स्त्री०) - फूफी
फुलिया-(स्त्री०) 1 फूल की तरह फूला गोल सिरा 2 छत्राकार फुफेरा-(वि०) । फूफा से संबंध रखनेवाला 2 फूफा से उत्पन्न सिरेवाला काँटा 3 कान में पहनने की लौंग (जैसे-फुफेरा भाई)
फुलुरिया-(स्त्री०) पोतड़ा फुर-(स्त्री०) पक्षियों के उड़ने पर पंख से उत्पन्न ध्वनि, आवाज़ फुलरा-(पु०) फूल की बनी छतरी फुरक़त-अ० (स्त्री०) वियोग, जुदाई
फुलेल, फुलेला-(पु०) सुगंधित तेल फुरकाना-(स० क्रि०) = फड़काना
फुलेली-(स्त्री०) फुलेल रखने का बर्तन फुरती-(स्त्री०) 1 चुस्ती 2 जल्दी 3 तेज़ी बाज़ + फ़ा० | फुलेहरा-बो० (पु०) 1 रेशम आदि का बना बंदनवार 2 फुलेरा
(वि०) 1 तेज़ी से काम करनेवाला 2 फुरती दिखानेवाला फुलौरा-(पु०) बेसन आदि से बना पकौड़ा फुरतीला-(वि०) 1 चुस्त 2 तेज़ 3 फुरती से काम करनेवाला फुलौरी-(स्त्री०) छोटा फुलौरा फुर-फुर-(स्त्री०) परों के फड़फड़ाने से उत्पन्न शब्द फुल्ल-1 सं० (वि०) 1 विकसित 2 प्रसन्न II (पु०) फूल। (जैसे-फुर-फुर करके उड़ना)
नेत्र (वि०) हर्षित नेत्रोंवाला फुरफुराना-[ (अ० क्रि०) फुर-फर शब्द होना || (स० फुल्ली -(स्त्री०) 1 फूल की तरह का आभूषण 2 दे० फुलिया क्रि०) 1 फड़फड़ाना 2 फुर-फुर शब्द करना
3 दे० फूली फुरफुराहट-(स्त्री०) फुर-फुर शब्द होना
फुवारा-(पु०) = फुहारा फुरफुरी-(स्त्री०) फुर-फुर शब्द
फुस-(स्त्री०) अत्यंत धीमी आवाज़ फुरसत-अ० (स्त्री०) अवकाश
फुसकी-(स्त्री०) 1 कान में धीरे से कहना 2 बिना आवाज़ की फुरहरी-(स्त्री०) 1 फुरफुराहट 2 पंख फड़फड़ाने का शब्द __ अपानवायु, ठुसकी 3 थरथराहट
फुसड़ा-(पु०) = फुचड़ा फुरेरी-1 बो० (स्त्री०) सींक के सिरे पर लपेटी गई रूई | | फुस-फुस-(स्त्री०) 1 कान में बहुत धीमे से कहना फुरेरी-II (स्त्री०) थरथरी, रोमांच
2 काना-फूसी फुरेरू-(स्त्री०) 1 आवेश, जोश 2 साहस
फुस-फुसर-(पु०) काना-फूसी फुर्ती-(स्त्री०) फुरती
फुसफुसा-(वि०) 1 कमज़ोर और नरम 2 मंद फुर्तीला-(वि०) स्फूर्तिवान्
फुसफुसाना-(अ० क्रि०) अत्यंत मंद स्वर में कहना फुर-(पु०) पक्षी के उड़ने का शब्द
फुसफुसाहट-(स्त्री०) - फुस-फुस फुर्सत-अ० (स्त्री०) - फुरसत
फुसलाऊ-(वि०) फुसलानेवाला फुलई-(स्त्री०) फूल लगा मीका
फुसलाना-(स० क्रि०) 1 अनुकूल बनाना 2 मनाना फुलका-I (वि०) फूल जैसा (जैसे-हलका-फुलका) फुसलाव, फुसलाह-(पु०) फुसलाने का भाव फुलका-II (पु०) चपाती (जैसे-दाल के दो फुलके खाना) फुहार-(स्त्री०) 1 नन्हीं-नन्हीं बूंदों की झड़ी, झींसी 2 तरल फुलकारी-(स्त्री०) 1 फूल-पत्तियाँ बनाने का काम पदार्थ की छोटी-छोटी बूंदे (जैसे-गुलाब जल की फुहार) 2 फूल-बूटियोंवाला मलमल का कपड़ा
फुहारनी-(स० क्रि०) फुहार डालना फुलचुही-(स्त्री०) = फुलसँघी
फुहारा-(पु) 1 फुहार डालने का एक यंत्र, जल-यंत्र 2 जल, फुलझड़ी-(स्त्री०) 1 फूल सी चिंगारियाँ निकलनेवाली पतली | या तरल पदार्थ की तेज़ धार (जैसे-नल का फुहारा)
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फुहुँकना
566 फुहँकना-(अ० क्रि०) फुफकारना
5 फूल के आकार की बनाई गई रचना (जैसे नाक में पहनने -(स्त्री०) ओंठों से हवा निकलने की आवाज़
का फूल, कर्णफूल 6 फूल के आकार के बेल-बूटे। कारी फूंक-(स्त्री०) 1 मुँह से तेज़ गति में निकली हवा (स्त्री०) बेल-बूटे बनाना, गुलकारी; ~~गोभी (स्त्री०) फूल
2 श्वास-प्रश्वास 3 मंत्र पढ़कर छोड़ी जानेवाली वायु के आकार का एक बड़ा पिंड (जैसे-फूलगोभी की तरकारी); (जैसे-फूंक मारना)
~डोल (पु०) चैत्र-शुक्ला एकादशी को होनेवाला एक फूंकना-(स० क्रि०) 1 मुँह से तेज़ हवा फेंकना, फूंक मारना उत्सव; ~दान + फ़ा० (पु०) गुलदस्ता रखने का पात्र, 2 मंत्र पढ़कर मुँह से हवा छोड़ना 3 फूंककर बजाना 4 फूंककर गुलदान; दार + फ़ा० (वि०) फूलोंवाला; पत्ती जलाना (जैसे-चूल्हा फूंकना) 5 भस्म करना 6 बर्बाद करना (स्त्री०) फूल और पत्ती; ~पान (वि०) अत्यंत कोमल, (जैसे-पैसा फंकना) 7 फैलाना। तापना (स० क्रि०) नाजुक; -बिरंज (पु०) एक तरह का बढ़िया धान; फूंकना और तापना
~माला + सं० (स्त्री०) फूल और माला (जैसे-देव प्रतिमा फंका-(पु०) 1 फूंक मारना 2 फूंक मारने की नली पर फूल-माला चढ़ाना) ~वाला I (वि०) 1 फूलों से युक्त फूंद-(स्त्री०) फूंदना
2 बेल-बूटों से युक्त II (पु०) माली; ~आना फूल लगना; फूई-(स्त्री०) फूही
~उतारना फूल चुनना; चुनना फूल तोड़कर एकत्र करना; फूजना-(अ० क्रि०) अस्त-व्यस्त होना, बिखरना
झड़ना मुँह से मीठे शब्द निकलना; ~सँघकर जीना फूट-(स्त्री०) 1 आपसी अनबन, बिगाड़ (जैसे-घर में फूट पैदा अल्पाहारी होना; की सेज पर सोना सुख-चैन से पूर्ण स्थिति हो गई) 2 फूटना (जैसे-घड़ा फूट गया) 3 एक प्रकार की | फूल-II (स्त्री०) 1 फुलावट 2 प्रसनता, खुशी (जैसे-तारीफ़ बड़ी ककड़ी। सं० (वि०) आपसी झगड़े में पड़ा हुआ; करने से वह और भी फूल गया)
पीति सं० (स्त्री०) फूट डालने की नीति, चाल; परस्त फूलना-(अ० क्रि०) 1 पुष्पित होना, कुसुमित होना 2 कली का + फ़ा० (वि०) फूटवादी; ~परस्ती फा० (स्त्री०) फूटवाद; खिलना 3 गर्व से इतराना 4 अत्यंत खुश होना 5 हवा भरने से
~वाद +सं० (पु०) फूट डालकर काम निकालने का फैलना (जैसे-गुब्बारा फूलना) 6 मोटा होना 7 नाराज़ होना, सिद्धांत; ल्वादो I + सं० (वि०) फूटवाद संबंधी II रूठना 8 विकार आदि से शरीर के अंग का बढ़ना (जैसे-पेट (पु०) फूटवाद का समर्थक
फूलना) 9 असाधारण रूप से स्थूल होना (जैसे शरीर का फूटन-(स्त्री०) 1 फूटने का भाव 2 फूटकर अलग हुआ टुकड़ा फूलना। फलना (अ० क्रि०) धनधान्य एवं बाल-बच्चों
3 शरीर के जोड़ में होनेवाला दर्द (जैसे-हड़फूटन) से सुखी होना । फूलकर कुप्पा हो जाना 1 अत्यधिक प्रसन्न फूटना-(अ० क्रि०) 1 टूटना (जैसे-घड़ा का फूटना) 2 भग्न | होना, अत्यंत गर्व करना 2 बहुत मोटा हो जाना; फूला-फूला होना (जैसे-सिर फूटना) 3 फटना (जैसे-गुब्बारा फटना) फिरना गर्व से इतराते हुए घूमना; फूले न समाना खुशी में 3 भेदकर बाहर आना (जैसे-फोडा फूटना) 5 ख़राब हो जाना आपे से बाहर होना (जैसे-आँख फूटना, किस्मत फूटना) 6 उगना, अंकुरित होना फूला-I (पु०) खीला, लावा । 7 शाखा रूप में निकलना 8 खिलना (जैसे-कली फूटना) फूला-II (पु०) गन्ने का रस पकाने का कड़ाहा 9 अलग होना -10 बिगाड़ होना (जैसे-घर फूटना) | फूला-III (पु०) पुतली पर सफ़ेद दाग़ पड़ जाने का एक रोग 11 विस्फोट होना (जैसे-बम फूटना) 12 स्पष्ट होना | फूली-(स्त्री०) आँख की पुतली पर पड़ा सफ़ेद दाग (जैसे-किरणें फूटना) 13 शरीर के अंगों में बहुत दर्द होना, फूस-I (पु०) 1सूखी घास (जैसे-फूस की झोपड़ी) फटना (जैसे-शरीर फूटना) 14 उच्चारित होना (जैसे-मुँह से | 2 तिनका, तृण II (वि०) अत्यंत तुच्छ, हीन शब्द फूटना) 15 प्रकट होना (जैसे-बात फूटकर चारों तरफ़ | फूहड़-(वि०) 1 अश्लील एवं हेय (जैसे-फूहड़ गीत) 2 गवार फैल गई)। पड़ना बिगाड़ होना (जैसे-घर में फूट पड़ | (जैसे-फूहड़ आदमी) 3 अत्यंत निकम्मा। -पन (पु०) गई) फूटकर रोना बिलख बिलखकर रोना
1 भद्दापन, बेढंगापन 2 फूहड़ होने का भाव फूटा-I (पु०) 1 टूटकर खेतों में गिरनेवाली फ़सल की बालें | फूहा-(पु०) फाहा
2 शरीर के अंग का दर्द II (वि०) 1 फूटा हुआ 2 बिगड़ा | फूही-(स्त्री०) 1 महीन जल-कण, छींटा 2 झींसी, फुहार हुआ। फूटी आँखों का तारा अत्यंत प्यारी वस्तु, अति प्रिय | फेंक-I (स्त्री०) फेंकने की स्थिति II (वि०) फेंकनेवाला संतान; फूटी आँखों न देख सकना देखना भी पसंद न | (जैसे-दिल-फेंक औरत) करना; फूटी आँखों न भाना ज़रा भी अच्छा न लगना; फूटी फेंकना-(स० क्रि०) 1 झटके से छोड़ना (जैसे-भाला फेंकना) कौड़ी न होना कुछ भी न होना फूटे मुँह से न बोलना पूर्ण | 2 छोड़ देना, गिरा देना (जैसे-नाली में कूड़ा फेंकना) उपेक्षा करना
3 उछालना (जैसे- सिक्का फेंकना) 4 वेगपूर्वक पहुँचाना फत्कार-सं० (१०) फॅक, फेफकार (जैसे-साँप की फत्कार) (जैसे-क्रिकेट की गेंद फेंकना) 5 दूर हटाना (जैसे-उसने पुराने फूत्कृति-सं० (स्त्री०) फू-फू, साँप की फुफकार
कपड़े फेंक दिए) 6 व्यर्थ व्यय करना (जैसे-सड़ी-गली फूफा-(पु०) बुआ का पति
सब्जियाँ लेकर रुपए फेंक आए) 7 पटकना (जैसे-नींद में फूफी-(स्त्री०) पिता की बहन, बुआ
हाथ-पैर फेंकना) 8 अस्त-व्यस्त करना (जैसे-किताबें क्यों फूल-I (पु०) 1 पुष्प, सुमन, फ्लावर (जैसे-फूलों की माला) फेंक दी) 2 शरीर पर पड़नेवाला लाल सफ़ेद धब्बा 3 फल के आकार | फेंट-I (स्त्री०) 1 कमर के चारों ओर का घेरा 2 फेंटा 3 घमाव, सी वस्तु 4 दीपक की बत्ती पर पड़े गोल दमकते दाने, गुरु फेरा, लपेट
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फैलाना
फेंट-II (स्त्री०) फेंटना (जैसे-ताश के पत्तों की फेंट) | फेरवट-(स्त्री०) 1 चक्कर, फेरा 2 घुमाव-फिराव 3 फेरने का फेंटना-(स० क्रि०) 1 हाथ की उँगलियों से मिलाना | भाव 4 अंतर, फ़र्ख (जैसे-दही में चीनी फेंटना, दवा में शहद फेंटना) 2 अच्छी फेरवा- (पु०) लपेटा हुआ तार || (पु०) = फेरा तरह मिलाना (जैसे-ताश के पत्ते फेंटना)
फेरा-(पु०) 1चक्कर, परिक्रमण 2 लपेटना 3 लपेट फेंटा-(पु०) 1 कमर का घेरा 2 कमर पर लपेटा हुआ कपड़ा, (जैसे-रस्सी का सौ फेरा देना) 4 बार-बार आना-जाना कमरबंद 3 कमर पर लपेटा हुआ धोती का भाग 4 पगड़ी 5 मंडल, घेरा 6 विवाह में की जानेवाली परिक्रमा, भाँवर । 5 सूत की बड़ी अंटी
फारी, फेरी I (स्त्री०) 1 उलट-पलट 2 क्रम बदलना फेंटी-(स्त्री०) अटेरन पर लपेटा हुआ सूत
II (क्रि० वि०) 1 बारी-बारी से 2 रह-रहकर फेकरना-(अ० क्रि०) 1 फूट-फूट कर रोना 2 गीदड़, सियार फेरी-(स्त्री०) 1 परिक्रमा, प्रदक्षिणा 2 भाँवर 3 चक्कर का रोना
4 बार-बार आना-जाना 5 रस्सी पर ऐंठन देने की चरखी। फेकारना-(स० क्रि०) खोलकर झटकारना
दार + फ्रा० ~वाला (पु०) घूम-घूमकर सौदा फेकैत-(पु०) - फिकैत
बेचनेवाला व्यापारी फेट-(स्त्री०) = फेंट I
फेरुआ-बो० (पु०) = फेरवा फेटना-(स० क्रि०) = फेंटना
फेरौरी-बो० (स्त्री०) खपरैल बदलने का काम फेटा-(पु०) = फेंटा
फेल-सं० (पु०) 1जूठा भोजन 2 जूठन फेन-सं० (पु०) झाग (जैसे-साबुन का फेन)। पिंड (पु०) | फेल-अ० (पु०) 1 बुरा कर्म 2 काम, क्रिया 1 बुदबुद 2 निरर्थक; ल्युक्त (वि०) फेन से भरा; ~वाही | फेल-अं० (वि०) 1अनुतीर्ण 2 विफल 3 अनुपयुक्त, (पु०) छानने के काम आनेवाला कपड़ा
अनुपयोगी फेनक-I सं० (पु०) 1 फेन, झाग 2 फेन उत्पन्न करनेवाला फेला, फेलिका-सं० (स्त्री०) = फेल पदार्थ II (वि०) फेन उत्पन्न करनेवाला
फेलो-अं० (पु०) 1सहयोगी 2 संस्था का सदस्य फेनल-सं० (वि०) = फेन-युक्त
फेल्ट-अं० (पु०) नमदा। टोपी + हिं० (स्त्री०) नमदे का फेनाग्र-सं० (पु०) बुलबुला
बना हैट फेनाना-(अ० क्रि०) फेनयुक्त होना
फेहरिस्त-फा० (स्त्री०) - फ़िहरिस्त फेनिल-I सं० (वि०) झागयुक्त II (पु०) रीठा फ्रैंसी-अं० (वि०) 1 अलंकृत एवं सुंदर 2 उत्कृष्ट फेनी-(स्त्री०) लच्छे की तरह मैदे की एक प्रसिद्ध फैकल्टी-अं० (स्त्री०) संकाय (जैसे-आर्ट्स फैकल्टी) मिठाई
फ्रैवटर-अं० (पु०) 1ग० गुणनखंड 2 घटक, कारक फेफड़ा-(पु०) फुफ्फुस (जैसे-क्षय रोग से फेफड़ा सड़ गया) फ़ैक्टरी-अं० (स्त्री०) कारखाना, निर्माणशाला फेफड़ी-(स्त्री०) ओंठों पर पड़नेवाली पपड़ी
फ़ैज़-अ० (पु०) 1दानशीलता 2 उपकार, भलाई 3 यश, फेफरी-(स्त्री०) ओंठों पर पड़ी पपड़ी
कीर्ति। बख़्श + फ्रा० (वि०) उपकारी फेयरवेल-अं० (पु०) विदाई
फ़ैज़े आम-अ० + फा० + अ० (पु०) परोपकार फेरंड-सं० (पु०) गीदड़, सियार
फ़ैन- अं० (पु०) पंखा II प्रशंसक, अंधभक्त फेर-(पु०) 1 फेरना 2 घुमाव, चक्कर 3 क्रम, सिलसिला | फ़ैमिली-अं० (स्त्री०) परिवार 4कुछ से कुछ हो जाना, परिवर्तन (जैसे-उलट-फेर) फ़ैयाज़-अ० (वि०) 1 उदार दिल 2 दानी 5 धोखा, छल (जैसे-फेरबाज़ी का काम) 6 अनिश्चिय, फ़ैयाज़ी-अ० + फ्रा० (स्त्री०) 1 दानशीलता 2 उदारता दुविधा की स्थिति 7 छलपूर्ण युक्ति 8 उपाय, तरकीब फ़ैर-अं० (पु०) = फायर 9 जंजाल, झंझट (जैसे-प्रेम का फेर बुरा होता है)।-पलटा फैलना-(अ० क्रि०) 1विस्तार से युक्त होना 2 अधिक जगह (पु०) गौना; ~फार (पु०) 1 उलट-फेर, महान् परिवर्तन घेरना (जैसे-लताओं का फैलना) 3 प्रभावपूर्ण एवं सक्रिय 2 घुमाव-फिराव, चक्कर 3 धूर्तता का व्यवहार; बदल + होना (जैसे-शहर में हैजा फैलना) 4 आकार, रूप आदि में अ० (पु०) परिवर्तन
परिवर्तन होना (जैसे-आबादी बढ़ने से बस्ती का फैलना) 5 फेर-सं० (पु०) = फेरंड
कार्यक्षेत्र की सीमा बढ़ना (जैसे-देश विदेशों में व्यापार फेरना-(स० क्रि०) 1 घुमाना (जैसे-माला फेरना) फैलना) 6 चर्चा का विषय बनना (जैसे-हड़ताल की ख़बर 2 इधर-उधर ले जाना, पोतना (जैसे-दीवार पर रंग फेरना) फैलमा) 7 बिखरा होना (जैसे-कमरे में सामान क्यों फैला है) 3 वापस करना (जैसे-सौदा फेरना) 4 लौटाना 5 अभ्यास 8 प्रचार में आना १ दूर-दूर तक जानकारी होना करना (जैसे-मुग्दर फेरना) 6 इस बल से उस बल करना (जैसे-यश-अपयश फैलना) 10 हठ करना, ज़िद्द करना (जैसे-करवट फेरना) 7 सबके सामने लेकर जाना | फ्रैलसूफ्र-I अ० (वि०) 1 फिजूलखर्च, अपव्ययी 2 फ़रेबी (जैसे-अतिथियों के सामने पान-इलायची फेरना) 8 बार-बार | और धूर्त II (पु०) दार्शनिक उच्चारण करना (जैसे-पाठ फेरना)
फ़लसफ्री-अ० + फ्रां० (स्त्री०) 1अपव्यय, फिजूलखर्ची फेरब-(पु०) गीदड़
2 चालाकी एवं धूर्तता फेरव-I सं० (वि०) 1 चालबाज़ 2 हिंसक II (पु०) | फैलाना-(स० क्रि०) 1विस्तार बढ़ाना, पसारना (जैसे-कपड़ा 1 राक्षस 2 गीदड़
फैलाना, हाथ फैलाना) 2 आगे बढ़ाना, तानना (जैसे-रबर का
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फैलाव
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फ्रांसीसी
तार फैलाना) 3 जगह घेग्ना (जैसे-मज़ पर कॉपी-किताब फोड़ना-(स० क्रि०) 1 तोड़ना 2 विदीर्ण करना 3 कड़े छिलके फैलाना) 4मर्यादा कार्य का विस्तार करना (जैसे-देश-विदेश तोड़ना (जैसे-नारियल फोड़ना) 4 सेंध लगाना (जैसे-दीवार में व्यापार फैलाना, दर-दर तक जानकारी करना (जैसे-नेकी फोड़ना) 5 खराब करना (जैसे-आँख फोड़ना) 6 बहका कर बदनामी फैलाना। ( ध्यान आकर्षित कराना (जैसे-ढोंग अपने पक्ष में करना (जैसे-गवाह फोड़ना) 7 प्रकट करना, फैलाना) 7 विवर आदि विस्तार बढ़ाना (जैस-मुँह फैलाना, खाल देना (जैसे-भंडा फोड़ना)। ~फाड़ना (स० क्रि०) झोली फैलाना)
पूर्णतः नष्ट करना फैलाव-(पृ०) 1विस्तार प्रसार ? प्रचार 3 लंबाई-चौड़ाई | फोड़ा-(पु०) शरीर पर मवादयुक्त घाव (जैसे-फोड़ा दर्द (जैसे-ज़मीन का फैलाव कम है)। दार • फ़ा० (वि०) | करना, फोड़ा बहना; ~फुसी (स्त्री०) छोटे और बड़े फोड़े फैलाववाला, फैलनेवाला (जैसे-फैलावदार पेड़)
फोड़िया-(स्त्री०) छोटा फोड़ा फैलावट-(स्त्री. फैलाव
फ़ोता-फ़ा० (पु०) 1 अंड-कोश 2 थैली, कोश फ़ैशन-अं० (ए.) 1 कण्डे आदि का प्रचलित ढंग, फ़ोतेखाना-फा० (पु०) ख़ज़ाना, कोष बनाव-श्रृंगार रगत प्रथा। - गृह । सं० (पु०) फोतेदार-फ़ा० (पु०) 1 ख़ज़ांची, कोषाध्यक्ष 2 रोकड़िया प्रसाधनशाला: दार . प्रा० (वि.) फ़ैशनवाला. फॅशन से फ़ोन-अं० (पु०) दूरभाष, टेलीफ़ोन युक्त, --परस्त . जा (वि.) फ़ैशन में इबा हआ, फैशन फ़ोनीम-अं० (पु०) ध्वनिग्राम करनेवाला; - परस्ती , फा. (स्त्री०, फ़ैशन करना; | फ़ोनोग्राफ़-अं० (पु०) ध्वनि को अंकित करनेवाला एक यंत्र, -~वाला - हि. वि) . फ़ैशनपरस्त
ग्रामोफ़ोन फ़ैशनेबल, फ़ैशनेबल-अ० (दि०) फ़ैशन करनेवाला, फ़ैशन फ़ोनोग्राम-अं० (पु०) ध्वनि समूह इकाई, फ़ोनीम योग्य
फोया-(पु०) = फाहा फ़ैसल-अ० (प) निर्णय. बिटारा
फ़ोरमैन-अं० (पु०) कारखाने आदि में काम करनेवालों का फ़ैसला-अ० (प.) ! निर्णय, निश्चय (जैसे-फ़ैसला करना) ___ मुखिया, सरदार (जैसे-लोको फोरमैन) फ़ैसिज्म-अं० (१०) दे. फ़ासिम्टवाद
फ़ोल्डर-अं० (पु०) चौपना फ़ैसिस्टवाद-० सं० (०) - फासिस्टवाद
फोहा-(पु०) = फाहा फॅसिस्टवादी-अं . सं. (वि०) - फ़ासिस्टवादी फ़ॉडरी-अं० (स्त्री०) ढलाईघर फोंक-(१०) तीर का पिछला भाग
फ़ौज-अ० (स्त्री०) 1 सेना 2 झंड (जैसे-बच्चों की फ़ौज)। फोंका-(प०) लंब एवं पाला चोंगा
कशी + फ़ा० (स्त्री०) चढ़ाई, आक्रमण; ~दार + फ़ा० फोफर-I (विल) खाखला. पोला || (प०) आर-पार देखने (१०) सेना का छोटा अधिकारी; ~दारी + फ़ा० [ (वि०) की जगह, छट (जैस-दीवार में कांफर करना)
मार-पीट, हत्या आदि से संबंध रखनेवाला (जैसे-फ़ौजदारी फोफी-(स्त्री) छोटा चांगा ? नली
अदालत) II (स्त्री०) 1 फ़ौजदार का काम एवं पद 2 गहरी फोक-I (१०) 1 नीरस अंश, सीठी (जैसे-गने की फोक) मार-पीट, खून-कल्ल, ~भरती + हिं० (स्त्री०) रंगरूट 2 निरर्थक वस्त II (प०। एक नरह का साग
भरना फोकट-(वि०) । निसार मन का
फ़ोजी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 फ़ौज का (जैसे-फ़ौजी फोकला-(प०, फल, आदि का छिलका
अफ़सर) 2 फ़ौजों में होनेवाला (जैसे-फ़ौजी लड़ाई) फोकली-(स्त्री) हिलका
फ़ोत- अ० (स्त्री०) मृत्यु, मौत II (वि०) 1 मरा हुआ, मृत फ़ोकस-अं० (१०) केंद्र
2 नष्ट फोका-(वि०) 1 रमहीन और वेस्वाद 2 बिना मिठास का फ़ौती-I अ० + फ़ा० (वि०) 1 मृत्यु का 2 मृत II (स्त्री०) 3 खोखला, पोला
मृत्यु, मौत। नामा + फ़ा० (पु०) 1 मृत व्यक्तियों की फोट-(पु०) फटने का भाव
सूची 2 मृत्यु का समाचार; रजिस्टर + फ़ा० + अं० (पु०) फोटा-(पु०) 1 गोल विंदा 2 गोलाकार चिह्न
मृत व्यक्तियों से संबंधित पुस्तिका, कॉपी फ़ोटो-अं० (१०) छाया-चित्र, अक्स (जैसे-फोटो खींचना) | फ़ौरन्-अ० (क्रि० वि०) 1 तुरंत, जल्दी ही 2 तत्काल, उसी 2 छाया-चित्र लेनवाली पट्टी, पत्र। ~ग्राफ़ (पु०) = समय छायाचित्र; - ग्राफ़र (पु०) छायाचित्र उतारनेवाला: फ़ौरी-अ० (वि०) तुरंत किया जानेवाला --ग्राफ़ी (स्त्री०) छायाचित्र उतारने की कला; ~चित्र + फौलाद-फ़ा० (पु०) असली लोहा। तन (वि०) दृढ़ एवं सं० (पु०) - फोटो; -चित्रकार + सं० फोटोग्राफर; मज़बूत शरीरवाला
-चित्रण + सं० (१०) - फ़ोटोग्राफ़ी; नकल + अ० फौलादी-फा० (वि०) 1 फ़ौलाद का बना 2 बहत पक्का (स्त्री०) फ़ोटो स्टेट की प्रति. --भीति + सं० (स्त्री०) चि० | (जैसे-फ़ौलादी शरीर) प्रकाश भय; --संवाद-दाता + सं० (पु०) फ़ोटो के समाचार फ़ोवारा-अ० (पु०) = फ़व्वारा भेजनेवाला; संश्लिष्ट , सं० (वि०) प्रकाश द्वारा जुड़ा फ्यूज-अं० (पु०) विद्युत परिपथ में लगाया जानेवाला धातु का हुआ; --संश्लेषण + सं० (पु०) प्रकाश द्वारा जोड़नाः । छोटा टुकड़ा
~स्टूडियो (पु०) चित्रशाला, छाया चित्र गृह; ~स्टेट फ्रांसीसी-[ फ्र० + हिं० (वि०) फ्रांस का II (पु०) फ्रांस (१०) फ़ोटो द्वारा चित्रांकन
देश का निवासी III (स्त्री) फ्रांस देश की भाषा
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फ्राक
फ़ाक - अं० (पु० ) छोटी आस्तीन का लंबा कुर्ता (जैसे-लड़की
को फ्राक पहना देना)
फ्रायडवाद-अं० सिद्धांत
फ्री-अं० (वि०) स्वतंत्र, आज़ाद
फ्रेंच - अं० (वि०) फ्रांस देश का, फ़्रांसीसी
+ संc (पु०) फ्रायड का मनोविश्लेषण
फ्रेम-अं० (पु० ) 1 फ़ोटो आदि को मढ़वाने का चोकला 2 ढाँचा । ~ युक्त + सं० (वि०) फ्रेमवाला (जैसे-फ्रेमयुक्त चित्र)
फ्रैक्चर - अं० (पु० ) चि० अस्थि-भंग (जैसे- फ्रैक्चर होना, फ्रैक्चर जोड़ना)
फ़्लाइंग बोट-अं० (स्त्री० ) उड़न नौका
फ़्लाइंग- लेफ्टिनेंट - अं० ( पु० ) वायु सेना का एक अधिकारी फ़्लास्क - अं० (पु० ) सुराई नुमा बोतल फ़्लू-अं० ( पु० ) इन्फलुएंजा
फ़्लूट - अं० (पु०) बाँसुरी, वंशी, मुरली फ़्लैग स्टेशन-अं० (पु० ) झंडी स्टेशन फ़्लैनल - अं० (पु०) फलालैन (कपड़ा) फ्लैश लाइट-अं० (स्त्री०) कौंध प्रकाश, कौंध बत्ती
ब
बंक - (त्रि०) 1 तिरछा, टेढ़ा 2 वीर, पराक्रमी 3 दुर्गम, विकट हिं० (पु०) बैंक
+
बंक-अं० (पु० ) बैंक । घर बंकनाल - (स्त्री०) बॉकनल बंकर-अं० (पु०) खाई
बंकशाह-अं० + फ़ा० ( पु० ) बैंकशाह बंकसाल - (स्त्री०) मस्तूलों की रस्सियों के लिए स्थान बंका - बां० (वि०) 1 टेढ़ा, तिरछा 2 दुर्गम 3 बाँकी बंकाई - (स्त्री०) टेढ़ापन, तिरछापन
बंकिम - (वि०) टेढ़ा, तिरछा
कई
बंकिमा - ( स्त्री०) बंगसार - (स्त्री०) जहाज़ पर चढ़ने के लिए बना चबूतरा बैगला - I ( वि०) 1 बंगाल प्रदेश का 2 बंगाल में होनेवाला (जैसे- बँगला मिठाई ) II (स्त्री०) 1 बंगाल देश की भाषा 2 इस भाषा की लिपि III (पु० ) 1 खुली जगह में बना सुंदर छोटा हवादार मकान 2 ऊपर की छत पर बना हवादार कमरा बैंगलिया - ( पु० ) 1 एक तरह का धान 2 एक तरह की मटर बैंगली-बो० (स्त्री०) एक तरह का पान
=
=
=
=
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बंगसार - (पु० ) समुद्र में बनाया गया चबूतरा बंगालिन - ( स्त्री०) बंगाल की औरत
बंगाली - I ( पु० ) बंगाल का निवासी II ( वि०) बंगाल देश का III (स्त्री०) बंगला भाषा
बंचक सं० (वि०) ठग
बंचन-सं० (पु० ) ठगना
बंदनवार
बँचवाना - (स० क्रि०) पढ़वाना (जैसे- लड़के से चिट्ठी बँचवाना)
बंजर - (वि०) -क़दीम
अनुपजाऊ, ऊसर (जैसे- बंजर भूमि) । + अ० (पु० ) पुरानी बंजर ज़मीन; जदीद + अ० ( पु० ) नई बंज़र ज़मीन
बंजारा - ( पु० ) बनजारा बंझा - (वि० / स्त्री०) बाँझ
बँटना - (अ० क्रि०) 1 बाँटा जाना 2 विभाजित होना बँटवाई - (स्त्री०) बँटवाने का काम बँटवाना - (स० क्रि०) बाँटने का काम कराना
बँटवारा - ( पु० ) 1 बाँटने का काम 2 अलगोझा, विभाजन (जैसे खेत का बँटवारा)
बंटा - 1 (पु० ) पान आदि रखने का डिब्बा II (वि०) छोटे क़द का, नाटा III ( पु०) दाग़, कलंक
बंटी - ( स्त्री०) हिरनों के लिए फंदा बँटाई - (स्त्री०) 1 बाँटने का काम 2 बाँटने का पारिश्रमिक 3 ज़मीन बंदोबस्त की एक रीति बटाई बँटाधार - बो० (वि०) पूर्णतः नष्ट, सत्यानाश
बँटाना - (स० क्रि०) 1 बटवारा कराना 2 अपना हिस्सा लेना 3 शामिल होना (जैसे-दुःख बँटाना )
बँटैया - I (वि०) बाँटनेवाला II (वि०) बँटवाकर अपना हिस्सा ले लेनेवाला
बंडल - अं० ( पु० ) 1 पुलिंदा 2 गट्ठा, पूला बैंडवा-बो० (वि०) बाँड़ा
अरुई जाति की लता 2 इस लता का कंद अनाज रखने का बखार
बंडा - I ( पु० ) बंडा - II ( पु० ) बंडी - ( स्त्री० ) 1 बिना आस्तीन की कुर्ती, फतूही 2 बगलबंद नामक पहनने का कपड़ा
बँडेर, बँड़ेरा-बो० (पु०), बड़ेरी बो० (स्त्री०) छाजन के बीचोबीच लगाया जानेवाला बल्ला
बंद - I फा० (पु० ) 1 बाँधनेवाली वस्तु 2 लोहे आदि की लंबी पट्टी 3 वास्तु रचना में पत्थर की पटियाँ 4 बाँध 5 फीता (जैसे- जूता बंद) 6 बंधन, नियंत्रण II (वि० ) 1 चारों तरफ़ से घिरा हुआ (जैसे- सारा सामान कमरे में बंद है) 2 जिसमें रुकावट हो (जैसे-आम जनता यह मार्ग बंद है) 3 बाधक, अवरुद्ध (जैसे-नाली का मुँह बंद पड़ा हैं) 4 संपुटित (जैसे- कमल रात में बंद हो जाता है) 5 स्थगित, रोक दिया गया (जैसे- रात में दूकानें बंद रहती हैं) 6 थमा हुआ (जैसे- वर्षा बंद हो गई) 7 कार्य-व्यापार आदि का समाप्त हो जाना (जैसे- उन्होंने रोज़गार बंद कर दिया) 8 व्यवहार आदि ख़त्म हो जाना (जैसे-आपस का लेन-देन बंद है) 9 कविता का एक भाग III (वि०) शब्द के अंत में प्रत्यय रूप में लगने पर जड़ने, बाँधने, लगानेवाला (जैसे- कमर बंद, नाल बंद)। गोभी + हिं० (स्त्री०) 1 करमकल्ला, पातगोभी का पौधा 2 पातगोभी के पौधे का फल
बंदगी - फा० (स्त्री०) 1 अधीनता एवं दीनता स्वीकृत करना 2 ईश्वरीय आराधना 3 नमस्कार, अभिवादन बंदन - ( पु० ) 1 रोचन, रोली 2 सिंदूर बंदनवार - (पु० ) फूल-पत्तों से बनाई गई झालर (जैसे- बंदनवार
सजाना)
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बंदनवीस
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बंध्य
बंदनवीस-फ़ा० (पु०) कविता का भाग लिखनेवाला गिरवी का दस्तावेज़; बैंक + अं० (१०) गिरवी रखनेवाला बंदनी-(स्त्री०) सिर पर आगे की ओर पहना जानेवाला स्त्रियों बैंक; ~मोचन (पु०) गिरवी छुड़ाना; करण (पु०) का एक आभूषण। ~माल (स्त्री०) घुटनों तक लटकनेवाली
गिरवी रखना; ~संपत्ति (स्त्री०) गिरवी रखी गई संपत्ति माला
बंधकी-सं० (स्त्री०) 1 व्यभिचारिणी स्त्री 2 पुंश्चली 3 वेश्या बंदर-(पु०) एक प्रसिद्ध स्तनधारी चौपाया, मर्कट, कपि बंधकी-(वि०) बंधक रूप में रखा हआ
(जैसे-बंदर का नाच)। ~खत (पु०) बंदर के शरीर में बंधन-सं० (पु०) 1 बाँधना 2 कैद 3 बाँधने का साधन, तत्त्व, होनेवाला घाव; घुड़की (स्त्री०) झूठी धमकी; बाँट बात आदि 4 रोक, बाधा (जैसे-समाज का बंधन, प्रेम का (स्त्री०) अन्यायपूर्ण बँटवारा; ~भबकी (स्त्री०) बंदर
बंधन) 5 बाँधकर तैयार करना, निर्माण (जैसे-सेतु बंधन)। घुड़की
ग्रंथी 1 शरीर में जोड़ पर पड़नेवाली हड्डी 2 पशुओं को बंदर-फ़ा० (पु०) बंदरगाह। ~अधिकारी + सं० (पु०) बाँधने की डोरी, रस्सी 3 फाँस; ~ग्रस्त (वि०) बाँधा हुआ, बंदरगाह का स्वामी, प्रधान कर्मचारी; ~गाह (स्त्री०) समुद्र फँसा हुआ; ~पालक (पु०) = बंदवान; -स्तंभ (पु०) के किनारे जहाज़ों के ठहरने का स्थान
पशुओं के बाँधने का खुंटा; ~स्थ (पु०) कैदी बंदरिया, बंदरी-(स्त्री०) मर्कटी, वानरी
बँधना-I (अ० क्रि०) 1 बंधन में आना, बाँधा जाना 2 नियम, बंदरी-फ़ा० (वि०) बंदरगाह संबंधी
प्रतिज्ञा आदि से युक्त होना (जैसे-अपनी बातों में बँधना) बंदली-बो० (पु०) एक प्रकार का धान
3 कैद होना 4 रचित होना 5 निर्धारित होना बंदवान-(पु०) कैदखाने का प्रधान अधिकारी
(जैसे-नियम-कानून से बँधना) 6 कुछ समय तक एक ही रूप बंदसाल-(पु०) कैदखाना
में बने रहना (जैसे-ख्याल बँधना) बंदा-फ़ा० (पु०) 1 दास, सेवक 2 भक्त । निवाज़ (वि०) बँधना-II (पु०) बाँधने की वस्तु बंदों पर कृपा करनेवाला; निवाज़ी (स्त्री०) अनुग्रह, कृपा; बँधनागार-सं० (पु०) बंदी गृह ~परवर (वि०) बंदों को पालनेवाला; ~परवरी (स्त्री०) बंधनी-सं० (स्त्री०) 1 शरीर के संधि स्थानों को बाँधनेवाली = बंदानिवाज़ी; ~फ़रोश (पु०) गुलाम बेचनेवाला; नमें 2 बाँधने का साधन
~फ़रोशी (स्त्री०) गुलामों को बेचने का धंधा बंधव-(पु०) = बांधव बंदारु-सं० (वि०) आदरणीय एवं पूज्य, वंदनीय
बैंधवाना-(स० क्रि०) 1 बाँधने का काम कराना 2 नियत बंदिग्राह-सं० (पु०) सेंध मारनेवाला चोर
कराना, मुकर्रर करना 3 कैद करवाना (जैसे-चोर को बंदिनी-सं० (स्त्री०) कैदी महिला
बँधवाना) बंदि-प्रत्यक्षीकरण-सं० (पु०) बंदी की न्यायालय में न्यायार्थ
बँधाई-(स्त्री०) 1 बाँधने का काम 2 बाँधने की मजदूरी पुकार
बंधान-(पु०) लेन देन की परिपाटी बंदिश-फ़ा० (स्त्री०) 1 बंधन, रुकावट 2 शब्द योजना, रचना बँधाना-(स० क्रि०) बंधवाना 3 साजिश, षड्यंत्र 4 उपाय (जैसे-काम की बंदिश करना)
बँधा-बँधाया-(वि०) बाँधकर तैयार रखा हुआ बंदी-I (स्त्री०) सिर का एक गहना, बंदनी
बंधित-सं० (वि०) 1 बाँझ 2 कैद किया हुआ बंदी-II फ़ा० (स्त्री०) 1 बाँधना 2 कैद करना
बँधिया-(स्त्री०) 1 छोटा बाँध 2 छोटी मेड़ बंदी-III सं० (पु०) कैद। ल्खाना + फ़ा०, गृह,
बंधी-(स्त्री०) 1 बँधा हुआ काम 2 बंधेज ~घर + हिं० (पु०) -शिविर (पु०) कैदखाना
बंधु-सं० (पु०) 1 भाई, भ्राता 2 आत्मीय व्यक्ति। -कृत्य बंदी-IV सं० (पु०) भाट, चारण। जन (पु०) यशोगान (पु०) संबंधी का कर्तव्य; “जन (पु०) भाई-बंद; ता करनेवाला
(स्त्री०) बंधुत्व; बांधव (पु०) स्वजन संबंधी, भाई-बंद; बंदूक-अ० (स्त्री०) कारतूस भरकर छोड़ा जानेवाला एक ~भाव (पु०) भाईचारा, बंधुता; ~वर (पु०) पूज्य बंधु; प्रसिद्ध अस्त्र। ची + तु० (पु०) 1 बंदूक चलानेवाला
-हीन (वि०) असहाय, बेसहारा सिपाही 2 बंदूक चलानेवाला व्यक्ति; ~धारी सं० (वि०)
बँधुआ-I (वि०) 1 बँधा रहनेवाला 2 बाँधकर रखा हुआ बंदूक धारण करनेवाला
__ II (पु०) कैदी, बंदी बंदोबस्त-फ़ा० (पु०) 1 प्रबंध, व्यवस्था 2 खेतों की हदबंदी बंधुका-सं० (स्त्री०) व्यभिचारिणी स्त्री
आदि का काम। ~इस्तमरारी + अ० (१०) पक्की एवं | बंधुकी-(स्त्री०) व्यभिचारिणी औरत निश्चित कृषि व्यवस्था; दवामी + अ० + फ़ा० (पु०) | बंधुत्व-सं० (पु०) 1 भाईचारा 2 दोस्ती, मित्रता 3 स्वजनों का बंदोबस्त इस्तमरारी
__ वर्ग 4 बंधु होने का भाव बंध-सं० (पु०) 1 बंधन 2 बाँधने का साधन 3 बाल बाँधने की | बंधुदत्त-सं० (पु०) बंधु द्वारा कन्या को दिया गया धन
चोटी 4 जंजीर 5 रचना करना (जैसे-पद बंध) 6 निर्माण बंधुदा-सं० (स्त्री०) 1 बदचलन औरत 2 वेश्या (जैसे-सेतु बंध) 7 व्यवस्था
बंधूक-(पु०) दुपहरिया पौधा या फूल . बंधक-I सं० (वि०) 1 बाँधनेवाला II (पु०) रेहन, गिरवी। | बंधूर-सं० (पु०) गुलदुपहरिया
ऋण (पु०) गिरवी के बदले दिया गया ऋण; ~कर्ता । | बंधेज-(पु०) 1 प्रतिबंध, रुकावट 2 नियत एवं परंपरागत प्रथा (पु०) रेहन रखनेवाला व्यक्ति; ~गहीता, ~ग्राही (१०) । (जैसे-शादी आदि का बंधेज) बंधक, रेहन रखनेवाला महाजन, रेहनदार; लपत्र (१०) | बंध्य-सं० (वि०) 1 बाँधने योग्य, बंधनीय 2 बाँझ 3 कारावास
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बंध्या
के योग्य । ~करण (पु०) चि० 1 खस्सी करना 2 नसबंदी; ~फल (वि०) फलहीन
बंध्या-सं० (स्त्री०) बाँझ स्त्री । ~ पुत्र ( पु० ) अनहोनी बात बंपुलिस - अं० (स्त्री०) सार्वजनिक शौचालय बंब - ( पु० ) 1 'बम बम' शब्द 2 रणनाद 3 डंका, नगाड़ा बंबा - ( पु० ) 1 पानी का नल (जैसे-बंबा बंद कर दो ) 2 जलकल 3 सोता
बैबाना - (अ० क्रि०) रँभाना बंबू - (पु० )
बँभनाई - बो० (स्त्री०) 1 ब्राह्मणत्व, ब्राह्मणपन 2 ब्राह्मणों की
1 बाँस की नली 2 नली
यजमानी
बंसदिया - (पु०) कुलदीपक, कुलदीप
बंसलोचन - (पु० ) बाँस का गोद, तवाशीर
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बंसवाड़ी - ( पु० ) ऐसा स्थान जहाँ बाँस की बहुत कोठिया हों बंसी - I (स्त्री०) बाँसुरी, बंशी
बंसी - II ( स्त्री०) मछली फँसाने की कँटिया
बँसोड़, बँसोर - (पु० ) बाँस की चटाई, टोकरी आदि बनानेवाली एक जाति बँहगी - (स्त्री० ) बहँगी बँहटा - (पु० ) बहूँटा बँहोली -बो० (स्त्री०) आस्तीन
=
बक - (स्त्री०) 1 बकना 2 बकवाद (जैसे- बक-बक करना) 3 बात, वचन । झक (स्त्री०) 1 बकवाद, प्रलाप 2 कहासुनी (जैसे- बक-झक करना); बक (स्त्री०) अनाप-शनाप बकना; ~वाद (स्त्री०) व्यर्थ की बात; ~वादी (वि०) व्यर्थ की बात करनेवाला बक - I सं० (पु० ) बगुला II ( वि०) बगुले के समान (जैसे- बक- दंत) । चर (पु० ) ( बगुले की तरह) ढोंगी व्यक्ति; ~ ध्यान (पु० ) 1 साधुता का ढोंग 2 दिखाऊ मुद्रा; ~ध्यानी (वि०) बकध्यान लगानेवाला; ~ मौन I (पु० ) बकध्यान II (वि०) बकध्यानी; ~ यंत्र (पु० ) अर्क आदि खींचने का एक आयुर्वेदोक्त यंत्र वृत्ति, व्रती I (स्त्री०) पाखंड II (वि०) ठगनेवाला, पाखंडी
=
बकचा - ( पु० ) = बकुचा
बकठाना - (अ० क्रि०) बो० ऐंठना
बकतरं - फ़ा० ( पु० ) लोहे के जाल का बना कवच । पोश; ~बंद (वि०) कवचधारी
बकना - I (स० क्रि०) बोलना (जैसे-गालियाँ बकना) II (अ० क्रि०) बड़बड़ाना, बकवास करना। ~झकना (अ० क्रि०) बड़बड़ाना
बकर - अ० (पु० ) गाय, बैल। ~ ईद (स्त्री०) मुस्लिम पर्व जिसमें पशु बलि का विधान है; ~क़साब (पु०) कसाई बकरना - I (अ० क्रि०) बड़बड़ाना II (स० क्रि०) दोष स्वीकार करना
बकर बकर- ( क्रि० वि०) चकित होकर बोलते रहना बकरम - अं० (पु० ) गोंद आदि से कड़ा किया गया कपड़ा बकखाना- (स० क्रि०) अपराध स्वीकार कराना
बकरा - ( पु० ) एक प्रसिद्ध नर पशु, अज, छाग
बकराना - (स० क्रि०) = बकरवाना बकरी - ( स्त्री०) मादा बकरा
=
बक़रीद - अ० (स्त्री० )
बकल - ( पु० ) = बकला बकलस - अं० ( पु० ) बकसुआ
= बकवाद
बकला - ( पु० ) 1 पेड़ की छाल 2 फल का छिलका बकवाना - (स० क्रि०) बकने में प्रवृत्त करना बकवास - (स्त्री०) बकवासिन - (स्त्री०) बकवाद करनेवाली स्त्री बकवासी - (वि०) बकस-अं० (पु०) संदूक
बकवादी
बकसरत-फ़ा० + अ० (क्रि० वि०) अधिकता से. बहुतायत से हिं० बो० (पु०) पीतल आदि का बना
बकसुआ-अं० चौकोर छल्ला
बक़ा-अ० (स्त्री०) 1 नित्यता 2 अनश्वरता
बकाना - (स० क्रि०) 1 बकने में प्रवृत्त करना 2 कहलाना बकायन - फ़ा० (पु० ) नीम की जाति का पेड़ बक़ाया - अ० (वि०) बचा हुआ, शेष बकार - अ० (पु०) धुरी
बकारी - (स्त्री०) मुँह से निकलनेवाला शब्द बकावली - (स्त्री०) बगुलों की पंक्ति बकीया - अ० (वि०) = बक़ाया बकुचा - (पु० ) 1 छोटी गठरी 2 ढेर 3 गुच्छा बकुची - ( स्त्री०) 1 सवा हाथ ऊँचा औषधि के काम में आनेवाला एक पौधा 2 छोटी गठरी
=
- ईद
बखान
बकुल - I सं० ( पु० ) मौलसिरी II ( वि०) टेढ़ा बकुला - बो० (पु०) = बगला
बकेन-बो० (स्त्री०) पाँच-छः महीने की ब्याई गाय, धेनु बकैयाँ - (पु० ) घुटनों के बल चलना बकोट - (स्त्री०) 1 बकोटने की क्रिया 2 बकोटने से बना निशान 3 बकोटने के लिए बनाई गई उँगलियों एवं हथेली की मुद्रा बकोटना - (स० क्रि०) 1 नोचना 2 वसूल करना बकोटा - ( पु० ) बकोट
=
बक़ौल-फ़ा० + अ० ( क्रि० वि०) कथनानुसार बक्कम - अ० ( पु० ) एक तरह का छोटे आकार का कँटीला पेड़, पतंग
बक्कल - ( पु० ) बकला
बक्का - बो० (पु०) धान की फ़सल में लगनेवाला एक सफ़ेद कीड़ा
बक्क़ाल - अ० (पु० ) 1 कुँजड़ा 2 बनिया बक्की - I (वि०) बकवादी
बक्की - II ( स्त्री०) भादों में तैयार होनेवाला धान बक्कुर-बो० (पु०) बोल, वचन
बक्खर - (पु० ) 1 पत्तियों एवं जड़ी आदि से तैयार खमीर 2 गाय-बैल बाँधने का बाड़ा बक्स-अं० (पु० ) = बकस। ~वाला बखत - अ० (पु०) वक़्त, समय बखत - फ़ा० (पु०) बख़्त
हिं० संदूकवाला
बखरा - फ़ा० (पु० ) हिस्सा, भाग
बखरैत-फ्रा० + हिं० (वि०) हिस्सेदार, साझीदार
बखान - ( पु० ) 1 तारीफ़, प्रशंसा 2 विस्तार रूप में किया गया वर्णन
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बखानना
बखानना- (स० क्रि०) 1 विस्तारपूर्वक कहना 2 प्रशंसा करना बखार-बो० (पु०) गोल एवं विस्तृत घेरा
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बखारी - (स्त्री०) छोटा बखार
बखिया - फ़ा० ( पु० ) 1 महीन और मज़बूत सिलाई 2 शक्ति, सामर्थ्य 3 गति, पहुँच 4 योग्यता
बखियाना -फ़ा० हिं० (स० क्रि०) बख़िया करना बखीर -बो० (स्त्री०) गन्ने के रस में पकी खीर बख़ील - अ० (वि०) कंजूस, सूम
बख़ीली- अ० + फ़ा० (स्त्री०) कंजूसी
+
बख़ीली- अ० फ़ा० (स्त्री०) कंजूसी बखुशी-फ़ा० ( क्रि० वि० ) प्रसन्नतापूर्वक
बखूबी - फ़ा० ( क्रि० वि०) भली-भाँति, अच्छी तरह से बखेड़ा - (पु० ) 1 आडंबर 2 झगड़ा, विवाद बखेड़िया - (वि०) बखेड़ा करनेवाला बखेरना - (स० क्रि०) बिखेरना बख़ैर-फा० अ० ( क्रि० वि०) कुशलतापूर्वक बख़ैरियत - फा० अ० ( क्रि० वि०) कुशलता से बख़्त- फा० (पु० ) किस्मत, भाग्य
+
+
बख़्तर - फ़ा० ( पु० ) = बकतर। ~बंद (वि०) = बकतरनंद
बख़्तावर - फ़ा० (वि०) भाग्यवान्
बख़्श - फ़ा० (वि०) 1 पदों के अंत में लगने पर 'देने' प्रदान करनेवाला (जैसे-जाँ बख़्श) 2 क्षमा करनेवाला, (जैसे -ख़ता - बख़्श) 3 नाम के अंत में बख़्शिश, देन (जैसे-मौला-बख़्श, खुदा-बख़्श) । ~नामा (पु० ) बख्शिशनामा बख़्शना-फ़ा० + हिं० (स० क्रि०) 1 दान देना 2 क्षमा करना 3 छोड़ देना
बख़्शवाना - फ़ा० + हि बख़्शाना-फ़ा० + हिं (स० क्रि०) 1 दिलाना 2 माफ करना
बख्शिश - फ़ा० (स्त्री०) 1 दानशीलता 2 दान 3 इनाम, पुरस्कार
4 क्षमा । नामा (पु० ) दान-पत्र
बख़्शी - फ़ा० ( पु० ) 1 खजांची 2 वेतन देनेवाला कर्मचारी बग- बो० ( पु० ) बगला
बगई - बो० (स्त्री०) 1 कुकरमाछी 2 पतली एवं लंबी घास बगछुट, बगटुट - 1 (वि०) बाग़, लगाम से मुक्त II ( क्रि० वि०) सरपट बेतहाशा
बगड़ - ( पु० ) बाड़ा, घेरा
बगदना - (अ० क्रि०) बो० 1 बिगड़ना, खराब होना 2 भटकना ३ मार्ग - च्युत होना
बगदर-बो० (पु०) मच्छर
बगदाना - (स० क्रि०) बो० 1 ख़राब करना, बिगाड़ना 2 कर्तव्य से हटना
बगना - ( अ० क्रि०) बो० 1 घूमना-फिरना 2 दौड़ना 3 भागना बगमेल - 1 (पु० ) 1 पंक्तिबद्ध होकर धावा बोलना 2 समानता, बराबरी 3 बाग़ मिलाकर चलनेवाले घुड़सवारों का दस्ता II ( क्रि० वि०) 1 बाग मिलाए हुए 2 साथ रहते हुए बग़ल - फ़ा० (स्त्री०) 1 पहलू, पार्श्व 2 समीप का स्थान (जैसे - मेरी बग़ल मत बैठो) 3 काँख 4 कुरते आदि में कंधे के नीचे लगाया जानेवाला कपड़े का टुकड़ा, बग़ली। गीर (वि०) 1 पास में रहनेवाला, पार्श्ववर्ती 2 आलिंगित;
बचन
~ गीरी (स्त्री०) 1 पास में रहना 2 आलिंगन । गरम करना सहवास, संभोग करना; गीर होना आलिंगन करना; में पास में; में ईमान दबाना बेईमानी करना; में दबाना, में दाबना 1 छिपा लेना 2 कब्ज़े में करना; ~बजाना अत्यधिक प्रसन्न होना, खुश होना
बगला - (पु० ) सारस की जाति का सफ़ेद रंग का एक पक्षी । गत (पु० ) अत्यधिक धूर्त एवं कपटी, भगती (स्त्रो०) पाखंड
बग़लियाना - I फ़ा० + हिं० (अ० क्रि०) कतराकर निकल जाना II (स० क्रि०) 1 बग़ल में करना 2 बग़ल में दबाना
3 अलग करना
बगली - (स्त्री०) 1 अँगरखे आदि में कंधे के नीचे लगाया जानेवाला टुकड़ा 2 सूई, तागा रखने की थैली, तिलेदानी 3 सेंध (जैसे-बगली लगाकर चोरी करना) बग़ली-फ़ा० (वि०) 1 बग़ल का 2 एक ओर का बगलौहाँ - फ़ा० + हिं० बो० बग़ल की ओर झुका हुआ, तिरछा बगार - बो० ( पु० ) गो-शाला बग़ावत - अ० (स्त्री०) विद्रोह बग़िया-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) छोटा बाग़ बग़ीचा - फ़ा० ( पु० ) फुलवारी
बगुला - ( पु० ) = बगला । ~ भगत (पु० ) = बगला भगत बगूला - ( पु० ) बवंडर, चक्रवात बगेरी - (स्त्री०) खाकी रंग की एक चिड़िया, बगौधा, भरुही बग़ैर-फ़ा० + अ० ( क्रि० वि०) बिना। हाज़िरी + फ़ा० ( क्रि० वि०) बिना उपस्थिति के
बग्गी, बग्घी -अं० (स्त्री०) चार पहियों की घोड़ा गाड़ी बघंबर - (पु०) बाघ की खाल बघछाला - (पु० ) बाघंबर बघनखा - ( पु० ) 1 बाघ के नख के आकार का एक अस्त्र, शेरपंजा 2 गले में पहना जानेवाला एक तरह का
=
गहना
धार - (पु० ) 1 बघारने की क्रिया 2 तड़का, छौंक (जैसे-सब्ज़ी बघार देना) 3 बघारने से उत्पन्न सोंधी गंध 4 शोथी चर्चा, व्यर्थ का पांडित्य प्रदर्शन
बघारना - (स० क्रि०) 1 छौंकना 2 निरर्थक प्रदर्शन करना (जैसे-शेखी बघारना, अंग्रेज़ी की शान बघारना) बघेरा - बो० (पु० ) लकड़बग्घा
बघेलखंडी - I (वि०) बघेलखंड संबंधी II बघेलखंड का रहनेवाला III (स्त्री०) बघेलखंड की बोली, बघेली बच - (स्त्री०) पर्वतीय प्रदेश के जलाशयों के तट पर होनेवाला एक पौधा
बचकाना - (वि०) 1 बच्चों के काम आनेवाला (जैसे-बचकाना टोपी) 2 बच्चों की नाप का 3 बच्चों के स्वभाव का (जैसे- बचकानी बुद्धि)
बचत - (स्त्री०) 1 बचने का भाव 2 बचाव 3 बची हुई रकम
4 लाभ, नफ़ा। पत्र + सं० (पु०) बचत का प्रमाण पत्र; - बैंक + अं० (पु०) सेविंग बैंक
बचन - (पु० ) 1 वचन, बात 2 वाणी 3 प्रतिज्ञा, शपथ (जैसे-बचन पर अडिग रहना) 4 निवेदन । देना काम करने का वचन देना; बाँधना दृढ़ प्रतिज्ञा करना: माँगना
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बचना
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बझना
वचन पालन करने हेतु प्रार्थना करना; हारना प्रतिज्ञा पालन आवाज़ निकलना (जैसे-शहनाई बजना) 4 प्रसिद्ध होना के हेतु विवश होना
(जैसे-किसी के नाम का डंका बजना) 5 घंटे की सूचना देना बचना-I (अ० क्रि०) 1 शेष रहना (जैसे-केवल दस रुपए (जैसे-दस बजते में पाँच मिनट बाकी हैं) II (वि०) बचे हैं) 2 सुरक्षित रहना (जैसे-वह नदी में डूबने से बच बजनेवाला गया) 3 प्रभाव आदि से अछूता रहना (जैसे-झूठ बोलने से बजना-II (पु.) 1 बाजा 2 बजनेवाली वस्तु बचना) 4 सामना न करना (जैसे-दुश्मन से बचना) बजनियाँ-(पु०) = बजंत्री II (स० क्रि०) कहना, बोलना
बजनी-I बो० (वि०) बजनेवाला बचपन-(पु०) लड़कपन, बाल्यावस्था
बजनी-II (स्त्री०) मार-पीट, उठा-पटक बचपना-(पु०) सयाने लोगों द्वारा किया गया शिशु-कार्य | बजनूं-(वि०) = बजनी | बचवा-बो० (पु०) बच्चा, बालक
बजबजाना-(अ० क्रि०) सड़ने आदि के कारण बुलबुले उठना बचवैया-(वि०) रक्षक
(जैसे-दही का बजबजाना) बचश्म-फा० (क्रि० वि०) आँखों से
बजमारा-बो० (वि.) 1 वज्र से आहत 2 बहुत अभागा बचा-खुचा-(वि०) अवशिष्ट, रहा-सहा
बजरंग-I (वि.) 1 अत्यंत शक्तिशाली एवं हृष्ट-पुष्ट 2 वज्र के बचाना-(स० क्रि०) 1 शेष रखना, बचा लेना (जैसे-खर्च समान कठोर अंगोंवाला II (पु०) हनुमान। बली (पु०) करते समय कुछ रुपए बचाना) 2 रक्षा करना 3 अलग रखना हनुमान 4 छिपाना 5 संपर्क में न आने देना (जैसे-आँख बचाना) बजर-I (वि०) 1 बहुत मज़बूत, पक्का 2 कठोर II (पु०) = बचा-बचाया-(वि०) जो कुछ बचा या बचाया हआ वज्र । बट्ट (पु०) एक प्रकार के वृक्ष के फूल का दाना; बचाव-(पु०) 1 बचने की अवस्था 2 रक्षा, त्राण 3 बचने हेतु हड्डी (स्त्रो०) घोड़े का एक रोग किया गया प्रयत्न । -घर (पु०) रक्षा-गृह; पक्ष + सं० - बजरा-I (पु०) कमरे के आकार की बड़ी नाव (पु०) सफ़ाई पेश करनेवाले लोग।
बजरा-II (स्त्री०) बाजरा बचून-(पु०) भालू का बच्चा, कलंदर
बज़रिया-फा० + अ० (अ०) के द्वारा बच्चा-I फ़ा० (पु०) 1 नवजात शिशु (जैसे-बिल्ली का बजरी-I (स्त्री) 1 कंकड़ी 2 ओला 3 छोटा कंगूरा । बच्चा) 2 मानव जाति का कम अवस्था का प्राणी (जैसे-तीन | बजरी-II बो० (स्त्री०) बाजरा वर्ष का बच्चा) II (वि०) 1कम उमरवाला 2 नादान। | बजवाई-(स्त्री०) 1 बाजा बजवाने का कार्य 2 बाजा बजवाने
कश (वि०) बहुत बच्चे जननेवाली; कशी (स्त्री०) का पारिश्रमिक बार-बार बच्चे देना; ~कुशी (स्त्री०) शिशु हत्याः खाना बजवाना-(स० क्रि०) 1 बाजा बजाने में प्रवृत्त करना 2 बजाने (पु०) बालघर; ~गाड़ी + हिं० (स्त्री०) बाबागाड़ी: ~घर का काम करवाना + हिं० (पु०) बच्चा-खाना; ~बाज़ (वि०) लौंडेबाज़; बजवैया-(पु०) = बजंत्री बाज़ी (स्त्री०) लौंडेबाज़ी
बजा-फा० (वि०) 1 उचित 2 दुरुस्त एवं शुद्ध बच्चू-(पु०) अरे बेटा
बज़ाज़-अ० (पु०) कपड़े का व्यापारी (जैसे-बज़ाज़ की बच्चे कच्चे-(पु०) छोटे-बड़े बच्चे
दुकान) बच्छ, बच्छा, बछड़ा-(पु०) गाय का बच्चा, बछवा बज़ाज़ा-अ० + फा० (पु०) कपड़ों का बाज़ार बछिया-(स्त्री०) गाय का मादा बच्चा। ~का ताऊ बज़ाज़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री) 1 बज़ाज़ का काम 2 कपड़ा 1 सीधा-सादा 2 मूर्ख
बेचने का व्यवसाय बछेड़ा-(पु०) घोड़े का बच्चा
बजान-फा० (क्रि० वि०) जान से बछेड़ी-(स्त्री०) घोड़े का मादा बच्चा
बजाना-I (स० क्रि०) 1 आवाज़ निकालना (जैसे-सीटी बछौंटा-बो० (पु०) हिस्से के मुताबिक लगाया गया चंदा बजाना) 2 आघात से ध्वनि उत्पन्न करना (जैसे-घंटा बजाना) बजंत्री-(पु०) 1 बाजा बजानेवाला. बजनियाँ 2 बाजा 3 लड़ाई-झगड़ा करना (जैसे-लाठियाँ बजाना) बजानेवालों की मंडली
4 जाँचना-परखना (जैसे-ठोंकना-बजाना) बजकना-(अ० क्रि०) बो० बजबजाना
बजाना-II फ़ा० + हिं० (स० क्रि०) पालन करना बजका-बो० (पु०) = बचका
(जैसे-हुक्म बजाना) बजट-अं० (पु०) आय-व्यय का लेखा, आय-व्यय पत्रक। । बजाय-फ़ा० (क्रि० वि०) बदले में
~अधिवेशन + सं० (पु०) आय व्यय पर विचार करने हेतु बजिंस-फ़ा० + अ० (क्रि० वि०) हुबहू, ज्यों का त्यों बुलाई गई बैठक; ~प्रणाली + सं० (स्त्री०) आय-व्यय की बजूखा-(पु०) 1 बिजूखा 2 बिजूका व्यवस्था; ~ व्यवस्था + सं० (स्त्री०) आय-व्यय संबंधी बज़ोर-फ़ा० (क्रि० वि०) ज़बरदस्ती, बलपूर्वक (जैसे-बज़ोर प्रबंध
छीन लेना) बजड़ना-(स० क्रि०) बो० 1 टकराना 2 पहुँचना बज्जात-(वि०) 1 बदज़ात, दुष्ट 2 कमीना बजड़ा-(पु०) = बजरा I
बज्म-फा० (स्त्री०) 1सभा 2 गोष्ठी बजना-I (अ० क्रि०) 1 ध्वनि निकलना (जैसे-घंटा बजना) बझना-(अ० क्रि०) बो० 1 बँधना 2 उलझना, फँसना 3 ज़िद 2 आघात लगना (जैसे-सिर पर डंडा बजना) 3 बाजे से । करना, हठ करना
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बझवट
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बड़का
बझवट-बो० (स्त्री०) 1 बाँझ स्त्री 2 बाँझ मादा पशु (जैसे-बटुआ में दाल पकाना) बझाना-(स० क्रि०) 1 फँसाना, उलझाना 2 बंधन में डालना बटुई-(स्त्री०) = बटलोई बझाव-(पु०) 1 फँसाव, उलझाव 2 फँसाने, बझाने की वस्तु बटुरना-(अ० क्रि०) बो० 1 एकत्र होना 2 सिमटना 3 बटोरा बझावट-(स्त्री०) 1बझने-बझाने की स्थिति 2 उलझन जाना (जैसे-कूड़ा बटुरना) 3 उलझाने की चीज़
बटुली-(स्त्री०) = बटलोई बट-I (पु०) वट का पेड़
बटुवा-(पु०) = बटुआ बट-II (पु०) = बटन I
बटे-(पु०) = बटा बट-III (पु०) मार्ग, रास्ता। ~पार (पु०) II (पु०) | बटेर-(स्त्री०) तीतर की जाति की एक छोटी चिडिया बटमार; पारी (स्त्री०) = बटमारी; ~मार (पु०) राह में (जैसे-तीतर-बटेर की लड़ाई. आधा तीतर-आधा बटेर)। लूटनेवाला, राहज़न; ~मारी (स्त्री०) बटमार का पेशा; बाज़ + फ़ा० (पु०) बटेर पालनेवाला व्यक्तिः -बाज़ी
~वार (पु०) 1 पहरा देनेवाला 2 रास्ते का कर वसूलनेवाला __ + फ़ा० (स्त्री०) बटेर पालने का काम बट-IV (पु०) बाट का संक्षिप्त रूप (जैसे-बट-खरा) बटेलियन-अं० (पु०) = बटालियन . बट-V अं० (पु०) बंदूक का कुंदा
बटैया-(पु०) बाँटनेवाला । बटई-(स्त्री०) = बटेर
बटैरी-(स्त्री०) हिंदू विवाह की एक रस्म बटखरा-(पु०) बाट, वजन
बटोई-I (पु०) = बटोही II (स्त्री०) - बटलोई . बटन-I (स्त्री०) 1 रस्सी आदि ऐठना 2 ऐंठन
बटोर-(पु०) 1 बटोरना 2 इकट्ठा करना 3 ढेर। बटन-II अं० (पु०) 1 सीप, मींग आदि की बनी कमीज़ बटोरन-(स्त्री०) 1 बटोरने का भाव 2 बटोरकर इकट्ठा किया
आदि के काज़ में लगाने की वस्त्. बताम (जैसे-काज़-बटन) गया सामान आदि 2 बिजली आदि की घुडो, स्विच (जैसे-बटन दबाना) बटोरना-(स० क्रि०) 1 साफ़ करना (जैसे-कूड़ा बटोरना) बटना-I (स० क्रि०) ऐंठन देकर मिलाना (जैसे-रस्सी बटना) 2 इकट्ठा करना (जैसे-अनाज बटोरना) 3 समेटना बटना-II (अ० क्रि०) 1 पिसना, पिसा जाना 2 बँट जाना, (जैसे-चादर बटोरना) समाप्त होना
बटोही-(पु०) पथिक, राहगीर. मुसाफ़िर बटना-III (पु०) 1 रस्सी बटने का आला, यंत्र 2 उबटन बट्ट-I (पु०) 1 बटा, गोला 2 बटखरा. बाट || ( पु०) । बट, (जैसे-बटना मलना)
ऐंठन 2 सिलवट, शिकन बटम-बो० (पु०) बटन
बट्टा-I (पु०) । रुपए, नोट, हंडी आदि भुनाने या बदलने पर बटला-(पु०) बड़ी बटलाई
उसके मूल्य से काटी गई रक़म 2 कमी. घाटा । जैसे-बट्टा बटली, बटलोई-(स्त्री०) दाल आदि पकाने की देगची लगना)। खाता (पु०) घाटे का खाता बटवाना-1 (स० क्रि०) पीसने का काम कराना - बट्टा-II (पु०) । गोल लंबोतरा पत्थर. लोढ़ा ? पत्थर का II (स० क्रि०) बँटवाना
चिकना छोटा गोला। ढाल (वि०) खुब चौरस एवं चिकना बटवार-(पु०) 1 पहरा देनेवाला व्यक्ति 2 रास्ते का कर | बट्टी-(स्त्री०) । छोटा बट्टा 2 टिकिया 3 भेली (जैसे-गुड़ की वसूलनेवाला
बट्टी) बटवारा-(पु०) - बँटवारा
बट्ट-I (पु०) । बजरबट्ट 2 बोड़ा II 1 धारीदार चारखाना बटा-(पु०) गल छोटी एवं सीधी क्षतिज रेखा (जैसे-तीन बटा 2 लोहे का गोला, नट चार, 3/4)
बट्टेबाज़-1 हिं० • फ़ा० (पु०) 1 नज़रबंद का खेल करनेवाला बटाई-I (स्त्री०) फ़सल का बँटवारा
जादूगर 2 बहुत बड़ा चालाक एवं धूर्त व्यक्ति || (वि०) बटाई-II (स्त्री०) । बटने या ऐठन डालने का काम 2 बटने दुश्चरित्रा, पुंश्चली की मज़दूरी
बठिया-(स्त्री०) उपलों का ढेर बटाऊ-[ बो० (पु०) राही, पथिक || (पु०) । बाँटनवाला । बडंगा-(पु०) - बँडेर व्यक्ति 2 बँटवारा करानेवाला व्यक्ति
बड़-I (पु०) - बट || ~कौला, बट्टा (पु०) बरगद बटाना-I (स० क्रि०) बाँटने का काम कराना || बटने या ऐंठने ___ का गोदा का काम कराना
बड़-II (स्त्री०) 1 बड़-बड़ शब्द उत्पन्न करना 2 व्यर्थ की बटालियन-अं० (पू०) पैदल सेना का एक विभाग बात, प्रलाप। बड़ (स्त्री०) प्रलाप करना (जैसे-बटालियन का निरीक्षण करना)
बड़-III (वि०) 'बड़ा' का संक्षिप्त रूप (जैसे-बड़ भाग्य, बटाली-बो० (स्त्री०) बढ़ई का एक औज़ार, रुखानी बड़-बोला)। दंता (वि०) बड़े दाँतवाला; दुमा + बटिया-I (स्त्री०) छोटा गोल-मटोल टुकड़ा (जैसे-शालिगराम फ़ा० + हिं० (पु०) लंबी पूँछवाला हाथी; ~पेटू (वि०) बड़े की बटिया) || प्रतला रास्ता, पगडंडी I|| बट्टी (जैसे-साबन पेटवाला; - बोल, ~बोला (वि०) डींग मारनेवाला; की बटिया)
~भागी + सं० (वि०) खूशनसीब, भाग्यशाली; ~मैंहा बटी-(स्त्री०) 1 गोली. वटी 2 पीठी का बना एक पकवान, बड़ी (वि०) 1लंबे मुँहवाला 2 बड़बोला बटु-सं० (पु०) ब्रह्मचारी |
बड़कन्ना-(वि०) बड़े कानवाला बटुआ-(पु०) 1 छोटा खानेदार थैला 2 बड़ी बटलोई | बड़का-बो० (वि०) सबसे बड़ा
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बड़कुइयाँ
बड़कुइयाँ - (स्त्री०) कच्चा कूआँ बड़नक्का - (वि०) बड़ी नाकवाला बड़प्पन - ( पु० ) श्रेष्ठता, महानता
बड़बड़ाना - (अ० क्रि०) 1 धीरे-धीरे बोलना 2 बक-बक करना बड़बड़िया- (वि०) बकवाद करनेवाला
बना
बड़राना - (अ० क्रि० ) बड़वा - (स्त्री०) घोड़ी
=
बड़वानल-सं० ( पु० ) समुद्र के अंदर की अग्नि बड़वारी- (स्त्री०) 1 बड़प्पन 2 प्रशंसा, बड़ाई
बड़हार-(पु०) ब्याह के बाद कन्या पक्ष की ओर से बरातियों की होनेवाली ज्योनार
बड़होंटा - (वि०) बडे होंटवाला
बड़ा - I ( वि०) 1 डील-डौलवाला 2 उम्र में अधिक 3 पद, प्रतिष्ठा, अधिकार आदि में अधिक 4 कठिन 5 विस्तार परिणामवाला 6 बहुत ज्यादा
बड़ा - II ( पु० ) मसाला घोलकर उर्द की पीठी से बनाया गया एक पकवान (जैसे- दही-बड़ा) बड़ाई - (स्त्री०) 1 बड़ा होना बड़ापन 2 प्रशंसा, तारीफ़ ३ श्रेष्ठता 4 मान-मर्यादा. महिमा ।
और छोटा होना (जैसे-चार वर्ष की बड़ाई - छुटाई)
बड़ापन - (पु० ) = बड़प्पन
बड़ी - (स्त्री०) कुम्हड़ौरी
बढ़इन - ( स्त्री०) बढई की स्त्री
छुटाई (स्त्री०) बड़ा
बढ़ई - ( पु० ) 1 लकड़ी का काम करनेवाली एक हिंदू जाति फ़ा० (स्त्री०) बढ़ई का
2 इस जाति का व्यक्ति । गिरी
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काम
बढ़कर - ( क्रि० वि०) तुलना में अधिक बढ़ती - (स्त्री०) अधिकता वृद्धि
बढ़ना - (अ० क्रि०) 1 अधिक होना 2 धन-धान्य आदि की वृद्धि होना 3 आगे जाना 4 दूसरे से आगे निकल जाना 5 लाभ होना (जैसे व्यापार में सो रुपए बढ़ना) 6 महँगा होना (जैसे- बाजार भाव बढ़ गया) 7 उन्नति करना (जैसे-नौकरी में आगे बढ़ना) बढ़ाई - (स्त्री०) बढ़ा-चढ़ाकर - ( क्रि० वि०) अतिशयोक्ति पूर्वक
- बढ़ाव
बढ़ाना - (स० क्रि०) 1 आकार, परिमाण आदि में वृद्धि करना 2. ऊपर उठाना 3 मान-मर्यादा आदि की वृद्धि करना 4 तरक्की देना, उन्नति कराना 5 महँगा करना 6 आगे करना 7 आगे निकालना (जैसे- घोड़ा बढ़ाना) 8 सराहना, बढ़ावा देना (जैसे- उसे आपने ही बढ़ाया है) । चढ़ाना (स० क्रि० ) अतिशयोक्तिपूर्ण रूप में कहना
बढ़ा-बढ़ी - (स्त्री०) 1 मर्यादा आदि का उल्लंघन 2 होड़, प्रतिद्वंद्विता
बढ़ाव - ( पु० ) 1 बढ़ने का भाव 2 फैलाव, विस्तार 3 बढ़ती.
बाढ
बढ़ावा - (पु० ) 1 प्रोत्साहन 2 हौसला बढ़ानेवाली बात 3 उत्तेजन
बढ़िया - (वि०) बहुत अच्छा, उम्दा बढेल- (स्त्री०) भेड़
बढेला - (पु०) जंगली सूअर
बथान
बढ़या - I (वि०) 1 बढ़ानेवाला 2 उन्नति करनेवाला II ( वि०) उन्नतिशील
बढ़ोतरी - (स्त्री०) 1 उत्तरोत्तर होनेवाली वृद्धि, बढ़ती 2 उन्नति, तरक्की 3 व्यापार में होनेवाला लाभ बणिक-सं० (पु० ) 1 रोज़गारी, व्यवसायी, व्यापारी 2 सौदागर । ~ सभा (स्त्री०) व्यापारियों की सभा बणिम्वृत्ति-सं० (स्त्री०) वणिक का पेशा, व्यापार बणिज् - सं० (पु० ) वणिक् बत, बतक- फ्रा० (स्त्री०) = बतख़
बत- (स्त्री०) 'बात' का संक्षिप्त रूप। ~ कहा (वि०) बात कहनेवाला; कही (स्त्री०) बातचीत; चल (वि०) बकवादी छुट (वि०) जो मुँह में आए कह देनेवाला; ~धर (वि०) बात पकड़नेवाला; बढ़ाव (पु०) बात का बढ़ जाना; ~बाती (स्त्री०) बे सिर पैर की बात, बकवाद; ~रस (पु०) बात में मिलनेवाला आनंद; रसिया (वि०) बात में रस लेनेवाला
=
बतक्कड़ - (वि०) बहुत बात करनेवाला
बतख - फ़ा० (स्त्री०) हंस की जाति का एक जल पक्षी (जैसे- बतख का अंडा )
बतलाना, बताना - I (स० क्रि०) 1 कहना, बयान करना 2 जताना, समझाना 3 सूचित करना, प्रकट करना 4 ख़बर लेना, मरम्मत करना
बताना - II ( पु० ) फटी-पुरानी पगड़ी
बताना - III ( पु० ) हाथ का कड़ा बतारीख - फ़ा + अ० ( क्रि० वि०) अमुक तिथि को बताशा - (पु० ) बतास - (स्त्री० ) 1 हवा, वात के प्रभाव से उत्पन्न रोग 2 हवा, वायु
बतासा
बतास - फेनी - (स्त्री०) टिकिया के आकार की एक मिठाई बतासा - ( पु० ) खालिस शक्कर की बनी एक तरह की मिठाई बतिया-बो० (स्त्री०) छोटा, कच्चा एवं ताज़ा हरा फल बतियाना-(अ० क्रि०) बो० 1 बात करना 2 पेड़ में फल लगना
बतीसा - ( पु० ) बतीसी - ( पु० )
बत्तीसा - बत्तीसी
बतोला - ( पु० ) 1 छल भरी बात 2 धोखा, झाँसा बतौर -फ़ा० अ० ( क्रि० वि०) 1 किसी तरह 2 के समान बत्तक - फ़ा० (पु० ) = बतख बत्तर- (वि०) बदतर
बत्ती - (स्त्री०) 1 रूई आदि से बनाई गई पूनी 2 बुना हुआ निवाड़ जैसा फीता 3 कपड़े की ऐंठी कड़ी धज्जी (जैसे- घाव में बत्ती करना) 4 दीपक, चिराग़ 5 रोशनी, प्रकाश 6 पलीता, फलीता (जैसे-आग लगाने की बत्ती) 7 अगरबत्ती 8 मोमबत्ती । दान + फ़ा० (पु०) बत्ती रखने का पात्र बत्तीस - I (वि०) तीस से दो अधिक II (पु० ) 32 की संख्या बत्तीसा - ( पु० ) बत्तीस मसालेवाला एक तरह का लड्ड बत्तीसी - (स्त्री०) 1 बत्तीस चीज़ों का समूह 2 मनुष्य के मुँह में बत्तीस दाँतों का समूह (जैसे-बत्तीसी तोड़ना )
S
बथान - I बो० (पु० ) पशुओं के बाँधे जाने की जगह, पशुशाला II (स्त्री०) दर्द
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बथुआ
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बदला
बधुआ-(पु०) एक चिकने पत्तोंवाला सारा बद-I (स्त्री) 1 गिलटी 2 चौपायों के मुँह से लार बहने का
संक्रामक रोग बद-II फा० (वि०) 1 दुराचारी 2 ख़राब, बुरा। ~अक़ीदा + अ० (पु०) बुरा विश्वास; ~अक्ल + अ० (वि०) दुर्गति, दुर्बुद्धि; ~अक्ली + अ० + फ़ा० (स्त्री०) दुष्ट बुद्धि, कुमति, कुबुद्धि; ~अमली + अ० + फ़ा० (स्त्री०) कुशासन, अराजकता; ~इंतज़ामी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) अव्यवस्था, कुप्रबंध; ~कार (वि०) कुकर्मी, व्यभिचारी; ~कारी (स्त्री०) व्यभिचार; क़िस्मत + अ० (वि०) अभागा, दुर्भाग्यशाली; क़िस्मती + अ + फ़ा० (स्त्री०) दुर्भाग्य; ~खत + अ० (वि०) खराब लिखनेवाला, खराब अक्षरोंवाला; खती + अ० + फ़ा० (स्त्री०) बुरी लिखावट; ~ख्वाह (वि०) बुराई चाहनेवाला; ख्याही (स्त्री०) बुराई; ~गुमान (वि०) 1 बुरी धारणा रखनेवाला 2 संदेह करनेवाला, शक्की; गुमानी (स्त्री०) 1 कुधारणा 2 शक; ~गो (वि.) 1 चुगलखोर 2 गाली गलौज़ करनेवाला; गोई (स्त्री०) 1 निंदा करनेवाला 2 गाली-गलौज़, चलन + हिं० (वि०) दुराचारी, कुमार्गी;
चलनी +हिं० (स्त्री०) दुराचारिता, बुरा चाल-चलन;
ज़बान (वि०) 1 गाली-गलौज़ करनेवाला मुँहफट (जैसे-बदज़बान औरत); ज़बानी (स्त्री०) । बुरे शब्द कहना 2 गाली गलौज़; जात + अ० (वि०) खोटा, नीच, कमीना; ~तमीज़ + अ० (वि०) 1 असभ्य 2 गँवार;
तमीज़ी + अ० (स्त्री०) असभ्यता, अशिष्टता; तर (वि०) अयधिक बुरा; ~दिमाग़ + अ० (वि०) 1 घमंडी, अभिमानी 2 ज़रा सी बात पर बुरा माननेवाला; -दिमागी (स्त्री०) 1 घमंड 2 ज़रा सी बात पर बुरा मानने की आदत;
दिल (वि०) 1 निराश, भग्नहृदय 2 अप्रसत्रः दुआ । अ. (स्त्री०) शाप (जैसे-बददुआ देना); नज़र + अ० (वि०) बुरी नज़रवाला: नसल । अ० (वि०) बुरी नसल का, कमीना, नीच; नसीब • अ० (वि०) - बदकिस्मत;
नसीबी + अ , फा० (स्त्री) बदकिस्मती; नाम (वि०) कुख्यात (जैसे-बदनाम व्यक्ति); नामी (स्त्री०) कुख्याति, अपकीर्तिः निगाह (वि०) - बदनज़र;
नीयत . अ. (वि०) 1 बुरी नीयतवाला, बेईमान 2 लालची; नीयती । अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 इरादे का खोटा, बेईमानी 2 लालच; नुमा (वि०) - बदसूरत;
परहेज़ (वि०) खाने-पीने में परहेज़ न करनेवाला; ~परहेज़ी (स्त्री०) 1 खाने-पीने में परहेज़ न करना 2 कपथ्य का भोग; बख़त (वि०) अभागा; बू (स्त्री०) दुर्गंध;
खू दार (वि०) दुर्गंधयुक्त; ~मज़गी (स्त्री०) 'बदमज़ा' होने का भाव; -मज़ा (वि०) बरा स्वादवाला, फीका;
~मस्त (वि०) 1 मदहोश 2 कामुक; ~मस्ती (स्त्री०) 1 बदमस्त होने की अवस्था 2 नशा; ~माश । अ० (वि०) 1 बुरा एवं निकृष्ट कर्म करनेवाला, दुर्वत 2 कुमार्गी, बदचलन | 3 गुंडा एवं लुच्चा; माशी । अ० । फ़ा० (स्त्री०) 1 बदचलनी 2 गुंडापन एवं लुच्चई 3 दुष्टता; --मिज़ाज़ । अ० (वि०) चिड़चिड़े स्वभाव का, मिज़ाजी + अ० । | फ़ा० (स्त्री०) बुरा स्वभाव, चिड़चिड़ापन; रंग (वि०) |
1बुरे रंगवाला 2 फीका (जैसे-बदरंग पड़ना) 3 खराब, खोटा; ~रंगी (स्त्री०) 1 फीकापन, भद्दापन 2 बदरंग होने का भाव 3 खराबी, खोटाई; ~राह (वि०) 1 बुरे मार्ग पर चलनेवाला, कुपथगामी 2 दुष्ट, पाजी; ~लगाम (वि०) मुँहज़ोर, मुँहफट; ~वज़ा + अ० (वि०) 1 बदसूरत 2 बिना अच्छे तौर-तरीके का; ~शऊर (वि०) 1 बदतमीज़ 2 मूर्ख ~शकल + अ० (वि०) कुरूप, बेडौल, ~शगूनी (स्त्री०) शगुन का ख़राब होना; ~सलीका (वि०) : बदशऊर; सलूकी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) बुरा व्यवहार, अशिष्ट व्यवहार; सूरत + अ० (वि०) भद्दी सूरतवाला, कुरूप; ~सूरती + अ० + फ़ा० (स्त्री०) बदसूरत होने की अवस्था; हज़मी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) अपच, अजीर्ण;
हवास + अ० (वि०) 1 बौखलाया हआ 2 विकल 3 अचेत, बेहोश; हाल + अ० (वि०) 1 दुर्दशाग्रस्त 2 पीड़ित 3 कंगाल; हाली + अ० + फ़ा० (स्त्री०). बदहाल होने की स्थिति, दुर्दशावस्था (जैसे-बदहाली का शिकार होना) बदन-फा० (पु०) शरीर, देह। टूटना जोड़ों में हलका दर्द होना, तनाव होना; ~ढीला करना बदन का तनाव दूर करना;
तख्ता होना बदन अकड़ जाना; दहरा होना बदन झुक जाना; ~में आग लगना बहुत क्रोध होना; ~साँचे में ढला होना प्रत्येक अंग सुंदर एवं सही होना; सूखकर काँटा हो जाना अत्यंत दुबला हो जाना; हरा होना बदन का तर एवं ताज़ा होना बदना-(स० क्रि०) 1 ठहराना (जैसे-कुश्ती की बाज़ी बदना) 2 पक्का करना, नियत 3 शर्त लगाना 4 गिनना, समझना
(जैसे-मैं उसे कुछ नहीं बदता) 5 मानना (जैसे-गवाह बदना) बदनी-I (स्त्री०) शर्तनामा बदनी-II फ़ा० शारीरिक बदर-फ़ा० (क्रि० वि०) दरवाज़े पर (जैसे-दर-बदर भीख
माँगना) बदरा-बो (पु०) बादल, मेघ बदराई-बो० (स्त्री०) बदली बदल-अ० (पु०) 1 फेर-फार, परिवर्तन 2 बदला, एवज़ बदलना-1 (अ० क्रि०) 1 एक दशा से दूसरी दशा में जाना (जैसे-मौसम बदलना) 2 एक स्थान से दूसरे स्थान को जाना (जैसे-मकान बदलना) 3 आकार-प्रकार, गुण-धर्म, रूप-रंग का पहले से भिन्न हो जाना (जैसे-शक्ल बदलना, धर्म बदलना) 4 बात से हटना, मुकरना (जैसे-वादा बदलना, शर्त बदलना) || (स० क्रि०) 1 दूसरा रंग-रूप देना, फेर-फार करना 2 एक के बदले दूसरी चीज़ लेना (जैसे-मकान बदलना) 3 बदला करना (जैसे-छाता बदलना) बदलवाना-(स० क्रि०) बदलने का काम कराना
(जैसे-किवाद बदलवाना, कपड़े बदलवाना), बदला-अ० + हिं० (पु०) 1 बदलने की क्रिया 2 आदान-प्रदान (जैसे-घड़ी का बदला करना) 3 क्षति-पूर्ति (जैसे-पुस्तक खोने के बदले में मैंने रुपए दिए) 4 प्रतिकार, पलटा (जैसे-बुराई का बदला भलाई से देना) 5 प्रतिफल (जैसे-कर्म का बदला मिलना) 6 मुआवज़ा, एवज़ (जैसे-सेवाओं का बदला साधारण पुरुस्कार नहीं है)। देना
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बदलाई
भलाई करना, प्रत्युपकार करना; ~लेना प्रत्यपकार करना. अहित करना
बदलाई - (स्त्री०) 1 अदल-बदल 2 क्षति पूर्ति 3 बदले में दी गई वस्तु
बदलाना - I (स० क्रि०) = बदलवाना II (अ० क्रि०)
बदलना
=
=
बदलाव - (पु० )
बदली II
बदली - 1 (स्त्री०) छाए हुए बादल, घटा। बादल (पु० ) बदली और बादल; ~ युक्त + सं० (वि०) बादलों से घिरा हुआ (जैसे-बदली युक्त मौसम)
बदली - II अ० हिं० (स्त्री०) तबादला, स्थानांतरण (जैसे-अधिकारी की बदली दिल्ली हो गई )
बदले में अ० ( क्रि० वि०) के स्थान पर
बदस्तूर - फा० ( क्रि० वि०) 1 पहले की तरह से, पूर्ववत्, उसी प्रकार 2 बिना परिवर्तन के यथावत्
बदा - I (वि०) भाग्य में लिखा हुआ, नियत II (पु० ) अदृष्ट, नियति
बदान - ( स्त्री०) बदा जाना
बदि - I बो० (स्त्री०) बदला, एवज़ II ( क्रि० वि०) 1 बदले में, एवज़ में 2 लिए, वास्ते
वदी - I (स्त्री०) कृष्ण पक्ष, अँधेरा पाख
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2 कारण से
+
बदी - II फ़ा० (स्त्री०) खराबी, बुराई बदौलत -फ़ा० + अ० ( क्रि० वि०) 1 सहारे से, कृपा से (जैसे- आपकी बदौलत मैं बच गया) (जैसे- उसकी बदौलत मुझे हारना पड़ा ) बदू - I फ़ा० हिं० बो० (वि०) = बदनाम बदू - II अ० (पु० ) अरब में लूटपाट करनेवाली एक जाति बद्ध-सं० (वि०) 1 बँधा हुआ (जैसे कर बद्ध) 2 भव बंधन में फँसा हुआ (जैसे-प्रेम-बद्ध) 3 जुड़ा हुआ (जैसे- अंजलिबद्ध) 4 घेरे में बंद (जैसे- सीमा - बद्ध) 5 प्रतिबंधित (जैसे-प्रतिज्ञा-बद्ध) 6 स्थित (जैसे- पंक्ति - बद्ध) 7 विशेष रूप में लाया हुआ (जैसे-छंद-बद्ध) 8 रुका हुआ (जैसे- कोष्ठ बद्ध)। ~कोप (वि०) क्रोध दबानेवाला; ~कोष्ठ I (वि०) कब्ज़ से पीड़ित II ( पु० ) कब्ज़, कब्जियत कोष्ठता (स्त्री०) कब्ज़ावस्था, कब्जियत; ~ चित्त (वि०) एकाग्र ~ जिह्न (बि०) मौन, चुप; दृष्टि (वि०) टकटकी लगाए हुए: परिकर (वि०) तैयार, तत्पर; ~ प्रतिज्ञ (वि०) वचन बद्ध मुष्टि (वि०) 1 कंजूस 2 बँधी मुट्ठीवाला; मूल (वि०) 1 जड़ पकड़ा हुआ 2 दृढ़ और अटल; ~ शिख (वि०) 1 बँधी चोटीवाला
2 अल्पवयस्क
- बद्धांजलि सं० (वि०) कर-बद्ध
बद्धी - (स्त्री०) डोर, रस्सी। ~दार + फ़ा० (वि०) बद्धीवाला (जैसे-बद्धीदार खड़ाऊँ)
बद्धोत्सव-सं० (वि०) उत्सव का आनंद लेनेवाला, उत्सव • मनानेवाला
बद्धोदर -सं० (पु० ) = बद्धकोष्ठता
बघ - (पु० ) दे० वध
बधना - (स० क्रि०) हत्या करना, मार डालना बधाई - (स्त्री०) 1 मुबारकबाद 2 उत्सव, बघावा 3 मंगलाचार
बनना
(जैसे- बधाई गीत) 4 उत्सव गीत 5 उपहार (जैसे- सफलता पर बधाई मिलना ) । पत्र सं (पु० ) मुबारकवाद का ख़त
बधाना - (स० क्रि०) हत्या करवाना, मरवाना बधावना - बो० ( पु० ), बधावा (पु.) . बधाई बधिक - (पु० ) 1 वध करनेवाला, जल्लाद 2 बहेलिया व्याध बधिया - I (वि०) नपुंसक किया हुआ (जैसे- बधिया पशु) II ( पु० ) नपुंसक किया गया बैल आदि बधियाना - (स० क्रि०) बधिया करना बधिर -सं० (पु०) बहरा बधिरित सं० (वि०) बहरा किया हुआ बघिरिमा-सं० (स्त्री०) बहरापन
बधूरा-बो० (पु० ) = बगूला
बन - I सं० (पु० ) जंगल, कानन (जैसे- बन - उपवन) । ~ खंड (पु० ) जंगल का कोई भाग; ~खंडी I (स्त्री०) वन का छोटा भाग II (वि०) जंगल में रहनेवाला, जंगल में होनेवाला र I (पु० ) 1 जंगल में रहनेवाला पशु, वन्य पशु 2 जंगली मनुष्य II (वि०) वन में रहनेवाला; पति (पु०) शेर; ~~पथ (पु०) जंगल से होकर जानेवाला रास्ता; ~पशु (पु० ) जंगल में पाए जानेवाले पशु पाल (पु०) जंगल की देख-रेख करनेवाला कर्मचारी; बास (पु० ) जंगल में बसना; बासी, वासी (वि०) जंगल में रहनेवाला जंगली; माली I (वि०) बनमाला पहनानेवाला II (पु० ) कृष्ण
बन - II ( वि०) जंगली, जंगल का । ~कंडा (पु० ) अपने आप सूखा हुआ गोबर; ककड़ी (स्त्री०) एक तरह का पौधा जिसका गोंद दवा के काम आता है; कटाई (स्त्री०) जंगल को काटना, बिलाव (पु० ) बिल्ली की जाति का एक जंगली जंतु मानस (पु० ) आदमी की शक्ल से मिलता-जुलता एक तरह का बंदर बनक - (स्त्री०) 1 बाना, भेष 2 बनावट बनज-बो० (पु०) व्यापार, वाणिज्य
बनजरिया - (स्त्री०) खेती के उपयुक्त बनाया गया जंगल का
भाग
बजारन - (स्त्री०) बनजारा की स्त्री
बनजारा- (पु० ) 1 टाँडा लादनेवाला व्यक्ति, टँड़ैया, टँड़वरिया 2 सौदागर, व्यापारी
बनजी - (पु० ) 1 व्यापारी 2 व्यापार बनत - ( स्त्री०) 1 बनावट 2 मेल
बनताई बो० (स्त्री०) 1 वन की सघनता 2 जंगल की
भयंकरता
बनना - (अ० क्रि०) 1 तैयार होना (जैसे- कल-कारखानों में माल आदि बनना) 2 काम के योग्य होना (जैसे- भोजन बनना) 3 नई चीज़ तैयार होना (जैसे रूई से सूत बनना) 4 संबंध स्थापित होना (जैसे-मित्र बनना, दत्तक पुत्र बनना) 5 सफल होना (जैसे- काम बनना) 6 साफ़ होना, फटका जाना (जैसे- अनाज बनना) 7 लाभ होना (जैसे- आज हमारे सौ रुपए बने) 8 रूप धारण करना (जैसे-नाटक में तुम दरोगा बनना) 9 अधिक योग्य समझना (जैसे- अंधों में काना राजा बना है) 10 मरम्मत होना (जैसे यह घड़ी दस रुपए में बनी
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बनफ्शाई
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बम
है)। ~ठनना (अ० क्रि०) सजना-सँवरना; -बिगड़ना | बनियाइन-1 (स्त्री०) बनिया की स्त्री || गंजी (जैसे-आधी (अ० क्रि०) बनना और बिगड़ना; ~सँवरना (अ० क्रि०) | बाँह की बनियाइन) = बनना-ठनना
बनिस्बत-फ़ा० + अ० (क्रि० वि०) अपेक्षया बनाई-1 फा० (वि०) 1 नीले रंग का 2 हलका हरा बनिहार-(पु०) खेतिहर मज़दूर II (पु०) 1 नीला रंग 2 हरा रंग
बनिहारी-(स्त्री०) खेतीबारी बनफ्शा -फ़ा० (पु०) दवा के काम में आनेवाला एक तरह का | बनी-I (स्त्री०) दुल्हन, वधू II 1 वनस्थली 2 कपास III पौधा
| (पु०) बनिया बनरा-(१०) 1 दल्हा 2 विवाह के समय का गीत 3 बो० | बीसीसो (सी..A
बनीनी-बो० (स्त्री०) 1 वैश्य जाति की स्त्री 2 बनिया की स्त्रा बंदर
बनेठी-(स्त्री०) दोनों ओर लट्ट लगी छड़ी बनरी-1 (स्त्री०) दुलहिन, नववधू
बनैला-I (वि०) जंगली II (प०) जंगली सुअर बनरी-II बो० (स्त्री०) बंदरिया
बनौट-(स्त्री०) - बिनवट बनवा-(पु०) 1 पनडुब्बी 2 एक तरह का बछनाग (विष) | बनौटी-I (वि०) कपास के फूल सा, कपासी बनवाई-(स्त्री०) 1 बनवाने का काम 2 बनवाने की मज़दूरी - II (पु०) कपास की तरह का रंग बनवाना-(स० क्रि०) बनाने का काम कराना, तैयार कराना बनौरी-बो० (स्त्री०) ओला बनवैया-1 (वि०) बनानेवाला || बनवाने वाला बन्ना-बो० (पु०) 1 दूलहा, वर 2 एक लोकगीत, बनड़ा बना-ठना-(वि०) सजा-सँवरा (जैसे-बना-ठना आदमी) बन्नी-I (स्त्री०) दुलहिन || अन्न रूप में मिलनेवाली दैनिक बनात-(स्त्री०) बढ़िया रंगीन ऊनी कपड़ा
मज़दूरी बनाती-(वि०) 1 बनात का बना हुआ 2 बनात संबंधी अपंस-बो० (पु०) 1 पिता की संपत्ति से पत्र को मिलनेवाला बनाना-(स० क्रि०) 1 अस्तित्व में लाना. रचना (जैसे-ईश्वर ने अंश 2 पिता से पुत्र को प्राप्त गुण संसार बनाया, सरकार ने कानून बनाया) 2 तैयार करना | बपतिस्मा-पु० (पु०) ईसाई धर्म की दीक्षा के समय किया (जैसे-मकान बनाना, कपड़ा बनाना) 3 प्रस्तुत करना | जानेवाला एक संस्कार (जैसे-कविता बनाना) 4 लाभ करना (जैसे-रोज़गार में मैंने । बपमार-(वि०) 1 पिता की हत्या करनेवाला 2 बड़े एवं पूज्य खूब रुपए बनाए) 5 परिवर्तन करना (जैसे-गुड़ से चीनी व्यक्तियों के साथ द्रोह करनेवाला बनाना, आटे से रोटी बनाना) 6 विपरीत रूप देना (जैसे-मित्र बपौती-(स्त्री०) बाप दादा की संपत्ति। -अधिकार +सं. को शत्रु बनाना) 7 अच्छे रूप में लाना (जैसे-अनाज बनाना) (पु०) बाप-दादा के बाद पुत्र को मिलनेवाला अधिकार 8 मरम्मत करना (जैसे-मशीन बनाना) 9 नए रूप में प्रस्तुत ~माल + अ० (पु०) बाप-दादा की जायदाद करना, आविष्कार करना (जैसे-हवाई-जहाज़ बनाना) बप्पा-बो० (पु०) पिता, बाप 10 मान-मर्यादा आदि से युक्त करना (जैसे-सभापति बनाना) बफारा-(पु०) 1 भाप 2 दवा मिले पानी की भाप से शरीर को 11 संबंध स्थापित करना (जैसे-भाई बनाना) 12 व्यंग्य द्वारा सेंकना 3 पानी में उबालनेवाली दवा उपहास करना 13 संपन्न करना। पछोड़ना (स० क्रि०) बबकना-(अ० क्रि०) = बमकना अनाज साफ़-सुथरा करना
बबर-फ़ा० (पु०) 1 बड़ा शेर 2 बिल्ली की जाति का बिना पँछ बनाफर-(पु०) राजपूत क्षत्रियों की एक शाखा
का एक वनपशु बना-बनत-(स्त्री०) वर-कन्या की जन्म-पत्रियों का मिलान बबूल-(पु०) एक प्रसिद्ध कँटीला पेड़ (जैसे-बबूल का काँटा) बना-बनाया-(वि०) बनकर तैयार
बबूला-I (पु०) = बगुला बनाम-फा० (क्रि० वि०) 1 नाम पर 2 किसी के प्रति बबूला-II (पु०) = बुलबुला बनारसी-I (वि०) बनारस नगर से संबंधित II (पु०) बनारस बभूत-बो० (स्त्री०) = भभूत का निवासी
बन- सं० (वि०) 1 गहरे भूरे रंग का 2 गंजा, खल्वाट बनाव-(पु०) 1 बनावट 2 बनना सँवरना। -सँवार, II (पु०) गहरा भूरा रंग। सिंगार (पु०) बनना-सँवरना
बम-I (पु०) इक्के, ताँगे के आगे लगे हुए बाँस II शिव को बनावट-(स्त्री०) 1 रचना, गठन 2 रूप, श्रृंगार 3 आडंबर, प्रसन्न करने के लिए उच्चारित शब्द (जैसे-बम भोले) पाखंड, दिखावा
III अं० (पु०) एक तरह का विस्फोटक रासायनिक गोला बनावटी-(स्त्री०) 1 दिखाऊ 2 नकली
(जैसे-बम का धड़ाका, हवाई जहाज़ से बम गिरना)। बनावन-(पु०) 1 अनाज आदि साफ़ करने पर निकला हुआ ~कांड + सं० (पु०) बम का प्रहार; ~गोला + हिं० कूड़ा-कर्कट
(पु०) बम का गोला; बचाव घर + हिं० (पु०) बम से पनिक-(पु०) 1 वणिक्, बनिया 2 अनाज साफ़ करना बचने के लिए एकत्र होने का स्थान; बाज़ + फ्रा० (वि०) बनिज-(पु०) 1 रोज़गार, व्यापार 2 व्यापार की वस्तु बम बरसानेवाला (जैसे-बमबाज़ हवाई जहाज़); बाज़ी + बनिता-सं० (स्त्री०) 1 स्त्री, औरत 2 पत्नी
फ्रा० (स्त्री०) बम वर्षा; बार + फ़ा० (वि०) = बमबाज़; बनिया-(पु०) 1 व्यापारी, वश्य 2 आटा-दाल आदि चारी + फ़ा० (स्त्री०) = बमबाज़ी; ~मार + हिं० बेचनेवाला। शाही + फ़ा० (स्त्री०) 1बनियों का (वि०) = बमबाज़; ~मारी + हिं० (स्त्री०) = बमबाज़ी; आधिपत्य 2 केवल पैसे से मतलब रखना
वर्षक + सं० (वि०) = बमबाज़; ~वर्षण + सं०
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बमकना
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(पु० ), वर्षा + सं० (स्त्री०) बमों की वर्षा करना, बहुत अधिक बम फेंकना वर्षी + सं० (वि०) = बमबाज़; ~ विस्फोट + सं० (पु०) बम फटना; -वृष्टि (स्त्री०) बम की वर्षा
सं०
+
बमकना - (अ० क्रि०) 1 ज़ोर से बोलना 2 डींग हाँकना बमपुलिस-अं० (स्त्री० ) पुलिस बमलाना - (स० क्रि०) बोलने के लिए बढ़ावा देना बमीठा - (पु० ) बाँबी
+
अ० ( क्रि० वि०) कठिनता से
अ० ( क्रि० वि०) अनुसार
+
बमुश्किल - फ़ा० बमूजिब - फ़ा० बयँहत्था - ( पु० ) बाएँ हाथ से काम करनेवाला बया - I ( पु० ) गौरैया से मिलती-जुलती एक चिड़िया ( जैस-बया का घोंसला)
बया - II ( पु० ) अनाज तौलनेवाला, तौलैया
बयाई - (स्त्री०) 1 बया का काम 2 तौलने की मज़दूरी, तौलाई बयान - अ० (पु० ) 1 चर्चा, ज़िक्र 2 हाल, वृत्तांत 3 अदालत में दिया गया वक्तव्य (जैसे- बयान देना) बयाना - अ० + फ़ा० (पु० ) पेशगी, अग्रिम धन बयाबान - फ़ा० ( पु० ) 1 सुनसान जगह 2 जंगल बयाबानी-फ़ा० (वि) 1 जंगली 2 वनवासी बयार - ( स्त्री०) हवा, पवन
बयारा - (पु० ) 1 हवा का झोंका 2 अंधड़, तूफान बयाला - (पु० ) 1 बाहरी दृश्य देखने के लिए दीवार में बनाया गया छेद 2 आला, ताखा 3 किले की दीवार पर तोप रखने का बना स्थान 4 पाटे हुए स्थान के नीचे की खाली जगह बयालीस - I (वि०) चालीस से दो अधिक II (पु० ) 42 की संख्या
बयासी - I (वि०) अस्सी से दो अधिक II (पु० ) 82 की
संख्या
बरंगा - बो० ( पु० ) 1 पत्थर की पटिया 2 धरन पर लगाई जानेवाली लकड़ी
बरधा
बर - II ( पु० ) बरगद, वट वक्ष
बर - III फ़ा० ( पु० ) वृक्ष का फल
बर - IV फ़ा० (वि०) 1 फल से युक्त 2 उत्तम श्रेष्ठ । ~ क़रार + अ० (वि०) 1 स्थिर, कायम 2 मौजूद, उपस्थित 3 जीवित 4 दृढ़; ~ ख़ास्त (वि०) 1 पदच्युत (जैसे-नौकरी से बरखास्त किया जाना) 2 समाप्त; ख़ास्तगी (स्त्री०) 1 समाप्ति 2 बरखास्त होने की अवस्था; खिलाफ + अ० I ( क्रि० वि०) उलटे, प्रतिकूल, विपरीत II ( वि० ) ख़िलाफ़ ज़बान (वि०) रटा हुआ, कंठस्थ; तर (वि०) अधिक अच्छा, श्रेष्ठतर; तरफ़ + अ० I (वि०) 1 अलग 2 पद से बरखास्त किया हुआ II ( क्रि० वि०) एक ओर, अलग, दूर; तरफ़ी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 पद च्युति 2 पद से हटाया जाना; ~तरी (स्त्री०) उच्चता, श्रेष्ठता ~दार (वि०) उठानेवाला; ~दारी (स्त्री०) ढोना, उठाना; ~दाश्त (स्त्री०) सहनशीलता, सहन बाद (वि०) 1 नष्ट 2 तबाह, चौपट नाश हुआ ~बादी (स्त्री०) विनाश, तबाही - वक़्त + अ० ( क्रि० वि०) समय पर मौक़े पर
बरई - बो० ( पु० ) तमोली बरकंदाज़- अ० + फ़ा० (पु० ) 1 चौकीदार 2 बंदूकधारी सिपाही
बरकत - अ० (स्त्री०) 1 बढ़ती, वृद्धि 2 लाभ 3 अनुग्रह, कृपा (जैसे- गुरु के क़दमों की बरकत) 4 बहुतायत बरकती - अ० + फ़ा० (वि०) 1 बरकतवाला 2 बरकत के रूप में माना जानेवाला (जैसे-बरकती रुपया ) बरकना - ( अ० क्रि०) 1 अलग रखा जाना 2 घटित न होना 3 बचाया जाना बरकरार - फ़ा बरकाना - (स० क्रि०) 1 बचाना, निवारण करना (जैसे-झगड़ा बरकाना) 2 अलग रखना 3 रोकना, मना करना बरकाव - (पु० ) बचाव (जैसे- वार का बरकाव कर देना) बरखा - (स्त्री०) 1 वर्षा, बारिश 2 बरसात (जैसे- बरखा होना, बरखा का मौसम )
(वि०) कायम, स्थिर
बरखाना - (स० क्रि०) बरसाना 'बरखुरदार- I फ़ा० (वि०) II ( पु० ) पुत्र
बरगद - (पु० ) बड़ का पेड़, बट-वृक्ष बरगा - (वि०) प्रकार का, तरह
1 आज्ञाकारी 2 संपत्र
बरगेल - ( पु० ) एक प्रकार का लवा पक्षी बरचर - (पु० ) देवदार की एक जाति बरच्छा - (पु० ) विवाह निश्चित करने की एक रस्म बरछा - ( पु० ) भाला नामक अस्त्र बरछी - (स्त्री०) छोटा बरछा
बरछेदार - हिं० + फ़ा० (पु०) बरछा धारण करनेवाला व्यक्ति बरछैत- (पु०) बरछा रखनेवाला
बरजना -बो० (स० क्रि०) 1 मना करना, रोकना 2 त्यागना 3 प्रयोग न करना
बरज़ोर - (वि०) 1 प्रबल 2 अत्याचारी 3 ज़बरदस्ती 4 बहुत कठिन
बर-I (पु०) 1 दूल्हा, वर 2 अभिलाषा, कामना की पूर्ति हेतु बरज़ोरी - ( स्त्री०) बल प्रयोग
कहा गया वचन, वरदान, आशीर्वाद
बरटना - बो० (अ० क्रि०) सड़ना बरत - I (स्त्री०) डोरी, रस्सी बरत - II ( पु० )
व्रत
बरतन - (पु० ) 1 धातु, मिट्टी आदि का बना पात्र (जैसे- थाली, लोटा, कुल्हड़ आदि को बरतन कहते हैं) । ~भाँड़ा (पु० ) बरतन आदि
बरतना - I (अ० क्रि०) बर्ताव किया जाना II (स० क्रि०) 1 व्यवहार में लाना 2 बर्ताव करना बरतनी - (स्त्री०) शब्द का वर्णक्रम बरताना - (स० क्रि०) बाँटना बरताव - ( पु० ) व्यवहार
बरदना, बरदाना - I (स० क्रि०) गाय, भैंस आदि पशुओं का संभोग कराना, जोड़ा खिलाना II जोड़ा खाना, गाभिन होना बरदाफ़रोश - फ़ा० (पु०) दासों, गुलामों का व्यापारी बरदाफ़रोशी-फ़ा० (स्त्री०) दास व्यापार, गुलाम- पेशा बरदौर - (पु० ) बरध-मुतान - (स्त्री०) गो-मूत्रिका बरधा - बो० (पु०) बैल
= बथान
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बरधाना
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बराय
बरधाना-(अ० क्रि०/स० क्रि०) - बरदाना
ढीला-ढाला कोट (जैसे-बरसाती पहनकर जाओ) 2 मकान -बरन-[ (पु०) वर्ण || (क्रि० वि०) तरह, प्रकार आदि के सामने बना हुआ छतदार फाटक III (पु०) बरसात III (क्रि० वि०) बल्कि, वरन्
में होनेवाला घोड़े का एक गेग बरनर-अं० (पु०) - बर्नर
बरसाना-(स० क्रि०) 1 वर्षा करना 2 लगातार प्रहार करना बरना-I (स० क्रि०) । वरण करना, ब्याहना 2 नियुक्त करना
(जैसे-लाठियाँ बरसाना) 3 वर्षा के समान गिराना (जैसे-फूल 3चुनना 4 दान देना || (अ० क्रि०) जलना (जैसे-आग बरसाना) बरना)
बरसी-(स्त्री०) 1 मृत्यु की प्रथम वार्षिक तिथि 2 मृतक का बरनेत-(स्त्री०) विवाह के मुहर्त से कुछ पहले वर पक्ष के लोगों | वार्षिक श्राद्ध को मंडप में बुलाकर गणेश आदि का पूजन कराने की एक रस्म
बरसीला-(वि०) बरसनेवाला बरपा-फ़ा० (वि०) 1 उठ खड़ा हुआ 2 अपने पैरों पर खड़ा
बरसोदिया-बो० (पु०) वर्ष, साल भर काम करने के लिए 3 उपस्थित 4 मचा हुआ।
नियुक्त किया गया नौकर बरफ़-फ़ा० (स्त्री०) = बर्फ। बारी (स्त्री०) = बर्फबारी | बरसोलिया-(पु०) - बरसोदिया बरफ़ानी-फ़ा० + हिं० (वि०) = बर्फानी
बरसौंडी-(स्त्री०) वर्ष के वर्ष दिया जानेवाल कर बरफ़ी-फ़ा० (स्त्री०) - बर्फी। दार (वि.) बरफ़ी की | बरहँटा-(पु०) कड़वे भंटे का पौधा और फल शकल का
बरहा-I (पु०) खेतों की सिंचाई हेतु बनाई गई नाली बरफ़ीला-फ़ा० + हिं० (वि०) = बफ़ीला
बरहा-II (पु०) मोटा रस्सा बरबंड-(वि०) 1 बलवान् 2 प्रतापशाली 3 उदंड 4 बहुत तेज़ | बरहा-III (पु०) मोर बर-बर-(स्त्री०) बड-बड़, बकवाद
बरही-(स्त्री०) 1 संतान उत्पन्न होने से बारहवाँ दिन 2 शिश बरबर-1 अ० (वि०) - बर्बर
जन्म के बारहवें दिन प्रसूता को कराया जानेवाला स्नान एवं बरबर-II अं० (वि.) - बर्बर। ता + सं० (स्त्री०) - तत्संबंधी उत्सव आदि बर्बरता
बरांडी-अं० (स्त्री०) ब्रांडी. बरबरियत-अ० (स्त्री०) जंगलीपन
बरा-I (पु०) उड़द की पीसी हुई दाल से टिकिया के आकार बरबरी-[अ० (वि०) बर्बर का II (स्त्री०) एक प्रकार की का बना एक पकवान, बड़ा (जैसे-दही और बरा) बकरी
बरा-II (पु०) बरगद, बाँह पर पहनने का गहना बरबस-I (क्रि० वि०) 1 ज़बरदस्ती, बलपूर्वक 2 निरर्थक, | बराक-I (पु०) युद्ध JI (वि०) 1 शोचनीय 2 अधम, नीच व्यर्थ II (वि०) लाचार
3 बेचारा बरमा-(पु०) 1 लकड़ी आदि में छेद करने का एक औज़ार बराट-I (पु०) कौड़ी II (वि०) विराट 2 वमदिश
बरात-(स्त्री०) 1 वर के साथ कन्या पक्ष के यहाँ जानेवालों का बरमाना-(स० क्रि०) बरमे से छेद करना
समूह, जनेत 2 दूल्हे की सवारी का जुलूस 3 भीड़, मजमा बरमी-I (स्त्री०) बरमा की भाषा
बराती-I (वि०) 1 बरात संबंधी 2 बरात में शामिल होनेवाला बरमी-II (वि०) 1 बरमा का 2 बरमा संबंधी
II (पु०) बरात में आनेवाले लोग (जैसे-घराती-बराती) बरवट-बो० (स्त्री०) तिल्ली
बराना-I (स० क्रि०) 1 प्रसंग आने पर कहना 2 जान-बूझकर बरवै-(पु०) एक छंद जिसमें 12, 14, 12, 14 मात्राएँ होती हैं अलग करना, बचाना 3 रक्षा करना II चुनना, छाँटना बरस-(पु०) 1 वर्ष, साल (जैसे-सौ बरस का जीवन) III बो० जलाना, बालना IV1 सींचना 2 पानी एक नाली से 2 अवस्था, उम्र (जैसे-आपका बच्चा कितने बरस का है)। दूसरी नाली में ले जाना गाँठ (स्त्री०) 1 साल-गिरह, जन्म-दिन 2 साल-गिरह पर
बराबर-I फ़ा० (वि०) 1 समान (जैसे-वज़न में बराबर, कानून मनाया जानेवाला उत्सव; दिन (पु.) त्योहार; दिन का में सभी बराबर हैं) 2 समतल (जैसे-मैदान बराबर कर दो) दिन खुशी का दिन, बड़ा त्योहार
3 उपयुक्त एवं ठीक 4 चुकता किया हुआ (जैसे-ऋण बराबर बरसना-(अ० क्रि०) 1 वर्षा होना 2 वर्षा के समान गिरना
हो गया). II (क्रि०-वि०) 1 लगातार, सदा 2 एक सीध में (जैसे-फूलों का बरसना) 3 लगातार आना(जैसे-लाठियाँ
3 बग़ल, पार्श्व (जैसे-प्रेमी के बराबर प्रेमिका की क़ब्र बनेगी) बरसना, रुपए बरसना) 4 डाँटना-डपटना (जैसे-ज़रा सी बात 4 समानांतर (जैसे-बराबर रेखा खींचना)। ~वाला + हिं० पर नौकर पर बरसना)
(वि०) साथवाला बरसाइत-बो० (स्त्री०) वर्षा ऋतु,
बराबरी-फा० + हिं० (स्त्री०) 1 समानता, तुल्यता बरसाऊ-(वि०) बरसनेवाला, वर्षा करनेवाला
2 मुक़ाबला, प्रतिस्पर्धा . : . बरसात-(स्त्री) 1 पानी बरसने का समय (जैसे-बरसात में बरामद-I फ्रा० (वि०) 1 बाहर आया हआ (जैसे-बरामद छाता लेकर जाओ) 2 वर्षा ऋतु (जैसे-बरसात आ गई) माल) 2 सामने लाया हुआ (जैसे-चोर बाज़ारी का माल 3 वर्षा
बरामद हुआ II (स्त्री) 1 बाहर जानेवाला माल, निर्यात बरसाती-I (वि०) 1 बरसात संबंधी, बरसात का 2 माल की वसूली . (जैसे-बरसाती हवा, बरसाती ठंड) 2 वर्षाकाल में होनेवाला | बरामदा-फा० (पु०) 1 ओसारा, दालान 2 बारजा, छज्जा (जैसे-बरसाती सब्जी) II (स्त्री०) 1 प्लास्टिक का बना | बराय-फा० (क्रि० वि०) लिए, वास्ते -
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बराव
बराव - (पु० ) परहेज़, बचाव बरास - (पु० )
अत्यधिक सुगंधित कपूर, भीमसेनी कपूर
बराह - I ( पु० ) = वराह
बराह - II फ्रा० ( क्रि० वि०) 1 मार्ग से, रास्ते से 2 ज़रिए से, द्वारा 3 के तौर पर, के रूप में 4 के विचार से
बरियार - (वि०) बलवान्, शक्तिशाली
बरिस्टर - अं० (पु०) बारिस्टर (स्त्री०) बड़ी
बरी - I
बरी - II (स्त्री०) कंकड़ का चूना
बरी - III अ० (वि०) 1 मुक्त, आज़ाद 2 निर्दोष बरुआ - I बो० (पु० ) 1 उपनयन 2 ब्रह्मचारी 3 उपनयन के समय गाया जानेवाला गीत
बरुआ - II ( पु० ) मूँज का छिलका
बरुनी-बो० (स्त्री०) बरौनी
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बरेंड़ा - बो० (पु०) 1 छाजन के नीचे लंबाई के बल लगी हुई लकड़ी, बलींडा 2 छाजन के बीचवाला सबसे ऊँचा भाग बरेखी - (स्त्री०) 1 बाँह पर पहनने का एक गहना 2 विवाह की ठहरौनी, मँगनी
बरेजा - ( पु० ) पान का भीटा
बरेठा - (पु० ) धोबी
बरेठिन - ( स्त्री०) धोबी की स्त्री, धोविन
बरेता - ( पु० ) सन का मोटा रस्सा, नार बरेदी - (पु० ) चरवाहा
बरोक - (पु० ) 1 विवाह संबंध निश्चित होने के पहले होनेवाला एक कृत्य, बरच्छा 2 इस अवसर पर कन्या पक्ष द्वारा वर पक्ष को दिया जानेवाला धन आदि
बरोठा - (पु० ) 1 ड्योढ़ी, पौरी 2 बैठक
बरौधा - बो० (पु० )
ऐसा खेत जिसमें पिछली फ़सल कपास की
हुई
बरौंछी - (स्त्री०) सूअर के बाल से बनी कूँची बरौनी - (स्त्री०) पलकों के आगे की बालों की पंक्ति बर्फ़ - I अ० (स्त्री०) बिजली II (वि०) तेज़ बर्की-अ० + फ़ा० (वि०) विद्युत का
बर्खास्त - फा० (वि०) बरख़ास्त । -शुदा (वि०) कार्यमुक्त, काम से हटाया हुआ बर्तन - (पु० ) बर्तना - (स० क्रि०) = बरतना बर्ताव - (पु० )
- बरतन (जैसे- पीतल का बर्तन)
= बरताव (जैसे-बर्ताव करना)
बर्थ - अं० (पु० ) लेटने की सीट (जैसे- ऊपर की बर्थ) बर्थ कंट्रोल - अं० (पु० ) जन्म दर पर नियंत्रण, परिवार नियोजन बर्द-(पु०) = बैल बर्दाश्त - फ़ा० (स्त्री०)
= बरदाश्त
बर्नर -अं० (पु०) एक प्रकार का छोटा दीपक
बर्फ़ - I फ़ा० (स्त्री० ) 1 जमा हुआ पानी 2 वायुमंडल की नमी, पाला, हिम 3 कृत्रिम उपाय से जमा हुआ पानी (जैसे-बर्फ़ का पानी पीना) II ( वि०) अत्यंत ठंडा । खाना (पु० ) बर्फ़घर; ~ फ़रोश (पु० ) बर्फ़ बेचनेवाला; ~बारी (स्त्री०) बर्फ गिरना; हकी अं० (स्त्री०) बर्फ़ पर खेलनेवाली हॉकी का खेल
+
बलकाना
सं० (वि०) बर्फ़ से ढका हुआ
बर्फाच्छादित-फ्रा०
+
बर्फानी फ्रा० + हिं० (वि०) बर्फ़ से युक्त (जैसे- बर्फानी तूफान, बर्फानी चोटी) बर्फ़िस्तान - फ़ा० (पु० ) बर्फ़ युक्त स्थान
बर्फी - फ्रा० (स्त्री०) 1 खोए आदि से बनी एक तरह की मिठाई 2 बर्फ़ी के आकार के चौकोर खंड
बर्फीला - फ्रा० + हिं० (वि०) 1 बर्फ़ से युक्त 2 बर्फ़ के समान ठंडा (जैसे-बर्फीली हवा)
बर्बर सं० (वि०) असभ्य एवं जंगली । ता (स्त्री०) असभ्यता एवं जंगलीपन
बर्मी - I (स्त्री०)
बर्मी - II (वि०)
=
बरमी I
बरमी II
बर्र - (स्त्री०) भिड़, भिर्र
बक - (पु० ) 1 सफ़ेद 2 चमकीला 3 तेज़ 4 चालाक 5 पूर्णतः
अभ्यस्त
बर्सना - (अ० क्रि०) 1 बड़-बड़ करना, बकना 2 नींद में व्यर्थ की बातें करना
बर्राहट - (स्त्री०) बकवास
बर्रे - बो० (पु० ) भिड़ (बर्रे का डंक, बर्रे का छत्ता) बर्सर-अं० (पु० ) खजांची, कोषाध्यक्ष
बलंद -फ़ा० (वि० )
बलंदी - फ़ा० (स्त्री० )
-
बुलंद बुलंदी
वर्धक
बल - I सं० (पु० ) 1 शारीरिक शक्ति, ताक़त 2 सेना 3 भरोसा, सहारा । ~ कारक (वि०) बल देनेवाला; दार फा (वि०) ताक़तवाला; ~नीति (स्त्री०) बल प्रयोग की नीति; ~पूर्वक ( क्रि० वि०) 1 ज़बरदस्ती 2 बल लगाकर, पौरुष (पु० ) 1 अनुचित दबाव 2 इच्छा विरुद्ध कार्य करने के लिए शक्ति का प्रयोग; बूता + हिं (पु०) ताक़त, जोर; मुख्य ( पु० ) सेनानायक; ~ वर्जित (वि०) निर्बल (वि०) बल देनेवाला; ~वर्धन (पु० ) बल देना वर्धी (वि०) बलवर्धक, विन्यास ( पु० ) सेना व्यूहन ~ व्यसन (पु० ) सेना की पराजय, हार; -शाली (वि०) बलयुक्त, ताक़तवर; ~साम्य (पु० ) शक्ति-संतुलन; ~ स्थिति (स्त्री० ) 1 सेना की स्थिति 2 शिविर, छावनी; ~स्वराघात (पु० ) अक्षर पर पड़नेवाला उच्चारण गत बल; ~ हीन (वि०) कमज़ोर, निर्बल; (किसी के) पर कूदना किसी के भरोसे इतराना; भरना ताक़त दिखलाना बल - II ( पु० ) 1 पहलू, बग़ल, करवट 2 ऐंठन 3 शिकन 4 फेरा 5 टेढ़ापन 6 फ़र्क । दार फ़ा० (वि०) 1 शिकनदार 2 ऐंठनदार; -आना 1 शिकन पड़ना 2 फ़र्क आना; ~ उतरना शिकन दूर होना; की बात शरारत की बात की लेना घमंड करना; 1 नाराज होना 2 टेढ़ा होना 3 लचकना 4 घाटा सहना; खुलना सीधा होना; --देना ऐंठना, मरोड़ना; ~ निकालना 1 टेढ़ापन दूर करना 2 शिकन हटाना; पड़ना 1 घाटा होना 2 फ़र्क होना 3 शिकन आना बलकाना - (अ० क्रि०) 1 उबलना, खौलना 2 जोश में आना,
-खाना
उमगना 3 बलबलाना
बलकाना - (स० क्रि०) 1 उबालना, खौलना 2 उभाड़ना 3 उमंग में लाना
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बलग़म
बलग़म - अ० (पु०) कफ़, श्लेष्मा बलद - I सं० (पु० ) 1 बैल 2 जीवक 3 गृहानि का एक भेद II (वि०) बल देनेवाला
बलदिया - ( पु० ) 1 चरवाहा 2 बनजारा बलना - (अ० क्रि०) जलना, दहकना बलबलाना-I (अ० क्रि०) ऊँट का बोलना II (अ० क्रि०) बड़बड़ाना III (अ० क्रि०) उफनना बलबलाहट - I (स्त्री०) बलबलाने से होनेवाला शब्द
II (स्त्री०) बिलबिलाहट III (स्त्री०) बड़बड़ाहट बलभी - (स्त्री०) 1 सबसे ऊपर की छत 2 सबसे ऊपर का
कमरा
बलमीक - (पु० ) बाँबी बलवत्-सं० (वि० ) बलवान् बलवती -सं० (स्त्री०)/(वि०) अत्यंत प्रबल (जैसे- बलवती इच्छा)
बलवत्ता-सं० (स्त्री०) शक्तिमत्ता
बलवा - फ़ा० (पु० ) 1 दंगा-फ़साद, उपद्रव 2 बग़ावत विप्लव, विद्रोह
बलवाई - फ़ा० + हिं० (पु०) 1 बलवा करनेवाला 2 विद्रोही, बाग़ी
बलवान् -सं० (वि०) 1 ताक़तवाला 2 मज़बूत बलसुम - (वि०) बलुआ बलस्थ - 1 सं० (वि०) मज़बूत II ( पु० ) सिपाही बला - अ० (स्त्री०) 1 आपत्ति, आफ़त 2 भूत-प्रेत-बाधा 3 रोग-व्याधि 4 अत्यधिक कष्ट देनेवाली वस्तु, व्यक्ति । ~ उतरना विपत्ति आना, दैवकोप होना; का गजब का ; (मेरी) जाने मैं न तो जानता हूँ और न जानने की गरज़ है; ~ टलना विपत्ति से छुटकारा मिलना; पीछे लगना बखेड़ा साथ होना; ~मोल लेना जान-बूझकर झंझट - झमेले में पड़ना; (मेरी) से कुछ परवा नहीं; बलायें लेना किसी का संकट अपने ऊपर लेना
बलाक -सं० (पु० ) बगला
बलाका- (स्त्री०) मादा बगला
बलाघात - सं० (पु० ) 1 कार्य, वस्तु आदि पर साधारण से कुछ अधिक बल लगाने का भाव 2 मनोभावों, विचार आदि के महत्त्व को समझाने हेतु उनपर विशेष जोर देना 3 स्वराघात बलात्-सं० ( क्रि० वि०) 1 बलपूर्वक 2 हठपूर्वक । कार (पु० ) 1 ज़बरदस्ती करना 2 बल प्रयोग 3 स्त्री की इच्छा विरुद्ध बलपूर्वक किया गया संभोग; कृत (वि०) बलात्कार किया गया बलात्काराभिगम-सं० (पु०) बलपूर्वक किया जानेवाला संभोग
बलात्मक - सं० (वि०) बलपूर्ण बलात्सत्तापहरण-सं० (पु० ) बलपूर्वक सत्ता छीन लेना, कूडेटा
बलादवतरण -सं० (पु०) हवाई जहाज़ का हठात् भूमि पर उतर पड़ना बलादवतरित-सं० (वि०) भूमि पर उतरने को बाध्य हुआ बलादग्रहण-सं० (पु०) बलपूर्वक ले लेना
बल्लमटेर
बलाधिक-सं० (वि०) अधिक बलवाला बलाधिकरण-सं० (पु० ) 1 सैनिकबल 2 सैनिक कार्रवाई बलाधिकृत-सं० (पु० ) सेना का सर्वोच्च पदाधिकारी बलाधिक्य -सं० ( पु०) बल की अधिकता बलाध्यक्ष-सं० (पु०) सेनापति बलान्वित-सं० (वि०) 1 बल से युक्त 2 बलशाली बलाबल -सं० (पु०) बल एवं बल का अभाव बलि-सं० (पु० ) 1 कृष्ण द्वारा छला गया पाताल लोक का राजा एवं विरोचन का पुत्र 2 नैवेद्य, भोग 3 देवता पर चढ़ाई गई वस्तु, चढ़ावा 4 बलिपशु 5 आत्मबलि 6 बल, सिकुड़न । ~कर (वि०) बलि चढ़ानेवाला; कर्म (पु०) बलि देने का काम; ~ ग्रास (पु०) बलि के रूप में दिया जानेवाला कौर; ~दान (पु० ) 1 देवता के उद्देश्य से किया गया पशुवध 2 कुर्बानी 3 पूजन सामग्री का अर्पण दानी हिं० I (वि०) 1 बलिदान का बलिदान करनेवाला II (स्त्री०) बलिदान; पशु ( पु० ) देवता के नाम पर वध किया जानेवाला पशु -प्रदान (पु० ) = बलिदान; मंदिर (पु०) पाताल लोक; ~वेदी (स्त्री०) बलि चढ़ाने का
+
L
चबूतरा बलिष्ठ-सं० (वि०) सर्वाधिक शक्तिशाली बलिष्ठातिजीवन-सं० (पु०) सामाजिक एवं प्राकृतिक जीवन संघर्ष में केवल बलिष्ठ एवं योग्य लोगों का जीवित रहना, सर्वाइवल ऑफ दी फिटेस्ट
बलिहारी - (स्त्री०) क़ुर्बान जाना, निछावर होना बली-सं० (वि०) बलशाली, बलवाला बलीन - I सं० ( पु० ) बिच्छू II (वि०) बलवान् बलुआहा - (पु० ) बालू का मैदान बलुआ-I (वि०) बालू मिला हुआ II ( वि०) रेतीली भूमि बलूच - (पु० ) बलूचिस्तान में बसनेवाली एक जाति बलूची - I (पु०) बलूचिस्तान का निवासी II (स्त्री०) बलूचिस्तान की भाषा
बलूत - अ० ( पु० ) माजूफल जाति का एक पेड़ बलून- अ० (५०) बेलून
बलूला - ( पु० ) बुलबुला
बलेंडा - ( पु० ) छप्पर की मेंड़ या बीच का बड़ा बाँस बलैया-अ० + हिं० (स्त्री०) बला, बलाय । ~लेना बलिहारी
जाना
बलोच - (पु० ) = बलुच बल्कस - सं० (पु० )
आसव की तलछट
बल्कि - फ़ा० ( क्रि० वि०) 1 प्रत्युत, वरन् (जैसे- मैं नहीं बल्कि आप ही वहाँ जाइएगा) 2 अच्छा हो कि
बल्ब - अं० ( पु० ) 1 बिजली की बत्ती युक्त पतले शीशे का खोखला लट्टू (जैसे- बल्ब जलना) 2 शीशे की नली का चौड़ा
भाग
बल्य - I सं० (वि) 1 बलकारक 2 बलवान् II (पु० ) वीर्य, शुक्र
बल्लम - ( पु० ) बरछा, भाला । ~धारी + सं० (पु०) बल्लम धारण करनेवाला; बरदार + फ़ा० (पु०) बल्लम लेकर चलनेवाला अनुचर
बल्लमटेर-अं० ( पु०) स्वयंसेवक सैनिक
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बल्ला
बल्ला - (पु० ) 1 गेंद मारने का चपटा डंडा, बैट 2 लंबी, सीधी एवं मोटी लकड़ी, लट्ठा 3 नाव खेने का डंडा
बल्ली - (स्त्री०) 1 छोटा बल्ला 2 नाव खेने का बाँस बल्लेबाज़ - हिं० + फ़ा० (पु०) (क्रिकेट के खेल में) बल्ले से खेलनेवाला बल्लेबाज़ी - हिं० फ़ा० (स्त्री०) बल्ले से खेलना बड़ना - (अ० क्रि०) बो० इधर-उधर घूमना, मारा-मारा फिरना बवंडर - (पु० ) 1 आँधी-तूफान 2 चक्रवात 3 उपद्रव बड़ियाना- (अ० क्रि० ) = वँड़ना बवाई - (स्त्री० ) पैर की एड़ी फटने का एक रोग बवाल - (पु० ) झंझट
बवासीर - अ० (स्त्री०) गुदेन्द्रिय में मस्से निकलने का रोग,
+
पाइल्स
बशर्तेकि- फ़ा० + अ० + फ़ा० (क्रि० वि०) शर्त यह है कि बसंत-सं० (पु० ) वसंत ऋतु
बस - I (पु० ) अधिकार, शक्ति (जैसे यह काम मेरे बस का नहीं है)
बस - II फ़ा० ( क्रि० वि०) 1 पर्याप्त है कि 2 समाप्ति सूचक एक अव्यय (जैसे-अब बस करो) 3 केवल, सिर्फ़ (जैसे-बस पाँच रुपए देना) III ( वि० ) 1 पर्याप्त, यथेष्ट 2 समाप्त,
खत्म
बस - IV अं० (स्त्री०) बड़ी मोटर गाड़ी (जैसे- परिवहन निगम की बस) । ~ कंडक्टर (पु०) बस का गार्ड; ~ कंडक्टरी + हिं० (स्त्री०) बस गार्ड का काम; चालक + सं० (पु०) बस चलानेवाला व्यक्ति; ~ सर्विस (स्त्री०) बस की नौकरी; ~ स्टाप (पु०) बस अड्डा; ~ स्टैंड (पु०) बस के खड़े होने का स्थान
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बसना - I (अ० क्रि०) 1 निवास करना, रहना (जैसे-गाँव से नगर में बसना) 2 टिकना ठहरना (जैसे रात को होटल में बसना) 3 आबाद होना (जैसे-जंगल में भी लोग जाकर बस गए) 4 स्थित होना (जैसे-प्रेमिका की सूरत आंखों में बसना ) 5 बैठना, जमना (जैसे- आपकी बात में मन में बस गई) महक से भरना (जैसे- इत्र से बसे हुए कपड़े) II 1 बेठन 2 थैली 3 रुपए रखने की थैली
बसनी - ( स्त्री०) रुपए रखने की लंबी थैली
बसर - ( स्त्री०) 1 जीवन निर्वाह 2 गुज़ारा बसवार - (पु०) छौंक, बघार
बसवास - ( पु० ) 1 निवास, रहना 2 ढंग, रहन-सहन बसह - (पु०) बैल
बसाँधा - (वि०) सुगंधित, सुवासित
बसा - I (स्त्री०) 1 बर्रे, भिड़
बसा - II ( स्त्री०) वसा, चरबी बसात - अ० (स्त्री०) = बिसात
बसाना - I (स० क्रि०) 1 जीवन निर्वाह हेतु उचित साधन देना (जैसे- शरणार्थियों को बसाना) 2 व्यवस्था करना (जैसे- शहर बसाना) 3 घर-गृहस्थी से युक्त करना (जैसे-परिवार बसाना) 4 टिकाना, ठहराना (जैसे- इन्हें धर्मशाला में बसा देना) 5 स्थान देना (जैसे- दिल में बसाना) 6 दृढ़तापूर्वक स्थित करना (जैसे- उपदेश को मन में बसाना) 7 आबाद करना 8 स्थापित करना II (स० क्रि०) गंध से युक्त करना
बहराना
बसाव - ( पु० ) निवास
बसियाना - 1 (अ० क्रि०) बो० बासी होना II (स० क्रि०) बासी करना III (अ० क्रि०) गंधयुक्त होना
बसीठ - (पु० ) 1 दूत 2 पैगंबर बसीठी- (स्त्री०) दूत का काम
बसूला - (पु० ) लकड़ी छीलने और गढ़ने का एक औज़ार बसूली - (स्त्री०) 1 छोटा बसूला 2 ईंट गढ़ने का एक औज़ार बसेरा - 1 (पु० ) 1 मार्ग में ठहरने की जगह 2 अस्थायी निवास 3 पक्षियों के रात बिताने का स्थान (जैसे-बसेरा करना) II (वि०) विश्राम हेतु उहरनेवाला
बसोबास - (पु० ) 1 निवास 2 निवास स्थान बसौंधी - ( स्त्री०) रबड़ी
बस्ट - अं० (पु०) मुख एवं छाती के ऊपरी भाग की बनाई गई। आकृति
बस्ता - फ़ा० (पु० ) 1 पुस्तक आदि रखने का कपड़े का चौकोर टुकड़ा, बेठन 2 बेठन में बँधी पुस्तकें. काग़ज़ पत्र 3 बेठन के
आकार का उपकरण
बस्ती - (स्त्री०) 1 आबादी (जैसे घनी बस्ती) 2 गाँव (जैसे- हरिजन बस्ती)
बहँगा (पु० ). बहँगी - (स्त्री०) काँवर । -बरदार (पु०) काँवर उठानेवाला कहार
बहक - (स्त्री०) 1 बहकने का भाव 2 पथभ्रष्टता 3 बढ़-बढ़कर की जानेवाली बातें, बड़बड़ाहट
बहकना - (अ० क्रि०) 1 पथभ्रष्ट होना 2 भुलावे में आना. धोखा खाना 3 बढ़-बढ़कर बोलना, अंड बंड बकना बहकाना - (स० क्रि०) 1 बहकने में प्रवृत्त करना 2 चकमा देना, धोखा देना, भरमाना 3 बहलाना (जैसे-बच्चे को बहकाना )
बहकावट - (स्त्री०) बहकाने का भाव बहकावा - (पु० ) भुलावा
बहत्तर - I (वि०) सत्तर से दो अधिक II (पु० ) 72 की संख्या बहन - (स्त्री०) बहिन बहना - (अ० क्रि०) 1 प्रवाहित होना (जैसे- खून बहना जल बहना) 2 धारा में आगे बढ़ना (जैसे नदी में नाव बहना) 3 मवाद रसना (जैसे-फोड़ा बहना) 4 हवा चलना 5 आचरण भ्रष्ट होना (जैसे-यह लड़का तो अब बह चला ) 6 अत्यधिक व्यय होना (जैसे- रुपए बहना) 7 पतित होना, विकृत होना 8 डूब जाना (जैसे- लड़का नदी में बह गया) बहनापा - ( पु० ) बहिन का नाता, संबंध बहनेला - ( पु० ) बहन का संबध बहनेली - ( स्त्री०) बनाई गई बहन बहनोई - ( पु० ) बहन का पति बहनौता - (पु० ) बहन का लड़का, भांजा बहनौरा - बो० (पु०) बहन की ससुराल बहर-सूरत फ्रा • अ०, बहर-हाल - फ़ा वि०) हर हालत में, जैसे भी हो बहरा - (वि०) 1न सुननेवाला (जैसे-जन्म से बहरा )
अ ( क्रि०
अनसुनी करनेवाला, ध्यान न देनेवाला 3 ऊँचा सुननेवाला । ~पन (पु०) बहरा होने का भाव -बनना अनसुनी करना बहराना - 1 (स० क्रि०) 1 बहलाना 2 बहरियाना II ( पु० )
=
, फ्रा
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बहरियाना
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बो० नगर की सीमा के बाहर का भाग
बहाव-(पु०) 1 प्रवाह 2 धारा (जैसे-नदी का बहाव) 3 गति बहरियाना-I (स० क्रि०) बो० 1 बाहर करना 2 अलग करना, | (जैसे-हवा का बहाव)
जुदा करना 11 (अ० क्रि०) 1 बाहर होना 2 अलग होना | बहिः-सं० (क्रि० वि०) बाहर। ~स्थ (वि०) बाहर का बहरी-(स्त्री०) बाज़ जैसा एक शिकारी पक्षी
बहिन-(सी०) = बहन बहरूप-(पु०) 1 बैलों का व्यवसाय करनेवाला व्यक्ति 2 बैलों बहिनापा-(पु०) = बहनापा का पेशा करनेवाली एक जाति
बहिया-(स्त्री०) नदी की बाढ़ बहल-(स्त्री०) बैलगाड़ी, बहली। खाना + फ्रा० (पु०) बहिरः-सं० (वि०) = बहि। रंग I (वि०) बाहरी, बाहर गाड़ीखाना
का II (पु०) 1 बाहरी अंग (जैसे-अंतरंग एवं बहिरंग) बहलना-(अ० क्रि.) मनोरंजन होना (जैसे-मन- | 2 औपचारिक कृत्य 3 ऊपर का काम, ऊपरी काम; ~गत बहलना)
(वि.) 1 बाहर निकला हुआ 2 बाहरवाला, बाहर का बहलवान-(पु.) बहल हाँकनेवाला
3 अलग, जुदा; ~गमन (पु०) बाहर जाना; ~गमन द्वार बहलाना-(स० क्रि०) 1दिल खुश करना, मनोरंजन करना (पु०) बाहर जाने का दरवाज़ा; ~गामी (वि०) बाहर
2 भुलावा देना, बहकाना (जैसे-बच्चे को बहलाना) जानेवाला; मत् (पु०) बाह्य जगत्; द्वारी (वि०) घर बहलाव-(पु०) मन को बहलना
के बाहर का; ~भारतीय (वि.) बाहर रहनेवाला भारतीय; बहलावा-पु०) बहकावा
~भूत (वि०) 1 बाहर हुआ 2 बाहर का, नाहरी 3 अलग, बहली-(स्त्री) सवारी बैलगाड़ी
पृथक्; ~भूमि (स्त्री०) बाहर की भूमि; ~मनस्क (वि०) बहस-अ० (स्त्री) 1 बातचीत. तर्क-वितर्क 2 सवाल-जवाब मनका दूसरी तरफ़ लगा हुआ; ~मुख, ~मुखी (वि०) (जैसे अदालत में बहस करना) 3 लड़ाई-झगड़ा (जैसे-मुखों 1 बाहर की ओर मुँह किया हआ 2 विमुख 3 विपरीत; से बहस मत करो)। -मुबाहिसा (पु०) वाद-विवाद, यात्रा (स्त्री०) विदेश यात्रा; ~रति (स्त्री०) बाहरी अंगों शालार्थ
के साथ कामवासना (जैसे-चंबन, स्पर्श, आलिंगन, कुच बहसा-बहसी-अ० . हि: (स्त्री०) वाद विवाद
मर्दन रेखा (स्त्री०) आकार, रूप बतानेवाली रेखा; बहा-(पु०) नहर
-लंब (वि०) अधिक कोणवाला II (पु०) अधिक बहाउ-बो (पु.) . बहाव
कोण त्रिभुज; ~बाणिज्य (पु०) विदेश से होनेवाला व्यापार; बहाऊ-(वि.) 1 बहाए जाने योग्य 2 बहानेवाला
ल्वासी (वि०) बाहर रहनेवाला; व्यसन (पु०) बहादुर-फा० (वि०) वीर, शूर
लंपटता; ~व्यसनी (वि०) लंपट, व्यभिचारी बहादुराना-I फ़ा (वि.) वीरों का, वीरों जैसा | बहिला-बो० (वि०) बच्चा न देनेवाली (गाय, भैंस आदि || क्रि० वि.) वीरतापूर्वक
पशु) बहादुरी-फा (वो.। वीरता. शृरता
बहिश-सं० (वि०) = बहिः बहाना-1 (स० क्रि) : धारा रूप में चलाना (जैसे-जल | बहिश्वर-[सं० (वि०) 1 बाहरी 2 बाहर जानेवाला II (पु०) बहाना. दूध बहाना) 2 ढालना ( जैसे-आँस बहाना) 3 बहने | भेदिया के लिए धारा में डालना । जैसे नाले में कूड़ा बहाना) 4 बर्बाद बहिश्त-फा० (पु०) - बिहिश्त करना । जैसे व्यर्थ के सामा- में पैसा बहाना) 5 बहुत ही | बहिव-सं० (वि०) = बहिः । करण (पु०) 1 बाहर करना गया बीता कर देना । जैसे इसकी काली करतूतों ने घर बहा 2 अलग करना; कार (पु०) 1 बाहर निकालना 2 दूर दिया)
करना 3 त्याग (जैसे-सामाजिक बहिष्कार); ~कृत (वि०) बहाना-II फ़ा० (पु०) अवास्तविक बात, मिथ्या बात बहिष्कार किया गया (जैस-पेट में दर्द का बहाना करना)
बही-(स्त्री०) हिसाब-किताब लिखने की पुस्तक। खाता बहानेबाजी-फा० (स्त्री.) बहाना करना
(पु०) हिसाब की किताबें बहार-फा० (स्त्री) 1 बसंत ऋतु (जैसे-फूलों की बहार) /बहीर-(स्त्री०) 1 सेना के साथ चलनेवाली भीड़ 2 सैनिक 2 आनंद. प्रफुल्लता 3 खिलती हुई जवानी, उभरता यौवन | सामग्री 4 शोभा, सुंदरता (जैसे-संगीत की बहार)
महीरा-(पु०) - बहेड़ा बरना-(स० क्रि०) . बुहारना
बहु-सं० (वि०) अधिक, अमेक। उत्पादन (प०) बहाल-फा० . अ. (वि०) 1 पूर्व स्थिति को प्राप्त अधिक उपज; उद्देश्यीय (बि०) अनेक उद्देश्यवाली; (जैसे-हड़ताली कर्मचारियों को बहाल करना) 2 ज्यों का त्यों करण (पु०) बहुत बना देना; ~कालव्यापी (वि०) (जैसे-अदालत ने फैसला बहाल रखा) 3 प्रफुल्लित एवं अधिक समय तक व्याप्त रहनेवाला; ~कालीन (वि०) लंबे प्रसन्न (जैसे-प्रभु दर्शन से तबीयत का बहाल रहना) समय का (जैसे-बहु कालीन योजना); कुटुंबी (वि०) 4 भला-चंगा, स्वस्थ (जैसे-बहाल रहना)
बड़ा परिवारवाला ~कोशिकी (वि०) अनेक कोशोंवाला; बाली-1ो (स्त्री०) धोखे में रखना 2 धोखे की बात, ~क्षम (वि०) बहुत सहनेवाला, अत्यंत सहनशील; झाँस्म-पट्टी 3 बहाना
~क्षीरा बहुत दूध देनेवाली (गाय); ~खंडी, खंडीय बहाली-II फ्रा० । अ० (स्त्री०) 1 बाल करना 2 पूर्व स्थिति | (वि०) अनेक खंडांवाला; गुण (वि०) 1 अनेक लामा 3 प्रसन्नता 4 आरोग्य, तंदुरुस्ती
सूतोवाला 2 अनेक गुणों से संपन्न; गुना + हिं० (पु०)
.
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बहता
चौड़े मुँह का एक बर्तन; ~ग्रंथि (१०) झाऊ का पौधा; इज़्ज़त; ~मल I (पु०) सीसा नामक धातु II (वि०) -चरणी, चरणीय (वि०) अनेक पदोंवाला; चर्चित अत्यंत मैला; ~मात्र (वि०) बहत अधिक मानवाला, ढेर (वि०) जिसकी बहुत चर्चा हुई हो; जन (पु०) अनेक सा; ~मान (पु०) अत्यधिक मान-सम्मान; ~मानी लोग; -जनन (पु०) बहुत पैदा करना; जन-मान्य (वि०) अत्यंत आदरणीय; ~मान्य (वि०) सम्मानित; (वि०) बहुत लोगों द्वारा स्वीकृत; जल्प (वि०) बहुत
~मार्ग I (वि०) अनेक रास्तोंवाला II (पु०) चौराहा; बोलनेवाला, वाचाल; जल्पिता (वि०) बड़बड़िया; ~मुख (वि०) 1 कई तरह की बातें कहनेवाला 2 अनेक
जातिक, जातीय (वि०) अनेक जाति का; ज्ञ दिशा में जानेवाला 3 अनेक विषय का ज्ञाता, जानकार; (वि०) 1 अनेक विषयों का ज्ञाता 2 बहुत जाननेवाला; ~मुखी (वि०) अनेक विषय, दिशा आदि में प्रयुक्त
ज-ता (स्त्री०) अनेक विषयों की जानकारी; ~तंत्री होनेवाली (जैसे-बहुमुखी प्रतिभा); ~मूत्र (पु०) पेशाब (वि०) बहुत से तंतुओंवाला; ~तंत्रीक (वि०) बहुत से अधिक होने का रोग; ~मूत्र रोगी (पू०) पेशाब अधिक तारोंवाला; दर्शिता (स्त्री०) बहुदर्शी होने की अवस्था; करनेवाला मरीज; ~मूल (वि०) अनेक जड़वाला; ~मूल्य
दर्शी (वि०) 1 दूरदर्शी 2 बहज़; ~दायी (वि०) उदार; (वि०) अधिक कीमतवाला, बेशकीमत; रंगा + हिं०, -दिन-व्यापी (वि०) अनेक दिन तक बना रहनेवाला; रंगी + हिं० I (वि०) 1 अनेक रंगोवाला 2 मन-मौज़ी
दुग्धा (स्त्री०) दुधार गाय; देवतावाद, देववाद | II (पु०) बहुरूपिया; ~राष्ट्रीय (वि०) अनेक राष्ट्रों का; (पु०) अनेक देवी-देवताओं को माननेवाला धर्म; रूप (वि०) अनेक रूप धारण करनेवाला; ~रूपता
देवोपासना (स्त्री०) अनेक देवी-देवताओं की आराधना; (स्त्री०) बहुरूप होने का भाव; ~रूप-दर्शक (पु०) अनेक ~धंधी + हिं० (वि०) 1 अनेक कामों में फँसा रहनेवाला रूप दिखानेवाला (यंत्र); रूपिमिक (वि०) जिसमें 2 अनेक काम का (जैसे-बहुधंधी योजना); ~धन (वि०) अनेक रूपिम (पद या शब्दखंड) हों, रूपिया +हिं० बहुत धनवाला; ~नामा (वि०) अनेक नामवाला; ~पक्षी, I (वि०)1 अनेक तरह के रूपोंवाला 2 अनेक प्रकार के रूप
पक्षीय (वि०) अनेक पक्षोंवाला; पठित (वि०) बहुत धारण करनेवाला II (पु०) अनेक रूप धारण करके जीविका पढ़ा हुआ; ~पतिक (वि०) अनेक पतिवाली; ~पतित्व चलानेवाला व्यक्ति; वचन (१०) व्या० संज्ञा आदि का (पु०), पति-प्रथा (स्त्री०) अनेक पुरुषों से विवाह कर एक से अधिक का बोध करानेवाला रूप; ~वार्षिक (वि०) सामाजिक जीवन व्यतीत करने की प्रथा; ~पत्नीक (वि०) कई वर्ष तक चलनेवाला; -विद् (वि०) - बहुज्ञ; ~विध अनेक पत्नीवाला; ~पत्नीत्व (पु०), पत्नी-प्रथा I (वि०) अनेक प्रकार का II (कि० वि०) अनेक प्रकार से; (स्त्री०) अनेक स्त्रियों से विवाह कर सामाजिक जीवन व्यतीत -विवाह (पु०) अनेक विवाह करना; -व्ययी (वि०) करने की प्रथा; ~पद I (वि०) अनेक पैरोंवाला II (पु०) अधिक खर्च करनेवाला, उड़ाऊ; ~व्यापक (वि०) अधिक बरगद; ~पदी (वि०) अनेक पदवाली; परिमाण विस्तारवाला; ~व्रीहि (पु०) व्या० समास का वह प्रकार (वि०) बहुत लंबा चौड़ा; ~पाद (पु०) = बहुपद; पुत्र जिसमें सभी पदों के योग से भित्र अर्थ ग्रहण किया जाय I (वि०) बहुत पुत्रोंवाला II (पु०) सप्तपर्णः पुत्रक (जैसे-चंद्रमौलि, बहबाह्); ~शक्ति (वि०) अधिक (वि०) अनेक पुत्रवाला; ~प्रकार (क्रि० वि०) अनेक ताक़तवाला; ~शाखीय (वि०) कई शाखाओंवाला, प्रकार से प्रचलित (वि०) जिसका चलन अधिक हो; -शिल्प, शिल्पी (वि०) अनेक कलाओंवाला; ~श्रुत प्रतीक्षित (वि०) जिसकी अधिक प्रतीक्षा की गई हो; (वि.) 1 अनेक विषय का ज्ञान सुनने एवं उनका स्मरण प्रयोजनीय (वि०) = बहुउद्देश्यीय; प्रसू (स्त्री०) रखनेवाला 2 विद्वान, पंडित; ~संख्यक (वि०) 1 कई बहुत से बच्चों की माँ; ~प्राविधिक (वि०) = बहुशिल्पी; संख्यावाला 2 बड़ी संख्यावाला (जैसे-बहसंख्यक दल);
प्रिय (वि०) अत्यंत प्यारा; प्रियता (स्त्री०) बहुत ~संख्या (स्त्री०) संख्या में अधिकता; ~संतति (वि०) लोगों द्वारा प्रिय होना; बल (वि०) बहुत ताक़तवर;
अधिक संतानवाला; ~संयोजनशील, ~संश्लेषणात्मक -भाग (पु०) अनेक खंड; ~भाज (पु०) = बहुलक;
(वि०) जिसमें अनेक शब्द एक में जुड़ गए हों; ~सत्तावाद भावश (पु०) अनेक भाषा बोलनेवाला; ~भाषा-भाषी (पु०) ये सिद्धांत कि सत्ता एक जगह केंद्रित न होनी चाहिए; (वि०) अनेक भाषा बोलनेवाला; ~भावाविद् (पु०) = सम्मति (स्त्री०) कई राय, अनेक सलाह; ~सोपानीय बहुभाषज्ञ; ~भाषिता (स्त्री०) बहुत बोलना; ~भाषी (वि०) अनेक सीढ़ियोंवाला; ~स्तरीय (वि०) अनेक (वि०) 1 बहुत बोलनेवाला 2 बकवादी; ~भाषीय (वि०) स्तरोंवाला; ~स्वप्न (पु०) 1 उल्लू 2 शंख; ~स्वामिक अनेक भाषाओवाला; ~भुज (वि०) अनेक भुजाओंवाला; (वि०) अनेक मालिकवाला; हेतुक (वि०) अनेक
पुजक्षेत्र (पु०) जया० ग० चार से अधिक रेखाओं से हेतुओंवाला विरा क्षेत्र; गुजा (सी०) दुर्गा; ~भूमिक (वि०) कई |बटनी-(स्त्री०) बाँह पर पहनने का एक गहना मंज़िलवाला; मोक्ता (वि०) बहुत खानेवाला; ~भोग्या बहुत-I (वि०) 1 अधिक, ज़्यादा (जैसे-आपसे बहुत दिनों पर (सी०) वेश्या; ~पोजी (वि०) = बहभोक्ता; ~मंज़िल मेंट हुई है) 2 उचित से अधिक (जैसे-बहुत बोलना अच्छा + अं०, मंजिला + अ० + हिं० (वि०) अनेक नहीं होता) 3 यथेष्ट (जैसे-आधा सेर दूध बहुत है) मंशिलवाला; मत I (वि०) 1कई मत रखनेवाला 2 अति | II (क्रि० वि०) अधिक मात्रा में, ज्यादा सम्मानित II (पु.) 1 अनेक लोगों का मत 2 अनेक मत; | बहुतांश-हिं० + सं० (पु०) ज्यादा भाग पर प्राप्त (वि०) बहुत मत पानेवाला; मति (सी०) | बहता-सं० (स्त्री०) = बहुत्व
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बहुताइत
बहुताइन, बहुतात, बहुतायत - ( स्त्री०) अधिकता, ज्यादती बहुतेरा - I (वि) 1 मान में बहुत अधिक 2 प्रचुर यथेष्ट II ( क्रि० वि०) अनेक प्रकार से
बहुतेरे - (वि०) अत्यधिक, बहुत ज्यादा बहुत्व-सं० ( पु० ) आधिक्य, अधिकता । वाद (पु० ) बहुतत्वाद, प्रपंचवाद, ये सिद्धांत कि सृष्टि अनेक तत्त्वों से बनी है
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बहुधा -सं० ( क्रि० वि०) अक्सर, प्रायः
बहुरना - ( अ० क्रि०) 1 वापस आना, लौटाना 2 फिर से प्राप्त होना, मिलना
बहुरि - ( क्रि० वि० ) 1 फिर, पुनः 2 उपरांत बहुरिया - (स्त्री०) बो० नई दुल्हन
बहुरी - बो० (स्त्री०) भूना हुआ खड़ा अन्न, चबेना बहुल-सं० (वि०) अधिक, बहुत। ~ता (स्त्री० ) प्रचुरता, अधिकता; ~वाद (पु० ) = बहुत्ववाद बहुलांश - सं० (पु० ) अधिक भाग ज्यादा अंश बहुलित-सं० (वि०) बढ़ाया हुआ बहुलीकरण-सं० (पु० ) बहुकरण बहुलीकृत-सं० (वि०) बढ़ाया हुआ बहुश:-सं० ( क्रि० वि०) 1 बहुत बार 2 बहुत तरह से बहुसंख्य-सं० (स्त्री०) अधिक संख्या वाले लोग, मेजोरिटी बहूटा - पुं० बाँह पर पहनने का एक प्रकार का गहना बहू - (स्त्री०) 1 पुत्र की पत्नी, पतोहू 2 पत्नी, जोरू 3 नव विवाहिता स्त्री, दुलहिन । बेटी (स्त्री०) बहू और बेटी बहूपमा - सं० (स्त्री०) साहि० किसी उपमेय के अनेक उपमानों से युक्त एक अलंकार
बहेत - (स्त्री०) बो० बहकर इकट्ठा हुई मिट्टी बहेड़ा - (पु० ) एक जंगली पेड़ एवं उसका फल (जैसे- हींग-बहेड़ा)
बहेतू - (वि०) 1 इधर-उधर मारा-मारा फिरनेवाला 2 अत्यंत
=
तुच्छ
बहेरी - (स्त्री०) बो० बहाना, हीला
बहेलिया - ( पु० ) चिड़ीमार
बहोरना - (स० क्रि०) बो० 1 लौटाना 2 हाँकना बह - I अ० (स्त्री०) शेर का वजन, छंद
बह - II अ० ( पु० ) महासमुद्र बहर्थक-सं० (वि०) अनेकार्थक
बाँ-I (पु० ) गाय के रँभाने का शब्द II (पु०) बार, दफा बाँक-I (पु० ) 1 टेढ़ापन, वक्रता 2 सरौते की शक्ल का एक औज़ार 3 टेढ़ी छुरी II (वि०) 1 घुमावदार, टेढ़ा 2 बाँका । ~न (पु० ) टेढ़ापन
बाँकड़ी - (स्त्री०) सुनहला फीता
बाँकनल - ( पु० ) सुनारों की फूँक मारने की नली बाँकना - I (स० क्रि०) बो० टेढ़ा करना II (अ० क्रि०) टेढ़ा होना
बांधव्य
बाँकी - I (स्त्री०) छोटा बाँका II ( वि० / स्त्री०) = बाक़ी बाँकुर - (वि०) 1 टेढ़ा 2 नुकीला 3 चतुर बाँग-फ़ा० (स्त्री०) 1 आवाज़ 2 अजान बाँगड़ - ( स्त्री०) हरियानी बाँगडू - (वि०) बाँगर - (पु० ) 1 बाढ़ में न डूबनेवाली ज़मीन, ऊँची ज़मीन 2 एक तरह का बैल
असभ्य, उजड्ड और पूरा गँवार
बाँगा - (पु० ) बो० कपास
बाँका - I (वि०) टेढ़ा, तिरछा 2 अनोखा एवं सुंदर ( जैसे- बाँकी नज़र) 3 वीर एवं साहसी (जैसे- बाँका सिपाही ) II (पु० ) 1 लोहे का टेढ़ा एक तरह का हथियार 2 बाँका रखनेवाला बदमाश 3 बदमाश और लुच्चा । -तिरछा (वि०) टेढ़ा मेढ़ा बाँकिया - ( पु० ) नरसिंघा नाम का बाजा
बाँगुर - (पु०) फँदा, जाल
बाँचना - I (स० क्रि०) बो० 1 पढ़ना 2 पढ़कर सुनाना
II (अ० क्रि०) बचना III (स० क्रि०) बचाना
बाँछा - ( स्त्री०) वांछा, इच्छा
बाँझ - ( स्त्री०) वंध्या । पन (पु० ) बाँझ होना, बंध्यत्व बाँट - (स्त्री०) 1 बटवारा 2 हिस्सा, भाग 3 ताश आदि पत्तों का बाँटा जाना। चूँट ( स्त्री०) बटवारा, हिस्सा-बखरा; बूँट (स्त्री०) = बाँट-चूँट
बाँटना - (स० क्रि०) 1 हिस्सा करना, कई भाग करना 2 वितरण करना (जैसे-प्रसाद बाँटना)
बाँटा - (पु० ) 1 बाँट 2 हिस्सा, भाग 3 गाने बजानेवालों का अपना अपना पुरस्कार बाँड-अं० (पु० ) ऋणपत्र
बाँड़ - (पु०) दो नदियों के संगम के बीच की भूमि बाँड़ा-I (पु० ) 1 पूँछ कटा पशु 2 असहाय व्यक्ति II ( वि० ) 1 पूँछ कटा, बिना दुमवाला 2 असहाय बाँड़ी - (स्त्री०) 1 बिना पूँछ की गाय 2 छोटी लाठी। बाज़ (पु० ) 1 लट्ठबाज़, लठैत 2 शरारती
बाँदी (स्त्री०) दासी, लौंडी। ~का बेटा 1 तुच्छ, हीन 2 अधीन किया हुआ 3 दोगला, वर्णसंकर बाँध - (पु० ) 1 जलाशय का जल रोकने हेतु पत्थर आदि का बनाया गया धुस, बंद, पुश्ता, डैम (जैसे- नदी पर बाँध बनाना) 2 बंधन 3 बाँधने का भाव
बाँधना - (स० क्रि०) 1 लपेटना (जैसे-ज़ख्म पर पट्टी बाँधना)
2 आबद्ध करना (जैसे- कमर में पेटी बाँधना) 3 संबद्ध करना 4 फंदे में फँसाना (जैसे- गाय बाँधना) 5 सीमा में बंद रखना (जैसे- नदी पर बाँध बाँधना ) 6 बंधन में डालना, बंधुआ बनाना 7 तंत्र-मंत्र के द्वारा नियंत्रित करना 8 वश में करना (जैसे- प्रेम सूत्र में बाँधना ) 9 सोच-समझकर स्थिर करना (जैसे-मसूबा बाँधना ) 10 नियत करना (जैसे-मजूरी बाँधना) 11 व्यवस्थित करना 12 जोड़ना, बटोरना (जैसे-दल बाँधना) 13 बनाना (जैसे- मोरचा बाँधना) 14 ढाँचा खड़ा करना (जैसे-रूपक बाँधना) । छाँदना (स० क्रि०) बाँधना बँधना बाँधनू - (पु० ) 1 उपक्रम, मंसूबा 2 मन में बनाई गई योजना 3 मनगढ़ंत बात 4 झूठा अभियोग 5 बाँधकर रंगा गया कपड़ा 6 लहरियादार रँगाई में कपड़े को जगह-जगह बाँधना, टाई एंड डाई)
बांधव - सं० (पु० ) 1 भाई बंधु 2 नाते-रिश्ते के लोग, संबंधीजन 3 घनिष्ठ मित्र
बांधवक-सं० (वि०) बांधव संबंधी
बांधव्य-संc (पु० ) 1 बंधु होने का भाव, बंधुता 2 रक्त संबंध
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बाँब
बाँब - (स्त्री०) साँप के आकार की एक मछली बाँबी - (स्त्री०) । दीमकों द्वारा बनायी गयी मिट्टी की रेखाकार आकृति, बँबीठा 2 सर्प का बिल
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बाँस- (पु० ) 1 तिनके की जाति का एक लंबा, सीधा, गिरहदार पौधा 2 सवा तीन गज की लंबाई की एक नाप, लाठी। पूर (पु० ) एक तरह का बढ़िया महीन मलमल; ~फल (पु०) एक प्रकार का धान, बाँसी
बाँसली - (स्त्री०) एक तरह की जालीदार लंबी पतली थैली बाँसा - I ( पु० ) 1 रीड़ की हड्डी 2 नाक के ऊपर की हड्डी ।
(पु० ) ~ फिर जाना नाक की हड्डी का टेढ़ा हो जाना बाँसा - II (पु० ) 1 बाँस का बना चोंगे आकार का एक छोटा
नल, अरना 2 पियाबाँसा नाम का पौधा 3 इस पौधे का फूल बाँसी - (स्त्री०) 1 एक तरह का छोटा, पतला और मुलायम बाँस 2 हल्के काले बालवाला गेहूँ 3 एक प्रकार का सुंगधित, मुलायम और स्वादिष्ट धान एक तरह की मोटे एवं कड़े डंठलवाली घास
बाँसुरी - ( स्त्री०) वंशी, मुरली
बाँह - (स्त्री०) 1 कंधे से लेकर कलाई के बीच का भाग, भुजा, बाहु 2 कमीज़, कुरते आदि का बाँह ढकनेवाला अंश 3 भरोसा, शरण। कटा (वि०) बिना बाँह का; बोल (पु० ) रक्षा करने का वचन की छाँह लेना शरण में आना; गहना, पकड़ना 1 भरण-रक्षण की ज़िम्मेदारी लेना 2 अपनाना 3 विवाह करना; चढ़ाना 1 लड़ने को तैयार होना 2 काम करने को उद्यत होना; ~बुलंद होना 1 साहस करना 2 उदार होना; में भरना 1 आलिंगन करना 2 गले लगाना
बाँहाँ-जोड़ी - I ( क्रि० वि०) साथ-साथ II (स्त्री०) कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने की मुद्रा
अ०
बा - I फ़ा० ( क्रि० वि०) साथ, सहित (जैसे बा-अदब, बा असर ) II (स्त्री०) बाई का संक्षिप्त रूप। ~असर + अ० (वि.) प्रभावशाली; कायदा + 370 I (fao) नियमित II ( क्रि० वि०) नियम के अनुरूप, नियमानुसार (जैसे- बाक़ायदा सलाम करना); जाब्ता I (क्रि० वि०) नियम के अनुरूप (जैसे - बाज़ाब्ता नक़ल करना) II (बि०) नियमयुक्त; मुराद + अ० (वि०) पूर्ण कामनावाला; मुहावरा + अ० (वि०) मुहावरायुक्त बाइगी - (स्त्री०) व्यर्थ की बात, बकवाद बाइबल, बाइबिल -अं० (स्त्री०) ईसाइयों की प्रसिद्ध धर्म पुस्तक
बाइस - अ० (पु० ) कारण, सबब, वज़ह याइसिकिल - अं० (स्त्री०) दो पहियों की पैर से चलनेवाली गाड़ी, साइकिल
बाइस्कोप - अं० (पु० ) तस्वीर दिखाने का एक यंत्र, चित्रदर्शी बाई - (स्त्री०) बायाँ
बाई - I (स्त्री०) 1 स्त्रियों का एक आदरसूचक शब्द (जैसे- लक्ष्मीबाई, जोधाबाई) 2 नाचने-गानेवाली वेश्याओं के साथ लगनेवाला शब्द (जैसे- चंपाबाई, चमेलीबाई) II 1 हवा, वायु 2 वात व्याधि
बाज़
बाउर - (वि०) 1 बावला, पागल 2 भोला-भाला 3 मूर्ख, बेवकूफ़ 4 गूँगा
बाईकाट-अं० (पु० ) = बायकाट बाईस - I (वि०) बीस से दो ज्यादा II ( पु० ) 22 की संख्या
बाऊ - ( पु० ) हवा, पवन
बाएँ - ( क्रि० वि०) बाएँ हाथ की तरफ़ (जैसे- बाएँ घूमना) बाकरख़ानी - (स्त्री०) एक तरह की मुसलमानी रोटी बाकल - ( पु० ) बो० छाल, वल्कल
बाकली - (स्त्री०) एक प्रकार का वृक्ष जिसके पत्ते रेशम के कीड़े खाते हैं
बाकिरा - अ० (स्त्री०) 1 कुमारी 2 अनबिधा मोती बाक़ी - 1 अ० (वि०) 1 बचा हुआ, शेष 2 बिना चुकाया हुआ 3 लेन-देनवाला (जैसे- खाते में सौ रुपए हमारे नाम बाक़ी है) 4 व्यतीत न हुआ हो (जैसे-महीना ख़त्म होने में चार दिन बाक़ी हैं) 5 सबसे अंत में होनेवाला (जैसे- अब तो मरना बाक़ी है) II (स्त्री०) 1 ग० घटाना (जैसे जोड़ बाक़ी) 2 ग० बड़ी तथा छोटी संख्या का अंतर (जैसे सात में पाँच गया बाकी बचा दो) 3 न वसूली गई रकम 4 अवशेष III ( क्रि० वि० ) परंतु, मगर। दार फ़ा० (वि०) लगान देनेवाला; दारी + फ़ा० (स्त्री०) लगान देना बाकुंभा - (पु०) कुंभी के फूल का सुखाया केसर बाक्सिंग-अं० (स्त्री०) मुक्केबाज़ी
+
बाग - (स्त्री०) लगाम, रास। ~ डोर (स्त्री०) लगाम में बाँधी जानेवाली रस्सी; उठाना चल पड़ना; हाथ से छूटना 1 बेकाबू होना 2 मौक़ा हाथ से निकल जाना बाग़-फ़ा० (पु०) उपवन, वाटिका । ~दार (पु०) बाग़ का स्वामी; बाग़ (वि०) अत्यधिक प्रसन्न, प्रमुदित; ~खान (पु०) माली; ~बानी ( स्त्री०) बाग़बान का काम बागड़ - ( पु० ) उजाड़ क्षेत्र
बागर - (पु० ) नदी के किनारे की वह ऊँची भूमि जहाँ बाढ़ का पानी भी न पहुँच सके
बागा - ( पु० ) एक पुराना लंबा पहनावा
बाग़ान - फ़ा० (पु० ) बग़ीचे (विशेषकर चाय के ) । मज़दूर
(पु० ) ( चाय के बाग़ी - अ० (पु० ) दबनेवाला, सरकश बाग़ीचा -फ़ा० (पु०) छोटा बाग़
बाघंबर - (पु० ) 1 बाघ की खाल 2 रोयेंदार कंबल
बगीचों के मज़दूर
1 बग़ावत करनेवाला, विद्रोही 2 न
बाघ - (पु० ) शेर की जाति का उससे छोटा हिंसक पशु, व्याघ्र बाघनी - (स्त्री०) व्याघ्री, मादा बाघ
बाघी- (स्त्री०) जाँघ के जोड़ में होनेवाली एक तरह की गिल्टी बाचना - I (स० क्रि०) बचाना II (स० क्रि०) बाँधना, पढ़ना बाचना - III (अ० क्रि०) बचना
बाछ - I (स्त्री०) ओंठों का कोना
बाछ - II (पु० ) 1 बाछने का काम 2 चंदे, मालगुज़ारी आदि का आनुपातिक पड़ता, बछौरा
बाछ - III (पु० ) = बाछा
बाछना - (सं० क्रि०) चुनना, छाँटना
बाछा - (पु० ) 1 गाय का बच्चा, बछड़ा 2 बच्चों का प्यार का संबोधन । बाछी (स्त्री०) बाल बच्चे
बाज - I ( पु० ) घोड़ा II ( क्रि० वि०) बिना बाज़ - I फ़ा० ( पु० )
प्रसिद्ध शिकारी एवं हिंसक पक्षी
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बाज़
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बात
बाज़-II फ़ा० 1 (वि०) 1 वंचित, रहित III प्रत्यय जो शब्द बाटली-I अं० (स्त्री०) जहाज़ के पाल में ऊपर लगा रस्सा के अंत में लगकर अनेक अर्थ देता है (जैसे-बहानेबाज़, __ II बोतल चालबाज़, नशेबाज़)। दावा अ० (पु०) दावा वापस लेना बाटी-(स्त्री०) 1 गोली, पिंड 2 सेंका हआ आटे का गोलाकार बाज़-IV अ० (वि०) 1 कोई-कोई 2 कुछ-थोड़े V (क्रि० लोंदा (जैसे-बाटी दाल) 3 चौड़े मुँह की बड़ी कटोरी वि०) बगैर, बिना
बाड़-(स्त्री०) झाड़बंदी (जैसे-काँटेदार तारों की बाड) बाजड़ा-(पु०) - बाजरा
बाड़ा-(पु०) 1 घेरा 2 पशुशाला बाजना-I (अ० क्रि०) जाना, पहँचना II (अ० क्रि०) | बाडिस-अं० (स्त्री०) स्त्रियों की विलायती ढंग की अँगिया 1 लड़ाई-झगड़ा करना 2 बहस करना III (अ० क्रि०) | बाड़ी-(स्त्री०) 1 वाटिका, फुलवारी 2 घर, मकान (जैसे-ठाकुर 1 कहना, बोलना 2 पुकारा जाना 3 आघात लगना
बाड़ी) बाजरा-(पु०) अन्न का एक प्रसिद्ध पौधा एवं उसके दाने बाडी-अं० (स्त्री०) चोली, अँगिया (जैसे-बाजरे की रोटी)
बाडी-गार्ड-अं० (पु०) अंगरक्षक बाजा-(पु०) बजाने का यंत्र। गाजा (पु०) अनेक प्रकार | बाढ़-I (स्त्री०) नदी आदि के जल का फैलना, सैलाव के एक साथ बजनेवाले बाजे, धूमधाम
2 बढ़ाव, वृद्धि 3 बहुतायत, अधिकता। ~ग्रस्त + सं० बाज़ाब्ता-(क्रि० वि०) नियमपूर्वक
(वि०) बाढ़ पीड़ित; ~पीड़ित + सं० (वि०) बाढ़ से बाज़ार-फा० (पु०) 1 हाट, मंडी 2 पैंठ। दर - हिं० । दुःखी, बाढ़ में फँसा हुआ। (स्त्री०) - बाज़ार भावः --बट्टा । हिं (पु०) दे० बट्टा; | बाढ़-II (स्त्री०) धार (जैसे-चाकू की बाढ़)। दार + फा० --भाव । सं० बेचने एवं खरीदने की प्रचलित दर; (१०) __(वि०) धारवाला ~करना सामान खरीदने या बेचने हेतु बाज़ार जाना; ~का बाढ़ी-(स्त्री०) 1 बढ़ती, वृद्धि 2 ब्याज 3 लाभ गज इधर-उधर मारा-मारा फिरनेवाला व्यक्ति; की मिठाई बाढ़ीवान-(पु०) बो० धार तेज़ करनेवाला 1 आसानी से मिलनेवाली वस्तु 2 वेश्या; ~गरम होना खाण-सं० (पु०) 1 तीर, शर, सायंक (जैसे-धनुष-बाण) बाज़ार में चहल-पहल होना; (किसी चीज़ का) ~गर्म 2 बाण का फल, गाँसी 3 निशाना, लक्ष्य होना प्रबलता होना (जैसे-रिश्वत का बाज़ार); ~गिरना बात-I (स्त्री०) 1 सार्थक वाक्य, कथन, वचन 2 चर्चा, प्रसंग मंदी होना; तेज़ होना भाव चढ़ना, बहुत माँग होना; 3 विषय, मामला 4 घटना 5 संयोग, प्रसंग 6 बहाना ~मंदा होना 1 दाम घटना 2 कम बिक्री होना; ~में आग (जैसे-बात बनाना) 7 मतलब, तात्पर्य 8 आदेश (जैसे-बड़ों लगना चीज़ों के दाम चढ़ जाना
की बात मानना) १संदेशा (जैसे-सारी बात बता देना) बाज़ारी-फ़ा० (वि०) 1 बाज़ार का 2 बाज़ार में प्रचलित 10 इच्छा, कामना। चीत (स्त्री०) वार्तालाप (जैसे-बाज़ारी बोल-चाल) 3 बाज़ार में बैठनेवाला (जैसे-बातचीत करना) ~फ़रोश (पु०) बात गढ़नेवाला; (जैसे-बाज़ारी औरत) 4 साधारण
~आँचल में बाँधना दे० बात गाँठ बाँधना; ~ आना चर्चा बाज़ारू-फ़ा० + हिं० (वि०) 1 बाज़ार से संबधित 2 सभ्य छिड़ना; (किसी पर) ~आना दोषारोप होना; ~आ
समाज में न होनेवाला 3 घटिया (जैसे-बाज़ारू औरत, बाज़ारू पड़ना 1 प्रसंग आना 2 संयोग उपस्थित होना; ~उठना चर्चा माल)
चलना, ज़िक्र होना; ~उठाना 1 चर्चा करना 2 बात न मानना; बाज़ी-[ फा० (स्त्री०) 1 शर्त 2 दाँव बारी 3 करतब, तमाशा ~उड़ना चर्चा फैलना; उड़ाना बात टालना; उलटना 4 खेल (जैसे-शतरंज की बाज़ी) II (स्त्री०) 1 'बाज' होने 1 बात पलटना 2 विरुद्ध बात कहना; कहते तुरत, झट; का भाव 2 शौकीन होने का भाव (जैसे-पतंगबाज़ी)। ~गर का ओर-छोर बात का मतलब; ~काटना बीच में (पु०) जादूगर; ~गरी (स्त्री०) जादूगर का काम बोलना, टोकना; ~का धनी, ~का पूरा कहे को बाजू-फ़ा० (पु०) 1 बाह, बाँह (जैसे-दाहिना बाजू) 2 पक्ष, करनेवाला; ~कान पड़ना बात की जानकारी होना; ~का पार्श्व 3 बाजूबंद नाम का गहना 4 पक्षियों का डैना। बंद बतंगड़ करना, बनाना ज़रा सी बात को तूल देना, तिल का
(पु०) भुजबंद; ~बीर + हिं० (पु०) बो० = बाजूबंद ताड़ बनाना; ~की तह तात्पर्य; को पुड़िया बहुत बातूनी; बाझना-(अ० क्रि०) 1 उलझना 2 हाथा बाँही ~की~ तुरंत; ~खुलना छिपी बात प्रकट होना; गढ़ना करना
बात बनाना; गाँठ बाँधना बात दिल में बैठाना; -घुट बाट-I (पु०) रास्ता; ~करना रास्ता करना; ~का रोड़ा जाना बात पी जाना; चबा जाना 1 बात बीच में उड़ा जाना बाधक; जोहना, देखना प्रतीक्षा करना; परना डाका 2 बात का रुख बदल देना; जाना 1 साख जाना पड़ना; ~पारना रास्ते में डाका डालना, लूट लेना; 2 विश्वास उठना; टलना कहे मुताबिक न होना; लगाना 1 रास्ता दिखलाना 2 मूर्ख बनाना
टालना बात न मानना, अवज्ञा करना; ~ठहराना ब्याह बाट-II (पु०) 1बटखरा 2 बट्टा
निश्चित करना; ~दुहराना उलटकर जवाब देना; (मुंह से) बाट-III (स्त्रो०)। डोरी आदि का बटना 2 ऐंठन बल IV आना मुँह से बोल न निकलना; न करना घमंड के (स्त्री०) पीसने की क्रिया
मारे न बोलना; न पूछना 1 खोज-खबर न लेना 2 ध्यान न बाटना-I (स० क्रि०) पीसना, चूर्ण करना
देना 3 तुच्छ समझना; निकलना चर्चा चलना; नीचे बाटना-II (स० क्रि०) बटना
डालना अपनी बात का आग्रह त्यागना; ~पकड़ना 1 कथन बाटनी-अं० (स्त्री०) वनस्पति शास्त्र
में गलती बताना 2 नुक्ताचीनी करना; पचना सुनी बात
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बात
किसी अन्य से न कहना; पर आना अपनी बात का पक्ष करना; पर जाना किसी के कहे पर विश्वास करना; पर धूल डालना बात पर ध्यान न देना; पर ~ निकलना प्रसंगवश बात कहा जाना; पलटना बात बदलना; पाना असल मतलब समझना; पी जाना बात को सह लेना; ~पूछना खोज-खबर लेना; फेरना बात पलटना; फैलना चर्चा फैलना; बढ़ना 1 बात का बहस में बदल जाना 2 मामले का तूल पकड़ना 3 सम्मान बढ़ना; बढ़ाना 1 झगड़ा करना 2 मामले को तूल देना; बदलना 1 बात पर कायम न रहना 2 बात का पहलू बदलना; बनना 1 काम बनना 2 मान साख बढ़ना; बनाना 1 बहाना करना 2 काम सँभालना; -बात में हर बात में; बिगड़ना 1 काम बिगड़ना 2 साख नष्ट होना; -मारना 1 असल बात छिपा लेना 2 व्यर्थ बोलना; मुँह पर लाना बात बोलना; -में फर्क आना बात झूठी ठहरना; में ~ निकालना बाल की खाल निकालना, खींचना; रखना 1 कहा मान लेना, बात का सम्मान करना 2 मान रखना 3 अपने वचन का पालन
करना 4 दुराग्रह करना, हठ करना; पालन होना 2 प्रतिष्ठा बनी रहना; होना; -बनाना 1 बहाना ~ मिलाना हाँ में हाँ करना; ~में आना धोखा खाना; में लगाना बहलाना बात - II ( पु० ) बाती - (स्त्री०) बत्ती
= वात
बातुल - I (वि०) पागल, सनकी बातुल- (वि०) 1 बकवादी 2 बातूनी
बाथ-अं० (पु० ) नहाना, स्नान, नहान । स्नानागार
रहना 1 वचन का लगना बात से आहत करना 2 चापलूसी करना;
सुनना कटु वचन सुनना; उड़ाना हँसी में टालना; में
रूम (पु० )
बाथू - ( पु० ) बथुआ नाम का साग बाद-I फ़ा० (पु०) हवा, वायु (जैसे-बाद से बातें करना) । ~बान (पु० ) जहाज़ का पाल, पोतपट बानी (वि०) 1 बादबान संबंधी 2 बादबान के द्वारा चलनेवाला बाद- II अ ( क्रि० वि० 1 पीछे, अनंतर 2 अतिरिक्त, सिवा बादर-सं० (वि०) 1 बेर नामक फल का 2 कपास से संबंधित 3 भारी, मोटा
बादल - (पु० ) 1 वायुमंडल में संचित घनीभूत वाष्पकण, मेघ (जैसे- आकाश में बादल छा गए) 2 चारों तरफ़ छाया रहनेवाला (जैसे- दुःख के बादल) । ~ उठना, चढ़ना बादलों का फैलना; गरजना बादलों के संघर्ष से घोर ध्वनि उत्पन्न होना; ~ घिरना मेघों का छाना छँटना, फटना घटा का बिखरना; में थिंगली लगाना कठिन काम करना; बादलों से बातें करना आकाश से बातें करना, बहुत ऊँचा होना
बादला - (पु० ) कामदानी का तार
बादशाह - फ़ा० ( पु० ) 1 सम्राट् 2 सुल्तान, राजा 3 शतरंज का एक मोहरा 4 ताश का एक पत्ता 5 सरदार | ज़ादा (पु० ) राजकुमार, राजपुत्र; ~ज़ादी (स्त्री०) राजकुमारी, राजपुत्री बादशाहत फ़ा० + अ० (स्त्री०) 1 बादशाह का पद 2 राजत्व 3 हुकूमत
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बानैत
बादशाही- I फ्रा० (वि०) 1 बादशाह का 2 राजोचित II (स्त्री०) 1 राज्य शासन 2 मनमाना व्यवहार बादाम - फ़ा० (पु० ) एक प्रसिद्ध मेवा तथा उसका पेड़ (जैसे- बादाम तोड़ना)
बादामी -फ़ा० (वि०) 1 बादाम के रंग का 2 बादाम के
आकार-प्रकार का
बादी - I फ़ा० (वि०) उत्पन्न रोग ।
पन
वायु संबंधी II (स्त्री०) वातकारक
+
हिं० (पु० ) चि० 1 वायु-विकार
2 वायुकारक, वातकारक होना
बादुर - (पु० ) चमगादड़
बाध - I सं० (पु० ) 1 अड़चन, बाधा 2 कठिनता 2 दिक्कत, मुश्किल II ( पु० ) मूँज की रस्सी बाधक -सं० (वि०) 1 रुकावट डालनेवाला 2 कष्ट देनेवाला 3 अड़चन डालनेवाला
बाधन-सं० (पु० ) 1 बाधा उत्पन्न करना 2 कष्ट देना 3 अड़चन
डालना
बाधयिता-सं० (पु०) बाधा डालनेवाला
बाधा-सं० (स्त्री०) 1 रुकावट, विघ्न 2 पीड़ा, कष्ट 3 डर, भय । -दौड़ हि. (स्त्री०) रुकावटों को पार करने की दौड़ बाधित-सं० (वि०) 1 अवरुद्ध 2 सीमित 3 प्रस्त (जैसे-प्रेतबाधित)
बाधिर्य-सं० (५०) बधिरता, बहरापन बाधी - (वि०) वाधक
बाध्य - सं० (वि०) 1 पीड़ित 2 मज़बूर, विवश 3 रोकने योग्य बान - I (स्त्री०) आदत
बान - II (पु०) बाण, तीर
बान - III (पु० ) 1 रंग, वर्ण 2 आभा, चमक बान-IV (पु०) जड़हन के खेत में रोपी हुई धान की जूरी बान - V (पु०) मूँज की रस्सी, बाध बान-VI (पु० ) 1 वेष 2 सजधज बानक - I ( पु० ) 1 भेस, वेष 2 सजावट 3 ढंग, तरीका बानक - II ( पु० ) संयोग बानगी - ( स्त्री०) न्यूना, सैंपुल बानर-सं० (५०) बंदर बानरी-सं० (स्त्री०) बंदरिया
बानवे - I (वि०) नब्बे से दो अधिक II (पु० ) 92 की संख्या खाना - I (स० क्रि०) 1 बजाना 2 फैलाना खाना - II ( पु० ) 1 पहनावा, पोशाक 2 वेष-विन्यास 3 युद्ध भूमि में पहनने की पोशाक (जैसे केसरिया बाना) 4 विशेष वस्तुओं का वर्ग (जैसे-बनारसी बाना) बाना-III (पु०) 1 बुनावट, बुनाई 2 बटा हुआ महीन रेशम 3 पहली जोताई
बाना - IV (पु० ) भाले जैसा एक हथियार
बानात - (स्त्री०) = बनात
बानिन - ( स्त्री०) बनिया की स्त्री
बानी - 1 (स्त्री०) 1 वचन (जैसे-मधुर बानी) 2 प्रतिज्ञा रूप में कही गई बात 3 उपदेशात्मक बात
खानी - II अ० (वि०) 1 संस्थापक 2 मूल प्रवर्तक बानू - फ़ा० ( स्त्री०) भद्र महिला, कुलांगना बानैत - I (पु० ) 1 बाना चलानेवाला व्यक्ति 2 वेष धारण
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बाप
करनेवाला व्यक्ति II (पु० ) 1 तीरंदाज़ 2 सैनिक, योद्धा बाप - (पु० ) पिता, जनक। दादा पुरखे पूर्वज का पैतृक; की चीज़ समझना अपनी मिलकीयत समझना; दादा का नाम डुबाना कुल की इज़्ज़त मिटाना; ~बखानना पूर्वजों को अपशब्द कहना, गाली देना; दादा से पीढ़ियों से बनाना 1 सम्मान करना 2 चापलूसी करना; रे, रे बाप भय सूचक उद्गार बापा - (पु० ) बाप, पिता । खैर (पु०) पुश्तैनी अदावत बापुरा - (वि०) 1 गरीब 2 बेचारा 3 तुच्छ
बापू - (पु० ) 1 बाप, पिता 2 पिता तुल्य वृद्ध पुरुष बाफ- (स्त्री०) बो० भाप
बाबत - I अ० (स्त्री०) 1 संबंध 2 विषय II ( क्रि० वि०) 1 संबंध में 2 विषय में
बाबरी - (स्त्री०) 1 सिर के लंबे बाल 2 जुल्फ़
बाबा- (पु० ) 1 पितामह, दादा 2 वृद्ध पुरुष के लिए किया जानेवाला आदरसूचक संबोधन 3 साधु-महात्माओं के लिए प्रयुक्त आदर सूचक संबोधन 4 लड़कों के लिए प्रयुक्त स्नेहसूचक शब्द
बाबिन-अं० (पु०) फिरकी
बाबी - (स्त्री०) बो० 1 साधु स्त्री, संन्यासिनी 2 लड़के एवं लड़कियों के लिए स्नेह सूचक संबोधन
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बाबुल - ( पु० ) 1 बाबू 2 पिता
बाबू - (पु० ) 1 क्लर्क 2 पिता 3 सम्मानित व्यक्ति । ~गिरी + फ़ा० (स्त्री०) क्लर्क का काम
बाबूड़ा - (पु० ) बो० बाबू के लिए उपेक्षा सूचक शब्द बाबूना - फ़ा० (पु० ) औषध के काम आनेवाला एक पौधा बाभन - ( पु० ) बो० 1 ब्राह्मण 2 भूमिहार बाम - I (स्त्री०) साँप के आकार की एक मछली
बाम - II फ़ा० (पु० ) 1 अटारी, कोठा, छत 2 साढ़े तीन हाथ का एक पैमाना, पुरसा
बायँ - I (वि०) 1 चूका हुआ 2 बायाँ II (स्त्री०) पशु आदि के मुँह से निकलनेवाला बाँ-बाँ शब्द बायकाट-अं० ( क्रि० वि०) बहिष्कार बायबिल -अं० (स्त्री०) = बाइबल बायलर-अं० (पु० ) = बैलर
बायला - बो० (वि०) वायु का विकार बढ़ानेवाला
बायस्काउट-अं० (पु०) बालचर
बायस्कोप - अं० (पु०) परदे पर चल-चित्र दिखलाने का एक प्रसिद्ध यंत्र
बायाँ - I (वि०) 1 दाहिना का उलटा, वाम (जैसे-बायाँ अंग) 2 प्रतिकूल, विरुद्ध II ( पु०) बाँये हाथ से बजाया जानेवाला तबला । बाँयें हाथ का काम बहुत आसान काम बायोलाजी-अं० (स्त्री०) प्राणिविज्ञान
बारंबार सं० ( क्रि० वि०) अनेक बार, पुनः पुनः । ता
(स्त्री०) बारंबार होने का भाव
बार - I फ़ा० (स्त्री०) दफ़ा, मर्तबा (जैसे-पहली बार ) बार - II फ़ा० (पु० ) 1 बोझ, भार 2 माल, सामान 3 फ़सल । ~गीर | (वि०) बोझ ढोनेवाला II (पु० ) 1 भारवाहक पशु, जानवर 2 घसियारा; दाना (पु० ) 1 रसद 2 बोझ रखने का पात्र आदि; ~बरदार | (वि०) बोझ ढोनेवाला II
बारीका
(पु० ) मज़दूर; ~बरदारी (स्त्री०) । सामान ढोने का काम 2 भार की ढुलाई, मज़दूरी 3 ढोने का साधन बार - III (पु० ) दरवाज़ा, द्वार
बार - IV सं० ( पु० ) बाहर (जैसे- घर बार ) बार - V अं० (पु०) वकीलों का समूह बार - VI अं० (पु० ) मदिरालय । ~ रूम शराबखाना बारगाह - फ़ा० (स्त्री०) 1 ड्योढ़ी 2 खेमा, डेरा, तंबू 3 कचहरी, राजदरबार 4 राजमहल
बारजा - ( पु० ) छतदार बरामदा
+
बारह - I (वि०) दस से दो अधिक II (पु० ) 12 की संख्या । दरी फ़ा० हिं० (स्त्री०) बारह दरवाजोंवाला कमरा; ~ मासा (पु० ) ऐसा पद्य जिसमें बारहों महीने की प्राकृतिक विशेषताओं का वर्णन हो; मासी (वि०) 1 बारहों मास होनेवाला 2 हमेशा होता रहनेवाला 3 सदाबहार (जैसे- बारहमासी जंगल); -वफ़ात अं० (स्त्री०) रवीउल - औवल की बारहवीं तिथि ~ सिंगा (पु० ) अनेक सीगोंवाल। नर जाति का हिरन; बच्चेवाली 1 बहु प्रसवा स्त्री 2 शूकरी; बाट करना 1 तितर-बितर करना 2 बर्बाद करना; ~बाट जाना 1 तितर-बितर होना 2 बर्बाद होना बारहखड़ी - (स्त्री०) बारह अक्षर और उनकी मात्राएँ बारहाँ - I (वि.) बारहवाँ II (वि०) बारह लोगों में सर्वाधिक प्रबल III (वि०) बहादुर, वीर
बारहा - फ़ा० ( क्रि० वि०) अनेक बार, प्रायः बारही- (स्त्री०) बरही
बारहों- (पु० ) 1 मृतक का बारहवाँ दिन 2 बरही बारा - (वि०) छोटी अवस्था का, अल्पवयस्क बारात - (स्त्री०) = बरात बाराती - (पु० ) - बराती
बारान - I फ़ा० ( पु० ) 1 मेह, वृष्टि 2 बरसात II ( वि० ) बरसनेवाला
=
बारानी- I फ़ा (वि०) वर्षा संबंध, बरसाती II (स्त्री०) 1 वर्षा के जल से सींची गई ज़मीन 2 वर्षा के जल से सींची गई ज़मीन से उत्पन्न फ़सल बारिक-अ० (स्त्री०) = बारक बारिश - फ़ा० (स्त्री०) 1 वर्षा 2 वर्षा ऋतु
बररिस्टर - अं० (पु० ) इंग्लैंड की वकालत की परीक्षा में उत्तीर्ण वकील
बारिस्टरी-अं० वकालत
बारी - I (स्त्री०) पारी (जैसे- बारी बाँधना )
बारी - II ( स्त्री०) 1 बड़ (जैसे चाकू की बारी )
बारी - III 1 बाग़, उपवन (जैसे-आम की बारी) 2 क्यारी
पेड़ों का बाग़ 2 घेरा 3 धार, बाढ़
3 मकान, घर
बारी - IV (स्त्री०) बाली, नवयुवती, किशोरी
बारी - V (पु० ) दोने-पत्तल आदि बनाने का काम करनेवाली एक हिंदू जाति
बारीक - फ़ा० (वि०) 1 महीन 2 पतला 3 छोटा (जैसे- बारीक अक्षर) 4 बहुत सूक्ष्म (जैसे- बारीक आटा) 5 गृढ़ (जैसे- बारीक बात) 6 जटिल
बारीका - फ़ा० (पु० ) महीन क़लम
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बारीकी
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बाला
पा
बारीकी-फा० (स्त्री०) 1सूक्ष्मता 2 गूढता 3 जटिलता पुस्तक (खी०) बालपोथी; पुस्तकालय (पु०) बाल (जैसे-तथ्य की बारीकी)
पुस्तक घर; ~पोथी हिं० (स्त्री०) बच्चों की किताब; ~प्रेम बारी-ताला-अं० (पु०) खुदावंद।
+ हिं० (पु०) बच्चों का स्नेह, शिशु स्नेह; बच्चे + हिं० बारूद-फा० (स्त्री०) गंधक, शोरे, कोयले आदि का मिश्रण (पु०) संतान; बच्चेदार हिं० + फ़ा० (वि०) संतानवाला; (जैसे-बारूद का गोला)। ल्खाना (पु०) बारूद तैयार बुद्धि I (वि०) 1 बच्चों के समान बुद्धिवाला करने की जगह; ~गोला + हिं० (पु०) अस्त्र शस्त्र, सारा 2 अल्पबुद्धिवाला II (स्त्री०) 1 नासमझी 2 बालोचित बुद्धि; तोपखाना
बोध (वि०) बालकों की समझ में आनेवाला, आसान, बारूदी-फ़ा० (वि०) बारूद संबंधी (जैसे-बारूदी सुरंग) सरल, ~भाव (पु०) बचपन; ~भोग (पु०) प्रातःकाल बारे-I फा० (क्रि० वि०) 1 आखिरकार, अंततः 2 अस्तु, खैर का जलपान; ~भोज्य I (वि०) बालकों के लिए उपयुक्त बारे-II फ़ा० (क्रि० वि०) लेकिन
II (पु०) चना; ~मित्र (पु०) बच्चों का दोस्त; ~मूलक बारोठा-(पु०) = बरोठा
(पु०) छोटी एवं कच्ची मूली, रखा + हिं० बो० (पु०) बार्डर-अं० (पु०) 1 किनारा, छोर 2 धोती के किनारे की पट्टी 1 खेतों में बना ऊँचा चबूतरा 2 खेत के फ़सल की रखवाली 3 सीमा, हद
करने की मज़दूरी; ~रॉड + हिं० (स्त्री०) = बाल-विधवा; बाह-सं० (वि०) मोर संबंधी
--राज + हिं० (पु०) वैदूर्यमणि; ~रोग (पु०) बच्चों को बाल-I (पु०) जीव-जंतुओं के शरीर में त्वचा में से निकले होनेवाला रोग; ~लीला (स्त्री०) बाल क्रीड़ा; बध सूक्ष्म तंतु, केश (जैसे-सिर के बाल, मूंछ के बाल)। (पु०) बालघात; बाड़ी + हिं (स्त्री०) = बालोद्यान; ~कटवाई (स्त्री०) 1 बाल कटवाना 2 कटवाने का -विधवा (स्त्री०) बचपन में ही विधवा हो जानेवाली; पारिश्रमिक; सफ़ा + अ० (वि०) बालों को उड़ा देनेवाला -विधु (पु०) शुक्ल पक्ष की द्वितीया का चंद्रमा; विनोद
उगना बाल जमना; ~की खाल खींचना, निकालना + हिं० (पु०) बच्चों का मनोरंजनः विवाह (पु०) बहुत छानबीन करना; खिचड़ी होना सफ़ेद बाल अधिक बाल्यावस्था में होनेवाली शादी; विहार (पु०) - बालगृह; होना; ~धूप में पकाना अनुभव से कोरा होना; बराबर व्यजन (पु०) ●वर; ~व्याधि (स्त्री०) . बालरोग, 1 बहुत बारीक 2 ज़रा सा रत्ती भर; बाँका न होना 1 ज़रा -शिक्षक (पु०) बालकों को पढ़ानेवाला, अध्यापक; भी कष्ट न होना 2 कुछ भी हानि न होना; बाल 1 पूरा -शुश्रूषा (स्त्री०) बच्चों की सेवा; सदन (पु०) - 2 सिर से पैर तक; बाल गजमोती पिरोना खूब सजना बालगृह; ~सहचर (पु०) = बाल-मित्र; ~साहित्य (पु०) सँवरना; -बाल बचना साफ़-साफ़ बचना
बालकों के मनोरंजन हेतु लिखी गई पुस्तकें; ~सुलभ (वि०) बाल-II (स्त्री०) कुछ अनाज के पौधों के डंठल का अगला बालोचित (जैसे-बाल सुलभ चंचलता): ~सूर्य (पु०) भाग (जैसे-गेहूँ की बाल पकना)। दार फ़ा० (वि०) प्रातःकाल का उगता सूर्य; ~सेवा (स्त्री०) बच्चों की सेवा; बाल से युक्त ( जैसे-बालदार. फ़सलदार फ़सल)
हठ (पु०) बच्चे की ज़िद्द; हत्या (स्त्री०) - बालघात; बाल-III फ़ा० (पु०) दरार चटक। (पु०) ~आना दरार हत्यारा + हिं० (वि०) बालवध करनेवाला; ~हित
(पु०) बच्चों की भलाई; हितकारी (वि०) बच्चों की बाल-IV सं० (पु०) 1 बच्चा, बालक (जैसे-बाल गोपाल) भलाई करनेवाला 2 सोलह वर्ष से कम उम्र का बालक 3 पशु का बच्चा बाल-VI अंक (पु०) गेंद 4 नेत्रवाला, सुगंधवाला । (वि०) 1 नासमझ 2 नवोदित बाल-VII अं० (पु०) यूरोपीय ढंग का नाच (जैसे-बाल इंद, बाल रवि) 3 बाढ़ को न पहँचा हआ। बालक-सं० (पु०) = बाल। बुद्धि (वि०) = बाल बुद्धि; -कक्ष (पु०) बालकों की कक्षा, कमरा; कमानी वृद्ध हिं० (पु०) बच्चे बूढ़े सब (स्त्री०) घड़ी का अत्यंत छोटा स्प्रिंग; ~कल्याण संस्था बालकनी-अं० (स्त्री०) बारजा (स्त्री०) बच्चों के भले के लिए बनाई गई संस्था; ~काल बाल-कमानी-हिं० + फ़ां० (स्त्री०) घड़ी के बैलेंस में लगाई (पु०) शैशव काल; ~केलि, ~क्रीड़ा (स्त्री०) बच्चों का जानेवाली कमानी खेल; ~गृह (पु०) शिशु मंदिर; ~गोपाल (पु०) बालकी-सं० (स्त्री०) कन्या, लड़की 1 बाल-बच्चे 2 बालकृष्ण; ~गोविंद (पु०) बालक कृष्ण; बालकोनी-अं० (स्त्री०) दे० बालकनी ~यात हिं० (पु०) शिशु हत्या; चंद्र (पु०) दूज का बालकोपयोगी-सं० (वि०) बालकोचित चंद्रमा; चपलता (स्त्री०) बच्चों जैसा चंचल स्वभाव बालटी-पु० (स्त्री०) पानी आदि लाने का डोल जैसा पात्र
चर (पु०) बाय स्काऊट; ~भवन (पु०) शिशु मंदिर; बालटू-अं० + हिं० (पु०) पेचदार छल्ला चर्या (स्त्री०) = बाल शुश्रूषा; छड़ हिं० (स्त्री०) | बालना-(स० क्रि०) जलाना जटामासी; छतरी - हिं० (स्त्री) 1 चुटिया 2 कबूतरों की बालपेन-अं० (पु०) नली में भरी गाढ़ी स्याहीवाली कलम छतरी; तंत्र (पु०) धात्रीकर्म; तोड़ हिं० बाल टूटने से बालम-(पु०) 1प्रेमी 2 पति होनेवाला फोड़ा; दिन, दिवस (पु०) बच्चों के बालधि-(स्त्री०) पूछ, दुम कल्याणार्थ मनाया जानेवाला एक पर्व; ~पक्षाघात (पु०) बाला-I (पु०) 1 कान में पहनने का छल्ला बच्चों को होनेवाला पक्षाघात; ~पन हिं० (पु०) बचपन; बाला-II (पु०) गेहूँ, जौ की फ़सल में लगनेवाला एक कीड़ा पुत्रक (पु०) अल्पवयस्क पुत्र; ~पुष्पी (स्त्री०) जूही; | बाला-III (वि०) 1कमसिन 2 बालस्वभाव, भोला
पड़ना
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बाला
3 निश्चल, निष्कपट । भोला (वि०) सीधासादा, सरल बाला - IV फ़ा० (वि०) 1 सबसे ऊपर (जैसे-बदमाशों का बोलबाला) 2 सबसे बढ़िया, श्रेष्ठ
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बाला-V सं० (स्त्री०) 1 बारह वर्ष से सत्रह वर्ष तक की उम्र वाली लड़की 2 जवान स्त्री, युवती 3 औरत, स्त्री 4 लड़की, बच्ची 5 कन्या, पुत्री 6 सुगंधवाला। नशीन (वि०) सबसे बड़ा
फ्रा०
बालाई - I फ़ा० (वि०) 1 ऊपर का, ऊपरी 2 ऊपरी (जैसे - बालाई आमदनी) II (स्त्री०) मलाई बालार्क -सं० (पु०) बालरवि, प्रातः कालीन सूर्य बालावस्था-सं० (स्त्री०) बचपन, बालपन बालि-सं० (पु० ) किष्किंधा का एक प्रसिद्ध राजा बालिका-सं० (स्त्री०) कन्या, लड़की बालिग़ - अ०
(वि०) वयस्क, जवान (जैसे- बालिग़
मताधिकार)
बालिश - I फा० (पु० ) तकिया, सिरहाना
बालिश - II सं० ( पु० ) 1 शिशु 2 मूर्ख व्यक्ति !II (वि०) अबोध, नासमझ
बालिश्त - फ़ा० (पु० ) बित्ता
बाली - 1 (स्त्री०) स्त्रियों का कान में पहनने का एक आभूषण बाली - II ( स्त्री०) अनाजों के डंठल का ऊपरी भाग बालिश्य-सं० (पु० ) 1 बाल्यावस्था 2 बचपना 3 बच्चों जैसी बेवकूफ़ी बालुका-सं० (स्त्री०) बालू रेत । ~ यंत्र (पु०) दवा फूँकने का एक यंत्र स्वेद (पु०) बालू से सेंकने पर होनेवाला
पसीना
बालू - (पु० ) रेत । ~ काग़ज़ फ़ा० (पु० ) सरेस काग़ज़; बुर्द • फ़ार 1 (वि०) बालू में दबा हुआ II ( पु०) बालू मिश्रित भूमि शाही (स्त्री०) मैदे की बनी एक प्रसिद्ध मिठाई
बालेंदु सं० (पु०) द्वितीया का चाँद बालोचित -सं० (वि०) बच्चे के लिए उचित (जैसे-बालोचित
ज्ञान)
बालोद्यान -सं० (पु०) बाल वाटिका बालोपचार -सं० (पु० ) बच्चों की चिकित्सा बालोपयोगी -सं० (वि०) बालकोपयोगी बाल्टी-पु० (स्त्री०) बालटी बाल्य - 1 सं० (वि०) 1 बालक का 2 बचपन का (जैसे - बाल्यकाल) 3 बालकों का सा (जैसे- बाल्य-स्वभाव) II (पु०) 1 बाल का भाव 2 लड़कपन। ~काल (पु० ) - बाल-काल; बंधु (पु० ) = बाल-मित्र; ~ विवाह (पु० ) बाल-विवाह, संखा + हिं० (५०) बाल-मित्र बाल्यावस्था-सं० (स्त्री०) लड़कपन, बचपन बाव - ( पु० ) 1 हवा, पवन 2 बाई 3 पाद। गोला, (पु० ) तिल्ली का दर्द
सूल
बावजूद - फ़ा० अ० ( क्रि० वि०) 1 यद्यपि 2 इतना होने पर भी बावड़ी - (स्त्री०) बावली, जलाशय बावन - I (वि०) पचास से दो अधिक II (पु० ) 52 की संख्या
=
C
बाहम
बावना-फ्रा० (वि०) वफादार बावरचिन-फ्रा० + तु० + हिं० (स्त्री०) रसोइया बावरचिनी - (स्त्री०) बावरची की स्त्री बावरची-फ़ा० + तु० (पु०) खाना पकानेवाला, रसोइया । खाना फ़ा० (पु०) रसोई, पाकशाला
बावरा - (वि०) 1 पागल 2 वातरोग उत्पन्न करनेवाला बावरी - ( स्त्री०) जलाशय, बावली बावला - (वि०) पागल, विक्षिप्त । पन (पु० ) पागलपन, झक
बावली - (स्त्री०) 1 सोपानयुक्त छोटा तालाब 2 पगली बाशिंदा - I फ़ा० (पु० ) निवासी II (वि०) रहनेवाला बासंतिक सं० (वि०) 1 बसंतऋतु-संबंधी 2 बसंत ऋतु में होनेवाला
बास - I सं० (पु० ) 1 निवास 2 वास स्थान 3 वस्त्र, कपड़ा बास - II सं० (स्त्री०) 1 गंध, महक (जैसे- फूल की बास) 2 बहुत थोड़ा अंश
बास - III सं० (पु० ) दिन
बासकसज्जा-सं० (स्त्री०) सजधज करके नायक से मिलने वाली नायिका
बासन - (पु०) बरतन
बासठ - I (वि०) साठ से दो अधिक II (पु० ) 62 की संख्या बासना - I (स्त्री०) = वासना
बासना - II ( स्त्री०) 1 गंध, महक 2 हल्की गंध बासना - III (स० क्रि०) सुगंधित करना बासर - (पु० ) 1 दिन, 2 प्रातः काल, सवेरा बाससी - (पु० ) कपड़ा, वस्त्र बासा - ( पु० ) भोजनालय
बासित - [सं० (वि०) कपड़े से ढका हुआ II (वि०) सुगंधित बासी - I (वि०) 1 एक या कई दिन पहले का बना हुआ
(जैसे- बासी रोटी ) 2 कई या एक दिन पहले पेड़ से तोड़ा गया (जैसे- बासी फल) 3 कुछ समय तक यों ही पड़ा रहनेवाला (जैसे- बासी पानी, बासी मुँह) 4 सूखा हुआ (जैसे- बासी फूल ) । ~ ऊसी (स्त्री०) देर का बचा हुआ भोजन; ~तिबासी (वि०) कई दिनों का; ईद ईद का दूसरा दिन; ~कढ़ी में उबाल आना 1 बुढ़ापे में जवानी का जोश आना 2 समय बीत जाने पर कुछ करने की इच्छा होना 3 अशक्त का सशक्त सा आचरण करना; बचे न कुत्ता खाय गुंजाइश न रहना, कुछ भी न शेष रहना; भात में खुदा का साझा कठिनाई से प्राप्त वस्तु में अचानक बँटवारा होना बासी - II सं० (वि०) निवासी
बासुकी - I (स्त्री०) सुगंधित पुष्पमाला बासुकी - II सं० (पु०) वासुकि नाग
बास्केटबाल - अं० (पु० ) टोकरेदार जाल में गेंद डालने का एक खेल
बाहड़ी - (स्त्री०) ममाला एवं कुम्हड़ौरी डाल कर पकाई गई खिचड़ी
बाहना - I (स० क्रि०) 1 वहन करना 2 ढोकर ले जाना 3 फेंकना 4 हाँकना 5 धारण करना 6 स्वीकार करना II (अ० क्रि०) इधर-उधर घूमना, भटकना बाहम-फ़ा० ( क्रि० वि०) आपस में, परस्पर
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बाहमी
बाहमी-फ़ा० (वि०) आपस का, आपसी बाहर - ( क्रि० वि०) 1 सीमा के पार (जैसे-मकान के बाहर, चहारदीवारी के बाहर ) 2 अलग 3 दूर (जैसे-बाहर जाकर बैठो)। भीतर ( क्रि० वि०) बाहर और अंदर (जैसे- बाहर-भीतर आना-जाना); ~वाला (वि०) बाहर (जैसे- बाहरवाला मकान )
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बाहरला बो० (वि०) बाहरवाला
बाहरी - (वि०) 1 बाहर की ओर का 2 पराया और भिन्न (जैसे- बाहरी आदमी) 3 दिखाऊ (जैसे- बाहरी ठाट-बाट) अलग एवं भिन्न (जैसे- बाहरी सभ्यता, बाहरी काव्य एक दर्शन)
बाहाँ बाँही - (स्त्री०) बाहुयुद्ध बाहाँ-जोरी- ( क्रि० वि०) हाथ से हाथ मिलाकर बाहा - I बो० ( पु० ) रस्सी बाहा - II बो० (पु० ) 1 नहर 2 कोल्हू का छेद बाहिज - I ( क्रि० वि० ) ऊपर से II (वि०) बाहरी, बाह्य बाहु-सं० (स्त्री०) भुजा, बाँह । पाश (पु० ) भुज पाश; - प्रलंब (वि०) लंबी बाँहवाला, आजानुबाहु बंधन (पु० ) = बाहुपाश; ~बल (पु० ) 1 भुजबल 2 पराक्रम, वीरता; मूल (पु०) कंधे और बाँह का जोड़; युद्ध (पु० ) कुश्ती ; ~ विस्फोट (पु० ) ताल ठोंकना; ~ व्यायाम (पु० ) दंड, कसरत
बाहुरूप्य-सं० (पु०) बहुरूपता
बाहुल्य-सं० ( पु० ) अधिकता, ज्यादती, बहुतायत बाहुश्रुत्य -सं० (पु०) बहुश्रुत होने का भाव
बाह्य-सं० (वि०) 1 बाहरी 2 गैर, बेगाना 3 बहिर्गत, बहिष्कृत 4 ऊपरी, दिखाऊ । जगत् (पु०) दृश्य जगत्; नाम (पु०) पता, ठिकाना; नामिक (वि०) पतावाला; टी (स्त्री०) नाटक का परदा, यवनिका वासी I ( वि० ) बस्ती के बाहर रहनेवाला II ( पु० ) चांडाल बाह्यतः सं० ( क्रि० वि०) बाहर से, बाहरी तौर पर बाह्यांघल सं० (५०) बस्ती के बाहर की ज़गह बाह्यांतर - I सं० (वि०) बाहर और अंदर दोनों का II ( क्रि० वि०) बाहर और अंदर दोनों ओर
बायरण, बाह्यचार-सं० (पु०) ढकोसला बायडंबर-सं० (पु०) बाहर का दिखावा, बाहरी ढोंग बाहयधाम - सं० (५०) धनुस्तंभ रोग, धनुषटंकार बाह्यवरण-सं० (पु०) बाहरी खोल
बाह्यद्रिय सं० (स्त्री०) आँख, नाक, कान, त्वचा एवं जीभ ये पाँच इंद्रिय
बिंग बो० (पु० )
व्यंग्य
बिंजन बो० (पु० ) = व्यंजन
बिंद-बो० (पु०) 1 बूँद 2 भ्रूमध्य 3 बिंदी
बिंदा - (पु० ) 1 बड़ी बिंदी 2 बिंदी के आकार बिंदिया - (स्त्री०) बिंदी
बिंदी (स्त्री०) 1 माथे पर लगाया जानेवाला गोल टीका 2 सुन्ना, सिफर 3 टिकुली
बिंदु-सं० (पु०) 1 बूँद (जैसे- जल-बिंदु, हिम-बिंदु) 2 पदार्थ का बहुत सूक्ष्म कण 3 सिफर, शून्य 4 अत्यंत सूक्ष्म गोलाकार निशान 5 जया० ग० गोलाकार वह सूक्ष्म अंकन जो अविभाज्य
=
बिखेरना
हो (जैसे-बिंदु की परिभाषा ) 6 अनुस्वार सूचक बिंदी 7 दंत क्षत 8 भौंहों एवं ललाट के मध्य का भाग। ~चित्र (पु० ) एक तरह का चित्तीदार हिरन, फल ( पु० ) मोती; रेखा (स्त्री०) बिंदुओं के योग से बनी रेखा; खासर (पु० ) स्त्री के गर्भाधान का दिन
बिंदुकित-सं० (वि०) बिंदु लगा हुआ
बिंधना - (अ० क्रि०) 1 बींधा जाना, छेदा जाना 2 उलझना, फँसा
बिधिया - ( पु० ) मोती में छेद करनेवाला कारीगर बिंब - सं० (पु० ) 1 पारदर्शक पदार्थ में दिखाई देनेवाली आकृति की झलक 2 परछाँही 3 प्रतिमूर्ति 4 गोलाकार चिह्न, मंडल, 5 झलक 6 साहि० शब्द लक्षणा, व्यंजना शक्ति से निकलनेवाला अर्थ (जैसे-बिंब-प्रधान काव्य ) । ग्रहण (पु० ) भाषा विज्ञान या मनोविज्ञान की एक मानसिक प्रक्रिया; प्रतिबिंब भाव (पु० ) प्रतिबिंब रूप में जान पड़ने की
अवस्था
बिंबक - सं० (५०) चंद्रमा और सूर्य का मंडल बिंबा, बिंबाधर - सं० (पु०) बिंबाफल के समान लाल होंठ बिंबित - सं० (वि०) प्रतिबिंब पड़ा हुआ
बिंबु - सं० ( पु० ) सुपारी का पेड़
बिकना - (अ० क्रि०) 1 मूल्य देकर दिया जाना, बिक्री होना 2 दास होना
बिकवाना - (स० क्रि०) बेचने का काम कराना
बिकवाल-बो० (पु०) बेचनेवाला, बिक्रेता विकसना - (अ० क्रि०) 1 विकसित होना, खिलना 2 अत्यधिक प्रसन्न होना
बिकसाना- (स० क्रि०) विकसित करना
बिकाऊ - (वि०) बिक्री के योग्य
=
बिकाना-I बो० (अ० क्रि०) = बिकना II (स० क्रि० ) बिकवाना
बिकारी - I (स्त्री०) मन, सेर, रुपए आदि के चिह्न, टेढ़ी पाई II (वि०) 1 विकारयुक्त, विकृत 2 विकार उत्पन्न करनेवाला विक्रमाजीत - (पु० ) = विक्रमादित्य
विक्रय - (पु० ) = विक्रय । ~ भंडार ( पु० ) = विक्रय भंडार बिक्री - (स्त्री०) 1 बिकने का भाव 2 बेचने का भाव 3 वस्तुओं
बिकने पर प्राप्त धन । ~एजेंट + अं० (पु०) बेचनेवाला दलाल; कर + सं० ( पु० ) वस्तुओं की बिक्री पर लगनेवाला राजकीय कर, सेल्स टैक्स पत्र + सं० (पु० ) क्रय पत्र; प्रतिनिधि + सं० ( पु० )
=
बिक्री एजेंट; + सं० (वि०)
=
+
~ भंडार (पु० ) = विक्रय भंडार; योग्य बिकाऊ; ~ व्यवस्था सं० (स्त्री०) बेचने का प्रबंध; संगठन + सं० (५०) बेचने के लिए बनाया वर्ग बिकू - (वि०) = बिकाऊ बिख - (पु०) विष, ज़हर बिखरना - (अ० क्रि०) (जैसे- परिवार-बिखरना) बिखराना - (स० क्रि० ) = बिखेरना
1 फैल जाना 2 दूर-दूर होना
बिखराव - ( पु० ) 1 बिखरे होने की अवस्था 2 आपस की फूट बिखेरना - (स० क्रि०) 1 फेंकना (जैसे-बीज बिखेरना) 2 फैलाकर रखना (जैसे-पुस्तकें बिखेरना)
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बिगड़ना
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बिता
बिगाइना-(अ० क्रि०) 1 ख़राब होना (जैसे-दूध बिगड़ना) बिछिया-(स्त्री०) पाँव की उँगलियों का एक गहना
2 काम योग्य न रहना (जैसे-मशीन बिगड़ना) 3 दुर्गति को बिछुड़न-बो० (स्त्री०) 1 जुदाई 2 वियोग प्राप्त होना (जैसे-शासन व्यवस्था बिगड़ना) 4 सुगमतापूर्वक | बिछुड़ना-(अ0 क्रि०) = बिछड़ना निर्वाह न होता (जैसे-आपस का व्यवहार बिगड़ना) 5 दोष बिछुवा-(पु०) 1 पाँव का एक गहना 2 एक तरह की छुरी, उत्पन्न होना (जैसे-चरित्र बिगड़ना, आदत बिगड़ना) 6 नाराज़
__ कटार होना (जैसे-अध्यापक का बिगड़ना)
बिछोड़ा-(पु०) बिछुड़न, वियोग बिगहा-बो० (पु०) - बीघा
बिछोह-(पु०) 1 अलग होना 2 वियोग बिगाइ-(पु०) 1 विकार, 2 खराबी, दोष 3 आपस का द्वेष | बिछोही-(वि०) 1 अलग हुआ 2 वियुक्त 4 नुकसान
बिछौना-(पु०) बिस्तर बिगाड़ना-(स० क्रि०) 1खराब करना (जैसे-मशीन | बिजना-(पु०) पंखा बिगाड़ना) 2 विकार पैदा करना 3 कुमार्ग पर लगाना,पथभ्रष्ट बिज़नेस-अं० (पु०) व्यापार। ~मैन (पु०) व्यापार
करना (जैसे-लड़के को बिगाड़ना) 4 दुर्गत करना करनेवाला, व्यापारी बिगाना-फ़ा० बो० (वि०) बेगाना
बिजली-(स्त्री०) 1 विद्युत 2 तड़ित 3 रासायनिक शक्ति से बिगुल-अं० (पु०) तुरही
प्राप्त शक्ति विशेष। ~इंजीनियर + अं० (पु०) विद्यत बिगोना-(स० क्रि०) 1 बिगाड़ना 2 दुरुपयोग करना 3 छिपाना, अभियंता; घर (पु०) वह स्थान जहाँ से विद्युत
चुराना 4 तंग करना 5 बहकाना 6 धोखा देना 7 बिताना कल-कारखानों, घरों आदि जगह पहँचाई जाती है; -चालित विधन-बो० (पु०) = विघ्न
+ सं० (वि०) बिजली से चलनेवाला; ~धारिता + सं० विचकना-(अ० क्रि०) चिढ़ना
(स्त्री०) विद्युत-क्षमता; -प्रणाली + सं० (स्त्री०) - बिचकाना-(स० क्रि०) चिढ़ाना
बिजली व्यवस्था; बत्ती (स्त्री०) बल्ब ~बल + सं० = विचलना-I (अ० क्रि०) 1 विचलित होना 2 हतोत्साह होना बिजली शक्ति; मिस्त्री + पु० (पु०) - बिजलीसाज़;
3 अलग होना II (अ० क्रि०) 1बिछलना 2 बिछड़ना ~व्यवस्था + सं० (स्त्री०) बिजली का प्रबंध; ~शक्ति + 3मचलना
सं० (स्त्री०) = विद्युत शक्ति; साज़ + फ़ा० (पु०) विचला-(वि०) 1 बीच का 2 मध्यम श्रेणी का
बिजली मिस्त्री; ~स्टेशन + अं० (पु०) = बिजलीघर विचलाना-(स० क्रि०) 1 विचलित करना, डिगाना 2 बहकाना
बिजहन-(पु०) निर्जीव बीज, अनुपजाऊ बीज 3 तितर-बितर करना
बिजाई-(स्त्री०) बोआई विचवई-I (पु०) बीच-बचाव करनेवाला, मध्यस्थ बिजाती-(वि०) 1 दूसरी जाति का 2 जाति से बहिष्कृत II (स्त्री०) मध्यस्थता
बिजायठ-(पु०) बाजूबंद बिचवान-(पु०), बिचवानी (स्त्री०) मध्यस्थ। ~गुट बिजूका, बिजूखा-बो० (पु०) 1 पुतला 2 धोखा, छल (पु०) मध्यस्थों का दल
बिजोरा-I (पु०) एक तरह का नींबू II (वि०) बीज से उत्पन्न बिचाली-(स्त्री०) घोड़े के स्थान में बिछाई जानेवाली घास | होनेवाला विचेत-बो० (वि०) बेहोश, अचेत
बिजोरा-III बो० फ़ा० + हिं० (वि०) कमज़ोर विचौला-(वि०) = बिचला
बिजौरा-(पु०) = बिजोरा I बिचौलिया, बिचौली-(पु०) 1 मध्यस्थ 2 दलाल बिजौरी-(स्त्री०) बड़ी कुम्हड़ौरी बिच्छी-(स्त्री०) मादा बिच्छू
बिजू-(पु०) बिल्ली की तरह का एक जंगली जानवर, बीज बिच्छू-(पु०) एक छोटा एवं ज़हरीला जंतु (जैसे-बिच्छू का | बिझरा-बो० (पु०) मटर, गेहू चना, जौ का मिश्रण
बिटक-सं० (पु०) फोड़ा बिच्छेप-बो० (पु०) - विक्षेप
बिटारना-(स० क्रि०) 1 घुघोलना 2 घंघोलकर गंदा करना बिछड़ना-(अ० क्रि०) 1अलग होना, जुदा होना | बिटिया-(स्त्री०) बेटी
(जैसे-परिवार से बिछड़ना) 2 वियोग होना (जैसे-प्रेमिका से। बिटुआ-(पु०) बेटा बिछड़ना)
बिट्ठल-(पु०) विष्णु बिछना-(अ० क्रि०) फैलाया जाना
बिठलाना, बिठाना-(स० क्रि०) बैठाना विछलन-(स्त्री०) फिसलन
बिड-(पु०) मल, विष्ठा बिछलना-(अ० क्रि०) फिसलना
बिड़ई-(स्त्री०) गेंडुरी, इँडुरी बिछलाना-(अ० क्रि०) फिसल पड़ना
बिडाल, बिडाल-सं० (पु०) बिल्ली, बिलाव। ~वृत्तिक विछलाहट-(स्त्री०) फिसलाहट
(वि०) लोभी, कपटी बिछवाना-(स० क्रि०) बिछाने का काम कराना बिडालक-सं० (पु.) 1 आँख का गोलक, नेत्र-पिंड 2 नर बिछाई-(स्त्री०) 1बिछाने का काम 2 बिछाने की मज़दूरी बिडाल, बिल्ला बिछाना-(स० क्रि०) लाना (जैसे-खटिया पर चाटर। बिताना-(स० क्रि०) व्यतीत करना बिछाना) 2 मारकर किस
बित्ता-(पृ०) हाथ के अंगठे एवं कनिष्ठिका के सिरों के बीच की. बिछावन-(पु०) बिझना
अधिकतम दूरी, बालिश्त
डंक)
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बित्ती
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बिल
वित्ती-I (स्त्री०) आय आदि से धर्म-कार्य हेत् निकाला गया | बिपता-बो० (स्त्री०) विपत्ति, मुसीबत धन
बिफरना-(अ० क्रि०) 1 नाराज़ होना 2 हठ करना 3 अभिमान बित्ती-II (स्त्री०) लड़कों का एक दौड़ का खेल
में फूलना 4 लड़ने को तैयार होना बिथकना-(अ० क्रि०) 1 थकना 2 चकित होना 3 मोहित होना | बिमौरा-(पु०) बाँबी बिथरना-(अ० क्रि०) बो० 1 छितराना 2 अलग-अलग होना बियत-सं० (पु०) 1 आकाश 2 एकांत स्थान 3 नष्ट-भ्रष्ट होना
बियर-अं० (स्त्री०) जौ के रस को सड़ाकर बनाया गया शीतल बिथारना-(स० क्रि०) 1 बिखेरना 2 बोना
पेय बिथुरना-(अ० क्रि०) = बिथरना
बियाज-बो० (पु०) ब्याज, सूद बिदकना- (अ० क्रि०) 1 भड़कना 2 फटना 3 घायल होना बियाजू-बो० (वि०) 1 सूद संबंधी 2 ब्याज पर दिया जानेवाला बिदकाना-(स० क्रि०) 1 भड़काना 2 फाड़ना 3 घायल करना बियाड़-(पु०) वह खेत जिसके पौधे उखाड़ कर अन्य खेतों में। बिदर-I (पु०) विदर्भ देश II (पु०) 1 ताँबे एवं जस्ते के मेल | रोपे जाने को हों ।
से बनी उपधातु 2 इस धातु से बना बर्तन। ~साज़ + फ़ा० बियाना- ब्याना, पशुओं का बच्चा देना (पु०) बिदर का काम करनेवाला
बियाबान-फ़ा० (पु०) जंगल, वन बिदरी-(स्त्री०) बिदर के बर्तन बनाने का काम
बियाबानी-फ़ा० (वि०) 1 जंगल संबंधी 2 जंगली बिदा-अ० (स्त्री०) 1 रवानगी, रुखसत 2 गौना (जैसे-लड़की बियालू-बो० (स्त्री०) = ब्यालू विदा हो गई)। ~ई - हिं० (स्त्री०) 1 रुखसती 2 विदा के | बियावर-(वि०)/(स्त्री०) शीघ्र ही बच्चा देनेवाली समय दिया जानेवाला रुपया आदि
__ (जैसे-बियावर गाय) बिदारना-(स० क्रि०) बो० 1 फाड़ना, विदीर्ण करना 2 नष्ट | बिरंग-(वि०) 1 अनेक रंगवाला 2 बिना रंग का करना
बिरंज-I फ़ा० (पु०) 1 चावल 2 भात बिदारी कंद-सं० (पु०) बिलाई कंद
बिरंज-II फ़ा० (पु०) पीतल बिदेस-(पु०) परदेस, विदेश
बिरंजारी-फा० + हिं० (पु०) गल्ले का व्यापारी बिदेसी-(वि०) = विदेशी
बिरंजी-I फ़ा० (स्त्री०) छोटी कील II (वि०) पीतल का बिदोरना-(स० क्रि०) बो० दीनतापूर्वक दाँत खोलकर दिखाना बिरगिड-अं० (पु०) = ब्रिगेड विध-I (स्त्री०) 1 तरह, प्रकार 2 जमा एवं खर्च की मदों को बिरजिस-अं० (पु०) शिकारी पतलून मिलाना
बिरता-(पु०) बूता, सामर्थ्य बिध-II (पु०) हाथी का चारा
बिरतिया-(पु०) वैवाहिक संबंध स्थिर करने एवं सामाजिक बिधना-I (पु०) ब्रह्मा, विधाता
तथा आर्थिक स्थिति की जानकारी हेतु किसी पक्ष से दूसरे पक्ष विधना-II (अ० क्रि०) = बिंधना
की ओर भेजा गया व्यक्ति बिन-(क्रि० वि०) बगैर, बिना। -ब्याहा (वि०) जिसका | बिरदैत-I (वि०) प्रसिद्ध, मशहर II (पु०) यशस्वी योद्धा विवाह न हुआ हो
बिरव, बिरवा-(पु०) 1 पौधा 2 पेड़, वृक्ष बिनकार-(पु०) जुलाहा, बुनकर
बिरवाही-(स्त्री०) पौधों का समूह बिनत-(वि०) नम्र, झुका हुआ
बिरहा-(पु०) दो पंक्तियोंवाला भोजपुरी एक प्रसिद्ध लोकछंद बिनती-(स्त्री०) प्रार्थना, अर्ज
बिरही-(वि०) = विरही बिनन-[ (स्त्री०) चुनना, बिनना 2 कूड़ा-कर्कट II बुनावट, बिराजना-(अ० क्रि०) 1 बैठना 2 शोभित होना 3 स्थित होना
बिराजमान-(वि०) = विराजमान बिनना-1 (स० क्रि०) छाँटना, चुनना II बुनना (जैसे-खटिया | बिरादर-फ़ा० (पु०) भाई, भ्राता। ~ज़ादा (पु०) भतीजा; बिनना)
ज़ादी (स्त्री०) भतीजी बिनवट-(स्त्री०) 1 बुनावट 2 बनेठी भाँजने की क्रिया बिरादरी-फ़ा० (स्त्री०) 1 भाई चारा, बंधुत्व 2 जाति (जैसे-हिंदु बिनवाना-I (स० क्रि०) चुनवाना (जैसे-फूल बिनवाना) बिरादरी) IIबुनवाना (जैसे-खटिया बिनवाना)
बिराना-I (स० क्रि०) बो० चिढ़ाना बिना-I (क्रि० वि०) 1 बगैर 2 अतिरिक्त, सिवा 3 न रहने की | बिराना-II (वि०) = बेगाना, पराया दशा में
बिरियाँ-I (स्त्री०) समय, वक्त, बेला बिना-II अ० (स्त्री०) 1 नींव, बुनियाद 2 कारण, सबब बिरियाँ-II (स्त्री०) 1 बार, दफा 2 पारी, बारी बिनाई-II (स्त्री०) 1 चुनने का काम 2 चुनने, बिनने का बिरिया-बो० (स्त्री०) छोटी कटोरी के आकार का कान का एक पारिश्रमिक II - बुनाई
गहना, ढार बिनावट-बो० (स्त्री०) = बुनावट
बिरोजा-(पु०) गंधा बिरोजा बिनौरिया-बो० (स्त्री०) खरीफ़ के खेतों में पैदा होनेवाली एक बिल-I सं० (पु०) दांवाल, ज़मीन में बना लंबा छेद तरह की घास
(जैसे-चूहे का बिल) बिनौरी-(स्त्री०) बिनौले के छोटे टुकड़े
बिल-II अं० (पु०) प्राप्यक (जैसे-बिल चुकाना, बिल अदा बिनौला- कपास का बीज
करना)
बुनाई
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बिलकुल
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बिस्तर
बिलकुल-अ० (क्रि० वि०) 1 सब, कुल, सारा (जैसे-उनका | बिल्ला-I (पु०) बिल्ली का नर II संस्था आदि की सदस्यता
हिसाब बिलकुल साफ़ हो गया) 2 निरा, निपट (जैसे-वह । सूचक पट्टी, बैज बिलकुल बेवकूफ है) 3 तनिक भी, कुछ भी
बिल्लाना-(अ० क्रि०) विलाप करना बिलखना-(अ० क्रि०) 1 विलाप करना, रोना 2 दःख की बिल्ली-(स्त्री०) चीते आदि की जाति का एक मांसाहारी पालत चर्चा करना
जंतु। ~लोटन (स्त्री०) बिल्ली को मस्त करनेवाली एक बिलखाना-I (स० क्रि०) बो० संतप्त करना II (अ० क्रि०) तरह की बूटी बिलखना
बिल्लूर-(पु०) = बिल्लौर, स्फटिक बिलग-I (वि०) पृथक्, अलग II (पु०) 1 अलगाव, बिल्लौर-(पु०) शीशे जैसा सफ़ेद पारदर्शक पत्थर पार्थक्य 2 परायापन
बिल्लौरी-(वि०) 1 बिल्लौर का बना हआ 2 बिल्लौर की सी बिलगाना-I (अ० क्रि०) अलग होना, दूर होना चमकवाला
II (स० क्रि०) 1 अलग करना 2 चुनना, छाँटना बिल्व-(पु०) बेल का वृक्ष और फल बिलगाव-(पु०) अलगाव, पार्थक्य
बिवाई-(स्त्री०) पाँव के तलुए का चमड़ा फटने का एक रोग बिलटना-I (अ० क्रि०) बो० 1 विपरीत होना 2 तहस-नहस | बिशप-अं० (पु०) मसीही धर्म का आचार्य
होना, विनष्ट होना 3 विफल होना II (स० क्रि०) बिलटाना बिस-(पु०) विष, ज़हर। खपरा (पु०) गोह की जाति का बिलटी-अ० (स्त्री०) रेल की पार्सल रसीद
एक विषैला सरीसृप जंतुबिलनी-(स्त्री०) 1 आँख पर होनेवाली फुसी 2 मिट्टी की बाँबी | बिसटी-बो० (स्त्री०) बेगार बनानेवाली काली भौरी
| बिसनी-I (वि०) किसी काम का शौकीन, व्यसनी II (पु०) बिलपना-(अ० क्रि०) = बिलखना
1 छैला 2 दुर्व्यसनी बिलबिलाना-(अ० क्रि०) 1 रोना-चिल्लाना 2 प्रलाप करना बिसमिल-अ० (वि०) 1 घायल 2 आशिक 3 कीड़ों का रेंगना, कुलबुलाना
बिसमिल्ला-अ० (क्रि० वि०) = बिस्मिल्ला बिलल्ला-(वि०) निरा मूर्ख
बिसरना-I (अ० क्रि०) भूलना II (स० क्रि०) भुला देना बिलल्लापन-(पु०) मूर्खता, बेवकूफ़ी
बिसराना-(स० क्रि०) भुला देना, विस्मृत करना बिलवाना-(स० क्रि०) 1 खो देना, खोवाना 2 नष्ट करना बिसवार-(पु०) नाई का हज़ामत का सामान रखने का छोटा बिलसना-I (स० क्रि०) उपयोग में लाना, भोग करना | बक्सा, किसबत
(जैसे-सुख बिलसना) II (अ० क्रि०) बहत शोभा देना | बिसहर-(पु०) साँप, सर्प बिलहरा-(पु०) बाँस की पतली तिलियों का बना हुआ छोटा बिसहरू-बो० (पु०) ग्राहक डिब्बा
बिसात-अ० (स्त्री०) 1 फैलाव 2 फैलाई जानेवाली वस्तु बिला-अ० (क्रि० वि०) बिना, बगैर
3 सामर्थ्य, औकात 4 पूँजी, संपत्ति। खाना + फ़ा० बिलाई-(स्त्री०) 1बिल्ली 2 सिटकनी 3 बिलैया। ~कंद | (पु०) बिसाती की दुकान; -बाना + हिं० (पु०) बिसाती (पु०) बिदारी कंद
की दुकान पर मिलनेवाला सामान बिलाना-(अ० क्रि०) 1 खो जाना 2 नष्ट होना 3 छिपना, बिसाती-अ० + हिं० (पु०) 1 फुटकर सामान बेचनेवाला लुकना
2 सामान फैलाकर बेचनेवाला बिलार-(स्त्री०) बिल्ली
बिसाना-I (अ० क्रि०) बो० वश चलना II (अ० क्रि०) बिलाव-(पु०) बिलार, बिडाल
ज़हरीला होना III (स० क्रि०) ज़हरीला करना, विषयुक्त बिलियर्ड-अं० (पु०) लंबी छड़ी एवं गोली से मेज़ पर खेला करना जानेवाला खेल, अंटा
बिसायँध-(वि०) मांस की सी गंधवाला बिलिया-(स्त्री०) गाय, बैल आदि पशुओं के गले की एक | बिसारना-(स० क्रि०) भुलाना बीमारी
बिसारा-(वि०) ज़हरीला बिलिश-(पु०) 1 मछली फँसाने का काँटा 2 इस काँटे में | बिसासी-(वि०) 1 विश्वासघाती 2 कपटी लगाया जानेवाला चारा
बिसाह-(पु०) बिसाहने का काम बिलैया-(स्त्री०) 1 बिल्ली 2 काठ की सिटकनी 3 कएँ में गिरा | बिसाहना-I (स० क्रि०) खरीदना II (पु०) सौदा
बर्तन आदि निकालने का काँटा 4 कद्दुकश। ~भगत (पु०) बिसाहनी-(स्त्री०) 1 व्यापार 2 सौदा-सामान कपटी, छली
बिसुनी-I (स्त्री०) अमर बेल II (वि०) बिसनी बिलोड़ना-(स० क्रि०) बो० बिलोना
बिसरना-I (अ० क्रि०) 1सोच करना, खेद करना बिलोना-[ (स० क्रि०) 1 घंघोलना 2 मथना 3 गिराना, बहाना ___ 2 चुपके-चुपके रोना II (पु०) चिंता, फ़िक्र
4 अस्त-व्यस्त करना II (वि०) बिना नमक का, अलोना बिसेसर-बो० (पु०) विश्वेश्वर बिलौर-(पु०) बिल्लौर
बिसैला-1 (वि०) विषैला II (पु०) उँगली पर होनेवाला एक बिल्कुल-अ० (वि०) = बिलकुल
तरह का ज़हरीला घाव बिल्टी-अं० (स्त्री०) = बिलटी
बिस्तर-फा० (पु०) बिछावन, बिछौना; बंद (पु०) कैनवस बिल्डिंग-अं० (पु०) भवन, इमारत
__ आदि का बना होलडाल
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बिस्तरा
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बिस्तरा-फा० + हिं० (पु०) बिस्तर
पड़ना 1 बिचवई करना 2 ज़िम्मेदार बनना; ~रखना 1 भेद बिस्तारना-(स० क्रि०) बो० 1 फैलाना 2 विस्तार पूर्वक वर्णन करना 2 छिपाना करना
बीच-III (स्त्री०) = वीचि, लहर बिस्तुइया-(स्त्री०) छिपकली
बीचों-बीच-(क्रि० वि०) बिलकुल बीच में बिस्वाँसी-(स्त्री०) बिसवा का बीसवाँ भाग
बीछी-बो० (स्त्री०) बिच्छ्र बिस्वा-(पु०) एक बीघे का बीसवाँ भाग (जैसे-चार बिस्वा | बीज-सं० (पु०) 1 बोने के लिए कोई दाना (जैसे-फल का ज़मीन)
बीज, अत्र का बीज) 2 वीर्य, शुक्र 3 मूल कारण 4 कथा वस्तु बिहँसना-(अ० क्रि०) बो० 1 मुस्कराना 2 हँसना 3 प्रसन्न होना । का मूल 5 अज्ञात राशि का सूचक अक्षर (जैसे-बीजगणित)। बिहँसाना-I (स० क्रि०) बो० हँसाना II (अ० क्रि०) केंद्र (पु०) 1 वह मध्यभाग जिसके चारों ओर वस्तुएँ बाद 1 मुस्कराना 2 खिलना
में इकट्ठी हों 2 वह मध्यभाग जिसमें बीज रहता है; ~कोश, बिहरना-I (अ० क्रि०) 1 विचरना 2 विहार करना
~कोष (पु०) वनस्पति का वह अंश जिसके अंदर उसके बिहरना-II (अ० क्रि०) फटना
बीज बंद हों; -क्रिया (स्त्री०) बीजगणित की क्रिया; बिहरी-बो० (स्त्री०) बेहरी
~खाद + हिं० (पु०) किसानों को बीज-खाद हेतु दी बिहाग-(पु०) ओड़व संपूर्ण जाति का राग
जानेवाली रकम; ~गणित (पु०) गणित का एक भेद जिसमें बिहागड़ा-(पु०) संगीत में बिहाग राग का एक भेद संख्या की जगह अक्षरों का प्रयोग करते हैं; दर्शक (पु०) बिहान-(पु०) 1 सबेरा 2 आगामी कल
नाटकों के अभिनय की व्यवस्था करनेवाला व्यक्ति, परिदर्शक; बिहाने-(क्रि० वि०) 1 सवेरे 2 कल
-द्रव्य (पु०) पदार्थ का मूल तत्त्व; ~धान्य (पु०) बिहारना-(अ० क्रि०) बो० विहार करना
धनियाँ पुरुष (पु०) कुल आदि का पुरुष; ~पूर (पु०) बिहारी-I (पु०) बिहार राज्य का निवासी II (स्त्री०) बिहार | बिजौरा; ~पेशिका (स्त्री०) अंडकोश; ~भाषा (स्त्री०)
की बोली III (वि०) 1 बिहार का 2 बिहार में होनेवाला 1 कूट भाषा 2 मूल भाषा; ~मंत्र (पु०) 1 देवता के लिए बिहिश्त-फ़ा० (पु०) स्वर्ग, बैकुंठ
निश्चित मंत्र 2 मूल मंत्र, गुर; रेचन (पु०) जमालगोटा; बिहिश्ती-I फा० (वि०) स्वर्गीय II (पु०) स्वर्ग का वासी ~लेख (पु०) कूट लेख; ~वपन (पु०) 1 बीज बोना बिहिश्ती-III बो० (पु०) = भिश्ती
2 खेत; ~शोधन (पु०) बीजों की सफ़ाई बिही-1 फा० (स्त्री०) 1 अमरूद 2 नाशपाती की शक्ल का बीजक-सं० (पु०) 1बिजौरा नींबू 2 बीज, दाना 3 संत, एक फल एवं इसका पेड़ II (स्त्री०) भलाई। दाना महात्मा के प्रामाणिक पदों का संग्रह (जैसे-कबीर का बीजक) (पु०) बिही नामक फल का बीज।
___4 सूची 5 भेजे जानेवाले माल की सूची बीड-(पु०) एक के ऊपर एक रखे गए रुपयों का ढेर बीजत्व-सं० (पु०) 'बीज' होने की अवस्था, बीजपन बीडा-(पु०) 1 पयाल का बना गोल आसन 2 गेंडुरी 3 गोल बीजना-(स० क्रि०) 1 बीज बोना 2 काम आदि का बीजारोपण पिंड, लुंडा बीड़िया-बो० (पु०) गाड़ी में जुते तीन बैलों में से सबसे | बीजांक-सं० (पु०) = बीज-भाषा आगेवाला बैल
बीजांकुर-सं० (पु०) बीज से निकलनेवाला अंकुर। न्याय बीडी-(स्त्री०) 1 एक तरह की रस्सी 2 गेंडुरी
(पु०) बीज से अंकुर और अंकुर से बीज की उत्पत्ति का बींधना-I (स० क्रि०) छेदना, बेधना II (अ० क्रि०) अनादि प्रवाह 1आबद्ध होना 2 उलझा रहना
बीजांड-सं० (पु०) 1 भ्रूण का आरंभिक रूप 2 बीज का बी-फा० (स्त्री०) बीबी
आरंभिक रूप बीकर-अं० (पु०) कीपनली
बीजाक्षर-सं० (पु०) मंत्र का पहला अक्षर बीग-बो० (पु०) भेड़िया
बीजाणु-सं० (पु०) वीर्यकण बीगना-(स० क्रि०) 1 छितराना 2 फेंकना
बीजारोपण-सं० (पु०) 1 बीज बोना 2 काम करना बीघा-(पु०) एक एकड़ का 3/5वाँ भाग
बीजावस्था-सं० (स्त्री०) मूलावस्था बीच-I (पु०) 1 केंद्रीय अंश (जैसे-दो मकानों के बीच एक | बीजी-I सं० + हिं० (वि०) 1 बीजों से युक्त 2 बीज संबंधी कुआँ है) 2 जगह, स्थान 3 अंतर, फ़र्क 4 मध्यस्थता ___II (स्त्री०) 1 गिरी 2 गुठली (जैसे-विरोधियों के बीच में अच्छा नहीं है) 5 दूरी, अवकाश बीजोदक-सं० (पु०) ओला 6 मौक़ा, अवसर (बीच में टपक पड़ना, बोल पड़ना) बीज्य-सं० (वि०) 1 अच्छे बीज से उत्पन्न 2 कुलीन II (क्रि० वि०) अंदर, दरमियान, में। बचाव (पु०) = | बीझना-I (अ० क्रि०) बझना, फँसना बीच बिचाव; बिचाव (पु०) मध्यस्थता, बिचवई; बीझना-II (स० क्रि०) फँसाना
वाला (वि०) मध्यस्थ, बिचुआ; ~करना बिचवई बीट-(स्त्री०) 1 पक्षियों का गुह, विष्ठा 2 मल, गुह 3 तुच्छ वस्तु करना; ~खेत खुल्लमखुल्ला, डंके की चोट; ~पड़ना फ़र्क | बीटा-किरणें-अं0 + सं० (स्त्री०) एटम के एक कण से उत्पन्न होना; पारना भेद, बिलगाव करना; बीच में | धारा थोड़ी-थोड़ी देर पर; ~में कूदना दखल देना, टाँग अड़ाना; | बीड़-(स्त्री०) एक पर एक रखे हुए सिक्कों का थाक ~में डालना मध्यस्थ बनाना; ~में देना साक्षी बनाना; ~में | बीडा-(पु०) 1 गिलौरी (जैसे-पान का बीड़ा) 2 म्यान के मुंह
करना
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बीडिया 598
बुगदा के पास बंधी डोरी। -उठाना काम की ज़िम्मेदारी लेना; | बील-II (पु०) पानी इकट्ठा होने की नीचे की जमीन देना भार सौंपना, ज़िम्मेदारी सौपना
बीवर-अं० (पु०) ऊदबिलाव बीडिया-(वि०) बीड़ा उठानेवाला, अगुआ
बीवी-फा० (स्त्री०) बीबी, पत्नी बीड़ी-(स्त्री०) 1 पत्ती लपेटकर बनाई हुई सिगरेट जैसी वस्तु बीस-I (वि०) दस का दूना, उन्नीस से एक अधिक II (पु०) 2 छोटा बीड़ा 3 तंबाकू 4 मिस्सी
___20 की संख्या बीतना-(अ० क्रि०) 1 घटना, कम होना (जैसे-समय बीतना, | बीस-III (वि०) तुलना में बढ़कर, अच्छा (जैसे-वीरता में दिन बीतना) 2 फल भोग सहन किया जाना (जैसे-उस गरीब | वह तुमसे बीस है) पर क्या बीतेगी) 3 समाप्त होना, अंत होना
बीसना-(स० क्रि०) शतरंज आदि के खेल में बिसात बिछाना, बीती-(स्त्री०) 1 घटित घटना 2 वृत्तांत (जैसे-अपनी बीती फैलाना सुनाना)
बीसी-(स्त्री०) 1 एक प्रकार की बीस वस्तुओं का समूह 2 मि बीदर-(पु०) = बिदर
की एक नाप 3 पूरे बीघे के हिसाब से लगनेवाला लगान बीदरी-(वि०) = बिदरी
बीहड़-(वि०) 1ऊबड़ खाबड़, विषम (जै-बीहड़-भूमि) बीधा-(पु०) मालगुजारी निश्चित करना
2 बहुत विकट (जैसे-बीहड़ काम) . बीन-I (स्त्री०) 1 वीणा 2 तूमड़ी 3 तूमड़ी से निकलनेवाला | बुंदकी-(स्त्री०) 1 छोटी गोल बिंदी 2 छोटा गोल निशान शब्द 4 बाँसुरी II (वि०) देखनेवाला (जैसे-तमाशबीन)। | 3 छोटा बुंदा। दार + फा० (वि०) बँदकीवाला कार + फ़ा० (पु०) वीणावादक
बुंदा-(पु०) 1 कान में पहनने का एक गहना, लोलक 2 बड़ी बीनना-(स० क्रि०) 1चुनना (जैसे-फूल बीनना) 2 बुनना | टिकली के आकार का गोदना (जैसे-खटोला बीनना)
मुंदिया-(स्त्री०) एक प्रकार की मिठाई बीफै-(पु०) वृहस्पतिवार
बंदी-(स्त्री०) छोटा बंदा। दार + फ़ा० (वि०) बिंदिया बीभत्स-I सं० (वि०) घृण्य, गंदा II (पु०) रस जिसमें घणा | लगी हुई जाग्रत हो
बंदेलखंडी-1 (वि०) बुंदेलखंड का II (पु०) बुंदेलखंड का बीभत्सा-सं० (स्त्री०) घृणा
निवासी III (स्त्री०) बुंदेलखंड की बोली बीबी-फ़ा० (स्त्री०) 1 पत्नी 2 महिला 3 स्त्रियों का आदर | बुंदेला-(पु०) 1 बुंदेलखंड में रहनेवाले एक तरह के राजपूत सूचक शब्द
2 बुंदेलखंड के निवासी बीम-1 फ़ा० (पु०) डर, भय
बुंदेली-(स्त्री०) बुंदेलखंड की बोली बीम-II अं० (पु०) मस्तूल, शहतीर
बुआ-(स्त्री०) = बूआ बीमा-फा० (पु०) 1 ज़मानत 2 ठेका 3 ज़िम्मेदारी, इंश्योरेंस | बुआई-(स्त्री०) = बोआई (जैसे-जीवन बीमा)। ~एजेंट + अं० (पु०) बीमा कंपनी बुक-अं० (स्त्री०) किताब। डिपो (पु०) किताबघर; का दलाल, ~कंपनी + अं० (स्त्री०) जीवन बीमा पोस्ट (पु०) पुस्तक डाक; सेलर (पु०) पुस्तक करनेवाली संस्था; ~कर्ता + सं० (पु०) बीमा करनेवाला; विक्रेता; ~स्टाल (पु०) किताब की छोटी दुकान; स्टोर
क़िस्त + अ० (स्त्री०) बीमा की धनराशि का एक अंश; (पु०) पुस्तक भंडार -कत + सं० (वि०) बीमा किया गया; दार (पु०)। बुकचा-फा० (पु०) कपड़े की गठरी बीमा करानेवाला, पालिसी होल्डर; ~पत्र + सं० (पु०) = बुकची-फा० (स्त्री०) 1 छोटा बुक़चा 2 दर्जी की सूई, धागा बीमा पालिसी; ~पत्रक + सं० (पु०) बीमा करनेवाली आदि रखने की थैली संस्था एवं बीमा करानेवाले व्यक्ति के बीच हए समझौते का बुकटा-(पु०) बकोट लिखित पत्र; पालिसी + अं० (स्त्री०) बीमा करने का | बुकनी-(स्त्री०) महीन पीसा हुआ चूर्ण इकरारनामा; ~शुदा (वि०) बीमावाला
बुकवा-बो० (पु०) 1 उबटन 2 बुक्का बीमार-I फा० (पु०) मरीज II (वि०) रोगी। खाना बुकस-(पु०) भंगी, मेहतर (पु०) रोगीघर, रुग्णालय; दार (वि०) रोगी की सेवा बुकार-बो० (पु०) बरसात के बाद नदी के तट पर जमा हई करनेवाला; ~दारी (स्त्री०) रोगी की सेवा
बालू, भाट बीमारी-फा० (स्त्री०) 1 रोग, मर्ज 2 लत, दुर्व्यसन 3 झंझट बुक्का -(पु०) 1 पीसा हुआ चूर्ण 2 अबरक का चूर्ण बीया-[ (पु०) बीज II (वि०) दूसरा
बुखार-अ० (पु०) 1 ज्वर (जैसे-बुखार आना) 2 दिल का बीर-I सं० (वि०) बहादुर, वीर II (पु०) वीर पुरुष | गुबार, भड़ास बीर-III (स्त्री०) 1 स्त्रियों में प्रचलित सखी का संबोधन | बुखारी-1 अ० + फा० (स्त्री०) 1 बखार 2 दीवार में बनाई गई 2 बिरिया नामक कान का गहना
अँगीठी बीर-IV (स्त्री०) = 1 चारागाह 2 चराने का कर बुखारी-II फा० (वि०) बुखारा का रहनेवाला बीर-V अं० (स्त्री०) = बियर
बुग-I (पु०) मच्छर || (स्त्री०) कपड़ा, बुक बीर-बहटी-(स्त्री०) किलनी की जाति का गहरे लाल रंग का । | बुराचा-फा० (पु०) = बुकचा एक बरसाती कीड़ा
बुगदर-बो० (पु०) = बुग बील-I (वि०) खोखला, पोला
बुग़दा-फा० (पु०) कसाई का छुरा
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बुगिअल
बुगिअल-बो० (पु०) चरी, चरागाह बुग्गी-अं० (स्त्री०) = बग्गी
बुरा -फ़ा० (पु०) बकरी, बूचड़ । ~ कसाव (पु० ) बकरकसाव, कसाई; दिल (वि०) डरपोक, भीरु; ~दिली (स्त्री०) कायरता, भीरुता, डरपोकपन बुजुर्ग - I फ़ा० (वि०) वृद्ध II ( पु० ) पूर्वज, पुरखे बुजुर्गी - फा० (स्त्री०) बड़प्पन
खुलना - (अ० क्रि०) 1 जलना बंद हो जाना (जैसे लकड़ी बुझना) 2 गर्म वस्तु का पानी में पड़कर ठंडा होना (जैसे-पानी में चूना बुझना, गर्म धातु का पानी में बुझना) 3 शांत होना (जैसे- प्यास बुझना) 4 मंद पड़ना (जैसे-दिल बुझना ) सुझाई - (स्त्री०) बुझाने का काम
सुझाना - I (स० क्रि०) 1 जलती वस्तु को ठंडा करना (जैसे- चूल्हे की लकड़ी बुझाना) 2 गुल करना (जैसे- चिराग़ बुझाना) 3 पानी में डालकर ठंडा करना (जैसे-तपा लोहा पानी में बुझाना) 4 ज़हरीला बनाना (जैसे-ज़हर में बुझाना) 5 शांत करना, मिटाना (जैसे- प्यास बुझाना )
बुझाना - II (स० क्रि०) 1 बुझने का काम कराना (जैसे- पहेली बुझाना) 2 बोध कराना, समझाना (जैसे- समझा-बुझाकर ठीक रास्ते पर लाना) 3 समझाकर संतुष्ट करना बुझारत- (स्त्री०) 2 पहेली
1 वार्षिक आय-व्यय आदि का लेखा
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लावा (पु०) बूझने की बात, प्रश्न 5- (स्त्री०) पहेली
बुक - (स्त्री०) गोता। बुड़क (स्त्री०) पानी में डूबने की
आवाज़
बुक्का - (पु० ) गोता
बुक्की - (स्त्री०)
डुबकी
दुश्बुड़ाना - (अ० क्रि०) बड़बड़ करना, बड़बड़ाना बुड़ाना - (स० क्रि०) बो० डुबाना
बुड़की
बुड्डी - (स्त्री०) बुड्डा- (वि०) बूढ़ा
बुढ़ऊ - (पु०) बुड्ढा आदमी
बुड़ाई - (स्त्री०) बुढ़ापा, वृद्धावस्था बुढ़ाना - (अ० क्रि०) बो० बूढ़ा होना
बुढ़ापन, बुढ़ापा - वृद्धावस्था, बुढ़ाई। पेंशन (स्त्री०) बुढ़ापे में दिया जानेवाला निवृत्ति वेतन; (पु०) बुढ़ापे में दिया जानेवाला अलाउंस बुढ़ाई - (स्त्री०) बूढ़ी औरत
बुझेती - (स्त्री०) बुढ़ाई
बुत - I फ़ा० (पु० ) 1 प्रतिमा, मूर्ति 2 आकृति के अनुसार बना हुआ चित्र 3 प्रेम पात्र, माशूक II (वि०) 1 मूर्ति की तरह मौन और निश्छल 2 बेहोश (जैसे- शराब के नशे में बुत है) । ~खाना (पु० ) मंदिर; ~तराश (पु०) मूर्तियाँ बनानेवाला; ~परस्त (पु० ) मूर्ति पूजक; परस्ती (स्त्री०) मूर्ति पूजा; ~ शिकन (पु० ) 1 मूर्तिभंजक 2 मूर्तिपूजा का घोर विरोधी बुताना - 1 (स० क्रि०) बुझाना II ( अ० क्रि०) बुझना बुताम-अं० (पु०) बटन
बुता - (पु० ) झाँसा, चकमा
बुक्सुद, बुदगुदा- (पु०) बुलबुला
=
अं० भत्ता
बुभुक्षा
बुदबुदाना - (अ० क्रि०) बुलबुले आना बुद्ध - I सं० (वि०) 1 जारित 2 ज्ञान संपत्र, ज्ञानी 3 पंडित II (पु०) बौद्धधर्म के प्रवर्तक सिद्धार्थ गौतम बुद्धि-सं० (स्त्री०) 1 समझ, अक्ल, मनीषा 2 अंतःकरण की निश्चयात्मक वृत्ति । गम्य, -ग्राह्य (वि०) समझ में आने योग्य; जीवी (वि०) 1 विचारशील 2 बुद्धि से जीविका चलानेवाला; जीवीवर्ग, जीवी समूह (पु०) शिक्षित लोगों का समुदाय; तत्त्व (पु० ) महत्त्व पर (वि०) बुद्धि की पहुँच से दूर; पूर्ण (वि०) अक्लवाला, पूर्वक ( क्रि० वि०) समझ से; ~बल (पु०) बुद्धि की शक्ति; ~भ्रंश (पु०) अक्ल का मारा जाना मंद (वि०) मंद बुद्धिवाला, कम समझ का मंदती (स्त्री०) बुद्धि की कमी; ~मत्ता (स्त्री०) समझदारी, अक्लमंदी: मोह (पु० ) दिमाग़ का घबड़ा जाना; रोचक (वि०) बुद्धि को पसंद करनेवाला; लाघव (५०) तुरंत समझ जाना; वाद (पु० ) 1 बुद्धि द्वारा ही समस्त ज्ञान प्राप्त होने का सिद्धांत 2 बुद्धि एवं युक्ति की दृष्टि से उचित मानी गई बात; ~वादिता (स्त्री०) बुद्धिवाद की अवस्था; ~वादी I (वि०) बुद्धिवाद संबंधी II (पु० ) बुद्धिवाद का अनुयायी; ~ विलास (पु० ) 1 कल्पना 2 मन बहलाना शाली (fao) बुद्धिमान् शैथिल्य (पु.) अक्ल का ढीला पड़ जाना; ~संगत (वि०) बुद्धि के अनुरूप हीन (वि०) निर्बुद्धि; ~ का अंधा मूर्ख, बेवकूफ़ का मारा अक्ल का दुश्मन; ठिकाने होना होश में रहना: दौड़ाना दे० अक्ल दौड़ाना; पर पत्थर पड़ना अक्ल का मारा जाना, अक्ल काम न करना; सठियाना पागल हीनता (स्त्री०)
होना; ~ हीन (वि०) मूर्ख. अज्ञानी अज्ञानता, मूर्खता
बुद्धिमान् -सं० (वि०) समझदार, अक्लमंद बुद्धिमानी-सं० + हिं० (स्त्री०)
बुद्धिमत्ता
बुद्ध - (पु० ) नासमझ व्यक्ति
बुद्धेतर -सं० (वि०) बुद्धि से भिन्न
बुध-सं० (पु० ) 1 सौर जगत् का सबसे छोटा ग्रह 2 बुद्धिमान् एवं विद्वान् व्यक्ति 3 देवता ~वार (पु० ) मंगलवार एवं गुरुवार के बीच का वार
=
बुनकर - (पु० ) कपड़ा बुननेवाला कारीगर
सुनना- (स० क्रि०) 1 धागे से कपड़ा बनाना (जैसे-दरी बुनना) 2 सलाई आदि के द्वारा वस्त्र का रूप देना ( स्वेटर बुनना) 3 तार आदि द्वारा नया रूप देना (जैसे- कुरसी बुनना) बनवाना - (स० क्रि०) बुनने का काम कराना बुनाई - (स्त्री०) 1 बुनने का काम 2 बुनने का पारिश्रमिक 3 बुनने का ढंग । मिल अं० (स्त्री०) बुनाई का
कारखाना
बुनावट - ( स्त्री०) सूतों के बुनने का प्रकार बुनियाद - फ़ा० (स्त्री०) 1 आधार, नींव 2 जड़ मूल 3 आरंभ बुनियादी -फ़ा० (वि०) 1 बुनियाद संबंधी 2 आरंभिक 3 बुनियाद रूप में होनेवाला
बुबुकना - (अ० क्रि०) ज़ोर-ज़ोर से होना बुबुकारी- (स्त्री०) ज़ोर-ज़ोर से रोने का शब्द बुभुक्षा-सं० (स्त्री०) खाने की इच्छा, भूख
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जाना
बुभुक्षित 600
बूड़ा बुभुक्षित-सं० (वि०) भूखा
बुलाह-(पु०) घोड़ा जिसकी गर्दन और पूँछ के बाल पीले हों बुभुत्सा-सं० (स्त्री०) जानने की इच्छा. आतुरता
बुलाहट-(स्त्री०) - बुलावा . बुभुत्सु-सं० (वि०) जिज्ञासु
बुलेटिन-अं० (पु०) संक्षिप्त सूचना पत्र बुभूषा-सं० (स्त्री०) यश की इच्छा
बुलौआ-बो (पु०) - बुलावा बुरकना-I (स० क्रि०) छिड़कना
बुल्ला -(पु०) बुलबुला बुरकना-II (पु०) खड़िया मिट्टी घोलकर रखने की दवात बुवाना-(स० क्रि०) बोआई कराना बुरक़ा-अ० (पु०) नकाब (जैसे-बरक़ा पहनना)। पोश. बुशर्ट, बुशशर्ट-अं० (पु०) खुले कालर और आधी आस्तीन
फ़ा० (वि०) बुरका पहननेवाली: ~बुरके में छांछड़े खाना की एक कमीज परदे में कुकर्म करना. बदचलनी करना
बुशल-अं० (पु०) आठ गैलन की माप बुरकी-(स्त्री) 1 मंत्र आदि के समय प्रयुक्त धूल. राख बुसना-(अ० क्रि०) बासी खाने में दर्गध पैदा होना 2 धूल-राख से किया गया जादू-टोना
बुहारना-(स० क्रि०) झाड़ लगाना. साफ़ करना, झाड़ना बुरदू-अं० (पु०) 1 बग़ल, पार्श्व 2 जहाज का पीछेवाला भाग | (जैसे-कमरा बुहारना) बुरा-(वि०) खराब, निकृष्ट 2 दूषित 3 अनुचित एवं | बुहारनी-(स्त्री०) झाड़ निंदनीय। -भला (वि.) अच्छ-बुराः -बुरा करना बुहारा-(पु०) ताड़ की सीकों का बना बड़ा झाड़ 1 अनुचित काम करना 2 नुकसान पहँचानाः कहना निंदा | बुहारी-(स्त्री०) झाडू. बढ़नी करना, बदनाम करना; चाहना बुराई चाहना, अनिष्ट की | बूंद-(स्त्री०) 1 तरल पदार्थ का कण, कतरा (जैसे-पानी की कामना करनाः बनना 1 बुराई लेना, दोषी बनना 2 बदनाम बूंद) 2 वीर्य.। चुराना स्त्री का गर्भवती होना होना; ~मानना 1 दुःखी होना 2 नाराज़ होना; लगना बूंदा-(पु०) बड़ी टिकली, बंदा नागवार लगना; हाल हाना । तबाह होना 2 भीषण संकट बूंदा-बाँदी-(स्त्री०) हल्की वर्षा में पड़ना 3 हालत बिगड़ना (जैसे-रोगी का बरा हाल होना): | बूंदी-(स्त्री०) 1 बुंदिया 2 वर्षा के जल की बूंद
बरे दिन का साथी संकट में साथ देनेवाला दोस्त बू-फा० (स्त्री०) 1 बदबू, दुर्गंध 2 गंध, महक बुराई-(स्त्री०) 1 बुरा होना, खराबी होना 2 खुटाई, दुष्टता | (जैसे-खुशबू)। उड़ना, फैलाना कलंक का प्रसिद्ध हो
3 निंदा. बदगोई 4 अवगुण, दोष। -भलाई (स्त्री) नेकी-बदी, अच्छा-बुरा काम
बूआ-(स्त्री०) पिता की बहन, फूफी बुरादा-अ० (पु०) । लकड़ी का चूरा 2 चूर्ण, चरा बूई-(स्त्री०) एक तरह की वनस्पति बुरुश-अं० (पु०) ब्रश
बूक-(पु०) बकोटा, चंगुल बुर्ज-अ० (पु०) 1 गड़गज 2 मीनार 3 गुंबद । तोप + फ़ा | बूकना-(स० क्रि०) 1 पीसकर चूर्ण करना 2 छाँटना, बघारना (स्त्री०) बुर्ज में लगाई गई तोप
(जैसे-अंग्रेज़ी बूकना) बुर्जवा-अं० (वि०) बुर्जुआ, अवसरवादी मध्यम वर्ग बूका-(पु०) गंगवरार बुर्जी-अ० • हिं० (स्त्री०) छोटा बुर्ज
बूचड़-अं० (पु०) कसाई। खाना + फ़ा० (पु०) बुलंद-फा० (वि.) | बह्त ऊँचा (जैसे-बुलंद दरवाज़ा) __ कसाईखाना 2 उन्नत (जैसे-सेहरा बुलंद होना)। इकबाल • अ० | बूचा-(वि०) । कनकटा 2 नंगा (वि०) भाग्यवान, सौभाग्यशाली:- हिम्मत . अ. (वि०) बूजना-(स० क्रि०) छिपाना ऊँची हिम्मतवाला
बूझ-(स्त्री०) 1 बूझने का भाव 2 समझ, बुद्धि। -बुझौवल बुलंदी-फा० (स्त्री०) 1ऊँचाई 2 उत्कर्ष
(स्त्री०) पहेली: बुझक्कड़ (वि०) अटकल से बुलक्कड़-(पु०) ज्यादा बोलनेवाला
बतानेवाला बुलडाग-अंक (पु०) मझोले आकार के डरावनी सूरतवाले बूझना-(स० क्रि०) । जानना और समझना 2 गढ़ बात जानना कुते की एक जाति
(जैसे-पहेली बृझना) बुलडोज़र-अं० (पु०) मिट्टी आदि खोदकर समतल करनेवाला बूट-I (पु०) । हरा चना 2 चने का पौधा एक यंत्र
बूट-|| अं० (पु०) मोटे तल्ले का अंग्रेज़ी जूता (जैसे-बूट बुलबुल-अ. (स्त्री) मधुर आवाज़ करनेवाली एक प्रसिद्ध पालिश) चिड़िया। बाज़ . फ़ा० (स्त्री०) बुलबुल पालने वाला: बूटा-(पु०) 1 छोटा वृक्ष पौधा 2 कपड़े आदि पर बनी हुई
बाज़ी । फा० (स्त्री०) बलबल पालने का शौक फूल-पत्ती बुलबुला-(पु०) बुल्ला, बुदबुदा
बूटी-(स्त्री०) 1 दवा में काम आनेवाली एक जंगली वनस्पति बुलवाना-(स० क्रि०) | बोलने में प्रवृत्त करना 2 बुलाने का 2 भंग 3 कपड़े पर बने बेल-बूटे 4 ताश के पत्तों पर बनी हई काम कराना
बिंदी। ~भाँग (स्त्री०) भाँग की बूटी बुलाक़-तु० (पु.) । नाक की बीचवाली हड्डी 2 नाक में पहनी बूड़ना-बो० (अ० क्रि०) 1 डूबना (जैसे-नदी में बूड़ना) जानेवाली नथ
2 लीन होना, निमग्न होना (जैसे-काम में बड़ गया) बुलाना-(स० क्रि०) 1 पुकारना 2 बोलने में प्रवृत्त करना । बूड़ा-बो० (पु०) 1 बाढ़ 2 इबाव (जैसे-नदी में हाथी तक का बुलावा-(पु०) 1 आवाहन, निमंत्रण 2 बुलाने का भाव । बूड़ा है)
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अंश
बूड़िया
601 बूड़िया-बो० (पु०) गोताखोर, डुब्बा
बे-II फा० (क्रि० वि०) बिना, बगैर (जैसे-बेकसूर, बेदारा)। बूढ़ा-I (पु०) बुड्ढा, वृद्ध II (स्त्री०) बुढ़िया, वृद्धा स्त्री | ~अकल + अ० (वि०) नासमझ, निर्बुद्धि; ~अकली + बूत, बूता-(पु०) 1 बल, पराक्रम 2 शक्ति, सामर्थ्य अ० + फ़ा० (स्त्री०) नासमझी, मूर्खता; ~अक्ल + अ० बूथ-अं० (पु०) 1 मतदान कोष्ठ 2 छोटी सी दुकान (वि०) = बेअकल, ~अदब + अ० (वि०) 1 अदब न बूथड़ी-(स्त्री०) 1 आकृति 2 चेहरा, सूरत
करनेवाला, अशिष्ट 2 गुस्ताख; ~अदबी + अ० + फ्रा० खूना-(पु०) चनार नामक वृक्ष
(स्त्री०) 1 अशिष्टता 2 गुस्ताख़ी; ~असर + अ० (वि०) बूबक-(पु०) मूर्ख व्यक्ति, नासमझ
प्रभावहीन; ~असल + अ० (वि०) 1 ग़लत 2 जाली; बूबास-फ़ा० + सं० (स्त्री०) गंध, महक
~आब (वि०) आभारहित; ~आबरू (वि०) अपमानित बू-बू-(स्त्री०) बड़ी बहन
और तिरस्कृत; ~आबी (स्त्री०) मलिनता, निस्तेजता; बूर-I बो० (स्त्री०) भग, योनि II (पु०) 1 गाय भैंस आदि ~आस + हिं० (वि०) निराश्य; ~आसरा + हिं. पशुओं का दूध बढ़ानेवाली एक तरह की घास, खोई 2 कटा (वि०) निराश्रय; ~~इंतिहा + अ० (वि०) अपार, असीम; हुआ चारा
इंसाफ + अ० (वि०) अन्यायी; इंसाफ़ी + अ० + बूरा-(पु०) 1 शक्कर 2 बढ़िया चीनी 3 महीन चूर्ण फा० (स्त्री०) अन्याय; इख्तियार + अ० (वि०) बृहत, बृहत-सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा, विशाल 2 दृढ़, पक्का 1 बेबस 2 बहुत ही; इज़्ज़त + अ० (वि०) 1 अपमानित
3 शक्तिशाली 4 घना, निविड़ 5 पर्याप्त, यथेष्ट 6 ऊँचा 2 प्रतिष्ठा रहित, ज़लील; इज़ती + अ० + फ़ा० (स्त्री०) (स्वर)। -काय (वि०) बड़े डील-डौलवाला 1 अप्रतिष्ठा 2 अपमान; ~इल्म + अ० (वि०) अपढ़, विशालकाय; ~कीर्ति (वि०) बहुत यशस्वी; तर (वि०) इल्मी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) विद्या का अभाव; 1 और अधिक बड़ा 2 अधिक विस्तार का; परिमाणीय ~ईमान + अ० (वि०) 1 अविश्वसनीय 2 बदनीयत (वि०) बहुत बड़े माप का; पाद (पु०) बरगद; 3 अधर्मी; ईमानी + अ० + फ़ा० (स्त्री०)
प्रदर्शक (पु०) किसी वस्तु को बड़ा करके दिखाने-वाला अविश्वसनीयता 2 झुठाई 3 बदनीयती; ~उसूल + अ० [ यत्र
(क्रि० वि०) बिना किसी सिद्धांत के II (वि०) सिद्धांतहीन; बृहत्तर-सं० (वि०) 1 और बड़ा 2 मूल के अतिरिक्त और भी ~एतिबार + अ० I (पु०) अविश्वास II (वि०)
अविश्वसनीय; ~एतिबारी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) बृहदंग-सं० (पु०) बड़ा अंग
अविश्वसनीयता; ~ऐब + अ० (वि०) निर्दोष; ~औलाद बृहद-सं० (वि०) = बृहत्
(वि०) निःसंतान; -क्रदर + अ० (वि०) = बेक़द्र; बृहद्धन-सं० (वि०) बहुत भारी संपत्तिवाला
-क़दरी + अ० +फा० (स्त्री०) अनादर; कद्र + अ० बृहद्वयस्-सं० (वि०) लंबी उम्रवाला
(वि०) बिना आदर का, सम्मानरहित; ~कद्री + अ० + बृहस्पति-सं० (पु०) 1 सौरमंडल का पाँचवा और सबसे बड़ा फा० (स्त्री०) बेइज्जती; ~करार + अ० (वि०) 1 बेचैन, ग्रह 2 देवताओं के गुरु। ~वार (पु०) बुधवार और शुक्रवार विकल 2 अत्यंत उत्सुक; ~करारी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) के बीच का दिन, गुरुवार, बीफै
1व्याकुलता 2 अत्यधिक उत्सुकता; ~कस (वि०) बेंग-(पु०) मेढक
1 असहाय 2 दीन, विवश; ~कसी (स्त्री०) बेंगत-बो० (पु०) फ़सल की अमानत में दिया जानेवाला उधार 1 असहायावस्था 2 दीनता, विवशता; कसूर + अ० बेंच-अं० (स्त्री०) 1 लकड़ी, लोहे आदि की लंबी कम चौड़ी (वि०) निरपराध; ~कहा + हिं० (वि०) 1न कहा हुआ
चौकी 2 जज का आसन, पद 3 संसद में सदस्यों के बैठने का 2 स्वच्छंद; ~कानूनी + अ० + फ़ा० (वि०) अवैध; स्थान
काबू (वि०) 1 विवश, लाचार 2 अनियंत्रित; ~काम + बेंजीन-अं० (पु०) एक वर्णहीन ज्वलनशील और ज़हरीला द्रव हिं० (वि०) 1निकम्मा 2 रद्दी (जैसे-बेकाम की चीज़); बेंट, बेंठ-बो० (स्त्री०) मूठ, दस्ता
कायदगी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) अनियमितता; ~कार बेंड-I (स्त्री०) भेड़ा II बो० (पु०) चाँड़, टेक
(वि०) 1 निठल्ला, निकम्मा 2 बेरोज़गार 3 निरर्थक (क्रि० बॅड़ना-(स० क्रि०) बेढ़ना ।
वि०) व्यर्थ, बेफ़ायदा; ~कारी (स्त्री०) 1 बेकार होना बेंडा-बो० (वि०) 1 तिरछा, आड़ा 2 कठिन
2 बेरोज़गारी; ~कारी वेतन + सं० (पु०) बेरोज़गारों को बेंडी-(स्त्री०) बाँस की छिछली टोकरी
दिया जानेवाला भत्ता; ~कीमत + अ० (वि०) 1 बिना बेंत-(पु०) 1 मज़बूत और लचीले डंठलवाली लता 2 बेत की कीमत का, अमूल्य; कुसूर + अ० (वि०) 1 निरपराध
छड़ी। की तरह काँपना डर से बहुत काँपना 2 निर्दोष; खटक, खटके + हिं० (क्रि० वि०) बिना बेंदली-बो० (स्त्री०) बिंदी, टिकली
संकोच के, बेधड़क; खबर + अ० (वि०) 1 असावधान, बेंदा-(पु०) 1 बड़ी टिकली 2 माथे पर का एक गहना 3 टीका, लापरवाह 2 अनजान; ~खबरी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) तिलक
1 अज्ञानता 2 लापरवाही; ~खौफ़ + अ० I (वि०) निडर बेंदी-(स्त्री०) 1 टिकली, बिंदी 2 माथे पर पहनने का एक गहना II (क्रि० वि०) बिना डरे; ~गम + अ० (वि०) निश्चिंत, बें--(पु०) भेंड़ की आवाज़
नारज़ + अ० I (वि०) बिना ग़रज़ का II (क्रि० वि०) बेवड़ा-(पु०) = ब्योड़ा
निःस्वार्थ रूप से; ~गरजी + अ० + फ़ा० 1 (स्त्री०) बेगरज़ बे-I(क्रि० वि०) अरे, अबे
होने का भाव II (वि०) = बिना ग़रज़वाला (जैसे-बेगरली
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602
सैया); लगानगी (सी०) परायापन; ~गाना (वि०) । 1 गैर, पराया 2 अनजान (जैसे-बेगाना दोस्त); ~गार बिना दाढ़ीवाला; दाना I (वि०) बिना दानों का, बिना बीज (सी०) बिना मजदूरी के बलपूर्वक करवाया जानेवाला काम; का; II पतले छिलकेवाला अनार 2 एक तरह का शहतूत;
~गुन + हिं० (वि०) 1 गुणरहित; ~गुनाह I (वि०) दाम + हिं० I (वि०) बिना कीमत का II (क्रि० वि०) निरपराध, बेकसूर II (क्रि० वि०) बिना अपराध के, बिना मूल्य दिए; -दिल (वि०) उदास, खित्र; दिली अकारण; घर, घरबार + हिं० (वि०) बिना घर का; (स्त्री०) उदासी, खित्रता; दीदा (वि०) अंधा; -दीन +
घर-दर + हिं० + फ्रा० (वि०) गृहहीन; घरा + हिं० अ० (वि०) धर्म को न माननेवाला; ~धड़क + हिं० । (वि०) = बेघर; -चैन + हिं० (वि०) व्याकुल, बेकल; (क्रि० वि०) 1 निर्भय होकर 2 बिना सोचे समझे II (वि०)
चैनी + हिं० (स्त्री०) व्याकुलता, बेकली; चोबा 1निडर 2 निद्व; ~धर्म + सं० (वि०) धर्मभ्रष्ट; ~ध्यानी (पु०) बिना खंभे का खीमा; जड़ + हिं० (वि०) निर्मूल; + सं० + हिं० (स्त्री०) असावधानी; नकाब (वि०)
जबान (वि०) 1 न बोलनेवाला, मूक 2 दीन; ज़मीन 1 नंगा 2 बेशर्म; लज़ीर + अ० (वि०) = बेमिसाल; (वि०) भूमिरहित; जला + हिं० (वि०) बिना जली हुई नमक (वि०) बेमज़ा, फीका; सीव + अ० (वि०) (जैसे-बेजला सिगरेट); जा (वि०) अनुचित (जैसे-बेजा भाग्यहीन, अभागा; नागा (क्रि० वि०) लगातार, नित्य; हरकत); ~जान (वि०) 1 निर्जीव, मृत 2 बेदम, अशक्त; नाप + हिं. बिना नाप का; नाम (वि०) गुमनाम;
जाता (वि०) अवैघ, कानून विरोधी; ~ज़ार (वि०) नामोनिशान (वि०) बेपता; -पढ़ा-लिखा + हिं० 1 अप्रसन्न 2 खित्र 3 नाराज़, विमुख; जून + हिं० (क्रि० (वि०) अनपढ़; -नियाज़ (वि.) निःस्पृह; पता + हिं० वि०) कुसमय, बेमौका; ~जोड़ + हिं० (वि.) 1 बिना (वि०) बिना ठौर-ठिकाने का; पनाह (वि०) 1 निराश्रय जोड़ का 2 लाजवाब 3 बेमेल; जोत + हिं० (वि०) बिना 2 बिना रक्षा का; ~पर (वि०) बिना पंख का; परदा जोता हुआ; झिझक + हिं० (क्रि० वि०) निःसंकोच; (वि०) 1 परदे से बाहर 2 प्रकट, खुला 3 निर्लज
टिकट + अं० (वि०) बिना टिकट का (जैसे-बेटिकट (जैसे-बेपरदा औरत); परवा (वि०) 1 बेफ़िक्र यात्री); ~ठिकाने + हिं• I (वि०) 1 अपने स्थान पर न 2 लापरवाह; परवाई (स्त्री०) 1 बेफ़िक्री 2 लापरवाई; रहनेवाला, स्थानच्युत 2 बिना ठौर-ठिकाने का 3 असंगत परवाह + हिं० (वि०) = बेपरवा; परवाही + हिं० + II (क्रि० वि०) 1 अनुपयुक्त अवसर पर, बेमौके फ्रा० (स्त्री०) = बेपरवाई;बाप + सं० (वि०) बिना पिता 2 अनुपयुक्त स्थान पर; ~ठीक + हिं० (वि०) का; पीर I +हिं (वि०) = बेरहम, निर्दय; 1 अनपयुक्त 2 अनुचित; ~ठौर, ~ठौर-ठिकाने + हिं० II (वि.) निगुरा; पेंदी + हिं० (वि०) बिना तली का (वि०) = बेठिकाने; ~डौल + हिं० (वि०) भद्दा, कुरूप; (जैसे-बेपेंदी का लोटा); ~फायदा + अ० (वि०) बिना पंगा + हिं० (वि.) 1 बुरे ढंग का 2 अव्यवस्थित 3 भद्दा; लाभ का, बेकार; फ़िक्र + अ० (वि०) निश्चता, बेपरवा;
व + हिंI (वि०) 1 निराले ढंग का 2 भद्दा, भोंडा । | -फ्रिक्री + अ + फ़ा० (स्त्री०) निश्चितता; बस + (क्रि० वि०) 1 अनुचित रूप में 2 अनुपयुक्त रूप से हिं० (वि०) विवश, लाचार; सी + हिं० (स्त्री०) 3 अनावश्यक रूप से; तकल्लुफ़ी (स्त्री०) सादगी, विवशता, लाचारी; बाक (वि०) निडर, ढीठ; बाकी सरलता; तकसीर (वि०) निर्दोष, निरपराध; तमीज़ी (स्त्री०) निडरता, धृष्टता; बुनियाद (वि०) 1 बेजड़, + अ० (वि०) = बेअदब; ~तमीज़ + अ + फ़ा० निर्मूल 2 आधार रहित; ~भाव + सं० I (क्रि० वि०) (स्त्री०) = बेअदबी; तरतीब + अ० (वि०) क्रमरहित, बेहिसाब II (वि०) बहुत अधिक, बेहद; ~मज़ा (वि०) अव्यवस्थित; तरह + अ० (क्रि० वि०) 1 विकट रूप से 1 नीरस और फीका 2 आनंद रहित 3 रंग में भंग हुआ; 2 असाधारण रूप से; ~तहाशा + अ० (क्रि० वि०) मतलब + अ० I (क्रि० वि०) निष्प्रयोजन, बेकार 1 अचानक और वेगपूर्वक 2 बिना सोचे-समझे ताज II (वि०) निरर्थक, व्यर्थ का; ~मन + हिं1 (क्रि० वि०) (वि०) बिना मुकुट का (जैसे-बेताज बादशाह); लतादाद बिना मन लगाए II (वि०) बिना मन का; ~मानी + अ० + अ० (वि०) बेशुमार, अनगित; ~ताब (वि०) 1 बिना (वि०) 1 अर्थरहित 2 बेकार, बेमतलब; मिसाल + अ० सब्र का 2 व्याकुल, विकल 3 परम उत्सुक; ताबी (स्त्री०) (वि०) अद्वितीय, अनुपम; ~मुरुव्वत + अ० (वि०) 1 बेताब होने की अवस्था 2 विकलता 3 परम उत्सुकता; 1 बेलिहाज़ 2 तोताचश्म; ~मेल + हिं० (वि०) अनमेल,
तार + हिं० (वि०) बिना तार का (जैसे-बेतार का तार, बेजोड़; ~मौक़ा + अ० I (वि०) मौके पर न होनेवाला बेतार का यंत्र); ताला + हिं० (वि०) 1 बिना ताल का II (क्रि० वि०) बिना मौके का III (पु०) उपयुक्त अवसर गाने बजानेवाला 2 ताल के अनुसार न होनेवाला; ~तुका + का अभाव; ~मौके + अ० (क्रि० वि०) असमय; हिं० (वि०) 1 बेमेल, असंगत 2 बिना अवसर का ~मौसम + अ० (वि०) बिना मौसम का; रंग (वि०) (जैसे-बेतुकी बात) 3 अनुचित बात कहनेवाला (जैसे-बेतुका निर्लज्ज, बेशर्म; ~रस + सं० (वि०) रसहीन, बेमज़ा; इंसान) 4 तुकरहित; तुकी + हिं० (स्त्री०) असंगत बात; रहम + अ० (वि०) निर्दय, निष्करुण; ~रहमी + अ०
दखल + अ० (वि०) पदच्युत, अधिकार च्युत; __ + फ़ा० (स्त्री०) निर्दयता, सख्ती; राह (वि०) 1 पथभ्रष्ट
दखली + अ० + फ़ा० (स्त्री०) अधिकार च्युत करना, 2 कुचाली; ~रुखी (स्त्री०) नाराज़गी; रेशा (वि०) पदच्युत करना; दम (वि०) 1 अत्यंत दुर्बल 2 निर्जीव, बिना रेशे का; रोक, रोकटोक + हिंI (वि०) बिना मुर्दा; दर्द (वि०) 1 निर्दय 2 ज़ालिम; ~दर्दी (स्त्री०) | रुकावट का II (क्रि० वि०) स्वच्छंद रूप में रोजगार
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+
+ अ०
(वि०) व्यवसायहीन, बेकार; ~ रोज़गारी (स्त्री०) बेकारी; ~रोब + अ० (वि०) बिना धाक का; रोबी + अ + फ़ा० (स्त्री०) 1 धाक का न होना 2 शर्मिंदगी; रौनक़ अ० (वि०) 1 बिना चहल-पहल का 2 श्रीहीन, शोभाहीन; ~लगाम (वि०) 1 बिना लगाम का 2 सरकश, मुँहजोर; लगाव + हिं० (वि०) अनासक्त; लज्जत (वि०) 1 स्वाद रहित 2 नीरस, फीका 3 आनंदहीन; लाग + हिं० (वि०) 1 रू - रिआयत न करनेवाला, खरा 2 दोटूक (बात); ~लाग-लपेट + हिं० (वि०) साफ़-साफ़ लिहाज़ + अ० (वि०) 1 बेमुरौवत 2 निर्लज्ज; - वकूफ़ (वि०) नासमझ, निर्बुद्धि वकूफ़ी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) नासमझी, मूर्खता; वजह ( क्रि० वि०) अकारण; ~वक़्त + अ० ( क्रि० वि०) असमय; वफ़ा + अ० (वि०) 1 कृतघ्न 2 धोखा देनेवाला; ~वफ्राई + अ० फ़ा० (स्त्री०) 1 कृतघ्नता 2 बेमुरौवती; शऊर + अ० (वि०) 1 फूहड़ 2 बेअक़ल; ~शक + अ० ( क्रि० वि०) निःसंदेह, ज़रूर; शरम (वि०) निर्लज्ज शरमी (स्त्री०) निर्लज्जता; ~ शुमार (वि०) 1 अगणित 2 बेहिसाब; ~ सबब अ० ( क्रि० वि०) अकारण, बेवज़ह सब + अ० (वि०) अधीर; ~सब्री + अ + फ़ा० (स्त्री०) अधीरता; समझ + हिं० (वि०) नासमझ ~समझी (स्त्री०) नासमझी, मूर्खता; सरा (वि०) आश्रयहीन सहारा + हिं० (वि०) निराश्रय;
+
हिं०
+
603
+
+
~ सामान (वि०) 1 सामानरहित 2 दरिद्र, कंगाल; ~सिर-पैर हिं० (वि०) निर्मूल; ~सिलसिले + अ ( क्रि० वि०) बिना क्रम के सुध + हिं० (वि०) 1 अचेत, बेहोश 2 आत्म विस्मृति; सुधी हिं० (स्त्री०) 1 आत्मविस्मृति 2 बेहोशी; सुर, सुरा + हिं० (वि०) बिना स्वर का, बेरोग; सोचे-समझे + हिं० (क्रि० वि०)
बिना सोच-विचार किए स्वाद + सं० (वि०) बेमज़ा; हथियार + हिंग (वि०) बिना हथियार का निहत्था; हथियारबंदी + हिं० + फ़ा० (स्त्री०) निरस्त्रीकरण; हद + अ० (वि०) 1 असीम 2 बहुत अधिक; हया + अ (वि०) बेशर्म हवाई + अ० + फ़ा० (स्त्री०) बेशर्मी हवा + अ० (वि.) निर्वात हाथ + हिं० (वि०) 1 बिना हाथ का 2 वश के बाहर का हाल + अ० (वि०) 1 दुर्दशाग्रस्त मरणासन्न 3 अचेत, बेहोश 4 परेशान, विकल; -हाली अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 व्याकुलता बेचैनी 2 बेहाल होने की स्थिति; हिसाब + अ० [ ( क्रि० वि०) अत्यधिक II (वि०) असंख्य, अगणित हुनर, हुनरा
+
हिं० (वि०) अनाड़ी, बेशऊर हुनरी (स्त्री०) बेशऊरपन हुरमत + अ० (वि०) बेइज़्ज़त, हुरमती + अ० (स्त्री०) बेइज़्ज़ती, हूदगी (स्त्री०) 1 बेहूदापन 2 अशिष्टता, असभ्यता; हृदा (वि०) 1 असंगत, बेतुका 2 अशिष्ट, भद्दा होश (वि०) अचेत होशी (स्त्री०) अचेतपन, मूर्च्छा
बेभारा-बो० (पु०) जौ और चना का मिश्रण बेकरी- अं० (स्त्री०) डबलरोटी, बिस्कुट आदि पकाने की भट्टी बेकली - (स्त्री०) बेचैनी
देख -फ़ा० (स्त्री०) जड़, नींव
बेखुद-फ्रा० (वि०) बेसुध
बेगड़ी - (पु० ) 1 हीरा तराश 2 जौहरी
बेगम - फ्रा० (स्त्री०) 1 महिला, संभ्रात स्त्री 2 बादशाह की पत्नी 3 ताश का एक पत्ता (जैसे-पान की बेगम ) बेचवाल - (पु०) सौदा बेचनेवाला बेचारा -फ़ा०
(वि०) 1 दीन और निस्सहाय, गरीब 2 साधनरहित, निरुपाय
बेचू - (पु० ) विक्रेता, बेचनेवाला
बेजू-अं०
जानवर
(पु०) डेढ़-दो हाथ लंबा एक तरह का जंगली
बेझड़ - ( पु० ) कई तरह का मिश्रित अन्न बेटा - (पु० ) पुत्र, सुत बेटी - (स्त्री०) पुत्री, सुता। ~वाला (पु०) ~ व्यवहार + सं० (पु०) विवाह संबंध; शादी करना
बेधना
कन्या का पिता; देना बेटी की
बेटे-पोते - ( पु० ) पुत्र पौत्र
बेठ- (पु० ) 1 ऊसर ज़मीन 2 ऋण के रूप में लिया गया पेशगी
धन
बेठन-(पु० ) पुस्तक आदि पर लपेटा गया कपड़ा, खोल (जैसे-पोथी का बेठन) । ~का बेठन 1 अनपढ़ 2 पढ़ा-लिखा मूर्ख
बेड- अं० (स्त्री०) बिस्तरा, बैड । ~टी (स्त्री०) बिस्तरी चाय बेड़ - (पु० ) बाड़, थाला
बेड़ना - (स० क्रि०) 1 थाला बनाना 2 मेड़ बनाना बेड़ा-I (पु० ) 1 लट्ठों, लकड़ियों को बाँधकर उसपर टट्टर बिछाकर बनाई गई नाव 2 नावों, जहाज़ों का समूह (जैसे- जहाज़ी बेड़ा) 3 नाव डूबना नाव डूबना; पार होना 1 काम पूरा होना 2 संकट कटना
बेड़ा - II ( वि०) 1 कठिन, मुश्किल (जैसे-बेड़ा काम ) 2 आड़ा, तिरछा
बेडिन - (स्त्री०) नाचने-गाने का पेशा करनेवाली स्त्री, नटिनी बेड़ी - 1 (स्त्री०) पाँव की जंज़ीर (जैसे-चोर को बेड़ी पहनाना) । ~ कटना आज़ाद होना; पड़ना 1 क़ैद होना 2 शादी कर लेना
बेड़ी - II ( स्त्री०) 1 छोटा बेड़ा 2 छोटी नाव बेढ़ - I (स्त्री०) घेरा, बाढ़
बेढ़
- II ( पु० ) 1 नाश, बर्बादी 2 अंकुरित बीज बेढ़ई - (स्त्री०) कचौड़ी
बेढ़ना - (स०
क्रि०) 1 घेरना, रूँधना 2 पशुओं को हाँकना बेढ़ा - (पु० ) 1 हाथ में पहनने का एक प्रकार का कड़ा 2 मकान की बारी
बेत - (पु०) = बेंत
बेद - फ़ा० (पु०) बेंत
बेदार - फ़ा० (वि०) 1 जागता हुआ, जागरूक चौकन्ना बेदारी-फ़ा० (स्त्री०) जागरूकता, जागरण बेध-सं० (पु० ) 1 छेद 2 मोती, मूँगे आदि में किया गया छेद 3 दे० वेध
बेधक-सं० (वि०) वेधनेवाला
बेधना - (स० क्रि०) 1 छेदना, भेदना (जैसे-मोती बेधना)
2 घाव करना
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बेधिया
604
बेघिया-I सं० (पु०) अंकुश II (वि०) बेधनेवाला बेला-I (स्त्री०) समय बेन-बो० (पु०) महुवर, वेणु
बेला-II (पु०) चमेली की जाति का एक पौधा और फूल बेनट-अं० (स्त्री०) संगीन
बेला-III अं० (स्त्री०) सारंगी की तरह का एक पाश्चात्य बेना-(पु०) बाँस के छिलके का बना पंखा
बाजा बेनिया-(स्त्री) 1 पंखी 2 किवाड़ के पल्ले के किनारे दसरे | बेला-IV (स्त्री०) दे० बेला
पल्ले को रोकने के लिए लगाई जानेवाली लकड़ी बेलाई-(स्त्री०) 1 बेलने का काम 2 बेलने की मजदूरी बेनी-(स्त्री०) 1 स्त्रियों की चोटी 2 दूसरे पल्ले को रोकने हेतु बेलिफ-अं० (पु०) अपराधी को गिरफ्तार और उसका माल
किवाड़ के एक पल्ले के किनारे लगाई जानेवाली लकड़ी कुर्क करनेवाला एक कर्मचारी बेनु-(पु०) वेणु
बेलिया-(स्त्री०) छोटी कटोरी बेपार-बो० (पु०) व्यापार
बेली-(पु०) रक्षक और सहायक बेपारी- बो० (पु०) व्यापारी
बेलून-अं० (पु०) गुब्बारा बेयरर चेक-अं० (पु०) धनीजोग चेक
बेले-अंक (पु०) नृत्यरूपक बेयरा-अं० (पु०) = बैरा
बेल्ट-अं० (पु०) पेटी बेर-I (स्त्री०) 1 बार, दफा 2 देर, विलंब
बेवहरिया-बो० (पु०) 1 महाजन 2 लिपिक, मुनीम बेर-II (पु०) एक प्रसिद्ध पेड़ तथा उसका फल बेवा-फ़ा० (स्त्री०) विधवा स्त्री, राँड बेरवा-बो० 1 कलाई पर पहनने का एक प्रकार का कड़ा बेवाई-बो० (स्त्री०) = बिवाई 2ब्योरा, विवरण
बेश-I फ़ा० (वि०) अधिक, ज्यादा (जैसे-बेशकीमती) बेरा-I बो० (स्त्री०) 1 समय, वक्त, बेला 2 प्रभात का समय, __II (क्रि० वि०) ऐसा ही सही, अच्छ III (पु०) भेस, वेष तड़का 3 दफा, बार
बेशी-फा० (स्त्री०) 1 अधिकता, ज्यादती 2 लाभ, नफा बेरा-II (पु०) 1 मिला हुआ जौ और चना 2 बेड़ा, नाव 3 पोत | बेसन-(पु०) चने का आटा समूह
बेसनी- (वि०) 1 बेसन का बना (जैसे-बेसनी लडु) 2 बेसन बेरा-III अं० (पु०) बैरा
मिश्रित (जैसे-बेसनी रोटी) बेरी- (स्त्री०) 1 सरसों और अलसी का मिश्रण 2 बेर का पेड़ | बेसर-I (स्त्री०) नाक में पहनने का एक प्रकार का गहना बेल-I (स्त्री०) 1 बिना तने का पौधा, लता (जैसे-अंगूर की बेसर-II (पु०) 1 गधा 2 खच्चर 3 एक अंत्यज जाति बेल) 2 कपड़े आदि पर रंग रेशम आदि से बनाए गए लता बेसरा-I बो० (पु०) एक प्रकार की चिड़िया की शक्ल के फूल-पत्ते (जैसे-बेलदार किनारे की साड़ी) बेसरा-II फ़ा० (वि०) आश्रयहीन 3 कपड़े पर टाँका जानेवाला फीता 4 वंश परंपरा। दार बेसवा-बो० (स्त्री०) वेश्या, रंडी +फा० (वि०) बेल-बूटेवाला
बेसा-I बो० (स्त्री०) रंडी, वेश्या II (पु०) भेस बेल-II बो० (पु०) बेला नाम का पौधा और उसका फूल बेसिक-अं० (वि०) प्रारंभिक, शुरू का (जैसे-बेसिक बेल-III +फा० (पु०) एक तरह की कुदाल। दार फावड़ा कक्षाएँ) चलानेवाला मजदूर
बेसिन-अं० (स्त्री०) 1 चिलमची 2 द्रोणीक्षेत्र, नदीपात्र बेल-IV अं० (पु०) गाँठ, बड़ी गठरी
बेहंगम-(वि०) 1 बेढंगा 2 बेढब 3 विकट बेलक-फ़ा० (स्त्री०) 1 फरसा, फावड़ा 2 डाँडा
बेह-फा० (वि०) अच्छा, भला। तर (वि०) अधिक बेलकी-(पु०) चरवाहा
अच्छा; तरी (स्त्री०) भलाई, हित बेलचा-फ़ा० (पु०) 1 छोटी कुदाल 2 लंबा खुरपा बेहड़-I (पु०) विकट स्थान II (वि०) बीहड़ बेलट-अं० (पु०) बैलेट। -पेपर (पु०) मतदान पत्र बेहन-बो० (पु०) अनाज का बीज बेलन-(एक) 1 पत्थर, लोह आदि का बना भारी गोल दंड के बेहना-बो० (पु०) 1 जुलाहों की एक उपजाति 2 धुनिया
आकार का खंड, रोलर 2 यंत्र आदि में लगा इसी आकार का बेहरा-बो० (विः) अलग, जुदा एक पुरज़ा (जैसे-मशीन का बेलन) 3 रोटी आदि बेलने का बेहरी-(स्त्री०) बो० चंदा एक उपकरण, धातु आदि का लंबा गोल दस्ता 4 कोल्हू का बैंक-अं० (पु०) 1 महाजनी कोठी 2 रुपया जमा करके ब्याज जाठ
सहित लौटाने का कारोबार करनेवाली कोठी। ऋण + सं० बेलना-I (पु०) काठ, पीतल आदि का बना हुआ एक प्रकार (पु०) बैंक से लिया गया कर्जा; ~ड्राफ्ट (पु०) बैंक की
का लंबा गोलाकार उपकरण (जैसे-चकला-बेलना) हंडी; ~दर + हिं० (स्त्री०) बैंक के कमीशन की दर; बेलना-II (स० क्रि०) चकले पर बेलने से रोटी, पूरी आदि पूँजी + हिं० (स्त्री०) बैंक का कुल धन; ~वाला + हिं० बनाना (जैसे-रोटी बेलना)
(पु०) = बैंकर; -व्यवस्था (स्त्री०) बैंक का प्रबंध बेलनाकार-हिं० + सं० (वि०) बेलन के आकारवाला बैंकिंग-अं० (स्त्री०) बैंक का कारोबार बेलनी-(स्त्री०) कपास ओटने की चरखी
बैंगन-(पु०) 1 भंटा 2 भंटा का फल (जैसे-बैंगन की बेल-बूटा-(पु०) वस्तु पर अंकित लताओं, पेड़-पौधों आदि के | कलौंजी) चित्र (जैसे-बेल-बूटा काढ़ना)
बैंगनी-(वि०) बैंगन के रंग का, बैंजनी बेलवाना-(स० क्रि०) बेलने का काम कराना
बैंच-अं० (स्त्री०) = बेंच
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बैंजनी
बैंजनी - (वि०) बैंगनी
बैंड - I
अं० ( पु० ) 1 अंग्रेज़ी बाजा बजानेवालों का जत्था 2 अंग्रेज़ी बाजा । मास्टर (पु०) बैंड का संचालक बैंड- II अं० ( पु० ) पट्टा बैंडज-अं० (पु०) पट्टी बैड़ना - (स० क्रि०) बेड़ना बै- अ० (स्त्री०) बेचना, बिक्री बैक - अं० ( पु० ) पार्श्व, नेपथ्य पीछे (जैसे-पीछे का खिलाड़ी) बैकवर्ड -अं० (पु० ) पिछड़ा बैकुंठ-सं० (पु०) = बैक्टिरिया - अं० (पु०) रोगाणु बैगन- (पु० ) बैगनी - (वि०)
वैकुंठ
= बैंगन
=
बैंगनी
मैच-अं० (पु० ) वर्ग, ग्रुप
बैजंती - (स्त्री०) 1 विजयमाल 2 झंडा, पताका बैज-अं० (पु० ) 1 कपड़े आदि का फीता जो पद का चिह्न हो, चपरास 2 बिल्ला
बैट-अं० (पु० ) बल्ला (जैसे- बैट - बाल)। बल्लेबाज़
मैन (पु० )
बैटरी - अं० (स्त्री०) रासायनिक पदार्थों के योग से विद्युत उत्पन्न करने का एक यंत्र (जैसे-बिजली की बैटरी)
बैटा-बो० (स्त्री०) रूई ओटने की चरखी, ओटनी बेटिंग-अं० (स्त्री०) बल्लेबाज़ी
बैट्समैन - अं० (पु०) बल्लेबाज़
बैठ- (पु० ) 1 राजकीय कर 2 राजकीय दर
बैठक - (स्त्री०) 1 बैठने का कमरा, चौपाल 2 बैठने का आसन 3 बैठने का ढंग 4 अधिवेशन (जैसे संसद की बैठक ) 5 बैठकी (जैसे- बैठकबाज़ी) 6 उठने-बैठने की कसरत । खाना + फ़ा० (पु०) बैठने, मिलने-जुलने का कमरा; बाज़ + फ़ा० (पु० ) अड्डेबाज़; ~बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) अड्डेबाजी
बैठका - (पु० ) बैठने, मिलने-जुलने का कमरा बैठकी-I (स्त्री०) 1 बैठने का आसन, बैठक 2 उठना-बैठना 3 जान-बूझकर चुपचाप बैठे रहना (जैसे- श्रमिकों की बैठकी) II (वि०) बैठने से संबंध रखनेवाला (जैसे- बैठकी
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हड़ताल )
बैठना - ( अ० क्रि०) 1 आसीन होना (जैसे- कुर्सी पर बैठना, सिंहासन पर बैठना ) 2 सवार होना, चढ़ना (जैसे- घोड़े पर बैठना ) 3 इजलास करना (जैसे-जज महोदय बैठ गए) 4 छोटा-बड़ा न होना, फिट आना (जैसे-मशीन में पट्टा बैठ गया) 5 अवैध संबंध स्थापित करना (जैसे-विधवा होने पर श्री देवर के घर बैठ गई) 6 यथा-स्थान आना (जैसे-टूटी हड्डी का बैठना) 7 धाराशायी होना (जैसे- भीषण वर्षा से मकान बैठना) 8 नष्ट होना (जैसे कारोबार बैठना) 9 निथर कर तल में लगना (जैसे-पानी में चूना बैठना) 10 पिचकना (जैसे- शीतला के प्रकोप से आँख बैठना, बुढ़ापे में गाल बैठना ) 11 लक्ष्य पर जा लगना (जैसे-निशाने पर गोली बैठना ) 12 चरितार्थ होना (जैसे- कहावत का ठीक बैठना) 13 अभ्यस्त होना (जैसे- तबले पर उसका हाथ ठीक बैठता
बैलट
बैठनी - (स्त्री०) कपड़ा बुनते समय जुलाहों के बैठने का स्थान,
आसन
बैठवाँ - (वि०) बैठा हुआ, चिपटा बैठवाना - (स० क्रि०) बैठाने का काम कराना बैठ- हड़ताल - ( स्त्री०) बैठे रहने का धरना
बैठाना - (स० क्रि०) 1 बैठने में प्रवृत्त करना, आसीन करना (जैसे- सिंहासन पर बैठाना) 2 नियुक्त करना (जैसे-प्रबंधक बनाकर बैठाना, पंचायत बैठाना ) 3 ससम्मान स्थान देना (जैसे- अतिथि को बैठाना) 4 यथा स्थान करना (जैसे टूटी हड्डी बैठाना, मशीन का पुरज़ा बैठाना) 5 सवारी पर आसीन करना (जैसे- जहाज़ पर बैठाना) 6 चूल्हे पर चढ़ाना (जैसे-दूध बैठाना) 7 दबाना (जैसे- अनाज के बोझ ने कमरा बैठा दिया) 8 बेकार करना, निकम्मा करना 9 उपपत्नी बनाकर घर में रखना 10 अभ्यास करना (जैसे- चित्रकारी में हाथ बैठाना) 11 लक्ष्य जमाना (जैसे- निशाना बैठाना) 12 हिसाब
करना
बैडमिंटन - अं० (पु०) चिड़िया और रैकेट का एक खेल बैत- अ० (स्त्री०) शेर या पद्य के दोनों चरण बैताल - I ( पु० ) वैताल बैताल - II (पु० ) = बेताल बैद-बो० (पु०) वैद्य
बैदई-बो० (स्त्री०) वैद्य का काम
बैन-बो० (पु० ) 1 वचन, बोल 2 रो-रोकर गुणगान करना बैनर-अं० (पु० ) प्रतीक चिह्न
बैना - (पु० ) विवाह आदि उत्सव में बाँटी जानेवाली मिठाई बैनामा -अ० + फ़ा० (पु०) विक्रय पत्र (जैसे- मकान का बैनामा) बैरंग-अं० (वि०) 1 बिना टिकट लगा (जैसे-बैरंग लिफाफा, बैरंग चिट्ठी) 2 विफल
बैर - I सं० ( पु० ) 1 शत्रुभाव, दुश्मनी 2 विरोध, बुराई । ~काढ़ना, ~लेना बदला लेना; ~ठानना शत्रुता करना; पड़ना कष्ट देना; ~ मोलना शत्रुता करना बैर - II बो० (पु० ) बेर का पेड़ और उसका फल बैरक - अं० (स्त्री०) छावनी
=
बैरक़-तु० ( पु० ) छोटा झंडा, झंडी बैरन - I (स्त्री०) महिला शत्रु बैरन - II अं० (पु० ) लार्ड
बैरा-अं० (पु०) होटल आदि में अभ्यागतों को भोजन आदि पहुँचानेवाला व्यक्ति; गीरी + फ़ा० (स्त्री०) बैरा का काम बैराग - बो० (पु० ) वैराग्य वैरागी
बैरागी - बो० (पु० ) बैरिन - ( स्त्री०) 1 शत्रुतापूर्ण व्यवहार करनेवाली स्त्री 2 सौत बैरिस्टर-अं० (पु० ) बारिस्टर बैरी - I सं० (वि० ) 1 विरोधी 2 शत्रुता रखनेवाला II (पु० )
=
दुश्मन, शत्रु
बैरोमीटर -अं० (पु०) वायुमंडल का दाब नापने का एक उपकरण (जैसे- निर्द्रव बैरोमीटर)
बैल - (पु० ) 1 गौ जाति का नर 2 मूर्ख व्यक्ति (जैसे- तुम निरा बैल हो) । गाड़ी (स्त्री०) बैल से खींचा जानेवाला छकड़ा बैलट -अं० (पु० ) बैलेट । पत्र + सं० (पु० ) मतपत्र
=
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बैलून
=
बैलून-अं० (पु० ) बेलून बैलेंस-अं० (पु० ) (स्त्री०) तुलन पत्र बैले-अं० (पु०) बेले
=
बैलेट -अं० (पु०) नृत्य रूपक बैस - I (स्त्री०) 1 उम्र, वयस 2 जवानी
बैस - II (पु० ) क्षत्रियों का एक भेद बैस - III बो० (पु०) वैश्य बैसवाड़ी - (स्त्री०) बैसवाड़ की बोली बैसा-(पु०) बेंट
बैसाख- (पु० ) जेठ और चैत के बीच पड़नेवाला महीना, वैशाख
1 रोकड़बाकी 2 संतुलन। सीट बोदर-बो० (स्त्री०) पतली छड़ी
606
बैसाखी - I (स्त्री०) वैशाख की पूर्णिमा II लँगड़े लोगों के चलने के लिए एक प्रकार का डंडा (जैसे- बैसाखी के बल चलना)
बोंक- (पु०) लोहे की मोटी कील
बोड़ा - (पु०) बारूद में आग देने का पलीता बोंडी-बो० (स्त्री०) बौड़ी
=
बोआई - (स्त्री०) 1 बोने का काम 2 बोने की मज़दूरी बोआना - (स० क्रि०) बोने का काम कराना
बोधिसत्व-सं० (पु०) बुद्धत्व प्राप्त करने का अधिकारी बोनस -अं० (स्त्री०) लाभांश
बोना - (स० क्रि०) 1 ज़मीन में डालना (जैसे-सेम का बीज बोना) 2 सूत्रपात करना
पीनेवाला
बोनी - (स्त्री०) 1 बोने का काम 2 बोने का मौसम बोबा - बो० (पु० ) 1 थन 2 चूँची, स्तन 2 माँ का दूध शिशु 3 घर-गृहस्थी का सामान, अंगड़-खंगड़ बोरका - ( पु० ) 1 मिट्टी की दवात 2 दवात बोरना - (स० क्रि०) बो० 1 डुबाना (जैसे- पानी में बोरन । 2 नष्ट करना, नाश करना (जैसे-कुल का नाम बोरना, 3 डुबाकर तर करना 4 युक्त करना बोरसी-बो० (स्त्री०) अँगीठी, गोरसी बोरा- (पु० ) टाट का बना थैला (जैसे-बोरों में अनाज भरना)। बंदी + फ़ा० (स्त्री०) 1 अनाज बोरे आदि में बंद करना 2 बोरा भरा अनाज बेचने का प्रकार बोरिंग - I अं० (स्त्री०) छिद्रण, वेधन बोरिंग - II अं० (पु०) छिद्र बोरिक - अं० (पु० ) सुहागा बोरियत -अं० + अ० (स्त्री०) ऊब बोरिया - I (स्त्री०) छोटा बोरा बोरिया - II फ़ा० (पु० ) 1 चटाई 2 बिस्तर, बिछौना । बँधना + हिं० (पु० ) घर-गृहस्थी का बहुत कम सामान; ~ बिस्तर (पु० ) घर के कुछ सामान और बिछौना आदि; ~ उठाना, बाँधना, समेटना प्रस्थान करना; ~ सम्हालना चलने की तैयारी करना
बोरी - (स्त्री०) छोटा बोरा बोर्जुआ - अं० (वि०)
बुर्जुआ
करना;
2 कमेटी II 1 लकड़ी आदि का तख्ता 2 मोटी दफ़्ती, गत्ता बोर्डिंग - स्कूल - अं० (पु० ) छात्रावासी विद्यालय बोर्डिंग हाउस-अं० (पु० ) छात्रावास
बोटी - (स्त्री०) मांस का टुकड़ा। ~करना छोटे-छोटे टुकड़े बोर्ड - I अं० (पु० ) 1 समिति (जैसे-बोर्ड की स्थापना ) फड़कना चुलबुलापन होना बोड़री-बो० (स्त्री०) तोंदी, नाभि बोड़ा - I (पु० ) लोबिया, बजरबट्टू बोड़ा-II बो० (पु०) अजगर बोड़ी - (स्त्री०) 1 बहुत छोटी रक़म 2 दमड़ी बोतल-अं० (स्त्री०) काँच का बना लंबी गर्दन का एक पात्र, शीशी (जैसे- दवा की बोतल, शराब की बोतल ) । चढ़ाना शराब पीना
बोल - I (पु० ) 1बात, वचन 2 शब्द (जैसे-गीत के बोल) 3 ताना, बोली (जैसे-बोल बोलना) 4 बाजे की ध्वनि (जैसे- बाँसुरी के बोल) । चाल (स्त्री०) 1 बातचीत, वार्तालाप 2 बातचीत करने का ढंग (जैसे-बोलचाल से तो वह शरीफ़ है); पट + सं० (पु० ) ऐसा चलचित्र जिसमें पात्रों के कथोपकथन तथा गीत आदि भी सुनाई दे सके; ~ बाला + फ़ा० (पु० ) 1 मान-प्रतिष्ठा होना (जैसे शहर में नेताजी का
+
बोतली-1 अं० हिं० (स्त्री०) छोटी बोतल II (वि०) बोतल के रंग का
बोक - बो० (पु०) बकरा
बोका - I ( पु०) 1 बकरे की खाल 2 चमड़े का ढोल II (वि०) मूर्ख
बोगदा - (पु० ) ऊँचे पहाड़ों के बीचोबीच बनाया गया रास्ता, टनेल
बोल
बोता- (पु० ) ऊँट का बच्चा जिसपर अभी सवारी न की जाती हो
बोगस -अं० (वि०) 1 नकली 2 बेकार, रद्दी 3 झूठा, जाली बोझ - (पु० ) 1 भार, वज़न 2 भारी वस्तु 3 भारी लगनेवाला काम 4 कार्यभार, ज़िम्मेदारी (जैसे-परिवार का बोझ ) 5 एक खेप में ढोई जा सकनेवाली वस्तु । ~उठाना 1 कठिन काम की ज़िम्मेदारी लेना; उतरना 1 ज़िम्मेदारी से मुक्त होना
2 जी हलका होना
बोझना - (स० क्रि०) भार रखना, लादना
बोझा - (पु०)
बोझ
बोझाई - (स्त्री०) 1 बोझ लादने का काम 2 बोझ लादने का
पारिश्रमिक
बोझिल - (वि०) 1 भारी, वज़नदार 2 विकट बोट-अं० (स्त्री०) 1 नाव, नौका 2 जहाज़ बोटा - ( पु० ) 1 कुंदा 2 खंड, टुकड़ा बोटिंग-अं० (स्त्री०) नौका-विहार
बोदा, बोद्दा- (वि०) 1 कम समझवाला 2 दब्बू 3 सुस्त बोध-सं० (पु०) 1 ज्ञान 2 जानकारी 3 तसल्ली, धीरज । गम्य (वि०) समझ में आने लायक बोधक- I सं० (वि०) 1 ज्ञान करानेवाला 2 जतानेवाला II (पु० ) श्रृंगार रस में संकेत द्वारा मनोगत भावों को दर्शाने का एक भाव
बोधन -सं० (पु० ) 1 ज्ञान कराना 2 जताना बोधव्य-सं० (वि०) ज्ञान प्राप्त करने योग्य बोधिवृक्ष-सं० (पु०) एक पीपल का पेड़ जिसके नीचे बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त किया था
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बोल
बोल-बाला है) 2 सर्वोपरि महत्त्व की बात मारना व्यंग्य करना, ताना कसना
बोल - II बो० (पु० ) एक प्रकार का कडुआ सुगंधित गोंद बोलता - I (पु० ) 1 ज्ञान करानेवाला और बोलनेवाला तत्त्व, आत्मा (जैसे-बोलते को पहचान, बोलता कहे सो मान) 2 जीवन शक्ति, प्राण 3 सार्थक बातें कहनेवाला प्राणी II (वि०) 1 बोलनेवाला (जैसे- बोलता सिनेमा) 2 वाक्पटु 3 बकवादी
बोलती - (स्त्री०) 1 वाणी 2 बोलने में पटु, जीभ (जैसे- अपनी बोलती बंद करो)। बंद होना 1 बोल न सकना 2 लज्जा के कारण बोल न निकलना; ~मारी जाना बकवाद बंद
करना
बोलना - I (अ० क्रि०) 1 उच्चारित करना (जैसे-जय जयकार बोलना ) 2 विचार प्रकट करना (जैसे-झूठ बोलना ) 3 संबंध बनाए रखना (जैसे क्षमा माँगने पर ही मैं उनसे बोलूंगा) 4 रोक-टोक करना, बाधक होना (जैसे-काम के वक़्त व्यर्थ का बोलना ) II (स० क्रि०) 1 जवाब देना 2 पुकारना 3 बुलवाना । बोल जाना 1 ख़तम हो जाना 2 जवाब देना 3 हिम्मत हार जाना; बोलि पठाना बुला भेजना बोलवाना - I क्रि०) 1 उच्चारण कराना 2 कहवाना II (स० क्रि०) बुलवाना बोलशेविक रू० (पु०) समर्थक बोलाचाली - (स्त्री०) 1 बातचीत 2 बातचीत का संबंध 'बोली- (स्त्री०) 1 बोल, वचन 2 भाषा, बोलचाल 3 नीलाम की आवाज़ 4 व्यंग्य, कटाक्ष । ठोली (स्त्री०) कटाक्ष, व्यंग्य, दार + फ़ा० (पु० ) ऐसा असामी जिसे बिना लिखा-पढ़ी किए खेत जोतने को दिया गया हो; ~ कसना आवाजें कसना, ताने देना; बोलना 1 व्यंग्य करना, फबती कसना 2 नीलाम में वस्तुओं के दाम लगाना; मारना = बोली
श्रमिक वर्ग के अधिनायक का
(स०
कसना
बोल्ट - अं० (स्त्री०) 1 सिटकनी 2 काबला बोवाई - (स्त्री०) बोआई
बोवाना - (स० क्रि०) बोने का काम कराना
=
बोसा - फ़ा० (पु०) चुम्मा, चुंबन बोह - (स्त्री०) गोता, डुबकी बोहड़-बो० (पु०) बरगद, बड़
बोहतान- अ० (पु०) झूठा अभियोग
बोहनी - (स्त्री०) पहली बिक्री
बोहरा - (पु० ) 1 व्यापार करनेवाली मुस्लिम जाति 2 रोज़गारी, व्यापारी
बोहित - (पु० ) नाव, जहाज़
बोड़ी - (स्त्री०) 1 कच्चा और छोटा फल, डोडा 2 फली, छीमी बोआना - (अ० क्रि०) 1 स्वप्नावस्था में प्रलाप करना
2 बड़बड़ाना
बोखल - (वि०) 1 बौखलाया हुआ 2 पागल, सनकी बौखलाना - (अ० क्रि०) 1 अंड बंड बकना 2 पागलों सा
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आचरण करना
बौखलाहट - (स्त्री०) 1 बदहवासी, पागलपन कांधावेश बोखा - (स्त्री०) हवा का तेज़ झोंका
ब्योंची
बौछाड़, बोछार - ( स्त्री०) 1 हवा के झोंके से वर्षा की तिरछी आती हुई बूँदों का समूह (जैसे-बौछार पड़ना) 2 भरमार बौछारी - (वि०) बौछाड़वाला बौड़म - (पु० ) पागल, सनकी बौहड़ा - (वि०) बावला, पागल बौता - ( पु० ) समुद्र में तैरता हुआ निशान बौद्ध-सं० (वि०) 1 बुद्ध संबंधी 2 बुद्ध द्वारा प्रचारित (जैसे- बौद्ध मत) 3 गौतम बुद्ध के धर्म के अनुयायी। धर्म (पु०) बुद्ध द्वारा चलाया गया धर्म; ~ भिक्षु (पु० ) बौद्ध साधुः ~मत (पु० ) बौद्ध धर्म; ~ मतावलंबी (पु० ) बौद्ध धर्म का अनुयायी; संघ (पु० ) बौद्ध धर्म के अनुयायियों का समूह, संगठन बौद्धिक - सं० (वि०) 1 बुद्धि संबंधी 2 बुद्धि के योग्य बौना - (पु० ) बहुत ही छोटे क़द का आदमी बौर - (पु० ) आम की मंजरी
=
बौरना - (अ० क्रि०) आम का फूलना
बौरा - I (वि०) 1 बावला, पागल 2 भोला-भाला, सीधा-सादा 3 गूँगा
बौरा - II अं० (पु० ) बैरा
=
बौराना - ( अ० क्रि०) 1 पागल हो जाना 2 उन्मत्त होना (जैसे- नशे में बौराना)
बौहरगत - बो० (स्त्री०) सूद पर रुपए उधार देने का व्यवसाय, सूदखोरी बौहरा - (पु० )
=
ब्याज़खोर ब्याज -सं० (पु० ) मूलधन के अतिरिक्त दिया जानेवाला धन, सूदखोर + फ़ा० ब्याज की कमाई खानेवाला; खौरी + फ़ा० (स्त्री०) ब्याज की कमाई; ~दर + हिं० (स्त्री०) सूद की दर; बट्टा + हिं० (पु० ) नफ़ा नुक़सान मुक्त (वि०) सूद से बरी
ब्याजू -सं० + हिं० (वि०) 1 ब्याज संबंधी 2 सूद पर दिया गया (रुपया)
ब्यान - I (पु०) मादा पशु का प्रसव करना II (पु० ) बयान, वर्णन
ब्याना - I (अ० क्रि०) मादा पशु में संतान का प्रसव होना II (स० क्रि०) मादा पशु का बच्चा जनना ब्यापना- (स० क्रि०) फैलना, व्याप्त होना ब्यारी- (स्त्री०)
ब्यालू ब्यालीस - (वि० / पु० ) बयालीस
ब्यालू - (पु० ) संध्या समय किया जानेवाला भोजन ब्याह - ( पु० ) विवाह, शादी कराई (स्त्री०) 1 शादी कराना 2 शादी कराने का पारिश्रमिक; ~ता I (वि०) ब्याह कर लाई गई II (पु० ) पति III (स्त्री०) पत्नी ब्याहना - (स० क्रि०) ब्याह करना (जैसे-लड़की ब्याहना) ब्यूरो- अं० ( पु० ) 1 केंद्र 2 कार्यालय व्यूरोक्रेसी-अं० (स्त्री०) 1 नौकरशाही 2 दफ़्तरशाही व्योंगा - पु० ) चमड़ा रगड़कर साफ़ करने का चमारों का लकड़ी का बना राँपी की तरह का एक औज़ार व्योंच - (स्त्री०) नस आदि का अपने स्थान से हट जाना, मोच ब्योंचरा - (अ० क्रि०) मोच आना ब्योंची- (स्त्री०) उलटी, कै
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ब्योंत
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ब्राह्म
ब्योंत-(स्त्री०) 1 कपड़े की काँट-छाँट (जैसे-कतर-ब्योंत) | ब्रह्ममीमांसा, वेदांत; ~वादी I (वि०) ब्रह्मवाद से संबद्ध
2 तरीका, विधि 3 उपाय, युक्ति 4 तैयारी, इंतजाम, प्रबंध II (पु०) ब्रह्मवाद का अनुयायी; विज्ञान (पु०) अध्यात्म ब्योंतना-(स० क्रि०) 1 नाप से कपड़ा काटना 2 मारना-पीटना ज्ञान; -विद् (वि०) 1 ब्रह्म को जानने-समझनेवाला 2 वेदों ब्योंताना-(स० क्रि०) नाप के अनुसार कपड़ा कटवाना का ज्ञाता; -विद्या (स्त्री०) उपनिषद् विद्या; ~वेद (पु०) ब्योरना-(स० क्रि०) 1 ब्योरेवार बात बतलाना 2 उलझे बाल 1 ब्रह्मज्ञान 2 वेदांत; -वैवर्त (पु.) 1 ब्रह्म का विवर्त जगत् सुलझाना
2 अठारह पुराणों में से एक; ~सूत्र (पु०) 1 जनेऊ, ब्योरा-(पु०) 1 बात या घटना का उल्लेख, कथन, वर्णन यज्ञोपवीत 2 व्यास कृत वेदांत सूत्र; ~सूत्री (वि०) 2 सारा वृत्तांत, सार हाल
उपनयन संस्कार से युक्त; ~स्व (पु०) 1 ब्रह्मण का धन ब्योरेबाज़-हिं+फा० (वि०) 1 युक्तिपूर्वक काम करनेवाला 2 ब्राह्मण का अंश; हत्या (स्त्री०) ब्राह्मण को मार डालने 2 धूर्त तथा चालाक
का पाप ब्योरेवार-हिं० + फ़ां० (वि०) विस्तार के साथ, विवरण युक्त ब्रह्मण्य-I (वि०) 1 ब्रह्म संबंधी 2 ब्राह्मण संबंधी II (पु०) ब्योहर-(पु०) = व्यवहार
ब्राह्मण होने का भाव ब्योहरा-(पु०) ब्याजखोर
ब्रह्मर्षि-सं० (पु०) मंत्र द्रष्टा ऋषि ब्योहरिया-(पु०) रुपए का लेन-देन करनेवाला, महाजन ब्रह्मांड-(पु०) 1 संपूर्ण लोक, विश्व 2 खोपड़ी, कपाल ब्यौरा-(पु०) = ब्योरा
(जैसे-ब्रह्मांड फूटना) । उड़ान +हिं (स्त्री०) अंतरिक्ष में ब्रजभाषा-हिं० सं० (स्त्री०) = व्रजभाषा
उड़ना; किरणें (स्त्री०) = ब्रह्मांड रश्मियाँ; ~गामी ब्रश-अं० (पु०) बुरुश
(वि०) अंतरिक्ष में जानेवाला; चालक, नाविक, ब्रह्म-सं० (पु०) 1 सच्चिदानंदस्तरूप जगत् का मूल तत्त्व यात्री (पु०) अंतरिक्ष की यात्रा करनेवाला; ल्यान 2 ईश्वर, परमात्मा 3 अंतरात्मा. विवेक 4 पदों के शुरू में (पु०) अंतरिक्ष यान; ~रश्मियाँ (स्त्री०) अंतरिक्ष से लगनेवाला शब्द (जैसे-ब्रह्मज्ञान, ब्रह्महत्या)। ~कल्प | आनेवाली रेडियो सक्रिय किरणें कास्मिक रेज़ (वि०) ब्रह्म के समान, ब्रह्म तुल्य; काष्ठ (पु०) शहतूत; | ब्रह्मांडानुसंधान सं० (पु०) अंतरिक्ष की खोज
गाँठ +हिं० (स्त्री०) जनेऊ की मुख्य गाँठ; -प्रंथि ब्रह्मांडीय-सं० (वि०) संपूर्ण विश्व में होनेवाला, विश्वक (स्त्री०) = ब्रह्मगाँठ; घात (पु.) = ब्रह्म हत्या; __(जैसे-ब्रह्मांडीय गति) ल्यातक, ~घाती (वि०) ब्राह्मणों की हत्या करनेवाला; ब्रह्मा-सं० (पु०) हिंदू धर्म के तीन देवताओं में एक और प्रथम, -चर्य (पु०) 1 अष्टविध मैथन से बचना, वीर्यरक्षा | पहले देवता 2 उपनयन पश्चात् वेदाध्ययन करने का समय, वेदाध्ययन | ब्रह्माक्षर-सं० (पु०) ॐकार मंत्र काल 3 वर्णाश्रमी हिंदू के लिए विहित चार आश्रमों में से प्रथम ब्रह्मानंद-सं० (पु०) ब्रह्म ज्ञान से उत्पन्न आत्मतृप्ति 4 ब्रह्म के साक्षात्कार की साधना; ~व्रत (पु०) ब्रह्मचर्य रहने ब्रह्माभ्यास-सं० (पु०) वेदाध्ययन का संकल्प; -चारिणी (स्त्री०) ब्रह्मचर्य व्रत का पालन | ब्रह्मावर्त-सं० (पु०) सरस्वती और दृषद्वती नदियों के बीच का करनेवाली स्त्री; चारी (पु०) ब्रह्मचर्य व्रत धारण
देश करनेवाला पुरुष; जI (वि०) ब्रह्मा से उत्पन II (पु०) ब्रह्मासन-सं० (पु०) ब्रह्मध्यान के उपयुक्त माना जानेवाला संपूर्ण जगत्; ~जन्य (पु०) उपनयन संस्कार; -ज्ञान आसन (पु०) 1 ब्रह्म को जानना 2 परम तत्त्व का ज्ञान; ज्ञानी ब्रह्मास्त्र-सं० (पु०) 1 ब्रह्म शक्ति से परिचालित अमोघ अस्त्र (पु०) 1 परमार्थ तत्त्व का ज्ञाता, तत्वज्ञ 2 आत्मज्ञानी; -दिन | 2 मंत्र से पवित्र करके चलाया गया अस्त्र (पु०) बह्मा का दिन; देशीय (वि०) ब्रह्म लोक का; ब्रह्मिष्ठ-सं० (वि०) वेदों का पूर्ण ज्ञाता दुम (पु०) पलास, टेसू; ~द्रोही (वि०) ब्राह्मण द्रोही; | ब्रह्मीभूत-सं० (वि०) ब्रह्म में लीन
द्वार (पु०) = ब्रह्मरंध; निर्वाण (पु०) परमात्मा में | ब्रह्मोपदेश-सं० (पु०) ब्रह्मज्ञान की शिक्षा लय होना, मोक्ष; निष्ठ (वि०) ब्रह्म ज्ञान से युक्त, ब्रह्म ब्रांकाइटिस-अं० (स्त्री०) श्वास नली की सूजन,श्वसनी शोथ ज्ञान में लय होना, मोक्ष; ~पद (पु०) मोक्ष, अमरपद; ब्रांच-अं० (स्त्री०) शाखा ~पवित्र (पु०) कुश; ~भट्ट (पु०) वेदों का ज्ञाता; |ब्रांडी-अं० (स्त्री०) एक तरह की विलायती शराब ~प्राप्ति (स्त्री०) मृत्यु; ~भाव (पु०) 1 ब्रह्म में लीन होना ब्राडकास्ट-अं० (पु०) प्रसारण 2 मृत्युः ~भोज (पु०) ब्राह्मण भोजन; ~यज्ञ (पु०) वेदों ब्राडकास्टिंग-अं० (स्त्री०) प्रसारण करना। ~ स्टेशन का अध्ययन और अध्यापन; रंध्र (पु०) मस्तिष्क के ऊपरी (पु०) प्रसारण केन्द्र भाग में सुषुम्ना, इंगला, पिंगला आदि नाड़ियों का मिलन बिंदु ब्राह्म-I सं० (वि०) ब्रह्मा का (जैसे - ब्राह्म दिन) II (पु०) या स्थल; ~रेखा (स्त्री०) भाग्य-लिपि; लिखित (पु०) हिंदू धर्म के आठ प्रकार के विवाहों में एक । ~धर्म (पु०) भाग्यलेख; ~लीन (वि.) 1 ईश्वर में निमग्न 2 मृत्यु, एकेश्वरवादी धर्म; ~ मुहूर्त (पु०) सूर्योदय के पूर्व का
लेख (पु०) भाग्य लेख; लोक (पु०) 1 ब्रह्मा का काल, प्रातःकाल; ~विवाह (पु०) कन्यादान विवाह; निवास स्थान 2 मोक्ष; वक्ता (पु०) वेद पढ़ानेवाला समाज (पु०) ऐकेश्वरवादी पंथ; समाजी I (वि०) आचार्य; वद्य (पु०) वेदपाठ; वर्चस्व, वर्चस ब्रह्म समाज संबंधी II (पु०) ब्रह्म समाज का समर्थक और (पु०) ब्रह्मतेजा ल्य स्वी (पु०) सेजस्वी; ल्वाद (पु०) । अनुयायी
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भंजना
ब्राह्मण
ब्राह्मण-सं० (पु०) 1 हिंदुओं के चार वर्षों में एक वर्ण (जैसे - ब्लैक-लिस्ट-अं० (स्त्री०) काली सूची ब्राह्मण समूह) 2 इस जाति का व्यक्ति 3 वेद के मंत्र से भिन्न | वाय-अं० (पु०) बैरा विभाग। -चांडाल (पु०) 1 शास्त्र-निषिद्ध कर्म करने वाला, हीन ब्राह्मण 2 ब्राह्मण स्त्री तथा शूद्र पिता से उत्पन्न व्यक्ति; देवी (वि०) ब्राह्मण से द्वेष करने वाला;
~भोजन (पु०) अनेक ब्राह्मणों को एक साथ खिलाया जाने वाला भोजन; ~वध (पु०) ब्रह्म हत्या ब्राह्मणक-सं० (पु०) बुरा, निंदनीय ब्राह्मण ब्राह्मणत्व-सं० (पु०) ब्राह्मण भाव ब्राह्मणिक-सं० (वि०) ब्राह्मण संबंधी ब्राह्मणी-सं० (स्त्री०) 1 ब्राह्मण स्त्री 2 ब्राह्मण की पत्नी | भंकार-(पु०) 1 भीषण शब्द 2 भनभनाहट ब्राह्मणेतर-सं० (वि०) ब्राह्मण से भिन्न
| भंग-I (स्त्री०) भाँग ब्राह्मण्य-सं० (पु०) 1 ब्राह्मण का धर्म 2 ब्राह्मणों का वर्ग, | भंग-II सं० (पु०) 1 टूटना, खंडित होना 2 खंड, विघटन समाज
3 ध्वंस, नाश (जैसे-राज्यभंग, सत्वभंग) 4 पराजय 5 संकोच ब्राह्मी-सं० (स्त्री०) 1 ब्रह्मा की शक्ति 2 ब्राह्म विधि से 6 कुटिलता, टेढ़ापन 7 छल 8 बाधा, विघ्न १ भय, डर 10 कुछ विवाहिता स्त्री 3 भारतवर्ष की एक प्रकार की पुरानी लिखावट । समय के लिए रुकना और उचित ढंग से न चल सकना
लिपि (स्त्री०) देवनागरी की अत्यंत प्राचीन जननी लिपि (जैसे-शांति-भंग) ब्रिगेड-अं० (पु०) 1सेना का एक विभाग 2 विशेष प्रकार के भंगड-जिसे भाँग पीने की लत हो ऐसा व्यक्ति, भंगड़ी 'कार्य-कर्ताओं का दल (जैसे-फायर ब्रिगेड)
4गड़ा-(पु०) बड़े ढोल के ताल पर होनेवाला एक पंजाबी ब्रिगेडियर-अं० (पु०) ब्रिगेड का नायक। जनरल (पु०)। लोकनृत्य ब्रिगेड का महानायक
भंगना-I (अ० क्रि०) बो० 1 टूटना 2 दबना II (स० क्रि०) ब्रिज-अं० (पु०) 1 पुल, सेतु 2 ताश का एक खेल । 1 तोड़ना 2 दबाना ब्रिटिश-अं० (वि०) 1 अँगरेज़ों का 2 ब्रिटेन संबंधी। भंगराज-(पु०) कोयल के तरह की एक प्रकार की चिड़िया
~कमनवेल्थ आफ़ नेशंस (पु०) ब्रिटिश राष्ट्र मंडल भंगार-I (पु०) गड्ढा 2 कूओं बनाते समय पहले खोदा ग्रीडा-सं० (स्त्री०) = व्रीड़ा
जानेवाला गडढ़ा हुश-(पु०) ब्रश।
भंगार-II (पु०) 1 घास-फूस 2 कूड़ा-करकट प्रेक-अं० (पु०) गतिचक्र की गति को रोकनेवाला उपकरण भंगि-सं० (स्त्री०) 1 भंग होने का भाव, विच्छेद 2 कुटिलता, यंत्र (जैसे-ब्रेक टूट गया)। ~वान (पु०) रेलवेगार्ड का टेढ़ापन ब्रेक लगा डिब्बा
भंगिमा-सं० (स्त्री०) 1कलापूर्ण शारीरिक मुद्रा, अदा ब्रेक-डाउन-अं० (स्त्री०) 1 विध्वंस 2 खराबी, विकार । (जैसे-अंग भंगिमा) 2 कुटिलता, वक्रता प्रेकफास्ट-अं० (पु०) सुबह का जलपान, कलेवा (जैसे-भाव-भंगिमा) प्रेल-अं० (पु०) उत्कीर्ण लेख
भंगियाना-I (अ० क्रि०) भांग के नशे में चूर होना केट-अं० (पु०) कोष्ठक
II (स० क्रि०) भाँग पिलाकार नशे में चूर करना प्रोकर-अं० (पु०) दलाल
भंगी-I वि०) 1 भंग करनेवाला 2 नष्ट होनेवाला II (स्त्री०) ब्लड-अं० (पु०) खून, रक्त। प्रेशर (पु०) चि० रक्त | 1रेखाओं के झुकाव से खींचा हुआ चित्र 2 मनोभाव प्रकट चाप; बैंक (पु०) रक्तकोष
करनेवाली शारीरिक मुद्रा, अंग संचालन III (वि०) भांग ब्लाउज़-अं० (पु०) विलायती ढंग की ज़नाना कुरती | पीनेवाला, मैंगेड़ी (जैसे-पूरी आस्तीन का ब्लाउज़)
भंगी-II (पु०) झाडू देनेवाला तथा मैला उठानेवाला व्यक्ति ब्लाक-I अं० (पु०) 1 भूमिखंड 2 गृह समूह (जैसे-ब्लाक | भंगुर-सं०(वि.) 1टेढ़ा 2 खंडित (जैसे-भंगर पदार्थ) 3 भंग
का नंबर) 3 बड़े मकान का पूर्ण खंड। -कमिटी (स्त्री०) होनेवाला 4 नाशवान् (जैसे-क्षण भंगुर)। -ता (स्त्री०) प्रखंड समिति
1 नष्ट होने की स्थिति 2 टेढ़ापन पंडित अवस्था 4 भंग होने ब्लाक-II अं० (पु०) चित्र, लिखावट आदि छापने का ठप्पा की अवस्था ब्लाटिंग-पेपर-अं० (पु०) सोख्ता काग़ज़
मैगेड़ी-(पु०) - भंगड़ ब्लीचिंग पाउडर-अं० (पु०) विरंजक चूर्ण
मंगेला-(पु०) भाँग की छाल का बना कपड़ा ब्लीडिंग-अं० (स्त्री०) रक्त स्त्राव
भंम्य-(वि०) भंग किए जाने योग्य ब्लेड-अं० (पु०) इस्पात का चौकोर पतला पत्तर, पत्ती भंजक-(वि०) भंग करनेवाला ब्लैक-आउट-अं० (पु०) प्रकाश को बाहर जाने से रोक देना | भंजन-I सं० (पु०) भंग करना [ (वि०) = भंजक ब्लैक-बोर्ड-अं० (पु०) श्यामपट
मैजना-(अ० क्रि०) 1 टुकड़े-टुकड़े होना 2 मोड़ा जाना ब्लैक-मार्केट-अं० (पु०) काला बाज़ार
(जैसे-काग़ज़ अंजना) 3 अंजाया जाना 4 भूनना (जैसे-दस लैकमेल-अं० (पु०) भय दिखाकर पैसा ऐंठना
का नोट अंजना)
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#जाई
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भक्ष्याभक्ष्य
मजाई-I (स्त्री०) 1 भाँजने का काम 2 भाँजने की उज़रत #जाई-II (स्त्री०) 1 काग़ज़ की परतों को मोड़ना 2 मोड़ने की
मज़दूरी
8जाना-(स० क्रि०) 1 भाँजन में प्रवृत्त करना 2 भंजवाना
(जैसे-नोट भैजाना) भंझा-(पु०) कुएँ के किनारे के खंभों पर आड़ी रखी गई लकड़ी भंटा-बो० (पु०) बैंगन भंठी-बो० (स्त्री०) 1 बाधा, विघ्न 2 अड़चन भंड-I (पु०) भाँडा भंड-I सं० (वि०) 1गंदी बातें बकनेवाला 2 पाखंडी
II (पु०) भांड भेंड़-ताल-(पु०) एक तरह का नृत्ययुक्त गाना भंडना-स० क्रि० 1 हानि पहुँचाना 2 बिगाड़ना 3 बदनाम करना भंडफोड़-(पु०) 1 मिट्टी के बर्तन तोड़ना-फोड़ना
2 रहस्योद्घाटन करना, भेद खोलना मैंडभाँड-(पु०) एक तरह का कटीला पौधा (जैसे-भंडभाँड़
का पौधा) मैंडरिया-I (स्त्री०) दीवार में बनी खानेदार तथा पल्लोंवाली
छोटी आलमारी भंडरिया-II (वि०) ढोंगी, पाखंडी मॅडसाल-(स्त्री०) एकत्रित अत्र के रखने का स्थान, खत्ती,
खत्ता भंडा-(पु०) 1 बर्तन, पात्र, 2 भंडार 3 भेद (जैसे-भंडा फोड़ना)। -फोड़। (पु०) भेद प्रकट होना II (वि०) भेद
खोलनेवाला; फूटना भेद खुलना भंडार-हिं०+सं० (पु०) 1कोष, खजाना 2 कोठार (जैसे-अन्न-भंडार) 3 पाकशाला 4 पेट। गृह +सं०
घर (पु०) अन रखने का घर, मकान भंडारा-(पु०) 1 साधुओं का भोज 2 भंडार भंडारित-(वि०) भंडार में भरा हुआ भंडारी-I (पु०) 1 भंडार का प्रबंधक 2 रसोइया भंडारी-II (स्त्री०) 1 कोष, खजाना 2 छोटी कोठरी भंडाना-(स० क्रि०) 1 उछलकूद मचाना, उपद्रव करना ।
2 तोड़ना फोड़ना भंडिमां-(स्त्री०) धोखा, छल मैंडिहाई-I (स्त्री०) भाँड़ों सा आचरण ॥ (क्रि० वि०) चोरी
से, छिपे-छिपे अंडेरियापन-(पृ०) 1 ढोंग, मक्कारी 2 चालाकी, धूर्तता भँडैती-(स्त्री०) । भाँडों का पेशा 2 भाँड़ों सा हास-परिहास भँडोआ-(१०) भाँड़ों के गाने गीत भैबूरी-बो० (स्त्री०) फुलाही (वृक्ष) भैभरना-(अ० क्रि०) डरना भंभा-I (पु.) 1 बिल, छेद 2 सूराख ॥ (स्त्री०) डुग्गी भंभाका-I (पु०) बहुत बड़ा छेद II (वि०) मोटा और
स्थूलकाय मैंभाना-(अ० कि०) गाय भैस आदि का चिल्लाना, भाना मैंभीरा, भैभीरी-(वी) 1 एक तरह का बरसाती फतिंगा
2 फिरकी, फिरैरी भैवना-(अ० कि) 1 चक्कर लगाना 2 घूमना, फिरना भंवर-(पु०) 1 लहरों का चक्कर, जलावर्त 2 भ्रमर, भौर।
जाल +सं० (पु०) सांसारिक, झंझट; ~भीख (स्त्री० घूम-घूमकर माँगी जानेवाली भीख, मधुकरी; ~में पड़न बखेड़े में पड़ना, घबड़ा जाना . भँवरा-(पु०) भौंरा #वरी-(स्त्री०) घूम-फिरकर सौदा बेचना 8वारा-बो० (वि०) प्रायः घूमने-फिरनेवाला भंसा-बो० (पु०) रसोईघर, चौका भइया-(पु०) भाई भक-(स्त्री०) आग के एकाएक भभकने से उत्पन्न शब्द भकड़ना-(अ० क्रि०) भगरना भक-भक-I (स्त्री०) 1 रह-रहकर होनेवाली चमक, 2 रह-रहकर वेग से निकलनेवाले धुएँ का शब्द II (क्रि० वि०) 1 रह-रहकर होनेवाली चमक 2 रह-रहकर धुएँ के निकलने के शब्द के साथ भकभकाना-I (अ० क्रि०) 1 भक-भक शब्द करके जलना
2 चमकना II (स० क्रि०) 1 चमकाना 2 जलाना भकराँध-बो० (स्त्री०) सड़े अनाज की गंध भकराधा-बो० (वि०) सड़ा हुआ और दुर्गंधयुक्त भकसना, भकसाना-(अ० क्रि०) बो० पदार्थ का सड़कर
दुर्गंधमय हो जाना भकाउँ-(पु०) डरावनी चीज़, हौआ भकार-सं० (पु०) 'भ' वर्ण भकुआ-(वि०) 1 मूर्ख, मूढ़ 2 घबराया हुआ भकुआना-I (अ० क्रि०) 1 मूर्ख बनना 2 घबरा जाना
II (स० क्रि०) 1 मूर्ख बनाना 2 घबराहट में डालना भकुरना-(अ० क्रि०) बो० नाराज़ होना भकोसना-(स० क्रि०) जल्दी-जल्दी खाना, ठूसना भकोसू-(वि०) 1 भकोसनेवाला 2 हलम करनेवाला भक्त-सं० (वि०) 1 अनुरागी 2 अनुगत 3 भक्तियुक्त (जैसे-ईश्वर भक्त)। वत्सल (वि०) भक्तों पर कृपा
और स्नेह करनेवाला भक्ति-सं० (स्त्री०) 1 सेवा, आराधना 2 अत्यंत अनुराग 3 श्रद्धा (जैसे-पितृ भक्ति, गुरुभक्ति)। ~कर (वि०) भक्तिभाव पैदा करनेवाला; ~काल (पु०) 1 भक्तियुग 2 भक्ति का समय; ~प्रवण (वि०) भक्ति में लीन;
~भाजन (वि०) श्रद्धेय; ~भावना (स्त्री०) श्रद्धापूर्ण भाव; ~मार्ग (पु०) मोक्ष प्राप्ति के तीन मार्गों में से एक मार्ग; ~वाद (पु०) यह सिद्धांत कि भक्ति द्वारा ईश्वर और मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है भक्तिमान्-सं० (वि०) भक्तियुक्त भक्तयात्मक-सं० (वि०) भक्तिपूर्ण भक्ष-सं० (पु०) 1 भोजन करना 2 भोजन भक्षक-सं० (वि०) 1 भोजन करनेवाला, खादक 2 खा
जानेवाला (जैसे-नर-भक्षक) भक्षण-सं० (पु०) 1 भोजन करना 2 दाँतों से काटकर खाना भक्षणीय-सं० (वि०) खाने योग्य भक्षित-सं० (वि०) खाया हुआ भक्षी-(वि०) खानेवाला, आहारी भक्ष्य-I सं० (वि०) खाए जाने योग्य II (प०) खाद्य पदार्थ भक्ष्याभक्ष्य-सं० (पु०/वि०) खाद्य और अखाद्य (पदार्थ)
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भख
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भठियारखाना
मख-बो० (पु०) भोजन, आहार
(जैसे-भग्न हृदय)। -चित्त (वि०) निराश; ~संधि प्रखी-बो० (स्त्री०) एक तरह की घास
(स्त्री०) हड्डी का जोड़ पर से टूट जाना भगंदर-(पु०) गुदावर्त के किनारे का नासूर के आकार का एक | भग्नप्राय-(वि०) लगभग टूटा हुआ फोड़ा
भग्नमना-सं० (वि०) टूटे दिल का भग-I सं० (पु.) 1 सूर्य 2 चंद्रमा 3 धन-संपत्ति 4 इच्छा, भनांश-सं० (पु०) मूल द्रव्य का अलग किया गया अंश कामना 5 सौभाग्य
भग्नावशेष-सं० (पु०) 1 टूटी-फूटी वस्तु के बचे टुकड़े भग-II सं० (स्त्री०) स्त्री योनि। -काम (वि०) संभोग का 2 खंडहर
भनाश-सं० (वि०) हताश भगई-(स्त्री०) लैंगोटी
मचक-(स्त्री०) भचकने की अवस्था भगत-I (वि०) 1 भक्त 2 विचारवान् II (पु०) | भचकना-I (अ० क्रि०) आश्चर्य में निमग्न होना साधु-संन्यासी
II लँगड़ाते हुए चलना भगतिन-I (स्त्री०) भक्त स्त्री II (स्त्री०) रंडी, वेश्या प्रचकाना-(स० क्रि०) आश्चर्य में डालना भगतिया-(पु०) नाचने-गाने और वेश्यावृत्ति करनेवाली भजन-(पु०) 1 सेवा, आराधना 2 ईश्वर की स्तुति करना राजपूताने की एक जाति
3स्मरण (जैसे-ईश भजन)। -कीर्तन (पु०) भगदड़-(स्त्री०) इधर-उधर भागना (जैसे-भगदड़ मचना) पूजा-उपासना; -पूजन (पु०) पूजा-आराधना भगर-I (पु०) सड़ा अन्न II (पु०) 1 छल, कपट 2 ढोंग भजना-(स० क्रि०) 1 जप करना (जैसे-राम का नाम भजना) अगरना-(अ० क्रि०) अनाज सड़ना
2 सेवा-सुश्रूषा करना 3 स्मरण करना 4 भक्ति करना भगल-(पु०) 1 धोखा, छल 2 आडंबर, ढोंग
भजनालय-सं० (पु०) भजन करने की जगह, मंदिर भगलिया-(पु०) 1 ढोंगी, पाखंडी 2 कपटी, छलिया भजनी-(पु०) भजन करनेवाला व्यक्ति भगली-(वि०) 1 छली 2 ढोंग करनेवाला
भजनीक-(पु०) भजन गाकर उपदेश करनेवाला भगवंत-सं० (पु०) भगवान्
भजनीय-सं० (वि०) सम्मान्य, पूज्य भगवत्-I सं० (वि०) 1 ऐश्वर्यशाली 2 पूज्य II (पु०) भट-सं० (पु०) योद्धा भगवान्
भटई-(स्त्री०) 1 भाट होने की अवस्था 2 भाट का काम भगवती-सं० (स्त्री०) 1 देवी 2 दुर्गा
भटकना-(अ० क्रि०) 1 इधर-उधर घूमना-फिरना 2 रास्ता भगवदीय-सं० (वि०) भगवत् संबंधी
भूलना 3 तलाश में फिरना 4 भ्रम में पड़ना भगवद्गीता-सं० (स्त्री०) अठारह अध्यायों में श्रीकृष्ण द्वारा | भटकटैया-(स्त्री०) दवा के काम आनेवाला एक कटीला पौधा
अर्जुन को दिये गए कर्मयोग संबंधी उपदेशों का ग्रंथ | भटका-(पु०) 1 व्यर्थ घूमना 2 चक्कर भगवद्भाव-सं० (पु०) भक्ति
भटकाना-(स० क्रि०) ग़लत रास्ता बताना, बहकाना भगवा-(पु०) 1 एक रंग, काषाय 2 इस रंग मे रँगा हुआ वस्त्र भटकैया-(पु०) 1 भटकनेवाला 2 भटकानेवाला भगवान्-I सं० (वि०) 1 ऐश्वर्यशाली 2 पूज्य, मान्य भटधर्मा-सं० (वि०) वीर धर्म का पालन करनेवाला II (पु०) ईश्वर
भटनास-(स्त्री०) एक फलीदार लता जो पूर्वी एशिया में होती है भगांकुर-सं० (पु०) अर्शरोग, बवासीर
भटा-(पु०) = भंटा भगाइ-(पु०) पोली ज़मीन के घुसने से बना गड्ढा भटियारा-(पु०) = भठियारा भगाना-(स० क्रि०) 1 भगाने का काम करना, खदेड़ना | भटू-बो० (स्त्री०) 1 स्त्रियों का आदर सूचक संबोधन 2 सहेली, 2 फुसलाकर ले जाना (जैसे-लड़की भगाना), प्रेमिका को
ना), प्रामका को सखी भगाना) 3 दूर करना, हटाना
भट्ट-सं० (पु०) 1 ब्राह्मणों की एक उपाधि 2 भट 3 भाट भगिनिका-सं० (स्त्री०) छोटी बहन
भट्टाचार्य-सं० (पु.) 1 दर्शन शास्त्र का पंडित 2 बंगाली भगिनी-सं० (स्त्री०) बहन। पति (पु०) बहनोई; पुत्र ब्राह्मणों की एक जाति (पु०) भानजा
भट्टारक-[ सं० (वि०) माननीय II (पु०) 1 राजा 2 मुनि भगीरथ-I सं० (पु०) सूर्यवंशी राजा दिलीप के पुत्र 3 पंडित II (वि०) भगीरथ की तपस्या के समान अत्यंत विशाल भट्टारिका-सं० (स्त्री०) सम्मान्य स्त्री, देवी (जैसे-भगीरथ कर्म)। प्रयत्ल, ~प्रयास (पु०) भट्टिनी-सं० (स्त्री०) अनभिषिक्त नारी असाधारण प्रयत्न
भट्टी-(स्त्री०) - भट्टी भगेडू, भगेल, भगोड़ा-I (वि०) भागा हुआ, डरपोक भट्ठा-(पु०) बड़ी भट्ठी II (पु०) कायर व्यक्ति
भट्ठी-(स्त्री०) 1 ईंटें आदि पकाने का पजावा 2 बड़ा चूल्हा । भगोहाँ-(वि०) 1 कायर, डरपोक 2 भागनेवाला 3 भगवा दार भगा-(वि०) डरकर भागा हुआ (पशु या पक्षी) भठियाना-(अ० क्रि०) बो० समुद्र के पानी का नीचे उतरना, भगी-(स्त्री०) भगदड़
भाटा आना भगा-(वि०) 1 भागनेवाला 2 डरपोक
भठियारखाना-हिं० + फ़ा० (पु०) 1 भठियारों के रहने का भन्न-सं० (वि०) 1 टूटा हुआ, खंडित 2 पराजित 3 हताश | स्थान 2 क़मीने और असभ्य लोगों की बैठक
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भठियारपन
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भठियारपन-(पु०) भठियारों की तरह गालियाँ बकना भदभदाना-(स० क्रि०) 1दो वस्तुओं को टकराकर बजाना भठियारा-(पु०) सराय का मालिक
2 पेड़ से फल गिराना भठियारिन, भठियारी, (स्त्री०) 1 भठियारे की स्त्री 2 लड़ाकी भदरंगा-(वि०) भद्दे रंग का औरत
भदाक-सं० (पु०) सौभाग्य भठियाल-(पु०) समुद्र के पानी का नीचे उतरना, भाटा भदेस-I बो० (पु०) ख़राब देश II (वि०) कुरूप, भद्दा भठुली-बो० (स्त्री०) मिट्टी की बनी छोटी भट्ठी
भदेसिया-(वि०) 1 गवार 2 भद्दा, भोंडा 3 भदेस में रहनेवाला भड़बा-(पु०) 1 दिखावटी ठाट-बाट, आडंबर 2 व्यर्थ का भह, भद्दा-(वि०) 1 कुरूप, खराब 2 बेढंगा, भोंडा 3 अशिष्ट बखेड़ा
___4 अश्लील, फूहड़ भड़क-I (स्त्री०) भड़कने की अवस्था II (स्त्री०) तीव्र | भद्र-I सं० (वि०) 1 सभ्य और सुशिक्षित 2 कल्याण
चमक-दमक। दार +फ़ा० (वि०) चमकवाला, चमकीला करनेवाला, शुभ 3 सुंदर 4 श्रेष्ठ, उत्तम 5 भला, साधु भड़कना-(अ० क्रि०) 1 सहसा ज़ोर से जल उठना ___ II (पु०) कल्याण, मंगल। ~अवज्ञा (स्त्री०) सविनय 2 मनोभावों का सहसा प्रबल होना (जैसे-गुस्सा भड़कना) कानून भंग; ता (स्त्री०) शिष्टता 3 चौंकना, बिदकना (जैसे-किसी को देखते ही भड़कना) भद्रकाली-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा का एक रूप 2 कात्यायनी भड़काऊ-(वि०) भड़कानेवाला
भद्रवान्-I सं० (वि०) मंगलमय II (पु०) देवदारु भड़काना-(स० क्रि०) 1 प्रज्वलित करना 2 उत्तेजित करना भद्रश्रय-सं० (पु०) चंदन 3 बहकाना 4 चौंकाना, डराना
भद्रा-सं० (स्त्री०) 1 कल्याणकारिणी शक्ति 2 फलित ज्योतिष भड़काव-(पु०) भड़ी
में एक अशुभ योग 3 अनिष्टकर बात। सिर ~उतरना भड़कीला-(वि०) भड़कदार
अत्यंत दुर्गति होना, दुर्दशा होना भड़कैल-(वि०) भड़कानेवाला
भद्री-सं० (वि०) भाग्यवान् भड़-भड़-(स्त्री०) 1 आघातों का शब्द 2 हो हल्ला भनक-(स्त्री०) 1मंद ध्वनि 2 उड़ती खबर भडभड़ाना-I (अ० क्रि०) भड़भड शब्द उत्पन्न होना । भनपैरा-(वि०) ख़राब और बुरे पैरोंवाला II (स० क्रि०) भड़-भड़ शब्द उत्पन्न करना
भनभन-(स्त्री०) गुंजार भड़भडिया-(वि.) 1 व्यर्थ की बातें करनेवाला 2 भेद प्रकट भनभनाना-I (स० क्रि०) भनभन शब्द करना, गुंजारना
कर देनेवाला 3 डींग मारनेवाला (जैसे-भड़भड़िया व्यक्ति) __II (अ० क्रि०) भनभन शब्द होना भड़ जा-(पु०) दाना भूनने का काम करनेवाली एक हिंदू भनभनाहट-(स्त्री०) गुंजार जाति, भुजवा
भन्नाना-(अ० क्रि०) भनभनाना भड़वा-(पु०) भडुआ|
भपाड़ा-(पु०) धोखा भड़साई-(स्त्री०) भड़ जे का भाड़, भट्ठी
भपारा-(पु०) भाप (जैसे-पानी का भपारा) भड़ास-(स्त्री०) मानसिक असंतोष, गुबार
भवकना-(अ० क्रि०) = भभकना भड़ी-(स्त्री०) ग़लत उद्देश्य के लिए उकसावा
भवका-(पु०) भभका भडुआ-(पु०) 1 वेश्याओं का दलाल 2 सफ़रदाई अबकी-(स्त्री०) भभकी भड़ेरिया-(पु०) भड्डरी
भबूका-(वि०) भभूका भडैत-(पु०) 1 किराएदार 2 भाड़े पर काम करनवाला व्यक्ति । भन्मड़-(स्त्री०) भीड़भाड़, धक्कमधक्का भड़ौआ-(पु०) वेश्याओं का दलाल
भभक-(स्त्री०) भभकने की अवस्था भर-(पु०) फलित ज्योतिष बताकर जीविकोपार्जन करनेवाली भभकना-(अ० क्रि०) 1 भड़कना 2 ज़ोर से फूट पड़ना 3 ज़ोर एक ब्राह्मण जाति
से बाहर आना (जैसे-नाले से दुर्गंध भभकना) भडुरी-(पु०) शकुन बतानेवाला
भभका-(पु०) अर्क खींचने का यंत्र भणन-सं० (पु०) 1 कथन 2 वार्तालाप
भभकी-(स्त्री०) झूठी धमकी भणित-[सं० (वि०) कहा हआ II (स्त्री०) कही गई बात भभरना-(अ० क्रि०) 1 भयभीत होना 2 घबरा जाना 3 भ्रम में भणिति-सं० (स्त्री०) 1कथन 2 वार्ता 3 वाणी
पड़ना 4 कांतिहीन होना भतवान-(पु०) ब्याह के संबंध में होनेवाली कच्ची ज्योनार | भभूका-I (पु.) ज्वाला II (वि.) अंगारे के समान लाल, भतीजा-(पु०) भाई का पुत्र (स्त्री० भतीजी)
प्रज्वलित भतुला-(पु०) आग पर पकाई गई बाटी
भभूत-(स्त्री०) भस्म भत्ता-(पु०) वेतन के अतिरिक्त दिया गया धन भभड़-(स्त्री०) भब्भड़ भदंत-[ (वि०) 1 सम्मानित, पूजित 2 संन्यस्त II (पु०) | भयंकर-सं० (वि.) 1 डरावना तथा उग्र 2 अत्यधिक भीषण बौद्धभिक्षु
(जैसे-भयंकर गर्मी) भदई-[ (वि०) 1 भादों का 2 भादों में होनेवाला II (स्त्री०) | भय-सं० (पु.) 1 डर, ख़ौफ़ 2 ख़तरा। ~कर (वि०) भादों में होनेवाली फ़सल
डरावना, खतरनाक; ~प्रस्त (वि०) भय से पीड़ित; भदभद-[ (स्त्री०) फल के गिरने की आवाज़
प्रतीकार (पु०) भय दूर करना; ~प्रद (वि०) डरावना; भदभद-I (वि०) 1 बहुत मोटा 2 भद्दा
प्रदर्शन (पु०) भय दिखाना, डराना; -भीत (वि०) डरा
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भयाकुलं 613
भर्ता हुआ; ~सूचना (स्त्री०) डर की ख़बर हारी (वि०) भय | होना (जैसे-वर्षा जल से तालाब भरना) 2 धीरे-धीरे हृष्ट-पुष्ट दूर करनेवाला; हेतु (पु०) भय का कारण
होना (जैसे-शरीर भरना) 3 अच्छा होना (जैसे-ज़ख्म भरना) भयाकुल-सं० (वि०) = भयभीत
4 मन का क्रोध, क्षोभ आदि से पूर्ण होना 5 आवश्यकता पूर्ण भयातिसार-(पु०) अत्यधिक भय
होना (जैसे-पेट भरना) 6 गले लगना (जैसे-कंठ भरना) भयातुर-सं० (वि०) = भयभीत
7 मादा पशु का गर्भवती होना III (पु.) 1 भरने का काम भयानक-सं० (वि०) डरावना
2 भरने की मज़दूरी 3 घूस, रिश्वत भयावना-सं० +हिं० (वि०) जिससे भय उत्पन्न हो भरनी-(स्त्री०) 1 भरने का काम 2 भरी जानेवाली वस्तु 3 काम भयावह-सं० (वि०) = भयानक
की दशा (जैसे-जैसी करनी वैसी भरनी) भयोत्पादक-सं० (वि०) = भयप्रद
भरभराना-(अ० क्रि०) 1 रोमांच होना 2 घबड़ाना, आँखों में भय्या-(पु०) भाई
जल भर आना भर-I (क्रि० वि०) 1 अवकाश, परिमाण, वय आदि की भरभराहट-(स्त्री०) भरभराने की अवस्था संपूर्णता को किसी इकाई के रूप में सूचित करते हुए भरभेटा-(पु०) 1 सामना, मुठभेड़ 2 गले मिलना (जैसे-थाली भर चावल, उम्र भर याद करना) 2 तक, पर्यंत भरमाना-(स० क्रि०) 1 भ्रम में डालना 2 मोहित करना 3 अच्छी तरह से। ~पाई (स्त्री०) 1 चुकता होने का भाव भरमार-(स्त्री०) व्यर्थ की चीज़ों की अधिकता 2 भरपाने की रसीद; ~पूर | (वि०) परिपूर्ण भरमौहाँ-(वि०) भ्रम उत्पन्न करनेवाला II (क्रि० वि०) पूर्णतः; ~पेट (क्रि० वि०) पेट भरकर भरराना-I (अ० क्रि०) 1 अरराना 2 पिल पड़ना भर-।। स० (क्रि० वि०) सहायता से III (पु०) पूर्णता, II (स० क्रि०) 1 भरर शब्द के साथ गिराना 2 पिल पड़ने में यथेष्टता IV (वि०) कुल, पूरा
प्रवृत्त करना भरका-(पु०) 1 नदी के किनारे की बंजर और ऊबड़-खाबड़ भरवाना-(स० क्रि०) भरने का काम कराना भूमि 2 खार, बीहड़
भरसक-(क्रि० वि०) यथासाध्य (जैसे-भरसक प्रयास करना) भरण-I सं० (पु०) 1 भरना 2 पालन-पोषण (जैसे-जीवन भरा-(वि०) 1 पूर्ण (जैसे-जल से भरा घड़ा) 2 यथेष्ट मात्रा से भरण) II (वि०) भरण पोषण करनेवाला। ~पोषण युक्त (जैसे-भरी सभा, भरा बाज़ार) 3 पूर्णता को प्राप्त (पु०) पालना पोसना (जैसे-बालक का भरण-पोषण करते (जैसे-भरी जवानी) 4 क्रोध, क्षोभ, खीझ से परिपूर्ण रहना)
(जैसे-वह पहले से ही भरा बैठा था)। पूरा (वि०) सब भरणी-सं० (स्त्री०) एक नक्षत्र का नाम
तरह से संपन्न (जैसे-भरा-पूरा परिवार) भरत-I (पु०) सारे भारत में पाये जानेवाले लवा पक्षी का एक भराई-(स्त्री०) 1 भरने का काम 2 भरने का पारिश्रमिक
भेद II (पु०) भरने की वस्तु III (पु०) भाड़ा IV (पु०) भराना-(स० क्रि०) भरने का काम कराना (जैसे-गड्ढा मालगुज़ारी
भराना, फ़ार्म भराना) भरता-(पु०) चोखा (जैसे-बैगन का भरता)
भराव-(पु०) 1 भरे होने का भाव 2 भरती 3 कशीदे में पत्तियों भरतार-(पु०) 1 पति 2 स्वामी
आदि का काम भरतिया-I (वि०) काँसे का बना हुआ II (पु०) ठठेरा भरित-(वि०) 1 भरा हुआ 2 भरण पोषण किया गया भरती-(स्त्री०) 1 प्रवेश (जैसे-सेना में भरती होना) भरिया-I (वि०) 1 भरनेवाला 2 कर्ज चुकानेवाला 2 दाखिला, नाम लिखा जाना (जैसे-कालेज में भरती होना) भरिया-II (पु०) ढलाई करनेवाला, ढालिया III (पु०) भार 3 भराव, भराई 4 पच्चीकारी। ~वाला (वि०) दाखिला ___ढोनेवाला मज़दूर 2 कहार करनेवाला 2 प्रवेश करनेवाला (जैसे-भरतीवाला अधिकारी)| भरी-(स्त्री०) I दस माशे की तौल एक तरह की घास भरदूल-(पु०) भरत पक्षी
भरुआ-(पु०) टसर भरवाज-सं० (पु०) भरत पक्षी
भरुका-(पु०) पुरवे के आकार का मिट्टी का बना छोटा पात्र. भरनज़र-हिं०+अ० (क्रि० वि०) अच्छी तरह से (जैसे-भर | नज़र देख पाना)
भरेठ-(पु०) पटाव भरना-I (स० क्रि०) 1 खाली स्थान पर गिराना, उँडेलना भरैत-बो० (पु०) किराएदार (जैसे-घड़े में पानी भरना) 2 स्थापित करना (जैसे-चित्र में रंग भरोटा-(पु०) घास आदि का गट्ठा, बोझ भरना, लिफाफे में चिट्ठी भरना) 3 स्थान की पूर्ति करना भरोसा-(पु०) 1 पक्की आशा 2 सहारा, आसरा 3 विश्वास (जैसे-नौकरी में भाई-भतीजों को भरना) 4 सींचना भरोसेदार, भरोसेमंद-हिं० +फा० (वि०) विश्वसनीय (जैसे-खेत में पानी भरना) 5 सूचनाएँ अंकित करना भरौती-(स्त्री) 1 भरने-भराने का काम 2 भरपाई का काग़ज़ (जैसे-फार्म भरना) 6 तुष्टि भावना उत्पन्न करना (जैसे-प्रेम 3 भरती व्यवहार से मन भरना) 7 अपेक्षित समर्थन की पूर्ति करना भरौना-(वि०) भारी, वज़नी, बोझिल (जैसे-हामी भरना) 8 विद्रोहभाव बैठाना, जमाना (जैसे- भर्तव्य-सं० (वि०) 1 भरण पोषण के योग्य 2 वहन करने योग्य उसने आपके मन में क्या भर दिया) 9 चुकाना (जैसे ऋण | भर्ता-(पु०) = भरता भरना) 10 काम के योग्य बनाना (जैसे-घड़ी में चाबी भरना) | भर्ता-I सं० (वि०) भरण पोषण करनेवाला । (पु०) 1स्सी 11 भोगना (जैसे-करनी-भरनी) II (अ० क्रि०) 1युक्त । का पति 2 स्वामी, मालिक
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भर्त्सन
614 भर्त्सन, भर्त्सना-सं० (स्त्री०) 1 डाँट 2 निंदा, लानत मलामत
(जैसे-भविष्य काल)। ~कथन (पु०) भविष्यवाणी; भर्त्सनामय-सं० (वि०) भर्त्सना से युक्त
~काल (पु०) क्रिया के तीन कालों में से एक भर्त्सनीय-सं० (वि०) भर्त्सना के योग्य
(जैसे-वर्तमान, भूत और भविष्य काल); ज्ञान (पु०) भर्सित-सं० (वि०) भर्त्सना की गई, निंदित
होनेवाली बात की जानकारी; ~दर्शी (वि०) भविष्य को भर्रा-(पु०) 1 झाँसा 2 पक्षियों की उड़ान 3 एक प्रकार की जाननेवाला; ~द्रष्टा (पु०) ज्योतिषी; निधि (स्त्री०) चिड़िया
1 संचित कोष, संचित संपत्ति 2 निर्वाह निधि, प्राविडेंट फंड; भर्राटा-I (पु०) 1 भरभर शब्द होने की अवस्था 2 बराबर ~वक्ता (पु०) = भविष्यद्वक्ता; ~वाणी (स्त्री०) = होनेवाला भरभर शब्द II (क्रि० वि०) 1 भरभर शब्द करते भविष्यद्वाणी; ~वाद (पु०) भविष्यवाणी करना; ~वादी हुए 2 बहुत जल्दी से, तेज़ी से
(वि०) भविष्यवाणी करनेवाला भर्राना-I (अ० क्रि०) भर्र-भर्र शब्द होना (जैसे-आवाज़ भविष्यत्-सं० (वि०) होनेवाला, भावी
भर्राना II (स० क्रि०) भर्र-भरी शब्द उत्पन्न करना भविष्यद् द्रष्टा-सं० (पु०) भविष्य का दर्शन करनेवाला, ऋषि, भर्राहट-(स्त्री०) भर्र-भर्र का शब्द
ज्योतिषी भलका-बो० (पु०) 1 नथ में जड़ा जानेवाला सोने आदि का भविष्यद्वक्ता-सं० (पु०) ज्योतिषी टुकड़ा 2 एक प्रकार का बाँस
भविष्यद्वाणी-सं० (स्त्री०) भविष्य कथन भलभल-(स्त्री०) तरल पदार्थ के बहने का शब्द भवेश-सं० (पु०) संसार का स्वामी, ईश्वर भलभलाना-(अ० क्रि०) भल भल शब्द करते हुए बहना भव्य-सं० (वि०) 1 शानदार, आलीशान (जैसे-भव्य स्वागत, भलमनसाहत, भलमनसी-(स्त्री०) सज्जनता, शराफ़त भव्य इमारत) 2 सुंदर 3 योग्य, उपयुक्त 4 सत्य (जैसे-देवता भला-I (वि०) 1 अच्छा, नेक 2 सुंदर (जैसे-अच्छा लगना) का भव्य रूप) 5 मंगल दायक, शुभ (जैसे-भव्य वाणी, भव्य II (पु०) भलाई, मंगल (जैसे-किसी का भला करना)। कथन)। ता (स्त्री०) सुंदरता । ~ई (स्त्री०) 1 अच्छाई 2 हित; -चंगा (वि०) भसना-बो० (अ० क्रि०) 1 तैरना 2 डुबाया जाना 3 फँसना अच्छा-खासा; बुरा (वि०) 1 अच्छा और खराब भसम-(पु०) = भस्म। -पत्ती (स्त्री०) गाँजा (जैसे-भला-बुरा आदमी) 2 खरी-खोटी (जैसे-भला-बुरा भसमा-I (पु०) पीसा आटा कथन, भली-बुरी बात)
भसमा-II अ० (पु०) 1ख़िजाब 2 नील की पत्तियों का चूरा भले-(क्रि० वि०) 1 भली-भाँति, अच्छी तरह 2 खूब, वाह भसान-बो० (पु०) 1 जल में इबाना 2 नदी में प्रवाहित करना भल्ल-(पु०) भाला
भसाना-बो० (स० क्रि०) 1 तैरने के लिए छोड़ना 2 पानी में भल्लूक-(पु०) भालू
डुबाना भव-सं० (पु०) 1 संसार, जगत् (जैसे-भव बंधन) 2 उत्पत्ति | भसिंड-बो० (पु०) कमलनाल 3 होना (जैसे-आयुष्मान् भव)। ~कूप (पु०) संसार रूपी भसुर-(पु०) पति का बड़ा भाई, जेठ कुआँ -केतु (पु०) पुच्छल तारा; चक्र (पु०) संसार भसैंड-(पु०) हाथी का सैंड चक्र; जाल (पु०) सांसारिक प्रपंच, मायाजाल, ~धारा भस्त्रा-सं० (स्त्री०) धौंकनी (स्त्री०) संसारचक्र; ~बंधन (पु०) जन्म-मरण का चक्र; भस्म-सं० (पु०) राख। ~वेधक (पु०) कपूर; सात्
विलास (पु०) 1 माया 2 लौकिक सुख (जैसे-भव (वि०) = भस्मीभूत; ~स्नान (पु०) पूरे शरीर में भस्म विलास में डूबना); ~सागर, सिंधु (पु०) संसार रूपी
मलना
भस्मक-सं० (पु०) 1 भस्माग्नि 2 सदा लगी रहनेवाली भूख भवदीय-सं० (वि०) आपका
भस्मसात्-सं० (वि०) जलकर राख हुआ भवदीया-सं० (वि०) आपकी
भस्माच्छादित-सं० (वि०) राख से ढका हुआ भवन-सं० (पु०) 1 वास स्थान, घर, मकान 2 महल भस्मावशेष-I सं० (वि०) जलकर राख हुआ II (पु०) राख (जैसे-आनंद भवन, संसद भवन) 3 आश्रय का स्थान के रूप में बचा अंश (जैसे-करुणा भवन) उत्पत्ति, जन्म। --कर (पु०) मकान भस्मासुर-सं० (पु०) एक प्रसिद्ध राक्षस का टैक्स; ~निर्माण (पु०) मकान बनाना; निर्माण भस्मित-सं० (वि०) = भस्मीभूत कला (स्त्री०) मकान बनाने की विद्या; -निर्माता (प०) भस्मीकरण-सं० (पु०) राख कर देना मकान बनानेवाला
भस्मीकृत-सं० (वि०) जलाकर राख किया हुआ भवनापचरण-सं० (पु०) अवैध रूप से मकान में घुसना, भस्मीपात्र-सं० (पु०) मृतक के फूल रखने का बर्तन अवैध रूप से प्रवेश करना
भस्मीभूत-सं० (वि०) जलकर राख हुआ भवनिष्ठ-सं० (वि०) आपस में विश्वास रखनेवाला भस्सड़-(वि०) बहुत मोटा और भद्दा भवांतर-सं० (पु०) आगे होनेवाला
भस्सी-(स्त्री०) कोयले आदि का महीन चूर्ण भवानी-सं० (स्त्री०) पार्वती ।
भहराना-(अ० क्रि०) 1 एकाएक गिर पड़ना 2 एकाएक भवितव्य-सं० होनहार, अवश्यंभावी। ता (स्त्री०) 1 होनी, | वेगपूर्वक टूट पड़ना
होनिहार 2 भाग्य; दर्शिता (स्त्री०) भविष्य ज्ञान भई-(स्त्री०) = भौंह I भविष्य-सं० (पु०) 1 आनेवाला कल 2 आनेवाला समय | भाई-(पु०) खरादनेवाला, खरादी
समद्र
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भाँग
भाग- (स्त्री०) 1 गाँजे की जाति का एक पौधा और इस पौधे की पत्तियाँ 2 इन पत्तियों से बनाया गया पेय। खा जाना नशे की सी बातें करना; छानना भाँग का नशा करना; (घर में) पूँजी भाँग न होना कंगाल होना भौगर बो० (स्त्री०) धातु आदि की गर्द, छोटे-छोटे कण भाँज - I (स्त्री०) 1 भाँजने का काम 2 मोड़, तह II भुनाई (जैसे- सौ रुपए का भाँज)
भाँजना - (स० क्रि०) 1 मोड़ना, तह करना 2 एक में मिलाकर बैटना 3 घुमाना
धाँजा - (पु० ) = भानजा भौजी - (स्त्री०) 1 चुग़ली 2 रुष्ट करनेवाली बात । -मार (पु० ) चुग़ली करनेवाला व्यक्ति घाँटा - (पु०)
=
भंटा
भौड - I (पु० ) 1 भाँड़ा, बर्तन 2 कुप्पा II 1 मसखरा 2 विदूषक 3 निर्लज्ज व्यक्ति 4 उपद्रव, हो हल्ला, शोरगुल धौड़पन -सं० (पु० ) 1 मसखरापन 2 निर्लज्जता भांड-सं० (पु० ) बर्तन, पात्र। ~शाला (स्त्री०) भंडार (जैसे- भांडशाला में देखना)
भौड़ा - ( पु० ) बर्तन, बासन
भांडागार - सं० (पु० ) 1 भंडार, गोदाम 2 खज़ाना भांडागारिक-सं० (पु०) भंडार का प्रधान अधिकारी भांडार -सं० (पु०) 1 भंडार 2 कोष, खज़ाना। पंजी (स्त्री०) भण्डार में रखी गई वस्तुओं की सूची, स्टाक बुक; ~पाल (पु० ) 1 भांडार का मुख्य अधिकारी 2 भांडार का स्वामी, भंडारी
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भांडारी - सं० ( पु० ) भंडार का रक्षक, भंडारी । करण ( पु० ) भंडार में भरना
भाँति-(स्त्री०) 1 तरह, प्रकार (जैसे-भाँति-भाँति की वस्तुओं की ख़रीद) 2 चाल-ढाल, रंग-ढंग 3 प्रथा, रीति 4 आचार व्यवहार आदि की मर्यादा
भाँपना - (स० क्रि० ) 1 अनुमान करना 2 ताड़ना भाँपू - (वि०) भाँपनेवाला
भाँय - भाँय - ( पु० ) सन्नाटे में होनेवाली हवा की आवाज़ (जैसे- भाँय- भाँय करके बहना)
भावना - I बो० (स० क्रि०) 1 खरादन, कुनना 2 सुंदर और सुडौल बनाना 3 खराद आदि पर घुमाना II (अ० क्रि० ) 1 फेरा लगाना 2 व्यर्थ इधर-उधर घुमाना
भाँवर - ( स्त्री०) 1 घुमरी लेना 2 परिक्रमा, फेरी 3 विवाह के समय, वर-वधू द्वारा की जानेवाली अग्नि परिक्रमा 4 खेत जोतते समय एक बार खेत के चारों ओर घूम आना भा-सं० (स्त्री०) 1 चमक, दीप्ति 2 प्रकाश, रोशनी 3 शोभा, छवि । ~मंडल (पु० ) प्रभामंडल
भाई - (पु० ) 1 एक ही माँ-बाप का पुत्र या बेटा, सहोदर, भ्राता 2 चाचा या ताऊ आदि संबंधियों का लड़का (जैसे- चचेरा भाई, ममेरा भाई ) 3 जाति, समाज में भाई की तरह व्यवहार किया जानेवाला व्यक्ति (जैसे- जाति भाई)। चारा (पु० ) भाई का नाता, बंधुत्व; वारापन (पु० ) = भाईपन; चारापूर्ण + सं० (वि०) बंधुत्व से भरा हुआ; दूज (स्त्री०) भैयादूज; पन (पु० ) 1 भाई होने का भाव, भ्रातृत्व 2 बंधुता बंद (पु०) 1 भाई और मित्र बंधु आदि
बंदी (स्त्री०)
=
2 कुल कुटुंब के लोग, जाति जन; भाईचारा बंधु + सं० (पु० ) भाईबंद बिरादरी + फ्रा० (स्त्री०) = एक ही जाति और समाज के लोग, जातीय भाईबंधु भतीजावाद + सं० (पु०) स्वजनपक्षपात भाकसी - (स्त्री०) 1 भट्ठी 2 भाड़, भड़साई
भाग्य
भाखा बो० (स्त्री०) 1 बात कथन 2 भाषा, बोली भाग - सं० (पु० ) 1 हिस्सा, अंश 2 बँटवारा 3 ग० संख्या विशेष को कई अंश में बाँटने की क्रिया (जैसे-आठ में दो से भाग देना) 4 भाग्य, तकदीर । दार + फ्रा० (पु०) दे० भागीदार; दौड़ + हिं० (स्त्री०) दौड़धूप (जैसे- आज अधिकारी के यहाँ भाग दौड़ मची है); फल (पु०) ग० भाग देने पर प्राप्त संख्या (जैसे-आठ को दो से भाग देने पर भागफल चार होगा); बटाई + हिं० (स्त्री०) हिस्सों में बँटवारा भरा + हिं० (वि०) 1 भाग्यवान् 2 भाग्यवान् बनानेवाला, सौभाग्यपूर्ण (पदार्थ); खुलना, जागना फूटना दुर्दिन आना
भाग्योदय होना, तक़दीर चमकना;
भागक-सं० (पु०) भाग देनेवाली संख्या, भाजक भागड़ - (स्त्री०) भगदड़
भागधेय-सं० (पु० ) तक़दीर, भाग्य
भागना - (अ० क्रि०) 1 दौड़कर दूर निकल जाना, पलायन करना (जैसे- सिपाही को देखकर चोर भाग गया ) 2 पीछा छुड़ाना (जैसे- काम से भागना) 3 दूर रहना (जैसे-कुकर्म से भागना)
भागनेयसं० ( पु० ) भानजा
भागमभाग - (पु० ) दौड़धूप जल्दी भागवंत - (वि०) भाग्यवान्
भागवत् - I सं० (वि०) 1 भगवत् संबंधी 2 भगवत् की सेवा और उपासना करनेवाला II ( पु० ) 1 हरि भक्त 2 अठारह पुराणों में से एक प्रसिद्ध पुराण (जैसे- श्रीमद्भागवत) भागवती - (स्त्री०) एक तरह की कंठी भागवान (वि०) भाग्यशाली
भागहारी - I (वि०) हिस्सेदार II ( पु० ) उत्तराधिकारी भागा-भाग- I (स्त्री०) भाग दौड़, भागड़ II ( क्रि० वि०) 1 दौड़ते हुए 2 तेज़ी से
भागार्थी-सं० (वि०) हिस्सा चाहनेवाला भागिता-सं० (स्त्री०) हिस्सेदारी, साझेदारी भागिनेय-सं० (पु० ) भानजा भागिनेयी-सं० (स्त्री०) भानजी
भागी - I सं० (वि०) 1 हिस्सेदार 2 शामिल (जैसे- पाप का भागी) 3 मालिक, अधिकारी II ( पु० ) हिस्सेदार । ~दार + फ़ा० (वि०) हिस्सेदार, भागवाला; दारी + फ़ा० (स्त्री०) भागिता
भागीरथ -सं० (पु० ) भगीरथ भागीरथी-सं० (स्त्री०) भगीरथ के प्रयत्न से अवतरित गंगा नदी
=
भाग - 1 ( पु० ) भगोड़ा II (वि०) भागनेवाला भाग्य - I सं० (वि०) हिस्से का अधिकारी II (पु० ) किस्मत, तक़दीर, नसीब क्रम (पु०) भाग्य का फेर; दा (स्त्री०) चिट्ठी निकालकर टिकट खरीदनेवालों में इनाम बाँटने की पद्धति, लाटरी; ~ नक्षत्र ( पु० ) किस्मत का सितारा;
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भाग्यवान्
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भारत
निर्णय (पु०) भाग्य का फ़ैसला; निर्णायक (वि०) | का पिता कन्या के पिता के घर जाकर कच्ची रसोइ खाता है भाग्य का फैसला करनेवाला: पत्रक (पु०) वह चिट्ठी जिसे माता-(पु०) हलवाहे को दिया जानेवाला उपज का अश उठाकर बैटवारे का फैसला किया जाता है; -परायण भाथा-(पु०) तरकश (वि०) भाम्यवादी; फूटा + हिं० (वि०) दुर्भाग्यशाली, भाथी-(स्त्री०) चमड़े की धौंकनी भाग्यहीन; ल्योग (पु०) भाग्योदय का समय; लिपि भादों-(पु०) भाद्रपद मास (स्त्री०) भाग्य में लिखी गई बातें, वश (क्रि० वि०) भाद्र-सं० (पु०) भादों का महीना, सावन के बाद का महीना। किस्मत से; वाद (पु०) भाग्यानुसार शुभाशुभ मानने का ~पद (पु०) भादों का महीना सिद्धांत; ~वादी I (वि०) भाग्यवाद संबंधी II (पु०) भान-सं० (पु०) 1 प्रकाश, रोशनी (जैसे-सूर्यभान, चंद्रभान) भाग्यवाद को माननेवाला व्यक्ति; विधाता (पु०) भाग्य 2 दीप्ति, चमक 3 ज्ञान, बोध 4 आभास, प्रतीति निश्चित करनेवाला, अदृष्ट का नियंता; विधात्री (स्त्री०) भानजा-(पु०) बहिन का लड़का (स्त्री० भानजी) भाग्य बनानेवाली; --शाली (वि०) भाग्यवान: भानमती-(स्त्री०) जादूगरनी (जैसे-भानमती का पिटारा)
विप्लव (पु०), संपद (स्त्री०) सौभाग्य; ~संपन्न भानवीय-(वि०) भानु संबंधी, भानु का (वि०) भाग्यशाली, खुर्शाकस्मत; -हीन (वि०) भाग्य भाना-I (अ० क्रि०) 1 आभास होना, जान पड़ना 2 अच्छा फूटा; हीनता (स्त्री०) दुर्भाग्य, बदकिस्मती
लगना, पसंद आना 3 फबना, शोभित होगा II (स० क्रि०) भाग्यवान्-सं० (वि०) भाग्यशाली, खुशकिस्मत
1 चमकाना 2 प्रकाशमान करना भाग्याधीन-सं० (वि०) भाग्य पर आश्रित
भानु-सं० (पु०) 1 सूर्य 2 प्रकाश (जैसे-सूर्यभानु) । भाग्योदय-सं० (पु०) भाग्य जागना
तनया (स्त्री०) यमुना (नदी); ~सुत (पु०) 1 यम भाजक-1 सं० (वि.) 1 बाँटनेवाला 2 विभाग करनेवाला 2 कर्ण; ~सुता (स्त्री०) = भानु तनया II (पु०) गत संख्या जिससे भाग दिया जाए
भानुजा-सं० (स्त्री०) 1 यमुना 2 राधिका भाजन-सं० (पु०) 1 विभाग करना 2 अधिकारी (जैसे-कपा | भानुमति-सं० (स्त्री०) जादूगरनी, मायाविनी
भाजन, क्रोध भाजन) 3 ग० भाग करना 4 बर्तन भाप-(स्त्री०) 1 खौलते जल का वाष्पीय रूप (जैसे-पानी की भाजी-(स्त्री०) तरकारी, सब्ज़ी (विशेषकर पकाई हुई) | भाप) 2 तरल पदार्थ का गैसीय रूप (जैसे-भाप से भाज्य-I सं० (पु०) जिसका विभाजन हो सके II (१०) ग० चलनेवाला इंजन, भाप उड़ना)। -टर्बाइन + अं० (स्त्री०) वह अंक जिसमें भाग दिया जाए
भाप की मशीन स्नान + सं० (प.) भाप से शरीर सेकना भाट-1 (पु०) 1 चरण, बंदी 2 राजाओं का यशगान करनेवाली | (जैसे-भाप स्नान करना) एक जाति 3 खुशामदी व्यक्ति
भाफ-(स्त्री०) भाप भाट-II (पु०) : भाठ
भाभरी-(स्त्री०) 1 गर्म राख 2 धूल भाटक-सं० (पु०) 1 भाड़ा, किराया 2 लगान। ~ अधिकारी भाभी-(स्त्री०) बड़े भाई की पत्नी (पु०) 1 भाड़े की उगाही करनेवाला अधिकारी 2 मकान भामक-सं० (पु०) बहनोई संबंधी विवाद का निर्णय करनेवाला राज्य अधिकारी भामा-सं० (स्त्री०) 1 स्त्री, 2 क्रुद्ध स्त्री भाटा- (पु०) 1 समुद्र के पानी का चढ़ाव के बाद वेगपूर्वक भामिनी-सं० (स्त्री०) 1 शीघ्र क्रूद्ध हो जानेवाली स्त्री पीछे हटना 2 भंटा
2 कामिनी भाठ-(पु०) 1 नदी की बाढ़ में बहकर आनेवाली मिट्टी। भामी-I सं० (वि०) नाराज़, क्रुद्ध II (स्त्री०) क्रुद्ध नारी 2 कछार 3 धारा
भायप-(पु९) भाईपन, भाईचारा भाठा- (पु०) 1 गड्ढा 2 भाटा (जैसे-ज्वार भाटा) भारंगी-सं० (स्त्री०) एक प्रकार का पौधा, भंगजा भाठी-(स्त्री०) समुद्र के पानी का उतार
भार-I सं० (पु०) 1 बोझ (जैसे-दो मन का भार) 2 वज़न भाड़-I (पु०) भँडभृजों की भट्ठी (जैसे-भाड़ में झोंकना)। | (जैसे-आपका भार क्या है) 3 उत्तरदायित्व (जैसे-परिवार का
झोंकना 1 तुच्छ काम करना 2 निरर्थक श्रम करना; ~में भार, कार्यभार) 4 आश्रय, सहारा। केंद्र (पु०) गुरुत्व का जाय नष्ट हो जाए; --में झोंकना, ~में डालना 1 नष्ट केंद्र; ~क्षमता (पु०) भार उठाने की सामर्थ्य; ~ग्रस्त करना 2 त्यागना
(वि०) भार से पीड़ित; जीवी (पु०) भारवाहक, मज़दूर; भाड़-II (पु०) वेश्या की कमाई
~धारक (वि०) 1 बोझ उठानेवाला 2 उत्तरदायित्व वहन भाड़ा-I (पु०) 1किराया (जैसे-रिक्शा भाड़ा, टाँगा भाडा) करनेवाला; ~मापी (पु०) 1 वज़न तौलने का एक प्रकार का 2 गाड़ी आदि का किराया (जैसे-रेल भाड़ा, मकान का
यंत्र 2 पदार्थ का विशिष्ट गुरुत्व जानने का एक यंत्र; वहन भाड़ा)। भाड़े का टटू धन लेकर काम करनेवाला (पु०) = भारवाहन; ~वाहक (वि०) बोझ ढोनेवाला भाड़ा-II (पु०) 1 एक हाथ की उँचाईवाली घास 2 हवा बहने (जैसे-भार वाहक पशु); ~वाहन (पु०) बोझ ढोने का की दिशा
काम; ~वाही (वि०) = भारवाहक; -हीन (वि०) बिना भाड़-(पु०) भडआ
वज़न का; हीनता (स्त्री०) भारहीन होने की अवस्था भाईत-बो० (वि०) भाड़े का काम करनेवाला
भार-II (क्रि० वि०) = ओर, बल (जैसे-मुँह के भार गिरना) भाण-सं० (पु०) हास्य रस प्रधान नाटक
भारत-सं० (पु०) 1 भारतवर्ष 2 भरत वंश में उत्पत्र । भात-(पु०) 1 उबला चावल 2 ब्याह की एक रस्म जिसमें वर | -उपमंत्री (पु०) स्वतंत्र भारत देश का सहायक मंत्री;
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भारती
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भावयिता
हुआ
तत्त्व (पु०) = भारत विद्या; तत्त्व विशारद (पु०) : में उत्पत्र होनेवाला विकार, हर्ष, शोक, ईर्ष्या आदि मनोविकार भारत विद्याविद्; दफ़्तर + अं० (पु०) स्वतंत्र भारत देश 4 भावना (जैसे-प्रेम का भाव) 5 ख़याल, विचार 6 शब्द, के सभी कार्यालय; ~यूरोपीय + अं० + सं० (पु०) भारत वाक्य आदि का अर्थ, आशय (जैसे-पद्य का भाव) 7 भाव और यूरोप की भाषाओं का समूह; रत्न (१०) भारत के सूचक अंग चेष्टा, भंगी (जैसे-शारीरिक भाव) 8 अवस्था, महान् आदर्श पुरुष; एक उपाधि जो स्वतंत्र भारत की सर्वोच्च दशा (जैसे-करुण भाव, प्रेम भाव) 9 स्वभाव (जैसे-भाव उपाधि है; ~वर्षीय (वि०) भारतवर्ष का; ~वासी (पु०) पसंद आना) 10 वस्तु का गुणात्मक तत्त्व जो वस्तु की मूल भारत का निवासी; ~विद्या (स्त्री०) भारतीय इतिहास, प्रकृति का सूचक हो (जैसे-शीतल की भाववाचक संज्ञा . संस्कृति और साहित्य; विद्याविद् (पु०) भारत विद्या का शीतलता होगी)। गत (वि०) विचारात्मक; ~गति ज्ञाता; विभाग (पु०) = भारत दफ़्तर; ~विभाजन (स्त्री०) 1 इच्छा, इरादा 2 विचार; ~गम्य (वि०) सद्भाव (पु०) भारत वर्ष का बँटवारा होना; ~व्यापी (वि०) भारत से जानने योग्य; ~गीत (पु०) भाव प्रधान गीत; -चित्र में फैला हुआ; सरकार + फ़ा० (स्त्री०) भारतीय शासन (पु०) कल्पना को व्यक्त करनेवाला चित्र; ~ज्ञ (वि०) भारती-I सं० + हिं० (पु.) - भारतीय
मनोभाव समझनेवाला; ~ता I (वि०) अच्छा लगनेवाला, भारती-II सं० (स्त्री०) 1 वचन, वाणी 2 सरस्वती
मोहक, लुभावना II (पु०) प्रियतम, ·-दशा (स्त्री०) मनः भारतीय-[सं० (वि०) भारत संबंधी II (पु०) भारतवासी। स्थिति, मूड; ~धारा (स्त्री०) भावना का प्रवाह; ~पक्ष
~करण (पु०) 1 भारतीय बनाना 2 भारतीयों को प्रधानता (पु०) साहि० काव्यगत भावनाओं, कल्पनाओं तथा विचारों देना; ~ता (स्त्री०) भारतीय होने का भाव
से युक्त पक्ष; ~परिग्रह (पु०) धन संचय की अभिलाषा; भारथी-I (पु०) सैनिक, योद्धा II (स्त्री०) भारती
पूर्ण, प्रद, प्रधान (वि०) 1 भाव की प्रधानता से भाराकुल-सं० (वि०) बोझ से परेशान
युक्त (जैसे-भावपूर्ण कविता, भाव प्रधान काव्य) ? डील भाराक्रांत-सं० (वि०) भार से व्यथित, पीडित, बोझ से दबा भावानुभूतिवाला; -प्रवण (वि०) भावुक; बाधक
(वि०) भाव प्रकट करनेवाला; ~भंगी (स्त्री०) मनोभावों भारावतारण-सं० (पु०) बोझ उतारना
को प्रकट करनेवाला अंग संचालन, अंग विक्षेप; ~भरा + भारावनत-सं० (वि०) बोझ से झुका हुआ
हिं० (वि०) भावमय; ~मुग्ध (वि०) भावना में खोया भारित-सं० (वि०) 1 बोझ युक्त 2 ऋणयुक्त
हुआ; ~मैथुन (पु०) मन में मैथुनिक विचार होना; भारी-[ सं० (वि०) 1 कठिन (जैसे-भारी काम) 2 गहरा ~वाचक (वि०) वस्तु, व्यक्ति और स्थान का भाव, धर्म, (जैसे-भारी गड्ढा) 3 अधिक भारवाला (जैसे-भारी शरीर) गण आदि बतानेवाला (जैसे-भाववाचक संज्ञा); ~वाची 4 कष्टकर (जैसे-भारी बर्तन, भारी आवाज़) 5 बड़ा (वि०) भाव का अर्थ देनेवाला; ~वाच्य (१०) व्या० क्रिया (जैसे-भारी बर्तन, भारी बक्सा) II (क्रि० वि०) अधिक, का वह रूप जिसमें वाक्य का उद्देश्य क्रिया व्यापार का ही बोध बहुत ज्यादा (जैसे-बोझ भारी करना. होना); ~पन + हिं० कराए (जैसे-हाथ से क़लम उठने लगी); ~वाहक, (पु०) भारी होने की अवस्था; ~भरकम (वि०) बड़े डील ~वाही (वि०) भावना में बहनेवाला, भावना से ओत-प्रोत; डौलवाला (जैसे-भारी भरकम शरीर); ~पड़ना ज़बर्दस्त विह्वल (वि०) भाव से आतुर, भावातुर; व्यंजक पड़ना; -पैर, होना गर्भवती होना
(वि०) स्पष्ट भाव प्रकट करनेवाला; व्यंजन (पु०) स्पष्ट भारु-(वि०) = भारी
भाव प्रकट करना; ~शबलता (स्त्री०) अनेक भावों का एक भारोत्तोलक-सं० (पु०) भार उठानेवाला यंत्र
साथ वर्णन; ~स्थ (वि०) भाव में लीन; ~शील, भारोत्तोलन-सं० (पु०) भार उठाना
~ संपन्न (वि०) भावनाओं से युक्त; हरण (पु०) भारोपीय-सं० + अं० • सं० (वि०) - भारत-यूरोपीय साहित्यिक चोरी. भार्गवी-सं० (स्त्री०) पार्वती
भावक-(वि०) 1 भाव उत्पन्न करनेवाला 2 भावना करनेवाला भार्य-सं० (वि०) भरण पोषण के योग्य
3 भक्त, प्रेमी भार्या सं० (स्त्री०) पत्नी, जोरू । जित (वि०) पत्नीभक्त भावज-(स्त्री०) भाभी भाल-I (पु०) 1 भाला 2 गाँसी
भावना-1 सं० (स्त्री०) 1 मन की कल्पना, ख़याल, विचार भाल-II सं० (पु०) 1 माथा, ललाट, मस्तक 2 तेज। 2 चिंतन, ध्यान 3 कामना, चाह (जैसे-प्रेम की भावना) चंद्र, नेत्र (पु०) शिव
4चिंता, फ़िक्र (जैसे-भावनाओं में ड्रबना-उतराना) भालना-(स० क्रि०) 1 ध्यानपूर्वक देखना II (वि०) अच्छा लगनेवाला, भावन (जैसे-भावनामय, (जैसे-देखना-भालना) 2 तलाश करना, ढूंढ़ना
भावनापूर्ण हृदय) III (अ० क्रि०) अच्छा लगना, भाना भाला-(पु०) बरछा, नेजा। बरदार + फ़ा० (पु०) भाला (जैसे-मन भावना) धारण करनेवाला, बरछैत
भावनात्मक-सं० (वि०) भावमय, भावपूर्ण भालिया-बो० (पु०) भाता
(जैसे-भावनात्मक एकता)। ~ता (स्त्री०) भावनात्मक होने भालू-(पु०) मोटे लंबे काले बालोंवाला एक हिंसक पशु की अवस्था, भावनात्मक स्थिति भाव-I (पु०) दर, मूल्य (जैसे-अनाज का भाव, दूध का | भावनीय-सं० (वि०) विचार करने योग्य
भाव) 2 कीमत (जैसे-कपड़े का भाव, सोने का भाव) भावमय-सं० (वि०) भावनाओं में निमग्न भाव-II सं० (पु०) 1 सत्ता, अस्तित्त्व 2 जन्म, उत्पत्ति 3 चित्त. भावयिता-सं० (पु०) पालन पोषण करनेवाला
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भावरी
भावरी - (स्त्री०) भृकुटी
भावांतर - सं० (पु० ) 1 मन की अवस्था का बदलना 2 अर्थातर भावाकुल, भावातुर-सं० (वि०) 1 भावनाओं के कारण अशांत 2 भावों से भरा हुआ, भावुक भावात्मक सं० (वि०) भावमय भावानुवाद-सं० (पु० ) भावार्थ, सरल और वास्तविक अर्थ भावाभिव्यक्ति-सं० (स्त्री०) भाव प्रकट करना भावार्थ-सं० (पु० ) 1 अभिप्रायः, आशय (जैस-पद्य का भावार्थ लिखना) 2 मतलब, तात्पर्य भावावेग, भावावेश-सं० (पु०) भावों की प्रबलता, भावुकता भाविक - I सं० (वि०) 1 भाव संबंधी, भाव का 2 भावी
3 भाव जाननेवाला II (पु० ) भावी अनुमान भावित -सं० (वि०) 1 सोचा हुआ, विचारा हुआ 2 अधिकार में आया हुआ, प्राप्त 3 भेंट किया हुआ 4 मिलाया हुआ भावी - I सं० (वि०) 1 भविष्य में होनेवाला 2 किस्मत में बदा हुआ II (स्त्री०) 1 भविष्यत् काल 2 अवश्य होनेवाली बात, भवितव्यता
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भावुक - I सं० (वि०) 1 सोचने-समझनेवाला, भावना करनेवाला 2 भावों के वशीभूत होनेवाला (व्यक्ति) 3 उत्तम भावना करनेवाला II (पु० ) भला आदमी, सज्जन । ता (स्त्री०) भावुक होने का भाव; ~तावाद (पु० ) अतिभावुकता
भावेप्रयोग-सं० (पु०) व्याकरण में क्रिया का ऐसा प्रयोग कि उसका संबंध न कर्ता से हो न कर्म से भावोत्कर्ष -सं० (पु० ) भाव समृद्धि भावोत्तेजक-सं० (वि०) भावनाओं को उकसानेवाला भावोद्गार - सं० (पु०) भावाभिव्यक्ति भावोद्रेक-सं० (पु०) भावावेश भावोन्मत्त सं० (वि०) भाव विह्वल भावोन्मेष -सं० (पु०) भावों का उदय भावोपयुक्त-सं० (वि०) भाव व्यंजक भाव्य-सं० (वि० ) 1 अवश्य होनेवाला, अवश्यंभावी 2 भावना, योग्य । ता (स्त्री०) होनी, भावी
भाषण - सं० (पु० ) 1 धाराप्रवाह रूप में किया गया विवरण (जैसे- देश की एकता पर भाषण देना) 2 वार्तालाप (जैसे - व्यर्थ का भाषण ) 3 कथन, कही गई बात 4 बोलना, बात कहना। कर्ता (पु० ) = भाषण दाता; कत्री (स्त्री०) भाषण देनेवाली महिला कला (स्त्री०) वक्तृता; -दाता (पु०) भाषण देनेवाला; ध्वनि (स्त्री०) भाषण की आवाज़ प्रतियोगिता (स्त्री०) विषय विशेष पर बोलने की प्रतियोगिता स्वतंत्रता (स्त्री०) भाषण की आज़ादी, छूट
भाषणाभिलाषी-सं० (वि०) भाषण का इच्छुक भाषणावयव-सं० (पु०) बोलने के अंग भाषांतर -सं० (पु० ) 1 अनुवाद करना 2 अनवाद । ~कार (पु० ) अनुवाद करनेवाला, अनुवादक भाषांतरीय-सं० (वि०) भाषांतर संबंधी भाषा-सं० (स्त्री०) 1 बोली, ज़बान (जैसे हिंदी भाषा, अंग्रेज़ी भाषा) 2 बोली (जैसे-पक्षियों की भाषा) 3 देश, क्षेत्र आदि में बोली जानेवाली बोली (जैसे-प्रांतीय भाषा, ग्रामीण भाषा)
भिक्षा
4 शैली (जैसे-गद्य की भाषा, कवि की भाषा)। कुल (पु० ) भाषा परिवार गत (वि०) भाषायी; तत्व (पु०) = भाषा विज्ञान; तत्त्वविद् (पु० ) = भाषा विज्ञानी; ~तात्विक (वि०) = भाषापरक; ~ निर्माण (पु० ) भाषा की रचना; नीति (स्त्री०) भाषा संबंधी सिद्धांत; परक (वि०) भाषायी, भाषागत; परिवार (पु०) भाषाओं के कुल; बद्ध (वि०) भाषा में लिखित; वाद (पु० ) अपनी भाषा को अलग मानने का सिद्धांत; ~वार + फ़ा० ( क्रि० वि०) भाषा के आधार पर विज्ञ (पु०) भाषा विज्ञानी; ~विज्ञान (पु० ) वह विज्ञान जिसमें भाषा की उत्पत्ति और उसके विकास आदि का वैज्ञानिक रूप से अध्ययन किया जाता है; ~ विज्ञानी (पु० ) भाषा विज्ञान का ज्ञाता; ~विद (पु० ) 1 अनेक भाषाओं का ज्ञाता 2 भाषा का जानकार ~ वेत्ता (पु० ) 1 भाषाविद् 2 भाषा विज्ञानी; - वैज्ञानिक (वि०) 1 भाषा विज्ञान से संबंधित 2 भाषा विज्ञानी; ~ शास्त्र (पु०) भाषा विज्ञान; शास्त्री (पु० ) = भाषा विज्ञानी; शैली (स्त्री०) भाषा लिखने का ढंग; ~समूह (पु० ) भाषाओं के वर्ग; ~साम्य (पु०) भाषाओं की परस्पर समानता
भाषात्मक-सं० (वि०) भाषा संबंधी, भाषागत भाषायी -सं० (वि०) भाषा संबंधी, भाषा का (जैसे-भाषायी विभाजन)
भाषिक सं० (वि०) भाषा से संबद्ध भाषिकी-सं० (स्त्री०) भाषाविज्ञान
भाषिणी - सं० (वि० / स्त्री०) बोलनेवाली (जैसे-मृदु भाषिणी ) भाषित - I सं० (वि०) कहा हुआ, कथित II ( पु० ) 1 कथन, उक्ति 2 वार्तालाप
भाषी - सं० (वि०) बोलनेवाला (जैसे- बंगला भाषी, मृदु भाषी)
भाष्य-सं० (पु० ) 1 कथन 2 सूत्र ग्रंथों की विस्तृत व्याख्या 3 गूढ़ बात की विस्तृत व्याख्या । ~ कार ( पु० ) सूत्रों की व्याख्या करनेवाला लेखक
भास सं० (पु० ) 1 चमक 2 प्रकाश 3 किरण 4 मिथ्या ज्ञान भासमान-सं० (वि०) दिखाई देता हुआ भासित-सं० (वि०) 1 प्रकाशमान 2 चमकदार
भासुर - I सं० (पु० ) 1 कुष्ठ रोग की औषधि, कोढ़ की दवा II (वि०) चमकदार, चमकीला भास्कर - सं० (पु० ) सूर्य
भास्वर - I सं० (पु० ) दिन, सूर्य II (वि०) 1 दीप्त
2 चमकदार
भिंगाना - (स० क्रि०) भिगोना (जैसे-कपड़े भिंगाना) भिंगोरा-बो० ( पु० ) 1 भंगरा नामक पौधा 2 भृंगराज पक्षी भिंगोरी - (स्त्री०) भृंगराज नाम का पंछी भिंचना - (अ० क्रि०) बंद होना, मूँदना भिंजाना-बो० (स० क्रि०) भिगोना भिंडी - (स्त्री०) 1 एक प्रकार का पौधा (जैसे- भिंडी की फली) 2 इस पौधे के फल की सब्जी भिक्षा-सं० (स्त्री०) भीख (जैसे- भिक्षा माँगना)। जीवी (वि०) भीख माँगकर जीविकोपार्जन करनेवाला; पात्र | (पु० ) भीख माँगने का बर्तन II (वि०) भिक्षा योग्य
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भिक्षाक
(जैसे- भिक्षा पात्र का अधिकारी); वृत्ति (स्त्री०) भिक्ष माँगना
भिक्षाक-सं० (पु० ) भिक्षुक भिक्षाटन - सं० ( पु० ) भिक्षा हेतु दरवाज़े दरवाज़े जाना भिक्षार्थी - I सं० (वि०) भीख माँगनेवाला II (पु० ) भिखारी भिक्षार्ह सं० (वि०) भिक्षा पाने योग्य
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भिक्षित-सं० (वि०) भीख में मिला हुआ
भिक्षु सं० ( पु० ) 1 भिखमंगा 2 साधु-संन्यासी 3 गोरख मुंडी । ~ संघ (पु० ) 1 भिखमंगों का समूह 2 साधु-संन्यासियों का संगठन, दल
भिक्षुक - I सं० ( पु० ) भिक्षु II ( वि०) भीख माँगनेवाला भिक्षुकी - सं० (स्त्री०) भिक्षुक स्त्री
भिक्षुणी - सं० (स्त्री०) बौद्ध संन्यासिनी
भिखमंगा - ( पु० ) भीख माँगनेवाला, भिखारी
मिखमंगिन - (स्त्री०) भीख माँगनेवाली स्त्री भिखारिणी, भिखारिन - ( स्त्री०) भिक्षुकी भिखारी - (पु० ) भिखमंगा
भिगाना - (स० क्रि०) भिगोना
भिगोना - (स० क्रि०) 1 गीला करना, तर करना (जैसे- कपड़े भिगोना) 2 पानी में भिगोकर नरम करना (जैसे-चने भिगोना) भिचना - (अ० क्रि०) दबना, मूँदना
भिजवाना - I (स० क्रि०) भिगोने का काम कराना II (स० क्रि०) भेजने का काम कराना
भिजाना- (स० क्रि०) 1 भिगोना 2 भेजवाना
भिटनी - (स्त्री०) स्तन का अग्रभाग, चूँची, चूचुक भिड़ंत - (स्त्री०) मुठभेड़ भिड़ - (स्त्री०) बर्रे, ततैया
भिड़ना - ( अ० क्रि०) 1 टकराना 2 लड़ना (जैसे- साँड़ों का भिड़ना) 3 सवाल-जवाब करना 4 सटना (जैसे- दरवाज़े के पल्लों का भिड़ना)
भिड़ाई - (स्त्री०) 1 भिड़ना 2 टक्कर
भिड़ाना - (स० क्रि०) 1 भिड़ने में प्रवृत्त करना 2 सटाना 3 लड़ाई-झगड़ा कराना
भितरिया- बो० (वि०) भीतर रहनेवाला, अंतरंग घितल्ला - I ( पु० ) भीतर की परत अस्तर II (वि०) भीतर का, अंदर का
घितल्ली - ( स्त्री०) चक्की के नीचे का पाट भित्ति - I सं० (स्त्री०) 1 दीवार 2 चित्र बनाने का आधार, चित्राधार 3 नींव । ~ कला (स्त्री०) दीवार पर चित्र बनाने का काम; ~ चित्र (पु० ) दीवार पर बना चित्र; चित्रकला (स्त्री०) भित्ति कला; ~ चित्रकार (पु०) दीवार पर चित्र बनानेवाला; ~ चित्रकारी (स्त्री०) दीवार पर चित्र बनाना; ~पत्रक (पु०) दीवार पर चिपकाया जानेवाला पोस्टर आदि भित्ति - II सं० (स्त्री०) भय, डर
भित्तिका-सं० (स्त्री०) दीवार
भिदना - (अ० क्रि०) 1 छेदा जाना 2 धँसना, घुसना मिनकना- (अ० क्रि०) 1 भिन-भिन शब्द करना (जैसे- मक्खियाँ भिनकना) 2 घृणा पैदा होना (जैसे-जी भिनकना)
घिन घिन - (स्त्री०) मक्खियों की आवाज़
भिनभिनाना - (अ० क्रि०) भिन भिन शब्द होना भिनभिनाहट - (स्त्री०) भिन भिन भिनसार-बो० पु० सबेरा
भिन्न - I सं० ( वि० ) 1 अलग, पृथक् (जैसे-भिन्न पदार्थ ) 2 अलग किया हुआ (जैसे-छिन्न भिन्न) 3 अलग तरह का (जैसे- भिन्न विषय) 4 दूसरा, और (जैसे-भिन्न व्यक्ति) II (पु०) ग० इकाई का छोटा अंश (जैसे-1/4)। गुणन (पु०) भिन्नों का गुणा करना; जातीय (वि०) अलग जाति का; ता ( स्त्री०) भिन्न होने की अवस्था; भाषित्व (पु०) भिन्न भाषी होने का भाव; ~ भिन्न (वि०) अलग, अलग; ~ मतावलंबी (वि०) दूसरे सिद्धांत को माननेवाला; ~मर्याद (वि०) मर्यादा भंग करनेवाला, अनियंत्रित वर्ग (पु०) दूसरे वर्ग का पदार्थ आदि; ~ वर्ण (वि०) 1 अन्य जाति का 2 विवर्ण; ~ व्यवकलन (पु० ) भिन्नों का घटाव; हृदय (वि०) दुःखी हृदयवाला
भिन्नाना- (अ० क्रि०) सिर चकराना
भिन्नार्थ, भिन्नार्थक सं० (वि०) 1 भिन्न उद्देश्यवाला 2 स्पष्ट अर्थवाला
भिन्नोदर - सं० (पु० ) सौतेला भाई भिन्नोदरी-सं० (स्त्री०) सौतेली बहन भिलनी - (स्त्री०) भील जाति की स्त्री भिल्ल - ( पु० ) एक जंगली जाति, भील भिश्ती - ( पु० ) मशक से पानी ढोनेवाला व्यक्ति
भिषक - सं० (पु० ) हकीम, वैद्य
भिष्टा - (स्त्री०) मल
भीतर
भींगना - (अ० क्रि०)
भींगी - (पु० ) भौंरा
भींचना - (स० क्रि०) 1 दबाना 2 बंद करना (जैसे - आँख भींचना ) 3 खींचना (जैसे- भींचकर गले लगाना) भी - ( क्रि० वि०) 1 अवश्य 2 तक 3 अधिक भीख - (स्त्री०) 1 भिक्षा (जैसे भीख माँगना) 2 भीख में मिली वस्तु
भीगना - (अ० क्रि०) 1 गीला होना, तर होना (जैसे-पसीने से भीगना) 2 दयार्द्र होना (जैसे उसका हृदय करुणा से भीग गया) 3 फूलना (जैसे सारा अन्न पानी में भीग गया ) भीगा - (वि०) 1 तर हुआ (जैसे- भीगा वस्त्र) 2 दयार्द्र हुआ (जैसे - करुणा से भीगा व्यक्ति) 3 फूला हुआ (जैसे- पानी में भीगा चना ) | भीगी बिल्ली दीन-हीन बना हुआ; भीगी रात अधिक ठंडी रात, आधी रात के बाद की रात भीट, भीटा - (पु०) 1 टीला, दूह 2 टीले की शक्ल की ज़मीन
=
भीगना
भीड़ - (स्त्री०) 1 जन समूह, मजमा (जैसे- प्रदर्शनकारियों की भीड़) 2 अधिकता (जैसे काम की भीड़)। ~भड़क्का, ~भड़ाका (पु० ), भाड़ (स्त्री०) 1 भीड़, जनसमूह 2 धक्कम धक्का (जैसे- मेले में भीड़-भाड़ होना) भीत - I (स्त्री०) दीवार
भीत - II सं० (वि०) डरा हुआ, भयभीत भीतर - I ( क्रि० वि० ) (जैसे- भीतर झाँकना ) 3 अंतःपुर
1 अंदर ( जैसे घर के भीतर) 2 मन में II (पु० ) 1 अंदरवाला भाग 2 मन
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लेंगे)
भीतरिया 620
भुन्नासी भीतरिया-I बो० (पु०) मंदिर में रहनेवाला पजारी | 2 उत्तरदायित्व निभाना (जैसे-शादी का सारा खर्च हम भुगत
II (वि०) भीतरी भीतरी-(वि०) 1 अंदर का (जैसे-भीतरी बरामदा, भीतरी भुगतान-(पु०) 1 भुगतने का भाव 2 चुकाने की अवस्था
कमरा) 2 छिपा हुआ (जैसे-भीतरी सामान, भीतरी बात) (जैसे-ऋण का भुगतान) भीति-(स्त्री०) डर, भय । ~कर, ~कारी (वि०) भयंकर, भुगताना-(स० क्रि०) 1 भोगने में प्रवृत्त करना 2 भुगतान भयावना
करना, चुकाना 3 समाप्त करना भीनना-(अ० क्रि०) 1 एकरस होना (जैसे-कपड़े में रंग | भुगाना-(स० क्रि०) = भोगाना
भीनना) 2 सम्मिलित होना (जैसे-हवा में सुगंध भिनना) भुग्गा-I (वि०) मूर्ख, बेवकूफ 3 भीगना
भुग्गा -II (पु०) चूर्ण भीना-(वि०) बहुत मंद (जैसे-भीनी सुगंध)
भुग्न-सं० (वि०) 1 टेढ़ा, वक्र 2 बीमार, रोगी भीम-I सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा 2 भयंकर, भीषण 3 बहादुर, भुच्च, भुच्चड़-(वि०) गँवार और मूर्ख वीर II (पु०) कुंती पुत्र भीमसेन । ~ता (स्त्री०) भयंकरता; भुजंग, भुजंगी-सं० (स्त्री०) सर्पिणी तिथि (स्त्री०) भीमसेनी एकादशी
भुजंगम सं० (पु०) साँप, सर्प। पति (पु०) वासुकि; भीमाकार-सं० (वि०) अति विशाल
~भुज, ~भोजी (पु०) 1 गरुड़ 2 मोर, मयूर; ~लता भीरु-सं० (वि.) 1 डरा हुआ 2 कायर, डरपोक। ~ता (स्त्री०) पान की बेल (स्त्री०) 1 कायरता 2 डर, भय; ~सत्व (वि०) स्वभावतः भुजंगा-(पु०) काले रंग की एक चिड़िया, भुजैटा डरपोक
भुज-सं० (पु०) बाहु, बाँह, भुजा (जैसे-भुजबंध)। दंड भील-(पु०) 1 एक जंगली जाति 2 इस जंगली जाति का पुरुष (पु०) लंबी बाँह; पाश (पु०) आलिंगन; बंध (पु०) भीलनी-(स्त्री०) भील की स्त्री
भुजाओं में बाँधने का एक गहना; बल (पु०) बाहुबल, भीली-I (वि०) भील संबंधी II (स्त्री०) भीलों की बोली भुजा की ताक़त; ~मूल (पु०) कंधा; ~लता (स्त्री०) भीषण-सं० (वि०) 1 भयानक, डरावना 2 विकट, बहुत बुरा
लता जैसी लंबी पतली बाँह; ~स्तम्भ (पु०) बाँह अकड़ (जैसे-भीषण परिणाम)
जाना भीषणाकार-सं० (वि०) भीमाकार
भुजगांतक-सं० (पु०) 1 गरुड़ 2 मोर 3 नेवला भीषिका-सं० (स्त्री०) विकट विपत्ति की आशंका भुजगेश-सं० (पु०) वासुकि भीष्म-I सं० (वि०) डरावना, भयंकर II (पु०) राजा शांतनु भुजच्छाया-सं० (स्त्री०) निर्भय आश्रय
का पुत्र । पितामह (पु०) भीष्म; ~प्रतिज्ञा (स्त्री०) भुजवा-(पु०) = भड़ जा कठोर प्रतिज्ञा
भुजा-सं० (स्त्री०) बाँह, बाहु। ~उठाना प्रतिज्ञा करना भीष्माष्टमी-सं० (स्त्री०) माघ शुक्ल की अष्टमी, भीष्म के प्राण भुजाली-(स्त्री०) छोटी कटार, खुखरी त्यागने का दिन
भुजिया-I (वि०) भूनकर बनाया हुआ (जैसे-भुजिया आलू) भंडहरा-बो० (पु०) 1 भूमि के नीचे बनाया गया स्थान ___II (पु०) सूखी सब्जी (जैसे-आलू की भुजिया) 2 तहख़ाना
भुजेना-बो० (पु०) भूना हुआ दाना, चबैना भुंटा-बो० (पु०) भुट्टा
भुजैल-(पु०) = भुजंगा भुडली-(स्त्री०) कँटीले और ज़हरीले बालोंवाला एक कीड़ा, | भुट्टा-(पु०) मक्के की हरी बाल। ~सा उड़ना साधारण पिल्ला
झटके से ही कटकर दूर गिरना भुंडा-I (वि०) बिना सींग का II (वि०) भद्दा, भोंडा | भुतनी-(स्त्री०) = भूतनी । भुकड़ी-बो० (स्त्री०) 1 बिना मूंछ की छोटी मछली 2 सड़ी भुनगी-(स्त्री०) ईख के पौधों में लगनेवाला एक कीड़ा
चीज़ों पर जमनेवाली सफ़ेद रंग की काई, फफूंदी भुनना- (अ० क्रि०) 1 भूना जाना (जैसे-भुट्टा भुनना, सब्ज़ी भुकरौद-(स्त्री०) सड़ायँध
भुनना) 2 नोट आदि का सिक्कों में बदलना भुक्खड़-(वि०) 1 अत्यंत भूखा 2 लालची 3 कंगाल, दरिद्र । भुनभुन-(स्त्री०) कुढ़ने की ध्वनि भुक्त-सं० (वि०) 1 खाया हुआ 2 भोग किया हुआ। | भुनभुनाना-I (अ० क्रि०) भुन भुन शब्द होना II (स०
~भोगी (वि०) दुष्परिणाम भोगनेवाला; ~शेष (वि०) | क्रि०) 1भुन भुन शब्द करना 2 कुढ़कर धीरे-धीरे बातें करना खाने के बाद बचा (भोजन)
भुनवाई-I (स्त्री०) 1 भूनने का काम 2 भूनने की उज़रत भुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 भोजन, आहार 2 भोग 3 लोकिक सुख (जैसे-दाना भुनवाई) भुखमरा-(वि०) भूख से मरनेवाला
भुनवाई-II (स्त्री०) भुनाने के बदले दी गई रकम, भाँज भुखमरी-(स्त्री०) भूख से मरने की अवस्था
भुनवाना- (स० क्रि०) 1 भूनना 2 भुनाना भुखमुआ-बो० (वि०) = भुखमरा
भुनाई-I(स्त्री०) = भुनवाई II भुनाई भुखाना-I बो० (अ० क्रि०) भूखा होना II (स० क्रि०) भुनाना- (स० क्रि०) 1 भूनने का काम कराना 2 भूनने में प्रवृत्त भूखा रखना
करना 3 सिक्कों में बदलवाना भुखालू-बो० (वि०) भूखा
भुनुगा-(पु०) = भुनगा भुगतना-(स० क्रि०) 1 भोगना (जैसे-सज़ा भुगतना) | भुनासी-(पु०) एक तरह का बड़ा देशी ताला
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भुमिया
भुमिया-बो० (पु० ) भुरकना - I (अ० क्रि०) बुरकना, छिड़कना
=
भूमिया भुरभुरा हो जाना II (स० क्रि०)
भुरकस - I (पु० ) बुकनी, चूर्ण II (वि०) चूर्ण किया हुआ भुरका - बो० ( पु० ) 1 चूर्ण 2 अबीर 3 मिट्टी का कसोरा, प्याला 4 मिट्टी की दवात
भुरकाना - बो० (स० क्रि०) 1 छिड़कना, भुरभुराना 2 बहकाना भुरकी - (स्त्री०) 1 छोटा कोठिला 2 पानी का छोटा गड्ढा 3 हौज
भुरकुटा - ( पु० ) कीड़ा मकोड़ा
भुरकुन - बो० (पु० ) चूरा, चूर्ण
भुरकुस - (पु० )
भुरकस भुरता - ( पु० ) चोखा (जैसे-बैगन का भरता )
भुरभुरा - (वि०) अलग-अलग होनेवाला (जैसे-भुरभुरा पदार्थ, भुरभुरी मिट्टी)
भुर्रा - I (वि०) अत्यंत काला II ( पु० ) एक तरह की चीनी भुलक्कड़ - (वि०) भूलनेवाला
भुलभुला - ( पु० ) गर्म राख
भुलवाना - (स० क्रि०) 1 भूलने में प्रवृत्त करना 2 धोखे में
डालना
भुलसना - (अ० क्रि०) / (स० क्रि०) झुलसना
भुलाना - I (स० क्रि०) 1 स्मृति पथ से उतरना 2 स्मरण शक्ति में न लाना 3 भ्रम में डालना II (अ० क्रि०) 1 भूलना 2 भुलावे में आना 3 भटकना
भुलावा - (पु०) छलपूर्ण बात भुवन-सं० (पु० ) संसार। ~कोश (पु० ) 1 भूमंडल, पृथ्वी 2 समस्त ब्रह्माण्ड; त्रय (पु०) स्वर्ग, मर्त्य और पाताल ये तीन लोक ~भावन (पु० ) भुवन की सृष्टि करनेवाला, परमेश्वर
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भुवनेश्वर - सं० (पु० ) 1 लोकों का स्वामी, ईश्वर 2 उड़ीसा में एक प्रसिद्ध तीर्थ
घुस - बो० (पु०) भूसा
भुसुंड-सं० (स्त्री०) सूँड भुसौला - (पु०) भूसावाली कोठरी
भूँकना - (अ० क्रि०) 1 भूँ-भूँ शब्द करना (जैसे- कुत्तों का भूँकना) 2 झूठ-मूठ बकना
पूँजना- बो० (स० क्रि०) 1 भूनना 2 भोगना पूँजा -बो० (पु०) भड़भूँजा
डरी - (स्त्री०) नाऊ, बारी आदि को माफ़ी मिलनेवाली ज़मीन डिया - (पु० ) मँगनी के हल बैल से खेती करनेवाला व्यक्ति भू- I बो० (स्त्री०) भौंह, भ्रू
भू - II सं० (स्त्री०) 1 ज़मीन 2 पृथ्वी (जैसे- भूपाल, भू स्वामी)। ~ अंकन (पु०) ज़मीन की नाप-जोख करना; ~ अभिलेख (पु० ) ज़मीन का पट्टा ~ आगम (पु० ) भूमि से होनेवाली आय कंप (पु०) भूचाल; कंपग्रस्त (वि०) भूकंप से पीड़ित; ~कंप प्रहार ( पु० ) भूचाल का धक्का; ~कंप मापक, ~ मापी (पु० ) भूचाल की शक्ति और गति मापने का एक यंत्र; ~ कंपलेख (पु० ) भूकंप की गतिविधियाँ, वेग आदि से संबंधित लेख या अंकन लेखी (पु० ) भूकंप की गतिविधियाँ जानने का यंत्र;
कंप
कंप
भू
विज्ञान (पु० ) ऐसा विज्ञान जिसमें भूकंपों के कारणों, गतिविधियों आदि का अध्ययन होता है; कंप विज्ञानी (पु०) भूकंप विज्ञान का ज्ञाता; ~कंप सूचक (वि०) भूकंप की सूचना देनेवाला (भूकंप सूचक यंत्र); कंपी (वि०) भूकंप संबंधी, भूचाल का; कंपीय (वि०) भूकंप का, भूकंप संबंधी; ~कर (पु० ) ज़मीन का लगान; कर्ण (पु० ) पृथ्वी का व्यास; ~क्षरण (पु० ) ज़मीन का अपरदन या कटाव ~ क्षेत्र (पु०); ~खंड (पु०) भूभाग; ~गणित (पु० ) पृथ्वी के आकार और विस्तार के अध्ययन करने की विद्या; गर्भ (पु० ) पृथ्वी का भीतरी भाग; ~गर्भगृह (पु०) तहखाना, तलगृह; गर्भ भौतिक (पु०), गर्भ भौतिकी (स्त्री०) = भू भौतिकी; गर्भ विज्ञ (पु० ) भूविज्ञानी; गर्भ विद्या (स्त्री०) भूविज्ञान ~गर्भशास्त्र (पु० ) वह विज्ञान जिसमें पृथ्वी की मिट्टी, पत्थर चट्टानों तथा खनिजों का अध्ययन किया जाता है;; -गर्भ शास्त्री (पु० ) भूविज्ञानी; गर्भ शास्त्रीय (वि०) भू वैज्ञानिक; गर्भस्थ (वि०) भूगर्भीय; ~गर्धित (वि०) पृथ्वी के अंदर पड़ा हुआ; गर्मी, ~गर्भीय (वि०) पृथ्वी के अंदर होनेवाला (जैसे- भू गर्भीय विस्फोट ); ~गोल (पु० ) 1 ऐसा शास्त्र जिसमें पृथ्वी तल के ऊपरी स्वरूप, प्राकृतिक राजनीतिक विभागों का अध्ययन तथा विवेचन किया जाता है 2 पृथ्वी गोलक (पु० ) भूमंडल; ~गोल विज्ञान, गोल विद्या (स्त्री०), गोल शास्त्र
=
=
भूगोल, भूशास्त्र; ~ गोल शास्त्री (पु०) भूगोल का ज्ञाता; चक्र (पु०) 1 पृथ्वी की परिधि 2 विषुवत् रेखा 3 क्रांति वृत्त -चर (वि०) स्थलचर, चाल + हिं० (पु०) पृथ्वी के धरातल पर होनेवाला प्राकृतिक कंपन; चित्र (पु० ) 1 पृथ्वी का मानचित्र 2 ज़मीन का नक्शा चित्रावली (स्त्री०) मानचित्रावली, एटलस; छाया (स्त्री०) धरती की छाया; ~डोल + हिं० (पु०) = भूकंप; तत्त्व, तत्त्व विज्ञान (पु० ), तत्त्व विद्या (स्त्री०) पृथ्वी के तत्त्वों से संबंधित शास्त्र तत्त्वीय (वि०) भू वैज्ञानिक; ~तल (पु० ) पृथ्वी की सतह; ताप (पु०) पृथ्वी के भीतर की गर्मी; तेल (पु० ) पृथ्वी से निकलनेवाला तेल, मिट्टी का तेल; दान (पु०) ज़मीन आदि का दान करना; ~दान पत्र (पु० ) भूदान संबंधी कागजात ; ~ दानयज्ञ (पु० ) लोकहित के विचार से ज़मीन दान करने का काम; दानी (पु०) भू दान करनेवाले लोग; दास (पु० ) कृषि दास दासत्व (पु० ) कृषि दास होने का भाव; दृश्य (पु० ) 1 भूखंड का अंकित चित्र 2 एक जगह से देखा जा सकनेवाला भूखंड; ~धर (पु० ) पहाड़; ~ धृति (स्त्री०) कुछ धन देकर दूसरों की भूमि का उपभोग करना; पति (पु० ) राजा, नरेश; पतित (वि०) पृथ्वी पड़ा हुआ, धराशायी परिधि (स्त्री०) पृथ्वी का घेरा परिमाप (पु० ) = भूमापन; परिमापक (पु०) = भू मापक; पाल (पु० ) राजा, भूपति पुत्र ( पु० ) 1 मंगल ग्रह 2 नरकासुर; पुत्री (स्त्री०) जनक तनया, सीता प्रबंध (पु० ) ज़मीन का बंदोबस्त; ~फिसलाव + हिं० (पु० ) भू स्खलन; भाग (पु० ) भूखंड ~ भौतिक (वि०) पृथ्वी और उसके पर्यावरण से संबंधित; ~ भौतिकी (स्त्री०) पृथ्वी और इसके पर्यावरण में
=
=
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भू
होनेवाली परिघटनाओं का विवेचन करनेवाला शास्त्र; ~ भौतिकीविद (पु०) भूभौतिकी का जानकार; मंडल ( पु० ) भूगोल, धरती; मंडल व्यापी (वि०) संपूर्ण पृथ्वी पर पाया जानेवाला; ~ मध्यरेखा (स्त्री०) पृथ्वी के मध्य से जानेवाली रेखा, विषुवत् रेखा; मध्य रेखीय (वि०) भूमध्य रेखा से संबंद्ध; ~मध्य सागरीय (वि०) भूमध्य सागर से संबंद्ध मध्यस्थ (वि०) भूमि के बीच स्थित; ~ मध्याकर्षण (पु० ) पृथ्वी के बीच की आकर्षण शक्ति; ~ मापक (पु० ) पृथ्वी की माप करनेवाला यंत्र; मापन (पु०) भूमि या खेत की नाप जोख करना; मिति (स्त्री०) 1 भूमि या खेत नापने की क्रिया 2 ज्यामिति के आधार पर सीमा निर्धारण हेतु माप करना; ~ रचना (स्त्री०) पृथ्वी की बनावट; ~ रसायन (पु० ) पृथ्वी पर रासायनिक क्रियाओं से संबंधित शास्त्र; ~राजस्व (पु० ) भू कर; ~ रासायनिक (वि०) भूरसायन से संबंधित रूप विज्ञान (पु० ) पृथ्वी के आकार प्रकार से संबंधित शास्त्र; लेखा + हिं० (पु० ) 1 पृथ्वी का हिसाब 2 ज़मीन का हिसाब; लोक (पु०) पृथ्वी विज्ञान (पु० ), ~ विद्या (स्त्री०) वह विज्ञान जिसमें पृथ्वी की मिट्टी और पत्थर की तहों आदि की रचना तथा उनके स्वरूप का विस्तृत विवेचन होता है, भौमिकी; ~ व्यवस्था (स्त्री०) ज़मीन का प्रबंध; ~शायी (वि०) 1 पृथ्वी पर लेटा या पड़ा हुआ 2 मृतक; ~~ शास्त्र (पु० ) = भू विज्ञान; ~ शास्त्री (पु० ) = भूविज्ञानी; ~शुल्क (पु० ) भूमि संपत्ति पर लगनेवाला कर; संपत्ति (स्त्री०) ज़मीन के रूप में होनेवाली जायदाद सर्वे + अं० (पु०) = भूमापन; ~ सर्वेक्षण (पु० ) भूमि की जाँच करना; ~सुता (स्त्री०) सीता जी, जानकी; स्खलन (पु०) मिट्टी और पत्थर के बड़े-बड़े ढेरों का खिसककर नीचे गिरना; ~स्वामी (पु० )
राजा
भूआ - (पु०) रूई जैसा रेशेदार पदार्थ
भूई - (स्त्री०) 1 रूई का छोटा गाला 2 पूनी भूख - (स्त्री०) 1 भोजन की इच्छा क्षुधा 2 इच्छा (जैसे-प्यार की भूख ) । ~ प्यास (स्त्री०) भूख और प्यास; ~ हड़ताल (स्त्री०) विरोध में भोजन त्यागना (जैसे भूख हड़ताल करना); ~ हड़ताली (पु०) भूख हड़ताल करनेवाले लोग; ~मरना 1 क्षुधा नष्ट होना 2 भूख न लगना; भूखों मरना भूख से पीड़ित होना भूखर - बो० ( स्त्री० ) 1 भूख, क्षुधा 2 कामना, इच्छा भूखा - (वि०) 1 जिसे भूख लगी हो (जैसे- भूखा व्यक्ति) 2 अत्यधिक इच्छुक (जैसे- प्यार का भूखा) 3 दरिद्र । -अधभूखा (वि०); ~ नंगा (वि०) अन्न-वस्त्र के कष्ट से पीड़ित और दरिद्र प्यासा (वि०) भूख और प्यासवाला (जैसे- भूखा प्यासा यात्री)
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भूजी - (स्त्री०) भुजिया
भूटानी - I (वि०) भूटान देश का II ( पु० ) भूटान देश का निवासी III (स्त्री०) भूटान देश की बोली भूटिया - I (वि०) भूटान संबंधी II ( पु० ) भूटान का रहनेवाला
भूड़ - ( स्त्री०) 1 बलुई ज़मीन 2 कुएँ का सोता भूत - I सं० (वि०) 1 बीता हुआ, अतीत (जैसे-भूत काल )
भूमि
2 वस्तुतः घटित 3 उत्पन्न 4 अवस्था विशेष को प्राप्त (जैसे- घनीभूत, पुँजीभूत) 5 पुराना, पहले का (जैसे-भूतपूर्व मंत्री) II ( पु० ) 1 प्रेत, पिशाच 2 व्या० क्रिया का एक काल, भूतकाल (जैसे- वह चला गया)। ~ काल (पु०) बीता हुआ समय, गतकाल; ~कालिक (वि०) भूत काल संबंधी; ~कालिक कृदंत (पु०) व्या० क्रिया का भूत कालिक रूप; खाना + फ़ा० (पु०) अत्यंत मैला-कुचैला स्थान; ~ ग्रस्त (वि०) भूत पीड़ित; ~दया (स्त्री०) प्राणियों के प्रति दया भाव; नाथ (पु० ) शिव; नायिका (स्त्री०) दुर्गा पक्ष (पु०) कृष्ण पक्ष, अँधेरा पाख
पूर्णिमा ( स्त्री०) शरद् पूर्णिमा, आश्विन की पूर्णिमा; -पूर्व (वि०) 1 पहलेवाला, प्राचीन 2 गत; प्रेत (पु० ) भूत, प्रेत, पिशाच आदि की योनियाँ; भावन (पु० ) शिव; ~ यज्ञ (पु० ) भूत बलि; ~ लक्ष्मी (वि०) पूर्व व्यापित; ~वाद (पु० ) 1 पंचभूतों को सृष्टि का कर्ता माननेवाला एक नास्तिक दार्शनिक संप्रदाय 2 भौतिकवाद; ~वादी I (वि०) भूतवाद संबंधी II (पु० ) भूतवाद का अनुयायी; ~विक्रिया (स्त्री०) चि० भूतप्रेतों के कारण होनेवाली बाधा, प्रेत बाधा; ~ विद्या ( स्त्री०) भूत प्रेतों के प्रभाव और उसके निराकरण संबंधी आयुर्वेद, विनायक (पु०) शिव; संचार (पु० ) भूतोन्माद नामक रोग; ~संप्लव (पु० ) प्रलय भूतनी - (स्त्री०) 1 भूत योनि की स्त्री 2 डाकिनी 3 अस्त-व्यस्त रूप अथवा कर्कश स्वभाववाली स्त्री भूतात्मा-सं० (पु० ) 1 परमात्मा 2 शरीर 3 शिव 4 जीवात्मा भूतानुकंपा -सं० (स्त्री०) भूत की कृपा
भूतावास सं० ( पु० ) 1 पंच भूतों द्वारा निर्मित शरीर 2 संसार भूताविष्ट-सं० (वि०) भूत प्रेतों से ग्रस्त भूति-सं० (स्त्री०) 1 उत्पत्ति, होना 2 अस्तित्व में आना भूती - ( पु० ) भूत-प्रेतों की उपासना करनेवाला, भूतोपासक भूतेश - सं० ( पु० ) शिव भूतोन्माद-सं० (पु० ) भूत संचार भूनना- (स० क्रि०) 1 सेंकना (जैसे- मांस भूनना, पापड़ भूनना) 2 अन्न कणों को पकाना (जैसे-दाना भूनना) 3 अत्यधिक सताना (जैसे- हमेशा भूनते रहना) भूप-सं० (पु० ) राजा
=
भूभल - (स्त्री०) 1 चिनगारियों से युक्त गर्म राख 2 गर्म रेत भूम - I सं० (पु० ) पृथ्वी II (स्त्री०) भूमि भूमा-सं० (स्त्री०) ऐश्वर्य
भूक्षरण; गत
भूमि सं० (स्त्री०) 1 धरती, पृथ्वी 2 ज़मीन 3 स्थान, क्षेत्र (जैसे - आर्य भूमि) 4 देश (जैसे- भारत भूमि) 5 उत्पत्ति स्थान (जैसे - जन्म - भूमि) । ~कंप (पु० ) भूकंप; ~कर (पु० ) = भूकर; क्षरण (पु० ) (वि०) भूमि के अंदर छिपा; तल (पु० ) = भूतल; ~दान (पु० ) = भूदान; दाहा + हिं० (वि०) जलकर मिट्टी हो गया; ~धर ( पु० ) 1 शेषनाग 2 पहाड़, पर्वत, पति (पु० ) भूपति; परिमाप (पु० ) = भू मापन; परिमापक (पु० ) भू मापक परिमापन (पु० ) = भू मापन पुत्र ( पु० ) = भू पुत्र बंधक बैंक + अं० (पु० ) भूमि को गिरवी रखकर पैसा देनेवाला बैंक; धाम (पु०) = भूभाग; ~मार्ग (पु०) सड़क; ~लवण (पु० )
=
=
=
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भूमिका
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भेडिहर
भृतक-
1
2 पीला पोसा हुआ, पोल ! (वि.) 1 भरा
शोरा; विभाजन (पु०) ज़मीन का बाँटना; ~व्यवस्था | भूषाचार-सं० (पु०) कपड़े आदि पहनने का ढंग (स्त्री०) = भू व्यवस्था; ~सात् (वि०) भूमि में मिल | मूषित-सं० (वि०) 1 सजा हुआ 2 अलंकृत जानेवाला; ~सीमा (स्त्री०) ज़मीन की हद्द; सीमा | भूस-(पु०) = भूसा निर्धारण (पु०) = भू मापन; ~सुधार + हिं० (पु०) भूमि भूसना-(अ० क्रि०) = |कना को उपज के योग्य बनाना; ~स्वामी (पु०) = भू स्वामी; भूसा-(पु०) गेहूँ, जौ आदि पौधों के डंठलों के सखे छोटे-छोटे
हथियाओ आंदोलन + हिं० + सं० (पु०) भूमि पर टुकड़े। घर (पु०) भूसा भरने का स्थान अनाधिकार, अवैध ढंग से कब्जा करना; हस्तांतरण मुंग-सं० (पु.) 1 भौंरा 2 भैंगरा 3 शृंगराज पक्षी (पु०) भूमि को दूसरे के हाथ में देना; हीन (वि०) बिना भंगारि-सं० (स्त्री०) केवड़ा भूमि का
भृकुटी-सं० (स्त्री०) भौंह भूमिका-सं० (स्त्री०) 1 पृष्ठभूमि, बैंकग्राउंड (जैसे-नाटक की | भृत-I सं० (पु०) 1 सेवक, नौकर 2 दास II (वि०) 1 भरा भूमिका) 2 पुस्तक के प्रारंभ में लेखक का वक्तव्य, आमुख __ हुआ, पूरित 2 पोला पोसा हुआ, पोषित 3 चुकाया हुआ (जैसे-ग्रंथ की भूमिका)। ~गत (पु०) नाटकीय वस्त्र भूतक-I सं० (पु०) वेतन भोगी नौकर II (वि०) वेतन पर पहननेवाला; ~लेखक (पु०) पुस्तक की भूमिका __ रखा हुआ लिखनेवाला
भृतकाध्यापक-सं० (पु०) वेतन पर अध्यापन कार्य भूमिया-(पु०) 1 ज़मींदार 2 ग्राम देवता
करनेवाला व्यक्ति भूमिहार-सं० (पु०) खेती बारी करनेवाली और ब्राह्मण | भृति-सं० (स्त्री०) 1 भरने का काम 2 पालन पोषण 3 नौकरी कहलानेवाली एक जाति
4 मज़दूरी। कर्मकर (पु०) 1 मज़दूर 2 नौकर; ~भोगी भूम्याधिकारी-सं० (पु०) = भू स्वामी
(वि०) वेतन पर काम करनेवाला भूम्युच्च-सं० (पु०) ग्रह का अपनी कक्षा में घूमते हुए पृथ्वी से | भृत्य-सं० (पु०) भृतक । बहुत दूर चला जाना
भृत्या-सं० (स्त्री०) 1 दासी 2 वेतन भूय-सं० (अ०) फिर, पुनः
भृष्ट-सं० (वि०) भूना हुआ भूयशः-सं० (अ०) अधिकता से
भेंगा-(वि०) ऐंचाताना। पन (पु०) आँख का टेढ़ापन भूयसी-सं० (स्त्री०) बहुत अधिक
भेंट-(स्त्री०) 1 उपहार, सौगात स्वरूप दी गई वस्तु 2 मुलाकात भूर-I (वि०) बहुत अधिक II (पु०) बालू, रेत
(जैसे-कई महीनों के बाद भेंट हुई)। ~पत्र + सं० (पु०) भूरा-I (वि०) मटमैले रंग का, खाकी II (पु०) मिट्टी सा | मुलाकाती कार्ड; ~मुलाक़ात + अ० (स्त्री०) मेल मटमैला रंग
मुलाकात; ~वार्ता + सं० (स्त्री०) मिलने पर की जानेवाली भूरि-(वि०) प्रचुर, बहुत। ~धन (वि०) बहुत धनी; बातचीत; स्वरूप + सं० (क्रि० वि०) उपहार के रूप में ~भाग्य (वि०) बहुत भाग्यशाली
भेंटना- 1 मुलाक़ात करना 2 आलिंगन रूप में मिलना पूर्ज-सं० (पु०) भोजपत्र का वृक्ष। पत्र (पु०) भोजपत्र | भेक-(पु०) मेढक भूल-(स्त्री०) 1 भूलने का भाव 2 अज्ञानता, ग़लती भेवना-बो० (स० क्रि०) भिगोना (जैसे-भूल से गाली देना) 3 अशुद्धि (जैसे-भूल सुधारना) भेजना-(स० क्रि०) 1 जाने में प्रवृत्त करना (जैसे-नौकर 4 कसूर, दोष, अपराध (जैसे-मेरी भूल माफ़ कर दीजिए) । भेजना) 2 सामान आदि हेतु जाने का आदेश देना
चूक (स्त्री०) 1 भूल, भ्रम 2 त्रुटि 3 गलती; ~भुलैयाँ (जैसे-नौकर को बाज़ार भेजना) 3 अन्य स्थान को किसी (स्त्री०) इमारत के आसपास की चक्करदार गलियाँ साधन द्वारा पहुँचाना (जैसे-पत्र भेजना)
सुधार (पु०) भ्रम संशोधन; स्वीकार + सं० (पु०) भेजवाना-(स० क्रि०) भेजने का काम कराना (जैसे-नौकर से ग़लती मानना
पत्र भेजवाना) भूलना-I (अ० क्रि०) 1 याद न रहना, विस्मृत होना 2 भूल भेजा-I (पु०) खोपड़ी के अंदर का गूदा, मगज़ करना, त्रुटि करना (जैसे-कभी मत भूलना) 3 इधर उधर | भेजा-II (पु०) भेजा जानेवाला पदार्थ (जैसे-जो कुछ आपने होना, भटकना (जैसे-रास्ता भूलना) 4 खो जाना II (स० भेजा था, मिल गया) क्रि०) 1 याद न रखना (जैसे-मैं पुरानी आदतों को भूल गया) भेड़-(स्त्री०) बकरी के आकार का एक प्रसिद्ध घने बालोंवाला 2 ध्यान न रहना (जैसे-मैं पत्र लिखना ही भूल गया) पालतू चौपाया (जैसे-भेड़ का ऊन)। -चाल (स्त्री०) 3 इधर-उधर जाना, विचलित होना (जैसे-वह अपना रास्ता भेडिया धंसान; पालन + सं० (पु०) भेड़ पालना: भूल गया) 4 खो देना (जैसे-मैं स्टेशन पर घड़ी भूल आया) बकरी (स्त्री०) भेड़ और बकरी भूलना-II (वि०) भूलनेवाला, विस्मरणशील
भेड़ना-(स० क्रि०) 1 बंद करना (जैसे-दरवाज़ा भेड़ना) भूला चूका-(वि०) भूला भटका
2 सटाकर भिड़ाना भूला भटका-(वि०) अपना रास्ता भूला हुआ
भेड़ा-(पु०) नर भेड़, मेढ़ा। भूषण-सं० (पु०) 1 गहना, जेवर 2 सजावट 3 शोभाजनक | भेड़िया-1 (पु०) कुत्ते से बड़ा एक हिंसक जंगली पशु II (वि०)
भेड़ का सा। चाल; ~धैंसान (स्त्री०) भेड़ों सा अंध भूषा-सं० (स्त्री०) 1 गहना (जैसे-वेश-भूषा) 2 सजावट. अनुसरण श्रृंगार
भेडिहर-बो० (पु०) गड़ेरिया
वस्तु।
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भोगना
भेद-सं० (पु०) 1 छेदना 2 अंतर, बिलगाव (जैसे-मत भेद) | मैंसाव-(पु०) मैंस और मैसे का जोड़ा खाना 3 छिपा हुआ, मर्म 4 रहस्य (जैसे-गुप्त भेद) 5 तरह, प्रकार मैंसोरी-(स्त्री०) मैंस का चमड़ा (जैसे-नायिका भेद)। ~कारी (वि०) भेद करनेवाला; | मैक्ष-सं० (पु०) भिक्षा। -वृत्ति (स्त्री०) भीख माँगना
नीति (स्त्री०) फूट डालने की नीति; ~पूर्ण (वि०) रहस्य भैक्षान्न-सं० (पु०) भिक्षा में प्राप्त अन्न से भरा हुआ, रहस्य पूर्ण प्रभेद (पु०) प्रकार और भैक्षाशी-I सं० (वि०) भिक्षान्न खानेवाला II (१०) प्रकारांतर; बुद्धि (स्त्री०) अंतर करनेवाली बुद्धि, द्वैतभाव; भिखमंगा ~भरा + हिं० (वि०) रहस्य से भरा, रहस्यमय; - भाव मैक्ष्य-सं० (पु०) भीख, भिक्षा (पु०) 1 मतैक्य का अभाव 2 अंतर, फर्क; ~भाव पूर्ण भैया-(पु०) 1 भाई, भ्राता 2 व्यवहार में किया जानेवाला एक (वि०) = भेदपूर्ण; ~भावमूलक (वि०) भेद भाव पैदा संबोधन (जैसे-रामू भैया जयराम)। चारा (पु०), करनेवाला; ~युक्त (वि०) = भेदमय; ~वाद (पु०) ~चारी (स्त्री०) = भाईचारा; दूज (स्त्री०) दिवाली के दैतवाद; ~वादी (वि०) द्वैतवादी; ~साक्षी (पु०) बाद दूज का त्योहार (जैसे-भैया दूज की मिठाई) इकबाली गवाह
भैरव-I सं० (वि०) 1 भयानक 2 घोर विनाश करनेवाला भेदक-सं० (वि०) 1 भेद करनेवाला 2 छेदन करनेवाला 3 नष्ट | 3 अत्यंत उग्र II (पु०) 1 महादेव, शिव 2 शिव के गण करनेवाला
भैरवी-सं० (स्त्री०) तांत्रिकों की एक देवी, चामुंडा भेदकातिश्योक्ति-सं० (स्त्री०) साहि० वह अतिशयोक्ति भैरो-(पु०) = भैरव
अलंकार जहाँ उपमेय और उपमान में भेद होने पर भी अभेद भैषज-सं० (पु०) दवा, 'औषध दिखाया जाए
भैषजिक-सं० (वि०) औषध संबंधी भेदड़ी-बो० (स्त्री०) रबड़ी
भैषजिकी-सं० (स्त्री०) औषध विद्या भेदन-(पु०) 1 छेदन 2 तोड़ना
भैषज्य-सं० (पु०) दवा भेदना-(स० क्रि०) छेदना, बेधना
भोंकना-I (स० क्रि०) घुसाना (जैसे-छुरा भोंकना) भेदित-सं० (वि०) भेदा हुआ
भोंकना-II (अ० क्रि०) मूंकना मेदिनी-सं० (स्त्री०) भेदने की शक्ति
भोंगाल-अं० (पु०) भोंपा भेदिया-सं० + हिं० (पु.) 1 गुप्तचर 2 भेद जाननेवाला मोचाल-(पु०) = भूकंप व्यक्ति
भोंडा-(वि०) 1कुरूप 2 अनगढ़, बेहदा 3 बेडौल 4 अशिष्ट पेदी-[सं० + हिं० (वि०) भेदन करनेवाला, भेदक II (पु०) भोतला-बो० (वि०) भोथरा-(वि०) = भोंथरा भेदिया (जैसे-घर का भेदी)
भोंदू-(वि०) अत्यंत सीधा-सादा और बेवकूफ़ भेदी-सं० (वि०) भेदक
भोपा, भोंपू-(पु०) 1 फूंककर बजाया जानेवाला एक तरह का भेद्य-I सं० (वि०) भेदे जाने योग्य II (पु०) चीर फाड़, शल्य बाज़ा 2 कल कारखानों में बजनेवाली ऊँची सीटी 3 मोटर, क्रिया
गाड़ी आदि में शब्द उत्पन्न करनेवाला यंत्र भेना-(स० क्रि०) तर करना, भिगोना
भों भों-(स्त्री०) भुंकने की आवाज़ भेरवा-(पु०) एक तरह का खजूर (वृक्ष और फल) | भोकार-(स्त्री०) ज़ोर-ज़ोर से रोना भेरी-सं० (स्त्री०) बड़ा ढोल (जैसे-रणभेरी)
भोक्तव्य-सं० (वि०) भोगा जाने योग्य भेलना-(स० क्रि०) 1 अस्त व्यस्त करना 2 तोड़ना फोड़ना भोक्ता-सं० (वि०) भोग करनेवाला (जैसे-सुख भोक्ता, 3 लूटना
कर्मफल भोक्ता) भेला-(पु०) 1 भेंट, मुलाक़ात 2 भिड़त, मुठभेड़ 3 बड़ा गोला, भोग-सं० (पु०) 1 भोगने का भाव 2 उपयोग में लाना
(जैसे-संपत्ति का भोग) 3 देवताओं को अर्पित खाद्य पदार्थ, भेली-(स्त्री०) 1 गुड़ का छोटा टुकड़ा 2 गुड़ 3 किसी वस्तु का नैवेद्य (जैसे-भोग लगाना) 4 कर्मफल (जैसे-भोग भोगना)
5 भोजन करना, खाना 6 संभोग, मैथुन (जैसे-स्त्री सुख भेषज-सं० (पु०) 1 निरोग करना 2 दवा, औषध । करण भोग)। काल (पु०) 1 भोगने का पूरा समय 2 घटना के (पु०) दवा बनाना; -विज्ञान (पु०) औषध शास्त्र घटित होने का समय; ~ग्रह (पु०) अंतःपुर, जनानखाना; ~संग्रह (पु०) ऐसा प्रकाशित प्रामाणिक ग्रंथ जिसमें मान्य तृष्णा (स्त्री०) भोग की प्रबल इच्छा; देह (पु०)
औषधों की सूची, उनके गुण, धर्म आदि का विवरण रहता है मरणोपरांत सुख दुःख भोगनेवाली देह; -पिशाचिका भेषजांग-सं० (पु०) दवा के साथ खाए जानेवाला पदार्थ (स्त्री०) भृग्न; ~बंधक (पु०) रेहन रखने का वह प्रकार भेषजागार-सं० (पु.) औषधालय
जिसमें रेहन रखी गई वस्तु के भोग का अधिकार भी महाजन भेषजीय-सं० (वि०) औषधि संबंधी, ओषधीय
को रहता है; -भृतक (पु०) केवल भोजन और वस्त्र लेकर भेषज्य-सं० (वि०) नीरोग करनेवाला
काम करनेवाला नौकर; ~लिप्सा (स्त्री०) भोग की तृष्णा; भेस-(पु०) 1 पहनावा 2 वेशभूषा (जैसे-भेस बदलना) वाद (पु.) खाओ-पीओ मौज़ उड़ाओ ऐसा मत; भैंस-(स्त्री०) प्रायः काले रंग की गाय की तरह का पालतू मादा -विलास (वि०) मौज मस्ती, ऐश; ~वेतन (पु०) धरोहर
रखने के बदले में दिया जानेवाला धन मैंसा-(पु.) 1 भैंस का नर 2 हट्टा कट्टा आदमी भोगना-(स० क्रि०) 1सुख-दुःख का अनुभव करना
तिंड
पिंड
पश
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भोगवाना
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भौमिक
m
2 भुगतना 3 संभोग करना 4 लुत्फ़ उठाना, ऐश करना भोथरा-(वि०) कुंद धारावाला (जैसे-भोथरा चाकू) भोगवाना-(स० क्रि०) भोग कराना
भोथराना-(अ० क्रि०) कुंद होना मोगांत-सं० (पु०) भोग का अंत
भोपा-(पु०) भोंपू (जैसे-भोपा बजाना) भोगाधिकार-सं० (पु०) भोग करने का उत्तराधिकार भोमीरा-(सी०) मूंगा भोगाधिकारी-सं० (पु०) भोग का उत्तराधिकारी
भोर-(पु०) सबेरा, तड़का (जैसे-भोर का तारा, भोर में जाना) भोगाना-(स० क्रि०) भोगने में प्रवृत्त करना
भोला-(वि०) सीधासादा, सरल (जैसे-वह बहुत भोला है)। भोगिक-सं० (पु०) 1 गाँव का मुखिया 2 साईस
~पन (पु०) सिधाई; ~भाला (वि०) सरल हृदय का, भोगी-I सं० (वि०) 1 भोगनेवाला 2 इद्रिय सुखभोग की निश्छल और निरीह इच्छा करनेवाला, विषयासक्त 3 विषयी, व्यसनी II (पु०) | भोलेपन-(पु.) भोलापन 1 गृहस्थ 2 राजा
भोसर-(वि०) मूर्ख भोग्य सं० (वि०) 1 भोग करने योग्य 2 सहने योग्य, सह्य । भौ-(सी०) भौंह ~भूमि (स्त्री०) 1 मर्त्यलोक 2 क्रीड़ा स्थल
भौंकना-(अ० क्रि०) |कना भोग्या-सं० (स्त्री०) वेश्या
भाँडा-बो० (वि०) भोंडा भोज-(पु०) दावत (जैसे-भोज देना)
भौड़ी-बो० (सी०) 1 पहाड़ी 2 टीला भोजन-सं० (पु०) 1 खाना, भक्षण करना 2 खाए जानेवाला| भौतुवा-(पु०) वायुरोग खाद्य पदार्थ, खाद्य सामग्री 3 विशेष अवस्था में खाई भौरा- (पु०) 1लट्ट जैसा डंडीदार एक खिलौना 2 भाँवर जानेवाली वस्तु (जैसे-रात्रि भोजन)। खर्च + फ़ा० (पु०) ___ 3 फूलों का रस चूसनेवाला एक काला पतंगा, भ्रमर = भोजन व्यय; ~गृह (पु०) भोजनशाला; ~ग्राही (वि०) । भौरी-(स्त्री०) 1लिट्टी, बाटी 2 पशुओं के शरीर पर होनेवाला भोजन ग्रहण करनेवाला; चतुर (पु.) 1 पेट्र 2 भोजन रोओं का मंडलाकार छोटा घेरा 3 दे० भाँवर 4 दे० भँवर परखने में होशियार; छाजन + हिं० (पु०) खाना और भौह-I (स्त्री०) आँख के ऊपर की हड्डी पर के बाल, भृकुटी, मकान; ललिका (स्त्री०) ग्रास नली, आहार नली; ~भट्ट भौं (जैसे-भौंह चढ़ाना) (पु०) बहुत अधिक खानेवाला व्यक्ति; ~भात (पु०) । भौह-II (स्त्री०) भों भों सहभोज; वस्त्र (पु०) भोजन छाजन; विलासी (पु०) | भौकन-बो० (स्त्री०) 1 आग की लपट, ज्वाला 2 जलन, ताप भोजन चतुर; ~व्यय (पु०) भोजन का खर्च ~शाला भौका-बो० (पु०) बड़ी दौरी (स्त्री०) भोजनालय; ~सूची (स्त्री०) होटल में खाद्यों की | भौगर्भिक-सं० (दि०) पृथ्वी के भीतरी भाग में होनेवाला तालिका।
भौगोलिक सं० (वि०) भूगोल संबंधी, भूगोल का भोजनागार-सं० (पु०) भोजनशाला
भौचक, भौचक्का-(वि०) हक्का बक्का, हैरान भोजनाच्छादन-सं० (पु०) भोजन छाजन
भौचाल-बो० (पु०) भूकंप भोजनालय-सं० (पु०) 1 रसोई घर, पाकशाला 2 मूल्य देकर | भौजाई-(स्त्री०) भाभी भोजन मिलने की जगह, रेस्टोरेंट
भौजी-(स्त्री०) बड़े भाई की पत्नी, भाभी भोजनावकाश-सं० (पु०) खाना खाने की छुट्टी भौटा-बो० (पु०) टीला, भीटा भोजनीय-सं० (वि०) खाया जाने योग्य, खाद्य
भौतिक-सं० (वि०) 1सांसारिक, लौकिक (जैसे-भौतिक भोजनोत्तर-सं० (वि०) भोजन के बाद खाया जानेवाला संपदा, भौतिक उन्नति) 2 शरीर संबंधी (जैसे-भौतिक भोजपत्र-सं० (पु०) 1 लिखने के काम में आनेवाली एक वृक्ष आवश्यकताएँ, भौतिक इच्छाएँ) 3 प्राकृतिक नियमों, सिद्धांतों की छाल 2 एक विशेष वृक्ष जिसके पत्र लिखने के काम आते से संबंध रखनेवाला (जैसे-भौतिक विज्ञान, भौतिक शास्त्र)
4 पंचभूतों से बना हुआ (जैसे-भौतिक शरीर)। ~ता भोजपुरी-I सं० (वि०) भोजपुर संबंधी II (पु०) भोजपुर का (स्त्री०) भौतिक होने की अवस्था; ~वाद (पु०) 1 यह मत निवासी III (स्त्री०) पूर्वी उत्तर-प्रदेश और बिहार प्रांत में कि पंचभूतों से बना यह संसार ही वास्तविक और सत्य है बोली जानेवाली बोली (जैसे-वह भोजपुरी जानता है) इसीलिए सांसारिक सुख ही भोगने योग्य हैं 2 यथार्थवादः भोजयिता-सं० (वि०) खिलानेवाला
यादी I (वि.) भौतिकवाद का II (पु०) भौतिकवाद का भोजी-सं० (पु०) भोजन करनेवाला (जैसे-मांस भोजी) अनुयायी; -विज्ञान (पु०) भौतिकी; -विज्ञानी (पु०) भोज्य-[सं० (वि०) खाए जाने योग्य II (पु०) खाद्य पदार्थ। भौतिकी विज्ञ; ~शास्त्र (पु०) भौतिकी; ~शास्त्री (पु०) पदार्थ (पु०) खाने की सामग्री
भौतिकी विज्ञ भोट-सं० (पु०) 1 भूटान देश 2 भूटान का निकसी। ~भाषा भौतिकी-सं० (स्त्री०) वह विज्ञान जिसमें अजैव सष्टि ताप, (स्त्री०) भूटान देश की भाषा
___ध्वनि, विद्युत आदि पदार्थों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता मोटिया-I (वि०) भूटान देश का II (पु०) भूटान देश का है, फिज़िक्स। -विज्ञ (पु०) भौतिकी का ज्ञाता निवासी III (स्त्री०) भूटान देश की भाषा। बादाम + फ़ा० | मोम-सं० (वि०) 1 भूमि का (जैसे-सार्वभौम) 2 भूमि से (पु०) 1 मूंगफली 2 आलूबुखारा
उत्पन्न, भूमिज 3 भूमि पर रहनेवाला। ~वार (पु०) पोटी-I (वि०) भूटान देश का II (पु०) भोट
मंगलवार मोडर-बो० (पु०) 1 अबरक 2 अबरक का चूरा, बुक्का | भोमिक-सं० (पु०) भूमि का स्वामी (जैसे-सार्वभौमिक)
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भौमिकी
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मंगल
भौमिकी-सं० (स्त्री०) 1 भूगोल 2 भू विज्ञान
प्रातृजाया-सं० (स्त्री०) भाभी, भाई की पत्नी भौम्य-सं० (वि०) 1 भूमि संबंधी 2 पृथ्वी पर होनेवालाः | | प्रातृत्व-सं० (पु०) भ्रातृ-भाव भौरिक-सं० (पु०) 1 राजकीय कोष का प्रधान अधिकारी |भातृ प्रेम-सं० (पु०) भाई का प्यार 2 कोषाध्यक्ष
भ्रातभाव-सं० (पु०), भ्रातृ भावना-सं० (स्त्री०) भाई का भौरिकी-सं० (स्त्री०) 1कोषागार 2 टकसाल
व्यवहार : भौलिया-(स्त्री०) ऊपर से ढकी एक तरह की छोटी नाव | प्रातृवत्-सं० (वि०) भाई की तरह भौसा-(पु०) 1 जनसमूह 2 शोरगुल
भ्रातृहत्या-सं० (स्त्री०) भाई की हत्या भ्रंश-[सं० (पु०) 1 नीचे गिरना, पतन 2 नाश, हास, ध्वंस II भ्रात्रीय-सं० (वि०) भ्राता संबंधी, भाई का (वि०) भ्रष्ट
भ्राम-I सं० (पु०) धोखा, भ्रम 2 भूल चूक II (वि०) भ्रंशी-सं० (वि०) भ्रष्ट होनेवाला
भ्रमयुक्त भ्रकुटि-सं० (स्त्री०) 1 भौंह 2 भौंह सिकुड़ना
भ्रामक-सं० (वि०) 1 भ्रम उत्पन्न करनेवाला 2 संदेह उत्पन्न भ्रम-सं० (पु०) संदेह, संशय (जैसे-भ्रम में पड़ना, भ्रम दूर | करनेवाला करना)। ~कारी, जनक (वि०) भ्रम उत्पन्न भ्रामर-I सं० (वि०) भ्रमर संबंधी, भ्रमर का II (पु०) भ्रमर करनेवाला; -जन्य (वि०) भ्रम से उत्पन्न; ~मूलक | से उत्पन्न होनेवाला मधु, शहद (वि०) भ्रम के कारण उत्पन्न; ~वश (क्रि० वि०) भ्रम के | प्रामरी-सं० (वि०) अपस्मार रोग से पीड़ित कारण; ~संशोधन (पु०) भूलसुधार
भू-सं० (स्त्री०) भौंह। ~भंग (पु०) त्यौरी चढ़ाना, भ्रमण-सं० (पु०) 1 घूमना फिरना 2 देशाटन (जैसे-देश विक्षेप (पु०) नाराज़गी दिखाना भ्रमण) 3 यात्रा, सफर। ~कारी (वि०) भ्रमण करनेवाला; भ्रूण-सं० (पु०) 1 गर्भ में पहले चार महीने की अवस्था,
~पथ (पु०) भ्रमण का मार्ग, रास्ता; ~वृत्तांत (पु०) एम्बीयो 2 स्त्री का गर्भ। -विज्ञान (पु०) जीव विज्ञान की देशाटन का विवरण; ~शील (वि०) भ्रमणीय
वह शाखा जिसमें भ्रूण के रूप और विकास का अध्ययन होता भ्रमणार्थी-सं० (पु०) भ्रमण का इच्छुक व्यक्ति
है; -विज्ञानी (पु०) भ्रूण विज्ञान का ज्ञाता; हत्या भ्रमणी-सं० (स्त्री०) घूमना फिरना
(स्त्री०) गर्भस्थ शिशु की हत्या भ्रमणीय-सं० (वि०) 1 घूमने योग्य 2 चलने फिरने योग्य | प्रौण हत्या-सं० (स्त्री०) = भ्रूण हत्या भ्रमर-सं० (पु०) भौंरा, मधुप। गीत (पु०) गोपियों और प्रौणिकी-सं० (स्त्री०) भ्रूण विज्ञान
उद्धव का संवाद संबंधी गीत भ्रमरक-सं० (पु०) 18वर, भ्रमर 2 जुल्फ़ भ्रमरावली-सं० (स्त्री०) भौरों की पवित भ्रमात्मक-सं० (वि०) संदिग्ध, भ्रमयुक्त प्रमित-सं० (वि०) 1शंकित 2 भ्रम में फँसा हुआ प्रमी-[सं० (स्त्री०) घूमना फिरना, भ्रमण II (वि०) 1 भ्रम
में पड़ा हुआ 2 भौचक भ्रष्ट-सं० (वि०) 1 मार्ग से विचलित 2 ध्वस्त 3 बुरे
आचरणवाला। ता (स्त्री०) भ्रष्ट होने की अवस्था | मंखी-(स्त्री०) बच्चों के गले का एक गहना भ्रष्टा-सं० (स्त्री०) भ्रष्ट चरित्रवाली स्त्री, कुलटा
मंग-I बो० (स्त्री०) माँग भ्रष्टाचरण-सं० (पु.) भ्रष्टाचार करना
मंग-II सं० (पु०) मंदान भ्रष्टाचार-I सं० (वि०) आचरण भ्रष्ट II (पु०) दूषित और | मंगता-I (पुल) भिखमंगा, भिक्षुक II (वि०) प्रायः निंदनीय आचार विचार
माँगनेवाला भ्रष्टाचारिता-सं० (स्त्री०) भ्रष्टाचार
मंगन-(पु०) याचक, भिखारी भ्रष्टाचारी-सं० (वि०) शीलभ्रष्ट
मैंगनी-(स्त्री०) 1 माँगने का भाव 2 माँगी गई वस्तु 3 विवाह प्रांत-सं० (वि०)1 भ्रम में पड़ा हुआ 2 घबराया हुआ, विकल
पक्का करने की रस्म प्रांति-सं० (स्त्री०) 1 भ्रम, अयथार्थ ज्ञान 2 चक्कर 3 संदेह मंगल-I सं० (पु०) 1 सौर जगत् का एक ग्रह 2 सात वारों में 4 घबड़ाहट। ~कारक (वि०) भ्रमकारी; ~मूलक से एक (जैसे-मंगलवार) 3 विवाह (जैसे-पार्वती मंगल) (वि०) भ्रमात्मक; वश (क्रि० वि०) भ्रमवश II (वि०) 1 शुभ, अच्छा (जैसे-मंगल कार्य) 2 शुभ भ्रांतिमान्-सं० (वि०) 1 भ्रमयुक्त 2 चक्कर खाता हुआ
करनेवाला (जैसे-मंगलकारी)। ~असीस + हिं० (स्त्री०) प्राजक-सं० (वि०) चमकानेवाला
मंगलवाद; ~कल्याण (पु०) कुशलमंगल; ~काम भाजन-सं० (पु०) चमकाना
(वि०) शुभचिंतक; ~कामना (स्त्री०) कल्याण कामना; प्राजी-सं० (वि०) चमकानेवाला, दीप्तियुक्त
~कारक, ~कारी (वि०) कल्याणकारी; कार्य (पु०) भ्राता-सं० (पु०) भाई
शुभकार्य; ~गान (पु०) शुभ अवसर पर होनेवाला गाना भ्रातृज-सं० (पु०) भतीजा
बजाना; ~ग्रह (पु०) 1मंगल नामक ग्रह 2 शुभ ग्रह, प्रारजा-सं० (स्त्री०) भतीजी
घट (पु०) देवता को अर्पित जलपूरित कलश; जनक
म
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मंगलमय
=
(वि०) मंगलकारी देवता ( पु० ) शुभकारी देवता, इष्टदेव; ~द्वार (पु० ) प्रासाद का मुख्य द्वार पत्र (पु० ) तावीज़; पाठ (पु० ) मंगलाचरण -प्रद (वि०) मंगलकारक, शुभ; ~ प्रार्थना (स्त्री०) कल्याण कामना; ~भाषण (पु०) शुभ कथन; ~वाद (पु० ) आर्शीवाद, आशीष; ~वार (पु०) सोमवार के बाद का दिन सूचक (वि०) भाग्योदय का द्योतक; ~ सूत्र ( पु० ) कलाई पर बाँधा जानेवाला डोरा; स्नान (पु० ) शुभ अवसर पर किया
गया स्नान
मंगलमय - I सं० (वि०) कल्याणमय, मंगलरूप II ( पु० ) परमेश्वर
मंगला - सं० (पु० ) 1 पार्वती 2 पतिव्रता स्त्री मंगलाचरण - सं० (पु० ) 1 कार्यारम्भ के पूर्व की जानेवाली मंगल स्तुति, मांगलिक मंत्र 2 ग्रंथ के आरंभ में लिखा जानेवाला मांगलिक़ पद
मंगलाचार-सं० (पु० ) 1 कार्य के पूर्व होनेवाला मंगलगान 2 शुभानुष्ठान
मंगलाभोग-सं० (पु०) आरती के पहले देवता का भोग मंगलायतन -सं० ( पु० ) शुभ स्थान
मंगलाष्टक - सं० (पु० ) विवाह समय वर वधू की कल्याण कामना हेतु किया गया मंत्रोच्चारण
मंगली - सं० (वि०) मंगल ग्रह योग में उत्पन्न मंगलीय - सं० (वि०) 1 मंगलकारक 2 भाग्यवान मंगलेच्छु – सं० (वि०) शुभ की कामना करनेवाला मंगल्य - I सं० (वि०) मंगलकारक II ( पु० ) चंदन मँगवाना - (स० क्रि०) 1 मँगाने का काम कराना (जैसे- पार्सल से सामान मँगवाना) 2 दूसरे हाथ मँगाना (जैसे- नौकर से पत्र मँगवाना, लड़के से चाय मँगवाना) मँगाना - (स० क्रि०) मँगाने के कार्य में प्रवृत्त करना मँगियाना - (स० क्रि०) 1 सिर के बालों में कंघी से मांग निकालना 2 विभक्त करना
मँगेतर - (वि०) 1 जिसकी मँगनी हो चुकी हो 2 जिसका विवाह होना निश्चित हो
मंच-सं० ( पु० ) 1 रंगमच 2 ऊँचा बना हुआ स्थान (जैसेसभा मंच) 3 क्रिया कलापों के उपयुक्त क्षेत्र (जैसे-राजनीतिक मंच) | ~ मंडप (पु०) मचान
मंचन - सं० (पु० ) मंच पर अभिनय करना पंची- (स्त्री०) खड़े बल से लगाई हुई लकड़ियों, खंभो आदि की वह रचना जिसपर अन्य भारी वस्तु टिकाई गई हो मंचीय सं० (वि०) मंच संबंधी, मंच का
मंजन - (पु० ) दाँत साफ़ करने का चूर्ण (जैसे-दंत मंजन, मंजन करना)
मैजना - ( अ० क्रि०) 1 मंजन से साफ़ किया जाना 2 साफ़ किया (जैसे- बर्तन मँजना) 3 अच्छी तरह संपन्न होना (जैसे-मँजी हुई कविता पढ़ना) 4 अभ्यास होना (जैसे-लिखने में हाथ मँजना)
मंजर - सं० (पु० ) 1 फूलों का गुच्छा 2 मोती मंजरित सं० (वि०) 1 मंजरियों से युक्त 2 पुष्पित मंजरी - सं० (स्त्री०) 1 कल्ला, कोंपल 2 लता (जैसे- पुष्प "मंजरी) 3 तुलसी
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मंडल
मँजाई - (स्त्री०) 1 माँजने का काम 2 माँजने की मज़दूरी । ~ घिसाई (स्त्री०) माँजना और घिसना (जैसे- बर्तन की मँजाई घिसाई )
मैं जाना - (स० क्रि० ) 1 माँजने में प्रवृत्त करना 2 अच्छी तरह साफ़ कराना 3 अभ्यास कराना (जैसे-लिखने में हाथ मँजाना) मँजावट - (स्त्री०) माँजने का ढंग मँजार-बो० (स्त्री०) बिल्ली
मंजि -सं० (स्त्री०) मंजरी, लता मंजिमा-सं० (स्त्री०) सुंदरता, मनोहरता
मंज़िल - अ० (स्त्री०) 1 पड़ाव, मुक़ाम 2 मकान 3 पांथशाला 4 मकान का दरजा, छत 5 एक दिन का सफ़र मंज़िला - अ० + हिं० (वि०) तल्लेवाला
मंजीर - सं० ( पु० ) 1 नूपुर, घुँघरू 2 वह खंभा जिसमें मथानी का डंडा बँधा हो
मँजीरा - (पु० ) मजीरा
मंजु - सं० (वि०) सुंदर, मनोहर। ~गमन (वि०) सुंदर चाल चलनेवाला; ~ घोष (वि०) मनोहर बोलवाला; --भाषी (वि०) मृदुभाषी; ~वादी (वि०) मधुरभाषी; स्वर (fao) = मंजुघोष मंजुल - सं० (वि०)
=
मंजु मंज़र - अ० (वि०) स्वीकृत (जैसे- दरख्वास्त मंजूर करना) । -शुदा + फ़ा० (वि०) स्वीकार किया हुआ
मंजूरी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) स्वीकृति (जैसे- मंजूरी रद्द करना) मंजूषा - सं० (स्त्री०) 1 पिटारी 2 पिंजरा
मँझ - ( क्रि० वि०) मध्य, बीच में। ~धार I (स्त्री०) नदी के बीच की धारा II ( क्रि० वि०) धारा के बीच में मँझला - ( वि०) बीच का (जैसे-मँझला भाई) मंझा - (पु०) माँझा मँझियार - बो० (वि०) मध्य का मँझोला - (वि०) बीच (जैसे-मँझोला कद) मंठ-सं० ( पु० ) माठ
मंड-सं० ( पु० ) 1 सजावट 2 आभूषण मँड़ई - बो० (स्त्री०) झोपड़ी, कुटिया (जैसे- साधु की मड़ई) मंडन - I सं० (पु० ) सजाना II (वि०) सजानेवाला मंडप-सं० (पु० ) 1 छाया हुआ 2 मँड़वा (जैसे- शादी का मंडप, यज्ञ मंडप ) 3 चंदोआ, शामियाना (जैसे- मंडप की सजावट)
मंडपक-सं० (पु०) छोटा मंडप मंडपी -सं० (स्त्री०) 1 छोटा मंडप 2 मढ़ी
मँडरना - I (अ० क्रि०) चारों ओर से घिरना II (स० क्रि०) चारों ओर से घेरना
मँडराना - (अ० क्रि०) 1 घेरा बाँधकर छा जाना 2 चक्कर लगाते रहना (जैसे- किसी के पीछे मँडराना) मँडरी - ( स्त्री०) पयाल की चटाई
मंडल - सं० (पु० ) 1 गोलाई वृत्त (जैसे-रास मंडल) 2 गोलाकार आकृति (जैसे-भूमंडल) 3 घेरा (जैसे- सूर्य का प्रभा मंडल) 4 गोलाकार अंश (जैसे- सूर्य मंडल, मुख मंडल) 5 सैनिक व्यूह रचना (जैसे-सेना मंडल) 6 समिति, मंडली (जैसे- युवा मंडल, ज्ञान मंडल) । ~ नृत्य (पु० ) वृत्ताकर नाच
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मंडलक
मंडलक- सं० (पु०) मंडलाकार रचना मंडलाकार सं० (वि०) गोलाकार मंडलाधीश - सं० (पु० ) मंडलेश्वर मंडलायित सं० (वि०) मंडलित मँडलाना - (अ० क्रि०) = मँडराना मंडलायुक्त-सं० ( पु० ) मंडलेश्वर मंडलित-सं० (वि०) वर्तुलाकार बनाया हुआ मंडली - I सं० (स्त्री०) 1 गोष्ठी सभा (जैसे- विद्वानों की मंडली 2 झुंड, दल (जैसे-गो मंडली) 3 समूह (जैसे- भजन मंडली) मंडली - II. सं० ( पु० ) 1 मंडल बनानेवाला, घेरा बनानेवाला 2 मंडलाधीश
मंडलीय -सं० (वि०) मंडल संबंधी
मंडलेश्वर -सं० (पु० ) मंडल का अधिपति
मँडवा - ( पु० ) = मंडप मंडा - I
मंडा - II सं० (स्त्री०) सुरा
बो० (पु०) बड़ी मंडी
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मंडान - ( स्त्री०) 1 मंडित करना 2 व्यवस्था, प्रबंध मंडार - बो० ( पु० ) 1 गड्ढा 2 टोकरा मंडित - सं० (वि०) 1 सजाया हुआ, विभूषित 2 छाया हुआ, आच्छादित (जैसे प्रभा मंडित) 3 भरा हुआ, पूरित (जैसे- पुष्प मंडित वाटिका)
मैड़ियार - (पु० ) कँकरीली झाड़ी मंडी - I
(स्त्री०) थोक माल बेचने की अनेक दुकानें (जैसे- अनाज मंडी, सब्जी मंडी)
मंडी - II ( स्त्री०) दो बिस्वे के बराबर ज़मीन की एक नाप मँडुआ - (पु० ) = मड़आ मंडूक-सं० (पु० ) मेंढक
मंडूर - सं० ( पु० ) 1 गलाए हुए लोहे की मैल 2 लौह किट्ट मंढा - ( पु० ) 1 कमख्वाब बुनने का एक औज़ार 2 मंडप (जैसे-मंढा छवाना)
मंत - बो० (पु० ) 1 परामर्श, सलाह 2 मंत्र
मंतर जंतर- ( पु० ) मंत्र यंत्र
मंतव्य - I सं० (वि०) मान्य, माननीय II (पु० ) 1 मत 2 प्रस्ताव 3 निर्णय 4 संकल्प
मंद
1 मंत्र विधि से किया गया संस्कार 2 मंत्र ग्रहण करने के पूर्व उसका किया जानेवाला संस्कार; ~संहिता (स्त्री०) वेदों का मंत्रो से संग्रहित अंश; सूत्र (पु० ) मंत्र पढ़कर पहनाया गया डोरा, गंडा
मंत्रण - सं० (पु० ) 1 मंत्रणा करना, सलाह करना 2 परामर्श मंत्रणा - सं० (स्त्री०) 1 विचार विमर्श, सलाह 2 विचार विमर्श
के बाद स्थिर मत । ~ कक्ष, गृह (पु०) विचार विमर्श करने का कमरा, ज़गह आदि; दाता (पु०) मंत्रणा अधिकारी परिषद् (स्त्री०) सलाहकार समिति सदन (पु० ) मंत्रणा गृह
मंत्रालय - सं० (पु० ) मंत्री का कार्यालय (जैसे- गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय)
मंत्र - सं० (पु० ) 1 स्तुति से युक्त प्रार्थना 2 वेदों का वह संहिता नामक भाग जो उक्त मंत्रों से समाहित हो 3 दैवी शक्ति से युक्त शब्द, वाक्य पाठ आदि 4 मंत्रणा, सलाह कार्य सिद्धि का ढंग, नीति (जैसे-प्रेम का मंत्र, झाड़ फूँक का मंत्र ) । ~कार (पु०) मंत्र रचनेवाला, मंत्र दृष्टा; गूढ़ (पु०) गुप्तचर, भेदिया, जासूस तंत्र (पु० ) जादूटोना; ~दाता (पु० ) गुरु; दृष्टा (वि०) मंत्रों का अर्थ जानने और बतानेवाला ऋषि; ~धर (पु० ) मंत्री; पाठ (पु० ) वेदमंत्रों का पाठ; (वि०) मंत्रों से पवित्र किया हुआ; ~ प्रयोग (पु० ) मंत्र से काम लेना; ~बल (पु० ) मंत्र की शक्ति; बीज (पु० ) मंत्र का पहला पद ~ भेद (पु० ) गुप्त वार्ता का प्रकट किया जाना; भेदक (पु०) गुप्त वार्ता प्रकट करनेवाला व्यक्ति; मुग्ध (वि०) 1 मंत्र से मोहित 2 जड़वत्; यंत्र (पु०) मंत्रवाला तावीज़; ~वादी (वि०) मंत्रोच्चारण करनेवाला, मंत्रज्ञ विद्या (स्त्री०), शास्त्र (पु०) तंत्र मंत्र को सिद्ध करने का शास्त्र ~संस्कार ( पु० )
मंत्रि-सं० (पु०) मंत्री के लिए समास में प्रयुक्त शब्द (जैसे-मंत्रि परिषद्) । ~ता (स्त्री०) मंत्री होने का भाव;
पति (पु० ) प्रधान मंत्री पद (पु० ) मंत्री का पद; ~परिषद् (स्त्री०) राज्य आदि के मंत्रियों का समूह, कैबनेट; ~मंडल (पु०) राज्य आदि के मंत्रियों का वर्ग, समूह, मिनिस्टरी; ~मंडलीय (वि०) मंत्रिमंडल से संबंधित (जैसे - मंत्रिमंडलीय वार्ता, मंत्रि मंडलीय कार्यकलाप); ~स्तरीय (वि०) मंत्री के स्तर का मंत्रिणी-सं० (स्त्री०) 1 मंत्री की पत्नी 2 मंत्री का काम करनेवाली स्त्री
मंत्रित सं० (वि०) 1 मंत्र दिया गया 2 मंत्र द्वारा संस्कृत मंत्रित्व -सं० (पु०) मंत्री का पद और कार्य, मंत्रीपद मंत्री-सं० ( पु० ) 1 राजा का प्रधान सलाहकार, अमात्य 2 आदेश और सलाह देनेवाला राज्य का मुख्य व्यक्ति (जैसे- गृह मंत्री, शिक्षा मंत्री) 3 संस्था, सभा का प्रधान अधिकारी (जैसे- कांग्रेस दल का मंत्री, साहित्य सम्मेलन का मंत्री) 4 शतरंज के खेल में वज़ीर नामक गोटी मंत्रोक्त-सं० (वि०) मंत्र में उल्लेख किया हुआ मंत्रोदक-सं० (पु० ) अभिमंत्रित जल
मंथ - सं० ( पु० ) 1 मथना 2 हिलाना 3 मारना पीटना मंथन - सं० ( पु० ) 1 मथना, बिलोना 2 मथानी (जैसे- समुद्र मंथन) 3 गूढ़ तत्त्व की छान-बीन (जैसे- शास्त्रों का मंथन) । घट (पु० ) दही मथने का मटका मंथनी - ( स्त्री०) मटकी
मंथर - सं० (वि०) 1 धीमा, मंद (जैसे-मंथर गति ) 2 सुस्त 3 मंद बुद्धि, कम समझ । गति (वि०) मंद गति; ज्वर (पु० ) हल्का बुखार; ~विवेक (वि०) कम समझवाला, अल्पबुद्धि का
मंथनी
मंथरित सं० (वि०) मंद किया हुआ मंथिता - सं० (वि०) मथनेवाला मंथिनी -सं० (स्त्री० ) मंद - सं० (वि०) 1 धीमा 2 सुस्त 3 हल्का थोड़ा, कम (जैसे- मंद ज्योति ) । कर्ण (पु०) कम सुननेवाला; ~कांत (वि०) मंद ज्योतिवाला; गति (वि०) धीमी चालवाला; ~गमन (वि०) धीमी चाल चलनेवाला; -चेता (वि०) बुद्ध ता (स्त्री०) 1 धीमापन 2 सुस्ती आलस्य बल (वि०) 1 कम शक्तिवाला 2 कमज़ोर बुद्धि (वि०) कम अक्लवाला, मोटी अक़्ल का;
=
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मंदक
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मकोड़ा
~भागी, ~भाग्य (वि०) अभागा, दुर्भाग्यशाली; ~मंद बुननेवाला एक प्रसिद्ध कीड़ा (जैसे-मकड़ी का जाला) (क्रि० वि०) धीरे-धीर; स्मित (पु०) हल्की मुस्कान | मकतब-अ० (पु०) 1पाठशाला, मदरसा 2 विद्यारम्भ हास्य (पु०) हलकी हँसी
मकदूर-अ० (पु०) 1 ताक़त, शक्ति 2 वश मंदक-सं०(वि०) मंद बुद्धि
मकना-(पु०) मकुना मंदग-सं० (वि०) मंद गति
मानातीस-अ० (पु०) 1चुंबक पत्थर 2 चुंबक मंदन-सं० (पु०) धीमा करना
मकबरा-अ० (पु०) क़ब्र पर बनी इमारत, गुंबद मैदरा-I (वि०) नाटा, ठिंगना II (पु०) एक तरह का बाजा मक़बूल-अ० (वि०) 1 स्वीकृत 2 मान्य और सर्वप्रिय 3 पसंद मंदा-(वि०) 1 मंद, धीमा 2 ढीला, शिथिल 3 बिगड़ा हुआ, किया हुआ विकृत 4 बिना तेज़ी का (जैसे-मंदा भाव)
मकबूलियत-अ० (स्त्री०) 1 क़बूल किए जाने का भाव मंदाकिनी-सं० (स्त्री०) स्वर्ग की गंगा
2 लोकप्रियता, सर्वप्रियता 3 पसंद, रुचि मंदाग्नि-सं० (स्त्री०) पाचन शक्ति का कमज़ोर होना मकरंद-सं० (पु०) 1 फूल का रस 2 फूल का केसर 3 कुंद का मंदादर-सं० (वि०) उपेक्षा करनेवाला
पौधा और फूल मंदान-(पु०) जहाज़ का अगला भाग
मकर-I अ० (पु०) छल कपट । चकर + हिं० (पु०) मंदारक-सं० (पु०) 1मदार, आक 2 एक देव वृक्ष धोखाधड़ी; -चाँदनी + हिं० (स्त्री०) = मक्र चाँदनी मंदिमा-सं० (स्त्री०) 1 धीमापन, मंदता 2 सुस्ती, शिथिलता मकर-II सं० (पु०) 1मगर नामक जलजंतु 2 घड़ियाल 3 अल्पता, कमी
3 मछली 4 बारह राशियों में से दसवीं राशि। चक्कर + मंदिर-सं० (पु०) 1 देवालय 2 मकान 3 विशेष भवन | हिं० (पु०) = मकर रेखा; ~मंडल (पु०) = मकर रेखा; (जैसे-विद्या मंदिर)
राशि (स्त्री०) = मकर; रेखा (स्त्री०) भूमध्य रेखा से मंदिरा-सं० (स्त्री०) 1घुड़साल, अश्वशाला 2 मँजीरा 23, दक्षिणी अक्षांश; ~संक्रांति (स्त्री०) माघ मास की मंदी-(स्त्री०) मंद होने का भाव (जैसे-बाज़ार मंदी पर है) संक्रांति जब सूर्य उत्तरायण होता है (जैसे-मकर संक्रांति का मंदील-(पु०) जरदोजी के कामवाला एक प्रकार का सिरबंद
स्नान) मंदुरा-सं० (स्त्री०) 1 अश्वशाला, घुड़साल 2 चटाई मकरा-I (पु०) = मकड़ा मंदोदरी-सं० (स्त्री०) रावण की पत्नी
मकरा-II (पु०) = मडुआ मंदोबाद-सं० (पु०) हलका पागलपन
मकरी-I (स्त्री०) = मकड़ी मंदोष्ण-सं० (वि०) कम गरम, कुनकुना
मकरी-II सं० (स्त्री०) 1 मादा मगर 2 मछली मंद्र-I सं० (पु०) ज़ोर का शब्द, गंभीर ध्वनि II (वि०) मक़रूज़-अ० (वि०) कर्ज़दार, ऋणी 1 सुंदर, मनोहर 2 प्रसन्न 3 गंभीर 4 मंद, धीमा; ~ध्वनि | मकरेड़ा-बो० (पु०) मक्के के पौधे का डंठल (स्त्री०) गंभीर ध्वनि, गर्जन
मकसद-अ० (पु०) 1 उद्देश्य 2 मनोरथ 3 अभिप्राय मंशा-अ० (स्त्री०) 1 इच्छा, इरादा 2 अभिप्राय, उद्देश्य मक़सूद-अ०1 (वि.) 1 अभिप्रेत 2 उद्दिष्ट II (पु०) मकसद. मंसब-अ० (पु०) 1 पद, ओहदा 2 कर्तव्य। ~दार + फ़ा० | मक़सूम-अ० I (वि०) बाँटा हुआ, विभक्त II (पु०) . (पु०) ओहदेदार, पदधारी
__1 भाग्य, किस्मत 2 भाग, हिस्सा मंसूख-अ० (वि०) रद्द किया हुआ
मकई-बो० (स्त्री०) मकई मंसूखी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) रद्द किया जाना
मकान-अ० (पु०) 1 घर, गृह 2 निवास स्थान 3 मूल निवास मंसूबा-अ० (पु०) इरादा
स्थान। दार + फ़ा० (पु०) मकान मालिक; ~भाड़ा + मंसूर-अ० (वि०) । विजयी 2 ईश्वरीय सहायता प्राप्त हिं० (पु०) मकान का किराया; ~मालकिन + हिं० मइका-बो० (पु०) = मायका
(स्त्री०) मकान मालिक की स्त्री; ~मालिक (पु०) मई-अं० (स्त्री०) अंग्रेज़ी, ईसवी सन् का पाँचवा महीना । मकानदार
दिवस (पु०) मई माह की पहली तारीख को मनाया मकाम--अ० (पु०) = मुकाम जानेवाला अंतर्राष्ट्रीय समारोह
मकामी-अ० + फ़ा० (वि०) = मुक़ामी मउर-बो० (पु०) = मौर। छोराई बो० (स्त्री०) = मौर | मकार-सं० (पु०) 'म' वर्ण छौराई
मकुष्ठ-सं० (पु०) 1 एक प्रकार का धान 2 मोठ नामक अन मकई-(स्त्री०) 1 मक्का 2 मक्का का दाना
मकूनी-(स्त्री०) = मकुनी मकड़ जाल-हिं० + सं० (पु०) 1 मकड़ी का बुना जाला मकूलक-सं० (पु०) 1कली 2 दंती का पेड़ 2 फँसाने अथवा धोखा देने हेतु बनाई गई युक्ति, छल प्रधान मकूला-अ० (पु०) 1 उक्ति, कथन 2 कहावत, लोकोक्ति रचना
मकेरा-(पु०) ज्वार या बाजरे का खेत मकड़ा-I(पु०) एक प्रकार की घास, खमकरा II (पु०) नर | मको-(स्त्री०) मकोय मकड़ी
मकोईया-I (वि०) मकोय के रंग के समान, ललाई युक्त मकड़ाना-(अ० क्रि०) 1 मकड़ी की तरह चलना 2 अकड़कर पीला II मकोय का रंग चलना
मकोड़ा-(पु०) 'कीड़ा' का अनुकरणवाचक शब्द मकड़ी-(स्त्री०) 1अपने मुंह से निकले लार से जाला (जैसे-कीड़ा-मकोड़ा)
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मकोय
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मचिया
घोड़ा
मकोय-(स्त्री०) डेढ दो हाथ ऊँचा एक प्रकार का पौधा और कान में पहनने का एक गहना 3 मछली। खाँस (पु०) एक उसका फल
तरह का कटीला बाँस; ~मच्छ (पु०) 1 मगर 2 बहुत बड़ी मक्कड़-(पु०) मकड़ा। जाला (पु०) = मकड़ जाला
मछली मक्का -(पु०) मकई
मगर-II फ़ा० (क्रि० वि०) 1 लेकिन, परंतु (जैसे-अगर मगर मक्कार-अ० (वि०) 1 कपटी, छली 2 मक्र करनेवाला करना) 2 किसी प्रकार भी मक्कारी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 मक्कार होने का भाव 2 छल मगरा-(वि०) 1 अभिमानी, घमंडी 2 ढीठ, धृष्ट 3 ढीला, सुस्त से भरा कार्य, धोखेबाज़ी
4 अकर्मण्य 5 उदंड मक्खन-(पु०) दूध, दही आदि को मथने से प्राप्त स्निग्ध मग़रिब-अ० (पु०) सूर्यास्त की दिशा, पश्चिम। -ज़दा +
(चिकना) पदार्थ, नवनीत (जैस-मक्खन मलाई) ___ फ़ा० (वि०) पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित मक्खी - (स्त्री०) 1 सर्वत्र पाया जानेवाला एक परदार कीड़ा, | मग़रिबी-अ० (वि०) पश्चिमी मक्षिका 2 मधुमक्खी। चूस (वि०) बहुत कंजूस; ~मार मग़रूर-अ० (वि०) घमंडी, अभिमानी I (वि०) घिनौना II (पु०) एक छोटा जंतु; ~मार काग़ज़ मग़रूरी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) अभिमान, घमंड + फा० (पु०) चेपदार काग़ज़; ~लेट (स्त्री०) एक तरह की मगस-(पु०) मक्खी जाली; छोड़ना हाथी निगलना छोटे दोष से बचना और मगसिर-बो० (पु०) मार्गशीर्ष बड़ा करना; पर मक्खी मारना बे समझे; मक्खियाँ मग्ज़-फ़ा० (पु०) = मग़ज़। ~रोशन (पु०) सुँघनी मारना बेकार बैठना, कुछ न करना।
मग्न-सं० (वि०) 1 डूबा हुआ 2 तन्मय, लीन 3 नशे में चूर, मक्र-अ० (पु०) - मकर || चाँदनी + हिं० (स्त्री०)।
मदमस्त 1 धोखा देनेवाली चाँदनी 2 धोखा देनेवाली कोई वस्तु । मघवा-सं० (पु०) इंद्र मक्सी-(पु०) 1 काले दागवाला सब्जा घोड़ा 2 बिल्कुल काला मघा-(स्त्री०) मेघ से संबंधित एक नक्षत्र
मघाभव-सं० (पु०) शुक्र (ग्रह) मक्षिका-सं० (स्त्री०) 1 मक्खी 2 शहदवाली मक्खी मचक-(स्त्री०) मचकने की क्रिया मख-सं० (पु०) यज्ञ। क्रिया (स्त्री०) यज्ञ की विधि; मचकना-I (अ० क्रि०) मच मच शब्द उत्पन्न होना II (स०
~वेदी (स्त्री०) यज्ञवेदी; ~शाला (स्त्री०) यज्ञशाला; क्रि०) 1मच मच शब्द उत्पन्न करना 2 इस तरह दबाना कि ~धारी (पु०) यज्ञ करनेवाला
मच मच शब्द होने लगे मखतूल-(पु०) काला रेशम
मचका-I (पु०) 1 झोंका 2 धक्का मखतूली-(वि०) काले रेशम का
मचका-II (पु०) झूले की पेंग मखनिया-I (वि०) मक्खन संबंधी II (पु०) मक्खन विक्रेता मचकाना-(स० क्रि०) 1 मच मच शब्द उत्पन्न करना 2 मच मख़फ़ी-अ० (वि०) छिपा हुआ, गुप्त
मच शब्द उत्पन्न करने में प्रवृत्त करना मखमल-अ० (पु०) एक तरह का बढ़िया महीन चिकना तथा मचना-(अ० क्रि०) 1 धूम धाम से शुरू होना (जैसे-होली रोएँदार कपड़ा (जैसे-मख़मल का गद्दा)
मचना) 2 छा जाना (जैसे-धूम मचना) मखमली-अ० (वि०) 1 मख़मल का बना हुआ मचमचाना-I (अ० क्रि०) अत्यधिक कामातुर होना II (स०
(जैसे-मखमली टोपी) 2 मख़मल सा कोमल और चमकदार | क्रि०) इस प्रकार दबाना कि मच मच शब्द उत्पन्न हो मखमूर-अ० (वि०) नशे में चूर
(जैसे-पलंग मचमचाना) मखसूस-अ० (वि०) 1 ख़ास, विशेष 2 प्रमुख, प्रधान मचल-(स्त्री०) 1 मचलने का भाव (दिल मचल गया) मखाग्नि-सं० (स्त्री०) यज्ञ की संस्कृति अग्नि
2 मचलापन मखीर-बो० (पु०) शहद, मधु
मचलना-(अ० क्रि०) 1 आतुर होना 2 हठ करना (जैसे-दिल मखौल-(पु०) मजेदार व्यंग्यपूर्ण बात, मज़ाक, ठट्टा| का मचलना) (जैसे-मखौल उड़ाना, मखौल भरी बात)
मचला-(वि०) 1 मचलनेवाला 2 जानबूझकर अनजान मग-I (पु०) रास्ता, मार्ग (जैसे-मग जोहना)
बननेवाला मग-II अं० (पु०) मग्गा
मचलाना-(अ० क्रि०) मतली मालूम होना (जैसे-जी मग़ज़-फा० (पु०) 1 दिमारा, मस्तिष्क 2 फल आदि की गिरी। मचलाना)
(जैसे-बादाम का मग़ज़। चट + हिं० (पु०) बकवादी, मचली-(स्त्री०) मतली, वमन का उसवास बकनेवाला; चट्टी + हिं० (स्त्री०) बकवाद, बकबक मचवा-(पु०) खटिया का पावा मग़ज़ी-फा० (स्त्री०) कपड़े के किनारे लगी पतली गोट मचान-(स्त्री०) 1 बाँस आदि की सहायता से बनाया गया ऊँचा मगद-(पु०) मगदल (मिठाई)
आसन 2 मंच मगध-सं० (पु०) 1 दक्षिण बिहार का प्राचीन नाम 2 मगध का मचाना-(स० क्रि०) 1कराना 2 साधक होना (जैसे-दंगा निवासी
फ़साद मचाना) मगन-(वि०) = मग्न
मचामच-I (स्त्री०) मचक मगना-(अ० क्रि०) 1 लीन होना 2 डूबना
मचामच-II (वि०) उँसकर भरा हुआ मगर-I (पु०) 1 = घड़ियाल 2 मगर या मछली के आकार का | मचिया-(स्त्री) 1 छोटी खाट 2 बैठने की पीढ़ी
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मचोर
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मज्जका
मचोर-(स्त्री०) हिचकोला, धक्का
मज़मज़ा-फा० (पु०) हिलाना डुलाना मच्छ-(पु०) बहुत बड़ी मछली, मत्सय
मजमा-अ० (पु०) भीड़भाड़ मच्छड़-I (पु०) मच्छर
मजमुआ-I अ० (वि०) जमा किया हुआ, संगृहीत II (पु०) मछड़-II (वि०) कंजूस
1 संग्रह 2 ख़जाना। -दार + फ़ा० (पु०) अभिलेख पाल मच्छर-(पु०) उड़नेवाला रक्त शोषक प्रसिद्ध कीड़ा मज़मून-अ० (पु०) 1 लेखादि का विषय 2 विषय, लेख। (जैसे-मच्छर ने खून चूस लिया)। दानी + फा० + हिं.
वीस + फ्रा० (पु०) लेख लिखनेवाला, निबंधकार; (स्त्री०) मसहरी
वीसी + फ़ा० (स्त्री०) लेख लिखने का काम; मच्छी-(स्त्री०) 1 दे० मछली 2 दे० मक्खी। ~मार (पु०) निगार + फ़ा० (पु०) = मज़मूननवीस; ~निगारी + मछुआ, मछेरा
फ्रा० (स्त्री०) = मज़मूननवीसी मछरंगा-(पु०) मछली खानेवाला एक जल पक्षी
मज़म्मत-अ० (स्त्री०) 1 निंदा 2 तिरस्कार मछरिया-(स्त्री०) मछली
मज़रूआ-अ० (वि०) जोता और बोया हआ मछली-(स्त्री०) 1 खाए जानेवाला तथा गलफड़े से साँस
| मजरूह-अ० (वि०) घायल, आहत, ज़ख्मी लेनेवाला एक प्रसिद्ध जल जंत, मत्सय (जैसे-मछली का । मजल-बो० (स्त्री०) = मंज़िल काँटा) 2 मछली के आकार का बना गहना आदि। पालन मजलिस-अ० (स्त्री०) 1बैठने की जगह 2 सभा 3 जलसा
+ सं० (पु०) मछली पालने का पेशा; ~मार (पु०) मछुआ | (जैसे-गाने-बजाने की मजलिस) मछवा-(पु०) = मछुआ
मजलिसी-I अ० + फ़ा० (पु०) मजलिस में आमंत्रित व्यक्ति मछवैनी-(स्त्री०) मछुए की पत्नी
II (वि०) मजलिस संबंधी, मजलिस का मछियार-(पु०) मछली पकड़नेवाला
मज़लूम-अ० (वि०) अत्याचार से पीड़ित मछुआ-(पु०) मछली पकड़ने का पेशा करनेवाला, मछ्वा।
मज़हब-अ० (पु०) 1 धर्म 2 धार्मिक संप्रदाय गिरी + फ़ा० (स्त्री०) मछुआ का पेशा; जहाज़ + अं० मजहबी-अ० (वि०) धार्मिक (पु०), नाव (पु०) मछली पकड़ने का जहाज़
मज़ा-फा० (पु०) 1 आनंद, सुख, लुत्फ़ (जैसे-प्रेम में मज़ा मछुआइन-(स्त्री०) मछुए की औरत
आना) 2 स्वाद, रस, ज़ायका (जैसे-खाने का मज़ा) 3 चसका मछेह-बो० (पु०) शहद की मक्खी का छत्ता
(जैसे-पीने का मज़ा कुछ और है)। किरकिरा होना मजकूर-अ० (वि०) कहा हुआ, कथित
रसभंग होना, कार्य का आनंद न मिलना; चखना, मजकूरी-अ० + फ़ा० (पु०) 1 ताल्लुकेदार 2 चपरासी पाना 1 लुत्फ़ उठाना 2 दंड भोगना (जैसे-करनी का मज़ा मज़दूर-फा० (पु०) 1 पैसे पर शारीरिक श्रम करनेवाला व्यक्ति
चखना); चखाना दंड देना; लटना सुख भोगना; मज़े 2 शरीर श्रम से जीविका करनेवाला व्यक्ति (जैसे-मज़दूर की बात लुत्फ़ की बात; मज़े से सुखपूर्वक, मौज़ से संगठन)। ~आंदोलन + सं० (पु०) मज़दूर द्वारा की मज़ाक-अ० (पु०) 1 हँसी ठट्ठा, परिहास 2 स्वाभाविक जानेवाली क्रांति; जमात + अ० (स्त्री०) = मज़दूर वर्ग; रुचि। ल्पसंद + फ़ा० (वि०) हँसोड़
दल • सं० (पु०) मज़दूरों का समूह; दलीय - सं० मज़ाकन-अ० (क्रि० वि०) मज़ाक तौर पर (वि०) मज़दूर दल का; दुश्मन (वि०) - मज़दूर विरोधी; मज़ाकिया-अ० + हिं० (वि०) 1 मज़ाक संबंधी 2 मज़ाक
लेखक + सं० (पु०) अपने को मज़दूर माननेवाले पसंद लेखक; ~वर्ग + सं० (पु०) श्रमिक वर्ग; विरोधी +
मजाज़ी-I अ० (वि०) 1 अवास्तविक, कल्पित 2 बनावटी, सं० (वि०) मज़दूरों का विरोध करनेवाला; ~श्रेणी (स्त्री०)। कृत्रिम 3 सांसारिक, लौकिक (जैसे-मजाज़ी इश्क़) - मज़दूर वर्ग; ~संघ + सं० मज़दूरों का संगठन
मजाज़ी-II अ० + हिं० (वि०) अधिकार प्राप्त (जैसे-भारतीय मजदूर संघ); ~सभा + सं० (स्त्री०)
मज़ार-अ० (पु०) 1 महापुरुष की कब्र 2 दरगाह विशेष कार्य हेतु मज़दूरों का एक जगह एकत्र होना ।
मजाल-अ० (स्त्री०) शक्तिमत्ता, सामर्थ्य मज़दूरी-फा० (स्त्री०) 1 मज़दूर का काम 2 परिश्रम के बदले
मजिस्ट्रेट-अं० (पु०) फौजदारी अदालत का अफ़सर मजदूर को दिया गया धन।
मजिस्ट्रेटी-अं० + हिं० (स्त्री०) मजिस्ट्रेट होने की अवस्था मजनूँ-[ अ०(वि०) पागल, विक्षिप्त II (पु०) 1 अरब देश 2 मजिस्ट्रेट का पद और कार्य 3 मजिस्ट्रेट की अदालत
का एक प्रसिद्ध प्रेमी (जैसे- लैला-मजनूं) 2 कमज़ोर व्यक्ति मजीठ-(स्त्री०) एक प्रकार की लता जिसके फलों से लाल रंग मज़बूत-अ० (वि०) 1 दृढ़, पुख्ता (जैसे-मज़बूत द्वार) बनाया जाता है 2 शक्तिशाली,
मजीठी-[ (वि०) मजीठ के रंग का, लाल II (पु०) मजीठ मज़बूती-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 मज़बूत होने का भाव, दृढ़ता,
का रंग पक्कापन 2 ताक़त, बल। -करण + फ़ा० + सं० (पु०) मजीरा-(पू०) ताल नामक बाजा मज़बूत बनाना
मजूर, मजूरा-फा० बो० (पु०) = मज़दूर मजबूर-अ० (वि०) 1 जिस पर जब्र किया गया हो, विवश,| मजरी-फ़ा० बो०. (स्त्री०) = मज़दूरी लाचार 2 निःसहाय
मज़ेदार-फा० (वि०) मज़ावाला मजबूरन-अ० (क्रि० वि०) विवशतापूर्वक
मज़ेदारी-फा० (स्त्री०) मज़ेदार होने का भाव मजबूरी-अ०+ फ़ा० (स्त्री०)। विवशताा.लाचारी 2 निःसहायता मज्जका-(पु०) शरीर की हड्डी के अंदर का गूदा
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मजन
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मणि
i ll
मजन-सं० (पु०) स्नान
मट्ठी-(सी०) = मठरी मज्जा-सं० (स्त्री०) शरीर के अंदर की नलीदार हड़ी के अंदर | मठ-सं० (पु०) 1साधु संन्यासियों के रहने का स्थान 2 मंदिर का गूदा
(जैसे-मठ का स्वामी)। ~धारी, पति (पु०) मठाधीश मझ-(वि०) = मँझ। ~धार (सी०) बीचधारा मठरना-I बो० (पु०) सुनारों तथा कसेरों का एक औज़ार II मझक्का -बो० (पु०) विवाहोपरांत दुलहिन का मुँह देखने की __ (अ० क्रि०) उक्त उपकरण से पीटा जाना प्रथा, रस्म
मठरी-(स्त्री०) मैदे आदि की तली हई टिकिया मझला-(वि०) मध्य
मठा-(पु०) मक्खन निकला दही का घोल मझुआ-(पु०) कलाई पर अन्य गहनों के बीच का गहना मठाधीश-सं० (पु०) मठ का प्रधान, महंत मझेला-I (पु०) जूता सीने का सूजा
मठान-(पु०) मठरना मझेला-II बो० (पु०) झमेला
मठारना-I (स० क्रि०) 1 चद्दरों को मठरना नामक औज़ार से मझोला-(वि०) 1मध्यम आकार का 2 मध्य का
पीटना 2 पीटकर गोलाई में लाना मझोली-(स्त्री०) 1 एक प्रकार की बैलगाड़ी 2 टेकुरी की तरह | मठारना-II (स० क्रि०) 1 गूंथे आटे को मसलना 2 बना का औज़ार
सँवारकर बात कहना मटक-(स्त्री०) मटकने की क्रिया। चटक (स्त्री०) नाज़ मठिया-I (स्त्री०) छोटा मठ II काँसे की बनी चूड़ी नखरा; चाल (स्त्री०) मटक कर चलना
मठी-I (स्त्री०) = मठया मटकना-(अ० क्रि०) 1 नाज़ नखरे तथा गर्वपूर्वक अंगों का मठी-II सं० (पु०) = मठाधीश
लचकना, हिलना 2 इधर उधर होना (जैसे-अंग मटकना) मठुलिया, मठुली-(स्त्री०) मठरी मटका-(पु०) मिट्टी का घड़ा
मठूसा- उदास, खिन्न मटकाना-(स० क्रि०) 1 मटकाने में प्रवृत्त करना 2 अंग मठीठा-बो० (पु०) कूएँ की जगत
संचालन करना (जैसे-कमर मटकाना, आँखें मटकाना) मठोर बो० (स्त्री०) 1 बड़ी मटकी 2 नील पकाने का मठ मटकी-I (स्त्री०) छोटा मटका
मठोरना-(स० क्रि०) बो० रंदा लगाकर ठीक करना मटकी-II (स्त्री०) मटक
मठौरा-(पु०) एक प्रकार का रंदा मटकीला-(वि०) 1 मटकनेवाला 2 मटकयुक्त
मड़ई-बो० (स्त्री०) झोंपड़ी मटकोअल-(स्त्री०झ) मटकने की क्रिया
मड़क-बो० (स्त्री०) भीतरी सूक्ष्म आशय मटना-(पु०) एक प्रकार की ईख
मड़मड़ाना-(अ० क्रि०) = मरमराना मटमैला-(वि०) मिट्टी के रंग का, खाकी
मड़राना-(अ० क्रि०) = मँडराना मटर-(पु०) 1 गोल दानोंवाला एक प्रसिद्ध पौधा (जैसे-मटर | मडला-बो० (पु०) अनाज की छोटी टोकरी
की फली) 2 इस पौधे की फली। ~गश्त + फ़ा० (पु०) मडलाना-(अ० क्रि०) = मँडराना 1 धीरे-धीरे घूमना 2 इधर-उधर घूमना; ~गश्ती + फ़ा० | मड़वा-I (पु०) = मंडप (स्त्री०) मटरगश्त होने का भाव; बोर (पु०) मटर के मड़वा-II (पु०) = मडुआ बराबर घुघरू
मड़हा-I (पु०) = मढ़ी मटराला-(पु०) मटर और जौ के दाने का मिश्रण मड़हा-II (पु०) भूना हुआ चना मटलनी-बो० (स्त्री०) कच्ची मिट्टी का बर्तन
मड़ा-(पु०) 1 कमरा 2 माँडा (नेत्र रोग) मटा-बो० (पु०) लाल रंग का च्यूटा
मआ-(पु०) बाजरे की जाति का एक मोटा अनाज, कदन्न मटिया-I (वि०) 1 मिट्टी का सा 2 मिट्टी का बना 3 खाकी, मड़वा-(पु०) मडुआ मटमैला II (पु०) मिट्टी का बर्तन III (स्त्री०) मिट्टी। | मडैया-(स्त्री०) मड़ई, मढ़ी (जैसे-घास फूस की मडैया) ~ठस (वि०) आलसो, सुस्त; फूस (वि०) अत्यंत मढ़-(वि०) अड़करं बैठनेवाला जर्जर, वृद्ध और कमज़ोर; ~मसान I (वि०) 1 अत्यंत मढ़ना-I (स० क्रि०) 1 जड़ना, सटाना, चिपकाना (जैसे-फ्रेम तुच्छ, गया बीता 2 नष्ट भ्रष्ट II (पु०) खंडहर; ~मेट में शीशा मढ़ना, बोर्ड पर तस्वीर मढ़ना) 2 बलपूर्वक आरोप (वि०) नष्ट, बर्बाद
लगाना (जैसे-कलंक मढ़ना) 3 ज़िम्मे लगाना (जैसे-सारा मटियाना-(स० क्रि०) 1 मिट्टी लगाना 2 मिट्टी से साफ़ करना काम मुझ पर ही मढ़ दिया) 4 लादना (जैसे-गहनों से मढना) (जैसे-हाथ मटियाना)
मढ़ना-II (अ० क्रि०) मँडराना मटियार-(पु०) चिकनी मिट्टीवाला अत्यधिक उपजाऊ खेत मढ़वाना-(स० क्रि०) मढ़ने का काम कराना मटियाला-(वि०) = मटमैला
मढ़ाई-(स्त्री०) 1 मढ़ने का काम 2 मढ़ने का पारिश्रमिक मटुका-बो० (पु०) : मटका
मढ़ाना-(स० क्रि०) = मढ़वाना मट्ठर-(वि०) काहिल, सुस्त
मढ़ी-(स्त्री०) 1 छोटा मठ 2 छोटा मंदिर 3 कुटिया, झोंपड़ी मट्टरी-(स्त्री०) = मठरी
4 छोटा मंडप मट्ठा-I (पु०) पानी मिलाकर मथा हुआ दही (जैसे-मट्ठा | मढैया-I (स्त्री०) कुटिया, झोंपड़ी II (वि०) मढ़नेवाला पीना)
मणि-सं० (स्त्री०) 1 बहुमूल्य रत्न, जवाहिर 2 सर्वश्रेष्ठ पदार्थ मट्ठा-II (वि०) 1 धीमा, मंद 2 सुस्त, ढीला
___या व्यक्ति। कर्णिका (स्त्री०) मणियों से जड़ा हुआ कान
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मणिभ
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मत्स्य
में पहनने का गहना; ~घर (पु०) नाग; ~पूर (पु०) नाभि | मतवाला-II (पु०) किले की दीवार से शत्रु पर लुढ़काया
ध (पु०) कलाई; ~माला (स्त्री०) रत्नों की माला; जानेवाला भारी पत्थर ~युक्त (वि०) = मणिमय; राज (पु०) हीरा; ~श्याम मतांकन-सं० (पु०) मत गणना (पु०) = नीलम
मतांतर-सं० (पु०) दूसरा मत मणिम-सं० (पु०) तरल घोल को सुखाकर बनाए गए कण, मताग्रह-सं० (पु०) मत पर अडिग रहना रखा
मताग्रही-सं० (वि०) मत पर अडिग रहनेवाला मणिभीकरण-सं० (पु०) निश्चित और ठोस आकार धारण मताचार-सं० (पु०) अपने संप्रदाय के अनुसार आचरण करना करना
मताधिकार-सं० (पु०) वोट, मत देने का हक़ मणिमय-सं० (वि०) मणियों से युक्त
(जैसे-मताधिकार से वंचित रहना)। ~आयु (स्त्री०) मणीचक-सं० (पु०) चंद्रकांत मणि
मताधिकार की उम्र मतंग-सं० (पु०) 1 बादल 2 हाथी 3 शबरी के गुरु और ऋषि | मताधिकारावस्था-सं० (स्त्री०) मताधिकार आयु मतंगी-सं० (पु०) हाथी का सवार
मताधिकारी-सं० (पु०) मत देने का अधिकारी, वोटर मत-I (क्रि० वि०) नहीं, न (जैसे-मत बोलो)
मतानुयायी-सं० (पु०) मत का अनुयायी, मतावलंबी मत-II (स्त्री०) मति, बुद्धि (जैसे-मत मार जाना, मत के फेर | (जैसे-इसलाम का मतानुयायी)
मतानुसार-सं० (क्रि० वि०) मत के अनुसार मत-III सं० (वि०) 1 सम्मत, अभिप्रेत 2 माना हुआ मतारी-बो० (स्त्री०) माँ, अम्मा 3 सम्मानित 4 बराबर किया हुआ IV (पु०) 1 राय, सम्मति मतार्थना-सं० (स्त्री०) मत माँगने का काम, अपने अनुकूल 2 विचार 3 अभिप्राय 4 वोट (चुनाव में अपना मत देना)।
करना खंडन (पु०) राय को रद्द करना; ~गणक (पु०) मत मतार्थी-सं० (पु०) वोट चाहनेवाला की गणना करनेवाला; ~गणना (स्त्री०) मतों की गिनती; मतावलंबी-सं० (पु०) मत का अनुयायी (जैसे-जैन धर्म का ~ग्रहण (पु०) = मत संग्रह; ~दाता (पु०) मत देनेवाला; मतावलंबी)
दाता सूची (स्त्री०) वोटरों की नामावलि; ~दान (पु०) मति-I सं० (स्त्री०) 1 बुद्धि, अक्ल 2 राय, सम्मति 3 इच्छा, मत देना; ~दान कक्ष (पु०) मतदान का कमरा; ~दान कामना II (वि०) 1 बुद्धिमान् 2 चतुर, चालाक। दर्शन केंद्र (पु०) वोट देने का स्थान; ~दान कोष (पु०) = | (पु०) दूसरों का भाव समझने की शक्ति; ~द्वैध (पु०) मतदान कक्ष; दान पत्र (पु०) मतपत्र; दान पेटिका मतभेद; ~पूर्वक (क्रि० वि०) सोच-समझकर; ~भ्रंश (स्त्री०) मतपेटी; दान बैलेट + अं० (पु०) = मतपत्र; (पु०) 1 बुद्धि की असमर्थता 2 पागलपन; ~भ्रम (पु०)
दान स्थल (पु०) = मतदान केंद्र; ~पत्र (पु०) मतदान बुद्धि का भ्रम, अक्ल का उलटफेर; ~मंद (वि०) मूर्ख; की परची; ~परिवर्तन (पु०) दूसरा मत ग्रहण करना; ~मांद्य (पु०) मतिमंद होने की अवस्था; -विपर्यय (पु०)
पेटिका, ~पेटी + हिं० (स्त्री०) मत पत्र डालने की पेटी; भ्रम प्रचार (पु०) वोट संग्रह हेतु प्रचार; ~प्रचारक (पु०) । मतिमंत-सं० (वि०) चतुर, बुद्धिमान् मत प्रचार करनेवाला; ~प्रवर्तक (पु०) 1 अपना सिद्धांत | मतीरा-(पु०) तरबूज़ प्रस्तुत करनेवाला 2 संप्रदाय का संस्थापक; ~प्रार्थी (पु०) मतैक्य-सं० (पु०) मत की एकता, समानता मतानुयायी; ~भेद (पु०) मत की भिन्नता, राय न मिलना; मत्त-सं० (वि०) 1 मस्त 2 अविवेकी 3 मतवाला (जैसे-रण
~मतांतर (पु०) अनेक मत या संप्रदाय; ~वाद (पु०) मत्त) 4 पागल, उन्मत्त वह मत जो वाद का रूप ग्रहण कर ले; विधायी (वि०) मत्तला-अ० (पु०) कविता की प्रारंभिक पंक्ति राय बनानेवाला; विभाजन (पु०) = मतभेद; ~वैभिन्य मत्था-(पु०) माथा, ललाट, मस्तक (पु०) मत का समान रूप न होना; ~वैषम्य (पु०) = मत्सर-सं० (पु०) 1 द्वेष, विद्वेष 2 ईर्ष्यापूर्ण मानसिक अवस्था मतभेद; ~संग्रह (पु०) मतों का इकट्ठा किया जाना; 3 क्रोध, गुस्सा
स्वातंत्र्य (पु०) विचार की स्वतंत्रता, मत की । मत्सरी-सं० (पु०) 1क्रोध करनेवाला व्यक्ति 2 द्वेष भाव आज़ादी
रखनेवाला व्यक्ति मतदानाधिकार-सं० (पु०) मताधिकार
मत्स्य-सं० (पु०) 1 मछली 2 विष्णु के दस अवतारों में से एक मतरूक-अ० (वि०) त्यागा हुआ, परित्यक्त
अवतार (जैसे-मत्स्य अवतार)। ~आखेट (पु०) मछली मतलब-अ० (पु०) 1 अभिप्राय, उद्देश्य 2 स्वार्थ
पकड़ना; ~उत्पादन (पु०) मछली पालन; जाल (पु०) (जैसे-मतलब साधना) 3 वास्ता, संबंध
मछली पकड़ने का जाल; नारी (स्त्री०) 1 सत्यवती 2 वह मतलाना-(अ० क्रि०) मिचलाना
मछली जो आकृति में आधी मछली हो आधी नारी; नाशक मतली-(स्त्री०) मिचली
(पु०) कुरर पक्षी; न्याय (पु.) 1 यह मान्यता कि मछली मतवार-सं० (पु०) मतवाला।
के समान ही सबल दुर्बल को नष्ट कर देता है 2 अत्याचारियों मतवाला-I (वि०) 1 नशे में चूर, मस्त 2 मस्त और लापरवाह का राज्य; -पालन (पु०) मछलियाँ पालने का पेशा; 3 पागल, उन्मत्त (जैसे-मतवाला यौवन)। पन (प०) -विज्ञ (पु०) = मत्स्य विद्; विज्ञान (पु०) मछलियों से पागलपन
संबंधित विज्ञान; -विद् (पु०) मत्स्य के विषय में ज्ञान
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मत्स्याद
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रखनेवाला, मत्स्य ज्ञाता; ~संवर्धन (पु०) मत्स्य पालन का | | मदरसा-अ० (पु०) पाठशाला, विद्यालय काम
मदरासी-I (वि०) मद्रास का II (पु०) मद्रास का निवासी मत्स्याद-सं० (वि०) मछली खानेवाला
मदहोश-अ० (वि०) 1 मतवाला 2 हैरान (जैसे-मदहोश मत्स्यावतार-सं० (पु०) विष्णु का एक अवतार
होना) मत्स्योपजीवी-सं० (पु०) मछुवा, धीवर
मदहोशी-अ० + फ्रा० (स्त्री०) 1मतवालापन 2 हैरानी मथन-I सं० (पु०) मथने का काम, बिलोना II (वि०) 1 नष्ट (जैसे-मदहोशी का आलम) करनेवाला 2 बध करनेवाला
मदांध-सं० (वि०) 1 मतवाला 2 अविवेकी मथना-I (स० क्रि०) 1 हिलाना, आलोडन करना (जैसे-दही | मदाखिलत-अ० (स्त्री०) 1 प्रवेश, दाखिल होना 2 दखल मथना) 2 बार-बार सोचना, विचारना 3खोजना, ढूंढ़ना II (पु०) मथानी, रई
मदाढ्य-सं० (पु०) ताड़ मथनी-(स्त्री०) मथानी
मदात्यय-सं० (पु०) अत्यधिक शराब पीने से उत्पन्न शारीरिक मथवाह-I बो० (पु०) सिर में होनेवाला दर्द II (पु०) विकार महावत
मदापनय-सं० (पु०) नशा उतारना . मथानी-(स्त्री०) दही मथने का एक उपकरण
मदार-I (पु०) आक नामक पौधा और उसका फल 2 मदारी मथाव-(पु०) मथन
मदार-II अ० (पु०) 1 दौरा करने का रास्ता, भ्रमण मार्ग मथित-सं० (वि०) मथा हुआ
2 ग्रहों के भ्रमण का मार्ग, कक्षा 3 आधार, आश्रय मथूल-बो० (पु०) मस्तूल
मदारिया, मदारी-(पु०) 1 बंदर, भालू आदि नचाकर मथौली-बो० (स्त्री०) सिर पर पहनने का स्त्रियों का एक गहना जीविकोपार्जन करनेवाला, कलंदर 2 बाजीगर मद-I अ० (स्त्री०) 1 खाता (जैसे-रुपया हमारे मद में जमा | मदालस-सं० (वि०) नशे के कारण सुस्त करना) 2 शीर्षक
मदालापी-सं० (पु०) कोकिला, कोयल मद-II सं० (पु०) 1 नशा 2 निंदनीय अहंकार, गर्व मदिया-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) मादा पशु
(जैसे-संपत्ति का मद) 3 उन्मत्तता, पागलपन 4 मतिभ्रम | मदिर-I सं० (स्त्री०) लाल खैर II (वि०) मद से भरा हुआ 5 मस्ती (जैसे-यौवन का मद छाना) 6 मद्य, शराब II (जैसे-मदिर नयन) (वि०) मतवाला, मत्त। ~प्रद (वि.) . मदनीय; ~भरा | मदिरा-सं० (स्त्री०) 1 शराब (जैसे-मदिरा पान) 2 नशीला + हिं० (वि०) 1 मतवाला 2 नशे में धुत; ~मत्त (वि०) तरल पदार्थ। -पान (पु०) शराब पीना; ~सेवन (पु०) नशे में चूर; ~माता + हिं० (वि०) मतवाला; मोहित मद्यपान; ~शाला (स्त्री०) = मदिरालय (वि०) 1 नशे में चूर 2 घमंड से भरा
मदिरालय-सं० (पु०) शराबख़ाना मदक-(स्त्री०) अफ़ीम के सत्त और पान के योग से बना एक | मदिरोन्पत्त-सं० (वि०) 1 मतवाला 2 शराब के नशे में चर नशीला पदार्थ। -ची + तु० (वि०) मदक पीनेवाला; मदीय-सं० (वि०) मेरा
बाज़ + फ़ा० (वि०) मदक का सेवन करनेवाला मदीला-(वि०) 1 मदयुक्त, मदिर 2 नशीला। पन (पु०) मदकर-सं० (वि०) नशा उत्पन्न करनेवाला
मतवालापन मदकल-सं० (वि०) मतवाला, मदोन्मत्त
मदोद्धत-सं० (वि०) 1 मदोन्मत्त 2 बहुत घमंडी मदकी-(पु०) = मदकची
मदोन्मत्त-सं० (वि०) 1 नशे में पागल, मदांध 2 अभिमानी, मदगल-(वि०) = मतवाला, मस्त
दंभी मदद-अ० (स्त्री०) सहायता (जैसे-आर्थिक मदद)। खर्च । मद्द-अ० (स्त्री०) मद, विभाग + फ़ा० (स्त्री०) 1 सहायता हेतु दिया गया धन 2 पेशगी; | मद्दे नज़र-फ़ा० + अ० (क्रि० वि०) ध्यान में ~गार + फ़ा० (वि०) सहायक
मद्धम-(वि०) = मद्धिम मदन-सं० (पु०) 1 कामदेव 2 काम 3 रतिक्रीड़ा, संभोग | मद्धिक-सं० (पु०) दाख से बनाई गई शराब, द्राक्ष 4 आलिंगन का एक भेद। चतुर्दशी (स्त्री०) चैत्र शुक्ल | मद्धिम-(वि०) 1 हलका (जैसे-मद्धिम प्रकाश) 2 मंदा, मंद चतुर्दशी; त्रयोदशी (स्त्री०) चैत्र शुक्ल त्रयोदशी; | (जैसे-मद्धिम गति)
द्वादशी (स्त्री०) चैत्र शुक्ल द्वादशी; ~ध्वजा (स्त्री०) | मद्धे-(क्रि० वि०) 1 बीच में, मध्य में 2 में 3 क्षेत्र या मद में चैत्र की पूर्णिमा; ~फल (पु०) मैनफल; रिपु (पु०) | (जैसे-मकान मद्धे सौ रुपए का खर्द) कामदेव का शत्रु, शिवः लहरी (स्त्री०) काम वासना का | मद्य-सं० (पु०) शराब, मदिरा। निषेध (१०) शराब पीने दौरा
की मनाही; पान (पु०) मदिरापान; पान निषेधक मदना-सं० (स्त्री०) 1सुरा 2 कस्तूरी 3 मैना
(वि०) मद्यपान रोकनेवाला (जैसे-मद्यपान निषेधक कानून); मदनातुर-सं० (वि०) कामातुर
पाशन (पु०) मद्य के साथ खाई जानेवाली चटपटी चीज़, मदनी-सं० (स्त्री०) 1 शराब, मद्य 2 कस्तूरी
चाट आदि; ~बीच (पु०) 1 शराब के लिए उठाया गया मदनीय-सं० (वि०) नशा उत्पन्न करनेवाला, मादक खमीर 2 खमीर उठाने का पदार्थ; ~भंडार (पु०) मदनोत्सव-सं० (पु०) मदन महोत्सव
शराबख़ाना; ~मंड (पु०) 1 शराब का फेन 2 मद्यपाशन; मदयंती-सं० (स्त्री०) वनमल्लिका
-विक्रय (पु०) शराब की बिक्री; ~संधान (पु०) भभके
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मद्यप
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मध्यांतर
से शराब खींचना; सार (पु०) अल्कोहल, ~सारीय मधुरत्व-सं० (पु०) मधुरता (वि०) अल्कोहल संबंधी
मधुरान्न-सं० (पु०) 1 मिठाई 2 मीठा अन्न मछप-सं० (वि०) शराबी
मधुरिका-सं० (स्त्री०) सौंफ मद्याक्षेप-सं० (पु०) शराब पीने की लत
मपुरित-सं० (वि०) मिठास युक्त मद्रकर-सं० (वि०) मंगलकारी
मधुरिन-सं० (पु०) ग्लिसरीन (तरल पदार्थ) मधु-सं० (पु.) 1 शहद 2 शराब, मद्य 3 फूलों का रस, मधुरिमा-I सं० (स्त्री०) मधुरता II (वि०) मधुर मकरंद 4 वसंत ऋतु। उद्यान (पु०) अंगूरों का बागीचा; मधूक-सं० (पु०) महुए का पेड़, फूल और फल
ऋतु (स्त्री०) वसंत ऋतु: ~कंठ (पु०) कोयल; ~कर | मधुकरी-(स्त्री०) भ्रमरी (पु०) 1 भौंरा 2 कामी पुरुष 3 रसिक व्यक्ति; -करी मधूत्थ-सं० (पु०) मोम (स्त्री०) 1 भ्रमरी 2 भिक्षा; ~कार (पु.) 1 मधुमक्खी मघत्सव-सं० (पु०) 1 चैत्र की पूर्णिमा 2 वसंतोत्सव 2 मधुपर्णी; ~कोष (पु०) शहद की मक्खी का छत्ता, मधु मध्य-I सं० (पु०) 1 वस्तु के बीच का भाग 2 शरीर का मध्य चक्र; ~घोष (पु०) कोकिल, कोयल; चंद्र (पु०) नव | भाग, कटि, कमर 3 तटस्थ, निष्पक्ष 4 दूरी, फ़रक (जैसे-चार विवाहित वर वधू का रमणीक स्थान पर आनंद भोग करना, पाँच मील के मध्य एक बगीचा है) II (वि०) 1 बीच का हनीमून; जीवन (पु०) बहेड़ा (वृक्ष); ~तृण (पु०) (जैसे-मध्य वासिनी, मध्य बालिका) 2 काम लायक ईख; द्रुम (पु०) 1 महुआ 2 आम्र, आम का पेड़; (जैसे-मध्य पोशाक)। ~कल्प (पु०) बीच का युग;
पटल (पु०) मधुमक्खियों का छत्ता; -पर्क (पु०) दही, ~काल (पु०) मध्ययुग; ~कालिक, ~कालीन घी, जल, शहद और शक्कर का योग; -पवन (पु०) (वि०) मध्ययुगी, मध्ययुगीन; ~गत (वि०) बीच में स्थित, वासंती हवा; ~पर्क (पु०) दही, घी, शहद और चीनी का बीच का; ~जन (पु०) बीच के लोग; ~ता (स्त्री०) मध्य मिश्रण; पायी I (वि०) मधु पीनेवाला II (पु०) भौंरा; होने का भाव; दिन, दिवस (पु०) मध्याह्न; देश
~प्राशन (पु०) नवजात शिशु को मधु चटाने का एक (पु०) 1 बीचवाला भाग 2 शरीर का मध्य भाग; ~भाग संस्कार; बीज (पु०) अनार; ~भाषी (वि०) = मधुर (पु०) 1 बीच का हिस्सा 2 कमर, कटि; ~मार्गी (वि०) भाषी; ~मक्खी + हिं० (स्त्री०) शहद की मक्खी; बीच का रास्ता पकड़नेवाला; ~युग (पु०) 1 प्राचीन और
~मक्खी घर + हिं० (पु०) मधुमक्खी का छत्ता; मक्खी अर्वाचीन काल के बीच का समय 2 भारत के इतिहास में पालक + हिं० + सं० (पु०) मधुमक्खी पालकर अपनी मुस्लिम काल का समय 3 एशिया और यूरोप के इतिहास में जीविका चलानेवाला व्यक्ति; ~मक्खी पालन + हिं० + ईसवी छठी से पंद्रहवी शताब्दी तक का समय; ल्युगीय सं० (पु०) मधुमक्खी पालने का पेशा; ~मक्षी (स्त्री०) = (वि०) मध्ययुग से संबद्ध; ~रात्रि आधी रात; ~वयस्क मधु मक्खी; ~मज्जन (पु०) अखरोट का पेड़ और फल; (वि०) अधेड़ उम्रवाला; ~वर्ग (पु०) बीच की श्रेणी के
~मत्त (वि०) शराब के नशे में चूर; ~मयता (स्त्री०) लोग; ~वर्गी, ~वर्गीय मध्य वर्ग संबंधी; ~वर्ती माधुर्य, मिठास; ~मालती (स्त्री०) मालती (लता); (वि०) बीच में स्थित; ~सर्ग (पु०) मध्य प्रत्यय; ~स्थ I
मूल (पु०) रतालू नामक कंद; ~मेह (पु०) चि० पेशाब (वि०) 1 बीच का 2 बिचौलिया II (पु०) 1 तटस्थ, में शक्कर जाने का रोग, शर्करा प्रमेह; ~मेही (वि०) उदासीन 2 बिचुआ; ~स्थता (स्त्री०) मध्यस्थ होने की मधुमेह का रोगी; ~यामिनी (स्त्री०) वर वधू की प्रथम अवस्था; ~स्थ निकाय (पु०) मध्यस्थता समिति; ~स्थ मिलन रात्रि; रस I (वि०) मीठा II (पु०) ईख; राज निर्णय (पु०) पंचाट; ~स्थल (पु०) 1 मध्य प्रदेश (पु०) भौंरा; ~वात (पु०) बसंत की हवा; ~वार (पु.) 2 कमर; स्थित (वि०) मध्यस्थ; स्थिति (स्त्री०) बीच 1 शराब पीने का दिन 2 शराब का दौर; विक्रेता (पु०) की अवस्था; ~स्थीय (वि०) मध्यस्थ का; ~स्वरागम शराब बेचनेवाला; ~शर्करा (स्त्री०) शहद से बनाई गई (पु०) शब्द के बीच में स्वर ध्वनि आ जाना शकर; ~शाला (स्त्री०) = मदिरालय; ~शेष (पु.) मध्यम-I सं० (वि०) 1 मध्य का, बीच का 2 मँझला न बढ़िया मोम; ~संचय (पु०) शहद का संग्रह; ~सख (पु०) न घटिया II (वि०) मद्धिम III (पु०) 1 सात स्वरों में से कामदेव; सूदन (पु०) विष्णु
चौथा 2 तीन प्रकार के नायकों में से एक 3 कमर । -पुरुष मधुक-सं० (पु०) 1 महुए का पेड़ 2 महए का फल 3 मुलेठी (पु०) पुरुषवाचक सर्वनाम के तीन भेदों में से एक मधुकरी-(स्त्री०) भिक्षा
(जैसे-प्रथम पुरुष, मध्यम पुरुष तथा उत्तम पुरुष); ~मार्ग मधुका-सं० (स्त्री०) 1 मुलेठी 2 शहद 3 कृष्णपर्णी लता (पु०) 1 बुद्ध द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत 2 मध्यमा प्रतिपदा मधुत्व-० (पु०) मधु की मिठास
3 सामंजस्यपूर्ण जीवन पद्धति; रात्र (पु०) आधी रात; मधुप-सं० (पु०) 1 भौंरा 2 शहद की मक्खी
~वयस्क (वि०) अधेड़, मध्यमवयवाला; ~वर्ग ( (पु०) = मधुमान-सं० (वि०) 1 मीठा 2 मधुयुक्त 3 प्रिय
मध्य वर्ग;~वर्गी (वि०) = मध्यवर्गी; ~स्थ (वि०) मध्यस्थ मधुर-I सं० (वि०) 1 मीठा (जैसे-मधुर फल, मधुर रस) मध्यमा-सं० (स्त्री०) 1 बीचवाली उँगली 2 आगत यौवना 2 कटुता रहित (जैसे-मधुर वाणी) 3 प्रिय और भला मध्यमाहरण-सं० (पु०) आयत्त मान निकालना (जैसे-मधुर नयन) 4 धीमा, मंद (जैसे-मधुर स्वर, मधुर मध्यमीय-सं० (वि०) मध्यस्थ गति) II (पु०) मीठा रस। “ता (स्त्री०) मधुर होने का मध्यांतर-सं० (पु०) 1 बीच का अंतर 2 मध्यावकाश, भाव, मिठास; ~भाषी (वि०) मृदुभाषी
इंटरवल (जैसे-मध्यांतर होना)
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मध्या
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मनहूस
मध्या-सं० (स्त्री०) 1 साहि० स्वकीया नायिका के तीन भेदों में देखकर नायक का मन डोल गया); ~देना मन लगाना; से एक (जैसे-मुग्धा, प्रगल्भा और मध्या नायिका) 2 बीच की -धरना ध्यान देना; ~फटना प्रीति न रहना, विरक्ति होना; उँगली, मध्यमा
बढ़ना हौसला बढ़ना, उत्साहित होना; बढ़ाना उत्साह मध्यावकाश-सं० (पु०) मध्यांतर
बढ़ाना, बढ़ावा देना; ~भरना 1 तृप्ति होना 2 अघाना, तुष्टि; मध्यावधि-सं० (वि०) बीच के समय का (जैसे-मध्यावधि ~भाना अच्छा लगना; ~मानना 1 संतोष होना 2 निश्चय चुनाव)
होना 3 दिल मिलना, प्रीति होना; ~मारना इच्छाओं को मध्याह्न-सं० (पु०) दोपहर। ~भोजन (पु०) दोपहर का | दबाना; ~मारे हए उदास होकर; मिलना 1 रुचि, प्रवृत्ति भोजन
में समानता होना 2 प्रीति होना (जैसे-नायक नायिका का मन मध्याह्रोत्तर-सं० (पु०) मध्याह्न के बाद का समय, तीसरा पहर मिलना); ~में आना 1 ख़याल उठना 2 इच्छा होना; ~में पध्वासव-सं० (पु०) महुए की शराब
मैल आना दुर्भाव पैदा होना; ~मैला करना 1 उदास होना मनः-सं० (पु०) मन। कल्पित (वि०) मनगढंत; प्रिय 2 दुर्भाव लाना; ~मैला होना ख़याल का ख़राब होना; (वि०) मन को प्रिय; विश्लेषण (प०) मनोविश्लेषण; मोहना मन लुभाना; ~से उतरना 1 मन में उपेक्षा होना
~शक्ति (स्त्री०) मन की ताक़त, मनोबल, आत्मबल; 2 ध्यान न रहना; हरना मन मोहना; ही मन अंदर ही. '-शास्त्र। (पु०) मनोविज्ञान; ~शुद्धि (स्त्री०) मन के चुपचाप; होना इच्छा होना। पवित्रता; ~श्रांति (स्त्री०) मन का थक जाना, थकान; मन-II (पु०) चालीस सेर की तौल 2 उक्त तौल का बाट
-संकल्पापु०) मनोकामना; स्थिति (स्त्री०) मन की दशा मनकना-(अ० क्रि०) हिलना डोलना, चेष्टा करना मन-I (पु०) 1 अंतकरण, चित्त की संकल्प और विकल्प मनका-(पु०) माला, मोती करनेवाली वृत्ति 2 इच्छा, जी (जैसे-पढ़ने का मन नहीं है)। मनकूला-अ० (वि०) दूसरी जगह ले जाने योग्य लगढ़त (वि०) कल्पिता चला (वि०) 1 मनमौजी (जैसे-मनकूला जायदाद) 2 निडर 3 होसलेवाला, साहसी 4 कामुक और रसिक मनन-सं० (पु०) 1 सोचना 2 विचार करना (जैसे-चिंतन स्वभाववाला (जैसे-मन चला युवक); चाहता (वि०) मनन) 1मन के अनुकूल 2 प्रिय (जैसे-मन चाहता खिलौना); | मननाना-(अ० क्रि०) गूंजना, गुंजारना
-चाहा, चाही (वि०) 1 मन को चाहनेवाली (जैसे-मन मननीय-सं० (वि०) मनन करने योग्य चाहा काम, मनचाही नौकरी) 2 इच्छानुकूल किया हुआ मनवाना-(स० क्रि०) 1 मानने को प्रेरित करना 2 मानने का (जैसे-मनचाही शादी); चीता (वि०) = मन चाहता; काम कराना (जैसे-रूठे बालक को मनवाना)
चोर (पु०) मन को चुरानेवाला, चित्तचोर; चोरनी मनशा-अ० (स्त्री०) 1 मतलब, आशय 2 उद्देश्य, प्रयोजन (स्त्री०) दिल को चुरानेवाली; पसंद + फ़ा० (वि०) मन ___ 3 इच्छा, इरादा को पसंद, प्रिय (जैसे-मन पसंद अभिनेत्री); ~बहलाव मनश्चिकित्सा-सं० (स्त्री०) मानसिक रोगों का उपचार (पु०) मनोरंजन; ~भरौती (स्त्री०) खुशामद, चापलूसी; मनसब-अ० (पु०) = मंसब। दार + फ़ा० (पु०) = ~भाया (वि०) 1 मन को अच्छा लगनेवाला 2 प्रिय, प्यारा मंसबदार (जैसे-मनभाया सपना, मनभाया काम); ~मति + सं० मनसबी-अ० + फ़ा० (वि०) ओहदेदारी (वि०) स्वेच्छा से काम करनेवाला; ~मर्जी + अ० (स्त्री०) मनसा-I सं० (वि०) मन संबंधी, मन का II (क्रि० वि०) मन की इच्छा; ~मानता, ~माना (वि०) 1 मन को __मन के द्वारा, मन से (जैसे-मनसा, वाचा, कर्मणा) भानेवाला, प्रियकर 2 मनचाहा; ~मानी (स्त्री०) मनमाना मनसाकर-(वि०) मनोकामना पूर्ण करनेवाला काम; ~मुटाव, ~मोटाव (पु०) मन में दुर्भाव आना, मनसाना-I (अ० क्रि०) उमंग में आना II (स० क्रि०) वैमनस्य (जैसे-पारस्परिक मन मुटाव); ~मोदक + सं० मनसने में प्रवृत्त करना (पु०) ख़याली पुलाव; ~मोहन + सं० (वि०) मन के. मनसिज-सं० (पु०) कामदेव मोहनेवाला, प्यारा; ~मौज + अ० (स्त्री०) 1 मन की तरंग मनसूख-अ० (वि०) = मंसूख 2 हार्दिक खुशी; ~मौजी + अ० + फ़ा० (वि०) अपनी मनसूखी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) = मंसूखी इच्छानुसार काम करनेवाला; ~यांछित + सं० (वि०) मनसूबा-अ० (पु०) = मंसूबा मनोवांछित; स्थिति + सं० (स्त्री०) = मनः स्थिति; मनस्क-सं० (वि०) 1मन लगा हआ (जैसे-अन्यमनस्क) ~अटकना, ~उलझना किसी पर दिल आना, प्रेम होना; 2 अनुरक्त, इच्छा युक्त ~आना दिल आना; ~कच्चा करना दिल छोटा करना, मनस्तल-सं० (पु०) हृदय हिम्मत हारना; ~करना इच्छा होना, जी चाहना; ~का मनस्ताप-सं० (पु०) 1मन का दुःख 2 अनुताप, पछतावा कच्चा कमज़ोर दिल का; ~का मारा खिन्न हृदय; उदास मनस्तोष-सं० (पु०) मन का संतोष हृदय, ~का मैल दुर्भावना; ~का मैला बुरे दिल का; मनस्विता-सं० (स्त्री०) मनस्वी होने का भाव ~की मन में रहना इच्छा पूर्ण न होना, मनचाहा न होना; मनस्वी-सं० (वि०) उच्च विचारवाला, बुद्धिमान ~की मौज मन की लहर; के लहु खाना ख़याली पुलावं मनहार-(वि०) = मनोहर पकाना; चलना जी चाहना, इच्छा होना; ~डोलना | मनहस-अ० (वि०) 1 अशुभ, बुरा 2 अभागा, बदकिस्मत 1 इच्छा होना, ललचाना 2 विचलित होना (जैसे-नायिका को | (जैसे-मनहूस आदमी)
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मनहूसियत
मनहूसियत-अ० (स्त्री० ) 2 बदकिस्मती, अभागापन
मना - अ० (वि०) निषिद्ध, रोका गया (जैसे-अंदर जाना मना है)
मनाई - अ० (स्त्री०) मनाही
मनादी - अ० (स्त्री०)
मुनादी
मनाना - (स० क्रि०) 1 राज़ी करना 2 प्रसन्न करना (जैसे-रूठी नायिका को मनाना) 3 प्रार्थना करना (जैसे- संतान हेतु ईश्वर को मनाना)
मनाल - ( पु० ) चकोर पक्षी
मनावन -बो० (५०) मनाने का काम
मनाही - अ० (स्त्री०) 1 मना करने का भाव 2 रोक, निषेध मनिया - ( स्त्री०) 1 माला का दाना, गुरिया 2 माला मनिहार - (पु० ) चूड़ी बनानेवाला, चूड़िहारा मनिहारिन, मनिहारी (स्त्री०) 1 चूड़िहारा की स्त्री 2 चूड़ी बनाने और बेचने का पेशा करनेवाली स्त्री मनिहारी - ( स्त्री०) मनिहार का काम मनी-अं० (पु०) रुपया पैसा । ~ आर्डर (पु० ) 1 डाकखाने द्वारा अन्यत्र रुपया भेजने की व्यवस्था 2 इस कार्य हेतु भरा जानेवाला एक विशेष पत्र (जैसे-मनीआर्डर फ़ार्म, मनीआर्डर देना); चेंज (पु०) रेज़गारी, फुटकर बैग (पु० ) रुपए पैसे रखने का छोटा थैला, बटुआ
मनीषा - सं० (स्त्री०) 1 बुद्धि, अक़्ल 2 इच्छा, कामना, अभिलाषा
=
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1 मनहूस होने की अवस्था
मनीषित-सं० (वि०) मनोभिलाषित, वांछित मनीषिता-सं० (स्त्री०) बुद्धिमत्ता
मनीषी -सं० (वि०) 1 ज्ञानी, विद्वान् 2 विचारशील 3 बुद्धिमान् मनु-सं० ( पु० ) 1 ब्रह्मा के मानक पुत्र (जैसे-मनु की कल्पना पौराणिक है) 2 मनुष्य । ज (पु० ) मनुष्य स्मृति (स्त्री०) आदि मनु का बनाया धर्म शास्त्र मनुष्य-सं० (पु०) आदमी, इंसान, नर । कृत (वि०) मनुष्य का बनाया हुआ, मनुष्य निर्मित गणना ( स्त्री० ) मर्दुमशुमारी, जनगणना, घात (पु० ) नर हत्या; जाति (स्त्री०) मानव समाज; ता ( स्त्री०) 1 मनुष्य होने की अवस्था, आदमीपन 2 शिक्षित और सभ्य समाज के लिए उचित और आवश्यक बातें 3 आवश्यक और उपयोगी गुणों का समूह; द्रोह (पु० ) मानव के प्रति वैर भाव; द्रोही (वि०) मनुष्य द्रोह रखनेवाला; बिक्री + हिं० (स्त्री०) मनुष्य का व्यापार; भक्षी (पु०) आदमखोर; मात्र (पु०) = मनुष्य जाति; ~ राशि (स्त्री०) जनसमूह; (पु०) मनुष्य की आकृति; वध (पु० ) मनुष्य घात; ~ विज्ञान (पु० ) वह विज्ञान या शास्त्र जिसमें मनुष्य जन्म, विकास आदि तथ्यों का विवेचन किया जाता है; ~ वैज्ञानिक ( पु० ) मनुष्य विज्ञान का ज्ञाता संतति (स्त्री०) मानव संतान; ~ समाज (पु०) मानव वर्ग मनुष्यत्व सं० (पु० ) = मनुष्यता मनुष्याकृति -सं०
रूप
के
(वि०) मनुष्य की आकृतिवाला (जैसे - मनुष्याकृति बंदर) मनुष्योचित - सं० (वि०) मनुष्य के लिए उचित मनुस - बो० (पु० ) 1 मनुष्य 2 जवान, मर्द
मनोराग
मनुसाई -बो० (स्त्री०) पुरुषार्थ, मर्दानगी
मनुहार - ( स्वी०) 1 मनाने का ढंग, यत्न 2 विनती, खुशामद
3 आदर सत्कार
मनेजर-अं० (पु० ) मैनेजर
=
मनोकांक्षा-सं० (स्त्री०) मन की इच्छा, अभिलाषा मनोकांक्षित-सं० (वि०) इच्छित, अभिलाषित मनोकामना-सं० (स्त्री०) मन की कामना, अभिलाषां मनोगत-सं० (वि०) मन में आया हुआ मनोगति-सं० (स्त्री०) 1 मन की गति 2 इच्छा मनोग्रंथि -सं० (स्त्री०) मन में आचार व्यवहार की गाँठ मनोग्राहक सं० (वि०) मन को आकर्षित करनेवाला मनोग्राही-सं० (वि०) मन को अपनी ओर खींचनेवाला मनोज-सं० (पु०) कामदेव, मदन मनोज्ञ-सं० (वि०) प्रिय, सुंदर मनोदशा-सं० (स्त्री०) मन की प्रवृत्ति
मनोदाही -सं० (वि०) मन में संताप उत्पन्न होनेवाला मनोदुष्ट-सं० (वि०) बुरे स्वभाववाला मनोदेवता-सं० (पु०) अंतरात्मा मनोदौर्बल्य-सं० ( पु० ) मन की दुर्बलता मनोधारा -सं० (स्त्री०) मनोगति मनोनयन सं० (पु० ) 1 पसंद करना 2 सोचना मनोनिग्रह -सं० (पु०) मन को वश में रखना मनोनियोग-सं० (पु० ) मनोयोग मनोनिवेश-सं० (पु०) मन लगाना, एकाग्रता मनोनीत सं० (वि०) 1 पसंद किया हुआ 2 चुना हुआ मनोनुकूल सं० (वि०) मन के अनुकूल (जैसे-मनोनुकूल कथन)
मनोबल - सं० (पु० ) 1 आत्मशक्ति 2 मानसिक बल मनोभंग-सं० (पु० ) 1 मन की शांति में उत्पन्न बाधा 2 उदासी 3 नैराश्य
मनोभव-सं० (पु०) कामदेव
=
मनोभाव-सं० (पु० ) मन का भाव मनोभावना-सं० (स्त्री०) मन का विचार मनोभाविक-सं० (वि०) मनोवृत्ति संबंधी मनोभिलाष-सं० (पु०) मन की इच्छा मनोभ्रंश-सं० (पु० ) मनोदौर्बल्य, मतिभ्रम मनोमय-सं० (वि०) 1 मन से युक्त 2 मानसिक मनोमालिन्य-सं० (पु०) मन का दुर्भाव, मनमुटाव मनोमुग्धकर - सं० (वि०) मन को मोहित करनेवाला मनोमोही -सं० (वि०) मनोहर मनोयोग - सं० ( पु० ) मन लगाना (जैसे मनोयोग से काम करना)
=
मनोरंजक - सं० (वि०) मनोरंजन करनेवाला। ~ता (स्त्री०) मनोरंजक भाव
मनोरंजन-सं० (पु० ) दिल बहलाव, इंटरटेनमेंट मनोरंजनार्थ-सं० ( क्रि० वि०) मन बहलाव के लिए मनोरथ - सं० ( पु० ) इच्छा
मनोरम - सं० (वि०) 1 = मनोहर 2 सुंदर मनोरा - ( पु० ) गोबर की मूर्ति मनोराग- ( पु० ) प्रेम
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मनोराज
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मरण
भा
मनोराज-(पु०) = मनोराज्य
ममाना-(पु०) मामा का घर मनोराज्य-सं० (पु०) ख़याली पुलाव, जागते का सपना ममिया-(वि०) मामा से संबंधित (जैसे-ममिया ससुर) मनोरोग-सं० (पु०) मानसिक रोग, दिमागी बीमारी।। ममियौरा-बो० (पु०) = ममाना
चिकित्सक (पु०) मानसिक रोगों का डॉक्टर ममी-अं० (स्त्री०) परिरक्षित शव मनोलीला-सं० (स्त्री०) = मनोराज्य
ममीरा-(पु०) हल्दी की जाति का एक पौधा मनोलौल्य-सं० (पु०) 1 मनमौज 2 मन की चंचलता ममेरा-(वि०) मामा संबंधी (जैसे-ममेरा भाई) मनोल्लास-सं० (पु०) मन की उमंग, उत्साह
ममोला-(पु०) 1 धोबिन नामक छोटा पक्षी 2 छोटा प्यारा मनोवांछा-सं० (स्त्री०) = मनोकामना
बच्चा मनोवांछित-सं० (वि०) मन का चाहा
मयंक-सं० (पु०) चंद्रमा मनोवाद-सं० (पु०) मानसिक क्रिया
मय-I फ़ा० (स्त्री०) = मदिरा । ~कश (पु०) = शराबी, मनोविकार-सं० (पु०) मन का आवेग। ~ ग्रस्त (वि०) मद्यप; कशी (स्त्री०) शराब पीना, मदिरापान; खाना मनोविकार से पीड़ित
(पु०) मदिरालय; ख़्वार (पु०) = मयकश; ख्वारी मनोविज्ञान-सं० (पु०) वह विज्ञान या शास्त्र जिसमें मानव मन (स्त्री०) मदिरापान, मयकशी; परस्त (वि०) शराबी;
की विभिन्न अवस्थाओं और क्रियाओं का तथा उनके प्रभावों परस्ती (स्त्री०) मद्यपान, शराब पीना का अध्ययन किया जाता है, साइकॉलोजी
मय-II अ० (अ०) सहित, समेत (जैसे-मय बाल बच्चे) मनोविनोद-सं० (पु०) = मनोरंजन
मय-III सं० (प्र०) द (जैसे-शांतिमय, आनंदमय) मनोविज्ञानी-सं० (वि०) मनोरंजन करनेवाला
मयार-(वि०) दयालु, कृपायुक्त मनोविश्लेषक-(पु०) मन का विश्लेषण करनेवाला मयारी-(स्त्री०) 1 हिंडोले की रस्सी लटकाई जानेवाली शाखा, मनोविश्लेषण-सं० (पु०) आधुनिक मनोविज्ञान की एक धरन 2 धरन, खंभा
शाखा जिसमें विशिष्ट रोगों और विकारों का उपचार संबंधी मयूख-सं० (पुं०) 1 किरण 2 दीप्ति विवेचन किया जाता है।
मयूर सं० (पु०) मोर। -चूड़ा (स्त्री०) मयूर शिखा नामक मनोवृत्ति-सं० (स्त्री०) मन की स्वाभाविक स्थिति
क्षुप; जंघ (पु०) सोनापाढ़ा; ~पुच्छ (पु०) मोर का मनोवेग-सं० (पु०) मन का आवेग
पंख; शिखा (स्त्री०) मोर की कलमी मनोवैकल्प-सं० (पु०) = मनोदौर्बल्य
मयूरी-सं० (स्त्री०) मोरनी मनोवैज्ञानिक-[ सं० (वि०) मनोविज्ञान संबंधी II (पु०) मर-सं० (पु०) 1 मृत्यु 2 मृत्युलोक, संसार
मनोविज्ञान का ज्ञाता। ~ता (स्त्री०) मनोवैज्ञानिक अवस्था मरक-I बो० (स्त्री०) 1 भेद, रहस्य 2 खिंचाव, आकर्षण मनोव्यथा-सं० (स्त्री०) मनस्ताप
3 द्वेष, वैर 4 मन की उमंग मनोव्याधि-सं० (स्त्री०) मनोरोग
मरक-II सं० (पु०) महामारी मनोव्यापार-सं० (पु०) मन के संकल्प विकल्प का विचार मरकज़-अ० (वि०) 1 वृत्त का केंद्र 2 केंद्र स्थल मनोहत-सं० (वि०) निराश
मरकज़ी-अ० (वि०) केंद्रीय मनोहर-सं० (वि०) 1मन हरनेवाला 2 सुंदर
मरकट-(पु०) = मर्कट मनोहारी-सं० (वि०) - मनोहर
मरकत-सं० (पु०) पत्रा नामक रत्न मनौअल-(स्त्री०) मन में कोई विचार धारण करना मरकताल-(पु०) समुद्र की तरंगों के उतार की सबसे अंतिम मनौती-बो० (स्त्री०) 1 मनुहार 2 मत्रत
अवस्था, भाटा की चरम अवस्था मन्नत-(स्त्री०) मानता, संकल्प
मरकहा-(वि०) मारनेवाला (जैसे-मरकहा बैल) मन्मथलेख-सं० (पु०) प्रेमपत्र
मरखना-(वि०) 1 गुस्से में आकर मारनेवाला (जैसे-मरखना मन्मथी-[ सं० (पु०) 1 कामदेव 2 कामवासना II(वि०) साँड) 2 मारने पीटने का आदी कामी, कामुक
मरगी-बो० (स्त्री०) महामारी मन्वंतर-सं० (पु०) 1 मनु का अधिकार काल 2 दुर्भिक्ष, मरघट-(पु०) चिता जलाने का स्थान, मसान। -का मुतना अकाल
डरावनी शक्ल का आदमी मारूर-अ० (वि०) भागा हआ, पलायित
मरज़-अ० (पु०) 1 रोग, बीमारी 2 खराब आदत, बुरी लत मफ़लर-अं० (पु०) गुलूबंद
(जैसे-शराब पीने का मरज़) मम-सं० (सर्व०) मेरा। कार (पु०) 1 अपना समझना, | मरजिया-I (पु०) गोताखोर II (वि०) 1 मरकर जीनेवाला ममता 2 निजी संपत्ति
2 मृतप्राय 3 मरने जीने से लापरवाह ममता-सं० (स्त्री०) 1 अपनी समझना 2 अपनापन 3 स्नेह , मरज़ी-अ० (स्त्री०) 1 इच्छा, कामना (जैसे-अपनी मरज़ी से
(जैसे-माँ की ममता) 4 मोह (जैसे-मन की ममता) काम करना) 2 अनुकूल मनोभाव (जैसे-मरजी के खिलाफ ममतामय-सं० (वि०) ममता से युक्त
काम करना) ममतालु-(वि०) ममतावाला
मरण-सं० (पु०) 1 मरना, मृत्यु 2 साहि० मरणासन अवस्था ममत्व-सं० (पु०) = ममता
का सूचक एक संचारी भाव। ~कारक (वि०) मारनेवाला, ममरी-(स्त्री०) बनतुलसी
मारक; ~काल (पु०) = मृत्यु क्षण; ~धर्मा (वि०)
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मरणांतक
=
मरनेवाला; पर्यंत ( क्रि० वि०) उम्र भर शील (वि०) मरना ही जिसका धर्म हो, मरणधर्मा; ~शुल्क (पु०) मृत्यु कर; ~समय (पु० ) मृत्यु क्षण, मृत्यु की घड़ी मरणांतक सं० (वि०) जानलेवा मरणोत्तर-सं० ( क्रि० वि०) मरने के बाद मरणोन्मुख सं० (वि०) = मरणासन्न
मरतबा - अ० (पु० ) 1 दफा, पारी, बार 2 पद, पदवी मरतबान - ( पु० ) चीनी मिट्टी का बना एक प्रसिद्ध पात्र मरता - (वि०) मरने के करीब (जैसे-मरता क्या न करता ) (मु० ) ~ क्या न करता जीवन से निराश व्यक्ति सब कुछ करने को तैयार हो जाता है; मरते को मारना दुःखी व्यक्ति या पशुको और भी सताना; मरते दम तक आखिरी समय तक, जिंदगी भर मरते समय मौत के पास पहुँचकर मरतेजीते - ( क्रि० वि०) ज्यों त्यों करके, किसी तरह मरदई-फ़ा० हिं० बो० (स्त्री०) मर्दानगी मरदनिया - बो० ( पु० ) मालिश करनेवाला आदमी मरदानगी - फ़ा० (स्त्री०) मर्दानगी
मरदाना - फ़ा० (वि०) = मर्दाना
मरदूद - अ० (वि०) 1 निकाला हुआ 2 रद्द किया हुआ 3 तिरस्कृत 4 निकम्मा
मरना - I (अ० क्रि०) 1 समाप्त होना, मृत्यु को प्राप्त होना (जैसे- रोगी का मरना निश्चित है) 2 कुम्हला जाना (जैसे-अधिक गर्मी से सारे फूल पौधे मर गए) 3 कष्ट उठाना, दुःख भोगना (जैसे - मरकर भी जीविकोपार्जन न कर पाना ) 4 कष्ट सहन करना (जैसे- इज़्ज़त के लिए मरना ) 5 परेशान, विकल होना (जैसे-रूप यौवन पर मर मिटना, प्रेम विरह में मरना ) 6 योग्य न रहना (जैसे- कबड्डी में खिलाड़ियों का मरना, शतरंज में वज़ीर का मरना) 7 नष्ट होना, ख़त्म होना (जैसे-लज्जा का मरना, शील संकोच का मर जाना) 8. मंद पड़ना (जैसे भूख मरना, उत्साह मरना II ( वि० ) 1 मरनेवाला 2 मरणासन्न । जीना (पु० ) 1 जीवन मरण 2 जीवन मरण का चक्र (जैसे-मरना जीना सांसारिक विधान है)
मरनी - (स्त्री०) 1 मौत, मृत्यु 2 मृत्युशोक, ग़मी (जैसे-मरनी करनी से कौन बचा है) 3 अत्यंत दुःख, परेशानी (जैसे-ग़रीब के घर हमेशा मरनी छाई रहती है) । ~करनी (स्त्री०) अंत्येष्टि क्रिया
मरभुक्खा - (वि०) 1 भूख का मारा हुआ 2 भुक्खड़ 3 कंगाल मरमर - फ़ा० (पु०) एक तरह का सफ़ेद पत्थर मरमरा - I ( वि०) सहज में टूट जानेवाला मरपुरा - II बो० ( पु० ) एक प्रकार का पक्षी मरमराना-I (अ० क्रि०) मर मर की आवाज़ करना II (स० क्रि०) मर मर शब्द उत्पन्न करना
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मरमराहट - (स्त्री०) चरमराहट
मरम्मत - अ० (स्त्री०) 1 बिगड़ी वस्तु को सुधारना, दुरुस्त करना (जैसे- घड़ी की मरम्मत, मकान की मरम्मत) 2 शारीरिक दंड (जैसे-बदमाश की मरम्मत करना)
मरम्मती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 मरम्मत के लायक 2 मरम्मत
संबंधी
मरवाना - (स० क्रि०) 1 मारने पीटने में प्रवृत्त करना
1
(जैसे- दुश्मन को मरवाना) 2 हत्या कराना मरसा - ( पु० ) एक प्रकार का कोमल साग़ मरसिया - ( पु० ) शोक गीत
मरहठा - (पु० ) मरहठी - (वि०)
= मराठा
= मराठी
मरहम - फ़ा० (पु० ) जख़्म पर लगाया जानेवाला गाढ़ा और चिकना लेप (जैसे - मरहम पट्टी करना) । पट्टी हिंο (स्त्री०) 1 मरहम लगाकर पट्टी बाँधना 2 ज़ख़्म का इलाज
करना
मरहला - अ० 1 पड़ाव, ठिकान 2 कुटिया, झोपड़ी 3 कठिन
काम
मर्ज़
मरहूम - अ० (वि०) मरा हुआ, दिवंगत मराठा - ( पु० ) महाराष्ट्र राज्य का निवासी मराठी - I (स्त्री०) महाराष्ट्र राज्य की भाषा II (वि०) मराठों
का
मराना- (स० क्रि०) 1 मरवाना 2 संभोग कराना मराल-सं० (पु० ) हंस
मरिच -सं० ( पु० ) काली मिर्च मरिचा बड़ी लाल मिर्च
मरियल - (वि०) बेदम (जैसे-मरियल टट्टू) मरी - ( स्त्री०) 1 महामारी 2 एक प्रकार का भूत मरीचि -सं० ( पु० ) 1 किरण, रश्मि 2 प्रभा, कांति मरीचिका-सं० (स्त्री०) मृग तृष्णा मरिचिजल-सं० (पु०) भ्रामक दृश्य
मरीन्त्री - I सं० (वि०) किरण युक्त II ( पु० ) सूर्य 2 चंद्रमा मरीज़-अं० (वि०) रोगी, बीमार
मरु-सं० (पु० ) 1 रेगिस्तान (जैसे-मरुभूमि) 2 जल रहित पर्वत । द्वीप (पु० ) मरुस्थल के बीच का हरा भरा क्षेत्र; ~ भूमि (स्त्री०), ~ स्थल रेतीला और जलरहित प्रदेश, रेगिस्तान
मरुआ - (पु० ) 1 बनतुलसी जाति का एक पौधा 2 बो० 1 बँडेर 2 लकड़ी का धरन 3 माँड, पीच मरुत्-सं० (पु०) हवा, वायु मरेठी-बो० (स्त्री०) 1 मोटी और मज़बूत रस्सी 2 मुलेठी मरोड़ - (स्त्री०) 1 मरोड़ने की क्रिया (जैसे रस्सी मरोड़ कर रख देना) 2 मरोड़ने से पड़नेवाला बल 3 चक्कर, घुमाव फिराव (जैसे-मरोड़ देना) 4 ऐंठन (जैसे-पेट में मरोड़ से उत्पन्न दर्द ) 5 कपट, क्षोभ । बाज़ + फ़ा० (पु० ) अकड़बाज़, छैला; ~ की बात छल कपट की बात; की बात कहना घमंड भरी बात कहना; खाना 1 पीड़ा होना 2 क्षुब्ध रहना मरोड़ना - (स० क्रि०) 1 घुमाना (जैसे- हाथ मरोड़ना) 2 तनाव में लाना (जैसे- अंग मरोड़ना, अंगड़ाई लेना) 3 दुःख पहुँचाना मरोड़ा - (पु० )
मरोड़ मरोड़ी - (स्त्री०) 1 ऐंठन, घुमाव 2 खींचातानी मर्कट-सं० (पु०) बंदर
मर्कटी-सं० (स्त्री०) बंदरिया
मर्ग -फ़ा० (स्त्री०) मृत्यु मर्चेंट-अं० (पु०) व्यापारी
मर्ज़-अ० (पु० )
= मरज़
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मर्जी
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मलमल
क
मर्जी-अ० (स्त्री०) = मरज़ी
मर्मिक-सं० (वि०) = मर्मज्ञ मर्तबा-अ० (पु०) - मरतबा
मर्मी-सं० (वि०) मर्म का ज्ञाता मर्तबान-(पु०) = मरतबान
मोद्घाटन-सं० (पु०) रहस्य प्रकट करना मर्त्य-[ सं० (पु०) 1 मनुष्य 2 शरीर II (वि०) मरणशील। मर्याद बो० (स्त्री०), मर्यादा-सं० (स्त्री०) 1 गौरव, प्रतिष्ठा,
~काया (स्त्री०) मरणशील देह; ~लोक (पु०) मनुष्य मान (जैसे-कुल की मर्यादा) 2 सीमा, हद (जैसे- मर्यादा का लोक, भूलोक
उल्लंघन, मर्यादा तोड़ना) 3 लोक प्रचलित व्यवहार और मर्द-[ फा० (पु०) 1 मनुष्य, प्राणी 2 पौरुष संपन्न व्यक्ति II | नियम (जैसे-लोक मर्यादा, खान-पान की मर्यादा)। (वि०) वीर और साहसी। बाज़ I (स्त्री०) बदचलन स्त्री पुरुषोत्तम (पु०) राम; -व्यतिक्रम (पु०) मर्यादा का II (वि०) पुंश्चली (जैसे-मर्दबाज़ होना)
उल्लंघन मर्दन-I सं० (पु०) 1 मलना, रगड़ना 2 कुचलना, रौंदना 3 नष्ट मर्यादित-सं० (वि०) 1 प्रतिष्ठित 2 सीमित
भ्रष्ट करना 4 पीसना II (वि०) 1 मर्दन करनेवाला | मर्यादी-सं० (वि०) 1 मर्यादा युक्त 2 सीमित। -करण 2 कुचलनेवाला (जैसे-अहि मर्दन)
(पु०) मर्यादा में रहने की अवस्था मर्दनी-सं० (स्त्री०/वि०) मर्दन करनेवाली
मरीं-(स्त्री०) कर्जदारों के द्वारा सूद के बदले महाजन को दी मर्दाना-I फ़ा० (वि०) 1 पुरुष संबंधी, मर्दो का 2 पुरुषोचित जानेवाली भूमि 3 बहादुर 4 जवाँमर्द II (पु०) मर्द के बैठने का स्थान मर्शन-सं० (पु०) 1 रगड़ना 2 सलाह देना 3 विचार करना (जैसे-मर्दाना डिब्बा)
मर्ष-सं० (पु०) 1क्षमा 2 सहनशीलता मर्दित-सं० (वि०) 1 मर्दन किया हुआ 2 नष्ट किया हुआ मर्षण-I सं० (पु०) 1 सहना 2 क्षमा करना II (वि०) 1 नाश 3 रौंदा हुआ
__ करनेवाला 2 दूर करनेवाला मर्दी-फ़ा० (स्त्री०) 1 मर्दानगी 2 पुंसतव
महन-अ० (वि०) = मरहून मर्दुआ-फा० + हिं० (पु.) 1 तुच्छ आदमी 2 मर्द, पति मल-I सं० (पु०) 1मैल, कीट (जैसे-धातुओं का मल) मर्दुम-फ़ा० (पु०) मनुष्य । खोर (पु०) नरभक्षी; ~खोरी 2 मैल, विकार (जैसे- कफ़, पसीना) 3 विष्ठा, गुह 4 दोष,
(स्त्री०) मानव भक्षण; ~ शुमारी (स्त्री०) जनगणना विकार 5 पाप (जैसे-मन का मल धोना) II (वि०) गंदा, मर्दुमी-फा० (स्त्री०) 1 मनुष्यता 2 पौरुष, वीरता 3 पुंसता मलिन (जैसे-शरीर से निकला मल, मल पदार्थ)। त्याग मर्म-सं० 1 भेद, रहस्य (जैसे-हृदय का मर्म) 2 स्वरूप (पु०) शौच करना; द्वार (पु०) गाँड, गुदा; परीक्षा (जैसे-जीवन का मर्म निराला है) 3 शरीर का अत्यंत नाजुक (स्त्री०) टट्टी की जाँच; पात्र (पु०) कमोड; ~मास स्थान (जैसे-मर्म पर आघात करना)। ~ग्राही (वि०) रहस्य (पु०) दो संक्रातियों के बीच पड़नेवाला चांद्रमास ~मूत्र को समझनेवाला; ~घाती (वि०) मर्म पर आघात (पु०) टट्टी और पेशाब; ~युग (पु०) कलियुग; ~रोधन करनेवाला; ज्ञ (वि०) गूढ अर्थ, रहस्य को जाननेवाला; (पु०) = मलावरोध; ~वाहक (वि०) मल ले जानेवाला ~प्रहार (पु०) मर्म स्थल पर किया गया आघात; ~भेदक (जैसे-मलवाहक गाड़ी); विसर्जन (पु०) = मलत्याग; (वि०) 1मर्म छेदनेवाला 2 हृदय विदारक; ~भेदी (वि०) ~वेग (पु०) अतीसार; ~शुद्धि (स्त्री०) मल का बाहर 1मर्म पर आघात करनेवाला (जैसे-मर्मभेदी बाण) 2 संतप्त निकलना करनेवाला; वचन (पु०) 1 कठोर वचन 2 गूढ़ बात; मलकना-(अ० क्रि०) बो० 1 हिलना डोलना 2 मटकना 'वाद (पु०) रहस्यवाद; ~वादी (वि०) रहस्यवादी; | | 3 इतराना
~वेदना (स्त्री०) = मनस्ताप; ~वेदी (वि०) मर्मज्ञ रहस्य | मलका-फा० (स्त्री०) 1 अत्यंत सुंदर स्त्री 2 महारानी 3 रानी जाननेवाला; ~वेधक (वि०) = मर्मभेदी; ~व्यथा मलकाना-I (अ० क्रि०) इतराना (स्त्री०) = मनस्ताप; ~स्थल (पु०) = मर्म स्थान; ~स्थल मलकाना-II (स० क्रि०) 1हिलाना डुलाना 2 ठमक वेधी (वि०) = ~भेदी; ~स्थान (पु०) शरीर का अत्यंत ठमककर बातें करना (जैसे-युवती का मलकाना देखो) नाजुक भाग; ~स्पर्शी (वि०) दिल को लगनेवाली, मर्मभेदी मलकुलमौत-अ० (पु०) मौत का फ़रिश्ता (जैसे-मर्मस्पर्शी कथन, मर्मस्पर्शी वाक्य)
मलखंभ, मलखम-(पु०) 1 एक तरह की कसरत करने का मर्ममय-सं० (वि०) मर्मयुक्त
लकड़ी का बना खंभा (जैसे-मलखंभ की कसरत) मर्मर-[ फ़ा० (पु०) = मरमर
2 मलखंभ पर की जानेवाली कसरत मर्मर-II सं० (पु०) खड़खड़ाहट (जैसे-पत्तों की मर्मर)।। मलट-अं० (पु०) लकड़ी का हथौड़ा
ध्वनि (स्त्री०) मर्मर की आवाज़ (जैसे-मर्मर ध्वनि उत्पन्न मलता-(वि०) घिसा हुआ। करना)
मलना-(स० क्रि०) 1 रगड़ना (जैसे-साबुन मलना) 2 लेप मर्मरित-सं० (वि०) मर्मर ध्वनि करता हुआ
करना (जैसे-मलहम मलना) 3 हाथ फेरना (जैसे-आँख मांग-सं० (पु०) = मर्म स्थल
मलना) 4 रगड़ते हुए इधर उधर करना (जैसे-हाथ मलना) मातक-सं० (वि०) मर्मभेदी
5 उमेठना (जैसे-कान मलना) मर्माघात-सं० (पु०) मर्मस्थल पर होनेवाला आघात मलबा-(पु०) 1 कूड़ा कर्कट 2 गिरे हए मकान के ईट-पत्थर मन्वेिषण-सं० (पु०) रहस्य का पता लगाना
आदि (जैसे-मलबा साफ़ करना) महित-सं० (वि०) मर्म पर चोट पहुँचा हुआ
मलमल-(स्त्री०) एक तरह का बढ़िया महीन सूती कपड़ा
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मलमला
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मशग़ला
मलमला-I (वि०) 1 अत्यंत कोमल 2 उदास, खिन्न मलिया-(स्त्री०) तंग मुँह का मिट्टी का एक प्रकार का बर्तन । मलमला-II (पु०) कुलफे का साग
~मेट मिट्टी में मिला हुआ, सर्वनाश मलमलाना-(स० क्रि०) 1धीरे-धीरे मलना 2 बार बार | मलिछु-सं० (वि०) 1 अत्यधिक मलिन 2 पापी खोलना और बंद करना (जैसे-आँख मलमलाना) 3 बार बार मलीदा-I फ्रा० (पु०) 1 चूरमा 2 आटे में मिला हुआ गुड़ II आलिंगन करना 4 पछताना
(वि०) मला हुआ, मर्दित मलमलाहट-(स्त्री०) 1मल मल होने की अवस्था 2 उदासी, | मलीन-(वि०) = मलिन खिन्नता 3 पछतावा
मलेच्छ-(वि०) = म्लेच्छ मलमा-बो० (पु०) = मलबा
मलेपंज-(पु०) बूढ़ा घोड़ा मलय-1 सं० (पु०) चंदन। ज (वि०) मंलय से उत्पनः ।। मलेरिया-अं० (पु०) जाड़ा देकर आनेवाला बुखार द्रुम (पु०) = मंगल्य, नारियल वृक्ष
मलैया-बो० (पु०) जाड़े के दिनों में दूध को रात भर ओस में मलय-II (पु०) दक्षिण भारत का एक पर्वत, मलयगिरि | रखने के बाद उसमें शकर, केशर आदि मिलाकर मथने से मलयानिल-सं० (पु०) मलय समीर
निकला फेन, नमश मलयालम-(स्त्री०) केरल की भाषा
मलोत्सर्ग-सं० (पु०) = मल त्याग, शौच मलयालि-(पु०) मलयालम की एक पहाड़ी जाति मलोलना-(अ० क्रि०) पछताना मलयाली-I (वि०) मलयालम क्षेत्र का II (स्त्री०) मल्ल-सं० (पु०) 1कुश्ती लड़नेवाला, पहलवान 2 एक
मलयालम की भाषा III (पु०) मलयालम क्षेत्र का निवासी प्राचीन व्रात्य क्षत्रिय जाति। -क्रीड़ा (स्त्री०) मल्ल युद्ध; मलवाना-(स० क्रि०) मलने का काम कराना (जैसे-तेल ~खंभ + हिं० (पु०) = मलखम; ~भूमि (स्त्री०) मलवाना)
अखाड़ा; युद्ध (पु०) कुश्ती; विद्या (स्त्री०) कुश्ती के मलसा-(पु०) एक तरह का बड़ा कुप्पा
दाँव पेंच; शाला (स्त्री०) = मल्ल भूमि मलसी-(स्त्री०) मिट्टी का खाने-पकाने का बर्तन
मल्लार-सं० (पु०) मलार मलहटी-(स्त्री०) = मुलेठी
मल्लाह-अ० (पु०) केवट, माँझी मलहम-फ़ा० (पु०) = मरहम
मल्लाही-I अ० + फ़ा०। (वि०) मल्लाह का II (स्त्री०) मलहर-सं० (पु०) जमालगोटा
1मल्लाह का काम 2 मल्लाहों सी भद्दी और गंदी गालियाँ मलाई-I (स्त्री०) दूध या दही की साढ़ी (जैसे-मलाई जमना, | (जैसे-मल्लाही सुनाना) मलाई निकाला दूध)। दार + फ़ा० (वि०) मलाई से मल्लिका, मल्ली-सं० (स्त्री०) 1 मोतिया 2 एक प्रकार का युक्त
बेला मलाई-II (स्त्री०) 1मलने की क्रिया 2 मलने की मज़दूरी | मल्हनी-बो० (स्त्री०) एक तरह की नाव मलाट-(पु०) एक तरह का मोटा और मज़बूत काराज़ मल्हाना-(स० क्रि०) बो० चुमकारना मलामत-अ० (स्त्री०) 1 निंदा, भर्त्सना 2 झिड़की, डाँट मल्हार-I (पु०) = मलार 3मल, गंदगी
मल्हार-II (पु०) लाड़ प्यार, दुलार मलायावासी-हिं० + सं० (पु०) मलय का निवासी मल्हारना-(स० क्रि०) = मल्हाना मलार-(पु०) वर्षा काल में गाया जानेवाला एक राग, मल्लार मवविकल-अ० (पु०) वकील का आसामी मलाल-अ० (पु०) 1दुःख, रंज 2 पश्चाताप 3 उदासीनता मवाज़ी-अ० (वि०) 1 बराबर 2 बराबरी का मलावरोध-सं० (पु०) चि० 1 मल का रुकना 2 कब्जियत मवाद-अ० (पु०) ज़ख्य से निकलनेवाला पीब, पस (जैसे-मलावरोध की शिकायत)
(जैसे-फोड़े में मवाद आना) मलाशय-सं० (पु०) बड़ी आँत का निचला भाग, शरीर में मल मवाली-(प०) 1दक्षिण भारत की एक अर्ध सभ्य जाति 2 इस इकट्ठा होने का स्थान
जाति का व्यक्ति मलाहत-अ० (स्त्री०) 1 सलोनापन, सौंदर्य 2 कोमलता मवास-(पु०) 1आश्रय स्थान 2 गढ़, दुर्ग (जैसे-मवास मलिंद-(पु०) भ्रमर, भौंरा
तोड़ना) मलिक-अ० (पु०) बादशाह, राजा
मवासी-I (स्त्री०) छोटा गढ़ II (पु०) किलेदार III (वि०) मलिका-अ० (स्त्री०) महारानी, मलका
किले का मलिन-सं० (वि०) 1मैला, मलयुक्त 2 मैला कुचैला, गंदा पवेशी-अ० (पु०) गाय, बैल आदि चौपाया। खानाअ० (जैसे-मलिन वस्त्र) 3 ख़राब, बुरा (जैसे-मलिन हृदय) | + फ्रा० (पु०) 1 मवेशियों के रहने का स्थान 2 कांजीहाउस, 4 पाप करनेवाला, पापी (जैसे-मलिन पुरुष) 5 धीमा, मंद | पशुबंदी गृह (जैसे-मलिन प्रकाश) 6 उदास, म्लान (जैसे-मलिन नायिका, मशक-I फ्रा० (स्त्री०) खाल का बना पानी भरने का थैला मलिन मुख); ^ता (स्त्री०) गंदगी; ~प्रभ (वि०) मलिन मशक-II सं० (पु०) मच्छर। कुटी (स्त्री०) मच्छर हाँकने प्रभावाला; ~मुख (वि०) उदास; आदय (वि०) दुःखी, की चौरी संतप्त
मशकूक-अ० (वि०) संदिग्ध पालनावास-सं० (पु०) गंदी बस्तियाँ
मशक्कत-अ० (स्त्री०) 1कड़ी मेहनत 2 कष्ट, दुःख मलिनीकरण-सं० (पु०) मलिन करने का काम मशगला-अ० (पु०) 1व्यापार 2 दिल बहलाव
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मशगूल
मशगूल - अ० (वि०) लगा हुआ, व्यस्त मशविरा - अ० ( पु० ) परामर्श, सलाह
मशहूर - अ० (वि०) प्रसिद्ध (जैसे - मशहूर कवि ) मशाल - अ० (स्त्री०) ऐसी लकड़ी या लोहे की छड़ जिसके एक सिरे पर रोशनी हेतु कपड़ा लपेटा हो (जैसे-मशाल की आग)। ची + तु० ( पु० ) मशाल दिखानेवाला मशीन - अं० (स्त्री०) यंत्र, कल (जैसे आग बुझाने की मशीन, कपड़ा सिलने की मशीन ) । ~ आपरेटर (पु० ) मशीन चलानेवाला; गन (स्त्री०) चक्राकार बंदूक; गनर (पु० ) मशीन गन चलानेवाला; निर्माण + सं० (पु० ) मशीन बनाना (जैसे-मशीन गन उद्योग); ~निर्माण उद्योग + सं० (पु० ) मशीन बनाने का धंधा, पेशा, मैन (पु० ) मशीनवाला शाप (स्त्री०) मशीन की दुकान मशीनरी - अं० (स्त्री०) 1 मशीनों का समूह 2 मशीन के कल
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पुर्जे
मशीनी अं.हिंग मशीन संबंधी (जैसे-मशीनी सामान) मशीर - अ० (पु० ) सलाहकार, परामर्शदाता
मश्क- अ० (स्त्री०) अभ्यास
मषि-सं० (स्त्री०) 1 स्याही 2 काजल
मषी-सं० (स्त्री०) 1 सुरमा 2 स्याही मष्ट - (वि०) मौन, चुप
मस - (स्त्री०) । रोमावली 2 बालों की हल्की रेखा मसक-I फ़ा मशक | मसक - II ( पु० ) मशक़ II
मसकना - I (अ० क्रि०) 1 फट जाना (जैसे-पसीने से कपड़ा मसकना) 2 दुःखी होना (जैसे-अब मसकने से भो क्या होगा ) II (स० क्रि०) 1 फाड़ना, चीरना (जैसे-कपड़ा मसकना) 2 तोड़ देना, तोड़ना (जैसे- गर्दन मसकना) मसक़ला - अ० (पु० ) 1 तलवार आदि चमकाने का लोहे का एक उपकरण 2 तलवार आदि चमकाना मसका - फा० (पु० ) मक्खन, नवनीत (जैसे-मसका लगाना) । ~लगाना खुशामद, चापलूसी करना मसखरा - अ० (पु० ) 1 परिहास प्रिय व्यक्ति 2 विदूषक । पन + हिं० ( पु० ) मसखरा होने का भाव (जैसे- मसखरेपन की बात) मसखरी - अ०
फ़ा० (स्त्री०) हँसी ठट्ठा, दिल्लगी,
2
चुहलबाजी
मसजिद - अ० (स्त्री०) मुसलमानों का उपासना गृह (जैसे- जामा मसजिद में सिज़दा करना)
मसनद - अ० (स्त्री०) 1 गोल लंबोतरा तथा बड़ा तकिया 2 अमीरों के बैठने की गद्दी
मसुरिया
मसलहत- अ० (स्त्री०) 1 हितकर सलाह 2 भलाई की दृष्टि से 3 भलाई, हित
मसनवी - अ० (स्त्री०) साहि० उर्दू में वह कविता जिसमें तुकबंद रहित कई शेर होते हैं, प्रबंधकाव्य मसना - (स० क्रि०) बा = मसलना मसनूई - अ० फ़ा० (वि) 1 बनावटी, कृत्रिम 2 मिथ्य मसरूफ़ - अ० (वि०) काम में लगा हुआ, संलग्न मसल- अ० (स्त्री०) 1 कहावत लोकोक्ति 2 मिसाल मसलन- अ० ( क्रि० वि०) उदाहरण के रूप में मसलना - (स० क्रि०) 1 मलना, सण्ड़ना (जैसे- पैर से कीड़ा मसलना) 2 सानना (जैसे-मिट्टी मसलना)
मसला - अ० (पु० ) 1 कहावत, लोकोक्ति 2 समस्या मसवासी - (स्त्री०) वेश्या, रंडी मसविदा - अ० (पु० ) मसौदा मसहरी - (स्त्री०) मच्छरदानी
मसा - I (पु० ) बिंदु के आकार का शरीर पर होनेवाला निशान (जैसे-मसा निकलना)
मसा - II ( पु० ) मच्छर
मसान - I ( पु० ) श्मशान घाट, मरघट । ~घाट (पु० ) मुर्दा जलाने का स्थान । जगाना तांत्रिक प्रयोग से भूत पिशाच को सिद्ध करना
मसान - II ( पु० ) भूत-पिशाच की छाया मसाना - अ० (पु० ) मूत्राशय
मसानिया - I ( वि०) मसान संबंधी II (पु० ) 1 तांत्रिक 2 डोम
मसानी - (स्त्री०) डाकिनी, पिशाचिनी मसार - सं० ( पु० ) महानील
मसाल - अ० (स्त्री०) = मशाल। ~दानी (स्त्री०) मसाले रखने का पात्र
मसाला - अ० (पु० ) 1 गुण, स्वाद आदि बढ़ाने की सामग्री (जैसे- सब्ज़ी का मसाला) 2 धनिया, लौंग, मिर्च, तेजपत्ता आदि का मिश्रण 3 मकान बनाने का मसाला (जैसे-सीमेंट बालू मिलाकर मसाला तैयार करो) 4 सामग्री (जैसे- किताब लिखने का मसाला तैयार करना) 5 जवान सुंदर किंतु दश्चरित्र स्त्री 6 रासायनिक द्रव्यों का मिश्रण (जैसे-पान का मसाला) मसाली - (स्त्री०) रस्सी, डोरी मसालेदार - अ० + फ़ा० (वि०) 1 मसाला पड़ा हुआ (जैसे-मसालेदार तरकारी) 2 बढ़ा चढ़ाकर कही जानेवाली
+ फ़ा० + हिंο
बात
मसावात अ० (स्त्री०) 1 समानता 2 समीकरण मसिंजर - अं० (पु० ) संदेशवाहक
+
मसि सं० (स्त्री०) 1 स्याही, रोशनाई 2 काजल 3 कालिख । ~ कूपी (स्त्री०) दवात; जीवी सं० (पु०) लेखक, पत्रकार; ~दानी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) मसिपात्र, दवात; ~धान (पु० ) स्याही और काग़ज़, लिखने पढ़ने का सामान; बुंदा हिं०, ~ बिंदु (पु०) दिठौना मसियाना - I (अ० क्रि०) शरीर का मांसल होना II (स० क्रि०) शरीर को मांसल बनाना मसिल-बो० (पु० ) दे० मैनसिल मसी-सं० (स्त्री०) मषि मसीना - I सं० (स्त्री०) अलसी मसीना - II ( पु० ) मोटा अनाज, कदन्न मसीह - अ० (पु० ) हजरत ईसा
मसीहा - अ० + फ़ा० ( पु० ) 1 ईसामसीह 2 मृतकों को जीवित
और रोगियों को स्वस्थ करनेवाला व्यक्ति 3 प्रेम पात्र की संज्ञा मसीहाई-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 मसीहा का काम 2 मसीहा सी अलौकिक शक्ति
मसीही- I अ० (वि०) ईसा मसीह संबंधी II (पु० ) ईसाई मसुरिया-बो० (स्त्री०)
मसूरिका
=
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रमा
मसुरी
643
महफ़िल मसुरी-(स्त्री०) = मसूर
भी दे दी); ~ई भत्ता (पु०) चीज़ों के महंगे होने के कारण : मसूड़ा-(पु०) दाँतों के नीचे ऊपर का मांस
दिया गया अलाउंस मसूर-सं० (पु०) दाल के काम आनेवाला अन्न (जैसे-मसूर | महंगी-(स्त्री०) महंगाई की खेती)
महड़ा-बो० (पु०) भुना हुआ चना मसूरा-I (पु०) = मसूड़ा
महंत-(पु०) 1मठ का प्रधान 2 मुखिया मसूरा-II सं० (स्त्री०) = मसूर
महंती-(स्त्री०) महंत का काम मसूरिका-सं० (स्त्री०) 1 खसरा 2 कुटनी, दूती
महक-(स्त्री०) 1सुगंध (जैसे-इत्र की महक) 2 गंध मसूरी-सं० (स्त्री०) मसूरिका नामक रोग
(जैसे-तंबाकू की महक)। दार + फ़ा० (वि०) 1 गंध मसूला-(पु०) एक तरह की पतली लंबी नाव
युक्त 2 सुगंध युक्त (जैसे-महकदार फूल, महकदार पाउडर) मसण-सं० (वि०) 1चिकना 2 मुलायम
महकना-(अ० क्रि०) महक देना मसेवरा-बो० (पु०) मांस की बनी वस्तु
महकमा-अ० (पु०) विभाग (जैसे-पुलिस महकमा) मसोढ़ा-(पु०) बो० 1 मसूड़ा 2 सोना चाँदी आदि गलाने की महकान-बो० (स्त्री०) = महक घरिया
महकीला-(वि०) = महकदार मसोलियम-अं० (पु०) मकबरा
महकूम-I अ० (वि०) 1 हुक्म दिया हुआ 2 शासित II मसोसना-(अ० क्रि०) 1 मन ही मन कुढ़ना 2 मनोवेग को (पु०) प्रजा, रिआया दबाना, रोकना (जैसे-दिल का मसोसना)
महज़-अ० (क्रि० वि०) 1 केवल, निरा (जैसे-महज़ प्यार की मसोसा-(पु०) मानसिक दुःख 2 पश्चाताप बात करना) 2 सिर्फ़, मात्र (जैसे-महज़ पाँच रुपए का सवाल
पछतावा मसौदा-अ० (पु०) मसविदा, पांडुलिपि। गाँठना सोच | महत-सं० (वि०) 1 महान 2 सर्वश्रेष्ठ समझकर तरक़ीब निकालना
महता-(पु०) गाँव का मुखिया, महतो मस्का-फा० (पु०) मक्खन। लगाना खुशामद करना महताब-फ़ा० (पु०) चंद्रमा मस्त-फा० (वि.) 1 नशे में चूर (जैसे-शराब में मस्त) 2 नशे महताबी-फ़ा० (स्त्री०) एक आतिशबाज़ी, सुरसुरी से प्रभावित (जैसे-मस्त आँखें) 3 मद युक्त (जैसे-मस्त महतारी-बो० (स्त्री०) माता, माँ यौवन) 4 रीझा हुआ, अनुरक्त, लुब्ध (जैसे-नायिका के रूप महती-I सं० (स्त्री०) महिमा, बड़ाई II (वि०) बड़ी लावण्य को देखते ही नायक मस्त हो गया) 5 पूर्णतः तल्लीन (जैसे-महती कृपा)। द्वादशी (स्त्रा०) श्रवण की भाद्र (जैसे-काम में मस्त) 6 निश्चिंत और लापरवाह (जैसे-मस्त . शुक्ल द्वादशी आदमी)। ~मौला + अ० लापरवाह आदमी
महतो-(पु०) 1 मालिक, स्वामी 2 गाँव का प्रधान मस्तक-सं० (पु०) 1 माथा, ललाट 2 सिर (जैसे-मस्तक फोड महत्तम-सं० (वि०) सबसे बड़ा देना)
महत्तर-सं० (वि०) अधिक महत्त्ववाला मस्तरी-बो० (स्त्री०) धातु गलाने की भट्टी
महत्ता-सं० (स्त्री०) महत्व। -चर्चा (स्त्री०) काम की बात, मस्ताना-I फ़ा० हिं० (अ० क्रि०) मस्ती में आना || (स० । महत्वपूर्ण विषय क्रि०) मस्ती में लाना
महत्त्व-सं० (पु०) 1 बड़े होने का भाव 2 बड़ाई, श्रेष्ठता मस्ताना-I फ़ा० (वि०) 1 मस्तों का सा (जैसे-मस्ताना ढंग, 3 गुरुता 4 अधिक परिणाम जनक। ~पूर्ण (वि०) अधिक मस्तानी चाल) 2 मस्त, मत्त
महत्त्व का (जैसे- महत्त्वपूर्ण सवाल, महत्वपूर्ण आदमी); मस्तिष्क-I सं० (पु०) 1 दिमाग़ (जैसे-मस्तिष्क का प्रयोग) प्रिय (वि०) = महत्त्वाकांक्षी; प्रियता (स्त्री०) = 2 मस्तक का अंदरी गूदा। --स्तंभन (पु०) दिमाग़ का ठस महत्त्वकांक्षा; ~शाली (वि०) महत्त्ववाला; ~संपन्न हो जाना
(वि०) 1महत्वपूर्ण 2 जिसमें बड़ाई हो मस्ती-फा० (स्त्री०) 1 मतवालापन 2 संभोगेच्छा, काम वासना महत्वांकन-सं० (पु०) महत्त्व का लेखा-जोखा करना
की प्रबलता (जैसे-मस्ती छाना) 3 नशा (जैसे-शराब की महत्वाकांक्षा-सं० (स्त्री०) बड़ा बनने की आकांक्षा मस्ती) 4 जवानी का नशा 5 गर्व (जैसे-मस्ती की चाल)। महत्वाकांक्षी-सं० (वि०) बड़ा बनने की इच्छा रखनेवाला ~झड़ना अक्ल ठिकाने आना; ~झाड़ना गर्व दूर करना; महदंतर-सं० (पु०) बहुत बड़ा अंतर ~पर आना मस्त होना
महदाशय-सं० (वि०) उच्च विचारवाला यस्तूल-पुर्त० (पु०) नाव में पाल बाँधने का लट्ठा महदाशा-सं० (स्त्री०) उच्च कामना मस्सा -I (पु०) = मसा
महदूद-अ० (वि०) 1 सीमित 2 घिरा हुआ मस्सा -II (पु०) = मसा
महना-बो० (पु०) मथानी। ~मत्थन (पु०) 1 बार-बार तर्क महकना-(अ० क्रि०) = महकना
करना 2 तकरार, हुज़्ज़त महँगा-(वि०) अधिक दाम का (जैसे-महँगा सामान) | महनिया-(पु०) 1 मखनिया 2 मथनेवाला 2 बहमुल्य, अत्यधिक कीमती (जैसे-महँगा आभूषण)। ~ई महनीय-सं० (वि.) 1 पूज्यनीय, मान्य 2 महान् (स्त्री०) 1 महँगा होने का भाव (जैसे-महँगाई बढ़ती जा रही | पहफ़िल-अ० (स्त्री) 1 सभा, समाज 2 नाच-रंग का स्थान है) 2 महँगी का भत्ता (जैसे-सरकार ने वेतन के साथ महँगाई (जैसे-महफ़िल में जाना) 3 साधना, उपासना का स्थान
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महफूज़
महफूज़ - अ० (वि०) रक्षित
महबूब - अ० (पु० ) प्रिय, प्रेमपात्र, प्रेमी महबूबा - अ० (स्त्री०) प्रिया, प्रेयसी मह मह - ( क्रि० वि०) सुगंधि के साथ महमा - ( वि०) महकदार, सुगंधित महमहाना - ( अ० क्रि०) सुगंधि देना, महकना महमान - फ़ा० (पु० ) = मेहमान महर - I (वि०) = महकदार
महर - II बो० (पु० ) मुखिया
महर - III अ० (पु० ) निक़ाह के समय दुलहिन को दी जानेवाली रक़म
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महरबान - फ्रा० (वि०) मेहरबान महरम - I अ० (पु० ) निकट संबंधी जिससे मुसलिम कन्या का ब्याह जायज़ न हो II (वि०) भेद जाननेवाला व्यक्ति महरम - III (स्त्री०) 1 अंगिया 2 अंगिया की कटोरी महरा - I ( पु० ) 1 कहार 2 मुखिया 3 पूज्य व्यक्ति II ( वि० ) प्रधान, मुख्य 2 पूज्य और श्रेष्ठ
महराज - ( पु० ) = महाराज
महराजिन - (स्त्री०) खाने बनानेवाली नौकरानी
=
महराना - (पुं०) 1 महरों के रहने की जगह 2 महाराणा महराब - अ० (स्त्री०) मेहराब महरि-बो० (स्त्री०) स्त्रियों को पुकारने का आदर सूचक शब्द महरी - ( स्त्री०) 1 कहारिन 2 बर्तन माँजने का काम करनेवाली महरू - (पु० ) चंडू पीने की नली
महरूम - अ० (वि० ) 1 अभागा 2 वंचित महर्षि -सं० ( पु० ) महान् ऋषि
महल - अ० (पु० ) 1 राजाओं का मकान, प्रासाद 2 बड़ा मकान। ~सरा + फ़ा० (स्त्री०) जनानखाना, अंतःपुर महल्ला - अ० (पु० ) शहर का छोटा भाग, टोला महल्लेदार - अ० + फ़ा० (पु० ) 1 टोला मुहल्ला में रहनेवाला आदमी 2 महल्ले का प्रधान 3 चमार, भंगी, मेहतर आदि महसूल - अ० (पु० ) 1 शुल्क, कर 2 लगान (जैसे- खेती का महसूल) । ~घर + हिं० (पु० ) चुंगीघर; डाक + हिंο (पु०) डाक का शुल्क; सड़क - हिं० (पु०) मार्गकर महसूली - I अ० (वि०) महसूल के योग्य II ( स्त्री० ) लगानवाली भूमि
+
महसूस - अ० (वि०) जिसका अनुभव किया जाए महा - सं० (वि०) 1 बहुत अधिक 2 बड़ा, महान् 3 सर्वश्रेष्ठ (जैसे - महादेव, महारात्रि) । ~ अन्वेषक (पु० ) महान् खोज कर्ता; ~कल्प (पु०) ब्रह्म कल्प; ~कवि (पु० ) 1 महान् कवि (जैसे - महाकवि की कृति) 2 महाकाव्य का रचयिता; ~काय (वि०) बहुत बड़ा शरीरवाला; कारा निरीक्षक (पु० ) जेल का इंस्पेक्टर जनरल काल (पु०) शिव; ~काली (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 शिव की पत्नी; काव्य (पु० ) बहुत बड़ा और विस्तृत काव्य ग्रंथ ( महाभारत महाकाव्य व्यास की रचना है); ~कुमार ( पु० ) युवराज; ~कुल I (पु० ) उच्च कुल II (वि०) उच्च कुल का; ~कुलीन (वि०) उच्च कुल में जन्मा हुआ; कृति (स्त्री०) महान् रचना (जैसे- रामचरितमानस तुलसीदास की महाकृति है); ~ क्षय (वि०) घोर विनाश, महान् क्षति;
महा
~ खर्व (पु० ) सौ खर्व की संख्या खात (पु० ) बड़ा गड्ढा ~ख्यात (वि०) बहुत प्रसिद्ध; ~गज (पु० ) दिग्गज; ~गणक (पु० ) = महालेखापाल; ~गुण (वि०) अति गुणकारी; चक्रवर्ती (पु०) बहुत बड़ा चक्रवर्ती राजा, सम्राट् जड़ (वि०) अत्यंत बुद्ध जन (पु० ) 1 श्रेष्ठ जन, बड़ा आदमी 2 श्रेणी विशेष का मुखिया 3 जन समूह, जनता 4 साहूकार; जनशाही + फ़ा० (स्त्री०) महाजन का पद और कार्य; जनी I + हिं० (स्त्री०) महाजनों की एक लिपि II महाजनों का पेशा, व्यवसाय; जाल ( पु० ) 1 बहुत बड़ा जाल 2 धोखा देने की बहुत बड़ी युक्ति; जोखिम + हिं० (स्त्री०) बहुत बड़ा खतरा; डाकपाल + हिं० + सं० (पु० ) = महापत्र पाल; ~तेजा I (वि०) 1 अति तेजस्वी 2 अत्यधिक पराक्रमी II (पु०) वीर; दंड (पु०) 1 यम के हाथ का दंड 2 कठोर दंड; दंड नायक (पु० ) = महाधर्माध्यक्ष; दंत (वि०) बड़े दाँतोंवाला; -दान (पु० ) 1 बहुत बड़ा दान 2 ग्रहण आदि के समय दिया जानेवाला दान; दारू (पु०) देवदारु; दुःखी (वि०) अत्यधिक उदास, अति खिन्न; ~देव (पु० ) 1 सबसे बड़ा देवता 2 शिव; देवी (स्त्री०) 1 सबसे बड़ी रानी, पटरानी 2 पार्वती; देश (पु० ) 1 बहुत बड़ा देश 2 पृथ्वी के पाँच बड़े स्थल भागों में से प्रत्येक; देशीय (वि०) महादेश का ; ~द्वीप (पु० ) 1 समुद्र द्वारा आपस में कटे हुए बड़े-बड़े भू भाग 2 बहुत बड़ा द्वीप; द्वीपी, द्वीपीय (वि०) महाद्वीप से संबंद्ध, महाद्वीप का धन I (वि०)
=
1 बहुत बड़ा धनी 2 बहुमूल्य II ( पु० ) 1 सोना, स्वर्ण 2 खेती बारी, कृषि; ~ धमनी (स्त्री०) शरीर की बड़ी नाड़ी; धातु (पु० ) सोना, स्वर्ण, नगर (पु०) बहुत बड़ा नगर; ~नगर पालिका (स्त्री०) = महापालिका; नदी (स्त्री०) 1 बहुत बड़ी और विशेष पवित्र नदी (जैसे-गंगा, यमुना आदि महानदियाँ हैं) 2 बंगाल की खाड़ी में गिरनेवाली एक नदी का नाम नवमी (स्त्री०) आश्विन शुक्ला नवमी; नाटक (पु० ) दस अंकवाला नाटक; ~ निद्रा (स्त्री० ) मृत्युः ~ नियुक्तक (पु० ) = महान्यायवादी; ~निर्देशक (पु० ) - महानिदेशक निर्वाण (पु० ) मोक्ष; ~ निशा (स्त्री०) 1 प्रलय की रात 2 रात का मध्य भाग; न्याय अधिवक्ता (पु० ) = महान्यायाधिवक्ता न्यायाधिकारी (पु० ) न्याय करनेवाला बड़ा अधिकारी; न्यायाधिवक्ता (पु० ) न्याय करनेवाला बड़ा वकील; ~ न्यायालय (पु० ) बड़ी अदालत, हाई कोर्ट पंडित (पु०) बहुत बड़ा ज्ञानी; पत्र पाल (पु० ) पोस्ट मास्टर जनरल; पथ (पु० ) 1 बहुत बड़ा रास्ता 2 राजपथ 3 महाप्रस्थान का पथ 4 मृत्युः यथ गमन (पु० ) मरण, मृत्युः पद्म (पु० ) 1 सफ़ेद कमल 2 सौ पद्म की संख्या; पातक (पु०) बहुत बड़ा और घोर पाप; ~पातकी (पु०) बहुत बड़ा पापी; पात्र (पु०) 1 मृतक का दाह कर्म करनेवाला ब्राह्मण 2 महामंत्री; पाप (पु० ) बहुत बड़ा पाप; पालिका (स्त्री०) 1 बहुत बड़े नगर की स्वायत्त शासनिक इकाई, सिटी कारपोरेशन 2 नगर महापालिका द्वारा शासित भू भाग; ~पुत्र (पु० ) पुत्र का पुत्र, पोता; ~पुरुष (पु० ) 1 बहुत बड़ा तथा उच्च विचारोंवाला व्यक्ति 2 दुष्ट व्यक्ति 3 नारायण पूजा (स्त्री०) आश्विन के
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महा
645
प्रयाण
नवरात्र में की जानेवाली दुर्गा पूजा पौर (पु० ) महापालिका का अध्यक्ष, मेयर प्रभाव (वि०) रोब गाँठनेवाला; ~ प्रभु (पु० ) 1 ईश्वर 2 राजा; (पु० ) = महापथ गमन; ~ प्रलय (पु० ) संपूर्ण सृष्टि का नाश; ~ प्रसाद (पु० ) देवी देवताओं को चढ़ाया गया प्रसाद; - प्रस्थान (पु० ) महापथ गमन; प्राज्ञ (पु० ) महापंडित प्राण (पु०) व्याकरण के अनुसार वह वर्ण जिसके उच्चारण में प्राण वायु का विशेष व्यवहार करना पड़ता है; प्राणत्व, प्राणीकरण (पु० ) ध्वनि को महाप्राण बनाना; फल (वि०) 1 अधिक फलवाला 2 उत्तम परिणामवाला; ~बलशाली (वि०) महाबली; ~बलाधिकृत (पु० ) = महासेनापति; ~बली (वि०) बहुत बड़ा बलवान्; बाहु (वि०) 1 बड़ी भुजावाला 2 शक्तिशाली, बलवान् ~ ब्राह्मण (पु० ) = महापात्र; ~ भाग, भागी (वि०) अत्यंत भाग्यवान्; भारत (पु० ) 1 वेदव्यास द्वारा रचित एक महाकाव्य का नाम 2 कौरवों और पांडवों का बहुत बड़ा युद्ध 3 बहुत बड़ा युद्ध या लड़ाई झगड़ा (जैसे- इस घर में हमेशा महाभारत होता रहता है, महाभारत मचना); ~भीम (वि०) अत्यंत भयंकर; भीरु (वि०) अत्यधिक डरपोक भूत (पु० ) पाँच तत्त्व; ~ मंत्री (पु० ) 1 सबसे बड़ा मंत्री 2 साम्राज्य का प्रधान मंत्री; ~ मना (वि०) उदारचित; ~मरण (पु०) = महामारी; -महिम (वि०) अधिक महिमावाला (जैसे- महामहिम राष्ट्रपति); ~मह्येपाध्याय (पु० ) बहुत बड़ा विद्वान्; माई + हिं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 कालि; ~मान्य (वि०) परम् माननीय, अति सम्मानवाला; ~ माया (स्त्री०) जगत् की कारण भूता अविद्या; मारी (स्त्री०) मरक, मरी (जैसे- हैजा, चेचक महामारी का रूप है); मूल्य I (वि०) 1 कीमती, बहुमूल्य 2 मँहगा II ( पु० ) माणिक; मोह (पु० ) अत्यंत मोह; ~ यशस्वी (वि०) अत्यंत यशवाला; ~यात्रा (स्त्री०) मृत्युः ~यान (पु० ) उत्तम, प्रशस्त और श्रेष्ठ मार्ग; ~~युग (पु० ) चार युगों का समूह; युद्ध (पु० ) व्यापक भू-भाग में लड़ा जानेवाला युद्ध (जैसे- प्रथम महायुद्ध); ~ रक्त (पु०) मूँगा; ~ रजत (पु० ) 1 सोना, स्वर्ण 2 धतूरा ~ रत्न (पु० ) 1 बहुमूल्य रत्न 2 हीरा, मोती, वैदूर्य, पद्मराग, गोमेद, पुखराज, पत्रा, नीलम और मूँगा में से प्रत्येक; ~ रथी (पु०) बहुत बड़ा योद्धा; ~राज (पु० ) 1 बहुत बड़ा राजा, प्रधान राजा 2 गुरु, धर्माचार्य आदि के लिए प्रयुक्त संबोधन 3 शासनकाल में राजाओं को दी गई उपाधि; ~राजधिराज (पु० ) 1 राजाओं का राजा, सम्राट 2 अंग्रेज़ों द्वारा राजाओं को दी जानेवाली उपाधि; ~ राणा (पु० ) मेवाड़, चित्तौर और उदयपुर के राजाओं की उपाधि; रात्र (पु० ) आधी रात; रात्रि (स्त्री० ) 1 महाप्रलय 2 आधी रात के बाद दो मुहूर्त का रात्रिकाल; रानी + हिं० (स्त्री०) सम्राट् की पत्नी; ~राष्ट्र (पु० ) 1 दक्षिण पश्चिम भारत का एक प्रदेश 2 इस प्रदेश का निवासी, मराठा 3 बहुत बड़ा राष्ट्र; ~राष्ट्री (स्त्री०) 1 प्राकृत भाषा 2 मराठी; राष्ट्रीय (वि०) महाराष्ट्र संबंधी, महाराष्ट्र का रोग (पु० ) बहुत बड़ा रोग; ~ रोगी (वि०) महारोग से पीड़ित; लक्ष्मी (स्त्री०) 1 लक्ष्मी देवी की एक प्रतिमा 2 नारायण की एक शक्ति 3 दुर्गा
महानतम
का रूप धारण करनेवाली कन्या; लेखक (पु०) बहुत बड़ा लेखक; ~ लेखापाल (पु०) सबसे बड़ा लेखपाल, लेखपालों का प्रधान, अकाउंटैंट जनरल; ~वट + हिं० [ (पु०) बहुत बड़ा वट वृक्ष II (स्त्री०) माघ के महीने में होनेवाली वर्षा वन (पु०) बहुत बड़ा जंगल; - वाक्य (पु० ) 1 महदअर्थ प्रकाशक वाक्य 'अहं ब्रह्मास्मि, ' तत्वमसि, 'अयमात्मा ब्रह्म' आदि उपनिषद्वाक्य 2 दान के समय का मंत्र; ~ वाणिज्यदूत (पु० ) अन्य देश की राजधानी में रहनेवाला किसी देश का वाणिज्य दूत; ~ वात (पु०) बहुत तेज़ चलनेवाली हवा; ~ वारुणी (स्त्री०) गंगा स्नान का एक पर्व; ~ विद्या (स्त्री०) तांत्रिकों की सिद्ध देवियाँ; ~ विद्यालय (पु० ) वह बड़ा विद्यालय जहाँ उच्च शिक्षा प्रदान की जाए: ~वीर I (वि०) बहुत बड़ा वीर, योद्धा II ( पु० ) हनुमान; ~वीरचक्र (पु० ) भारतीय सैनिक को वीरता हेतु दिया गया पुरस्कार ~ व्याधि (स्त्री०) महारोग; ~ व्यावहारिक ( पु० ) = महाधिवक्ता; व्रत (पु० ) कठिनव्रत; व्रती (वि०) महाव्रत धारण करनेवाला; ~शंख (पु० ) 1 बहुत बड़ा शंख 2 ललाट 3 सौ शंख की संख्या; शक्ति (स्त्री०) 1 विश्व की रचना करनेवाली मूल शक्ति 2 प्रकृति; ~ शक्तिशाली (वि०) महाबली; ~ शांति (पु० ) महाकाश; ~ श्वास (पु० ) 1 श्वास रोग का एक भेद 2 मरने के समय की अंतिम श्वास; ~संस्कार ( पु०) मृतक की अंत्येष्टि क्रिया; ~संहार ( पु० ) महायुद्ध; सती (स्त्री०) परम साध्वी, पतिव्रता; सत्ता (स्त्री०) महाशक्ति सभा (स्त्री०) 1 बड़ा जलसा 2 महासंघ (जैसे- संयुक्त राष्ट्र की महासभा); सभाई + हिं० (पु० ) महासभा का कार्यकर्ता; समर (पु० ) = महायुद्ध; ~समुद्र (पु० ) = महासागर; ~सर्ग (पु०) प्रलय के उपरांत होनेवाली सृष्टि; ~सह (वि०) अत्यंत सहनशील; ~सागर ( पु० ) 1 संपूर्ण पृथ्वी को घेरनेवाली समस्त जल राशि (जैसे- प्रशांत महासागर, हिंद महासागर आदि ); ~ साहस (पु० ) 1 अति साहस 2 ज़बरदस्ती I ( वि० ) अत्यंत साहसी II ( पु० ) चोर; ( पु० ) सबसे बड़ा सेनापति, प्रधान सेनापति; (स्त्री०) महाधमनी; ~स्पद (वि०) = महाबली; हास (पु० ) अट्टहास महांतक - सं० (पु० ) मृत्यु
=
साहसिक सेनापति
स्नायु
A
=
महाजर - अ० (पु० ) शरणार्थी महाड़ी - (स्त्री०) महल, राजप्रसाद
=
महात्मा-सं० (पु० ) 1 पवित्र आत्मा 2 उच्च विचारोंवाला व्यक्ति (जैसे- महात्मा बुद्ध, महात्मा गाँधी) 3 बहुत बड़ा विरक्त तपस्वी, साधू संन्यासी 4 ईश्वर 5 पितरों का एक वर्ग महाधिकार पत्र-सं० (पु०) स्वतंत्रता प्रदान करनेवाला अधिकार पत्र, मैग्ना कार्टा महाधिवक्ता-सं० (पु० ) राज्य का प्रमुखतम अधिकारी, एडवोकेट जनरल
महान् -सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा, विशाल 2 उच्चकोटि का (जैसे - महान ग्रंथ)
महानतम सं० (वि०) सबसे बड़ा और श्रेष्ठ (जैसे- महानतम विचार और कर्म )
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महानता
महानता-सं० (स्त्री०) = महत्व
= महामना
महानुभाव-सं० (पु० ) 1 महापुरुष 2 उच्च विचारवाला और सत्यनिष्ठ व्यक्ति (जैसे-आप महानुभाव की देश को ज़रूरत है) । ता (स्त्री०) महानुभाव होने का भाव महानुभावी-सं० (वि० ) महाभिकर्ता-सं० (पु० ) = महाघटक महाभियोग-सं० ( पु०) बहुत बड़ा दोष महारत - अ० (स्त्री० ) 1 अभ्यास 2 योग्यता महार्थ - सं० (वि०) महामूल्य । ~ता (स्त्री०) महँगाई महार्थक सं० (वि०) गहरे अर्थवाला, महत्त्वपूर्ण
महाल- अ० (पु० ) 1 महल्ला, टोला 2 अनेक पट्टियोंवाली ज़मींदारी 3 विभाग
महावत - ( पु० ) हाथीवान, फीलवान
महावर - ( पु० ) लाख से तैयार किया गया गहरा लाल रंग (जैसे- महावर लगाना)
महावराह-सं० ( पु० ) विष्णु का वाराह रूप में लिया गया तीसरा अवतार
महावरी - I ( वि० ) 1 महावर के रंग का 2 महावर संबंधी II (स्त्री०) महावर लगाने का फाहा
महाशय - सं० (पु०) सज्जन (जैसे- एक महाशय दरवाज़े पर खड़े हैं)
महाश्वेता-सं० (स्त्री०) सरस्वती (देवी)
महाष्टमी - सं० (स्त्री०) आश्विन शुक्ला अष्टमी
महासन-सं० ( पु० ) सिंहासन
महासिल - अ० (पु० ) 1 प्राप्त धन 2 मालगुजारी, लगान 3 आय, आमदनी
महिका -सं० (स्त्री० ) पृथ्वी
महिमा - सं० (स्त्री०) 1 बड़ाई, गौरव (जैसे- रामायण में राम की महिमा) 2 प्रसिद्धि (जैसे-ग्रंथ की महिमा) 3 प्रभावोत्पादकता (जैसे- प्रयागतीर्थ की महिमा) । युक्त (पु० ) महिमावान् समन्वित (वि०) महिमा से महिमापूर्ण
भरा हुआ,
महिमान्वित-सं० (वि०) महिमा से युक्त
महिमामय-सं० (वि०) महिमावाला
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महिमावान् -सं० (वि०) गौरवशाली, बड़ा (जैसे-महिमावान्
पुजारी)
=
महियाउर बो० (पु० ) महेश महिला - सं० (स्त्री०) 1 औरत, स्त्री 2 स्त्री के लिए प्रयुक्त एक आदर सूचक शब्द । ~अंतरिक्ष यात्री (स्त्री०) अंतरिक्ष में जानेवाली औरत; दीर्घा (स्त्री०) महिलाओं की गैलरी; ~ प्रेमी (वि०) स्त्री से प्रेम करनेवाला; संघ (पु० )
महिला समुदाय, समूह
महिष सं० (पु० ) 1 भैंसा 2 शास्त्रानुसार अभिषिक्त राजा, सम्राट | ~ मर्दिनी (स्त्री०) दुर्गा
महिषी-सं० (स्त्री०) 1 भैंस 2 महिष, सम्राट् की पत्नी महिष्ठ-सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा 2 महिमापूर्ण
मही- I (स्त्री०) मट्ठा
मही - IIसं० (स्त्री०) पृथ्वी। ~कंप (पु०) भूकंप; तल (पु० ) पृथ्वी, संसार; ~धर (पु० ) पर्वत; पति, पाल
(पु० ) राजा सम्राट; प्रकंप (पु० )
महीकंप
=
महीज सं० ( पु० ) 1 मंगल ग्रह 2 अदरक महीन - (वि०) 1 अत्यंत पतला, बारीक (जैसे-महीन सूत) 2 सूक्ष्म (जैसे-महीन निशान)
महीना - ( पु० ) 1 मास, माह (जैसे फागुन का महीना ) 2 स्त्रियों का मासिक धर्म (जैसे-बहू महीना से है) 3 वर्ष का बारहवाँ अंश (जैसे चार महीना बाद)
+ फ़ा० ( क्रि० वि०) मासिक + फ़ा० (स्त्री०) मासिक धर्म
महीनेवार -हिं० महीनेवारी - हिं०
माँग
महीप सं० ( पु० ) राजा
महीर - I (स्त्री०) महेरा
महीर - II ( स्त्री०) मक्खन गर्म करने पर निकलनेवाली तलछट महीश-सं० ( पु० ) मही पति
महुअर - I ( पु० ) तुमड़ी, तूंबी
महुअर - II बो० (स्त्री०) 1 कालापन युक्त लाल रंग का भेड़ का ऊन 2 पीसे गए महुए से बनी रोटी महुअरी - बो० (स्त्री०) महुए के रस में सानकर पकाई गई रोटी महुआ- (पु०) बलुई भूमि में होनेवाला एक प्रसिद्ध वृक्ष और उसका फल (जैसे - महुए के फल से बनी शराब ) महुआरी - ( स्त्री०) महुए के अनेक वृक्षोंवाला स्थान महुवा - ( पु० ) दे० महुआ
I=
मुहूर्त
महूरत - (पु० )
महेंद्र - सं० (पु० ) 1 विष्णु 2 इंद्र
महेर - ( पु० ) 1 छाछ में बनी चावल 2 लपसी महेरा - ( पु० ) 1 मट्ठे में पकाया गया चावल 2 मठा महेरी - I ( वि०) 1 झगड़ा बखेड़ा खड़ा करनेवाला 2 व्यर्थ देर लगानेवाला
महेरी - II (स्त्री०) = महेरा
महेला - ( पु० ) पशुओं को खिलाया जानेवाला एक पुष्टिकारक पदार्थ
महेश- सं० ( पु० ) 1 शिव 2 ईश्वर
महेश्वर - सं० (पु० ) 1 शंकर जी 2 परमेश्वर महेसिया - ( पु० ) बढ़िया अगहनी धान महला -सं० (स्त्री०) बड़ी इलायची महोरवा - ( पु० ) कौए के आकार का एक पक्षी महोगनी -अं० (पु० ) एक सदाबहार पेड़ महोच्छव - बो० ( पु० ) महोत्सव महोती - ( स्त्री०) महुए का फल महोत्पल - सं० (पु० ) महोत्सव - सं० ( पु० ) महोदय -सं० ( पु० ) महोदर -सं० (वि०) बड़े पेटवाला महोदार-सं० (वि०) अत्यंत उदार मोन्नत - सं० (वि०) बहुत अधिक उन्नत महौघ-सं० ( पु० ) समुद्री तूफान महौजा-सं० (वि०) बहुत अधिक तेजस्वी महौषध-सं० (पु० ) अति गुणकारी दवा महौषधी-सं० (स्त्री० ) 1 श्रेष्ठ औषधि 2 संजीवनी माँ - (स्त्री०) अम्मा, माता, जननी
1 सारस पक्षी 2 पद्म समारोह, जलसा
= महाशय
मांगलिक-सं० (वि०) मंगल करनेवाला
माँग- I (स्त्री०) 1 याचना 2 चाह, इच्छा 3 अधिकार रूप में की
=
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माँग
647
रखता
गई याचना 4 आवश्यकता। पत्र + सं० (पु०) माँग | माँढा-(पु०) - मंडप संबंधी परचा, आर्डर फार्म
मांत्र-सं० (वि०) मंत्र संबंधी, मंत्र का माँग-II (स्त्री०) सिर के बालों को विभक्त करके बनाई गई | मांत्रिक-सं० (पु०) 1 मंत्र का पाठ करने में पारंगत व्यक्ति रेखा (जैसे-माँग में सिंदूर भरना)। चोटी (स्त्री०) स्त्रियों 2 मंत्र तंत्र का अच्छा ज्ञाता का केश विन्यासः -जली (स्त्री०) विधवा, राँड़; ~टीका माँथ-(पु०) सिर, माथा। ~बंधन (पु.) सिर के बाल बाँधने (पु०) मोतियों का लड़ी से युक्त एक तरह का माँगफूल; __ का फीता
~पट्टी (स्त्री०) - माँग चोटी; ~फूल (पु०) = माँग मांथर्य-सं० (पु.) 1 मंथर होने की अवस्था, मंथरता, धीमापन टीका; ~भरी (स्त्री०) सुहागिन
2 सुस्ती माँगना-(स० क्रि०) 1 याचना करना 2 प्रार्थना करना माँद-(वि०) 1 मलिन 2 फीका, श्री हीन 3 हलका . (जैसे-छुट्टी का आवेदन पत्र माँगना) 3 शादी का प्रस्ताव माँद-II(स्त्री०) सूखे गोबर का ढेर करना (जैसे-कन्या माँगना) 4 हाथ पसास्ना (जैसे-भीख माँद-III(स्त्री०) प्राकृतिक सुरंग (जैसे-शेर की माँद) माँगना) 5 प्रस्तुत करना (जैसे-दुकानदार से फल आदि माँदगी-फा० (स्त्री०) 1 माँदा होने की अवस्था 2 बीमारी, रोग माँगना)। ताँगना (स० क्रि०) माँगकर लेना; ~मँगना 3 थकावट (स० क्रि०) माँगना
माँदर-(पु०) मृदंग का एक भेद मांगलगीत-हिं० + सं० (पु०) = मंगलगान
माँदा-फ़ा० (वि०) 1 रोग से पीड़ित (जैसे-थका माँदा) 2 बचा मांगलिक-सं० (वि०) = मंगलकारी। ~ता (स्त्री०) मंगल हुआ, शेष होने की अवस्था
मांद्य-(पु०) 1 मंद होने का भाव 2 दुर्बलता 3 कमी, न्यूनता 4 माँगल्य-सं० (पु०) = मंगलकारी। -कामना (स्त्री०)
रोग 5 मूर्खता मंगलकारी इच्छा (जैसे-मित्र की तरक्की हेतु मांगल्य कामना) माँपना-(स० क्रि०) बो० - मापना माँगा-I(पु०) मँगनी माँगने का भाव II(वि०) मँगनी का माँ बहन-(स्त्री०) माँ और बहन माँचना-(अ० क्रि०) बो० 1 प्रसिद्ध होना 2 लीन होना 3 शुरू माँ बाप-(पु०) माता और पिता होना (जैसे-प्यार माँचना)
मांस-सं० (पु०) प्राणियों के शरीर का मुलायम चिकना और माँची-(स्त्री०) बैलगाड़ी में सामान रखने की जालीदार झोली हड्डी तथा रक्त से भिन्न अंश, आमिष, गोश्त । ~कंदी माँछ-(पु०), माँछली बो० (स्त्री०) = मछली , (स्त्री०) मांस की सूजन, ददोरा; कीलक (पु०) बवासीर माँछी-बो० (स्त्री०) = मक्खी
का मसा; खोर • फ़ा० (वि.) मांसाहारी; पिंड (पु०) मौज-(स्त्री०) 1 दलदली भूमि 2 कछार, तराई
मांस का लोथड़ा; -पेशी (स्त्री) शरीर के भीतर परस्पर माँजना-(स० क्रि०) 1 रगड़ना (जैसे-बर्तन माँजना) जुड़े हए मांसपिंड; ~ भक्षण (प.) मांस खाना; -भक्षी 2 अभ्यास करना (जैसे-लिखने में हाथ माँजना) 3 चमकाना (वि०) - मांसाहारी; ~~भोजी (वि०) मांस का सेवन (जैसे-फर्श माँजना) 4 साफ़ करना
करनेवाला; --मंड (पु०) गोश्त का रसा, शोरबा; मौजा-(पु०) पहली वर्षा का फेन
-विक्रयी (पु०) मांस बेचने का पेशा करनेवाला, कसाई; माँ जाई-(स्त्री०) बहन
~स्नेह (पु०) चरबी. वसा माँ जाया- (पु०) भाई
मांसल-सं० (वि०) 1 मांस युक्त 2 गदगदा (जैसे-मांसल मैंजिष्ठ-[ सं० (वि०) 1 मजीठ के रंग का 2 लाल II (पु०) | देह) 3 मोटा ताज़ा, हृष्ट पृष्ट (जैसे-मांसल शरीर)। -ता' लाल रंग
(स्त्री०) 1 मांसल अवस्था 2 मोटा ताज़ा होने का भाव या मांझा-(पु०) 1 नदी के बीच की सूखी ज़मीन 2 हल्दी लगाने अवस्था के बाद वर कन्या को पहनाया गया पीला कपड़ा 3 पेड़ का तना मांसाष्टका-सं० (स्त्री०) माघ कृष्णाष्टमी 4 फेन 5 मंझा 6 पतंग की डोर जो कांच के पिसे लेप मांसाहार-सं० (पु०) मांस युक्त भोजन युक्त हो
मांसाहारी-सं० (वि०) = मांस भक्षी मांझी-(पु०) केवट, मल्लाह
मांसोदन-सं० (पु०) मांस युक्त पका चावल, पुलाव माँठ-(पु०) 1 मटका 2 कुंडा
मा-(स्त्री०) - माँ माँड़-(पु०) पकाए गए चावल का बचा हुआ गाढ़ा पानी, माइक-अं० (पु०) ध्वनि वर्धक यंत्र पसाव
माइका-I(पु०) = मायका मांडना-(स० क्रि०) बो० 1 मसलना 2 गूंधना, सानना । माइका-IIअं० (पु.) अभ्रक (एक धातु) माँड़ना-(स० क्रि०) बो० 1 मसलना 2 गूंधना, सानना माइक्रोकापी-अं० (स्त्री०) सूक्ष्मप्रति (जैसे-आटा माँड़ना)
माइक्रोफोन-अं० (पु०) = माइक माँड़नी-(स्त्री०) माँड़ने का काम
माइक्रोस्कोप-अं० (पु०) सूक्ष्मदर्शी मांडलिक-सं० (पु०) = मंडलेश्वर
माइन-अं० (पु०) खान माँड़ा-(पु०) चि० 1 आँख में झिल्ली पड़ने का एक रोग माइनारिटी-अं० (स्त्री०) अल्पसंख्यक, अल्पमत 2 आँख में पड़नेवाली झिल्ली
माई-I(स्त्री०) माता मोदी-मी.) 1 भात का पसाव 2 कलफ़
माई-II(स्त्री०) औरत
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माई 648
मातृ माई-(स्त्री०) 1माता, माँ 2 माता तुल्य कोई बूढ़ी स्त्री 3 औरत, | माडर्न-अं० (वि०) आधुनिक (जैसे-माडर्न फ़ैशन)
माडल-अं० (पु०) = माडेल माउंट पुलिस-अं० (स्त्री०) घुड़सवार पुलिस
माड़व-बो० (पु०) मंडप (जैसे-माड़व छाना) माउंटेनियर-अं० (पु०) पर्वतारोही
माड़ा-बो० (वि०) 1 ख़राब, निकम्मा 2 दुबला-पतला माउंटेनियरिंग-अं० (स्त्री०) पर्वतारोहण
माडेल-अं० (पु०) 1 नमूना 2 आदर्श (जैसे-माडेल स्कूल) माउथ आर्गन-अं० (पु०) मुँह से बजानेवाला बाजा माढ़ी-बो० (स्त्री०) 1मढ़ी 2 मचिया माकूल-अ० (वि०) 1 उचित, ठीक 2 यथेष्ट 3 योग्य. लायक माणक-सं० (पु०) = मानकंद 4 उत्तम, अच्छा
माणव-सं० (पु०) 1 मनुष्य 2 बालक, लड़का माकूलीयत-अ० (स्त्री०) माकूल होने का भाव
माणवक-सं० (पु०) 1सोलह वर्ष की अवस्थावाला युवक माखन-(पु०) = मक्खन। चोर (पु०) मक्खन 2 तुच्छ व्यक्ति चुरानेवाला, कृष्ण
माणविका-सं० (स्त्री०) बालिका, किशोरी मागध-सं० (पु०) चारण, भाट
माणिक, माणिक्य-सं० I(पु०) लाल नामक रत्न II(वि०) मागधक-सं० (पु०) 1मगध देश का निवासी 2 मागध, भाट सर्वश्रेष्ठ माघ-I(पु०) कुंद का फूल
मणिबंध, माणिमंथ-सं० (पु०) सेंधा नमक माघ-II सं० (पु०) हिंदी साल का ग्यारहवाँ महीना मातंग-सं० (पु०) 1 हाथी 2 एक ऋषि माधी-I(वि०) माघ संबंधी II (स्त्री०) माघ मास की पूर्णिमा मात-फा० I(वि०) 1 मरा हआ 2 हारा हुआ, पराजित माध्य-सं० (पु०) माघ I
II(स्त्री०) 1 शतरंज के खेल में बादशाह को मिलनेवाली शह माचा-(पु०) = माँचा। ~खर + फ़ा० (पु०) बुद्ध, मूर्ख; 2 पराजय
तोड़ (पु०) चारपाई तोड़, पलंग तोड़, सुस्त और घरघुसू मातदिल-अ० (वि०) 1न अधिक गर्म और न अधिक ठंडा, आदमी
समशीतोष्ण 2 मध्यम प्रकृति का, संतुलित माचिस-अं० (स्त्री०) दीयासलाई
मातम-अ० (पु०) 1 मृत्यु शोक 2 रोना पीटना 3 अशुभ घटना माची-(स्त्री०) 1 मचिया 2 हल में का जूआ
का दुःख । खाना + फ़ा० (पु०) मृत्यु संतप्त गृह; ~दार माछर-बो० (पु०) = मच्छर
+ फ़ा० (वि०) मातम मनानेवाला, सोगी; ~पुर्सी + फ़ा० माछी-Iबो० (स्त्री०) = मक्खी
(स्त्री०) मृतक संबंधियों के प्रति समवेदना प्रकट करना माछी-IIबो० (स्त्री०) = मछली
मातमी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 मातम संबंधी 2 शोकसूचक माजरा-अ० (पु०) 1 हाल, घटना 2 घटना का विवरण मातरि पुरुष-सं० (पु०) केवल माँ के सामने अपनी वीरता का 3विशिष्ट किंतु अज्ञात बात
बखान करनेवाला पुरुष मा जाया-(पु०) = माँ जाया
मातहत-अ० I(वि०) अधीन II (पु०) मातहत कर्मचारी माजू-फा० (पु०) 1 यूनान और फ़ारस में पाई जानेवाली एक मातहती-अ० + फ़ा० (स्त्री०) मातहत होने का भाव प्रकार की झाड़ी 2 इस झाड़ी का औषध उपयोगी फल। | माता-सं० (स्त्री०) 1 माँ, जननी 2 आदरणीय बड़ी स्त्री
-फल +सं० (पु०) माजू नामक झाड़ी का गोंद 3 वेश्याओं का पालन पोषण करनेवाली स्त्री, खाला। -पिता माजून-अ० (स्त्री०) शहद, शक्कर आदि के योग से बना (पु०) = माँ बाप दवाओं का अवलेह
मातमह-सं० (पु०) नाना (स्त्री० मातामही) माझ-(वि०) मध्य
मातुल-सं० (पु०) मामा। पुत्रक (पु०) मामा का पुत्र माट-I(पु०) 1 मिट्टी का बड़ा बर्तन 2 मटकी
मातुला, मातुली-सं० (स्त्री०) मामी माट-II(पु०) = मरसा।
मातुलेय-सं० (पु०) = मातुल पुत्रक, मामा का लड़का माटा-(पु०) लाल रंग का च्यूटा
मातृ-सं० (स्त्री०) माता। कुल (पु०) = मातृपक्ष; ~गण माटी-(स्त्री०) 1 मिट्टी 2 लाश, शव
(पु०) सात या आठ मातृकाओं का समूह; ~गत (वि०) = माठ-I(पु०) मटकी
मातृक; ~गृह (पु०) माँ का घर; ~घातक (पु०) माँ का माठ-II(पु०) एक प्रकार की मिठाई
हत्यारा; चक्र (पु०) मातृकाओं का समूह; तंत्र (पु०) माठा-I(पु०) मट्ठा
मातृसत्ता; देव (पु०) माता को देवता माननेवाला; देश माठा-II(वि०) 1 मधुर 2 गंभोर 3 कंजूस
(पु०) मातृभूमि; निष्ठ (वि०) मातृसत्तात्मक; ~पक्ष माढू-I(पु०) 1बंदर, वानर 2 तोता II(वि०) मूर्ख, निर्बुद्धि (पु०) माता का कुल, नाना, मामा आदि; पूजन (पु०) माँ माइ-सं० (पु०) ताड़ की जाति का एक पेड़
देवी की पूजा; पूजा (स्त्री०) 1 माता की पूजा 2 विवाह के माइना-I(स० क्रि०) माँडना
दिन से पूर्व पितरों का किया जानेवाला पूजन; प्रणाली माइना-II(स० क्रि०) बो० 1 भूषित करना, मंडित करना (स्त्री०) = मातृ सत्ता; प्रधान (वि०) मातृ सत्तात्मक; --2 धारण करना, पहनाना 3 आदर सम्मान करना 4 मसलना 5 प्रेम (पु०) माता का प्रेम, माँ का स्नेह; बंधु (पु०) रौंदना
मामा; ~भक्त (वि०) माँ की पूजा करनेवाला; ~भक्ति माजना-III(अ० क्रि०) बो० घूमना फिरना, टहलना (स्त्री०) माँ की पूजा; ~भाव (पु०) माता का प्यार माडरेटर-अं० (पु०) नरम करनेवाला, मंथकरक
~भाषा (स्त्री०) 1 अपने घर में बोली जानेवाली भाषा
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मातृक
मान 2 राष्ट्र भाषा (जैसे-हिंदी हमारी मातृभाषा है); ~भूमि रहा हो (जैसे-मादरज़ाद नंगा); ~वतन + अ० (पु०) = (स्त्री०) जन्मभूमि; ~माता (स्त्री०) मातामही; ~मूलक मातृभूमि (वि०) मातृसत्तात्मक; ~वसा (स्त्री०) मौसी; सत्ता मादरी-फा० (वि०) माता का (स्त्री०) मातृ प्रधान प्रभुत्व; ~स्नेह (पु०) मातृप्रेम; मादा-फा० (स्त्री०) स्त्री जाति का प्राणी (जैसे-साँड़ की मादा हत्या (स्त्री०) माँ का खून, कत्ल
गाय है) मातृक-1 सं० (वि०) 1 माता संबंधी, माता का 2 माता के पक्ष मादी-फा० + हिं० (स्त्री०) भौतिक से होनेवाला II (पु०) 1मामा 2 ननिहाल
मादीन-फा० + हिं० (स्त्री०) दे० मादा मातृका-सं० (स्त्री०) 1 जननी, माता 2 दूध पिलानेवाली दाई, मादा-अ० (पु०) 1 योग्यता 2 समझ 3 व्या० शब्द की व्युत्पत्ति धाय 3 सौतेली माँ, उपमाता
4 सृष्टि का मूल तत्त्व 5 पदार्थ का मूल रूप मातृत्व-सं० (पु०) 1संतानवती होने की अवस्था | माही-अ० (वि०) 1 मादा का 2 भौतिक, जड़ 3 पैदायशी (जैसे-मातृत्व बोझ, मातृत्व बंधन) 2 माँ का पद । लाभ माधव-सं० I(वि०) 1 मधु संबंधी 2 मधु ऋतु संबंधी (पु०) माता बनना
___ II(पु०) 1कृष्ण 2 वसंत ऋतु मातृवत्-सं० (वि०) माँ के समान
माधुर-सं० (पु०) मल्लिका, चमेली मात्र-सं० (क्रि० वि०) इतने से अधिक नहीं (जैसे-मात्र दस माधुरी-सं० (स्त्री०) 1 मधुरता, मिठास 2 मिठाई रुपए, मात्र दो दिन)
माधुर्य-सं० (पु०) 1 मधुर होने का भाव, मधुरता शोभा युक्त मात्रक-सं० (पु०) 1 इकाई (जैसे-ऊर्जा की मात्रक) 2 स्वतंत्र सुंदरता
सत्तावाला (जैसे-धर्म एक इकाई है) 3 समूह की एक वस्तु माध्यंदिन-सं० (पु०) = मध्याह्न मात्रा-सं० (स्त्री०) 1 परिमाण (जैसे-सौ किलोग्राम की मात्रा) माध्य-सं० (वि०) = मध्य II(पु०) औसत (जैसे-माध्य 2 खुराक (जैसे-दवा की मात्रा) 3 अक्षर में लगाई जानेवाली ज्ञात करना) स्वर सूचक रेखा (जैसे-रात में आ की मात्रा लगाओ, क पर माध्यम-I सं० (वि०) मध्यम का, बीचवाला II(पु०) मात्रा लगाओ)। ~काल (पु०) ह्रस्व वर्ण के उच्चारण में 1साधन, उपाय 2 भाषा (जैसे-हिंदी या अंग्रेजी माध्यम में लगनेवाला समय
परीक्षा देना) 3 आधार, सहायता (जैसे-कला का माध्यम) 4 मात्रिक-सं० (वि०) 1मात्रा संबंधी 2 एक इकाई से संबंध द्वारा (जैसे-अधिकारी के माध्यम से काम होगा)। ~भाषा रखनेवाला, एकात्मक 3 जिसमें मात्राओं की गणना हो (स्त्री०) साधन रूप भाषा (जैसे-मात्रिक छंद)
माध्यमिक-सं० (वि०) मध्य का (जैसे-माध्यमिक शिक्षा, मात्सर-सं० (वि०) मत्सर युक्त
माध्यमिक विद्यालय) मात्सर्य-सं० (पु०) ईर्ष्या, डाह
माध्यस्थ-सं० (वि०) = मध्यस्थ मात्स्य-सं० (वि०) मछली का, मछली से संबंधित माध्यस्थ्य-सं० (पु०) = मध्यस्थता (जैसे-मात्स्यि विभाग)
माध्याकर्षण-सं० (पु०) = गुरुत्वाकर्षण मात्स्यिक-सं० (पु०) मछुआ
माध्याहिक-I सं० (वि०) मध्याह्न का II (पु०) मध्याह्न का माथा-(पु०) 1 सिर का अगला भाग, मस्तक (जैसे-माथा
फोड़ना) 2 वस्तु का अगला भाग 3 ऐसा चित्र जिसमें केवल मान-सं० (पु०) 1 नापने की क्रिया 2 परिमाण, मापफल मुख और मस्तक बना हो। पच्ची (स्त्री०) = मगज़ पच्ची; (जैसे-इस गठरी का मान पाँच किलो है) 3 तौल, नाप आदि
-पिट्टन (पु०) सिर खपाना, माजपच्ची; ~कूटना सिर जानने का साधन 4 समानता, तुल्यता 5 योग्यता, शक्ति पीटना; घिसना अनुनय विनय करना; ~टेकना भूमि से (जैसे-यह काम हमारे मान का नहीं है)। दंड (पु०) सिर लगाकर प्रणाम करना; ~ठनकना अनिष्ट की आशंका 1 नापने का डंडा 2 पैमाना होना; -पच्ची करना 1 देर तक सोचना समझना 2 विशेष मान-IIसं० (पु०) 1 सम्मान, इज़्ज़त (जैसे-मान अपमान) परिश्रम से समझाना; ~मारना सिर मारना, माथापच्ची करना; 2 आत्म गौरव का भाव (जैसे-अपने मान पर विचार करना)
गड़ना दे० माथा घिसना; माथे पर बल पड़ना चेहरे से 3 घमंड, शेखी (जैसे-झूठा मान) 4 मन में उत्पन्न क्षणिक रोष, अप्रसन्नता प्रकट होना
विकार, रूठने का भाव (जैसे-नायिका का मान करना)। माथुर-सं० I(पु.) 1 मथुरा का निवासी 2 कायस्थों की एक ~अभिमान (पु०) इज़्ज़त और बेइज़्ज़त; ~कंद (पु०) जाति II(वि०) मथुरा का
एक तरह का मीठा कंद; चित्र (पु०) नक्शा; चित्रकार माद-सं० (पु०) 1 अभिमान 2 प्रसन्नता, हर्ष 3 मद, मत्तता (पु०) मान चित्र बनानेवाला व्यक्ति; ~चित्रण (पु०) मान मादक-सं० I(वि०) नशीला (जैसे-मादक द्रव्य) II(पु०) चित्र बनाना; ~ता (स्त्री०) मनौती; ~देय (पु०) सम्मानार्थ नशा उत्पन्न करनेवाला पदार्थ। ता (स्त्री०) नशा, दिया गया मेहनताना; ~धन (वि०) मान का धनी; पत्र उन्माद
(पु०) अभिनंदन पत्र; ~पान (पु०) मान सम्मान; ~भंग मादन-सं० (पु०) 1उन्माद करनेवाला 2 कामदेव (पु०) 1 मानहानि 2 बेइज़्ज़त होना; ~भाव (पु०) चोचला; मादनी-सं० (खी०) 1 भाग 2 मदिरा 3 नशीली वस्तु
मंदिर (पु०) कोप भवन; ~मनोती + हिं० (स्त्री०) 1 मादर-फा० (स्त्री०) माँ, माता। -जाद (वि०) 1जन्म का | रूठना और मनाना 2 मन्नत; मर्यादा (पु०) मान प्रतिष्ठा, 2 एक ही माँ से उत्पन्न, सहोदर, सगा 3 जैसा जन्म के समय | इज्ज़त; ~महत + हिं० (पु०) मान प्रतिष्ठा, मान्यता
कर्म
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मानक
(स्त्री०) मान सम्मान; ~मोचन (पु०) मान भंग करना; ~ सम्मान (पु०) मान बड़ाई, गौरव ~हानि (स्त्री०) मान
अपमान
मानक - Iसं० (पु० ) नापने का मानदंड, रूप मानक - II सं० ( पु०) मानकंद
मानकीकरण-सं० ( पु०) मानक रूप स्थिर करना मानकीकृत -सं० (वि०) मानक रूप में लाया हुआ मानद-सं० (वि०) मान प्रतिष्ठा देनेवाला
650
=
मानना - I (स० क्रि०) 1 स्वीकार करना (जैसे-ग़लती मानना) 2 धारण को स्थिर करना (जैसे बात का बुरा मानना ) 3 सम्मान करना (जैसे मानना जानना) 4 श्रद्धा, विश्वास रखना (जैसे- धर्म को मानना ) 5 कर्तव्य पालन करना (जैसे- गुरु का कहना मानना ) 6 मन्नत करना 7 समझना II ( अ० क्रि० ) 1 समझना 2 राज़ी होना माननीय - सं० (वि०) मानने योग्य, सम्माननीय, आदरणीय मानव - I सं० (पु० ) 1 मनुष्य 2 मनुष्य जाति II ( वि० ) 1 मनु से उत्पन्न 2 मनु संबंधी। ~ इतिहास ( पु०) मनुष्य के विकास की कहानी कृत (वि०) मनुष्य द्वारा निर्मित (जैसे- मानवकृत उपग्रह); जाति (स्त्री०) मनुष्य जाति; जाति विज्ञान (पु० ) वह विज्ञान जिसमें मनुष्य के सांस्कृतिक विकास, रूप तथा जाति संबंधी अन्य बातों का अध्ययन किया जाता है; जाति वैज्ञानिक ( पु० ) मानव जाति विज्ञान का ज्ञाता; ता (स्त्री०) मनुष्यता; ता वाद (पु० ) वह वाद जिसमें संसार के सभी मनुष्य की मंगल कामना का विधान हो; वादी I (वि०) मानवता संबंधी II (पु०) मानवतावाद का समर्थक; द्रोही (वि०) मनुष्य द्रोही; धर्म (पु० ) मनुष्योचित कर्म और धर्म; ~ निर्मित (वि०) मानव द्वारा रचित; प्रकृति (स्त्री०) मनुष्य का स्वभाव; ~युक्त (वि०) जिसमें मनुष्य हो; ~ रहित (वि०) जिसमें मनुष्य न हो; वंश (पु० ) मनुष्य योनि ~ वंश शास्त्र (५०) = मानव जाति विज्ञान; वंश शास्त्री (पु०) मानव जाति वैज्ञानिक; ~वाद (पु० ) मानवतावाद; ~वादी (वि०) / (पु०) मानवतावादी; ~ विज्ञान (पु० ) : मनुष्य विज्ञान; ~ वैज्ञानिक ( पु० ) = मनुष्य वैज्ञानिक; ~ शत्रु ( पु० ) = मनुष्य द्रोही; शत्रुता (स्त्री०) = मनुष्य द्रोह; शास्त्र (पु० ) = मनुष्य विज्ञान; ~ शास्त्री (पु० ) मनुष्य वैज्ञानिक ~शास्त्रीय (वि०) 1 मनुष्य विज्ञान का ज्ञाता 2 मनुष्य विज्ञान से संबद्ध (जैसे - मानव शास्त्रीय ज्ञान); ~ शोषक (वि०) मनुष्य का शोषण करनेवाला; समाज (पु० ) मनुष्य समाज; ~ सहित (वि०) = मानव युक्त; ~हित (पु०) मनुष्य की भलाई
=
=
=
=
मानवक-सं० (पु० ) = माणवक मानवाधिकार-सं० (पु०) मनुष्य का अधिकार मानवी सं० (वि०) मानुषिक मानवीकरण-सं० (पु०) मनुष्य बनाना, मनुष्य रूप देना (जैसे- साहित्य में किया गया जड़ पदार्थ का मानवीकरण) मानवीय सं० (वि०) मानुषिक। ~ता (स्त्री०) = मनुष्यता मानवोचित सं० (वि०) मनुष्योचित
मानस - सं० I ( पु० ) 1 मन 2 मन में उत्पन्न संकल्प विकल्प
मान्य
II (वि०) 1 मन में उत्पन्न 2 मन में विचारा हुआ (जैसे - मानस चित्र, मानस पुत्र ) । ~ चिकित्सक (पु० ) मनोरोग चिकित्सक; जगत् (पु०) कल्पित संसार; ता (स्त्री०) 1 मन का भाव 2 मनोवृत्ति पट, पटल (पु० ) मन रूपी तख़्ती पुत्र (पु०) शारीरिक संभोग से अलग मात्र इच्छा से उत्पन्न पुत्र; रोग (पु० ) मनोरोग; ~ रोग चिकित्सक (पु० ) मनोरोग चिकित्सक; -विज्ञान
=
मनो विज्ञान; मनोविज्ञान;
(पु० )
(पु०)
=
=
जानकार
मानसरोवर -सं० (पु० ) हिमालय में स्थित एक पवित्र झील मानसिक-सं० (वि०) 1 मन की कल्पना से उत्पन्न 2 मन संबंधी (जैसे- मानसिक रोग, मानसिक यातना) 3 अधिक सोच विचारवाला (जैसे- मानसिक कार्य ) मानसून - अं० (पु० ) बरसाती हवा मानापमान-सं० (पु० ) = मान या अपमान मानाभिषेक-सं० (पु० ) प्रधान व्यक्ति का पदारूढ़ होना (जैसे- राष्ट्रपति का मानाभिषेक)
मानाथ -सं० (पु०) लक्ष्मी के पति, विष्णु मानिंद - फ्रा० (वि०) समान, सदृश
मानिक - (पु० ) = माणिक्य । जोड़ (पु० ) एक तरह का बड़ा बगुला रेत (स्त्री०) मानिक का चूरा मानिटर -अं० (पु० ) मानीटर मानित सं० (वि०) सम्मानित
=
वेग (पु० ) = मनोवेग; शास्त्र ~ शास्त्री (पु० ) मनोविज्ञान का
मानिता-सं० (स्त्री०) 1 सम्मान, गौरव 2 घमंड
मानिनी-सं० (स्त्री०) मान करनेवाली स्त्री, मानवती मानी - Iसं० (स्त्री०) नौकरानी
मानी - I[अ० (स्त्री०) 1 अर्थ, मतलब 2 हेतु
मानी - III सं० (वि०) 1 मानवाला 2 मान प्रतिष्ठा का ध्यान रखनेवाला 3 अभिमानी, घमंडी 4 माननीय, मान्यवर
मानीटर-अं० (पु० ) 1 छात्र नायक 2 सलाहकार मानुख बो० (पु० )
मानुष - सं० I ( वि०) (स्त्री०) मनुष्यता मानुषक, मानुषिक सं० (वि०) 1 मनुष्य संबंधी 2 मनुष्य का सा (जैसे - मानुषिक कर्म)
मानुषी - I ( वि०) मनुष्य की (जैसे- मानुषी चिकित्सा) मानुषी - IIसं० (स्त्री०) औरत, स्त्री
मानुषिक
=
मनुष्य
मनुष्य का II ( पु० ) मनुष्य । ~ता
मानुषीय-सं० (वि०) मानुष्य - सं० (पु० ) मनुष्यता मानुस - बो० (पु० ) मनुष्य माने - अ० (पु० ) अर्थ, आशय
=
मानों - ( क्रि० वि०) 1 अनुरूपता, तुल्यता (जैसे- वह मनुष्य क्या मानों देवता था) 2 मान लो कि (जैसे मानों हम सब राजा हैं)
=
मानोपाधि-सं० (स्त्री०) सम्मानित करने के लिए दिया जानेवाला ख़िताब
मान्य-सं० (वि०) 1 माने जाने योग्य 2 प्रार्थनीय 3 जिसका सम्मान करना उचित हो (जैसे- मान्यवर, गणमान्य) । ता (स्त्री०) सन्य होने का भाव 2 सिद्धांत, मत (जैसे- भारतीय
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मापी
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मारना
दर्शन की मान्यता) 3 बात, तथ्य प्रथा (जैसे-सामाजिक 6 ममत्व,ममता 7 भ्रम (जैसे-माया मग) 8 ईश्वरीय शक्ति मान्यता) 4 प्रामाणिक मान लेना (जैसे-संस्था को मान्यता (जैसे-प्रभु की माया)। ~कार (पु०) = मायाजीवी; प्रदान करना); --ता प्राप्त (वि०) जिसे मान्यता दी गई हो चार (पु०) मायावी; जाल (९०) धोखे का जाल; (जैसे-मान्यता प्राप्त विद्यालय); ~~वर (वि०). 1 श्रेष्ठ देवी (स्त्री०) गौतम बुद्ध की माँ; ~धर (पु०) = 2 श्रद्धेय
मायावी; ~पात्र (पु०) धनवान्, अमीर; ~प्रयोग (पु०) मापी-(स्त्री०) 1 नाप (जैसे-माप तौल) 2 परिमाण, मात्रा, मान छल का प्रयोग, धूर्तता; मृग (पु०) कपट मृग, धोखे का 3 पदार्थ नापने का मान (जैसे-दस किलो का माप)। हिरन; ~मोह (पु०) = माया जाल; ~यंत्र (पु०) मोहनी
उपकरण + सं० (पु०) नापने का उपकरण (जैसे-बाट, विद्या; ~वाद (पु०) ब्रह्म को सत्य और जगत् को मिथ्या नपना आदि माप उपकरण हैं); -जोख (स्त्री०) नापना और मानने का सिद्धांत; ~वादी I(पु०) मायावाद को माननेवाला वज़न लेना; ~तौल (स्त्री०) नापना और तौलना; दंड + व्यक्ति II(वि०) मायावाद संबंधी सं० (पु०) मानक, स्टैंडर्ड
माया-IVसं० (स्त्री०) धन, रुपया पैसा मापक-सं० (पु०) 1 मापनेवाला 2 पैमाना 3 बाट 4 अनाज मायामय-सं० (वि०) माया से युक्त तौलनेवाला, बया
मायावान्-सं० (वि०) मायावी, मायावाला मापन-सं० (पु०) 1 नापना 2 तराजू
मायाविनी-सं० (स्त्री०) 1 छल छद्म करनेवाली स्त्री 2 माया मापना-(स० क्रि०) पदार्थ का विस्तार, वज़न, क्षेत्रफल घनत्व स्वरूपिणी 3 माया में कुशल स्त्री आदि मालूम करना, नापना (जैसे-खेत का क्षेत्रफल मापना,
मायावी-सं० (वि०) 1 माया संबंधी 2 माया रूप में होनेवाला सीमेंट की बोरी का वज़न मापना)
3 जादू आदि से संबंद्ध II (पु०) अनेक प्रकार की माया मापनी-(स्त्री०) = मापन
रचनेवाला व्यक्ति मापांक-सं० (पु०) मान, परिमाण
मायिक-सं० (वि०) 1माया संबंधी 2 माया दिखानेवाली माफ़-अ० (वि.) क्षमा किया हुआ
मायी-सं० (पु०) 1माया का अधिष्ठाता, ईश्वर 2 मायावी माफ़क़त-अ० (स्त्री०) 1 अनुकूलता 2 मेल, मैत्री
3 जादूगर माफ़िक़-अ० (वि०) 1 अनुकूल, अनुसार 2 उपयुक्त मायूर-I सं० (पु०) मोर, मयूर II (वि०) मयूर संबंधी (जैसे-मन माफ़िक़, लड़के के माफ़िक़)
मायूस-अ० (वि०) निराश, हताश, उदास माफ़िया-अं० (पु०) विधि विरोधी
मायूसी-अ० +फ़ा० (स्त्री०) निराशा, उदासी मानी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1क्षमा (जैसे-माफ़ी मिलना) मार-I (स्त्री०) 1 मारने की क्रिया, मारना (जैसे-उसे दो तमाचे
2 वह भूमि जिसका लगान माफ़ हो। दार (पु.) जिसके मार) 2 मारपीट, लड़ाई 3 निशाना (जैसे-हवाई जहाज़ की मार पास माफ़ी की ज़मीन हो; नामा (पु०) क्षमापत्र एक हज़ार गज़ की है) 4 कष्ट, क्लेश, दुःख (जैसे-गरीब की मा बाप-(पु०) = माँ बाप .
मार)। ~कटाई, ~काट (स्त्री०) 1 मारना और काटना मामक-सं० (वि०) मेरा
2 युद्ध; ~धाड़ (स्त्री०) लड़ाई -पिटाई, मारपीट मामता-(स्त्री०) = ममता
(स्त्री०) लड़ाई झगड़ा, दंगा फसाद; पेच + फ्रा० (पु०) मामला-अ० (पु.) 1 बात (जैसे-आपस का मामला) छल कपट, जाल, फरेब
2 घटना (जैसे-कैसे मामला था) 3 विवाद, मुकदमा मार-II (क्रि० वि०) बहुत अधिक, अत्यंत (जैसे-मार आफ़त (जैसे-मामले की सुनवाई) 4 काम काज, धंधा (जैसे-सारा । मचाना) मामला निपट गया) 5 युवती और सुंदर स्त्री (जैसे-मामले में | मार-III फ़ा० (पु०) साँप फँसना, मामला फँस गया) 6 स्त्री प्रसंग
मार-IV सं० (पु०) 1मारण, वध 2 मृत्यु 3 विघ्र 4 कामदेव मामा-I(पु०) माँ का भाई, मातुल
(जैसे-मार की पीड़ा सहना) मामा-IIफ़ा० (स्त्री०) 1 माता 2 वृद्धा 3 नौकरानी मारक-(वि०) 1 मारनेवाला 2 प्रतिकारक, ऐंटिडांट मामी-I(स्त्री०) मामा की पत्नी
मारका-I अ० (पु०) 1 युद्ध, लड़ाई 2 महत्त्वपूर्ण कार्य मामी-II(स्त्री०) अपना दोष न मानना
3महत्त्वपूर्ण घटना मामू-(पु०) = मामा
मारका-II अं० (पु०) 1 चिह्न, निशान 2 छाप (जैसे-ट्रेड मामूली-अ० +फाo. (वि०) 1 औसत दरजे का, साधारण मारका) 2 प्रायः होता रहनेवाला 3 नित्य नियम संबंधी
मारकीन-अं० (स्त्री०) एक तरह का साधारण कपड़ा मायक-(वि०) = मायावी
मारखोर-फा० (पु०) अफगानिस्तान में बहुत बड़े सींगवाला मायका-(पु०) विवाहित स्त्री के माँ का घर, पीहर, नैहर एक तरह का बकरा मायल-अ० (वि०) 1किसी पर अनुरक्त होना 2 आसक्त मारण-सं० (पु०) 1मार डालना 2 प्राण लेने के उद्देश्य से माया-बो० (स्त्री०) दया, ममता
किया गया तांत्रिक प्रयोग (जैसे-मारण मंत्र) माया-IIबो० (स्त्री०) माँ
मारतौल-पुर्त० (पु.) एक प्रकार का बड़ा हथौड़ा माया-IIIसं० (स्त्री०) 1 अविद्या, प्रकृति 2 मोहकारिणी शक्ति | मारना-(स० क्रि०) 1 अंत करना (जैसे-जान मारना) 2 प्रहार 3इंद्रजाल, जादू 4 कपट, धोखा (जैसे-स्त्री की माया) 50 करना (जैसे-लात मारना) 3 फेकना (जैसे-पत्थर मारना भ्रमवश होनेवाला प्रेम, अनुराग (जैसे-रूप की माया) | 4शिकार करना (जैसे-शेर मारना) 5 जख्म करना (जैसे-डंक
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मारफ़त
मारना) 6 यथा साध्य प्रयत्न करना (जैसे-पक्षियों का पर मारना) 7 भस्म आदि तैयार करना (जैसे- सोना मारना, पारा मारना) 8 बर्बाद करना, नष्ट करना (जैसे- उसे तो ऐयाशी ने मारा है) 9 परेशान करना (जैसे नौकर को दौड़ा मारना) 10 पराजित करना (जैसे- चुनाव में मैंने उसे दे मारा ) 11 विजय प्राप्त करना (जैसे- बाज़ी मारना) 12 गोट आदि जीतना (जैसे- शतरंज में हाथी से ऊँट मारना) 13 आवेग रोकना, दबाना (जैसे-मन मारना, भूख प्यास मारना) 14 बलपूर्वक अधिकार में करना (जैसे- गठरी मारना, रुपया मारना) 15 कार्य के संबंध में संपन्न करना (जैसे- पानी में गोता मारना) 16 संभोग करना (जैसे- कोठेवाली की मारना) मारफ़त - अ० ( क्रि० वि०) 1 माध्यम से (जैसे- डाकिए के मारफ़त रुपया प्राप्त हुआ) 2 द्वारा (जैसे- नौकर के मारफ़त ) मारफ़ीन-अं० (स्त्री०) अफ़ीम का सत्त
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मारबल - अं० (पु० ) संगमरमर
मारवाड़ी - I ( पु० ) मारवाड़ देश का निवासी II (स्त्री०) मारवाड़ देश की बोली III (वि०) मारवाड़ देश का, मारवाड़ संबंधी मारशल-अं०, (पु० ) मार्शल मारा - (वि०) 1 मारा हुआ 2 पीड़ित, ग्रस्त (जैसे- आफ़त का मारा) । ~मार, ~बाँधा I ( क्रि० वि०) बहुत अधिक तेज़ी II (स्त्री०) 1 बहुतायत 2 हलचल, भगदड़ 3 दौड़धूप 4 मारपीट मारात्मक-सं० (वि०) 1 हिंसक 2 प्राणनाशक 3 दुष्ट मारित - सं० (वि० ) 1 जो मार डाला गया हो 2 नष्ट किया हुआ 3 भस्म किया हुआ
मारी - ( स्त्री०) महामारी
-
मारुत-सं० (पु० ) 1 पवन, वायु 2 पवनदेव
मारुति-सं० (पु० ) पवनपुत्र, हनूमान
मारू - (वि०) 1 जान मारनेवाला (जैसे- जान मारू ) 2 मर्म स्थान पर आघात करनेवाला 3 मारने पीटनेवाला । बाजा (पु० ) एक वाद्य
मारूफ़ - अ० (वि०) प्रसिद्ध
मारे - ( क्रि० वि०) कारण, वज़ह से (जैसे-डर के मारे भागना) मार्क - अं० ( पु० ) 1 छाप (जैसे-ट्रेड मार्क) 2 लक्षण मार्का - I अ० (पु० ) = मारका I
= मारका II
मार्का - II अं० (पु० ) मार्केट-अं० (पु० ). बाज़ार मार्केटिंग-अं० (स्त्री०) विपणन, बाज़ार करना
मार्ग-सं० ( पु० ) 1 रास्ता, पथ 2 भ्रमण पथ 3 गुदा, मलद्वार । ~कर (पु० ) पथ कर; ~ चिह्न (पु० ) मार्ग दिखाने के संकेत; तोरण (पु० ) रास्ते में बनाया गया झंडे का फाटक;
=
दर्शक (वि०) / (पु० ) मार्ग दिखानेवाला, रहनुमा पथप्रदर्शक; दर्शन (पु० ) 1 रास्ता दिखलाना 2 पथ प्रदर्शन; ~ दर्शन प्रणाली (स्त्री०) मार्ग दर्शन का ढंग; ~ निर्देशक (पु० ) = मार्ग प्रदर्शक निर्देशन (पु० ) मार्ग प्रदर्शन पत्र (पु० ) राहदारी का परवाना; प्रदर्शक (पु० ) 1 रास्ता दिखलानेवाला व्यक्ति 2 रहनुमा, पथ प्रदर्शक; ~ प्रदर्शन (पु० ) रास्ता दिखलाना; बंध (पु० ) रास्ता रोकना; सुधार हिं० (पु०) मार्ग की मरम्मत करना
+
माल
मार्गणा सं० (स्त्री०) 1 अन्वेषण, खोज 2 याचना मार्गशिर, मार्गशीर्ष -सं० ( पु० ) अगहन का महीना मार्गी - सं० (पु०) यात्री, बटोही
मार्च - I अं० (पु० ) ईसवी संवत् का तीसरा महीना ( मार्च में 31 दिन होते हैं) II अं० (पु० ) दल बाँधकर आगे बढ़ना (जैसे - मार्च करना)
मार्जन -सं० (पु० ) 1 सफ़ाई 2 भूल, दोष आदि का परिहार मार्जनासं० (स्त्री०) 1 सफ़ाई 2 क्षमा, माफ़ी मार्जनी -सं० (स्त्री०) झाडू
मार्जनीय सं० (वि०) मार्जन के योग्य मार्जार-सं० (पु०) बिल्ली
मार्जित -सं० (वि०) साफ़ किया हुआ - मार्जिन अं० (पु० ) 1 हाशिया 2 किनारा 3 सीमा, हद (जैसे - मार्जिन में प्रवेश करना)
मार्तंड-सं० (पु०) सूर्य
मार्दव - सं० (पु० ) 1 मृदुता 2 हृदय की कोमलता और सरसता 3 अहंकार रहित होने का भाव मार्फ़त - अ० ( क्रि० वि०) माफ़िया - अं० (पु० ) मार्मिक सं० (वि० ) 1 मर्म संबंधी 2 मर्म को आंदोलित करनेवाला (जैसे-मर्म वचन) 3 विचार से होनेवाला (जैसे - मार्मिक विवेचन, मार्मिक व्याख्या)
मार्शल - अं० (पु०) सेना का उच्च अधिकारी, फ़ौजी अफ़सर ।
~ला (पु० ) 1 वह आदेश जिसके तहत देश की शासन व्यवस्था सेना के अधीन हो जाती है 2 सैनिक शासन माल - I (स्त्री०) माला
= मारफ़त मारफ़ीन
माल - II अ० (पु०) क़ीमती वस्तु 2 धन संपत्ति, रुपया पैसा (जैसे- माल लूटना, लूट का माल) 3 लगान के रूप में दिया गया धन (जैसे- माल गुज़ारी) 4 सुंदर और स्वादिष्ट भोजन (जैसे - माल खिलाना) 5 युवती और सुंदर स्त्री (जैसे-माल के पीछे भागना ) 6 क्रय विक्रय का सामान। ~ असबाब (पु० ) सामान; ~ खाना + फ़ा० (पु०) गोदाम; गाड़ी + हिंο (स्त्री०) सामान ढोने की गाड़ी;
+ फ़ा० (पु० )
=
+
गुज़ार 1 मालगुज़ारी देनेवाला व्यक्ति 2 ज़मींदार; गुज़ारी + फ़ा० (स्त्री०) 1 लगान 2 टैक्स, कर; गोदाम + हिं० (पु० ) माल असबाब का संग्रह स्थान; घर + हिं० (पु०) गोदाम; जादा + फ़ा० (पु०) वेश्या पुत्र; ज़ादी + फ़ा० + हिंο (स्त्री०) 1 वेश्या पुत्री 2 व्यभिचारिणी औरत; जामिन (पु०) नगदी ज़मानत देनेवाला; -टाल + हिं० (पु० ) माल असबाब; ~डिब्बा हिं० ( पु० ) माल गाड़ी का डिब्बा; ढुलाई + हिं० (स्त्री०) 1 माल की ढुलाई, माल ढोने का काम 2 माल ढोने का पारिश्रमिक; सूची + हिं० (स्त्री०) खरीद फरोख्त के सामान की सूची; दार + फ़ा० (वि०) धनी, धनवान्, निर्यात + सं० (पु० ) माल बाहर भेजना (जैसे-विदेशों में माल निर्यात); न्यायालय + सं० .(पु०) राजस्व संबंधी झगड़ों का न्यायालय; ~बाबू + हिं० (पु० ) माल को भेजने के संबंध में लिखा पढ़ी करनेवाला लिपिक, पार्सल क्लर्क बोर्ड + अं० (पु० ) राजस्व परिषद् ~ भंडारी हिं० (पु० ) माल गोदाम का निरीक्षक; मंत्री + सं० (पु० ) राजस्व मंत्री; ~मता (पु० ) = माल
+
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मालकँगनी
मस्त + फ़ा०
असबाब; ~ मसाला (पु० ) कुल सामग्री; (वि०) धन, संपत्ति के नशे में मत्त; महकमा (पु० ) राजस्व का प्रबंध करनेवाला सरकारी विभाग; मारू + हिं० (वि०) माल चुरानेवाला, गबन करनेवाला; मोटर + अं० (स्त्री०) = मोटर लारी; वाहक + सं० (वि०) माल ढोनेवाला, माल ले जानेवाला (जैसे- मालवाहक जहाज़ ); ~ विभाग + सं० (पु० ) = माल महकमा उड़ाना 1 तर माल खाना 2 रुपया गायब करना; काटना 1 दूसरे का पैसा हथियाना 2 रिश्वत लेना, घूस लेना (जैसे- दफ़्तर के बाबू खूब माल काटते हैं) 3 ग़लत ढंग से पैसा पैदा करना; मारना 1 दूसरे का धन हथियाना 2 रिश्वत आदि से रक़म पैदा करना मालकंगनी - (स्त्री०) 1 एक प्रकार की लता 2 इस लता का बीज (जैसे- मालकँगनी का तेल )
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मालखंभ - (पु० ) लकड़ी या खंभे के सहारे की जानेवाली एक तरह की कसरत
मालटा - ( पु० ) मुसम्मी की जाति का एक तरह का बढ़िया फल और उसका पेड़
मालती-सं० (स्त्री०) 1 सफ़ेद रंग के फूलवाली एक लता 2 इस लता का फूल 3 छः अक्षरों की एक तरह की वर्णवृत्ति (जैसे- मालती छंद) 4 युवती स्त्री 5 ज्योत्सना मालदह - (पु० ) 1 पूर्वी बिहार का एक नगर 2 मालदह के आस पास होनेवाला क़लमी आम
मालन - (स्त्री०) मालिन
मालपुआ - (पु० ) घी में तला एक तरह का मीठा पकवान (जैसे- हलुआ और मालपूआ )
मालबरी - (स्त्री०) एक प्रकार की ईख मालविका - सं० (स्त्री०) निसोथ, ऊंचे पहाड़ों की एक लता माला - सं० (स्त्री०) 1 हार, गजरा (जैसे- फूलों की माला)
2 गले में पहनने का हार, एक आभूषण (जैसे-सोने की माला) 3 धार्मिक उद्देश्य से पहना जानेवाला मनकों का हार (जैसे-रुद्राक्ष आदि की माला, माला जपना) 4 समूह, झुंड (जैसे- मेघमाला) 5 श्रेणी, पंक्ति, अवली (जैसे-पर्वत माला) मालामाल - अ० + फ़ा० + अ० (वि०) 1 धन धान्य से संपन्न,
=
समृद्ध 2 भरपूर
मालिक - अ० (पु० ) 1 ईश्वर (जैसे- संसार का मालिक एक है) 2 स्वामी, अधिकारिक, अधिपति (जैसे-आप ही हमारे मालिक हैं) 3 संपत्ति आदि का स्वामी, अध्यक्ष (जैसे- ख़ज़ाने का मालिक) 4 पति, शौहर (जैसे-पत्नी का मालिक कौन है) । न हिं० (पु० ) मालिक होने का भाव मालिका - सं० (स्त्री०) 1 फूलों आदि की माला 2 गले में पहनने का एक गहना
मालिकाना - अ० + फ़ा० I ( पु० ) 1 स्वामित्व 2 जमींदारी का हक़ II (वि०) मालिक जैसा III ( क्रि० वि०) मालिक के रूप में मालिकिन-अ० + हिं० (स्त्री०) स्वामिनी मालित-सं० (वि०) 1 माला पहना हुआ 2 घेरा हुआ मालिन - ( स्त्री०) 1 माली की स्त्री 2 माली का काम करनेवाली स्त्री
मालिन्य-सं० (पु० ) मलिनता, मैलापन मालियत - अ० (स्त्री०) 1 क़ीमत 2 धन, संपत्ति 3 क्रीमती वस्तु
मास्टर
मालिया, मालियाना - ( पु० ) माल गुज़ारी
मालिश - फ़ा० (स्त्री०) 1 शरीर पर तेल आदि लगाना 2 बार - बार हाथ से मलना
माली - I अ० (वि०) आर्थिक (जैसे- माली हालत ) माली - II सं० (पु० ) 1 माला बनाने और बेचने का काम करनेवाला 2 बाग़वान 3 माला बनाने का काम करनेवाली एक हिंदू जाति
मालीखूलिया - अ० (पु० ) एक प्रकार का मानसिक रोग,
उन्माद
मालीदा-फ़ा० (पु० )
मलीदा मालुमात - अ० (स्त्री०) ज्ञान, जानकारी
मालूम - अ० (वि०) 1 ज्ञात, विदित 2 प्रकट, स्पष्ट मालोपमा-सं० (स्त्री०) साहि० उपमा अलंकार का एक भेद जिसमें एक ही उपमेय के अनेक उपमान होते हैं माल्य-सं० ( पु० ) = माला माल्वान् -सं० (वि०) = मालित माल्यार्पण-सं० (पु० ) माला पहनाना
मावा - (पु० ) 1 माँडू, पीच 2 सार भाग, सत्त 3 दूध का खोआ माशा - (पु० ) आठ रत्ती मान की एक तौल । ~तोला (वि०) परिवर्तनशील, चपल
माशा अल्लाह- अ० ( क्रि० वि०) 1 जैसा अल्लाह चाहे 2 क्या कहना है
माशी - (वि०) उरद के रंग का
माशूक़ - अ० ( पु० ) प्रेम पात्र, प्रेमी, प्रिय
माशूका - अ० (स्त्री०) प्रेम पात्री, प्रेमिका
माशूक़ाना - अ० + फ़ा० (वि०) 1 माशूक़ संबंधी 2 माशूक़ की तरह का 2 प्रेयसियों की तरह का (जैसे- माशूक़ाना मिज़ाज )
माष - I सं० (पु० ) 1 माश 2 माशा 3 मसा II (वि०) मूर्ख । ~वटी (स्त्री०) उड़द की बड़ी
माषाद-सं० (पु० ) कछुआ
मास - सं० (पु० ) महीना (जैसे- दो मास के भीतर, पिछला मास) । ~कालिक (वि०) मासिक प्रवेश (पु० ) महीने का आरंभ
मासांत - सं० (पु० ) 1 महीने का अंत 2 मास का आखिरी दिन मासा - (पु० ) मासावधिक - सं० (वि०) मासिक
= माशा
मासिक - I सं० (वि०) 1 मास संबंधी मास का 2 मास मास पर नियमित रूप होनेवाला (जैसे- मासिक धर्म) II (पु० ) मासिक धर्म । धर्म (पु० ) रजोधर्म, रजस्राव मासी - (स्त्री० ) मौसी
मासूम - अ० (वि० ) 1 निरपराध, बेगुनाह 2 पाप रहित 3 निर्दोष और दया का पात्र (जैसे - मासूम बच्चा) मासूमियत, मासूमी - अ०
+ फ़ा० (स्त्री०) मासूम होने का
भाव
मासूर - सं० (वि०) 1 मसूर का 2 मसूर जैसा मास्क -अं० (पु०)
मुखौटा
मास्टर - अं० (पु० ) 1 शिक्षक, अध्यापक 2 मालिक, स्वामी 3 कला, विद्या, गुण आदि में निष्णात व्यक्ति (जैसे- कला का मास्टर, संगीत मास्टर) 4 उस्ताद 5 बच्चों के लिए प्रेम सूचक
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मास्टरनी
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मिठबोला
संबोधन। ~की (स्त्री०) एक तरह के सभी तालों को | मिचौनी-(स्त्री०) मूंदने की क्रिया (जैसे-आँख मिचौनी का खोलनेवाली कुंजी
खेल) मास्टरनी-अं० + हिं० (स्त्री०) मास्टर की पत्नी मिचौली-(स्त्री०) दे० मिचौनी मास्टरी-अं० + हिं० (स्त्री०) 1 अध्यापक का काम और पद मिज़राब-अ० (स्त्री०) सितार बजाने का एक तरह का छल्ला 2 कला, गुण आदि में निष्णात होने का भाव
मिज़ाज-अ० (पु०) 1 प्रकृति 2 स्वभाव (जैसे-नायिका का माह-बो० (पु०) माघ ।
मिज़ाज, तुनकमिज़ाज) 3 आदत (जैसे-लड़के का मिज़ाज माह-II फ्रा० (पु०) 1 चाँद 2 महीना, मास । “ताब (पु०) अच्छा नहीं है) 4 गर्व, घमंड (जैसे-मिज़ाज में बात करना)
चाँद; ~ताबी (स्त्री०) 1 एक तरह की आतिशबाज़ी 5 तबीयत (जैसे-आज सुबह मिज़ाज ठीक नहीं है)। दार 2 चाँदनी रात का मज़ा लेने के लिए बैठने हेतु बनाया गया + फ़ा० (वि०) घमंडी; ~दारी + फ़ा० (स्त्री०) मिज़ाजदार चबूतरा; ~नामा (पु०) मासिक पत्र; -बमाह (क्रि० होने का भाव; पुरसी + फ़ा० (स्त्री०) मिज़ाज पूछना; वि०) हर महीने; ~यार I (क्रि० वि०) प्रति मास ~आली, मुबारक ~शरीफ़ मिज़ाज कैसा है; ~न II (पु०) मासिक वेतन III (वि०) मासिक; ~वारी मिलना इतराना; पहचानना रुचि स्वभाव को समझना; (वि०) मासिक
पाना स्वभाव पहचान लेना; पूछना कुशल प्रश्न करना; माहत-(स्त्री०) महिमा, महत्ता
~में आना दिल में आना; ~सातवें आसमान पर होना माहर-(पु०) इंद्रयान
अत्यधिक घमंड होना; ~होना अभिमान होना माहली-(पु०) 1 अंतः पुर का सेवक 2 सेवक
मिज़ाजी-अ० + फ़ा० (वि०) मिज़ाजदार माहात्मय-सं० (पु०) महिमा, गौरव
मिटना-(अ० क्रि०) 1 पोंछा जाना (जैसे-पत्र के अक्षर माहाना-फा० (वि०) मासिक
मिटना) 2 नष्ट होना 3 बर्बाद होना (जैसे-आपस की लड़ाई में माहियत-अ० (स्त्री०) 1 भीतरी और वास्तविक तत्त्व 2 प्रकृति । सब कुछ मिटना) 3 विवरण
मिटाना-(स० क्रि०) 1 नष्ट करना (जैसे-उसने कल मर्यादा को माहियाना-I फ़ा० (वि०) माहवारी II (पु०) मासिक वेतन मिटा दिया) 2 लुप्त करना, साफ़ करना (जैसे-लिखावट माहिर-अ० (वि०) अच्छा जानकार, विशेषज्ञ
मिटाना) 3 रद्द करना माहिरी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) विशेषज्ञता, दक्षता मिटिया-बो० (वि०) मिट्टी के रंग का। फूस (वि०) माही-फ़ा० (स्त्री०) मछली। ~गीर (पु०) मछुआ; ~गीरी कमज़ोर; ~महल + फ़ा० (पु०) मिट्टी का घर (स्त्री०) मछुआ का काम
मिटियाना-(स० क्रि०) मिट्टी रगड़कर साफ़ करना माहुर-(पु०) विष, ज़हर
मिट्टी-(स्त्री०) 1 ज़मीन के ऊपरी भाग में पाया जानेवाला माहेश्वर-सं० (पु०) शिवोपासक
भुरभुरा और मुलायम तत्त्व (जैसे-मिट्टी में पौधा लगाना, मिट्टी माहौल-अ० (पु०) वातावरण
का घर बनाना) 2 विशिष्ट स्थान पर पाया जानेवाला उक्त मिंट-I अं० (पु०) टकसाल II (पु०) मिनट। हाउस पदार्थ (जैसे-पीली मिट्टी, बलुई मिट्टी) 3 सभी प्राणियों का - (पु०) टकसाल
शरीर जो मूलतः मिट्टी का ही बना है (जैसे-शरीर के पंच तत्त्व मिंडाई-(स्त्री०) 1 मिड़ने-मीड़ने की अवस्था 2 मीड़ने का में एक तत्त्व मिट्टी भी है) 4 मृत शरीर (जैसे-मिट्टी में शामिल पारिश्रमिक, मजूरी
होना)। खराबी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 बर्बादी, मिंबर-अ० (पु०) मस्जिद में इमाम के बैठने की विनाश 2 दुर्गति, दुर्दशा; तेल (पु०) एक प्रसिद्ध खनिज जगह
तरल पदार्थ (लालटेन में मिट्टी का तेल भरना, मिट्टी के तेल मिकदार-अ० (स्त्री०) 1 मात्रा 2 तौल
से अंगीठी जलाना); विशेषज्ञ + सं० (पु०) मिट्टी की मिकनातीस-अ० (पु०) चुंबक पत्थर
परख करनेवाला; -शिल्प + सं० (पु०) मिट्टी से चीजें मूर्ति मिकेनिक-अं० (पु०) = मेकेनिक
आदि बनाने की कला। ~उठना लाश, जनाज़ा उठना; मिक्सचर-अं० (पु०) घोल, मिश्रण
~करना बर्बाद करना; ~का पुतला मनुष्य; ~ की मूरत मिचकना-(अ० क्रि०) बार-बार खुलना और बंद होना | मानव शरीर; ~के माधव मूर्ख, भोंदू; ~के मोल बहुत (जैसे-आँख मिचकना)
सस्ता; खराब होना अंत्येष्टि कर्म का सही ढंग से न होना; मिचकाना-(स० क्रि०) बार-बार खोलना और बंद करना -ठिकाने लगना अंत्येष्टि कर्म सही तरीके से होना; (जैसे-आँख मिचकाना)
डालना दोष पर परदा डालना; देना 1 लाश दफ़न मिचकी-I (स्त्री०) 1 आँखें मिचकने या मिचकाने की अवस्था करना 2 लाश को कब्र में रखने के बाद उसपर थोड़ी-थोड़ी
2 आँख का इशारा (जैसे-मिचकी मारना) II (स्त्री०) मिट्टी डालना; ~पकड़ना अच्छी तरह जम जाना; ~पलीद 1 छलांग, उछाल 2 झूले की पेंग
होना 1 दुर्दशा होना 2 बेइज़्ज़त होना 3 अंत्येष्टि का ठीक से न मिचना-(अ० क्रि०) बंद होना (जैसे-आँख मिचना) होना; ~में मिलना नष्ट होना; से मिट्टी मिलना मुर्दे का मिवराना-(अ० क्रि०) बिना भूख के खाना
दफ़न होना मिचलाना-(अ० क्रि०) मतली आना
मिट्ठी-(स्त्री०) चुंबन, चूमा मिचली-(स्त्री०) जी मिचलाने की अवस्था
मिट्ट-(वि०) मीठी बात बोलनेवाला, मिष्ट भाषी मिचवाना-(स० क्रि०) मीचने का काम कराना ! मिठबोला-(वि०) मृदुभाषी, मिष्ट भाषी
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मिठलोना
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मियाँ
मिठलोना-(वि०) कम नमकवाला
मिथुन-सं० (पु०) 1 स्त्री और पुरुष का युग्म 2 संयोग, मिठाई-(स्त्री०) 1 मिठास 2 खाने की मीठी चीज़ (जैसे-पेड़ा, समागम, मैथुन 3 बारह राशियों में से तीसरी राशि। राशि
बरफी, ला आदि स्वादिष्ट मिठाइयाँ हैं) कारखाना + | (स्त्री०) तीसरी राशि फ्रा० (पु०) मिठाई बनाने का एक निश्चित और बड़ा स्थान; मिथुनीकरण-सं० (पु०) जोड़ा खिलाना, संभोग कराना
वाला (पु०) मिठाई का पेशा करनेवाला II (स० क्रि०) | मिथ्या-सं० (वि०) 1 असत्य, झूठा 2 बनावटी, कृत्रिम मीठा करना
3 निराधार (जैसे-मिथ्या आग्रह) 4 नीति के विरुद्ध मिठास-(स्त्री०) मीठापन
(जैसे-मिथ्या आचरण)। ~करण (पु०) झूठा करना; मिठोरी-(स्त्री०) एक तरह की बरी
~कारी (वि०) झूठा करनेवाला; चरण (पु०), मिडवाइफ़-अं० (वि०) दाई, धाय
-चर्या (स्त्री०) कपटाचरण, मक्कारी; ज्ञान (पु०) प्रम; मिड़ाई-(स्त्री०) = मिंडाई
दृष्टि (स्त्री०) नास्तिकता; ~धर्म (पु०) = मिथ्या मिडिल-I अं० (वि०) बीच का, मध्वयी (जैसे-मिडिल विश्वास; ~प्रतिज्ञ (वि०) प्रतिज्ञा का पालन न करनेवाला;
क्लास, मिडिल पार्ट) II (पु०) 1 मध्य 2 साधारणतया 5 से ~प्रशंसक (पुल) झूठी बड़ाई करनेवाला; ~भाषी 8 तक के दरजों का समाहार (जैसे-मिडिल कक्षा)।-ची+ (वि०) = मिथ्यावादी; ~मति (स्त्री०) भ्रांति, मिथ्या ज्ञान; तु० (वि०) मिडिल पास
वाद (पु०) असत्य कथन, झूठी बात; --वादी (वि०) मिहुलिया-बो० (स्त्री०) मढ़िया, कुटी
झूठ बोलनेवाला; ~शपथ (स्त्री०) झूठी प्रतिज्ञाः साक्षी मित-सं० (वि०) 1 नपा तुला 2 सीमित 3 कम, थोड़ा । (पु०) झूठा गवाह
(जैसे-मितभाषी)। ~भाषिणी (स्त्री०)/(वि०) कम मिथ्याचार-सं० (पु०) 1 कपटपूर्ण आचरण 2 इस तरह का बोलनेवाली; ~भाषी (वि०) 1 कम बोलनेवाला 2 कम आचरण करनेवाला व्यक्ति तथा आवश्यकतानुसार बोलनेवाला; ~भोजी (वि०) कम मिथ्यात्व-सं० (पु०) 1 झूठ होने की अवस्था 2 माया खानेवाला; ~मति (वि०/पु०) अल्प बुद्धि; ~व्यय । मिथ्यापवाद-सं० (पु०) = मिथ्याभियोग (वि०) कम खर्च करनेवाला, मितव्ययी II (पु०) अधिक | मिथ्याभास-सं० (पु०) भ्रमित चेतना के कारण अयथार्थ वस्तु खर्च न करना; व्ययता, व्ययिता (स्त्री०) कम खरची; __ आदि देखना ~व्ययी (वि०) कम खर्च करेनेवाला
मिथ्याभिमान-सं० (पु०) झूठा घमड मितली-(स्त्री०) मिचली, कै की इच्छा
मिथ्याभियोग-सं० (पु०) झूठा इल्ज़ाम, दोष मिताचरण-सं० (पु०) संयम
मिथ्यारोपण-सं० (पु०) झूठा दोष लगाना मिताचार-सं० (पु०) संयत व्यवहार, संयम
मिथ्यार्थ-सं० (पु०) ग़लत आशय, मिथ्या अभिप्राय मिताशन-सं० (पु.) 1 थोड़ा भोजन करना 2 अल्पाहार मिथ्याहार-सं० (पु०) प्रकृति विरुद्ध आहार मिताहार-I सं० (पु०) कम खाना II (वि०) मिताहारी मिथ्योपचार-सं० (पु०) 1 झूठी सेवा 2 झूठा इलाज मिति-सं० (स्त्री०) 1 परिणाम, मान 2 नापने जोखने की क्रिया मिनकना-(अ० क्रि०) डरते-डरते बोलना
प्रणाली (जैसे-अम्ल मिति, क्षार मिति) 3 सीमा, हद 4 नियम, मिनट-अं० (पु०) साठ सेकेंड का समय मर्यादा आदि का बंधन
मिनती-बो० (स्त्री०) विनती मिती-सं० (स्त्री०) 1 चांद्र मास के किसी पक्ष अथवा सौर मास मिन मिन-(क्रि० वि०) अस्पष्ट तथा धीमे स्वर से
की तिथि 2 दिन, दिवस 3 ब्याज देने तक की तिथि। --काटा मिनमिनाना-(अ० क्रि०) 1 अस्पष्ट तथा धीमे स्वर में बोलना + हिं० (पु०) ब्याज काटने का एक ढंग
2 नकियाना मित्र-सं० (पु०) दोस्त, सखा। ~ता (स्त्री०) दोस्ती; ~ता मिनहा-अ० (वि०) घटाया हुआ
पूर्ण (वि०) दोस्ती से भरा (जैसे-मित्रता पूर्ण बर्ताव), ता मिनहाई-अ० + फ़ा० (स्त्री०) घटान बंधुता (स्त्री०) दोस्ती और भाईचारा; द्रोह (पु०) मित्र के मिनिट-अं० (पु०) - मिनट प्रति विश्वासघात; ~~द्रोही (वि०) मित्र के प्रति विश्वासघात मिनिस्कर्ट-अं० (स्त्री) छोटा घाघर, चुटनों के ऊपर तक का करनेवाला; ~~भाव (पु०) मैत्री; ~मंडली (स्त्री०) पित्रों लहँगा का समूह; राज्य, राष्ट्र (पु०) ऐसा राज्य जिनका आपस मिनिस्टर-अंक (प.) मंत्री (जैसे रेल मंत्री) में दोस्ती का संबंध हो; राष्ट्रीय (वि०) मित्र राष्ट्र का; मिनिस्टरी-अंक (१०) मंत्री का पद और कार्य (जैसे-होम
वत्सल (वि०) मित्र का प्रेमी; शक्ति (स्त्री०) दोस्त मिनिस्टरी) की ताक़त (जैसे-मित्र शक्ति का भरोसा करना); ~सेना मिनिस्ट्री-पं. (स्त्री) 1 मंत्री का विभाग 2 मंत्रिमंडल (स्त्री०) दोस्त की सेना
मिन्नत-... { स्त्री) 1 विनती 2 चाकसी। .. गुज़ार • फ़ा मित्रन-सं० (वि०) मित्र द्रोही
वि.) मित्रत करनेवाला, समाजत (स्त्री०) चिरौरी, मित्रत्व-सं० (पु०) मित्रता
ना. विनय मित्रवत्-सं० (वि०) मित्र के समान
मिमियाना-(अ० कि.) 1 में में शवः करना ( जैसे-बकरी का मित्रवर-सं० (पु०) मित्र में श्रेष्ठ
भयाना) 2 बकरी की तरह में में करना 3 वापलसी करना मित्रोचित-सं० (वि०) मित्र के लिए उचित, मैत्रीपूर्ण पिया-फार (पु०) 1 स्वामी, मालिक 2 स्त्री का पति मिथ:-सं० (क्रि० वि०) आपस में
| (जैसे-आपके मियाँ जी घर पर हैं) 3 बच्चों के लिए प्रयन
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मियाद
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मिलीमीटर
स्नेह सूचक संबोधन 4 मुसलमान शिक्षक (जैसे-मियाँ जी से । ब्राह्मण और शूद्र का मिलना) 14 संगीत के स्वर आदि का एक उर्दू पढ़ना) 5 मुसलमान (जैसे-मियाँ की दौड़ मस्ज़िद तक)। सा प्रतीत होना (जैसे-तबले में सारंगी मिलना, पखावज -जीगरी + हिं० + फ़ा० (स्त्री०) मास्टरी, अध्यापकी; मिलना)। -जुलना (अ० क्रि०) भेंट मुलाकात, राहोरस्म बीबी (पु०) पति-पत्नी (जैसे-मियाँ बीबी का झगड़ा); (जैसे-परिवार में मिलना जुलना, रिश्तेदारों का मिलना जुलना) मिठू (वि०) मृदुभाषी 2 सीधा सादा, भोला (जैसे-अपने मिलनी-(स्त्री०) 1 विवाह के समय की एक रस्म 2 वर पक्ष को मुँह मियाँ मिट्ठ बनना)
कन्या पक्ष से मिलन रस्म पर दी गई रकम, भेंट आदि मियाद-अ० (स्त्री०) = मीआद
(जैसे-सौ रुपया मिलनी का है) 3 मिलना, मिलन मियान-फा० (पु०) = म्यान
मिलवाई-(स्त्री०) 1मिलवाने की क्रिया 2 मिलवाने के मियाना-फा० (वि०) मझोले आकार का
फलस्वरूप मिलनेवाला पुरस्कार मियानी-फ़ा० (स्त्री०) = म्यानी
मिलवाना-(स० क्रि०) 1 मिलाने का काम कराना 2 आपस में मिरगिया-(पु०) मिरगी से ग्रस्त व्यक्ति
मेल कराना (जैसे-नायक को नायिका से मिलवाना) 3 परिचय मिरगी-(स्त्री०) 1 हाथ पैर ऐंठने और बेहोश हो जाने का एक कराना (जैसे-मित्र से मिलवाना) स्नायविक रोग 2 अपस्मार
मिला-(वि०) मिश्रित (जैसे-पानी मिला दूध) मिरचा-(पु०) फली के रूप में होनेवाली लाल या हरी मिर्च मिला जुला-(वि०) 1आपस में मिला हुआ (जैसे-मिला (जैसे-मिरचा का पौधा)
जुला पदार्थ) 2 सटा हुआ (जैसे-मिला जुला कमरा) 3 गड मिरज़ई-फ़ा० (स्त्री०) बंददार कुरती, अंगा
मड (जैसे-मिली जुली भाषा, मिली जुली बोली) मिरज़ा-I फ़ा० (पु०) 1 अमीर का बेटा 2 राजकुमार 3 मुगलों | मिलाई-(स्त्री०) 1मिलाने का काम 2 मिलनी की एक उपाधि II (वि०) कोमल व्यक्ति
मिलान-(पु०) 1 मिलाने की क्रिया 2 तुलनात्मक रूप से देखा मिरज़ाई-I फा० (स्त्री०) 1 मिरज़ा का पद और कार्य 2 नेतृत्व जाना (जैसे-लिखावट का मिलान, रुपयों पैसों का मिलान, 3 अभिमान
कपड़ों आदि का मिलान) 3 तुलना (जैसे-स्वभाव और चरित्र मिरिच-(स्त्री०) मिर्च
का मिलान)। कर्ता + सं० (पु०) मिलान करनेवाला मिर्गी-(स्त्री०) मिरगी
व्यक्ति; केंद्र + सं० (पु.) दूरभाष कार्यालय मिर्च-(स्त्री०) एक तिक्त फली
मिलाना-(स० क्रि०) 1 सम्मिलित करना (जैसे-दाल में नमक मिल-अं० (स्त्री०) कारखाना (जैसे-कपड़ा मिल) ~कमेटी मिलाना, आलू में मसाला मिलाना) 2 सटाना (जैसे-दीवार से (स्त्री०) कारखाने की समिति; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) लॉक दीवार मिलाना) 3 पास पहुँचाना (जैसे-भटके हुए बालक को आउट
उसके माँ बाप से मिलाना) 4 अनुकूल बनाना, वैरभाव दूर मिलक-अं० (स्त्री०) = मिल्क
करना (जैसे-डाकू को साधु से मिलाना, शत्रु को दोस्त से मिलकियत-अं० (स्त्री०) = मिल्कियत
मिलाना) 5 संबंध, सहयोग स्थापित करना (जैसे-नज़र मिलगत-(स्त्री०) आर्थिक प्राप्ति
मिलाना) 6 गुण आदि की तुलना करना (जैसे-कपड़ा मिलता जुलता-(वि०) लगभग समान, एक सा
मिलाना, रुपया-पैसा का हिसाब मिलाना) 7 संभोग कराना मिलन-सं० (पु०) 1 मिलने की क्रिया 2 मिलाप, भेट । (जैसे-गाय को साँड़ से मिलाना) 8 स्वर, ध्वनि मिलाना
3 मिलावट, मिश्रण। ~बिंदु + सं० (पु०) मिलन स्थल (जैसे-सारंगी से तबला मिलाना) 9 गाँठ लगाकर एक करना मिलनसार-(वि०) 1सुशीलता 2 प्यार मुहब्बतवाला (जैसे-चाँदनी शामियाना में कपड़ा मिलाना) (जैसे-मिलनसार मित्र)
मिलाप-(पु०) 1 मेल 2 भेंट 3 दोस्ती मिलनसारी-(स्त्री०) 1 सुशीलता 2 मिलनसार होने की | मिलापी-(वि०) मिलनसार अवस्था
मिलाव (पु०), मिलावट-(स्त्री०) 1 मिलाए जाने का भाव मिलना-(अ० क्रि०) 1 एकाकार होना (जैसे-ध और पानी | 2 मिश्रण (जैसे-दूध में पानी की मिलावट) 3 मेल
का मिलना, पानी में चीनी मिलना) 2 साधारण रूप से आकर (जैसे-कच्चे और पके फल की मिलावट) पड़ना (जैसे-गेहूँ और चना का मिल जाना) 3 सट जाना | मिलावटी-(वि०) मिश्रित, मिलावट वाला (जैसे-चौराहों का मिलना) 4 साक्षात्कार, सामना होना | मिलिंग मशीन-अं० (स्त्री०) 1कपड़ा बनाने की मशीन (जैसे-अधिकारी से मिलना, रास्ते में मित्र से मिलना) 5 सामने | 2 पीसने की मशीन आना (जैसे-गाँव जाते समय नदी मिलना) 6 अभीष्ट सिद्ध मिलिंद-सं० (पु०) भौंरा, भ्रमर होना (जैसे-दवा से आराम मिलना) 7 प्राप्त होना | मिलिटरी-I अं० (वि०) 1सेना का, सैनिक फौजी (जैसे-रासायनिक खोज़ में नई दवा मिल गई) 8 हस्तगत होना (जैसे-मिलिटरी शासन) 2 युद्ध का, सामरिक II (स्त्री०) (जैसे-रास्ते में सौ रुपए का नोट मिलना, अदालत से सज़ा फ़ौज, पलटन मिलना)१दल बनाना (जैसे-डाकुओं का मिलना, नेताओं का | मिलित-सं० (वि०) मिला हुआ मिलना) 10 विरोधी दल में शामिल होना (जैसे-नौकर का | मिलीग्राम-अं० (पु०) ग्राम का हज़ारवाँ हिस्सा डाक से मिल जाना) 11 संबद्ध होना (जैसे-प्रेमिका से आँख | मिलीभगत-(स्त्री०) आपस में किसी के विरुद्ध रचा गया मिलना) 12 समानता होना (जैसे-सूरत मिलना) 13 भेद | षड्यंत्र, धूर्त और कपट भरी चाल भाव दूर होना (जैसे-गंगा और यमुना दोनों नदियों का मिलना, I मिलीमीटर-अं० (पु०) मीटर का हज़ारवाँ हिस्सा
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मिलोना
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मीडियम
मिलोना-(स० क्रि०) 1 मिलाना 2 दूध दूहना
मिस्की-(स्त्री०) कोमल और मंद स्वर में गाना मिलौनी-(स्त्री०) 1 मिलाई 2 मिलावट 3 मिलनी मिस्कीन-अ० (वि०) = मिसकीन मिल्क-अं० (स्त्री०) दूध। पाउडर (पु०) दूध का चूर्ण मिस्टर-अं० (पु०) श्रीमन, श्रीमान (जैसे-पानी में मिल्क पाउडर फेंटना)
मिस्तर-[ (पु०) गच पीटने का पिटना || (१०) मेहतर मिल्कियत-अ० (स्त्री०) 1 ज़मींदारी 2 जागीर 3 स्वामित्व मिस्तर-II अ० (पु०) पैमाना, स्केल 4 धन संपत्ति
मिस्तरी-पुर्त० (पु०) शिल्पकार मिल्लत-I (स्त्री०) मेलजोल, मिलाप
मिस्मार-अ० (वि०) नष्ट मिल्लत-II अ० (स्त्री०) मुसलमानी समाज
मिस्त्र विद्या-अ. सं० (स्त्री०) मिस्र की संस्कृति से संबंधित मिशन-अं० (पु०) 1 उद्देश्य 2 संस्था
शाख मिशनरी-अं० (पु०) 1 लोक सेवा के भाव से अन्य देश में | मिस्त्रा-अ० (पु०) मिसरा
जानेवाला या रहनेवाला व्यक्ति 2 ईसाई पादरी 3 कोई पादरी मिस्त्री-I अ० (वि०) मिस्र देश का मिश्र-[ सं० (वि०) 1 अनेक योगों से बना हआ (जैसे-मिश्र | मिस्त्री-अ० (स्त्री०) जमाई हई चीनी
धातु, मिश्र गैस) 2 मिला हुआ, संयुक्त (जैसे-मिश्र अनुपात | मिस्ल-अ० (वि०) मिसल मिश्र वाक्य) II (पु०) विशिष्ट वर्गीय ब्राह्मण III (पु०) | मिस्सा-(पु०) 1 मूंग, मोठ आदि का भूसा 2 कई दालों को एक मिस्त्र (देश)। ज (पु०) खच्चर; जाति (वि०) साथ पीसकर तैयार किया गया आटा दोगला; ~धातु (स्त्री०) अनेक धातु के संयोग से बनी धातु | मिस्सी-(स्त्री०) 1 दाँत साफ़ करने का एक तरह का मंजन (जैसे-पीतल एक मिश्र धातु है); ~वाक्य (पु०) व्याकरण | 2 नथिया उतरने की एक रस्म (मुस्लिम वेश्या की)। में तीन प्रकार के वाक्यों में से एक
काजल (पु०) स्त्रियों का बनाव श्रृंगार; ~दानी + फ़ा० मिश्रक-सं० (वि०) मिलावट करनेवाला
+ हिं० (स्त्री०) मिस्सी रखने का पात्र; ~सरमा + फ्रा० मिश्रण-सं० (पु०) मिलावट
(पु०) = मिस्सी काजल मिश्रित-सं० (वि०) मिलाया हुआ
मिहनत-अ० (स्त्री०) = मेहनत मिश्री-(स्त्री०) जमाई हुई चीनी
मिहमान-प्रा० (पु०) = मेहमान मिष-सं० (पु०) 1 छल, कपट 2 बहाना, मिस 3 ईर्ष्या, डाह | मिहरबान-पा० (क्रि० वि०) = मेहरबान ___4 स्पर्धा, होड़ 5 सींचना, सिंचन
मिहराब-अ० (स्त्री०) = मेहराब मिष्ट-सं० (वि०) मिठास युक्त। ~भाषण (पु०) मीठा | मिहिर-[ सं० (पु०) सूर्य II (वि.) बुड्ढा, वृद्ध बोलना; ~भाषी (वि०) मिठू
मांगी-(स्त्री०) बीज के अंदर का गूदा मिष्टात्र, मिष्ठान्न-सं० (पु०) मिठाई
मींजना-(स० क्रि०) 1मलना (जैसे-आँख मींजना) 2 मर्दन मिस-I (पु०) बहाना, ढोंग II (क्रि० वि०) बहाने से करना (जैसे-छाती मींजना) मिस-I अं० (स्त्री०) खोना III अं० (स्त्री०) कुमारी कन्या | मीड-(सी०) मीड़ने की अवस्था मिसकना-(अ० क्रि०) = मिनमिनाना
मीना-(स० क्रि०) 1 गूंधना (जैसे-आटा मींड़ना) 2 मसलना मिसकीन-अ० (वि०) 1दीन हीन 2 दरिद्र, निर्धन | मीआद-अ० (स्त्री०) समय, अवधि 3 भोलाभाला 4 विनम्र
मीआदी-अ० + फ्रा० (वि०) नियत अवधि तक का मिसन-(स्त्री०) 1 रेतीली भूमि 2 बलुई मिट्टी
मीचना-(स० क्रि०) बंद करना (जैसे-आँखें मीचना) मिसरा-अ० (पु०) उर्दू, फारसी आदि की कविता में आधारभूत मीज़ान-अ० (स्त्री०) 1 तुला, तराजू 2 संख्याओं आदि का पहला चरण। ~तरह (पु०) रचना पूर्ति के लिए दी हुई| समस्या
मीटर-[ अं० (पु०) 1मापक (जैसे-विजली का मीटर) मिसरी-[ अ० (वि०) मिस्र नामक देश II (पु०) मिस्र का | 2 मापका (जैसे-गाड़ी का मीटर) II अं० (पु०) लंबाई निवासी III (स्त्री०) मिस्र की भाषा
नापने हेतु दाशमिक प्रणाली की एक इकाई (जैसे-पाँच मीटर मिसरी- अ० (स्त्री०) थाल आदि में जमाई गई चीनी कपड़ा) (जैसे-मिसरी और पानी)
मीटरी-अं. + हिं० (वि०) मीटर का मिसल-अ० (स्त्री०) कहावत
मीटिंग-अं० (पु०) 1बैठक 2 सभा, समिति का अधिवेशन मिसाइल-अं० (पु०) प्रक्षेपास्त्र
(जैसे-पार्लियामेंट की मीटिंग) मिसाल-अ० (स्त्री०) 1 उदाहरण, दृष्टांत 2 उपमा 3 कहावत, मीठा-I (वि०) 1 चीनी सा स्वादवाला, मधुर (जैसे-मीठा . लोकोक्ति
फल, मीठा कह) 2 स्वादिष्ट (जैसे-मीठा भोजन, मीठा रस) मिसाली-अ० (वि०) उदाहरण रूप में होनेवाला 3 अनुकूल और प्रिय (जैसे-मीठी नजर, मीठी नींद) मिसिल-अ० (स्त्री०) 1 एक साथ रखे गए काग़ज़ पत्र 4 हलका, मंद, धीमा (जैसे-मीठी चुभन, मीठा दर्द)
2 फ़ाइल 3 सिलाई हेतु फरमों को एक साथ लगाया जाना 5सुशील और सौम्य (जैसे-मीठा व्यवारवाला) II (पु०) मिसिली-अ० + फ्रा० (वि०) 1 मिसल संबंधी 2 सजा मिठाई। ~आलू (पु०) शकरकंद। मीठी हरी प्राप्त (जैसे-मिसली डाकू)
विश्वासघाती मिसेज़-अं० (स्त्री०) श्रीमती
मीडियम-अं० (पु०) माध्यम
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मीत
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मुंसिफी मीत-बो० (पु०) मित्र, दोस्त
मुंगरा-(पु०) लकड़ी की बड़ी हथौड़ी (जैसे-घंटा बजाने का मीन-सं० (पु०) 1 मछली 2 बारह राशियों में एक राशि, | मुंगरा) अंतिम राशि
मैंगोछी-बो० (स्त्री०) मूंग का बना एक पकवान मीन मेख-(पु०) असमंजस, सोच विचार
Kगौरी-(स्त्री०) मूंग के दाल की बरी मीना-[फा० (पु०) 1 रंग बिरंगा शीशा 2 सोने चाँदी आदि पर | मुंड-I सं० (पु०) 1 सिर , मुंड 2 कटा सिर (जैसे-मुंडमाला)
बनाया जानेवाला रंगीन काम 3 शराब की बोतल या सुराही ___ II (वि०) 1 मुँडा हुआ 2 अधम, नीच। ~माला (स्त्री०) 4 शराब। ~कार (पु०) सोने चाँदी पर रंग बिरंगा काम ___ काटे गए सिरों की माला; ~मालिनी (स्त्री०) काली; करनेवाला कारीगर; ~कारी (स्त्री०) सोने चाँदी पर रंग ~माली (पु०) शिव बिरंगा काम; बाज़ार (पु०) 1 जौहरी बाज़ार 2 सुंदर चीज़ों | मुंडकरी-(स्त्री०) घुटनों के बीच सिर रखकर बैठने की मुद्रा
का बाज़ार 3 वह बाज़ार जिसमें केवल स्त्रियाँ ही क्रय और मुंडचीरा-(पु०) भीख न मिलने पर किसी औज़ार से अपने विक्रय करती हों
शरीर के किसी अंग को काटकर खून निकालनेवाला मुसलमान मीना-II (पु०) 1 नीलारंग 2 नीलाथोथा
मुंडन-सं० (पु०) 1 बच्चे के बाल पहली बार [ड़े जाने का मीनाक्षी-सं० (स्त्री०) दुर्गा
संस्कार 2 इस अवसर पर होनेवाला उत्सव 3 उस्तरे से सिर के मीनार-अ० (स्त्री०) लाट (जैसे-पीसा की मीनार, | बाल मुंडना कुतुबमीनार)
मैंडना-(अ० क्रि०) 1 मुंडन होना 2 बुरी तरह ठगा जाना मीनू-अं० (पु०) (होटल में) खानों की सूची
मुंडा-I(वि०) 1 मुंडित 2 गंजा 3 बिना सींग का (बैल, मीमांसक-सं० (पु०) मीमांसा शास्त्र का ज्ञाता
बकरा) मीमांसन-सं० (पु०) मीमांसा करना
मुंडा-II (पु०) 1 बिना नोक का जूता 2 एक आदिवासी जाति मीमांसा-सं० (स्त्री०) 1 गंभीर मनन और विचार 2 एक प्रकार | मुंडाई- (स्त्री०) 1 [ड़ने का काम 2 मूंडने की मज़दूरी । का भारतीय दर्शन
मुँडाना- (स० क्रि०) मूंड़ने का काम कराना मीमांसित-सं० (वि०) मीमांसा की गई
मैंडासा- बो० (पु०) सिर पर बाँधने का साफा। -बंद . मीमांस्य-सं० (वि०) मीमांसा योग्य
फ़ा० (पु०) दस्तार बंद मीयाद-अ० (स्त्री०) मीआद
मुंडित-सं० (वि०) मुंडन हआ (जैसे-मंडित मस्तक) मीयादी-अ० + फ़ा० (वि०) मीआदी
मुंडी-I (स्त्री०) 1 सिर मुंडी स्त्री 2 विधवा 3 बिना नोकदार जूती मीर-फा० (पु०) 1 नेता, सरदार 2 इस्लाम धर्म का आचार्य मुंडी-IIसं० (पु०) 1 मुंडन हुआ व्यक्ति, मुंडित व्यक्ति 2 नाई, 3 बादशाह 4 विजेता। -काफ़िला (पु०) कारवाँ का | नापित सरदार; ~बखशी (पु०) मुस्लिम काल में कर्मचारियों को | मुंडेर-(स्त्री०) 1 मुंडेरा 2 खेत की मेंड़ वेतन बाँटनेवाला एक कर्मचारी; ~भुचड़ी + हिं० (पु०) | मुँडेरा-(पु०) 1 छत के चारों ओर उठा हुआ दीवार का ऊपरी हिजड़ों द्वारा पूजित एक कल्पित वीर पुरुष; ~मंज़िल + अ० भाग 2 पुश्ता (पु०) शाही फ़ौज के पहँचने के पहले पड़ाव का प्रबंध | मुंडो-(स्त्री०) 1 मुंडित स्त्री 2 विधवा, राँड 3 स्त्रियों के लिए करनेवाला एक मुसलमान कर्मचारी; ~मजलिस अं०
उपेक्षासूचक संबोधन (जैसे-घर में दिया न बाती, मुंडो फिरे (पु०) सभापति; ~मुंशी + अ० (पु०) पेशकार; इतराती) ~मुशायरा + अ० (पु०) कवि सम्मेलन का अध्यक्ष; | मुंतखिब--अ० (वि०) 1बुना हुआ 2 बढ़िया -शिकार (पु०) राजाओं के शिकार का प्रबंधक; मुंतज़िम-अ० (पु०) प्रबंधक, व्यवस्थापक
सामान (पु०) राजाओं की पाकशाला का प्रबंधक मुंतज़िर-अ० (वि०) प्रतीक्षा करनेवाला लहाज + अ० (पु०) हाजियों का सरदार
मैंदना-(अ० क्रि०) 1 बंद होना (जैसे-आँखें मूंदना) 2 समाप्त मीरास-अ० (स्त्री०) बपौती। दार + फ़ा० (पु०)
होना, मर जाना (जैसे-उनकी आँखें सदा के लिए मुंद गई) उत्तराधिकारी
मुंदरा-(पु०) 1 कुंडल 2 कान में पहनने का एक प्रकार का मीरासी-अ० + 910 (पु०) एक तरह के मुसलमान भाड़
गहना (जैसे-मुंदरा बनवाना) मीरी-[ फ़ा० (स्त्री०) मीर होने का भाव II (पु०) मीर
| मुंदरी-(स्त्री०) अंगूठी मील-अं० (पु०) 1760 गज की दूरी, 8 फलांग की दूरी।। मुंशियाना-अ० + फ़ा० (वि०) मुंशियों की तरह का .
पत्थर + हिं० (पु०) 1 सड़क के किनारे पर लगा विशिष्ट | मुंशी-अ० (पु०) 1 लिपिक 2 लेखक (जैसे-मुंशी प्रेमचंद)। स्थानों की दूरी का संकेत देनेवाला पत्थर 2 विशिष्ट घटना, राष्ट्र, खाना + फा० (पु०) मुंशियों के बैठने की जगह, दफ़्तर; जाति आदि के इतिहास में संकेत देनेवाली स्थिति गिरी + फ़ा० (स्त्री०) मुंशी का काम और पद
मुंसरिम-अ० (पु०) 1 प्रबंधक 2 दफ्तर का प्रधान मीलन-सं० (पु०) 1मुंदना 2 सिकोड़ना
मंसिफ़-[अ० (वि०) न्याय करनेवाला || (10) सब जज से मीलित-I सं० (वि०) बंद किया हुआ, मूंदा हुआ II (पु०) |
छोटा दीवानी विभाग का एक न्यायाधिकारी (जैसे-मुंसिफ़ साहि० एक अलंकार जो सादृश्य में भेद नहीं करता मजिस्ट्रेट) मीसना-(स० क्रि०) 1 मिलाना 2 धीरे-धीरे दबाना और मुंसिफ़ाना-अ० + फ़ा० (वि०) न्यायसंगत मसलना
| मुंसिफ़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 इंसाफ़ करने का काम
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2 मुंसिफ़ का पद और काम 3 मुंसिफ़ की कचहरी
का कौर बहुत आसान काम; -का कौर छीनना किसी मुँह-(पु०) 1 मुख (जैसे-मुँह से रोटी खाना, मुँह से बोलना) की रोटी छीनना; -का मीठा 1 ऊपर भला दिल का खोटा 2 चेहरा (जैसे-मुँह पर पाउडर लगाना) 3 छेद, विवर 2 चिकनी चुपड़ी बातें करनेवाला; ~काला करना (जैसे-नली का मुँह, फोड़े का मुँह, बर्तन का मुँह) 4 सामने 1 व्यभिचार करना 2 फिर मुँह न दिखाना 3 बेइज्जती करना, का भाग (जैसे-मकान का मुँह) 5 योग्यता, सामर्थ्य लानत भेजना; ~काला होना बेइज्जत होना (जैसे-घूसखोरी (जैसे-पहले अपना मुँह तो देख लो) 6 मनोवृत्ति, शील में उसका मुँह काला हो गया); की खाना 1 थप्पड़ खाना, (जैसे-मुँह देखकर काम करना) 7 ऊपरी सिरा (जैसे-घड़ा मुँह पिटना 2 किए. का फल पाना 3 पराजित होना 4 अपमानित तक भर गया) 8 माँग (जैसे-वकीलों का मुँह बहुत बड़ा होता होना, ज़लील होना (जैसे-लड़की से छेड़खानी करते हए उसे है)। ~अंधेरे, उजाले (क्रि० वि०) बहुत तड़के मुँह की खानी पड़ी); ~की बात छीनना किसी बात को (जैसे-मुँह अँधेरे चल देना); ~काला (पु०) बदनामी; किसी व्यक्ति के कहने के पूर्व उसी बात को कह देना; ~के
चंग (पु०) = मुरचंग; चटौवल (स्त्री०) 1 चूमाचाटी कौए उड़ जाना 1 चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगना 2 हवास 2 बकवाद; चढ़ा (वि०) = मुँह लगा; चुथौवल ग़ायब हो जाना; के बल गिरना 1 आतुर होना 2 धोखा (स्त्री०) = मुँह चटौवल; चोर (वि०) 1 दूसरों के सामने खाना, खुलवाना 1 बोलने को लाचार करना, विवश जाने से बचनेवाला, संकोची 2 झेंपूः -चोरी (स्त्री०) करना 2 गुस्ताख़ बनाना; खोलकर रह जाना कुछ कहते 1 मुँहचोर होना, संकोची 2 झेंप; छुआई (स्त्री०) पूछने की कहते चुप हो जाना; चाटना 1 प्यार करना 2 खुशामद रस्म छुट (वि०) = मुँहफट; -ज़बानी + फ़ा I (क्रि० करना; चिढ़ाना मुखाकृति आदि की नक़ल करना; चूम वि०) मौखिक रूप से II (वि०) कंठस्थ; जला (वि०) लेना अपने से बड़ा मानना (जैसे-तैरना सीख लो तो मैं तुम्हारा - मुँह झौंसा; ज़ोर + फ़ा० (वि०) 1 लड़ाका मुँह चूम लूँगा); -छिपाना, छुपाना लज्जित होना; 2 बदलगाम; ज़ोरी + फ़ा० (स्त्री०) 1 लड़ाकापन जूठा करना खाने का नाम करना; जोड़ना कानाफूसी 2 बदलगामी; ~झौंसा (वि०) 1 अशुभ तथा बुरी बात करना; ताक के रह जाना चकित होकर चुप रहना; कहनेवाला 2 मुँह जला हुआ, मुँह जले के समान (गाली); ताकना 1 आस लगाए बैठे रहना 2 चकित होकर देखना;
तोड़ (वि०) परास्त करनेवाला, नीचा दिखानेवाला ताकने लगना चकित होकर देखने लगना; तोड़कर (जैसे-मुँहतोड़ जवाब देना); दिखाई, देखनी (स्त्री०) जवाब देना ऐसा जवाब देना कि दूसरा चुप रह जाए; तोड़ 1 मुँह दिखाने का काम 2 मुँह दिखाने की रस्म 3 उक्त रस्म पर जवाब चुप करा देनेवाला जवाब दिखाना सामने आना; बहू को मिलनेवाला धन, रुपया पैसा; ~देखा (वि०) देखकर लिहाज़ करके देखकर बात कहना चापलूसी 1 स्वयं देखा हुआ (जैसे-मुँह देखी घटना) 2 संकोच वश की बातें करना; देखकर उठना आँख खुलते ही किसी पर होनेवाला (जैसे-मुँह देखा प्यार) 3 आज्ञा की प्रतीक्षा में मुँह निग़ाह पड़ना; देखी करना पक्षपात करना (जैसे-मुँह देखी देखनेवाला; लाल (स्त्री०) 1 मुँह में लगाकर हुक्का पीने करना मानवता के खिलाफ है; ~देखी बात तरफ़दारी, की नली 2 म्यान के सिरे पर लगा धातु का टुकड़ा; पड़ा चापलूसी की बात (जैसे-मुँह देखी करना), पकड़ना (पु०) मशहूर, प्रसिद्ध; ~पेट (स्त्री०) कै और दस्त; ~फट बोलने से रोकना; पर 1 सामने (जैसे-मुँह पर कहना) (वि०) बद ज़बान; ~फटई (स्त्री०) बद ज़बानी; ~बंद + 2 ज़बान (जैसे-मुँह पर आई बात) 3 चेहरे पर (जैसे-मुँह पर फ़ा० (वि०) 1 बंद मुँहवाला (जैसे-मुँहबंद बोतल) 2 जो क्रीम लगाना); . पर ताला लग जाना 1 ज़बान बंद हो खिला न हो (जैसे-मुँहबंद कली) 3 अक्षत योनि, कुमारी; जाना 2 चुप्पी साध लेना; ~पर थूकना 1 अपमानित करना
बोला (वि०) वचन द्वारा संबंध स्थापित किया हुआ 2 घृणा भाव प्रकट करना; पर न थूकना बहुत तुच्छ और (जैसे-मुँह बोला भाई); ~भराई (स्त्री०) 1 मुँह भरने का घणित समझना (जैसे-मैं उसके मुँह पर भी नहीं थूकुंगा); काम 2 रिश्वत, घूस; ~माँगा (वि०) 1 मुँह से माँगा हुआ, ~पर नाकन होना निर्लज्ज होना; पर फेंक देना, पर स्वयं माँगा हुआ 2 मनोभिलाषित (जैसे-मुँहमाँगा वरदान); फ्रेंक मारना खफ़ा होकर देनाः पर मुहर लगना चुप्पी ~~मुलाहजा + अ० (पु०) पारस्परिक वार्ता में शील और साध लेना; पर लाना कहना. बयान करना; पर संकोच का ध्यान रखना, शील संकोच की स्थिति; लगा हवाइयाँ उड़ना भय आदि के कारण चेहरे का पीला पड़ना; (वि०) 1 ढीठ, शोख (जैसे-मुँह लगा दोस्त, मुँह लगा
-पसारकर दौड़ना कोई चीज़ पाने के लिए लपकना; नौकर); ~आँसुओं से धोना बहुत रोना; ~इतना सा पसारना 1 मुँह फैलाना 2 अधिक क़ीमत माँगना; पेट निकल आना 1 बहुत कमज़ोर हो जाना 2 चेहरे का रंग, आब चलना कै, दस्त होना; फलाना नाराज़ होना, रूठना; उतर जाना; ~उजला होना इज्जत रह जाना; ~उठाकर ~फेंकना लानत भेजना; ~फेर लेना, बनाना 1 चेहरे कहना साहस पूर्वक बोलना (जैसे-समाज में मुँह उठाकर से रोष प्रकट करना 2 मुँह चिढ़ाना: बिगाड़ना 1 चेहरे से कहना); ~उठाए चले जाना बेधड़क चले जाना; उतरना नाराज़गी प्रकट करना 2 स्वाद बिगाड़ देना (जैसे-दवा ने मुँह 1 मुँह पर तेज, कांति न रहना 2 चेहरे से उदासी प्रकट होना; बिगाड़ दिया) ~भर के 1 लबालब ? योन्छ 3 भरपूर;
~औंधाकर लेटना दुःख से अलग जाकर पड़ना; ~करना ~भरना घूस देना (जैसे-अधिकारियों का मुंह भरना); फोड़े का फूटना; ~का कच्चा 1 जिसकी बात का भरोसा न ~मारना मात करना; ~मीठा करना 1 मिठाई खिलाना हो, अविश्वासी 2 जो बात को गुप्त न रख सके; का कड़ा 2 घूस आदि देना; ~मीठा होना । कुछ मिलना, प्राप्त होना 1 मुँहज़ोर 2 अंकुश न माननेवाला (जैसे-मुँहज़ोर घोड़ा); | 2 मँगनी होना; ~में कालिख पुतना अत्यधिक बदनामी
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मुँहामुँह
होना, कलंक का टीका लगना; में खून लगना चसका लगना में गुड़ घी या घी शक्कर तुम्हारा मुँह मीठा हो; - ज़बान न रखना गूँगा होना; में थूकना बेइज़्ज़त करना; में दाँत न पेट में आंत अत्यंत वृद्ध होना; में पानी भर आना राल टपकना, ललचाना; में लगाम न होना ज़बान पर अंकुश न होना; मोड़ना 1 बेरुखी करना, ध्यान न देना 2 अलग हो जाना 3 इनकार करना; लगना 1 उलझना 2 ढिठाई करना 3 चस्का लगना; लगाना ढीठ बनाना; लटकाना 1 मुँह फुलाना 2 उदास होना 3 निराश होना; लाल होना अत्यंत क्रुद्ध होना; ~लेकर रह जाना लज्जित होकर चुप रहना, खिसियाकर रह जाना; सँभालना सोच समझकर बोलना; सीना चुप लगा लेना;
सूखना
1 घबरा जाना 2 ज़ोर की प्यास लगना; ~से ऊपरी मन से,
दिखावे के रूप में (जैसे- मुँह से हाल पूछ लेना); -से 'दूध टपकना नादान होना, नासमझ होना; ~से निकलना अचानक कहा जाना; से फूल झड़ना बोली में कोमलताहोना; ~ से बात न निकलना भय से आवाज़ न निकलना; ~से लार टपकना अत्यंत लोभ होना; ~स्याह होना दे० मुँह काला होना; ही में चुपके चुपके मुँहामुँह - ( क्रि० वि०) बिल्कुल ऊपर तक मुँहामुँही - ( क्रि० वि०) भरपूर लबालब मुँहासा - (पु० ) युवावस्था में चेहरे पर निकलनेवाले दाने मुअज्जन- अ० (पु० ) 1 मस्जिद में अज़ान देनेवाला व्यक्ति 2 नमाज़ का बुलावा
मुअत्तल - अ० (वि० ) 1 खाली 2 अलग किया हुआ, पदच्युत (जैसे- नौकरी से मुअत्तल करना) मुअत्तली - अ० (स्त्री०) निलंबन
मुअम्मा-अ० (पु० ) 1 रहस्य की बात, भेद 2 बुझौवल, पहेली 3 घुमाव फिराव की बात
मुअल्ला - अ० (वि०) प्रतिष्ठित सम्मानित
मुअल्लिम - अ० (पु० ) 1 शिक्षक 2 अध्यापक 3 इल्म देनेवाला व्यक्ति
मुआ - (वि०) 1 मरा हुआ, मृत 2 निगोड़ा, नाकारा (जैसे- मुआ कहीं का)
मुआफ़िक - अ० (वि०) 1 अनुकूल 2 तुल्य, समान 3 इच्छानुसार (जैसे-मन मुआफ़िक़)
मुआफ़िक़त - अ० (स्त्री०) 1 अनुकूलता 2 मेल जोल मुआफ़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) माफ़ी मुआयना - अ० (पु० ) निरीक्षण मुआवज़ा - अ० (पु० ) 1 हर्जाना 2 वस्तु आदि का मूल्य ( जैसे - मकान का मुआवज़ा देना)
मुआहिदा - अ० (पु० ) पक्का करार, इक़रारनामा मुकटा - बो० (पु०) पूजा के वक़्त पहनी जानेवाली एक प्रकार की रेशमी धोती
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मुक़दमा - अ० (पु० ) 1 दावा, नालिश 2 अदालत में पेश किया गया मामला, अभियोग (जैसे- मुक़दमा करना, मुक़दमा की सुनवाई)। बाज़ + फ़ा० (पु०) = मुक़दमेबाज़; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) मुक़दमेबाज़ी मुक़दमेबाज़ - अ० मुक़दमेबाज़ी - अ०
+
=
+
फ़ा० (पु० ) मुक़दमा लड़नेवाला
फ़ा० (स्त्री०) मुक़दमा लड़ना
मुक्त
मुक़द्दम - I अ० (वि०) 1 पुरानी, प्राचीन 2 सबसे अच्छा 3 प्रधान, मुख्य II (पु०) गाँव का मुखिया, चौधरी मुक़द्दमा-अ० (पु०) मुक़दमा
मुक़द्दर - अ० (पु० ) भाग्य, किस्मत (जैसे- मुक़द्दर आज़माना, मुक़द्दर की बात )
मुक़द्दस - अ० (वि०) परम पवित्र और पूज्य मुक़म्मल - अ० (वि० ) 1 संपूर्ण 2 समाप्त मुक़रना - ( अ० क्रि०) 1 हटना 2 इनकार करना (जैसे- वादे से मुकरी - (स्त्री०) एक पद्य जिसमें पहले हाँ कहा जाए फिर उसका खंडन किया जाए
(जैसे- बात से मुकरना) मुकरना)
मुकर्रम - अ० (वि०) 1 सम्मानित 2 पूज्य
मुकर्रर - 1 अ० (वि०) 1 निश्चित 2 नियुक्त किया गया II ( क्रि० वि०) फिर से, दोबारा
मुक़र्रर - अ० I (वि०) तै किया हुआ, नियुक्त II ( क्रि० वि०) अवश्य, निश्चय मुक़र्ररी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 नियुक्ति 2 निश्चित किया गया वेतन मुक़ाबला - अ० (पु० ) 1 बराबरी करना 2 बराबरी, समानता 3 आमना सामना 4 मिलान 5 विरोध (जैसे-शत्रु से मुक़ाबला करना)
मुक़ाबिल - 1 अ० (वि०) 1 सामनेवाला 2 तुल्य, समान II (पु० ) 1 विरोधी 2 प्रतिद्वंद्वी 3 दुश्मन, शत्रु III ( क्रि० वि०) सम्मुख, सामने मुक़ाबिला - अ० (वि०) मुक़ाबला मुक़ाम - अ० (पु० ) 1 पड़ाव 2 ज़गह, स्थान 3 ठहराव, विराम
4 घर
मुक़ामी-अ० + फ़ा० (वि०) मुक़ाम संबंधी मुकियाना - (स० क्रि०) मुक्कों से मारना मुकुंद - सं० ( पु० ) विष्णु
मुकुट -सं० (पु० ) ताज (जैसे- मुकुट धारण करना) । ~धारी (वि०) मुकुट धारण करनेवाला (राजा)
मुकुर-सं० ( पु० ) शीशा, दर्पण मुकुल -सं० (पु० ) कली
मुकुलित-सं० (वि०) 1 खिला हुआ (जैसे - मुकुलित यौवन) 2 अधखुला (जैसे- मुकुलित नयन) 3 कलियों से युक्त मुक्का - (पु० ) 1 घूँसा (जैसे-मुक्का मारना) 2 घूँसे का आघात (जैसे-ज़ोर का मुक्का)
+
मुक्की - ( स्त्री०) 1 घूँसेबाज़ी 2 धरि-र्धरि मुक्के लगाना मुक्केबाज़ - हिं० फ़ा० (पु०) मुक्का चलानेवाला मुक्कैशी - (वि०) 1 बादले का बना हुआ 2 ज़रदोजी या ज़री काम का बना हुआ (जैसे- मुक्कैशी रूमाल)
मुक्खी - (पु० ) एक तरह का क़बूतर जिसका सारा शरीर काला, हरा या लाल हो
मुक्त - सं० (वि०) 1 स्वतंत्र, आज़ाद 2 छूटा हुआ (जैसे- कर मुक्त, कैद मुक्त) 3 खुला हुआ (जैसे-मुक्त वेणी) (जैसे - मुक्त कंठ, मुक्त हस्त) 4 मुक्ति प्राप्त (जैसे-भव सागर से मुक्त ) । कंठ (वि०) 1 ज़ोर से बोलनेवाला 2 निडर होकर बोलनेवाला 3 सीमा को न माननेवाला (जैसे - मुक्त कंठ से प्रशंसा करना); छंद (पु०) चरणों,
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मुक्तक
मात्राओं तथा अनुप्रास आदि से अलग कविता; ता (स्त्री०) छुटकारा; ~द्वार (वि०) निर्बाध पुरुष ( पु० ) मोक्ष प्राप्त व्यक्ति; ~विचार (वि०) स्वच्छंद विचारवाला; ~ व्यापार I (पु० ) स्वतंत्र व्यापार II (वि०) संसार त्यागी; ~संग I (वि०) विषय वासना से रहित II ( पु० ) परिव्राजक हस्त (वि०) खुले हाथ दान देनेवाला मुक्तक-सं० (पु० ) 1 साहि० काव्य का वह भेद जिसमें वर्णित बातों का कोई पूर्वापर संबंध न हो (जैसे- बिहारी सतसई मुक्तक काव्य है) 2 छंद शास्त्र में कवित्त का वह प्रकार जिसमें गणों का कोई बंधन न हो (जैसे - मुक्तक छंद) । ऋण (पु०) ज़बानी बातचीत पर दिया गया ऋण मुक्ता-सं० (स्त्री०) मोती। फल (पु० ) 1 कपूर 2 मोती; ~लता (स्त्री०) मोतियों की माला
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मुक्तात्मा - सं० (वि०) 1 मोक्ष प्राप्त 2 सांसारिक बंधनों से रहित
+ अ०
मुक्ताभ-सं० (वि०) मोती की तरह चमकदार मुक्तावली - सं० (स्त्री०) मुक्तालता मुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 मुक्त होने की अवस्था 2 मोक्ष (जैसे- सांसारिक मुक्ति) 3 दायित्व, देन आदि से छुटकारा (जैसे-कर्तव्य से मुक्ति पाना)। ~ आंदोलन (पु०) आज़ादी की लड़ाई; दाता (पु०) मुक्ति देनेवाला; दायक, ~दायी (वि०) मुक्ति प्रदान करनेवाला, मोक्ष देनेवाला; ~धाम (पु० ) 1 तीर्थस्थान 2 स्वर्ग; फ़ौज (स्त्री०) मुक्ति सेना; ~ मार्ग (पु० ) मुक्ति का रास्ता; ल्युद्ध (पु०) मुक्ति संग्राम; ~ लाभ (पु० ) मोक्ष; ~वाहिनी (स्त्री०) = - मुक्तिसेना, मुक्ति फ़ौज संग्राम (पु० ) आज़ादी की लड़ाई सेना (स्त्री०) विरक्त ईसाइयों का संगठन, ईसाई धर्म का प्रचार करनेवालों का समूह मुक्तीकरण-सं० (पु०) मोक्ष प्राप्त करना मुख-सं० (पु० ) 1 प्राणी का मुँह (जैसे- मुख से रोटी खाना, मुख बंद कर लेना) 2 चेहरा (जैसे- मुख पर दाग़ होना) 3 पदार्थ का खुला भाग (जैसे- बर्तन का मुख, बोरी का मुख, गुफा का मुख) 4 आदि, शुरू का भाग या अंश (जैसे- रजनी मुख)। ~ गुहा (स्त्री०) - मुख विवर; चपल (वि०) वाचाल; ~ चित्र (पु०) मुखपृष्ठ पर छपा चित्र; चुंबन (पु० ) मुख चूमना; चूर्ण (पु०) मुँह पर लगाने का चूर्ण, पाउडर छवि (स्त्री०) = मुख रुचि; ~द्वार (पु० ) प्रवेश द्वार; ~पट (पु० ) 1 घूँघट 2 बुरका; पत्र (पु०) संस्था के नियम और सिद्धांत आदि विवरण से युक्त पत्र; पिंड (पु०) 1 कौर, प्रास 2 मृतक की अंत्योष्टि क्रिया से पहले दिया जाने वाला पिंड; पृष्ठ (पु०) पुस्तक, ग्रंथ आदि का सबसे ऊपर का पृष्ठ, आवरण पृष्ठ प्रसाधन (पु० ) चेहरे पर लगाने के पाउडर क्रीम आदि द्रव्य; ~प्रिय (वि०) स्वादिष्ट
=
(पु०) ग्रंथ, पुस्तक आदि की प्रस्तावना, भूमिका; ~मंडल (पु० ) चेहरा (जैसे- मुख मंडल की छवि ); ~मुद्रा (स्त्री०) मुख की आकृति; रुचि (स्त्री०) मुख कांति; ~रोधन (पु०) मुँह बंद करना; लेप (पु०) सुंदरता के लिए मुख पर लगाया जानेवाला लेप; वाद्य (पु०) मुँह से बजाया जानेवाला बाजा; ~विवर (पु०) मुख का छेदः शुद्धि (स्त्री०) 1मुख साफ़ करना 2 मुख साफ़ करने की
=
मुख्य
वस्तु ~ शोष (पु० ) 1 मुख का सूखा होना 2 मुख सूखने का कारण 3 व्यास; ~सुख (पु०) उच्चारण की सरलता और सुंदरता; ~स्थ (वि०) 1 कंठस्थ 2 मुख में आया हुआ; ~स्राव (पु० ) लार
मुखड़ा - (पु० ) 1 चेहरा, मुख 2 अति सुंदर मुख हेतु प्रशंसा और प्रेम सूचक शब्द (जैसे-चाँद सा मुखड़ा, चंचल मुखड़ा) मुखतार - अ० ( पु० ) 1 विशिष्ट अवसरों पर प्रतिनिधि के रूप में कार्य करनेवाला व्यक्ति 2 वकील से छोटा क़ानूनी सलाहकार 3 एजेंट | ~आम (पु०) हर तरह का अधिकार प्राप्त व्यक्ति; ~ ख़ास (पु०) विशेष कार्य हेतु नियुक्त किया गया प्रतिनिधि; ~नामा + फ़ा० (पु०) मुख़तार का अधिकार
पत्र
मुखतारी -अ० फ़ा० (स्त्री०) 1 मुख़तार होने का भाव 2 मुख़तार का पद या पेशा 3 प्रतिनिधित्व 4 एक तरह की क़ानूनी परीक्षा
+
मुखन्नस - अ० (वि०) हिजड़ा, नपुंसक मुखबिर - अ० (पु०) जासूस (जैसे- पुलिस का मुखबिर, मुखबिर का काम )
मुखबिरी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) मुखबिर का काम या पद मुखम्मस - I अ० (वि०) पंचकोना II (पु० ) पाँच चरणों का
पद्य
मुखर - (वि०) 1 वाचाल, वाक्पटु 2 बातूनी, बकवादी मुखरित—सं० (वि०) ध्वनित, शब्दायमान मुखाकृति - सं० (स्त्री०) मुखमुद्रा
मुखाग्र - I सं० ( पु० ) 1 वस्तु का अगला भाग 2 होंठ II (वि०) कंठस्थ
मुख़ातिब - अ० (वि० 1 जिससे कुछ कहा जाए, संबोध्य 2 किसी की ओर प्रवृत्त
मुखापेक्षा - सं० (स्त्री०) दूसरों का मुँह ताकना मुखापेक्षी - सं० (वि०) मुँह ताकनेवाला, पराश्रित मुख़ालिफ़ - I अ० (वि०) 1 विरोधी 2 प्रतिद्वंद्वी II ( पु० ) शत्रु
मुखालिफ़त - अ० (स्त्री०) 1 मुख़ालिफ़ होने की अवस्था 2 विरोध 3 शत्रुता
मुखावरण-सं० (पु०) घूँघट
मुखिया - ( पु० ) 1 प्रधान (जैसे-गाँव का मुखिया) 2 सभापति (जैसे-दल का मुखिया)। ~गिरी + फ़ा० (स्त्री०) मुखिया का पद और कार्य
मुखी - (वि०) मुखवाला (जैसे- चंद्रमुखी) मुखौटा - (पु० ) 1 छोटा मुँह 2 मुख के आकार का बना खंड (जैसे- बंदर का मुखौटा)
=
मुख़्तलिफ़ - अ० (वि० ) 1 भिन्न, पृथक् 2 अनेक प्रकार का मुख़्तसर-अ० (वि०) 1 संक्षिप्त, छोटा किया हुआ 2 थोड़ा, अल्प 3 संक्षेप में लाया हुआ मुख़्तार - अ० (पु० ) मुख़तार मुख्य-सं० (वि०) 1 ख़ास, प्रधान 2 सबसे बड़ा (जैसे- मुख्य न्यायाधीश) । ~ता (स्त्री०) मुख्य होने का भाव; द्वार (पु० ) प्रवेश द्वार ; पात्र (पु० ) प्रधान पात्र, विशेष व्यक्ति (जैसे- उपन्यास का मुख्य पात्र); पृष्ठ (पु० ) = मुख पृष्ठ; ~ मंत्री (पु०) राज्य का सबसे बड़ा मंत्री (जैसे- उत्तर प्रदेश
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मुख्यकर
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मुड़ना
का मुख्य मंत्री); ~यान (पु०) = मूल यान मुजरिमाना-अ० + फ़ा० (वि०) अपराधी मुख्यकर-सं० + हिं० मुख्यतः (क्रि० वि०) 1 प्रधानतः मुजर्रद-अ० (वि०) 1 अकेला, एकाकी 2 विरक्त 2 ख़ास तौर से
3 अविवाहित, कुँआरा मुख्यतः, मुख्यतया-सं० (क्रि० वि०) मुख्य रूप से | मुजर्रब-अ० (वि०) 1 आज़माया हुआ 2 अनुभूत मुख्यांश-सं० (पु०) मुख्य भाग
मुजल्लद-अ० (वि०) जिल्ददार मुख्याधिकारी-सं० (पु०) प्रधान अधिकारी
मुजव्वज़ा-अ० (वि०) 1 तज़बीज किया हुआ, प्रस्तावित मुख्याधिष्ठाता-सं० (पु०) प्रधान संस्थापक, व्यवस्थापक 2 निर्णीत मुख्याध्यापक-सं० (पु०) प्रधान अध्यापक
मुजविज़-अ० (पु०) 1 तज़बीज करनेवाला, प्रस्तावक मुख्यायुक्त-सं० (पु०) प्रधान कमिश्नर
2 निर्णायक मुख्यार्थ-सं० (पु०) मुख्य अर्थ, मुख्य आशय मुज़हिर-अ० I (वि०) स्पष्ट करनेवाला II (पु०) 1 गवाह, मुख्यालय-सं० (पु०) प्रधान कार्यालय
साक्षी 2 गुप्तचर मुख्यावास-सं० (पु०) मुख्य निवास स्थान
मुज़ायक़ा-अ० (पु०) हानि, नुक़सान मुगदर-(पु०) व्यायाम के लिए लकड़ी की बनी मुंगरी, जोड़ी मुजावर-अ० (पु०) 1 पड़ोसी 2 दरगाह की चढ़त लेनेवाला (जैसे-मुगदर घुमाना, मुगदर भाजना)
फ़कीर मुग़ल-फा० (पु०) 1 मंगोल देश का निवासी 2 मंगोल वंशज | मुजाहिद-अ० (पु०) 1कोशिश करनेवाला 2 जिहाद जो तातार देश में बसकर मुसलमान बन गए थे 3 मुसलमान के करनेवाला, धर्म युद्धक
चार वर्गों में से एक 4 काबुल तथा उसके आस पास के पठान | मुज़िर-अ० (वि०) हानिकर मुग़लाई-I फ़ा० + हिं० (वि०) 1 मुग़लों का सा, मुग़ली मुझ-(सर्व०) 'मैं' का वह रूप जो कर्ता और संबंध कारक के
II (स्त्री०) रूपहला गोटा लगा हुआ एक कपड़ा __ अतिरिक्त शेष कारकों में विभक्ति के योग से प्राप्त होता है मुरालानी-फा० + हिं० (स्त्री०) 1 मुग़ल जाति की स्त्री (जैसे-मुझको, मुझसे, मुझपर)
2 मुसलमान रईसों के कपड़े सीनेवाली स्त्री 3 दासी, नौकरानी मुझे-(सर्व०) 'मैं' का कर्म और संप्रदान कारक का रूप मुरालिया-फा० + हिं० (वि०) 1 मुग़लों का (जैसे-मुरालिया । (जैसे-उसने मुझे रुपया दिया, मुझे क्या दोगे) खानदान) 2 मुग़लों का सा
मुटका-I (पु०) एक प्रकार का रेशमी वस्त्र II (वि०) मोटा मुग़ली-फा० (वि०) 1 मुग़लों का सा (जैसे-मुग़ली टोपी) | मुटल्ला-(वि०) मोटा 2 मुगलों का (जैसे-मुग़ली घराना)
मुटाई-(स्त्री०) = मोटाई मुग़ायर-अ० (वि०) भिन्न
मुटाना-(अ० क्रि०) 1 मोटा हो जाना (जैसे-शरीर मुटाना) मुग़ालता-अ० (पु०) धोखा
2 अभिमानी होना (जैसे-इतना मटाना भी अच्छा नहीं है) मुग्धम-(पु०) बिना हार जीत की दाँव की अवस्था मुटापा-(पु०) मोटाई मुग्ध-सं० (वि०) 1 मोहित, लुब्ध (जैसे-नारी सौंदर्य को देखते | मुटार-(स्त्री०) डुबकी, गोता
ही वह मुग्ध हो गया) 2 सरल, भोला (जैसे-मुग्ध यौवन) मुटासा-(वि०) अभिमानपूर्ण आचरण करनेवाला 3 सुंदर (जैसे-मुग्ध बालिका)। ~कर (वि०) मोहित मुटिया-(पु०) बोझ ढोनेवाला मज़दूर
करनेवाला; बुद्धि (वि०) 1 मूर्ख, नासमझ 2 भोला मुट्ठा-(पु०) 1 मुट्ठी में आने लायक पूला, पुलिंदा 2 दस्ता, मुग्धवत्-सं० (क्रि० वि०) मुग्ध होकर
मुठिया, मूठ (जैसे-तलवार का मुट्ठा) मुग्धा-सं० (स्त्री०) साहि० यौवन को प्राप्त हो रही मुग्ध | मुट्ठा मुहेर-बो० (स्त्री०) युवा स्त्री नायिका
मुट्ठी-(स्त्री०) 1 बँधी हुई हथेली, मुश्त, मुष्टि 2 मुट्ठी में आने मुचक-सं० (पु०) लाख, लाह
भर वस्तु (जैसे-एक मुट्ठी आटा देना) 3 पकड़, कब्ज़ा मुचलका-तुर्क० (पु०) विशेष प्रतिज्ञा पत्र
(जैसे-मुट्ठी ढीली करना)। ~गरम करना घूस देना; में मुच्चा-बो० (पु०) कच्चे मांस का टुकड़ा
आना काबू में आना, वश में आना मुच्छाडिया, मुछंदर-(वि०) 1 बड़ी-बड़ी मूंछोंवाला 2 भोड़ी। मुठभेड़-(स्त्री०) 1भिडंत 2 सामना (जैसे-मुठभेड़ होना) शक्लवाला और भोंदू
मुठमरद-हिं० + फा० (पु०) बटमार मुछ मैंडा-(वि०) मुँड़ी मूंछवाला, सफाचट
मुठिका-(स्त्री०) 1 मुट्ठी 2 घूसा मुछेल-(वि०) = मुछंदर
मुठिया-(स्त्री०) 1 क़ब्ज़ा, दस्ता (जैसे-तलवार की मुठिया) मुजक्कर-अ० (वि०) पुरुष संबंधी, पुलिंग
2 धुनियों का बेलन मुजरा-I अ० (पु०) 1 महफिल आदि में वेश्या का गाया | मुड़कना-(अ० क्रि०) = मुरकना
जानेवाला गाना (जैसे-मुजरा सुनना, मुजरा सुनाना) 2 झुककर | मुड़नशील-हिं० + सं० (वि०) मुड़नेवाला किया जानेवाला अभिवादन II (वि०) 1 जारी किया गया मुड़ना-(अ० क्रि०) 1 झुक जाना (जैसे-तार मुड़ना, लोहा 2 देय में से काटा हुआ
मुड़ना) 2 दूसरी दिशा को घूमना (जैसे-दौड़ते हुए लड़के का मुजराई-अ० + फ्रा० (स्त्री०) 1 मुजरा करने का काम 2 मुजरा मुड़ना, सड़क का पूरब को मुड़ना) 3 लौटना, वापस आना की रकम
(जैसे-घर को मुड़ना) 4 विरत होना (जैसे-पढ़ाई से मन मुजरिम-अ० (वि०) अपराधी
मुड़ना)
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मुड़वाना
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मुद्राध्यक्ष
मुजवाना-(स० क्रि०) = मुंडवाना
मुद्गर-सं० (पु०) मोंगरी, गदा मडवारी-(स्त्री०) 1 मुँडेरा 2 सिरहाना 3 सिर की ओर का भाग | मुद्दआ-I अ० (पु०) मतलब, अभिप्राय, इच्छा II (वि.) मुहर-(पु०) 1सिर पर पड़नेवाला साड़ी का अंश 2 सिर का । चाह्म हुआ, दावा किया हुआ अगला भाग
मुई-अ० (पु०) दावेदार (जैसे-मुद्दई चुस्त गवाह सुस्त) मुडाना-(स० क्रि०) = मुंडाना
मुद्दत-अ० (स्त्री०) 1 समय, अवधि 2 दीर्घ काल (जैसे-मुद्दत मुड़िया-I बो० (पु०) 1 मुँडा सिर 2 सिर मुंडा संन्यासी के बाद मिलना) 3 देर, विलंब। दराज़ + फ्रा० (स्त्री०) मुड़िया-II(स्त्री०) एक प्रकार की मछली
लंबा समय मुझेरा-(पु०) = मुंडेरा
मुद्दती-अ० + फ्रा० (वि०) सावधि, मीआदवाला मुह-(पु०) । प्रधान व्यक्ति 2 बहुत बड़ा धूर्त
मुद्दा-अ० (पु०) 1 अभिप्राय 2 आशय महा-(पु०) कंधा
मुद्दालेह-अ० (पु०) प्रतिवादी मुतअल्लिक-I अ० (वि०) संबंधित, संबद्ध II (क्रि०] मुद्दी-(स्त्री०) एक प्रकार की गाँठ वि०) संबंध में, विषय में
मुद्र-सं० (पु०) सीसे का अक्षर। ~धातु (स्त्री०) सीसे के मुतक्का-अ० (पु०) तकिया लगाने की जगह
योग से बनी धातु; लेख (स्त्री०) टाइप; लेखक मुतरिक्र-अ० (वि०) 1 विभिन्न 2 कई प्रकार का (पु०) टाइप करनेवाला; लेखन (पु०) टाइप करना; मुतफ़रिकात-अ० (स्त्री०) 1 फुटकल चीजें 2 फुटकल खचों | लेखन यंत्र (पु०) टाइपमशीन; ~लेखिका (स्त्री०) की मद
टाइप करनेवाली मुतबन्ना-[ अ० (वि०) गोद लिया हुआ II (पु०) दत्तक पुत्र | मुद्रक-सं० (पु०)/(वि०) छापनेवाला, मुद्रण करनेवाला मुतरहिद-अ० (वि०) चिंतित
मुद्रण-सं० (पु०) अपना। उद्योग (पु०) छापने का धंधा, मुतलक-अ० (क्रि० वि०) तनिक भी, ज़रा भी II (वि०) पेशा; -कार्य (पु०) छापने का काम; ~यंत्र (पु०) छापने बिल्कुल, निपट
की मशीन; ~स्वातंत्र्य (पु०) छापने की आज़ादी मुतवजह-अ० (वि०) सावधान
मुद्रणालय-सं० (पु०) अपाखाना, प्रेस मुतवल्ली-अ० (पु०) नाबालिग और उसकी संपत्ति का रक्षक मुद्रांक-सं० (पु०) 1 अर्जी आदि लिखने का सरकारी काग़ज़, मुतसद्दी-अ० (पु०) 1 लेखक, मुंशी 2 पेशकार, दीवान | स्टांप 2 डाक का टिकट 3 छाप, मोहर मुतसिरी-बो० (स्त्री०) मोतियों की कंठी
मुद्रांकन-सं० (पु०) 1 मुद्रण 2 चिह्न लगाना मुताबक़त-अ० (स्त्री०) 1 अनुरूपता, सादृश्य 2 मुताबिक मुद्रांकित-सं० (वि०) 1 मुद्रांकन युक्त 2 मोहर लगाया हआ। होने का भाव
पत्र (पु०) मोहर लगी चिट्ठी मुताबिक़-[ अ० (क्रि० वि०) अनुसार (जैसे-काम के मुद्रा-सं० (स्त्री०) 1मोहर, सील 2 सिक्का 3 अंगठी 4 रुपया मुताबिक़) II (वि०) 1 अनुकूल 2 समान (जैसे-दिल का | 5 मुख, हाथ, गर्दन आदि की विशेष भाव सूचक स्थिति मुताबिक़ होना, मुताबिक़ दिल)
6 मुखचेष्टा 7 शरीर पर अंकित चिह्न 8 देवपूजन में होनेवाला मुतालबा-I अ० (पु०) 1 बाक़ी रुपया 2 तलब कराना | अंग विन्यास (जैसे-हाथ जोड़ने की मुद्रा) 9 सीसे के ढले II (वि०) तलब किया जानेवाला
अक्षर 10 साहि० एक अलंकार जिसमें प्रकृत अर्थ के अलावा मुतास-(स्त्री०) पेशाब करने की इच्छा
और भी साभिप्राय नाम लिखते हैं। ~अवमूल्यन (पु०) मुताह-अ० (पु०) मुसलमानों में होनेवाला अस्थायी विवाह | मुद्रा के भाव में कमी आना, रुपये की कीमत कम होना मुताही-अ० + हिं० (स्त्री०) 1 अस्थायी विवाहिता स्त्री (जैसे-कालाबाजारी से मुद्रा अवमूल्यन निश्चित है); ~कार 2 रखेली (जैसे-मियाँ की मुताही)
(पु०) मुहर बनानेवाला; कोष (पु०) रुपये पैसे का मुतलाडू-बो० (पु०) = मोती चूर
ख़ज़ाना; चलन (पु०) रुपए पैसे का प्रचार; तत्त्व मुत्तफ़िक-अ० (वि०) सहमत
(पु०) मुद्रा विज्ञान; प्रणाली (स्त्री०) मुद्रा व्यवस्था, मुद्रा मुत्तला-अ० (वि०) आगाह किया हुआ
पद्धति; ~प्रसार (पु०) = मुद्रा चलन; बाहुल्य (पु०) मुत्तहिद, मुत्तहिदा-अ० (वि०) 1 इत्तिहाद रखनेवाला 2 संबद्ध = मुद्रा स्फीति; यंत्र (पु०) = मुद्रण यंत्र; लिपि 3 मेल मिलाप करानेवाला
(स्त्री०) = मुद्रण; विज्ञान (पु०) वह शास्त्र जिसमें पुराने मुद-सं० (पु०) = मोद
सिक्कों के सहारे देश विशेष का प्राचीन इतिहास ज्ञात किया मुदब्बिर-अ० (वि०) 1 बुद्धिमान् 2 प्रबंध कुशल
जाता है; विनिमय (पु०) मुद्रा का लेन देन; विस्तार मुदरिंस-अ० (स्त्री०) अध्यापक
(पु०) = मुद्रा स्फीति; ~शास्त्र (पु०) = मुद्रा विज्ञान; मुदा-(क्रि० वि०) 1 मतलब यह कि 2 लेकिन (जैसे-मुदा बात ~स्फीति (स्त्री०) देश की व्यापारिक आवश्यकता से यह है)
अधिक मुद्रा का प्रचलन होना; ~स्फीति रोधक (वि०) मुदाखलत-अ० (स्त्री०) 1 दखल देना, हस्तक्षेप 2 रोक टोक मुद्रा स्फीति को रोकनेवाला (जैसे-मुद्रा स्फीति रोधक कानून, मुदित-सं० (वि०) प्रसन्न (जैसे-मन मुदित)
मुद्रा स्फीति रोधक उपाय) मुदिता-सं० (स्त्री०) 1 मोद, हर्ष 2 साहि० प्रिय की प्राप्ति से | मुद्राक्षर-सं० (पु०) 1 मुहर का अक्षर 2 टाइप
अत्यधिक प्रसन्न होनेवाली नायिका, मनोवांछित स्थिति के होने मुद्राध्यक्ष-सं० (पु०) पासपोर्ट, पारपत्र देने का पर प्रसन्न नायिका
अधिकारी
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मुद्रिका
मुद्रिका - सं० (स्त्री०) 1 अँगूठी 2 तर्पण आदि के समय पहनी जानेवाली कुश की अंगूठी 3 सिक्का
मुद्रित -सं० (वि०) 1 मुद्रण किया हुआ 2 छापा हुआ मुधा - I सं० ( क्रि० वि०) व्यर्थ II (वि० ) 1 असत्य, मिथ्या 2 व्यर्थ (जैसे- मुधा की बात ) III (पु० ) असत्यता, व्यर्थता मुनक्का - अ० ( पु० ) सूखा अंगूर मुनगा - ( पु० ) सहिजन
मुनमुना - I (पु०) मैदे का बना एक पकवान II (वि०) बहुत थोड़ा, अत्यल्प
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मुनहसिर - अ० (वि०) आश्रित, अवलंबित मुनादी - अ० (स्त्री०) 1 डुग्गी, ढिंढोरा 2 डुग्गी बजाकर दी जानेवाली सूचना
+
मुनाफ़ा - अ० (पु० ) लाभ, नफ़ा (जैसे- व्यापार में मुनाफ़ा ज़्यादा है) । खोर फ़ा० (पु० ) अधिक मुनाफ़ा लेनेवाला व्यापारी; ~खोरी + फ़ा० (स्त्री०) अधिक मुनाफ़ा लेना
मुनाल - ( पु० ) एक बहत सुंदर सिर पर कलंगी युक्त पहाड़ी पक्षी
मुनासिब - अ० (वि०) उचित (जैसे- मुनासिब दाम ) मुनि - सं० ( पु० ) 1 मनन करनेवाला, व्यक्ति, मननशील महात्मा
(जैसे- भृगु मुनि, जैन मुनि आदि) । व्रत (पु०) तपस्या मुनीब, मुनीम-अ० (पु० ) 1 प्रतिनिधि 2 अभिकर्ता 3 हिसाब किताब लिखनेवाला कर्मचारी
मुनीश - सं० ( पु० ) मुनियों में श्रेष्ठ
मुनीश्वर -सं० (पु०) मुनियों में उत्तम
मुन्ना - I (पु० ) छोटे बच्चे के लिए प्यार का संबोधन II (वि०) प्यारा, प्रिय
मुन्नी - (स्त्री०) छोटी बच्ची
मुन्नूँ - (पु०) = मुन्ना मुफ़रद - अ० (वि०) 1 अकेला 2 एक मुफ़र्रह - अ० (वि०) उत्साहित करनेवाला मुफ़लिस - अ० (वि०) ग़रीब, निर्धन मुफ़लिसी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) ग़रीबी, निर्धनता मुफ़स्सल - 1 अ० (वि०) 1 ब्योरे के रूप में लाया हुआ 2 स्पष्ट II (पु०) बड़े शहर के आसपास की छोटी बस्तियाँ मुफीद - अ० (वि०) 1 लाभकारी 2 उपयोगी मुफ़्त - अ० (वि०) 1 बिना मूल्य का प्राप्त होनेवाला 2 बिना प्रयास मिल जानेवाला । खोर + फ़ा० (वि०) मुफ़्त में दूसरों का माल पानेवाला; खोरी फ्रा० (स्त्री०) 1 मुफ़्तखोर होने की अवस्था 2 मुफ़्त में खाने की आदत मुफ़्ती - Iअ० ( पु०) फतवा देनेवाला मौलवी मुफ़्ती - IIअ० (स्त्री०) वर्दी पहननेवाले सिपाही, अधिकारी और सैनिक आदि के साधारण और सादे कपड़े मुफ़्ती - III अ० + हिं० (वि०) मुफ़्त का मुबतिला - अ० (वि०) 1 कष्ट में पड़ा हुआ 2 मुग्ध, आसक्त मुबलिग़ - I अ० (वि०) 1 खरा किंतु खोटा न होनेवाला 2 रुपये आदि की संख्या का वाचक विशेषण (जैसे-मुबालिग़ सौ रुपये ही वसूल सका) II (वि०) भेजनेवाला मुबारक - I अ० (वि० ) 1 कल्याण करनेवाला 2 शुभ 3 बरकत का हेतु II ( क्रि० वि०) शुभ अवसर पर बधाई
+
बाद
+
देनेवाला एक पद (जैसे- मुबारक देना, मुबारक हो ) । + फ़ा० I ( क्रि० वि०) मुबारक हो II (स्त्री०) / (पु०) बधाई, शुभकामना; ~बादी + फ़ा० (स्त्री०) 1 मुबारक पेश करना, मंगल कामना प्रकट करना 2 बधाई के गीत; ~ सलामत (स्त्री०) मुबारक देने के साथ चिरंजीव होने की भी कामना करना मुबारकी-अ० फ़ा० (स्त्री०) मुबारकवादी, बधाई मुबालग़ा - अ० (पु० ) बढ़कर कही गई बात, अतिशयोक्ति मुबाहिसा - अ० (पु० ) 1 बहस, तर्क-वितर्क 2 वाद-विवाद मुब्तला - अ० (वि०) 1 पकड़ा हुआ 2 फँसा हुआ मुमकिन- अ० (वि०) 1 होनेवाला 2 संभाव्य मुमतहिन - अ० ( पु० ) / (वि०) परीक्षा लेनेवाला, परीक्षक मुमताज़ - अ० (वि०) 1 विशिष्ट 2 प्रतिष्ठित 3 चुनकर अलग किया हुआ
मुमलकत - अ० (स्त्री०) सल्तनत, राज्य मुमानियत - अ० (स्त्री०) मनाही मुमानी - ( स्त्री०) मामी
मुरदा
मुमुक्षा-सं० (स्त्री०) मोक्ष की कामना
मुमुक्षु सं० (वि०) मोक्ष की कामना करनेवाला मुमूर्षा-सं० (स्त्री०) मरने की इच्छा मुमूर्षु-सं० (वि०) मरनेवाला
मुयस्सर - अ० (वि०) 1 आसानी से मिलनेवाला 2 उपलब्ध 3 प्रस्तुत
मुरंडा - ( पु० ) भूने गेहूँ में गुड़ मिलाकर बनाया गया लड्डू मुर - I सं० (पु० ) 1 बेठन, वेष्टन 2 कृष्ण द्वारा मारा गया एक दैत्य
मुर - II ( क्रि० वि०) बो० दोबारा, फिर III (पु०) मुंड मुरकना - ( अ० क्रि०) 1 मुड़ना 2 मोच खाना 3 लौटना 4 हिचकना
मुरकी - (स्त्री०) 1 कान में पहनने की छोटी बाली 2 कान की लौ
मुरग़ा - फ़ा० + हिं० (पु०) कलँगीदार प्रसिद्ध पालतू नर पक्षी, मुर्ग (जैसे- मुर्गे का गोश्त )
मुरग़ाबी - फ़ा० (स्त्री०) मुर्गे की जाति का एक पक्षी, जलमुरगा मुरगी-फ़ा० हिं० (स्त्री०) मुरग़ की मादा
+
मुरचंग - (पु० ) मुँह से फूँककर बजाया जानेवाला एक तरह का बाजा, मुँहचंग
=
=
मूर्च्छा
मुरचा - फ़ा० ( पु० ) मोरचा II मुरछा-बो० (स्त्री०) मुरझाना - ( अ० क्रि०) 1 कुम्हलाना 2 उदास होना (जैसे- मुख मुरझाना ) 3 शिथिल तथा अशक्त होना (जैसे- शरीर मुरझाना)
मुरड़ना - (अ० क्रि०) बो० = मुरकना मुरडा - (पु० ) मुडा मुरत्तब - अ० (वि०) 1 क्रमबद्ध 2 प्रस्तुत 3 तर किया हुआ
मुरदा - I फ़ा० (पु० ) मृत प्राणी, शव II (वि०) 1 मृत, मरा हुआ 2 मरे के समान । खोर (वि०) मुरदा खानेवाला; ~घर + हिं० (पु०) शव रखने की जगह, शव रखने का कमरा ~ दिल (वि०) निरुत्साह; ~दिली (स्त्री०)
किया हुआ, संपादित
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मुरदार
मुरदादिल होना; ~बाद (अ०) नाश हो; ~उठना 1 जनाजा उठना 2 मरना; ~ उठाना मुरदे को अंत्येष्टि हेतु, दाह दफ़न के लिए ले जाना; कर देना 1 मार डालना 2 अधमरा कर देना; ~ निकले मर जाए (जैसे- दुश्मन का मुरदा निकले); मुरदे का माल लावारिस माल; मुरदे की कब्र पहचानना 1 दूसरे की चालाकी समझना 2 अत्यंत चतुर होना; मुरदे की नींद सोना निश्चिंत होकर सोना
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मुरदार - I फ़ा० (वि० ) 1 मरा हुआ 2 बेजान 3 अपवित्र, नापाक II (पु०) अपनी मौत से मरा जानवर। खोर (वि०) = मुरदाख़ोर; ~संग (पु० ) सीसे और सिंदूर का मिश्रण
मुरब्बा - I अ० (पु० ) चीनी की चाशनी में पकाया गया फल (जैसे- आँवले का मुरब्बा ) मुरब्बा - II अ० (वि०) चौकोर
मुरमुरा - I (पु० ) 1 भुना हुआ चावल, लाई 2 मकई का भुना दाना II (वि०) मुरमुर शब्द करनेवाला
मुरमुराना - I (अ० क्रि०) 1 ऐंठन खाकर टूट जाना, चुरमुर हो जाना 2 मुरमुर शब्द करते हुए टूटना II (स० क्रि०) 1 चुरमुर करना 2 मुरमुर शब्द करते हुए तोड़ना
मुररिया-बो० (स्त्री०) मुर्री
मुरली - सं० (स्त्री०) बाँसुरी। ~ धर (पु० ) श्रीकृष्ण मुरवा - I (पु० ) 1 एड़ी के ऊपर की हड्डी 2 इस उभरी हड्डी के चारों ओर का स्थान II ( पु० ) मोर मुरौवत मुरव्वत-अ० (स्त्री०) मुरशिद - अ० ( पु० ) 1 गुरु, पीर 2 धूर्त आदमी (जैसे- वह बहुत घुटा मुरशिद है)
-
मुरस्सा - अ० (वि०) रत्न जटित, जड़ाऊ। कार I ( पु० ) आभूषण बनानेवाला, अड़िया II (वि०) जड़ाऊ मुरहा - (वि०) 1 मूल नक्षत्र में पैदा होनेवाला 2 अनाथ 2 नटखट, उपद्रवी
मुराड़ा - ( पु० ) एक सिरे पर जलती लकड़ी, लुआठा मुराद-अ० (स्त्री०) 1 अभिलाषा (जैसे- मन की मुराद ) 2 अभिप्राय, आशय (जैसे-फ़कीर की मुराद कौन जाने) 3 मनौती, मन्त्रत । पाना, बर आना मनोरथ सिद्ध होना; मुरादों के दिन युवावस्था, जवानी का समय मुरादी - अ०
+ फ़ा० (वि०) मुराद रखनेवाला, अभिलाषी (जैसे- इश्क़ का मुरादी)
मुरार - ( पु० ) कमल की जड़, कमलनाल
मुरीद - अ० (पु० ) 1 शिष्य, चेला 2 अनुगमन करनेवाला, अनुगामी
मुरेठा - (पु० ) छोटी पगड़ी, साफ़ा
मुरेरना - (स० क्रि०) बो० = मरोड़ना
मुरौवज - अ० (वि०) लागू प्रचलित मुरौवत - अ० (स्त्री०) 1 उदारता 2 इनसानियत, मानवता 3 दूसरों का लिहाज़ 4 सौजन्य
मुर्ग - फ़ा० ( पु० ) मुरग़ा। केश + सं० (पु० ) 1 मरसे की जाति का एक पौधा जिसमें मुर्गे की चोटी की तरह चौड़े और उन्नाबी रंग के बड़े फूल होते हैं, जटाधारी 2 कराँकुल नाम का पक्षी । खाना (पु० ) मुरग़ों के रहने की जगह; बाज़ (पु०) मुरगे लड़ानेवाला; बाज़ी (स्त्री०) मुरगे लड़ाना;
मुल्क
अ० (पु० ) समूचा पकाया गया मुग़
मुरग़ा
+
=
~मुसल्लम मुर्गा-फा० हिं० (स्त्री०) मुर्गाबी-फ़ा० (स्त्री०) मुराबी मुर्गी-फ़ा०
हिं० (स्त्री०) मुरगी। खाना + 570 (पु० ) = मुर्ग़खाना; पालक + सं० (पु०) मुर्गी पालने का पेशा करनेवाला; पालन + सं० (पु०) मुर्गी पालने का पेशा
मुर्चा - फ़ा० ( पु० ) मुर्दा-फ़ा० (पु० ) ~दिली (स्त्री०)
=
मोरचा II
मुरदा । ~ दिल (वि०) = मुरदादिल; मुरदादिली
=
मुर्रा - I ( पु० ) 1 मरोड़ फली (औषधि) 2 मरोड़, ऐंठन मुर्रा - II ( स्त्री०) कुंडलाकार सींगोंवाली भैंस
मुर्री (स्त्री०) 1 ऐंठन 2 कपड़ों आदि को मरोड़कर उनमें डाला जानेवाला बल (जैसे- धोती कमर पर मुर्री देकर पहनना ) 3 कपड़े आदि को मरोड़कर बटी हुई बत्ती 4 चिकन या क़शीदे की एक प्रकार की उभारदार कढ़ाई। ~दार + फ़ा० (वि०) ऐंठनदार
मुलक - अ० बो० (पु०) मुल्क मुलज़िम - अ० (वि०) अभियुक्त मुलतवी-अ० (वि०) स्थगित
+
फ़ा
मुलतानी - I (वि०) 1 मुलतान संबंधी 2 मुलतान प्रदेश में होनेवाला II (पु० ) मुलतान का निवासी III (स्त्री०) मुलतान की भाषा मुलमची-अ० तुर्क ० ( पु० ) गिलट करनेवाला मुलम्मा - I अ० (वि०) चमकता हुआ II (पु० ) 1 रासायनिक क्रिया द्वारा किया गया लेप (जैसे मुलम्मा करवाना) 2 कलई 3 मुलम्मे का काम 4 दिखावा, टीमटाम। ~साज़ (पु०) मुलम्मा करनेवाला कारीगर, मुलमची मुलहठी-बो० (स्त्री०) मुलेठी मुलाक़ात - अ० (स्त्री०) 1 साक्षात्कार, भेंट 2 जान पहचान, परिचय (जैसे मुलाक़ात कराना) मुलाक़ाती-अ० हिं० (वि०) 1 परिचित 2 जान पहचानवाला (जैसे मुलाक़ातियों का आना जाना) मुलाज़िम - I अ० (पु० ) नौकर, सेवक II (वि०) 1 सेवा में रहनेवाला 2 हाज़िर रहनेवाला
+
मुलाज़िमत - अ० (स्त्री०) 1 नौकरी, सेवा 2 सेवा में रहना 3 हाज़िर रहना
मुलायम-अ० (वि०) 1 कोमल (जैसे- मुलायम शरीर ) 3 कठोरता, कर्कशता से रहित (जैसे-मुलायम वाणी, मुलायम स्वभाव)
मुलायमत - अ० (स्त्री० ) 1 नरमी, कोमलता 2 सुकुमारता मुलायमी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) मुलायम होने का
भाव
मुलाहजा - अ० (पु० ) 1 देखना, निरखना 2 लिहाज़, मुरौवत (जैसे - मुलाहजा तौर पर)
मुलाहिजा - अ० (पु० ) देखभाल, निरीक्षण
मुलेठी - (स्त्री०) 1 काली मिट्टी में होनेवाली एक लता 2 उक्त लता की जड़
मुल्क - अ० (पु० ) 1 बड़ा देश 2 प्रदेश, प्रांत 3 संसार
(जैसे- सारा मुल्क बर्बादी के कगार पर है)। गीर + फ़ा०
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मुल्की
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मुस्तगीस
(पु०) देश विजय करनेवाला; ~गीरी + फ़ा० (स्त्री०) देश - मुसका-(पु०) पशुओं के मुँह पर बाँधी जानेवाली जाली, जाला जीतना; ~फ़रोश फ़ा० (पु०) गद्दार
मुसकान-(स्त्री०) = मुसकराहट (जैसे-चेहरे की मुसकान, मुल्की-अ० (वि०) मुल्क का, मुल्क संबंधी
दिल लुभानेवाली मुसकान) मुल्तवी-अ० (वि०) = मुलतवी
मुसकाना, मुसकुराना-(अ० क्रि०) = मुसकराना मुल्लह-[ बो० (वि०) अत्यंत सीधा सादा, मूर्ख II (पु०) मुसजर-अ० (पु०) मुशज्जर कुट्टा, मुल्ला
मुसटी-(स्त्री०) चुहिया मुल्ला-अ० (पु०) 1 मुस्लिम धर्मशास्त्र का आचार्य मुसद्दस-[ अ० (वि०) छ: भुजाओंवाला II (पु०) उर्दू में छ: 2 मुसलमान शिक्षक (जैसे-मुल्ला जी उर्दू पढ़ाएगें)। ~की चरणों की कविता दौड़ मस्ज़िद तक घूम फिरकर एक ही जगह जाना मुसना-(अ० क्रि०) 1लूटा जाना 2 छिपना, लुकना मुल्लाना-अ० (पु०) 1 मुल्ला के लिए प्रयुक्त उपेक्षा सूचक मुसन्ना-अ० (पु०) 1 असल की ठीक नक़ल 2 दूसरी प्रति शब्द 2 कट्टर मुसलमान (स्त्री० मुल्लानी)
3रसीद का आधा भाग मुवक्कल-अ० (पु०) 1 वह व्यक्ति जिसे काम सौंपा जाए मुसन्निफ़-अ० (पु०) लेखक, रचयिता 2 रखवाला 3 कार्य विशेष पर नियुक्त फरिश्ता
मुसब्बर-(पु०) घीकुआर का जमाकर सुखाया रस मुवक्किल-अ० (पु०) 1 अपना वकील करनेवाला 2 काम के मुसम्मात-अ० (स्त्री०) औरत लिए नियुक्त करने वाला
मुसरा-बो० (पु०) मूसला मुवाफ़िक़-अ० (वि०) = मुआफ़िक़
मुसर्रत-अ० (स्त्री०) प्रसन्नता, खुशी मुशफ़िक़-अ० (वि०) 1 कृपालु, मेहरबान 2 दयालु मुसल-(पु०) = मूसल मुशाबहत-अ० (स्त्री०) एकरूपता
मुसलमान-फा० (पु०) इस्लाम धर्म को माननेवाला मुशायरा-अ० (पु०) उर्दू फ़ारसी का कवि सम्मेलन मुसलमानियत-फा० + अ० (स्त्री०) मुसलमान होने का भाव मुश्क-I (स्त्री०) भुजा, बाँह
मुसलमानी-I फ़ा० (वि०) मुसलमान संबंधी मुश्क-IIफा० (पु०) कस्तूरी। नाफा (पु०) कस्तूरी मृग (जैसे-मुसलमानी मज़हब) II (स्त्री०) मुसलमान होने का
की नाभि; बिलाई + हिं० (स्त्री०) वह जंगली बिलाव भाव जिसके अंडकोश का पसीना बहुत सुगंधित होता है, गंध मुसलाधार-(वि०) = मूसलाधार बिलाव; बू (वि०) 1 कस्तूरी सी गंधवाला 2 सुगंधित; मुसलिम-I अ० (वि०) मुसलमान का (जैसे-मुसलिम
नाभ (पु०) वह हिरन जिसकी नाभि में कस्तूरी होती है समाज, मुसलिम धर्म) II (पु०) मुसलमान मुश्किल-I अ० (वि०) कठिन, दुष्कर II (स्त्री०) मुसल्लम-अ० (वि०) पूरा, अखंड (जैसे-मुर्रा मुसल्लम) 1कठिनता 2 संकट, विपत्ति
मुसल्ला -अ० (पु०) नमाज पढ़ने का आसन मुश्की -I फ़ा० (वि०) 1 कस्तूरी के रंग का 2 कस्तूरी से युक्त | मुसव्विर-I अ० (पु०) चित्रकार II (वि०) सचित्र
(जैसे-मुश्की तमाकू) 3 मुश्क जैसा सुगंधवाला II (पु०) मुसहर-(पु०) एक प्रकार की जंगली जाति स्याह रंग का घोड़ा
मुसाफ़िर-अ० (पु०) यात्री, पथिक। ~खाना + फ़ा० मुश्त-फ़ा० (पु०) 1 मुट्ठी 2 घूसा, मुक्का
(पु०) 1 धर्मशाला 2 सराय; ~गाड़ी + हिं० (स्त्री०) यात्री मुश्तबहा-अ० + हिं० (वि०) संदिग्ध
गाडी मुश्तम्मिल-अ० (वि०) 1 सम्मिलित 2 व्यापक
मुसाफ़िरी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 मुसाफ़िर होने की अवस्था मुश्तरक-अ० (वि०) संयुक्त, शामिल
2 प्रवास, यात्रा मुश्तरका-अ० (वि०) साझे का
मुसाहब-अ० (पु०) 1 बड़े आदमी के पास उठने बैठनेवाला मुश्तरी-अ० (पु०) ख़रीददार
व्यक्ति 2 दरबारी 3 सहवासी मुश्ताक-अ० (वि०) 1 इच्छुक, आकांक्षी 2 शौक रखनेवाला मुसाहबत-अ० (स्त्री०) मुसाहब होने का भाव या अवस्था (जैसे-मुश्ताक दिल)
मुसाहबी-अ० + फा० (स्त्री०) मुसाहब का काम मुषल-सं० (पु०) मूसल
मुसाहिब-अ० (पु०) = मुसाहब मुषा-सं० (स्त्री०) = मूषा
मुसीबत-अ० (स्त्री०) 1 कष्ट 2 संकट। -ज़दा + फ्रा० मुष्क-I सं० (पुल) 1 अंडकोश 2 चोर II (वि०) मांसल __ (वि०) आपदग्रस्त, संकट का मारा हुआ मुष्ट-सं० (वि०) चुराया हुआ
मुस्कराना-(अ० क्रि०) = मुसकराना मुष्टामुष्टि-सं० (स्त्री०) घूसेबाज़ी
मुस्कान-(स्त्री०) = मुसकराहट मुष्टि-सं० (स्त्री०) 1 मुट्ठी 2 घूसा, मुक्का 3 चोरी। छ, | मुस्की-बो० (स्त्री०) मुसकराने का भाव
युद्ध (पु०) = मुक्केबाज़ी; ~योग (पु०) छोटा और | मुस्टंडा-(वि०) 1 मोटा ताज़ा, तगड़ा 2 बदमाश सहज उपाय
मुस्तकबिल-I अ० (वि०) आगे आनेवाला, भावी II (पु०) मुसकराना-(अ० क्रि०) होठों में हँसना, मंद मंद हँसना | भविष्यत् काल (जैसे-नायिका का मुसकराना)
| मुस्तकिल-अ० (वि०) 1 अटल, स्थिर 2 दृढ़, पक्का पुसकराहट-(स्त्री०) मंद हास (जैसे-प्रेमिका की मुसकराहट, (जैसे-मुस्तकिल इरादा) 3 स्थायी (जैसे-मुस्तकिल नियुक्ति) मुसकराहट का मज़ा)
| मुस्तग्रीस-अ० (पु०) 1फरियादी 2 दावेदार
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मुस्तनद
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मूका
दृष्टि
मुस्तानद-अ० (वि०) 1 प्रमाण रूप में माना गया 2 विश्वस्त | मुहार-अ० (स्त्री०) ऊँट आदि पश की नकेल मुस्तहक-अ० (वि०) 1 अधिकारी, हक़दार 2 योग्य, उपयुक्त मुहारा-बो० (पु०) 1 आगे की ओर का भाग 2 प्रवेश द्वार 3 ज़रूरतमंद
मुहाल-अ० (वि०) 1कठिन, दुष्कर 2 असंभव मुस्तेद-अ० (वि०) 1कटिबद्ध, सन्नद्ध 2 तेज़, स्फूर्तिवान मुहाला-(पु०) हाथी के दाँत पर चढ़ाई गई पीतल की चूड़ी मुस्तैदी-अ० (स्त्री०) 1 कटिबद्धता 2 तेज़ी
मुहावरा-अ० (पु०) रूढ़ वाक्यांश मुहकम-अ० (वि०) 1 पक्का, दृढ़, मज़बूत 2 अटल मुहावरेदार-अं० + फ्रा० (वि०) मुहावरे से युक्त मुहतमिम-I अ०(पु०) प्रबंधक II (वि०) प्रबंध करनेवाला, (जैसे-मुहावरेदार भाषा, मुहावरेदार शैली) इंतज़ामकार
मुहासा-(पु०) = मुँहासा मुहतरम-अ० (वि०) 1 सम्मानित 2 आदरणीय
मुहासिरा-अ० (पु०) 1 चारों तरफ से घेरना 2 हदबंदी मुहताज-अ० (वि०) 1 अभाववाला, ज़रूरतमंद 2 इच्छा मुहिब्ब-अ० (पु०) 1 दोस्त 2 प्रियतम रखनेवाला 3 दूसरों पर आश्रित 4 गरीब (जैसे-हर तरह से मुहिम-अ० (स्त्री०) 1 कठिन काम 2 युद्ध, समर मुहताज)
मुहर्त-सं० (पु०) 1 कार्य हेतु निश्चित किया गया विशिष्ट समय मुहताजी-अ० + फ्रा० (स्त्री०) मुहताज होना
2 काल गणना के अनुसार कार्य हेतु निश्चित किया गया समय मुहनाल-(स्त्री०) = मुँहनाल
मुहैया-अ० (वि०) इकट्ठा किया हुआ, प्रस्तुत (जैसे-शादी मुहब्बत-अ० (स्त्री०) 1 प्रेम, इश्क 2 चाह, प्रीति, प्यार | का सामान मुहैया करना) 3 स्नेह, मित्रता (जैसे-मुहब्बत में सब कुछ सहना, दिली | मूह्यमान-सं० (वि०) 1 मूर्च्छित 2 मोहयुक्त मुहब्बत)। नामा + फ़ा० (पु०) प्रेम पत्र, प्रियजन का | मूंग-(पु०) एक प्रसिद्ध अन्न (जैसे-मूंग की दाल) पत्र; परस्त + फ़ा० (वि०) प्रेम पुजारी; ~उछलना प्रेम | मूंगफली-(स्त्री०) 1 चिनिया बादाम 2 एक प्रकार का क्षुप और का आवेश होना; ~की नज़र, ~की निग़ाह प्रेम सूचक उसका फल
मूंगा-(पु०) समुद्र से प्राप्त एक प्रकार का रत्न, पुखराज मुहब्बती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 प्रेमी 2 स्नेहशील मुंगिया-(वि०) मूंग के दानों के रंग का मुहम्मदी-[ अ०(वि०) मुहम्मद का II (पु०) मुहम्मद साहब मछ-(स्त्री०) 1 मनुष्य तथा अन्य प्राणियों के ऊपर के ओंठ का अनुयायी, मुसलमान
और नासिका के बीच के भाग पर जमे बाल 2 कुछ विशिष्ट मुहय्या-अ० (वि०) = मुहैया
जंतुओं के ओठों पर जमेबाल। ~का बाल बहुत करीबी मुहर-फ़ा० (स्त्री०) 1 मुद्रा (जैसे-मुहर लगाना) 2 छाप आदमी; नीची होना लज्जित होना; ~छे उखड़वाना (जैसे-नाम की मुहर) 3 अंगूठी (जैसे-प्यार की मुहर)। ज़लील करना; ~मछे उखाड़ना गर्व नष्ट करना
दार (वि०) मुहरवाला; बंद (वि०) मुहर लगी हुई, | मूंछी-(स्त्री०) एक प्रकार की कढ़ी मुद्रित; बरदार (वि०) मुद्रा रक्षक
मूंज-(स्त्री०) सरकंडों के ऊपरी भाग का छिलका (जैसे-मुंज मुहरकन-फा० (पु०) मुहर खोदनेवाला, मुहरदार
की रस्सी) मुहरा-I (पु०) = मोहरा
मैंड-बो० (पु०) सिर, कपाल। -कटा (वि०) सिर कटा मुहरा-IIफ़ा० (पु०) - मोहरा [आगे का भाग मुंडन-(पु०) = मुंडन। छेदन + सं० (पु०) मुंडन और मुहरी-I (स्त्री०) = मोहरा II
कनछेदन मुहरी-II (स्त्री०) = मोरी |
मुंडना-(स० क्रि०) 1 मुंडन करना 2 ठगना 3 शिष्य बनाना मुहर्रम-I अ० (वि०) हराम ठहराया हुआ, निषिद्ध II (पु०) मुंडा-(वि०) जिसे मूड़ा गया हो (गाली) 1 इस्लामी वर्ष का पहला महीना, इमाम हसेन के शहीद होने मुंडी-(स्त्री०) सिर, मुंड। -काटा (वि०) सिर कटा का महीना 2 शोककाल। -की पैदायश होना सदा चिंतित मूंदना-(स० क्रि०) 1 छिपाना 2 ढक देना, ढकना (जैसे-सब्ज़ी और दुःखी रहना
मूंद देना, दाल मूंदना) 3 बंद करना (जैसे-सुराख मूंदना) मुहर्रमी-अ० + फा० (वि०) 1 मुहर्रम संबंधी, मुहर्रम का | 4 बंद कर लेना (जैसे-आँखें मँदना) 2 शोक सूचक 3 दुःखी और मनहूस
मुंदर-बो० (स्त्री०) = मुंदरी मुहरिर-अ० (पु०) 1 लिपिक 2 वकील का मुंशी। ~थाना मू-फ़ा० (पु०) 1 बाल 2 केश 3 रोआँ + हिं० (पु०) थाने का मुंशी
मूआ-(वि०) मुआ मुहलत-अ० (स्त्री०) = मोहलत
मूक-सं० (वि०) 1 गूंगा 2 लाचार (जैसे-मूक वाणी) 3 चुप मुहल्ला-अ० (पु०) = महल्ला
(जैसे-मूक रहना, मूक होना)। ~अभिनय (पु०) बिना मुहसिन-अ० (पु०) भलाई करनेवाला व्यक्ति, परोपकारी | संवाद का अभिनय; ~ता (स्त्री०) 1 गूंगापन 2 लाचारी 2 सहायक
3 मूक होने की अवस्था; ~वधिर (वि०) गूंगा और बहरा; मुहाना-(पु०) नदी मुख
~भाव (पु०) = मूकता; विद्यालय (पु०) गूगों की मुहाफ़िज़-अ० I (वि०) हिफ़ाज़त करनेवाला, रक्षक पाठशाला
II (पु०) 1 अभिभावक 2 संरक्षक। खाना + फा० मूकवत्-सं० (क्रि० वि०) गूंगे की तरह (जैसे-मकवत् (पु०) कचहरी में निर्णीत मामलों की मिसलें रखने की जगह; | आचरण करना)
दफ्तर (पु०) मुहाफ़िज़ ख़ाने का निरीक्षक | मूका-I बो० (पु०) = मोखा
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मूका
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मूल
मूका-II बो० (पु०) - मुक्का
मूछा-सं० (स्त्री०) बेहोशी (जैसे-मूर्छ आना) मूकिमा-सं० (स्त्री०) = मूकता
मूच्छाल-सं० (वि०) = मूच्छित मूछ-(स्त्री०) = मूंछ
मूविस्था-सं० (स्त्री०) = मूर्छ मूजी-अ० (वि०) 1 सतानेवाला, अत्याचारी 2 दुष्ट, जालिम | मूर्छित-सं० (वि०) 1बेहोश 2 निष्क्रिय 3 अयोग्य और मूठ-(स्त्री०) 1 मुट्ठी 2 उपकरण आदि का हत्था (जैसे-तलवार | । अशक्त
की मूठ) 3 मुठिया, दस्ता, कब्ज़ा 4 मुट्ठी में समाई वस्तु | मूर्शित-सं० (वि०) मूळयुक्त (जैसे-एक मूठ चावल) 5 जादू टोना। ~मारना टोना करना | मूर्त-सं० (वि०) आकारवाला, साकार (जैसे-मूर्त रूप देना, मूठा-(पु०) = मुट्ठा
मूर्त रूप में)। प्रत्यक्षीकरण (पु०) अमूर्त को मूर्त रूप मूड-अं० (पु०) 1 मनोदशा 2 वृत्ति 3 मिज़ाज
देना; -विधान (पु०) कल्पना के आधार पर घटनाओं, मूह-सं० (वि०) मूर्ख। गर्भ (पु०) बिगड़ा हुआ गर्भ; कार्यों आदि के स्वरूप चित्र बनाने का भाव
ग्राह (पु०) 1 ग़लत धारणा 2 ख़ब्त; ~ग्राही (वि०), मूर्ति-I सं० (स्त्री०) 1 मूर्तता, ठोसपन 2 आकृति, शक्ल, सूरत दुराग्रही; ~ता (स्त्री०) मूर्खता; ता वश (वि०) 3 देह, शरीर 4 प्रतिमा (जैसे-देव मूर्ति, सरस्वती की मूर्ति) मूर्खतावश; बुद्धि (वि०) मूर्ख; ~वात (पु०) बँधी हुई | II (वि०) विषय विशेष का ज्ञाता (जैसे-न्यायमूर्ति, वायुः विश्वास (पु०) मूर्खतापूर्ण विश्वास
देवमूर्ति)। “करण (पु०); साकार रूप देना; कर्ता मूढात्मा-सं० (वि०) बहुत बड़ा मूर्ख
(पु०) = मूर्तिकार; ~की (स्त्री०) मूर्ति बनानेवाली; मूढी-बो० (स्त्री०) चावल की लाई
कर्म (पु०) कला (स्त्री०) मूर्तियाँ बनाने की विद्या, मूत-(पु०) मूत्र, पेशाब
हुनर; ~कार (पु०) 1मूर्ति बनानेवाला 2 चित्रकार; मूतना-(अ० क्रि०) पेशाब करना
निर्माण कला (पु०) मूर्ति कला; पूजक (पु०) मूर्ति मूत्र-सं० (पु०) प्राणियों के जननेंद्रिय मार्ग से निकलने वाला को पूजनेवाला; ~पूजन (पु०) मूर्ति पूजना; पूजा तरल पदार्थ, मूत, पेशाब। ~कक्ष (पु०) मूत्रालय; (स्त्री०) मूर्ति की पूजा करना (जैसे-देव की मूर्ति पूजा);
~कारक (वि०) मूत्र वर्द्धक; ~कृच्छ (पु०) मूत्र रुक ~भंजक (पु०)/(वि०) मूर्तियाँ तोड़नेवाला; ~भंजन रुककर होने का एक रोग; ~क्षय (पु०) = मूत्राघात; (पु०) मूर्तियाँ तोड़ना; विज्ञान (पु०) मूर्ति संबंधी विशेष
-दोष (पु०) मूत्र संबंधी कष्ट; ललिका, नाली ज्ञान; शिल्प (पु०) मूर्ति कला (स्त्री०) उपस्थ के अंदर पेशाब निकलने वाली नाली; ~पथ मूर्तित-सं० (वि०) साकार बनाया हुआ (पु०) मूत्र मार्ग; ~परीक्षा (स्त्री०) पेशाब की वैज्ञानिक | मूर्तिप-सं० (पु०) पुजारी जाँच; ~मार्ग (पु०) = मूत्रनाली; ~रोध (पु०) = मूर्तिमत्ता-सं० (स्त्री०) साकारता मूत्राघात; ~वर्द्धक (वि०) पेशाब बढ़ानेवाला; ~विज्ञान, मूर्तिमान-सं० (वि०) 1 मूर्तिविशिष्ट 2 सगुण और साकार ~शास्त्र (पु०) वह विज्ञान जिसमें मूत्र संबंधी तथ्यों का ज्ञान 3 प्रत्यक्ष, साक्षात प्राप्त किया जाता है
मूर्तीकरण-सं० (पु०) मूर्त रूप देना मूत्रागार-सं० (पु०) = मूत्रालय
मूर्द्ध-सं० (पु०) = मूर्द्धा मूत्राघात-सं० (पु०) चि० कुछ समय के लिए पेशाब बनना | मूर्धन्य-सं० (वि०) मूर्द्धा से संबंध। ~घटित (वि०) मूर्धन्य बंद हो जाना
रूप में होनेवाला मूत्रालय-सं० (पु०) पेशाब करने की जगह, पेशाब करने का मूर्धन्यीकरण-सं० (पु०) मूर्धन्य ध्वनि में परिवर्तित करना, कमरा
तवर्ग से टवर्ग बनाना मूत्राशय-सं० (पु०) नाभि के नीचे मूत्र संचित होने की एक मूर्द्धा-सं० (पु०) 1 व्या० मुख के भीतर बीच का स्थान जहाँ से थैली, मसाना
मूर्धन्य वर्गों का उच्चारण होता है (जैसे-ट, ठ, ड, ढ, ण मूत्रित-सं० (वि०) 1 मूत्र रूप में निकला हुआ 2 पेशाब लगने | आदि) 2 सिर, मस्तक से गंदा
मूर्धाभिषिक्त-सं० (वि०) 1सिर पर अभिषेक किया हुआ मूत्रीय-सं० (वि०) मूत्र संबंधी
2 श्रेष्ठ 3 सर्वमान्य (मत, नियम) मूरख-बो० (वि०) = मूर्ख
मूभिषेक-सं० (पु०) सिर पर किया जानेवाला अभिषेक मूरचा-फा० (पु०) = मोरचा
मूल-I सं० (पु०) 1 जड़ (जैसे-वृक्ष की मूल, मूल सींचना) मूरछा-(स्त्री०) = मूर्छा
2 आदि कारण (जैसे-सृष्टि का मूल) 3 आरंभ (जैसे-मूल मूरत-बो० (स्त्री०) = मूर्ति
सृष्टि) 4 बुनियाद, नींव 5 ग्रंथकार की मूल शब्दावली मूर्ख-सं० (वि०) मूढ़, नासमझ। ~ता (स्त्री०) 1 मूढ़ता 6 मूलधन 7 हाथ-पैर आदि का आदि भाग (जैसे-भुज मूल) नासमझी 2 मूर्ख होने का भाव; ~ता वश (क्रि० वि०) II (वि०) 1 असल और पहला 2 प्रधान, मुख्य (जैसे-युद्ध
मूर्खता के कारण; ~पंडित (पु०) पढ़ा लिखा मूर्ख का मूल कारण क्या था) III (क्रि० वि०) निकट, पास। मूर्खत्व-सं० (पु०) = मूर्खता
~कर्म (पु०) जड़ी बूटियों के मूल से होनेवाला टोना टोटका; मूर्खिमा-सं० (स्त्री०) बेवकूफ़ी
~कारण (पु०) आदि कारण, प्रधान हेतु; ~कारिका मूर्छन-सं० (पु०) मूच्छित होना या मूच्छित करना (स्त्री०) 1 सूत्र ग्रंथ की श्लोक बद्ध विवृत्ति 2 मूलधन का मुर्छना-सं० (स्त्री०) संगीत के स्वरों का आरोह-अवरोह ब्याज; काल (पु०) मुख्य समय; ~गत (वि०)
हा
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मूलक
मौलिक ग्रंथ (पु० ) मूल रचना, असल किताब; चित्र (पु०) असल तस्वीर; छेदन (पु०) = मूलोच्छेद; तत्त्व (पु० ) 1 मूल पदार्थ 2 आधार भूत सिद्धांत; द्रव्य (पु० ) व्यापार आदि में लगाई गई पूँजी, मूलधन, मूलतत्त्व; द्वार (पु० ) प्रवेश द्वार बन (पु०) पूँजी (जैसे-मूलधन वापस करना); ~ धातु (स्त्री०) शरीर के अंदर की मज्जा; ध्वनि (स्त्री०) वास्तविक ध्वनि; निवासी (पु०) आदिवासी; ~पत्र (पु०) मुख्य पत्र; पदार्थ (पु० ) भौतिक जगत् का उपादान भूत अयौगिक पदार्थ, तत्त्व; पाठ (पु०) लेखक के लेख्य में उसके वाक्य की मूल शब्दावली पुरुष (पु० ) वंश का आदि पुरुष; प्रकृति (स्त्री०) आद्या शक्ति; ~भाषा (स्त्री०) आदि भाषा; भूत (वि०) 1 मूल से संबंधित 2 असल, मौलिक (जैसे-मूलभूत सिद्धांत, मूल भूत अधिकार); ~ मंत्र (पु०) कुंजी, मूल तत्त्व; रूप (पु० ) प्रधान आकृति; लेख (पु०) मुख्य लेख; ~वर्ती (वि०) मूल में होनेवाला; ~वस्तु (स्त्री०) मूलपदार्थ; -व्याधि (स्त्री०) मुख्य रोग, असल गर्ज़; व्रती (पु०) केवल कंद, मूल खाकर रहनेवाला; ~ शब्द (पु०) वास्तविक शब्द; ~ सिद्धांत (पु० ) मुख्य मत नियम; ~सूची (स्त्री०) प्रधान तालिका (जैसे-अंकों की मूल सूची); स्थान (पु० ) 1 आदि स्थान 2 बाप दादा की जगह, पूर्वजों का निवास स्थान 3 प्रधान स्थान स्रोत (पु० ) 1 झरना, नदी आदि का उद्गम स्थान 2 मुख्य धारा; स्वरूप (पु० ) मूल तत्त्व मूलक - I सं० (वि०) 1 मूल में होनेवाला (जैसे-विधिमूलक, ज्ञानमूलक) 2 उत्पन्न करनेवाला (जैसे- पापमूलक) II (पु० ) मूल स्वरूप मूलच्छेदन-सं० (पु०) जड़ से नाश करना
मूलत: सं० ( क्रि० वि०) मूल रूप में, आदि में (जैसे-मूलतः कारण, मूलतः परिणाम)
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मूलतया-सं० ( क्रि० वि०) प्रथमतः आदि में मूलांश-सं० (पु० ) मूल अंश, मूल तत्त्व
मूलाधार - सं० (पु०) हठयोग के षट्चक्रों में से एक मूलावस्था -सं० (स्त्री० ) शुरू की स्थिति मूलिक-सं० (वि०) 1 मूल संबंधी 2 मूल रूप में पाया जानेवाला
मूलिका - सं० (स्त्री०) 1 जड़ 2 जड़ी 3 जड़ों का ढेर मूलिनी-सं० (स्त्री०) औषधि, जड़ी
मूली - ( स्त्री०) खाने योग्य मुलायम जड़वाला एक पौधा (जैसे-मूली और नींबू का सलाद) । ~गाजर समझना बहुत ही तुच्छ समझना
मूलोच्छेद-सं० (पु०) जड़ से काटना मूलोद्देश्य सं० (पु०) मुख्य उद्देश्य मूल्य - I सं० ( पु० ) 1 दाम, क़ीमत (जैसे-कपड़े का मूल्य, किताब का मूल्य) 2 भाव (जैसे- सोने-चाँदी का मूल्य) 3 गुण, तत्त्व (जैसे-चरित्र का मूल्य, मानवता का मूल्य) II (वि०) प्रतिष्ठा के योग्य, क़दर के लायक (जैसे-इंसाफ का मूल्य, समाज में अध्यापकों का मूल्य) । ~घटाव + हिं० (पु० ) मूल्यापकर्ष तल (पु० ) मूल्य स्तर; ~तालिका (स्त्री०) मूल्य सूची देय (वि०) मूल्यादेय; ~ नियंत्रण (पु० ) मूल्य वृद्धि को रोकना; निरूपण
=
मृग
(पु० ) मूल्यांकन; ~ निर्धारण (पु०) मूल्य निश्चित करना; वृद्धि (स्त्री०) भाव में तेज़ी आना, मूल्य बढ़ना; - सूचनांक (पु० ) क़ीमतें बतानेवाले आँकड़े; ~ स्थिरीकरण (पु० ) मूल्य स्थिर करना; ह्वास (पु० ) = मूल्यापकर्ष
मूल्यन -सं० (पु० ) दाम आँकना, मूल्यांकन मूल्यवती-सं० (स्त्री०) क़ीमती वस्तु मूल्यवान् -सं० (वि०) अधिक क़ीमतवाला
मूल्यांकन -सं० (पु० ) मूल्य का अनुमान करना, मूल्य आँकना (जैसे- अर्थ मूल्यांकन, चरित्र का मूल्यांकन ) । ~कर्ता (पु० ) मूल्यांकन करनेवाला मूल्यांकित सं० (वि०) मूल्य आँका हुआ मूल्यादेय-सं० (वि०) मूल्य से पाया जानेवाला मूल्याधिरोह -सं० (पु० ) = मूल्य वृद्धि मूल्यानुपाती-सं० (क्रि० वि०) क़ीमत के अनुपात में मूल्यानुसार-सं० ( क्रि० वि०) मूल्य के अनुसार मूल्यापकर्ष-सं० (पु०) क़ीमतों का घटना ( गिरना) मूल्यावरोहण-सं० (पु०) क़ीमतें गिरना मूल्यावली-सं० (स्त्री०) मूल्य तालिका मूल्योत्कर्ष-सं० (पु०) मूल्य वृद्धि
=
मूवी कैमरा - अं० (पु०) चल चित्र खींचनेवाला कैमरा मूश - फ़ा० चूहा (जैसे- मूश का बिल) । ~दान (पु० ) चूहा फँसाने का पिंजड़ा
मूष-सं० (पु० ) चूहा। दान फ़ा० (पु० ) = मूशदान मूषक -सं० (पु०) 1 छोटा चूहा 2 चोर। वाहन (पु० ) गणेश
मूषण-सं० (पु०) मूसना, चुराना
मूषा-सं० (स्त्री०) 1 चुहिया 2 गवाक्ष 3 घरिया, कुल्हिया 4 देवताड
मूषिक विषाण-सं० (पु० ) चूहे का सींग, अनहोनी बात मूषिका-सं० (स्त्री०) चुहिया
मूस - (पु० ) मूश। दानी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) = मूशदान मूसना - (स० क्रि०) 1 चुराना 2 ठगना 3 लूटना मूसल - (पु० ) धान कूटने का एक प्रसिद्ध उपकरण । -चंद (पु० ) 1 गँवार, असभ्य 2 अपढ़, मूर्ख 3 हट्टा कट्टा परंतु निक्ममा आदमी मुस्तंडा और निकम्मा व्यक्ति 4 धींगड़ा ~धार ( क्रि० वि०) मूसल के समान मोटी धार में मूसला - ( पु० ) मूल जड़
मूसली - ( स्त्री०) हल्दी की जाति का एक पौधा मूसा - ( पु० ) = मूश
मूसाई - I अं० + फ़ा० (पु०) मूसा धर्म का अनुयायी, यहूदी II (वि०) मूसा संबंधी
मूसीक़ी - अ० (स्त्री०) संगीत कला। ~दान + फ़ा० संगीतज्ञ, संगीतकार
मृग-सं० (पु०) 1 हिरन (जैसे- मृग का शिकार ) 2 पशु, जंगली जानवर 3 मृगशिरा नक्षत्र (जैसे-मृग राशि) । चर्म (पु० ) हिरन की खाल; चर्या (स्त्री०) मृग की तरह आत्मनिग्रह का जीवन छाल + हिं० (पु० ) हिरन की बिछाई अथवा ओढ़ी जानेवाली छाल जल ( पु० ) = मृग तृष्णा;
छौना + हिं जल स्नान
(पु० )
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मृगया
(पु०) मृग जल में स्नान, अनहोनी बात; तृषा, तृष्णा (स्त्री०) 1 ऐसी तृष्णा जो प्रायः संभव न हो 2 मृग मरीचिका; दाव (पु० ) अनेक मृगोंवाला वन नाभि (पु० ) कस्तूरी मृगमद पति (पु०) = मृगराज; ~मरीचिका (स्त्री०) मृग को मरु में जल दिखाई देने की भ्रांति; ~ राज (पु०) शेर, सिंह; ~ लोचनी (स्त्री०) मृग के समान चंचल नेत्रोंवाली स्त्री; ~ शावक (पु०) मृगछौना, हिरन का बच्चा ; ~ शिरा (पु० ) नक्षत्रों में से पाँचवाँ नक्षत्र; शीर्ष (पु० ) 1 मृग शिरा 2 माघ का महीना
मृगया -सं० (स्त्री०) 1 शिकार, आखेट 2 शिकार हेतु वन गमन मृगांक -सं० (पु०) चंद्रमा
मृगाक्षी - सं० (वि०) मृग सी सुंदर आखोंवाली, मृगनयनी मृगेंद्र -सं० ( पु० ) शेर, सिंह
मृगी-सं० (स्त्री०) मादा हिरन, हिरनी
मृग्य-सं० (वि०) 1 जिसका पीछा किया जाए 2 खोज या अन्वेषण के योग्य
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मृण्मूर्ति-सं० (स्त्री०) मिट्टी की मूर्ति । कला (स्त्री०) मृण्मूर्ति बनाने की विद्या, हुनर
मृत -सं० (वि०) मरा हुआ, मुर्दा । ~कल्प (वि०) मृतप्राय; ~गृह (पु०) कब्र; जीव (पु०) मरा हुआ प्राणी जीवनी (स्त्री०) मुर्दा जिलाने की विद्या; प्राय ( क्रि० वि०) मरने के करीब; ~मत्त (पु० ) श्रृंगाल, गीदड़, ~लेखा + हिं० (पु०) मृत्युपत्र ~संजीवनी (स्त्री०/वि०) मुर्दे को जिलानेवाली (औषधि); सूतक (पु० ) मरा बच्चा जनना; स्नान (पु० ) 1 मृतक को जानेवाला स्नान 2 मृतक के मरने पर किया जानेवाला स्नान मृतक - I सं० (पु०) मृत शरीर II ( वि०) मरा हुआ। कर्म (पु०) मृतक की शुद्ध ६ गति के निमित्त किया गया कृत्य, प्रेत कर्म; जुलूस + अं० (पु० ) शवयात्रा
'कराया
भोज (पु० )
श्राद्ध
=
मृताशन-सं० (वि० ) = मुरदाखोर मृताशौच - सं० ( पु० ) किसी के मरने पर पारिवारिक अशौच मृति-सं० (स्त्री०) = मृत्यु । रेखा (स्त्री०) उम्र का अनुमान लगाने की हथेली की रेखा
मृतोत्थित-सं० (वि०) मरकर जी उठनेवाला मृत्कला-सं० (स्त्री०) मिट्टी की चीजें बनाने की कला मृत्तिका - सं० (स्त्री०) मिट्टी । ~ उद्योग (पु० ) मिट्टी की वस्तुएँ बनाने का उद्योग
मेकेनिकल
~योग (पु० ) ग्रह नक्षत्रों का मृत्यु कारक योग; ~राज (पु०) यमराज; ~ लेख (पु०) मृत्य पत्र; लोक (पु० ) = मर्त्य लोक; ~ शय्या (स्त्री०) वह बिस्तर जिसपर व्यक्ति मरणासन्न रूप में पड़ा हो; ~शोक (पु०) मरने का दुःख; ~संख्या (स्त्री०) दुर्घटना, महामारी आदि में मरनेवालों की संख्या; ~ समाचार ( पु० ) मरने की ख़बर मृदंग-सं० (पु० ) ढोलक की तरह का एक प्रसिद्ध बाजा (जैसे-मृदंग और शहनाई) । ~ कार, ~वादक (पु० ) मृदंग बजानेवाला
मृदंगिया - सं० + हिं० (पु० ) मृदा-सं० (स्त्री०) मिट्टी मृदित-सं० (वि०) मसला हुआ, कुचला हुआ मृदु-सं० (वि०) 1 कोमल, मुलायम 2 प्रिय और सुहावना, मधुर 3 हलका, धीमा । ~करण (पु०) नर्म करना; ता (स्त्री०) 1 कोमलता 2 धीमापन, मंदता 3 मधुरता; ~ भाषिनी (स्त्री०/वि०) कोमल स्वर में बोलनेवाली; ~ भाषी (वि०) मृदु वचन बोलनेवाला; ~मंद (वि०) मधुर
मृदुल - सं० (वि०) 1 कोमल, मुलायम 2 दयालु (जैसे-मृदुल
स्वभाव)
मृन्मय - सं० (वि०) मृण्मय
मृषा - I सं० ( क्रि० वि०) झूठ मूठ, व्यर्थ II (वि०) असत्य, झूठा । ~ भाषी (वि०) झूठ बोलनेवाला; ~वाद (पु०) मिथ्या वाक्य 2 चापलूसी, खुशामद; ~वादी (वि०) 1 झूठा 2 खुशामदी
मृत्पात्र -सं० (पु०) मिट्टी का बर्तन
मृत्पिंड -सं० (पु० ) मिट्टी का ढेला
मृत्यु-सं० (स्त्री०) 1 मौत, मरण 2 अंतिम अवस्था (जैसे- राजनीतिक मृत्यु, अत्याचारी शासक की मृत्यु) । ~कर (पु०) मृतक की संपति पर लगनेवाला कर; काल (पु०) मौत की घड़ी ~कालीन (वि०) मौत के समय की (जैसे - मृत्युकालीन स्मृति); क्षण (पु० ) मौत का पल; ~गत (वि०) मृत्यु को प्राप्त जनक (वि०) घातक; दंड (पु०) मौत की सज़ा दर + हिं० (स्त्री०) मरणगति; दूत (पु० ) मौत की ख़बर लानेवाला; पत्र (पु०) मृत्यु का प्रमाण पत्र, पाश (पु० ) यम का पाश; ~प्राय (वि०) मृत प्राय; भोज (पु०) = मृतक भोज;
=
मृदंग वादक
मृषार्थिक-सं० (वि०) झूठे अर्थवाला मृष्ट-सं० (वि० ) शुद्ध किया हुआ मृष्टि-सं० (स्त्री०) शुद्ध करना
में - I अ० के अंदर ( जैसे मकान में, बिल में ) II (स्त्री० ) बकरी के बोलने का शब्द
=
मेंगनी - (स्त्री०) गोलियों के रूप में पशु की विष्ठा, मल, गू मेंटलपीस - अं० (पु० ) मैंटलपीस मेंड़ - (स्त्री०) मेड़। बंदी + फ़ा० (स्त्री०) = मेड़बंदी मेंड़रा - बो० ( पु० ) 1 गोल चक्कर 2 मेंडुरी 3 गोल वस्तु का उभरा किनारा 4 मंडलाकार ढाँचा (जैसे-चलनी का मेंड़रा) मेंढक - (पु० ) = मेंढक मेंढकी - (स्त्री०) मेंढकी
मेंढ़ा - (पु० ) भेड़ा
मेंबर-अं० (पु० ) सदस्य
मेंबरी - अं० + फ़ा० (स्त्री०) सदस्यता
=
में में- (स्त्री०) मेमने के बोलने का शब्द
मेंह - ( पु० ) 1 वर्षा 2 वर्षा का जल
मेंहदी - (स्त्री०) = मेहँदी मेअराज- अ० (स्त्री० ) मेक-सं० (पु० ) बकरा
मेकअप अं० (पु० ) सजना सँवरना, प्रसाधन । सम
मेराज
(पु० ) प्रसाधन का कमरा, श्रृंगार कक्ष
मेकेनिक - अं० (पु० ) अभियांत्रिक
मेकेनिकल-अं० (वि०) अभियांत्रिकी (जैसे- मेकेनिकल इंजीनियर)
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मेकेनिक्स
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मेमोरियल
मेकेनिक्स-अं० (स्त्री०) अभियांत्रिकी
मेट-अं० (पु०) 1 मज़दूरों का प्रधान 2 एक प्रकार का जहाज़ी मेख-I फ्रा० (स्त्री०) कील
कर्मचारी मेख-II (पु०) = मेष
मेटना-(स० क्रि०) बो० = मिटाना मेखड़ा-(पु०) झाबे आदि के मुँह पर बाँधने की बाँस की फट्टी | मेट माट-(स्त्री०) झगड़े, विवाद आदि का निपटारा का घेरा
मेटा-बो० (पु०) - मटका मेखला-सं० (स्त्री०) 1करधनी, किंकणी 2 धागे आदि की मेटिया-बो० (स्त्री०) छोटा मटका करधनी 3 कमरबंध, पेटी
मेट्वा-बो० (वि०) 1 मिटानेवाला 2 कृतघ्न मेखली-(स्त्री०) 1 गले में डालकर पहना जानेवाला पहनावा मेट्रन-अं० (स्त्री०) अधीक्षिका 2 करधनी
मेट्रिकुलेशन-अं० (स्त्री०) हाईस्कूल मेखी-फा० (वि०) मेल से किया गया छेद
मेट्रो-अं० (पु०) भूगर्भ रेल मेगज़ीन-I अं० (पु०) सामयिक पत्र
मेठ-अं० (पु०) = मेट मेगज़ीन-II अं० (पु०) बंदूक आदि में गोली रखने की जगह मेड़-I अं० (स्त्री०) नौकरानी (जैसे-मैगज़ीन भरना)
मेड़-(स्त्री०) 1 खेत की हदबंदी 2 खेत के इर्द गिर्द मिट्टी का मेगनी-(स्त्री०) = मेंगनी
बनाया हुआ घेरा, डाँडा (जैसे-मेड़ बनाना)। बंदी + फ़ा० मेगनीशियम-अं० (पु०) = मैगनीशियम
(स्त्री०) मेड़ बनाना मेगनेटिक-अं० (वि०) = मैगनेटिक
मेडक-(पु०) = मेढक मेगाटन-अं० (पु०) = मैगाटन
मेड़री-(स्त्री०) = मेंडरा मेगावाट-अं० (पु०) दस लाख वाट की विद्युत शक्ति मेडल-अं० (पु०) पदक, तमगा मेघ-सं० (पु०) बादल (जैसे-मेघ से घिरा आसमान)। मेडिकल-अं० (वि०) चिकित्सा शास्त्र संबंधी
काल (पु०) वर्षाऋतु: गर्जन (पु०), गर्जना मेड़िया-(स्त्री०) मढ़ी (स्त्री०) बादलों का गरजना; ~घटा (स्त्री०) घना बादल; मेडिसिन-अं० (स्त्री०) चिकित्सा शास्त्र, दवा
जाल (पु०) मेघसमूह; ~ज्योति (स्त्री०) बिजली; | मेढक-(पु०) जल और स्थल दोनों में रहनेवाला एक छोटा -डंबर (पु०) = मेघ गर्जन; ~द्वार (पु०) = मेघ मंडल; | जंतु, मंडूक (स्त्री० मेढकी) -धनु, धनुष (पु०) इंद्रधनुष; नाथ, पति (पु०) | मेढ़ा-(पु०) भेड़ का नर, मेष = मेघराज;नाद (पु०) = मेघराज; ~मंडल (पु०) | मेथी--सं० (स्त्री०) 1 एक प्रसिद्ध पौधा जिसकी खेती होती है आकाश; ~माला (स्त्री०) बादलों की पंक्ति; ~माली | 2 इस पौधे का बीज (वि०) बादलों से घिरा; ~राज (पु०) इंद्र; ~राशि | मेथौरी-(स्त्री०) मेथी का साग मिलाकर बनाई गई बरी (स्त्री०) = मेघमाला; ~लीला (स्त्री०.) बादलों का उमड़ना | मेद-सं० (पु०) 1 चरबी, वसा 2 चरबी बढ़ने और मोटा होने घुमड़ना; ~वर्त (पु०) प्रलयकारी मेघ; ~श्याम (वि०) | का रोग 3 कस्तूरी बादलों के रंग की तरह, आसमानी; ~संघात (पु०) बादलों मेदस्वी-सं० (वि०) बहुत मोटा, अधिक, अधिक का जमावड़ा
चरबीवाला मेघांत-सं० (पु०) वर्षा का अंत
मेदा-अ० (पु०) पेट, पाकाशय मेघागम-सं० (पु०) वर्षा का आरंभ
मेदुर-सं० (वि०) चिकना, स्निग्ध मेघाच्छन्न-सं० (वि०) बादलों से ढका हुआ
मेदोवृद्धि-सं० (स्त्री०) 1 चरबी का बढ़ना 2 अंडकोश बढ़ने मेघाच्छादित-सं० (वि०) मेघ से छाया हुआ
का रोग मेघाडंबर-सं० (पु०) बादलों की गरज
मेध-सं० (पु०) 1 यज्ञ, हवि 2 यज्ञ बलि का पशु मेघारि-सं० (पु०) वायु, हवा, पवन
मेधा-सं० (स्त्री०) 1 धारण शक्ति 2 बुद्धि। ~कर (वि०) मेघावरण-सं० (पु०) मेघ का छाया होना, मेघ का परदा
बुद्धि बढ़ानेवाला मेघोदय-सं० (पु०) आकाश में बादल छाना
मेधावान्-सं० (वि०) बहुत बुद्धिमान्, मेधायुक्त मेचक-I सं० (पु०) 1 अँधेरा 2 मेघ II (वि०) काले रंग का, मेधावी-सं० (वि०) 1 ज्ञानी 2 तीव्र बुद्धिवाला (जैसे-मेधावी
छात्र) मेज़-फा० (स्त्री०) लकड़ी आदि की बनी चौकी, टेबुल - मेध्य-सं० (वि०) 1 बुद्धि बढ़ानेवाला, मेधाजनक 2 पवित्र (जैसे-मेज़ कुर्सी)। पोश (पु०) मेज़ पर बिछाने का | मेनू , मेन्यू-अं० (पु०) (होटल में) खाने की सूची कपड़ा; बान (पु०) मेहमानदारी, आतिथ्य करनेवाला; मेम-अं० (स्त्री०) 1विवाहिता अंग्रेज़ स्त्री 2 ताश का एक पत्ता यानी (स्त्री०) मेहमानदारी, अतिथि सत्कार
(जैसे-पान की मेम)। ~साहबा +अ० (स्त्री०) प्रतिष्ठित मेजर-अं० (पु०) सेना का एक उच्च पद और उस पद का ___ अंग्रेज़ महिला
अधिकारी जनरल (पु.) लेफ्टनेंट जनरल के नीचे का मेमार-अ० (पु०) इमारत बनानेवाला, राजगीर सैनिक अधिकारी
मेमारी-अ० +फा० (स्त्री०) मेमार का काम . मैजिक लालटेन-अं० (स्त्री०) बाइस्कोप
मेमो-अं० (पु०) मेमोरंडम का संक्षिप्त रूप मेस्मेरिज्म-अं० (पु०) सम्मोहन, जादू करना । मेमोरियल-अं० (पु०) स्मारक, यादगार
काला
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मेमोरंडम
मेमोरंडम - अं० (पु० ) 1 याददाश्त या स्मरण पत्र 2 व्यापारिक लिखा पढ़ी में लिखा जानेवाला एक प्रकार का पत्र मेय - सं० (वि०) 1 नाप तौल किया जानेवाला 2 नापा जोखा जाने योग्य
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मेयर-अं० (पु० ) महापालिका का निर्वाचित अध्यक्ष (जैसे- मेयर का भाषण )
मेरा - (वि०) 'मैं' का संबंध सूचक विभक्ति से संयुक्त सार्वनामिक विशेषण रूप (जैसे मेरा मकान, मेरी कमीज़ ) । तेरा करना अपना पराया का भेदभाव करना मेराज - अ० (स्त्री०) 1 सीढ़ी 2 ऊपर चढ़ने का साधन मेरी - (वि०) हिंदी 'मेरा' का स्त्रीलिंग रूप (जैसे-मेरी सखी, मेरी किताब)
मेरु- सं० (पु० ) 1 सुमेरु 2 पृथ्वी के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में प्रत्येक, पोल 3 देव मंदिर। ज्योति (स्त्री०) पथ्वी के दोनों ध्रुवों में रात में बीच बीच में दिखाई देनेवाली एक ज्योति; -दंड (पु०) रीढ़ (जैसे-मेरु दंड प्राणी); दंडी (वि०) रीढ़वाला
मेल - I सं० (पु० ) 1 मिले होने की अवस्था (जैसे- यह रंग कई रंगों के मेल से बना है) 2 मिलाप, संयोग, समागम (जैसे- गंगा और यमुना का मेल, दो गाड़ियों का मेल होना) 3 प्रेम व्यवहार (जैसे-परिवार का पारस्परिक मेल, मेल से रहना) 4 मित्रता का संबंध (जैसे- दो राष्ट्रों का मेल) 5 समता, बराबरी (जैसे- पति और पत्नी का मेल, मेल का कपड़ा) 6 मिलावट (जैसे- दूध में पानी का मेल) । जोल, ~ मिलाप + हिं० (पु० ) प्रीति संबंध, घनिष्ठता; ~मुलाक़ात + अं० (स्त्री०) मेल मिलाप, प्रेम बर्ताव, मिलना जुलना; मुलाहजा + अं० (पु०) मेल मिलाप ; खाना, -बैठना 1 अनुकूलता होना 2 संगति के उपयुक्त होना
मेल - II अं० (स्त्री०) 1 रेलवे की डाकगाड़ी (जैसे-कालका मेल, पंजाब मेल) 2 डाक (जैसे- रेलवे मेल सर्विस)। ट्रेन (स्त्री०) डाकगाड़ी
मेलन - सं० (पु० ) 1 मिलन 2 मिलावट 3 आदमियों का जमावड़ा 4 मिलाने का भाव
मेला - I (पु० ) 1 उत्सव, देव दर्शन आदि शुभ अवसर पर एकत्र भीड़ 2 चौपायों के क्रय विक्रय के निमित्त होनेवाला व्यापारियों का जमावाड़ा 3 तीर्थ स्थान पर होनेवाला जमाव (जैसे - माघ मेला, कुम्भ मेला) 4 लोगों की भीड़, जमावड़ा II (स्त्री०) 1 मिलन 2 जमाव (जैसे-देखते ही देखते बड़ा मेला लग गया) । ठेला, तमाशा +अं० (पु० ) 1 सैर-तमाशा, मेला (जैसे- मेला तमाशा देखना) 2 भीड़ भाड़वाला सार्वजनिक स्थान (जैसे- मेला ठेला में कहाँ जाओगे)
मेली - (वि०) 1 मेल जोल वाला 2 किसी से मिल जानेवाला, यारबाश । ~मुलाक़ाती + अ० + फ़ा० (पु० ) संगी साथी, मित्र, यार दोस्त
मेवा -फ़ा० (पु० ) 1 सुखाया हुआ फल 2 किशमिश, बादाम, अखरोट आदि सूखे फल 3 उत्तम और बहुमूल्य पदार्थ । -दार (वि०) 1 मेवा से युक्त 2 फलदार (जैसे-मेवादार वृक्ष); ~फ़रोश (पु०) फल और मेवा बेचनेकला, दूकानदार
मेहरी
मेवाटी - (स्त्री०) किशमिश, बादाम आदि से युक्त एक प्रकार
का पकवान
मेवाड़ी - I (वि०) 1 मेवाड़ का 2 मेवाड़ संबंधी II ( पु० )
मेवाड़ का निवासी III (स्त्री०) मेवाड़ की बोली मेवाती - I (स्त्री०) मेवात प्रदेश की बोली II (स्त्री०) मेवाड़ की बोली IV (fao)
मेवाती - III ( पु० ) मेवात का रहनेवाला मेवात का
राशियों में पहली राशि पाल (पु० ) गड़रिया;
मेष -सं० (पु० ) 1 भेड़ 2 बारह (जैसे- मेष का उदय होना) । ~ संक्रांति (स्त्री०) सूर्य के मेष राशि में प्रवेश तथा सौर वर्ष के प्रारंभ का दिन (जैसे- मेष संक्रांति का स्नान ) मेस - अं० ( पु० ) भोजनालय
मेहेंदिया - I (वि०) मेंहदी के रंग का II ( पु० ) मेंहदी का हरापन युक्त लाल रंग
मेहँदी - ( स्त्री०) 1 हाथ पैर को रंग से सजानेवाली पत्तियोंवाली एक झाड़ी, हिना 2 ब्याह की एक रस्म 3 इस झाड़ी की पत्तियों का पीसा हुआ चूर्ण (जैसे- हाथ पैर में मेहँदी लगाना) मेह-सं० (पु० ) 1 वर्षा 2 बादल मेहतर - फ़ा० ( पु० ) 1 बहुत बड़ा और प्रतिष्ठित व्यक्ति, बुजुर्ग 2 भंगी
मेहतरानी - फ़ा० + हिं० (स्त्री०) भंगिन
मेहनत - अ० (स्त्री०) शारीरिक श्रम । ~कश + फ़ा० (वि०) मेहनत करनेवाला; - मज़दूरी +फ़ा० (स्त्री०) मेहनत और मज़दूरी; ठिकाने लगना श्रम का सफल होना मेहनताना - अ० + फ़ा० (पु० ) 1 पारिश्रमिक, मज़दूरी
(जैसे- दस रुपये मेहनताना हुआ), वकील की फ़ीस मेहनती - अ० + फ़ा० (वि०) परिश्रमी मेहमान - का० (पु० ) अतिथि, अभ्यागत। खाना (पु०) अतिथिशाला; ~दार (पु०) आतिथ्य सत्कार करनेवाला; दारी (स्त्री०) आतिथ्य सत्कार, मेहमानी; नवाज़ (वि०) अतिथि का स्वागत करनेवाला; नवाज़ी (स्त्री०) मेहमानदारी; बाज़ी (स्त्री०) मेहमान का सम्मान करना; ~सराय (स्त्री०) = मेहमानखाना
मेहमानिन- फा० + हिं० (स्त्री०) महिला अतिथि मेहमानी -फ़ा० (स्त्री० ) मेहमानदारी
=
मेहर - I फ़ा० (स्त्री०) दया, कृपा मेहर - II (स्त्री०) मेहरी मेहरबान — फ्रा० (वि०) दयालु, कृपालु मेहरबानी - फ्रा० (स्त्री०) दयालुता, कृपालुता मेहरा - ( पु० ) स्त्री स्वभाववाला (जैसे- वह बहुत मेहरा है) मेहराना-(अ० क्रि०) बो० नम होना, आर्द्र होना मेहराब - अ० (स्त्री०) 1 दरवाज़े के ऊपर बना अर्धमंडलाकार भाग 2 डाटवाला गोल दरवाज़ा (जैसे- मेहराब टूटना) । नुमा +4510 (वि०) मेहराबवाला
=
=
दार, (जैसे- मेहराबदार इमारत)
मेहराबी-अ० +फ्रा० (वि०) मेहराबदार मेहरारू -बो० (स्त्री०) मेहरी मेहरिया - ( स्त्री०) 1 पत्नी 2 औरत
=
मेहरी- (स्त्री०) पत्नी, स्त्री, जोरू (जैसे-मेहरी के वश में होना)
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मै
मै-फा० (स्त्री०) शराब, मदिरा। ~कश (पु०) शराब पीनेवाला, मद्यप; कशी (स्त्री०) शराब पीना, मद्यपान; खाना (पु० ) शराबखाना, मदिरालय; ~खोर (पु० ) मद्यप; ~ खोरी (स्त्री०) मद्यपान; परस्त (पु० ) मद्य व्यसनी परस्ती (स्त्री०) मद्य पान का व्यसन, शराब की लत; ~ फ़रोश (पु० ) शराब विक्रेता फ़रोशी (स्त्री०) मद्य विक्रय
मैका - (पु० )
मैगनेट-अं० (पु०) चुंबक (जैसे- मैगनेट बनाना) मैगनेटिक -अं० (वि०) चुंबकीय
= मायका
673
मैगाटन - अं० (पु० ) दस लाख टन
मैच-अं० ( पु० ) प्रतियोगिता का खेल (जैसे- हाकी मैच
खेलना)
मेजिक
मैचबाक्स-अं० (स्त्री०) दियासलाई की डिबिया मैजिक-अं० (पु०) जादू। ~लालटेन (स्त्री०) लालटेन मैजिस्ट्रेट अं० (पु० ) 1 फ़ौजदारी मामलों का जज (जैसे- न्यायिक मैजिस्ट्रेट) 2 दंडाधीश
मैटल - अं० (पु० ) धातु
मैट्रिक - अं० (वि०) हाई स्कूल पास। ~पास (वि०) हाई
स्कूल पास
=
मेम
मैट्रिकुलेट - अं० (वि०) हाई स्कूल पास मैडम-अं० (स्त्री०) मैत्र-I सं० (पु० ) मित्रता (जैसे- मैत्र भाव ) II (वि०) 1 मित्र संबंधी 2 मित्रों में होनेवाला
मैत्री-सं० (स्त्री०) 1 मित्रता, दोस्ती 2 मेलजोल 3 सम्मानता (जैसे- मैत्री भावना, वर्ण मैत्री) । पूर्ण (वि०) = मित्रता पूर्ण ~भाव (पु० ) मित्रता का भाव
मैत्रेयिका - सं० (स्त्री०) मित्रों में होनेवाला संघर्ष, मित्रयुद्ध
मैत्र्य-सं० (पु०) मित्रता
मैथमेटिक्स-अं० (स्त्री०) गणित
मैथुन - सं० (पु० ) 1 संभोग, रति क्रीड़ा (जैसे-मैथुन कामना) 2 जोड़ा खाना । ज (वि०) मैथुन से उत्पन्न (जैसे-मैथुनज रोग); ~भाव (पु० ) संभोग
मैथुनिक - सं० (वि०) 1 मैथुन का 2 यौन, लैंगिक मैथुनिकी - सं० (स्त्री०) मैथुन संबंधी चिकित्सा प्रणाली की एक
शाखा
मैथुनी सं० (वि०) मैथुन करनेवाला
मैदा -फ़ा० (पु०) बहुत महीन आटा
मैदान -फ़ा० (पु० ) 1 चौड़ी और सपाट ज़मीन 2 युद्ध क्षेत्र, रण भूमि (जैसे-मैदान से भागना ) 3 अखाड़ा। छोड़ना रणक्षेत्र से भागना जाना शौच हेतु बाहर जाना; जीतना, ~मारना लड़ाई जीतना; में उतरना 1 अखाड़े में आना 2 कार्य क्षेत्र में आना; साफ़ कर देना 1 विघ्न बाधाओं को दूर करना 2 सबको मार भगाना; ~साफ़ होना 1 मार्ग में विघ्न बाधा न होना 2 अकेला होना; हाथ रहना युद्ध में विजय पाना
मैदानी - I फ्रा० (वि०) 1 मैदान का 2 मैदान में काम आनेवाला
मोक्षण
(स्त्री०) आँगन में टाँगी या
(जैसे - मैदानी तोप) II फ़ा० लटकाई जानेवाली लालटेन मैदाने जंग - फा० (पु० ) रणक्षेत्र, युद्ध भूमि
मैनसिल - ( स्त्री०) दवा के काम लायक एक खनिज द्रव्य मैनहोल - अं० (पु० ) सीवर गड्ढा
मैना - (स्त्री०) काले रंग और पीली चोंचवाली एक प्रसिद्ध चिड़िया, सारिका (जैसे तोता-मैना की मीठी बोली) मैनिन्जाइटिस - अ० (पु० ) चि० मस्तिष्क शोथ मैनुअल - अं० (पु० ) नियम पुस्तिका मैनेजमेंट-अं० (स्त्री०) प्रबंध, व्यवस्था मैनेजर - अं० (पु० ) प्रबंधक, व्यवस्थापक मैमथ - अं० (पु० ) विशालकाय हाथी
मैयत - अ० (स्त्री०) 1 मौत 2 शव, लाश 3 मृतक का अंतिम संस्कार मैया - (स्त्री०) माँ
मैयार - I अ० (पु० ) 1 नापने तौलने का उपकरण 2 कसौटी मैयार - II ( पु० ) एक तरह की बंजर भूमि मैर - ( स्त्री०) रह रहकर होनेवाली कसक मैरा-बो० (पु०) खेत में स्थित मचान मैरीन अं० (वि०) समुद्री
मैल - (स्त्री०) 1 शरीर, वस्त्र आदि पर जमी गर्द, धूल (जैसे-मैल साफ़ करना) 2 दोष, विकार (जैसे-मन का मैल) । खोरा + फ़ा० + हिं० I (वि०) मैल छिपानेवाला (जैसे- मैल खोरा कपड़ा) II ( पु० ) 1 काठी, जीन के नीचे रखा जानेवाला कपड़ा 2 साबुन
मैला - I (वि०) 1 मैल युक्त, गंदा (जैसे-मैला कपड़ा, मैला मन) II ( पु० ) 1गू, विष्ठा 2 कूड़ा, कर्कट । कुचैला (वि०) 1 अत्यंत मैला (जैसे-मैला कुचैला कपड़ा) 2 मैला कुचैला वस्त्र पहना हुआ; ~घर (पु० ) कूड़ा कर्कट फेंकने का सार्वजनिक स्थान
मैलापन - (पु० ) मलिनता, गंदापन
मैथिली - I सं० (स्त्री०) मिथला देश की बोली (जैसे-मैथिली मैहर - I बो० (पु० ) =मायका II बो० (पु० ) 1 मक्खन तपा साहित्य) II (वि०) मिथिला का
पर निकला मट्ठा 2 घी की तलछट
मोंगरा - I ( पु० ) मुँगरा II ( पु० ) मोगरा मोंछ- (स्त्री० ) = मूँछ
मोंठ - (स्त्री०) मोठ
मोढ़ा - (पु० ) 1 माँचा 2 बाँस, बेंत का बना आसन मोई - (स्त्री०) घी में सना आटा
मोका - I ( पु० ) मोखा मोका - II अ० (पु० ) मौक़ा मोक्ष-सं० (पु० ) 1 मुक्ति (जैसे-मोक्ष प्राप्त करना) 2 छुटकारा (जैसे- मोक्ष मिलना, सांसारिक मोक्ष) । दाता (पु० ) मोक्ष देनेवाला; दायक, ~दायी (वि०) मोक्ष प्रदान करनेवाला; प्राप्ति (स्त्री०) मोक्ष पाना, मोक्ष मिलना; ~वाद (पु० ) वह सिद्धांत जो जीवन का मूल श्रेय या लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना मानता है; विद्या ( स्त्री०) अध्यात्म विद्या; ~ शिला (स्त्री०) स्वर्ग; ~साधन (पु० ) मोक्ष का उपाय
मोक्षक-सं० (वि०) मोक्षदायक मोक्षण-सं० (पु०) मोक्ष देने का भाव
=
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मोक्षद
मोक्षद- सं० (वि०) = मोक्षदायक मोक्षित-सं० (वि०) मोक्ष प्राप्त मोक्ष्य-सं० (वि०) मोक्ष पाने योग्य मोखा - ( पु० ) रोशनदान, झरोखा मोगरा - I ( पु० ) 1 बेले का पौधा 2 इस पौधे का फूल (जैसे - मोगरा खिलना ) II ( पु० ) लकड़ी की बड़ी हथौड़ी मोघ -सं० (वि०) 1 काम न देनेवाला 2 व्यर्थ मोच - (स्त्री०) शरीर के जोड़ की नस का अपने स्थान से इधर उधर खिसक जाना (जैसे गर्दन में मोच आ गई ) मोचक-सं० (वि०) 1 मोचन करनेवाला 2 हरण करनेवाला (जैसे- संकट मोचक )
मोचन -सं० ( पु० ) 1 छुड़ाना, मुक्त करना 2 दूर हटाना, दूर करना (जैसे- संकट मोचन)
674
मोचना - ] ( पु० ) 1 हज्जाम की चिमटी 2 लोहार का एक औज़ार II (स० क्रि०) 1 मोचन करना 2 छोड़ना 3 बाहर निकालना
मोचनी - (स्त्री०) छोटी मोचना
मोचयिता -सं० (वि०) छुटकारा देनेवाला
मोचाद - सं० ( पु० ) 1 केला 2 केले का गाभ
मोची - I ( पु०) जूता सीनेवाला
=
मोची -II सं० (वि०) 1 दूर करनेवाला 2 छुड़ानेवाला मोछ - (स्त्री०) मूँछ मोजा - फ़ा० (पु० ) पैर में पहनने का कपड़े का बना आवरण, जुर्राब (जैसे -मोजा जूता )
मोजिज़ा - अ० (पु० ) अलौकिक चमत्कार
मोट - I ( पु० ) चरसा
मोट - II ( स्त्री०) गठरी
मोटन - सं० (पु० ) पीसना, मलना, रगड़ना
उद्योग
=
मोटर -अं० (स्त्री०) 1 पेट्रोल, डीजल आदि से सड़क पर चलनेवाली चार पहियोंवाली गाड़ी 2 विद्युत, पेट्रोल की शक्ति से चलनेवाली एक मशीन (जैसे- मोटर जल गई) । सं० ( पु० ) मोटर बनाने का धंधा, काम, पेशा; कार (स्त्री०) मोटर, हवागाड़ी खाना फ्रा० (स्त्री०) मोटर रखने का स्थान, मोटर गेरेज; गाड़ी +हिं० (स्त्री०) मोटर चालक (पु० ) + सं० (पु०) मोटर चलानेवाला; ~ ट्रक (पु० ) = मोटर लारी; ड्राइवर (पु० ) मोटर चालक; ~निर्माण + सं० मोटर बनाना; निर्माता सं० (पु०) मोटर का निर्माण करनेवाला; नौका +सं० (स्त्री०) मोटर वोट; पोत सं० (पु० ) = मोटर बोट; ~बस (स्त्री०) आदमी आदि ढोनेवाली मोटर इंजन से परिचालित गाड़ी; ~बाइसिकिल (स्त्री०) मोटर साइकिल खोट (स्त्री०) मोटर इंजन से चालित नाव; मार्ग +सं० (पु० ) मोटर सड़क यातायात सं० (पु०) मोटर द्वारा यात्रा करना; रैली (स्त्री०) मोटर दौड़ की प्रतियोगिता; लारी (स्त्री०) माल ढोने की मोटर इंजन से परिचालित गाड़ी; ~वाहित + सं० (वि०) मोटर द्वारा ले जाया गया; ~सराय + फ्रा० (स्त्री० ) = मोटरख़ाना; ~साइकिल (स्त्री०) मोटर इंजन से चलनेवाली साइकिल, फटफटिया; साइकिलिस्ट (पु० ) मोटर साइकिल चलानेवाला; ~ स्टैंड (पु०) बस
अड्डा
मोथा
मोटरी - ( स्त्री०) गठरी
मोटा - (वि०) 1 अधिक स्थूल (जैसा-मोटा आदमी, मोटा शरीर) 2 घनता से युक्त (जैसे- मोटा कपड़ा, मोटा गद्दा ) 3 जो अधिक महीन न हो (जैसे -मोटा आटा) 4 विशेष उत्तम गुणों से रहित (जैसे- मोटा अनाज, मोटा उत्तर) । ~झोटा (वि०) घटिया, मामूली; ताज़ा + फ़ा० (वि०) हृष्ट-पुष्ट तगड़ा; बौना (पु० ) मोटा और छोटे कद का मोटाई - ( स्त्री०) मोटा होने की अवस्था मोटाना - I (अ० क्रि०) 1 मोटा होना 2 घमंडी होना 3 धनी होना II (स० क्रि०) मोटा होने का उपाय करना मोटापन - (पु० ) मोटाई
=
मोटापा - ( पु० ) मोटा होने का भाव मोटिफ - अं० (पु०) मूल विषय, मूलभाव मोटिया - I (पु०) मोटा और खुरदुरा देशी कपड़ा, खदड़, सल्लम II (पु० ) बोझ ढोनेवाला मज़दूर
मोट्टायित - सं० (पु० ) अंतर्मन के अनुराग को छिपाने की चेष्टा करने पर भी अनुराग का प्रकट हो जानेवाला नायिका का एक
भाव
मोठ- (स्त्री०) मूँग की तरह का एक प्रसिद्ध छोटा अन्न, मुगानी, बनमूँग
मोड़ - (पु० ) 1 घुमाव (जैसे- सड़क का मोड़ ) 2 मुड़ने की अवस्था (जैसे-कपड़े आदि का मोड़)। ~तोड़ (पु० ) 1 घुमाव, चक्कर 2 मरोड़ 3 चालाकी से भरी बात (जैसे- मोड़-तोड़ का रास्ता अपनाना); ~ मुड़क (स्त्री०) चित्रकला में अंगों की ऐसी स्थिति जो चित्र को सुंदरता प्रदान कर सके
मोड़ना - (स० क्रि० ) 1 घुमाना (जैसे-गली में रिक्शा मोड़ना) 2 टेढ़ी करना (जैसे- लोहे की छड़ मोड़ना) 3 परत लगाना (जैसे- कपड़ा मोड़ना) 4 काम करने से रोकना 5 इधर उधर करना (जैसे- अंग मोड़ना, हाथ पैर मोड़ना) मोड़ा - (पु०) लड़का, बालक
मोड़ी - (स्त्री०) 1 घसीट लिखाई 2 दक्षिण भारत की एक लिपि
मोढ़ा - (पु० ) मोढ़ा मोण - सं० (पु० ) 1 सूखा फल 2 मगर 3 झावा, टोकरा मोतदिल - अ० (वि०) मातदिल
=
मोतबर - अ० (वि०) एतबार, भरोसेमंद, विश्वसनीय मोतिया - (वि०) 1 मोती संबंधी 2 मोती सा । ~ बिंद (पु०) आँखों में मैल जमने से झिल्ली बनने का एक रोग मोती - I ( पु० ) समुद्री सीपी से निकलनेवाला एक अत्यंत क्रीमती रत्न, मुक्ता II (स्त्री०) मोती पिरोई कान में पहनने की बाली। चूर (पु०) बेसन की बनी छोटी मीठी बुंदिया (जैसे-मोती चूर का लड्डू); ~झिरा (पु०) छोटी शीतला माता का रोग; खेल (स्त्री०) मोतिया का लतायुक्त पौधे का एक भेद; ~ भात (पु० ) एक विशेष प्रकार का मीठा भात; ~लड्डू (पु० ) मोतीचूर; ~ सिरी (स्त्री०) बो० मीठी बूँदी का लड्डू मोथरा - (वि०) भोथरा, कुंद
मोथा - (पु० ) 1 जलीय भूमि में होनेवाला एक क्षुप 2 औषध के काम में आनेवाली उक्त क्षुप की जड़
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मोहाछन्न
मोद-सं० (पु०) हँसी मज़ाक। जनक (वि०) = मोदक | 3 मोरनी सी गतिवाली बनी ठनी सुंदर युवती (जैसे-मोरनी सा ~मय (वि०) मोद युक्त
रूप देखकर उसका मन डोल गया) मोदक-सं० (वि०) हँसी मज़ाक करनेवाला
मोरवा-बो० (पु०) मोर, केकी । मोदन-सं० (पु०) हँसी मज़ाक करना
मोरी-(स्त्री०) 1 तंग रास्ता, तंग द्वार 2 पनाली मोदी-(पु०) दाल, चावल आदि बेचनेवाला, परचूनिया। मोर्चा-फा० (पु०) = मोरचा I खाना + फ़ा० (पु०) अत्र का भंडार
मोर्स कोड-अं० (पु०) तार संकेत मोधू-बो० (वि०) मूर्ख
मोल-(पु०) मूल्य, दाम। चाल, ~तोल ~भाव + सं० मोना-I (स० क्रि०) भिगोना, तर करना
(पु०) सौदा तय करना । मोना-II बो० (पु०) गूंज आदि का झाबा, पिटारा मोलना-अ० (पु०) बो० = मौलाना मोनिया-बो० (स्त्री०) ढक्कनदार छोटी पिटारी
मोलवी-अ० (पु०) = मौलवी मोनोग्राम-अं० (पु०) नाम का संक्षिप्त और अलंकृत रूप | मोल्ड-अं० (पु०) साँचा मोपला-(०) मालाबार प्रदेश की एक मुसलमान जाति मोल्डिंग-अं० (स्त्री०) साँचे में ढालना मोम-फा० (पु०) 1 हलके पीले रंग का पिघलनेवाला पदार्थ मोव-सं० (पु०) 1 चोरी 2 लूट-खसोट 3 चोरी का धन जो मधुमक्खी के छत्ते से मिलता है 2 जमाया हुआ मिट्टी का मोह-सं० (पु०) 1 अज्ञान, नासमझी 2 मूर्खता, बेवकूफ़ी तेल (जैसे-मोमबत्ती)। जामा (पु०) मोम का रोगन 3 अविद्या 4 ममता (जैसे-मोह माया, धन दौलत का मोह) चढ़ाया हुआ एक कपड़ा; ~ढाल + हिं० (स्त्री०) बो० 5 भ्रांति (जैसे-सांसारिक मोह)। निद्रा (स्त्री०) 1 बेहोशी मोमजामा; ~दिल (वि०) अत्यंत कोमल हृदयवाला, परम 2 भ्रम, अज्ञानतावश वास्तविक स्थिति की उपेक्षा करनेवाली दयालु, बत्ती + हिं० (स्त्री०) मोटे धागे पर मोम चढ़ाकर अवस्था (जैसे-मोह निद्रा में ड्रबना); ~भंग (पु०) अज्ञान बनाई गई बत्ती; ~रोग़न मोम और तेल का मिश्रण ; की और भ्रांति का नाश होना; --मंत्र (प्०) मोह में डालनेवाला नाक अस्थिर चित्त व्यक्ति, बे पेंदी का लोटा; ~की मरियम मंत्र; ~मग्न (वि०) मोह में फँसा हआ या डबा हुआ; अत्यंत सुकुमार स्त्री; ~होना कठोर हृदय का द्रवित होना, रात्रि (स्त्री०) प्रलय की रात; ~~शास्त्र (पु०) मोह, दयालु होना
अज्ञान, भ्रम आदि उत्पन्न करनेवाला ग्रंथ या शास्त्र मोमना-फा० + हिं० (वि०) बो० मोम का सा मोहक-सं० (वि०) 1 मोह उत्पन्न करनेवाला 2 मोहित मोमिन-अ० (पु०) 1 मुसलमान पुरुष 2 एक तरह का | करनेवाला, लुभावना (जैसे-शिश का मोहक रूप) मुसलमान जुलाहा
मोहड़ा-बो० (पु०) 1 पात्र का ऊपरी खुला भाग 2 मुख मोमिया-फा० (स्त्री०) 1 मसाला लगाकर रखी गई लाश 3 मोहरा 4 अगला भाग 2 एक विशेष लेप
मोहतमिम-अ० (पु०) - मुहतमिम मोमियाई-फा० (स्त्री०) मोम की तरह चिकनी काले रंग की | मोहताज-अ० (वि०) - मुहताज एक दवा
मोहन-सं० (वि०) 1 मोह लेनेवाला (जैसे-मन मोहन) मोमी-फा० (वि०) 1 मोम का बना हआ 2 मोम सा मुलायम 2 मोहित करनेवाला। माला (स्त्री०) सोने के दानों की मोयन-(१०) गूंथे हा आटे, मैदे, चयन आदि में डाला __ बनी माला जानेवाला घी या तेल। ~दार + फ़ा० (वि०) मोयन पड़ा | मोहनजोदड़ो-(पु०) मोहिनजोदड़ो
मोहना-I (अ० क्रि०) 1 मोहित होना 2 मोह के वश में होना मोर-(पु०) मयूर (जैसे-मोर का पंख)। चंद्रिका + सं० 3 भ्रम में पड़ना II (स० क्रि०) 1 मोहित करना 2 भ्रम में (स्त्री०) मोर पंख के ऊपर बनी हुई चंद्राकार बूटियाँ; ~पंख | डालना (पु०) 1 मोर का पंख 2 मोर के पंख की बनाई हई | मोहनी-सं० (स्त्री०) 1 माया 2 लुभावनी और सुंदर स्त्री 3 एक कलगी; ~पंखी । (वि०) मोर के पंख के रंग का II (पु०) अप्सरा का नाम II (वि०) मोहित करनेवाली मोर के पंख की तरह का गहरा चमकीला नीला रंग III | मोहर-फा० (स्त्री०) मुहर (स्त्री०) 1 मोर की आकृति बनी हुई एक नाव 2 एक तरह का | मोहरा-I (पु०) 1 बरतन आदि का मुँह 2 ऊपर या सामने का मोर पंख आकृति का छोटा पंखा; ~मुकुट + सं० (पु०) भाग 3 सेना का बढ़ाव 4 सेना का अग्र भाग 5 शतरंज की मोरपंखों से युक्त मुकुट
गोटी 6 अँगिया का बंद मोरचा-[ फा० (पु०) 1 किले के चारों तरफ़ खोदी गई खाई | मोहरा-II फ़ा० (पु०) 1 कौड़ी 2 माला आदि की गरिया
2 युद्ध के लिए खोदी गई खाई 3 मोरचे पर या उसके भीतर | (जैसे-मोहरा बिठाना) रहनेवाली सेना। बंद (वि०) मोरचे से घिरा हुआ; बंदी | मोहरी-(स्त्री०) 1 पाजाम के नीचे की ओर का मुंह, पायँचा मोरचा बनाना
| 2 ऊपरी खुला हुआ भाग मोरचा-II फ़ा० (पु०) 1 जंग (जैसे-लोहे में मोरचा लगना) | मोहर्रिर-अ० (पु०) - मुहर्रिर 2आईने, शीशे पर जमी मैल
मोहलत-अ० (स्त्री०) 1 अवकाश, फुरसत 2 छुट्टी 3 नियत मोरछल-(पु०) मोर पंख का बना चंवर
__ अवधि (जैसे-चार दिन की मोहलत) मोरछली-(पु०) 1 मोरछल बनानेवाला 2 मोरछल हिलानेवाला मोहल्ला-अ० (पु०) - महल्ला मोरनी-(स्त्री०) 1 मादा मोर 2 मोर के आकार का लटकन | मोहाछन्न-सं० (वि०) - मोहित
हुआ
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मोहार 676
मौली मोहार-बो० (पु०) 1 मुँह 2 द्वार
(जैसे-मौत आना) 3 शामत, मुसीबत (जैसे-मौत सामने मोहित-सं० (वि०) 1 मोह प्राप्त, मुग्ध (जैसे-मोहित कन्या) है)। ~आना आफ़त आना; ~का घर देख जाना
2 लुभाया हुआ 3 भ्रम में पड़ा हआ (जैसे-जग मोहित) बार-बार मृत्यु की आशंका होना; ~का ढलका आसत्रमरण; मोहिनी-[ सं० (वि०) मोहित करनेवाली (जैसे-जगत ~का तमाचा मौत की याद दिलानेवाली बात; ~का मोहिनी) II (स्त्री०) 1 माया, मोह 2 समुद्र मंथन से प्राप्त सामना भयानक मुसीबत का सामना, प्राणभय; ~का सिर अमृत बाँटने के लिए असुरों को मोहित करने हेतु धारण किया पर खेलना मौत करीब आना, ~की घड़ी मृत्युकाल; के गया भगवान विष्णु का सुंदर रमणीवाला रूप
घाट उतारना मार डालना; के दिन पूरे करना कष्ट से दिन मोही-सं० (वि०) 1 अज्ञानी 2 मोह करनेवाला 3 मोह युक्त काटना, कठिनाई से जीना; ~के मुँह में जाना खतरे में पड़ना, 4लोभी (जैसे-धन का मोही, मोही व्यक्ति)
जान जोखिम में डालना; ~माँगना मसीबत से ऊबकर मौत मोहेला-(पु०) एक प्रकार का चलता गाना
माँगना मौज-सं० (वि०) 1 मूंज संबंधी 2 मूंज का बना हुआ मौद्रिक-सं० (वि०) मुद्रा संबंधी मौजिबंधन-सं० (पु०) यज्ञोपवीत संस्कार, जनेऊ
मौन-[ सं० (पु०) 1न बोलना, चुप्पी (जैसे-मौन धारण मौजी-सं० (स्त्री०) मूंज की बनी मेखला
करना) II (वि०) चुप (जैसे-मौन व्यक्ति)। पठन मौक़ा-अ० (पु०) 1 अवसर, सुयोग (जैसे-शादी ब्याह का (पु०) मन ही मन पढ़ना; ~भंग (पु०) ख़ामोशी तोड़ना, मौक़ा) 2 अवधि, मोहलत 3 अवकाश, फुरसत 4 घटना बोलना; ~भंजक (वि०) ख़ामोशी तोड़नेवाला, स्थल (जैसे-दारोगा मौके पर तुरंत पहुँच गया)। परस्त + बोलनेवाला; ~भाव (पु०) चुप रहने की स्थिति, न बोलना; फ़ा० (पु०) अवसरवादी; परस्ती + फ़ा० (स्त्री०) ~मुद्रा (स्त्री०) चुप्पी; व्रत (पु०) न बोलने का संकल्प; अवसरवादिता; बाज़ + फ़ा० (पु०) = मौकापरस्त; ~व्रतधारी व्रती (वि०) = मौनी
बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) = मौकापरस्ती तकना, मौनत्व-सं० (पु०). = मौन भाव ~देखना घात में रहना; देना अवकाश देना, मोहलत मौनावलंबन-सं० (पु०) चुप्पी साधना देना; मौके पर ऐन वक़्त पर; मौके से यथावसर, उचित मौनी-सं० (वि०) 1 चुप रहनेवाला 2 मौन व्रतधारी समय से
मौर-(पु०) विवाह के समय वर को पहनाया जानेवाला ताड़पत्र मौकूफ़-अ० (वि०) 1 स्थगित 2 पदच्युत, बर्खास्त 3 रद्द का बना मुकुट, शिरोभूषण। छोराई (स्त्री०) 1 विवाह के (जैसे-मौकूफ़ होना) 4 आश्रित
उपरांत मौर खोलने की रस्म 2 इस अवसर पर प्राप्त धन मौकूफ़ी-अ० • फ़ा० (स्त्री०) मौकूफ़ होने का भाव मौरना-(अ० क्रि०) बौर लगना मौके बेमौने-अ० + फ़ा० + अ० (क्रि० वि०) समय मौरी-(स्त्री०) विवाह में वधु के सिर पर बाँधा जानेवाला छोटा कुसमय (जैसे-मौके बेमौके चले आना)
मौर मौक्तिक-[ सं० (पु०) मोती II (वि०) मोती का मौरूसी-अ० + फ़ा० (वि०) पैतृक (जैसे-मौरूसी ज़ायदाद, मौक्य-सं० (पु०) = मूकता
मौरूसी बीमारी) मौख-सं० (वि०) 1 मुख का 2 मुख से निकलनेवाला मौर्य-सं० (पु०) मगध का एक प्रसिद्ध भारतीय राजवंश (जैसे-गालियाँ बकना मौख पाप है)
मौर्वी-सं० (स्त्री०) धनुष की डोरी, प्रत्यंचा मौखर्य-सं० (पु०) मुखरता, वाचालता
मौल-I सं० (वि०) 1 मूल संबंधी 2 मौरूसी II (पु०) बड़ा मौखिक-सं० (वि०) 1मुख संबंधी 2 बोला जानेवाला, ज़मींदार
ज़बानी (जैसे-मौखिक कविता, मौखिक संगीत) मौलना-(अ० क्रि०) फूलना मौखिकी-सं० (स्त्री०) मौखिक परीक्षा
मौलवी-अ० (पु०) 1 अरबी भाषा का पंडित 2 इस्लाम धर्म मौगा-बो० (वि०) मूर्ख
का आचार्य 3 मुसलमान शिक्षक। गिरी + फ़ा० (स्त्री०) मौघ्य-सं० (पु०) मोघता, निरर्थकता
मौलवी का काम मौज़-अ० (स्त्री०) 1 तरंग, हिलोर (जैसे-दरिया ए मौज) | मौला-अ० (पु०) 1 स्वामी 2 ईश्वर 3 आज़ाद किया हुआ 2 उमंग (जैसे-मन की मौज़) सुख, आनंद (जैसे-मौज़ प्राप्त गुलाम। ~ई + हिं० (स्त्री) 1 स्वामित्व, सरदारी 2 मौला होना, मौज़ का समय)
होने का भाव; ~दौला + हिं० (वि०) 1 भोलाभाला मौज़ी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 मनमाना करनेवाला 2 सुख 2 बेपरवाह 3 बड़ा दानी __ भोगनेवाला
मौलाना-अ० (पु०) 1 इस्लाम के सिद्धांतों का पंडित 2 अरबी मोनूँ-1 अ० (वि०) 1 तौला हआ 2 ठीक, उपयुक्त II (क्रि० भाषा का पंडित वि) ठीक ठाक
मौलि-सं० (पु०) 1 चोटी, सिरा 2 मस्तक, सिर 3 मुकुट, मौजूद-अ० (वि०) 1 हाज़िर, उपस्थित 2 प्रस्तुत 3 विद्यमान । किरीट। ~मणि (स्त्री०) मुकुट में जड़ित मणि; ~मुकुट
~णी + फ़ा० (स्त्री०) 1 उपस्थिति 2 मौजूद होने की (पु०) ताज़ अवस्था
मौलिक-सं० (वि०) 1 मूल संबंधी 2 असली, वास्तविक मौजूदा-अ० (वि०) 1 वर्तमान काल का (जैसे-मौजूदा | 3 मूलभूत (जैसे-मानव के मौलिक सिद्धांत)। ता हालत) 2 विद्यमान (जैसे-मौजूदा सामान)
__ (स्त्री०) मौलिक होने का भाव मौत-अ० (स्त्री०) 1 मृत्यु (जैसे-मौत होना) 2 मृत्यु का समय | मौली-I (स्त्री०) लाल रंग में रंगा मांगलिक डोरा
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मौली
मौली - II सं० (वि०) मुकुटधारी
मौसिम
मौसम - अ० (पु० ) मौसमी - अ० + फ़ा० मौसिमी मौसर - अ० (वि०) बो० = मुयस्सर मौसा - ( पु० ) मौसी का पति
मौसिम - अ० (पु० ) 1 ऋतु (जैसे-गर्मी का मौसिम) 2 काल, समय (जैसे- अमरूद का मौसिम) । विशेषज्ञ सं० सं० (वि०)
+
(पु०) मौसिम का विशेष ज्ञाता; ~ सूचक मौसिम की सूचना देनेवाला
=
मौसिमी - अ० + फ़ा० (वि०) 1 काल के अनुरूप 2 विशेष काल, मौसिम में होनेवाला
मौसिया - I बो० (पु०) मौसा II ( वि०) मौसेरा मौसी (स्त्री०) माँ की बहन, मासी
मौसूल-अ० (वि०) 1 मिलाया हुआ 2 मिला हुआ, प्राप्त मौसेरा - (वि०) मौसी से संबद्ध (जैसे-मौसरा भाई, मौसेरी बहिन)
मौहूर्त-सं० (पु० ) ज्योतिषी
मौहूर्तिक - I सं० (वि०) 1 मुहूर्त संबंधी 2 मुहूर्त से उत्पन्न II (पु०) ज्योतिषी
म्याँवँ, म्याऊँ - (स्त्री०) बिल्ली की बोली। की ठौर बिल्ली का मुँह की ठौर पकड़ना सबसे अधिक खतरे का काम करना; म्याँव करना डर के कारण अत्यंत मंद स्वर में बोलना
म्यान फ़ा० (पु० ) तलवार रखने का कोष, खोल (जैसे- म्यान से तलवार खींचना )
म्याना - (वि०) बीच का
म्यानी-फ़ा० (स्त्री०) पाजामे के दोनों पल्लों को जोड़नेवाले कपड़े का एक टुकड़ा
म्युनिसिपल -अं० (वि०) नगरपालिका का
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म्युनिसिपैलिटी-अं० (स्त्री०) म्यूज़िक - अं० ( पु० ) संगीत म्यूज़ियम - अं० (पु०) अजायबघर संग्रहालय म्यूनिसिपल - अं० (वि०) म्युनिसिपल प्रियमाण-सं० (वि०) मरा हुआ सा, मृतप्राय प्लान-सं० (वि०) 1 मलिन, मैला 2 कुम्हलाया हुआ 3 कमज़ोर, दुर्बलं
=
म्युनिसिपलिटी
ग्लानि - सं० (स्त्री०) 1 मलिनता 2 ग्लानि 3 उदासी (जैसे- मुख ग्लानि देखकर वह रो पड़ा)
ग्लिट - सं० (वि०) 1 अस्पष्ट (जैसे-म्लिष्ट वाणी) 2 अस्पष्ट रूप से बोलनेवाला
म्लेच्छ-सं० I ( पु० ) अनार्य 2 आर्य सदाचार का पालन न करनेवाला II ( वि० ) 1 नीच 2 पापी (जैसे-म्लेच्छ कहीं का) । ~ भाषा 1 अनार्य भाषा 2 विदेशी भाषा (जैसे- म्लेच्छ भाषा का विकसित रूप )
यक
य
यंत्र - सं० (पु० ) 1 किसी अन्य बात, चीज़ शक्ति आदि को संघटित, नियंत्रित और संबंद्ध करनेवाली शक्ति या बात (जैसे-डोरी, ताला, हथकड़ी आदि ) 2 शल्य चिकित्सा में काम आनेवाले उपकरण (जैसे-सँडसी, चिमटी आदि) 3 औज़ार 4 मशीन 5 वाद्य (जैसे-सितार, हारमोनियम) । ~करंडिका (स्त्री०) बाजीगर की पेटी; ~कार ( पु० ) यंत्र का परिचालन करनेवाला तथा यंत्र विद्या का कुशल ज्ञाता; -कार शास्त्र (पु० ) = यांत्रिकी; ~कारी + हिं० (स्त्री०) यंत्रकार का पद और काम; ~गृह (पु० ) 1 यंत्रणा गृह 2 वेधशाला 3 यंत्रशाला; चातुर्य (पु० ) मशीन चलाने की कुशलता; चालित (वि०) यंत्र संचालित जात + अ (पु० ) = यंत्र तंत्र; ~ज्ञ (पु०) यंत्र का ज्ञाता; तंत्र (पु० ) जादू टोना; नाल (स्त्री०) कुँए से पानी निकालने का नल; ~ निर्माण (पु० ) यंत्र बनाने का काम निर्माता (पु० ) यंत्र बनानेवाला पुत्रक (पु० ) यंत्रादि की सहायता से काम करनेवाली पुतली; मंत्र (पु०) जादू टोना; मानव (पु०) मानव आकृति यंत्र; ~ रचना (स्त्री०) मशीनें बनाना; ~ विज्ञान (पु० ) यांत्रिकी; ~ विद्या (स्त्री०) यंत्रों के निर्माण और चलाने की कला; ~शाला (स्त्री०) यंत्र गृह; शास्त्र (पु० ) यांत्रिकी; ~ शिल्पी (पु० ) = यंत्रक; संचालित (वि०) यंत्र से चलनेवाला; ~ सज्ज (वि०) यंत्रित; ~ सज्जन (पु० ) = यंत्रीकरण; ~समुच्चय (पु० ) यंत्र तंत्र; ~स्थ (वि०) मुद्रण आधीन मुद्रणाधीन
यंत्रक -सं० (पु० ) 1 घाव पर बाँधी जानेवाली पट्टी 2 यंत्रकार यंत्रण - सं० (पु० ) 1 बाँधकर रोक रखना 2 नियम, विधान
आदि के द्वारा रोकना 3 यंत्र आदि की सहायता से दबाना यंत्रणा -सं० (स्त्री०) यातना, पीड़ा (जैसे- मानसिक और शारीरिक यंत्रणा
यंत्रवत् -सं० (वि०) यंत्र के समान (जैसे-यंत्रवत् कार्य करना) यंत्रविद्-सं० (पु० ) अभियंता
यंत्रांग-सं० (पु० ) यंत्र रचना
यंत्रगृह
यंत्रानुवाद-सं० (पु० ) मशीन द्वारा भाषांतर यंत्रालय -सं० (पु० ) यंत्रिका - I सं० (स्त्री० ) 1 छोटा यंत्र 2 ताला II संघ (स्त्री०) छोटी साली
यंत्रित - सं० (वि०) 1 यंत्र योग से बाँधा हुआ, ताला लगाया हुआ 3 जकड़ा हुआ
यंत्री - सं० ( पु० ) 1 यंत्र मंत्र करनेवाला. तांत्रिक 2 बाजा बजानेवाला 3 नियंत्रण करनेवाला । ~करण (पु० ) मशीनीकरण; ~कृत (वि०) यंत्रित यंत्रोपकरण-सं० ( पु० ) मशीन के पुर्जे यक- फ़ा० (वि०) 1 एक 2 अकेला। अंगी + सं० (वि०) एकांगी क़लम + अ० ( क्रि० वि०) 1 एक ही बार क़लम चलाकर 2 पूरी तरह से 3 अचानक चश्म (वि०) 1 एक निग़ाह से देखनेवाला 2 एक रुखी (तस्वीर); ज़बान (वि०) 1 बात का पक्का 2 एक भाषा भाषी; ज़रबी अ० + फ़ा० (वि०) एक नाली; जा (वि०)
=
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यकायक
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यति
इकट्ठा, मिला जुला; जाई (वि०) 1 एक में मिला हुआ यजमान हैं)। ता (स्त्री०) = यजमानी 2 एक ही पक्ष में रहनेवाला; जान (वि०) एक दिल; | यजमानी-स० + हिं० (स्त्री०) 1 यजमान होने का भाव
तरफ़ा + अ० + हिं० (वि०) एक तरफ़ का | 2 यजमान का काम 3 यजमानों का वासस्थान (जैसे-यकतरफ़ा फ़ैसला): ता (वि०) अनुपम, अद्वितीयः | यजी-सं० (पु०) = यजमान
ताई (स्त्री०) 1 अद्वितीयता 2 अद्वैत; तारा + हिं० | यज़ीद-अ० (पु०) करबला का युद्ध करानेवाला उम्मिया (पु०) इक तारा (बाजा) दिल (वि०) = यकजान; ख़ानदान का दूसरा ख़लीफ़ा
फ़र्दी, फसली + अ + फ़ा० (वि०) साल में एक ही यजुः-सं० (पु०) 1 वेद के गद्य मंत्र 2 यजुर्वेद फ़सल पैदा करनेवाली (भूमि); ~वयक -बारगी (क्रि० यजुर्विद्-सं० (पु०) 1 यजुर्वेद का ज्ञाता और पंडित 2 यजुर्वेद वि०) एक बारगी, एकाएक; ~मंज़िला + अ + हिं० | जाननेवाला (वि०) एक मंज़िल का; ~मुश्त (क्रि० वि०) एक बार में; यजुर्वेद-सं० (पु०) चार वेदों में से एक और दूसरा वेद
रंग, रंगा + हिं० (वि०) एक ही रंग का, अंदर बाहर | यजुर्वेदी-I सं० (पु०) यजुर्वेद को जाननेवाला II (वि०) से समान; रंगी (स्त्री०) एक रंग होने का भाव; रुखी यजुर्वेद संबंधी (वि०) एक तरफ़ का, एक रुख का; रोज़ा (वि०) एक यज्ञ-सं० (पु.) 1 हवन पूजन युक्त एक वैदिक कृत्य दिन का; लखन (वि.) = यकक़लम; ~सर (वि०) (जैसे-पंच महायज्ञ) 2 धार्मिक कृत्य (जैसे-पुत्र कामना हेतु 1 अकेला 2 इकट्ठा, कुल, ~साँ (वि०) एक सा, एक प्रकार किया गया यज्ञ) 3 शुभ अनुष्ठान या काम (जैसे-वेद यज्ञ, का; सानी (स्त्री०) सदृशता, यकसाँ होना; ~साला विवाह आदि में किया जानेवाला यज्ञ)। कर्ता (पु०) = (वि०) एक साल का; ~सू (वि०) 1 एक ओर 2 ठहरा यजमान; ~कर्म (पु०) यज्ञ संबंधी; ~कीलक (पु०) यज्ञ हुआ 3 एकाग्र; ~सू मिज़ाज + अ० (वि०) एक के बलिपशु को बाँधने का खुंटा; ~कुंड (पु०) हवन की स्वभाववाला
आहुति डालने का पात्र या गड्ढा; क्रिया (स्त्री०) = यज्ञ यकायक-फा० (क्रि० वि०) 1 एकाएक 2 यकक़लम कर्म: दक्षिणा (स्त्री०) यज्ञ कराने के उपलक्ष्य में ब्राह्मणों यकार-सं० (पु०) 'य' नामक वर्ण
को दिया गया धन; ~पति (पु०) - यजमान; पशु यक़ीन-अ० (पु०) 1 विश्वास 2 प्रतीति। ~आना विश्वास (पू०) यज्ञ में बलि दिया जानेवाला पशुः पात्र (पु०) होना; करना विश्वास करना; ~जानना एतबार करना;
हवन करने का काठ आदि का बना पात्र; ~भाग (पु०) ~मानो सच जानो
1 देवताओं को मिलनेवाला यज्ञ का हिस्सा 2 यज्ञ उपहार; यक़ीनन-अ० (क्रि० वि०) निःसंदेह (जैसे-यक़ीनन ऐसी ~भूमि (स्त्री०) यज्ञ के लिए नियत स्थान; ~भूषण (पु०) घटना घटी)
कुश; ~मंडल (पु०) यज्ञ हेतु घेरा गया स्थान; ~याग यक़ीनी-[अ० (वि०) असंदिग्ध II (क्रि० वि०) - यक़ीनन (पु०) यज्ञ हवन आदि; ~वृक्ष (पु०) वट वृक्ष; ~शाला यकुम-फा० (स्त्री०) महोने की पहली तारीख
(स्त्री०) यज्ञ करने का स्थान, यज्ञ मंडप; ~शास्त्र (पु०) वह यकृत्-सं० (पु०) 1 पेट में दाहिनी ओर पाचन रस की थैली, शास्त्र जिसमें यज्ञों और उनके कृत्यों का विवेचन रहता है; जिगर. तिल्ली 2 यकृत में होनेवाला एक रोग 3 पक्वाशय । ~शील (पु०) यज्ञ करनेवाला व्यक्ति; ~संस्तर (पु०) = शोथ (पु०) चि० जिगर की सूजन
यज्ञ भूमि; ~सूत्र (पु०) = यज्ञोपवीत; स्तंभ (पु०) यज्ञ यक्ष-सं० (पु०) 1 कुबेर के गणों और उनकी निधियों की रक्षा |
कीलक करनेवाली एक प्रकार की देवयोनि 2 कुबेर के सेवक 3 कुबेर ।। यज्ञक-सं० (पु०) = यज्ञकर्ता
रात्रि (स्त्री०) दीपावली; वित्त (पु०) धन की केवल यज्ञागार-सं० (पु०) = यज्ञशाला रक्षा करनेवाला पुरुष, कंजूस
यज्ञाग्नि-सं० (स्त्री०) यज्ञ की अग्नि यक्षण-सं० (पु०) 1 पूजा करना 2 भक्षण, खाना यज्ञीय-सं० (वि०) 1 यज्ञ का 2 यज्ञ में होनेवाला यक्षु-सं० (पु०) यज्ञ करनेवाला
यज्ञोपकरण-सं० (पु०) यज्ञ में काम आनेवाले पात्र हवन यक्ष्म-सं० (पु०) = यक्ष्मा। ~ग्रस्त (वि०) क्षय रोग से ग्रस्त | संबंधी सामग्री आदि यक्ष्मा-सं० (पु०) क्षयरोग, तपेदिक, टीबी
यज्ञोपवीत-सं० (पु०) 1 जनेऊ, उपनयन 2 जनेऊ, यज्ञ सूत्र। यक्ष्मी-सं० (वि०) यक्ष्मा से ग्रस्त
~संस्कार (पु०) जनेऊ पहनाने का संस्कार, जनेऊ पहनाने यख-I फ़ा० (पु०) बर्फ, हिम II (वि०) अति शीतल, का उत्सव अत्यंत ठंडा
यज्य-[ सं० (पु०) यजमान II (वि०) यज्ञ करनेवाला यखनी-फा० (स्त्री०) उबले मांस का रसा, शोरबा। पुलाव यज्या-सं० (स्त्री०) यज्ञ (पु०) मांसरस मिला पुलाव
यत-सं० (वि०) 1 नियमित 2 दमन किया हआ 3 रोका हुआ। यगानगी-फ़ा० (स्त्री०) 1 आत्मीयता 2 समीपता 3 अनोखापन -चित्त (वि०) नियंत्रित मनवाला; ~व्रत (वि०) संयमी यगाना-[ फा० (वि०) 1 आत्मीय 2 अकेला, एकाकी | यतन-सं० (पु०) यत्न करना 3 अनुपम, बेजोड़ II (पु०) नातेदार
यतनीय-I सं० (वि०) यत्न करने योग्य यजन-सं० (पु०) 1 यज्ञ करना 2 यज्ञ स्थल
यतमान-सं० (वि०) यत्न करता हआ, चेष्टावान् यजमान-सं० (पु०) 1 यज्ञ करनेवाला व्यक्ति 2 ब्राह्मणों से यतात्मा-सं० (वि०) संयमी, यतव्रत धार्मिक कृत्य करानेवाला व्यक्ति (जैसे-आप हमारे पुराने यति-[ सं० (स्त्री०) 1 रोक, रुकावट 2 मनोविकार। ~भंग
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यति
(पु० ) 1 दोष युक्त छंद रचना 2 कविता के पढ़ने में विराम संबंधी काव्य दोष
यति - II सं० (पु० ) 1 जितेंद्रिय 2 संन्यासी 3 योगी । धर्म (पु० ) संन्यास
यतित्व-सं० (पु०) यति होने का भाव यतिनि-सं० (स्त्री०) 1 संन्यासिनी 2 विधवा
यती - I सं० (स्त्री०)
यति I
यति II
यती - II सं० ( पु० ) यतीम-अ० (पु० ) अनाथालय
अनाथ । खाना
यतीमी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) अनाथता यत्किंचित्-सं० ( क्रि० वि० ) थोड़ा सा कुछ
यत्न - सं० (पु० ) 1 कोशिश, प्रयत्न 2 उपाय, युक्ति 3 सुरक्षित रखना (जैसे-बड़े यत्न से पाला गया बच्चा, सामान को यत्न से रखना) 4 उपचार, चिकित्सा (जैसे- काफ़ी यत्न करने के बाद बच्चा बच पाया) 5 दिक़्क़त, कठिनता (जैसे-बड़े यत्न का काम है)। ~शील (वि०) = यत्नवान् यलवान् -सं० (वि०) प्रयत्नशील, सचेष्ट
यत्र - सं० ( क्रि० वि० ) 1 जहाँ 2 जब । तत्र ( क्रि० वि०) 1 जहाँ तहाँ, इधर उधर 2 ज़गह ज़गह
यत्रु - सं० (स्त्री०) छाती के ऊपर और गले के नीचे की मंडलाकार हड्डी, हँसली
यथांश - I सं० ( क्रि० वि०) 1 भाग के अनुकूल 2 यथायोग्य (जैसे - यथांश प्राप्त होना) II ( पु० ) निश्चित किया हुआ हिस्सा, कोटा
यथा-सं० ( क्रि० वि०) 1 जिस प्रकार 2 जैसे । कथित (वि०) जैसे पहले कहा गया हो; कर्तव्य ( क्रि० वि०) कर्तव्य के अनुसार; ~कर्म (क्रि० वि०) कर्म के अनुसार; ~ काम ( क्रि० वि०) मनमाने ढंग से कामी (पु०) मनमाना आचरण करनेवाला, स्वेच्छाचारी; ~कार्य ( क्रि० वि०) यथा कर्तव्य; ~ काल ( क्रि० वि०) समयानुसार; ~कृत (वि०) नियमानुसार किया हुआ; क्रम ( क्रि० वि०) क्रमानुसार जात (वि०) 1 मूर्ख 2 नीच; ज्ञान ( क्रि० वि०) ज्ञान के अनुसार; तथ + हिं० (वि०) ज्यों का त्यों, यथा तथ्य, हूबहू; ~ तथा ( क्रि० वि०) जैसे का तैसा ~ तथ्य ( वि०) ज्यों का त्यों; तथ्यवाद (पु० ) यह मत कि बात को ज्यों का त्यों वर्णित कर देना चाहिए: तथ्यवादी (वि०) बात को सच सच बतानेवाला; ~तथ्यात्मक (वि०) ज्यों का त्यों; तृप्ति ( क्रि० वि० ) जी भरकर ~ नियम ( क्रि० वि०) नियमानुसार न्याय I ( क्रि० वि०) न्यायानुसार II ( वि०) न्याय के अनुकूल (जैसे - यथान्याय सज़ा दी गई ); पूर्व ( क्रि० वि० ) पहले की तरह, हूबहू (जैसे-यथापूर्व करना); प्रयोग ( क्रि० वि०) प्रयोग के अनुसार, प्रीति ( क्रि० वि०) प्रेम के अनुरूप; ~ बल ( क्रि० वि०) शक्ति के अनुसार बुद्धि (क्रि० वि०) बुद्धि के अनुसार ~ भाग ( क्रि० वि० ) 1 हिस्से के मुताबिक़ 2 यथोचित; ~मति ( क्रि० वि० ) यथा बुद्धि; ~मूल्य ( क्रि० वि०) मूल्य के अनुरूप; ~यथ I ( क्रि० वि०) यथोचित रूप से II ( वि० ) यथोचित; योग्य I ( क्रि० वि०) यथोचित, मुनासिब II (पु०) पत्र
=
फ़ा० (पु० )
यथेच्छाचारी
व्यवहार में प्रयुक्त पात्रानुसार आशय सूचक शब्द - (वि०) प्रचलित प्रथा के अनुकूल (जैसे-यथारीति उत्सव ); ~ रुचि ( क्रि० वि०) रुचि के अनुसार रूप ( क्रि० वि०) = यथा कर्तव्य; ~लब्ध ( क्रि० वि०) प्राप्ति के अनुसार; ~लाभ ( क्रि० वि०) मिलने के अनुसार विधि (क्रि० वि०) विधिपूर्वक विहित ( क्रि० वि०) विधि विधान के अनुसार शक्ति ( क्रि० वि०) यथाबल; - शक्य ( क्रि० वि०) शक्ति के अनुरूप शीघ्र ( क्रि० वि०) जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी संभव ( क्रि० वि०) यथा शक्ति; ~समय ( क्रि० वि०) निश्चित समय पर ~साध्य ( क्रि० वि० ) यथा शक्ति स्थान ( क्रि० वि०) ठीक ज़गह पर स्थित (वि०) जिस रूप में अब तक चल रहा हो; स्थितिवाद (पु०) यह मंतव्य कि वस्तु को यथापूर्व स्थिति में रहने देना चाहिए; (वि०) यथा स्थितिवाद का समर्थक यथाख्यान - सं० ( पु० ) पहले जैसा कहना यथानुपूर्व-सं० ( क्रि० वि०) परंपरानुसार यथापराध-सं० (क्रि० वि०) अपराध के अनुसार
स्थितिवादी
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-- (जैसे - यथापराध दंड भुगतना ) यथापेक्षित-सं० (वि०) जैसी अपेक्षा थी यथाभिलाषित - I सं० (वि०) इच्छा के अनुरूप II ( क्रि० वि०) इच्छानुसार
यथाभिष्ट - I (वि०) इच्छा के अनुरूप II ( क्रि० वि०) इच्छानुरूप
यथार्थ सं० ( क्रि० वि०) 1 जैसा होना चाहिए ठीक वैसा (जैसे- यथार्थ दर्शन) 2 वाज़िब, उचित (जैसे - यथार्थ चित्रण) 3 सत्यपूर्वक (जैसे- यथार्थ ज्ञान, यथार्थ दृष्टि ) । ता (स्त्री०) 1 यथार्थ होने का भाव 2 सत्यता, सचाई 3 वास्तविकता (जैसे-प्रेम की यथार्थता से मुख मोड़ना); दर्शिता (स्त्री०) यथार्थ रूप में देखना; परक ( क्रि० वि०) वास्तविकता पर आधारित; ~वाद (पु० ) यह सिद्धांत कि किसी चीज़ को उसके वास्तविक रूप में ही वर्णित किया जाए; ~वादिता (स्त्री०) यथार्थवादी होने का भाव; वादी I ( वि०) यथार्थवाद संबंधी II ( पु० ) यथार्थवाद का अनुयायी
यथार्थतः सं० ( क्रि० वि०) 1 वस्तुतः सचमुच 2 यथानुरूप यथार्थोन्मुख -सं० (वि०) = यथार्थपरक यथार्ह - सं० (वि०) यथायोग्य, उपयुक्त यथावकाश-सं० ( क्रि० वि०) अवसर के अनुसार यथावत्-सं० ( क्रि० वि०) 1 ज्यों का त्यों, जैसे का तैसा 2 अच्छी तरह से (जैसे- यथावत् संपन्न कार्य) यथावश्यकता-सं० (क्रि० वि०) आवश्यकता के अनुरूप यथावसर -सं० ( क्रि० वि०) अवसर के अनुसार यथावस्थित-सं० ( क्रि० वि०) 1 जैसा था वैसा ही 2 अचल, स्थिर
=
यथास्व-सं० (वि०) यथार्थ
यथेच्छ - सं० ( क्रि० वि०) इच्छा के अनुरूप, मनमाने ढंग से (जैसे-यथेच्छ कार्य करना)
=
यथेच्छाचार-सं० (पु० ) मनमाना काम करना यथेच्छाचारी-सं० (वि०) मनमौजी
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यथेच्छित
यथेच्छित-सं० (वि०) मनचाहा यथेप्सित-सं० (वि०) = यथेच्छ यथेष्ट-सं० (वि०) जितना चाहिए उतना (जैस- यथेष्ट धन, यथेष्ट सम्मान)
यथेष्टाचरण, यथेष्टाचारसं० (पु०) मनमाना आचरण यथेष्टाचारी-सं० (वि०) मनमाना आचरण करनेवाला यथोक्त-सं० ( क्रि० वि०) कहे हुए के अनुसार । कारी (वि० ) 1 शास्त्रानुसार काम करनेवाला 2 आज्ञापालक यथोचित सं० (वि०) जैसा चाहिए वैसा (जैसे-यथोचित कर्म, यथोचित सम्मान)
यदा -सं० ( क्रि० वि०) 1 जिस समय, जब 2 जहाँ। ~ कदा ( क्रि० वि०) जब तब, कभी-कभी
यदि - सं० ( क्रि० वि०) अगर, जो
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यदुनंदन - सं० ( पु० ) कृष्ण कन्हैया यदुराज - सं० (पु०) यदुवंश के राजा श्रीकृष्ण यदुवंश -सं० (पु०) यदु का वंश
यदुवंशी - I सं० (वि०) यदु वंश का II ( पु०) श्रीकृष्ण यदृच्छया-सं० ( क्रि० वि०) 1 अकस्मात् अचानक 2 इत्तफ़ाक़ से 3 मनमाने ढंग से
यमक - सं० ( पु० ) साहि० शब्दालंकार का एक भेद जिसमें एक शब्द की अनेक बार आवृत्ति होने पर भी सबका विभिन्न अर्थ होता है
यमनी - I अ० (स्त्री०) एक क़ीमती पत्थर, रत्न II ( वि० ) यमन देश संबंधी III ( पु० ) 1 यमन देश का निवासी 2 यमन देश की कृति
यमल - I सं० (पु०) जुड़वाँ या युग्म संतान II (वि०) जुड़वाँ यमली -सं० (स्त्री०) 1 जोड़ी 2 घाघरा और चोली (जैसे-यमली पोशाक)
यदृच्छा-सं० (स्त्री०) 1 स्वेच्छानुसार किया गया व्यवहार, मनमानापन 2 आकस्मिक संयोग, इत्तफ़ाक़ यद्यपि सं० ( क्रि० वि०) अगर ऐसा है भी यद्वा तद्वा-सं० ( क्रि० वि०) 1 जब तब 2 कभी कभी 3 जैसे तैसे, किसी प्रकार
यम - सं० ( पु० ) 1 मृत्यु के देवता (जैसे-यमराज) 2 यमराज (जैसे-यम वाणी) । ~घंट (पु० ) 1 दीपावली का दूसरा दिन 2 एक दुष्ट योग; ज, जात (वि०) जुड़वाँ II (पु०) जुड़वाँ बच्चे दूत (पु० ) यम का दूत; दूतिका (स्त्री०) इमली ~ द्वितीया (स्त्री०) भैयादूज; ~ धार ( पु० ) दुधारी तलवार; पाश (पु०) यम की फाँस; ~पुर (पु०) यमलोक ~ राज (पु०) यमों के राजा; ~लोक (पु० ) 1 वह लोक जहाँ मृत्यु के बाद मनुष्य आदि प्राणी जाते हैं। 2 नरक; व्रत (पु० ) राजा का दंड विधान; यमपुर पहुँचाना मार डालना
यमारि-सं० ( पु० ) विष्णु
यमी - I सं० (स्त्री०) यमुना (नदी) (पु० ) संयमी यरक़ान - अ० (५०) चि० कमल (रोग) यरक्रानी - अ० (पु० ) कमल रोग से ग्रस्त व्यक्ति यव-सं० (पु० ) 1 जौ 2 जौ का पौधा 3 एक जौ की तौल । ~ चतुर्थी (स्त्री०) वैशाख शुक्ला चतुर्थी; दोष (पु० ) रत्नों को सदोष करनेवाली यवाकार रेखा; ~नाल (पु० )
यही
1 जौ के सूखे डंठल 2 जुआर का पौधा 3 जुआर का दाना; ~मंड (पु०) जौ का मॉंड; ~ मंथ (पु० ) जौ का सत्तू; ~ रस (पु०) जौ आदि अनाज के दानों को पानी में फुलाकर उसका निकाला गया सार भाग; शर्करा (स्त्री०) जौ से बनाई गई चीनी
यवक - सं० (पु० ) जौ
यवक्षार सं० (पु० ) जवाखर
यवन - I सं० (पु०) 1 तेज़ घोड़ा 2 वेग, तेज़ी II 1 यूनान का निवासी, मुसलमान 2 कालयवन नामक राजा यवनानी सं० (वि०)
=
यूनानी
यवनिका -सं० (स्त्री०) 1 परदा 2 रंगमंच का परदा । पट (पु० ) पर्दे का कपड़ा
यवनी - सं० (स्त्री०) 1 यूनान देश की स्त्री 2 यवन जाति की स्त्री 3 मुसलमान औरत
यवागू-सं० (पु० )
यवमंड
यविष्ठ - I सं० (पु० ) 1 छोटा भाई 2 अग्नि II (वि०) 1 सबसे छोटा, कनिष्ठ 2 युवा, नौजवान
मानना
यश-सं० (पु० ) 1 ख्याति, प्रसिद्धि (जैसे यश प्राप्त होना, यश मिलना ) 2 प्रशंसा, महिमा (जैसे यश कामना, यश गाना) । ~ गाना 1 प्रशंसा करना 2 कृतज्ञ होना; मानना उपकार यशदीकरण - सं० (पु० ) लोहे आदि धातुओं को जंग से बचाने हेतु उनपर विद्युत आदि की सहायता से जस्ते का पानी चढ़ाना यशम - अ० (पु० ) एक प्रकार का हरा पत्थर, संगे यशब यशस्कर -सं० (वि०) यशदायक यशस्काम -सं० (वि०) यश कामी
यशस्वान्सं० (वि०) यशवाला यशस्विनी -सं० (स्त्री०) ख्याति प्राप्त स्त्री यशस्वी -सं० (वि०) सुख्यात, कीर्तिमान् यशार्जन -सं० (पु०) यश प्राप्त करना यशी-सं० + हिं० (वि०) = यशस्वी यशोगाथा - सं० (स्त्री०) कीर्तिगान, गौरवकथा यशोगान - सं० ( पु० ) यश की कथा यशोघ्न सं० (वि०) यश का नाश करनेवाला यशोदा -सं० (स्त्री०) 1 नंद की पत्नी 2 दिलीप की माँ का नाम । नंदन (पु०) कृष्ण यशोलिप्सा-सं० (स्त्री०) कीर्ति पाने की लालसा यष्टि-सं० (स्त्री०) 1 लाठी, छड़ी 2 पताका का डंडा 3 डाल, शाखा 4 मोतियों का हार । यंत्र ( पु० ) समयं बतानेवाली ज़मीन में गाड़ी गई खूँटी
यष्टिका -सं० (स्त्री०) 1 छोटी छड़ी 2 छोटी माला यष्टी -सं० (स्त्री०) गले में पहनने का एक प्रकार का हार यसार - अ० (पु० ) अधिक
यह - I (सर्व०) निकटस्थ वस्तु का निर्देशक सर्वनाम (जैसे- यह तो मेरी क़लम II (वि०) 'यह' के साथ संज्ञा होने पर विशेषण (जैसे यह मकान )
यहाँ - ( क्रि० वि० ) इस स्थान पर, इस जगह । वहाँ ( क्रि० वि०) इधर-उधर
यहीं - ( क्रि० वि० ) इसी जगह
यही - ( क्रि० वि०) निश्चित रूप से, यह ही
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यहद
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यादृच्छिक
पैसा
लाल
यहूद-अ० (पु०) यहूदी लोग
3 भूतकाल। न्याम (वि०) पुराना यहदिन-अ० + हिं० (स्त्री०) यहूदी की स्त्री
यातन-सं० (पु०) 1 बदला, परिशोध 2 इनाम, पारितोषिक यहूदी-[ अ० (पु०) 1 यहूद देश का निवासी 2 इस देश की | यातना-सं० (स्त्री०) कष्ट (जैसे-मानसिक यातना, घोर शामी जाति II (वि०) यहूद देश का III (स्त्री०) यहूद देश | यातना)। ~दायी (वि०) यातना देनेवाला की भाषा
याता-[सं० (स्त्री०) 1 पति के भाई की स्त्री, जेठानी 2 देवरानी यांचा-(स्त्री०) याचना, माँगना
II सं० (वि०) जानेवाला यांत्रिक-I सं० (वि०) 1 यंत्र संबंधी 2 यंत्रवत् चलनेवाला II यातायात-सं० (पु०) 1 आना जाना, गमनागमन 2 आने जाने (पु०) मशीनों का रहस्य जाननेवाला कारीग़र
का साधन (जैसे-यातायात समाप्त करना, यातायात को काट यांत्रिकी-सं० (स्त्री०) यंत्र संबंधी ज्ञान और कला आदि देना)। जाल (पु०) आवागमन के साधनों का प्रसार; (जैसे-विद्युतीय यांत्रिकी, खगोलीय यांत्रिकी)
-नियम (पु०) आने जाने से संबद्ध नियम; ~पुलिस + यांत्रीकरण-सं० (पु०) = यंत्रीकरण
अं० (स्त्री०) चौराहे आदि पर खड़ा मार्ग निर्देशक सरकारी या-I फ़ा० (अ०) विकल्प सूचक शब्द, अथवा (जैसे-पढ़ो कर्मचारी; ~मार्ग (पु०) आने जाने का रास्ता; विभाग या सो जाओ)
(पु०) यातायात संबंधी एक सरकारी कार्यालय; साधन या-II अ० (अ०) संबोधन सूचक हे, ऐ (जैसे-या इलाही) (पु०) आने जाने का साधन, आवागमन का उपाय प्रबंध; याक-(पु०) तिब्बत और मध्य एशिया में होनेवाला जंगली सूचक (पु०) आवागमन की सूचना देनेवाला
यातु-I सं० (वि०) 1 आनेवाला 2 पथिक II (पु०) 1 राक्षस याकूत-अ० (पु०) लाल रंग का एक बहुत क़ीमती पत्थर, 2 काल
यातुधान-सं० (पु०) राक्षस, निशाचर याक़ती-[अ० + फ्रा० (वि०) याक़त का II (स्त्री०) याक़त यात्रा-सं० (स्त्री०) 1 एक स्थान से अन्य स्थान को जाना की भस्म युक्त एक अवलेह
(जैसे-रेल द्वारा यात्रा, बस यात्रा) '2 प्रस्थान, प्रयाण याक्ष्मिक-सं० (वि०) यक्ष्मा का
(जैसे-तीर्थयात्रा, रण यात्रा) 3 देव मंदिर को पूजन, दर्शन याधिमकी-सं० (स्त्री०) चिकित्सा की वह शाखा जिसमें यक्ष्मा आदि के उद्देश्य से जाना 4 व्यवहार (जैसे-जोवन यात्रा) की रोक-थाम के बारे में विवेचन होता है
5 उत्सव (जैसे-राम लीला की यात्रा) । ~प्रसंग (पु०) तीर्थ याग-सं० (पु०) = यज्ञ
यात्रा; ~भत्ता + हिं० (पु०) यात्रा का खर्च; ~वर्णन याचक-[ सं० (वि०) 1 माँगनेवाला 2 प्रार्थी II (पु०) (पु०) यात्रा का वृत्तांत; विमान (पु०) यात्री विमान; भिक्षुक, भिखारी
विवरण (पु०) यात्रा वर्णन याचन-सं० (पु०) 1 भीख मांगना 2 नम्रता पूर्वक कुछ माँगना यात्रावल-सं० + हिं० (पु०) देवदर्शन करानेवाला पंडा याचना-I (स० क्रि०) माँगना II सं० (स्त्री०) प्रार्थना करना | यात्रिक-I सं० (पु०) 1 यात्रा करनेवाला व्यक्ति, यात्री 2 सफ़र (जैसे-ईश्वर से याचना करना, देव याचना)
का सामान II (वि०) 1 यात्रा का 2 परंपरागत याचमान-सं० (वि०) याचक .
यात्री-सं० (पु०) यात्रा करनेवाला, मुसाफ़िर । ~गाड़ी + हिं० याचिका-सं० (स्त्री०) आवेदन पत्र, प्रार्थना पत्र
(स्त्री०) सवारी गाड़ी; जहाज़ + अ० (पु०) यात्रियों को याचित-सं० (वि०) 1 माँगा हुआ 2 प्रार्थित
ले जानेवाला जहाज़; निवास (पु०) मुसाफिरों के रहने की याचितक-सं० (पु०) मँगनी की वस्तु
जगह; बंधु (पु०) सहयात्री; विमान (पु०) यात्रियों याचिता-सं० (पु०) 1भिखारी 2 प्रार्थी
को ले जानेवाला हवाई जहाज़ याचिष्णु-सं० (वि०) प्रायः याचना करनेवाला
याथातथ्य-सं० (पु०) = यथार्थता याच्य-सं० (वि०) याचना के योग्य
यथार्थ्य-सं० (पु०) 1 यथार्थ होने का भाव 2 उपयुक्तता याजक-सं० (पु०) यज्ञ करने या करानेवाला
याद-फा० (स्त्री०) स्मरण, स्मृति। ~अल्ला + अ० (स्त्री०) याजन-सं० (पु०) यज्ञ करना या कराना
खुदा की याद, ईश स्मरण; ~आवरी (स्त्री०) याद करना, याजी-सं० (वि०) यज्ञ करनेवाला
हाल-चाल जानना; ~गार (स्त्री०) स्मारक, स्मृति चिह्न याजुष-I सं० (वि०) यजुर्वेद संबंधी II (पु०) य
दाश्त (स्त्री०) 1 स्मरण 2 स्मरण शक्ति ; होना जान ज्ञाता, यजुर्वेद का अनुयायी
पहचान होना; ~करोगे स्मरण करोगे, पछताओगे; किया याजूज माजूज-अ० (पु०) 1 हजनूह वंश के याजूज और | है बुलाया है; ~फ़रमाना उच्चपदाधिकारी का किसी को माजूज नाम के दो भाई और उनकी संतान 2 दो अत्यंत उपद्रवी बुलाना और दुष्ट व्यक्तियों का जोड़ा
यादव-I सं० (पु०) 1 यदु का वंशज 2 श्रीकृष्ण II (वि०) याज्य-I सं० (वि०) यज्ञ के योग्य II (पु०) यज्ञ में प्राप्त यदु संबंधी, यदु का दक्षिणा
यादवी-(स्त्री०) यदु कुल की स्त्री याज्ञ-सं० (वि०) = यज्ञीय
यादवीय-सं० (वि०) यादव संबंधी 2 देश जाति का आपसी याज्ञिक-सं० (पु०) 1 यज्ञ करने या करानेवाला व्यक्ति | लड़ाई झगड़ा 2 गुजराती ब्राह्मणों की एक जाति
यादृच्छिक सं० (वि०) 1 स्वतंत्र 2 ऐच्छिक 3 अप्रत्याशित । यात-I सं० (वि०) 1 गत 2 व्यतीत II (पु०) 1 गमन 2 कूच | ~आधि बिना ऋण शोध के न लौटाई जानेवाली गिरवी वस्तु
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स
यान
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युक्लिएस यान-सं० (पु०) 1 सवारी, घोड़ा गाड़ी आदि वाहन 2 आकाश | मित्र द्रोह; ~मारी + हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 धोखेबाज़ी यान, विमान। ~तोड़क + हिं० (वि०) विमान तोड़नेवाला | 2 मित्र द्रोह (जैसे-यान तोड़क तोप); ~भंग (पु०) पोतभंग; ~भत्ता | यारकंद-तु० (पु.) 1कालीन में बनाया जानेवाला एक प्रकार + हिं० (पु०) सवारी अलाउंस
का बेल बूटा 2 चीनी तुर्किस्तान का एक प्राचीन नगर यानांतरण-सं० (पु०) यान बदलना, सवारी या गाड़ी बदलना | यारनी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) महिला मित्र यानी-अ० (अ०) अर्थात् मतलब यह है
याराना-[ फ़ा० (पु०) 1 यार होने का भाव, दोस्ती 2 पर स्त्री याने-अ० (अ०) यह आशय है कि
और पर पुरुष का अनुचित प्रेम या संबंध II (वि०) मित्रता यापक-सं० (पु०) (समय) व्यतीत करनेवाला
का यापन-सं० (पु०) 1 चलाना 2 व्यतीत करना, गुज़ारना यारी-फ़ा० (स्त्री०) 1 मित्रता 2 स्त्री पुरुष का अनुचित संबंध (जैसे-जीवन यापन) 3 निपटाना
| (जैसे-यारी गाँठना, यारी करना) यापना-सं० (स्त्री०) 1 हाँकना 2 व्यवहार 3 जीविका निर्वाह यार्ड-अं० (पु.) प्रांगण, अहाता (जैसे-रेलवे यार्ड) हेतु दिया गया धन
यान-अंक (पु०) धागा, तागा, डोरा यापित-सं० (वि०) व्यतीत किया हुआ
याल-तु० (स्त्री०) 1 गरदन 2 घोड़े की गरदन पर के लंबे बाल याप्य-सं० (वि०) 1 यापन योग्य 2 गोपनीय
| याव-[ सं० (वि०) 1यव संबंधी, यव का 2 यव का बना II यात, याफ़्ता-फ़ा० (स्त्री०) 1 प्राप्ति 2 आय, आमदनी | (पु०) जौ का सत्तू 3 लाभ (जैसे-याफ़्त का माल)
यावजन्म-सं० (क्रि० वि०) सारा जीवन, जीवन भर याप्रतनी-फ़ा० (वि०) 1 मिलनेवाला 2 प्राप्त करने योग्य यावजीवन-सं० (क्रि० वि०) जन्म भर, आजीवन याफ़्ता-फ़ा० (वि०) 1पाया हुआ (जैसे-सज़ा याफ्ता) यावत्-[ सं० (वि०) 1जितना 2 सब II (क्रि० वि०) जहाँ
2 विशेष अनुभव, ज्ञान पाया हआ (जैसे-तालीम याफ्ता) तक याब-फ़ा० (पु०) 1 पानेवाला 2 मिलनेवाला
यावन-सं० (वि०) 1 यवन संबंधी, यवनों का 2 मुसलमानों याबू-फ़ा० (पु०) 1 टट्ट 2 छोटा घड़ा
का याम-I सं० (पु०) 1 तीन घंटे का समय, पहर 2 काल, समय यावनक-सं० (पु०) लाल रेंड II (वि०) यम संबंधी III (स्त्री०) यामि, रात। ~घोषा यावर-फा० (वि०) सहायक, मददगार (स्त्री०) घड़ियाल, ~वृत्ति (स्त्री०) 1 रात में पहरा देने का | यावरी-फा० (स्त्री०) सहायता, मदद काम 2 पहरा देने का पारिश्रमिक
यावा-फ़ा० (वि०) बेहूदा, अनर्गल यामल-सं० (पु०) 1 जुड़वाँ बच्चे 2 तंत्र शास्त्र का एक ग्रंथ यासमन, यासमीन-फ़ा० (स्त्री०) चमेली का फूल यामवती-सं० (स्त्री०) रात, निशा
यियक्षु-सं० (वि०) यज्ञ का इच्छुक यामा-सं० (स्त्री०) रात, निशा
यियप्सु-सं० (वि०) संभोग का इच्छुक यामाता-सं० (पु०) जामाता, दामाद
यियासा-सं० (स्त्री०) जाने की इच्छा यामार्द्ध-सं० (पु०) पहर का आधा भाग
यियासु-सं० (वि०) जाने को इच्छुक यामि-सं० (स्त्री०) 1कुल वधू, कुल स्त्री 2 बहन 3 रात, रात्रि | यीशु-(पु०) ईसामसीह यामिक-सं० (पु०) रात में पहरा देनेवाला व्यक्ति युक्त-सं० (वि०) 1 जुड़ा हुआ 2 सम्मिलित 3 नियुक्त यामिका-सं० (स्त्री०) रात
4 संपन्न। -कर्मा (वि०) जिसे काम सौंपा गया हो; ~मना यामिनी-सं० रात्रि, रात
(वि०) 1 दत्तचित 2 सावधान; रसा (स्त्री०) 1 गंधयामुन-I सं० (वि०) 1 यमुना संबंधी 2 यमुना में होनेवाला II नाकुली 2 रासना; रूप (वि०) उचित ~वाद (पु०) (पु०) यमुना तट के निवासी, रहनेवाले
उचित बात; ~वादी (वि०) उचित बात कहनेवाला यामेय-सं० (पु०) 1 यामिका पुत्र 2 भांजा
युक्ताक्षर-सं० (पु०) संयुक्त वर्ण याम्य-सं० (वि०) 1 यम का 2 दक्षिणी। द्रुम (पु०) सेमल युक्तार्थ-सं० (वि०) 1 अर्थयुक्त 2 अर्थगर्भ 3 ज्ञानी का पेड
युक्ति-सं० (स्त्री०) 1मिलन, योग 2 ढंग, तरक़ीब 3 उचित याभ्या-सं० (स्त्री०) दक्षिण दिशा।
विचार, दलील 4 कौशल, चातुरी 5 साहि० अर्थालंकार का याम्यायन-सं० (पु०) दक्षिणायन
एक भेद जिसमें किसी रहस्य को छिपाने की कला कौशल का याम्योत्तर-सं० (वि०) दक्षिण से उत्तर की ओर होनेवाली उल्लेख रहता है। ~कर (वि०) = युक्तिपूर्ण; निपुण (जैसे-याम्योत्तर रेखा)
(वि०) युक्ति में कुशल; पूर्ण (वि०) विचार पूर्ण, तर्क से यायावर-सं० (पु०) घूमने फिरनेवाला आदमी, घुमक्कड़ भरा; मूलक (वि०) विचार से युक्त; युक्त (वि०) यायावरी-सं० (स्त्री०) घुमक्कड़ी
1 चित 2 चतुर 3 प्रमाणित; ~वाद (पु०) बुद्धि को प्रधान यार-फा० (पु०) 1 मित्र, दोस्त 2 प्रेमी। बाज़ (वि०) मानने का मत; ~वादी I (वि०) युक्तिवाद संबंधी II सबसे दोस्ती करनेवाला; बाज़ी (स्त्री०) यार-दोस्त बनाने (पु०) युक्तवाद का समर्थक; विरुख (वि०) तर्क के का काम; बाश (वि०) = यारबाज़; ~मंद (पु०) सच्चा विरुद्ध, तर्क विरोधी; ~शाख (पु०) तर्क शास्त्र; ~संगत मित्र; ~मंदी (स्त्री०) सच्ची मित्रता; ~मार + हिं० (वि०) (वि०) = युक्तिपूर्ण
युक्लिएस-अं० (पु०) = युकेलिएस
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युगंकर 683
युद्ध पुगेकर-सं० (वि०) युग प्रवर्तक
2 जोड़े हाँकनेवाला युग-I सं० (पु०) 1काल, समय (जैसे-ऐतिहासिक युग, | युज्य-I सं० (पु०) संयोग, मिलाप II (वि०) 1 मिला हआ प्राचीन युग) 2 काल गणना के अनुसार कल्प के चार उप | 2 मिलाने योग्य 3 उचित विभागों में से हर एक (जैसे-सत्य युग, कलि युग आदि)। युत-सं० (वि०) मिला या मिलाया हुआ, युक्त
~क्षय (पु०) युग का अंत; चेतना (स्त्री०) काल विशेष युतक-सं० (पु०) 1 जोड़ा, युग्म 2 आँचल 3 संदेह, संशय की विशिष्ट प्रवृत्ति; ~धर्म (पु०) समयानुकूल आचरण; | युति-० (स्त्री०) 1 मिलना, सटना 2 योग 3 नाधा'
द्ध (वि०) 1 स्त्री पुरुष रूप 2 आलिंगन बद्ध; (जैसे-जूआ और हरिस को जोड़ने की युति) परिवर्तनकारी (वि०) = युग प्रवर्तक; पुरुष (पु०) | युद्ध-सं० (पु०) 1 रण, संग्राम (जैसे-दो देशों का युद्ध, कौरव युग का महान् व्यक्ति; प्रतीक (पु०) युग का प्रतिनिधि, और पांडव का युद्ध) 2 आपस में होनेवाली लड़ाई (जैसे-गदा श्रेष्ठतम व्यक्ति; प्रवर्तक (वि०) युग को आरंभ युद्ध, वाक् युद्ध)। ~अपराधी (पु०) युद्ध का दोषी, करनेवाला (जैसे-भारतेंदु को आधुनिक हिंदी का युगप्रवर्तक मुज़रिम; ~अभ्यास (पु०) युद्ध का अभ्यास, युद्ध सीखना; कहा जाता है); बाहु (वि०) लंबी भुजावाला; युगांतर कला (स्त्री०) = युद्ध कौशल; ~काररवाई + फ़ा० (पु०) अनेक युग (जैसे-युग युगांतर तक जीना); (स्त्री०) = युद्ध कार्रवाई; ~कारी (वि०) युद्ध करनेवाला,
विधायक (वि०) = युग प्रवर्तक; -विभाजन (पु०) युद्धरत; ~कार्य (पु०) युद्ध का काम; ~कार्रवाई + फ़ा० काल का वर्गीकरण
(स्त्री०) युद्ध में किया गया काम; ~कारी (वि०) युद्धरत; युग-II सं० (पु०) जोड़ा, युग्म
काल (पु०) युद्ध का समय; ~कालीन (वि०) युद्ध युगपत्-I सं० (अ०) एक ही समय में, साथ-साथ II | काल का (जैसे-युद्ध कालीन घटना); ~कौशल (पु०)
(वि०) एक ही समय में और एक साथ होनेवाला युद्ध की कुशलता, निपुणता; ~क्षमता (स्त्री०) युद्ध की युगल-सं० (पु०) एक साथ और एक ही गर्भ से उत्पन्न दो सामर्थ्य, शक्ति; ~क्षेत्र (पु०) रण भूमि; ~क्षेत्रीय (वि०) जीव, युग्म। गान (पु०) दो से एक साथ गाया जानेवाला रणभूमि से संबद्ध; ~खर्च + फ़ा० (पु०) युद्ध व्यय; गीत; बंदी (विशेषतः संगीत में) जोड़ा बनाना; शब्द खोर + फ़ा० (पु०) योद्धा; ~घोषणा (स्त्री०) युद्ध का (पु०) जोड़ा शब्द
एलान; जर्जर (वि०) युद्ध से पीड़ित, क्षत; ज्वर युगलक-सं० (पु०) 1 जोड़ा 2 साहि० पद्यों का वह जोड़ा (पु०) युद्ध की गर्मी, लड़ाई का जोश; तत्पर (वि०) = जिसका अन्वय एक साथ हो
युद्धशाली; तैयारी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) युद्ध के लिए युगांत-सं० (पु०) 1 युग का अंत 2 युग का अंतिम समय तैयार होना; नीति (स्त्री०) युद्ध संचालन के आधारभूत 3 प्रलय
सिद्धांत; परिषद् (स्त्री०) = युद्ध समिति; ~पीड़ित युगांतक-सं० (पु०) 1 प्रलय 2 प्रलयकाल
(वि०) युद्ध ग्रस्त (जैसे-युद्ध पीड़ित क्षेत्र); पोत (पु०) युगांतर-सं० (पु०) 1 दूसरा युग 2 दूसरा समय । -कारिणी युद्ध का जहाज़; ~पोषक (वि०); ~प्रचार (पु०) युद्ध (स्त्री०) दूसरा युग लानेवाली; ~कारी (वि०) दूसरा युग फैलाना, युद्ध बढ़ाना; प्रदेश (पु०) युद्ध क्षेत्र प्रवण लानेवाला
(वि०) युद्ध में लगा हुआ; प्रवीण (वि०) युद्ध में दक्ष, युगांशक-[ सं० (पु०) वर्ष, साल II (वि०) युग का कुशल; ~प्राप्त I (वि०) युद्ध में पकड़ा गया, पाया गया विभाजक
(जैसे-युद्ध प्राप्त सामग्री) II (पु०) युद्धबंदी; प्रिय युगादि-I सं० (पु०) 1 सृष्टि का आरंभ 2 युग का आरंभ II (वि०) युद्ध का प्रेमी, युद्धक; ~प्रेमी (पु०) - युद्ध लिप्सु; (वि०) 1 युग के आरंभ का 2 अत्यंत प्रचीन
~बंदी (पु०) युद्ध में शत्रुपक्ष का पकड़ा गया व्यक्ति, युगाद्या-सं० (स्त्री०) युगारंभ की तिथि (जैसे-वैशाख शुक्ल सैनिक; ~बंदी + फ़ा० (स्त्री०) युद्ध बंद होना; ~बल तृतीया, कार्तिक शुक्ल नवमी, भाद्र कृष्णा त्रयोदशी और पौष (पु०) = युद्ध शक्ति; ~भूमि (स्त्री०) युद्ध क्षेत्र; अमावस्या क्रमशः सत्ययुग, त्रेतायुग, द्वापर युग और कलियुग ~मंत्रालय (पु०) युद्ध क्षेत्र संबंधी परामर्श करने का एक के आरंभ की तिथि है)
विभाग; ~मैदान + अ० (१०) युद्ध का क्षेत्र; ~मोर्चा + युगानुरूप-सं० (क्रि० वि०) युग के अनुसार
फ़ा० (पु०) वह स्थान जहाँ से शत्रु से लड़ाई की जाती है; युगारंभ-सं० (पु०) युग की शुरुआत, युग का आरंभ योग्य (वि०) लड़ाई के योग्य; रंग (पु०) रणभूमि; युगावतार-सं० (पु०) युग का अवतारी महान् पुरुष
रेखा (स्त्री०) युद्ध की सीमा; लिप्स (वि०) युद्धरत; युग्म, युग्मक-सं० (पु०) 1 जोड़ा 2 अन्योन्याश्रय संबद्ध युक्त -लिप्सा (स्त्री०) युद्ध करने की इच्छा; लिप्सु (पु०) वस्तुएँ 3 युगलक
युद्ध का इच्छुक व्यक्ति; ~लोलुप (वि०) - युद्ध शाली; युग्मज-I सं० (पु.) एक ही समय में एक ही गर्भ से उत्पन्न दो -विद्या (स्त्री०) रणशास्त्र; विनष्ट (वि०) युद्ध में जीव II (वि०) जोड़े के रूप में उत्पन्न
बर्बाद; विरति (स्त्री०) युद्ध से अलग होना; विराम युग्मन-सं० (पु०) 1 दो वस्तुओं को मिलाकर रखना 2 युग्म (पु०) युद्ध रोकना (जैसे-युद्ध विराम की घोषणा); बनाना
-विराम संधि (स्त्री०) युद्ध बंद करने का समझौता; युग्मेच्छा-सं० (स्त्री०) संभोग की इच्छा
-विरोधी (वि०) युद्ध का विरोध करनेवाला; विशेषज्ञ यग्य-[ सं० (पु.) 1 दो बैल या घोड़ों से जुती गाड़ी 2 जोड़ी | (वि०) युद्ध का अच्छा जानकार; ~वीर (पु०) रणयोद्धा; II (वि०) जोते जाने योग्य। ~वाह (पु०) 1 गाड़ीवान | वीरता (स्त्री०) लड़ाई करने में बहादुरी; ~व्यय (पु०)
प्रलय
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युद्धक
युद्ध का खर्च व्यवसायी (पु० ) युद्ध संबंधी धंधे करनेवाला; ~ व्यसनी (पु०) लड़ाई का अभ्यस्त व्यक्ति; ~ शक्ति (स्त्री०) युद्ध करने की क्षमता, ताक़त; ~शाली (वि०) युद्ध प्रेमी; ~ शास्त्र (पु० ) = युद्ध विद्या; ~ शिक्षा (स्त्री०) युद्ध की शिक्षा, युद्ध कला सिखाना; ~ शिक्षा प्राप्त (वि०) जिसे युद्ध शिक्षा मिली हो; ~ शिविर (पु०) युद्ध के समय रणभूमि के क़रीब डाला गया सैनिक पड़ाव; ~ संचालन (पु० ) 1 युद्ध का नियंत्रण करना 2 युद्ध को गति प्रदान करना; संवाददाता (पु० ) युद्ध के समाचार भेजनेवाला; ~ सज्जा (स्त्री०) युद्ध सामग्री; ~सन्नद्धता (स्त्री०) युद्ध की तैयारी; ~सामग्री (स्त्री०) युद्ध का सामान; ~ सिंहावलोकन (पु० ) युद्ध में मुड़कर देखना; ~ स्थगन (पु० ) युद्ध विराम ~ स्थल (पु० ) = युद्ध
क्षेत्र
युद्धक-सं० ( पु० ) 1 योद्धा 2 युद्ध (जैसे-युद्धक विमान) युद्धमय सं० (वि० ) युद्धशाली युद्धमान् -सं० (वि०) = युद्ध करनेवाला युद्धरत-सं० (वि०) युद्ध में लगा हुआ
युद्धाचार्य-सं० ( पु०) युद्ध की शिक्षा देनेवाला शिक्षक, आचार्य
युद्धात्मक-सं० (वि०) युद्ध संबंधी
युद्धापराधी-सं० (पु० )
युद्ध अपराधी
युद्धाभ्यास-सं० (पु० ) युद्ध अभ्यास युद्धायोजन - सं० (पु० ) युद्ध का प्रबंध युद्धारंभ - सं० (५०) युद्ध की शुरुआत युद्धावसान-सं० (पु० ) = युद्ध विराम युद्धास्त्र - सं० ( पु० ) युद्ध के हथियार युद्धोत्तर - सं० (वि०) युद्ध के बाद का युद्धोत्तेजक - सं० (पु० ) युद्ध लिप्सु युद्धोत्तेजन-सं० (पु०) युद्धोत्तेजना सं० (स्त्री०) युद्ध को
=
=
भड़काना
युद्धोद्देश्य - सं० ( पु० ) युद्ध का लक्ष्य युद्धोन्मत्त-सं० (वि०) युद्ध में उन्मत्त युद्धोन्माद - सं० ( पु०) युद्ध का नशा युद्धोन्मुख -सं० (वि०) = युयुत्सु युद्धोपकरण-सं० (पु० ) युद्ध सामग्री युद्धोपयोगी - सं० (वि०) युद्ध के लिए उपयोगी
युधान-सं० ( पु० ) 1 योद्धा 2 शत्रु युधिष्ठिर-सं० (पु० ) कुंती से उत्पन्न राजा पांडु के सबसे बड़े
पुत्र
युध्म-सं० ( पु० ) 1 युद्ध, संग्राम 2 धनुष बाण 3 अस्त्र-शस्त्र 4 योद्धा
युयुत्सा - सं० (स्त्री०) 1 युद्ध की प्रबल अभिलाषा 2 दुश्मनी, शत्रुता
युयुत्सु - सं० ( पु० ) योद्धा
युरेशियन - अ० (पु० ) यूरोप और एशिया का संकर व्यक्ति
युरोप निवासी - अं० + सं० ( पु० ) यूरोप का रहनेवाला, यूरोप का निवासी युरोपवाला-अं०
+
हिं० ( पु० ) युरोप का रहनेवाला
684
यूरोपियन
युरोपियन - I अं० (वि०) यूरोप संबंधी II (पु०) युरोप का निवासी
युरोपीय-अं० + सं० (वि०) युरोप का
युवक - सं० (पु०) नौजवान व्यक्ति । ~आंदोलन (पु०) युवक क्रांति संघ (पु०) नौजवान व्यक्तियों का समूह; ~ समुदाय (पु० ) = युव जन; ~साम्यवादी दल (पु० ) = युवा कम्यूनिस्टलीग युवगंड-सं० (पु०) मुहाँसा युवजन-सं० (पु० ) नवयुवक और नवयुवतियों का समूह या वर्ग
युवती - I सं० (स्त्री०) जवान स्त्री II (वि०) जवान, प्राप्त यौवना (जैसे-युवती बालाएँ)
युवराज -सं० (पु० ) राजपुत्र, राजकुँवर युवराजत्व-सं० (पु० ) यौवराज्य युवराजी-सं० हिं० (स्त्री०) युवराज का पद युवराज्ञी -सं० (स्त्री०) युवराज की पत्नी युवराज्यभिषेक-सं० (पु० ) यौराज्याभिषेक युववाणी-सं० (स्त्री०) युवा लोगों की वाणी युवा-सं० (वि०) जवान। तुर्क + फ़ा० (पु०) युवानेता; ~ समूह (पु० ) युवजन युवावस्था -सं० (स्त्री०) युवा काल
=
=
यूँ - (अ०) यों । -त्यूँ (अ०) = यों त्यों
यूक-सं० ( पु० ) चीलर, ढील यूकरेनियन-अं० (वि०) यूका - (स्त्री०) जूँ
यूकेलिप्टस - अं० (पु०) एक गंधयुक्त पत्तीवाला सदाबहार पेड़
यूति-सं० (स्त्री०) मेल, मिश्रण यूथ - सं० ( पु० ) समूह, जत्था । चारी (वि०) झुंड में चलनेवाला, नाथ, पति (पु० ) 1 यूथ का सरदार 2 सेनापति ~ भ्रष्ट (वि०) यूथ से निकला या निकाला हुआ यूथप - सं० ( पु० ) यूथ नाथ
यूथिका-सं० (स्त्री०) 1 जूही 2 जूही का फूल यूनानी - I अ० (वि०) 1 यूनान से संबद्ध 2 यूनान में होनेवाला' II (पु०) यूनान का निवासी III (स्त्री०) 1 यूनान की भाषा 2 यूनान की प्रसिद्ध चिकित्सा प्रणाली, हकीमी (जैसे-यूनानी दवा, यूनानी इलाज )
यूनिट - अं० (पु० ) इकाई
=
यूक्रेनियन
यूनिफ़ार्म - अं० (पु० ) वरदी (जैसे- सैनिकों का यूनिफार्म, छात्रों का यूनिफ़ार्म)
यूनियन - अं० (स्त्री०) संघ, सभा । गवर्नमेंट ( स्त्री०) केंद्रीय सरकार, संघ सरकार; जैक (पु० ) ब्रिटिश झंडा; ~ मिनिस्टर (पु० ) संघीय मंत्री, केंद्रीय मंत्री यूनिवर्सिटी - अं० (स्त्री०) विश्वविद्यालय यूप-सं० ( पु० ) 1 बलि पशु को बाँधने का खंभा 2 विजय आदि के उपलक्ष में निर्मित स्तंभ, विजय स्तंभ, कीर्ति स्तंभ यूपा - बो० (पु०) जुआ, द्यूत कर्म
यूरिक - अं० (वि०) मूत्रीय । ~ एसिड (पु० ) मूत्राम्ल यूरिया - अं० (पु० ) एक रासायनिक उर्वरक यूरेनियम - अं० (पु०) एक भारी और शुभ्र धातु यूरोपियन - अं० (वि०)
युरोपियन
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यूरोपीय
यूरोपीय-अं०
+
सं० (वि०) युरोप संबंधी
यूष-सं० (पु० ) दाल आदि का पानी, जूस
ये - ( सर्व ० ) यह सब (जैसे- ये हमारा क्या करेंगे) येती - ( पु० ) एक प्रकार का कल्पित जंतु येन - (पु० ) एक प्रकार का जापानी सिक्का येनकेन प्रकारेण सं० (अ०) किसी न किसी प्रकार यों - ( अ० ) 1 इस प्रकार से 2 साधारण रूप में यो - ( सर्व०) बो० यह
योक्तव्य-सं० (वि०) लगाने योग्य या जोड़ने योग्य योक्ता-सं० (पु०/वि० ) 1 जोड़नेवाला, 2 उभाड़नेवाला
योगवान् -सं० ( पु० ) योगी
योगविद् - सं० ( पु० ) योग शास्त्र ज्ञाता
मिलानेवाला
योक्त्र-सं० ( पु० ) 1 रस्सी 2 रस्सी बाँधने का पेंच योग - सं० (पु० ) 1 मिलाप, मेल 2 मिलन, संयोग 3 संबंध, गाव 4 तपस्या 5 ध्यान 6 प्रयोग, व्यवहार 7 परिणाम, फल, नतीजा 8 उपाय युक्ति 9 उपयुक्त समय, सुभीता 10 जोड़ (जैसे- दो और चार का योग क्या होगा) 11 पास-पास स्थित होना (जैसे- अनेक ग्रहों का योग)। क्षेम (पु०) अभाव की पूर्ति करना तथा प्राप्त वस्तु की रक्षा करना; गति (स्त्री०) 1 मूलदशा 2 संयोग; तत्त्व (पु० ) योग का धर्म या प्रभाव; ~ तारा (स्त्री०) 1 परस्पर मिले हुए तारे 2 नक्षत्र का प्रधान तारा; दर्शन (पु० ) महर्षि पतंजलिकृत 'योगसूत्र' नामक दर्शन ग्रंथ; ~दान (पु० ) 1 सहायता देना 2 योग की दीक्षा 3 कपट भाव से किया गया दान; -धर्मी (पु० ) योगी; ~ निद्रा ( स्त्री०) 1 समाधि निद्रा, अर्ध समाधि और निद्रा 2 युग के अंत में प्रलयकालीन विष्णु निद्रा; पट्ट (पु० ) 1 एक प्राचीन पहनावा 2 साधुओं का अँचला; फल (पु०) दो या दो से अधिक संख्याओं का जोड़ बल (पु० ) योग शक्ति भ्रष्ट (वि०) योग मार्ग से च्युत; ~ माया (स्त्री०) 1 दार्शनिक और धार्मिक क्षेत्र में ईश्वर की सृष्टि मूलक शक्ति 2 यशोदा की कन्या ; ~ यात्रा (स्त्री०) यात्रा हेतु उपयुक्त समय; युक्त (वि०) योग में लीन; ~युक्ति (स्त्री०) 1 योग की आसक्ति 2 समाधि में लीन होना; योगी (पु० ) समाधि में लीन योगी; ~रूढ़ (वि०) जो रचना में यौगिक होने पर रूढ़ अर्थ दे; रूढ़ि (स्त्री०) दो शब्दों के योग से निर्मित सामान्य से भिन्न अर्थ बतानेवाला शब्द ~ रोचना (स्त्री०) ऐंद्रजालिक लेप; ~वाह (पु० ) अनुस्वार और विसर्ग वाही (पु० ) औषध आदि मिलाकर खाने का माध्यम; ~ विक्रय (पु०) बेइमानी के द्वारा होनेवाली बिक्री; शक्ति (स्त्री०) योग के द्वारा प्राप्त शक्ति - शरीरी (पु० ) योगी; ~ शास्त्र (पु० ) योग दर्शन नामक ग्रंथ; ~सार (पु० ) 1 स्वस्थ करनेवाला उपचार 2 तपस्या; ~ सिद्ध (पु० ) सिद्ध योगी, सूत्र ( पु० ) योग दर्शन; ~स्थ (वि०) योग में स्थित, योगयुक्त योगजफल - सं० ( पु० ) दो अंकों को जोड़ने से प्राप्त फल. जोड
685
योगांग - सं० ( पु० ) योग के आठ अंगों में से प्रत्येक (जैसे - यम, नियम, आसन आदि)
योगांजन-सं० (पु० ) आँखों का एक प्रकार का अंजन
योजना
योगांतराय -सं० (पु० ) योग में विघ्न डालनेवाला आलस्य आदि
योगाकर्षण -सं० ( पु० ) परमाणु के जुड़े होने तथा अविभाज्य माने जाने की शक्ति योगागम-सं० (पु० ) योग दर्शन
योगाचार -सं० (पु० ) योग का आचरण, योग साधन (जैसे-योगाचार के नियम )
योगाचार्य -सं० (पु० ) योग के आचार्य, शिक्षक योगात्मक-सं० (वि०) योग के लायक (जैसे-योगात्मक भाषा, योगात्मक नियम)
योगात्मा - सं० (पु० ) योगी
योगानुशासन-सं० ( पु० ) योग दर्शन योगाभ्यास - सं० (पु० ) योग शास्त्र के अनुसार योग के अंगों का अनुष्ठान या साधन योगाभ्यासी-सं० (पु० ) योग साधन करनेवाला योगी (जैसे- योगाभ्यासी का जीवन)
योगारूढ़ -सं० (पु०) निष्काम योगी योगाश्रम -सं० (पु० ) योग करने का स्थल, स्थान योगासन -सं० ( पु०) योग साधने की मुद्रा, ढंग योगित-सं० (वि०) 1 योग का अभिचार किया गया 2 मंत्र मुग्ध 3 सम्मोहित 4 पागल
योगिता - सं० (स्त्री०) योगी होने का भाव योगिनिद्रा-सं० (स्त्री०) झपकी, हलकी नींद योगिनी -सं० (स्त्री०) 1 योग साधना करनेवाली स्त्री 2 जादूगरनी
योगी - I सं० (पु० ) 1 आत्मज्ञानी 2 योग साधना करनेवाला व्यक्ति II (वि०) संबंधित, जुड़ा हुआ (जैसे कर्म योगी) योगीश, योगेश्वर-सं० (पु० ) 1 योगियों में श्रेष्ठ, सर्वश्रेष्ठ योगी 2 महादेव
योग्य सं० (वि०) 1 क़ाबिल, लायक (जैसे- विद्या योग्य, काम योग्य) 2 उचित, मुनासिब (जैसे- शादी योग्य, कन्या योग्य) 3 अधिकारी, पात्र (जैसे-नौकरी के योग्य) 4 समर्थ (जैसे-रण योग्य) 5 सुंदर ( जैसे-योग्य वर योग्य प्रेमी) 6 आदरणीय, मान्य (जैसे योग्य अध्यापक, योग्य पुरुष ) । ~ता (स्त्री०) 1 योग्य होने की अवस्था 2 काबिलीयत 3 बड़प्पन, महत्ता 4 शक्ति, सामर्थ्य 5 इज़्ज़त, प्रतिष्ठा योग्यतानुसार-सं० ( क्रि० वि०) योग्यता के मुताबिक
(जैसे-योग्यतानुसार नौकरी पाना, योग्यतानुसार काम करना) योग्यतापूर्वक सं० ( क्रि० वि०) दक्षता से योग्यासं० (स्त्री०) 1 काम करने का अभ्यास 2 स्त्री योजक - सं० (पु० ) मिलानेवाला
योजन - सं० ( पु० ) 1 जोड़ना, मिलाना 2 दूरी नापने का एक पैमाना। पर्णी (स्त्री०) मंजीठ योजनांतर्गत सं० (वि०) योजनाबद्ध योजना -सं० (स्त्री० ) 1 कार्य करने की रूपरेखा 2 प्रबंध 3 योग होना 4 प्रयोग, व्यवहार। आयोग (पु० ) राजकीय योजनाओं का संचालन करनेवाली प्रशासकीय संस्था; ~ काल (पु० ) योजना का कार्य काल, योजना की एक निश्चित अवधि पूर्ण (वि०) योजना से भरा हुआ, योजनाबद्ध; ~बद्ध (वि०) योजन में बँधा हुआ, योजनामय;
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योजनीय
~बाज़ + फ़ा० (पु०) योजना बनानेवाला व्यक्ति; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) योजना बनाना; युक्त (वि०) योजनापूर्ण; ~ समिति (स्त्री०) = योजना आयोग योजनीय - सं० (वि०) 1 योजना के योग्य 2 योज्य योजिका-सं० (स्त्री०) लेखन शैली में विशेष पदों के बीच लगाया जानेवाला चिह्न, योजक चिह्न, हाइफ़न (जैसे- पति-पत्नी, जीवन ज्योति आदि में लगा हुआ चिह्न) योजित -सं० (वि०) 1 मिलाया हुआ, युक्त 2 बनाया हुआ 3 योजना रूप में लाया हुआ 4 नियम बद्ध योजी-सं० (वि०) मिलानेवाला
योम - अ० ( पु० ) 1 दिन, रोज़ 2 तारीख, तिथि
योषा-सं० (स्त्री०) नारी, स्त्री
योज्य - I सं० (वि०) 1 मिलाए जाने योग्य 2 व्यवहार के योग्य II ( पु० ) गणित में जोड़ी जानेवाली संख्याएँ योद्धव्य-सं० (वि०) 1 युद्ध करने योग्य 2 युद्ध करनेवाला योद्धा - सं० ( पु० ) सैनिक, सिपाही
योधन-सं० ( पु० ) 1 लड़ाई का सामान 2 लड़ाई, युद्ध योधाबो० (पु० ) = योद्धा योध्य-सं० (वि०) युद्ध के योग्य योनि -सं० (स्त्री०) 1 स्त्री जननेंद्रिय, गर्भाशय और भग 2 स्त्री जाति के जीव जंतुओं का अपना वंश उत्पन्न करनेवाला अंग 3 शरीर, देह (जैसे- पुरुष योनि, पशु योनि) 4 उत्पत्ति का स्थान (जैसे-नक्षत्र योनि) । - I ( पु२) योनि से उत्पन्न जीव II (वि०) योनि से उत्पन्न दोष (पु० ) उपदंश रोग, गरमी, आतशक मुक्त (वि०) जन्म मरण के बंधन से मुक्ति पाया हुआ, मुक्ति प्राप्त; संकर ( पु० ) वर्ण संकर; ~ संकोचन (पु० ) योनि का सिकुड़ना संभव (वि०) योनि से उत्पन्न, योनिज योनिक-सं० (वि०) योनि संबंधी, यौन
योषिता-सं० (स्त्री०) स्त्री, नारी यौं बो० यों
यौ - (सर्व०) बो० यह
686
=
•
1
यौक्तिक - I सं० (वि०) युक्ति रूप में होनेवाला, युक्तिसंगत II ( पु० ) नर्मसखा, क्रीड़ा, खेल का साथी योग - I सं० (पु० ) योग दर्शन का अनुयायी II (वि०) योग
संबंधी
यौगक-सं० (वि०) योग का योग संबंधी यौगिक - 1 सं० ( वि० ) 1 मिला हुआ (जैसे-यौगिक पद ) 2 योग से संबंधित (जैसे-यौगिक गुणनखंड) II (पु० ) व्या० 1 प्रकृति और प्रत्यय से बना शब्द 2 दो शब्दों के मेल से बना
पद
यौजनिक - सं० (वि०) 1 योजन संबंधी, योजन का 2 एक योजन तक जानेवाला
यौतक-सं० ( पु०) दहेज़ यौतुक - सं० (पु० ) 1 विवाह के समय मिला धन 2 चढ़ावा
3 उपहार
यौथिक - सं० (वि०) 1 यूथ संबंधी, समूह का 2 यूथ में रहनेवाला
यौद्धिक-सं० (वि०) युद्ध संबंधी यौधेय - सं० (पु० ) योद्धा
रंग
यौन-सं० (वि०) 1 योनि संबंधी 2 स्त्री -पुरुष की जननेंद्रिय से संबंधित (जैसे-यौन विज्ञान, यौन संसर्ग) । ~ता (स्त्री०) 1 यौन भाव 2 लिंगिता; तृप्ति (स्त्री०) यौन के तृप्त होने का भाव; ~ विकार ( पु० ) 1 अतृप्त वासना की कुंठा से उत्पन्न संभोग की अप्राकृतिक प्रवृत्तियाँ जो यौन विसंगतियों को जन्म देती हैं 2 विकृत रति विकृत (वि०) यौन विकृतिवाला; ~ विकृति (स्त्री०) काम वासना की अस्वाभाविक प्रवृत्ति (जैसे- आत्मरति, समलिंगी रति); ~ विज्ञान (स्त्री०) यौनिकी; विज्ञानी (पु०) यौन विज्ञान का ज्ञाता; वृत्ति (स्त्री०) व्यभिचार द्वारा जीविका चलाना ~ व्याधि (स्त्री०) यौन संबंधी रोग; ~संबंध (पु० ) संभोग समागम यौनकी-सं० (स्त्री०) यौन विद्या यौनाकर्षण - सं० (पु० ) यौन की ओर झुकाव होना यौनिकी -सं० (स्त्री०) यौन विज्ञान यौवत-सं० (पु० ) युवती स्त्रियों का समूह यौवतेय - सं० (पु०) युवती स्त्री का पुत्र यौवन-सं० (पु० ) 1 युवावस्था 2 बाल्यावस्था की समाप्ति और वृद्धावस्था के आदि के मध्य का काल, जवानी 3 जोबन । ~ कंटक (पु० ) मुँहासा; - काल (पु० ) = युवा काल; ~ लक्षण (पु० ) 1 चेहरे पर की चमक, कांति 2 यौवन प्रारंभ होने की विशेषताएँ 3 स्तन यौवनवती-सं० (स्त्री०) युवती
यौवनाधिरूढ़ा -सं० (स्त्री०) युवती, जवान स्त्री यौवनावस्था-सं० (स्त्री०) युवाकाल यौवनिक-सं० (वि०) यौवन संबंधी
=
यौवनीकरण-सं० (पु०) फिर से युवा बनाना, कायाकल्प यौवनोद्रेक-सं० (पु० ) जवानी की उमंग यौवराजिक-सं० (वि०) युवराज संबंधी यौवराज्य-सं० (वि०) युवराज होने की अवस्था 2 युवराज का
पद
यौवराज्याभिषेक-सं० (पु०) राज्य के उत्तराधिकारी राजकुमार का अभिषेक कृत्य
र
रंक - सं० (वि०) 1 ग़रीब, दरिद्र 2 कंजूस, कृपण 3 सुस्त, मंद, आलसी
रंग- I सं० (पु० ) 1 केवल आँखों से अनुभव होनेवाला पदार्थ के आकार और रूप से भिन्न एक गुण, वर्ण (जैसे-नीला रंग, काला रंग आदि) 2 विशिष्ट रासायनिक क्रियाओं से चीज़ को रंगने के काम आनेवाला पदार्थ (जैसे-तैल रंग, जल रंग) 3 पदार्थ अथवा शरीर का ऊपरी वर्ण, रंगत (जैसे- चेहरे का रंग, मुँह का रंग) 4 रौनक, शोभा (जैसे-युवती का रंग देखो) 5 अनुराग, प्रेम (जैसे-अपने रंग में मिलाना) 6 मनोविनोद हेतु
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रंगीन
-
की गई क्रीड़ा तथा उससे प्राप्त आनंद या मौज (जैसे-नृत्य । 4 अवस्था, दशा (जैसे-जवानी की रंगत) 5 प्रभाव, छाप कला में रंग प्राप्त करना) 7 यौवन, जवानी (जैसे-उसका रंग | (जैसे-शराब की रंगत, साक़ी की रंगत) देखने लायक है) 8 धाक, रोब, आतंक (जैसे-इस क्षेत्र में | रंगतरा-(पु०) बड़ी और मीठी नारंगी, संगतरा दारोगा का रंग है) 9 अद्भुत दृश्य (जैसे-आखिर तुमने एक रंगद-सं० (पु०) 1 सोहागा 2 खादिर सार रंग दिखा ही दिया) 10 नृत्य, संगीत आदि उत्सव (जैसे-नाच रंगदा-सं० (स्त्री०) फिटकरी रंग) 11 अभिनय स्थल, नाट्य स्थल (जैसे-रंगमंच) रँगना-I (अ० क्रि०) 1 रंग से युक्त होना 2 प्रेम में लिप्त होना, 12 दशा, हालत, अवस्था (जैसे-रंग-ढंग) 13 अनेक प्रकार आसक्त होना II (स० क्रि०) 1 रंग से युक्त करना (जैसे-रंग बिरंगा) 14 लड़ाई, युद्ध (जैसे-रंग भूमि)। (जैसे-आलमारी रंगना) 2 लीपा पोती करना (जैसे-कॉपी
~कर्मी (पु०) नाटक करनेवाला; ~ग्रह, -घर । हिं० किताब रँगना) 3 प्रेम में फँसाना, अनुरक्त करना (जैसे-प्यार (पु०) रंग शाला; चित्र (पु०) विशेष प्रकार के रंगों के में रँगना) 4 अनुकूल बनाना 5 भीषण आघात से रक्त बहाना घोल से तूलिका से बनाया गया चित्र; चित्रण (पु०) रंग (जैसे-उसने गंडे का सिर रंग दिया) 6 प्रभाव युक्त करना चित्र बनाना; ~जननी (स्त्री०) लाख, लाक्षा; ~ढंग - हिं० (जैसे-मित्रता के भावों में रंगना) (पु०) 1 गतिविधि आदि की प्रवृत्ति 2 तौर तरीक़ा 3 आसार, | रंग बिरंगा-फा० + हिं० (वि०) अनेक रंगों का, रंगीन लक्षण; -जीवी (वि०) रंगशाला में कार्य करके रंग महल-फ़ा० + अ० (पु०) 1 भोग विलास करने का महल जीवनोपार्जन करनेवाला; ~ढंग (पु०) 1 गतिविधि, | 2 अंतःपुर (जैसे-रंगमहल में शत्रु का प्रवेश) कार्यकलाप 2 तौर तरीक़ा 3 आसार, लक्षण; -दार + फ़ा० रंगरली-(स्त्री०) आमोद प्रमोद, आनंद (वि०) रंगवाला; दृढ़ा (स्त्री०) फिटकरी; नाटक रंगरेज़-फा० (पु०) कपड़ा रँगनेवाला (पु०) रंगमंच के उपयुक्त नाटक; ~पत्री (स्त्री०) नीली रंगरेज़ी-फ़ा (स्त्री०) कपड़े रँगना नाम का पेड़; ~पीठ (पु०) = रंगशाला; ~पुष्पी (स्त्री०) रंगरेली-बो० (स्त्री०) = रंगरली - रंगपत्री; ~प्रवेश (पु०) रंग मंच पर अभिनेता आदि पात्र रैंगवाई-(स्त्री०) = रंगाई का आना; ~बाज़ + फ़ा० (वि०) 1 आतंक जमानेवाला रँगवाना-(स० क्रि०) रँगने का काम कराना 2 मौज मस्ती करनेवाला; -बिरंगा + हिं० (वि०) 1 अनेक | रंगसाज़-फ़ा० (पु०) 1 रंग तैयार करनेवाला कारीगर 2 रंग रंगों का 2 कई तरह का; ~भरिया + हिं० (पु०) = रंग चढ़ानेवाला कारीगर साज़; ~भवन (पु०) रंगमहल; ~भूमि (स्त्री०) युद्धभूमिः | रंगसाज़ी-फा० (स्त्री०) रंगसाज़ का काम ~भेद (पु०) रंग के आधार पर जाति भेद का (जैसे-काले रंगागण-सं० (पु०) = रंगमंच गोरे का भेद); ~भेद नीति (स्त्री०) रंग के आधार पर रंगांगा-सं० (स्त्री०) = रंगदा जातिभेद सिद्धांत; ~भेदी (वि०) रंग भेद करनेवाला; रँगा-(वि०) जिसपर रंग चढ़ा हो (जैसे-रँगा कपड़ा)
~मंच (पु०) 1 नाटक आदि खेला जाने का ऊँचा स्थान रँगाई-(स्त्री०) 1 रंगने का काम 2 रँगने की मज़दूरी (जैसे-रंगमंच बनाना) 2 कार्य हेतु आधार तैयार करने का | (जैसे-कपड़े की रँगाई)। घर (पु०) कपड़े रँगने का स्थान भाव; ~मंचीय (वि०) रंग मंच संबंधी; ~मंडप (पु०) रंगाजीव-सं० (पु०) = रंगसाज़ रंगभूमि, नाट्यशाला; ~मल्ली (स्त्री०) वीणा, बीन; रँगाना-(स० क्रि०) रँगवाना ~महल (पु०) भोग विलास का भवन, ऐशभवन; ~माता रंगामेज़ी-फ़ा० (स्त्री०) 1 तरह तरह के रंग भरने का काम (स्त्री०) कुटनी; ~मातृका (स्त्री०) लाख; ~रली 2 तरह-तरह की वस्तुएँ बनाना 3 अपनी तरफ़ से कुछ बातें (स्त्री०) आमोद प्रमोद, क्रीड़ा; रस + हिं० (पु०) आमोद बढ़ाना प्रमोद; सिया + हिं० (पु०) विलासी पुरुष; ~रूप | रंगारंग-I (वि०) 1 अनेक रंगोंवाला 2 तरह-तरह का (पु०) सूरत, शक्ल, ~लेप (०) रंग चढ़ाना, रँगाई; | (जैसे-रंगारंग खिलौने) II (पु०) रंगारंग कार्यक्रम
विद्या (स्त्री०) अभिनयादि की कला; ~शाला (स्त्री०) | रंगा रँगाया-I (वि०) 1 अनेक रंगोंवाला 2 तरह-तरह की नाट्यशाला; --शिल्प (पु०) रंगमंच संबंधी कारीगरी; वस्तुएँ बनाना 3 अपनी तरफ़ से कुछ बातें बढ़ाना
स्थल (पु०) = रंगमंच; ~आना, चढ़ना अधिक (गा (गाया-(वि०) 1 रंगा हआ (जैसे-रँगा रँगाया कपड़ा) सुंदर लगना; उड़ना, उतरना रंग हलका पड़ना; ___ 2 बहुरूपिया, धूर्त (जैसे-रँगा रँगाया सियार)
~खेलना, ~डालना, ~फेंकना होली पर्व पर परस्पर रंग रंगारि-सं० (पु०) कनेर । डालना, होली खेलना; निखरना चेहरे पर रौनक़ आना रंगालय-सं० (पु०) 1 रंगभूमि 2 रंगशाला (जैसे-जवानी में एक बार सबका रंग निखरता है); ~फ्रीका (गावट-(स्त्री०) रंगाई पड़ना = रंग उतरना; बाँधना लंबी चौड़ी हाँकना; रंगावतरण-सं० (पु०) रंगमंच पर आना ~मचना भयंकर संग्राम छिड़ना, घमासान युद्ध होना; रंगावतारक-सं० (पु०) 1 रँगरेज़ 2 अभिनेता, नट ~मचाना 1 घमासान युद्ध करना 2 धूम मचाना; ~में भंग रंगावली-सं० (स्त्री०) फर्श पर अनेक रंगों से बनाया गया करना आनंद में बाधा डालना; ~में रंगना अनुकूल होना | चित्र, रंगौली, अल्पना रंग-II सं० (पु०) 1 राँगा नामक धातु 2 खदिर सार गिया-बो० (पु०) 1 रंगसाज़ 2 कपड़ा रंगनेवाला रंगत-(स्त्री०) 1रंग से युक्त होने का भाव 2 झलक रंगी-(वि०) 1 विनोदी स्वभाव का 2 मनमौजी (जैसे-हुस्न की रंगत) 3 मज़ा, आनंद (जैसे-प्यार की रंगत) | रंगीन-फा० (वि०) 1 रँगा हुआ (जैसे-रंगीन साड़ी) 2 आमोद
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रंगीनी
प्रिय और विलासी (जैसे-रंगीन आदमी, रंगीन मिज़ाज ) 3 चमत्कारपूर्ण (जैसे- रंगीन दृश्य )
रंगीनी - फ़ा० (स्त्री०) 1 रंगीन होने का भाव 2 बनाव सिंगार, 3 विनोदप्रिय और रसिक स्वभाव होने
सजावट
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का भाव
रंगीला - (वि०) 1 रसिया 2 मौजी (जैसे- रँगीला स्वभाव ) 3 आकर्षक और सुंदर ( जैसे-रंग रँगीला दृश्य ) रंगोज्जवल -सं० (वि०) रंगों के कारण निखरा हुआ रंगौंधी - ( स्त्री०) चि० रंग न पहचान सकने का नेत्र रोग, वर्णांधता
रंच - (वि०) थोड़ा, ज़रा
रंज - फ़ा० (पु० ) 1 दुःख शोक (जैसे- माँ के मरने का रंज) 2 अप्रसन्नता, नाराज़गी (जैसे-रंज में पड़े रहना, फेल होने पर रंज प्रकट करना)
रंजक - I सं० (वि० ) 1 रंगनेवाला 2 प्रसन्न रहनेवाला और आनंद करनेवाला (जैसे- मनोरंजक) II (पु० ) 1 रंगसाज़ 2 रंगरेज़ 3 ईंगुर 4 मेहंदी
रंजक - II फ़ा० (स्त्री०) 1 बंदूक, तोप की बारूद की प्याली 2 बंदूक, तोप की प्याली में रखी जानेवाली बारूद 3 गाँजा, तमाखू का दम 4 उत्तेजक बात 5 चटपटा चूर्ण रंजन - I संo (पु० ) 1 प्रसन्न करना (जैसे-मन रंजन) 2 रंगना ( जैसे - चित्र रंजन) || (वि०) मन प्रसन्न करनेवाला । ~कारी (वि०) प्रसन्न करनेवाला (जैसे-मनोरंजनकारी) रंजनक-सं० (पु० ) कटहल रंजित संघ (वि० )
1 रंगा हुआ 2 प्रसन्न 3 अनुरक्त
(जैसे- रंजित मन ) रंजिश - फ़ार (स्त्री०) 1 मन मुटाव, वैमनस्य 2 अप्रसन्नता 3 रंज (जैसे- मुझे कुछ भी रंजिश नहीं है ) रंजीदगी - फा० (स्त्री०) नाराज़गी अनबन रंजीदा फ़ार (वि०) । दुःखित 2 नाराज़
रंड -सं० (वि०) 1 चालाक और धूर्त 2 विकल, बेचैन
रंडक - सं० (पु० ) फलहीन वृक्ष
रंडा-सं० (वि० / स्त्री०) राँड़, विधवा, बेवा रंडापा - ( पु० ) विधवापन, बेवापन
रंडी - ( स्त्री० ) 1 धन लेकर व्यभिचार करानेवाली स्त्री वेश्या 2 विधवा । खाना फ़ार (पुर) वेश्यालय, चकलाघर; -बाज़ • फ़ा० ( पु० ) वेश्यागामी (स्त्री०) वेश्यागमन
बाज़ी
1 फ़ा
रँडुआ - ( पु० ) जिसकी पत्नी मर गई हो, विधुर रँडोरा - बोर (पु० ) मृत पत्नी का पति
रँडोरी-बोर (स्त्री०) विधवा, राँड
रंति - सं० (स्त्री० ) 1 केलि. क्रीड़ा 2 विराम
रंतु सं० (पु०) 1 सड़क 2 नदी
रंद - ( पु० ) 1 रोशनदान झरोखा 2 किले की दीवार में बना मोखा
रैंदना - (स० क्रि०) 1 रंदे से लकड़ी की सतह समतल और चिकनी करना 2 छीलना, तराशना
रक्त
रंधक - I सं० (पु० ) रसोइया II ( वि०) नष्ट करनेवाला,
नाशक
रंदा - (पु० ) बढ़ई का लकड़ी की सतह चिकनी और समतल करने का एक औज़ार । मशीन अं० (स्त्री० ) लकड़ी की सतह को चिकना करने की मशीन
रंधन -सं० (पु० ) 1 रसोई बनाना 2 नष्ट करना रंधित सं० (वि०) 1 पकाया हुआ 2 नष्ट रंध्र-सं० ( पु०) सूराख, छेद
रंभन -सं० (पु० ) आलिंगन
रंभा - (पु० ) लोहे का लंबा मोटा और चिपटे सिरेवाला डंडा रंभाना - (अ० क्रि०) गाय का शब्द करना
रैभित सं० (वि०) 1 शब्द किया हुआ 2 बजाया हुआ रंभोरु-सं० (वि०) 1 कदली स्तंभ जैसी जाँघोवाली 2 सुंदर जाँघोवाली
रई - I (स्त्री०) मथानी II दरदरा आटा
रईस - अ० ( पु० ) संपन्न और प्रतिष्ठित व्यक्ति रईसी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) संपन्नता रक़बा - अ० (पु० ) 1 क्षेत्रफल 2 अहाता रक़म - अ० (स्त्री०) 1 संपत्ति, दौलत 2 रुपया पैसा (जैसे-यह सारी रक़म लुट गई) 3 बही खाते में लिखी जानेवाली संख्या (जैसे-रक़म बही में लिख दो) 4 गहना, जेवर (जैसे- सारी रक़म चोर उठा कर ले गए) 5 तरह, प्रकार (जैसे- अनेक रक़म की चीजें दावत में बनी थीं) रकाब - अ० (स्त्री०) घोड़े की काठी का झूलता पावदान । ~दार + फ़ा० (पु० ) 1 हलवाई 2 खानसामा 3 खासाबरदार 4 साईस
रकाबत - अ० (स्त्री०) रक़ीब होने की अवस्था रकाबी - फा० (स्त्री०) छिछली गोल छोटी थाली; चेहरा (पु० ) गोल मुँह, चौड़ा मुँह, - मज़हब + अ० (पु० ) खुशामदी, चाटुकार; सामना रकाबी चेहरा
हिं० ( पु० )
+
रकार-सं० (पु० ) 'र' वर्ण बोधक अक्षर, र रक़ीक़ - I अ (वि०) 1 तरल द्रव 2 कोमल, नरम II (पु० )
गुलाम दास
रक़ीब-अ (पु० ) 1 प्रेमिका का दूसरा प्रेमी 2 प्रतिद्वंद्वी, प्रतिस्पर्धी
रक्क़ासा - अ० (पु० ) नाचनेवाली, नर्तकी
रक्त - I संग (वि०) 1 लाल रंग का, सुर्ख (जैसे-रक्त कमल, रक्त नेत्र) 2 रंगा हुआ (जैसे-रक्त कलश) 3 अनुरक्त, प्रेम युक्त (जैसे - नायिका के रक्त मय नेत्र) II ( पु० ) खून, रुधिर, लहू (जैसे-रक्त नलिका कट गई, रक्त दान)। कंद (पु०) मूँगा, विद्रुम; ~ कंदल (पु०) मूँगा रत्न; कण (पु०) 1 खून की बूँद 2 खून का थक्का; कदली (स्त्री०) चंपा केला; ~काश (पु०) फेफड़े से रक्त का मुँह से बाहर आने का रोग; कृमिजा (स्त्री०) लाख, लाह; क्षय ( पु० ) रक्त का क्षय होना; -क्षीणता (स्त्री०) रक्त की कमी हो जाना; चाप + हिं० (पु०) खून का दबाव 2 रक्त दाब संबंधी एक रोग, ब्लड प्रेशर; ~ताप (पु०) रक्त के अधिक गर्म होने की अवस्था (जैसे- ज्वर में रक्त ताप बढ़ जाता है); ~ दबाव + हिं० (पु० ) = रक्त चाप; दान (पु० ) रक्त देना; दानी (पु०) रक्त दान करनेवाला; -दिग्ध (वि०) खून से लथपथ ~ धातु (स्त्री०) 1 गेरू 2 ताँबा नली + हिं० (स्त्री०) वो नसें जिनसे खून जाता
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रक्त 689
रखना है; न्यूनता (स्त्री०) = रक्त क्षीणता; ~परिभ्रमण (पु०) रक्षक) 2 पहरेदार (जैसे-दुर्ग का रक्षक) 3 पालन पोषण शरीर में खून का बहना, रक्त संचरण; परिवहन (पु०) करनेवाला (जैसे-संरक्षक)। ~दल (पु०) रक्षक समूह; खुन का शरीर में प्रवाहित होना; पाणि (वि०) खून से सने पाँत + हिं० (स्त्री०) रक्षकों की पंक्ति; ~वर्ग (पु०) = हाथोंवाला; ~पात (पु०) 1 खून बहना, रक्त स्राव 2 खून | रक्षा सैन्य दल खराबी, मारकाट; -पाषाण (पु०) रक्त धातु; पिंड | रक्षण-सं० (पु०) 1 रक्षा करना, रखवाली 2 पालन पोषण (पु०) = रक्त कण; पित्त (पु०) मुँह, नाक, कान, गुदा करना (जैसे-संरक्षण) 3 रक्षक योनि आदि इंद्रियों से रक्त बहने का रोग; पिपासा (स्त्री०) रक्षणीय-सं० (वि०) रक्षा किए जाने योग्य खून की प्यास; -पिपासु (वि०) 1 खून का प्यासा 2 जानी रक्षा-सं० (स्त्री०) 1 हिफ़ाज़त, बचाव, सुरक्षा (जैसे-संकट से दुश्मन; ~प्रतिश्याय (पु०) जुकाम में नाक से खून जाना; रक्षा, घर की रक्षा, देश की रक्षा आदि) 2 विशेष अवसर पर ~प्रदर (पु०) चि० स्त्री योनि से रक्त बहने का एक रोग; बाँह, कलाई पर बाँधा जानेवाला धागा, सूत्र (जैसे-रक्षा -बिंदु (पु०) खून की बूँद; बीज (पु०) = रक्त बीज; बंधन) 3 कवच। -कवच (पु०) तंत्र मंत्र विधि से बनाया
मिश्रण (पु०) खून की मिलावट; ~मोचन (पु०) शरीर गया यंत्र (जैसे-रक्षा कवच पहनना); ~कारी (वि०) रक्षा से खून निकालना; ~रंजित (वि०) खून से लथपथ, खून में करनेवाला; ~क्षमता (स्त्री०) रक्षा करने की सामर्थ्य, रंगी हुई; ~वटी (स्त्री०) चेचक; ~वमन (पु०) खून की शक्ति; ~क्षेत्र (पु०) वह क्षेत्र जिसकी रक्षा की जाए। उल्टी; ~वर्ण (वि०) लाल रंग का; ~वाहिका (स्त्री०) खर्च + फ़ा० (पु०) रक्षा पर होनेवाला व्यय; ~गृह शरीर में रक्त संचार की नलियाँ, नसें; ~विकार (पु०) खून (पु०) 1 चौकी (जैसे-सैनिक रक्षा गृह) 2 सूतिका गृह, जच्चा की खराबी; विज्ञान (पु०) रक्त संबंधी ज्ञान; ~वीज खाना 3 विश्राम भवन; टुकड़ी + हिं० (स्त्री०) रक्षक दल; (पु०) अनार; ~शर्करा (स्त्री०) रक्त में निहित शर्करा का -पंक्ति, ~पंक्ति रेखा (स्त्री०) वह सीमा जहाँ बचाव के तत्त्व, ब्लड शुगर; ~शून्य (वि०) चि० बिना खून का; लिए सैनिक नियुक्त होते हैं; ~पति (पु०) नगरवासियों का ~शोषण (पु०) खून चूसना (जैसे-कीट पतंगों द्वारा रक्त रक्षक, नगर का एक प्राचीन रक्षा अधिकारी; ~पाँत + हिं० शोषण); ~श्वेताणुमयता (स्त्री०) चि० खून में सफ़ेद (स्त्री०) = रक्षा पंक्ति; पुरुष (पु०) पहरेदार, प्रहरी; कणों का होना; ~संचार (पु०) 1 रक्त स्राव 2 रक्त ~फ़ौज + अ० (स्त्री०) रक्षा करनेवाली सेना, रक्षक दल; परिभ्रमण; ~संबंध (पु०) पारिवारिक संबंध, कुलगत बंधन (पु०) 1 रक्षा सूत्र बाँधना 2 श्रावण शुक्ला पूर्णिमा संबंध; ~संसर्ग (पु०) खून का संबंध; ~सिंचित (वि०) को होनेवाला एक हिंदू त्योहार (जैसे-आज रक्षा बंधन का पर्व रक्त से सींचा हुआ, जी जान से पोषित (जैसे-रक्त सिंचित है); ~भूषण (पु०) = रक्षा कवच; ~मंगल (पु०) भूत संतान); ~स्तंभन (पु०) रक्त रोकना; स्राव (पु०) प्रेतादि बाधा से बचने हेतु किया जानेवाला अनुष्ठान; रक्त बहना; हीन (वि०) 1 बिना खून का 2 जो लाल न हो ~मंत्रालय (पु०) रक्षा विभाग; ~मंत्री (पु०) रक्षा विभाग (जैसे-रक्त हीन पुष्प) 3 उदास, प्रेम रहित (जैसे-रक्तहीन का मंत्री; ~मणि (पु०) ग्रह के प्रकोप से बचने के लिए नेत्र) 4 काँतिहीन, शोभा रहित (जैसे-रक्तहीन मुखमंडल) धारण किया जानेवाला रत्न; ~मेडल + अं० (पु०) रक्षा में रक्तप-सं० (वि०) लहू पीनेवाला
वीरता दिखाने का पदक; रत्न (पु०) = रक्षा मणि; रक्तपा-सं० (स्त्री०) 1 जोंक 2 डाकिनी
विभाग (पु०) रक्षा संबंधी कार्यालय; ~व्यवस्था रक्तांग-सं० (वि०) लाल अंगवाला
(स्त्री०) रक्षा प्रबंध; ~शक्ति (स्त्री०) = रक्षा क्षमता; रक्ताक्त-सं० (वि०) 1 लाल रंग में रंगा हुआ 2 खून से भरा सचिव (पु०) रक्षा मंत्रालय का सेक्रेटरी; ~सूत्र (पु०) रक्ताक्ष-सं० (वि०) लाल आँखोंवाला
राखी: ~सैन्य दल (पु०) = रक्षा फौज, रक्षक दल रक्तातिसार-सं० (पु०) चि० खन के दस्त होने का रोग रक्षात्मक-सं० (वि०) रक्षा से संबंद्ध (जैसे-रक्षात्मक उद्देश्य) रक्ताधान-सं० (पु.) = रक्त क्षेपण
रक्षापेक्षक-सं० (पु०) 1 पहरेदार, प्रहरी 2 अभिनेता रक्ताभ-सं० (वि०) = रक्तिम
रक्षिक-सं० (पु०) 1 रक्षक 2 पहरेदार, संतरी रक्तार्श-सं० (पु०) खूनी बवासीर
रक्षित-सं० (वि०) 1 रक्षा किया हुआ 2 पालित, पोषित रक्ताल्पता-सं० (स्त्री०) = रक्त क्षीणता
3 सँभालकर रखा हुआ (जैसे-रक्षित संपत्ति, रक्षित हथियार) रक्तावरोधक-सं० (वि०) रक्त रोकनेवाला
4 निश्चित किया हुआ (जैसे-रक्षित सेना, रक्षित कानून) रक्तासेचन-सं० (पु०) = रक्त मोचन
रक्षिता-सं० (स्त्री०) 1 रखनी, रखेली स्त्री 2 रक्षा, हिफ़ाजत रक्ति-सं० (स्त्री०) 1 अनुराग, प्रेम 2 घुघची, रत्ती रक्षी-सं० (पु०) 1 रक्षक 2 पहरेदार, प्रहरी। दल (पु०) रक्तिम-सं० (वि०) ललाई लिए हुए, लाल
सिपाहियों का समूह, पुलिस बल रक्तिमा-सं० (स्त्री०) ललाई, लाली
रक्ष्य-सं० (वि०) रक्षणीय रक्तिमामय-सं० (वि०) लालिमा युक्त .
रक्ष्यमाण-सं० (वि०) रक्षा योग्य रक्तोत्पल-सं० (पु०) लाल कमल
रख-(स्त्री०) चरी रक्तोपदंश-सं० (पु०) आतशक रोग
रखना-(स० क्रि०) 1 धरना (जैसे-मेज़ पर गिलास रखना) रक्तोपल-सं० (पु०) लाल (क्रीमती पत्थर)
2 लादना (जैसे-घोड़े पर बोझा रखना) 3 नियुक्त करना रक्ष-सं० (पु०) 1 रक्षक, रखवाला 2 रक्षा, रखवाली, हिफ़ाज़त | (जैसे-घर में नौकर रखना) 4 प्रस्तुत करना (जैसे-अदालत में रक्षक-सं० (पु०) 1 रक्षा करनेवाला (जैसे-धर्म रक्षक, अंग | सबूत रखना) 5 वश में करना (जैसे-मैंने सौ रुपए रख लिए
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रखनी
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रजत
-
खदेडना
है) 6 प्रकट न करना (जैसे-मन में रखना) 7 संग्रह करना रगड़ा-(पु०) 1 रगड़, घर्षण 2 अति परिश्रम 3 झगड़ा, वैर (जैसे-दूकानदार ने बहुत सा धन रखा है) 8 व्यवस्था करना विरोध। ~झगड़ा (पु०) रगड़ झगड़, लड़ाई झगड़ा (जैसे-बँगले में बारात को रखना) 9 बंधक में देना, गिरवी में रगड़ान-(स्त्री०) रगड़ने का काम, रगड़ा। देना (जैसे-ज़ेवर रखकर रुपये लाना) 10 रखैल, उपपत्नी के । रगड़ी-(वि०) लड़ाई झगड़ा करनेवाला, झगड़ालू रूप में ग्रहण करना (जैसे-विधवा होकर भी नौकर को रखना) रगण-(पु०) ऐसा वर्ण समूह जिसमें क्रमशः गुरु लघु गुरु वर्ण 11 रक्षा करना (जैसे-उसने लड़के को छिपा रखा है) ऽ हों 12 धारण करना (जैसे-आशा रखना) 13 आश्रित करना रग़बत-अ० (स्त्री०) 1 इच्छा, कामना 2 रुचि, प्रवृत्ति (जैसे-दीवारों में छत रखना)
3 ख्वाहिश, आरजू रखनी-(स्त्री०) रखेली, सुरैतिन
रगाना-I (अ० क्रि०) बो० 1 चुप होना 2 शांत होना रख रखाव-(पु०) 1 रक्षा, हिफ़ाज़त 2 मर्यादा, परंपरा आदि | II (स० क्रि०) 1 चुप कराना 2 शांत कराना
का उचित निर्वाह 3 पालन पोषण (जैसे-रख रखाव की | रगी-(स्त्री०) एक तरह का मोटा अनाज ज़िम्मेदारी)
रगीला-(वि०) हठी, जिद्दी रखवाई-(स्त्री०) 1 रखवाली, चौकीदारी 2 रखवाली करने की रगेदना-(स० क्रि०) 1 धक्का देकर दूर हटाना 2 भगाना,
मज़दूरी रखवाना-(स० क्रि०) 1 रखने का काम कराना 2 रखने को रघु-सं० (पु०) 1 सूर्यवंशी राजा दिलीप के पुत्र और श्री राम के विवश करना
परदादा 2 रघु के वंश में उत्पन्न व्यक्ति । नाथ (पु०) श्री रखवाला-(पु०) 1 पहरेदार, चौकीदार 2 दूसरे के सामान की रामचंद्र; ~वंश (पु०) 1 महाराज रघु का ख़ानदान रक्षा करनेवाला
2 कालिदास द्वारा रचित एक प्रसिद्ध महाकाव्य रखवाली-(स्त्री०) 1 रखनेवाले का काम, हिफ़ाज़त | रचक-सं० (पु०) रचयिता 2 चौकीदारी, पहरेदारी
रचन-सं० (पु०) = रचना II रखाई-(स्त्री०) 1 रखवाली 2 रखवाली के बदले में | रचना-I (स० क्रि०) 1 तैयार करना, बनाना 2 स्वरूप स्थिर मिलनेवाला पारिश्रमिक
करना 3 प्रस्तुत करना (जैसे-पुस्तक रचना) 4 उत्पन्न करना रखाना-(स० क्रि०) रखने का काम कराना
5 अनुष्ठान करना, ठानना 6 सजाना सँवारना (जैसे-वेणी रखियाना-(स० क्रि०) 1 राखी लगाना 2 राखी लगाकर साफ़ रचना) 7 उचित क्रम में लगाना करना
रचना-II सं० (स्त्री०) 1निर्माण (जैसे-फूल की रचना) रखैया-(वि०) 1 रखनेवाला 2 रक्षा करनेवाला, रक्षक 2 बनावट (जैसे-भवन, मकान की रचना) 3 कृति रखैल-(स्त्री०) रखनी
(जैसे-कवि की रचना) 4 सजावट (जैसे-केश रचना) रखैली-(स्त्री०) उपपत्नी, सुरैतिन
5 विशेष कौशल, चमत्कार। ~कार (पु०) = रचयिता; रखौत, रखौना-(पु०) गोचर भूमि, चरी
~काल (पु०) रचना का समय; ~कौशल (पु०) रचना रग-फा० (स्त्री०) शरीर की नस, नाड़ी। पट्टा + हिं० की निपुणता; विधान (पु०) रचना के नियम; ~शैली
(पु०) असल नसल इत्यादि का पता होना; रेशा (पु०) (स्त्री०) रचना ढंग 1 असल नसल 2 पत्तियों की नसें 3 शरीर के भीतरी अंग; रचना-III (अ० क्रि०) 1प्रेम में फँसना, अनुरक्त होना 2 रँगा ~उतरना 1 ज़िद दूर होना 2 क्रोध उतरना 3 आँत उतरना; जाना 3 सुंदर रूप में प्रस्तुत होना, फबना (जैसे हाथ पैर में ~खड़ी होना नस फूल जाना; चढ़ना 1 क्रोध आना मेंहदी रचना) 2 हठ के वश होना; दबना 1 डरना 2 दबाव मानना; रचनात्मक-सं० (वि०) रचना से संबद्ध (जैसे-रचनात्मक
पहिचानना भेद जानना; पाना असल बात मालूम कार्य) करना; ~फड़कना अनिष्ट की आशंका होना, माथा ठनकना; रचनावली-सं० (स्त्री०) रचनाओं की पुस्तक (जैसे-निबंध
-मिलना रहस्य ज्ञात होना; रग फड़कना उत्साह, आवेश रचनावली) के लक्षण प्रकट होना; ~ग में सारे शरीर में; रग से रचयिता-सं० (वि०) रचना करनेवाला वाकिफ़ होना पूरी तरह जानना; रगे निकल जाना अत्यंत | रचयित्री-सं० (स्त्री०) रचना करनेवाली महिला दुबला-पतला होना
रचवाना-(स० क्रि०) 1 रचना कार्य कराना 2 रैंगवाना रगड़-(स्त्री०) 1 रगड़ने का काम 2 रगड़े जाने का भाव 3 रगड़ रचाना-(स० क्रि०) 1 आयोजन करना (जैसे-शादी रचाना)
जाने से लक्षित चिह्न 4 कठिन परिश्रम (जैसे-नौकरी के लिए 2 रँगाना 3 लगाना (जैसे-मेंहदी रचाना) रगड़ करना) 5 झगड़ा, तकरार (जैसे-रगड़-झगड़) 6 धक्का रचित-सं० (वि०) बनाया हुआ, निर्मित
(जैसे-भीड़ में रगड़ खाना)।झगड़ (स्त्री०)लड़ाई झगड़ा । रच्छा-बो० (स्त्री०) = रक्षा रगड़ना-I (अ० क्रि०) अत्यंत श्रम करना II (स० क्रि०) रज-I सं० (पु०) स्त्रियों का मासिक रक्तस्राव II सं० (पु०) 1 बार-बार दबाते हुए चलाना (जैसे-एड़ी रगड़ना) 2 पीसना । 1गर्द, धूल (जैसे-रज कण) 2 पराग 3 ज्योति। कण (जैसे-भाँग रगड़ना) 3 निरंतर परिश्रमपूर्वक काम करना (पु०) 1 धूलिकण 2 रजः कण, गर्द (जैसे-कलम रगड़ना) 4 निरंतर अभ्यास करना 5 परेशान | रजक-सं० (पु०) धोबी करना 6 संभोग करना
रजत-I सं० (पु०) चाँदी II (वि०) 1 चाँदी के रंग का,
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रजतमय
उज्जवल 2 चाँदी का बना। जयंती (स्त्री०) 25वीं वर्षगाँठ; ~पट (पु०) चलचित्र का पर्दा; पदक (पु०) चाँदी का तमग्रा (मेडल ); पात्र (पु०) चाँदी का बर्तन रजतमय-सं० (वि०) चाँदी का बना रजताचल-सं० (पु०) चाँदी का पहाड़ रजन-अं० (स्त्री०) राल नामक गोंद
रजना - ( अ० क्रि०) 1 रँगा जाना 2 रंग में डुबाया जाना II (स० क्रि०) 1 रंग से युक्त करना, रँगना 2 रंग में डुबाना रजनी - सं० ( स्त्री०) रात। ~कर (पु०) चंद्रमा; गंधा (स्त्री०) 1 रात में खुशबू देनेवाला एक पुष्पवृक्ष 2 रातरानी; चर I (वि०) रात में चलनेवाला II (पु० ) 1 राक्षस 2 चंद्रमा; जल (पु० ) 1 ओस 2 कोहरा; ~मुख (पु० ) संध्या
राजबहा
रजपूती - बो० (स्त्री०) 1 वीरता 2 राजपूत होने का भाव रजबहा - ( पु० ) रजवंती, रजवती - (वि०) = रजस्वला रजवाड़ा - ( पु० ) 1 देशी रियासत 2 राजा
=
रजस्, रजस् गुण-सं० (पु० ) भोग विलास की वृत्ति रजस्वला -सं० (वि० / स्त्री०) 1 प्रवाहित रजवाली, ऋतुमती 2 गेंदला और मटमैला
रज़ा - अ० (स्त्री०) 1 इच्छा, मरज़ी 2 आज्ञा, अनुमति 3 छुट्टी, रुख़सत 4 प्रसन्नता । ~कार + फ़ा० (पु०) स्वंय सेवक; ~मंद + फ़ा० (वि०) राज़ी, सहमत, मंदी + फ़ा० (स्त्री०) सहमति
रज़ाई-फ़ा० (स्त्री०) छोटा लिहाफ़, दुलाई रजायस - (स्त्री०) 3 अनुमति
रजिया - I (स्त्री०) 1 डेढ़ सेर का बाँट 2 डेढ़ सेर मान, नापने का डेढ़ सेर का मान
=
1 राजा की आज्ञा 2 आदेश, आज्ञा
रजिया - II ( स्त्री०) दूध शरीक बहन रजिस्टर - अं० ( पु० ) 1 आय व्यय आदि लिखने की बही, पंजीयन 2 उपस्थिति बही (जैसे-हाज़िरी का रजिस्टर ) । रजिस्टर्ड ~शुदा + फ़ा० (वि०) रजिस्टरी - I अं० + हिं० (स्त्री०) 1 पंजीकृत करना 2 रजिस्टर
पर चढ़वाना II (स्त्री०) डाक से पत्र भेजने का एक ढंग रजिस्टर्ड - अं० (वि०) पंजीकृत रजिस्ट्रार - अं० ( पु० ) 1 विधिक लेख्यों को राजकीय पंजियों में निबंधित करनेवाला अधिकारी 2 विश्वविद्यालय कार्यालय का प्रधान अधिकारी
रजिस्ट्री - II अं० + हिं० (स्त्री०) रजिस्टरी I रजिस्ट्री - II अं० (स्त्री०) = रजिस्टरी II शुदा + फ़ा०
(वि०) रजिस्टर्ड
रजिस्ट्रेशन - अं० (पु० ) रजिस्ट्री II
रज़ील - अ० (वि०) अधम, कमीना, नीच
रजोगुण - सं० ( पु० ) = रजस् गुण, भोग विलास और राजसी
=
691
=
ठाठ बाठ
रजोदर्शन - सं० (पु० ) पहली बार स्त्री का रजस्वला होना रजोधर्म -सं० (पु० ) स्त्रियों का मासिक धर्म रजोनिवृत्ति - सं० (स्त्री०) सदा के लिए मासिक धर्म का बंद हो
जाना
रत
रजोविरति-सं० (स्त्री०) चि० मासिक धर्म का बंद होना रज्जु-सं० (स्त्री०) डोरी, रस्सी। ~ मार्ग (पु०) रस्सी से बनाया
गया रास्ता
रज्जाक - I अ० (वि०) रोज़ी देनेवाला, अन्नदाता II ( पु० ) ईश्वर, अल्लाह
रज्जु-सं० (स्त्री०) रस्सी
रज़्म - फ़ा० (स्त्री०) लड़ाई, युद्ध
रटंत, रट - (स्त्री०) बार-बार पढ़ना, रटाई
रटन - I (स्त्री०) रट लगाना II ( पु० ) ज़ोर-ज़ोर से बोलना,
कहना
रटना - (स० क्रि०) बार-बार ज़ोर-ज़ोर से जल्दी-जल्दी उच्चारण करना (जैसे-अंग्रेज़ी का माने रटना)
रटाना - (स० क्रि०) रटने में प्रवृत्त करना
रटा रटाया - (वि०) कंठस्थ
रटित- (वि०) 1 रटा हुआ 2 जो रटा जा रहा हो रट्टू - (वि०) रटनेवाला (जैसे-रट्टू तोता ) रठ-बो० (वि०) रूखा, शुष्क
रड़क - (स्त्री०) 1 चुभने और पीड़ा देने का भाव 2 हलका दर्द,
कसक
रड़कना - (अ० क्रि०) 1 हलका दर्द होना 2 चुभनेवाली वस्तु कष्टदायक अनुभूति होना
रड़काना - (स० क्रि०) धक्का देकर निकालना रडार - अं० (पु० ) किसी वस्तु की स्थिति जानने का एक यंत्र रढ़िया - I बो० (स्त्री०) साधारण देशी कपास रढ़िया - II ( वि०) हठी, ज़िद्दी
रण-सं० (पु० ) युद्ध, संग्राम (जैसे- घमासान रण होना) । ~कामी (वि०) = रण प्रिय; ~कारी (वि०) युद्ध करनेवाला; ~ कौशल (पु०) युद्ध की चतुराई; क्षेत्र (पु० ) युद्धभूमि ~ क्षेत्री, ~ क्षेत्रीय (वि०) युद्ध भूमि का (जैसे-रण क्षेत्रीय तोप); चंडी (स्त्री०) मारकाट करानेवाली देवी; नीति (स्त्री०) युद्ध के नीति नियम; ~नीतिक (वि०) रणनीति का; पोत (पु०) लड़ाई का जहाज़; ~ प्रशिक्षण (पु० ) युद्ध की शिक्षा देना; प्रिय (वि०) युद्ध का प्रेमी, युद्ध करनेवाला; बाँकुरा + हिं० (पु० ) योद्धा ~ भूमि (स्त्री०) रण क्षेत्र; ~मत्त (वि०) युद्ध में मस्त ~ मद (पु० ) युद्ध का नशा; रंग (पु० ) युद्ध का मज़ा; ~लक्ष्मी (स्त्री०) विजय लक्ष्मी; ~लोलुप (वि०) रण की इच्छा करनेवाला; ~ वाद्य (पु) युद्ध का बाजा; ~संकुल (पु०) घमासान युद्ध; सज्जा (स्त्री०) युद्ध की तैयारी; ~सहाय (पु०) युद्ध में सहायक, मित्र; ~सामग्री (स्त्री०) युद्ध के सामान (जैसे-बंदूक, तोप, भाला आदि); ~सिंघा + हिं० (पु०) तुरही नामक बाजा; ~ स्तंभ (पु० ) विजय का स्मारक; ~ स्थल (पु० ) = रण क्षेत्र; हुंकार (पु०) युद्ध की ललकार रणत्कार-सं० (पु०) झनझनाहट रणन-सं० (पु०) बजाना रणांगण - सं० (पु० ) = रण क्षेत्र रणाभिलाषी-सं० (वि०) = रण प्रिय
=
रत - I सं० ( पु० ) 1 मैथुन, प्रसंग 2 प्रीति, प्रेम II (वि०) मनोयोग से लगा हुआ, आसक्त (जैसे कार्य रत, प्रेम रत)
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रतजगा-(पु०) रात में होनेवाला जागरण
घोड़े जोतना)। कार (पु०) रथ बनानेवाला कारीगर; रतन-(पु०) = रत्न
महोत्सव (पु०), रथ यात्रा (स्त्री०) आषाढ़ शुक्ल रतनारा-(वि०) लाल रंग का; सुर्ख
द्वितीया को होनेवाला एक हिंदू पर्व (जैसे-जगनाथ की रथ रतनारी-I (पु०) एक प्रकार का धान II (स्त्री०) लाली, सुर्जी यात्रा); ल्वाह (पु०) 1सारथि 2 घोड़ा; ~शाला (स्त्री०) रत हिंडक-सं० (पु०) 1त्रियाँ चुरानेवाला व्यक्ति 2 कामुक रथ रखने का स्थान और लंपट व्यक्ति
रथवान्-सं० (पु०) सारथि रता-बो० (स्त्री०) भुकड़ी
रथांग-सं० (पु०) 1 रथ का पहिया 2 चक्र रतार्थी-सं० (पु०) लंपट, कामी
रथिक-सं० (पु०) रथ पर सवार व्यक्ति, रथी रतालू-(पु०) 1 पिंडालू 2 बराही कंद
रथी-I सं० (पु.) 1 योद्धा 2 रथ पर सवार व्यक्ति रति-सं० (स्त्री०) 1रत होने का भाव 2 आनंद, तृप्ति रथी-II (स्त्री०) अरथी (जैसे-प्रेम रति, काम रति) 3 साहि० अंगार रस का स्थायी रथोत्सव-सं० (पु०) = रथ यात्रा भाव 4 संभोग, मैथुन (जैसे-सृष्टि रति प्रधान है) 5 प्रेम, प्रीति | रथ्य-सं० (पु०) 1 रथ में जोता जानेवाला घोड़ा 2 रथ (जैसे-रतिमय, रतिमन) 6 शोभा, छवि (जैसे-आनंद रति, चलानेवाला, सारथि रतिमय दृश्य)। ~कर I (वि०) 1 आनंद वर्द्धक 2 प्रेम रथ्या-सं० (स्त्री०) 1 रथों का समूह 2 रथ के चलने से बना वर्द्धक II (पु०) कामुक और लंपट व्यक्ति; ~कर्म (पु०) मार्ग 3 रथ चलने का मार्ग संभोग; कलह (पु०) मैथुन, संभोग; ~कुहर (पु०) | रद-I सं० (पु०) दंत, दाँत। दान (पु०) दाँतों का निशान योनि, भग; ~केलि (स्त्री०) मैथुन, संभोग; क्रिया | लगाना; ~पट (पु०) ओंठ, अधर (स्त्री०) समागम क्रिया, मैथुन; ज्ञ (पु०) 1 रति क्रिया में रद-II अ० (वि०) रद्द। बदल (पु०) रद्दोबदल चतुर व्यक्ति 2 स्त्रियों को प्रेम में फँसाने की कला में चतुर रदक्षत-सं० (पु०) सहवास काल में दाँतों के गड़ने का निशान, व्यक्ति; तस्कर (पु०) = रति हिंडक; पति (पु०) दंतक्षत कामदेव; प्रिय I (वि०) कामुक II (पु०) कामदेव; रदच्छद-सं० (पु०) अधर, ओष्ठ, होंठ
प्रीता (स्त्री०) 1 कामिनी 2 रति से आनंदित स्त्री; बंध रदन-सं० (पु०) दाँत, दंत । (पु०) संभोग के समय का आसन; ~भवन (पु०) रति रदीफ़-अ० (स्त्री०) 1 घोड़े पर पीछे बैठनेवाला व्यक्ति 2 पीछे संबंधी कमरा; ~भाव (पु०) 1 स्त्री और पुरुष का आपस की ओर रहनेवाली सेना 3 राज़ल आदि में हर काफ़िए के बाद का प्रेम 2 प्रेम, प्रीति; ~मंदिर (पु०) रति भवन; ~मदा में आनेवाला शब्द या शब्द समूह। ल्वार + फ़ा० (क्रि० (स्त्री०) अप्सरा; ~रमण (पु०) 1 रति क्रीड़ा, मैथुन वि०) 1 रदीफ़ के अनुसार 2 अक्षर क्रम से 2 कामदेव; ~राज (पु०) कामदेव; ~शक्ति (स्त्री०)| रद्द-अ० (वि०) 1 बदला हुआ 2 ख़राब, निकम्मा 3 बेकार संभोग शक्ति; ~साधन (पु०) पुरुष लिंग
किया गया, अनुपयुक्त। बदल (पु०) उलट फेर, परिवर्तन रतिगर-बो० (अ०) प्रातः काल, सबेरे
रहा-(पु०) 1 लंबाई में एक ईंट की जोड़ाई 2 गरदन पर कहनी रतून-(पु०) पेड़ी का गना
और कलाई के बीच की हड्डी से आघात करना (जैसे-एक रद्दा रतौंधी-(स्त्री०) चि० रात में न दिखाई पड़ने का नेत्र संबंधी रोग जमाना)। जमाना, ~लगाना ईंट की एक तह पर दूसरी रत्ती-I (स्त्री०) 1 माशे के आठवें अंश के बराबर की एक तौल तह जमाना
2 इस तौल का बटखरा II (वि०) बहुत ही थोड़ा । रद्दी-[अ० + फ़ा० (वि०) अनुपयोगी (जैसे-रद्दी सामान, रद्दी रत्थी-(स्त्री०) अरथी
कपड़ा) II (स्त्री०) पुराने और बेकार के काग़ज़ (जैसे-रद्दी रत्न-सं० (पु०) 1 बहुमूल्य और चिकना पदार्थ (जैसे-हीरा, बेचना) खाना + फ़ा० (पु०) रद्दी रखने का स्थान पत्रा, माणिक आदि) 2 अपने वर्ग, जाति में श्रेष्ठ, उत्तम रद्दोबदल-अ० + फ़ा० + अ० (पु०) उल्टा-पल्टी, (जैसे-सभा का रत्न, ग्रंथ रत्न) 3 धन (जैसे-पुत्र रत्न)। झगड़ा-टंटा
~कार (पु०) जौहरी; जटित (वि०) रत्न जड़ा हुआ | रन-अं० (पु०) क्रिकेट के खेल में बल्लेबाज़ द्वारा एक सिरे से (जैसे-रत्न जटित मुकुट); ~धर (वि०) धनवान, अमीर;| दूसरे सिरे तक लगाई जानेवाली दौड़। बाँकुरा (पु०) ~माला (स्त्री०) रत्नावली; राशि (स्त्री०) रत्नों का योद्धा; ~संख्या + सं० (स्त्री०) बल्लेबाज़ द्वारा लगाए रन समूह; ~शाला (स्त्री०) रत्नों के रखने का स्थान: -शिल्पी की संख्या, योग (जैसे-उस खिलाडी ने सौ रन (पु०) रत्नकार
बनाए) रत्नाकर-सं० (पु०) 1 रत्नों की खान 2 समुद्र, सागर रनर-अं० (पु०) दौड़ाक। ~अप (पु०) विजय में दूसरे रत्नाधिपति-सं० (पु०) कुबेर
स्थान पर आनेवाला रत्नाभूषण-सं० (पु०) रत्न का बना आभूषण
रनवास-(पु०) रानियों का महल, अंतःपुर रत्नावली-सं० (स्त्री०) 1 रत्नों की श्रेणी 2 रत्नों की माला | रनवे-अं० (पु०) दौड़पथ, धावन पथ
3 साहि० एक अर्थालंकार जिसमें बात को श्लिष्ट शब्दों में | रनिवास-(पु०) = रनवास कहने से प्रस्तुत अर्थ के अलावा अन्य अर्थ भी ज़ाहिर होता हो | रपट-I (स्त्री०) 1 रपटने का भाव 2 फिसलने की जगह 3 तेज़ (जैसे-आप चतुरास्य, लक्ष्मीपति और सर्वज्ञ हैं)
चलने की क्रिया रथ-सं० (पु०) एक तरह की प्राचीन गाड़ी, बहल (जैसे-रथ में | रपट-II अं० (स्त्री०) रिपोर्ट
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रपटना
रपटना- (अ० क्रि०) 1 फिसलना, सरकना 2 जल्दी जल्दी
चलना
रपटाना - (स० क्रि०) 1 रपटने में प्रवृत्त करना 2 जल्दी से पूरा
करना
रपटा रपटी - ( स्त्री०) 1 झपटा झपटी 2 जल्दी रपटीला - (वि०) फिसलनेवाला
रपट्टा - (पु० ) 1 फिसलन, फिसलाव 2 चपेट, झपट्टा 3 दौड़ धूप
रफ़ - अं० (वि०) 1 खुरदरा (जैसे-रफ़ घरातल) 2 नमूने के तौर पर बनाया गया (जैसे-रफ़ फ़ोटो, रफ़ लिखावट) रफ़्ता रफ़्ता-फ़ा० ( क्रि० वि०) धीरे-धीरे रफल - I अं० ( पु० ) एक तरह की ऊनी मोटी चादर रफल - II अं० (स्त्री०) रायफ़ल
रफा- अ० (वि०) 1 हटाया हुआ 2 मिटाया हुआ 3 समाप्त ~दना (वि०) 1 फ़ैसला करना 2 ख़त्म करना 3 तयशुदा बात 4 फ़ैसला
रफ़ाक़त - अ० (स्त्री०) 1 संग 2 मेल जोल 3 वफ़ादारी 4 एकता
रफू-अ० (पु० ) जले या फटे कपड़े के छोटे सुराख़ में तागे भरकर बराबर करना, जाली लगाना। ~गर + फ़ा० (पु०) रफ़ू करनेवाला कारीगर; ~गरी + फ़ा० (स्त्री०) रफ़ू करने का काम; चक्कर हिं० (वि०) चंपत, गायब रफ़्तनी - I + फ़ा० (स्त्री०) 1 जाने का भाव 2 निकासी, निर्यात II (वि०) जानेवाला
+
रफ़्तार -फ़ा० (स्त्री०) 1 गति, चाल 2 प्रगति (जैसे-पढ़ने की रफ़्तार ) 3 दशा, हालत। ~ गुफ़्तार (स्त्री०) चाल चलन, तौर तरीका
रफ़्ता-रफ़्ता-फ़ा० (अ०) = रफ़्ता रफ़्ता रब - अ० ( पु० ) 1 ईश्वर 2 मालिक
रबड़ -अं० (पु०) 1 एक वृक्ष के रस को पकाकर बनाया जानेवाला एक लचीला पदार्थ 2 रबड़ की बनी वस्तु । ~ उद्योग + सं० (पु०) रबड़ का काम, धंधा; छंद + सं० (पु०) मात्रा आदि के बंधन से मुक्त छंद रबड़ना - I (अ० क्रि०) घूमना, चलना II (स० क्रि०) 1 घुमाना, चलाना 2 फेंटना 3 अधिक परिश्रम करना रबड़ा-अ० हिं० ( पु० ) = रबड़ रबड़ी - (स्त्री०) गाढ़ा किए गए दूध का लच्छेदार रूप । ~मलाई (स्त्री०) देशी आइसक्रीम
रबदा - (पु० ) 1 बार-बार आने जाने से होनेवाला श्रम 2 कीचड़ रबर अं० (५०) रबड़
रबाब - अ० (पु० ) एक तरह की सारंगी
+
रखाबिया - अ० हिं० (पु० ) रबाब बजानेवाला रबी - अ० (स्त्री०) 1 वसंत ऋतु 2 वसंत ऋतु की फ़सल रब्त - अ० (पु० ) 1 अभ्यास, मश्क, मुहावरा 2 संबंध, रिश्ता । ज़ब्त (पु० ) 1 मेल-जोल 2 आमद रफ़्त 3 ज़ब्त करना 4 निरोध करना
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रब्बा - फ़ा० बो० (पु०) तोपखाने की गाड़ी रब्बानी-अ० (वि०) ईश्वरीय
रभस - I सं० (पु० ) 1 आवेश 2 औत्सुक्य 3 वेग 4 शोक, अनुताप 5 मिलन 6 हर्ष 7 प्रबल कामना II (वि०) 1 वेगा
रम्ज़
युक्त 2 प्रबल 3 हर्ष युक्त
रम-अं० ( पु० ) विलायती शराब रमक - I (स्त्री०) 1 तरंग, लहर 2 पेंग रमक - II सं० ( पु० ) 1 प्रेम पात्र 2 प्रेमी 3 उपपति रमक़-अ० (स्त्री०) 1 अंतिम श्वास 2 अंतिम जीवन 3 नशे का असर 4 थोड़ा सा अंश
रमकना - I (अ० क्रि०) 1 हिंडोले पर झूलना, पेंग मारना 2 झूमते हुए चलना II (अ० क्रि०) प्रभाव दिखाई देना रमचेरा - (पु० ) सेवक, टहलुआ
रमज़ान - अ० (पु० ) 1 अरबी वर्ष का नवाँ महीना, रोज़ा का महीना
रमज़ानी - अ० (वि०) 1 रमज़ान का 2 रमज़ान में उत्पन्न रमझोला - ( पु० ) घुँघर, नूपुर
रमण - I सं० ( पु० ) 1 मन प्रसन्न करने की क्रिया, क्रीड़ा, विलास 2 स्त्री प्रसंग, मैथुन (जैसे- स्त्री रमण) 3 घूमना फिरना, विहार 4 स्त्री का पति 5 कामदेव (जैसे-रमण देव, रमण स्वामी) II ( वि० ) 1 विहार करनेवाला 2 रमण के योग्य 3 प्रिय (जैसे-रमण दृश्य, रमण भाव ) रमणी - सं० (स्त्री०) 1 युवती और सुंदर स्त्री (जैसे- रमणी के साथ विलास करना) 2 औरत, नारी (जैसे-रमणी की करुण कथा) 3 सुगंध बाला रमणीक - (वि०) मनोहर (जैसे- रमणीक स्थान ) रमणीय - सं० (वि०) 1 रमण योग्य (जैसे- रमणीय कुंज)
2 सुंदर । ~ता (स्त्री०) 1 रमणीय होने का भाव 2 सुंदरता रमण्या -सं० (स्त्री०) नारी
रमता - (वि०) घूमता फिरता (जैसे- रमता जोगी बहता पानी ) रमना - I (अ० क्रि०) 1 रमण करना 2 ठहरना 3 मज़ा लेना
4 रति क्रीड़ा करना (जैसे-अधिक रमना स्वास्थ्य के लिए अहितकर है) 5 अनुरक्त या लीन होना (जैसे- प्यार में रमना) 6 चक्कर लगाना, घूमना फिरना (जैसे- जोगी का गाँव में रमना) 7 व्याप्त होना (जैसे- आत्मा का सभी प्राणियों में रमना) 8 प्रसन्न होना (जैसे-मन का रमना) II ( पु० ) 1 चरागाह 2 उपवन
रमल - अ० ( पु० ) 1 पासे की बिंदियों की गणना के आधार पर किया गया घटना संबंधी भविष्य कथन 2 इस प्रकार के कथन से संबंधित ज्ञान
रमा-सं० (स्त्री०) लक्ष्मी (जैसे- रमापति ) । कांत (पु० )
विष्णु
रमात्मक-सं० (वि०) रमा संबंधी। ता (स्त्री०) रमात्मक
भाव
रमाना - (स० क्रि०) 1 रमण कराना 2 अनुरक्त बनाना, लुभाना (जैसे- प्रेम में रमाना ) 3 अनुकूल बनाना (जैसे - नायिका ने रूठे नायक को रमा लिया) 4 संयुक्त करना, लगाना (जैसे- काम में मन रमाना ) 5 लगाना, पोतना (जैसे-भभूत रमाना )
रमूज़ - अ० (स्त्री०) 1 इशारा 2 कटाक्ष 3 पहेली 4 भेद, रहस्य रमेश - सं० ( पु० ) विष्णु
रमैती - (स्त्री०) 1 काम करने के बदले काम करने की प्रथा 2 इस प्रकार के काम में लगा समय, दिन रम्ज़-अ० (स्त्री०) = रमूज़
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रम्माल
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रम्माल-अ० (पु०) रमल विद्या का ज्ञाता
(जैसे-अपना रवैया बदल दो) 3 तौर तरीका, रंग ढंग रम्य-सं० (वि०) रमणीय (जैसे-रम्य दृश्य)
रशना-(खी०) 1 रस्सी 2 लगाम रम्या-(स्त्री०) रात
रश्क-फा० (पु०) ईर्ष्या, जलन रम्हाना-(अ० क्रि०) राना
रशियन-I अं० (वि०) रूसी II (पु०) रूस का निवासी, रय-I बो० (पु०) धूल, रज
रूसी III रूस की भाषा रय-II सं० (पु०) 1 वेग, तेज़ी 2 प्रवाह, बहाव रश्की-फ़ा० (वि०) 1 जलन से संबद्ध 2 ईष्यालु 3 कुन रय्यत-अ० बो० (स्त्री०) प्रजा, रिआया
संबंधी 4 हसदवाला ररकना-(अ० क्रि०) बो० = रड़कना
रश्मि-सं० (स्त्री०) 1 किरण 2 बरौनी (जैसे-नेत्र रश्मि) 3 घोड़े री-I (वि०) 1 झगड़ालू 2 अधम नीच
की लगाम, बाग। -चित्रण (पु०) = रेडियो चित्रण; रलना-(अ० क्रि०) 1 घुल मिल जाना (जैसे-दूध में चीनी चित्र पट (पु०) = रंगावली; ~माली (पु०) सूर्य
रलना) 2 सम्मिलित होना (जैसे-दो दलों का रलना) रस-सं० (पु०) 1 स्वाद (जैसे-भोजन का रस, फल का रस) रव-सं० (पु०) 1 आवाज़, शब्द (जैसे-कलरव) 2 शोर गुल, 2 जलीय अंश (जैसे-गन्ने का रस, संतरे का रस) 3 जूस, होहल्ला (जैसे-जन रव)
शोरबा (जैसे-सब्ज़ी का रस, पके गोश्त का रस) 4 साहिक रवकना-(अ० क्रि०) 1 तेज़ी से आगे बढ़ना 2 झपटना शृंगार, हास्य, करुण, वीर, वीभत्स, रौद्र भयानक, शांत और 3 उछलना
अद्भुत में प्रत्येक भाव (जैसे-शृंगार रस का स्थायी भाव रति रखताई-(स्त्री०) 1 रावत होने का भाव 2 रावत का कर्तव्य है) 5 आनंद, मौज (जैसे-सिनेमा का रस लूटना, प्रेम का रस 3 स्वामित्व, प्रभुत्व
लेना) 6 सुखद तत्व (जैसे-काव्य रस) 8 प्रकार, तरह रवन्ना-फा० (पु०) 1 घरेलू नौकर (जैसे-अन्ना रवन्ना) 2 रवाना (जैसे-एक रस, सम रस) 8 प्रीति-प्रेम (जैसे-जीवन रस) किए गए माल का ब्योरा लिखने का काग़ज़ 3 अनुमति पत्र 9 यौवन काल में उत्पन्न अनुराग,प्रेम (जैसे-रस में डूबना, रस (जैसे-चुंगी चुकाने की प्राप्त रखना)
की उत्पत्ति)। ~कपूर हिं० (पु०) औषधोपयोगी सफ़ेद रंग रवा-फा० (वि०) 1 अभ्यस्त 2 प्रचलित 3 प्रवाहित 4 तेज़ की एक धातुः केलि (स्त्री०) 1 हँसी दिल्लगी 2 क्रीडा, धारवाला 5 रवाना
विहार; ~खीर (स्त्री०) मीठा भात; ~गुल्ला (पु०) के रवाँस-(पु०) बोड़े की जाति का एक पौधा और उसकी फली से बनाई जानेवाली एक मिठाई; ~घन I (वि०) अत्यधिक रवा-I (पु०) 1 कण, दाना (जैसे-चीनी का रवा 2 कोणाकार स्वादयुक्त II (पु०) कृष्ण; ज (पु०) 1 गुड़ 2 शराब की या लंबोतरे टुकड़े, केलास 3 घुघरू में आवाज़ करनेवाले दाने। तलछट 3 रसौत; ज्ञ (वि०) 1 रस का ज्ञाता 2 काव्य रस दार + फ़ा० (वि०) रवा से युक्त
का ज्ञाता 3 निपुण; ~ज्ञता (स्त्री०) रसज्ञ होने की अवस्था; रवा-II फ़ा० (वि०) 1 उचित 2 प्रचलित। ~दार (वि०) दार + फ़ा० (वि०) रसयुक्त; द्रव्य (पु०) रासायनिक 1 उदारचेता 2 शुभचिंतक 3 सहनशील
प्रक्रियाओं से बना रस; ~पति (पु०) चंद्रमा; पाकज रवानगी-फ़ा० (स्त्री०) प्रस्थान
(पु०) = राब; पाचक (पु०) = रसोइया; पान रवाना-फा० (वि०) 1 प्रस्थित 2 भेजा गया
(पु०) 1 रस पीना 2 आनंद लेना; ~बतियाव (पु०) = रवानी-फा० (स्त्री०) 1 रवाँ होने का भाव, रवाना होना 2 बहाव रसवाद; बत्ती (स्त्री०) बंदूक, तोप आदि दाग़ने का 3 प्रस्थान
पलीता; ~भरी + हिं० (स्त्री०) मकोय; ~भस्म (पु०) रवाब-अ० (पु०) = रबाब
पारे का भस्म; ~भीना + हिं० (वि०) रस में डूबा; ~मल रवाबिया-I (पु०) लाल बलुआ पत्थर
(पु०) शरीर से निकलनेवाला मल; रंग (पु०) 1 प्रेम रस रवाबिया-II अ० + हिं० (पु०) = रबाबिया
2 प्रेम क्रीड़ा; ~राज (पु०) 1 श्रृंगार रस 2 रसौत 3 वैद्यक में रवायत-अ० (स्त्री०) = रिवायत
एक औषध; ~वत्ता (स्त्री०) 1 रसीलापन 2 माधुर्य; वाद रवारवी-फ़ा० (स्त्री०) 1 शीघ्रता, जल्दी 2 भाग दौड़ 3 चल | (पु०) 1 प्रेम, आनंद की बातचीत 2 हास परिहास 3 प्रेमी चलाव
प्रेमिका के बीच की बकवास 4 साहि० रस का ध्यान रखते हुए रवि-सं० (पु०) सूर्य। ~कर (पु०) सूर्य किरण; ~कुल साहित्य रचना करने का सिद्धांत; विक्रयी (पु०) शराब (पु०) सूर्य वंश; चक्र (पु०) = रवि मंडल, ~तनय बेचनेवाला; ~विदग्ध (वि०) = रसज्ञ; ~ विरोध (पु०) (पु०) 1 यमराज 2 शनि; तनया (स्त्री०) यमुना; दिन 1 एक ही पद्य में होनेवाली दो परस्पर प्रतिकूल रसों की स्थिति (पु०) = रविवार; ~मंडल (पु०) सूर्य के चारों ओर दिखाई 2 स्वाद बिगाड़ने वाले रसों का मिश्रण; ~संप्रदाय (पु०) देनेवाला लाल मंडलाकार बिंब; ~वार (पु०) शनिवार और रसवादी वर्ग; सिद्ध (वि०) रसाभिव्यक्ति करने में कुशल सोमवार के बीच का वार, इतवार; ~वारीय (वि०) रविवार
(कवि) का
रसन-सं० (पु०) सुहागा रविश-फ़ा० (स्त्री०) 1 गति, चाल 2 आचार व्यवहार 3 तौर रसद-I (वि०) 1 रस देनेवाला 2 स्वादिष्ट 3 सुख देनेवाला
तरीका, रंग ढंग 4 शैली 5 बगीचे में चलने के लिए बना छोटा रसद-II फ़ा० (स्त्री०) 1 खाद्य सामग्री, अनाज 2 बाँट । मार्ग
खाना (पु०) खाद्य भंडार; पानी + हिं० (पु०) दाना रवेदार-हिं० + फ़ा० (वि०) रवे के रूप में होनेवाला पानी, भोजन और जल; ~बंदी (स्त्री०) खाद्य सामग्री का रवैया-फा० (पु०) 1आचार व्यवहार 2 चाल चलन | प्रबंध; -विभाग + सं० (पु०) खाद्य विभाग
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रसन
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रहँट
ना (जैसे-जाते
(स्त्री०)
रसनेंद्रिय
गीत
रसन-सं० (पु०) स्वाद लेना, आस्वादन, चखना
रसिक-I सं० (पु०) प्रेमी II (वि०) 1 रस पान करनेवाला रसना-I (अ० क्रि०) 1 रस मग्न होना 2 खुश होना, हर्षित 2 काव्य मर्मज्ञ 3 सहदय 4 काव्य रस से आनंदित होनेवाला।
होना 3 टपकना 4धीरे-धीरे बहना (जैसे-घड़े से पानी रसना) ता (स्त्री०) 1 रसिक होने का भाव 2 हँसी मज़ाक करने की रसना-II सं० (स्त्री०) जीभ, ज़बान
प्रवृत्ति रसनेंद्रिय-सं० (स्त्री०) रस ग्रहण करने की इंद्रिय, जीभ, रसना रसिका सं० (स्त्री०) 1 दही का शरबत 2 ईख का रस रसम-अ० (स्त्री०) = रस्म
रसित-I सं० (वि०) रस से बना हुआ, रसयुक्त II (पु.) रसमय-सं० (वि०) रस में डूबा। ~मयता (स्त्री०) रसमय ___ अंगूर की शराब होने का भाव
रसिया-(पु.) 1 रस लेने का शौक़ीन व्यक्ति (जैसे-गाने बजाने रसरा-(पु०) = रस्सा
का रसिया) 2 कामुक और व्यसनी व्यक्ति (जैसे-रसिया के रसक्त्ता-सं० (स्त्री०) 1 रसीलापन 2 माधुर्य, मिठास 3 सुंदरता फेर में पड़ना) 3 प्रेमी (जैसे-सबका रसिया, तेरा रसिया कहाँ रसा-I (पु०) 1 शोरबा (जैसे-तरकारी का रसा) 2 जूस, रस । गया) 4 होली में गाया जानेवाला हास-परिहास मूलक एक
~दार + फ़ा० (वि०) रसवाला रसा-II सं० (स्त्री०) भूमि, पृथ्वी। तल (पु०) पृथ्वी के रसियाव-(पु०) = रसौर नीचे के सात लोकों में से छठा
रसीद-फा० (स्त्री०) 1 प्राप्ति, पहुँच (जैसे-पार्सल की रसीद, रसाई-फा० (स्त्री०) 1 पहँच 2 दाखिला 3 शक्ति
कपड़े की रसीद) 2 वस्तु आदि के मिलने का प्रमाण पत्र रसाकर्षण-सं० (पु०) रस खींचना
(जैसे-शुल्क की रसीद, चुंगी की रसीद)। बही + फ़ा० रसात्मक-सं० (वि०) 1 रसयुक्त 2 सुंदर। ~ता (स्त्री०) (स्त्री०) रसीद की किताब 1 रसात्मक होने का भाव 2 सुंदरता
रसीला-(वि०) 1 रस से भरा, रसयुक्त 2 स्वादिष्ट रसाधिका-सं० (स्त्री०) किशमिश
(जैसे-रसीला भोजन) 3 रसिया, रसिक 4 बाँका निराला रसानुभूति-सं० (स्त्री०) रस की अनुभूति
(जैसे-रसीला जवान, रसीली आँखें) रसाभास-सं० (पु०) साहि० साहित्यिक रचना में रस की पूर्ण | रसूख-अ० (पु०) 1प्रभाव 2 पहुँच
निष्पत्ति न होकर केवल आभास मात्र प्रतीत होना रसूम-अ० (पु०) 1 रस्म 2 नियम, कानून 3 नेग 4 नज़राना। रसायन-सं० (पु०) 1 पदार्थ का तत्वगतज्ञान, रसायन शास्त्र ~अदालत (पु०) सरकारी न्याय के लिए मुक़दमा दायर 2 जरा व्याधिनाशक औषधि 3 ताँबे से सोना बनाने का कल्पित करते समय दिया जानेवाला धन, कोर्टफीस, स्टांप योग 4 धातुओं को भस्म करने की विद्या। ज्ञ (पु०) | रसूल-अ० (पु०) ईश्वर का दूत, पैगंबर रसायन विद्या को जाननेवाला; -विज्ञान (पू०) रसायन रसोइया-(पु०) रसोई बनानेवाला शास्त्र विद्या (स्त्री०) = रसायन; ~शास्त्र (पु०) विज्ञान रसोई-(स्त्री०) भोजन। खाना + फ़ा०, घर (पु०) की वह शाखा जिसके अंतर्गत पदार्थों के गुण और उनकी अन्य भोजनालय, चौका; ~दार + फ़ा० (पु०) = रसोइया; प्रतिक्रियाओं का ज्ञान प्राप्त किया जाता है, कैमिस्ट्री; ~शास्त्री दारी + फ़ा० (स्त्री०) भोजन बनाने का पद और काम; (पु०) रसायन शास्त्र का ज्ञाता
बरदार + फ़ा० (पु०) भोजन ले जानेवाला रसायनिक-सं० (वि०) रसायन संबंधी (जैसे-पदार्थ का । रसोद्रेक-सं० (पु०) रसनिष्पत्ति, आनंद की प्राप्ति रासायनिक गुण)
रसोल्लास-सं० (पु०) आनंद की उमंग रसायनिकी-सं० (स्त्री०) रसायन संबंधी
रसौर-बो० (पु०) ईख के रस में पका चावल रसायनी-सं० (स्त्री०) 1 बुढ़ापे को दूर करनेवाली औषधि रसौली-(स्त्री०) चि० भौहों के पास आँख के ऊपर गिल्टी 2 अमृत संजीवनी (जैसे-रसायनी बूटी)
निकलने का रोग रसाल-I सं० (वि०) 1 रसपूर्ण 2 मीठा, मधुर 3 रसिक, रस्ता-फा० (पु०) = रास्ता सहृदय II (पु०) आम ~शर्करा (स्त्री०) गन्ने के रस से रस्म-अ० (स्त्री०) 1 परिपाटी, प्रथा (जैसे-शादी-ब्याह की बनी चीनी
रस्म) 2 बर्ताव, बात व्यवहार । ~अदायगी + फ़ा० (स्त्री०) रसालय-सं० (पु०) 1 रसशाला 2 आमोद प्रमोद का स्थान रस्म निभाना; रिवाज (पु०) 1 बात व्यवहार 2 परंपरा, 3 आम का पेड़
प्रथा (जैसे-धार्मिक और सामाजिक रस्म रिवाज) रसाला-सं० (स्त्री०) 1 सिखरन 2 श्रीखंड 3 दही में मिला सत्त | रस्मी-अ० (वि०) 1 रस्म संबंधी 2 साधारण 4 एक तरह की चटनी
रस्सा-(पु०) 1मूंज, सन आदि का बटा हआ मोटा रूप रसाव-(पु०) 1 रसने की क्रिया 2 रसकर निकला पदार्थ 2 ज़मीन की एक नाप जो 75 हाथ लंबी और 75 हाथ चौड़ी (जैसे-फोड़े का रसाव)
होती है, एक बीघा (जैसे-खेत का चार रस्सा अलग करना)। रसावर, रसावल-(पु०) = रसौर
~कशी + फ़ा० (स्त्री०) 1 एक प्रकार का व्यायाम मूलक रसावा-बो० (पु०) ऊख का रस भरा मटका
खेल 2 आपस की खींचातानी (जैसे-रस्साकशी करना) रसास्वादन-सं० (पु०) 1 रस चखना 2 सुख लेना रस्सी-(स्त्री०) डोरी, रज्जु (जैसे-रस्सी से बाँधना, रस्सी टूट रसास्वादी-सं० (वि०) 1 स्वाद लेनेवाला 2 मज़ा लेनेवाला गई)। बाट (पु०) रस्सी बनानेवाला 3 रस लेनेवाला
रहँट-(पु०) कुएँ से पानी निकालने का यंत्र विशेष (जैसे-रहँट रसिआउर-बो० (पु०) रस में पका चावल
चलाना)
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रहँटा
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रहँटा-(पु०) सूत कातने का चर्खा
रहीम-I अ० (वि०) = रहमान II (पु०) ईश्वर रहट-(पु०) = रहँट
रहुवा-बो० (पु०) टुकड़खोर, परमुखापेक्षी रहठा-(पु०) अरहर के पौधे का सूखा डंठल, कड़िया | राँकड़-बो० (स्त्री०) कम उपजाऊ भूमि रहन-I (स्त्री०) 1 रहने का भाव 2 रहना 3 रहने का ढंग 4 रहने रांकव-सं० (पु०) रंक नामक मग के रोओं से बना
और निभाने का व्यवहार। ~सहन (स्त्री०) 1 तौर तरीक़ा, राँग-(पु०) राँगा ढंग 2 आचरण 3 जीवन निर्वाह का ढंग (जैसे-उनका रहन राँगड़ी-बो० (स्त्री०) एक प्रकार का चावल सहन औसत दर्जे का है)
राँगा-(पु०) सफ़ेद रंग की एक प्रसिद्ध नरम धातु रहन-II अ० (पु०) गिरवी रखना, रेहन
राँचना-I (अ० क्रि०) 1 रंग से युक्त होना 2 प्रेम में अनुरक्त रहना-(अ० क्रि०) 1 ठहरना, स्थित होना (जैसे इन्हीं खंभों पर | होना II (स० क्रि०) 1 प्रेम में अनुरक्त करना 2 रंगना
छत रहेगी) 2 स्थिर होना (जैसे-गर्भ रहना) 3 निवास करना | सजना-I (स० क्रि०) रंजित करना II (स० क्रि०) राँगा का (जैसे-मकान में रहना) 4 समय बिताना (जैसे-धर्मशाला में टाँका लगाना रहना) 5 विद्यमान होना (जैसे-मेरे रहते तुम्हें कुछ ख़तरा नहीं) रौटा-I बो० (पु०) रहट 6 निर्वाह करना (जैसे-मुझे इस नौकरी में चार वर्ष रहना पड़ा) रौटा-II बो० = रहँटा 7 रखेली बनकर रहना 8 अच्छा और ठीक आचरण करना | रॉड-(स्त्री०) = रंडा 9 बाकी बचना (जैसे-मेरे पास केवल दो रुपए रह गए) रौढ़ना-बो० (स० क्रि०) विलाप करना, रोना 10 पीछे रह जाना (जैसे-मैं सिनेमा जाने से भी रह गया) राँध-I (पु०) पड़ोस. बग़ल II अ० पास, समीप III (स्वी०) 11 बाक़ी निकलना
राँधने का भाव। पड़ोस (पु०) पास पड़ोस, आस पास रहनी गहनी-(स्त्री०) = रहन |
राँधना-(स० क्रि०) पकाना रहनुमा-फ़ा० (पु०) = राहनुमा
रॉपी-(स्त्री०) पतली खुरपी के आकार का मोचियों का औज़ार रहनुमाई-फा० (स्त्री०) = राहनुमाई
राँभना-(अ० क्रि०) रंभाना रहम-अ० (पु०) 1 करुणा, दया 2 अनुग्रह. कृपा। -दिल राइटिंग टेबुल-अं० (पु०) लिखने की मेज़ -फा० (वि०) करुणापूर्ण, सहृदय
राइफ़ल-अं० (स्त्री०) घोड़ेदार बंदूक रहमान-अ० (वि०) दयालु, कृपालु
राई-(स्त्री०) 1 एक प्रकार की बहुत छोटी सरसों 2 बहुत कम रहमोकरम-अ० (पु०) दयामाया
मात्रा (जैसे-राई भर नमक दे दो) रहरी-बो० (स्त्री०) = अरहर
राउंड-अं० (स्त्री०) गोल। -टेबुल कांफ़रेंस (स्त्री०) गोल रहरू-(स्त्री०) खाद ढोने की छोटी देहाती गाड़ी
मेज़ सभा रहल-अ० (स्त्री०) दराज़दार छोटी चौकी
राउल-अं० (पु०) राजकुल में उत्पत्र व्यक्ति रहस्-सं० (पु०) 1 गुप्त, भेद 2 छिपी बात
राकड़-(स्त्री०) राँकड़ रहस बधावा-(पु०) वर के संग नववधु की जनवासे में आने राका-सं० (स्त्री०) पूर्णिमा की रात । की एक रस्म
राकेट-अं० (पु०) किसी अस्त्र को दूर तक फेंकने के लिए रहस्य-I सं० (पु०) गुप्त बात 2 मर्म, राज़ 3 छिपी हई बात प्रयुक्त एक यंत्र, अग्निबाण। ~अड्डा + हिं० (पु०) राकेट के 4 अध्यात्म संबंधी गुप्त तत्व या भेद II (वि०) 1जो खड़ा होने का स्थान; ~इंजीनियर (पु०) राकेट का सर्वविदित न हो 2 छिपाकर किया जानेवाला। ~भरा + हिं० अभियंता; चालित हिं० (वि०) राकेट से चलाया हुआ (वि०) रहस्य से पूर्ण; ~भेदन (पु०) रहस्योद्घाटन; | राक्षस-सं० (पु०) 1 दैत्य, निशाचर, असुर 2 दुष्ट प्रकृति का
~वाद (पु०) ईश्वर और सृष्टि के परम तत्व पर आश्रित तथा और निर्दय व्यक्ति । विवाह (पु०) युद्ध द्वारा कन्या प्राप्त सात्विक आत्मानुभूति से संबद्ध सिद्धांत; ~वादिता (स्त्री०) । करने का विवाह ~वादी I (वि०) रहस्यवाद संबंधी II (पु०) रहस्यवाद का | राक्षसी-[ सं० (स्त्री०) 1 राक्षस की स्त्री 2 राक्षस स्त्री अनुयायी
II (वि०) 1 राक्षस का 2 राक्षस की तरह का (जैसे-राक्षसी रहस्यमय-सं० (वि०) रहस्य युक्त
अत्याचार) रहस्यात्मक-सं० (वि०) = रहस्य मय
राख-(स्त्री०) जले पदार्थ का अवशेष, भस्म (जैसे-कोयले की रहस्योद्घाटन-सं० (पु०) रहस्य प्रकट करना
राख)। दानी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) राख रखने की रहस्योन्मुख-सं० (वि०) रहस्य की ओर बढ़ता हुआ रकाबी, राख रखने की प्याली रहाइश-(स्त्री०) = रिहाइश
राखी-I (स्त्री०) रक्षा बंधन पर्व पर बहन द्वारा भाई को बाँधा रहाई-(स्त्री०) 1 रहने का ढंग 2 सुखपूर्वक रहने का भाव | जानेवाला सूत्र 3 आराम, चैन
राखी-II बो० (स्त्री०) = राख रहा सहा-(वि०) बचा बचाया थोड़ा सा
राग-सं० (पु०) 1 विशिष्ट गान प्रकार (जैसे-संगीत में भैरव, रहित-सं० (वि०) 1 के बिना, के विहीन (जैसे-धन रहित, ज्ञान पंचम आदि राग) 2 अनुराग, प्रेम 3 इच्छा, कामना 4 सुखद रहित) 2 अभावपूर्ण 3 अलग और मुक्त (जैसे-कर्म और धर्म | अनुभूति (जैसे-शिशु के प्रति होनेवाला राग भाव) 5 क्रोध, से रहित)
गुस्सा 6 ईर्ष्या, द्वेष 7 प्रसत्र होने का भाव। द्वेष (पु०) प्रेम रहिला-(पु०) चना
और ईर्ष्या रंग (पु०) 1 आनंद मंगल 2 आनंद और खशी
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रागात्मक
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राजकरण
पुरुष)
का उत्सव; रंजन (पु०) हर्ष, आनंद मनाना; विवाद | 2 शासन व्यवस्था; ~सत्तात्मक । सं० (वि०) राजसत्ता (पु०) गाली गलौज़
संबंधी; सत्तावादी । सं० (वि०) = राजतंत्रवादी; रागात्मक, रागात्मिक-सं० (वि०) प्रेममय प्रीतिवर्धक ~सेवक + सं० (पु०) राज्य कर्मचारी रागान्वित-सं० (वि०) 1 प्रेमयुक्त 2 क्रोधयुक्त 3 अप्रसन, राज-II (पु०) राजा। ~अभिभावक । सं० (पु०) राजा नाराज़
का संरक्षक; ~कथा + सं० (स्त्री०) 1 राजा की कथा रागारुण-सं० (वि०) राग के कारण अरुण हआ
2 इतिहास; कन्या + सं० (स्त्री०) राजकुमारी; कुमारी रागिनी-सं० (स्त्री०) 1संगीत में राग की पत्नी + सं० (स्त्री०) राजा की पुत्री; कुल + सं० (पु०) (जैसे-राग-रागिनी) 2 चतुर और विदग्धा स्त्री (जैसे-काम राजवंश; गद्दी (स्त्री०) 1 राजसिंहासन 2 राज्याभिषेक रागिनी, रागिनी के प्रेम में फँसना)
3 राज्याधिकार; ~गामी + सं० (वि०) राजा के पास रागी-सं० (वि०) 1राग से युक्त 2 अनुरक्त, आसक्त जानेवाला; ~गायक +सं० (पु०) दरबारी कवि, गुरु 3 लाल, सुर्ख 4 विषय वासना में फँसा हुआ (जैसे-रागी + सं० (पु०) राजघराने का गुरु; ~गृह +सं० (पु०) राज
भवन; ~दया + सं० (स्त्री०) राजा की कृपा; दर्शन + राछ-(पु०) 1 कारीगरों का औज़ार 2 लकड़ी के भीतर का सं० (पु०) राजा का दर्शन; द्वार + सं० (पु०) राजा की साल, हीर 3 चक्की के बीच का बँटा 4 हथौड़ा (जैसे-राछ का ड्योढ़ी; ~द्वारिक + सं० (पु०) राजा का दरबान; -पति प्रहार)
+ सं० (पु०) = राजाधिराज; -पत्नी + सं० (स्त्री०) राजा राज-I (पु०) 1 राज्य (जैसे-राज का स्वामी) 2 राजकीय की पत्नी, साम्राज्ञी; ~पद + सं० (पु०) राजा का पद; शासन, हुकूमत। ऋण + सं० (पु०) शासन द्वारा दिया पुत्र + सं० (पु०) = राजकुमार; पुत्रिका सं० (स्त्री०) गया क़र्ज़; ~कर + सं० (पु०) राज्य कर, राज्य का = राजकुमारी -पुरुष + सं० (पु०) राजकर्मचारी; प्रभुत्व महसूल, ~कर्ता सं० (पु०) राजनीतिज्ञ; ~कर्मचारी + + सं० (पु०) राजा की सत्ता, राजा का अधिकार; ~प्रासाद सं० (पु०) शासन का कार्यकर्ता; ~कार्य सं० (पु.) + सं० (पु०) = राजभवन; बाड़ी (स्त्री०) राजा का शासन का काम; ~कोष + सं० (पु०) = राज्यकोष; उद्यान, राजवाटिका; ~भवन + सं० (पु०) राजमहल;
कोषीय + सं० (वि०) राजकोष का; ~क्षमा + सं० ~मंत्री सं० (पु०) राजा का सलाहकार; ~मत + सं० (स्त्री०) राज्य द्वारा दे गई माफ़ी; ~चिह्न + सं० (पु०) = (पु०) राजा का मत; ~महल + अ० (पु०) राजा के रहने राज्य चिह्न; ~च्युत + सं० (वि०) राज्य च्युत; ~तंत्र + का भव्य भवन, प्रासाद; ~महिषी + सं० (स्त्री०) पट्टरानी; सं० (पु०) 1 = राज्य तंत्र 2 राजा का शासन, राजा द्वारा ~माता + सं० (स्त्री०) राजा की माता; ~मुकुट + सं० शासन; ~तंत्रवाद + सं० (पु०) राजा का शासन उत्तम होता (पु०) राजा का मुकुट ~मुनि + सं० (पु०) = राजर्षि; है; तंत्रवादी + सं० I (वि०) राजतंत्रवाद का II (पु०) ~यान + सं० (पु०) 1 राजा की सवारी 2 पालकी; ~रथ राजतंत्रवाद का अनुयायी; दंड + सं० (पु०) राज्य द्वारा दी + सं० (पु०) = राजयान; ~राजेश्वर + सं० (पु०) गई सज़ा; दूत + सं० (पु०) राज्य का विदेश में प्रतिनिधि राजाओं का राजा, महाराजा; ~लक्ष्मी + सं० (स्त्री०)
दूतालय, दूतावास + सं० (पु०) राजदूत के रहने का 1 राजा का वैभव 2 राजा की सुख संपदा और शोभा; ~वंश आवास; दूतीय + सं० (वि०) राजदूत का; द्रोह + सं० + सं० (पु०) राजा का कुल; ~वंश्य + सं० (वि०) (पु०) राज्य के प्रति वैर; ~द्रोही सं० (वि०) राजवंश का; ~वसति + सं० (स्त्री०) = राजभवन; ~श्री राजद्रोह करनेवाला; लायक + सं० (पु०) राजनीतिज्ञ, + सं० (स्त्री०) = राज लक्ष्मी; ~संरक्षक + सं० (पु०) राजनीति का ज्ञाता; ~नीति + सं० (स्त्री०) राज्य के नीति राजा की रक्षा करनेवाला; ~सभा, ~समाज + सं० नियम नीतिचिंतक + सं० (पु०) राजनीति पर विचार (स्त्री०) राजा का दरबार; साक्षी + सं० (पु०) शाही करनेवाला; नीति विशारद + सं० (पु०) राजनीतिज्ञ; गवाह; सिंहासन सं० (पु०) राजगद्दी; ~सुत + सं०
नेता + सं० (पु०) राज्य का रहनुमा; पत्र + सं० (पु०) राजकुमार; ~सूय + सं० (पु०) सम्राट पद का (पु०) राजाज्ञा, शासनादेश, गज़ट; -पद्धति + सं० अधिकारी बनने हेतु राजा द्वारा किया गया एक विशेष यज्ञ; (स्त्री०) शासन प्रणाली; ~पाट + सं० (पु०) राजगद्दी; ~सेवक + सं० (पु०) राजा का सेवक; हर्म्य + सं०
प्रशासन + सं० (पु०) राज्य का शासन प्रबंध; बंदी (पु०) राजमहल (पु०) सरकारी कैदी; ~भाषा + सं० (स्त्री०) राज्य की | राज-III (वि०) 1 बड़ा 2 सर्वोच्च, श्रेष्ठ (जैसे-मणिराज, पावा (जैसे-हिंदी राजभाषा है); ~मुद्रा + सं० (स्त्री०) ग्रहराज आदि)। पथ + सं० (पु०) = राजमार्ग; ~मार्ग राज्य में प्रचलित सिक्का; ~लक्ष्म +सं० (पु०) राजचिह्न; + सं० (पु०) बड़ी सड़क; ~मार्ग निर्माण + सं० (पु०)
लक्ष्मा + सं० राज लक्षणों से युक्त पुरुष; च्वाद + सं० राजमार्ग की रचना; योग + सं० (पु०) अष्टांग योग (पु०) राजतंत्रवाद; ~वादी + सं० (वि०) राजतंत्रवादी; (जैसे-आसन, प्राणायम, यम, नियम आदि); ~वीथी +
विद्या + सं० (स्त्री०) राजनीति; विद्रोह + सं० सं० (स्त्री०) = राजपथ; ~संस्करण + सं० (पु०) पुस्तक (पु०) = राजद्रोह; विद्रोही + सं० (वि०) = राजद्रोही; का बहुत बढ़िया संस्करण; हंस + सं० (पु०) सोना पक्षी
व्यवस्था सं०(स्त्री०) = राज्य व्यवस्था;-शक्ति + सं० नामक बड़ा हंस (सी०) = राजसत्ता; संचालक +सं० (वि०) राज्य राज-IV फा० (पु०) रहस्य, भेद पसंचालन करनेवालां, सत्ता + सं० (स्त्री०) 1 राजतंत्र । राजकरण-सं० (पु०) अदालत, न्यायालय
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राजकीय
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राजकीय-सं० (स्त्री०) राज्य संबधी, राज्य का (जैसे-राजकीय | राजाज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 राजा की आज्ञा 2 राज्य का आदेश आदेश, राजकीय अधिकारी)
राजाधिकारी-सं० (पु०) 1 राज्य का अधिकारी 2 न्यायाधीश राजगीर-हिं० + फ़ा० (पु०) मकान बनानेवाला कारीगर या राजाधिदेय-सं० (पु०) राजा को दी जानेवाली सरकारी रकम मिस्त्री
राजाधिराज-सं० (पु०) राजाओं का राजा, सम्राट राजगीरी-हिं० + फ़ा० (स्त्री०) राजगीर का पद और काम राजाधिष्ठान-सं० (पु०) = राजधानी राजत-सं० (वि०) रजत संबधी, चाँदी का
राजानक-सं० (पु०) छोटा राजा राजता-सं० (स्त्री०) राजा का पद
राजापहरण-सं० (पु०)= राज्यसात्करण, राजा का अपहरण राजत्व-सं० (पु०) राजा होने का भाव। ~काल (पु०) = राजाभियोग-सं० (पु०) राजा द्वारा लगाया गया अभियोग राज्य काल
राजाभिषेक-सं० (पु०) = राज्याभिषेक राजदंत-सं० (पु०) सामने के नीचे और ऊपर के दो दो बड़े राजाहण-सं० (पु०) 1 राजा का दिया गया उपहार 2 राजा द्वारा दाँत, चौका
दिया गया दान राजधानी-सं० (स्त्री०) 1 राज्य का वह नगर जहाँ राजा का राजाश्रय-सं० (पु०) 1 राजा की शरण 2 राज्य की शरण स्थायी निवास हो 2 राज्य का शासन केंद्र (जैसे-देश की राजाश्रित-सं० (वि०) राजा या राज्य की शरण में आया हुआ राजधानी)
राजासन-सं० (पु०) = राजसिंहासन राजधुस्तूरक-सं० (पु०) 1 एक प्रकार का बड़े फूलवाला राजि-सं० (स्त्री०) 1पंक्ति, कतार 2 रेखा, लकीर धतूरा 2 कनक धतूरा
राजिका-सं० (स्त्री०) 1 क्यारी 2 पंक्ति 3 रेखा राजनय-सं० (पु०) = राज नीति
राजित-सं० (वि०) शोभित राजनयज्ञ-सं० (पु०) = राजनीतिज्ञ
राजी-सं० (स्त्री०) = राजि राजनयिक-सं० (वि०) = राजनीतिक
राज़ी-अ० (वि०) 1 प्रसन और संतुष्ट (जैसे-राज़ी खुशी) राजनीतिक-सं० (वि०) राजनीति से संबधित 2 अनुकूल, सहमत। नामा + फ़ा० (पु०) 1 सुलहनामा (जैसे-राजनीतिक क्षेत्र, राजनीतिक पुरुष)
2 स्वीकृत पत्र राजनीतिज्ञ-सं० (पु०) 1 राजनीति करनेवाला पुरुष 2 राजनीति राजीव-सं० (पु०) कमल का ज्ञाता
राजेंद्र-सं० (पु०) बादशाह, सम्राट्, राजाधिराज राजनैतिक-सं० (वि०) = राजनीतिक
राजेश्वर-सं० (पु०) = राजाधिराज राजन्य-सं० (पु०) 1क्षत्रिय 2 राजा
राजोपजीवी-सं० (पु०) = राजकर्मचारी राजप-सं० (पु०) 1राजा की अल्पवयस्कता अथवा असमर्थता राज्ञी-सं० (स्त्री०) रानी के कारण जिसे राज्य का कार्यभार सौंपा जाए वह व्यक्ति, राज्य-सं० (पु०) 1 संघ राज्य की इकाई (जैसे-उत्तर प्रदेश) शून्यपाल 2 सर्वप्रधान अधिकारी
2 निश्चित सीमाओंवाला प्रभुसत्तात्मक भूखंड (जैसे-भारत राजपत्रित-सं० (वि०) राजपत्र से संबंधित
एक विशाल राज्य है) 3 शासन (जैसे-बिहार राज्य का राजपूत-(पु०) 1क्षत्रिय वंश 2 क्षत्रिय वीर
प्रबंध)। ~कर (पु०) शासन द्वारा लगाया गया कर; राजपूती-(वि०) राजपूत संबंधी
~कर्ता (पु०) 1 शासक 2 राज कर्मचारी; ~कार्यालय राजबाहा-(पु०) नहर
(पु०) शासन का कार्य विभाग; ~काल (पु०) शासन राजमान-सं० (वि०) शोभित
अवधि (जैसे-राज्यकाल में घटी हुई घटनाओं का वर्णन); राजयक्ष्मा-सं० (स्त्री०) तपेदिक, टी० बी०
~कोष (पु०) सरकार का खजाना; क्रांति (स्त्री०) राज्य राजयक्ष्मी-सं० (वि०) क्षयरोगी
आंदोलन; क्षेत्र (पु०)व्यवस्थित राज्य के अंतर्गत आनेवाली राजर्षि-सं० (पु०) राजवंश या क्षत्रिय वंश में उत्पन्न ऋषि सीमा; ~क्षेत्रातीत (वि०) राज्य के बाहर का होनेवाला; राजस-सं० (वि०) रजोगुण से उत्पत्र । राजसात् करना (स० ~गत (वि०) राज्य में होनेवाला, राज्यघटित; चिह्न क्रि०) राज्य में मिला लेना
(पु०) राष्ट्र का चिह्न विशेष (जैसे-भारत का राज्य चिह्न राजसिक-सं० (वि०) रजोगुणी
अशोक की लाट है); ~च्युत (वि०) राजगद्दी से हटाया राजसी-I (वि०) राजाओं का सा 2 राजा के योग्य हुआ; च्युति (स्त्री०) राजगद्दी से हटाना; तंत्र (पु०) (जैसे-राजसी वैभव)
राज्य की शासन प्रणाली; तिलक (पु०) = राज्याभिषेक राजसी-II सं० (वि०) रजोगुण युक्त
त्याग (पु०) राज्य का अधिकार छोड़ना; ~ध्वज (पु०) राजसूय-सं० (पु०) चक्रवर्ती बनने की इच्छा से और दिग्विजय राष्ट्र पताका, राज्य का झंडा; निधि (स्त्री०) = राजकोष;
की कामना से राजा द्वारा किया गया एक यज्ञ, नपाध्वर -निष्ठा शपथ (स्त्री०) राष्ट्र के प्रति आस्था की सौगंध; राजस्व-सं० (पु०) 1राज्य की आय 2 रुपया पैसा परिषद् (स्त्री०) 1 राज्य सभा 2 राजसभा; पाल (जैसे-राजस्व विभाग)
(पु०) राज्य का प्रधान शासक, गवर्नर; ~प्रबंध (पु०) = राजस्वी-सं० (वि०) राजस्व संबधी
राज्य संगठन; बीमा + फ्रा० (पु०) राज्य की ओर से राजा-सं० (पु०) 1 भूप, नृपति 2 स्वामी, अधिपति बीमा; ~भाषा (स्त्री०) 1 राष्ट्र की भाषा 2 राज्य की भाषा; 3 अत्यधिक संपन्न व्यक्ति 4 परम प्रिय के लिए प्रयुक्त ~मंत्रिमंडल (पु०) राज्य सरकार; ~मंत्री (पु०) राज्य का संबोधन। ~भक्त (वि०) राजा की भक्ति करनेवाला । मंत्री; ~मशीनरी + अं० (स्त्री०) राज्य के काम करनेवाले
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राज्यत्व
अंग आदि; ~ यंत्र ( पु० ) राज्य के उद्योग धंधे आदि; ~ विस्तार (पु० ) राज्य का फैलाव; ~व्यवस्था (स्त्री०) राज्य का प्रबंध; ~ शक्ति (स्त्री०) राज सत्ता; शासन (पु० ) = राज प्रशासन; ~संगठन (पु० ) राज्यों का संघ ~ संघ (पु० ) राज्यों का समूह; संचालन (पु० ) = राज प्रशासन संपति (स्त्री०) राष्ट्र का धन; संरक्षक (पु० ) = राज संरक्षक; ~ संस्था (स्त्री०) राजकीय विद्यालय आदि; ~ सत्ता (स्त्री०) = राजसत्ता; ~ सरकार + फ़ा० (स्त्री०) राज्य की शासन व्यवस्था करनेवाला; ~सात्करण (पु० ) राज्य में मिला लेना; ~ सिंहासन (पु० ) = राजगद्दी; ~सीमा रेखा (स्त्री०) राज्य की हद; ~सूत्र ( पु० ) राज्य की बागडोर; ~ सेवा (स्त्री०) राज्य की सेवा, राज्य का काम; राज्यत्व-सं० ( पु० ) राजा होने का भाव राज्याधिकार-सं० (पु० ) 1 राजसत्ता 2 राजसेवा राज्याधिकारी-सं० (वि०) राज्य करनेवाला राज्याभरणसं० ( पु०) राज्य के भूषण राज्याभिषिक्त-सं० (वि०) राज्याभिषेक किया गया राज्याभिषेक-सं० (पु० ) 1 राज्यगद्दी पर बैठाने की एक रीति, राज्यारोहण 2 राज्यारोहण के समय होनेवाला उत्सव राज्यारूढ़ - सं० (वि०) राजसिंहासन पर बैठा हुआ राज्यारहण-सं० (पु०) गद्दी पर बैठना राज्याश्रय-सं० (पु० ) राज्य की शरण राज्याश्रित सं० (वि०) राज्य पर आश्रित राज्यीय सं० (वि०) राजकीय
राहुल - ( पु० ) बड़ा तराजू राठौर - (पु० ) क्षत्रिय
699
1 एक प्रसिद्ध राजवंश 2 राजवंश का
राड़ - (वि०) 1 निकम्मा 2 कायर 3 नीच
राडर-अं० (पु० ) = रडर
राड़ा - ( पु० ) 1 सरसों 2 एक तरह की घास, राढ़ी राडार-अं० (पु० ) राढ़ - (स्त्री०)
= रडार = रार
रात - (स्त्री०) 1 निशा, रजनी 2 निराशामयी स्थिति (जैसे- दुःख की रात) । ~ दिन ( क्रि० वि०) 1 हर समय (जैसे- रात दिन सोना) 2 सदा हमेशा (जैसे- रात दिन खेलना); + सं० (पु० ) उल्लू; ~वास सं० वासा (पु०) रैन बसेरा
~राजा
रातिब - अ० (पु० ) 1 एक दिन की खुराक 2 पशु का दैनिक
=
आहार रातुल - (पु० ) राहुल रात्रिचर - I सं० (पु० ) घूमनेवाला
+
रात्रि - सं० (स्त्री०) निशि । ~ आक्रमण कारक (वि०) रात में हमला करनेवाला (जैसे-रात्रि आक्रमण कारक यान); ~ उड़ान हिं० (स्त्री०) रात में उड़ान; ~ कार ( पु० ) चंद्रमा चर I (पु० ) राक्षस II ( वि०) रात में घूमने फिरनेवाला; जल (पु० ) ओस; ~ भोज, भोजन ( पु० ) रात का खाना
रात्रिक-सं० (वि०) रात का
रात्रयंत सं० (पु० ) रात का अंत, प्रभात
रामदाना
रात्रयंध-सं० (वि०) 1 रात को देखने में असमर्थ 2 रतौंधी का रोगी
राद्ध-सं० (वि०) 1 राँधा हुआ 2 पूरा किया हुआ 3 सिद्ध राधन-सं० ( पु० ) 1 साधन 2 मिलना 3 संतोष राधा - सं० (स्त्री० ) 1 श्रीकृष्ण की सर्वाधिक प्रिय सखी और प्रेयसी 2 कर्ण को पालनेवाली एक सूत महिला 3 प्रीति, प्रेम । ~ वल्लभी (पु० ) 1 राधा वल्लभ नाम का एक वैष्णव संप्रदाय 2 इस संप्रदाय का अनुयायी राध्य-सं० (वि०) आराधना के योग्य रान - फ़ा० (स्त्री०) जंघा, जाँघ राना - अ० (वि०) सुंदर, प्रिय
रानी - (स्त्री०) 1 राजा की पत्नी 2 स्त्रियों के नाम के आगे प्रयुक्त आदर सूचक शब्द (जैसे-देवकी रानी, राधिका रानी ) 3 प्रेयसी या पत्नी के लिए प्रेमपूर्ण संबोधन 4 ताश का एक पत्ता, बेगम (जैसे- हुक्म की रानी)। ~काजर (पु०) एक प्रकार का धान मक्खी, माँ (स्त्री०) मधुमक्खियों के छत्ते की केवल अंडा देनेवाली मक्खी, जननी मक्खी
= राक्षस, निशाचर II (वि०) रात में
राब - (स्त्री०) खाँड, गाढ़ा सीरा
राबड़ी - ( स्त्री०) रबड़ी
राबना - (स० क्रि०) विशेष ढंग से खाद डालना राम - (स० क्रि०) राजा दशरथ के सबसे बड़े पुत्र । कहानी हिं० (स्त्री०) 1 घटनाओं का विस्तृत वर्णन 2 अपने जीवन का सुनाया जानेवाला वृत्तांत; काँटा • हिं० (पु० ) एक प्रकार का बबूल चंद्र (पु० ) = राम; जना हिं० (पु० ) 1 दोगला 2 वेश्यावृत्ति करनेवाली एक संकर जाति; जनी
+
+
+
हिं० (स्त्री० ) 1 राम जना जाति की स्त्री 2 वेश्या, रंडी 3 जिसका पिता अज्ञात हो वह स्त्री; जौ + हिं० (पु०) जौ के दाने के आकार के एक प्रकार की जई, झोल + हिंο (पु० ) पायल; ~तिल + हिं० (पु० ) एक प्रकार का तिल; ~ दल (पु० ) 1 राम की बानरी सेना 2 बड़ी और अजेय सेना; दूत (पु० ) हनुमान् धनुष (पु० ) इंद्रधनुष; ~नवमी + हिं० (स्त्री०) रामचंद्र का जन्म दिन, चैत्र शुक्ल नवमी; नामी + हिं० (स्त्री०) 1 कंठहार 2 राम नाम से छपी चादर; बँटाई हिं० (स्त्री०) आधे आध की बँटाई; बाँस सं०हिं० (पु०) 1 एक तरह का मोटा बाँस 2 केतकी की जाति का एक पौधा बाण (पु० ) रामवाण भक्त (वि०) राम का उपासक; ~रज (स्त्री०) पीली मिट्टी (जैसे-राम रज का तिलक लगाना); ~रस (पु० ) नमक; ~राज्य (पु० ) 1 राम का शासन 2 निश्चित, संपन्न और सुखी राज्य; ~राम + हिं० I ( पु० ) नमस्कार II (स्त्री०) भेंट मुलाकात III घृणा, आश्चर्य, दुःख आदि का सूचक अव्यय; ~रौला हिं० (पु० ) व्यर्थ का शोरगुल; ~लीला (स्त्री०) 1 राम के चरित्र का अभिनय 2 राम के चरित्र अभिनय हेतु होनेवाला समारोह; ~ वल्लभी (पु० ) एक वैष्णव संप्रदाय; ~ वाण I ( पु० ) अजीर्ण के लिए उपयोगी एक रसौषध II ( वि०) शीघ्र गुणकारी, उपयोगी, अमोघ (औषध); सनेही + हिं० I (पु०) एक वैष्णव संप्रदाय II ( वि०) राम से स्नेह रखनेवाला रामणीयक - I सं० ( पु० ) मनोहरता II ( वि०) रमणीय रामदाना - ( पु० ) मारसा के बीज
=
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रामा
700
राष्टिक
पदार्थ
रामा-सं० (स्त्री०) 1 सुंदर स्त्री 2 नाचने गाने में प्रवीण स्त्री | करना; -कार्ड (पु०) राशन संबंधी विवरण पत्र, रसद पत्र 3 लक्ष्मी
राशनाभाव-अं० + सं० (पु०) राशन की कमी रामानंदी-I (पु०) रामानंद के संप्रदाय का अनुयायी II (वि०) राशनिंग-अं० (स्त्री०) वस्तुओं को निश्चित मूल्य पर बेचने का
1 रामानंद संबंधी 2 रामानंद के संप्रदाय से संबद्ध नियंत्रण। -कार्ड (पु०) = राशन कार्ड रामायण-सं० (पु०) 1 राम का चरित्र 2 राम के चरित्र से राशनी-अ० + हिं० (वि०) राशन संबंधी संबंधित ग्रंथ
राशि-सं० (स्त्री०) 1 समूह, पंज (जैसे-रत्नराशि, जल राशि) रामायणी-I सं० (पु.) 1 रामायण का ज्ञाता 2 रामायण की 2 गणित में गुणा, भाग आदि से संबंधित संख्या 3 क्रांति वृत्त
कथा सुनानेवाला व्यक्ति II (वि०) रामायण का में पड़नेवाला विशिष्ट तारा समूह (जैसे-मेष, वृष, मिथुन, कर्क रामायुध-सं० (पु०) धनुष
आदि)। ~कृत (वि०) ढेर किया हुआ; चक्र (पु०) रामावत-सं० (पु०) रामानंद द्वारा चलाया गया एक वैष्णव 1 ग्रहों के चलने का मार्ग 2 राशियों का मंडल संप्रदाय
राशी-अं I (पु०) रिश्वत लेनेवाला व्यक्ति (वि०) रिश्वत राय-I (पु०) 1 हिंदुओं को दी जानेवाली उपाधि (जैसे-राय लेनेवाला, घूसखोर बहादुर, रायसाहब) 2 सरदार, सामंत 3 राजा
राष्ट्र-सं० (पु०) 1 देश (जैसे-भारत एक विशाल राष्ट्र है) राय-II अ० (स्त्री०) 1 सलाह, सम्मति (जैसे-राय देना, 2 राज्य (जैसे-सबको राष्ट्र भाषा का सम्मान करना चाहिए) पूछना) 2 समझ, विचार (जैसे-आपकी राय में) 3 सुझाव 3 जाति (जैसे-हम एक देश और राष्ट्र के निवासी हैं)। (जैसे- आपकी राय उचित है)
ऋण (पु०) = राज ऋण; ~कर्मी (पु०) = राजनीतिज्ञ रायज-अं० (वि०) प्रचलित
~कर्षण (पु०) राष्ट्र-प्रजा को कष्ट देना, प्रजा पर रायता-(पु०) दही में साग, कद्द के छोटे-छोटे बारीक़ टुकड़े अत्याचार करना; ~कवि (पु०) ऐसा कवि जिसकी रचनाएँ तथा नमक, मिर्च, जीरा आदि मिलाकर बनाया गया खाद्य राष्ट्र की आकांक्षाओं और आदर्शों की प्रतीक हों (जैसे-दिनकर
और मैथिलीशरण गुप्त को राष्ट्र कवि कहा जाता है); कुल रायफल-अं० (स्त्री०) = राइफ़ल। ची + तु०, ~मैन (पु०) = राष्ट्रमंडल; कुलीय (वि०) राष्ट्रमंडलीय; (पु०) रायफ़ल चलानेवाला व्यक्ति
~गत (वि०) राष्ट्रीय; ~गान, ~गीत (पु०) देशगान; रायफ़िल-अं० (स्त्री०) = रायफल
-चिह्न (पु०) =राजचिह्न; तंत्र (पु०) = राज्य तंत्र; द्रोह राय बहादुर-हिं० + फ़ां० (पु०) हिंदू राजभक्त की उपाधि (पु०) राष्ट्र के विरुद्ध विद्रोह करना = राजद्रोह; ही रायल-I अं० (वि०) राजकीय ठाठ बाटवाला II (पु०) छापे (वि०) = राजद्रोही; ~ध्वज (पु०) = राज्यध्वज; की कलों तथा काग़ज़ की 20 - 25 इंच की नाप
-निर्माण (पु०) राष्ट्र बनाना; पति (पु.) 1 राष्ट्र का रायल्टी-अं० (स्त्री०) स्वत्व शुल्क
स्वामी 2 बहुमत द्वारा निवार्चित राष्ट्र का सर्वप्रधान शासक; रायसाहब-हिं० + अ० (पु०) = राय बहादुर
पति भवन (पु०) राष्ट्रपति के रहने का बँगला; ~पति रार-(स्त्री०) झगड़ा, तकरार
शासन (पु०) राष्ट्रपति का शासन; पिता (पु०) राष्ट्र के राल-I सं० (स्त्री०) 1 जंगलों में पाया जानेवाला एक प्रकार का निर्माता या जनक (जैसे-महात्मागाँधी); ~भक्ति (स्त्री०) सदाबहार पेड़ 2 इस पेड़ का सुगंधित निर्यास
देशभक्ति; ~भारती, ~भाषा (स्त्री०) सार्वजनिक कार्यों राल-II (स्त्री०) मुँह से निकलनेवाला पतला रस, लार (जैसे- में प्रयोग होनेवाली एक मुख्य भाषा (जैसे-भारत की राष्ट्रभाषा राल टपकना)
हिंदी है); ~मंडल (पु०) अनेक राष्ट्रों का समूह; मंडली राली-(स्त्री०) छोटे दानों का बाजरा
~मंडलीय (वि०) राष्ट्रमंडल से संबधित; ~मंत्री (पु०) राव-I (पु०) 1 सरदार 2 धनी
= राज्य मंत्री; ~मुक्ति आंदोलन (पु०) देश को गुलामी से राव-II सं० (पु०) 1 गुंजार 2 चिल्लाहट
मुक्त करने का आंदोलन; ~मुद्रा (स्त्री०) = राजमुद्रा; राव चाव-(पु०) 1 नाच गान का उत्सव, राग रंग 2 लाड़ प्यार रक्षा (स्त्री०) देश रक्षा; लिपि (स्त्री०) राष्ट्रीय कार्यों के 3 अनुराग, प्रेम 4 प्रेमपूर्ण व्यवहार
लिए मान्य वर्णमाला; ~वाद (पु०) राष्ट्र के प्रति निष्ठा, रावट-(पु०) = राजभवन
उसकी प्रगति और उसके प्रति सभी नियम आर्दशों को बनाए रावटी-(स्त्री०) 1 कपड़े का बना डेरा, छौलदारी 2 कपड़े का रखने का सिद्धांत; ~वादी I (वि०) राष्ट्रवाद संबंधी ॥ बना छोटा घर 3 बारहदरी ।
(पु०) राष्ट्रवाद का समर्थक; ~वासी (पु०) राष्ट्र में रावण-सं० (पु०) दूसरों को रुलानेवाला
रहनेवाला; ~विप्लव (पु०) विद्रोह, बलवा; विरोधी रावत-(पु०) 1 सरदार, सामंत 2 छोटा राजा 3 शूरवीर (वि०) राष्ट्र का शत्रु: वीर (पु०) देश का बहादुर व्यक्ति रावल-I (पु०) अंतः पुर
~व्यापी (वि०) संपूर्ण देश में होनेवाला (जैसे-राष्ट्र व्यापी रावल-II (पु०) 1 राजा 2 राजपूताने के कुछ राजाओं की हड़ताल); ~संघ (पु०) विश्व राष्ट्रों का संघ; उपाधि 3 आदरपूर्ण संबोधन
राष्ट्रक-I सं० (पु०) 1 राज्य 2 देश II (वि०) राष्ट्रसंबंधी राव साहब-हिं० + अ० (पु०) = राय बहादुर राष्ट्रपतीय सं० (वि०) राष्ट्रपति का (जैसे-राष्ट्रपतीय चुनाव) राशन-अं० (पु०) 1 खाने पीने का सामान, रसद (जैसे-घर में राष्ट्राध्यक्ष-सं० (पु०) राष्ट्र नेता
राशन खत्म है) 2 नियंत्रित मूल्य तथा मात्रा में वस्तुओं के राष्ट्रिक-I सं० (वि०) राष्ट्र का II (पु०) 1 राजा 2 प्रजा वितरण की व्यवस्था । ~कटौती + हिं० (स्त्री०) राशन कम | ता (स्त्री०) = राष्ट्रीयता
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राष्ट्रीयकरण
राष्ट्रीयकरण - सं० (५०) राष्ट्रीय बनाना, राष्ट्र की संपत्ति के रूप में ले लेना
राष्ट्रीकृत - सं० (वि०) राष्ट्र का बनाया हुआ राष्ट्रीय-सं० (वि०) राष्ट्र का (जैसे- राष्ट्रीय झंडा) । ~करण (पु०) = राष्ट्रीकरण; ~कृत (वि०) = राष्ट्रीकृत; ता (स्त्री०) राष्ट्रीय होने का भाव; ~ता वाद (स्त्री०) राष्ट्रवाद ~ता वादी (वि०) = राष्ट्रवादी; ता विरोधी (वि०) राष्ट्रीय भावना का विरोध करनेवाला; राष्ट्रीयत्व - सं० ( पु० ) राष्ट्रीयता राष्ट्रोत्थान-सं० (पु०) राष्ट्र का उत्थान, राष्ट्र की उन्नति
=
=
राष्ट्रोन्माद - सं० ( पु० ) अपने राष्ट्र को बड़ा मानने का पागलपन रास - I सं० (स्त्री०) आनंदमय क्रीड़ा, विलास । क्रीड़ा (स्त्री०) विलास क्रीड़ा; धारी (पु०) रासलीला करनेवालों का समूह; ~ यात्रा (स्त्री०) शरत् पूर्णिमा के दिन मनाया जानेवाला उत्सव रंग (पु० ) = रास क्रीड़ा; ~लीला (स्त्री०) कृष्ण और गोपियों की प्रेममयी लीलाएँ; ~ विलास (पु० ) = रास क्रीड़ा रास-II(स्त्री०) समूह, ढेर राशि (जैसे- गेहूँ की रास) रास - III (स्त्री०) 1 रस्सी 2 लगाम
रास - IV (स्त्री०) (ज्योतिष की ) राशि चक्र (पु० ) राशियाँ दिखाने की कुंडली
रास - V अं० (वि०) 1 उचित, ठीक 2 अनुकूल रासक-सं० (पु० ) हास्यरस प्रधान उपरूपक रासन - [सं० (वि०) स्वादिष्ट
रासन - II अं० (पु० ) = राशन रासभ सं० (पु०) गधा
रासा - ( पु० ) 1 लड़ाई झगड़ा 2 रासो काव्य रासायनिक-सं० (वि०) = रसायनिक रासी - (वि०) 1 ख़राब, नकली 2 मिलावटवाला रासेरस - सं० ( पु० ) 1 गोष्ठी 2 रास क्रीड़ा 3 सजावट 4 हँसी ठठ्ठा 5 उत्सव
रासो - (पु० ) राजा का पद्यमय जीवन चरित्र (जैसे- पृथ्वीराज रासो, रासो काव्य)
रास्त - फ़ा० (वि०) 1 दाहिना 2 सीधा, सरल। ~गो (वि०) सत्य बोलनेवाला; -बाज़ (वि०) सच्चा, ईमानदार; ~बाज़ी (स्त्री०) सच्चाई, ईमानदारी
रास्ता - फ़ा० (पु० ) 1 मार्ग, राह 2 प्रथा, रीति 3 उपाय, तरक़ीब (जैसे- बचाव का एक ही रास्ता है) । ~काटना रास्ता तय होना, मंजिल पर आ पहुँचना; काटना चलते राही के सामने से निकल जाना (जैसे-बिल्ली का रास्ता काटना); ~देखना प्रतीक्षा करना; बताना टालना, हटाना; रास्ते पर लाना 1 उचित मार्ग पर लाना 2 ठीक करना
राह-फ़ा० (स्त्री०) 1 रास्ता, पथ 2 उचित ढंग 3 प्रथा, रीति (जैसे- किस राह काम किया जाए) । ~खर्च (पु०) मार्ग व्यय; ~ गीर ( पु० ) 1 पथिक 2 यात्री; चलता हिं० (पु० ) 1 रास्ता चलनेवाला 2 पथिक 3 साधारण आदमी 4 अजनबी चौरंगी + हिं० बो० चौरस्ता, चौमुहानी; जन (पु०) लुटेरा, डाकू ज़नी (स्त्री०) लूट, डकैती; ~दार (पु० ) 1 रास्ते की रक्षा करनेवाला 2 यात्रियों से कर
रिज़र्व
वसूलनेवाला; दारी (स्त्री०) 1 राह का कर 2 चुंगी; ~नुमा (पु० ) (वि०) पथ प्रदर्शक नुमाई (स्त्री०) पथ प्रदर्शन; ~ रस्म + अं०, रीति + सं० (स्त्री०) 1 मेल जोल, व्यवहार 2 चाल, प्रथा (मु०) ताकना, देखना प्रतीक्षा करना; पड़ना डाका पड़ना; ~ लगाना काम देखना राहत अं० (स्त्री०) 1 आराम, चैन 2 सुख करार राहना - (स० क्रि०) बो० 1 खुरदुरा करना (जैसे- चक्की का पाटा राहना, रेती आदि को खुरदरा बनाना) शहर-बो० (पु०) अरहर (अन्न)
राहा-बो० (पु०) चक्की के नीचे का पाट बैठाने के लिए मिट्टी का बना चबूतरा
राहित्य-सं० (पु० ) अभाव, न होना
राहिन - I सं० (पु० ) रेहन रखनेवाला व्यक्ति II (वि०) बंधक रखनेवाला
701
राही - फ़ा० ( पु० ) मुसाफ़िर, राहगीर, पथिक
राहु-सं० (पु० ) 1 नौ ग्रहों में एक ग्रह 2 कष्टदायक व्यक्ति या पदार्थ (जैसे- क्या आज तुम्हें राह ने बाँध रखा है)।
प्रसन
=
(पु० ) ग्रहण; ~ ग्रस्त (पु० ) राहु ग्रसन - शत्रु ( पु० ) चंद्रमा, राहे रास्त - फ़ा० (पु० ) सीधा रास्ता, सन्मार्ग रिंग-अं० (स्त्री०) 1 छल्ला 2 अँगूठी 3 चूड़ी 4 वलय घेरा
(वि०) ग्रहण लगा हुआ; प्रौ दशा (स्त्री०) राहु की स्थिति; स्पर्श ( पु० ) ग्रहण
रिंगण - सं० ( पु० ) 1 रेंगना 2 फिसलना 3 खिसकना, सरकना 4 डिगना
रिंगाना - (स० क्रि०) = रेंगाना
रिंच-अं० ( पु० ) नट बोल्ट खोलने का एक उपकरण रिंद - फ़ा० (पु० ) धार्मिक बंधनों को न माननेवाला, स्वच्छंद, मनमौजी व्यक्ति
रिआयत - अ० (स्त्री०) 1 रहम, नरमी 2 मेहरबानी 3 ख़याल 4 कृपापूर्ण बर्ताव करना 5 लिहाज़ 6 तरफ़दारी (जैसे-रिआयत करना)
रिआयती - अ० + फ़ा० (वि०) रिआयत किया हुआ रिआया- अ० (स्त्री०) प्रजा, जनता
रिएक्टर -अं० (५०) नाभिकीय भट्टी रिकशा - अं० (पु०) की छोटी गाड़ी। चलानेवाला
आदमी द्वारा खींची जानेवाली एक तरह चालक + सं० (पु० ) रिकशा
रकाबी
रिकाब - अ० (स्त्री० ) रिकाबी - फ़ा० (स्त्री०) रिकार्ड - अं० (पु० ) 1 अभिलेख 2 कीर्तिमान । कीपर (पु० ) अभिलेख पाल; ~ होल्डर (पु०) कीर्तिमानधारी रिकार्डिंग -अं० (स्त्री०) अभिलेखन रिक्त-सं० (वि०) खाली, शून्य (जैसे- रिक्त स्थान, रिक्त घड़ा) । ~ता (स्त्री०) रिक्त होने का भाव; ~ हस्त (वि०) 1 निर्धन 2 खाली हाथ
=
रक़ाब
रिक्ति-सं० (स्त्री०) = रिक्तता
रिक्थ-सं० ( पु० ) उत्तराधिकार में प्राप्त धन रिक्थी-सं० रिक्थ पानेवाला
रिक्षा-सं० (स्त्री०) 1 जूँ का अंडा, लीख 2 त्रसरेणु रिज़र्व - अं० (वि०) 1 रक्षित (जैसे-रिजर्व सेना, रिजर्व फ़ौज )
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रिज़र्विस्ट
+
2 निश्चित किया हुआ । -खिलाड़ी हिं० (पु० ) निश्चित खिलाड़ी; पुलिस (स्त्री०) विशेष कार्य हेतु रखी गई पुलिस
रिज़र्विस्ट - अं० (पु० ) 1 रक्षित सेना 2 सुरक्षित सैनिक रिज़र्वेशन -अं० (पु०) रिजर्व करना
रिजल्ट - अं० (पु० ) 1 परिणाम, फल 2 परीक्षाफल रिजेंट - अं० (पु० ) रियासतों में सरकारी प्रतिनिधि, प्रतिशासक रिझाना - (स० क्रि०) 1 प्रसन्न करना, लुभाना 2 अनुरक्त करना, अनुरक्त बनाना (जैसे- अपने प्रिय को रिझाना ) रिटर्न टिकट-अं० (पु० ) वापसी टिकट रिटर्निंग आफिसर-अं० (पु०) चुनाव काल में मत गणना करके फल की घोषणा करनेवाला अधिकारी रिटायर -अं० (वि०) अवकाश प्राप्त रिटायरमेंट-अं० (वि०) अवकाश ग्रहण रिटायरमेंट-अं० (स्त्री०) अवकाश प्रप्ति रिटायर्ड-अं० (वि०) अवकाश प्राप्त रिटेल क़ीमत-अं० + अ० (स्त्री०) खुदरा मूल्य रिटेल स्टाकिस्ट-अं० (पु०) खुदरा भंडारी रित बो० (स्त्री०) = ऋतु
रिनी - (वि०) ऋणी
रिपब्लिक-अं० (स्त्री०) गणतंत्र, प्रजातंत्र रिपब्लिकन-अं० (वि०) प्रजातंत्रीय
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रिपु-सं० (पु० ) शत्रु, दुश्मन। ~ता (स्त्री०) शत्रुता, दुश्मनी रिपेयर-अं० ( पु० ) मरम्मत, सुधार पार्ट (पु०) मरम्मत किया हुआ पुर्ज़ा
रिपोर्ट- अं० (स्त्री०) 1 कार्य विवरण 2 विवरण, प्रतिवेदन 3 ज्ञातव्य बातों का विवरण
रिपोर्टर- अं० (पु०) संवाददाता रिपोर्टाज, रिपोतार्ज-अं० (पु० ) रिपोर्ट के रूप में घटनाओं का विवरण, क्रमिक घटना वर्णन से पूर्ण साहित्यिक रचना रिफ़रेंडम - अं० (पु०) जनमत संग्रह रिफ़ाइनरी - अं० (स्त्री०) परिष्करणशाला रिफ़ाक़त -अं० (स्त्री०) - रफ़ाक़त
रिफ़ार्म-अं० (पु०) सुधार रिफ़ार्मर अं० ( पु० ) सुधारक रिफ़ार्मेटरी-अं० (स्त्री०) अल्पवयस्क अपराधियों को हेतु क़ैद में रखने की ज़गह रिफ्यूजी -अं० (पु०) शरणार्थी रिफ्रीजरेटर - अं० (पु० ) प्रशीतक, फ्रिज़ रिफ़्रेक्टरी-अं० (पु०) दुर्गलनीय पदार्थ
रिबन - अं० (पु० ) 1 पतली पट्टी 2 फीते की तरह चौड़ी पट्टी
3 टाइप राइटर का रिबन
रिम झिम - (स्त्री०)
सुधार
हल्की फुहार पड़ना रिमांड - अं० (पु० ) ( हवालात) वापस भेजना रिमार्क - अं० ( पु० ) मत प्रकट करना रियर एडमिल - अं० ( पु० ) सह नौ सेनाध्यक्ष रियर गार्ड - अं० ( पु०) (चंदावल) दस्ता रिया- अ० (स्त्री०) 1 पाखंड 2 प्रदर्शन, दिखावा रिआई-अ० फ़ा० (पु० ) मक़्क़ार
+
रियाज़-अं० (पु० ) 1 तपस्या 2 अभ्यास 3 मेहनत, श्रम और
रिहाई
-मारना
बारीक काम (जैसे- रियाज़ करना) 1 व्यायाम करना 2 परिश्रम करना
(मु० )
रियाज़ी - अं० I (स्त्री०) गणित की विद्या II (वि०) रियाज़ से मिलनेवाली । दान
=
फ़ा० ( पु० ) गणितज्ञ
रिआयत
+
रियायत - अ० (स्त्री० ) रियायती - अ० 570 (fao) रिआयती रियासत - अ० (स्त्री०) 1 राज्य 2 अमीरी, वैभव रियासती - अ० + हिं० (वि०) रियासत का रियाह-अ० (स्त्री०) चि० पेट की वायु रिरना - (अ० क्रि०) दीनता प्रकट करना रिरियाना - ( अ० क्रि०) गिड़गिड़ाना रिला - (पु० ) = रेला रिले दौड़-अं० हिं० (स्त्री०) चौकी दौड़ रिले स्टेशन-अं० (पु० ) प्रसारण केंद्र
+
रिवाज़ - अ० (पु० ) प्रथा
रिवायत - अ० (स्त्री०) 1 सुनी सुनाई बात कहना 2 सुनी सुना
बात 3 कहावत
रिवाल्वर - अं० (पु० ) तमंचा । धारी + सं० तमंचा धारण करनेवाला, तमंचा रखनेवाला
1 संबंधी 2 नातेदार
=
रिव्यू- अं० (स्त्री०) 1 समीक्षा, आलोचना 2 नज़रसानी रिश्ता - फ़ा० (पु० ) 1 नाता (जैसे- शादी ब्याह का रिश्ता 2 संबंध (जैसे- पारिवारिक रिश्ता) रिश्तेदार - फ़ा० ( पु० ) रिश्तेदारी - फ़ा० (स्त्री०) 1 नातेदारी, नाता 2 संबंध रिश्तेमंद - फ़ा० (पु० ) रिश्तेदार रिश्वत - अ० (स्त्री०) घूस, उत्कोच । खोर + फ़ा० (पु० ) घूस लेनेवाला व्यक्ति; खोरी + फ़ा० (स्त्री०) 1 रिश्वत लेने का भाव 2 रिश्वत लेने की लत रिश्वती-अ० + फ़ा० ( पु० ) = रिश्वत खोर रिस - (स्त्री०) 1 नाराज़गी 2 रोष रिसना - (अ० क्रि०) रसना (जैसे पानी रिसना) रिसर्च स्कालर-अं० ( पु०) शोध छात्र रिसवाना - (स० क्रि०) बो० रिसाने में प्रवृत्त करना रिसहा बो० (वि०) बात बात में क्रोध करनेवाला रिसहाया-बो० (वि०) क्रोधित, अप्रसन्न, नाराज़ रिसाना - I (अ० क्रि०) गुस्सा होना II (स० क्रि०) गुस्स
करना
रिसालदार - अ० + फ़ा० 1 घुड़सवार सैनिकों का नायक सेनानायक 2 ख़ज़ाने में कर पहुँचानेवाला रिसाला - अ० (पु० ) 1 अश्वारोही सेना 2 सामरिक पत्र, पत्रिक रिसीवर अं० (पु० ) 1 चोंगा 2 पानेवाला, प्राप्त कर्ता रिसौहाँ-बो० (वि०) क्रोध युक्त
रिस्ट वाच-अं० (स्त्री०) कलाई घड़ी
रिहन - अ० ( पु० ) रेहन
रिहर्सल - अं० (पु० ) 1 अभ्यास के रूप में किया गया अभिन
2 अभ्यास
रिहल - अ० (स्त्री०) काठ की बनी कैंचीनुमा चौकी रिहा - फ़ा० (वि० ) 1 मुक्त 2 अवकाश प्राप्त रिहाइश - फ़ा० (स्त्री०) 1 निवास स्थान 2 रहन सहन रिहाई-फ़ा० (स्त्री०) मुक्ति छुटकारा
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रिहायशी
703
रिहायशी-फा० (वि०) निवास योग्य
रुक्मिणी-सं० (स्त्री०) कृष्ण की पटरानियों में पहली रानी सैघना-(स० क्रि०) 1 पकाना, उबालना 2 राँधना रुक्ष-सं० (वि०) 1रूखा 2 नीरस। ता (स्त्री०) री-(अ०) सखियों के लिए प्रयुक्त संबोधन शब्द, अरी, एरी | 1रुखापन, रुखाई 2 नीरसता 3 असहदयता (जैसे-सुन री सखी)
रुख-फा० (पु०) 1 चेहरा (जैसे-रुख से नकाब हटाना) रीछ-(पु०) भालू
2 कपोल, गाल (जैसे-रुख़ की लालिमा) रीझ-(स्त्री०) 1 प्रसन्न होने का भाव 2 मोहित होने का भाव रुखसत-अ०। (स्त्री०) विदा होने का भाव II (वि०) प्रस्थान रीझना-(अ० क्रि०) 1 मुग्ध होना (जैसे-संदरता पर रीझना) किया हुआ 2 प्रसन्न होना (जैसे-मन रीझना)
रुखसताना-अ० + फ़ा० (पु०) रुखसत के समय दिया रीठा-(पु०) 1 एक तरह का जंगली पेड़ 2 इस पेड़ का फल जानेवाला धन (जैसे-रीठा से कपड़े धोना)
रुखसती-अ० + फा०1 (वि०) 1रुखसत संबंधी 2 रुखसत रीडर-अं० (स्त्री०) 1 उपाचार्य (यनिवर्सिटी) 2 पेशकार प्राप्त II (स्त्री०) 1विदाई 2 रुखसत होना 3 रुखसत के (अदालत) 3 पाठ्य पुस्तक (विद्यार्थी)
समय मिला धन रीडिंग रूम-अं० (पु०) अध्ययन कक्ष, वाचनालय रुखसार-फा० (पु०) कपोल, गाल (जैसे-रुखसार की लाली) रीढ़-(स्त्री०) 1 मेरुदंड 2 मूलाधार (जैसे-समाज की रीढ़ तोड़ रुखाई-(स्त्री०) 1 रूखापन, रुखावट 2 कठोरता और नीरसता, देना)। ~तोड़ (वि०) रीढ़ तोड़नेवाला
बेमुरौवती रीत-(स्त्री०) = रीति
रुखानी-(स्त्री०) 1 बढ़ई का लकड़ी छीलने का एक धारदार रीतना-(अ० क्रि०) खाली होना
उपकरण 2 संगतराशों की टॉकी रीता-(वि०) । खाली (जैसे-रीता पात्र, रीता घड़ा) 2 अभाव | रुखावट-(स्त्री०) = रुखाई वाला, शून्य (जैसे-रीता स्थान, रीता हाथ)
रुग्ण-सं० (वि०) 1 बीमार 2 दूषित (जैसे-रुग्ण पदार्थ)। रीति-सं० (स्त्री०) 1 क़ायदा, नियम 2 रस्म रिवाज 3 ढंग, सेवा (स्त्री०) बीमार की सेवा तरीका (जैसे-उचित रीति से कार्य करना)। -काव्य (पु०) रुग्णतावकाश-सं० (पु०) बीमारी की छुट्टी (हिंदी में) ऐसा काव्य जिसमें रस, अलंकार, ध्वनि, नायिका रुग्णावकाश-सं० (पु०) बीमारी की छुट्टी, मेडिकल लीव भेद आदि तत्त्वों को ध्यान में रखकर लिखा गया हो; नीति रुग्णावस्था-सं० (स्त्री०) बीमार होने की स्थिति (स्त्री०) = रस्म रिवाज; ~बद्ध (वि०) नियमबद्ध रुचना-(अ० क्रि०) प्रिय तथा भला लगना (जैसे-रीति बद्ध कवि); ~मुक्त (वि०) रीति से अलग स्वा-सं० (स्त्री०) 1 इच्छा, कामना 2 शोभा छवि 3 प्रकाश, (जैसे-रीति मुक्त कवि, रीति मुक्त रचना); रस्म + अ०,
दीप्ति -रिवाज + अ० (पु०) = रस्म रिवाज; ~वाद (पु०) रुचि-सं० (स्त्री०) 1 इच्छा 2 अनुराग, प्रेम (जैसे-खेल के प्रति 1 परंपरागत नियमों तथा सिद्धांतों को दृढ़ता से मानने का रुचि होना) 3 पसंद, प्रवृत्ति (जैसे-गाने में रुचि का अभाव) सिद्धांत 2 काव्य के क्षेत्र में अलंकार, रस, नायिका भेद आदि 4 आसक्ति (जैसे-प्रेम में रुचि पैदा होना)। ~कर (वि०) नियमों के आधार पर काव्य रचना का सिद्धांत
1 प्रिय 2 उम्दा; ~कारक (वि०) 1 रुचि पैदा करनेवाला रीम-अं० (पु०) 500 ताववाली काग़ज़ की गड़ी
2 स्वादिष्ट; ~कारी (वि०) = रुचिकर; ~वर्धक (वि०) रीस-I (स्त्री०) = रिस II (स्त्री०) प्रतिस्पर्धा, होड़ रुचि बढ़ानेवाला रुंड-सं० (पु०) 1 बिना सिर का धड़, कबंध 2 बिना हाथ पाँव रुचित-I सं० (वि०) इच्छित, मनचाहा II (पु०) 1 इच्छा का शरीर। ~~मुंड (पु०) धड़ और सिर
2 मधुर और रुचिकर पदार्थ हैदवाना-(स० क्रि०). = रौंदना
रुचिमय-सं० (वि०) रुचियुक्त रुपना-(अ० क्रि०) 1 बंद किया जाना 2 अवरुद्ध होना | रुचिमान-सं० (वि०) रुचिवाला 'जैसे-कंठ रुंधना) 3 काम में लगना (जैसे-कृषि कार्य में रुचिर-सं० (वि०) 1रुचि के अनुकूल 2 मनोहर, सुंदर रुंधना)
3 मधुर, मीठा रूआँसा-(वि०) रोने को होनेवाला
रुचिवान्-सं० (वि०) रुचिवाला रुआब-अ० (पु०) = रोब
रुच्य-सं० (वि०) 1 रुचिकर 2 मनोहर, सुंदर -(स्त्री०) = रूई
रुज-सं० (पु०) 1 अस्थिभंग होने का भाव 2 कष्ट 3 घाव । रुकना-(अ० क्रि०) 1 ठहरना 2 स्थगित होना (जैसे-किताब प्रस्त (वि०) रोगी के बिना पढ़ाई का रुकना) 3 चलते काम का बंद होना 4 क्रम रुजा-सं० 1 (स्त्री०) टूटने फटने का भाव 2 रोग, बीमारी टूटना, क्रम का बंद होना (जैसे-घड़ी का रुकना) 3 पीड़ा, कष्ट 4 कोढ़। ~कर (वि०) रोग उत्पन्न करनेवाला रुकवाना-(स० क्रि०) रोकने में प्रवृत्त करना
रूजी-सं० (वि०) रुग्ण, रोगी रुकाव (पु०), रुकावट-(स्त्री०) 1अवरोध, अटकाव रूजू-अ० I (पु०) झुकाव होना II (वि०) झुकनेवाला 2बाधा, विघ्र (जैसे-मार्ग में रुकावट डालना)
रुझना-(अ० क्रि०) घाव भरना, घाव पूजना रुक्का-अ० (पु०) 1 परचा, पुरज़ा 2 हुंडी
रुझान-अ० (पु०) झुकाव (जैसे-मन की रुझान) रुक्म-सं० (पु०) 1 सोना, स्वर्ण 2 धतूरा । ~कारक (पु०) रूठाना-(स० क्रि०) नाराज़ करना सुनार, स्वर्णकार
| स्त-I बो० (स्त्री०) ऋतु
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त
1 कलरव 2 ध्वनि, शब्द
रुत - II सं० ( पु० ) रुतबा - अ० (पु० ) 1 ओहदा, दरजा 2 बड़ाई, महत्ता 3 इज़्ज़त । दार + फ़ा० (वि०) प्रतिष्ठित, श्रेष्ठ रुदन - ( पु० ) रोना, विलाप
रुदित-सं० (वि०) 1 रोआ हुआ 2 रोता हुआ रुद्ध-सं० (वि०) 1 रोका हुआ 2 रुका हुआ 3 आवृत्त, बंद 4 मुँदा हुआ 5 जिसकी गति रुकी हुई हो। कंठ (वि०) जिसका गला भर आया हो। मूत्र (पु०) मूत्रकृच्छ (रोग) रुद्र - I सं० (वि०) डरावना, भयंकर II ( पु० ) 1 शिव का एक रूप 2 साहि रौद्र रस। भूमि (स्त्री०) 1 श्मशान, मरघट 2 एक विशेष प्रकार की भूमि रुद्राक्ष -सं० ( पु० ) 1 एक
प्रकार का वृक्ष 2 इस वृक्ष का फल (जैसे- रुद्राक्ष की माला) -माला (स्त्री०) रुद्राक्ष की बनी
माला
रुद्राणी-सं० (स्त्री०) शिव की पत्नी रुद्रारि-सं० ( पु० ) कामदेव रुधिर - सं० ( पु० ) रक्त, लहू, खून (जैसे-अंग से रुधिर बहना) । ~ न्यूनता (स्त्री०) रक्त क्षीणता; पान (पु० ) रक्त पीना पायी I ( वि०) रक्त पीनेवाला II ( पु० ) राक्षस वाहक (वि०) रक्त ले जानेवाली (जैसे- रक्त वाहक धमनियाँ); विज्ञान (पु०) रुधिर में रहनेवाले तत्त्वों और उनमें उत्पन्न होनेवाले कीटाणुओं या विकारों के ज्ञान से संबंधित शास्त्र; स्राव (पु० ) रक्त बहना रुधिराक्त-सं० (वि०) 1 खून से भरा हुआ 2 खून की तरह लाल 3 खून से तर
रुधिराभिसरण -सं० (पु० ) = रक्त परिभ्रमण
रुधिरामय-सं० ( पु० ) रक्तपित्त
रुधिराशि - सं० (वि० / पु० ) रुधिर का आहार करनेवाला रुन झुन - (स्त्री०) 1 नूपुर की ध्वनि 2 झनकार रुपना - (अ० क्रि०) 1 रोपा जाना 2 लगाया जाना रुपया - (पु० ) 1 सौ नए पैसे के मूल्य का नोट या सिक्का 2 चाँदी का सिक्का 3 संपत्ति, धन दौलत (जैसे- हज़ारों रुपया बर्बाद करना)
रुपहरा बो० (वि०), रुपहला - (वि०) चाँदी का सा, उज्वल तथा चमकीला (जैसे- रुपहरा तार)
रुपैया-बो० (पु०) = रुपया
रुबाई - (स्त्री०) चार पंक्तियों की एक कविता
रुमाल - फ़ा० (पु० ) = रूमाल
रुमाली - फ़ा० + हिं० (स्त्री०) 1 तिकोना लँगोट 2 मुगदर घुमाने
का एक ढंग
रुराई - (स्त्री०) सुंदरता
रुरुआ - ( पु० ) एक तरह का उल्लू
रुलना - (अ० क्रि०) 1 भटकना 2 इधर-उधर मारा-मारा फिरना 3 उठाई पटक
रुलाई - (स्त्री०) 1 रोने का भाव 2 रोने की प्रवृत्ति रुलाना - (स० क्रि०) रोने में प्रवृत्त करना (जैसे- बच्चे को रुलाना)
704
रुल्ल, रुल्ला - (स्त्री०) वह भूमि जिसकी उर्वरा शक्ति कम हो गई हो रुवाई - (स्त्री०)
=
रुलाई
रोब
रुवाब - अ० (पु० ) रुष (पु०), रुषा - सं० (स्त्री०) क्रोध, गुस्सा रुषित-सं० (वि०) 1 क्रुद्ध, नाराज़ 2 दुःखित रुष्ट - सं० (वि०) 1 क्रुद्ध 2 अप्रसन्न। ~ता (स्त्री०) रुष्ट होने का भाव पुष्ट (वि०) हृष्ट-पुष्ट, हट्टा कट्टा रुष्टि-सं० (स्त्री०) 1 रुष्टता 2 रोष रुसवा-फ़ा० (वि०) बदनाम, बेइज़्ज़त रुसवाई-फ़ा० (स्त्री०) बदनामी, बेइज़्ज़ती रुसूख - अ० ( पु० ) 1 प्रेम व्यवहार 2 प्रभाव रुसूम - अ० (पु० ) = रसूम रुस्तम - फ़ा० ( पु० ) शूर-वीर
रुस्तमे हिंद - फ़ा० ( पु० ) भारत का श्रेष्ठ पहलवान रूँखड़- (पु०) 'अलख अलख' कहकर भीख माँगनेवाला साधु
रूँगा - ( पु० ) खरीददार को अतिरिक्त दिया गया सामान रूँदना - (स० क्रि०) 1 रौंदना 2 रूँधना रुँध - (स्त्री०) रुँधने का भाव
रुँधना - (स० क्रि० ) 1 विघ्न डालना 2 घेरना
रूढ़ि
=
रू - फ़ा० ( पु० ) चेहरा, मुँह । ~ रिआयत अ० (स्त्री०) तरफ़दारी, लिहाज़
रूई - (स्त्री०) 1 कपास के कोश के अंदर का घूआ, तूल 2 बीजों आदि के ऊपर का रोआँ। ~दार + 10 (fão) रूई से युक्त
रूक्ष सं० = रूखा
रूख - I (पु०) पेड़
रूख - II ( वि०) जो चिकना न हो, खुरदरा रूखड़ा - I ( वि०) रूखा II ( पु० ) पेड़, वृक्ष रूखरा - I ( पु० ) रूखड़ा II ( वि०) रूखा रूखा - (वि०) 1 नीरस, शुष्क 2 खुरदरा 3 कठोर 4 प्रेम शून्य 5 विरक्त, उदासीन । पन (पु० ) 1 रूखा होना 2 नीरसता 3 उदासीनता 4 कड़ाई, कठोरता; ~ सूखा (वि०) बिना घी मसाले का बना हुआ
रूज - अं० (पु० ) 1 एक तरह का विशेष पाउडर 2 सोने-चाँदी पर कलई करने की विशेष बुकनी रूट - अं० ( पु० ) रास्ता, मार्ग
रूटीन - अं० (पु० ) नित्यक्रम, नित्यचर्या
=
रूठ - (स्त्री०) 1 क्रोध, गुस्सा 2 रूठने की क्रिया रूठन - (स्त्री०) रूठने की क्रिया
रूठना- (अ० क्रि०) अप्रसन्न होना (जैसे- बच्चे का रूठना) रूढ़ -सं० (वि०) 1 आरूढ़ 2 प्रसिद्ध 3 प्रचलित 4 यौगिक से भिन्न अन्य अर्थ में प्रयुक्त (जैसे- शब्द का रूढ़ अर्थ ) 5 कठोर, कड़ा
रूढ़ि -सं० (स्त्री०) 1 चढ़ाई चढ़ाव 2 उठान, उभार 3 आविर्भाव, उत्पत्ति 4 प्रसिद्धि 5 प्रथा (जैसे- रूढ़िवाद) 6 रूढ़ अर्थ का ज्ञान करानेवाली शब्द शक्ति । गत (वि०) - ग्रस्त, प्रिय (वि०) = रूढ़िवादी; ~प्रियता (स्त्री०), बद्ध (वि०) रूढ़ि में फँसा हुआ; ~वाद (पु० ), वादिता (स्त्री०) परंपरागत बातों को मानते चले आने का सिद्धांत; ~वादी (वि०) रूढ़िवाद का अनुयायी
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रूसी
रूढोक्ति
705 रूढ़ोक्ति-सं० (स्त्री०) रूढ़ि कथन
रूप। ~कार (पु०) रूपांतर करनेवाला रूदाद-फा० (स्त्री०) 1 समाचार, हाल 2 दशा, अवस्था रूपांतरण-सं० (पु०) रूपांतर करना 3 विवरण 4 प्रबंध 5 कार्यवाही
रूपांतरित-सं० (वि०) रूपांतर हुआ रुनुमा-फा० (वि०) मुँह दिखानेवाला
रूपा-सं० (स्त्री०) रूपवती स्त्री, सुंदरी रूनुमाई-फा० मुँह दिखाई
रूपाजीव-सं० (स्त्री०) रंडी, वेश्या रूप-1 सं० (पु०) 1 सूरत, शक्ल 2 प्रकृति, स्वभाव 3 प्रकार, रूपात्मक-सं० (वि०) रूप संबंधी भेद 4 नमूना 5 सौंदर्य 6 शरीर, देह II (वि०) खूबसूरत, | रूपाधिबोध-सं० (प०) 1 दृश्य या अदृश्य पदार्थ 2 इस सुंदर III (अ०) समान। गत (वि०) रूप संबंधी; पदार्थ का इंद्रिय से प्राप्त ज्ञान
गर्विता (स्त्री०) साहि० अपने रूप पर गर्व करनेवाली रूपानुभव-सं० (पु०) रूप का अनुभव नायिका; ~ग्राम (पु०) व्या० शब्दों का रूप समूह, रूपिमः | रूपायन-सं० (पु०) 1रूप प्रस्तुत करना 2 कार्य रूप में ~ता (स्त्री०) खूबसूरती, सौंदर्य तालिका (स्त्री०)। परिणत करना शब्दों के रूपों की तालिका; दर्शन (पु०) सौंदर्य दर्शन; रूपायित-सं० (वि०) रूप दिया गया ~धर (वि०) सुंदर; ~धेय (पु०) ठोस की समूची रूपावली-सं० (स्त्री०) रूप तालिका रूप रेखा; नाशक (वि०) रूप नष्ट करनवाला; रूपाश्रय-सं० (वि०) रूपवान्, सुंदर निर्माण (पु०) रूप की रचना, सजना सँवरना; रूपास्त्र-सं० (पु०) कामदेव ल्परिवर्तन (पु०) रूप का बदलना; ~प्रसाधन (पु०) रूपित-सं० (वि०) जिसे रूप दिया गया हो बनना सँवरना; ~भेद (पु०) रूप में किया गया आंशिक | रूपिम सं० (पु०) रूपग्राम परिवर्तन; ~भेदित (वि०) रूप भेद किया गया; रंग रूपी-सं० (वि०) 1 आकार प्रकारवाला 2 रूपधारी, सुंदर (पु०) शक्ल सूरत; रचना (स्त्री०) रूप की रचना, रूप 3 समान (जैसे-कमल रूपी) बनाना; रचनात्मक (वि०) रूप रचना से संबद्ध; राशि रूपेंद्रिय-सं० (स्त्री०) आँख, चक्षु (वि०) अत्यंत सुंदर, रूपवती; रेखा (स्त्री०) 1 रेखा के | रूपोपजीविनी-सं० (स्त्री०) वेश्या, रंडी रूप में बनाया गया चित्र 2 आकृति का रेखामय रूप; रूपोपजीवी-सं० (पु०) बहुरूपिया ~लावण्य (पु०) रूप की सुंदरता; ~लावण्यमयी रूपोश-फा० (वि०) 1 मुँह छिपानेवाला 2 भागा हआ (वि०) रूप लावण्य से युक्त; विचार, विज्ञान, रूपोशी-फ़ा० (स्त्री०) रूपोश होने का भाव
-विधान (पु०) भाषा विज्ञान और व्याकरण का वह अंग रूप्य-सं० (वि०) खूबसूरत, सुंदर जिसमें शब्दों की प्रकृति, रचना तथा उनमें उत्पन्न विकारों आदि | रूप्यक-सं० (पु०) रुपया का विवेचन होता है; -विषयक (वि०) रूप संबंधी रूबकार-I फ़ा० (पु०) 1 सामने लाना, पेशी 2 आज्ञापत्र, ~शाली (वि०) सुंदर, रूपवान्; साधक (वि०) शब्द | हुक्मनामा II (वि०) दत्त चित्त का रूप साधन करनेवाला; साधन (पु०) रूप बनाने का रूबकारी-फ़ा० (स्त्री०) 1 सामने लाने का भाव 2 मुकदमें की भाव; ~साम्य (पु०) रूप में होनेवाली पारस्परिक समानता| पेशी 3 दत्त चित्त होने का भाव रूपक-I सं० (वि०) रूप से युक्त, रूपी II (पु.) 1 मूर्ति रूबरू-फा० (अ०) आमने सामने, समक्ष 2 चिह्न, लक्षण 3 भेद, प्रकार 4 नाटक 5 साहि० अर्थालंकार रूबल-रूसी (पु०) रूस की सरकारी मुद्रा का एक भेद जिसमें साम्य के आधार पर प्रस्तुत में अप्रस्तुत का रूम-अं० (पु०) कमरा, कक्ष आरोप किया जाता है, उपमेय का उपमान के रूप में ही वर्णन रूमानी-अ० (वि०) = रोमांटिक होता है। कथा (स्त्री०) नाटक की कथा; ~काव्य रूमाल-फा० (पु०) 1 कपड़े का छोटा चौकोर टुकड़ा 2 चौकोर (पु०) काव्य नाटक
शाल का टुकड़ा रूपण-सं० (पु०) 1 आरोप करना 2 परीक्षा
रूमाली-फा० + हिं० (स्त्री०) 1 छोटा रूमाल 2 रुमाली रूपमती-सं० (वि०) रूपवती
रूमी-I फ़ा० (वि०) 1 रूम देश का 2 रूम देश से आनेवाला रूपमय-सं० (वि०) अत्यंत सुंदर
II (पु०) रूम देश का निवासी III (स्त्री०) रूम देश की रूपमान-सं० (वि०) = रूपवान्
भाषा रूपवंत-सं० (वि०) = रूपवान्
रूरना-(अ० क्रि०) 1गरजना, दहाड़ना 2 चिल्लाना रूपवती-सं० (वि०) रूपवाली
रूरा-(वि०) 1 उत्तम, अच्छा 2 खूबसूरत, सुंदर रूपवान्-सं० (वि०) रूपवाला
रूल-अं० (पु०) 1 नियम, कायदा 2 शासन 3 सीधी खींची गई सपश्री सं० (स्त्री०) सौंदर्य, शोभा
रेखा 4 सीधी रेखा के लिए प्रयुक्त पट्टी, रूलर। दार रूपसी-(स्त्री०) = रूपवती स्त्री
+ फ्रा० (वि०) सीधी रेखाओंवाला (जैसे-रूलदार काराज़) रूपस्वी-सं० (वि०) सुंदर
रूलर-अं० (पु०) 1 शासक 2 लकीर खींचने की पट्टी, रूपांक-सं० (पु०) डिज़ाइन, रूपरेखा
सलाका, पटरी रूपांकक-सं० (पु०) अभिकल्पक, डिज़ाइनर
रूसना-(अ० क्रि०) = रूठना रूपांकन-सं० (पु०) अभिकल्पन, डिज़ाइनिंग
रूसी-I फा० (वि०) 1 रूस देश का, रूस देश संबंधी 2 रूस रूपांतर-सं० (पु०) 1रूप का बदलना 2 प्राप्त होनेवाला दूसरा देश में उत्पत्र
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रूसी
706
रूसी-II (स्त्री०) सिर पर भूसी की तरह जमी मैल | रेग-फा० (स्त्री०) रेत रूह-अ० (स्त्री०) 1आत्मा 2 अंतःकरण 3 प्राणवायु। | रेगज़ार-सं० (पु०) रेगिस्तान ~अफ्रज़ा (वि०) प्राण वर्धक
रेगमाल-फा० (पु०) सरेस काग़ज़ रूहड़-(स्त्री०) पुरानी रूई
रेगिस्तान-फा० (पु०) बालू से भरा प्राकृतिक भूखंड, मरुदेश रूहानियत-अ० (स्त्री०) 1 अध्यात्मवाद 2 आत्मवाद रेगुलर-अं० (वि०) 1 नियमित 2 व्यवस्थित रूहानी-अ० (वि०) 1 आत्मा संबंधी, आत्मिक 2 अंतःकरण | रेचक-I सं० (वि०) दस्तावर II (पु०) जमाल गोटा संबंधी, दिली
2 जवाखार 3 खींची गई साँस को विधिपूर्वक बाहर निकालने रेंक-(स्त्री०) रेंकने की क्रिया
की क्रिया, प्राणायाम की एक क्रिया रेंक-अं० (पु०) दर्जा
रेचन-सं० (पु०) 1 दस्त लाना 2 जुलाब रेंकना-(अ० क्रि०) 1 गधे का बोलना 2 बुरी तरह से | रेज़गारी, रेज़गी-फा० (स्त्री०) 1 रुपए के मूल्य के छोटे सिक्के चिल्लाना, बोलना
2 छोटे सिक्के रेंग-(स्त्री०) रेंगने की क्रिया
रेज़र-अं० (पु०) उस्तरा रेंगटा-बो० (पु०) गधे का बच्चा
रेज़ा-फा० (पु०) 1 बहुत छोटा टुकड़ा, ज़र्रा 2 रत्न आदि का रेंगना-(अ० क्रि०) 1खिसकना (जैसे-साँप का रेंगना) | छोटा टुकड़ा, नग
2 बच्चों की तरह धीरे-धीरे और लड़खड़ाते हुए चलना | रेजिडेंट-अं० (पु०) = रेजीडेंट रेंगाना-(स० क्रि०) 1 रेंगने की क्रिया कराना 2 बच्चे को | रेजिमेंट-अं० (स्त्री०) 1 सैन्यदल 2 शासन 3 शासित क्षेत्र धीरे-धीरे चलाना 3 चलाना, दौड़ाना
(जैसे-रेजिमेंट में प्रवेश करना) रेंज-अं० (पु०) 1प्रभाव क्षेत्र 2 दायरा, पहँच
रेज़िश-फ़ा० (स्त्री०). जुकाम रेंट-(पु०) नाक का मल
रेजीडेंट-अं० (पु०) रियासतों में ब्रिटिश सरकार का प्रतिनिधि रेंड-(पु०) 1कम उँचाई का एक तरह का पौधा 2 इस पौधे का | रेट-अं० (स्त्री०) 1 मूल्य, क़ीमत 2 चाल, गति __ बीज (जैसे-रेंड का तेल)
रेड-अं० (वि०) लाल । रेंडी-(स्त्री०) रेड़ का बीज
रेडक्रास-अं० (पु०) युद्ध तथा प्राकृतिक संकट के समय जन रेंरें-I (क्रि० वि०) लड़कों के रोने का शब्द II (स्त्री०) ज़िद | सेवा करनेवाली एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था या हठ सूचक शब्द
रेडार-अं० (पु०) दे० राडार रे-(अ०) अरे का संक्षिप्त रूप (जैसे-रे मन, अब हरि नाम | रेडिअम-अं० (पु०) एक प्रसिद्ध बहुमूल्य खनिज जप)
रेडिएटर-अं० (पु०) विकिरक रेकान-(पु०) ऐसी भूमि जहाँ नदी की बाढ़ का पानी न पहँच । रेडिकल-अं० (वि०) मौलिक, मूलभूत सके
रेडियम-अं० (पु०) = रेडिअम। ~धर्मिता + सं० (स्त्री०) रेक्टर-अं० (पु०) 1संकायाध्यक्ष 2 पादरी
विघटनाभिकता, रेडियो ऐक्टिविटि; ~धर्मी + सं० (वि०) रेख-(स्त्री०) 1 रेखा, लकीर 2 निशान, चिह्न 3 भाग्य लेख विघटनाभिक रेडियोएक्टिव 4रेखा के रूप में निकली मूंछ
रेडियेशन-अं० (पु०) 1 विकिरण 2 प्रसारण रेखता-I फ़ा० (वि०) 1 टपका हुआ 2 आप से आप निकला | रेडियो-अं० (पु०) 1 ध्वनि ग्रहण यंत्र 2 आकाशवाणी हआ 3 मज़बूत II (पु०) 1 अरबी फ़ारसी मिश्रित हिंदी का (जैसे-रेडियो द्वारा समाचार सुनना)। ~आपरेटर (३०) गाना, ग़ज़ल 2 उर्दू का आरंभिक नाम
रेडियो बजानेवाला; ~एक्टिव (वि०) - रेडियम, धर्मी रेखांकन-सं० (पु०) रेखाएँ अंकित करना
केंद्र + सं० (पु०) आकाशवाणी केंद्र; चिकित्सा रेखांकित-सं० (वि.) 1 रेखाओं से बना हुआ 2 रेखांकन | + सं० (स्त्री०) रेडियो की रश्मियों द्वारा रोग का उपचार करना; किया गया
चित्रण + सं० (पु०) रेडियो की रश्मियों द्वारा चित्र लेना, रेखांश-सं० (पु०) 1 देशांतर 2 याम्योत्तर वृत्त का कोई अंश, | एक्स रे चित्रण; नाटक + सं० (पु०) रेडियो पर सुनाया द्राधिमांश
गया नाटक; -प्रेमी + सं० (१०) रेडियो का शौकीन रेख, रेखा-सं० (स्त्री०) 1 लकीर (जैसे-कापी पर रेखा ल्यंत्र + सं० (पु०) = रेडियो सेट; रिले स्टेशन (पु०)
खींचना) 2 लकीर के आकार का चिह्न (जैसे-मस्तक की रेडियो प्रसारण केंद्र; रूपक + सं० (पु०) रेडियो पर रेखा) 3 कतार, पंक्ति 4 कर्म रेख, भाग्य रेख 5 आकृति, सुनाया जानेवाला रूपक, नाटक; ~वक्ता + सं० (पु०) रूप। ~गणित (पु०) ज्यामिति; चित्र (पु०) 1 रेखाओं रेडियो पर बोलनेवाला; सेट (प्०) रेडियो यंत्र; स्टेशन से अंकित चित्र, ड्राइंग 2 संक्षिप्त जीवन वृत्त; ~ चित्रकला (पु०) आकाशवाणी केंद्र (स्त्री०) कला जो रेखा चित्र द्वारा निर्मित हो; ~लेख (पु०) | रेडियोलाज़ी-अं० (स्त्री०) एक्स किरण चिकित्सा विज्ञान 1 चित्र के रूप में होनेवाला परिकल्पनाओं, विचारों का अंकन, | रेडीमेड-अं० (वि०) बना हुआ, तैयार (जैसे-रेडीमेड कपड़ा) आरेख 2 = रेखा चित्र; ~शास्त्र (पु०) हाथ माथे आदि की | रेडेटर-अं० (पु०) = रेडिएटर रेखाओं से संबंधित शास्त्र
रेणु-सं० (स्त्री०) 1 धूल 2 कण रेखानुकृति-सं० (स्त्री०) अनुरेखण
रेणुका-सं० (स्त्री०) 1 बालू 2 रज, धूल 3 पृथ्वी 4 परशुराम रेखित-सं० (वि०) रेखा के रूप में अंकित या लिखित | की माता का नाम
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707
रोंआँ
रेत-(स्त्री०) 1 बालू (जैसे-रेत का ढेर)
रेवड़-(पु०) 1 भेड़ बकरियों का झंड 2 समूह रेतना-(स० क्रि०) 1 रेतकर सुडौल बनाना 2 धार रगड़ना रेवड़ी-(स्त्री०) पगी हुई चीनी या गुड़ की सफ़ेद तिल मिश्रित (जैसे-आरी से रेतना) 3 रगड़ते हुए काटना (जैसे-मुर्गे का छोटी टिकिया। (पु०) ~के फेर में आना लोभ में पड़ना; गला रेतना) 4 कष्ट देना
~के लिए मस्जिद ढाना तुच्छ लाभ के लिए बड़ी हानि रेतला-(वि०) = रेतीला
करना रेता-(पु०) 1 बालू 2 धूल, गर्द 3 बलुआ मैदान रेवेन्यू-अं० (पु०) राजस्व, मालगुजारी। ~आफ़िसर (प.) रेतिया-I (पु०) रेतनेवाला कारीगर II (वि०) रेतीला । राजस्व अधिकारी रेती-(स्त्री०) एक तरह का दानेदार औज़ार
रेशम-फा० (पु०) 1 उम्दा, मज़बूत और चमकदार रेशा, रेतीला- (वि०) 1रेतयुक्त (जैसे-रेतीली मिट्टी) 2 जहाँ रेत कौशेय 2 रेशम का सूत 3 रेशम का कपड़ा (जैसे-रेशम पाई जाए (जैसे-रेतीला प्रदेश)
पहनना)। ~कोष + सं० (३०) कोया; -पालन + सं० रेनी-(स्त्री०) 1 रंग देनेवाली वस्तु 2 अलगनी ,
(पु०) रेशम का कीड़ा पालना; ~मिल + अं० (स्त्री०) रेनु-(पु०) = रेणु
रेशम का कारखाना रेप-अं० (पु०) बलात्कार
रेशमी-फा० (वि०) 1 रेशम का बना (जैसे-रेशमी कुर्ता) रेफ-I सं० (पु०) 1 शब्द के बीच में आनेवाला 'र' का ठीक | 2 रेशम की तरह (जैसे-रेशमी बाल) बादवाले स्वरांत व्यंजन के ऊपर लगा रूप (जैसे-कर्म, नर्तक) रेशा-फ़ा० (पु०) 1 महीन सूत, तंत् (जैसे-रेशम का रेशा. 2 'र' अक्षर II (वि०) 1 अधम, नीच निंदनीय, कुत्सित | मूली का रेशा, फल का रेशा) 2 बुनावट के रूप में पाया रेफ़री-अं० (पु०) अभिनिर्णायक
जानेवाला तत्व, फाइबर 3 शरीर के अंदर की नस, रग रेफरेंस बुक-अं० (स्त्री०) संदर्भ पुस्तिका
रेशियो-अं० (पु०) अनुपात रेफ्रीजिरेटर-अं० (पु०) प्रशीतक, फ्रिज़
रेशेदार-फ़ा० (वि०) रेशा युक्त रेयन-अं० (पु०) कृत्रिम रेशम
रेस-अं० (स्त्री०) दौड़। कोर्स (प०) घुड़दौड़ का मैदान रेरुआ-(पु०) बड़ा उल्लू
रेसर-अं० (पु०) दौड़ लगाने वाला रेल-I (स्त्री०) = रेल पेल। -ठेल, ~पेल (स्त्री०) 1 भीड़ | रेस्टोरेंट, रेस्तराँ-अं० (पु०) भोजनालय भाड़ 2 धक्कम धक्का ।
रेस्पांडेंट-अं० (पु०) प्रतिवादी रेल-II अं० (स्त्री०) 1 ज़मीन पर बिछी लोहे की पटरी | रेह-(स्त्री०) खार मिली धूल
2 रेलगाड़ी (जैसे-रेलमार्ग, रेलयात्रा)। किराया + फ़ा० । रेहन-अ० (पु०) बंधक, गिरवी। ~दार + फ़ा० (पु०) (पु०) रेल यात्रा का भाड़ा; ~गाड़ी + हिं० भाप, बिजली, | बंधक रखनेवाला व्यक्ति, जिसके पास रेहन रखा हो। ~दार डीजल आदि की सहायता से लोहे की पटरियों पर चलनेवाली | + फ़ा० (वि०) रेहन रखनेवाला; ~नामा + फ़ा० (पु०) गाडी; ~डिब्बा + हिं० (पु०) रेलगाड़ी का डिब्बा; | रेहन की शर्त लिखा काग़ज़
दुर्घटना + सं० (स्त्री०) रेलगाड़ी का क्षत विक्षत होना; | रेहल-अ० (स्त्री०) = रिहल ~पथ + सं० (पु०) रेलवे लाइन; पेल (स्त्री०) 1 भारी | रैंक-अं० (पु०) रेंक || भीड़ 2 भरमार; ~भाड़ा + हिं० (पु०) = रेल किराया; | रैक-अं० (पु०) 1 टाँड 2 खुली आलमारी ~मार्ग + सं० (पु०) = रेलवे लाइन; ~यातायात + सं० | रैडर-अं० (पु०) = रडार (पु०) रेल द्वारा आवागमन; यात्री + सं० (पु०) रेल का रैण-(स्त्री०) = रैन मुसाफ़िर; ~लाइन (स्त्री०) रेलवे लाइन; ~सड़क + हिं० । रैतुवा-(पु०) = रायता (स्त्री०) = रेलवे लाइन
रैन, रैनि-(स्त्री०) रात। बसेरा (प०) रात बिताने की जगह रेलना-(स० क्रि०) 1 धक्का देना 2 बहा ले जाना 3 ठूसकर (जैसे-पक्षियों का रैन बसेरा) भरना 4 बहुत अधिक भोजन करना
रैपर-अं० (पु०) बेठन, लपेटन रेलवे-अं० (स्त्री०) 1 रेल विभाग 2 रेलमार्ग। -इंजन | रैयत-अ० (स्त्री०) प्रजा
(पु०) रेल का इंजन; कर्मचारी + सं० (पु०) रेल विभाग | रैया राव-(पु०) 1 छोटा राजा 2 राजाओं द्वारा सरदारों को दी में काम करनेवाला व्यक्ति; क्रासिंग (स्त्री०) (रेल का) | गई पदवी चौफटका; ~जंकशन (पु०) अनेक रेल का संगमः | रैल-(स्त्री०) 1 राशि 2 समूह, झुंड ,टाइम टेबुल (पु०) रेल समय सारणी; ट्रेन (स्त्री०) = | रैली-अं० (स्त्री०) जमाव रेल गाड़ी; ~मैन (पु०) रेलवे कर्मचारी; ~यार्ड (पु०) | रेशनिंग-अं० (स्त्री०) = राशनिंग रेलवे प्रांगण; ~वर्कशाप (स्त्री०) रेलवे कार्यशाला; | रैहर-(पु०) लड़ाई झगड़ा ~स्टेशन (पु०) रेल अड़ा
रैहाँ-अ० (पु०) 1 एक प्रकार की सुगंधित वनस्पति, बालग रेला-(पु०) 1 प्रबल प्रवाह (जैसे-भीड़ का रेला, पानी का ___2 कोई सुगंधित घास 3 अरबी फ़ारसी की सुंदर लेख प्रणाली रेला) 2 धक्कम धक्का 3 आक्रमण, चढ़ाई 4बतायत, | रोंगटा-(पु०) रोम, रोआँ अधिकता
रोंगटी-(स्त्री०) 1 खेल में की जानेवाली बेईमानी 2 खेल में रंज रेलिंग-अं० (पु०) शोभा और सुरक्षा हेतु छत के सिरों पर | होने की अवस्था बनाई गई रचना
| रोआँ-(पु०) = रोयाँ
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रोना
रोआँस
708 रोआँस-(स्त्री०) रोने की प्रवृत्ति
(वि०) रोगी को ले जानेवाला (जैसे-रोगी वाहक गाड़ी) रोआँसा-(वि०) रोने को उद्यत
रोगोपचार-सं० (पु०) रोग का उपचार रोएदार-हिं० + फ़ा० (वि०) रोयेदार
रोचक-सं० (वि०) 1 मनोरंजक 2 प्रिय। ~ता (स्त्री०) रोक-I सं० (पु०) रोकड़
रोचक होने की अवस्था रोक-II (स्त्री०) 1 रोकने का भाव 2 रोकने की वस्तु 3 मनाही, | रोचन-सं० (वि०) 1रुचनेवाला 2 चमकीला 3 फबनेवाला निषेध (जैसे-रोक टोक)। -झोंक (स्त्री०) 1 बाधा, | रोचमान-सं० (वि०) 1 चमकता हआ 2 शोभायुक्त अवरोध 2 मनाही; ~टीप (स्त्री०) नकदी पुर्जा; ~टोक रोज़-I फ़ा० (पु०) दिवस, दिन (जैसे-किस रोज़) II + अ० (स्त्री०) = रोक झोंक; ~थाम (स्त्री०) रोकने का भाव | प्रतिदिन (जैसे-रोज़ आना)। नामचा (पु०) 1 दैनिक रोकड़-(स्त्री०) 1 नक़द रुपया 2 जमा पूँजी। -पाल + सं० पुस्तिका, दैनंदिनी, डायरी 2 प्रतिदिन का हिसाब लिखने की
(पु०) = रोकड़िया; -बही (स्त्री०) रुपयों के लेनदेन का | बही 3 पुलिस का रजिस्टर 4 पटवारी की बही; नामा हिसाब संबंधी बही; बाक़ी + अ० (स्त्री०) शेष रकमः | (पु०) 1 तिथिपत्र 2 दैनिक पत्र; बरोज़ + अ० 1 प्रतिदिन, -बिक्री (स्त्री०) नक़द दाम पर की गई बिक्री
हर रोज़ 2 लगातार; ~मर्रा [ अ० हर रोज़, प्रत्येक रोकना-(स० क्रि०) 1 जाने न देना (जैसे-उस लड़के को दिन II (पु०) नित्य प्रति होनेवाला काम रोकना) 2 चाल बंद करना (जैसे-मोटर को रोकना, पानी की | रोज़गार-फा० (पु०) व्यापार धार रोकना) 3 रुकावट खड़ी करना, अड़चन डालना | रोज़गारी-फ़ा० (पु०) सौदागर, व्यापारी (अनाज बाहर जाने से रोकना, जुलूस रोकना) 4 बंद करना रोज़ा-फा० (पु०) 1 उपवास, व्रत 2 रमजान के महीने में रखा (जैसे-बाल विवाह रोकना) 5 प्रहार को बचाना (जैसे-तलवार जानेवाला प्रत्येक दिन का उपवास 3 रमजान का प्रत्येक दिन का वार रोकना) 6 वश में रखना (जैसे-मनोवेग रोकना) (जैसे-आज पाँचवाँ रोज़ा है)। ~खोर (पु०) रोज़ा न 7 छेकना (जैसे-सूर्य का प्रकाश रोकना)
रखनेवाला व्यक्ति रोग-सं० (पु०) मर्ज़, बीमारी। ~कारक (वि०) रोग पैदा | रोज़ाना-फ़ा० अ० प्रत्येक दिन, नित्य करनेवाला; ~कारी (वि०) रोग फैलानेवाला; ~कीट, रोज़ी-फ़ा० (स्त्री०) 1 काम धंधा, व्यापार 2 रोज़ का खाना.
~कीटाणु (पु०) रोग के कीड़े; ~ग्रस्त (वि०) रोग से नित्य का भोजन (जैसे-रोज़ी का प्रबंध)। ~दार + फ़ा०, पीड़ित; नाशक (वि०) रोग नाश करनेवाला; निदान (वि०) रोज़ी में लगा हुआ; -बिगाड़ + हिं० 1 लगी रोज़ी (पु०) रोग परीक्षण; ~निरोधक (वि०) = रोग रोधक; बिगाड़नेवाला 2 निकम्मा; --रोटी हिं० (स्त्री०) आजीविका
निवारक (वि.) = रोग नाशक; युक्त (वि०) = रोग | (जैसे-रोजी रोटी का प्रबंध करना) ग्रस्त; ~रोधक (वि०) रोग रोकनेवाला; ~लक्षण (पु०) रोज़ीना-फ़ा० I (वि०) रोज़ का || अ० हर रोज़, प्रत्येक दिन रोग के चिह्न; विज्ञान (पु०) रोग की प्रकृति और उससे रोट-(पु०) 1 मोटी रोटी 2 महए के रस में बनी रोटी 3 हाथी का उत्पन्न विकारों का शास्त्र विज्ञानी (पु०) रोग विज्ञान का
रातिब ज्ञाता; विषयक (वि०) रोग संबंधी; शय्या (स्त्री०) | रोटी-(स्त्री०) 1 गेहूँ, जौ, बाजरे, मक्का आदि के आटे की रोगी का बिस्तर; ~शास्त्र (पु०) = रोग विज्ञान; ~शीर्ण गंधकर आँच में पकाई गई चिपटी और वर्तलाकार वस्त. (वि०) रोग से कमज़ोर; ~संचार (प०) रोग का फैलना; चपाती (जैसे-रोटी पर मक्खन लगाना) 2 रसोई (जैसे-रोटी
~संचारक (वि०) रोग फैलानेवाला; ~हर (वि०) = रोग बनाने के लिए नौकरानी रखना) 3 जीविका निर्वाह का साधन नाशक
(जैसे-रोजी रोटी के लिए परेशान व्यक्ति)। -कपड़ा (पु०) रोग़न-फा० (पु०) 1 लाख आदि का बना मसाला 2 वारनिश। भोजन और वस्त्र; ~दाल (स्त्री०) 1 कच्ची रसोई 2 साधारण दार (वि०) रोशन चढ़ाया हुआ
जीविका (जैसे-रोटी दाल पर गुज़र करना); बेटी (स्त्री०) रोग़नी-फा० (वि०) 1 रोशन यक्त 2 रोग़नदार
वैवाहिक और सामाजिक संबंध (जैसे-रोटी बेटी का रिश्ता) । रोगाक्रांत-सं० (वि०) = रोगग्रस्त
~कमाना जीविकोपार्जन करना; रोटियों का मारा भूखा रोगाणु-सं० (पु०) = रोग कीट; नाशन (पु०) रोग कीट | रोड-अं० (स्त्री०) सड़क को नाश करना; ~रहित (वि०) जिसमें रोगकीट न हो; I रोडवेज़-अं० (पु०) सड़क परिवहन रोधक (वि०) रोग कीट को रोकनेवाला
रोड़ा-(पु०) 1 टुकड़ा (जैसे-ईंट का रोड़ा) 2 बाधक वस्तु. रोगाणु-सं० (पु०) रोग को जन्म देनेवाले विषाक्त अणु, __ बाधक तत्व जीवाणु, बैक्टीरिया
रोड़ी-(स्त्री०) छोटा टुकड़ा रोगातुर-सं० (वि०) रोग से परेशान
रोदन-सं० (पु०) = रुदन रोगार्त-सं० (वि०) रोग से दुःखी
रोदा-फा० (पु०) 1 धनुष की डोर, प्रत्यंचा 2 सूक्ष्म ताँत रोगिणी-सं० [ (वि०) रोग से पीड़ित II (स्त्री०) रोग से | रोध-सं० (पु०) 1 रोकनेवाली वस्तु, रोकनेवाली बात 2 घेरा पीड़ित स्त्री
3 बाँध, किनारा। ~अधिकार (पु०) निषेधाधिकार रोगित-सं० (वि०) रोग युक्त, रोगी
रोधक-सं० (वि०) रोकनेवाला। रोगिया-(पु०) रोगी
रोधन-सं० (पु०) बाधा, रुकावट रोगी-सं० (वि०) बीमार, अस्वस्थ। ~परिचारिका + सं० रोधनादेश-सं० (पु०) 1 रोधन आदेश, मना करना 2 रोकना (स्त्री०) रोगी की सेवा करनेवाली, नर्स: ~वाहक + सं० | रोना-(अ० क्रि०) कष्ट दुःख से आँसू बहाना, रुदन करना।
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709
रौशन
~कलपना, लगाना, ~धोना (अ० क्रि०) अत्यंत | रोलर-अं० (पु०) 1 दुलकनेवाली वस्तु 2 बेलन, बेलना विलाप करना; -पीटना (अ० क्रि०) बहत विलाप करना रोला-सं० (पु०) एक प्रकार का छंद जिसमें 11 + 13 के रोनी-(वि०) रोनेवाली, रोने जैसी (जैसे-रोनी सूरत) विश्राम से 24-24 मात्राओं सहित चार चरण होते हैं रोनीयोनी-(स्त्री०) 1 रोने धोने की वृत्ति 2 दुःख की स्थिति रोलिंग-अं० (स्त्री०) 1 बेलन फेरना 2 परिभ्रमण 3 लुंठन । 3 मनहूसी (जैसे-रोनी धोनी सूरत बनाना)
मिल (स्त्री०) बेलन मिल, बेलन कारख़ाना; ~विभाग रोप-सं० (पु०) = रोपण
+ सं० (पु०) चल विभाग; ~स्टाक (पु०) चल स्टाक, रेल रोपक-सं० (वि०) 1 रोपनेवाला 2 स्थापना करनेवाला । के डिब्बे आदि रोपण-सं० (पु०) 1 लगाना (जैसे-रोपण विधि, रोपण | रोली-(स्त्री०) हल्दी और चूने के योग से बनी बुकनी प्रणाली) 2 स्थापित करना 3 तैयार करना 4 मोहित करना रोवनहार-I (वि०) रोनेवाला II (पु०) शोक मनानेवाला 5 लेप करना
उत्तराधिकारी रोपना-(स० क्रि०) 1 लगाना (जैसे-धान रोपना, पौधा रोपना) | रोवना-I (वि०) 1 रोनेवाला 2 बुरा माननेवाला 2 पसारना (जैसे-हाथ रोपना) 3 वार सहना, ओड़ना __II (अ० क्रि०) रोना रोपनी-(स्त्री०) 1 रोपने का भाव 2 धान के रोपने का समय रोवनी धोवनी-(स्त्री०) रोनी धोनी, रोना धोना रोपित-सं० (वि०) 1 लगाया हुआ 2 स्थापित 3 मुग्ध किया रोवा-(पु०) = रोयाँ हुआ 4 उठाया हुआ
रोवाँसा-(वि०) = रोआँसा रोब-अ० (पु०) 1 दबदबा, धाक 2 तेज, प्रताप 3 आतंक रोशन-फा० (वि०) 1 जलता हआ, प्रदीप्त (जैसे-चिराग़ (जैसे-रोब पैदा करना)। दाब हिं० (पु०) आतंक और | रोशन होना) 2 प्रकाशमान् 3 आनंद मंगल, चहल पहल उसका प्रभाव; ~दार + फ़ा० (वि०) रोबवाला
(जैसे-महफ़िल रोशन होना) 4 प्रसिद्ध, विख्यात (जैसे-नाम रोबीला-अ० + हिं० (वि०) = रोबदार
रोशन होना) 5 प्रकट, विदित। ल्खयाल + अ० (वि०) रोमंथ-सं० (पु०) जुगाली, पागुर
प्रबुद्धमना; दान (पु०) झरोखा; दिमाग़ + अ० (पु०) रोम-1 सं० (पु०) 1 शरीर पर का छोटा,पतला तथा नरम बाल, अक्लमंद, बुद्धिमान् रोआँ 2 सूराख। कूप, द्वार शरीर में रोआँ निकलने वाले रोशनाई-फ़ा० (स्त्री०) लिखने की स्याही, मसि छिद्र; -पुलक, हर्ष (पु०) = रोमांच; हर्षक (वि०) | रोशनी-फ़ा० (स्त्री०) 1 प्रकाश, उजाला 2 दीपक, चिराग रोंगटे खड़ा करनेवाला, दारुण, भीषण; ~हर्षण I (पु०) 3 दीपोत्सव 4 ज्ञान आदि का प्रकाश (जैसे-ज्ञान की रोशनी) । सिहरन, रोमांच, II (वि०) रोमांच दारुण; -रोम में पूर्ण ~मीनार (स्त्री०) प्रकाश स्तंभ तथा शुद्ध मन से (जैसे-रोम रोम से आशीर्वाद देना) | रोष-सं० (पु०) 1 क्रोध, गुस्सा 2 कुढ़न 3 वैर विरोध रोम-II सं० (पु०) रोम देश
(जैसे-रोष प्रकट करना) रोमन-[ अं० (वि०) रोम का || रोम देश का निवासी रोषण-सं० (वि०) 1 रोष उत्पन्न करनेवाला 2 मन में रोष III (स्त्री०) रोम देश की लिपि। कैथोलिक (पु०) ईसा | करनेवाला 3 क्रुद्ध मसीह की पूजा करनेवालों का एक संप्रदाय
रोषानल-सं० (पु०) क्रोध रूपी अग्नि रोमराजि-सं० (स्त्री०) रोमावली, रोमलता
रोषान्वित-सं० (वि०) नाराज़, क्रुद्ध रोमांच-सं० (पु०) हर्ष, आश्चर्य, भय आदि के कारण शरीर रोषित-सं० (वि०) क्रोधित, नाराज़ के रोओं का खड़ा होना (जैसे-रोमांच हो आया)। ~कारी । रोषी-सं० (वि०) क्रोधी (वि०) रोंगटे खड़े कर देनेवाला
रोह-सं० (पु०) ऊपर चढ़ना, चढ़ाई रोमांचित-सं० (वि०) जिसे रोमांच हो आया हो, पुलकित रोहण-सं० (पु०) 1 चढ़ना 2 सवार होना (जैसे-रोमांचित देह)
रोहा-(पु०) आँख की एक बीमारी रोमांटिक-अं० (वि०) 1 कल्पना प्रधान 2 कल्पित 3 स्वच्छंद | रोहिणी-सं० (स्त्री०) एक विशेष नक्षत्र रोमाँस-अं० (पु०) 1 प्रेमाख्यान 2 रोमांचक घटना 3 प्रेम रोहित-[सं० (वि०) लाल रंग का, रक्त वर्ण का II (पु०) लीला। ~वाद + सं० (पु०) स्वच्छंदतावाद
लाल रंग रोमानी-अं० (वि०) = रोमांटिक
रोही-सं० (वि०) 1 चढ़नेवाला 2 ऊपर की ओर जानेवाला रोमाली, रोमावली-सं० (स्त्री०) रोओं की पंक्ति रोहू-सं० (पु०) एक बड़ी मछली रोमिका-सं० (स्त्री०) छोटा रोआँ
रौंद-अं० (स्त्री०) पहरेदार या सिपाहियों का गश्त लगाना रोमिल-(वि०) रोएँदार, बालोंवाला
रौंदना-(स० क्रि०) 1 दबाना 2 पैर से कुचलना 3 बर्बाद करना रोयाँ-(पु०) रोंगटा, रोआँ
रौंस-फ़ा० (स्त्री०) 1 गति, चाल 2 चाल ढाल, रंग ढंग रोयेंदार-हिं० + फ़ा० (वि०) रोओंवाला (जैसे-रोयेंदार रौसा-(पु०) = केवाँच कंबल)
रौ-[ फ़ा० (स्त्री०) 1 गति. चाल 2 पानी का बहाव 3 धुन रोर-(स्त्री०) 1 शोरगुल, हल्ला 2 उपद्रव, उत्पात
(जैसे-रौ में बढ़ते जाना) II (वि०) 1 चलनेवाला 2 आगे रोल-I (पु०) रोलने का काम
बढ़नेवाला 3 उत्पन्न होनेवाला (जैसे-खुद रौ) रोल-II अं० (पु०) 1 (अभिनेता की) भूमिका 2 कार्य रोक्ष्य-सं० (पु०) रूखापन रुखाई गेल-III अं० (पु०) 1 हाज़िरी रजिस्टर 2 गोला 3 बेलना | रौशन-फा० (पु०) = रोग़न
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लंबमान रोगनी रोग़नी-फा० (वि०) = रोग़नी
वह स्थान जहाँ बना बनाया भोजन बँटता हो; ~गाह (स्त्री०) रौजा-अ० (पु०) 1 बाग़ बगीचा 2 मकबरा, समाधि बंदरगाह (जैसे-ताज बीबी का रौज़ा)
लैंगराई -(स्त्री०) नटखटी, शरारती रौताईन-(स्त्री०) 1 रावत की पत्नी, ठकुराइन 2 स्त्रियों के लिए लँगराना-(अ० क्रि०) बो० = लँगड़ाना आदर सूचक संबोधन
लैंगरैया-(स्त्री०) = लँगराई रौताई-(स्त्री०) 1 रावत होने का भाव 2 अकड़, ऐंठ लंगल-सं० (पु०) हल रौद्र-[सं० (वि०) 1 रुद्र का 2 भीषण, विकट 3 अत्यंत क्रोध लंगी-(स्त्री०) कुश्ती में अपनी एक टाँग लँगड़ी करके दूसरे की
का परिचायक II (पु०) क्रोध, गुस्सा। ~ता (स्त्री०) टाँग में फँसाकर विपक्षी को गिराने की विधि 1 भयंकरता 2 प्रखरता 3 रुद्रभाव; दर्शन (वि०) भीषण लंगूर-(पु०) 1 हाथ, पैर और काले मुँहवाला तथा लंबी आकृतिवाला रस (पु०) एक रस जिसका स्थायी भाव दुमवाला एक बंदर 2 दुम, पूँछ। ~फल (पु०) नारियल क्रोध है
लंगूल-(पु०) = Jछ, दुम रौद्री-सं० (स्त्री०) रुद्र की पत्नी, गौरी
लँगोट-(पु०) कमर में बाँधने का एक प्रकार का उपस्थ और रौनक्र-अ. (स्त्री०) 1 संदर वर्ण और आकृत्ति 2 चमक दमक नितंब को ढकने का वस्त्र । ~बंद + फ़ा० (वि०) ब्रह्मचारी;
और शोभा 3 जमघट, बहार (जैसे-शाम को बाज़ार की रौनक ~का ढीला कामी; ~का सच्चा स्त्री सहवास से बचा बढ़ जाती है)
रहनेवाला रौप्य-[सं० (पु०) चाँदी, रूपा II (वि०) चाँदी का बना हुआ
लँगोटा-(पु०) = लँगोटी रौब-अ० (पु०) = रोब
लैंगोटियायार-(पु.) = बालमित्र रौरव-[ सं० (वि०) 1 भयंकर 2 भीषण, घोर 3 धूर्त और | लँगोटी-(स्त्री०) छोटा लँगोट । ~पर फाग खेलना कुछ न बेईमान II (पु०) भीषण नरक
होने पर भी भोग विलास करना; बँधवाना दरिद्र बना देना; रौरा-बो० (पु०) रौला
बाँध लेना 1 दरिद्र होना 2 सांसारिक सुख का त्याग; ~में रौल चौल-(स्त्री०) हल्ला, हुल्लड़
मस्त ग़रीबी में भी खुश रहनेवाला रौला-(पु०) हलचल (जैसे-रौला मचाना)
लंघक-सं० (वि०) 1 लाँघनेवाला 2 नियम भंग करनेवाला रौशन-फा० (पु०) रोशन
लंघन-सं० (पु०) 1 लाँघने का भाव, उल्लंघन रौस-फा० (स्त्री०) 1 गति, चाल 2 चाल ढाल, रंग ढंग | लंघनीय-सं० (वि०) लाँघने योग्य 3 बागीचे की क्यारियों के बीच का मार्ग
लँघाना-(स० क्रि०) लाँघने में प्रवृत्त करना रौसली-(स्त्री०) एक तरह की चिकनी और उपजाऊ मिट्टी लंधित-सं० (वि०) 1 लाँघा हआ 2 अतिक्रमित 3 उपेक्षित,
तिरस्कृत लंध्य-सं० (वि०) लाँघने योग्य लंच-अंक (पु०) दोपहर का भोजन लंठ-(वि०) 1 परम मूर्ख 2 उजड्ड लंठई-(स्त्री०) लंठ होने का भाव, लंठपन
लंड-I (पु०) पुरुष की जननेंद्रिय, शिश्न, लिंग लंक-1 (स्त्री०) कमर, कटि || (स्त्री०) लंका (द्वीप) | लंड-II सं० (पु०) गू, विष्ठा लंक लाट-अं० (पु०) एक प्रकार का चिकना और मोटा कपड़ा। लँडूरा-(वि०) 1 कटी पूँछवाला 2 बिना पूँछ का 3 जिसका लंका-सं० (स्त्री०) भारत के दक्षिण का एक प्रसिद्ध द्वीप। कोई शोभाजनक अंग नष्ट हो गया हो नाथ, पति (पु०) लंकाधिपति
लंतरानी-अ० (स्त्री०) लंबी चौड़ी और आत्मप्रशंसात्मक बात, लंकाधिपति-(पु०) लंका का राजा, रावण
शेखीभरी लंबी चौड़ी बात, डींग, शेखी लंकेश-सं० (पु०) रावण
लंप-अं० (पु०) - लैंप लंग-I (स्त्री०) लाँग
लंपट-[ सं० | (वि०) कामी, व्यभिचारी II (पु०) कामी लंग-II फ़ा० (पु०) लँगड़ापन
पुरुष। ता (स्त्री०) दुराचार, कुकर्म लँगड़, लँगड़ा-(वि०) 1 जिसका एक पैर बेकार हो 2 पैर के | लंपाक-सं० (पु०) दुराचारी, लंपट दोष के कारण लचककर चलनेवाला 3 अच्छी तरह खड़ा न हो। लंब-[सं० (वि०) 1 आधार से समकोण बनाती हुई ऊपर
सकनेवाला 4टेढ़ा। ~लूला (वि०) लँगड़ा और दंडा जानेवाली (रेखा) 2 नीचे को लटकता हआ II (पु०) किसी लँगड़ाना-(अ० क्रि०) लँगड़े होने के कारण कुछ दबते और रेखा पर खड़ी और सीधी रेखा। -कर्ण (वि०) लंबे कुछ उचकते हुए चलना
कानोंवाला; ~प्रीव (वि०) लंबी गर्दनवाला; तइंग लँगर-(वि०) 1 नटखट 2 दुष्ट, पाजी
(वि०) 1 ताड़ के समान लंबा, बहत लंबा 2 विशालकाय लंगर-[फा० (पु०) 1 लोहे का बहुत बड़ा काँटा 2 गाय आदि और हृष्ट पुष्ट
पशु के गले में बाँधा जानेवाला लकड़ी का कंदा 3 लोहे की लंबन-स० (पु) 1लंबा करना 2 झूलना 3 सहारा 4 नाभि भारी और मोटी जंजीर 4 बहत लोगों का भोजन एक साथ | तक लटकनेवाला हार पकने का स्थान || (वि०) भारी, वज़नी। खाना (पु०) | लंबमान-सं० (वि०) दूर तक फैला हुआ
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लंबर
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लखौट
लंबर-अं बो० (पु०) नंबर । दार + फ़ा० (पु०) नंबरदार, | लक्षण-सं० (पु०) 1 आसार, निशान (जैसे-वर्षा के लक्षण मुखिया
दिखाई देना) 2 विशेषता सूचक शब्द (जैसे-यह तो प्रतिभा के लंबवत-सं० (वि०) सीधा खड्न (जैसे-लंबवत् रेखा) लक्षण हैं) 3 परिभाषा (जैसे-साहित्य में अलंकार के लक्षण) लंबा-(वि०) 1 चौड़ाई से अधिक विस्तारवाला (जैसे-लंबा | 4 शरीर के शुभाशुभ चिह्न 5 लच्छन (जैसे-उसके लक्षण बाँस) 2 अधिक ऊँचा (जैसे-लंबा पेड़) 3 अधिक अच्छे नहीं दिखाई देते) 6 ढंग, प्रकार। ~कार्य (पु०) विस्तारवाला (जैसे-गरमी के दिन और जाड़े की रातें लंबी होती 1 गुणों का वर्णन 2 परिभाषा; ~ग्रंथ (पु.) वह ग्रंथ जिसमें हैं) 4 दीर्घ (जैसे-लंबा खर्च)। हाथ (पु०) अधिक प्राप्त रस, छंद, अलंकार के लक्षण बताए गए हों; युक्त (वि०) होनेवाली चाल या दाँव
लक्षणवाला लंबाई-(स्त्री०) 1 लंबा होने का भाव 2 लंबान का परिमाण । लक्षणा-सं० (स्त्री०) 1 सामान्य अर्थ से भिन्न अर्थ देनेवाली चौड़ाई (स्त्री०) लंबान चौड़ान का परिमाण
शक्ति 2 उद्देश्य, लक्ष्य लंबान-(स्त्री०) = लंबाई
लक्षणी-सं० (वि०) 1 लक्षणोंवाला 2 लक्षण जाननेवाला लंबायमान-(वि०) 1 बहुत लंबा 2 लेटा हुआ
लक्षणीय-सं० (वि०) 1 देखने योग्य 2 परिभाषा देने योग्य लंबित-सं० (वि०) 1 लटकता हआ 2 अवलंबित
लक्षाधिपति-सं० (पु०) लखपति लंबी-(वि०) 'लंबा' का स्त्रीलिंग रूप
लक्षाधीश-सं० (पु०) लखपति लंबू-I (वि.) अधिक ऊँचा
लक्षित-[सं० (वि०) 1 ध्यान में आया हुआ 2 निर्दिष्ट 3 चिह्न लंबू-II (पु०) मृत का दाह कर्म
युक्त II (पु०) शब्द की लक्षण शक्ति द्वारा ज्ञात अर्थ लंबोतरा-(वि०) गोलाईयुक्त लंबा (जैसे-लंबोतरा मोती, लक्षितव्य-सं० लक्ष्य करने योग्य लंबोतरा बर्तन)
लक्षिता-सं० (स्त्री०) साहि० वह नायिका जिसके लक्षणों से लंबोदर-सं० (वि०) 1लंबे या मोटे पेटवाला 2 बहुत अधिक ___ पर पुरुष प्रेम जानकर सखी ने उसी पर प्रकट कर दिया हो खानेवाला, पेटू
लक्षितार्थ-सं० (पु०) शब्द की लक्षणा शक्ति से निकला अर्थ लंबोष्ठ-I सं० (वि०) लंबे होठोंवाला II (पु०) ऊँट लक्ष्मण-I सं० (पु०) चिह्न II (वि०) चिह्न युक्त। रेखा लकड़बग्घा-(पु०) भेड़िये की जाति का एक जंगली जानवर (स्त्री०) पार न करने योग्य सीमा लकड़हारा-(पु०) जंगल आदि से लकड़ियाँ तोड़कर | लक्ष्मी-सं० (स्त्री०) 1 धन संपत्ति, दौलत 2 शोभा, श्री बेचनेवाला
(जैसे-गृह लक्ष्मी) 3 विष्णु की पत्नी। नारायण (पु०) लकड़हारिन-(स्त्री०) लकड़हारा की स्त्री
लक्ष्मी और नारायण की युगल मूर्ति; ~पति (पु०) विष्णु, लकड़ा-(पु०) लकड़ी का मोटा कुंदा
नारायण लकड़ाना-(अ० क्रि०) 1 सख्त होना 2 लकड़ी की तरह | लक्ष्य-I सं० (पु०) 1 निशान (जैसे-लक्ष्य साधना) 2 उद्देश्य
दुबला पतला हो जाना 3 ऐंठकर लकड़ी की तरह कड़ा होना | (जैसे-धन संग्रह का लक्ष्य) 3 अनुमान योग्य वस्तु, अनुमेय लकड़ी-(स्त्री०) 1 काठ, काष्ठ 2 ईंधन। —देना मुरदा 4 लक्षणा शक्ति से निकलनेवाला अर्थ II (वि०) 1 देखने जलाना; ~सा बहुत दुबला; ~होना दुबला और कमज़ोर योग्य, दर्शनीय 2 लाख। ~ता (स्त्री०) लक्ष्य होने का भाव; होना
~भेद (पु०) = लक्ष्य वेध; ~भ्रष्ट (वि०) निशाने से लकदक़-फा० (पु०) बंजर, वीरान
चूका हुआ; ~वेध (पु०) निशाना लगाना; ~वेधी (वि०) लकब-अ० (पु०) उपाधि, पदवी
निशाना लगानेवाला; साधन (पु०) लक्ष्य साधना; लकलक-1 अ० (पु०) लंबी गर्दनवाला एक जल पक्षी सिद्धि (स्त्री०) ध्येय की प्राप्ति; हीन (वि०) बिना II (वि०) बहुत दुबला पतला
लक्ष्य का लकवा-अ० (पु०) 1 एक प्रसिद्ध वात रोग 2 पक्षाघात लक्ष्यत्व-सं० (पु०) = लक्ष्यता लकसी-(स्त्री०) अँकुसी लगी लग्गी ।
लक्ष्यांक-सं० (पु०) निशाने का चिह्न लकार-सं० (पु०) 'ल' वर्ण
लक्ष्यार्थ-सं० (पु०) = लक्षितार्थ लकीर-(स्त्री०) 1 रेखा (जैसे-लकीर खींचना) 2 ज़मीन पर | लखन-(स्त्री०) लखने की क्रिया बनाई गई रेखा (जैसे-इस लकीर को मिटा दो) 3 प्रथा, रीति। लखना-(स० क्रि०) 1 अनुमान करना 2 समझ लेना 3 देखना
का फ़कीर बिना सोचे समझे पुराने ढरौं, ढंग पर लखपती-सं० (पु०) बहुत अमीर चलनेवाला
लखपेड़ा-(वि०) अत्यधिक पेड़ोंवाला लकीरी-(वि०) लकीर का
लखलखा-फा० (पु०) अंबर, कस्तूरी, अगर का मिश्रण लकुट-सं० (पु०) 1 लाठी, छड़ी 2 लुकाठ
लखलखाना-(अ० क्रि०) भूख प्यास से बिलखना लकुटिया-बो० (स्त्री०), लकुटी-(स्त्री०) छड़ी
लखाना-(स० क्रि०) दिखलाना लक्कड़-(पु०) = लकड़ा
लखी-(पु०) लाख के रंग का घोड़ा लक्खा-(वि०) लाखों में एक, बहुत बढ़ा चढ़ा लखेरा-(पु०) 1 लाख की चूड़ियाँ बनानेवाला कारीगर 2 इस लक्खी-(वि०) 1 लाखों का, लखपति 2 लाख के रंग का तरह का काम करनेवाली हिंदू जाति लक्ष-I सं० (वि०) लाख, सौ हज़ार
लखोखा-(पु०) कई लाख ला-II सं० (पु०) लाख, चपड़ा
लखौट-(स्त्री०) लाख की चूड़ी
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लखौटा
लखौटा - I (पु० ) 1 बढ़िया उबटन 2 टिकली, सिंदूर आदि रखने का डिब्बा लखौटा - II बोर (पु०) लिखावट लखौरी - I (स्त्री०) भ्रमरी या भृंगी का मिट्टी का घर लखौरी - II (स्त्री०) पुराने जमाने की एक छोटी और पतली ईंट लंगत - ( स्त्री०) 1 आसक्त होना, लगना 2 संभोग करना लग- I (स्त्री०) 1 लगने का भाव 2 धुन, लगन II (अ० ) 1 निकट, पास 2 तक
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लगढग - (अ०) लगभग लगदी बो० (स्त्री०) छोटे बच्चों के बिस्तर पर बिछाया जानेवाला कपड़ा
लगन - I (स्त्री०) 1 लगने का भाव 2 ध्यान लगाना (जैसे-पढ़ने की लगन) 3 प्रगाढ़ प्रेम (जैसे-दिल की लगन ) लगन - II ( पु० ) 1 विवाह के लिए स्थिर किया गया शुभ दिन, साइत (जैसे- लगन धरना) 2 विवाह का दिन, सहालग । ~पत्री (स्त्री०) विवाह तिथि सूचक चिट्ठी लगन-III फ़ा० (पु०) ब्याह की एक रीति जिसमें विवाह पूर्व वर के यहाँ मिठाइयाँ भेजी जाती हैं लगनवट - (स्त्री०) प्रेम संबंध
लगा लगी
लगलग - I फ़ा० (वि०) अत्यंत सुकुमार
लगलग - II ( स्त्री० ) 1 हल्का रूप 2 चलती बात चीत लगवाना - (स० क्रि०) लगाने में प्रवृत्त करना लगवार - (पु० ) उपपति, यार, आशना लगवारी - (स्त्री०) आशनाई, यारी लगा - (पु०) तुच्छ व्यक्ति
लगाई बुझाई - (स्त्री०) झगड़ा कराके शांत करना लगाई लुतराई - (स्त्री०) चुगलखोरी लगातार - (अ० ) निरंतर, सिलसिलेवार
लगान - ( स्त्री०) भूकर, राजस्व (जैसे- लगान जमा करना) । बंदी + फ़ा० (स्त्री०) राजस्व लगाने का काम; ~वसूली अ० + फ़ा० (स्त्री०) लगान वसूल करना लगाना - (स० क्रि०) 1 सटाना (जैसे- दीवार पर पोस्टर लगाना) 2 जोड़ना, टाँकना (जैसे-कमीज़ में बटन लगाना, दरवाज़े में शीशा लगाना) 3 स्थित करना, यथा स्थान खड़ा करना (जैसे- दरवाज़े में परदा लगाना, नाव में पाल लगाना) 4 पोतना, लेप करना (जैसे- दरवाज़े में रंग लगाना, हाथ में मेंहदी लगाना) 5 नियुक्त करना (जैसे-चोर के पीछे जासूस लगाना) 6 संलग्न करना (जैसे- दुर्व्यसन लगाना) 7 रुकावट हेतु आवरण लगाना (जैसे-कमरे में दरवाज़ा लगाना) 8 पहुँचाना (जैसे- नदी के तट पर नाव लगाना) 9 काम में व्यस्त रखना (जैसे- किसी की नौकरी लगाना) 10 उपयोग में लाना (जैसे-पान लगाना) 11 धारण करना (जैसे- सिर पर टोपी लगाना) 12 व्यय करना (जैसे शादी में रुपए लगाना) 13 नियुक्त करना (जैसे- पहरा लगाना) साधना (जैसे-गोली का निशाना लगाना) 14 कान भरना (जैसे- इधर की उधर लगाना) 15 आरोप करना (जैसे- कलंक लगाना) 16 प्रवृत्त करना (जैसे-पढ़ने में मन लगाना) 17 आशय समझकर स्थिर करना (जैसे- श्लोक का अर्थ लगाना) 18 संपन्न करना (जैसे जोड़ बाक़ी लगाना) 19 दायित्व स्थिर करना (जैसे- कर लगाना) 20 स्थापित करना (जैसे- वृक्ष लगाना) 21 दुहना (जैसे- गाय-भैंस लगाना) 22 मूल्यांकन करना (जैसे-अँगूठी का दाम लगाना) 23 काम करने योग्य बनाना (जैसे-गन्ना पेरने की मशीन लगाना) 24 काम में प्रवृत्त करना (जैसे-मज़दूर लगाना) 25 संबंध स्थापित करना (जैसे- भाई का रिश्ता लगाना)। ~बुझाना (स० क्रि०) झगड़ा कराके सुलह
कराना
लगाम - फ़ा० (स्त्री०) घोड़े के मुँह में लगाया जानेवाला बाग समेत छड़। कड़ी करना कार्यादि का नियंत्रण करना; ढीली करना कार्यादि पर नियंत्रण न रखना; ~लिए फिरना पीछा करना; हाथ में लेना संचालन सूत्र हाथ में लेना
लगना - (अ० क्रि०) 1 सटना, संलग्न होना (जैसे- दीवार पर तस्वीर लगना, गले लगना) 2 सटाया जाना, जोड़ा जाना (जैसे-लिफ़ाफ़े पर टिकट लगना, खिड़की में पल्ला लगना) 3 स्थित होना (जैसे-नाव में पाल लगना) 4 पोता जाना, जमाया जाना (जैसे- हाथ में मेंहदी लगना, दीवार पर रंग लगना) 5 रगड़ खाना (जैसे- साइकिल का पहिया रिम से लगना) 6 शामिल होना (जैसे-चोर के पीछे पुलिस लगना) 7 संलग्न होना (जैसे- भूत प्रेत का लगना) 8 यथास्थान बैठना (जैसे- किवाड़ लगना) 9 काम में आकर समाप्त होना (जैसे- शादी में हज़ारों रुपए लगना) 10 संपादन करना (जैसे- काम में लगना) 11 कर्तव्य से संबद्ध होना (जैसे- नौकरी में लगना ) 12 प्रहार होना, आघात होना (जैसे- सिर पर लाठी लगना) 13 असर होना (जैसे-मन में बात लगना) 14 प्रभाव होना (जैसे- इस मर्ज़ में कोई दवा नहीं लगती) 15 छेड़छाड़ करना (जैसे-बदमाशों के मुँह लगना) 16 कुछ समय तक बना रहना (जैसे कचहरी में दरबार लगना) 17 आरोप होना (जैसे-कलंक होना) 18 भागी बनना (जैसे- हत्या लगना) 19 प्रतीति होना (जैसे डर लगना, मीठा लगना) 20 प्रवृत्त होना (जैसे- काम में मन लगना) 21 घटित होना (जैसे-ग्रहण लगना) 22 संबद्ध होना (जैसे- रिश्ते में भाई लगना) 23 आशय समझ में आना (जैसे- श्लोक का अर्थ लगना) 24 ठीक तरह से हिसाब होना (जैसे-जोड़ बाक़ी लगना) 25 हिस्सा लगना (जैसे- जुर्माना लगना) 26 ठहरना, रुकना (जैसे- दरवाज़े पर पालकी लगना, प्लेटफार्म पर गाड़ी लगना) 27 अंकुरित होना (जैसे-फल-फूल लगना) 28 क्षीण होना (जैसे- दीवार में लोना लगना) 29 दुहा जाना (जैसे- गाय, भैंस लगना) 30 मूल्यांकन होना (जैसे-अँगूठी का दाम लगना)
लगनी - (स्त्री०) छोटी रिकाबी, तश्तरी
लगभग - (अ०) अनुमानित मात्रा या अवधि लगमात - ( स्त्री०) व्यंजन वर्णों में जोड़े जानेवाला स्वर चिह्न
लगामी - फ़ा० + हिं० (स्त्री०) घोड़े, बैल आदि पशुओं के मुँह में बाँधी जानेवाली जाली
लगार - I (स्त्री०) 1 क्रम, सिलसिला 2 लगाव, संबंध 3 प्रेम, प्रीति II ( वि०) लगा रहनेवाला
लगा लगाया - (वि०)
लगाकर बिल्कुल तैयार किया
हुआ
लगा लगी - (स्त्री०) 1 प्रेम संबंध 2 मेल जोल, हेल मेल 3 लाग डाँट
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लगाव
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लगाव - (पु० ) 1 संबंध, वास्ता 2 प्रेम संबंध (जैसे- किसी से लगाव होना)
लगावट - (स्त्री०) 1 लगे होने का भाव 2 प्रेम संबंध लगा सगा - (पु० ) 1 संपर्क, संबंध 2 अनुचित या गुप्त संबंध लगी - (स्त्री०) 1 प्रेम 2 ख़्वाहिश 3 भूख 4 आग। बदी (स्त्री०) 1 प्रेमपूर्ण या मित्रतापूर्ण अवस्था 2 लाग डाँट लगुड-सं० ( पु० ) 1 लाठी, डंडा 2 छोटा लौहदंड लगे - ( क्रि० वि०) 1 निकट, पास 2 तक, पर्यंत लगेज - अं० (पु० ) सामान। लगो - अ० (वि०) लग़व, बेकार लग्गत-बो० (स्त्री०) लागत
घर + हिं० (पु०) सामान घर
लग्गा - I ( पु० ) 1 अंकसीदार लंबा पतला बाँस 2 लंबा बाँस 3 नाव खेने का बाँस 4 कीचड़ हटाने का फरसा लग्गा - II (पु० ) 1 आरंभ करना, हाथ लगाना (जैसे- काम का लग्गा लगाना, काम में लग्गा लगाना) 2 मुक़ाबला, बराबरी की टक्कर लग्गी - ( स्त्री०)
छोटा लग्गा
लग्गू - I बो० ( पु०) उपपति, यार II ( वि० ) लगनेवाला (जैसे-पिछलग्गू)। बज्झू (पु० ) लगुआ भगुआ; ~ भग्गू (पु० ) बड़े लोगों के साथ हाँ में हाँ मिलानेवाले लोग लग्घा - I (पु० ) = लग्गा I
लग्या - II ( पु० ) = लग्गा II
लग्घी - (स्त्री०)
लग्गी
=
लग्न - I सं० (पु० ) 1 शुभ कार्य करने का मुहूर्त 2 विवाह, शादी । ~ कंकण (पु० ) विवाह पूर्व वर और कन्या के हाथ में बाँधा जानेवाला मंगल सूत्र कुंडली (स्त्री०) जन्म कुंडली; ~ दंड (पु०) लाग डाँट; ~पत्र (पु० ), पत्रिका विवाह कृत्य तथा तिथि संबंधी पत्र; शोधन ( पु० ) शुभ मुहूर्त तय करना
लग्न - II ( वि०) 1 मिला हुआ 2 आसक्त लग्नक-सं० (पु०) जमानत करनेवाला व्यक्ति, जामिन लग्नेश-सं० (पु० ) लग्न का स्वामी ग्रह लघिमा -सं० (स्त्री०) = लघुता
लघु - I सं० (वि०) 1 छोटा 2 कोमल, हलका (जैसे- लघु स्वर) 3 तीव्र गतिवाला 4 अच्छा, बढ़िया 5 सुंदर 6 थोड़ा, कम 7 दुर्बल II (पु०) हस्व स्वर । ~ उद्योग (पु० ) छोटा व्यवसाय; ~ कथा (स्त्री०) छोटी कहानी; ~करण (पु० ) संक्षिप्त करना; ~ काय (वि०) छोटे शरीरवाला; ~काल व्यापी, कालीन (वि०) अल्प काल का; ~कोष्ठक (पु०) छोटा ब्रैकेट (); ~क्रम (पु०) तेज चाल; ~गति (वि०) तेज़ चलनेवाला; ~गणक (पु०) आधार पर दिया गया घातांक; ~गुणकीय (वि०) लघुगणक संबंधी; ~गीत (पु० ) छोटा गाना, छोटा गीत; चित्त, चेता (वि०) 1 चंचल चित्तवाला 2 नीच, हय; ~तरंगीय (वि०) लघु तरंग संबंधी; ~ता (स्त्री०) लघुत्व, छोटाई; ता बोधक, ~ता वाचक (वि०) लघुता का ज्ञान करानेवाला; ~पाक (वि०) शीघ्र पकनेवाला; ~ प्रयत्न (वि०) आलसी, काहिल; ~मति (वि०) मंद बुद्धिवाला, मूर्ख; - मानव (पु० ) छोटा व्यक्ति; ~राष्ट्र (पु०) छोटा देश; ~ रेखा (स्त्री०) छोटी रेखा; ~लिपि (स्त्री०) आशुलिपि,
लजीला
शार्टहैंड ~ शंका (स्त्री०) पेशाब करना; सुत (पु० ) छोटा पुत्र हस्त (वि० ) 1 अच्छा धनुर्धर 2 फ़ुर्ती से काम
करनेवाला
लघुतम - सं० (वि०) सबसे छोटा । ~ समापवर्त्य (पु० ) ग० दो या दो से अधिक संख्याओं से विभक्त हो जानेवाली सबसे छोटी संख्या (जैसे- [20] 2, 4, 5, 10 का लघुत्तम समापवर्त्य है)
लघुत्व-सं० (पु० ) लघुता
लघुमना -सं० (वि०) तुच्छ मनवाला लघ्वार्थक-सं० (वि०) छुटाई का अर्थ देनेवाला
=
लच, लचक - (स्त्री०) 1 झुकाव 2 झुकने का गुण । दार + फ़ा० (वि०) लचीला
लचकना - (अ० क्रि०) 1 मुड़ना, झुकना 2 चलने में झुकना (जैसे- कमर का लचकना)
लचका - ( पु० ) 1 लचकने से होनेवाला आघात 2 लचक 3 जल विहार नौका
लचकाना - (स० क्रि०) झुकाना, लचाना लचकीला, लचकौहाँ - (वि०) लचन - (स्त्री०)
लचीला
= लचक
लचना - (अ० क्रि०) लचकना
लचर - (वि०) कमज़ोर
लचलचा - (वि०) लचीला लचाना - (स० क्रि०) = लचकाना
लचीला - (वि०) 1 लचकनेवाला 2 मुड़नेवाला लच्छण - ( पु० ) 1 स्वभाव 2 लक्षण लच्छन- (पु० ) 1 निशानी, लक्षण 2 तौर तरीका लच्छमी - (स्त्री०) = लक्ष्मी
लच्छा - (पु० ) 1 समूह (जैसे- रेशम का लच्छा) 2 उलझे सूत के टुकड़े (जैसे-प्याज़ का लच्छा) 3 गाढ़ी चीज़ के लंबोतरे अंश (जैसे- रबड़ी का लच्छा) 4 पतली और हलकी ज़ंजीर से बना एक प्रकार का गहना (जैसे-चाँदी का लच्छा) लच्छी - (स्त्री०) छोटा लच्छा
लच्छेदार - (वि०) लच्छों से युक्त (जैसे- लच्छेदार पायल, लच्छेदार मलाई)
लछमी - (स्त्री०) लक्ष्मी
लज - (स्त्री०)
= लाज
लजना - (अ० क्रि०) लज्जित होना लजलजा - (वि०) पिलपिला लजवंत - (वि०) = लाजवंत लजवंती - (स्त्री०) लाजवंती
=
लजवाना- (स० क्रि०) लज्जित करना लजाधुर-बो० (वि०) लजीला
लजाना - I (अ० क्रि०) लज्जित होना II (स० क्रि०) लज्जित करना
लजालू - (वि०) लजीला
लजावनहार - (पु०) लज्जित करनेवाला लजावना - (वि०) लजीला
लजियाना-(अ० क्रि० स० क्रि०) = लजाना
लज़ीज़-अ० (वि०) स्वादिष्ट लजीला - (वि०) शमनिवाला
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लजुरी 714
लड़ना लजुरी-(स्त्री०) 1 रस्सी 2 डोरी।
लटापटी-(स्त्री०) 1 लटपटाने की क्रिया 2 लड़ाई झगड़ा लज्ज़त-अ० (स्त्री०) 1 लज़ीज़ होने का भाव 2 ज़ायका, 3 गुत्थम गुत्था, भिडंत स्वाद। दार । फ़ा० (वि०) = लज़ीज़
लटिया-(स्त्री०) सूत आदि का छोटा लच्छा, लच्छी लज्जा-सं० (स्त्री०) 1 शर्म, हया, लाज 2 मर्यादा, मान । लटी-(स्त्री०) 1 बुरी बात 2 झूठी और व्यर्थ की बात, गप
जनक, प्रद (वि०) शर्मिंदा करनेवाला; ~~युक्त 3 वेश्या 4 भक्तिन (वि०) = लजीला; ~शील (वि०) लज्जावाला; ~शून्य लटूरा-I बो० (पु०) कुप्पा II (वि०) जटावाला (वि०) बेशर्म; ~हीन (वि०) बेशर्म, बेहया
लट्टपट्ट-(वि०) = लथपथ लज्जारुण-सं० (वि०) शर्म से लाल
लटू-(पु०) 1 लकड़ी का एक गोल खिलौना (जैसे-लटू लज्जालु-सं० (वि०) - लजीला
नचाना) 2 बिजली का बल्व 3 उत्कट प्रेमी और इस प्रेम के लजावंत-सं० (वि०) शर्मानेवाला
कारण बावला व्यक्ति लज्जावती-सं० (वि०) शमनिवाली
लट्ठ-I (पु०) मोटा लंबा डंडा II (वि०) परम मूर्ख। बंद लज्जावान्-सं० (वि०) शर्म करनेवाला
+ फ़ा० (वि०) लाठीधारी; ~बाज़ + फ़ा० (वि०) लाठी लज्जास्पद-सं० (वि०) = लज्जा जनक
चलानेवाला; बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) लाठी चलाना; लजित-सं० (वि०) लज्जा युक्त, शर्मिंदा
~मार (वि०) 1 लाठी मारनेवाला 2 कठोर, कड़ी लट-(स्त्री०) 1 जुल्फ़, अलका 2 सिर के उलझे हुए बाल (जैसे-लट्ठमार बात) (जैसे-लट सुलझाना)
लट्ठम लट्ठा-(स्त्री०) लाठियों से मार पीट लटक-(स्त्री०) 1 झुकाव, लचक 2 अंगचेष्टा, ठसक लट्ठा-I (पु०) 1 बल्ला 2 धरन 3 साढ़े पाँच फुट लंबा बाँस। लटकन-(पु०) 1 लटकने का भाव 2 नाक में झूलनेवाला एक | -बंदी + फ़ा० (स्त्री०) लट्टे से नापी गई ज़मीन की नाप प्रकार का गहना
लट्ठा-II (पु०) मोटा कपड़ा लटकना-(अ0 क्रि०) 1 पदार्थ का किसी आधार में फँसकर | लठ-(पु०) लट्ठ नीचे को झूलना (जैसे-खूटी में तार लटकना, तार पर कमीज़ लठियल-(वि०) लट्ठबंद लटकना) 2 झुकना (जैसे-बारजा लटकना) 3 असमंजस में लठिया-(स्त्री०) छोटी लाठी पड़ा रहना (जैसे-अदालत में मुक़दमा अटकना) 4 अनुत्तीर्ण लठियाव-(पु०) लट्ठबाज़ी होना (जैसे-वह इस नवीं कक्षा में लटक गया) लठैत-(वि०) लट्ठबाज़ लटकवाना-(स० क्रि०) लटकाने का काम कराना लठैती-(स्त्री०) लट्ठबाज़ी लटका-(पु०) 1 बातचीत का बनावटी ढंग 2 टोटका 3 एक लडंग-(पु०) झुंड, समूह तरह का चलता गाना
लड़त-(स्त्री०) 1 लड़ाई झगड़ा 2 लड़ने का भाव 3 मुक़ाबला, लटकाना-(स० क्रि०) 1 लटकाने में प्रवृत्त करना 2 झुकाना सामना 3 काम को अनिश्चित दशा में छोड़ देना 4 दुविधा में डालना लड़-(स्त्री०) 1 माला (जैसे-मोतियों की लड़) 2 कतार, पंक्ति (जैसे-उसने मुझे लटका रखा है)
3 बटा हुआ लंबा खंड (जैसे-तीन लड़ का रस्सा) लटकाव-(पु०) लटकने का भाव
लड़कई-बो० (स्त्री०) = लड़कपन लटकीला-(वि०) लटकता और लहराता हुआ
लड़कखेल-(पु०) 1 बालकों का खेल 2 साधारण काम लटकेदार-हिं० + फ़ा० (वि०) 1 ढबदार 2 नखरे की | लड़कपन-(पु०) 1 बाल्यावस्था 2 लड़कों सा आचार व्यवहार चालवाला
(जैसे-लड़कपन करना) लटकौवा-(वि०) = लटकीला
लड़कबुद्धि-+ सं० (स्त्री०) 1 नासमझी, अज्ञानता 2 बाल लटजीरा-(पु०) अगहन में होनेवाला एक प्रकार का धान और उसका चावल
लड़कबुध-(स्त्री०) बालक की बुद्धि लटना-(अ० क्रि०) 1 अशक्त और असमर्थ होना 2 विकल | लड़का-(पु०) 1 बालक 2 बेटा, पुत्र (जैसे-अपने लड़के को
समझा लेना)। बाला (पु०) 1 संतान, औलाद 2 परिवार, लटपट-(स्त्री०) 1 लटपटाने की अवस्था 2 अनुचित उद्देश्य हेतु पुत्र कलवादि होनेवाला नया-नया मेल-जोल या संबंध
लड़की-(स्त्री०) 1 बालिका 2 पुत्री, बेटी। ल्लड़का (पु.) लटपटा-(वि०) 1 ठीक और सीधे रास्ते न चलनेवाला लड़की और लड़का; ~वाला (पु०) 1 कन्या का पिता या 2 ढीलाढाला 3 अंडबंड, अव्यवस्थित 4 शिथिल और हारा | संरक्षक 2 कन्यापक्ष हुआ 5 मला मसला, गीजा हआ, सलवटदार
लड़कोरी, लड़कौरी-(वि०) स्त्री० जिसकी गोद में बच्चा हो, लटपटान-(स्त्री०) 1 लड़खड़ाहट 2 आकर्षक और मनोहर पुत्रवती गति
लड़खड़ाना-(अ० क्रि०) 1 डगमगाना, डिगना 2 डगमगाकर लटपटाना-(अ० क्रि०) 1 लड़खड़ाना 2 विचलित होना, गिरना 3 विचलित होना डिगना 3 आसक्त होना (जैसे-प्रेम में लटपटाना) 4 लीन होना | लड़खड़ाहट-(स्त्री०) डगमगाहट (जैसे-काम में लटपटाना)
लड़ना-(अ० क्रि०) 1घात प्रतिघात करना, लड़ाई करना लटा-(वि०)1 लोलुप, लंपट और व्यभिचारी 2 बदमाश, लुच्चा , 2 नीचा दिखाने का प्रयास करना (जैसे-मुकद्दमा लड़ना)
बुद्धि
होना
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लड़बड़ा
3 परास्त करने का उपाय करना (जैसे- अखाड़े में पहलवानों का लड़ना, विद्वानों का शास्त्रार्थ में लड़ना) 4 झगड़ना (जैसे-ज़रा सी बात में लड़ना) 5 टकराना, भिड़ना 6 रगड़ खाना 7 अनुकूलता होना (जैसे- आँखें लड़ना); ~झगड़ना, ~ भिड़ना (अ० क्रि०) लड़ाई झगड़ा करना लड़बड़ा - (वि०) 1 लटपटा 2 नपुंसक लड़बड़ाना- (अ० क्रि०)
लड़खड़ाना
=
लड़ाई
लड़बावरा, लड़बावला- (वि०) निरा अल्हड़ और मूर्ख लड़बौरा - (वि०) == लड़बावला लड़वाना - (स० क्रि०) लड़ने के लिए प्रेरित करना लड़ाई - (स्त्री०) 1 आपस में लड़ने का भाव 2 टक्कर भिड़ंत 3 युद्ध (जैसे-दो देशों की लड़ाई) 4 मल्लयुद्ध, कुश्ती 5 कलह, झगड़ा 6 अनबन, वैर विरोध (जैसे-पड़ोसी से लड़ाई होना) 7 क़ानूनी दाँव पेच करना। झगड़ा (पु० ) लड़ने झगड़ने का काम; ~बंदी + फ़ा० (स्त्री०) लड़ाई के लिए सेना तैयार करना; ~ भिड़ाई (स्त्री०) लड़ाऊ - (वि०) लड़नेवाला (जैसे-लड़ाऊ जहाज़ ) लड़ाका - (वि०) 1 लड़नेवाला, योद्धा 2 झगड़ालू लड़ाकू - (वि०) युद्ध करनेवाला (जैसे-लड़ाकू हवाई जहाज़ ) लड़ाना - I (स० क्रि०) 1 लड़ाई कराना 2 झगड़ा कराना 3 फँसाना, उलझाना 4 भिड़ाना, तरक़ीब सोचना (जैसे- बुद्धि लड़ाना) परीक्षा के लिए होड़ में प्रवृत्त करना 6 परीक्षा करना, बराबरी करना (जैसे- हाथ लड़ाना, आँखें लड़ाना) लड़ाना-II (स० क्रि०) लाड़ प्यार करना, प्रेम से पुचकारना लड़ी - (स्त्री०) 1 कतार, पंक्ति 2 गुच्छा (जैसे-तार की छड़ी )
3 माला
लड़ैत - (वि०) 1 लाड़ प्यार से पला 2 लाडुला लड़ैता - I ( वि० ) 1 प्यारा, प्रिय 2 लाड़ला लड़ता - II ( वि०) लड़नेवाला
लड्डू - ( पु० ) 1 छोटी गोल मिठाई, मोदक 2 शून्य संख्या सूचक शब्द (जैसे- गणित में उसे लड्डू मिला है) 3 अच्छी और लाभदायक बात (जैसे - वहाँ जाने से लड्डू नहीं मिल जाएगा। बतासा (पु० ) मिठाई खिलाना उत्सव करना; ~ मिलना लाभ होना; मन के खाना मन ही मन झूठी आशा में प्रसन्न होना
लढ़ा - (पु० ) बैलगाड़ी
लढ़िया - (स्त्री०) - छोटी बैलगाड़ी
लत - (स्त्री०) 1 बुरी टेक (जैसे- शराब पीने की लत) 2 'लात' का संक्षिप्त रूप । खोर + फ़ा० (वि०) 1 हमेशा लात खानेवाला 2 नीच; ~खोरा + फ़ा० ( पु० ) 1 पायदान 2 लतखोर; ~मर्दन + सं० (स्त्री०) 1 पैरों से कुचलना 2 पैर
715
का आघात
लतपत - (वि०) = लथपथ
लतर - ( स्त्री०) 1 लता, बेल 2 चित्रकला में लता की आकृति का अंकन
लतरी - I (स्त्री०) 1 मटर के साथ बोए जानेवाली एक प्रकार की घास 2 मोठ
लतरी - II (स्त्री०) 1 हलकी जूती 2 फटा पुराना जूता लता - (वि०) लात मारनेवाला (जैसे-लतहा घोड़ा ) लता - सं० (स्त्री०) 1 बेल (जैसे- अंगूर की बेल) 2 कोमल
शाखा (जैसे- पद्म लता ) 3 सुंदर लताओं से मंडप की तरह बना स्थान;
लदुआ, लदुवा स्त्री । गृह (पु० ) पता + हिं० (पु० )
1 लता और पत्ते, पेड़ पौधे 2 हरियाली 3 जड़ी बूटी 4 निक्रम्मी चीजें ~ मंडप (पु० ) गृह लताड़ - (स्त्री०) 1 लताड़ने का भाव 2 दे० लथाड़ लताड़ना - (स० क्रि०) 1 रौंदना 2 लातों से मारना 3 परेशान करना (जैसे- ग़रीब को लताड़ना)
=
लताफ़त - अ० (स्त्री०) 1 सूक्ष्मता 2 कोमलता, सुंदरता 4 उत्तमता लतिका -सं० (स्त्री०) छोटी लता लतियल - (वि०) लात खानेवाला, लतखोर
लतियाना - (स० क्रि०) 1 रौंदना 2 पैरों से दबाना 3 लात मारना (जैसे- दारोगा ने चोर को खूब लतियाया ) लती - (वि०) बुरी आदतवाला, दुर्व्यसनी लतीफ़ - अ० (वि०) 1 साफ़ सुथरा 2 बारीक 3 अच्छा, बढ़िया 4 कोमल, मुलायम ज़ायकेदार, स्वादिष्ट 5 सुपाच्य लतीफ़ा - अ० (पु० ) 1 चुटकुला 2 हँसी मज़ाक की बात (जैसे-लतीफ़ा उड़ाना) लतीफ़ेबाज़-अ० फ़ा० (पु०) लतीफ़ा कहनेवाला लत्ता - (पु०) 1 फटा पुराना कपड़ा, चीथड़ा 2 कपड़े का टुकड़ा लत्ती - I (स्त्री०) तैरने में लातों का हिलना डोलना लत्ती - II (स्त्री०) 1 कपड़े की लंबी धज्जी 2 पतंग के नीचे कोने में बाँधी जानेवाली धज्जी 3 लट्टू की डोरी लथड़ना - (अ० क्रि०) लथाड़ा जाना लथ पथ - (वि०) 1 भीगा हुआ, तर (जैसे- खून से लथपथ ) 2 सना हुआ (जैसे- कीचड़ से लथपथ )
+
लथाड़ - (स्त्री०) 1 लथाड़ने की क्रिया 2 गहरी डाँट फटकार (जैसे- साहब की लथाड़ सुनना ) 3 बुरी हार लथाड़ना - I (स० क्रि०) लथेड़ना II लताड़ना लथेड़ना - (स० क्रि०) 1 गंदा करना 2 घसीटना 3 दुर्गति करना 4 अपमानित करना 5 परेशान करना (जैसे नौकरी के लिए लथेड़ना)
लदना - (अ० क्रि०) 1 भार युक्त होना 2 रखा जाना (जैसे- गाड़ी में सामान लदना) 3 भारी वस्तु का दूसरी वस्तु पर बोझ रूप में रखा जाना (जैसे- पीठ पर बोरा लदना) 4 मर जाना 5 क़ैद होना 6 कर्ज़ युक्त होना (जैसे उनके हज़ारों रुपए मुझपर लद गए)
लदनी-बो० (स्त्री०) 1 व्यापार, कारबार 2 लदाव, लदन लद लद-(अ०) लद लद शब्द करते हुए (जैसे-आँधी से पेड़ों का लद लद गिरना )
लदवाना - (स० क्रि०) लादने का काम कराना
लदाई - (स्त्री०) 1 लादने का काम 2 लादने की मज़दूरी (जैसे- अनाज की लदाई)
लदाऊ - (वि०) लद्दू
लदान - (पु० ) 1 लादने का काम 2 एक बार में लादा जानेवाला
सामान
लदाना - (स० क्रि०) लदाने का काम कराना लदा फँदा - (वि०) बोझ से भरा हुआ
लदाव - (पु० ) 1 लादने का भाव 2 लादा हुआ बोझ 3 छत आदि का पटाव
लदुआ, लदुवा - (वि०) लादनेवाला, लहू
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लब्धि ला: (वि०) 1 बोझ ढोनेवाला, लदुआ 2 भार ढोनेवाला लपेटन-I (स्त्री०) 1 लपेट 2 घुमाव, फेरा 3 उलझन 4 ऐंठन लह-(वि०) सुस्त, काहिल। ~पन (पु०) सुस्ती, ढिलाई |' (जैसे-रस्सीकी लपेटन) II (पु०)1 लपेटनेवाली वस्तु 2 बेठन (जैसे-लद्धड़पन दिखाना)
लपेटना-(स० क्रि०) 1 घेरा देकर बाँधना 2 समेटना 3 बेठन लप-I (स्त्री०) 1 लचकने का भाव 2 पदार्थ के लचकने का आदि में बाँधना 4 वश में करना 5 फँसाना (जैसे-कल के
गुण 3 चमक (जैसे-लप लप कर बिजली जलना) मामले में सबको लपेटना) 6 पोतना (जैसे-पूरे शरीर में भभूत लप-II (पु०) 1 अंजलि 2 अंजलि भर वस्तु
लपेटना, कीचड़ लपेटना) लपक-I (स्त्री०) 1 चमक (जैसे-बिजली की लपक) 2 लपट | लपेटनी-(स्त्री०) जुलाहों के काते सूत को लपेटने का एक (जैसे-आग की लपक) II लपककर चलने का भाव। | उपकरण, तूर
झपक, ~पन (पु०) लपककर उठाने का भाव लपेटवा-(वि०) 1 लपेटा हआ 2 लपेटा जा सकने योग्य लपकना-I (अ० क्रि०) 1सहसा तेज़ी से आगे बढ़ना । 3 चक्करदार, घुमावदार (जैसे-लपेटवी बातचीत)
(जैसे-चोर को पकड़ने के लिए लपकना) 2 झटपट चल पड़ना | लपेटा-(पु०) = लपेट II (स० क्रि०) फुर्ती से बढ़कर उठाना (जैसे-अँगूठी लपकना) लप्पड़-(पु०) = थप्पड़ लपका-(पु०) 1 लपकने की क्रिया 2 उचक्का 3 आवारा और || लफंगा-(वि.) 1 लंपट, व्यभिचारी 2 चरित्रहीन, दुश्चरित्र लुच्चा अदमी 4 बुरा चस्का, लत
3 लुच्चा, शोहदा लपकाना-(स० क्रि०) फुर्ती से आगे बढ़ना, प्रवृत्त करना - लफ्ज़-अ० (पु०) 1 सार्थक शब्द 2 बात लपकी-(स्त्री०) 1 लपकाने की क्रिया 2 एक तरह की सीधी | लफ्ज़ी-अ० (वि०) 1 शाब्दिक 2 बात से संबद्ध सिलाई
लफ्टेंट-अं० (पु०) = लेफ्टिनेंट। ~गवर्नर (पु०) लपकेबाज़ी-हिं + फ़ा० (स्त्री०) = लपकनपन ___ = लेफ्टिनेंट गवर्नर लपझप-I (वि०) 1 चंचल, चपल 2 अधीर और उतावला | लफ्फाज़-अ० (वि०) 1 बातूनी 2 डींग हाँकनेवाला 3 तेज़, फुर्तीला 4 बेढंगा और भद्दा (जैसे-लप झप चाल) लफ्फाज़ी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 वाचालता 2 आडंबर पूर्ण II (अ०) 1 तेज़ी से 2 बेढंगे रूप से III (स्त्री०) शब्दावली का प्रयोग लपकपन
लब-फ़ा० (पु०) 1 होंठ, ओष्ठ (जैसे-लब हिलाना, लब लपट-(स्त्री०) 1 अग्नि शिखा 2 लू का झोंका
खोलना) 2 थूक (जैसे-लब लगाकर लिफ़ाफ़ा बंद करना) लपटना-(अ० क्रि०) लिपटना
लबड़ धोंधों-(स्त्री०) 1 झूठ मूठ का हल्ला 2 झूठ मूठ इधर लपटा-(पु०) 1 गाढ़ी गीली वस्तु 2 लगाव, संबंध
उधर की कही गई बात 3 झूठ मूठ की बात करनेवाला व्यक्ति लपटाना-I (स० क्रि०) 1 लिपटाना, चिपटाना 2 आलिंगन 4कुव्यवस्था 5 अन्याय, अंधेर । करना 3 घेरना 4 लपेटना II (अ० क्रि०) 1 सटना, लगना लबड़ना-(अ० क्रि०) 1 झूठ बोलना 2 गप हाँकना 2 उलझना, फँसना
लबरा-(वि०) झूठ बोलनेवाला लपटीला-(वि०) रह रहकर लपटनेवाला
लबलहका-(वि०) अधीर और लालची लपना-(अ० क्रि०) 1लचना 2 झुकना। ~झपना (स० लबाड़-(वि०) 1 झूठा, मिथ्यावादी 2 गप्पी क्रि०) हैरान होना
लबाड़िया-(वि०) 1 मिथ्यावादी, झूठ बोलनेवाला 2 गप्पी लपलप-(पु०) हिलाने की क्रिया
लबाड़ी-I (स्त्री०) 1 गप 2 झूठ मूठ की बातें II (वि०) लपलपाना-I (अ० क्रि०) 1 हिलना डुलना 2 चमकना लबाड़िया (जैसे-तलवार का लपलपाना) 3 झुकना II (स० क्रि०) लबादा-अ० (पु०) 1 रूईदार चोगा, दगला 2 भारी और लंबा 1 चमकाना (जैसे-तलवार लपलपाना) 2 हिलाना डुलाना | पहनावा, चोगा (जैसे-जीभ लपलपाना)
लबाब-अ० (वि०) शुद्ध लपलपाहट-(स्त्री०) 1 लपलपाने की क्रिया 2 चमक लबार-(वि०) बकवादी, मिथ्यावादी, गप्पी (जैसे-तलवार की लपलपाहट) 3 लचकना (जैसे-छड़ी की लबारी-(स्त्री०) = लबाड़ी लपलपाहट)
लबालब-फ़ा० (वि०) पूर्णतः भरा हुआ (जैसे-लबालब भरा लपसी-(स्त्री०) 1 पतला हलुआ 2 गाढ़ा तरल पदार्थ हुआ दूध का भगोना) (जैसे-लपसी का स्वाद लेना, लपसी बनाना)
लबी-(स्त्री०) खाँड़, राब लपाना-(स० क्रि०) 1 लपने में प्रवृत्त करना 2 इधर-उधर | लबेद-I (पु०) रूढ़ि रीति II (वि०) वेद विरुद्ध बातें कहनेवाला लचाना 3 सरकाना
लबेदा-(पु०) मोटा तथा बड़ा डंडा लपित-सं० (वि०) कहा हआ, कथित, उक्त । लबे सड़क-फ़ा० + हिं० (क्रि० वि०) सड़क के किनारे पर लपेट-(स्त्री०) 1 लपटने का भाव 2 लपेटे हुए होने की अवस्था | लबोलहजा-फ़ा० + अ० (पु०) उच्चारण 3 लपेटी गई वस्तु का प्रत्येक फेरा (जैसे-लटाई में सूत के सौ। लब्ध-सं० (वि०) 1 प्राप्त 2 कमाया हुआ, उपार्जित । काम लपेट हैं) 4 ऐंठन, बल 5 चक्कर, उलझन (जैसे-मुकदमे की (वि०) प्राप्त किया हुआ; प्रतिष्ठ (वि०) सम्मानित लपेट में आना) 6 घेरा, परिधि (जैसे-बल्ली की लपेट दो फुट | लब्धव्य-सं० (वि०) प्राप्त करने योग्य है)। ~झपेट (स्त्री०) उलझने, फंसने की स्थिति लब्धांक-सं० (पु०) भागफल (जैसे-उत्पात की लपेट झपेट में आना)
लब्धि-सं० (स्त्री०) 1 प्राप्ति 2 भागफल
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लभन
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लस
लभन-सं० (पु०) प्राप्त करना, पाना .
लड़का 3 लड़का, बालक 4 प्रेमी का प्रेम संबोधन लण्य-सं० (वि०) 1 पाया जा सकने योग्य 2 उचित ललाई-(स्त्री०) लाली, लालिमा (जैसे-मुख की ललाई) लथ्यांश-सं० (पु०) लाभ, मुनाफ़ा
ललाट-सं० (पु०) 1 माथा, भाल 2 भाग्य, तकदीर लमकना-(अ० क्रि०) बो० 1 लंबाई के बल नीचे की ओर | (जैसे-ललाट रेखा)। -रेखा (स्त्री०) भाग्य लेख लटकना 2 लपकना
ललाटिका-सं० (स्त्री०) 1 माथे पर का टीका नामक गहना लमगोड़ा-(वि०) = लमटंगा
2 टीका, तिलक लमधिचा-(वि०) लंबी गर्दनवाला
ललाम-सं० (वि०) 1सुंदर, मनोहर 2 बढ़िया, अच्छा लमछड़ा-(वि०) पतला और लंबा
ललामी-[सं० + हिं० (स्त्री०) सुंदरता, लाली, सुर्थी [[कान लमटंगा-(वि०) लंबी टाँगोंवाला
में पहनने का एक गहना लमतडंग-(वि०) बहुत लंबा और हृष्ट पुष्ट (जैसे-लमतडंग | ललित-[सं० (वि०) 1 मनोहर, सुंदर 2 कोमल आदमी)
3 अभिलाषित, इच्छित 4 प्यारा, प्रिय II (पु०) 1 श्रृंगार रस लमहा-अ० (पु०) पल, क्षण
का एक कायिक भाव 2 साहि० एक अलंकार जिसमें वर्ण्य लय-I सं० (स्त्री०) 1 गति, सामंजस्य (जैसे-एक लय में कविता वस्तु से संबद्ध कथ्य को न कहकर उसके प्रतिबिंब रूप का पढ़ना) 2 गाने का प्रकार (जैसे-मधुर लय में गाना)। ताल उल्लेख किया जाता है। ~कला (स्त्री०) सर्जनात्मक और (पु०) संगीत का सुर ताल; ~बद्ध (वि०) सुरयुक्त
सौंदर्यशास्त्रीय दृष्टि से प्रेरित कला लय-II सं० (पु०) 1 समा जाना, विलय होना 2 मिलना. | ललिता-सं० (स्त्री०) कामिनी संश्लिष्ट होना 3 परिणत होना, समाविष्ट होना 4 प्रलय लली-(स्त्री०) 1 लड़की के लिए प्यार का शब्द 2 दलारी बेटी (जैसे-सृष्टि लय) 5 विनाश 6 वंचित होना 7 ध्यानमग्न होना | 3 प्रेमिका के लिए प्रेम का संबोधन (जैसे-आत्म लय) 8 स्थिरता 9 मा (जैसे-चेतना का लय | लल्ला-(पु०) = लला होना)। ~कारी (वि०) लय करनेवाला
| लल्लू-(पु०) 1 लड़कों का सामान्य संबोधन 2 लड़का लयक-सं० (वि०) 1 लय संबंधी 2 लय के अनुरूप होनेवाला।
लल्लो -(स्त्री०) जीभ, ज़बान। -चप्पो, पत्तो (स्त्री०) लयन-सं० (पु०) 1 लय होने की अवस्था 2 विश्राम 3 शांति ! चिकनी चुपड़ी बात, ठकुरसुहाती
4 आड़ में होने का भाव 5 शरण, आश्रय का स्थान | लवंग-सं० (पु०) लौंग नामक वृक्ष और उसकी कलियाँ लयात्मक-सं० (वि०) = लयबद्ध
लव-सं० (पु०) थोड़ा अंश, अल्प मात्रा लरज़ना-फा० + हिं० (अ० क्रि०) 1 काँपना, थरथराना । लवण-I सं० (पु०) नमक, लोन II (वि०) 1 नमकीन (जैसे-दिल लरज़ना) 2 दहल जाना, डरना 3 इधर उधर
| 2 ख़ारा। -जल I (वि०) खारे पानीवाला II (पु०) हिलना (जैसे-पेड़ की टहनी का लरज़ना)
समुद्र; विलयन (पु०) नमक का घुल जाना लरज़ाँ-I फा० (वि०) काँपता हुआ, कंपित II (पु०)
| लवन-सं० (पु.) 1 काटना 2 फ़सल की कटाई 3 फ़सल की 1 कंपकंपी, थरथराहट 2 भूकंप, भूचाल 3 जुडी बखार | कटाई के बदले मिलनेवाला धन लरज़िश-फ़ा० (स्त्री०) थरथराहट, कँपकँपी
लवनी-(स्त्री०) 1 फ़सल काटना 2 फ़सल काटने का ललक-(स्त्री०) ललकने का भाव
पारिश्रमिक ललकना-(अ० क्रि०) = ललचना
लवलीन-(वि०) प्रेम में मग्न ललकार-(स्त्री०) चुनौती
लव लेशसे० (पु०) 1 अत्यंत अल्प मात्रा 2 नाम मात्र का ललकारना-(स० क्रि०) चुनौती देना
संबंध (जैसे-प्रेम का लवलेश भी न होना) ललकित-(वि०). गहरी चाह से भरा हुआ
लवा-(पु०) तीतर जाति का एक पक्षी ललचना-(अ० क्रि०)1 लोभ ग्रस्त होना 2 आसक्त होना, मोहित | लवाई-(स्त्री०) = लवन
होना (जैसे-नारी के रूप के प्रति ललचना) 3 अधीर होना लवाक-सं० (पु०) हँसिया - ललचाऊ-(वि०) ललचानेवाला, लालच उत्पन्न करनेवाला लवारा-(पु०) गाय का बच्चा (जैसे-ललचाऊ फल)
लवेंडर-अं० (पु०) फूल से तैयार किया गया एक सुगंधित ललचाना-(स० क्रि०) 1 अधीर करना 2 लालच देना | तरल पदार्थ
3 मोहित करना. मुग्ध करना (जैसे-रूप से ललचाना) | लशकर-फा० (पु०) 1सेना, फ़ौज 2 दल, समह 3ळावनी ललचाया-(वि०) 1 अधीर हुआ 2 लालच ग्रस्त 3 मुग्ध, | 4 जहाज़ पर काम करनेवाले लोगों का समूह। गाहमोहित (जैसे-ललचाया यौवन)
(स्त्री०/पु०) छावनी, शिविर ललचौहाँ-(वि०) 1 लालच से भरा 2 मोहित करनेवाला | लशकरी-I फ़ा० (वि०) 1 लशकर संबंधी, फ़ौजी 2 लशकर में (जैसे-ललचौहाँ नारी)
काम करनेवाला II (पु०)1 सैनिक, सिपाही 2 जहाज़ पर काम ललछौहाँ-(वि०) हलके लाल रंग की झलकवाला करनेवाला आदमी, जहाज़ी III (स्त्री०) जहाज़ पर काम ललन-सं० (पु०) 1 प्यारा बालक, दुलारा लड़का 2 लड़का, | करनेवालों की बोली
बालक 3 प्रेमी के लिए प्रयुक्त प्रेम सूचक संबोधन लशटम पशटम-(वि०) = लस्टम पस्टम ललना-सं० (स्त्री०) सुंदर नारी
लशुन-सं० (पु०) लहसुन लला-(पु०) 1 लाल का संबोधनकारक वाला रूप 2 दुलारा | लस-(पु०) 1चिपकने का गुण 2 चिपकानेवाली चीज गोंट
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लसना
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लासा 3 चिपचिपाहट 4 आकषण। दार + फ़ा० (वि०) लहर-(स्त्री०) 1 तरंग 2 कंप (जैसे-हवा बहने से धान के पौधों लसवाला
में लहर उठना) 3 उमंग, जोश, उत्साह (जैसे-मन की लहर) लसना-I (अ० क्रि०) 1चिपकना 2 फबना, शोभित होना 4 हर्ष, प्रसत्रता, मौज मस्ती (जैसे-प्रेम की लहर, मन की लहर
II (स० क्रि०) चिपकाना (जैसे-किताब पर जिल्द लसना) में आकर काम करना) 5 उतार चढ़ाव की गति (जैसे-साँप का लसरका-(पु०) अत्यंत साधारण ।
लहर मारकर चलना) 6 रह रहकर हलकी और तेज़ पीड़ा लसलसा-(वि०) चिपचिपा, लसीला (जैसे-लसलसा पदार्थ) (जैसे-साँप के काटने से लहर उठना) 7 तरंग के आकार की लसलसाना-(अ० क्रि०) चिपकना
रूप रेखा (जैसे-धूप छाँह के कपड़े में कई रंगों की लहरें उठती लसलसाहट-(स्त्री०) चिपचिपाहट
हैं)। ~दार + फ़ा० (वि०) 1 लहर जैसी आकृतिवाला लसिका-सं० (स्त्री०) 1 थूक 2 पेशी
(जैसे-लहरदार केश) 2 लहर सी आकृति बनी हुई लसित-सं० (वि०) 1 शोभित 2 क्रीडाशील
(जैसे-लहरदार कपड़ा, लहरदार बेल बूटे); ~पटोर (पु०) लसी-(स्त्री०) 1 चेप, लस 2 लोभ 3 साधारण मेल जोल | 1 लहरियादार रेशमी कपड़ा 2 लहँगा और चोली; बहर (जैसे-पड़ोसी के प्रति लसी भाव होना)
(स्त्री०) 1 आंनद, मौज 2 वैभव और परम सुख की स्थिति लसीका-सं० (स्त्री०) 1 थूक, लार 2 पेशी। ~ग्रंथि (स्त्री०) ! लहरना-(अ० क्रि०) = लहराना लार बनानेवाली ग्रंथि
लहरा-(पु०) 1 तरंग, लहर 2 आनंद, मौज 3 केवल ताल स्वरों लसीला-I (वि०) लसदार II (वि०) सुंदर
की लय से युक्त बाजों की गत 4 बादलों का कुछ समय तक लस्टम पस्टम-(अ०) जैसे तैसे, मंद और साधारणतः ज़ोर से बरसना (जैसे-लस्टम पस्टम काम चल रहा है)
लहराना-I (अ० क्रि०) 1 तरंगित होना 2 कंपयक्त गति होना लस्त-(वि०) 1 अशक्त, कमज़ोर 2 थका हुआ, ढीला, । (जैसे-धान की बालियाँ लहराना, हवा में झंडा लहराना) शिथिल (जैसे-काम से लस्त)
3 लहरों-सा बढ़ना (जैसे साँप का लहराना, आग की लपटें लस्सान-अ० (वि०) 1 अधिक बोलनेवाला, वाचाल लहराना) 4 उल्लास में आना (जैसे-मन का लहराना) 2 लच्छेदार बात कहनेवाला
5 शोभायुक्त होना (जैसे-प्रकृति का लहराना) लस्सानी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 वाचालता 2 खुशबयानी II (स० क्रि०) 1 हिलाना डुलाना (जैसे-सिर के बाल लस्सी-(स्त्री०) दही का घोल
लहराना) 2 झोंक खाते हुए बढ़ना लहंगा-(पु०) 1 घाघरा 2 साया
लहरिया-(पु०) । लहर की आकृति की रेखाओं का समूह लहक-(स्त्री०) 1 लहकने की क्रिया 2 आग की लपट 3 चमक ___ 2 लहरों की आकृति युक्त कपड़ा। ~दार । फा० (वि०) 4 शोभा
लहरिया बना हुआ लहकना-(अ० क्रि०) 1 लहराना 2 दहकना, धधकना लहरिल-(वि०) = लहरदार (जैसे-अँगीठी लहकना) 3 हवा का झोंका आना 4 ललकना लहरी-I (स्त्री०) तरंग, लहर II (वि०) 1 मन की तरंग के (जैसे-मिठाई हेतु लहकना)
अनुसार काम करनेवाला 2 सदा प्रसन्न रहनेवाला, खुश मिज़ाज लहकाना-(स० क्रि०) 1 हिलना, डुलना, झोंका खिलाना| लहलहा-(वि०) 1 फूल पत्तों से भरा और सरस, हरा भरा
2 दहकाना, प्रज्वलित करना 3 उकसाना, भड़काना 4 लालच देना 2 परम प्रसन, आनंदमय लहकारना-(स० क्रि०) 1 उभाड़ना 2 प्रोत्साहित करना | लहलहाना-(अ० क्रि०) 1 हरा भरा होना 2 अत्यंत प्रसन्न होना लहकौर-(स्त्री०) 1 वर और कन्या का एक दूसरे को अपने 3 हृष्ट पुष्ट होना हाथ कुछ खिलाने की एक वैवाहिक रस्म 2 इस अवसर पर लहली-बो० (स्त्री०) जलाशय के सूखने पर होनेवाला दलदल गाया जानेवाला गीत 3 वर वधू को कोहबर में खेलाए लहसुन-(पु०) मसाले के काम आनेवाली प्याज के तरह की जानेवाले खेल
एक गाँठ और उसका पौधा लहज़ा-[अ० (पु०) 1 बोलने का ढंग 2 शब्दों के उच्चारण लहसुनियां-(पु०) एक विशेष रत्न का खास ढंग
लहालोट-(वि०) 1 हँसी से लोटता हुआ 2 प्रसन्नता से भरा लहज़ा-II अ० (पु०) 1 पल, क्षण 2 निमेष
हुआ 3 प्रेम विभोर लहठी-(स्त्री०) लाख की चूड़ी
लहासी-(स्त्री०) मोटी रस्सी लहनदार-हिं० + फ़ा० (पु०) प्राप्य धन पाने का अधिकारी व्यक्ति लहू-(पु०) रक्त, खून, रुधिर। पसीना (प०) कठोर लहना-I (पु०) 1 उधार दिया हुआ धन (जैसे-लहना चुकाना)
परिश्रम; लुहान (वि०) खून से लथपथ। उबलना 2 काम के बदले मिला धन (जैसे-मालिक से लहना लेना)
बहुत गुस्सा आना; उभर आना थोड़ा थोड़ा खून निकलना; 3 भाग्य II (स० क्रि०) 1 प्राप्त करना, पाना 2 लाभ करना।
का यूंट पीकर रह जाना गुस्सा सह जाना; का प्यासा III (अ० क्रि०) सहायक होना (जैसे-यहाँ मेरी तरक़ीब लह
जानी दुश्मनः -पसीना एक करना बहुत कष्ट उठाना; गई)। पावना (पु०) प्राप्त होनेवाला धन; बही
- पानी एक होना गुस्से के कारण शरीर में भोजन पानी का (स्त्री०) लहना संबंधी रजिस्टर
प्रभाव न पड़ना; -पानी होना 1 खुन का पतला होना लहनी-(स्त्री०) = लहना
2 अत्यंत क्रुद्ध होना; पी जाना क़ल करना; -पीना कष्ट लहबर-(पु०) लंबी और ढीली पोशाक, चोगा
देना; --पी पीकर रह जाना क्रोध को चुपचाप सह लेना; लहमा अ० (पु०) क्षण, पल, निमेष
बिगड़ना खून का खराब होना; ~बोलना हत्या का खुद
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लाँक
प्रकट हो जाना; जाना दया न रहना
लॉक-I (स्त्री०) कमर, लंक II ( स्त्री०) ताज़ी कटी हुई
में नहाना क्षत विक्षत होना; ~सफ़ेद हो
फ़सल
लॉंग - (स्त्री०) काछ (जैसे-लाँग खुलना)
लांगल - सं० (पु० ) 1 हल 2 शुक्ल पक्ष की द्वितीया के चंद्रमा के दोनों ओर का नुकीला भाग
लांगूल - सं० ( पु० ) लाँघना - (स० क्रि०)
पूँछ, दुम
1 छलाँग लगाकर पार करना (जैसे- घोड़े का नाला लाँघना) 2 डग भरकर पार करना (जैसे-भोजन की थाली लाँघना)
लाँच - बो० (स्त्री०) घूस, रिश्वत
लांच - अं० (पु० ) 1 महानौका 2 विहार नौका लांछन-सं० (पु०) 1 कलंक 2 दाग़, धब्बा
लांछना-सं० (पु०) कलंक लगाना लांछित सं० (वि०) कलंकित
लांडरी-अं० (स्त्री०) कपड़ा धुलने की दुकान लांपट्य-सं० (पु० ) 1 लंपटता 2 व्यभिचार लाइट -अं० (स्त्री०) 1 प्रकाश (जैसे-लाइट दिखाना, लाइट करो) 2 बत्ती । ~हाउस (पु०) दीपगृह
लाइटर - अं० (पु०) बत्ती आदि जलाने का एक छोटा-सा
उपकरण
लाइन-अं० (स्त्री०) 1 रेखा (जैसे- सीधी लाइन लाइन खींचना ) 2 मार्ग, रास्ता, पटरी (जैसे-रेल लाइन) 3 कतार, पंक्ति (जैसे-लाइन में खड़ा होना) । ~ क्लियर (पु० ) रास्ता साफ़ के लिए हरी झंडी का संकेत; मैन (पु०) तार मिस्त्री लाइनोटाइप - अं० (पु० ) टाइप की पूरी पंक्ति ढालनेवाली मशीन
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लाइनोटाइपिस्ट- अं० (पु०) लाइनोटाइप करनेवाला लाइंसमैन - अं० (पु० ) टेनिस या फुटबाल में सीमा रेखा का ध्यान रखनेवाला
लाइफबोट —अं० (स्त्री०) जीवन नौका
लाइब्रेरियन - अं० (पु० ) पुस्तकालयाध्यक्ष लाइब्रेरी -अं० (स्त्री०) पुस्तकालय
लाइसेंस-अं० (पु०) अनुज्ञा पत्र ~दार + फ़ा० ( पु० ) लाइसेंस रखनेवाला व्यक्ति -धारी + सं० (वि०) लाइसेंस रखनेवाला
लाई - I (स्त्री०) धान, बाजरे आदि को भूनकर बनाया गया खाद्य पदार्थ, लावा
लाई - II ( स्त्री०) चुग़ली (जैसे-लाई लगाना) । लुतरी (स्त्री० ) 1 शिकायत 2 चुग़ली
लाउड स्पीकर -अं० (पु० ) बिजली की सहायता से चलनेवाला एक प्रकार का ध्वनि विस्तारक यंत्र
लाऊ - बो० (पु०) लौकी
लाक-अं० ( पु० ) ताला
लाकेट -अं० (पु० ) 1 लटकन से युक्त गले में पहने जानेवाली स्वर्णमाला 2 ज़ंजीर आदि में लगाया जानेवाला लटकन साक्स-अं० (पु०) द्रव आक्सीजन लाक्षणिक - I सं० (वि०) 1 लक्षण संबंधी 2 लक्षण युक्त 3 लक्षणा शक्ति पर आश्रित (जैसे- लाक्षणिक भाव )
लाजवर्द
II (पु० ) 1 लक्षणों का ज्ञाता 2 बत्तीस मात्राओंवाला एक छंद लाक्षण्य-सं० (वि०) लक्षण संबंधी
लाक्षा-सं० (स्त्री०) = लाख || लाक्षिक-सं० (वि०) 1 लाख का 2 लाख का बना हुआ लाख-I (वि०) 1 सौ हज़ार, बहुत ज्यादा 2 (पु० ) सौ हज़ार की संख्या 3 (अ० ) हद से ज्यादा
लाख - II (स्त्री०) लाह, चपड़ा। मोहर + फ़ा० (स्त्री०) लाख पर लगाया गया ठप्पा
लाखना- (स० क्रि०) 1 लाख लगाकर बंद करना 2 लाख के घोल का लेप करना
लाखा - I ( पु० ) 1 होंठों पर लगाने का लाख का बना एक प्रकार का रंग 2 गेहूँ के पौधों में लगनेवाला एक रोग II (वि०) लाख के रंग का (जैसे-लाखी गाय) लाखिराज - अ० (वि०) कर या लगान से मुक्त लाखी - I (वि०) लाख के रंग का, मटमैला II ( पु० ) मटमैला लाल रंग
लाग- I (स्त्री०) 1 लगाव, संपर्क 2 लगन, अनुराग, प्रेम 3 होड़, प्रतिस्पर्द्धा 4 दुश्मनी, शत्रुता 5 गुप्त तरक़ीब, गुप्त उपाय (जैसे-लाग का खेल ) 6 शुभ अवसरों पर ब्राह्मण, नाऊ, कहार आदि को दिया जानेवाला धन 7 लगान, कर II (अ० ) 1 तक, पर्यंत 2 निकट, पास 3 लिए, वास्ते III (वि०) काम में लगने योग्य। ~ डांट ( स्त्री०) प्रतिस्पर्द्धापूर्ण स्थिति; लपेट ( स्त्री०) संबंध, लगाव
लागत - ( स्त्री०) 1 व्यय (जैसे- इस मकान पर दस हजार की लागत बैठी) 2 विक्रय हेतु बनाई गई वस्तु पर पड़ा व्यय (जैसे- रेडियो की लागत सात सौ रुपए है) । निर्धारण - सं० (पु० ) खर्च तय करना; पूँजी (स्त्री०) खर्च की गई
पूँजी लागबुक-अं० (स्त्रा० ) 1 ग० लघुगणक पुस्तिका 2 यात्रा दैनिकी
लागू - ( वि० ) 1 प्रयुक्त होने के योग्य, चरितार्थ होनेवाला 2 संबद्ध 3 शत्रु, वै
लाघव - I सं० (पु०) 1 लघु होने का भाव, लघुता 2 अल्पता, कमी 3 फुर्ती, तेज़ी 4 सफ़ाई (जैसे- हस्त लाघव) 5 आरोग्य 6 हलकापन II अ० जल्दी से
लाघविक - सं० (वि०) 1 लघु रूप में लाया हुआ 2 संक्षिप्त लाघवी - सं० (स्त्री०) 1 फुर्ती, शीघ्रता 2 सफ़ाई लाचार-I अ० + फ़ा० (वि०) मज़बूर, निरुपाय 2 असमर्थ II (अ० ) विवश होकर
लाचारी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 विवशता 2 असमर्थतापूर्ण स्थिति
लाचीदाना -हिं० + फ़ा० (पु० ) इलायचीदाना लाज - I (स्त्री०) 1 लज्जा, शर्म 2 मान सम (जैसे- कुल की लाज)
लाज - II सं० ( पु० ) 1 रस्सी 2 रस्सा लाजक-सं० (पु० ) धान का लावा लाजवंत - (वि०) लज्जाशील, शर्मीला लाजवंती - ( स्त्री०) लज्जालु नारी, शर्मीली स्त्री लाजवर्द - फ़ा० (पु०) 1 नीले रंग का एक पत्थर, राजावर्त 2 एक तरह का विलायती नीला रंग
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लाजवर्दी
लाजवर्दी-फ़ा० (वि०) गहरा नीला
लाजवाब - अ० (वि०) 1 अनुपम, बेजोड़ 2 निरुत्तर 3 जिसका उत्तर न दिया जा सके
लाजा-सं० (स्त्री०) 1 चावल 2 लावा लाज़िम - अ० (वि०) आवश्यक और उचित लाज़िमी- अ० + फ़ा० (वि०) अपरिहार्य
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लाट - I (स्त्री०) 1 ऊँचा, बड़ा और मोटा खंभा 2 मीनार (जैसे - कुतुबमीनार की लाट) 3 वास्तु रचना (जैसे-अशोक की लाट)
लाट - II अं० (पु० ) गवर्नर (जैसे-लाट साहब ) लाट-III अं० (पु०) पुरानी वस्तुओं का ढेर, समूह लाटरी - अं० (स्त्री०) रुपए या सामान रूप में पुरस्कार देने की
व्यवस्था
लाठ - (स्त्री०) 1 कोल्हू में लगी, बल्ली 2 लाट = I लाठी- (स्त्री०) 1 बड़ा और मोटा डंडा 2 सहारा (जैसे-बूढ़े की लाठी)। चार्ज अं० (पु०) लाठियाँ चलाना (जैसे- भीड़ में पुलिस ने लाठी चार्ज कर दी): प्रहार फ़ा० (वि०)
+
= लाठी चार्ज; ~ बाज़
+
राज
- सं० ( पु० ) लठैत, लट्ठबाज़; ~मार (स्त्री०) लाठी मारना; (पु० ) दंगा फ़साद; वर्षा + सं० (स्त्री०) = लाठी चार्ज । चलना लाठी से मार पीट होना; चलाना लाठी से मार पीट करना; बाँधना लाठी साथ रखना लाडो - (स्त्री०) लाड़ प्यार से पाली गई स्त्री या लड़की लाड़- (पु० ) दुलार । ~प्यार (पु०), लड़ैता (वि०) अत्यंत प्यारा
लाड़ला - (वि०) प्यारा, दुलारा लाड़ा-बो० (पु०) दूल्हा, वर लाडिला - (वि०) = लाड़ला लाड़ी -बो० (स्त्री०) दुलहन, नव विवाहिता स्त्री लाढ़िया - (पु० ) दूकानदार से मिला दलाल लात - (स्त्री०) 1 पाँव 2 पदाघात मुक्की (स्त्री०) घूँसा और लात खाना 1 मार खाना 2 पैर की ठोकर से मारा जाना; चलाना लात से मारना; मारकर खड़ा होना प्रसव के बाद स्त्री का चलने फिरने योग्य होना 2 निरोग होकर चलना फिरना; मारना उपेक्षा करना, घृणा करना लातर-बो० (स्त्री०) पुराना जूता
लातादाद - अ० (वि०) बेशुमार, अनगिनत लातालूती - (स्त्री०) मारपीट
लाद - I (स्त्री०) पेट, उदर ( जैसे-लाद फूलना) 2 आँत, अँतड़ी (जैसे-लाद निकलना)
लाद - II (स्त्री०) लदाई। फाँद (स्त्री०) लादने और बाँधने
लावा
मैदान में खेले जानेवाला गेंद का एक तरह का खेल लानत - अ० (स्त्री०) तिरस्कारपूर्ण बात। -मलामत (स्त्री० ) धिक्कार, फटकार | पड़ना बेइज्जत होना; का मारा 1 घृणित, कुत्सित 2 अभागा ; ~ की बौछार लगातार भर्त्सना;
बरसना 1 मनहूसी होना 2 लानत की बौछार होना; ~ भेजना 1 धिक्कारना 2 कोसना 3 ठुकराना
लानती -अ० + फ़ा० (वि०) 1 लानत का मारा 2 लानत के
योग्य
का काम
लादना - (स० क्रि०) 1 बोझ रखना (जैसे-गाड़ी में माल लादना) 2 भार रखना (जैसे- पीठ पर चीनी का बोरा लादना ) 3 दायित्व सौंपना (जैसे- सारा काम मुझपर लाद दिया) लादिया- (पु० ) बोझ लादकर ले जानेवाला लादी - ( स्त्री०) 1 बोझ 2 गठरी
लादू - (वि०) बोझ ढोनेवाला (जैसे- लादू जहाज़ ) लाधा-बो० (वि०) अच्छा, बढ़िया
लान - अं० (पु०) घासयुक्त समतल मैदान। टेनिस (पु० )
लाना - (स० क्रि०) 1 ले आना 2 उपस्थित करना लापता - अ० + हिं० (वि०) 1 खोया हुआ 2 बिना पते का 3 छिपा हुआ
लापरवाह - अ०
फ़ा (वि०) 1 निश्चिंत बेफ़िक्र
2 असावधान
+
लापरवाही - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 बेफ़िक्री 2 असावधानी लॉबी-अं० (स्त्री०) सभा का उप कोष्ठ लाभ-सं० 1 मिलना, प्राप्ति 2 हित, उपकार, फ़ायदा (जैसे- दवा से लाभ) 3 मुनाफ़ा (जैसे - व्यापार में लाभ होना) । ~कर (पु०) लाभ पहुँचानेवाला (जैसे-दवा आदि); कारक, -कारी (वि०) फ़ायदेमंद, खोरी फ़ा० (स्त्री०) लाभ लेना, मुनाफ़ाखोरी; जनक, दायक, दायी (वि०) लाभ देनेवाला; धन (पु० ) लाभ में मिला धन; ~प्रद (वि०) = लाभकारक प्राप्ति (स्त्री०) मुनाफ़ा लेना, लाभ लेना; ~लिप्सा (स्त्री०) लाभ लेने का लालच; ~ वितरण, ~ विभाजन (पु० ) लाभ का बँटवारा; ~ हानि (स्त्री०) लाभ और हानि लाभांश-सं० (पु० ) लाभ का हिस्सा
लाभान्वित -सं० (वि०) 1 लाभ हुआ 2 लाभ में प्राप्त लाभार्जन-सं० (पु० ) लाभ कमाना लाभार्थ-सं० (वि०) लाभ के लिए लाभार्थी-सं० (वि०) लाभ का इच्छुक
लाभालाभ-सं० (पु०) हानि और लाभ लाम - I (पु० ) 1 फ़ौज का दस्ता 2 समूह II ( क्रि० वि०) दूर, दूरी पर बंद फ़ा० (वि०) लड़ाई के लिए तैयार; बंदी + फ़ा० (स्त्री०) युद्ध के लिए सेना की तैयारी, सेना को युद्ध में भेजना
लाम काफ़ - अ० (पु०) 1 खरी खोटी, अपशब्द 2 बेहूदा बातें लामा - ( पु० ) तिब्बत का बौद्ध आचार्य लामिसाल - अ० (वि०) अनुपम, अद्वितीय
लामे - अ० बो० 1 कुछ दूरी पर 2 एक ओर हटकर (जैसे-लामे रखना)
लायक़ - अ० (वि०) 1 उचित, ठीक 2 उपयुक्त, मुनासिब 3 गुणी (जैसे- लायक़ आदमी) 4 समर्थ, योग्य (जैसे- वह खेलने के लायक़ नहीं रहा)
लायकी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 लायक़ होने का भाव 2 योग्यता, शक्ति लायब्रेरी-अं० (स्त्री०) लायसेंस अं० (पु० ) लार - I (स्त्री०) 1 थूक
=
2 लुआब । ~ ग्रंथि लारवा - अं० (पु०)
=
लाइब्रेरी लाइसेंस
(जैसे- मिठाई देखकर लार आना)
+ सं० (स्त्री०) लार बनानेवाली ग्रंथि डिंभक, इल्ली
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लारियेट 721
लिंग लारियेट-अं० (पु०) 1 भूषित व्यक्ति 2 राजकवि, पोएट
लालिमा-(स्त्री०) लाल होने का भाव, लाली लारिएट
लाली-(स्त्री०) 1ललाई, अरुणता, लालपन, सीं लारी-अं० (स्त्री०) ट्रक (जैसे-लारी गड्ढे में गिर गई): (जैसे-चेहरे की लाली, कपोलों की लाली) 2 इज़्ज़त, सम्मान -ड्राइवर (पु०) ट्रक चलानेवाला
(जैसे-आपके आने से मेरे चेहरे की लाली बच गई) 3 यश, लारु-(पु०) लड्डु
कीर्ति (जैसे-प्रेम की लाली) लार्ड-अं० (पु०) 1मालिक 2 ज़मींदार 3 उच्च कार्य कर्ताओं | लाल्य-सं० (वि०) = लालनीय
को प्रदान की गई उपाधि 4 ईश्वर (जैसे-ओ लार्ड) लाव-I बो० (स्त्री०) 1 मोटा रस्सा 2 एक दिन में एक चरसे से लाल-I (वि०) 1 सुर्ख (जैसे-लाल ओंठ, लाल कमल)
सींची जानेवाली भूमि या खेत। चलाना चरसे से खेत 2 क्रोध, आवेश, लज्जा आदि के कारण चेहरे का रंग लाल हो
सींचना। दार + फ़ा० 1 (वि०) दागने को तैयार जाना (जैसे-लाल आँखें, गुस्से में चेहरे का लाल होना)
2 (पु०) तोप में बत्ती लगाने वाला 3 नियत स्थान पर पहुँची हुई (जैसे-गोट लाल होना) 4 परम
लाव-II (पु०) ऋण के रूप में दिया गया धन। “उठाना सुखी (जैसे-लालो लाल होना)। फीता +पूर्त० (पु०) बंधक रखकर रुपया उधार देना; लगाना अन्नादि देकर सरकारी कार्यलयों में टालमटोल के कारण कार्य का आगे ऋण चुकाना बढ़ने में होनेवाला विलंब, रेडटेप; लावक-बो० (१०) काटनेवाला फ्रीताशाही + पुर्त० + फ़ा० (स्त्री०) काग़ज़ातों को लाल
लावणिक-I सं० (वि०) 1 लवण संबंधी 2 लवण युक्त फीते के अंदर बंद रखे रहना। बुझक्कड़ (पु०) अनुमान
___3 सुंदर II (पु०) 1 नमक का व्यापारी 2 नमकदान और अटकल से प्रश्न और समस्या को बूझने की मूर्खता
लावण्य-सं० (पु०) 1सलोनापन, सुंदरता 2 नमकपन करनेवाला व्यक्ति; ~आँखें दिखाना, ~आँखें निकालना
3 स्वभाव की उत्तमता गुस्से से देखना; ~पड़ना, होना क्रोध करना; ~पीला लावण्यमय-सं० (वि०) लावण्यवाला होना क्रोध में आना, क्रुद्ध होना; होना निहाल होना
लावनी-(स्त्री०) एक तरह का चलता गाना लाल-II (वि०) प्यारा (पु०) 1 छोटा और प्रिय बालक, प्यारा
लावबाली-अ० + फा० 1 (वि०) निडर, बेफ़िक्र II (स्त्री०) बच्चा 2 पुत्र, बेटा
आवारगी, बेफ़िक्री लाल-III फ़ा० (पु०) माणिक नामक रत्न
लावलश्कर-अ० + फ़ा० (प्०) फ़ौज और उसका सामान लालक-सं० I (वि०) दुलार, प्यार करनेवाला II (पु०) | लावल्द-अ० (वि०) निःसंतान । विदूषक
लावा-I (पु०) 1 फसल काटनेवाला मज़दूर 2 ज्वार, धान लालच-(पु०) लोभ
आदि को भूनने पर तैयार खाद्य पदार्थ (जैसे-लावा देना, लावा लालचहा, लालची-(वि०) लोभी
पछोरना) लुतरा (पु०) लड़ाई लगानेवाला व्यक्ति । लालटेन-अं० (स्त्री०) हाथ में लटकाने लायक चिमनीदार लैंप ~मेलना मंत्र आदि पढ़कर वश में करना । लालड़ी-(स्त्री०) नथ, बाली आदि में लगाया जानेवाला एक | लावा-II अं० (पु०) ज्वालामुखी पर्वत के मुँह से तरह का नग
निकलनेवाला राख, पत्थर, धात् आदि मिश्रित पदार्थ लालन-I सं० (पु०) 1 लाड़ प्यार करना 2 लाड़ प्यार । लावारिस-अं० (वि०) बिना उत्तराधिकारी का (जैसे-लावारिस पालन (पु०) प्यार करना और पालना
संपत्ति, लावारिस संतान) लालन-II (पु०) 1 प्यारा बेटा 2 लड़का, बालक
लावारिसी-अ० + फ़ा० I (स्त्री०) लावारिस होने का भाव लालनीय-सं० (वि०) लालन-पालन योग्य
II (वि०) जिसका कोई उत्तरदायी न हो लालरी-(स्त्री०) = लालड़ी
लाश-फ़ा० (स्त्री०) शव, मृत शरीर (जैसे-घोड़े की लाश)। लालसा-सं० (स्त्री०) इच्छा, साध (जैसे- माँ के दर्शन की ~उठना मर जाना; ~पर गिरना लाशों का ढेर लगना लालसा)
लासा-(पु०) 1लसीला पदार्थ 2 चंप 3 फँसाने का साधन । लाला-I (पु०) 1 आदरसूचक संबोधन (जैसे-लाला लाजपत ~लगाना फँसाने की युक्ति रचना; होना सदा साथ लगे राय, लाला साहब) 2 कायस्थ, खत्री आदि जातियों का सूचक
रहना शब्द 3 छोटे, प्रिय व्यक्ति के लिए संबोधन शब्द।ल्पइया । लासाना-अ० वि०) .
लासानी-अ० (वि०) अद्वितीय, बेजोड़ (पु०) बेटा
लासिक-सं० (वि०) नाचनेवाला लाला-II (वि०) लाल
लासिका-सं० (स्त्री०) नर्तकी लाला-III सं० (स्त्री०) लार, थूक -पंथि (स्त्री०) = लार लास्य-I सं० (पु०) नाच, नृत्य II (वि०) कोमल और मधुर ग्रंथि
लाह-(स्त्री०) 1लाख 2 चमक लाला-IV फ़ा० (पु०) पोस्ते का लाल रंग का फूल, गुले लाहन-(पु०) 1 महए का फल 2 महए का खमीर 3 खमीर
लाहिजाब-अ० (वि०) बेपरदा लालायित-सं० (वि०) 1 ललचाया हुआ 2 प्यारा
लिंग-सं० (पु०) 1चिह्न 2 लक्षण 3 प्रतीक 4 पुरुष और स्त्री लालित-सं० (वि०) दुलारा हुआ
वाले दो विभागों से प्रत्येक, सेक्स 5 काम वासना को तृप्त लालित्य-सं० (पु०) 1 ललित होने का भाव 2 रमणीयता करनेवाला तत्व 6 व्या० संज्ञा और सर्वनाम का वह वर्गीकरण 3 हाव भाव
जो पुरुष और स्त्री का बोध कराएँ 7 पुरुष जननेंद्रिय, शिश्न
लाला
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लिंगन
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लिप्ति 8 पुरुष जननेंद्रिय सूचक शिव का एक विशेष प्रतीक | लिखितानुसार-सं० (क्रि० वि०) लिखे हुए के अनुसार (जैसे-शिवलिंग)। ता (स्त्री०) लिंग से युक्त होने का | (जैसे-लिखितानुसार पढ़ना) भाव; देह (पु०) 1 लिंग शरीर 2 आत्मा का बहुत सूक्ष्म लिखिया-(पु०) लिखनेवाला स्वरूप 3 मृत्योपरांत आत्मा को आवृत्त रखनेवाला सूक्ष्म शरीर; लिचलिचाना-(अ० क्रि०) = लसलसाना
नाश (पु०) 1 लक्षण न पहचानने की अवस्था 2 अंधता, लिजलिजा-(वि०) पिलपिला अंधापन; ~पूजक (पु०) लिंग पूजनेवाला व्यक्ति; पूजा लिटमस-अं० (पु०) क्षार और अम्ल परखने का एक काग़ज़ (स्त्री०) लिंग की पूजा करना (जैसे-शिवलिंग की पूजा); लिटर-अं० (पु०) एक माप जो एक सेर से कुछ ज्यादा होता है ~भेद (पु०) स्त्री पुरुष का अंतर; ~वाचक (वि०) लिंग लिटाना-(स० क्रि०) लेटने में प्रवृत्त करना, पौढ़ाना भेद बतानेवाला; -विकार (पु०) लिंग में दोष होना; लिट्ट-(पु०) बड़ी लिट्टी ~वृत्ति । (पु०) आडंबरी II (वि०) ढोंगी III (स्त्री०) लिट्टी-(स्त्री०) टिकिया के आकार की गोल छोटी रोटी ढोंग रचना
लिडार-I बो० (वि०) कायर, डरपोक II (पु०) गीदड़ लिंगन-सं० (पु०) आलिंगन
लिडौरी-(स्त्री०) फ़सल पीटने के बाद डाँठ में लगे रह लिंगवान्-I सं० (वि०) लक्षणयुक्त II (पु०) लिंगायत
जानेवाले दाने संप्रदाय
लिथड़ना-(अ० क्रि०) = लथड़ना लिंगस्थ-सं० ब्रह्मचारी
लिथाड़ना-(स० क्रि०) = लथेड़ना लिंगादिबोधक-सं० (वि०) लिंग का ज्ञान करानेवाला लिथोछापाखाना-अं० + हिं + फ़ा० (पू०) पत्थर की छपाई लिंगायत-सं० (पु०) एक शैव संप्रदाय
का प्रेस लिंगार्चन-सं० (पु०) = लिंग पूजा
लिनेन-अं० (पु०) सन लिंगिता-सं० (स्त्री०) चिह्नित होने का भाव
लिपटना-(अ० क्रि०) 1 आलिंगन करना 2 सट जाना लिंगी-सं० (वि०) लिंगधारी
3 तल्लीन होना लिंगेंद्रिय-सं० (पु०) पुरुष जननेंद्रिय
लिपटाना-(स० क्रि०) 1 गले लगाना 2 सटाना लिंगोपासना-सं० (स्त्री०) = लिंग पूजा
लिपड़ा-(वि०) चिपचिपा लिंट-अं० (पु०) एक तरह का मुलायम जालीदार कपड़ा लिपड़ी-(स्त्री०) लेई की तरह गीला पदार्थ लिंफ-अं० (पु०) 1 शुद्ध जल 2 लसीका 3 टीका लिपना-(अ० क्रि०) 1 लेप से युक्त होना 2 लेपा जाना लिए-अ० प्रयोजन हेतु प्रयुक्त संप्रदान कारक की विभक्ति (जैसे-दीवार लिपना)। ~पतना (स० क्रि०) लीपा पोती (जैसे-मेरे लिए , उसके लिए)
करना लिक्खाड़-(पु०) बहुत लिखनेवाला लेखक
लिपवाना-(स० क्रि०) लीपने का काम कराना लिक्षा-सं० (स्त्री०) जूं का अंडा
लिपस्टिक-अं० (पु०) ओठों की सुर्जी लिखत-(स्त्री०) 1 लिखने की क्रिया 2 लिखे होने की अवस्था लिपाई-(स्त्री०) 1 लीपने लिपाने की क्रिया, पोताई 2 पोतने की
3 दस्तावेज़। ~पढ़त (स्त्री०) लिखा पढ़ी का काग़ज़ | मजूरी या मज़दूरी। -पुताई (स्त्री०) लीपना और पोतना लिखतम-(स्त्री०) 1 लिखावट 2 लिखा पढ़ी
लिपाना-(स० क्रि०) लेप कराना, पुताना (जैसे-आँगन को लिखन-सं० (पु०) 1 लिखना 2 लेख 3 लिखावट
गोबर से लिपाना) लिखना-(स० क्रि०) 1 लिपिबद्ध करना 2 रचना करना लिपा पुता-(वि०) साफ़ सुथरा (जैसे-लिपा पुता मकान)
(जैसे-उपन्यास लिखना) 3 अंकित करना (जैसे-शार्ट हैंड में लिपि-सं० (स्त्री०) 1 लिखने की क्रिया 2 लघुतम ध्वनि का लिखना)। ~पढ़ना लिखने पढ़ने का काम करना सूचक अक्षर (जैसे-क् ख् ग् आदि) 3 भाषा के लघुतम ध्वनि लिखनी-(स्त्री०) 1 लेखनी, क़लम 2 होनी, प्रारब्ध
अक्षरों का समूह । ~कर, ~कर्ता, ~कार (पु०) = लिखवाई-(स्त्री०) = लिखाई
लिपिक; ~काल (पु०) ग्रंथ, लेख का समय; ~कृत लिखवाना-(स० क्रि०) लिखने का काम कराना (जैसे-पत्र (वि०) = फलक -फलक (पु०) काठ, धातु, पत्थर आदि लिखवाना)
का लेखबद्ध पटरा, टुकड़ा; बद्ध (वि०) 1 लिखित लिखाई-(स्त्री०) 1 लिखने का काम 2 लिखी हुई लिपि और 2 लिखा पढ़ी से युक्त; ~युक्त (वि०) लेख रूप में लाया
उसकी बनावट 3 चित्र अंकित करना। पढ़ाई (स्त्री०) हुआ (जैसे-लिपि युक्त भाषण); विज्ञान (पु०) विद्योपार्जन
लिखावट संबंधी शास्त्र; विज्ञानी (पु०) लिपि विज्ञान का लिखाना-(स० क्रि०) 1 लिखने का काम कराना, लिखना ज्ञाता; ~सज्जा (स्त्री०) लिखने का साधन सिखाना, लिखने का अभ्यास कराना
लिपिक-सं० (पु०) कार्यालय में पत्र और उनकी प्रतिलिपियाँ लिखा पढ़ा-(वि०) शिक्षित (जैसे-लिखा पढ़ा आदमी) __ लिखनेवाला बाबू, मुहर्रिर, क्लर्क लिखा पढ़ी-(स्त्री०) 1 लिखना पढ़ना, अध्ययन करना 2 पत्र
लिपिका-सं० (स्त्री०) लिखावट, लिपि व्यवहार 3 अनुबंध, शर्त आदि
लिप्त-सं० (वि०) लगा हुआ (जैसे-वासना में लिप्त) लिखावट-(स्त्री०) 1 लिखने का ढंग 2 लिपि, लेख । लिप्तक-I सं० (पु०) विष में बुझा बाण II (वि०) विष में लिखित-I सं०(वि०) लिखा हआ (जैसे-लिखित दस्तावेज़) बुझाया हुआ II (पु०) 1 लिखित बात 2 प्रमाण पत्र
लिप्ति-सं० (स्त्री०) लिप्त होना
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लिप्यंतरण
लिप्यंतरण सं० (पु०) दूसरी लिपि में बदलना लिप्सा-सं० (स्त्री०) चाह, इच्छा
लिप्सु सं० (वि०) इच्छुक (जैसे ज्ञान और कर्म लिप्सु) लिफ़ाफ़ा-अ० (पु० ) 1 काग़ज़ की चौकोर थैली (जैसे- लिफाफे में चिट्ठी रख देना) 2 खोल 3 दिखाऊ सामान, ठाटबाट । खुलना भेद प्रकट होना; बदलना नई वेशभूषा धारण करना; बनाना ठाट बनाना लिफ़ाफ़िया-अ० हिं० (वि०) दिखाऊ और कमज़ोर ~पन हिं० (पु० ) दिखावा लिफ्ट - अं० (स्त्री०) बड़ी इमारतों में ऊपर ले जानेवाला यानस्वरूप यंत्र
लिबड़ना - I (अ० क्रि०) चिपकना, लगना II (स० क्रि०)
लथ पथ करना
लिबड़ी-अं० (स्त्री० ) 1 हस्तांतरण 2 भत्ता 3 पहनावा 4 वेशधारी सेवक
लिबरल - अं० (वि०) उदार नीतिवाला
लिबास - अ० ( पु० ) पोशाक
लियाक़त - अ० (स्त्री०) 1 योग्यता 2 शालीनता 3 गुण 4 सामर्थ्य 4 पात्रता
लिये दिये- (अ० क्रि०) ले देकर
लिलार - (पु० ) 1 कुएँ का सिरा जहाँ मोट का पानी गिराया जाता है 2 माथा (जैसे- लिलार फोड़ना)
लिली - अं० (स्त्री०) कुमुदिनी
लिलोही - (वि०) लालची, लोभी
=
लीवर, जिगर
लिवर-अं० (पु० ) लिवाना - (स० क्रि०) साथ लेते आना (जैसे- बहू
को लिवा
आना)
लेवाल
लिवाल - (वि०) लिसलिसा - (वि०)
= लसदार
लिसोड़ा- (पु० ) छोटे-छोटे खट्टे फलवाला एक पेड़ लिस्ट-अं० (स्त्री०) सूची (जैसे सामान की लिस्ट) लिहाज़ - अ० ( पु० ) 1 संकोच, अदब 2 लज्जा 3 रिआयत 4 ख़याल, ध्यान
लिहाज़ा-अ० ( क्रि० वि० ) इसलिए, अतः लिहाड़ा - (वि०) 1 बेहूदा और वाहियात 2 निकम्मा लिहाड़ी - (स्त्री०) मज़ाक (जैसे-लिहाड़ी लेना) लिहाफी - अ० (पु० ) छोटी रज़ाई
लीक - (स्त्री०) 1 लंबी रेखा 2 सर्प आदि के चलने से बनी रेखा 3 पगडंडी 4 मर्यादा 5 लोकरीति 6 जूँ का अंडा । खींचना दृढ़ निश्चय करना; पीटना पुरानी रीति रस्म पर चलते जाना; ~ चलना 1 रास्ते पर चलना 2 पुरानी रस्म पर चलना; ~ से बेलीक होना 1 गुमराह होना 2 पुरानी चाल छोड़ना लीख - (स्त्री०) जूँ का अंडा
लीग - I अं० (स्त्री०) 1 सभा 2 संघ । आफ़ नेशंस (स्त्री०) संयुक्त राष्ट्र संघ, राष्ट्र संघ
लीग-II अं०(स्त्री०) स्थल पर 3 मील और समुद्र पर लगभग 31⁄2 मील की नाप
लीगी अं० + हिं० (वि०) लीग से संबधित लीचड़ - (वि०) 1 सुस्त, काहिल 2 निकम्मा, फ़ालतू 3 तुच्छ स्वभाववाला। ~पन (पु० ) 1 निकम्मापन 2 तुच्छता 3 सुस्ती
लुंठक
लीची- (स्त्री०) एक प्रसिद्ध पेड़ और उसका फल लीझी - (स्त्री०) 1 उबटन आदि लगाने से शरीर से निकलनेवाली मैल 2 सीठी, फोक
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लीडर -अं० ( पु० ) नेता । ~शिप (स्त्री०) नेतृत्व, नेतागिरी लीडरी-अं० (स्त्री०) नेतृत्व
लीतड़ा - (पु०) फटा पुराना जूता
लीथो - अं० (पु० ) पत्थर का छापा। ~ प्राफ़ (पु० ) लीथो की छपाई; ~ प्राफ़र (पु०) लीथो की छपाई करनेवाला; ~ प्राफ़ी (स्त्री०) पत्थर पर छपाई की कला लीद - (स्त्री०) गधे, घोड़े, खच्चर आदि पशुओं का मल लीन-सं० (वि०) 1 समाया हुआ 2 तन्मय (जैसे- अध्ययन में लीन) 3 तत्पर (जैसे कर्तव्य में लीन) 4 ध्यानमग्न (जैसे- आत्मलीन) 5 संलग्न (जैसे-कर्म में लीन) 6 लुप्त (जैसे- आकाश में लीन) । ~ता (स्त्री०) 1 आसक्ति
2 तन्मयता
लीनोटाइप मशीन-अं० (स्त्री०) पूरी पंक्ति को ढालकर कंपोज करने की मशीन
लीपइयर - अं० (पु० ) 1 अधिवर्ष 2 साल जिसमें 366 दिन हों लीपना - (स० क्रि०) 1 लेप करना (जैसे- चौके को गोबर से लीपना) 2 फैलाना (जैसे- किताब स्याही से लीप दिया) 3 बर्बाद करना (जैसे- सारा किया धरा लीप दिया ) । पोतना (स० क्रि०) सफ़ाई करना
लीपा पोती - (स्त्री०) 1 पोतना, साफ़ सुथरा करना 2 चौपट
करना
लीलक- (पु० ) देशी जूतों की नोक पर लगाया जानेवाला हरा
चमड़ा
लीलना - (स० क्रि०) 1 निगलना 2 हड़प कर जाना लीलया - सं० ( क्रि० वि०) 1 लीला के रूप में 2 खेलवाड़ रूप में 3 अनायास
लीला-सं० (स्त्री०) 1 क्रीड़ा, खेल 2 खेलवाड़ 3 विलास, विहार (जैसे-प्रेम लीला) 4 जीवन का कार्य कलाप 5 अभिनय (जैसे- रामलीला) 6 रहस्य से भरा कार्य (जैसे- सृष्टि तो ईश्वर की एक लीला है) । ~ कलह (पु० ) प्रणय कलह, बनावटी झगड़ा; -भूमि (स्त्री०) जीवन के कार्य कलाप का क्षेत्र; स्थल (पु० ) लीला की जगह लीलामय - सं० (वि०) लीला से युक्त (जैसे-लीलामय दृश्य, लीलामय भगवान)
लीवर - अं० (पु० ) उत्तोलक
लीह - (स्त्री०) 1 रेखा, लकीर 2 निशान 3 लकीर की तरह का छोटा, पतला और लंबा रास्ता
लुगाड़ा - (पु० ) 1 लुच्चा 2 आवारा और बदचलन लुंगी - (स्त्री०) तहमत (जैसे-लुंगी पहनना ) लुंचन -सं० ( पु० ) 1 नोचना, उखाड़ना (जैसे- केश लुंचन) 2 काटना, तराशना
~केश
2
लुंचित - सं० (वि०) नोचा हुआ, उखाड़ा हुआ । (वि०) जिसके बाल नुचे हैं। लुंज-(वि०) 1 बिना हाथ पैर का, लँगड़ा, लूला 2 कुछ भी काम न करनेवाला (जैसे- तुम तो निरे लँज से जान पड़ते हो ) 3 पत्रादि से रहित । पुँज (वि०) लँगड़ा लूला लुंठक - सं० (पु०) लुटेरा
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लुंठन
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करना
लुंठन-सं० (पु०) 1लूटना 2 लुढ़कना
लुटे पिटे-(वि०) लुट पिट गए लंठित-सं० (वि०) 1 लूटा हुआ 2 लुढ़का हुआ (जैसे-भू लुटेरा-I (वि०) लूटनेवाला II (पु०) 1 डाकू चोर 2 डंडी लुंठित)
मारनेवाला दूकानदार लँड मुंड-(वि०) 1 सिर, हाथ पैर से रहित 2 लँगड़ा लूला । लुड़कना-(अ० क्रि०) = लुढ़कना 3ट्ठ
लुड़काना-(स० क्रि०) = लुढ़काना लुंडा-I (वि०) 1 पुच्छ पंखहीन 2 जिसकी पूँछ पर बाल न हों लुइखुड़ाना-(अ० क्रि०) = लड़खड़ाना II (पु०) बड़ा गोला (जैसे-ऊन का लुंडा)
लुढ़कना-(अ० क्रि०) 1 चक्कर खाते हए बढ़ना, गिरना लडियाना-(स० क्रि०) बो० गोले के रूप में लाना (जैसे-सूत (जैसे-पत्थर लुढ़कना, सीढ़ी से लुढ़कना) 2 मर जाना लँडियाना)
(जैसे-ज़मीन पर गिरते ही वह लुढ़क गया) 3 झुकना, आकृष्ट लुंडी-(स्त्री०) सूत आदि की गोल पिंडी
होना (जैसे-रुपए के लोभ में वह विपक्षी की तरफ लुढ़क लुआठा-(पु०) एक सिरे पर जलती हुई लंबी लकड़ी गया)। पुढ़कना -(अ० क्रि०) लुढ़कते चले जान्न लआब-अ० (पु०) चिपचिपा अंश। दार + फ़ा० लुढ़कनी-(स्त्री०) 1 कलाबाज़ी 2 लोटनी चिपचिपा, लसदार
लुढ़काना-(स० क्रि०) लुढ़काने में प्रवृत्त करना लुक-I (पु०) रोशन, वार्निश
लुतरा-(वि०) 1 चुगलखोर 2 दुष्ट, पाज़ी लुक-II (पु०) लौ, शोला
लुत्फ़-अ० (पु०) 1 मज़ा, आनंद (जैसे-इश्क बाज़ी का लुत्फ़ लुकना-(अ० क्रि०) आड़ में होना, छिपना
उठाना) 2 अनुग्रह, कृपा लुकमा-अ० (पु०) कौर, ग्रास
लुनना-(स० क्रि०) 1 लुनाई करना 2 चुनना 3 हटाना 4 बर्बाद लुका छिपा-(वि०) जिसे देखा न जा सके, गायब लुका छिपी-(स्त्री०) लुकने छिपने का एक खेल लनाई-(स्त्री०) 1 सलोनापन 2 फ़सल की कटाई 3 फ़सल लकाना-I (स० क्रि०) छिपाना II (अ० क्रि०) छिपना काटने की मज़दूरी लुकाव-(पु०) छिपाव, दुराव
लुनेरा-(पु०) फ़सल काटनेवाला मजदूर लुके छिपे-(क्रि० वि०) गुप्त रूप से (जैसे- लुके छिपे | लुप्त-सं० (वि०) 1 गायब 2 अदृश्य 3 छिपा हुआ (जैसे-लुप्त मिलना, लुके छुपे आना जाना)
धन) लुक्का -(पु०) दुष्ट व्यक्ति
लुप्तोपमा सं० (स्त्री०) (साहि०) एक उपमा अलंकार जिसमें लुखिया-(स्त्री०) 1 धूर्त औरत 2 पुंश्चली 3 कुलटा उसका कोई अंग लुप्त हो लुगड़ा-(पु०) 1 कपड़ा 2 ओढ़नी
लुब्ध-सं० (वि०) 1 आसक्त (जैसे-प्रेम में लुब्ध) 2 मोहित लुगड़ी-(स्त्री०) निंदा, चुग़ली
(जैसे-रूप लुब्ध) 3 लोभ में पड़ा हुआ (जैसे-धन दौलत में लगत-अ० (स्त्री०) 1 शब्द 2 भाषा 3 शब्दकोश लुगदा-(पु०) लुगदी-(स्त्री०) किसी भी चीज़ का लं लुब्धक-सं० (पु०) 1 बहेलिया, व्याध 2 शिकारी । (जैसे-काग़ज़ की लुगदी)
लुभाना-I (अ0 क्रि०) 1 लालच में पड़ना 2 मोहित होना लुग़वी-अ० (वि०) 1 लुगत संबंधी, शब्दकोश का (जैसे-मन का लुभाना) 3 आसक्त होना, सुध बुध खोना 2 कोशगत
(जैसे-प्रेम में लुभाना, मन का विलासिता में लुभाना) लगाई-(स्त्री०) 1 औरत 2 पत्नी। बाज़ + फ़ा० (स्त्री०) । II (स० क्रि०) 1 लालसा उत्पन्न करना 2 लोभ पैदा करना
औरत बाज़ी -बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) औरतबाज़ी (जैसे-धन संपत्ति दिखाकर लुभाना) 3 मोहयुक्त करना, लुग्गा-(पु०) कपड़ा
फँसाना (जैसे-प्यार में लुभाना) लुचुई-(स्त्री०) मैदे की पूरी
लुभावना-(वि०) मनोहर, सुंदर (जैसे-लुभावना दृश्य) लुच्चा-(वि०) 1 चाईं 2 कमीना, बदमाश 3 लफंगा, शोहदा, लुभित-सं० (वि०) 1 मोहित, मुग्ध 2 लोभ में आया हुआ दुराचारी
लुरकी-I (स्त्री०) कान की बाली II (स्त्री०) लुढ़की लुच्ची-I (स्त्री०) = लुचुई
लुरियाना-(अ० क्रि०) बो० 1 प्रेमपूर्वक स्पर्श करना लुच्ची-II (वि०) दुराचारिणी
2 थपथपाना 3 एकाएक आ जाना लुटना-(अ० क्रि०) 1 लूट लिया जाना 2 हाथ से निकल जाना | लुरी-(स्त्री०) थोड़े दिन पूर्व ब्याई गाय (जैसे-गले का हार लुटना)
लुलन-सं० (पु०) हिलना डुलना, झूलना लुटरना-(अ० क्रि०) 1लोटना 2 लुढ़कना 3 छिटकना लुलित-सं० (वि०) 1 झूलता हुआ 2 अशांत लुटाऊ-(वि०) लुटानेवाला
लुहार-(पु०) = लोहार लुटाना-I (स० क्रि०) 1लूटने देना 2 बर्बाद करना लुहारिन- (स्त्री०) = लोहारिन
(जैसे-पैसा लुटाना) 3 अंधाधुंध खर्च करना (जैसे-शादी | लुहारीन-(स्त्री०) 1 लुहार का काम 2 लोहे का सामान बनाने ब्याह में पैसा लुटाना)
का काम 3 लोहार जाति की स्त्री लुटाना-II (स० क्रि०) लुढ़काना (जैसे-लुटाकर मारना) | लू-(स्त्री०) अत्यंत गर्म हवा (जैसे-लू का झोंका)। लपट लुटिया-(स्त्री०) छोटा लोटा। डुबोना सारा काम बिगड़ना; (स्त्री०) बहुत गर्म हवा; ~मारना, लगना गर्म हवा से डूबना सारा काम बुरी तरह बिगड़ जाना
पीड़ित होकर ज्वर ग्रस्त होना
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लेखिका
लक-I (स्त्री०) अग्नि ज्वाला 2 जलती लकड़ी
लेक्चरर-अं० (पु०) 1 विश्वविद्यालय का उप प्राध्यापक सक-II (स्त्री०) आकाश से गिरनेवाला तारा
2 व्याख्याता लूका-(पु०) 1 आग की लौ 2 लुआठी
लेख-सं० (पु०) 1 लिखावट 2 लिखे हुए अक्षर 3 लिखी लकी-बो० (स्त्री०) 1 आग की चिंगारी 2 = लूका बात, विचार, विषय 4 सामयिक निबंध (जैसे-राजनीतिक लगा-(पु०) 1कपड़ा, वस्त्र 2 फटा पुराना कपड़ा लेख, पाँच पृष्ठ का एक लेख लिखिए) 5 ताम्र पत्र, शिला 3धोती
आदि पर खुदा विवरण (जैसे-बौद्ध कालीन शिलालेख)। लट-(स्त्री०) 1 लूटने का काम, डकैती 2 अनुचित लाभ कमाना ~पत्र (पु०) 1 लिखित पत्र 2 दस्तावेज़; ~पाल (पु०) (जैसे-दुकानदारों ने खूब लूट मचा रखी है) 3 लूट में प्राप्त खेत और उपज संबंधी लेखा जोखा रखनेवाला एक सरकारी धन। -कांड + सं० (पु०) डकैती; ~खसोट (स्त्री०) कर्मचारी; ~प्रणाली (स्त्री०) = लेखन शैली; बद्ध 1 लूटमार 2 आर्थिक शोषण; ~छंद (स्त्री०) = लूटमार; (वि०) लिखा हुआ
पाट, ~मार (स्त्री०) 1 लूटना और मारना 2 शारीरिक लेखक-सं० (पु०) 1 लेखन कार्य करनेवाला (जैसे-उपन्यास यंत्रणा देकर धन छीनना
लेखक, समाचार लेखक) 2 साहित्य जीवी 3 कृति का लूटक-बो० (पु०) = लुटेरा
रचयिता (जैसे-ग्रंथ का लेखक, काव्य का लेखक)। ~संघ लूटना-(स० क्रि०) 1 छीन लेना 2 उठा ले जाना (जैसे-गुंडों ने (पु०) लेखकों का समूह सारी दुकानें लूट ली) 3 हस्तगत करना (जैसे-पतंग लूटना) | लेखकी-सं० (स्त्री०) लेखक का काम 4 अपहरण करना (जैसे-नौकर साहब का सामान लूट ले | लेखन-सं० (पु०) 1लिखना, अक्षर विन्यास 2 लिखने की गया) 5 अधिक दाम में बेचना, ठगना (जैसे-वह दुकानदार __ कला (जैसे- लेखन शैली) 3 चित्रांकन 4 अंकन (जैसे-नख बहुत लूटता है) 6 वशीभूत करना, मुग्ध करना (जैसे-उसने लेखन)। -कला (स्त्री०) लिखने का ढंग; ~कार्य उस बेचारे को प्यार में लूट लिया)
(पु०) लिखने का काम; ~प्रणाली (स्त्री०) लिखने का लूटा मारी-(स्त्री०) = लूट मार
तरीक़ा; ~भाषण (पु०) लिखना और व्याख्यान देना लता-सं० (स्त्री०) 1 मकड़ी 2 मकड़ी के मृत से उत्पत्र त्वचा (जैसे-लेखन भाषण की स्वतंत्रता); ~शैली (स्त्री०) लिखने का रोग, फफोले 3 चींटी
की कला, ढंग; ~सामग्री (स्त्री०) लिखने के काम लूती-अ० (पु०) अस्वाभाविक मैथन करनेवाला, लौंडेबाज़ आनेवाली वस्तुएँ (जैसे-कलम, कापी आदि) लून-सं० (वि०) कटा हुआ
लेखना-(स० क्रि०) 1 लिखना 2 महत्त्वपूर्ण समझना 3 सोचना लूनिक-म० (पु०) = ल्यूनिक
समझना, निश्चित करना 4 हिसाब लगाना लूम-[ अं० (पु०) कपड़ा बुनने का करघा
लेखनी-सं० (स्त्री०) 1 क़लम 2 तृलिका। -मित्र (पु०) लम-II सं० (पु०) 1 पूँछ, दुम 2 चक्कर, घेरा, फेरा 3 संपूर्ण | पत्राचार द्वारा बननेवाला मित्र। ~उठाना, चलाना जाति का शुद्ध स्वरोंवाला एक राग
लिखना शुरू करना लूमर-(वि०) वयस्क
लेखनीय-सं० (वि०) लिखने योग्य लूर-(पु०) शऊर, ढंग
लेखहार-(पु०) पत्र वाहक लूला-(वि०) कटे हाथवाला
लेखा-(पु०) 1 हिसाब, एकाउंट (जैसे-लेखा जोखा करना. लूल-I (वि०) बिल्कुल मूर्ख, परम मूर्ख II (पु०) बच्चों को लेखा विभाग) 2 अंदाज़, कूत, अनुमान 3 विचार 4 दशा,
डराने के लिए एक कल्पित भयानक जीव की संज्ञा स्थिति (जैसे-जीवन निर्वाह आदि का लेखा)। -कर्म लूह-(स्त्री०) = लू
+सं० (पु०) आय व्यय आदि का हिसाब रखने का काम; लेंड-(पु०) = लेंड़ी
~कार + सं० (पु०) = लेखापाल, ~गणित + सं० लेंडलाई-अं० (पु०) मकान मालिक
(पु०) = लेखाकर्म; -चित्र + सं० (पु०) अनेक लेडी-(स्त्री०) बँधा हुआ मल (जैसे-बकरी की लेंडी) रेखाओंवाला बड़ा चौकोर अंकन, ग्राफ़; -जोखा (पु०) लेंस-अं० (पु०) रोशनी को केंद्रित करने का एक पारदर्शी आय व्यय का हिसाब (जैसे-लेखा जोखा प्रस्तुत करना); शीशा
~पत्र + सं० (पु०) आय व्यय का परचा; परीक्षक लेहड़ा-(पु०) जानवरों का झुंड, समूह
+ सं० (पु०) 1लेखा परीक्षा लेनेवाला 2 लेखा की जाँच ले- अ० तक, पर्यंत II (अ०) संबोधन रूप में प्रयुक्त शब्द करनेवाला, आडीटर; परीक्षण + सं० (पु०) लेखा परीक्षा (जैसे-ले मैं ही चला जाता हूँ, ले कैसा मज़ा आया) करना; ~पाल (पु०) बही खाता लिखनेवाला कर्मचारी; ले आउट-अं० (पु०) नक्शा, मान चित्र
-पुस्तिका + सं०, बही (स्त्री०) हिसाब किताब संबंधी लेई-(स्त्री०) 1 लसीला पदार्थ (जैसे-आटा की लेई) 2 गारा। बही, रोकड़ बही; ~लेखक + सं० (पु०) = लेखापाल; पूँजी (स्त्री०) सारी धन संपत्ति
-शास्त्र + सं० (पु०) हिसाब रखने का तौर तरीक़ा, ढंग से लेकिन-फा० (अ०) परंतु
संबंधित विद्या लेक्चर-अं० (पु०) 1 व्याख्यान 2 भाषण, प्रवचन। -बाज़ | लेखाकार-सं० (पु०) = लेखापाल + फा० (पु०) 1 व्याख्यान देनेवाला 2 भाषण देनेवाला; लेखागार-सं० (पु०) दफ्तर, कार्यालय बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) 1 व्याख्यान देना 2 बकवाद करना; | लेखाध्यक्ष-सं० (पु०) = लेखापाल शिप (स्त्री०) प्राध्यापक पद
| लेखिका-सं० (स्त्री०) स्त्री लेखक
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लेखित
लेखित - सं० (वि०) लिखवाया हुआ, लेखबद्ध लेखी- (स्त्री०) / (वि०) लिखनेवाला लेखोन्माद - सं० (पु०) लिखने की सनक या झ लेख्य - I सं० (वि०) 1 लिखने योग्य 2 प्रामाणिक, दस्तावेज़ी II ( पु० ) 1 विषय, लेख 2 दस्तावेज़। -स्थान (पु० ) कार्यालय, दफ़्तर
लेख्यात्मक-सं० (वि०) लेख्य संबंधी लेज़म - फ़ा० (स्त्री०) धनुष, कमान लेज़र-अं० (पु०) बही
लेजिस्लेचर - अं० (पु० ) विधान मंडल लेजिस्लेटिव -अं० (वि०) विधान संबंधी लेजर - ( स्त्री०) रस्सी, डोरी
लेट - (पु० ) सुखी, कंकड़ और सीमेंट का मिश्रण लेटना - (अ० क्रि०) 1 पौढ़ना 2 आराम करना 3 मर जाना
(जैसे-ज़मीन पर गिरते ही वह मानो लेट गया)
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पेपर (पु० ) पत्र पेटी
लेटर - अं० (पु० ) 1 पत्र, चिट्ठी 2 अक्षर । पत्र लिखने का काग़ज़; बक्स (पु० ) लेटाना - (स० क्रि०) 1 लेटने में प्रवृत्त करना (जैसे- बच्चे को लेटाना) 2 वस्तु को टेढ़े ढंग में रखना लेटिन-अं० (वि०) लैटिन
लेड- अं० (पु० ) 1 सीसा नामक एक धातु 2 दो अंगुल चौड़ी सीसे की ढली पतली पटरी
लेडी -अं० (स्त्री०) 1 महिला 2 ब्रिटिश अधिकारी की पत्नी के नाम के आगे लगनेवाली उपाधि (जैसे-लेडी मिंटो) लेथ अं० (पु०) खराद
लेदर - अं० (पु०) चमड़ा
ले दे - (स्त्री०) 1 लेन देन 2 सांसारिक काम धंधे और झगड़े बखेड़े
ले देकर - ( क्रि० वि०) कुल
लेन- (पु० ) 1 लेना (जैसे-सामान का लेन देन) 2 पावना, लहना (जैसे- हमारा लेन चुकता कर दो)। ~दार + फ़ा० (पु० ) 1 लेनेवाला व्यक्ति 2 महाजन देन (पु० ) 1 आदान प्रदान 2 ऋण लेने देने का काम 3 महाजनी लेना - (स० क्रि०) 1 प्राप्त करना, ग्रहण करना 2 हस्तगत करना (जैसे- कपड़ा लेना, मकान लेना) 3 रखना (जैसे- बच्चा गोद लेना) 4 सेवन करना (जैसे- रोगी का दवा लेना) 5 स्वीकार करना (जैसे- शपथ लेना) 6 इकट्ठा करना (जैसे- होली का चंदा लेना) 7 स्मरण करना (जैसे- ईश्वर का नाम लेना) 8 संभोग करना (जैसे- आजकल तुम कोठे पर किसकी ले रहे हो) । ~ देना (पु०) लेन देन; उड़ना 1 लेकर भाग जाना 2 बिना समझे बूझे बात का बतंगड़ करना; डालना 1 नष्ट करना 2 हराना 3 निबटाना; डूबना अपने साथ दूसरों को भी बर्बाद करना; देकर 1 जोड़ जोड़कर 2 कठिनाई से; ~ करना 1 हुज्जत, तकरार करना 2 अत्यधिक परिश्रम करना; ~ एक न देना दो कोई मतलब न होना; लेने के देने पड़ना लाभ के बदले हानि होना; ले पालना गोद, दत्तक लेना; ले बैठना कारबार का नष्ट हो जाना; ~ले मरना अपने साथ बर्बाद करना; ले रखना खरीदकर रखना लेनिनी, लेनिन + हिं० (वि०) लेनिनवादी लेप-सं० (पु० ) 1 पोतने का काम 2 पोतने के काम आनेवाली
=
लैटर
वस्तु 3 पोती गई वस्तु की परत (जैसे-दीवार पर की लेप कुछ मोटी है) । कामिनी (स्त्री०) साँचे में ढली स्त्री की मूर्ति; ~कार ( पु०) लेपक
लेपक - I सं० (वि०) पोतनेवाला II (पु० ) पोताई करनेवाला कारीगर
लेपन -सं० ( पु० ) 1 पोतना 2 चूना छूना लेपना - (स० क्रि०) लीपना, पोतना लेपालक - (पु० ) गोद लिया लड़का, दत्तक पुत्र लेफ्ट इन-अं० (पु०) मैदान में बाँयी तरफ़ अंदर का खिलाड़ी लेफ्टिनेंट - I अं० ( पु०) 1 कप्तान के ठीक नीचे का एक सैनिक पद 2 उक्त पद पर काम करनेवाला अधिकारी II (वि०) कप्तान की अधीनता में काम करनेवाला (जैसे- लेफ्टिनेंट गवर्नर ) । ~कमांडर (पु० ) कमांडर का सहायक कर्नल (पु० ) कर्नल का सहायक; गवर्नर जनरल (पु० ) जनरल का
(पु० ) गवर्नर का सहायक
सहायक
लेबर-अं० (पु० ) 1 श्रमिक वर्ग 2 श्रम
लेबिल, लेबुल-अं० ( पु० ) 1 विवरण पत्र (जैसे- शीशी पर लेबिल चिपकाना) 2 नामपत्र, अंकितक लेबोरेटरी-अं० (स्त्री०) प्रयोगशाला
लेमनचूस - अं० (पु० ) नींबू का सत मिली शक्कर की टिकिया लेमन स्कवैश-अं० (पु० ) नींबू का रस लेमनेड, लेमोनेड- अं० (पु० ) नींबू का शरबत लेरुवा - (पु० ) गाय, भैंस, बकरी, भेड़ आदि का बच्चा लेव - (पु० ) 1 मिट्टी का लेप 2 लेप
लेवा - I ( पु० ) 1 गिलावा 2 लेप
लेवा - II ( वि०) लेनेवाला (जैसे-नाम लेवा ) । देई (स्त्री०) लेन देन
लेवाल - (वि०) 1 लेनेवाला 2 खरीदनेवाला लेवी-अं० (स्त्री०) उपकर
लेश - I सं० ( पु० ) 1 अंश 2 अणु 3 सूक्ष्मता 4 निशान 5 लगाव, संबंध 6 साहि० अर्थालंकार का एक भेद जिसमें अच्छाई और बुराई, गुण और अवगुण दोनों का उल्लेख रहता है II (त्रि०) थोड़ा, कम लेशोक्त-सं० (वि०) संक्षेप में कहा हुआ लेसना - I (स० क्रि०) जलाना (जैसे- दीया लेसना) II (स० क्रि०) 1 चिपकाना, सटाना (जैसे-दीवार पर काग़ज़ लेसना) 2 चुगलखोरी लेसर-अं० (पु० ) लेज़र लेहन-सं० (पु०) जीभ से चाटना
लेहना - (पु० ) मज़दूरी के रूप में दिया जानेवाला कटे हुए फ़सल का कुछ अंश
लैंग, लैंगिक - I सं० (वि०) 1 लिंग द्वारा प्राप्त होनेवाला, लिंग संबंधी 2 योनि संबंधी, सेक्सुअल II ( पु० ) लिंग द्वारा
प्राप्त ज्ञान
लैंडस्केप - अं० (पु०) दृश्यभूमि । ~ चित्र दृश्यभूमि चित्र
लॅप-अं० (पु०) दीपक, चिराग़, लंप कैंस-अं० (पु० ) लैटर-अं० (पु० )
=
लेंस
लेटर
+ सं० (पु० )
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लैटिन 727
लोकना लैटिन-I अं० (स्त्री०) रोमनकाल में प्रचलित इटली की प्राचीन नर्क; पाल (पु०) राजा, नरेश; प्रवाद (पु०) 1 लोक भाषा II (वि०) प्राचीन रोम नगर से संबंधित
में फैली बदनामी 2 अफ़वाह; ~प्रसिद्ध (वि०) लोक में लेतोलाल-अ० (स्त्री०) टालमटोल, हीलाहवाला
विख्यात; प्रिय (वि०) 1 जन साधारण को पसंद लैन-अं० (स्त्री०) = लाइन
आनेवाला (जैसे-लोकप्रिय अभिनेता, लोकप्रिय वाणी) लेफ्टिनेंट-अं० (पु०) = लेफ्टिनेंट
2 लोक में प्रचलित (जैसे-लोकप्रिय कथा, लोकप्रिय गीत); लैबोरेटरी-अं० (स्त्री०) = लेबोरेटरी
प्रियता (स्त्री०) लोक प्रिय होने का भाव; ~भाषा लैरू-(पु०) बछड़ा
(स्त्री०) सर्वसाधारण में बोली जानेवाली भाषा; मत लैसंस-अं० (पु०) = लाइसेंस। दार + फ़ा= (पु०) जनमत, पब्लिक ओपीनियन; ~मत संग्रह (पु०) लाइसेंसदार
जनमत तैयार करना; ~मान्य (वि०) लोक में सम्मानित; लैस-I (वि०) 1 सजा हुआ (जैसे-हथियार से लैस) 2 हर यात्रा (स्त्री०) 1 विश्व की यात्रा 2 लोक व्यापार तरह से युक्त, काटेबद्ध, तैयार II (पु०) 1 एक तरह का 3 आचरण, व्यवहार; रंजक (वि०) 1 लोक को प्रसन्न सिरका 2 कमानी 3 नोकदार लंबी तीर
करनेवाला 2 सुखदायी; ~रीति (स्त्री०) लोक में प्रचलित लैस-III अं० (पु०) 1 फीता 2 बेल (जैसे-कुर्ते में लैस प्रथाएँ और मान्यताएँ; ~रुचि (स्त्री०) जनाकांक्षा, जनेच्छा; टॉकना)
लज्जा (स्त्री०) लोक की मान मर्यादा (जैसे-लोक लज्जा लोद-(पु०) अधिमास
को त्यागना); ~लीक (स्त्री०) लोक में प्रचलित प्रथाएँ और लोंदा-(पु०) गीले पदार्थ का पिंड
मर्यादा; ~वाद (पु०) अफ़वाह; ~वार्ता (स्त्री०) इतिहास, लो-(अ०) ध्यान आकृष्ट हेतु प्रयुक्त शब्द (जैसे-लो राजा भी पुरातत्व आदि का प्राचीन प्रथाओं, धारणाओं से संबद्ध अंश, फेल हो गया)
फ़ोकलोर; ~वास्तु (पु०) = लोक हेतु सड़कें, इमारतें, नहरें लोई-I (स्त्री०) साने गए आटे की गोली (जैसे-रोटी बेलने के आदि साधनों को उपलब्ध करानेवाला राजकीय विभाग; लिए लोई बनाना)
~वाहक जनता का सामान ढोनेवाली गाड़ियाँ; विरुद्ध लोई-II (स्त्री०) एक तरह का ऊनी कंबल
(वि०) लोक मत से अलग, लोक भिन्न (जैसे-लोक विरुद्ध लोक-सं० (पु०) 1 संसार (जैसे-तीनों लोक का स्वामी) | आचरण); ~विश्रुत (वि०) = लोक प्रसिद्ध; ~वृत्त 2 जगह (जैसे-प्रत्येक लोक में निवास करना) 3 विश्व का (पु०) = लोक रीति; ~व्यवहार (पु०) लोकाचार; कोई विशेष भाग (जैसे-देवलोक, ब्रह्मलोक, मर्त्यलोक) ~व्यापी (वि०) विश्व में समाया हुआ, विश्व में व्याप्त; 4 प्रजा, लोग (जैसे-राज लोक) 4 प्रजा, लोग ~शांति (स्त्री०) विश्व शांति; ~शासन (पु०) = लोक (जैसे-राजलोक) 5 लोगों में प्रचलित प्रथा या प्रणाली (लोक तंत्र शिक्षण (पु०), शिक्षा (स्त्री०) जन साधारण को व्यवहार, लोक कर्म)। -कंटक I (पु०) दुष्ट प्राणी शिक्षित करना; ~संख्या (स्त्री०) जनसंख्या, आबादी; II (वि०) जन साधारण को कष्ट देनेवाला; ~कथा ~संग्रह (पु०) 1 लोक कल्याण का भाव 2 व्यावहारिक (स्त्री०) लोक में प्रचलित प्राचीन गाथाएँ; ~कर्ता (पु०) अनुभव 3 अपनी ओर मिलाए रखना; ~संग्रही (वि०) 1 ब्रह्मा 2 विष्णु 3 महेश; ~कल्याण (पु०) विश्व का हित; लोक संग्रह करनेवाला; सत्ता (स्त्री०) = लोकतंत्र; ~कार (पु०) = लोक कर्ताः -काव्य (पु०) जनता में सत्तात्मक (वि०) लोक तंत्रात्मक; सत्तावाद (पु०) प्रचलित काव्य; ~गण तंत्र, ~गण राज्य (पु०) प्रजातंत्र; जनता का राज्य होना चाहिए यह मत; ~सत्तावादी (वि०) ~गत (वि०) लोक में प्रचलित और प्रिय; ~गाथा = लोकतंत्रवादी; ~सदन, (पु०) ~सभा (स्त्री०) (स्त्री०) परंपरा से चले आ रहे गीत; ~गीत (पु०) जन 1 जनसाधारण द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों की सभा 2 भारत में समुदाय में प्रचलित परंपरागत गीत; ~घोषणा (स्त्री०) सर्व इस तरह की केंद्रीय सभा; ~सभासद् (पु०) लोक सभा के साधारण हेतु की जानेवाली घोषणा; ~ज्ञ (वि०) 1 लोक के सदस्य; सम्मत (वि०) पंचायत द्वारा अनुमोदित; मनोभावों को जाननेवाला 2 दुनियादार; तंत्र (पु०) सम्मान (पु०) समाज द्वारा मिलनेवाली प्रतिष्ठा, इज्ज़त; प्रजातंत्र तंत्रवाद (पु०) जनता का राज्य हो ऐसा मत;
साहित्य (पु०) जनता में प्रचलित साहित्य; सिद्ध तंत्रवादी (वि०) लोकतंत्रवाद का अनुयायी, समर्थक; (वि०) जनसामान्य में मान्य और प्रचलित; ~सुलभ तंत्रशासन (पु०) = लोक तंत्र; ~तंत्रात्मक (वि०) (वि०) जनता को आसानी से मिलनेवाला; ~सेवक (पु०) लोकतंत्र से संबद्ध; तंत्री + हिं० (वि०) लोकतंत्र से 1 जनता का सेवक, प्रजा का हितैषी 2 राजकीय कर्मचारी, संबंधित; तंत्रीकरण (पु०) प्रजातंत्रीय रूप देना;
पब्लिक सर्वेट, सेवा (स्त्री०) 1 जनता का हित तंत्रीय (वि०) = लोकतंत्रात्मक; तत्त्व (पु०) 2 शासकीय सेवा, पब्लिक सर्विस; ~सेवा आयोग (प०) मानवजाति का ज्ञान; ~तांत्रिक (वि०) = लोकतंत्रात्मक; राज्य द्वारा नियुक्त कुछ व्यक्तियों का आयोग, पब्लिक सर्विस
त्रय (पु०) तीनों लोक (जैसे-आकाश, पाताल और कमीशन; स्वास्थ्य (पु०) जन साधारण का स्वास्थ्य; पृथ्वी); निर्माण विभाग (पु०) = लोक वास्तु, पब्लिक -हित (पु०) = लोक सेवा; हितकर (वि०) विश्व का वर्स: निर्वाचित (वि०) प्रजा द्वारा चुना गया; नृत्य कल्याण करनेवाला; हितैषी (वि०) लोक मंगल (पु०) शास्त्रीय संगीत से अलग होनेवाला नाच; नेता चाहनेवाला (पु०) शिव; पथ (पु०) दुनिया का तौर तरीक़ा, चाल | लोकना-(स० क्रि०) 1 गिरती वस्तु को हवा में पकड़ लेना ढाल, ~पद (पु०) राजकीय पद; परलोक (पु०) स्वर्ग | (जैसे-क्रिकेट की गेंद लोकना) 2 दखल देना (जैसे-किसी
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लोकल
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लोबान की बात लोकना) 3 रास्ते में ही उड़ा लेना, हड़प लेना | लोचयुक्त; लचक (स्त्री०) लचीलापन; शील + सं० लोकल-अं० (वि०) 1सीमा के अंदर होनेवाला | (वि०) = लोचदार (जैसे-लोकल पालिटिक्स) 2 विशेष नगर, गाँव आदि से | लोचन-सं० (पु०) आँख, नेत्र, नयन। -पथ, ~मार्ग संबंधित (जैसे-लोकल पोस्टकार्ड)
(पु०) दृष्टि के अंदर पड़नेवाला क्षेत्र लोकांतरण-सं० (पु०) परलोक में अंतरित करना लोचीला-(वि०) = लचीला लोकांतर-सं० (पु०) परलोक। ~गमन (पु०) मृत्यु को | लोचून-(पु०) = लोह चूर्ण प्राप्त होना, स्वर्गवास
लोट-(स्त्री०) लोटने का भाव, लुढ़कना (जैसे-ज़मीन पर लोट लोकांतरित-सं० (वि०) 1 लोकों के बीच अवस्थित 2 मृत्यु मारना)। ~पटा (पु०) 1 विवाह में वर वधू के पीढ़े को प्राप्त
बदलने की एक रस्म 2 उलटफेर, दाँवपेंच; पोट I (स्त्री०) लोकाचार-सं० (पु०) संसार का चाल चलन
लेटे लेटे करवट बदलना II (वि०) 1लोट जानेवाला लोकाचारी-सं० (वि०) 1लोकाचार का पालन करनेवाला (जैसे-हँसते हँसते वह लोट पोट हो गया, लोट पोट का खेल) 2 ढोंगी 3 दुनियादार
2 अत्यधिक प्रसन्न 3 उलटा पलटा हआ। ~पोट होना हँसते लोकातीत-सं० (वि०) असाधारण
हँसते गिर पड़ना; ~मारना 1 लेटना 2 प्रेम में अधीर होना; लोकात्मा-सं० (पु०) विश्वात्मा
~लगाना 1 लुढ़कना 2 लेट जाना 3 आशिक़ होना 4 ज़िद लोकाधिक-सं० (वि०) संसार के परे, असामान्य
करना; हो जाना रीझना 2 व्याकुल होना लोकाना-(स० क्रि०) 1 उछालना 2 उछालकर देना लोटन-I (वि०) 1 लोटनेवाला 2 लुढ़कनेवाला II (स्त्री०) लोकानुग्रह-सं० (पु०) = लोकहित
1 लोटने का भाव 2 लुढ़कना लोकानुरंजन-सं० (पु०) जनता का मनबहलाव
लोटना-(अ० क्रि०) 1 लेटना, आराम करना (जैसे-बिस्तर पर लोकापवाद-सं० (पु०) लोक निंदा, बदनामी
लोटना) 2 इधर उधर गिरना पड़ना (जैसे-खुशी से फ़र्श पर लोकाभ्युदय-सं० (पु०) संसार की उन्नति
लोटना)। पोटना (अ० क्रि०) लेटना लोकायत-सं० (पु०) 1 दूसरे लोक को न माननेवाला व्यक्ति | लोटनी-(स्त्री०) 1लुढ़कनी 2 कलाबाज़ी 2 चार्वाक दर्शन
लोटा-(पु०) जल रखने का धातु का बना एक पात्र । बे पेंदी लोकायतिक-I सं० (वि०) लोकायत का II (पु०) का ~ अस्थिर चित्त और सिद्धांतहीन व्यक्ति 1 नास्तिक 2 चार्वाक का अनुयायी
लोटिया-(स्त्री०) छोटा लोटा, लुटिया लोकायन-सं० (पु०) नारायण
लोटी-(स्त्री०) = लोटा लोकाराधन-सं० (पु०) लोक की सेवा
लोड-अं० (पु०) वज़न, भार लोकैषणा-सं० (स्त्री०) 1 सामाजिक प्रतिष्ठा और यश की लोड़न-(पु०) 1हिलाने डुलाने की क्रिया 2 मंथन कामना 2 स्वर्ग सुख की कामना
लोढ़ना-(स० क्रि०) 1 तोड़ना 2 ओटना लोको-अं० (पु०) = लोकोमोटिव
लोढ़ा-(पु०) सिर पर पीसने के लिए बना पत्थर का गोल लंबा लोकोक्ति-सं० (स्त्री०) 1कहावत, मसला 2 साहि० | टुकड़ा। ~ढाल (वि०) चौपट लोकोक्ति के प्रयोग से काव्य में रोचकता उत्पन्न करनेवाला एक | लोढ़िया-(स्त्री०) छोटा लोढ़ा अलंकार
लोथ-(स्त्री०) शव, लाश लोकोत्तर-सं० (वि०) असाधारण, विलक्षण (जैसे-लोकोत्तर लोथड़ा-(पु०) मांस का बड़ा टुकड़ा, मांस पिंड
लोथारी लंगर-हिं० + फ़ा० (पु०) जहाज़ का सबसे छोटा लोकोत्सव-सं० (पु०) आम जनता का पर्व लोकोपकार-सं० (पु०) जनसाधारण का हित
लोन-(पु०) नमक, लवण। ~न मानना कृतघ्न होना; लोकोपकारी-सं० (वि०) 1लोकोपकार संबंधी 2 लोक का | -निकालना कृतघ्रता का फल भोगना
उपकार करनेवाला (जैसे- लोकोपकारी राजा या लोना-I (वि०) 1 नमकीन, सलोना 2 सुंदर II (पु०) क्षार, अपकार शासक)
नोना (जैसे-दीवार पर लोना लगना) III (स० क्रि०) लुनना, लोकोपयोगी-सं० (वि०) सर्व साधारण के लिए उपयुक्त काटना IV (स्त्री०) एक जादूगरनी (जैसे-लोकोपयोगी सेवा)
लोनाई-(स्त्री०) सुंदरता, लावण्यता लोकोमोटिव-अं० (पु०) रेल इंजन
लोनिया-I (पु०) नमक बनाने और बेचने का व्यवसाय लोखर-(पु०) 1 नाई के औज़ार 2 बढ़ई, लोहार आदि के| करनेवाली एक जाति II (स्त्री०) लोनी साग उपकरण 3 दुकानदार का बटखरा
लोप-सं० (पु०) 1 न रहने का भाव (जैसे-कार्यों का लोप लोग-(पु०) मनुष्यों का समूह, दल। बाग (पु०) जन होना) 2 अभाव 3 अदृश्य होने की अवस्था, अदर्शन साधारण; लुगाई (स्त्री०) स्त्री पुरुष
लोपन-सं० (पु०) 1लोप करना 2 छिपाना लोगाई-(स्त्री०) 1 स्त्री 2 पत्नी
लोपांजन-सं० (पु०) एक तरह का कल्पित अंजन, अदृश्य लोच-(स्त्री०) 1लचक (जैसे-कमर की लोच देखना) करनेवाला अंजन 2 कोमलता, मृदुता (जैसे-प्यार की लोच, वाणी की लोच) लोफ़र-अं० (पु०) 1आवरा 2 लफंगा 3 कोमलता पूर्ण सौंदर्य। दार + फ्रा० (वि०) लोचवाला, । लोबान-अ० (पु.) एक प्रकार के वृक्ष का सुगंधित गोंद .
लंगर
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लोबिया
लोबिया - (पु० ) सफ़ेद बोड़ा। कंजई I ( पु० ) गहरा हरा रंग II (वि०) गहरा हरा रंग का
*
लोभ-सं० (पु०) 1 लालच (जैसे-पैसे का लोभ) 2 लालसा, कामना (जैसे-पुत्र का लोभ) 3 अधीरता । परायण (वि०) लोभी
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लोभन - ( पु० ) 1 ललक 2 सोना, स्वर्ण
लोभना - I (अ० क्रि०) मुग्ध होना, लुभाना II (स० क्रि०) मोहित करना, लुभा लेना
लोभनीय सं० (वि०) 1 लोभ के योग्य 2 मनोहर, आकर्षक (जैसे-लोभनीय वस्तु, लोभनीय दृश्य)
लोभित-सं० (वि०) लुभाया हुआ लोभी -सं० (वि०) 1 लालची 2. लुब्ध लोम-सं० (पु० ) 1 रोम 2 केश, बाल । ज (वि०) लोम से
उत्पन्न
लोमड़ी - (स्त्री०) 1 कुत्ते की जाति का एक जंगली हिंसक पशु 2 चालाक औरत (जैसे- तुम जैसी लोमड़ी का क्या ठिकाना) लोमश-सं० (वि०) बड़े बड़े रोओंवाला लोरी - (स्त्री०) छोटे बच्चों को सुलाने हेतु माँ द्वारा गाया जानेवाला गीत
लोल - I सं० (वि०) 1 कंपायमान 2 चंचल 3 उत्सक II (पु० ) बड़ी और ऊँची लहर
लोलक -सं० (पु० ) 1 लटकन 2 कान की लौ लोलकी - (स्त्री०) कान के नीचे का कोमल भाग लोलुप - सं० (वि०) 1 लालची, लोभी (जैसे- धन लोलुप ) 2 परम उत्सुक (जैसे-विद्या लोलुप) । ~ता (स्त्री०) लोलुप होने का भाव
लोमड़ी
लोवा - I (स्त्री०) लोवा - II ( पु० ) लोशन - अं० (पु०) घोल
लवा
लोष्ट-सं० (पु० ) 1 मिट्टी का ढेला 2 जंग, मोरचा 3 चिह्न का काम देनेवाली कोई वस्तु
लोष्टवत सं० (वि०) लोथ या लोष्ट की तरह लोह -सं० ( पु० ) 1 लोहा नामक धातु 2 रक्त, लहू । कार (पु०) लोहार, चुंबक (पु०) चूर्ण (पु० ) लोहे का चूरा, लोहे का बुरादा जाल (पु०) लोहे की बनी जाली; पत्थर + हिं०, पाषाण (पु० ) लोहा पत्थर; पाषाण क्षेत्र (पु० ) लोहे का पत्थर मिलने का क्षेत्र; ~लंगर + फ़ा० (पु० ) जहाज़ का लंगर; ~सार (पु० ) फौलाद, इस्पात लोहमय-सं० (वि०) लोहे जैसा दृढ़ लोहस - (वि०) जिसमें लोहे का अंश हो, लोहे के अंश से
लौटानी
पानी; लोहे की छाती सख्त दिल; लोहे के चने चबाना बहुत कठिन कार्य करना
लोहाना- (अ० क्रि०) लोहे का स्वाद और रंग आना लोहार - (पु०) लोहे का काम करनेवाली एक जाति । खाना + फ़ा० (पु०) लोहारों के काम करने की जगह लोहारिन - (स्त्री०) लोहार जाति की स्त्री लोहारी - (स्त्री०) लोहार का काम
लोहित - I सं० (वि०) 1 लाल रंग का, लाल 2 ताँबे का बना हुआ II (पु०) 1 लाल रंग 2 लाल चंदन | केसर
चंदन (पु० )
युक्त
लोहाँगी - ( स्त्री०) सिरे पर लोहा लगी लाठी लोहा - I ( पु० ) 1 एक प्रसिद्ध धातु (जैसे लोहे का कारखाना, लोहे का व्यापार ) 2 लोहे का बना अस्त्र 3 लोहे का बना उपकरण II (वि०) अत्यंत कठोर (जैसे- लोहे सी देह) । ~ करना इस्तरी करना; गहना 1 युद्ध करना 2 युद्ध हेतु तैयार होना; बजना युद्ध होना; बरसना घमासान युद्ध होना; मानना 1 प्रभुत्व मानना 2 हार मानना; ~लेना लड़ना, सामना करना; लोहे का दिल निष्ठुर दिल, कठोर हृदय; लोहे का पानी तलवार आदि पर चढ़ाया जानेवाला
लोहितिमा -सं० (स्त्री०) लालिमा, लाली लोहिया - I (वि०) 1 लोहे का बना हुआ 2 लाल रंग का II (पु० ) लोहे का रोज़गारी लोही - (वि०) लाल रंग का, सुर्ख
लोहू - ( पु० ) लहू । ~लुहान (वि०) = लहूलुहान लौंग - (पु०) = लवंग | ~ चिड़ा (पु०) बेसन के मेल से बनाया जानेवाला कबाब; ~लता (स्त्री०) एक बँगला मिठाई लौंजी - (स्त्री०) कच्चे आम की फाँकों का अचार लौंठा - (पु०) हृष्ट पुष्ट नासमझ युवक
लौंडा - (पु० ) 1 अबोध और नासमझ नवयुवक 2 ऐसा युवक जिसके साथ अस्वाभाविक मैथुन हो 3 छोकरा, लड़का । ~पन (पु० ) 1 लौंडा होने का भाव 2 छिछोरेपन से युक्त नासमझी
लौंडिया - (स्त्री०) लड़की
लौंडी - (स्त्री०) दासी । ~बच्चा (पु० ) दासी पुत्र लौंडेबाज़ - हिं० + फ़ा० I (पु०) बालकों से अप्राकृतिक मैथुन करनेवाला II (वि०) नवयुवकों से प्रेम रखनेवाली (प्रौढ़ा ) लौंडेबाज़ी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) 1 लौंडेबाज़ का अप्राकृतिक
कार्य 2 लौंडेबाज़ होने का भाव
=
लौंडोघेरी बो० (स्त्री०) लौंडेबाज़ लौद - (पु० ) 1 अधिमास 2 मलमास
लौदरा - (पु० ) ग्रीष्म ऋतु में वर्षा आरंभ होने से पूर्व बरसनेवाला पानी
लौ - I (स्त्री०) 1 आग की लपट, ज्वाला 2 दीपशिखा II लगन (जैसे- काम करने की लौ, पढ़ने की लौ) लौकिक-सं० (वि०) 1 लोक संबंधी 2 सांसारिक
3 व्यावहारिक । ~ता (स्त्री०) 1 लौकिक होने का भाव 2 सांसारिकता 3 व्यावहारिकं होने की अवस्था लौकी - (स्त्री०) कद्दू, घीआ
लौक्य - सं० (वि०) 1 लौकिक 2 सामान्य
लौछार - ( स्त्री०) 1 व्यंग्य, कटाक्ष आदि की हलकी रंगत 2 व्यंग्य, कटाक्ष
लौज़ - अ० (स्त्री०) 1 बादाम 2 बादाम की बरफ़ी लौट - (स्त्री०) 1 लौटने की क्रिया 2 घुमाव । पौट (स्त्री०) रुखी छपाई 2 उलटने पलटने का काम; फेर (पु० ) 1 इधर उधर हो जाना 2 उलटफेर
1
लौटना - (अ० क्रि०) 1 वापस आना 2 मुड़ना लौटान - (स्त्री०) लौट
=
।
लौटाना - (स० क्रि०) 1 वापस भेजना 2 वापस देना लौटानी - (स्त्री०) लौटाने की क्रिया
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लौनी
730
लौनी - (स्त्री०) 1 कटाई, लवनी 2 फ़सल के कटे डंठलों का
मुट्ठा लौलीन - (वि०) मग्न, तल्लीन लौल्य-सं० (पु० ) चंचलता लौस-अं० (स्त्री०) लगाव लौह - I सं० (पु० ) 1 लोहा 2 शस्त्रास्त्र II (वि०) लोहे का, लौह संबंधी । ~ कार (पु०) लोहार; ~खनिज (पु० ) = लोहा पत्थर; ~ज (वि०) 1 लोहे से निकला हुआ 2 लोहे का बना; पट (पु० ) लोहे का परदा; ~ युग (पु०) लोहे का प्राचीन युग; विहीन (वि०) बिना लोहे का; ~ व्यवसाय (पु० ) लोहे का व्यापार ल्यूकेमिया - अं० ( पु० ) अधि श्वेतरक्तता
व
वंक-सं० (वि०) 1 टेढ़ा, वक्र 2 कुटिल वंकट - (वि० ) 1 बाँका, टेढ़ा 2 विकट, दुर्गम
वकर - (पु० ) नदी का मोड़
वंका - सं० (स्त्री०) चारजामे का अगले हिस्से का उठा हुआ किनारा
किम - I सं० (वि०) 1 झुका हुआ (जैसे -वंकिम नेत्र) 2 टेढ़ा II (पु० ) आवारा आदमी
वकिल - सं० (पु०) कंटक, काँटा
वंक्षण - सं० ( पु० ) पेडू और जाँघ के बीच का अंश वंग-सं० (पु० ) बंगाल । ~ भंग (पु० ) बंगाल का बँटवारा वंगीय सं० (वि०) बंगाल का
वंचक - I सं० (वि०) 1 ठगनेवाला 2 धोखेबाज़ II ( पु० ) ठग 2 धूर्त और धोखा देनेवाला व्यक्ति । ~ता (स्त्री०) वंचक होने का भाव
वंचन - सं० (पु० ) 1 धोखा देना 2 ठगी, धूर्तता वंचना - I सं० (स्त्री०) धोखा देना, ठगना II (स० क्रि०) 1 छलपूर्वक व्यवहार करना 2 ठगना। पंडित (पु०) ठगी
वंचनीयसं० (वि० ) 1 त्यागने योग्य 2 ठगने योग्य वंचित-सं० (वि०) ठगा हुआ, धोखा खाया हुआ वंट - I सं० (पु० ) 1 अंश, भाग 2 अविवाहित पुरुष II (वि०) 1 कटी दुमवाला 2 कुँआरा वंटक -सं० (वि०) बाँटनेवाला
वंटन -सं० ( पु० ) 1 बाँटना 2 हिस्सा करना वंटनीय सं० वंटन के योग्य
वंटितांश-सं० (पु०) बाँटा गया अंश वंडर - I सं० ( पु० ) 1 कंजूस, सूम 2 अंतःपुर का रक्षक II (स्त्री०) पुंश्चली स्त्री
वंदन - सं० ( पु० ) वंदना, स्तुति वंदक - सं० (पु० ) स्तुतिकर्ता, चारण वंदना -सं० (स्त्री०) 1 स्तुति 2 पूजन वंदनीय -सं० (वि०) वंदना के योग्य वंदारु - I सं० ( पु० ) 1 स्तुतिकर्ता भाट 2 स्तोत्र वंदारु - II सं० (वि०) नम्र वंदित सं० (वि०) वंदना की गई वंदी - सं० ( पु० ) 1 चारण, भाट 2 क़ैदी वंदूय-सं० (वि०) वंदनीय
वंधुर - सं० (पु० ) सारथि के बैठने की जगह वंध्य - सं० (वि०) 1 अनुत्पादक 2 अनुर्वर वंध्यकरण-सं० (पु० ) चि० 1 अनुर्वरीकरण 2 बाँझ बना देना वंध्या - सं० (स्त्री०) निःसंतान स्त्री, बाँझ। पुत्र ( पु० ) 1 पुत्र जैसी असम्भव वस्तु 2 आकाश कुसुम
वंश - I सं० (पु० ) 1 बाँस 2 बाँस की बनी बाँसुरी वंश - II सं० (पु० ) कुल, खानदान। क्रम (पु० ) वंश की तालिका; क्रमानुसार I ( क्रि० वि०) वंश के क्रम के अनुरूप II (वि०) वंश के क्रम के अनुसार होनेवाला (जैसे- वंश क्रमानुसार जन्म कुंडली); ~गत (वि०) वंश संबंधी; चरित (पु० ) वंश का इतिहास; जI (वि०) वंश में उत्पन्न II (पु०) वंश में उत्पन्न व्यक्ति (जैसे-रघुकुल वंशज); ~तालिका (पु० ) = वंशवृक्ष; ~धर (पु० ) = वंशज; ~ नाथ (पु०) वंश का प्रधान पुरुष; नाश (पु० ) 1 कुल का अंत 2 फलित ज्योतिष के अनुसार एक योग; -परंपरा (स्त्री०) 1 वंश तालिका 2 वंश से चली आती हुई रीति; परंपरागत (वि०) वंश परंपरा से चला आता हुआ; ~मर्यादा (स्त्री०) कुल का सम्मान, कुल की प्रतिष्ठा; ~वर्धन (पु० ) वंश की वृद्धि करनेवाला; वृक्ष (पु० ) वृक्ष के आकार का मूल पुरुष से लेकर उसके परवर्ती वंशजों का क्रमागत रेखाचित्र; वृद्धि (स्त्री०) कुलोन्नति; ~ शाखा (स्त्री०) उपकुल; ~संहार (पु० ) सारे कुल का नाश हीन (वि०) 1 संतानहीन 2 जिसके वंश में कोई न हो
वक़अत
=
~
वंशांकुर - सं० (पु०) बाँस का अंकुर
वंशागत - सं० (वि०) 1 वंश परंपरा से प्राप्त 2 उत्तराधिकार में
प्राप्त
वंशानुक्रम -सं० ( पु० ) वंशावली वंशानुगत - सं० (वि० ) = वंश परंपरागत वंशानुचरित -सं० (पु० ) वंश वृत्त वंशावली -सं० (स्त्री०)
=
वंश तालिका वंशी - I सं० (स्त्री०) मुरली, बाँसुरी II (वि०) विशिष्ट वंश में उत्पन्न (जैसे- सूर्यवंशी) । ~धर (पु० ) श्री कृष्ण; ~वट (पु०) वह बरगद का पेड़ जिसके नीचे कृष्ण वंशी बजाते थे वंशीय-सं० (वि०) वंश से संबंधित वंशोद्भव - सं० (वि०) 1 वंश में उत्पन्न 2 कुलोद्भव वफ़ा० (अ०) और (जैसे- अमीर व ग़रीब ) वक-सं० (पु० ) बगला नामक पक्षी । ~वृत्ति (स्त्री०) धोखा देकर काम निकालना
वक्रअत-अ० (स्त्री०) 1 ताक़त, शक्ति 2 मान मर्यादा 3 महत्त्व
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वकयंत्र
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वकयंत्र-सं० (पु०) भबके से आसव आदि उतारने के लिए | अर्थालंकार का एक भेद जिसमें कही गई बात का श्लेष के यंत्र
आधार पर अन्य भाव निकलता हो 3 काक् अलंकार से युक्त वकार-सं० (प०) 'व' वर्ण
उक्ति वकालत-अ० (स्त्री०) 1 वकील होने का भाव 2 वकील का वक्रोष्ठि, वक्रोष्ठिका-सं० (स्त्री०) मुसकान, मंद हँसी काम 3 पैरवी करना 4 प्रतिनिधित्व। नामा । फ़ा० (पु०) वक्षःस्थल-सं० (पु०) छाती, उर वकील होने का प्रमाण पत्र, पैरवी करने का अधिकार पत्र वक्ष-सं० (पु०) उरस्थल वकालतन-अ० (अ०) वकील के माध्यम से
वक्षोज-सं० (पु०) स्त्री का स्तन, कुच. वकील-अ० (पु०) 1 प्रतिनिधि 2 मक़दमे की पैरवी करनेवाला वक्षोरुह-सं० (पु०) स्तन, कुच। 3 वकालत करने का अधिकारी 4 राजप्रतिनिधि
वगैरह-अ० (अ०) आदि, इत्यादि वक़फ़-अ० (पु०) 1 जानकारी, ज्ञान 2 बुद्धि, समझ 3 ढंग, वचन-सं० (पु०) 1वाणी (जैसे-मृदु वचन) 2 बात शऊर, सलीका
(जैसे-वचन का पक्का) 3 व्या० संज्ञा की संख्या का बोधक वक्त-अ० (पु०) 1 समय, काल 2 अवसर, मौक़ा 3 निश्चित तत्त्व (जैसे-एकवचन का कर्ता)। ~कारी (वि०) समय 4 कार्य संपादन में लगा हुआ समय 5 फुरसत, आज्ञाकारी; ~दान (पु०) वचन देना; लपटु (वि०) बोलने अवकाश 6 मृत्यु का समय (जैसे-वक़्त आने पर कौन रुका में कुशल, ~बंध (पु०) वचन में बँधना; -बद्ध (वि०) है)। ~आ जाना मौत की घड़ी आ जाना; ~गुज़ारना प्रतिज्ञा किया हुआ; ~भंग (पु०) प्रतिज्ञा पूरी न करना; समय नष्ट करना; तंग होना काल का प्रतिकूल होना; ~वक्रता (स्त्री०) टेढ़ी बात
देना समय नियत करना; ~पड़ना मुसीबत में पड़ना; वचनानुग-सं० (वि०) = वचनकारी ल्पड़े पर संकट में; ~पर 1 मौके पर 2 कठिन समय में; वचनावली-सं० (स्त्री०) वचनों का संग्रह
बेवक़्त काम आना ज़रूरत के समय काम आना वचनीय-सं० (वि०) कथनीय वक्तव्य-[ सं० (पु०) 1कथन 2 कहे जाने योग्य बात वचसा-सं० (अ०) वचन द्वारा
II (वि०) 1ता (स्त्री०) उत्तर देने का दायित्व, कहने वचस्कर-सं० (वि०) 1आज्ञाकारी 2 बोलनेवाला योग्य 2 कहे जाने योग्य।
वचस्वी-सं० (वि०) बोलने में पद, प्रवक्ता वक्ता-सं० (वि०/पु०) भाषण आदि देनेवाला
वज़न-अ० (पु०) 1 भार, बोझ 2 भार का परिमाण, तौल वक्तृक, वक्तृता-सं० (स्त्री०) 1 वक्ता होने का भाव | 3 भारीपन (जैसे-सोने का वज़न) 4 मान मर्यादा का सूचक, 2 भाषण, व्याख्यान
महत्त्व (जैसे-आपकी बात का क्या वज़न होगा)। ~दार वक्तृत्व-सं० (पु०) 1 अच्छे वक्ता होने का भाव 2 कथन, +फ़ा० (वि०) 1 भारी 2 महत्त्व का; ~मशीन + अं० वक्तव्य। ~कला (स्त्री०) प्रभावशाली ढंग से भाषण देने (स्त्री०) वज़न ज्ञात करने का यंत्र । की कला; ~शास्त्र (पु०) वह शास्त्र जिसमें यह विवेचन | वज़नी-अ० + फ़ा० (वि०) = वज़नदार किया जाता है कि दूसरों को किस तरह की बातों से प्रभावित | वज़ह-अ० (स्त्री०) 1कारण, हेतु 2 प्रकृति, तत्त्व किया जाए
बज़ा-I अ० (स्त्री०) 1 बनावट का ढंग 2 रचना 3 सजधज वक्त्र-सं० (पु०) मुँह, मुख। -तुंड (पु०) गणेश 4 ढंग, प्रणाली, रीति 5 दशा, अवस्था II (वि०) 1 घटाया वक्त्री-सं० (स्त्री०) भाषण आदि देनेवाली
हुआ 2 निकाला हुआ। ~दार + फ़ा० (वि०) 1 सुंदर वक्फ़-अ० (पु०) 1 खुदा के नाम पर अर्पित वस्तु बनावटवाला, सजधज से युक्त 2 अपनी रीति नीति न 2 लोकोपकारार्थ दिया गया धन। नामा + फ्रा० (पु०) छोड़नेवाला; ~दारी + फ्रा० (स्त्री०) 1 सजावट का उत्तम
1 दान पत्र 2 वह लेख जिसपर वक्फ का प्रमाण हो ढंग 2 वस्त्र आदि पहनने का सुंदर ढंग, फैशन वक्फा -अ० (पु०) 1 समय, अवकाश 2 देर, विलंब वज़ारत-अ० (स्त्री०) वज़ीर का पद और कार्य वक्र-सं० (वि०) 1 टेढ़ा 2 तिरछा 3 कटिल (जैसे-वक्र नेत्र) | वज़ीफ़ा-अ० (पु०) 1 सहायता, वृत्ति 2 छात्रवृत्ति। दार 4 निर्दय, क्रूर 5 बेईमान । ~गति I (स्त्री०) टेढ़ी चाल ____ + फ़ा० (पु०) वज़ीफ़ा प्राप्त करनेवाला व्यक्ति II (वि०) 1 टेढ़ी मेढ़ी चालवाला 2 कुटिल, ~गामी वज़ीर-अ० (पु०) मंत्री, अमात्य (वि०) 1 कुटिल और धूर्त 2 वक्र गतिवाला; ~ता (स्त्री०) वज़ीरे आज़म-अ० + फ्रा० + अ० (पु०) प्रधानमंत्री 1 टेढ़ापन 2 कुटिलता और धूर्तता; दृष्टि (स्त्री०) 1 टेढ़ी | वजू-अ० (पु०) नमाज़ पढ़ने से पहले हाथ पैर धोना दृष्टि 2 क्रोधपूर्ण दृष्टि; पाद (वि०) टेढ़े पैरवाला; बुद्धि वजूद-अ० (पु०) 1 अस्तित्व, सत्ता 2 सृष्टि 3 जिंदगी (वि०) धूर्त, बेईमान; ~भाव (पु.) 1 धूर्तता 2 टेढ़ापन;
वजूहात-अ० (स्त्री०) 'वज़ह' का बहुवचन रूप ~मति I (वि०) टेढ़ी बुद्धिवाला II (स्त्री०) धूर्तता,
वन-I सं० (वि०) 1कठोर, सख्त 2 उग्र, तीव्र 3 जिसपर बेईमानी, मक्कारी
प्रभाव न पड़ सके (जैसे-वज्र मूर्ख) II (पु०) 1 भाले के वक्रित-सं० (वि०) टेढ़ा किया हुआ
आकार का एक शस्त्र, कुलिश 2 आकाश से गिरनेवाली वक्रिम-सं० (वि०) 1 टेढ़ा 2 कुटिल
बिजली (जैसे-वज्र पात)। यात (पु०) 1 वज्र की चोट वक्रिमा-सं० (स्त्री०) कुटिलता, टेढ़ापन
2 वज्र की चोट के समान भयंकर चोट; घोष (पु.) वक्री-सं० (वि०) टेढ़े मार्ग पर चलनेवाला
1बिजली की कड़क के समान भीषण ध्वनि 2 बिजली की वक्रोक्ति-सं० (स्त्री०) 1 चमत्कारपूर्ण उक्ति 2 साहि० कड़क; देह (वि०) वज्र के समान कठोर शरीरवाल
अमात्य
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वज्रमय
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वनस्पति ~धर I (वि०) वज्र धारण करनेवाला II (पु०) इंद्र; | वदावद-सं० (वि०) बहुत बात करनेवाला, वाचाल
लख (पु०) नृसिंह; निघोष (पु०) वज्र के गिरने की बड़ड़िया आवाज़, बिजली कड़कना; ~पात (पु०) 1 आकाश से | वदि-[ सं० (अ०) चाँद्र मास के कृष्ण पक्ष में II (पु०) कृष्ण बिजली गिरना 2 भीषण संकट; -प्रहार (पु०) वज्र क पक्ष
आघात; ~मुट्ठी + हिं०, ~मुष्टि (स्त्री०) 1 वाण चलाने की | वदितव्य-सं० (वि०) कहे जाने योग्य विशेष हस्त मुद्रा 2 इंद्र; ~यान (पु०) बौद्धधर्म का एक वध-सं० (पु०) 1 हत्या 2 हत्या करना। जीवी (पु०) वध तांत्रिक संप्रदाय; ~वार + हिं० (पु०) = वज्रपात; करके जीविकोपार्जन करनेवाला व्यक्ति; - मंच (पु०) वध ~वारक (पु०) वज्र से वार करनेवाला; ~सार I (वि०) करने का चबूतरा; ~शाला (स्त्री०) - वधालय अत्यंत कठोर II (पु०) हीरा; दय (वि०) अत्यंत कठोर वधक-I सं० (पु०) हत्या करनेवाला, हिंसक II (वि०) हिंसा दिल का, बेरहम
करनेवाला वज्रमय-सं० (वि०) 1 कठोर, कठिन 2 क्रूर हृदयवाला वधालय-सं० (पु०) बूचड़खाना वज्राकर-सं० (पु०) हीरे की ख़ान
वधिर-सं० (वि०) बहरा वज्राकार-सं० (वि०) 1 वज्र जैसा 2 वज्र के आकार का | वधू-सं० (स्त्री०) 1 दुलहन 2 पत्नी। -वस्त्र (पु०) विवाह वज्राघात-सं० (पु०) 1 वज्रपात 2 वज्र की चोट
के समय कन्या को दिया गया वस्त्र वट-सं० (पु०) बरगद का पेड़
वधूटी-सं० (स्त्री०) 1 पुत्रवधू 2 नवयुवती (जैसे-ग्राम वधूटी) वटक-सं० (पु०) 1 बड़ी टिकिया, बट्टा 2 पकौड़ी आदि | वध्य-सं० (वि०) वध किए जाने योग्य। ~स्थल (पु०) = पकवान 3 आठ माशे की एक तौल
वध स्थान वटिक-सं० (पु०) शतरंज का मोहरा
वन-सं० (पु०) 1 जंगल (जैसे-वन प्रदेश) 2 उपवन, बाग वटिका-सं० (स्त्री०) टिकिया
(जैसे-वन वाटिका की शोभा)। खंड (पु०) जंगल का वटी-सं० (स्त्री०) गोली
टुकड़ा, वनस्थली; ~गमन (पु०) 1 संन्यास ग्रहण 2 वन की वटु, वटुक-सं० (पु०) 1 बालक 2 ब्रह्मचारी
यात्रा करना; गोचर (वि०) वन में घूमने फिरनेवाला; वटेस्वर-(पु०) शिव, महादेव
चर I (वि०) वन में भ्रमण करनेवाला II (पु०) जंगली वठर-I सं० (पु०) चिकित्सक II (वि०) 1 मूर्ख 2 शरारती, प्राणी; चर्या (स्त्री०) वनवास या वन भ्रमण; ज शठ 3 धीमा, मंद
(वि०) वन में उत्पन्न; जीवी (पु०) 1 लकड़हारा वडव-सं० (पु०) घोड़ी जैसा घोड़ा
2 बहेलिया; देव, देवता (पु०) जंगल का अधिष्ठाता वडवा-सं० (स्त्री०) घोड़ी 2 दासी 3 वेश्या 4 ब्राह्मण जाति की देवता; देवी (स्त्री०) वन की अधिष्ठात्री देवी; ~द्रुम
(पु०) जंगली पेड़ पौधा; नाशन (पु०) वन को बर्बाद वणिक-सं० (पु०) 1 व्यवसाय से जीविकोपार्जन करनेवाला करना; ~पशु (पु०) जंगली जानवर; ~पाल (पु०) वन व्यक्ति (जैसे-वणिक् समुदाय) 2 वैश्य, बनिया (जैसे-वणिक् की रक्षा करनेवाला सरकारी कर्मचारी; ~प्रदेश, प्रांत बुद्धि, वणिक् कर्म)। -पोत (पु०) व्यापारी जहाज़ (पु०) जंगल का इलाका; -मंडल (पु०) वनप्रदेश, जंगल वत-सं० (अ०) शब्दों के अंत में प्रयुक्त होनेवाला एक प्रत्यय का इलाका; ~मंडलाधिकारी (पु०) वनपाल, ~महोत्सव
जो समानता का सूचक है (जैसे-विधिवत, चंद्रवत, पुत्रवत्) (पु०) वनों के विस्तार से संबद्ध कार्यक्रम; ~मानुष (पु०) वतन-अ० (पु०) 1 अपना देश, स्वदेश 2 जन्म स्थान । एक तरह का बंदर; ~माला (स्त्री०) 1 जंगली फूलों की
दोस्त + फा० (पु०) देश हितैषी; दोस्ती + फ़ा० माला 2 घुटनों तक लंबी ऋतु कुसुमों की माला; ~माली (स्त्री०) = वतनपरस्ती; परस्त + फ्रा० (पु०) देशभक्त; (वि०) वनमाला धारण करनेवाला; रक्षक (पु०) =
परस्ती + फा० (स्त्री०) देशभक्ति; ~फरोश + फ्रा० वनपाल; राज (पु०) सिंह, शेर; राजि (स्त्री०) (पु०) देशद्रोही
वनसमूह; ~रोपण (पु०) पेड़ पौधे लगाना, वनाच्छादन; वतनी-अ० + हिं. अपने देश का निवासी
~वास (पु०) जंगल में रहना; ~वासी (वि०) जंगल में वत्स-सं० (पु०) बच्चा, शिशु
रहनेवाला; -विज्ञान (पु०), विद्या (स्त्री०) दे० वत्सर-सं० (पु०) वर्ष, साल
वानिकी; समूह (पु०) घना जंगल; ~स्थ (वि०) वन में वत्सल-I सं० (वि०) 1 बच्चों से प्रेम करनेवाला, शिशु स्नेही रहनेवाला; ~स्थली (स्त्री०) वनों से घिरा प्रदेश 2 प्रेम करनेवाला (जैसे-भक्त वत्सल) II (पु०) 1 पुत्र | वनमय-सं० (वि०) जंगलवाला आदि के प्रति उत्पन्न रतिभाव 2 प्यार। ता (स्त्री०) (बाल' वनस्पति-सं० (स्त्री०) ज़मीन से उगनेवाले पेड़, पौधे, लताएँ बच्चों का) प्यार
आदि। ~ उद्यान (पु०) पेड़ पौधों का बगीचा; ~यी वदंती-सं० (स्त्री०) कथन, बात
+ हिं० (पु०) घी की तरह का चिकना पदार्थ; जगत् क्द-सं० (वि०) बोलनेवाला (जैसे-प्रियंवद)
(पु०) पेड़ पौधे; ~जन्य (वि०) वनस्पति से उत्पन्न वदतोव्याघात-सं० (पु०) तर्क में कथन संबंधी एक दोष जात (वि०) वनस्पति से उत्पन्न होनेवाला; ~तेल + हिं० बदन-सं० (पु०) 1 कहना, बोलना 2 मुख, मुँह (जैसे-चंद्र (पु०) = वनस्पति घी; मिल + अं० (स्त्री०) वनस्पति से वदन)
संबद्ध पदार्थ बनाने का कारखाना; ~विज्ञान, ~शास्त्र क्दान्य-10 (वि०) बात से संतुष्ट करनेवाला
(पु०) विज्ञान की एक शाखा जिसमें वनस्पतियों के उदभव,
स्त्री
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वनांत
733
काप
विकास तथा आकार प्रकार का अध्ययन किया जाए; 2 पसंद करने योग्य || (पु०) 1 देवता से प्रसाद रूप में कुछ ~शास्त्री (पु०) वनस्पति शास्त्र का ज्ञाता
माँगना 2 देवता से प्रसाद रूप में मांगी गई वस्तु 3 नव वनांत-सं० (पु०) जंगली भूमि
विवाहिता स्त्री का पति 4 विवाह योग्य पुरुष 5 बालक, वनाग्नि-सं० (स्त्री०) वन की आग, दावानल
लड़का। ~कन्या (स्त्री०) दूल्हा-दुल्हिन; दक्षिणा वनाधिकारी-सं० (पु०) = वनपाल
(स्त्री०) दहेज़, दायज, दइया; दाता (वि०) वर प्रदान वनाश्रम-सं० वानप्रस्थ आश्रम
करनेवाला; ~दान (पु०) 1 देवता, ऋषियों आदि से प्राप्त वनाश्रमी-सं० (पु०) वानप्रस्थी, तपस्वी
वर 2 फलसिद्धि 3 शुभ फलदायिनी; दानी (पु०) वर वनिका-सं० (स्त्री०) छोटा वन, उपवन
प्रदान करनेवाला, वरदायक; ~दायक (वि०) वर देनेवाला; वनित-सं० (वि०) 1 माँगा हुआ, याचित 2 चाहा हुआ, ~पक्ष (पु०) लड़केवाले लोग; ~प्रद (वि०) वर अभिलाषित 3 पूजित 4 सेवित
देनेवाला; ~प्रदान (पु०) इच्छा पूर्ण करना, वर देना; वनिता-सं० (स्त्री०) 1 स्त्री, औरत 2 अनुरक्त स्त्री, प्रिया, यात्रा (स्त्री०) 1 विवाह हेतु वर का वधू के यहाँ जाना प्रेमिका। -द्विष (पु०) रमणी द्वेषी; विलास (पु०) 2 बरात; ~योग्य (वि०) 1 वरदान के योग्य 2 विवाह के स्त्रियों की क्रीड़ा
योग्य धनी-सं० (स्त्री०) = वनिका
वरक़-अ० (पु०) 1 धातु का पतला पत्तर 2 पृष्ठ, पन्ना । वनेचर-सं० (वि०) = वनचर
~गरदानी + फ़ा० (स्त्री०) 1 पुस्तक को उलट पलटकर वन्य-सं० (वि०) 1 वन में उत्पन्न होनेवाला 2 जंगली | देखना 2 पढ़ने का ढोंग करना (जैसे-वन्य पशु)
बरगलाना-फा० + हिं० (स० क्रि०) गुमराह करना, बहकाना वफ़ा-अ० (स्त्री०) 1 वचन पालना 2 निष्ठा। ~दार + फ़ा० | वरज़िश-फा० (स्त्री०) कसरत, व्यायाम (वि०) 1 वचन पालन करनेवाला 2 निष्ठ; ~दारी + फ़ा० वरण-सं० (पु०) 1 चुनना 2 चुनाव 3 अर्चन, पूजन (स्त्री०) वफ़ादार होना
4 सत्कार। -माला (स्त्री०) जयमाल वफ़ात-अ० (स्त्री०) मौत, मृत्यु
वरणीय-सं० (वि०) वरण योग्य वबा-अ० (स्त्री०) महामारी
वरद-सं० (वि०) वर देनेवाला वबाल-अ० (पु०) 1 भार, बोझ 2 विपत्ति, संकट 3 झंझट | वरदी-(स्त्री०) विशेष पहनावा (जैसे-पुलिस वर्दी, सेना की 4 दैवी प्रकोप
वदी) वमन-सं० (पु०) 1 कै करना, उलटी करना 2 कै किया हुआ वरन्-(अ०) 1 ऐसा नहीं 2 बल्कि पदार्थ। ~कारी (वि०) कै लानेवाला
वरना-फा० (अ०) नहीं तो वमि-सं० (स्त्री०) वमन रोग
वरांगना-सं० (स्त्री०) सुंदर स्त्री वमित-सं० (वि०) वमन किया हुआ
वराट-सं० (पु.) 1 रस्सी 2 कौड़ी वयः क्रम-सं० (पु०) = उम्र, वय
वराटिका-सं० (स्त्री०) तुच्छ वस्तु वयः परिणति-सं० (स्त्री०) अवस्था की प्रौढ़ता वरासत-अ० (स्त्री०) 1 वारिस होने का भाव 2 उत्तराधिकार वयः संधि-सं० (स्त्री०) बाल्यावस्था तथा यौवनावस्था के मध्य 3 मृतक की संपत्ति। नामा (पु०) उत्तराधिकार पत्र
की स्थिति, बाल्यावस्था और यौवनावस्था के बीच का समय वरासतन-अ० (अ०) उत्तराधिकार होने का भाव वय-(स्त्री०) 1 उम्र, अवस्था 2 जवानी (जैसे-वय किशोर) वरासन-सं० (पु०) श्रेष्ठ आसन वयन-सं० (पु०) बुनना ।
वराह-सं० (पु०) सूअर, शूकर वयस्क-I सं० (वि०) शारीरिक विकास तथा पूर्णता को प्राप्त, | वरिष्ठ-सं० (वि०) 1 श्रेष्ठ, पूज्य 2 महान् सयाना (जैसे-वयस्क व्यक्ति, वयस्क अवस्था) II (पु०) वरीय-सं० (वि०) 1 सर्वश्रेष्ठ 2 ग्रहण योग्य। ता (स्त्री०) 1विवाह के योग्य युवक-युवती 2 निर्वाचन संबंधी अधिकार 1सर्वश्रेष्ठता 2 वरीय होने का भाव प्राप्त व्यक्ति । मताधिकार (पु०) चुनाव आदि में मत देने वरु-(अ०) बल्कि का अधिकार
वरुण-सं० (पु०) जल (जैसे-वरुण देव) 2 सौर जगत का वयस्कत्व-सं० (पु०) बालिग़पन। प्राप्ति (स्त्री०) बालिए | एक ग्रह
वरूथ-सं० (पु०) 1सेना, फ़ौज 2 बख़्तर वयस्थ-सं० (वि०) उम्रवाला, उम्र का
वरेण्य-सं० (वि०) 1 प्रधान, मुख्य 2 पूजनीय 3 कामना के वयस्य-I सं० (पु०) मित्र II (वि०) बराबर की उमरवाले |
योग्य वयस्यक-सं० (पु०) 1 समसामयिक व्यक्ति 2 मित्र, सखा वर्क-अं० (पु०) काम, कार्य। ~शाप (स्त्री०) कार्यशाला वयस्या-सं० (स्त्री०) सखी
वर्कर-अं० (पु०) कर्मचारी क्योवद्ध-सं० (वि०) अधिक उमरवाला, वृद्ध
वर्किग कमिटी-अं० (स्त्री०) कार्यकारिणी समिति वरच-सं० (अ०) बल्कि, अपितु
वर्ग-सं० (पु०) 1 श्रेणी (जैसे-साहित्यिक वर्ग, छात्र वर्ग) वडा-I बो० (पु०) बरामदा
2 स्पर्श व्यंजन वर्गों का समूह (जैसे-कवर्ग, चवर्ग) 3 ग्रंथ वरंडा-II सं० (स्त्री०) 1 कटारी 2 बत्ती
आदि का प्रकरण, परिच्छेद 4 ग० समान अंकों का पात वर-I सं० (वि०) 1 उत्तम, श्रेष्ठ (जैसे-कविवर, मान्यवर) | 5जमात, कक्षा। एकता (स्त्री०) श्रेणियों की परस्पर
होना
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वर्गलाना
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वर्य
एकता; ~कोष्ठक (पु०) बड़ा कोष्ठक, बड़ा ब्रैकेट; ~गत | (वि०) रंगा हुआ; चित्र (पु०) रंगीन चित्र; ~तूलिका (वि०) वर्ग में आया हुआ; चेतना (स्त्री०), चैतन्य (स्त्री०) क़लम; ~धर्म (पु०) जाति विशेष का पेशा; (पु०) जाति की चेतना; द्वेष (पु०) = वर्ग विद्वेष; निष्ठ नाश (पु०) = वर्णपात; ~पात (पु०) अक्षर का शब्द (वि०) = वर्गगत; ~पद (पु०) = वर्गमूल; पहेली से लुप्त होना; ~पात्र (पु०) रंग का डिब्बा, रंग की डिबिया; .+ हिं० (स्त्री०) वर्ग बनाकर अंकों या शब्दों के भरने की ~भेद (पु०) जातिगत भेदभाव (जैसे-वर्ण भेद समाप्त बुझौवलं; ~फल (पु०) समान राशियों का गुणनफल; करना); ~मापी (पु०) रंग मापने का यंत्र; ~मापीय ~भेद (पु०) जाति भेद; ~भ्रष्ट (वि०) जाति से भ्रष्ट; | (वि०) रंग नापने का; ~माला (स्त्री०) लिपि के वर्णों की ~मूल (पु०) भाग देकर वर्गीक निकालनेवाली राशि; सूची; मिति (स्त्री०) रंग नापना; राशि (स्त्री०) ~युक्त (वि०) = वर्गगत; ~युद्ध (पु०) जातियों का = वर्णमाला; ~विकार (पु०) किसी वर्ण का दूसरे वर्ण का परस्पर युद्ध; ~वाद (पु०) 1 जातिवाद 2 श्रेणीवाद; रूप ग्रहण करना; विचार, विज्ञान (पु०) व्याकरण का ~वादी (वि०) वर्गवाद को माननेवाला; विद्वेष (पु०) वह भाग जिसमें वर्गों के आकार, उच्चारण, संधियों आदि के जाति संबंधी वैरभाव; विभाजन (पु०) वर्ग में विभक्त नियम का वर्णन हो; विद्वेष (पु०) = वर्ण भेद; करना, वर्ग में बाँटना; विभेद (पु०) = वर्ग भेद; -विन्यास (पु०) अक्षरों का जोड़ना, वर्तनी; विपर्यय
विरोध (पु०) जातियों का परस्पर विरोध; विशेषता (पु०) 1 शब्द के वर्णों की अदला बदली 2 अक्षरों का एक (स्त्री०) जातिगत विशेषता; ~शत्रु (पु०) वर्ग का दुश्मन; दूसरे का स्थान लेने की स्थिति; ~विभाग (प०) = वर्ण ~संगठन (पु०) 1 श्रेणी संगठन 2 जाति का संगठन व्यवस्था; ~वृत्त (पु०) वह पद्य जिसके चरणों में वर्णों की
सहयोग, साहचर्य (पु०) जाति का सहयोग; संख्या तथा लघु गुरु का क्रम निश्चित हो; ~वैचित्र्य (१०) ~स्वरूप (पु०) = वर्ग तत्व; ~स्वार्थ, हित (पु.) रंगों की विलक्षणता, रंग विरंगापन; ~व्यवस्था (स्त्री०) वर्ण वर्ग की भलाई; हीन (वि०) बिना वर्ग का
विभाग; ~संकर (पु०) 1 दोगला 2 व्यभिचार से उत्पन्न वर्गलाना-फा० + हिं० (स० क्रि०) = वरग़लाना
व्यक्ति; ~संकरी (वि०) वर्णसंकर संबंधी; ~स्थान वर्गशः-सं० (क्रि० वि०) वर्ग के अनुसार
(पु०) वर्गों के उच्चारण का स्थान; ~हीन (वि०) 1 वर्ण वर्गाकार-सं० (वि०) वर्ग के आकार का (जैसे-वर्गाकार च्युत 2 वर्ण से अलग चतुर्भुज)
वर्णक-सं० (पु०) 1 नक़ाब 2 पोशाक 3 रंग 4 चित्रकार वर्गानुसारी-सं० (वि०) अपने वर्ग का अनुसरण करनेवाला वर्णच्छटा-सं० (स्त्री०) = वर्णक्रम वर्गित-सं० (वि०) वर्गीकृत
वर्णन-सं० (पु०) 1 विस्तारपूर्ण कथन 2 प्रशंसा, गुण कथन । वर्गीकरण-सं० (पु०) वर्ग के अनुसार विभाग करना पटु (वि०) वर्णन में कुशल; ~विधान (पु०) वर्णन वर्गीकृत-सं० (वि०) वर्ग में बाँटा हुआ
करने का तरीका वर्गीय-सं० (वि०) 1 वर्ग का (जैसे-क वर्गीय) 2 कक्षा का वर्णनातीत-सं० (वि०) जिसका वर्णन न हो सके (जैसे-एक वर्गीय) 3 वर्ग संबंधी
वर्णनात्मक-सं० (वि०) वर्णनवाला वर्ग्य-सं० (वि०) वर्ग बनाने योग्य
वर्णनीय-सं० (वि०) वर्णन के योग्य वर्चस्व-सं० (पु०) 1 तेज 2 प्राबल्य
वर्णांकन-सं० (पु०) रंग भरना वर्चस्वी-सं० (वि०) तेजस्वी
वर्णांध-सं० (वि०) वर्णांधता रोग का रोगी, कलर ब्लाइंड। वर्जक-सं० (वि०) वर्जन करनेवाला
~ता (स्त्री०) रंग न पहचान पाने का एक नेत्र रोग वर्जन-सं० (पु०) 1 छोड़ना, त्याग 2 मनाही
वर्णात्मक-सं० (वि०) वर्ण के योग्य वर्जना-(स्त्री०) निषेध
वर्णानुक्रम-सं० (पु०) वर्णों का नियत क्रम वर्जनीय-सं० (वि०) = वयं
वर्णानुक्रमणिका-सं० (स्त्री०) वर्णमाला के अक्षरों के क्रम से वर्जित-सं० (वि०) 1 मना किया हुआ 2 त्यागा हुआ, तैयार की गई सूची परित्यक्त
वर्णावलि-सं० (स्त्री०) = वर्ण क्रम वर्जिश-फा० (स्त्री०) व्यायाम, कसरत
वर्णावृत्ति-सं० (स्त्री०) वर्ण का फिर फिर आना वर्ण्य-सं० (वि०) वर्जनीय
वर्णाश्रम-सं० (पु०) जाति और आश्रम। ~धर्म (पु०) वर्ण वर्ण-सं० (पु०) 1 रंग (जैसे-पीत वर्ण, श्याम वर्ण) 2 शरीर | और आश्रम संबंधी कर्तव्य
के रंग के आधार पर किया गया विभाग (जैसे-गौर वर्ण, कृष्ण | वर्णाश्रमी-सं० (वि०) वर्णाश्रम संबंधी वर्ण) 3 जाति (जैसे-शूद्र वर्ण) 4 अक्षर (जैसे-स्वर और वर्णिक-[सं० (पु०) लेखक II (वि०) 1 वर्ण संबंधी 2 छंद व्यंजन वर्ण) 5 भेद, प्रकार (जैसे-समाज के अनेक वर्ण जिसमें वर्षों की गणना मुख्य हो करना)। क्रम (पु०) 1 वर्णमाला के अक्षरों का क्रम | वर्णिका-सं० (स्त्री०) स्याही, रोशनाई (जैसे-वर्णक्रम से सूची तैयार करना) 2 रंगों का क्रम; ~क्रम वर्णित-सं० (वि०) वर्णन किया गया चित्र (पु०) रंगों के क्रम से बना चित्र; ~क्रम दर्शक (पु०) | वर्णी-I सं० (वि०) वर्णयुक्त II (पु०) 1 लेखक 2 चित्रकार = वर्णक्रमदर्शी; ~क्रमदर्शिकी (स्त्री०) = वर्णक्रमिकी; | 3किसी वर्ण का व्यक्ति
क्रम दर्शी (पु०) वर्णों का क्रम बतलानेवाला एक यंत्र; | वणोंच्चारण-सं० (पु०) वर्ण का उच्चारण क्रम मापी (वि०) वर्णक्रम मापने का यंत्र; ~गत / वर्ण्य सं० (वि०) 1 वर्णन योग्य 2 वर्ण संबंधी। ~वस्तु
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करनवाला
वर्तन
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वल्लिका (स्त्री०), विषय (पु०) वर्णन करने का विषय ऋतु का आगमन); ~कालीन (वि०) वर्षा काल का वर्तन-सं० (पु०) 1 चारों ओर घूमना 2 चलना फिरना, गति (जैसे-वर्षा कालीन फ़सल); ~मापक (पु०) वर्षा मापने 3 स्थिति 4 बरताव 5 जीविका 6 उलट फेर
का एक यंत्र, रेनगेज वर्तनी-सं० (स्त्री०) 1 शब्द के वर्ण, उनका क्रम तथा उच्चारण | वर्षागम-सं० (पु०) वर्षा ऋतु का आगमन विधि 2 मार्ग, रास्ता
वर्षाना-सं० + हिं० (स० क्रि०) वर्षा करना (जैसे-जहाज़ से वर्तमान-I सं० (वि०) 1 सत्ता में रहनेवाला 2 विद्यमान | गोला वर्षाना, बम वर्षाना 3 वर्तमान काल। ~काल (पु०) व्या० क्रिया के तीन कालों | वर्षानुवर्षी-सं० (वि०) साल-ब-साल होनेवाला में से एक; -कालिक (वि०) वर्तमान काल का वारभ-सं० (पु०) 1 वर्ष का आरंभ 2 वर्षा की शुरुआत वर्ति-सं० (स्त्री०) बत्ती। ~लेख (पु०) खर्रा
(जैसे-वर्षांरभ में नैनीताल जाऊँगा) वर्तिका-सं० (स्त्री०) 1 सलाई 2 तूलिका 3 रंग 4 बत्ती | वर्षाशन-सं० (पु०) वर्ष भर के लिए दिया गया अन्न वर्तित-सं० (वि०) 1 घुमाया हुआ 2 संपादित 3 बिताया हुआ वर्षीय-सं० (वि०) 1 वर्ष से संबंधित 2 वर्षों का (जैसे-पंच 4 दुरुस्त किया हुआ
वर्षीय योजना) वी-[ सं० (वि०) 1 वर्तन करनेवाला 2 होनेवाला वलन-सं० (पु०) 1घूमना 2 चक्कर लगाना (जैसे-सुदूरवर्ती II (स्त्री०) 1 बत्ती 2 सलाई
वलभी-सं० (स्त्री०) 1 गुमटी 2 घर का ऊपरी भाग 3 छत वर्तुल-सं० (वि०) गोल, वृत्ताकार
वलय-सं० (पु०) 1 कंगन 2 वृत्त की परिधि 3 मंडल वर्तुलाकार-सं० (वि०) वृत्त के आकार का (जैसे-वर्तुलाकार वलयाकार-सं० (वि०) वलय के आकार का मैदान)
वलयित-सं० (वि०) लपेटा हुआ, वेष्टित वर्त्म-सं० (पु०) 1 मार्ग, रास्ता 2 लीक 3 प्रथा 4 आँख की वलवला-अ० (पु०) 1 शोरगुल 2 आवेश (जैसे-वलवला पलक 5 आधार
उठना) वर्क्स-सं० (पु०) दाँत और मसूड़े के मिलने की जगह वलि-सं० (पु०) 1 चंदन आदि से निर्मित रेखा या चिह्न वत्सर्य-सं० (वि०) जो जीभ को वर्ल्स पर रखने पर बोला जाए | 2 रेखा, लकीर 3 देवताओं आदि को चढ़ाई गई वस्त वर्दी-(स्त्री०) = वरदी। ~धारी + सं० (वि०) पोशाक | 4 देवताओं के उद्देश्य से मारे जानेवाला पशु 5 सिकुड़न, झुर्रा धारण करनेवाला
6 पंक्ति, कतार 7 विष्णु द्वारा छला गया एक दैत्य वर्द्धक-सं० (वि०) वृद्धि करनेवाला (जैसे-स्वास्थ्य वर्द्धक) | वलित-सं० (वि०) 1 घूमा हुआ 2 घेरा हुआ, परिवृत्त वर्द्धन-I सं० (पु०) वृद्धि करना 2 बढ़ती, वृद्धि II (वि०) ___ 3 आच्छादित वृद्धि करनेवाला (जैसे-आनंद वर्द्धन)। ~क्षम (वि०) वली-I सं० (स्त्री०) 1शिकन, झर्रा 2 पंक्ति, अवली बढ़ने की क्षमतावाला
3लकीर, रेखा 4पेट पर पड़नेवाली रेखा (जैसे-त्रिवली) बर्द्धनी-सं० (स्त्री०) झाडू, बुहारी
5चंदन आदि से निर्मित चिह्न वर्द्धमान-सं० (वि०) 1 बढ़ता हआ 2 वर्द्धनशील वली-II अ० (पु०) 1 सिद्ध पुरुष 2 स्वामी 3 संरक्षक वर्द्धित-सं० (वि०) वृद्धि को प्राप्त
4 अल्लाह का प्यारा । ~अहद (पु०) युवराज वर्धक-सं० (वि०) = वर्द्धक
वल्क-सं० (पु०) 1 पेड़ की छाल 2 मछली की चोई धर्ना-फा० (अ०) = वरना
वल्कल-सं० (पु०) 1 वृक्ष की छाल 2 वृक्ष की छाल का वर्नाक्यूलर-अं० (पु०) देशी बोली
कपड़ा वर्म-सं० (पु०) कवच, बख्तर
वलान-सं० (पु०) 1 उछलना-कूदना 2 व्यर्थ की उछल-कूद वर्मा-सं० (पु०) कायस्थ और खत्री आदि जातियों की एक | और बकवाद उपाधि
वलार-अं० (वि०) भोंडा, अशिष्ट वर्वर-सं० (पु०) 1 नीच जाति 2 मूर्ख 3 जाति भ्रष्ट व्यक्ति वल्गा-सं० (स्त्री०) लगाम, सस, बाग़ वर्ष-सं० (पु०) बारह महीने का समय, साल (जैसे-मैं चार वर्ष वल्द-अ० (पु०) बेटा, पुत्र तक नहीं लौटूंगा)। ~गाँठ + हिं० (स्त्री०) जन्मदिन (का वल्मीक-सं० (पु०) दीमक, चींटी आदि की चाली हई मिट्टी उत्सव); ~प्रतिबंध (पु०) सूखा, अवर्षण; प्रवेश | का ढेर, बिमौट (पु०) नए वर्ष की शुभाशुभ सूचित करनेवाली कुंडली; वल्लकी-सं० (स्त्री०) वीणा बोध (पु०) अब्दकोश, कैलेंडर
वल्लभ-I सं० (वि०) अत्यंत प्रिय, प्रियतम II (०. वर्षक-सं० (वि०) 1 वर्षा करनेवाला 2 बरसानेवाला __ 1 अत्यंत प्रिय व्यक्ति 2 स्त्री का पति (जैसे-राधा वल्लभ) (जैसे-बम वर्षक जहाज़)
3 स्वामी, मालिक (जैसे-प्राण वल्लभ) वर्षण-सं० (पु०) 1 वर्षा 2 बरसना
वल्लभा-I सं० (वि०) प्यारी II (स्त्री०) प्रियतमा, प्रेयसी वर्षाक-सं० (पु०) दिनांक की तरह (जैसे-वर्षांक 1961, __ (जैसे-प्रणय वल्लभा) वर्षांक 1962)
वल्लरी-सं० (स्त्री०) 1लता 2 मंजरी वर्षा-सं० (स्त्री०) 1 वृष्टि 2 गिरना (जैसे-पुष्प वर्षा) 3 निरंतर वल्लाह-अ० (अ०) 1 ईश्वर की शपथ लेते हुए 2 सचमुच होनेवाला क्रम (जैसे-गोलियों की वर्षा) 4 बरसात। ऋत. | वल्लि-सं० (स्त्री०) लता ~काल (पु०) वर्षा का काल, वर्षा का मौसम (जैसे-वर्षा | वल्लिका-सं० (स्त्री०) लता
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वल्ली
वल्ली -सं० (स्त्री०) = वल्लरी
वल्लूर - सं० (पु० ) 1 धूप में सुखाया गया मांस 2 सूअर का मांस 3 ऊसर 4 जंगल 5 वीरान, उजाड़ वशंवद-सं० (वि०) 1 वशवर्त्ती 2 आज्ञाकारी वश - I सं० ( पु० ) समर्थता, काबू II ( वि० ) 1 अधीन 2 आज्ञानुवर्ती 3 नीचा दिखलाया हुआ 4 मुग्ध किया हुआ (जैसे - मंत्र वश, प्रेम वश)। ~वर्ती (वि०) वश में होनेवाला
वशग-सं० (वि०) आज्ञाकारी
वशिष्ठ-सं० (पु० ) वसिष्ठ
वशी - सं० (वि०) 1 वश में आया हुआ, अधीन 2 वश में रखनेवाला । ~कर (वि०) वश में करनेवाला (जैसे - वशीकर मंत्र); ~करण (पु० ) वश में लाना; ~करणीय (वि०) वश में करने योग्य; कृत (वि०) 1 वश में किया हुआ 2 मंत्र द्वारा वश में किया हुआ 3 मोहित, मुग्ध
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वशीभूत-सं० (वि०) 1 अधीन 2 पराधीन
वश्य सं० (वि०) 1 वश में किया गया 2 अधीनस्थ 3 वश में करने योग्य। ~ता (स्त्री०) अधीनता
वसंत-सं० (पु० ) 1 वर्ष की छः ऋतुओं में से एक ऋतु 2 फूलों का गुच्छा। पंचमी ( स्त्री०) 1 माघ महीने की शुक्ल पंचमी 2 माघ माह की शुक्ल पंचमी के दिन होनेवाला त्योहार; ~ महोत्सव (पु० ) होलिकोत्सव; ~सखा (पु०) कामदेव,
मदन
वसंती - I (वि०) 1 वसंत ऋतु संबंधी, वसंत का (जैसे- वसंती मौसम) 2 वसंती रंग का (जैसे- वसंती चोली, वसंती साड़ी) II (पु० ) हलका पीला रंग
वसंतोत्सव - सं० (पु० ) 1 वसंत पंचमी के दिन मनाया जानेवाला उत्सव 2 होली का उत्सव
वसअत - अ० (स्त्री०) 1 फैलाव, विस्तार 2 समाई, गुंजाइश 3 शक्ति, सामर्थ्य
वसति-सं० (स्त्री०) आबादी, बस्ती
वसती-सं० (स्त्री०) 1 वास रहना 2 घर
वसन -सं० (पु० ) कपड़ा
वसवास - अ० (पु० ) 1 अविश्वास 2 संदेह, संशय 3 आगा पीछा, दुविधा
वसवासी-अ० (वि०) 1 विश्वास न करनेवाला, शक्की 2 धोखा देनेवाला, धूर्त
वसा - सं० (स्त्री०) 1 चरबी, फैट 2 मज्जा
वसित - I सं० (वि०) बसा हुआ II (पु० ) वास स्थान वसितव्य-सं० (वि०) 1 धारण करने योग्य 2 निवास के योग्य वसिष्ठ - सं० ( पु० ) 1 सूर्यवंशी राजाओं के पुरोहित 2 सप्तर्षि मंडल का एक तारा
वसीक़ा - अ० (पु० ) 1 ऋण पत्र 2 दस्तावेज़ 3 इक़रारनामा वसीक्रेदार -अ० + फ़ा० (पु०) वसीका पानेवाला वसीयत - अ० (स्त्री०) वारिस संबंधी लिखित आदेश (जैसे- वसीयत लिख देना) । नामा फ़ा० (पु० ) इच्छापत्र वसीला - अ० . ( पु० ) 3 सहारा, सहायता
वहम
वसुंधरा-सं० (स्त्री०) पृथ्वी
वसु - I सं० (पु० ) 1 सूर्य 2 कुबेर II (वि०) सब में निवास करनेवाला
वसुदेव-सं० (पु० ) श्री कृष्ण के पिता
वसुधा - सं० (स्त्री०) पृथ्वी । तल (पु०) पृथ्वीतल वसुमती-सं० (स्त्री०) वसुंधरा
वसूल - I अ० (वि०) 1 प्राप्त हुआ 2 उगाहा हुआ 3 प्रतिफल रूप में प्राप्त II (पु० ) 1 उगाही 2 प्राप्ति । ~याबी + फ़ा० (स्त्री०) उगाहकर प्राप्त करना
वसूली - I अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 प्राप्ति 2 उगाही II ( वि० ) वसूल किया जानेवाला
वस्ति - सं० (स्त्री० ) 1 नाभि के नीचे का भाग, पेडू 2 मूत्राशय 3 पिचकारी । ~कर्म (पु० ) लिंग, गुदा आदि में पिचकारी देना वस्तु सं० (स्त्री०) 1 गोचर पदार्थ 2 चीज़ 3 विषय 4 कथावस्तु । गत (वि०) वस्तु निष्ठ, वस्तु परक; जगत् (पु० ) संसार, विश्व; जात (पु०) वस्तुओं का योग; ~ निर्देष (पु० ) 1 कथा का संकेत देनेवाला मंगलाचरण 2. सूची; निर्माण (पु० ) = वस्तु रचना; ~निष्ठ (वि०) 1 भौतिक पदार्थों से संबंध रखनेवाला, जो आत्मनिष्ठ न हो 2 वस्तुपरक, ऑब्जेक्टिव; परक (वि०) वस्तु पर आधारित, वस्तुगत; ~बल (पु० ) वस्तु का गुण; ~ भाड़ा + हिं० (पु० ) सामान की क़ीमत, वस्तु का दाम; ~मूलक (वि०) दे० वस्तुपरक रचना (स्त्री०) 1 शैली 2 कथावस्तु का विकास; रूप (पु० ) वास्तविक रूप; ~वाद (पु० ) जगत् को यथार्थ और सत्य मानने का सिद्धांत; ~ विनिमय (पु० ) वस्तुओं का अदल बदल; ~ विनिमय व्यापार (पु०) वस्तु विनिमय का पेशा व्यापार (पु० ) वस्तु का स्वभाव और धर्म - शून्य (वि० ) 1 नकली 2 यथार्थरहित; ~ संकलन (पु० ) 1 वस्तु एकत्र करना 2 कथावस्तु तैयार करना; ~ स्थिति (स्त्री०) 1 वास्तविक स्थिति 2 परिस्थिति
वस्तुतः सं० (अ०) 1 यथार्थतः 2 असल में वस्त्यसं० (पु० ) बसने की ज़गह, बसती
वस्त्र - सं० (पु० ) कपड़ा (जैसे- रेशमी वस्त्र ) । ~विन्यास (पु० ) कपड़े पहनने का ढंग विहीन (वि०) नंगा ~ व्यवसाय (पु० ) वस्त्र का व्यापार या पेशा वस्त्रागार - सं० (पु०) कपड़े की दुकान वस्त्राभूषण-सं० (पु० ) वस्त्र और आभूषण वस्त्रोत्पादन-सं० (पु० ) वस्त्र का उत्पादन वस्त्रोद्योग-सं० ( पु० ) वस्त्र व्यवसाय वस्फ़ - अ० (पु० ) 1 प्रशंसा 2 सिफ़त वस्ल - अ० ( पु० ) 1 मिलन (जैसे- वस्ल की रात) 2 संयोग, मिलाप 3 संभोग 4 मृत्यु
वह - (सर्व०) बात चीत में दूर स्थित, परोक्ष व्यक्ति के संकेत का
शब्द
वहन - सं० ( पु० ) 1 भार ढोना 2 निर्वाह करना 3 ले जाने का
साधन ।
1 लगाव, संबंध 2 साधन, ज़रिया वहनीय-सं० (वि०) वहन करने योग्य
वहम - अ० (पु० ) 1 मिथ्या संदेह 2 शक, शंका
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वहमी
वहमी-अ० (वि०) शक्की
वहशत - अ० (स्त्री०) 1 पागलपन 2 उजड्डपन 3 बर्बरता 4 मानसिक विक्षेप
वहशियाना - अ० + फ़ा० (वि०) वहशियों की तरह का वहशी - अ० (वि०) 1 बर्बर 2 जंगली, वन्य
वहाँ - (अ०) 1 उस जगह 2 उस स्थिति पर (जैसे- दुर्घटना के समय वहाँ मैं क्या करता )
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वहा -सं० (स्त्री०) 1 नदी 2 पानी की धारा का बहाव। मापी (पु० ) धारा की गति को नापनेवाला यंत्र
वहाबी - अ० (पु० ) 1 कुरान को माननेवाला एक मुस्लिम संप्रदाय 2 इस संप्रदाय का अनुयायी
वहीं- (अ०) 1 उसी जगह 2 उसी स्थिति पर
वही - ( सर्व ० ) निश्चित रूप से पूर्वोक्त वांछक-सं० (वि०) अभिलाषी, इच्छुक वांछन सं० (पु०) चाहना, इच्छा करना वांछनीय-सं० (वि०) चाहने योग्य वांछा-सं० (स्त्री०) चाह, अभिलाषा वांछातीत-सं० (वि०) इच्छा के परे, जिसकी अभिलाषा न की जा सके
वांछित सं० (वि०) चाहा हुआ, इच्छित वांशिक -सं० 1 बाँस काटनेवाला 2 बाँसुरी बनानेवाला वासं० (अ०) अथवा, या
वाइंडिंग अं० (स्त्री० ) जिल्द
वाइज़ - अ० ( पु० ) 1 नसीहत देनेवाला 2 उपदेश देनेवाला वाइदा-अ (पु० ) = वादा
वाइन-अं० (स्त्री०) शराब, मद्य
वाइरस - अं० (पु०) 1 विष 2 विषाणु । रोग - संग (पु० ) विषाणु रोग विज्ञान • सं० (पु० ) विषाणु विज्ञान; ~विज्ञानी + सं० (पु० ) विषाणु विज्ञान का जानकार वाइस- अं० ( पु० ) प्रतिनिधि के रूप में काम करनेवाला व्यक्ति । ~ एडमिरल (पु० ) नौसेना का उप मुख्याधिकारी; ~ चांसलर (पु० ) कुलपति, प्रिंसपल (पु० ) उप प्रधानाचार्य, प्रेसिडेंट (पु० ) 1 उपाध्यक्ष 2 उपराष्ट्रपति वाइसराय-अं० (पु० ) बड़ा लाट
वाउचर - अं० (पु० ) आधार पत्र
वाक आउट - अं० ( पु० ) भवन छोड़कर बाहर चला जाना वाक़ई - अ० (अ०) वास्तव में
वाक़या - अ० (पु० ) 1 घटना 2 हाल । नवीस + फ़ा० (पु०) संवाददाता
वाक़यी - अ० (अ० ) वाक़ई
वाक़ा - 1 अ० (वि०) 1 घटित हुआ 2 किसी स्थान पर स्थित II (पु० ) वाकया
वाक़िफ़ - अ० (वि०) 1 परिचित 2 जानकार
वाक़िफ़ियत-अ० (स्त्री०) 1 जानकारी 2 परिचय वाकोपवाक, वाकोवाक्य-सं० (पु० ) 1 कथोपकथन, बातचीत 2 तर्क-वितर्क
वाक्-सं० (स्त्री०) 1 शब्द 2 वाणी 3 कथन 4 वाद 5 बोलने की इंद्रिय 6 सरस्वती । ~ कलह (पु० ) 1 कहासुनी 2 झगड़ा, विवाद, चतुर (वि०) बात करने में होशियार या कुशल; चपल बकवादी चातुरी (स्त्री०), चातुर्य
वाङ्मय
में
(पु०) वाणी की चतुरता; छल (पु० ) 1 टाल मटोल की बात, बहाना 2 न्याय शास्त्रानुसार छल के तीन भेदों में से एक; ~तीक्ष्ण (वि०) वाणी का तीखा पटु (वि०) बातचीत चतुर; ~ प्रहार (पु० ) वाणी से चोट करनेवाला; यंत्र (पु० ) बोलने के अवयव संयम (पुर) व्यर्थ की बात न करना: ~ स्वातंत्र्य (पु०) बोलने की आज़ादी वाक्य-सं० (पु०) सार्थक शब्द समूह, जुमला, सेंटेंस (जैसे- दो-चार वाक्य लिखना) । कुशल (वि०) वाक्पटु ~खंड (पु० ) उपवाक्य निपुण (वि०) = वाक्पटु पद्धति (स्त्री०) वाक्य बनाने का नियम; ~मूलक (वि०) वाक्य रचनागत ~ रचना (स्त्री० ) वाक्य बनाना, वक्रता (स्त्री०) वाणी की लाक्षणिकता वाण (पु०) बोली के तीर ~विचार ( पु० ) = वाक्य विन्यागः ~विच्छेद (पु० ) = वाक्य विश्लेषण -विज्ञान (पु० ) वाक्यों की गठन, उनके क्रम आदि का विज्ञान ~विन्यास (पु० ) वाक्य बनाना -विश्लेषण व्याकरण का एक अंग जिसके अंतर्गत वाक्य के शब्दों के प्रकार, भेद, रूप आदि का विवेचन होता है; शक्ति (स्त्री०) वाक् चातुर्य वाक्यांतर्गत संग (वि०) वाक्य के अंदर आया हुआ वाक्यांश - सं० (पु० ) वाक्य का अंश वाक्यार्थ-सं० (पु० ) 1 वाक्य का अर्थ 2 वाक्य प्रमाण के बल पर प्राप्त किया हुआ वाक्य का अभिप्राय वागिंद्रिय सं० (स्त्री०) जिह्वा जीभ वागीश - I सं० ( पु० ) कवि II (वि०) वक्ता वागीशा-संघ (स्त्री०) वाणी, सरस्वती
वागीश्वर - 1 सं० (पु० ) 1 ब्रह्मा 2 कवि II ( वि०) बहुत
अच्छा वक्ता
=
वाग्जाल-सं० (पु० ) घुमाव फिराव की बातें वाग्दंड - सं० (पु० ) झिड़की भर्त्सना वाग्दत्त - सं० (वि०) वचन दिया हुआ
वाग्दत्ता-संग (स्त्री०) वह कन्या जिसकी शादी पक्की हो चुकी हो
वाग्दान - सं० (पु० ) वचन देना
वाग्दोष -सं० (पु० 1 बोलने की त्रुटि 2 व्याकरण संबंधी भूल 3 गाली
वाग्धारा-संघ (स्त्री० ) - वाक्यधारा वाम्बद्ध - सं० (वि०) मौन. चुप वाग्मिता सं (स्त्री०) वाक् चातुर्य
वाग्मी - सं. (पुर) | अच्छा वक्ता 2 विद्वान पंडित वाग्युद्ध - सं० ( पु०) बहुत अधिक कहा सुनी वाग्विदग्ध-सं० (वि०) वाक् चतुर वाग्विदग्ध - I सं० 1 पंडित 2 बात में चतुर वाग्विलास-सं० (पु०) आनंदपूर्वक बातचीत करना वाग्वैचित्र्य-सं० (पु० ) वाणी की विलक्षणता वाणी का
चमत्कार
वाग्वैदग्धय-सं० (पु० ) 1 वाग्विदग्ध होने का भाव 2 चमत्कार
भरा तत्त्व
वाग्वैभव-संग (पु० ) वाणी की शक्ति
वाग्व्यवहार-सं० (पु० ) मुहावरा
वाङ्मय - I सं० (पु० ) साहित्य II (वि०) 1 वचन संबंधी
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वाङ्मुख
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वादन
2 वचन द्वारा किया हुआ (जैसे-वाङ्मय पाप) 3 वाक्यात्मक निशान, मार्केटाइल मार्क; दूत (पु०) दूसरे देश में वाङ्मुख-सं० (पु०) ग्रंथ की भूमिका
रहनेवाला अन्य देश का वाणिज्य संबंधी राजकीय दूत, वाचक-1 सं० (वि०) 1बोलनेवाला 2 बोध करानेवाला कांसल; दूतावास (पु०) वाणिज्य दूत का निवास; पर (जैसे-संबंध वाचक) 3 सुनानेवाला (जैसे-कथा वाचक) II (पु०) व्यापार का मार्ग; प्रधान (वि०) जिसमें व्यापार की (पु०) नाम, संज्ञा । ~ता (स्त्री०) वाचक होने का भाव प्रमुखता हो; ~वाद (पु०) ऐसा मत जिसमें जनसाधारण की वाचन-सं० (पु०) 1 पढ़ना, पठन (जैसे-कथा वाचन) अपेक्षा व्यापारियों का विशेष ध्यान रखा जाता था; विभाग 2 कहना, बताना 3 प्रतिपादन
(पु०) वाणिज्य संबंधी कार्यालय; ~व्यवसाय (१०) वाचनक-सं० (पु०) पहेली
व्यापार और उद्योग वाचना-सं० (स्त्री०) 1 पाठ 2 पाठ का अंश 3 अध्याय वाणिज्यिक-सं० (वि०) वाणिज्य संबंधी वाचनाभिरुचि-सं० (स्त्री०) पढ़ने की अभिरुचि
वाणी-सं० (स्त्री०) 1 वचन, बात 2 जीभ, रसना 3 बातचीत वाचनालय-सं० (पु०) सार्वजनिक पुस्तकालय
करने की शक्ति। -दोष (प.) बोलने में कोई ऐब वाचस्पति-सं० (पु०) बहुत बड़ा विद्वान्
वात-सं० (पु०) हवा, वायु। चक्र (पु०) बवंडर, चक्रवात; वाचा-1 सं० (स्त्री०) 1 वाणी 2 शपथ II (अ०) वचन से। ~मार्ग (पु०) वायुपथ, आकाश; रोग (पु०) वायु का
पत्र (पु०) प्रतिज्ञा पत्र; बंध (पु०) वचनबद्ध प्रकोप; ~हत (वि०) 1 वाय् रोग से पीड़ित 2 उन्माद ग्रस्त; वाचाघात-सं० (पु०) वाग्लोप, अफ़जिया
हीन (वि०) बिना हवा का, निर्वात . वाचाल-सं० (वि०) 1 वाकपटु 2 बकवादी 3 उदंडतापूर्वक वातानुकूलन-सं० (पु०) हवा के तापमान को अनुकूल बनाना बोलनेवाला
वातानुकूलित-सं० (वि०) वातानुकूल बनाया गया वाचिक-[सं० (वि०) 1 वाणी सम्बन्धी 2 मुँह से कहा हआ वातायन-सं० (पु०) झरोखा, खिड़की। व्यवस्था (स्त्री०) II (पु०) संदेश रूप में कही गयी बात
हवा के आने जाने की प्रणाली वाची-सं० (वि.) 1 वाचा संबंधी 2 वाचा के रूप में होनेवाला वातालि, वाताली-सं० (स्त्री०) आँधी, तृफान 3 बोध करानेवाला 4 वाचन करनेवाला
वातावरण-सं० (पु०) 1 पृथ्वी के चारों ओर की वायु वाच्य-1 सं० (वि०) 1 वाचन के योग्य 2 जिसका अभिधा 2 परिस्थिति (जैसे-घर का वातावरण अच्छा है)
शक्ति द्वारा बोध हो, अभिधेय 3 निंदनीय, बुरा II (पु०) | वातावरणिक-सं० (वि०) 1 वातावरण संबंधी 2 वातावरण वाच्यार्थ
का वाच्यार्थ-सं० (पु०) वाचक शब्द का अर्थ, मुख्यार्थ वाताहत-सं० (वि.) वायुकंपित वाज-सं० (पु०) 1 घी, घृत 2 यज्ञ
वातीय-सं० (वि०) वायु संबंधी वाजपेयी-सं० (पु०) कान्यकुब्ज ब्राह्मणों के एक प्रतिष्ठित वर्ग वातुल-I सं० (वि०) 1 बात संबंधी 2 वात के प्रकोप से की उपाधि
होनेवाला II (पु०) बावला, पागल वाजिब-अ० (वि०) 1 उचित 2 संगत
वातोन्माद-सं० (पु०) अपतंत्रक नामक रोग वाजिबी-अ० • फ़ा० (वि.) उचित, ठीक, मनासिब वात्य-सं० (वि०) भार वाजिशाला-सं० (स्त्री०) घुड़साल
वात्या-सं० (स्त्री०) प्रचंड वाय, बहुत तेज़ हवा।' चक्र वाजी-सं० (पु०) घोड़ा। ~करण (पु०) औषध द्वारा (पु०) बवंडर कामोद्दीपन
वात्सरिक-[सं० (पू.) ज्योतिषी II (वि०) । वर्ष संबंधी वाजूं-अ० (वि०) उल्टा, अधोमुख
2 वार्षिक वाट-1 सं० (पु०) रास्ता, मार्ग
वात्सल्य-सं० (पु०) प्रेम, स्नेह (जैसे-पुत्र वात्सल्य) वाट-II अं० (पु०) बिजली के चालन शक्ति की इकाई वाद-सं० (पु०) 1 कहना, बोलना 2 कथन, उक्ति 3 दलील वाटक-सं० (पुल) उद्यान, बाग़ उपवन
4 तर्क वितर्क 5 अफवाह, किंवदंती 6 मकदमा, अभियोग वाटर-अं० (पु०) जल, पानी। कलर (५०) 1 पानी और 7 व्यवस्थित मत या सिद्धांत (जैप-प्रगतिवाद, प्रकृतिवाद)। गोंद के मिश्रण से बना रंग 2 इस रंग से बना चित्र, प्रफ़ -~ग्रस्त (वि०) वाद में फंसा हुआ, अनिश्चित, अनिर्णित: (वि०) जिसपर पानी का अमर न हो (जैसे-वाटर प्रफ़ कोट, --पत्र (पु०) दावानामा, इस्तगामा: पद (पु०) वाटर प्रफ सिमंट): मार्क (प.) पानी की मतह, गहराई विवादास्पद और विचारणीय तथ्य, तनकीहः प्रतिवाद का मुचक चिह्न, जल चिर या जलांक नोटों आदि पर लगाया (पु०) 1 उत्तर प्रत्युनर बहस 2 कथोपकथनः मूल (पु०) जानेवाला चिह्न
मूल कारणः विवाद (१०) झगड़ा. बहमः विषय वाटिका-सं० (स्त्री०) बगीचा
(पु०) नालिश का प्रसंग; -व्यय (प०) नालिश का खर्च वाड़वाग्नि-सं० (स्त्री०) । समद्र के अंदर की आग 2 समुद्री -साधन (१०) तर्क का प्रमाणः स्थगन ( पृ०) नालिश आग
का टालना वाइवानल-सं० (१०) समद्र में लगी आग
वादक-सं० (वि०) 1 बोलनेवाला 2 वाद विवाद करनेवाला वाण-सं० (१०) दे० बा। मुख (१०) बाण की नाक | 3 बजानेवाला (जैसे-वीणा वादक, सितार वादक) 3 वादक वाणिज्य-सं० (प.) व्यापार। अभिकर्ता (प.) व्यापारी वादन-सं० (पु०) 1कहना 2 बाजा बजाना (जैसे-सितार
-चिह्न (१०) व्यापारिव. मा.) पर अंकित पार्थक्य सचक्र | वादन) 3 वादक
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बादरायण
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वार
बादरायण-सं० (पु०) व्यासदेव, वेदव्यास
वायवीय-सं० (वि०) 1 वायु संबंधी 2 वायु द्वारा परिचालित वादा-अ० (पु०) वचन, प्रतिज्ञा, इकरार (जैसे-वादा का | वायव्य-I सं० (वि०) 1 वायु से संबंध रखनेवाला 2 वायु पक्का, वादा करना); खिलाफ़ी + फ़ा० (स्त्री०) वचन संबंधी II (पु०) पश्चिमी और उत्तर दिशाओं के बीच का भंग
कोण वादानुवाद-सं० (पु०) वाद प्रतिवाद
वायस-सं० (पु०) कौआ बादाम-(पु०) बादाम
वायु-सं० (स्त्री०) हवा । ~अनुकूलन (पु०) वातानुकूलन; वादित-सं० (वि०) बजाया हुआ
~अनुकूलित (वि०) वातानुकूलित; ~कोण (पु०) = प्रादित्र-सं० (पु०) बाजा
वायव्य; ~गति सूचक (पु०) = वायू वेग मापी; शादी-I सं० (वि०) वक्ता II (पु०) फरियादी, मुद्दई -छिद्र (पु०) समुद्रतट की चट्टानों में कहीं कहीं पाए पाध-सं० (पु०) 1 बाजा बजाना 2 बाजा। ~कार (पु०) जानेवाले छेद, ब्लो होल; दाब + हिं० (पु०) हवा का बाजा बजानेवाला; ~मंडली (स्त्री०), ल्वंद (पु०) बाजा दबाव; ~दाब मापी + हिं० + सं० (पु०) वायु के दाब को बजानेवालों का समूह; संगीत (पु०) केवल बाजे से उत्पन्न नापने का एक यंत्र; दुर्घटना (स्त्री०) वायुयान की दुर्घटना; ध्वनि
नली (स्त्री०) श्वास नली; ~पथ (पु०) वायु मार्ग वान-अं० (पु०) गाड़ी
(जैसे-वायु पथ गमन); ~परिवहन (पु०) वायु मार्ग से वानप्रस्थ-सं० (पु०) 1 भारतीय आर्यों के चार जीवन विभागों यात्रा करना; ~पोत (पु०) हवाई जहाज़; ~प्रतिरोधक में से तीसरा 2 संन्यासी
(वि०) = वायुबंद; ~भार (पु०) = वायुदाब; ~भार वानप्रस्थाश्रम-सं० (पु०) भारतीय आर्यों के जीवन यापन के मापक (पु०) = वायु दाब मापी; ~मंडल (पु०) चार आश्रमों में एक
1 आकाश 2 वातावरण; ~मंडलीय (वि०) वायु मंडल वानप्रस्थाश्रमी-सं० (वि०) वानप्रस्थ धारण करनेवाला का; ~मापी (पु०) वायु की शुद्धि और उसमें व्याप्त वानप्रस्थी-सं० (वि०) वानप्रस्थ के योग्य, विरक्त, सर्वत्यागी आक्सीज़न की माप बतलानेवाला यंत्र; ~मार्ग (पु०) = वानप्रस्थय-सं० (पु०) वानप्रस्थ की अवस्था
वायु पथ; यात्रा (स्त्री०) हवाई जहाज़ से की जानेवाली वानर-सं० (पु०) बंदर
यात्रा; ~यान (पु०) हवाई जहाज़; ~यान चालक (पु.) वानरी-सं० (वि०) वानर संबंधी
वायुयान चलानेवाला; ~यान तोड़क - हिं० (वि०) = वायु वानस्पतिक-सं० (वि०) 1 वनस्पति का 2 वनस्पति द्वारा | यान घातक; ~यान निर्माण (पु०) वायुयान बनाना; होनेवाला
ज्यान मारक (वि०) = वायुयान घातक; ~यान मार्ग वानस्पत्य-[सं० (वि०) वृक्ष संबंधी 2 वृक्ष से प्राप्त होनेवाला (पु०) =वायु पथ; वान वाहक (वि०) वायुयानों को ले II (पु०) 1 पौधा 2 फल फूल देनेवाला वृक्ष 3 वृक्षों का जानेवाला; ~यान वेधी (वि०) - वायु यान घातक; समूह
~रहित (वि०) = वायु शून्य; ~रोधी (वि०) हवा को वानिकी सं० (स्त्री०) पेड़ पौधों तथा वनों आदि की जानकारी रोकनेवाला; ~वेग (पु०) हवा का ज़ोर; ~वेग मापी देनेवाला विज्ञान, फॉरिस्ट्री
(पु०) वायु वेग मापने का एक यंत्र; ~शून्य (वि०) वापस-अ० (वि०) 1 लौटा हुआ 2 फेरा हुआ
वायुहीन, निर्वात; ~संचार (पु०) हवा का आना जाना; वापसी-I फ़ा० + हिं० (वि०) 1 लौटाया हुआ 2 वापस से सेना (स्त्री०) वायुयान से गोला फेकनेवाली सेना; संबंधित (जैसे-वापसी टिकट) II (स्त्री०) वापस करने का सेनाध्यक्ष (पु०) वायु सेना का सर्वोच्च अधिकारी;
~सैनिक (वि०) वायु सेना से संबंधित; ~स्तंभ (पु०) वापिस-फ़ा० (वि०) = वापस
हवा का रुक जाना; ~स्नान (पु०) नग्न बदन हवा में टहलना वापी-सं० (स्त्री०) 1 बावली 2 तालाब
या रहना वाम-सं० (वि०) 1 बायाँ 2 विरुद्ध। ~ता (स्त्री०) वायोलिन-अं० (स्त्री०) .एक प्रकार का अंग्रेज़ी बाजा; प्रतिकूलता, विपरीतता; ~पंथी + हिं०, ~पक्ष (पु०) ~मंडली + सं० (स्त्री०) वायोलिन बजानेवालों का समूह विपक्ष; ~पक्षी (वि०) विपक्षी; ~मार्ग (पु०) वेद विरुद्ध | वारंट-अं० (पु०) विशेष आज्ञा पत्र। -अफ़सर (पु०) तंत्रमत
वारंट देने का अधिकारी; गिरफ़्तारी + फ़ा० (पु०) वामत-सं० (क्रि० वि०) बाईं ओर, बाईं तरफ़
गिरफ़्तार करने के लिए दिया गया अधिकार पत्र; तलाशी वामन-सं० (वि०) 1 ठिंगना 2 नाटा, बौना, खर्ब
(पु०) तलाशी लेने हेतु दिया गया अधिकार पत्र; रिहाई वामांगिनी, वामांगी-सं० (स्त्री०) पत्नी, भार्या
+ फ़ा० (पु०) मुक्त करने हेतु दिया गया अधिकार पत्र वामाँदा-फा० (वि०) 1 पीछे छूटा हुआ 2 बचा हुआ | वारंवार-(अ०) बार बार, बारंबार। ता + सं० (स्त्री०) 3 लाचार, विवश
गिनती में अनेक बार होना वामा सं० (स्त्री०) 1 स्त्री 2 मनोहारिणी स्त्री
वार-I (पु०) आघात, प्रहार (जैसे-शत्रु पर वार करना, वार वायदा-अ० (पु०) वादा, वचन
बचाना) वायरलेस-अं० (पु०) बेतार का तार
वार-II सं० (पु०) 1नियत काल या समय, बार, अवसर वायविक-सं० (वि०) - वायवीय
(जैसे-इस वार तुम्हारा काम होगा) 2 कालावधिक सूचक वायवी-सं० (वि०) वायव्य
शब्द (जैसे-सोमवार, मंगलवार)
पाथ
भाव
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वारक
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वासिलात
वारक-सं० (वि०) 1मना करनेवाला 2 रुकावट वालिद-अ० (पु०) पिता, बाप डालनेवाला
वालिदा-अ० (स्त्री०) माता, माँ वारण-सं० (पु०) 1निवारण 2 प्रतिरोध 3 निषेध 4 प्रतिरोष वालिदैन-अ० (पु०) माँ-बाप, माता-पिता का साधन
वालीबाल-अंक (पु०) 1ऊँचे जाल के आर पार बड़े गेंद से वारणिक-सं० (वि०) वारण संबंधी
हाथ द्वारा खेला जानेवाला एक खेल 2 इस खेल का गेंद वारदात-अ० (स्त्री०) 1 घटना 2 दुर्घटना
वालुका-सं० (स्त्री०) 1 वृक्ष की शाखा, डाल 2 बालू वारना-I (स० क्रि०) निछावर करना II (पु०) निछावर
वाल्मीकि सं० (पु०) संस्कृत भाषा के आदि कवि तथा वारनिश-अं० (स्त्री०) वार्निश
रामायण के रचयिता वार पार-I (पु०) 1 इस पार और उस पार के दोनों किनारे
वाल्मीकीय-[ सं वाल्मीकि संबंधी II (स्त्री०) वाल्मीकि की 2 समूचा विस्तार II (अ०) इस किनारे से उस किनारे
बनाई गई रचना आदि तक
वाल्व-अं० (पु०) कपाट वार फेर-(स्त्री०) निछावर, बलि
वाक्दक-सं० (पु०) 1 अच्छा बोलनेवाला, वक्ता 2 बकवादी वारयिता-सं० (पु०) पति
वावैला-अ० (पु०) 1 रोना पीटना, विलाप 2 शोर गुल, हो वारवधू-सं० (स्त्री०) वेश्या, रंडी
हल्ला वारांगना-सं० (स्त्री०) रंडी, वेश्या
वाशक-सं० (वि०) 1 चिल्लानेवाला 2 रोनेवाला वारा-I (पु०) 1 बचत, किफ़ायत 2 लाभ 3 नदी आदि का वाशन-सं० (पु०) 1 पक्षियों का बोलना 2 मक्खियों का इधर का किनारा II (वि०) 1 सस्ता 2 निछावर किया गया। भिनभिनाना 3चिल्लाना
ज्यारा (पु०) निपटार, फैसला; ~पार (पु०) = वार वाष्य-सं० (पु०) भाप (जैसे-जल वाष्प, वाष्प इंजन)। पार; -फेरा (पु०) = वार फेर; पड़ना, बैठना बचत
चालित + हिं० (वि०) वाष्प से चलनेवाला; दाब - होना; होना निछावर होना
हिं० (पु०) भाप का दबाव; ~पुंज (पु०) वाष्प का समूह, वाराह-सं० (पु०) = वराह
वाष्प राशि; ~यंत्र (पु०) वाष्प द्वारा चालित यंत्र; ल्यान वारि-सं० (पु०) पानी, जल
(पु०) वाष्प से चलनेवाला यंत्र; ~शील (वि०) वाय वारित-सं० (वि०) मना किया हुआ
बननेवाला (जैसे-वाष्पशील द्रव) . वारिद-अ० (वि०) सामने आया हुआ, उपस्थित
वाष्पन-सं० (पु०) = वाष्पीकरण वारिदात-अ० (स्त्री०) = वारदात
वाष्पायन-सं० (पु०) वाष्प रूप में आना वारियाँ-I (स्त्री०) निछावर, बलि
वाष्पीकरण-सं० (पु०) वाष्प में बदलना (जैसे-द्रव का वारिस-अ० (पु०) उत्तराधिकारी, स्वत्वाधिकारी
वाष्पीकरण) वारिसी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) = 1 विरासत 2 वारिस होने का
वाष्पीय-सं० (वि०) वाष्प होने योग्य
वासंतिक-सं० (वि०) 1 वंसत संबंधी 2 वसंत ऋतु में वारी फेरी-(स्त्री०) = वार फेर
होनेवाला वारुणी-सं० (स्त्री०) शराब, मदिरा
वास-सं० (पु०) 1 निवास (जैसे-कल्पवास, कारावास, वार्ड-अं० (पु०) 1हिफ़ाज़त 2 रक्षा 3 घेरा हुआ स्थान
स्वर्गवास) 2 घर, मकान 3 गंध। गृह (पु०) = वास 4 अलग विभाग (जैसे-जेंटस वार्ड)। वाय (पु०)
भवन; त्याग (पु०) घर त्याग देना, घर छोड़ना; भवन (अस्पताल में) वार्ड का बैरा
(पु०) 1 अंतः पुर 2 शयनागार 3 रहने का घर; योग्य वार्डन-अं० (पु०) 1 रक्षक 2 अभिभावक 3 अधीक्षक
(वि०) निवास करने लायक -स्थान, (१०) निवास स्थान वार्डर-अं० (पु०) पहरेदार (जैसे-जेल का वार्डर)
आवास वार्ता-सं० (स्त्री०) 1 बातचीत 2 विषय बोध करानेवाला
वासक-सं० (वि०) सवासित करनेवाला कथन। ~कार (पु०) बातचीत करनेवाला
वासन-सं० (पु०) 1निवास करना, बसना 2 कपड़ा, वस वार्तालाप-सं० (पु०) कथोपकथन
वासना-सं० (स्त्री०) 1 कामना, इच्छा (जैसे-मन की वासना वार्तिक-[ सं० (पु०) 1 किसान 2 व्यवसायी 3 दूत ||
2 भावना (जैसे-काम वासना) 3 अज्ञान (जैसे-वासना व (वि०) 1 वार्ता संबंधी 2 व्याख्यात्मक। ~कार (पु०)
तिरोहित होना) कात्यायन
वासनात्मक, वासनामय-सं० (वि०) वासना से संबद्ध वार्द्धक्य-सं० (पु०) वृद्धावस्था
वासनोत्तेजक-सं० (वि०) वासना को उभारनेवाल वार्निश-अं० (स्त्री०) एक चमकदार द्रव
(जैसे-वासनोत्तेजक द्रव्य का सेवन) वार्षिक-[सं० (वि.) 1 प्रति वर्ष होनेवाला 2 एक वर्ष तक |
वासर-सं० (पु०) दिन, दिवस चलता रहनेवाला II (अ०) प्रति वर्ष के हिसाब से वासित-सं० (वि०) 1 सुगंध युक्त (जैसे-सुवासित कक्ष): वार्षिकी-सं० (स्त्री०) 1 प्रति वर्ष दी जानेवाली वृत्ति, अनुदान
ठहराया हुआ 2 प्रतिवर्ष होनेवाला प्रकाशन 3 बरसी
वासिल-अ० (वि०) 1 संयोग हुआ 2 प्राप्त। यात वार्षिकोत्सव-सं० (पु०) साल में होनेवाला उत्सव
(स्त्री०) प्राप्त और बची रकम वालंटियर-अं० (पु०) स्वयं सेवक
| वासिलात-अ० (पु०) प्राप्त रकम
भाव
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वासी
वासी-I सं० (वि०) रहनेवाला, बसनेवाला II (स्त्री०) तक्षणी, बसूला
वासुदेव - सं० (पु० ) 1 वसुदेव के पुत्र श्री कृष्ण 2 पीपल का पेड़
वासोख़त - फ़ा० (पु० ) 1 मानसिक संताप 2 मुसद्दस रूप में लिखित काव्य
741
वास्कट -अं० (स्त्री०) बिना आस्तीन की कुरती वास्तव सं० (वि०) यथार्थ, सत्य । -वाद (पु० ) यथार्थवाद वादी (वि०) यथार्थवादी वास्तविक सं० (वि०) वास्तव में होनेवाला । ~ता (स्त्री०) वास्तविक होने का भाव -ता-वादी (वि०) वास्तववादी वास्तव्य - I सं० 1 निवास करने योग्य 2 रहनेवाला 3 आबाद II (पु० ) वस्ती
वास्ता - अ० (पु० ) 1 संबंध, लगाव (जैसे-प्रेम का वास्ता ) 2 नाता 3 ज़रिया 4 काम
कर्म
वास्तु सं० ( पु० ) 1 इमारत बनाने योग्य स्थान 2 इमारत, मकान। ~ अलंकार ( पु० ) इमारत की सजावट; ( पु० ) इमारत बनाने का काम कर्मकार, कर्मज्ञ (पु० ) = वास्तुकार ; कला (स्त्री०) इमारत, मकान आदि बनावे की कला, अर्किटेक्चर, कला विशारद, ( पु० ) इमारत महल आदि बनानेवाला कारीगर (स्त्री०) वास्तुदेव की पूजा; विज्ञान (पु० ), (स्त्री०), शास्त्र, शिल्प (पु० ) ~ शिल्पी (पु० ) = वास्तुकार; ~सामग्री (स्त्री०) मकान बनाने का सामान
वास्तुकला;
वास्ते - अ० 1 लिए, निमित्त (जैसे- मेरे वास्ते किताब लाना)
-कार
पूजा
विद्या
2 हेतु, सबब (जैसे- प्यार के वास्ते सब कुछ सहना) वाह-फ़ा० (अ०) 1 प्रशंसा सूचक शब्द, धन्य (जैसे- अरे वाह! तुम पास हो गए) 2 आश्चर्य, घृणा आदि का सूचक शब्द (जैसे- वाह ! यह कैसी ज़िद्द) । ~वाह (अ०) धन्य धन्य; ~वाही (स्त्री० ) वाह वाह होना, साधुवाद (जैसे- वाहवाही लूटना, वाहवाही लेना)
वाहक - I सं० (वि०) ढोकर ले जानेवाला II (पु० ) 1 कुली 2 सारथि
विकांक्ष
का चिह्न 4 शून्य का चिह्न, सिफ़र 5 ज्या० अविभाज्य स्थिति, केंद्र (जैसे- वृत्त का मध्य बिंदु) 6 अत्यंत छोटा टुकड़ा,. कण, कनी II (वि०) 1 ज्ञाता, जानकार (जैसे- भाग्य बिंदु, मर्म विंदु) 2 जानने योग्य। रेख (पु०), रेखा (स्त्री०) विंदुओं के मिलाने से बनी रेखा (जैसे- विंदु रेखा चित्र ) विंश - I सं० (वि०) बीसवाँ II ( पु० ) बीसवाँ भाग विंशति - I सं० (स्त्री०) 1 बीस की संख्या 2 बीस की संख्या का सूचक अंक II (वि०) दस का दूना विकंपन-सं० (पु०) 1 काँपना 2 गति, चाल विकंपित सं० (वि०) काँपता हुआ, अस्थिर विकच -सं० (वि०) 1 विकसित 2 केशहीन विकट-सं० (वि०) 1 भयंकर भयानक 2 भद्दा, भोंडा (जैसे - विकट रूप) 3 दुर्गम (जैसे-विकट स्थिति 4 दुस्साध्य 5 कठिन, मुश्किल 6 टेढ़ा, वक्र (जैसे विकट मार्ग ) विकटाकार-सं० (वि०) भीषण रूपवाला
विकरण - 1 सं० ( पु०) व्या० धातु और प्रत्यय के मध्य होनेवाला वर्णागम II ( वि० ) इंद्रियों से रहित विकराल -सं० (वि०) = विकट
वाहन सं० ( पु० ) 1 ढोना 2 सवारी
वाहित - सं० (वि०) 1 ढोया हुआ 2 चालित 3 प्रवाहित वाहिनी -सं० (स्त्री०) 1 सेना, फ़ौज 2 नली (जैसे-रक्त वाहिनी) 3 नदी
वाहिनीय - सं० (वि०) शरीर के अंदर की वाहिनियों से संबंध रखनेवाला
वाहियात - अ० (वि०) 1 व्यर्थ, निरर्थक 2 अश्लील, बेहूदी (जैसे - वाहियात फ़िल्म) 3 निक्कमा, तुच्छ (जैसे- वाहियात आदमी)
विकर्ण - I सं० (पु० ) (ज्या०) बहुभुज के असंलग्न शीर्ष विंदुओं को मिलानेवाली रेखा, डायगनल II (वि०) बिना
कान का
विकर्म -सं० (पु० ) 1 दूषित कर्म 2 विविध कर्म विकर्षक सं० (वि०) परे हटानेवाला विकर्षण-सं० (पु० ) दूर हटाना
विकल - सं० (वि०) 1 व्याकुल, परेशान 2 असमर्थ 3 प्रभाव, शक्ति आदि से रहित 4 क्षोभ, भय आदि से युक्त विकलन-सं० (पु०) मद में किसी के नाम रक़म लिखना, डेबिट
विकलांग-सं० (वि०) 1 अंग से हीन 2 बेकाम अंगवाला विकलाना - I (अ० क्रि०) व्याकुल होना, घबराना II (स० क्रि०) परेशान करना
विकलित-सं० (वि०) 1 विकल किया हुआ 2 विकल 3 पीड़ित
विकल्प - सं० (पु० ) 1 विभिन्नता 2 उपाय (जैसे- समस्या का अब कुछ भी विकल्प नहीं है) 3 भेदयुक्त ज्ञान 4 अनिश्चय, संदेह (जैसे-विकल्प अवस्था ) 5 भूल, त्रुटि 6 अज्ञान (जैसे - विकल्प से परे रहना) 7 वक्तव्य, कथन 8 धारणा 9 चिंतन 10 भ्रम, धोखा
विकल्पन-सं० (पु० ) 1 विकल्प करना 2 संदेह करना विकल्पात्मक-सं० (वि०) जिसमें विकल्प हो विकल्पित-सं० (वि०) अनिश्चित और संदिग्ध 2 अनियमित विकसन -सं० (पु० ) 1 विकास करना 2 फूलों आदि का खिलना
विकसना - (अ० क्रि०) 1 विकसित होना 2 फूल आदि का खिलना
वाही - अ० (वि०) 1 निक्कमा 2 सुस्त, ढीला 3 अश्लील, गंदा और भद्दा 4 आवारा 5 बेवकूफ़, मूर्ख 6 बेहूदा । तबाही + फ़ा० (वि० ) निरर्थक, बेहूदा
विंग - अं० (पु० ) 1 कक्ष, खंड 2 सेना का स्कंध । कमांडर (पु० ) सेना का स्कंधाध्यक्ष
बिंदु - I सं० (पु० ) 1 तरल पदार्थ का कण, बूँद (जैसे-जल बिंदु, प्रस्वेद विंदु) 2 छोटा गोलाकार चिह्न, बिंदी 3 अनुस्वार | विकांक्ष-सं० (वि०) निष्काम, इच्छा रहित
विकसाना - (स० क्रि०) 1 विकास रूप में लाना 2 खिलाना विकसित-सं० (वि०) 1 विकास हुआ 2 खिला हुआ (जैसे विकसित कुसुम कली) 3 प्रसन्न (जैसे-विकसित मुखमंडल)
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विकांक्षा
742
विक्लव विकांक्षा-सं० (स्त्री०) इच्छा का अभाव
| विकृति-सं० (स्त्री०) 1 विकृत होने का भाव 2 खराबी, विकार विकार-सं० (पु०) 1 रूप, धर्म आदि का स्वाभाविक परिवर्तन 3 विकार के उपरांत प्राप्त रूप 4 क्षोभ 5 काम वासना
2 परिवर्तन 3 भावना 4 वासना (जैसे-काम विकार) 5 क्षोभ । 6 शत्रुता, वैर (जैसे-विकृति भाव)। ~करण (पु०) (जैसे-मानसिक विकार) 6 विकृत होना (जैसे-शारीरिक विद्रूपण; विज्ञान (पु०) रोग विज्ञान, पैथालोजी; करण विकार) 7 विचारों में होनेवाला परिवर्तन 8 मल 9 रोग __(पु०) विकृति करना
(जैसे-विकार ग्रस्त)। प्रस्त (वि०) विकार से पीड़ित | विकृष्ट-सं० (वि०) 1 खींचा हआ 2 फैलाया हुआ विकारमय-सं० (वि०) विकार से युक्त
विकेंद्रित-सं० (वि०) फैलाया हुआ, केंद्र से हटाया हुआ विकारित-सं० (वि०) 1 ख़राब किया हआ 2 परिवर्तित विकेंद्रीकरण-सं० (पु.) केंद्र में हटाना विकारी-सं० (वि०) 1 विकारवाला 2 परिवर्तन युक्त विकेंद्रीकृत-सं० (वि०) = विकेंद्रित (जैसे-विकारी और अविकारी शब्द)
विकेंद्रीयकरण-सं० (पु०) = विकेंद्रीकरण विकार्य-सं० (वि०) परिवर्तनशील
विकेट-अं० (पु०) 1 क्रिकेट के खेल में गल्लियाँ रखने के डंडे विकाल-सं० (पु०) 1 दिनांत, संध्या 2 अतिकाल 3 उपयुक्त 2 बल्लेबाज़ (जैसे-अभी तीन विकेट गिरे हैं) 3 दोंनों ओर के समय के बाद का समय
विकेटों के बीच की जगह (जैसे-विकेट पर दौड़ना)। विकाश-सं० (पु०) 1 प्रकाश, रोशनी 2 फैलाव, विस्तार -कीपर (पु०) विकेट के पीछे खड़ा होनेवाला खिलाड़ी, 3 बढ़ती, वृद्धि
~डोर (पु०) चक्कदार फाटक विकाशन-सं० (पु०) विकाश करना
विक्टोरिया-[अं० (स्त्री०) फिटन से मिलती जुलती एक प्रकार विकास-(पु०) 1 व्यक्त करना 2 खिलना 3 खलना 4 बढ़ते ___ की घोड़ा गाड़ी 2 ब्रिटेन की विख्यात रानी II (प०) एक छोटा बढ़ते पूरा रूप धारण करना (जैसे-शरीर का विकास, पेड़ पौधों का विकास)। कारी (वि०) विकास करनेवाला; | विक्रम-I सं० (पु०) 1 वीरता 2 शक्ति 3 वश में करना
-कार्य (३०) विकास संबंधी काम; ~क्रम (पु०) 4 बल, पौरुष 5 बिना क्रम या प्रणाली का वेदपाठ II (वि०) विकास होने का क्रम; परक (वि०) = विकासमान; 1 बिना क्रम का 2 उत्तम, श्रेष्ठ । ~संवत् (पु०) विक्रमादित्य
~मूलक (वि०) विकास पर आधारित; ~वाद (पु०) के नाम से चलाया हुआ संवत् डार्विन द्वारा प्रतिपादित एक सिद्धांत जिसमें प्रणियों का प्रादुर्भाव विक्रमण-सं० (पु०) 1 चलना 2 साहसपूर्वक आगे बढ़ना एक ही मूल तत्व से हुआ माना जाता है; ~वादी I (पु०) 3 डग भरना, क़दम बढ़ाना विकास वाद का अनुयायी II (वि०) विकासवाद से संबंधित; विक्रमाजीत-(पू०), विक्रमादित्य- (पु०) उज्जयिनी के ~शील (वि०) = विकासमान्
प्रसिद्ध प्रतापी राजा विकासमान-सं० (वि०) विकास करता हुआ
विक्रमाब्द-सं० (पु०) विक्रम संवत् विकासात्मक-सं० (वि०) विकास वाला
विक्रमी-I सं० (पु०) पराक्रमी II (वि०) 1 विक्रम संबंधी, विकासार्थ-सं० (वि०) विकास करनेवाला
विक्रम का 2 विक्रमाब्द संबंधी विकिरक-1 सं० (पु०) ताप, भाप प्रकाश आदि बिखेरनेवाला विक्रय-सं० (पु०) दाम लेकर चीज़ देना, बेचना (जैसे-क्रय यंत्र II (वि०) विकीर्ण करनेवाला
विक्रय)। कर (पु०) बिक्रीकर, सेल टैक्स; ~कर्ता विकिरण, विकिरणन-सं० (पु०) 1 फैलाना, छितराना, (पु०) विक्रेता; कला (स्त्री०), चातुर्य (पु०) बेचने किरणों का एकत्रीकरण। ~कारी (वि०) फैलानेवाला, का ढंग; ~धन (पु०) बेचने का सामान; पत्र (पु०) छितरानेवाला; -चिकित्सक (पु०) किरणों द्वारा चिकित्सा 1 विक्रय की रसीद 2 बैनामा; ~भंडार (प्०) बिक्री के लिए करनेवाला; चिकित्सा (स्त्री०) किरणों द्वारा की जानेवाली रखा माल गोदाम; ~मूल्य (पु०) बेचने की कीमत; लेख चिकित्सा; ~ता (स्त्री०) विकिरण होने की अवस्था (पु०) = विक्रय पत्र; ~शील (वि०) बेचा जानेवाला
~मापी (पु०) किरणों को नापने का एक यंत्र; मिति विक्रयक-सं० (पु.) = विक्रेता (स्त्री०) किरणों को नापना; विज्ञान (पु०) किरणों से विक्रयण-सं० (पु०) बेचना
संबंधित विद्या; ~शील (वि०) फैलता हुआ, फैलनेवाला विक्रयागार-सं० (पु०) = विक्रय भंडार विकीर्ण-सं० (वि०) 1 फैलाया हुआ, छितराया हुआ 2 भरा विक्रयार्थ-सं० (वि०) बिक्री के लिए हुआ 3 मशहूर, प्रसिद्ध
विक्रयिक-सं० (पु०) = विक्रेता विकीर्णक-सं० (पु०) फैलानेवाला
विक्रयी-सं० (पु०) बेचनेवाला विकीर्णन-सं० (पु०) फैलाना
विक्रांत-[ सं० (वि०) 1 प्रतापी 2 तेजस्वी 3 वीर II (पु०) विकुंचन-सं० (पु०) मुड़ना, सिकुड़ना
1 बहादुर, वीर 2 शेर 3 साहस, हिम्मत विकुंठ-सं० (वि०) 1 तेज़ और नुकीला 2 अत्यधिक भुथरा विक्रिया-सं० (स्त्री०) 1 विकार 2 प्रतिक्रिया विकृत-सं० (वि.) 1 बेडौल 2 अप्राकृतिक (जैरो-विकृत विक्रीत-सं० (वि०) बेचा हुआ रूप) 3 असाधारण 4 अपूर्ण, अधूरा 5 विकार युक्त 6 कुरूप विक्रेता-सं० (पु०) विक्रय करनेवाला 7 बीभत्स। -चित्त (वि०) विकार युक्त मनवाला; दृष्टि विक्रेय-सं० (वि०) बिकाऊ (वि०) बुरी दृष्टि वाला; ~रूप (पु०) बिगड़ा हुआ रूप, | विक्लव-सं० (वि०) 1 विकल 2 क्षब्ध 3 भयभीत 4 दुःखी, भद्दा चेहरा (जैसे-विकृत रूपवाला)
संतप्त
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विक्षत
743
विचार
विक्षत-सं० (वि०) 1 घायल, जख्मी 2 खराश से युक्त 4बाधा 5 अंतर्ध्वस 6 नाश 6 हत्या विक्षिप्त-सं० (वि०) 1 पागल, सिड़ी 2 परेशान
विघातक-सं० (वि०) विघात करनेवाला विक्षिप्तालय-सं० (पु०) पागलखाना
विधातन-सं० (पु.) 1 विधात करना 2 हत्या करना विक्षिप्तावस्था-सं० (स्त्री०) पागलपन
विघूर्णन-सं० (पु०) 1 इधर से उधर घूमना 2 चारों ओर घूमना विक्षिप्ति-सं० (स्त्री०) विक्षिप्त होने का भाव
विघोषण-सं० (पु०) ऊँची आवाज़ में कहना, चिल्लाना विक्षुब्ध-सं० (वि०) क्षोभ से भरा हुआ
विघोषित-सं० (वि०) चिल्लाया हुआ विक्षेप, विक्षेपण-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 झटका देना | विन-सं० (पु.) 1 बाधा, अड़चन 2 विरोध। कारी विक्षोभ-सं० (पु०) 1 उद्विग्रता 2 मन का आवेग 3 आतंक, (वि०) विघ्न डालनेवाला; नाशक (वि०) विघ्नों को डर 4 उथल पुथल। ~कारक (वि०) विक्षोभ उत्पन्न नाश करनेवाला करनेवाला
विनक-सं० (वि०) विघ्नकारी विक्षोभी-सं० (वि०) विक्षोभकारी, क्षोभकारी
विनित -सं० (वि०) 1वाधित 2 विघ्न डाला गया विखंडन-सं० (पु०) तोड़ना फोड़ना, खंड खंड करना विचकित-सं० (वि०) 1 चकित 2 घबराया हुआ विख्यात -सं० (वि०) प्रसिद्ध, मशहूर
विचक्षण-सं० (वि०) 1 तीव्र दृष्टिवाला 2 प्रकाशमान विख्याति-सं० (स्त्री०) प्रसिद्धि, शोहरत
3बुद्धिमान, समझदार 4 कुशल, दक्ष II (पु०) पंडित विख्यापन-सं० (पु०) 1 प्रसिद्ध करना 2 सार्वजनिक रूप से विद्वान् । घोषणा करना
विचय-सं० (पु.) 1 इकट्ठा करना, जमा करना 2 जाँच विख्यापित-सं० (वि०) विख्यापन किया गया
पड़ताल करना विगंध-सं० (वि०) 1 गंधहीन 2 दुर्गंधयुक्त
विचयन-सं० (पु०) । एकत्र करना 2 परखना, जाँचना विगठन-(पु०) = विघटन
3 तलाशी। - प्रकाश (पु०) खोज बत्ती विगणन-सं० (पु०) 1 हिसाब लगाना, लेखा करना 2 ऋण | विचरण-सं० (पु०) । घूमना फिरना 2 घूमना, चलना मुक्त होना
विचरना-(अ० क्रि०) 1 चलना फिरना 2 घूमना फिरना विगत-सं० (वि०) 1 बीता हुआ (जैसे-विगत दिन) 2 निष्प्रभ | विचरित-सं० (वि०) घूमता फिरता हुआ (जैसे-विगत यौवन) 3 गत से ठीक पहले का (जैसे-विगत | विचल-सं० (वि०) 1 अस्थिर 2 डिगा हुआ। --ता (स्त्री०) वर्ष, विगत रात) 4 नष्ट -
विचल होने का भाव 'विगति-सं० (स्त्री०) दुर्गति, दुर्दशा
विचलन-सं० (१०) 1 पथ भ्रष्ट होना (जैसे-मनुष्य का नैतिक विगम-सं० (पु०) 1 प्रस्थान, प्रयाण 2 पार्थक्य 3 अनुपस्थिति विचलन) 2 विचार, सिद्धांत आदि पर दृढ़ न रहना 4 त्याग 5 नाश 6 मोक्ष
(जैसे-कर्तव्य पथ से विचलित होना) 3 इधर उधर आना विगर्हणा, विगर्हा-सं० (स्त्री०) डाँट फटकार, भर्त्सना जाना (जैसे-प्रकाश का विचलन) विगर्हित -सं० (वि०) 1 भर्त्सना की गई 2 बुरा, ख़राब विचलना-(अ० क्रि०) 1 इधर उधर होना 2 अधीर होना 3निषिद्ध
__3 संकल्प आदि से हटना, डिगना विगहीं-सं० (वि०) विगर्हण करनेवाला
विचलाना-(स० क्रि०) विचलित करना विगह-सं० (वि०) निंदा किए जाने के योग्य, निंदनीय | विचलित-सं० (वि०) 1 डिगा हुआ 2 अस्थिर, चंचल विगलन-सं० (पु०) 1 पिघलना 2 रिसना 3 आर्द्र होना। 3 विकल (जैसे-प्रेम में क्यों विलिन हो गए) 4 शिथिल होना
विचार-सं० (पु०) 1 मन ही मन तर्क वितर्क करते हुए सोचना, विगलित-सं० (वि०) 1 पिघला हुआ 2 गिरा हुआ, पतित समझना (जैसे-क्या विचार कर रहे हो) 2 आगा-पीछा 3 शिथिलं 4 विकृत
निश्चित करना (जैसे सब बातों पर विचार कर लेना) विगुण-सं० (वि०) 1 गुण रहित, गुण विहीन 2 निर्गण 3 ख्याल (जैसे-आपका अपना विचार कैसा है) 4 फ़ैसले के विगूढ-सं० (वि०) 1 गुप्त 2 निदिंत
लिए मुकदमे की सुनवाई (जैसे-न्यायाधीश स्वंय विचार विग्रह-सं० (पु०) 1 विभाग, टुकड़ा 2 व्या० यौगिक शब्दों करेगें) 5 वाद विवाद (जैसे-राजनीतिक विचार) 6 संदेह
अथवा पदों को अलग करना 3 लड़ाई झगड़ा और वैर विरोध (जैसे-इस तरह का विचार ग़लत है)। - कर्ता (पु०) (जैसे-पारिवारिक विग्रह) 4 अलग करना। नीति (स्त्री०) 1सोचने विचारनेवाला 2 न्यायाधीश, विनाराध्यक्ष; कारक झगड़े की नीति
(वि०) विचार पैदा करनेवाला; ~क्रम (१०) विचारों का विग्रहात्मक-सं० (वि०) झगड़ेवाला ।
सिलसिला, विचारों की निरंतरता; ~~क्रिया (स्त्री०) विचार विघटन-सं० (पु०) 1 अलग करना 2 तोड़ना 3 नाश, बर्बादी करना; ~क्षेत्र (पु०) सोचने समझने का दायरा; ~गत (जैसे-सामाजिक विघटन)। ~कारी (पु०) विघटन (वि०) विचार किया गया; गोष्ठी (स्त्री०) विद्वानों की करनेवाला; ~वाद (पु०) विघटन करने का मत या सिद्धांत; सभा; तत्व (पु०) विचार करने का विषय; दृष्टि वादी (वि०) विघटनवाद संबंधी
(स्त्री०) विचार करने की शक्ति; ~धारा (स्त्री०) । विचार विघटनात्मक-सं० (वि०) विघटनकारी
पद्धति 2 सिद्धांत; ~धारात्मक (वि०) सिद्धांतमूलक; विघटित-सं० (वि०) 1विभक्त 2 नष्ट किया हआ
नेता (पु.) जनसाधारण के विचारों का नेतृत्वकर्ता; विधात-सं० (पु०) 1 आघात, चोट 2 विनाश 3 निवारण, रोका पति (पु०) 1 न्यायाधीश 2 विचारक पद्धति (स्त्री०)
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विचारक
- 744
विजय
विचार करने का ढंग; ~पूर्ण (वि०) विचारों से भरा हुआ; | विचिंता-सं० (स्त्री०) = विचिंतन
पूर्वक (क्रि० वि०) विचार करके (जैसे-विचारपूर्वक देख | विचिकत्सा-सं० (स्त्री०) 1 शंका, संदेह 2 भूल लेना); ~प्रक्रिया, प्रणाली (स्त्री०) विचार पद्धति; | विचित्र सं० (वि०) 1 रंग बिरंगा 2 अजीब, अनोखा ~भूमि (स्त्री०) न्यायालय, अदालत, कोर्ट: ~मूढ़ (वि०) (जैसे-विचित्र घटना, विचित्र दृश्य) 3 नया और विलक्षण सोचने समझने की शक्ति से असमर्थ; ~~मूलक (वि०) - (जैसे-विचित्र महल, विचित्र बात) 4 चकित करनेवाला विचारपूर्ण; मग्न (वि०) विचारों में डूबा हुआ, विचारों में (जैसे-विचित्र नारी, विचित्र सिनेमा) 5 सुंदर, खूबसूरत । तल्लीन; ~वाद (पु०) ~वादी (वि०) विचारवाद संबंधी, ता (स्त्री०) विचित्र होने की स्थिति; शाला (स्त्री०) विचारवाद का; विज्ञ (पु०) विचारक; -वितर्क (पु०) अजायबघर विचार विमर्श; विनिमय (पु०) विचारों का आदान-प्रदान; विचित्रित-सं० (वि०) रंगा हुआ 2 सजाया हुआ
-विभिन्नता (स्त्री०) विचारों की विविधता; विमर्श विचंबित-सं० (वि०) चूमा हुआ, चुंबन किया हुआ (पु०) राय मशविरा, सोचना समझना; ~शक्ति (स्त्री०) विचूर्ण-सं० (वि०) चूर-चूर किया हुआ सोचने समझने की शक्ति; ~शील (वि०) विचार करता विचेतनक-सं० (वि०) चि० संज्ञा नाशक हआ (जैसे-विचारशील व्यक्ति); -शैली (स्त्री०) विचार विचेतना-सं० (स्त्री०) 1 संज्ञाहीनता, अचेतनता 2 व्याकुलता, करने का तरीक़ा; ~श्रृंखला (स्त्री०) विचारों की परंपरा या __ अधीरता कड़ी; ~सरणी (स्त्री०) - विचार पद्धति ; सूत्र (पु०) विचेष्ट-सं० (वि०) 1 जो सचेष्ट न हो 2 अक्रिय 3 गतिहीन, विचारों का क्रम; स्वतंत्रता (स्त्री०) विचार प्रकट करने की __ अचल छूट; स्वतंत्रवाद (पु०) सर्वसाधारण को अपने विचारों को विच्छर्दन-सं० (पु०) 1 वमन, के 2 उपेक्षा 3 क्षय 4 अवमानना प्रकट करने का सिद्धांत; स्वतंत्रवादी I (वि०) विचार | विच्छित्ति-सं० (स्त्री०) 1 काटकर अलग करना 2 भंग करना स्वतंत्रवाद से संबंधित II (पु०) विचार स्वतंत्रवाद का 3 विनाश 4 बाधा, रोक समर्थक; स्वातंत्र्य (पु०) - विचार स्वतंत्रता; हीन | विच्छिन्न-सं० (वि०) 1 काटकर अलग किया हुआ 2 विभक्त (वि०) = विचारमूढ़
3 अलग 4 निवारित विचारक-1 सं० (वि०) विचार करनेवाला II (पु०) 1 विचार विच्छेद-सं० (पु०) 1 काटकर अलग करना 2 टुकड़े टुकड़े कर्ता 2 न्याय कर्ता, न्यायाधीश
करना 3 नाश, क्षति 4 अलगाव विचारण-सं० (पु०) विचारने का काम, सोचना, समझना विच्छेदक-सं० (वि०) विच्छेद करनेवाला विचारणा-सं० (स्त्री०) 1सोचना समझना 2 सोची समझी विच्छेदन-सं० (पु०) विच्छेद करने का काम बात
विच्छेदित-सं० (वि०) विच्छेद किया हुआ विचारणीय-सं० (वि०) 1 विचार करने योग्य, चिंत्य 2 संदिग्ध | विच्छेदी-सं० (वि०) = विच्छेदक विचारना-(अ० क्रि०) 1 सोचना समझना (जैसे-विचारना विच्युत-सं० (वि०) 1 इधर उधर गिरा हुआ 2 च्युत, भ्रष्ट पद्धति) 2 पूछना
3 कटकर अलग हुआ 4 नष्ट विचारवती-सं० (स्त्री०) विचार करनेवाली स्त्री | विच्युति-सं० (स्त्री०) विच्युत होने का भाव (जैसे-विचारवती पत्नी)
विछोह-(पु०) 1 वियोग 2 विरह, दुःख विचारवान-सं० (वि०) विचारवाला
विजड़ित-(वि०) 1 स्थिर, अडोल 2 जड़ा हुआ, जटित विचारात्मक-सं० (वि०) = विचारपूर्ण
विजन-I सं० (वि०) 1 जनहीन 2 एकांत II (पु०) व्यजन, विचाराधिकार-सं० (पु०) विचार करने का अधिकार पंखा। ~ता (स्त्री०) 1 एकांतता 2 विजन अवस्था विचाराधीन सं० (वि०) जिस पर विचार हो रहा हो (जैसे-यह विजनन-सं० (पु०) 1 प्रसव 2 स्त्री-पुरुष के संयोग बिना प्रश्न अभी विचाराधीन है)
प्रयोगशाला में संतान उत्पन्न करना (जैसे-विजनन प्रक्रिया) विचाराध्यक्ष-सं० (पु०) - विचारपति
विजन्मा-सं० (पु०) 1 जारज संतान 2 जाति भ्रष्ट विचारानुसार-सं० (क्रि० वि०) विचार के अनुसार विजन्या-सं० (वि०/स्त्री) गर्भवती, गर्भिणी (स्त्री) विचारार्थ-सं० (वि०) विचार के लिए
विजय-सं० (स्त्री०) जीत (जैसे-शत्रु पर विजय पाना, रण विचारालय-सं० (पु०) न्यायालय, कचहरी
विजय)। कलश (पु०) पुरुस्कार स्वरूप दिया गया कप; विचारावली-सं० (स्त्री०) विचारों का संग्रह
जन्य (वि०) विजय से उत्पन्न; दशमी (स्त्री०) विचारित-सं० (वि०) 1 विचार किया हुआ 2 संदिग्ध = विजयादशमी; ~ध्वजा (स्त्री०) = विजयपताका; विचारी-I सं० (पु०) चलने का मार्ग II (वि०) 1 घूमने निनाद (पु०) विजय की घोषणा ; पताका (स्त्री०) फिरनेवाला 2 विचारशील 3 विचारक
1 विजय के समय फहराई जानेवाली पताका 2 विजय सूचक विचारोत्तेजक-सं० (वि०) विचारों को उभारनेवाला चिह्न; ~पर्व (पु०) = विजयोत्सव; पूर्ण (वि०) विजय विचार्य-सं० (वि०) - विचारणीय
से भरा हुआ; ~प्राप्ति (स्त्री०) विजय प्राप्त करना; ~यात्रा विचालन-सं० (पु०) 1 इधर उधर चलाना 2 हटाना (स्त्री०) विजय प्राप्त करने के उद्देश्य से की गई यात्रा; 3 विचलित करना
लक्ष्मी (स्त्री०) विजय की अधिष्ठात्री देवी; ललिप्सा विचिंतन -सं०(पु०) खूब सोचना समझना
(स्त्री०) = विजिगीषा; ~शील (वि०) = विजयपूर्ण विचिंतनीय-सं० (वि०) चिंतन योग्य
~श्री (स्त्री०) = विजय लक्ष्मी; ~सूचक (वि०) विजय
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विजयक
745
वितरक
की सूचना देनेवाला; स्तंभ (पु०) विजय स्मारक के रूप में पूरा ज्ञान 4 प्राकृतिक नियमों पर आधारित क्रमबद्ध तथा खभा
व्यवस्थित ज्ञान (जैसे-प्रकृति विज्ञान, भौतिक विज्ञान) विजयक-सं० (वि०) विजय प्राप्त करनेवाला
5 अध्यात्म संबंधी अनुभव, आत्मा का अनुभव (जैसे-आत्मा विजया-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 विजयोत्सव। दशमी ज्ञान)। जगत् (पु०) विज्ञान के समस्त उपकर आदि; (स्त्री०) 1 आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी 2 हिंदुओं का ता (स्त्री०) विज्ञान का धर्म; ~परिषद् (स्त्री०) = विज्ञान एक विशेष पर्व दशहरा
अकादमी; ~वाद (पु०) = विचारवाद; ~वादी (वि०) = विजयाकांक्षी सं० (वि०) विजय की आकांक्षा करनेवाला विचारवादी; ~वेत्ता (पु०) - विज्ञानी; शाला (स्त्री०) (जैसे-विजयाकांक्षी युद्ध)
विज्ञान संबंधी प्रयोगशाला; ~संकाय (पु०) विज्ञान विभाग विजयार्थी-सं० (वि०) विजय चाहनेवाला
विज्ञानी-सं० (पु०) 1 वैज्ञानिक 2 ज्ञानी विजयास्त्र-सं० (पु०) विजय प्राप्त करने का अस्त्र विज्ञानीय-सं० (वि०) विज्ञान संबंधी विजयिनी-सं० (स्त्री०) विजयी स्त्री
विज्ञापक-सं० (वि०) दूसरों को जानेकारी करानेवाला विजयी-सं० (वि०) विजय प्राप्त करनेवाला (जैसे-विजयी | विज्ञापन सं० (पु०) 1 जानकारी कराना, सूचित करना सेना)
2 प्रकाशित सूचना (जैसे-व्यापारिक विज्ञापन) 3 सूचना पत्र विजयोत्सव-सं० (पु०) 1 विजय प्राप्त होने पर मनाया (जैसे-राजकीय विज्ञापन)। -चित्र (पु०) विज्ञापन संबंधी जानेवाला उत्सव 2 विजय दशमी का उत्सव
तस्वीर; छपाई + हिं० (स्त्री०) विज्ञापन हेतु छापना; विजयोन्पत्त-सं० (वि०) विजय में मस्त (जैसे-विजयोन्मत्त दाता (पु०) विज्ञापन देनेवाला; बाज़ + फ़ा० (वि०) योद्धा)
विज्ञापन करनेवाला; ~बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०) विज्ञापनबाज़ विजयोपहार-सं० (पु०) विजय का पुरस्कार
का काम (जैसे-विज्ञापनबाज़ी का शौक) विजयोल्लास-सं० (पु०) विजय की खुशी
विज्ञापना-सं० (स्त्री०) विज्ञप्त करना, बतलाना विजर-सं० (वि०) 1 जराहीन 2 नया
विज्ञापनीय-सं० (वि०) विज्ञापन के योग्य (जैसे-विज्ञापनीय विजल-I सं० (वि०) जल से रहित, निर्जल II (पु०) सूखा, कार्य) अनावृष्टि
विज्ञापित-सं० (वि०) 1 जतलाया हआ 2 सूचित किया विजल्प-सं० (पु०) बकवाद
गया विजात-सं० (वि०) दोगला, वर्ण संकर
विज्ञेय-सं० (वि०) 1 जानने या समझन के योग्य 2 सम्मान्य विजातीय-सं० (वि०) पराई जाति का
विज्वर-सं० (वि०) 1 ज्वर मुक्त 2 क्लेश मुक्त विज़ारत-अ० (स्त्री०) 1 वज़ीर का पद और काम | विट-सं० (पु०) 1 कामुक 2 लंपट 3 धूर्त आदमी 4 वेश्या 2 मंत्रिमंडल।
प्रेमी 5 विदूषक की श्रेणी का एक नाटकीय पात्र, नायक का विजिगीषा-सं० (स्त्री०) विजय पाने की इच्छा
सखा विज़िट-अं० (स्त्री०) 1 जाना 2 भेंट, मुलाक़ात
विटप-सं० (पु०) वृक्ष, पेड़ विज़िटर, विज़िटर्स-अं० (पु०) आगंतुक । -बुक (स्त्री०) विट्ठल-सं० (पु०) विष्णु का अवतार
आगंतुक पुस्तिका; ~रूम (पु०) आगंतुक कक्ष विटामिन-अं० (पु०) अनाज तथा सब्ज़ियों में पाया जानेवाला विज़िटिग कार्ड-अं० (पु०) किसी का नाम पता से युक्त छोटा स्वस्थ्यवर्द्धक नव आविष्कृत तत्व (जैसे-नींबू में विटामिन सी कार्ड (जैसे-विज़िटिंग कार्ड दिखाना)
पाया जाता है)। ~युक्त सं० (वि०) विटामिन विजित-सं० (वि०) जीता हुआ
वाला (जैसे-विटामिन युक्त पदार्थ) विजिति-सं० (स्त्री०) 1 विजय 2 प्राप्ति
विटैमिन-अं० (पु०) = विटामिन विजेतव्य-सं० . (वि०) जीतने के योग्य
विडंबक-सं० (वि०) 1 अनुकरण करनेवाला 2 नक़ल विजेता-सं० (वि०) विजयी
करनेवाला 3 निंदा करनेवाला विजेय-सं० (वि०) जीतने के योग्य
विडंबन सं० (पु०), विडंबना-सं० (स्त्री०) 1 नक़ल, उतारना विज्ञ-सं० (वि०) 1 जाननेवाला 2 समझदार और पढ़ालिखा | 2 चिढ़ाना 3 निंदा करना 4 छलना 5 उपहास का विषय
(जैसे-विशेषज्ञ)। ~ता (स्त्री०) विज्ञ होने का भाव विडंबिका-सं० (स्त्री०) 1 अनुकरण करनेवाली 2 निंदा या विज्ञत्व-सं० (पु०) विज्ञता
परिहास करनेवाली विज्ञप्त-सं० (वि०) 1 जानकारी दी गई 2 विज्ञप्ति रूप में विडंबित-सं० (वि०) विडंबना की गई प्रकाशित
विडंबी-सं० (पु०) = विडंबक विज्ञप्ति-सं० (स्त्री०) 1 जानकारी देना 2 विज्ञापन (जैसे-रेल | विडाल-सं० (पु०) 1 बिल्ली 2 गंध बिलाव सेवा की विज्ञप्ति) 3 कार्यालय से प्रकाशित सूचना वितंडा-सं० (स्त्री०) 1 निरर्थक दलील 2 हुज्जत, लड़ाई झगड़ा (जैसे-सरकारी विज्ञप्ति)
3 अपने पक्ष की स्थापना। ~वाद (पु०) निरर्थक दलील का -विज्ञात-सं० (वि०) जाना हुआ
सहारा लेना विज्ञाता-सं० (पु०) विज्ञ
वितत-सं० (वि०) फैला हुआ, विस्तृत विज्ञान-सं० (पु०) 1 जानकारी (जैसे-ज्ञान विज्ञान) 2 दक्षता, | वितथ-सं० (वि०) झूठा, मिथ्या योग्यता 3 सांसारिक कार्य व्यापार का अनुभव और सही और ! वितरक-सं० (वि०) बाँटनेवाला
स०प०) विष्णु
सब्जियों मामिन सी
नकाशित
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वितरण
वितरण सं० (पु०) बाँटना। ~ व्यापार (पु० ) वितरण का
काम
वितरणात्मक-सं० (वि०) वितरण संबंधी वितरित सं० (वि०) बाँटा गया
वितर्क -सं० (पु०) 1 कुतर्क करना 2 तर्क के विपरीत दिया गया तर्क (जैसे-वितर्क)
746
वितर्कण-सं० (पु० ) 1 वाद-विवाद 2 संदेह
वितर्क्स-सं० (वि०) 1 विचारणीय 2 संदिग्ध 3 विलक्षण विताड़ित-सं० (वि) 1 मारा हुआ 2 जिसे डाँटा गया हो वितान-सं० (पु० ) 1 चंदोआ, तंबू 2 विस्तार, फैलाव वितुष्ट सं० (वि०) 1 असंतुष्ट 2 अप्रसन्न वितृण-सं० (वि०) तृष्णा से रहित
वितृष्णा-सं० (स्त्री०) 1 तृष्णा का अभाव 2 विकट तृष्णा वित्त-सं० (पु० ) 1 धन संपत्ति 2 रुपया पैसा (जैसे- वित्त विभाग ) । ~ नियोजन, पोषण (पु० ) विभागानुसार धन का प्रबंध करना; प्रबंधक (पु० ) धन का प्रबन्धकर्ता; ~ मंत्रालय (पु० ) वित्त संबंधी मंत्री का कार्यालय मंत्री (पु० ) = वित्त सचिव, वित्तीय सचिव ~ वर्ष (पु० ) वर्ष जिसके लिए वित्त की व्यवस्था हो (जैसे- 1 अप्रैल से 31 मार्च); ~ विधेयक (पु० ) वित्त संबंधी क़ानून; ~ विवरण (पु० ) वित्त संबंधी लेखा जोखा व्यवस्था (स्त्री०) वित्त का प्रबंध करना; ~ सचिव (पु० ) वित्त संबंधी एक राजकीय उच्च अधिकारी साधन (पु०) धन प्राप्ति
का उपाय करना
वित्ति-सं० (स्त्री०) 1 लाभ 2 प्राप्ति
वित्तीय सं० (वि०) वित्त संबंधी (जैसे- वित्तीय प्रबंध, वित्तीय व्यवस्था)
वित्तैष्णा-सं० (स्त्री० ) पैसे की चाह, धन की लालसा वित्रास-सं० (पु० ) भय, डर
वित्रासन - I सं० ( पु० ) डराना, त्रासन II (वि०) डरावना, भयानक (जैसे- वित्रासन रूप )
विथराना - (स० क्रि०) छितराना विथारना - (स० क्रि०) 1 फैलाना 2 छितराना
विदग्ध-सं० (वि०) 1 तपा हुआ 2 जला हुआ 3 कष्ट सहा हुआ 4 चतुर, निपुण 5 रसिक। ~ता (स्त्री०) 1 विदग्ध होने का भाव 2 चातुर्य, निपुणता, कौशल विदग्धा-सं० (स्त्री०) साहि० चतुरता पूर्वक पर पुरुष को अनुरक्त करनेवाली परकीया नायिका विदलन-सं० (पु० ) मलना, दबाना 2 रगड़ना विदलित-सं० (वि०) दलन किया हुआ विदा - ( स्त्री०) प्रस्थान, रवाना होना (जैसे-बरात विदा हो गई)। ~ विदाई (स्त्री०) विदा होने या करने का कार्य; -वेला + सं० (स्त्री०) विदा का समय विदाई - (स्त्री०) 1 प्रस्थान 2 प्रस्थान के समय प्राप्त धन 3 विदा के समय शुभ कामना हेतु एकत्र होना विदाप-सं० (१०) = विदा
विदारक -सं० (वि०) विदारण करनेवाला (जैसे- हृदय विदारक)
=
विदारित-सं० (वि० ) विदीर्ण विदारी-सं० (वि० ) = विदारक
विद्यार्जन,
विदाह-सं० (पु०) जलन
विदाही -सं० (वि०) विदाह करनेवाला विदित सं० (वि०) अवगत, ज्ञात विदीर्ण-सं० (वि०) 1 टूटा हुआ 2 निहत
विदुषी - सं० (स्त्री०) विद्वान् स्त्री विदूर-सं० (वि०) बहुत दूर का
विदूषक -सं० (पु०) 1 हँसी उड़ानेवाला व्यक्ति 2 मसखरा 3 भाँड 4 कामुक व्यक्ति
विदूषण - सं० (पु० ) 1 भ्रष्ट करना 2 निंदा करना 3 दोषारोप करना 4 कोसना विदूषना - [सं० + हिं० (अ० क्रि०) दुःखी होना II (स० क्रि०) 1 सताना 2 दोषी ठहराना
=
विदेव - सं० (पु० ) राक्षस, दैत्य विदेश -सं० (पु० ) पराया देश। गत (वि०) परदेश गया हुआ; नीति (स्त्री०) विदेश संबधी नियम क़ानून; ~ मंत्रालय (पु० ) विदेश कार्यालय मंत्री (पु० ) विदेश से संबंध बनाए रखनेवाला मंत्री मंत्री सम्मेलन (पु० ) विदेश मंत्रियों का इकट्ठा होना; यात्रा (पु० ) विदेश को जाना; - व्यापार मंत्रालय (पु०) विदेश मंत्री का व्यापार संबंधी कार्यालय; ~ व्यापार मंत्री (पु०) विदेश व्यापार से संबंधित मंत्री ~स्थ (वि०) 1 परदेश में होनेवाला 2 परदेश में स्थित विदेशाधिकरण-सं० (पु० ) = विदेश कार्यालय विदेशी -संग (वि०) दूसरे देश का (जैसे- विदेशी माल ) । पन + हिं० (पु० ) विदेशी होने का भाव विदेशीय सं० (वि०) विदेश का
विदेह - I सं० (वि०) 1 बिना शरीर का 2 सांसारिक बातों से विरक्त II ( पु० ) 1 राजा जनक 2 जिसकी उत्पत्ति माता पिता से न हुई हो ऐसा प्राणी (जैसे- भूत प्रेत आदि) विद् -सं० (पु०) 1 जानकर 2 पंडित विद्वान् विद्ध-सं० (वि०) 1 बेधा हुआ (जैसे-विद्ध हृदय) 2 घायल (जैसे- विद्ध पुरुष ) 3 बँधा हुआ 4 साथ लगा हुआ विद्यमान् -संग (वि०) अस्तित्व में होनेवाला विद्या-सं० (स्त्री० ) 1 ज्ञान, इल्म 2 व्यवस्थित ज्ञान (जैसे- सामाजिक विद्या) 3 चातुर्य से भरा ज्ञान (जैसे-ठग विद्या) 4 गंभीर और ज्ञातव्य विषय का कोई विभाग । ~ उपाधि (स्त्री०) विद्या पूरी करने पर प्राप्त डिग्री; केंद्र (पु०) विद्या प्राप्त करने का स्थान; गुरु ( पु० ) शिक्षक; -गृह (पु० ) विद्यालय, पाठशाला; दाता (पु० ) = विद्या गुरु; ~दान (पु० ) विद्या देना; ~धर (पु० ) एक देवयोनि; पीठ (पु० ) 1 शिक्षा का बड़ा और प्रमुख केंद्र 2 महा विद्यालय ~ रसिक (पु० ) विद्या का प्रेमी, विरुद्ध (वि०) विद्या का विरोधी व्यवसायी (वि०) विद्यावान् व्यसनी (पु० ) = विद्या रसिक (जैसे-विद्या व्यसनी को मित्र बनाना ) विद्यात्व-सं० (पु०) विद्या का भाव विद्याध्ययन-सं० (पु० ) विद्या पढ़ना विद्याभ्यास-सं० (पु०) विद्या का अभ्यास विद्यारंभ - सं० (पु०) विद्या की शुरुआत विद्यार्जन-सं० (पु० ) विद्या प्राप्त करना
3
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विद्यार्थिनी
विद्यार्थिनी -सं० (स्त्री०) महिला छात्र, छात्रा विद्यार्थी - सं० (पु० ) छात्र। जीवन (पु०) छात्र का विद्या प्राप्त करने का समय; परिषद् (स्त्री०) छात्रों की सभा विद्यालय - सं० ( पु० ) शिक्षण संस्था, पाठशाला (जैसे- उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, महाविद्यालय, सैनिक विद्यालय) विद्यालयीय-सं० (वि०) विद्यालय संबंधी विद्यावान् -सं० (वि०) विद्यावाला
विद्युचालक-सं० ( पु० ) = विद्युत् चालक । ~ता (स्त्री०) विद्युत् चालकता
विद्युजनित्र-सं० (पु०) बिजली का जनरेटर
विद्युतन-सं० विद्युतीकरण
विद्युतीकरण - सं० (पु०) विद्युत रूप में लाना, बिजली दौड़ाना विद्युतीकृत -सं० (वि०) बिजली लगा हुआ विद्युतीय - सं० (वि०) विद्युत संबंधी (जैसे-विद्युतीय उपकरण, विद्युतीय चुंबक) विद्युत-संग (स्त्री०) बिजली (जैसे- विद्युत घंटी) । ~ उत्पादक (वि०) बिजली पैदा करनेवाला (जैसे-विद्युत उत्पादक संयंत्र ); ~ उत्पादन (पु० ) विद्युत पैदा करना; ~ उद्योग (पु० ) बिजल संबंधी उद्योग (जैसे-विद्युत् उद्योग की आवश्यकता); चालक (पु०) वह पदार्थ जिसमें से बिजली दौड़ सकती है; चालकता (स्त्री०) विद्युत चालक होने की अवस्था; चिकित्सा (स्त्री०) चि० विद्युत से की जानेवाली चिकित्सा; चुंबक (पु० ) बिजली से युक्त चुंबक चुंबकीय (वि०) विद्युत चुंबक संबंधी; चूल्हा + हिं (पु० ) बिजली की भट्टी; जेनरेटर + अं० (पु०) विद्युत् उत्पादक यंत्र ज्वाला (स्त्री०) 1 बिजली की लपट 2 बिजली का ताप तरंग (स्त्री०) बिजली की धारा; दाब + हिं॰ (पु० ) बिजली का दबाव; ~ धारा (स्त्री० ) बिजली की लहर, बिजली का प्रवाह प्रकाश ( पु० ) बिजली की रोशनी; -प्रतिष्ठान (पु० ) बिजली लगाना; ~प्रवाह (पु०) बिजली का बहाव प्रेषक (वि०) विद्युत् प्रवाहित करनेवाला; बल्ब + अं० (पु० ) बिजली का लट्टू; ~ भ्राष्ट्र (पु० ) = विद्युत् चूल्हा; ~ यंत्र (पु० ) बिजली की मशीन ~ रासायनिक (वि०) विद्युत रसायन संबंधी; - रेलगाड़ी अ + हिं० (स्त्री०) बिजली से चलनेवाली गाड़ी; ~ रोध ( पु० ) बिजली रोकना रोधी (वि०) बिजली के झटके को रोकनेवाला, इंसुलेटर; लेखा (स्त्री०) 1 आकाश में चमकनेवाली बिजली की रेखा 2 विद्युत्माला; ~विच्छेदन, विश्लेषण (पु०) बिजली द्वारा अलग करना; ~ शक्ति (स्त्री०) बिजली की शक्ति; ~ शवदाह (पु० ) बिजली द्वारा मुर्दा जलाना; शवदाह गृह (पु० ) बिजली द्वारा मुर्दा जलाने का स्थान, विद्युत् मुर्दाघर; ~सज्जा (स्त्री०) बिजली की सजावट
विद्युदणु -सं० ( पु० ) बिजली के कण
=
विद्युद्यात सं० (पु०) बिजली का धक्का विद्युदेर्शी - सं० ( पु० ) विद्युत दर्शक यंत्र विद्युद्धारक -सं० ( पु० ) विद्युत् धारण करनेवाला विद्युवाहक - सं० ( पु० ) विद्युत् प्रवाहित करनेवाला विद्युद्विश्लेष्य-सं० (वि०) विद्युत् अपघट्य विद्युल्लता-सं० (स्त्री०) बिजली, विद्युत्
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विधाता
!
विद्योतन - I सं० (पु० ) बिजली II (वि०) चमकानेवाला विद्योपार्जन -सं० (पु० ) विद्या प्राप्त करना, अध्ययन विद्रधि-सं० (स्त्री०) पेट का फोड़ा
विद्र्य, विद्रूपण-सं० (पु०) उपहास, मजाक उड़ाना विद्रूपात्मक-सं० (वि०) विद्रूय संबंधी विद्रोह सं० (पु० ) 1 उपद्रव 2 क्रांति विद्रोहात्मक-सं० (वि०) विद्रोह संबंधी विद्रोही-सं० (वि०) विद्रोह करनेवाला । नेता (पु० ) क्रांतिकारी नेता
विद्रोहोन्मुख -सं० (वि०) विद्रोह की ओर उन्मुख विद्वज्जन-सं० (पु०) विद्वान्
विद्वत्र-सं० (स्त्री०) पांडित्य । पूर्ण (वि०) पांडित्य से भरा (जैसे- विद्वत्तापूर्ण बात)
=
विद्वत्व सं० (पु० ) विद्वत्त विद्वत्समाज-सं० ( पु० ) पढ़े लिखे लोगों का समाज, विद्वानों
का समाज
विद्वन्मंडली -सं० (स्त्री०) शिक्षित वर्ग, विद्वानों का संघ या समूह
विद्वान - I सं० (पु० ) शिक्षित व्यक्ति II ( वि०) 1 शिक्षित 2 पंडित 3 तत्वज्ञ
विद्विष-सं० (पु० ) = विद्वेषी
=
विद्विष्ट सं० (वि०) विद्वेषजनक विद्वेष-सं० (पु० ) 1 शत्रुता, वैर 2 जलन। जनक (वि०) = विद्वेषी
विद्वेषक -सं० (वि०) शत्रुता रखनेवाला, वैरी विद्वेषण-सं० (पु०) विद्वेष
=
विद्वेषानल-सं० (वि० ) = वैर की आग विद्वेषी-सं० (वि० ) विद्वेषक विद्वेष्टा - सं० (पु० ) विद्वेष करनेवाला विद्वेष्य-सं० (वि०) वैर के योग्य, द्वेष योग्य विधन -सं० (वि०) धनहीन, बिना धन का विधना - I सं० (स० क्रि०) 1 बेधना 2 प्राप्त करना II (अ०. क्रि० ) 1 बेधा जाना 2 फँसाया जाना
विधना - ( स्त्री०) होनी, अदृष्ट (जैसे-विधना का विधान कठिन होता है)
विधमन-सं० (पु० ) धौंकना
विधरण-सं० (पु० ) 1 पकड़ना 2 अवज्ञा करना विधर्म - 1 सं० (वि०) 1 धर्महीन 2 अन्यायपूर्ण 3 अवैध II (पु० ) धर्म से अलग दूसरा धर्म विधर्मी सं० ( पु० ) धर्मभ्रष्ट (जैसे- वह विधर्मी हो
गया)
विधवा -सं० (स्त्री०) वेवा, रॉड, मृतभर्तृका । न + हिंο (पु० ) रँड़ापा, वैधव्य, विवाह (पु० ) विधवा से विवाह
करना
=
विधवापन
विधवावस्था-सं० (स्त्री०) विधवाश्रम -सं० ( पु०) विधवाओं के रहने का स्थान या
आश्रम
विधा -सं० (स्त्री०) 1 रीति, ढंग 2 प्रकार, भाँति विधातव्य-सं० (वि०) 1 विधान योग्य 2 कर्तव्य विधाता - I सं० ( पु० ) 1 सृष्टि की रचनात्मक शक्ति 2 ब्रह्मा
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विधात्री
II ( वि०) 1 विधान करनेवाला 2 रचनेवाला, बनानेवाला (जैसे- भाग्य विधाता विधाता की दृष्टि) विधात्री - सं० (स्त्री०/वि०) 1 विधान करनेवाली 2 बनानेवाली, रचनेवाली
विधान-सं० ( पु० ) 1 निर्माण, रचना 2 व्यवहार प्रयोजन 3 प्रणाली, ढंग 4 नियम, क़ायदा 5 क़ानून 6 उपसर्ग, प्रत्यय आदि लगाने की रीति या क्रिया (जैसे- शब्दों का रूप विधान ) । ~ज्ञ ( पु० ) 1 विधान का ज्ञाता 2 आचार्य, अध्यापक; ~ निर्माता (वि०) विधान करनेवाला; ~ निर्मात्री (स्त्री०) विधान निर्माण करनेवाली सभा, संस्था आदि पंथी + हिं० (वि.) = विधानवादी परिषद (स्त्री०) राज्य में क़ानून बनानेवाली सभा, लेजिसलेटिव कौंसिल; ~ मंडल (पु० ) राज्य के दोनों सदनों, विधान सभा और विधान परिषद का सामूहिक नाम मंडलीय (वि०) विधान मंडल संबंधी; (वि०) युक्त विधि के अनुकूल; ~ शास्त्र (पु० ) 1 नीतिशास्त्र 2 व्यवस्था संबंधी विज्ञान; ~ सभा (स्त्री०) राज्य में क़ानून बनानेवाली एक सभा, लेजिसलेटिव असेंबली; सभाई +सं० + हिं० (वि०) विधान सभा संबंधी; ~ सम्मेलन (पु० ) = विधान सभा विधानतः सं० ( क्रि० वि०) विधान के अनुसार विधानात्मक-सं० (वि०) विधान संबंधी विधानी -सं० (वि०) 1 विधान जाननेवाला, विधानज्ञ 2 विधानपूर्वक काम करनेवाला
विधायक - I सं० (वि०) 1 विधान करनेवाला 2 कार्य संपादन करनेवाला 3 रचना करनेवाला II ( पु० ) विधान सभा, विधान परिषद का सदस्य (जैसे- विधायक से मुलाक़ात करना) । ~ दल (पु० ) विधायक संघ या समूह विधायन - सं० ( पु० ) 1 विधान करने का कार्य 2 क़ानून का निर्माण 3 अधिनियम, विधियाँ। ~संग्रह (पु० ) संहिता, कोड (जैसे- बंगाल और पंजाब का विधायन संग्रह ) विधायिका-सं० (स्त्री०/वि०) विधान निर्मात्री (संस्था) (जैसे- विधान परिषद, विधान सभा, लोक सभा, राज्य सभा आदि) । ~ सभा (स्त्री०) विधान, क़ानून बनानेवालों की
सभा
विधायित-सं० (वि०) क़ानून द्वारा नियमित किया हुआ विधायिनी -सं० (स्त्री०) निर्मात्री
विधायी - I सं० (वि०) विधायक II ( पु० ) संस्थापक, निर्माता
विधारण-सं० (पु० ) 1 रोकना 2 वहन करना विधि - I सं० (स्त्री० ) 1 व्यवस्था आदि का ढंग, प्रणाली
2 अनुकूलता, संगति 3 व्यवस्था (जैसे- धार्मिक विधि विधान) 4 आचार व्यवहार 5 तरह, भाँति 6 क़ानून (जैसे - विधि के अनुसार कार्य करना, विधि का उल्लंघन ) । ~करण (पु० ) क़ानून बनाना; ~कर्ता (पु० ) क़ानून बनानेवाला; ज्ञ (पु० ) क़ानून का ज्ञाता; तंत्र (पु० ) 1 कार्य करने की प्रणाली 2 तकनीक 3 रीति, मेथाडोलॉजी; नियम (पु० ) नियम और क़ानून निर्माण (पु० ) विधिकरण; ~ निषेध (पु० ) करने या न करने का शास्त्रीय निर्देश; परामर्शी (पु० ) विधि सलाहकार; पूर्वक (क्रि० वि०) नियमतः, क़ानून रूप में; ~भंग (पु०) क़ानून तोड़ना;
=
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विनती
~ मंत्री (पु० ) क़ानून मंत्री (जैसे -विधि मंत्री की रिपोर्ट); ~वक्ता (पु० ) क़ानून बतानेवाला; ~ विज्ञान (पु० ) विधि संबंधी तथ्यों की जानकारी देनेवाला विज्ञान; विधान (पु० ) क़ानून बनाना; विरोधी (वि०) क़ानून का विरोध करनेवाला; विहित (वि०) विधि में शामिल, विधिपूर्ण; ~ वेत्ता (पु० ) = विधिज्ञ शास्त्र ( पु० ) विधि विज्ञान; ~ शास्त्री (पु० ) विधिज्ञ संकाय (पु० ) विधि
नियम
विधि - II सं० ( पु० ) ब्रह्मा (जैसे-विधि का विधान अनोखा है)
विधिक-सं० (वि०) 1 विधि संबंधी 2 विधि के रूप में होनेवाला
विधिघ्न सं० (वि०) विधि को न माननेवाला विधितः सं० ( क्रि० वि०) विधि के अनुसार विधिवत् - सं० ( क्रि० वि०) नियम और क़ानून के अनुरूप (जैसे-विधिवत् पालन करना)
विधु -सं० (पु० ) चंद्रमा । ~मंडल (पु० ) चंद्रमा का घेरा; ~मास (पु० ) चांद्रमास
विधुर - I सं० (वि०) रँडुआ II ( पु० ) जिस पुरुष की पत्नी मर गई हो
विधूत - सं० (वि०) 1 कंपित 2 परित्यक्त 3 दूर किया हुआ विधूनन-सं० ( पु० ) कंपन, काँपना विधेय - I सं० (वि०) 1 प्राप्त करने योग्य 2 देने योग्य 3 विधान के योग्य II (पु० ) व्या० वाक्यांश या पद जिसके संबंध में कुछ बतलाया जाए (जैसे उद्देश्य और विधेय, 'राम पुस्तक पढ़ता है' में 'पढ़ता है' विधेय है) ता (स्त्री०) 1 विधेय होने का भाव 2 अधीनता; पूरक (पु०) व्याकरण में) विधेय की क्रिया का पूरक शब्द विशेषण व्या (पु० ) विशेषण जो विधेय का काम दे विधेयक - सं० (पु० ) क़ानून (जैसे-दहेज संबंधी विधेयक पारित करना) विधेयत्व-सं० ( पु० ) = विधेयता विधेयात्मक-सं० (वि०) विधेय संबंधी विध्यनुकूल - सं० ( क्रि० वि०) विधि के अनुकूल विध्यात्मक-सं० (वि०) विधि से संबंधित
विध्वंस - सं० ( पु० ) विनाश, बर्बादी (जैसे- विध्वंस लीला, विध्वंस करना) । कारक, कारी (वि०) बर्बाद करनेवाला (जैसे- विध्वंसकारी सेना )
विध्वंसक - I सं० (वि०) विध्वंस करनेवाला II ( पु० ) विनाशक पोत
विध्वंसात्मक-सं० (वि०) विध्वंस से संबंधित विध्वंसी - सं० (वि०) 1 नाश होनेवाला 2 नाशक 3 दुश्मन, शत्रु विध्वस्त-सं० (वि०) नष्ट, बर्बाद किया गया (जैसे- शत्रुओं ने महल को विध्वस्त कर डाला )
विनत - सं० (वि०) 1 झुका हुआ 2 विनीत, नम्र 3 संकुचित (जैसे- विनत भाव, विनत हृदय)
विनति सं० (स्त्री०) 1 झुकाव 2 नम्रता, अनुनय, विनय । ~पत्र (पु० ) प्रार्थना पत्र विनती-सं० (स्त्री०) प्रार्थना
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विनम्र
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विपदा
विनम्र-सं० (वि०) 1 विनीत और सुशील 2 झुका हुआ। विनियोजक-सं० (वि०) विनियोग करनेवाला ता (स्त्री०) विनम्र होने का भाव
विनियोजन-सं० (१०) विनियोग करना विनय-सं० (पु०) प्रार्थना (जैसे-अनुनय विनय)। पूर्ण विनियोजित-सं० (वि०) नियुक्त, लगाया हुआ (वि०) प्रार्थना से भरा हुआ; ~प्रार्थना (स्त्री०) विनती; विनिर्गत-सं० (वि०) 1 बाहर निकाला हुआ 2 बीता हुआ,
~शील (वि०) प्रकृति से विनम्र (जैसे-विनयशील बालक) व्यतीत 3 मुक्त विनयवान्-सं० (पु०) = विनयशील, शिष्ट
विनिर्गम-सं० (पु०) 1 बाहर निकलना 2 प्रस्थान विनयावनत-सं० (वि०) = विनम्र
विनिश्चय-सं० (पु०) निर्णय विनयी-सं० (वि०) = विनयशील
विनिश्चायक-सं० (वि०) पूरा निश्चय करानेवाला विनशन-सं० (पु०) विनाश
विनिषिद्ध-सं० (वि०) पक्की तरह मना किया हआ विनश्वर-सं० (वि०) विनाश होनेवाला
विनीत-सं० (वि०) 1 विनय से युक्त 2 नम्र और शिष्ट विनष्ट-सं० (वि०) बर्बाद, नाश होना
(जैसे-विनीत भाव) विनष्टि-सं० (स्त्री०) बर्बादी, नाश होना
विनीति-सं० (स्त्री) 1 विनय 2 सद्व्यवहार विनायक-सं० (पु०) गणेश
विनोद-सं० (पु०) 1 मनोरजन 2 क्रीड़ा 3 मनोरंजक बात विनाश-सं० (पु०) बर्बाद, नाश, ध्वंस (जैसे-विनाश लीला, 4 प्रबल इच्छा (जैसे-मनोविनोद)। गृह (पु०) मनोरंजन
सष्टि का विनाश हो जाना) 2 दुर्दशा 3 अदर्शन, लोप गृह, मनोरंजन स्थल, ~पूर्ण (वि०) विनोद से भरा; प्रिय (जैसे-विनाश की अवस्था) 4 खराबी, विकार आम विनाश के (वि०) विनोद प्रेमी; रंजित (वि०) - विनोदपूर्ण; साधन)। ~कर, ~कारी (वि०) विनाश करनेवाला ~वृत्ति (स्त्री०) - विनोद भावना; ~शील (वि०) = (जैसे-विनाशकारी जंत, विनाशकारी ज्वाला); ~लीला विनोदपूर्ण (स्त्री०) बर्बादी का दृश्य
विनोदन सं. (पु०) मनोरंजन करना विनाशक-सं० (वि०) = विनाशकारी
विनोदमय-सं० (वि०) = विनोदपूर्ण विनाशन-सं० (पु०) विनाश करना
विनोदात्मक-सं० (वि०) विनोद से पूर्ण विनाशित-सं० (वि०) विनष्ट
विनोदित-सं० (वि०) मनोरंजन किया हुआ विनाशी-सं० (वि०) विनाश करनेवाला (जैसे-विनाशी जीव, विनोदी-सं० (वि०) = विनोदपूर्ण विनाशी तोप)
विन्यस्त-सं० (वि०) 1 स्थापित 2 सजाकर रखा हुआ 3 जमा 'विनाशोन्मुख-सं० (वि०) विनाश की ओर बढ़ता हुआ किया हुआ 4 व्यवस्थित विनाश्य-सं० (वि०) विनाश के योग्य
विन्यास-सं० (पु०) 1 जमाकर रखना 2 सजाना सँवारना विनिंदा-सं० (स्त्री०) बहुत अधिक निंदा
(जैसे-केश विन्यास, वस्तु विन्यास) विनिंदित-सं० (वि०) निंदा की गई
विपक्ष-I सं० (वि०) 1 विरोधी 2 प्रतिकूल, उलटा 3 पक्षपाती विनिम्न-सं० (वि०) नष्ट, बर्बाद
रहित 4 बिन पंख का II (पु०) 1विरोधी पक्ष विनिद्र-सं० (वि०) 1 उनींदा, अनिद्र 2 खिला हुआ, उन्मीलित 2 प्रतिवादी विनिधान-(पु०) 1 अलग रखना 2 हिदायत
विपणन-सं० (पु०) विक्रय, व्यापार विनिध्वस्त-सं० (वि०) नष्ट बर्बाद
विपणि, विपणी-सं० (स्त्री०) 1 बाज़ार, हाट 2 क्रय विक्रय विनिपात-सं० (पु०) 1 विनाश 2 पतन 3 संकट 4 दुर्घटना | 3 बिक्री का माल विनिबंध-सं० (पु०) लगाव होना, संबंध रखना विपत्तन-सं० (पु०) देश निकाला विनिमय-सं० (पु०) 1 अदल-बदल 2 लेन-देन (जैसे-विचार | विपत्ति-सं० (स्त्री०) 1 संकट, आफ़त 2 यातना 3 दुःख विनिमय 3 आदान प्रदान (जैसे-व्यापार विनिमय)। (जैसे-विपत्ति भोगना)। ~काल (पु०) विपत्ति का समय,
अधिकोष (पु०) = विनिमय बैंक; ~करण (पु०) ~ग्रस्त (वि०) विपत्ति में फँसा हुआ; जनक (वि०) अदल बदल करना; दर +हिं० (स्त्री०) मुद्रा के विनिमय विपत्ति पैदा करनेवाला; ~उठाना, ~झेलना मुसीबत का मूल्य; -पत्र (पु०) व्यापार संबंधी पत्र प्रणाली सहना; काटना दुःख के दिन बिताना; ~ढहना सहसा (स्त्री०) विनिमय विधि; बिल + अं० = विनिमय पत्र: भारी दुःख आ पड़ना; ~भोगना कष्ट सहना; ~में डालना साध्य (वि०) विनिमय द्वारा हो सकनेवाला
दुःख देना; ~में पड़ना संकटग्रस्त होना; ~मोल लेना विनियंत्रण-सं० (पु०) नियंत्रण का न होना
जानबूझकर संकट में पड़ना; सिर पर लेना दिक्कत में विनियंत्रित-सं० (वि०) बिना नियंत्रण का
पड़ना विनियम-सं० (पु०) 1 रोक 2 नियंत्रण 3 संयम विपत्र-सं० (पु०) = विप्यक (बिल) विनियमन-सं० (पु०) 1 रोकना 2 नियंत्रण करना विपथ-सं० (पु०) 1भिन्न मार्ग 2 गलत रास्ता। ~गामी विनियुक्त-सं० (वि०) 1 काम में लगा हुआ, नियोजित (वि०) कुमार्गी 2 कार्य से मुक्त
विपथन-सं० (पु०) मार्ग से इधर उधर होना विनियोक्ता-सं० (पु०/वि०) नियुक्त करनेवाला विपद्-सं० (स्त्री०) = विपत्ति। ~ग्रस्त (वि०) = विपत्ति विनियोग-सं० (पु०) 1विभाग 2 नियुक्ति 3 कार्यभार | ग्रस्त; ~लीला (स्त्री०) विपत्तियों की माया 4 प्रयोग। ~व्यय (पु०) नियुक्ति पर होनेवाला खर्च । विपदा-सं० (स्त्री०) विपत्ति
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विपन्न
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विभाव
चिह्न
विपन्न-सं० वि०) 1 विपत्तिग्रस्त 2 दुःखी, आर्त 3 अभागा, विप्लवात्मक-सं० (वि०) = विप्लव संबंधी भाग्यहीन
विप्लवी-सं० (वि०) 1 क्षणभंगुर, अस्थायी 2 विप्लव विपन्नावस्था-सं० (स्त्री०) विपन्न होने का भाव
करनेवाला विपरिणाम-सं० (पु०) 1 परिवर्तन 2 प्रौढ़ होना
विप्लाव-सं० (पु०) 1 उपद्रव मचाना 2 हो हल्ला 3 घोड़े की विपरीत-सं० (वि०) 1 उलटा 2 मेल न खानेवाला 3 असत्य, सरपट चाल 4 पानी की बाढ़ मिथ्या (जैसे-विपरीत तर्क)। ~गामी (वि०) विपरीत विप्लावक-सं० (वि०) 1 विप्लवकारी 2 उपद्रव मचानेवाला चलनेवाला; चेता (वि०) उलटी बुद्धिवाला; ~ता | विप्लावी-सं० (पु०) उपद्रव करनेवाला (स्त्री०) विपरीत होने का भाव
विप्लुत-सं० (वि०) 1 अस्त व्यस्त 2 हक्का बक्का 3 आचार विपरीतार्थक-सं० (वि०) उलटा अर्थ बतानेवाला
भ्रष्ट, चरित्रहीन 3 नष्ट भ्रष्ट विपर्यय-सं० (पु०) 1 प्रतिकूलता 2 विपरीतता 3 व्यतिक्रम | विफल-सं० (वि०) 1 बिना फल का 2 निरर्थक 4 परिवर्तन 5 अव्यवस्था
विबुध-I सं० (पु०) 1 पंडित, बुद्धिमान् 2 देवता II (वि०) विपर्यस्त-सं० (वि०) 1 परिवर्तित 2 अस्त व्यस्त 3 उलटा ज्ञानियों या विद्वानों से रहित पलटा
विबोध-सं० (पु०) 1 जागना, जागरण 2 अच्छा और पूरा ज्ञान विपर्याय-सं० (पु०) = विपरीतार्थक
3 चेतनता, होश हवाश विपर्यास-सं० (पु०) 1 उलटा, पुलटा, व्यतिक्रम | विभंग-सं० (पु०) 1 टूटना 2 विन्यास 3 विभाग 4 भ्रूभंग 2 प्रतिकूलता, विपरीतता 3 मिथ्या ज्ञान
5 मनोभाव प्रकट करनेवाली चेष्टा विपाक-सं० (पु०) 1 परिपक्व होना,पकना 2 परिणाम, चोटी विभक्त-सं० (वि०) 1 अलग किया हुआ 2 बांटा हुआ 3 कर्मफल 4 विपत्ति
3 विभाजित विपादन-सं० (पु०) 1 वध, हत्या 2 क्षय, नाश
विभक्ति-सं० (स्त्री०) 1 विभाग, बाँट 2 अलगाव, पार्थक्य । विपादित-सं० (वि०) 1 मारा हुआ 2 नष्ट
~परक (वि०) विभक्ति प्रधान; ~प्रत्यय (प०) कारकीय विपिन-सं० (पु०) 1 वन, जंगल 2 उपवन, बारा विपुंसी-सं० (स्त्री०) पुरुष की-सी हाव भाव प्रकट करनेवाली | विभव-सं० (पु०) 1 ऐश्वर्य 2 बल, शक्ति। ~शाली स्त्री, मर्दानी औरत
__(वि०) संपत्तिशाली 2 शक्तिशाली विपुल-सं० (वि०) 1 अत्यधिक विशाल 2 बहुत अधिक विभववान् सं० (वि०) = विभवशाली
(जैसे-विपुल धन राशि)। ता (स्त्री०) आधिक्य, | विभवी-सं० (वि०) प्रतापी, ऐश्वर्यवान् बहुतायत
विभाँति-[ सं० (स्त्री०) प्रकार, क़िस्म II (वि०) अनेक विप्र-[ सं० (पु०) 1 कर्मनिष्ठ और धार्मिक व्यक्ति 2 पुरोहित प्रकार का III (अ०) अनेक प्रकार से II (वि०) 1 मेधावी 2 विद्वान् । ~ता (स्त्री०) विप्र होने का विभा-सं० (स्त्री०) 1 प्रभा, कांति 2 किरण, रश्मि 3 छवि,
शोभा विप्रतिपत्ति-सं० (स्त्री०) 1 मतभेद का संघर्ष 2 आपत्ति 3 भूल | विभाग-सं० (पु०) 1 बँटवारा 2 हिस्सा 3 अंश 4 पार्थक्य 4 भ्रांतधारणा 5 संदेह
5 खंड 6 महकमा, क्षेत्र (जैसे-आप किस विभाग विप्रयुक्त-सं० (वि०) 1 अलग किया गया 2 वंचित में कार्यरत हैं)। ~कृत (वि०) विभाग किया हुआ विप्रयोग-सं० (पु०) 1 वियोग, अलगाव 2 अभाव 3 कलह, विभागक-सं० (वि०) = विभाजक मतभेद
विभागशः-सं० (क्रि० वि०) विभाग के अनुरूप विप्रलंभ-सं० (पु०) 1 निराश होना 2 साहि० प्रेमी प्रेमिका का विभागाध्यक्ष-सं० (पु०) विभाग का प्रधान कार्यकर्ता वियोग 3 विच्छेद, कलह 4 छला जाना
विभागी-सं० (वि०) विभाग संबंधी। ~करण (पु०) विप्रलंभक-सं० (पु०) धूर्त व्यक्ति, वंचक
विभागों में बाँटना विप्रलंभन-सं० (पु०) छल करना
विभागीय-सं० (वि०) विभाग से संबंधित (जैसे-विभागीय विप्रलंभी-सं० (पु०) धूर्त, धोखेबाज़
कार्रवाई) विप्रलब्ध-सं० (वि०) 1 छला हुआ 2 निराश 3 वंचित | विभागेतर-सं० (वि०) विभाग से अलग 4 वियुक्त
विभाजक सं० (वि०) 1 विभाग करनेवाला 2 बाँटनेवाला विप्रलब्या-(स्त्री०) 1 साहि० जिसका प्रिय अपने वचनानुसार विभाजन-सं० (पु०) 1 बाँटना 2 विभाग करना। रेखा मिलन स्थल पर न आया हो ऐसी नायिका 2 प्रिय द्वारा वचन | (स्त्री०) अलग करने की लाइन भंग किए जाने पर दुःखी नायिका
विभाजयिता-सं० (वि०) विभाजन करनेवाला विप्रलाप-सं० (पु०) 1 व्यर्थ की बकवाद, प्रलाप 2 झगड़ा | विभाजित-सं० (वि०) विभाजित किया हआ 3दुर्वचन
विभाज्य-सं० (वि०) विभाग करने योग्य विप्रेषित-सं० (वि०) 1 परदेश में रहनेवाला 2 निष्कासित विभात-सं० (पु०) प्रभात, सबेरा विप्लव-सं० (पु०) 1 उत्पात, उपद्रव 2 हलचल 3 आफ़त, | विभाति-सं० (स्त्री०) शोभा, सुंदरता विपत्ति 4 उथल पुथल
विभाव-सं० (पु०) साहि० आश्रय में भाव उद्दीप्त करनेवाला विप्लवक-सं० (वि०) विप्लव करनेवाला
भाव
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विभावन
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विमिश्र
यता
विभावन-सं० (पु०) । सोचना 2 अनुभूति 3 साहिल नायकादि विमर्दिनी-सं० (वि०/स्त्री०) नाश करनेवाली
के साथ पाठक या श्रोता का तादात्म्य होना. साधारणीकरण । विमर्श-सं० (पु०) 1 विचार, विवेचन 2 परीक्षण 3 समीक्षा विभावनीय-सं० (वि०) - विभाव्य
4त. विभावरी-सं० (स्त्री०) 1 रात 2 तारोंवाली रात
विमर्ष-सं० (पु०) 1 विचारण 2 आलोचना 3 व्याकुलता विभावित-सं० (वि०) 1कल्पित 2 निश्चित
4क्षोभ 5 उद्वेग विभावी-सं० (वि०) 1 भाव जाग्रत करनेवाला 2 व्यक्त
विमल-सं० (वि०) 1 मलरहित, निर्मल 2 साफ़ और पारदर्शक करनेवाला
(जैसे-विमल जल) 3 दोषरहित (जैसे-विमल चित्र) विभाव्य-सं० (वि०) विभावना हेतु उपयुक्त
4दर्शनीय, सुंदर (जैसे-विमल छवि)। ~कीर्ति (पु०) विभाषा-सं० (स्त्री०) 1 बोली 2 चुनाव की स्वतंत्रता निर्मल यश; ~ता (स्त्री०) 1 निर्मलता, स्वच्छता 2 पवित्रता, विभाषीय-सं० (वि०) विभाषा से संबंधित
शुद्धता 3 रमणीयता विभास-सं० (पु०) चमक, दीप्ति
विमला-सं० (स्त्री०) विमल होने का भाव विभिन्न सं० (वि०) 1 पृथक 2 अलग किया हआ विमलात्मक-सं० (वि०) शुद्ध, साफ़, विमल (जैसे-विभिन्न पदार्थों का संबंध)
विमलीकरण-सं० (पु०) विमल करना विभीषक-सं० (वि०) भयानक, देशद्रोही
विमा-सं० (स्त्री०) आयाम विभीषण-सं० (वि०) अत्यंत भीषण, रावण का भाई, देशद्रोही विमाता-सं० (स्त्री०) सौतेली माँ विभीषा-सं० (स्त्री०) भीरुता, भयातुरता
विमान-सं० (पु०) वायुयान । ~अड्डा + हिं० (पु०) विमान विभीषिका-सं० (स्त्री०) 1 भय या डर दिखाना 2 त्रास
के खड़े होने का स्थान, एयरोड्रोम; ~अपहरण (पु०) विमान विभु-[सं० (वि०) 1 सर्वव्यापक 2 महान् 3 नित्य 4 अचल, हरण करना, विमान चुराना; ~अपहर्ता (पु०) विमान
अटल 5 सशक्त || (पु०) 1 ब्रह्म 2 जीवात्मा 3 ईश्वर चुरानेवाला; ~अवतरण (पु०) विमान का उतरना; 4 स्वामी। ~ता (स्त्री०) 1 सर्वव्यापकता 2 ऐश्वर्य, वैभव उद्योग (पु०) विमान का काम धंधा; ~कर्मचारी, 3 प्रभुत्व 4 शक्ति
~कर्मी. (पु०) विमान में काम करनेवाला व्यक्ति; ~~गृह, विभूति-सं० (स्त्री०) 1 विपुलता 2 वृद्धि 3 ऐश्वर्य, विभव ~घर +हिं० (पु०) वह स्थान जहाँ विमान रखा जाता हो; 4 दौलत, धन संपत्ति
चालक (पु०) विमान चलानेवाला; चालन (पु०) विभूषण-सं० (पु०) 1 गहनों से सजाना 2 आभूषण 3 सौंदर्य विमान चलाना चालन विज्ञान (पु०) वैमानिकी; ~डाक विभूषा-सं० (स्त्री०) 1 गहनों, आभूषणों से की गई सजावट + हिं० (पु०) विमान द्वारा पत्रों का आना जाना (जैसे-विमान 2 अलंकारों से युक्त होने का भाव
डाक सेवा); ~तोपची +फ़ा०+तु० (पु०) विमान से तोप विभूषित-सं० (वि०) 1 अलंकृत 2 शोभित
बरसानेवाला; नाविक (पु०) = विमान चालक; विभेद-सं० (पु०) 1 खंड, विभाग 2 बाधा 3 मत भिन्नता निर्माण (पु०) विमान बनाना; ~पत्तन (पु०) हवाई ___4 फूट, पार्थक्य 5 अंतर, प्रकार 6 विरोध
अड्डा; ~पथ (पु०) वायुयान मार्ग; परिचारिका विभेदक-सं० (वि०) 1 भेदन करनेवाला 2 मतभेद करनेवाला (स्त्री०) विमान में यात्रियों की सेवा करनेवाली सेविकाः 3 विभेद उत्पन्न करनेवाला
परिवहन (पु०) विमान द्वारा यात्रा करना; ~पोत (पु०) विभेदन-सं० (पु०) 1 भेदना 2 काटना 3 टुकड़े करना 4 अंतर = हवाई जहाज; ~बंदर +फ़ा० (पु०) = विमान पत्तन; उत्पन्न करना 5 फूट डालना
बल (पु०) वायुसेना; ~भंजक, ~भेदी (वि०) विभेदीकरण-सं० (पु०) विभेद करना, अंतर करना विमान को तोड़नेवाला (जैसे-विमान भेदी तोप); ~मार्ग विभ्रम-सं० (पु०) 1 भ्रांति 2 संदेह, शक 3 और का और (पु०) = विमान पथ; ~मैदान +अ० (पु०) = विमान
समझना, गलतफ़हमी 4 साहि० संयोग श्रृंगार में स्त्रियों का एक अड्डा; ~यातायात (पु०) विमान द्वारा आवागमन; ~यात्री भाव 5 निर्मूल भ्रम 6 घबड़ाहट
(पु०) विमान से यात्रा करनेवाला; ~वाहक (वि०) विमान विभ्रांत-सं० (वि०) 1 घबराया हुआ 2 अस्थिर,
को ले जानेवाला (जैसे-विमान वाहक पोत); ~वाहिनी चंचल
(स्त्री०) = विमान सेना; ~संचालन (पु०) = विमान विभ्रांति-सं० (स्त्री०) 1 घबराहट 2 भ्रम
चालन; ~सेना (स्त्री०) हवाई जहाज़ पर से युद्ध करनेवाली विभ्राट-I सं० (पु०) 1 संकट 2 उत्पात II (वि०) चमकीला | सेना; ~सेनाधिकारी (पु०) वायु सेना का एक उच्च विमंडन-सं० (पु०) विभूषण
अधिकारी; ~स्थल (पु०) = विमान अड्डा विमत-I सं० (पु०) दुर्विचार II (वि०) बुरे विचारवाला विमानन सं० (पु०) विमान चलाने की कला विमति-I सं० (वि०) 1 मूर्ख 2 दुर्बुद्धिवाला II (स्त्री०) विमानाक्रमण-सं० (पु०) विमान से आक्रमण करना 1 विरुद्ध मत 2 बुरी मति 3 असहमति
विमानास्थान-सं० (पु०) = विमान केंद्र विमध्य-सं० (वि०) केंद्र से इधर उधर हटा हुआ, उत्केंद्र | विमार्ग-सं० (पु०) 1 कुमार्ग 2 बुरा आचारण विमन-सं० (वि०) उदास, अनमना
विमत-सं० (वि०) 1भिन्न मतवाला 2 असंगत विमनस्क-सं० (वि०) 1 व्याकुल 2 खिन्न
विमित-सं० (स्त्री०) सीमित, परिमित विमर्दन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह मलना 2 रौंदना 3 नष्ट | विमितीय-सं० (वि०) विमीय करना 4 पीड़ित करना
- | विमिश्र-सं० (वि०) 1 मिला जुला 2 विशुद्ध
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विमिश्रित
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विरावी
विमिश्रित-सं० (वि०) मिलाई गई
विरंजन-सं० (पु०) रंजन से रहित रहना विमीय-सं० (वि०) विमा संबंधी
विरक्त-सं० (वि०) 1 आसक्तिरहित 2 भोग विलास आदि से विमुक्त-सं० (वि०) 1 आजाद, स्वतंत्र 2 छोड़ा गया |
। दूर रहनेवाला 3 उदास, खिन्न (जैसे-विरक्त भाव, विरक्त 3 कार्यभार से मुक्त
नायिका)। ~ता (स्त्री०) विरक्ति विमुक्ति-सं० (स्त्री०) 1 विमुक्त करना 2 विछोह 3 छुटकारा विरक्ता-सं० (स्त्री०) दुखियारी औरत 4 मोक्ष
विरक्ति-सं० (स्त्री०) 1विरक्त होने का भाव 2 वैराग्य विमुख-सं० (वि०) 1विरत 2 प्रतिकूल 3 वंचित 4 उदासीन 3 उदासीनता, खिन्नता। -जनक (वि०) विरक्ति पैदा (जैसे-विमुख मन)
करनेवाला विमुग्ध-सं० (वि०) 1 भ्रमित 2 मोहित (जैसे-विमुग्ध विरचन-सं० (पु०) निर्माण, बनाना नायिका)
विरचयिता-सं० (पु०) निर्माण करनेवाला विमुग्धक-सं० (वि०) विमुग्ध करनेवाला
विरचित-सं० (वि०) 1निर्मित 2 पूरा किया हुआ विमुद्रीकरण-सं० (पु०) मुद्रा का मूल्य घटाना
विरज-सं० (वि०) 1 धूल, गर्द आदि से रहित 2 स्वच्छ, निर्मल विमूढ़-सं० (वि०) 1 अत्यंत मोहित 2 भ्रम में पड़ा हुआ विरत-सं० (वि०) 1 अंत हुआ 2 अनुरक्त 3 संलग्न, लीन (जैसे-विमूढ़ नायिका) 3 बड़ा या बहुत नासमझ
(जैसे-कर्म विरत योगी) 4 विरक्त विमूल-सं० (वि०) 1 बिना ज़ड़ का 2 बर्बाद
विरति-सं० (स्त्री०) 1 उदासीनता 2 वैराग्य विमूलन-सं० (पु०) उखाड़ना
विरद-(पु०) 1 बड़ा और सुंदर नाम 2 कीर्ति, यश विमूल्यन-सं० (पु०) मूल्य कम करना (जैसे-रुपए का | विरदावली-(स्त्री०) = विरुदावली विमूल्यन)
विरमण-सं० (पु०) 1 रुकना, ठहरना 2 त्याग करना 3 रमना विमृश्य-सं० (वि०) विमर्श के योग्य
4 भोग विलास विमोक-1 सं० (वि०) 1 दुर्वासना से मुक्त 2 स्पष्ट, साफ़ विरल-सं० (वि०) 1 जो घना न हो (जैसे-विरल बनावटवाला II (पु०) मुक्ति, छुटकारा
कपड़ा) 2 पतला 3 अल्प, थोड़ा विमोक्ष-सं० (पु०) 1 छुटकारा 2 मुक्ति
विरला-(वि०) बहुत कम मिलनेवाला विमोचक-सं० (वि०) मुक्त करनेवाला
विरव-I सं० (वि०) बिना शब्द का 2 निःशब्द, नीरव विमोचन-सं० (पु.) 1 छुड़ाना 2 बाहर करना (जैसे-कर्म | II (पु०) अनेक प्रकार के शब्द विमोचन)
विरस-सं० (वि०) 1 फीका (जैसे-नीरस फल) 2 बिना रुचि विमोचित-सं० (वि०) मुक्त किया हुआ
का 3 साहि० बिना रस के परिपाक के। ता (स्त्री०) विमोह-सं० (पु०) 1 मतिभ्रम 2 भ्रम 3 अज्ञान 4 आसक्ति नीरसता, फीकापन (जैसे-काम विमोह)
विरसा-अ० (पु०) मृतक की संपत्ति विमोहक-सं० (वि०) 1 मोहित करनेवाला 2 ललचानेवाला विरह-सं० (पु०) 1 वियोग 2 अभाव 3 अविद्यमानता
(जैसे-विमोहक चित्र) 3 सुध बुध भुलानेवाला । विरहिणी-सं० (स्त्री०) प्रिय या पति से बिछुड़ी हुई दुःखिनी विमोहन-सं० (पु०) 1 लुभाना 2 ललचाना 3 सुध-बुध भूलना
नायिका विमोहित-सं० (वि०) 1 आसक्त (जैसे-काम विमोहित) विरहित-सं० (वि०) 1 शून्य 2 परित्यक्त 2 बेसुध 3 भ्रम में पड़ा हुआ, भ्रमित
विरही-सं० (वि०) - वियोगी वियुक्त-सं० (वि०) 1 अलग किया हुआ, परित्यक्त 2 वंचित विराग-1 सं० (पु०) 1 राग का अभाव 2 अरुचि 3 विरक्ति 3 अभाव ग्रस्त
II (वि०) रागहीन, उदासीन । ~वादी (वि०) राग आदि से वियुग्म-सं० (वि०) 1 अकेला 2 अस्वाभाविकतावाला दूर रहनेवाला वियोग-सं० (पु०) 1 पार्थक्य 2 विच्छेद 3 विरह, दःख विरागी-सं० (वि०) 1 अनुरागरहित 2 विरक्त 4 अभाव 5 छुटकारा
विराजना-(अ० क्रि०) 1 प्रकाशित होना, शोभित होना वियोगांत-सं० (वि०) दुःखांत
2 विद्यमान होना वियोगात्मक-सं० (वि०) वियोग संबंधी
विराजमान-सं० (वि०) 1 प्रकाशमान 2 उपस्थित वियोगावस्था-सं० (स्त्री०) वियोग होने का भाव विराट-सं० (वि०) अत्यंत विशाल (जैसे-विराट सभा) वियोगी-सं० (वि०) विरही, दुःखी
विराम-सं० (पु०) 1 अटकाव 2 विश्राम। काल (१०) वियोजक-[ सं० (वि०) अलग करनेवाला II (पु०) ग० | विश्राम का समय; चिह्न (पु०) लेखन आदि में प्रयुक्त बड़ी संख्या में से घटाई जानेवाली छोटी संख्या
चिह्न; दायिनी (वि०/स्त्री०) विहीन (वि०) = वियोजन-सं० (पु०) 1 योग का अभाव 2 जुदाई, वियोग विरामहीन; ~संधि (स्त्री०) विश्राम देनेवाली, आगम 3 घटाना
पहँचानेवाली; अस्थायी शांति संधि; हीन (वि०) बिना वियोजित-सं० (वि०) 1 वियोग हुआ 2 वंचित 3 जुदा किया अटकाव का गया
विराव-I सं० 1 शब्द, आवाज़ 2 शोरगुल, हो हल्ला विरंग-सं० (वि०) 1रंगहीन 2 अनेक रंगोवाला
II (वि०) शब्द रहित विरंजक-सं० (वि०) रंग उड़ा देनेवाला
| विरावी-सं० (वि०) 1 शब्द करनेवाला 2 गूंजने वाला
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विरासत
753
विलोड़ित
विरासत-अ० (स्त्री०) उत्तराधिकार में मिला धन विलब्य-सं० (वि०) । पाया हआ 2 अलग पाया ह विरक्ति-सं० (वि०) 1 खाली किया हुआ 2 साफ़ किया गया | विलय-सं० (पु०) 1 घुलना 2 विलीन होना, समा जाना विरुद-सं० (पु०) 1 कीर्ति, माथा 2 प्रशंसासूचक पदवी 3 मिलना (जैस-लोकदल का जनता पार्टी में विलय हो गया) विरुदावली-सं० (स्त्री०) विस्तृत यशोगान
4 समाहित होना (जैसे-आत्मा का परमात्मा में विलय) विरुद्ध-सं० (वि०) 1 बाधित 2 अवरुद्ध 3 विरोधी 5 ध्वंस, नाश (जैसे-सृष्टि का विलय) 4 असंगत। कर्मा (पु०) विरुद्ध कर्म करनेवाला व्यक्ति | विलयन-सं० (१०) 1 विलीन होना 2 मिश्रित होना 3 विलय
~कर्मा, -गामी (वि०) उलटी ओर चलनेवाला विलसन-सं० (पु०) । विलास 2 चमकना विरुद्धार्थक-सं० (वि०) विरोधी अर्थवाला। ~ता विलाना-1 (अ० क्रि०) नष्ट होना || (स० क्रि०) नष्ट करना (स्त्री०) 1 विरूद्ध होने का भाव 2 विपरीतता
(जैसे-लड़के ने सारी संपत्ति विला दी) विरूप-[ सं० (वि०) 1 कई रूपोंवाला 2 शोभारहित 3 भद्दे । विलाप-सं० (पु०) बिलख बिलखकर रोना रूपवाला, बदसूरत 4 विपरीत 5 अप्रकृत || (पु०) बिगड़ी विलायक-सं० (वि.) घोलनेवाला (जैसे-पानी) सूरत। करण (पु०) कुरूप बनाने का काम विलायत--अ० (पु.) पराया देश, विदेश विरूपण-सं० (पु०) रूप बिगाड़ना
विलायती-अ० (वि०) 1 विदेशी 2 परदेश में रहनेवाला विरूया-सं० (स्त्री०) (वि०) कुरूप, बदसूरत
(जैसे-विलायती आदमी) विरूपित-सं० (वि०) रूप बिगाड़ा हुआ
विलास-सं० (पु०) 1 प्रणय क्रीड़ा 2 हावभाव 3 सौंदर्य विरूपी-सं० (वि०) 1 कुरूपा, बदसूरत 2 भद्दे रूपवाला 4 सुखोपभोग 5 आकर्षक और कोमल चेष्टा (जैसे-धू विचक-सं० (वि०) दस्तावर .
विलास)। कुंज (पु०) मौज मेला करने का कुंज; प्रिय विरेचन-सं० (पु०) 1 दस्तावर दवा 2 दस्त लाना
(वि०) 1 प्रणय क्रीड़ा का प्रेमी 2 सौंदर्य प्रेमी 3 संदर और विरोचन-[ सं० (पु०) चमकना II (वि०) प्रकाश करनेवाला कोमल हावभाव वाला; -विनोद (पु०) मौज मस्ती; विरोध-सं० (पु०) 1 बाधा 2 प्रतिरोध 3 विपक्षता 4 रोक, सामग्री (स्त्री०) विलास का सामान, विलास प्रसाधन प्रतिरोध 5 विपरीतता। -जनक (वि०) विरोध पैदा विलासमयी-सं० (वि०) क्रीडाशील, कामवती करनेवाला; -पक्ष (पु०) विपक्ष; ~पत्र (पु०) विरोध विलासवती-सं० (स्त्री०) स्वेच्छाचारिणी या कामुक स्त्री प्रकट करने का पत्र; परिहार (पु०) विरोध दूर करना; विलासांध-सं० (वि.) विलास में अंधा पीठ (पु०) विरोधियों के बैठने का स्थान; ~सूचक
विलासिता-सं० (स्त्री०) विलास भाव। -कर (पु.) (वि०) विरोध की सूचना देनेवाला
विलास सामग्री पर लगनेवाला टैक्स या कर विरोधाचरण-सं० (पु०) विरोध आचरण
विलासितामय-सं० (वि.) विलासिता में डूबा हुआ, विरोधाभास-सं० (पु०) साहि० विरोधमूलक अर्थालंकार | विलासिता में आबद्ध
जिसमें विरोध का वर्णन होते हुए भी विरोध का आभास हो विलासिनी-I सं. (स्त्री०) 1 कामिनी 2 वेश्या.. रंडी विरोधाभासात्मक-सं० (वि०). विरोधाभासी
II (वि०) विलासिता प्रिय विरोधाभासी-सं० (वि०) विरोधाभास संबंधी
विलासी-सं० (वि.) 1 सुख भोग प्राप्त करनेवाला 2 कामुक विरोधिता-सं० (स्त्री०). = विरोध
3आराम तलब विरोधी-सं० (वि०) 1विरोध करनेवाला 2 उलटा विलिखन-सं० (पु.) 1 लिखना 2 अंकित करना . विरोध्य-सं० (वि०) विरोध के योग्य
विलिखित-सं० (वि.) 1 लिखा हुआ 2 अंकित :... विरोपण-सं० (पु०) रोपना
विलिष्ट-सं (वि.) 1 टूटा हुआ, खंडित 2. अस्त व्यस्त विरोपित-सं० (वि०) सेपा हुआ ..
विलीन-सं० (वि.: 1 गुप्त हुआ, अदृश्य 2 ओझल 3 मिल विलंघन-सं० (पु०) 1 लाँघकर पार करना 2 वंचित रखना गया (जैसे ईश्वर में विलोन आमा) विलंब-सं० (पु०) देर । ~शुल्क (पु०) लेट फ़ीस... विलीनीकरण-सं. (पु) समा लेना विलंबन-सं० (पु०). देर करना
विलीनीकृत- वि० वटोन आ . विलंबित-सं० (वि०) 1 विलंब हुआ 2 देर करनेवाला..
विलुंठित-सं. (वि.) । लोटा हुआ ) लूटा गया चिलंबी-सं० (वि०) देर लगनेवाला..
विलुप्त-सं (वि.) लि हुआ, अदृश्य 2 नष्ट . विलक्ष-सं० (वि०) 1बिना लक्षण का 2 बिना लक्ष्य का विलून-सं. (वि.) अलग किया गया विलक्षण-सं० (वि०) 1 लक्षणरहित 2 अत्यंत लक्षणोंवाला विलेख-सं० (१०) । अनुमान, कल्पना 2 सोच विचार (जैसे-विलक्षण प्रतिभा)
3 दस्तावेज़ विलग-(वि०) • अलग, पृथक्
विलेप-सं० (प) सर पर लगानेवाला लेप 2 दीवार पर विलगाना-I (अ० क्रि०) अलग होना II (स० क्रि०) अलग का पलस्तर
विलोकन सं. (१०) 1 देखना 2 ध्यान देना 3 तलाश करना बिला-सं० (वि०) 1 संलग्न 2 बाँधा हुआ। ता (स्त्री०) |
विलोकित-म (वि.) । देखा हआ 2 निरीक्षित संलग्न होने का भाव
विलोचन-मं० (पु.) नेत्र, आँख बिलज-सं० (वि०) निर्लज, बेहया. .
विलोड़न-सं. (पु.) । मथना 2 हिलाना लियन-सं० (पु०) 1 विलाप करना 2 गप शप करना विलोड़ित-सं० (वि.) ! मथित 2 हिलाया हुआ .
करना
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विलोप
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विशद
विलोप-सं० (पु०) 1 रुकावट 2 लोप 3 बाधा 4 नाश 5 हानि | विवाह-सं० (पु०) 1 शादी 2 दांपत्य बंधन (जैसे-वर-कन्य 6 संकट, आपत्ति
का विवाह संपन्न हो गया)। क्रिया (स्त्री०) विवाह करना; विलोपन-सं० (पु०) 1 भंग करना 2 अलग करना 3 नष्ट ~भंग (पु०) = विवाह विच्छेद; ~मंडप (पु०) वर-वधू करना 4 लुटना 5 लुप्त करना
की शादी का घेराकार स्थान; विच्छेद (पु०) विवाह संबंध विलोपीकरण-सं० (पु०) विलोप करना
का टूटना, तलाक; विषयक (वि०) विवाह संबंधी; विलोभ-[सं० (पु०) प्रलोभन II (वि०) लोभ से रहित ~संबंध (पु०) विवाह का रिश्ता; संस्कार (पु०) विवाह विलोभन सं० (पु०) 1विलोभ 2 प्रलोभन
की रस्म विलोम-1 सं० (वि०) उलटा, विपरीत 2 रीतिविरुद्ध 3 पीछे विवाहना-(स० क्रि०) शादी कराना, ब्याहना का II (पु०) उलटा क्रम
विवाहित-सं० (वि०) ब्याहा हुआ विलोमक-सं० (वि०) विपरीत- क्रम में चलनेवाला विवाहिता-I सं० (वि०) ब्याही हई II (स्त्री०) ब्याही गईनी विलोमतः-सं०(अ०) विपरीत दिशा में
(जैसे-विवाहिता का सौंदर्य देखने काबिल है) विलोमन-सं० (पु०) विपरीत क्रम में रखना
विवाहोचित वयस-सं० (वि०) विवाह के योग्य उग्रवाला विलोमित-सं० (वि०) उलटा हुआ
विवाहोत्सव-सं० (वि०) विवाह का उत्सव विलोमी-सं० (स्त्री०) आँवला
विविक्त-सं० (वि०) 1 पृथक् 2 अस्त व्यस्त 3 पवित्र विलोल-सं० (वि०) 1लहराता हुआ 2 अस्थिर
4 विवेकी विल्व-सं० (पु०) बेल का पेड़ और फल
विविक्ति-सं० (स्त्री०) 1 विवेकपूर्वक कार्य करना 2 अलगाव विवक्षा-सं० (स्त्री०) 1 अभिप्राय, 2 इच्छा 3 संदेह, हिचक | 3 विभाग। ~वाद (पु०) विवेकपूर्ण कार्य करने का सिद्धांत विवक्षित-सं० (वि०) कहे जाने योग्य
~वादी (वि०) विविक्तिवाद संबंधी विक्दनीय-सं० (वि०) विवाद करने योग्य
विविध-[ सं० (वि०) विभिन्न प्रकार का, कई तरह का विवर-सं० (पु०) 1छिद्र, बिल 2 कंदरा, गुफा
II (पु०) विभिन्न प्रकार का काम। ~ता (स्त्री०) विविध विवरण-सं० (पु०) 1 व्याख्या 2 स्पष्ट करना 3 वर्णन होने का भाव (जैसे-घटना का विवरण)। -चिह्न (पु०) कोलन | विवृत-I सं० (वि०) 1 विस्तृत 2 खुला हुआ, प्रत्यक्ष II व्या० डैश (:-); ~पत्र (पु०) विवरण लिखा पत्र पत्रिका उच्चारण की एक अवस्था जिसमें मुखद्वार पूरा खुलता है (स्त्री०) विवरण संबंधी पत्रिका
विवृति-सं० (स्त्री०).1 भाष्य, टीका 2 प्रकटीकरण विवरणात्मक-सं० (वि०) = विवरण संबंधी
विवृत्त-सं० (वि०) 1 घूमता हुआ, चलता हुआ 2 ऐंठा हुआ विवरणी-सं० (स्त्री०) = विवरण पत्र
3 अनावृत्त 4 खुला हुआ विवर्जन-सं० (पु०) 1 त्याग 2 उपेक्षा 3 निषेध
विवृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 फैलाव, विकास 2 चक्कर खम, विवर्ण-सं० (वि०) 1रंगहीन 2 कांतिहीन 3 रंग बिरंगा 4 जाति घूमना 3 विवृत्त होने का भाव च्युत। “ता (स्त्री०) विवर्ण होने का भाव
विवेक-सं० (पु०) 1 भले बुरे का ज्ञान 2 समझ (जैसे-विवेक विवर्त-सं० (पु०) 1 घूमना, मुड़ना 2 चक्कर लगाना, परिक्रमा से काम करना) 3 सत्यज्ञान। ~ता (स्त्री०) विवेक भव,
करना 3 आकाश 4 परिवर्तन 5 भ्रम, धोखा। स्वाद (पु०) ज्ञान; पूर्ण (वि०) विवेकवाला, विवेकमय; जीत
संपूर्ण सृष्टि को असत् या मिथ्या मानने का सिद्धांत (वि०) = विवेकवान; ~शुन्य (वि०) विवेक रहिट विवर्तन-सं० (पु०) 1 चक्कर लगाना, परिक्रमा करना ~संगत (वि०) विवेकवाला 2 लुढ़कना 3 नाचना 4 विकास 5 घूमना
विवेकतः-सं० (क्रि० वि०) विवेक के अनुसार विवर्तनिक-सं० (वि०) चक्करवाला
विवेकवान्-सं० (वि०) सदविवेकवाला, विवेकपूर्ण विवर्द्धित-सं० (वि०) 1 उत्रत किया हआ 2 बढ़ाया हुआ विवेकाधीन-सं० (वि०) विवेक के आधीन विवश-सं० (वि०) 1लाचार 2 शक्तिहीन 3 अधीन। ता विवेकी-सं० (वि०) 1 विवेकशील 2 बुद्धिमान् 3 न्यायशील (स्त्री०) 1 विवश होने का भाव 2 लाचारी 3 शक्तिहीनता विवेचक-सं० (वि०) विवेचन करनेवाला 4 अधीनता
विवेचन-सं० (पु०) 1 सदसत् का निर्णय 2 अनुसंधान विवसन-सं० (वि०) विवस्त्र
3मीमांसा 4 परीक्षण। -शैली (स्त्री०) विवेचन का दंग, विवस्त्र-सं० (वि०) वस्त्रहीन, निर्वस्त्र, नग्न
विवेचन विधि विवाचन-सं० (पु०) मध्यस्थता
विवेचनात्मक-सं० (वि०) विवेचन संबंधी विवाद-सं० (पु०) 1 कहासुनी, तकरार 2 मतभेद (जैसे-वाद विवेचनीय-सं० (वि०) = विवेच्य विवाद)। ~ग्रस्त (वि०) विवाद में फँसा हुआ | विवेचित-सं० (वि०) 1 निश्चित 2 विवेचन किया हा
-निवारक (वि०) विवाद रोकनेवाला; ~पूर्ण (वि०) 3 अनुसंधान किया हुआ विवाद से भरा हुआ: ~वस्तु (स्त्री०) विवाद का विषय; विवेच्य-सं० (वि०) विवेचन करने योग्य ~शील (वि०) विवादी स्वभाववाला
विशद-सं० (वि०) 1 स्वच्छ, निर्मल 2 उज्जवल 3 चिंतारहित, विवादस्पद-सं० (वि०) - विवादग्रस्त
शांत तथा स्थिर 4 सुंदर। ~ता (स्त्री०) 1 विशद होने क विवादी-सं० (वि०) 1विवाद करनेवाल 2 झगड़ालू भाव 2 स्वच्छता, निर्मलता 3 सुंदरता
3मकटमेबाज
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विशदीकरण
विशदीकरण-सं० (पु०) साफ़ करना, (विषय को) और खोलना
विशारद - सं० ( पु० ) 1 विषय का विशेषज्ञ (जैसे- साहित्य का विशारद, चिकित्सा विशारद ) 2 उत्तम, श्रेष्ठ 3 पंडित, विद्वान् (जैसे- संगीत विशारद )
विशाल - सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा (जैसे- विशाल वृक्ष) 2 शक्तिशाली (जैसे- विशाल सेना ) । ~काय (वि०) विशाल शरीरवाला; ता (स्त्री०) 1 बड़प्पन 2 विस्तार, फैलाव ~ स्कंधीय (वि०) बड़े कंधोंवाला (जैसे- विशाल स्कंधीय पुरुष)
विशालित-सं० (वि०) विशाल किया गया
विशिष्ट संघ ( वि० ) 1 विशेषता युक्त 2 असाधारण 3 उत्तम (जैसे - विशिष्ट नारी) 4 विशेष रूप से शिष्ट (जैसे - विशिष्ट पुरुष) । ~ता (स्त्री०) 1 विशिष्ट होने का भाव 2 विशेषता; ~ सेवा मेडल + अं० (पु०) विशेष सेवा हेतु दिया गया
तमगा
विशिष्टांगसं० (पु० ) विशिष्टता विशिष्टाद्वैत -सं० (पु०) रामानुज द्वारा चलाया गया एक मत जो जगत् और जीवात्मा को ब्रह्म से भिन्न मानता हुआ भी ब्रह्म से ही उद्भूत मानता है।
विशिष्टाधिकार-सं० ( पु० ) विशेषाधिकार विशिष्टिकरण-संघ (पु० ) विशेषीकरण विशिष्टीकृत-सं० (वि०) विशीर्ण-संग (वि०) 1 क्षीण 2 भग्न 3 तितर बितर 4 संकुचित
विशेषीकृत
755
S
-
5 दुबला पतला
सत्य
विशील-सं० (वि०) 1 बुरे शीलवाला 2 दुश्चरित्र विशुद्ध-सं० (वि०) 1 शुद्ध. खरा 2 सच्चा, (जैसे- विशुद्ध भाव) । ~ता (स्त्री०) विशुद्ध होने का भाव; ~ता-वाद (पु० ) शुद्ध आचरण पर बल देने का सिद्धांत; ~ता-वादी (वि०) विशुद्धतावाद संबंधी विशुद्धि-सं० (स्त्री०) 1 विशुद्धता 2 भूल का सुधार । वाद (पु०) दूषित भावों से दूर रहने का सिद्धांत; वादी (वि०) 1 विशुद्धिवाद का माननेवाला 2 विशुद्धिवाद से संबंधित विशूचिका - सं० (स्त्री० ) विषूचिका, हैजा विशून्य-सं० (वि०) पूर्णतः रिक्त
विशृंखल - सं० (वि०) 1 बंधनहीन 2 अदम्य । ता (स्त्री०) विशृंखल होने का भाव
विश्व
पत्र का विशेष अंक (जैसे- साहित्यिक विशेषांक) विशेषाधिकार-सं० (पु०) अधिकारी या अन्य व्यक्ति को प्राप्त विशेष अधिकार (जैसे-दंड देने का विशेषाधिकार ) । ~ प्राप्त (वि०) जिसे विशेषाधिकार दिया गया हो; ~वादी (वि०) विशेषाधिकार से संबद्ध
विशेषाधिवेशन -सं० (पु०) बड़ी सभा के बैठकों का विशेष समूह
विशेषार्थक-सं० (वि०) विशेष अर्थवाला विशेषित-सं० (वि०) विशेषीकृत विशेषीकरण-सं० (पु०) साधारण को विशेष बनाना विशेषीकृत-सं० (वि०) विशेष बनाया हुआ विशेषोक्ति-सं० (स्त्री०) एक अर्थालंकार जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का अभाव हो
विशेष्य-सं० (पु० ) व्या० विशेषण द्वारा सूचित किया जानेवाला पद या शब्द (जैसे पीत वसन में वसन विशेष्य है) विशोक-सं० (वि०) शोक रहित। ~ता (स्त्री०) विशोक होने का भाव
विशोधन सं० (पु० ) विशुद्ध करना
विश्रंभ - सं० (पु०) 1 दृढ़ तथा पूर्ण विश्वास 2 प्रेम में उत्पन्न झगड़ा 3 प्रेम, प्यार 4 आत्मीयता
विश्रंभी -सं० (वि०) 1 विश्वासी, विश्वसनीय 2 प्रेम संबंधी 3 गोपनीय
विशृंखलित-सं० (वि०) मुक्त, आजाद विशेष-सं० (वि०) 1 असाधारण, असामान्य, विपुल 2 प्रचुर 3 अधिक (जैसे- विशेष धन राशि) 4 विचित्र, विलक्षण (जैसे- विशेष आकृति) । ~कर ( क्रि० वि० ) विशेषतः, विशेषतया, खासतौरपर; ~ज्ञ (वि०) विषय का विशेष ज्ञान रखनेवाला; ता (स्त्री०) विशेष होने का भाव विशेषक-सं० (वि०) विशिष्टता उत्पन्न करनेवाला विशेषण-सं० (पु० ) 1 विशेषता सूचित करनेवाला शब्द 2 व्या० संज्ञा की विशेषता बतलाने वाला विकारी शब्द (जैसे- नील कमल में नील शब्द विशेषण है) विशेषतः सं० ( क्रि० वि०) विशेष प्रकार से विशेषतया सं० ( क्रि० वि०) विशेष रूप से विशेषांक -सं० ( पु० ) विशेष अवसर पर प्रकाशित सामयिक
=
विश्रव्य-सं० (वि०) 1 विश्वसनीय 2 निडर, निर्भय 3 शांत और सुशील 4 दृढ़ 5 धीर
विश्रांत-सं० (वि०) विश्राम किया हुआ 2 क्लांत 3 शांत 4 वंचित 5 समाप्त
विश्रांति-सं० (स्त्री०) 1 विश्राम, आराम 2 थकावट । ~काल (पु०) विश्राम का समय; गृह (पु० ) = विश्राम
गृह
+
विश्राम -सं० (पु० ) 1 आराम 2 आराम हेतु मिलनेवाला अवकाश 3 चैन, सुख। गृह, घर हिं०, भवन (पु० ) विश्राम करने का स्थान विश्रामालय-सं० (पु० ) 1 पांथशाला 2 यात्रियों के विश्राम करने का स्थान
विश्रुत-सं० (वि०) 1 सुना हुआ 2 विख्यात विश्रुति-सं० (स्त्री०) विश्रुत होने का भाव
विश्लिष्ट - सं० (वि०) 1 विश्लेषण किया गया 2 अलग किया
हुआ 3 प्रकट, व्यक्त 4 मुक्त
विश्लेष-सं० (पु० ) 1 अलग होना 2 वियोग 3 थकावट, शिथिलता 4 विरक्ति
विश्लेषक -सं० (पु० ) विश्लेषण करनेवाला
विश्लेषण - सं० ( पु० ) 1 अलग करना 2 छान बीन करना 3 जाँच करना
विश्लेषणात्मक-सं० (वि०) विश्लेषण संबंधी विश्लेषित - सं० (वि०) 1 अलग किया हुआ 2 वियुक्त विश्लेष्य-सं० (वि०) विश्लेषण के योग्य
विश्वंभर - I सं० (५०) विष्णु II ( वि०) विश्व का भरण पोषण करनेवाला
विश्वंभरा-सं० (स्त्री०) पृथ्वी
विश्व - I सं० (वि०) समस्त कुल II ( पु० ) 1 ब्रह्मांड
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विश्व
756
विषय
.
2 जगत, संसार। ~आधिपत्य (पु०) संसार का स्वामित्व; विश्वस्त-सं० (वि०) 1 विश्वास किए जाने योग्य 2 विश्वास ~आबादी + फा० (स्त्री०) संसार की जनसंख्या; ~कर्ता, | किया गया -कर्मा (पु०) विश्व का स्वामी, ईश्वर; ~कल्याण विश्वात्मा-सं० (पु०) 1 ब्रह्मा 2 विष्णु 3 शिव (पु०) संसार का हित; ~कवि (पु०) सर्वश्रेष्ठ कवि; विश्वामित्र-सं० (वि०) जो विश्व का मित्र हो ~कोश (पु०) 1 ऐसा कोश जिसमें विश्वभर के पदार्थ विश्वास-सं० (पु०) 1 निश्चित धारणा, यकीन 2 भरोसा संग्रहीत हों 2 ऐसा विशाल ग्रंथ जिसमें विश्व भर की समस्त (जैसे-लंपट स्त्री का विश्वास करना मूर्खता है)। कारक महत्त्वपूर्ण बातों का विवरण हो; ~कोशीय (वि०) विश्व (वि०) विश्वास करनेवाला; ~घात (पु०) धोखा, द्रोह कोश से संबंधित; क्रांति (स्त्री०) विश्व आंदोलन; (जैसे-मित्र के प्रति विश्वासघात अक्षम्य है); घातक
छवि (स्त्री०) संसार की शोभा; ~जनता (स्त्री०) विश्व (वि०) = विश्वासघाती; ~घातिनी (स्त्री०) विश्वासघात जनसंख्या; ~जयी (वि०) संसार को जीतनेवाला; ज्ञान करनेवाली स्त्री; ~घाती (वि०) विश्वासघात करनेवाला; कोश (पु०) = विश्वकोश; ~धर्मों सम्मेलन (पु०) संसार पात्र (वि०) विश्वसनीय; ~प्रवण (वि०) जो जल्दी से के सभी धर्मों का सम्मेलन; नाथ (पु०) विश्व का स्वामी, विश्वास कर ले शिव; ~परिस्थिति (स्त्री०) = विश्व स्थिति; ~पाल | विश्वासिक-सं० (वि०) = विश्वसनीय (पु०) ईश्वर; ~पूजित (वि०) विश्व द्वारा पूज्य; विश्वासी-सं० (वि०) विश्वास किए जाने योग्य ~प्रदर्शनी (स्त्री०) विश्व महोत्सव; ~प्रभुत्व (पु०) = | (जैसे-विश्वासी मित्र) विश्व आधिपत्य; ~बंधु I (पु०) शिव II (वि०) विश्व का | विश्वासोत्पादक-सं० (वि०) = विश्वासकारक मित्र; ~बंधुत्व (पु०) विश्व बंधु होने का भाव; बाज़ार | विश्वास्य-सं० (वि०) = विश्वसनीय + फ़ा० संसार भर का बाजार ब्रह्मांड (पु०) संपूर्ण जगत् | विश्वोत्पत्ति-सं० (स्त्री०) विश्व की उत्पत्ति ~भर्ता (पु०) ईश्वर; ~भ्रमण (पु०) संसार की यात्रा, विष-सं० (पु.) 1 ज़हर, हलाहल 2 नाशक पदार्थ या तत्त्व दुनिया की सैर; ~मंच (पु०) संसार; ~माता (स्त्री०) (जैसे-धूम्रपान स्वास्थ्य हेतु विष है)। कन्या (स्त्री०) दुर्गा; युद्ध (पु०) विश्व में होनेवाली लड़ाई राजनीति ऐसी विषाक्त कन्या जिसके साथ संभोग करनेवाले को मृत्यु हो (स्त्री०) विश्व से संबंधित नियम क़ानून; रूप (वि०/पु०) जाती है; ~ता (स्त्री०) = विषत्व; ~धर I (वि०) विषैला सर्वव्यापक; ~रूपिणी (स्त्री०) महाशक्ति; ~वाद (पु०) II (पु०) साँप, सर्प; ~पान (पु०) विष पीना; ~मार - 1 ऐसा मत कि सारा विश्व एक स्वतंत्र सत्ता है तथा निश्चित हिं० (पु०) विष के प्रभाव को खत्म करनेवाला पदार्थ नियमों के अनुसार विकास पथ पर चलता है 2 ऐसा सिद्धांत ~वमन (पु०) विष की उल्टी; ~विज्ञान (पु०) ऐसी कि तत्त्वज्ञान संबंधी सभी बातें सारे विश्व में पाई जाती है, विद्या जिसके अंतर्गत विष और विष संबंधी तत्त्वों की जानकारी युनिवर्सलिज्म; ~वादी (वि०) विश्ववाद से संबंधित; ___ की जाती है; हीन (वि०) बिना ज़हर का, विष रहित ~वास (पु०) संसार, जगत्; ~वासी (वि०) = | | विषण्ण-सं० (वि०) उदास, दुःखी विश्ववादी; विख्यात (वि०) विश्व में प्रसिद्ध विषण्णमना-सं० (वि०) उदास, मन से दुःखी
विजयी (वि०) विश्व को जीतनेवाला; विजेता (पु०) । | विषत्व-सं० (स्त्री०) चि० विष का भाव, ज़हरीलापन संसार पर विजय प्राप्त करनेवाला योद्धा; विदित (वि०) विषम-सं० (वि०) 1 असमान (जैसे-विषम गति) ग० दो से 1 विश्व विख्यात 2 जिसे विश्व जानता हो; विद्यापीठ | भाग देने पर पूर्ण विभक्त न होनेवाली संख्या, 2 विकट (पु०) विश्व विद्यालय; विद्यालय (पु०) सर्वोच्च शिक्षा | (जैसे-विषम कार्य, विषम स्थिति) 3 भीषण, प्रचंड देनेवाली वह बड़ी संस्था जिसके अधीन अनेक महाविद्यालय (जैसे-विषम ज्वाला) 4 भयंकर 5 तीव्र, तेज़ (जैसे-विषम भी आते हैं. यूनीवर्सिटी: विद्यालय खेल + हिं० (पु०) ज्वर)। ~ता (स्त्री०) विषम होने का भाव विश्वविद्यालय स्तर पर खेले गए खेल; विद्यालय प्रबंध विषमय-सं० (वि०) विषयुक्त समिति (स्त्री०) विश्वविद्यालय की व्यवस्था आदि करनेवाली विषमांग-सं० (वि०) विषम अंगवाला समिति या संगठन; विद्यालयीय (वि०) विश्व विद्यालय विषमीकरण-सं० (पु०) सम को विषम बनाना से संबंधित; विश्रुत (वि०) = विश्व विख्यात; ~वेदा विषय-सं० (पु०) 1 ज्ञानेंद्रियों द्वारा प्राप्त रस, पदार्थ या तत्त्व (वि०) सबकुछ जाननेवाला, सर्वज्ञ; ~व्यापार (पु०) (जैसे-गंध और स्वाद का विषय) 2 आधारिक कल्पना विश्व में देश विदेश से होनेवाला व्यापार; ~व्यापक, (जैसे-कहानी का विषय क्या होगा) 3 बात (जैसे-मेरे आते ~~व्यापी (वि०) विश्व में व्याप्त; ~शांति (स्त्री०) पूरे ही आपने विषय बदल दिया) 4 अध्ययन की सामग्री, संसार में अमन चैन; -शांति परिषद (स्त्री०) विश्व में सब्जेक्ट आदि (जैसे-परीक्षा विषय, कक्षा दस में पाँच विषय शांति शापित करनेवाली सभा समस्या (स्त्री०) संसार की | हैं) 5 विवेचन, विचार, मैटर (जैसे-रामायण का विषय क्या समस्या; सृष्टि (स्त्री०) संसार की रचना:-हिंदू परिषद् है) 6 विषय वासना, इंद्रिय सूख 7 भोग विलास की सामग्री (स्त्री०) विश्व हिंदू सभा
(जैसे-विषय वासना में पैसा खर्च करना) ४ स्थान, जगह । विश्वक-सं० (वि०) 1 विश्व संबंधी 2 विश्वव्यापा
~गत (वि०) विषय में आया हुआ; -ज्ञान (पु०) विश्वतः-(अ०) चारो ओर, सभी ओर, सर्वत्र
1 सांसारिक ज्ञान 2 विषय की जानकारी; निर्धारिणी विश्वमय-सं० (वि०) विश्वरूप
समिति (स्त्री०) विषय निश्चित करनेवाली समिति या विश्वसनीय-सं० (वि०) विश्वास के योग्य ... संगठन; ~प्रधान (वि०) जो मुख्यतः किसी निश्चित विषय
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विषयक
प्रसंग
से संबंधित हो; ~ प्रवेश (पु०) विषय का प्रारंभ (पु० ) भोग विलास में रत भोग (पु० ) 1 इंद्रिय सुख प्राप्त करना 2 काम वासना का सुख भोगना; भोगवाद (पु०) खाओ पीओ मौज करो का सिद्धांत; भोगवादी (वि०) विषयभोगवाद संबंधी; ~ लोलुप (वि०) काम वासना का लोभी, कामुक (स्त्री०) आधारिक और मूल विचार; ~वस्तुगत (वि०) विषयगत; वार + फ़ा० ( क्रि० वि०) विषयानुरूप वासना (स्त्री०) काम वासना, एंद्रिक सुखभोग; सूची (स्त्री०) विषय अनुक्रमणिका; ~ स्थापना (स्त्री०) अपने विषय का पुष्टिकरण
वस्तु
विषयक सं० (वि०) 1 विषय संबंधी 2 विषय रूप में होनेवाला
विषयगत
=
विषयपरक सं० (वि०) विश्यांतर -सं० (वि०) 1 पड़ोस का 2 पास का विषयात्मक सं० (वि०) विषय संबंधी विषयानुक्रमणिका -सं० (स्त्री०) विषयसूची विषयाभिमुख -सं० (वि०) विषय प्रधान विषयासक्त-सं० (वि०) विषय में लगा हुआ विषयी - सं० (वि०) 1 भोग विलास में रत रहनेवाला 2 कामुक विषयोपभोग-सं० (५०) विषय भोग
विषाक्त - सं० (वि०) विष से युक्त, विष में बुझा हुआ विषाण-सं० (पु० ) सींग
विषाणी - I सं० (स्त्री०) सींगवाला पशु II ( वि०) सींगवाला विषाणु-सं० (पु०) रोग पैदा करनेवाले विषाक्त तत्त्व । रोग
=
=
(पु० ) विषाणु से उत्पन्न रोग; ~ विज्ञान (पु०) विषाणुओं के विषय में ज्ञान प्राप्त करनेवाली विद्या; विज्ञानी (पु० ) विषाणु विज्ञान का ज्ञाता ; ~संक्रमण (पु० ) विषाणुओं का फैलना
विषाद-सं० ( पु० ) 1 दुःख, अवसाद, उदासी 2 ग़म 3 नैराश्य 4 उत्साहहीनता
विषादिता-सं० (स्त्री०) विषाद होने की स्थिति विषादी -सं० (वि०) 1 दुःखी 2 उदास
विषी - I सं० (वि०) ज़हरीला, विषैला II (पु०) विषैला पदार्थ विषुव -सं० (पु० ) दिन और रात का मान बराबर होने का समय विषुवत् - I सं० (वि०) बीच का, मध्यस्थित II ( पु० ) विषुव
विषवद्रेखा-सं० (स्त्री०), विषुववृत्त - (पु० ) विषुवरेखा: भूमध्यरेखा
विषूचिका - सं० (स्त्री० ) हैजा
विषैला -सं० (वि०) विषयुक्त, विषमय (जैसे विषैला द्रव, विषैली गैस)
विष्कंभ - सं० (पु० ) 1 अड़चन, बाधा 2 नाटक आदि का मध्य अंश (जैसे- चंडावली नाटिका का विष्कंभ) 3 ज्योतिष का एकयोग
विष्कंभक-सं० (वि०) सहायता देनेवाला विष्टंभ - सं० ( पु० ) 1 स्थिर करना 2 रोकना 3 रुकावट विष्टा-सं० (स्त्री०) विष्ठा
विष्टि-सं० (स्त्री०) 1 बेगार 2 पेशा 3 प्राप्ति
विष्ठा - सं० (स्त्री०) 1 मल, गुह 2 त्याज्य वस्तु
विस्तारशः
विष्णु - सं० ( पु० ) त्रिदेवों में से एक, लक्ष्मीपति विसंक्रमण - सं० ( पु० ) संक्रमण रोकना विसंगठन - ( पु० ) विघटन, संगठन हटा देना विसंगत-सं० (वि०) बे मेल, असंगत विसंगति-सं० (स्त्री०) विसंगत होना, असंगति विसंज्ञ-सं० (वि०) बेहोश विसंज्ञन-सं० (पु०) बेहोश होना विसंपर्क - सं० (पु० ) संपर्क का अभाव विसंभूत-सं० (वि०) 1 उत्पन्न 2 निर्मित विसंभूति-सं० (स्त्री०) विसंभूत होने का भाव विसंवादी - I सं० (वि०) 1 वचन भंग करनेवाला 2 धोखा देनेवाला 3 निराश करनेवाला 4 खंडन करनेवाला (पु० ) (संगीत) कभी कभी लगनेवाला स्वर विसदृश - सं० (वि०) 1 भिन्न 2 अनोखा विसम्मति-सं० (स्त्री०) विमत होना विसरण-सं० (पु०) फैलना
विसर्ग - सं० ( पु० ) 1 परित्याग 2 फेंकना 3 निपटाना विसर्गी - सं० (वि०) 1 विसर्ग से युक्त 2 रुकनेवाला (जैसे- विसर्गी ज्वर)
विसर्जन -सं० ( पु० ) 1 त्यागना 2 दान 3 अंत, समाप्ति विसर्जित सं० (वि०) विसर्जन किया गया विसर्जन-सं० ( पु० ) 1 छोड़ना, परित्याग 2 समाप्ति, अंत विसर्जनीय-सं० (वि०) 1 त्यागने योग्य 2 विसर्जन के योग्य विसर्जयिता-सं० (वि०) विसर्जन करनेवाला विसर्पी -सं० (वि० ) 1 फैलनेवाला 2 तेज़ चलनेवाला 3 लहरियेदार 4 रेंगता हुआ आगे बढ़ना विसा - अं० (पु० ) पारपत्र (जैसे-विसा मिल गया) विसाल - अ० (पु० ) 1 मिलन 2 संयोग विसिल अं० (स्त्री०) सीटी विसूचिका - सं० (स्त्री०) = विषूचिका विसूरण-सं० (पु० ) 1 दुःख, रंज 2 चिंता विसृत-सं० (वि०) 1 फैलाया हुआ 2 कथित विसृष्ट-सं० (वि०) 1 सृष्टि हुई 2 त्यागा हुआ विसैन्यकृत-सं० (वि०) सेना हटा दी गई विसैन्यकरण-सं० ( पु० ) सेना हटा देना विसैन्यीकृत -सं० ( वि० ) विसैन्यकृत विस्तर - I सं० ( वि० ) अधिक, बहुत II ( पु० ) विस्तार विस्तरण-सं० (पु० ) विस्तृत करना
विस्तार - सं० (पु०) फैलने का भाव, फैलाव (जैसे- नदी का विस्तार, आँगन का विस्तार ) 2 लंबाई और चौड़ाई 3 विस्तृत विवरण (जैसे-कहानी का विस्तार) । ~ता (स्त्री०) फैलाव; पूर्ण (वि०) विस्तार से भरा हुआ; पूर्वक ( क्रि० वि०) विस्तारश:; . ~ योजना (स्त्री०) विस्तार हेतु बनाई गई योजना; ~ वाद (पु० ) विस्तार करने का सिद्धांत; ~वादी I (वि०) विस्तारवाद से संबंधित (जैसे- विस्तारवादी नीति ) II (पु० ) विस्तारवाद का समर्थक
विस्तारक -सं० (वि०) विस्तार करनेवाला
757
=
विस्तारण-सं० (पु० ) विस्तार करना
विस्तारशः सं० ( क्रि० वि०) विस्तार रूप में (जैसे- विस्तारशः वर्णन करना)
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विस्तारित
विस्तारित सं० (वि०) विस्तार किया हुआ विस्तारीकरण -सं० ( पु० ) विस्तार करने का कार्य विस्तीर्ण सं० (वि०) विस्तृत
विस्तृत - सं० (वि०) 1 विस्तारवाला 2 विस्तारपूर्वक बताई गई
(जैसे- विस्तृत कथा)
विस्तृति सं० (स्त्री०) 1 फैलाव 2 व्याप्ति
=
विस्थापन -सं० (पु० ) हटाना विस्थापित-सं० (वि०) हटाया गया विस्पष्ट-सं० (वि०) जो साफ़ या स्पष्ट न हो विस्फारण - सं० (पु० ) 1 फैलाना 2 खोलना विस्फारित - सं० (वि०) खोला हुआ (जैसे-विस्फारित नयन) विस्फीति -सं० (स्त्री०) मुद्रा स्फीति को रोकना विस्फुरण-सं० ( पु० ) 1 कंपन 2 स्पंदन 3 कौंध विस्फूर्जन-सं० (पु० ) 1 विकास 2 गरजना विस्फोट-सं० (पु० ) 1 फूटकर (जैसे- ज्वालामुखी का विस्फोट) (जैसे - कारखाने में बम का विस्फोट) विस्फोटक-सं० (वि०) विस्फोट करनेवाला (जैसे-विस्फोटक
=
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बाहर निकलना 2 ज़ोर का शब्द
पदार्थ)
विस्फोटन सं० (पु० ) विस्फोट करना
विस्मय -सं० ( पु० ) 1 आश्चर्य 2 अचंभा 3 साहि० अद्भुत रस का स्थायी भाव। कारी, जनक विस्मय उत्पन्न करनेवाला; बोधक (वि०) व्या० विस्मय का ज्ञान करानेवाला (जैसे- विस्मय बोधक चिह्न) विस्मयातिरेक-सं० (पु० ) आश्चर्य की अधिकता विस्मयादिबोधक -सं० (पु० ) व्या० अव्यय का भेद जो अविकारी शब्द का सूचक है (जैसे- हाय ! राजा की मृत्यु गई) विस्मयोत्पादक सं० (वि०) विस्मयकारी विस्मरण-सं० (पु०) भूलना, विस्मृति । ~शील (वि०) विस्मरण होनेवाला (जैसे- विस्मरणशील स्वभाव )
हो
विस्मित-सं० (वि०) विस्मयवाला
विस्मृत-सं० (वि०) भुलाया हुआ
विस्मृति-सं० (स्त्री०) भूल जाना विस्वर-सं० (वि०) 1 स्वरहीन 2 बेमेल 2 कर्कश विहंग - सं० (पु० ) पंछी, पक्षी विहंगम दृष्टि-सं० (स्त्री०) सरसरी निगाह विहंगावलोकन-सं० (पु० ) सरसरी तौर पर देखना विहँसना - ( अ० क्रि०) हँसना
विहग - सं० (पु० ) विहंग विहत-सं० (वि०) 1 मारा हुआ 2 विदीर्ण विहरना - ( अ० क्रि० ) 1 विहार 2 घूमना फिरना विहसन - सं० ( पु० ) 1 हास्य 2 मज़ाक उड़ाना विहसित-सं० (वि०) उपहसित
विहार - सं० (पु० ) 1 घूमना (जैसे वन विहार ) 2 रति क्रीड़ा 3 रति क्रीड़ा स्थल
वीर
विहीन - सं० (वि०) 1 बिना, बग़ैर 2 त्यागा हुआ। ता (स्त्री०) विहीन होने का भाव
विहारी - सं० (वि०) 1 घूमनेवाला 2 आनंद लेनेवाला 3 कृष्ण विहिंसक -सं० (वि०) 1 क्षति 2 हानि पहुंचाने वाला विहित-सं० (वि०) 1 उचित, मुनासिब 2 विधि के अनुरूप होनेवाला (जैसे कर्म विहित फल )
विह्वल - सं० (वि०) 1 अशांत 2 क्षुब्ध 3 व्याकुल 4 हतबुद्धि
5 कष्टग्रस्त 6 आपे से बाहर 7 हताश 8 द्रवित (जैसे - करुणा विह्वल ) । ~कारी (वि०) व्याकुल करनेवाला; ता (स्त्री०) विह्वल होने का भाव वीक्ष-सं० (पु०) दृष्टि वीक्षक-सं० (वि०) देखनेवाला वीक्षण-सं० (पु० ) निरीक्षण, देखना वीक्षणीय-सं० (वि०) वीक्ष्य, दर्शनीय वीक्ष्य-सं० (वि०) देखे जाने योग्य वीक्षा-सं० (स्त्री० ) = वीक्षण
वीज-सं० ( पु० ) 1 बीज, बीआ 2 वीर्य, शुक्र 3 अंकुर 4 वनस्पति आदि की गुठली या दाना (जैसे-आम का बीज, अनार का बीज ) 5 फल 6 आधार 7 मूल कारण (जैसे-घटना का बीज बोना, लड़ाई का बीज बोना) 8 तत्त्व । कोश (पु०) फलों, पौधों का बीजवाला भाग; गणित (पु० ) सांकेतिक अक्षरों की सहायता से राशियों की गणना करने की विद्या
वीज़ा -अं० (पु० ) विसा वीजारोपण-सं० (पु० ) 1 बीज लगाना 2 नींव रखना वीटो - अं० (पु० ) निषेधाधिकार
वीणा - सं० (स्त्री०) सितार की तरह का एक प्राचीन भारतीय बाजा। वादिनी (स्त्री०) सरस्वती
वीत - सं० (वि०) 1 बीता हुआ 2 अलग किया हुआ 3 रहित, मुक्त (जैसे - वीतराग ) । ~ राग (पु० ) राग रहित, निस्पृह व्यक्ति; ~ रागता (स्त्री०) वीतराग होने का भाव वीथिका, वीथी-सं० (स्त्री०) 1 मार्ग पथ 2 कतार 3 बाज़ार, हाट
वीप्सा-सं० (स्त्री० ) 1 व्याप्ति 2 शब्द की आवृत्ति 3 शब्दालंकार का एक भेद जिसमें घृणा, हर्ष, शोक आदि प्रसंग में उपर्युक्त शब्दों की पुनरावृत्ति होती है (जैसे-रीझि झि, रहसि रहसि )
वीभत्स सं० (वि०) दे० बीभत्स
वीर-I सं० (वि०) 1 बहादुर 2 शूर 3 शक्तिशाली 4 बढ़ा-चढ़ा 5 श्रेष्ठ II (पु० ) 1 योद्धा 2 साहि० नौ रसों में से एक रस जिसका स्थायी भाव उत्साह है। ~ कर्म (पु० ) वीरता पूर्ण कार्य; ~ काव्य (पु० ) ऐसा ऐतिहासिक काव्य जिसमें वीर और श्रेष्ठ पुरुष की गाथा हो (जैसे- पृथ्वीराज रासौ एक वीर काव्य है); ~गति (स्त्री०) युद्ध भूमि में प्राण देना; ~गति प्राप्त (वि०) युद्ध भूमि में मर गया, शुभ मृत्यु को प्राप्त ~ गाथा (स्त्री०), गीत (पु०) वीरतापूर्ण कवित्वमयी गाथा; गीतात्मक (वि०) वीरगाथा से संबंधित; चक्र (पु०) भारत शासन द्वारा वीरतापूर्ण कार्य हेतु सैनिकों को दिया जानेवाला एक पदक; चरित (पु० ) = वीर कर्म; ~ता (स्त्री०) वीर होने का भाव; ता पूर्ण (वि०) वीरता से भरा हुआ (जैसे- वीरता पूर्ण कार्य); ~दर्प (पु० ) वीरता का जोश या उमंग; नगरी (स्त्री०) वीरों का नगर पत्नी (स्त्री०) 1 वीर पुरुष की स्त्री 2 वीर नारी; ~ पूजा (स्त्री०) वीरों की पूजा; प्रयत्न (पु०) वीर का
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वीरत्व
प्रयास, वीर की कोशिश प्रसविनी, प्रसू (वि०) वीर को जन्म देनेवाली; भार्या (स्त्री०) वीर की पत्नी भाव (पु०) वीर का स्वभाव; ~ रस (पु० ) साहि० नौ रसों में से एक रस; ~ रसात्मक (वि०) वीर रसवाला; वाक्य (पु० ) ललकार; शय्या (स्त्री०) वीरों की सेज वीरत्व-सं० ( पु० ) वीरत्वावेश-सं० (पु०) वीरता का आवेश
वीरता
वीरांगना-सं० (स्त्री०) वीर नारी
वीरान होने का भाव
वीरान - फ़ा० (वि०) 1 उजड़ा हुआ, जनहीन 2 तबाह, बर्बाद वीराना - फ़ा० ( पु० ) निर्जन प्रदेश वीरानी - फ़ा० (स्त्री०) वीरासन - सं० ( पु० ) बैठने का एक ढंग जो प्रायः प्राचीन योद्धाओं, योगियों और तांत्रिकों द्वारा अपनाया जाता है वीरुध - सं० (पु० ) 1 वनस्पति 2 पेड़ पौधे वीरेंद्र - सं० (पु०) श्रेष्ठ वीर वीरेश सं० ( पु०) श्रेष्ठ योद्धा
वीरेश्वर - सं० (पु० ) शिव
वीरोचित सं० (वि०) वीरतापूर्ण
वीर्य - सं० ( पु० ) 1 वीरता, पौरुष 2 शक्ति, बल 3 शरीर की एक धातु शुक्र 4 साहस। पतन, पात (पु० ) वीर्य का गिरना, वीर्य क्षरण; ~ सेचन (पु०) वीर्य अंदर पहुँचाना (प्रायः कृत्रिम ढंग से)
वीसा अं० (पु० ) पारपत्र
वृंत -सं० (पु० ) 1 स्तन का अगला भाग, चूचुक 2 डंठल 3 कच्चा और छोटा फल
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वृहत
उपस्थित करनेवाला नाट्य रूप
वृत्तांत - I सं० (पु० ) 1 समाचार 2 विवरण 3 घटना 4 आख्यान 5 विषय 6 वर्णन 7 अवसर II ( वि०) एकांत, एकाकी वृत्तांश सं० (पु०) वृत्त खंड
वृत्ताकार - I सं० (वि०) वृत्त के आकार का (जैसे -वृत्ताकार
वृंद - I सं० (पु० ) समूह II ( वि०) बहु संख्यक । -वादन (पु० ) सामूहिक रूप से वाद्य यंत्रों को बजाना; वाद्य (पु०) कई वाद्यों का एक साथ बजनेवाला समूह, आर्केस्ट्रा वृक-सं० ( पु० ) 1 भेड़िया 2 गीदड़ वृक्क - सं० (पु०) गुरदा, किडनी वृक्ष -सं० (पु०) पेड़ (जैसे - वृक्ष का खोखला भाग ) । ~ निर्यास (पु० ) पेड़ से निकलनेवाला गोंद; पाल (पु०) वन का रक्षक; पालन (पु० ) पेड़ की रक्षा करना; ~रोपक (पु०) वृक्षादि लगानेवाला व्यक्ति; रोपण (पु०) पेड़ लगाना; वाटिका (स्त्री०) बाग़, उपवन; ~वासी (वि०) वृक्ष पर रहनेवाला; ~ विज्ञान (पु० ) पेड़ों से संबंधित विद्या शून्य, हीन (वि०) जहाँ एक भी वृक्ष न हो
वृक्षाच्छादित - सं० (वि०) वृक्ष से ढका हुआ वृक्षायुर्वेद -सं० (पु०) वृक्ष संबंधी चिकित्सा शास्त्र वृक्षारोपण-सं० (पु० ) वृक्ष रोपण वृक्षावली -सं० (स्त्री०) वृक्ष की कतार
=
वृत्त - I सं० ( पु० ) 1 इतिहास 2 वृत्तांत (जैसे-जीवन वृत्त) 3 समाचार (जैसे -घटना वृत्त) 4 जीविका 5 आचरण, चाल चलन 6 सुकर्म 7 विहित नियम 8 गोल, मंडल II (वि०) 1 अस्तित्त्व में आया हुआ 2 घटित 3 गोल। ~खंड (पु० ) वृत्त का कोई भाग; ~ चित्र (पु० ) विशेष घटना के मुख्य-मुख्य अंग- उपांग को ब्योरेवार सिनेमा के रूप में दिखाया जानेवाला चित्र; पत्र (पु०) 1 दैनिक पंजी 2 सामयिक पत्र; ~मुखी (वि०) वृत्ताकार; रूपक (पु० ) विवरण |
चित्र II ( क्रि० वि०) (जैसे - वृत्ताकार बैठना ) वृत्ति-सं० (स्त्री०) 1 मन अथवा चित्त का व्यापार (जैसे - मानसिक वृत्ति, हृदय की वृत्ति) 2 कार्य, व्यापार 3 प्रकार, ढंग (जैसे - कर्म वृत्ति, कार्य वृत्ति, जीवन वृत्ति ) 4 आचार शास्त्र 5 पेशा, धंधा (जैसे- वेश्यावृत्ति, सेवावृत्ति) 6 नियमित रूप से दी गई मदद या सहायता (जैसे - छात्र वृत्ति) 7 शब्द शक्ति 8 प्रकृति, स्वभाव 9 हाल वृत्तांत । कर (पु० ) पेशे पर लगनेवाला कर; ~ता (स्त्री०) वृत्ति का भाव; दान (पु० ) रोज़ी रोटी देना
वृत्तिकार - (पु० ) ग्रंथ की आलोचनात्मक व्याख्या लिखनेवाला, टीकाकार
वृत्यनुप्रास - सं० (पु० ) एक शब्दालंकार जिसमें पद में वृत्ति के अनुकूल वर्णों की आवृत्ति होती है
वृत्युपाय - सं० (पु० ) रोज़ी रोटी का साधन
वृथा - I सं० (वि०) व्यर्थ, फ़ज़ूल II (अ०) बिना प्रयोजन के वृद्ध-सं० (वि०) बुड्ढा । काल (पु०) बुढ़ापा; ~ता (स्त्री०) वृद्ध होना; प्रपितामह (पु० ) परदादा का पिता; ~ युवती (स्त्री०) अधेड़ कुमारी
वृद्धप्राय - सं० ( क्रि० वि०) वृद्ध होने के करीब, वृद्धावस्था के करीब
वृद्धा-I सं० (स्त्री०) 1 बूढ़ी औरत 2 बुड्ढी II (वि०) बुढ़िया (जैसे- वृद्धा की आयु) वृद्धावस्था -सं० (स्त्री०) बुढ़ापा
वृद्धाश्रम -सं० (पु० ) वृद्ध लोगों के रहने का स्थान वृद्धि - सं० (स्त्री०) 1 अभ्युदय, समृद्धि 2 वृद्धि होने का भाव 3 विकास, प्रगति । ~क्रम (पु०) बढ़ता हुआ क्रम; गत (वि०) वृद्धि हुई; जीवक (पु० ) महाजन वृद्धिमान् -सं० (वि०) उन्नतिशील वृश्चिक-सं० (पु० ) 1 बिच्छू 2 एक राशि जिसका आकार बिच्छू-सा होता है 3 केकड़ा 4 मार्गशीर्ष मास वृष-सं० ( पु०) 1 साँड़ 2 काम शास्त्रानुसार चार प्रकार के पुरुषों में से एक 3 स्वामी वृषण-सं० (पु० ) अंडकोश
वृषभ - सं० (पु० ) 1 साँड, बैल 2 काम शास्त्रानुसार शंखिनी स्त्री के लिए उपयुक्त श्रेष्ठ पुरुष
वृषभानुजा-सं० (स्त्री०) राधा, कृष्ण की एक प्रेमिका वृषल - I सं० (वि०) 1 शूद्र 2 नर्तक 3 बैल II ( वि०) 1 कुकर्मी और पापी 2 शूद्र
वृषलत्व - सं० (पु०) वृषल होने का भाव वृषली-सं० (स्त्री०) 1 रजस्वला स्त्री 2 शूद्र पत्नी 3 बाँझ स्त्री 4 मृत संतान को जन्म देनेवाली स्त्री
वृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 पानी बरसना 2 वर्षा का जल 3 वर्षा समान छोटी छोटी वस्तु का गिरना (जैसे- सुमन वृष्टि) । ~मान, मापक (पु० ) वर्षा नापने का यंत्र वृहत - सं० (वि०) विशाल (जैसे -हिंदी वृहत कोश)
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वृहत्सभा
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वेश्याचार्य
वृहत्सभा-सं० (स्त्री०) विशाल सभा
(स्त्री०) सस्वर वेदपाठ से होनेवाली आवाज़; पाठ (पु०) वृहद्-सं० (वि०) : वृहत्
वेद का पढ़ना; ~वाक्य (पु०) 1 वेद का वचन 2 पूर्णतः वेंटिलेटर-अं० (पुल) खिड़की, झरोखा
प्रामाणिक कथन या बात वे सर्व० 'वह' का बहुवचन
वेदन-सं० (पु०) 1 संवेदन 2 पीड़ा वेक्यूम-अं० (वि.) निर्वात. शन्य। -क्लीनर (पु०) कृड़ा वेदना-सं० (स्त्री०) 1 कष्ट 2 व्यथा (जैसे-मानसिक वेदना, साफ़ करने का निर्वात मशीन
वेदना की अनुभूति)। -निग्रह (पु०) कष्ट दूर करना; वेक्षण-सं० (१०) 1 दखना 2 टूटना
-विहीन (वि०) कष्ट रहित, पीडा रहित वेग-सं० (१०) 1 प्रबल मनोवंग ? प्रवाह (जैसे-नदी का वेग, वेदांग-सं० (पु०) 1 वेद के प्रत्येक अंग 2 वेद के छः अंग वेगमय) 3 शीघ्रता 4 वृद्धि. बढ़ती 5 प्रचंडता 6 शक्ति वेदांत-सं० (पु०) 1 ब्रह्मविद्या 2 छः दर्शनों में से अंतिम (जैसे-शारीरिक. वेग. मनावंग)। क्षय (पु०) शक्ति का दर्शन, उत्तर मीमांसा (जैसे-वंदांत परिचय) नाश; --धारण (प) वेग रोकना; मापी (पु०) वेग वेदांती-सं० (पु.) वेदांत का ज्ञाता, ब्रह्मवादी नापने का यंत्र; मिति (स्त्र०) वेग नापना; ज्युक्त वेदाध्ययन-सं० (पु०) वेद का अध्ययन (वि०) वेगवाला, वंगवान्; रोधक (वि०) वेग वेदानुयायी-सं० (पु०) वेद का अनुयायी रोकनेवाला; --वृद्धि (स्त्री०) वेग का बढ़ना; ~शील वेदाभ्यास-सं० (पु०) = वेदाध्ययन (वि०) : वेगवान
वेदिका-सं० (स्त्री०) छोटी वेदी वेगत:-सं० (क्रि. वि) वेग के अनुरूप
वेदी1-सं० (पु०) 1 विद्वान्, पंडित 2 जानकार वेगवान-स. (वि) वेग से युक्त (जैसे-वेगवान् रथ) वेदी-II सं० (स्त्री०) धार्मिक कार्य हेतु बनाया मंडप वेगी-सं० (वि.) वेगवाला
वेदोक्त-सं० (वि०) वेदविहित वेजीटेबिल-अं० स्त्री०) सज़: II (वि.) वनस्पति वदोत्तचारण-सं० (पु०) = वेद पाठ (जैसे-वेजीटेबिल, तेल)
वेदोपरांत-सं० (वि०) वेद के बाद का वेटर-अं० (वि०) बेरा
वेध-सं० (पु०) 1 धंसना, बेधना 2 आहत करना 3 ग्रहों की वेट लिफ्टिंग- बी. वजन उठाना
गति, स्थिति आदि का पता लगाना वेटिंग रूम-अं० (पु० प्रतीक्षालय
~शाला (स्त्री०) जहां नक्षत्रों का अध्ययन किया जाता है वेणी-सं० (स्त्री०) बालों की गॅथी हई चोटी कवरी (जैसे-शिशु | वेधक-सं० (पु०) 1 वेध करनेवाला 2 वेधनेवाला माँ की वेणी खींचता है)
वेधन-सं० (पु०) 1 वेधना, छेद करना 2 आहत करना वेणु-सं० (१०) बाँस की वंशी. मुरली । -पत्र (पू०) बाँस | वेधनी-सं० (स्त्री०) 1 अंकुश 2 वेधन यंत्र
का पत्ता, --वाटक (वि.) बाँसरी बजानेवाला II (प०) वेधालय-सं० (पु०) = वेधशाला श्री कृष्ण, वादन (पु०) बाँसर बजाना; ~वादिनी वेधिनी-सं० (वि०) छेदनेवाली (वि०/स्त्री०) वीणा बजानेवाली --शय्या (स्त्री०) बाँस की | वेधी-सं० (वि०) 1 वेधन करनेवाला 2 नक्षत्र आदि की गति बनी शय्या
का पर्यवेक्षण करनेवाला 3 भेदनेवाला (जैसे-वायुयान वेधी वेतन-सं० (पुल 1 पारिश्रमिक (जैसे-दैनिक वेतन) तोप) 2 तनख्वाह (जैसे- आपका वेतन किटना है)। ~कर (प.) वेनिटि बैग-अं० (पु०) सिंगारदान वेतन पर लगनेवाला टेक्सः --क्रम (१०) वेतनमान; वेपन सं० (पु०) 1 काँपना, कंप 2 वात रोग ~दाता (१०) वेदर देनेवाला; --निधि (स्त्री०) वेतन वेला-सं० (स्त्री०) 1 समय (जैसे-संध्या वेला) 2 निश्चित स्वरूप मिला धन भत्ता - हिं० (पु०) वेतन और भत्ता; | समय (जैसे-भोजन की वेला) 3 अवसर (जैसे-मृत्यु की
~भोक्ता (वि०) - वेतन भोगी; --भोगी (वि.) वेतन वेला) पर निर्वाह करनेवाला; --मान (पु०) वेतन के दर्जा ब दर्जा वेल्डर-अं० (पु०) झाल लगानेवाला वृद्धि का क्रमः लेखा . हि. (प... वेतन फलक; वेल्डिंग-अं० (स्त्री०) झाल लगाना ~वृद्धि (स्त्री) वेतन बढ़ानाः सूची (स्त्री०) - वेतन वेल्लि, वेल्ली-सं० (स्त्री०) बेल, लता
वेश-सं० (पु०) 1 प्रवेश 2 प्रवेश द्वार 3 चकला, वेश्यालय वेतनी-सं० (विल! वेतन पानवाला, वेतनभोगी .
4 मकान, घर 5 वेश्या का बर्ताव 6 कार बार 7 भेस वेतस-सं० (पु०) बेंत
(जैसे-राजा का वेश धारण करना) 8 खेमा, तंबू। धारी वेताल-सं० (पु०) 1 संतरी 2 भृत योनि
(वि०) वेश धारण करनेवाला; ~भूषा (स्त्री०) पहनावा, वेत्ता-सं० (वि०) पूर्ण ज्ञाता (जैसे-इतिहास वेत्ता, पुरातत्त्व पोशाक; विन्यास (पु०) वेश बनाना वेत्ता)
वेश्मांत-सं० (पु०) अंतःपुर, जनानख़ाना वेत्र-सं० (१०) 1बेंत 2 डंडा
वेश्या-सं० (स्त्री०) 1 धन लेकर लोगों से संभोग करानेवाली वेद-सं० (पुल) 1 हिंदुओं के आदि धर्म ग्रंथ (जैसे-ऋग्वेद, । स्त्री, गणिका 2 तवायफ़ । ~गामी (पु०) रंडीबाज़; ~पन यजुर्वेद आदि) 2 धार्मिक, ज्ञान 3 ज्ञान। -कालीन (वि०) | + हिं० (पु०), ~वृत्ति (स्त्री०) वेश्या का काम, कसब वेद काल का घोष (पु०) वेदध्वनिः + (पु०) वेद का | कमाना, प्रॉस्टिटयूशन ज्ञाता; ~तत्त्व (पु०) वेद का प्रमुख उद्देश्य; ~ध्वनि | वेश्याचार्य-सं० (पु०) रंडियों का दलाल, भडुआ
पता)
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वेश्यालय
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वैभागिक
वेश्यालय-सं० (पु०) वेश्याओं का घर
लेकर काम करनेवाला (जैसे-वैतनिक कर्मचारी, वैतनिक वेष-सं० (पु०) 1 वेश 2 नेपथ्य 3 वेश्यालय 4 कर्म 5भेस | मंत्री) (जैसे-वेष रचना)। ~धारी (वि०) = वेशधारी; ~भूषा | बैतरणी-सं० (पु०) परलोक की नदी (स्त्री०) = वेशभूषा
वैताल-I सं० (पु०) स्तुति पाठक II (वि०) वेताल का वेष्टन-सं० (पु०) लपेटने की वस्तु वेठन
वैतालिक-सं० (पु०) 1 जादूगर 2 स्तुति पाठक 3 वैताल वेष्टित-सं० (वि०) लपेटा हुआ
उपासक वेसिलीन-अं० (पु०) चेहरे पर लगाने का एक लेप वैतृष्णय-सं० (पु०) वितृष्ण होने का भाव वैकट्य-सं० (पु०) विकटता
वैत्तिक-सं० (वि०) वित्त संबंधी वैकल्प-सं० (पु०) अनिश्चयता, बिकल्पता
वैदग्ध, वैदग्धा-सं० (पु०) 1 पांडित्य, विद्वत्ता 2 दक्षता, पटुता वैकल्पिक-सं० (वि०) 1 ऐच्छिक 2 संदिग्ध
(जैसे-वाग वैदग्ध) 3 चालाकी 4 हाव भाव (जैसे-नायिका वैकल्य-सं० (पु०) 1 विकलता 2 उत्तेजना 3 दोष 4 न्यूनता | का काम वैदग्ध) 5दुर्बलता 6 कातरता
वैदिक-सं० (वि०) 1 वेद संबंधी, वेद का (जैसे-वैदिक काल, वैकसीन-अं० (पु०) चि० चेचक का टीका
वैदिक धर्म) 2 वेद में कहा गया (जैसे-वैदिक उक्ति) वैकाल-सं० (पु०) 1 दिन का तीसरा पहर 2 संध्या. | वैदिकी-सं० (स्त्री०) वेदानुसार कर्मकांड का अनुष्ठान
(जैसे-वैदिकी प्रणाली) वैकुंठ-सं० (पु०) स्वर्ग (जैसे-वैकुंठ सिधार जाना) । पुरी वैदिकोत्तर-सं० (वि०) वैदिक के बाद का (स्त्री०) विष्णु की नगरी; ~लोक (पु०) विष्णुलोक. | वैदुष्य-सं० (पु०) विद्वता स्वर्गपुरी
वैदूर्य-सं० (पु०) लहसुनिया नामक रत्न वैकुअम-अं० (वि०) = वेक्यूम
वैदेशिक-1 सं० (वि०) विदेश संबंधी II (पु०) विदेशी वैकृत-[ सं० (वि.) 1 परिवर्तनशील 2 विकार के कारण ___ व्यक्ति उत्पत्र II (पु०) विकार. ख़राबी
वैदेश्य-सं० (वि०) विदेश का वैक्रमाब्द-सं० (पु०) = विक्रमाब्द
वैदेही-सं० (स्त्री०) विदेहराज जनकपुत्री सीता वैक्सीन-अं० (पु०) = वैकसीन
| वैद्य-सं० (पु०) 1 आयुर्वेद का ज्ञाता 2 आर्युवद चिकित्सा वैखानस-सं० (पु०) वानप्रस्थ आश्रम में प्रवृत्त व्यक्ति | पद्धति द्वारा इलाज करना। -शाल (पु०) आर्युवद वैखरी-सं० (स्त्री०) 1 मुँह से उच्चारित शब्द 2 बोलने की वैधक-सं० (पु०) 1 आयुर्वेद या चिकित्साशास्त्र 2 चिकित्सक
वैद्युत्-सं० (वि०) विद्युत संबंधी, बिजली की वैगन-अं० (पु०) मालगाड़ी का डिब्बा
वैद्युतिक-सं० (वि०) विद्युत संबंधी वैगुण्य-सं० (पु०) 1 विगुणता 2 नीचता 3 दोष, अपराध | वैद्रम-सं० (वि०) मूंगे का वैग्रहिक-सं० (पु०) शारीरिक .
वैध-सं० (वि०) 1 विधि सम्मत 2 विधि के अनुकूल। ता वैचक्षण्य-सं० (पु०) विचक्षणता
(स्त्री०) वैध होने की अवस्था वैचारिक-सं० (वि०) विचार संबंधी
वैधर्म्य-सं० (पु०) 1 विधर्मी होने का भाव 2 नास्तिकता वैचारिकी-सं० (स्त्री०) विचारधारा
वैधव्य-सं० (पु०) विधवापन, रँडापा वैचारिकीय-सं० (वि०) वैचारिक
वैधानिक-सं० (वि०) विधान संबंधी वैचित्र्य-सं० (पु०) विचित्रता
वैधिक-सं० (वि०) = वैध वैजन्य-सं० (पु०) विजनता, एकांत
वैधी-सं० (स्त्री०) विधि के अनुसार की गई भक्ति वैजयंती-सं० (स्त्री०) 1 झंडा, पताका 2 मोतियों की पचरंगी वैधीकरण-सं० (पु०) कानूनी रूप देना माला 3 विजयमाल
वैन-अं० (पु०) = वान . वैजयिक-सं० (वि०) विजय संबंधी
वैनीला-अं० (पु०) एक पौधा और उससे निकाला गया वैजात्य-सं० (पु०) 1 विजातीय होने का भाव 2 लंपटता, | सुगंधित पदार्थ बदचलनी
वैनीलीन-अं० (पु०) बैनीला का सुगंधि सूत्र वैज्ञानिक-[सं० (वि०) विज्ञान संबंधी II (पु०) विज्ञान का वैपरीत्य-सं० (पु०) विपरीतता
ज्ञाता। -चिंतक (पु०) विज्ञान के ढंग से सोचनेवाला | वैपित्र-सं० (वि०) एक ही माता किंतु विभिन्न पिताओं से उत्पन्न वैटेरिनरी-अं० (वि०) पशु रोग संबंधी (जैसे-वैटेरिनरी | (जैसे-वैपित्र संतान) डॉक्टर)
| वैपुल्य-सं० (पु०) विपुलता वैडाल-सं० (वि०) विडाल का। ~व्रत (पु०) पाप और । वैफल्य-सं० (पु०) विफलता कुर्कम रत रहकर भी साधु बने रहने का ढोंग; व्रती (पु०) वैभव-सं० (पु०) 1 ऐश्वर्य, धन-दौलत, सुख-शांति वैडालव्रत को अपनानेवाला व्यक्ति, अत्यंत दुष्ट और नीच | 2 शान-शौक़त 3 शक्ति, सामर्थ्य। पति (पु०) ऐश्वर्य का व्यक्ति
स्वामी; ~शाली (वि०) 1 ऐश्वर्यवाला 2 अत्यधिक समर्थ वैतंडिक-सं० (पु०) बहुत बड़ा लड़ाका व्यक्ति
वैभविक-सं० (वि०) 1 वैभव संबंधी 2 वैभवशाली वैतनिक-सं० (वि०) 1 वेतन संबंधी 2 वेतन का 3 वेतन | वैभागिक-सं० (वि०) विभाग संबंधी
शक्ति
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वैभाषिक
वैभाषिक सं० (वि०) 1 विभाषा संबंधी 2 वैकल्पिक वैभिन्य - सं० (पु० ) भिन्नता वैमत्य-सं० ( पु० )
1 फूट, मतभेद 2 अंतर
वैमनस्य - सं० (पु० ) 1 अन्यमनस्क होने का भाव 2 मानसिक शैथिल्य, उदासी 3 शत्रुता, वैर
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वैमल्य - सं० (पु० ) विमलता
वैमात्र - सं० (वि०) सौतेला (जैसे- वैमात्र संतान)
वैमात्रेय - सं० (वि०) विमाता का ( जैसे - वैमात्रेय व्यवहार) वैमानिक - I सं० (वि०) 1 विमान संबंधी 2 विमान में उत्पन्न (जैसे- वैमानिक विस्फोट) II ( पु० ) 1 विमानरोही 2 विमान चालक, पायलट वैमानिकी -सं० (स्त्री०) हवाई जहाज़ चलाने की विद्या या शास्त्र एयरोनाटिक्स
वैमुख्य - सं० (पु० ) । विमुखता 2 विरक्ति 3 घृणा 4 पलायन वैयक्तिक सं० (वि०) = व्यक्तिगत। ~ता (स्त्री०) = व्यक्तित्व; ~तावाद (पु०) अपने को महत्त्व देने का सिद्धांत अहंवाद; ~ता वादी (वि०) वैयक्तिकतावाद संबंधी, अहंवादी
वैयर्थ्य -सं० (पु० ) व्यर्थता वैयाकरण - I सं० (वि०) व्याकरण संबंधी, व्याकरण का II
(पु० ) 1 व्याकरण का ज्ञाता 2 व्याकरण की रचना करनेवाला वैर-सं० ( पु० ) विरोध, शत्रुता (जैसे- वैर भाव ) । - भाव (पु०) वैर की भावना; ~ विरोध (पु०) वैर और विरोध, दुश्मनी ~ शुद्धि (स्त्री०) वैर का बदला वैरागिनी -सं० (स्त्री०) संन्यासिनी
वैरागी - I सं० (पु० ) उदासी II ( वि० ) विरक्त वैराग्य-सं० ( पु० ) विरक्ति
वैराज्य - सं० ( पु० ) 1 दो राजाओं का संयुक्त शासन, दुराज 2 विदेशी शासन
वैरी-सं० (पु० ) शत्रु, दुश्मन (जैसे-वैरी से जा मिलना, वैरी से बदला लेना)
वैरूप्य - सं० (पु० ) 1 विरूपता 2 विकृति 3 बेढंगापन वैलक्षण्य - सं० ( पु० ) 1 विलक्षणता, विचित्रता, 2 विभिन्नता 3 अंतर
वैलिंग्य-सं० (पु०) लिंगहीनता
वैवर्त - सं० ( पु० ) पहिए की तरह घूमना वैवश्य - सं० (पु० ) 1 विवशता 2 दुर्बलता वैवाह - सं० (वि०) विवाह संबंधी, विवाह का वैवाहिक - I सं० (वि०) 1 विवाह संबंधी 2 विवाह के फलस्वरूप होनेवाला (जैसे- वैवाहिक जलपान, वैवाहिक उत्सव ) II ( पु० ) 1 विवाह संबंधी तैयारी, विवाहोत्सव 2 विवाह के फलस्वरूप होनेवाला संबंध
वैविध्य - सं० (पु० ) = वैरूप्य । पूर्ण (वि०) विविध, भिन्न भिन्न
वैशाख - (पु० ) चाँद्र वर्ष का चैत्र के बाद पड़नेवाला एक मास (जैसे - वैशाख का दिन )
वैशिष्ट्य - सं० (पु० ) विशिष्ठता
वैशेषिक सं० (पु० ) 1 पदार्थ विद्या 2 पदार्थ विद्या का अनुयायी
वैश्य - सं० (पु० ) हिंदुओं में तीसरे वर्ण (जाति) का व्यक्ति
वैश्लेषिक-सं० (वि०) विश्लेषण संबंधी वैश्वानर-सं० ( पु० ) आग, अग्नि वैश्वासिक-सं० (वि०) विश्वास संबंधी वैषम्य-सं० (पु० ) विषम होने का भाव वैषिक सं० (वि०) 1 विष संबंधी 2 विषजन्य वैष्णव-सं० (वि०) 1 विष्णु संबंधी (जैसे-वैष्णव विचार) 2 विष्णु का उपासक
=
वैष्णवी - सं० (स्त्री०) 1 विष्णु की शक्ति 2 दुर्गा वैसलीन-अं० (पु० ) वेसलीन वैसा - I (वि०) 1 उसी तरह का 2 ऐसा II (अ०) उस प्रकार वैसादृश्य-सं० ( पु० ) असमानता, विषमता वैसे- (अ० ) 1 उस तरह से 2 यों
वोट- अं० (पु० ) 1 मत (जैसे वोट देना) 2 सामूहिक निर्णय (जैसे- शांति प्रस्ताव और युद्ध बंदी के प्रस्ताव पर वोट लेना) । ~आफ सेंसर (पु० ) निंदात्मक प्रस्ताव; दाता सं० (पु०) वोटर; ~दान + सं० (पु०) वोट देना; दान पद्धति + सं० (स्त्री०) वोट देने की प्रणाली वोटर अं० (पु०) मतदाता वोटाधिकार-अं० सं० वोटिंग -अं० (स्त्री० ) वोल्ट -अं० (स्त्री०) विद्युत्शक्ति की इकाई; ता सं० (स्त्री०) विद्युत्शक्ति मापी + सं० (पु०) विद्युत्शक्ति मापने का यंत्र
( पु० ) मत देने का अधिकार वोट दान
व्यंजना
वोल्टेज -अं० (पु० )
व्यंकुश - सं० (वि०) निरंकुश
व्यंग - I सं० (वि०) 1 अंगरहित 2 विकलांग 3 लँगड़ा
=
वोल्टता
4 अव्यवस्थित II (पु० ) 1 विकलांग व्यक्ति 2 ताना व्यंग्य - सं० ( पु० ) - 1 शब्द की व्यंजना शक्ति द्वारा निकला अर्थ, गूढ़ार्थ 2 ताना (जैसे- व्यंग्य कसना ) । कार ( पु० ) 1 कार्टून बनानेवाला 2 व्यंग्यपूर्ण रचना करनेवाला; गति (स्त्री०) उपहासात्मक गीत या कविता; चित्र (पु० ) कार्टून; उपहासात्मक और सांकेतिक चित्र; ~ चित्रकार ( पु०) व्यंग्य चित्र बनानेवाला; पूर्ण (वि०) व्यंग्यवाला; व्यंजक (वि०) व्यंग्य प्रकट करनेवाला व्यंग्यपरक-सं० (क्रि० वि०) व्यंग्य रूप में व्यंग्याकृति -सं० (स्त्री०) व्यंग्य प्रधान आकृति व्यंग्यात्मक-सं० (वि०) = व्यंग्य संबंधी व्यंग्योक्ति-सं० (स्त्री०) व्यंग्यभरी बात व्यंजक - I सं० (वि०) व्यक्त करनेवाला II (पु०) 1 व्यंजना द्वारा अर्थ प्रकट करनेवाला शब्द 2 आंतरिक भाव प्रकट करनेवाली चेष्टा या हाव भाव, आंतरिक भाव प्रदर्शन व्यंजन - I सं० (पु०) देवनागरी वर्ण मात्रा में 'क' से 'ह' तक वर्णों का समूह। गुच्छ ( पु०) व्यंजनों का संयोग (जैसे- श्रेष्ठ, ज्योत्सना); ~द्वित्व (पु०) व्यंजन की दो बार ध्वनि (जैसे- क्क, ग्ग, च्च) ; ~संधि (स्त्री०) व्यंजन वर्णों का संयोग
व्यंजन - II सं० (पु० ) भोजन । ~ कला (स्त्री०) पाक विद्या व्यंजनांत-सं० (वि०) जिसके अंत में व्यंजन हो व्यंजना-सं० (स्त्री०) 1 भाव प्रकट करने की एक शब्द शक्ति
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व्यंजनात्मक
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व्यवधान
2 प्रकट करने का भाव। पूर्ण (वि०) व्यंजना से व्याप्त, । व्यतिहार-सं० (पु०) 1 गाली-गलौज़ 2 अदला-बदली, व्यंजनामय
विनिमय 3 मारपीट व्यंजनात्मक-सं० (वि०) = व्यंजना संबंधी
व्यतीत-सं० (वि०) बीता हुआ, गुज़र गया (जैसे-अब तो व्यंजित-सं० (वि०) अभिव्यक्त
खेल व्यतीत हो गया) 2 मरा हुआ 3 उपेक्षित 4 परित्यक्त व्यक्त-सं० (वि०) 1 प्रकट किया गया (जैसे-व्यक्त वाणी, व्यत्यय-सं० (पु०) 1 व्यतिक्रम 2 विचलन व्यक्त विचारधारा) 2 साफ़, स्पष्ट (जैसे-अपने विचारों को व्यत्यस्त-सं० (वि०) 1 विपरीत क्रम में रखा हआ 2 विपरीत व्यक्त करना)
3 असंगत 4 एक दूसरे को काटता हुआ व्यक्ति-सं० (पु०) 1 मनुष्य, आदमी (जैसे-व्यक्ति समूह) | व्यथक-सं० (वि०) व्यथित करनेवाला 2 व्यष्टि । ~गत (वि०) निजी; चित्रण (पु०) व्यक्ति का व्यथन-सं० (पु०) व्यथा पहुँचाना चरित्रांकन; तंत्र (पु०) राज व्यवस्था; ~निष्ठ (वि०) व्यथथिता-सं० (वि०) व्यथित करनेवाला 1 व्यक्तिपरक 2 स्वानुभूतिमूलक; निष्ठा (स्त्री०) व्यथा-सं० (स्त्री०) आंतरिक क्लेश या दःख। -वेदना 1 व्यक्तिपरकता 2 स्वानुभूतिपरकता; पूजा (स्त्री०) व्यक्ति । (स्त्री०) आंतरिक दुःख और पीड़ा की पूजा; ~प्रधान (वि०) जिसमें व्यक्ति की प्रधानता हो । व्याथातुर-सं० (वि०) पीड़ित (जैसे-व्यक्ति प्रधान समाज); ~प्रमुख (वि०) जिसमें व्यथित-सं० (वि०) 1 व्यग्र 2 क्लेशित 3 दुःखी (व्यथित व्यक्ति प्रमुख हो; ~वाचक (वि०) व्यक्ति का बोध करानेवाला; ~वाद (पु०) व्यक्ति को महत्त्व देनेवाला व्यपकर्ष-सं० (पु०) निंदा, अपवाद सिद्धांत; ~वादी I (वि०) व्यक्तिवाद संबंधी II (पु०) व्यपकृष्ट-सं० (वि०) 1 हटाया गया 2 अलग किया हआ व्यक्तिवाद का समर्थक; ~वैचित्र्य (प०) एक व्यक्ति की व्यपगत-सं० (वि०) 1 गया हआ 2 वंचित, रहित दूसरे से विचित्रता या भिन्नता
व्यपगति-सं० (स्त्री०) 1 प्रस्थान 2 लोप 3 राहित्य व्यक्तित:-सं० (क्रि० वि०) व्यक्तिगत रूप से
व्यपगमन-सं० (पु०) 1 जाना 2 लोप होना व्यक्तित्व-सं० (पु०) 1 व्यक्ति की विशेषता या गुण व्यभिचार-सं० (पु०) 1 निकृष्ट आचरण 2 कुमार्ग गमन (जैसे-व्यक्तित्व परिचय) 2 विशेष गुण, असामान्य विशेषता ___3 अनुचित यौन संबंधी, छिनाला, एडल्टरी 4 दुराचार, दुष्कर्म, (जैसे-महान् पुरुषों का व्यक्तित्व अनुकरणीय है)। पूजा __ पाप। -प्रिय (वि०) व्यभिचार करनेवाला (स्त्री०) = व्यक्ति पूजा; प्रधान (वि०) = व्यक्ति प्रधान; व्यभिचारिणी-सं० (स्त्री०/वि०) 1 पुंश्चली 2 कुलटा 3 स्थिर
बाद (पु०) ये सिद्धांत कि प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व | न रहनेवाली (बुद्धि) 5 व्यभिचार करनेवाली निराला होता है
व्यभिचारी-सं० (वि०) 1 व्यभिचार संबंधी 2 व्यभिचार व्यक्तिपरक-सं० (वि०) = व्यक्तिगत
करनेवाला 3 अस्थिर (जैसे-व्यभिचारी बुद्धि) व्यक्तिश:-सं० (क्रि० वि०) = व्यक्तितः
व्यय-सं० (पु०) 1 खर्च (जैसे-मासिक व्यय) 2 क्षय, नाश व्यक्तीकरण-सं० (पु०) व्यक्त करना
(जैसे-संपत्ति का व्यय)। कर (पु०) व्यय पर लगनेवाला व्यग्र-सं० (वि०) 1 व्याकुल, परेशान 2 डरा हुआ, भयभीत | टैक्स; परिमाण (पु०) ख़र्च की मात्रा; ~शील (वि०) 3 अस्थिर (जैसे-व्यग्र मन)। हस्त (वि०) काम में फँसा | अपव्ययी
व्ययक-सं० (पु०) 1 जो व्यय करना हो वह वस्तु आदि व्यजन-सं० (पु०) पंखा
2 खर्च, ऐक्सपेंडिचर व्यतिकर-1 सं० (पु०) 1 मिलन, संयोग 2 लगाव, संपर्क | व्ययी-सं० (वि०) अधिक खर्च करनेवाला। 3 व्यसन 4 नाश, अंत II (वि०) 1 व्यति करनेवाला व्यर्थ-[ सं० (वि०) 1 बेकार, फ़ालतू (जैसे-व्यर्थ की सामग्री, 2 परस्पर अमुवर्ती 3 व्यापक
व्यर्थ की बात) 2 निरर्थक (जैसे-व्यर्थ का काम, व्यर्थ गाली व्यतिक्रम-सं० (पु०) 1 बाधा, रुकावट 2 उल्लंघन 3 रीति बकना) II (अ०) बे वज़ह, अकारण (जैसे-व्यर्थ ज़लील भंग 4 उपेक्षा 5 क्रम विपर्यय
करना, व्यर्थ रोना) - व्यतिक्रमण-सं० (पु०) 1 उलट फेर होना 2 क्रम भंग करना व्यर्थन-सं० (पु०) 1 व्यर्थ सिद्ध करना 2 रद्द करना (जैसे-व्यतिक्रमण रोकना, व्यतिक्रमण विरोध)
व्यर्थीकरण-सं० (पु०) व्यर्थ करना व्यतिक्रांत-सं० (वि०) 1 वाधित 2 उल्लंधित 3 भग्न 4 बिताया | व्यवकलन-सं० (पु०) 1 ग० घटाना 2 घटाव 3 पार्थक्य,
जुदाई व्यतिरिक्त-[सं० (वि०) 1 भिन्न, अलग 2 बढ़ा हुआ II व्यवच्छिन्न-सं० (वि०) 1 काटकर अलग किया हुआ (क्रि० वि०) अतिरिक्त, सिवा
2 विभक्त 3 निश्चित, निर्धारित व्यतिरेक-सं० (पु०) 1 अभाव 2 अंतर, भेद 3 बढ़ती, वृद्धि व्यवच्छेद-सं० (प०) 1 अलगाव, पार्थक्य 2 खंड, विभाग 4 अतिक्रमण 5 साहि० एक अर्थालंकार जिसमें उपमान की । (जैसे-कर्म व्यवच्छेद)
अपेक्षा उपमेय को गुण विशेष के कारण उत्कर्ष माना गया है व्यवच्छेदक-सं० (वि०) व्यवच्छेद करनेवाला व्यतिरेकी-सं० (वि०) 1 भेद उत्पन्न करनेवाला 2 अतिक्रमण व्यवदान-सं० (पु०) 1 सफ़ाई 2 संस्कार करनेवाला
व्यवधान-सं० (पु०) 1 बाधा 2 परदा, ओट 3 बीच में व्यतिव्यस्त-सं० (वि०) अस्त व्यस्त
पड़नेवाला
हुआ
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व्यवसर्ग
764
व्याकृत
व्यवसर्ग-सं० (पु०) 1विभाजन 2 छुटकारा, मुक्ति
~शक्ति (स्त्री०) व्यवहार की समर्थता; ~शाखा (पु०) व्यवसाय-सं० (पु०) 1 काम धंधा, पेशा 2 व्यापार, रोज़गार ऐसा शास्त्र जिसमें अपराध और अपराध संबंधी दंड देने की
3 अभिप्राय, मतलब 4 उद्योग। -कर्म (पु०) व्यवसाय का व्यवस्था का विवेचन हो, धर्म शास्त्र; ~शास्त्री (पु०) काम; ~पति (पु०) व्यवसाय का स्वामी; ~प्रधान (वि०) व्यवहार शाख का ज्ञाता जिसमें व्यवसाय की महत्ता अधिक हो; ~प्रबंध (पु०) व्यवहारक-सं० (पु०) 1 व्यवहार से जीविका चलानेवाला व्यवसाय का इंतज़ाम; ~प्रशिक्षण (पु०) व्यवसाय की व्यक्ति 2 व्यापारी शिक्षा देना; बुद्धि (स्त्री०/वि०) दृढ़ निश्चय; ~वर्ती व्यवहारतः-सं० (अ०) व्यवहार के विचार से (वि०) दृढ़ निश्चय के साथ काम करनेवाला; ~वाद (पु०) व्यवहारांग-सं० (पु०) व्यवहार के दो अंग दीवानी और = व्यवहारवाद; ~वार + फ़ा० (क्रि० वि०) व्यवसाय के फ़ौजदारी
अनुरूप; ~संघ (पु०) 1 श्रमिक संघटन 2 व्यापारिक समूह व्यवहारालय सं० (पु०) = व्यवहार न्यायालय व्यवसायिक-सं० (वि०) व्यवसाय संबंधी (जैसे-व्यवसायिक व्यवहारासन-सं० (पु०) जज का आसन शिक्षा)
व्यवहारास्पद-सं० (पु०) नालिश, फ़रियाद व्यवसायी-I सं० (वि०) व्यवसाय करनेवाला II (पु०) व्यवहारिक-सं० (वि०) व्यवहार योग्य
1 व्यवसाय में लगा व्यक्ति 2 व्यापारी (जैसे-कपड़े का व्यवहारी-सं० (वि०) = व्यावहारिक व्यवसायी)। ल्करण (पु०) व्यवसाय के रूप में बदलना व्यवहारोपयोगी-सं० (वि०) व्यवहार के लिए उपयोगी व्यवस्था-सं० (स्त्री०) 1इंतज़ाम, प्रबंध 2 ढंग, तरीका व्यवहार्य-सं० (वि०) व्यवहार के योग्य 3 स्थिरता 4 दृढ़ता 5 अध्यवसाय 6 विधान (जैसे-सरकारी व्यवहित-सं० (वि०) छोड़ा हुआ व्यवस्था)। ~कार (पु०) = व्यवस्थापक; ~कार्य (पु०) व्यवहृत-सं० (वि०) व्यवहार में लाया गया व्यवस्था संबंधी काम; ~घातक (पु०) व्यवस्था को नष्ट व्यवहति सं० (स्त्री०) व्यवहार में लाना करनेवाला; ~पत्र (पु०) शास्त्रीय व्यवस्था लिखित पत्र; व्यष्टि-सं० (स्त्री०) समष्टि का सदस्य या व्यक्ति। ~गत
पालक (पु०) व्यवस्था का पालन कर्ता; पालन (वि०) व्यष्टि में आया हुआ; ~वाद (पु०) व्यष्टि की स्वतंत्र (पु०) व्यवस्था का निर्वाह करना; ~भंग (पु०) व्यवस्था सत्ता का सिद्धांत; ~वादी I (वि०) व्यष्टिवाद से संबद्ध II तोड़ना या बिगाड़ना; ~शून्य (वि०) बे इंतज़ाम का, | (पु०) व्यष्टिवाद का समर्थक; सत्ता (स्त्री०) एक व्यक्ति व्यवस्थारहित
का प्रभुत्व व्यवस्थान-सं० (पु०) व्यवस्था करना
व्यसन-सं० (पु०) 1 बुरी आदत, लत (जैसे-जुआ खेलने का व्यवस्थापक-सं० (वि०) व्यवस्था करनेवाला
व्यसन) 2 पाप, दुराचरण (जैसे-रंडीबाज़ी का व्यसन) व्यवस्थापकीय सं० (वि०) व्यवस्था संबंधी | व्यसनार्त-सं० (वि०) विपत्ति में पड़ा हआ, संकटापन्न, संकट (जैसे-व्यवस्थापकीय कार्यालय)। सभा (स्त्री०) विधान ग्रस्त सभा
व्यसनी-सं० (वि०) 1 विषयासक्त 2 पापी 3 व्यसन में पड़ा व्यवस्थापन-सं० (पु०) व्यवस्था करना
हुआ 4 दुराचारी व्यवस्थापित सं० (वि०) 1 व्यवस्थित 2 निर्धारित | व्यस्त-सं० (वि०) 1 लगा हआ (जैसे-कार्य में व्यस्त) 3 व्यवस्थापन किया गया
2 तितर-बितर किया हआ (जैसे-अस्त-व्यस्त ) 3 अव्यवस्थित व्यवस्थित-सं० (वि०) व्यवस्था की गई
(जैसे-गरीबों का जीवन सदा व्यस्त होता है)। पद (१०) व्यवस्थिति-सं० (स्त्री०) व्यवस्था का भाव
1 समास रहित पद 2 अव्यवस्थित बयान (न्यायालय) व्यवस्थीकरण-सं० (पु०) व्यवस्था का रूप देना व्याकरण-सं० (पु०) 1 वह विद्या जिसके अंतर्गत बोलचाल व्यवहार-सं० (पु०) 1 बर्ताव 2 काम में लाना, प्रयोग और साहित्य में प्रयुक्त भाषा के स्वरूप, उसके गठन, अवयवों 3 महाजनी 4 क्रिया, काम 5 आचरण (जैसे-नैतिक व्यवहार) तथा प्रकारों, उनके पारस्परिक संबंधों और रचनाविधान तथा 6 संबंध (जैसे-प्रेम व्यवहार, पड़ोसी से व्यवहार बनाना) 7
रूप परिवर्तन का विवेचन किया जाता है 2 भाषा संबंधी नियमों विवाद (जैसे-बात-व्यवहार बढ़ाना) 8 प्रथा, रिवाज 9 विषय से संबद्ध पुस्तक। कार (पु०) 1व्याकरण का ज्ञाता 10 कारबार 11 मुकदमे का विचार। ~अदालत अ० 2 व्याकरण की रचना करनेवाला; गत (वि०) व्याकरण में (स्त्री०) = व्यवहार न्यायालय; ~कर्ता (पु०) व्यवहार आया हुआ (जैसे-व्याकरणगत पाठ, व्याकरणगत करनेवाला; ~कुशल (वि०) व्यवहार में चतुर, व्यवहार में शब्दावली); सम्मत (वि०) व्याकरण के नियमों के दक्ष (जैसे-व्यवहार कुशल व्यक्ति); ~ज्ञ (पु०) =
अनुरूप व्यवहारक; निरीक्षक (पु०) व्यवहार का निरीक्षण कर्ता; व्याकरणाचार्य-सं० (पु०) .. व्याकरणकार
न्यायाधीश (पु०) दीवानी मुकदमे का फ़ैसला करनेवाला व्याकरणात्मक-सं० (वि०) - व्याकरणगत जज; न्यायालय (पु०) दीवानी अदालत; पट (वि०) व्याकरणिक-सं० (वि०) व्याकरण संबंधी = व्यवहार कुशल, ~प्रक्रिया (स्त्री०) व्यवहार की विधि या व्याकरणी-सं० (वि०) व्याकरणगत क्रिया; प्रक्रिया संहिता (स्त्री०) दीवानी कार्रवाही संबंधी व्याकुल-सं० (वि०) 1 बेचैन, परेशान 2 व्यस्त नियमावली; ~प्राप्त (वि०) व्यवहार किया हुआ; विधि व्याकृत-सं० (वि०) 1 पृथक किया हआ 2 विकृत (स्त्री०) = व्यवहार शास्त्र; विवाद (पु०) दीवानी झगड़ा; | 3 परिवर्तित, रूपांतरित
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व्याकृति
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व्युच्छिति व्याकृति-सं० (स्त्री०) 1 प्रकाशन 2 पृथक्करण
व्यापी-सं० (वि०) 1 व्याप्त (जैसे-सर्वव्यापी) 2 आच्छादक ध्याक्रोश-सं० (पु०) 1 फटकार 2 चिल्लाहट
3 सर्वत्र फैलनेवाला व्याख्या-सं० (स्त्री०) 1विवेचन, विवरण 2 टीका | व्याप्ति-सं० (स्त्री०) व्याप्त होने का भाव 3 अनुवचन, अर्थयन। कार (पु०) 1 टीकाकार 2 व्याख्या व्याम-सं० (पु०) लंबाई की एक माप करनेवाला; ~गम्य I (वि०) व्याख्या किए जाने योग्य II | | व्यामिश्र-I सं० (पु०) मिलाना II (वि०) 1 मिलाया हआ अस्पष्ट बयान
2 अन्यमनस्क, क्षुब्ध व्याख्यात-सं० (वि०) 1 व्याख्या की गई 2 वर्णित व्यामोह-सं० (पु०) 1 मोह, अज्ञान 2 घबड़ाहट व्याख्याता-सं० (वि०/पु०) 1 व्याख्या करनेवाला 2 भाषण व्यायाम-सं० (पु०) 1 कसरत 2 अभ्यास 3 श्रम। --शाला करनेवाला
(स्त्री०) व्यायाम करने की जगह या स्थान; -शिक्षक व्याख्यात्मक-सं० (वि०) व्याख्या संबंधी
(पु०) व्यायाम शिक्षा देनेवाला, व्यायाम सिखानेवाला व्याख्यान-सं० (पु०) 1 टीका करना 2 भाषण, वक्तृता | व्यायामिक-सं० (वि०) 1व्यायाम संबंधी, व्यायाम का 3 वर्णन (जैसे-संपूर्ण व्याख्यान)। दाता (पु०) = | 2 व्यायाम के फलस्वरूप होनेवाला व्याख्याता; ~पीठ (पु०) = व्याख्यान मंच; बाज़ी , व्यायामी-सं० (पु०) 1 कसरती 2 परिश्रमी, मेहनती 3 व्यायाम फ़ा० (स्त्री०) व्याख्यान देना; ~भवन (पु०) : से पुष्ट (शरीर) व्याख्यानालय; ~मंच (पु०) व्याख्यान देने का स्टेज; व्यायोग-सं० (पु०) वीररस प्रधान एक ही अंक का एक प्रकार ~शाला (स्त्री०) = व्याख्यान भवन
का रूपक व्याख्यानात्मक-सं० (वि०) व्याख्यान संबंधी
व्याल-सं० (पु०) 1 सर्प, साँप 2 दुष्ट हाथी व्याख्यानालय-सं० (पु०) व्याख्यान देने का कमरा व्यावरण-सं० (पु.) 1 विकृत होना 2 घेरना व्याख्यापन-सं० (पु०) व्याख्या करना
व्यावर्तक-सं० (वि०) 1 चारों ओर से घूमनेवाला 2 पीछे व्याख्यापरक-सं० (वि०) व्याख्या की अपेक्षा करनेवाला आनेवाला व्याघात-सं० (पु०) 1 आघात 2 बाधा 3 धक्का
व्यावर्तन-सं० (पु०) 1 चारों ओर घूमना 2 लौटना 3 घुमाव व्याघ्र-सं० (पु०) बाघ। नख (पु०) बघनखा
4 मोड़ व्याज-सं० (१०) कपट, फ़ग्व, धोखा। निंदा (स्त्री०) व्यावसायिक-सं० (वि०) व्यवसाय संबंधी। ~ता (स्त्री०) 1 स्तुति की ओट में निंदा 2 साहि० एक अलंकार जिसमें एक ___ व्यावसायिक होने का भाव की निंदा करने से दूसरे की निंदा प्रकट हो; --स्तुति (स्त्री० ) | व्यावहारिक-सं० (वि.) 1 व्यवहार संबंधी 2 व्यवहार में आने 1 निंदा के बहाने स्तुति 2 साहि० एक अलंकार जिसमें कोई योग्य 3 व्यवहारशील। ता (स्त्री०) व्यावहारिक रूप में कथन अभिधा शक्ति की दृष्टि से निंदा सूचक हो होने की स्थिति ... ध्यादेश-सं० (पु०) विशेष आदेश
व्यावृत्ति-सं० (स्त्री०) 1घेरना. 2 ढकना 3 पृथक् करना व्याध-सं० (पु०) 1 बहेलिया 2 शिकारी
4 अनावृत करना व्याधि-सं० (स्त्री) 1 रोग 2 पीड़ा
व्यासंग-सं० (पु०) 1 घनिष्ठ संपर्क 2 आसक्ति 3 मनोयोग व्यापक-सं० (वि०) 1 फैला हुआ 2 छाया हुआ 3 विस्तृत | 4 जोड़, योग 5 पार्थक्य (जैसे-व्यापक कार्य पद्धति)
व्यास-सं० (पु०) 1 कथावाचक 2 ज्या० केंद्र को स्पर्श करती व्यापन-सं० (पु०) 1 फैलाना 2 घेरना
हई परिधि के दो बिंदुओं को मिलानेवाली रेखा। -पीठ व्यापना-सं० (अ० क्रि०) 1 व्याप्त होना 2 समाना (पु०) वह गद्दी जिसपर कथावाचक बैठकर कथा कहता है, व्यापादक-सं० (वि०) 1 नशाकारी 2 घातक
व्यास की गद्दी व्यापादन-सं० (पु०) 1 अपकार चिंता 2 हत्या करना 3 नष्ट | व्यासक्त-सं० (वि०) अत्यधिक आसक्त करना
व्यासक्ति-सं० (स्त्री०) विशेष आसक्ति व्यापार-सं० (१०) 1 पेशा, काम-धंधा, रोज़गार 2 वाणिज्य । व्यासार्द्ध-सं० (पु०) केंद्र से परिधि तक की दूरी, त्रिज्या 3 उद्योग 4 कार्य, काम। कर (३०) व्यापार पर लगाया व्यासासन-सं० (पु.) = व्यास पीठ गया टैक्स; क़रार । अ० (पु०) व्यापारिक समझौता; व्यासिद्ध-सं० (पु०) 1 निषिद्ध 2 वर्जित
चिह्न (पु.), छाप । हिं० (स्त्री०) व्यापार संबंधी व्यासेध-सं० (पु०) 1 निषेध 2 वर्जन 3 रोक विशेष चिह्न, ट्रेड मार्क (जैसे-व्यापार चिह्न देखकर सामान व्याहत-सं० (वि०) 1 निवारित, निषिद्ध 2 व्यर्थ, निरर्थक II लेना); नीति (स्त्री०) व्यापार संबंधी नियम और कानून; (पु०) साहि० अर्थदोष
प्रधान (वि०) - व्यवसाय प्रधान; ~मंडल (पु०) व्याहित-सं० (स्त्री०) बाधा, विघ्न व्यापारिक संघ; वृद्धि (स्त्री०) व्यापार का बढ़ना; ~संघ व्याहरण-सं० (पु०) 1 उक्ति, कथन 2 कहानी, किस्सा (पु०) = व्यापार मंडल; संवर्द्धन (पु०) = व्यापार वृद्धि व्याहार-सं० (पु०) 1 वाक्य, जुमला 2 पूछना व्यापारण-सं० (पु०) 1 आज्ञा देना 2 काम में लगाना व्याहृत-सं० (वि०) 1 कथित 2 खाया हुआ. भुक्त व्यापारिक सं० (वि०) व्यापार संबंधी, व्यापार का। ~संघ व्याहृति-सं० (स्त्री०) 1 कथन, उक्ति 2 भूः भुवः आदि सप्त (पु०) व्यापारियों का संगठन
लोकात्मक मंत्र व्यापारी-सं० (पु०) व्यापार करनेवाला
| व्युच्छिति-सं० (स्त्री०) - व्युच्छेद
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व्युच्छिन
व्युच्छिन्न-सं० (वि०) 1 उन्मूलित 2 विनष्ट व्युच्छेद -सं० ( पु० ) 1 उन्मूलन 2 विनाश व्युति-सं० (स्त्री०) 1 बुनना-सीना आदि क्रिया 2 बुनने सीने आदि की मज़दूरी व्युत्क्रम-सं० (पु० ) 1 व्यतिक्रम 2 अपराध 3 मृत्यु
4 अस्तव्यस्तता
व्युत्थान-सं० (पु० ) 1 खड़े होना 2 विरोध में खड़े होना व्युत्पत्ति-सं० (स्त्री०) 1 उत्पत्ति 2 मूल उद्गम 3 शब्द का
मूल रूप, विकास 4 बहुज्ञता, पांडित्य । ~लभ्य (वि०) = व्युत्पत्तिक; ~ विज्ञान (पु०) शब्दों की उत्पत्ति से संबंधित
शास्त्र
व्युत्पत्तिक-सं० (वि०) 1 व्युत्पत्ति से संबंधित 2 व्युत्पत्ति रूप में होनेवाला
व्युत्पत्यात्मक-सं० (वि०) = व्युत्पत्तिक व्युत्पन्न - सं० (वि०) 1 उत्पन्न 2 (शब्द) जिसकी उत्पत्ति ज्ञात हो
766
व्युत्पादक-सं० (वि०) उत्पन्न करनेवाला व्युत्पादन-सं० (पु० ) 1 उत्पन्न करना 2 व्युत्पत्ति व्यूह -सं० (पु० ) 1 समूह, जमघट 2 सैनिकों का विशेष क्रम में खड़ा करना 3 योजना । बद्ध (वि०) व्यूह में फँसा हुआ; ~ रचना ( स्त्री०) व्यूह का निर्माण
व्यूहन - सं० ( पु० ) 1 व्यूह रचने का भाव 2 रचना, विस्थापन व्योम-सं० (पु० ) आकाश, अंतरिक्ष, आसमान।
गंगा
(स्त्री०) आकाश गंगा; चारी I (वि०) आकाश में विचरण करनेवाला, आकाशचारी II ( पु० ) 1 देवता 2 पक्षी; ~बाला (स्त्री०) = अप्सरा ~ मंडल (पु०) 1 आकाश, आसमान 2 झंडा, पताका; मार्ग (पु० ) वायु पथ; ~ यात्रा (स्त्री०) आकाश की यात्रा, अंतरिक्ष यात्रा; ~ यात्री (पु० ) अंतरिक्ष यात्री; यान (पु० ) 1 हवाई जहाज़ 2 अंतरिक्ष यान, स्पेस शिप
=
व्रज-सं० (पु० ) 1 मार्ग, सड़क 2 समूह, झुंड 3 गोपों की बस्ती व्रजन-सं० (पु०) गमन, जाना
व्रज्या -सं० (स्त्री०) भ्रमण, पर्यटन
व्रण-सं० (पु० ) घाव । कारक (वि०) घाव पैदा करनेवाला
व्रत-सं० (पु० ) 1 संकल्प 2 उपवास 3 नियम । चारी (पु० ) व्रत करनेवाला; ~ धारी (वि०) व्रत का पालन करनेवाला; - पालन ( पु० ) व्रत का पालन करना, व्रत
करना; ~भंग (पु० ) प्रतिज्ञा या नियम का टूटना व्रती -सं० (पु० ) 1 व्रत धारण कर्ता (जैसे- वेद व्रती) 2 संन्यासी 3 यजमान
व्रात्य - I सं० ( पु० ) 1 संस्कारहीन हिंदू वर्णसंकर II ( वि० )
व्रत का
व्रात्या - सं० (स्त्री०) संस्कारहीन हिंदू स्त्री व्रीडा-सं० (स्त्री०) लज्जा, शर्म
व्रीहि सं० ( पु० ) 1 अनाज, अन्न 2 धान, चावल 3 धान का खेत
श
शंकनीयसं० (वि०) शंकायोग्य
शंकर - I सं० (पु० ) 1 शिव 2 शंकराचार्य 3 संगीत का एक राग II ( वि०) कल्याणकारी, शुभंकर शंका-सं० (स्त्री०) 1 आशंका, भय 2 संशय 3 आपत्ति, जिज्ञासा आदि का उत्पन्न होना (जैसे-आपके इस कथन में मुझे एक शंका है) 4 साहि० एक संचारी भाव जिसमें शरीर में तथा भावों में विकृत उत्पन्न हो जाता है। बीज (पु०) शक का कारण, शक का आधार; ~वाद (पु०) प्रत्येक बात को शक की दृष्टि से देखने का नियम; ~वादी I (वि०) शंकावाद से संबंधित II (पु० ) शंकावाद का समर्थक; ~शील (वि०) शंका करनेवाला, शक्की शंकाभियोग-सं० (पु० ) संदेह का दोषारोपण शंकालु -सं० (वि०) प्रायः संदेह करनेवाला, शंकाशील शंकास्पद -सं० (वि०) संदेह, खटका या भय का विषय शंकित -सं० (वि०) 1 शंका हुई 2 भीत (जैसे-शंकित हृदय) शंकु -सं० (पु० ) एक प्रकार का घन पदार्थ जिसका अधोभाग. गोलाकार होता है और जो क्रमशः पतला हुआ सर्वोच्च भाग नुकीला हो जाता है, कोन। ~ आकार (वि०) शंकु की आकृति का रूप (वि०) शंकु की आकृति या रूप का शंक्वाकर-सं० (वि०) शंकु आकार शंख-सं० (पु० ) 1 समुद्र में उत्पन्न एक जंतु का खोल 2 समुद्री घोंघा 3 एक लाख करोड़ की संख्या, दस खर्व की संख्या 4 हाथी का गंडस्थल 5 युद्ध का नगाड़ा (जैसे- शंख की आवाज़)। ~ नाद (पु० ) शंख की ध्वनि शंखचूड़ - संग (पुर) काली विंदियोंवाला एक अत्यंत जहरीला साँप शंखिनी-सं० (स्त्री०) कामशास्त्र के अनुसार स्त्रियों के चार भेदों में से एक नायिका जो अत्यंत काम पीड़ित पर पुरुष की रमण इच्छुक कर्कश तथा चुगलखोर स्वभाववाली होती है शंड-सं० (पुं०) सांड़
शंपा-सं० (स्त्री०) बिजली, विद्युत्
शंबूक - सं (पु० ) 1 घोंघा 2 शंख 3 हाथी के सूँड़ की नोक 4 त्रेता युग में रामराज्य का एक शूद्र तपस्वी शंभु - I सं० (पु० ) शिव II (वि०) कल्याण करने और सुख देनेवाला
शंसन-सं० (पु० ) 1 प्रशंसा करना 2 मंगल कामना करना
=
शक
3 पाठ करना
शंसनीय सं० (वि०) 1 प्रशंसनीय 2 मंगल करनेवाला 3 कथनीय
शंसित - सं० (वि०) 1 निश्चित 2 स्तुत 3 कथित 4 इच्छित शंस्य-सं० (वि०) 1 प्रशंसा के योग्य 2 अभिलाषित 3 कहा हुआ, कथित
शऊर - अ० (पु० ) 1 तरीक़ा, ढंग 2 सामान्य योग्यता या लियाक़त 3 विवेक, बुद्धि । दार फ़ा० (वि०) 1 शऊरवाला 2 विवेकी, बुद्धिवाला शक - I सं० (पु० ) 1 प्राचीन काल में शकद्वीप में रहनेवाली एक समृद्ध जाति 2 तातार देश के निवासी, तातारी 3 शकों का एक
+
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शक
767
शताधिक
राजा शालिवाहन। ~संवत् (पु०) शालिवाहन द्वारा 78 ई० (पु०) = शक्ति संतुलन; हीन (वि०) शक्ति रहित, में प्रवर्तित संवत्
शक्ति शून्य शक-IIअ० (पु०) 1संदेह, शंका (जैसे-पुलिस को इस शक्ति:-सं० (क्रि० वि०) शक्ति के अनुसार बदमाश पर पुनः शक हो गया) 2 भय (जैसे-शक दूर कर | शक्तिमती-सं० (स्त्री०/वि०) = शक्तिमान देना)
शक्तिमत्ता-सं० (स्त्री०) शक्ति संपन्नता शकट-सं० (पु०) 1 छकड़ा 2 गाड़ी
शक्तिमान्-सं० (वि०) ताकतवर, बलिष्ठ शकटी-सं० (पु०) बैलगाड़ी हाँकनेवाला व्यक्ति
शक्य-सं० (वि०) 1हो सकने योग्य 2 जो शब्द शक्ति से शकर-फा० (स्त्री०) शक्कर, चीनी। कंद + सं० (पु०) प्राप्त हो सके। ता (स्त्री०) 1 शक्य होने का भाव 2 क्षमता मोटी मूली की तरह का एक मीठा कंद; ~दानी + हिं० शक्र-I सं० (पु०) इंद्र II (वि०) समर्थ। -चाप (पु०) (स्त्री०) शक्कर रखने का पात्र
इंद्रधनुष शकरपारा-फा० (पु०) 1 एक तरह का फल 2 आटे या मैदे | शक्ल-अ० (स्त्री०) = शकल I का एक पकवान
शख्स-अ० (पु०) व्यक्ति, आदमी शकल-[अ० (स्त्री०) 1 आकृति, रूप (जैसे-पहले शीशे में शख्सियत-अ० (स्त्री०) व्यक्तित्व
शकल देख लो) 2 चेहरे की बनावट (जैसे-रोने की शकल, शख्सी-अ० (वि०) 1 मनुष्य का 2 वैयक्तिक हँसने की शकल) 3 आकृति, बनावट (जैसे-गधे की शकल) शग़ल-अ० (पु०) 1 मन बहलाव का काम, हॉबी 2 काम धंधा शकल-IIसं० (पु०) 1 चमड़ा, त्वचा 2 छिलका, छाल शगुन-(पु०) = शकुन शकाब्द-सं० (पु०) शक संवत्
शगुनिया-(पु०) 1 ज्योतिषी 2 सगुन शकार-सं० (पु०) 1शक वंशीय व्यक्ति, शक वंश का | शगूफा-फा० (पु०) 1 खिला फूल 2 विलक्षण बात आदमी
शचि, शची-सं० (स्त्री०) 1 इंद्र की पत्नी 2 बुद्धि, प्रज्ञा शकार-IIसं० (पु०) 'श' की ध्वनि
3 वाग्मिता शकील-अ० (वि०) अच्छी शकलवाला, अच्छी सूरतवाला, शजर-अ० (पु०) वृक्ष, दरख्त खूबसूरत, सुंदर
शजरा-अ० (पु०) 1 वंश वृक्ष 2 खेत का नक़शा शकुंत-सं० (पु०) खग, विहंग, पक्षी
शठ-I सं० (वि०) 1 स्वभावतः दुष्ट 2 मूर्ख II (पु०) शकुन-सं० (पु०) 1 शुभ-अशुभ की पूर्व सूचना, सगुन 1 साहि० वह नायक जो अपनी स्त्री से प्रेम का स्वाँग रचकर पर 2 शुभ घड़ी या शुभ अवसर पर होनेवाला मंगल कार्य संबंधी स्त्री से प्रेम करता हो 2 मध्यस्थ। ~ता (स्त्री०) 1 धूर्तता गीत। ज्ञ I (वि०) शकुन जाननेवाला II (पु०) ज्योतिषी 2 बदमाशी, पाजीपन शकृत्-सं० (पु०) मल विष्ठा
शण-सं० (पु०) सन, सनई शक्कर-फा० (स्त्री०) 1 कच्ची चीनी, खाँड़ 2 चीनी। शत-I सं० (वि०) 1 सौ 2 असंख्य II (पु०) 1 सौ का
खोरा (पु०) हलवा पूरी खानेवाला; ~मिल + अं० सूचक अंक, (100) 2 एक ही तरह की सौ वस्तुओं का संग्रह (स्त्री०) चीनी मिल
(जैसे-नीति शतक) 3 शताब्दी, शती III (वि०) सौ शक्की-अ० । फ़ा० (वि०) शक करनेवाला, शंकाशील अंशवाला। दल (पु०) शतपत्र, कमल; <पत्र I (पु०) शक्त-सं० (वि०) 1 समर्थ 2 पट्
1 मोर 2 कमल II (वि०) 1 सौ पत्तोंवाला 2 सौ पंखोंवाला; शक्ति-सं० (स्त्री०) 1 ताक़त, पराक्रम 2 बल, योग्यता ~पदी (स्त्री०) गोजर; ~मख (पु.) 1 इंद्र 2 उल्लू;
(जैसे-मानसिक शक्ति, नैतिक शक्ति) 3 क्षमता, पावर वर्ष (पु०) = शताब्दी; ~वार्षिक (वि०) सौ वर्ष पर (जैसे-यांत्रिक शक्ति, विद्युत् शक्ति) 4 वश (जैसे-मेरी होनेवाला (जैसे-शत वार्षिक उत्सव); ~वार्षिकी (स्त्री०) शक्ति से बाहर का काम है) 5 माया, प्रकृति (जैसे-ईश्वर की सौ वर्ष पर किया जानेवाला कार्य, उत्सव आदि; ~शत शक्ति) 6 प्रभुता (जैसे-राज शक्ति) 7 शब्द शक्ति (वि०) सैकड़ों, अनंत; सहस्र (पु०) सौ हज़ार की (जैसे-अभिधा, और व्यंजना)। चालित (वि०) शक्ति से संख्या, एक लाख की संख्या चलनेवाला; ~ता (स्त्री०) शक्ति का भाव; तुला शतक-सं० (पु०) शती (स्त्री०) - शक्ति संतुलन; दायी (वि०) शक्ति देनेवाला; शतघ्नी-सं० (स्त्री०) एक प्राचीन प्रक्षेपास्त्र ~धर (पु०) स्कंद. कार्तिकेय; -पूजक (वि०) शक्ति का शतधा-सं० (अ०) सौ प्रकार से पुजारी या शक्ति का उपासक; पूजा (पु०) शाक्त द्वारा की शतरंज-फा० (पु०) चौंसठ खानों की बिसात पर बत्तीस जानेवाली पूजा; ~बोध (पु०) शब्द शक्ति का ज्ञान; ~यंत्र गोटियों से खेला जानेवाला एक प्रसिद्ध खेल। बाज़ (पु०) शक्ति द्वारा चलनेवाला यंत्र; - वर्द्धक (वि०) - (पु०) 1 शतरंज का शौकीन 2 शतरंज का खिलाड़ी; शक्तिदायी; ~वैकल्य (पु०) शक्ति का नाश; ~शालिनी | बाज़ी (स्त्री०) शतरंज खेलना (स्त्री०) ताक़तवाली स्त्री; ~शाली (वि०) 1 ताक़तवर, शतरंजी-फ़ा० (स्त्री०) 1 शतरंज का खिलाड़ी 2 शतरंज खेलने शक्तिवाला 2 बलवान् (जैसे-शक्तिशाली आदमी); की बिसात
शून्यता (स्त्री०) शक्ति शून्य होने का भाव; ~संग्रह, । शतश:-सं० (अ०) - शतधा ~संचय (पु०) शक्ति का एकत्रीकरण; संपन्न (वि०) | शतांश-सं० (पु०) सौवाँ हिस्सा = शक्तिशाली (जैसे-शक्तिसंपन्न राष्ट्र); सामंजस्य | शताधिक-सं० (वि०) सौ से अधिक
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शताब्दी
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शब्द
शताब्दी-I सं० (स्त्री०) 1 शती (जैसे-बीसवीं शताब्दी का | शबल-[ सं० (वि०) 1 चितकबरा 2 रंग बिरंगा || (पु०) समारोह) 2 सौ वर्ष की अवधि की सूचक संज्ञा II (वि०) 1अनेक रंग के मिश्रण से बना 2 एक तरह का धार्मिक कृत्य
सौ वर्ष के उपरांत होनेवाला (जैसे-शताब्दी समारोह) शबाब-अ० (पु०) यौवन काल, जवानी शतायु-सं० (वि०) सौ वर्ष की आयुवाला
शबाहत-अ० (स्त्री०) 1 रूप 2 आकृति, सूरत 3 अनुरूपता, शतावधान-सं० (पु०) सौ काम एक साथ करनेवाला व्यक्ति समानता शती-सं० (स्त्री०) 1 सौ का समूह, सैकड़ा 2 शताब्दी शबेइंतज़ार-अ० + फ़ा० (स्त्री०) प्रतीक्षा की रात शत्रु-सं० (पु०) 1 दुश्मन, वैरी 2 अमंगलकारी व्यक्ति। शबेजवानी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) युवावस्था का उन्माद
~घाती (वि०) शत्रु का नाश करनेवाला; ~~ता (स्त्री०) शबेबरात-फ़ा० (स्त्री०) = शबबरात शत्रु होने का भाव, दुश्मनी, वैर; ~देश (पु०) = शत्रु राज्य; | शबेवस्ल-अ० + फ़ा० (स्त्री०) नायक और नायिका के मिलने -संहार (पु०) शत्रु को मार डालना; ~सेना (स्त्री०) | की रात दुश्मन की फ्रोज
शबोरोज़-फा० (अ०) 1 रातदिन 2 हर समय 3 लगातार शत्रुघ्न-सं० (वि०) शत्रु को मारनेवाला
शब्द-सं० (पु.) 1 आवाज़, ध्वनि, (जैसे-क्रोध भरे शब्द में शत्रुत्व-सं० (पु०) = शत्रुता
कहना, बच्चे के रोने का शब्द) 2 सार्थक ध्वनि, लफ्ज, वर्ड शदीद-अ० (वि०) 1कठिन 2 प्रबल
(जैसे-मधुर शब्द, आर्शीवाद के दो शब्द कहना) 3 आप्त शह-अ० (पु०) 1 शब्द पर ज़ोर देना 2 द्वित्व अक्षर वचन। कार (वि०) शब्द करनेवाला; ~कोष (प०) शनाखत-फा० (स्त्री०) पहचान
शब्दों के वर्ण विन्यास, अर्थ, प्रयोग तथा पर्याय आदि से शनाखती-फा० + हिं० (वि०) पहचान करनेवाला संबंधित ग्रंथ; -कौशल (पु०) - शब्द चाय; क्रम (जैसे-शनाख्ती कुत्ता)
(पु०) वाक्य में शब्दों के रखने का क्रम; ~गत (वि०) शनासा-फा० (वि०) पहचाननेवाला
शब्दों में निहित; चमत्कार (पू.) शब्दों द्वारा रचना में शनासाई-फा० (स्त्री०) जान पहचान, परिचय
लाई गई विचित्रता; चातुर्य (प.) शब्द प्रयोग की कला शनि-सं० (पु०) 1 सौर जगत का सातवाँ ग्रह, शनैश्चर या बोलने के ढंग की निपुणता; -चित्र (पु०) 1 अनुप्रास 2 सप्ताह का अंतिम दिन, शनिवार
नामक अलंकार 2 चुने हुए शब्दों में किसी दृश्य का सजीव शनिवार-सं० (पु०) सप्ताह में शुक्र और रवि के बीच का दिन वर्णन 3 सजीव वर्णन से युक्त रचना; चोर (पु०) अन्य शनिश्चर-सं० (पु०) = शनि
की रचना से शब्द, प्रयोग आदि को लेकर अपनी रचना में शनैः-सं० (अ०) धीरे, आहिस्ता
प्रयोग करनेवाला; --जाल (पु०) किसी सरल बात को घुमा शनैश्चर-सं० (पु०) शनि नामक ग्रह
फिराकर कहने का रूप, शब्दाडंबर, ~ता (स्त्री०) शब्द का शपथ-सं० (स्त्री०) 1कसम, सौगंध (जैसे-शपथ का निर्वाह भाव; निर्माण (पु.) शब्द की रचना; पहेली - हिं. करना)। ~ग्रहण (पु०) शपथ लेना 2 प्रतिज्ञा (जैसे-शपथ (स्त्री०) वर्गों में खाली स्थान पर शब्द भरने की बझौवल; लेना); ग्रहण समारोह (पु०) शपथ ग्रहण का उत्सव; ~प्रमाण (पु.) 1 मौखिक प्रमाण 2 आप्त प्रमाण;
त्याग (पु०) शपथ का पालन न करना; ~पत्र (पु०) ~प्रयोग (पु०) शब्द का प्रयोग करना, शब्दों में कहना; हलफनामा, एफिडेविट; पूर्वक (क्रि० वि०) शपथ के ~प्रसारक (वि०) शब्द को प्रसारित करनेवाला (जैसे-शब्द अनुसार; बद्ध (वि०) 1 प्रतिज्ञा बद्ध 2 शपथ लिया हुआ; प्रसारक यंत्र); ~प्रहेलिका (स्त्री) - शब्द पहेली; ~संयोजन (पु.) शपथ जोड़ना
~बद्ध (वि०) 1 वचन में बँधा हुआ 2 शब्दों में लिखित; शपन-सं० (पु०) 1 शपथ 2 दुर्वचन, गाली
-बल (पु.) शब्द शक्ति; ~बाहल्य शब्दों की अधिकता, शपित-सं० (वि०) अभिशप्त
शब्दाडंबर; ~बोध (पु.) 1 शब्द का ज्ञान 2 शब्द से शफ़क्र-अ० (स्त्री०) क्षितिज पर की लाली (जैसे-शफ़क का होनेवाला ज्ञान; ब्रह्म (पु०) 1 शब्द निहित अध्यात्म ज्ञान
2 प्रणव ओंकार; ~भांडार (पु०) शब्द संपत्ति; - भेद शफ़ाफ़-अ० (स्त्री०) 1 अनुग्रह, मेहरबानी 2 प्रेम, मुहब्बत (पु.) व्या० कार्य, स्थिति तथा संबंध आदि के आधार पर शफ़ा-अ० (स्त्री०) 1 स्वास्थ्य, तंदुरुस्ती 2 आरोग्य। खाना किया शब्दों का विभाजन; ~भेदी (वि०) शब्द के आधार
+ फा० (पु०) 1 अस्पताल, चिकित्सालय 2 स्वास्थ्यवर्द्धक पर ही लक्ष्य भेद करनेवाला; ~~माधुर्य (पु०) शब्द की स्थान
मधुरता; योजना (स्त्री०) - शब्द रचना; योनि शफीक-अ० I (वि०) 1 अनुग्रह करनेवाला 2 प्रिय (स्त्री०) 1 शब्द की उत्पत्ति 2 धात् 3 मूल रूप में रहनेवाला लगनेवाला II (पु०) प्रिय मित्र
शब्द; रचना (स्त्री०) शब्द का निर्माण; रचनात्मक शफाफ-अ० (वि.) उजला, धवल
(वि०) शब्द रचना संबंधी; -विद्या (स्त्री०) व्याकरण, शब-फा० (स्त्री०) रात, निशा। -का रोना ओस गिरना शब्दशास्त्र, विज्ञान (पु०) वह विद्या जिसमें शब्दों के शबनम-फा० (स्त्री०) ओस, तुषार
रूप, रचना विधान आदि का विवेचन किया जाता है: शबबरात-फा० (स्त्री०) हिजरी सन् के शाबान माह की -विन्यास (पु.) शब्द जोड़नाः विरोध (१०) शब्द चौदहवीं रात
द्वारा किया गया विरोध; वृत्ति (स्त्री०) शब्द की शक्ति; शबर-सं० (पु०) एक वन्य जाति, भील
~वेधी (पु०) ध्वनि को निशाना बनाकर वेधना; व्युत्पत्ति शबरी-सं० (स्त्री०) भीलनी, भिलनी
(स्त्री०) 1 शब्द की उत्पत्ति 2 जड़, मूल; शक्ति (स्त्री०)
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शब्दश:
शब्द की विशेष अर्थ बोधक शक्ति (जैसे- अभिधा, लक्षणा तथा व्यंजना); ~ शास्त्र (पु० ) व्याकरण; ~ शुद्धि (स्त्री०) शब्दों को सही करना; शूर (पु० ) केवल बात करने में वीरता दिखानेवाला; ~ श्लेष (पु०) शब्द से भिन्न अर्थ निकालना; ~संकेत (पु०) शब्द से इशारा करना; संग्रह (पु० ) = शब्दकोष; संपत्ति (स्त्री०) = शब्द भांडार; ~ समूह (पु० ) दे० शब्द भांडार; ~ साधन (पु० ) = शब्द व्युत्पत्ति हीन I ( वि०) ध्वनि रहित II (पु०) अप्रचलित शब्द का प्रयोग
शब्दश: सं० (अ०) प्रत्येक शब्द के अनुसार शब्दांत -सं० (पु०) शब्द का अंत होना शब्दांश-सं० (पु०) शब्द का अंश
शब्दाडंबर - सं० (पु०) 1 = शब्द जाल 2 शब्दों का घटाटोप शब्दानुकूलन-सं० (पु०) शब्द के अनुकूल होना शब्दानुशासन-सं० (पु०) व्याकरण शब्दायमान-सं० (वि०) शब्द करता हुआ
शब्दार्थ - सं० (पु०) शब्द का अर्थ । ~विज्ञान (पु० ) शब्दों के अर्थों से संबंधित शास्त्र
शब्दार्थी-सं० (वि०) शब्दों के अर्थ से संबंधित शब्दालंकार-सं० (पु०) साहि० अलंकार के दो प्रमुख भेदों में से एक जिसमें अर्थ की अपेक्षा केवल वर्ण चमत्कार ही प्रधान होता है
शब्दावली -सं० (स्त्री०) 1 शब्दों का समूह 2 वाक्य आदि में शब्दों का प्रकार और क्रम 2 पारिभाषिक शब्दों की सूची, टर्मिनालॉजी 4 प्रचलित शब्द समूह, वोकेबुलरी शब्दित - I सं० (वि०) 1 ध्वनित 2 वादित 3 आहूत 4 जनाया हुआ 5 व्याख्या किया गया II ( पु० ) शोर शम-सं० (पु० ) 1 शांति 2 मोक्ष 3 निवृत्ति, छुटकारा 4 (साहि०) शांत रस का स्थायी भाव 5 क्षमा 6 उपचार शमक-सं० (वि०) शमन करनेवाला शमन -सं० (पु० ) 1 शांति 2 शांत करना 3 बुझाना (जैसे- अग्नि शमन) 4 दबाना 5 आघात कर्म 6 हिंसा (जैसे- दुष्टों का शमन दमन) 7 दूर करना (जैसे- वासना का शमन) शमनीय-सं० (वि०) शमन करने योग्य शमशेर - फ्रा० (स्त्री०) 1 तलवार 2 बीच से झुकी तलवार,
खड्ग
शमा - अ० (स्त्री०) 1 दीया 2 मोम 3 मोमबत्ती । दान फ्रा० ( पु० ) मोम बत्ती रखने का पात्र
+
शमित सं० (वि०) 1 शमन किया हुआ 2 शांत शमीकरण -सं० (पु० ) 1 शांत करना 2 आत्मसंयम शयन -सं० (पु० ) 1 सोना, निद्रा (जैसे-शयन के लिए कमरे में जाना) 2 शय्या 3 बिस्तर, बिछौना । ~ कक्ष (पु० ) सोने का कमरा; ~ काल (पु० ) सोने का समय; गाड़ी + हिंο (स्त्री०) ऐसी सवारी जिसमें सोने का भी प्रबंध हो; गृह (पु० ) = शयन कक्ष
शयनस्थ - सं० (वि०) बिम्तर पर बैठा या सोया हुआ शयनागार-सं० (पु० ) = शयन कक्ष
शयनिका - सं० (स्त्री०) रेलगाड़ी में सोने का डिब्बा, स्लीपर कोच
शव्या-सं० (स्त्री०) 1 पलंग 2 बिछौना । व्रण (पु० )
शरमिंदा
चारपाई पर पड़े-पड़े रोगी को हो जानेवाला घाव शर-सं० (पु० ) 1 बाण, तीर 2 बरली या भाले का फल ।
~संधान (पु०) बाण द्वारा लक्ष्य साधना, निशाना लगाना शरअ - अ० (स्त्री०) 1 सीधी राह 2 ईश्वर द्वारा बनाया गया और बंदों के लिए बताया गया सीधा रास्ता 3 इस्लामी धर्मशास्त्र, शरीअत, 4 दस्तूर, प्रथा
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शरई - अ० (वि०) 1 शरअ के अनुसार किया जानेवाला
2 शरअ की दृष्टि से उचित 3 शरअ का पालन करनेवाला शरच्चंद्र - सं० (पु० ) 1 शरत् ऋतु का चंद्रमा 2 शरत् पूर्णिमा का चाँद
=
शरण-सं० (स्त्री०) 1 पनाह, रक्षा का भाव 2 अधीनस्थ व्यक्ति, मातहत 3 रक्षित स्थान (जैसे- राजनीतिक शरण देना) । ~ काल (पु० ) शरण का समय क्षेत्र (पु० ) शरण स्थल; ~गामी (पु०) शरण में जानेवाला; गृह (पु० ) आश्रय स्थान; - स्थल, ~ स्थान (पु० ) ऐसा स्थान जहाँ लोग शरण लेते हों
# शरणागत
शरणागत-सं० (वि०) शरण में आया हुआ शरणागति-सं० (स्त्री०) शरण में आना शरणापत्र - सं० (वि०) शरणार्थी-सं० (पु० ) असहाय और विस्थापित व्यक्ति (जैसे- शरणार्थियों का भारत में प्रवेश ) शरण्य - सं० (वि०) शरण देनेवाला, शरण के योग्य शरत्-सं० (स्त्री०) 1 क्वार से कार्तिक तक रहनेवाली एक ऋतु 2 वत्सर, वर्ष
शरत्कालीन सं० (वि०) शरत् काल से संबंधित शरद-सं० (स्त्री०) = शरत्
शरबत - अ० (पु० ) 1 पानी और शक्कर का घोल, मीठा पेय (जैसे- दो गिलास शरबत लाना) 2 फलादि के रस में मिलाई गई शक्कर आदि का घोल, पेय 3 फूल, औषधि आदि का शक्कर में पकाया गया अर्क शरबती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 शरबत की तरह का मीठा (जैसे- शरबती आम, शरबती मलाई) 2 शरबत की तरह रसपूर्ण, मधुर तथा प्रिय (जैसे- शरबती आँखे ) 3 शरबत बनाने के लायक (जैसे- शरबत नींबू, शरबती बेल) 4 गुलाबी (जैसे- शरबती होंठ )
शरभ - सं० ( पु० ) 1 हाथी का बच्चा 2 शेर सिंह 3 टिड्डी 4 टिड्डा 5 फतिंगा
शरम - फ़ा० (स्त्री०) शर्म, हया, गैरत
शरमसार - फ़ा० (वि०) । लज्जावाला, हयादार 2 लज्जित, शरमिंदा
शरमसारी-फ़ा० (स्त्री०) 1 लजा, शरमिंदगी 2 पछतावा,
पश्चाताप शरमाऊ-फ़ा०
+
हिं० बोर (वि०) शरमीला
शरमाना-I फ़ा
+
हिंग (अ० क्रि०) 1 लजाना 2 लज्जित
होना (जैसे-अधिक शरमाना ) [[ (स०क्रि०) लज्जित करना, शरमिंदा करना
शरमालू-फ़ा + हिंग (वि०) शरमाशरमी-फ़ा० (वि०) शरमिंदगी - फ़ा० (स्त्री०) लाज, झेंप
शरमिंदा - फ़ा० (वि०) लज्जा से झुका हुआ
=
शरमीला शर्माशर्मी
=
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शरमीला
शरमीला-फ़ा० + हिं० (वि०) लाज से युक्त (जैसे- शरमीला युवक, शरमीली आँखे)
शरमीली-फ़ा हिं० (स्त्री०/वि०) शरमानेवाली शरह - अ० (स्त्री०) 1 अच्छी तरह स्पष्ट और विस्तृत रूप से कहना 2 व्याख्या 3 ग्रंथ की टीका या भाष्य 4 दर, भाव। बंदी + फ़ा० (स्त्री०) 1 दर निश्चित करना 2 भावों की तालिका; ~ लगान । हिं० (स्त्री०) लगान की दर शराकत - अ० (स्त्री०) हिस्सेदारी, साझा। नामा + फ्रांο (पु० ) साझा पत्र
शराफ़त - अ० (स्त्री०) 1 भलमनसी 2 भद्रता 3 कुलीनता शराब - अ० (स्त्री०) दारू, मद्य, मदिरा। कबाब (पु० ) मांस मदिरा, भोग विलास;
+
फ़ा० (पु० ) शराब पीनेवाला;
मदिरालय; खोर ~खोरी ( स्त्री०) मद्यपान निषेध
बंदी
+ फ़ा०
शराबी - अ० शराबोर - (वि०) तरबतर
खाना
फ़ा० ( पु० )
+ फ़ा० (स्त्री०) शराब पीना
+
+ फ़ा० (वि०) शराब पीनेवाला
शरारत - अ० (स्त्री०) पाजीपन, दुष्टता
फ़ा० (वि०) दुष्ट
शरारती - अ० शरासन - सं० (पु० ) धनुष
शरीअत - अ० (स्त्री०) 1 मज़हबी क़ानून 2 न्याय शरीक - I अ० (पु० ) 1 साथी 2 हिस्सेदार II ( वि० ) 1 शामिल, सम्मिलित 2 साथ देनेवाला
शरीफ़ - I अ० (पु० ) सज्जन और सभ्य व्यक्ति II (वि० )
भला मानस
शरीफा -सं० (पु० ) एक फल जिसके ऊपर आँख के आकार के दाने और सफेद गूदा होता है। शरीफ़ाना-अ० फ़ा० (वि०) सज्जनतापूर्ण शरीयत - अ० (स्त्री०) शरीअत
+
770
शारीरिक दुःख
=
शरीर - I अ० (वि०) दुष्ट प्रकृति
शरीर - I सं० (पु० ) जिस्म, तन बदन सुंदरता ) । ~क्रिया विज्ञान ( पु० ~क्रिया वेत्ता (पु० ) शरीर विज्ञानी;
)
ताप (पु० ) 1 शरीर गर्मी 2 शारीरिक कष्ट ; ~ त्याग (पु०) मृत्यु, मौत -दंड (पु० ) शारीरिक दंड; पतन, पात (पु० ) 1 शरीर का धीरे-धीरे क्षीण होना 2 मौत मृत्यु रक्षक (पु० ) अंगरक्षक; ~ रक्षा (स्त्री०) शरीर की रक्षा करना; रचना (स्त्री०) शरीर की बनावट; ~रचना विज्ञान, विज्ञान, ~ शास्त्र (पु० ) शरीर के बाहरी - भीतरी अवयवों की रचना, क्रिया आदि की विवेचना करनेवाला शास्त्र
संताप (पु० )
शरीरांत सं० (पु०) मृत्यु
शरीरी -सं० (वि०) शरीर से संबंधित
शर्करा - सं० (स्त्री०) शक्कर
(जैसे- शरीर की
शरीर विज्ञान;
=
शर्ट-अं० (स्त्री०) कमीज़
शर्त - अ० (स्त्री०) 1 बाज़ी (जैसे- शर्त हार जाना) 2 प्रतिज्ञा (जैसे- मैच खेलने की शर्त ) । नामा + फ़ा० (पु० ) अनुबंध पत्र बंध + फ़ा०, बँधा + हिं० (वि०) शर्त में बँधा हुआ, संकल्प किया हुआ शर्तिया - अ० (अ०) दृढ़तापूर्वक, निश्चय ही
शव
शर्ती - अ० (अ०) निश्चयपूर्वक शर्बती-अ० + फ़ा० (वि०) = शरबती शर्मंदगी - फ़ा० (स्त्री०) शरमिंदगी शर्मंदा फ़ा० (वि०) शरमिंदा
शर्म - फ़ा० (स्त्री०) 1 लज्जा, हया (जैसे- बिना शर्म के) 2 इज़्ज़त, लाज (जैसे- शर्मदार लड़की)। गाह (स्त्री०) 1 गोपनीय अंग 2 भग; नाक (वि०) लज्जाजनक; ~वाला + हिं० (वि०) = शरमीला; सार (वि०) 1 लज्जित 2 लज्जावान सारी (स्त्री०) लजाना; आना लाज लगना; ~ करना 1 लज्जित होना 2 लिहाज करना; ~ की बात लज्जाजनक कार्य; खाना लज्जा अनुभव करना; ~ से गठरी हो जाना लाज के मारे ज़मीन में गड़ जाना, अत्यंत लज्जित होना
शर्मा - सं० (पु० ) ब्राह्मणों के नाम के अंत में लगनेवाली उपाधि
शर्माना - (अ० क्रि०) = शरमाना शर्माशर्मी-फ़ा० (अ०) लज्जावश, संकोचवश शर्मिंदगी - फ़ा० (स्त्री०) शर्मिंदा होना
शर्मिंदा - फ़ा० (वि०) लजानेवाला शर्मीला फ़ा० शर्मीली-फ़ा० शर्वरी-सं० (स्त्री०) रात, निशा
+
शलग़म, शलजम - अ० (पु० ) तरकारी के उपयोग में आनेवाला एक प्रकार का कंद
+
हिं० (वि०) लज्जालु, लज्जावान हिं० (वि० / स्त्री०) शरमीली
शलजमी- अ० + फ़ा० (वि०) शलजम संबंधी शलभ - सं० (पु०) 1 शरभ 2 फतिंगा
शलाका - सं० (स्त्री०) 1 सलाखा 2 सलाई। पत्र (पु० ) मत पत्र, बैलट पेपर, पद्धति (स्त्री०) पर्ची से वोट देने की प्रणाली; ~ पुरुष ( पु० ) बौद्धों के त्रेसठ देव पुरुषों में एक शालूका - ( पु० ) आधी बाँह की कुरती शल्क-सं० (पु० ) टुकड़ा, खंड
शल्य - सं० (पु० ) चीर फाड़ द्वारा की जाने वाली चिकित्सा (जैसे-फोंड़े की शल्य क्रिया)। कर्ता, कार (पु० ) = शल्य चिकित्सक; कारी (स्त्री०) = शल्य चिकित्सा; ~क्रिया (स्त्री०) चीर फाड़ द्वारा चिकित्सा करना; ~ चिकित्सक (पु० ) शल्य चिकित्सा करनेवाला; ~ चिकित्सा ( स्त्री०) चीर फाड़ से इलाज; विज्ञान (पु० ), ~ विद्या (स्त्री०), शास्त्र ( पु० ) वह विज्ञान, जिसमें चीर-फाड़ संबंधी इलाज का विवेचन किया गया हो शल्योपचार -सं० (पु० ) शल्य क्रिया द्वारा किया जानेवाला
इलाज
शल्ल - अ० (वि०) 1 शिथिल 2 सुन्न शव-सं० (पु० ) लाश । गृह (पु० ) मुर्दाघर; छेद (पु० ) = शव परीक्षा; ता (स्त्री०) निष्प्राणता, निर्जीवता; ~ दाह (पु० ) मुर्दा जलाना; परीक्षणालय (पु० ) शव की परीक्षा करने का स्थान; ~ परीक्षा (स्त्री०) शव की जाँच करना; ~ भस्म (पु० ) चिता की राख; ~मंदिर (पु० ) श्मशान; ~ यात्रा (स्त्री०) अरथी, जनाज़ा; ~यान (पु० ) 1 टिकठी 2 शव दोनेवाली गाड़ी; ~रथ (पु० ) = शव यान; ~ शयन (पु० ) मरघट, श्मशान; ~संस्कार ( पु०) शव
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शवल
की अंत्येष्ठि ~ समाधि (स्त्री०); ~ साधन (पु०) तांत्रिकों द्वारा शव की साधना करना
शवल-सं० (वि०) - शबल शवाग्नि-सं० (स्त्री०) चिता की आग
शवाच्छादन-सं० (पु०) कफ़न, शवावरण
शवाधानी-सं० (स्त्री०), शवाधार-सं० (पु०) ताबूत शश, शशक-सं० (पु० ) खरगोश । श्रृंग (पु० ) असंभव और अनहोनी बात, आकाशकुसुम की सी असंभव बात शशपंज -फ़ा० (पु०) दुविधा
शशमाही- फ़ा० (वि०) छमाही
शशांक-सं० (पु०) चंद्रमा
शशि-सं० (पु०) चाँद । ~ कला (स्त्री०) चंद्रमा की सोलह कलाओं में एक; ~ प्रभा (स्त्री०) चाँदनी, ज्योत्सना; (वि०) शशि के समान मुखवाली; चंद्रकला
मुख लेखा (स्त्री०)
शस्त्र - सं० ( पु० ) हथियार। ~ कार ( पु० ) शस्त्र बनानेवाला; ~कोष (पु० ) शस्त्र रखने का खाना; क्रिया (स्त्री०)
शस्त्र कर्म, शल्य कारी; गृह (पु० ) = शस्त्रागार; ~ चिकित्सा (स्त्री०) = शल्य चिकित्सा; जीवी (पु० ) योद्धा, सैनिक, धारी (वि०) शस्त्र धारण करनेवाला; ~बल (पु० ) हथियारों की ताक़त शाला (स्त्री०) (वि०) बिना हथियार के शस्त्र रखने का स्थान
शास्त्रागार - शून्य शस्त्रागार - सं० (पु० ) शस्त्रालय - सं० (पु० ) सिलहख़ाना
शस्त्रास्त्र - सं० (पु० ) शस्त्र और अस्त्र
~ भांडार (पु० ) = शस्त्रागार - शून्य (वि०) = शस्त्र शून्य शस्त्रीकरण-सं० (पु०) हथियारबंदी
शस्त्रोपचार-सं० (पु०) = शल्य चिकित्सा शस्त्रोपजीवी-सं० (पु० ) शस्त्रजीवी शस्य - I सं० ( पु० ) नई घास, कोमल तृण शस्य - II सं० (वि०) 1 प्रशंसनीय 2 बढ़िया शस्यागार - सं० (पु०) खलिहान
शहंशाह - फ़ा० (पु० ) = शाहंशाह शहंशाही - फ़ा० (वि० )
शाहंशाही
शह - फ़ा० (स्त्री०) 1 भड़काने की क्रिया, उकसाना, उभारना 2 शतरंज में बादशाह को दी गई किश्त
=
771
=
शहकार - फ़ा० (पु० ) सर्वोत्कृष्ट कृति शहकारा - फ़ा० (स्त्री०) बदचलन औरत, पुंश्चली स्त्री शहज़ादा फ़ा० (पु० ) = शाहजादा शहज़ादी-फ़ा० हिं० (स्त्री०) = शाहज़ादी शहज़ोर-फ़ा० (स्त्री०) (वि०) अत्यंत बली
शहज़ोरी - फ़ा० (स्त्री०) 1 बलवान होना 2 ज़बरदस्ती शहतीर - फ़ा० (पु०) बड़ा और लंबा लट्ठा शहतूत - फ़ा० ( पु० ) 1 तूत का पेड़ और उसका फल 2 इस वृक्ष की मीठी फली
शहद - I अ० (पु० ) मधुमक्खियों द्वारा बनाया गया पुष्परस का रूपांतर II ( वि०) अति मधुर (जैसे- शहद भरी बात ) ~ की छुरी ज़बान का मीठा किंतु दिल का खोटा; की मक्खी पीछा न छोड़नेवाला लोभी व्यक्ति; (जुबान में ) शहद • घुलना मिठास से भर जाना; (कानों में) शहद घोलना अति
शांति
मधुर बोलना; ~ लगाकर अलग हो जाना झगड़ा लगाकर आप अलग हो जाना
शहना - अ० (पु० ) 1 खेत की चौकसी करनेवाला 2 खेतिहरों से राजकर उगाहनेवाला अधिकारी
शहनाई - फ़ा० (स्त्री०) मुँह से फूँककर बजाया जानेवाला एक प्रसिद्ध बाजा, नफीरी
शहबाला - फ़ा० + हिं० (पु०) विवाह के समय दूल्हे के साथ पालकी में बैठनेवाला बालक
शहमात - फ़ा० (स्त्री०) शतंरज में बादशाह को दी गई वह मात जब बादशाह को चलने के लिए एक भी स्थान न खाली हो शहर-फ़ा० (पु०) नगर। ~वाला हिं० (पु० ) नगर में रहनेवाला; ~वासी + सं० (५०) नगर का निवासी शहराती-फ़ा० + अ० (वि०) शहर में लगनेवाला
+
(जैसे- शहराती भाषा)
शहरी-फ़ा० (वि०) शहर का
शहवत - अ० (स्त्री०) 1 भोग विलास की इच्छा 2 काम वासना 3 संभोग कामना शहवती - अ०
+ फ़ा० (वि०) शहवत संबंधी
शहादत - अ० (स्त्री०) 1 शहीद होने का भाव 2 गवाही, साक्ष्य शहाना-फ़ा० (वि० ) = शाहाना
शहाब - फ़ा० (पु०) गहरा लाल रंग
शहीद - अ० (वि०) 1 धर्म हेतु मारा गया 2 खुद की बलि देनेवाला
शहीदी - + हिं० (वि०) 1 शहीद संबंधी 2 शहीद होने को तैयार
शांत - 1 सं० (वि०) 1 मौन, चुप 2 निःशब्द 3 सुनसान (जैसे शांत वातावरण) 4 विनम्र (जैसे- शांत स्वभाव ) 5 संतुष्ट (जैसे- रुपए मिलने पर वह शांत हो गया) II (पु० ) साहि० एक रस जिसका स्थायीभाव निर्वेद है। चित्त (वि०) शांत हृदयवाला प्रकृति (वि०) शांत स्वभाव का स्वभाव (वि०) शांत प्रकृति शांति-सं० (स्त्री०) 1 निःशब्दता, सूनापन 2 मन की स्थिरता 3 तसल्ली, सांत्वना 4 आराम, चैन। ~ इच्छा (स्त्री०) शांति की कामना ~ कामना (स्त्री०) = शांति इच्छा; कामी (fao) = शांति प्रेमी; काल (पु०) शांति का समय; ~कालीन (वि०) शांति काल से संबंधित; दस्तखत + फ़ा० + अ० (पु० ) = शांति हस्ताक्षर; ~दाता (पु०) शांति देनेवाला व्यक्ति; दायक, दायी (वि०) शांति देनेवाला; दूत (पु० ) शांति का प्रचारक; परस्त + फ़ा० (पु० ) शांति चाहनेवाला व्यक्ति; परिषद् (स्त्री०); शांति कमेटी पूर्ण (वि०) = शांतिमय; प्रयास (पु० ) शांति के लिए कोशिश; ~ प्रयासी (पु० ) = शांति समर्थक; ~ प्रस्ताव (पु० ) शांति का विषय प्रिय (वि०) शांति चाहनेवाला (जैसे- शांति प्रिय व्यक्ति); ~प्रियता (स्त्री०) शांति प्रिय होने का भाव प्रेमी (वि०) शांति चाहनेवाला (जैसे- शांति प्रेमी राष्ट्र); ~भंग (पु०) शांति को नष्ट करना; ~ भंजक (वि०) शांति भंग करनेवाला; रक्षक (वि०) शांति की रक्षा करनेवाला; ~वाद (पु०) शांति बनाए रखने का सिद्धांत; ~वादी (वि०) शांतिवाद से संबंधित; वार्ता (स्त्री०) शांति संबंधी बातचीत विरोधी (वि०) शांति का
=
=
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शांतिमय
+
विरोध करनेवाला; शर्ते अं० (स्त्री०) शांत बनाए रखने का संकल्प; संधि (स्त्री०) शांति हेतु मेल करना; ~समय (पु० ) = शांति काल; ~समर्थक (पु० ) शांति चाहनेवाला, शांति का समर्थन करनेवाला; ~सुलह + अ० (स्त्री०) शांति संधि; सैनिक ( पु०) शांति बनाए रखनेवाली सेना; ~स्थापक (पु०) शांति की स्थापना करनेवाला; ~स्थापन (पु० ), ~ स्थापना (स्त्री०) शांति बनाए रखना; हरण (पु० ) शांति नष्ट करना शांतिमय - सं० (वि०) शांति की ओर अग्रसित (जैसे- शांतिमय
शायरी
संघर्ष) शाइरी -अ० + फ़ा० (स्त्री०) शाइस्तगी - फ़ा० (स्त्री०) शाइस्ता होने का भाव शाइस्ता - फ़ा० (वि०) 1 शिष्ट तथा सभ्य 2 नम्र तथा सुशील शाकंभरी-सं० (स्त्री०) दुर्गा
शाक - I सं० (पु०) वनस्पति । ~भक्ष (पु० ) = शाकाहारी; ~ भाजी (स्त्री०) साग सब्ज़ी; ~ भोजी (वि०) शाक खानेवाला (जैसे- शाक भोजी प्राणी); ~सब्ज़ी + फ़ा० (स्त्री०) तरकारी
शाक - II सं० (वि०) 1 शक जाति संबंधी 2 शक राजा का 3 शक संवत् संबंधी
शॉक - III अं० (पु०) सदमा, चोट, धक्का शाकट - I सं० (पु० ) गाड़ी खींचनेवाला पशु II (वि०) गाड़ी संबंधी
=
=
772
शाकाहार-सं० (पु० ) अनाज या फल फूल का भोजन शाकाहारी-सं० (वि०) निरामिष भोजी (जैसे- शाकाहारी भोजनालय)
शाकिर - अ० (वि०) 1 कृतज्ञ 2 संतोष करनेवाला, संतोषी शाकी-अ० (वि०) 1 शिकायत करनेवाला 2 फ़रियाद करनेवाला 3 चुग़ल खोर
शाक्त-सं० (पु०) शक्ति संबंधी, बल संबंधी शाक्य -सं० (पु०) गौतम बुद्ध के वंश का नाम शाख - फा० (स्त्री०) डाली शाखा । ~दार (वि०)
शाख़वाला
शाखसाना-फ़ा० (पु० ) 1 झगड़ा 2 तर्क वितर्क, बहस 3 व्यर्थ का दोष निकालना
शाखा -सं० (स्त्री०) 1 डाल, टहनी (जैसे- वृक्ष की शाखा टूटकर गिर गई) 2 वस्तु आदि का भाग या अंग (जैसे- नदी की शाखा, बैंक की शाखा) 3 वर्ग, संप्रदाय (जैसे- हिंदू समाज की शाखा) 4 विभाग, हिस्सा 5 सिद्धांत, प्रणाली (जैसे- विज्ञान की शाखा, वेद की शाखा ) । संक्रमण (पु० ) एक डाल से दूसरी डाल पर जाना शाखी-सं० (वि०) शाखा संबंधी शाखोच्चार-सं० (पु०) विवाह मंडप में पाणिग्रहण के अवसर पर वर तथा कन्या पक्ष के पुरोहितों द्वारा अपने-अपने यजमान की कुलीनता के आधार पर वंशावली का बखान शार्गिद - फ़ा० (पु० ) शिष्य, चेला। ~ पेशा (पु० ) 1 नौकर चाकर 2 खिदमतगार 3 अधीनस्थ कर्मचारी शार्गिदी-फ़ा० (स्त्री०) शिष्यता, चेलापन
शाट - I सं० (पु०) 1 कपड़े का टुकड़ा 2 ढीला ढाला पहनावा शाट - II अं० (पु०) गेंद पर किया गया ज़ोर का आघात
शामन
शाटक-सं० (५०) कपड़ा
शाठ्य-सं० (पु० ) 1 शठता, दुष्टता 2 कपट, छल शाण - I सं० (पु०) 1 हथियार की धार तेज़ करने का पत्थर 2 कसौटी नामक काला पत्थर II (वि०) सन का बना III (पु० ) सन के रेशे का बना कपड़ा शात-सं० (वि०) 1 सान पर तेज़ किया हुआ 2 बारीक, पतला शातिर - I अ० (पु० ) परम धूर्त II (वि०) काइयाँ, चालाक शाद -फ़ा० (वि०) खुश, प्रसन्न
शादियाना - फ़ा० (वि०) 1 आनंद मंगल के समय बजनेवाले बाजे 2 शुभ अवसर पर गाए जानेवाले गीत 3 बधावा, बधाई शादी-फ़ा० (स्त्री०) विवाह । ब्याह हिं० (पु० ) आनंदोत्सव -शुदा (वि०) विवाहित (जैसे- शादीशुदा आदमी, वह शादीशुदा है )
+
शाइल - I सं० (वि०) हराभरा II हरीघास शान - I अ० 1 ठाट-बाट (जैसे- शान से बरात आई ) 2 वैभव, गर्व आदि सूचित करनेवाली स्थिति (जैसे- शान से जीवन बिताना, शान से बातें करना) 3 मान-मर्यादा, प्रतिष्ठा (जैसे - ख़ानदान की शान पर धब्बा न लगना) 4 महत्त्व, विशालता (जैसे - खुदा की शान) । ~दार + फ़ा० (वि०) 1 शानवाला 2 बहुत विशाल (जैसे-शानदार मकान ) 3 प्रशंसनीय शौकत (स्त्री०) ठाट-बाट (जैसे-शान शौकत की कमी न होने पाए); में बट्टा लगना प्रतिष्ठा घटना, हेठी होना
= शाण
शान - II सं० (पु० ) शाना - फ़ा० (पु० ) 1 कंघा, कंघी 2 कंधा, मोढ़ा शाप-सं० (पु० ) 1 अनिष्ट कामना से कहा गया कथन 2 उक्त सूचक बात 3 धिक्कार, भर्त्सना 4 बुरी कसम। प्रस्त (वि०) शापित; ~मुक्ति (स्त्री०) शाप से छुटकारा; ~ मोचन (पु० ) शाप को नष्ट करनेवाला शापित-सं० (वि०) शाप से पीड़ित शापोद्वार-सं० (पु० ) = शाप मुक्ति शाबाश - फ़ा० (अ०) एक प्रशंसा सूचक शब्द शाबाशी - फा० (स्त्री० ) वाहवाही, साधुवाद शाब्द - I सं० (वि०) 1 शब्द संबंधी 2 शब्द करता हुआ || (पु० ) 1 वैयाकरण 2 शब्द शास्त्र का ज्ञाता शाब्दानुवाद-सं० (पु०) शब्द का अनुवाद शाब्दिक-सं० (वि०) 1 शब्द का (जैसे- शाब्दिक अर्थ ) 2 मौखिक (जैसे- शाब्दिक अभिव्यक्ति) 3 शब्द रूप में होनेवाला (जैसे- शाब्दिक सहानुभूति )
शाब्दी व्यंजना-सं० (स्त्री०) शब्द के प्रयोग पर निर्भर व्यंजना शाम - बो० (स्त्री०) छड़ी के नीचे लगा हुआ छल्ला शाम - II फ़ा० (स्त्री०) साँझ, सायं (जैसे- शाम का खाना, शाम की गाड़ी)
=
शामक-सं० (वि०) शमन करनेवाला ( दवा) शामत - अ० (स्त्री०) 1 विपत्ति (जैसे शामत आना) 2 दुर्भाग्य (जैसे- शामत का मारा ) । ज़दा फ़ा० (वि) 1 संकट में फँसा हुआ, विपदग्रस्त 2 अभागा, बदनसीब, सवार होना दुर्दशा का समय आना शामती - अ० + 10 (fao) - शामतज़दा शामन -सं० (पु० ) 1 शमन 2 शांति 3 हत्या
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शामियाना
773
शाख
ला में प्रयन चिकित्सक
शामियाना-फा० (पु०) तंबू
शालिनी-सं० (स्त्री०) गृह स्वामिनी शामिल-अ० (वि.) 1 सम्मिलित (जैसे-जुलस में शामिल शालिहोत्र-सं० (पु०) घोड़े आदि पशुओं की चिकित्सा अभिनेता) 2 इकट्ठा
शालीहोत्री-सं० (पु०) घोड़े आदि पशुओं का चिकित्सक शामिलात-अ० (स्त्री०) साझी ज़ायदाद
शाली-सं० (प्र०) शब्द के अंत में प्रयुक्त एक प्रत्यय शामी-अ० (वि०) (कबाब) विशेष प्रकार से मसाले डालकर शालीन-सं० (वि०) 1 लज्जाशील 2 नम्र 3 ससमान, बनाया हुआ
सादृश्य। ~ता (स्त्री०) 1 शालीन होने का भाव 2 नम्रता शायक-स० (पु०) 1 तीर, बाण 2 तलवार
3 समानता शायक-अ० (वि०) 1 शौक़ीन 2 इच्छुक
शालीहोनी-सं० (पु०) घोड़े आदि पशुओं का चिकित्सक शायद-फ़ा० (अ०) संभव है कि, कदाचित्
शालेय-सं० (वि०) शाल का, शाल संबंधी शायर-अ० (पु०) 1 उर्दू, फ़ारसी में शेर की रचना करनेवाला शाल्मलि, शाल्मली-सं० (स्त्री०) सेमर 2 काव्य रचनाकार
शावक-सं० (पु०) पशु-पक्षी का बच्चा (जैसे-शश शावक) शायराना-अ० + फा० (वि०) 1 शायर संबंधी 2 शायरों जैसा शाश्वत-सं० (वि०) सदा रहनेवाला। ता (स्त्री०) (जैसे-शायराना मिज़ाज)
निरंतरता शायरी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 कविता करना 2 कविता, | शाश्वतिक-सं० (वि०) = शाश्वत काव्य
शासक-सं० (पु०) शासन कर्ता। -मंडल (पु०) शासन शायिका-सं० (स्त्री०) 1 नींद, निद्रा 2 शयन
करनेवालों का समूह शायित-सं० (वि०) सुलाया हुआ
शासकीय-सं० (वि०) शासक संबंधी शायिनी-सं० (स्त्री०) शयन करनेवाली स्त्री (जैसे-अंक शासन-सं० (पु०) 1 हुकूमत का कार्य, हुक्म 2 सरकारी हुक्म शायिनी)
3 नियंत्रण 4 अनुशासन 5 वश में रखना। ~कर्ता (पु०) = शायी-सं० (वि०) 1 सोनेवाला (जैसे-पर्यंक शायी) शासक; ~कारी (वि०) शासन करनेवाला; ~कार्य 2 गिरनेवाला (जैसे-धरा शायी)
(पु०) शासन का काम; ~काल (पु०) 1 शासन का शारद-सं० (वि०) 1 शरद संबंधी 2 शरद ऋतु में होनेवाला निर्धारित समय 2 शासन का समय (जैसे-मुग़ल शासन काल शारदा-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 सरस्वती
की गौरव गाथा); ~घोषणा (स्त्री०) सरकारी आदेश, शारदीय-सं० (वि०) शरद ऋतु संबंधी
सरकारी हुक्म; तंत्र (पु०) राज्य शासन प्रणाली; शारदीया-सं० (स्त्री०) शरद ऋतु की पूर्णिमा
पद्धति (स्त्री०) = शासन शास्त्र; ~परिषद् (स्त्री०) = शारीर-सं० (वि०) = शरीरी। -विज्ञान, ~शास्त्र (पु०) शासन निकाय; ~प्रणाली (स्त्री०) = शासन तंत्र; ~प्रबंध - शरीर विज्ञान
(पु०) शासन की व्यवस्था आदि; विधान (पु०) शासन शारीरक, शारीरिक सं० (वि०) शरीर संबंधी के नियम कानून आदि बनाना; ~व्यवस्था (स्त्री०) शासन (जैसे-शारीरिक कष्ट, शारीरिक बल)
तंत्र; ~शक्ति (स्त्री०) = शासन सत्ता; ~संकट (पु०) शार्क मछली-अं0 + हिं० (स्त्री०) एक प्रकार की समुद्री शासन की विपत्ति, शासन में उत्पन्न व्यवधान; ~संचालन मछली
(पु०) शासन चलाना; ~संस्था; (स्त्री०) सत्ता (स्त्री०) शाडूग-[सं० (वि०) धनुर्धर II (प०) धनुष । ~पाणि शासन की स्थिति या अधिकार; ~सुधार + हिं० (पु०) (पु०) 1 धनुषधारी 2 विष्णु, कृष्ण; ~भंजिका (स्त्री०) सरकारी प्रबंध के दोष दूर करना 1वेश्या 2 कठपुतली
शासनांतर्गत सं० (वि०) शासन के अंदर आया हुआ शार्टवेव-अं० (पु०) लघु तरंग
(जैसे-शासनांतर्गत सीमा क्षेत्र) शार्टहैंड-अं० (पु०) आशुलिपिक
शासनात्मक-सं० (वि०) शासन संबंधी शार्दूल-सं० (पु०) शेर , सिंह
शासनादिष्ट-सं० (वि०) शासन द्वारा आदेश किया हुआ शाल-I सं० (पु०) कक्ष, हॉल
शासनादेश-सं० (पु०) शासन का हुक्म शाल-II फ़ा० (स्त्री०) गरम चादर (जैसे-शाल ओढ़ना, शाल शासनाधिकार-सं० (पु०) शासन की शक्ति से बच्चे को ढकना)
शासनाधीन-सं० (वि०) = शासनांतर्गत शालग्राम-सं० (पु०) गोलाकार पत्थर का टुकड़ा शासनाध्यक्ष-सं० (पु०) शासन का अध्यक्ष शालदोज़-फ़ा० (पु०) शाल के किनारे बेल बूटे बनानेवाला शासनारूढ़-सं० (वि०) शासन पर बैठा हआ शालबाफ़-फा० (पु०) 1 शाल बुननेवाला 2 एक तरह का | शासनिक-सं० (वि०) शासन संबंधी रेशमी कपड़ा
शासनी-सं० (स्त्री०) धर्मोपदेश करनेवाली स्त्री शालबाफ़ी-फ़ा० (स्त्री०) 1 शाल बुनने का काम 2 शाल शासनीय-सं० (वि०) शासन योग्य बुनने का पारिश्रमिक
शासित-सं० (वि०) शासन किया हुआ शालभ-[सं० (पु०) बिना सोचे समझे कूद पड़ना II (वि०) शासी-सं० (वि०) शासन करनेवाला शलभ संबंधी
शास्ता-सं० (पु०) 1 अधिनायक, तानाशाह 2 शासक 3 राजा शाला-सं० (स्त्री०) 1 घर, मकान 2 विशेष स्थान, विशेष | शास्ति-सं० (स्त्री०) 1 शासन 2 दंड, सज़ा मकान (जैसे-अश्व शाला, गोशाला)
शास्त्र-सं० (पु०) 1 विवेचनात्मक ज्ञान विषयक ग्रंथ
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शास्त्रानुमोदित
774
शिक्षा
(जैसे-भौतिक शास्त्र) 2 गंभीर विषय संबंधी सिद्धांत | शिशुमार-सं० (पु०) = सूसमार (जैसे-दर्शन शास्त्र, अध्यात्म शास्त्र) 3 आचार-व्यवहार तथा | शिकंजा-फा० (पु०) कसने का यंत्र विधि विधान संबंधी ग्रंथ (जैसे-धर्म शास्त्र, वेद शास्त्र)। शिकन-फा० (स्त्री०) सिकुड़न, सिलवट ~कार (पु०) शास्त्र की रचना करनेवाला; चर्चा, शिकम-फा० (पु०) पेट, उदर -चिंतन (स्त्री०) 1 शास्त्र का अनुशीलन 2 शास्त्र पर विचार | शिकमी-फ़ा० (वि०) 1शिकम संबंधी 2 अपना विमर्श; ~ज्ञ (पु०) 1 शास्त्र का ज्ञाता 2 धर्मशास्त्र का | शिकरा-फ़ा० (पु०) बाज़ से छोटा एक शिकारी पक्षी आचार्य; - पारंगत (पु०) शास्त्र विशेषज्ञ, शास्त्र वेत्ता; | शिकवा-अ० (पु०) 1शिकायत 2 उलाहना 3 ग्लानि ।
विद् (पु०) = शास्त्रज्ञ, विधान (पु०) शास्त्र संबंधित | शिकायत (स्त्री०) उलाहना, शिकायत आचार-विचार आदेश आदि, अनुशासन; ~विहित (वि०) शिकस्त-फ़ा० (स्त्री०) 1 पराजय, हार 2 विफलता शास्त्र सम्मत
शिकायत-अं० (स्त्री०) 1 शिकायत 2 उलाहना 3 ग्लानि । शास्त्रानुमोदित-सं० (वि०) = शास्त्र विहित
शिकस्त-फा० (स्त्री०) 1 पराजय, हार 2 विफलता शास्त्रार्थ-सं० (पु०) 1 शास्त्र का अर्थ, अभिप्राय 2 वाद शिकायत-अ० (स्त्री०) 1 असंतोष 2 ग़लत बात 3 कष्ट विवाद (जैसे-शास्त्रार्थ करना)
(जैसे-बुख़ार की शिकायत) 4 असंतोष दूर करने हेतु किया शास्त्रार्थी-सं० (वि०) शास्त्रार्थ करनेवाला
गया निवेदन (जैसे-अधिकारी से शिकायत करना) शास्त्री-सं० (पु०) = शास्त्रज्ञ
शिकार-फा० (पु०) 1 आखेट, मगया 2 गोश्त (जैसे-शिकार शास्त्रीकरण-सं० (पु.) शास्त्र का रूप देना
खाना, शिकार बनाना) 3 फँसाया गया व्यक्ति (जैसे-आज शास्त्रीय सं० (वि०) शास्त्र संबंधी। ~ता (स्त्री०) शास्त्रीय एक शिकार घर पर आया था, मुवक्किल तो वकीलों के होने का भाव
शिकार हैं) 4 भोजन, आहार (जैसे-शेर को अपना शिकार शास्त्रोक्त-सं० (वि०) = शास्त्र विहित
मिल गया)। गड़हा + हिं० (पु०) शिकार हेतु बनाय शाहंशाह-फा० (पु०) सम्राट्, बादशाह
गया गड्ढा; ~गाह (स्त्री०) शिकार खेलने की जगह शाहंशाही-I फ़ा० (वि०) 1 शहंशाहो का सा (जैसे-शाहंशाही निषिद्ध + सं० (वि०) शिकार के लिए मना किया गय दिमारा) 2 शहंशाह संबंधी II (स्त्री०) शहंशाह होने का भाव (जैसे-शिकार निषिद्ध क्षेत्र); बंद (पु०) घोड़े की दुम के शाह-I फ़ा० (पु०) बादशाह II (वि०) 1 बहुत बड़ा या श्रेष्ठ पास चारजामे के पीछे लगाया गया तसमा; ~वर्जित + सं. 2 शाहों का सा। ~कार (पु०) कला संबंधी कोई महान (वि०) = शिकार निषिद्ध कृति; ~खर्च वि०) बहुत ख़र्च करनेवाला; खर्ची | शिकारा-फा० (पु०) एक तरह की बड़ी नाव, हाउस (स्त्री०) शाहखर्च होने का भाव, अंधाधुंध खर्च; ~ज़ादा | बोट (पु०) राजकुमार; ~ज़ादी + हिं० (स्त्री०) राजकुमारी; शिकारी-I फ़ा० (पु०) अहेरी, आखेटक II (वि०) -~दरा (पु०) महल या किले के आस पास की बस्ती; 1 शिकार संबंधी 2 शिकार करनेवाला (जैसे-शिकारी कुत्ता) -दिल (वि०) उदार हृदय, खुले दिलवाला; दिली शिक्षक-सं० (पु०) 1 विद्या या ज्ञान सिखलानेवाला व्यक्ति (स्त्री०) उदार हृदयता; परस्त (पु०) राजभक्त; ~बलूत (जैसे- राजनीतिक शिक्षक, कला शिक्षक) 2 अध्यापक + अ० (पु०) बलत का एक भेद; बाज़ I (पु०) बड़ा 3 गुरु (जैसे-आध्यात्मिक शिक्षक) बाज II (वि०) राजसी; बाला + हिं० (पु०) = | शिक्षण-सं० (पु०) शिक्षा, तालीम । कार्य (पु०) शिक्षा शहबाला; राह (स्त्री०) राजमार्ग
देने का काम; -विज्ञान (पु०) वह विज्ञान जिसमें शिक्षा शाहाना-फा० (वि०) 1 शाहों का 2 शाहों का सा 3 शाहों के कार्य संबंधी सिद्धांतों का विवेचन हो; विद्यालय (पु०) योग्य 4 बहुत बढ़िया
शिक्षा देने का स्थान; ~शास्त्र (पू.) - शिक्षण विज्ञान; शाहिद-[ अ० (पु०) शहादत देनेवाला, गवाह II (वि०) संस्था (स्त्री०) = शिक्षालय मनोहर, सुंदर
शिक्षणाधीन-सं० (वि०) शिक्षा के आधीन शाही-[फा० (वि०) 1 शाह का 2 शाहों का सा 3 राजसी शिक्षाणलय-सं० (पु०) शिक्षा देने की जगह (जैसे-शाही बंदोबस्त) II (स्त्री०) अधिकारिक व्यवहार या शिक्षा-सं० (स्त्री०) 1 विद्या, ज्ञान (जैसे-धर्म की शिक्षा, भाषा स्वरूप (जैसे-नादिरशाही, नौकरशाही)
विज्ञान की शिक्षा) 2 नसीहत, उपदेश (जैसे-नैतिक शिक्षा, शिंगरफ़-फ़ा० (पु०) इंगुर, हिंगुल
कर्तव्य पालन की शिक्षा) 3 पाठ, सबक 4 दंड। क्रम शिंगरफ़ी-[फा० (वि०) 1 शिंगरफ़ संबंधी 2 लाल, सूर्ख || (पु०) = शिक्षा प्रणाली; दायक (वि०) - शिक्षाप्रद, (पु०) लाल रंग
~दीक्षा (स्त्री०) चारित्रिक और बौद्धिक विकास के उद्देश्य से शिंजन-सं० (पु०) झनकार
दी गई शिक्षा पद्धति (स्त्री०) - शिक्षा प्रणाली; शिंजिका-सं० (स्त्री०) करधनी, मेखला
~परिषद (स्त्री०) शिक्षा का प्रबंध करनेवाली समिति या शिंजिनी-सं० (स्त्री०) 1 धनुष की डोरी, प्रत्यंचा 2 पायल, । सभा; ~प्रचार (पु०) शिक्षा को फैलाना; प्रणाली
(स्त्री०) शिक्षा की विधि; ~प्रद (वि०) शिक्षादायक शिंबा-सं० (पु०) छीमी, सेभ
(जैसे-शिक्षाप्रद कहानियाँ) प्रसार (प०) - शिक्षा प्रचार शिबिका-सं० (स्त्री०) = शिंबी
प्राप्त (वि०) जिसने शिक्षा प्राप्त की हो (जैसे-शिक्षा प्राप्त शिंबी-सं० (स्त्री०) 1 सेम 2 छीमी 3 केवाँच
युवक); ~प्राप्ति (स्त्री०) शिक्षा प्राप्त करना; विज्ञान
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शिक्षात्मक
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शिलीपद (पु०) = शिक्षण विज्ञान; -विद् (पु०) = शिक्षा शास्त्री; आरोग्य। खाना + फ़ा० (पु०) अस्पताल, चिकित्सालय -विधि (स्त्री०) शिक्षा देने का ढंग, शिक्षा पद्धति;| शिफ्ट-अं० (स्त्री०) पारी
विभाग (पु०) शिक्षा संबंधी कार्यालय; ~वृत्ति (स्त्री०) शिया-अ० (पु०) मुसलमानों का एक संप्रदाय जो हजरत अली शिक्षण कार्य; ~शक्ति (स्त्री०) शिक्षा ग्रहण करने का को मुहम्मद साहब का प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी मानता है सामर्थ्य; ~शास्त्र (पु०) = शिक्षण विज्ञान; ~शास्त्री शिर-सं० (पु०) 1सिर, कपाल, खोपड़ा 2 मस्तक, माथा (पु०) शिक्षा संबंधी ज्ञान विशारद; ~संबंधी (वि०) शिक्षा 3 ऊपरी भाग, चोटी 4 सिरा, अगला भाग। -पेंच (पु०) = से संबंध रखनेवाला; ~संस्था (स्त्री०) = शिक्षालय; सिरपंच; ~फूल (पु०) सिर में पहनने का एक स्त्री आभूषण हीन (वि०) शिक्षा रहित
सीसफूल, ~मौर (पु०) 1सिरमौर, मुकुट 2 मुख्य व्यक्ति शिक्षात्मक-सं० (वि०) शिक्षा संबंधी
शिरकत-अ० (स्त्री०) = शराकत शिक्षारंभ-सं० (पु०) शिक्षा की शुरुआत
शिरकती-अ० + फ़ा० (वि०) शिरकत संबंधी शिक्षार्थी-सं० (पु०) शिक्षा का इच्छुक
शिरश्चछेद-सं० (पु०) सिर काटना। ~यंत्र (पु०) सिर शिक्षालय-सं० (पु०) पाठशाला, विद्यालय
काटने का औज़ार शिक्षावधि-सं० (स्त्री०) शिक्षा का समय
शिरसा-सं० (अ०) आदरपूर्वक शिक्षित-सं० (वि०) शिक्षा प्राप्त, पढ़ा लिखा (जैसे-शिक्षित शिरस्क-सं० (पु०) 1 पगड़ी 2 शिरस्त्राण युवक, शिक्षित समाज)
शिरस्त्राण-सं० (पु०) लोहे का टोप शिक्षोन्नति-सं० (स्त्री०) शिक्षा की उन्नति
शिरा-सं० (स्त्री०) खून की नाड़ी या नली शिक्षोपयोगी-सं० (वि०) शिक्षा के उपयुक्त, शिला के योग्य | शिराकत-अ० (स्त्री०) = शराकत । नामा + फ़ा० (पु०) (जैसे-शिक्षोपयोगी वातावरण, शिक्षोपयोगी स्थान)
साझे का शर्तनामा शिक्ष्यमाण-सं० (वि०) सिखाया जानेवाला, शिक्षा पानेवाला शिराच्छादन-सं० (पु०) सिर को ढकना शिखंड-सं० (पु०) 1 मयूर पुच्छ, मोर की पूँछ 2 चोटी, शिखा शिराजाल-सं० (पु०) शरीर में फैला शिराओं का तंत्र 3 काक पक्ष, काकुल
शिरावरोध-सं० (पु०) चि० शिरा में रक्त कणों की गाँठ बनने शिखर-सं० (पु०) 1 सिर, चोटी 2 पर्वत चोटी। ~मंज़िल + का एक रोग, थ्राम्बोसिस
अ० (स्त्री०) इमारत की चोटी; ~वार्ता (स्त्री०) अनेक राष्ट्रों | शिरोधार्य-सं० (क्रि० वि०) अंगीकार (जैसे-भाई की आज्ञा के उच्चतम अधिकारियों का परस्पर विनिमय; सम्मेलन | शिरोधार्य करना)
(पु०) अनेक राष्ट्र के सर्वोच्च अधिकारियों की बैठक | शिरोभूषण-सं० (पु०) 1सिर पर पहनने का गहना, सीसफूल शिखरस्थ-सं० (वि०) चोटी पर स्थित
2 मुकट (जैसे-राजा का शिरोभूषण धारण करना) शिखांत-सं० (पु०) शिखा का सबसे ऊपरी भाग शिरोमणि-सं० (पु०) 1 चूड़ामणि 2 मान्य और श्रेष्ठ व्यक्ति शिखा-सं० (स्त्री०) 1 चुंदी, चोटी 2 पंखो का ऊपरी गुच्छा, शिरोरेखा-सं० (स्त्री०) शब्दों के ऊपर दी गई रेखा कलगी 3 लौ (जैसे-दीप शिखा)
शिरोविंदु-सं० (पु०) सिर के ऊपर आकाश में पड़नेवाला विंदु शिखी-सं० (वि.) शिखा युक्त
या स्थान शिगाफ़-फ़ा० (पु०) 1 दरार, दरज 2 सूराख, छेद शिरोवेष्टन-सं० (पु०) पगड़ी शिगूफ़ा-फ़ा० (पु०) = शगूफ़ा
शिलांकित-सं० (वि०) = शिलोत्कीर्ण शित-सं० (वि०) सान पर तेज़ किया हुआ 2 नुकीला शिला-सं० (स्त्री०) 1 पत्थर, पाषाण 2 चट्टान, सिल। ~खंड शिताब-फ़ा० +अ० झटपट, जल्द, शीघ्र
(पु०) पत्थर का बड़ा टुकड़ा; ~गृह (पु०) कंदरा, गुहा; शिताबी-फ़ा० (स्त्री०) 1 शीघ्रता 2 उतावली
-चित्र (पु०) पत्थर पर बनाया गया चित्र; -जीत (स्त्री०) शितिकंठ-सं० (पु) 1 मोर 2 शिव
विशिष्ट चट्टान के अत्यधिक तपने पर उसमें से निकलनेवाला शिथिल-सं० (वि०) 1 ढीला (जैसे-शिथिल प्रत्यंचा) 2 थका एक प्रकार का काले रंग का रस; न्यास (पु०) नींव डालना माँदा (जैसे-शिथिल शरीर) 3 आलसी, सुस्त (जैसे-शिथिल (जैसे-ताजमहल का शिलान्यास); न्यासक (वि०) कार्यकर्ता या शिथिल कर्मचारी) 4 पाबंदरहित (जैसे-शिथिल शिलान्यास करनेवाला; ~पट्ट (पु०) 1 पत्थर की चट्टान क़ानून, नियम) ~ता (स्त्री०) 1 शिथिल होने का भाव 2 मसाला पीसने की सिल; ~पुष्प (पु०) = शिलाजीत; 2 ढीलापन 3 सुस्ती, आलस्य
बंध (पु०) पत्थर की चहार दीवारी; ~मुद्रण (पु०) शिथिलन-सं० ढीला छोड़ देना, ढीला करना
पत्थर पर अंकित लिपि के माध्यम से छपाई करना; ~मुद्रित शिथिलित-सं० (वि०) शिथिल हुआ
(वि०) शिला मुद्रण किया हुआ; -रोपण (पु०) = शिथिलीकरण-सं० (पु०) शिथिल करना
शिलान्यास; -लिपि (स्त्री०); लेख (पु०) 1 पत्थर पर शिथिलीकृत-सं० (वि०) शिथिल किया हआ
खोदा गया लेख 2 लेखयुक्त पत्थर; वृष्टि (स्त्री०) शिथिलीभूत-सं० (वि०) = शिथिलित
1 ओलों का गिरना 2 पत्थर फेंकना; ~वेश्म (पु०) गुफा, शिद्दत-अं० (स्त्री०) 1 कठिनाई 2 कष्ट 3 कठोरता कंदरा
4 अधिकता, प्रबलता (जैसे-शिद्दत की गर्मी) शिलाक्षर-सं० (पु०) पत्थर पर खोदकर लिखे गए अक्षर शिनाखत-फ़ा० (स्त्री०) = शनाख्त
शिलिंग-अं० (पु०) इंग्लैंड में प्रचलित चाँदी का एक सिक्का शिफा-अ० (स्त्री०) 1 रोग आदि से मुक्ति 2 स्वास्थ्य, शिलीपद-सं० (पु०) फीलपाँव, नामक रोग
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शिलीभूत
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शीत शिलीभूत-सं० (वि०) जो जमकर पत्थर हो गया हो शिशु को पालना; ~पालनशाला (स्त्री०) = शिशुगृह; शिलोत्कीर्ण-सं० (वि०) चट्टान पर उकेरा हुआ
पुस्तकालय (पु०) बच्चों की लाइब्रेरी; ~मार (प०) = शिल्प-सं० (पु०) हस्तकला, दस्तकारी। ~कला (स्त्री०) सूसमार; ~मृत्यु (स्त्री०) शिशु का मर जाना; वध (पु०) दस्तकारी का कौशल, ~कार (पु०) 1 शिल्पी, कारीगर शिशु की हत्या करना; ~शाला (स्त्री०) - शिशुगृह; 2 मकान बनानेवाला राज़; ~कारिका (स्त्री०) शिल्प का ~संस्था (स्त्री०) बच्चों का स्कूल, नर्सरी स्कूल काम; ~कारी (पु०) = शिल्पकार; ~गत (वि०) शिल्प शिश्न-सं० (पु०) पुरुष की जननेंद्रिय, लिंग संबंधी; ~गृह (पु०) शिल्प का काम करने की जगह, शिष्ट-सं० (वि०) 1 सभ्य 2 धीर और शांत 3 आज्ञाकारी शिल्पकार्य स्थल, ~ज्ञ (पु०) शिल्प का ज्ञाता; ~ता 4 बुद्धिमान् 5 श्रेष्ठ (जैसे-शिष्ट समाज, शिष्ट वर्ग, शिष्ट (स्त्री०) = शिल्पत्व; -लिपि (स्त्री०) पत्थर, ताँबे आदि पर जन)। ~ता (स्त्री०) 1 सभ्यता 2 शिष्ट आचरण 3 उनमता, अक्षर खोदने की कला; -विद्या (स्त्री०) शिल्प की कला; श्रेष्ठता 4 आज्ञाकारिता; ~मंडल (प्०) 1 सभ्य लोगों का
विद्यालय (पु०) शिल्प सिखाने की पाठशाला; समूह 2 श्रेष्ठ लोगों का संगठन; सभा (स्त्री०) शिष्ट ~विधान (पु०), विधि (स्त्री०) साहित्यिक रचना ढंग; परिषद्; ~सम्मत (वि०) शिष्टा द्वारा अनुमोदित
वैज्ञानिक (वि०) शिल्प विज्ञान को जाननेवाला; शास्त्र शिष्टत्व-सं० (पु०) शिष्टता (पु०) - शिल्प विद्या; शिक्षा (स्त्री०) शिल्प का ज्ञान शिष्टाचार-सं० (पु०) 1 शिष्टतापूर्ण आचरण और व्यवहार शिल्पत्व-सं० (पु०) शिल्प का भाव या धर्म | 2 दिखावटी सभ्य व्यवहार 3 सत्कार, आवभगत शिल्पिक-I सं० (वि०) शिल्प संबंधी (जैसे-शिल्पिक | शिष्टाचारी-सं० (पु०) शिष्ट आचरण करनेवाला सदाचारी संस्थान) II (पु०) शिल्पी, कारीगर
शिष्टि-सं० (स्त्री०) 1 आज्ञा, आदेश 2 शासन, हकमत शिल्पिता-सं० (स्त्री०) शिल्पी होने का भाव
3सहायता 4 सुधार 5 दंड, सज़ा शिल्पि संघ-सं० (पु०) दस्तकारों का संगठन
शिष्य-सं० (३०) 1 विद्यार्थी 2 चेला, शार्गिद, डिसाइप्ल। शिल्पी-सं० (पु०) 1 शिल्पकार, कारीगर 2 राज मेमर | ~ता (स्त्री०) शिष्य होने का भाव; ~-परंपरा, मंडली 3 चित्रकार
(स्त्री०) गुरु के संप्रदाय की परंपरागत शिष्य मंडली शिव-1 सं० (पु०) 1 कल्याण, मंगल 2 महादेव, शंकर जी शिष्यत्व-सं० (प०) शिष्यता
(जैसे-शिव पार्वती की पूजा) || (वि०) 1 शुभ, मांगलिक | शिष्या-सं० (स्त्री०) महिला शिष्य 2 भाग्यवान । गंगा (स्त्री०) शिव मंदिर के समीप | शिस्त-फ़ा० (स्त्री०) 1 काँटा, बंसी 2 निशाना 3 अंगश्ताना बहनेवाली नदी -तांडव (प०) शिव का प्रलय नाच; ~ता | शीकर-सं० (पु०) 1 पानी की बूंद 2 ओम 3 वर्षा की फुहार शिव होने का भाव 2 मोक्ष, अमरता; - नामी + हिं० शीघ्र सं० (अ०) 1 बिना विलंब किए 2 तुरंत, तक्षण (स्त्री०) शिव नाम से अंकित चादर; ~पीठिका (स्त्री०) (जैसे-खबर पाते ही शीघ्र चल देना)। ~कारी (वि०) शिवलिंग स्थापित किए जाने का आधार; --रात्रि (स्त्री०) 1 शीघ्र काम करनेवाला, फुरतीला 2 शीघ्र असर डालनेवाला फालान नदी चतुर्दशी; लोक (१०) कैलास, वृषभ 3 उग्र, तीव्र ~कोपी (वि०) 1 जल्दी गुस्सा होनेवाला (पु०) नंदी
2 चिड़चिड़े स्वभाववाला; ~गामी (वि०) तेज़ चलनेवाला; शिवत्व-सं० (१०) . शिवता
चेतन (वि०) द्रुत चेतना युक्त; ~ता (स्त्री०) 1 जल्दी शिवा-सं० (स्त्री०) 1 दुर्गा 2 पार्वती, गिरिजा
2 तेज़ी 3 जल्दबाज़ी, उतावलापन; -पतन (पु०) शिवालय-सं० , शिवाला (१०) शिव का मंदिर स्तंभनशक्ति का अभाव; -लिपि (स्त्री०), लेखन शिविका-सं० (स्त्री०) पालकी, डोली
(पु०) आशुलिपि, शार्टहैंड। शिविर-सं० (पु०) 1 सैनिक पड़ाव 2 खेमा 3 दर्ग, किला। शीघ्रत्व-सं० (पु०) = शीघ्रता __नायक (पु०) कैंप का मुखिया
शीघ्रातिशीघ्र-सं० (क्रि० वि०) बहुत जल्दी, अविलंब शिशनेंद्रिय-सं० (पु०) शिश्न
शीत-1 सं० (वि०) ठंडा, शीतल II (पु०) 1 जाडा, ठंड शिशिर-1 सं० (पु०) 1 जाड़ा, शीतकाल 2 हिम, पाला ||
2 जाडे का मौसम (जैसे-शीत का ज्वार, शीत ज्वर)। ऋतु (वि०) । शीतल 2 ठंड से जमा हुआ। कालीन (वि०) (पु०) जाड़े का मौसम -कटिबंध (३०) भूमंडल के उत्तरी शिशिर ऋतु का; ता (स्त्री०) 1 अत्यधिक ठंड 2 शिशिर तथा दक्षिणी अंशों के दो कल्पित विभाग; करण यंत्र होने का भाव; यामिनी (स्त्री०) जाड़े की रात (पु०) शीत उत्पत्र करनेवाला यंत्र या मशीन; ~कारी शिशिरांत-सं० (पु०) वसंत
(वि०) शीत उत्पन्न करनेवाला (जैसे-शीतकारी यंत्र); शिशु-सं० (पु०) 1 बच्चा (जैसे-शिशु का स्तन पान) 2 पशु ~काल (पु०) ठंड का समय, कालीन (वि०)
आदि का बच्चा 3 सात-आठ वर्ष तक का बालक (जैसे-शिश् शीतकाल संबंधी; ज्वर (पु०) विषम ज्वर, जूड़ी; तरंग क्रीडा, शिशु की आकृति)। कल्याण संस्था (स्त्री०) - (स्त्री०) । उग्र ठंड 2 अत्यंत शीत लहरी, कोल्ड वेव: ताप शिशुओं की भलाई करनेवाली संस्था काल (पु०) नियंत्रण (पु०) शीत और ताप को नियंत्रित करना; ताप शैशावस्था; गृह (पु०) 1 नर्सरी 2 बालवाड़ी; ~घाती नियंत्रित (वि०) शीत और ताप को नियंत्रण में रखा हआ; (वि०) शिशु हत्या करनेवाला; जनोचित (वि०) बच्चों -निद्रा (स्त्री०) सरदी के मौसम में सो जाना; प्रधान के लिए उपयुक्त; ता (स्त्री०) शिशु होने का भाव; ~पन (वि०) जहाँ ठंड ज्यादा पड़े (जैसे-शीत प्रधान प्रदेश) + हिं० (पु०) शिशु अवस्था, शिशुता; ~पालन (पु०) | ल्युद्ध (पु०) हर राष्ट्र का वंय को सशक्त तथा प्रभावशाली
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शीतक
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शुक्ल बनाए रखने हेतु खेली जानेवाली राजनीतिक चालें, कोल्डवार; शीर्षासन-सं० (पु०) व्यायाम में एक प्रकार की मुद्रा या आसन ~वस्त्र (पु०) जाड़े के गरम कपड़े (जैसे-ऊनी कोट, स्वेटर शील-सं० (पु०) 1 नैतिक आचरण और व्यवहार 2 मन की आदि)
स्थायी वृत्ति, स्वभाव 3 सद्वृत्ति 4 संकोची प्रकृति। -ता शीतक-I सं० ठंड उत्पन्न करनेवाला II (पु०) जाड़े का (स्त्री०) शालीनता; त्याग (पु०) सदाचार को छोड़ना; मौसम, शीतकाल
~वृत्ति (स्त्री०) सदाचार, भलमनसी; ~हीन (वि०) बिना शीतन-सं० (पु०) ठंडा करना
शील का; तोड़ना बे मुरौवत होना, निःसंकोच होना; शीतल-सं० (वि०) ठंडा (जैसे-शीतल जल)। पाटी + निभाना 1 सत्स्वभाव को न त्यागना 2 सद्व्यवहार निभाते हिं० (स्त्री०) चिकनी, पतली और बढ़िया चटाई
जाना; ~मर जाना बे मुरौवत होना 2 दुर्वृत्त होना; रखना शीतलक-सं० (वि०) शीतल करनेवाला
1 सद्व्यवहार बनाए रखना 2 संकोच बनाए रखना शीतलन-सं० (पु०) = शीतन
शीलत्व-सं० (पु०) = शीलता शीतला-सं० (स्त्री०) 1 शरीर पर फफोले निकल आने का एक शीलन-सं० (पु०) 1 अभ्यास 2 विवेचना 3 ग्रहण करना
प्रसिद्ध रोग चेचक (माता) 2 इस रोग की अधिष्ठात्री देवी 4 धारण करना शीतलाष्टमी-सं० (स्त्री०) चैत कृष्ण पक्ष की अष्टमी शीलवान्-सं० (वि०) शीलवाला शीतलित-सं० (वि०) शीतल किया हुआ
शीश-सं० (पु०) सिर, शिर, सर शीतांग-सं० (पु०) सर्दी से वात, पित्त और कफ़ का जुड़ जाना शीशम-सं० (पु०) = सीसम शीतागार-सं० (पु०) 1 ठंडा गोदाम, कोल्ड स्टोरेज शीश महल-फा० + अ० (पु०) 1 शीशे का बना मकान 2 सर्दखाना
2 शीशा जड़ा हुआ कमरा । ~का कुत्ता बावला आदमी शीतातप-सं० (पु०) जाड़ा और गरमी
शीशा-फा० (पु०) 1 आईना, दर्पण 2 काँच (जैसे-शीशे का शीतावकाश-सं० (पु०) जाड़े की छुट्टी
बरतन) शीतोष्ण-सं० (वि०) ठंडा और गरम (जैसे-शीतोष्ण शीशी-फ्रा० + हिं० (स्त्री०) बोतल के आकार का छोटा पात्र
जल-वायु)। ~मापक (पु०) शीतोष्ण नापनेवाला एक यंत्र शुंठी-सं० (स्त्री०) सोंठ शीर-फा० (पु०) दूध, क्षीर। खोरा (वि०) दूध पीनेवाला | शुंड-सं० (पु०) सँड़ (बच्चा); गर्म (वि०) गुनगुना, कुनकुना; ~माल (पु०) शुंडा-सं० (स्त्री०) 1 कुटनी 2 सैंड घी देकर पकाई गई ख़मीरी रोटी
शुंडाकार-सं० (वि०) सूंड के आकार का (जैसे-शुंडाकार शीरा-फा० (पु०) चाशनी
स्तंभ, शुंडाकार छड़ी) शीराज़ा-फा० (पु.) 1 किताब की सिलाई की छोर पर लगाया शंडिका-सं० (स्त्री०) ललरी, घाँटी जानेवाला फीता 2 सिलाई, सीयन 3 प्रबंध, इंतज़ाम शुंडी-सं० (पु०) हाथी 4 सिलसिला, क्रम
शुक-सं० (पु०) तोता, सुग्गा शिराज़ी-I फ़ा० (वि०) शीराज़ का II (पु०) शीराज़ का शुक्त-सं० (वि०) स्वच्छ, निर्मल निवासी
शक्ति-सं० (स्त्री०) 1 सीप, सीपी 2 सुतुही 3 शंख शीरी-फा० (वि०) 1 मधुर, मीठा 2 प्रिय, रुचिकर शक्तिका-सं० (स्त्री०) 1 आँख का शक्ति नामक रोग 2 सीप शीरीन-फा० (वि०) मीठा, मधुर
शक्र-I सं० (पु०) 1वीर्य 2 सौर ग्रह का एक प्रमुख तथा शीरीनी-फा० (स्त्री०) 1 मिठास, मधुरता, मधुरिमा 2 मिठाई, बहुत चमकीला ग्रह। -ग्रंथि (स्त्री०) वह ग्रंथि जिसमें वीर्य मिष्ठान
रहता है; दोष (पु०) नपुंसकता शीर्ण-सं० (वि०) 1 खंड-खंड, टुकड़े-टुकड़े 2 फटा पुराना शक्र-II अ० (पु०) कृतज्ञता प्रकाश, उपकार मानना (जैसे-जीर्ण-शीर्ण वस्त्र) 3 दुबला-पतला, कृश (जैसे-खुदा का शुक्र मनाइए कि आप बाल-बाल बच गए)। (जैसे-जीर्ण-शीर्ण शरीर) 4 मुरझाया हुआ 5 गिरा हुआ ल्गुज़ार + फा० (वि०) एहसान माननेवाला; ~गुज़ारी + शीर्ष-सं० (पु०) 1 उन्नत सिरा 2 सिर 3 मस्तक, ललाट फ़ा० (स्त्री०) कृतज्ञता प्रकट करना (जैसे-शरीर का शीर्ष भाग) 4 सबसे ऊँचा हिस्सा | शक्रवार-सं० (पु०) हफ्ते का पाँचवा दिन, बहस्पतिवार तथा (जैसे-हिमालय पर्वत का शीर्ष) 5 दो तरफ़ से आकर शनिवार के बीच का दिन मिलनेवाली तिर्यक रेखाओं का मिलन बिंदु (जैसे-त्रिभुज का शुक्राणु-सं० (पु०) पुरुष के वीर्य का वह अंश जो गर्भ का शीर्ष, शीर्ष कोण) नाम (पु०) लेख आदि का मुख्य पृष्ठ / कारण बनता है (जैसे-शुक्राणु की जाँच करना) पर अंकित नाम; ~पट्ट (पु०) 1 सिर में लपेटने का कपड़ा। शुक्राना-अ0 + फा० (पु०) शुक्रिया अदा करते समय दिया 2 पगड़ी, मुरेठा, साफा; विदु (पु०) 1 आँख का मोतिया जानेवाला धन बिंद नामक रोग 2 सिर का सबसे ऊपरी स्थान, शिरोविंदः शुक्रिया-I अ० (अ०) धन्यवाद (जैसे-शुक्रिया अदा करना
स्थान (पु०) 1माथा 2 सिर 3 सर्वोच्च स्थान;/ II (पु०) उपकार मानना स्थानीय (वि०) = शीर्षस्थ
शक्ल-सं० (वि०) सफ़ेद, श्वेत, शुभ्र (जैसे-शुक्ल वर्णा, शीर्षक-सं० (पु०) लेखों आदि के ऊपर दिया जानेवाला नाम, शुक्ल पक्ष)। ता (स्त्री०) 1 शुक्ल का भाव 2 सफ़ेदी,
हेडिंग (जैसे-पुस्तक का शीर्षक, विषय का शीर्षक) श्वेतता; पक्ष (पु०) चाँदना पक्ष (जैसे-शुक्ल पक्ष में घर सीव-सं० (वि०) प्रधान, चोटी का
से विदा होना)
तपासा
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शुक्लत्व
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शून्यत्व शुक्लत्व-सं० (पु०) = शुक्लता
शुभैषी-सं० (पु०) शुभ का इच्छुक शुचि-सं० (वि०) 1 शुद्ध, पवित्र 2 साफ़, स्वच्छ 3 निर्दोष | शुभ्र-सं० (वि०) 1 श्वैत, सफ़ेद (जैसे-शुभ्र कमल, शुभ्र 4 निष्कपट, निश्छल (जैसे-शुचि हृदय, शुचि मन) । वर्णा) 2 उज्जवल (जैसे-शुभ्र तारा)। ता (स्त्री०) 1 शुभ्र ~कर्मा (वि०) सदाचारी; ~ता (स्त्री०) 1 शुचि होने का होने का भाव 3 उज्जवलता भाव 2 निष्कपटता 3 निर्मलता 4 पवित्रता, शुद्धता शुभ्रक-सं० (वि०) शुभ्र करनेवाला शुची-सं० (वि०) पवित्र करनेवाला
शुमार-फ़ा० (पु०) 1 संख्या 2 हिसाब, लेखा 3 गिनती शुजा-अ० (वि०) दिलेर, शूरवीर
शुमारी-फ़ा० (पु०) गणना कार्य शुजाअत-अ० (स्त्री०) वीरता, शूरता
शुमाल-अ० (पु०) 1 बायाँ हाथ 2 उत्तर दिशा शुतुर-फ़ा० (पु०) ऊँट । मुर्ग (पु०) लंबी गर्दनवाला मुर्गे शुरू-अ० (पु०) आरंभ, प्रारंभ की जाति का एक बड़ा पक्षी
शुरूआत-अ० (स्त्री०) शुरू करना शुदनी-फ़ा० (स्त्री०) 1 भावी, होनहार, होनी 2 आकस्मिक | शुल्क-सं० (पु०) 1 कर 2 पढ़ने आदि की फ़ीस (जैसे-प्रवेश दुर्घटना
शुल्क, परीक्षा शुल्क) 3 क़ीमत शुद्ध-सं० (वि०) 1 पवित्र 2 निर्मल, साफ़ 3 निर्दोष शुल्कार्ह-सं० (वि०) शुल्क के योग्य . (जैसे-शुद्ध मन, शुद्ध हृदय) 4 सही, ठीक (जैसे-शुद्ध शुश्रुषण-सं० (पु०) शुश्रूषा करने की क्रिया, कला या विद्या वाक्य) 5 बिना मिलावट का (जैसे-शुद्ध दूध, शुद्ध घी) शश्रूसा-सं० (स्त्री०) 1 परिचर्या, सेवा 2 कर्तव्यपरायणता। 6 अनुपम, बेजोड़ 7 निष्पाप (जैसे-शुद्ध कर्म)। ~ता ता (स्त्री०) 1 सूखापन 2 नीरसता 3 निस्सारता 4 कठोरता (स्त्री०) शुद्ध होने का भाव; ~ता वाद (पु०) शुद्ध रूप | शुष्क-सं० (वि०) 1सूखा, अनार्द्र 2 नीरस (जैसे-शुष्क हृदय, और व्यवहार पर बल देनेवाला सिद्धांत; ता वादी (वि०) शुष्क कार्य)। 3 निष्प्रयोजन, निस्सार 4 कठोर (जैसे-शुष्क शुद्धतावाद संबंधी; पक्ष (प.) = शुक्ल पक्ष; हृदय लकड़ी) तर्क (पु०) बेकार की बहस; ~भूमि (स्त्री०) (वि०) पवित्र मनवाला (जैसे-शुद्ध हृदय की गाथा) सूखी ज़मीन शुद्धत्व-सं० (पु०) = शुद्धता
शुष्कन-सं० (पु०) 1 शुष्कीकरण 2 सुखाने की क्रिया शुद्धाशुद्ध सूची-सं० (स्त्री०) = शुद्धि पत्र
शुहदा-अ० (पु०) = शोहदा शुद्धि-सं० (स्त्री०) 1 शुद्धता 2 सफ़ाई, स्वच्छता 3 पवित्रता शुहरत-अ० (स्त्री०) = शोहरत (जैसे-मन की शुद्धि) 4 परिशोध (जैसे-ऋण परिशोध)। शूक-सं० (पु०) 1 वस्तु का चिकना, नुकीला अग्र भाग 2 जौ ~कर शुद्ध करनेवाला; ~कारक (वि०) पवित्र आदि की बाल का नुकीला हिस्सा, ट्रॅड 3 काँटा 4 लिंग वर्द्धक करनेवाला; ~पत्र (पु०) ग्रंथ आदि के अंत में लगाया गया औषधियों के लेप से उत्पन्न एक रोग। कीट (पु०) नुकीले शुद्ध और अशुद्ध संबंधी पत्र; ~वाद (पु०) = शुद्धतावाद; रोओंवाला एक कीड़ा ~वादी (वि०) = शुद्धतावादी
शूकर-सं० (पु०) सूअर । ~पालन (पु०) सूअर पालना; शुद्धीकरण-सं० (पु०) = शुद्धि
~मांस (पु०) सूअर का मांस शुबहा-अ० (पु०) 1 संदेह, शक 2 धोखा, भ्रम शूकरी-सं० (स्त्री०) सुअरी शुभकर-सं० (वि०) 1शुभ या मंगल करनेवाला 2 प्रसन्न शूट-अं० (पु०) 1 निशाना मारना 2 चित्र लेना करनेवाला
शूटिंग-अं० (स्त्री०) 1 गोली मारना 2 फ़ोटो लेना, छायांकन शभ-I सं० (वि.) 1 मंगलमय, कल्याणकर 2 अनुकूल । शूद्र-I सं० (पु०) 1 हिंदुओं के चार प्रमुख वर्गों में से एक 3 अच्छा (जैसे-शुभ घड़ी) II (पु०) कल्याण, मंगल। 2 उक्त वर्ण का व्यक्ति 3 सेवक II (वि०) अत्यंत बुरा,
~कर (वि०) मंगलकारी, कल्याणकारी; ~कामना (पु०) | निकृष्ट (जैसे-शूद्र कर्म, शूद्र व्यक्ति) मंगल कामना; ~चिंतक (वि०) भलाई चाहनेवाला, हितैषी; शूद्रा-सं० (स्त्री०) शूद्र जाति की स्त्री, शूद्राणी
लक्षण (पु०) अच्छे लक्षण; ~समाचार (पु०) शुभ शून्य-[ सं० (वि०) 1 खाली (जैसे-शून्य गर्भ) 2 निराकार संदेश; ~सूचक (वि०) शुभ की सूचना देनेवाला 3 अस्तित्वहीन 4 अवास्तविक, असत् 5 रहित (जैसे-ज्ञान शुभा-सं० (स्त्री०) = शोभा, कांति, छवि
शून्य, हृदय शून्य) II (पु०) 1 खाली स्थान 2 आकाश शुभाकांक्षा-सं० (स्त्री०) शुभ इच्छा
3 विंदु, बिंदी 4 अभाव 5 ग० अभाव सूचक चिह्न 6 ईश्वर शुभाकांक्षी-सं० (वि०) 1 शुभ आकांक्षा करनेवाला 2 शुभ (जैसे-आत्मा का शून्य में लीन होना)| ~ता (स्त्री०) शून्य चिंतक
होने का भाव; दृष्टि (स्त्री०) भावहीन दृष्टि; -बहरी + शुभागमन-सं० (पु०) मंगलप्रद और सुखद आगमन हिं (स्त्री०) शरीर के किसी अंग को निस्पंद करनेवाला एक शुभारंभ-सं० (पु०) अच्छी शुरुआत
रोग; ~मध्य (वि०) जिसका बीच का हिस्सा खाली हो शुभाशुभ-सं० 1 भला और बुरा 2 पवित्र और अपवित्र (जैसे-नल, नलिका आदि); ~वाद (पु०) संसार को शून्य शुभेच्छा-सं० (स्त्री०) शुभ इच्छा (जैसे-शुभेच्छाएं प्रकट और उसके सभी पदार्थ को सत्ताहीन मानने का सिद्धांत; करना)
~वादी I (पु०) 1 शून्यवाद का अनुयायी 2 नास्तिक II शुभेच्छु-सं० (वि०) = शुभ चिंतक
(वि०) शून्यवाद संबंधी; ~विभक्ति (स्त्री०) जिसमें कोई शुभेतर-सं० (वि०) बुरा, ख़राब 2 अशुभ, अमांगलिक कारक नहीं लगता; हृदय (वि०) अनमना शुभैषिणी-सं० (वि०) शुभ चाहनेवाली
शून्यत्व-सं० (पु०) = शून्यता
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शून्यमय
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शैल
शून्यमय-सं० (वि०) निष्फल, व्यर्थ
(जैसे-शेख़ी मारना)। ~बाज़ + फ़ा० (पु०) शेख़ी शून्याकाश-सं० (वि०) निराकार
बघारनेवाला व्यक्ति शूर-सं० (पु०) 1 वीर, बहादुर 2 योद्धा, सूरमा 3 बढ़ चढ़कर शेड-अं० (पु०) छाजन, छाया (जैसे-दान शूर, शब्द शूर)। ~ता (स्त्री०) 1 शूर होने का | शेयर-अं० (पु०) हिस्सा, भाग। पूँजी + हिं० (स्त्री०) भाव 2 शूर का धर्म; ~वीर (पु०) 1वीर व्यक्ति 2 योद्धा; हिस्से की पूँजी; ~बाज़ार + फ़ा० (पु०) सट्टा बाज़ार; ~वीरता (स्त्री०) शौर्य, शूरता, बहादुरी
~होल्डर (पु०) हिस्सेदार, अंशधारी शूरत्व-सं० (पु०) = शूरता
शेर-[ अ० (पु०) फारसी, उर्दू आदि की दो चरणों की कविता शूरमानी-सं० (पु०) अपने को वीर माननेवाला
(जैसे-ग़ालिब के शेर) शूर्य-सं० (पु०) अनाज फटकने का सूप
शेर-II फ़ा० (पु०) सिंह (जैसे-शेर की माँद)। ~गढ़ी + शूल-सं० (पु०) विकट पीड़ा। पाणि (पु०) शिव हिं० (स्त्री०) शेर की माँद; ~पंजा (पु.) शेर का पंजा; शूली-(स्त्री०) शूलधारी, शिव
बच्चा (पु०) 1 शेर का बच्चा 2 बहादुर व्यक्ति; बबर श्रृंखल-I सं० (पु०) 1 बेड़ी और हथकड़ी नियम, कायदा II (पु०) सिंह, केसरी (जैसे-शेर बबर की आवाज़); ~मर्द (वि०) 1 व्यवस्थित और ठीक 2 नियम आदि के अधीन । (वि०) शेर की तरह शक्तिशाली; ~मर्दी (स्त्री०) शेर की ~ता (स्त्री०) क्रमबद्ध होने का भाव
तरह शक्ति; ~की नज़र घूरना कोपभरी दृष्टि से देखना; श्रृंखला-सं० (स्त्री०) 1 क्रम से आनेवाली घटनाएं, वस्तुएं ~के मुँह में जाना जान जोखिम में डालना; ~के मुँह से
आदि 2 कतार, श्रेणी 3 मेखला, करधनी। ~बद्ध (वि०) शिकार लेना ज़बरदस्ती छीन लेना; बकरी का एक घाट क्रम युक्त
पानी पीना एक सा व्यवहार होना; होना हौसला बढ़ना श्रृंखलात्मक-सं० (वि०) श्रृंखला संबंधी
शेरनी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) शेर की मादा श्रृंखलित-सं० (वि०) श्रृंखला में बँधा हुआ
शेरवानी-(स्त्री०) अचकन जैसा कोट श्रृंग-I सं० (पु०) 1सींग 2 चोटी, शिखर (जैसे-पर्वत श्रृंग) , शेल्फ़-अं० (स्त्री०) आलमारी का खाना, टाँड़ II (वि०) तेज़, तीक्ष्ण
शेव-अं० (पु०) हजामत श्रृंगार-सं० (पु०) 1 सजावट (जैसे-नारी का श्रृंगार) | शेवाल-सं० (पु०) सेंवार, काई, शैवाल 2 सुंदरता, शोभा आदि को निखारनेवाला तत्त्व (जैसे-लज्जा तो शेविंग-अं० (स्त्री०) हजामत बनाना, दाढ़ी बनाना। ~ब्रश नारी का श्रृंगार है) 3 सजावट का सामान (जैसे-श्रृंगार | (पु०) दाढ़ी बनाने का ब्रुश प्रसाधन) 4 साहि० एक रस जिसमें प्रेमी और प्रेमिका के शेष-I सं० (वि०) 1 बचा हआ, बाक़ी (जैसे-शेष रुपए को पारस्परिक प्रेम की चर्चा होती है (जैसे-संयोग श्रृंगार और बैंक में जमा कर देना) 2 छोड़ा हुआ (जैसे-शेष धन राशि) वियोग श्रृंगार)। ~काव्य (पु०) प्रेम प्रधान काव्य; ~रस 3 उच्छिष्ट (जैसे-थाली का शेष भोजन) II (पु०) (पु०) = श्रृंगार; ~हाट + हिं० (स्त्री०) ऐसी दुकान जहाँ 1 अवशिष्ट अंश 2 ग० बड़ी संख्या में से छोटी संख्या को सौंदर्य प्रसाधन उपलब्ध हों
घटाने पर बची हुई संख्या (जैसे-भाग देने पर कितना शेष श्रृंगारिक-सं० (वि०) श्रृंगार संबंधी। ता (स्त्री०) श्रृंगारिक बचा); ता (स्त्री०) शेष का भाव; नाग (पु०) सर्पराज भाव
शेष; पर्यंक शायी (पु०) = शेषशायी; ~भाग (पु०) श्रृंगारित-सं० (वि०) श्रृंगार किया हुआ
बचा हुआ अंश; ~शायी (पु०) विष्णु श्रृंगारिया-सं० + हिं० (पु०) 1 श्रृंगार की कला में निपुण शेषत्व-सं० (पु०) शेषता व्यक्ति 2 बहुरूपिया
| शेषांश-सं० (पु०) = शेष भाग अंगी-I सं० (पु०) सींगवाला जानवर II (वि०) 1 श्रृंग शेषोक्त-सं० (वि०) अंत में कहा हुआ संबंधी 2 श्रृंग युक्त
शैक्षणिक सं० (वि०) 1 शिक्षा संबंधी 2 शिक्षाप्रद शृगाल-सं० (पु०) 1 सियार, गीदड़ 2 कायर या डरपोक शैक्षिक-सं० (वि०) शिक्षा का व्यक्ति (जैसे-शृगाल जैसी बातें मत करो) 3 खुल, दुष्ट शैतान-अ० (पु०) 1 दुष्टदेव योनि, भूत-प्रेत आदि (जैसे-श्रृगाल कहीं का)
2 अत्यधिक दुष्ट व्यक्ति (जैसे-शैतान के मुँह क्यों लगता है) शेअरहोल्डर-अं० (पु०) = शेयरहोल्डर
3 उपद्रव खड़ा करानेवाला; ~का बच्चा दुष्ट व्यक्ति; ~की शेख-अ० (पु०) 1 इस्लाम धर्म का उपदेशक 2 वृद्ध और आँत लंबी कथा; ~की खाला कलह करने वाली स्त्री; पूज्य व्यक्ति पीर (जैसे-शेख़ साहब का उपदेश सुनना) ~के कान काटना शैतानी में शैतान से बढ़ जाना; 3 पैगंबर मुहम्मद के वंशजों की उपाधि । -चिल्ली + हिं० -चढ़ना, ~लगना भूत-प्रेत आदि का आवेश होना; (पु०) 1 कल्पित मूर्ख व्यक्ति 2 मूर्ख व्यक्ति; सद्दो + हिं० सवार होना 1 गुस्सा चढ़ना 2 बुराई पर आमादा होना (पु०) मुसलमान स्त्रियों के उपास्य एक कल्पित 3 ज़िद चढ़ना
शैतानी-I अ० + फ्रा० (वि०) शैतान संबंधी II (स्त्री०) शंखर-सं० (पु०) 1 शीर्ष, सिर, माथा 2 मुकुट 3 शिखर | शरारत, दुष्टता 4 श्रेष्ठता का सूचक पद
शैत्य-सं० (पु०) शीतलता, ठंडक शेखी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 अभिमान, घमंड, दर्प 2 झूठी | शैथिल्य-सं० (पु०) शिथिलता शान, अकड़ (जैसे-शेखी दिखाना, शेखी झाड़ना) 3 डींग | शैल-I सं० (वि०) 1 पत्थर का 2 पथरीला 3 कड़ा, कठोर II
पीर
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शैलिकी
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शोषण
(पु०) 1 पहाड़, पर्वत 2 चट्टान। ~माला (स्त्री०) पर्वत शोध-सं० (पु.) 1 शुद्ध करना 2 खोज करना। ~कर्ता श्रेणी; विज्ञान (पु०) - शिला विज्ञान
(पु०) शोध करनेवाला; ~कार्य (पु०) शोध का काम; शैलिकी-सं० (स्त्री०) शैल विज्ञान
~ग्रंथ (पु०) = शोध निबंध; छात्र (पु०) शोध शैली-सं० (स्त्री०) 1 ढंग, तरीक़ा 2 साहि० विचार प्रकट करने करनेवाला विद्यार्थी; निबंध (पु०) खोज प्रबंध, थिसिस;
का ढंग (जैसे-भारतेंदु की काव्य और गद्य शैली) 3 वस्तु ~परक, ~पूर्ण (वि०) खोजमूलक; ~प्रणाली (स्त्री०) निर्माण का कलापूर्ण ढंग (जैसे-मुग़ल शैली, पहाड़ी शैली)। शोध करने की विधि; ~प्रदर्शक (वि०) = शोध पूर्ण;
~कार (पु०) नई शैली का प्रचलन करनेवाला; ~गत प्रबंध (पु०) = शोध निबंध; ~मूलक (वि०) : (वि०) शैली संबंधी; विज्ञान (पु०) शैली की भिन्नताओं शोधपूर्णः ~शाला (स्त्री०) = शोधन शाला; ~संस्थान से संबंधित विज्ञान; शिल्प (पु०) कारीगरी करने की रीति (पु०) अनुसंधान केंद्र शैलूष-सं० (पु०) अभिनेता, नट
शोधक-सं० (वि०) शोध करनेवाला शैलेय-सं० (वि०) 1 पथरीला 2 शैल संबंधी
शोधन-सं० (पु०) शोध करना। ~शाला (स्त्री०) शोध शैल्पिक-सं० (वि०) शिल्प संबंधी
कार्य करने की जगह (जैसे-पेट्रोलियम की शोधनशाला); शैल्य-सं० (वि०) 1 पत्थर का 2 पहाड़ी 3 पथरीला ~शेष (पु०) कर चुकाने के बाद की बाक़ी शैव-सं० (वि०) शिव संबंधी, शिव का (जैसे-शैव दर्शन)। | शोधना-सं० + हिं० (स० क्रि०) 1 साफ़ करना 2 खोजना, ~कालीन (वि०) शैव काल का
ढूँढ़ना शैवाल-सं० (पु०) = सेवार
शोधनाक्षम-सं० (वि०) कर चुकाने में असमर्थ, दिवालिया शैशव-सं० (वि०) शिशु संबंधी, बच्चों का। काल (पु०) शोधार्थी-सं० (वि०) शोध करनेवाला ___ = शिशु काल
शोधित-सं० (वि०) शोध किया हुआ शैशवावस्था-सं० (स्त्री०) शिशु की अवस्था
शोफ़र-फ्रैंच० (पु०) ड्राइवर, चालक शैशविकी-सं० (स्त्री०) शिशओं से संबंधित विज्ञान शोभन-सं० (वि०) 1 शोभा से युक्त 2 शोभा बढ़ानेवाला शैशिर-सं० (वि०) 1 शिशिर संबंधी 2 शिशिर ऋतु में शोभा सं० (स्त्री०) 1 सुंदरता 2 चमक, कांति 3 शान, होनेवाला
सजावट। यात्रा (स्त्री०) उत्सव, पर्व आदि पर निकाला शो-अं० (पु०) प्रदर्शन, दिखावा। -केस (पु०) प्रदर्शन गया जुलूस मंजूषा
शोभान्वित-सं० (वि०) शोभा से युक्त, सुंदर शोक-सं० (पु०) दुःख। -कारक (वि०) शोक उत्पन्न शोभामय-सं० (वि०) शानवाला करनेवाला; ~ गीत (पु०) दुःखभरा गीत; ~ग्रसित | शोभायमान-सं० (वि०) शोभा देता हआ, सुंदर (वि०) = 1 शोकाकुल; ~~ग्रस्त (वि०) शोक में डूबा हुआ; शोभित-सं० (वि०) 1 शोभा से युक्त, सुंदर 2 सजा हुआ
जनक (वि०) दुःख देनेवाला; दुःख (पु०) = शोक; | (जैसे-सुशोभित वाटिका, शोभित गृह) -प्रकाश (पु०) शोक प्रकट करना; ~संगीत (प०) शोर-फ़ा० (पु०) 1 हल्ला, कोलाहल 2 धूम, प्रसिद्धि दुःखभरा संगीत; ~संतप्त (वि०) = शोकाकुल; ~संताप | 3 उन्माद। ~गुल (पु०) हल्ला; ~शराबा (पु०) = शोर (पु०) = शोक; ~संवेदना (स्त्री०) = शोक प्रकाश; शोरबा-फा० (पु०) सब्जी, माँस आदि का रसा (जैसे-मछली
सभा (स्त्री०) किसी की मृत्यु पर शोक प्रकट करने के | का शोरबा) लिए बैठक; ~सूचक (वि०) दुःख की सूचना देनेवाला; | शोरबेदार-फ़ा० (वि०) शोरबा युक्त हारी (वि०) दुःख हरनेवाला
शोरा-फा० (पु०) सफ़ेद क्षार । ~पुश्त (वि०) 1 उदंड शोकांत-सं० (पु०) शोक का अंत
2 लड़ाका; शोरे की पुतली अति गौर वर्ण युवती शोकाकुल-सं० (वि०) शोक से व्याकुल
शोरिश-फा० (स्त्री०) 1 खलबली, हलचल 2 बग़ावत, विद्रोह शोकातुर-सं० (वि०) शोक से विह्वल
शोला-अ० (पु०) आग की लपट, ज्वाला शोकार्त-सं० (वि०) शोक से विकल
शोशा-फा० (पु०) 1 नोक 2 अनोखी बात 3 व्यंग्यपूर्ण बात। शोकाविष्ट-सं० (वि०) अत्यंत संतप्त और व्याकुल -निकालना झगड़ा खड़ा करनेवाली बात कहना शोख़-फा० (वि०) 1 नटखट, चंचल, चपल (जैसे-शोख़ | शोष-सं० (पु०) 1 सूखने की क्रिया 2 शुष्कता, खुश्की बालिका, शोख अदाएं, शोख़ नयन) 2 तेज़, चटकीला 3 ढीठ ___ 3 बच्चों का सुखंडी नामक रोग और निडर (जैसे-शोख़ युवती)
शोषक-I सं० (वि०) सोखनेवाला II (पु०) दूसरों का धन शोखी-फा० (स्त्री०) शोख़ होने का भाव
आदि हरण करनेवाला व्यक्ति। ~श्रेणी (स्त्री०) गरीब तथा शोच-सं० (पु०) 1 दुःख, रंज 2 चिंता, फिक्र
कमज़ोर वर्ग के लोगों का श्रम और धन का शोषण करनेवाला शोचनीय-सं० (वि०) शोच करने योग्य
समूह शोच्य-सं० (वि०) 1 दुःख के योग्य 2 चिंता के योग्य शोषण-सं० (पु०) 1सोखना (जैसे-जल शोषण) 2 दूसरे के शोण-I सं० (वि०) लाल II (पु०) लाल रंग श्रम का अनुचित लाभ उठाना (जैसे-ग़रीबों का शोषण) शोणित-I सं० (वि०) लाल रक्त वर्ण का II (पु०) रक्त, 3 क्षीण या दुबला करना। दोहन (पु०) शोषण करके
निचोड़ लेना; ~मुक्त (वि०) = शोषणहीन; यंत्र (पु०) शोथ-सं० (पु०) सूजन
सुखाने की मशीन; हीन (वि०) बिना शोषण का
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शोषित
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श्रवणेंद्रिय शोषित-सं० (वि०) 1 सोखा हुआ 2 अनुचित फ़ायदा उठाया | श्येन-सं० (पु०) 1 बाज़ (पक्षी) 2 हिंसा हुआ। दलित (वि०) जिसको शोषण करके कुचला गया | श्रद्धांजलि, श्रद्धांजली-सं० (स्त्री०) श्रद्धा प्रकट करने हेतु
कहे गए शब्द शोहदा-अ० (वि०) 1 व्यभिचारी, लंपट 2 बदमाश, लुच्चा श्रद्धा-सं० (स्त्री०) 1 आदरपूर्ण आस्था या विश्वास (जैसे-गुरु 3 आवारा और गुंडा। ~पन । हिं० (१०) 1 शोहदा होने के प्रति श्रद्धा) 2 प्रसत्रता (जैसे-कर्म के प्रति उत्पन्न श्रद्धा) का भाव 2 शोहदा होने की हरकत
3 इच्छाएँ और वासनाएँ 4 घनिष्ठता (जैसे-मित्रों में होनेवाली शोहरत-अ० (स्त्री०) ख्याति, प्रसिद्धि 2 ज़ोरों की चर्चा श्रद्धा) 5 स्पृहा, कामना (जैसे-मन की श्रद्धा) शौडिक-[ सं० (पु०) पिप्पलीमूल || (वि०) शराब बनाने श्रद्धालु-सं० (वि०) 1 श्रद्धा युक्त 2 कामना युक्त और बेचनेवाला
श्रद्धावनत-सं० (वि०) श्रद्धा से झुका हुआ शौक़-अ० (पु०) 1 लालसा 2 सुख भोग 3 मन पसंद खेल श्रद्धावान्-सं० (वि०) = श्रद्धालु (जैसे-क्रिकेट का शौक़) 4 शुभ आकांक्षा 5 चसका श्रद्धास्पद-सं० (वि०) श्रद्धेय (जैसे-शराब का शौक़, जुआ खेलने का शौक़) 6 रुचि | श्रद्धेय सं० (वि०) श्रद्धा के योग्य, श्रद्धास्पद । ता (स्त्री०) (जैसे-पढ़ने का शौक़)। करना भोग करना; चर्राना | श्रद्धेय होने का भाव इच्छा का तीव्र होना; ~से 1 रुचिपूर्वक 2 खुशी से श्रम-सं० (पु०) 1 मेहनत (जैसे-श्रम करना) 2 काम 3निस्संकोच
(जैसे-जीविका हेतु श्रम करना) 3 थकावट, क्लांति शौक़त-अ० (स्त्री०) 1 बल, शक्ति 2 दबदबा, ठाठ बाट (जैसे-अत्यधिक श्रम होना) 4 प्रयास (जैसे-बिना श्रम
3 शानदार 4 गौरव (जैसे-शान शौकत से बात करना) सफलता प्राप्त करना) 5 कसरत, व्यायाम (जैसे-शरीर को शौकिया-I अ० (वि०) शौक़ से भरा हुआ II (क्रि० वि०) स्वस्थ रखने हेतु श्रम करना)। ~असमर्थ (वि०) श्रम शौक़ के कारण
करने में असमर्थ; ~कण (पु०) = श्रम बिंदु: काल शौक़ीन-अ० + फ़ा० (वि०) 1 शौक़ रखनेवाला (जैसे-खाने (पु०).श्रम करने का समय; ~कौशल (पु०) श्रम की पीने का शौक़ीन) 2 बना ठना, सजा-सवाँरा (जैसे-शौक़ीन कुशलता; क्रिया (स्त्री०) मेहनत मज़दूरी; ~क्षमता आदमी)
(स्त्री०) श्रम करने की शक्ति; ~जर्जर (वि०) मेहनत कर शौकीनी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 शौक़ीन होने का भाव कर के थका हुआ; ~जीवी I (वि०) 1 श्रम से जीविका 2 बने-ठने रहने की इच्छा
चलानेवाला II (पु०) मज़दूर; ~दान (पु०) निर्माण कार्य शौच-सं० (पु०) 1 प्रातः उठते ही किया जानेवाला कृत्य में स्वेच्छा से सहयोग देना; ~दानी (वि०) श्रमदान
2 पाखाने जाना, टट्टी जाना। ~गृह (पु०) पाखाना करनेवाला; बहुल (वि०) = श्रम साध्य; बिंदु (पु०) शौचागार-सं० (पु०) = शौच गृह
श्रम करने से उत्पन्न पसीना; विंदु (पु०) = श्रम बिंदु: शौचालय-सं० (पु०) शौच करने का घर
विभाग (पु०) श्रम का विभाग; विभाजन (पु०) शौरसेनी-सं० (स्त्री०) प्रसिद्ध प्राचीन प्राकृत नाम की एक श्रम का बँटवारा; विवाद (पु०) श्रम संबंधी विवाद या
साहित्यिक भाषा (जैसे-शौरसेनी से खड़ी बोली का विकास) झगड़ा; ~शक्ति (स्त्री०) श्रम करने की क्षमता; शिक्षा शौर्य-सं० (पु०) = शूरता। -चक्र (पु०) वीरता हेतु प्रदान (स्त्री०) श्रम की शिक्षा; ~शील (वि०) मेहनती; ~संघ किया जानेवाला चक्र; ~वीर्य (पु०) पराक्रम; ~शाली (पु०) मज़दूरों का समूह; ~संबंधी (वि०) श्रम से संबंध (वि०) 1 ताक़तवाला, बली 2 पराक्रमी, वीर
रखनेवाला (जैसे-श्रम संबंधी कानून); समर्थ (वि०) श्रम शोल्क-सं० (वि०) शुल्क संबंधी, शुल्क का
के योग्य; ~सहिष्णु (वि०) मेहनती, परिश्रमी; साध्य शौहर-फा० (पु०) पति, खाविंद
(वि०) परिश्रम से होनेवाला श्मशान-सं० (स्त्री०) 1मरघट 2 कब्रिस्तान। ~यात्रा श्रमण-सं० (पु.) 1 श्रम 2 बौद्ध भिक्षु (स्त्री०) मृतक की अंतिम यात्रा
श्रमायुक्त-सं० (पु०) लेबर. कमिश्नर श्मश्रु-सं० (पु०) दाढ़ी और मूंछे
श्रमिक-सं० (वि०) = श्रमजीवी। ~आंदोलन (पु०) = श्मभुल-सं० (वि०) दाढ़ी और मूछोंवाला
श्रम आंदोलन; ~नियम (वि०) = श्रम अनुशासन; वर्ग श्यान-सं० (वि०) जमा हुआ गाढ़ा
(पु०) श्रम करनेवालों का समूह; ~श्रेणी (स्त्री०) मज़दूर श्याम-सं० (वि०) 1काला साँवला (जैसे-श्याम रंग का | वर्ग; ~संघ (पु०) = श्रम संघ लड़का)। ता (स्त्री०) 1कालापन 2 साँवलापन; ~पट्ट | श्रमित-सं० (वि०) = श्रांत (पु०) ब्लैकबोर्ड; ल्वर्ण (वि०) काले रंगवाला श्रमी-सं० (वि०) श्रम करनेवाला। ~संघ (पु०) = श्रम संघ श्यामल-सं० (वि०) साँवला
श्रयण-सं० (पु०) आश्रय श्यामांग-सं० (वि०) 1काले शरीरवाला 2 साँवले बदन का | श्रवण-सं० (पु०) 1 सुनना 2 कान। ~गत (वि०) सुना श्यामा-I सं० (वि०) श्याम रंगवाली II (पु.) 1 यमुना नदी | हुआ; ~माधुर्य (पु०) सुनने की मिठास; ~संबंधी 2 सुंदर स्त्री
(वि०) श्रवण से संबंध रखनेवाला श्याल-सं० (पु०) साला
श्रवणीय-सं० (वि०) श्रव्य। ता (स्त्री०) सुनाई देने की श्यालक-सं० (पु०) पत्नी का भाई
योग्यता श्याव-सं० (वि०) कालापन से युक्त पीला, कपिश श्रवणेंद्रिय-सं० (स्त्री०) सुनने की इंद्रिय, कान
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श्रव्य
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श्लेष
भव्य-सं० (वि०) 1 सुना हुआ (जैसे-श्रव्य काव्य) 2 सुनने | श्रेणि-सं० (स्त्री०) 1 कतार, पंक्ति 2 श्रृंखला, सिलसिला, क्रम योग्य (जैसे-श्रव्य गीत)। ता (स्त्री०) श्रव्य होने का भाव, | 3 वर्ग 4 दल, समूह । ~गत (वि०) श्रेणि में आया हुआ आडिबिलिटी
श्रेणी-सं० (स्त्री०) = श्रेणि। ~करण (पु०) श्रेणी बनाना; श्रांत-सं० (वि०) 1 थका हुआ 2 दुःखी, खिन्न
~कृत (वि०) श्रेणी बनाया हुआ; बद्ध (वि०) श्रेणी में श्रांति-सं० (स्त्री०) 1 थकान 2 खेद
बँधा हुआ; ~भेद (पु०) श्रेणी का अंतर; ~युद्ध (पु०) श्राद्ध-I सं० (पु०) पितरों की प्रसन्नता हेतु श्रद्धा से किया वर्ग युद्ध, वर्ग संघर्ष; ~वाद (पु०) वर्गवाद, जातिवाद;
जानेवाला कार्य II (वि०) श्रद्धा से युक्त। तर्पण (पु०) -विभाजन (पु०) श्रेणी का बँटवारा; विभेद (पु०) = पितरों का श्राद्ध और जलदान
श्रेणी भेद; विरोध (पु०) वर्ग-जाति का विरोध; ~संघर्ष श्राद्धिक-सं० (वि०) श्राद्ध संबंधी
(पु०) = श्रेणी युद्ध; ~समूह (पु०) वर्ग संगठन, जाति श्राप-(पु०) = शाप
संगठन; ~हित (पु०) श्रेणी की भलाई श्रापित-(वि०) = शापग्रस्त
श्रेय-I सं० (वि०) 1 उत्तम, श्रेष्ठ 2 बेहतर, अधिक बढ़कर श्रावक-1 सं० (वि०) सुननेवाला, श्रोता II (पु०) 1 बौद्ध |
| 3 वांछनीय, मंगलकारक 4 शुभ II (पु०).1 उत्तमता, श्रेष्ठता संन्यासी 2 जैन संन्यासी
| 2 कल्याण, मंगल 3 यश 4 शुभ आचरण श्रावण-I सं० (पु०) चांद्र वर्ष के बारह महीनों में से पाँचवाँ, ||श्रेयस्कर सं० (वि०) मंगलकारी, कल्याणकर
सावन II (वि०) 1 श्रवण संबंधी 2 श्रवण नक्षत्र का श्रेष्ठ-सं० (वि०) 1 अति उत्तम, उत्कृष्ट 2 अत्यंत प्रिय प्रावणी-सं० (स्त्री०) श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन का दिन श्रेष्ठतम-सं० (वि०) सर्वश्रेष्ठ श्रावित-सं० (वि०) 1सुनाया हआ 2 कथित
श्रेष्ठावस्था-सं० (स्त्री०) श्रेष्ठ होने का भाव श्राव्य-सं० (वि०) सुनाई पड़ने योग्य ।
श्रेष्ठि-सं० (पु०) = श्रेष्ठी। चत्वर (पु०) व्यापारियों का श्री-I सं० (स्त्री०) 1 लक्ष्मी 2 सरस्वती 3 ऐश्वर्य, वैभव परस्पर बैठकर बातचीत लेन-देन करने का चबूतरा; ~वर्ग 4 यश, कीर्ति 5 चमक, कांति II (वि०) 1 योग्य 2 शुभ (पु०) सेट लोग 3 सुंदर 4 श्रेष्ठ । ~कंठ (पु०) शिव का विशेषण; ~खंड | श्रेष्ठी-सं० (पु०) 1 व्यापारियों, व्यवसायियों का प्रधान (पु०) चंदन; ~मुख (पु०) 1 सुशोभित मुख 2 वेदः | 2 अत्यंत धनी व्यक्ति 3 सेठ ~वृद्धि (स्त्री०) धन की बढ़ती; ~संपन्न (वि०) धनी, श्रोणी-सं० (स्त्री०) नितंब, कूल्हा, कटि। सूत्र (स्त्री०) अमीर; ~हीन (वि०) म्लान, फ़ीका (जैसे-श्रीहत | __मेखला, करधनी मुखमंडल, श्रीहीन चेहरा)
श्रोत-सं० (पु०) = श्रवणेंद्रिय श्री गणेश-सं० (पु०) 1 कार्य का आरंभ 2 गणेश एक हिंदु श्रोतव्य-सं० (वि०) सुना जाने योग्य देवता
श्रोता-सं० (वि०)/(पु०) सुननेवाला (जैसे-श्रोतागण)। श्रीमंत, श्रीमत्-सं० (वि०) 1 श्री युक्त 2 संपत्र 3 'श्री' की ~गण (पु०) सुननेवालों का समूह; ~वर्ग (पु०) श्रोता तरह एक आदरसूचक शब्द
संगठन श्रीमती सं० (स्त्री०) 1 विवाहित स्त्रियों के नाम के पूर्व जोड़ा | श्रोतबोधक-सं० (वि०) श्रोता का ज्ञान करानेवाला जानेवाला आदरसूचक शब्द 2 पत्नी (जैसे-श्रीमती से पूछ । श्रोत मंडली-सं० (स्त्री०) सुननेवालों का समूह, श्रोतागण लेना)
श्रोत्र-सं० (पु०) 1कान 2 श्रोत्रिय कर्म 3 वेदों का ज्ञान श्रीमत्ता-सं० (स्त्री०) 1 श्रीमान होने की अवस्था, धनवत्ता श्रौत-सं० (वि०) 1 श्रुति संबंधी 2 कान का 2 शोभा, गौरव
श्लथ-सं० (वि०) 1 शिथिल, ढीला 2 छूटा हुआ श्रीमान्-I सं० (वि०) 1 शोभा से युक्त 2 गौरववाला II श्लथन-सं० (पु०) 1 ढीला छोड़ना 2 शिथिलीकरण (पु०) 1 पुरुषों के नाम के पूर्व लगनेवाला आदरसूचक शब्द श्लाघन-सं० (पु०) 1 चापलूसी करना 2 प्रशंसा करना, तारीफ़ 2 पति (जैसे-आपके श्रीमान् जी कहाँ गए हैं?)
करना श्रीयुत-सं० (वि०) 1 शोभा से युक्त 2 श्रीमान् (जैसे-श्रीयुत श्लाघनीय-सं० (वि०) प्रशंसनीय प्रधानाचार्य जी)
श्लाघा-सं० (स्त्री०) 1 चापलसी 2 प्रशंसा श्रुत-सं० (वि०) 1 सुना हुआ 2 प्रसिद्ध। पूर्व (वि०) श्लाघित-सं० (वि०) प्रशंसा किया हुआ, प्रशंसित
पहले सुना हुआ; लेख (पु०) इमला, डिक्टेशन श्लाघ्य-सं० (वि०) = श्लाघनीय श्रुतानुश्रुत-सं० (वि०) सुना सुनाया
श्लिषा-सं० (स्त्री०) = श्लेष श्रुताश्रुत-सं० (वि०) सुना-अनसुना
श्लिष्ट-सं० (वि.) 1 आलिंगित 2 सम्मिलित, संयुक्त श्रुति-सं० (स्त्री०) 1 सुनना 2 कान 3 कही या सुनी हुई बात 3 अनेकार्थक (जैसे-श्लिष्ट पद) 4 अफ़वाह, किंवदंती, जनश्रुति 5 उक्ति, कथन (जैसे-वेद श्लीपद-सं० (पु०) चि० फीलपाँव श्रुति)। ~कटु (वि०) सुनने में कड़वा लगनेवाला, कर्कश | श्लीपदी-सं० (वि०) श्लीपद संबंधी (जैसे-श्रुति कटु वाणी); ~पथ (पु०) श्रवण मार्ग; श्लील-सं० (वि०) 1 जो अश्लील न हो 2 सभ्योचित 3 श्रेष्ठ ~परंपरा (स्त्री०) वेद की परंपरा; ~मधुर (वि०) सुनने में 4 शोभायुक्त (जैसे-श्लील अभिनेत्री, श्लील प्रतिमा) मीठा, प्रिय; ~माधुर्य (पु०) = श्रवण माधुर्य श्लेष-सं० (पु०) 1साहि० एक शब्दालंकार जिसमें एक शब्द श्रेढी-सं० (स्त्री०) गणना की एक विधि
के द्वारा अनेक अर्थ व्यक्त किए जाते हैं (जैसे-'सबरन को
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श्लेषण
ढूढ़त फिरै कवि, कामी अरु चोर' में अनेक अर्थों में श्लेष है) 2 संयोग 3 आलिंगन 4 लगाव
श्लेषण-सं० (पु०) 1 संयोग करना, मिलाना 2 आलिंगन 3 साथ जोड़ना
श्लेषोपमा-सं० (स्त्री०) ऐसा श्लेष जिसका अर्थ उपमेय और उपमान दोनों में लग जाता है
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श्लेष्मा -सं० (पु० ) 1 बलगम 2 रस्सी, डोरी श्लोक-सं० ( पु० ) 1 संस्कृत का कोई छंद या पद्य 2 प्रशंसा, स्तुति 3 कीर्ति, यश । बद्ध (वि०) श्लोक रूप में आया हुआ
श्वपच - I सं० (वि०) कुत्ते का मांस खानेवाला II ( पु० ) चांडाल (जैसे- श्वपच कहीं का)
श्वशुर-सं० (५०) ससुर
श्वश्रू -सं० (स्त्री०) पति या पत्नि की माता, सास श्वसनसं० (पु० ) 1 साँस लेना 2 आह भरना । यंत्र (पु०) साँस दिलाने का उपकरण; ~ रंध्र (पु०) नाक का छेद श्वसित - सं० (वि०) 1 श्वासयुक्त 2 आह भरनेवाला श्वसुर - (पु० ) श्वशुर श्वान -सं० ( पु० ) कुत्ता। ~ निद्रा (स्त्री०) हलकी नींद श्वास-सं० (पु० ) 1 साँस 2 आह। ~गति (स्त्री०) श्वसन; ~तंत्र (पु० ) = श्वास प्रणाली; ~नलिका (स्त्री०) साँस लेने की नली ~ निरोध ( पु० ) = • श्वासावरोध; ~ प्रणाली (स्त्री०) साँस लेने की प्रक्रिया; ~प्रश्वास (पु०) साँस लेना और निकालना; ~ मार्ग (पु० ) = श्वास प्रणाली; यंत्र (पु० ) = श्वसन यंत्र; ~ रोधक (वि०) श्वास रोकनेवाला श्वासावरोध-सं० (पु०) दम घुटना श्वासोच्छ्वास - स० (पु० ) वेगपूर्वक साँस लेना और छोड़ना श्वित्र-सं० (पु०) सफ़ेद कोढ़
श्वेत-सं० (वि०) 1 उजला, धवल, सफ़ेदं 2 गोरा 3 निर्मल, ~ काक (पु० ) सफेद कौआ अर्थात् असंभव बात; कुष्ठ (पु०) चि० सफ़ेद कोढ़; कृष्ण (पु०) एक विषैला कीड़ा; ~ता (स्त्री०) सफ़ेदी, उज्जवलता; पत्र (पु० ) महत्त्वपूर्ण चर्चाओं से संबंधित प्रकाशित की गई राजकीय विज्ञप्ति; ~ प्रदर (पु० ) चि० स्त्री योनि से सफेद रंग का निकलनेवाला गाढ़ा और बदबूदार पानी का रोग, ल्यूकोरिया सार (पु० ) 1 जलांक 2 खटिर, खैर 3 सफ़ेद सत्त, स्टार्च श्वेतन -सं० ( पु० ) सफ़ेद करना श्वेतांग-सं० (वि०) गौरवर्ण का, गौरांग
=
श्वेतांबर - सं० (पु० ) 1 सफ़ेद वस्त्र 2 एक प्रमुख जैन संप्रदाय श्वेताणु-सं० (पु० ) खून की सफ़ेद कणिकाएँ । वृद्धि (स्त्री०) चि० ( रोग के कारण) सफ़ेद कणिकाओं का बढ़
जाना
श्वेतिमा सं० (स्त्री०) शुभ्रता, श्वेतता
षोडशी
ष
खंड-सं० (पु०) 1 साँड़, बैल 2 नपुंसक 3 ढेर, राशि खंडत्व - सं० (५०) नपुंसकता षकार -सं० (पु०) 'ष' वर्ण
षट् - I सं० (वि०) पाँच से एक अधिक II (पु० ) छः का सूचक अंक । ~कर्म (पु० ) यजन, याजन, अध्ययन, अध्यापन, दान और प्रतिग्रह ये छः कर्म; कोण (वि०) 1 छः कोणवाला 2 छपहला ; ~ कोणाकार (वि०) षट्कोण के आकार का चक्र (पु०) मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूर, अनाहत, विशुद्ध और आज्ञा योग के ये छह चक्र; पद (वि०) छः पैरोंवाला; पदी (स्त्री०) छः पंक्तियों का श्लोक, भुज (पु०) जया० छः भुजाओंवाली आकृति; ~ रस (पु० ) मधुर, तीक्ष्ण, तिक्त, कटु, कषाय और अम्ल ये छः स्वाद; ~ वर्षीय (वि०) छः वर्ष का शास्त्र (पु० ) षड् दर्शन; शास्त्री (पु० ) षट्शास्त्र का ज्ञाता षडंग - सं० (पु० ) 1 शिक्षा, व्याकरण, निरुक्त, छंद, कल्प और ज्योतिष ये छः वेदांग 2 शरीर के दो हाथ, दो पैर सिर और धड़ ये छः अंग
=
षड्-सं० (वि०) = षट्। ज (पु० ) संगीत के सात स्वरों में से पहला स्वर दर्शन (पु०) सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, पूर्व मीमांसा और उत्तर मीमांसा ये छः दर्शन यंत्र (पु० ) 1 दुरभिसंधि 2 साजिश; यंत्र कर्ता (पु० ) षड्यंत्र करनेवाला व्यक्ति; यंत्र कारिनी (वि०) षड्यंत्र करनेवाली, यंत्रकारी (वि०) षड्यंत्र करनेवाला; रस (पु० ) मीठा, नमकीन, कडवा, तीता, कसैला और खट्टा ये छः रस; ~ रिपु (पु० ) काम, क्रोध, लोभ, मद, मोह और मत्सर ये छः शत्रु
षष्टि - I सं० (वि०) साठ II ( पु० ) साठ की संख्या (60) । पूर्ति (स्त्री०) साठ वर्ष का पूरा होना षष्ठ-सं० (वि०) छठा (जैसे-षष्ठ मंडल) षष्ठांश-सं० (पु०) छठा भाग
षष्ठी - सं० (स्त्री०) 1 पक्ष की छठी तिथि 2 संतानोत्पत्ति के दिन से छठा दिन
षाड्यंत्रिक-सं० (वि०) साज़िश का षाण्मासिक-सं० (वि०) 1 छः महीने की उम्र का 2 छः नास की अवधि का
षोडश - I सं० (वि०) सोलह II ( पु० ) 16 की संख्या । ~ कला (स्त्री०) अमृता, मानदा पूषा, पुष्टि, तुष्टि, रति, धृति, शातिनी, चंद्रिका, कांति, ज्योत्सना, श्री, प्रीति, अंगदा, पृषणा और पूर्णा चंद्रमा की ये सोलह कलाएँ; मातृका (स्त्री०) गौरी, पद्मा, शची, मेधा, सावित्री, विजया, जया, देवसेना, स्वधा, स्वाहा, शालि, पुष्टि, तुष्टि, मातृ तथा आत्मदेवता सोलह मातृ कलाओं का समूहः श्रृंगार (५०) उबटन, स्नान, वस्त्र धारण, केश प्रसाधन, अंजन, सिंदूर, महावर, तिलक, ठोड़ी पर तिल बनाना, मेंहदी, सुगंधित द्रव्य, आभूषण, पुष्पहार, पान और मिस्सी ये सोलह श्रृंगार षोडशी - I सं० (वि०) सोलह वर्ष की II (स्त्री०) सोलह वर्ष की युवती या कन्या
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संकट
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संकेतार्थक
संकल्पना-सं० (स्त्री०) 1 संकल्प करना 2 धारणा 3 इच्छा संकल्पात्मक-सं० (वि०) संकल्प से युक्त संकल्पित-सं० (वि०) संकल्प किया हुआ
संकाय-सं० (स्त्री०) विशिष्ट विभाग या शाखा (जैसे-कला संकट-सं० (पु०) 1 आफ़त, विपत्ति (जैसे-संकट आने पर संकाय, विज्ञान संकाय) मित्र की सहायता करना) 2 खतरा (जैसे-संकट का सामना संकायाध्यक्ष-सं० (पु०) संकाय का प्रधान अधिकारी, डीन करना) 3 कठिनाई (जैसे-काम करने में संकट आना, संकट | ऑफ़ फ़ैकल्टी दूर करना) 4 सँकरा रास्ता, तंग रास्ता (जैसे-गिरि संकट, मेले | संकार-बो० (स्त्री०) इशारा, संकेत में संकट से गुज़रना) 5 मुसीबत (जैसे-औद्योगिक संकट)। संकाश-[ सं० (क्रि० वि०) पास. निकट
~काल (पु०) संकट का समय; ~कालीन (वि०) संकट | संकाश-II सं० (पु०) 1 प्रकाश, रोशनी 2 चमक, दीप्ति काल संबंधी; ~ग्रस्त (वि०) संकट में फँसा हआ | संकीर्ण-[सं० (वि०) 1 सँकरा. तंग 2 मिश्रित, संयुक्त जनक (वि०) संकट उत्पन्न करनेवाला
3 तुच्छ. नीच 4 छोटा 5 जो उदार न हो (जैसे-संकीर्ण हृदय, संकटमय-सं० (वि०) संकट में फँसा हआ
संकीर्ण विचार) II (पु०) संकट, विपत्ति । ~ता (स्त्री०) संकटस्थ-सं० (वि०) 1 संकट में पड़ा हुआ 2 दुःखी संकीर्ण होने का भावः हृदय (वि०) तंगदिल संकटापन्न-सं० (वि०) 1 संकटपूर्ण 2 संकटग्रस्त
संकीर्तन-सं० (पु०) 1 यश गान 2 कीर्तन-भजन संकटावस्था-सं० (स्त्री०) संकट की अवस्था
संकुचक-सं० (वि०) संकुचित करनेवाला. सिकोड़नेवाला संकटी-सं० (वि०) = संकटापत्र
संकुचन-सं० (पु०) सिकुड़ना. संकोचन संकटोत्तीर्ण-सं० (वि०) संकट मुक्त
संकुचित-सं० (वि०) संकोच युक्त, लज्जित संकर-[ सं० (पु०) 1 दोगला 2 मिश्रण 3 योग 4 साहि० दो | (जैसे-संकुचित नायिका. संकुचित दृष्टि) 2 सिकुड़ा हुआ
या अधिक अलंकारों का संयोग II (वि०) 1 मेल से बना (जैसे-संकुचित पुष्प) 3 तंग, सँकरा, संकीर्ण (जैसे-संकुचित हआ (जैसे-संकर राग) 2 दोगला (जैसे-संकर संतान)। मार्ग) 4 अनुदार (जैसे-संकुचित हृदय)। ~वाद (पु०) =
क्रिया (स्त्री०) = संकरण; ज (वि०) मिश्र जाति से संकीर्णतावाद उत्पत्र, जातीय (वि.) संकर संबंधी; ~ता (स्त्री०) | संकुल-[ सं० (वि०) 1 घना 2 पूर्ण 3 सारा, समूचा ।। (पु०) 1 मिलावट, घालमेल 2 संकर होने का भाव; ~पद (पू०) | 1जन समूह, भीड़ 2 जनता 3 असंगत वाक्य। ~ता दो भाषाओं के योग से बना पद; ~शब्द (पु०) दो भाषाओं (स्त्री०) संकुलित होने का भाव के योग से बना शब्द
संकलित-सं० (वि०) 1 घना किया हुआ 2 भरा हुआ 3 इकट्ठा संकरक-सं० (वि०) संकर रूप में लानेवाला
किया हुआ संकरण-सं० (पु०) संकर अथवा मिलाने की क्रिया संकेंद्रण-सं० (पु०) 1 एक केंद्र पर लाना 2 एक ही विषय पर सँकरा-[ (वि०) 1 कम चौड़ाई का (जैसे-सँकरा रास्ता) विचार, भाव आदि को लाना (जैसे-सद्वत्तियों का संकेंद्रण) 2 तंग (जैसे-सँकरा पायजामा)
संकेत-सं० (पु०) 1 इशारा, इंगित (जैसे-आँख से संकेत सँकरा-II बो० (पु०) संकट की स्थिति
करना) 2 निशान, चिह्न (जैसे-किताब में पदों पर संकेत संकरित-सं० (वि०) मिलाया हआ, मिश्रित
लगाना) 3 प्रतीक, बात (जैसे-घटना का संकेत) 4 यादगार संकरी-सं० (पु०) संकर, दोगला। -करण (प.) हेतु दी गई वस्तु 5 संकेत स्थल! -चिह्न (पु०) । शब्द का 1 मिलाना 2 जाति का अवैध मिश्रण 3 नौ प्रकार के पापों में से संक्षिप्त रूप (जैसे-म० प्र० मध्य प्रदेश का संकेत चिह्न है) एक
2 शब्द के संक्षिप्त रूप के आगे लगाया गया चिह्नः पूर्वक संकर्षण-सं० (पु०) 1 खींचकर निकालना 2 संयोग का साधन | (क्रि० वि०) संकेत रूप में; रूप (पु०) - संकेत चिह्न 3 पास लाना
लिपि (स्त्री०) गृढ़ संहिता लिखने की लिपि: लिपिक संकल-बो० (स्त्री०) सांकल. जंजीर।
(पु०) संकेत रूप में लिखनेवाला. संकेत लिपि लिखनेवाला; संकलन-सं० (पु०) इकट्ठा करना, एकत्रीकरण (जैसे-सूर के वाचक (वि०) संकेत बतानेवाला (जैसे-संकेतवाचक
पदों का संकलन)। कर्ता (पु०) संकलन करनेवाला सर्वनाम); ~वाची (वि०) संकेत का बोध करानेवाला; व्यक्ति; त्रय (पु०) देश, काल और घटना का एक एक -~सूत्र (पु.) संकेत रूप में सूत्र (जैसे-कार्बन डाई
ऑक्साइड का संकेत सूत्र-C0, है); ~स्थल । (पु०) संकलयिता-सं० (पु०) - संकलनकर्ता
साहिल प्रेमी-प्रेमिका का मिलन स्थल 2 नियत या स्थिर किया संकलित-सं० (वि०) संकलन किया हुआ
हुआ स्थान संकल्प-सं० (पु०) 1 दृढ़ निश्चय (जैसे-शराब न पीने का | संकेतक-सं० (वि०) संकेत करनेवाला
संकल्प) 2 विचार, इरादा (जैसे-बुरे संकल्प का त्याग) | संकेतन-सं० (पु०) संकेत करना 3 प्रतिज्ञा (जैसे-संकट में मदद या सहायता करने का संकल्प | संकेताक्षर-सं० (पु०) संकेत रूप में लिखे गए अक्षर, साइफ़र करना)। ज (वि०) संकल्प से उत्पन्न; -पत्र (पु०) संकेतात्मक-सं० (वि.) संकेत संबंधी प्रतिज्ञा पत्र व्रती (वि०) संकल्प करनेवाला संकेतार्थ-सं० (पु०) क्रिया का भाव जो 'शर्त' का बोधक हो संकल्पक-सं० (वि०) संकल्प करनेवाला
| संकेतार्थक-सं० (वि.) 'शर्त' का बोधक
होना
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संकेतित 785
संगम संकेतित-सं० (वि०) 1 संकेत रूप में लाया हुआ 2 इशारा | संख्यांकन-सं० (पु०) संख्या सूचक अंक लगाना । - किया हुआ
संख्या-सं० (स्त्री०) 1 गिनती, तादाद 2 सामयिक पत्र का कोई संकोच-सं० (पु०) 1 असमंजस, आगा पीछा 2 हिचक अंक। लगत (वि०) संख्या रूप में आया हआ; ल्वाचक 3 लज्जा (जैसे-नववधू का संकोच, संकोच होना) 4 बंद | (वि०) संख्या का बोध करानेवाला; -विभाग (पु०) होना, मैंदना (जैसे-नेत्र संकोच) 5 भय (जैसे-बात करने में __जनन, मरण, उत्पादन आदि संबंधी आँकड़े तैयार करने का संकोच लगना या होना) 6 सिकुड़ना 7 साहि० एक तरह का | विभाग अलंकार जिसमें वस्तु का प्रतिक्षण संकोच भाव दिखाई देता | संख्यातीत-सं० (वि०) 1 असंख्य 2 बहुत है। -वश (वि०) संकोच में पड़ा हुआ; ~वाद (पु०) = संख्यात्मक-सं० (वि०) संख्या से संबंधित संकीर्णतावाद; ~शील (वि०) = संकोची
संख्यान-सं० (पु०) 1 गणना 2 गिनती संकोचन-सं० (पु०) 1 सिकुड़ने की क्रिया 2 सिकोड़ना संख्याशास्त्रीय सं० (वि०) अंकगणित संबंधी संकोचमय-सं० (वि०) संकोच में पड़ा हुआ
संख्येय-सं० (वि०) 1 गणनीय 2 विचारणीय संकोचित-सं० (वि०) 1 संकोचयुक्त 2 लज्जित, शर्मिंदा | संग-I सं० (पु०) 1साथ, सहवास, सोहबत 2 मिलन (जैसे-संकोचित नायिका) .
3 अनुराग, आसक्ति (जैसे-नारी का संग, जीवन संग) 4 मैत्री संकोची-सं० (वि०) 1 संकोच करनेवाला 2 संकोचशील 5 संबंध II (क्रि० वि०) सहित, हमराह। साथ + हिं संक्रम, संक्रमण-सं० (पु०) 1आगे बढ़ना 2 अतिक्रमण, (पु०) = संग लाँघना 3 घूमना फिरना 4 रोग का फैलना। -काल (पु०) - संग-II फ़ा० I(पु०) पत्थर, पाषाण (जैसे-संगमरमर) एक अवस्था से दूसरी अवस्था में जाने का समय; ~कालीन II (वि०) पत्थर की तरह का, अत्यंत कठोर (वि०) संक्रमण काल संबंधी; नाशक (वि०) रोग (जैसे-संगदिल)। ~तराश (पु०) 1 पत्थर गढ़नेवाला संक्रमण से मुक्त करनेवाला
2 पत्थर काटने का एक औज़ार; दिल (वि०) निर्दयी; संक्रमित-सं० (वि०) 1 संक्रमण हुआ 2 सम्मिलित -दिली (स्त्री०) निर्दयता, कठोर हृदयता
(जैसे-संक्रमित वाक्य) 3 प्रवेश या प्रविष्ट किया हुआ | संगठक-(पु०) = संगठनकर्ता संक्रांति-सं० (स्त्री०) 1 सूर्य का एक राशि से दूसरे राशि में | संगठन-(पु०) 1 बिखरी हुई शक्तियों को इकट्ठा करना जाना 2 सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में जाने का समय | 2 संघ। ~कर्ता + सं० (पु०) संगठन करनेवाला; ~की 3 एक विशेष हिंदू पर्व (जैसे-संक्राति स्नान) 4 हस्तांतरण।। ___ + सं० (स्त्री०) संगठन करनेवाली; केंद्र + सं० (पु०)
~काल (पु०) = संक्रमण काल; ~कालीन (वि०) - संगठित होने का स्थल; चातुर्य + सं० (पु०) - संगठन संक्रमण कालीन
शक्ति; ~बद्ध + सं० (वि०) संगठित; ~शक्ति + सं० संक्राम-सं० (पु०) = संक्रमण
(स्त्री०) संगठन की ताक़त; ~समिति + सं० (स्त्री०) संक्रामक-सं० 1 संक्रमण करनेवाला 2 छत फैलानेवाला संगठन दल या मंडल; सिद्धांत + सं० (१०) संगठन के
(जैसे-संक्रामक रोग)। रोग छत से फैलनेवाला रोग नियम-कानून संक्रामी-सं० (वि०) = संक्रामक
संगठनात्मक-हिं० । सं० (वि०) संगठन संबंधी संक्षय-सं० (पु०) 1 नाश 2 प्रलय
संगठित-(वि०) एकत्रित, जोड़ा हुआ संक्षारण-सं० (पु०) पदार्थ का धीरे-धीरे नष्ट होना संगणक-सं० (पु०) हिसाब आदि करनेवाली मशीन संक्षिप्त-सं० (वि०) संक्षेप में कहा हआ 2 संक्षेप में लिखा संगणन-सं० (पु०) हिसाब आदि करना। ~यंत्र (पु०) = हुआ 3 छोटा किया हुआ 4 लघु, छोटा (जैसे-शब्द का संगणक संक्षिप्त रूप)। -लिपि (स्त्री०) - संकेत लिपि संगत-[ सं० (वि०) 1मिला हआ 2 संगति युक्त 3 मेल संक्षिप्तत्व-सं० (पु) संक्षिप्त होने का भाव
खानेवाला (जैसे-तर्क संगत) 4 उपयुक्त (जैसे-न्याय संगत) संक्षिप्ति-सं० (स्त्री०) घटाना. संक्षेपीकरण
5 मिलाया हुआ (जैसे-जाति संगत) || (स्त्री०) 1 संग सक्षिप्तीकरण-सं० (पु०) संक्षेप करना
रहना, साथ, सोहबत (जैसे-दष्ट की संगत से दूर रहना) संक्षुब्ध-सं० (वि०) बहुत बेचैन, अत्यंत अशांत
2 मंडली, दल (जैसे-गाने बजानेवालों की संगत) 3 लगाव, संक्षेप-सं० (पु०) 1 थोड़े में कोई बात कहना 2 कम करना, संसर्ग, संपर्क (जैसे-महापुरुषों की संगत में आना) । कार घटाना 3 छोटा रूप
(पु०) संगतिया संक्षेपक-सं० (वि०) संक्षिप्त रूप में लानेवाला
संगति-सं० (स्त्री०) 1 संगत होने का भाव 2 मेल मिलाप संक्षेपण-सं० (पु०) संक्षिप्तीकरण
3 संग, साथ 4 संबंध, संपर्क 5 साहि. मेल खाना संक्षेपतः-सं० (क्रि० वि०) संक्षेप रूप में
(जैसे-विचार भावनाओं को संगति) 6 तालमेल, सामंजस्य संक्षेपीकरण-सं० (पु०) संक्षेप करना
7 सभा, समाज (जैसे-बुद्धिमानों की संगति) 8 जानकारी, संक्षोभ-सं० (१०) 1 उत्तेजन 2 चंचलता 3 अस्त-व्यस्त, । ज्ञान (जैसे-बुद्धि संगति) उलट-पलट 4 आघात, धक्का, शॉक 5 कंपन
संगतिया-सं० + हिं० (३०) । गाने बजानेवालों की मंडली में संखा-बो० (पु०) चक्की हत्था
शामिल व्यक्ति 2 संगी, साथी संखिया-(पु०) अत्यंत ज़हरीली प्रसिद्ध उपधातु संगम-सं० (पु०) 1मेल, मिलाप, संयोग (जैसे-जीवन संख्यक-सं० (वि०) संख्यावाला (जैसे-अल्प संख्यक) | संगम) 2 दो धाराओं का मिलन स्थल (जैसे-गंगा-यमुना का
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संगमन
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संघटक
संगम) 3 दो या दो से अधिक वस्तुओं का मिलन स्थान, संगीति-सं० (स्त्री०) 1 बातचीत 2 संगीत। ~कार (पु०) . जंक्शन 4 संभोग, मैथुन (जैसे-प्रणय संगम) 5 संग, साथ संगीतकार (जैसे-महान् पुरुषों का संगम)। बिंदु (पु०) मिलन बिंदु, संगीतिका-सं० (स्त्री०) गेय नाटक, सांगीत ~स्थल (पु०) मिलने का स्थान
संगीन-I फ़ा० (वि०) 1 घोर तथा दंडनीय (जैसे-संगीन जुर्म) संगमन-सं० (पु०) मेल मिलाप और व्यवहार
2 पत्थर का बना (जैसे-संगीन इमारत) 3 पत्थर की तरह संगमरमर-फ़ा० (पु०) एक तरह का चिकना, मुलायम और कठोर (जैसे-संगीन हृदय) सफ़ेद पत्थर
संगीन-II फ़ा० (स्त्री०) लोहे का एक प्रकार का तिपहला तथा संगमरमरी-फ़ा० + हिं० (वि०) संगमरमर जैसा, संगमरमर नुकीला अस्त्र (जैसे-संगीन से हत्या करना)। जुड़ा - हिं० की तरह का
(वि०) संगीन से लगा हुआ (जैसे-संगीन जुड़ी रायफ़ल) संगयशब-फ़ा० (पु०) एक तरह का नीले, हरे सफ़ेद रंग का संगी सहपाठी-हिं० + सं० (प्०) एक साथ पढ़ने वाला मित्र बहुमूल्य पत्थर
संगुंफन-सं० (पु०) अच्छी तरह आपस में उलझाना संगर-[ फा० (पु०) 1 रक्षा हेत सैनिक पड़ाव के चारों तरफ़ संगृहीत-सं० (वि०) 1 एकत्र किया हुआ 2 संकलित बनाई गई खाई, दीवार आदि 2 मोरचेबंद
संग्रहीता-सं० (३०) जमा करनेवाला, संग्रहकर्ता संगर-II सं० (पु०) 1 युद्ध, समर 2 विपत्ति, संकट 3 प्रतिज्ञा | संगोष्ठि-सं० (स्त्री०) विचार सभा
4 रज़ामंदी, अंगीकरण 5 सवाल, प्रश्न। बद्ध (वि०) संग्रंथन-सं० (पु०) अच्छी तरह गाँठना संगर में बँधा हुआ
संग्रह-सं० (पु०) 1 जमा करना, एकत्र करना 2 (ग्रंथादि का) संगरोध-सं० (पु०) संक्रामक रोग को रोकने के लिए की गई संकलन 3 पकड़ना 4 ग्रहण करना 5 जमघट, जमावड़ा व्यवस्था
6 कल्याण (जैसे-लोक संग्रह) 7 निग्रह, संयम। ~कर्ता संगलित-सं० (वि०) अच्छी तरह गला हआ, नष्ट (पु०) संग्रह करनेवाला संगसार-फा० (पु०) (अपराधी को) दीवार में चुनवा | संग्रहण-सं० (पु.) 1 ग्रहण करना 2 प्राप्त करना 3 संकलन देना
करना 4 इकट्ठा करना संगाती-बो० (पु०) 1संगी, साथी 2 दोस्त, मित्र संग्रहणी-सं० (स्त्री०) बार-बार दस्त होने की बीमारी संगायन-सं० (पु०) 1साथ-साथ गाना 2 धर्म सभा संग्रहणीय-सं० (वि.) 1 संग्रह योग्य 2 (औषध या औषधि संगिनी-(स्त्री०) 1 सहचरी 2 पत्नी, भार्या
रूप में) सेवन के योग्य संगी-I (पु.) 1 साथी 2 दोस्त
संग्रहालय सं० (पु०) 1 संग्रह करने का स्थान 2 संग्रह भवन, संगी-II फ़ा० (वि०) पत्थर का
__म्यूज़ियम संगीत-सं० (पु०) मधुर ध्वनियों या स्वरों का विशिष्ट नियमों के | संग्रहालयाध्यक्ष-सं० (पु०) संग्रहालय का प्रधान अधिकारी
अनुसार लय में होनेवाला प्रस्फुटन (जैसे-कंठ्य संगीत, वाद्य संग्रही-सं० (वि०) = संग्राहक संगीत)। ~कार (पु०) संगीत का रचनाकार; गोष्ठी संग्राहय सं० (पु०) = संग्रहकर्ता (स्त्री०) संगीत सभा; ~ज्ञ (पु०) संगीत का ज्ञाता; संग्राम-सं० (पु०) 1 युद्ध, लड़ाई (जैसे-भीषण संग्राम)
नाटक (पु०)1 संगीत प्रधान नाटक 2 रेडियो से प्रसारित 2 कठिनाई (जैसे-जीवन संग्राम)। ~कारी (वि०) युद्ध गीत प्रधान लघु रूपक या नाटक; निर्देशक (पु०) संगीत करनेवाला, लड़नेवाला; ~भूमि (स्त्री०) युद्ध क्षेत्र; ~वाद का निर्देशन करनेवाला, निर्देशन (पु०) 1 संगीत का (पु०) यह सिद्धांत कि कुछ समस्याओं का समाधान केवल संकेत करना 2 संगीत का संचालन करना; ~प्रतिभा युद्ध से ही होता है; ~वादी (पु०) संग्रामवाद का समर्थक (स्त्री०) संगीत का ज्ञान; ~भवन (प्०) = संगीतशाला; | संग्राहक-सं० (वि०) संग्रह करनेवाला
~रचना (स्त्री०) = संगीत खंड; -लिपि (स्त्री०) संग्राह्म-सं० (वि०) = संग्रहणीय स्वरांकन, स्वर लिपि; वाद्य (पु०) संगीत के बाजे संघ-सं० (पु०) 1 समुदाय, समूह (जैसे-जन संघ, श्रमिक (जैसे-सितार, हारमोनियम आदि); -विद्या (स्त्री०) वह संघ) 2 वर्ग (जैसे-भिक्षु संघ) 3 संघठन, फेडरेशन 4 मठ विद्या जिसमें संगीत संबंधी विषयों का अध्ययन किया जाए; (जैसे-बौद्ध संघ) 5 घनिष्ठ संपर्क (जैसे-मित्र संघ)।
विद्यालय (पु०) संगीत सीखने और सिखाने का स्कूल; -चारी (वि०) 1 संघ में रहनेवाला 2 समूह या झुंड में विलासी (पु०) संगीत का शौकीन व्यक्ति; विशेषज्ञ घूमनेवाला; ~चालक (पु०) संघ का संचालनकर्ता; (पु०) = संगीतज्ञ; ~शाला (स्त्री०) संगीत सीखने सिखाने न्यायालय (पु०) संघ राज्य का सर्वोच्च न्यायालय; की जगह; ~शास्त्र (पु०) = संगीत विद्या; ~साधक पक्षी (पु०) पक्षियों का झुंड; ~पति (पु०) दल का (पु०) = संगीत का अभ्यास करनेवाला
नायक; बद्ध (वि०) संघ में शामिल; राज्य (पु०) संगीतक-सं० (पु०) 1 गान, नृत्य और वाद्य द्वारा लोगों का केंद्रित राज्य सत्ता; ~वाद (पु०) ये मत कि संघ राज्य उत्तम मनोरंजन 2 अभिनयात्मक तथा संगीतमय नृत्य
होता है; ~वादी (पु०) संघवाद का समर्थक; ~वृत्ति संगीताचार्य-सं० (पु०) संगीत का आचार्य
(स्त्री०) संघ में रहने का भाव; सरकार + फ़ा० (स्त्र) संगीतात्मक-सं० (वि०) संगीत संबंधी। ता (स्त्री०) केंद्रीय सरकार संगीतमय होने का भाव
| संघट-सं० (पु०) समूह, राशि, ढेर संगीतालय-सं० (पु०) = संगीत विद्यालय
| संघटक-सं० (पु०) पूरी रचना के अवयव
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संघटन
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संज्ञावत्
हुआ
संघटन-सं० (पु०) 1 संयोग 2 मेल 3 तैयार करना (जैसे-सेना संचारित-सं० (वि०) संचार किया हुआ
का संघटन) 4 इकाई का रूप लेना (जैसे-श्रमिक संघटन) |संचारी-I सं० (वि०) संचरण करनेवाला II (पु०) साहि० वो 5 गठन, रचना (जैसे-काव्य संघटन)
भाव जो रस में संचार करते हुए उसके परिपाक में उपयोगी होते संघटित-सं० (वि०) संघटन किया हुआ
हैं, व्यभिचारी भाव संघट्ट, संघट्टन-सं० (पु०) 1संघर्ष 2 गठन, बनावट |संचालक-[सं० (वि०) गति देनेवाला, परिचालक II (पु०) संघट्टित-सं० (वि०) 1 एकत्र किया हआ 2 रचित 3 चलाया | निदेशक (जैसे-कार्य संचालक)
संचालन-सं० (पु०) 1 परिचालन 2 नियंत्रण 3 निर्देशन (कार्य संघनक-सं० (पु०) घना या गाढ़ा करनेवाला
संचालन) संघनन-सं० (पु०) घना या गाढ़ा करना, जमाना संचालिका-सं० (स्त्री०) संचालन करनेवाली महिला, संघनित-सं० (वि०) गाढ़ा किया हुआ
निदेशिका संघनित्र-सं० (पु०) = संघनक
संचालित-(वि०) संचालन किया हुआ संघर्ष-सं० (पु०) 1 टकराव, स्ट्रगल (जैसे-दो दलों में संघर्ष) संचित-सं० (स्त्री०) 1 संचय किया हआ 2 नत्थी किया 2 स्पर्धा 3 होड़ 4 चेष्टा, प्रयत्न (जैसे-जीवन संघर्ष, संघर्ष | हुआ करते रहना) 5 रगड़ खाना 6 द्वेष (जैसे-पारस्परिक संघर्ष)। | संचिति-सं० (स्त्री०) 1 संचय 2 तह लगाना
निरत (वि०) संघर्ष से विरक्त; ~रत (वि०) संघर्ष में | संचेतन-सं० (पु०) होश में लाना लगा हआ; ~शाली (वि०) द्वेष करनेवाला; ~शील | संचेत्य-सं० (वि०) होश में आने योग्य (वि०) संघर्ष करनेवाला ।
संचेय-सं० (वि०) संचय करने योग्य संघर्षण-सं० (पु०) 1 संघर्ष करना 2 रगड़ होना संजन-सं० (पु०) 1 बाँधना, बंधन 2 संघठन संघर्षमय-सं० (वि०) = संघर्षरत
संजनन-I सं० (पु०) 1 उत्पादन 2 रचना II (वि०) उत्पन्न संघर्षात्मक-सं० (वि०) संघर्ष संबंधी
करनेवाला संघर्षी-सं० (वि०) संघर्ष करनेवाला (जैसे-संघर्षी व्यंजन) संजनित-सं० (वि०) 1 उत्पादित 2 रचित संघाटी-सं० (स्त्री०) चीवर
संजा-सं० (स्त्री०) बकरी संघात-सं० (पु०झ) 1 आघात 2 टक्कर
संजात-सं० (वि०) 1 उत्पन्न (जैसे-वात संजात) 2 प्राप्त संघातक-सं० (वि०) संघांत करनेवाला
(जैसे-जल संजात) संघातन-सं० (पु०) संघात करना
संजाफ़-फा० (स्त्री०) 1 झालर, किनारा 2 मगजी संघाती-(पु०) = संघातक
संजाफ़ी-फा० (वि०) 1 झालरदार 2 गोटेदार संघात्मक-सं० (वि०) संघात संबंधी
संजीदगी-फा० (स्त्री०) 1संजीदा होने का भाव संघाराम-सं० (पु०) मठ, विहार
2 आचरण-विचार की गंभीरता 3 शिष्टता और सौम्यता संघी-I (वि०) संघ संबंधी II (पु०) संघ का सदस्य | संजीदा-फा० (वि०) 1 गंभीर और शांत 2 समझदार संघीय-सं० (वि०) संघ का, संघ संबंधी, फेडरल संजीव-सं० (पु०) पुनः जीवन देना (जैसे-संघीय व्यवस्था, संघीय सरकार)
संजीवन-I सं० (पु०) 1 अच्छी तरह जीवन बिताना 2 नया संघेला-बो० (पु०) 1साथी, सहचर 2 दोस्त, मित्र जीवन देना II (वि०) जीवन देनेवाला संघोष-सं० (पु०) ज़ोर का शब्द
संजीवनी-सं० (स्त्री०) 1 पुनर्जीवित करनेवाली एक कल्पित संचय-सं० (पु०) 1 इकट्ठा करना 2 जमा करना (जैसे-धन | ओषध 2 पुनजीवित करने की विद्या संचय) 3 संकलन (जैसे-ग्रंथों का संचय, ग्रंथ संचय)। संजीवित-सं० (वि०) पुनः जीवित किया गया खोर + फ़ा० (वि०) संचय करनेवाला
संजुग-सं० (पु०) संग्राम, युद्ध संचयन-सं० (पु०) = संचय
संजुत-सं० (वि०). संयुक्त संचयिता-सं० (पु०) संचय करनेवाला
सैंजोना-(स० क्रि०) बो० 1 सज्जित करना, सजाना 2 क्रम से संचयी-सं० (पु.) 1 संचय करनेवाला 2 कृपण, कंजूस रखना संचरण-सं० (पु०) 1 चलना, गमन 2 फैलना (जैसे-जल | सँजोवा-बो० (पु०) 1सजावट, शृंगार 2 जमावड़ा संचरण) 3 काँपना (जैसे-तरंग संचरण)। ~पथ (पु०) | संज्ञक-सं० (वि०) संज्ञा से युक्त संचरण का मार्ग या रास्ता
संज्ञा-सं० (स्त्री०) 1 चेतना शक्ति, होश 2 ज्ञान 3 बुद्धि संचायक-सं० (पु०) संग्रह करनेवाला
4व्या. वास्तविक या कल्पित वस्तु का बोधक शब्द संचार-सं० (पु०) 1फैलना (जैसे-विद्युत संचार व्यवस्था) (जैसे-राम, नदी, करुणा आदि)। पद (पु०) नाम वाचक 2 चलना 3 चलाना 4 संक्रमण (जैसे-ग्रहों का संचार) पद; पन (पु.) 1 सूचित करना, ज्ञान कराना 2 सूचना पत्र 5 फैलने या बहने का मार्ग (जैसे-शरीर में रक्त संचार)। 3 कथन; -हीन (वि०) चेतना रहित, बेसुध, बेहोश;
व्यवस्था (स्त्री०) संबंध स्थापित करने का साधन, संचार | | लहीनता (स्त्री०) 1 मूर्छा 2 चेतना रहित अवस्था, बेहोशी प्रणाली (जैसे-संचार व्यवस्था में सुधार करना)
संज्ञात-सं० (वि०) समझा हुआ, जाना हुआ संचारक-सं० (वि०) संचार करनेवाला
संज्ञावत्, संज्ञावान्-सं० (वि०) 1 नामयुक्त 2 होशदार, संचारण-सं० (पु०) प्रसारण, फैलाना
चेतनामय
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सँझला
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संदृष्ट सँझला-बो० (वि०) 1 संध्या संबंधी 2 मँझले से छोटा और | संतुष्टि-सं० (स्त्री०) 1 संतुष्ट होने का भाव 2 तृप्ति 3 प्रसन्नता छोटे से बड़ा
संतुष्टिकरण-सं० (पु०) संतुष्ट करना सँझवाती-I (स्त्री०) शाम का दीपक, चिराग II (वि०) संतृप्त-सं० (वि०) 1 पूर्णतः तृप्त 2 घनीकृत, गाढ़ा संध्या का
संतृप्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूर्णतः तृप्त होने का भाव 2 गाढ़ापन संझा-बो० (स्त्री०) संध्या, शाम
संतोष-सं० (पु०) 1 तृप्ति 2 प्रसन्नता, हर्ष 3 धैर्य। -जनक संझोखा-[ (पु०) संध्या का समय, संध्याकाल, सायंकाल (वि०) संतोष देनेवाला; ~दायक (वि०) संतोष देनेवाला; II (वि०) शाम का, संध्या कालीन
प्रद (वि०) संतोष प्रदान करनेवाला संटी-(स्त्री०) बेंत, चाबुक
संतोषक-सं० (वि०) 1 संतुष्ट करनेवाला 2 प्रसन्न करनेवाला संड-(पु०) साँड़। ~मुसंड (वि०) हट्टा-कट्टा, मोटा-ताजा संतोषणीय-सं० (वि०) संतोष करने योग्य __ (जैसे-संड मुसंड आदमी, संड मुसंड शरीर)
संतोषमय-सं० (वि०) संतोष युक्त सँड़सा-(पु०) बड़ी सँड़सी
संतोषित-सं० (वि०) 1 प्रसन्न किया हआ 2 संतोष कराया सँड़सी-(स्त्री०) कैंचीनुमा एक उपकरण
हुआ संडा-I (वि०) साँड़ के समान ताक़तवाला, हृष्ट पुष्ट II (पु०) | संतोषी-सं० (वि०) = संतुष्ट
बलवान् और हृष्ट पुष्ट प्राणी। ~मुसंडा (वि०) = संड मसंड | संतोष्य-सं० (वि०) = संतोषणीय संडास-(पु०) शौच कूप
संत्रस्त-सं० (वि०) 1 अत्यंत डरा हुआ 2 संतापित संत-[सं० (पु०) 1 सज्जन और महात्मा 2 परम धार्मिक और | संत्राण-सं० (पु०) रक्षा साधु व्यक्ति II (वि०) बहुत ही निर्मल और पवित्र संत्रास-सं० (पु.) 1 अत्यंत भय, आतंक 2 दुःख (जैसे-संत स्वभाव, संत हृदय)। ~पन (पु०) संत होने का | संथा-(स्त्री०) सबक, पाठ
भाव; दय (वि०) निर्मल तथा पवित्र हृदयवाला। संद-बो० (स्त्री०) दरार, छेद संतत-सं० (अ०) सदा निरंतर
संदर्प-सं० (पु०) घमंड संतति-सं० (स्त्री०) संतान, औलाद। निग्रह, निरोध | संदर्भ-सं० (पु०) 1 वर्णित प्रसंग 2 विवेचनात्मक ग्रंथ 3 संबंध (पु०) बच्चा पैदा करने पर रोक
निर्वाह 4 व्यापक अर्थ में स्थिति 5 संकलन करना। ग्रंथ संतप्त-सं० (वि०) 1दुःखी, उदास, खिन्न 2 दग्ध | (पु०) प्रामाणिक आकार ग्रंथ; ~युक्त (वि०) संदर्भ से (जैसे-संतप्त मन)
पूर्ण; ~साहित्य (पु०) प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने का संतरण-I सं० (पु०) तैरकर पार होना II (वि०) तारनेवाला __ग्रंथ आदि; ~सूची (स्त्री०) = संदर्भिका संतरा-पुर्त० (पु०) बड़ी नारंगी
संदर्भिका-सं० (स्त्री०) संदर्भ ग्रंथों की सूची संतरी-अं० (पु.) 1 पहरेदार 2 द्वारपाल
संदर्श-सं० (पु०) झलक, दृश्य संतान-I सं० (स्त्री०) संतति, औलाद। -निग्रह (पु०) = | संदल-अ० (पु०) चंदन संतति निरोध; निरोधक (वि.) बच्चे को जन्म देने से संदली-अ० (वि०) चंदन का रोकनेवाला; ~वृद्धि (स्त्री०) संतान बढ़ना; ~हीन (वि०) संदिग्ध-सं० (वि०) संदेहयुक्त। ता (स्त्री०) = संदिग्धत्व; बिना बाल बच्चे का (जैसे-संतानहीन दंपति); हीनता बुद्धि (वि०) संदेही; ~भूत (पु०) भूतकाल का रूप (स्त्री०) निःसंतान होने की स्थिति (जैसे-संतानहीनता का जिससे कार्य के संदेह का बोध हो (जैसे-गया होगा); दुःख, संतानहीनता में जीवन गुज़ारना)
वर्तमान (पु०) वर्तमान काल का वह रूप जिससे संदेह संतान-II सं० (पु०) 1 अविच्छिन्न क्रम, पंक्ति 2 शाखा, | का बोध हो (जैसे-जाता होगा) प्रशाखा 3 विस्तार, फैलाव
संदिग्धत्व-सं० (पु०) संदिग्ध भाव संतानवान-सं० (वि०) संतानवाला
संदिग्धार्थ-सं० (वि०) संदिग्ध अर्थवाला संतानोत्पत्ति-सं० (स्त्री०) संतान का जन्म
संदिष्ट-सं० (वि०) 1 कहा हुआ 2 संदेह के रूप में कहा हुआ संतानोत्पादन-सं० (पु०) संतान होना
संदी-सं० (स्त्री०) शय्या, पलंग, खाट संताप-सं० (पु०) 1 दुःख, क्लेश 2 ज्वर, ताप, बुखार | संदीपक-सं० (वि०) उद्दीपक
3 आत्मग्लानि, अनुताप। ~कारी (वि०) संताप करनेवाला संदीपन-सं० (पु०) उद्दीपन संतापन-I सं० (पु०) 1 जलाना 2 संतप्त करना II (वि०) संदीप्त-सं० (वि.) 1 प्रज्जवलित 2 प्रकाशित संतप्त करनेवाला
संदुष्ट-सं० (वि०) 1कलुषित 2 दुष्ट, कमीना संतापित-सं० (वि०) = संतप्त
संदूक-अ० (पु०) बकस, बक्सा, पेटी। चा + फ्रा० संतापी-सं० (वि०) संताप देनेवाला
(पु०) छोटा संदूक; ची + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) छोटा संतुलन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह तौलना 2 सभी पक्षों का | संदूकचा; ~नुमा + फ़ा० (वि०) संदूक के आकार का यथा स्थान होना
संदूकड़ी-अ० + हिं० (स्त्री०) छोटा बकस संतुलित-सं० (वि०) 1संतुलन हआ 2 बिल्कुल ठीक संदूकी-अ० + फ़ा० (वि०) = संदूकनुमा
3समान प्रभाववाला (जैसे-संतुलित विचार और भावना) | संदूषण-सं० (पु०) कलुषित करना संतुष्ट-सं० (वि०) 1 संतोष किया गया 2 राजी किया गया संदूषित-सं० (वि०) कलुषित किया हुआ (जैसे-संतुष्ट अधिकारी)
| संदृष्ट-सं० (वि०) 1 भली भाँति देखा हुआ 2 निर्दिष्ट
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संदेग्धा
संदेग्धा -सं० (वि०) शक्की स्वभाव का, संदेहालु संदेश - सं० ( पु० ) 1 समाचार, खबर 2 विचार 3 आज्ञा, आदेश 4 कथन | ~ काव्य (पु० ) विरही की विरह वेदना को संदेश के रूप में प्रिय के पास पहुँचाने से संबंधित काव्य; ~वाहक (पु० ) संदेश ले जानेवाला
संदेशा - ( पु० ) समाचार
संदेशी - (वि०) संदेश लानेवाला
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संदेह - सं० ( पु० ) 1 शक़, अनिश्चय 2 ख़तरा 3 साहि० एक अर्थालंकार जिसे देखने पर भी वास्तविकता पर विश्वास न हो सके। जनक (वि०) = संदिग्ध; ~ मुक्त (वि०) संदेह से मुक्ति मिलना वाद (पु० ) प्रत्येक विचार में संदेह रखने का नियम; ~वादी (पु० ) संदेहवाद का समर्थक संदेहात्मक-सं० (वि०) संदिग्ध संदेहार्थक-सं० (वि०) संदिग्ध अर्थ देनेवाला संदेहास्पद - सं० (वि०) संदिग्ध
=
संदोह -सं० ( पु० ) 1 दूध दोहना 2 समूह, झुंड संघा - सं० (स्त्री०) 1 योग, मेल 2 घनिष्ठ संबंध 3 अभिप्राय, आशय 4 निश्चय, करार 5 स्थिति 6 संध्या का समय 7 अनुसंधान, तलाश। ~ भाषा (स्त्री०) वज्रयानी बौद्धों की गूढ़ भाषा, कूटभाषा
संधान सं० (पु० ) 1 निशाना बैठाना 2 मिलाना
संपाद्य
हुआ
संनिविष्ट - सं० (वि०) अच्छी तरह रखा हुआ या बैठाया संनिवेश-सं० (पु०) अच्छी तरह रखना या बैठाना संन्यस्त - सं० (वि०) 1 छोड़ा हुआ 2 जमाया हुआ 3 संन्यास आश्रम में आया हुआ
संन्यास - सं० (पु० ) 1 परित्याग करना 2 हिंदुओं के चार आश्रमों में से अंतिम 3 सीमा से बाहर न निकलने की प्रतिज्ञा (जैसे- गृह संन्यास) । रोग (पु०) मूर्च्छा, कॉमा
संन्यासाश्रम -सं० (पु० ) संन्यास आश्रम संन्यासिनी -सं० (स्त्री०) संन्यास लेनेवाली स्त्री संन्यासी -सं० (पु० ) त्यागी और विरक्त व्यक्ति संपत्काल - सं० (पु० ) ऐश्वर्य का समय, अच्छे दिन संपत्ति - सं० (स्त्री०) 1 धन दौलत, जायदाद (जैसे- संपत्ति का स्वामी) 2 लाभदायक वस्तु (जैसे- पशु संपत्ति, वन संपत्ति) 3 वैभव, ऐश्वर्य । ~कर (पु० ) संपत्ति के विचार से लगाया गया कर; जीवी (पु० ) संपत्ति के आय से आजीविका चलानेवाला; ~दान (पु०) संपत्ति का दान करना; वादी (पु०) इस सिद्धांत का माननेवाला कि संपत्ति का संग्रह जीवन
लिए बहुत आवश्यक है; ~शाली (वि०) वैभववाला, ऐश्वर्यवाला; ~ हस्तांतरण (पु० ) संपत्ति का एक हाथ से दूसरे हाथ में जाना; हीन (वि०) संपत्ति के बिना संपत्तिवान्-सं० (वि०) संपत्तिशाली संपद् -सं० (स्त्री०) 1 काम पूरा होना 2 संपत्ति 3 भंडार (जैसे- शब्द संपद्) 4 सुख-सौभाग्य की स्थिति संपदा -सं० (स्त्री०) 1 धन दौलत 2 ऐश्वर्य, वैभव संपन्न - सं० (वि०) 1 भली भाँति युक्त (जैसे- धन संपन्न, विद्या संपन्न) 2 अमीर, धनी, धनवान् (जैसे संपन्न व्यक्ति) 3 पूर्ण, सिद्ध, साधित 4 पूरा किया हुआ (जैसे संपन्न कार्य) । ता (स्त्री०) संपन्न होने का भाव, युक्तता संपन्नावस्था -सं० (स्त्री०) संपन्न होने की अवस्था संपरीक्षण-सं० (पु०) लेख आदि का अच्छी तरह से जाँच
संधाना - ( पु० ) अचार, खटाई
संधि - सं० (स्त्री०) 1 मेल, संयोग 2 जोड़ 3 गाँठ (जैसे- हड्डियों की संधि) 4 व्या० दो अक्षरों के मिल जाने से होनेवाला वर्ण विकार 5 अवकाश, विराम (जैसे-युग संधि, संधि बेला) 6 दो अवस्थाओं के बीच का समय (जैसे- वयः संधि ) 7 नाटक की पाँचों अवस्थाओं को मिलानेवाले स्थल (जैसे- मुख संधि, प्रतिमुख संधि, गर्भ संधि, अवमर्श संधि तथा निर्वहण संधि) | ~काल (पु० ) दो अवस्थाओं के मिलने का समय चर्चा (स्त्री०) = संधि वार्ता; चोर (पु०) सेंध लगाकर चोरी करनेवाला; चौर्य (पु० ) सेंध मारकर चोरी करना; ~दूषण (पु० ) = संधि भंग; ~पत्र (पु०) सुलहनामा; ~ प्रारूप (पु० ) सुलहनामा का मसौदा; ~भंग (पु० ) संधि का टूटना, संधि तोड़ना; भंजक (पु०) संधि तोड़नेवाला; ~ वात (पु० ) जोड़ों में वायु का रोग; ~ वार्ता. (स्त्री०) संधि की बात करना; विग्रह (पु० ) संधि कार्य; ~ विग्रहक (पु० ) संधि विग्रह करनेवाला; ~विच्छेद (पु० ) 1 संधि तोड़ना 2 व्याकरण के संधिगत शब्दों को अलग अलग करना; वेला (स्त्री०) संध्या, शाम; ~ स्थल (पु० ) 1 सुलह करने का स्थान 2 दो के मिलने की जगह
सांधित - सं० (वि०) संधि युक्त संध्यक्षर-सं० (पु० ) = संधि स्वर
संध्या - सं० (स्त्री०) शाम। ~ काल (पु०) सांयकाल ~कालीन (वि०) संध्याकाल संबंधी भाषा (स्त्री०) दे० संधा भाषा ~ भोजन (पु०) शाम का खाना; ~वंदन (पु०) संध्या पूजा; ~समय (पु० ) शाम स्कूल + अं० (पु० ) शाम को लगनेवाला विद्यालय संध्योपासन-सं० ( पु० ) = संध्या वंदन संध्वनि-सं० (स्त्री०) ज़ोर की आवाज़
=
करना
संपर्क - सं० (पु० ) 1 मेल, संयोग 2 मिश्रण, मिलावट 3 संसर्ग 4 स्पर्श 5 योग। ~ अधिकारी (पु०) प्रजा और सरकार के मध्य संपर्क बनाए रखनेवाला एक राजकीय कर्मचारी; पदाधिकारी (पु० ) = संपर्क अधिकारी; भाषा (स्त्री०) परस्पर मेल जोल के लिए भाषा संपात -सं० (पु० ) 1 गिरना 2 मिलने का स्थान, संगम 3 झपटना, टूट पड़ना 4 घटित होना 5 संपर्क, संसर्ग संपादक - सं० (पु० ) पुस्तक, सामयिक पत्र आदि को संशोधित कर प्रकाशन के योग्य बनानेवाला व्यक्ति, एडिटर । ~ता (स्त्री०) संपादक का कार्य
संपादकत्व - सं० (पु०) संपादक का कार्य और पद संपादकी-सं० + हिं० (स्त्री०) संपादक का काम संपादकीय - सं० (वि०) 1 संपादक संबंधी 2 अग्रलेख संपादन-सं० (पु० ) 1 अच्छी तरह से पूरा करना 2 प्रस्तुत करना 3 ठीक करना 4 प्रकाशन के योग्य बनाना संपादिका -सं० (स्त्री०) स्त्री संपादक
संपादित सं० (वि०) संपादन किया हुआ संपादक संपादी सं० (वि०) संपाद्य-सं० (वि०) संपादन योग्य
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संपीड़क
संपीडक-सं० (पु० ) निचोड़नेवाला
संपीडन - सं० (पु० ) 1 दबाना 2 निचोड़ना 3 मलना, मसलना 4 पीड़ित करना
1 पीड़ित करनेवाला 2 दबाने या
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संपुट-सं० (पु० ) 1 दोना 2 कटोरे जैसी वस्तु 3 हथेली की अंजलि
संपुटिका -सं० (स्त्री०) 1 बंद दवा की टिकिया, कैप्सयूल 2 आभूषणपूर्ण मंजूषा
संपुटी - सं० (स्त्री०) 1 प्याली 2 छोटी कटोरी
संपुष्ट-सं० (वि०) भरा पूरा
संपुष्टि - सं० (स्त्री०) 1 अच्छी तरह होनेवाली पुष्टि 2 परिपुष्टि संपूर्ण सं० (वि०) 1 अच्छी तरह भरा हुआ 2 सारा, पूरा (जैसे- संपूर्ण जगत्)
संपूर्णतः, संपूर्णतया -सं० ( क्रि० वि०) संपूर्ण रूप से संपृक्त सं० (वि०) 1 संबद्ध 2 सटा हुआ संपृष्ट सं० (वि०) जो पूछा गया हो
सँपेरा - (पु० ) मदारी
सँपोला - (पु० ) 1 साँप का छोटा बच्चा 2 ख़तरनाक व्यक्ति. सँपोलिया - (पु० ) = सँपेरा
संपोषण-सं० (पु०) पोषण करना
संप्रज्ञात-सं० (पु०) अच्छी तरह कहा हुआ
संप्रति-सं० (अ०) 1 इस समय 2 ठीक समय पर संप्रत्यय - सं० ( पु० ) 1 दृढ़ विश्वास 2 स्वीकृति संप्रदान-सं० (पु० ) 1 दान देने का भाव 2 शिष्य को गुरु मंत्र देना 3 व्या० आठ कारकों में से चौथा कारक जिसकी विभक्ति 'को' तथा 'के लिए' है
संप्रदाय - सं० (पु० ) 1 परंपरा से चला आया हुआ सिद्धांत या मत 2 परंपरा से चली आ रही प्रथा या रीति 3 उपदेश, मंत्र 4 धर्म के अंतर्गत कोई सिद्धांत या मत (जैसे- वैष्णव संप्रदाय) 5 विशेष धार्मिक मत (जैसे- भारत में अनेक संप्रदाय के लोग रहते हैं) 6 मार्ग, रास्ता । ~वाद (पु०) अपने संप्रदाय को ही महत्त्व देना; वादी I ( वि०) संप्रदाय वाद संबंधी II (पु० ) संप्रदाय वाद का समर्थन करनेवाला या अनुयायी संप्रदायाचार्य -सं० (पु० ) संप्रदाय का आचार्य संप्रदायानुयायी -सं० ( पु० ) संप्रदाय का अनुयायी संप्रदायिकता-सं० (स्त्री० ) = संप्रदायवाद संप्रदायी -सं० (पु० ) संप्रदायानुयायी संप्रभु -सं० (वि०) सर्व प्रधान सत्ताधारी, सर्वेसर्वा (जैसे- संप्रभु राष्ट्र )
संप्रयुक्त - सं० (वि०) 1 जोड़ा हुआ एक साथ किया हुआ 2 मिला हुआ, संबद्ध
संप्रयोग - सं० ( पु० ) 1 एक साथ करना, मिलाना 2 मेल, समागम 3 उपयोग, प्रयोग
=
संप्रवाह - सं० (पु० ) लगातार चलते रहने का क्रम संप्रवृत्ति - सं० (स्त्री०) 1 आसक्ति 2 अनुकरण की इच्छा 3 संघटन
संप्रश्रय-सं० (पु० ) शिष्टता, विनम्रता
संप्राप्त-सं० (वि०) 1 उपस्थित 2 प्राप्त 3 घटित हुआ 4 प्रस्तुत 5 उत्पन्न (जैसे- संप्राप्त यौवन, संप्राप्त जीवन) संप्राप्ति-सं० (स्त्री०) संप्राप्त होने का भाव
संभागीय
संप्रेषक-सं० (पु० ) देखनेवाला, दर्शक संप्रेक्षण-सं० (पु० ) 1 देखना 2 देखभाल करना (जैसे- संप्रेक्षण काल )
संप्रेक्षक-सं० (५०) संप्रेषण करनेवाला यंत्र, पीटर संप्रेषण-सं० (पु० ) 1 भेजना 2 पहुँचाना (जैसे-विद्युत् संप्रेषण, प्रकाश संप्रेषण)
संप्रेषित-सं० (वि०) संप्रेषण किया हुआ संप्रेष्य-सं० (वि०) संप्रेषण योग्य संप्लव -सं० (पु० ) 1 बाढ़ (जैसे-नदी का संप्लव)। 2 आंदोलन, हलचल 3 हो हल्ला 4 समूह संबंध-सं० (पु० ) 1 मेल, मिलना 2 लगाव (जैसे- प्रेम संबंध) 3 रिश्ता (जैसे- पति-पत्नी का संबंध) 4 घनिष्ठता (जैसे- पारस्परिक संबंध) 5 उपयुक्तता (जैसे-पढ़ाई का संबंध) 6 मैत्री (जैसे- पड़ोसी से संबंध बनाना) । ~चिह्न (पु० ) योजक चिह्न ( - ); तत्त्व (पु० ) वाक्य में रचना का शाब्दिक संबंध; ~बोधक, वाचक, वाची (वि०) संबंध का बोध करानेवाला; ~विच्छेद (पु०) संबंध टूटना, संबंध तोड़ना; ~ सूचक (वि०) = संबंध वाचक सूत्र (पु० ) मिलने का साधन
संबंधित सं० (वि०) संबंध कायम हुआ संबंधी - I सं० (पु० ) रिश्तेदार II (वि०) संबंध रखनेवाला (जैसे- गृह संबंधी, नौकरी संबंधी, व्यापार संबंधी) संबद्ध - सं० (वि०) 1 लगा हुआ 2 संबंध रखनेवाला संबंधन -सं० (पु०) जोड़, कनेक्शन संबल-सं० (पु० ) 1 सहारा 2 सहायक वस्तु संबाध - सं० (पु० ) 1 बाधा, अड़चन 2 भीड़, समूह 3 संघर्ष 4 कष्ट, तक़लीफ़
संबुद्ध-I सं० (वि०) 1 ज्ञान प्राप्त 2 जाग्रत 3 ज्ञात II (पु० ) ज्ञानी
संबोध - सं० (पु० ) 1 सम्यक् ज्ञान 2 अच्छी और पूर्ण जानकारी 3 ढारस, सांत्वना
संबोधन -सं० (पु० ) किसी को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द (जैसे- हे राम, राजू मेरी बात सुनो इनमें हे और राजू संबोधन हैं)
संबोधि-सं० (स्त्री०) पूर्ण ज्ञान । गीत (स्त्री०) बोध या जागृति करानेवाला गीत
संबोधित-सं० (वि०) 1 संबोधन किया गया 2 आकृष्ट किया गया
संभरण - सं० (पु० ) 1 पालन पोषण 2 संचय 3 योजना, विधान 4 सामान, सामग्री 5 समायोजन, सप्लाई (जैसे- संभरण विधि, संभरण प्रणाली) सँभलना - (अ० क्रि०) 1 बिगड़ती स्थिति को ठीक करना 2 काबू में रहना 3 सावधान होना 4 टिका रहना 5 रुकना,
थमना
संभव - सं० (वि०) 1 हो सकने योग्य (जैसे-संभव कार्य) 2 जिसके घटित होने की संभावना हो, मुमकिन संभवतः, संभवतया - सं० (अ०) 1 संभव है कि, मुमकिन है कि 2 हो सकता है कि
संभाग - सं० (पु० ) प्रदेश या राज्य का बड़ा भाग, कमिश्नरी संभागीय सं० (वि०) संभाग संबंधी
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संभार
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संरक्षण
अंक
संभार-सं० (पु०) 1संचय 2 साज सामान, सामग्री | संयम-सं० (पु.) 1 रोक, निग्रह, नियंत्रण 2 इंद्रिय निग्रह
3 आयोजन, तैयारी 4 ढेर, राशि 5 पालन पोषण 6 देख रेख, 3 धारणा और समाधि 4 दमन 5 धार्मिक अनुष्ठान या व्रत निगरानी
6 परहेज संभाल-(स्त्री०) 1 हिफाजत, देख रेख 2 व्यवस्था, प्रबंध संयमन-सं० (पु०) = संयम 3 पोषणादि का भार
संयमित-सं० (वि०) संयत संभालना-(स० क्रि०) 1 रोक थाम करना 2 सहारा देना संयमी-I सं० (वि०) संयम में रहनेवाला II (पु०) योगी 3 पालन करना 4 काबू में रखना, सहेजना 5 भार उठाना | संयात्रा-सं० (स्त्री०) 1साथ साथ यात्रा करना 2 समुद्रयात्रा 6 संयत करना
संयुक्त-सं० (वि०) 1 जुड़ा, मिला हुआ 2 संबद्ध 3 संबंधी से संभावना-सं० (स्त्री०) हो सकने का भाव, मुमकिन होना विवाहित 4 संपन्न, सहित 5 एक साथ काम करनेवाला । संभावनार्थ-सं० (पु०) क्रिया का वह रूप जिससे कार्य के ~रचयिता (पु०) एक साथ रचना करनेवाले; ~राष्ट संभव होने का बोध हो
संगठन, राष्ट्र संघ (पु०) विश्व के सभी देशों के संभावनार्थक-सं० (पु०) संभावना का बोध करानेवाला प्रतिनिधियों की संस्था; ~वाक्य (पु०) व्या० वह वाक्य संभावनीय-(वि०) 1 संभावना के योग्य 2 कल्पनीय जिसमें दो या दो से अधिक स्वतंत्र उपवाक्य होते हैं, कंपाउंड संभावित-सं० (वि०) 1विचारित 2 प्रस्तुत किया हुआ
सेंटेंस 3 उपयुक्त, योग्य 4 संभावनीय, संभव
संयुक्तांक-सं० (पु०) (पत्रिका का) एक साथ निकलनेवाला संभाव्य-सं० (वि०) 1 हो सकने योग्य 2 कल्पना योग्य, कल्पनीय
संयुक्ताक्षर-सं० (पु०) दो अक्षरों के मेल से बना अक्षर संभाषक-सं० (पु०) बातचीत करनेवाला
(जैसे-क और त् के योग से बना 'क्त' अक्षर) संभाषण-सं० (पु०) बातचीत, वार्तालाप
संयुक्तीकरण-सं० (पु०) संयुक्त करना संभाषी-सं० (वि०) बातचीत करनेवाला
संयुग-सं० (पु०) 1 मेल, मिलाप 2 संयोग 3 भिड़त 4 युद्ध, संभाष्य-सं० (वि०) बातचीत के योग्य
लड़ाई संभुक्त-सं० (वि०) 1 खाया हुआ 2 प्रयोग में लाया हुआ | संयुत-सं० (वि०) लगा हुआ संभूत-सं० (वि०) 1 उत्पत्र 2 सहित, युक्त 3 उपयुक्त, योग्य । संयोग-सं० (पु०) 1 मिलना, मेल 2 लगाव, संबंध 3 समागम 4 बराबर, समान
4 रति क्रीडा, संभोग (जैसे-काम भावना का संयोग) 5 मिलन संभूति--सं० (स्त्री०) 1संभूत होने का भाव 2 अलौकिक (जैसे-दो दिलों का संयोग) 6 आकस्मिक रूप से घटित
शक्ति 3 वैभव 4 उपयुक्तता, योग्यता 5 बढ़ती, वृद्धि होनेवाली कोई घटना (जैसे-संयोग वश आप भी मेरा साथ संभूयकारी-सं० (पु०) 1 संघ में मिलकर व्यापार करनेवाला छोड़ गए)। प्रधान (वि०) जिसमें संयोग से होनेवाली व्यापारी 2 साथ काम करनेवाला
घटनाओं की प्रधानता हो; वश (वि०) सयोग के आधीन संभूय समुत्थान-सं० (पु०) साझे का कारबार
संयोगात्मक-सं० (वि०) संयोग संबंधी संभृत-सं० (वि०) 1 एकत्र, इकट्ठा किया हुआ 2 भरा हुआ, संयोगावस्था-सं० (स्त्री०) संयोग की स्थिति पूर्ण 3 युक्त, सहित 4 सम्मानित
संयोगी-सं० (वि०) 1 संयोग हआ 2 संयोग के फलस्वरूप संभृति-सं० (स्त्री०) 1 एकत्र करना 2 ढेर, राशि 3 सामान ___होनेवाला 3 साथ साथ रहनेवाला 4 पालन पोषण
संयोजक-[ सं० (वि०) संयोजन करनेवाला || (पु०) संभोग-सं० (पु०) 1 रति क्रीड़ा, मैथुन 2 पूर्ण उपभोग __ 1 व्या० दो शब्दों अथवा वाक्यों को जोड़नेवाला शब्द संभोम्य-सं० (वि०) 1 भोगने योग्य 2 उपभोग के योग्य (जैसे-अथवा, और, या) 2 सभा-समितियों आदि का सदस्य (जैसे-संभोग्य वस्तु)
संयोजन-सं० (पु०) 1 जोड़ना, मिलाना 2 सम्मिलित करना संभोजन-सं० (पु०) 1 मिलकर भोजन करना 2 स्वाद लेना 3 प्रबंध, व्यवस्था संभ्रम-सं० (पु०) 1 बेचैनी, विकलता 2 उतावली, जल्दबाज़ी | संयोजना-सं० (स्त्री०) = संयोजन
3 सहमना, सिटपिटाना 4 ग़लती, भूल-चूक 5 चक्कर खाना संयोजनात्मक-सं० (वि०) संयोजन संबंधी संभ्रांत-सं० (वि०) 1 क्षुब्ध, उत्तेजित 2 संभ्रम में पड़ा हुआ | संयोजनीय-सं० (वि०) संयोजन करने योग्य 3 चक्कर खाया हुआ 4 घबड़ाया हुआ
संयोजिका-सं० (स्त्री०) संयोजन करनेवाली स्त्री संभ्रांति-सं० (स्त्री०) 1 संभ्रांत होने का भाव 2 क्षोभ | संयोजित-सं० (वि०) संयोजन किया हुआ 3चकपकाहट 4 घबड़ाहट
संयोजी-सं० (वि०) संयोजन करनेवाला संमंत्रण-सं० (पु०) अच्छी तरह सलाह मशविरा करना संरक्षक-[सं० (पु०) 1 अभिभावक 2 संस्था आदि का प्रधान संमुद्रण-सं० (पु०) बहुत बढ़िया छपाई करना
व्यक्ति II (वि०) 1 संरक्षण करनेवाला 2 पालन पोषण संमोहन-सं० (पु०) मोहित करना
करनेवाला 3 आश्रय देनेवाला (जैसे-निर्बलों का संरक्षक)। संयंत्र-सं० (पु०) 1 यंत्रों, औज़ारों आदि का समूह 2 कारखाना ~ता (स्त्री०) देखरेख करना (जैसे-संयत्र की स्थापना)
संरक्षण-सं० (पु०) 1 हिफ़ाज़त 2 पालना पोसना 3 रक्षा करना संयत-सं० (वि०) 1 रोका हुआ 2 मर्यादित 3 व्यवस्थित | (जैसे-सरकारी संपत्ति का संरक्षण)। कर (पु०) बाहरी 4 सीमा के अंदर आया हआ 5 इंद्रिय निग्रही 6 बंद किया हुआ | माल पर लगाया जानेवाला कर; ~प्राप्त (वि०) संरक्षित;
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संरक्षणात्मक
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संविभाग
वाद | (पु०) संरक्षण का सिद्धांत II (प०) संरक्षणवाद 4 वार्तालाप। छविकार (३०) पत्रकार-फोटोग्राफर का समर्थक; शुल्क (पु०) - संरक्षण कर
दाता (पु०) 1 संवाद देनेवाला 2 अखबारों में स्थानिक संरक्षणात्मक-सं० (वि०) संरक्षण संबंधी
घटनाओं का विवरण भेजनेवाला व्यक्ति; दाता सम्मेलन संरक्षणीय-सं० (वि०) रक्षा करने योग्य
(पु०) संवाददाता की बैठक; दात्री (स्त्री०) संवाद संरक्षार्थ-सं० (वि०) बचाव के लिए
देनेवाली महिला; ~लेखक (प.) - संवाद दाता संरक्षिका-सं० (स्त्री०) संरक्षक महिला
संवादात्मक-सं० (वि०) संवाद संबंधी संरक्षित-सं० (वि०) संरक्षण किया हुआ
संवादी-सं० (वि०) 1 बातचीत करनेवाला 2 सहमत होनेवाला संरक्ष्य-सं० (वि०) संरक्षण के योग्य
सँवारना-(स० क्रि०) । सजाना 2 सँभालना संरचना-सं० (स्त्री०) 1 सूक्ष्म तत्त्व की बनावट 2 बनावट, संवास-[ सं० (पु०) साथ बसना या रहना रचना
संवास-II सं० (पु०) मकान, घर संराधन-सं० (पु०) 1 आराधना 2 जय जयकार 3 समझा | संवाहक-सं० (वि०) ले जानेवाला, वाहक। ता (स्त्री०) बुझाकर प्रसन्न करना
संवाहक होने का भाव संरुद्ध-सं० (वि०) 1 रोका हुआ 2 घेरा हुआ 3 बंद किया हुआ संवाहन-सं० (पु०) ले जाना, ढोना। साधन (पु०) ढोने 4 ढका हुआ 5 वर्जित 6 भरा हुआ
के साधन संरोध-सं० (पु०) 1 रोक, रुकावट 2 बाधा, अड़चन 3 चारों| संवाहित-सं० (वि०) ले जाया गया ओर से घेरना
संविद-सं० (वि०) 1 चेतन, चैतन्य 2 ज्ञान, बोध, समझ संरोपण-सं० (पु०) 1 पेड़ लगाना 2 घाव भरना
संविदा-सं० (स्त्री०) 1 इकरार, समझौता 2 ठेका। कारी संलक्षण-सं० (पु०) 1 लक्षण निश्चित करना 2 पहचानना (वि०) संविदा करनेवाला; ~पत्र (पु०) इकरारनामा, संलक्ष्य-सं० (वि०) 1 लक्षण से पहचाना जानेवाला 2 जो | समझौता संबंधी पत्र; ~बद्ध (वि०) = संविद् में बँधा हुआ देखा जा सके
संविदित-सं० (वि०) 1 पूर्णतया ज्ञात 2 निश्चित किया हुआ संलग्न-सं० (वि०) 1 मिला हुआ 2 लगा हुआ 3 जुड़ा हुआ, | 3 वादा किया हुआ संबद्ध 4 जोड़ा हुआ
संविदजनित-सं० (वि०) 1 चेतना से उत्पन्न 2 समझौते या संलग्नक-सं० (पु०) साथ लगा हुआ पत्र
करारे के परिणाम स्वरूप होनेवाला संलाप-सं० (पु०) 1 बातचीत, वार्तालाप 2 मन ही मन की | संविमंत्रिमंडल-सं० (पु०) संविद्-सरकार
जानेवाली बात (जैसे-वियोगिनी का संलाप करना) । संविदव्यतिक्रम-सं० (पु०) समझौते को न मानना संलेख-सं० (पु०) 1 लिखित पत्र (जैसे-सरकारी संलेख) संविदसरकार-सं० + फ़ा० (स्त्री०) समझौते के आधार पर
2 पूर्ण संयम 3 पूर्व लेख, प्रोटोकल (संलेख तैयार करना) बनी सरकार संवत्-सं० (पु०) 1 वर्ष, साल 2 गणना क्रमवाली काल गणना | संविधान सं० (पु०) 1 क़ानून के रूप में बने हए मौलिक (जैसे-शक संवत्)
नियम और सिद्धांत (जैसे-भारत का संविधान, संविधान का संवत्सर-सं० (पु०) वर्ष, साल
पालन करना) 2 उत्तम प्रबंध 3 बनावट, रचना (जैसे-सृष्टि का संवत्सरीय-सं० (वि०) संवत् संबंधी
संविधान)। ~असेंबली + अं० (स्त्री०) = संविधान संवदन-सं० (पु०) 1 बातचीत 2 संदेशा 3 आलोचनात्मक परिषद्; ज्ञ (पु०) संविधान का ज्ञाता; परिषद् (स्त्री०) विचार 4 जाँच पड़ताल
राष्ट्र या देश आदि के लिए संविधान बनाने हेतु नियुक्त परिषद् सँवर-बो० (स्त्री०) 1 याद, स्मृति 2 समाचार, खबर 3 हाल, या सभा (जैसे-संविधान परिषद की शीतकालीन बैठक); वृत्तांत
प्रदत्त (वि०) = संवैधानिक; ~वाद (पु०) संविधान के संवरण-सं० (पु०) 1 रोकना 2 निग्रह 3 छिपाना 4 बहाना अनुसार राष्ट्र की शासन व्यवस्था तथा उसकी समरूप करना 5 घेरा 6 छिपाव 7 चुनना
गतिशीलता का सिद्धांत; ~वादी I (वि०) संविधान संबंधी सँवरना-I (अ० क्रि०) 1 ठीक होना 2 सज्जित होना II (स० II (पु०) संविधानवाद का समर्थक; ~शास्त्री (पु०) = क्रि०) स्मरण करना
संविधानज्ञ; ~संशोधन (पु०) संविधान में होनेवाला सुधार; संवर्द्धक-सं० (वि०) वृद्धि करनेवाला
सभा (स्त्री०) = संविधान परिषद् संवर्द्धन-I सं० (पु०) 1 पालन पोषण 2 उन्नत होना | संविधानक-I सं० (पु०) कार्य करने की विशेष विधि II (वि०) बढ़ानेवाला
II (वि०) संविधान करनेवाला संवलन-सं० (पु०) 1 घुमाना 2 मिलाना 3 मोड़ना 4 मिलावट | संविधानिक-सं० (वि०) = संवैधानिक 5घटाए-बढ़ाए जाने की व्यवस्था (जैसे-वायु संवलन) संविधि-I सं० (स्त्री०) 1 व्यवस्था, तैयारी 2 विधान 6 मुठभेड़
II (पु०) विधान सभा द्वारा पारित प्रस्ताव। ~ग्रंथ (पु०) संवलित--सं० (वि०) 1 संकलन किया गया 2 युक्त 3 घिरा प्रस्ताव संग्रह . हुआ 4 भिड़ा हुआ
संविधेय-सं० (वि०) 1 संविधान के योग्य 2 किए जा सकने संवहन-सं० (पु०) ले जाना, ढोना
योग्य संवातन-सं० (पु०) हवादारी
संविभाग-सं० (पु०) 1 ठीक तरह से किया गया विभाग संवाद-सं० (पु०) 1 चर्चा 2 समाचार 3 विवरण, वृत्तांत | 2 मंत्री का कार्यालय और विशिष्ट विभाग, पोर्टफोलियो
कार
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जका
संविभाजन 793
संसार संविभाजन-सं० (पु०) विभाजन
संशोवी-सं० (वि०) 1 सोखनेवाला 2 सुखानेवाला संविहित-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह किया हुआ 2 अच्छी तरह संशोष्य-सं० (वि०) सोखा जाने योग्य नियमित
संश्रय-सं० (पु०) 1 संयोग, मेल 2 लगाव, संपर्क 3 आश्रय, संवत-सं० (वि०) 1 ढका हुआ 2 घेरा हआ 3 लपेटा हुआ शरण 4 अवलंब, सहारा 5 आश्रय या शरण लेने की जगह संवृति-सं० (स्त्री०) संवृत होने का भाव
संश्रयण-सं० (पु०) 1 सहारा लेना 2 पनाह लेना संकृत-सं० (वि०) 1 प्राप्त 2 घटित हुआ 3 सिद्ध किया हआ | संश्रावित-सं० (वि०) सुनाया हुआ 4उत्पत्र
संश्राव्य-सं० (वि०) 1 सुनाने योग्य 2 सनाई पड़नेवाला संवृद्धि-सं० (स्त्री०) 1 बढ़ती, वृद्धि 2 समृद्धि
संश्रित-सं० (वि०) 1 संयुक्त 2 संलग्न 3 संबंध स्थापित किया संवेग-सं० (पु.) 1 चाल की तेज़ी 2 घबराहट, खलबली | हुआ 3 अतिरेक 4 मनोवेग
संश्रुत-सं० (पु०) 1 सुना हुआ 2 सुनाया हुआ संवेगात्मक-सं० (वि०) संवेग संबंधी
संश्लिष्ट-सं० (वि.) = संश्लेषित संवेदन-सं० (पु०) 1 सुख-दुख की अनुभूति या प्रतीति | संश्लेषण-सं० (पु०) 1 जोड़ना, मिलाना 2 बंधन मिलान
2 शरीर के अंगों में उत्पन्न प्राकृतिक स्पंदन (जैसे-मनु का मन करना (जैसे-विचारों का संश्लेषण) विकल हो उठा संवेदन से खाकर चोट)। ~शील (वि.) । संश्लेषणात्मक-सं० (वि०) संश्लेषण संबंधी 1 अनुभवग्राही 2 भावुक, सहृदय
संश्लेषित-सं० (वि०) संश्लेषण किया हुआ संवेदना-सं० (स्त्री०) 1 अनुभूति 2 सहानुभूति (जैसे-हार्दिक | संसक्त-सं० (वि०) 1 मिला हुआ, सटा हुआ 2 संबद्ध संवेदना) 3 समवेदना प्रकट करने का भाव 4 दुःख की 3 आसक्त 4 विषय वासना में लिप्त 5 युक्त, सहित
अनुभूति। -पुस्तक (स्त्री०) सहानुभूति पंजिका संसक्ति-सं० (स्त्री०) संसक्त होने का भाव संवेदी-सं० (वि०) = संवेदनशील
संसज्जन-सं० (पु०) 1 सजाना 2 अस्त्र शस्त्र से सज्जित करना संवेद्य-सं० (वि०) 1 अनुभव करने योग्य 2 जताने योग्य संसत्सचिव-सं० (पु०) = सदन सचिव 3 समझने योग्य
संसत्सदस्य-सं० (पु०) संसद सदस्य संवेष्टक-सं० (पु०) संवेष्टन कर्ता
संसद-सं० (स्त्री०) 1 राज्य सभा लोक सभा का संयुक्त रूप संवेष्टण-सं०, संवेष्टन- (१०) 1 लपेटना 2 ढकना 3 घेरना 2 समाज, सभा 3 समुदाय, निकाय। ~पद्धति (स्त्री०) 4 लपेटने का कपड़ा, बेठन
संसदीय प्रणाली संवेष्टित-सं० (वि०) चारों ओर से घेरा हआ
संसदीय-सं० (वि०) संसद संबंधी संवैधानिक-सं० संविधान संबंधी
संसर्ग-सं० (पु०) 1 संयोग, प्रेम 2 मिश्रण 3 संबंध (जैसे-प्रेम संशप्त-सं० (वि०) शाप ग्रस्त, शापित
संसर्ग) 4 संपर्क (जैसे-जीवन संसर्ग) 5 लगाव, कंटेक्ट संशय-सं० (पु०) = संदेह । ~वाद (पु०) = संदेहवाद; 6 साथ 7 घनिष्ठता (जैसे-मैत्रिक संसर्ग) 8 समीपता, सामीप्य ~वादी (वि०) = संदेहवादी
(जैसे-गुरुजनों का संसर्ग) 9 अवधि, समय (जैसे-दीर्घ संशयात्मक-सं० (वि०) - संदिग्ध
संसर्ग, क्षणिक संसर्ग)। ~ज (वि०) संसर्ग से उत्पन्न संशयित-सं० (वि०) = संशयी
जन्य (वि०) संसर्ग से उत्पन्न होनेवाला; ~दोष (३०) संशयी-सं० (वि.) 1 शक्की स्वभाववाला 2 संशय युक्त संसर्ग से उत्पन्न बुराई; -रोध (१०) 1 लोगों को संक्रामक
3 संशयवाला (जैसे-संशय द्धि या संशयी स्वभाव) रोग आदि से बचाने हेतु बाहर से आए लोगों को अलग रखना संशासन-सं० (पु०) उत्तम राज्य प्रबंध
2 इस कार्य हेतु नियत स्थान; ~विद्या (स्त्री०) 1 व्यवहार संशुद्ध-सं० (वि०) 1 विशुद्ध 2 साफ़ किया हुआ 3 चुकाया कुशलता 2 सामाजिक विज्ञान हुआ .
संसर्गी-सं० (वि०) 1 संसर्ग संबंधी 2 साथी संशुद्धि-सं० (स्त्री०) संशुद्ध होने का भाव
संसाधन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह पूरा करना 2 काम की संशोधक-सं० (वि०) संशोधन करनेवाला
तैयारी, आयोजन संशोधन-सं० (पु०) 1 शुद्ध करना, साफ़ करना 2 ठीक | संसाध्य-सं० (वि०) 1 पूरा करने योग्य 2 आयोजन के लायक
करना, दुरुस्त करना 3रूप बदलना, घटाना-बढ़ाना | संसार-सं० (पु०) 1 दुनिया, जगत, मर्त्यलोक 2 जन्म-मरण (जैसे-विधि, कानून आदि का संशोधन)। ~कर्ता (पु०) (जैसे-संसार का चक्कर) 3 मायाजाल, लौकिक प्रपंच संशोधन करनेवाला व्यक्ति; ~कारी (वि०) संशोधन 4 गहस्थी (जैसे-जाओ पहले अपना संसार सँभालो)। करनेवाला; ~विधेयक (पु०) किसी क़ानून में संशोधन ~~गमन (पु०) जन्म मरण का आवागमन; चक्र (पु०) करनेवाला ऐक्ट
'भवचक्र, संसृतिः प्रसिद्ध (वि०) विश्व विख्यात; संशोधित-सं० (वि०) संशोधन किया हुआ
~बंधन (पु०) माया जाल में फँसना, संसारिक बंधन; संशोधी-सं० (वि०) संशोधन करने वाला
~भ्रमण (पु०) संसार की सैर; ~मोक्ष (पु०) संसृति से संशोध्य-सं० (वि०) संशोधन के योग्य
मुक्ति; यात्रा (स्त्री०) 1 संसार में रहना 2 जीवन बिताना संशोभित-सं० (वि०) = सुशोभित
3 ज़िदगी; विजयी (पु०) संसार को जीतनेवाला; संशोषण-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह सोखना 2 सुखाना -विरत (वि०) संसार को त्यागा हुआ; ~व्यापी (वि०) संशोषित-सं० (वि०) सोखा हुआ
संसार में व्याप्त; ~संग (पु०) संसार के प्रति आसक्ति या
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संसारी
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संहिता मोह; ~सागर (पु०) भवसागर. संसार रूपी समुद्र; ~सुख । संस्कृतेतर-सं० (वि०) संस्कृत से अलग (जैसे-संस्कृतेतर (पु०) भौतिक सुख
शब्दावली) संसारी-सं० (वि०) संसार संबंधी
संस्कृतोद्भव-सं० (वि०) संस्कृत का विकास संसिक्त-सं० (वि०) अच्छी तरह किया हुआ
संस्तंभ-सं० (पु०) 1 एकबारगी रुक जाना 2 स्तब्धता संसूचक-सं० (वि०) 1 भेद प्रकट करनेवाला, रहस्योद्घाटक 3 निश्चेष्टता 4 दृढ़ता 2 अभिज्ञापक, डिटेक्टर
संस्तर-सं० (पु०) 1 तह, परत 2 बिस्तर संसूचना-सं० (स्त्री०) 1 पत्राचार 2 संदेश
संस्तवन-सं० (पु०) 1 स्तुति करना 2 प्रशंसा करना संसृति-सं० (स्त्री०) संसार
संस्तुत-सं० (वि०) 1 प्रशंसित 2 जिसकी स्तुति की गई हो संसृष्ट-I सं० (वि०) 1 एक साथ उत्पन्न, सहजात 2 संयुक्त संस्तुति-सं० (स्त्री०) 1 प्रशंसा 2 भावाभिव्यक्ति की
3 मिश्रित 4 सम्मिलित 5 अत्यंत परिचित 6 संपन्न 7 रचित, आलंकारिक शैली 3 सिफारिश निर्मित 8 इकट्ठा किया हुआ II (पु०) घनिष्ठता, हेलमेल | संस्था-सं० (स्त्री०) 1सभा 2 समिति 3 समूह, मंडली संसृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 संसृष्ट होने का भाव 2 घनिष्ठता, 4 सामाजिक परंपरा 5 रुढ़ि, विधि, नियम 6 राजकीय आज्ञा । हेलमेल 3 मिलावट 4 लगाव 5 बनावट, रचना 6 साहि० दो ~कृत (वि०) निर्धारित, निश्चित; ~गत (वि०) संस्था में या दो से अधिक अलंकारों का इस तरह प्रयोग होना कि वे आया हुआ; ~पन (पु०) 1 निश्चित करना 2 स्थापित करना अलग अलग दिखाई दें 7 संग्रह
3रूप प्रदान करना 4 नियम 5 विधान 6 निर्माण करना संसेक-सं० (पु०) पानी आदि का छिड़काव
संस्थाध्यक्ष-सं० (पु०) 1 व्यापार का निरीक्षक, व्यापाराध्यक्ष संसेचन-सं० (पु०) वीर्य का डिंबाशय में मिलना
2 समाज, समिति या संस्था का प्रधान व्यक्ति संसेचित-सं० (वि०) अच्छी तरह सींचा हआ
संस्थान-सं० (पु०) 1 संस्था 2 अस्तित्व, जीवन 3 निवास संसेवन सं० (पु०) 1 अच्छी सेवा 2 सेवा में उपस्थित रहना स्थान 4 सार्वजनिक स्थान 3 उपयोग, व्यवहार 4 आदर-सत्कार
संस्थापक-I सं० (वि०) संस्थापन करनेवाला II (प०) संसेवा-सं० (स्त्री०) 1 सेवा 2 व्यवहार, उपयोग 3 हाज़िरी | संस्था, समाज का मूल व्यक्ति 4 झुकाव, प्रवृत्ति
संस्थापनीय-सं० (वि०) स्थापित करने योग्य संस्करण-सं० (पु०) 1 संस्कार करना 2 सुधारना 3 अच्छा, । संस्थापित-सं० (वि०) 1 स्थापित किया हुआ 2 बनाया हुआ नया और सुंदर रूप देना 4 आवृत्ति
3 जमाकर बैठाया हुआ 4 संचित संस्कर्ता-सं० (वि०) संस्कार करनेवाला
संस्थाप्य-सं० (वि०) = संस्थापनीय संस्कार-सं० (पु०) 1 व्यवस्थित करना 2 सजाना 3 सुधारना | संस्पर्श-सं० (पु०) अच्छी तरह से होनेवाला स्पर्श 4 शुद्धि, सफ़ाई 5 स्वभाव आदि का परिष्कार 6 अंत्येष्टि क्रिया | संस्पर्शन-सं० (पु०) स्पर्श करना, छूना 7 शुद्ध संबंधी कृत्य 8 मन पर पड़ी छाप 9 पूर्व जन्म के कृत्यों संस्पृष्ट-सं० (वि०) 1 स्पर्श किया हआ 2 समीपस्थ की वासना। ~गत (वि.) संस्कार किया हुआ; ~वर्जित | संस्मरण-सं० (पु०) 1 बार बार स्मरण करना 2 महत्त्वपूर्ण (वि.) संस्कार रहित; ~वादी (वि०) -शील (वि०) । घटनाओं, कृत्यों आदि का उल्लेख संस्कारवाला
संस्करणात्मक-सं० (वि०) संस्करण संबंधी संस्कारक-सं० (१०) संस्कार करनेवाला 2 सुधार | संस्वन-सं० (पु०) सहध्वनि करनेवाला, सुधारक
संहत-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह सटा हुआ 2 घना 3 दृढ़, संस्कारिता-सं० (स्त्री०) संस्कार युक्त होने का भाव मजबूत 4 मिश्रित संस्कृत-[ सं० (वि०) 1 संस्कार किया गया 2 परिमार्जित, संहति-सं० (स्त्री०) । मिलना 2 एकत्र होना 3 ढेर, राशि परिष्कृत 3 निखारा और साफ़ किया हुआ 4 सुधारा हुआ | 4 घनापन 5 जोड़, संधि 6 संघटन 5 सजाया सँवारा हुआ II (स्त्री०) देववाणी (जैसे -संस्कृत | संहर्ता-सं० (पु०) = संहारकर्ता भाषा में लिखित रामायण)। ज्ञ (पु०) संस्कृत का ज्ञाता; |संहार-सं० (पु०) 1 नाश, ध्वंस 2 हत्या (जैसे-दैत्यों का
पन +हिं० (पु०) संस्कृत होने का भाव; प्रचुर (वि०) संहार) 3 परिहार, निवारण। कर्ता (प०) संहार जिसमें संस्कृत शब्दों की अधिकता हो; मूलक (वि०) करनेवाला; ~कारी (वि०) संहार करनेवाला; काल जो संस्कृत पर आधारित हो; ~वाद (पु०) संस्कृत शब्दों को | (पु०) नाश का समय; ~शल (पु०), सामग्री (स्त्री०) प्रयोग करने का समर्थन; -विद्या (स्त्री०) संस्कृत का ज्ञान | नाश करने का सामान (जैसे-संस्कृत विद्या की आवश्यकता); ~वेत्ता (पु०) = | संहारक-सं० (वि०) संहार करनेवाला संस्कृतज्ञ
संहारना-सं० (स० क्रि०) 1 मार डालना 2 ध्वंस करना संस्कृति-सं० (स्त्री०) 1 संस्कृत रूप देने की क्रिया, परिकृति, | संहारी-सं० (वि०) संहार करनेवाला संस्कार 2 अलंकृत करना या सजाना 3 आचरणगत परंपरा । | संहित-सं० (वि०) 1 सम्मिलित 2 संबद्ध 3 संहिता रूप में
~भवन (पु०) भवन जिसमें सांस्कृतिक सामग्री का संग्रह हो | लाया हुआ संस्कृतीकरण-सं० (पु०) 1 संस्कृत करने की क्रिया 2 अन्य | संहिता-सं० (स्त्री०) 1 संयोग, मेल 2 संकलन, संग्रह 3 परंपरा भाषा के शब्दों को संस्कृत रूप देना
से चला आ रहा ग्रंथ 4 वेदों का मंत्र 5 व्या० अक्षरों की संस्कृतीकृत-सं० (वि०) संस्कृत रूप दिया हुआ होनेवाली संधि 6 नियम, विधियों आदि का संग्रह, कोड
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संहिति
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(जैसे-भारतीय दंड संहिता)। बद्ध (वि०) संहिता में बँधा सकूनत-अ० (स्त्री०) निवास स्थान हुआ
सकेत-(वि०) तंग, संकीर्ण संहिति-सं० (स्त्री०) संहति होने का भाव
सकेती-(स्त्री०) कष्ट, आपत्ति सआदत-अ० (स्त्री०) 1 अच्छाई, भलाई 2 सौभाग्य। ~मंद सकोच-बो० (पु०) = संकोच ___ +फ़ां० (वि०) 1 भला, सजन 2 भाग्यशाली, सौभाग्यवान सकोड़ना-(स० क्रि०) बो० = सिकोड़ना सई-अ० (स्त्री०) प्रयत्न, कोशिश
सकोप-सं० (वि०) क्रोधयुक्त, कोपाविष्ट सऊर-अ० बो० (पु०) = शऊर
सकोरा-बो० (पु०) कसोरा सक-अ० बो० (पु०) संदेह
सक्का -अ० (पु०) माशकी, भिश्ती सकट-I (पु०) शकट, छकड़ा II (वि०) बुरा, नीच सक्तु-(पु०) सत्तू सकत-[बो० (खी०) 1 शक्ति, सामर्थ्य 2 वैभव II (अ०) सक्रिय-सं० (वि०) 1क्रिया में लगा हुआ (जैसे-सक्रिया यथाशक्ति, भरसक
कर्मचारी) 2 क्रियात्मक रूप में होनेवाला (जैसे-सक्रिय सकता-I (स्त्री०) 1 शक्ति, ताक़त 2 बूता, क्षमता
नाटक)। ~कारी (वि०) किसी वस्तु को सक्रिय सकता-II अ० (पु०) 1 बेहोशी 2 भौचक्का, 3 स्तब्धता करनेवाला; कृत (वि०) सक्रिय किया हुआ; ता (जैसे-सकते में रह जाना) 3 पद्य में आनेवाला विराम, यति में (स्त्री०) सक्रिय होने का भाव यति भंग नामक दोष
सक्रियीकरण-सं० (पु०) सक्रिय करना सकना-(अ० क्रि०) करने योग्य होना (जैसे-कह सकना, बैठ सक्रोध-सं० (वि०) क्रोधी सकना, पढ़ सकना)
सक्षम-सं० (वि०) समर्थवान् सकपकाना-I (अ० क्रि०) 1 चकित होना, चकपकाना सखत्व-सं० (पु०) 1 सखापन 2 मित्रता 2 हिचकना 3 शरमाना 4 संकोच करना II (स० क्रि०) सखरा-I (पु०) कच्ची रसोई II (वि०) खारा 1 चकित करना 2 असमंजस में डालना 3 लज्जित करना | सखरी-(स्त्री०) कच्चा भोजन, कच्ची रसोई सकर खंडी-फा० +हिं० (स्त्री०) खाँड़, शक्कर
सखा-सं० (पु०) 1साथी, संगी, 2 मित्र, दोस्त 3 सहचर सकरना-(अ० क्रि०) 1सकारा जाना, मंजूर होना 2 माना जाना सहयोगी। पन +हिं० (पु०) सखा होने का भाव सकरिया-(स्त्री०) लाल शकरकंद
सखावत-अ० ( (स्त्री०) 1दानशीलता 2 आर्थिक सकरुण-सं० (वि०) दयाशील
उदारता सकर्मक-सं० (वि०) 1 कर्मयुक्त 2 क्रियाशील
सखित्व-सं० (पु०) = सखापन सकल-सं० (वि०) समस्त, कुल
सखी-सं० (स्त्री०) सहेली, सहचरी। ~भाव (पु०) स्वयं को सकलात-(पु.) 1दुलाई, रजाई 2 उपहार, भेंट 3 सौगात उपास्य देव की पत्नी मानना; ~संप्रदाय (पु०) स्वयं को सकलाती-(वि०) 1 उपहार रूप में दिया हआ 2 अच्छा, आराध्य देव की पत्नी या सखी मानकर उपासना संबंधी एक बढ़िया
शाखा या संप्रदाय सकसकाना-(अ० क्रि०) डर कर काँपना
सखी-अ० (वि०) दाता, दानी (जैसे-सखी से सूल भला जो सकाम-सं० (वि.) 1 कामनायुक्त 2 सफल मनोरथ 3 प्रेम | तुरत दे जवाब)
करनेवाला, प्रेमी (जैसे-सकाम नायिका, सकाम अभिनेता) | सखुन-फा० (पु०) 1 बातचीत, वार्तालाप 2 कथन। 4 कामी (जैसे-सकाम युवती)
तकिया (पु०) तकिया कलाम; ~दाँ (पु०) 1 काव्य का सकामा-सं० (स्त्री०) कामवती स्त्री, कामपीड़िता नारी रसिक या प्रेमी 2 बातचीत को अच्छी तरह समझनेवाला; सकामी-सं० (वि०) । वासना युक्त 2 कामुक
दानी (स्त्री०) सखुनदाँ होने का भाव; ~परवर (पु०) सकार-सं० (पुं०) 'स' वर्ण
बात का धनी; ~फहम (वि०) काव्य मर्मज्ञ; ~फहमी सकारण-सं० (वि.) कारण सहित
+अ० +फा० (स्त्री०) - सखुनदानी; ~~वर (पु०) कवि, सकारना-(स० क्रि०) 1 स्वीकार करना, मंजूर करना 2 मान शायर; ~साज़ (पु०) काव्य रचना करनेवाला, शायर, लेना 3 हंडी पर हस्ताक्षर करके उसे मान लेना
कवि 2 मनगढंत बात कहनेवाला; ~साज़ी (१०) 1 कवि सकारात्मक-सं० (वि०) 1 स्वीकृति का सूचक 2 निश्चयी होने का भाव 2 कविता रचना सकाश-सं० (अ०) समीप, पास
सखेद-सं० (क्रि० वि०) खेद के साथ, अफ़सोस के साथ सकिलना-(अ० क्रि०) बो० 1 सरकना 2 सिमटना 3 समर्थ सख्त-फा० (वि०) 1 कठोर, कड़ा (जैसे-पत्थर की तरह होना 4 पूरा होना
सख़्त) 2 दृढ़, पक्का 3 मुश्किल, कठिन (जैसे-सख्त काम) सकुचाई-(स्त्री०) संकोच, शर्म, लज्जा
4 प्रखर, तीक्ष्णं 5 निष्करुण (जैसे-सख्त दिल, सख्न बर्ताव) सकुचाना-I (अ० क्रि०) 1 लज्जा करना, शर्माना 2 संपुटित | 6 अत्यधिक, बहत ज्यादा (जैसे-सख़्त नालायकी)
होना, बंद होना 3 सिकुड़ना II (स० क्रि०) लज्जित करना सख्ती-फ़ा० (स्त्री) 1 सख्त होने का भाव, कड़ापन सकुचीला-(वि०) 1संकोच करनेवाला 2 शर्मीला
2 कठोरता 3 कठिनता 4 बेरहमी, निष्करुणा सकुचौहाँ-(वि०) लजीला
सख्य-सं० (पु०) 1 सखा होने का भाव 2 मित्रता, दोस्ती सकुटुंब-सं० (वि०) कुटुंब के साथ, सपरिवार
3 समानता, बराबरी 4 इष्टदेव को सखा मानकर की जानेवाली सकुशल-सं० (क्रि० वि०) कुशलतापूर्वक, खैरियत से
भक्ति (जैसे-सूरदास की सख्य भावना या सख्य उपासना)।
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सगंध 796
सज़ा ता (स्त्री०) सख्य होने का भाव; ~भाव (पु०) मैत्री | सचित्र-सं० (वि०) 1 चित्रित 2 चित्रों से युक्त (जैसे-सचित्र भाव, मित्रता की भावना
पुस्तक) सगंध-सं० (वि०) 1 गंध युक्त 2 खुशबूदार
सचिव-सं० (पु०) 1 मंत्री, वजीर 2 संस्था का उत्तरदायी सगपहती-(स्त्री०) साग मिलाकर पकाई गई दाल
व्यक्ति 3 सहायक (जैसे-निजि सचिव) 4 विभाग का सगभत्ता-बो० (पु०) साग मिलाकर पकाया गया भात उच्चाधिकारी (जैसे-वित्त सचिव) सगरा-I बो० (वि०) = सकल
सचिवत्व-सं० (पु०) सचिव का पद और कार्य सगरा-II (पु०) बो० 1 तालाब 2 झील 3 समुद्र सचिवाधिकार-सं० (पु०) सचिवों का शासनकाल सगर्भ-सं० (वि०) सगा, सहोदर
सचिवालय-सं० (पु०) सरकार के सचिवों, मंत्रियों तथा सगर्भा-सं० (स्त्री०) 1 गर्भवती स्त्री 2 सहोदरा
विभिन्न विभाग के प्रधान अधिकारियों आदि के कार्यालयों का सगर्व-सं० (वि०) अभिमानी, घमंडी
समूह, सेक्रेटेरियट सगलगी-(स्त्री०) 1 आत्मीयता प्रदर्शन 2 खुशामद
सचेत-सं० (वि०) 1 चेतन युक्त 2 सावधान (जैसे-सचेत सगवारा-बो० (पु०) गाँव के आसपास तथा उससे संबद्ध । रहना)
सचेतक-I सं० (वि०) सजग करनेवाला || (पु०) सगा-(वि०) 1 एक ही गर्भ से उत्पत्र, सहोदर 2 अपने ही कुल | विधायिका, संसद आदि का अनुशासन संबंधी एक अधिकारी
का (जैसे-सगा चाचा)। ~पन (पु०) आत्मीयतापूर्ण संबंध, | सचेतन-1 सं० (पु०) विवेक युक्त प्राणी 2 चेतन II (वि०) सगा होने का भाव; ~संबंधी +सं० (पुर) निकट के | चेतना युक्त 2 सावधान 3 होशियार, चतुर रिश्तेदार
सचेती-(स्त्री०) सचेत होने का भाव सगाई-(स्त्री०) 1 मँगनी, विवाह का ठहराव 2 नाता, रिश्ता, सचेष्ट-सं० (वि०) चेष्टा युक्त संबंध 3 आत्मीयता और घनिष्ठता का संग 4 घनिष्ठ पारिवारिक सच्चरित्र-सं० (वि०) सदाचारी संबंध
सच्चा-(वि०) 1 सच बोलनेवाला, सत्यवादी (जैसे-सच्चा सग़ीर कबीर-अ० (पु०) छोटे बड़े
विद्यार्थी, सच्चा बालक) 2 विशुद्ध, खरा (जैसे-सच्चा सोना सगुण-सं० (वि०) गुणयुक्त। “ता (स्त्री०) सगुण होने का | 3 दोष रहित (जैसे-सच्चा कथन) 4 असली, वास्तविक भाव
(जैसे-साड़ी पर सच्ची जरी का काम है) 5 संदेह रहित, सगुनाना-(स० क्रि०) शगुन से शुभ-अशुभ फलों का विचार | असंदिग्ध (जैसे-बात का सच्चा)। ~पन (पु०) - सच्चाई करना
सच्चाई-(स्त्री०) सत्यता, सचाई सगुनिया-(पु०) शकुन विचारनेवाला
सच्चित-सं० (पु०) सत् और चित् दोनों से युक्त ब्रह्मा सगुनौती-(स्त्री०) शकुन विचारने का काम
सच्चिदानंद-सं० (पु०) सत् चित् और आनंद स्वरूप प्रभु सगोती-(पु०) एक ही परिवार के लोग
सज-(स्त्री०) 1 सजावट 2 बनावट का ढंग 3 सुंदरता 4 शोभा सगोत्र-सं० (पु०) 1 एक ही पूर्वज से उत्पन्न लोग 2 कुल, वंश (जैसे-सजधज से युक्त नारी। ~दार + फ़ा० (वि०) अच्छी
आकृतिवाला, सुंदर; ~धज (स्त्री०) 1 ठाटबाट 2 बनाव सघन-सं० (वि०) 1 घना, गझिन (जैसे-सघन वन) 2 ठोस श्रृंगार, सजावट
(जैसे-सघन पदार्थ)। ता (स्त्री०) निविड़ता, अविरलता | सजग-(वि०) सतर्क, सावधान। ~कारी + सं० (वि०) सच-(वि०), 1 वास्तविक 2 झुठ रहित, सत्य (जैसे-हम सजग रहनेवाला सबको सच बोलना चाहिए)
| सजन-I (पु०) 1 प्रियतम, पति 2 सज्जन 3 संबंधी II (वि०) सचकित-सं० (वि०) आश्चर्य में पड़ा हुआ, | जन सहित भौचक्का
सजना-I (अ० क्रि०) 1 अलंकत होना 2 फबना, शोभित सचमुच-(अ०) 1 यथार्थतः, ठीक-ठीक 2 अवश्य, निश्चित होना II (स० क्रि०) 1 सजाना 2 व्यवस्थित करना III रूप से (जैसे-सचमुच वह उत्तीर्ण हो गया)
(पु०) प्रियतम (जैसे-सजना की याद आना) सचराचर-सं० (पु०) चर और अचर सभी वस्तुएँ सजनी-(स्त्री०) सखी, सहेली सचल-सं० (वि०) 1 चलता हुआ 2 चंचल (जैसे-सचल | सजल-सं० (वि०) 1 जल से युक्त 2 अश्रुपूरित (जैसे-सजल नेत्र) 3 चलाने की शक्ति से युक्त (जैसे-सचल यंत्र) 4 एक नयन) 3 तरल पदार्थ से युक्त। नयन (वि०) अश्रुपूर्ण स्थान से अन्य स्थान को ले जाना (जैसे-सचल चिकित्सालय) नेत्र सचाई-(स्त्री०) 1 सत्यता 2 वास्तविकता जैसे-सचाई प्रकट न सजवाई-(स्त्री०) 1सजवाने का काम 2 सजवाने का करना)
पारिश्रमिक सवान-(पु०) बाज, श्येन
सजवाना-(स० क्रि०) सजाने का काम कराना सचावट-बो० (स्त्री०) = सचाई
सज़ा-फा० (स्त्री०) 1 दंड 2 बदला 3 कारावास (जैसे-हत्या सचिंत-सं० (वि०) चिंता से युक्त
की सज़ा भुगतना) 4 जुर्माना (जैसे-किताब खो जाने की सज़ा, सचिक्कण-सं० (वि०) बहुत चिकना
झूठ बोलने पर सज़ा)। ~याफ्ता (वि०) 1 दंड पाया हुआ, सचित्-सं० (वि०) ज्ञान युक्त
दंडित 2 सजा पानेवाला (जैसे-सज़ायाफ्ता कैदी); ~याब सचित्त-सं० (वि०) ध्यानमग्न
(वि०) 1दंड का अधिकारी 2 सज़ा का अधिकारी, सज़ा
3 जाति
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सजाई
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सड़ियल
पानेवाला; ~वार (वि०) 1सज़ा के योग्य 2 दंडनीय सटना-(अ० क्रि०) 1 एक साथ लग जाना, मिल जाना सजाई-(स्त्री०) = सजवाई
2 चिपकना सजागर-सं० (वि०) 1 जागता हुआ 2 होशियार, चतुर, सजग सटपट-(स्त्री०) 1 हिचकिचाहट, संकोच 2 द्विविधा सजात-सं० (वि०) 1 किसी जात से उत्पन्न 2 संबंधियों से सटपटाना-I (अ० क्रि०) 1संकोच करना, हिचकिचाना युक्त 3 समान वर्ग का (जैसे-सजात भाई बंधु)
2 भौचक्का होना 3 'सटपट' शब्द करना II (स० क्रि०) सजाति-सं० (वि०) 1 जाति का 2 एक ही प्रकृति का, समान 'सटपट' ध्वनि उत्पन्न करना। स्वभाववाला
सटर पटर-I (वि०) 1 बहुत मामूली 2 तुच्छ II (पु०) सजातीय-सं० (वि०) एक ही जाति का। ~ता (स्त्री०) उलझन, झंझट या बखेड़े का काम सजातीय होने का भाव
सटाना-(स० क्रि०) 1 एक साथ मिलाना (जैसे-पलंग को सजाना-(स० क्रि०) 1 आकर्षक और सुंदर बनाना दीवार से सटाना) 2 चिपकाना (जैसे-दीवार पर पोस्टर सटा (जैसे-बैठक का कमरा सजाना) 2 अलंकृत करना देना) 3 समीप लाना (जैसे-नायिका को सजाना)। बनाना (स० क्रि०) सटिप्पण-सं० (वि०) टिप्पणी सहित 1व्यवस्थित करना 2 सुंदर बनाना
सटियल- (वि०) घटिया, रद्दी सजाव (पु०), सजावट-(स्त्री०) 1 शोभा 2 तैयारी 3 सज्जा, | सटीक-I सं० (वि०) टीका सहित, व्याख्यासहित अलंकरण
__ (जैसे-सटीक रामायण) II (वि०) बिल्कुल ठीक, उपयुक्त सजावटी-(वि०) सजावट संबंधी
सटोरिया-(पु०) सट्टेबाज़, सट्टा खेलनेवाला सजिल्द-सं०+अ० (वि०) जिल्द सहित (जैसे-सजिल्द | सट्टा-(पु०) 1 इक़रारनामा 2 व्यापारियों द्वारा खेला जानेवाला पुस्तक)
एक प्रकार जूआ। बट्टा (पु०) 1 चालबाज़ी 2 छलपूर्ण सज़ीदा-फ़ा० (वि०) योग्य, लायक
मेलजोल सजीला-(वि०) 1 आकर्षक और सुंदर (जैसे-सजीली सट्टी-(स्त्री०) जहाँ एक ही प्रकार की वस्तुओं का व्यापार हो नायिका, सजीला नौजवान) 2 संदर और सडौल
ऐसा बाज़ार, हाट (जैसे-घास की सट्टी, तरकारी की सट्टी) सजीव-I सं० (वि०) 1 जीव युक्त 2 जीवित 3 तेज़, फुर्तीला सट्टेबाज़-हिं० +फा० (पु०) अधिक लाभ के लिए बिना (जैसे-सजीव खिलाड़ी) II (पु०) प्राणी, जीवधारी। -ता जोखिम उठाए सौदा करनेवाला (स्त्री०) 1 तेज़ी, फुर्ती 2 सजीव होने का भाव
सट्टेबाज़ी-हिं० +फ़ां० (स्त्री०) सट्टेबाज़ का काम सजीवन-(पु०) संजीवनी नाम की बूटी
सठियाना-(अ० क्रि०) 1 साठ वर्ष का होना 2 बुड्ढा होना सजूरी-(स्त्री०) एक प्रकार की मीठी पूरी
3 मानसिक शक्ति का ह्रास होना सजोना-(स० क्रि०) बो० = सजाना ।
सठियाव-(पु०) सठिया जाने की अवस्था सज्जन-सं० (पु०) 1 भला आदमी 2 शरीफ़ 3 अच्छे कुल का सड़क-(स्त्री०) मोटर, गाड़ी, टाँगा आदि चलने का पक्का व्यक्ति 4 प्रिय व्यक्ति (जैसे-सज्जनों, मेरी बात सुनिए)।। मार्ग। निर्माण + सं० (१०) रास्ते का निर्माण, मार्ग ता (स्त्री०) सजन होने का भाव
बनाना सज्जा-सं० (स्त्री०) 1साज सामान 2 सजावट (जैसे-गह की सड़न-(स्त्री०) सड़ने की अवस्था (जैसे-फल आदि की सज्जा) 3 पोशाक (जैसे-सैनिक सज्जा)। ~कार (पु०) सड़न)। ~रोक (वि०) सड़न रोकनेवाला सजावट करनेवाला
सड़ना-(अ० क्रि०) 1 दुर्गंधयुक्त होना (जैसे-लाश का सज्जित-सं० (वि०) 1 सजा हुआ, अलंकृत 2 सामान आदि से सड़ना) 2 काम के योग्य न रह जाना (जैसे-फल, सब्जी का युक्त, तैयार (जैसे-सज्जित सेना)
सड़ना) 3 हीनावस्था में पड़े रहना (जैसे-जेल में कैदियों का सज्जी (स्त्री०), सजीखार-(पु०) मिट्टी के रंग रूप का एक सड़ना) प्रकार का प्रसिद्ध क्षार
सड़सठ-I (वि०) साठ से सात अधिक II (पु०) '67' की सज्ञान-सं० (वि०) 1 ज्ञानवाला 2 समझदार 3 प्रौढ़, वयस्क, संख्या बालिग 4 सचेत, सावधान
सड़सी-(स्त्री०) = सँड़सी सटक-(स्त्री०) 1 खिसकने का भाव 2 डंठल 3 मुड़नेवाला सडाँध-(स्त्री०) = सड़ायँध
सड़ागला-(वि०) सड़ा और गला सटकना-I (अ० क्रि०) धीरे से खिसक जाना, चंपत होना, सड़ान-(स्त्री०) = सड़न रफूचक्कर होना II (स० क्रि०) कूटना, पीसना
सड़ाना-(स० क्रि०) 1 दुर्गध उत्पन्न कराना (जैसे-खाद सटकाना-(स० क्रि०) 'सट' 'सट' की आवाज़ पैदा करना सड़ाना, आम सड़ाना) 2 दुर्गति करना (जैसे-जेल में कैदियों (जैसे-कोड़ा सटकाना)
को सड़ाना) सटकारना-(स० क्रि०) 1 छड़ी आदि से मारना 2 झटकारना | सड़ायध-(स्त्री०) सड़ने से उत्पन्न बदबू, सडाँध सटकारी-(स्त्री०) पतली और लचकदार छड़ी
सड़ाव-(पु०) = सड़न सटक्का -(पु०) झपट, दौड़ (जैसे-सटक्का मारना)। सड़ासड़-अ० 'सड़' शब्द के साथ (जैसे-सड़ासड़ मारना, ~मारना तेज़ी से दौड़ना
सड़ासड़ कोड़े लगाना) सड़ियल-(वि०) 1 सड़ा हुआ 2 अत्यंत निम्न कोटि का
नैचा
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सत्
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सत्तू
हार
सत्-सं० (वि०) 1 सच, सत्य 2 साधु, सज्जन 3 उत्तम, श्रेष्ठ | का पर्व और उसका गंगा स्नान) (जैसे-सत् मार्ग, सत् पथ)
सतून-फा० (पु०) खंभा, स्तंभ सत-I (वि०) यथार्थ, सत्य II (पु०) सच्चाई, यथार्थता सतृष्ण-सं० (वि०) 1 प्यासा 2 इच्छुक (जैसे-सतृष्ण आँखें) (जैसे-सत पर अडिग रहना) । गुरु (पु०) सच्चा शिक्षक; सतेज-सं० (वि०) 1 कांतियुक्त (जैसे-सतेज मुखमंडल)
जुग (पु०) = सत्ययुग; ~युग सं० = सत्ययुग 2जीव शक्ति संपन्न (जैसे-सतेज बालक, सतेज प्राणी) सत-(पु०) सात की संख्या, '7' (जैसे-सतपदी, सत कोना)। सतोगुण-(पु०) अच्छे और सरल कर्मों की ओर प्रवृत्त
~कोन (वि०) सात कोणवाला; ~खंडा (वि०) सात | करनेवाला गुण खंडवाला; ~गुना (वि०) सात का गुणा किया हुआ | सतौला-(पु०) बो० प्रसूता स्त्री का सातवें दिन किया जानेवाला (जैसे-चार का सतगुना अट्ठाइस होगा); -फेरा (पु०) = स्नान सप्तपदी; ~रंगा I (वि०) सात रंग का (जैसे-सतरंगा| सतौसर-(पु०) = सतलड़ी कपड़ा) II (पु०) इंद्रधनुष; लड़ी (स्त्री०) सात लड़ियों सत्करण-सं० (पु०) 1 आदर सत्कार करना 2 अंत्येष्टि कर्म का हार
सत्कर्ता-सं० (पु०) = सत्कारक सतत-सं० (अ०) हमेशा, सदा, सर्वदा (जैसे-सतत परिश्रम सत्कर्म-सं० (पु०) 1 अच्छा काम 2 पुण्य का काम करते रहना चाहिए)
सत्कार-सं० (पु०) 1 खातिरदारी तथा सेवा 2 आदर सम्मान सतथ्य-सं० (वि०) सच्चाई के साथ
और सेवा सतनजा-I (पु०) सात भिन्न प्रकार के अनाज का मिश्रण III सत्कारक-सं० (वि०) सत्कार करनेवाला (वि०) अनेक प्रकार के मिश्रण से बना ।
सत्कार्य-सं० (वि०) 1 सत्कार के योग्य 2 जिसकी अंत्येष्टि की सतर-I अ० (स्त्री०) 1 लकीर, रेखा 2 अवली, कतार, पंक्ति । जाए
बंदी +फ़ा० (स्त्री०) कतार में रहना, पंक्ति बद्ध रहना सत्कीर्ति-सं० (स्त्री०) नेकनामी, यश, उत्तम कीर्ति सतर-II अ० (पु०) 1 छिपाव 2 गुप्तांग। ~पोश +फा० सत्कुल-सं० 1 (वि०) उत्तम कुल का II (पु०) उच्च कुल, (वि०) तन ढाँकनेवाला
बड़ा ख़ानदान सतर्क-सं० (वि०) 1 सचेत, सावधान 2 तर्कयुक्त, तर्कपूर्ण | सत्कृत-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह किया हआ 2 सत्कार किया 3 तर्ककुशल, विवेकशील। ~ता (स्त्री०) सतर्क होने का | गया भाव
सत्कृति-सं० (स्त्री०) उत्तम कृति, सत्कर्म सतवंती-(स्त्री०) सती और साध्वी स्त्री
सत्त-(पु०) 1 असली तत्त्व, रस (जैसे-मुलेठी का सत्त, गेहूँ का सतसई-(स्त्री०) सप्तशती (जैसे-बिहारी की सतसई) सत्त) 2 शक्ति, बल शरीर का सत्त 3 मुख्य उपयोगी तत्त्व सतह-अ० (स्त्री०) 1 वस्तु का ऊपरी भाग या विस्तार, लेविल | सत्तम-सं० (वि०) 1 सबसे अधिक अच्छा 2 सर्वश्रेष्ठ (जैसे-समुद्र की सतह) 2 केवल लंबाई और चौड़ाई से युक्त सत्तर-I (वि०) साठ से दस अधिक II (पु०) '70' की कोई वस्तु 3 तल। -ज़मीन +फ़ा० (स्त्री०) पृथ्वीतल संख्या सतहत्तर-I (वि०) सत्तर से सात अधिक II (पु०) '77' की
सत्ता-[सं० (स्त्री०) 1 अस्तित्व, हस्ती (जैसे-मानव की सत्ता. संख्या
सत्ता का होना) 2 शक्ति, सामर्थ्य (जैसे-सामाजिक सत्ता, सतही-अ० (वि०) सतह संबंधी
सत्ता का अभाव) 3 अधिकार, प्रभुत्व 4 प्रभुसत्ता, सावरेंनटी सताना-(स० क्रि०) 1 कष्ट देना, दुःख देना (जैसे-गरीब को (जैसे-सत्ता की बागडोर सँभालना)। ~ग्रहण (पु०) सत्ता सताना) 2 परेशान करना (जैसे-मित्र को सताना)
हथियाना; ~च्युत (वि०) सत्ता से हटाया हुआ; ~धारी सतालू-(पु०) 1 आड़ का पेड़ 2 आड़
(वि०) सत्ता हथियानेवाला; ~लोलुप (वि०) सत्ता का सतासी-(वि०/पु०) = सत्तासी
लालची, सत्ता चाहनेवाला; ~वाद (पु०) ये मत कि किसी सती-सं० 1 (वि०) 1 पतिव्रता, साध्वी 2 पति की चिता संग | सत्ताधारी की सभी बातें मान लेनी चाहिए; ~शाली (वि०) जल जानेवाली, सहगामिनी II (स्त्री०) 1 पति परायण स्त्री, = सत्ताधारी; ~शाही + फ़ा० (स्त्री०) एकतंत्र राज्य साध्वी 2 सहगामिनी स्त्री III (पु०) 1 सत्धर्म का पालनकर्ता | सत्ता-II (पु०) ताश का सात बूटियोंवाला एक पत्ता 2 सात्विक वृत्तिवाला महात्मा, साधु (जैसे-बड़े-बड़े जोगी, | (जैसे-पान का सत्ता) जती और सती भी ईश्वर की महिमा को न जान सके)। | सत्ताईस-I (वि०) बीस से सात अधिक II (पु०) '27' की
प्रथा (स्त्री०) सती होने की परंपरा; ~व्रता (स्त्री०) सती | __ संख्या होने का भाव; ~साध्वी (स्त्री०) पतिव्रता नारी (जैसे-सती | सत्ताधिकारी-सं० (पु०) = सत्ताधारी साध्वी की साधना)
सत्ताधीश-सं० (पु०) सत्तावाला सतीत्व-सं० (पु०) सती का धर्म, पतिव्रत्य। हरण (पु०) | सत्तानवे-I (वि०) सौ से तीन कम II (पु०) '97' की संख्या 1 सती का धर्म नष्ट करना 2 सती के साथ किया गया | सत्तारूढ़-सं० (वि०) सत्ता पर आरूढ़, सत्ता प्राप्त बलात्कार
सत्तावन-I (वि०) पचास से सात अधिक II '57' की संख्या सतीर्थ-सं० (पु०) सह अध्यायी, सहपाठी
सत्तासी-I (वि०) अस्सी से सात अधिक II (पु०) '87' की सतुआ-(पु०) बो० = सत्तू। ~संक्रांति +सं० (स्त्री०) प्रायः | संख्या
वैशाख में पड़नेवाली मेष की संक्रांति (जैसे-सतुआ संक्रांति | सत्तू-(पु०) भुने हुए जौ, चने आदि का आटा। बाँधकर
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सत्त्व
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सदर
पीछे पड़ना निरंतर चेष्टा शील रहना, पूरी तैयारी से काम में | सत्यान्वेषण-सं० (पु०) सत्य की खोज लगना (जैसे-बदला लेने के लिए वह सत्तू बाँधकर पीछे पड़ सत्यापक-सं० (वि०) प्रमाणित करनेवाला गया है)
सत्यापन-सं० (पु०) 1 सत्य की जाँच पड़ताल 2 प्रमाणादि की सत्त्व-सं० (पु०) = सत्व
जाँच करना, प्रमाणित करना सत्थी-बो० (स्त्री०) जाँघ का मोटा भाग
सत्यापित-सं० (वि०) 1 सत्यापन किया हआ 2 प्रमाणित सत्पथ-सं० (पु०) 1 उत्तम मार्ग 2 उत्तम पंथ 3 अच्छा किया गया आचरण, सदाचार
सत्यासत्य-सं० (पु०) सत्य और असत्य सत्परामर्श-सं० (पु०) सही सलाह मशविरा
सत्येतर-सं० (वि०) सत्य से भिन्न, मिथ्या सत्पात्र-सं० (पु०) 1 योग्य अधिकारी या व्यक्ति 2 श्रेष्ठ और सत्र-सं० (पु०) 1 नियत काल, सेशन 2 विकट समय सदाचारी व्यक्ति
(जैसे-1980 सत्र में अकाल पड़ा था) 3 गरीबों को भोजन सत्पुरुष-सं० 'पु०) सदाचारी और योग्य व्यक्ति (जैसे-सत्पुरुष मिलने का स्थान (जैसे-अन्न सत्र) 4 बैठक, अधिवेशन । के लक्षण)
न्यायालय (पु०) 1 सेशन कोर्ट 2 हत्या संबंधी निर्णय देने सत्यंकार-सं० (पु०) 1 वादा पूरा करना 2 पेशगी रूप में दिया की अदालत गया धन 3 संविदा आदि को सत्य ठहराना
सत्रह-I (वि०) दस से सात अधिक II (पु०) '17' की सत्य-I सं० (वि०) 1 सच, यथार्थ (जैसे-सत्य बोलना, सत्य संख्या वाणी) 2 यथातथ्य 3 विश्वस्त (जैसे-सत्य विचार) | सत्रारंभ-सं० (पु०) सत्र का आरंभ 4 वास्तविक, असल (जैसे-घटनाओं का सत्य निरूपण) II सत्रावसान-सं० (पु०) सत्र का ख़त्म होना (पु०) 1 वास्तविक तथ्य या बात (जैसे-सत्य क्या है, ईश्वर सत्व-सं० (पु०) 1 अस्तित्व 2 स्वभाव 3 प्राण वायु 4 मूल तत्व ही जाने) 2 पारमार्थिक सत्ता (जैसे-सत्य की तलाश, सत्य की 5 सत्य, यथार्थता 6 शक्ति 7 प्रकृति के तीन गुणों में से एक पहचान) 3 यथार्थता, सच्चाई (जैसे-सत्य की परख करना) और सर्वोच्च गुण। ~गुण (पु०) साधु और विवेकशील 4 प्रमाणित सिद्धांत (जैसे-ईश्वर स्वंय ही सत्य है) 5 अच्छाई प्रकृति; ~गुणी (वि०) साधु और विवेकी (जैसे-सत्य का अनुसरण करना)। ~अन्वेषी (वि०) सत्य सत्संकल्प-सं० (पु०) अच्छे अभिप्राय वाला की तलाश करनेवाला, सत्य को खोजनेवाला; ~काम सत्संग-सं० (पु०) 1 भली संगत, अच्छी सोहबत 2 साधु, (वि०) सत्य की कामना करनेवाला; ~ता (स्त्री०) 1 सत्य महात्माओं का संग होने का भाव 2 वास्तविकता; ~दर्शन (पु०) सत्य को सत्संगति-सं० (स्त्री०) 1 उत्तम साथ 2 सत्संग देखना, परखना; ~दी (वि०) सत्यासत्य का विवेक सत्संगी-सं० (वि०) 1 सत्संग संबंधी 2 मेल जोल रखनेवाला करनेवाला; -निष्ठ (वि०) सत्य में आस्था रखनेवाला; सत्संबंध-सं० (पु०) सही और सच्चा संबंध
निष्ठा (स्त्री०) सत्यनिष्ठ होने का भाव; परायण सत्साहस-सं० (पु०) अच्छा काम करने की हिम्मत (वि०) = सत्यनिष्ठ; ~प्रतिज्ञा (वि०) प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहने सथिया-I (पु०) = स्वस्तिक चिह्न (4)
और उसका पालन करनेवाला; ~युग (पु०) पौराणिक काल सथिया-II (पु०) शल्य चिकित्सक, सर्जन गणना के अनुसार चार युगों में से पहला युग; ~युगी (वि०) सदना-अ० (पु०) 1 ईश्वर के नाम पर दी गई वस्तु 2 उतारा सत्ययुग से संबंधित; ~लोक (पु०) ब्रह्मलोक; ~वाद
3 निछावर (पु०) 1 सत्य पर अडिग रहना 2 सत्य कहना; ~वादिनी सदन-सं० (पु०) 1 निवास स्थान 2 घर, मकान 3 आश्रय स्थल (स्त्री०)/(वि०) सत्य बोलनेवाली; ~वादी (वि०) 1 सच (जैसे-गौ सदन) 4 सुभीते का स्थान (जैसे-सेवा सदन) बोलनेवाला 2 सत्यवाद संबंधी 3 सत्यनिष्ठ 4 धर्मनिष्ठ; 5 विधान सभा या संसद् का अधिवेशन संबंधी स्थान 6 इस ~वृत्ति (स्त्री०) सत्य का आचरण; ~शोध (पु०) = स्थान पर होनेवाली सभा या बैठक या इसमें उपस्थित सत्यान्वेषण; ~संकल्प (वि०) दृढ़ संकल्प, दृढ़ प्रतिज्ञा;
सदस्यगण। नेता (पु०).संसद या विधान सभा का साक्षी (पु०) प्रत्यक्ष या विश्वस्त गवाह
निर्वाचित नेता; ~सचिव (पु०) विधान सभा या लोक सभा सत्यतः-सं० (अ०) सचमुच, दरअसल, वस्तुतः
का वैतनिक सदस्य, संसद सचिव सत्यवान्-सं० (वि०) सत्यवाला
सदना-(अ० क्रि०) बो० 1 रसना, चूना 2 नाव में छेद से पानी सत्यांश-सं० (पु०) सत्य का अंश
आना सत्याग्रह-सं० (पु०) 1 सत्य हेतु किया गया हठ 2 अहिंसात्मक सदबर्ग-फा० (पु०) हज़ारों गेंदा नामक पौधा और उसके फूल कार्रवाई
सदमा-अ० (पु०) 1 धक्का , चोट, आघात 2 दिल पर सत्याग्रही-I सं० (वि०) सत्याग्रह करनेवाला II (पु०) लगनेवाली चोट, दुःख, शोकाघात । -उठाना हृदय पर हुए सत्याग्रह करनेवाला व्यक्ति
आघात को सह लेना; पहुंचना चोट लगना सत्यानाश-सं० (पु०) सर्वनाश, बर्बादी, मटियामेट
सदय-सं० (वि०) दयालु सत्यानाशी-सं० (वि०) सत्यानाश करनेवाला
सदर-[अ० (वि०) प्रधान, मुख्य (जैसे-सदर बाज़ार, सदर सत्यानास-(पु०) = सत्यानाश
अमीन) II (पु०) 1 सर्वोच्च स्थान 2 सबसे बड़ा शासक, सत्यानुत-सं० (पु०) 1 झूठ और सच का मेल 2 रोज़गार. प्रधान शासक 3 सभा का सभापति 4 उच्च पदस्थ लोगों के व्यापार
बैठने का स्थान III (अ०) ऊपर। ~अदालत (स्त्री०)
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सदरी 800
सधाना मुख्य अदालत; ~आला (पु०) छोटा जज; दरवाज़ा | सदृश-सं० (वि०) 1 समान, एक जैसा 2 योग्य, उपयुक्त मुख्य फाटक; नशीन फा० (पु०) सभा का सभापति; 3 उचित। ता (स्त्री०) 1सदृश होने की स्थिति
बाज़ार + फा० (पु०) ख़ास बाज़ार; ~मक़ाम (पु०) ___ 2 समानता, तुल्यता मुख्यालय, हेडक्वार्टरस; ~मालगुज़ार + अ० + फा० सदेह-[सं० (वि०) 1शरीर से युक्त 2 प्रत्यक्ष, मूर्तिमान (पु०) सरकार को मालगुज़ारी देनेवाला व्यक्ति; ~मुकाम | II (क्रि० वि०) शरीर धारण करने की अवस्था में (पु०) = सदर मक़ाम
सदैव-सं० (क्रि० वि०) सदा, हमेशा सदरी-अ० (स्त्री०) बिना आस्तीन की करती
सदोष-सं० (वि०) 1 दोषी 2 दोषयुक्त सदसत्-[सं० (वि०) 1 सत् और असत् 2 सच और झूठ सदगति-सं० (स्त्री०) 1 अच्छी हालत 2 मुक्ति 3 सदाचरण 3 अच्छा और बुरा II (पु०) 1 अस्तित्व और अनास्तित्व सदगुण-सं० (पु०) अच्छा गुण 2 सच्ची और झूठी बात 3 अच्छाई और बुराई
सदगुरु-सं० (पु०) 1 अच्छा और श्रेष्ठ गुरु 2 परमात्मा सदसद्विवेक-सं० (पु०) अच्छे और बुरे की पहचान, भले बुरे | (जैसे-अंतर्मन में सदगुरु का दर्शन) का ज्ञान
सदग्रंथ-सं० (पु०) सन्मार्ग बतलानेवाली पुस्तक सदस्य-सं० (पु०) सभा, संस्था, समाज से संबंध रखनेवाला सदज्ञान-सं० (पु०) अच्छा ज्ञान व्यक्ति, सभासद, मेंबर (जैसे-लोक सभा का सदस्य, लोक सदबुद्धि-सं० (स्त्री०) अच्छा विवेक सेवा आयोग का प्रधान सदस्य)। ता (स्त्री०) सदस्य होने सदभाम्य-सं० (पु०) अच्छा भाग्य का भाव; ~ता शुल्क (पु०) सदस्य होने का चंदा सदभाव-सं० (पु०) शुभ भाव सदस्या-सं० (स्त्री०) महिला सदस्य
सदभावना-सं० (स्त्री०) 1 हित की भावना 2 छल-कपट सदस्यीय सं० (वि०) सदस्य संबंधी (जैसे-बारह सदस्यीय आदि से रहित विचार टीम, चार सदस्यीय समिति)
सदभावी-सं० (वि०) 1 सदभाव से युक्त 2 सदाशयी सदहा-फ़ा० (वि०) सैकडों, बहुत से
सदम-सं० (१०) 1रहने का स्थान 2 घर सदा-I (क्रि० वि०) 1 हर समय, हर वक्त 2 लगातार, निरंतर | सद्यः-सं० (अ०) 1 आज ही 2 इसी समय, अभी 3 तुरंत, 3 हर स्थिति में
तत्काल (जैसे सद्यः प्रसूता)। ~गृहीत (वि०) = सद्यः सदा-II अ० (स्त्री०) 1 आवाज़ 2 पुकार
प्राप्त; जात (वि०) जो तुरंत उत्पन्न हुआ हो (जैसे-सद्यः सदाक़त-अ० (स्त्री०) सत्यता, सच्चाई
जात कन्या); ~प्रसूत (वि०) तुरंत का जन्मा हआ; सदाचरण-सं० (पु०) अच्छा चाल चलन
प्रसूता (वि०/स्त्री०) हाल ही में बच्चा जननेवाली; सदाचार-सं० (पु०) अच्छा व्यवहार। ~संहिता (स्त्री०) प्राप्त (वि०) तुरंत पाया हुआ; ~मृत (वि०) अभी का नैतिक आचरण की नियम पुस्तिका
मरा हुआ; रंजित (वि.) तुरंत का रंगा हआ (जैसे-सद्यः सदाचारिणी-सं० [ (स्त्री०) सच्चरित्र नारी II (वि०) अच्छे रंजित तस्वीर) चाल चलनवाली
सद्यस्क-सं० (वि०) 1 वर्तमान काल का 2 इसी समय का सदाचारिता-सं० (स्त्री०) सदाचारी होने का भाव ___ 3 ताजा 4 अजेट, आवश्यक सदाचारी-सं० (वि०) 1 अच्छे आचरणवाला 2 सवत्तिशील | सद्योजात-सं० (पु०) नवजात शिशु सदाफल-सं० (वि०) सदा फल देनेवाला (वृक्ष) सद्वंशज-सं० (वि०) अच्छे कुल में उत्पन्न, कुलीन सदाबहार-सं० + फा० (वि०) 1 सदा हरा भरा रहनेवाला सदवृत्ति-सं० (स्त्री०) सदव्यवहार, सदाचार 2 जिसमें सदा फूल लगते रहें ।
सदव्यवहार-सं० (पु०) सदाचार, अच्छा चाल चलन सदाभव-सं० (वि०) हमेशा होनेवाला निरंतर
सदव्रत-सं० (वि०) सदाचारी सदारत-अ० (स्त्री०) = सभा पतित्व
सधना-(अ० क्रि०) 1 सिद्ध होना, पूरा होना 2 उद्देश्य पूर्ति सदावर्त-(पु०) नित्य भोजन बाँटना
होना, मतलब पूरा होना (जैसे-काम सधना) 3 अभ्यस्त होना सदावर्ती-(वि०) सदावर्त का पालन करनेवाला
(जैसे-हाथ सधना) 4 निश्चित या नियत स्थान पर लगना सदाशय-सं० (वि०) उच्च विचारोंवाला, सज्जन। -ता (जैसे-निशाना सधना) 5 कार्य हेतु उपयुक्त होना (स्त्री०) सज्जनता
(जैसे-साइकिल पर शरीर सधना) 6 संभलना 7 नापा जाना, सदा सुहागिन-I (स्त्री०) सदा सौभाग्यवती रहनेवाली स्त्री || साधा जाना (जैसे-तराजू सधना) (वि०) सदा सौभाग्यवती रहनेवाली
सधन्यवाद-सं० (क्रि० वि०) धन्यवाद के साथ सदाहरित-सं० (वि०) - सदा हरित
सधर्मक-सं० (वि०) 1 एक ही प्रकार का 2 समान, तुल्य सदिच्छा-२० (स्त्री०) हार्दिक इच्छा
3 सच्चा और सरल 4 समान धर्म का अनुयायी सदी-फा० (स्त्री०) 1 शताब्दी, शती (जैसे-पहली सदी,. सधर्मा-सं० (वि०) समान गुण और धर्मवाला
बीसवीं सदी) 2 सौ वस्तुओं का समूह, सैकड़ा सधर्मिणी-सं० (स्त्री०) पत्नी, भार्या । सदुद्देश्य-सं० (पु०) अच्छा उद्देश्य ।
सधर्मी-सं० (वि०) समान धर्म का अनुयायी सदुपदेश-सं० (पु०) 1 अच्छा उपदेश, उत्तम शिक्षा 2 बढ़िया सधवा-सं० (स्त्री०) सुहागिन, सौभाग्यवती सलाह
सधाना-(स० क्रि०) 1साधने का काम कराना 2 पालत सदुपयोग-सं० (पु०) सत्यकार्य में लगाना
बनाकर आचरण सिखाना 3 अनुकूल बनाने के लिए परचाना
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प्राप्त
सन्
801
सपरिवार सन्-अ० (पु०) साल, वर्ष
सत्रति-सं० (स्त्री०) 1 झुकाव 2 नाता 3 कृपादृष्टि 4 मन की सन-I (पु०) एक प्रसिद्ध पौधा जिसके रेशे से बोरे आदि बनते | __ प्रवृत्ति
सत्रद्ध-सं० (वि०) 1कसकर बंधा हुआ 2 कटिबद्ध 3 उद्यत, सन-II (स्त्री०) वेग से निकल जाने का शब्द
तैयार 4 संलग्न 5 पास का सनक-(स्त्री०) 1 पागलपन, खब्त 2 धुन, झोंक। ~आना | सन्नयन-सं० (पु.) पास लाना 2 संबद्ध करना। ~कार
पागल होना; चढ़ना, सवार होना धुन सवार होना (३०) अभिहस्तांतरण करनेवाला; लेखन (३०) सत्रयन सनकना-(अ० क्रि०) 1 पागल होना 2 पागल की बड़ बड़ विषयक लेख्य आदि लिखना करना
सन्नाटा- (पु.) 1 स्तब्धता, · चुप्पी. मौन 2 निर्जनता सनकी-I (वि०) 1 पागल 2 झक्की
3निस्तब्धता, नीरवना सनकी-II (स्त्री०) आँख का इशारा। ~मारना आँख से । सन्नाटा-II (प) 1 हवा चलने का शब्द 2 सनसनाहट इशारा करना
सनादी-सं० [ (पु०) व्या० स्वर की महायता मे उच्चारित सनद-अ० (स्त्री०) 1 प्रमाण पत्र 2 प्रमाणिक कथन या बात। अक्षर या वर्ण (जैसे-क.ख,ग, आदि) II (वि०) 1 नाद से प्राप्त + सं०, न्याफ्ता + फ़ां० (वि०) प्रमाण पत्र युक्त 2 स्वर से युक्न
| सन्नाह-सं० (पु०) 1 कवच 2 प्रयत्न, उद्योग सनदी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 सनद संबंधी 2 सनद प्राप्त | सन्निकट-सं० (अ०) बिल्कुल पास, अत्यंत समीप किया हुआ 3 प्रामाणिक
| सत्रिकर्ष-सं० (पु०) 1 संबंध, लगाव 2 समीपता 3 नाता, सनना-(अ० क्रि०) 1 गूंधा जाना 2 सम्मिलित किया जाना | रिश्ता 4 आधार. आश्रय (जैसे-मुझे इस मामले में क्यों सान रहे हो) 3 लथपथ होना | सन्निधान-सं० (पु.) 1 अलग अलग रखना 2 निकटता, (जैसे-खून में सनना) 4 लीन होना
समीपता 3 स्थापित करना सनम-अ० (पु०) प्रेम पात्र, प्रिय, प्रियतम
सनिधि-सं० (स्त्री०) 1 अलग अलग रखने का काम 2 पास सनशेड-अं० (पु०) झाय
होने का भाव सनसनाना-(अ० क्रि०) 1 सनसन शब्द होना 2 सनसनाते हुए | सन्निपात-सं० (पु०) 1 उतरना, गिरना 2 संगम, मिलना भागना 3 हिलना
3 अनेक घटनाओं का एक साथ घटित होना 4 मिश्रण, सनसनाहट-(स्त्री०) सनसन की आवाज़
समाहार सनसनी-(स्त्री०) 1 झुनझुनी 2 स्तब्धता 3 सन्नाटा सत्रिबद्ध-सं० (वि०) 1 एक में बँधा हुआ या लगा हुआ 4 खलबली। - खेज़ + फ़ां० (वि०) खलबली पैदा | 2 व्यवस्थित करनेवाला
सत्रिविष्ट-सं० (वि.) 1 अंदर आया हुआ 2 जोड़ा हुआ, सनातन-सं० (वि०) 1 परंपरानुसार चला आता हुआ | लगाया हुआ 3 स्थापित किया हुआ 2 परंपरानिष्ठ, आर्थोडाक्स 3 सदा बना रहनेवाला, शाश्वत, सत्रिवेश-सं० (पु०) 1 प्रवेश करना 2 साथ बैठना 3 आसन नित्य 4 अनादि और अनंत (जैसे-ईश्वर की सनातन | 4 समूह, मंडली 5 संयोग 6 सामीप्य 7 उचित स्थान पर बैठाना लीलाएँ)। काल (पु०) प्राचीन युग; ~धर्मी (पु०) 8 निर्माण, रचना १व्यवस्था, प्रबंध 10 आधार, आश्रय सनातन धर्म का अनुयायी
सनिवेशित-सं० (वि०) - सत्रिविष्ट सनातनी-I सं०(१०) सनातन धर्म का पालन करनेवाला || सन्निहित-सं० (वि०) 1 पास रखा हुआ 2 समीपस्थ 3 पड़ोस (वि०) सनातन संबंधी
| का 4 तैयार, उद्यत सनाथ-सं० (वि०) स्वामी सहित
सन्मार्ग-सं० (पु०) अच्छा रास्ता सनाभ-सं० (पु०) 1 सगा भाई 2 सगा संबंधी
सन्मार्गी-सं० (वि०। सन् पथ पर चलनेवाला सनाय-अ० (स्त्री०) रेचकदार एक पौधा, सोनामुखी सन्यास-(पु०। - संन्यास । सनाह-(पु०) = सत्राह
सन्यासी-(पु.) - संन्यासी सनीचर-(पु०) 1 शनैश्चर 2 शनिवार
सपक्ष- सं. (वि.) ! पक्ष में रहनेवाला 2 सहायक और सनीचरवार-(पु०) शनिवार
साथी ॥ (१०) अनुकूल पक्ष सनीचरी-I (वि०) 1 शनि संबंधी 2 मनहस और अशुभ सपन-सा (वि.) मोज की तरह देश रखनेवाला || (पु.) (जैसे-सनीचरी सूरत) || (स्त्री०) 1 शनि की दशा 2 शनि | शत्रु वैरी को पैदा होनेवाली
सपत्नी-पं. (स्त्री) सौत मौतिन सनेह-बो० (पु०) = स्नेह
सपत्नीक (वि. गली के साथ सनेही-(वि०/पु०) प्रेम करनेवाला
सपना-(प) । स्वप्न मन गढंत या कपोल कल्गिन बात सनोबर-अ० (पु०) चीड़ का पेड़
सपरदाई-1, ममाजी साजिदा सन्न-(वि०) 1 भौचक्का, स्तब्ध 2 चुप, मौन 3 संज्ञा शून्य, सपरना-अ.क्रि.. ! निवारना. समान होना ? काम का हो संवेदना रहित, जड़
माना 3 निपटना निवन हाना सन्नत-सं० (वि०) 1अच्छी तरह झका हआ 2 नीचे आया सपगना-माफि.)। सिवाना खुम कन्ना र यमान का हुआ 3 खिन्न (जैसे-सत्रत वाणी)
सपरिवार- वि.। पर महिन
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सपरिश्रम
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सबक्र सपरिश्रम-सं० (वि०) मेहनत के साथ) कारावास (पु०) ) सप्लीमैंटरी-अं० (वि०) पूरक कड़ी कैद
सफ़-अ० (स्त्री०) 1 पंक्ति, कतार 2 बिछौना सपाट-(वि०) 1 समतल 2 जो ऊबड़ खाबड़ न हो | सफ़र-अ० (पु०) 1 यात्रा करना 2 रवाना होना 3 दूरी (जैसे-सपाट मैदान, सपाट खेत)
(जैसे-100 मील का लंबा सफ़र तय करना)। लामा + सपाटा-(पु०) 1 तेज़ी, झोंक 2 झपट 3 दौड़ 4 तमाचा, थप्पड़ | फ़ां० (पु०) यात्रा विवरण 5 छल, धोखा
सफ़री-I अ० (वि०) सफर संबंधी II (स्त्री०) रास्ते का व्यय सपाद-(वि०) चरण से युक्त
और सामग्री सपिंड-सं० (पु०) 1 सामान्य पितरों को पिंड देनेवाला 2 एक | सफल-सं० (वि०) 1 फल से युक्त 2 (कार्य) परिणाम या ही कला के सात पीढ़ियों तक के लोग
फलवाला 3 उत्तीर्ण (जैसे-विद्यार्थी परीक्षा में सफल हो सपिंडी-सं० (स्त्री०) मृतक के निमित्त किया जानेवाला कर्म गया)। ~ता (स्त्री०) सफल होने का भाव, ता मंडित संपिडीकरण-सं० (पु०) मृतक को पिंडदान देने का काम या । (वि०) कामयाबी से अलंकृत; ~मनोरथ (वि०) पूर्ण क्रिया
इच्छावाला सपुर्द-फा० (वि०) - सुपुर्द ।
सफलित-सं० (वि०) = सफलीभूत सपुर्दगी-फा० (स्त्री०) = सुपुर्दगी
सफलीभूत-सं० (वि०) सफलता युक्त, सफल हुआ सपूत-(पु०) लायक पुत्र
सफ़हा-अ० (पु०) 1 तल, पार्श्व 2 पुस्तक का पृष्ठ भाग, पन्ना, सपूती-(स्त्री०) 1 सपूत होने का भाव 2 सपूत को जन्म वरक देनेवाली स्त्री
सफ़ा-अ० (वि०) 1 साफ़ (जैसे-सफ़ा कमरा) 2 निर्मल, सपेरा-बो० (पु०) - सँपेरा
पवित्र 3 साफ़ करनेवाला (जैसे-बालसफ़ा पाउडर) 4 खाली, सपोला-(पु०) = सँपोला
रहित (जैसे-रात भर में उनका जेब सफ़ा कर दिया) सप्त-सं० (वि०) गिनती में सात (जैसे-सप्तभुज, सप्त | सफ़ाई-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 स्वच्छता, निर्मलता 2 सफा . ऋषि)। ऋषि (पु०) विश्वमित्र, यमदाग्नि, भारद्वाज, होने का भाव 3 छल कपट से रहित 4 ऋण आदि का परिशोध . गौतम, अत्रि वशिष्ठ और कश्यप ये सात ऋषिः ~पदी 5 दोष रहित होने की अवस्था। पसंद + फ़ा० (वि०) (स्त्री०) वर वधु द्वारा अनि के सात चक्कर लगाना; ~पुरी
सफाई पसंद करनेवाला; ~पुताई + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) . . (स्त्री०) सात पवित्र तीर्थ या नगर; ~भुवन (पु०) भूलोक, सफ़ाई करना और पुताई करना
भवलोक, स्वर्गलोक, महालोक, जनलोक, तपलोक तथा सफाचट-अ० + हिं० (वि०) 1 चिकना (जैसे-सफाचट दाड़ी, सत्यलोक ये सात भुवन; ~मातृका (स्त्री०) ब्रह्मी, सफाचट खोपड़ी) 2 समतल (जैसे-सफाचट मैदान) माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, इंद्राणी और चामुंडा ये 3 बिल्कुल साफ़ और स्वच्छ सात मातृकाएँ: सिंधु (पु०) सिंधु, परुष्णी, शतुद्री. सफ़ाया-अ० (पु०) 1 संहार (जैसे-युद्ध में शत्रओं का वितस्ता, यमुना, गंगा तथा सरस्वती की सामूहिक संज्ञा स्वर सफ़ाया) 2 समाप्त कर देना (जैसे-बाप की कमाई का संगीत का सप्तक ,
सफ़ाया) 3 नाश करना (जैसे-किए धिए का सफ़ाया)। सप्तक-1 सं० (पु०) एक तरह की सात वस्तुओं का समूह
कर देना 1 खत्म कर देना, मिटा देना 2 सबको मार डालना 2 संगीत में सात स्वरों का समूह II (वि०) 1सात 2 सातवाँ सफ़ीना-अ० (पु०) 1 किताब, नोट बुक 2 समन सप्तम-सं० (वि०) सातवाँ
सफ़ोर-अ० (पु6) राजदूत सप्तमी-सं० (स्त्री०) 1 सातवीं तिथि, सातवाँ दिन 2 व्या० सफूफ़-अ० (पु०) 1चूर्ण ? चूर्ण रूप औषध अधिकरण कारक की विभक्ति
सफ़ेद-फ़ा (वि०) 1 रंगहीन (जैसे-सफ़ेद बाल) 2 स्वच्छ सप्तर्षि-सं० (पु०) सप्त ऋषि
तथा उज्जवल (जैसे-सफ़ेद पोशाक) 3 कोरा (जैसे-सफ़ेद सप्तशती-सं० (स्त्री०) 1 एक ही तरह की सात वस्तुओं का काराज़) 4 साफ़, स्पष्ट । --पोश I (पु०) कुलीन, शिक्षित , वर्ग 2 सात सौ पदों का संग्रह
और सभ्य व्यक्ति || (वि०) साफ़ कपड़े पहननेवाला; सप्ताह-सं० (पु०) 1 सात दिन 2 सात दिनों का समय 3 सात पोशी (स्त्री०) सफ़ेद पोश होने का भाव झूठ सरासर दिन तक काम या अनुष्ठान
झूठ; ~हाथी (पु०) 1 बर्मा में पाया जानेवाला एक सफ़ेद सप्ताहांत-सं० (पु०) सप्ताह का अंतिम दिन
हाथी 2 ऐसा व्यक्ति या संस्था जिसपर अत्यधिक खर्च होने पर सप्ताहारंभ-सं० (पु०) सप्ताह की शुरुआत
भी अनुपयोगी ही रहे; ~पड़ जाना चेहरे का रंग उड़ जाना; सप्रमाण-[सं० (वि०) 1 प्रमाण युक्त 2 प्रामाणिक स्याह सफ़ेद 1 भला बुरा 2 हानि लाभ II (क्रि० वि०) प्रमाण के साथ
सफ़ेदा-फ़ा० (पु०) 1 एक प्रकार का ऊँचा और सीधा पेड़ सप्रमाणिक-सं० (वि०) प्रमाण सहित
2 जस्ते का घोल सप्रयास-सं० (क्रि० वि०) प्रयत्न सहित
सफ़ेदी-फ़ा० (स्त्री०) 1चूने की पोताई 2 धवलता , सप्राण-सं० (वि०) प्राण के साथ, सजीव
सब-(वि०) 1 कुल (जैसे-सब आदमी, सब मज़दूर) 2 सारा सप्लाई-अं० (स्त्री०) 1 पहुँचाना 2 प्राप्ति
__ (जैसे-सब दिन का रोना) 3 संपूर्ण समस्त सप्लायर-अं० (१०) सप्लाई करनेवाला व्यक्ति .. सब इंस्पेक्टर-अं० (पु०.) छोटा इंस्पेक्टर सप्लीमेंट-अं० (१०) परिश
सबक़-अ० (पु०) 1 पाठ 2 शिक्षा, नसीहत
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सबकमेटी
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सबकमेटी-अ० (स्त्री०) उपसमिति
1शिष्ट व्यक्ति 2 विद्वान् सबज़-फा० (वि०) = सब्ज
सभों-(सर्व०) सब ने, सब को सबजज-अं० (पु०) छोटा जज
सध्य-I सं० (वि०) 1 शिष्ट, सिविल 2 संस्कृत (जैसे-सभ्य सबट्रापिक्स-अं० (पु०) उपोष्ण प्रदेश
जगत्) 3 नम्र (जैसे-सभ्य और सुशील बालक) II (पु०) सबब-अ० (पु०) 1कारण, हेतु 2 साधन
भला आदमी (जैसे-वह बहुत ही सभ्य है)। ~ता (स्त्री०) सबर-अ० (पु०) = सब्र
1 सभ्य होने का भाव 2 नम्रता 3 शिष्टता सबर्बन-अं० (वि०) उपनगरीय
सभ्येतर-सं० (वि०) सभ्य से भिन्न, उजडु सबल-सं० (वि०) बलवान, ताक़तवर
समंजन-सं० (पु०) 1 जोड़ बैठाना 2 हिसाब किताब बराबर सब स्टेशन-अं० (पु०) अधीन स्टेशन, छोटा स्टेशन
करना 3 मेल मिलाना सबा-अ० (स्त्री०) प्रातःकाल की हवा
समंजस-सं० (वि०) 1 उचित, वाज़िब 2 मेल खानेवाला सबार्डिनेट जज-अं० (पु०) मुंसिफ़
3 अभ्यस्त सबील-अ० (स्त्री०) 1 साधन, द्वार 2 उपाय, युक्ति 3 पौसरा, | समंत -I सं० (पु०) किनारा, सिरा II (वि०) 1 समस्त, सारा प्याऊ
2 सार्वजनिक। ~दी (वि०) सर्वदर्शी सबू-फा० (पु०) 1 मटका, गगरी 2 शराब रखने का पात्र | समंदर-फ़ा० (पु०) समुद्र सबूत-अ० (पु०) प्रमाण। -पक्ष + सं० (पु०) (मुकदमे | सम-सं० (वि०) 1 एक ही, अभिन्न 2 एक सा, सदृश 3 बराबर का) प्रमाणक पक्ष
4 चौरस 5 ग० जिसमें दो से भाग देने पर कुछ न बचे, सबूरी-अ० (स्त्री०) संतोष, सब
(जैसे-सम और विषम संख्याएँ) 6 निष्पक्ष (जैसे-समभाव, सबेरा-(पु०) - सवेरा
समदान) 7 साधारण (जैस-समरूप) 8 सीधा (जैसे-सम सबेरे-(क्रि० वि०) = सवेरे
रेखा) 9 उपयुक्त, सुविधा जनक (जैसे-सम परिस्थिति) 10 सब्ज़-फ़ा० (वि०) 1 हरा भरा 2 कच्चा और ताज़ा 3 भला, उदासीन। -अवस्था (स्त्री०) समान दशा; ~कक्ष शुभ। -क़दम • अ० (वि०) अशुभ चरणोंवाला. मनहस; (वि०) 1 समान ऊँचाई का 2 समान पदवाला 3 जोड़ वा बखन (वि०) सौभाग्यशाली। बाग दिखाना धोखा बराबरी का; ~कालिक (वि०) एक ही समय होनेवाला;
~कालीन (वि०) एक ही समय का, सम सामयिक; सब्ज़ा-फा० (पु०) हरियाली
केंद्रिक (वि०) जिनका केंद्र एक ही हो; ~कोण | सब्जी-फ़ा० (स्त्री०) 1 साग पात, हरी तरकारी 2 हरियाली। (वि०) बराबर कोणोंवाला II (पु०) 90° का कोण;
~फ़रोश (पु०) सब्जी बेचनेवाला; -मंडी - हिं० क्रमण (पु०) एक ही समय अनेक घटनाओं का घटना; (स्त्री०) साग सब्जी तथा फल आदि बिकने की जगह
चतुर्भुज (पु०) वह समांतर चतुर्भुज जिसकी चारों भुजाएँ सब्जेक्ट-अं० (पु०) 1 प्रजा, रैयत 2 विषय
बराबर हों; ~चर (वि०) समान आचरण करनेवाला; सब्बल-(पु०) गदाला
-चित्त (वि०) 1 धीर, शांत 2 उदासीन 3 एक ही विषय पर सब्र-अ० (पु०) 1 सहन, बर्दाश्त 2 धैर्य 3 तसल्ली केंद्रित; जातीय (वि०) 1 समान जाति का 2 एक ही सभा-सं० (स्त्री) 1 समिति, परिषद् (जैसे-राज सभा)
प्रकार का; तल (वि०) चौरस, हमवार (जैसे-समतल 2 मंडली (जैसे-विद्वानों की सभा) 3 संस्था (जैसे-काशी
भूमि); तलन (पु०) सम करने का काम; ~ता (स्त्री०) नागरी प्रचारिणी सभा) 4 जमघट, समूह (जैसे-गुंडों, बदमाशों 1 बराबरी, तुल्यता 2 संतुलन; तापमंडल (पु०) वह क्षेत्र की सभा) 5 दरबार (जैसे-राजा की सभा) 6 न्यायालय जहाँ ताप सदा समान रहता है; तुलन (पु०) 1 समान -कक्ष (पु०) सभा का कमरा, हाल, गृह (पु०) - तौलना 2 समान रखना; ~तुलित (वि०) समतुलन किया सभा भवन: चतुर (वि०) सभा में बातचीत करने में हुआ; तोल + हिं० (वि०) समान, बराबर; ~तोलन कुशल: ~चातुर्य (पु०) सभा में बात करने की चतुरता; (पु०) समान रखना; त्रिभुज (१०) वह त्रिभुज जिसमें
त्याग (पु०) सभा से बाहर चले जाना; - पति (१०) तोनों भुजाएँ बराबर हों; दर्शन [ (पु०) एक समान सभा का अध्यक्षः -पतित्व (पु०) सभापति का पद और समझना I (वि०), समदर्शी; 2 समान रखना एक समान कार्य: पतिपद (पु०) सभा में अध्यक्ष का पद: भवन देखनेवाला; दृष्टि (स्त्री०) - समदर्शन; द्विभुज (पु०) सभा का कमराः -मंडप (प.) सभा लगाने का
(वि०). दो समान भुजाओंवाला (जैसे-समद्विभुज त्रिभुज); शामियाना; -सचिव (पु०) . सदन सचिव
~धर्मा (वि०) समान धर्म या स्वभाव का; बल (वि०) सभागा-(वि०) 1 भाग्यशाली 2 सुंदर
बराबर की ताकतवाला; ~भाग (पु०). बराबर हिस्सा; सभागार-सं० (१०) सभागृह ..
~भागी (वि०) बराबर हिस्सा पानेवाला; ~भाव (पुर) सभाध्यक्ष-सं० (पु०) सभापति .
समान मनोवृत्ति; भिन्न (पु०) वह भिन्न जिसके अंश और सभाध्यक्षा-सं० (स्त्री०) महिला सभापति
हर दोनों पूर्णांक हों (जैसे-2/5); ~भुज (वि०) समान सभासद-सं० (पु०) । सदस्य 2 अदालत की पंचायत का भुजाओंवाला (जैसे-समभुज त्रिभुज); ~भूमि (स्त्री०) सदस्य
समतल ज़मीन;.. ..मित . (वि०) समानता.और सभी- (सर्व०) सब ही
एकरूपतावाला, सममिति से युक्त; "मिति (स्त्री०) सभेय-1 सं० (वि०) 1 सभा के योग्य 2 विद्वान् || (पु०) | आपेक्षिक और पारस्परिक एकरूपता, ठीक और समंजित
विभुज
न धर्म या (जसे-समान
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समक्ष
यौन समलिंगी रति;
विन्यास, सिमेट्री मूल्य (पु० ) समान भाव; (वि०) = समलैंगिक, यौनता (स्त्री०) ~ रस (वि०) 1 एक रसवाला 2 एक सा रसता (स्त्री०) समरस होने का भाव; ~रूप (वि०) एक ही रूप का; रूपीकरण (पु० ) समरूप बनाना; -लिंगी रति (स्त्री०) पुरुष का पुरुष तथा स्त्री का स्त्री से होनेवाली कामवासना की तृप्ति, होमोसेक्सुअलिटी; लैंगिक (वि०) समान लिंगवाले; वयस्क (वि०) हमउम्र वर्ण (वि०) 1 समान वर्ण या जाति का 2 समान रंगवाला वर्तन ( पु० ) यथोचित विभाजन वर्ती (वि०) 1 एक सा व्यवहार करनेवाला 2 समान दूरी पर स्थित 3 पास रहनेवाला; ~ वितरण (पु० ) सम वर्तन; ~ विभाग (पु० ) बराबर हिस्सा (वि०) 1 समान और असमान 2 ऊबड़खाबड़ -वेदना (स्त्री०) सहानुभूति; ~ वेदनाशील (वि०) समवेदना अनुभव करनेवाला; ~शीतोष्ण (वि०) जहाँ सर्दी और गर्मी की मात्रा बराबर हो, न अधिक उष्णता और न अधिक शीतवाला (जैसे-समशीतोष्ण प्रदेश): ~शील (वि०) समान आचरणवाला, समान स्वभाव का सामयिक (वि०) समकालीन स्तर (वि०) समान स्तर का स्थल (पु०) समतल भूमि; ~स्वन (पु०) समान ध्वनि, दे० संस्वन; ~स्वरागम (पु० ) शब्द के विकास में स्वर का आ जाना; ~हर (वि०) भिन्न जिनके हर समान हों
विषम
समक्ष - I सं० (वि०) उपस्थित, गोचर II ( अ० ) सामने । ~ता (स्त्री०) प्रत्यक्षता, दृश्यता
समग्र-सं० (वि०) सब पूरा समाज्या -सं० (स्त्री०) 1 मिलन स्थान 2 सभा, गोष्ठी समझ - (स्त्री०) 1 बुद्धि, प्रज्ञा 2 विचार, ख़याल । दार + फ़ा० (वि०) बुद्धिमान; दारी + फ़ा० (स्त्री०) समझ होना; बूझ (स्त्री०) अच्छी अक्ल बूझकर ( क्रि० वि०) सोच विचार कर
समझना - (अ० क्रि०) 1 ज्ञान प्राप्त करना 2 अनुमान करना, कल्पना करना 3 समझौता करना 4 बदला लेना समझाना - (स० क्रि०) 1 परिचित कराना 2 मन में बैठाना (जैसे - कविता का भाव समझाना) । ~बुझाना (स० क्रि०) 1 जतलाना 2 ज्ञान कराना (जैसे- विज्ञान के सिद्धांतों को समझाना बुझाना ) समझाव, समझावा - ( पु० ) समझने समझाने का भाव समझौता - ( पु० ) 1 आपस का क़रार या निश्चय 2 निपटारा, निर्णय । प्रेमी + सं० (वि०) समझौता पसंद करनेवाला; ~वाद + सं० (पु० ) ये मत कि समझौता कर लेने में ही भलाई है; वार्ता + सं० (स्त्री०) समझौता संबधी बातचीत
समत्व-सं० (पु० ) = समता
समधिक-सं० (वि०) बहुत अधिक, अत्यधिक समधिन - (स्त्री०) समधी की पत्नी
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समरावस्था
समनंतर - 1 सं० (वि०) बराबरी का II (अ०) बाद, अनंतर, उपरांत
समधियाना - (पु० ) 1 पुत्र या पुत्री की ससुराल 2 पुत्र या पुत्री के ससुरालवाले
समधी - ( पु० ) पुत्र या पुत्री के ससुर
समनामता-संघ (स्त्री०) एक ही नाम होने की स्थिति समनुज्ञा-सं० (स्त्री०) अनुमति, इजाज़त
समन्वय - सं० (पु० ) 1 नियमित क्रम 2 संयोग 3 मेल पटरी 4 संबद्ध फल, कार्य कारण संबंध का निर्वाह । वाद (पु० ) ये मत कि विवाद से बचने के लिए मतों का समन्वय कर लेना चाहिए: वादी (वि०) समन्वयवाद संबंधी समन्वयन -सं० (पु० ) समन्वय होना या करना समन्वित-सं० (वि०) 1 समन्वय किया गया 2 लगा हुआ, मिला हुआ
समन्वीकरण -सं० ( पु० ) समन्वय करना समन्वेषण-सं० (पु० ) 1 अच्छी तरह अन्वेषण करना 2 घूम-घूमकर स्थिति आदि का पता लगाना समय-सं० ( पु० ) 1 काल 2 वक्त 3 अवसर 4 फ़ुरसत 5 उपयुक्त काल 6 अंत समय 7 संकट की स्थिति 8 प्रतिज्ञा (जैसे- अपना समय क्यों भूलते हो, समय का पालन ) 9 सफलता (जैसे- समय की खुशी ) 10 अभ्युदय 11 कर्तव्य पालन 12 व्यवहार (जैसे-अपना समय मत भूलो) 13 ठहराव 14 प्रथा - गत (वि०) 1 बीता हुआ समय 2 समय में आया हुआ; ~गति (स्त्री०) समय का गुज़रना या व्यतीत होना तालिका (स्त्री०) = समय सारिणी; निष्ठ (वि०) समय का पाबंद, समय का पालन करनेवाला; ~पत्रक (पु० ) = समय सारिणी; पालक (वि०) = समय निष्ठ; ग + अं० (पु० ) टाइम बम, निश्चित समय पर विस्फोट होनेवाला पदार्थ; ~ लेखक (पु० ) टाइम कीपर, कर्मियों के आनेजाने के समय का हिसाब कर्ता; संकेत
( पु० ) समय बताना ; ~ साधक (पु० ) = समय सेवी: ~सारणी, ~ सारिणी (स्त्री०) कार्य आदि संचालन के लिए निर्धारित समय की सूची, टाइम टेबिल सीमा (स्त्री०) कार्य हेतु निश्चित किया गया समय; सूचक (वि०) समय की सूचना देनेवाला; सूची (स्त्री०) समय सारणी सेवी (पु० ) समय का पालन कर्ता समयांतर-सं० (पु० ) भिन्न समय समयानुकूल-सं० ( क्रि० वि०) समय के अनुसार समयानुक्रम -सं० (पु० ) समय के अनुसार क्रम समयानुसार - I सं० (वि०) समय के अनुरूप होनेवाला II ( क्रि० वि०) समय के अनुसार समयाभाव -सं० ( पु० ) समय की कमी समयोचित - सं० (वि०) समयानुकूल, कालोचित समयोत्तर - सं० (वि०) समय के बाद का समयोपयोगी -सं० (वि०) = समयानुकूल समर-सं० ( पु० ) युद्ध, लड़ाई। ~ क्षेत्र (पु०) समर भूमि, युद्ध क्षेत्र; तंत्र (पु० ) युद्ध संबंधी शासन; नीति (स्त्री०) युद्ध की नीति; भूमि (स्त्री०) समरांगण; ~शायी (वि०) वीरगति को प्राप्त; शास्त्र (पु० ) युद्ध विद्या, युद्ध की कला; सज्जा (स्त्री०) युद्ध का साज़ सामान समरांगण-सं० (पु०) लड़ाई का मैदान समरावस्था - सं० (स्त्री०) युद्ध की स्थिति
=3
=
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समर्चना
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समादेश
समर्चना-सं० (स्त्री०) 1 अच्छी तरह पूजा करना 2 सम्मान | समाकल-सं० (पु०) एक ही प्रकार की एकत्र वस्तुओं का करना
रूप। समर्थ-सं० (वि०) 1 शक्तिशाली 2 योग्य 3 उपयुक्त समाकलन-सं० (पु०) 1 एक प्रकार की एकत्र वस्तुओं का (जैसे-समर्थ कला, समर्थ ध्वनि)। ता (स्त्री०) 1 शक्ति मिलान करके उनकी व्यवस्था को देखना समझना 2 जमा खाते 2 योग्यता 3 उपयुक्तता
में रक़म लिखना समर्थक-सं० (वि०) 1 समर्थन करनेवाला 2 पुष्टि करनेवाला समाकुल-सं० (वि०) बहुत अधिक घबराया हुआ समर्थन-सं० (पु०) अनुमादन। -पत्र (पु०) अनुमोदन पत्र | समागत-सं० (वि०) 1 आया हुआ 2 उपस्थित, घटित हुआ समर्थनीय-सं० (वि०) समर्थन के योग्य
(जैसे-समागत प्रसंग, समागत परिस्थिति) समर्थित-सं० (वि०) समर्थन किया हुआ
समागम-सं० (पु०) 1 पहँचना 2 एकत्र होना (जैसे-संतों का समर्पक-सं० (वि०) समर्पण करनेवाला
समागम) 3 स्त्री प्रसंग, मेथुन. संभोग (जैसे-समागम क्रीड़ा, समर्पण-सं० (पु०) 1 अर्पित करना 2 सौंपना, देना 3 भेंट समागम क्रिया) करना। मूल्य (पु०) बीमा की अवधि समाप्त होने के पूर्व समाघात-सं० (पु०) 1 युद्ध, लड़ाई 2 हत्या, वध बीमा पत्र देने पर दिया जानेवाला धन
समाचार-सं० (पु०) 1 हाल चाल 2 कुशल मंगल 3 सूचना समर्पित-सं० (वि०) समर्पण किया हुआ
(जैसे-समाचार प्राप्त हुआ) 4 हाल की घटना की सूचना समर्प्य-सं० (वि०) समर्पण किए जाने योग्य
(जैसे-हत्या का समाचार)। पत्र (पु०) अख़बार, न्यूज़ समल-सं० (वि०) मैला, गंदा
पेपर; ~पत्रीय (वि०) समाचार पत्र का (जैसे-समाचार समवरोध-सं० (पु०) चारों ओर से रोकना
पत्रीय लेख) समवलंब-सं० (पु०) - समद्विभुज ।
समाज-सं० (पु०) 1 समुदाय, दल, समूह 2 सभा (जैसे-आर्य समवाय-सं० (पु०) 1 समूह. झंड 2 ढेर, राशि 3 मेल, संयोग समाज, संगीत समाज) 3 झुंड, गिरोह, समूह (जैसे-सत्संग 4 घनिष्ठ और नित्य संबंध
समाज) 4 समान कार्य कर्ताओं का समूह (जैसे-व्यापारियों समवायी-[सं० (वि०) 1 समवाय संबंध रखनेवाला 2 ढेर के का समाज) 5 संघटित संस्था 6 आयोजन, तैयारी। -कार्य रूप में लाया हुआ II (पु०) 1 अवयव, अंग 2 साझेदार, | (पु०) समाज का काम; ~गत (वि०) समाज के अंदर की, हिस्सेदार
समाज में आया हुआ; च्युत (वि०) = समाज बहिर्भूत; समवेत-सं० (वि०) 1 एकत्र 2 संचित 3 मिलाया हुआ -तंत्रिक (वि०) समाज व्यवस्था से संबंधित; ~द्रोही 4संबद्ध
(वि०) समाज से द्रोह,वैर रखनेवाला; ~पति (पु०) समाज समष्टि-सं० (स्त्री०) 1 सामूहिकता 2 समवेत सत्ता 3 एक जैसे का प्रधान व्यक्ति; बहिर्भूत (वि०) समाज से निकाला अंगों का समूह । गत (वि०) समष्टि रूप में लाया हुआ; हुआ; ~भाषिकी (स्त्री०) समाज के वर्गों पर आधारित
परक (वि०) समाज मूलक; ~रूपेण (क्रि० वि०) भाषा वैज्ञानिक अध्ययन; ~वाद (पु०) सत्ता का सामूहिक समग्र रूप से, सब मिलाकर; ~वाद (पु०) समाजवाद, रूप होने का सिद्धांत (जैसे-समाजवाद की व्याख्या); ~वाद सोशलिज़म; ~वादी (पु०) समाजवादी, सोशलिस्ट; विरोधी (वि०) समाजवाद का विरोध करनेवाला; ~वादी I ~वृत्ति (स्त्री०) समाज का कार्य व्यापार
(पु०) समाजवाद का समर्थन करनेवाला या अनुयायी II समष्टीकरण-सं० (पु०) समाजीकरण
(वि०) समाज वाद का; ~वादी करण (पु०) = समसमुन्नत-सं० (वि०) समान रूप से उन्नत
समाजीकरण; विरोधी (वि०) समाज का विरोध समस्त-सं० (वि०) 1कुल, पूरा (जैसे-समस्त भारतवासी, करनेवाला; ~शास्त्र (पु०) सामाजिक प्राणी के रूप में मनुष्य समस्त संसार- 2 संयुक्त
का समाज के प्रति कर्तव्यों आदि का विवेचन करनेवाला शास्त्र; समस्तिका-सं० (स्त्री०) सारांश
~शास्त्री (पु०) समाज शास्त्र का ज्ञाता; ~शास्त्रीय समस्थानिक-सं० (वि०) एक ही स्थान के
(वि०) समाज शास्त्र का; ~संशोधक (पु०) = समाज समस्थानीय-सं० (वि०) एक जैसे स्थान से संबंधित सुधारक; ~सुधार +हिं० (पु०) सामाजिक बुराइयों को दूर समस्य-सं० (वि०) 1 संयुक्त करने योग्य 2 समास का रूप करना; ~सुधारक +हिं० सं० (पु०) समाज सुधार देने योग्य 3 पूर्ण करने योग्य
करनेवाला; ~सेवक (पु०) समाज हित में कार्य करनेवाला; समस्यमान्-सं० (वि०) व्या० दूसरे पद के साथ मिलकर ~सेवा (स्त्री०) समाजोपयोगी कार्य; सेवी (वि०) समास बनानेवाला
समाज सेवा करनेवाला; हितकारी (वि०) समाज की समस्या-सं० (स्त्री०) 1कठिन या विकट प्रसंग 2 कठिन भलाई करनेवाला विषय। ~ग्रस्त (वि०) समस्या में फँसा हुआ; ~पूर्ति समाजी-(पु०) साजिंदा, सपरदाई (स्त्री०) समस्या को पूरा करना
समाजीकरण-सं० (पु०) पूरे समाज का बना देना समांग-सं० (वि०) समान अंगवाला
समादर-सं० (पु०) सत्कार, प्रतिष्ठा समांतर-सं० (वि०) समानांतर
समादरणीय-सं० (वि०) समादर के योग्य समाँ-(पु०) 1 समय, वक़्त 2 मौसम, ऋतु
समादृत-सं० (वि०) सम्मानित समाअत-अ० (स्त्री०) 1 सुनना 2 ध्यान देना
समादेश-सं० (पु०) 1 अधिकारपूर्वक आज्ञादेना 2 आज्ञा. समाई-(स्त्री०) गुंजाइश
आदेश
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क्षेत्र
समादेशक
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समाश्रित समादेशक-सं० (पु०) समादेश देनेवाला व्यक्ति
~~भाषण (पु०) अंतिम बैठक में दिया गया भाषण; समाधान-सं० (१०) 1 संशय दूर करना 2 संकट को दूर समारोह (पु०) अधिवेशन को समाप्त करने का जलसा करना 3 समस्या का निराकरण 4 नियम 5 योजना, युक्ति 6 | समापत्ति-सं० (स्त्री०) । मिलना 2 भेट, मिलन 3 अवसर. समर्थन । कारक (वि०) समस्या का निराकरण करनेवाला । मौका 4 अंत, समाप्ति समाधि-सं० (स्त्री) 1 योग का अंतिम अंग, मन को ब्रह्म पर | समापन-सं. (पु०) 1 समाप्त करना 2 पूरा करना 3 समाप्ति, केंद्रित करना 2 योग साधना का चरम फल 3 मनोयोग | अंत 4 तपस्या (जैसे-समाधि में लीन होना) 5 मौन (जैसे-समाधि समापवर्तक-सं० (प.) ग. वह राशि जिससे दो या अधिक धारण करना) 6 शव स्थल पर बनाया गया मकान आदि । राशियों को अलग अलग भाग देने पर शेष कुछ भी न बचे, -कारी (पु०) समान उत्तराधिकारी: ~क्षेत्र (पु०) मृत कामन फैक्टर (जैसे-24,36, 48 का समापवर्तक 12 है) शरीर को गाड़ने की जगह, कब्रिस्तान; पाषाण (पु०) कब्र | समापिका-सं० (स्त्री०) व्या वाक्य पूर्ति के निमिन आनेवाली पर रखा पत्थर; भवन (पु.) मकबरा; लेख (०) | क्रिया कब्र पर अंकित मतक का परिचय; स्थल (पु०) = समाधि समाप्त-सं० (वि०) 1 पूरा किया गया 2 अस्तित्व नष्ट कर दिया
गया 3 व्यतीत हो गया (जैसे-परीक्षा का समय समाप्त हो समाधित-सं० (वि.) .. समाधिस्थ
गया) 4 मृत (जैसे-जीवन समाप्त हो गया) समाधिस्थ-सं० वि०) समाधि लगाया हुआ
समाप्ति-सं० (स्त्री) 1 खत्म होना 2 अंत होना 3 न रह समाधेय-सं० (वि.) समाधान किए जाने योग्य
जाना। - काल (पू.) समाप्त होने का समय समान-सं० (वि.) मदश, तुल्य, एक-सा 2 साधारण समाप्य-सं० (वि.) समान किए जाने योग्य (जैसे-समान गति) 3 ममान परिमाण का। - उत्तराधिकार समायुक्त -सं० (वि०) 1 जोड़ा हुआ 2 तैयार किया हुआ (पू.) बरावर का विग्याः - उत्तराधिकारी (३०) बराबर 3 संपर्क में लाया हुआ 4 नियुक्त का विरमा पानेवाले, -करण (पु०) - समानीकरण; समायोग-सं० (पु०) 1 संयोग 2 जनसमूह -~-कालीन (वि) समकालीन; ~ता (स्त्री०) समान समायोजक-सं० (पु०) समायोजन करनेवाला होने का भाव, धर्मा (वि०) समान गण, धर्म या समायोजन-सं० (पु०) 1 समायोग 2 संभरण, सप्लाई प्रकृतिवाला; वाची (वि.) - समानार्थक
समारंभ-सं० (पु०) 1 आरंभ, शुरुआत 2 समारोह 3 काम, समानक-सं० (वि०) : समानार्थक
क्रिया व्यापार समानांतर-सं० (वि०) 1 समान अंतर पर होनेवाला (जैसे- | समारोह-सं० (पु०) शुभ आयोजन, जलसा समानांतर रेखा) ? साथ साथ काम करनेवाला या चलनेवाला समार्थक-सं० (वि०) - समानार्थक (जैसे-समानांतर सरकार)
समालोकन-सं० (पु०) अच्छी तरह देखना समाना-[ (अ० कि) 1 भरना, अटना (जैसे-इस कनस्तर में समालोचक-सं० (पु.) समालोचना करनेवाला बीस किलो आटा समाता है) 2 व्याप्त होना (जैसे-दिल में | समालोचन, समालोचना-सं० (स्त्री०) 1 गुण दोष का किया भय समाना) 3 पहुँचना (जैसे-किसी के दिल में मत समा | जानेवाला विवेचन 2 साहि कति के संबंध में की गई जाना) II (स० क्रि०) अंदर करना, भरना
- आलोचना, गुण दोष संबंधी कृति का विवेचन 3 गुण दोष समानाधिकरण-सं० (पु०) 1 समान श्रेणी 2 समान आधार | विवेचन की कला 3 व्या० समान कारक की विभक्ति से युक्त शब्द या पद। समालोचनात्मक-सं० (वि०) समीक्षात्मक
वाक्य (पु.) वो वाक्य जिसके उप वाक्य समान कारकीय समालोचिका-सं० (स्त्रो०) समालोचना करनेवाली रूप में हों; ~समुच्चयबोधक (पू०) समानाधिकरण वाक्यों समालोच्य-सं० (वि०) समालोचना के योग्य को मिलानेवाला समुच्चयबोधक
समावरण-सं० (पु०) संलग्नक समानाधिकार-सं० (पु०) 1 समान अधिकार 2 जातीय गुण समावर्जन-सं० (पु०) 1 आकृष्ट करना 2 वश में करना या विशेषता
3 झुकाना, मोड़ना समानाधिकृत-सं० (वि०) समान अधिकार प्राप्त समावर्तन-सं० (३०) । वापस आना, लौटना 2 उपाधि देने से समानार्थ-सं० (पु०) समान अर्थवाला शब्द
संबंधित समारोह, कान्वोकेशन समानार्थक-सं० (वि०) समान अर्थवाला
समाविष्ट-सं० (वि०) 1 व्याप्त 2 गृहीत, ग्रस्त 3 आसीन समानार्थी-सं० (वि०) समान अर्थ से युक्त
4 एकाग्रचित्त समानीकरण-सं० (पु०) समान बनाने का भाव
समावृत-सं० (वि.) 1 ढका हुआ 2 वापस आया हआ 3 पूरा समानुपात-स० (पु.) वस्तु के विभिन्न अंगों में होनेवाला किया हुआ तुलनात्मक संबंध
समावेश-सं० (पु०) 1 अंतर्भाव, शामिल होना 2 व्याप्त होना समानुपातिक-सं० (वि०) समानुपात संबंधी
संबंधी | 3 भावावेश 4 साथ रहना 5 मतैक्य 6 मनोनिवेश 7 प्रवेश (जैसे-समानुपातिक विभाजन)
समावेशी-सं० (वि०) समावेश संबंधी समानुपातिता-सं० (स्त्री०) समानुपातिक होने की अवस्था समाश्रय-सं० (पु.) 1 आश्रय, सहारा 2 सहायता, मदद समापक-सं० (वि०) समापन करनेवाला। ~अधिवेशन समाश्रित-सं० (वि०) 1 आश्रय लिया हुआ 2 सहारे पर टिका (प) सम्मेलन की समाप्ति पर की जानेवाली बैठक / हआ
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समाश्वासन
समाश्वासन-सं० (पु० ) अच्छी तरह इतमिनान कराना समास - सं० (पु० ) 1 योग, मेल 2 संचय, संग्रह 3 व्या० दो या अधिक पदों को मिलाकर एक रूप देना (जैसे- 'राम लक्षमण' में द्वंद्व समास है)। गत (वि०) समास में आया हुआ (जैसे- समासगत नियम); ~ चिह्न (पु० ) शब्दों के जोड़ने का चिह्न, योजक चिह्न (-); ~बद्ध (वि०) समास में बंद; ~युक्त (वि०) समासवाला, समास सहित समासक - सं० ( पु० ) समास चिह्न समासीन सं० (वि०) बैठा हुआ
समाहत -सं० (वि०) 1 मिला हुआ 2 मारा हुआ समाहरण-सं० ( पु० ) 1 संग्रह 2 ढेर, राशि 3 वसूली, कलेक्शन समाहर्ता - I सं० (पु० ) समाहरण करनेवाला एक राज कर्मचारी II (वि०) 1 जमा करनेवाला 2 सम्मिलित होनेवाला 3 संक्षिप्त रूप देनेवाला
समाहर-सं० (पु० ) 1 संग्रह 2 मिलन, मिलाप 3 ढेर, राशि ।
~द्वंद्व (पु०) व्या० द्वंद्व समास का एक भेद जिसमें पदों के अतिरिक्त अन्य अर्थ भी निकलता है (जैसे-सेठ साहूकार, दाल-रोटी)
समाहित – सं० (वि०) 1 व्यवस्थित रूप में एकत्र किया हुआ 2 व्यवस्थित 3 प्रतिपादित 4 स्वीकृत 5 समान, सदृश समिति-सं० (स्त्री०) 1 सभा, समाज 2 संस्था (जैसे जलकर समिति, सहकारी समिति)
समिद्ध-सं० (वि०) जलता हुआ, प्रज्वलित समिधा -सं० (स्त्री०) हवन की लकड़ी समीकरण - सं० (पु०) 1 समान करने की क्रिया 2 ग० ज्ञात राशि से अज्ञात राशि निकालना 3 राशियों के मान को बराबर सिद्ध करना
समीकृत -सं० (वि०) 1 समीकरण किया गया 2 बराबर किया हआ
समीकृति - सं० (स्त्री०) समान करने का भाव समीक्षक-सं० (पु० ) समीक्षा करनेवाला, समालोचक (जैसे- समीक्षक की विचारधारा) समीक्षण-सं० (पु० ) = समालोचना समीक्षा - सं० (स्त्री०) 1 परीक्षण 2 गुण दोष विवेचन, समालोचन (जैसे-नाटक की समीक्षा) समीक्षात्मक-सं० (वि०) समालोचनात्मक समीक्षाधीन सं० (वि०) समीक्षित होनेवाला
समीक्ष्य-सं० समीक्षा के योग्य
समीचीन-सं० (वि०) 1 यथार्थ, ठीक 2 उचित, वाज़िब 3 न्याय संगत
समीप -सं० ( क्रि० वि०) पास, दूर, निकट । ~ता (स्त्री०) निकटता; ~घर्ती (वि०) पास में स्थित (जैसे- समीपवर्ती देश, समीपवर्ती मक़ान); ~स्थ (वि०) समीप में बसा हुआ समीपावलोकन-सं० ( पु० ) पास से देखना समीभूत-सं० (वि०) बराबर हुआ
समीर-सं० (पु० ) हवा, वायु
समीरण-सं० ( पु० ) हवा समुंदर - बो० (पु०) समुद्र समुचित सं० (वि०) 1 उपयुक्त 2 ठीक, उचित 3 यथेष्ट |
समुल्लास
4 पसंद आनेवाला
समुच्चय-सं० (पु० ) समूह, राशि बोधक (वि०) समुच्चय का ज्ञान करानेवाला; ~ सूचक (वि०) समुच्चय की सूचना देनेवाला समुच्चित-सं० (वि०) 1 संग्रहीत 2 पुंजीभूत समुच्छेद-सं० ( पु० ) | उन्मूलन 2 नाश समुज्जवल सं० (वि०) चमकता हुआ समुत्कर्ष-सं० ( पु० ) 1 आत्म उन्नति 2 गौरव समुत्य सं० (वि०) 1 उठा हुआ, उन्नत 2 उत्पन्न समुत्थान-सं० ( पु० ) 1 ऊपर उठाना 2 उन्नति 3 उत्पत्ति 4 स्वास्थ्य लाभ करना 5 वृद्धि
समुत्थित - सं० (वि०) । एक साथ उठा हुआ 2 अत्यंत ऊँचा समुत्सुक-सं० (वि०) विशेष रूप से उत्सुक, उत्कंठित (जैसे- समुत्सुक भावनाएँ )
समुदय - 1 सं० ( पु० ) 1 ऊपर चढ़ना 2 उदय 3 शुभ लग्न, साइत 4 समुदाय II (वि०) सब सारा समस्त समुदाय सं० (पु० ) । दल, समूह, झुंड 2 संस्था, जनसमूह 3 ढेर, राशि। वाचक (वि०) समूहवाचक; ~ विकास योजना (स्त्री०) समुदाय की उन्नति हेतु बनाई गई योजना
समुदित-सं० (वि०) 1 उन्नत 2 उत्पन्न 3 उठा हुआ, उदित 4 समुदय रूप दिया गया
समुद्धरण-सं० (पु० ) 1 ऊपर उठाना 2 उद्धार 3 दूर करना, हटाना
समुद्भव -सं० (पु० ) 1 उत्पत्ति, जन्म 2 पुनरुजीवन समुद्यत-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह तैयार 2 ऊपर उठाया हुआ समुद्र - सं० (पु० ) सागर, जलधि, अंबुधि। कंप (पु० ) समुद्र में होनेवाला कंप, सी क्वेक; ~गामी (वि० ) 1 समुद्र में जानेवाला 2 समुद्री व्यापार करनेवाला तट (पु० ) समुद्र का किनारा; तटवर्ती (वि०) समुद्र के किनारे का; ~तटीय (वि०) समुद्र के तट का; तरण (पु० ) समुद्र तैरकर पार जाना; ~ तल (पु० ) समुद्र की तहः पत्तन (पु० ) समुद्री बंदरगाह ; पथ (पु० ) समुद्र मार्ग; पारीय (वि०) समुद्र पार का फेन (पु०) समुद्र का झाग ~ मंथन (पु० ) समुद्र का विलोड़न मार्ग (पु०) समुद्र का रास्ता; यात्रा (स्त्री०) समुद्री सफ़र यान (पु० ) समुद्र में चलनेवाला जहाज़ ~लवण (पु० ) समुद्र से पाया जानेवाला नमक
समुद्रिय -सं० (वि०) 1 समुद्र का 2 समुद्र से उत्पन्न समुद्री -सं० + हिं० (वि०) 1 समुद्र का, समुद्र संबंधी 2 समुद्र की ओर से आनेवाली (जैसे- समुद्री हवा) समुद्रीय सं० (वि०) समुद्री समुद्वेग-सं० ( पु० ) 1 घबड़ाहट 2 भय
समुन्नत - सं० (वि०) 1 खूब बढ़ा चढ़ा 2 बहुत ऊँचा समुन्नति सं० (स्त्री०) 1 ऊपर उठाना 2 उच्चता, ऊँचाई 3 गौरव
समुपस्थित -सं० (वि०) 1 उपस्थित, सामने आया हुआ
2 प्रकट
समुल्लास-सं० (५०) 1 उल्लास, प्रसन्नता, खुशी 2 सम्यक् कांति 3 ग्रंथ का परिच्छेद
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समुहा
समुहा -1 बो० (वि०) सामने स्थित II (अ०) सामने, सीधे समूचा - (वि०) सब, कुल, पूरा (जैसे- समूची जनता, समूचा व्यापार)
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समूह -सं० 1 (वि०) 1 ढेर रूप में लाया हुआ 2 इकट्ठा हुआ, संगृहीत 3 पकड़ा हुआ II ( पु० ) ढेर, राशि, भंडार समूल-सं० (वि०) 1 जड़ से युक्त, जड़वाला 2 कारण सहित, कारणवाला
समूल्य-सं० (वि०) कीमतवाला
समूह --सं० ( पु० ) 1 झुंड (जैसे-पक्षियों का समूह ) 2 जमघट, समुदाय (जैसे- जन समूह, लड़कों का समूह ) ! ~ वाचक (वि०) समूह का बोध करानेवाला -वाची (वि०) समूहवाचक, हितवाद (पु० ) यह मत कि व्यक्ति की हिन की अपेक्षा समूह का हित अधिक आवश्यक है समूहतः सं० ( क्रि० वि०) समूह के रूप में. सामूहिक रूप से समूहन -सं० ( पु० ) 1 बहारना 2 बटोरना 3 ढेर लगाना, राशि समूहिकीकरण-सं० (पु० ) सामूहिक रूप देना समृद्ध - सं० (वि) 1 संपन्न. धनवान 2 सशक्त 3 प्रभावशाली 4 अधिक. बहुत समृद्धि - सं० (स्त्री०) 1 समृद्ध होने का भाव 2 अत्यधिक संपन्नता 3 ऐश्वर्य, अमीरी 4 अधिकता, बहुलता 5 शक्ति
6 प्रभावकारक प्रधानता
समेकन-सं० (१०) मिलकर एक हो जाना समेकित-सं० (वि) 1 एकीकृत 2 समेकन किया गया समेटना - (स० क्रि०) इकट्ठा करना 2 धारण करना समेत सं० (वि) संयुक्त || (अ) सहित साथ समोना- 1 (स.क्रि.) सम्मिलित करना 2 संगृहीत करना ||
(अ० क्रि०) डूबना, लीन होना
समोसा - (पु) आलू और मैदा से युक्त तेल या घी में तला एक नमकीन पकवान (जैसे चाय के साथ समोसा खाना) सम्मत-सं(वि) 1 एक ही सहमत 2 माना हुआ
3 विचारित
सम्मति ० (स्त्री) सलाह व 2 अनुजा अनुमति 3 मन, विचार 4 इच्छा कामना (जैसे सम्मति की अभिव्यक्ति) । सूचक (वि) सम्मति की सूचना देनेवाला सम्मन-अं० (पु० ) न्यायालय में उपस्थित होने के लिए न्यायालय द्वारा प्रेषित पत्र
सम्मर्द - सं. (पु) 1 युद्ध लड़ाई 2 रगड़ना 3 झगड़ा 4 बाद विवाद
सम्माद -सं० ( पु० ) 1 पागलपन उन्माद 2 नशा सम्मान-सं० ] ( पु० ) आदरपूर्ण भाव II (वि०) मान प्रतिष्ठा से युक्त (जैसे- सम्मान पुरुष सम्मानजनक) III (अ) प्रतिष्ठापूर्वक । - जनक (fac) सम्मानवाल (जैसे- सम्मानजनक स्थान, सम्मानजनक पद) पत्र (पु० ) सम्मान में दिया जानेवाला पत्र. -पद (पु० ) इज्जत का पद, ~पूर्वक ( क्रि० वि०) सम्मान से -प्रद (वि०) सम्मान देनेवाला, लालसा (स्त्री०) सम्मान की इच्छा -लिप्सा (स्त्री०) सम्मान की कामना
सम्मानन सं० (पु० ) सम्मान कर आदर करना सम्माननीय सं (वि) सम्मान करने योग्य सम्मानार्थ सं० ( क्रि० वि०) आदर देने के लिए
सयान
सम्मानार्ह सं० (वि०)
= सम्मान्य
सम्मानित -सं० (वि०) सम्मान पाया हुआ सम्मान्य-सं० (वि०) आदरणीय सम्मार्ग-सं० ( पु० ) 1 अच्छा मार्ग 2 सत् मार्ग सम्मार्जन-सं० (पु० ) 1 झाड़ना - बुहारना 2 साफ़ करना सम्मार्जनी -सं० (स्त्री०) झाडू, बुहारी, कूँचा सम्मार्जित-सं० (वि०) अच्छी तरह माँजा हुआ, खूब साफ़ किया हुआ
सम्मित सं० (वि०) 1 मापा हुआ 2 समान, सदृश 3 आनुपातिक एकरूपता तथा सामंजस्यवाला, सिमेट्रिकल सम्मिति-सं० 1 ऊँची और बड़ी कामना, महत्त्वाकांक्षा 2 तुलना, बराबरी
सम्मिलन सं० ( पु० ) 1 मेल मिलाप 2 सम्मेलन सम्मिलनी-बो० (स्त्री०) सम्मेलन सम्मिलित-सं० (वि०) 1 मिलाया हुआ 2 सामूहिक (जैसे- सम्मिलित प्रयास से काम पूरा होना) 3 एकत्र हुआ (जैसे- सम्मिलित कुटुंब) सम्मिश्रण-सं० (पु० ) 1 मिलाना 2 मिलावट, मेल सम्मिश्रित सं० (वि०) 1 मिलाया हुआ 2 मिलावटी सम्मुख - I सं० (वि०) 1 जो सामने मौजूद हो 2 उपयुक्त II (अ० ) 1 सामने, आगे 2 बिल्कुल सीधे सम्मेलन-सं० (पु० ) 1 सभा, संख्या आदि 2 मेल, मिलाप, जमघट (जैसे-जन सम्मेलन, राजनैतिक सम्मेलन ) । भवन (पु० ) वह स्थान जहाँ सम्मेलन किया जाए; हाल + अंत (पु० ) सम्मेलन हेतु बड़ा कमरा सम्मोद-सं० (पु० ) 1 प्रीति, प्रेम 2 मोद, हर्ष सम्मोदन सं० (५०) आधिकारिक स्वीकृति सम्मोह - सं० ( पु० ) 1 मोह, प्रेम 2 भ्रम, धोखा 3 संदेह सम्मोहक -सं० (वि०) सम्मोहन करनेवाला (जैसे-सम्मोहक दृष्टि, सम्मोहक वाणी)
सम्मोहन - सं० (पु० ) 1 मुग्ध करना ( जैसे रूप का सम्मोहन, नेत्रका सम्मोहन)
सम्मोहनी-सं० (स्त्री०) मोह में डालनेवाली माया सम्मोहित-सं० (वि०) मुग्ध किया हुआ
सम्यक् -सं० I (पु० ) समुदाय, समूह II (वि०) 1 पूरा, सब, समस्त 2 उचित, उपयुक्त 3 मनोनुकूल III ( क्रि० वि०) 1 पूरी तरह से 2 अच्छी तरह, भली-भाँति । -संबुद्ध (पु० ) 1 जिसे सम्यक् ज्ञान हो 2 गौतम बुद्ध सम्यक ज्ञान-सं० (पु० ) सच्चा ज्ञान संम्राजना- (अ० क्रि०) 1 प्रतिष्ठत होना 2 विराजमान होना सम्राज्ञी-सं० (स्त्री०) 1 साम्राज्य की स्वामिनी 2 सम्राट की पत्नी
सम्राट -सं० (पु० ) साम्राज्य का स्वामी। शाही + फ़ाο (स्त्री०) बादशाही राज्य, शहनशाही राज्य सम्हलना--(अ० क्रि०) 1 थामा जा सकना 2 ठहरा रहना 3 सचेत होना, सावधान होना 4 बचाव करना 5 पुनः सुधारना 6 निर्वाह होना
सयत्न-सं० ( क्रि० वि०) यत्न के साथ सयन - ( पु० ) 1 बिस्तर 2 सोना, लेटना सयान - (वि०) सयाना । पन (पु०) सयाना होने का भाव
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सयाना
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सरल
सयाना-I (वि०) 1 वयस्क (जैसे-सयाना युवक) | के खेल दिखाए जाते हैं। खिलाड़ी +हिं० (पु०) सरकस 2 बुद्धिमान, समझदार 3 चालाक (जैसे-सयाना बनना) के कलाकार 4 कपटी और धूर्त (जैसे-सयाना लड़का) II (पु०) अधिक सरका-I अ० (पु०) चोरी अवस्थावाला, अनुभवी तथा बुद्धिमान् व्यक्ति । ~पन (पु०) सरका-II (पु०) हस्तमैथुन करना 1 वयस्कता 2 कपट और धूर्तता 3 चालाकी, सरकाना-(स० क्रि०) अपनी जगह से हिलाना होशियारी
सरकार-I +फा० (स्त्री०) 1 राज्य, हकूमत 2 शासन, गवर्नमेंट सरंजाम-फा० (पु०) 1 काम पूरा होना 2 प्रबंध, व्यवस्था 3 शासन प्रबंध 4 राजदरबार । --परस्त (वि०) सरकार का 3 तैयारी
पिट्ठ, सरकार भक्त सर-I सं० (पु०) 1 बाण 2 तालाब
सरकार-II फ़ा० (पु०) 1 मालिक, स्वामी 2 राजा, सम्राट, सर-II +फा० (पु०) 1 सिर (जैसे-सर के बल खड़े होना) शासक 2 ताश, गंजीफे का कोई बड़ा पत्ता (इक्का, बादशाह | सरकारी-फ़ा० (वि०) 1 सरकार संबंधी (जैसे-सरकारी इत्यादि)। ~अंजाम (पु०) = सरंजाम; ~कश (वि०) आदेश, सरकारी काम, सरकारी कार्यालय) 2 राज्य संबंधी 1 उदंड 2 बागी; ~कशी (स्त्री०) 1 उदंडता 2 विद्रोह; (जैसे-सरकारी जायदाद) 3 शासन का (जैसे-सरकारी पद,
खत + अ० (पु०) 1 किरायानामा 2 आज्ञापत्र; ~~ाना सरकारी नौकरी, सरकारी मशीन, सरकारी धन या कोष) । + अ० (वि०) सरदार, मुखिया; ~गर्म (वि०) उत्साही, ~करण + सं० (प्०) सरकार का बना लेना मस्तैद: गर्मी (स्त्री०) मुस्तैदी, उत्साह; गोशी (स्त्री०) | सरकलर-अं० (पु०) = सप्लर 1 कानाफूसी 2 चुगली, बुराई; ~ज़मीन (स्त्री०) 1 देश, सरगम-(प्०) 1 संगीत के षडज से निषाद तक के सात स्वरों मुल्क 2 राज्य; ज़ोर (वि०) 1 उदंड, दुर्दमनीय | का समूह, स्वर ग्राम 2 राग में लगनेवाले स्वरों का उच्चारण 2 जबरदस्त; ~ज़ोरी (स्त्री०) 1 जबरदस्ती 2 दुर्दमनीयता, सरचार्ज-अं० (पु०) अतिभार उदंडता; -जोश (वि०) जोश या ताव में आया हुआ; । सरजा-फा० (पु०) 1 सरदार 2 शेर, सिंह
तराश (पु०) 1 नाई 2 सिर मुंड़नेवाला; ताज (पु०) | सरजीवन-बो० (वि०) 1 हरा-भरा 2 संजीवन = सिरताज; ~दर्द (पु०) 1 सिर का दर्द 2 व्यथा, कष्ट; | सरट-सं० (पु०) 1 गिरगिट 2 छिपकली दार (पु०) 1 मुखिया, नेता 2 सेनापति 3 सिखों की पदवी; सरणी-सं० (स्त्री०) मार्ग, रास्ता (जैसे-जल सरणी) दार तंत्र + सं० (पु०) सरदारों का राज्य, सामंतशाही; | सरतान-अ० (पु०) 1 केकड़ा 2 कर्कटार्बुद, कैंसर
दारनी - हिं० (स्त्री०) 1 सरदार की पत्नी 2 प्रतिष्ठित सरद-I +फ़ा० (वि०) = सर्द II (स्त्री०) शरद ऋतु सिख महिला; ~दारी (स्त्री०) सरदार का पद; नाम सरदई-फ़ा० + हिं० (वि०) हरापन से युक्त पीला (वि०) नामी, मशहर; ~नामा (पु०) 1 प्रशस्ति 2 चिट्ठी सरदर-फ़ा० (अ०) 1 एक सिर से 2 सब मिलाकर एक साथ पानेवाले का पता; पंच + हिं० (पु०) पंचों का मुखिया; | 3 औसत के विचार से
परस्त (वि०) 1 संरक्षक 2 सहायक; परस्ती (स्त्री०) सरदल-बो० (पु०) दरवाज़े की चौखट का बाज़ 1 संरक्षण 2 सहायता; ~पेंच (पु०) 1 पगड़ी के ऊपर सरदा-फ़ा० (पु०) खरबूजे की जाति का एक तरह का फल लगाने का एक गहना 2 एक तरह का गोटा; - पोश (पु०) सरदाई-फा० + हिं० (स्त्री०) ठंडई, ठंडाई 1 ढकना 2 ख़्वानपोश; फ़राज़ (वि०) 1 गोरवप्राप्त सरदार-फ़ा० (पु०) 1 मंडली का नायक, अगुआ 2 सिख 2 सम्मानित 3 घमंडी; ~फ़रोश (वि०) जान देने को उद्धतः | ___ संप्रदाय का अनुयायी, सिखों की उपाधि
फ़रोशी (स्त्री०) जान देने को तैयार रहना; -फिरा । | सरदारिनी-(स्त्री०) 1 प्रतिष्ठित सिख महिला 2 सरदार की पत्नी हिं० (वि०) पगला; -बसर (अ०) एकदम ठीक, पूरा पूरा; | सरदारी-फ़ा० (स्त्री०) 1 स्वामित्व ? सरदार का भाव
बराह (वि०) प्रबंधकर्ता, कारिंदा, बराही (स्त्री०) | सरदी-फ़ा० (स्त्री०) : सर्दी प्रबंध; -बसर (अ०) बराबर, सरासर; बाज़ (वि०) | सरन-बो० (स्त्री०) - शरण 1 जान पर खेलनेवाला 2 निडर; ~बाज़ी (स्त्री०) 1 जान पर सरना-(अ० क्रि०) 1 सरकना, खिसकना 2 हिलना डोलना खेलना 2 निडरता; बुलंद (वि०) 1 उच्चपदस्थ 3 पूरा होना (जेसे-शादी ब्याह का काम सरना) 4 निभना, 2 सम्मानित, प्रतिष्ठित 3 गौरवान्वित; मस्त (वि०) शराब पटना के नशे में चूर, मतवाला; ~मस्ती (स्त्री०), मतवालापन; सरपट-I (स्त्री०) घोड़े की बहुत तेज़ चाल II (अ०) तेज़
सब्ज़ (वि०) हराभरा, लहलहाता हुआ; ~हद । अ० दौड़ते हुए (जैसे-सरपट आना, सरपट जाना) (स्त्री०) सीमा (जैसे-देश या मुल्क़ की सरहद); हदबंदी | सरपत-(पु०) सरकंडा, सेंठा अ० + फ़ा (वि०) सरहद को बंद कर देना; - हदी अ० । सरफा-अ० (पु०) व्यय खर्च फ़ा० (वि०) सरहद संबंधी
सरबस-बो० (पु०) - सर्वस्व सर-III अं० (पु०) 1 महोदय 2 श्रीमान्
सरमा-फ़ा० (पु०) शीत काल सरकंडा-(पु०) गांठदार सरपत का एक पौधा
सरमाई-फ़ा० (वि०) शीतकाल का सरकना-(अ० क्रि०) 1 खिसकना, रेंगना 2 समय का टल सरमाया-फा० (पु०) धन दौलत, संपनि, सर्माया
जाना 3 आगे बढ़ना (जैसे-थोड़ा सा और सरकना) । सरल-सं० (वि०) 1 सीधा (जैसे-सरल रेखा) 2 सामान्य, सरकस-अं० (पु०) वह मंडल जहाँ कलाकारों और जानवरों | साधारण (जैसे-सरल गति) 3 आसान, सहज (जैसे-सरल
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सरलतया
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सरेखना
शिप
उपाय, सरल भाषा) 4 सीधा और भोला (जैसे-सरल युवक, | नहीं जमती बिना किसी प्रयत्न' के काम आसान नहीं होता सरल मनवाला) 5 ईमानदार और सच्चा (जैसे- साधु और | सरस्वती-सं० (स्त्री०) 1 विद्या, इल्म 2 विद्या और वाणी को सरल हृदयवाला) 6 खरा, असली (जैसे-सीधी और सरल अधिष्ठात्री देवी बात कहना)। चित्त (वि०) सरल हृदयवालाः -ता सरहंग-फा (३०) 1 सेना का नायक, सेनापति 2 कोतवाल (स्त्री०) 1 सरल होने का भाव 2 सीधापन, सिधाई सरहना-(स्त्री०) मछली के ऊपर का छिलका, चूईं 3 ईमानदारी और सच्चाई 4 आसानी. सुगमता, सहजता; सरा-फा० (स्त्री०) - सराय ~स्वभाव (वि०) सीधे स्वभाववाला; हृदय (वि.) सराई-बो० (स्त्री०) 1कसोरा, दीया 2 सलाई निष्कपट हृदयवाला
सरापना-(स. क्रि०) शाप देना सरलतया-सं० (क्रि. वि.) सरल रूप में
सरापा-फ़ा (वि०) नख-शिख सहित, संपूर्ण सरलातिसरल-सं० (वि.) 1 आसान से आसान 2 अत्यंत सराफ़-अ (पुः) सोने-चाँदी का व्यापारी सीधा
सराफ़ा-अ. (पु.) सराफ़ का पेशा। बाज़ार • फ़ा. सरलीकरण-सं० (पु.) सरल बनाना
(पु.) सराफ पेशेवरों की दुकानः वायदा ( पु०) सट्टा सरलीकृत-सं० (वि०) सरल किया हुआ
सराफ़ी-अ० • फा० (स्त्री) 1 सराफ़ का धंधा 2 महाजनी सरव-सं० (वि०) शब्द करता हुआ. शब्दवाला
लिपि सरवत-अ० (स्त्री०) अमीरो. संपन्त्रता
सराब-अ (पु०) । मृगतृष्णा ? धोखेबाज़ी सरवर-(पु०) तालाब
सराबोर-(वि.) तरबतर. शराबोर . सरवा-(पु०) - माला
सराय-फा (स्त्री०) मुसाफ़िरखाना, धर्मशाला। का कुत्ता सरवाक-(पु.) । प्याला ? कसोरा 3 दीया
नीच और स्वार्थो व्यक्तिः -की भठियारी बदचलन औरत सरविस-अंक (स्त्री) - सर्विस
सरावग-बो० (पु.) श्रावक (जैन) सरवे-अं० (पु.) सर्वेक्षण
सरासर-फा (अ०) 1 एक सिरे से दूसरे सिरे तक 2 पूर्णतया, सरसंघचालक-फ़ा० . सं. (पु०) संघ का बड़ा निदेशक । बिलकुल (जैसे-सरासर ग़लत) 3 साक्षात्, प्रत्यक्ष संघ का महानिदेशक
सरासरी-[ फा० (स्त्री) 1 सरासर होने का भाव 2 तीव्रता, सरस-सं० (वि.) 1 रमोला. रसयुक्त 2 स्वादिष्ठ, ज़ायकेदार शीघ्रता || (अ०) । जल्दी में 2 अनुमानतः 3 प्रेमासक्त (जैसे-मरस हृदय) 4 सुंदर 5 मोहक सराहना-1 (स० क्रि०) प्रशंसा करना, बड़ाई करना || (जैसे-सरस वाणी. सरम दृश्य) 6 रसपूर्ण (जैसे-सरस्य स्त्रोक) प्रशंसा. तारीफ़ काव्य) 7 आर्द्र, गीला 8 हरा और ताजा । -ता (स्त्री०) सराहनीय-वि०) प्रशंसा के योग्य 1 रसिकता 2 मधुरता 3 सरस होने का भाव
सरि-सं० (स्त्री०) झरना. निर्झर सरसठ-I (वि०) साठ ओर सात II (प.) 67' की संख्या । सरित्-सं० (स्त्री) सरिता सरसना-(अ० क्रि०) । पनपना 2 उन्मत्त होना 3 शोभित होना. सरिता-(स्त्री०) नदी
सोहना 4 रसपूर्ण होना 5 पूरा होना 6 भावाविष्ट होना । सरिया-(पु०) लोहे की लंबी पतली छड़ सरसर-(क्रि० वि०) 1 सर मर शब्द करते हुए 2 बहुत तेज़ी या । सरियाना-(स० क्रि०) 1 समेटना (जैसे-किताब कापी फुर्ती से
सरियाना) तह लगाना (जैसे-चादर सरिया देना) सरसराना-[ (अ.क्रि.) 1 सर सर ध्वनि होना (जैसे-हवा सरिश्ता-फा० (पु०) । अदालत, कचहरी 2 दफ्तर, महकमा
का सरसराना) 2 जल्दी जल्दी काम करना || ( स० क्रि०) सरिश्तेदार-फा० (पु०) । सरिश्ते का प्रधान अधिकारी सर सर शब्द उत्पन्न करना
2 दीवानो दाम्तरों का एक विशेष कर्मचारी सरसराहट-(स्त्री०) । सरसराने से उत्पन्न ध्वनि 2 सरसराहट सरी-सं० (स्त्री) 1 छोटा सरोवर 2 झरना, सोता (जैसे-शरीर में सरसराहट होना)
सरीखा-(वि०) सदृश, समान (जैसे-मझ सरीखा जवान तुम सरसरी-फ़ा० (वि.) 1 जल्दी में होनेवाला (जैसे-सरसरी नज़र कहाँ पाओगे)
डालना) 2 मोटे तौर पर होनेवाला (जैसे-सरसरी प्रक्रिया) सरीसृप-सं० (पु०) ज़मीन पर रेंगनेवाले जीव सरसाना-I (अ० क्रि०) बो० सरसना || (स० क्रि०) | सरीह-अ० (वि०) । खुला हुआ. प्रकट 2 स्पष्ट 1 हराभरा करना 2 रसपूर्ण करना
सरीहन्-अ० (अ०) 1 खुल्लमखुल्ला 2 खुले तौर पर सरसिक-(पु.) सारस पक्षी
सरुज-सं० (वि.) रोगी सरसिज-सं० (पु०) तालाब में होनेवाला, कमल सरुष-(वि०) कुपित || (क्रि० वि०) क्रोधपूर्वक सरसी-सं० (स्त्री०) । छोटा जलाशय 2 बावली सरूप-सं० (वि०) । समान. सदृश 2 सुंदर रूपवाला सरसीरुह-सं० (पु०) तालाब में उत्पन्न होनेवाला, कमल | 3 रूपवान्, रूपयुक्त। ता (स्त्री०) । समानता 2 संदरत सरसेटना-(स० क्रि०) 1 फटकारना 2 खरी खोटी मनाना सरूप होने का भाव सरसों-(स्त्री०) 1 एक प्रसिद्ध फ़सल, तेलहन (जैसे-काली सरूर-अ. (पु०) । हलका और सुखद नशा 2 खुमार सरसों, पीली सरसों) 2 इस फ़सल का बीज (जैसे-सरमों का उखुशी, आनंद तेल, सरसों पेरना) । आँखों में सरसों फूलना अभिमान या | सरेखना-(स० क्रि०) । अच्छी तरह समझना प्रेम आदि के कारण हरा भरा दिखाई देना; हथेली पर सरसों । सहेजना
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सरदस्त
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सरदस्त-फा० (अ०) 1 इस समय, अभी 2 प्रस्तुत समय में, | झोंका) 2 सुस्त, काहिल 3 ढीला, शिथिल 4 निरुत्साह । फिलहाल
गर्म (वि०) 1ऊँच-नीच 2 उलट फेर; बाज़ारी सरे बाज़ार-फा० (अ०) खुले बाज़ार में और जनता के सामने (स्त्री०) बाज़ार का ठंडा होना, माँग न होना; -मिज़ाज सरेशाम-फा० (अ०) संध्या होते ही
(वि०) 1 उत्साहहीन 2 रूखा 3 मुर्दादिल 4 निष्करुण सरेस-[ फा० (पु.) एक प्रसिद्ध लसदार पदार्थ, सरेश II | सर्दा-फा० (पु०) = सरदा
(वि०) लसीला और चिपकनेवाला (जैसे-सरेस काग़ज़) | सर्दी-फा० (स्त्री०) ठंड, शीत। -जुकाम + अ० (पु०) ठंड सरो-फा० (पु०) एक प्रकार का सीधा छतनार पेड़, बनझाऊ सर्प-सं० (पु०) साँप। कला (स्त्री०) = सर्प विद्या; सरोकार-फा० (पु०) 1 आपसी व्यवहार का संबंध 2 वास्ता, | ~गति (स्त्री०) 1 कुटिल गति 2 कपट की चाल; दंश लगाव
(पु०) साँप का काटा; ~फण (पु०) साँप का फन; ~मंत्र सरोकारी-फा० (वि०) सरोकार रखनेवाला
(पु०) साँप के काटे का मंत्र; राज (पु०) 1 साँपों का सरोज-सं० (पु०) कमल । ~मुखी (वि०/स्त्री०) कमल के
राजा, शेषनाग 2 वासुकि; विद्या (स्त्री०) साँपों के वर्ग, समान मुखवाली. सुंदरी
जाति तथा स्वभाव आदि के विषय में ज्ञान प्राप्त करानेवाली सरोजिनी-सं० (स्त्री०) 1 कमल से भरा तालाब 2 कमल विद्या समूह 3 कमल का पौधा
साकार-सं० (वि०) साँप के आकार का सरोद-फा (पु०) 1 वीणा की तरह का एक बाजा 2 नाच गाना सर्पिका-सं० (स्त्री०) छोटा साँप सरोरुह-सं० (पु०) कमल
सर्पिणी-सं० (स्त्री०) सॉपिन सरोवर-सं० (पु०) तालाब
सर्पित-सं० (वि०) 1 सर्प रूप में लाया हुआ 2 सर्पदंश सरोवरी-(स्त्री०) छोटी. तलैया, पुष्करिणी
सर्पिल-सं० (वि०) साँप की तरह टेढ़ा मेढ़ा, कुंडलाकार सरोष-स० (वि०) - सरुष
सपों-(वि०) धीरे धीरे चलनेवाला, रेंगनेवाला सरोसामान-फा० (पु०) असबाब. सामग्री
सर्फ़-अ० (वि०) व्यय किया हुआ सरौता-(पु०) । सुपारी काटने के काम में आनेवाला कैंची के | सफ़ा-अ० (पु०) 1 खर्च, व्यय 2 किफ़ायत, मितव्यय 3 लाभ, आकार का एक उपकरण आम आदि काटने का काठ में
नफ़ा जड़ा एक औजार स्थान या मंडली
साया-फ़ा० (पु०) पूँजी। दार (पु०) पूँजीपतिः दारी सरौती-(स्त्री०) छोटा सरौता
(स्त्री०) पूँजीपतित्व सर्कस-अं० (पु.) जहाँ जानवर आदि के खेल दिखाए जाते हों सायेदार-फ़ा० (पु०) -- सायादार सा-अ० (पु०) । चोरी 2 भावादि का अपहरण सायेदारी-फा० (स्त्री०) - सायादारी सर्किट हाउस-अंक (पु०) दौरे पर आनेवाले अधिकारियों का सर्रक-(स्त्री०) सरति हुए आगे बढ़ना आवास
सर्रसर्र-(स्त्री०) = सर्राटा । सर्किल-अं० (पु०) । वृत्त । मंडल
सर्राटा-(पु०) 1 हवा के तेज़ चलने से उत्पन्न शब्द 2 तेज़ सर्युट हाउस-अंक (पु०) सर्किट हाउस
चलने से उत्पन्न सरसर शब्द । सर्राटे भरना तेज़ी से इधर सर्युलर-अं० (पु०) गश्ती चिट्ठी. परिपत्र
उधर आना जाना सर्ग-सं० (पु०) 1 ग्रंथ का प्रकरण या अध्याय 2 रचना. सर्राना-(अ० क्रि०) सरसर करते हए आगे बढ़ना 3 स्वभाव 4 लोक सृष्टि 5 मूल, उद्गम 6 प्रकृति 7 त्याग। | सर्राफ़-अ० (पु०) सोने-चाँदी का व्यापारी
बंध (वि०) सर्ग में आबद्ध (जैसे-सर्गबंध काव्य) सर्राफ़ा-अ. (प्०) । सर्राफ़ों का बाज़ार 2 सर्राफ़ का पेशा सर्चलाइट-अं. (स्त्री) अन्वेषक बत्ती
सर्राफ़ी-अ० • फ़ा० (स्त्री०) 1 सर्राफ़ का रोज़गार 2 महाजनी सर्व वारंट-अंक (पु.) तलाशी का वारंट
लिपि सर्जंट-अं० (पु०) हवलदार. जमादार
सर्व-सं० (वि०) सब, सारा, समस्त। इस्लामवाद + सर्ज-[सं० (पु०) 1 बड़ी जाति का शाल वृक्ष 2 सलई का पेड़ __ अ० । सं० (पु०) सब मुसलमानों को एक करने का सिद्धांत; 3 धूना, राल
- कल्याण (पु०) सबका भला: काल (क्रि० वि०) हर सर्ज-II अं० (स्त्री०) एक तरह का बढ़िया ऊनी कपड़ा. सरज समय, सदा; - कालिक, कालीन (वि०) हमेशा बना सर्जक-सं० (वि०) । सर्जन करनेवाला 2 रचना करनेवाला, रहनेवाला (जैसे-सर्वकालिक दशा, सर्वकालीन व्यवस्था); स्रष्टा
क्षमा (स्त्री०) सामूहिक रूप से बंदियों को क्षमा करना; सर्जन-[ सं० (पु०) । उत्पन्न करना, जन्म देना 2 छोड़ना, ~क्षार (४०) सबकुछ का नाश; गत (वि०) = त्यागना
सर्वव्यापी; गुण संपन्न (वि०) सब गुणों से युक्त; सर्जन-II अं० (पु०) शल्य चिकित्सक
~ग्रास | (वि०) सब खा जानेवाला || (पु०) खग्रास सर्जनात्मक-सं० (वि०) रचनात्मक
ग्रहण; ग्राही (वि०) सबकुछ ग्रहण करनेवाला; --जन सर्जरी-अं० (स्त्री०) शल्य चिकित्सा
(वि०) 1 सार्वजनिक, सार्विक 2 सार्वदेशिक; जन गृहीत सर्टिफ़िकेट-अंक (पु०) प्रमाण पत्र। ~ऑफ पोस्टिंग (वि०) - सर्वत्र स्वीकृत; जन प्रिय (वि०) - सर्व प्रिय; (स्त्री०) डाक में डालने का प्रमाण पत्र
जन मताधिकार (१०) सब लोगों को वोट देने का सर्द-फ़ा० (वि०) । अत्यधिक ठंडा (जैसे-सर्द हवा का | अधिकारः -जनहित (पु०) सबकी भलाई; -जनीन
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सर्व
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सर्वात्मा
(वि०) - सार्वजनिक; जनीनता (स्त्री०) सार्वजनिकताः | पाने का सिद्धांत; सत्तावादी (वि०) सर्वसनावाद संबंधी;
जनोपकारी (वि०) सबकी भलाई करनेवाला; ~सत्ता संपन्न (वि०) - सर्वसत्ताधारी: समक्ष (क्रि.
जनोपयोगी (वि०) सबके लिए उपयोगी वि०) सबके सामने; समृद्ध (वि०) हर तरह से संपन्न (जैसे-सर्वजनोपयोगी साहित्य, सर्वजनोपयोगी पुस्तकालय): सम्मत (वि०) सभी के द्वारा मान्यः सम्मति (स्त्री० । -जयी,जित (वि०) सबको जीतनेवाला; ~जेता मतैक्यः सम्मानित (वि०) - सर्व मान्यः सम्मिलित (पु०) सब पर विजय पानेवाला; -ज्ञ (वि०) सबकुछ (वि०) 1 सब में शामिल 2 सर्व मिश्रितः सह (वि०) । जाननेवाला; ज्ञता (स्त्री०) सबकुछ जानने का भाव; सहनशील; सहमति (स्त्री०) - सर्व सम्मति:
तंत्र (वि०) सर्वशास्त्र सम्मत; त्यागी (वि०) सबकुछ साधारण I (पु०) आम लोग, जनता II (वि०) त्यागनेवाला; दी । (वि०) सबकुछ देखनेवाला || 1 सामान्य, कामन 2 जो सबके लिए हो (जैसे-सर्व साधारण (पु०) ईश्वर; ~दली , हिं० (वि०) सब दल का नियम); सामर्थ्यवान् (वि०) - सर्वशक्तिमान्; (जैसे-सर्वदली सहयोग): दलीय (वि०) सर्वदल का; सामान्य (वि०) - सर्व साधारण; सिद्धि (स्त्री०) सब
दाता (वि०) सब कुछ देनेवाला; ~धर्मवाद (पु०) कार्यों और कामनाओं का पूरा होना; ~सुलभ (वि०) सभी धर्मों को मानने का सिद्धांत; ~धर्मवादी | (वि०) 1 सबके लिए प्राप्त 2 सार्वजनिक (जैसे-सर्वसुलभ सर्वधर्मवाद संबंधी II (पू०) सर्वधर्मवाद का अनुयायी; पुस्तकालय); स्वीकृत (वि०) सबकुछ माना हुआ: हर
नाम (पु०) व्या० संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त शब्द; (वि०) सबकुछ हरण करनेवाला; ~हारा | (वि०) नाश (पु०) तबाही, विध्वंस; नाशक, नाशकारी, 1 सबकुछ हरण किया हुआ 2 सबकुछ खोया हुआ II (पु०) नाशी (वि०) बर्बाद या तबाह करनेवाला, विध्वंसक; 1 समाज का निम्नतम श्रमिक वर्ग 2 अकिंचन वर्ग: हारी -नियंता (पु०) । सबको अपने नियम के अनुसार ले (वि०) सबकुछ हरनेवाला; -हित (पु०) सबका कल्याण; चलनेवाला 2 वश में करनेवाला; पाक्षिक (वि०) 1 सभी ~हित कर्म (पु०) सर्वहित संबंधी कार्य आदि पक्ष का 2 सभी पक्ष में; ~प्रकारेण (क्रि० वि०) सर्वथाः सर्वज्ञा-सं० (वि०/स्त्री०) सबकुछ जाननेवाली
प्रथम (क्रि० वि०) सबसे पहला, अव्वल; ~प्रधान सर्वतः-सं० (अ०) 1 सभी ओर, चारों तरफ़ 2 सभी जगह (वि०) सबसे बड़ा (जैसे-सर्वप्रधान सेनापति); ~प्रभुता 3 हर तरह से 4 पूर्ण रूप से (स्त्री०) - सार्वभौमिकता; प्रमुख (वि०) = सर्वप्रधान- सर्वतोगामी-सं० (वि०) सभी दिशाओं में जानेवाला
प्रसिद्ध (वि०) सर्वत्र विख्यात; प्रिय (वि०) 1 सबसे सर्वतोदक्ष-सं० (वि०) अनेक कार्यों, बातों में प्रवीण या कुशल प्यारा 2 सबका प्यारा (जैसे-सर्वप्रिय बालक, सर्वप्रिय नेता); सर्वतोभद्र-सं० (वि०) हर तरह से कल्याणप्रद
-प्रियता (स्त्री०) सर्वप्रिय होने का भाव; ~बोधगम्य सर्वतोभाव-सं० (अ०) 1 सब प्रकार से, संपूर्ण रूप से (वि०) सबकी समझ में आनेवाला; ब्रह्मवाद (पु०) - ___ 2 अच्छी तरह, भली भाँति सर्वेश्वरवाद; ~भक्षी (वि०) सब कुछ खानेवाला सर्वतोमुख, सर्वतोमुखी-सं० (वि०) 1 चारों तरफ़ मुंहवाला (जैसे-सर्वभक्षी पशु, सर्वभक्षी प्राणी); ~भारतीय (वि०) 2 हर तरह के कार्यों में दक्ष. आलराउंडर 3 सब ओर व्याप्त अखिल भारतीय, आल इंडियाः -भोगी (वि०) = | सर्वत्र-सं० (क्रि० वि०) 1 सब जगह 2 हर वक्त, हमेशा। सर्वभक्षी; ~मान्य (वि०) सभी के मानने योग्य; योग ~गत (वि०) सब जगह पहुँचा हुआ; ~गामी (वि०) सब (वि०) कुलजोड़; रूप (वि०) जो सब रूपों में व्याप्त हो; | जगह पहँच जानेवाला; स्वीकृत (वि०) सब जगह मान्य
रोगहर (वि०) सब रोगों को दूर करनेवाला; ~वध | सर्वथा-सं० (क्रि० वि०) 1 हर तरह से 2 बिलकुल 3 अत्यंत, (पु०) = सर्व संहार; वर्तुल (वि०) (पिंड) जिसका हमेशा प्रत्येक विंदु उसके मध्य विंदु से समान अंतर पर हो; ~वाद सर्वश:- सं० (क्रि० वि०) । समूचा. पूर्ण रूप से (पु०) - सर्वेश्वरवाद; ~वादी (वि०) - सर्वेश्वरवादी; - 2 पूरा-पूरा -विद् (वि०) = सर्वज्ञ; -विद्य (वि०) समग्र विद्याओं | सर्वस्व-सं० (पु०) 1 संपूर्ण संपत्ति 2 अमूल्य और महत्त्वपूर्ण का ज्ञाता; विश्रुत (वि०) सर्व विदित; ~व्यापक,
व्यापी (वि०) 1 हर तरफ़ फैला हुआ 2 सबमें समाया सर्वस्ववान्-सं० (वि०) सब कुछ रखनेवाला हुआ (जैसे-सर्वव्यापी आत्मा); शक्तिमत्ता (स्त्री०) सब सर्वस्वार्पण-सं० (पु०) सब कुछ अर्पित कर देना शक्तियों से युक्त होना; ~शक्तिमान् I (वि०) सबसे सर्वांग-सं० (पु.) 1 सारा शरीर 2 संपूर्ण अंश। -पूर्ण अधिक बलवान्, सर्वशक्तिशाली, सर्वबली II (पु०) ईश्वर; (वि०) सब तरह से पूर्ण; ~व्यापी (वि०) सब अंगों में ~शुभवाद (पु०) 1 सभी का शुभ चाहने का सिद्धांत व्याप्त 2 आशावाद; ~श्री (वि०) सम्मान या आदर सूचक एक | सर्वांगीण-सं० (वि०) 1 सभी अंगों में व्याप्त होनेवाला 2 सब विशेषण (जैसे-सर्वश्री प्रसाद, पंत, सर की कविता का पाठ वेदांगों से संबंधित होना); ~श्रेष्ठ (स्त्री०) (वि०) सब में अच्छा, सर्वोत्तम; सर्वांत-सं० (पु०) हर एक का अंत -संहार (पु०) सबका संहार करनेवाला काल; ~संहारक सर्वांश-सं० (पु०) सारा अंश (वि०) सबका संहार करनेवाला; ~सत्ता (स्त्री०) सब तरह | सर्वात्मवाद-सं० (पु०) = सर्वेश्वरवाद का अधिकार; ~सत्ताधारी (वि०) संपूर्ण सत्तावाला । सर्वात्मवादी-सं० (वि०) = सर्वेश्वरवादी (जैसे-सर्वसत्ताधारी राज्य); ~सत्तावाद (पु०) सर्वसत्ता | सर्वात्मा-सं० (पु०) 1 विश्व की आत्मा 2 परमात्मा
पदार्थ
प्याप्त
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सर्वाधिक
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सल्तनत सर्वाधिक-सं० (वि०) सबसे अधिक (जैसे-शिक्षा पर
(जैसे-स्वेटर बुनने की सलाई) 2 दीया सलाई (जैसे-सलाई सर्वाधिक व्यय)
रसोई या चौके में रख देना) सर्वाधिकार-सं० (पु०) 1 पूर्ण प्रभुत्व, पूरा इख्तियार 2 सभी सलाक-फ़ा० (स्त्री०) सोने या चाँदी की सलाई प्रकार के अधिकार। ~वाद (पु०) - सर्वसत्तावाद;
सलाख-फ़ा० (स्त्री०) छड़ । ~वादी (वि०) = सर्वसत्तावादी
सलाद-अं० (पु०) कच्ची मूली, प्याज, टमाटर, मिर्च और नींबू सर्वाधिकारी-सं० (वि०) सब अधिकारियों का अधिकारी
आदि की कतरन का मिश्रण सर्वाधिपत्य-सं० (पु०) सब पर होनेवाला आधिपत्य, संप्रभुता सलाम-अ० (पु०) 1 नमस्कार, प्रणाम, बंदगी 2 अभिवादन सर्वाधुनिक-सं० (वि०) आधुनिकतम
का एक मुस्लिम ढंग। ~अलैकुम (क्रि० वि०) तुम सर्वापेक्षा-सं० (स्त्री०) सबको प्रीतीक्षा करना
सलामत रहो सर्वार्थ-सं० (पु०) सभी प्रकार के पदार्थ और योग के विषय।। सलामत-1 अ० (क्रि० वि०) कुशलतापूर्वक, सकुशल
सिद्ध (वि०) सर्वार्थ प्राप्त; -सिद्धि (स्त्री०) सारे (जैसे-खुदा करे तू सलामत रहे) || (वि०) 1 रक्षित उद्देश्यों की पूर्ति
2 जीवित III (स्त्री०) रक्षा, बचाव (जैसे-सलामत की सर्पिण-सं० (पु०) सब अर्पित करना
जिंदगी) सर्वाशी-सं० (वि०) = सर्व भक्षी
सलामती-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 सलामत रहने का भाव सर्वास्तिवाद-सं० (पु०) सभी वस्तुओं की सत्ता को मानने का 2 कुशल, क्षेम 3 उत्तम स्वास्थ्य (जैसे-किसी की सलामती सिद्धांत
__ हेतु दुआ करना) सर्विस-अं० (स्त्री०) 1 नौकरी 2 सेवा। रेकार्ड (पु०)
सलामी-1 अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 सलाम करना 2 अभिवादन सेवा का विवरण
करना 3 सम्मानार्थ तोप आदि दागा जाना 4 नज़राना 5 भेंट II सर्विसिंग-अं० (स्त्री०) (मशीन की) सफ़ाई-कसाई __ (वि०) ढालुआँ (जैसे-सलामी छत) सर्वे-अं० (पु०) नापजोख, पैमाइश
सलाह-अ० (स्त्री०) 1 राय, सम्मति 2 विचार विमर्श, परामर्श सर्वेक्षण-सं० (पु०) 1 अधिकारिक निरीक्षण (जैसे-भूमि 3 इरादा, विचार 4 कुशल, क्षेम। ~कार + फ़ा० (पु०) सर्वेक्षण) 2 परिदर्शन
सलाह देनेवाला; ~कारी + फ़ा० (वि०) 1 सलाह देनेवाली सर्वेश, सर्वेश्वर-सं० (पु०) 1 सबका स्वामी या मालिक, 2 सलाह करनेवाली (जैसे-सलाहकारी समिति); ~मशविरा ईश्वर 2 स्वामी, मालिक (जैसे-कलयुग का राजा सबका (पु०) विचार विमर्श सर्वेश्वर बना है)। ~वाद (पु०) सभी चर और अचर | सलाही-अ० + फा० (पु०) = सलाहकार पदार्थ तथा प्राणियों में ईश्वर की सत्ता का होने का सिद्धांत; सलिल सं० (पु०) पानी, जल
वादी I (वि०) सर्वेश्वरवाद संबंधी II (पु०) सलीक़ा-अ० (पु०) 1 स्वाभाविक ढंग 2 योग्यता, लियाक़त सर्वेश्वरवाद का अनुयायी
3 आचरण और व्यवहार 4 सभ्यता और शिष्टता 5 शऊर, सर्वेसर्वा-(पु०) पूरा मालिक
तमीज, ढंग। ~मंद + फ़ा० (वि०) 1 सलीक़ावाला 2 शिष्ट सर्वोच्च-सं० (वि०) 1 सर्वोपरि 2 सबसे बड़ा (जैसे-सर्वोच्च | और सभ्य न्यायालय)
सलीता-(पु०) एक तरह का मोटा मारकीन सर्वोत्कृष्ट सं० (वि०) सर्वश्रेष्ठ
सलीब-अ० (स्त्री०) सूली (जैसे-सलीब पर चढ़ा देना) सर्वोत्तम-सं० (वि०) सबसे अच्छा
सलीबी-अ० (वि०) सलीब का सर्वोदय-सं० (पु०) सबकी उन्नति। ~वादी (वि०) सर्वोदय । सलीम-अ० (वि०) गंभीर, शांत करनेवाला
सलील-I सं० (वि.) 1 लीलारत 2 भाव भंगिमा से युक्त सर्वोदयी-सं० + हिं० (वि०) = सर्वोदयवादी
3 खिलाड़ी II (क्रि० वि०) क्रीड़ा करते हुए सर्वोपरि सं० (वि०) सबसे ऊपर या बढ़कर
सलीस-फा० (वि०) 1 सुगम, सहज, आसान 2 हमवार, सलज-I सं० (वि०) लज्जाशील II (अ०) 1 लजाते हुए | समतल सरल और शिष्टोचिंत 2 लाज से
सलूक-अ० (पु०) 1 तौर-तरीका, ढंग 2 व्यवहार (जैसे-पति सलतनत-अ० (स्त्री०) बादशाही, राज्य
का पत्नी से अच्छा सलूक होना) 3 मेल मिलाप (जैसे-पड़ोसी सलना-(अ० क्रि०) 1साला जाना, छिदना 2 गड़ना 3 छिद्र में से सलूक बनाए रखना) बैठाया जाना
सलोकता-सं० (स्त्री०) = सालोक्य सलमा-फा० (पु०) सोने चाँदी का रूपहला तार, बादला। सलोतर-(पु०) 1 अश्वों का चिकित्साशास्त्र 2 पशु
कढ़ाई + हिं० (स्त्री०) सलमा काढ़ने का काम या मज़दूरी चिकित्साशास्त्र सलवात-अ० (स्त्री०) 1 अनुग्रह, मेहरबानी, 2 बरकत, वृद्धि, | सलोतरी-(पु०) 1 अश्व चिकित्सक 2 पशु चिकित्सक बढ़ती 3 गाली, दुर्वचन
सलोना-(वि०) 1 लावण्यमय, सुंदर 2 नमकीन। ~पन सलवार-फा० (स्त्री०) एक विशेष आकार का पाजामा __(पु०) सलोना होने का भाव (जैसे-सलवार-कुर्ता)
सलोनो-(पु०) रक्षा बंधन सलहज-(खी०) साले का पत्नी, पत्नी का भाभी या भौजाई | सल्तनत-अ० (स्त्री०) 1 साम्राज्य, बादशाहत 2 शासन, सलाई-(स्त्री०) काठ, धातु आदि का छोटा और पतला छड़ | हुकूमत 3 सुख और सुभीते की स्थिति
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सल्फर
सल्फ़र-अं० ( पु० ) गंधक
सल्फेट - अं० (पु० ) गंधक के तेजाब और क्षार से बना नमक सल्फ्यूरस-अं० (वि०) गंधक के तेज़ाब का सल्फ्यूरिक अंग (वि०) गंधक का
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सल्यूलाइड - अं० (पु० ) नकली हाथी दाँत या मँगा सल्लम - बो० (स्त्री०) एक तरह का मोटा कपड़ा, गजी, गाढ़ा सल्लू - I बो० (स्त्री०) चमड़े की डोरी सल्लू - II (वि०) बेवकूफ़, मूर्ख
सवत- (स्त्री०) - सौत
सवत्स सं० (वि०) 1 पुत्रसहित 2 संतानयुक्त सवधूक सं० (वि०) पत्नीसहित वधू के साथ सवन - सं० ( पु० ) 1 यज्ञ 2 सोमरस का तर्पण और पान 3 यज्ञ स्नान 4 प्रसव 5 देना
सवनीय सं० (वि०) सवन संबंधी
सवर्ग-सं० (वि०) समान वर्ग का सवर्ण-सं० (वि०) 1 समान रूप-रंग का 2 समान जाति का 3 व्या० समान वर्ण का
सवाँग बो० (स्त्री०) स्वाँग, भेस
सवा - (वि०) एक और चौथाई (जैसे- सवा किलो लड्डू, सवा दो बजे, सवा सौ )
सवाई - I (स्त्री०) सूद का एक भेद या प्रकार जिसमें मूलधन में उसका चतुर्थांश शामिल हो जाता है II ( वि०) एक और उसका चौथाई
सवाक्-सं० (वि०) बोलता हुआ। ~ चित्र (पु० ) बोलता हुआ सिनेमा
सवागुना (वि०) एक और चौथाई बार
सवाब - अ० (पु० ) 1 पुण्य 2 नेकी, भलाई 3 शुभ फल (जैसे- सत्कर्मों का सवाब )। ~ कमाना (पु० ) पुण्य संचय करना, सत्कर्म करना; -बख़्शना पुण्य फल देना सवाया - ( वि० ) 1 सवागुना 2 अधिक बढ़कर सवार - फ़ा० (पु० ) 1 सवारी पर चढ़नेवाला व्यक्ति, आरोही (जैसे- घोड़े पर सवार) 2 सवारी करने में कुशल (जैसे-घुड़सवार) 3 अधिकार या वश में करनेवाला व्यक्ति सवारी - फ़ा० (स्त्री०) 1 सवार होने की अवस्था 2 सवार का साधन (जैसे- गाड़ी, घोड़ा, नाव, जहाज आदि ) 3 सवार होनेवाला व्यक्ति (जैसे-सवारी के बैठ जाने पर मोटर चलेगी) 4 जुलूस (जैसे- राम जानकी की सवारी)। गाड़ी + हिं० (स्त्री०) यात्री गाड़ी; ~डिब्बा + हिं० (पु०) यात्री डिब्बा सवाल - अ० (पु०) 1 प्रश्न 2 पूछने का भाव 3 ग० प्रश्न, समस्या, क्वेश्चन (जैसे-ज्यामिति के सवाल) 4 माँगना, प्रार्थना करना (जैसे-रोज़ी रोटी का सवाल ) 5 नालिश, फ़रियाद। जवाब (पु० ) 1 प्रश्न और उत्तर 2 पूछ-ताछ (जैसे सवाल जवाब करना)
सस्ता
सवित्री -सं० (स्त्री०) 1 प्रसव करानेवाली धाई या दाई 2 माता, माँ
सवालात - अ० (पु०) सवाल का बहुवचन सवालिया-अ० हिं० (वि०) 1 सवाल युक्त, प्रश्नात्मक (जैसे-सवालिया निशान) 2 सवाल रूप में होनेवाला सवाली - अ० + हिं (वि०) सवाल करनेवाला सविकल्प-सं० (वि०) 1 विकल्प युक्त 2 संदिग्ध
3 संशयवादी
सविता-सं० (५०) सूर्य, दिनकर
सविद्य-सं० (वि०) 1 समान विषय का अध्ययन करनेवाला 2 विद्वान् विज्ञानविद, पंडित
सविधि - [सं० (वि०) विधि युक्त II (अ०) विधि के अनुसार, विधिपूर्वक
सविनय - I सं० (वि०) 1 विनय से पूर्ण 2 विनम्र 3 शिष्ट II ( क्रि० वि०) विनम्रतापूर्वक अवज्ञा (स्त्री०) नम्रतापूर्वक अवमानना, सिविल डिस्ओबीडिएंस सविभक्तिकसं० (वि०) विभक्ति सहित सविशेष-सं० (वि०) विशेष गुण संपन्न सविशेषक-सं० (वि०) विशेष गुणवाला सविस्तार -सं० ( क्रि० वि०) विस्तारपूर्वक
सवेग - 1 सं० (त्रि०) 1 समान वेगवाला 2 वेगशील II ( क्रि० वि०) वेगपूर्वक (जैसे-सवेग दौड़ना ) . सवेरा - ( पु० ) प्रातःकाल, सुबह
सवेरे - ( क्रि० वि०) प्रातःकाल, तड़के (जैसे कल सवेरे ही काम पर जाना है)
सवैतनिक सं० (वि०) संवेतन, वेतन के साथ कार्यरत सवैया - (पु० ) हिंदी का एक वर्णिक छंद जिसमें चार पंक्तियाँ होती हैं
सव्यंग-सं० (वि०) व्यंग सहित
सव्य-सं० (वि०) 1 वाम, बायाँ 2 दक्षिण, दाहिना 3 प्रतिकृल, विपरीत
सव्रण-सं० (वि०) 1 व्रणवाला 2 घायल 3 सदोष सशंक-सं० (वि०) 1 शंकायुक्त, शंकित 2 भीरु, डरपोक (जैसे- सशंक युवती, सशंक नारी)
सशंकित सं० (वि०) 1 संदिग्ध 2 भयभीत, डरा हुआ (जैसे- सशंकित हृदय)
सशक्त-सं० (वि०) समर्थ
सशपथ - सं० (वि०) शपथ लिया हुआ
सशब्द-सं० (वि०) 1 शब्द युक्त 2 शब्दित 3 घोषित सशरीर - I सं० (वि०) शरीर से युक्त, मूर्त II ( क्रि० वि०) शरीर के साथ
सशस्त्र - सं० (वि०) 1 शस्त्र लिए हुए (जैसे- सशस्त्र सैनिक) 2 शस्त्र सहित, हथियार सहित (जैसे- सशस्त्र युद्ध) सश्रम - I सं० (वि० ) थका हुआ, श्रमित II ( क्रि० वि०) परिश्रमपूर्वक (जैसे-सश्रम कारावास ) ससंज्ञ-सं० (वि०) होशमंद, चेतन
ससंभ्रम-I सं० (वि०) घबड़ाया हुआ, क्षुब्ध II ( क्रि० वि०) घबड़ाहट में
ससीम-सं० (वि०) सीमित
ससुर - (पु०) पति या पत्नी का पिता
ससुरा - (पु० ) एक तरह की गाली (जैसे-ससुरा कहीं का) ससुराल - ( स्त्री०) 1 ससुर का घर, पति या पत्नी के पिता का
घर 2 जेलखाना, कारागृह (जैसे-बदमाश को ससुराल भेज दिया गया)
सस्ता - (वि०) 1 अपेक्षतः कम मूल्य का (जैसे-सस्ता कपड़ा, सस्ता सामान) 2 सहज में प्राप्त (जैसे सस्ता यश) 3 कम महत्त्व का (जैसे- सस्ता परिहास) । पन (पु० ) = सस्ताई
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सस्ताई
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सहजानुभूति सस्ताई-(स्त्री०) सस्ता होने का भाव
सहज में विश्वास करनेवाला; ~जात I (वि०) साथ उत्पत्र सस्ताना-I (अ० क्रि०) बो० सस्ता हो जाना II (स० क्रि०) हुआ (जैसे-सहजात गुण, सहजात शिशु) II (पु०) सगा सस्ता करना, दाम कम करना
भाई, सहोदर; ~जीवन (पु०) 1 सह अस्तित्व 2 सभी राष्ट्रों सस्ती-(स्त्री०) सस्तापन, मंदी
का आपस में मिलकर रहना 3 दो विभिन्न पेड़ पौधों का सखीक-सं० (वि०) = सपत्नीक
मिलकर बढ़ना; जीविता (स्त्री०) सह जीवन होने का सस्नेह-I सं० (वि०) स्नेहयुक्त (जैसे-सस्नेह चुंबन, सस्नेह भावः -जीवी (वि०) साथ रहकर जीवन बितानेवाला;
आशीष) II (क्रि० वि०) स्नेहपूर्वक (जैसे-सस्नेह देना, -धर्मिणी (स्त्री०) पत्नी, भार्याः ~धर्मी (वि०) समान सस्नेह लेना)
धर्म का पालन करनेवाला; ~निवास (पु०) एक साथ रहना; सस्पेंड-अं० (वि०) निलंबित
पाठिनी (स्त्री०) साथ पढ़नेवाली; ~पाठी (पु०) साथ सस्पेंशन-अं० (पु०) निलंबन
पढ़नेवाला; ~प्रतिवादी (पु०) - सहोत्तरवादी: ~भागिता सस्मित-I सं० (वि०) मुस्कानयुक्त II (क्रि० वि०) मुस्कराते (स्त्री०) भागीदार, साझेदारी; ~भागिनी I (वि०) समानता
के भाव से सम्मिलित होनेवाली ॥ (स्त्री०) पत्नी, जोरू; सस्य-(पु०) 1 अनाज 2 पौधों, वृक्षों आदि का उत्पादन। ~भागी1 (वि०) समानता के भाव से शामिल होनेवाला II
~आवर्तन, ~वर्त + सं० (पु०) बदल-बदलकर फ़सल (पु०) हिस्सेदार (जैसे-सुख-दुःख का सहभागी, व्यापार में का उत्पादन
सहभागी होना); ~भावी 1 (वि०) संबद्ध II (पु०) सस्वर-सं० (क्रि० वि०) स्वर सहित, गाकर
1मित्र 2 मददगार, सहायक; ~भाषा (स्त्री०) मुख्य भाषा सह-1 सं० (अ०) सहित. समेत II (वि०) 1 सहन के बाद दूसरे स्थान पर बोली जानेवाली भाषा; --भोज (पु०) करनेवाला (जैसे-अग्नि सह) 2 सहिष्णु, सहनशील एक साथ बैठकर भोजन करना; --भोजन (प०) मित्रों आदि (जैसे-सह हृदय) 3 सदृश, समान 4 समर्थ, सक्षम 5 धीर के साथ भोजन करना; ~भोजी (पु०) साथ भोजन III (पु०) 1 समानता, सदृश्य 2 शक्ति, सामर्थ्य । करनेवाला व्यक्ति; ~मत (वि०) जिसका मत दूसरे से ~अध्यक्ष (पु०) सहकारी अध्यक्ष; ~अपराधी (पु०) मिलता हो; ~मति (स्त्री०) 1 समान विचार 2 मतैक्य अपराध में सहायक व्यक्ति; ~अभियुक्त (पु०) साथी 3 विचारों का मेल खाना; ~मति सूचक (वि०) सहमति की मुलज़िम; ~अस्तित्व (पु०) सहजीवनः -करण (पु०) सूचना देनेवाला; ~मरण (पु०) साथ मरना, सती प्रथा; साथ काम करना; कर्ता, कर्मी (पु०) 1 साथ काम यात्री (पु०) साथ यात्रा करनेवाला व्यक्ति; ~~युक्त करनेवाला 2 सहायक; ~कार (पु०) । साथ काम करना (वि०) साथ जुड़ा हुआ, साथ लगा हुआ; योग (पु०) 2 सहायता देना; ~कार समिति (स्त्री०) उपभोक्ताओं की 1 सहायता 2 साथ मिलकर काम करना; ~~योगवाद (पु०) स्वयं गठित संस्था, कोआपरेटिव सोसाइटी; ~कारिता सहयोग करने का सिद्धांत; योगवादी । (वि०) (स्त्री०) । सहकारी होना 2 सहायता; ~कारी (वि०) सहयोगवाद संबंधी || (पु०) सहयोगवाद का अनुयायी; 1 सहकार संबंधी 2 सहकारिता संबंधी 3 सहायक, मददगार; ~योग सभा, समिति (स्त्री०) सहयोग हेतु परस्पर
गमन (पु०) साथ जाना; ~गान (पु०) मिलकर गाना; बनाई गई संस्था; योगात्मक (वि०) सहयोग संबंधी; ~गान दल (पु०). ~गान मंडली (स्त्री०) मिलकर -योगी (वि०) 1 सहयोग करनेवाला 2 मददगार 3 साथ गानेवालों का समूह; ~गामिनी (स्त्री०) 1 सती होनेवाली काम करनेवाला; योजन (३०) विधिवत निर्वाचित न होते नारी 2 पत्नी 3 सहचरी; ~गामी (वि०) 1 संग चलनेवाला, हुए भी कमेटी में शामिल किया जाना; --योजित (वि०) साथी 2 अनुसरण करनेवाला, अन्यायीः -चर | सहायतार्थ मिलाया गया; राज्यभाषा (स्त्री०) साथ-साथ (वि०) - सहगामी || (पु०) 1 मित्र 2 सेवकः चरण चलनेवाली राज्यभाषा; ~वर्ती (१०) - सहभावी; (पु०) = सहगमनः चरित (वि०) 1 साथ रहनेवाला ~वसति (स्त्री०) एक साथ रहनाः ~वाद (पु०) 2 संगत; चरी (स्त्री०) 1 साथ चलनेवाली स्त्री, सखी 1 कथोपकथन 2 वादविवादः “वास (पु०) । साथ रहना 2 पत्नी, भार्या; चार (पु०) 1 साथ चलना 2 माथी. 2 संभोग, मैथन: -वासी (प.) । साथ बसनेवाला सहचर 3 संगति, सामंजस्य चारिणी (स्त्री०) . 2 पड़ोसी 3 साथी -वेदना (स्त्री०) ... समवेदना; - व्रत सहगामिनी, चारिता (स्त्री०) सहचारी होने की अवस्था (वि.) समान कर्तव्ययक्तः व्रता (स्त्री०) पत्नी;
चारी | (वि०) साथ चलनेवाला ।। (प.) ।सगी. - शिक्षा (स्त्री । बालकों और वाटिकाओं को एक साथ दी साथी 2 नोकर, सेवक, --ज | (वि.) एक ही समय उत्पन्न जाने वाली शिक्षा संजात (वि.। साथ जन्मा हुआ 2 जन्मजान 3 प्राकृतिक (जैसे-महज गण, सहज स्वभाव) संपादक (१०) सहायक संपादक संभव (वि०)
सामान्य, साधारण (जैसे-सहज कार्य, सहज प्रणाली) साथ-साथ उत्पन, महज संवाद (पु.) परम्पर की 5 आमान, सविधाजनक । जैसे-सहज मार्ग. सहज सवाल, बातचीत . सहज समम्या) || (१०) । स्वभाव प्रकृति र महोदर. यगा सहजथान-सं. (१०) साधना का महज मार्ग भाई. ज ज्ञान (प.) । प्रकृति दन ज्ञान, महज दि सहजसमाधि-सं० (स्त्री०) बाह्यादंबर, से शुन्य बौद्ध तांत्रिकों 2 आत्म चेतना शक्तिः जन्मा (वि०) मह जान ज और यागियों की सहज रूप में समाधि या स्वाभाविक ध्यान बद्धि (स्त्री.) जन्म से ही प्राप्त बद्धि, जन्म जान जान ज लगाने की क्रिया बोध्य (वि०) सहज ज्ञान योग्य. - ज विश्वासी (वि.) | सहजानुभूति-सं० (स्त्री०) सूक्ष्म के आकलन में समर्थ
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सहजावस्था
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सहलत
होनेवाली केंद्रीय शक्ति या क्षमता
सहानुगमन-4 (प.) .. सहगमन सहजावस्था-सं० (स्त्री०) इच्छा, क्रिया और ज्ञान से शून्य मन | सहानभति-सं० (स्त्री०)1संवेदना, हमददी 2 अनुकंपा, दया। की अवस्था
--सूचक (वि०) संवेदना या हमदर्दी प्रकट करनेवाला; सहता-सं० (वि०) सहन किए जाने योग्य
~ हीन (वि०) बिना हमदर्दी का सहत्व-सं० (पु०) । साथ होने का भाव 2 हेल-मेल, मेल | सहानुसरण-सं० (पुल) महानुगमन मिलाप 3 एकता
सहापराधी-सं० (पु०) अपराधी का साथ देनवाला व्यक्ति सहन- सं० (पु०) 1 सहने का भाव 2 क्षमा। योग्य सहाय-सं० (पु०) 1 साथी 2 अनुयायी 3 सहायता 4 सहारा, (वि०) ... सहताः -शक्ति (स्त्री०) सहने की क्षमता
आश्रय (जैसे-सहन शक्ति के बाहर की बात); शील (वि०) सहायक-सं० (वि०) 1 सहायता करनेवाला 2 योग देनेवाला सहन करनेवाला; -शीलता (स्त्री०) सहनशील होना, 3 अधीनता में काम करनेवाला (जैसे-सहायक पुलिस सहिष्णुता
अधीक्षक) 4 वृद्धि करनेवाला (जैसे-गंगा की सहायक सहन-|| अ० (पु०) आँगनं। दार । फ़ा० (वि०) ऑगन | नदी)। नदी (स्त्री०) बड़ी नदी में मिलनेवाली नदी से युक्त, ऑगनवाला
(जैसे-गंडक गंगा की सहायक नदी है) सहना-(स० क्रि०) 1 सहन करना (जैसे-घाटा सहना) सहायता-सं० (स्त्री०) 1 सहाय होने की अवस्था, मदद 2 झेलना (जैसे-दुःख सहना) 3 भोगना (जैसे-कर्मफल (जैसे-काव्य रचना में मुझे प्राचीन ग्रंथों की सहायता लेनी सहना, जैसा करोगे वैसा ही सहोंगे) 4 ग्रहण करना (जैसे-परे पड़ी) 2 अनुदान (जैसे-अध्यापन हेतु दी जानेवाली सहायता) परिवार का बोझ सहना पड़ेगा)
3 भरण पोषण हेतु दिया गया धन (जैसे-ग़रीबों को दी सहनीय-सं० (वि०) सहने योग्य, सहता, सन्य
जानेवाली सरकारी सहायता) सहम-फा० (पु०) 1 डर, भय 2 संकोच लिहाज
सहायतार्थ-सं० (क्रि० वि०) मदद के लिए सहमना-फ़ा० - हिं० (अ० क्रि०) 1 भयभीत होना 2 संकोच सहायत्व-सं० (पु) 1 मित्रता 2 सहायक 3 मित्र मंडल करना (जैसे-नववधू का सहमना)
सहायिका-सं० (स्त्री०) सहायता करनेवाली महिला सहमाना-फ़ा० । हिं० (स० क्रि०) डराना, भयभीत करना (जैसे-सहायिका ने मेरा काम बिगाड़ दिया) (जैसे-साँप दिखाकर बच्चे को सहमाना)
सहार-(स्त्री०) 1 सहना 2 सहनशीलता सहर-अ० (पु०) प्रातःकाल, सवेरा
सहारा-(पु०) । भरोसा, मदद 2 आश्रय, टेक सहरा-अ० (पु०) जंगल, वन
सहार्थ-I सं० (वि०) 1 समान अर्थ रखनेवाला 2 समान सहराई-अ० (वि०) जंगली, वन्य
उद्देश्य रखनेवाला II (पु.) - सहयोग सहल-अ० (वि०) आसान, सरल
सहार्द-सं० (वि०) स्नेहयुक्त सहलाना-(स० क्रि०) 1 धीरे-धीरे हाथ फेरना, सहराना सहालग-(पु०) । शुभ वर्ष (ज्योतिष) 2 शादी विवाह के दिन 2 गुदगुदाना (जैसे-प्यार से सहलाना)
सहावल-(पु०) साहुल सहलाहट-(स्त्री०) सहलाने का भाव
सहास्तित्व-सं० (पु०) साथ-साथ रहना सहसा-सं० (क्रि० वि०) 1अचानक, एकाएक 2 हठात् सहिक-(वि०) 1 वास्तविक 2 ठीक और निश्चित 3 ठीक (जैसे-सहसा वह भी शत्र से भिड़ गया)
___ मानकर साफ़ साफ़ कहा गया 4 ग० शून्य की अपेक्षा अधिक सहसाक्रामक-सं० (वि०) अचानक आक्रमण करनेवाला सहित-[ सं० (वि०) युक्त II (क्रि० वि०) समेत, साथ सहसोपचार-सं० (पु०) मानसिक स्थिति पर प्रभाव डालकर (जैसे-पत्नी समेत आना, सामान सहित चला गया) III
किया जानेवाला उपचार, आक्षोभ चिकित्सा, शॉक ट्रीटमेंट (वि०) सहन किया हुआ सहस्त-सं० (वि०) 1 हाथ से युक्त, हस्तयुक्त 2 हथियार | सहितव्य-सं० (वि०) सहता चलाने में कुशल
सहिष्णु-सं० (वि०) - सहनशील। ता (स्त्री०) सहस्त्र-[ सं० (वि०) 1 हज़ार 2 अत्यधिक II (पु०) 1000 सहनशीलता
की संख्या। ~गुण, गुना + हिं० (वि०) हजार गुना | सही-I (वि०) 1 यथार्थ, वास्तविक (जैसे-सही ज्ञान, सही सहस्त्रधा-सं० (क्रि० वि०) 1 हज़ार भागों में 2 हज़ार तरह से बात) 2 सत्य, सच (जैसे-ईश्वर का सही ज्ञान) 3 बिल्कुल 3 हजार गुना
ठीक (जैसे-हिसाब का उत्तर सही है) II (अ०) सहस्रशः-[ सं० (क्रि० वि०) हज़ार तरह से II (वि०) कई | निश्चयपूर्वक (जैसे-अच्छा भाई ऐसा ही सही, पहले आप हज़ार, हज़ारों
आइए तो सही) सहखाधिपति-सं० (१०) 1 एक हज़ार गाँवों का शासक, सही-III (स्त्री०) 1 मान्यता का सूचक कथन 2 मान्यता राजप्रतिनिधि 2 एक हज़ार व्यक्तियों का नायक
3 साक्षी के रूप में किया जानेवाला हस्ताक्षर, दस्तखत सहस्त्राब्दी-सं० (स्त्री०) हज़ार वर्षों का समय
सहीसबूत-(पु०) साक्षी, प्रमाण सहस्रायु-सं० (वि०) हज़ार वर्ष जीनेवाला
सहीसलामत-अ० (वि.) 1 दोषरहित 2 स्वस्थ, नीरोग सहांश-सं० (पु०) साथ में मिलनेवाला अंश
(जैसे-सही सलामत घर आ जाना) सहांशी-सं० (पु०) साझीदार, हिस्सेदार
सहर-अ० (स्त्री०) बो० शऊर सहाध्यापी-सं० (पु०) - सहपाठी
सहलत-अ० (स्त्री०) = सहुलियत
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सहूलियत
सहूलियत - अ० (स्त्री०) 1 आसानी, सुगमता 2 सुभीता सहृदय-सं० (वि०) 1 कोमलचित्त 2 दयालु 3 सच्चा 4 समझदार 5 रसिक । ता (स्त्री०) 1 सहृदय होने की स्थिति 2 दयालुता, करुणा 3 कोमलता 4 रसज्ञता सहेजना - (स० क्रि०) 1 अच्छी तरह दिखलाकर सौंपना (जैसे- घर की सब चीजें सहेज देना) 2 अच्छी तरह देखना (जैसे- गहने सहेजना)
सहेजवाना - (स० क्रि०) सहजने का काम कराना सहेतुक - सं० (वि०) उद्देश्यवाला, मतलबवाला सहेलपना - ( पु० ) सखीपन
सहेली - (स्त्री०) सखी (जैसे-सहेली के घर चली जाना) सहैया - (वि०) 1 सहन करनेवाला (पु० ) 2 सहायता करनेवाला, सहायक
सहोदर - I सं० (वि०) 1 एक ही गर्भ से उत्पन्न 2 अपना और सगा II ( पु० ) सगा भाई
• सहोदरत्व-सं० (पु० ) सहोदर होने का भाव सहय-सं० (वि०) 1 सहने योग्य 2 प्रिय (जैसे- आपकी बात मुझे सह्य नहा है)
साँई - ( पु० ) 1 स्वामी, मालिक 2 परमात्मा, ईश्वर 3 पति 4 सिंधियों के प्रयुक्त आदरसूचक संबोधन साँकड़ - (स्त्री०) = साँकल साँकड़ा - (पु० ) पैरों में पहनने का कड़े के आकार का एक
गहना
साँकल - (स्त्री०) 1 जंजीर, श्रृंखला 2 सिकड़ी (जैसे- दरवाज़े की साँकल चढ़ा देना)
सांकल्पिक-सं० (वि०) 1 काल्पनिक 2 संकल्प संबंधी, संकल्प का
सांकालिक-सं० (वि०) उसी समय का सांकेतिक-सं० (वि०) 1 संकेत संबंधी 2 संकेत रूप में होनेवाला (जैसे- सांकेतिक शब्दावली, सांकेतिक परिभाषा ) 3 शब्द की अभिधा शक्ति से संबद्ध (जैसे-सांकेतिक अर्थ ) सांक्रामिक-सं० (वि०) - संक्रामक सांक्षेपिक-सं० (वि०) 1 संक्षिप्त 2 संकुचित सांख्य- 1 सं० (पु० ) भारतीय दर्शनों में से एक प्रसिद्ध दर्शन (जैसे-सांख्य के जनक महर्षि कपिल हैं) II (वि०) संख्या संबंधी, जो संख्या रूप में एक हो सांख्यिक सं० (वि०) संख्या शास्त्रीय
सांख्यिकी -सं० (स्त्री०) संख्या शास्त्र सांग -सं० (वि०) अंगयुक्त या अंगों से युक्त साँग - (स्त्री०) 1 बरछी 2 कुँए में पानी का सोता खोलने का एक औज़ार 3 बोझ उठाने का डंडा
सांध्य
सांघातिक-सं० (वि०) 1 हनन योग्य 2 संघात संबंधी 3 जिसके फलस्वरूप मृत्यु हो जाए 4 अत्यंत ख़तरे का सांघिक सं० (वि०) संघ संबंधी, संघीय साँच - I (पु० ) सच्ची बात II (वि०) सच्चा साँचला-बो० (स्त्री०) सत्यवादी
साँचा - (पु० ) 1 ढाँचा (जैसे ईंट ढालने का साँचा) 2 फरमा, कलबूत 3 प्रतिमान, मॉडल 4 रगरजों का ठप्पा साँचे में डला होना रूप आकार में अत्यंत सुंदर होना; साँचे में डालना सुंदर रूप देना
सांगठनिक - (वि०) संगठन संबंधी सॉंगी - (स्त्री०) 1 छोटी सॉंग 2 जुए पर गाड़ीवान के बैठने का स्थान 3 इक्के में बनी जाली
सांगोपांग - I ( वि० ) 1 अंगों, उपागों और उपनिषदों से युक्त
2 अंगों से पूर्ण II ( क्रि० वि०) 1 अच्छी तरह से 2 अंगों उपांगों सहित । ता (स्त्री०) सांगोपांग होने का भाव सांग्राहिक -सं० (वि०) संग्रह करनेवाला सांप्राणिक-सं० (वि०) संग्राम संबंधी सांघात -सं० (पु० ) संघात
सौचिया - ( पु० ) 1 साँचा बनानेवाला कारीगर 2 साँचे में ढालकर वस्तुएँ बनानेवाला कारीगर
साँझ - (स्त्री०) शाम, संध्या, सांयकाल | वि०) सुबह शाम साँझला-बो० (पु०) एक हल से जोती गई भूमि साँझा - (पु०) साझा
साँझी - (स्त्री०) मंदिर आदि पूजा स्थल पर स्त्रियों द्वारा चौक पूरने की एक लोक कला
साँट - (स्त्री०) 1 छड़ी, कोड़ा 2 छड़ी की चोट का सौटा - ( पु० ) 1 कोड़ा 2 करने का डंडा 3 डंडा 4. ईण् सौटिया-बो० (स्त्री०) डुग्गी पीटनेवाला
साँटी - 1 (स्त्री०) छोटी और पतली छड़ी साँटी - II ( स्त्री०) बदला, प्रतिकार साँठ-1 (पु० ) माँकड़ा
साँठ- II ( पु० ) मेल, योग। -गाँठ (स्त्री०) 1 गुप्त संधि 2 दुरधिमंधि, साजिश 3 हेल मेल
साँड़ - (पु० ) 1 बिना बधिया गाय का नर 2 शक्तिशाली व्यक्ति 3 आवारा या लंपट व्यक्ति । की तरह घूमना निश्चिंत होकर घूमना; की तरह डकारना ज़ोर से चिल्लाना साँड़नी - (स्त्री०) ऊँटनी
-सबेरे ( क्रि०
साँड्रिया - (पु० ) 1 ऊँट 2 उंट का सवार साँबू - (पु० ) माली का पति सांत सं० (वि०) 1 अंतयुक्त 2 प्रसन्न
सांता क्लाज-अं० (पु० ) क्रिसमस की संध्या पर बच्चों को उपहार देनेवाला एक बाबा
सांतानिकसं (वि०) संतान का, औलाद का सांनापिक (वि०) संताप उत्पन्न करनेवाला सांत्वनासंग (सी) 1 ढांढस बधाना 2 तसल्ली 3 तुष्ट करने का साधन 4 तुष्ट करनेवाला शब्द सांवाद -
मानना हेतु कही गई बात, सांत्वना का
वनन
2
साँथरी (स्त्री) नटाई बिछौना, बिस्तर 3 बिछाने की गद्दी साँदी (स्त्री नगर टका
सांदर्भिक समिट का संदर्भ से संबंधित सांद्र-संविभीर बना 2 प्रबल, तीव्र (जैसे सांद्र अम्ल) 3 अत्यधिक प्रचंड 5 कोमल मद । ता (स्त्री०) सांद्र होने का भाव सांद्रण-स. (पु) धना करना मांद्रित (वि बना किया हुआ सांधिक - 1 () शौडिक || (वि) मेल करानेवाला सांध्य-म० (वि) शाम का संध्याकालीन ।
- कुसुमा
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साँप
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साइनबोर्ड (स्त्री०) संध्या समय फूलनेवाला फूल, संध्या कालीन पुष्प; | सांस-(स्त्री०) 1 श्वास, दम 2 जीवन शक्ति । ~अंदर की ~गोष्ठी (स्त्री०) संध्या कालीन सभा
अंदर और बाहर की बाहर रह जाना भय से स्तब्ध रह साँप-(पु०) एक प्रसिद्ध लंबा सरीसृप (जैसे-जहरीला साँप)। जाना; ~उखड़ना हाँफना; उड़ना दम रुकना; उलटी
~नाथ + सं० (पु०) साँपों का राजा; ~तारना साँप का चलना आसन्न मृत्यु होना; ~ऊपर को चढ़ना अचानक मर ज़हर दूर करना; छाती पर लोटना 1 बहत व्याकुल होना जाना; ~ऊपर नीचे होना 1 बहुत व्यस्त होना 2 साँस रुकना; 2 भारी सदमा पहुँचना; ~का पाँव देखना असंभव बात के ~खींचना 1 ज़ोर से साँस लेना 2 दम साधना; गिनना लिए प्रयास करना; ~का बच्चा दुष्ट, ज़ालिम; ~की तरह मृत्यु के निकट; चलना जिंदा होना; छटना साँस रुक ज़मीन पकड़ना ज़रा भी न हिलना; ~की तरह झाड़ जाना; ~टूटना सॉस का नियमित रूप से न चलना; ~डकार मारकर रह जाना वश न चलना, विफल होना; की सी। न लेना माल पचा जाना और पता न लगने देना; तकर केचुली झाड़ना 1 साफ़ सुथरा होना 2 भद्दा रूप बदलना लेना कुछ भी न बोलना; ~न निकालना चुप रहना; न 3 समयानुकूल रंग रूप बदलना, अवसरवादिताः ~की लहर लेना तुरंत मर जाना; ~भरना आह भरना; ~रहते जीते जी सर्प दंश से उत्पन्न छटपटाहट; ~के मैह में खतरे में को (जैसे-मेरी साँस रहते तुम मकान पर कब्जा नहीं कर सकते); दूध पिलाना शत्रु को सहायता देना; छछदर की गति रुकना मर जाना; लेने की फुरसत थोड़ी सी फुरसत; द्विविधा की स्थिति; लहराना 1 अत्यंत व्याकुल होना ठंडी ~लेना आह भरना 2 ईर्ष्या से जलना; ~सा लोटना अत्यधिक व्याकुल होना; | साँसत-(स्त्री०) 1 अत्यधिक कष्ट 2 यंत्रणा। ~घर (पु०) ~सँघ जाना निर्जीव होना; ~से खेलना ख़तरनाक आदमी अत्यंत अंधकारपूर्ण कोठरी से मेल मिलाप करना
सांसद-सं० (वि०) संसद या संसद सदस्यों की मर्यादा के साँपड़ना-(अ० क्रि०) बो० प्राप्त होना, मिलना
अनुकूल सांपत्तिक-सं० (वि०) संपत्ति का (जैसे-सांपत्तिक व्यवस्था) सांसदी-सं० + हिं० (पु०) संसद के रीति व्यवहार में पट और साँपिन-(स्त्री०) 1 साँप की मादा 2 बहुत दुष्ट स्त्री, कुशल व्यक्ति विश्वासघातिनी स्त्री
सांसर्गिक-सं० (वि०) 1 संसर्ग से उत्पन्न होनेवाला 2 संसर्ग सांप्रत-[ सं० (अ०) 1 इसी समय, तत्काल, अभी 2 इस संबंधी
समय, आजकल 3 सामयिक II (वि०) मिला हुआ, युक्त सांसारिक-सं० (वि०) संसार संबंधी, लौक्कि, ऐहिक सांप्रतिक-सं० (वि०) 1 जो चल रहा हो 2 ठीक और उपयुक्त (जैसे-सांसारिक मायाजाल)। ता (स्त्री०) संसार से सांप्रदायिक सं० (वि०) 1 संप्रदाय संबंधी, संप्रदाय का संबंधित होने की अवस्था 2 संप्रदाय के फलस्वरूप होनेवाला। ता (स्त्री०) | सांस्कृतिक-सं० (वि०) संस्कृति संबंधी, कलचरल, सांप्रदायिक होने का भाव; ता वादी (वि०) सांप्रदायिकता । (जैसे-सांस्कृतिक कार्यक्रम) संबंधी; ~ता विरोधी (वि०) सांप्रदायिकता का विरोध सांस्पर्शिक-सं० (वि०) 1 संस्पर्श संबंधी 2 संस्पर्श से उत्पन्न करनेवाला
होनेवाला सांबंधिक-सं० (वि०) संबंध का, संबंधी
सा-(अ०) संबंध सूचक अव्यय जो क्रिया विशेषण और साँभर-I (पु०) एक प्रकार का बारहसिंघा
विशेषण के रूप में प्रयुक्त होता है (जैसे-कमल सा मुख, ज़रा साँभर-II (पु०) 1 साँभर झील से बनाया गया नमक सा नमक, फूल सा शरीर) 2 सब्जीवाली पतली दाल
सांइटिफ़िक-अं० (वि.) वैज्ञानिक साँय साँय-(स्त्री०) शून्य का आभास
साइंस-अं० (स्त्री०) विज्ञान । दाँ. फ़ा० (पु०) विज्ञानी सांयोगिक-सं० (वि०) संयोग संबंधी
साइकिल-1 अंक (पु०) बाइसिकिल। चालक . सं. साँवक-बो० (स्त्री०) एक कदन्न
पाइकिल चलानेवाला, दौड़क । हिं० (पु०) साँवटा-(वि०) 1 समतल, बराबर 2 सफाचट
साइकिल दौड़ानेवाला; रिकशा । जा० (पु०) साँवर-बो० (स्त्री०) साँवला
बाइसिकिलवाला रिक्शा; सवार + फ़ा० (पु०) साइकिल साँवला-(वि०) हल्का काला. श्यामवर्ण का (जैसे-साँवला पर बैठनेवाला व्यक्ति, साइकिल चालक
लड़का, साँवली लड़की)। -पन (प०) वर्ण की श्यामता साइकिल-|| अं० (पु०) चक्कर साँवलिया-(वि०) साँवले रंग का
साइको अनैलिसिस-अं० (स्त्री०) मनोविश्लेषण साँवाँ-(प.) जेठ में होनेवाला कंगनी या चेना की जाति का साइक्लिंग–अंक (स्त्री०) साइकिल चलाना एक अन्न
साइक्लिस्ट-अं (पु०) साइकिल चालक सांवादिक-सं० (वि.) । मंवाद संबंधी 2 समाचार संबंधी साइक्लोपीडिया-अंक (स्त्री) 1 एक ग्रंथ जिसमें एक विषय (जैस-मां वादिक, पत्र)
के सभी अंगों का वर्णन रहता है ? विश्वकोश, सांविधानिक-मं० (वि० संविधान संबंधी। ता (बी.) ! इनसाइक्लोपीडिया विधान संबंधी होने का भाव
साइज़-अं० (प.) क़द, आकार सांविधिक- संपद के प्रस्ताव (विधि) से संबंधित । साज़िग-अं(वी) लंबाई के अनुसार व्यवस्थित करना सांश-सं. (वि०) हिम्सावाला
साइत-अ० (स्त्री०) शुभ काल, महुर्त (जैसे-शादी की साइत) सांयिक-सं० (वि.) दिम्म ? संदेह करनेवाला साइनबोर्ड-अं० (प०) नाम पट्ट
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साइर
साइर - बो० (पु० ) सायर साइरन - अं० ( पु० ) भोंपू (जैसे- साइरन की आवाज़, साइरन बजना) साई - (पु० )
साँईं
साई - (स्त्री०) 1 बयाना, पेशगी धन 2 गाने बजाने के लिए दिया
गया धन
साईस - अ० ( पु० ) घोड़े की देखभाल करनेवाला नौकर साईसी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) साईस का काम साउथ - अं० (पु०) दक्षिण दिशा
= साग
साक - (पु० )
साकल्य-सं० (५०) समग्रता
साका - (पु० ) 1 यश, कीर्ति 2 धाक, रोब
साकार - सं० (वि०) 1 आकारयुक्त 2 रूप विशिष्ट 3 स्थूल, मोटा 4 अस्तित्व में आया हुआ (जैसे-स्वप्न साकार हो गए) । ~ता (स्त्री०) साकार होने का भाव, साकारपन साकारोपासना-सं० (स्त्री०) ईश्वर को मूर्त रूप बनाकर उसकी की गई उपासना
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साकिन- अ० (वि०) 1 अचल 2 गति रहित 3 निवासी (जैसे- महादेव साकिन कैलाश पुरी रामेश्वरम्) साक्रिया - अ० (पु०) शराब पिलानेवाली स्त्री साक़ी - अ० ( पु० ) 1 शराब पिलानेवाला व्यक्ति 2 शराब पिलानेवाली प्रेमिका
साकूत - सं० (वि०) 1 सार्थक 2 साभिप्राय 3 क्रीड़ायुक्त साकेट - अं० (पु० ) खोल, खाँचा साकेत-सं० (पु० ) अयोध्या
साक्षर -सं० (वि०) पढ़ा लिखा, शिक्षित। ~ता (स्त्री०) शिक्षित होने का भाव
साक्षात् - I सं० (अ० ) 1 सम्मुख, सामने 2 प्रत्यक्ष 3 शरीर रूप में (जैसे-विद्या में तो वह साक्षात् बृहस्पति है ) II (वि०) मूर्तिमान्, साकार साक्षात्कार-सं० (पु० ) 1 सामने आना 2 प्रत्यक्ष भेंट, मुलाक़ात 3 स्पष्ट ज्ञान (जैसे-ईश्वर का साक्षात्कार, मानसिक साक्षात्कार)
साक्षात्कारी - सं० (वि०) साक्षात् करनेवाला
साक्षात्कृत -सं० (वि०) साक्षात्कार कराया हुआ साक्षिणी-सं० (स्त्री०) गवाही देनेवाली
साक्षी - सं० (पु० ) गवाही देनेवाला। ~करण (पु० ) साक्ष्यंकन; कृत (वि०) साक्ष्यांकित; परीक्षा (स्त्री०) गवाह की परीक्षा लेना
साक्षेप - I सं० (वि०) 1 आपत्तिजनक, अपेक्षात्मक 2 व्यंग्य युक्त II ( क्रि० वि०) आक्षेपपूर्वक साक्ष्यंकन-सं० (पु० ) प्रमाणीकरण साक्ष्यांकित -सं० (वि०) प्रमाणित
साक्ष्य -सं० ( पु० ) 1 गवाही, शहादत 2 प्रमाण साख - ( स्त्री०) 1 धाक, रोब 2 प्रतिष्ठा, मर्यादा साखी - I ( पु० ) 1 गवाह 2 मित्र और सहायक साखी - II (स्त्री०) 1 गवाही, शहादत 2 साधूसंतों के पद साखू - ( पु० ) शाल का पेड़, सखुआ साग- ( पु० ) 1 शाक 2 तरकारी। पात (पु० ) 1 साधारण भोजन 2 उपेक्ष्य और तुच्छ वस्तु; ~भाजी (स्त्री०) रूखा
साठा
सूखा भोजन; ~सब्ज़ी + फ़ा० ( स्त्री०) साधारण खाना सागर-सं० ( पु० ) = समुद्र। ~गामी (वि०) = समुद्रगामी;
~पारीय (वि०) = समुद्रपारीय मंथन (पु० ) = समुद्र मंथन यात्री (पु० ) समुद्र की यात्रा करनेवाला व्यक्ति; ~ विज्ञान, ~ शास्त्र (पु० ) = समुद्र विज्ञान; संगम ( पु० ) वह स्थान जहाँ सागर मिलते हैं सागरिक सं० (वि०) सागरीय - सं० (वि०) सागर संबंधी, सागर का (जैसे- सागरीय नौका, सागरीय बेड़ा)
=
समुद्री
सागवन, सागवान - ( पु० ) = सागौन
सागू - अं० ( पु० ) ताड़ की जाति का एक पेड़। दाना + फ़ा० (पु० ) सागू नामक वृक्ष के तने का गूदा सागौन - ( पु० ) शाल वृक्ष साग्निक - सं० (पु० ) अग्नि से युक्त साग्रसं० (वि०) सब, कुल
साग्रह-सं० (क्रि० वि०) आग्रह के साथ साघात-सं० (वि०) = सबल साचिव-सं० (वि०) सचिव का
साचिविक-सं० (वि०) सचिव संबंधी साचिव्य-सं० (पु० ) 1 सचिव होने का भाव, सचिव का पद साज़- I + फ़ा० (पु० ) 1 सामान 2 गाने के साथ बजाया जानेवाला बाजा 3 सजावट की सामग्री II (वि०) बनानेवाला (जैसे- घड़ी साज़)। बाज़ (पु० ) 1 आवश्यक सामग्री 2 सजावट 3 हेल मेल, मेल जोल; ~संगीत + सं० (पु० ) वाद्य संगीत ~ सजावट + हिं०, सज्जा + सं० (स्त्री०) सजावट ; ~ सामान (पु० ) 1 सामग्री, असबाब (जैसे-बरात का साज़ सामान मत भूलना) 2 ठाट बाट 3 उपकरण (जैसे - वैज्ञानिक साज़ सामान); सिंगार + हिं० (पु० )
सजावट
साजन - (पु० ) 1 प्रेमी 2 पति
साजात्य-सं० (पु० ) वर्ग की समानता
साज़िंदा - फ्रा० (पु० ) 1 बाजा बजानेवाला 2 वेश्याओं आदि के साथ बाजा बजानेवाला
साज़िश - फ्रा० षड़यंत्र, कुचक्र
साज़िशी - फ़ा० (वि०) षड्यंत्री, कुचक्री
साजोसामान - फ़ा० (पु० ) = साज़ सामान
साझा - ( पु० ) हिस्सेदारी, भागीदारी। पत्र + सं० ( पु० ) साझेदारी का अनुबंध पत्र ~भंग + सं० (पु० ) भागीदारी टूटना
साझी - ( पु० ) हिस्सेदार, भागीदार। ~ मंडी (स्त्री० ) = साझा
बाज़ार
साझेदार हिं० + फ़ा० (पु०) साझा करनेवाला साझेदारी - हिं० + फ़ा० (स्त्री०) हिस्सेदारी
साटक - (पु० ) 1 अन्न आदि का छिलका, भूसी 2 तुच्छ वस्तु साटन-अं० (स्त्री०) एक रेशमी कपड़ा
साठ - I (वि०) पचास से दस अधिक II (पु०) '60' की संख्या। ~नाठ I ( वि० ) 1 धनहीन 2 रसहीन 3 छिन्न भिन्न II (स्त्री०) 1 मेल जोल 2 अनुचित संबंध 3 षड्यंत्र साठसाती - (स्त्री०) साढ़ेसाती साठा - I (वि०) साठ वर्ष की उम्रवाला
=
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साठा
साठा - II ( पु० ) गन्ना, ईख साठी - (पु० ) 60 दिन में तैयार होनेवाला धान साड़ी - (स्त्री०) स्त्रियों की धोती साढ़साती-बोल (स्त्री० ) - साढ़ेसाती साढ़ी - 1 (स्त्री०) दूध की मलाई
साढ़ी -II (स्त्रो०) असाढ़ में बोई जानेवाली फ़सल साढ़ी - III बो० (स्त्री०) साड़ी साहू - ( पु० ) पत्नी की बहन का पति साढ़े- (वि०) आधे के साथ (जैसे साढ़े चार सौ साढ़े पाँच बजा है) । साती (स्त्री०) शनि ग्रह की एक अनिष्टकर स्थिति
साली का पति
=
(वि०)
सात - I (वि०) छ से एक अधिक II (पु०) '7' की संख्या । पात (पु० ) चालाकी, चालबाज़ी 2 दग़ा 3 बहाना (जैसे- सात पाँच न करना, मुझे सात पाँच नहीं आता ) ; ~फेरी (स्त्री०) = सप्तपदी; ~साला + फ़ा० सात वर्ष की (जैसे- सात साला योजना); की नाक कटना सारे परिवार का बदनाम होना; घर भीख माँगना दर दर माँगना; धार होकर निकलना बिना पचे भोजन का बाहर आ जाना; परदे लगना परदे में रहना; परदों में रखना 1 छिपाकर रखना 2 बड़ी सावधानी से रखना;
~ समुंदर पार बहुत पार
सातत्य -सं० (पु० ) 1 निरंतरता 2 स्थायित्व
सातवाँ - (वि०) सात के स्थान पर पड़नेवाला सात्त्विक सं० (वि०) = सात्विक सात्मक-सं० (वि० ) 1 सात्म संबंधी
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साधरा-बो० (पु० ) बिस्तर, बिछौना
साथिन - (स्त्री०) साथी औरत
2 प्रकृति के
अनुकूल सात्मय - I सं० ( पु० ) 1 प्रकृति के अनुकूल होने का भाव 2 सारूप्य 3 अभ्यास II ( वि०) प्रकृति के अनुकूल सात्विक सं० (वि०) सत्त्वगुण संपन्न । ~ता (स्त्री०) सात्विक होने का भाव
करना
साथ - I ( क्रि० वि०) सहित (जैसे-परिवार सहित आइएगा ) II (पु० ) संग (जैसे- मेरे साथ कौन चलेगा) । संपर्क में आना; ~ का खेला बचपन का साथी खोना साथ से वंचित होना; घसीटना जबरदस्ती शरीक करना; छूटना 1 विलग होना, अलग होना 2 दोस्ती टूटना; ~देना 1 सहायता देना 2 निबाहना 3 शरीक़ होना; निबहना निर्वाह होना; ~ रहना संग रहना; ~लग लेना शरीक हो जाना; ~लगा रहना पीछा न छोड़ना; ~ लेकर डूबना अपने संग दूसरों का भी नुक़सान करना; सुलाना, सोना 1 हम बिस्तर होना, सहवास करना 2 पास पास सोना; ~ सोकर मुँह छिपाना घनिष्टता होने पर भी संकोच करना; ही साथ एक साथ होना शरीक़ होना
साथी - (पु० ) 1 मित्र, सखा 2 जीवन संगी (जैसे-नारी अपने लिए एक अच्छा साथी की कामना करती है) 3 परस्पर साथ रहनेवाला व्यक्ति । पन (पु० ) 1 साथी होने का भाव 2 दोस्ती, मित्रता सादगी - फ़ा० (स्त्री०) 1 सादापन 2 सरलता, भोलापन 3 आडंबर रहित
साधिकार
सादर-सं० ( क्रि० वि०) आदरपूर्वक, इज़्ज़त से (जैसे- सादर
नमस्कार )
सादा - फ़ा० (वि०) 1 खालिस, बेमेल (जैसे-सादा पानी) 2 बिना सजावट का 3 कोरा, अलिखित (जैसे- सादा पत्रा ) 4 भोला, सरल हृदय (जैसे- सीधा सादा आदमी) 5 बिना स्टांप या टिकट का (जैसे- सादा लिफ़ाफ़ा ) 6 मूर्ख (जैसे- सादा दिमाग़ ) । सरलता
पन
हिं
(पु० ) = सादगी,
सादात - अ० (पु०) श्रेष्ठजन
सादृश्य-सं० ( पु० ) 1 समानता, तुल्यता 2 बराबरी, तुलना 3 प्रतिमूर्ति । ता (स्त्री०) सादृश्य होने की अवस्था; ~ वाचक (पु० ) समानता का बोध करानेवाला साद्यंत - I सं० (वि०) सारा, संपूर्ण II ( क्रि० वि०) आदि से अंत तक
साध - I (स्त्री०) आकांक्षा, अभिलाषा (जैसे मन की साध पूरी करना)
साध - II बो० (वि०) अच्छा, उत्तम
साधक - [सं० (वि०) 1 साधना करनेवाला 2. साधनेवाला II (पु० ) तपस्वी
साधन -सं० ( पु० ) 1 ज़रिया, व पीला 2 सामग्री 3 आवश्यक तत्त्व 4 कार्य पूर्ति का माध्यम 5 सहायता 6 उपाय, ढंग (जैसे- कार्य पूरा करने के लिए उचित साधन अपनाना ) 7 उपकरण (जैसे-वैज्ञानिक साधनों का प्रयोग) 8 पदार्थ, द्रव्य (जैसे- प्राकृतिक साधन की तलाश, प्राकृतिक साधनों को उपयोग में लाना)। पत्र (पु० ) साधिका साधना - I (स० क्रि०) 1 अभ्यास करना 2 निशाना लगाना 3 सिद्ध करना (जैसे - मंत्र साधना ) साधना - II सं० (स्त्री०) 1 उपासना, आराधना 2 कार्य सिद्धि 3 तुष्टीकरण । ~शील (वि०) साधना में लीन साधर्म्य - सं० (पु०) एक धर्मता, समानधर्मता साधार-सं० (वि०) 1 नींव पर स्थित 2 तथ्यपूर्ण साधारण - सं० (वि०) 1 सब जगह पाया जानेवाला, आम (जैसे- साधारण दृश्य, साधारण पहनावा ) 2 सामान्य, मामूली (जैसे- साधारण ज्ञान, साधारण बुद्धि) 3 सरल, आसान (जैसे- साधारण भाषा) 4 सब पर लागू होनेवाला (जैसे- साधारण नियम) 5 सदृश, समान (जैसे- साधारण कला प्रदर्शन) । ~ता (स्त्री०) 1 साधारण होने का भाव 2 सरलता, सुगमता 3 सामान्यता, मामूलीपन 4 समानता, सदृश्यता
साधारणतः, साधारणतया-सं० ( क्रि० वि०) साधारण रूप में, सामान्य ढंग से
साधारणीकरण-सं० (पु० ) 1 साधारण रूप में लाना 2 रस निष्पति की तादाम्य परक स्थिति
साधारणीभूत-सं० (वि०) साधारण रूप में लाया हुआ साधारता - सं० (स्त्री०) आधार सहित होने की अवस्था साधारित सं० (वि०) साधार
साधिका - I सं० (स्त्री०) गहरी नींद II (वि०) सिद्ध करनेवाली साधिकार - I सं० ( क्रि० वि०) 1 अधिकार पूर्वक 2 आधिकारिक रूप से II (वि०) 1 अधिकार प्राप्त
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साधित
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सामंत
2 आधिकारिक रूप से कहा हुआ (जैसे-साधिकार घोषणा) | सापवाद-सं० (वि०) अपवाद युक्त साधित-सं० (वि०) 1साधा हआ 2 सिद्ध किया हआ सापेक्ष-सं० (वि०) किसी की अपेक्षा करनेवाला। ~ता
(जैसे-साधित मंत्र) 3 शुद्ध किया हआ (जैसे-साधित धातु) (स्त्री०) सापेक्ष होने का भाव; ~ता वाद (पु०) 1 वह साधु-सं० (वि०) 1 अच्छा, भला 2 सच्चा (जैसे-साधु वचन) सिद्धांत जिसमें दो बातें या वस्तुएँ एक दूसरे पर अपेक्षित हों 3 उपयुक्त, योग्य (जैसे-साधु पात्र का चयन)। -चरित्र | 2 विश्व की सारी गति सापेक्ष है ऐसा सिद्धांत (वि०) अच्छे गुणोंवाला, अच्छे स्वभाव का; ~ता (स्त्री०) सापेक्षिक-सं० (वि०) = सापेक्ष 1 अच्छाई 2 योग्यता 3 सच्चाई 4 भलमनसाहत, सज्जनता; सापेक्ष्यवाद-सं० (पु०) - सापेक्षतावाद
~वाद (पु०) शाबाशी देना; ~वादी (वि०) 1 प्रशंसा साप्ताहिक-सं० (वि०) 1 सप्ताह संबंधी 2 सप्ताह भर का करनेवाला 2 उचित कहनेवाला; ~वृत्त (वि०) 1 सदाचारी (जैसे-साप्ताहिक कार्यक्रम) 3 सप्ताह में एक दिन होनेवाला 2 अच्छे स्वभाव का; वृत्ति (स्त्री०) सदाचरण; (जैसे-साप्ताहिक अवकाश)
वेशधारी (पु०) साधु वेश में रहनेवाला व्यक्ति; ~साधु साफ-I अ० (वि.)1 स्वच्छ, निर्मल (जैसे-माफ़ पानी, माफ़ (क्रि० वि०) 1 शाबाश 2 धन्य-धन्य (जैसे-साधु साधु कपड़ा) 2 उज्जवल बेदाग़ (जैसे-साफ़ मन, माफ़ काग़ज़) कहना); हृदय (वि०) अच्छे हृदयवाला
3 पवित्र, शुद्ध 4 स्पष्ट (जैसे-साफ़ बात) 5 आसान, सरल साधो-(पु०) धार्मिक पुरुष, संत, साधु
(जैसे-साफ़ लिखावट) 6 ठीक और शुद्ध (जैसे-साफ़ न्याय) साध्य-सं० (वि०) साधन के योग्य। -सिद्धि (स्त्री०) | II (अ०) 1 सफ़ाई से, कुशलतापूर्वक 2 खुले तौर पर 1 लक्ष्य की उपलब्धि 2 निष्पनि
(जैसे-साफ़ कहना) 3 स्पष्ट रूप से (जैसे-साफ़ देखना) साध्यवसाना-सं० (स्त्री०) साहि० लक्षणा का एक भेद जिसमें 4 सरल रूप में (जैसे-साफ़ लिखना)। गोई • फ़ा० स्वयं उपमान में उपमय का तादात्म्य किया जाता है (जैसे-यह (स्त्री०) स्पष्टवादिता; दिल + फ़ा० (वि०) साफ़ लड़का तो निरा उल्लू है)
मनवाला, सच्चे मन का; दिली (स्त्री०) 1 आत्म शुद्धि, सानंद-[ सं० (वि०) आनंदमय II (क्रि० वि०) आनंद मन की निष्कपटता 2 द्वेषरहित; ~सथरा + हिं० (वि०) पर्वक, खुशी से (जैसे-आप सानंद आमंत्रित हैं)
स्वच्छ; ~ छूटना बेदाग़ छूट जाना; बचना तनिक भी सानंदाश्रु-सं० (पु०) आनंद के आँसू
आँच न आना; ~बनना साधुता का ढोंग करना सान-(पु०) 1 कुरुंड पत्थर 2 गोल पत्थर के आकार का धार | साफल्य-सं० (पु०) 1 सफलता 2 उपयोगिता। ~मंडित करने का एक यंत्र (जैसे-सान पर चाक तेज़ करना) । (वि०) सफलता से सुशोभित ~गुमान + फ़ा० (पु०) 1 निशान 2 सुराग 3 ख्याल साफ़ा-अ० + हिं० (पु०) पगड़ी 4 इशारा । ~देना, धरना, रखना औज़ार की धार तेज़ करना साफ्री-I अ० +फा० (स्त्री०) छानने का कपड़ा II (वि०) सानना-I (स० क्रि०) बो० 1 गॅधना, माँड़ना (जैसे-आटा 1 साफ़ करनेवाला 2 खून साफ़ करनेवाली (दवा) सानना) 2 मिलाना 3 लपटना, शामिल करना (जैसे-मुझे इस | साबर-(पु०) साँभर मग का चमड़ा। कुकर्म में क्यों सानते हो)
साबिक़-अ० (वि०) पुराने समय का, पहले का सानना-II (स० क्रि०) सान पर धार तेज करना साबिक़ा-अ० (पु०) 1 जान पहचान, मुलाक़ात 2 सरोकार, सानिध्य-सं० (पु०) = सन्निध्य
वास्ता सानी-I (स्त्री०) खली कराई में सानकर दिया जानेवाला भूसा साबित-अ० (वि०) 1 दृढ़, पक्का 2 सिद्ध 3 प्रमाणित (जैसे-गाय-भैंस को सानी पानी देना)। पानी (स्त्री०) 4 समृचा, अखंड खाना पीना, दाना पानी
साबुन-अ० (पु०) नहाने धोने में प्रयुक्त एक रासायनिक पदार्थ सानी-II अ० (वि०) बराबर, तुल्य
(जैसे-कपड़ा साफ़ करने का साबुन, स्नान या नहाने का सानु-सं० (पुल) 1 पर्वत शिखर 2 समतल भूमि
साबुन)। ~दानी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) साबुन रखने का सानुनासिक-सं० (वि०) जिसके उच्चारण में मुँह के अतिरिक्त पात्र या छोटा डिब्बा नाक से अनुस्वरात्मक ध्वनि निकले (जैसे-सानुनासिक व्यंजन, साबूत-अ० (वि०) अखंड, समृचा सानुनासिक वर्ण)
साबूदाना-+ फ़ा० (पु०) सागृदाना सानुपातिक सं० (वि०) अनुपात सहित होनेवाला साभार-सं० (क्रि० वि०) कृतज्ञता प्रकट करते हुए सानुप्रास-[ सं० (वि०) अनुप्रास से युक्त || (अ०) (जैसे-साभार अभिनंदन)
अनुप्रास सहित (जैसे-सानुप्रास अभिव्यक्त करना) साभिप्राय-[ सं० (वि०) 1 अभिप्राय युक्त 2 विशेष सानुभाव-सं० (वि०) अनुकूल, सदय। ~ता (स्त्री०) प्रयोजनवाला 3 निश्चय पर दृढ़ || (क्रि० वि०) उद्देश्य अनुकूलता, सदयता
सहित (जैसे-साभिप्राय देखना) सानुरोध-सं० (क्रि० वि०) अनुरोध के साथ (जैसे-सानुरोध साभिमान-[सं० (वि०) गर्वीला, घमंडी II (अ०) घमंड के
कहना) सान्निध्य-सं० (पु०) 1 सामीप्य 2 सन्निकटता
सामंजस्य-सं० (पु०) 1 औचित्य 2 अनुकूलता, उपयुक्तता । सान्निपातिक-सं० (वि०) 1 जटिल, पेचीदा 2 त्रिदोष के ~मूलक (वि०) अनुकूलता पर आधारित कारण उत्पन्न (रोग)
सामंजस्यात्मक-सं० (वि०) अनुकूलतापूर्ण सापत्नय-सं० (पु०) 1 सौतपन 2 सौतेलापन
सामंत-सं० (पु०) बड़ा जमींदार। ~काल (पु०) सामंत का
साथ
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सामंतिक
समय; ~ कालीन (वि०) सामंत काल का; तंत्र (पु० ) सामंतवाद, पद्धति, प्रथा ( स्त्री०) = सामंतवाद; ~युग (पु० ) सामंत वाद का वाद (पु०) वह शासन व्यवस्था जिसमें राज्य की भूमि बड़े बड़े जमींदारों के अधिकार में रहती थी; वादी (वि०) सामंतवाद संबंधी; विरोधी (वि०) सामंत का विरोध करनेवाला; ~ व्यवस्था ( स्त्री० ) = सामंतवाद; शाही + फ़ा० (स्त्री०) = सामंतवाद सामंतिक-सं० (वि०) सामंत संबंधी
हिं० (वि०) सामंत संबंधी
सामंती-सं० सामंतीय सं० (वि०) सामंत का
साम - I सं० ( पु० ) सामवेद
साम - II सं० (पु० ) वैरी से मीठी मीठी बातें करके उसे मिलाने की नीति
=
+
822
सामग्री-सं० (स्त्री०) 1 समान, वस्तु 2 माल असबाब 3 उपकरण 4 साधन (जैसे-प्रमाणभूत सामग्री) सामन-अं० (स्त्री०) एक लाल सी बड़ी मछली सामना - ( पु० ) 1 मुक़ाबला 2 भेंट 3 होड़, प्रतियोगिता 4 अगला हिस्सा। ~करना मुकाबला करना सामने - ( क्रि० वि०) 1 आगे 2 मुक़ाबले में 3 मौजूदगी में, उपस्थिति में 4 रूबरू 5 सीध में (जैसे सड़क के सामने) । ~आना 1 मुक़ाबले में आना 2 रूबरू होना 3 मुँह दिखाना; ~करना 1 पेश करना 2 आगे करना 3 मुक़ाबले में लाना; ~ का 1 अपना देखा हुआ (जैसे-सामने की घटना का बयान) 2 मौजूदगी का पड़ना संयोग से मिल जाना; से उठ जाना 1 मर जाना (जैसे-मेरे सामने मेरा लड़का दुनिया से उठ गया) 2 मौजूदगी में न रहना (जैसे- तुम्हारे सामने से सारा सामान उठ गया); ~ होना 1 रूबरू होना 2 परदा न करना 3 मुक़ाबला करना 4 धृष्टतापूर्ण बर्ताव करना (जैसे- गुरु के सामने होते तुम्हें शर्म नहीं आती)
सामयिक-सं० (वि०) 1 समयानुसार (जैसे- सामयिक कार्यक्रम) 2 वर्तमान (जैसे-सामयिक पत्र) सामरिक सं० (वि०) युद्ध का ( जैसे- सामरिक सज्जा, सामरिक षड़यंत्र ) । ~वाद (पु०) सैनिक दृष्टि से हमेशा शक्ति बनाए रखने का सिद्धांत; ~वादी (वि०) सामरिकवाद से संबद्ध सामर्थ-सं० (स्त्री० ) सामर्थ्य सामर्थी - सं० (वि०) 1 सामर्थ्यवाला 2 ताक़तवाला, बलवान् 3 कार्य करने में समर्थ
सामर्थ्य -सं० (पु० ) 1 समर्थ होने का भाव 2 योग्यता, शक्ति (जैसे-यह कार्य मेरी सामर्थ्य के बाहर है) 3 साहि० व्यंजना शक्ति (जैसे- शब्द सामर्थ्य) । ~शाली (वि०) = सामर्थी सामवेद - सं० (पु० ) हिंदू धर्म के चार ग्रंथों में पहला ग्रंथ
(जैसे- सामवेद में विशाल धर्म संग्रह है) सामवेदीय-सं० (वि०) सामवेद संबंधी सामाजिक-सं० (वि०) 1 समाज का (जैसे- सामाजिक सुधार) 2 समाज से संबंधित (जैसे- सामाजिक रीति रिवाज़) । ~ अंध राष्ट्रवादी (वि०) सामाजिक राष्ट्रवादी; आर्थिक (वि०) समाज और अर्थ से संबंध रखनेवाला (जैसे- सामाजिक आर्थिक व्यवस्था); ~कार्य कर्ता (पु० )
=
होनेवाला
समय का
साम्राज्य
सामाजिक कार्य करनेवाला; ता (स्त्री०) सामाजिक होने का भाव; ~राजनीतिक (वि०) समाज और राजनीति से संबंधित सामाजीकरण-सं० (पु०) समाज का रूप देना सामान - फ़ा० ( पु० ) 1 वस्तुएँ, असबाब 2 उपकरण, सामग्री (जैसे-युद्ध के सामान)
सामान्य-सं० (वि०) 1 मामूली, साधारण (जैसे-सामान्य बात, सामान्य लड़ाई झगड़ा) 2 सार्वजनिक, आम (जैसे- सामान्य भाषा, सामान्य पर्व ) 3 औसत दरज़े का (जैसे- सामान्य वेशभूषा, सामान्य बुद्धि) 4 तुच्छ, महत्त्वहीन (जैसे-सामान्य वस्तु) । ~ज्ञान (पु०) साधारण जानकारी; ता (स्त्री०) सामान्यावस्था; बुद्धि (स्त्री०) साधारण बुद्धि; ~ भविष्यत् (पु० ) व्या० भविष्य काल का एक भेद जिसमें भविष्य में होनेवाली क्रिया का रूप रहता है; भूत (पु० ) व्या० भूतकाल का एक भेद जिसमें काल की क्रिया का साधारण रूप रहता है; वर्तमान (पु०) व्या० वर्तमान काल का एक भेद जिसमें क्रिया का वर्तमान काल में होना दिखलाया जाता है; ~विधि (स्त्री०) 1 साधारण ढंग 2 साधारण नियम; ~ शेयर अं० ( पु० ) साधारण हिस्से सामान्यः, सामान्यतया-सं० (क्रि० वि०) 1 साधारणतः 2 आम, मामूली ढंग से सामान्यीकरण-सं० (पु० ) 1 सामान्य रूप देना 2 साधारणीकरण
+
सामारोहिक-सं० (वि०) समारोह संबंधी
सामासिक - सं० (वि०) 1 समास का 2 समास रूप में होनेवाला (जैसे- सामासिक पद)
सामिष - सं० (वि०) मांस से युक्त (जैसे- सामिष भोजन) सामी-बो० (स्त्री०) अरबी और यहूदी जातियाँ। हामी
(स्त्री०) यहूदी और मिस्त्री जातियाँ सामीप्य-सं० (पु० ) समीपता, निकटता सामुदायिक-सं० (वि०) सामूहिक सामुद्र-सं० (वि०) समुद्र संबंधी सामुद्रिक - सं० (वि०) समुद्र से संबंधित वेत्ता (पु०) समुद्र संबंधी विद्याओं का ज्ञाता; शास्त्र (पु० ) समुद्र संबंधी विद्या सामूहिक - सं० (वि०) 1 समूह द्वारा होनेवाला 2 समूह से संबंधित। ~ता (स्त्री०), तावाद (पु० ) = समूहवाद सामूहीकरण - सं० ( पु०) = सामूहिकीकरण सामेधिक-सं० (वि०) अद्भुत प्राकृतिक शक्ति से संपन्न सामोद -सं० (वि०) प्रसन्न
साम्मुख्य-सं० ( पु० ) सामना
साम्य-सं० ( पु० ) समानता । ~ता (स्त्री०) साम्य भाव; ~वाद (पु०) वर्गहीन समुदाय के लिए सामाजिक सुव्यवस्था का सिद्धांत वाद मूलक (वि०) = साम्यवादी; वादी (वि०) साम्यवाद संबंधी; ~वादी करण (पु०) साम्यवाद का रूप देना
साम्यावस्था -सं० (स्त्री०) समान होने का भाव साम्राजी - (वि०) साम्राज्यवादी साम्राज्य-सं० ( पु० ) 1 सार्वभौम सत्ता 2 पूर्ण 3 आधिपत्य 4 प्राधान्य। पंथी + हिं० (वि०)
प्रभुता
=
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साम्राज्यांतर्गत 823
सारवान् साम्राज्यवाद समर्थक; ~पक्षी (वि०) साम्राज्यवाद का । या घृणा करना 2 सामीप्य से डरना अनुयायी; -परस्त • फा० (वि०) = साम्राज्यवादी; | साया-II पुर्त० (पु०) साड़ी के नीचे पहना जानेवाला छोटा
लिप्सा (स्त्री०) साम्राज्य की चाह. साम्राज्य की आकांक्षा: लहँगा. पेटीकोट -वाद (पु०) 1 साम्राज्य को बढ़ाने की प्रवृत्ति या नीति सायास-सं० (क्रि० वि०) प्रयत्नपूर्वक 2 एक राष्ट्र का अन्य राष्ट्र को अपने अधीन कर अपना हित पूरा सायाहन-सं० (पु०) शाम. संध्या करने का सिद्धांत; ~वाद विरोधी (वि०) साम्राज्यवाद का सायुक्तिक-सं. (वि.) क्ति सहित होनेवाला विरोध करनेवाला; ~वाद समर्थक (वि०) साम्राज्यवाद का | सायुज्य-सं० (पु०) । एक में मिल जाना 2 एकरूपता. सादृश्य समर्थन करनेवाला; ~वादी (वि०) साम्राज्यवाद संबंधी (जैसे-ईश्वरीय सायुज्य) (जैसे-साम्राज्यवादी नीति): विरोधी (वि.) साम्राज्यवाद सायुध-सं० (वि.) । सशस्त्र ? हथियारों से लैस (आर्ड) विरोधी; विस्तार (पु०) साम्राज्य की वृद्धि करना; सारंग-I सं. (वि.) 1 रंगीन ? संदर, सुहावना 3 रसीला.
शाही • फ़ा० (वि०) शहनशाही: ~सत्ता (स्त्री०) = सरस II (पु.) 1 दीपक, दीआ 2 सूर्य 3 चंद्रमा + आकाश साम्राज्यवाद
5 मेघ, बादल 6 बिजली, विद्युत : सागर. समुद्र 8 तालाब, साम्राज्यांतर्गत सं० (वि०) साम्राज्य के अंदर का सर पानी. जल 10 शंख 11 मोती 12 कमल 13 मोर (जैसे-साम्राज्यातर्गत अधिमान्यता)
14 शेर. सिंह 15 हिरन 16 साँप. सर्प । साम्राज्यीय-सं० (वि.) = साम्राज्यवादी
सारंगा-(स्त्री०) । एक ही लकड़ी की बनी डोंगी? एक तरह साम्हर-बो० (पु०) = साँभर
की बड़ी नाव सायं-I सं० (वि०) संध्याकालीन II (क्रि० वि०) 1 शाम सारंगिक-सं. (पु०) चिडिमार. बहेलिया ? एक तरह का (जैसे-सायंपर्यंत) 2 शाम को। -काल (पु०) शाम के __वर्णवृत्त समयः कालीन (वि०) शाम के समय का; निवास सारंगिया-(पु०) सारंगी बजानेवाला कलाकार (पु०) शाम को रहने का घर; ~भोजन (पु०) शाम का | सार-सं० (पु०) 1 पदार्थ का मुख्य और मूल अंश. तत्त्व. सत्त खाना; ~संध्या (स्त्री०) 1 गोधूली. मंद प्रकाश 2 गूदा. मग्ज 3 यथार्थ बात 4 सारांश 5 शक्ति, बल 6 शौर्य 2 सायंकालीन उपासना; ~होम (प०) संध्या समय किया 7 साहस, दृढ़ता 8 महत्त्व १ फल. नतीजा। ~गर्भित (वि.) जानेवाला होम
1 महत्त्वपूर्ण (जैसे-सारगर्भित कथन) 2 प्रभावकारी सायंतन-सं० (वि०) सायंकाल संबंधी
(जैसे-सारगर्भित भाषण): ग्रहण (पु०) सार लेना: साय-सं० (पु०) संध्या का समय, शाम
~ग्राहिता (स्त्री०) सार ग्रहण करने का भावः -ग्राही सायक-सं० (पु०) तीर, बाण
(वि०) सार ग्रहण करनेवाला; तत्त्व (स्त्री०) सार होने की सायकिल-अं० (स्त्री०) = साइकिल
अवस्था; ~ता (स्त्री०) सार होने का भावः - भाग (पु०) सायक्लिंग-अं० (स्त्री०) साइकिल चलाना
निचोड़: ~भूत (वि०) सर्वश्रेष्ठ. सर्वोत्तमः भूमि सायविलस्ट-अं० (स्त्री०) साइकिल चलानेवाला
(स्त्री०) = सार स्थिति; रूप (पु०) सार; लेख (पु०) सायत-I अ० (स्त्री०) = साइत
महत्त्वपूर्ण लेख: लेखन (पु०) महत्त्वपूर्ण लिखावट: सायत-II फ़ा० (क्रि० वि०) बोल - शायद
वृत्त (पु०) संक्षिप्त विवरण: -संग्रह (पु०) संक्षिप्त सायनाइड-अं० (पु०) एक विषेला रासायनिक अम्लीय लवण और सारभूत बातों का संग्रह: हीन (वि०) । महत्त्वहीन सायवान-फा० (पु०) छाजन
2 नीरस : सायमाहुति-सं० (स्त्री०) = सायं होम
सारक-सं० (वि.) निकालनेवाला । सायर-अ० (पु०) 1 कर मुक्त भूमि तथा नदी तालाब आदि सारकोमा-अं० (पु०) चि० हड़ियों की रसौली का इलाज 2 चुंगी, महसूल
सारजेंट-अं० (पु०) सेना और पुलिस में एक छोटा अफ़सर, सायरन-अं० (पु०) - साइरन
जमादार सायल-I (वि०) 1सवाल करनेवाला, प्रश्नकर्ता सारण-सं० (पु०) हटाना, निकालना 2 माँगनेवाला || (पु०) 1 प्रार्थी, फ़रियादी 2 नौकरी | सारणित-सं० (वि०) निकाला आ माँगनेवाला व्यक्ति 3 भिखारी, भिखमंगा
सारणी-सं० (स्त्री०) तुलनात्मक अध्ययन हेतु अनेक साया-[फा० (पु०) 1 छाया 2 परछाँई 3 भूत, प्रेत, जिन आदि खानोंवाला फलक (जैसे-समय सारणी)। करण (पु०) (जैसे-साया ग्रस्त) 4 आश्रय, संरक्षण (जैसे-माता-पिता का | सारणी रूप में लाना साया) 5 असर (जैसे-पाप का साया)। दार (वि०) | सारतः-सं० (अ०) प्रकृति के अनुसार, सार रूप में छायायुक्त, छाँहवाला (जैसे-सायादार वृक्ष, सायादार मंडप); सारथि, सारथी-सं० (पु०) रथ चलानेवाला. सूत -बंदी (स्त्री०) (मुसलमानों में) विवाह के लिए मंडप सारथ्य-सं० (पु०) सारथी का काम बनाना; ~उठना संरक्षक का मर जाना; ~उतरना प्रेतबाधा सारबान-फा० (पु०) ऊँट हाँकनेवाला दूर होना; ~पड़ना असर होना (जैसे-लगता है तुम पर भी | सारभाटा-(पु०) ज्वार आने के बाद लहरों की उतार अवस्था बदमाशों का साया पड़ गया); साए की तरह साथ साथ | सारल्य-सं० (पु०) सरलता। ~प्रवृत्ति (स्त्री०) सरलता का फिरना हर वक्त साथ लगे रहना; ~से बचकर चलना | रूप होना असर न पड़ने देना, बहुत दूर रहना; से भागना 1 नफ़रत | सारवान्-सं० (वि०) सारवाला
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सारस
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सावन
सारस-सा (प.)। लंबे पैगंवारा प्रायद और बडा सफ़ेद नष्ट हो गई) 2 बारह महीनों का समय (जैसे-इस इमारत के पक्षी 2 हंग
बनने में पूरा साल लग गया)। -गिरह (स्त्री०) बरसगाँठ, सारसी-सं० (स्त्री । मादा माग्य
वर्षगाँठ; तमाम + अ० (पु०) वर्ष का अंत; तमामी सारस्य-सं० (१०) मग्मता
+अ० (स्त्री०) वार्षिक विवरण; नामा (प्०) पत्र-पत्रिका सारस्वत-सं० (वि.) 1 मरम्बनी का ? शास्त्रीय
का विशेषांक; ~सी + फ़ा० (स्त्री०) 1 सालस होने की सारांश-सं० (प.) 1 या भाग, चाड ? मक्षिप्न 3 उपसंहार अवस्था 2 पंचायत 4 परिणाम, नतीजा 5 मतलब, नात्यय । जैस बात का सारांश, साल-II (पु०) ज़ख्म, घाव सारांश की बात।। पत्रिका (बी०. मी पत्रिका जिसमें सालन-(पु०) साग आदि की मसालेदार तरकारी (जैसे-रोटी अनेक लेखों और पुस्तकों का मागण हो
और सालन देना) सारांशक-सं० (१०) मारांश यक्त कथन
सालना-I (अ० क्रि०) 1 पीड़ा उत्पन्न करना 2 गड़ना, चुभना सारा-(वि०) 1 कुल सब ? पूरा, समग्र
II (स० क्रि०) 1 गड़ाना, फँसाना 2 चुभाना 3 दुःख देना सारि-सं० (१०) शतरंज या पामे की गोटी
साल निर्यास-सं० (पु०) धूना, राल सारिक-सं० (वि०) 1 मागंश संबंधी ? संक्षिप्त 3 मारांश का सालम मिस्त्री-अ० (स्त्री०) वीर कंदा, सुधामूली में एकत्र किया हुआ
सालवेंट-अं० (पु०) कर्ज चुकाने योग्य व्यक्ति सारिका-सं० (स्त्री) मैना (पक्षी)
सालस-I अ० (पु०) 1 पंच 2 तिसरैत सारिणी-सं० (स्त्री) .. मागणी
सालस-II सं० (वि०) आलस्ययुक्त, क्लांत सारिणीयक-सं० (वि०) मारिणी में संबंधित
सालसा-(पु०) रक्त शोधक औषध सारी-सं० (स्त्री०) - मारि
साला-I (पु०) 1 पत्नी का भाई 2 लोक व्यवहार में प्रचलित सारूप्य-सं० (पु०) 1 एक रूप हाने का भाव 2 एकरूपता एक गाली II (वि०) नियत साल या वर्ष में होनेवाला साजेट-अं० (१०) . सारजेंट
(जैसे-दो साला पेंड) सार्थ-सं० (वि०) 1 अर्थयुक्त 2 उद्देश्यपूर्ण
सालाना-फ़ा० (वि०) वार्षिक सार्थक-सं० (वि०) 1 अर्थवाला ? उद्देश्यवाला। -त सालार-फा० (पु०) नायक। -जंग (पु०) 1 प्रधान सेनापति (स्त्री०) 1 सार्थक होने का भाव ? सफलता
2 योद्धा सार्थवाह-सं० (१०) व्यापारी
सालिका-सं० (स्त्री०) बाँसुरी सार्थ-सं० (वि०) .. साढ़े
सालियाना-फ़ा० (वि०) = सालाना सार्व-सं० (वि०) 1 सबका (जैस-मार्वभौम, सार्वजनिक) सालिस-I अ०(वि०) तीसरा II (पु०) 1 पंच 2 तिसरैत। 2 सबक लिए उपयुक्त (जैस-सार्व स्थल)। --कालिक नामा + फ़ा० (पु०) पंचनामा (वि०) 1 सब समय के लिए उपयुक्त 2 सब काल संबंधी सालिसिटर-अं० (पु०) = सोलीसीटर सार्वजनिक-सं० (वि०) 1 सबसे सबंध रखनेवाला 2 सबके साली-(स्त्री०) पत्नी की बहन लिए उपयुक्त 3 सबके कामों में आनेवाला। -ता (स्त्री०)| सालोंसाल-फ़ा० + हिं० + फ़ा० (क्रि० वि०) कई साल तक सार्वजनिक होने का भाव
सालोक्य-सं० (पु०) एक प्रकार की मुक्ति सार्वजन्य-सं० (वि.) 1 सबसे संबंधित 2 लोक हितकर सावंत-बो० (पु०) = सामंत सार्वत्रिक-सं० (वि०) 1सब स्थान से संबंधित 2 सभी| साव-बो० (पु०) = साह अवस्था में होनेवाला
सावक-(पु०) बौद्ध या जैन संन्यासी सार्वदेशिक-सं० (वि०) सब देशों से संबद्ध
सावकाश-I सं० (अ०) अवकाश होने पर, फुरसत के समय सार्वनामिक-सं० (वि०) व्या मर्वनाम संबंधी
II (पु०) अवकाश सार्वभौम-सं० (वि०) 1 सारी भूमि संबंधी 2 सारी पृथ्वी पर सावधान-I सं० (वि०) 1सचेत, सतर्क 2 जागरूक,
शासन करनेवाला 3 विश्वविख्यात । ~वाद (पु०) सबके ख़बरदार (जैसे-सावधान योद्धा) II (क्रि० वि०) प्रति समान भाववाला सिद्धांत; सत्ता (स्त्री०) व्यापक 1 जागरूक 2 सचेत (जैसे-सावधान करना)। ता (स्त्री०) शक्ति
1 जागरूकता 2 सतर्कता सार्वभौमत्व-सं० (पु०) सार्वभौम होने का भाव
सावधानी-(स्त्री०) = सावधानता सार्वभौमिक-सं० (वि०) संपूर्ण पृथ्वी पर फैला हुआ | सावधि-सं० (वि०) निश्चित कार्य कालवाला (जैसे-सावधि (जैसे-सार्वभौमिक सत्ता)। ता (स्त्री०) सार्वभौमिक होने जमा योजना) का भाव
सावधिक-सं० (वि०) सावधि संबंधी सार्वराष्ट्रीय-सं० (वि०) सब राष्ट्रों से संबंधित
सावन-I (पु०) असाढ़ और भाद्रपद के बीच का एक महीना, सार्वलौकिक सं० (वि०) 1 सर्व व्याप्त 2 सार्वजनिक श्रावण। के अंधे को हराही हरा समता सार्विक-सं० (वि०) 1 समान रूप से दिखाई पड़नेवाला है जो जिस दशा में रह चुका हो उसे बराबर वही दशा दिखाई 2 आम, जनरल (जैसे-सार्विक हड़ताल)
पड़ती है; न हरे न भादों सूखे हमेशा एक रस, सदा एक सालंकार-सं० (वि०) अलंकृत, आभूषण युक्त
सा बना रहना साल-I फा० (पु०) 1 वर्ष, बरस (जैसे-इस साल की फ़सल | सावन-II सं० (पु०) सूर्योदय से लेकर चौबीस घंटे का समय
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सावनी
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सिंगार
सावनी-I (वि०) 1 सावन संबंधी 2 सावन में होनेवाला साहनिक-I सं० (वि०) सहस्र संबंधी II (पु०) इकाई का
II (स्त्री०) सावन में गाया जानेवाला एक प्रकार का गीत __ हज़ारवा अंश सावयव-सं० (वि०) अंग सहित
साहस्त्री-सं० (स्त्री०) एक प्रकार की एक हज़ार वस्तुओं का ढेर सावर्ण-सं० (वि०) एक ही जाति या वर्ग का
या समूह सावर्ण्य-सं० (पु०) रंग या जाति की समानता
साहा-(पु०) विवाह का शुभ मुहूर्त सावित्र-I सं० (वि०) 1 सूर्य संबंधी 2 सूर्य से उत्पन्न साहाय्य-सं० (पु०) सहायता, मदद II (पु०) सूर्य
साहित्य-सं० (पु०) 1 लिपिबद्ध विचार, ज्ञान आदि 2 ग्रंथों का सावित्री-सं० (स्त्री०) मत्स्य देश के राजा अश्वपति की । समूह, वाङमय 3 काव्यशास्त्र 4 गद्यात्मक या पद्यात्मक रचना कन्या 2 सघवा स्त्री
(जैसे-साहित्य का विक्रेता, साहित्य का प्रेमी) 5 साथ, मेल सावेग-सं० (क्रि० वि०) शीघ्रता से झटके से
संयोग। ~आलोचना (स्त्री०) = साहित्य समीक्षा; ~कार साश्चर्य-सं० (वि०) 1 आश्चर्य जनक, चकित करनेवाला (पु०) साहित्य की रचना करनेवाला; ~गत (वि०) = 2 चकित
साहित्यिक; ~ग्रंथ (पु०) साहित्य की पुस्तक; ~ज्ञ (पु०) साक्ष-I सं० (वि०) आँसुओं से युक्त, अश्रुपूर्ण II (क्रि० साहित्य का ज्ञाता; ~पन + हिं० (पु०) साहित्यिकता; वि०) आँसू भरकर (जैसे-साश्रु निवेदन करना, साश्रु प्रार्थना प्रेमी (पु०) साहित्य पसंद करनेवाला व्यक्ति, साहित्य में करना)
रुचि रखनेवाला व्यक्ति; विज्ञान, ~शास्त्र (पु०) साहित्य साष्टांग-I सं० (वि०) आठों अंगों से युक्त II (क्रि० वि०) के विभिन्न अंगों रस, छंद, अलंकार आदि का विवेचन आठों अंगों से (जैसे-साष्टांग प्रणाम करना)
करनेवाला ग्रंथ; ~शास्त्री (पु०) - साहित्यज्ञ; सास-(स्त्री०) 1 पत्नी या पति की माता 2 उक्त स्थान पर ~समालोचक (पु०) = साहित्य समीक्षक; ~समालोचन पड़नेवाली स्त्री (जैसे-चचिया सास, ममिया सास)
(पु०) = साहित्य समीक्षा; ~समालोचना (स्त्री०) = सासत-(स्त्री०) = साँसत
साहित्य की आलोचना; ~समीक्षक (पु०) साहित्य की सासन लेट-(स्त्री०) एक तरह का सफ़ेद जालीदार कपड़ा समीक्षा करनेवाला; ~सर्जना (स्त्री०) - साहित्य सृष्टिः सासर-अं० (पु०) प्लेट, तश्तरी
सामर्थ्य (पु०) साहित्य संबंधी योग्यता; सृष्टि (स्त्री०) सासुर-बो० (पु०) 1 ससुर 2 ससुराल ।
साहित्य की रचना साह-(पु०) 1 वणिक, महाजन 2 सज्जन और साधु पुरुष | साहित्यांग-सं० (पु०) साहित्य के अंग 3 धनी और प्रतिष्ठित व्यक्ति
साहित्यांश-सं० (पु०) साहित्य का अंश साहचर्य-सं० (पु०) 1संग, साथ 2 सहचर होने का भाव साहित्यालोचक-सं० (पु०) साहित्य का आलोचक साहजिक-सं० (वि०) 1 सहज 2 स्वाभाविक
साहित्यालोचन-सं० (पु०) साहित्य की आलोचना साहब-अ० (पु०) 1 मालिक, स्वामी (जैसे-साहब की शादी) साहित्यिक-सं० (वि०) 1साहित्य संबंधी (जैसे-साहित्यिक 2 परमात्मा (जैसे-साहब ते सब होत है बंदे ते कछ नाहिं) रचना) 2 साहित्य का पारखी। ~ता (स्त्री०) साहित्यिक होने 3 सज्जनों के लिए प्रयुक्त आदर सूचक शब्द (जैसे-आइए ___ का भाव साहब बैठिए, डॉक्टर साहब) 4 दफ़्तर का अधिकारी साहित्यिकी-सं० (स्त्री०) साहित्य शास्त्र (जैसे-आज साहब के घर जाना है) 5 अंग्रेज़ निवासी। साहित्येतर-सं० (वि०) साहित्य से भित्र
जादा + फ़ा० (पु०) बड़े आदमी का लड़का, रईस का | साहिब-अ० (पु०) = साहब बेटा; ~पन (पु०) साहब होने का भाव, साहबी; ~बहादुर साहिल-अ० (पु०) किनारा, तट + फ्रा० (पु०) 1 अंग्रेज़ अफ़सर 2 साहबी ढंग से रहनेवाला साही-(स्त्री०) तेज़ लंबे काटोंवाला एक पशु हिंदुस्तानी अफ़सर; ~सलामत (स्त्री०) बंदगी, सलाम साहु-(पु०) = साह साहबा-अ० (स्त्री०) महिला
साहल-फा० (पु०) दीवार आदि की सीध नापने का एक साहबान-(पु०) सत्पुरुष
उपकरण साहवाना-अ० + फ़ा० (वि०) साहब का
साहू-(पु०) = साह साहबी-1 अ० +फ़ा० (स्त्री०) साहब होने की अवस्था साहूकार-(पु०) बड़ा व्यापारी II (वि०) साहब जैसा
साहूकारा-(पु०) महाजनी साहबेआलम-अ० + फ़ा० + अ० (पु०) दुनिया का मालिक साहूकारी-(स्त्री०) = साहूकारा साहस-सं० (पु०) 1हिम्मत 2 उग्रता, प्रचंडता 3 जल्दी। सिंक-अं० (पु०) सोख़्ता गढ्ढा ~कारी (वि०) हिम्मती, साहसी
सिंकना-(अ० क्रि०) सेंका जाना साहसिक-सं० (वि०) 1 हिम्मती 2 प्रचंड, उग्र 3 निर्भीक सिंग-(पु०) = सींग 4 उद्धत
सिंगड़ा-(पु०) = सींगडा साहसी-सं० (वि०) 1साहसपूर्ण कार्य करनेवाला सिंगरफ़-फ़ा० (पु०) = शिंगरफ़ 2 साहसवाला
सिंगल-अं० (वि०) एक मात्र, अकेला साहस्र-सं० (वि०) 1 हज़ार संबंधी 2 एक हज़ारवाला सिंगा-(पु०) सींग के आकार प्रकार का एक बाजा 3 हज़ारगुना
सिंगार-(पु०) 1 सजावट 2 सजधज 3 श्रृंगार रस । दान
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सिंगारना
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सिक्का
भाषा
।
फ़ा० (पु०) प्रसाधन सामग्री रखने का छोटा संदूक; ~मेज़ (पु०) सिंह के समान वीर पुरुष; ~गर्जना (स्त्री०) शेर की + फ़ा० (स्त्री०) श्रृंगार से संबंधित एक आईनदार मेज़; आवाज़; ~ग्रीव (वि०) सिंह के समान गर्दनवाला; द्वार
हाट (स्त्री०) वेश्याओं का निवास स्थान, चकला; ~हार (पु०) सिंह की मूर्तिवाला दरवाज़ा; नाद (पु०) 1 सिंह (पु०) हरसिंगार नामक पुष्प वृक्ष
गर्जन 2 युद्ध ध्वनि, ललकार 3 हंकार 4 ज़ोर देकर बात सिंगारना-(स० क्रि०) श्रृंगार करना, सजाना
कहना; ~पौर (पु०) = सिंह द्वार; ~वाहिनी (स्त्री०) दुर्गा सिंगारिया-(पु०) श्रृंगार करनेवाला
सिंहनी-सं० (स्त्री०) शेरनी सिंगारिया-(पु०) श्रृंगार संबंधी 2 श्रृंगार करनेवाला सिंहल-सं० (पु०) 1 भारत के दक्षिण स्थित एक द्वीप, लंका सिंगाल-(पु०) पहाड़ी बकरा
2 इस द्वीप का निवासी। ~भाषा (स्त्री०) श्री लंका की भाषा सिंगी-I(स्त्री०) = सिंगा
सिंहली-I सं० +हिं (वि०) सिंहल संबंधी II (पु०) सिंहल सिंगी-II(स्त्री०) - सींगी
द्वीप का निवासी, लंका निवासी III (स्त्री०) सिंहल द्वीप की सिंगौटी-1(स्त्री०) बैल के सींग का गहना सिंगौटी-II(स्त्री०) - सिंगारदान
सिंहस्थ-[सं० (पु०) सिंह राशि में वृहस्पति के होने का समय सिंघ-बो० (पु०) - सिंह
II (वि०) सिंह राशि में स्थित (जैसे-सिंहस्थ वृहस्पति) सिंघली-(वि.) - सिंहली
सिंहाण-सं० (पु०) 1 नाक से निकला मल, रेंट, सीड 2 मोर्चा, सिंघाड़ा-(पुल) 1 पानी में उत्पन्न एक तिकोना फल 2 सिंघाड़ा । जंग
के आकार का एक नमकीन खाद्य पदार्थ, समोसा सिंहावलोकन-सं० (पु०) 1 सिंह की तरह पीछे देखते हुए सिंघी-(स्त्री०) 1 सिंगी मछली 2 सोंठ
आगे बढ़ना 2 पुनः दृष्टिपात करना 3 पिछली बातों का संक्षिप्त सिंधू-(पु०) एक तरह का जीरा
वर्णन 4 छंद रचना का दूसरा चरण पहले चरण के अंतिम शब्द सिंघेला-(पु०) 1 शेर का बच्चा 2 वीर बालक
से शुरू करना सिंचन सं० (पु०) 1 सिंचाई 2 छिड़काव
सिंहासन-सं० (पु०) राजा, देवता आदि का आसन। च्युत सिंचना-(अ० क्रि०) 1 सिंचाई होना 2 पानी का छिड़काव होना (वि०) सिंहासन से हटाया हुआ; त्याग (पु०) सिंहासन सिंचाई-(स्त्री०) । छिड़कने का काम 2 छिड़कने का __ छोड़ना; ~युद्ध (पु०) राजगद्दी के लिए होनेवाली लड़ाई पारिश्रमिक (जैसे-सिंचाई के दस रुपए)
सिंहासनस्थ-सं० (वि०) राजगद्दी पर आसीन सिंचाना-(स० क्रि०) सींचने का काम कराना
सिंहासनारूढ़-सं० (वि०) सिंहासन पर बैठा हुआ (जैसे-राजा सिंचित-सं० (वि०) सींचा हुआ
__ का सिंहासनारुढ़ उत्सव) सिंजा-सं० (स्त्री०) झंकार
सिंहासनारोहण-सं० (वि०) सिंहासन पर बैठा हुआ सिंडिकेट-अं० (पु०) 1 व्यापारिक संस्थाओं की समिति | सिंहिनी-सं० (स्त्री०) शेरनी 2 सिनेट की प्रबंध समिति
सिकंजबीन-फ़ा० (स्त्री०) नींबू के रस में बनाया गया शवंत सिंथेटिक-अं० (वि०) कृत्रिम, बनावटी
सिकंदर-फा० (पु०) एक प्रसिद्ध यूनानी सम्राट सिंदूर-सं० (पु०) ईंगुर से बना एक तरह का लाल चूर्ण | सिकंदरा-फा० + हिं० (पु०) रेल का सिगनल (जैसे-माँग में सिंदूर भरना)। दान (प.) विवाह के समय | सिकटा-बो० (पु०) मिट्टी के बर्तन का टुकड़ा वर का कन्या की माँग में सिंदूर भरनाः दानी । फ़ा० । सिकड़ी-(स्त्री०) साँकल, जंजीर। हिं० (स्त्री०) सिंदूर रखने की डिबिया; बंदन (पु०) - सिकता-सं० (स्त्री०) 1 बालू 2 बलुई ज़मीन सिंदूरदान; चढ़ना लड़की का विवाह होना; ~पोंछना सिकतिल-(वि०) रेतीला, बलुआ विधवा होनाः - भरना पत्नी रूप में स्वीकार करना; सिकत्तर-अं बो० (पु०) - सेक्रेटरी -मिटना विधवा हो जाना
सिकरी-(स्त्री०) - सिकड़ी सिंदूरिया-[ सं. हिं० (वि०) सिंदूर के रंग का || (स्त्री०) सिक़ली-अ० । फ़ा० (स्त्री०) हथियार माँजकर तेज़ करना। सदासुहागिन
~गर । फ़ा० (पु०) 1 सिक़ली करनेवाला कारीगर 2 चमक सिंदूरी-| सं० हिं० (वि०) सिंदूर जैसा पीला मिश्रित लाल लानेवाला II (पु०) सिंदूर जैसा पोलायुक्त लाल रंग
सिकहर-(पु०) छींका (जैसे-सिकहर में मटका लटका देना) सिंदोरा-(पु०) - सिंधोरा
सिकाई-(स्त्री०) सेंकने का काम सिंधी-I (वि०) सिंध देश का || (पु०) सिंध देश का | सिकुड़न-(स्त्री०) 1संकोच 2 शिकन निवासी III (स्त्री०) सिंध देश की भाषा
सिकुड़ना-(अ० क्रि०) 1 संकचित होना 2 शिकन पड़ना सिंधु-सं० (पु०) सागर, समुद्र। ज (वि०) समुद्र से | (जैसे-बिस्तर कैसे सिकुड़ गया) उत्पन्न; ~जा (स्त्री०) लक्ष्मी
सिकोड़ना-(स० क्रि०) 1 संकुचित करना 2 बटोरना, समेटना सिंधोरा-(पु०) सिंदूर रखने की काठ की डिबिया ___ 3 तंग करना . सिंफ़नी-अं० (स्त्री०) स्वरसंगति, सरीलापन
सिकोली-(स्त्री०) बेंत, बाँस आदि की डलिया सिंह-सं० (पु०) 1 शेर 2 बारह राशियों में से एक राशि 3 बल | सिक्कड़-(पु०) 1 जंजीर 2 सिकड़ी
और पराक्रम का सूचक शब्द (जैसे-पुरुष सिंह) 4 वास्तुकला | सिक्का -अ० (पु०) 1 मुद्रा, रुपया (जैसे-सिक्का ढालना, में उक्त आकार की आकृति (जैसे-सिंह द्वार)। कर्मा । पाँच रुपए का सिक्का, चाँदी का सिक्का) 2 ठप्पा, छाप
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सिक्की
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सिद्धत्व
3 पदक, प्रभाव (जैसे-सिक्का बैठना) 4 रुपए आदि अंकित । सिट्ठी-(स्त्री०) = सीठी करने का ठप्पा। ~ढलाई + हिं० (स्त्री०) सिक्का ढालने का । सिठाई-(स्त्री०) फीकापन काम और मज़दूरी; चलाना सिक्का जारी करना; | सिड़-(स्त्री०) 1 पागलपन, खब्त, सनक 2 धुन। -बिल्ला
जमना, बैठना रोब दाब कायम होना, अधिकार | (पु०) 1 पागल 2 बेवकूफ़, बुद्ध स्थापित होना; जमाना, बैठाना रोब दाब कायम करना, | सिड़न-(स्त्री०) सिड़ी होना अधिकार स्थापित करना
सिड़ी-(वि०) 1 पागल 2 सनकी, झक्की। ~पन (पु०) सिक्की-अ० + हिं० (स्त्री०) छोटा सिक्का
1पागलपन 2 सनक, झक सिक्ख--(पु०) = सिख
सितंबर-अं० (पु०) ईसवी सन का नवाँ महीना सिक्त-सं० (वि०) 1सींचा हुआ 2 गीला। ता (स्त्री०) | सित-सं० (वि०) 1 उजला, श्वेत 2 चमकीला और साफ़, सिक्त होने का भाव
स्वच्छ 3 विशुद्ध, निर्मल सिक्ति-सं० (स्त्री०) सींचने का भाव
सितम-फ़ा० (पु०) 1 जुल्म, अन्याय 2 अंधेर, अनर्थ 3 गज़ब, सिक्थ-सं० (पु०) मोम
अत्याचार (जैसे-तुमने बड़ा गज़ब कर डाला)। ~गर सिक्यूरिटी काउंसिल-अं० (स्त्री०) सुरक्षा परिषद्
(वि०) 1 अत्याचार करनेवाला, अत्याचारी 2 अन्याय सिखंड-(पु०) मोर की पूँछ
करनेवाला, अन्यायी; ~गरी (स्त्री०) सितमगर का काम; सिख-(पु०) 1 शिष्य, चेला 2 गुरु नानक के पंथ का अनुयायी ~ज़दा (वि०) सितम से उत्पन; टूटना अनर्थ होना,
3 इन अनुयायियों का एक स्वतंत्र वर्ग (जैसे-सिख समूह) संकट आना; ~ढाना अत्याचार करना सिखर-(पु०) शिखर
सितली-(स्त्री०) कष्ट या पीड़ा से निकला पसीना सिखरन-(स्त्री०) चीनी, गरी, केसर आदि के मिश्रण से बना सितांबर-सं० (पु०) = श्वेतांबर दही का पेय
सिता-सं० (स्त्री०) 1 चाँदनी, चंद्रिका 2 चाँद्र मास का शुक्ल सिखलाई-(स्त्री०) सिखाने का काम
पक्ष सिखलाना-(स० क्रि०) सिखाना
सितार-फा० (पु०) एक प्रसिद्ध तंत्रवाद्य। ल्वादक (पु०) सिखाना-(स० क्रि०) 1 सीखने में प्रवृत्त करना 2 प्रशिक्षित सितार बजानेवाला, सितारिया; ~वादन + सं० (पु०) सितार करना 3 समझाना-बुझाना (जैसे-गणित सिखाना, अंग्रेज़ी
बजाना सिखाना)। पढ़ाना (स० क्रि०) समझाना बुझाना सितारा-फा० (पु०) 1 तारा, नक्षत्र 2 भाग्य (जैसे-सितारा सिखावन-(स्त्री०) शिक्षा, उपदेश, नसीहत
चमकना, सितारा डूबना)। पेशानी (वि०) जिसके माथे सिगड़ी-(स्त्री०) अँगीठी
पर सितारा हो; ~शनास (पु०) ज्योतिषी; ~गर्दिश में सिगनल-अं० (पु०) 1 संकेत 2 रेल आदि के आवागमन का सेना दुर्भाग्य के दिन होना; चमकना भाग्य जगना; सूचक चिह्न, सिकंदरा (जैसे-सिनगल लोअर है, सिगनल नहीं बुलंद होना सौभाग्य काल होना; ~भारी झेना दुर्दिन का
आना सिगरेट-अं० (पु०/स्त्री०) काग़ज़ में तंबाकू लपेटकर बनाई गई | सितारिया-फा० + हिं० (वि०) सितार वादक एक तरह की बत्ती (जैसे-सिगरेट, सुलगाना)। केस, | सितारे हिंद-फा० (पु०) अंग्रेज सरकार द्वारा सम्मानित भारतीय
दुब्बा + हिं० (पु०) सिगरेट रखने का एक आयताकार | को दी जानेवाली एक उपाधि (जैसे-राजा शिव प्रसाद को डिब्बा; ~लाइटर (पु०) सिगरेट जलाने का एक यंत्र या | सितारे हिंद से सुशोभित किया गया) उपकरण
सितावर-(पु०) सुसना का साग सिगार-अं० (पु०) एक विशेष प्रकार का मोटा तथा बड़ा | सितासित-सं० (वि०) 1 सफ़दे और काला 2 भला और बुरा सिगरेट, चुरूट
सितून-फा० (पु०) 1 खंभा 2 चौंड़, थूनी 3 लाट, मीनार सिगोन-(स्त्री०) रेत मिली लाल मिट्टी
सिंदरा-फा० (पु०) तीन दरोंवाला कमरा या दालान सिच्छा-बो० (स्त्री०) = शिक्षा
सिद्ध-सं० (वि०) 1 पूरा किया हआ 2 प्राप्त, लब्ध 3 प्रमाणित सिजदा-अ० (पु०) घुटने टेककर और सिर झुकाकर किया 4निश्चित 5 दृढ़, पक्का 6 सत्य माना हआ 7 निर्णीत 8 दक्ष,
जानेवाला प्रणाम। ~गाह + फ्रा० (स्त्री०) उपासना स्थल विशेषज्ञ 9 अलौकिक शक्ति से संपन्न। ~काम (वि०) पूर्ण सिझना-(अ० क्रि०) आँच पर पकना, सिझाया जाना इच्छावाला; ~गुटिका (स्त्री०) एक मंत्र सिद्ध वटिका; सिझान-(पु०) सीझने की स्थिति
-तापस (पु०) सिद्धि प्राप्त तपस्वी; ~दर्शन (पु०) सिझाना-(स० क्रि०) आँच पर पकाना
अलौकिक शक्ति संपन्न संत का दर्शन; ~दोष (वि०) सिटकनी, सिटकिनी-(स्त्री०) किवाड़ अंदर से बंद करने के जिसका दोष प्रमाणित हो गया हो; रसायन (पु०) दीर्घायु लिए उसमें लगा छोटा छड़, चटखनी
बनानेवाला रस; ~साधक (पु०) मनोरथ पूर्ण करनेवाला सिटपिटाना-(अ० क्रि०) 1 सहम जाना 2 स्तब्ध हो जाना एक कल्प वृक्ष; ~साधन (पु०) 1 सिद्धि हेतु तांत्रिक 3मंद पड़ जाना 4 दब जाना
अनुष्ठान 2 इसमें प्रयुक्त सामग्री या पदार्थ 3 प्रमाणित बात को सिट्टी-(स्त्री०) वाचालता। -पिट्टी (स्त्री०) 1 बोलती पुनः प्रमाणित करना; हस्त (वि०) दक्ष, कुशल; 2 हेकड़ी; बाज़ + फ्रा० (पु०) हेकड़ीबाज़
हस्तता (स्त्री०) निपुणता, कौशल सिटुनी-(स्त्री०) = सिठनी
| सिद्धत्व-सं० (पु०) सिद्ध होने की अवस्था
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सियाला
17 सिधात का
सिद्धांजन
828 सिद्धांजन-सं० (पु०) एक प्रकार का कल्पित अंजन | सिपास-फ़ा० (स्त्री०) 1 सराहना, बड़ाई 2 कृतज्ञता का बखान सिद्धांत-सं० (पु०) 1 निश्चित मत, उसूल 2 पक्की राय या वर्णन। नामा (पु०) अभिनंदन पत्र
3 अंतिम उद्देश्य या अभिप्राय। ~कार (पु०) मत स्थापित सिपाह-फा० (स्त्री०) सेना, फ़ौज। ~गरी, ~गिरी (स्त्री०) करनेवाला; ज्ञ (पु०) सिद्धांत का ज्ञाता; त्यागी (वि०) 1सिपाही का काम 2 शूरता, बहादुरी सिद्धांत को त्यागनेवाला; निरूपण (पु०) सिद्धांत की सिपाहियाना-फ़ा० (वि०) सिपाह संबंधी व्याख्या करना; निष्ठा (स्त्री०) सिद्धांत में आस्था या सिपाही-फ़ा० (पु०) 1 पुलिस विभाग का एक साधारण विश्वास; ~प्रतिपादन (पु०) मत की व्याख्या, मत का कर्मचारी, कांस्टेबल 2 फ़ौजी आदमी, सैनिक निरूपण; ~वाद (पु०) मतवाद; ~वादी I (वि०) सिद्धांत सिपुर्द-फ़ा० (पु०) = सुपुर्द । नामा (पु०) - सुपुर्दनामा वाद संबंधी II (पु०) सिद्धांतवाद का अनुयायी; ~हीन सिपुर्दगी-फ़ा० (स्त्री०) = सुपुर्दगी .(वि०) बिना सिद्धांत का
सिप्पा-(पु०) 1 युक्ति, तरकीब 2 निशाने पर किया गया वार सिद्धांत:-सं० (क्रि० वि०) सिद्धांत की दृष्टि से
3 एक प्रकार की छोटी तोप। जमाना भूमिका बाँधना; सिद्धांतित-सं० (वि०) प्रमाणित, साबित
-भिड़ना, लड़ना मौका मिलना; भिड़ाना, सिद्धांती-[ सं० (वि०) सिद्धांत जाननेवाला II (१०) तर्क ~लड़ाना उपाय करना; - मारना, लगाना निशाना
शास्त्र का ज्ञाता। करण हिं० (प०) सिद्धांत बना लेना लगाना सिद्धाई-सं० +हिं० (स्त्री०) - सिद्धत्व
सिफ़त-अ० (स्त्री०) 1 विशेषता, गुण 2 लक्षण सिद्धार्थ-सं०(वि०) सफल मनोरथ, पूर्णकाम
सिफ़र-I अ० (पु०) शून्य II (वि०) 1 मूल्यरहित सिद्धि-सं० (स्त्री०) 1 सफलता 2 निश्चय 3 प्रश्न का हल | 2 बिल्कुल अयोग्य और निकम्मा 4 पूर्ण शुद्धि 5 अलौकिक शक्तियाँ 6 दक्षता, निपुणता 7 पूर्ण | सिफ़ला-अ० (वि०) 1 घटिया 2 कमीना, नीच 3 ओछा, ज्ञान 8 लक्ष्यवेध १ स्पष्ट होना। ~कारी (वि०) सिद्धि करने छिछोरा या करानेवाला; ~दायक (वि०) सिद्धि प्रदान करनेवाला; सिफ़ाती-अ० + फ़ा० (विं०) 1 सिफ़तवाला 2 सिफ़त से प्राप्त
~लाभ (१०) सिद्धि प्राप्त करना या सिद्धि मिलना सिफ़ारत-अ० (स्त्री०) 1 राजदूत का पद या कार्य 2 राजदूत सिधाई-(स्त्री०) = सीधापन
का कार्यालय, दूतावास। खाना +फां० (पु०) राजदूत का सिधारना-(अ० क्रि०) 1 प्रस्थान करना, जाना 2 मर जाना, । कार्यालय या दफ़्तर
मृत्यु हो जाना, परलोक वासी (जैसे-पिताजी बहुत पहले ही | सिफ़ारती-अ० +फ़ा० (वि०) सिफ़ारत का सिधार गए) 3 स्वर्गवासी होना
सिफ़ारिश-फ़ा० (स्त्री०) 1 संस्तुति, रिकमेंडेशन 2 खुशामद, सिन-अ० (पु०) अवस्था, उमर। रसीदा (वि०) बूढ़ा, चिरौरी, चापलूसी (जैसे-नौकरी के लिए सिफ़ारिश करना)
3 योग्यता आदि का बयान करना। नामा (पु०) सिफारिश सिनक-(स्त्री०) नाक का मल, रेंट
भरा पत्र सिनकना-(स० क्रि०) साँस के झोंके से नाक का मल । सिफ़ारिशी-फ़ा० (वि०) 1 सिफ़ारिश संबंधी 2 सिफ़ारिश रूप निकलना, छिनकना
में होनेवाला 3 खुशामदी, चापलस। टट्ट योग्यता के अभाव सिनारियो-अं० (१०) - सिनेरियो
में सिफ़ारिश से नौकरी आदि पानेवाला व्यक्ति सिने उद्योग-अं० सं० (पु०) सिनेमा उद्योग
सिफ़ाल-फा० (पु०) 1 मिट्टी का बरतन 2 ठीकरा सिनेट-अं० (स्त्री०) = सीनेट
सिफ़ाला-I फ़ा० (पु०) 1 खपड़ा 2 ठीकरा II (वि०) सिनेटर-अं० (पु०) = सीनेटर
खपरैल का बना, खपरैला। ~पोश (वि०) खपड़े का बना सिनेमा-अं० (पु०) 1 चलचित्र, छायाचित्र 2 सिनेमा देखने का | खपरैला भवन । ~अभिनेता सं० (१०) सिनेमा का नायक; | सिमटना-(अ० क्रि०) 1 सिकुड़ना, संचित होना 2 सिलवट ~अभिनेत्री सं० (स्त्री०) सिनेमा तारिका; कक्ष सं० | पड़ना 3 लज्जित होना 4 समाप्त होना (जैसे-शादी ब्याह का (पु०) - सिनेमा हाल; -गृह सं० .हिं (पु०) सिनेमा | काम सिमट गया) घर; चित्र सं० (पु०) चलचित्र; तारिका सिं० सिमटा सिमटाया-(वि०) संपन्न किया गया (जैसे-सिमटा (स्त्री०) सिनेमा की नायिका; नीशिका. लेखक सं० (प०
लेखक सं० (पु०) सिमटाया काम) सिनेमा की कथा लिखनेवाला; -शौकीन - अ० सिनेमा | सिमर गोला-(पु०) एक तरह की मेहराब पसंद करनेवाला व्यक्ति; स्टूडियो (पु०) जहाँ सिनेमा की सिमाना-(अ० क्रि०) बो० ठंडा मालम होना फोटो तैयार की जाए हाल (३०) सिनेमा देखने का बड़ा सिमेंट-अं० (पु०) - सीमेंट कमरा
सिम्त-अ० (स्त्री०) दिशा सिनेरियो-अं० (पु०) पटकथा
सियराना-(अ० क्रि०) ठंडा होना सिपर-फ़ा० (स्त्री०) ढाल, शील्ड
सियादत-अ० (स्त्री०) प्रतिष्ठा सिपह-फ़ा० (स्त्री०) सिपाह का लघु रूप। ~गरी (स्त्री०) सियाना-(वि०) = सयाना सिपाही का काम; सालार (प्०) सेनापति; ~सालारी सियापा-फा० (पु०) मातम (स्त्री०) सेनापतित्व
सियार-बो० (पु०) गीदड़ सिपहगिरी-सं० (स्त्री०) सिपाही का काम
सियाला-(पु०) जाड़े का मौसम, शीत काल
अना
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सियालापोका
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सिर
सियालापोका-(पु०) लोनी मिट्टी में पाया जानेवाला एक जाना; कदम पर रखना 1 मिन्नत करना 2 इज़्ज़त करना; प्रकार का कीड़ा
~कलम करना सिर काटना; ~कहाँ फोइँ कहाँ तलाश सियावड़ी-(स्त्री०) साधुओं के निमित्त खलिहान से निकाला करूँ; ~का पसीना पाँव को आना बहुत ज्यादा मेहनत गया अनाज का हिस्सा
करना; ~का बोझ उतरना काम से फुरसत पाना; ~का सियासत-अ० (स्त्री०) 1 शासन प्रबंध 2 राजनीति । ~दाँ बोझ उतारना लापरवाही से काम करना; का बवाल + फ़ा० (वि०) 1 शासनपट्ट 2 राजनीतिज्ञ
होना जी का जंजाल होना, दृभर होना; - की आफ़त टलना सियासी-अ० (वि०) 1 राजकाज से संबद्ध 2 राजनीतिक मुसीबत दूर होना; की कसम जान की कसम, जान की (जैसे-सियासी चाल)
सौंह; ~की सुध न पाँव की बुध लापरवाह; ~के ज़ोर सियाह-फ़ा० (वि०) = स्याह
पूरी कोशिश से; के बल अदब के साथ; के साथ जान सियाहत-अ० (स्त्री०) 1 सैर 2 पर्यटन
के साथ है; ~कोरे उस्तुरे से मुंडना 1 बुराई करना सियाहा-फ़ा० (पु०) 1 नित्य के आय व्यय का हिसाब लिखने 2 बेइज़्ज़त करना 3 सर्वस्व लूट लेना; खपाना माथा पच्ची
की बही या पंजी 2 मालगुजारी का रजिस्टर। नवीस करना; ~खाना 1 परेशान करना 2 शोर मचाना; खाली (१०) सियाहा लिखनेवाला कर्मचारी
करना 1 व्यर्थ माथा पच्ची करना 2 बकझक करना; सियाही-फ़ा० (स्त्री०) 1 रोशनाई, मसि 2 दोष 3 कालापन खुजलाना, खुजाना शामत आना; खुजाने की
4 श्यामता 5 कालिख, कालिमा 6 अंधकार 7 कलंक का फुरसत नहीं ज़रा सा भी अवकाश नहीं; खोलना 1 सिर टीका
उघाड़ना 2 बाल फैलाना; ~गंजा करना 1 कंगाल कर देना सिर-I (पु०) 1 खोपड़ी, कपाल, हेड 2 दिमाग़ (जैसे मेरा सिर 2 बहुत मारना; -गिरना 1 सिर झुकना 2 सिर कटना; मत चाटो, यह लड़का एक घंटा से मेरा सिर चाट रहा है)। -गिराना जान से मारना; ~गूंधना चोटी करना; ~घुटनों ~कटा (वि०) 1 जिसका सिर कट गया हो 2 दूसरों का सिर में देना 1खित्र होना 2 लज्जित होना; ~घूमना, काटनेवाला; ~खप (वि०) 1 सिर खपानेवाला, मेहनती चकराना 1 सिर में दर्द होना 2 पागल हो जाना; 2 बहादुर, वीर; ~खपी (स्त्री०) जान लगाकर मेहनत करना; "-चढ़कर 1 निडर होकर 2 खूद छेड़खानी करके; चढ़कर
गिरी (स्त्री०) पक्षियों की शिखा; चंद (पु०) बोलना 1 अपने आप भेद खुलना 2 भूत प्रेत आदि के आवेश अर्धचंद्राकार आभूषण; चढ़ा (वि०) मुँहलगा, ढीठ; में बकझक करना; चढ़कर लड़ना 1 लड़ाई लेना 2 व्यर्थ
ताज +फा० (पु०) 1 सरदार, मालिक 2 पति, शौहर छेड़खानी करना; चढ़ना यार बनना; चढ़ाकर पटकना 3 सिर का आभूषण; तापा +फां० (क्रि० वि०) सिर से पैर आदर देकर अपमानित करना; -चढ़ाना 1 आदर का भाव तक; तोड़ (वि०) 1 सिर तोड़नेवाला 2 जी जान से किया दिखाना 2 गुस्ताख बनाना 3 देवी देवताओं को बलि देना; जानेवाला; ~दर्द +फां० (पु.) 1 माथे की पीड़ा 2 चिंता का चला जाना मौत होना, मरना; -जाना 1 किसी के जिम्मे कारण; ~दर्दी +फां० (स्त्री०) चिंता, परेशानी; ~नामा पड़ना 2 सिर कटना; जोड़कर बैठना पास पास बैठना; +फां० (पु०) 1 पत्र पर लिखा हुआ पता 2 लेखादि का ~जोड़ना 2 मेल होना 2 राय करना; ~~झाड़ मुँह पहाड़ शीर्षक; ~नेत (पु०) सिर की पगड़ी; ~पच्ची (स्त्री०) सिर जंगली, वहशियाना; झुकना सिर नीचा होना;झुकाना खपाना, मग़ज़ पच्ची; -पीड़ा +सं० (स्त्री०) = सिर दर्द; 1 नमस्कार करना 2 लज्जा से झुक जाना 3 स्वीकार करना; -पेच +फां० (पु०) पगड़ी; ~पोश +फां० (पु०) 1 सिर ~टकराकर मर जाना 1 दुःख भरा अंत होना 2 व्यर्थ हैरान का आवरण 2 बंदूक का गिलाफ़ 3 गिलाफ़; फिरा होना; ~टकराना 1 अत्यधिक श्रम करना 2 सिर फोड़ना; (वि०) जिसका दिमाग़ बिगड़ गया हो; ~फुटौवल (स्त्री०) टीका होना काम का किसी पर आश्रित होना; ~डालना मारपीट, खून खराबा; ~फूल (पु०) स्त्रियों का शिरोभूषण; थोपना, मत्थे मढ़ना (जैसे-किसी का पाप मेरे सिर क्यों डालते
-फेंटा, बंद +फां० (पु०) पगड़ी; ~बंदी +फां० हो); ~तोड़कर लेना बलपूर्वक ले लेना; -तोड़ कोशिश (स्त्री०) माथे का एक गहना; ~बोझी (स्त्री०) पाटन के करना बेहद कोशिश करना; तोड़ना बहुत मारना पीटना; काम आनेवाला पतला बाँस; ~मौर (पु०) = सिर ताज; ~थकाना 1 हद से ज्यादा समझाना 2 बहुत दिमाग़ लगाना; ~अलग करना सिर काटना; ~आँखों पर, आँखो से ~~थामकर बैठ जाना या बैठना शोक, क्षोभ, आघात आदि स्वीकार है, शौक से; ~~आँखो पर बैठना या बैठाना बहुत से वेग के ग्रस्त हो विलाप करना; ~थाम लेना अशुभ इज्ज़त करना; ~आँखो पर रखना बहत आवभगत करना; | समाचार सुनकर संतप्त होना; ~थोपना 1 इलज़ाम लगाना
~आँखो पर होना खुशी से स्वीकार होना; -उठाकर 2 जिम्मे करना; दिवारों से टकराना अत्यंत घबड़ा जाना; चलना इतराना, गरूर करना; उठाना 1 विरोध करना दुःखाना परेशान करना; ~दे दे मारना, दे मारना 2 लज्जित न होना (जैसे-आजकल की बहुए जेठ के सामने शोकादि की प्रबलता में सुध बुध खो बैठना; ~देना प्राण भी सिर उठाए फिरती हैं) 3 अकड़ दिखाना, घमंड करना निछावर करना, जान देना; ~धरना 1 सम्मान पूर्वक स्वीकार 4 आत्म सम्मान से रहना; ~उठाने की फुरसत नहीं ज़रा सा करना 2 जिम्मे लगाना 3 दोष या कलंक लगाना; ~धुनना भी अवकाश नहीं; ~उठाने नहीं देता ज़रा भी अवकाश 1 शोक करना 2 पछताना; -नंगा करना 1 बेइज़्ज़त करना नहीं देता; ~उड़ जाना सिर कट जाना; ~उड़ाना, 2 सिर खोलना (जैसे-ससुर के आगे बहु का सिर नंगा करना
-उतारना सिर काटना; ~ऊँचा करना आत्म सम्मान पूर्वक कहाँ तक उचित है); न उठाने देना 1 दम भर की मुहलत रहना; ~औंधाना सिर नीचा करना; -कटना जान से मारा | न देना, काम में लगाए रखना 2 सरकशी न करने देना 3 बोलने
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की फुरसत न देना; - पैर बेतुका, क्रमहीन; ~नवाना 1 दीन बनना 2 नमस्कार करना; नउठा सकना उपकार के बोझ से आँख न मिला सकना; नीचा करना 1 लज्जित करना 2 उदास होना; नीचा होना 1 पराजित होना 2 लजित होना 3 घमंड चूर होना; पकड़कर बैठना 1 शोकावेग से मौन होकर बैठना 2 खेद और पश्चाताप के चिह्न प्रकट करना; -पकड़कर रह जाना अत्यंत दुःख और
आश्चर्य की स्थिति में होना; -पकड़कर रोना सिर पर हाथ धर के रोना; पचाना सोच विचार करने में हैरान होना; ~पटकना 1 बहुत परिश्रम करना 2 तिलमिलाना 3 सिर धुनना, पछताना 4 नाराज होना 5 घबड़ाना 6 अत्यंत दुःखी होना पड़ना 1 जिम्मे पड़ना 2 हिस्से में आना 3 मजबूरी का सौदा होना; ~~पड़े का सौदा जिम्मे पड़े का मामला, मजबूरी का सौदा; ~पर मौत का खेलना या हँसना मृत्यु के लक्षण दिखाई देना; ~पर अहसान करना अहसानमंद बनना;
पर अहसान रखना कृतज्ञ बनाना; ~पर अहसान होना उपकार होना; पर आँखे न होना अक्ल न होना; ~पर
आ चढ़ना पीछे पड़ जाना; पर आ जाना बहुत समीप आ जाना; ~पर आना बहुत पास आ जाना; ~आ पड़ना 1 जिम्मे पड़ना 2 स्वयं पर घटित होना; ~पर आ पहुँचना सनिकट आना; ~पर आफ़त आना या पड़ना विपत्ति आना; ~पर आरे चलना अत्यंत संकट की स्थिति होना; ~पर आसमान उठाना बहुत शोर गुल मचाना; पर आसमान टूटना । बहुत भारी विपत्ति आना 2 दैवी प्रकोप होना; पर उठा लेना बहुत शोरगुल करना, ऊधम मचाना;
~पर उठा ले जाना मरकर साथ ले जानाः ~पर कफ़न बाँधना मरने को तैयार होना; पर क़यामत टूटना मुसीबत आना; ~पर क़यामत बरपा करना 1 मुसीबत लाना 2 शोर या हंगामा करना; पर काली हाड़ी रखना शर्मिंदा होना;
~पर कुरान उठाना कुरान की कसम खाना; पर कोई न होना 1 कोई संरक्षक न होना 2 कोई सहायक न होना; पर खड़ा होना 1 सामने रहना 2 सत्रिकट होना 3 बेअदबी से खड़ा होना; ~पर खाक डालना शोक करना; पर खून चढ़ना, ~पर खन सवार होना हत्या करने का लक्षण प्रकट होना; ~पर खन होना कत्ल का जिम्मेवार होना; पर खेलना 1 प्रेत को सिर पर आकर बात करना, 2 निकट होना 3 जान जोखिम में डालना; पर गठरी रखना 1 सिर पर बोझ रखना 2 ज़िम्मेदारी डालना: पर चढ़ना मुँह लगना;
-चढ़ाना 1 इज्जत करना 2 महलग करना; ~पर चढ़ा रहना पीछे लगा रहना; पर चिल्लाना पास आकर शोर करना; पर छत उठा लेना बह्त हल्ला गुल्ला करना, चिल्लानाः पर छप्पर रखना 1 बोझ डालना 2 इलज़ाम लगाना; ~पर ज़नून चढ़ना । पागलपन सवार होना 2 धुन सवार होना, ज़िद होना; पर जहान भर का बेड़ा उठा लेना 1 बड़ा झगड़ा मोल लेना 2 सामर्थ्य से ज्यादा काम ले बैठना; पर जिन चढ़ना भूत प्रेत का सिर पर आना; ~पर जिन सवार होना 1 हठ करना 2 भूत प्रेत का सिर पर आना;
पर जूं न रेंगना 1 होश न होना 2 कुछ भी प्रभाव न पड़ना, टस से मस न होना; पर टीका होना 1 काम की सफलता किसी पर निर्भर होना 2 प्रतिष्ठा, सम्मान पाना; पर टूटना |
कष्ट या पीड़ा होना; ~डालना सिर पर डालना, मत्थे मढ़ना; ~पर ढोल बजाना 1 शोर गुल करना 2 चिल्लाना; पर थाली फिरना भीड़ भाड़ होना; पर धरना 1 उत्तरदायी ठहराना 2 सिर पर पहनाना; ~पर नक्कारा बजना शोरगुल होना; ~पर न रहना संरक्षण का न रह जाना; पर पड़ना माथे होना, जिम्मे होना; ~पर पत्थर ढोना 1 बड़ी मुसीबत में जिंदगी बिताना, अत्यधिक कष्ट सहना 2 बह्त मेहनत करना;
पर पहाड़ गिरना मुसीबत आ पड़ना; पर पहाड़ गिराना मुसीबत डालना; ~पर पाँव रखकर उड़ जाना 1 बहुत जल्द भाग जाना 2 उदंडता का व्यवहार करना; पर बला आना संकट आना; ~पर बला लाना सिर पर विपत्ति लाना; पर बिठाना 1 सम्मानपूर्वक पास बैठाना 2 बहत इज्ज़त करना; ~पर बोझ पड़ना 1 अहसानमंद होना 2 चिंतित होना 3 ज़िम्मेवारी पड़ना; ~पर बोझ लेना ज़िम्मेदारी लेना; पर भार लेना उत्तरदायित्व लेना; पर भूत सवार होना 1 बदहवास होना 2 पागल होना 3 ज़िद होना 4 प्रेत बाधा होना; ~पर मिट्टी डालना दुःख प्रकट करना; ~पर मौत का खेलना मौत आना; ~पर रखना आदर देना, प्रतिष्ठित करना; ~पर लादकर ले जाना मरते समय सिर पर पाप का भार ले जाना; ~पर लादना जिम्मे डालना;
पर लिए फिरना 1 सिर पर रखकर घूमना 2 बह्त परिश्रम करना; ~पर ले जाकर खड़ा कर देना सामने हाज़िर कर देना; ~पर लेना अपने जिम्मे रखना; पर वारना निछावर करना; पर शैतान चढ़ना, सवार होना 1 हठ करना, दुराग्रह 2 पाप वृत्ति होना; ~पर सनीचर सवार होना मुसीबत आना; ~पर सफ़ेदी आना बुढ़ापा आना; ~पर सवार रहना 1 धृष्ट होना 2 साथ रहना 3 कड़ाई से निगरानी करना; पर सवार होना 1 बात की धन होना 2 प्रेतादि का प्रभाव होना; ~पर सहना बरदाश्त करना; पर साया रखना 1 कृपा रखना 2 अभिभावकत्व करनाः पर साया रहना अभिभावक का होना; ~पर साया होना अभिभावक का जीवित रहना; पर सींग होना विशेषता होना; पर हाथ धरके रोना 1 अफ़सोस करना, पछताना 2 शोकाकुल होना; पर हाथ धरना अभिभावक होनाः ~पर हाथ फेरना 1 दिलासा देना 2 प्यार करना; पर होना 1 सहायक होना 2 जिम्मे पड़ना 3 अत्यंत निकट आना; पाँव न होना सिलसिला न होना, बेढंगा होनाः पाँव पर धरना दीनता प्रकट करना; ~पीट के रोना अत्यंत विलाप करते हुए सिर पीटने लगना; पीटना क्रोध, दुःख आदि के आवेग में सिर पर प्रहार करना; -पैर न होना आदि और अंत का न होना;
फटा जाता है, फटा पड़ता है सिर और आँखो में अत्यंत पीड़ा होने की स्थिति; फिर जाना । दिमाग़ परेशान होना 2 चक्कर आना 3 पागल हो जाना; --फिरना । अक्ल न रहना 2 दिमारा में फितर होना 3 पागल होना; फेरना कहा न मानना; फोड़ना ईर्ष्या या शोक के आवेग में स्वयं को व्यथित करना; ~भारी होना सिर में पीड़ा होना;
भिन्नाना सिर चकराना; मटकाना ताने या व्यंग्य से सिर हिलाना; मढ़ना बलपूर्वक जिम्मे लगाना; मारते फिरना 1 कठिनाइयों से जान बूझकर उलझना 2 सिर टकराते फिरना;
मारना 1 समझाते समझाते हैरान होना 2 सोचने विचारने में
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सिलाना हैरान होना 3 अत्यधिक परिश्रम करना 4 चिल्लाना; -मैंडाते | सिरा-II सं० (स्त्री०) नाड़ी, धमनी 2 नाड़ी जैसा जल का तंग ही ओले पड़ना आरंभ में ही विघ्न बाधा पड़ना; ~मुंडाना | सोता 3 डोल। जाल (पु०) 1 नाड़ियों का जाल 2 आँख साधु हो जाना; ~मैंडना 1 जट लेना, धोखा देना 2 मर्ख | की केशिकाओं का शोथ बनाना; ~में आग लगना तलुवों में बुझना मातम करना; सिराज-अ० (पु०) 1 सूर्य 2 दीपक
में तेल पड़ना श्रृंगार करना; ~में धमक होना सिर भारी सिराना-I (अ० क्रि०) 1 ठंडा होना 2 समाप्त होना 3 उत्साह होना; ~में सफ़ेदी आना बुढ़ापा आना; रंगना लहू लुहान ___ ढीला पड़ना 4 शांत होना II (स० क्रि०) 1 ठंडा करना करना; ~लगना इलज़ाम आना; ~लगाना ज़िम्मे करना; 2 ख़त्म करना 3 बिताना
लेना जिम्मे लेना; ~वतन की खैर होना ख़बरदार होना; सिराली-(स्त्री०) मोर की कलगी, मूयर शिखा ~सफ़ेद होना बूढ़ा होना; ~सलामत रहे जिंदा रहे; | सिरावन-I बो० (पु०) हेंगा, पाटा II (वि०, 1 ठंडा सलामत है जीवित है; ~सहरा रहना प्रतिष्ठा होना; करनेवाला 2 संताप दूर करनेवाला सहरा होना किसी पर किसी काम का निर्भर होना; सिरिंज-अं० (पु०) पिचकारी
सहलाना प्यार करना; ~सहलाए भेजा खाए दोस्त सिरिश्ता-फा० (पु०) = सरिश्ता बनकर हानि पहुँचाना; ~से उतारना सिर से वारना; से सिरिश्तेदार-फा० (पु०) = सरिश्तेदार कफ़न बाँधना मरने को तैयार होना; ~से खेल जाना सिरसि-(पु०) शिरीष वृक्ष 1 मरने के लिए तैयार हो जाना 2 बहत दिलेरी का काम करना; सिरोना-(पु०) मेंडरा, ईडुरी, बिड़वा ~से ज़िन उतारना 1 क्रोध धीमा करना 2 भय दूर करना; सिरोपाव-(पु०) सिर से पैर तक का एक पहनावा ~से पहाड़ टालना सिर से मुसीबत टालना; से पाँव तक सिरोही-I बो० (स्त्री०) तलवार 1 आदि से अंत तक 2 ऊपर से नीचे तक; ~से बला टलना सिरोही-II (स्त्री०) काले रंग की एक चिड़िया विपत्ति दूर होना; ~से बला टालना 1 मन लगाकर काम न सिर्फ़-[अ० (क्रि० वि०) केवल, महज़ II (वि०) 1 अकेला करना 2 अप्रिय प्रसंग से जान छुड़ाना; से बेगार टालना 2 केवल 3 ख़ालिस बेदिली से काम करना; से बोझ उतरना झंझट दूर होना, सिल-I (स्त्री०) 1 शिला 2 चट्टान 3 मसाला आदि पीसने की निश्चिंतता; ~से बोझ उतारना 1 बोझ टालना 2 पत्थर की बनी पटिया 4 इमारत में लगाई जानेवाली पटिया। उत्तरदायित्व से मुक्त होना; ~से बोझ बाँधना नाहक़ अपने ~खड़ी (स्त्री०) 1 बर्तन बनाने के काम आनेवाला एक जिम्मे लेना; ~से बवाल उतारना झंझट से रिहाई देना; ~से चिकना पत्थर 2 खरिया मिट्टी; बट्टा, लोढ़ा (पु०) वारना निछावर करना; से साया उठना संरक्षक का सिल और लोढ़ा स्वर्गवास होना; से साया उतरना ज़िन आदि का असर दूर सिल-II अ० (पु०) क्षयरोग, तपेदिक होना; से सेहरा बँधना यश प्राप्त करना; हथेली पर सिलक-(स्त्री०) 1 लड़ी, श्रृंखला 2 कतार, पंक्ति धरना, रखना, लिए फिरना, लेना वीरता से जान देने को सिलपट-(वि०) 1 चौरस, बराबर 2 घिसा हुआ 3 साफ़, चौपट तैयार रहना, दिलेरी से मौत का सामना करना; हथेली पर सिलमा-फा० (पु०) = सलमा रहना, होना ज़ान देने को उद्यत या तैयार रहना; हाथ पर सिलवट-(स्त्री०) शिकन, सिकुड़न। निरोधी +सं० रखना मरने को तैयार होना; हिलना सिर काँपना; | (वि०) सिलवट को रोकनेवाला
-हिलाना स्वीकृति, अस्वीकृति, प्रशंसा आदि की सूचना में सिलवाई-(स्त्री०) = सिलाई सिर को हलकी गति देना
सिलवाना-(स० क्रि०) सीने का काम कराना सिर-अ० (पु०) भेद, रहस्य, राज़। -की बात कहना रहस्य | सिलसिला-अ० (पु०) 1कड़ी, श्रृंखला 2 पंक्ति, क्रम खोलना
3 परंपरा, प्रथा (जैसे-शादी ब्याह का सिलसिला) सिरई-बो० (स्त्री०) सिरहाने की पाटी
सिलसिलेवार-अ० +फा० (क्रि० वि०) 1 क्रमवार 2 श्रृंखला सिरका-फ़ा० (पु०) ईख, अंगर आदि के रस को धूप में के रूप में 3 परंपरानुसार · (जैसे-सिलसिलेवार कार्य संपन्न तपाकर बनाया गया एक खट्टा द्रव पदार्थ (जैसे-सिरका में | होना) डुबाया गया आम का अचार)। ~कश (पु०) अर्क खींचने | सिलह-अ० (पु०) = सिलाह। खाना +फ़ां० (पु.) = का एक यंत्र
सिलाहख़ाना सिरकी-(स्त्री०) 1 सरकंडा 2 सरकंडे की बनी टट्टी सिलहारा-(वि०) खेत में पड़े हए दानों से जीविका चलानेवाला सिरप-अं० (पु०) मीठा पेय, शर्बत
सिलहिला-(वि०) रपटनवाला, चिकना सिरम-अं० बो० (पु०) खून का लस
सिला-I अ० (पु०) 1 बदला, प्रतिकार 2 इनाम, पुरुस्कार सिरवा-(पु०) ओसाने में हवा करने का कपड़ा
सिला-II (पु०) फ़सल कटने के बाद खेत में बचे खुचे अन्न सिखार-(पु०) 1 जमींदार की खेती का प्रबंध करनेवाला | के दाने कारिंदा 2 सिवार
| सिलाई-(स्त्री०) 1 सीने का काम 2 सीने का पारिश्रमिक सिरहाना-(पु०) 1 सिर के नीचे रखा जानेवाला तकिया | (जैसे-कपड़े की सिलाई दस रुपए हुए)
2 पलंग आदि में सोते समय तकिया रखने का स्थान | सिलाना-I (स० क्रि०) सीने का काम कराना (जैसे-दर्जी से सिरहाने-(क्रि० वि०) सिर की ओर
कपड़े सिलाना) II (स० क्रि०) ठंढा करना III (अ० सिरा-I (प०) 1 छोर, किनारा 2 नोक 3 अगला भाग | क्रि०) सीलना
ajal
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सिलाबी
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सीका
सिलाबी-अ० + फ़ा० (वि०) सीडवाला, तर, नम
लहकारना (जैसे-कुत्ते को सिसकारना) सिलावट-I (पु०) संग तराश
सिसकारी-(स्त्री०) 1 सिसकारने का भाव 2 सीत्कार सिलावट-II बो० (स्त्री) सिलने का ढंग
सिसकी-(स्त्री०) 1 सिसकने की आवाज़ 2 सीत्कार सिला सिलाया-(वि०) सिलकर तैयार
सिसाँद, सिसियाँद-(स्त्री०) मछली की गंध सिलाह-अ० (पु०) हथियार, अस्त्र शस्त्र। --खाना । फ़ा सिस्टर-अं० (स्त्री०) 1 नर्स 2 बहन
शस्त्रागार; ~पोश · फ़ां (वि०) हथियार बंद; बंद सिहद्दा-फ़ा अ० (पु०) तीन सरहदों का मिलन स्थल +फां० (वि०) हथियार से लैस; ~साज + फ़ां० (पु०) सिहरन-(स्त्री०) कंपन (जैसे-हल्की सिहरन) हथियार बनानेवाला
सिहरना-(अ० क्रि०) 1 काँपना 2 रोमांचित होना 3 हिचकना सिलाहर-(वि०) - सिलहारा
सिहरा-(पु०) - सेहरा | सिलाही-अ० (पु०) सैनिक, सिपाही
सिहराना-(स० क्रि०) 1 कॅपाना 2 ठंड से कँपाना 3 भयभीत सिलिंडर-अं० (पु०) एक प्रकार की गोल लंबी टंकी करना 4 सहलाना सिलिका-अं० (पु०) काँच के निर्माण में प्रयुक्त बालू और | सिहरावन-(पु०) = सिहरन तेज़ाब का यौगिक
सिहरी-(स्त्री०) 1 कँपकँपी 2 रोमांच 3 जूड़ी बुखार सिलिया-(स्त्री०) भवन निर्माण के काम आनेवाला एक तरह सिहलाना-(अ० क्रि०) 1 ठंढा होना 2 ठंढ पड़ना 3 ठंढ का पत्थर
लगना सिलेक्शन-अं० (पु०) - सेलेक्शन
सिहान-(पु०) लौहमल, मंडूर सिलेट-अं० (स्त्री०) - स्लेट
सिहाना-I (अ० क्रि०) 1 डाह करना, ईर्ष्या करना 2 ललचाना सिलेटी-अ० -हिं० (वि०) - स्लेटी
3 मोहित होना ।। (स० क्रि०) ईर्ष्या या लोभ दृष्टि से देखना सिलेनियम-अं० (पु०) - सेलेनियम
सिहिकना-(अ० क्रि०) 1 सूखना 2 फ़सल सूखना सिलौट-(पु०) = सिल बट्टा
सींक-(स्त्री०) मूंज के जाति की एक तृण की तीली (जैसे-झाड़ सिलौटा-(पु०) = सिल लोढ़ा
की सींक) 2 नाक में पहनने की कील सिलौटी-(स्त्री०) छोटी सिल (जैसे-सिलौटी पर भाँग पीसना) | सींका-(पु०) पेड़ पौधों का पतला तिनका सिल्क-अं० (पु०) 1 रेशम 2 रेशमी कपडा
सींकिया-(वि०) 1 सींक सा पतला 2 बहूत कमज़ोर । सिल्ला-(पु०) = सिला ||
~पहलवान + फ़ा० (पु०) बहुत पतला दुबला आदमी जो सिल्ली-1 (स्त्री०) छोटी पटिया
स्वयं को बली समझे सिल्ली-II (स्त्री०) फटकने के लिए लगाया हुआ अनाज का सींग-(पु०) गाय, बैल, हिरन आदि पशुओं के सिर के दोनों
तरफ़ निकली हुई कड़ी और नुकीली शाखा, विषाण सिवई-(स्त्री०) मैदे या आटे के सुखाए गए लच्छे (जैसे-सिवई (जैसे-सींग से मारना)। ~पूँछ (स्त्री०); कटा या दूध में पकाना)
तुड़ाकर बछड़ों में मिलना बड़ी उम्र का होकर भी बच्चों सा सिवा-अ० (क्रि० वि०) अलावा, अतिरिक्त
काम करना; निकलना सनक जाना; पूँछ गिरा देना सिवाई-[ बो० (स्त्री०) एक तरह की मिट्टी
अत्यंत दीन बन जाना; ~समाना मौका मिलना, ठिकाना सिवाई-II बो० (स्त्री०) - सिलाई
दिखाई देना; सिर पर होना कोई विशेष चिह्न होना सिवान-(पु०) 1 गाँव की सीमावर्ती भूमि 2 सीमा पर स्थित (जैसे-क्या मूर्ख के सिर पर सींग होता है)
सींगड़ा-(पु०) 1 बारूददान 2 सींगवाला पशु 3 सिंगी नामक सिवाय-अ० +फा० (क्रि० वि०) = सिवा
बाजा सिवार-(स्त्री०) एक जलीय पौधा, शैवाल
सींगना-(स० क्रि०) पहचान करना सिवाल-(स्त्री०) एक तरह की घास, सेवार
सींगी-(स्त्री०) 1 सूराखदार सींग 2 सींग का बना बाजा सिवाली-(पु०) हल्के रंग का पन्ना
सींच-(स्त्री०) 1 सिंचाई 2 छिड़काव सिविल-अं० (वि०) 1 जनपद या नगर संबंधी (जैसे-सिविल | सींचना-(स० क्रि०) 1 सिंचाई करना 2 तर करना नियम और कानून, सिविल जज) 2 सभ्य, शिष्ट 3 नगर | सींची-(स्त्री०) सींचने का समय निवासियों से संबद्ध (जैसे सिविल बाज़ार) 4 आर्थिक, माली सीड़-(पु०) नाक का मल (जैसे-सिविल केस)
सीथ-(स्त्री०) स्त्रियों के सिर की माँग। ~भरना पत्नी बनाना सिविलियन-अं० (पु०) शासन और प्रबंध विभाग का सी-[ (स्त्री०) सीत्कार, सिसकारी II (अ०) 'सा' का स्त्रीलिंग कर्मचारी
रूप (जैसे-ज़रा सी बात पर नाराज़ होना) सिवैयाँ-(स्त्री०) = सिवई
सीकचा-फा० (पु०) लोहे का छोटा छड़ सिसक-(स्त्री०) = सिसकी
सीकड़-(पु०) - सिकड़ी सिसकना-(अ० क्रि०) 1 भीतर ही भीतर रोना 2 व्याकुल होना सीकर-सं० (पु०) 1 जलकण, जलविंदु 2 पसीना 3 तरसना
सीकल-बो० (पु०) डाल का पका हुआ आम सिसकार-(पु०) सी सी की आवाज़
सीकस-बो० (पु०) ऊसर, बंजर भूमि मिसकारना-I (अ० क्रि०) सीत्कार करना II (स० क्रि०) | सीका-(पु०) सिर पर पहनने का एक गहना
प्रदेश
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सीकी 833
.सीना सीकी-(स्त्री०) छोटा छीका, छोटा सिकहर
सीतला-(स्त्री०) चेचक। ~मुंहदगा फ़ा. हिं० (वि०) सीकुर-बो० (पु०) गेहूँ, धान आदि की बालों में से सूत की __ चेचकरू तरह के निकलनेवाले पतले और नुकीले अंग
सीता-सं० (स्त्री) 1 जानकी, वैदेही 2 कुंड, रेखा जो भूमि सीक्रेट-अं० (वि०) गुप्त छिपा हुआ
जोतते समय फाल धंसने से बनती है 3 राजा की निज की सीख-I (स्त्री०) 1 शिक्षा, तालीम 2 सिखाई गई अच्छी बात भूमि। पति (पु.) श्री रामचंद्र; फल (पु०) कुम्हड़ा; 3 परामर्श 4 अनुभव जन्य ज्ञान (जैसे-सीख देना, सीख ग्रहण हरण (पु०) रावण द्वारा सीता का हरण करना)
सीताध्यक्ष-सं० (पु०) राजा की निजि भूमि की खेती आदि का सीख-II फ़ा० (स्त्री०) 1 लोहे की सलाई 2 तीली 3 सलाख। प्रबंध करनेवाला राज अधिकारी
चा (पु०) छोटी सीख; ~पा (वि०) पिछले पैरों पर | सीत्कार-सं० (पु०) सी सी ध्वनि खड़ा होनेवाला
सीद-सं० (पु०) सूदखोरी सीखना-(स० क्रि०) 1 ज्ञान प्राप्त करना 2 कला की शिक्षा सीध-(स्त्री०) 1सीधा होने का भाव 2 ऋजुता प्राप्त करना, अभ्यास करना (जैसे-सितार सीखना) 3 अनुभव सीधा-I (वि०) 1सरल, ऋज् (जैसे-सीधी रेखा) 2 खड़ा प्राप्त करना (जैसे-कुछ खोकर सीखना)
(जैसे- डंडा सीधा करना) 3 भला, सज्जन (जैसे-सीधा सादा सिखा पढ़ा-(वि०) 1 शिक्षित, जानकार 2 चतुर
आदमी) 4 निष्कपट और सरल प्रकृति का 5 आसान, सीखा सिखाया-(वि०) 1 शिक्षित, कुशल 2 हुनर या कला सुविधाजनक (जैसे-सीधी बात, सीधा काम) 6 जो कटहा या का जानकार
मरकहा न हो (जैसे-सीधा जानवर) II (अ०) 1 ठीक सामने सीग़ा-अ० (पु०) 1 साँचा, ढाँचा 2 विभाग 3 मुसलमानों की 2 बिना मुड़े (जैसे-सीधा चले जाना) 3 बिना और कहीं गए शादी में कहे जानेवाले कुछ ख़ास अरबी वाक्य
(जैसे-दफ्तर से सीधा घर आना) III (पु.) 1 सामने का सीज-(स्त्री०) = सीझ
भाग (जैसे-इस कपड़े का सीधा-उलटा पता नहीं लगता) सीज़न-अं० (पु०) मौसम
2 दान दिए जाने योग्य कच्ची सामग्री। ~पन (पु०) = सीजना-(अ० क्रि०) = सीझना
सिधाई; सादा +फ़ां० (वि०) भोला भाला, सरल स्वभाव सीझ-(स्त्री०) पकने की क्रिया, पकाव
का; साधा (वि०) = सीधा सादा; ~आना 1 सामने से सीझना-(अ० क्रि०) 1 आँच पर पकना 2 भस्म होना, जलना आना 2 सामना करना; करना 1 वक्रता या कुटिलता दूर 3 कष्ट पाना, दुःख भोगना 4 चिकना होना (जैसे-चमड़े का करना 2 लक्ष्य के सामने करना 3 ठोंक पीटकर ठीक करना; सीझना) .
जन्नत में जाना सीधे स्वर्ग जाना; ~होना 1 सीधा किया सीट-[ अं० (स्त्री०) 1 आसन, बैठक 2 एक आदमी के बैठने जाना, ऐंठ दूर होना 2 आमादा होना 3 मेहरबान होना की जगह (जैसे-सीट रिज़र्व कराना)
सीधाई-(स्त्री०) 1 सीधा होने का भाव 2 छक्के पंजे से दूर सीट-II (स्त्री०) डींग। ~पटाँग (स्त्री०) 1 डींग 2 घमंड रहना 3 सरलता 4 भोलापन भरी बात
सीधे-(क्रि० वि०) 1 ठीक सामने 2 बिना कहीं गए (जैसे-घर सीटना-(अ० क्रि०) डींग मारना, शेखी बघारना
से सीधे स्टेशन आ जाना) 3 सिधाई से 4 भलमनसी से। सीटी-(स्त्री०) 1 मुँह से निकलनेवाली सुरीली आवाज़ 2 किसी -पन (पु.) = सीधापन बाजे आदि क्रिया द्वारा इस तरह की ध्वनि उत्पन्न करना | सीन-अं० (पु०) 1 दृश्य, नज़ारा 2 रंगमंच का पर्दा (जैसे-रेल की सीटी) 3 एक तरह का छोटा ध्वनि उत्पन्न | सीनरी-अं० (स्त्री०) 1 प्राकृतिक दृश्य 2 रंगमंच की सजावट करनेवाला उपकरण (जैसे-गार्ड ने सीटी बजाई) . सामग्री सीठ-(स्त्री०) = सीठी
सीना-I (स० क्रि०) टाँका मारना, सिलाई करना (जैसे-कपड़ा सीठना-बो० (पु०) = सिठनी
सोना, कमीज सीना)। पिरोना । (स० क्रि०) सिलाई सीठा-(वि०) फीका, नीरस
बुनाई का काम करना II (प.) सिलाई का काम सीठी-(स्त्री०) 1 फल आदि का रस निचोड़ने पर बचा हुआ | सीना-II फा० (पु०) 1 छाती 2 वक्षस्थल। ज़न (वि०)
अंश (जैसे-आम की सीठी) 2 सारहीन पदार्थ या वस्तु | छाती पीटनेवाला; - ज़ोर (वि०) 1 ज़बरदस्त 2 अत्याचार सीड़, सीड़न-(स्त्री०) = सील I
करनेवाला; ~ ज़ोरी (स्त्री) 1 अत्याचार 2 विद्रोह; ताने सीढ़ी-(स्त्री०) 1 वास्तु कला में वह रचना जिसपर क्रमशः पैर +हिं. (क्रि० वि०) छाती फुलाकर, अकड़कर तोड़ हिं रखते हुए ऊपर-नीचे चढ़ा उतरा जा सकता है, जीना 2 बाँस के (पु.) कुश्ती का एक पेंच पनाह (प.) जहाज़ में लंबाई दो बल्लों के लंबे टुकड़ों का बना लंबा ढाँचा जिसमें के बल दोनों ओर का किनारा; बंद (पू.) 1 अगिया, थोड़ी-थोड़ी दूरी पर पैर रखने के लिए डंडे लगे रहते हैं चोली 2 घोड़े की पेटी 3 फतही. वास्कट; -बसीना [ 3 उन्नति क्रम (जैसे-जीवन की सीढ़ी पर चढ़ते जाना) 4 छापे (वि०) क्रमागत रूप में मिलता रहनेवाला II ( अ०) आदि के यंत्रों में काठ की सीढ़ी के आकार का खंड। नुमा 1 क्रमागत रूप से या में 2 मक़ाबले में, सामने; साफ़ +फा० (वि०). समसमुत्रत; चढ़ना क्रमशः ऊपर उठना, + अ (वि.) साफ दिल का, खरा; सियाह (वि.) खोटे उन्नति करना
दिल का; तानकर चलना 1 निर्भीक होकर चलना 2 घमंड सीतल-बो० (वि०) = शीतल। पाटी (स्त्री०) एक तरह । में रहना; - ताने खड़े होना मुक़ाबले से पीछे न हटना; की बढ़िया और चिकनी चटाई; बुकनी (स्त्री०) सत्तू । ~सीने पर पत्थर रखना बहुत कठोर बनना; सीने पर
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सीनार
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सीस्मोग्राफ साँप लोटना 1 ईर्ष्या से भर जाना 2 याद से दुःख होना; I (स्त्री०) सीमा की रक्षा करनेवाला सैनिक दल
सीने पर सिल धरना =सीने पर पत्थर रखना; सीने सीमातिक्रमण-सं० (१०) - सीमोल्लंघन पर हाथ रखना 1 तसल्ली देना 2 स्तब्ध रह जाना (जैसे-पिता सीमित-सं० (वि०) 1 सीमा में बद्ध 2 सीमा के अंदर की मृत्यु का समाचार सुनते ही पुत्र ने सीने पर हाथ रख सीमिया-अ० (पु०) 1 इंद्रजाल विद्या 2 परकाय प्रवेश विद्या लिया); सीने में जगह देना 1 प्यार करना सीने में साँस (जैसे-सीमियाकार, सीमियागर) समाना शांति मिलना; सीने से लगाना प्यार करना सीमी-सं० (वि०) चाँदी का निर्मित 2 सम्मान करना;
सीमुर्ग-फा० (पु०) एक कल्पित विशालकाय जीव सीना-III (पु०) सीवाँ
सीमेंट-अं० (पु०) पत्थर का विशेष तरह से निर्मित चूर्ण सीनियर-अं० (वि०) 1 बड़ा, वयस्क 2 श्रेष्ठ, प्रवर __(जैसे-सीमेंट की जुड़ाई) (जैसे-सीनियर स्टूडेंट, सीनियर खिलाड़ी)
सीमोल्लंघन-सं० (पु०) सीमा का उल्लंघन, सीमा पार करना सीनेट-अं० (स्त्री०) विश्वविद्यालय की कार्यकारिणी सभा सीयन-बो० (स्त्री०) = सीवन सीनेटर-अं० (पु०) सीनेट का सदस्य
सीर-I (स्त्री०) 1 हिस्सेदारी, साझेदारी 2 ज़मीन जिसे स्वयं सीप-I (पु०/स्त्री०) शंख, घोंघे आदि की जाति का एक __ ज़मींदार जोतता है जलचर प्राणी, शुक्ति, मुक्ता माता
सीर-II (स्त्री०) रक्तवाहिनी नाड़ी, नस सीप-II सं० (पु०) तर्पण आदि में व्यवहृत एक लंबोतरा सीर-III सं० (पु०) 1 हल 2 जोता जानेवाला बैल 3 आक, जलपात्र
मदार सीपी-(स्त्री०) सीप। ~का सा मुँह निकल आना सीरत-अ० (स्त्री०) 1 सौजन्य 2 आदत, स्वभाव अत्यधिक दुर्बल हो जाना
सीरनी-फा० (स्त्री०) = शीरनी सीमत-सं० (पु०) 1 सिर में निकाली गई माँग 2 हड़ियों का सीरम-अं० (पु०) = सिरम जोड़। ~करण (पु०) माँग काढ़ना
सीरा-I (वि०) 1 ठंढा, शीतल 2 धीर और शांत सीमंतोन्नयन-सं० (पु०) गर्भवती के चौथे, छठे और आठवें सीरा-II फ़ा० (पु०) 1 चीनी आदि का शीरा 2 हलुआ महीने होनेवाला एक संस्कार
सीरा-III (पु०) 1 सिरा 2 सिरहाना सीम-फ़ा० (पु०) चाँदी
सीरियल-अं० (पु०) धारावाहिक सीमलिंग-सं० (पु०) हद या सीमा का निशान
सीरीज़-अं० (स्त्री०) 1 श्रेणी, क्रम 2 सिलसिला सीमांकन सं० (पु०) सीमा निश्चित करना
सील-I (स्त्री०) नमी, सीड़ सीमांकित-सं० (वि०) सीमा निश्चित की गई, सीमाकंन किया | सील-II अं० (पु०) मुहर, ठप्पा। ~बंद + फ़ा० (वि०)
मुहरबंद सीमांत-सं० (पु०) 1 हद, सीमा 2 सीमावर्ती स्थान। पूजन सील-III अं० (पु०) लाख (पु.) 1 सीमा की पूजा 2 गाँव की सीमा में आने पर की सील-IV बो० (पु०) = शील जानेवाली वरपूजा; ~प्रदेश (पु०) 1सीमा से लगे हुए ! सीलन-(स्त्री०) = सील I प्रदेश, सरहदी इलाका 2 दो देशों के बीच का भू-भाग; सीलना-(अ० क्रि०) 1 सील से प्रभावित होना (जैसे-दीवार
रक्षक (पु०) = सीमा रक्षक; ~वर्ती (वि०) सीमा के | सीलना) 2 ठंढा होकर विकृत होना पास का
सीला-I (वि०) नम, सीलयुक्त सीमांतीय-सं० (वि०) = सीमांतवर्ती
सीला-II (पु०) = सिला II सीमा-सं० (स्त्री०) 1 हद, सरहद 2 सिवान 3 खेत आदि की | सीलिंग-अं० (स्त्री०) अंदर की छत। -फ़ैन (पु०) अंदर
सीमा पर का बाँध या मेड़ 4 सीमा चिह्न 5 किनारा, कूल | की छन पर लगा पंखा (जैसे-नदी की सीमा पार करना) 6 मर्यादा (जैसे-सीमा से | सीवन-सा 'पु०) 1 सिलाई 2 सिलाई का जोड़ 3 टाँका बढ़कर बातें करना 7 चरम बिंद (जैसे-प्यार की सीमा, उन्नति (जैसे-सोवन टूटना) की सीमा) 8 खेत, मैदान (जैसे-सीमा से बाहर निकल | सीवनी-सं० (स्त्री०) 1 सूई 2 लिंग के नीचे से गुदा तक की जाओ)। कर (पु०) सीमा पर लगनेवाला टैक्स: क्षेत्र (पु०) = सीमांत प्रदेश; चिह्न (पु०) 1सीमा का संकेत | सीवर-अं० (पु०) मलमोरी, मलप्रणाली, गंदी नाली करनेवाला पदार्थ 2 इतिहास की प्रमुख घटना; ज्ञान (पु०) | सीवरेज-अं० (पु०) गंदी नाली की व्यवस्था सीमा के बारे में ज्ञान का होना, सीमा का ज्ञान होना; सीवा-(पु०) एक प्रकार का कीड़ा
निर्धारण सीमा निश्चित करना, सीमांकन; पाल (पु०) सीस-(पु०) सिर, माथा (जैसे-सीस झुकाना)। ताज , सीमा का रक्षक;~प्रहरी(पु०) = सीमा रक्षक, प्रांत(पु०)। फ्रा० कुलहा; फूल (पु०) सिर पर पहनने का एक गहना = सीमांत प्रदेश; ~बंधन (पु०) हदबंदी; बद्ध (वि०) सीसक-सं० (पु०) = सीसा सीमा निश्चित की गई रक्षक (पु०) देश आदि की सीमा | सीसम-(पु०) एक प्रसिद्ध पेड़, शीशम की रक्षा करनेवाला सैनिक समूह; -विवाद (पु०) सीमा | सीसा-(पु०) एक प्रसिद्ध मूल धातु, शीशा, लेड। ~गर + संबंधी लड़ाई झगड़ा; ~शल्क (पु०) = सीमाकर; | फ्रा० (पु०) सीसे का काम करनेवाला
सुरक्षा (स्त्री०) सरहद की रक्षा करना; सुरक्षा सेना सीस्मोग्राफ-अं० (पु०) भूकंप लेखी (यंत्र)
गया
| रेखा
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सीह
सीह - (स्त्री०) गंध
सीहगोस - फ़ा० ( पु०) स्याहगोश
सुँघनी - (स्त्री०) 1 तंबाकू के पत्ते का बारीक चूर्ण 2 सूँघने की चीज़ (जैसे- सुँघनी की शीशी)
सुँघाना - (स० क्रि०)
सूँघना
सुंडस - ( पु० ) गधे की पीठ पर रखने की गद्दी सुंडा - I ( पु० ) गधे की पीठ पर का गद्दा सुंडा - II ( स्त्री०)
=
=
सूँड़
सुंदर - सं० (वि०) 1 खूबसूरत, शोभन (जैसे- सुंदर पोशाक) 2 अच्छा, भला (जैसे-सुंदर लड़का, सुंदर विचार ) 3 शुभ (जैसे- सुंदर मुहूर्त) । ~ता (स्त्री०) सुंदर होने का भाव; ~वन (पु०) गंगा के डेल्टा में स्थित वन सुंदरापा—सं० + हिं० (पु० ) सुंदरी - I सं० (वि०) रूपवती II ( स्त्री०) सुंदर स्त्री (जैसे- सुंदरी का नाच देखो ) सुँधाई - (स्त्री०)
=
सुंदरता
सौंधापन
सुँधावट - ( स्त्री०) सोंधे होने की अवस्था
सुंबा - बो० ( पु० ) 1 पत्थर तोड़ने का एक भारी औज़ार 2 तोप का गज 3 इस्पंज 4 खूँटी
सुंबी - (स्त्री०) लोहा काटने की छेनी
संबुल - अ० (पु० ) सुंदर और घुँघराले केश का उपमान मानी जानेवाली एक सुगंधित घास, बालछड़
संबुला - अ० ( पु० ) गेहूँ जौ की बाल
सुंभा-(पु० ) सुंबा
=
सुंभी-बो० (स्त्री०) = सुंबी
सु-I सं० (उपसर्ग) संज्ञा और विशेषण शब्दों के पहले लगनेवाला एक उपसर्ग (जैसे- 'सुकर्म', 'सुकृत' में 'सु' उपसर्ग है ) II ( वि०) 1 अच्छा 2 भला सुअर - ( पु० ) शूकर सुअवसर -सं० (पु० ) अच्छा अवसर या मौका (जैसे- सुअवसर की तलाश, सुअवसर की प्रतीक्षा करना) सुआ - बो० ( पु० ) तोता, शुक सुई-बो० (स्त्री०)
835
=
सुकंठ - सं० (वि०) 1 सुरीला 2 कोमल और मधुर कंठवाला सुक - ( पु० ) तोता, सुग्गा । नासा (वि०) तोते की तरह
नाकवाला
सुकड़ना - (अ० क्रि०) बो० = सिकुड़ना सुकन्यक - सं० (वि०) जिसकी कन्या सुंदर हो
सुकन्या - सं० (स्त्री०) सुंदर कन्या
सुकर-सं० (वि०) सरल, आसान सुकरा-सं० (स्त्री०) अच्छी और सीधी गाय सुकर्म -सं० ( पु० ) सत्कर्म
सुकर्मी - सं० (वि०) 1 अच्छा कार्य करनेवाला 2 पुण्यकर्म करनेवाला 3 सदाचारी
=
सुकवाना - (अ० क्रि०) अचंभे में आना सुकी - (स्त्री०) सुग्गी
सुकीर्ति-सं० (स्त्री०) सुयश, नेकनामी सुकुड़ना - (अ० क्रि०) सिकुड़ना
सुकुमार - I सं० (वि०) 1 कोमल 2 नाजुक अंगोंवाला, कोमल अंगोंवाला II (पु०) सुंदर बालक या किशोर
=
सुखवंत
सुकुमारी - I सं० (वि०) सुकुमारता II ( स्त्री०) 1 कोमल और सुंदर अंगोंवाली किशोरी 2 कुमारी कन्या
सुकुल - I सं० (वि०) अच्छे वंश या कुल में उत्पन्न II ( पु० ) उत्तम या श्रेष्ठ कुल सुकुवाँर - (वि०)
= सुकुमार
सुकृत - I सं० (वि०) 1 अच्छे ढंग से किया गया (जैसे-सुकृत कर्म) 2 पूर्ण और अच्छे रूप में किया गया (जैसे-सुकृति काव्य रचना ) 3 भाग्यवान् (जैसे-सुकृति कवि ) II ( पु० ) 1 सत्कार्य 2 भाग्यशाली व्यक्ति सुकृति - सं०
(स्त्री०) 1 सत्कर्म 2 धर्म और पुण्य का
काम
सुकृतित्व-सं० (पु०) सुकृत भाव या कर्म सुकृत्य-सं० ( पु०) सत्कर्म, उत्तम कार्य सुकेशी-सं० अच्छे / सुन्दर बालोंवाली
=
सुक्कान-अ० (पु० ) 1 पतवार 2 नाव। गीर + फ़ा० (पु० ) नाव खेनेवाला सुक्कानी - अ० + फ़ा० (पु० ) सुक्कानगीर सुक्षेत्र - सं० (स्त्री०) सुंदर और लंबे बालोंवाली सुखंडी - I (स्त्री०) बच्चों को होनेवाला एक रोग II ( वि० ) अत्यंत क्षीण, अशक्त और दुर्बल (जैसे-सुखंडी कहीं का) सुख - I सं० (पु० ) 1 आनंद (जैसे- सुख से रहना, सुख और दुःख) 2 आराम, चैन (जैसे-सुख की साँस लेना, सुखपूर्वक) 3 आमोद प्रमोद (जैसे-सुख का वातावरण) 4 कल्याण, मंगल (जैसे-सुख की कामना करना) II (वि०) अनुकूल और प्रिय (जैसे- सुख मन, सुखमुख)। ~कर (वि०) सुख देनेवाला; कारक, कारी (वि०) = सुखदायक; ~ क्रिया (स्त्री०) 1 सुख से किया जानेवाला काम, सहज काम 2 आराम देनेवाला काम 3 आराम या सुख देना; चैन
+
हिं० (स्त्री०) सुख और आराम; जनक (वि०) सुख देनेवाला; जीवी (पु० ) 1 सुखमय जीवन बितानेवाला 2 आरामतलब; ~द, दायक (वि०) आनंददायक; -दायिनी (वि० / स्त्री०) सुख देनेवाली, सुखदा; दायी (वि०) सुख देनेवाला; दुःख (पु० ) ग़म और खुशी, हर्ष और शोक; ~दृश्य (वि०) प्रिय लगने योग्य; पूर्वक ( क्रि० वि० ) 1 सुख से 2 आराम से; प्रद (वि०) सुखदायक; प्रबोधक (वि०) सहज से बोध करानेवाला; ~प्रसवा (वि० / स्त्री०) बिना कष्ट के बच्चा जननेवाली; ~भोग (पु० ) सुख भोगना भोग्य (वि० ) 1 सुख के योग्य, 2 आराम के लायक; मृत्यु (स्त्री०) सुख से मरना, आराम की मौत; ~ लिप्सा (स्त्री०) सुख की लालसा, सुखाकांक्षा; ~वाद (पु० ) इंद्रिय सुख ही जीवन का सत्य है ऐसा मत ~वादी I (वि०) सुखवाद संबंधी II ( पु० ) सुखवाद का अनुयायी या समर्थक समृद्धि (स्त्री०) धन धान्य, ऐश्वर्य; ~ साध्य (वि०) 1 सहज रूप में किया जाने योग्य 2 सरलता से दूर होनेवाला (जैसे-सुख साध्य रोग ); ~सुभीता हिं० (पु० ) सुविधा; स्वप्न (पु० ) सुख प्रदान करनेवाला सपना
+
सुखमय - सं० (वि०) आरामदेह
सुखलाना - (स० क्रि०) = सुखाना
सुखवंत - सं० (वि०) 1 सुखी, खुश 2 रखद
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सुखवन
सुखवन - बो० (पु० ) सूखने के लिए धूप में डाला गया अनाज आदि पदार्थ
सुखांत - सं० (वि०) 1 सुखमय परिणामवाला (जैसे-सुखांत नाटक) 2 सुख का नाश करनेवाला । नाटक (पु०) सुखमय नाटक का एक प्रकार, कामेडी; नाटककार (पु० ) सुखांत नाटक की रचना करनेवाला सुखांतक सं० (पु०) सुख में अंत होनेवाली रचना सुखांतिकी-सं० (स्त्री०) सुखांत नाटक सुखाधिकार - सं० ( पु०) (मकान में) सुविधा का अधिकार
=
या हक़
सुखाना - I (स० क्रि०) 1 नमी दूर करनेवाली क्रिया करना (जैसे- धूप में बाल सुखांना) 2 क्षीण तथा दुर्बल करना (जैसे - कठिन परिश्रम करते शरीर को सुखा डाला ) 3 नष्ट करना II (अ० क्रि०) 1 सुखकर प्रतीत होना 2 अच्छा और भला लगना 3 अनुकूल तथा सह्य होना
सुखानुभव -सं० (पु० ) सुख की अनुभूति, सुख का अनुभव सुखानुभाव-सं० ( पु० ) सुख भोग सुखानुभूति-सं० (स्त्री०) सुख की अनुभूति सुखाय - (वि०) सुख से प्राप्त होनेवाला सुखार्थी-सं० (वि०) सुख चाहनेवाला सुखित - (वि०) सुखी, प्रसन्न, खुश सुखिया - (वि०) हर तरह से खुश सुखिर - (पु० ) साँप का बिल, बाँबी सुखी-सं० (वि०) 1 प्रसन्न 2 सुख से पूर्ण, सुखमय (जैसे- सुखी जीवन)
=
सुखेन - ( क्रि० वि०) सुखपूर्वक सहर्ष सुखोपभोग-सं० (पु० ) सुख भोग सुख्यात - सं० (वि०) प्रसिद्ध, मशहूर सुख्याति -सं० (स्त्री०) प्रसिद्धि
सुगंध - I सं० (स्त्री०) 1 सुवास, खुशबू 2 सुगंधित वस्तु II (वि०) 1 गंध युक्त, सुगंधित। ~ धारी (वि०) सुगंधवाला सुगंधमय-सं० (वि०) सुगंधित सुगंधि-सं० (स्त्री०) सुगंधधारी
सुगंध। ~धारी (वि०)
=
836
=
=
सुगंधित - सं० (वि०) सुगंध से युक्त, खुशबूदार सुगठन -सं० + हिं० (स्त्री०) शरीर के अंगों की अच्छी गठन, अंगसौष्ठव
=
सुगठित सं० + हिं० (वि०) अच्छी तरह से गठा हुआ (जैसे- सुगठित शरीर या देह )
सुगढ़-सं० + हिं० (वि०) = सुघड़
सुगति - I सं० (स्त्री०) 1 कल्याण 2 सुख 3 सद्गति II (वि०) सुंदरगतिवाला
का भाव 2 सरलता 3 सहजता
सुगम्य-सं० (वि०) सुगम सुग सुग- ( स्त्री०) कानाफूसी
= सुग सुग
सुगना - ( पु०) तोता, सूआ सुगपुग - (स्त्री०) सुगम सं० (वि०) 1 सरल (जैसे-सुगम रास्ता या मार्ग ) 2 सहज में पाने योग्य (जैसे-सुगम जीवन) 3 सुखपूर्वक किए जाने योग्य (जैसे-सुगम कार्य) । ~ता (स्त्री०) 1 सुगम होने
सुजन
सुगुरा-बो० (पु० ) अच्छे गुरु से शिक्षा प्राप्त व्यक्ति सुगृह - सं० ( पु० ) सुंदर मकान, बढ़िया घर सुगृही -सं० (वि०) सुंदर घरवाला, अच्छा गृहस्थ सुगृहीत - सं० (वि०) 1 भली भाँति समझा हुआ 2 शुभ रीति से प्रयुक्त सुगैया - ( स्त्री०)
चोली, अँगिया
सुग्गा - ( पु० )
सुवा I सुग्गी - ( स्त्री०) तोता की मादा तोती सुग्रीव-सं० (वि०) सुंदर गर्दनवाला सुघट - सं० (वि०) सुडौल
सुघटित सं० (वि०) 1 गठे हुए शरीरवाला 2 सुंदर और सुडौल
=
सुघट्य - सं० (वि०) अनुकूल रूप में लाने योग्य सुघड़ - + हिं० (वि०) 1 सुडौल और सुंदर 2 कुशल, निपुण
(जैसे- सुघड़ बनना) । ~ता (स्त्री०) 1 सुंदरता, मनोहरता 2 कुशलता, दक्षता
सुघड़ई -सं० + हिं० (स्त्री०) 1 सुघड़पन, सुंदरता 2 निपुणता, कुशलता
सुघड़ाई - सं० + हिं० (स्त्री०), सुघड़ापा - सं० + हिं० (पु० ) 1 सुंदरता 2 कुशलता, हुनरमंदी सुघड़ी-सं०
+
हिं० (स्त्री०) शुभ या अच्छी घड़ी
=
सुघर -सं० + हिं० बो० (वि०) = सुघड़ सुघराई -सं० + हिं० बो० (स्त्री० ) सुघड़ई सुघरी सं० हिं० (स्त्री०) सुघड़ी सुचना - I (स० क्रि०) संचय करना, इकट्ठा करना II (अ० क्रि०) इकट्ठा किया जाना III (अ० क्रि०) विचारा जाना सुचरित -सं० (वि०) 1 उत्तम रूप में किया हुआ 2 सदाचारी सुचरित्र - सं० (वि०) नेकचलनवाला, सच्चरित्र (जैसे- सुचरित्र नायक)
=
सुचाना - (स० क्रि०) 1 सोचने समझने में प्रवृत्त करना 2 ध्यान आकृष्ट करना, सुझाना
सुचारु-सं० (वि०) अत्यंत सुंदर, बहुत मनोहर । ता (स्त्री०) सुंदरता
सुचाल-सं० + हिं० (स्त्री०) अच्छी चाल, सदाचार सुचालक-सं० (वि०) सुगमता से परिचालित, सुसंवाहक, गुड कंडक्टर (जैसे- ताँबा विद्युत का सुचालक है) सुचाली-सं० + हिं० (वि०) 1 अच्छी चाल का 2 अच्छे
=
सुचान
आचरण का सुचाव - (पु० ) सुचिंतित-सं० (वि०) भली भाँति सोचा हुआ सुचित - (वि०) सुंदर चित्तवाला
सुचितई - बो० (स्त्री०) 1 निश्चिंतता, बेफ़िक्री 2 मन की एकाग्रता और शांति
सुचित्त-सं० (वि०) स्थिरचित्त, शांत । -ता (स्त्री०) निश्चिंतता, इत्मीनान
सुचित्र-सं० (वि०) 1 रंग बिरंगा 2 अनेक प्रकार का सुचिर - I सं० (वि०) 1 चिर स्थायी 2 पुराना, प्राचीन II (पु० ) बहुत अधिक समय
सुचेत-सं० (वि०) सचेत, सावधान
सुजन - I ( वि०) नेक, भला II (पु०) भला आदमी, नेक
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सुजन 837
सुधारना आदमी (जैसे-सुजन मंडली)। ता (स्त्री०) सौजन्य, | सुत्थना-बो० (पु०) = सूथन भद्रता, भलमनसाहत
सुथनी-(स्त्री०) = सूथनी सुजन-II (पु०) स्वजन, स्वकुल
सुथरा-(वि०) साफ़, निर्मल, स्वच्छ। पन (पु०) सफ़ाई, सजनी-फा० (स्त्री०) बड़ी और मोटी बिछाने की चादर | निर्मलता सुजन्मा-सं० (वि०) 1 उत्तम रूप से उत्पन्न, सुजातक 2 अच्छे सुथराई-(स्त्री०) = सुथरापन कुल में उत्पन्न
सदक्ष-सं० (वि०) बहुत निपुण, अत्यंत कुशल सुजागर-(वि०) शोभन और सुंदर
सुदर्शन-सं० (वि०) 1 अच्छा और भला, सुंदर 2 सरलता से सुजात-सं० (वि०) 1 उत्तम कुल में उत्पन्न सुजन्मा, कुलीन देखा जाने योग्य 2 सुंदर
सुदि-(स्त्री०) = सुदी सजाति-I सं० (वि०) अच्छी जाति का II (स्त्री०) अच्छी सुदिन-सं० (पु०) शुभ दिन, अच्छा दिन और उत्तम जाति
सदी-(स्त्री०) चांद्र मास का शुक्ल पक्ष सुजान-सं० I (वि०) 1 समझदार, सयाना 2 कुशल, निपुण सुदीर्घ-सं० (वि०) अति विस्तृत 3 सज्जन (जैसे-सुजान पुरुष) 4 सुविज्ञ II (पु०) 1 पति या | सुदूर-I सं० (वि०) बहुत दूर का (जैसे-सुदूरवर्ती प्रदेश) । प्रेमी 2 परमात्मा। ~पन (पु०) सुजान होने का भाव | वी (वि०) बहुत दूर बसनेवाला (जैसे-सदरवर्ती प्रदेश) सुजाना-(स० क्रि०) सृजन पैदा करना, फुलाना
सुदूर-II (अ०) बहुत दूर सुजानी-(वि०) सुजान संबंधी
सुदृढ़-सं० (वि०) बहुत मजबूत (जैसे-सुदृढ़ बंधन) सुझाई-(स्त्री०) सुझाव
सुदृढ़ीकरण-सं० (पु०) अच्छी तरह पक्का करना सुझाना-(स० क्रि०) 1 बताना, सूचना देना 2 दिखाना 3 नई सुदेव-सं० (पु०) उत्तम देवता तरकीब या युक्ति बताना ।
सुदेवस-(पु०) देवता का नाम लेकर किया जानेवाला (काम सुझाव-(पु०) 1 सुझाने की क्रिया 2 सुझाई गई बात, तजबीज़, या बात) सजेशन 3 सलाह
सुदेह-सं० (पु०) सुंदर शरीर सुटुकना-I (स० क्रि०) चाबुक लगाना II (अ० क्रि०) सुदैव-सं० (पु०) 1 सौभाग्य 2 अच्छा संयोग 1सटकना 2 सुड़कना 3 सिकुड़ना
सुदृष्ट-सं० (वि०) सौम्य दृष्टिवाला सड़क-(स्त्री०) सुड़कने का भाव
सुद्रष्टा-सं० (वि०) पैनी दृष्टिवाला सड़कना-(स० क्रि०) तरल पदार्थ को नाक के रास्ते भीतर सुदौसी-(क्रि० वि०) बो० शीघ्रतापूर्वक खींचना, नास लेना
सुध-(स्त्री०) 1 होश, चेत खबर 2 याद। -बुध (स्त्री०) सुड़सुडाना-I (स० क्रि०) सुड़सुड़ शब्द उत्पन्न करना होश हवाश, चेत (जैसे-हुक्का सुड़सुड़ाना) II (अ० क्रि०) सुड़सुड़ शब्द सुधरना-(अ० क्रि०) 1 ठीक होना, दोष आदि दूर होना
2 अच्छे आचरणों की ओर प्रवृत्त होना (जैसे-लड़के का सौल-(वि०) 1 सुंदर आकारवाला (जैसे-सुडौल मुख, सुधरना) सुडौल शरीर) 2 आनुपातिक सामंजस्य युक्त
सुधराई-(स्त्री०) 1 सुधरने या सुधारने का काम 2 सुधारने का सुढंग-1 (वि०) सुंदर ढंग या रीति का II (पु०) अच्छा ढंग | पारिश्रमिक 3 सुधार या प्रकार :
सुधर्म-सं० (पु०) अच्छा और उत्तम धर्म सुत-सं० (पु०) पुत्र, आत्मज, बेटा
सुधर्मी-सं० (वि०) धर्मपरायण, धर्म निष्ठ सुतना-I (अ० क्रि०) सोना II (वि०) बह्त सोनेवाला | सुधा-सं० (स्त्री०) अमृत, पियूष सुतरी-बो० (स्त्री०) - सुतली
सुधाई-I (स्त्री०) सिधाई, सरलता II (स्त्री०) सोधने का सुतल-सं० (पु०) सात पाताल लोकों में से एक
काम या भाव . सुतली-सं० (पु०) सन या पटसन के रेशों से बटकर बनाई हुई सुधाकर-सं० (पु०) चंद्रमा डोरी
सुधामय-सं० (वि०) अमृत स्वरूप सुतहार-बो० (पु०) = सुतार
सुधार-हिं० (पु०) 1 दोष दूर करना 2 संशोधन, परिवर्तन । सुता-सं० (स्त्री०) पुत्री, बेटी
~गृह + सं० (पु०) बच्चों को सुधारने का केंद्र; ~मूलक सुतार-(पु०) बढ़ई, शिल्पी
+ सं० (वि०) सुधार पर आधारित; ~वाद + सं० (पु०) सुतारी-I (स्त्री०) जूता सीने का सूआ
दंड की अपेक्षा सुधार में विश्वास रखने का मत; ~वादी + सुतारी-II (स्त्री०) पुरानी चाल का एक तरह का हथियार सं० 1 (वि०) सुधारवाद संबंधी || सुधारवाद का समर्थक; सुतारी-III (पु०) कारीग़र, शिल्पी
~शाला + सं० (पु०) - सुधार गृह सुतीक्ष्ण-सं० (वि०) 1 बहुत तेज़ 2 अत्यंत तीखा 3 अत्यंत | सुधारक-[हिं० + सं० (वि०) सुधार के विचार से होनेवाला पीडाकारक
II (पु.) 1 सुधार करनेवाला, संशोधक 2 धर्म या समाज का सतही-बो० (स्त्री०) 1 सीपी 2 आम आदि के छिलके छीलने | सुधार करनेवाला, रिफ़ार्मर तथा अफ़ीम खुरचने की एक तरह की सीपी
सुधारना-(स० क्रि०) 1 ठीक करना, दुरुस्त करना (जैसे-घड़ी सतून-फा० (पु०) = सितून
सुधारना) 2 दोष, विकार आदि का उन्मूलन कर सुधार लाना
करना
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सुधारा
838
सुप्रश्न
3 लेख आदि की गलतियाँ दूर करना
सुन्ना-(पु०) शून्य, सिफर सुधारा-(वि०) सीधा, भोला
सुन्नी-अ० (पु०) मुसलमानों का एक फिरका सुधारालय-हिं० + सं० (पु०) अपराधियों को शिल्प आदि की | सुपक्व-सं० (वि०) अच्छी तरह पका हुआ शिक्षा देकर सुधारने का प्रयास करने हेतु एक तरह का बंदीगृह, सुपच-(वि०) अच्छी तरह पचनेवाला रिफार्मेटरी
सुपठ-सं० (वि०) सहज में पढ़ने योग्य सुधि-(स्त्री०) = सुध
सुपत्नी-सं० (स्त्री०) सुंदर पत्नी सुधी-I (वि०) 1 बुद्धिमान्, समझदार 2 अच्छी बुद्धिवाला II | सुपथ-I सं० (पु.) अच्छा रास्ता, उत्तम मार्ग, सत्पथ II (पु०) 1 पंडित, विद्वान् 2 धार्मिक विद्वान्
(वि०) सुंदर मार्गवाला सुनकार-(वि०) गाना सुननेवाला
सुपथ्य-सं० (पु०) अच्छा पथ्य सुनगुन-(स्त्री०) 1 अस्पष्ट चर्चा, कानाफूसी 2 उड़ती हई ख़बर सुपना-(पु०) स्वप्न, सपना 3टोह
सुपर एक्सप्रेस-अं० (पु०) एक्सप्रेस से भी तेज़ गाड़ी सनना-(स० क्रि०) 1 ध्यान देना 2 बुरा भला सहना, फटकारा सुपर टैक्स-अं० (पु०) अतिरिक्त कर जाना (जैसे-मुझे किसी की सुनना अच्छा नहीं लगता) सुपर बाज़ार-अं० + फ़ा० (पु०) ऐसा बाज़ार जहाँ हर चीज़ 3 अनुभूति होना (जैसे-दुःख सुनना) 4 प्रार्थना आदि पर सुलभ हो सहमत होना (जैसे-फ़रियाद सुनना) 5 ध्वनि, शब्द आदि का सुपर मार्केट-अं० (पु०) ऐसी मंडी जिसमें हर वस्तु सुलभ हो कान के द्वारा ग्रहण करना
सुपरवाइज़र-अं० (पु०) निरीक्षण करनेवाला, पर्यवेक्षक, सुनबहरी-(स्त्री०) चि० एक प्रकार का कुष्ठ रोग
निरीक्षक सुनम्य-सं० (वि०) नमनशील, विनम्र
सुपर सोनिक-अं० (वि०) अधिध्वानिक सुनयना-सं० [ (वि०) सुंदर नेत्रोंवाली. सुलोचना II (स्त्री०) सुपरिटेडेंट-सं० (पु०) अधीक्षक सुंदर नेत्रोंवाली स्त्री
सुपाच्य-सं० (वि०) सरलता से पचनेवाला सुनवाई-(स्त्री०) 1 मुक़दमे का सुना जाना 2 विवाह आदि का सुपाठ्य-सं० (वि०) सरलता से पढ़ने योग्य सुनना 3 सुनने का भाव
सुपात्र-सं० (पु०) 1 अच्छा या उपयुक्त पात्र 2 उपयुक्त सुनवैया-I (वि०) सुननेवाला II (वि०) सुनानेवाला व्यक्ति (जैसे-दान सुपात्र को ही देना चाहिए) 3 सयोग्य सुनसान-(वि०) 1 वीरान 2 निर्जन
व्यक्ति (जैसे-सुपात्र और कुपात्र की पहचान) सुनहरा, सुनहरी-(वि.) सोने का रंग का
सुपारी-(स्त्री०) 1 नारियल की जाति का एक ऊँचा पेड 2 इस सुनहला-(वि०) सोने के रंग सा, गोल्डेन
वृक्ष का फल, कसैली, छालिया 3 लिंगेंद्रिय का अगला सुनाई-(स्त्री०) सुनने का भाव
अंडाकार भाग सुनाना-(स० क्रि०) 1 कुछ कहना 2 जताना 3 खरी खोटी सुपुत्र-सं० (पु०) सुशील और योग्य बेटा कहना, फटकारना
सुपुर्द-फ़ा० (वि०) सौंपा गया, सौंपा हुआ सुनाम-सं० (पु०) नेकनामी, कीर्ति, यश
सुपुर्दगी-फ़ा० (स्त्री०) 1 सौंपने का काम 2 हिरासत, गिरफ्तारी सनामा-सं० (वि०) 1अच्छे नामवाला 2 यशस्वी
(जैसे-पुलिस की सुपुर्दगी में रहना) सुनार-(पु०) सोने-चाँदी का पेशा करनेवाला, स्वर्णकार। सुपुर्दनामा-फ़ा (पु०) समर्पण पत्र।
की जात का भरोसा क्या सुनारों का कोई विश्वास नहीं सुपूत-सं० + हिं० (पु०) अच्छा पुत्र, सपूत सुनारिन, सुनारी-(स्त्री०) । सुनार का काम 2 सुनार की स्त्री सपूती-सं० + हिं० (स्त्री०) अच्छे पुत्रवाली स्त्री 3 सुनार जात की स्त्री
सुप्त-सं० (वि०) 1 सोया हुआ. निद्रित 2 सुन्न 3 निष्क्रिय सुनाल-सं० (पु०) लाल कमल
4 संकुचित (जैसे-पुष्प की सुप्त अवस्था) 5 अविकसित सुनावनी-(स्त्री०) 1 स्वजन संबंधी की मृत्यु का समाचार आना (जैसे-शिशु अभी सुप्त अवस्था में है) 6 सुस्त, शिथिल 2 सामूहिक शोक प्रकट, स्नान आदि
सुप्तस्थ-सं० (वि०) सोया हुआ, निद्रित सुना सुनाया-(वि०) सुनकर पाया हुआ
सुप्तावस्था-सं० (स्त्री०) 1 सुप्त होने का भाव 2 निष्क्रियता सुनियम-सं० (पु०) 1 अच्छी व्यवस्था 2 उत्तम नियम __ 3 सुस्ती, शिथिलता सुनिश्चित-सं० (वि०) दृढ़ता से निश्चय किया हआ सुप्ति-सं० (स्त्री०) 1 निद्रा, नींद 2 निदाँस, ऊँघाई (जैसे-निश्चित कार्य)
सुप्रज्ञ-सं० (वि०) बहुत बुद्धिमान् सुनीति-सं० (स्त्री०) उत्तम नीति
सुप्रतिष्ठ-सं० (वि०) 1 अच्छी प्रतिष्ठावाला 2 बहुत प्रसिद्ध सुनील-सं० (वि०) 1 गहरा नीला 2 गहरा काला सुप्रतिष्ठा-सं० (वि०) अच्छी प्रतिष्ठा सुन्न-(वि०) 1 संवेदनरहित (जैसे-सुन्न हृदय) 2 संज्ञाहीन | सुप्रतिष्ठित-सं० (वि०) 1 सुंदर प्रतिष्ठायुक्त 2 सुप्रसिद्ध (जैसे-आपरेशन से पहले हाथ सुन्न करना) 3 स्तब्ध और सुप्रबंध-सं० (पु०) अच्छा इंतज़ाम किंकर्तव्यविमूढ़ (जैसे-पिता की अचानक मृत्यू होते ही वह सुप्रभातम्-सं० (अ०) प्रातःकाल शुभ हो सुन्न रह गया)
सुप्रयास-सं० (पु०) 1सफल प्रयास 2 अच्छा प्रयत्न सुन्नत-अ० (स्त्री०) लिंगेंद्रिय के अगले भाग का चमड़ा काटने सुप्रशस्त-सं० (वि०) 1खूब प्रशंसित 2 सुप्रसिद्ध की एक धार्मिक प्रथा, खतना, सरकमसीजन
सुप्रश्न-सं० (पु०) कुशलक्षेम संबंधी जिज्ञासा, कुशलप्रश्न
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सुम्मी
सुप्रसिद्ध
839 सुप्रसिद्ध-सं० (वि०) अत्यंत मशहूर, अति प्रसिद्ध | सुभद्रा-सं० (सी०) अर्जुन की पत्नी और अभिमन्यु की माँ (जैसे-सुप्रसिद्ध कलाकार)
सुभाग-सं० (वि०) भाम्यवान्, खुशकिस्मत सुप्रीम-अं० (वि०) 1 सबसे बड़ा (जैसे-सुप्रीम कोर्ट, सुप्रीम सुभान अल्लाह-अ० ईश्वर धन्य है जज) 2 प्रधान । ~कोर्ट (पु०) 1 उच्च या प्रधान न्यायालय सुभाषिणी-सं० (सी०) अच्छा और मधुर बोलनेवाली, 2 सबसे बड़ी कचहरी, सर्वोच्च न्यायालय
मंजुभाषिणी सुफल-सं० (वि०) 1 सुंदर फलवाला 2 सफल | सभाषित-सं० (वि०) 1 अच्छे ढंग से कहा हुआ 2 सुंदर सफ़ेद-फा० (वि०) सफ़ेद
भाषण करनेवाला सुफेर-सं० + हिं० (पु०) 1 शुभ या लाभदायक अवसर | सुभाषी-सं० (वि०) 1अच्छी तरह से बोलनेवाला 2 प्रिय और 2 अच्छी दशा या दिन ।
मधुर बातें करनेवाला सुबंत-सं० (पु०) प्रथमा से सप्तमी तक की विभक्तियों से | सुभिक्ष-सं० (पु०) 1भिक्षा की सुलभता 2 अन्न की प्रचुरता युक्त शब्द
सुभी-(वि०) शुभ कारक, मंगलकारक। ता (पु०) सुबकना-(अ० क्रि०) हिचकियाँ लेते हुए रोना
1आसानी 2 सुयोग 3 अनुकूल अवसर या परिस्थिति सुबकी-(स्त्री०) सिसकी
4 आराम, सुख सुबड़ा-बो० (पु०) ताँबा या अन्य धातु मिली हुई चाँदी | सुभीता-(पु०) 1आसानी 2 सुयोग 3 आराम, चैन सुबल सं० (वि०) शक्तिशाली, बली
सुभूषित-सं० (वि०) अच्छी तरह अलंकृत सुबह-अ० (स्त्री०) 1 सबेरा 2 मध्याह्न से पहले तक का समय | सुमंगली-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 नव विवाहिता स्त्री, वधू (जैसे-सुबह तक का काम)। तड़के + हिं० (क्रि० वि०) __ 2 कन्या पक्ष के पुरोहित को मिलनेवाली सिंदूरदान की दक्षिणा भोर के समय; ~शाम + फ़ा० (स्त्री०) दोनों समय; ~का सुम-फा० (पु.) चौपायों का खुर, टाप निकला शाम को आना आवारागर्दी करना; ~की पूछो सुमति-I सं० (वि०) 1अच्छी बुद्धिवाला 2 बुद्धिमान, शाम की कहना बदहवास होना; ~शाम करना टालमटोल होशियार II (स्त्री०) 1 अच्छी बुद्धि 2 मेल जोल और करना
सद्भाव सुबहान-अ० (पु०) ईश्वर को पवित्र भाव से स्मरण करना। | सुमधुर-सं० (वि०) 1 बहुत मीठा या मधुर 2 बहुत कोमल
~अल्लाह (अ०) ईश्वर को पवित्र भाव से स्मरण करते हुए (जैसे-सुमधुर ध्वनि) सुबही-अ० + फ़ा० (वि०) सुबह का
समन-[ सं० (वि०) 1 अच्छे हृदयवाला 2 सदा प्रसन्न सुबास-(स्त्री०) सुगंध
रहनेवाला ॥ (पु०) पुष्प, फूल सुबासना-1 (स्त्री०) अच्छी महक, खुशबू
समनस-[ सं० (वि०) 1अच्छे हृदयवाला 2 सदा प्रसन्न सुबासना-II (स० क्रि०) सुगंधित करना, महकाना रहनेवाला ॥ (पु०) पुष्प, फूल सुबासिक-(वि०) सुगंधित, महका हुआ
सुमनस्क-सं० (वि०) 1 प्रसन्न, खुश 2 सुखी सुबाहु-सं० (वि०) 1 सुंदर बाहोंवाला 2 सशक्त भुजाओंवाला | सुमनित-[सं० (वि०) सुंदर मणियों से युक्त II (वि०) फूलों 3 वीर, बहादुर
से युक्त सबुक-फ़ा० (वि०) 1 हलका 2 नाजुक 3 जो तेज न हो | सुमफटा-फा० + हिं० (पु०) घोड़ों के खर में होनेवाला एक (जैसे-सुबुक रंग)। दस्त (वि०) हाथ का फुर्तीला; | प्रकार का रोग
दोश (वि०) 1 भारमुक्त 2 कर्तव्य भार आदि से मुक्त | सुमरनी-(स्त्री०) छोटी जपमाला 3 निश्चिंत; रफ़्तार (वि०) तेज़ रफ़्तारवाला
समान्य-[सं० (वि०) विशेष रूप से मान्य और प्रतिष्ठित II सबुकना-(अ० क्रि०) = सुबकना
(१०) विशिष्ट अधिकार प्राप्त सम्मानित व्यक्ति, शेरिफ़ सुबुकी-फ़ा० (स्त्री०) 1 हलकापन 2 हेठी
समार्ग-सं० (पु०) उत्तम और श्रेयस्कर पथ या रास्ता सबद्धि-[सं० (वि०) बुद्धिमान् II (स्त्री०) अच्छी या उत्तम समित्रा-सं० (स्त्री०) राजा दशरथ की एक पत्नी तथा लक्ष्मण बुद्धि
और शत्रुघ्न की माता सुबू-अ० (स्त्री०) सुबह, सबेरा
सुमिरन-सं० स्मरण, ध्यान सुबूत-अ० (पु०) 1 प्रमाण 2 साक्ष्य, सबूत
समिरनी-(स्त्री०) छोटी जपमाला, सुमरनी सुबोध-सं० (वि०) सरल और बोधगम्य
सुमिल-सं० + हिं० (वि०) 1 मिलनसार 2 स्नेह का संबंध सुब्रह्मण्य-सं० (वि०) जिसमें ब्रह्मण्य हो
रखनेवाला सुभक्ष्य-I सं० (वि०) भक्षण के योग्य II (पु०) अच्छा और सुमुख-सं० (वि०) 1 सुंदर मुखवाला 2 मनोहर, सुंदर 3 प्रसन्न बढ़िया भोजन
सुमुखी-सं० (स्त्री०) सुंदर मुखवाली स्त्री सुभग-सं० (वि०) 1 भाग्यवान् 2 समृद्ध और सुखी 3 सुंदर सुमुहूर्त-सं० (पु०) शुभ मुहूर्त ।
4 प्रिय 5 सुखद। ता (स्त्री०) सुभग होने का भाव सुमेरु-[ सं० (पु०) एक कल्पित स्वर्ण पर्वत || (वि०) सभगा-सं० (स्त्री०) 1 सौभाग्यवती स्त्री 2 प्रियतमा स्त्री, सर्वश्रेष्ठ 2 अत्यधिक ऊँचा। ज्योति (स्त्री०) उत्तरी ध्रुव के
पतिप्रिया स्त्री। ~सुत (पु०) प्रियतमा पत्नी से उत्पन्न पुत्र आस पास कभी कभी दिखाई देनेवाला बिजली का सुभट-सं० (पु०) रणकुशल योद्धा ।
प्रकाश सुभद्र-सं० (वि०) 1 अत्यंत भाग्यवान् 2 भला
| सुम्मी-(स्त्री०) सुनारों का एक औजार
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(जस-सुरति भावना
(स्त्रा०) = सरत ।
सुरती-
सुयश 840
सुराग सुयश-1 सं० (पु०) सुख्याति, सुकीर्ति || (वि०) यथेष्ट लगाना ध्यान लगाना ~सँभालना होश संभालना, चेतन यशवाला
अवस्था में आना सुयोग-सं० (पु०) उपयुक्त तथा अनुकूल समय, बढ़िया मौका | सुरत-II सं० (पु०) संभोग, काम क्रीड़ा III (वि०) अत्यंत सुयोग्य-सं० (वि०) अच्छी योग्यतावाला
अनुरक्त। ग्लानि (स्त्री०) सुरत जनित शिथिलता या सुरंग-(स्त्री०) 1 ज़मीन के अंदर बना रास्ता 2 बारूद से दीवार थकावट
आदि उड़ाने के लिए ज़मीन के अंदर बनाया गहरा और लंबा | सुरता-[सं० (स्त्री०) देवत्व रास्ता 3 समुद्र या ज़मीन में रखा जानेवाला बारूद आदि से भरा | सुरता-II(पु०) खेत में बीज बोने के लिए प्रयुक्त बाँस की गोला। क्षेत्र । सं० (पु०) सुरंग की जगह; ~खोजित्र | नली + सं० (पुल) सुरंग खोजने का यंत्र; -प्रसार + सं० (पु०) | सुरति-[सं० (स्त्री०) 1 रति, कामक्रीड़ा 2 संभोग, मैथुन सुरंग बिछाना; -प्रसारक + सं० (वि०) सरंग बिछानेवालाः | | 3 काम वासना की तृप्ति से उत्पन्न प्रेम (जैसे-सुरति भावना)
प्रसारक पोत + सं० (पु०) सुरंग बिछाने का जहाज़; सुरति-Iबो० (स्त्री०) = सुरत |
बुहार (पु०) एक विशेष समुद्री जहाज़ जिससे समुद्री सुरंगें सुरती-(स्त्री०) 1 तंबाकू के पत्ते का चूर्ण, खैनी 2 तंबाकू का हटाई जाती हैं, माइन स्वीपर; ~मार्जक + सं० (पु०) - पत्ता सुरंग बुहार
सुरत्त-बो० (स्त्री०) = सुरत | सुरंग-II सं० (वि०) 1 अच्छे रंग का 2 सुंदर
सुरभि-I सं० (वि०) सुगंधित, खुशबूदार 2 सुंदर, मनोरम सुरंगा-सं० (स्त्री०) सेंध
3 उत्तम, श्रेष्ठ || (स्त्री०) सुगंध, खुशबू। ~मुख (पु०) सुरंगिका-सं० (स्त्री) छोटी सुरग
वसंत ऋतु का प्रारंभिक काल सुरंगी-(वि०) सुरंग रंगवाला
सुरभि-सं० (पु०) 1 सुगंधित द्रव्य 2 वसंत ऋतु सुरंजन-सं० (पुल) सुपारी का पेड़
सुरभित-सं० (वि०) सुगंधित, सुवासित सुर-सं० (पु०) देवता। गति (स्त्री०) 1 देवताओं की सुरभी-सं० (स्त्री०) खुशबू, सुगंध स्थिति या अवस्था 2 दैवी गति, भावी; चाप (पु०) सुरमई-फ़ा० (वि०) 1 सुरमे के रंग का, नीला, सफ़ेदी लिए इंद्रधनुषः --जन (पु०) देववर्ग, देव समूह; तरु (पु०) __ हलका नीला या काला 2 सूरमे के रंग में रंगा हुआ। कल्पवृक्ष; ~धाम (पु०) देवलोक, स्वर्ग; ~धेनु (स्त्री०) ~क़लम + अ० (स्त्री०) आँखों में सुरमा लगाने की सलाई कामधेनु, नदी (स्त्री०) 1 गंगा 2 आकाश गंगा; नारी सुरमण्य-सं० (वि०) अत्यंत सुंदर (स्त्री०) देव वधू, देवांगना; पथ (पु०) आकाश, पुर सुरमा-फा० (पु०) 1 आँखों में लगाए जानेवाला एक खनिज (पु०) = सुरधाम; ~ बाला (स्त्री०) अप्सरा; ~मणि पदार्थ का चूर्ण 2 अंजन (पु०) चिंतामणि नामक एक रत्न: ~लोक (प०) देवलोक; सुरमीला-फ़ा० + हिं० (वि०) सुरमेवाला ~शयनी (स्त्री०) देव शयनी एकादशी; ~सरिता (स्त्री०) सुरमेदानी-फ़ा० + हिं० (स्त्री०) सुरमा रखने की छोटी डिबिया गंगा; साहब । अ० (पु०) देवताओं के स्वामी इंद्र __ या शीशी सुर-II(पु०) स्वर , आवाज़ (जैसे-मधुर या कोमल सुर में सरम्य-सं० (वि०) 1 अत्यंत मनोरम और रमणीय 2 बहत गाना)। दार + फ़ा० (वि०) सुरवाला; बहार + फा० सुंदर। ~ता (स्त्री०) 1 रमणीयता 2 सुंदरता (पु०) सितारनुमा एक बाजा; लहर (स्त्री०) (संगीत में) सुरवाड़ी-(स्त्री०) सूअरों के रहने का स्थान, सूअरबाड़ा सुर तरंग
सुरवाल-फ़ा० (पु०) = सलवार सुरक-सं० (पु०) नाक पर लगाया गया भाले के आकार का सुरस-सं० (वि०) 1 सुंदर रसवाला 2 रसीला, सरस 3 मधुर तिलक
सुर सुर-(स्त्री०) कीड़ों के रेंगने की आवाज़ सुरकना-(स० क्रि०) सुड़कना
सुरसुराना-I (अ० क्रि०) 1सुर सुर करते हुए रेंगना सुरक्षण-सं० (पु०) रखवाली, हिफाज़त
2 सुरसुराहट होना (जैसे-शरीर सुरसुराना) II (स० क्रि०) सुरक्षा-सं० (स्त्री०) समुचित रक्षा। परिषद (स्त्री०) सुर सुर ध्वनि उत्पन्न करना संयुक्त राष्ट्र संघ का एक रक्षा संबंधी अंग (जैसे-अमेरिका. सुरसुराहट-(स्त्री०) 1 सुरसुराने की क्रिया 2 हलकी खुजली रूस, इंग्लैंड, फ्रांस और चीन सुरक्षा परिषद् के स्थायी सदस्य 3 गुदगुदी हैं); ~समिति (स्त्री०) = सुरक्षा परिषद्
सुरसुरी-(स्त्री०) सुरसुराहट सुरक्षित-सं० (वि०) 1सुरक्षा की गई 2 अच्छी तरह रखा । सुरहरा-(वि०) सुर सुर की आवाज़ करनेवाला
सुरही-बो० (स्त्री०) सोलह चित्ती कौड़ियाँ सुरक्ष्य-सं० (वि०) सुरक्षा के योग्य
सुरांगना-सं० (स्त्री०) 1 देवपत्नी, देवांगना 2 अप्सरा सुरख-फा० (वि०) = सुर्ख
सुरा-सं० (स्त्री०) शराब, मदिरा (जैसे-सुरापान, सुर-सुरा और सुरखा-फा० (पु०) लाल दुमवाला काला घोड़ा
सुंदरी)। पात्र (पु०) शराब रखने या पीने का बर्तन; सुरखाब-फा० (पु०) = सुर्खाब
~पान (पु०) 1 शराब पीना 2 शराब के साथ खाद्य पदार्थ सुरखी-फा० (स्त्री०) सुखर्जी
सुराख-Iफ़ा० (पु०) = सुराख़ सुरत-I(स्त्री०) ध्यान, याद। धरना ध्यान देना; | सुराख-IIफ़ा० बो० (पु०) = सुराग़
विसराना या विसारना बिल्कुल भूल जानाः | सुराग़-फा० (पु०) 1 खोज 2 निशान 3 पता 4 ठिकाना
ति
हुआ
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सुराग
5 जिज्ञासा 6 तलाश । रसाँ (पु० ) 1 जासूस 2 पता लगानेवाला
सुराग - सं० (पु० ) 1 उत्तम प्रेम, गहरा प्यार 2 बढ़िया राग सुरागाय - ( स्त्री०) एक तरह की जंगली गाय सुरागार - सिं० ( पु० ) सुरालय । सुरागार - II सं० ( पु० ) = सुरालय II सुराज - बो० (पु० ) 1 अच्छा राज्य 2 स्वराज्य सुराजी - I बो० (पु०) स्वराज्य चाहनेवाला II ( वि० ) 1 सुराज का, सुराज संबंधी 2 सुराज के लायक 3 सुराज में प्रचलित सुराज्य-सं० (पु०) अच्छा राज्य
सुराथी - (स्त्री०) अनाज की बालें पीटने का डंडा सुरार्चन - सं० ( पु० ) सुरालय - I सं० ( पु० ) सुरालय - II सं० ( पु० ) शराबखाना सुराव-सं० ( पु० ). अच्छी ध्वनि
देवपूजा
स्वर्ग
841
सुरावट - ( स्त्री०) 1 स्वरों का आरोह और अवरोह 2 सुरीलापन सुरावती-सं० (स्त्री० ) देवताओं की माता 2 पृथ्वी सुरासव-सं० ( पु०) एक तरह का तीक्ष्ण आसव, स्पिरिट सुरासार-सं० ( पु० ) एक तात्विक तरल मादक द्रव्य, अलकोहल
=
सुरासुर - सं० (पु० ) सुर और असुर सुराही - अ० + फ़ा० (स्त्री०) मिट्टी, शीशे आदि धातु का बना लंबी गर्दनवाला जल आदि तरल पदार्थ रखने का एक पात्र या बर्तन । दार, नुमा (वि०) सुराही की सी आकृतिवाला सुरी-सं० (स्त्री०) सुरनारी सुरीला - (वि०) 1 महीन और मीठा (जैसे- सुरीला स्वर ) 2 मधुर स्वरवाला (जैसे- सुरीला गाना )
सुरुख़-सं० + फ़ा० (वि०) 1 खूबसूरत, सुंदर 2 प्रसन्न और दयालु
सुरुचि - I सं० (स्त्री०) अच्छी और परिष्कृत रुचि II ( वि० ) सुंदर रुचिवाला । पूर्ण (वि०) अच्छी रुचि का परिचय देनेवाला
सुरुवा - फ़ा० (पु० ) शोरबा
सुरूप सं० (वि०) 1 अच्छी आकृतिवाला 2 सुंदर, खूबसूरत । ~ता (स्त्री०) सुंदरता, खूबसूरती
सुरूपा - सं० (वि० / स्त्री०) सुंदर रूपवाली, सुंदरी
सुरूर - अ० (पु० ) नशा
सुरेंद्र-सं० (पु०) देवताओं के राजा, इंद्र सुरेख - I सं० (वि०) 1 सुंदर रेखाएँ बनानेवाला 2 सुंदर रेखाओं से युक्त II (स्त्री०) सुंदर रेखा सुरेथ - (पु० ) = सूसमार सुरेश - सं० (पु० ) देवराज इंद्र सुरेशी - सं० (स्त्री०) दुर्गा
सुरेश्वर - सं० ( पु० ) देवताओं के राजा इंद्र सुरैत - (स्त्री०) 1 उपपत्नी, रखेल 2 वेश्या सुरोपम-सं० (वि०) देवताओं के समान, देवतुल्य (जैसे-सुरोपम नायक)
सुर्ख - I फ्रा० (वि०) लाल (जैसे- सुर्ख़ गाल) II (पु० ) लाल रंग, रक्त वर्ण । ~रू (वि०) 1 कृतकार्य, सफल 2 प्रतिष्ठित रूई (स्त्री०) 1 सफलता 2 यश, कीर्ति
सुलाखना
3 प्रतिष्ठा; ~ सफ़ेद (वि०) 1 सुर्खी युक्त गोराईवाला 2 सुंदर सुर्खाब - फ़ा० (पु० ) चकवा चकवी; ~का पर अनोखी बात, खास-खूबी
सुर्खी-फ़ा० (स्त्री०) 1 लाल रंग 2 लाली, ललाई 3 शीर्षक (जैसे- समाचार पत्रों की सुर्ख़ियाँ) 4 ईंटों का चूर्ण (जैसे- सुर्खी और चूना मिलाकर जोड़ना) । मा +370 (fao) हलकी लालिमायुक्त
सुर्ती - (स्त्री०) सुर्मा - फ़ा० (पु० ) सुर्रा-बो० (पु० ) 1 एक प्रकार की मछली 2 हवा का तेज़ झोंका
सुरमा
सुलक्षण - I सं० (वि०) 1 शुभ लक्षणोंवाला 2 भाग्यवान् II (पु० ) शुभ लक्षण
सुलक्ष्य-सं० (वि०) अच्छी तरह लक्षित किए जाने योग्य सुलग - I (स्त्री०) सुलगने की क्रिया II (स्त्री०) समीप होना III ( क्रि० वि०) पास, समीप
=
सुरती
=
सुलगन - ( स्त्री०) सुलगने की क्रिया
सुलगना - (अ० क्रि०) 1 आग पकड़ना, जलने लगना 2 धुआँ देना (जैसे-सिगरेट का सुलगना) 3 ईर्ष्या से जलना 4 कुढ़ना (जैसे- किसी की उन्नति से सुलगना)
सुलगाना - (स० क्रि०) 1 आग जलाना 2 भड़काना 3 झगड़ा
उकसाना
सुलग्न - I सं० ( पु० ) शुभ लग्न, अच्छी सायत II ( वि० ) अच्छी तरह लगा हुआ
सुलछबो० (वि०) अच्छे लक्षणोंवाला
सुलझन - (स्त्री०) सुलझाव
सुलझना - (अ० क्रि०) 1 उलझनों से मुक्त होना 2 समस्या दूर होना
सुलझाना - (स० क्रि०) 1 उलझन दूर करना 2 समस्या का समाधान करना 3 गुत्थी खोलना
सुलझन
सुलझाव - (पु० ) सुलटा - (वि०) सीधा
सुलतान - अ० ( पु० ) बादशाह, सम्राट्
सुलतानी - I अ० + फ़ा० (वि०) सुलतान का II ( स्त्री० ) सुलतान होने का भाव सुलफ - (वि०)
लचीला 2 कोमल, मुलायम
सुलफ़ा - ( पु० ) 1 चरस 2 तंबाकू सुलफ़ेबाज़ - हिं० + फ़ा० (वि०) गाँजा या चरस पीनेवाला सुलभ-सं० (वि०) 1 सरल, सहज 2 साधारण, मामूली 3 उपयोगी । गणक ( पु० ) व्यवहार गणित संबंधी प्रक्रियाओं के फलन को ज्ञात करने की सारिणी; ता (स्त्री०) सुगमता, आसानी
सुलभेतर - सं० (वि०) 1 सहज में प्राप्त न होने योग्य, दुर्लभ 2 कठिन
सुललित-सं० (वि०) अत्यंत सुंदर
सुलह - अ० (स्त्री०) 1 मेल मिलाप 2 संधि 3 झगड़ा समाप्ति के बाद किया गया समझौता (जैसे- सुलह करना) । नामा + फ़ा० ( पु० ) राजीनामा, संधिपत्र सुलाखना- (स० क्रि०) बो० 1 छेद करना 2 सोने या चाँदी आदि को तपाकर परखना
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हुआ
सुलाना 842
सुश्री सुलाना-(स० क्रि०) सोने में प्रवृत्त करना, शयन कराना (वि०) जिसे सुविधा मिली हो; मूलक (वि०) सुविधा (जैसे-बच्चे को सुलाना)
प्रधान, सुविधा जनक सुलिखित-सं० (वि०) सुंदर और स्पष्ट लिखा हुआ सुविधान-[ सं० (वि०) सुव्यवस्थित || (पु०) अच्छी सुलिपि-सं० (स्त्री०) उत्तम और स्पष्ट लिपि
व्यवस्था सुलूक-अ० (पु०) - सलक
सुविधामय-सं० (वि०) = सुविधापूर्ण सुलेख-सं० (पु०) अच्छी लिखावट, सुंदर हस्तलेख सविधि-सं० (स्त्री०) 1 अच्छी विधि 2 सुंदर ढंग या युक्ति सुलेखक-सं० (पु०) अच्छा लेखक
सुविनय-सं० (वि०) 1 सुशिक्षित 2 अनुशासित सुलेमानी-अ० + फ़ा० (वि०) एक किस्म का दोरंगा पत्थर सुविनीत-सं० (वि०) 1 अत्यंत नम्र 2 अच्छी तरह सधाया सुलोचन-सं० (वि०) सुंदर आँखोंवाला सुलोचना-सं० (वि०) सुंदर आँखोंवाली
सुविभीषण-सं० (वि०) बहुत भयंकर सुलोचनी-सं० (स्त्री०) सुंदर नेत्रोंवाली स्त्री
सुविशाल-सं० (वि०) बहुत बड़ा सुलोल-सं० (वि०) 1 अत्यंत लालायित 2 अत्यंत चंचल सुविस्तर-सं० (वि०) 1 विस्तारवाला 2 विस्तारपूर्वक कहा सुल्फ-(पु०) 1 ख़रीद फरोख्त 2 असबाब
हुआ सुवक्ता-सं० (पु०) उत्तम व्याख्यान देनेवाला, वाक्पटु, वाग्मी सुवीर-सं० (पु०) बहुत बड़ा वीर या योद्धा सुवचन-1 सं० (वि०) 1 सुंदर वचन बोलनेवाला 2 मधुर भाषी | सुवृत्त-सं० (वि०) 1 सच्चरित्र 2 गुणवान् 3 सज्जन और साधु II (पु०) मधुर वचन
सुवृत्ति-I सं० (स्त्री०) 1 उत्तम जीविका 2 सदाचार II (वि०) सुवत्सा-सं० (स्त्री०) सुंदर तथा सौम्य वत्सवाली स्त्री 1 उत्तम जीविकावाला 2 सदाचारी सुवदना-सं० (स्त्री०) सुंदर स्त्री
सुवृद्ध-सं० (वि०) अत्यंत वृद्ध सुवर्ण-I सं० (वि०) 1 सुंदर वर्ण का 2 सुनहला II (पु०) सुवेग-सं० (वि०) तेज गतिवाला सोना, स्वर्ण। -कमल (पु०) रक्त कमल, लाल कमल; सुवेश-[ सं० (वि०) 1सुंदर वेशभूषावाला 2 सुंदर II
कार (पु०) = सुनार; ~कारी (स्त्री०) सुनारी; युग (पु०) सुंदर वेषभूषा । (पु०) स्वर्ण युग
सुवेशी-सं० (वि०) अच्छे भेषवाला सुवर्णक-सं० (वि०) 1 सोने का बना 2 सुनहला
सुवेसल-बो० (वि०) सुंदर, मनोहर सुवर्णमय-सं० (वि०) सोने की तरह का
सुवैया-बो० (वि०) सोनेवाला सुवर्णमान-सं० (पु०) = स्वर्ण मान । प्रणाली (स्त्री०) = सुव्यक्त-सं० (वि०) 1बिलकुल स्पष्ट 2 साफ़ स्वर्णमान प्रणाली
सुव्यवस्था-सं० (स्त्री०) अच्छी और सुंदर व्यवस्था सुवर्णा-सं० (वि०)/(स्त्री०) सुंदर वर्णवाली
सुव्यवस्थित-सं० (वि०) अच्छी और सुंदर व्यवस्था से युक्त सुवर्णालंकार-सं० (पु०) सोने के गहने
सुव्यवहार-सं० (पु०) सुंदर व्यवहार सुवहनीय-सं० (वि०) जो आसानी से उठाया जा सके सुव्रत-सं० (वि०) 1 दृढ़ता से व्रत का पालन करनेवाला सुवाँग-बो० (पु०) = स्वाँग
2 धर्मनिष्ठ 3 नम्र, विनीत सुवा-बो० (पु०) तोता
सव्रता-सं० (स्त्री०) गुणवती और पतिव्रता स्त्री सुवार-सं० (पु०) अच्छा दिन
सुशक्त-सं० (वि०) शक्तिशाली सुवास-[सं० (पु०) 1सुगंध 2 अच्छा निवास स्थान सुशांत-सं० (वि०) अत्यंत शांत सुवास-IIसं० (वि०) अच्छे कपड़े पहना हुआ सुशासक-सं० (पु०) अच्छा राजा सुवासित-सं० (वि०) सुगंधित
सुशासन-सं० (पु०) उत्तम राज प्रबंध, सुराज्य सुवासिनी-सं० (स्त्री०) 1पिता के घर रहनेवाली युवती या | सुशासित-सं० (वि०) सुनियंत्रित विवाहित कन्या 2 सुहागिन, सधवा स्त्री
सुशिक्षक-सं० (पु०) अच्छा अध्यापक सुविख्यात सं० (वि०) बहुत प्रसिद्ध
सुशिक्षित-सं० (वि०) 1 सुशिक्षाप्राप्त 2 अच्छी तरह सिखाया सुविचार-सं० (पु०) 1 सुंदर और सूक्ष्म विचार 2 समझ । हुआ बूझकर किया गया निर्णय
सशिखा-सं० (स्त्री०) 1 मोर की शिखा 2 मुर्गे की कलगी या सुविचारित-सं० (वि०) अच्छी तरह से सोचा समझा
चोटी हुआ
सुशीतल-सं० (वि०) अत्यंत ठंढा सुविज्ञ-सं० (वि०) 1 अच्छा जानकार 2 ज्ञानवान्
सशील-सं० (वि०) 1 सज्जन तथा सदाचारी 2 सरल, सीधा सुविद्-सं० (पु०) विद्वान् या चतुर व्यक्ति
(जैसे-सुशील बालक) 3 शीलवान् सुविदा-सं० (स्त्री०) चतुर या गुणवती स्त्री
सुशुभ-सं० (वि०) 1 बहुत सुंदर 2 मंगलमय 3 बहुत नेक सुविदित-सं० (वि०) अच्छी तरह जाना हुआ
सुभंगार-सं० (वि०) अच्छी तरह सजा हुआ सविध-सं० (वि०) अच्छे स्वभाव का, सुशील
सुशोभित-सं० (वि०) अत्यंत शोभायमान् सविधा-सं० (स्त्री०) 1साधन 2 आराम, चैन। ~गम्य सुश्राव्य-सं० (वि०) 1सुनने योग्य 2 सरलता से सुना (वि०) सुविधा के योग्य; जनक (वि०) सुविधा जानेवाला देनेवाला; पूर्ण (वि०) सुविधा से भरा पूरा; ~प्राप्त | सुश्री-[सं० (वि०) बहुत सुंदर II (स्त्री०) अविवाहित स्त्रियों
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सुश्रुत
प्राकृतिक सौंदर्य
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सूअर के नाम के पहले लगनेवाला आदरसूचक और शिष्टता पूर्ण | सुंदर स्तनोंवाली (स्त्री) संबोधन (जैसे-सुश्री संध्या सिंह)
सुस्ताना-फा० + हिं० (अ० क्रि०) थकावट दूर करना, आराम सुश्रुत-सं० (वि०) अच्छी तरह सुना हआ 2 प्रसिद्ध, मशहूर
करना (जैसे-संतों की सुश्रुत वाणी)
सुस्ती-फ़ा० (स्त्री०) 1आलस्य 2 कमजोरी 3 ढिलाई सुश्लिषट-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह मिला हुआ 2 उपयुक्त (जैसे-काम में सुस्ती दिखाना) सश्लोक-सं० (वि०) 1 प्रसिद्ध 2 पुण्यात्मा
सुस्थ-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह से स्थित 2 स्वस्थ, भला-चंगा सुषम-सं० (वि०) 1 बहुत सुंदर 2 समान, तुल्य
3 हर तरह से सुखी सुषमा-सं० (स्त्री०) 1 अत्यधिक सुंदरता 2 नैसर्गिक शोभा, सुस्थित-सं० (वि०) अच्छी तरह स्थित, दृढ़, पक्का
सुस्थिर-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह से स्थिर या शांत 2 दृढ़ता सुषुप्त-सं० (वि०) सोया हुआ
पूर्वक जमाया हुआ या बैठाया हुआ सुषुप्तावस्था-सं० (स्त्री०) = सुषुप्ति
सस्वर-I सं० (वि०) 1 मधुर 2 सुरीला 3 उच्च या घोर सुषुप्ति-सं० (स्त्री०) सोए होने की अवस्था, प्रगाढ़ निद्रावस्था | (जैसे-सुस्वर में गाना) II (पु०) मधुर, सुरीला या ऊँचा स्वर सुषुम्ना-सं० (स्त्री०) 1 इड़ा और पिंगला नाड़ियों के बीच में | सुस्वादु-सं० (वि०) बहुत स्वादिष्ट स्थित एक नाड़ी 2 आयुर्वेद के अनुसार नाभि के मध्य में स्थित | सुहबत-अ० (स्त्री०) = सोहबत एक प्रधान नाड़ी
सुहाग-(पु०) 1 सौभाग्य, अहिवात 2 शादी पर गाया जानेवाला सुष्ट-सं० (वि०) अच्छा, भला, नेक
मांगलिक गीत 3 वर, दूल्हे का जामा 4 प्यार, प्रणय चेष्टा सष्ठ-सं० (क्रि० वि०) 1 अतिशय, अत्यंत 2 अच्छी तरह, (जैसे-सुहाग की हिफ़ाज़त)। ~मंदिर + सं० (पु०) भली भाँति 3 यथा तथ्य 4 वास्तव में
1 राजमहल में राजा रानी के विहार का मकान 2 वर वधू का सुसंकट-I सं० (वि०) जिसे करना कठिन हो II (पु०) शयनागार; रात (स्त्री०) वर वधु के प्रणय मिलन की 1कठिन काम 2 कठिनता, दिक्कत
प्रथम रात; ~उजड़ना विधवा हो जाना; उतरना 1 विधवा सुसंगत-सं० (वि०) बहुत उचित, युक्त
होना 2 विधवा हो जाने पर पत्नी के शरीर से गहने आदि का सुसंगति-सं० (स्त्री०) अच्छा संग-साथ, सत्संग
उतारा जाना; ~भरना पत्नी की माँग में सिंदूर भरना; सुसंगम-सं० (पु०) अच्छा मिलन
~मनाना सौभाग्य की कामना करना सुसंपत्-सं० (स्त्री०) अति समृद्धि, सौभाग्य
सुहागन-(स्त्री०) = सुहागिन सुसंपन्न-सं० (वि०) यथेष्ट धन संपत्तिवाला
सुहागा-I (पु०) गंधकी सोतों से प्राप्त एक प्रकार का क्षार सुसंभाव्य-सं० (वि०) जिसके होने की अधिक संभावना हो सुहागा-II बो० (पु०) पाटा, हेंगा सुसंस्कृत-सं० (वि०) 1सुंदर संस्कारयुक्त 2 शिष्ट सुहागिन-(स्त्री०/वि०) सुहागवाली, सौभाग्यशालिनी, सधवा
3 सांस्कृतिक दृष्टि से उन्नत (व्यक्ति या समाज) सुहाता-(वि०) सहने योग्य सुसंहत-सं० (वि०) अच्छी तरह से गठा हुआ
सुहाना-(अ० क्रि०) 1 सुंदर प्रतीत होना 2 सुखद होना सुसकना-(अ० क्रि०) बो० = सिसकना
सुहारी-बो० (स्त्री०) सादी पूरी ससजित-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह सजाया हुआ, शृंगारित सुहाल-(पु०) मैदे का बना तिकोनी आकृति का परतदार एक 2 तैयार (जैसे-सुसज्जित सेना)
तरह का नमकीन पकवान सुसताना-फ़ा० + हिं० (अ० क्रि०). = सुस्ताना सुहावना-(वि०) सुंदर और सुखद (जैसे-सुहावनी रात, सुसती-फा० (स्त्री०) = सुस्ती
सुहावनी बात) सुसत्व-सं० (वि०) 1 दृढ़, पक्का 2 वीर, बहादुर ।। सुहास-सं० (वि०) सुंदर हँसी हँसनेवाला सुसमय-सं० (पु०) अच्छा वक्त, सुकाल
सहासी-सं० (वि०) सुंदर हँसीवाला या हासयुक्त सुसमा-बो० (पु०) = सुसमय
सुहद-सं० (पु०) मित्र, सखा सुसमृद्ध-सं० (वि०) 1 अत्यंत धनी, धनवान् 2 धन धान्य से सुहृदय-सं० (वि०) 1 सुंदर हृदयवाला 2 स्नेही संपत्र
सुहेल-अ० (पु०) एक कल्पित तारा सुसर-बो० (पु०) = ससुर
सुहेला-(वि०) 1 सुहावना 2 सुखद सुसरा-(पु०) = ससुर
संघना-(स० क्रि०) नाक से गंध ग्रहण करना (जैसे-फूल सुसराल-बो० (स्त्री०) = ससुराल
सूंघना) सुसरी-बो० (स्त्री०) = ससुरी
सूंघनी-(स्त्री०) तंबाकू का चूर्ण, नसवार सुसाध्य-सं० (वि०) 1सुख साध्य 2 सरलता से साधे जाने | Lघा-(पु०) सूंघकर टोह लगानेवाला 2 जासूस, भेदिया योग्य
| सैंड-(स्त्री०) हाथी की स्तंभाकार नाक, शुंड सुस्त-फा० (वि०) 1आलसी 2 कमज़ोर 3 ढीला 4 धीमा | सैंडाल-I (वि०) सँडवाला II (पु०) शुंडाल, हाथी
5 मंद बुद्धिवाला 6 उतरा हुआ, उदास (जैसे-चेहरा सुस्त | सैंडी-(स्त्री०) फसलों में लगनेवाला एक कीड़ा दिखाई देना)। कदम (वि०) मंदगतिवाला; -दिमाग़ सूतना-(स० क्रि०) साफ़ करना, काछना (वि०) कमअक्ल, नादान
सूस-(पु०) = सूसमार सस्तना-I सं० (स्त्री०) प्रथम रजोदर्शनवाली स्त्री II (वि०) | सूअर-(पु.) एक प्रसिद्ध स्तनपायी जंतु (जैसे-जंगली सूअर,
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सूअरनी
844 सूअर का मांस)। बाड़ा (पु०) सूअर के रहने का स्थान, सूचक-सं० (वि०) सूचना देनेवाला -बियान बो० (स्त्री०) मादा सूअर की तरह बहुत अधिक सूचकांक-सं० (पु०) मूल्य बतानेवाला आँकड़ा, इंडेक्स नंबर संतान प्रसव करनेवाली स्त्री; कहीं का नालायक, मूर्ख सूचना-सं० (स्त्री०) 1 इत्तिला, जानकारी 2 विज्ञापन का बच्चा हरामज़ादा (गाली) आदि
3 प्रतिवेदन 4 संकेत। पट्ट (पु०) सूचना लिखने का पटल सूअरनी-(स्त्री०) शूकरी
या तख्ता; पत्र (पु०) 1 इश्तहारनामा, विज्ञप्ति इत्तलानामा, सूआ-I (पु०) तोता
ल्परक (वि०) सूचना देनेवाला; ~प्रद (वि०) सूचना सूआ-II (पु०) बड़ी मोटी, लंबी सूई, सूजा
देनेवाला फलक (पु०) = सूचना पट, नोटिस बोर्ड सई-(स्त्री०) 1 लोहे का पतला और कुछ लंबा सिरे पर एक | सूचनात्मक-सं० (वि०) सूचना संबंधी छिद्रयुक्त उपकरण (जैसे-सूई में धागा डालना) 2 घड़ी आदि | सूचनाधिकारी-सं० (पु०) जन साधारण को सूचना देनेवाला का काँटा 3 शरीर में दवा प्रवेश कराने का एक छोटा उपकरण, | एक राजकीय कर्मचारी सीरिंज, पिचकारी 4 सिरिंज की प्रक्रिया, इंजेक्शन (जैसे-सूई सूचनार्थ-सं० (क्रि० वि०) सूचना के लिए लगाने की विधि)। ~कारी + फ़ां० (स्त्री०) सूई से कढ़ाई | सूचनालय-सं० (पु०) = सूचना विभाग सिलाई का काम
सूचनीय-सं० (वि०) सूचना के योग्य सूकर-सं० (पु०) सूअर, शूकर
सूचि-सं० (स्त्री०) = सूची सूकरी-सं० (स्त्री०) मादा सूअर, शूकरी
सूचिका-सं० (स्त्री०) सूई सूक्त-I सं० (पु०) 1 सुंदर कथन 2 वेद मंत्र II (वि०) भली | सूचित-सं० (वि०) 1 बताया हुआ, जताया हुआ 2 ज्ञापित भाँति कहा हुआ
3 इशारा किया हुआ, संकेतित सूक्ति-सं० (स्त्री०) अच्छी उक्ति, बढ़िया बात
सूचितव्य-सं० (वि०) सूचना के योग्य सूक्ष्म-सं० (वि०) 1 बहुत बारीक 2 बहुत छोटा 3 कठिनाई से | सूची-सं० (स्त्री०) 1 तालिका (जैसे-मूल्य की सूची) 2 क्रम समझ में आने योग्य (जैसे-सूक्ष्म बात, सूक्ष्म कार्य) बद्ध लेखा, अनुक्रमणिका (जैसे-पुस्तक सूची) 3 सूई, सूचि । 4 बिल्कुल ठीक (जैसे-सूक्ष्म कथन)। -कोण (पु०) ग० ~करण (पु०) सूची बनाना; ~गत (वि०) सूची में आया समकोण से छोटा कोण; ~ग्राही (वि०) बात की बारीकी को हुआ; पत्र (पु०) 1 सूचना पत्र 2 पुस्तकों आदि की पकड़नेवाला; ~जीव शास्त्र (पु०) = सूक्ष्म जैविकी; नामावली विषय, दाम इत्यादि अंकित किए जाने का पत्र
जैविकी (स्त्री०) सूक्ष्म जीवों का अध्ययन; ता । प्रणाली (स्त्री०) सूची तैयार करने की विधि; बद्ध (स्त्री०) सूक्ष्म होने का भाव, बारीकी; दर्शक (पु०) सूक्ष्म (वि०) सूची युक्त; ~भेद्य (वि०) 1 बहुत घना 2 सूई से वीक्षण यंत्र; ~दर्शिता (स्त्री०) सूक्ष्म दर्शी होने की अवस्था; भेदने योग्य; ~मुख (पु०) सूई की नोक; ~वक्त्रा
दशी (वि०) सूक्ष्म बातें समझनेवाला; दृष्टि (स्त्री०) | (स्त्री०) अत्यंत संकीर्ण योनि; ~वेधन (पु०) सूई से वेधना कुशाग्र बुद्धि प्राणी विज्ञान (पु०) सूक्ष्म जैविकी; | सूच्य-सं० (वि०) सूचना के योग्य ~मति (वि०) तीक्ष्ण बुद्धि ~मापी (पु०) सूक्ष्म वस्तुओं | सूच्यग्र-सं० (पु०) सूई की नोक को मापने का उपकरण ~शरीर (पु०) प्राणी का अँगूठे के सूच्याकार-सं० (वि०) सूई के आकार का बराबर शरीर जो मृत्यु के बाद उसके साथ जाता है सूच्यार्थ-सं० (पु०) व्यंजना शक्ति से निकलने वाला अर्थ, सूक्ष्मतया-सं० (क्रि० वि०) सूक्ष्म रूप में
व्यंग्यार्थ सूक्ष्मांकन-सं० (पु०) सूक्ष्म रूप में अंकन
सूजन-(स्त्री०) 1 सूजने का भाव 2 शोथ (जैसे-गले की सूक्ष्माकार-सं० (वि०) सूक्ष्म आकारवाला
सूजन) सूक्ष्माणु-सं० (पु०) अत्यंत सूक्ष्म अणु
सूजना-(अ० क्रि०) फूल जाना (जैसे-चोट से आँख सूज सूक्ष्मातिसूक्ष्म-सं० (वि०) बारीक से बारीक
गई) सूखना-(अ० क्रि०) 1 गीलापन दूर होना 2 जल न रह जाना | सूजनी-फ़ा० (स्त्री०) = सुजनी (जैसे-तालाब सूख गया) 3 रसहीन होना (जैसे-मन का | सूजा-(पु०) 1 बड़ी और मोटी सूई, सूआ 2 सूई के आकार का सूखना)) 4 उदास होना (जैसे-चेहरा सूखना) 5 दुर्बल होना | छिद्ररहित एक उपकरण (जैसे-शरीर सूखना) । सूखकर काँटा हो जाना अत्यंत | सूज़ाक-फ़ा० (पु०) मूत्रंद्रिय का एक रोग दुबला हो जाना; सूख जाना स्तब्ध या सुन्न हो जाना | सूजी-(स्त्री०) गेहूँ का रवेदार आटा (जैसे-सूजी का (जैसे-पिता को बेहोश देखकर मेरा चेहरा सूख गया) _हलवा) सूखा-(वि०) 1 निर्जल, जल रहित (जैसे-सूखा तालाब) सूझ-(स्त्री०) 1 सूझने का भाव 2 कल्पना 3 दृष्टि, नज़र । 2 शुष्क, खुश्क (जैसे-सूखा मौसम) 3 रसहीन (जैसे-सूखा | बूझ (स्त्री०) सोचने समझने की शक्ति, बुद्धि फल या सूखा पेड़) 4 उदास (जैसे-सूखा चेहरा) 5 स्नेह | सूझना-(अ० क्रि०) 1 दिखाई पड़ना 2 ध्यान में आना रहित 6 रूखा (जैसे-सूखी त्वचा) 7 कोरा, दो टूक | 3 उद्भासित होना (जैसे-पते की सूझना) 8 बेमुरौवत, तत्व से रहित ~ग्रस्त + सं० (वि०) सूखा से सूट-अं० (पु०) कोट और पतलून का जोड़ा। केस (पु०) पीड़ित; जवाब दो टूक इनकार, साफ़ इनकार; ~टालना सूट रखने का बक्स; बूट (पु०) सूट बूट आदि अंग्रेजी कोरा जवाब देना; -पड़ना अकाल पड़ना; ~लगना सूखा फैशन का पहरावा; बूटधारी + सं० (वि०) सूट बूट पहना रोग होना
हुआ
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सूटा 845
सूरत सूटा-(पु०) तंबाकू, चरस या गाँजे का धूआँ जोर से खींचने की | सूद-फा० (पु०) ब्याज, इंटरेस्ट । खोर (पु०) ब्याज से क्रिया
जीविका चलानेवाला; खोरी (स्त्री०) ब्याज बट्टे का सूटिंग-अं० (स्त्री०) सूट का कपड़ा
रोजगार; दर सूद (पु०) चक्रवृद्धि ब्याज, कंपाउंड इंटरेस्ट; सत-I (पु०) 1 डोरा, तंतु 2 रेशम आदि का बारीक तार, कच्चा बट्टा + हिं० (पु०) लाभ-हानि ~शाल (पु०) = सूप धागा 3 लंबाई नापने का एक छोटा मान 4 तावीज़ बैंधा डोरा शास्त्र, पाक शास्त्र 5 करधनी रूप में पहना गया डोरा 6 लकड़ी या पत्थर पर सूदन-I सं० (पु०) 1 नाश या हनन 2 फेंकना II (वि०) निशान लगाने की डोरी
1 मार डालनेवाला (जैसे- रिपुसूदन) 2 प्रिय, प्यारा सूत-II सं० (पु०) पुत्र, बेटा
__ (जैसे-मधु सूदन) सूत-III सं० (पु०) रथ हाँकनेवाला व्यक्ति
सूदी-फा० (वि०) सूद संबंधी सूतधार-(पु०) बढ़ई
सूधा-(वि०) 1 निष्कपट, भोला भाला 2 सीधा, सरल 3 जो सूतक-सं० (पु०) जन्म के समय होनेवाला पारिवारिक अशौच | टेढ़ा न हो 4 उलटा न हो सूतका-सं० (स्त्री०) जच्चा, सद्यः प्रसूता । ~शौच (पु०) सून-सं० (पु०) 1 पुत्र, बेटा 2 जनन, प्रसव संतान जन्म के कारण लगनेवाला अशौच
सूना-I (वि०) जनहीन (जैसे-सूना घर) II (पु०) एकांत सूतकी-सं० (वि०) जिसे संतानोत्पति के कारण अशौच लगा स्थान । पन (पु०) शून्यता ।
सूनु-सं० (पु०) 1 पुत्र, बेटा 2 औलाद, संतान सूता-I हि रेशम 2 सूत, धागा
सूनू-सं० (स्त्री०) पुत्री, बेटी सूता-II सं० (स्त्री०) जच्चा, प्रसूता
सूप-I सं० (पु०) 1 पकी हुई दाल 2 पकी दाल का पतला सूति-I सं० (स्त्री०) 1 जन्म 2 जनन, प्रसव 3 उत्पत्ति का पानी या रस 3 रसेदार तरकारी। ~कार (पु०) रसोइया, स्थान, उद्गम। ~काल (पु०) प्रसव का समय; ~वात पाचक; ~रस (पु०) सूप का स्वाद; ~शास्त्र (पु०) पाक (पु०) प्रसव वेदना
शास्त्र सूतिका-सं० (स्त्री०) नवप्रसूता, सद्यः प्रसूता। ~काल सूप-II (पु०) अनाज पछोरने के लिए बाँस के छिलके से बना
(पु०) प्रसव का समय; ~ग्रह (पु०) - सूतिकागार | एक पात्र, छाज सूतिकागार-सं० (पु०) जच्चाखाना
सूपक-सं० (पु०) = सूपकार सूती-I (वि०) सूत का बना (जैसे-सूती कपड़ा) सूफ़-अ० (पु०) ऊन सूती-II बो० (स्त्री०) सीपी
सूफियाना-(वि०) सूफ़ियों जैसा सादा और सुंदर सूतीगृह-सं०, सूतीघर सं० + हिं० (पु०) = सूतिकागार सूफ़ी-अ० (पु०) 1 मुसलमानों का एक रहस्यवादी संप्रदाय सूत्र-सं० (पु०) 1 सूत, तंतु 2 तागा 3 जनेऊ 4 कटिसूत्र 5 डोरी (जैसे-जायसी सूफ़ी की श्रेणी में आते हैं) 2 सूफ़ी संप्रदाय का 6 रासायनिक तत्वों को संकेत द्वारा व्यक्त करना अनुयायी ~मत + सं० (पु०) एक रहस्यवादी जो यह मानता (जैसे-आक्सीजन का रासायनिक सूत्र 0, है) 7 गणित के है कि तपस्या और प्रेम से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है सूत्र 8 सांकेतिक भाषा में तथ्यों का विवरण नियम, व्यवस्था सूबा-अ० (पु०) राज्य का एक विभाग, प्रांत (जैसे-पंजाब 10 सिलसिला 11 अर्थ गर्भ वाक्य (जैसे-दर्शन या वेदों के | सूबा) सूत्र) 12 अर्थ गर्भ वाक्यों में रचित ग्रंथ (जैसे-कल्पसूत्र, गृह्म सूबेदार-अ० + फ़ा० (पु०) सूबे का प्रधान अधिकारी 2 सेना सूत्र) 13 संकेत, सुराग 14 मूलमद्दा 15 निमित्त 16 माध्यम, | में कुछ सैनिकों का अफ़सर जरिया (जैसे-कार्य सिद्धि के लिए कोई सत्र खोज | सूबेदारी-अ० + फ़ा० (स्त्री०) सूबेदार का काम और पद निकालना)। ~कर्ता (पु०) सूत्रग्रंथ का रचयिता; ~कर्म | सूम-(वि०) कंजूस, कृपण (पु०) 1 बढ़ई का काम 2 जुलाहे का काम; ~कार (पु०) सूमड़ा-(वि०) सूम 1 सूत्रों का रचयिता 2 बढ़ई 3 जुलाहा 4 कार्यादि का संचालन सूमनी-(स्त्री०) कंजूस औरत कर्ता; ~ग्रंथ (पु०) सूत्र रूप में रचित ग्रंथ; ~धार (पु०) सूर-(पु०) अंधा व्यक्ति नाट्यशाला का व्यवस्थापक या प्रधान नट; ~पात (पु०) सूरज-(पु०) सूर्य। बंसी (वि०) = सूर्यवंशी; ~मुखी + 1 कार्य का आरंभ 2 सूत से मापने का कार्य; ~बद्ध (वि०) | सं० (पु०) = सूर्यमुखी सूत्ररूप में कहा हुआ; ~संचालक (पु०) गुप्त रूप से | सूरत-अ० (स्त्री०) 1 शकल, रूप 2 भेस 3 हालत, स्थिति घटनाओं का सूत्र संचालन करनेवाला राजनीतिज्ञ, दुरभिसंधिक 4 उपाय (जैसे-किसी सूरत से यह काम करना ही है) 5 ढंग, सूत्राकार-सं० (वि०) सूत्र की शक्ल का
विधि 6 रंग ढंग 7 वस्तु का बाह्य रूप, ऊपरी हालत। सूत्रात्मक सं० (वि०) सूत्र के रूप में बना
~शक्ल (स्त्री०) रूप; हराम (वि०) 1 सौंदर्य से धोखा सूत्रित-सं० (वि०) 1 नत्थी किया हआ 2 सिलसिले से लगाया देनेवाला 2 सुंदर किंतु निस्सार; नज़र न आना 1 उपाय न हुआ 3 सूत्र रूप में कथित
सूझना 2 दिखाई न पड़ना; बनाना 1 शक्ल बनाना 2 मुँह सूत्री-सं० (वि०) सूत्र विशिष्ट (जैसे-त्रिसूत्री योजना, दीर्घसूत्री चिढ़ाना 3 भाव स्पष्ट न होना; -बिगड़ना अवस्था बिगड़ना; कार्यक्रम)। ~करण (पु०) सूत्र का रूप देना
-बिगाड़ना 1 अप्रसन्नता प्रकट करना 2 शक्ल खराब कर सूथन-(पु०) एक प्रकार का बड़ा वृक्ष
देना; ~से बेज़ार होना अतिशय घृणा या रोष होना, देखना सूथनी-(स्त्री०) स्त्रियों के पहनने का पायजामा
भी सह्य न होना
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सूरन
सूरन - ( पु० ) एक प्रसिद्ध कसैला कंद सूरमा - ( पु० ) योद्धा, बहादुर सूरसुत-सं० (पु०) शनिग्रह
सूरा -अ० ( पु० ) 1 अनाज का एक कीड़ा 2 अंधा व्यक्ति सूराख - फ़ा० (पु० ) छिद्र, छेद (जैसे-कमरे का सूराख) । ~दार (वि०) जिसमें सुराख हो (जैसे-सूराखदार कमरा ) सूरी-सं० (पु० ) विद्वान् पंडित सूर्य -सं० ( पु० ) सौर मंडल का प्रधान पिंड या तारा, आदित्य, भानु (जैसे-सूर्य का प्रकाश)। ~ कमल (पु०) सूरजमुखी का एक फूल; ~कर (पु०) सूर्य की किरण; ~कांत (पु० ) एक तरह का स्फटिक; ~काल (पु०) दिन; ~ किरण चिकित्सा (स्त्री०) सूर्य की किरणों द्वारा इलाज; ~ग्रहण (पु० ) चंद्रमा की छाया पड़ने से सूर्यबिंब का छिप जाना; ~ घड़ी + हिं० (स्त्री०) धूप घड़ी; ~ चित्रक (पु० ) सूर्य का ताप लेने और उसके ताप की घनता नापने का यंत्र; जगत् (पु० ) सूर्य संसार - ताप (पु०) सूर्य की किरणों से उत्पन्न गर्मी; ताप बैटरी + अं० (स्त्री०) = सूर्य बैटरी; तेज (पु० ) धूप, घाम; ~दर्शी (पु० ) सूर्य देखने का यंत्र, परिमंडल (पु० ) = सौर किरीट पर्व (पु० ) सूर्य का नई राशि में प्रवेश या सूर्य ग्रहण आदि का पुण्यकाल; पुत्र ( पु० ) 1 शनि 2 यम 3 वरुण 4 कर्ण; (स्त्री०) यमुना भौतिकी (स्त्री०) सूर्य संबंधी भौतिक विज्ञान; ~ मंडल (पु०) सूर्य की परिधि या घेरा; मुखी (पु० / स्त्री०) सूर्य की गति के साथ ऊपर उठने और नीचे झुकनेवाला एक बड़ा पीला फूल; ~ लोक ( पु० ) सौरभुवन; ~ वंश (पु० ) भारत के दो प्रमुख राजवंशों में से एक, इक्ष्वाकुवंश; ~ वंशी I (वि०) सूर्य वंश का II (पु० ) सूर्य वंश में उत्पन्न पुरुष; ~ विलोकन (पु०) बच्चे को सूर्य दर्शन कराने की एक रस्म संक्रमण (पु० ), संक्राति (स्त्री०) सूर्य का दूसरी राशि में प्रवेश संसार ( पु० ) सौरमंडल स्नान (पु० ) धूप स्नान
पुत्री
सूर्या - सं० (स्त्री०) 1 सूर्य की पत्नी 2 नवविवाहिता स्त्री, नवोढ़ा सूर्याश्म -सं० ( पु० ) सूर्यकांत मणि सूर्यास्त - सं० ( पु० ) सूर्य का छिप जाना सूर्योदय - सं० ( पु० ) सूर्य का उदित होना सूर्योन्मुख - सं० (वि०) सूर्य की ओर उन्मुख सूर्योपासक - सं० ( पु० ) सूर्य का उपासक सूर्योपासना-सं० (स्त्री०) सूर्य की उपासना सूल - (पु० ) शूल
सूलना - I (अ० क्रि०) 1 गड़ना या चुभना 2 पीड़ित होना II (स० क्रि०) 1 चुभाना 2 कष्ट देना
=
846
सूली - (स्त्री०) 1 लोहे का नुकीला छड़ 2 प्राण दंड देने की एक विधि । प्राण ~ पर टँगे रहना दुविधा के कारण अत्यंत मानसिक कष्ट होना
सूस, सूसमार - ( पु० ) एक प्रकार का जलजंतु, शिशुमार सृजन - सं० ( पु० ) 1 रचना, सर्जन 2 उत्पत्ति, सृष्टि । शक्ति (स्त्री०) रचना करने की सामर्थ्य शील (वि०) रचना करनेवाला
सृजनात्मक-सं० (वि०) सृजनशील सृज्य-सं० (वि०) सृजन के योग्य
सेंसर
सृज्यमान-सं० (वि०) जो रचित किया जा रहा हो सृत-सं० (वि०) 1 खिसका हुआ, सरका हुआ 2 गया हुआ सृति-सं० (स्त्री०) 1 खिसकना, सरकना 2 आवागमन 3 मार्ग 4 निर्माण
सृष्ट - सं० ( वि० ) 1 रचा हुआ 2 उत्पन्न किया हुआ 3 मिला हुआ
सृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 निर्माण, रचना 2 उत्पत्ति, पैदाइश 3 निर्मित वस्तु 4 जगत्, संसार 5 प्रकृति। ~कर्ता (स्त्री०) ब्रह्मा; ~ विज्ञान, शास्त्र (पु०) सृष्टि की रचना आदि की मीमांसा करनेवाला शास्त्र या विज्ञान सेंक- (स्त्री०) सेंकने की क्रिया
सेंकना - (स० क्रि०) 1 आग पर पकाना (जैसे-रोटी सेंकना) 2 गरम करना (जैसे- हाथ पैर सेंकना) 3 ताप पहुँचाना (जैसे-फोड़ा सेंकना)। आँखें ~ रूपवती स्त्री को देखकर प्रसन्नता का अनुभव करना
सेंगर - (पु० ) एक प्रकार का पौधा 2 एक तरह का धान सेंगरा - बो० भारी वस्तु को लटकाकर ले जाने का डंडा सेंट-अं० ( पु० ) 1 महक, गंध 2 सुगंधियुक्त द्रव्य सेंटर - अं० ( पु० ) 1 केंद्र 2 केन्द्र विंदु या स्थान फारवर्ड
(पु० ) फुटबाल और हाकी में टीम के बिल्कुल आगे बीच में खेलनेवाला खिलाड़ी ~ हाफ़ (पुं०) सेंटर के खिलाड़ियों के पीछे खेलनेवाला खिलाड़ी
सेंटीग्रेड -अं० (पुं०) ताप नापने का पैमाना (जैसे- जल का क्वथनांक 100 डिग्री सेंटीग्रेड है)
सेंट्रल - अं० (वि०) मुख्य, केंद्रीय (जैसे-सेंट्रल रेलवे, सेंट्रल तारघर, सेंट्रल जेल)
सेंत - ( क्रि० वि० ) 1 मुफ़्त में, बिना दाम चुकाए 2 नाहक । -मेंत ( क्रि० वि०) बिना मूल्य दिए 2 व्यर्थ, फ़जूल (जैसे- सेंत मेंत परेशान करना)
सिंदूर दानी फ़ा
सेंदुर - बो० (पु० ) सिंदूरदानी
सेंदुरा - (वि०) सिंदूरी सेंदुरिया - (वि०) सिंदूर के रंग का
दुरी - I (स्त्री०) लाल रंग की गाय II (वि०) सिंदूर के रंग
का
सेंद्रिय -सं० (वि०) 1 इंद्रियोंवाला, सजीव 2 पौरुष से युक्त या
=
=
+
हिंο
1=1
पुंसत्व
सेंध - (स्त्री०) 1 चोर द्वारा चोरी के उद्देश्य से दीवार में किया
गया छेद, नकब 2 नकब या सेंध लगाकर की गई चोरी सेंधना - (स० क्रि०) बो० चोरी के उद्देश्य से सेंध लगाना सेंधा - ( पु० ) एक खनिज नमक
सेंधिया - I ( पु० ) सेंध लगाकर चोरी करनेवाला चोर सेंधिया - II ( पु० ) ककड़ी की जाति की एक लता सेंधी - (स्त्री०) खजूर
सेंधुर बो० (पु० ) = सिंदूर
सेंवई - (स्त्री०) मैदे से बनाए हुए सूत से लच्छे सेंसर - अं० (पु० ) 1 समाचार पत्र आदि छपने तथा पुस्तक आदि प्रकाशित होने से पूर्व उसे देखने के लिए नियुक्त एक राजकीय कर्मचारी 2 इस तरह की जाँच आदि का काम ~बोर्ड (पु०) सेंसर करनेवाले अधिकारियों की समिति;
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सेंसस
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सेमिटिक
- शिप (स्त्री०) सरकार द्वारा चिट्ठी-पत्री, सिनेमा आदि की सेधा-सं० (स्त्री०) साही नामक जंतु । प्रकाशन से पहले की गई जाँच पड़ताल
सेन-I बो० (पु०) बाज पक्षी, श्येन सेंसस-अं० (पु०) जनगणना
सेन-II सं० (पु०) 1 तन, शरीर 2 व्यक्तियों के नाम के आगे सेंहा-बो० (पु०) कुँआ खोदनेवाला
प्रयुक्त एक पद (जैसे-वीरसेन, शूरसेन) 3 जीवन सेंहुइ-(पु०) थूहर, स्नुही
सेनांग-सं० (पु०) सेना का अंग या विभाग से-1 (प्र०) करण और अपादान कारक का चिह्न, तृतीय और | सेना-I सं० (स्त्री०) 1 फौज, पलटन, आर्मी (जैसे-भारतीय पंचमी की विभक्ति II (वि०) 'सा' का बहुवचन, समान, सेना, जल सेना) 2 विशेष कार्य हेतु संघटित दल (जैसे-बाल तुल्य (जैसे-बहुत से लोग, तुम्हारे से योद्धा)
सेना, मुक्ति सेना, वानर सेना)। जीवी (पु०) सिपाही, सेई-बो० (स्त्री०) अनाज नापने का काठ का एक बर्तन योद्धा; ~दार + फ्रां० (पु०) = सेनापति; नायक सेकंड-अं० (वि०) दूसरा, द्वितीय (जैसे-सेकंड रूम, सेकंड (पु०) = सेनापति; निवेश (पु०) = सेनावास; पति
डिविज़न) हँड (वि०) पुराना, इस्तेमाल किया हुआ (पु०) फ़ौज या सेना का नायक, सिपहसालार; ~पतित्व सेकंड-II अं० (पु०) एक मिनट का 60वाँ भाग। हैंड (पु०) सेनापति का पद और कार्य; ~पत्य (पु०) सेनापति (पु०) घड़ी की सबसे बड़ी सई जो सेकेंड-सेकेंड का वक्त होने की अवस्था; परिधान (पु०) 1सेना की पोशाक बताती है
2 सेना के साथ रहनेवाली सभी आवश्यक सामग्री, लवाजमा; सेक-सं० (पु०) 1 सिंचाई 2 पानी का छिड़काव 3 अभिषेक पाल (पु०) सेना नायक या सेनापति; ~मुख (पु०) सेकड़ा-बो० (पु०) पैना, चाबुक
सेना का अग्रभाग; ~वास (पु०) 1 छावनी 2 शिविर, खेमा, सेकुआ-बो० (पु०) हलवाइयों का डौआ
डेरा; ~व्यूह (पु०) सैनिकों की विशेष स्थानों पर स्थापना; सेकेंड-1 अं० (वि०) = सेकंड |
~संचालक (पु०) सेना का नेतृत्व करनेवाला सेनापति; सेकेंड-II अंक (पु०) = सेकंड ILL. ~सुवा + हिं० । ~संचालन (पु०) सेना का नेतृत्व करना (पु०) = सेकंड हैंड ||
सेना-II (स० क्रि०) 1 सेवन करना 2 सेवा करना 3 औषध सेकेंडरी-अं० (वि०) 1 माध्यमिक 2 गौण
आदि का नियमित रूप से प्रयोग करना 4 निरंतर वास रहना सेक्टर-अं० (पु०) 1 खंड, क्षेत्र 2 ग० अवखंड, त्रिज्य (जैसे-काशी सेना) 5 अंडों पर बैठना (जैसे-मुर्गी का अंडे सेक्रेटरी-अं० (सरकार का) सचिव 2 (सभा का) मंत्री सेना) 6 व्यर्थ पड़े रहना (जैसे-खटिया सेना) 7 उपासना सेक्रेटेरियट-तु० (पु०) सचिवालय
करना (जैसे-देवी देवता को सेना) सेक्शन-अं० (पु०) 1 विभाग 2 धारा। कमांडर (पुं०) सेनान-सं० (पु०) सेना का अगला हिस्सा
अनुभाग सेनापति। -जज (पु०) अनुभाग न्यायाधीश सेनाधिकारी-सं० (पु०) सेना का अधिकारी सेक्स-अं० (पुं०) लिंग (जैसे-सेक्स विभाजन)
सेनाधीश-सं० (पु०) = सेनापति सेगा-अ० (पु०) विभाग, शाखा
सेनाध्यक्ष-सं० (पु०) सेना का अफ़सर सेच-सं० - सींच
सेनानी-सं० (पु०) = सेनापति, सिपहसालार सेचक-सं० (वि०) सींचनेवाला 2 तर करनेवाला, सेनी-फ़ा० (स्त्री०) 1 तश्तरी, रकाबी 2 नक्काशीदार छोटी छिड़कनेवाला II (पुं०) बादल, मेघ
__ थाली सेचन-सं० (पु०) 1 सिंचाई करना, सिंचन 2 पानी छिड़कना | सेनेट-अं० (स्त्री०) = सीनेट सेचनीय-सं० (वि०) = सेच्य
सेनेटर-अं० (पु०) = सीनेटर सेचित-सं० (वि०) 1 तर किया हआ 2 सींचा हआ सेनेटोरियम-अं० (पु०) आरोग्य निवास, स्वास्थ्य सदन सेच्य-सं० (वि०) सेचन किए जाने योग्य
सेफ़-अं० (पु०) लोहे की एक मज़बूत आलमारी, तिजोरी सेज-(स्त्री०) सुंदर और कोमल बिछौना या बिस्तरा, शय्या सेफ़टी बेल्ट-अं० (पु०) बचाव पेटी सेट-अं० (पु०) एक तरह की अनेक वस्तुओं का समूह सेफ़टी वाल्व-अं० (पु०) 1 सुरक्षा कपाट 2 सुविधाजनक (जैसे-नकली दाँतों का सेट)
मार्ग सेटलमेंट-अं० (पु०) 1 बंदोबस्त 2 उपनिवेश
सेब-फा० (पु०) 1 नाशपाती की जाति का मझोले आकार का सेठ-(पु०) 1 महाजन 2 धनी आदमी
एक पेड़ 2 इस पेड़ का प्रसिद्ध फल (जैसे-कश्मीरी सेब) सेठन-(पु०) झाडू, बुहारी
सेम-(स्त्री०) तरकारी के काम में आनेवाली एक तरह की सेठा-(पु०) सरकंडे का निचला भाग
फली, शिंवी सेठानी-(स्त्री०) 1 महाजन स्त्री 2 सेठ की पत्नी
सेमई-I (पु०) सेम.की तरह का हल्का सब्ज रंग II (वि०) सेढ़-(पु०) पाल। खाना + फां० (पु०) 1 पाल रखने की। सेम की तरह हल्के सब्ज रंग का कोठरी
सेमर-I बो० (पु०) दलदली ज़मीन सेतु-सं० (पु०) पुल। -कर (पु०) पुल का निर्माण सेमर-II (पु०) शाल्मलि, सेमल करनेवाला; ~कर्म (पु०) पुल निर्माण का काम; बंध सेमल-(पु०) एक तरह का रूईदार वृक्ष (पु०) पुल बनाने का काम, पुल बनाना
सेमा-(पु०) बड़ी सेम सेथिया-बो० (पु०) नेत्र चिकित्सक
सेमिकोलन-अं० (पु०) एक विराम चिह्न, अर्द्ध विराम (;) सेध-सं० (पु०) मनाही, निवारण
| सेमिटिक-अं० (वि०) अरबी और यहूदी जाति का, सामी
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सेमिनरी
सेमिनरी -अं० (पु० ) 1 शिक्षणालय 2 धर्म प्रशिक्षणालय सेमिफाइनल – अं० (पुं०) एक प्रतियोगिता जिसमें चार टीमों के खेल में सफल हुई दो टीमें ही फ़ाइनल में जा पाती हैं। सेमीकोलन - अं० ( पु० ) एक विराम चिह्न सेमीफ़ाइनल -अं० (पु० ) सेर - I (पु० ) सोलह छटाँक की एक तौल
सेमिफाइनल
सेर - II फ़ा० (वि०) 1 भरा हुआ 2 तृप्त, संतुष्ट 3 बहुत, प्रचुर । चश्म (वि०) 1 संतुष्ट 2 उदार, दानशील सेरा - I ( पु० ) सिरहाने की ओर होनेवाली चारपाई की पाटी सेरा - II फ़ा० ( पु० ) सींची हुई ज़मीन सेराब - फ़ा० (वि०) सींचा हुआ
सेरी-फ़ा० (स्त्री०) तृप्त और संतुष्ट होने का भाव, तृप्ति सेल-अं० (पु०) बिक्री, विक्रय
सेल खड़ी - (स्त्री० ) = सिल खड़ी
सेलना - (अ० क्रि०) मर जाना, चल बसना
सेला - (पु० ) 1 रेशमी चादर 2 उसना चावल सेली - I (स्त्री०) गोरखपंथियो के गले में पहनने का काला धागा सेली - II ( स्त्री०) बरछी
सेलूट-अं० (स्त्री०) सलाम सेलून-अं० (पु०) हाल कमरा सेलूलाइड-अं० (पु०) कचकड़ा सेलेक्शन - अं० (पु०) चुनाव, वरण सेल्फ़ सर्विस-अं० (स्त्री०) स्वयं सेवा सेल्युलोस - अं० (पु० ) = सेलूलोज़ सेल्यूट - अं० (स्त्री०) सेलूट सेल्ला- (पु० ) भाला, बरछा सेल्सटैक्स-अं० (पु०) बिक्री कर
सेंवई
सेल्समैन - अं० (पु० ) विक्रेता सेव - (पु० ) सेवइक - बो० (पु० ) सेवई - (स्त्री०) सेंवई
S
=
=
=
सेवक
848
सेवक - सं० (पु० ) 1 नौकर 2 चाकर. परिचारक 3 देवता का भक्त (जैसे- राम का सेवक) II (वि०) सेवा करनेवाला (जैसे जनता का सेवक )
सेवड़ा - (पु० ) मैदे का एक प्रकार का मोटा पकवान सेवती-सं० (स्त्री०) सफ़ेद गुलाब
+
सेवदान - हिं० फ़ा० (पु० ) = सोयाबीन सेवन सं० ( पु० ) 1 परिचर्या, सेवा 2 उपासना, पूजा करना, आराधना 3 इस्तेमाल, प्रयोग (जैसे- औषध का सेवन ) 4 पवित्र स्थान पर रहना (जैसे- काशी सेवन) 5 उपभोग (जैसे-मद्य सेवन, नारी या स्त्री सेवन) 6 सिलाई सेवनी - 1 बो० (स्त्री०) = सेविका
सेवनी - II सं० (स्त्री०) 1 सूई, सूची 2 सीअन, सीवन 3 शरीर में सीअन की तरह का जोड़
सेवनीय - सं० (वि०) 1 सेवा करने योग्य 2 पूज्य 3 सीए जाने
योग्य
सेवा-सं० (स्वा० ) 1 परिचर्या, ख़िदमत 2 पूजा, आराधना 3 प्रयोग 4 उपभोग 5 चाटुकारिता, खुशामद (जैसे-अधिकारी की सेवा) 6 पालन पोषण (जैसे-बाल बच्चों की सेवा) 8 लोकोपकारी कार्य (जैसे- देशसेवा, साहित्यिक सेवा) ।
हुआँ
9 आश्रम, शरण (जैसे- धार्मिक सेवा)। ~काल (पु० ) सेवा करने की अवधि; टहल + हिं० सेवा सुश्रुषा खिदमतफ ~दार + फ़ा० (पु०) गुरुद्वारे में गुरुग्रंथ साहिब की पूजा के लिए नियुक्त व्यक्ति; ~ धर्म (पु० ) सेवक का धर्म; ~ धारी (पु० ) = सेवादार; नियोजन (पु० ) नौकरी में लगाना; निवृत्त (वि०) सेवा मुक्त; - निवृत्ति पंजी (स्त्री०) सेवा
(स्त्री०) सेवा से अवकाश लेना; संबंधी मुख्य बातें लिखने की पुस्तिका
पन सेवन परायण (वि०) सेवा में रत सेवानिष्ठ पुस्तिका (स्त्री०) = सेवा पंजी;
हिं० (पु० )
रहनेवाला,
बंदगी
=
+
फ़ा० (स्त्री०) उपासना, आराधना, पूजा भाव (पु० ) उपकार की भावना; -भावी (वि०) सेवाभाव रखनेवाला, उपकार करनेवाला; ~ युक्त (वि०) सेवा में लगा हुआ; ~योजक (पु० ) सेवा पर नियुक्त करनेवाला; योजन (पु० ) = सेवा नियोजन; ~रत (वि०) सेवा में लगा हुआ; ~वृत्ति (स्त्री०) नौकरी; शुश्रूषा (स्त्री०) 1 पालन पोषण (जैसे- शिशु की सेवा शुश्रूषा) 2 उपकार करना (जैसे- दीन दुःखियों की सेवा शुश्रूषा ) सेवाभिलेख सं० (पु० ) सेवार - ( स्त्री०) लंबे, कड़े तथा तेज़ किनारोंवाली घास, शैवाल सेविंग बैंक-अं० (पु०) बचत खाता सेविका-सं० (स्त्री०) 1 दासी, परिचारिका 2 नौकरानी सेवित-सं० (वि०) 1 जिसकी सेवा की गई हो 2 पूजित 3 प्रयुक्त 4 उपभुक्त
सेवा पंजी
सेवी-सं० (वि०) 1 सेवा करनेवाला 2 पूजा करनेवाला सेवोपहार - सं० (पु० ) सेवा मुक्त होने पर दिया जानेवाला धन,
आनुतोषिक सेव्य-सं० (वि०) 1 सेवा के योग्य 2 आराध्य 3 पूज्य 4 व्यवहार के योग्य । ~ सेवक (पु०) स्वामी और सेवक सेशन - अं० (पु० ) 1 संसद, न्यायालय आदि संस्थाओं की निश्चित अवधि 2 कुछ समय तक चलती रहनेवाली बैठक 3 स्कूल, कालेज की लगातार पढ़ाई की अवधि 4 अदालत । ~कोर्ट (पु० ) 1 सत्र न्यायालय 2 हत्या आदि गंभीर जुल्म पर विचार करनेवाली अदालत जज (पु०) सत्र न्यायाधीश
सेश्वर-सं० (वि० ) 1 ईश्वर युक्त 2 ईश्वर की सत्ता माननेवाला
सेसर - (पु० ) 1 ताश का एक खेल 2 जालसाजी, धोखेबाज़ी सेसरिया - (पु० ) छल कपट करनेवाला व्यक्ति, जालिया सेहत -अं० (स्त्री०) 1 स्वास्थ्य 2 आरोग्य 3 राहत, सुख, चैन
1
खाना + फ़ा० (पु०) शफ़ाखाना, स्वास्थ्यगृह, गाह + फ़ा० (स्त्री०) स्वास्थ्य गृह
सेहरा - ( पु० ) 1 विवाह का मुकुट, मौर 2 सेहरा बाँधने के समय गाया जानेवाला गीत । बंदी + फ़ा० (स्त्री०) दूल्हे के सेहरा बाँधना; बँधाई (स्त्री०) सेहरा बाँधने का नेग सेहा - ( पु० ) कुआँ खोदनेवाला सेही - (स्त्री०)
सेहुँड़ा - ( पु० ) स्नुही, थूहर
सेहुआँ - (पु० ) शरीर पर भूरी भूरी चित्तियाँ पड़ने का एक चर्म रोग या त्वचा का रोग
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सैंडिल
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सोंधिया
सैंडिल-अं० (पु०) चप्पल, खुला जूता
विघटन, वियोजन (पु०) सैन्य सेवा से अलग करना सैंतना-(स० क्रि०) बो० 1 संचित करना, इकट्ठा करना शक्ति (स्त्री०) सैनिक की ताक़त; शासित (वि०) 2 समेटना 3 सँभाल और सहेज कर लेना 4 सँभालकर ठीक जिस पर सेना का शासन हो (जैसे-सैन्य शासित प्रदेश या जगह पर रखना
राज्य); -शिक्षण (पु०) सेना को सैनिक शिक्षा देना; सैंतालिस-I (वि०) चालीस और सात II (पु०) '47' की -शिक्षार्थी (पु०) सैनिक विद्यालय में शिक्षा पानेवाला संख्या
युवक; ~संख्या (स्त्री०) सैनिकों की संख्या; ~संगठन + सैंतीस-I (वि०) तीस और सात II (पु०) '37' की संख्या हिं० (पु०) सैनिकों को एकत्र करना; ~संचालक (पु०) सैंधव-[ सं० (वि०) 1 सिंधु प्रदेश का 2 सिंधु या समुद्र सेना का संचालन करनेवाला, सेनापति; ~संचालन (पु०)
संबंधी 3 समुद्र या सिंधु में उत्पन्न II (पु०) सिंधु देश का 1 सेना की व्यवस्था आदि करना 2 सेनापतित्व; ~संसजन निवासी
(पु०) सेना को युद्ध हेतु तैयार रखना; सज्जा (स्त्री०) सेना सैंपुल-अं० नमूना (जैसे कलम का सैंपुल)
की तैयारी; ~सत्तावाद (पु०) = सैनिकवाद; ~सत्तावादी सैकड़ा-(पु०) सौ का समूह, सौ।
(वि०/पु०) = सैनिकवादी; ~सेवा (स्त्री०) सेना की सेवा सैकड़े-I (अ०) प्रतिशत, फीसदी II (वि०) सैकड़े रूप में या नौकरी होनेवाला (जैसे-चार सैकड़े आम)
सैन्यादेश-सं० (पु०) फ़ौजी हुक्म सैकड़ों-(वि०) 1 कई सौ 2 बहुत अधिक (जैसे-सैकड़ों लोग सैन्याध्यक्ष-सं० (पु०) = सेनापति बम विस्फोट में मारे गए)
सैन्यीकरण-सं० (पु०) = सैनिकीकरण सैकत-[ सं० (वि०) 1 रेत संबंधी (जैसे-सैकत तट, सैकत सैयर-अं० (पु०) सैनिक जो खाई खोदने और किलाबंदी का शय्या) 2 रेतीला, बलुआ 3 बालू का बना (जैसे-सैकत __ काम करते हैं मंदिर) II (पु०) 1 रेतीला तट, रेती 2 रेतीली ज़मीन सैफ़-अ० (स्त्री०) तलवार 3रेतीली मिट्टी
सैयद-अ० (पु०) नेता, सरदार सैकतिक-I सं० (वि०) सिकतामय II (पु०) 1साधु, सैयाद-अ० फ़० 1 बहेलिया 2 शिकारी संन्यासी 2 मंगलसूत्र
सैर-अ० (स्त्री०) 1भ्रमण 2 मन बहलाव हेतु जाना सैक़ल-अ० (पु०) धातु के बर्तन आदि चमकाना, सिकली। (जैसे-कंपनी बाग की सैर) 3 मनोरंजक दृश्य 4 बहार, मौज, ~गर + फ़ा० (पु०) = सिकलीगर
आनंद (जैसे-सैर करना)। ~गाह + फ़ा० (स्त्री०) सैर सैट-अं० (पु०) = सेट
करने के लिए उपयुक्त स्थान; सपाटा + हिं० (पु०) 1 सैर सैडल-अं० (पु०) ज़ीन
करने के लिए इधर उधर घूमना 2 मौज मस्ती लेना सैथी-(स्त्री०) छोटा बरछा, भाला
सैरबी-अ० + फ़ा० (पु०) दृश्य दर्शी (उपकरण) , सैद्धांतिक-सं० (वि०) 1 सिद्धांत से संबंधित 2 सिद्धांत सैल-I अ० (पु०) 1 पानी का बहाव 2 बाढ़, सैलाब जाननेवाला
सैल-II अं० (पु०) 1कोठरी 2 बैटरी का खोल सैन-(स्त्री०) 1 संकेत, इशारा 2 परिचायक चिह्न, निशान सैला-(पु०) 1 लकड़ी का चीरा हुआ टुकड़ा, चैला 2 पच्चड़ सैनापत्य-I सं० (पु०) = सेनापतित्व II (वि०) सेनापति का 3वटी 4 डंठल से दाने झाड़ने का डंडा 5 पतवार का दस्ता सैनिक-I सं० (वि०) 1सेना का 2 सेना के लिए उपयुक्त II सैलानी-(वि०) 1सैर करनेवाला 2 इधर उधर घूमता फिरता (पु०) 1 फ़ौजी आदमी 2 पहरेदार, संतरी (जैसे-सैनिक को रहनेवाला। ~पन (पु०) सैर करने की आदत बुलाना)। ~ता (स्त्री०) सैनिक होने का भाव; ~वाद सैलाब-अ० + फ्रा० (पु०) नदी की बाढ़। -ज़दा (वि०) (पु०) युद्ध का समर्थन करनेवाला सिद्धांत; ~वादी ।। बाढ़ग्रस्त (वि०) सैनिकवाद का II (पु०) सैनिकवाद का समर्थन | सैलाबा-अ० + फ़ा० + हिं० (पु०) पानी में डूबी हुई फ़सल करनेवाला
सैलाबी-अ० + फ़ा० (वि०) सैलाब संबंधी सैनिकीकरण-सं० (पु०) सेना बनाना
सोंचर नमक-हिं० + फ़ा० (पु०) काला नमक सैनिटोरियम-अं० (पु०) = सेनेटोरियम
सोंटा-(पु०) मोटी छड़ी। बरदार + फ़ा० (पु०) वह सैन-(पु०) 1संकेत, इशारा 2 चिह्न
असवारदार या बल्लमदार जो राजारईसों की सवारी के आगे सैन्य-I सं० (वि०) सेना का II (पु०) 1सैनिक 2 सेना | आगे चलता है; चलाना (पु०)सोंटा से मारपीट करना 3 पहरेदार, संतरी। -कक्ष (पु०) सेना का पार्श्व भाग; | सोंठ-I (स्त्री०) सूखा अदरक ~क्षोभ (पु०) सैनिक विद्रोह; ~घातक (वि०) सेना का । सोंठ-II (वि०) 1 अत्यंत कृपण 2 जान बूझकर चुप्पी विनाश करनेवाला; द्रोह (पु०) सेना द्वारा किया गया मारनेवाला विरोध, सेना की बगावत; नायक, पति (पु०) = सोंठूराय-(पु०) बहुत बड़ा कंजूस सेनापति; ~परिचलन (पु०) = सेनापतित्व; पृष्ठ (पु०) सोंठोरा-बो० (पु०) सोंठ, मेवा और चीनी आदि के मिश्रण से सेना का पिछला भाग या हिस्सा; बल (पु०) सैनिक __ बना लड्डू शक्ति; ~मुख (पु०) सेना का अगला भाग या हिस्सा; | सोंषा-(वि०) 1सुगंधित, खुशबूदार 2 सुगंध के समान ल्वाद (पु०) = सैनिकवाद; ~वादी (वि०/पु०) = (जैसे-सोंधी मिट्टी) सैनिकवादी; ~वास (पु०) सेना का पड़ाव, शिविरः | सोषिया-(पु०) सुगंध तृण
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सों विनिया
सोंविनिया - ( पु० ) नाक में पहनने का एक आभूषण सोहट-बो० (वि०) सीधा सादा, सरल
सो - I (सर्व०) 'जो' के साथ लगनेवाला संबंध सूचक शब्द, वह II ( अ० ) इसलिए, अतः III ( वि०) समान, भाँति सोआ - (पु० ) एक तरह का साग और उसका पौधा (जैसे- सोआ मेंथी)
अ० ) इसलिए III (वि०) समान सोख्ता ।
सोई - I (स्त्री०) वही II (
ज़ज्ब करना
सोख्ता |
सोखता - I फ़ा० (पु० ) सोखता - II फ़ा० (वि०) सोखन - ( पु० ) 1 स्याही लिए रेतीले तट पर होनेवाला धान सोखना - (अ० क्रि०) सोख लेना, सोख पत्र हिं० सं० ( पु० ) सोखा - I बोल (पु० ) जादूगर II ( वि०) चतुर, चालाक सोखाना - (स० क्रि०) सोखने में प्रवृत्त करना सोख़्त-फ़ा० (स्त्री०) जलन, दाह सोख्तनी - फा० (वि०) जलनशील, जलन योग्य सोख्ता- 1 फ़ा० (पु० ) स्याही सोखनेवाला एक प्रकार का मोटा खुरदरा काग़ज़
3
=
=
सोख्ता II
सफ़ेद रंग का बैल 2 नदी के
850
=
सोख़्ता - II फ़ा० (वि०) 1 जला हुआ 2 संतप्त
सोग - (पु० )
शोक
सोगन - बो० (स्त्री०) सौगंध, कसम
सोगवार - (वि०) शोक से युक्त
सोगी - (वि०) दुःखी
सोच - ( पु० / स्त्री० ) 1 चिंता, फ़िक्र 2 दुःख, रंज 3 पश्चाताप, पछतावा । ~~विचार + सं० (पु० ) सोचने और समझने का
भाव
सोचना - 1 (अ० क्रि०) 1 विचार करना 2 चिंता में पड़ना II (स० क्रि०) अनुमान या कल्पना करना
सोज़ - फ़ा० (पु० ) 1 जलन, दाह 2 अथाह कष्ट, वेदना, मनस्ताप 3 मरसिया बयानी का ढंग 4 मरसिया या लयप्रधान शेर
सोज - (स्त्री०) सूजन, शोथ सोझा - (वि०) सरल, सीधा सोटा - I बो० (पु०) तोता सोटा - II बो० ( पु० )
सोंटा
वाटर (पु० )
सोडा -अं० (५०) एक तरह का क्षार । कारबोनिक एसिड के संयोग से बनाया गया एक पाचक पेय, खारा जल या पानी
सोढर - (वि०) 1 सहज में अनुरक्त होनेवाला, सुदर 2 मूर्ख, बेवकूफ़
सोता - ( पु० ) 1 झरना 2 नदी की छोटी शाखा
सोती - (स्त्री०) 1 छोटा सोता 2 नदी की लघु धारा (जैसे-गंगा.. की सोती)
सोते जागते- ( क्रि० वि०) हर हालत में सोत्कंठ - ] सं० (वि) लालसापूर्ण ]] ( क्रि० वि०) उत्सुकता या उत्कंठा से
सोत्साह-सं० (क्रि.वि रंग में सोत्सुक - (वि०) सोदरसं (सिग
सोत्कंट
सोदरा - सं० (स्त्री०) सगी बहिन सोदाहरण-सं० (वि०) उदाहरण सहित सोद्देश्य - सं० (वि०) उद्देश्य से युक्त (जैसे- सोद्देश्य कार्य विभाजन) । ~वाद (पु० ) यह मत कि उद्देश्य लेकर ही कार्य करना चाहिए; ~वादी [ ( वि०) सोद्देश्यवाद संबंधी, सोद्देश्यवाद का II ( पु० ) सोद्देश्यवाद का अनुयायी सोद्धरण-सं० उद्धरण देते हुए
सोधना - (स० क्रि०) बो० 1 साफ़ करना 2 परीक्षा करना 3 दोष दूर करना 4 पता लगाना, ढूँढ़ना 5 गणना करना 6 ऋण चुकाना
सोम
सोन केला - ( पु० ) चंपा केला, पीला केला सोन गहरा - ( वि० / पु० ) गहरा सुनहला (रंग) सोन जूही - ( स्त्री०) जूही का एक प्रकार सोनवाना-बो० (वि०) 1 सोने का बना 2 सुनहला सोनहला - (वि०) सोने के रंग और चमक का, स्वर्णिम सोना - 1 (पु० ) 1 एक प्रसिद्ध बहुमूल्य धातु, स्वर्ण (जैसे-चार तोला सोना, सोने का आभूषण) 2 अत्यंत सुंदर या बहुमूल्य पदार्थ । ~ चाँदी (स्त्री०) धन दौलत; ~ लेकर मिट्टी तक न देना बेईमानी करना; सोने का घर मिट्टी हो जाना बनी गृहस्थी का नाश हो जाना; सोने की कटार सुंदर किंतु घातक वस्तु सोने की चिड़िया मालदार आदमी सोने की चिड़िया हाथ से उड़ या निकल जाना 1 सुअवसर का निकल जाना 2 मालदार आदमी का चंगुल से निकल जाना; सोने की चिड़िया हाथ आना या लगना 1 बहुमूल्य वस्तु प्राप्त होना 2 रईस या धनी व्यक्ति का क़ाबू में आना; सोने के बराबर तौलना कम मूल्य की वस्तु भी अधिक कीमती वस्तु की भाँति देना; सोने के महल उठाना अत्यधिक धनवान् होना; सोने के मोल अत्यधिक कीमत का; सोने में सुहागा वस्तु या व्यक्ति का उच्चतर होना; सोने से लदे रहना या होना बहुत गहने पहनना
सोना - II (अ० क्रि०) 1 निद्राग्रस्त होना या नींद लेना 2 लेटना
3 आराम करना
सोनापुर - (पु० ) स्वर्ग
सोना पेट - ( पु० ) सोने की खान
सोना मक्खी - ( स्त्री०) 1 एक तरह का रेशम का कीड़ा
2 माक्षिक नाम का एक खनिज पदार्थ सोनार बो० ( पु० ) = सुनार सोनी - बो० (पु०) स्वर्णकार, सुनार सोप- अं० ( पु० ) साबुन
सोपत – (पु० ) सुविधा, सुभीता सोपान -सं० (पु० ) सीढ़ी, जीना
सोफता - ( पु० ) 1 एकांत स्थान 2 अवकाश या फ़ुरसत का
समय 3 चिकित्सा के फलस्वरूप रोग में आनेवाली कमी सोफ़ा - अं० (पु० ) एक तरह का बढ़िया गद्देदार लंबा आसन
या कोच । ~बेड (पु० ) पलंग का भी काम देनेवाला सोफ़ा; ~ सेट (पु०) सोफ़ा के साथ उसी तरह की दो या तीन चार कुर्सियाँ
सोफ़ियाना-अ० + फ़ा० (वि०) 1 सूफ़ियों का, सूफ़ी संबंधी 2 सृफ़ियों के समान सुंदर और स्वच्छ सोम-सं० (पु० ) 1 यज्ञ में तर्पण के काम आनेवाली एक लता
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सोमेश्वर
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2 इस लता का रस 3 चंद्रमा 4 चंद्रवार (जैसे- सोमवार) । ~नाथ (पु० ) बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक; प्रदोष (पु० ) सोमवार को पड़नेवाला प्रदोषव्रत; ~वार (पु० ) रविवार तथा मंगलवार के बीच का दिन, चंद्रवार ~वारी । + हिं० (वि०) सोमवार संबंधी, सोमवार का II (स्त्री०) सोमवती अमावस्या; सुत (पु० ) बुधग्रह सोमेश्वर-सं० (पु०) काशी में स्थापित एक शिवलिंग सोयाबीन - अं० (पु० ) सोया नाम की सब्ज़ी की फली, भटवाँस सोर बो० (स्त्री०) पेड़ की जड़, मूल
सोरठा - (पु० ) अड़तालीस मात्राओं का एक छंद जिसके पहले और तीसरे चरण में ग्यारह तथा दूसरे और चौथे चरण में तेरह मात्राएँ होती हैं।
सोरनी - ( स्त्री०) झाडू, बुहारी
सुरही
सोरही - (स्त्री०) सोराज बो० (पु० )
स्वराज्य
सोलह - I (वि०) दस और छह II (पु० ) '16' की संख्या । ~ सिंगार (पु० ) दे० षोडश श्रृंगार । सिंगार सजाना बनना ठनना; सोलहों आने शत प्रतिशत, पूर्णतः, बिल्कुल सोला - ( पु० ) एक प्रकार की रेशमी धोती सोलीसीटर -अं० (पु० ) 1 प्रार्थी, याचक. 2 न्यायभिकर्ता सोलोइस्ट-अं० (पु०) अकेला बजानेवाला
सोल्लास - I सं० (वि०) आनंद पूर्ण II ( क्रि० वि०) उमंग के साथ, उल्लास के साथ
संबंधी
=
सोशल-अं० (वि०) 1 सामाजिक 2 समाज
3 मिलनसार (जैसे- सोशल आदमी)
सोशलिज़्म - अं० ( पु० ) समाजवाद सोशलिस्ट - I अं० (वि०) समाजवादी II ( पु० ) समाजवाद
=
सोहाग - (पु० ) सोहागिन - (स्त्री०)
सुहागिन सोहान - फ़ा० (पु० ) रेती नामक औज़ार
सोहाना - (अ० क्रि०) 1 शोभित होना 2 रुचिकर होना सोहारी - बो० (स्त्री०) पूरी नाम का पकवान सोहाली - बो० (स्त्री०) ऊपरी दाँत के निकलने की जगह सोहावटी - (स्त्री०) 1 दरवाज़े या खिड़की के ऊपरी भाग पर पाटन के रूप में रखी जानेवाली पत्थर की पाटिया या लकड़ी का मोटा तख़्ता 2 पाटिया अथवा तख़्ते के रूप में ईंट आदि की जोड़ाई या अन्य रचना
सोहावना - I (वि०) सुंदर II (अ० क्रि०) 1 शोभित होना
सुहाग
=
2 अच्छा लगना, भला जान पड़ना सौंकारा-बो० (पु०) सवेरा, प्रातःकाल, तड़का
=
सौंचन - बो० (स्त्री०) मल त्याग करना 2 शौच के बाद हाथ-पैर आदि धोना सौंचर - (पु० ) सोंचर नमक सौंचाना - (स० क्रि०) बो० शौच कराना (शिशु) सौंदन - (स्त्री०) रेह मिश्रित पानी में कपड़े भिगोना सौंदना - (स० क्रि०) सौंदन का काम करना सौंदर्य - सं० ( पु० ) सुंदरता, खूबसूरती । सौंदर्य भावना; प्रियता (स्त्री०) (पु०) कला के सूक्ष्म सौंदर्य का ज्ञान ~वाद (पु०) कला में सौंदर्य को प्राधान्य देने का मत या सिद्धांत; ~वादी I (वि०) सौंदर्यवाद का सौंदर्यवाद संबंधी II ( पु० ) सौंदर्यवाद का अनुयायी; ~विज्ञान, शास्त्र (पु० ) सौंदर्य, सुरुचि और कला संबंधी शास्त्र शास्त्रीय (वि०) सौंदर्यवादी सौंदर्यात्मक-सं० (वि०)
सौंदर्यानुभूति - सं० (स्त्री०). सौंदर्याभिरुचि-सं० (स्त्री०) सौंदर्योपासक -सं० (पु० ) सौंध - (स्त्री०) सुगंध सौंधना - (स० क्रि०) बो० सुगंधित करना
सौंधा - (वि०) 1 सुगंधित 2 रुचिकर । पन (पु०) सौंधा होने का भाव
का अनुयायी
सोष्प-सं० (वि०) गरम
सोसन - अ० (पु० ) लाली लिए हुए नीले रंग का फूल सोसनी -अ० + फ़ा० (पु० ) लाली लिए हुए नीले रंग का सोसायटी, सोसाइटी -अं० (स्त्री०) 1 समाज, मंडली
2 सार्वजनिक संस्था (जैसे- सोसाइटी से बाहर ) 3 संग (जैसे- गंदी और गलत सोसाइटी का प्रभाव ) सोहगी - (स्त्री०) विवाह के पूर्व कन्या के लिए वर पक्ष द्वारा भेजी गई सुहाग की वस्तुएँ
सोहरौला - (पु० ) कँगूरेदार लकड़ी का लंबा सिंधोरा सोहन - (वि०) अच्छा, सुहावना सोहना - 1
(अ० क्रि०) सुशोभित होना, फबना
सोहना - II (स० क्रि०) 1 साफ़ करना 2 निराई करना सोहना - III (वि०) सुंदर और सुहावना सोहनी - ( स्त्री० ) 1 कूँची, झाडू 2 निराई
सोहबत - अ० (स्त्री०) 1 संग, साथ, संगत 2 स्त्री प्रसंग (जैसे- किसी सोहबत में फँसना ) । दारी + फ़ा० (स्त्री०) स्त्री प्रसंग, संभोग
सोहबती - फ़ा० (वि०) संगी, साथी सोहर - (पु० ) 1 बच्चे के जन्म पर गाया जानेवाला गीत सौंह-बो० (स्त्री०) शपथ, कसम 2 मांगलिक गीत सोहला - (पु० ) सोहर सोहाई - ( स्त्री० ) 1 निराई करना 2 निराई करने की मज़दूरी
=
=
सौंदर्यवादी
-
सौ
चेतना ( स्त्री० ) = सौंदर्यवाद; बोध
सौंदर्य भावना
सौंदर्य रुचि
सौंदर्यवादी
सौंपना - (स० क्रि०) 1 अधिकार में देना 2 समर्पण करना सौंप पत्र - हिं० + सं० (पु०) हवाले करने का रुक्का सौंफ़ - (स्त्री०) दवा और मसाले के काम में आनेवाला सोए जैसा एक पौधा
सोफिया - (स्त्री०) सौंफ से बनी शराब
सौंफी - I सौफिया
सौर - I (पु० ) संतानोत्पत्ति के दसवें दिन मिट्टी के तोड़ दिए जानेवाले बर्तन
-
सौर - II बो० (स्त्री० ) सौरी सौरई -बो० (स्त्री०) साँवलापन
(वि०) सौंफ़ संबंधी, सौंफ़ का II (स्त्री०)
=
सौ - I (वि०) पचास का दूना, नब्बे और दस II (पु० ) '100' की संख्या पचास (वि०) कई ही उचित बात 2 सर्वमान्य बात;
की एक बात 1 बहुत के सवाये करना पचीस
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सौकर
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प्रतिशत लाभ करना; के सवाये होना पचीस प्रतिशत | सौदेबाज़ी-फा० (स्त्री०) मोलभाव करना लाभ होना; ~कोस भागना दूर रहना, अलग रहना; सौपानिक-सं० (वि०) सोपान संबंधी
जतन करना बहुत प्रयत्न या कोशिश करना; जान से सौभग-सं० (पु०) = सौभाग्य पूरे दिल से, पूर्णतः; जान से आशिक ोना अत्यंत मुग्ध सौभागिनी-सं० (स्त्री०) सधवा स्त्री, सुहागिन होना; बात सुनाना बुरा भला कहना, लानत मलामत सौभाग्य-सं० (पु०) 1 अच्छा भाग्य 2 कल्याण, मंगल करना; ~मन का बहुत भारी; ~में एक बहुत कम; ~में 3सफलता 4 समृद्धि। ~वश (क्रि० वि०) खुश किस्मती कहना बिना हिचकिचाहट के खुलकर कुछ कहना; ~सौ घड़े से; ~शाली (वि०) = सौभाग्यवान् पानी पड़ना अत्यंत लज्जित होना; फेरे करना किसी जगह | सौभाग्यवती-सं० (स्त्री०) 1 सधवा, सुहागिन 2 अच्छे बार बार चक्कर लगाना; ~सौ बल खाना बहुत पेंच खाना; भाग्यवाली स्त्री ~सौ मन के पाँव होना डर या घबड़ाहट के कारण चल न सौभाग्यवान-सं० (वि०) 1 अच्छे भाग्यवाला सकना; हाथ का कलेजा हो जाना प्रसन्नता के कारण (जैसे-सौभाग्यवान् पुरुष) 2 सुखी और संपन्न
अत्यंत उत्साहित होना; हाथ की ज़बान होना चटोर होना सौमनस-सं० (वि०) 1 सुमन या फूल संबंधी 2 फूल जैसा सोकर-सं० (वि०) 1 सूअर संबंधी, सूअर का 2 सूअर की सुंदर और कोमल 3 फूलों का बना
तरह का 3 सूअर या वाराह अवतार से संबंध रखनेवाला सौमनस्य-[ सं० (पु०) 1 प्रसन्नता 2 पारस्परिक सद्भाव II सौकर्य-सं० (पु०) 1 सूकर होने का भाव, सूअरपन 2 सुभीता (वि०) आनंद देनेवाला 3 'सुसाध्यता, सुकरता 4 कुशलता, दक्षता
सौमित्र-सं० (पु०) 1 सुमित्रा के पुत्र लक्ष्मण 2 मित्रता, दोस्ती सोकुमार्य-I सं० (पु०) 1 सुकुमारता, कोमलता 2 यौवन, सौम्य-सं० (वि०) 1 शीतल और स्निग्ध 2 सुंदर, रमणीक जवानी II (वि०) कोमल
3 मृदुल, कोमल 4 चमकीला, कांतिमान् 5 प्रसन्न सौख्य-सं० (पु.) 1 सुखता, सुखत्व 2 सुख, आराम सौर-सं० (वि०) 1 सूर्य संबंधी 2 सूर्य से प्राप्त या उत्पत्र सौगंद-(स्त्री०) कसम, शपथ, सौंह
(जैसे-सौर ऊर्जा) । जगत् (पु०) = सौर मंडल; ~दिन सौगंध-[ सं० (वि०) सुगंधित, खुशबूदार
(पु०) एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक का समय; पत सौगंध-II (स्त्री०) कसम, शपथ
(पु०) सूर्य का उपासक; परिवार (पु०) सौर जगत्; सौगंधिक-सं० (वि०) सुगंधयुक्त
~मंडल (पु०) सूर्य और उसकी परिक्रमा करनेवाले नौ ग्रहों, सौगत-सं० (पु०) सुगत (बुद्ध) का अनुयायी
अट्ठाइस उपग्रहों आदि का वर्ग या समूह; --मास (पु०) सूर्य सौग़ात-फ़ा० (स्त्री०) भेंट, उपहार, तोहफा
की एक संक्रांति से सूर्य की दूसरी संक्राति तक का सारा समय, सौगाती-फ़ा० + हिं० (वि०) उपहार में देने योग्य
~वर्ण क्रम (पु०) सूरज का बिंब-प्रतिबिंब ~वर्ष, सौजना-(अ० क्रि०) बो० शोभा देना, सजना
~संवत्सर (पु०) सूर्य संक्रांति के अनुसार होनेवाला वर्ष, सौजन्य-सं० (पु०) सुजनता, सज्जनता
एक मेष संक्रांति से दूसरी मेष संक्रांति तक का समय, सोलर सौत-(स्त्री०) पति की दूसरी पत्नी, सपत्नी सौतिन-बो० (स्त्री०) = सौत
सौरभ-I सं० (पु०) सुगंध, महक II (वि०) सुगंधित सौतिया-(वि०) सौत संबंधी, सौत का। ~डाह (स्त्री०) सौरभित-सं० (वि०) सौरभ युक्त, सुगंधमय सौतों में होनेवाली पारस्परिक ईर्ष्या या द्वेष
सौरी-(स्त्री०) सूतिकागार, जच्चाख़ाना सौतेला-(वि०) 1 सौत का 2 सौत से उत्पन्न
सौरीय-सं० (वि०) सूर्य संबंधी, सूर्य का सौत्रामणी-सं० (स्त्री०) इंद्र को प्रसन्न करने हेतु किया गया सौर्य-सं० (वि०) 1 सूर्य संबंधी 2 सूर्य से उत्पन्न एक यज्ञ
सोलक्षण्य-सं० (पु०) सुलक्षण होने का भाव, सौदर्य-सं० (वि०) 1 सहोदर 2 सहोदर जैसा 3 सहोदर का सुलक्षणता सौदा-I फ़ा० (पु०) 1 क्रय-विक्रय की वस्तु 2 वाणिज्य, सौवर्ण-[सं० (वि०) 1 स्वर्ण संबंधी, सोने का 2 सोने का बना व्यापार (जैसे-सौदा करना)। ~कारी (स्त्री०) सौदेबाज़ी; 3 एक सुवर्ण कर्ष वजन का II (पु०) 1 सोना, स्वर्ण 2 सोना ~गर (पु०) व्यापारी; ~गरी (स्त्री०) व्यापार, व्यवसाय; | तौलने की एक पुरानी तौल । ~माल + अ० (पु०) व्यापार हेतु इकट्ठा किया गया | सौवर्ण्य-सं० (पु०) 1 वर्गों का शुद्ध और अच्छा उच्चारण सामान; ~सुलफ़ + अ०, ~सूत (पु०) बाज़ार से खरीदी | 2 सुवर्ण होने का गुण या भाव गई वस्तु; ~पटना बात पक्की होना; ~पटाना बात पक्की सौष्ठव-सं० (पु०) 1 सुंदरता 2 उत्तमता 3 सुघड़ता 4 दक्षता, करना; होना सौदा पट जाना
चातुर्य 5 तेजी सौदा-II अ० (पु०) 1 यूनानी चिकित्सा पद्धति में शरीर के | सौसन-अ० (पु०) - सोसन
चार दूषित तत्त्वों में से एक जिसका रंग काला कहा गया है सौसेज-अं० (पु०) लँगोचा, गुलमा 2 उन्माद या पागलपन का रोग 3 वात विकार
सौहार्द-सं० (पु०) 1 दोस्ती, मैत्री 2 सद्भाव 3 हृदय की सौदाई-अ० + फा० (पु०) 1 पागल 2 सनकी, झक्की, सरलता। पूर्ण (वि०) सौहार्द से भरा हुआ ख़ब्ती। होना पागल होना ।
सौहर्द-सं० [ (पु०) मित्र || (वि०) मित्र संबंधी सौदायिक-सं० (पु०) विवाह के समय वधू को उसके माता स्कंद-सं० (पु०) 1 ध्वंस, विनाश 2 शरीर, देह 3 विद्वान, पिता तथा अन्य संबंधियों से प्राप्त धन 2 दहेज
पंडित 4 राजा 5 बाहर आना, निकलना
इयर
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स्कंदन
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स्टेशनरी स्कंदन-सं० (पु०) 1 बाहर होना, निकलना 2 रेचन 3 सोखना, | स्टंट-अं० (पु०) चकमा, पाखंड, कमाल, कलाबाज़ी शोषण
स्टडी रूम-अं० (पु०) अध्ययन कक्ष स्कंदित-सं० (वि०) 1 निकला हआ, गिरा हआ 2 स्खलित, स्टलिंग-अं० (पु०) पाउंड पतित
स्टांप-अं० (पु०) 1 डाकखाने का टिकट 2 छाप, मोहर स्कंध-सं० (पु०) 1कंधा 2 ग्रंथ आदि का अध्याय 3 पक्की लिखापढ़ी करने का एक विशेष काराज़ (जैसे-नाटक का नवम् स्कंध) 3 सेना का कोई भाग 4 सेना स्टाइल-अं० (स्त्री०) 1 शैली 2 पद्धति का व्यूह 5 समूह, झुंड 6 युद्ध 7 मार्ग, रास्ता 8 माल का स्टाक-अं० (पु०) 1 बिक्री का माल (जैसे-आज का स्टाक भांडार । -पंजी (स्त्री०) गोदाम या भांडार में मौजूद माल का ख़त्म हो गया) 2 गोदाम 3 रसद 4 साझे के कारबार में लगाई विवरण लिखने की पंजी; ~पाल (पु०) भांडार का निरीक्षक गई पूँजी 5 सरकारी ऋण की हंडी। एक्सचेंज (पु०) अधिकारी
1 स्टाक, शेयर खरीदने, बेचने का काम 2 दलालों की सभा; स्कंधन-सं० (पु०) स्टाक (माल) जमा करना
ब्रोकर-(पु०) दूसरों के लिए खरीद बिक्री का काम स्कंधा-सं० (स्त्री०) पेड़ की डाल, शाखा
करनेवाल, दलाल स्कंभ-सं० (पु०) खंभा
स्टाप-अं० (पु०) 1 रोकने की क्रिया 2 ठहराव स्कर्ट-अं० (पु०) लहँगा, घाघरा
स्टाफ़-अं० (पु०) 1 एक ही संघटन या संस्था में काम स्काउट-अं० (पु०) बालचर
करनेवालों का समूह (जैसे-स्कूल स्टाफ़) 2 फ़ौजी अफ़सरों स्कार्फ-अं० (पु०) मफलर, गुलुबंद
का समूह। ~आफ़िसर (पु०) सेना के अफ़सरों का स्कालर-अं० (पु०) 1 विद्यार्थी, छात्र 2 अध्ययनशील और ___ अफ़सर; रिपोर्टर (पु०) कार्यालय संवाददाता; ~रूम विद्वान् । -शिप (स्त्री०) 1 छात्रवृत्ति 2 पांडित्य
(पु०) 1 अध्यापक कक्ष 2 कर्मचारी वर्ग का कमरा स्की-अं० (पु०) लंबा तंग लकड़ी का जूता जिससे बर्फ़ पर स्टार्च-अं० (पु०) माँडी, कलफ़ फिसलते हैं
स्टार्ट-अं० (पु०) शुरू, आरंभ स्कीइंग-अं० (स्त्री०) स्की से बर्फ़ पर फिसलना स्टाल-अं० (पु०) छोटी दुकान स्कीम-अं० (स्त्री०) योजना
स्टिच-अं० (पु०) टाँका स्कूटर-अं० (पु०) एक ठिगनी दो पहिया मोटर साइकिल स्टियरिंग गियर-अं० (पु०) = स्टीयरिंग गियर स्कूल-अं० (पु०) पाठशाला, विद्यालय। छात्र + सं० | स्टियरिंग पहिया-अं० + हिं० (पु०) = स्टीयरिंग ह्वील
(पु०) स्कूल में पढ़नेवाला बालक; पूर्व + सं० (वि०) | स्टीम-अं० (पु०) भाप, वाष्प। ~इंजिन (पु०) भाप की विद्यालय जाने से पहले का; ~मास्टर (पु०) स्कूल का शक्ति से चलनेवाला इंजन। शिक्षक; ~मास्टरी + हिं. (स्त्री०) स्कूल में पढ़ाने का | स्टीमर-अं० (पु०) भाप से चलनेवाला छोटा जहाज़
काम; -शिक्षक + सं० (पु०) = स्कूल मास्टर । स्टीरियोटाइप-अं० (वि०) रूढिबद्ध स्कूली-अं० + हिं० (वि०) 1 स्कूल से संबंध रखनेवाला स्टील-अं० (पु०) फ़ौलाद, इस्पात। ~प्लांट (पु०) इस्पात 2 स्कूल का
__ का कारखाना स्केच-अं० (पु०) रूपरेखा
स्टूडियो-अं० (पु०) 1चित्र निर्माण कक्ष 2 प्रसार कक्ष स्केटिंग-अं० (स्त्री०) पहिएदार जूते से चिकनी सतह पर स्टूडेंट-अं० (पु०) विद्यार्थी, छात्र
फिसलना। रिंक (पु०) स्केटिंग करने का स्थान स्टूल-अं० (पु०) तीन या चार पायों की छोटी चौकी स्केल-अं० (पु०) 1 पैमाना, पटरी, 2 वेतनमान
स्टेंड-अं० (पु०) = स्टैंड स्कैव-अं० (पु०) = स्केच
स्टेंडर्ड-अं० (पु०) = स्टैंडर्ड स्कोर-अं० (पु०) खिलाड़ियों द्वारा बनाए गए रनों की संख्या। स्टेज-अं० (पु०) 1रंगमंच 2 मंच। ~मैनेजर (पु०) मंच बोर्ड (पु०) गणना पट्ट, योग पट्ट, अंक पट्ट
प्रबंधक; रिहर्सल (पु०) मेचीय पूर्वाभ्यास स्क्रीन-अं० (पु०) परदा
स्टेट-I अं० (पु०) राज्य, प्रांत स्कू-अं० (पु०) चूड़ीदार एक कील, पेंच। जैक (पु०) | स्टेट-II अं० (पु०) बड़ी ज़मींदारी पेचदार उत्थापक
स्टेडियम-अं० (पु०) मैदान, अखाड़ा स्क्रैप-अं० (पु०) 1 टुकड़ा 2 रद्दीमाल
स्टेथस्कोप-अं० (पु०) = स्टेथस्कोप स्कवाइन-अं० (पु०) 1 जंगी बेड़े का एक दल 2 अश्वारोही | स्टेनलेस-अं० (वि०) जंगविरोधी (जैसे-स्टेनलेस स्टील) सैन्यदल 3 सैनिक विमानों की टुकड़ी
स्टेनोग्राफर-अं० (पु०) आशुलिपिक स्कवायर-अं० (पु०) वर्ग
स्टेनोग्राफी-अं० (स्त्री०) आशुलिपि स्कवैडून-अं० (पु०) = स्कवाड्रन
स्टेशन-अं० (पु०) 1रेलगाड़ियों के ठहरने का स्थान 2 मोटर स्कवैश-अं० (पु०) फल का रस
आदि सवारियों के ठहरने की जगह 3 कार्य विशेष हेतु लोगों स्खलन-सं० (पु०) 1 नीचे आना, पतन 2 मार्ग से विचलित की नियुक्ति और निवास का स्थान (जैसे-पुलिस स्टेशन, होना 3 चूना, क्षरण, स्राव 4 घर्षण, संघर्ष
फायर स्टेशन)। ~मास्टर (पु०) रेलवे स्टेशन का प्रधान स्खलित-सं० (वि०) 1 पतित 2 मार्ग से विचलित 3 क्षारित कर्मचारी 4 संघर्षित
स्टेशनरी-अं० (स्त्री०) लेखन सामग्री
EEEEEEEEEEEEEL
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स्टैंड
स्टैंड-अं० (पु० ) अड्डा
स्टैंडर्ड - 1 अं० (पु० ) 1 श्रेष्ठता आदि का नियत मान 2 स्तर II (वि०) 1 आदर्श 2 श्रेष्ठता के नियत मान का स्टैंडिंग कमेटी-अं० (स्त्री०) स्थायी समिति स्टैंडिंग काउंसिल-अं० (स्त्री०) एडवोकेट जनरल को सहायता देनेवाला सरकारी एडवोकेट
स्टैच्यू - अं० ( पु० ) मूर्ति, प्रतिमा
स्टैथस्कोप -अं० (पु० ) चि० हृत्कंप दर्शी स्टोर - अं० ( पु० ) भंडार। -कीपर (पु० ) भंडारी स्टोरेज - अं० (पु० ) भंडारण
स्टोव अं० (पु०) विशेष प्रकार का आधुनिक चूल्हा स्ट्राइक - अं० (स्त्री०) हड़ताल (जैसे-रेलवे स्ट्राइक) स्ट्रीट-अं० ( पु० ) छोटी सड़क
स्ट्रेचर - अं० ( पु० ) रोगी डोला
स्ट्रैटिफ़िकेशन - अं० (पु० ) स्तरीकरण, स्तर विन्यास स्ट्रैप -अं० (पु०) फीता
स्तंभ - सं० ( पु० ) 1 खंभा 2 कार्य, संस्था, सिद्धांत आदि के आधार के रूप में तत्त्व या व्यक्ति 3 समाचार पत्रों के पृष्ठों, सारणियों आदि के अंक विभाग (जैसे- संपादकीय स्तंभ, स्थानिक स्तंभ) 4 पेड़ का तना 5 साहि० एक तरह का सात्विक अनुभाव 6 प्रतिबंध, रुकावट 7 जड़ता, अचलता। लेखक (पु०) समाचार पत्र में विशेष विषय पर लेखादि लिखनेवाला स्तंभक - सं० (वि०) रोकनेवाला, रोधक स्तंभन -सं० (पु० ) रुकावट, अवरोध स्तंभित - सं० (वि०) 1 निश्चल 2 निस्तब्ध, सुत्र 3 रुका हुआ स्तन - सं० ( पु० ) स्त्रियों या मादा पशुओं की छाती। चूचुक
(पु० ) स्तन मुख; दान (पु०) बच्चे को दूध पिलाना; ~धारी (पु०) धनवाला; पतन (पु०) स्तन का ढीला पड़ना या लटकना; ~पान (पु० ) स्तन का दूध पीना; पायी (वि०) थनों से दूध पिलानेवाला; पोषित (वि०) थनों के दूध से पाला हुआ; ~भर (पु० ) 1 पीन पयोधर, स्थूल या पुष्ट स्तन 2 स्त्री जैसे स्तन वाला पुरुष; ~ मध्य (पु० ) 1 स्त्री के दोनों स्तनों के बीच की जगह 2 चूचुक; ~मुख (पु० ) स्तन या कुच का अगला भाग, चूची, चूचुक
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स्तनन-सं० (पु० ) 1 ध्वनि 2 मेघशब्द 3 कराहना स्तनांशुक-सं० (पु०) स्तन बाँधने या ढकने का कपड़ा स्तनित - I सं० (वि०) 1 ध्वनित, शब्दायमान 2 गर्जित II (पु० ) 1 मेघगर्जन 2 आवाज़, ध्वनि
स्तन्य - I सं० ( पु० ) माता का दूध II ( वि० ) 1 स्तन का 2 स्तन में रहनेवाला
स्तब्ध-सं० (वि०) सुत्र, निश्चेष्ट । ~ता (स्त्री० ) 1 जड़ता 2 निश्चेष्टता
स्तर-सं० (पु०) 1 परत 2 तल, लेवेल 3 सतह 4 मान (जैसे- जीवन स्तर )
स्तरण - सं० (पु० ) 1 फैलाना 2 बिखेरना 3 प्राकृतिक कारणों से पृथ्वी के धरातल पर की विभिन्न स्तरों की बनावट स्तरांक - सं० (पु०) मानक विंदु स्तरीकरण-सं० (पु० ) = स्तरण स्तव -सं० (पु० ) प्रशंसा, स्तुति
स्तवक-सं० (वि०) स्तुति करनेवाला स्तवन-सं० (पु० )
स्तावक सं० (पु० )
=
स्तुति
स्तुति वादक
स्त्रैण
=
स्तुत -सं० (वि०) प्रशंसित
गान
स्तुति - सं० (स्त्री०) 1 प्रशंसा 2 चाटुकारिता 3 स्तोत्र । गान (पु०) प्रशंसा या चाटुकारिता करना गीत (पु० ) = स्तुति पाठ (पु०) यशोगान पाठक (पु०) (पु०) स्तुति करनेवाला, चारण, मागध, सूत प्रिय (वि०) खुशामद पसंद, प्रशंसा का आकांक्षी; वादक (पु०) 1 प्रशंसा करनेवाला, प्रशंसक 2 खुशामद या चापलूसी करनेवाला, खुशामदी, चाटुकारी
स्तुत्य -सं० (वि०) स्तुति के योग्य, प्रशंसनीय स्तूप - सं० ( पु० ) 1 मिट्टी या पत्थर का ऊँचा ढूह 2 ऊँचा ढेर 3 शिखर 4 इमारत में लगा हुआ बहुत बड़ा स्तूप स्तूपाकार-सं० (वि०) स्तूप के आकार का स्तूपीकरण-सं० (पु०) स्तूप का रूप देना स्तेय - सं० ( पु० ) 1 चोरी 2 रहजनी 3 चोरी गई हुई या चोरी जाने योग्य वस्तु 4 गोप्य वस्तु
स्तोता - सं० (वि०) 1 स्तुति करनेवाला 2 प्रार्थना करनेवाला स्तोत्र - सं० ( पु० ) 1 स्तुति 2 स्तुत्यात्मक श्लोक 3 श्लोकबद्ध स्तुतिपरक ग्रंथ
स्त्रियोपयोगी -सं० (वि०) स्त्री के लिए उपयोगी स्त्रीं दिय-सं० (स्त्री०) स्त्री की योनि, भग स्त्री-सं० (स्त्री०) 1 मनुष्य जाति की वयस्क मादा, औरत, नारी
2 मनुष्य जाति की विशेष सदस्या 3 पत्नी, जोरू । ~करण (पु०) 1 पत्नी बनाना 2 यौन संबंध, मैथुन । गमन (पु० ) स्त्री संभोग; ~ चिह्न (पु० ) 1 स्त्री संबंधी चिह्न 2 योनि; -जन (पु० ) स्त्रीजाति; जाति (स्त्री०) स्त्रीवर्ग; द्वेष (पु०) स्त्रियों के प्रति वैर भाव; ~ द्वैषक (पु० ) स्त्रियों के प्रति वैर भाव रखनेवाला; ~धन (पु० ) ऐसी संपत्ति जिस पर स्त्री का ही अधिकार हो; धर्म (पु० ) स्त्रियों का कर्तव्य; ~धर्मिणी (स्त्री०) रजस्वला स्त्री पुरुष (पु० ) स्त्री और पुरुष, नर और नारी; ~ प्रसंग (पु० ) = स्त्री संभोग, ~ भीति (स्त्री०) स्त्रियों से भय का भाव; ~भोग (पु० ) = स्त्री संभोग; ~ राज्य (पु०) स्त्री के हाथ में रहनेवाली सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था; ~लिंग (पु० ) 1 व्या० स्त्री जाति का बोध करानेवाला लिंग (जैसे- 'लड़का' का स्त्रीलिंग 'लड़की' है) 2 स्त्री का चिह्न, भग या योनि वर्ग (पु० ) स्त्रियों की श्रेणी; व्रण (पु० ) योनि, भग; व्रत (पु०) एक पत्नी व्रत; ~संग्रहण (पु० ) स्त्री के साथ बलात् संभोग करना, स्त्री के साथ किया जानेवाला व्यभिचार; ~संभोग (पु० ) स्त्री प्रसंग, मैथुन; ~ सदृश (वि०) स्त्री के समान; ~ समागम (पु० ) स्त्री संभोग, मैथुन सुख (पु०) स्त्री का सुख
स्त्रीत्व - सं० (पु० ) 1 स्त्री होने का भाव या गुण, औरतपन 2 व्या० शब्दों के अंत में लगनेवाला स्त्रीलिंग का सूचक प्रत्यय स्त्रैण - सं० (वि०) 1 स्त्री संबंधी, स्त्रियों का 2 स्त्रियों का सा,
स्त्रियों की तरह का 3 स्त्री या पत्नी के वश में रहनेवाला 4 स्त्रियों की सी प्रकृतिवाला । ~ता (स्त्री०) 1 जनानापन 2 स्त्रियों की अत्यंत इच्छा या लालसा
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णकी
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स्थिति
बणकी-सं० (स्त्री०) जननेंद्रिय के रोगों का चिकित्साशस | कक्षा~ (सी०) एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाना स्त्याजीत-सं० (पु०) स्त्री या स्त्रियों की संपति का भोग | स्थानांतरणीय-सं० (दि०) स्थानांतरण संबंधी करनेवाला पुरुष
स्थानांतरित-सं० (वि०) स्थानांतरण किया हआ सायपयोगी-सं० (वि०) स्त्रियों के उपयोग में आनेवाला स्थानापत्ति-सं० (सी.) 1किसी के बदले में काम करना स्थ-सं० (प्र०) शब्द के अंत में प्रयुक्त होकर अनेक । 2 किसी का पद ग्रहण करना
अर्थबोधक एक प्रत्यय (जैसे-तटस्थ, कंठस्थ, आत्मस्थ, स्वानापन-सं० (वि०) 1 किसी की गैरहाज़िरी में नियुक्त किया ध्यानस्थ आदि)
गया 2 दूसरे का स्थान ग्रहण किया हुआ स्थकित-(वि०) थका हुआ, शिथिल .
स्थानाभाव-सं० (पु०) स्थान का अभाव स्थगन-सं० (०) 1 कुछ समय के लिए रोकना (जैसे-सम स्थानिक-सं० (वि०) = स्थानीय
का स्थगन) 2 विचार आदि हेतु कुछ समय तक रोकना स्वानी-सं० (वि.) 1 स्थान से युक्त, पद युक्त 2 उपयुक्त (जैसे-प्रार्थना पत्र का स्थगन) :3 छिपाना या ढाँकना। | 3स्थायी। -करण (पु०) बिखरे हए कार्य व्यापार आदि को
प्रस्ताव (पु०) कार्य स्थगन के लिए उपस्थित किया गया नियंत्रित करके एक केंद्र में आबद्ध करना; ~कृत (वि०) प्रस्ताव, एडजनमेंट मोशन
स्वनीकरण किया हुआ स्थगित-सं० (वि०) स्थगन किया हुआ। करण (पु०) स्थानीय-सं० (वि०) 1 स्थान विशेष से संबंधित 2 स्थान स्थगित करना, टालना
विशेष के लिए उपयुक्त। ~करण (पु०) - स्थानीकरण; स्थल-सं० (पु०) 1 भूमि, ज़मीन 2 भू भाग 3 जल से रहित । ता (स्त्री०) स्थानीय होने का भाव भूमि, खुश्की, लैण्ड (जैसे-स्थल मार्ग से यात्रा करने में समय स्थापक-सं० (वि०) 1 स्थापना करनेवाला 2 स्थिर करनेवाला अधिक लग जाएगा) 4 निर्जल और मरुभूमि। ~गामी, 3स्थित करनेवाला ल्चर (वि०) ज़मीन पर रहनेवाला (प्राणी); चर जीव स्थापत्य-सं० (पु०) 1 राजगीरी, मेमारी 2 भवन बनाने की (पु०) ज़मीन पर निवास करनेवाला प्राणी; चारी (वि०) _ विद्या, वास्तु विज्ञान । कला (स्त्री०) वास्त विद्या; ~वेद = स्थलचर; ~ज (वि०) स्थल से उत्पन्न; डमरू मध्य (पु०) एक वेद जिसमें वास्तु शिल्प का ज्ञान प्राप्त होता है (पु०) दो तरफ़ दो बड़े और लंबे स्थलों से घिरा हुआ स्थल स्थापन-सं० (पु०) 1 स्थापित करना 2 स्थिर करना 3 स्थित का लंबा भाग; ~फ़ौज + अ० (स्त्री०) स्थल सेना; ~मार्ग करना 4प्रतिपादन (पु०) ज़मीन या पृथ्वी पर बना रास्ता; युद्ध (पु०) भूभाग स्वापना-सं० (स्त्री०) 1 स्थापित करने का भाव 2 मत आदि पर होनेवाली लड़ाई ~शक्ति (स्त्री०) स्थल सेना; अन्य के समक्ष रखना, प्रतिपादन
सेनाध्यक्ष (पु०) थल सेना का प्रधान सेनापति; सीमा स्थापनीय-सं० (वि०) स्थापन करने योग्य, स्थाप्य (स्त्री०) देश या भूभाग की हद; ~सेना (स्त्री०) पैदल सेना, स्वापित-सं० (वि०) 1 स्थापना की गई 2 प्रतिष्ठित किया हआ ज़मीन पर लड़नेवाली सेना
3नियुक्त किया हुआ 4 निश्चित किया हुआ स्थली-सं० (स्त्री०) 1 जल शून्य भू भाग, शष्क जमीन | स्वाप्य-सं० (वि०) 1 स्थापित करने योग्य 2 नियक्त किए जाने 2 जगह, स्थान 3 प्राकृतिक भूमि
योग्य स्थलीय-सं० (वि०) 1 स्थल का 2 स्थानीय
स्वायिक-सं० (वि०) 1विश्वसनीय 2 स्थायी स्थविर-I (पु०) 1 बौद्ध भिक्षुओं का एक संप्रदाय 2 वृक्ष । स्थायित्व-सं० (पु०) 1 स्थायी होने का भाव 2 नौकरी आदि में व्यक्ति II (वि०) वृद्ध और पूज्य
सुरक्षित और नियत काल तक बने रहने की स्थिति स्थान-सं० (पु.) 1 जगह 2 पद, ओहदा 3 टिकाव, ठहराव स्थायी-सं० (वि०) 1 हमेशा बना रहनेवाला 2 निर्धारित काल 4 अवस्था, स्थिति 5 घर (जैसे-आपका निवास स्थान कहाँ है) तक चलता रहनेवाला (जैसे-स्थायी नौकरी) 3 टिकाऊ 6 देश, भूभाग (जैसे-आप किस स्थान के निवासी हैं) 7 नगर 4 स्थायी भाव। -करण (पु०) 1 स्थायी रूप देना 2 स्थायी 8 अवसर १ वर्ण के उच्चारण की जगह। ~च्युत (वि०) रूप से नियुक्त करना; ~भाव (पु०) मन में सदा बने 1 पद से हटाया हुआ 2 स्थान से अलग हुआ; जापिकी रहनेवाले मूल भाव (जैसे-रति, क्रोध, शोक, भय, विस्मय (स्त्री०) स्थानों के नामों से संबद्ध शास्त्र; पदिक (वि०)
आदि) नियमित रूप से एक स्थान पर होनेवाला या पाया जानेवाला |स्थाली-सं० (स्त्री०) मिट्टी के बर्तन। पुलाक न्याय (पु.) (जैसे-स्थान पदिक रोग); ~पाल (पु०) 1 स्थान का रक्षक पुलाव का एक दाना देखकर जान जाना कि पुलाव पक गया है 2 चौकीदार, पहरेदार; ~भ्रष्ट (वि०) = स्थान च्युत; या नहीं
~संकोच (पु०) जगह की कमी; ~सीमन (पु०) = स्थावर- सं० (वि०) 1स्थिर 2 स्थायी 3 अचल संपत्ति स्थानीकरण
संबंधी 4 वानस्पतिक II (पु०) 1 अचल संपत्ति 2 पर्वत स्थानकवासी-सं० (पु०) एक विशिष्ट जैन संप्रदाय 3अचेतन पदार्थ स्थानस्थ-सं० (वि०) 1 स्थान पर टिका हुआ 2 स्थानीय स्वाविर-सं० (पु०) वृद्धावस्था, वार्धक्य स्थानांतर-सं० (पु.) 1 एक स्थान से अन्य स्थान पर चले जाने स्चित-सं० (वि०) 1ठहरा हुआ 2 बसा हआ 3 दृढ़, पक्का
का भाव, बदली 2 भिन्न या दूसरा स्थान । गत (वि०) (जैसे-स्थित प्रज्ञ) 4 उपस्थित, मौजूद। प्रज्ञ (वि०) स्थानांतर से संबंधित
| तस्थिर बुद्धिवाला 2 समरस और निर्विकल्प स्थानांतरण-सं० (पु०) तबादला करना, बदली करना। रिति-सं० (सी०) 1 ठहराव 2 दशा, हालत 3 स्वभाव,
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स्थितिमान्
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प्रकृति 4 कर्तव्य परायणता 5 निवास स्थान 6 अस्तित्व 7 सीमा, | स्नायविक-सं० (वि०) स्नायु संबंधी, स्नायु का। हद 8 ढंग, तरीका। ~गणित (पु०) गणित की एक शाखा स्नायवीय-I सं० (वि०) = स्नायविक II (पु०) कर्मेंद्रिय जिसमें सांख्यिक विवरण संग्रहीत रहते हैं तथा पदार्थों की सायु-सं० (स्त्री०) 1 रग, नाड़ी 2 पेशी। केंद्र (पु०) साम्यावस्था पर प्रभावी शक्तियों का अंकों में विवेचन होता है। तंत्रिका केंद्र; ~प्रणाली (स्त्री०) तंत्रिका तंत्र; विकार
जन्य (वि०) स्थिति से उत्पत्र; देश (पु०) देश की (पु०) तंत्रिका तंत्र में खराबी; ~विकृति (स्त्री०) = तंत्रिका सीमा; -निर्धारण (पु०) सीमा का निर्धारण या | विकार निश्चयीकरण; ~शील (वि०) सदा एक स्थिति में स्नायुमय-सं० (वि०) तंत्रिकायुक्त
रहनेवाला; ~स्थापक (वि०) पूर्व अवस्था प्रदान करनेवाला स्निग्ध-सं० (वि०) 1 स्नेह युक्त, प्रेममय (जैसे-स्निग्ध दृष्टि) स्थितिमान्-सं० (वि०) = स्थितिशील
2 चिकना (जैसे-स्निग्ध पदार्थ) 3 आर्द्र 4 ठंढा करनेवाला स्थित्यात्मक-सं० (वि०) स्थिति से संबंधित
(जैसे-स्निग्ध छाया)। ~ता (स्त्री०) 1 स्निग्ध होने का भाव स्थिर-सं० (वि.) 1 निश्चल, अचर 2 स्थायी 3 दृढ़, पक्का | 2 प्रियता 3 सौम्यता 4 आर्द्रता
4 शांत, धीर 5 निश्चित 6.विश्वसनीय 7 स्थायी। -चित्त स्निग्धा-सं० (वि०) गूदा, अस्थि मज्जा (वि०) स्थिर मनवाला; जीवी (वि०) लंबी उम्रवाला; | स्नुषा-सं० (स्त्री०) पुत्रवधू, बहू
ता (स्त्री०) स्थिर होने का भाव; ~प्रतिज्ञ (वि०) अपने | स्नेय-सं० (वि०) 1 नहलाने योग्य 2 नहाने योग्य वचन पर अडिग रहनेवाला; ~बुद्धि (वि०) ठहरी हुई | स्नेह-सं० (पु०) 1 प्रेम भाव, प्रेम, मुहब्बत 2 तेल 3 कोमलता, बुद्धिवाला
मुलायमत। पत्र (पु०) प्रेम की चिट्ठी, प्रेम पत्र; पात्र स्थिरत्व-सं० (पु०) = स्थिरता
(पु०) जो स्नेह का पात्र हो जिसके प्रति स्नेह उत्पन्न हआ हो; स्थिरांक-सं० (पु०) ऐसी राशि जो सदा एक रहती है, नियतांक ~मीन (स्त्री०) काड मछली; ~युक्त (वि०) प्रेम से भरा, स्थिरात्मा-सं० (वि.) दृढ़चित्त
प्रेमपूर्ण; ~शील (वि०) = स्नेहमय; ~सार (पु०) मज्जा स्थिरीकरण-सं० (पु०) स्थिर करने का काम
नामक धातु, अस्थिसार; ~सिक्त (वि०) प्रेम से सिंचित, स्थूण-सं० (पु०) स्तंभ, खंभा
प्रेम से आप्लावित (जैसे-स्नेह सिक्त वाणी, स्नेह सिक्त स्वर स्थूणा-सं० (स्त्री०) 1 थूनी 2 खंभा 3 धरन 4 निहाई में कहना) स्थूल-सं० (वि०) 1 मोटा 2 घना 3 मंद बुद्धिवाला, मूर्ख स्नेहक-सं० (वि०) 1 प्रेम करनेवाला, प्रेमी 2 चिकनापन 4 सूक्ष्म रहित (जैसे-स्थूल विचार) 5 सुस्त । ~काय लानेवाला (वि०) मोटे शरीरवाला; ~ता (स्त्री०) 1 स्थूल होने का। स्नेहन-सं० (पु०) तेल लगाना, चिकनाना, चिकना बनाना भाव 2 मोटाई 3 घनापन; ~दर्शक (पु०) स्थूल करके स्नेहनीय-सं० (वि०) 1 प्रेम करने योग्य 2 चिकना करने योग्य दिखानेवाला यंत्र, सूक्ष्मदर्शी यंत्र
3 तेल लगाने योग्य स्थूलांग-सं० (वि०) बड़े शरीरवाला
स्नेहमय-सं० (वि०) स्नेहवाला, स्नेहयुक्त स्थूलोदर-सं० (वि०) तोंदवाला
स्नेहल-सं० (वि०) 1स्नेहपूर्ण 2 कोमल 3 चिकना स्थैतिक-सं० (वि०) स्थिर, गतिहीन
स्नेहांजलि-सं० (स्त्री०) प्रेमपूर्ण श्रद्धांजलि स्थैतिकी-सं० (स्त्री०) स्थिति विज्ञान
स्नेहाकुल-सं० (वि०) प्रेम से विह्वल स्थैर्य-सं० (पु०) = स्थिरता
स्नेहाक्त-सं० (वि०) 1 चिकनाया हुआ 2 तैललिप्त स्थौर-सं० (पु०) 1 दृढ़ता 2 स्थिरता 3 खेप
स्नेहातिरेक-सं० (पु०) प्रेम की अतिशयता स्थौल्य-सं० (पु०) 1 स्थूलता 2 बुद्धि की मंदता स्नेहाई-सं० (वि०) प्यार से पसीजा हुआ स्नात-सं० (वि०) स्नान किया हुआ
स्नेहित-सं० (वि०) 1 स्नेह करनेवाला, प्रेमी 2 जिससे स्नेह स्नातक-सं० (पु०) विश्वविद्यालय से उपाधि प्राप्त व्यक्ति किया जाए 3 तैलयुक्त स्नातकीय-सं० (वि०) स्नातक का
स्नेहिल-सं० (वि०) प्रेमयुक्त स्नातकोत्तर-सं० (वि०) स्नातक की डिग्री के ऊपर का | स्नेही-सं० (वि०) 1 स्नेह करनेवाला. प्रेमी 2 जिससे स्नेह स्नातिका-सं० (स्त्री०) महिला स्नातक
__किया जाए 3 तैलयुक्त स्नान-सं० (पु०) 1 जल से पूरा शरीर धोना, नहाना 2 धूप, स्नेह्य-सं० (वि०) 1 प्रेम करने योग्य 2 चिकनाने योग्य, तेल वायु आदि का सेवन 3 नियम पूर्वक किसी जलाशय में कुछ __ लगाने योग्य समय तक नहाना (जैसे-माघ स्नान, कार्तिक स्नान)। ~ग्रह, स्पंज-अं० (पु०) एक जलजीव, इस्पंज ~घर + हिं० (पु०) नहाने का कमरा, गुसलखाना, हमाम; स्पंद-सं० (पु०) 1 कंपन, काँपना 2 विस्फुरण, फड़कना यात्रा (स्त्री०) ज्येष्ठ पूर्णिमा को होनेवाली विष्णु जल यात्रा; 3 गति, धड़कन (जैसे-हृदय का स्पंदन)। ~शील (वि०) वस्त्र (पु०) स्नान का कपड़ा; ~शाला (स्त्री०) = स्नान 1 कंपनशील 2 धड़कनेवाला
स्पंदित-सं० (वि०) 1 काँपता हुआ 2 स्पंदनयुक्त स्नानागार-सं० (पु०) स्नानघर
स्पंदिनी-सं० (स्त्री०) रजस्वला स्त्री स्नानार्थी-सं० (पु०) स्नान करने का इच्छुक
स्पंदी-सं० (वि०) = स्पंदित स्नापन-सं० (पु०) स्नान कराना, नहलाना
स्पर्द्ध-सं० (वि०) स्पर्धावाला स्नापित-सं० (वि०) स्नान कराया हुआ, नहलाया स्पर्धन-सं० (पु०) स्पर्धा करना
गृह
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स्पर्धनीय
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स्फाटिक
स्पर्खनीय-सं० (वि०) स्पर्धा करने योग्य
स्पिंडल-अं० (पु०) 1 तकुआ 2 धुरी स्पर्धा-सं० (स्त्री०) 1 होड़, प्रतियोगिता 2 अभिलाषा, तीव्र | स्पिटून-अं० (पु०) पीकदान, उगालदान, थूकदान
इच्छा 3 साहस, हौसला 4 चुनौती 5 बराबरी करने की इच्छ । स्पिन-अं० (पु०) चक्करदार 6 ईर्ष्या
स्पिरिट-अं० (स्त्री०) 1आत्मा 2 प्रेतात्मा 3 साहस स्पर्धात्मक-सं० (वि०) स्पर्धा से संबंधित
4जीवशक्ति 5 सूक्ष्म शरीर 6 पदार्थ का सत्त या सार स्पर्डी-सं० (वि०) स्पर्धा करनेवाला
(जैसे-स्पिरिट एमोनिया) स्पर्धा-सं० (स्त्री०) = स्पर्धा । ~शील (वि०) = स्पर्धात्मक स्पीकर-अं० (पु०) 1 वक्ता 2 विधान सभा का अध्यक्ष या स्पर्श-सं० (पु०) 1 छूना (जैसे-चरण स्पर्श) 2 संपर्क ज्ञान सभापति 3 उच्चभाषक की तरह का एक यंत्र (जैसे-प्रेम स्पर्श) 3 प्रभाव 4 अनुभव या ज्ञान (ताप आदि | स्पीच-अं. (स्त्री०) 1 भाषण 2 व्याख्यान 3 प्रवचन का) 5 व्या० उच्चारण से संबंधित वर्ण (जैसे-'क्' से 'म्' | स्पीड-अं० (स्त्री०) चाल, गति। -काउंटर (पु०) = तक)। कोण (पु०) ग० परिधि के किसी बिंदु पर किसी स्पीडोमीटर; बोट (स्त्री०) गति नौका सरल रेखा के स्पर्श से बननेवाला कोण; ~क्षम (वि०) स्पर्श | स्पीडोमीटर-अं० (पु०) गतिमापी किए जाने योग्य; ~गोचर (वि०) स्पर्श द्वारा ग्रहण करने स्पुतनिक-रूस० (पु०) कृत्रिम उपग्रह योग्य; घर्ष, घर्षी (वि.) व्यंजन जो जीभ के स्पर्श और स्पृश्य-सं० (वि०) = स्पर्श क्षम श्वास के घर्षण से उत्पन्न हो (जैसे-च, छ, ज, झ); -जन्य स्पष्ट-I सं० (वि०) जिसे स्पर्श किया गया हो II (पु०) व्या० (वि०) स्पर्श से उत्पन्न होनेवाला; ~मणि (पु०) पारस __ वर्गों के उच्चारण का एक प्रकार का आभ्यंतर प्रयत्न पत्थर; रेखा (स्त्री०) ग० परिधि के किसी बिंदु को | स्पृष्टास्पृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 एक दूसरे को छूना 2 छूआछूत छूनेवाली सरल रेखा, टैनजेंट; ~रोग (पु०) छूत की बिमारी; | स्पृष्टि-सं० (स्त्री०) = स्पर्श ~वर्ग (पु०) 'क्' से 'म्' तक के वर्ण; ~वर्जन (पु०) | स्पृष्टी-सं० (वि०) = स्पर्शी छूने की मनाही; ~वर्ण (पु०) = स्पर्श वर्ग; ~संघर्षी स्पृहण-सं० (पु०) प्राप्त की इच्छा (वि०) = स्पर्शघर्षी; ~स्नान (पु०) ग्रहण आरंभ होने के स्पृहणीय-सं० (वि०) प्राप्त करने योग्य, वांछनीय समय का नहान
स्पहयाल-सं० (वि०) 1 स्पहा करनेवाला 2 लोभी स्पर्शक-सं० (वि०) 1 छूनेवाला 2 अनुभव करनेवाला स्पृहा-सं० (स्त्री०) इच्छा या कामना स्पर्शन-सं० (पु०) 1 छूने की क्रिया 2 संबंध, लगाव स्पृहित-सं० (वि०) = स्पृहणीय स्पर्शना-सं० (स्त्री०) छूने की शक्ति या भाव
स्पृही-सं० (वि०) स्पृहा करनेवाला स्पर्शनीय-सं० (वि०) स्पर्श योग्य
स्पेक्ट्रोमीटर-अं० (पु०) = स्पैक्ट्रममापक स्पर्शनेंद्रिय-सं० (स्त्री०) स्पर्श की इंद्रिय, त्वचा
स्पेक्ट्रोस्कोप-अं० (पु०) = स्पैक्ट्रमदी स्पर्शा-सं० (स्त्री०) छिनाल, पुंश्चली, दुश्चरित्रा स्त्री स्पेक्ट्रोस्कोपी-अं० (स्त्री०) = स्पैक्ट्रास्कोपी स्पर्शाक्रामक-सं० (वि०) संक्रामक, छुतहा
स्पेयर-अं० (वि०) अतिरिक्त, फ़ालतू स्पर्शासह-सं० (वि०) जो स्पर्श को सहन न कर सके स्पेलिंग-अं० (स्त्री०) वर्तनी स्पर्शास्पर्श-सं० (पु०) 1 स्पर्श और अस्पर्श 2 छूआछूत का | स्पेशल-अं० (वि०) 1 विशेष, ख़ास 2 असाधारण 3 विशेष भाव
व्यक्ति अथवा अवसर के लिए निश्चित स्पर्शिक-सं० (वि०) = स्पर्शी
स्पेशलिस्ट-अं० (पु०) विशेषज्ञ (जैसे-हिंदी विशेषज्ञ) स्पर्शिका-सं० (स्त्री०) = स्पर्श सूत्र ।
स्पैक्ट्रम-अं० (पु०) वर्णक्रम, बिब-प्रतिबिंब स्पर्शी-सं० (वि०) स्पर्श करनेवाला, छूनेवाला (जैसे-हृदय | स्पैक्ट्रास्कोप-अं० (पु०) वर्णक्रम दर्शी स्पर्शी, मर्मस्पर्शी)
स्पैनर-अं० (पु०) एक प्रकार का रिंच, पाना स्पर्शद्रिय-सं० (स्त्री०) 1 त्वचा 2 चमड़ा
स्पोर्ट-अं० (पु०) खेलकूद स्पष्ट-सं० (वि०) 1 बिल्कुल साफ़ 2 सत्यतापूर्ण। ता| स्पोर्ट्समैन-अं० (पु०)1 खिलाड़ी 2 निष्पक्ष व्यक्ति (स्त्री०) 1 स्पष्ट होने का भाव 2 सफ़ाई; ~भाषी (वि०) = | स्प्रिंग-अं० (स्त्री०) कमानी। दार + फ़ा० (वि०) स्पष्ट वादी; ~वक्ता (पु०) साफ़ बात कहनेवाला व्यक्ति; | । कमानीदार
वादिता (स्त्री०) स्पष्टवादी होने की अवस्था; ~वादी| स्प्रे यंत्र-अं० + सं० (पु०) फुहारा (वि०) निःसंकोच बात कहनेवाला
स्फटिक-सं० (पु०) 1 एक तरह का सफ़ेद बहुमूल्य तथा स्पष्टतः, स्पष्टतया-सं० (क्रि० वि०) स्पष्ट रूप से, सफ़ाई से | पारदर्शी पत्थर, बिल्लौर 2 सूर्यकांतमणि। ~मणि (पु०) स्पष्टाक्षर-सं० (वि०) स्पष्ट और अक्षरशः उच्चारण किया गया बिल्लौर पत्थर स्पष्टार्थक-सं० (वि०) स्पष्ट अर्थवाला
स्फटिकाश्मा-सं० (पु०) बिल्लौर पत्थर स्पष्टीकरण-सं० (पु०) 1 स्पष्ट करना 2 विस्तृत व्याख्या करना | स्फटिकोपल-सं० (पु०) बिल्लौर (जैसे-किसी घटना का स्पष्टीकरण)
स्फटित-सं० (वि०) विदीर्ण स्पष्टीकृत-सं० (वि०) स्पष्ट किया हुआ
स्फरण-सं० (पु०) 1 काँपना 2 फड़कना 3 प्रवेश करना स्पष्टोक्ति-सं० (स्त्री०) = स्पष्टवादिता
स्फाटक-सं० (पु०) 1 स्फाटिक संबंधी 2 जलविंदु स्पर्द्धिक-सं० (वि०) = स्पर्धात्मक
स्फाटिक-सं० (पु०) बिल्लौर या स्फटिक का
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स्फाटित
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स्याद्वाद
गया
स्फाटित-सं० (वि०) विदीर्ण किया हुआ
स्मरण-सं० (पु०) 1 याद, स्मृति 2 साहि० एक अर्थालंकार स्फार-सं० (वि०) 1 प्रचुर, विपुल 2 बड़ा और विस्तृत जिसमें पूर्व देखी गई वस्तु के समान अन्य वस्तु के देखने या स्फारण-सं० (पु०) = स्फुरण
सुनने से उसका स्मरण हो आता हो। पत्र (पु०) याद स्फारित-सं० (वि०) फैलाया हुआ
दिलाने के लिए लिखा गया पत्र; ~शक्ति (स्त्री०) याद स्फाल-सं० (पु०) कंपन, स्फुरण
रखने की शक्ति स्फीत-सं० (वि०) 1 बढ़ा हुआ 2 फूला या उभरा हुआ स्मरणार्थ-सं० (क्रि० वि०) स्मरण के लिए (जैसे-गर्व से स्फीत वक्षःस्थल) 3 समृद्ध, संपन्न 4 प्रसन्न | स्मरणी-सं० (स्त्री०) जप करने की माला, सुमिरनी (जैसे-स्फीत मुखमंडल) 5 फूला हुआ। ता (स्त्री०) स्मरणीय-सं० (वि०) स्मरण करने योग्य 1 स्फीत होने का भाव 2 वृद्धि
स्मरवती-सं० (स्त्री०) 1 कामवती 2 प्रेमिका स्फीति-सं० (स्त्री०) 1 वृद्धि 2 प्रचुरता, प्राचुर्य 3 विस्तार स्मरातुर-सं० (वि०) कामातुर 4 समृद्धि, संपत्रता 5 प्रसन्नता
स्मरारि-सं० (पु०) महादेव, शिव स्फुट-सं० (वि०) 1 फूटा या टूटा हुआ 2 विकसित 3 स्पष्ट, स्मरोन्माद-सं० (पु०) काम मद व्यक्त। -विचार (पु०) विविध विचार
स्मर्य-सं० (वि०) = स्मरणीय स्फुटन-सं० (पु०) 1 फटना या फूटना 2 खिलना 3 विकसित स्मारक-I सं० (वि०) याद दिलानेवाला II (पु०) 1 यादगार, होना
मेमोरियल 2 स्मरण हेतु बनाई गई कोई रचना 3 स्मरण पत्र । स्फुटा-सं० (स्त्री०) साँप का फन
~ग्रंथ (पु०) महापुरुष की स्मृति को स्थायी रखने के लिए स्फुटिका-सं० (स्त्री०) काटकर निकाला हुआ अंश रचित ग्रंथ स्फुटित-सं० (वि०) 1 फूटा हुआ 2 विकसित 3 व्यक्त किया स्मारण-सं० (पु०) याद दिलाना
स्मारिका-सं० (स्त्री०) 1 घटना या समारोह या प्रसिद्ध व्यक्ति स्फुटीकरण-सं० (पु०) व्यक्त करने का भाव
से संबंधित स्मृति को बनाए रखनेवाली विवरणात्मक सचित्र स्फुर-सं० (पु०) - स्फुरण
पुस्तिका 2 घटना अथवा समारोह स्थल को रक्षित रखने के स्फुरण-सं० (पु०) 1 कंपन 2 फड़कना 3 स्फूर्ति
उद्देश्य से प्राप्त की गई वस्तु स्फुरित-सं० (वि०) 1 स्फुरणयुक्त, स्पंदित 2 अस्थिर स्मार्त-सं० (वि०) स्मृति संबंधी, स्मृति का स्फुलिंग-सं० (पु०) अग्निकण, चिनगारी
स्माल-अं० (वि०) छोटा, लघु स्फुलिंगी-सं० (वि०) जिसमें से चिनगारियाँ निकल रही हो स्मित-1 सं० (पु०) मंद हास्य, धीमी हँसी II (वि०) 1 हँसता स्फूर्ज-सं० (पु०) । अचानक होनेवाला स्फोट 2 मेघ गर्जन हुआ 2 खिला हुआ, विकसित
3 नायक नायिका का आनंद और भय मिश्रित प्रथम मिलन स्मिति-सं० (स्त्री०) मंद हास्य, मुस्कराहट स्फूर्त-सं० (वि०) स्फूर्ति के फलस्वरूप होनेवाला स्मृत-सं० (वि०) 1 स्मरण किया हुआ 2 स्मृति में आया हुआ स्फूर्ति-सं० (स्त्री०) 1 फुरती, तेज़ी 2 स्फुरण 3 उत्तेजना, स्मृति-सं० (स्त्री०) 1 याद, स्मरण 2 अनुस्मरण, दोबारा याद मानसिक आवेश। -दायक (वि०) स्फूर्ति देनेवाला; दिलाना 3 साहि० भूली हुई बात को पुनः याद करने का संचारी शून्य (वि०) आलसी, सुस्त
भाव। ~कार (पु०) स्मृति का निर्माता; ~कारक (पु०) स्फूर्तिमान, स्फूर्तिवान्-सं० (वि०) स्फूर्तिवाला
स्मरण शक्ति को प्रबल बनानेवाली एक औषध; ~कारी स्फोट-सं० (पु०) 1 वेगपूर्वक बाहर निकलना, फटना (वि०) याद दिलानेवाला; ~गम्य-(वि०) याद करने योग्य; (जैसे-ज्वालामुखी का स्फोट) 2 फोड़ा 3 फूटकर निकलना -चिह्न (पु०) निशानी; ज्ञ (पु०) स्मृति (धर्म शास्त्र) 4 शब्द श्रवण से मन में उत्पन्न भाव। ~वाद (पु०) यह का जानकार,; दिवस (पु०) याद में मनाया जानेवाला सिद्धांत कि संपूर्ण सृष्टि की उत्पत्ति अनित्य दैवी शब्द से ही हई दिन; ~पट, पटल याद की तख्ती; पत्र (पु०) = है; ~वादी I (वि०) स्फोटवाद संबंधी || (पु०) स्फोटवाद स्मरण पत्र; ~भ्रंश (पु०) स्मृति का नष्ट हो जाना, याद न का अनुयायी
रहना; ~~शास्त्र (पु०) स्मृति नामक धर्म शास्त्र; ~शेष | स्फोटक-सं० (वि०) स्फोट उत्पन्न करनेवाला
(वि०) जिसकी केवल स्मृति ही शेष हो II (पु०) प्राचीन स्फोटन-सं० (पु०) 1 स्फोट उत्पन्न करना 2 विदीर्ण करना, खंडहर फाड़ना
स्मृतिविद्-सं० (पु०) = स्मृतिज्ञ स्फोटा-सं० (स्त्री०) साँप का फन
स्यंदन-I सं० (पु०) 1 रथ 2 घोड़ा स्फोटिका-सं० (स्त्री०) पत्थर, ज़मीन आदि तोड़ने फोड़ने का | स्पंदन-II सं० (पु०) टपकना, चूना काम
स्यंदनी-सं० (स्त्री०) लार स्फोटित-सं० (वि०) स्फोट किया गया
स्वंदी-सं० (वि०). 1 रिसनेवाला 2 तेज चलनेवाला स्मगलर-अं० (पु०) तस्कर
स्यन्न-सं० (वि०) रिसा हुआ, टपका हुआ स्मगलिंग-अं० (स्त्री०) तस्करी
स्यात्-सं० (अ०) शायद, कदाचित् स्मर-सं० (पु०) 1 याद, स्मृति 2 कामदेव। -कथा (स्त्री०) स्यादवाद-सं० (पु०) शायद हो या न हो की स्थिति से संबंधित
श्रृंगार रस की बातें; ~कूप (पु०) भग, योनि; ~मंदिर | जैन दर्शन का एक सिद्धांत, अनेकांतवाद, संशयवाद (पु०) योनि; -स्तंभ (पु०) पुरुषंद्रिय, शिश्न | स्याद्वाद-सं० (पु०) जैनों का संशयवाद, अनेकांतवाद
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स्याद्वादी
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जाना
स्याद्वादी-I सं० (वि०) स्याद्वाद संबंधी II (पु०) स्याद्वाद का | स्रुति-सं० (स्त्री०) बहाव, क्षरण अनुयायी
स्रुवा–सं० (स्त्री०) आहुति डालने की करछी स्थानपन-(पु०) = सयानपन
स्रोत-(पु०) 1 जल प्रवाह, धारा 2 झरना 3 आधार या साधन स्थाना-(वि०) = सयाना
4वंश परंपरा स्थानापन-(पु०) = सयानपन
स्रोतापत्ति-सं० (स्त्री०) 1 नदी में प्रवेश करना 2 निर्वाण पथ स्यापा-फा० (पु०) मृत्युशोक के कारण होनेवाला रोना पीटना। | पर अग्रसित होना पड़ना 1 रोना चिल्लाना 2 बिलकुल उजाड़ या सुनसान हो | स्रोतापन्न-सं० (वि०) 1 नदी में प्रवेश किया हुआ 2 निर्वाण
पथ पर अग्रसित स्थामी-(पु०) = स्वामी
स्लाइड-अं० (पु०) काँच पट्टिका स्थार-(पु०) गीदड़, सियार।ल्पन (पु०) स्यार जैसा स्वभाव, स्लाइस-अं० (पु०) डबलरोटी का टुकड़ा श्रृंगाल वृत्ति
स्लिंग-अं० (पु०) गलपट्टी स्यारी-(स्त्री०) गीदड़ी
स्लिप-अं० (स्त्री०) परचा, चिट, काग़ज़ का टुकड़ा स्याल-I (पु०) = स्यार
स्लीपर-[ अं० (पु०) एक तरह की खुली जूती, चट्टी स्थाल-II सं० (पु०) पत्नी का भाई, साला
स्लीपर-II अं० (पु०) 1 रेल में यात्रियों के शयन हेतु आरक्षित स्याली-सं० (स्त्री०) पत्नी की बहन, साली। पति (पु०) | डिब्बा 2 लकड़ी का चौकोर लंबा टुकड़ा साली का पति, साढू
स्लेज-अं० (स्त्री०) बर्फ पर चलनेवाली बिना पहिए की एक स्यालू-बो० (पु०) ओढ़नी, चादर
गाड़ी स्याह-फा० (वि०) काला। -कलम + अ० (पु०) बिना स्लेट-अं० (स्त्री०) लोहे या काले पत्थर की चौरस पतली पटरी रंग भरे रेखाचित्र, लाइन ड्राइंग; ~कार (वि०) बदकार, या पट्टी बदचलन; -दिल (वि०) 1 खोटा मनवाला 2 कपटी; स्लेटी-अं० + हिं० (वि०) स्लेट संबंधी
पोश (वि०) शोक की काली पोशाक पहने हुए; बख्त स्वंग-सं० (पु०) आलिंगन (वि०) बदनसीब, अभागा; बख़्ती (स्त्री०) बदनसीबी, स्वंजन-सं० (पु०) आलिंगन करना, गले लगाना दुर्भाग्य; सफ़ेद (वि०) 1काला और सफ़ेद 2 अच्छा-बुरा स्वंत-सं० (वि०) जिसका अंत अच्छा हो स्याहा-फा० (पु०) - सियाह । नवीस (पु०) हिसाब | स्व-[ सं० (वि०) 1 अपना, निज का, सेल्फ़ 2 आप से आप लिखनेवाला
होनेवाला (जैसे-स्वचालित) 3 आत्मीय, अपना स्याही-I फ्रा० (स्त्री०) 1 रोशनाई 2 कालापन, कालिमा (जैसे-स्वजन) II शब्दों के अंत में लगनेवाला एक प्रत्यय 3 दारा, कलंक 4 दोष, ऐब 5 काजल 6 अँधेरा 7 कालिख । (जैसे-निजस्व, परस्व)। ~आलोचना (स्त्री०)
चट + हिं० (पु०) सोख़्ता; दान (पु०) दवात; आत्मसमीक्षा; ~कथन (पु०) आत्म कथन; ~कर्तव्य -सोख (पु०) = स्याही चट। -जाना उम्र ढलना, जवानी (पु०) = स्वकर्म; कर्तव्य पालन (पु०) अपने कर्तव्य को बीतना; ~दौड़ना स्याही छा जाना; ~यो जाना दुर्भाग्य या पूरा करना; ~कर्म (पु०) अपना काम, पेशा आदि; दोष दूर होना; लगना कालिख पुत जाना, बदनामी होना; ~कर्मी (वि०) स्वार्थी, खुदगरज; ~कामी (वि०) लगाना मुँह काला करना, बदनाम करना
1 अपने मन के अनुकूल चलनेवाला 2 स्वार्थी; ~कार्य स्याही-II (स्त्री०) = साही
(पु०) = स्वकर्म; ~कुल I (पु०) अपना वंश II (वि०) स्यूत-सं० (वि०) 1बुना हुआ 2 सिला हुआ
अपने वंश का; ~कुल्य (वि०) अपने कुल का; ~कृत I स्राव, स्रवण-सं० (पु०) 1 बहना, बहाव 2 गर्भ का समय से (वि०) अपना किया हुआ II (पु०) अपना कर्म; ~गत पहले गिरना, गर्भपात 3 प्रस्वेद । ~क्षेत्र (पु०) वह क्षेत्र जहाँ (वि०) 1 आत्मीय 2 अपने प्रति कथित III (अ.) आप ही वर्षा का जल एकत्र होकर नदी का मूल रूप धारण कर ले, आप; ~गत कथन (पु०) (नाटकों में) ऐसा कथन जो अपवाह क्षेत्र
दूसरे पात्रों के सुनने का नहीं होता; ~गत भाषण (पु०) = स्रष्टव्य-सं० (वि०) सर्जन करने योग्य
स्वगत कथन; -चर, चल (वि०) अपने आप स्रष्टा-1 सं० (पु०) 1 ब्रह्मा 2 विष्णु 3 महेश II (वि०) चलनेवाला; चालक (वि०) खुद चलने या चलानेवाला 1 सृष्टि की रचना करनेवाला 2 निर्माता, रचयिता
(यंत्र); ~चालन (पु०) स्वयं चल पड़ना; चालन यंत्र सस्त-सं० (वि०) 1 गिरा हुआ 2 शिथिल, ढीला 3 अलग (पु०) अपने आप चल पड़नेवाला यंत्र; चालित (वि०) किया हुआ 4 फंसा हुआ (जैसे-स्रस्त नेत्र)
1 स्वतः चलनेवाली (तोप) 2 स्वतः चलनेवाला (यंत्र आदि); माव-सं० (पु०) 1 टपकना 2 क्षरण, बहाव 3 गर्भपात ज (वि०) अपने से उत्पन; ~जन (पु०) स्वकुल; 4 निर्यास
जन पक्षपात (पु०) अपने लोगों के प्रति पक्षपात रखना; सावक-सं० (वि०) 1चुआनेवाला 2 बहानेवाला
जनी + हिं० (स्त्री०) सखी, सहेली; जन्मा स्त्रावित-सं० (वि०) 1चुआया हुआ 2 बहाया हुआ (वि०)आप ही आप उत्पन्न जात I (पु०) पुत्र II (वि०) स्रावी-सं० (वि०) 1 बहानेवाला 2 चुआनेवाला
अपने से उत्पन्न; जाति I (स्त्री०) अपनी जाति या वर्ग II स्राव्य-सं० (वि०) स्राव कराने योग्य
(वि०) अपने वर्ग का; जातीय (वि०) अपनी जाति या खुत-सं० (वि०) बहा हुआ, क्षरित
वर्ग का; ~जात्याभिमान (पु०) अपनी जाति का अहंकार;
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स्व
~जित (वि०) आत्म निग्रही, जितेंद्रिय तंत्र (वि०) आज़ाद, स्वाधीन तंत्रता (स्त्री०) स्वतंत्र होने का भाव, आज़ादी, स्वाधीनता; तंत्रता प्राप्ति (स्त्री०) आज़ादी पाना; ~तंत्रता प्रिय (वि०) स्वतंत्रता चाहने या पसंद करनेवाला; ~तंत्रता प्रेमी (वि०) स्वतंत्रता से प्रेम करनेवाला: तंत्र वाक्यांश (पु० ) ऐसा पदबंध जो वाक्य के और पदबंधों से अलग हो; ~ता (स्त्री०) स्वामित्व, हक, अधिकार; देश (पु० ) अपना देश, मातृभूमि देशज (पु० ) = स्वदेश बंधु - देश प्रत्यावर्तन (पु०) अपने देश लौटना; देश प्रत्यावर्तित (वि०) अपने देश लौटा हुआ; देश प्रेम (पु० ) मातृभूमि के प्रति होनेवाली भक्ति या प्रेम; ~देश प्रेमी (वि०) स्वदेश से प्रेम करनेवाला; देश बंधु (पु० ) अपने देश के लोग देशी (वि०) अपने देश का (जैसे- स्वदेशी व्यापार, स्वदेशी माल); -देशीय (वि०) स्वदेश संबंधी धर्म (पु० ) 1 अपना धर्म 2 अपना कर्तव्य; ~धर्म त्याग (पु० ) 1 अपना धर्म छोड़ना 2 अपने धर्म की उपेक्षा ~ धर्म त्यागी (पु० ) अपना धर्म त्याग करनेवाला; ~ धर्म पत्नी (स्त्री०) अपनी पत्नी धर्म वर्ती (वि०) अपने कर्तव्य में लगा रहनेवाला धर्मस्थ (वि०) अपने कर्तव्य में लगा हुआ; नाम (पु० ) अपना नाम नाम धन्य (वि०) जो अपने नाम के कारण धन्य हो; नाश (पु० ) अपनी बर्बादी; नियंत्रित (वि०) स्वयं पर नियंत्रण रखा हुआ; ~निर्णय (पु० ) अपना फैसला; ~ निर्णयाधिकार ( पु० ) अपने भविष्य के बारे में स्वयं निर्णय करने का अधिकार निर्मित (वि०) स्वयं बनाया हुआ; ~ पक्ष (पु०) 1 अपना दल 2 अपना मत पक्ष त्यागी (पु० ) = स्वधर्म त्यागी पक्षीय (वि०) स्वपक्ष का; - प्रधान (वि०) स्वाधीन प्रमितिक (वि०) अपना काम खुद करनेवाला; प्रशासन (पु० ) स्वराज्य; बंधु (पु० ) 1 अपने भाई 2 अपना मित्र ~ भाग्य (पु० ) अपना भाग्य; भाग्य निर्णय (पु० ) अपने भाग्य का फ़ैसला; ~ भाव (पु० ) 1 अपनी अवस्था 2 सहज प्रकृति, नेचर 3 आदत, हैबिट; ~ भाव गत (वि०) स्वभाव से संबंधित: ~ भावज (वि०) प्राकृतिक; ~भावतः, ~भावतया ( क्रि० वि०) प्राकृतिक रूप से भाव वश ( क्रि० वि०) स्वभाव के वश में; ~भाव सिद्ध (वि०) प्राकृतिक, सहज; ~ भाषा (स्त्री०) मातृभाषा भूमि (स्त्री०) 1 अपनी भूमि 2 जन्मभूमि 3 स्वदेश; मत (पु० ) 1 अपनी राय 2 अपना धर्म ~ मत त्यागी (वि०) अपना धर्म छोड़ देनेवाला; ~मानिता ( स्त्री०) अपने ऊपर मान करने का भाव; रक्षा (स्त्री०) खुद की रक्षा; ~ रक्षित (वि०) स्वयं रक्षा की गई; ~ रचित (वि०) स्वयं रचा हुआ; ~ रस (पु०) आत्मानंद; ~ रुचि (वि०) अपनी इच्छा का; ~लक्षण (पु० ) अपनी विशेषता, अपना गुण; ~ लिखित (वि०) खुद का लिखा हुआ; ~ वंश्य (वि०) अपने कुल का वर्गीय (वि०) अपने वर्ग का वश, वश्य ( क्रि० वि०) अपने अधीन होकर ~ वासिनी (स्त्री०) पिता के घर रहनेवाली कन्या या स्त्री विनाश (पु० ) अपनी बर्बादी, अपनी तबाही; ~ विवेक (पु०) उचित अनुचित का विचार करने की शक्ति; ~ शासन (पु० ) => स्वराज्य; ~ शासित (वि०)
स्वधिष्ठित
~ संचालित (वि०) स्व चालित; संवेदन (पु०) अपना प्राप्त किया गया ज्ञान; संवेद्य (वि०) संवेदन योग्य: ~ समान (वि०) अपनी तरह का सम्मान (पु० ) आत्म सम्मान हस्त (पु० ) 1 अपना हाथ 2 हस्ताक्षर हस्त लेख (पु० ) 1 अपने हाथ का लिखा हुआ लेख आदि 2 हस्ताक्षर ; ~ हस्त लेख (पु० ) 1 अपने हाथ का लिखा हुआ लेख आदि 2 हस्ताक्षर ; ~ हस्ताक्षर (पु० ) = स्वहस्त; ~हित I (वि०) अपने लाभ का II (पु० ) अपना हित स्वक - I सं० (वि०) अपना निजी II ( पु० ) 1 अपनी संपत्ति
2 स्वजन
स्वकीय-सं० (वि०) अपना, निजी स्वगतोक्ति-सं० (स्त्री०) - स्वकथन
स्वच्छंद - I सं० (वि०) 1 मनमाना 2 स्वइच्छानुकूल आचरण करनेवाला II ( क्रि० वि०) बिना किसी भय, विचार या संकोच के । चारी (वि०) 1 स्वेच्छाचारी 2 मनमौजी; ~ता (स्त्री०) स्वच्छंद होने का भाव; ता वाद (पु० ) स्वच्छंदवाद; ~तावादी (वि०) स्वच्छंदवादी, वाद (पु०) साहित्य में० भावात्मकता, रोमांसवाद, वादी (पु० ) स्वच्छंदवाद का समर्थक स्वच्छंदाचारिणी-सं० (स्त्री०) पुंश्चली, कुलटा, स्वच्छंद विचरण करनेवाली स्त्री
स्वच्छ-सं० (वि०) साफ़, निर्मल, पवित्र 2 उज्ज्वल 3 शुद्ध (जैसे- स्वच्छ हवा) । ~ता (स्त्री०) 1 निर्मलता, पवित्रता, सफ़ाई 2 उज्ज्वलता 3 शुद्धता;
1 सफ़ाई करनेवाला 2 शुद्धताकारी बिल्लौर स्वतः - सं० ( क्रि० वि०) आप से आप अपने आप, आप ही, स्वयं । चालित (वि०) स्वयं चलने या चलानेवाला; ~ प्रमाण, सिद्ध (वि०) आप ही आप सिद्ध, स्वयं प्रत्यक्ष स्फूर्त (वि०) अपने आप मन में उठनेवाला स्वतोविरोध-सं० (पु० ) स्वयं ही अपना विरोध करना, आप ही आप अपना विरोध स्वतोविरोधी-सं० (वि०) आप ही अपना विरोध करनेवाला स्वत्व - सं० (पु० ) 1 अपना भाव, अपनापन 2 अधिकार, स्वामित्व । ~ त्याग (पु० ) अपना अधिकार छोड़ना; धारी (पु० ) = स्वत्वाधिकारी ; ~शुल्क (पु०) स्वत्व का उपयोग किए जाने पर मिलनेवाला शुल्क, रायल्टी हस्तांतरण (पु० ) संपत्ति आदि का अधिकार दूसरों को देना या उसके नाम लिखना
860
=
ता कारक (वि०) मणि (पु० ) स्फटिक,
स्वत्वाधिकार-सं० (पु० ) स्वत्व रूप में होनेवाला अधिकार स्वत्वाधिकारी-सं० (पु० ) स्वामी, मालिक स्वदन-सं० (पु० ) आस्वादन, खाना स्वदित-सं० (वि०) चखा हुआ, खाया हुआ स्वदेशागमन -सं० (पु० ) अपने देश आना स्वदेशागामी -सं० ( पु० ) अपने देश जानेवाला स्वदेशानुरागी - सं० (पु०) स्वदेश प्रेमी स्वदेशाभिमान-सं० ( पु० ) अपने देश का अभिमान स्वदेशार्पण-सं० ( पु० ) स्वदेश प्रतिप्रेषण स्वधिष्ठित सं० (वि०) 1 ठहरने या रहने के लिए उपयुक्त 2 अच्छी तरह सिखलाया हुआ या सधाया हुआ
=
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स्वधीत .
861
स्वरांत
स्वधीत-सं० (वि०) अच्छी तरह से अध्ययन किया हआ वादि दोष (पु०) न्यायालय में झूठी बात दुहराने का स्वन-सं० (पु०) शब्द, ध्वनि, आवाज़। ग्राम (पु०) ध्वनि अपराध; ~वादी (वि०) जिरह में झूठी बात दुहरानेवाला;
समूह, सवर्निम; ~गरामिक (वि०) स्वनिम संबंधी शिक्षक (पु०) बिना अध्यापक के शिक्षा देनेवाली पुस्तक; स्वनामधन्य-(वि०) जो अपने नाम से धन्य हो
-सिद्ध (वि०) 1 जिसके लिए प्रमाण आवश्यक न हो स्वनिक-सं० (वि०) शब्द करनेवाला
2 सर्वमान्य (जैसे-स्वयं सिद्ध विचारधारा); -सिद्धि स्वनित-सं० (वि०) ध्वनित, शब्दित
(स्त्री०) 1 सर्वमान्य सिद्धांत 2 बिना प्रमाण सिद्ध होनेवाली स्वनिम-सं० (पु०) = स्वनग्राम
बात; सेवक (पु०) स्वेच्छा से काम करनेवाला; ~सेवा स्वनिमात्मक-सं० (वि०) = स्वनग्रामिक
(स्त्री०) 1 अपना काम स्वयं करना 2 अंतः प्रेरणा से दूसरों की स्वपनीय-सं० (वि०) निद्रा योग्य
की जानेवाली सेवा; ~सेविका (स्त्री०) महिला स्वयं सेवक; स्वप्न-सं० (पु०) 1 अर्द्ध सुप्तावस्था में जाग्रत् मन का व्यापार -सेवी (पु०) = स्वयं सेवक; ~स्फूर्त (वि०) अपने आप विशेष, सपना, ख़्वाब 2 मन ही मन की जानेवाली कल्पना मन में उठनेवाला; ~स्फूर्ति (स्त्री०) अपने आप मन में (जैसे-अभिनेता बनने का स्वप्न देखना, रईस बनने का उठना स्वप्न)। -कर (वि०) निद्रा लानेवाला; ~गत (वि०) स्वयमागत-सं० (वि०) आप से आप आया हुआ स्वप्न में आया हुआ (जैसे-स्वप्न गत विचार); ~गृह (पु०) स्वयमेव-सं० (क्रि० वि०) खुद ही, अपने आप सोने का कमरा; ~ज्ञान (पु०) स्वप्न में होनेवाली अनुभूति; स्वर-सं० (पु०) 1 आवाज़ 2 कंठध्वनि 3 व्या० बगैर किसी
दर्शन (पु०) स्वप्न में देखना; ~दर्शी (वि०) 1 स्वप्न वर्ण की सहायता से उच्चारण होनेवाली वर्णात्मक ध्वनि या देखनेवाला 2 स्वप्न दर्शन करनेवाला 3 मन ही मन बड़ी-बड़ी शब्द (जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ औ) कल्पनाएँ करनेवाला; दोष (पु०) चि० निद्रावस्था में 4 संगीत में षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और शृंगारिक स्वप्न देखने पर वीर्यपात होना; ~परीक्षा (स्त्री०) निषाद सुरों में से प्रत्येक सुर 5 वेद पाठ में होनेवाले शब्दों का = स्वप्न ज्ञान; ~राज्य (पु०) काल्पनिक लोक; ~लब्ध उतार-चढ़ाव 6 खर्राटा। ~अनुरूपता (स्त्री०) - स्वर (वि०) स्वप्न में प्राप्त, स्वप्न में दृष्ट; ~लोक (पु०) = संगति; ~ग्राम (पु०) संगीत में 'सा' से 'नि' तक के सातों खप्न राज्य; विपर्यय (पु०) 1 सोने का समय उलट देना स्वरों का समूह, सप्तक; तत्री (स्त्री०) स्वर सूत्र; दीर्घता 2 स्वप्न में घटित होनेवाला; ~वृत्त (वि०) = स्वप्न लब्ध; (स्त्री०) स्वर के उच्चारण को लंबा करने की स्थिति; नादी सृष्टि (स्त्री०) स्वप्न का निर्माण, स्वप्न रचना
(पु०) मुँह से फूंककर बजाने का बाजा; ~परिवर्तन (पु०) स्वप्नमय-सं० (वि०) स्वप्नयुक्त
स्वर का परिवर्तन; ~पात (पु०) शब्दोच्चारण में किसी वर्ण स्वप्नवत्-सं० (वि०) स्वप्न की तरह
पर रुकना; ~प्रधान (वि०) जिसमें केवल स्वर की प्रधानता स्वनांत-सं० (पु०) 1 निद्रा या स्वप्न की अवस्था 2 स्वप्न का हो; ~भंग (पु०) 1 उच्चारण में होनेवाली बाधा या अस्पष्टता अंत
2 आवाज़ या गला बैठना 3 हर्ष, भय, क्रोध, मद आदि के स्वप्नालु-सं० (वि०) निद्राल
कारण गला भर आना अथवा मुँह से ऊटपटांग निकलना; स्वप्नावस्था-सं० (स्त्री०) स्वप्न देखने की अवस्था
~भंगी (पु०) स्वर भंग का रोगी; ~भक्ति (स्त्री०) स्वप्नाविष्ट-सं० (वि०) = स्वप्नगत
संयुक्त व्यंजन के बीच में स्वर लाने की घटना (जैसे-धर्म से स्वप्निल-सं० (वि०) 1 स्वप्न रूप में होनेवाला 2 स्वप्न के धरम); ~भेद (पु०) = स्वर भंग; ~मात्रा (स्त्री०) समान 3 सुप्त (जैसे-स्वप्निल भाव)
उच्चारण की मात्रा; ~यंत्र (पु०) गले से स्वर उच्चारित स्वयं-सं० (क्रि० वि०) अपने आप, खुद । ~कृत (वि०) होनेवाला एक अवयव; ~यंत्र मुख (पु०) टेटुए 1 अपना किया हुआ 2 प्राकृतिक; चल (वि०) स्वचल; का मुँह; रचना (स्त्री०) स्वर की बनावट; ~लहरी
चालन (पु०) = स्वचालन; -चालित (वि०) = (स्त्री०) स्वर तरंग; -लिपि (स्त्री०) संगीत के स्वरों को स्वचालित; दूत (पु०) खुद ही अपना दूतत्व करनेवाला लिखने की रीति; लेख (पु०) संगीत में गीत, तान, राग, नायक; दूती (स्त्री०) स्वयं अपना दूतत्व करनेवाली लय आदि में आनेवाले स्वरों का क्रमबद्ध लेख; ~लोप नायिका; पतित (वि०) आप ही आप गिरा हुआ; पाक (पु०) स्वर का लुप्त हो जाना (जैसे-'नरक' को लोग 'नर्क' .(पु०) स्वयं भोजन बनाना; ~पाकी (वि०) स्वयं भोजन बोलते रहते हैं); ~वाही (पु०) स्वर उत्पन्न करनेवाला बाजा बनानेवाला; पाठ (पु०) मूल पाठ; ~प्रकाश (वि०) या बाजों का समूह; विप्रकर्ष (पु०) = स्वरागम; स्वयं प्रकाशित होनेवाला; प्रज्वलित (वि०) स्वयं ~शास्त्र (पु०) = स्वानिकी; ~शास्त्री (पु०) = स्वर जलनेवाला; -प्रमाण (वि०) = स्वयं सिद्ध; ~प्रेरणा विज्ञानी; ~संक्रम (पु०) स्वरों का उतार और चढ़ाव (स्त्री०) = स्वप्रेरणा; ~भर (वि०) स्वयं ही रिक्त स्थान -संधि (स्त्री०) स्वरों का मेल; ~संयोग (पु०) एक से भरनेवाला (पिस्तौल या बंदूक); ~भू I (वि०) स्वयं ही अधिक स्वरों का जुड़ना (जैसे-भाई, लाओ, कीजिए में); उत्पन्न II (पु०) 1 ब्रह्मा 2 विष्णु 3 शिव; ~वर (पु०) ~सप्तक (पु०) = स्वर ग्राम; सहित (वि०) सुर के 1 स्वयं पति को चुन लेना 2 स्वयं पति चुनाव का समारोह, पति साथ, सस्वर; सांमजस्य (पु०) = स्वर संगम चयन संबंधी उत्सव; ~वरा (स्त्री०) पति का स्वयं वरण | स्वरांकन-सं० (पु०) = स्वर लिपि करनेवाली कन्या; ~वश (वि०) स्वाधीन; ~वह (वि०) | स्वरांत-सं० (वि.) जिसके अंत में स्वर हो (जैसे1 स्वयं चलनेवाला (यंत्रादि) 2 स्वयं को धारण करनेवाला; | संध्या, रोटी)
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स्वरांतर
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स्वाक्षरित
स्वरांतर-सं० (१०) दो स्वरों के उच्चारण के बीच का अंतर या -निधि (स्त्री०) स्वर्ण कोष; नियंत्रण (पु०) सोने का विराम
कंट्रोल; ~पत्र (पु०) सोने का पत्तर; ~पदक (पु०) सोने स्वरागम-सं० (पु०) शब्द के बीच में नए स्वर का आ जाना का तमगा या मेडल, ~भंडार + हिं० (पु०) = स्वर्ण कोष; स्वराघात-सं० (पु०) शब्दोच्चारण में किसी व्यंजन या स्वर पर ~मंडित (वि०) सोने से सजाया हुआ; ~मान (पु०) सोने अधिक ज़ोर देना। हीन (वि०) व्या० जिस पर स्वराघात न का स्टैंडर्ड; ~मुद्रा (स्त्री०) सोने का सिक्का; ~युग (पु०)
सुख समृद्धि का समय; ~राजित (वि०) स्वर्ण मंडित स्वराघाताग्र-सं० - स्वराघात पूर्व
स्वर्णमय-सं० (वि०) सोने का स्वराघातित-सं० (वि०) स्वराघात किया हुआ
स्वर्णाक्षर-सं० (पु०) सोने के अक्षर, सुनहरी अक्षर स्वराज-सं० + हिं० (पु०) - स्वराज्य
स्वर्णाभ-सं० (वि०) सोने की आभावाला, सुनहला स्वराजी-सं० + हिं० (वि०) स्वराज संबंधी
स्वर्णिम सं० (वि०) 1 सुनहला 2 स्वर्ण का स्वराज्य-सं० (पु०) अपना राज्य या देश
स्वल्प-सं० (वि०) 1 बहुत थोड़ा, बहुत कम, अत्यल्प 2 बहुत स्वराष्ट्र-सं० (वि०) अपने राज या देश का। ~मंत्रालय छोटा 3 संक्षिप्त 4 तुच्छ । निद्रा (स्त्री०) बहुत थोड़ी नींद;
(पु०) गृह मंत्रालय; ~मंत्री (प्०) गृह मंत्री; विभाग -बल (वि०) कमजोर, दुर्बल; ~भाषी (वि०) कम (पु०) गृह मंत्री का डिपार्टमेंट
बोलनेवाला, मितभाषी; ~~व्यक्ति तंत्र (पु०) थोड़े से स्वरित-[ सं० (वि०) 1 स्वर युक्त 2 ध्वनित 3 उच्चरित II व्यक्तियों की शासन व्यवस्था; ~व्यय I (वि०) कृपण II (पु.) व्या० मध्यम भाव या सम भाव से स्वरों का होनेवाला (पु०) बहुत कम खर्च ~व्ययी (वि०) कम खर्च उच्चारण
करनेवाला; ~स्मृति (स्त्री०) थोड़ी सी याद स्वरूप-I सं० (पु०) 1 अपनी आकृति 2 अपनी विशेषता, | स्वल्पांतर-सं० (वि०) बह्त कम अंतरवाला स्वभाव 3 प्रकार II (वि०) 1 अपनी विशेषता से युक्त स्वल्पाहार-सं० (पु०) अल्पाहार, ब्रेकफास्ट 2 समान, तुल्य 3 सुंदर, मनोहर III (अ०) तौर पर या रूप स्वल्पायु-सं० (वि०) बहुत कम उम्र का, अल्पजीवी में। ~ता (स्त्री०) स्वरूप होने का भाव; ~संबंध (पु०) स्वल्पाहारी-सं० (वि०) कम खानेवाला अनुरूपता के आधार पर स्थापित संबंध
स्वल्पिष्ठ-सं० (वि०) 1 अत्यंत अल्प, बह्त ही कम 2 बहुत ही स्वरूपवान्-सं० (वि०) स्वरूपवाला
छोटा स्वरूपाभास-सं० (पु०) अभाव में स्वरूप का आभास होना | स्वस्ति-I सं० (स्त्री०) 1 कल्याण, मंगल 2 सुख II (अ०) स्वरूपी-सं० (वि०) 1 प्राकृतिक रूप में होनेवाला 2 मृर्तिमान् । | 1शुभ हो 2 भला हो 3 मान्य है, ठीक है। ~कृत (वि०) 3 समरूप
कल्याणकारी, मंगलकारी; ~मती (वि०/स्त्री०) : स्वरैक्य-सं० (पु०) = स्वर संगति
स्वस्तिमान्; ~वाचन (पु०) मंगल पाठ स्वरोद-(पु०) = सरोद
स्वस्तिक-सं० (पु०) 1 चारणों का एक प्रकार 2 शरीर या स्वर्ग-सं० (पु०) 1 देवलोक 2 आकाश। -काम (वि०) पदार्थ पर लगाया जानेवाला एक मंगल चिह्न, सथिया स्वर्ग की अभिलाषा करनेवाला; ~गत (वि०) स्वर्ग गया (जैसे-13 चौरठे से बना एक त्रिभुजाकार चित्र 4 साँप के हुआ, मृत; ~गति (स्त्री०), ~गमन (पु०) स्वर्ग की यात्रा फन पर की रेखा 5 त्रिभुजाकार मुकुटमणि करना, मरण; ~गामी (वि०) = स्वर्गगत; तरु (पु०) स्वास्तिका-सं० (स्त्री०) चमेली कल्पवृक्ष; ~धेनु (स्त्री०) कामधेनुः नदी (स्त्री०) स्वस्तिमान्-सं० (वि०) सुखी, सौभाग्ययुक्त आकाशगंगा; ~पति (पु०) इंद्र; -पुरी (स्त्री०) स्वस्तत्यन-सं० (पु०) एक तरह का मंगलदायक धार्मिक कृत्य अमरावती; ~लोक (पु०) देवलोक; -वधू (स्त्री०) स्वस्थ-सं० (वि०) 1 नीरोग, तंदरुस्त 2 शांत (जैसे-स्वस्थ अप्सरा; ~वास (पु०) मृत्यु (जैसे-कल गुरुजी का स्वर्गवास मन) 3 संतुष्ट 4 सुखी (जैसे-स्वस्थ जीवन) 5 आत्म निर्भर हो गया); ~वासी (वि०) स्वर्गीय; ~स्त्री (स्त्री०) = स्वर्ग 6 निर्दोष 7 स्वाधीन 8 स्वाभाविक अवस्थावाला। ~चित्त वधू; ~स्थ (वि०) = स्वर्गीय
(वि०) शांत मनवाला; ~ता (स्त्री०) स्वस्थ होने का भाव; स्वर्गामी-सं० (वि०) = स्वर्गगत
प्रज्ञ (वि०) जिसकी बुद्धि स्थिर हो स्वर्गारोहण-सं० (पु०) 1 स्वर्ग गमन, मरण 2 स्वर्ग की ओर | स्वाँग-(पु०) 1 भेस, रूप (जैसे-स्वाँग बनाना) 2 नकल आरोहण
3 तमाशा या मज़ाक का खेल स्वर्गावास-सं० (पु०) = स्वर्गवास
स्वाँगी-(वि०) 1 स्वाँग करनेवाला 2 रूप धारण करनेवाला स्वर्गिक-सं० (वि०) = स्वर्गीय
स्वांगीकरण-सं० (पु०) 1 आत्मीकरण 2 पूर्णतः अपने आप में स्वर्गी-सं० (वि०) 1 स्वर्ग संबंधी 2 स्वर्ग को प्राप्त, मत 3 स्वर्ग | मिला लेना को जानेवाला
स्वांगीकृत-सं० (वि०) अपने आप में मिलाया हआ स्वर्गीय-सं० (वि०) 1 स्वर्ग का 2 अलौकिक 3 दिव्य | स्वातःसुखाय-सं० (अ०) अपनी आत्मा के सुख के लिए 4 स्वर्गवासी, मृत
स्वाक्षर-सं० (पु०) 1 हस्ताक्षर, दस्तख़त 2 खुद लिखे गए स्वर्ण-सं० (पु०) 1 सोना नामक धातु, कनक 2 सोने की मुद्रा। अक्षर 3 अपने हाथ से लिखा गया छोटा लेख ~कार (पु०) सुनार; ~कारी (स्त्री०) = सुनारी; | स्वाक्षरित-सं० (वि०) 1 हस्ताक्षर किया हुआ, साइंड 2 खुद जयंती (स्त्री०) पचासवें वर्ष मनाया जानेवाला उत्सवः | लिखा हुआ (जैसे-स्वाक्षरित पत्र)
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स्वागत
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स्वायत्त
स्वागत-सं० (पु०) 1 अभ्यर्थना, रिसेप्शन 2 यथा अवसर पर पतिका (स्त्री०) नायिका जिसका पति उसके अपने वश में पूछा जानेवाला कुशल मंगल 3 ग्रहण या मान्य करने का भाव (जैसे-मैं आपके इन विचारों का स्वागत करता हैं)। कक्ष स्वाधीनोत्तर-सं० (वि०) = स्वतंत्र्योत्तर : (पु०) स्वागत का कमरा, रिसेप्शन रूम; ~कर्ता (पु०) स्वाधीनी-सं० + हिं० (वि०) = स्वतंत्रता। ~करण (पु०) स्वागत करनेवाला; ~कारिणी (वि०) स्वागत करनेवाली ___आज़ाद कर देना (जैसे-स्वागत कारिणी सभा); ~कारी (वि०) स्वागत स्वाध्याय-सं० (पु०) 1 वेदाध्ययन 2 विषय का अनुशीलन या करनेवाला; तोरण, द्वार (पु०) स्वागत के लिए बनाया अध्ययन गया सजावटी द्वार; ~भाषण (पु०) = स्वागत अभिभाषण; स्वान-सं० (पु०) आवाज़, शब्द
~वचन (पु०) स्वागत में कहे गए वचन; ~समारोह स्वानिकी-सं० (स्त्री०) स्वन विज्ञान (पु०) स्वागत संबंधी उत्सव; ~~समिति (स्त्री०) स्वागत स्वानुभव-सं० (पु०) स्वंय प्राप्त किया गया अनुभव करनेवाली सभा या संस्था
स्वानुभूत-सं० (वि०) स्वयं अनुभव किया हुआ स्वागताध्यक्ष-सं० (पु०) स्वागत समिति का प्रधान स्वानुभूति-सं० (स्त्री०) अपना अनुभव स्वागतिक-सं० (वि०) स्वागत करनेवाला
स्वानुरूप-सं० (वि०) 1 अपने अनुरूप 2 सहज, स्वाभाविक स्वागतिका-सं० (स्त्री०) 1 स्वागत करनेवाली गृहस्वामिनी स्वाप-सं० (पु०) 1 नींद, निद्रा 2 स्वप्न 3 अज्ञान 2 विमान परिचारिका
स्वापक-सं० (वि०) नींद लानेवाला स्वागती-सं० (पु०) स्वागत करनेवाला
स्वापन-I सं० (पु०) सुलाना II (वि०) निद्राकारक स्वाग्रह-सं० (पु०) 1 अपने संबंध में होनेवाला आग्रह स्वापराध-सं० (पु०) अपने प्रति किया गया अपराध
2 स्वयोग्यता, अधिकार, शक्ति से संबंधित आग्रह स्वापी-सं० (वि०) = स्वापक स्वाजीव, स्वांजीव्य-सं० (वि०) जीविका के लिए जहाँ साधन स्वाप्त-सं० (वि०) स्वयं प्राप्त उपलब्ध हो
स्वाप्न-सं० (वि०) स्वप्न संबंधी, स्वप्न का स्वातंत्र्य-सं० (पु०) = स्वतंत्रता। ~प्रिय (वि०) - स्वतंत्रता स्वाभाव-सं० (पु०) अपना अनस्तित्व प्रिय; -प्रियता (स्त्री०) स्वतंत्रता प्रिय होने का भाव; स्वाभावतया-सं० (क्रि० वि०) स्वाभाविक रूप से
प्रेमी (वि०) = स्वतंत्रता प्रेमी; युद्ध (पु०) स्वतंत्रता स्वाभाविक-सं० (वि०) 1 प्राकृतिक, नेचुरल 2 पैदायशी की लड़ाई; ~संग्राम, समर (पु०) आज़ादी की लड़ाई (जैसे-स्वाभाविक लक्षण)। ~ता (स्त्री०) स्वाभाविक होने स्वातंत्र्योत्तर-सं० (वि०) स्वतंत्रता के बाद का
का भाव स्वाति-सं० (स्त्री०) एक नक्षत्र विशेष
स्वाभाविकतः, स्वाभाविकतया-सं० (क्रि० वि०) स्वातिपथ-सं० (पु०) आकाश गंगा
स्वाभाविक रूप से स्वाद-सं० (पु०) 1 रसेंद्रिय से प्राप्त अनुभव, ज़ायका, टेस्ट स्वाभाविकेतर-मं० (वि०) अप्राकृतिक (जैसे-नींबू का स्वाद) 2 मज़ा, लज्जत सुख (जैसे-उसे निंदा स्वाभिमत-सं० (पु०) अपनी राय करने में बड़ा स्वाद मिलता है)। ~लिप्सा (स्त्री०) स्वाद स्वाभिमान-सं० (३०) आत्म सम्मान, आत्म गौरव लेने की इच्छा
स्वाभिमानी-पं० हिं० (वि०) स्वाभिमानवाला स्वादक-सं० (पु०) स्वाद लेनेवाला
स्वामित्व-सं० (पु०) 1 प्रभुत्व, मालिकपन 2 राजस्व ।। स्वादन-सं० (पुं०) 1 स्वाद लेना 2 आनंद लेनेवाला
~अधिकार (१०) हक मालिकाना स्वादनीय-सं० (वि०) स्वाद के योग्य, स्वादिष्ट
स्वामिनी-सं० (स्त्री०) मालिकिन स्वादित-सं० (वि०) 1 स्वाद लिया हुआ 2 प्रसन्न किया हुआ स्वामिभक्त-सं० (वि०) मालिक की भक्ति करनेवाला स्वादिमा-सं० (स्त्री०) 1 सुस्वादुता 2 माधुर्य
स्वामिभक्ति-सं० (स्त्री०) मालिक के प्रति निष्ठा स्वादिष्ट, स्वादिष्ठ-सं० (वि०) अत्यंत जायकेदार, बहत स्वामिवात्सल्य-सं० (३०) 'मालिक के प्रति प्रेम स्वादवाला
स्वामिसेवा-सं० (स्त्री०) मालिक की सेवा स्वादी-सं० (वि०) 1 स्वाद लेनेवाला 2 रसिक
स्वामिस्व-सं० (पु०) 1 वस्तु के स्वामी को अधिरूप से स्वादीला-सं० । हिं० (वि०) - स्वादिष्ट
मिलनेवाला धन 2 स्वत्व शुल्क स्वादु-सं० (वि०) 1 स्वादयुक्त, ज़ायकेदार 2 रुचिकर 3 मधुर, | स्वामी-सं० (पु०) 1 मालिक 2 घर का प्रधान व्यक्ति, गृह मीठा 4 सुंदर
स्वामी 3 पति, शौहर 4 साधु, संन्यासी 5 ईश्वर, प्रभु। ~द्रोह स्वादेंद्रिय-सं० (स्त्री०) स्वाद का ज्ञान करानेवाली इंद्रिय (पु०) स्वामी का अनिष्ट; ~~द्रोही (वि०) स्वामी का अनिष्ट स्वादेशिक-सं० (वि०) - स्वदेशी
चाहनेवाला; -विहीन (वि०) अनाथ, बिना मालिक का स्वाद्य-सं० (वि०) = स्वादनीय
स्वाम्नाय-सं० (वि०) परंपरागत स्वाधिकार-सं० (पु०) 1 अपना अधिकार 2 अपना कर्तव्य' स्वाम्य-सं० (पु०) स्वामी होने का भाव स्वाधिपत्य-सं० (पु०) परम स्वतंत्र रहने की अवस्था स्वायत्त-मं० (वि०) 1 जिसे स्थानीय स्वशासन का अधिकार स्वाधीन-सं० (वि०) = स्वतंत्र। -चेता (पु०) स्वतंत्र प्राप्त हो 2 जिस पर अपना अधिकार हो। ~ता (स्त्री०) विचारोंवाला व्यक्ति; ~ता (स्त्री०) स्वतंत्रता; ~~ता प्रेमी स्थानीय स्वशासन का अधिकारी --शासन (१०) (वि०) स्वतंत्रता प्रेमी; ~संग्राम (पु०) = स्वातंत्र्य संग्राम: | 1स्थानिक शासन 2 लोक प्रतिनिधियों द्वारा परिचालित शासन;
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स्वैर
~शासी (वि०) स्वयं शासनाधिकार प्राप्त स्वार-सं० (वि०) स्वर संबंधी, स्वर का स्वारथसं० (वि०) सफल, सिद्ध, सार्थक स्वारसिक-सं० (वि०) 1 रसयुक्त, माधुर्यमय 2 प्राकृतिक. स्वाभाविक
864
स्वारस्य सं० (पु० ) 1 सरसता रसीलापन 2 आनंद मज़ा 3 स्वाभाविकता
स्वाराज्य-सं० (पु० ) स्वाधीन राज्य
स्वारूप्य-सं० (पु० ) स्वरूपता स्वार्जित -सं० (वि०) स्वयं अर्जित किया हुआ
-
स्वार्थ सं० ( पु० ) 1 अपना मंतलब 2 अपना हित साधने की उग्र भावना 3 अपना वाच्यार्थ ~ता (स्त्री०) स्वार्थ भाव. स्वार्थपरता, खुदरारजी; त्याग (पु० ) 1 स्वार्थ का त्याग 2 आत्मत्यागः ~ त्यागी (वि०) स्वार्थ का त्याग करनेवाला: -पंडित (पु० ) स्वार्थ साधन में चतुर: परता (स्त्री० ) स्वार्थी खुदग़रजी: परायण (वि०) स्वार्थ सिद्धि में ही रत रहनेवाला प्रेरित (वि०) अपने मतलब से प्रेरणा प्राप्त; ~ लिप्सा (स्त्री०) स्वार्थ साधन की लालसा लिप्सु (वि०) स्वार्थ साधन हेतु लालायित रहनेवाला; लोलुप (वि०) स्वार्थ का लोभी -वृत्ति (स्त्री०) = स्वार्थवादः ~ संघर्ष (पु० ) स्वार्थों का टकराव: संपादन (पु० ) स्वार्थ साधन; ~साधक (वि०) अपना मतलब निकालनेवाला; ~ साधन (पु० ) अपना मतलब निकालना; ~ साधना, ~ सिद्धि (स्त्री) प्रयोजन की पूर्ति काम निकालना
स्वार्थांध सं० (वि०) स्वार्थ साधन में अंधा रहनेवाला स्वार्थिक-सं० (वि०) 1 स्वार्थ से संबंधित 2 जिससे काम सिद्ध हो 3 लाभदायक
स्वार्थी -सं० (वि०) 1 स्वार्थ की सिद्धि चाहनेवाला 2 खुदग़रज़ स्वालक्ष्य-सं० (वि०) सरलता से पहचाना जाने योग्य स्वावमानना-सं० (स्त्री०) आत्मभर्त्सना
स्वावलंबन -सं० (पु० ) अपना भरोसा करना स्वावलंबी-सं० (वि०) 1 स्वावलंबन भावना से युक्त 2 आत्मनिर्भर
स्वाश्रय-सं० ( पु० ) स्वावलंबन स्वाश्रित सं० (वि० ) स्वावलंबी स्वास्थ्य -सं० (पु० ) 1 नीरोगता, आरोग्य 2 चित्त का शांत होना। ~कर (वि) 1 आरोग्य वर्द्धक 2 स्वास्थ्य प्रदान करनेवाला; ~ केंद्र (पु० ) - स्वास्थ्य स्थल; ~गृह, घर
हिं० ( पु० ) आरोग्यशाला ~दायक (वि०) स्वास्थ्यकर ~ निवास (पु० ) - स्वास्थ्य गृह; -प्रद (वि० ) = स्वास्थ्यकर; प्रमाण पत्र ( पु० ) स्वस्थ होने का सर्टिफ़िकेट; बुलेटिन • अं० (पुर) आरोग्यता संबंधी विवरणिका; ~ लाभ (पु० ) स्वास्थ्य पाना, नीरोग होना; ~वर्द्धक (वि०) स्वास्थ्य बढ़ानेवाला, स्वास्थ्य कारक; ~ विज्ञान ( पु० ) = स्वास्थिकी; ~ विभाग (पु० ) स्वास्थ्य की रक्षा का प्रबंध करनेवाला विभाग शाला (स्त्री०) स्वास्थ्य गृह; ~ संहारक (वि०) स्वास्थ्य का नाश करनेवाला; ~ हानि (वि०) स्वास्थ्य का गिर जाना स्वास्थिकी-सं० (स्त्री०) स्वास्थ्य रक्षण संबधी नियमों सिद्धातों,
=
सवैर
उपायों आदि का विवेचन करनेवाला शास्त्र
स्वाहा - I सं० ( क्रि० वि०) हविर्दान के समय उच्चारण किया जानेवाला एक शब्द II (वि) 1 जो जलकर नष्ट हो गया हो 2 पूर्णतः विनष्ट
स्वाहार-सं० (पु० ) अच्छा खाद्य पदार्थ II (वि०) आसानी से प्राप्त होनेवाला
स्विच - अं० ( पु० ) ( बिजली का) बटन
स्विदित-सं० (वि०) 1 जिसे पसीना निकला हो 2 पिघला या पिघलाया हुआ
मानना
स्विन्न - सं० (वि.) 1 पसीने से भरा हुआ 2 सीझा हुआ स्वीकरण -सं० (पु० ) 1 अपनाना स्वीकरणीय सं० (वि०) स्वीकार करने योग्य स्वीकर्ता-सं० (वि०) स्वीकार करनेवाला स्वीकारसं० (वि०) अंगीकार सहमति स्वीकारात्मक-सं० (वि) 1 स्वीकार संबंधी 2 जिससे बात की पुष्टि की गई हो. अफ़र्मेटिव स्वीकारार्थ-सं० (वि०) स्वीकार करने के लिए स्वीकारोक्ति-सं० (स्त्री० ) 1 अपराध स्वीकार करने से संबंधित कथन या बयान 2 दोष पाप आदि की स्वीकृति कन्फ़ेशन
स्वीकार्य-सं० (वि०) स्वीकार करने योग्य
स्वीकृत संघ (वि०) 1 स्वीकार किया हुआ 2 मान्यता प्राप्त स्वीकृति-सं० (स्त्री० ) 1 स्वीकार मंजूरी 2 मान लेना 3 अपनाना । ~ सूचक (वि०) स्वीकृति की सूचना देनेवाला स्वीय-सं० (वि०) = स्वकीय स्वीयत्व-सं० (पु० ) अपना होने का भाव अपनत्व स्वेच्छया-सं० (क्रि० वि०) स्वेच्छापूर्वक
स्वेच्छा-सं० (स्त्री०) अपनी इच्छा । - तंत्र ( पु० ) निरंकुश शासन पूर्ण (पु० ) अपने मन का सैनिक ( पु० ) अवैतनिक सिपाही
स्वेच्छाचार-सं० (पु० ) मनमाना आचरण स्वेच्छाचारिणी -सं० (स्त्री०) व्यभिचारिणी, कुलटा स्वेच्छाचारिता-सं (स्त्री०) निरंकुशता, मनमानी करना स्वेच्छाचारी-सं० (वि०) 1 मनमाना आचरण करनेवाला.
निरंकुश 2 नियम, क़ानून को न माननेवाला 3 यथेच्छाचारी स्वेच्छानुसार-सं० ( क्रि० वि०) अपनी इच्छा के अनुसार स्वेच्छित-सं० (वि०) मन चाहा । (जैसे- स्वेच्छित सहयोग ) स्वेद - सं० (पु० ) पसीना। कण (पु० ) पसीने की बूँद ग्रंथि (स्त्री०) पसीने की गिल्टी बिंदु (पु० ) - स्वेद
कण
स्वेदक-सं० (वि०) पसीना लानेवाला स्वेदन -सं० (पु० ) 1 पसीना निकलना 2 पसीना लाना (जैसे- स्वेदन की औषधि )
स्वेदायन -सं० ( पु०) रोम कूप, रोम छिद्र स्वेदित - सं० (वि० ) 1 पसीने से युक्त 2 बफारा दिया हुआ स्वेदी -सं० (वि०) 1 स्वेद युक्त 2 पसीना लानेवाला स्वैच्छिक सं० (वि०) निजी इच्छा के अनुसार होनेवाला या निजी इच्छा से संबंधित
स्वैर-सं० (वि०) 1 मनमाना काम करनेवाला 2 मनमाना, यथेच्छा । चार (पु०) मनमाना आचरण, स्वेच्छाचार;
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स्वैराचार
865 चारिणी (स्त्री०) 1 मनमाना काम करनेवाली सी इंडरवेट-अं० (पु०) 112 पौंड की तौल 2 व्यभिचारिणी स्त्री; चारिता (स्त्री०) 1 खेच्छाचार | हंडा-(पु०) पीतल आदि धातु या मिट्टी का बना घड़े जैसा बड़ा 2 स्वैरचार; ल्वारी (वि०) 1 स्वेच्छाचारी 2 स्वैर; तंत्र | पात्र (जैसे-हंडा चोरी चला गया) (पु०) निरकुंशता; ~वर्ती (वि०) इच्छानुसार काम | हैंडाना-(स० क्रि०) घुमाना-फिराना करनेवाला; वृत्त (वि०) = स्वैर, स्वेच्छाचारी
हँडिक-बो० (पु०) (सुनारों का) तौलने का बाट स्वैराचार-सं० (पु०) स्वेच्छाचार, स्वैरचार
हैडिया-(स्त्री०) एक तरह का मिट्टी का बर्तन (जैसे-हँडिया ट स्वैराचारी-सं० (वि०) स्वेच्छाचारी, स्वैर स्वैरिणी-सं० (स्त्री०) व्यभिचारिणी स्त्री, पुंश्चली हैडी-(मी०) मिट्टी का एक बर्तन, हाँडी स्वैरिता-सं० (स्त्री०) स्वैर होने का भाव
हडेडवेट-अंक (पु०) = हंडरवेट स्वैरी-सं० (पु०) 1 मनमाना आचरण करनेवाला 2 दुराचारी, | हत-सं० (अ०) हर्ष, विषाद, आश्चर्य आदि का आश्चर्य बदचलन 3 व्यभिचारी
.... सूचक शब्द स्वोपार्जित-सं० (वि०) = स्वार्जित
हंतव्य-सं० (वि.) 1 हनन करने योग्य 2 हत्य करने योग्य . हंता-सं० (वि०) हत्यारा, संहारक हैथोड़ा-बो० (पु०) = हथौड़ा हंस-सं० (पु०) 1 बत्तख के आकार का एक सफ़ेद जल पक्षी (जैसे-हंस मानसरोवर झील में पाया जाता है) 2 सर्य। ~गति (स्त्री०) हंस की चाल; ~गामिनी (स्त्री०) हंस की चालवाली स्त्री हंसराज-सं० (पु.) एक प्रकार का धान
हसन-(स्त्री०) हँसने का ढंग हैक-(स्त्री०) = हाँक
हैसना-I (अ० क्रि०) वेग पूर्वक हर्ष ध्वनि निकालना, ठट्ठा हैकड़ना-(अ० क्रि०) 1 हुँकारना 2 ज़ोर से चिल्लाना 3 साँड़ मारना 2 प्रसन्न होना 3 खुशी मनाना (जैसे-मैच के विजय का आदि का ज़ोर से चिल्लाना
समाचार पाते ही सारी जनता तालियां बजाकर हँसने लगी) हँकड़ान-(स्त्री०), हँकड़ाव-(पु०) हैंकड़ाने का भाव 4मजाक करना (जैसे-किसी पर हँसना) II (स० क्रि०) हँकनी-(स्त्री०) 1 पैना 2 हाँकना
उपहास करना (जैसे-किसी की गरीबी पर हँसना)। हँकरना-(अ० क्रि०) = हँकड़ना
~खेलना (अ० क्रि०) हँसना और खेलना; बोलना हँकरावा-बो० (पु०) = हँकारा
(अ० क्रि०) हँसना और बोलना हकवा-(पु०) 1 शोरगुल मचाकर शिकार को मचान के पास ले | हैंसमुख-(वि०) 1 प्रसत्र (जैसे-हँसमुख चेहरा, हँसमुख आना 2 हाँका
नायिका) 2 दिल्लगीबाज़, हास्य प्रिय (जैसे-हँसमुख युवक, हैंकवाना-(स० क्रि०) हाँकने का काम कराना
हँसमुख कलाकार) हँकतैया-बो० (पु०) हाँकनेवाला व्यक्ति
हैंसली-(स्त्री०) 1 गले में पहना जानेवाला स्त्रियों का हँका-(पु०) = हँकार
मंडलाकार एक आभूषण 2 गले के नीचे तथा छाती के ऊपर हँकाना-(स० क्रि०) 1 हँकवाना 2 हाँकना
की धन्वाकार हड्डी हैंकार-(स्त्री०) 1 ललकार 2 पुकार । —पड़ना पुकार मचना, | हँसाई-(स्त्री०) 1हँसी, ठट्ठा 2 उपहास, निंदा (जैसे-जग हँसाई चिल्लाहट मचना
या जगत हँसाई) हँकारना-I (स० क्रि०) 1ललकारना 2 पुकारना 3 पास हैसाना-(स० क्रि०) 1 हंसने में प्रवृत्त करना 2 खुश करना
बुलाना II (अ० क्रि०) हुँकारना, हंकार भरना . (जैसे-बाज़ीगर ने अपनी कला दिखाकर सबको हंसा दिया) हँकारा-(पु०) 1 बुलावा 2 आमंत्रण 3 पुकारने का भाव, । हंसावली-सं० (स्त्री०) हंस की कतार पुकारना
हैसिया-(स्त्री०) लोहे का धनुषाकार एक औज़ार (जैसे-हँसिया हैंकारी-(पु०) 1 सेवक 2 बुलानेवाला
से धान काटना) हंगामा-फ़ा० (पु०) 1मारपीट, हुल्लड़, उपद्रव हैसियाकार-हिं० + सं० (वि०) हँसिया के आकार का
2 हल्ला-गुल्ला, हलचल। पसंद (पु०) हल्ला गुल्ला (जैसे-हँसियाकार कटार) करनेवाला, मारपीट करनेवाला, उपद्रवी, लड़ाकू
हैंसी-(स्त्री०) 1 हास 2 मज़ाक़ (जैसे-हँसी उड़ाना) 3 दिल्लगी हंगोरी-(पु०) दार्जिलिंग के पहाड़ों में होनेवाला एक पेड़ (जैसे-हँसी मज़ाक) 4 उपहास, निंदा, बदनामी (जैसे-समाज हंटर-अं० (पु०) कोड़ा, चाबुक (जैसे-हंटर लगाना या हंटर में किसी की हँसी उड़ाना)। खशी । फ़ा. (स्त्री०) जमाना)
प्रसन्नता, आनंद (जैसे-हँसी खुशी की बात, हँसी खुशी का हँडकुलिया-(स्त्री०) 1 बच्चों के छोटे छोटे बर्तन 2 चूल्हे चौके समय); ~खेल (पु.) 1 दिल्लगी और खेल 2 आसान ..का सामान
काम; ~ठट्ठा (पु०) आनंद क्रीड़ा; दिल्लगीफ़ा० + हिं० हूँडना-I (अ० क्रि०) 1 घूमना फिरना 2 बे मतलब घूमना (स्त्री०), ~मज़ाक़ । अ० (पु०) 1 मनोरंजन (जैसे-हँसी II (स० क्रि०) इधर उधर ढूँढ़ना, खोजना
मज़ाक़ का खेल) 2 हँसी ठट्ठा का खेल
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हंसिनी
हंसिनी, हंसी-सं० (स्त्री०) हंस की मादा
हँसीला - (वि०) बो० = हँसोड़
हँसिया
हँसुआ - बो० (पु० ) हँसुली - (स्त्री०) हँसुवा-बो० (पु०) = हँसिया
L
हँसली
हँसेल - (स्त्री०) नाव को खींचने की रस्सी, गून
हँसोड़ - (वि०) 1 हँसनेवाला 2 हँसानेवाला 3 दिल्लगीबाज़, विनोदप्रिय विनोदी
हँसौहा - (वि०) 1 हास्ययुक्त, मज़ाक़ भरा 2 हँसने की प्रकृतिवाला
+
हक़ - अ० ( पु० ) 1 अधिकार, स्वत्व 2 दावा 3 कर्तव्य, फर्ज़ 4 उचित बात, वाज़िब बात 5 उचित पक्ष, न्याय पक्ष । ~तलफ़ी फ़ा० (स्त्री०) 1 हक़ मारना 2 बे इंसाफ़ी 3 नुकसान; दार + फ़ा० (वि०) अधिकारी; दारी फ़ा० (स्त्री०) स्वत्व या अधिकार रखना; नाहक़ + फ़ा० + अ० I ( पु० ) न्याय-अन्याय, सत्य-असत्य II (अ० ) जबरदस्ती, व्यर्थ परस्त + फ़ा० (वि०) 1 ईश्वर भक्त 2 सच्चा भक्त 3 सच्चा 4 न्यायशील; परस्ती + फ़ा० (स्त्री०) हक़परस्त होना; मालिकाना + फ़ा० (पु० ) स्वामित्व; मौरूसी + फ़ा० (पु०) आनुवंशिक अधिकार; ~ शफ़ा + फ़ा० + अ० (पु० ) = हक़शुफ़ा; -शिनास + फ़ा० (वि०) सच्चाई को पहचाननेवाला; शुफ़ा + फ़ा० + अ० ( पु० ) जायदाद को दूसरे से पहले खरीदने का हक़ हकबक - ( क्रि० वि०) हक्का बक्का हकबकाना - (अ० क्रि०) भौंचक रह जाना, हक्का बक्का रह
+
-
866
जाना
हकला - (वि०) हकलानेवाला, रुक रुककर बोलनेवाला । पन (पु० ) 1 हकलाने का भाव 2 हकलाने का दोष या
आदत
हकलाना - (अ० क्रि०) रुक रुककर बोलना हकलाहट - (स्त्री०) हकलाने का भाव हकलाहा - (वि०) बो० हकलानेवाला, हकला हकार-सं० (पु० ) 'ह' की ध्वनि
हक़ारत - अ० (स्त्री०) हकलापन, तुच्छता । की नज़र से देखना तुच्छ समझना, हेय समझना हक़ीक़त - अ० (स्त्री० ) 1 असलीयत, यथार्थता 2 सच्चाई, सच बात 3 हालत 4 हाल 5 असली व्यवहार हक़ीक़ी - अ (वि०) 1 असली 2 सच्चा (जैसे- भाई-बहन का हक़ीकी रिश्ता )
हकीम - अ० ( पु० ) यूनानी चिकित्साशास्त्री हकीमी-अ फ़ा० ( स्त्री०) हकीम का पेशा
+
हक़ीयत - अ० (स्त्री०) 1 हक़दारी 2 अधिकार 3 मिलकियत,
3 सगा
जायदाद
हक़ीर - अ० (वि०) 1 छोटा 2 तुच्छ
हक्क - ( पु० ) हाथी को बुलाने का शब्द राजाह्वान हक्का-बी० (पु० ) लकड़ी का एक तरह का आघात हक्काक - अ० (१०) 1 नग जोड़नेवाला, नगीना साज़ 2 मुहर खोदनेवाला
हजो
हगनहटी - (स्त्री०) 1 गुदा 2 शौच करने या पाखाना जाने का स्थान, शौचालय
हगना - I (अ० क्रि०) शौच करना, पाख़ाना फिरना II (वि०) 1 हगनेवाला 2 अधिक हगनेवाला हगनेटी - (स्त्री०)
हगनहटी
हगाना - (स० क्रि०) पाखाना फिराना हगा मारना 1 बहुत थका देना 2 परेशान करना
हक्का बक्का - ( क्रि० वि०) भौचक घबराया सा (जैसे-पत्नी की | मृत्यु का समाचार सुनते ही वह हक्का बक्का रह गया)
=
हगास - (स्त्री०) पाखाने की इच्छा, शौच की इच्छा हगोड़ा - (वि०) बार-बार शौच जानेवाला हचकना - I (अ० क्रि०) 1 आगे पीछे हिलना डोलना 2 झोके से इधर उधर होना II (स० क्रि०) 1 झोंका देना, हिलाना डुलाना 2 ज़ोर से मारना। हचक देना ज़ोर से मारना हचक - (पु०) झोंका, धक्का (जैसे-हचक लगना, हचका देना)
हचकना - I (अ० क्रि०) धक्के से हिलना डोलना हचकना - II (स० क्रि०) ज़ोर से मारना हचका - (पु० ) = हचक
हचकाना - (स० क्रि०) झोंके से हिलाना डुलाना हचकोला - ( पु० ) हचक, हचका हज़ - अ० (पु० ) हज्ज हज़म-अ० (पु० ) चोरी हजयात्री - अ० + सं० (पु०) हाजी
हज़रत - अ० (पु० ) 1 हज़र 2 सम्मान सूचक संबोधन, जनाब, महोदय । ~ सलामत (पु० ) श्रीमान जी
+
1 पाचन क्रिया 2 खयानत, गबन,
हजाम - अ० (पु० ) = हज्जाम
हजामत - अ० (स्त्री०) 1 बाल बनाने का काम 2 दाढी के बाल बनाने का काम। ~बनना 1 सिर मूँडा जाना 2 ठगा जाना; ~बनाना 1 सिर मुँड़ना 2 ठगना, लूटना हजामती- अ० फ़ा० (वि०) हजामत संबंधी हज़ार - I फ़ा० (वि०) 1 दस सौ 2 अनगिनत (जैसे-सिनेमा में हज़ारों रुपए बर्बाद करना) 3 अनेक (जैसे- हज़ारों लोगों ने राष्ट्रपिता के प्रति अपनी श्रद्धाजलि अर्पित की) II (पु० ) हज़ार की संख्या, 1000 III ( क्रि० वि०) चाहे जितना अधिक, कितना ही (जैसे-हज़ार कहो लेकिन वह तुम्हारी बात नहीं मानेगा। जान से बड़े शौक से में बहुत लोगों में हज़ारपा - फ़ा० ( पु०) हज़ार पाँववाला, कनखजूरा, गोजर हज़ारहा-फ़ा० (वि०) हज़ारों
हज़ारा - फ़ा० ( पु० ) 1 फौव्वारा 2 छिड़काव करने को अनेक छिद्रोंवाली नलदार बालटी। गुस्ल + अ० (पु०) फुहारे
का स्नान
हज़ारी - फ़ा० ( पु० ) 1 हज़ार आदमियों का सरदार 2 हज़ार आदमियों की पलटन । ~ बाज़ारी (वि०) 1 साधारण लोगों में बैठनेवाला 2 कमीना
हज़ारों - फ़ा० हिं० (वि०) 1 सहस्री 2 बहुत से, अनेक (जैसे-हज़ारों लोग युद्ध में हताहत हो गए)। घड़े पानी पड़ना अत्यंत लज्जित होना
हजूम - अ० (पु० ) 1 जमघट, भीड़भाड़ 2 भीड़ करना हजूर - अ० (पु०) हज़र हजूरी-अ • फ़ार (स्त्री०) हुज़री
हजो- अ० (स्त्री०) 1 निंदा 2 अपकीर्ति 3 व्यंगोक्ति
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हज्ज
हज्ज - अ० (पु०) 1 संकल्प करना 2 मक्के की यात्रा 3 काबे का दर्शन और प्रदक्षिणा करना
हज्जाम - अ० (पु० ) हजामत बनानेवाला, नाई (जैसे- हज्जाम की दुकान) । खाना + फ़ा० (पु०) नाई की दुकान हटक - ( स्त्री०) मना करने का भाव, वर्जन हटकन - ( स्त्री०) मना करना, वारण
हटकना - (स० क्रि०) बरजना, मना करना, रोकना
हटका -बो० (पु०) ब्योंड़ा, अर्गल
हटतार - ( स्त्री०) 1 माला का सूत 2 सिलसिला, टकटकी हटताल - (स्त्री०) बो० = हड़ताल
हटना - (अ० क्रि०) 1 खिसकना, सरकना (जैसे-दो कदम पीछे हटना) 2 पीछे की ओर जाना (जैसे-बम विस्फोट से सेना को हटना पड़ा) 3 जी चुराना, करने से भागना ( काम से हटना. पढ़ने से हटना) 4 सामने से दूर होना (जैसे- यहाँ से हट. जाओ ) 5 टलना (जैसे विवाह की तारीख हट गई) 6 न रह जाना, दूर होना (जैसे- संकट हटना, सूजन हटना) 7 दृढ़ न रहना 8 पद त्याग करना (जैसे प्रधानाचार्य जी अस्वस्थता के कारण अपने पद से हट गए)। ~ बढ़ना (अ० क्रि०) चुपके से भागना
हटवया - (पु० ) दूकानदार
हटवा - ( पु० ) हाटवाला
हटवाई - (स्त्री०) दूकानदारी, क्रय-विक्रय
हटवाना - (स० क्रि०) हटाने का काम कराना
हटवार बो० (पु० ) दूकानदार
हटाना - (स० क्रि०) 1 खिसकाना (जैसे- मेज़ हटाना) 2 उपेक्षा करना (जैसे- भिखारी को हटाना) 3 सिलसिला तोड़ना 4 खदेड़ना 5 अलग करना (जैसे-नौकरी से हटाना मंत्री पद से हटाना ) 6 ध्यान न देना (जैसे-झगड़ा आदि को हटाना) हटाव - (पु० ) हटाने का भाव
हटिया- (स्त्री०) छोटा बाज़ार छोटी हाट
हदुआ - बो० ( पु० ) 1 दूकानदार 2 अनाज तौलनेवाला, बया हटैता - ( पु० ) 1 सौदा 2 हाट में लगाया गया सामान हटौती - ( स्त्री०) शरीर का ढाँचा
हट्ट -सं० ( पु० ) हाट बाज़ार चौरक (पु० ) बाज़ार में चोरी करनेवाला, पाकेटमार
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हट्टा - ( पु० ) शक्तिशाली व्यक्ति ताक़तवर आदमी । कट्टा (वि०) हृष्ट-पुष्ट
हट्टी - (स्त्री०) बो० छोटी हाट हठ-सं० (पु० ) 1 जिद, दुराग्रह (जैसे-सिनेमा देखने का हठ ) 2 दृढ़ प्रतिज्ञा, अटल संकल्प । ता (स्त्री०) हठ करने का भाव; ~ धर्म (पु० ) दुराग्रह, कट्टरपन (जैसे- हठधर्म का त्याग करना विवेकी का गुण है): ~धर्मिता (स्त्री०) हठधर्मी होने का भाव-धर्मी (वि०) हठधर्म को माननेवाला;
-पूर्वक ( क्रि० वि०) हट के अनुसार, दुराग्रहपूर्वक; ~योग (पु० ) योग का एक प्रकार जिसमें कठिन आसनों और मुद्राओं की साधना होती है; वादिता (स्त्री० ) हठधर्मिता; वादी हठधर्मी शील (वि०) हठी, जिद्दी; ~पकड़ना ज़िद्द करना, दुराग्रह करना; में पड़ना 1 किसी के दृढ़ संकल्प का शिकार होना 2 हठ करना; -रखना हठ की पूर्ति करना
हड़ावर
हठधर्मी - (स्त्री०)
हठधर्मिता
हठात् -सं० ( क्रि० वि०) 1 बलपूर्वक 2 हठपूर्वक 3 सहसा,
=
अचानक
हठात्कार-सं० (पु०) जबरदस्ती
हठी-सं० (वि०) हठीला-सं० प्रतिज्ञ, बात का पक्का
हड़ - (स्त्री०) हर्र हड़कंप - (पु० ) 2 उथल-पुथल
(जैसे- हड़कंप
हड़क - ( स्त्री०) 1 जलांतक 2 उत्कट इच्छा, रट, धुन हड़कना - (अ० क्रि०) तरसना
+
=
हठधर्मी, टेकी, ज़िद्दी
हिं० (वि०) हठ करनेवाला. ज़िद्दी 2 दृढ़
1 तहलका
हड़का - ( पु० ) हड़कने का भाव, तरस हड़काना - (स० क्रि०) 1 लहकारना 2 तरसाना 3 हतोत्साह
करना
11
हड़काया - (वि०) 1 उतावला, बावला, पागल 2 घबराया हुआ हड़काव - (पु० ) हड़क हड़गीला - ( पु० ) एक प्रकार की चिड़िया चनियारी हड़ताल - (स्त्री०) अन्याय, अत्याचार के विरोध में कंपनी मिलों आदि में काम काज बंद कर देना (जैसे कल से हड़ताल चल रही है) । कमेटी + अं० (स्त्री०) हड़ताल करनेवालों का संगठन; तोड़, तोड़क, भंजक सं० (वि०) हड़ताल तोड़नेवाला
हड़ताली - (वि०) हड़ताल करनेवाला
मचाना)
+
हड़ना - (अ० क्रि०) बो० तौल में जाँचा जाना हड़प - (वि०) 1 निगला हुआ 2 गायब किया हुआ. उड़ाया हुआ । ~ करना गायब करना. बेईमानी से लेना (जैसे- रुपया हड़प करना, मित्र की संपत्ति हड़प करना)
हड़पना - (स० क्रि०) 1 खा जाना 2 गायब करना (जैसे-रखा हुआ धन हड़पना ) 3 अनुचित ढंग से ले लेना (जैसे-जायदाद हड़पना )
हड़फूटन - ( स्त्री०) बोर हड्डियों की पीड़ा
हड़ बड़ - ( स्त्री०) = हड़बड़ी
हड़प्पा - ( पु० ) एक अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक स्थान (जैसे- हड़प्पा की खुदाई )
-
हड़बड़ाना - 1 (अ० क्रि०) 1 जल्दी करना, आतुर होना 2 उतावलापन करना II (स० क्रि०) जल्दी करने के लिए प्रेरित करना हड़बड़ाहट - (स्त्री०) हड़बड़ी हड़बड़िया - (वि०) 1 जल्दबाज़ 2 उतावला
हड़बड़ी - (स्त्री०) 1 शीघ्रता 2 उतावली आतुरता । में पड़ना घबराहट में आना
हड़बोंग - (पु०) बहुत अधिक शोर
हड़हड़ाना - (स० क्रि० ) 1 शीघ्रता करने के लिए उकसाना 2 हड़हड़ शब्द करना
हड़हा - बो० ( पु० ) जंगली बैल
हड़ा - (पु० ) 1 चिड़ियों को उड़ाने का शब्द 2 पथरकला बंदूक हड़ावर-1 (पु० ) 1 ठठरी, अस्थिपंजर 2 हड्डियों का ढेर हड़ावर - II बो० (पु० ) नौकर को दी जानेवाली गर्मी की पोशाक
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1 हड्डियों का समूह 2 हड्डियों का ढाँचा
हड़ावल
हड़ावल - (स्त्री०) 3 हड्डियों की माला
हड़ीला - (वि०) 1 हड्डीयुक्त 2 अत्यंत दुबला पतला ड्ड - ( पु० ) हड्डी, अस्थि
हड्डी - (स्त्री०) शरीर का वह कड़ा भाग जिससे उसका ढाँचा बनता है। गुड्डी (स्त्री०) हड्डी-पसली; चूर्ण + सं० हड्डी का चूरा या चूर्ण; चूस (वि०) हड्डी तोड़नेवाला; तोड़ (वि०) हड्डी तोड़नेवाला, ज़ोर का (बुखार); पसली (स्त्री०) अंजर पंजर; ~ उखड़ना हड्डियों का जोड़ खुल जाना; गढ़ना बुरी तरह पीटना गुड्डी तोड़ना, ~ तोड़ना बहुत बुरी तरह पीटना; चबाना जबरदस्ती प्राप्त करने का प्रयत्न करना; बोलना हड्डी टूटना; से ~बजाना लड़ाई झगड़ा करना; चूसना अशक्त व्यक्ति से काम कराना; हड्डियाँ दिखाई पड़ना, हड्डियाँ निकल आना अत्यंत दुर्बलता के कारण हड्डियाँ दिखाई देना; कबाब में आ पड़ना रंग में भंग
हत - सं० (वि०) 1 मार डाला हुआ 2 घायल किया हुआ 3 ताड़ित 4 हताश (जैसे- हत भाग्य) 5 भ्रष्ट किया हुआ 6 सदोष (जैसे- हत चरित्र ) । -चेत, चेता, ज्ञान (वि०) 1 अचेत, बेहोश 2 संज्ञाशून्य; दैव (वि०) अभागा - प्रभ (वि०) 1 निस्तेज 2 शिथिल 3 स्फूर्तिहीन; ~बल (वि०) निर्बल, कमजोर: -बुद्धि (वि०) मूर्ख - भागिनी (स्त्री०) / (वि०) बदनसीब, अभागिनः ~ भागी, भाग्य (वि०) अभागा, बदकिस्मत, भाग्यहीन; ~ वाक (वि०) जिसकी बोलने की शक्ति समाप्त हो गई हो; ~ वीर्य (वि०) बल रहित, शक्ति हीन श्री (वि०) 1 वैभव रहित 2 नष्ट वैभववाला; हृदय (वि०) निराश,
हताश
हतक - अ० (स्त्री०) 1 बेइज़्ज़ती 2 बे अदबी, धृष्टता हतना - (स० क्रि०) 1 जान से मारना, वध करना 2 मारना पीटना
हतवाना - (स० क्रि०) 1 मरवा डालना 2 पिटवाना हता - सं० (स्त्री०) दुश्चरित्र स्त्री, व्यभिचारिणी औरत हताश - सं० (वि०) 1 निराश, दुःखी (जैसे जीवन से हताश ) 2 फल हीन
हताशा - सं० (स्त्री०) 1 निराशा, दुःख 2 निष्फलता । युक्त (वि०) हताशा से पूर्ण
हताश्रय-सं० (वि०) बिना सहारा का निराश्रय (जैसे-हताश्रय
जीवन)
हताश्वाससं (वि०) निराश
हताहत -सं० (वि०) मारे गए और घायल हतोत्साह - सं० (वि० ) निरुत्साह हतोत्साहित-सं० (वि०) जिसका उत्साह नष्ट हो गया हो (जैसे- हतोत्साहित व्यक्ति)
हत्था - ( पु० ) | दस्ता, मूठ 2 पंजा 3 कुर्सी की बाँही 4 हाथ का छापा 5 हाथा, हथेरा 6 निवार चुनने के काम आनेवाला लकड़ी का एक औज़ार जोड़ी (स्त्री० ) - हाथा जोड़ी हत्थी - (स्त्री०) 1 मृठ, दस्ता 2 कड़ाह में ईख का रस चलाने की
हथियार
अधिकार में आना 2 वश में आना या होना हत्या - सं० (स्त्री०) 1 मार डालना (जैसे- दुश्मन की हत्या) 2 हत्या करने का पाप । ~कांड (पु०) हत्या की घटना; ~ निरूपण (पु० ) 1 हत्या का अन्वेषण 2 हत्या का वर्णन; ~ व्यवसायी (वि०) पेशेवर हत्यारा टलना झंझट दूर होना; मोल लेना झगड़े से संबंध स्थापित करना; सवार होना मुखाकृति आदि से हत्या की प्रवृत्ति प्रकट होना, खून चढ़ना; सिर मढ़ना अपराधी ठहराना; सिर लेना पाप का भागी होना
लकड़ी
इत्थे - ( क्रि० वि०) हाथ में चढ़ना 1 हाथ में आना,
हत्यारा - I सं० + हिं (पु० ) हत्या करनेवाला व्यक्ति, खूनी II हत्या करनेवाला
हत्यारी -सं० + हिं० (स्त्री०) 1 हत्या करनेवाली स्त्री 2 हत्या का पाप
हथ-बो० (पु० ) = हाथ। ~ उधार ( पु० ) बिना लिखा पढ़ी के कर्ज़ देना; कंडा (पु० ) 1 षड्यंत्र 2 चतुराई की चाल 3 धूर्तता की पद्धति; कड़ी (स्त्री०) कैदियों को पहनाया जानेवाला लोहे का कड़ा (जैसे- हथकड़ी पहनाना, हथकड़ी लगाना); ~करघा (पु० ) = हाथ करघा; ~करा (पु० ) 1 चमड़े का दस्ताना 2 धुनिये की कमान में बँधा कपड़े का टुकड़ा; ~कल (पु० ) 1 सूत आदि ऐंठने का सुनारों का एक औज़ार 2 पेंचकस गाड़ी (स्त्री०) हाथ से खींची जानेवाली गाड़ी; ~ गोला (पु० ) हाथ से फेंका जानेवाला विस्फोटक गोला; चक्की (स्त्री०) हाथ से चलनेवाली चक्की छुट (वि०) क्रोध में तुरंत मार बैठनेवाला; ~धरी (स्त्री०) बो० नाव से ज़मीन तक लगा हुआ लकड़ी का पटरा, फूल (पु० ) हाथ के पंजे के ऊपरी भाग में पहना जानेवाला स्त्रियों का एक आभूषण; फेर I (पु० ) 1 हस्त कौशल द्वारा वस्तु को गायब करने का भाव 2 शरीर पर स्नेह या प्यार से हाथ फेरना II (वि०) हाथ की सफ़ाई से चीज़ गायब करनेवाला, हथलपक; ~बेंटा (पु०) खेत में लगा हुआ गन्ना काटने की एक कुदाली; रस (पु० ) = हस्त क्रिया; ~लपका (वि०) हाथ से लपक लेनेवाला; ~लपकौवल (पु० ) हस्तगत करना, छीना झपटी करना; ~लेवा (पु० ) विवाह में कन्या का हाथ अपने हाथ में लेने की रीति, पाणिग्रहण; ~ वाँस (पु० ) नाव खेने का सामान, पतवार, डाँड़ा; ~ संकर (पु० ) = हथफूल
हथनी - ( स्त्री०) हाथी की मादा
हथवाँसना - (स० क्रि०) बो० 1 काम में लाना, व्यवहार करना 2 अधिकार में ले लेना
हथसार - ( स्त्री०) फीलखाना, हस्तिशाला, गजशाला हथा - ( पु० ) ऐपन का छापा
हथिनी -सं० (स्त्री०) हाथी की मादा, हस्तिनी हथिया - ( पु० ) हस्त नक्षत्र
हथियाना - (स० क्रि०) 1 अधिकार में करना, ले लेना 2 धोखा देकर ल लेना, उड़ा लेना 3 हाथ में पकड़ना हथियार - (पु०) 1 अस्त्र-शस्त्र 2 औज़ार । घर (पु० ) शस्त्रागार बंद + फ़ा० (वि०) सशस्त्र (जैसे- हथियार बंद सिपाही ); बंदी + फ़ा० (स्त्री०) हथियार से लैस होना या करना, शस्त्रीकरण ~ उठाना युद्ध हेतु प्रस्तुत होना;
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हथुई मिट्टी
~ डालना 1 लड़ाई बंद करना 2 हार मानना; बाँधना अस्त्र शस्त्र से सज्जित होना
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हथुई मिट्टी - (स्त्री०) गीली मिट्टी का लेप
हथुई रोटी - (स्त्री०) हाथ से बनाई जानेवाली रोटी, वह रोटी जो बेलने से न बेल कर हाथ से बनाई जाए हथेरा - (पु०) हाथा
हथेली - (स्त्री०) कलाई के आगे का चिकना और चौड़ा भाग, करतल । ~का फफोला अत्यंत कोमल वस्तुः ~ खुजलाना 1 द्रव्य प्राप्ति का शकुन होना 2 द्रव्य प्राप्ति की पूर्व सूचना मिलना; देना हाथ का सहारा देना; पर जान रखना या लेना प्राण त्याग का डर न होना, जान देने के लिए हरदम तैयार रहना; पर जान होना जान जाने की स्थिति में होना; पर दही जमाना बहुत जल्दबाज़ी करना; पर बाल जमना असंभव घटना होना; पर सिर रखना जान देने के लिए तैयार रहना पर सरसों जमाना असंभव कार्य को भी कर दिखाना; पीटना, बजाना ताली बजाना हथेव बो० (पु० ) हथौटी - (स्त्री०) 1 हस्त कौशल, हाथ की शैली 2 काम में हाथ
=
लगाना
हथौड़ा - (पु० ) ठोंकने, पीटने आदि के काम में आनेवाला लोहे का एक औज़ार
+
हथौना - बो० (पु० ) वर-वधू के हाथ में मिठाई देने की रस्म हद - अ० (स्त्री०) 1 सीमा 2 किनारा 3 पराकाष्ठा 4 अंत 5 औचित्य की सीमा 6 नियत स्थान। बंदी फ़ा० (स्त्री०) सीमा निर्धारण, हद बाँधना कर देना, करना औचित्य की सीमा लाँघना, अति कर देना; से गुज़रना 1 सीमा पार होना 2 अति हो जाना; से ज्यादा अत्यधिक हृदस - अ० (स्त्री०) भय, डर, खौफ़
हिं० (अ० क्रि०) डर जाना, डरना, खौफ़
हदसना-अ० खाना
+ फ़ा० + अ०
हदीस - अ० (स्त्री०) मुहम्मद के कर्म कलाप और वचनों संग्रह, मुसलमानों का धार्मिक ग्रंथ हद-अ० (स्त्री०) = हद । ~ समाअत (स्त्री०) दावे के सुने जाने की अवधि हन्- सं० (वि०) मारनेवाला, वध करनेवाला (जैसे- पुत्रहनू, ब्रह्महन्)
हनन - I सं० ( पु० ) 1 जान से मारना, कत्ल करना 2 मारना, पीटना 3 आघात करना II (वि०) हनन करनेवाला । ~ शील (वि०) प्राण लेनेवाला, क्रूर, वधिक
हन, हनन -सं० (पु० ) 1 मार डालना, वध करना 2 आघात करना, चोट लगाना
हनना - (स० क्रि०) बो० 1 वधना, कत्ल करना 2 मारना, पीटना 3 आघात करना
हननीय सं० (वि०) हनन के योग्य
हनवाना - (स० क्रि०) 1 मरवाना 2 जान से ख़त्म कराना हनीमून-अं० (पु० ) विवाहोपरांत पति-पत्नी का आनंद विलास या प्रमोदकाल
नु-सं० (स्त्री०) 1 जबड़ा 2 ठुड्डी, चिबुक 3 जीवन को क्षति पहुँचानेवाली वस्तु 4 अस्त्र, हथियार 5 व्यभिचारिणी स्त्री । ~स्तंभ चि० (पु०) जबड़ा बैठने (धनुषटंकार) का एक रोग
हम
हनोज़-फ़ा० (अ० ) अभी तक अभी हन्य, हन्यमान -सं० (वि०) हननीय
हप हप झप - (पु० ) मजबूती और फुर्ती से होठों को दबाने से उत्पन्न शब्द । ~कर जाना, करना झट से खा जाना, चटपट उड़ा जाना (जैसे-पलक झपकते ही वह सारी मलाई हप कर गया)
हप्पा - (पु० ) 1 भोजन 2 कौर, ग्रास 3 घूस (जैसे-हप्पा देना) हप्पू - I ( पु० ) अफ़ीम II ( वि०) अधिक खानेवाला हफ़्त - फ़ा० (वि०) सात। ~ गाना (पु० ) खसरा, बहीखाता, जमाबंदी, स्याहा, बुझारत, रोजनामचा और जिसवार ये सात
काग़ज़
हफ़्ता - फ़ा० (पु० ) सात दिन का समय, सप्ताह (जैसे- दो हफ़्ते बाद वह आएगा)
हफ़्तेवार - फ़ा० ( क्रि० वि०) हफ़्ता के अनुसार, हफ़्ता के मुताबिक़
हब - अं० ( पु० ) धुरे की कटोरी
हबकना - (स० क्रि०) 1 चट से काटना 2 झपटकर दाँत से काटना
हबड़ हबड़ - ( क्रि० वि०) 1 जल्दी जल्दी, उतावली से 2 जल्दी के कारण
हबड़ा - (वि०) 1 बड़े दाँतवाला, बड़दंता 2 कुरूप
हबर दबर - ( क्रि० वि०) 1 जल्दी-जल्दी 2 हड़बड़ी के साथ हबशन, हबशिन-अ० + हिं० (स्त्री०) 1 हबश देश की औरत 2 अत्यंत काली स्त्री
हबशी - अ० (पु०) हबशी देश का निवासी
हबाब - अ० (पु० ) 1 बुल्ला, बुदबुद 2 शीशे का पतला गोला हबाबी -अ० + फ़ा० (वि०) 1 क्षणभंगुर, निःसार 2 हबाब जैसा
हब्बा - अ० (पु० ) 1 अन्न का दाना 2 रत्ती भर वजन 3 अत्यल्प मात्रा । ~ हब्बा (पु० ) पैसा-पैसा, कौड़ी - कौड़ी हब्बा डब्बा - (पु०) पसली चलने का रोग
हब्स - अ० (पु० ) 1 कैद, कारावास 2 रुकावट 3 हवा का बंद हो जाना। दम + फ़ा० ( पु० ) 1 साँस का रुकना बेजा + फ़ा० (पु०) अनुचित रूप से
2 प्राणायाम 3 दमा; बंदी बनाना
हम - (सर्व०) 'मैं' का बहुवचन
हम - फ़ा० ( पु० ) अहंकार, 'हम' का भाव । ~उन (वि०) समवयस्क क़दम + अ० (वि०) साथ चलनेवाला, साथी; ~ कलाम + अ० (पु०) साथ में बात करनेवाला; ~कलामी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) बातचीत, बोलचाल; क़ौम + अ० (वि०) सजातीय; ख़्याल + अ० (वि०) समान विचारवाला, ख़्याली + अ० + फ़ा० (स्त्री०) समान विचार; चश्म (वि०) बराबरी का दर्जा रखनेवाला; चश्मी (स्त्री०) हम चश्म का भाव; जिंस + अ० (वि०) 1 एक सा 2 एक ही पेशे का; जिंसी + अ० + फ्रा० (स्त्री०) हम जिंस होने का भाव; जोली + हिं० (पु० ) साथी, संगी दम (वि०) अंत तक साथ देनेवाला मित्र; ~दर्द (वि०) दुःख में साथ देनेवाला (जैसे- हमदर्द दोस्त, हमदर्द साथी); दर्दी (स्त्री०) सहानुभूति, दर्दमंदी; निवाला + अ० (पु०) घनिष्ठ मित्र;
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हमल
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हरनेत्र
पेशा (पु०) एक ही पेशा करनेवाला, सह व्यवसायी; हयात-अ० (स्त्री०) जिंदगी, जीवन -बिस्तर (वि०) एक ही बिस्तर पर सोनेवाला; ~बिस्तरी हयाती-अ० + फ़ा० (वि०) हयात संबंधी (स्त्री०) हम बिस्तर होना; ~मकतब + अ० (पु०) उसी हयालय-सं० (पु०) - हयशाला स्कूल में पढ़नेवाला; ~मज़हब । अ० (वि०) समान धर्म हयी-[ सं० (स्त्री०) घोड़ी को माननेवाला; ~मानी + अ० (वि०) समानार्थक; हयी-II सं० (पु०) 1 घुड़सवार 2 घोड़ेवाला ~रकाब (वि०) साथ साथ सवारी करनेवाला; ~राज़ हर-[ फ़ा० (वि०) प्रत्येक, एक-एक (जैसे-हर व्यक्ति के पास (वि०) रहस्य जाननेवाला मर्मज्ञ; राह | (वि०) साथ बंदूक थी, वह हर रोज स्कूल जाता है)। ~सूरत में हर चलनेवाला II (अ०) साथ में (जैसे-हमराह ले जाना); हालत में, हर स्थिति में
राही (वि०) सहगामी; ~वजूदियत । अ० (स्त्री०) = हर-II सं० (पु०) 1 शिव 2 हरण 3 भाजक 4 ग० भित्र का हमहस्ती; ~वतन + अ० (पु०) एक ही देश का निवासी; नीचे का अंक (जैसे-अंश और हर) ~वार (वि०) 1 बराबर, चौरस 2 एक सा; ~शक्ल + | हर-III सं० (वि०) 1 हरण करनेवाला 2 दूर करनेवाला अ० (वि०) एक ही सूरत का; ~शीरा (स्त्री०) सगी बहन, | (जैसे-रोगहर, पापहर) सहोदरा; सफ़र + अ० (वि०) एक साथ यात्रा हर-IV बो० (पु०) हल करनेवाला; सबक + अ० (वि०) एक साथ पढ़नेवाला; हरक-[ सं० (वि०) 1 अपहरण करनेवाला II (पु०) 1 चोर, ~सर (वि.) बराबरी का; सरी (स्त्री०) बराबरी; __ तस्कर 2 वंचक, ठग 3 भाजक साया (पु०) पड़ोसी; -सिन । अ० (वि०) हमउम्र; हरकत-अ० (स्त्री०) 1 शरारत (जैसे-बच्चे की हरकत से पिता हमी (स्त्री०) = हमाहमी
नाराज है) 2 गति, चेष्टा, कर्म (जैसे-हरकत उत्पन्न करना) हमल-अ० (पु०) गर्भ (जैसे-हमल गिरना)। गिरना 3 हिलना डोलना (जैसे-शरीर की हरकत) गर्भपात होनाः गिराना गर्भपात करना; रहना गर्भ रहना, हरकना-(स० क्रि०) बो० मना करना, रोकना गर्भ ठहरना
हरकारा-फ़ा० (पु०) 1 डाकिया 2 पत्र ले जानेवाला हमला-अ० (पु०) 1 आक्रमण, धावा, चढ़ाई 2 चोट, वार । हरखना-(अ० क्रि०) बो० खुश होना, प्रसन्न होना
बाज़ + फ़ा० (पु०) हमला करनेवाला, आक्रमणकारी; हरगिज़-फा० (अ०) कदापि, कभी (जैसे-हरगिज़ यह काम -बाज़ी + फ़ा० हमला करना; ~वर + फ़ा० (वि०) मत करना) हमला करनेवाला; ~वरी - फा० (स्त्री०) हमला करना हरचन्द-फा० (अ०) 1 कितना ही, बहुत बार 2 यद्यपि, अगरचे हमाकत-अ० (स्त्री०) 1 मूर्खता, नासमझी 2 धृष्टता हरज-अ० (पु०) = हर्ज हमाम-अ० (पु०) हम्माम
हरजा-I अ० + हिं. बो (पु०) नुकसान, हरजाना हमामी-अ० (पु०) हम्मामी
हरजा-II फ़ा० (पु०) चौरस करने की छेनी हमायल-अ० (स्त्री०) 1 परतला 2 गले में लटकाने की वस्तु हरजाई-I फ़ा० (पु०) आवारा, बहल्ला II (स्त्री०)
3 गले में पहना जानेवाला एक आभूषण 4 छोटे आकार का 1व्यभिचारिणी स्त्री, कुलटा 2 वेश्या, रंडी कुरान
हरजाना-अ० + फ़ा० (पु०) क्षतिपूर्ति हमारा-सर्व० 'हम' शब्द का संबंध कारक रूप
हरजोता-(पु०) हल जोतनेवाला हमाल-अ० (पु०) - हम्माल
हरठिया-बो० (पु०) रहट के बैल हाँकनेवाला व्यक्ति हमें सर्व० 'हम' का कर्म और संप्रदान कारक रूप (जैसे-हमें | हरड़-सं० (स्त्री०) हर्रा, हड़ बताओ, हमें दो)
हरण-सं० (पु०) 1 लूटना, चुराना (जैसे-धन हरण, वस्त्र हमेल-अ० (स्त्री०) धातु आदि के गोल सिक्कों से बनी माला हरण) 2 मिटाना, दूर करना (जैसे-ज्वर हरण, पाप हरण) हमेव-बो० (पु०) अहंकार, अभिमान
3 बलपूर्वक भगा ले जाना (जैसे-सीता हरण) 4 आकृष्ट हमेशा-फ़ा० (अ०) सदा, सर्वदा (जैसे-हमेशा परिश्रम करना, करना (जैसे-मन का हरण) हमेशा झूठ बोलना)
हरणीय-सं० (वि०) हरण करने योग्य हम्द-अ० (पु०) ईश्वर की प्रार्थना
हरता धरता-(पु०) 1 बनाने-बिगाड़नेवाला, सर्वेसर्वा हम्माम-अ० (पु०) नहाने का स्थान, स्नानागार (जैसे-हम्माम 2 सर्वशक्तिमान् का दरवाजा)
हरताल-(स्त्री०) गंधक तथा संखिया के योग से बना एक पीला हम्मामी-अ० (पु०) स्नान करनेवाला
खनिज द्रव्य। फेरना 1 नष्ट करना 2 रद्द करना हम्माल-अ० (पु०) 1 मज़दूर 2 कुली
हरताली-(वि०) हरताल से संबंधित हम्मीर-सं० (पु०) संपूर्ण जाति का एक संकर राग हरदा-(पु०) फसल का एक रोग, गेरुई। बैगनी होना लाल हय-सं० (पु०) घोड़ा। ~शाला (स्त्री०) घुड़सार, अस्तबल पीला होना (जैसे-ज़रा ज़रा सी बात पर हरदा बैगनी होना) हयन-सं० (पु०) वर्ष, साल
हरना-I (स० क्रि०) 1 हरण कर लेना 2 दूर करना 3 आकृष्ट हयांग-सं० (पु०) धनु राशि
करना II(अ० क्रि०) 1 हार जाना, परास्त होना 2 शिथिल हया-अ० (स्त्री०) लज्जा, शर्म। दार + फ़ा० (वि०) | पड़ जाना
लज्जावान, लज्जाशील, ~दारी + फ़ा० (स्त्री०) | हरनी-(स्त्री०) हिरन की मादा लज्जाशीलता
| हरनेत्र-सं० (पु०) शिव के नेत्र
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हरनौटा - ( पु० ) हिरन का बच्चा
हरपरेवरी - (स्त्री०) स्त्रियों द्वारा किया गया एक प्रकार का टोटका
हरपा - बो० ( पु० ) 1 सुनार का छोटा डिब्बा 2 सिंधोरा हरपुजी - (स्त्री०) हल की पूजा
हरफ़ - अ० (पु० ) 1 अक्षर, वर्ण 2 शब्द, बात 3 व्याकरण में अव्यय, प्रत्यय 4 दोष, बुराई। ~ हरफ़ ( क्रि० वि०) अक्षरशः गीर + फ़ा० (वि०) 1 दोष पकड़नेवाला 2 बाल की खाल निकालनेवाला; ~ बहरफ़ + फ़ा० + अ० ( क्रि० वि०) अक्षर अक्षर; आना दोष लगना; ~उठाना अक्षर पढ़ लेना; पकड़ना त्रुटि या गलती पकड़ना; ~ बैठाना टाइप जमाना बनाना 1 सुंदर अक्षर लिखना 2 अक्षर अभ्यास करना; ~लाना इलज़ाम लगाना हरफा - बो० (पु० ) लकड़ी से बनाया गया चारा रखने का घेरा हरबा - अ० (पु० ) अस्त्र, हथियार। ~ हथियार + हिं० (पु० )
अस्त्र-शस्त्र
हरबोंग - (वि०) 1 गँवार, अक्खड़ 2 मूर्ख, जड़ हरबोला - (पु० ) घूम घूमकर राजाओं की गौरव गाथा का वर्णन
करना
हरम - अ० (पु० ) 1 काबे की चहारदीवारी 2 घेरा 3 जनानखाना, अंतःपुर 4 विवाहिता स्त्री 5 रखेली बनाई हुई बाँदी। खाना + फ़ा० (पु०) जनानखाना, अंतःपुर ज़दगी + फ़ा० (स्त्री०) शरारत, बदमाशी; ~सरा + फ़ा० (स्त्री०) = हरम हरमज़दगी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) शरारत, दुष्टता हरयाल - बो० (स्त्री० ) हरियाली
हरवल - (पु० ) बिना ब्याज हलवाहे को दिया गया द्रव्य हरवली - तु० (स्त्री०) सेना की अध्यक्षता
हरवाना - (स० क्रि० ) 1 जल्दी करना 2 उतावली करना, हड़बड़ी मचाना
= हलवाहा
हरवाह, हरवाहा-बो० (पु० ) हरवाही - बो० (स्त्री०) 1 हलवाहे का काम 2 हलवाहे का पारिश्रमिक
हरसिंगार - ( पु० ) परजात का पेड़ और इसका फूल हरसौधा - बो० (पु०) कोल्हू का पीढ़ा हरहठ-बो० (वि०)
हृष्ट-पुष्ट
हरहराना - (अ० क्रि०) हर हर शब्द करते हुए द्रुत गति से बंहना
हरहराहट - ( स्त्री० ) थरथराहट, कंपन
हरहा - बो० ( पु० ) हर में जुतनेवाला बैल
हरहाया - (वि०) हर तरफ़ घूमकर फसल की हानि करनेवाला पशु
हाँस-बो० (स्त्री०) 1 हरारत मंद ज्वर 2 थकावट हरा - I ( वि०) 1 घास या पत्ती के रंग का, हरित 2 अधपका (जैसे-फल अभी हरा है) 3 बिना भरा (घाव) 4 खुश, प्रफुल्ल (जैसे- हरा भरा चेहरा) 5 तरोताजा II (पु० ) हरा रंग (जैसे- झंडा हरा है) । पन (पु० ) हरा होने का भाव; ~ भरा (वि०) 1 ताजा, प्रफुल्ल (जैसे- हरा भरा चेहरा, हरा भरा मुख) 2 हरियाली युक्त (जैसे- हरा भरा वातावरण); ~करना प्रसन्न करना; ~दिखाई पड़ना झूठी आशा करना; बाग़ व्यर्थ आशा बँधानेवाली बात; भरा परिवार
हरिया
खुशहाली से युक्त परिवार
हराई - (स्त्री०) हल के एक चक्कर में जुता हुआ खेत का अंश,
बाह
हराठा-बो० (त्रि०) हृष्ट-पुष्ट हराना - (स० क्रि० ) । परास्त करना, पछाड़ना (जैसे- शत्रु को हराना) 2 थकाना (जैसे खिलाड़ी को हराना)
हराम - अ० (वि०) 1 निषिद्ध, विधि विरुद्ध 2 अनुचित बुरा II (पु० ) 1 वर्जित वस्तु या बात 2 पापकर्म 3 व्यभिचार (जैसे- हराम की कमाई, हराम का पैसा) । कार + फ़ा० ( पु० ) 1 कुकर्म करनेवाला, कुकर्मी 2 व्यभिचारी, पर- स्त्री लंपट; ~कारी + फ़ा० (स्त्री०) 1 पाप, बुराई 2 व्यभिचार, परस्त्री गमन; खोर • फा० (वि) 1 हराम की कमाई खानेवाला 2 मुफ्तखोर 3 आलसी, निकम्मा; खोरी + फ़ा० (स्त्री०) 1 मुफ्तखोरी 2 घुसखोरी 3 नमक हरामी, ज़ादा + फ़ा० (पु० ) 1 वर्णसंकर, दोगला 2 दुष्ट, पाजी, बदमाश; ज़ादी + फ़ा० + हिं॰ (स्त्री०) । दोगली स्त्री 2 दुष्टा स्त्री; ~ करना किसी बात का मुश्किल करना 'हरामी - अ० + फ़ा० (त्रि०) 1 हराम संबंधी, हराम का (जैसे- हरामी कमाई ) 2 हराम या व्यभिचार से उत्पन्न दोगला (जैसे- हरामी औलाद ) 3 अत्यंत नीच और पानी (जैसे- हरामी दोस्त)
हरारत - अ० (स्त्री०) 1 हलका ज्वर 2 ताप, गर्मी (जैसे- इतनी हरारत कैसी)
हरावल - तु० (पु०) सेना का अगला भाग
हरास - फ़ा० ( पु० ) 1 भय, डर 2 आशंका, खटका 3 दुःख, विषाद 4 निराशा, ना उम्मेदी
हरि - I सं० ( पु० ) भगवान, ईश्वर । -पुर (पु०) हरिलोक भक्त (वि०) ईश्वर का भक्त भक्ति (स्त्री०) ईश्वर की पूजा; ~ लोक (पु० ) बैकुंठ हरि - II सं० (वि०) पीला 2 बादामी या भूरा 3 हरा हरिअर - बो० (वि०) हरा
हरिअरी-बो० (स्त्री०) हरियाली हरिआना - I (अ० क्रि०) बो० 1 हरा होना, सब्ज होना 2 ताजा होना 3 ताज़गी और प्रसन्नता से भर उठना II (स० क्रि०) हरा
करना
हरिआली–बो० (स्त्री०) 1 घास और पेड़ पौधों का फैला हुआ समूह 2 हरेपन का विस्तार
हरिजन-सं० (पु० ) 1 पद दलित तथा अस्पृश्य हिंदू जाति, अछूत जाति का व्यक्ति 2 भगवान का सेवक
=
हरिण - सं० (पु० ) मृग, हिरन
हरिणी -सं० (स्त्री० )
हरिनी
=
हरित - सं० (वि०) 1 भूरे या बादामी रंग का 2 हरा 3 पीला। ~मणि (पु० ) मरकत, पत्रा
हरिताभ-सं० (वि०) हरियाली युक्त
हरिद्र - सं० (पु० ) पीत चंदन हरिद्रा-सं० (स्त्री०) हल्दी
हरिन - I अं० (पु०) पीले और हरे रंग की एक दुर्गंधमय गैस हरिन - II ( पु० ) कुरंग, मृग
हरिनी - ( स्त्री०) मृगी, मादा हिरन
हरिया - बो० (पु०) हल जोतनेवाला, हलवाहा
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हरियाणी
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हलबल
हरियाणी-(वि०) = हरियानी
हर्षी-सं० (वि०) 1 प्रसन्न करनेवाला 2 प्रसन्न हरिया थोथा-(पु०) हरे रंग का तृतिया
हर्षोत्फुल्ल-सं० (वि०) खुशी से फूला हुआ हरियाली-(स्त्री०) 1 हरे भरे पेड़ पौधों का समूह 2 आनंद और हर्षोदय-सं० (पु०) आनंद की उत्पत्ति प्रसत्रता
हर्षोन्मत्त-सं० (वि०) हर्ष में उन्मत या बेसुध हरी कसीस-(पु०) हरा तृतिया
होन्माद-सं० (पु०) हर्ष में सुध बुध खो देना हरीकेन-अ० (पु०) लालटेन
हर्षोल्लास-सं० (पु०) खुशी और उमंग हरीतकी-सं० (स्त्री०) हड़, हेरे
हलंत-सं० (वि०) जिसके अंत में स्वर रहित व्यंजन वर्ण हो हरीतिमा-सं० (स्त्री०) हरापन, हरियाली
हल-1 अ० (पु०) 1 गणित की प्रक्रिया 2 सवाल का जवाब हरीफ़-अ० (पु०) 1 शत्रु, दुश्मन 2 प्रतिद्वंद्वी
हल-II सं० (पु०) खेत जोतने का एक प्रसिद्ध यंत्र । ~धर हरीरा-अ० (पु०) औटे दूध में मेवा आदि मिलाकर बनाया (पु०) 1 खेतिहर, किसान 2 बलराम, बलदेव गया स्वादिष्ट पेय
हलक-अ० (पु०) 1 गले की नली, कंठ 2 गर्दन। तक हरीरी-(वि०) हरीरे के रंग का
भरना ठूस लूंसकर खाना; ~पर छुरी फेरना 1 गर्दन काटना हरुआ-बो० (वि०) = हल्का
2 अत्याचार करना; ~से उतरना मन में बैठना हरूआना-I (अ0 क्रि०) बो० हलका होना II (स० क्रि०) | हलकई-बो० (स्त्री०) 1 हलकापन 2 ओछापन, तुच्छता हलका करना
हलकन-(स्त्री०) हिलना-डुलना हरुए-(क्रि० वि०) बो० धीरे-धीरे, आहिस्ता से हलकना-(अ० क्रि०) हिलकोरा मारना हरेक-फा० +हिं० (वि०) हर एक, प्रत्येक
हलका-(वि०) 1कम भारवाला 2 कम, थोड़ा, मामूली हरेवा-(पु०) हरी बुलबुल
3 साधारण स्थिति से कम (जैसे-हलका दर्द, हलका बुखार) हर्गिज़-फा० (क्रि० वि०) = हरगिज़
4 ओछा, तुच्छ 5 सहज, सुगम 6 ताजा, थकानरहित 7 पतला, हर्ज-अ० (पु०) 1 नुक़सान, हानि 2 बाधा, रुकावट । गर्ज महीन (जैसे-हलकी चासनी)। ~पन (पू०) 1 हलका होने +हिं० (पु०) बाधा, अड़चन
का भाव 2 तुच्छता, ओछापन 3 बुराई 4 कमीनापन हर्जा-फा० (पु०) 1 व्यर्थ 2 अनर्गल
5 अपमान, बेइज़्ज़ती; फुलका (वि०) 1 बहुत हलका हर्जाना-अ० (पु०) क्षतिपूर्ति, मुआवजा
2 कमज़ोर; ~करना अपमानित करना; ~पड़ना मान हर्तव्य-सं० (वि०) हरण करने योग्य
सम्मान कम होना; बनना, होना 1 अप्रतिष्ठित होना हर्ता, हार-सं० (वि०) हरण करनेवाला
2 लज्जित होना 3 कमीना समझा जाना। हर्निया-अं० (पु०) चि० आँत उतरने का रोग
हलका-बो० (पु०) पानी की तरंग, लहर हर्फ़-अ० (पु०) = हरफ़
हलका-अ० (पु०) 1 घेरा, मंडल 2 वृत्ताकार वस्तु 3 पहिया हर्ब-अ० (पु०) युद्ध, संग्राम। ~गाह +फ़ा० (स्त्री०) युद्ध 4 परिधि स्थल, रणभूमि
हलकाई-बो० (स्त्री०) = हलकापन हर्बा-अ० (पु०) हथियार
हलकाना-I (अ० क्रि०) बो० हलका होना हर्म्य-सं० (पु०) प्रासाद, महल
हलकाना-II (स० क्रि०) 1 हलका करना 2 हलकोरना हर्रा- (पु०) हड़
हलकारी-(स्त्री०) हलदी के रंग के योग से होनेवाली कपड़े की हरे-(स्त्री०) बड़ी जाति का हड़
छपाई हरैया-(स्त्री०) हरे के से दानेवाला हाथ का एक गहना हलकोरा-बो० (पु०) तरंग, लहर हर्ष-सं० (पु.) 1 प्रसन्नता, खुशी 2 साहि० संयोग श्रृंगार का । हलचल-(स्त्री०) 1 शोरगुल 2 उपद्रव, हड़कंप 3 उथल पुथल
एक स्थायी भाव 3 रोमांच। ~कर, ~कारक (वि०) हलजुता-(पु०) 1 साधारण किसान 2 गवार 1 हर्ष प्रदान करनेवाला 2 प्रसन्न करनेवाला; ज (वि०) हर्ष हलद हाथ-(स्त्री०) विवाह के तीन या पाँच दिन पहले वर और के फलस्वरूप होनेवाला, हर्ष से उत्पन्न जड़ (वि०) मारे ___ कन्या के शरीर में हलदी लगाने की रस्म खुशी के जड़वत् हो जानेवाला; ~ध्वनि (स्त्री०) खुश होकर हलदी- (स्त्री०) कड़ी गाँठ के रूप में एक प्रसिद्ध पौधे की हँसने की आवाज़, तालियाँ ल्युक्त (वि०) 1 प्रसन्नता से जड़। ~उठना, चढ़ना विवाह पूर्व वर और कन्या को भरा हुआ, प्रसन, प्रसन्नमय 2 रोमांचित
हलदी और तेल लगाना; ~लगा के बैठना घमंड में फूले हर्षण-सं० (पु०) 1 प्रसन्न होना 2 रोमांच होना
रहना; ~लगे न फिटकिरी मुफ़्त में हर्षणीय-सं० (वि०) हर्ष योग्य
हलफ़-अ० (पु०) सौगंध, शपथ। नामा +फ़ा० (पु०) हषांतिरेक-सं० (पु०) हर्ष की अधिकता
शपथ पत्र हर्षातिशय-सं० (पु०) आनंदातिरेक
हलफ़न-अ० (क्रि० वि०) शपथपूर्वक हर्षाना-I सं० (अ० क्रि०) हर्षित होना, प्रसन्न होना II (स० हलफा-(पु०) 1 लहर, हिलोर 2 तेज़ साँस क्रि०) प्रसन्न करना
हलफ़िया-अ० (वि०) शपथ पूर्ण हर्वाच-सं० (पु०) आनंद से निकले आँसू
हलफ़ी-अ०+फ्रा० (वि०) शपथ लेकर कहा हुआ या दिया हर्षित-I सं० (वि०) 1 प्रसन्नमय 2 रोमांचित II (पु०)
हुआ प्रसत्रता, हर्ष
हलबल-बो० (स्त्री०) 1 हलचल 2 हड़बड़ी
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हलबलाना
हलबलाना - I (अ० क्रि०) बो० घबराना II (स० क्रि०) घराने में प्रवृत्त करना हलबलाहट - (स्त्री०) घबराहट हलबली - (स्त्री०) हड़बड़ी हल्बी - अ० (वि०) बहुत बड़ा, भारी और मोटा हलराना - (स० क्रि०) प्यार से हाथ पर झुलाना हलवा - अ० (पु० ) 1 सूजी या आटे को घी में भूनकर दूध में शक्कर के साथ पकाया गया एक पकवान, मोहन भोग 2 तर और मुलायम वस्तु 3 बहुत आसान काम। ~ निकल जाना 1 कचूमर निकल जाना 2 गत बन जाना; निकाल देना पीटकर गत बना देना
हलवाइन - अ० + हिं० (स्त्री०) हलवाई की या हलवाई जाति की स्त्री
हलवाई - अ० (पु० ) 1 मिष्ठान बनाकर बेचनेवाली एक हिंदू जांति 2 अनेक प्रकार की मिठाइयाँ बनाकर बेचनेवाला दूकानदार। खाना +फ़ा० (पु०) हलवाई के मिठाई आदि बनाने का स्थान
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हलवाह-सं० (पु०) दूसरे के यहाँ हल जोतने का काम करनेवाला
हलवाहा - (पु० ) दूसरे के यहाँ हल जोतनेवाला व्यक्ति हलवाही - (स्त्री०) हलवाहे का काम
हलहल - ( पु० ) हल जोतनेवाला
हलेहलाना - I (अ० क्रि०) बो० काँपना, थरथराना II (स० क्रि०) झटका देकर हिलाना, झकझोरना
हलाक - अ० (वि०) 1 नष्ट किया हुआ 2 वध किया हुआ, हत हलांकत - अ० (स्त्री०) 1 हलाक करने की क्रिया 2 विनाश 3 वध, हत्या
हलाकान - (वि०) अत्यंत परेशान
हलाकी - अ० + हिं० (वि०) हलाक करनेवाला
हलाकू - अ० + हिं०
(वि० ) हलाकी
=
हलाभला - ( पु० ) 1 निबटारा, निर्णय 2 परिणाम, फल हलाल - अ० (वि० ) 1 उचित, जायज़ 2 धर्म के अनुकूल 3 ग्रहण अथवा भोग करने योग्य । ~खोर + फ़ा० (वि०) धर्म द्वारा अनुमोदित काम करके जीविका चलानेवाला; ~खोरी + फ़ा० (स्त्री०) हलाल का काम हलाहल -सं० ( पु० ) ज़हर, विष हली-सं० (पु० ) हलवाहा हलीम - अ० (वि०) शांत और सहनशील हलुआ, हलुवा - अ० हलूक-बो० (स्त्री०)
हवेली हवलदार - अ० + फ्रा० (पु० ) 1 सेना का एक छोटा अधिकारी 2 बादशाही ज़माने का कर संग्रह करनेवाला एक कर्मचारी हवस-अ० (स्त्री०) 1 लालच 2 ख़ब्त 3 उत्कट कामना हवा - अ० (स्त्री०) 1 सर्वत्र चलता रहनेवाला और संपूर्ण पृथ्वी में व्याप्त तथा साँस लेने में सहायक एक तत्त्व, वायु, समीर 2 साँस (जैसे- मुँह से हवा निकालना) 3 अफ़वाह, झूठी बात। ~कश + फ्रा० (पु०) रोशनदान; खोरी +फ्रा० (स्त्री०) टहलना; चक्की + हिं० (स्त्री०) हवा के वेग से चलनेवाली चक्की; ~दार +फ़ा० (वि०) हवा से युक्त;
=
परस्त +फ़ा० (वि०) इंद्रिय लोलुप पानी +हिं० (पु० ) जलवायुः बाज़ +फ़ा० (पु०) वायुयान चालक; बाज़ी +फ़ा० (स्त्री०) विमान चालन; ~मार +हिं० (वि०) हवा में मार करनेवाला; रोक + हिं० (वि०) हवाबंद; ~ उड़ना अफ़वाह फैलना; उड़ाना झूठी बात का प्रचार करना, अफ़वाह फैलाना; ~का गुज़र न होना बंद होना; का रुख जानना परिस्थिति समझना; का रुख देखना ज़माने का हाल समझकर काम करना; का रुख बताना परिस्थिति का ज्ञान कराना; के घोड़े पर आना बहुत तेज़ आना; के घोड़े पर सवार होना बहुत जल्दी में होना; ~ के बबूले फोड़ना ख़याली पुलाव पकाना; के रुख जाना ज़माने के मुताबिक चलना; फाँककर रहना निराहार रहना बाँधना 1 धाक जमाना 2 डींग मारना 3 बात बनाना; ~ बिगड़ना 1 परिस्थिति खराब होना 2 साख नष्ट होना 3 रीति रिवाज बिगड़ जाना; भर जाना 1 खुशी से फूल जाना 2 घमंड होना; लगना 1 दिमाग़ फिरना 2 प्रभाव में आना; ~ से बातें करना आप बड़बड़ाना; ~हो जाना गायब हो जाना
(पु० ) = हलवा
एक बार की कै में निकला पदार्थ हल्का - अ० (पु० ) = हलका हल्दी - ( स्त्री० ) = हलदी
हल्य-सं० (वि० ) 1 हल संबंधी 2 जोतने योग्य (भूमि) हल्ला - (पु० ) 1 कोलाहल, शोर 2 ललकार, हाँक 3 अचानक वेगपूर्वक किया गया हमला, धावा, आक्रमण (जैसे-दुश्मनों ने रात में हल्ला कर दिया) । गुल्ला (पु०) शोरगुल हवन - सं० ( पु० ) 1 होम 2 आग, अग्नि (जैसे- सब कुछ हवन में जला देना) 3 होम करना, आहुति देना । कुंड (पु० ) यज्ञ के समय आहुति डालने का कुंड हवनीय - सं० (वि०) हवन के योग्य
हवाई - अ० (वि० ) 1 वायु से संबद्ध 2 हवा में उड़ने, चलने, रहने या होनेवाला, वायव (जैसे- हवाई जहाज़, हवाई हमला) 3 बिलकुल काल्पनिक और निर्मूल । ~अड्डा (पु० ) वायुयान केंद्र; जहाज़ (पु० ) वायुयान डाक (पु० ) हवाई जहाज़ से जानेवाली चिट्ठी; फायर + अं० (पु० ) हवा में झूठी बंदूक चलाना; बंदूक + फां० नकली बंदूक; बेड़ा (पु०) युद्धक विमानों का दल; मार्ग (पु०) वायुयान के
आवागमन का रास्ता हमला + फ़ा० वायुयान युद्ध हवान - ( पु० ) जहाज़ पर रखकर चलाई जानेवाली तोप हवाल - अ० (पु० ) 1 अवस्था, दशा 2 दुर्दशा 3 हाल, समाचार हवाला - अ० (पु० ) 1 प्रमाण का उल्लेख 2 उदाहरण, दृष्टांत 3 सुपुर्दगी हवालात -अ० (स्त्री०) 1 हिरासत, कैद 3 जेलखाना (जैसे- हवालात में बंद कैदी ) हवालाती - अ० + फ़ां० हवाली - अ० (स्त्री०) आस पास की जगह । - मवाली (पु० )
(वि०) हवालात में बंद
संगी साथी
हवास- (पु० ) 1 चेतना, ज्ञान 2 होश 3 संवेदन हवि-सं० (पु० ) = हवन
हविष्य - I सं० (पु० ) हवन के योग्य सामग्री II ( वि०) हवन के लिए तैयार किया गया
हवेली - फ़ा० (स्त्री० ) 1 पक्का और बड़ा मकान, महल 2 चहारदीवारीवाला मकान
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हव्य
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हव्य-सं० (वि०) = हवनीय
हस्तांतरणीय-सं० (वि०) हस्तांतरण के योग्य हशम-अ० (पु०) नौकर चाकर
हस्तांतरित-सं० (वि०) हस्तांतरण किया हुआ हशमत-अ० (स्त्री०) 1 गौरव, बड़ाई 2 ऐश्वर्य, वैभव। हस्तांतरिती-सं० (पु०) जिस व्यक्ति के नाम हस्तांतरित किया हश्र-अ० (पु०) 1 अंत 2 प्रलय, क़यामत 3 रोना पीटना 4 उपद्रव, आफ़त 5 कोलाहल, हो हल्ला। ~ढाना आफ़त | हस्ताक्षर-सं० (पु०) दस्तखत, सिग्नेचर। ~कर्ता (पु०) मचाना; बरपा होना उपद्रव मचना; ~में उठना क़यामत हस्ताक्षर करनेवाला; ~युक्त (वि०) हस्ताक्षर किया हुआ के दिन मर्दे का जिंदा होकर उठ बैठना
हस्ताक्षरक-सं० (पु०) = हस्ताक्षर कर्ता हसद-अ० (पु०) ईर्ष्या. डाह
हस्ताक्षरित-सं० (वि०) = हस्ताक्षर युक्त हसब-अ० (वि०) = हस्ब
हस्ताक्षरी-सं० (वि०) = हस्ताक्षर कर्ता हसरत-अ० (स्त्री०) 1 कामना 2 वासना 3 खेद। -ज़दा हस्तामलक-सं० (पु०) 1 हाथ में का आँवला 2 ऐसी वस्तु या ___ +फा (वि०) हसरत का मारा हुआ
विषय जिसका अंग प्रत्यंग हाथ में लिए आँवले के सदृश स्पष्ट हसीन-अ० (वि०) सुंदर. खूबसूरत व्यक्ति
दिखाई दे और समझ में आ जाए। ~वत् (वि०) हस्तामलक हसीना-अ० (स्त्री०) रूपवती नारी
के समान हसील-बोल (वि.) सीधा
हस्तावलंबन-सं० (पु०) हाथ का सहारा हस्त-सं० (पु०) हाथ। -कला (स्त्री०) हाथ से किया गया हस्ताहस्ति-सं० हाथापाई
कलात्मक काम; कौशल (पु०) हाथ का काम करने की हस्ति-सं० (पु०) हाथी। ~दंत (पु०) हाथी दाँत; ~पद कुशलताः -क्रिया (स्त्री) 1 दस्तकारी 2 हस्त मैथुन; | (पु०) मस्त हाथी का कनपटी से बहनेवाला रस; ~शाला
~गत (वि०) हाथ में आया हुआ; ग्रह (पु०) (स्त्री०) फीलखाना, हथिसार; -शंड (पु०) हाथी की सैंड: 1 पाणिग्रहण, विवाह ? काम में हाथ लगाना: चापल्य स्नान (पु०) .व्यर्थ का काम (पु०) हस्त कौशल: तल (पु०) हथेली; त्राण (पु०) | हस्तिनी-सं० (स्त्री०) हथिनी, मादा हाथी दस्तानाः ~दोष (पु०) । हाथ से होनेवाली भूल 2 नाप तौल हस्ती-I सं० (पु०) हाथी में चोरी करने का दोषः -निर्मित (वि.) हाथ का बना हुआ; हस्ती-II फ़ा० (स्त्री०) 1 सामर्थ्य, शक्ति 2 व्यक्तित्व, अस्तित्व ~पाद (पु०) हाथ और पैरः -पुस्तिका (स्त्री०) । हाथ में (जैसे-मेरे समक्ष उनकी क्या हस्ती है) . आ जाने लायक छोटी किताब 2 लंबे चौड़े विषय पर लिखी | हस्ते-सं० (क्रि० वि०) 1 द्वारा, मारफ़त 2 हाथ में गई लघु पुस्तकः -पृष्ठ (पु०) हथेली का पीछे का भाग; हस्तोद्योग-सं० (पु०) - हस्त शिल्प ~प्रद (वि०) सहायता करनेवाला. सहायक; - मैथुन हस्ब-अ. (क्रि० वि०) अनुसार, मुताबिक, अनुकूल (पु०) शिश्न का हाथ से संचालन कर वीर्यपात करना; | (जैसे-हस्ब क़ानून)
रेखा (स्त्री०) हाथ की रेखाएँ; रेखाविद् (पु.) हहर-(स्त्री०) 1 कँपकँपी 2 डर, भय हस्तरेखा का जाननेवाला व्यक्ति; लाघव (पु०) हस्त हहरना-(अ० क्रि०) 1 काँपना, थरथराना 2 थर्राना, डर से कौशल: लिखित (वि०) हाथ से लिखा हुआ (ग्रंथादि): काँपना 3 दंग या चकित हो जाना 4 परेशान होना -लिपि (स्त्री०) । हाथ की लिखावट 2 पाइलिपि: हहराना-I (अ० क्रि०) बो - हहराना, दहलना || (स० -लिपि विशेषज्ञ (पु०) हस्त लिपि का ज्ञाताः लेख क्रि०) हहराने में प्रवृत्त करना (पु०) हाथ की लिखावट: -शिल्प (३०) दस्तकारी: | हहा-1 (स्त्री०) ज़ोर से हँसने का शब्द, ठहाका -श्रम (पु०) हाथ की मेहनतः सात् (वि०) हाथ में हहा-|| (स्त्री०) 1 गिड़गिड़ाकर दीनता प्रकट करने का भाव लाया हुआ. हस्तगतः सूत्र (पु०) । मंगल सूत्र 2 विवाह 2 हाहाकार । खाना बह्त गिड़गिड़ाना पूर्व पहना जानेवाला हाथ का गहना
हाँ-| अ० स्वीकृति, निश्चय, आत्मसंतोष, स्मृति आदि का हस्तक-सं० (पु०) । हाथ 2 एक हाथ की माप 3 हाथ का सूचक शब्द। नहीं, ना (क्रि० वि०) हामी या इनकार;
सहारा 4 संगीत ताल 5 ताली 6 करताल नामक बाजा - हाँ ( अ०) स्वीकार करने के लिए प्रयुक्त शब्द; हजूरी हस्तक्षेप-सं० (पु०) । अनावश्यक तथा अनाधिकार दखल अ० फ़ा० (स्त्री०) खुशामद; जी हाँ जी करना चापलूसी
देना 2 फेर बदल करने के लिए कुछ कहना. दस्तंदाज़ी. करना, खुशामद करना; में हाँ मिलाना 1 चापलसी करना इंटरफ़िरेंस
2 बिना समझे स्वीकृति को मान लेना; हाँ करना स्वीकृति हस्तक्षेप्य-सं० (वि०) हस्तक्षेप के योग्य हस्तांक-सं० (३०) 1 हाथ की लिखावट 2 हस्ताक्षर हाँ-II (अ०) अच्छा , तो हस्तांकन-सं० (पु०) हाथ से लिखना
हाँक-(स्त्री०). 1 ज़ोर से पुकारना 2 हुंकार । हस्तांकित-सं० (वि०) हाथ से लिखा हुआ
हाँका-(पु०) 1 पुकार 2 हाँक कर शिकार को ले आना हस्तांगलि-सं० (स्त्री०) हाथ की अंगलियाँ
हाँकारी-(पु०) हाँ करनेवाला, पक्ष में बोलनेवाला हस्तांजलि-सं० (स्त्री०) हाथ का संपुट
हाँगर-बो० (स्त्री०) एक तरह की बड़ी मछली हस्तांतरक-सं० (पु०) हस्तांतरण करनेवाला
हाँड़ना-I (वि०) व्यर्थ इधर उधर घूमता फिरता रहनेवाला हस्तांतर, हस्तांतरण-सं० (पु.) एक के हाथ से दूसरे के हाथ II (अ० क्रि०) 1 इधर उधर घूमना फिरना 2 आवारागर्दी में आना, अंतरण
करना
देना
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हाँड़ा
हाँड़ा- (पु० ) बड़ी हाँड़ी
उबलना मारे
हाँडी - (स्त्री०) 1 हँडिया 2 गुप्त परामर्श । खुशी के फूलना; काठ की ~ एक बार छल युक्ति में सफल होना, दुबारा नहीं; पकना 1 षड्यंत्र का रचा जाना 2 गप लड़ना; फोड़ना किसी के चले जाने पर प्रसन्न होना हॉफना - (अ० क्रि०) जल्दी जल्दी और लंबी लंबी साँस लेने लगना
हाँफा - (पु०) हाँफने का रोग
हँसी
हाँसी- (स्त्री०) हा - (अ०)
1 दुःख, भय, क्रोध आदि का सूचक शब्द 2 आश्चर्य या प्रसन्नता का सूचक शब्द हाइजीन अं० (पु०) स्वास्थ्य विज्ञान
हाइजैकर-अं० ( पु०) (सवारी को) भगा ले जानेवाला, अपहरण करनेवाला हाइजैकिंग - अं० (स्त्री०) (सवारी का ) अपहरण हाइड्रोकार्बन - अं० (पु०) कार्बन तथा हाइड्रोजन परमाणुओं के रासायनिक संयोग से बना यौगिक (जैसे- बेन्जीन, गैसोलिन आदि)
हाइड्रोजन -अं० (पु०) हवा से हलकी एक गैस हाइड्रोलिक - अं० (वि०) द्रवचालित, जलचालित हाइड्रोलिकी - अं० + सं० (स्त्री०) द्रवचालिकी, जल चालिकी हाइड्रोलिक्स-अं० (स्त्री०) जलचालिकी हाइपरसोनिक - अं० (वि०) अतिध्वनिक हाईपोफ़िसिस-अं० (पु० ) अधः स्फीतिका हाइफन - अं० (पु०) सामासिक चिह्न, हाई-अं० (वि०) 1 ऊँचा 2 बड़ा आदेश समिति; ~ कमिशनर (पु० ) उच्चायुक्त; ~ कमीशन (पु०) उच्चायोग; कोर्ट (पु० ) उच्च न्यायालय; - जम्प (पु० ) ऊँची कूद; ~ ब्लड प्रेशर (पु० ) उच्च रक्तचाप; ~ स्कूल (पु० ) ऐसा विद्यालय जहाँ मैट्रिक तक की पढ़ाई होती है हाईड्रोफ़ोबिया- अं० (पु० ) पागल कुत्ता या गीदड़ के काटने से उत्पन्न जलांतक रोग
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875
=
योजक चिह्न कमांड (पु० ) उच्च
हाउ - (अ०) बो० हाँ
हाउस - अं० (पु० ) 1 घर 2 सभा (जैसे- हाउस आफ़ कामंस, हाउस आफ़ लाईस)
हाऊ - (पु० ) हौआ, कटाऊ, जूज़ू
हाकर-अं० (पु०) घूम घूमकर सामान आदि बेचनेवाला व्यक्ति, फेरीदार
हाथ
आवश्यकता (जैसे- पाखाने या पेशाब की हाजत) 2 हवालात, कैदखाना । मंद + फ़ा० (वि०) ज़रूरतमंद मंदी + फ़ा० (स्त्री०) ज़रूरतमंदी
हाजती - I अ० + फ़ा० (वि०) जिसे हाजत की आवश्यकता हो
2 हवालाती II (स्त्री०) मलमूत्र त्यागने हेतु रोगी के पास रखा गया पात्र या बर्तन
हाकिम - अ० ( पु० ) 1 प्रधान या बड़ा अधिकारी 2 हुकूमत करनेवाला व्यक्ति, शासक
हाकिमाना - अ० + फ़ा० (वि०) हाकिमों के ढंग या प्रकार का हाकिमी - अ० + फ़ा० [ ( वि०) शासन संबंधी II (स्त्री०) हुकूमत 2 अफसरी
1
हॉकी - अं० (स्त्री०) 1 गेंद से खेलने की एक सिरे पर मुड़ी हुई लंबी छड़ी 2 इस छड़ी और गेंद से खेला जानेवाला एक खेल । ~ टीम (स्त्री०) हॉकी के खेल में ग्यारह खिलाड़ियों का एक ~ प्लेयर (पु० ) हॉकी के खेल का खिलाड़ी; स्टिक (पु० ) हॉकी का खेल खेलने के लिए एक विशेष छड़ी हाजत-अ० (स्त्री०) 1 यथाशीघ्र पूरी की जानेवाली
दल;
हाज़मा -अ० (पु० ) 1 पाचन क्रिया 2 पाचन शक्ति हाज़िम - अ० (वि०) हज़म करने या पचानेवाला हाज़िर - अ० (वि०) 1 उपस्थित, मौजूद 2 प्रस्तुत । जवाब (वि०) उत्तर देने में निपुण; जवाबी + फ़ा० (स्त्री०) हाज़िर जवाब होने का भाव; बाश + फ़ा० (वि०) सदा सेवा में उपस्थित रहनेवाला; बाशी +फ़ा० (स्त्री०) चापलूसी खुशामद
हाज़िरी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 हाज़िर होने का भाव 2 उपस्थित होना या रहना 3 उपस्थिति
हाजी - अ० (पु० ) हज की यात्रा करनेवाला मुसलमान हाट - (स्त्री०) 1 बाज़ार 2 दुकान। ~बाज़ार + फ़ा० (पु० ) मंडी
हाटक-सं० (पु०) सोना, स्वर्ण
हाड़ - बो० ( पु० ) 1 शरीर की हड्डी 2 कुलीनता की मर्यादा। ~ तोड़ (वि०) हड्डी तोड़, ज़ोर का (बुखार) हाड़ना - (स० क्रि०) बो० तराजू का धड़ा करना हाड़ी - (स्त्री०) 1 ज़मीन में पत्थर गाड़कर बनाया गया गड्ढा 2 एक प्रकार का पत्थर
हाता - अ० (पु० ) अहाता, घेरा
हातिम - अ० (पु० ) 1 निपुण, चतुर 2 अत्यंत दानी और परोपकारी व्यक्ति
मूठ । उधार पाँव (पु०) हाथ
पाँव
हाथ - ( पु० ) 1 कर, हस्त 2 दाँव 3 दस्ता, (पु० ) हाथों हाथ (अलिखित कर्ज़ा); और पैर पानी (पु०) आबदस्त; -पैर ( पु० ) = हाथ फूल (पु० ) = हथ फूल; - आँखों से लगाना बहुत आदर सम्मान करना; ~आगे करना सामान लेने के लिए हाथ बढ़ाना; आज़माना शक्ति आदि की आज़माइश करना; ~ आना 1 वश में आना, अधिकार में होना 2 फ़ायदा होना; - उठा उठाकर कोसना बहुत बददुआएँ देना; उठा उठाकर दुआ देना प्रसन्नता से आशीर्वाद देना; उठाकर देना 1 स्वेच्छा से कुछ देना 2 दान देना; उठाना 1 नमस्कार करना 2 मारना; उठा बैठना 1 मार बैठना 2 असहयोग करना; उठा लेना हाथ उठा बैठना; उतरना हाथ उखड़ना, हाथ की हड्डी का स्थान से सरक जाना; ऊँचा करना 1 आशीर्वाद देना 2 खर्चीला होना; ऊँचा रहना खर्चीला होना; ऊँचा होना 1 दानी होना 2 खर्चीला होना; ~ ओछा पड़ना पूरी ताक़त से वार न होना; कट जाना विवश होना, बेकाबू होना; कटा देना, कटाना, ~कटा लेना = हाथ कट जाना; क़लम करना पूरा हाथ क़लम होना = पूरा हाथ कटना; का झूठा काट देना विवश कर देना; कानों पर रखना 1 पनाह माँगना 2 काम न करना 3 काम करने में अयोग्यता दिखलाना; ~ का मैल तुच्छ वस्तु का सच्चा होना ईमानदार की सफ़ाई 1 हाथ की कारीगरी 2 वार करने का
काटना बेईमान
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हाथ
अच्छा अभ्यास; ~ के तोते उड़ जाना 1 स्तब्ध हो जाना 2 बाधा उत्पन्न होना 3 आशा के विपरीत हो जाना; के नीचे आना क़ाबू में आना; को हाथ नज़र न आना घोर अंधकार या अनर्थ होना; खाना 1 वार की चपेट में आना 2 वार खाना; खाली जाना 1 जुए आदि में बाजी न आना 2 वार चूकना 3 युक्ति सफल न होना; खाली न होना काम से फुर्सत न मिलना, व्यस्त रहना; -खाली होना बिना पैसे का होना, करने के लिए कोई काम न होना;
खींचना
खुजलाना
1 सहयोग न करना 2 काम से हट जाना; 1 द्रव्य प्राप्ति की पूर्व सूचना मिलना 2 चपत लगाने की प्रवृत्ति होना; खुलना 1 दानोन्मुख होना 2 खर्चीला होना 3 हथछुट होना 4 हाथ का काम देने लगता गरम होना अर्थ की प्राप्ति होना; गले में डालना 1 समवयस्क के प्रति प्रेमभाव प्रकट करना 2 छोटे को प्यार करना; चमकाना औरतों की हाथ उठाकर या हिलाकर बातें करना; 2 काम का किया जाना चलना 1 मारने को प्रवृत्त होना; चलाना 1 काम करना 2 मारना; चूमना किसी की कारीगरी से प्रभावित होकर उसके हाथ चूम लेना; छूटना 1 मारने को प्रवृत्त होना 2 विवाह संबंध टूटना; छोड़ना 1 मारना 2 विवाह संबंध तोड़ना; जड़ना तमाचा लगाना, थप्पड़ मारना; जमना 1 तमाचा पड़ना 2 काम में हाथ का अभ्यस्त होना या काम में निपुण होना; जमाना 1 हाथ जड़ना 2 हाथ को काम के अभ्यस्त बनाना; जोड़ देना 1 हार मान लेना 2 क्षमा माँग लेना; जोड़ना 1 नमस्कार करना 2 अनुनय विनय करना 3 क्षमा याचना करना 4 संबंध विच्छेद करना; झाड़कर खड़ा हो जाना पास में एक पैसा भी न होने की बात करना; ~ झाड़कर जाना खाली हाथ जाना; झूल जाना हाथ टूट जाना; ~ टेकना सहायता लेना; टेकाना सहारा देना; ~ डालना 1 कार्य आरंभ करना 2 कार्य में दखल देना; ~तंग होना रुपए पैसे की कमी होना; तकना किसी के भरोसे होना; ~ दिखाना 1 वैद्य को नाड़ी दिखाना 2 ज्योतिषी को भूत-भविष्य की जानकारी के लिए हाथ दिखाना;
देखना 1 नाड़ी देखना 2 भूत-भविष्य के ज्ञान के लिए किसी का हाथ देखना; देना 1 सहायक होना 2 वचन देना 3 बाजी लगाना 4 मारना पीटना 5 रुकने का इशारा करना; ~ धरना 1 सहायता देना 2 रक्षा करना 3 काम करने से रोकना 4 पाणिग्रहण करना; धोकर पीछे पड़ना जी जान से किसी काम में जुट जाना; धो बैठना खो देना; (पुट्ठे पर) ~न धरने देना या न रखने देना किसी की बात न मानना; पकड़ते पहुँचा पकड़ना 1 थोड़ी सी रिआयत मिलने पर ही अधिक हिलमिल जाना 2 थोड़ा सा सहारा मिल जाने पर अधिक प्राप्ति का अवसर ढूँढ़ना; पकड़ना = हाथ धरना; पकड़ने की लाज करना या पकड़ने की लाज रखना वचन देकर उसका निर्वाह करना; पड़ जाना 1 बिना परिश्रम वस्तु का प्राप्त हो जाना 2 चोरी हो जाना; पड़ना 1 अधिकार में होना 2 फ़ायदा होना, लाभ होना 3 लूटा जाना;
पत्थर तले दबना 1 संकट में पड़ना 2 विवश होना; पर कुरान रखना या पर गंगाजल रखना कुरान या गंगाजल की कसम खिलाना; पर तोता पालना अपने हाथ को ज़ख्मी रखना, ज़ख्म अच्छा न होने देना; पर नाग खेलना
हाथ
प्राण को संकट में डालना; पर धरकर बैठ जाना 1 निराश हो जाना 2 निरुद्यम होना 3 आलसी होना; पर ~मारना 1 प्रतिज्ञा करना 2 बाज़ी लगाना; पल्ले न पड़ना कोई लाभदायक परिणाम न निकलना; पसारना
1 याचना करना 2 भीख माँगना; पसारे जाना जगत् से खाली हाथों जाना; पाँव का जवाब देना शरीर का काम करने के योग्य न रहना पाँव चलना 1 उद्योगी होना 2 शरीर में ताक़त रहना पाँव चलाना कर्मशील होना; पाँव जोड़ना गिड़गिड़ाना; पाँव ठंडे होना 1 मरणासन्न होना 2 मृत्यु होना, मर जाना 3 अत्यंत डर जाना, स्तब्ध होना; ~पाँव पटकना तड़फड़ाना, छटपटाना, पाँव पीटना व्यर्थ प्रयत्न करनी पाँव फूलना विपत्ति से घबड़ा जाना; पाँव फैलाना कार्यक्षेत्र बढ़ाना; पाँव मारना 1 खूब कोशिश करना 2 तड़फड़ाना, छटपटाना; पीले करना विवाह करना, पैर चलाना, पैर मारना 1 जीविका हेतु काम धंधा करना 2 उद्देश्य प्राप्ति का प्रयत्न करना; फेरना लाड़ प्यार करना; फैलाना याचना करना; बँटाना सहयोग करना; ~ बढ़ाना 1 वस्तु लेने के लिए हाथ आगे फैलाना 2 अधिकार, हक, सीमा से अधिक माँगना; बाँधे खड़ा रहना सेवा के लिए हर वक्त तैयार रहना; बिकना या बिकाना क्रीतदास होना; भर का कलेजा होना 1 अत्यधिक प्रसन्न होना 2 साहस बढ़ जाना भरना हाथ थकना; भरा होना धनवान होना; ~मलना पश्चाताप करना; ~ माँजना अभ्यास करना; मारना 1 = हाथ साफ़ करना 2 बाजी लगाना 3 गायब करना, हड़पना 4 खूब खाना 5 वार करना; (उलटा ) ~मारना वार का जवाब वार से देना; ~मींजना, मींडना = हाथ मलना; ~ मुँह पर रख लेना बोलने न देना; में करना 1 प्रेमपूर्वक या बलात् वश में करना 2 अधिकार करना; में जाना किसी के पास पहुँचना; -में ठीकरा देना भिखारी बनाना; में ठीकरा लेना 1 अत्यंत गरीब होना 2 भीख माँगना; में दिल रखना मन को अपने वश में रखना; में पड़ना = हाथ आना; में रखना = हाथ में करना; में सनीचर आना अत्यंत ग़रीब होना; ~में~ डालना = हाथ पकड़ना; में देना ब्याह कराना में ~ होना 1 साथ होना 2 संरक्षण में होना; में हुनर होना कारीगरी में योग्य होना; ~ रोकना 1 काम में रुकावट पैदा करना 2 काम करना बंद करना; ~ लगना 1 अधिकार में आना 2 स्पर्श हो जाना 3 कार्यारंभ होना: ~ लगाना 1 कार्य आरंभ करना 2 स्पर्श करना; ~ लगाए कुम्हलाना अत्यधिक नाजुक होना अत्यंत कोमल होना; ~लगे मैला होना स्पर्श मात्र से गंदा हो जाना; ~लपकाना = हाथ बढ़ाना; ~ समेटना = हाथ खींचना; ~साधना = हाथ आज़माना; साफ़ करना हड़पना; सिर पर रखकर रोना 1 अत्यधिक पश्चाताप करना 2 परेशान होना; ~ सिर पर रखना सिर की कसम खाना; से काम निकलना किसी के ज़रिए काम का संपन्न होना; ~ से काम निकालना किसी से काम कराना से जाना, से निकलना 1 हाथ से गिर जाना 2 वश के बाहर होना 3 अधिकार में न रहना फिसलना मुग्ध होना
से दिल जाना, से दिल आशिक होना; ~हिलाते आना
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हाथा
खाली हाथ आना; हाथों उछलना खूब तड़पना; हाथों कलेजा उछलना 1 अत्यंत उत्साहित होना 2 अत्यधिक प्रसन्न होना; हाथों दिल बढ़ाना अत्यधिक साहस बढ़ाना; हाथों में रखना बहुत लाड़ प्यार से पालना; (दोनों) हाथों समेटना खूब धन एकत्र करना; हाथों हाथ तुरंत, शीघ्र; हाथों हाथ उठाकर ले जाना ऊपर ही ऊपर ले जाना; हाथों हाथ उड़ जाना या बिक जाना अत्यंत शीघ्र, दम मारते ही बिक जाना; हाथों हाथ लेना मन से स्वागत करना, सम्मानपूर्वक
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आवभगत करना
हाथा - (पु० ) 1 खेत सींचने का एक औज़ार 2 औज़ार आदि का दस्ता, मुठिया
हाथाछाँटी - (स्त्री०) 1 चालाकी, धूर्तता, चालबाज़ी 2 लेन-देन आदि में धूर्तता करना
हाथापाई, हाथा बाँही - (स्त्री०) उठा पटक, साधारण लड़ाई झगड़ा (जैसे- आपस की हाथा पाई)
हाथा हाथी - ( क्रि० वि०) बो० 1 हाथोंहाथ 2 तुरंत हाथी - ( पु० ) 1 एक अत्यंत विशाल स्तनपायी और सूँड़धारी पशु या चौपाया, गज, हस्ती 2 शतरंज के खेल का हाथीनुमा एक मोहरा । खाना + फ़ा० (पु० ) हस्तिशाला, फ़ीलखाना; ~ डुबाव (पु० ) हाथी के क़द जितना पानी का डुबाव;
दाँत (पु०) नर हाथी के मुँह के दोनों ओर निकले हुए सफ़ेद दाँत; नाल (पु०) हाथी की पीठ पर रखकर ले जानेवाली पुरानी तोप, गजनाल, पाँव (पु० ) चि० फीलपाँव नामक एक रोग; पर चढ़ना 1 विशेष सम्मान प्राप्ति करना 2 अत्यंत धनी होना; पर चढ़ाना अत्यधिक सम्मान देना; बाँधना अत्यंत रईस या धनी होना; ~सा होना बहुत मोटा होना
हाथीवान - ( पु० ) फ़ीलवान, महावत
हादसा - अ० (पु० ) बुरी घटना, दुर्घटना
हानि -सं० (स्त्री०) 1 अनिष्ट या अपकार 2 क्षति, नुक़सान (जैसे- स्वास्थ्य की हानि, धन-मान की हानि ) । ~कर (वि०) नुक़सान पहुँचानेवाला; कारक, कारी (वि०) क्षति पहुँचानेवाला; पूरक (वि०) क्षति पूरा करनेवाला; ~प्रद (वि०) हानिकर
=
हाफ़-अं० (वि०) आधा
हाफ़िज़ - अ० I (पु० ) ऐसा धर्मशील व्यक्ति जिसे कुरान कंठस्थ हो II ( वि०) हिफ़ाज़त करनेवाला, रक्षक हाबिस-बो० (पु०) जहाज़ का लंगर उखाड़ना हाबी-अं० (स्त्री०) अभिरुचि, शौक हाबुस - (पु०) गेहूँ या जौ की बालों को भूनकर बनाया गया एक व्यंजन
हामी - I (स्त्री०) स्वीकृति, हाँ
हामी - II अ० (वि०) 1 हिमायत करनेवाला, पृष्ठपोषक 2 सहायक, मददगार, समर्थक
हाय - I (स्त्री०) 1 व्यथा, कष्ट 2 कष्ट की आवाज़ II ( क्रि० वि०) व्यथा सूचक अव्यय । ~ तोबा + अ० (स्त्री०) खेद, अफ़सोस ~ हाय I ( क्रि० वि०) कष्ट, पीड़ा, शोक आदि का सूचक शब्द II (स्त्री०) व्यस्तता, परेशानी, घबराहट हायन-सं० (पु० ) वर्ष, साल
हार - I (स्त्री०) 1 पराजय 2 असफलता (जैसे- हार से घबराना
हाल
नहीं चाहिए) 3 थकान, थकावट (जैसे-हार कर बैठ जाना) । जीत (स्त्री०) जय पराजय
हार - II सं० (पु० ) 1 माला (जैसे-हरे का हार) हारसिंगार 2 मुक्तमाला । ~सिंगार ( पु० ) हार - III सं० ( पु० ) 1 हरण 2 ज़ब्ती 3 हानि, क्षति हारक - सं० (वि०) 1 हरण करनेवाला 2 बलपूर्वक छीननेवाला 3. कष्ट आदि दूर करनेवाला
हारना - I (अ० क्रि०) 1 पराजित होना (जैसे- पाकिस्तान का भारत से युद्ध में हार जाना) 2 विफल होना 3 थक जाना, शिथिल हो जाना (जैसे-चलते चलते मेरे पैर हार गए ) II (स० क्रि०) 1 खोना 2 त्यागना 3 असफल होने पर देना (जैसे- शील्ड हारना )
हारपून - अं० (पु० ) मछली मारने का भाला, कांटेदार बछ हारमोनियम - अं० (पु०) संदूक के आकार का एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी बाजा
=
हारावली-सं० (स्त्री०) मोतियों की लड़ी हारिजेंटल - अं० (वि०) = हरिज़ांटल हारिल - ( पु० ) एक तरह की चिड़िया
हारी-सं० (वि०) 1 हरण करनेवाला 2 प्रसन्न करनेवाला -3 ग्रहण करनेवाला
हारेगाढ़े- ( क्रि० वि०) मर खपकर, किसी तरह हारौल - तु० (पु० ) = हरावल हार्ट फ़ेल-अं० (पु०) दिल की धड़कन बंद हो
जाना
हार्द - I सं० (पु० ) 1 प्रेम, स्नेह 2 इच्छा, आकांक्षा 3 दया, कृपा II (वि०) हृदय का
हार्दिक - सं० (वि०) 1 हृदय में होनेवाला 2 आंतरिक, दिली (जैसे- हार्दिक प्रेम ) । ~ता (स्त्री०) आंतरिकता हार्न - अं० ( पु० ) 1 भोंपा (जैसे- मोटर का हार्न बजाना ) 2 संकेत ध्वनि
हार्बर-अं० (पु०) बंदरगाह
हार्मोन - अं० (पु०) पौधों तथा प्राणियों में पाया जानेवाला विशेष कार्बनिक रस
हार्य सं० (वि०) 1 हरण करने योग्य 2 प्रसन्न करने योग्य 3 ग्रहणीय
हार्वेस्टर - अं० (पु० ) फ़सल काटने का यंत्र हार्सपावर-अं० ( पु० ). अश्व शक्ति
हाल - I अ० (पु० ) 1 कुशल मंगल, समाचार (जैसे- घर का क्या हाल चाल है) 2 स्वास्थ्य (जैसे मरीज़ का हाल कैसा है) 3 दशा, अवस्था (जैसे वह बेचारा किस हाल में होगा ) 4 अत्यंत बुरी शोचनीय स्थिति या हालत (जैसे- हाल में सुधार करना, हाल सुधारना) 5 वर्तमान से कुछ ही पहले का समय (जैसे- अभी हाल में ही मैं गाँव गया था)। चाल + हिंο (पु०) हाल अहवाल; बेहाल + फ़ा० + अ० (पु०) अच्छी हालत से बुरी हालत
हाल - II अ० (अ० ) 1 अभी 2 तुरंत (जैसे- हाल का जन्मा, हाल की घटना ) 3 हाल में, वर्तमान समय में (जैसे- अभी हाल आप कहाँ जाएँगे)
हाल - III अं० (पु०) बहुत बड़ा कमरा। कमरा + हिंο (पु० ) बड़ा कमरा
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हाल
हाल - IV (स्त्री०) लकड़ी के पहिये पर चढ़ाया जानेवाला लोहे का पट्टा
हाल - V (स्त्री०) 1 झोंका, झटका 2 हिलना, कंप हालगोला - बो० (पु०) गेंद
हालडोल - (स्त्री०) 1 गति 2 हलचल 3 कंप
हालत - अ० (स्त्री०) 1 अवस्था, दशा 2 परिस्थिति 3 समाचार 4 मौजूदा हैसियत, वर्तमान स्थ
हालना - (अ० क्रि०) बो० 1 हिलना डोलना 2 काँपना 3 झूमना हालरा - (पु० ) 1 बच्चों को गोद में हिलाना 2 झटका, झोंका 3 लहर, हिलोर
हालाँकि - अ० + फ़ा० (अ०) यद्यपि, अगरचे
हाला - सं० (स्त्री०) शराब मद्य वाद (पु०) साहि० वह कविता जिसमें स्वर्ण सुरा और सुंदरी की प्रधानता हो हालात - अ० (पु०) 1 स्थितियाँ 2 परिस्थितियाँ हालाहल सं० (पु० ) = हलाहल हालिम - ( पु० ) 1 दवा के काम आनेवाला चंसुर नामक पौधा 2 इस पौधे का बीज
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हाली -बो० (पु० ) हल जोतनेवाला, हलधर, हलिया हालीमवाली - अ० (पु० ) संगी साथी, यार दोस्त हालों - (पु० ) चंसुर, चंद्रसुर
हाल्ट - अं० (पु० ) ठहराव, एकदम रुक जाना। ~ स्टेशन ( पु० ) ठहराऊ स्टेशन
हाव-सं० ( पु०) साहि० श्रृंगार के क्षेत्र में नायिका द्वारा की जानेवाली आकर्षक तथा मोहक क्रियाएँ । भाव (पु० ) 1 नाज़ नखरा, चोचलापन 2 आकर्षक और कोमल चेष्टाएँ हावका - (पु० ) 1 किसी की तरक्की देखकर या अपनी भारी क्षति के स्मरण होने पर ली जानेवाली ठंडी साँस, दीर्घ निश्वास, गहरी या ठंडी साँस 2 प्रबल इच्छा या कामना हावला बावला - (वि०) पागल, विक्षिप्त हाविज़र-अं० (स्त्री० ) हविज़र हावी - अ० (वि०) 1 दबा रखनेवाला 2 घेरनेवाला 3 कुशल, दक्ष, प्रवीण
हाशिया - अ० ( पु० ) 1 किनारा (जैसे- किताब या कापी का हाशिया ) 2 कपड़ों में टाँकी जानेवाली गोट या मगजी 3 हाशिये पर लिखित टिप्पणी, फुटनोट, टीका की टीका । ~आराई + फ़ा० (स्त्री०) हाशिया चढ़ाना; नशीन + फ़ा० (पु०) आस पास बैठनेवाले, मुसाहब; चढ़ाना 1 गोट टाँकना 2 टीका लिखना 3 अपनी ओर से कुछ जोड़ना, नमक मिर्च लगाना
=
हास-सं० ( पु० ) 1 हँसी 2 प्रसन्नता, खुशी । परिहास
(पु० ) हँसी मज़ाक, विलास (पु०) मौज मस्ती हासक -सं० ( पु० ) 1 हँसानेवाला व्यक्ति 2 विदूषक, भाँड़ हासिल - I अ० (वि०) प्राप्त, लब्ध II (पु० ) गo 1 जोड़ में संख्या का अंश 2 गणित की क्रिया का फल 3 लाभ 4 निचोड़, नतीजा, परिणाम
हास्पिटल - अं० ( पु० ) अस्पताल, चिकित्सालय हास्य - I सं० (वि०) 1 हास संबंधी 2 उपहास के योग्य II (पु० ) 1 हँसी 2 साहि० श्रृंगार रस का स्थायी भाव 3 दिल्लगी, मज़ाक 4 उपेक्षा तथा निंदा से युक्त हँसी, उपहास। ~कर (वि०) 1 हँसानेवाला 2 हास्यास्पद; पात्र.
हिंदुत्व
(पु० ) जिस व्यक्ति का मज़ाक उड़ाया जाए; प्रिय (वि०) मौजी, मज़ाकिया; प्रियता (स्त्री०) हास्य प्रिय होने का भाव; ~ मूलक (वि०) हास्यमय रस (पु० ) साहि० एक रस जिसका स्थायी भाव हास्य है; रसात्मक (वि०) हास्य रस संबंधी; ~ रसिक (पु० ) हास्य प्रिय, विनोदी; ~ रहित (वि०) दे० हास्यहीन रूपक (पु० ) हँसी पैदा करनेवाली नाट्य रचना; - विनोद (पु० ) हँसी मज़ाक; ~ हीन (वि०) 1 जो हँसता न हो 2 जो हास्य रस से रहित हो, बिना हास्य रस का
हास्यमय सं० (वि०) हँसी से भरा हुआ हास्यास्पद - सं० (पु० ) 1 हँसी का विषय 2 उपहास का विषय
हास्योत्पादक-सं० (वि०) हास्यकर हाहंत-सं० (अ०) शोक सूचक उद्गार
हाहा - I (पु० ) ज़ोर से हँसने का शब्द। कार + सं० (पु०) 1 घबराहट की चिल्लाहट 2 कुहराम; ठीठी, हीही (स्त्री०), हूहू (पु०) विनोद क्रीड़ा, हँसी ठट्ठा हाहा - II (अ०) आश्चर्य, शोक आदि का सूचक एक शब्द हाही - (स्त्री०) 1 व्यग्रता 2 उत्कट लोभ या इच्छा। पड़ना अत्यंत व्यग्र होना
हाहूबेर - (पु० ) जंगली बेर
हिंकरना - ( अ० क्रि०) घोड़ों का हिनहिनाना हिंकार - सं० (पु० ) 1 गौ के रँभाने का शब्द 2 चीते या शेर आदि की गरज
हिंगाष्टक चूर्ण-सं० (पु०) सोंठ, पीपल, काली मिर्च, अजमोदा, सफ़ेद जीरा, स्याह जीरा, हींग और सेंधा नमक के मिश्रण से बना चूर्ण हिंगु-सं० (पु० )
हींग
हिंगुल - सं० ( पु० ) ईंगुर, सिंगरफ
हिंगोट - ( पु० ) मँझोल आकार का एक झाड़दार कँटीला जंगली पेड
हिंग्वाष्टक चूर्ण-सं० (पु०) दे० हिंगाष्टकचूर्ण हिंडन - सं० (पु० ) घूमना या चलना फिरना हिंडोरा, हिंडोल, हिंडोला - ( पु० ) 1 झूला 2 पालना 3 चरखी (जैसे- हिंडोला में बैठने के चार आसन होते हैं) हिंद - फ़ा० (पु० ) भारतवर्ष, हिंदोस्तान
हिंद यूरोपी - फ़ा० + अं० + हिं० (वि०) जिसके माता पिता में से एक भारतीय और यूरोपीय हो हिंदवी - फ़ा० (स्त्री०) हिंदुस्तान की भाषा
हिंदी - I फ़ा० (वि०) भारतीय II ( पु० ) हिंद का निवासी, भारतवासी III (स्त्री०) हिंद या हिंदुस्तान की भाषा, भारतवर्ष की राष्ट्रभाषा (जैसे- हिंदी का सम्मान करना हम सबका नैतिक कर्तव्य है) । भाषी + सं० (वि०) हिंदी बोलनेवाला (जैसे- हिंदीभाषी प्रदेश) ~ की चिंदी निकालना 1 कुतर्क 2 व्यर्थ का दोष निकालना हिंदीतर - फ्रा० + सं० (वि०) हिंदी से भिन्न । भाषी (वि०) हिंदी से भिन्न भाषा बोलनेवाला
हिंदुआनी - फा० + हिं० (स्त्री०) हिंदू स्त्री. हिंदुई-फ़ा० (स्त्री०) हिंदुत्व - फा०
=
हिंदवी
+ सं० (पु० ) 1 हिंदू होने की अवस्था 2 हिंदू का
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हिंदुस्तान
आचार विचार और व्यवहार। ~वादी (वि०) हिंदूपन का समर्थक
हिंदुस्तान - फा० ( पु० ) 1 भारतवर्ष, भारत 2 हमारे देश का उत्तरीय और मध्य भाग
हिंदुस्तानी- I फ़ा० (वि०) 1 हिंदुस्तान संबंधी 2 भारतीय (जैसे- हिंदुस्तानी भाषा) II ( पु० ) भारतवासी III (स्त्री०) हिंदुस्तान की भाषा हिंदुस्थान- फा० + सं० (पु० ) हिंदुस्तान हिंदू - फ़ा० ( पु० ) भारतवर्ष में बसनेवाली आर्य जाति के वंशज. भारतीय आर्य धर्म का अनुयायी। पन + हिं० (पु० ) हिंदू होने की अवस्था हिदेशियन -फ़ा० + अं० (वि०) हिंद और एशिया के मेल से
बना
हिंदोरना - (स० क्रि०) घेंघोलना
. हिंडोला
879
=
हिंदोल-सं० (पु० ) हिंदोलक -सं० (पु० ) छोटा हिंडोल, पालना
=
हिंव - बो० (पु० ) बरफ, हिम
हिवार -बो० (पु०) हिम, बर्फ
हिंसक सं० (वि०) 1 हिंसा करनेवाला. हत्यारा 2 कष्ट पहुँचानेवाला, पीड़ित करनेवाला 3 अन्य पशु या जीवों की हत्या करनेवाला (जैसे- हिंसक पशु)
हिंसन - सं० (पु० ) 1 जान से मारना 2 पीड़ित करना 3 अनिष्ट या हानि करना
हिंसा - सं० (स्त्री०) 1 हत्या 2 अनिष्ट या हानि । कर्म (पु० )
1 मारने, या सताने का काम 2 हानि पहुँचाने का काम; चार (पु० ) दे० हिंसा कर्म; ~मूलक (वि०) हिंसात्मक, हिंसा का; वाद (पु० ) ये मत कि सफलता के लिए मरना मारना आवश्यक है; वृत्ति (स्त्री०) हिंसा कर्म हिंसात्मक-सं० (वि०) हिंसा संबंधी, हिंसा का हिंसालु -सं० (वि०) हिंसा करनेवाला, हिंसक हिंस्र - सं० (वि०) 1 हिंसा करनेवाला, हिंसक (जैसे-हिंस्र पशु) 2 हत्या करनेवाला । पशु (पु० ) हिंसक जंतु. खूँखार
जानवर
हिंस्रक - सं० (पु० ) हिंस्र पशु, खूँखार जानवर हिकमत - अ० (स्त्री०) 1 अच्छी और बढ़िया तरकीब, उत्तम युक्ति 2 तत्त्व ज्ञान । ~ अमली (स्त्री०) 1 नीति, राजनीति 2 चतुराई 3 जोड़ तोड़, चाल हिकमती -अ०
फ़ा० (वि०) 1 कार्य पटु 2 चालाक,
होशियार
हिकायत - अ० (स्त्री०) 1 कहानी, कथा 2 बात हिक़ारत-अ० (स्त्री०) घृणा, नफ़रत
हिक्कासं० (स्त्री०) = हिचकी
हिचक - (स्त्री०) 1 हिचकने की क्रिया, हिचकिचाहट 2 मन में
होनेवाला आगा पीछा, रुकावट
हिचकिचाना-(अ० क्रि०) मन का आगा पीछा करना हिचकिचाहट - (स्त्री०) - हिचक
हिचकी - ( स्त्री०) ज़ोर ज़ोर से साँस लेना। बँध जाना, ~ लगना ज्यादा रोने से साँस रुकना हिचकियाँ लगना 1 प्राणांत के समय रुक रुककर हिचकी आना 2 मरणासन्न होना; लेना रोते समय रुक रुककर साँस का निकलना
हिदायत
हिचकोला - (पु० )
हचकोला
हिचर मिचर - ( स्त्री०) 1 टालमटोल 2 हिचक हिजड़ा - (पु० ) 1 ऐसा व्यक्ति जिसमें प्राकृतिक रूप से स्त्री और पुरुष दोनों के कुछ कुछ लक्षण पाए जाएँ, यूनक 2 नपुंसक हिजरत -अ० (स्त्री०) 1 संकट के समय जन्म भूमि त्यागना, देश त्याग 2 हिजरी सन् का प्रारंभ
हिजरी - अ० (वि०) हजरत मुहम्मद के मक्का से मदीना चले जाने की घटना से संबंधित
हिजाब - अ० (पु० ) 1 आड़, ओट, परदा 2 लज्जा, शर्म हिजे - अ० ( पु० ) 1 वर्ण या अक्षर 2 शब्द के वर्णों का किया जानेवाला अलग अलग और क्रमिक उच्चारण हिज्र - अ० ( पु० ) वियोग, जुदाई, विछोह
हिडिंब - सं० (पु० ) भीम के हाथों मारा गया एक प्रसिद्ध राक्षस हित-सं० ( पु० ) 1 भलाई, उपकार 2 कल्याण, मंगल 3 लाभ, फ़ायदा 4 सद्भाव, प्रेम। ~कर (वि० ) हितकारी; ~कर्ता (पु० ) हित करनेवाला व्यक्ति; कामना (स्त्री०) कारक (वि०) हितकारी कारिता
-
1 भलाई चाहना 2 हित की इच्छा करना;
=
=
कारी (वि०) 1 कल्याण चिंतक (पु० ) 1 भला
हितकारी कारिणी (वि० ) (स्त्री०) हितकारी होने का भाव; करनेवाला 2 भलाई करनेवाला; चाहनेवाला व्यक्ति 2 शुभ चिंतक, खैरखाह; ~ चिंतन (पु० ) 1 भला चाहना 2 कल्याण कामना, खैरखाही; ~ चिंतिका (स्त्री०) भला चाहनेवाली; ~वाद (पु०) हित के विचार से कहा गया कथन, हित वचन ~वादी 1 (वि०) हितवाद संबंधी II ( पु० ) हितवाद का अनुयायी; संघर्ष (पु० ) स्वार्थों की टक्कर; ~ साधक (पु० ) = हित कर्ता; साधन (पु० ) स्वार्थ सिद्ध करना
हिताई-सं० + हिं० (स्त्री०) 1 नाता, रिश्ता, संबंध 2 संबंधी का घर या परिवार हिताकांक्षी -सं० (पु० ) हित चिंतक हिताधिकारी-सं० (पु० ) लाभभोगी, हितग्राही हितार्थ-सं० ( क्रि० वि०) भले के लिए हितार्थी-सं० (वि०) हित की कामना रखनेवाला
हिताहित-सं० ( पु० ) 1 भलाई और बुराई 2 उपकार और
=
अपकार
हितू - सं० + हिं० (पु० ) 1 हितैषी, खैरखाह 2 निकट का संबंधी 3 सुहृद, स्नेही
हितेच्छा-सं० (स्त्री० )
हितैषिता हितैषी
हितेच्छु-सं० (वि०) हितेच्छुक - सं० (वि०) कल्याण कामना करनेवाला, खैरखाह, शुभचिंतक
हितैषिता-सं० (स्त्री०) हितैषी होने का भाव
हितैषी - I सं० (वि०) कल्याण मनानेवाला II ( पु० ) मित्र, दोस्त
हितैष्णा-सं० (स्त्री०) मंगल कामना, शुभ कामना हितोक्ति-सं० (स्त्री०) हित की बात, मंगल कथन, शुभ वचन हितोपदेश - सं० ( पु० ) 1 अच्छा उपदेश, अच्छी नसीहत, नेक सलाह 2 नीतिशास्त्र संबंधी एक प्रसिद्ध ग्रंथ (जैसे- हितोपदेश .की व्याख्या)
| हिदायत - अ० (स्त्री०) 1 रास्ता दिखाना 2 अनुदेश, इंस्ट्रक्शन ।
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हिनकना
~नामा + फ़ा० (पु०) हिदायत, आदेशों आदि की पुस्तक हिनकना - (अ० क्रि०) घोड़े का हिनहिनाना, हींसना हिनवाना - ( पु० )
तरबूज
हिनहिनाना - (अ० क्रि०) घोड़े का हिन हिन शब्द करना, हसना
हिनहिनाहट - (स्त्री०) हिनहिनाने का भाव हिना - अ० (स्त्री०) मेंहदी हिन्दी - फ़ा० (वि०) हिंदी हिन्दीतर - फ़ा० + सं० (वि०)
भाषी + सं० (वि० ) = हिंदीतर
हिंदीतर
=
+
=
हिन्दुत्व - फा० सं० (पु० ) हिन्दुस्तानी - फ़ा० (वि०) हिंदुस्तानी हिन्दू-फा० (पु० )
=
हिंदुत्व
हिंदू
हिप्नोटाइज़-अं० (स० क्रि०) सम्मोहित करना हिप्नोटिक-अं० (वि०) निद्राजनक हिप्नोटिज्म-अं० (पु० ) सम्मोहन विद्या
हिप्पोपोटामस-अं० ( पु० ) दरियाई घोड़ा हिफ़ाज़त-अ (स्त्री०) देखभाल, रक्षा हिफ़ाज़ती-अ + फ़ा० (वि०) हिफ़ाज़त संबंधी
880
हिफ़्ज़ - अ० (पु० ) याद
हिब्बा - 1 अ० (पु० ) 1 अन्नादि का कण, दाना 2 पदार्थ आदि का अत्यंत छोटा अंश या खंड
हिब्बा - II अ० ( पु० ) दान, बख़्शिश। नामा + फ़ा० (पु०) दानपत्र
हिम - 1 सं० (पु० ) 1 बर्फ़, पाला, तुषार 2 जाड़े की ऋतु, शीतकाल II (वि०) ठंडा, शीतल । उपल (पु० ) ओला, पत्थर, ऋतु (स्त्री०) जाड़े का मौसम, हेमंत ऋतु कण (पु०) 1 बर्फ़ के कण 2 ओस की बूँदें; ~कर (वि० ) ठंडा करनेवाला; काल (पु० ) = हिमयुग, खंड (पु०) बर्फ़ का टुकड़ा; झंझावात (पु० ) बर्फीला तूफ़ान दंश (पु० ) बर्फ़ से अंग गलना; ~नद (पु० ) हिमानी, ग्लेशियर; ~पात (पु० ) 1 पाले का पड़ना 2 ओले का गिरना; ~ भंजक (वि०) (यंत्र) बर्फ़ को तोड़नेवाला; मंडित (वि०) बर्फ से ढका हुआ, हिमाच्छन्न मनुष्य, (पु० ) हिमालय की बर्फीली चोटियों पर बड़े-बड़े पदचिह्नोंवाला एक अज्ञात तथा रहस्यमय भीषण जंतु, येती, स्नोमैन ~ यान (पु० ) बर्फ़ पर चलनेवाली (बिना पहिए की) गाड़ी, रेखा (स्त्री०) पहाड़ की ऊँचाई की वह सीमा जहाँ हमेशा बर्फ़ ही जमी रहती है, स्नो लाइन; वर्षा (स्त्री० ) = हिमपात, विगलन (पु०) बर्फ़ का गलना; -वृष्टि ( स्त्री०) हिमपात, शीतल (वि०)
मानव
1 अत्यधिक ठंडा 2 जमा देनेवाला (शीत); ~ शुभ्र (वि०) बर्फ़ की तरह सफ़ेद; -शैल (पु० ) हिम पर्वत;
~ स्खलन (पु० ) बर्फ़ का खिसकना
हिममय - सं० (वि०) हिमयुक्त
हिमवत्, हिमवान् -1 सं० (वि०) बर्फ़वाला, बर्फ़ीला II (पु०) हिमालय
हिमांक-सं० (पु०) कपूर
हिमांशु - सं० (पु०) चंद्रमा
हिमाक़त - अ० (स्त्री०) 1. अहमक होने की अवस्था 2 बेवकूफ़ी, मूर्खता
हिमाघात -सं० (पु० ) दे० हिमदंश हिमाच्छन्न-सं० (वि०) बर्फ़ से ढका तुषारावृत्त हिमाच्छादित-सं० (वि०) बर्फ़ से आवृत्त हिमाद्रि - सं० (पु० ) हिमालय
हिमानी-सं० (स्त्री०) 1 बर्फ़ का ढेर 2 बर्फ़ की विशाल राशि हिमाम दस्ता - फ़ा० (पु०) लोहे का खरल और बट्टा हिमायत - अ० (स्त्री०) तरफ़दारी, पक्षपात हिमायती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 तरफ़दारी करनेवाला, पक्षपाती 2 प्रेरणाजनक तथा पक्षपातपूर्ण हिमालय - सं० ( पु० ) भारत की उत्तरी सीमा पर स्थित एक विशाल पर्वतमाला (जैसे - हिमालय की सबसे ऊँची चोटी एवरेस्ट है)
हिमीकर - I सं० (वि०) हिम की तरह ठंडा करनेवाला II (पु० ) प्रशीतक
हिमीकरण -सं० (पु० ) बर्फ़ का रूप देना हिमीभूत - सं० (वि०) बर्फ़ के रूप में आया हुआ, बर्फ़ बना हुआ
हिम्मत - अ० (स्त्री०) 1 साहस 2 वीरता, बहादुरी 3 पौरुष, पराक्रम । पड़ना साहस होना; हारना साहस छोड़ना; ~ से काम लेना बहादुरी से काम करना हिम्मतवर - फ़ा० (वि०) हिम्मती, साहसी हिम्मती -अ०
+ फ़ार (वि०) 1 हिम्मतवाला, साहस 2 पराक्रमी, बहादुर 3 पराक्रमी
'हिय- (पु० ) 1 मन, हृदय 2 साहस, हिम्मत हारना साहस छोड़ देना
=
हियरा - ( पु० ) हिया हियाँ - (अ०) बो० यहाँ
हिरावल
हिया - ( पु० ) 1 हृदय, मन 2 वक्षस्थल, छाती । फटन शोकातिरेक का अनुभव होना; ~भर आना शोकातुर होना ~भर लेना 1 शोकातिरेक से लंबी साँस लेना 2 शोक क अभिव्यक्ति करना; -शीतल होना सुख शांति का अनुभव करना, मन शांत होना; हिये का अंधा अज्ञान, मूर्ख; हिये पर पत्थर धरना सब कर लेना; हिये पर लोन सा लगना अत्यंत पीड़ा होना; हिये लगना गले से लगना, आलिंगन करन हियाव - ( पु० ) = हिम्मत हिरकना-अ० क्रि० बो० 1 धीरे-धीरे परचना 2 सटना,
चिपकना 3 बहुत पास आना हिरण्य-सं० (पु० ) सुवर्ण । 12 सूक्ष्म शरीर
गर्भ (पु० ) 1 प्राणात्मा
हिरन - ( पु० ) हरिन नाम का सींगवाला एक चौपाया, हरिन पशु, मृग (स्त्री० हिरनी)
हिरनौटा - ( पु० ) हिरन का बच्चा, मृग शावक हिरफ़त - अ० (स्त्री०) 1 व्यवसाय, पेशा 2 कारीगरी, दस्तकारी 3 हुनर, गुण। बाज़ + फ़ा० (वि०) चालबाज़, धूर्त हिरमजी, हिरमिज़ी - I फ़ा० (स्त्री०) एक तरह की लाल मिट्टी II (वि०) लाल मिट्टी के रंग का हीरा हिरवा-बो० (पु० ) हिरस- अ० बो० (स्त्री०) हिरावल - तु० (पु० ) हरावल
हिर्स
-
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हिरास
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हीछा
हिरास-फ़ा० (स्त्री०) 1खेद, दुःख 2 भय, त्रास 3 निराशा, हिवं-बो० (पु०) बर्फ, पाला नाउम्मीदी
हिवंचल-(पु०) हिम, पाला हिरासत-अ० (स्त्री०) 1 नज़रबंदी 2 अभिरक्षा, कस्टडी | हिवार-(वि०) हिम की तरह 3 पहरा, निगरानी
हिस-अ० (पु०) 1 अनुभव, ज्ञान 2 चेतना हिरासती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 हिरासत संबंधी 2 हिरासत में हिसका-(पु०) 1 ईर्ष्या, डाह 2 प्रतिस्पर्धा, होड़ रखा गया
हिसाब-अ० (पु०) गणित 2 आय व्यय आदि का लिखा हिरासा-फ़ा० (वि०) 1 निराशा, नाउम्मीद 2 उदासीन या खिन जानेवाला ब्योरा या विवरण, लेखा, एकाउंट 3 गणित से हिर्फ़त-अ० (स्त्री०) - हिरफ़त
संबंधित प्रश्न (जैसे-मेरे दो हिसाब सही थे) 4 दर, भाव हिर्स-अ० (स्त्री०) निम्न स्तर की वासना या लालच । (जैसे-कपड़े किस हिसाब से खरीदे गए) 5 महत्त्व, मूल्य करना लालच करना; -दिलाना लालच देना
आदि का विचार (जैसे-आपके हिसाब से तो यह खरा हिर्सा हिसी-अ० + हिं० + अ० + हिं० (अ०) देखा देखी उतरेगा) 6 निश्चित नियम या व्यवस्था (जैसे-आपके आने हिर्सी-अ० + फ़ा० (वि०) अत्यंत लालची। टट्ट हिर्स जाने का कोई हिसाब समझ में नहीं आता) 7 अच्छे बुरे की करनेवाला व्यक्ति
स्थिति का ध्यान (जैसे-वह बड़े हिसाब से रहता है)। हिलकना-I (अ० क्रि०) बो० 1 हिचकियाँ लेना 2 सिसकना किताब (पु०) 1 आय व्यय आदि का विवरण 3 सिकुड़ना
2 व्यापारिक लेन देन का व्यवहार 3 ढंग, प्रकार 4 बही खाता; हिलकना-II (अ0 क्रि०) = हिलगना
चोर + हिं० (पु०) हिसाब किताब में गड़बड़ी कर रकम हिलकी-बो० (स्त्री०) 1हिचकी 2 सिसकी
दबा लेनेवाला व्यक्ति; ~दाँ + फ़ा० (१०) = हिसाबिया; हिलकोर-(पु०). = हिलकोरा
दानी + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) लेखा जोखा जानना; हिलकोरना-(स० क्रि०) 1 हिलकोर या लहरें उत्पन्न करना -बही +हिं० (स्त्री०) आय व्यय संबंधी पंजी; ~करना
2 शांत जल को क्षुब्ध करना (जैसे-तालाब आदि हिलकोरना) लेन देन चुकता करना; देना हिसाब समझाना; न होना हिलकोरा-(पु०) तरंग, लहर
बेहिसाब होना, गिनती न होना; -बैठना 1 उपाय निकल हिलग-(स्त्री०) 1 मेलजोल 2 प्रेम
आना 2 मेल मिलना; ~साफ़ करना हिसाब चुकता करना; हिलगना-(अ० क्रि०) 1 परचना 2 मेलजोल होना 3 सटना, ~से 1 अंदाज से, किफ़ायत से (जैसे-हिसाब से ख़र्च चिपटना 4 पास आना 5 अटकना, फँसना
करना) 2 हिसाब के मुताबिक़; ~से चलना 1 नाप तौलकर हिलगांना-(स० क्रि०) 1 परचाना 2 मेल जोल कायम रखना काम करना 2 किफ़ायत से खर्च करना या करना 3 फँसाना, उलझाना 4 पास लाना
हिसाबिया-अ० + हिं० (पु०) 1हिसाब का अच्छा ज्ञाता हिलना-I (अ० क्रि०) 1 चलायमान होना 2 कंपित होना । 2आगा पीछा सोचकर काम करनेवाला व्यक्ति 3 लहराना 4 झूमना 5 दृढ़ न रहना 6 चंचल होना, डिगना । हिसाबी-अ० (वि०) 1 हिसाब संबंधी 2 समझ बूझकर काम ~डोलना (अ० क्रि०) हिलना और डोलना, थोड़ा इधर करनेवाला 3 चतुर, चालाक उधर होना
हिसार-अ० (पु०) 1 किले आदि की चहारदीवारी या परकोटा हिलना-II (अ० क्रि०) हेल मेल में आना, परचना, हिलगना। 2 अहाता, घेरा मिलना (अ० क्रि०) मेल जोल रखना
हिसालू-(पु०) एक तरह का छोटा पौधा या बेल हिलाना-1 (स० क्रि०) 1 हिलने में प्रवृत्त करना 2 खिसकाना हिसिषा-बो० (स्त्री०) 1 प्रतियोगिता, होड़ 2 समानता, तुल्यता या हटाना 3 कॅपाना
हिस्टीरिया-अं० (पु०) 1 एक स्नायविक रोग 2 अपतंत्रक, हिलाना-II (स० क्रि०) परचाना
उन्माद 3 मूर्छा रोग हिलामिला-(वि०) परिचित और अनुरक्त
हिस्ट्री-अं० (स्त्री०) इतिहास हिलाल-अ० (पु०) 1नया चाँद 2 नया और आखिरी चाँद | हिस्सा-अ० (पु०) 1 भाग; अंश 2 बाँट 3 विभाग 4 साझा 3 पगड़ी की उठी हुई ऐंठन
5 अंग (जैसे-शरीर का कोई हिस्सा)। बखरा + हिं० हिलुड़ना-(अ० क्रि०) बो० 1 लहरों से युक्त __ (पु०) अंश, भाग; बांट + हिं० (स्त्री०) हिस्से का 2 हिलना
बंटवारा हिलोर-(स्त्रो०) = हिलकोरा
हिस्सेदार-अ० + फ़ा० (पु०) 1 अंशधारी, शेयर होल्डर हिलोरना-(स० क्रि०) 1 इधर उधर हिलाना, लहराना 2 जल्दी | __ 2 कार्य में योगदान करनेवालों में प्रत्येक (जैसे-चोरी के माल जल्दी समेटना
में सभी हिस्सेदार थे) हिलोरा-(पु०) बड़ी तथा ऊँची लहर
हिस्सेधारी-अ० + फा० (स्त्री०) हिस्सेदार होने की अवस्था हिलोल-(पु०) = हिलकोरा
हि हि-(स्त्री०) = ही ही हिल्ला-(वि०) कीचड़, गंदा
हिहिनाना-(अ० क्रि०) = हिनहिनाना हिल्लोल-सं० (पु०) = हिलकोरा
हींग-(स्त्री०) 1 एक तरह का आप से आप होनेवाला छोटा हिल्लोलन-सं० (पु०) 1 लहराना 2 काँपना 3 झूलना। पौधा 2 इस पौधे का निर्यास 4हिलना
हीछना-(स० क्रि०) बो० इच्छा करना, चाहना हिल्लोलित-सं० (वि०) तरंगित, लहराता हुआ
हीछा-बो० (स्त्री०) इच्छा
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हीस
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हकुर पुकुर हींस-(स्त्री०) घोड़े के हिनहिनाने की क्रिया, हिनहिनाहट आदमी, नर रत्न 3 सर्वोत्तम वस्तु । -कसीस (पु०) लोहे में हीसना-(अ० क्रि०) हिनहिनाना
गंधक के कारण रासायनिक योग उत्पन्न विकार; ~मन ही हीं-(स्त्री०) तुच्छतापूर्वक हँसने का शब्द
(पु०) लोक कथा में वर्णित तोते की एक कल्पित जाति ही-(अ०) केवल, मात्र
हीरो-अं० (पु०) नायक हीक-(स्त्री०) 1हिचकी 2 अप्रिय सड़ी हई तथा तीव्र गंध हीरोइन अं० (स्त्री०) नायिका हीचना-(अ० क्रि०) आगा पीछा करना
हील-बो० (पु०) 1 कीचड़ 2 पनाले का कीचड़ हीज-बो० (वि०) 1 आलसी 2 सुस्त
हीला-अ० (पु०) 1 बहाना 2 छल, धोखा 3 काम 4 वसीला, हीजड़ा-(पु०) = हिजड़ा
निमित्त 5 रोज़गार। ~हवाला (प.) टालमटोल या हीट-अं० (स्त्री०) 1 ऊष्मा, गर्मी 2 खेलों में प्रारंभिक दौड़। बहानेबाज़ी की बातें; हवाली (स्त्री०) = हीलाहवाला
प्रूफ (पु०) ऊष्मा-सह; बूस्टर (पु०) ऊष्मा वर्धक हीलियम-अं० (पु०) एक गंधरहित हलकी गैस यंत्र; ~वेव (पु०) ऊष्पा-तरंग
हीही-(स्त्री०) तुच्छतापूर्वक हँसना हीठना-(अ० क्रि०) 1 पास जाना 2 पैठना, घुसना हैं-(अ०) 1 एक सकारात्मक शब्द, हाँ 2 स्वीकृति सूचक शब्द, हीत-(वि०) हित करनेवाला, शुभचिंतक, हितैषी हीन-सं० (वि०) 1 खराब या घटकर 2 तुच्छ और नगण्य हंकरना-(अ० क्रि०) = हंकारना । 3 खाली (जैसे-जलहीन, बलहीन, धनहीन) 4 निम्न कोटि हुंकार-सं० (पु०) 1 ललकारने का शब्द 2 उग्र और ज़ोर का का, इन्फ़ीरियर 5 कम, थोड़ा या हलका । ~कुल (वि०) बुरे __ शब्द 3 ज़ोर से डाँटने डपटने का शब्द कुल का; ~ग्रंथि (स्त्री०) अपने आपको हीन समझने की हंकारना-(अ० क्रि०) 1 ललकारना 2 डाँटने डपटने के लिए वृत्ति; ~ता (स्त्री०) 1 हीन होने का भाव 2 अभाव ज़ोर का शब्द करना 3 ज़ोर से चिल्लाना 3 तुच्छता, ओछापन 4 नीचता, बुराई; बल (वि०) | हुंकारी-(स्त्री०) स्वीकृति सूचक शब्द, हामी। ~भरना कमज़ोर, निर्बल, बलहीन; बुद्धि (वि०) 1ख़राब | 1 स्वीकृति देना 2 कहानी आदि सुनते समय हूँ-हूँ करना बुद्धिवाला, दुर्बुद्धि 2 मूर्ख, बुद्धिरहित; ~भाव (पु०), हुंकृति-सं० (स्त्री०) हंकार ~भावना (स्त्री०) हीनता ग्रंथि; ~मति (वि०) = हीन हुंड-(पु०) 1 मेढ़ा, मेष 2 बाघ, व्याघ्र बुद्धि ल्यान (पु०) बौद्ध धर्म की वैराग्य तथा मोक्ष संबंधी हुंडा-I (पु०) आग के दहकने का शब्द एक प्रसिद्ध प्रारंभिक शाखा या संप्रदाय; योनि (वि०) हूंडा-II (पु०) वर पक्ष से कन्या के पिता को मिला धन 1 चरित्रभ्रष्ट या कुलटा स्त्री से उत्पन्न 2 नीच कुल में उत्पन्न; हुँडार-(पु०) भेडिया
रस (पु०) साहि० रस विरोधी भाव के प्रसंग की नियोजना हुंडावन-(स्त्री०) 1 हुंडी लिखते समय दस्तूरी के रूप में काटी से उत्पन्न काव्य दोष; ~वाद (पु०) 1 व्यर्थ का तर्क, फ़जूल गई रकम 2 हुंडी लिखने की दर की बहस 2 कमज़ोर दलील 3 दोषी प्रमाण; ~वादी । | इंडियावा-बो० (पु०) - हुंडावन (वि०) हीनवाद संबंधी II (पु.) हीनवाद का समर्थक; हंडी-(स्त्री०) 1 आपस में लेन देन के समय लिखकर दिया वृत्ति (स्त्री०) हीनता ग्रंथि
जानेवाला महाजनी चेक 2 निश्चित समय के अंदर ब्याज हीनकभावना-सं० (स्त्री०) = हीनता ग्रंथि
सहित किस्तों में रुपया अदा करने से संबंधित एक ऋण विधि हीनकमनोग्रंथि-सं० (स्त्री०) = हीनता ग्रंथि
3 अपना प्राप्य धन पाने के लिए किसी के नाम लिखा गया एक हीनत्व-सं० (पु०) = हीनता
पत्र जिसमें निर्धारित या निश्चित रकम अमुक को देने के लिए हीनहयात-I अ० (पु०) जीवनकाल II (अ०) जीवनकाल अंकित रहता है, ड्राफ्ट, बिल ऑफ़ एक्सचेंज। -बही तक
(स्त्री०) इंडियों के नकल की पुस्तक हीनांग-सं० (वि०) 1 अंग या अंगों से रहित, नष्टय बुबा-बो० (पु०) समुद्र की चढ़तो लहर, ज्वार अंगवाला 2 अधूरा
हाँ-I (पु०) गीदड़ों के बोलने का शब्द हीनार्थ-सं० (वि०) 1 निष्फल 2 बिना लाभ का 3 अनुचित या हुओं-II (क्रि० वि०) वहाँ बुरा अर्थवाला
हुआ-(वि०) 'होना' क्रिया का भूत कृदंत रूप (जैसे-खेल हीनावस्था-सं० (स्त्री०) गिरी हुई हालत
ख़त्म हुआ) हीनित-सं० (वि०) वंचित
हुआना-(अ० क्रि०) गीदड़ों का हुआँ हुआँ करना हीनोक्ति-सं० (स्त्री०) मान प्रतिष्ठा को बहुत घटाकर प्रस्तुत की हुक-1 अं० (पु०) अंकुश के आकार की बड़ी कील गई उक्ति
हक-II (स्त्री०) कमर आदि में अचानक किसी नस के झटका हीमोग्लोबिन-अं० (पु०) = हेमोग्लोबिन
खाने से उत्पन्न एक तरह का दर्द हीर-1 सं० (पु.) एक रत्न हीरा
हकना-(अ० क्रि०) 1 भूल जाना 2 निशाने का चूकना हीर-II (पु०) एक पंजाबी प्रेमगीत
हुकम-अ० (पु०) = हुक्म हीरक-सं० (पु०) हीरा नामक रत्न। जयंती (स्त्री०) हुकारना-(अ० क्रि०) = हुंकारना 1साठवें वर्ष का उत्सव 2 साठवाँ वार्षिकोत्सव, डायमंड हकुम-अ० बो० (पु०) = हुक्म
हकर पुकुर-(स्त्री०) 1 दिल की धड़कन 2 बेचैनी. विकलता. हीरा-(पु.) 1 एक रत्न या बहुमूल्य पत्थर 2 बहुत अच्छा | घबराहट
जुबिली
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हुकूमत
883
हकूमत-अ० (स्त्री०) 1 शासन, राज्य 2 अधिकार, प्रभुत्व। हुदहुद-अ० (पु०) कठफोड़ा पक्षी
चलाना अधिकारिक रूप से आज्ञा देना; जताना रोब हुदहुदी-(स्त्री०) भय, डर दिखाना, प्रभुत्व दिखाना
हुदारना-(स० क्रि०) बो० रस्से पर कोई वस्तु लटकाना या हक्का -अ० (पु०) तंबाकू पीने का दो नलीवाला एक ___ फैलाना उपकरण। पानी + हिं० (पु०) अपनी जाति या बिरादरी में | हुन-(पु०) सोने का सिक्का, स्वर्णमुद्रा खान पान का व्यवहार; ताजा करना हक्के का पानी हुनना-(स० क्रि०) 1 आग में डालना 2 आहुति देना बदलना; -पानी बंद करना पारस्परिक सामाजिक व्यवहार | हुनर-फा० (पु०) 1 कला, कारीगरी 2 गुण, योग्यता, कौशल छोड़ना; ~भरना हक्का पीने के लिए तैयार करना 3 चालाकी, चतुराई। ~मंद (वि०) कलाकुशल, निपुण; हुक्म-अ० (पु०) 1 अधिकारिक आदेश, आज्ञा 2 फ़ैसला ~मंदी (स्त्री०) कलाकुशलता, निपुणता 3 विधि विधान (जैसे-शासन का हक्म) 4 ताश का काले रंग हुनरा-फा० + हिं० (पु०) कलंदर बंदर के पान का पत्ता । ~उदूली (स्त्री०) आज्ञा का उल्लंघन; | हब्ब-अ० (स्त्री०) 1 प्रेम, अनुराग 2 भक्ति और श्रद्धा
नामा + फ़ा० (पु०) राजकीय आज्ञापत्र; बरदारI + 3 उत्साह, उमंग फ़ा० (पु०) आज्ञानुसार काम करनेवाला व्यक्ति या नौकर II हुमकना-(अ० क्रि०) 1 उछलना कूदना 2 पूरी ताक़त (वि०) आज्ञानुसार काम करनेवाला, सेवक; ~बरदारी + हमसना-(अ० क्रि०) उमंग में आना, उल्लासित होना फा० (स्त्री०) 1 आज्ञापालन 2 सेवा; रॉ + फ़ा०, रान हमसाना-(स० क्रि०) 1 उमंग में लाना 2 उकसाना + फ़ा० (वि०) हुक्म चलानेवाला; रानी + फ़ा० (स्त्री०) हुमेल-अ० (स्त्री०) = हमेल हुकूमत होना; ~की तामील आज्ञापालन; -चलना | हुरदंग-बो० (पु०) = हुड़दंग हुकूमत होना; चलाना हुकूमत करना; बजा लाना हुरदंगा-बो० (पु०) = हुड़दंगा आज्ञा पालन करना; ~में होना 1 आज्ञाधीन होना 2 अधिकार हरमत-अ० (स्त्री०) इज़्ज़त, मान, आबरू में होना; ~लगाना फैसला करना
हर्र-(वि०) देखते देखते अदृश्य हो जानेवाला हक्मी-अ० + फ़ा० (वि.) 1 खता न करनेवाला 2 आज्ञानुसार हुर्रा-अं० (पु०) एक तरह की हर्षध्वनि
काम करनेवाला 3 निश्चित रूप से अपना प्रभाव दिखानेवाला हुल-सं० (पु०) दोधारी बड़ी छुरी हुजर-अ० (पु०) एक तरह के पाश्चात्य घुड़सवार सैनिक हुलकना-(अ० क्रि०) वमन करना हजरी-अ० (पु०) 1 कोठरी 2 उपासना करने का कमरा हलकी-(स्त्री०) 1 वमन, उल्टी 2 हैजा नाम का एक रोग हजूम-अ० (पु०) लोगों का जमावड़ा, भीड़भाड़
हलसना-(अ० क्रि०) 1 अत्यंत प्रसन्न होना 2 उभरना, उमड़ना हुजूर-अ० (पु०) 1 हाकिम का दरबार या इजलास 2 हाजिर | हलसाना-(स० क्रि०) उल्लसित करना होना, सामने आना 3 सम्मान्य जन का संबोधन, श्रीमान्, हुलसी-(स्त्री०) = हुलास । जनाबआली
हुलहुला-बो० (पु०) 1 अद्भुत बात 2 उत्पात, उपद्रव 3 झूठा हजूरी-I अ० + फ़ा० (वि०) हजूर का, हजूर संबंधी II आरोप 4 उत्साह, उमंग (स्त्री०) सामीप्य, समीपता III (पु०) 1 ख़ास नौकर हुला-(पु०) लाठी का अगला तथा नुकीला छोर या नोक 2 दरबारी
हुलाल-(स्त्री०) लहर, तरंग हुज्जत-अ० (स्त्री०) 1 तर्क वितर्क और कहा सुनी 2 ज़बानी हुलास-I (पु०) 1 उल्लास, उमंग 2 उत्साह झगड़ा 3 व्यर्थ के प्रश्न तथा उन पर उठाई गई आपत्तियाँ हुलास-II (स्त्री०) सैंघनी। ~दानी +फ़ा० + हिं (स्त्री०) तकरार (स्त्री०) लड़ाई झगड़ा, टंटा
सुँघनीदानी, सुंघनी रखने का डिब्बा हजती-अ० + फा० (वि०) 1 हज्जत करनेवाला 2 झगड़ालू हुलिया-अ० (पु०) मुखाकृति और उसका रंग रूप, चेहरे की हुइ-अं० (पु०) 1 मोटर आदि की कमानीदार छाजन 2 सिर का बनावट; नामा +फ़ा० (पु०) रूप रंग का विवरण पत्र ढक्कन (बरसाती कोट आदि का)
-बिगड़ना बुरी हालत होना; -बिगाड़ देना, बिगाड़ना हुड़कन-(स्त्री०) वियोग का दुःख
हालत खराब कर देना हुइकना-(अ० क्रि०) वियोग में दुःखी होना, तरसना हलैया-(स्त्री०) डूबने के पहले नाव का डगमगाना हुड़का-(पु०) = हुड़कन
हुल्लड़-(पु०) 1 शोरगुल, कोलाहल 2 उपद्रव 3 दंगा, हुड़काना-(स० क्रि०) 1 तड़फाना, दुःख देना 2 तरसाना फ़साद। बाज़ी + फ़ा० (स्त्री०), हपाड़ा (पु०) शोर हुड़दंग-(पु०) उछल कूद और उपद्रव
गुल हुइदंगा-(पु०) = हुड़दंग
हुश्-(अ०) उपेक्षा, तुच्छता आदि का सूचक एक निषेधात्मक हुड़दंगी-(स्त्री०) हुड़दंग मचानेवाला
शब्द, अनुचित बात कहने से रोकने के लिए प्रयुक्त शब्द हृडुक्क-सं० (पु०) एक तरह का छोटा ढोल
(जैसे-हुश् ,ऐसा क्यों बक रहे हो) छु-(वि०) 1 बेशऊर 2 मूढ़
हुश्कारना-(स० क्रि०) हुश हुश शब्द करके कुत्ते को काटने के हुत-I सं० (वि०) 1 आहुति के रूप में दिया हआ 2 पूर्ण | लिए उत्तेजित करना समर्पण किया गया II (पु०) हवन की वस्तु
हुस्न-अ० (पु०) 1 सौंदर्य, सुंदरता, शोभा 2 उत्कर्ष सूचक गुण हुतात्मा-सं० (पु०) अच्छे कार्य में स्वयं को बलि देनेवाला या बात 3 सुंदरता बढ़ानेवाली विशेष बात (जैसे-हुस्न शहीद
काफ़िया)। परस्त + फा० (वि०) सौंदर्योपासक
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हुस्ना
परस्ती + फ़ा० (स्त्री०) सौंदर्योपासना (वि०) सौंदर्यप्रेमी; ~फ़रोश (स्त्री०) ~शिनास + फ़ा० (वि०) हुस्नपसंद हुस्ना - अ० (स्त्री०) हसीन औरत हुस्नोइश्क - अ० (पु० ) 1 नायक और नायिका 2 सौंदर्य और
प्रेम
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पसंद
+ फ़ा०
तवायफ, वेश्या;
हुस्नोदमक-अ०
फ़ा० (स्त्री०) सौंदर्य और कांति हूँ - I ( क्रि० वि०) 1 प्रश्न के उत्तर में स्वीकृति सूचक शब्द 2 अनुमोदन, समर्थन या स्वीकृति का सूचक शब्द 3 बात सुनते समय अपनी सावधानता या सजगता को सूचित करने का शब्द II (अ० क्रि०) वर्तमान कालिक क्रिया 'है' का
उत्तमपुरुष एक वचन रूप (जैसे- मैं हूँ) III (सर्व०) हौ, मैं हूँकना - (अ० क्रि० ) 1 गाय का हुड़कना 2 सिसक सिसककर रोना
हूँठ - (वि०) साढ़े तीन गुना
हूँठा - ( पु० ) साढ़े तीन का पहाड़ा
हूँड़ - बो० (स्त्री०) सिंचाई आदि खेती के कामों में किसानों की आपस की सहायता
हँस - (स्त्री०) 1 कटूक्ति करते रहने की क्रिया 2 ईर्ष्या, डाह, कुढ़न 3 बुरी नज़र या प्रभाव
हँसना - ( अ० क्रि०) 1 बुरा भला कहना 2 कोसना 3 डा करना, ईर्ष्या करना, जलना
हूँ हाँ - (स्त्री०) हुँकारी
हू-I सं० (अ०) पुरानी हिंदी में अतिरेक सूचक शब्द, भी (जैसे- तुमहू, हमहू) II (पु०) 1 गीदड़ के बोलने का शब्द 2 हवा के ज़ोर से चलने से उत्पन्न शब्द हूक - (स्त्री०) 1 पीड़ा, शूल, कसक 2 मानसिक पीड़ा 3 खटका, आशंका
हूकना - (अ० क्रि०) 1 शूल उठना 2 कसकना, सालना 3 आशंका होना
हूटिंग-अं० (स्त्री०) 1 चिल्लाहट 2 चिल्लाकर भगाना हूठना- (अ० क्रि०) बो० 1 हटना, टलना 2 घूमना, मुड़ना हूठा - (पु० ) अँगूठा दिखाने की अशिष्ट मुद्रा, ठेंगा । देना अँगूठा दिखाना
हूड - (वि० ) 1 उजड्डु, गँवार 2 अनाड़ी, मूर्ख 3 जिद्दी, हठी हूण - ( पु० ) 1 एक प्राचीन असभ्य और क्रूर मंगोल जाति 2 बहुत बड़ा उजड्डु और क्रूर व्यक्ति
हूत -सं० (वि०) बुलाया हुआ, आमंत्रित हूदना - (स० क्रि०) बो० तोड़ना फोड़ना हूनना - (स० क्रि०) बो० 1 आग में डालना 2 आग पर रखकर भूनना
हू बहू- अ० + फ़ा० + अ० (वि०) 1 जैसा रहा हो ठीक वैसा ही 2 बिलकुल पहले के समान, पूर्ववत्
हूर - अ० (स्त्री०) स्वर्ग की अप्सरा हूरना-I (स० क्रि०) 1 ज़ोर से धक्का देना 2 ज़ोर से धँसाना il (स क्रि०) मुक्कों से मारना III (स० क्रि०) बहुत अधिक खाना
हूरा - I ( पु० ) लाठी आदि का छोर हूरा - II बो० (पु० ) घूँसा, मुक्का। हूरी बो० (स्त्री०) आपस में ढकेलते हुए मारना
हृदय
हूराहूरी - सं० (स्त्री०) दिवाली के तीसरे दिन होनेवाला एक
उत्सव
हूल - (स्त्री०) 1 जोर से धँसाने की क्रिया 2 शूल, हूक 3 कोलाहल, हल्ला धूम 4 हर्ष ध्वनि 5 ललकार 6 आनंद, खुशी । फूल (स्त्री०) आनंद, प्रसन्नता
हूलना - (स० क्रि०) 1 गोदना, गड़ाना 2 शूल उत्पन्न करना हूला - ( पु० ) हूल
हूश - (वि०) अशिष्ट और असभ्य, उजड्डु हूह - (स्त्री०) हुंकार
हू हू - (पु० ) अग्नि के जलने का शब्द
=
हच्छूल - सं० (पु० ) चि० छाती के नीचेवाले भाग में एक तरह होनेवाला भीषण दर्द
हृतंत्री-सं० (स्त्री०) हृदय रूपी तंत्री या वीणा हृत-सं० (वि०) 1 पहुँचाया हुआ 2 छीना हुआ 3 चुराया हुआ 4 रहित या वंचित किया हुआ (जैसे-हत बंधु, हृत मानस ) । ~प्रतिदान (पु०) सौंप देना, पुनः अर्पित करना; प्रत्यर्पण (पु० ) संपत्ति आदि का पुनः वापस करना; मन, मानस (वि०) बेसुध, संज्ञाहीन; ~ सर्वस्व (वि०) जिसका सर्वनाश कर दिया गया हो; सर्वस्वा (वि०) जिसका सर्वस्व हरण किया गया हो, जिसका सर्वस्व छीन लिया गया हो हृताधिकार-सं० (वि०) अधिकार वंचित, पदच्युत हृति सं० (स्त्री०) 1 हरण करना 2 नाश हत्कंप - सं० (पु० ) दिल की धड़कन हत्कंपन -सं० (पु० ) दिल का धड़कना
हज़ल - सं० (पु० ) हृदय
हत्ताप-सं० (पु०) हृदय का दुःख
हृत्पिंड - सं० ( पु० ) हृदय का कोश या थैली, हृदय हृत्पीड़ा -सं० (स्त्री०) मन की वेदना हृत्पेशी-सं० (स्त्री० ) हृदय पेशी हृत्प्रिय-सं० (वि०) हृदय को प्रिय लगनेवाला हृत्स्पंद लेख-सं० (पु० )
= हृदय स्पंदन चित्र हृत्स्पंद लेखी-सं० (पु०) कार्डियोग्राम हृद् -सं० (पु० ) हृदय, दिल
हृदयंगम - सं० (वि०) 1 मर्मस्पर्शी 2 हृदयगत 3 अच्छी तरह समझ में आया हुआ
हृदय - सं० ( पु० ) 1 वक्ष के अंदर बाँई ओर स्थित मांस का रक्त कोश, दिल 2 छाती, सीना (जैसे माँ ने शिशु को हृदय से चिपका लिया) 3 मन, अंतःकरण 4 आत्मा 5 भीतरी रहस्य 6 अत्यंत प्यारा व्यक्ति । ~ क्षोभ (पु०) मन की अशांति; ~गत (वि०) 1 हृदय में स्थित 2 आंतरिक गति (स्त्री०) दिल की धड़कन ग्रह (पु०) कलेजे की ऐंठन; ~ ग्राहक (वि०) दिल को विश्वास करानेवाला; ग्राही (वि०) 1 रुचिकर 2 अभीष्ट 3 मनोहर 4 सुंदर 5 मनोरंजक; ~ग्राह्य (वि०) हृदय ग्राही चित्र (पु० ) चि० कार्डियोग्राम पर लिया गया चित्र; चोर (पु० ) हृदय की चोरी करनेवाला व्यक्ति; ज्ञ (वि०) 1 दिल की बात समझनेवाला 2 रहस्य जाननेवाला; दलन (पु०) हृदय पीड़ा दाह (पु०) दिल की जलन; देश (पु०) हृदय का क्षेत्र; ~ दौर्बल्य (पु० ) चि० दिल कमज़ोरी, दिल का कमज़ोर होना, कायरता भीरुता; ~ द्रावक (वि०) दिल को
=
की
=
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हृदयवान्
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पिघला देनेवाला; ~पट (पु०) हृदय रूपी पट; पिंड हृद्य-सं० (वि०) 1 हृदय संबंधी, हृदय का 2 हृदय को अच्छा (पु०) दिल; ~पीड़ा (स्त्री०) दिल का दर्द; पूर्वक | लगनेवाला, मनोहर या सुंदर 3 हृदय से उत्पन्न (क्रि० वि०) मन से; प्रतिरोपण (पु०) कृत्रिम या दूसरे | द्रोग-सं० (पु०) हृदय में होनेवाला कोई रोग, हृदय की कोई का हृदय स्थापित करना; ~प्रमाथी (वि०) 1 मन को क्षुब्ध | बीमारी करनेवाला 2 मन को मुग्ध करनेवाला; ~मंथन (पु०) हृदय | हद्रोध-सं० (पु०) = हृदयातिपात को आलोड़ित करना; ~वल्लभ (पु०) प्राणप्रिय व्यक्ति, हृवर्णना-सं० (स्त्री०) = हृदय चित्रण प्रियतम -विज्ञान (पु०) हृदय संबंधी रोगादि विषयों की हृदयावर्णनायंत्र-सं० (पु०) = हृदस्पंद लेखी जानकारी प्राप्त करनेवाला शास्त्र; लविदारी (पु०) हृदय को हृव्यया-सं० (स्त्री०) = हृदय पीड़ा विदीर्ण करनेवाला 2 अत्यंत दुःख देनेवाला 3 मन में अत्यधिक | हल्लास-सं० (पु०) बार-बार वमन की इच्छा होना, मिचली, करुणा उत्पन्न करनेवाला; ~वृत्ति (स्त्री०) मन की प्रवृत्ति; मितली
वेधक, ~वेधी (वि.) 1 हृदय को वेधनेवाला 2 मन | हषि-सं० (स्त्री०) 1 हर्ष, आनंद 2 आभा, चमक को व्यथित करनेवाला 3 मन को अप्रिय लगनेवाला; ~व्यथा हृषिकेश-सं० (पु०) इंद्रियों का स्वामी (स्त्री०) मन का दुःख; ~व्याधि (स्त्री०) = हृद्रोग; हृष्ट-सं० (वि०) प्रसन, हर्षित। -चित्त (वि०) प्रसन्न
शून्य (वि०) 1 अरसिक 2 क्रूर, निष्ठुर; ~शूल (पु०) | मनवाला; तुष्ट (वि०) प्रसन्न और संतुष्ट; पुष्ट (वि०) हृदय में होनेवाली पीड़ा ~संघट्ट (पु.) हृदयातिपात, हार्ट तगड़ा, हट्टा-कट्टा फेल्योर; ~स्थ (वि.) 1 हृदय में स्थित 2 शरीरस्थ हृष्टि-सं० (स्त्री०) प्रसन्नता, खुशी (कीटाणु); ~स्थल (पु०), ~स्थली (स्त्री०), ~स्थान | हेंगा-(पु०) खेत में पाटा चलाना (पु०) वक्षः स्थल; ~स्पर्शी (वि०) 1 दिल को छूनेवाला | हें हैं-(पु०) 1 धीर-धरि हँसने की ध्वनि 2 गिड़गिड़ाने से 2 दिल पर असर करनेवाला 3 मन में करुण भाव उत्पन्न कर | निकला शब्द उसे द्रवित करनेवाला; ~हारी (वि०) मनोहर, मन मोहक; | हे-सं० (अ०) संबोधन सूचक अव्यय (जैसे-हे राम)
हीन (वि०) 1 निष्ठुर 2 अरसिक; ~उमड़ना, ~भर | हेकड़-(वि०) 1 उग्र और प्रचंड 2 अक्खड़ और उदंड आना प्रेम, करुणा आदि के कारण चित्त का द्रवित होना; | 3 हट्टा-कट्टा, मोटा ताजा -विदीर्ण होना 1 करुणा आदि के कारण अत्यंत कष्ट होना हेकड़ी-(स्त्री०) 1 हेकड़ होने का भाव 2 अक्खड़पन मिली 2 असह्य वेदना होना; ~से लगाना 1 आलिंगन करना उदंडता 3 जबरदस्ती, बल प्रयोग 2 आत्मीय और प्रिय बनाना
हेच-फा० (वि०) 1 तुच्छ 2 निःसार हृदयवान्-सं० (वि०) 1सहृदय 2 दिलदार 3 रसिक | हेचदा-फ़ा० (वि०) मूर्ख 4 भावुक, दयालु
हेठ-I (वि०) 1 नीचा, नीच 2 हीन 3 कम II (पु०) 1 बाधा, हृदयाकाश-सं० (पु०) हृदयरूपी आकाश, संपूर्ण हृदय विघ्न 2 नुकसान, हानि 3 आघात, चोट हृदयातिपात-सं० (पु०) हृदय की धड़कन का बंद हो जाना हेठा-(वि०) 1 नीचा 2 तुच्छ या हेय । --पन (पु०) 1 नीचता हृदयालु-सं० (वि०) 1 सहृदय 2 भावुक
2 क्षुद्रता हृदयावरण-सं० (पु०) हृदय को चारों ओर घेरे रहनेवाली | हेठी-(स्त्री०) 1 मान हानि 2 अपमान, बेइज्जती झिल्ली
हेड-I सं० (पु०) उपेक्षा, अवमानना हृदयावसाद-सं० (पु०) चि० मृत्यु के पूर्व मनुष्य की समस्त हेड-II अं० (पु०) 1 प्रधान व्यक्ति 2 सिर। ~आफिस
शक्तियों के क्षीण होने तथा मनुष्य के अचेत और निश्चेष्ट हो (पु०) प्रधान कार्यालय, मुख्यालय; ~कांस्टेबुल (पु.) जाने की स्थिति
प्रधान पुलिस सिपाही; ~क्लर्क (पु०) प्रधान लिपिक; हृदयावसादक-सं० (वि०) चि० हृदय को निश्चेष्ट करनेवाला ~क्वार्टर (पु०) सरकार या अधिकारी का प्रधान स्थान, हृदयावेग-सं० (पु०) = हृदय आवेग
मुख्यालय; ~मास्टर (पु०) प्रधानाध्यापक; ~मास्टरनी + हृदयिक-सं० (वि०) = हृदयवान्
हिं० (स्त्री०) महिला प्रधानाध्यापक; ~लाइन (स्त्री०) हृदयी-सं० (वि०) = हृदयवान्
शीर्षक हृदयेश-सं० (पु०) = हृदयेश्वर
हेडा-बो० (पु०) मांस, गोश्त हृदयेशा-सं० (स्त्री०) = हृदयेश्वरी
हेडिंग-अं० (पु०) शीर्षक हृदयेश्वर-सं० (पु०) 1प्रेमपात्र, प्रियतम 2 स्त्री का पति | हेड़ी-(स्त्री०) 1 बेचने के लिए बाज़ार में लाया गया पशु दल .हृदयेश्वरी-सं० (स्त्री०) 1 प्रियतमा 2 पत्नी
___2 झुंड, समूह हृदयोद्गार-सं० (पु०, मनोभाव, कामना इच्छा
हति-सं० (स्त्री०) 1 अस्त्र 2 आघात 3 आग की लपट हृदयोन्यादी-सं० (वि०) 1 हृदय को उन्मत्त करनेवाला 2 मन ___4 सूर्यकिरण को मोहित करनेवाला
हेतु-सं० (पु०) 1 कारण 2 लक्ष्य, मकसद 3 अभिप्राय, उद्देश्य हृदगत-सं० (वि०) 1 हृदय में होनेवाला, हृदय का, आंतरिक 4 एकमात्र कारण, मूलकारण 5 साहि० कारण के साथ कार्य
(जैसे-हृद्गत भाव) 2 मन में बैठा हुआ 3 प्रिय, प्यारा का भी संपन्न हो जाने का उल्लेख करने से संबंधित एक हृद्ग्रह-सं० (पु०) = हृदय ग्रह
अर्थालंकार 6 तर्कशास्त्र। दुष्ट (वि०) जिसकी बात दौर्बल्य-सं० (पु०) = हृदय दौर्बल्य
तर्कसंगत न हो; ~युक्त (वि०) = हेतुमान; रूपक
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हेतुकी
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हाडकप
(पु०) रूपक अलंकार का एक भेद जो हेतुयुक्त होता है; हेलना-I (अ० क्रि०) 1 क्रीड़ा करना 2 हँसी ठट्ठा करना
वचन (पु०) तर्कयुक्त बात; ~वाद (पु०) 1 विवाद हेतु 3 तुच्छ या हेय समझना 4 तिरस्कार करना 5 उपेक्षा करना की व्याख्या या उल्लेख 2 नास्तिकता से भरा कुतर्क 3 व्यर्थ की हेलना-II (अ० क्रि०) बो० 1 प्रवेश करना, पैठना (जैसे-घर बहस, निष्फल वाद विवाद या कहा सुनी; ~वादी (वि०) में हेलना) 2 तैरना 1 तार्किकी, दलील करनेवाला 2 नास्तिक; ~विज्ञान (पु०) हेलनीय-सं० (वि०) उपेक्षा या तिरस्कार करने योग्य हेतुकी; विद्या स्त्री० तर्क शास्त्र; ~शास्त्र (पु०) 1 ऐसा हेलमेल-(पु०) 1 हिलने मिलने का भाव 2 घनिष्ठ और विज्ञान जिसमें स्मृतियों आदि का विरोध हो 2 तर्क शास्त्र; आत्मीय संबंध स्थापित करना 3 परिचय बढ़ने पर होनेवाला
~शून्य (वि०) हेतुरहित, निराधार; हेतुमद्भाव (पु०) संग साथ कार्य कारण भाव, कार्य कारण संबंध; हेतुमद्भूतकाल हेलया-सं० (अ०) 1खिलवाड़ के रूप में 2 अत्यंत सहज रूप (पु०) व्या० भूत काल का एक भेद जिसमें कारण रूप क्रिया
का अभाव होने पर कार्य रूप क्रिया का न होना दिखलाया जाए हेला-I सं० (स्त्री०) 1 तिरस्कार, अवज्ञा 2 अपमान 3 प्रेमपूर्ण हेतुकी-सं० (स्त्री०) ऐसा शास्त्र जिसमें रोगों के निदान या क्रीड़ा 4 साहि० नायिका की श्रृंगारिक भावनाओं को व्यक्त पहचान का विवेचन प्राप्त होता है, निदान शास्त्र
करनेवाली सभी चेष्टाएँ 5 साहि० आँखें या भौहें नचाकर प्रिय हेतुमान-[सं० (वि०) 1 जो सकारण हो 2 तर्कयुक्त 3 साधार, से मिलने की इच्छा को धृष्टता पूर्वक तथा स्पष्ट रूप से व्यक्त
हेतुमूलक II (पु०) हेतु के फलस्वरूप होनेवाला कार्य करने का नायिका का एक हाव भाव II अत्यंत सहज रूप में हेतूपक्षेप सं०, हेतूपन्यास-(पु०) 1 तर्क उपस्थित करना हेला-III (पु०) 1पुकार, हाँक 2 धावा, चढ़ाई 2 कारण बताना
हेला-IV (पु०) धक्का, रेला हेतूत्प्रेक्षा-सं० (स्त्री०) अर्थालंकार में उत्प्रेक्षा का एक भेद हेला-V खेप, बारी जिसमें वस्तु का वास्तविक हेतु न होने पर उसे उस वस्तु का हेतु हेला-VI (पु०) भंगी, मेहतर मानकर उत्प्रेक्षा करते हैं
हेलाकाएर-अं० (पु०) = हेलिकाप्टर हेत्वाभास-सं० (पु०) हेतु सा आभासित होनेवाला कारण, हेलाल-अ० (पु०) = हिलाल
असद् अवास्तविक हेतु के रहने पर भी वास्तविक हेतु का हेलीकाएर-अं० (पु०) एक छोटा विमान जिसका पंख ऊपर आभास होना, फ़ैलेसी
होता है हेबियस कार्पस-अं० (पु०) बंदी प्रत्यक्षीकरण
हेली-(स्त्री०) सखी, सहेली हेमंत-सं० (पु०) शीत काल, जाड़े का मौसम
हेलिन-(स्त्री०) हेला जाति की स्त्री, मेहतरानी हेमंती-सं० (स्त्री०) हेमंत ऋतु
हेलीकाएर-अं० (पु०) = हेलिकाप्टर हेम-सं० (पु०) 1 हिम, पाला 2 स्वर्ण, सोना। -कांति I हेलीमेली-I (पु०) संगी साथी II (वि०) जिससे आपसदारी
(स्त्री०) 1 बन हलदी 2 आँबा हलदी II (वि०) सोने की सी | का संग साथ हो
चमकवाला; गिरि, ~पर्वत (पु०) सुमेरु पर्वत हेल्मेट-अं० (पु०) शिरस्त्राण टोप हेमक-सं० (पु०) सोने का टुकड़ा, स्वर्णखंड
हेसनेस-फा० (पु०) दुविधा की स्थिति हेमा-सं० (स्त्री०) 1 सुंदर स्त्री 2 पृथ्वी ,
हैं-I (अ०) हिंदी की 'होना' के वर्तमान कालिक कृदंत 'है' का हेमाद्रि-सं० (पु०) सुमेरु पर्वत
विकारी बह्वचन रूप II (अ०) 1 आश्चर्य, असम्मति आदि हेमाभ-सं० (वि०) सोने जैसी चमकवाला
का सूचक एक अव्यय (जैसे-हैं! यह क्या हो गया) हेमीस्फियर-अं० (पु०) गोलार्द्ध
2 अस्वीकृति, निषेधसूचक शब्द हेम्य-सं० (वि०) 1 सोने का 2 सुनहला
हैंकड़ी-(स्त्री०) = हेकड़ी हेय-सं० (वि०) घृणित और तुच्छ
हैंगर-I अंक (पु०) कपड़े लटकाने का फ्रेम हेरना-(स० क्रि०) बो० 1 तलाश करना, ढूँढ़ना 2 ढूँढ़ने के | हैंगर-II अं० (पु०) विमानशाला, विमानाश्रय लिए इधर उधर देखना 3 ताकना, देखना 4 जाँचना, परखना। | हैंगुल-सं० (वि०) ईंगुर का
~फेरना (स० क्रि०) 1 इधर उधर करना, हेर फेर करना हैंड कंपोजिंग-अं० (स्त्री०) हाथ से टाइप बैठाना 2 अदला बदली करना, विनिमय करना
हैंड ग्रेनेड-अं० (पु०) हथगोला हेर-फेर-(पु०) 1 घुमाव, चक्कर 2 चक्कर में डालनेवाली हैंडपंप-अं० (पु०) हाथ से चलाया जानेवाला नल
पेचीली बात 3 चालबाज़ी, दाँव पेंच 4 अंतर, फ़र्क 5 रद्दोबदल | हैंडबाल-अं० (पु०) खेल में गेंद का हाथ से हेरवा-बो० (पु०) तलाश, खोज
छू जाना हेरा फेरी-(स्त्री०) इधर का उधर या उधर का इधर करना, हेर हैंडबिल-अं० (पु०) परचा, इश्तहार
हैंडबुक-अं० (स्त्री०) गुटका हेरियाना-(स० क्रि०) जहाज़ के अगले पालों की रस्सियाँ हैंडबैग-अं० (पु०) दस्ती थैला तानकर बाँधना
हैंडल-अं० (पु०) = हैंडिल हेल-I (पु०) 1 कीचड़ 2 गोबर आदि का ढेर 3 ढेर | हैंडलिस्ट-अं० (स्त्री०) दस्ती सूची हेल-II (पु०) 1 अवज्ञा, उपेक्षा 2 घृणा, नफ़रत हैंडलूम-अं० (पु०) हथकरघा हेलनवाद-सं० (पु०) यूनान की सभ्यता और जीवन दृष्टि | हैंडिकैप-अं० (पु०) असुविधा, अड़चन
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हैंडिल
हैंडिल - अं० (पु० ) दस्ता, हत्था हैकड़ - (वि०) हेकड़
=
हैकल - (स्त्री०) चौकोर या पान के से दानों की गले में पहनने की एक तरह की माला, हुमेल
हैजा - अ० (पु० ) एक संक्रामक रोग, कालरा, विसूचिका हैट-अं० (पु० ) टोप
हैटट्रिक - अं० (पु० ) 1 एक ओवर में लगातार तीन विकेट लेना 2 लगातार तीन गोल करना
ड-अं० (पु० ) 1 प्रधान अधिकारी या व्यक्ति 2 सिर । ~आफ़िस (पु० ) = प्रधान कार्यालय; कांस्टबिल = प्रधान सिपाही; क्वार्टर (पु० )
= प्रधान
(पु० ) लिपिक
~ कलर्क (पु० ) = प्रधान कार्यालय; ~मास्टर
= प्रधान अध्यापक
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(पु० )
हैडिंग -अं० (वि०) हेडिंग, शीर्षक
हैतुक - I सं० (वि०) 1 उद्देश्य से किया जानेवाला 2 अवलंबित या आश्रित II ( पु० ) 1 तार्किक 2 कुतर्की 3 नास्तिक 4 मीमांसा दर्शन का अनुयायी या समर्थक
हैदर - अ० ( पु०) शेर
हैफ़ - अ० ( क्रि० वि० ) अफ़सोस, हाय
हैबत - अ० (स्त्री०) 1 भय, त्रास 2 आतंक । नाक + फ़ा० (वि०) भयानक, डरावना
हैमंत, हैमंतिक - I सं० (वि०) 1 हेमंत संबंधी 2 हेमंत ऋतु में उत्पन्न होनेवाला II ( पु० ) हेमंत ऋतु
हैम - I. सं० (वि०) हेम्य
हैम - II सं० (वि०) 1 हिम संबंधी, हिम का 2 हेमंत ऋतु से संबंधित
हैमर - अं० (पु०) हथौड़ा
हैमवत - I सं० (वि०) 1 हिमालय का, हिमालय संबंधी 2 हिमालय पर रहने या होनेवाला II ( पु० ) हिमालय का निवासी
=
हैमवतिक-सं० (वि०) हिमालय पर्वत पर निवास करनेवाला हैमाटाइट -अं० (पु० ) हेमाटाइट
हैरण्यिक - सं० (पु०) सुनार, स्वर्णकार
हैरत - अ० (स्त्री०) आश्चर्य, अचरज । अंगेज़ फ़ा० (वि०) विस्मयजनक; ज़दा फ़ा० (वि०) चकित, भौचक्का
+
+
हैरान - अ० (बि०) 1 चकित 2 हतबुद्धि, भौचक्का 3 परेशान हैरानी - अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 परेशानी 2 विस्मय 3 हैरान होने
का भाव
हैरिंग - अं० (पु० ) हिलसा मछली
हैलीकाप्टर -अं० ( पु० ) = हैलिकाप्टर हैलो - अं० (अ०) शुभकामना सूचक संबोधन हैवान - अ० (पु० ) 1 पशु, जानवर 2 अत्यंत उजड्डु या गंवार आदमी
हैवानियत - अ० (स्त्री०) 1 हैवान होने का भाव, पशुत्व 2 पशुओं का सा क्रूर आचरण
हैवानी - अं० (वि०) पशु संबंधी 2 पशुओं का सा हैस बैस - अ० (स्त्री०) 1 लड़ाई झगड़ा 2 व्यर्थ का तर्क वितर्क या विवाद
हैसियत - अ० (स्त्री०) 1 रंग ढंग, तौर तरीका 2 शक्ति या
होना
सामर्थ्यसूचक योग्यता 3 सामाजिक मान मर्यादा, इज़्ज़त, प्रतिष्ठा 4 आर्थिक, सामाजिक आदि दृष्टियों से योग्यता सूचक स्थिति
है है - (अ०) हाय, अफ़सोस
करना - (अ० क्रि०)
=
हुंकारना
होंठ - (पु० ) मुँह के बाहर का ऊपर या नीचे का भाग, ओष्ठ । ~काटना, चबाना क्रोध, शोक आदि के आवेश में दाँतों से होंठ को काटना; चाटना 1 अधिक खाने की इच्छा करना 2 स्वाद याद आना; चिपकाना मनचाही वस्तु का नाम सुनते ही उसे प्राप्त करने की प्रबल इच्छा होना; चूसन अधर पान करना; मिलाना चुंबन करना; ~सी लेना मौन हो जाना, हिलाना 1 बोलना 2 धीरे से कुछ कहना; होठों
छठी का दूध याद आना बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ना होंठल - (वि०) बड़े और मोटे होंठवाला होंठी-बो० (स्त्री०) किनारा, कोर
हो - I (अ० क्रि०) 1 'होना' का संभावना सूचक रूप (अन्य पुरुष, एक वचन का) 2 ब्रज भाषा में 'होना' का सामान्य भूत 'था' II (अ०) जोर से पुकारने का संबोधन सूचक शब्द होजियरी, होयरी-अं० (स्त्री०) बुनाई के कपड़े होटल-अं० (पु० ) आधुनिक ढंग का विश्राम स्थान होड़ - (स्त्री०) 1 शर्त, बाज़ी 2 प्रतिस्पर्द्धा 3 जिद्द, हठ होड़ा - सं० ( पु० ) 1 चोर 2 लुटेरा 3 डाकू
होड़ाोड़ी - (स्त्री०) 1 एक दूसरे से आगे बढ़ जाने का प्रयत्न, प्रतिस्पर्धा 2 बाज़ी, शर्त
होत-बो० (स्त्री०) 1 होने की अवस्था, अस्तित्व 2 संपन्नता 3 समाई, सामर्थ्य
होतब - (पु० ) भावी, होनहार
होतव्यता-सं० (स्त्री०) भवितव्यता, होनी
होता-सं० (पु० ) 1 यज्ञ में आहुति देनेवाला 2 यज्ञ करानेवाला, पुरोहित
होता सोता - (वि०) निकट का संबंधी ह्येते सोते - ( अ० ) वर्तमान रहते हुए
होत्र - सं० (पु० ) 1 हवि 2 होम 3 हवन की सामग्री होत्रक-सं० (पु० ) होता का सहायक होत्री -सं० (पु० )
होत्रीय-सं० (वि०) होता से संबंधित होता का होनहार - (वि०) 1 अच्छे लक्षणोंवाला, उदीयमान 2 भावी, होनी
होना - ( अ० क्रि० ) 1 एक बहुत प्रचलित और प्रसिद्ध क्रिया जिसका 'करना' क्रिया के अकर्मक रूप में व्यवहार होता है। 2 अस्तित्व में आना (जैसे- दिन के बाद रात होना) 3 क्रिया व्यापार का समाप्ति पर आना (जैसे- पुस्तक का छपकर प्रकाशित होना) 4 वास्तविक रूप सामने आना (जैसे- पराधीन देश का स्वतंत्र होना, परस्पर मारपीट होना) 5 नियमित रूप में जारी रहना (जैसे -पानी बरसता है, हवा चलती है) 6 विद्यमान रहना (जैसे-मेरे पास अनेक साहित्यिक किताबें हैं, 'मेरे लिए उनका होना और न होना दोनों बराबर है ) 7 दिखाई देना, सामने आना (जैसे-घर में बच्चों का जन्म होना, फसल पककर तैयार होना) 8 अवस्था, रूप आदि में परिवर्तन होना (जैसे- लड़का तो अब जवान हो चला है) 9 परिणाम
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होनी 888
हौका निकलना (जैसे-दवा से रोगी को लाभ होना) 10 विशेष दशा , फलियाँ 2 चने, मटर आदि के भने फलियों से निकले दाने आना या पहुँचना (जैसे-स्त्री का गर्भवती होना, हिंदू का । झेलाष्टक-सं० (पु०) होली के शुरू के आठ दिन मुसलमान होना)। होवाना (अ० क्रि०) कुछ घटित होलिका-सं० (स्त्री०) 1 होली का त्योहार 2 होली में जलाई होना; जो हुआ सो हुआ 1 बीते हुए की चिंता करने की जानेवाली लकड़ियों का ढेर। -दहन (पु०) होली जलाना आवश्यकता नहीं 2 अशुभ या अनुचित कार्य को पुनः कदापि दाह (पु०) होली जलाना न करना; तो क्या हुआ जाने दो कोई परवाह नहीं; हो आना होलिकोत्सव-सं० (पु०) होली का त्योहार । कहीं जाकर लौट आना 2 मुलाक़ात करने जाना; होकर होलिहार-(पु०) हुड़दंग मचाकर होली खेलनेवाला समीप से, पास से होकर रहना अवश्य घटित होना; हो होली-(स्त्री०) 1 फाल्गुन की पूर्णिमा में होनेवाला हिंदओं का गुज़रना 1 घटना का घटित होना 2 समाप्त होना; ह्ये चलना एक प्रसिद्ध त्योहार 2 होली की एक रात पहले जलाया समाप्ति के निकट आना; हो चुकना 1 समाप्त हो जाना 2 मर जानेवाला लकड़ियों का ढेर (जैसे-होली जलाई गई) 3 इस जाना 3 हद हो जाना; हो चुका 1 असंभव 2 कभी नहीं होगा त्योहार पर गाया जानेवाला गीत 4 व्यर्थ में किया जानेवाला 3 नहीं हो सकता; हो जाना 1 काम बन जाना 2 मिलकर चले व्यय (जैसे-बातों बात में हज़ारों रुपए की होली हो गई) जाना 3 मर जाना 4 मारपीट हो जाना 5 किसी लायक हो जाना 5 अनावश्यक या अनिष्टकारक वस्तुओं को सार्वजनिक रूप से 6 भूत प्रेत का प्रभाव पड़ जाना; हो न हो कौन जाने; (किसी जलाना (जैसे-विलायती सामानों की होली)। ~का भडुआ का) होना किसी का प्रिय, प्रेमी या विश्वासपात्र होना; बेढंगा और भद्दा पुतला; ~खेलना हास परिहास से होली का (लाखों में एक) होना अत्यंत उच्च कोटि का होना; होने त्योहार मनाना होला-(पु०) भुने या उबले चने का होनेवाला (जैसे-यह काम मुझसे नहीं होने का); होने होल्डर-अं० (पु०) 1 लकड़ी आदि का बना एक अंग्रेज़ी कलम लगना कार्य का आरंभ होना; हो पड़ना 1 अकस्मात् कुछ | 2 बिजली का बल्व लटकाने का एक उपकरण घटित हो जाना 2 अचानक झगड़ा तकरार हो जाना; (किसी होल्डाल-अं० (पु०) यात्रा के समय बिस्तर रखने का एक लंबा का) हो रहना किसी का प्रेमी हो जाना; हो सो हो चाहे जो । थैला, बिस्तर बंद . कुछ हो
होश-फ़ा० (पु०) 1 चेतना, सुधबुध 2 स्मरण 3 अक्ल, बुद्धि, होनी-(स्त्री०) 1 होनहार 2 भवितव्यता
समझ 4 संज्ञा, चेतना। ~मंद (वि०) बुद्धिमान, समझदार; होम-सं० (पु०) हवन । ~कर्म, ~कल्प (पु०) यज्ञ संबंधी ~मंदी (स्त्री०) बुद्धिमानी, समझदारी; ~हवास +अ०
कर्तव्य या विधियाँ; ~कुंड (पु०) हवन करने के लिए बना (पु०) सुधबुध; ~आना 1 समझ आना, अक्ल आना कुंड; ~करते हाथ जलना उपकार करते अपकार होना; आपे में आना 3 याद आना, ख्याल आना; उड़ जाना,
कर देना, करना 1 बलिदान करना 2 जलाकर नष्ट ~उड़ना, उड़ा 1 बदहोश हो जाना, घबड़ा जाना करना, बर्बाद करना
2 आश्चर्य चकित हो जाना 3 अक्ल खोना; ~काफूर होना होमक-सं० (१०) - होता
दे० होश उड़ जाना; ~जाता रहना, जाना दे० होश उड़ होम ग्राउंड-अं० (पु०) अपने देश में खेल का मैदान जाना; ठिकाने रहना होश हवास दुरुस्त रहना; ठिकाने होमना-(स० क्रि०) 1 हवन करना 2 परित्याग करना 3 बर्बाद होना अक्ल ठीक होना; दिलाना याद कराना; न रहना
1 ख़बर न रहना 2 बेहोश हो जाना; न होना होश हवास होमियोपैथ-अं० (पु०) होमियोपैथी का डॉक्टर
दुरुस्त न रहना; ~में आना 1 ज्ञान प्राप्त करना 2 तमीज़ होमियोपैथी-अं० (स्त्री०) रोग के लक्षणों के अनुरूप दवा देने सीखना, व्यवहार सीखना 3 आपे में आना; रखना की चिकित्सा विधि
बुद्धिमान् होना; ~संभालना 1 सयाना होना, बड़ा होना होमीय-सं० (वि०) - होम्य
2 आचार व्यवहार सीखना; ~से बाहर होना चेतनाहीन होना; होम्य-सं० (वि०) 1 होम संबंधी, होम का 2 होम किया हुआ हवा होना, हिरन होना दे० होश उड़ जाना; होना होरसा-(पु०) पत्थर का चौका
1 अक्ल होना 2 होश हवास दुरुस्त होना 3 सयाना होना होरहा-(पु०) 1 चने का छोटा पौधा, होरा 2 चने का ताजा दाना होशियार-फा० (वि०) 1 सावधान, खबरदार 2 अक्लमंद, 3चने का ताजा और भुना हुआ दाना
बुद्धिमान् 3 कुशल, दक्ष होरा-(पु०) घंटा
होशियारी-फा० (स्त्री०) 1 सावधानी 2 चालाकी 3 बुद्धिमानी होरिल-बो० (पु०) 1 नवजात शिशु 2 शिशु
4 दक्षता, प्रवीणता होरी-I बो० (स्त्री०) होली
होस्टल-अं० (पु०) छात्रावास होरी-II बो० (स्त्री०) एक तरह की बड़ी नाव होस्टेस-अं० (स्त्री०) परिचारिका होलक-सं० (पु०) होरा, होरहा
हो हल्ला -(पु०) शोरगुल, भगदड़ होलड़-(पु०) नवजात शिशु
हो हो-(अ०) पशुओं को हड़काने का शब्द होलडाल-अं० (पु०) - होल्डाल
होकना-(अ० क्रि०) 1 हुंकार करना, गरजना 2 हाँफना 3 पंखे होलसेल-अं० (पु०) थोक। ~स्टाकिस्ट (पु०) थोक | आदि से हवा करना संग्रहक
होआ-(पु०) 1 असाधारण और डरावनी वस्तु 2 एक कल्पित होला-I (पु०) होली का त्योहार
__ वस्तु, भकाँऊ 3 हौवा होला-II (पु०) 1 आग में भूनी गई चने, मटर आदि की | बका-(पु०) हाय
करना
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O
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ह्वेल
|
हौज़-अ० (पु०) 1 कुंड 2 चहबच्चा 3 नाँद हौज़ा-अ० (पु०) हाथी का हौदा |त्रिक-सं० (वि०) होता के कार्य से संबंधित बैद-अ० (पु०) = हौज़ बैदा-I अ० (पु०) = हौज़ा हौदा-II अ० (पु०) = हौज़ हौदी-अ०+हिं (स्त्री०) छोटा हौज़ खैरा-बो० (पु०) = हो हल्ला हौल-अ० (पु०) डर, भय। -दिल +फ़ा० (वि०) 1 डरा हुआ 2 व्यग्र, व्याकुल; दिला + फ़ा० ० (वि०) डरपोक; नाक +फ़ा० (वि०) भयंकर, खौफनाक बैल खौल, हौलजौल-फ़ा० +हिं० (स्त्री०) 1 जल्दी, शीघ्रता
2 हड़बड़ी होला जौली-फा० +हिं० (स्त्री०) 1 जल्दी 2 हड़बड़ी हौली-(स्त्री०) कलवरिया, मदिरालय हौलू-अ० +हिं० बो० (वि०) हौलदिला ौले हौले-(क्रि० वि०) 1 धीरे, आहिस्ता 2 मंद गति से झवा-I (पु०) = हौआ देवा-II अ० (स्त्री०) 1 आदम की पत्नी (इसलाम) 2 ईसाई
यहूदी धर्म के अनुसार मानव जाति की माता (ईव) हँस-अ० (स्त्री०) 1 उत्कंठा, प्रबल इच्छा 2 मन की तरंग या
तरंग 3 हवस, हौसला। -निकालना अरमान पूरा करना। होसला-अ० (पु.) 1 साहस, हिम्मत, उत्साह 2 सामर्थ्य 3 लालसा। ~अफ़ज़ा +फा० (वि०) धीरज बढ़ानेवाला; ~मंद +फा० (वि०) हौसलेवाला, उत्साही; निकालना अरमान पूरा करना, हवस निकालना; पस्त होना जोश ठंडा पड़ना, हिम्मत छूट जाना धूमस-अं० (पु०) खाद मिट्टी
हृद-सं० (पु०) 1 गहरा जलाशय 2 गहरी झील ह्रदिनी-सं० (स्त्री०) नदी, सरिता हृसित-सं० (वि०) संक्षिप्त किया हुआ ह्रस्व-I सं० (वि०) छोटा, लघु 2 (स्वर) जो खींचकर न बोला
जाता हो II (पु०) व्या० स्वरों के दो भेदों में से एक (जैसे-अ, इ, उ और ऋ)। ~कपाल (पु०) छोटी खोपड़ी;
ता (स्त्री०) ह्रस्व होने का भाव; ~मात्रिक (पु०) छोटी इकाई ह्रस्वीकरण-सं० (पु०) छोटा बनाना हस्वीभूत-सं० (वि०) छोटा किया हुआ हास-सं० (पु०) 1क्षय, क्षीणता 2 अभाव, कमी।
~कालीन (वि०) क्षति या गिरावट के समय का ह्रासन-सं० (पु०) क्षीण करना ह्रासनीय-सं० (वि०) ह्रास के योग्य हासोन्मुख-सं० (वि०) घटती की ओर बढ़ता हआ ही-सं० (स्त्री०) लज्जा, शर्म । हीत-सं० (वि०) लज्जित, शर्माया हृलाद-सं० (पु०) प्रसनता, आनंद हालादक-सं० (वि०) प्रसन्न करनेवाला हालादन-सं० (पु०) प्रसन्न करना हालादित-सं० (वि०) प्रसन्न हालादिनी-I सं० (स्त्री०) प्रसन्न करनेवाली स्त्री II (वि०)
प्रसन्न करनेवाली हादी-सं० (वि०) प्रसन्न करनेवाला हाइट पेपर-अं० (पु०) सरकारी रिपोर्ट हिस्की-अं० (स्त्री०) विलायती शराब हील-अं० (स्त्री०) चक्र, चक्का खेल-अं० (स्त्री०) एक प्रसिद्ध समुद्री स्तनपायी जीव
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परिशिष्ट-1
हिन्दी में अंग्रेज़ी से आगत शब्द
यहां अंग्रेज़ी के उन शब्दों की सूची दी जा रही है जो अब हिन्दी की भी सम्पत्ति हैं। इस सूची में अंग्रेज़ी शब्दों का उच्चारण वही दिया गया है जो आमतौर पर प्रचलित है। कुछ शब्दों का उच्चारण और उनकी वर्तनी अभी पूर्णतया निश्चित नहीं हो पायी। ऐसे शब्दों की वर्तनी दो प्रकार से भी देनी पड़ी है।
अप टू डेट-up to date आधुनिक, अद्यतन अपट्रेन-up train ऊपरी सतह को जानेवाली गाड़ी अपर-upper ऊपरी
अपसेट-upset परेशान, विकल, अस्त-व्यस्त अंकल-uncle चाचा, ताया (ताऊ), मामा, फूफा, अपील-appeal प्रार्थना, पुनर्विचार कोई आदरणीय व्यक्ति
अपेंडिसाइटिस-appendicitis आंत्रशोथ अंडर-under नीचे, अधीन, अवर, कम, न्यून अपोज़िट-opposite प्रतिपक्ष, प्रतिमुख, विपरीत अंडर ग्राउंड-underground भूमिगत, अंतभौम अपोज़िशन-opposition विपक्ष, विरोधी दल अंडरग्रेजुएट-undergraduate पूर्वस्नातक अप्रैटिस-apprentice शिक्ष, नौसिखुआ अंडरलाइन-underline रेखांकित करना
अप्रैटिसशिप-apprenticeship शिक्षुता, अंडरवियर-underwear अंतरीय, अन्तर्वस्त्र
नौसिखुआपन अकाउंट-account लेखा, हिसाब
अप्रोच-approach पहुँच, अभिगम अकाउंट बुक-account-book लेखा-बही
अप्लाई-apply लगाना, प्रार्थना पत्र देना अकाउंटेंट-accountant लेखापाल, लेखाकार अप्लीकेशन-application प्रार्थना-पत्र अकाडमी-academy अकादमी, विद्यापीठ अप्वाइंट-appoint लगाना, नियुक्त करना अक्तूबर-October अंग्रेजी साल का दसवाँ महीना अप्वाइंटमेंट-appointment नियुक्ति अगस्त-August अंग्रेजी साल का आठवाँ महीना अफ़सर-officer अधिकारी अजेंडा-agenda कार्यसूची
अमेंडमेंट-amendment संशोधन अटार्नी-attorney न्यायवादी
अमोनिया-ammonia एक रंगहीन तेज़ गैस अटेंड-attend उपस्थित होना, शामिल होना
अम्पायर-umpire मध्यस्थ अटेन्शन-attention ध्यान, सावधान !
अरजेंट-urgent अत्यावश्यक अटेस्ट-attest अनुप्रमाणित करना, साक्ष्यांकन करना. अरदली-orderly चपरासी सत्यापित करना
अरारोट-arrowroot एक अमरीकी पौधे का अटैक-attack आक्रमण
पौष्टिक आटा, तीखर अटैच्ड-attached संलग्न
अरिथमेटिक-arithmetic अंकगणित अथारिटि-authority प्राधिकार, प्राधिकरण, सत्ता अरिस्टोक्रैट-aristocrat अभिजात अनफ़ेयर-unfair अनुचित
अरेस्ट-arrest गिरफ्तार करना, पकड़ना अनाउंसर-announcer उद्घोषक
अर्दली-orderly दे० अरदली अनार्की-anarchy अराजकता
अलकोहल-alcohol मद्यसार अप-up ऊपर, ऊपरी
अलजेबरा-algebra बीजगणित
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अलाउंस-allowance भत्ता अलाट-allot आवंटित अलाटमेंट-allotment आवंटन अलार्म-alarm खतरे की घंटी, चेतावनी अल्टीमेटम-ultimatum अंतिम चेतावनी अल्ट्रावायलेट-ultraviolet पराबैंगनी अल्बम-album चित्राधार, चित्रसंग्रह अल्युमीनियम-aluminium अलमूनिअम अल्सर-ulcer व्रण, नासूर अवायड-avoid दूर रहना, बचना, टालना अवार्ड-award अधिनिर्णय, पुरस्कार असिस्टेंट-assistant सहायक असेंबली-assembly सभा, विधान सभा असेस्मेंट-assessment (कर) निर्धारण अस्थमा-asthma दमा अस्पताल-hospital चिकित्सालय
आटोरिक्शा-autorickshaw मोटररिक्शा ऑडिटर-auditor लेखापरीक्षक आनरेरी मजिस्ट्रेट-honorary magistrate
अवैतनिक दण्डाधिकारी आपटीशियन-optician दृष्टि विज्ञानी, चश्मेवाला आपरेट-operate चलाना, प्रचालन करना आपरेटर-operator प्रचालक आपरेटस-apparatus उपकरण आपरेशन-operation चीर-फाड़ आपरेशन थियेटर-operation theatre
शल्यशाला आपेरा-opera गीतनाट्य, नृत्य आए-opt चुनना, वरण करना आप्शन-option विकल्प, चुनाव आन-off बुझाना, समाप्त आफ़ डे-off day खाली दिन, अवकाश आफ़र-offer अर्पण करना, पेशकश करना; भेंट, प्रस्ताव, पेशकश आफ़िशियल-official सरकारी, आधिकारिक आफ़िशियेटिंग-officiating स्थानापन्न आफ़िस-office कार्यालय, दफ्तर आफिसर-officer अधिकारी आफ़सेट-offset प्रतिचित्रित मुद्रण आफ्टर नून-afternoon अपराह्न, बाद दोपहर आबज़र्व-observe पर्यवेक्षण करना, ध्यान से
आ
आंट, आंटी-aunt, auntie चाची, ताई, बुआ, मौसी, आदरणीय महिला आइ० ए० एस०-I. A. S. भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Ser
vice)
आइटम-item मद, विषय आइडियल-ideal आदर्श आइडियालॉजी-ideology विचारधारा आइडेंटिटी-identity पहचान आइडेंटिटीकार्ड-identity card पहचान पत्र आइसक्रीम-ice-cream मलाईबरफ़ आइसबर्ग-iceberg हिमशैल । आइसबैग-icebag बर्फ़वाली थैली आउंस-ounce ढाई तोला (वज़न) आउट-out बाहर निकालना, मात करना, हटाना आउट आफ़ डेट-out-of-date प्रयोग बाहर,
अप्रचलित आउट-डोर-outdoor बहिरंग आउटपुट-output उत्पादन, प्रतिफल आउटपोस्ट-outpost सीमा चौकी आउटफिट-outfit सज्जा, उपकरण आउटले-outlay परिव्यय, प्रारूप आक्युपेशन-occupation पेशा, व्यवसाय, धंधा आक्शन-auction नीलाम आक्सीजन-0xygen प्राणवायु आटोग्राफ-autograph स्वाक्षर आटोमैटिक-automatic स्वचालित
आबज़र्वर-observer पर्यवेक्षक आबजेक्शन-objection आपत्ति, एतराज आबलीगेशन-obligation एहसान, आभार आमलेट-Omelet, omelette अंडे का चीला आयरन-iron लोहा, इस्तरी, प्रेस आयल पेंटिंग-oil painting तैल-चित्र आर्केस्ट्रा-orchestra वाद्यवृंद आर्गन-organ मुँह का बाजा आर्गनाइज़-organize संगठित करना आर्गनाइज़ेशन-organization संगठन आर्ट-art कला आर्ट गैलरी-art gallery कलावीथी आर्ट पेपर-art paper विशेष किस्म का बढ़िया
काग़ज़ आर्टिकल-article लेख आर्टिलरी-artillery तोपखाना आर्टिस्ट-artist कलाकार आर्डर-order आज्ञा, आदेश आर्डिनेंस-ordinance अध्यादेश ऑर्थोपीक्स-orthopedics विकलांग विद्या आर्मचेयर-armchair बाँहवाली कुर्सी आर्मी-army सेना, फ़ौज आर्मडफ़ोर्स-armed force सशस्त्र बल आलराइट-alright बहुत अच्छा, सब ठीक
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इंकपॉट-ink-pot दवात इंक्रीमेंट - increment वेतनवृद्धि इंग्लिश - English अंग्रेज़ी इंच -inch ढाई सेंटीमीटर की नाप इंचार्ज - incharge प्रभारी
इंची टेप-inch tape इंचों के निशानवाला फीता इंजन -engine इंजन
इंजनियर -engineer अभियंता
इंटर - inter, intermediate माध्यमिक इंटरवल - interval मध्यावकाश. मध्यांतर, मध्यांतराल
इंटरव्यू - interview साक्षात्कार इंस्पेक्टर - inspector निरीक्षक इकनामिक्स-economics अर्थशास्त्र इगज़ेमिनेशन - examination परीक्षा इटैलिक - italic तिरछा (टाइप) इनकम टैक्स - income tax आयकर इनविटेशन - invitation निमंत्रण, 'आमंत्रण इनामिल - enamel तामचीनी, लेप इनिशियल - initial आदि आद्याक्षर इन्कम - income आय, आमदनी इनक्वायरी - enquiry, inquiry पूछ-ताछ इन्टरेस्ट - interest दिलचस्पी, रुचि: ब्याज इन्डेक्स - index अनुक्रमणिका इन्फैन्ट्री - infantry पैदल सेना इन्फ्लुएन्जा - influenza प्रतिश्याय, फ़्लू इन्फ्लुएन्स - influence प्रभाव इन्वायस - invoice बीजक इन्शोरेंस - insurance बीमा इन्साइक्लोपीडिया - encyclopedia विश्वकोष इन्स्टीट्यूट - institute संस्थान इन्स्टीट्यूशन - institution संस्था
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इन्स्ट्रक्शन - instruction अनुदेश, हिदायत इमर्जेंसी - emergency आपात्काल. आपातस्थिति इम्पाट - important आवश्यक महत्वपूर्ण इम्पोर्ट - import आयात
इलास्टिक - elastic लचीला; लचीली पट्टी इलैक्ट्रिक-electric विद्युत, बिजली का इलैक्ट्रिसिटी -electricity बिजली, विद्युत इलैक्ट्रीशियन -electrician बिजली मिस्त्री इल्लीगल - illegal अवैध इशू - issue संतान विचारवस्तु, वाद विषय इस्टेट-estate जागीर, सम्पदा
ps
ईज़ी-easy आसान, सरल ईजीचेयर - easy chair आरामकुर्सी
ईथर -ether उड़न स्पिरिट
ईयर फ़ोन - earphone आकर्णक यंत्र
उ
उब्लाइज - oblige आभारी करना. एहसान करना
ए
एअर कन्डीशंड -air-conditioned वातानुकूलित
एअर कन्डीशनिंग-air-conditioning वातानुकूलन
एअर फ़ोर्स - airforce वायुसेना एअर मेल-air mail हवाईडाक एअर लाइनस्-airlines विमान सेवा एअरोड्रम - aerodrome विमानक्षेत्र एअरोप्लेन -aeroplane हवाई जहाज़, वायुयान एकड़ - acre 4840 वर्गगज़ का क्षेत्रफल एकामोडेशन-accommodation जगह, स्थान;
आवास
एक्टर - actor अभिनेता
एक्टिंग - acting अभिनय कार्यकारी एक्ट्रेस - actress अभिनेत्री एक्रोबैट-acrobat कलाबाज़ एक्सकर्शन -excursion सैर; भ्रमण एक्सचेंज – exchange विनिमय एक्सपर्ट - expert विशेषज्ञ; प्रवीण एक्सपीरियंस - experience अनुभव एक्सपोर्ट - export निर्यात एक्सप्रेस-express द्रुतगामी, तेज़
एक्सरसाइज़ - exercise अभ्यास, व्यायाम एक्सरे - X-ray क्ष-किरणे
एक्सल - axle धुरा
एक्साइज़ - excise आबकारी उत्पादन शुल्क
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894 एक्सीडेंट-accident दुर्घटना
एस्केलेटर-escalator चलती सीढ़ी एटसेटरा-etcetra आदि, इत्यादि
एस्टिमेट-estimate अनुमान, अंदाजा एग्ज़ास्ट फ़ैन-exhaust fan निर्वातक पंखा एस्ट्रानामी-astronomy गणित ज्योतिष एम्जीक्यूटिव-executive कार्यकारी, कार्यकारिणी; एस्परीन-aspirin सिरदर्द की एक दवा कार्यपालिका एग्जीक्यूटिव कौंसिल-executive council कार्यकारिणी परिषद् एग्रीकल्चर-agriculture कृषि, खेती-बाड़ी एजंट-agent अभिकर्ता एजंसी-agency अभिकरण एटम-atom परमाणु एटमस्फिअर-atmosphere वातावरण
ऐक्जीक्यूटिव-executive कार्यकारी एटलस-atlas मानचित्रावली
ऐक्जीक्यूशन-execution प्राणदंड एट होम-at-home प्रीतिभोज
ऐक्ट-act अधिनियम एटीकेट-etiquette शिष्टाचार
ऐक्नॉलिज-acknowledge कबूलना, मान लेना एड-aid सहायता
ऐक्नॉलिजमेंट-acknowledgement पावती एडवरटिज़मेंट-advertisement विज्ञापन ऐक्शन-action कार्रवाई एडवांस-advance पेशगी; अग्रिम आगे बढ़ना, ऐक्सटेंशन-extension बढ़ाना अग्रिम देना
ऐक्सट्रा-extra फालतू , अतिरिक्त एडवोकेट-advocate अधिवक्ता
ऐक्सट्रीमिस्ट-extremist उग्रवादी, अतिवादी एडीटर-editor संपादक
ऐक्सपेरिमेंट-experiment प्रयोग एनाउंस-announce घोषित करना, एलान करना ऐक्सपोर्ट-export निर्यात एनाउंसमेंट-announcement घोषणा. एलान ऐक्सप्रेस-express तीव्रगामी, आशुग एनाटमी-anatomy शरीर रचना विज्ञान: चीरफाड़
ऐक्सप्लाइट-exploit शोषण करना. स्वार्थ साधना एनीमा-enema वस्तिकरण वस्तिप्रक्षालन
ऐक्सेंट-accent बलाघात (बोलने का) एन्ट्री-entry इंदराज. प्रविष्टिः प्रवेशद्वार
ऐग्री-agree सहमत होना एन्ट्रेस-entrance प्रवेश: प्रवेशद्वार
ऐग्रीमेंट-agreement अनुबंध, करार; सहमति एप्रन-apron पेटबंद
ऐजंडा-agenda कार्यसूची एप्लीकेशन-application प्रार्थना-पत्र
ऐजीटेशन-agitation आंदोलन: विक्षोभ एप्वाइंटमेंट-appointment नियुक्ति
ऐजूकेशन-education शिक्षा एफिडेविट-affidavit शपथ-पत्र, हलफ़नामा ऐटम-atom अणु, परमाणु एम-aim ध्येय. लक्ष्य
ऐटम बम-atom bomb परमाणु बम एम्बुलेंस-ambulance रोगीगाड़ी
ऐटेंडेंट-attendant परिचर एम्बेसी-embassy दूतावास
ऐडजर्न-adjourn स्थगित करना. काम रोकना एम्बैसेडर-ambassador राजदूत
ऐडजर्नमेंट-adjournment स्थगन एयरक्राफ्ट-aircraft विमान, वायुयान
ऐडजस्ट-adjust समंजन करना एयरगन-air-gun हवाई बंदूक
ऐडजस्टमेंट-adjustment समायोजन एयररेड-air-raid हवाई हमला
ऐडमिनिस्ट्रेटर-administrator प्रशासक एरिअर-arrear बकाया
ऐडमिनिस्ट्रेशन-administration प्रशासन एरिअल-aerial विद्युतग्राहक
ऐडमिरल-admiral नौसेनाध्यक्ष एरिया-area क्षेत्रफल
ऐडमिशन-admission दाखला, प्रवेश एरोप्लेन-aeroplane वायुयान
ऐडमिशन फार्म-admission form प्रवेश-पत्र एलबम-album चित्राधार, चित्रसंग्रह
ऐडमिशन फ़ी-admission fee प्रवेश-शुल्क एलाटमेंट-allotment आवंटन
ऐडवरटाइज़-advertise विज्ञापन देना एलार्म-alarmखतरे की घंटी
ऐडवरटाइजमेंट-advertisement विज्ञापन, एलोपैथी-allopathy विषम चिकित्सा
इश्तहार एवार्ड-award पुरस्कार
ऐडवांस-advance अग्रिम, पेशगी एसिड-acid अम्ल, तेज़ाब
ऐडवेंचर-adventure साहस; साहसिक कार्य एसोसिएशन-association समाज, साहचर्य ऐडवोकेट-advocate अधिवक्ता एस्कीमो-eskimoटुंड्रावासी. एक जाति
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895
क
ऐडवोकेट जनरल-advocate general महाधिवक्ता ऐड हाक-ad hoc तदर्थ ऐडिशनल-additional अतिरिक्त ऐड्रेस-address पता; अभिभाषण ऐपूवल-approval अनुमोदन ऐप्रोच-approach पहुँच, उपगमन; प्रवेश ऐप्लीकेशन-application प्रार्थना-पत्र, अर्जी ऐबनार्मल-abnormal अपसामान्य ऐबसई-absurd निरर्थक ऐबसेंट-absent अनुपस्थित, गैरहाज़िर ऐवरेज-average औसत, माध्य, साधारण ऐश ट्रे-ashtray राखदानी ऐसेट-asset परिसंपत्ति ऐसोसिएशन-association समाज, संघ
ओथ-0ath शपथ, सौगंध, कसम ओनर-owner स्वामी, मालिक ओपन-open खुला, प्रकट ओपिनियन-opinion राय, मत ओ० पी० डी०-0.P.D. बाह्य रोगी विभाग (out door patients department) ओबलाइज-oblige आभारी करना, एहसान करना ओरिजिनल-original मूल, प्रारंभिक ओलंपिक-Olympic हर चार साल बाद खेली जानेवाली विश्व क्रीड़ाएँ
ओवर-over अतिरिक्त, ऊपर, पार, अधिक, बाहरी, समाप्त ओवर-एज-overage अधिकायु ओवरकोट-overcoat कोट के ऊपर का कोट ओवरटाइम-overtime अतिसमय, अतिकाल ओवरड्यू-overdue अत्यावधिक, अतिप्राप्य ओवरड्राफ्ट-overdraft अत्याहरण ओवर राइट-overwrite लिखे के ऊपर लिखना ओवर रूल-over rule रद्द करना, अस्वीकार करना ओवरलुक-overlook उपेक्षा करना ओवर वर्क-over work अतिश्रम (करना) ओवर सिअर-overseer सर्वेक्षण निरीक्षक ओवर हाल-overhaul जीर्णोद्धार (करना) ओविन-oven चूल्हा, भट्ठी
कंकरीट-concrete गिट्टी सीमेंट का मसाला कज़रवेटिव-conservative अनुदार, रुढ़िवादी कंटिन्जेंसी-contingency अतिआकस्मिकता, विशेष स्थिति कंट्रोल-control नियंत्रण, काबू कंडक्टर-conductor संचालक, परिचालक । कंडीशन-condition हालात, दशा; शर्त, प्रतिबंध कंडेम-condemn निंदा करना; दोषी ठहराना कंपनी-company साथ, संगति; टोली, समवाय कंपलसरी-compulsory अनिवार्य, बाध्य कंपीटीशन-competition स्पर्धा, प्रतियोगिता कंपेनसेशन-compensation क्षतिपूर्ति, मुआवज़ा कंपोज़-compose टाइप जोड़ना कपोजीटर-compositor अक्षर योजक कंपोज़ीशन-composition रचना कंप्यूटर-computer संगणक कंप्रोमाइज़-compromise समझौता कट-cut काट कटपीस-cut piece कटा टुकड़ा कटलेट-cutlet तले हुए कतले कटिंग-cutting कतरन; कटाई कनवीनर-convener संयोजक कनवीनिअंस-convenience सुविधा कनवेअंस-conveyance वाहन, सवारी . कनस्तर-canister टीन, पीपा कनेक्शन-connection संबंध, मेल, जोड़ कन्ट्रनमेंट-cantonment छावनी कन्वोकेशन-convocation दीक्षान्त समारोह कन्सेशन-concession रिआयत, छूट कप-cup प्याला कप्तान-captain नायक कफ़-cuffकलाईबंध कमांड-command आदेश, समादेश; नियंत्रण, शासन; अधिकार; कमान कमांडर-commander सेनापति कमान-दे० command कमांड कमिश्नर-commissioner आयुक्त कमीशन-commission आढ़त, बट्टा; आयोग कमेंटरी-commentary टीका-टिप्पणी कमेटी-committee समिति कमोड-commodeवह पात्र जिसमें मल-मूत्र त्यागा जाता है कम्पास-compass दिग्सूचक, कुतुबनुमा कम्पाउड-compound प्रागंण, अहाता कप्पाम्डर-compounder दवासाज़
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कम्पार्टमेंट-compartment रेलडिब्बा कम्पोज़िंग - composing अक्षर योजन कम्प्यूटर-computer संगणक कम्यूनिटी - community समुदाय कम्यूनिज्म - communism साम्यवाद कम्यूनिस्ट - communist साम्यवादी करंट - current विद्युतधारा; जलधारा करेंट - current चालू, प्रचलित
करेस्पान्डेंस - correspondence पत्रव्यवहार, पत्राचार
करैक्टर - character आचरण, चालचलन कर्नल - colonel कर्नेल
कर्फ्यू - curfew घरबंदी
कलर-colour रंग
कलेंडर -calendar पंचांग, तिथि पत्र कलेक्टर -collector समाहर्ता, जिलाधीश, एकत्रित करनेवाला
कल्चर -culture संस्कृति
कवर - cover आवरण कस्टम custom सीमाशुल्क
प्रथा, रीति-रिवाज, रूढ़ि;
कस्टमर customer ग्राहक, गाहक
कस्टर्ड - custard फिरनी, लपसी
कांक्रीट - concrete गिट्टी और सीमेंट का मसाला कांग्रेस-congress सम्मेलन
काउंटर - counter पटल काउंसिल- council परिषद् काउंसिलर-councillor पार्षद
काउच - couch सोफ़ा
काग cork डाट कॉट-cot खाट, खटोला
कॉटिज - cottage कुटीर, झोंपड़ी काडर - cadre संवर्ग, संगठन कान्ग्रेचुलेशन-congratulation बधाई,
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मुबारकबाद
कान्ट्रैक्ट - contract संविदा, ठेका कान्ट्रैक्टर-contractor संविदाकार, ठेकेदार कान्फीडेन्शल - confidential गोपनीय कान्फरेंस - conference सम्मेलन कान्वेंशन - convention रीति, परिपाटी कान्वोकेशन -convocation दीक्षांत समारोह कान्सर्ट - concert संगीत गोष्ठी कान्सेशन - concession छूट, रियायत कान्स्टीटयुअंसी - constituency निर्वाचन क्षेत्र कान्स्टीटयूशन - constitution संविधान कान्स्टेबल - constable पुलिस का सिपाही कापर - copper ताँबा
कापी - copy प्रतिलिपि, नकल; अभ्यास पुस्तिका कापीराइट - copyright स्वत्वाधिकार कामरेड comrade साथी
कामा-comma अल्पविराम कामिक-comic हास्यकर; चित्रकथा काम्प्लैक्स - complex ग्रंथि, मनोग्रंथि कार-car मोटरगाड़ी
कारतूस - cartridge छर्रे या गोली का खोल कारपोरेशन -corporation निगम कारीडोर - corridor गलियारा कार्क-cork डाट
कार्टिज -cartage गाड़ी भाड़ा, ढुलाई कार्टून - cartoon व्यंग्यचित्र कार्टूनिस्ट - cartoonist व्यंग्यचित्रकार कार्ड - card पत्र
कार्डबोर्ड - cardboard दफ़्ती, गत्ता
कार्डराय - corduroy उभरीधारियोंवाला एक कपड़ा कार्डिगन - cardigan ऊनी जाकेट
कार्निस, कानस - cornice कँगनी काल- call बुलावा, पुकार कालम-column स्तंभ कालर-collar गरदनी, कालर कालरा - cholera हैजा, विसूचिका कालेज - college महाविद्यालय कालोनी - colony बस्ती; उपनिवेश काशन -caution सावधानी कॉस्ट - cost लागत, मूल्य कास्ट - caste जाति
कास्टर आयल -castor oil रेंडी का तेल कास्टिंग मशीन - casting machine ढलाई मशीन
कास्टिंग वोट-casting vote निर्णायक मत किंडरगार्टन - kindergarten बालवाड़ी किक - kick ठोकर
किचिन - kitchen रसोई घर किट - kit सामान का थैला किडनी - kidney गुरदा, वृक्क किडनैप - kidnap अपहरण करना किडनैपिंग - kidnapping अपहरण किरासन - kerosene मिट्टी का तेल किलोग्राम - kilogram 1000 ग्राम की तौल किलोमीटर - kilometre 1000 मीटर की दूरी किलोलीटर - kilolitre 1000 लीटर की माप किलोवाट - kilowatt 1000 वाट (विद्युत शक्ति) की बोर्ड - key board कुंजी पटल कुक-cook रसोइया कुकर - cooker भापवाली देगची कुनैन - quinine कुनीन ( एक कड़वी औषधि) कूपन - coupon छपी हुई पर्ची जिससे कोई सुविधा, सूचना या लाभ प्राप्त हो
कूलर - cooler शीतक
केक-cake मीठी नरम डबल रोटी केतली - kettle देगची
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केबल-cable समुद्री तार
कोर्स-course पाठ्य क्रम केबिन-cabin कोठरी, दबूचा
कोलतार-coaltar तारकोल, डामल केमिकल-chemical रासायनिक पदार्थ, रसायन कोल्ड-cold ठंडा, शीतल केमिस्ट-chemist रसायनी, औषध-विक्रेता कोल्डक्रीम-cold-cream शीतल मुखलेप केमिस्ट्री-chemistry रसायनशास्त्र
क्यू-queueपंक्ति, कतार केस-case मुकदमा, वाद; घटना
क्राइटेरियन-criterion मापदण्ड, निकष, कसौटी कैंट-cantonment छावनी
क्राइसिस-crisis संकट, संक्रांति कैंडीडेट-candidate अभ्यर्थी, उम्मीदवार
क्राकरी-crockeryचीनी मिट्टी के बर्तन कैंप-camp शिविर, पड़ाव
क्रिकेट-cricket गेंद-बल्ले का खेल कैक्टस-cactus नागफनी, सेहुड़
क्रिमनल-criminal अपराधी; फ़ौजदारी कैच-catch पकड़, लोक
क्रिश्चन-Christian ईसाई कैटारैक्ट-cataract मोतियाबिंद
क्रिसमस-christmas बड़े दिन का त्यौहार कैडिट-cadet सैन्यछात्र, छात्रसैनिक
क्रीज़-crease सिलवट कैनवस-canvas किरमिच (कपड़ा)
क्रीम-cream मलाई कैनवैसिंग-canvassing पक्ष-प्रचार
क्रीमरोल-creamroll मलाईबेलन कैन्टीन-canteen जलपान-गृह
क्रेज़-craze उन्माद, सनक, पागलपन कैन्सर-cancer कर्कट रोग
क्रेट-crate खानेदार पेटी कैन्सल-cancel रद्द करना, निरस्त करना
क्रेडिट-credit साख, उधार कैप-cap टोपी
क्रेन-crane उत्थापक यंत्र कैपस्यूल-capsule संपुटिका
क्रेप-crepe सिलवटदार एक बढ़िया कपड़ा कैपिटल-capital पूँजी; राजधानी
क्रोस-cross गुणनचिह्न; काटा कैएन-captain कप्तान, सरदार
क्लब-club सभा कैफीटेरिया-cafeteria काफी हाउस
क्लर्क-clerk लिपिक कैबिनट-cabinet मंत्रिमंडल; आलमारी
क्लाइंट-client मुअक्किल कैमरा-cameraफोटो लेने का उपकरण
क्लाइमेट-climate जलवायु कैम्पस-campus परिसर, अहाता
क्लॉक-clock दीवार घड़ी कैरट-carat सोने की परख की एक इकाई
क्लास-class श्रेणी, वर्ग; कक्षा कैरम बोर्ड-carrom board फ़लक और गोटियों क्लिप-clipकेश चिमटी का खेल
क्लीनर-cleaner वाहन प्रशासक, संवाहक कैरियर-carrier जीवनवृत्त, जीवन
क्लीनिक-clinicउपचार गृह कैश-cash नकद, नकदी, रोकड़
क्लोक-cloak चोगा कैशियर-cashier खज़ांची, रोकड़िया
क्लोकरूम-cloak room सामानघर कैसिट-cassette फ़िल्म रील की डिबिया क्वाटर-quarter कमरा को-आपरc-co-operateसहयोग देना
क्वानटिटी-quantity मात्रा, परिमाण को-आपरेटिव-co-operative सहकारी क्वालिटी-quality गुणवत्ता कोकीन-cocaine कोका का सत
क्वालिफिकेशन-qualification योग्यता, कोच-coach गाड़ी की बोगी
अर्हता कोचवान-coachman गाड़ीवान
क्विंटल-quintal 100 किलोग्राम की तौल कोचिंग-coaching अनुशिक्षण
क्विक-quick तेज, द्रुतगामी; फुर्तीला; शीघ्र, कोट-coat झिगोला
तत्काल कोटा-quotaनियतांश
क्विज-quiz प्रश्नोत्तरी, पूछताछ कोटेशन-quotation उद्धरण, अवतरण; भाव, दर क्वीन-queen रानी, साम्राज्ञी कोड-code संहिता; संकेत
क्वेश्चन-question प्रश्न, सवाल कोन-cone शंकु कोर-corps दल, सेना का भाग कोरम-quorum गणपूर्ति कोर्ट-court न्यायालय कोर्टफ्रीस-court fees न्यायालय शुल्क कोर्ट मार्शल-court martial सैनिक न्यायालय, फौजी अदालत
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ग्राउंड-ground मैदान; आधार प्राफ़-graph लेखाचित्र ग्रामर-grammar व्याकरण
ग्रामोफ़ोन-gramophone भोंपू-बाजा गज़ट-gazette राजपत्र
ग्रास-gross ग्रुस = 12 दर्जन गज़टेड-gazetted राजपत्रित
प्रिप-grip पकड़ गजेटियर-gazetteer भूवृत्त, स्थान विवरणिका प्रीटिंग-greeting शुभकामना, बधाई गटर-gutter गंदी नाली
प्रीस-grease चर्बी गन-gun तोप; बंदूक
ग्रुप-group समूह, वर्ग गर्डर-girder गाडर
d-grey सलेटी रंग गवर्नमेन्ट-government सरकार, शासन
प्रेजुएट-graduate स्नातक गवर्नर-governor राज्यपाल
ग्रेड-grade श्रेणी, दरजा, कोटि गवर्नर जनरल-governor general
प्रेस-grace अनुग्रह, कृपा; रियायत महाराज्यपाल
प्रैचुइटी-gratuity उपदान, आनुतोषिक गाइड-guide दिग्दर्शक, दिग्दर्शिका
ग्लास-glass गिलास गाइडेंस-guidance मार्गदर्शन, निर्देशन
ग्लिसरीन-glycerine अल्कोहलदार-तेल गीसर-geyser उष्णोत्स, गरम पानी का स्रोत या म्लूकोस-glucose द्राक्षाशर्करा झरना
ग्लोब-globe भूमिगोल गाउट-gout संधिवात, गठिया गाउन-gown चोगा, लबादा गागल-goggles धूप का चश्मा गाज़-gauze जाली गारंटी-guarantee प्रत्याभूति, आश्वासन गार्ड-guard रखवाला, आरक्षीदल गार्डन-garden बाग, उद्यान गॉल्फ़-golf चौगान (खेल)
चर्च-church गिरजाघर गिटार-guitar सितार की तरह का एक बाजा चांस-chance मौका, अवसर; संयोग, आकस्मिकता गिफ्ट-gift उपहार, भेंट, सौगात
चांसलर-chancellor कुलाधिपति गियर-gear गाड़ी की शक्ति बढ़ाने-घटाने का एक चाक-chalk खड़िया मिट्टी यंत्र, योक्त्र
चाकलेट-chocolate कोको से बनी मिठाई गुडलक-goodluck सौभाग्य
चार्ज-charge प्रभार; आवेश; दाम; आरोप; गेज-gauge माप, नाप, पैमाना
कार्यभार गेट-gate फाटक
चार्जशीट-charge sheet आरोप-पत्र गेटकीपर-gate keeper द्वारपाल, दरबान
चार्ट-chart सारणी; नक्शा गेटिस-garters मोजाबंद .
चिमनी-chimney धुआँकश गेम-game खेल
चीज़-cheese पनीर गेस्ट-guest मेहमान, अतिथि
चीटिंग-cheating धोखाधड़ी गेस्ट हाउस-guest house अतिथि गृह
चीफ़-chief मुख्य, प्रमुख गैंग-gang जत्था, दल, गिरोह
चीफ़जस्टिस-chiefjustice मुख्य न्यायाधीश गैप-gapरिक्त स्थान
चीफ मिनिस्टर-chief minister मुख्य मंत्री गैरेज-garageगराज
चेंज-change फुटकर; परिवर्तन गैलन-gallon छह बोतल भर की एक नाप
चेक-cheque धनादेश, हुण्डी, देयक गैलरी-gallery वीथिका
चेक-check रोक; पड़ताल Hasta-gabardine, gaberdine feces चेन-chain जंजीर; बेड़ी जैसा एक मोटा कपड़ा
चेयरमैन-chairman सभाध्यक्ष गैस-gas बात, गैस
चेस-chess शतरंज गोडाउन-godown गोदाम, भंडार
चैम्पियन-champion सर्वजेता, खिलाड़ी गोरिला-gorillaएक तरह का बंदर
चैलेंज-challenge चुनौती, ललकार गोल-goal लक्ष्य प्रांट-grant अनुदान; सहायता
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जेल-jail कारा, कारागार जेलर-jailer,jailor कारागारपाल जेली-jelly मुरब्बे जैसा एक पाग जैकिट-jacket सदरी जैम-jam मुरब्बा जोक-jokeमजाक, मसखरी जोकर-joker मसखरा, विदूषक जोन-zone क्षेत्र, मंडल; कटिबंध ज्यामेट्री-geometry रेखागणित ज्वाइंट-joint जोड़, संधि; संयुक्ति ज्वाइन-join जोड़ना; साथ होना; सेवारंभ करना ज्वेलर-jeweller सर्राफ़
ज्यादा
जोड़, संधि;
वारंभ करन
अंकशन-junction रेलवे जंक्शन; संधि, जोड़, संगम जग-jug लोटा । बज-judgeन्यायाधीश; निर्णायक जजमेंट-judgement, judgment निर्णय, फैसला जनरल-generalजनरैल जनरेटर-generator जनित्र जनवरी-January ईसवी साल का पहला महीना जन्टलमैन-gentleman शौकीन आदमी; भला आदमी जम्पर-jumper अंगिया जरमन सिलवर-German silver नकली चाँदी जरसी-jerseyऊनी बंडी, फतुही जर्नल-journal पत्रिका जर्नलिस्ट-journalist पत्रकार जर्म-germ कीटाणु जस्टिस-justice इन्साफ़, न्याय; न्यायाधीश जस्टीफिकेशन-justification औचित्य जाकेट-jacket सदरी जाग्राफी-geography भूगोल जॉब-job काम, कार्य; नौकरी जार-jar कलश, मर्तबान जार्जेट-georgette एक रेशमी कपड़ा जिंक-zinc जस्ता जिऑलजी-geology भौमिकी, भूविज्ञान जिन्जर-ginger अदरक, सोंठ ज़िप-zip सरकबँधनी जिराफ़-giraffe लंबी गरदनवाला एक अफ्रीकी जानवर जीप-jeep एक तरह की मोटर गाड़ी जीरो-zero शून्य जुडीशल-judicial न्यायिक . जुलाई-July अंग्रेजी साल का सातवाँ महीना जून-June अंग्रेजी साल का छठा महीना जूनियर-junior कनिष्ठ, अवर जूरी-jury न्यायसभ्य जूस-juiceरस जेट-jet जेट वायुयान जेटी-jetty पक्का घाट जेनरेटर-generator जनित्र जेनरेशन-generation पीढ़ी जेनरेशन गैप-generation gap पीढ़ियों का अंतर जेन्ट्स -gents पुरुष ज़ेबरा-zebraएक धारीदार घोड़े जैसा जानवर
टन-ton, tonne 100 कुंटल टनल-tunnel सुरंग टफ-tough कड़ा, कठिन; पक्का, सख्त, मजबूत टब-ub नाँद टबलेट-tablet टिकिया टर्न-turn बारी; मुड़ना, घूमना टर्म-term अवधि, मियाद; सम; पदावधि शर्त टर्मिनस-terminus सिरा; सिरे पर का स्टेशन टर्मिनल-terminal सीमा; अंतिम स्टेशन टांसिल-tonsil गलांकुर टाइट-tight कसा हुआ; दृढ़, मजबृत टाइटिल-title शीर्षक; उपाधि, पदवी टाइप-typeटंकण; किस्म, प्रकार टाइपराइटर-typewriter टेकण-यंत्र टाइपिस्ट-typist टंकक टाइफाइड-typhoid मियादी बुखार टाइम-time समय, उक्त टाइमकीपर-timekeeper समयपाल टाइम टेबल-time table समय-सारिणी टाइम पीस-time piece अलारम घड़ी टाइल-tile खपग, मारेल, टाइलेट-toilette प्रसाधन नाच गानाधर टाई-tie कठबंध टाउन-town नगर, कम्मा टाउन एरिया-town areaगर क्षा टॉनिक-tonic बलवक गध टान्सिल्स-tonsils, tonsillitis गलशोथ,
गलांकुर टॉप-top शिखर, नोटी. शीर्ष टाप्स-tops (कानों का) बल्ला टाफ्री-toffee एक नाह की मिठाई
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900 टायर-tyre पहिये पर चढ़ाया जानेवाला रबर का खोल टेप-tape फीता या चक्र
टेपरिकार्डर-tape-recorder फीता अभिलेखित्र टार-tar कोलतार, तारकोल
टेबुल-table मेज; सारणी टारगेट-target लक्ष्य, निशाना
टेबुलेटर-tabulator सारणीकार टारपीडो-torpedo पनडुब्बी
टेबुलेशन-tabulation सारणीकरण टार्च-torch मशाल; चोरबत्ती
टेब्लो-tableau सजीवचित्र, झाँकी टावर-tower मीनार, स्तंभ
टेम्परामेंट-temperament मिज़ाज टावल-towel तौलिया
टेम्पो-tempo तिपहिया मोटरगाड़ी टास-toss पाँसा
टेम्प्रेरी-temporary अस्थायी, कच्चा टास्क-task काम, कार्य, नियतकार्य
टेरारिस्ट-terrorist आंतकवादी, उग्रवादी टिंचर-tinctureघोल
टेरीकाट-terrycot कृत्रिम रेशमी सूत टिंबर-timber इमारती लकड़ी
टेरीलीन-terrylene कृत्रिम रेशमी कपड़ा टिकट-ticket आज्ञापत्र, प्रवेशपत्र
टेरीवूल-terrywool कृत्रिम रेशमी ऊन टिन-tin डब्बा; कनस्तर
टेलर-tailor दर्जी टिप-tip इनाम, बख्शीश
टेलिकास्ट-telecast दूरदर्शन द्वारा प्रसारण करना टिपटाप-tiptop उत्कृष्ट, बढ़िया; बना-ठना टेलिकाम्युनिकेशन-telecommunication टिफ़िन-tiffin अल्पाहार
दूर संचार टिश्यू-tissue ऊनक
टेलिग्राफ़-telegraph तारलेख टी-tea चाय
टेलिग्राम-telegram तार टीचर-teacher अध्यापक, शिक्षक
टेलिफ़ोन-telephone दूरभाष टीपाट-teapot चायदानी
टेलिविजन-television दूरदर्शन टी पार्टी-tea-party चाय (पान) पार्टी
टेलिस्कोप-telescope दूरदर्शक, दूरबीन टी० बी०-tuberculosis क्षयरोग, यक्ष्मा, टेलेक्स-telex सीधे संदेश लेनेदेने की टेलीफ़ोन तपेदिक
पद्धति टीम-team टोली .
टेस्ट-test परीक्षण, जाँच टी०वी०-television दूरदर्शन
टेस्ट ट्यूब-test tube परखनली टी सेट-tea-set पूरे चाय पात्र
टेस्टीमोनियल-testimonial प्रमाणलेख, शंसा। टी स्टाल-tea-stall चाय की गुमटी टुइल-twillदल का कपड़ा
टैंक-tank तालाब, कुंड; फौजी तोप टूथपाउडर-tooth-powder दंत-मंजन
टैक्ट-tact व्यवहार कौशल, कार्य कौशल, चातुरी, टूथपेस्ट-tooth-paste दंत लेप
शऊर टूर-tour पर्यटन, दौरा
टैक्स-tax कर टूरिस्ट-tourist पर्यटक, घुमक्कड़
टैक्सी-taxi भाड़े की मोटरकार टूर्नामेंट-tournament खेल प्रतियोगिता
टैग-tag लटकन; धज्जी; टंगनी; जोड़ना, बाँधना टूल-tool उपकरण, औजार
टैडपोल-tadpole मेढक का मछलीरूप बच्चा, टेंट-tent तम्ब, खेमा
बेंगची टेंडर-tender निविदा
टैप-tap टोंटी, नलका टेकनीकलर-technicolour अतिरंजित,
टैब्लेट-tablet टिकिया चटकीला
टैलकम-talcum मृदु, श्वेत मैगीनीशियम सिलीकेट टेकनॉलजी-technology शिल्प विज्ञान, तकनीक टैली-tally मिलान टेकनिकल-technical तकनीकी, प्राविधिक टोकेन-token चिह्न; संकेत; प्रतीक; निशानी टेकनीक-technique तकनीक, प्रविधि, प्रक्रिया टोटल-total जोड़, योग; कुल, समग्र टेकनीशियन-technician यंत्रविद्, शिल्पी, टोन-tone स्वर; स्वरशैली, लहजा तक शियन
टोमैटो-tomato टमाटर टेक्सटाइल-textile कपड़ा; वस्त्र
टोल-toll कर, महसूल; मार्गकर; राहदानी टेक्स्ट-text मूलपाट
टोस्ट-toast डबल रोटी का सिंका हुआ टुकड़ा टेक्स्टबुक-text-book पाठ्य पुस्तक
टोस्टर-toaster टोस्ट सेंकने का उपकरण टेनिस-tennis रैकिट और गेंद का एक खेल ट्यूटर-tutor अनुशिक्षक, निजी शिक्षक टेनेन्ट-tenant किरायेदार
ट्यून-tune धुन, राग, लय टेन्शन-tension तनाव. व्यग्रता, बेचैनी
ट्यूब-tubeनली
पत्र
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ट्यूबवेल - tubewell नलकूप ट्यूशन - tuition अनुशिक्षण
ट्यूशन फ्री - tuition fee शिक्षण शुल्क, शिक्षा शुल्क
ट्रंक - trunk बक्सा, संदूक
ड्रंक काल - trunk-call शहर के बाहर का टेलीफ़ोन संदेश
ट्रक - truck भारवाहन
ट्रम्प-trump तुरुप
ट्रस्ट - trust न्यास
ट्रस्टी - trustee न्यासी
901
ट्रांजिस्टर - transistor एक तरह का रेडियो सेट ट्रांसपोर्ट - transport परिवहन वाहन ट्रांसफ़र - transfer स्थानांतरण, बदली. तबादला ट्राइबुनल- tribunal न्यायाधिकरण, अधिकरण ट्राइसिकिल - tricycle तिपहिया. बचकानी साइकिल ट्राई - try प्रयास प्रयत्न. कोशिश परीक्षा ट्रान्सफ़ार्मर - transformer परिणामित्र. एक प्रकार की विद्युत को दूसरी प्रकार की विद्युत में बदलने का यंत्र
ट्रान्सलेटर - translator अनुवादक ट्रान्सलेशन - translation अनुवाद ट्राफी - trophy विजयोपहार
ट्रायल - trial परीक्षण, जाँच, मुकदमा ट्राली - trolley, trolly ठेला ट्रिक - trick चाल, चालाकी
ट्रिप - trip खेप, चक्कर; यात्रा, सैर; आमोद-प्रमोद ट्रिप्लीकेट - triplicate तेहरा; तीन प्रति ट्रीटमेंट - treatment उपचार, इलाज -tray तश्तरी
ट्रेजडी - tragedy त्रासदी, दुखांतकी
ट्रेजरी - treasury कोषागार, खज़ाना ट्रेडमार्क - trademark व्यापारचिन्ह, छाप
ट्रेड यूनियन - trade union श्रमिक संघ, मजदूर संघ ट्रेन-train रेलगाड़ी
ट्रेनिंग - training प्रशिक्षण ट्रेनी - trainee प्रशिक्षार्थी
डल - dull मंद (रंग या बुद्धि) डस्टर - duster झाड़न
डांस - dance नृत्य, नाच
डबल-double दोहरा
डमी - dummyनकली, दिखावटी; मौन, मूक; कठपुतली
डाइग्राम - diagram आरेख, रेखालेख डाइट - diet भोजन, आहार डाइनामाइट - dynamite अभिस्फ़ोट • डाइनिंग टेबुल - dining table खाने की मेज डाइरेक्ट - direct सीधा; प्रत्यक्ष
डाइरेक्टर -director संचालक, निदेशक, निर्देशक डाइरेक्टरी - directory निदेशिका निदर्शनी डाइरेक्टोरेट-directorate निदेशालय डाई - die साँचा, ठप्पा
डाउरी - dowry दहेज दायजा
डाकुमेंट-document प्रलेख. दस्तावेज
डाकुमेंटरी - documentary लेख्य. प्रलेखी दस्तावेजी डाक्टर - doctor चिकित्सक
डायग्राम - diagram आकृति नक्शा डायनमो - dynamo विद्युदुत्पादक यंत्र डायबिटीज - diabetes मधुमेह डायरिया -diarrhoea अतिसार, दस्त डायरी - diary दैनंदिनी डायल-dial अंकपट (घड़ी का ) डार्लिंग - darling प्रिय. प्रिये डिक्टेटर-dictator अधिनायक तानाशाह डिक्टेटरशिप-dictatorship अधिनायकवादः अधिनायकतंत्र तानाशाही डिक्टेशन-dictation श्रुतलेख इमला डिक्री -decree डिगरी, आज्ञप्ति डिक्शनरी - dictionary शब्दकोश डिग्री - degree उपाधि: कोटि श्रेणी; अंश डिज़ाइन - design अभिकल्प परिरूप परिकल्पना डिटेल -detail विस्तृत विवरण ब्यौरा तफ़सील डिटो - ditto वही. तथैव तदैव यथोपरि डिनर - dinner रात्रि भोजन
डिपाजिट-deposit जमा, निक्षेप: जमा करना डिपार्टमेंट-department विभाग, महकमा
ट्रेलर - trailer फ़िल्म की झलकियाँ; अनुमान, अनुवाहन डिपो depot आगारे, भंडार
डिटी - deputy उप सहायक
ट्रेसपास - trespass अतिक्रमण, उल्लंघन ट्रैक्ट-tract गुटका, पुस्तिका
टरैक्टर - tractor क्षेत्रकर्षक
ट्रैफ़िक - traffic यातायात ट्वीड - tweed एक मोटा ऊनी कपड़ा
ड
डिप्लोमा - diploma उपाधिपत्र. सनद
डिप्लोमा होल्डर - diploma holder डिप्लोमाधारी डिप्लोमेसी - diplomacy कूटनीति व्यवहार कौशल डिफ़ेन्स - defence रक्षा, सुरक्षा
डिबार - debar वर्जन, रोक डिबेट - debate वाद-विवाद डिमांड - demand माँग; दावा डिमाई - demy 11 18 इंच आकार का एक कागज डिमांस्ट्रेशन - demonstration प्रदर्शन डिमार्केशन-demarcation सीमांकन, हदबंदी डिलवरी - delivery सुपुर्दगी अदायगी; वितरण; प्रसव, प्रसूति
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डिवाइड-divide विभक्त करना, विभाजन करना डिविज़न -division भाग; मंडल डिविडेंड dividend लाभांश डिश-dish प्लेट, रकाबी भोजन, पकवान डिसमिस - dismiss सेवामुक्त, बरखास्त डिसिप्लिन-discipline अनुशासन डिसेन्ट्री - dysentry पेचिश, आमातिसार डिस्क - disc चकरी, गोल तश्तरी डिस्कस - discuss बहस ( कहना) डिस्काउंट - discount मितीकाटा, बट्टा छूट डिस्टर्ब -disturb विघ्न, बाधा; विक्षोभ, शांतिभंग डिस्पेंसरी - dispensary औषधालय डिस्पैच - despatch प्रेषण: खानगी डिस्पोजल -disposal fनिपटान, समापन डिस्प्लेस्ट-displaced विस्थापित डिस्सटेंशन - dissertation लघु शोधप्रबंध डीजल - diesel मिट्टी का कच्चा तेल डीड-deed कार्य: विलेख डीलिंग - dealing व्यवहार, लेन-देन डुप्लीकेट-duplicate दोहरा; अनुलिपि; द्वितीयक
डेक-deck (जहाज की) छत
डेट-date तिथि, दिनांक, तारीख
डेटा-data आधार सामग्री, आँकड़े
डेन्टिस्ट dentist दन्तचिकित्सक, दंदानसाज़ डेपुटेशन - deputation प्रतिनिधिमंडल : प्रतिनियुक्ति, प्रतिनियोजन
डेफिसिट-deficit अभाव, कमो; घाटा
डेबिट - debit नामे (डालना) डेमोक्रेसी - democracy लोकतंत्र, जनतंत्र डेरी - dairy दुग्धशाला, गोशाला
डेरीफ़ार्म - dairy farm दुग्धशाला, पशुशाला डेलीगेट - delegate प्रतिनिधि
डेलीगेशन - delegation प्रतिनिधि मंडल, शिष्टमंडल
डेल्टा - delta मुहाना डेस्क-desk मेज
डैडी - daddy पिता
डैम -dam बाँध
डोज़-dose खुराक
ड्यू - due देय, दातव्यः प्राप्य पावना
डयूटी - duty कर्तव्य, फ़र्ज़, कार्य, कर, महसूल ड्राअर - drawer दराज़
902
ड्राइंग - drawing रेखाचित्र; आरेखन डराइंग रूम - drawing-room बैठक ड्राइवर - driver चालक
ड्राफ्ट - draft प्रारूप, मसौदा, आलेख ड्रामा - drama नाटक, रूपक ड्रिंक - drink पेय, मदिरा, शराब ड्रेस - dress पोशाक, परिधान ड्रेसिंग - dressing मरहम पट्टी
त
तारकोल - tarcoal कोलतार, डामर, अलकतरा तारपीडो - torpedo पनडुब्बी तिरपाल - tarpaulin कैनवस का साया
थ
थरमस - thermos तापरक्षक, बोतल थर्ड - third तृतीय, तीसरा थर्मामीटर - thermometer तापमापी थियेटर - theatre रंगशाला, नाट्यशाला थीम - theme कथावस्तु थीसिस - thesis शोध प्रबंध
थैंक्स - thanks धन्यवाद, शुक्रिया
थ्योरी - theory सिद्धान्त, वाद, मत थ्रिल - thrill रोमांच, पुलक थ्रू - through सीधा द्वारा, होकर
द
दिसम्बर - December अंग्रेजी साल का बारहवाँ और अंतिम महीना
न
नंबर - number संख्या; अंक नट -nut ढिबरी
नट-बोल्ट -nut bolt ढिबरी और बोल्ट नन - nun ईसाई संन्यासिनी
नर्वस - nervous व्यग्र, विकल, अधीर, हताश
नर्स - nurse उपचारिका; आया, धात्री
नर्सरी - nursery शिशु शिक्षालय; संवर्धनशाला; पौधशाला
नाइट्रोजन - nitrogen नत्रजन
नाइलोन - nylon एक कृत्रिम रेशमी कपड़ा
नाज़ी - nazi नात्सी
नॉट-knot गाँठ
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903
नानवेजीटेरियन-non-vegetarian मांसाहारी,
आमिषभोजी नानसेन्स-nonsense अनाप-शनाप, अंड-बंड, मूर्खतापूर्ण
नानस्टाप-nonstop अविराम, निरंतर
पंचर-punctureछेद, चोभ नामिनी-nominee नामित, मनोनीत व्यक्ति, नामजद __ पटेटोचाप्स-potato-chops आलूचाप आदमी
पतलून-pantaloon पैंट नामिनेटिड-nominated मनोनीत, नामजद पब्लिक-public जन, जनता, आवाम; सार्वजनिक नामिनेशन-nomination मनोनयन, नामज़दगी पब्लिसिटी-publicity प्रचार; विज्ञापन नार्थ-north उत्तर (दिशा)
पम्प-pump नल; हवा भरने का नला नार्मल-normal सामान्य, साधारण; प्रकृत, सहज
पम्प शू-pump shoe गुर्गाबी, मुंडा जूता नावल-novel उपन्यास
परफार्मेस-performance अभिनयः प्रस्तुति, प्रदर्शन नावल्टी-novelty नवीनता; अनूठापन, विलक्षणता
परमिट-permit आज्ञा-पत्र, अनुज्ञा-पत्र निकर-knickers विलायती जाँघिया
परेड-paradeसैनिक, जुलूस; कवायद निकल-nickel रूपा, गिलट
पर्टिकुलर्स-particularsब्यौरा, विवरण, तफ़सील निपल-nipple चूसनी, चूची
पर्मानेन्ट-permanent स्थायी, पक्का निब-nibलिखसुई, चोंच (कलम की)
पर्मिशन-permission अनुमति, आज्ञा, इज़ाजत निमोनिया-pneumonia फुफ्फुसदाह, फुफ्फुसशोथ पर्स-purse बटुआ, धनथैली नीग्रो-negro हब्शी
पर्सनल-personal व्यक्तिगत, निजी नेकलेस-necklace कंठहार, हार, कंठा
पर्सनैलिटी-personality व्यक्तित्व नेक्स्ट-next अगला, आगामी, निकटतम, पास का: दसरा पलटन-platoon सैन्य टुकड़ी नेगेटिव-negative ऋणात्मक प्रतिचित्र
पाइप-pipeनल, नलिका नेचर-nature प्रकृति, निसर्ग, कुदरत; स्वभाव पाइलट-pilot वायुयान चालक, हवाबाज़ नेट-net जाल, पाश; शुद्ध, खालिस
पाउडर-powder चूर्ण, बुकनी नेपोटिज्म-nepotism भाई-भतीजावाद
पाउड-pound एक विलायती सिक्का; लगभग 400 ग्राम नेफ्यू-nephew भतीजा; भांजा
की एक तौल नेलपालिश-nail polish नखरंजक
पाकेट-pocket ज़ेब, खीसा नेवी-navy नौसेना, जलसेना
पाकेटमनी-pocket money ज़ेब ख़र्च नेशन-nation राष्ट्र, जाति।
पाज़-pause विराम, रुकावट; यति नैपकिन-napkin छोटा रूमाल ।
पाज़िटिव-positive धनात्मक, सकारात्मक; फोटो प्रिंट नैवीगेटर-navigator नौचालक
पाट-potबर्तन, भांड नैशनल-national राष्ट्रीय, देशव्यापी; कौमी, जातीय पापलीन-poplin एक टिकाऊ ऐंठनदार कपड़ा नैशनलाइजेशन-nationalization राष्ट्रीयकरण पाम-palm ताड़ नैशनलिस्ट-nationalist राष्ट्रवादी .
पायरिया-pyorrhea दंतपूय नो-कान्फिडेन्स-no-confidence अविश्वास पायलट-pilot विमानचालक, हवाबाज़ नोट-noteटिप्पणी, विवरण; कागजी मुद्रा; लिखना पारिज-porridgeदलिया नोटबुक-notebook टिप्पण पुस्तिका, अभ्यास पुस्तिका पार्ट-part हिस्सा, अंश; अंग; भूमिका नोटरी-notary लेख्य प्रमाणक
पार्ट टाइम-part time अंशंकालिक नोटिस-notice सूचना, अधिसूचना; सूचनापत्र
पार्टनर-partner हिस्सेदार, भागीदार न्यू-new नया, नव, नूतन, नवीन
पार्टी-party गुट, दल न्यूक्लियर-nuclear नाभिक, नाभिकीय, केन्द्रक पार्टीशन-partition विभाजन, पृथक्करण, बँटवारा, न्यूज़-news समाचार, खबर, संवाद
अलगाव न्यूज़पेपर-newspaper समाचार-पत्र, अख़बार
पार्डन-pardon क्षमा, माफी न्यूट्रल-neutral उदासीन, तटस्थ, निष्क्रिय
पार्लियामेंट-parliament संसद न्यूट्रान-neutron क्लीवाणु
पार्सल-parcel बंडल, पुलिंदा न्यूरालजी-neurology तंत्रिका विज्ञान
पालिटिक्स-politics राजनीति न्यूसेंस-nuisance उत्पात, खुराफात, ऊधम
पालिश-polishचमकी पालिसी-policy नीति; बीमापत्र पावर-power शक्ति; बिजली पास-pass दर्रा, घाटी प्रवेशपत्र; उत्तीर्ण; गुजरना
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904
पासपोर्ट-passport पार-पत्र
पैकिंग-packing वेष्ठन, बेठन; सामान बाँधना पासबुक-pass-book लेखा-पुस्तिका
पैकेट-packet पुलिंदा पिंक-pink गुलाबी; गुलाबी रंग
पैक्ट-pact समझौता पिकनिक-picnicवनविहार
पैटर्न-pattern नमूना, बानगी; ढाँचा; प्रतिकृति, प्रतिमूर्ति पिकिटिंग-picketing धरना
पैट्रन-patron संरक्षक पिक्चर-pictureचित्र, तस्वीर; सिनेमा
पैट्रोमैक्स-petromax गैसलैंप पिच-pitch सुर, स्वर, तारत्व
पैट्रोल-patrol पतरौल, गश्त पिटीशन, पेटीशन-petition याचिका
पेट्रोल-petrol ज्वलनशील द्रव पिन-pin योजक सुई, आलपीन
पैड-pad गद्दी, उपधान, तह पिन्ट-pint आधपाव की माप
पैडल-pedal पायदान पियानो-piano एक अंग्रेजी तरह का हारमोनियम पैनल-panel नामसूची, नामिका. नामचा पिस्टन-piston छड़ (इंजन का)
पैनिक-panic आतंक, दहशत, भगदड़ पिस्टल-pistol पिस्तौल
पैनोरमा-panorama दृश्यपटल; चित्रावली पीउन-peon चपरासी
पैन्ट्री-pantry भाण्डागार पीनल-penal दंडविषयक
पैम्फलेट-pamphlet इश्तहार पीनलकोड-penal code दंड संहिता
पैराग्राफ़-paragraph अनुच्छेद, परिच्छेद पीरियड-period अवधि, मियाद, कालावधि; घंटा पैराफर्नेलिया-paraphernalia साज-सामान, उपकरण पीस-piece टुकड़ा
पैराफ्रेज़-paraphrase पदान्वय पुलिस-police आरक्षी, आरक्षक
पैरालल-parallel समानांतर, समांतर; समरूप पुलोवर-pullover एक तरह का स्वेटर
पैरालाइज-paralyse स्तंभित करना, ठप करना पुल्टिस-poultice प्रलेप
पैरालिटिक-paralytic अर्धांग रोगी पेंट-paint रोगन (करना)
पैरालिसिस-paralysis लकवा, पक्षाघात, अंगघात पेंटर-painter रंगसाज़
पैराशूट-parachute हवाई छतरी पेंटिंग-painting चित्र; रंगसाज़ी
पैरासाइट-parasite परजीवी, पराश्रित, पराश्रयी पेंडिंग-pending लंबित, अनिर्णीत
पैरेंट-parent माता-पिता पेंडुलम-pendulum लोलक
पैरोडी-parody विडंबन; नकल, विद्रूप (कविता) पेंशन-pension निवृत्तिवेतन, निवृत्तिका
पैसिव-passive निष्क्रिय, अकर्मण्य पेंसिल-pencil सिक्केवाली कलम
पैसेंजर-passenger यात्री पे-pay वेतन, तनख्वाह, पगार, भुगतान करना, अदा करना पोजीशन-position स्थिति; स्तर; श्रेणी, कोटि, दर्जा; पेज-Page पृष्ठ. सफा
प्रतिष्ठा; पद; स्थान पेट-pet पालतू , घरेलू ; प्रेमपात्र, दुलारा; पशु पोटाश-potash एक सफ़ेद क्षार पेटीकोट-petticoat साया
पोप-pope पादरी पेटेंट-patent एकस्व
पोमेड-pomade एक सुगंधित अंगलेप पेट्रोल-petrol एक खनिज़ तेल
पोर्क-pork सुअर का मांस पेडल-pedal पायदान, पदयंत्र
पोर्च-porch ड्योढ़ी, दालान पेन-pen लेखनी, कलम
पोर्टफोलियो-portfolio संविभाग पेनल्टी-penalty दंड, शास्ति, सजा; अर्थदंड, जुर्माना पोटैट-portrait रूपचित्र पेन्स-pence शिलिंग का बारहवाँ हिस्सा
पोर्टिको-portico ड्योढ़ी, ओसारा पेन्सलीन-penicillin शुल्व औषध
पोर्शन-portion भाग, हिस्सा, अंश पेपर-paper कागज; अखबार; प्रश्न पत्र
पोल-pole खंभा पेपर कवर-paper cover पत्रावरण
पोल-poleमतदान पेपरमिंट-peppermint पुदीने का सत्त
पोलिंग-polling मतदान पेपरवेट-paper weight पत्रभार
पोलिंग स्टेशन-polling station मतदान केन्द्र पेमेंट-payment भुगतान, अदायगी
पोलिटिक्स-politics राजनीति पेवमेंट-pavement सड़क की पटरी
पोलिस-police आरक्षी, पुलिस पेशेंट-patient रोगी, मरीज़
पोलो-polo चौगान पेस्ट-paste लेई, लेप; चिपकाना
पोस्ट-post पद; नौकरी; चौकी पेस्ट्री-pastry मिष्ठान
पोस्ट आफ़िस-post office पत्रालय, डाकख़ाना पैंट-pant पतलून
पोस्ट कार्ड-post card कार्ड पत्र पैक-pack पोटली, गठरी; गड्डी; गठरी बाँधना, बाँधना पोस्टपोन-postpone स्थगित, विलंबन
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पोस्टमार्टम - postmortem शव परीक्षा पोस्टमास्टर - postmaster डाकपाल पत्रपाल पोस्टमैन - postman पत्रवाहक, पत्रवितरक, डाकिया पोस्टर- poster इश्तहार
पोस्टल आर्डर-postal order धनादेय प्योर - pure शुद्ध, खालिस, निरा; पवित्र प्राइज़ - prize पुरस्कार, इनाम प्राइमरी - primary प्राथमिक प्राइवेट - private निजी, व्यक्तिगत प्राइस - price मूल्य, कीमत
प्राइस इंडेक्स - price index मूल्य सूचकांक प्राइसलिस्ट - price list मूल्य सूची
प्राक्टर-proctor अनुशासक प्रापर्टी - property भू-संपत्ति, जायदाद प्रोपोगेंडा - propaganda प्रचार प्राफ़िट - profit लाभ, नफ़ा प्राबलेम - problem समस्या प्रामिसरीनोट-promissory note वचन पत्र प्रॉम्प्ट - prompt शीघ्र, सत्वर; आशुकारी प्रिंसिपल - principal प्राचार्य, प्रधानाचार्य प्रिन्ट - print छाप; छापना
प्रूफ़ - proof प्रमाण, सबूत; शोध्य पत्र
प्रूफ़रीडर - proof-reader प्रमाण, सबूत; शोध्य पत्र संशोधक
905
प्रिन्टर - printer मुद्रक प्रिन्टिंग - printing छपाई, मुद्रण
प्रीफ़र - prefer अधिक चाहना, वरीयता देना, बेहतर समझना प्लेन -plane विमान
प्रेज़ीडेंट - president सभापति राष्ट्रपि प्रेस-press छापाखाना, मुद्रणालय प्रेसक्रिप्शन - prescription नुख्सा, पुरजा, परची प्रेशर - pressure दबाव; दाब; प्रभाव; कार्यभार प्रेसफ़ोटोग्राफ़र - press photographer अख़बारी छविकार
प्रेसीडेंट - president राष्ट्रपति; सभापति; अध्यक्ष प्रेस्टीज़ - prestige प्रतिष्ठा प्रैक्टीकल - practical प्रायोगिक; व्यावहारिक प्रैक्टिस - practice अभ्यास; दस्तूर, रिवाज प्रेम - pram बच्चागाड़ी प्रोग्राम - programme कार्यक्रम प्रोग्रेस-progress प्रगति प्रोग्रेसिव - progressive प्रगतिशील प्रोटेस्ट - protest विरोध, प्रतिवाद (करना) प्रोटोकोल - protocol नयाचार, उपसं प्रोड्यूसर - producer निर्माता प्रोनोट - pronote रुक्का प्रोप्राइटर - proprietor मालिक प्रोफार्मा - proforma प्रपत्र प्रोफ़ेसर - professor आचार्य प्रोबेशन - probation परिवीक्षा, परख प्रोमोशन - promotion पदोन्नति, तरक्की
प्रोविज़न - provision उपबंध; व्यवस्था; शर्त प्रोसीडिंगस-proceedings कार्यवाही प्रोसेशन-procession शोभायात्रा, जुलूस प्रोसीजर - procedure प्रक्रिया, कार्य विधि प्लग - plug बिजली की ठेपी
प्लम - plum आलूचा, आलूबुखारा प्लांट - plant संयंत्र
प्लाट - plot भूखंड; षड्यंत्र, दुष्चक्र; कथानक, कथावस्तु
प्लाटून - platoon पलटन
प्लान - plan योजना, परियोजना; रूपरेखा, खाका प्लानिंग -planning आयोजन, नियोजन, योजना प्लास - pliers संड़सी, संसी
प्लास्टर - plaster पलस्तर
प्लास्टिक - plastic एक लचकदार पदार्थ, लचद्रव्य प्लास्तर - plaster पलस्तर, लेप
प्ले - play नाटक; खेल
प्लेग - plague महामारी, ताऊन; छुआछूत की बीमारी प्लेट - plate रकाबी, तश्तरी
प्लेटफ़ार्म - platform मंच; गाड़ी ठहराने का
चबूतरा
प्लेटिनम - platinum एक भारी कीमती धातु प्लेन - plain चौरस मैदान, सपाट भूमि
प्लेबिसाइट - plebiscite जनमत-संग्रह प्वाइंट - point बिंदु, नोंक; विषय, प्रसंग; प्रश्न,
सवाल
फ
फंकशन - function समारोह, जलसा; कार्य, प्रकार्य फंड - fund निधि, कोष
फ़र - fur पशुलोम
फ़रनीचर - furniture'मेज, कुर्सी आदि सामान फ़रमा - form एक बार में छपनेवाला टाइप का मैटर फ़रवरी - February अंग्रेजी साल का दूसरा महीना फ़र्म - firm कंपनी
फ़लोग - furlong 220 गज़ की लंबाई फ़र्स्ट - first प्रथम, पहला
फ़र्स्ट एड-first-aid प्राथमिक चिकित्सा फ़र्स्ट क्लास - first class प्रथम श्रेणी फ़लालैन - flannel एक नरम रोएँदार कपड़ा फ़ाइन - fine जुर्माना, दण्ड, अच्छा, बढ़िया फ्राइनल - final अंतिम
फ़ाइबर - fibre तंतु, रेशा
फ्राइल - file संचिका
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pen
स्रोतलेखनी
फ़ाउन्टेनपेन- fountain फ़ाउन्ड्री - foundry ढलाई का कारखाना फ़ाउल - foul नियम विरुद्ध खेल
फ़ादर - father पिता; पादरी
फ़ादर इन-ला-father-in-law श्वसुर फ़ायर - fire दागना, आग
फ्रायर ब्रिगेड - fire brigade अग्नि शमन फ़ारवड - forward आगे
फ़ारेन - foreign विदेश
फ़ार्म - form रूप, आकार, प्रपत्र फ़ार्मूला - formula सूत्र, नुख्सा फ़ार्मेलिटी - formality औपचारिकता फ़ार्मेसी - pharmacy औषधालय फ़ाल - fall प्रपात; साड़ी के नीचे की पट्टी फ़ासिज्म- fascism फासीवाद फ़िक्स - fix स्थिर, अचल फ़िजिक्स - physics भौतिकी फ़िट - fit उपयुक्त, ठीक, अनुरूप फ़िटर - fitter मिस्त्री, संधाता फ़िनिश - finish समाप्त (करना) फ्रिनैल - phenyl एक कीट नाशक दवा फ़िलासफ़र - philosopher दार्शनिक, तत्वज्ञ फ़िलासफ़ी - philosophy दर्शनशास्त्र फ़िल्टर - filter छन्ना,
फ़िल्टर पेपर - filter paper छनक पत्र फ़िल्म - film चलचित्र; फ़ोटो की झिल्ली फ़ीमेल - female स्त्री, मादा, जनाना फ़ील - feel अनुभव करना, महसूस करना फ़ील्ड - field क्षेत्र, मैदान
फ़ीवर - fever ताप, ज्वर, बुख़ार फ़ीस - fees शुल्क, मेहनताना, पारिश्रमिक फ़ुट - foot 12 इंच की लंबाई फुटपाथ - foot-path पगडंडी, पदमार्ग फुटबाल - football पाद कंदुक क्रीड़ा फुटबोर्ड - foot-board पायदान फुलस्केप - foolscap काग़ज़ की नाप जो 13-1/2 x 17 इंच होती है फ़ेअर-fare भाड़ा, किराया फ़ेअर - fair मेला; गौरवर्ण
फ़ैमिली - family परिवार, घराना, कुटुम्ब फ़ेयरवेल - farewell विदाई फ़ेल - fail असफ़ल, अनुत्तीर्ण
फ़ेलो - fellow शिक्षावृत्ति भोगी
फ़ेवर - favour अनुकंपा, अनुग्रह, कृपा; पक्षपात फ़ेस्टिवल - festival त्यौहार, पर्व फ़ैकल्टी - faculty संकाय, विभाग फ़ैक्टर - factor घटक; कारक; कारण फ्रैक्टरी -factory कारखाना फ़ैन - fan पंखा
फैन्सी - fancy सजावटी, आकर्षक
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फ़ैरेनहाइट - fahrenheit तापमान की एक इकाई फ़ैशन - fashion भूषाचार; लोकाचार; प्रचलन फ़ैसिलिटी - facility सुविधा
फ़ोकस - focus नाभि; किरण केन्द्र; प्रकाशपुंज फ़ोटो - photo फोटो, चित्र, छवि
फ़ोटोस्टेट - photostat फोटो द्वारा प्रतियां लेने की युक्ति
फ़ोन - phone दूरभाष
फ़ोनोग्राम - phonogram ग्रामोफ़ोन फ़ोरमैन -foreman वरिष्ठ संधाता, बड़ा मिस्त्री फ़ोर्जरी - forgery कूट रचना; जालसाजी फ़ोर्ट - fort गढ़, किला
फ़ोल्डर - folder तहाया जानेवाला इश्तहार, पुटक
फ़्यूज - fuse संगलक
फ़न्टियर - frontier सरहद, सीमान्त फ्राई - fry तलना
फ्राक - frock बच्चों का झग्गा
फ्राड - fraud छल, धोखा, कपट फ्रिज - fridge, frig प्रशीतक फ्री - free निःशुल्क, मुफ्त, स्वतंत्र, मुक्त फ्री ह्वील - free wheel मुक्तचक्र फ्रूट - fruit फल
फ़्रेम - frame चौखट, चौखटा फ्रेश - fresh नया, ताजा, नूतन फ़्लड - flood बाढ़, सैलाब फ़्लर्ट - flirt छिनाल
फ़्लाइट - flight उड़ान
फ़्लाइट लेफ्टिनेंट - flight lieutenant वायुसेना
का एक अफ़सर
फ़्लू - flu प्रतिश्याय, इन्फ्लुएंजा फ़्लैट - flat दो तीन कमरों का मकान
ब
बंडल - bundle पुलिंदा
बक अप - buckup शाबाश
बकरम-buckram कालर आदि में तह देने का एक
कड़ा कपड़ा
बकल - buckle बकसुआ
बजट - budget आय-व्यय लेखा, आय-व्ययक
बटन - button बुताम, बटन
बटन - होल - button-hole काज
बटर- butter मक्खन बटालियन - battalion पलटन बन - bun डबल रोटी का बंद
बम - bomb बारूदगोला, बमगोला
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बरामडा-veranda, verandahaरामदा बर्थ-berth शायिका, शयनिका बी-birthday जन्म दिन बर्नर-burner ज्वालक, दाहक; लैंप का कल्ला बल्ब-bulb दीपलटू बस-bus सवारी मोटर गाड़ी बस स्टॉप-bus stop बस रुकने की जगह बाइआलजी-biology जीव विज्ञान बाइसिकल-bicycle दुपहिया गाड़ी, साइकिल बाउन्ड्री-boundary सीमा बाक्स-box बक्सा, संदूक बाटनी-botany वनस्पति विज्ञान बाडिस-bodice अंगिया बाडी-body कलेवर बाडीगार्ड-bodyguard अंगरक्षक बाथ-bath स्नान, नहान बाथरूम-bathroom स्नानागार, स्नानगृह;
पेशाबघर बानेट-bonnet ढक्कन (मोटर आदि का) बाड-bond बंधपत्र, इकरारनामा बाबा-सूट-baba suit बच्चों का सूट बाब्ड कट-bobbed cutकटे (बाल) बाम-balm पीड़ाहर लेप बाय-buoy बोया, प्लव, तैरते रखना बायकाट-boycott बहिष्कार बायलर-boiler वाष्पित्र बार-bar रोध, रुकावट; वकील लोग; शराबघर बारली-barley जौ बार्डर-border सीमा; हाशिया; किनारा बाल-ball गेंद बालकनी-balcony बारजा, छज्जा बास-boss मालिक बास्केटबाल-basket ball टोकरी में गेंद डालने
का एक खेल बिगल-bugle बिगुल बाजा बिज़नेस-business कारोबार, कामधंधा, व्यापार बिज़नेस मैन-business man व्यापारी बिज़ी-busy व्यस्त, कार्यरत बिल-billविधेयक; बीजक बिल्डिंग-building भवन, इमारत विशप-bishop लाट पादरी बिस्कुट-biscuit मठरी जैसा एक पकवान बीट-beat ताल, गश्त बीम-beam शहतीर, धरन, कड़ी बुक-book पुस्तक, किताब बुक पोस्ट-book-post पुस्तक डाक बुक सेलर-book seller पुस्तक विक्रेता बुक स्टाल-bookstall किताब की दुकान बुकिंग आफ्रिस-booking officeटिकट घर बुकिंग क्लर्क-booking clerk टिकट बाबू
बुचर-butcher कसाई, कसाब बुलडोज़र-bulldozer भूमि खोदकर मिट्टी किनारे
लगानेवाली मशीन बुलेटिन-bulletin विज्ञप्ति बुशर्ट-bush-shirtखुले आगे वाली कमीज़ बूट-boot जूता बूथ-booth कक्ष, कोष्ठ बूथ कैप्चरिंग-boothcapturing चुनाव केन्द्र
पर कबज़ा करना, कक्षारोहण, कक्ष-अधिग्रहण बेंच-bench लंबी सीट; न्यायपीठ बेकन-bacon सुअर का सूखा मांस बेड-bed बिस्तर, बिछौना बेडरूम-bedroom शयनकक्ष बेडिंग-bedding बिस्तरा बेन्ड-bend मोड़ बेबी-baby शिशु, बच्चा बेल-bail प्रतिभूति, जमानत बेल-bell घंटी बेलिफ़-bailiff कुर्क अमीन बेल्ट-belt पेटी बेसबाल-baseball क्रिकेट जैसा एक खेल बेसिन-basin प्रक्षालन पात्र, तसला बैंक-bank बैंक, अधिकोष बैंकर-banker महाजन बैंजो-banjo एक गिटार की तरह का बाजा बैंड-band पट्टी, फीता, धारी; टोली, मंडली; बैंड
बाज़ा बैक ग्राउंड-background पृष्ठभूमि, पीठिका बैकवर्ड-backward पिछड़ा हुआ; पिछड़ी जाति बैकलाइट-bakeliteप्लास्टिक जैसा एक पदार्थ बैग-bag थैला, झोला बैच-batch टोली, जत्था, दल; ग्रुप बैज-badge बिल्ला बैट-bat बल्ला बैट्री-battery तोपखाना; (टार्च का) मसाला बैडमिंटन-badminton चिड़िया और रैकेट का
खेल बैन-ban प्रतिबंध, रोक, पाबन्दी बैरा-bearer होटल का नौकर बैरिस्टर-barrister विलायत पास वकील बैरेक्स-barracks बारक बैलट-ballot मतपत्र, मतपर्ची बैलट बाक्स-ballot box मतपेटी बैलून-balloon गुब्बारा बैलेंस-balance संतुलन, सामंजस्य; शेष, बाकी बोगी-bogie शकट, डब्बा बोट-boat तरणी, नाव बोटिंग-boating नौका विहार बोतल-bottleशीशी बोनस-bonus लाभांश
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बोर-boreउबाना
मजिस्ट्रेट-magistrate दंडाधिकारी बोरिंग-boring गड़ाई, भूभेदन; उबाऊ
मटन-mutton भेड़ का मांस बोर्ड-board परिषद्, मंडल; फलक
मडगार्ड-mudguard करक्षक, कीचड़ से रक्षा बोर्डिंग हाउस-boarding house छात्रावास करनेवाला आवरण बोल्ट-bolt सिटकनी
मनोपाली-monopoly एकाधिकार ब्यूरो-bureau कार्यालय, केन्द्र
मनीआर्डर-money order धनादेश ब्रश-brush कूची, तूलिका
मनीबैग-money bag बटुआ, धन थैली Ais-brand 314
मफ़लर-muffler गुलूबंद ब्रांडी-brandy अंग्रेजी-शराब
ममी-mummy परिरक्षित शव ब्राडकास्ट-broadcast प्रसारण
मम्प्स-mumps कनपेड़ा, गलसुआ ब्रिगेडियर-brigadier सेनादलपति
मम्मी-mummy माँ, माता। ब्रिज-bridge पुल, सेतुः ताश की बाज़ी का एक मर्चेन्ट-merchant व्यापारी, सौदागर, दुकानदार खेल
मर्करी-mercury पारा, पारद; बुध ब्रीफ़केस-briefcase कागज-पत्र रखने का बक्सा मर्डर-murder हत्या, खून, वध ख़ुश-brush दे० ब्रश
मलेरिया-malaria शीतज्वर, जूड़ीताप, फ़सली ब्रेक-brake रोक
बुखार ब्रेकफास्ट-breakfast नाश्ता, कलेवा
मशीन-machine यंत्र, कल ब्रेड-bread डबल रोटी
मशीनगन-machine-gun कलतोप ब्रेन-brain मस्तिष्क
मशीनरी-machinery यंत्रसमूह, यंत्रावली; ब्रेन ड्रेन-brain drain प्रतिभाप्रवास
संगठन . ब्रेनवाशिंग-brain washing बलात मत
माइंड-mind दिमाग, मस्तिष्क परिवर्तन, मतारोपण
माइक-mike ध्वनिग्राहक ब्रेसलेट-bracelet कंगन
माइका-mica अभ्रक, अबरक ब्रैकेट-bracket कोष्ठक, बंधनी
माइक्रोफ़ोन-microphone माइक, ध्वनिप्राहक ब्रोशर-brochureविवरणिका
माइक्रोवेव-microwave सूक्ष्म तरंग ब्लंट-blunt मुँहफ़ट
माइनर-minor छोटा, लघु; गौण, अप्रधान; ब्लड प्रेशर-blood pressure रक्तचाप
अवयस्क, नाबालिग ब्लफ़-bluff झाँसा, धुप्पल
माइनारिटी-minority अल्पमत; अल्प संख्यक ब्लाउज-blouse जम्फर ब्लाक-block खंड, प्रखंड; भवन समूह; ढाँचा माइल-mile मील (की दूरी) ब्लेज़र-blazer एक हल्का कोट
माचिस-matches दियासलाई ब्लेड-blade पत्ती; फ़लक
माडर्न-modern आधुनिक. अर्वाचीन ब्लैंक-blank कोरा, सादा; खाली
माडेल-model नमूना, प्रतिमान ब्लैक-black काला, कृष्ण
मानसून-monsoon बरसाती हवा, बरसात ब्लैक आउट-black-out निर्दीपन, अंधेरा करना मानीटर-inonitor कक्षानायक, छात्रनायक ब्लैक बोर्ड-blackboard श्याम पट
माब-mob भीड़, जनसमूह ब्लैक-मार्केट-blackmarket चोर बाज़ार, काला । मारकीन-marocain एक प्रकार का कोरा कपड़ा, बाजार
अमरीकी कपड़ा ब्लैक लिस्ट-black list काली सूची
मारगेज-mortgage गिरवी, बंधक, रेहन ब्वाइल-boil उबालना, खौलाना
मार्क-mark अंक, नंबर मार्का-mark छाप मार्केट-market हाट, बाजार, मंडी मार्च-March अंग्रेजी साल का तीसरा महीना मार्च-march प्रयाण, अभियान मार्जिन-margin हाशिया, उपान्त, पाश्व, गुंजाइश मार्शल-marshal सेनाध्यक्ष
मार्शल ला-martial law सैनिक कानून, फ़ौजी मई-May अंग्रेजी साल का पाँचवाँ महीना
कानून मकैनिक-mechanic मिस्त्री; यांत्रिक
मास-mass जनसमूह मग-mug बड़े प्याले जैसा एक बर्तन
वर्ग
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मासमिडिया-mass media जनसंचार, जन
सम्पर्क के साधन मास्टर-master स्वामी, मालिक, शिक्षक,
अध्यापक, गुरू; विशेषज्ञ, उस्ताद, प्रवीण मिक्चर-mixtureघोल मिडवाइफ-midwifeधायी, दायी, धाय मिडिल-middleमध्य; माध्यमिक मिथ-myth पुराणकथा मिनट, मिनिट-minute क्षण, पल मिनि-mini छोटा, हस्व, लघु मिनिट्स-minutes कार्यवृत्त, कार्यवाही का विवरण मिनिबस-minibus छोटीबस मिनिमम-minimum लघुतम, न्यूनतम मिनिस्कर्ट-miniskirt छोटा लहँगा, छोटा घाघरा मिनिस्टर-minister मंत्री मिल-millचक्की, कारखाना मिलिट्री-military सैना, फ़ौज; सामरिक, समर
सैनिक, सैन्य, सेना-, फ़ौजी मिलीमीटर-millimeter मीटर का हजारहवाँ भाग मिशन-mission जीवन लक्ष्य; शिष्ट मंडल मिशनरी-missionary धर्म प्रचारक मिस-miss सुश्री, कुमारी; चूकना, खो देना मिसाइल-missile प्रक्षेपास्त्र मिसेज-mrs. श्रीमती मिस्टर-mister श्री, श्रीमान; महोदय मीजल्स-measles खसरा, रोमान्तिका मीट-meat मांस, गोश्त मीटर-metre मापी, मापक; सौ सेन्टीमीटर का माप मीटिंग-meeting बैठक, गोष्ठी, सभा: मुलाकात.
भेंट मीट्रिक सिस्टम-metric system दशमलव
प्रणाली मीडियम-medium माध्यम; मध्यम, मँझला, बीच
मेबह-method तरीका, रीति, ढंग मेन-main मुख्य, प्रमुख, मुख्य लाइन, परिचय मेनिया-mania सनक, झक मेन्सेज-menses रजोधर्म, आर्तव, रजोदर्शन मेमो-memo ज्ञापक, ज्ञायपत्र मेमोरियल-memorial स्मारक मेमोरेंडम-memorandum ज्ञापन, ज्ञायपत्रक मेमबर-member सदस्य । मेयर-mayor नगर प्रमुख, महापौर, निगमाध्यक्ष मेरिट-merit योग्यता; गुण, खूबी मेल-mail डाक; डाकगाड़ी मेल-maleनर, पुरूष मेस-mess लंगर, भंडारा मेसेज-message संदेश, संदेशा मैक्सीमम-maximum अधिकतम, उच्चतम मैगजीन-magazine पत्रिका; (बंदूक आदि की)
पेटी मैगनेट-magnet चुम्बक मैच-match दियासलाई. माचिस; जोड़, बराबरी;
जोड़ा, वर या वधू मैच-match खेल का मुकाबला मैजिक-magic जादू, जादूटोना. अभिचार, इंद्रजाल मैटर-matter तत्व, सामग्री मैटरनिटी-maternity मातृत्व मैटरनिटी हास्पिटल-maternity hospital
मात केन्द्र, प्रसूति केन्द्र मैटीरियल-material सामग्री, वस्तु, कच्चामाल मैट्रिक-matric दसवीं पास मैट्रीमोनियल-matrimonial वैवाहिक; वैवाहिक विज्ञापन मैडम-madam भद्रे, महोदया मैडल-medal पदक, तमगा मैथ-math गणित मैनपावर-manpower जनशक्ति मैनिफेस्टो-manifestoघोषणा पत्र मैनुअल-manual नियमपुस्तिका मैनेजमेंट-management प्रबंध, व्यवस्था मैनेजर-manager प्रबंधक मैप-map मानचित्र, नक्शा मैरिज-marriage ब्याह, विवाह, शादी मोटर-motor मोटरगाड़ी; मोटरकार-motorcar मोटरगाड़ी मोटर साइकल-motorcycle फटफटिया मोशन-motion प्रस्ताव; गति; शौच म्यनिसपिलिटि-municipality नगरपालिका म्यूजिक-music संगीत म्यूजियम-museum संग्रहालय, अजायबघर
मीनिंग-meaning अर्थ, अभिप्राय, तात्पर्य मीनू-menuव्यंजन सूची, व्यंजनी मील-mile 1760 गज की दूरी मूड-mood मनोदशा, चित्तवृत्ति, मिज़ाज मूवी-movie चलचित्र मेंटल-mental मानसिक, दिमागी मेंटल-mentle (गैस का) बताशा मेक-अप-make-up बनाव-सिंगार, रूप सज्जा मेकैनिक-mechanic यंत्रविद्, मिस्त्री मेजर-major बड़ा, वयस्क; कप्तान से ऊपर का
सैनिक अधिकारी मेजारिटी-majority बहुमत, बहुसंख्यक मेट-mate साथी, सखा; मजदूरों का सरदार मेट्रन-matron अधीक्षिक, अध्यक्षा मेडिसन-medicine दवा, औषध; चिकित्साशास्त्र,
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यंग-young नवयुवक, नौजवान यार्ड-yard गज़; प्रांगण यूज-use उपयोग, प्रयोग, इस्तेमाल, व्यवहार; लाभ यूटिलिटि-utility उययोगिता, उपयोगी, लाभ यूटोपिया-utopia मनोराज्य, आदर्श, लोक यूथ-youth यौवन, तरुणाई, जवानी; युवक यूनिट-unit इकाई, एकक यूनिफार्म-uniform वर्दी, परिच्छद यूनियन-union संघ, एकता यूनिवर्सिटी-university विश्वविद्यालय यूरिनल-urinal मूत्रालय, पेशाबखाना यूरेनियम-uranium एक कीमती धातु
रंगरूट (रिक्रूट)-recruit भरती होने वाला रजिस्टर-register पंजी, पंजिका रजिस्टर्ड-registered पंजीकृत रजिस्ट्रार-registrar पंजीयक; कुलसचिव रजिस्ट्री-registry पंजीकृत रजिस्ट्रेशन-registration पंजीयन, पंजीकरण रन-run दौड़ रपट-report रिपोर्ट रफ़-rough कच्चालेख; खुरदरा रबड़-rubber एक प्रकार के पेड़ के दूध से जमा
पदार्थ रम-rum अंग्रेजी शराब रश-rush भीड़, रेल-पेल; हड़बड़ी रसभरी-raspberry बेर जैसा एक फल रस्क-rusk बिस्कुट जैसा एकपदार्थ रस्टीकेट-rusticate निकाल देना रस्टीकेशन-rustication निष्कासन रांग-wrong गलत, नियमविरूद्ध रा-raw कच्चा राइट-right ठीक. सही, उचित; अधिकार राइटिस्ट-rightist दक्षिणपंथी राइफ़ल-riflenक तरह की बंदूक राकेट-rocket अग्निबाण राड-rod छड़ राडार-radar मर्वदर्शी यंत्र रायट-riot दंगाप्रपाद रायल्टी-royalty अधिकार शुल्क
राशन-ration खाने का सामान, रसद रिंग-ring घेरा; अंगूठी,छल्ला रिकमेन्ट-recommend सिफारिश करना, संस्तुति
करना स्किमडेशन-recommendation सिफ़ारिश,
संस्तुति रिकार्ड-record कीर्तिमान; अभिलेख रिक्वेस्ट-request निवेदन, प्रार्थना रिजर्व-reserve आरक्षित रिजर्वेशन-reservation आरक्षण रिजल्ट-result परिणाम, परीक्षाफल रिज़ाइन-resign त्यागपत्र देना रिजिनेशन-resignation त्याग-पत्र, इस्तीफ़ा स्जेिक्ट-reject अस्वीकार करना रिज़ोल्यूशन-resolution प्रस्ताव रिटायर-retire अवकाश प्राप्त रिटायरमेन्ट-retirement सेवानिवृत्ति, पदाक्काश रिटेल-retail खुदरा, परचून रिन्यू-renew नया करना रिपट-rivet कीलक रिपेयर-repair मरम्मत रिपोर्ट-report सूचना, प्रतिवेदन रिपोटर-reporter संवाददाता, प्रतिवेदक रिप्रिंट-reprint पुनर्मुद्रण रिप्लाई-reply उत्तर, जवाब रिफ्रेंड-refund लौटाना, प्रतिदाय, प्रत्यर्पण, वापसी रिफार्म-reform सुधार रिफ्यूज़-refuse इन्कार रिफ्यूजी-refugee शरणार्थी रिफ्रेश-refresh ताजा करना रिफ्रेशमेंट-refreshment जलपान, अल्पाहार रिबन-ribbon फ़ीता, पट्टी रिबेट-rebate छूट, बट्टा रिम-rim नेमि. हाल; घेरा रिमांड-remand वापसी, पुनरर्पण रिमाइन्ड-remind याद दिलाना रिमाइन्डर-reminder स्मरण पत्र, अनुस्मारक रिलीज़-release विमोचन रिलीफ़-relief राहत रिलीव-relieve राहत देना, भारमुक्त करना रिले-relay पुनः प्रसारण रिलेशन-relation संबंध, रिश्ता. नाता; संबंधी,
रिश्तेदार रिवर्स-reverse उल्टा रिवाल्वर-revolver तमंचा रिविज़न-revision दुहराव रिवोल्यूशन-revolution क्रांति रिव्यू-review पुनरीक्षण, पुनविवेचन रिसर्व-research खोज, अनुसंधान, शोध रिसीट-receipt रसीद, प्राप्ति
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रैकेट-racket टैनिस खेलने का बल्ला रैली-rally जमघट रोटरी क्लब-rotary club अंतर्राष्ट्रीय जन सेवक
समाज रोटरी मशीन-rotary machine घूर्णीकल,
घूर्णन यंत्र रोड-road सड़क, मार्ग रोबट-robot यंत्रमानव रोमांस-romance रोमांच, प्रेमाख्यान रोल-role भूमिका रोल-roll नामावली रोल नंबर-roll number अनुक्रमांक रोलर-roller बेलन
रिसीवर-receiver ग्राही, पानेवाला, लेनेवाला;
आदाता; अभिग्राहित्र रिसेप्शन-reception स्वागत-सत्कार रिस्क-risk जोखिम, खतरा रिस्टवाच-wristwatch कलाई घड़ी रिहर्सल-rehearsal पूर्वाभ्यास रीज़न-reason तर्क; कारण; युक्ति रीजेंट-regent प्रतिशासक रीडर-reader पाठक, वाचक; रीडर; पाठ्य-पुस्तक रील-reel फिरकी रीसेस-recess अवकाश, मध्यावकाश रूज़-rouge सुर्जी रूट-routeमार्ग रूटीन-routine नित्यचर्या रूम-room कक्ष, कमरा रूल-rule नियम रूलर-ruler रेखनी, रूला रेंज-range दूरी; सीध; मार; वनखंड, वनराजि रेडियर-reindeer ध्रुवीय बारहसिंगा रेकमाइड-recognized मान्यता प्राप्त रेकर्ड-record अभिलेख रेगुलर-regular व्यवस्थित, नियमित रेम्युलेटर-regulator समायोजित
कार-razor उस्तरा • रेजीमेन्ट-regiment फ़ौज की टुकड़ी रेट-rate दर रेड-raid छापा, धावा रेण्टेप-red tape लाल फीता रेण्टेफिल्म-redtapism लालफीता-शाही रेडियम-radium एक चमकदार कीमती धातु रेडियो-radio आकाशवाणी रेडी-ready तैयार रेडीमेड-readymade बना-बनाया; सिलेसिलाए
कपड़े
रेन्ट-rent किराया . रेप-rapeबलात्कार, सतीत्वहरण, शीलभंग रेफरी-refereeनिर्णायक (खेल) रिफ्रीजिरेटर-refrigerator प्रशीतक, फ्रिज रेल-rail रेलपटरी, रेलगाड़ी रेलवे-railwayरेलमार्ग, रेलविभाग रेवेन्यू-revenue राजस्ख, लागत रेवेन्यूस्टाम्प-revenuestamp रसीदी टिकट रेस-race दौड़; नस्ल, जाति रेसकोर्स-race course घुड़दौड़-मैदान रेस्ट-rest आराम, विश्राम रेस्टहाउस-rest-house विश्राम-गृह रेस्टोरेन्ट-restaurant भोजनालय, आहारगृह रेक-rankश्रेणी, क्रम, दर्जा; पद रेक-rackबिना दरवाजे की अलमारी रैकेट-racket तिकड़म, धोखाधड़ी, ठग-व्यापार
लंकलाट-longcloth लट्ठा लंग-ung फेफड़ा, फुफ्फुस लंच-unch दोपहर का खाना लंपसम-umpsum एकमुश्त, एक राशि लक्ज़री-luxury ऐय्याशी, विलास लगेज-uggage सामान, असबाब लव-ove प्रेम, प्यार, प्रीति, अनुराग; बराबर का खेल लांडी-laundry धुलाईघर ला-law कानून, विधि; नियम लाइट-ight रोशनी, प्रकाश; बत्ती लाइन-lineपंक्ति, कतार; रेखा, लकीर लाइनर-iner एक तरह का जहाज़ लाइफ-life जीवन, जिंदगी लाइफमेम्बर-life-member आजीवन सदस्य लाइब्रेरी-library पुस्तकालय लाइसेन्स-licence अनुज्ञापत्र लाइसेन्स ोल्डर-licence-holder अनुज्ञयी,
अनुशाधारी लाउडस्पीकर-oudspeaker ध्वनि विस्तारक
उपकरण लाउज-lounge विश्रामकक्ष, बैठक लाक-lock ताला लाक-आउट-lock-out तालाबन्दी लाकर-ocker संदूक लाकेट-locket लटकन, ढोलना लागबुक-og-book कार्यपंजी Wn-lodge are लाजिंग-lodging वासगृह लाजिक-logic तर्क; तर्कशास लाट-ordबड़ा साहब
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लेफ्टिनेंट-lieutenant फ़ौजी अफ़सर का पद नाम लेफ्टिस्ट-leftist वामपंथी लेबर-labour परिश्रम, श्रमिक, मजदूर लेबल-label नामपत्र, परची लेबोरेटरी-laboratory प्रयोगशाला लेमन-lemon नींबू लेमनेड-lemonade नींबू शर्बत लेवी-levy महसूल, कराधान, उद्ग्रहण लेवल-level समतल; स्तर; समतलमापी लेस-lace किनारी; फीता लैनटर्न-lantern लालटेन लैन्डलार्ड-landlord मकान मालिक लैप्स-lapse व्ययगत होना, बीत जाना; चूक जाना लैम्प-lamp दीप लोकल-local स्थानीय लोको-loco प्रचल इंजन लोकोशेड-loco-shed प्रचल इंजन को ठहराने का
स्थान लोन-loan ऋण, उधार लोफ़र-loafer आवारागर्द लोशन-lotion दवा का घोल
लाट-lot भाग्यपत्र, गुट्टी; ढेर लाटरी-lottery भाग्यपत्र, भाग्यपरखनी लान-lawn फुलवाड़ी के साथ का मैदान, दूर्वाक्षेत्र,
शाघद्वलभूमि लाबी-lobby प्रचार कक्ष, दीर्घा लारी-lorry भारवाहक गाड़ी लार्ड-lord स्वामी, अधिपति लालटेन-lantern हरीकेन लैंप लावा-lava ज्वालामुखी से निकलने वाला पदार्थ लास-loss क्षति, हानि, नुकसान लास्ट-last गत, पिछला, अंतिम लिंक-link कंडी; संबंध लिंक लैंगवेज़-link language संपर्क भाषा लिंटर-linter सीधा डाट लिटर-litre किलो के बराबर की द्रव माप लिटरेचर-literature साहित्य लिनन-linen सन का बना एक बढ़िया कपड़ा लिपस्टिक-lipstick ओष्ठ रंजक बत्ती, ओंठलाली लिफ्ट-lift उत्थापक लिमिट-limit सीमा, हद; प्रतिबंध लिमिटेड-limited सीमित लिवर-liver यकृत, ज़िगर लिस्ट-list सूची लीक-leak चूना, रिसना, टपकना; भेद खुलना, प्रकट
होना लीग-league संघ लीज़-lease पट्टा, इजारा लीड-lead आगे चलना लीडर-leader नेता, अगुआ, सरगना लीव-leave छुट्टी, अवकाश लीवर-lever उत्तोलक लीस-दे० लीज़ लूडो-ludo गोटियों का एक खेल लूप-loop धुंडी, फंदा; छल्ला लेंस-lens वीक्षकाच ले-आउट-lay-out नक्शा, प्लान ले-आफ-lay-off छंटनी; मंदी लेक-lake झील लेक्चर-lectureव्याख्यान लेक्चरार-lecturer व्याख्याता लेजर-ledger बही खाता लेट-late विलंब, विलंब से लेटर-letter पत्र, चिट्ठी, खत लेटर पैड-letter pad पत्राली लेटर बाक्स-letter box पत्र-पेटिका लेटिन-latrine शौचालय, संडास लेडी-lady महिला लेडी डाक्टर-lady doctor महिला चिकित्सक लेन-lane गली लेफ्ट-left बायाँ, वाम
वन्समोर-once-more एक बार फिर, फिर से, पुनः वरान्डा-verandah बरामदा वर्कशाप-workshop कार्यशाला वाइफ़-wife पत्नी वाइरस-virus विषाणु वाइल-voile एक बढ़िया सूती कपड़ा वाइवा-viva मौखिक परीक्षा, मौखिकी वाइस चान्सलर-vice-chancellor
उप-कुलपति वाइस प्रेसीडेन्ट-vice-president उपराष्टपति;
उपाध्यक्ष वाइसराय-viceroy सम्राट का प्रतिनिधि शासक वाच-watch घड़ी वाचमैन-watchman चौकीदार वाट-watt बिजली के खपत की इकाई वाटर-water पानी वाटर-प्रूफ़-water-proof जल सह वाटरमार्क-watermark जलांक वायरलेस-wireless बेतार का तार वायलिन-violin सारंगी जैसा एक हल्का बाजा वाया-viaसे होकर, बरास्ता
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वारंट- warrant आज्ञापत्र, अधिपत्र, समादेश,
परवाना
वार - war युद्ध, जंग, लड़ाई वार्ड-ward रोगीकक्ष; बन्दीकक्ष; आश्रित बालक वार्डेन - warden रक्षक, अध्यक्ष
वार्निंग- warning चेतावनी वार्निश - varnish रोगन वालनटियर - volunteer स्वयंसेवक वालीबाल - volleyball जाल के ऊपर से बड़ा गेंद फेंकने का एक खेल
वाल्व - valve पुटक, कपाट
वाशबेसिन - wash basin धोवन पात्र, प्रक्षालिनी
वास्कट - waistcoat फतुही
विकेट - wicket क्रिकेट का डंडा
विकेट कीपर - wicket-keeper विकेट रक्षक विक्टोरिया - victoria बग्घी
विग - wig बालों की टोपी
विजिट - visit मुलाकात, भेंट; परीक्षक विटामिन - vitamin पौष्टिक तत्व
विडियो - video चित्रदर्शी
विडो - widow विधवा
वी० आई० पी० - V. I. P. अति विशिष्ट व्यक्ति - ( Very Important Person) विज़न - vision दृष्टि
वीज़ा - visa प्रवेशपत्र
वीटो - veto निषेधाधिकार
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वेजिटेरियन - vegetarian शाकाहारी वेट - weight भार, वजन, तौल
वेट- wait प्रतीक्षा, इंतजार
वेटर- waiter बैरा
वेनू - venue मिलनस्थान; घटना स्थल वेलफ़ेअर - welfare कल्याण, हित
वेस्ट - vest बनियान
वेस्ट - waste नष्ट, बर्बाद
वेकैंसी-vacancy रिक्त स्थान, खाली जगह वैक्सीनेशन - vaccination टीका वैगन-waggon, wagon माल डिब्बा चैन-van गाड़ी, यान
वैराइटी - variety विविधता, वैविध्य, अनेक रूपता वैराइटी प्रोग्राम - variety programme रंगारंग कार्यक्रम
वैलिड - valid मान्य, वैध, प्रामाणिक
वैल्यू - value मूल्य
वैल्यूएशन - valuation मूल्यांकन वैसलिन - vaseline पेट्रोलियम का एक लेप
वोट- vote मत, मतदान
वोटर - voter मतदाता
वोटिंग - voting मतदाता वोल्ट - volt विद्युत बल की इकाई
वोल्टेज - voltage वोल्ट में मापा गया विद्युत बल
व्यू -view दृश्य व्हाइट- वाश-whitewash सफ़ेदी, चूना व्हिसिल-whistle सीटी (बजाना)
श
शटर - Shutter लपटद्वार, मुड़वाँ कपाट शटल - Shuttle भरनी; निकटगामी रेलगाड़ी शर्ट-shirt कमीज़ शर्टिंग-shirting कमीज़ का कपड़ा शाक - shock सदमा, धक्का शाक-प्रूफ़ - shock-proof झटका सह शाट - Shot मार, निशाना ( मारना) शाफ्ट - Shaft लोहे का मोटा छड़, छुरा शार्क - shark हाँगर (मछली) शार्टकट - Short-cut सरलमार्ग शिफ़्ट - shift स्थानांतरण, पाली, पारी शीट-sheet चादर; ताव शू-shoe जूता
शूगर - sugar चीनी शूट -shoot गोली मारना
शूटिंग - shooting फ़ोटो लेना, गोली मारना शेड - Shade लैप का परावर्तक ढक्कन शेड-shed टीन आदि का छप्पर, सायबान शेड्यूल-schedule अनुसूची
शेड्यूल कास्ट्स - schedule castes अनुसूचित जातियाँ
शेड्यूल ट्राइब्ज़-schedule tribes अनुसूचित जनजातियाँ
शेप - shape रूप, आकार
शेयर - share हिस्सा, अंश, भाग, साझा शेयर होल्डर-shareholder अंशधारी शेव- shave हजामत बनाना, दाढ़ी बनाना शैम्पू - shampoo केश निखार, केशमार्जक शो-show प्रदर्शन, दिखाना
स
संतरी - sentry पहरेदार सनडे - Sunday रविवार
सनस्ट्रोक - sun stroke धूप की मार, आतप
आघात
सपर - supper रात का भोजन
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सपोर्ट-support सहारा, अवलंब, बल, टेक,
आश्रय सप्लाई-supply आपूर्ति सप्लाई अफ़सर-supply officer आपूर्ति
अधिकारी सब-इन्सपेक्टर-sub-inspector उपनिरीक्षक,
दरोगा सब-कमेटी-sub-committee उपसमिति सब-डिवीजन-sub-division उपमंडल सब-रजिस्ट्रार-sub-registrar उपनिबंधक,
उपपंजीयक सबर्ब-suburbs उपनगर समन-summons आह्वान-पत्र, तलबनामा सर-sir श्री, श्रीमान, जनाब सरकस-circus कौतुकागार के खेल सरचार्ज-surcharge अधिशुल्क, अधिकर,
अधिभार सरप्लस-surplus अतिरिक्त, फालतू सर्कल-circle अंचल, इलाका; वृत्त सर्किट हाउस-circuit house परिसदन सर्च-search खोज, तलाशी सर्चलाइट-search light खोजदीप्ति सर्ज-surge एक प्रकार का गर्म कपड़ा सर्जन-surgeon शल्य चिकित्सक सर्जरी-surgery शल्य चिकित्सा सजेंन्ट-sergeant तीन फ़ीताधारी सेना या पुलिस
का सिपाही सर्टिफिकेट-certificate प्रमाण-पत्र, सनद सर्विस-service सेवा, नौकरी सर्वे-survey सर्वेक्षण सर्वेन्ट-servant नौकर, चाकर सलाद-salad एक पत्तीदार सब्जी; प्याज, टमाटर,
खीरा आदि साइंस-science विज्ञान साइकालजी-psychology मनोविज्ञान साइकिल-cycle दुपहियागाड़ी, बाइसिकल साइज-size माप, परिमाण साइट-site स्थल, स्थान साइड-side भुजा; पार्श्व, बगल; तरफ, ओर; पक्ष साइन-sign संकेत, लक्षण, हस्ताक्षर साइनडाई-sine-die अनिश्चित काल के लिए साइनबोर्ड-sign board सूचना-पट्ट; नामपट्ट साइनाइड- cyanide एक जहरीला द्रव, गैस साकेट-socket कोटर, गर्तिका साटन-satin एक रेशमी कपड़ा सायरन-siren भोंपू सारजन्ट-sergeant दे० सजेन्ट सारी-sorry दुखी; खेद है साल्व-solve हल करना, समाधान निकालना सास-sauceचटनी
सिगंल-single एकल, अकेला सिंडीकेट-syndicate अभिषद् सिक्योरिटी-security सुरक्षा; प्रतिभू, जमानत सिगनल-signal संकेत सिगार-cigar बड़ा सिगरेट सितम्बर-September अंग्रेजी साल का नौवाँ
महीना सिनेमा-cinema चलचित्र सिफ़लिस-syphilis गरमी, उपदंश, आतशक,
फिरंग सिमेट्री-cemetry कब्रिस्तान, समाधिक्षेत्र सिमेट्री-symmetry सममिति सिमेन्ट-cement जुड़ाई के काम आनेवाला मसाला सिरिन्ज-syringeपिचकारी सिलवर-silver चाँदी सिलिन्डर-cylinder बेलन; पीपा सिलेक्ट कमेटी-select committee प्रवर
समिति सिलेक्शन-selection चुनाव, चयन सिलेक्शन कमेटी-selection committee
चयन समिति सिल्क-silk रेशम सिविल-civil असैनिक; दीवानी सिविल वार-civil war ग्रहयुद्ध, खानाजंगी सिविल सर्विस-civil service नागरिक सेवा,
असैनिक सेवा सिविलियन-civilian असैनिक सिस्टर-sister नर्स; बहिन; ईसाई भिक्षुणी सीक्रेट-secret भेद, रहस्य सीज़न-Season ऋतु, मौसम सीज़ फायर-ceasefire युद्ध-विराम, अस्त्र-विराम सीट-seat आसन, गद्दी, स्थान सीन-scene दृश्य सीनियर-senior वरिष्ठ, ज्येष्ठ सीमेंट-cement जुड़ाई का मसाला सीए-3yrup शर्बत सीरममा-Serious गंभीर सीरियल-serial धारावाहिक सील-seal मुहर; सील (मछली) सीलिंग-ceiling भीतरी छत सीलिंग फैन-ceiling fan छतपंखा सीसा-seesaw झूमा-झूमी, उत्तोलन फ़लक सुइसाइड-suicide आत्महत्या; आत्मघात सुपर पावर-superpower महाशक्ति सुपरफाइन-super-fine अति महीन सुपरमार्केट-supermarket सस्ता बाजार सुपरवाइज़-supervise पर्यवेक्षण करना सुपरवाइज़र-supervisor पर्यवेक्षक सुपरिन्टेन्डेन्ट-superintendent अधीक्षक सुपीरियर-superior वरिष्ठ, श्रेष्ठ
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विद्वत्ता
915 सुप्रीम कोर्ट-supremecourt सर्वोच्च सैबोटाज़-sabotage तोड़-फोड़, अंतर्वस न्यायालय, उच्चतम न्यायालय
सैलरी-salary वेतन, तनख्वाह सूट-suit कपड़ों का जोड़ा; अनुकूल होना, माफ्रिक सैलून-saloon नाई की दुकान आना
सैल्यूट-salute प्रणाम, नमस्कार, सलाम सूटकेस-suitcase बक्सा
सोडा-soda एक क्षारीय पदार्थ सूप-soupरसा, तरी, शोरबा, झोल
सोडावाटर-soda-water गैसवाला सोडापानी सेंट-scent सुगंध, महक, खुशबू
सोप-soap साबुन सेंटर-centre केन्द्र
सोप केस-soap case साबुनदानी सेंसर-censor रोक, प्रतिबंध, नियंत्रण
सोफ़ा-sofa गद्देदार बेंच सेकड-second दूसरा, द्वितीय; मिनट का साठवाँ सोल-sole तला, तलवा भाग
सोलो-solo एकल वादन या गायन सेक्टर-sector क्षेत्र, अंचल, खंड
सोल्यूशन-solution हल; घोल सेक्रीन-saccharine कोलतार की चीनी
सोविनीर-souvenir स्मारक चिह्न, स्मारिका सेक्रेटरी-secretary सचिव
सोशलिज्म-socialism समाजवाद सेक्रेटेरियट-secretariat सचिवालय
सोशलिस्ट-socialist समाजवादी सेक्स-sex यौन; लिंग कामवासना
सोसाइटी-society समाज, सभा सेक्सन-section अनुभाग; वर्ण
स्कर्ट-skirtघाघरा, लँहगा सेट-set एक मेल की चीज़ों का समूह; बैठाना, जड़ना स्काउट-scout बालचर सेटल-settle फ़ैसला करना, तय करना
स्कार्फ़-scarf दुपट्टा सेटलमेन्ट-settlement व्यवस्था, बन्दोबस्त स्कालर-scholar विद्वान समझौता; निर्णय, निपटारा
स्कालर शिप-scholarship छात्रवृत्ति, वजीफ़ा; सेन्टर-centre केन्द्र सेन्टीग्रेड-centigrade शतांशिक, शतिक स्कीम-schemeरूपरेखा, योजना सेन्टीमीटर-centimeter मीटर का सौवां हिस्सा स्कूटर-scooter एक हल्की मोटर साइकिल सेफ़-safe सुरक्षित; तिजोरी
स्कूल-school पाठशाला, विद्यालय सेफ्टी-sefety सुरक्षा, कुशलता
स्केच-sketch रेखांकन; रूपरेखा ढाँचा, नक्शा सेफ्टीपिन-sefety pin बकसुआ
स्केट-skate बर्फ़ पर दौड़ते समय पैरों में पहनने का सेफ्टीरेज़र-sefety razor उस्तरा जिसमें ब्लेड को ढाँचा सुरक्षित स्थान में जमाया जाता है
स्केल-scaleपलड़ा, तराजू, तुला; मापक्रम, मान सेमीकोलन-semi-colon अर्धविराम
पैमाना; वेतनमान सेमीनार-seminar संगोष्ठी
स्कैंडल-scandal कलंक, बुराई, अपयश सेमीफाइनल-semi-final उपान्त्य
स्कोप-scope कार्यक्षेत्र, क्षेत्र; विषय; अवसर; सेमेस्टर-semester सत्र
गुंजाइश सेरेमनी-ceremony समारोह, संस्कार, अनुष्ठान स्कोर-score प्राप्तांक, कुल संख्या सेल-ceH कोष्ठ, कक्ष, प्रकोष्ठ
स्किए-script लिपि, लिखावट; आलेख सेल-saleबिक्री, विक्रय
स्क्रीन-screen पर्दा, यवनिका; चित्रपट सेल्स टैक्स-sales-tax बिक्रीकर
स्कू-screw पेंचदार, कील, पेच सेल्समैन-salesman बिक्री प्रतिनिधि
स्कूटिनी-scrutiny संवीक्षा, छानबीन सेविंग-saving बचत
स्कैच-scratch खरोंच सेशन-session सत्र
स्क्वेयर-squareवर्ग, चौक सैक्शन-sanction शास्ति, अनुशासित; अनुमोदन स्क्वैश-squash रस सैंडल-sandal चप्पल
स्टडी-study अध्ययन सैंडविच-sandwich पनीर मक्खन वाले डबल रोटी स्टफ़-stuff माल के दोहरे टुकड़े
स्टाइल-style शैली, ढंग सैंडो-sandow बिना बाँह की बनियान
स्टाक-stock माल; भंडार सैंपल-sample नमूना, प्रतिदर्श
स्टाप-stop ठहराव (की जगह) सैक्रिफाइस-sacrifice त्याग, बलिदान
स्टाफ़-staff कर्मचारी वर्ग सैटिस्फाइ-satisfy संतुष्ट करना
स्टाम्प-stamp छाप, मुद्रा, मोहर: टिंकट सैटिस्फैक्शन-satisfaction संतुष्टि, संतोष स्टार्च-starch माँड़ी सैटेलाइट-satellite उपग्रह
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स्टार्ट-start शुरू करना; चलाना, चालू करना; प्रस्थान स्मगलर-smuggler तस्कर करना
स्मार्ट-smart चुस्त, फुर्तीला; तेज, तीव्र स्टाल-stall गुमटी
तीक्ष्ण;बनाठना स्टिक-stickछड़ी
स्मोक-smoke धुआँ, धूम्रपान करना स्टिक-stick जमना, चिपकना
स्मोकिंग-smoking बीड़ी सिगरेट पीना, धूम्रपान स्टिच-stitch तुरपन
स्योरटी-surety जमानत स्टीम-steam भाप
स्लंप-slump मंदी स्टीमर-steamer मापनौका
स्लम-slum गंदी बस्ती स्टील-steel इस्पात
स्लाइस-slice फाँक, कतला स्टुडियो-studioशिल्पकक्ष
स्लिंग-sling गलपट्टी; ढेलवाँस स्टुडेन्ट-student विद्यार्थी
स्लिप-slipपरची, फिसलना स्टूल-stool ऊँची चौकी; पाखाना
स्लिम-slim पतला, छरहरा स्टेज-stageमंच; मंजिल, पड़ाव; स्थिति, अवस्था स्लीपर-slipper चट्टी स्टेट-state राज्य; शासन, सरकार
स्लीपर-sleeper शायिका स्टेटमेंट-statement वक्तव्य, कथन, बयान स्लीपिंग सूट-sleeping suit शयन-वस्त्र स्टेटस-status हैसियत
स्लेट-slate लेखन-पट्ट स्टेटस क्वो-status quo यथास्थिति
स्लैक्स-slacks तन जानेवाला ढीला पायजामा स्टेडियम-stadium क्रीड़ा स्थल
स्लैब-slabपटिया, पट्टटी; सीमेंट की छत स्टेबल-stable स्तबल, थान
स्लोगन-slogan नारा, प्रचार स्टेशन-station स्थान; ठिकाना; चौकी; अड्डा; केन्द्र स्विच-switch खटका, बटन स्टेशनरी-stationery लेखन-सामग्री
स्वेटर-sweater बुनाई वाली ज़ाकिट स्टैटिक्स-statics स्थैतिकी स्टैटिस्टिक्स-statistics सांख्यकी; आँकड़े स्टैन्ड-stand अड्डा स्टैन्डर्ड-standard मान, मानक स्टैन्डिंग कमिटी-standing committee
स्थायी समिति स्टैम्प-stamp दे० स्टाम्प; टिकट; मोहर स्टोर-store भंडार
हनीमून-honeymoon मधुरात्रि, मधुमास, स्ट्राइक-strike हड़ताल
आनंदमास स्ट्राइकर-striker आघातक
हब-hub नाभि, केन्द्र स्ट्रिप-stripपलता, पट्टी
हरीकेन-hurricane लालटेन स्ट्रेचर-stretcher रोगी को उठाकर ले जानेवाली हर्निया-hernia आंत उतरने का रोग खटिया
हसबैन्ड-husband पति स्ट्रेन-strain ज़ोर, बल
हाइअर सेकेन्डरी-higher secondary उच्चतर स्ट्रेस-stress बल
माध्यमिक स्ट्रेप-strap तसमा
हाइड्रोजन-hydrogen उद्जन स्ट्रोक-stroke आघात, थपथपी, चोट
हाइड्रोसील-hydrocele जलमुष्क, स्नाब-snob दंभी, अभिमानी
अण्डोशोवृद्धि, अण्डवृद्धि स्नैप-snap आशुचित्र, तुरत फ़ोटो
हाइफ़न-hyphen योजक चिन्ह स्पंज-sponge पानी सोख
हाई-high ऊँचा, उच्च, उत्तुंग स्पिरिट-spirit भावना; मद्यसार
हाई कमान-high command उच्चाधिकारी स्पीकर-speaker वक्ता; समाध्यक्ष
हाई कमिश्नर-high commissioner स्पीच-speech भाषण
उच्चायुक्त स्पीड-speed चाल, गति, रफ्तार
हाई कोर्ट-high court उच्च न्यायालय स्पूल-spool फिरको, चरखी
हाई स्कूल-high school पूर्वमाध्यमिक स्पेशल-special विशेष. विशिष्ट खास
हाउस-टैक्स-house-tax गृहकर स्पोर्ट-sport खेल-कूद
हाकी-hockey हाकी खेल स्प्रिंग-spring कमानी; वसंत; झरना, सोता हाटलाइन-hotline तात्कालिक संचार-संपर्क स्प्रे-spray छिड़कना, छिड़काव; फुआर
व्यवस्था
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n-half अर्थ, आधा प्रमटोन-halftone विन्दुचित्र छबी-hobby शगल, शौक हारमोनियम-harmonium हारमोनियम बाजा हार्ट-heartहृदय, दिल हार्ट-अटैक-heart attack दिल का दौरा हार्ट फेल-heart fail हृदयावसाद हाई-hard कड़ा, कठिन, कठोर, सख्त हार्ड कैश-hardcash नकदी हान-horn भोंपू हार्स पावर-horsepower अश्वशक्ति हाल-hallबड़ा कमरा हास्पिटल-hospital चिकित्सालय, औषधालय हिंट-hint संकेत, इंगित, इशारा हिट-hit मार, प्रहार, चोट; ठोकर हिप-हिप-हरे-hip-hip-hurray जय जय हिस्टीरिया-hysteria कामोन्माद हिस्ट्री-history इतिहास हीट-heat गर्मी, ऊष्या; ऊष्णता; आरंभिक खेलें हीटर-heater गरम-चूल्हा हीट-स्ट्रोक-heatstroke तापाघात हीरो-hero नायक हीरोइन-heroine नाविका हील-heel एड़ी हुक-hook अंकुड़ा, काँटा हट-hoot सीटी बजाकर निंदित करना, लुलुआना हेअर ड्रेसिंग-hair-dressing केश प्रसाधन
हेक्टेअर-hectareदस हजार वर्ग मीटर की नाप हेज-hedgeझाड़ी हेड-head मुख्य, प्रधान; अध्यक्ष; सिर
कसर्क-head clerk वरिष्ठ लिपिक हेडक्वार्टर-headquarter मुख्यालय हेडमास्टर-headmaster प्रधानाध्यापक हेडलाइन-headline सुर्खियाँ हेडिंग-heading शीर्षक हेलमेट-helmet टोप, शिरस्त्राण हेलीकाएर-helicopter उदग्ररोही हैल्प-help सहायता, मदद, सहारा हैंडबिल-handbill हथपरची हैंडबैग-handbag हाथ का झोला हैंडल-handle हत्था, मूठ हैंडलूम-handloom हथकरघा हैट-hat टोप हैबियस कार्पस-habeas corpus
बंदी-प्रत्यक्षीकरण हैम-ham पुट्ठा, (सुअर का सुखाया मांस) होटल-hotel विश्रान्सिग्रह होमगार्ड-home-guard गृह रक्षक ोल्डर-holder धारी, धारक; धारित्र होल्डाल-hold-all बिस्तर बंद होस्टल-hostel छात्रावास होस्टेस-hostess परिचारिका, सत्कारिणि हाइट पेपर-whitepaper श्वेत-पत्र
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परिशिष्ट
-
2
उपसर्ग
इस सूची में संस्कृत के उपसर्ग और गति शब्द एवम् हिन्दी और उर्दू के उपसर्ग सम्मिलित हैं, कुछेक उपसर्ग ऐसे हैं जिनकी सहायता से अनेकानेक और शब्द बन सकते हैं, किन्तु हमने उदाहरणों को सीमित रखा है। संस्कृत के उपसर्ग और गतिशब्द विशेषतया उपयोगी हैं। ज्ञान-विज्ञान की शब्दावली के निर्माण में इनका प्रचुर उपयोग किया गया है। इसी शब्द-कोश में और उदाहरण भी देखे जा सकते हैं।
अंतः- भीतर - अंतःकरण, अंतः कोण, अंतःपुर अंतः प्रवाह, अंतःप्रांतीय, अंतःप्रेरण, अंतःराष्ट्रीय, अंतर्कथा, अंतर्गत, अंतर्जातीय, अंतर्ज्ञान, अंतर्देशीय, अंतर्द्वद्व, अंतर्धान, अंतर्नाद, अंतर्निहित, अंतर्बोध, अंतर्मुखी, अंतर्यामी, अंतर्वर्ती, अंतश्चित्त, अंतस्तल । अ-नहीं, निषेध- अकथ, अकथनीय, अकरणीय, अकराल, अकरुण, अकर्तव्य, अकर्मक, अकर्मण्य, अकलंकित, अकल्पित, अकल्मष, अकल्याण, अकाज, अकाट्य, अकाम, अकारण, अकारथ, अकार्य, अकाल, अकालिक, अकिंचन, अगम, अगाध, अगोचर, अघटनीय, अचिर, अचूक, अजन्मा, अज्ञान, अटल, अडिग, अडोल, अतल, अतुलनीय, अदीन, अदृष्ट, अद्वैत, अधर्म, अनाथ, अनादि, अपवित्र, अपूर्ण, अबल, अबोध, अभय, अभिन्न, अमर, अयुक्ति ।
अति - बहुत, परे - अतिकथन, अतिकाय, अतिक्रमण, अतिगंध, अतिगत, अतिचार, अतिच्छादन, अतिदंतुर, अतिदर्शी, अतिदिष्ट, अतिनिर्वात, अतिपातक, अतिपावन, अतिप्रजन, अतिप्रभंजन, अतिबल, अतिभार, अतिभोग, अतिभोजन, अतिमर्त्य, अतिमात्र, अतिमित, अतिमूत्र, अतियोग, अतिरंजन, अतिरंजित, अतिरूप, अतिरेक, अतिलंबन, अतिवात, अतिवाद, अतिवादी, अतिविष, अतिवृष्टि, अतिशम, अतिशयोक्ति, अतिशीतन, अतिशेष, अतिसंधान, अतिसर्पण, अतिसामान्य, अतिस्थूल, अतिंद्रिय, अत्यंत, अत्यानि, अत्यधिक, अत्यम्ल, अत्यर्थ, अत्याकार, अत्याचार, अत्यानंद, अत्युक्ति, अत्युग्र, अत्युत्तम, अत्युत्पादन ।
अधः - अधो, अधस् आदि नीचे - अधःपतन, अधः शयन, अधश्चर, अधस्तूतव, अधस्थ,
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अधोगति, अधोगमन, अधोभूमि, अधोमंडल, अधोमुख, अधोरेखा, अधोलिखित, अधोलोक, अधोवस्त्र। अध-(हिं०)- आधा-अधकचरा, अधकपारी, अधखिला, अधखुला, अधजला, अधपका,
अधमरा। अधि-ऊपर, अधिक-अधिकर, अधिकर्मी, अधिकारी, अधिक्षिप्त, अधिग्रहण, अधिचरण, अधिदेय, अधिनायक, अधिपति, अधिपुरुष, अधिप्रज, अधिभार, अधिभोजन, अधिमूल्य, अधिरक्षी, अधिराज, अधिरूप, अधिरूपण, अधिरोहण, अधिलाभ, अधिवचन, अधिवृद्धि, अधिशिक्षक, अधिशुल्क, अधिसंख्य, अधिस्वर, अध्यक्ष, अध्यारोप, अध्यारोपण। अन-(हिं०)-नहीं-अनखिला, अनन्य, अनपढ़, अनमना, अनमोल, अनर्गल अनर्थ,
अनल्प, अनहोनी, अनार्य, अनावश्यक, अनुपम । अनु-पीछे-अनुकंपा, अनुकथन, अनुकरण, अनुकल्प, अनुकांक्षा, अनुकृति, अनुक्रम, अनुक्रमणिका, अनुगणन, अनुगमन, अनुगामी, अनुगायन, अनुचर, अनुचिंतन, अनुज, अनुजात, अनुताप, अनुदान, अनुदिन, अनुधावन, अनुनाद, अनुनायक, अनुनायिका, अनुनासिक, अनुपथ, अनुपदी, अनुपान, अनुपालन, अनुपूरक, अनुप्रयोग, अनुप्राणित, अनुप्रास, अनुबंध, अनुबल, अनुभाव, अनुभाषण, अनुभूति, अनुमृता, अनुयाचक, अनुयान,
अनुयायी, अनुयुग, अनुरस, अनुरूप, अनुलग्नक, अनुलाप, अनुलिखित, अनुलिपि, 'अनुलेपन, अनुवक्ता, अनुवचन, अनुवर्तन, अनुवाचन, अनुवेश, अनुव्रजन, अनुशीलन,
अनुशोधन, अनुश्रुत, अनुसंधान, अनुसरण, अनुसूची। अप-(1)-बुरा-अपकर्ता, अपकर्म, अपकार, अपकीर्ति, अपकृति, अपक्रम, अपगति, अपगुण, अपथात, अपचार, अपचाल, अपचेता, अपध्यान, अपनाम, अपभाषण, अपमान, अपमार्ग, अपयोग, अपराध, अपरूप, अपलोक, अपवाद, अपव्यय, अपशकुन, अपशब्द, अपसंचय, अपहरण, अपहास (2) -अलग, दूर परे -अपकर्षण, अपकृष्ट, अपकेंद्री, अपक्षेपण, अपघन, अपनयन,
अपनीतं, अपनोद, अपभ्रष्ट, अपसारण, अपसृत। अभि-(1) -सामने -अभिकथन, अभिकर्ता, अभिक्रमण, अभिगमन, अभिघात, अभिघाती, अभिज्ञान, अभिज्ञापन, अभिदर्शन, अभिदान, अभिद्रोह, अभिनंदन, अभिनय, अभिनिर्णय, अभिनेता, अभिमत, अभियान, अभियोग, अभिरक्षक, अभिलेख, अभिवचन, अभिव्यक्त,
अभिसार।
(2) -अधिकता-अभिकांक्षा, अभिग्रहण, अभिजात, अभिताप, अभिदान, अभिपीड़न, अभिपुष्ट, अभिपोषण, अभिमंडन, अभिमर्दन, अभिमान, अभियाचना, अभिरमण, अभिरूप, अभिलंब, अभिलाप, अभिलाषा, अभिलीन, अभिवंदनीय, अभिवर्धन, अभिशाप, अभिसिक्त। अव-(1) -अनुचित, बुरा-अवक्रम, अवक्रोश, अवगीत, अवगुण, अवग्रह, अवग्रहण,
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अवघोषक, अवज्ञाता, अवदशा, अवदीर्ण, अवमंता, अवमर्दन, अवमान, अवरोध, अवलिप्त, अवलीला अववदन, अवशोषण, अवसन्न, अवहास । (2) नीचे
अवकृष्ट, अवक्रमण, अवक्षेपण, अवगमन, अवगाहन, अवच्छेदन, अवतरण, अवतार, अवनत, अवनमन, अवपात, अवयान, अवरोह, अवरोहण । (3) — अभाव, कमी- अवकरण, अवकेश अवचेतन, अवमूल्यन, अवरोचक, अवसिंचन । आ - तक, इधर - आकंपन, आकर्षण, आकलन, आकांक्षा, आकुंचन, आक्रंदन, आक्रमण, आक्रांत, आगंतुक, आगणन, आगत, आगमन, आघात, आघूर्णन, आजन्म, आजीव, आज्ञप्ति, आतृप्त, आदर्शन, आदाता, आदान, आपात, आपूर्ति, आबाल, आभार, आभूषित, आभोग, आमंत्रण, आमीलन, आमोद, आयात, आयोजन, आरक्षण, आरूढ़, आरोहण,
आलोड़न, आवर्तन, आशंका, आस्वादन, आहत ।
उत्- ( 1 ) – ऊपर उठा हुआ - उच्चारण, उच्छलन, उच्छृंखल, उच्छवास, उज्जीवन, उत्कंठ, उत्कर्ष, उत्क्रमण, उत्क्षेपण, उत्तुंग, उत्तोलक, उत्थान, उत्पतन, उत्पात, उत्प्रेक्षण, उत्सर्पी, उत्सेक, उद्गार, उद्दंड, उद्दीपन, उद्धार, उद्बोधन, उद्भव, उद्भेदन, उन्नति, उन्नयन, उन्नायक, उन्माद ।
(2) —अधिक, प्रबल—उज्वल, उत्तेजना, उत्पादन, उत्पीड़न, उत्साहन, उत्सुक, उद्घोषणा, उद्दीप्त, उद्भट, उद्भासन, उद्भ्रम ।
उन - (हिं० ) - एक कम - उन्नीस, उन्तीस, उन्तालीस, उन्चास, उन्सठ, उनहत्तर, उन्यासी । उप-(1) -छोटा - उपकथा, उपखंड, उपग्रह, उपद्वीप, उपधारा, उपनगर, उपनदी, उपनायक, उपनिबंधक, उपबंध, उपभाषा, उपभेद, उपमंडल, उपमंत्री, उपरूप, उपलक्षण, उपवन, उपवाक्य, उपविभाग, उपशाखा, उपशिक्षक, उपशीर्षक, उपसंपादक, उपसंस्कार, उपसमिति, उपांग, उपाख्यान, उपाध्यक्ष, उपायुक्त, उपाश्रय, उपास्य, ( 2 ) - पास, निकट - उपकूल, उपक्रमण, उपगमन, उपचरण, उपचार, उपनिषद्, उपन्यास, उपपन्न, उपभोग, उपयोग, उपवसन, उपसरण, उपस्थित, उपहरण, उपांत, उपागत ।
उपाहार ।
( 3 ) - विस्तार - उपकरण, उपकार, उपदेश, उपनिवेश, उपलब्ध, उपवर्णन, उपसंहार, उपसर्ग,
उपस्तरण, उपहार ।
औ - (हिं० ) - दे० संस्कृत 'अव' ।
क, कु- बुरा- कपूत, कुकर्म, कुख्यात, कुगति, कुचक्र, कुचाल, कुचेष्टा, कुजात, कुठाँव, कुढंगा, कुतर्क, कुदृष्टि, कुपात्र, कुपुत्र, कुपोषण, कुप्रबंध, कुफल, कुबुद्धि, कुमंत्रणा, कुमार्ग, कुसमय ।
कम - (उर्दू) -हीन, थोड़ा - कमअक्ल, कमखर्च, कमजोर, कमनसीब, कमबख़्त,
कमसमझ ।
ग़ैर- (उर्दू) — विपरीत, नहीं - ग़ैरआबाद, ग़ैरज़रूरी, ग़ैरजिम्मेदार, ग़ैरमनकूला, ग़ैरमामूली, ग़ैरमुनासिब, ग़ैरमुमकिन, ग़ैरमुल्की, ग़ैरवाजिब, ग़ैरसरकारी, गैरहाजिर ।
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चिर-देर तक का-चिरंजीव, चिरकाल, चिरकुमार, चिरजीवी, चिरनिद्रा, चिरनूतन, चिरपरिचित,
चिरप्रतीक्षित, चिरयुवा, चिररोगी, चिरविस्मृत, चिरस्थायी, चिरायु । तत्-(तद्, तन्, आदि)- वही, उसी- तत्काल, तत्कालीन, तत्पर, तत्पश्चात, तत्पुरुष, तत्सम, तदाकार, तदुपरांत, तद्भव, तद्रूप, तद्वत, तन्मय। दुः-(दुर्, दुस् आदि)- (1)- कठिन-दुःशोधनीय, दुःसठ, दुःसाध्य, दुर्गम, दुर्गाध, दुर्गाहय, दुर्ग्रह, दुर्जेय, दुर्जेय, दुर्दम, दुदति, दुर्निग्रह, दुर्निरीक्ष, दुर्निवार्य, दुर्बोध, दुर्भक्ष्य, दुर्भर, दुर्भिक्ष, दुर्भेद्य, दुर्मिल, दुर्योध, दुर्लध्य, दुर्लक्ष्य, दुर्लभ, दुर्वह, दुर्वेद, दुश्चिंत्य, दुश्चिकित्स्य, दुष्कर, दुस्सह । (2) –बुरा-दुःस्वप्न, दुःस्वभाव, दुर्गंध, दुर्गति, दुर्गुण, दुर्घटना, दुर्जन, दुर्दशा, दुर्दिन, दुर्दैव, दुर्नीति, दुर्बल, दुर्बुद्धि, दुर्भाग्य, दुर्भाव, दुर्मति, दुर्वचन, दुर्वासना, दुर्विनीत, दुर्व्यवस्था, दुर्व्यवहार, दुर्व्यसन, दुश्चरित्र, दुश्चलन, दुश्चेष्टा, दुष्कर्म, दुष्कीर्ति, दुष्कृति, दुस्संग, दुस्साहस। ना-(उर्दू)-नहीं-नाकदर, नाकाबिल, नाकाम, नाकामयाब, नाखुश, नागवार, नाचीज, नाजायज, नापसन्द, नापाक, नापायदार, नापास, नाबालिग, नामंजूर, नामर्द, नामाकूल, नामालूम, नाममुआफ़िक, नामुनासिब, नामुमकिन, नामुराद, नामेहरबान, नारसा, नालायक, नावाकिफ़, नावाजिब, नाशाद, नासमझ । निः-(निर निस् आदि) -बिना, बाहर,-निरंकुश, निरंजन, निरंतर, निरक्षर, निरनुरोध, निरल, निरर्थक, निरवधि, निरस्त, निरस्त्र, निर्गुण, निर्जल, निर्जीव, निर्दय, निर्दलीय, निर्दोष, निर्धन, निर्बल, निर्बुद्धि, निर्बोध, निर्भय, निर्धम, निर्मम, निर्मल, निर्मूल, निर्मोक, निर्मोही, निर्लज्ज, निर्लिप्त, निर्लेप, निर्विकल्प, निर्विकार, निर्विरोध, निर्विवाद, निर्वेद, निश्चय, निश्चल, निश्चेतन, निश्छल, निष्कंटक, निष्कपट, निष्कर्म, निष्कलंक, निष्काम, निष्कासन, निष्क्रिय, निष्पंद, निष्पक्ष, निष्प्रयोजन, निष्फल, निस्तारण, निस्संतान, निस्संदेह, निस्सार, निस्सीम । नि-(1)-अच्छी तरह, अधिक-निकाय, निखार, निझरना, निढाल, नितंब, नितल, निदर्शन, निदेश, निबंध, निबद्ध, निभृत, निमग्न, नियंत्रण, नियुक्ति, नियोग, नियोजन, निरूपण, निवारण। (2) -बिना-निकम्मा, निकृष्ट, निखटू, निगोड़ा, निग्रह, निछत्र, निछोही, निजूठा, निठल्ला,
निडर, निपूता। पर-दूसरा-परजात, परजीवी, परतंत्र, परदारा, परदेश, परपीड़क, परपुरुष, परराष्ट्र, परलोक,
परवंचक, परवश, परस्त्री, परोपकार, परोपजीवी। परा-(1)-परे, दूरतक-पराकाष्ठा, पराक्रम, पराङ्मुख । (2) -विपरीतता-पराजय, पराभव, परावर्तन। परि-चारों ओर, पूरा-परिकथा, परिकलन, परिकल्पना, परिक्रमा, परिगणित, परिचय, परिचर, परिचारिका, परिज्ञान, परिधान, परिपक्व, परिपथ, परिभाषा, परिभ्रमण, परिमंडल, परिमाण,
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परिमाप, परिमार्जन, परियोजना, परिरक्षण, परिवर्तन, परिवर्धन, परिवहन, परिवेश, परिषद्, परिष्कार, परिसर, परिस्थिति, पर्यवेक्षक, पर्याप्त, पर्यावरण । पुनः-(पुनर, पुनश् आदि)-फिर-पुनःकल्पन, पुनःसंस्कार, पुनरपि, पुनरागमन, पुनरारंभ, पुनरावर्तन, पुनरावृत्ति, पुनरीक्षण, पुनरुक्त, पुनरुत्थान, पुनरुद्धार, पुनर्जन्म, पुनर्जागरण, पुनर्परीक्षण, पुनर्मुद्रण, पुनर्वास, पुनर्विवाह, पुनश्च । पूर्व-पहला, पहले का- पूर्वकर्म, पूर्वकालिक, पूर्वकालीन, पूर्वज, पूर्वजन्म, पूर्वतिथि,
पूर्वनिरूपित, पूर्वपक्ष, पूर्वपद, पूर्वानुमान, पूर्वानुराग, पूर्वाभ्यास, पूक्ति , पूर्वोपाय। प्र-आगे, अधिक प्रकंपन, प्रकरण, प्रकर्षण, प्रकल्पित, प्रकांड, प्रक्रम, प्रक्रिया, प्रखंड, प्रखर, प्रख्यात, प्रगति, प्रगाढ़, प्रचंड, प्रचलन, प्रचार, प्रजनन, प्रज्ज्वलित, प्रताप, प्रतारणा, प्रदर्शन, प्रदान, प्रदूषण, प्रदेश, प्रपत्र, प्रपात, प्रफुल्ल, प्रबंध, प्रबल, प्रबुद्ध, प्रभाव, प्रमाण, प्रमाद, प्रमुख, प्रमुदित, प्रमोद, प्रयत्न, प्रयास, प्रयोग, प्रलय, प्रलाप, प्रलोभन, प्रवक्ता, प्रवचन, प्रवर्तक, प्रवास, प्रसिद्ध, प्रारब्ध, प्रेरणा। प्रति-(1) -हर एक-प्रतिदिन, प्रतिपुरुष, प्रतिमाह, प्रतिवर्ष, प्रतिव्यक्ति, प्रतिशत,
प्रतिसप्ताह, प्रत्येक। (2) –विपरीत, बदले में- प्रतिकार, प्रतिकूल, प्रतिकृति, प्रतिक्रिया, प्रतिगमन, प्रतिघात, प्रतिदान, प्रतिध्वनि, प्रतिनिधि, प्रतिपक्ष, प्रतिपालन, प्रतिपुरुष, प्रतिफल, प्रतिबंध, प्रतिबिंब, प्रतिमान, प्रतिमुख, प्रतिमुद्रण, प्रतिमूर्ति, प्रतियोगिता, प्रतिरक्षा, प्रतिरूप, प्रतिरोध, प्रतिलिपि, प्रतिलोम, प्रतिविष, प्रत्यक्ष, प्रत्यर्पण, प्रत्याक्रमण, प्रत्यागत, प्रत्यालोचन, प्रत्यावर्तन, प्रत्याशा, प्रत्याशी, प्रत्याहार, प्रत्युपकार । बद-(उर्दू) -ख़राब, बुरा-बदअमनी, बदअमली, बदकार, बदकिस्मत, बदचलन, बदज़ात, बदतमीज, बददुआ, बदनसीब, बदनाम, बदनीयत, बदबू, बदमाश, बदरंग, बदशक्ल, बदसूरत, बदहज़मी, बदहवास, बदहाल । बहु-बहुत, अनेक-बहुगुण, बहुज्ञ, बहुदर्शी, बहुपतित्व, बहुपत्नीत्व, बहुप्रज, बहुभाषी,
बहुमत, बहुमूत्र, बहुमूल्य, बहुरंगा, बहुरूपिया, बहुवचन, बहुविवाह, बहुश्रुत, बहुसंख्यक । बिला-(उर्दू) -बिना, बगैर-बेइंतिहा, बेइज़्ज़ती, बेईमान, बेउसूल, बेकसूर, बेकाम, बेकायदा, बेकार, बेखटके, बेख़बर, बेखुदी,बेग़म, बेगरज़, बेचारा, बेचैन, बेजान, बेजोड़, बेडौल, बेढंगा, बेढब, बेतरतीब, बेतहाशा, बेतुका, बेदर्द, बेदाग़, बेपरदा, बेपरदगी, बेफ़िक्र, बेबस, बेबुनियाद,बेमन, बेमेल, बेमौत, बेरहम, बेरुखी, बेरोजगारी, बेलगाम, बेलाग, बेवकूफ़, बेवजह, बेवफ़ा, बेशक, बेशरम, बेशुमार, बेसमझ, बेसुध, बेहद, बेहया, बेहोश । ला-(उर्दू)-बिना-लाइलाज, लाचार, लाजवाब, लापता, लापरवाह, लामकान, लावल्द,
लावारिस। वि-(1) -विपरीतता, अलगाव-विकर्ण, विकर्म, विकल, विकार, विकृत, विक्रय, विग्रह, विघटन, विचलन, वितर्क, विधर्मी, विपक्ष, विपरीत, विप्रयोग, विप्रलंभ, विफल, विमत,
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विमल, विमार्ग, विमुख, वियोग, विराग, विलग, विलोम, विवर्ण, विसंगति, विवश, विस्मृति विवाद। (2) विशेष, विक्षत, विक्षोभ, विख्यात, विचार, विचित्र, विच्छिन्न, विज्ञप्ति, विज्ञान, विज्ञापन, विदूषण, विद्वेष, विनम्र, विनष्ट, विनाश, विनीति, विलुप्त, विभाग, विभाजन, विभिन्न, विभूषित, विभेद, विभ्रम, विमूढ़, विमोचन, विरोध, विलुप्त, विश्रुत, व्याख्यान, व्याकुल, व्युत्पन्न। स-(1) -साथ-सकर्मक, सकाम,सकुशल, सक्रिय, सक्षम, सगुण, सगोत्र, सचेत, सजल, सजातीय, सजीव, सतर्क, सतह, सदेह, सदोष, सधर्म, सनाथ, सपंक, सपक्ष, सपत्नी, सपरिवार, सप्रमाण, सफल, सबल, सशस्त्र, सश्रम, सानंद। (2) सकुल, सपूत, सरूप। सत्-(सद्, सन् आदि) -अच्छा-सच्चरित्र, सज्जन, सत्कर्म, सत्पात्र, सत्संग, सदर्थ,
सदाचार, सदात्मा, सदानंद, सदाशय, सदुपदेश, सद्गति, सद्गुण, सद्गुरु, सद्भाव, सद्भावना, सन्मार्ग। सम्-(1) -अच्छी तरह-संकर्षण, संकल्प, संकीर्ण, संकोच, संक्रमण, संक्षालन, संक्षिप्त, संगीत, संगोपन, संग्राहक, संघर्षण, संचालन, संज्ञापन, संताप, संतुलन, संतोष, सम्प्रेषण,
सम्बोधन, सम्मान, सम्मोहन, संयम, समादर, समाधान, समायोजन, समारंभ, समालिंगन, • समालोचना, समीक्षा, समुत्थान । (2) -इकट्ठा-संकर, संकलन, संगम, संगायन, संगोष्ठी, संचय, संचार, संस्थान, समागम,
समारोह, समास, सम्मेलन। सह-साथ-सहअपराधी, सहकर्मी, सहकारी, सहगान, सहचर, सहजात, सहधर्मी, सहपाठी,
सहभागी, सहभोज, सहमति, सहयोग, सहवर्ती, सहवास, सहानुभूति, सहोदर, साहचर्य। सु-अच्छा-सुकर्म, सुकाल, सुकृत, सुगंध, सुगठित, सुगति, सुगम, सुघड़, सुचारु, सुचालक, सुजन, सुदर्शन, सुनयन, सुनीत, सुपुत्र, सुफल, सुबोध, सुभाष, सुमुखी, सुयश, सुयोग, सुरक्षा, सुलभ, सुविधा, सुशील, सुसंगति, सुसंस्कृत, स्वच्छ। स्व-(1)- अपना- स्वकर्म, स्वजन, स्वतंत्र, स्वदेश, स्वधर्म, स्वभाव, स्वराज्य, स्वरूप,
स्वशासन, स्वाक्षर। (2) -अपने आप, स्वयं-स्वचालित, स्वदत्त, स्वपाचित, स्वरक्षित, स्वशासित, स्वावलंबन,
स्वेच्छा। हर-(उर्दू)- एक-एक, प्रत्येक हर आदमी, हर एक, हर काम, हर कोई, हर घड़ी, हरतरह, हरदिन, हरफन मौला, हरसमय, हर हालत में।
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परिशिष्ट - 3
प्रत्यय
निम्नलिखित सूचियों में संस्कृत प्रत्ययों के आगे भाषा का संकेत नहीं किया गया है। हिन्दी प्रत्ययों के आगे हिं० और उर्दू प्रत्ययों के आगे उर्दू संकेत कर दिया गया है। इन प्रत्ययों से क्या शब्द भेद व्युत्पन्न होता है उसका संकेत वि० -विशेषण बनानेवाला, सं० -संज्ञाकर्तृ० -कर्तृवाचक संज्ञा बनानेवाला-, भाव० -भाववाचक संज्ञा बनानेवाला-, लघुता० -लघुतावाचक संज्ञा बनानेवाला- स्त्री० -स्त्रीलिंग बनानेवाला-प्रत्यय समझना चाहिए। देखा गया है कि हिन्दी के कुछ प्रत्यय ऐसे हैं जो बहुत उत्पादक नहीं हैं, उनके उदाहरण थोड़े मिलते हैं। संस्कृत में ऐसे प्रत्यय अपेक्षया कम हैं। .
अ-भाव०- (क्रुध् से) क्रोध, (जि से) जय, (पठ से) पाठ, (बुध् से) बोध, (भी से) भय, (वद् से) वाद, (विद् से) वेद । अ-क्रि० से कर्तृ०- (चर् से) चर, (चुर् से) चोर, (रम् से) राम, (सृप से) सर्प। अ--भाव०- (कुशल से) कौशल, (गुरु से) गौरव, (लघु से) लाघव, (युवन् से)
यौवन, (शिशु से) शैशव। अ-(हिं०) क्रि० से भाव०-आड़, काट, खेल, गान, चमक, चाल, चीरफाड़, जाँच, दमक,
देखभाल, पहचान, पहुँच, बाढ़, बोल, मार, लूट, लेख। अक-क्रि० से कर्तृ०- (अधीक्ष् से) अधीक्षक, (अध्याप् से) अध्यापक, (आलुच् से) आलोचक, (कृ से) कारक, (गी से) गायक, (चल् से) चालक, (दृश से) दर्शक, (धृ से) धारक, (निंद से) निंदक, (निरीक्ष् से) निरीक्षक, (पठ् से) पाठक (परीक्ष से) परीक्षक, (लिख से) लेखक, (वह से) वाहक, (शिक्ष् से) शिक्षक, (संपाद् से) संपादक, (सर्वेक्ष से) सर्वेक्षक। अक-क्रि० से वि०- (आकृष् से) आकर्षक, (द्युत् से) द्योतक, (परिचय् से) परिचायक,
(बुध् से) बोधक, (रुच् से) रोचक। अक्कड़-(हिं०) क्रि० से कर्तृ०-कुदक्कड़, पियक्कड़, बुझक्कड़, भुलक्कड़। अन-भाव०- (अनुसृ से) अनुसरण, (अभिसृ से) अभिसरण, (आसु से) आसवन, (कृ से) करण, (कृष् से) कर्षण, (खन् से) खनन, (गम् से) गमन, (ग्रह से) ग्रहण, (चल् से) चलन, (तृ से) तरण, (दम् स) दमन, (धृ से) धारण, (पठ् से) पठन, (पाठ से)
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पाठन, (पाल् से) पालन, (बंधू से) बंधन, (भू से) भवन, (मिल् से) मिलन, (मृ से) मरण, (रम् से) रमण, (श्रु से) श्रवण, (स्खल् से) स्खलन, (ह से) हरण । अन-क्रि० से कर्तृ०- (नंदू से) नंदन, (निकन्द् से) निकन्दन, (पौ से) पावन, (मोह् से) मोहन, (रम् से) रणम, (साधू से) साधन ।
अन- (हिं०) क्रि० से भाव०- ( ऐंठना से) ऐंठन, (कुढ़ना से) कुढ़न, (खाना-पीना से) खान-पान, (गलना से) गलन, (चलना से) चलन, (चुभना से) चुभन, (जलना से) जलन, (लगना से) लगन, (लेना-देना से) लेन-देन, (सूजना से) सूजन।
अना - भाव०- (घट् से) घटना, (धृ से) धारणा, (त्रे से) प्रेरण, (भर्त्स से) भर्त्सना, (भू से) भावना, (रच् से) रचना, (विद् से) वेदना, (सूच् से ) सूचना ।
अनीय - क्रि० से वि०- ( उल्लिख् से) उल्लेखनीय, (कृ से) करणीय, (दृश् से) दर्शनीय, (धृ से) धारणीय, (निंद् से) निंदनीय, (पठ् से) पठनीय, (पा से) पानीय, (पूज से) पूजनीय, (मृ से) मरणीय, (रक्षा से) रक्षणीय, (विचर् से) विचारणीय, (शुच् से) शोचनीय, (श्रु से) श्रवणीय, (संचल से) संचालनीय, (स्पृह से ) स्पृहणीय, (स्मृ से) स्मरणीय ।
अन्त - (हिं०) क्रि० से भाव०- ( गढ़ना से) गढ़ंत, (पढ़ना से) पढ़त, (भिड़ना से ) भिड़ंत, ( रटना से) रटंन (लड़ना से) लड़ंत ।
आ - भाव०- (इच्छू से) इच्छा, (कथ् से) कथा, (क्षम् से) क्षमा, (चिन्त् से) चिन्ता, (पूज् से) पूजा, (मूर्च्छ से) मूर्छा, (शिक्ष से) शिक्षा, (सेव् से) सेवा, (हिंस से) हिंसा ।
आ
- (हिं०) सं० से भाव० - खटका, चूरा, झोंका, धड़का, बोझा ।
आ-पु० से स्त्री० - (अज से) अजा, (प्रिय से) प्रिया, (बाल से) बाला, (वृद्ध से) वृद्धा, (सुशील से) सुशीला ।
आ - (हिं०) वि० - कटा, गलासड़ा, ठंडा, पड़ा, प्यारा, प्यासा, फटा, भूखा, मरा, सूखा । आ - (हिं०) क्रि० से भाव०- - (घेरना से) घेरा, (छापना से) छापा, (जोड़ना से ) जोड़ा, (झगड़ना से) झगड़ा, (झटकना से) झटका, (फेरना से) फेरा, (रगड़ना से ) रगड़ा, (सूखना से) सूखा ।
आइन - (हिं०) पु० से स्त्री० - चौधराइन, नाइन, पंडिताइन, बबुआइन, ललाइन, सुकुलाइन । आई - (हिं०) वि० से भाव०- (चिकना से) चिकनाई, (ढीठ से) ढिठाई, (ढीला से)
ढिलाई, (पंडित से) पंडिताई, (भला से) भलाई, (लाल से) ललाई, · (सीधा से) सिधाई । आई - (हिं०) क्रि० से भाव०- ( उतरना से) उतराई, (खोदना से) खुदाई, (चढ़ना से ) चढ़ाई, (जोतना से) जुताई, (ढालना से) ढलाई, (ढोना से) ढुलाई, (धोना से ) धुलाई, (पढ़ना से ) पढ़ाई, (बनवाना से) बनवाई, (रँगना से) रँगाई, (रोना से) रुलाई, (लड़ना से) लड़ाई, (सिलना से) सिलाई, (सुनवाना से) सुनवाई, (हँसना से) हँसाई ।
आऊ - (हिं०) क्रि० से वि०- ( अगुआना से) अगाऊ, ( उड़ाना से) उड़ाऊ, (उपजाना से) उपजाऊ, (कामचलाना से) कामचलाऊ, (कमाना से) कमाऊ, (खाना से) खाऊ, (टिकना से) टिकाऊ, (दिखाना से) दिखाऊ, (बिकना से) बिकाऊ । आक, आकू - (हिं०) क्रि० से कर्तृ० - उड़ाक ( उड़ाकू ),
, तैराक (तैराकू), लड़ाक
(लड़ाकू)
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आन-(हिं०) वि० से भाव०- (ऊँचा से) ऊँचान, (चौड़ा से) चौड़ान, (नीचा से) निचान, (लंबा से) लंबान। आना-(हिं)-स्थान-अहिराना, कम्हारना, कोइराना, राजपूताना। आन-(हिं०) क्रि० से भाव०-उड़ान, चालान, ढलान, मिलान, रुझान, लगान । आना-(उर्दू) वि०-अमीराना, ज़नाना, मर्दाना, रोज़ाना, सालाना। आनी-पु० से स्त्री०- (इंद्र से) इंद्राणी, (भव से) भवानी, (रुद्र से) रुद्राणी, (शिव से) शिवानी। आना-(हिं०) पु० से स्त्री०- (जेठ से) जेठानी, (देवर से) देवरानी, (नौकर से) नौकरानी, (मेहतर से) मेहतरानी। आपा-(हिं०) वि० से भाव०- (बूढ़ा से) बुढ़ापा, (मोटा से) मोटापा, (राँड़ से) रँडापा। आर-(हिं०) सं० से कर्तृ०-कुम्हार, चमार, लोहार, सुनार । आलु-क्रि० से वि०- (कृप से) कृपालु, (शि से) शयालु आलू-(हिं०) सं० से वि०-झगड़ालू, लजालू, शरमालू। आव-हिं० क्रि० से भाव०-अटकाव, कसाव, घुमाव, छलावा, छिड़काव, छिपाव, जमाव, झुकाव, टकराव, डरावा, दुराव, पछतावा, पड़ाव, फैलाव, बचाव, बदलाव, बहकावा, बहाव, बुलावा, सुझाव। आवट-(हिं०) क्रि० से भाव०-थकावट, दिखावट, रुकावट, लिखावट, सजावट । आवना-(हिं०) सं० से वि०-डरावना, भयावना, लुभावना, सुहावना। आस-(हिं०) इच्छार्थक-निंदास, प्यास, बुलास, मुतास, हगास । आस-(हिं०) वि० से भाव०-खटास, मिठास । आहट-(हिं०) वि० से भाव०-कड़वाहट, चिकनाहट । आहट-(हिं०) क्रि से भाव०-उकताहट, खुजलाहट, गुर्राहट, घबराहट, चिल्लाहट, बिलबिलाहट, बौखलाहट, सरसराहट । इ-भाव०- (कृष् से) कृषि, (रुच् से) रुचि । इक-सं० से वि०- (अक्षर से) आक्षरिक, (इतिहास से) ऐतिहासिक, (उद्योग से)
औद्योगिक, (जीव से) जैविक, (दर्शन से) दार्शनिक, (दिन से) दैनिक, (पक्ष से) पाक्षिक, (पशु से) पाशविक, (पुराण से) पौराणिक, (प्रकृति से) प्राकृतिक, (प्रदेश से) प्रादेशिक, (बुद्धि से) बौद्धिक, (भूगोल से) भौगोलिक, (भूत से) भौतिक, (मानस् से) मानसिक, (मुख से) मौखिक, (मूल से) मौलिक, (योग से) यौगिक, (रसायन से) रासायनिक, (रेखा से) रैखिक, (वेद से) वैदिक, (शिक्षा से) शैक्षिक, (समय से) सामयिक, (साहस से) साहसिक, (साहित्य से) साहित्यिक। इका-पु० (-अक) से स्त्री०-(अध्यापक से) अध्यापिका, (नायक से) नायिका, (बालक से) बालिका, (याचक से) याचिका, (लेखक से) लेखिका, (संचालक से) संचालिका, (संपादक से) संपादिका। इत-सं० से वि०- (अंक से) अंकित, (अंकुर से) अंकुरित, (अपच से) अपचित, (आनंद से) आनंदित, (खण्ड से) खण्डित, (तरंग से) तरंगित, (पुष्प से) पुष्पित, (फल से) फलित।
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इन- हिन्दी में ई) क्रि० से कर्तृ०- (काम् से) कामी, (त्यज् से) त्यागी, (दृश से) दर्शी, (युज् से) योगी, (लुभ् से) लोभी, (संन्यस् से) संन्यासी, (स्पृश से) स्पर्शी ।
इन -(हिन्दी में ई) सं० से कर्तृ०- ( अभिमान से) अभिमानी, (अभिलाष से) अभिलाषी, (दंत से) दंती, (दुःख से) दुखी, (भोग से) भोगी, (शास्त्र से) शास्त्री, (सुख से) सुखी । इन - (हिं०) पुं० से स्त्री० -अहिरिन, चमारिन, जुलाहिन, धोबिन, पुजारिन, भिखारिन,
लुहारिन ।
इम-संo से वि०- ( अंत से) अंतिम, (अंतर्) अंतरिम (स्वर्ण से) स्वर्णिम ।
इमा - भाव०- ( अरुण से) अरुणिमा, (काला से) कालिमा, (गुरु से) गरिमा, (नील से) नीलिमा, (महान से ) महिमा, (रक्त से) रक्तिमा, (हरित से) हरीतिमा ।
इय-सं० से वि०- ( क्षत्री से) क्षत्रिय, (जाति से) जातीय, (देश से) देशीय, (भारत से) भारतीय, (राष्ट्र से) राष्ट्रीय, (लेखक से) लेखकीय, (संपादक से) संपादकीय, (स्मरण से) स्मरणीय ।
इयल - ( हिं०) वि०- अड़ियल, दढ़ियल, मरियल, सड़ियल ।
इया - (हिं) क्रि० से कृर्त०- (जड़ना से ) जड़िया, (धुनना से) धुनिया, ( नाचना से) नचइया । इया - (हिं०) सं० से कृर्त०- (ढोलक से) ढोलकिया, (रसोई से) रसोइया, (लख से) लखिया ।
इया - (हिं०) पुं० से स्त्री० - (कुत्ता से) कुतिया, (चिड़ा से) चिड़िया, (चूहा से) चुहिया, (बंदर से) बंदरिया, (बछवा से) बछिया, (बेटा से) बिटिया ।
इंया - (हिं०) लघुता० - अंबिया, कुतिया, खटिया, गठरिया, चुटिया, चुहिया, डलिया, डिबिया, फुड़िया, लुटिया ।
इल - सं० से वि०- (जटा से) जटिल, (धूम से) धूमिल, (पंक से) पंकिल, (फेन से) फेनिल, (सर्प ० से ) सर्पिल, (स्वप्न से) स्वप्निल ।
इष्ठ - वि० से वि०- ( वरु से) वरिष्ठ, (कनीयस् से) कनिष्ठ, (गुरु से) गरिष्ठ, (पापी से) पापिष्ठ, (बली से) बलिष्ठं, (श्रेयस् से) श्रेष्ठ, (स्वादु से) स्वादिष्ठ ।
ई - (हिं०) क्रि० से भाव०- ( घुड़कना से) घुड़की, (चटकना से) चुटकी, (झपकना से) झपकी, (थपकना से) थपकी, (धमकाना से) धमकी, (धुकधुकाना से) धुकधुकी, (बोलना से) बोली, (सिसकना से) सिसकी, (हँसना से) हँसी ।
- (हिं०) सं० से भाव०- ( किसान से) किसानी, (खेत से) खेती, (गुण्डा से) गुण्डई, (चोर से) चोरी, (डाका से) डकैती, (महाजन से) महाजनी, (मेहमान से) मेहमानी ।
ई - पु० से स्त्री० - (कवयिता से) कवयित्री, (किशोर से) किशोरी, (नर से) नारी, (पुत्र से) पुत्री, (ब्राह्मण से) ब्राह्मणी, (युवक से) युवती, (स्वामिन् से) स्वामिनी ।
ई - (हिं०) पु० से स्त्री० - (काका से) काकी, ( गीदड़ से ) गीदड़ी, (घोड़ा से) घोड़ी, (चींटा से) चींटी, (दादा से) दादी (नाना से) नानी, (बकरा से) बकरी, (बेटा से) बेटी, (मामा से) मामी, (मौसा से) मौसी, (लड़का से) लड़की, (हिरन से) हिरनी । - लघुता०- ( गगरा से) गगरी, (गट्ठर से) गठरी, (गोला से) गोली, (घंटा से) घंटी, (घाट से घाटी, (चिमटा से) चिमटी, (छुरा से) छुरी, ( झोला से) झोली, (टोकरा से) टोकरी, (टोप से) टोपी, (डोरा से) डोरी (नाला से) नाली, (प्याला से) प्याली, (हथौड़ा से हथौड़ी।
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ई-(उर्दू) सं० से वि०- (आसमान से) आसमानी, (काग़ज़ से) काग़ज़ी, (किताब से) किताबी, (खून से) खूनी, (गुलाब से) गुलाबी, (पंजाब से) पंजाबी, (फ़ौज से) फ़ौजी,
(बादाम से) बादामी, (माल से) माली (हालत), (रेशम से) रेशमी, (हवा से) हवाई। ई-(उर्दू) वि० से भाव०- (अफ़सर से) अफ़सरी, (खराब से) ख़राबी, (खुश से) खुशी,
(गरम से) गरमी, (दोस्त से) दोस्ती, (नरम से) नरमी, (नेक से) नेकी, (बद से) बदी, (बेहतर से) बेहतरी, (सफ़ेद से) सफ़ेदी, (सर्द से) सर्दी। ई-भाषा-अंग्रेजी, असमी, पंजाबी, बंगाली, रूसी, हिन्दी । ईन-सं० से वि०-(कुल से) कुलीन, (ग्राम से) ग्रामीण, (प्राची से) प्राचीन । ईला-(हिं०) सं० से वि०- (ख़र्च से) खर्चीला, (छवि से) छबीला, (जहर से) जहरीला, (नोंक से) नुकीला, (पानी से) पनीला, (रंग से) रंगीला, (रस से) रसीला, (साज से) सजीला, (सुर से) सुरीला। उवा-लघुता०- (आँख से) अँछुआ, (बाबू से) बबुआ, (लाल से) ललुआ। एरा-(हिं०) सं० से कर्तृ०-कमेरा, लुटेरा, सपेरा। ऐला-(हिं०)सं० से वि०-अकेला, खपरैला, (I), तैल, दुकेला, दुधैल, बघेला, सौतेला । ओर (1)-(हिं०) क्रि० से कर्तृ०-चटोरा, भगोड़ा, हँसोड़ा। ओला-(हिं०) लघुता०-खटोला, गढ़ोला, मँझोला, सँपोला। औती-(हिं०) क्रि० से भाव०-चढ़ौती, बुढ़ौती, मनौती।। क-(हिं०) सं० से भाव०-कसक, ठंडक, धमक, महक। कर-वि०-अहितकर, कल्याणकर, लाभकर, सुखकर, स्वास्थ्यकर, हानिकर, हितकर । कार-भाव०-अंगीकार, बलात्कार, स्वीकार कार-(उर्दू) वि०-अहलकार, आबकार, जानकार, पच्चीकार, पेशकार । कारी-वि०-कल्याणकारी, कार्यकारी, परिवर्तनकारी, परोपकारी, प्रभावकारी, हितकारी। खाना-(उर्दू) सं०-आतशख़ाना, कसाईखाना, कूड़ाख़ाना, गाड़ीदाना,हमामखाना, जेलखाना, डाकखाना, तोपखाना, दवाख़ाना, पाख़ाना, पेशाबख़ाना, मुसाफिरखाना, मवेशीखाना, यतीमखाना, हमामख़ाना। खोर-(उर्दू) वि०-आदमखोर, घूसखोर, चुगलखोर, मुफ्तखोर, रिश्वतखोर, हरामखोर, हलालखोर। गर-(उर्दू) सं० कलईगर, ज़रग़र, जादूगर, बाजीग़र, राहग़र, सितमगर, सौदाग़र । गिरी-(उर्दू)-सं० गुंडागिरी, चमचागिरी, दादागिरी, नेतागिरी। गी-(उर्दू) सं०-दिल्लगी, बंदगी, सादगी। ज-वि० उत्पन्न-अंहुज, अंत्यज, अग्रज, अनुज, जलज, पंकज, पिण्डज, मलयज, स्वेदज । जनी-(उर्दू) भाव०-आगज़नी, आतशज़नी, रहज़नी। ठ-वि०-कर्मठ, जरठ। डा, डी-(हिं०) लघुता०-अँतड़ी, चमड़ी, टॅगड़ी, दुखड़ा, पंखुड़ी, पलंगड़ी, बछड़ा, बछड़ी। त-क्रि० से वि०-(कथ् से) कथित, (कृ से) कृत, (गम् से) गत, (च्यु से) च्युत, (तृप से) तृप्त, (नश् से) नष्ट, (पूर से) पूर्ण, (मृ से) मृत, (लग से) लग्न, (विद् से) विदित, (संभृ से) संभृत, (सुप् से) सुप्त, (हा से) हत।
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929
तः - वि० से क्रि० वि०- (अंश से) अंशतः, अनिवार्यतः, प्रथमतः, मूलतः, विशेषतः,
साधारणतः, सामान्यतः स्वतः ।
तम - वि० से वि०- ( उच्च से) उच्चतम, (कठिन से कठिनतम, (कठोर से) कठोरतम, (गुरु से ) गुरुतम, (दृढ़ से) दृढ़तम, (निम्न से) निम्नतम, (मृदु से) मृदुतम, (लघु से) लघुतम, (बृहत से) बृहत्तम, ( श्रेष्ठ से) श्रेष्ठतम ।
तया - वि० से क्रि० वि०- (विशेष से) विशेषतया, (साधारण से) साधारणतया, (सामान्य से) सामान्यतया ।
तर - वि० से वि०- ( उच्च से) उच्चतर, (कठिन से कठिनतर, (गुरु से ) गुरुतर, (दृढ़ से ) दृढ़ढ़तर, (निम्न से) निम्नतर, (मृदु से) मृदुतर, (लघु से) लघुतर, (वृहत् से) वृहत्तर ( श्रेष्ठ से) श्रेष्ठतर ।
तव्य–क्रि० से वि०- (कृ से) कर्तव्य, (क्षम् से) क्षमतव्य, ( गम् से) गन्तव्य, (ज्ञा से)
ज्ञातव्य, (दा से) दातव्य, (दृश, से) द्रष्टव्य, (प्राप् से) प्राप्तव्य, (वच् से) वक्तव्य । ता - वि० से भाव०- (अग्र से) अग्रता, (आत्मीय से) आत्मीयता, (आधुनिक से)
आधुनिकता, (आवश्यक से) आवश्यकता, (कटु से) कटुता, (क्रूर से) क्रूरता, (गंभीर से) गंभीरता, (गुरु से) गुरुता, (चपल से) चपलता, (तीक्ष्ण से) तीक्ष्णता, (धीर से) धीरता, (मधुर से) मधुरता (मम् से) ममता, (मूर्ख से) मूर्खता, (मृदु से) मृदुता, (लघु से) लघुता, (विषम से) विषमता, (वीर से) वीरता, (व्याकुल से) व्याकुलता, (समान से) समानता, (सहृदय से ) सहृदयता ।
ता-सं० से भाव०- (दानव से) दानवता, (पशु से) पशुता, (मनुष्य से) मनुष्यता, (मानव
से) मानवता, (मित्र से) मित्रता, (शत्रु से) शत्रुता ।
ति - भाव० - (कृ से) कृति, (ख्या से) ख्याति, (धृ से) धृति, (भृ से) भृति, (वृध् से)
वृद्धि, (वृष् से) वृष्टि, (श्रु से) श्रुति, (सृज् से) सृष्टि, (स्तु से) स्तुति ।
ती - ( हिं०) भाव० - गिनती, घटती, चुकती, फुरती, बढ़ती ।
तृ - (हिन्दी में ता, स्त्री त्री) क्रि० से कर्तृ०- (कृ से) कर्ता, कत्री, (दा से) दाता, दात्री, (धा से) धाता, धात्री, (नी से) नेता, नेत्री, (पा से) पिता, पितृ, (भृ से) भर्ता, भर्त्री (मा से) माता, मातृ ।
त्र - वि० से क्रि० वि० - अन्यत्र, एकत्र, सर्वत्र ।
त्व-सं० या वि० से भाव०- ( अमर से) अमरत्व, (एक से) एकत्व, (कृति सें) कृतित्व,
(गुरु से) गुरुत्व, (द्वि से) द्वित्व, (नारी से) नारीत्व, (पशु से) पशुत्व, (पुरुष से) पुरुषत्व, ( प्रभु से) प्रभुत्व, (बंधु से) बंधुत्व, (ब्राह्मण से) ब्राह्मणत्व, (मनुष्य से) मनुष्यत्व, (महा से) महत्व, (स्त्री से) स्त्रीत्व ।
था - वि० से क्रि० वि - अन्यथा, तथा, यथा, सर्वथा ।
द- देनेवाला - जलद, दुःखद, धनद, लाभप्रद, सुखद ।
दान, दानी-उर्दू सं० से सं०- आतशदान, इत्रदान, कलमदान, गुलाबदान, चायदानी, चूहेदानी, पानदान, फूलदान, मच्छरदानी ।
दार - (उर्दू) सं० से वि०-असरदार, इज़्ज़तदार, ओहदेदार, ख़बरदार, चमकदार, चित्तीदार, धारदार, फलदार, मालदार, समझदार ।
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930 दार-(उर्दू) सं०-कामदार, किरायादार, खरीददार, चौकीदार, जमींदार, ठेकेदार, नातेदार,
पहरेदार, भागीदार, रिश्तेदार, सरदार, हिस्सेदार । धा-वि० से क्रि० वि०- (त्रि से) त्रिधा, (द्वि से) द्विधा, (नव से) नवधा, (बहु से) बहुधा । न-भाव०-(दा से) दान, (प्रश् से) प्रश्न, (यत् से) यत्न, (स्वप् से) स्वप्न । नाक-(उर्दू) वि०-ख़तरनाक, खौफ़नाक, दर्दनाक। नी-(हिं०) क्रि० से भाव०-कटनी, करनी, छंटनी, भरनी, मरनी। नी-(हिं०) पुं० से स्त्री०-ऊँटनी, बाघनी, मोरनी, रीछनी, शेरनी। पन-(हिं०) सं० या वि० से भाव०-अपनापन, कमीनापन, कालापन, गँवारपन, छुटपन, नीलापन, परायापन, पीलापन, बचपन, बड़प्पन, बालापन, भद्दापन, भेंगापन, भोलापन, लड़कपन, सीधापन। पूर्वक-सं० से क्रि० वि०-आनंदपूर्वक, कुशलपूर्वक, दयापूर्वक, दृढ़तापूर्वक, न्यायपूर्वक,
प्रसन्नतापूर्वक, विधिपूर्वक, सहृदयतापूर्वक, सुखपूर्वक, सुविधापूर्वक।। बंद-(उर्दू) सं० से वि०-कमरबंद, डिब्बाबंद, बिस्तरबंद, मोर्चाबंद, मोहरबंद, हथियारबंद । बाज़-(उर्दू) वि०-अंटीबाज़, अंड्गेबाज, चालबाज़, दगाबाज़, धोखेबाज़, पतंगबाज़,
रंडीबाज़, लौंडेबाज़। बाज़ी-(उर्दू) सं०-अड़ेंगेबाज़ी, आतशबाज़ी, कबूतरबाज़ी, चालबाज़ी, चुहलबाज़ी,
दगाबाज़ी, धोखेबाज़ी, पतंगबाज़ी, रंडीबाज़ी, लौंडियाबाज़ी। मंद-(उर्दू) सं० से वि०-अक्लमंद, एहसानमंद, गर्ज़मंद, ज़रुरतमंद। मय-सं० से वि०-अग्निभय, आभामय, करुणामय, गरिमामय, जलमय, ज्योतिर्मय, दयामय,
मधुमय, शान्तिमय, सुखमय। मान-सं० से वि०-(आयुष् से) आयुष्मान, (बुद्धि से) बुद्धिमान, (शक्ति से) शक्तिमान,
(श्री से) श्रीमान। य-सं० से वि०-(ओष्ठ से) ओष्ठय, (ग्राम से) ग्राम्य, (दन्त से) दन्त्य, (न्याय से) न्याय्य,
(पद से) पद्य। य-क्रि० से वि०- (कृ से) कार्य, (क्षम् से) क्षम्य, (खाद् से) खाद्य, (दा से) देय, (दृश से) दृश्य, (निंद् से) निंद्य, (पा से) पेय, (पूज् से) पूज्य, (प्राय् से) प्राप्य, (युज् से) योग्य, (श्रु से) श्रव्य। य-वि० से भाव०-(चंचल से) चांचल्य, (चोर से) चौर्य, (धीर से) धैर्य, (पंडित से) पांडित्य, (विधवा से) वैधव्य, (शूर से) शौर्य, (सहश् से) सादृश्य, (सामर्थ से) सामर्थ्य, (सुन्दर से) सौन्दर्य, (स्वस्थ से) स्वास्थ्य । या-भाव०-(कृ से) क्रिया, (चर् से) चर्या, (तपस् से) तपस्या, (विद् से) विद्या, (शी से)
शय्या। वत्-सं० से क्रि० वि०-आत्मवत्, पितृवत्, पुत्रवत्, मातृवत, मित्रवत्, शत्रुवत् । वान्-सं० वि०-गुणवान्, धनवान्, रूपवान्, विद्यावान्, शीलवान् । वान-(उर्दू) सं० से सं०-इक्कावान, कोचवान, गाड़ीवान, पीलवान, हाथीवान । वार-(उर्दू) वि० क्रि० वि०-उम्मीदवार, क्रमवार, घंटेवार, तारीख़वार, नंबरवार, भाषावार, सिलसिलेवार।
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931 वाला-(हिं०) क्रि० से कर्तृ०-आनेवाला, गानेवाला, जानेवाला, देनेवाला, घोनेवाला,
बोलनेवाला, लेनेवाला। वाला-(हिं०) सं० से कर्तृ०-इक्केवाला, खोंचेवाला, गाड़ीवाला, जूतेवाला, टोपीवाला,
दूधवाला, पालकीवाला, फेरीवाला, सब्जीवाला। वी-सं० से वि०- (तपस् से) तपस्वी, (तेजस् से) तेजस्वी, (माया से) मायावी, (मेधा से) मेधावी। शः-सं० से क्रि० वि०-अक्षरशः, कोटिशः, क्रमशः, बहुशः, शतशः, शब्दशः सा-भाव०-(ज्ञ से) जिज्ञासा, (पा से) पिपासा, (मन् से) मीमांसा। साज़-(उर्दू) सं० से सं०-आईनासाज़, घड़ीसाज़, रंगसाज़।
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परिशिष्ट · 4
नाप, माप और तौल की सारणियाँ
लंबाई और दूरी की नाप
.
12 इंच = 1 फुट
3 फुट = 1 गज़ 5 फुट ___= 1 पोल (डाँड) 40 पोल
___ = 1 फर्मंग 8 फ़लाँग = 1 मील 1760 गज़ = 1 मील
3 मील = 1 लीग
टिप्पणी -हाथ घोड़ों की नाप के लिए, फैदम या थाह पानी और खान की गहराई नापने के लिए, कड़ी और ज़रीब भू सर्वेक्षण के लिए प्रयुक्त होते हैं।
समुद्री नाप 6 फुट = 1 फ़ैदम, थाह 15 फुट = 1 ज़रीब 100 फ़ैदम (थाह) = 1 समुद्री तार की 10 समुद्री तार की लंबाई
लंबाई = 1 समुद्री मील 3 समुद्री मील = 1 लीग
= 1 अंश
3 जौ
4 इंच 9 इंच
5 फुट
= 1 इंच = 1 गदोरी = 1 हाथ = 1 बालिश्त (बित्ता) = 1 डग (कदम) = फ़ैदम, थाह
(पुरसा, समुद्र की गहराई नापने के लिए)
6 फुट
टिप्पणी - 1 समुद्री मील = लगभग 2026 गज़
भूमि या वर्ग नाप 144 वर्ग इंच = 1 वर्ग फुट
9 वर्ग फुट = 1 वर्ग गज़ 301 वर्ग गज़ = 1 वर्ग पोल/राड - 4 राड/पोड या = 1 एकड़ ___4840 वर्ग गज़ 640 एकड़ = 1 वर्ग मील
7.92 इंच
25 कड़ी 100 कड़ी 66 फुट 10 ज़रीब
= 1 कड़ी = 1 पोल (डाँड) = 1 ज़रीब = 1 ज़रीब
1 फलाँग
932
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लंबाई (दूरी) की भारतीय नाप
72 बिन्दु
= 1 इंच
9 इंच
= 1 बित्ता.
2 बित्ता
= 1 हाथ
2 हाथ
= 1 गज़
4 अंगुल
22 इंच 16 गिरह
3 गज़
10 गठा
5 लाठा x 4 लाठा
1361 वर्ग फ़ुट 20 बिस्वा
3025 वर्ग गज़
8 बीघा
3 हाथ
9 वर्ग करम
भारतीय भूमि नाप ( उत्तर प्रदेश)
99 इंच
= 1 लाठा
= 1 बिस्वा
1 बिस्वा
20 मरला 4 कनाल
1620 वर्ग गज 2 बीघा
= 1 गिरह
1 गिरह
= 1 गज़
= 1 गठा
39 वर्ग क्यूट 20 काठी
20 पाण्ड
3925 वर्ग गज़ 6 बीघा 20 रुके
=
=
= 1 बीघा
1 बीघा
=
=
पंजाब
1 ज़रीब
= 1 करम
=
= 1 मरला
1 कनाल
1 बीघा
1 बीघा
=
=
5 एकड़
(महाराष्ट्र ) 1 काठी
=
1 घुमाव
= 1 पाण्ड
1 बीघा
1 बीघा
=
= 1 रुके
1 चहर
933
1 वर्ग हाथ
20 गण्डा
16 छटाँक
10 x 8 गज़
20 काठा
1600 वर्ग गज़
121 बीघा
2400 वर्ग फुट
24 ग्राउन्ड
6400 वर्ग गज़ 484 काणी
घन या
1728 घन इंच
27 घन फ़ुट
4 गिल
2 पिन्ट
4 क्वार्ट
2 गैलन
4 पेक
8 बुशल
2 क्वार्ट
2 बुशल
36. बुशल
5 क्वार्टर
8 ड्राम
1 मिनिम (बूँद )
60 बूँद
31- गैलन
(बंगाल)
=
20 आउन्स 8 पिन्ट
=
=
(दक्षिण भारत )
=
1 काठा
1 बीघा
1 बीघा
= 40 एकड़
=
=
1 गण्डा
1 छटाँक
1 काठा
= 1 ग्राउन्ड ( मनाई)
= 1 काणी
=
=
धारिता की माप
1 पिन्ट
1 काणी
1 वर्ग मील
ठोस की माप
= 1 घन फ़ुट
= 1 घन गज़
=
द्रव की माप
= 1 क्वार्ट
= 1 गैलन
= 1 पेक
= 1 बुशल
= 1 क्वार्टर
= 1 पाटल
= 1 स्ट्राइक
=.1 काल्ड्रन = 1 लोड
= 0.0045 घन इंच
= 1 ड्राम
= 1 आउन्स
1 पिन्ट
= 1 गैलन 1 बैरल
=
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934
1 टी स्पूनफुल
= 1 ड्राम ओ०, बारह पेजी, बारह परत में मुड़ा (चम्मच)
सिक्सटीन एम ओ०, सोलहपेजी, चौपरता, 1 डेजर्ट टी स्पूनफुल = 2 ड्राम सोलह पन्ने
(मझला चम्मच) 1 टेबुल टी स्पूनफुल = 4 ड्राम
समय परिमाण (भारतीय) (बड़ा चम्मच)
60 अनुपल
= 1 विपल 1 टी कप फुल (चाय प्याला) = 3 आउंस 60 विपल
= 1 पल 60 पल
= 1 दण्ड कपड़ों की नाप
60 दण्ड
= 1 दिन 21 इंच = 1 नेल 24 घड़ी
1 दिन 4 नेल = 1 क्वार्टर 8 पहर
= 1 दिन 4 क्वार्टर = 1 गज़ 7 दिन
= 1 सप्ताह 30 दिन
= 1 माह काग़ज़ का आकार
12 माह
= 1 वर्ष क्राउन
= 15 x 20 क्राउन डबल = 20 x 30
(अंतर्राष्ट्रीय) क्राउन क्वाड = 30x40 60 सेकन्ड
= 1 मिनट डिमाई = 173 x 223 60 मिनट
= 1 घंटा डिमाई डबल = 223 x 35 24 घंटे
= 1 दिन डिमाई क्वाड = 35 x 45 7 दिन
= 1 सप्ताह फुल स्केप = 133 x 17 4 सप्ताह
= 1 माह फुलस्केप डबल = 17 x 27 13 चांद्रमास = 1 वर्ष फुलस्केप क्वाड = 27 x 34 12 मास
= 1 वर्ष इम्पीरिअल 22 x 30 365 दिन
= 1 वर्ष = 18 x 23 366 दिन
= 1 लौंध वर्ष मीडियम डबल = 23 x 36 365 दिन, 5 घंटे, 48 = 1 सौर वर्ष पोस्ट
= 153 x 19 मिनट पोस्ट लार्ज = 163 x 21 100 वर्ष
= 1 शताब्दी रायल
= 20 x 25 रायल डबल = 25 x 40
मुद्रा रायल क्वाड = 40 x 50
(अंग्रेजी) सुपर रायल = 20 x 273 __4 फ़ारदिंग
= 1 पेनी सुपर रायल डबल ___ = 273 x 41 12 पेन्स
= 1 शिलिंग 20 शिलिंग
= 1 पाउन्ड पुस्तकों का आकार 21 शिलिंग
= 1 गिन्नी एफ़ ओ, एक पेजी, इकतहा, दो पन्ने, फोर 2 शिलिंग = 1 फ्लोरिन टु०, चौपेजी, दुतहा, चार पन्ने, एट बो०, 5 शिलिंग
= 1 क्राउन अठपेजी, तिनतहा, आठ पन्ने ट्वेल्व एम
मीडियम
Xxx xxxx
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100 पैसे
(भारतीय)
1 रुपया
-मापन
विद्युत- वोल्ट, विद्युत वाहक बल (e.m.f.) की इकाई जो एक बैटरी सेल के लगभग 92.6% बराबर होती है ।
ओम, विद्युत प्रतिरोध की इकाई जो 100 से० मी० x 1 मि० मि० गलनांक पर पारद रेखा द्वारा विद्युत धारा के प्रवाह से उत्पन्न होती है।
मेग ओम, दस लाख ओम एम्पिअर, एक ओम द्वारा संचालित एक वोल्ट की धारा
कूलम, प्रति सेकंड प्रवाहित होनेवाली एक एम्पिअर की मात्रा
935
माइक्रोफैराडे, एक वोल्ट दाब पर .0000001 कूलम की धारिता वाट, विद्युत शक्ति की इकाई जो परिपथ में प्राप्त शक्ति के बराबर होती है जिसमें एक एक वोल्ट के विभवान्तर वाली एक एम्पिअर की धारा प्रवाहित हो। 746 वाट = अश्वशक्ति किलोवाट, 1000 वाट
1
तापमान
सेल्सिअस (सेन्टीग्रेड), इममें 0° हिमांक 100° वाष्पांक होता है ।
फ़ोरेनहाइट इसमें 32° हिमांक, 212° . वाष्पांक होता है
=
+
टिप्पणी सेन्टीग्रेड को फ़ारेनहाइट में बदलने के लिए 9 से गुणा करके गुणनफल 5 से भाग देकर 32 जोड़ दें; जैसे 60°C = = 60 × 9 (540) ÷ 5 (108) 32 = 140°F। फ़ारेनहाइट के सेन्टीग्रेड में बदलने के लिए 32 घटाकर 5 से गुणा करें और गुणनफल को 9 से भाग दे दें; जैसे 133°F = 133 - 32 (101) × 5 (505) + 9 = 5621
12 इकाई
12 दर्जन
20 इकाई
5 कोड़ी या 100 इकाई
16 ड्राम
16 आउंस
14 पौंड
28 पौड
4 क्वार्टर (112 पौंड)
20 हन्डरवेट
संख्या
1, 2, 3, 4, 5,
अब अंतर्राष्ट्रीय संख्याएँ कहलाती हैं।
१, २, ३, ४, ५, ....... देवनागरी संख्याएँ हैं । अंकों में लिखी
1, 2, 3, 4, 5,
संख्याएँ हैं ।
एक, दो, तीन, चार,
शब्दों में लिखी
संख्याएँ हैं ।
20 ग्रेन
= 1 दर्जन
चालू-तौल
(बहुमूल्य धातुओं और पत्थरों को छोड़ कर अन्य सभी विक्रेय वस्तुओं की तौल में
ग्रुस 1 कोड़ी
= 1 शतक (सैकड़ा
3 स्क्रूपल
8 दिरहम
12 औस
20 औस
=
=
अरबी संख्याएँ हैं जो ·
प्रयुक्त)
= 1 आउंस
=
1 पौंड = 1 स्टोन
= 1 क्वार्टर
= 1 टन
बहुमूल्य पत्थरों के लिए 1 औंस = 480 ग्रेन जो दाशमिक कैरट से विभाजित होकर प्राप्त होता है । दाशमिक कैरट औंस का 1वाँ भाग होता है। कैरट का अर्थ है 1 भाग । इस प्रकार 18 कैरट सोना शुद्ध सोने का भाग होता है ।
150
24
18
=
1 हन्डरवेट
औषधियों की तौल
= 1 स्क्रुपल
1 दिरहम
=
= 1 औंस
= 1 पौंड
= 1 पिन्ट
24
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8 खसखस
1 चावल
8 चावल
1 रत्ती
6 रत्ती
= 1 आना
8 रत्ती
= 1 माशा
12 माशा या 6 आना = 1 तोला
5 तोला
16 छटाँक
4 छटाँक
4 पाव
5 सेर
भारतीय तौल ( अब अप्रचलित )
8 पंसेरी
1 मन
=
-
= 1 छटाँक
= 1 सेर
=
=
=
=
=
1 पाव
1 सेर
1 पंसेरी
1 मन
82 पौंड
टिप्पणी भारत में अब प्रचलित
माप-तौल के लिए दाशमिक प्रणाली देखिए ।
दाशमिक प्रणाली
माप-तौल के लिए यह दाशमिक प्रणाली भारत सहित अनेक देशों में प्रचलित है। इस प्रणाली में लंबाई की मूल इकाई मीटर, तौल की इकाई ग्राम, धारिता की इकाई लीटर, क्षेत्रफल की इकाई एअर और आयतन (जैसे- लकड़ी) की मूल इकाई स्टेअर है । उपर्युक्त इकाइयों में निम्नलिखित उपसर्ग लगाकर छोटी या बड़ी इकाइयाँ बना ली जाती हैं: - किलो 1000, हेक्टो 100, डेका 10, डेसी 0.1, सेन्टी 0.01, मिली C.001 । प्रायः इनमें टेरा (दस शंख, 10 18 ), गीगा ( एक अरब, 10), मेगा (दस लाख) भी जोड़े जाते हैं ।
लंबाई (दूरी) की नाप 10 मिलीमीटर = 1 सेन्टीमीटर
=
10 सेन्टीमीटर 1 डेसीमीटर
=1
10 डेसीमीटर
10 मीटर
936
1 मीटर
= 1 डेकामीटर
10 डेकामीटर
10 हेक्टोमीटर
10 किलोमीटर
10 मिरिया मीटर
100 सेन्टीमीटर
1000 मीटर
मिलीग्राम
सेन्टीग्राम
डेसीग्राम
10
10
10
10
10
10
1000 ग्राम
10 किलोग्राम
10 मिरियाग्राम
ग्राम
डेकाग्राम
हेक्टोग्राम
10
क्विंटल 1000 किलोग्राम
= 1 हेक्टोमीटर = 1 किलोमीटर = 1 मिरियामीटर
10 डेसीलीटर
10 लीटर
=
10 डेकालीटर
10 हेक्टोर
= 1 मीटर
= 1 किलोमीटर
तौल
= 1 सेन्टीग्राम
1 डेसीग्राम
=
=
1 ग्राम
= 1 डेकाग्राम
= 1 हेक्टोग्राम
= 1 किलोग्राम
= 1 किलोग्राम
= 1 मिरियाग्राम
= 1 क्विंटल
=
1 मेगामीटर
धरातल की माप
= 1 मीट्रिक टन
100 वर्ग मिलीमीटर 100 वर्ग सेन्टीमीटर
100 वर्ग डेसीमीटर 100 वर्ग मीटर
100 वर्ग डेकामीटर 100 वर्ग हेक्टोमीटर
100 वर्ग किलोमीटर
धारिता की माप 10 मिलीलीटर
10 सेन्टीलीटर
=
= 1 वर्ग सेन्टीमीटर
1 वर्ग डेसीमीटर
1 वर्ग मीटर
= 1 वर्ग डेकामीटर
1 वर्ग हेक्टोमीटर
1 वर्ग किलोमीटर
1 वर्ग मिरियामीटर
=
1 टन या मिलियन
=
=
=
= 1 सेन्टीलीटर
= 1 डेसीलीटर
= 1 लीटर
= 1 डेकालीटर
= 1 हेक्टोलीटर
= 1 किलोलीटर
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937
10 सेन्टीएअर 10 डेसीएअर 10 एअर .. 10 डेकाएअर
भू-मापन
= 1 डेसीएअर = 1 एअर
1 डेकाएअर = 1 हेक्टेअर
1 गिल 1 पिन्ट 1 गैलन 1 बुशल 1 क्वार्टर
उलटे = 1.42 डेसीलीटर = 0.57 लीटर = 4.546 लीटर = 36.37 लीटर = 0.29 किलोलीटर
घन-माप . 1000 घन मिलीमीटर = 1 घन सेन्टीमीटर 1000 घन सेन्टीमीटर = 1 घन डेकामीटर 1000 घन डेकामीटर = 1 घन मीटर 10 डेसी स्टेअर = 1 घन मीटर
___ = 1 स्टे अर 10 स्टेअर . = 1 डेका स्टेअर
वर्ग-माप 1 वर्ग सेन्टीमीटर = 0.155 वर्ग इंच 1 वर्ग मीटर = 1.196 वर्ग गज़ 1 एअर __= 119.6 वर्ग गज़ 1 हेक्टेअर = 2.471 एकड़
उलटे
-6.45 वर्ग सेन्टीमीटर = 9.29 वर्ग डेसीमीटर
= 0.84 वर्ग मीटर - = 0.40 हेक्टेअर
= 259 हेक्टेअर
टिप्पणी - इमारती लकड़ी की नाप में 1 वर्ग इंच स्टेअर का प्रयोग किया जाता है।
1 वर्ग फुट
1 वर्ग गज़ परिवर्तन तालिकाएँ 1 एकड़ लंबाई (दूरी)
1 वर्ग मील 1 मिलीमीटर = 0.0394 इंच। 1 सेन्टीमीटर = 0.3937 इंच 1 मीटर
39.3708 इंच तौल 1 किलोमीटर
1063.63 गज़ 1 मिलीग्राम = (लगभग) मील 1सेन्टीग्राम
1 ग्राम उलटे
1किलोग्राम 1 इंच
= 25.4 मिलीमीटर 1 क्विंटल 1 फुट
= 0.3048 मीटर 1गज़ __ = 0.9144 मीटर 1 मीटर _ = 0.0093 किलोमीटर
__= 0.015 ग्रेन
= 0.154 ग्रेन . = 15.432 ग्रेन = 2.204 पौंड = 1.968 हंडरवेट
अल्टे
1 सेन्टीलीटर 1 लीटर 1 हेक्टोलीटर 1किलोलीटर
= 0.07 गिल = 1.76 पिन्ट = 2.75 बुशल = 3.44 क्वार्टर
1 ग्रेन 1 औंस 1 पौंड 1हंडरवेट 1 टन
= 0.0648 ग्राम = 28.35 ग्राम = 0.454 किलोग्राम = 50.8 किलोग्राम = 1016 किलोग्राम
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938
घनमाप
= 0.06 घन इंच . = 1.31 घन गज़
1 धन सेन्टीमीटर 1 घन मीटर
1धन इंच
उल्टे
= 16.387 धन सेन्टीमीटर = 0.03 घन मीटर = 0.76 घन मीटर
1धन फुट 1घन गज़
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नाम:
परिचय डॉ० हरदेव बाहरी 1 जनवरी 1907 तलागंग (जिला अटक), अब पाकिस्तान
जन्म: स्थान :
में।
शिक्षा : बी० ए० आनर्स (अंग्रेज़ी), एम० ए०
(इतिहास), हिन्दी प्रभाकर, एम० ओ० एल० (संस्कृत), शास्त्री, पी० एच० डी० (ध्वनि विज्ञान), डी० लिट० (शब्दार्थ
विज्ञान)। अध्यापन : ओरियन्टल कालेज लाहौर, डी० ए० वी०
कालेज रावलपिंडी, एचिसन कालेज लाहौर, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र
विश्वविद्यालय। पुरस्कार पंजाब सरकार, बिहार सरकार और भारत
सरकार से प्रचुर धनराशि। हिन्दी साहित्य सम्मेलन से साहित्य वाचस्पति की उपाधि। अनेक पुस्तकें पुरस्कृत। भारत में सर्वत्र। योप की दोबार यात्रा। रूसी-हिन्दी शब्दकोश के संकलन के लिए सोवियत-संघ में एक वर्ष का प्रवास। जर्मन जनवादी गणतंत्र में रहकर हिन्दी-जर्मन
और जर्मन-हिन्दी कोशों का संकलन। कृतित्व: लगभग 34 पुस्तकें प्रकाशित जिनमें 5
भाषा विज्ञान पर अंग्रेजी में, 8 भाषा विज्ञान और भाषा पर हिन्दी में, 2-3 हिन्दी साहित्य पर, 16 शब्दकोश, 1-2 फुटकर।
यात्रा
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________________ शिक्षार्थी हिन्दी शब्दकोश विशेष रूप से आज के हिन्दी-भाषी की आवश्यकताओं पर आधारित हिन्दी में प्रयक्त होने वाले संस्कृत, उर्द, फारसी अंग्रेजी व अन्य यूरोपीय भाषाओं के शब्दों का भ समावेश प्रत्येक शब्द की व्याकरणिक कोटि का संकेत, साथ ही शब्द का विषय संबंधी संकेत भी शब्द के अर्थ को अधिक सहज बनाने के लिए उसका प्रयोग और उससे संबंधित महावरों का उल्लेख / पहली बार इस शब्दकोश में विषयसूची दी गयी है जिससे शब्दकोश का प्रयोग बहुत ही सरल हो जाएगा अनेक ज्ञानवर्द्धक परिशिष्टों सहित