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________________ अंश बूड़िया 601 बूड़िया-बो० (पु०) गोताखोर, डुब्बा बे-II फा० (क्रि० वि०) बिना, बगैर (जैसे-बेकसूर, बेदारा)। बूढ़ा-I (पु०) बुड्ढा, वृद्ध II (स्त्री०) बुढ़िया, वृद्धा स्त्री | ~अकल + अ० (वि०) नासमझ, निर्बुद्धि; ~अकली + बूत, बूता-(पु०) 1 बल, पराक्रम 2 शक्ति, सामर्थ्य अ० + फ़ा० (स्त्री०) नासमझी, मूर्खता; ~अक्ल + अ० बूथ-अं० (पु०) 1 मतदान कोष्ठ 2 छोटी सी दुकान (वि०) = बेअकल, ~अदब + अ० (वि०) 1 अदब न बूथड़ी-(स्त्री०) 1 आकृति 2 चेहरा, सूरत करनेवाला, अशिष्ट 2 गुस्ताख; ~अदबी + अ० + फ्रा० खूना-(पु०) चनार नामक वृक्ष (स्त्री०) 1 अशिष्टता 2 गुस्ताख़ी; ~असर + अ० (वि०) बूबक-(पु०) मूर्ख व्यक्ति, नासमझ प्रभावहीन; ~असल + अ० (वि०) 1 ग़लत 2 जाली; बूबास-फ़ा० + सं० (स्त्री०) गंध, महक ~आब (वि०) आभारहित; ~आबरू (वि०) अपमानित बू-बू-(स्त्री०) बड़ी बहन और तिरस्कृत; ~आबी (स्त्री०) मलिनता, निस्तेजता; बूर-I बो० (स्त्री०) भग, योनि II (पु०) 1 गाय भैंस आदि ~आस + हिं० (वि०) निराश्य; ~आसरा + हिं. पशुओं का दूध बढ़ानेवाली एक तरह की घास, खोई 2 कटा (वि०) निराश्रय; ~~इंतिहा + अ० (वि०) अपार, असीम; हुआ चारा इंसाफ + अ० (वि०) अन्यायी; इंसाफ़ी + अ० + बूरा-(पु०) 1 शक्कर 2 बढ़िया चीनी 3 महीन चूर्ण फा० (स्त्री०) अन्याय; इख्तियार + अ० (वि०) बृहत, बृहत-सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा, विशाल 2 दृढ़, पक्का 1 बेबस 2 बहुत ही; इज़्ज़त + अ० (वि०) 1 अपमानित 3 शक्तिशाली 4 घना, निविड़ 5 पर्याप्त, यथेष्ट 6 ऊँचा 2 प्रतिष्ठा रहित, ज़लील; इज़ती + अ० + फ़ा० (स्त्री०) (स्वर)। -काय (वि०) बड़े डील-डौलवाला 1 अप्रतिष्ठा 2 अपमान; ~इल्म + अ० (वि०) अपढ़, विशालकाय; ~कीर्ति (वि०) बहुत यशस्वी; तर (वि०) इल्मी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) विद्या का अभाव; 1 और अधिक बड़ा 2 अधिक विस्तार का; परिमाणीय ~ईमान + अ० (वि०) 1 अविश्वसनीय 2 बदनीयत (वि०) बहुत बड़े माप का; पाद (पु०) बरगद; 3 अधर्मी; ईमानी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) प्रदर्शक (पु०) किसी वस्तु को बड़ा करके दिखाने-वाला अविश्वसनीयता 2 झुठाई 3 बदनीयती; ~उसूल + अ० [ यत्र (क्रि० वि०) बिना किसी सिद्धांत के II (वि०) सिद्धांतहीन; बृहत्तर-सं० (वि०) 1 और बड़ा 2 मूल के अतिरिक्त और भी ~एतिबार + अ० I (पु०) अविश्वास II (वि०) अविश्वसनीय; ~एतिबारी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) बृहदंग-सं० (पु०) बड़ा अंग अविश्वसनीयता; ~ऐब + अ० (वि०) निर्दोष; ~औलाद बृहद-सं० (वि०) = बृहत् (वि०) निःसंतान; -क्रदर + अ० (वि०) = बेक़द्र; बृहद्धन-सं० (वि०) बहुत भारी संपत्तिवाला -क़दरी + अ० +फा० (स्त्री०) अनादर; कद्र + अ० बृहद्वयस्-सं० (वि०) लंबी उम्रवाला (वि०) बिना आदर का, सम्मानरहित; ~कद्री + अ० + बृहस्पति-सं० (पु०) 1 सौरमंडल का पाँचवा और सबसे बड़ा फा० (स्त्री०) बेइज्जती; ~करार + अ० (वि०) 1 बेचैन, ग्रह 2 देवताओं के गुरु। ~वार (पु०) बुधवार और शुक्रवार विकल 2 अत्यंत उत्सुक; ~करारी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) के बीच का दिन, गुरुवार, बीफै 1व्याकुलता 2 अत्यधिक उत्सुकता; ~कस (वि०) बेंग-(पु०) मेढक 1 असहाय 2 दीन, विवश; ~कसी (स्त्री०) बेंगत-बो० (पु०) फ़सल की अमानत में दिया जानेवाला उधार 1 असहायावस्था 2 दीनता, विवशता; कसूर + अ० बेंच-अं० (स्त्री०) 1 लकड़ी, लोहे आदि की लंबी कम चौड़ी (वि०) निरपराध; ~कहा + हिं० (वि०) 1न कहा हुआ चौकी 2 जज का आसन, पद 3 संसद में सदस्यों के बैठने का 2 स्वच्छंद; ~कानूनी + अ० + फ़ा० (वि०) अवैध; स्थान काबू (वि०) 1 विवश, लाचार 2 अनियंत्रित; ~काम + बेंजीन-अं० (पु०) एक वर्णहीन ज्वलनशील और ज़हरीला द्रव हिं० (वि०) 1निकम्मा 2 रद्दी (जैसे-बेकाम की चीज़); बेंट, बेंठ-बो० (स्त्री०) मूठ, दस्ता कायदगी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) अनियमितता; ~कार बेंड-I (स्त्री०) भेड़ा II बो० (पु०) चाँड़, टेक (वि०) 1 निठल्ला, निकम्मा 2 बेरोज़गार 3 निरर्थक (क्रि० बॅड़ना-(स० क्रि०) बेढ़ना । वि०) व्यर्थ, बेफ़ायदा; ~कारी (स्त्री०) 1 बेकार होना बेंडा-बो० (वि०) 1 तिरछा, आड़ा 2 कठिन 2 बेरोज़गारी; ~कारी वेतन + सं० (पु०) बेरोज़गारों को बेंडी-(स्त्री०) बाँस की छिछली टोकरी दिया जानेवाला भत्ता; ~कीमत + अ० (वि०) 1 बिना बेंत-(पु०) 1 मज़बूत और लचीले डंठलवाली लता 2 बेत की कीमत का, अमूल्य; कुसूर + अ० (वि०) 1 निरपराध छड़ी। की तरह काँपना डर से बहुत काँपना 2 निर्दोष; खटक, खटके + हिं० (क्रि० वि०) बिना बेंदली-बो० (स्त्री०) बिंदी, टिकली संकोच के, बेधड़क; खबर + अ० (वि०) 1 असावधान, बेंदा-(पु०) 1 बड़ी टिकली 2 माथे पर का एक गहना 3 टीका, लापरवाह 2 अनजान; ~खबरी + अ० + फ़ा० (स्त्री०) तिलक 1 अज्ञानता 2 लापरवाही; ~खौफ़ + अ० I (वि०) निडर बेंदी-(स्त्री०) 1 टिकली, बिंदी 2 माथे पर पहनने का एक गहना II (क्रि० वि०) बिना डरे; ~गम + अ० (वि०) निश्चिंत, बें--(पु०) भेंड़ की आवाज़ नारज़ + अ० I (वि०) बिना ग़रज़ का II (क्रि० वि०) बेवड़ा-(पु०) = ब्योड़ा निःस्वार्थ रूप से; ~गरजी + अ० + फ़ा० 1 (स्त्री०) बेगरज़ बे-I(क्रि० वि०) अरे, अबे होने का भाव II (वि०) = बिना ग़रज़वाला (जैसे-बेगरली
SR No.016141
Book TitleShiksharthi Hindi Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHardev Bahri
PublisherRajpal and Sons
Publication Year1990
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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