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________________ चोद 269 चौंराना चोद-सं० (पु०) 1 चाबुक 2 ऐसी लकड़ी जिसके सिरे पर | (स्त्री०) मकान, महल आदि की छोटी एवं सँकरी सीढ़ी जिसे नुकीला लोहा लगा हो हर कोई न जानता हो; हटिया (पु०) 1 चोरी का माल चोदक-सं० (वि०) कर्म में प्रवृत्त करनेवाला खरीदनेवाला दुकानदार 2 चोरों से माल खरीदनेवाला चोदन-सं० (पु०) 1 उकसाना 2 प्रेरणा दुकानदार; ~के घर मोर पड़ना एक चोर के घर में दूसरे चोर चोदना-(स० क्रि०) मैथुन करना, संभोग करना का चोरी करना चोदना-सं० (स्त्री०) 1 वह वाक्य जिसमें काम करने का विधान | चोरा-(स्त्री०) = चोर पुष्पी हो, विधिवाक्य 2 प्रेरणा 3 प्रयत्न चोराना-(स० क्रि०) = चुराना । चोदू-(पु०) संभोग करनेवाला चोरिका-सं० (स्त्री०) चुराने का काम, चोरी चोध-1 सं० (वि०) प्रेरणा योग्य II (पु०) 1 प्रश्न, सवाल चोरी-(स्त्री०) 1 चुगने की क्रिया 2 छिपाने की क्रिया (जैसे-मन 2 वाद-विवाद में पूर्व पक्ष की चोरी) 3 ठगी, धोखेबाजी (जैसे-चोरी-छिपे भाग जाना) । चोप-(पु०) उत्साहयुक्त अभिलाषा -चकारी, चमारी (स्त्री०) चोरी आदि अपराध; चोब-फा० (स्त्री०) 1 शामियाना खड़ा करने का खंभा, बाँस चोरी, छिपे (क्रि० वि०) 1 चुपके-चुपके 2 नगाड़ा बजाने की पतली लकड़ी, खपाची 3 सोने-चाँदी का | (जैसे-चोरी-चोरी बातें करना) 2 बिना बतलाए पत्तर चढ़ा हुआ मोटा डंडा। ~कारी (स्त्री०) ज़रदोज़ी का (जैसे चोरी-चोरी कहाँ चले गए थे) काम, दार (पु.) वह दरबान जिसके हाथ में चोब हो । चोल-[ सं० (पु०) 1 दक्षिण भारत का एक प्राचीन जनपद चोबी-फा वि०) लकड़ी का बना हुआ बोल देश का निवासी 3 कवच. जिरह-बख़्तर II (वि०) चोर-17 ) 1 चोरी करनेवाला 2 छिपकर काम करनेवाला 3 मोह लेनवाला (जैसे-मन का चोर) 4 कम माल देनेवाला, चोलकी-सं० (पु०) 1 बाँस का कल्ला 2 नारंगा का पेड़ बेईमान (जैसे-वह बनिया चोर है) 5 मन में छिपी बुराई, 3 कलाई 4 कवचधारी सैनिक दुर्भाव (जैसे-तुम्हारे मन में चोर छिपा है) II (वि०) 1 छिपा चोलना-I (स० क्रि०) थोड़ी मात्रा में कोई वस्तु खाना हुआ, गुप्त : जिसका रूप धोखा देनेवाला हो। कट | II (पु०) बो० साधुओं का लंबा कुर्ता (पु०) उचक्का, चोट्टा; खाना + फ़ा० (पु०) अलमारी चोला-(पु०) 1 फ़कीरों का एक ढीला-ढाला लंबा और घेरदार आदि में छिपा ख़ाना, गुप्त खाना, खिड़की (स्त्री०) छोटा कुर्ता 2 तन, शरीर 3 शिशु को पहली बार पहनाया जानेवाला चोर दरवाज़ा; ~गली (स्त्री०) 1 छोटी एवं तंग गली जिसका कपड़ा। बदलना 1 एक शरीर त्याग कर दूसरा शरीर धारण पता सबको न हो 2 पाजामे की मियानी; चकार (पु०) करना 2 रूप बदलना चोर, उचक्का; ज़मीन + फ़ा० (स्त्री०) ऐसी ज़मीन जो चोली-(स्त्री०) स्त्रियों का एक पहनावा जिससे केवल वक्षस्थल ऊपर से ठोस लगे किंतु अंदर से पोली हो और भार पड़ते ही ही ढका जा सकता है, अंगिया। दामन का साथ सदा बने फंस जाएताला (पु०) गुप्त ताला जिसका पता ऊपर से रहनेवाला साथ (जैसे-उनसे तो मेरा चोली दामन का रिश्ता है) न लग सके -दंत (पु०) बत्तीस दाँतों के अतिरिक्त चोवा-(पु०) = दे० चोआ निकलनेवाला दाँत; दरवाज़ा + फ़ा० (पु.), द्वार दोषक-सं० (वि०) चूसनेवाला + सं० (१०) महल आदि में पिछवाड़े की ओर का वह छोटा चोषण-सं० (पु०) चूसना दरवाज़ा जो आड़ में हो और जिसका पता सबको न हो; चोष्य-सं० (वि०) जो चूसा जा सके, चूसने योग्य पहरा (पु०) 1 गुप्त रूप से घूमते-फिरते रहने की क्रिया चौंक-(स्त्री०) चौंकने की क्रिया 2 भेष बदलकर घूमते-फिरते रहने की अवस्था; पेट (पु०) चौंकना-(अ० क्रि०) 1 यकायक उत्तेजित एवं विकल हो 1 ऐसा पेट जिसमें गर्भ की स्थिति का ऊपर से देखने में जल्दी उठना 2 सहसा घबरा जाना पता न लग सके 2 ऐसा पेट जिसमें साधारण से अधिक भोजन | चौंकाना-(स० क्रि०) 1 भड़काना 2 ऐसा कार्य करना जिससे समा जाए 3 वस्तु आदि के अंदर का वह गुप्त स्थान जो ऊपर __ कोई चौंक उठे से न जाना जा सके; पैर (पु०) जिन पैरों के चलने की चौतिस, चौंतीस-I (वि०) तीस और चार II (पु०) चौंतीस आहट न मिले; बत्ती (स्त्री०) हाथ में लेनेवाली बिजली की संख्या की बत्ती, टार्च; बदन + अ० (वि०) जो देखने में कमजोर चौंध-(स्त्री०) क्षणिक किंतु तीव्र प्रकाश की वह स्थिति जिसे जान पड़े किंतु अपेक्षाकृत शक्तिशाली हो; बाज़ार +फा० आँखें सहसा न सहन कर सकें, कौंध, चकाचौंध (पु०) वह दुकान या स्थान जहाँ नाजायज़ तरीके से माल बेचा चौधियाना-I (अ० क्रि०) चकाचौंध होना II (स० क्रि०) और खरीदा जाए; बाज़ारी + फा० (स्त्री०) कर बचाने के | चौंध उत्पन्न करना लिए नाजायज़ तरीके से माल खरीदने और बेचने का धंधा: चौंधी-(स्त्री०) = चौंध चालू (पु०) ऐसी रेत जिसके नीचे दलदल, पोलापन हो; चौबक-सं० (वि०) 1 चुंबक संबंधी 2 चुंबक का, चुंबकीय महल +अ० (पु०) 1 राजाओं, रईसों आदि का वह मकान 3 चुंबक से युक्त जिसमें उनकी रखेली स्त्रियाँ रहती हों 2 मकान में वह गुप्त | चौर-(पु०) = चैंवर कमरा जिसे कोई न जानता हो; मिहीचनी (स्त्री०) | चौरगाय-(स्त्री०) सुरागाय आंखमिचौली का खेल; रास्ता + फ़ा० (पु०) वह गुप्त चौरा-(पु०) अन्न रखने का गड्ढा मार्ग जिसे जन साधारण न जानता हो, चोर गली; सीढ़ी। चौराना-(स० क्रि०) 1चैवर डुलाना 2 बुहारना
SR No.016141
Book TitleShiksharthi Hindi Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHardev Bahri
PublisherRajpal and Sons
Publication Year1990
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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