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________________ क्वारा 186 क्षीण उतरना कौमार्य भंग करना देना; ~प्रदान (पु०) = क्षमादान; प्रार्थना (स्त्री०) क्षमा क्वारा-(वि०) अविवाहित, कुआँरा माँगना; ~प्रार्थी (वि०) क्षमायाचना करनेवाला; ~याचना क्वार्टज-अं० (पु०) बिल्लौर (स्त्री०) = क्षमा प्रार्थना; ~वान, ~शील (वि०) क्षमा क्वार्टर-अं० (पु.) 1 चौथाई, चौथा भाग 2 वर्ष का चौथा करनेवाला, सहनशील हिस्सा, तिमाही 3 वर्ग विशेषवालों की कॉलोनी 4 संस्था द्वारा क्षमालु-सं० (वि०) क्षमा करनेवाला बनवाया गया विभागीय कर्मचारियों का निवास स्थान। क्षमित-सं० (वि०) जो क्षमा किया गया हो मास्टर (पु०) रसद प्रबंधक क्षमी-सं० (वि०) = क्षमाशील क्वालिटी-अं० (स्त्री०) गुण, विशेषता क्षम्य-सं० (वि०) क्षमा किए जाने योग्य क्विंटल-अं० (पु०) 100 किलोग्राम का एक माप क्षयंकर-सं० (वि०) नाश करनेवाला, क्षयकारी शंतव्य-सं० (वि०) क्षमा के योग्य, क्षम्य क्षय-सं० (पु०) 1 नाश 2 क्षय रोग, यक्ष्मा रोग। -कारी क्षता-सं० (वि०) क्षमा करनेवाला, क्षमाशील (वि०) नाश करनेवाला; ~काल (पु०) प्रलयकाल; क्षकिरण-सं० (स्त्री०) एक्स-रे ~कास (पु०) यक्ष्मा रोग में होनेवाली खाँसी; ~ग्रंथि क्षण-सं० (पु०) 1 काल का अत्यल्प परिणाम 2 पल, निमेष (स्त्री०) क्षयरोग की गिल्टी; ~प्रस्त (वि०) जिसका नाश हो (जैसे-क्षण मात्र) 3 अवसर, मौक़ा (जैसे-गंभीर क्षण में)। गया हो; पक्ष (पु०) कृष्ण पक्ष; ~रोग (पु०) तपेदिक, जीवी (वि०) क्षणभर जीवित रहनेवाला; ~भंगुर टीबी, यक्ष्मा रोग; ~रोगी I (पु.) यक्ष्मा का रोगी II (वि.) कुछ ही पलों में नष्ट हो जानेवाला, क्षणिक, अस्थिर, (वि०) क्षय रोग से पीड़ित; ~वान् (वि०) नाशवान् अस्थाई; ~मूल्य (वि०) नकद दिया जानेवाला क्षयन-सं० (पु०) क्षय, नाश क्षणदा-सं० (स्त्री०) 1 रात, रात्रि 2 हलदी क्षयिक-सं० (वि०) = क्षयवान् । क्षणन-I सं० (पु०) 1 मार डालना 2 घायल करना क्षयित-सं० (वि०) क्षयग्रस्त, क्षय से ग्रसित क्षणिक-सं० (वि०) क्षण भर स्थिर रहनेवाला, क्षणभंगुर, क्षरण-सं० (पु०) 1क्षीण होना 2 रिसना 3 झड़ना अस्थायी। -जीवी (वि०) = क्षण जीवी क्षांत-सं० (वि०) क्षमाशील क्षत-I सं० (वि०) 1 क्षतिग्रस्त 2 घायल 3 खडित II (पु०) क्षांति-सं० (स्त्री०) क्षमा, मुआफी ज़ख्म, घाव। ~योनि (वि०) जिसका कौमार्य खंडित हो क्षात्र-सं० (वि०) क्षत्रियों से संबंधित, क्षत्रियोचित चुका हो; ~रोहण (पु०) घाव भरना; -विक्षत (वि०) क्षार-सं० (पु०) 1 खार 2 एलकली (शोरा, नमक) 3 राख । अत्यधिक घायल एवं लहुलूहान; ~व्रण (पु०) घाव, ज़ख्य त्रय (पु०) सज्जी, शोरा और सुहागा; ~भूमि (स्त्री०) क्षति-सं० (स्त्री०) 1 हानि, नुक़सान (जैसे-क्षति उठाना, क्षति शोरेवाली ज़मीन, ऊंसर पूरी होना) 2 चोट (जैसे-क्षति पहुँचाना)। ग्रस्त (वि०) क्षारक-सं० (वि०) क्षार करनेवाला, जलानेवाला, दाहक 1 हानि पहुँचाई गई 2 चोट पहँचाई गई; ~पूरक (वि०) (जैसे-क्षारक सोडा) हानि पूरा करनेवाला; पूर्ति (स्त्री०) 1 घाटा पूरा होना क्षारण-सं० (पु०) 1 तेज़ाब को प्रभावहीन करना 2 टपकाना 2 मुआवज़ा, क्षतिपूरक धन क्षाराक्ष-सं० (पु०) काँच की बनी आँख क्षत्र-सं० (पु.) 1 बल 2 सत्ता। पति (पु०) राज्य का क्षारीय-सं० (वि०) क्षारयुक्त, क्षार जैसा स्वामी; -विद्या (स्त्री०) युद्ध विद्या क्षारोद-सं० (पु०) लवण समुद्र क्षत्राणी-सं० (स्त्री०) 1 क्षत्रिय जाति की स्त्री 2 बहादर स्त्री, क्षालन-सं० (पु०) साफ़ करना, धोना वीरांगना क्षालित-सं० (वि०) साफ़ किया हुआ, धुला हुआ क्षत्रिय-सं० (पु०) 1 हिंदुओं का दूसरा वर्ण 2 योद्धा जाति क्षिता-सं० (स्त्री०) पृथ्वी, धरा क्षत्रियत्व-सं० (पु०) क्षत्रीपन क्षिति-सं० (स्त्री०) 1 पृथ्वी 2 निवास स्थान । ज (पु०) क्षत्री-सं० (पु०) = क्षत्रिय 1 वह स्थान जहाँ पृथ्वी और आकाश मिलते दिखाई देते हैं क्षप-सं० (पु०) जल 2 दृष्टिसीमा; ~तन्या (स्त्री०) सीता क्षपणक-सं० (पु०) दिगंबर साधु क्षिपण-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 आक्षेप करना 3 अभियोग क्षपांत-सं० (पु०) भोर, रात्रि-अंत लगाना क्षपा-सं० (स्त्री०) 1 रात 2 हल्दी। कर [ (वि०) रात क्षिप्त-सं० (वि०) 1 फेंका हआ 2 उपेक्षित 3 त्यागा हुआ करनेवाला II (पु०) चंद्रमा 4 चंचल क्षपित-सं० (वि०) 1 नष्ट किया हुआ 2 कुचला हुआ 3 दबाया क्षिप्र-[ सं० (अ०) 1 शीघ्र, जल्दी 2 तुरंत II (वि०) हुआ अस्थिर, चंचल। -चेता (वि०) जागरूक, सचेत; क्षम-सं० (वि०) 1 सहनशील, सहिष्णु 2 चुप रहनेवाला ~लेखन (पु०) शीघलिप; ~हस्त (वि०) 1 जल्दी हाथ 3 समर्थ 4 क्षमा करनेवाला। ता (स्त्री०) 1 शक्ति , चलानेवाला 2 कुशल सामर्थ्य 2 विशेषता, योग्यता (जैसे-सैनिक क्षमता) क्षीण-सं० (वि०) 1 जिसका क्षय हआ हो 2 कमज़ोर, निर्बल। क्षमणीय-सं० (वि०) 1क्षमा किए जाने योग्य, क्षम्य ~काय (वि०) अधिक दुर्बल; चंद्र कृष्णपक्ष की अष्टमी क्षमा-सं० (स्त्री०) 1 अपराध को बिना प्रतिकार भावना के सह से शुक्ल पक्ष की अष्टमी तक का चंद्रमा; ता (स्त्री०) लेने की प्रवृत्ति, सहनशीलता 2 माफ़ी। ~दान (पु०) क्षमा क्षीण होने की अवस्था
SR No.016141
Book TitleShiksharthi Hindi Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHardev Bahri
PublisherRajpal and Sons
Publication Year1990
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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