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क्षीणक
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खंजर
हुआ हो
ख
सीणक-सं० (वि०) कमज़ोर करनेवाला (~रोग) क्षेमी-सं० (वि०) 1 मंगलकारी 2 शुभचिंतक, शुभाकांक्षी शीर-सं० (पु०) 1 दूध 2 खीर। व्रत केवल दूध पीकर | देण्य-सं० (पु०) = क्षीणता, दुबलापन रहनेवाला व्रत; सार (पु०) मक्खन
क्षैतिज-सं० (वि०) 1क्षितिज का 2 बेड़ा क्षुण्ण-सं० (वि०) 1 खंडित 2 पिसा हआ 3 पराजित क्षैतिजत:-सं० (क्रि० वि०) बेड़ा-बेड़ा भद्र-सं० (वि०) 1 नीच, अधम 2 ओछा 3 कम 4 नन्हा, छोटा क्षोणी-सं० (स्त्री०) पृथ्वी (जैसे-क्षुद्र जीव)। ~ग्रह (पु०) छोटे ग्रह जो मंगल एवं क्षोद-सं० (पु०) 1 चूर्ण, बुकनी 2 जल, पानी बृहस्पति ग्रह के मध्य है; ~घंटिका (स्त्री०) 1 धुंधरुदार क्षोदित-सं० (वि०) 1पीसा हुआ 2 चूर्ण किया हुआ करधनी 2 धुंघरु; ~प्रकृति (वि०) नीच स्वभाववाला, ओछा क्षोभ-सं० (पु०) 1 खलबली 2 व्याकुलता 3 रोष (जैसे-क्षोभ क्षुद्रांत्र-सं० (पु०) छोटी आंत, शेषान्तर
आना)। युक्त (वि०) 1 रोषपूर्ण 2 क्षुब्ध भद्रा-सं० (स्त्री०) 1 निम्न विचारोंवाली स्त्री 2 कुलटा 3 वेश्या क्षोभण-सं० (पु०) क्षोभ उत्पन्न करना भद्रात्मा-सं० (वि०) निम्न विचारोंवाला व्यक्ति
क्षोभित, क्षोभी-सं० (वि०) 1 क्षुब्ध होनेवाला 2 जो क्षुब्ध क्षुधा-सं० (स्त्री०) 1 भूख 2 अतृप्ति। -निवृत्ति (स्त्री०) भूख मिटाना; ~वर्धक (वि०) भूख बढ़ानेवाली; ~वान क्षौम-सं० (पु०) रेशमी कपड़ा (वि०) = क्षुधातुर
क्षौर-सं० (पु०) 1 छुरे से बाल मुंड़ने का काम 2 सिर के बाल क्षुधाग्नि-सं० (स्त्री०) अत्यधिक भूख लगना
काटने का काम। -कर्म (पु०) हज़ामत बनाना; ~गृह, क्षधातुर, क्षुधार्त-सं० (वि०) भूख से व्याकुल, भूखा ~मंदिर, ~क्षौरालय (पु०) हज़ामत बनवाने की दुकान क्षुधित-सं० (वि०) जिसे भूख लगी हो, भूखा
क्षौरिक-सं० (पु०) नाई, हज्जाम क्षुप-सं० (पु०) 1 झाड़ी 2 छोटे तने
क्ष्मा-सं० (स्त्री०) पृथ्वी क्षब्य-सं० (वि०) 1 जो क्षोभ से भरा हो 2 विकल, परेशान
3 कुपित, क्रुद्ध क्षुर-सं० (पु०) 1 छुरी 2 उस्तरा क्षुरी-I सं० (पु०) नाई II खुरवाला पशु क्षेत्र-सं० (स्त्री०) 1 खेत 2 स्थान 3 उत्पत्ति स्थल 4 भूमि, ज़मीन 5 मैदान 6 सीमा-बद्ध जगह (जैसे-निषिद्ध क्षेत्र) 7 देह, शरीर। गणित (पु०) गणित की एक शाखा जिसमें खंक-बो० (वि०) दुर्बल, निर्बल भूमि की नाप आदि की गणना की जाती है; ~ज्ञ, पति खंख-(वि०) 1 छूछा, खाली 2 उजाड़ 3 सुनसान (पु०) 1 जीवात्मा 2 परमात्मा 3 किसान 4 साक्षी; ~पाल खंखड़-(वि०) उजड़ा हुआ, वीरान (१०) 1 खेत की रक्षा करनेवाला व्यक्ति 2 व्यवस्थापक, खंखार-(पु.) = खखार प्रबंधकर्ता; ~फल (पु०) ग० लंबाई एवं चौड़ाई का | बँखारना-(अ० क्रि०) = खखारना गुणनफल, रतबा; ~मिति (स्त्री०) क्षेत्रगणित; ~मापी । खंग-सं० (पु०) तलवार (जैसे-खंग चलाना) (पु०) क्षेत्र मापने का यंत्र
खंगड़-(वि०) अक्खड़, उजड्ड क्षेत्रक-सं० (पु०) छोटा क्षेत्र, सेक्टर
खंगना-(अ० क्रि०) बोल घटना, कमी होना क्षेत्राधिकार-सं० (पु०) क्षेत्र में प्रशासकी अधिकार खंगर-(वि०) 1 सूखा, शुष्क 2 दुबला-पतला, क्षीण। क्षेत्रालेख्य-सं० (पु०) खेतों का रिकार्ड
~लगना सूखा रोग होना क्षेत्रिय सं० (वि०) 1 क्षेत्र संबंधी 2 खेत में उत्पन्न होनेवाला - बँगारना, छंगालना-(स० क्रि०) 1 बर्तन में पानी डालकर क्षेत्रिन्-असाध्य रोग
बर्तन को धोना 2 साफ़ करना क्षेत्री-सं० (पु०) खेत का स्वामी
बँगी-(स्त्री०) कमी, छीज क्षेत्रीय सं० (वि०) क्षेत्र-संबंधी
बँगैल-(वि०) 1 लंबे दाँतोंवाला, दंतैला 2 जिसके खुर पके हों क्षेप-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 उछालना 3 व्यतीत करना, बिताना बँचना-I (अ० क्रि०) बो० । खाँचा जाना 2 अंकित होना (जैसे-काल क्षेप) 4 आघात 5 अतिक्रमण 6 निंदा
II (अ० क्रि०) पूरी तरह भरा होना क्षेपक-I स० (वि०) 1 फेंकनेवाला 2 नष्ट करनेवाला II | बँचाना-(स० क्रि०) अंकित करना, चिह्न लगाना। अपनी (पु०) मूल रचना में दूसरों के जोड़े गए अंश। -कार बँचाना स्वार्थ की बातें करना (पु०) मूल रचना में अपना जोड़नेवाला
चिया-(स्त्री०) खाँची, टोकरी क्षेपण-सं० (पु०) 1 फेंकना 2 गिराना 3 मारना 4 आक्षेप बँचुला-(पु०) खाँचा, बड़ा टोकरा करना 5 बिताना
खंज, खंजक-[ सं० (पु०) पैर एवं जांघ का वातरोग क्षेपणी-सं० (स्त्री०) 1 फेंककर मारनेवाला अस्त्र 2 डाँड II (वि०) 1 जिसे खज रोग हुआ हो 2 पंगु, लँगड़ा (खंजक क्षेप्य-सं० (वि०) फेंकने योग्य, निकृष्ट क्षेप्यास्त्र-सं० (१०) फेंकने योग्य अस्त्र
खैजड़ी-(स्त्री०) - खंजरी क्षेमंकर-सं० (वि०) मंगल करनेवाला
खंजन-सं० (पु०) काले रंग की एक प्रसिद्ध चंचल चिड़िया क्षेम-सं० (पु०) 1कुशल मंगल 2 सुख 3 मुक्ति | खंजर-अ० (पु०) छोटी तलवार, कटार, छुरा
भी)