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________________ ख़ामोश खामोश - फ़ा० (वि०) 1 चुप, मौन 2 शांत (जैसे-बच्चो ! खामोश रहो ) खामोशी - फ़ा० (स्त्री०) 1 खामोश रहने की अवस्था, चुप्पी 2 शांति खाया - फ़ा० ( पु० ) 1 अंडकोश, फ़ोता 2 पक्षियों आदि का अंडा । -बरदार (वि०) चापलूस, खुशामदी; -दारी (स्त्री०) चापलूसी, खुशामद खार - (पु० ) 1 क्षार, 2 राख 3 लोना ख़ार-फ़ा० (पु०) 1 काँटा, फाँस 2 द्वेष, जलन । दार (वि०) काँटों से युक्त, कँटीला (जैसे-ख़ारदार तार ) । खाना द्वेष करना खारा - I (वि०) 1 क्षारयुक्त 2 नमकीन 3 अरुचिकर II ( पु० ) 1 घास-फूस बाँधनेवाली जाली 2 खाँचा, झावा ख़ारिज-अ० (वि०) 1 निकाला हुआ, बहिष्कृत (जैसे- रजिस्टर से खारिज करना ) 2 अस्वीकृत करना (जैसे - मुक़द्दमा खारिज़ करना) ख़ारिजी - अ० (वि०) 1 बाहरी, बाह्य 2 परराष्ट्र-संबंधी खारिश - फा० (स्त्री०) 1 खुजली 2 खुजली रोग खारी - (वि०) क्षारयुक्त, खारा। पन (पु० ) लवणमयता खारुओं - ( पु० ) गहरा लाल रंग का कपड़ा खाल - I (स्त्री०) 1 चमड़ा, त्वचा (जैसे-खाल उतारना, खाल उधेड़ना) 2 मृत देह की खाल (जैसे- पशु की खाल) II (स्त्री०) 1 नीची ज़मीन 2 खाड़ी (जैसे-कच्छ की खाल ) । अपनी खाल में मस्त होना 1 बेपरवाह होना 2 संतुष्ट होना खाल-अ० (पु०) तिल (जैसे-बाँह की खाल) खालसा - I अ० (वि०) बिना मेल का II (पु०) 1 सिखों का एक प्रमुख संप्रदाय 2 राजा की निजी भूमि ख़ाला - अ० (स्त्री०) मौसी। ज़ाद, जी का घर समझना बहुत आसान काम खाला - (वि०) नीचा (जैसे-ऊँचा-खाला) खालिक - अ० ( पु० ) बनानेवाला, सृष्टिकर्ता, ईश्वर खालिस - अ० (वि०) 1 शुद्ध (जैसे- खालिस दूध) 2 खरा, सच्चा खाली - I अ० (वि०) 1 जिसमें कुछ भरा न हो, रीता, शून्य 2 जिसमें कोई रहता न हो (जैसे-खाली मकान) 3 बेरोज़गार, बेकार (जैसे- खाली बैठना) II (अ०) केवल (जैसे- खाली पेट का धंधा है) । जाना निशाने पर न लगना, व्यर्थ होना; देना हट बढ़कर वार बचाना; ~ हाथ लौट आना निराश वापस जाना खालू- अ० (पु० ) 1 मौसी 2 मामूँ खाविंद - फ़ा० (पु० ) 1 पति, स्वामी, शौहर 2 मालिक ख़ास - अ० (वि०) विशेष, विशिष्ट (जैसे- ख़ास तौर से, ख़ास सड़क) । ~कर + हिं० (अ० ) 1 विशेषतः 2 विशेष रूप से; ~ कलम ( पु० ) निजी मुंशी; दान + फ़ा० (पु० ) खासक़लम; ~महल पानदान; ~नवीस + फ़ा० (पु० ) (पु० ) जनानखाना अत्युत्तम ख़ासा - I अ० (वि०) 1 काफी अच्छा, (जैसे- अच्छा-खासा) 2 सुंदर (जैसे-खासा चुनना) 3 यथेष्ट II (पु०) मुख्य लक्षण, गुण ख़ासियत - अ० (स्त्री०) 1 विशेषता 2 स्वभाव = खियानत खाह - फ़ा० ( क्रि० वि०) चाहे (जैसे- ~ यही कर लो ) । -मखाह (कि० वि०) अनावश्यक एवं व्यर्थ का (जैसे- खाहमखाह क्यों परेशान करते हो) खाहाँ-फ़ा० (वि०) चाहनेवाला ख़ाहिश - फ़ा० (स्त्री०) ख़्वाहिश खिँचना- (अ० क्रि०) 1 खींचा जाना, तनना (जैसे-तार खिंचना) 2 आकृष्ट होना (जैसे- चित्त खिँचना ) 3 बाहर निकलना (जैसे-म्यान से तलवार खिंचना) 4 चित्रित होना (जैसे-तस्वीर ~ ) 5 सार, अर्क निकलना 6 अंकित होना (जैसे- लकीर खिंचना) 7 अप्रसन्न होना (जैसे-मन खिंचना) खिंचवाना - (स० क्रि०) खींचने की क्रिया में अन्य को लगाना खिंचाई - (स्त्री०) 1 खींचने का काम 2 डाँट-डपट खिंचाव - (पु० ) 1 तनाव 2 नाराज़गी, अप्रसन्नता खिंडाना - (स० क्रि०) बो० छितराना, बिखेरना खिचड़ी - I (वि०) आपस में मिला जुला मिश्रित (जैसे- खिचड़ी भाषा, बाल खिचड़ी होना) II (स्त्री०) 1 दाल चावल के मिश्रण से बना भोज्य पदार्थ (जैसे-पतली खिचड़ी) 2 शादी में संपन्न होनेवाली एक रस्म (जैसे- आज खिचड़ी है)। पकाना 1 गुप्त मंत्रणा 2 षड़यंत्र रचना; अपनी खिचड़ी अलग पकाना अपने मतानुसार कार्य करना खिजलाना - (अ० क्रि०) I खीजना II (स० क्रि०) 1 चिढ़ाना 2 विकल करना ख़िज़ां - फ़ा० (स्त्री०) 1 पतझड़ की ऋतु 2 अवनति काल खिजाना - (स० क्रि०) खिजलाना ख़िज़ाब - अ० (पु०) बालों को काला करने की दवा, केश कल्प (जैसे-दाढ़ी में ख़िज़ाब लगाना ) खिज्र - अ० (पु० ) 1 एक मुस्लिम पैगंबर जो गुमराह लोगों को सन्मार्ग पर लगाने का कार्य करते हैं तथा जिनके अमर होने की कल्पना चिर नवीन है 2 पथप्रदर्शक, मसीहा खिझना - (अ० क्रि०) खीझना खिझाना - (स० क्रि० ) = खिजलाना खिड़कना - (अ० क्रि० ) = खिसकना खिड़काना - (स० क्रि०) 1 टालना, हटाना 2 बेच देना खिड़की - (स्त्री०) 1 वातायन 2 झरोखा (जैसे-खिड़की की जाली) । दार फ़ा० (वि०) जिसमें खिड़की हो (जैसे-खिड़कीदार कमरा); ~बंद + फ़ा० (वि०) जो किराए पर लिया गया हो + 195 = ख़िता - फ़ा० (पु० ) प्रांत, भूखंड ख़िताब - अ० ( पु० ) 1 उपाधि 2 पदवी खिताबी - अ० + पु० (वि०) ख़िताब का ख़िदमत - अ० (स्त्री०) सेवा-सत्कार (जैसे-ख़िदमत करना, ख़िदमत में पेश करना) । गार + फ़ा० (पु०) नौकर, टहलुआ; ~गारी + फ़ा० (स्त्री०) टहल, सेवा; गुज़ार + फ़ा० ( पु० ) = ख़िदमतगार; गुज़ारी + फ़ा० (स्त्री०) ख़िदमतगारी = ख़िदमती - अ० + फ़ा० (वि०) 1 सेवा करनेवाला 2 ख़िदमत के बदले मिलनेवाला (जैसे-ख़िदमती जागीर) खिद्यमान सं० (वि०) खीझनेवाला खिन्न सं० (वि०) 13 1 दुःखी 2 उदास 3 दीन खियानत - अ० (स्त्री०) ख़यानत =
SR No.016141
Book TitleShiksharthi Hindi Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHardev Bahri
PublisherRajpal and Sons
Publication Year1990
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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