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________________ चरित्रांकन 250 चलता shikili वती (वि०) उत्तम चरित्रवाली; ~वर्णन (पु०) (पु०) चमड़े का कुप्पा, थैला; प्रसाधक (पु.) चमड़ा चरित्रांकन , चरित्र का विवरण देना; ~वान् (वि०) उत्तम कमानेवाला; बंध (पु०) 1 चमड़े की पट्टी 2 चमड़े का चरित्रवाला, सदाचारी; ~शास्त्र (पु०) वह विद्या जिसके द्वारा कोड़ा; ~मुद्रा (स्त्री०) चमड़े का सिक्का; रोग (पु०) चरित्र का विश्लेषण हो; हत्या (स्त्री०) चरित्र को कलंकित चमड़ी की बीमारी; ~वाद्य (पु०) ढोल, नगाड़ा आदि बाजे करना; हीन (वि०) बुरे आचरणवाला, बदचलन जिनपर चमड़ा मढ़ा रहता है; वृक्ष (पु०) भोजपत्र का पेड़; चरित्रांकन-सं० (पु०) चरित्र का वर्णन ~शोधक (वि०) चमड़े को साफ़-सुथरा बनानेवाला; चरिष्णु-सं० (वि०) चलनेवाला, जंगम ~शोधन (पु०) चमड़े को साफ़-सुथरा बनाना; चरी-I(स्त्री०)1 ज्वार के हरे पेड़ जो पशुओं को चारे के काम ~शोधनालय (पु०) वह कारखाना जहाँ चर्म शोधन का आते हैं, कड़बी 2 चरागाह कार्य होता है चरी-II सं०(स्त्री०)1 संदेशा ले जानेवाली स्त्री, दूती 2 दासी, चर्म-चटका, चर्म-चटी-सं० (स्त्री०) चमगादड़ नौकरानी वार-सं० (पु०) चर्मकार, चमार चरु-सं० (पु०) 1 यज्ञ की आहुति हेतु पकाया गया अन्न, वर्मी-I सं० (वि०) 1 चमड़े का बना हुआ 2 ढालवाला हविष्यान 2 यज्ञ। पात्र (पु०), ~स्थाली (स्त्री०) हवन _II (पु०) 1 भोजपत्र का पेड़ 2 चर्मधारी सैनिक का अन्न पकाने का पात्र, यज्ञ का अन्न पात्र चर्मीय-सं० (वि०) चमड़े से संबंधित चरुआ-बो० (पु०) चौड़े मुँहवाला मिट्टी का बरतन चर्य-सं० (वि०) 1 आचरण करने योग्य 2 करने योग्य, कर्तव्य चरेरा-(वि०) 1कड़ा और खुरदरा 2 कर्कश चर्या सं० (स्त्री०) 1 आचरण, चाल-चलन 2 वह कार्य जो चरैला-(पु०) चार मुँहोंवाला चूल्हा नियत किया जाए (जैसे-आपकी कल दिनचर्या क्या है) चरोआ-(पु०) पशुओं को चराने का स्थान 3 काम-धंधा 4 जीविका, वृत्ति 5 सेवा चरोखर-(पु०) 1 चरी, चरागाह 2 पशुओं के चरने की जगह चर्राना-(अ० क्रि०) 1 लकड़ी आदि के टूटने से उत्पन्न चर-चर 3 नाँद बैठाने की मिट्टी आदि की रचना शब्द 2 प्रबल इच्छा होना चरोतर-(पु०) किसी को जीवन निर्वाह हेतु दी गई भूमि चरी-(स्त्री०) मर्म पर आघात करनेवाली बात चर्ख-फा० (पु०) = चरख। -हिंडोला + हिं० (पु०) | चर्वण-सं० (पु०) 1 चबाना 2 चबेना 3 चबाकर खाई चक्कर में घूमनेवाला हिंडोला जानेवाली वस्तु चा-फा० = चरखा चर्वित-सं० (वि०) चबाया हुआ। चर्वण (पु०) कही हुई ची-(स्त्री०) = चरखी बात को फिर-फिर कहना, पिष्टपेषण चर्च-अं० (पु०) 1 ईसाइयों का उपासना मंदिर, गिरजा 2 ईसाई । वळ-सं० (वि०) चबाने योग्य धर्म संघ चलंता-(वि.) 1 चलता हआ 2 चलनेवाला चर्चक-सं० (वि०) चर्चा करनेवाला चल-I सं० (वि०) 1 जो चल रहा हो 2 जो चल सकता हो चर्चन-सं० (पु०) 1 चर्चा करना 2 चर्चा 3 चलता हुआ 4 चंचल, अस्थिर 5 अनित्य II (पु०) चलने, चर्चरिका-सं० (स्त्री०) 1 दर्शकों के मनोरंजन के लिए दो हिलने, काँपने की क्रिया। चित्त (वि०) चंचल मनवाला; अंकों के मध्य होनेवाला गीत 2 सस्वर पाठ चित्र (पु०) मूवी, सिनेमा; ~चित्र कर्मी (पु०) सिनेमा चर्चरी-सं० (स्त्री) 1 चाँचर, फाग 2 होली की धूम-धाम और में काम करनेवाले लोग; चित्रकला (स्त्री०) सिनेमा बनाने हुल्लड़ 3 होली-गीत 4 रंगरलियाँ मनाना 5 गाना-बजाना, की कला; चित्रकार (वि०) सिनेमा बनानेवाला; नाचना-गाना चित्रण चल चित्र तैयार करना; चित्र निर्माता (वि०) चर्चा-(स्त्री०) 1 वाद-विवाद 2 जिक्र, बयान 3 वार्तालाप चल चित्र बनानेवाला; -चित्रालय (पु०) सिनेमाघर; 4 किंवदंती, अफ़वाह -चित्रित (वि०) चल चित्र के रूप में तैयार किया हआ; चर्चित-सं० (वि०) 1 जिसकी चर्चा की गई हो 2 लेपा हुआ दल (पु०) पीपल का पेड़; द्रव्य (पु०) चल संपत्ति; चर्पट-सं० (पु०) 1 खुली हथेली 2 तमाचा, थप्पड़ ~पत्र (पु०) = चल दल; पूँजी (स्त्री०) जो पूँजी चर्पटी-सं० (स्त्री०) चपाती, रोटी प्रचलन में है; ~मुद्रा (स्त्री०) प्रचलित सिक्का; विचल चर्ब-फा० (वि०) = चरब (वि०) 1 स्थान से हटा हुआ 2 अस्थिर, चंचल चर्बी-फा० (स्त्री०) = चरबी 3 अस्त-व्यस्त; विवरण (पु०) आँखों देखा हाल चर्म-सं० (पु०) 1 शरीर पर की खाल, त्वचा 2 स्पशैद्रिय । चलकना-(अ० क्रि०) = चिलकना ~कार (पु०) चमड़े का काम करनेवाला, चमार; ~कार्य चल-चलाव-(पु०) 1 चल पड़ने की क्रिया, चलाचली 2 मृत्यु (पु०) चमड़े की वस्तु बनाने का काम; ~कील (स्त्री०) चलता-(वि०) 1 जो गतिवान् हो (जैसे-चलती गाड़ी से नहीं 1 बवासीर 2 शरीर पर निकल आनेवाली मांस की कीलें; उतरना चाहिए) 2 जो व्यवहार में होता आ रहा है कूप (पु०) रोमछिद्र; चक्षु (पु०) चमड़े के (बाहरी (जैसे-संस्कृत भाषा सदियों से चलती आ रही है) 3 जो ठीक नेत्र); चित्रक (पु०) चि० श्वेत कुष्ठ; ज I (वि०) प्रकार से काम करने की स्थिति में हो (जैसे-यह मशीन अच्छी चमड़े से उत्पन्न होनेवाला II (पु०) रोआँ, रोम; तरंग तरह नहीं चलती) 4 कार्य, व्यापार का उचित रूप में होता (पु०) चमड़ी पर पड़ी हुई झुर्रियाँ; दंड (पु०) चमड़े का आना 5 जिसका क्रम बराबर चलता हो (जैसे-यह पैसा चलता चाबुक; दूषिका (स्त्री०) चि० दाद रोग; ~पुट, पुटक | खाता में जमा कर देना) 6 होशियार, चतुर, चालू (जैसे-वह
SR No.016141
Book TitleShiksharthi Hindi Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHardev Bahri
PublisherRajpal and Sons
Publication Year1990
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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