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________________ श्रव्य 782 श्लेष भव्य-सं० (वि०) 1 सुना हुआ (जैसे-श्रव्य काव्य) 2 सुनने | श्रेणि-सं० (स्त्री०) 1 कतार, पंक्ति 2 श्रृंखला, सिलसिला, क्रम योग्य (जैसे-श्रव्य गीत)। ता (स्त्री०) श्रव्य होने का भाव, | 3 वर्ग 4 दल, समूह । ~गत (वि०) श्रेणि में आया हुआ आडिबिलिटी श्रेणी-सं० (स्त्री०) = श्रेणि। ~करण (पु०) श्रेणी बनाना; श्रांत-सं० (वि०) 1 थका हुआ 2 दुःखी, खिन्न ~कृत (वि०) श्रेणी बनाया हुआ; बद्ध (वि०) श्रेणी में श्रांति-सं० (स्त्री०) 1 थकान 2 खेद बँधा हुआ; ~भेद (पु०) श्रेणी का अंतर; ~युद्ध (पु०) श्राद्ध-I सं० (पु०) पितरों की प्रसन्नता हेतु श्रद्धा से किया वर्ग युद्ध, वर्ग संघर्ष; ~वाद (पु०) वर्गवाद, जातिवाद; जानेवाला कार्य II (वि०) श्रद्धा से युक्त। तर्पण (पु०) -विभाजन (पु०) श्रेणी का बँटवारा; विभेद (पु०) = पितरों का श्राद्ध और जलदान श्रेणी भेद; विरोध (पु०) वर्ग-जाति का विरोध; ~संघर्ष श्राद्धिक-सं० (वि०) श्राद्ध संबंधी (पु०) = श्रेणी युद्ध; ~समूह (पु०) वर्ग संगठन, जाति श्राप-(पु०) = शाप संगठन; ~हित (पु०) श्रेणी की भलाई श्रापित-(वि०) = शापग्रस्त श्रेय-I सं० (वि०) 1 उत्तम, श्रेष्ठ 2 बेहतर, अधिक बढ़कर श्रावक-1 सं० (वि०) सुननेवाला, श्रोता II (पु०) 1 बौद्ध | | 3 वांछनीय, मंगलकारक 4 शुभ II (पु०).1 उत्तमता, श्रेष्ठता संन्यासी 2 जैन संन्यासी | 2 कल्याण, मंगल 3 यश 4 शुभ आचरण श्रावण-I सं० (पु०) चांद्र वर्ष के बारह महीनों में से पाँचवाँ, ||श्रेयस्कर सं० (वि०) मंगलकारी, कल्याणकर सावन II (वि०) 1 श्रवण संबंधी 2 श्रवण नक्षत्र का श्रेष्ठ-सं० (वि०) 1 अति उत्तम, उत्कृष्ट 2 अत्यंत प्रिय प्रावणी-सं० (स्त्री०) श्रावण पूर्णिमा रक्षाबंधन का दिन श्रेष्ठतम-सं० (वि०) सर्वश्रेष्ठ श्रावित-सं० (वि०) 1सुनाया हआ 2 कथित श्रेष्ठावस्था-सं० (स्त्री०) श्रेष्ठ होने का भाव श्राव्य-सं० (वि०) सुनाई पड़ने योग्य । श्रेष्ठि-सं० (पु०) = श्रेष्ठी। चत्वर (पु०) व्यापारियों का श्री-I सं० (स्त्री०) 1 लक्ष्मी 2 सरस्वती 3 ऐश्वर्य, वैभव परस्पर बैठकर बातचीत लेन-देन करने का चबूतरा; ~वर्ग 4 यश, कीर्ति 5 चमक, कांति II (वि०) 1 योग्य 2 शुभ (पु०) सेट लोग 3 सुंदर 4 श्रेष्ठ । ~कंठ (पु०) शिव का विशेषण; ~खंड | श्रेष्ठी-सं० (पु०) 1 व्यापारियों, व्यवसायियों का प्रधान (पु०) चंदन; ~मुख (पु०) 1 सुशोभित मुख 2 वेदः | 2 अत्यंत धनी व्यक्ति 3 सेठ ~वृद्धि (स्त्री०) धन की बढ़ती; ~संपन्न (वि०) धनी, श्रोणी-सं० (स्त्री०) नितंब, कूल्हा, कटि। सूत्र (स्त्री०) अमीर; ~हीन (वि०) म्लान, फ़ीका (जैसे-श्रीहत | __मेखला, करधनी मुखमंडल, श्रीहीन चेहरा) श्रोत-सं० (पु०) = श्रवणेंद्रिय श्री गणेश-सं० (पु०) 1 कार्य का आरंभ 2 गणेश एक हिंदु श्रोतव्य-सं० (वि०) सुना जाने योग्य देवता श्रोता-सं० (वि०)/(पु०) सुननेवाला (जैसे-श्रोतागण)। श्रीमंत, श्रीमत्-सं० (वि०) 1 श्री युक्त 2 संपत्र 3 'श्री' की ~गण (पु०) सुननेवालों का समूह; ~वर्ग (पु०) श्रोता तरह एक आदरसूचक शब्द संगठन श्रीमती सं० (स्त्री०) 1 विवाहित स्त्रियों के नाम के पूर्व जोड़ा | श्रोतबोधक-सं० (वि०) श्रोता का ज्ञान करानेवाला जानेवाला आदरसूचक शब्द 2 पत्नी (जैसे-श्रीमती से पूछ । श्रोत मंडली-सं० (स्त्री०) सुननेवालों का समूह, श्रोतागण लेना) श्रोत्र-सं० (पु०) 1कान 2 श्रोत्रिय कर्म 3 वेदों का ज्ञान श्रीमत्ता-सं० (स्त्री०) 1 श्रीमान होने की अवस्था, धनवत्ता श्रौत-सं० (वि०) 1 श्रुति संबंधी 2 कान का 2 शोभा, गौरव श्लथ-सं० (वि०) 1 शिथिल, ढीला 2 छूटा हुआ श्रीमान्-I सं० (वि०) 1 शोभा से युक्त 2 गौरववाला II श्लथन-सं० (पु०) 1 ढीला छोड़ना 2 शिथिलीकरण (पु०) 1 पुरुषों के नाम के पूर्व लगनेवाला आदरसूचक शब्द श्लाघन-सं० (पु०) 1 चापलूसी करना 2 प्रशंसा करना, तारीफ़ 2 पति (जैसे-आपके श्रीमान् जी कहाँ गए हैं?) करना श्रीयुत-सं० (वि०) 1 शोभा से युक्त 2 श्रीमान् (जैसे-श्रीयुत श्लाघनीय-सं० (वि०) प्रशंसनीय प्रधानाचार्य जी) श्लाघा-सं० (स्त्री०) 1 चापलसी 2 प्रशंसा श्रुत-सं० (वि०) 1 सुना हुआ 2 प्रसिद्ध। पूर्व (वि०) श्लाघित-सं० (वि०) प्रशंसा किया हुआ, प्रशंसित पहले सुना हुआ; लेख (पु०) इमला, डिक्टेशन श्लाघ्य-सं० (वि०) = श्लाघनीय श्रुतानुश्रुत-सं० (वि०) सुना सुनाया श्लिषा-सं० (स्त्री०) = श्लेष श्रुताश्रुत-सं० (वि०) सुना-अनसुना श्लिष्ट-सं० (वि.) 1 आलिंगित 2 सम्मिलित, संयुक्त श्रुति-सं० (स्त्री०) 1 सुनना 2 कान 3 कही या सुनी हुई बात 3 अनेकार्थक (जैसे-श्लिष्ट पद) 4 अफ़वाह, किंवदंती, जनश्रुति 5 उक्ति, कथन (जैसे-वेद श्लीपद-सं० (पु०) चि० फीलपाँव श्रुति)। ~कटु (वि०) सुनने में कड़वा लगनेवाला, कर्कश | श्लीपदी-सं० (वि०) श्लीपद संबंधी (जैसे-श्रुति कटु वाणी); ~पथ (पु०) श्रवण मार्ग; श्लील-सं० (वि०) 1 जो अश्लील न हो 2 सभ्योचित 3 श्रेष्ठ ~परंपरा (स्त्री०) वेद की परंपरा; ~मधुर (वि०) सुनने में 4 शोभायुक्त (जैसे-श्लील अभिनेत्री, श्लील प्रतिमा) मीठा, प्रिय; ~माधुर्य (पु०) = श्रवण माधुर्य श्लेष-सं० (पु०) 1साहि० एक शब्दालंकार जिसमें एक शब्द श्रेढी-सं० (स्त्री०) गणना की एक विधि के द्वारा अनेक अर्थ व्यक्त किए जाते हैं (जैसे-'सबरन को
SR No.016141
Book TitleShiksharthi Hindi Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHardev Bahri
PublisherRajpal and Sons
Publication Year1990
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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