________________
परिशिष्ट - 3
प्रत्यय
निम्नलिखित सूचियों में संस्कृत प्रत्ययों के आगे भाषा का संकेत नहीं किया गया है। हिन्दी प्रत्ययों के आगे हिं० और उर्दू प्रत्ययों के आगे उर्दू संकेत कर दिया गया है। इन प्रत्ययों से क्या शब्द भेद व्युत्पन्न होता है उसका संकेत वि० -विशेषण बनानेवाला, सं० -संज्ञाकर्तृ० -कर्तृवाचक संज्ञा बनानेवाला-, भाव० -भाववाचक संज्ञा बनानेवाला-, लघुता० -लघुतावाचक संज्ञा बनानेवाला- स्त्री० -स्त्रीलिंग बनानेवाला-प्रत्यय समझना चाहिए। देखा गया है कि हिन्दी के कुछ प्रत्यय ऐसे हैं जो बहुत उत्पादक नहीं हैं, उनके उदाहरण थोड़े मिलते हैं। संस्कृत में ऐसे प्रत्यय अपेक्षया कम हैं। .
अ-भाव०- (क्रुध् से) क्रोध, (जि से) जय, (पठ से) पाठ, (बुध् से) बोध, (भी से) भय, (वद् से) वाद, (विद् से) वेद । अ-क्रि० से कर्तृ०- (चर् से) चर, (चुर् से) चोर, (रम् से) राम, (सृप से) सर्प। अ--भाव०- (कुशल से) कौशल, (गुरु से) गौरव, (लघु से) लाघव, (युवन् से)
यौवन, (शिशु से) शैशव। अ-(हिं०) क्रि० से भाव०-आड़, काट, खेल, गान, चमक, चाल, चीरफाड़, जाँच, दमक,
देखभाल, पहचान, पहुँच, बाढ़, बोल, मार, लूट, लेख। अक-क्रि० से कर्तृ०- (अधीक्ष् से) अधीक्षक, (अध्याप् से) अध्यापक, (आलुच् से) आलोचक, (कृ से) कारक, (गी से) गायक, (चल् से) चालक, (दृश से) दर्शक, (धृ से) धारक, (निंद से) निंदक, (निरीक्ष् से) निरीक्षक, (पठ् से) पाठक (परीक्ष से) परीक्षक, (लिख से) लेखक, (वह से) वाहक, (शिक्ष् से) शिक्षक, (संपाद् से) संपादक, (सर्वेक्ष से) सर्वेक्षक। अक-क्रि० से वि०- (आकृष् से) आकर्षक, (द्युत् से) द्योतक, (परिचय् से) परिचायक,
(बुध् से) बोधक, (रुच् से) रोचक। अक्कड़-(हिं०) क्रि० से कर्तृ०-कुदक्कड़, पियक्कड़, बुझक्कड़, भुलक्कड़। अन-भाव०- (अनुसृ से) अनुसरण, (अभिसृ से) अभिसरण, (आसु से) आसवन, (कृ से) करण, (कृष् से) कर्षण, (खन् से) खनन, (गम् से) गमन, (ग्रह से) ग्रहण, (चल् से) चलन, (तृ से) तरण, (दम् स) दमन, (धृ से) धारण, (पठ् से) पठन, (पाठ से)
924