________________
ख़बीस
पहुँचानेवाला, संदेशवाहक; ~लेना 1 हाल-चाल पूछना 2 जवाब तलब करना 3 डाँटना-फटकारना 4 दंड देना ख़बीस - अ० (वि०) 1 नापाक 2 दुष्ट 3 क्रूर ख़ब्त - अ० (पु० ) 1 झक, सनक 2 पागलपन की सीमा का शौक (जैसे-ख़ब्त सवार होना)
191
ख़ब्ती-अ० + फ़ा० (वि०) 1 झक्की, सनकी 2 पागल खब्बा - (वि०) 1 बायाँ 2 बाएँ हाथ से काम करनेवाला ख़म - फ़ा० ( पु० ) 1 टेढ़ापन, वक्रता 2 घुमाव, झुकाव। दम (पु० ) साहस, हिम्मत दार (वि०) 1 झुका हुआ 2 घुँघराला ; ~खाना हारना; ~ ठोंकना 1 ललकारना 2 दृढ़ता दिखाना
ख़मसा - अ० ( पु० ) पाँच-पाँच चरणोंवाली एक प्रकार की
ग़ज़ल
ख़मीदा फ़ा० (वि०) खमदार, झुका हुआ ख़मीर - अ० (पु०) गुँथे आटे में पैदा होनेवाली खटास ख़मीरा - अ० (वि०) ख़मीरवाला ख़मीलन-सं० (पु० ) तंद्रा
खयानत - अ० (स्त्री०) 1 अमानत रखी वस्तु को चुरा लेना 2 अमानत रखी वस्तु का अनधिकार प्रयोग, ग़बन 3 बेईमानी ख़याल - अ० (पु० ) 1 ध्यान, सोच-विचार 2 कल्पना 3 याद (जैसे-मेरे खयाल में बने रहना) । ~करना ध्यान देना; पड़ना ध्यान में आना 2 याद आना; बाँधना कल्पना करना; में न लाना परवाह न करना; में रहना याद रखना; में लाना सोच-विचार करना; में समाना हर वक्त याद रहना से उतरना याद न रहना, भूल जाना ख़यालात - अ० (पु०) विचार (जैसे-पुराने ख़यालात के लोग) खयाली - अ० + फ़ा० (वि०) 1 सोचा हुआ, कल्पित
2 ख़याल में रहनेवाला। पुलाव पकाना कल्पना के महल बनाना, असंभव बातें सोचना
ख़र - I सं० ( पु० ) 1 गधा 2 खच्चर । दिमाग़ + अ० (वि०) मूर्ख
खर - I (वि०) 1 कड़ा 2 तेज़, तीक्ष्ण II ( पु० ) तिनका । पात (पु०) घास-पात
खरक - ( पु० ) 1 बाड़ा 2 चारागाह खरकना - (अ०
क्रि०) 1 = खटकना 2 = खड़खड़ाना
3 - खड़कना
खरका - (पु० ) 1 सूखा कड़ा तिनका 2 दाँत खोदने का तिनका
खरखशा - फ़ा० (पु० ) 1 व्यर्थ का झगड़ा, बघेड़ा 2 व्यर्थ का विवाद
खरगोश - फ़ा० (पु०) खरहा, चौगड़ा
खरच फा० ( पु० ) खर्च
पर
ख़रचना - फ़ा + हिं (स० क्रि) 1 धन व्यय करना 2 बरतना ख़रची-फ़ा० + हिं० (स्त्री० ) 1 व्यय किए जानेवाला धन 2 दुश्चरित्राओं को गुज़ारे हेतु दिया जानेवाला धन । ~ कमाना धनोपार्जन के लिए कुकुर्म कराते फिरना; चलना, पर जाना धन हेतु संभोग कराना खरचीला - फ़ा० + हिं० (वि०) अनावश्यक खर्च करनेवाला खरना - (स० क्रि०) साफ़ करना, स्वच्छ करना खरब - (पु० ) सौ अरब
=
खरीता
खरबूज़ा - फ़ा० (पु०) एक प्रसिद्ध फल जो गर्मी के मौसम में होता है। खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है जैसी संगत वैसी रंगत
खर - भर - बो० (पु० ) 1 खड़बड़ ध्वनि 2 शोर, रौला, हल्ला 3 खलबली, हलचल
क्रि० )
खरभराना - ( अ०
मचाना
खरमस्त - फ़ा० ( वि० ) 1 हमेशा प्रसन्न रहनेवाला 2 पाजी, दुष्ट
खरमस्ती - फ़ा० (स्त्री०) खरमस्त होने की अवस्था खरमिटाव-बो० (पु०) जलपान, कलेवा खरर - खरर - ( स्त्री०) खर खर की आवाज़
1 खलबलाना 2 हलचल
खरल - (पु० ) पत्थर की कुँडी (जैसे- खरल में दवा पीसना ) । ~ करना चूर्ण करना, पीसना
खरसा-बो० (पु०) एक प्रकार का पकवान
खरसान - (स्त्री०) तेज़ सान
खरहरा - ( पु० ) 1 दंतपंक्तियोंवाली लोहे की चौकोर कंघी 2 अरहर के डंठलों की झाडू खरहा - ( पु० ) खरगोश खरही बो० (स्त्री० ) ढेर, राशि
खरा - (वि०) 1 विशुद्ध, खालिस (जैसे-खरा सोना) 2 सच्चा 3 निष्कपट 4 ईमानदार (जैसे खरा आदमी)। खोटा (वि०) भला-बुरा; उतरना ठीक सिद्ध होना; खरी-खरी सुनाना सच्ची बात कहना; रुपए खरे करना अपनी वसूली कर लेना
खराई - (स्त्री०) प्रातः जलपान न मिलने से तबियत खराब होना
खराद - I फ़ा० (पु० ) बनी वस्तुओं के बेडौल अंग को सुडौल बनानेवाला एक यंत्र II (स्त्री० ) 1 खरीदने की क्रिया 2 बनावट का ढंग, गढ़न पर उतारना सुंदर एवं सुडौल
बनाना खरादना-फ़ा० हिं० (स० क्रि०) 1 सुडौल करना 2 छील-छालकर दुरुस्त करना खरादी - फ़ा० (पु० ) खराद का काम करनेवाला खरापन - (पु० ) 1 खराई 2 स्पष्टवादिता
3 निश्छलता
4 सत्यता
ख़राब - अ० (वि०) 1 बुरा, हीन 2 नष्ट, बरबाद 3 दुश्चरित्र (जैसे-लड़के का खराब होना) 4 बिगड़ा हुआ (जैसे- ~ मशीन)
1 दोष, बुराई 2 दुर्दशा
ख़राबी- अ० + फ़ा० (स्त्री०)
(जैसे -ख़राबी में पड़ना )
ख़राश - फ़ा० (स्त्री०) 1 खरोंच 2 खुजली
खरिया - ( स्त्री०) 1 रस्सी आदि की बनी जाली 2 झोली 3 राख
खरियाना - (स० क्रि०) 1 झोली में भरना 2 प्राप्त
करना
खरी-खोटी - (वि०) कड़वी कसैली। ~सुनना दो टूक बात सुनना, साफ उत्तर पाना; ~सुनाना कोरा जवाब देना, कटु वचन कहना
खरीता - अ० (पु० ) 1 थैली 2 जेब 3 बड़ा लिफ़ाफ़ा