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________________ 692 रतजगा-(पु०) रात में होनेवाला जागरण घोड़े जोतना)। कार (पु०) रथ बनानेवाला कारीगर; रतन-(पु०) = रत्न महोत्सव (पु०), रथ यात्रा (स्त्री०) आषाढ़ शुक्ल रतनारा-(वि०) लाल रंग का; सुर्ख द्वितीया को होनेवाला एक हिंदू पर्व (जैसे-जगनाथ की रथ रतनारी-I (पु०) एक प्रकार का धान II (स्त्री०) लाली, सुर्जी यात्रा); ल्वाह (पु०) 1सारथि 2 घोड़ा; ~शाला (स्त्री०) रत हिंडक-सं० (पु०) 1त्रियाँ चुरानेवाला व्यक्ति 2 कामुक रथ रखने का स्थान और लंपट व्यक्ति रथवान्-सं० (पु०) सारथि रता-बो० (स्त्री०) भुकड़ी रथांग-सं० (पु०) 1 रथ का पहिया 2 चक्र रतार्थी-सं० (पु०) लंपट, कामी रथिक-सं० (पु०) रथ पर सवार व्यक्ति, रथी रतालू-(पु०) 1 पिंडालू 2 बराही कंद रथी-I सं० (पु.) 1 योद्धा 2 रथ पर सवार व्यक्ति रति-सं० (स्त्री०) 1रत होने का भाव 2 आनंद, तृप्ति रथी-II (स्त्री०) अरथी (जैसे-प्रेम रति, काम रति) 3 साहि० अंगार रस का स्थायी रथोत्सव-सं० (पु०) = रथ यात्रा भाव 4 संभोग, मैथुन (जैसे-सृष्टि रति प्रधान है) 5 प्रेम, प्रीति | रथ्य-सं० (पु०) 1 रथ में जोता जानेवाला घोड़ा 2 रथ (जैसे-रतिमय, रतिमन) 6 शोभा, छवि (जैसे-आनंद रति, चलानेवाला, सारथि रतिमय दृश्य)। ~कर I (वि०) 1 आनंद वर्द्धक 2 प्रेम रथ्या-सं० (स्त्री०) 1 रथों का समूह 2 रथ के चलने से बना वर्द्धक II (पु०) कामुक और लंपट व्यक्ति; ~कर्म (पु०) मार्ग 3 रथ चलने का मार्ग संभोग; कलह (पु०) मैथुन, संभोग; ~कुहर (पु०) | रद-I सं० (पु०) दंत, दाँत। दान (पु०) दाँतों का निशान योनि, भग; ~केलि (स्त्री०) मैथुन, संभोग; क्रिया | लगाना; ~पट (पु०) ओंठ, अधर (स्त्री०) समागम क्रिया, मैथुन; ज्ञ (पु०) 1 रति क्रिया में रद-II अ० (वि०) रद्द। बदल (पु०) रद्दोबदल चतुर व्यक्ति 2 स्त्रियों को प्रेम में फँसाने की कला में चतुर रदक्षत-सं० (पु०) सहवास काल में दाँतों के गड़ने का निशान, व्यक्ति; तस्कर (पु०) = रति हिंडक; पति (पु०) दंतक्षत कामदेव; प्रिय I (वि०) कामुक II (पु०) कामदेव; रदच्छद-सं० (पु०) अधर, ओष्ठ, होंठ प्रीता (स्त्री०) 1 कामिनी 2 रति से आनंदित स्त्री; बंध रदन-सं० (पु०) दाँत, दंत । (पु०) संभोग के समय का आसन; ~भवन (पु०) रति रदीफ़-अ० (स्त्री०) 1 घोड़े पर पीछे बैठनेवाला व्यक्ति 2 पीछे संबंधी कमरा; ~भाव (पु०) 1 स्त्री और पुरुष का आपस की ओर रहनेवाली सेना 3 राज़ल आदि में हर काफ़िए के बाद का प्रेम 2 प्रेम, प्रीति; ~मंदिर (पु०) रति भवन; ~मदा में आनेवाला शब्द या शब्द समूह। ल्वार + फ़ा० (क्रि० (स्त्री०) अप्सरा; ~रमण (पु०) 1 रति क्रीड़ा, मैथुन वि०) 1 रदीफ़ के अनुसार 2 अक्षर क्रम से 2 कामदेव; ~राज (पु०) कामदेव; ~शक्ति (स्त्री०)| रद्द-अ० (वि०) 1 बदला हुआ 2 ख़राब, निकम्मा 3 बेकार संभोग शक्ति; ~साधन (पु०) पुरुष लिंग किया गया, अनुपयुक्त। बदल (पु०) उलट फेर, परिवर्तन रतिगर-बो० (अ०) प्रातः काल, सबेरे रहा-(पु०) 1 लंबाई में एक ईंट की जोड़ाई 2 गरदन पर कहनी रतून-(पु०) पेड़ी का गना और कलाई के बीच की हड्डी से आघात करना (जैसे-एक रद्दा रतौंधी-(स्त्री०) चि० रात में न दिखाई पड़ने का नेत्र संबंधी रोग जमाना)। जमाना, ~लगाना ईंट की एक तह पर दूसरी रत्ती-I (स्त्री०) 1 माशे के आठवें अंश के बराबर की एक तौल तह जमाना 2 इस तौल का बटखरा II (वि०) बहुत ही थोड़ा । रद्दी-[अ० + फ़ा० (वि०) अनुपयोगी (जैसे-रद्दी सामान, रद्दी रत्थी-(स्त्री०) अरथी कपड़ा) II (स्त्री०) पुराने और बेकार के काग़ज़ (जैसे-रद्दी रत्न-सं० (पु०) 1 बहुमूल्य और चिकना पदार्थ (जैसे-हीरा, बेचना) खाना + फ़ा० (पु०) रद्दी रखने का स्थान पत्रा, माणिक आदि) 2 अपने वर्ग, जाति में श्रेष्ठ, उत्तम रद्दोबदल-अ० + फ़ा० + अ० (पु०) उल्टा-पल्टी, (जैसे-सभा का रत्न, ग्रंथ रत्न) 3 धन (जैसे-पुत्र रत्न)। झगड़ा-टंटा ~कार (पु०) जौहरी; जटित (वि०) रत्न जड़ा हुआ | रन-अं० (पु०) क्रिकेट के खेल में बल्लेबाज़ द्वारा एक सिरे से (जैसे-रत्न जटित मुकुट); ~धर (वि०) धनवान, अमीर;| दूसरे सिरे तक लगाई जानेवाली दौड़। बाँकुरा (पु०) ~माला (स्त्री०) रत्नावली; राशि (स्त्री०) रत्नों का योद्धा; ~संख्या + सं० (स्त्री०) बल्लेबाज़ द्वारा लगाए रन समूह; ~शाला (स्त्री०) रत्नों के रखने का स्थान: -शिल्पी की संख्या, योग (जैसे-उस खिलाडी ने सौ रन (पु०) रत्नकार बनाए) रत्नाकर-सं० (पु०) 1 रत्नों की खान 2 समुद्र, सागर रनर-अं० (पु०) दौड़ाक। ~अप (पु०) विजय में दूसरे रत्नाधिपति-सं० (पु०) कुबेर स्थान पर आनेवाला रत्नाभूषण-सं० (पु०) रत्न का बना आभूषण रनवास-(पु०) रानियों का महल, अंतःपुर रत्नावली-सं० (स्त्री०) 1 रत्नों की श्रेणी 2 रत्नों की माला | रनवे-अं० (पु०) दौड़पथ, धावन पथ 3 साहि० एक अर्थालंकार जिसमें बात को श्लिष्ट शब्दों में | रनिवास-(पु०) = रनवास कहने से प्रस्तुत अर्थ के अलावा अन्य अर्थ भी ज़ाहिर होता हो | रपट-I (स्त्री०) 1 रपटने का भाव 2 फिसलने की जगह 3 तेज़ (जैसे-आप चतुरास्य, लक्ष्मीपति और सर्वज्ञ हैं) चलने की क्रिया रथ-सं० (पु०) एक तरह की प्राचीन गाड़ी, बहल (जैसे-रथ में | रपट-II अं० (स्त्री०) रिपोर्ट
SR No.016141
Book TitleShiksharthi Hindi Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHardev Bahri
PublisherRajpal and Sons
Publication Year1990
Total Pages954
LanguageHindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size30 MB
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