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सत्
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सत्तू
हार
सत्-सं० (वि०) 1 सच, सत्य 2 साधु, सज्जन 3 उत्तम, श्रेष्ठ | का पर्व और उसका गंगा स्नान) (जैसे-सत् मार्ग, सत् पथ)
सतून-फा० (पु०) खंभा, स्तंभ सत-I (वि०) यथार्थ, सत्य II (पु०) सच्चाई, यथार्थता सतृष्ण-सं० (वि०) 1 प्यासा 2 इच्छुक (जैसे-सतृष्ण आँखें) (जैसे-सत पर अडिग रहना) । गुरु (पु०) सच्चा शिक्षक; सतेज-सं० (वि०) 1 कांतियुक्त (जैसे-सतेज मुखमंडल)
जुग (पु०) = सत्ययुग; ~युग सं० = सत्ययुग 2जीव शक्ति संपन्न (जैसे-सतेज बालक, सतेज प्राणी) सत-(पु०) सात की संख्या, '7' (जैसे-सतपदी, सत कोना)। सतोगुण-(पु०) अच्छे और सरल कर्मों की ओर प्रवृत्त
~कोन (वि०) सात कोणवाला; ~खंडा (वि०) सात | करनेवाला गुण खंडवाला; ~गुना (वि०) सात का गुणा किया हुआ | सतौला-(पु०) बो० प्रसूता स्त्री का सातवें दिन किया जानेवाला (जैसे-चार का सतगुना अट्ठाइस होगा); -फेरा (पु०) = स्नान सप्तपदी; ~रंगा I (वि०) सात रंग का (जैसे-सतरंगा| सतौसर-(पु०) = सतलड़ी कपड़ा) II (पु०) इंद्रधनुष; लड़ी (स्त्री०) सात लड़ियों सत्करण-सं० (पु०) 1 आदर सत्कार करना 2 अंत्येष्टि कर्म का हार
सत्कर्ता-सं० (पु०) = सत्कारक सतत-सं० (अ०) हमेशा, सदा, सर्वदा (जैसे-सतत परिश्रम सत्कर्म-सं० (पु०) 1 अच्छा काम 2 पुण्य का काम करते रहना चाहिए)
सत्कार-सं० (पु०) 1 खातिरदारी तथा सेवा 2 आदर सम्मान सतथ्य-सं० (वि०) सच्चाई के साथ
और सेवा सतनजा-I (पु०) सात भिन्न प्रकार के अनाज का मिश्रण III सत्कारक-सं० (वि०) सत्कार करनेवाला (वि०) अनेक प्रकार के मिश्रण से बना ।
सत्कार्य-सं० (वि०) 1 सत्कार के योग्य 2 जिसकी अंत्येष्टि की सतर-I अ० (स्त्री०) 1 लकीर, रेखा 2 अवली, कतार, पंक्ति । जाए
बंदी +फ़ा० (स्त्री०) कतार में रहना, पंक्ति बद्ध रहना सत्कीर्ति-सं० (स्त्री०) नेकनामी, यश, उत्तम कीर्ति सतर-II अ० (पु०) 1 छिपाव 2 गुप्तांग। ~पोश +फा० सत्कुल-सं० 1 (वि०) उत्तम कुल का II (पु०) उच्च कुल, (वि०) तन ढाँकनेवाला
बड़ा ख़ानदान सतर्क-सं० (वि०) 1 सचेत, सावधान 2 तर्कयुक्त, तर्कपूर्ण | सत्कृत-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह किया हआ 2 सत्कार किया 3 तर्ककुशल, विवेकशील। ~ता (स्त्री०) सतर्क होने का | गया भाव
सत्कृति-सं० (स्त्री०) उत्तम कृति, सत्कर्म सतवंती-(स्त्री०) सती और साध्वी स्त्री
सत्त-(पु०) 1 असली तत्त्व, रस (जैसे-मुलेठी का सत्त, गेहूँ का सतसई-(स्त्री०) सप्तशती (जैसे-बिहारी की सतसई) सत्त) 2 शक्ति, बल शरीर का सत्त 3 मुख्य उपयोगी तत्त्व सतह-अ० (स्त्री०) 1 वस्तु का ऊपरी भाग या विस्तार, लेविल | सत्तम-सं० (वि०) 1 सबसे अधिक अच्छा 2 सर्वश्रेष्ठ (जैसे-समुद्र की सतह) 2 केवल लंबाई और चौड़ाई से युक्त सत्तर-I (वि०) साठ से दस अधिक II (पु०) '70' की कोई वस्तु 3 तल। -ज़मीन +फ़ा० (स्त्री०) पृथ्वीतल संख्या सतहत्तर-I (वि०) सत्तर से सात अधिक II (पु०) '77' की
सत्ता-[सं० (स्त्री०) 1 अस्तित्व, हस्ती (जैसे-मानव की सत्ता. संख्या
सत्ता का होना) 2 शक्ति, सामर्थ्य (जैसे-सामाजिक सत्ता, सतही-अ० (वि०) सतह संबंधी
सत्ता का अभाव) 3 अधिकार, प्रभुत्व 4 प्रभुसत्ता, सावरेंनटी सताना-(स० क्रि०) 1 कष्ट देना, दुःख देना (जैसे-गरीब को (जैसे-सत्ता की बागडोर सँभालना)। ~ग्रहण (पु०) सत्ता सताना) 2 परेशान करना (जैसे-मित्र को सताना)
हथियाना; ~च्युत (वि०) सत्ता से हटाया हुआ; ~धारी सतालू-(पु०) 1 आड़ का पेड़ 2 आड़
(वि०) सत्ता हथियानेवाला; ~लोलुप (वि०) सत्ता का सतासी-(वि०/पु०) = सत्तासी
लालची, सत्ता चाहनेवाला; ~वाद (पु०) ये मत कि किसी सती-सं० 1 (वि०) 1 पतिव्रता, साध्वी 2 पति की चिता संग | सत्ताधारी की सभी बातें मान लेनी चाहिए; ~शाली (वि०) जल जानेवाली, सहगामिनी II (स्त्री०) 1 पति परायण स्त्री, = सत्ताधारी; ~शाही + फ़ा० (स्त्री०) एकतंत्र राज्य साध्वी 2 सहगामिनी स्त्री III (पु०) 1 सत्धर्म का पालनकर्ता | सत्ता-II (पु०) ताश का सात बूटियोंवाला एक पत्ता 2 सात्विक वृत्तिवाला महात्मा, साधु (जैसे-बड़े-बड़े जोगी, | (जैसे-पान का सत्ता) जती और सती भी ईश्वर की महिमा को न जान सके)। | सत्ताईस-I (वि०) बीस से सात अधिक II (पु०) '27' की
प्रथा (स्त्री०) सती होने की परंपरा; ~व्रता (स्त्री०) सती | __ संख्या होने का भाव; ~साध्वी (स्त्री०) पतिव्रता नारी (जैसे-सती | सत्ताधिकारी-सं० (पु०) = सत्ताधारी साध्वी की साधना)
सत्ताधीश-सं० (पु०) सत्तावाला सतीत्व-सं० (पु०) सती का धर्म, पतिव्रत्य। हरण (पु०) | सत्तानवे-I (वि०) सौ से तीन कम II (पु०) '97' की संख्या 1 सती का धर्म नष्ट करना 2 सती के साथ किया गया | सत्तारूढ़-सं० (वि०) सत्ता पर आरूढ़, सत्ता प्राप्त बलात्कार
सत्तावन-I (वि०) पचास से सात अधिक II '57' की संख्या सतीर्थ-सं० (पु०) सह अध्यायी, सहपाठी
सत्तासी-I (वि०) अस्सी से सात अधिक II (पु०) '87' की सतुआ-(पु०) बो० = सत्तू। ~संक्रांति +सं० (स्त्री०) प्रायः | संख्या
वैशाख में पड़नेवाली मेष की संक्रांति (जैसे-सतुआ संक्रांति | सत्तू-(पु०) भुने हुए जौ, चने आदि का आटा। बाँधकर