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प्राप्त
सन्
801
सपरिवार सन्-अ० (पु०) साल, वर्ष
सत्रति-सं० (स्त्री०) 1 झुकाव 2 नाता 3 कृपादृष्टि 4 मन की सन-I (पु०) एक प्रसिद्ध पौधा जिसके रेशे से बोरे आदि बनते | __ प्रवृत्ति
सत्रद्ध-सं० (वि०) 1कसकर बंधा हुआ 2 कटिबद्ध 3 उद्यत, सन-II (स्त्री०) वेग से निकल जाने का शब्द
तैयार 4 संलग्न 5 पास का सनक-(स्त्री०) 1 पागलपन, खब्त 2 धुन, झोंक। ~आना | सन्नयन-सं० (पु.) पास लाना 2 संबद्ध करना। ~कार
पागल होना; चढ़ना, सवार होना धुन सवार होना (३०) अभिहस्तांतरण करनेवाला; लेखन (३०) सत्रयन सनकना-(अ० क्रि०) 1 पागल होना 2 पागल की बड़ बड़ विषयक लेख्य आदि लिखना करना
सन्नाटा- (पु.) 1 स्तब्धता, · चुप्पी. मौन 2 निर्जनता सनकी-I (वि०) 1 पागल 2 झक्की
3निस्तब्धता, नीरवना सनकी-II (स्त्री०) आँख का इशारा। ~मारना आँख से । सन्नाटा-II (प) 1 हवा चलने का शब्द 2 सनसनाहट इशारा करना
सनादी-सं० [ (पु०) व्या० स्वर की महायता मे उच्चारित सनद-अ० (स्त्री०) 1 प्रमाण पत्र 2 प्रमाणिक कथन या बात। अक्षर या वर्ण (जैसे-क.ख,ग, आदि) II (वि०) 1 नाद से प्राप्त + सं०, न्याफ्ता + फ़ां० (वि०) प्रमाण पत्र युक्त 2 स्वर से युक्न
| सन्नाह-सं० (पु०) 1 कवच 2 प्रयत्न, उद्योग सनदी-अ० + फ़ा० (वि०) 1 सनद संबंधी 2 सनद प्राप्त | सन्निकट-सं० (अ०) बिल्कुल पास, अत्यंत समीप किया हुआ 3 प्रामाणिक
| सत्रिकर्ष-सं० (पु०) 1 संबंध, लगाव 2 समीपता 3 नाता, सनना-(अ० क्रि०) 1 गूंधा जाना 2 सम्मिलित किया जाना | रिश्ता 4 आधार. आश्रय (जैसे-मुझे इस मामले में क्यों सान रहे हो) 3 लथपथ होना | सन्निधान-सं० (पु.) 1 अलग अलग रखना 2 निकटता, (जैसे-खून में सनना) 4 लीन होना
समीपता 3 स्थापित करना सनम-अ० (पु०) प्रेम पात्र, प्रिय, प्रियतम
सनिधि-सं० (स्त्री०) 1 अलग अलग रखने का काम 2 पास सनशेड-अं० (पु०) झाय
होने का भाव सनसनाना-(अ० क्रि०) 1 सनसन शब्द होना 2 सनसनाते हुए | सन्निपात-सं० (पु०) 1 उतरना, गिरना 2 संगम, मिलना भागना 3 हिलना
3 अनेक घटनाओं का एक साथ घटित होना 4 मिश्रण, सनसनाहट-(स्त्री०) सनसन की आवाज़
समाहार सनसनी-(स्त्री०) 1 झुनझुनी 2 स्तब्धता 3 सन्नाटा सत्रिबद्ध-सं० (वि०) 1 एक में बँधा हुआ या लगा हुआ 4 खलबली। - खेज़ + फ़ां० (वि०) खलबली पैदा | 2 व्यवस्थित करनेवाला
सत्रिविष्ट-सं० (वि.) 1 अंदर आया हुआ 2 जोड़ा हुआ, सनातन-सं० (वि०) 1 परंपरानुसार चला आता हुआ | लगाया हुआ 3 स्थापित किया हुआ 2 परंपरानिष्ठ, आर्थोडाक्स 3 सदा बना रहनेवाला, शाश्वत, सत्रिवेश-सं० (पु०) 1 प्रवेश करना 2 साथ बैठना 3 आसन नित्य 4 अनादि और अनंत (जैसे-ईश्वर की सनातन | 4 समूह, मंडली 5 संयोग 6 सामीप्य 7 उचित स्थान पर बैठाना लीलाएँ)। काल (पु०) प्राचीन युग; ~धर्मी (पु०) 8 निर्माण, रचना १व्यवस्था, प्रबंध 10 आधार, आश्रय सनातन धर्म का अनुयायी
सनिवेशित-सं० (वि०) - सत्रिविष्ट सनातनी-I सं०(१०) सनातन धर्म का पालन करनेवाला || सन्निहित-सं० (वि०) 1 पास रखा हुआ 2 समीपस्थ 3 पड़ोस (वि०) सनातन संबंधी
| का 4 तैयार, उद्यत सनाथ-सं० (वि०) स्वामी सहित
सन्मार्ग-सं० (पु०) अच्छा रास्ता सनाभ-सं० (पु०) 1 सगा भाई 2 सगा संबंधी
सन्मार्गी-सं० (वि०। सन् पथ पर चलनेवाला सनाय-अ० (स्त्री०) रेचकदार एक पौधा, सोनामुखी सन्यास-(पु०। - संन्यास । सनाह-(पु०) = सत्राह
सन्यासी-(पु.) - संन्यासी सनीचर-(पु०) 1 शनैश्चर 2 शनिवार
सपक्ष- सं. (वि.) ! पक्ष में रहनेवाला 2 सहायक और सनीचरवार-(पु०) शनिवार
साथी ॥ (१०) अनुकूल पक्ष सनीचरी-I (वि०) 1 शनि संबंधी 2 मनहस और अशुभ सपन-सा (वि.) मोज की तरह देश रखनेवाला || (पु.) (जैसे-सनीचरी सूरत) || (स्त्री०) 1 शनि की दशा 2 शनि | शत्रु वैरी को पैदा होनेवाली
सपत्नी-पं. (स्त्री) सौत मौतिन सनेह-बो० (पु०) = स्नेह
सपत्नीक (वि. गली के साथ सनेही-(वि०/पु०) प्रेम करनेवाला
सपना-(प) । स्वप्न मन गढंत या कपोल कल्गिन बात सनोबर-अ० (पु०) चीड़ का पेड़
सपरदाई-1, ममाजी साजिदा सन्न-(वि०) 1 भौचक्का, स्तब्ध 2 चुप, मौन 3 संज्ञा शून्य, सपरना-अ.क्रि.. ! निवारना. समान होना ? काम का हो संवेदना रहित, जड़
माना 3 निपटना निवन हाना सन्नत-सं० (वि०) 1अच्छी तरह झका हआ 2 नीचे आया सपगना-माफि.)। सिवाना खुम कन्ना र यमान का हुआ 3 खिन्न (जैसे-सत्रत वाणी)
सपरिवार- वि.। पर महिन