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स्याद्वादी
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जाना
स्याद्वादी-I सं० (वि०) स्याद्वाद संबंधी II (पु०) स्याद्वाद का | स्रुति-सं० (स्त्री०) बहाव, क्षरण अनुयायी
स्रुवा–सं० (स्त्री०) आहुति डालने की करछी स्थानपन-(पु०) = सयानपन
स्रोत-(पु०) 1 जल प्रवाह, धारा 2 झरना 3 आधार या साधन स्थाना-(वि०) = सयाना
4वंश परंपरा स्थानापन-(पु०) = सयानपन
स्रोतापत्ति-सं० (स्त्री०) 1 नदी में प्रवेश करना 2 निर्वाण पथ स्यापा-फा० (पु०) मृत्युशोक के कारण होनेवाला रोना पीटना। | पर अग्रसित होना पड़ना 1 रोना चिल्लाना 2 बिलकुल उजाड़ या सुनसान हो | स्रोतापन्न-सं० (वि०) 1 नदी में प्रवेश किया हुआ 2 निर्वाण
पथ पर अग्रसित स्थामी-(पु०) = स्वामी
स्लाइड-अं० (पु०) काँच पट्टिका स्थार-(पु०) गीदड़, सियार।ल्पन (पु०) स्यार जैसा स्वभाव, स्लाइस-अं० (पु०) डबलरोटी का टुकड़ा श्रृंगाल वृत्ति
स्लिंग-अं० (पु०) गलपट्टी स्यारी-(स्त्री०) गीदड़ी
स्लिप-अं० (स्त्री०) परचा, चिट, काग़ज़ का टुकड़ा स्याल-I (पु०) = स्यार
स्लीपर-[ अं० (पु०) एक तरह की खुली जूती, चट्टी स्थाल-II सं० (पु०) पत्नी का भाई, साला
स्लीपर-II अं० (पु०) 1 रेल में यात्रियों के शयन हेतु आरक्षित स्याली-सं० (स्त्री०) पत्नी की बहन, साली। पति (पु०) | डिब्बा 2 लकड़ी का चौकोर लंबा टुकड़ा साली का पति, साढू
स्लेज-अं० (स्त्री०) बर्फ पर चलनेवाली बिना पहिए की एक स्यालू-बो० (पु०) ओढ़नी, चादर
गाड़ी स्याह-फा० (वि०) काला। -कलम + अ० (पु०) बिना स्लेट-अं० (स्त्री०) लोहे या काले पत्थर की चौरस पतली पटरी रंग भरे रेखाचित्र, लाइन ड्राइंग; ~कार (वि०) बदकार, या पट्टी बदचलन; -दिल (वि०) 1 खोटा मनवाला 2 कपटी; स्लेटी-अं० + हिं० (वि०) स्लेट संबंधी
पोश (वि०) शोक की काली पोशाक पहने हुए; बख्त स्वंग-सं० (पु०) आलिंगन (वि०) बदनसीब, अभागा; बख़्ती (स्त्री०) बदनसीबी, स्वंजन-सं० (पु०) आलिंगन करना, गले लगाना दुर्भाग्य; सफ़ेद (वि०) 1काला और सफ़ेद 2 अच्छा-बुरा स्वंत-सं० (वि०) जिसका अंत अच्छा हो स्याहा-फा० (पु०) - सियाह । नवीस (पु०) हिसाब | स्व-[ सं० (वि०) 1 अपना, निज का, सेल्फ़ 2 आप से आप लिखनेवाला
होनेवाला (जैसे-स्वचालित) 3 आत्मीय, अपना स्याही-I फ्रा० (स्त्री०) 1 रोशनाई 2 कालापन, कालिमा (जैसे-स्वजन) II शब्दों के अंत में लगनेवाला एक प्रत्यय 3 दारा, कलंक 4 दोष, ऐब 5 काजल 6 अँधेरा 7 कालिख । (जैसे-निजस्व, परस्व)। ~आलोचना (स्त्री०)
चट + हिं० (पु०) सोख़्ता; दान (पु०) दवात; आत्मसमीक्षा; ~कथन (पु०) आत्म कथन; ~कर्तव्य -सोख (पु०) = स्याही चट। -जाना उम्र ढलना, जवानी (पु०) = स्वकर्म; कर्तव्य पालन (पु०) अपने कर्तव्य को बीतना; ~दौड़ना स्याही छा जाना; ~यो जाना दुर्भाग्य या पूरा करना; ~कर्म (पु०) अपना काम, पेशा आदि; दोष दूर होना; लगना कालिख पुत जाना, बदनामी होना; ~कर्मी (वि०) स्वार्थी, खुदगरज; ~कामी (वि०) लगाना मुँह काला करना, बदनाम करना
1 अपने मन के अनुकूल चलनेवाला 2 स्वार्थी; ~कार्य स्याही-II (स्त्री०) = साही
(पु०) = स्वकर्म; ~कुल I (पु०) अपना वंश II (वि०) स्यूत-सं० (वि०) 1बुना हुआ 2 सिला हुआ
अपने वंश का; ~कुल्य (वि०) अपने कुल का; ~कृत I स्राव, स्रवण-सं० (पु०) 1 बहना, बहाव 2 गर्भ का समय से (वि०) अपना किया हुआ II (पु०) अपना कर्म; ~गत पहले गिरना, गर्भपात 3 प्रस्वेद । ~क्षेत्र (पु०) वह क्षेत्र जहाँ (वि०) 1 आत्मीय 2 अपने प्रति कथित III (अ.) आप ही वर्षा का जल एकत्र होकर नदी का मूल रूप धारण कर ले, आप; ~गत कथन (पु०) (नाटकों में) ऐसा कथन जो अपवाह क्षेत्र
दूसरे पात्रों के सुनने का नहीं होता; ~गत भाषण (पु०) = स्रष्टव्य-सं० (वि०) सर्जन करने योग्य
स्वगत कथन; -चर, चल (वि०) अपने आप स्रष्टा-1 सं० (पु०) 1 ब्रह्मा 2 विष्णु 3 महेश II (वि०) चलनेवाला; चालक (वि०) खुद चलने या चलानेवाला 1 सृष्टि की रचना करनेवाला 2 निर्माता, रचयिता
(यंत्र); ~चालन (पु०) स्वयं चल पड़ना; चालन यंत्र सस्त-सं० (वि०) 1 गिरा हुआ 2 शिथिल, ढीला 3 अलग (पु०) अपने आप चल पड़नेवाला यंत्र; चालित (वि०) किया हुआ 4 फंसा हुआ (जैसे-स्रस्त नेत्र)
1 स्वतः चलनेवाली (तोप) 2 स्वतः चलनेवाला (यंत्र आदि); माव-सं० (पु०) 1 टपकना 2 क्षरण, बहाव 3 गर्भपात ज (वि०) अपने से उत्पन; ~जन (पु०) स्वकुल; 4 निर्यास
जन पक्षपात (पु०) अपने लोगों के प्रति पक्षपात रखना; सावक-सं० (वि०) 1चुआनेवाला 2 बहानेवाला
जनी + हिं० (स्त्री०) सखी, सहेली; जन्मा स्त्रावित-सं० (वि०) 1चुआया हुआ 2 बहाया हुआ (वि०)आप ही आप उत्पन्न जात I (पु०) पुत्र II (वि०) स्रावी-सं० (वि०) 1 बहानेवाला 2 चुआनेवाला
अपने से उत्पन्न; जाति I (स्त्री०) अपनी जाति या वर्ग II स्राव्य-सं० (वि०) स्राव कराने योग्य
(वि०) अपने वर्ग का; जातीय (वि०) अपनी जाति या खुत-सं० (वि०) बहा हुआ, क्षरित
वर्ग का; ~जात्याभिमान (पु०) अपनी जाति का अहंकार;