Book Title: Shiksharthi Hindi Shabdakosh
Author(s): Hardev Bahri
Publisher: Rajpal and Sons

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Page 899
________________ हृदयवान् 885 पिघला देनेवाला; ~पट (पु०) हृदय रूपी पट; पिंड हृद्य-सं० (वि०) 1 हृदय संबंधी, हृदय का 2 हृदय को अच्छा (पु०) दिल; ~पीड़ा (स्त्री०) दिल का दर्द; पूर्वक | लगनेवाला, मनोहर या सुंदर 3 हृदय से उत्पन्न (क्रि० वि०) मन से; प्रतिरोपण (पु०) कृत्रिम या दूसरे | द्रोग-सं० (पु०) हृदय में होनेवाला कोई रोग, हृदय की कोई का हृदय स्थापित करना; ~प्रमाथी (वि०) 1 मन को क्षुब्ध | बीमारी करनेवाला 2 मन को मुग्ध करनेवाला; ~मंथन (पु०) हृदय | हद्रोध-सं० (पु०) = हृदयातिपात को आलोड़ित करना; ~वल्लभ (पु०) प्राणप्रिय व्यक्ति, हृवर्णना-सं० (स्त्री०) = हृदय चित्रण प्रियतम -विज्ञान (पु०) हृदय संबंधी रोगादि विषयों की हृदयावर्णनायंत्र-सं० (पु०) = हृदस्पंद लेखी जानकारी प्राप्त करनेवाला शास्त्र; लविदारी (पु०) हृदय को हृव्यया-सं० (स्त्री०) = हृदय पीड़ा विदीर्ण करनेवाला 2 अत्यंत दुःख देनेवाला 3 मन में अत्यधिक | हल्लास-सं० (पु०) बार-बार वमन की इच्छा होना, मिचली, करुणा उत्पन्न करनेवाला; ~वृत्ति (स्त्री०) मन की प्रवृत्ति; मितली वेधक, ~वेधी (वि.) 1 हृदय को वेधनेवाला 2 मन | हषि-सं० (स्त्री०) 1 हर्ष, आनंद 2 आभा, चमक को व्यथित करनेवाला 3 मन को अप्रिय लगनेवाला; ~व्यथा हृषिकेश-सं० (पु०) इंद्रियों का स्वामी (स्त्री०) मन का दुःख; ~व्याधि (स्त्री०) = हृद्रोग; हृष्ट-सं० (वि०) प्रसन, हर्षित। -चित्त (वि०) प्रसन्न शून्य (वि०) 1 अरसिक 2 क्रूर, निष्ठुर; ~शूल (पु०) | मनवाला; तुष्ट (वि०) प्रसन्न और संतुष्ट; पुष्ट (वि०) हृदय में होनेवाली पीड़ा ~संघट्ट (पु.) हृदयातिपात, हार्ट तगड़ा, हट्टा-कट्टा फेल्योर; ~स्थ (वि.) 1 हृदय में स्थित 2 शरीरस्थ हृष्टि-सं० (स्त्री०) प्रसन्नता, खुशी (कीटाणु); ~स्थल (पु०), ~स्थली (स्त्री०), ~स्थान | हेंगा-(पु०) खेत में पाटा चलाना (पु०) वक्षः स्थल; ~स्पर्शी (वि०) 1 दिल को छूनेवाला | हें हैं-(पु०) 1 धीर-धरि हँसने की ध्वनि 2 गिड़गिड़ाने से 2 दिल पर असर करनेवाला 3 मन में करुण भाव उत्पन्न कर | निकला शब्द उसे द्रवित करनेवाला; ~हारी (वि०) मनोहर, मन मोहक; | हे-सं० (अ०) संबोधन सूचक अव्यय (जैसे-हे राम) हीन (वि०) 1 निष्ठुर 2 अरसिक; ~उमड़ना, ~भर | हेकड़-(वि०) 1 उग्र और प्रचंड 2 अक्खड़ और उदंड आना प्रेम, करुणा आदि के कारण चित्त का द्रवित होना; | 3 हट्टा-कट्टा, मोटा ताजा -विदीर्ण होना 1 करुणा आदि के कारण अत्यंत कष्ट होना हेकड़ी-(स्त्री०) 1 हेकड़ होने का भाव 2 अक्खड़पन मिली 2 असह्य वेदना होना; ~से लगाना 1 आलिंगन करना उदंडता 3 जबरदस्ती, बल प्रयोग 2 आत्मीय और प्रिय बनाना हेच-फा० (वि०) 1 तुच्छ 2 निःसार हृदयवान्-सं० (वि०) 1सहृदय 2 दिलदार 3 रसिक | हेचदा-फ़ा० (वि०) मूर्ख 4 भावुक, दयालु हेठ-I (वि०) 1 नीचा, नीच 2 हीन 3 कम II (पु०) 1 बाधा, हृदयाकाश-सं० (पु०) हृदयरूपी आकाश, संपूर्ण हृदय विघ्न 2 नुकसान, हानि 3 आघात, चोट हृदयातिपात-सं० (पु०) हृदय की धड़कन का बंद हो जाना हेठा-(वि०) 1 नीचा 2 तुच्छ या हेय । --पन (पु०) 1 नीचता हृदयालु-सं० (वि०) 1 सहृदय 2 भावुक 2 क्षुद्रता हृदयावरण-सं० (पु०) हृदय को चारों ओर घेरे रहनेवाली | हेठी-(स्त्री०) 1 मान हानि 2 अपमान, बेइज्जती झिल्ली हेड-I सं० (पु०) उपेक्षा, अवमानना हृदयावसाद-सं० (पु०) चि० मृत्यु के पूर्व मनुष्य की समस्त हेड-II अं० (पु०) 1 प्रधान व्यक्ति 2 सिर। ~आफिस शक्तियों के क्षीण होने तथा मनुष्य के अचेत और निश्चेष्ट हो (पु०) प्रधान कार्यालय, मुख्यालय; ~कांस्टेबुल (पु.) जाने की स्थिति प्रधान पुलिस सिपाही; ~क्लर्क (पु०) प्रधान लिपिक; हृदयावसादक-सं० (वि०) चि० हृदय को निश्चेष्ट करनेवाला ~क्वार्टर (पु०) सरकार या अधिकारी का प्रधान स्थान, हृदयावेग-सं० (पु०) = हृदय आवेग मुख्यालय; ~मास्टर (पु०) प्रधानाध्यापक; ~मास्टरनी + हृदयिक-सं० (वि०) = हृदयवान् हिं० (स्त्री०) महिला प्रधानाध्यापक; ~लाइन (स्त्री०) हृदयी-सं० (वि०) = हृदयवान् शीर्षक हृदयेश-सं० (पु०) = हृदयेश्वर हेडा-बो० (पु०) मांस, गोश्त हृदयेशा-सं० (स्त्री०) = हृदयेश्वरी हेडिंग-अं० (पु०) शीर्षक हृदयेश्वर-सं० (पु०) 1प्रेमपात्र, प्रियतम 2 स्त्री का पति | हेड़ी-(स्त्री०) 1 बेचने के लिए बाज़ार में लाया गया पशु दल .हृदयेश्वरी-सं० (स्त्री०) 1 प्रियतमा 2 पत्नी ___2 झुंड, समूह हृदयोद्गार-सं० (पु०, मनोभाव, कामना इच्छा हति-सं० (स्त्री०) 1 अस्त्र 2 आघात 3 आग की लपट हृदयोन्यादी-सं० (वि०) 1 हृदय को उन्मत्त करनेवाला 2 मन ___4 सूर्यकिरण को मोहित करनेवाला हेतु-सं० (पु०) 1 कारण 2 लक्ष्य, मकसद 3 अभिप्राय, उद्देश्य हृदगत-सं० (वि०) 1 हृदय में होनेवाला, हृदय का, आंतरिक 4 एकमात्र कारण, मूलकारण 5 साहि० कारण के साथ कार्य (जैसे-हृद्गत भाव) 2 मन में बैठा हुआ 3 प्रिय, प्यारा का भी संपन्न हो जाने का उल्लेख करने से संबंधित एक हृद्ग्रह-सं० (पु०) = हृदय ग्रह अर्थालंकार 6 तर्कशास्त्र। दुष्ट (वि०) जिसकी बात दौर्बल्य-सं० (पु०) = हृदय दौर्बल्य तर्कसंगत न हो; ~युक्त (वि०) = हेतुमान; रूपक

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