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स्वरांतर
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स्वाक्षरित
स्वरांतर-सं० (१०) दो स्वरों के उच्चारण के बीच का अंतर या -निधि (स्त्री०) स्वर्ण कोष; नियंत्रण (पु०) सोने का विराम
कंट्रोल; ~पत्र (पु०) सोने का पत्तर; ~पदक (पु०) सोने स्वरागम-सं० (पु०) शब्द के बीच में नए स्वर का आ जाना का तमगा या मेडल, ~भंडार + हिं० (पु०) = स्वर्ण कोष; स्वराघात-सं० (पु०) शब्दोच्चारण में किसी व्यंजन या स्वर पर ~मंडित (वि०) सोने से सजाया हुआ; ~मान (पु०) सोने अधिक ज़ोर देना। हीन (वि०) व्या० जिस पर स्वराघात न का स्टैंडर्ड; ~मुद्रा (स्त्री०) सोने का सिक्का; ~युग (पु०)
सुख समृद्धि का समय; ~राजित (वि०) स्वर्ण मंडित स्वराघाताग्र-सं० - स्वराघात पूर्व
स्वर्णमय-सं० (वि०) सोने का स्वराघातित-सं० (वि०) स्वराघात किया हुआ
स्वर्णाक्षर-सं० (पु०) सोने के अक्षर, सुनहरी अक्षर स्वराज-सं० + हिं० (पु०) - स्वराज्य
स्वर्णाभ-सं० (वि०) सोने की आभावाला, सुनहला स्वराजी-सं० + हिं० (वि०) स्वराज संबंधी
स्वर्णिम सं० (वि०) 1 सुनहला 2 स्वर्ण का स्वराज्य-सं० (पु०) अपना राज्य या देश
स्वल्प-सं० (वि०) 1 बहुत थोड़ा, बहुत कम, अत्यल्प 2 बहुत स्वराष्ट्र-सं० (वि०) अपने राज या देश का। ~मंत्रालय छोटा 3 संक्षिप्त 4 तुच्छ । निद्रा (स्त्री०) बहुत थोड़ी नींद;
(पु०) गृह मंत्रालय; ~मंत्री (प्०) गृह मंत्री; विभाग -बल (वि०) कमजोर, दुर्बल; ~भाषी (वि०) कम (पु०) गृह मंत्री का डिपार्टमेंट
बोलनेवाला, मितभाषी; ~~व्यक्ति तंत्र (पु०) थोड़े से स्वरित-[ सं० (वि०) 1 स्वर युक्त 2 ध्वनित 3 उच्चरित II व्यक्तियों की शासन व्यवस्था; ~व्यय I (वि०) कृपण II (पु.) व्या० मध्यम भाव या सम भाव से स्वरों का होनेवाला (पु०) बहुत कम खर्च ~व्ययी (वि०) कम खर्च उच्चारण
करनेवाला; ~स्मृति (स्त्री०) थोड़ी सी याद स्वरूप-I सं० (पु०) 1 अपनी आकृति 2 अपनी विशेषता, | स्वल्पांतर-सं० (वि०) बह्त कम अंतरवाला स्वभाव 3 प्रकार II (वि०) 1 अपनी विशेषता से युक्त स्वल्पाहार-सं० (पु०) अल्पाहार, ब्रेकफास्ट 2 समान, तुल्य 3 सुंदर, मनोहर III (अ०) तौर पर या रूप स्वल्पायु-सं० (वि०) बहुत कम उम्र का, अल्पजीवी में। ~ता (स्त्री०) स्वरूप होने का भाव; ~संबंध (पु०) स्वल्पाहारी-सं० (वि०) कम खानेवाला अनुरूपता के आधार पर स्थापित संबंध
स्वल्पिष्ठ-सं० (वि०) 1 अत्यंत अल्प, बह्त ही कम 2 बहुत ही स्वरूपवान्-सं० (वि०) स्वरूपवाला
छोटा स्वरूपाभास-सं० (पु०) अभाव में स्वरूप का आभास होना | स्वस्ति-I सं० (स्त्री०) 1 कल्याण, मंगल 2 सुख II (अ०) स्वरूपी-सं० (वि०) 1 प्राकृतिक रूप में होनेवाला 2 मृर्तिमान् । | 1शुभ हो 2 भला हो 3 मान्य है, ठीक है। ~कृत (वि०) 3 समरूप
कल्याणकारी, मंगलकारी; ~मती (वि०/स्त्री०) : स्वरैक्य-सं० (पु०) = स्वर संगति
स्वस्तिमान्; ~वाचन (पु०) मंगल पाठ स्वरोद-(पु०) = सरोद
स्वस्तिक-सं० (पु०) 1 चारणों का एक प्रकार 2 शरीर या स्वर्ग-सं० (पु०) 1 देवलोक 2 आकाश। -काम (वि०) पदार्थ पर लगाया जानेवाला एक मंगल चिह्न, सथिया स्वर्ग की अभिलाषा करनेवाला; ~गत (वि०) स्वर्ग गया (जैसे-13 चौरठे से बना एक त्रिभुजाकार चित्र 4 साँप के हुआ, मृत; ~गति (स्त्री०), ~गमन (पु०) स्वर्ग की यात्रा फन पर की रेखा 5 त्रिभुजाकार मुकुटमणि करना, मरण; ~गामी (वि०) = स्वर्गगत; तरु (पु०) स्वास्तिका-सं० (स्त्री०) चमेली कल्पवृक्ष; ~धेनु (स्त्री०) कामधेनुः नदी (स्त्री०) स्वस्तिमान्-सं० (वि०) सुखी, सौभाग्ययुक्त आकाशगंगा; ~पति (पु०) इंद्र; -पुरी (स्त्री०) स्वस्तत्यन-सं० (पु०) एक तरह का मंगलदायक धार्मिक कृत्य अमरावती; ~लोक (पु०) देवलोक; -वधू (स्त्री०) स्वस्थ-सं० (वि०) 1 नीरोग, तंदरुस्त 2 शांत (जैसे-स्वस्थ अप्सरा; ~वास (पु०) मृत्यु (जैसे-कल गुरुजी का स्वर्गवास मन) 3 संतुष्ट 4 सुखी (जैसे-स्वस्थ जीवन) 5 आत्म निर्भर हो गया); ~वासी (वि०) स्वर्गीय; ~स्त्री (स्त्री०) = स्वर्ग 6 निर्दोष 7 स्वाधीन 8 स्वाभाविक अवस्थावाला। ~चित्त वधू; ~स्थ (वि०) = स्वर्गीय
(वि०) शांत मनवाला; ~ता (स्त्री०) स्वस्थ होने का भाव; स्वर्गामी-सं० (वि०) = स्वर्गगत
प्रज्ञ (वि०) जिसकी बुद्धि स्थिर हो स्वर्गारोहण-सं० (पु०) 1 स्वर्ग गमन, मरण 2 स्वर्ग की ओर | स्वाँग-(पु०) 1 भेस, रूप (जैसे-स्वाँग बनाना) 2 नकल आरोहण
3 तमाशा या मज़ाक का खेल स्वर्गावास-सं० (पु०) = स्वर्गवास
स्वाँगी-(वि०) 1 स्वाँग करनेवाला 2 रूप धारण करनेवाला स्वर्गिक-सं० (वि०) = स्वर्गीय
स्वांगीकरण-सं० (पु०) 1 आत्मीकरण 2 पूर्णतः अपने आप में स्वर्गी-सं० (वि०) 1 स्वर्ग संबंधी 2 स्वर्ग को प्राप्त, मत 3 स्वर्ग | मिला लेना को जानेवाला
स्वांगीकृत-सं० (वि०) अपने आप में मिलाया हआ स्वर्गीय-सं० (वि०) 1 स्वर्ग का 2 अलौकिक 3 दिव्य | स्वातःसुखाय-सं० (अ०) अपनी आत्मा के सुख के लिए 4 स्वर्गवासी, मृत
स्वाक्षर-सं० (पु०) 1 हस्ताक्षर, दस्तख़त 2 खुद लिखे गए स्वर्ण-सं० (पु०) 1 सोना नामक धातु, कनक 2 सोने की मुद्रा। अक्षर 3 अपने हाथ से लिखा गया छोटा लेख ~कार (पु०) सुनार; ~कारी (स्त्री०) = सुनारी; | स्वाक्षरित-सं० (वि०) 1 हस्ताक्षर किया हुआ, साइंड 2 खुद जयंती (स्त्री०) पचासवें वर्ष मनाया जानेवाला उत्सवः | लिखा हुआ (जैसे-स्वाक्षरित पत्र)