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स्वधीत .
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स्वरांत
स्वधीत-सं० (वि०) अच्छी तरह से अध्ययन किया हआ वादि दोष (पु०) न्यायालय में झूठी बात दुहराने का स्वन-सं० (पु०) शब्द, ध्वनि, आवाज़। ग्राम (पु०) ध्वनि अपराध; ~वादी (वि०) जिरह में झूठी बात दुहरानेवाला;
समूह, सवर्निम; ~गरामिक (वि०) स्वनिम संबंधी शिक्षक (पु०) बिना अध्यापक के शिक्षा देनेवाली पुस्तक; स्वनामधन्य-(वि०) जो अपने नाम से धन्य हो
-सिद्ध (वि०) 1 जिसके लिए प्रमाण आवश्यक न हो स्वनिक-सं० (वि०) शब्द करनेवाला
2 सर्वमान्य (जैसे-स्वयं सिद्ध विचारधारा); -सिद्धि स्वनित-सं० (वि०) ध्वनित, शब्दित
(स्त्री०) 1 सर्वमान्य सिद्धांत 2 बिना प्रमाण सिद्ध होनेवाली स्वनिम-सं० (पु०) = स्वनग्राम
बात; सेवक (पु०) स्वेच्छा से काम करनेवाला; ~सेवा स्वनिमात्मक-सं० (वि०) = स्वनग्रामिक
(स्त्री०) 1 अपना काम स्वयं करना 2 अंतः प्रेरणा से दूसरों की स्वपनीय-सं० (वि०) निद्रा योग्य
की जानेवाली सेवा; ~सेविका (स्त्री०) महिला स्वयं सेवक; स्वप्न-सं० (पु०) 1 अर्द्ध सुप्तावस्था में जाग्रत् मन का व्यापार -सेवी (पु०) = स्वयं सेवक; ~स्फूर्त (वि०) अपने आप विशेष, सपना, ख़्वाब 2 मन ही मन की जानेवाली कल्पना मन में उठनेवाला; ~स्फूर्ति (स्त्री०) अपने आप मन में (जैसे-अभिनेता बनने का स्वप्न देखना, रईस बनने का उठना स्वप्न)। -कर (वि०) निद्रा लानेवाला; ~गत (वि०) स्वयमागत-सं० (वि०) आप से आप आया हुआ स्वप्न में आया हुआ (जैसे-स्वप्न गत विचार); ~गृह (पु०) स्वयमेव-सं० (क्रि० वि०) खुद ही, अपने आप सोने का कमरा; ~ज्ञान (पु०) स्वप्न में होनेवाली अनुभूति; स्वर-सं० (पु०) 1 आवाज़ 2 कंठध्वनि 3 व्या० बगैर किसी
दर्शन (पु०) स्वप्न में देखना; ~दर्शी (वि०) 1 स्वप्न वर्ण की सहायता से उच्चारण होनेवाली वर्णात्मक ध्वनि या देखनेवाला 2 स्वप्न दर्शन करनेवाला 3 मन ही मन बड़ी-बड़ी शब्द (जैसे-अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ औ) कल्पनाएँ करनेवाला; दोष (पु०) चि० निद्रावस्था में 4 संगीत में षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और शृंगारिक स्वप्न देखने पर वीर्यपात होना; ~परीक्षा (स्त्री०) निषाद सुरों में से प्रत्येक सुर 5 वेद पाठ में होनेवाले शब्दों का = स्वप्न ज्ञान; ~राज्य (पु०) काल्पनिक लोक; ~लब्ध उतार-चढ़ाव 6 खर्राटा। ~अनुरूपता (स्त्री०) - स्वर (वि०) स्वप्न में प्राप्त, स्वप्न में दृष्ट; ~लोक (पु०) = संगति; ~ग्राम (पु०) संगीत में 'सा' से 'नि' तक के सातों खप्न राज्य; विपर्यय (पु०) 1 सोने का समय उलट देना स्वरों का समूह, सप्तक; तत्री (स्त्री०) स्वर सूत्र; दीर्घता 2 स्वप्न में घटित होनेवाला; ~वृत्त (वि०) = स्वप्न लब्ध; (स्त्री०) स्वर के उच्चारण को लंबा करने की स्थिति; नादी सृष्टि (स्त्री०) स्वप्न का निर्माण, स्वप्न रचना
(पु०) मुँह से फूंककर बजाने का बाजा; ~परिवर्तन (पु०) स्वप्नमय-सं० (वि०) स्वप्नयुक्त
स्वर का परिवर्तन; ~पात (पु०) शब्दोच्चारण में किसी वर्ण स्वप्नवत्-सं० (वि०) स्वप्न की तरह
पर रुकना; ~प्रधान (वि०) जिसमें केवल स्वर की प्रधानता स्वनांत-सं० (पु०) 1 निद्रा या स्वप्न की अवस्था 2 स्वप्न का हो; ~भंग (पु०) 1 उच्चारण में होनेवाली बाधा या अस्पष्टता अंत
2 आवाज़ या गला बैठना 3 हर्ष, भय, क्रोध, मद आदि के स्वप्नालु-सं० (वि०) निद्राल
कारण गला भर आना अथवा मुँह से ऊटपटांग निकलना; स्वप्नावस्था-सं० (स्त्री०) स्वप्न देखने की अवस्था
~भंगी (पु०) स्वर भंग का रोगी; ~भक्ति (स्त्री०) स्वप्नाविष्ट-सं० (वि०) = स्वप्नगत
संयुक्त व्यंजन के बीच में स्वर लाने की घटना (जैसे-धर्म से स्वप्निल-सं० (वि०) 1 स्वप्न रूप में होनेवाला 2 स्वप्न के धरम); ~भेद (पु०) = स्वर भंग; ~मात्रा (स्त्री०) समान 3 सुप्त (जैसे-स्वप्निल भाव)
उच्चारण की मात्रा; ~यंत्र (पु०) गले से स्वर उच्चारित स्वयं-सं० (क्रि० वि०) अपने आप, खुद । ~कृत (वि०) होनेवाला एक अवयव; ~यंत्र मुख (पु०) टेटुए 1 अपना किया हुआ 2 प्राकृतिक; चल (वि०) स्वचल; का मुँह; रचना (स्त्री०) स्वर की बनावट; ~लहरी
चालन (पु०) = स्वचालन; -चालित (वि०) = (स्त्री०) स्वर तरंग; -लिपि (स्त्री०) संगीत के स्वरों को स्वचालित; दूत (पु०) खुद ही अपना दूतत्व करनेवाला लिखने की रीति; लेख (पु०) संगीत में गीत, तान, राग, नायक; दूती (स्त्री०) स्वयं अपना दूतत्व करनेवाली लय आदि में आनेवाले स्वरों का क्रमबद्ध लेख; ~लोप नायिका; पतित (वि०) आप ही आप गिरा हुआ; पाक (पु०) स्वर का लुप्त हो जाना (जैसे-'नरक' को लोग 'नर्क' .(पु०) स्वयं भोजन बनाना; ~पाकी (वि०) स्वयं भोजन बोलते रहते हैं); ~वाही (पु०) स्वर उत्पन्न करनेवाला बाजा बनानेवाला; पाठ (पु०) मूल पाठ; ~प्रकाश (वि०) या बाजों का समूह; विप्रकर्ष (पु०) = स्वरागम; स्वयं प्रकाशित होनेवाला; प्रज्वलित (वि०) स्वयं ~शास्त्र (पु०) = स्वानिकी; ~शास्त्री (पु०) = स्वर जलनेवाला; -प्रमाण (वि०) = स्वयं सिद्ध; ~प्रेरणा विज्ञानी; ~संक्रम (पु०) स्वरों का उतार और चढ़ाव (स्त्री०) = स्वप्रेरणा; ~भर (वि०) स्वयं ही रिक्त स्थान -संधि (स्त्री०) स्वरों का मेल; ~संयोग (पु०) एक से भरनेवाला (पिस्तौल या बंदूक); ~भू I (वि०) स्वयं ही अधिक स्वरों का जुड़ना (जैसे-भाई, लाओ, कीजिए में); उत्पन्न II (पु०) 1 ब्रह्मा 2 विष्णु 3 शिव; ~वर (पु०) ~सप्तक (पु०) = स्वर ग्राम; सहित (वि०) सुर के 1 स्वयं पति को चुन लेना 2 स्वयं पति चुनाव का समारोह, पति साथ, सस्वर; सांमजस्य (पु०) = स्वर संगम चयन संबंधी उत्सव; ~वरा (स्त्री०) पति का स्वयं वरण | स्वरांकन-सं० (पु०) = स्वर लिपि करनेवाली कन्या; ~वश (वि०) स्वाधीन; ~वह (वि०) | स्वरांत-सं० (वि.) जिसके अंत में स्वर हो (जैसे1 स्वयं चलनेवाला (यंत्रादि) 2 स्वयं को धारण करनेवाला; | संध्या, रोटी)