________________
समर्चना
805
समादेश
समर्चना-सं० (स्त्री०) 1 अच्छी तरह पूजा करना 2 सम्मान | समाकल-सं० (पु०) एक ही प्रकार की एकत्र वस्तुओं का करना
रूप। समर्थ-सं० (वि०) 1 शक्तिशाली 2 योग्य 3 उपयुक्त समाकलन-सं० (पु०) 1 एक प्रकार की एकत्र वस्तुओं का (जैसे-समर्थ कला, समर्थ ध्वनि)। ता (स्त्री०) 1 शक्ति मिलान करके उनकी व्यवस्था को देखना समझना 2 जमा खाते 2 योग्यता 3 उपयुक्तता
में रक़म लिखना समर्थक-सं० (वि०) 1 समर्थन करनेवाला 2 पुष्टि करनेवाला समाकुल-सं० (वि०) बहुत अधिक घबराया हुआ समर्थन-सं० (पु०) अनुमादन। -पत्र (पु०) अनुमोदन पत्र | समागत-सं० (वि०) 1 आया हुआ 2 उपस्थित, घटित हुआ समर्थनीय-सं० (वि०) समर्थन के योग्य
(जैसे-समागत प्रसंग, समागत परिस्थिति) समर्थित-सं० (वि०) समर्थन किया हुआ
समागम-सं० (पु०) 1 पहँचना 2 एकत्र होना (जैसे-संतों का समर्पक-सं० (वि०) समर्पण करनेवाला
समागम) 3 स्त्री प्रसंग, मेथुन. संभोग (जैसे-समागम क्रीड़ा, समर्पण-सं० (पु०) 1 अर्पित करना 2 सौंपना, देना 3 भेंट समागम क्रिया) करना। मूल्य (पु०) बीमा की अवधि समाप्त होने के पूर्व समाघात-सं० (पु०) 1 युद्ध, लड़ाई 2 हत्या, वध बीमा पत्र देने पर दिया जानेवाला धन
समाचार-सं० (पु०) 1 हाल चाल 2 कुशल मंगल 3 सूचना समर्पित-सं० (वि०) समर्पण किया हुआ
(जैसे-समाचार प्राप्त हुआ) 4 हाल की घटना की सूचना समर्प्य-सं० (वि०) समर्पण किए जाने योग्य
(जैसे-हत्या का समाचार)। पत्र (पु०) अख़बार, न्यूज़ समल-सं० (वि०) मैला, गंदा
पेपर; ~पत्रीय (वि०) समाचार पत्र का (जैसे-समाचार समवरोध-सं० (पु०) चारों ओर से रोकना
पत्रीय लेख) समवलंब-सं० (पु०) - समद्विभुज ।
समाज-सं० (पु०) 1 समुदाय, दल, समूह 2 सभा (जैसे-आर्य समवाय-सं० (पु०) 1 समूह. झंड 2 ढेर, राशि 3 मेल, संयोग समाज, संगीत समाज) 3 झुंड, गिरोह, समूह (जैसे-सत्संग 4 घनिष्ठ और नित्य संबंध
समाज) 4 समान कार्य कर्ताओं का समूह (जैसे-व्यापारियों समवायी-[सं० (वि०) 1 समवाय संबंध रखनेवाला 2 ढेर के का समाज) 5 संघटित संस्था 6 आयोजन, तैयारी। -कार्य रूप में लाया हुआ II (पु०) 1 अवयव, अंग 2 साझेदार, | (पु०) समाज का काम; ~गत (वि०) समाज के अंदर की, हिस्सेदार
समाज में आया हुआ; च्युत (वि०) = समाज बहिर्भूत; समवेत-सं० (वि०) 1 एकत्र 2 संचित 3 मिलाया हुआ -तंत्रिक (वि०) समाज व्यवस्था से संबंधित; ~द्रोही 4संबद्ध
(वि०) समाज से द्रोह,वैर रखनेवाला; ~पति (पु०) समाज समष्टि-सं० (स्त्री०) 1 सामूहिकता 2 समवेत सत्ता 3 एक जैसे का प्रधान व्यक्ति; बहिर्भूत (वि०) समाज से निकाला अंगों का समूह । गत (वि०) समष्टि रूप में लाया हुआ; हुआ; ~भाषिकी (स्त्री०) समाज के वर्गों पर आधारित
परक (वि०) समाज मूलक; ~रूपेण (क्रि० वि०) भाषा वैज्ञानिक अध्ययन; ~वाद (पु०) सत्ता का सामूहिक समग्र रूप से, सब मिलाकर; ~वाद (पु०) समाजवाद, रूप होने का सिद्धांत (जैसे-समाजवाद की व्याख्या); ~वाद सोशलिज़म; ~वादी (पु०) समाजवादी, सोशलिस्ट; विरोधी (वि०) समाजवाद का विरोध करनेवाला; ~वादी I ~वृत्ति (स्त्री०) समाज का कार्य व्यापार
(पु०) समाजवाद का समर्थन करनेवाला या अनुयायी II समष्टीकरण-सं० (पु०) समाजीकरण
(वि०) समाज वाद का; ~वादी करण (पु०) = समसमुन्नत-सं० (वि०) समान रूप से उन्नत
समाजीकरण; विरोधी (वि०) समाज का विरोध समस्त-सं० (वि०) 1कुल, पूरा (जैसे-समस्त भारतवासी, करनेवाला; ~शास्त्र (पु०) सामाजिक प्राणी के रूप में मनुष्य समस्त संसार- 2 संयुक्त
का समाज के प्रति कर्तव्यों आदि का विवेचन करनेवाला शास्त्र; समस्तिका-सं० (स्त्री०) सारांश
~शास्त्री (पु०) समाज शास्त्र का ज्ञाता; ~शास्त्रीय समस्थानिक-सं० (वि०) एक ही स्थान के
(वि०) समाज शास्त्र का; ~संशोधक (पु०) = समाज समस्थानीय-सं० (वि०) एक जैसे स्थान से संबंधित सुधारक; ~सुधार +हिं० (पु०) सामाजिक बुराइयों को दूर समस्य-सं० (वि०) 1 संयुक्त करने योग्य 2 समास का रूप करना; ~सुधारक +हिं० सं० (पु०) समाज सुधार देने योग्य 3 पूर्ण करने योग्य
करनेवाला; ~सेवक (पु०) समाज हित में कार्य करनेवाला; समस्यमान्-सं० (वि०) व्या० दूसरे पद के साथ मिलकर ~सेवा (स्त्री०) समाजोपयोगी कार्य; सेवी (वि०) समास बनानेवाला
समाज सेवा करनेवाला; हितकारी (वि०) समाज की समस्या-सं० (स्त्री०) 1कठिन या विकट प्रसंग 2 कठिन भलाई करनेवाला विषय। ~ग्रस्त (वि०) समस्या में फँसा हुआ; ~पूर्ति समाजी-(पु०) साजिंदा, सपरदाई (स्त्री०) समस्या को पूरा करना
समाजीकरण-सं० (पु०) पूरे समाज का बना देना समांग-सं० (वि०) समान अंगवाला
समादर-सं० (पु०) सत्कार, प्रतिष्ठा समांतर-सं० (वि०) समानांतर
समादरणीय-सं० (वि०) समादर के योग्य समाँ-(पु०) 1 समय, वक़्त 2 मौसम, ऋतु
समादृत-सं० (वि०) सम्मानित समाअत-अ० (स्त्री०) 1 सुनना 2 ध्यान देना
समादेश-सं० (पु०) 1 अधिकारपूर्वक आज्ञादेना 2 आज्ञा. समाई-(स्त्री०) गुंजाइश
आदेश