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विशदीकरण
विशदीकरण-सं० (पु०) साफ़ करना, (विषय को) और खोलना
विशारद - सं० ( पु० ) 1 विषय का विशेषज्ञ (जैसे- साहित्य का विशारद, चिकित्सा विशारद ) 2 उत्तम, श्रेष्ठ 3 पंडित, विद्वान् (जैसे- संगीत विशारद )
विशाल - सं० (वि०) 1 बहुत बड़ा (जैसे- विशाल वृक्ष) 2 शक्तिशाली (जैसे- विशाल सेना ) । ~काय (वि०) विशाल शरीरवाला; ता (स्त्री०) 1 बड़प्पन 2 विस्तार, फैलाव ~ स्कंधीय (वि०) बड़े कंधोंवाला (जैसे- विशाल स्कंधीय पुरुष)
विशालित-सं० (वि०) विशाल किया गया
विशिष्ट संघ ( वि० ) 1 विशेषता युक्त 2 असाधारण 3 उत्तम (जैसे - विशिष्ट नारी) 4 विशेष रूप से शिष्ट (जैसे - विशिष्ट पुरुष) । ~ता (स्त्री०) 1 विशिष्ट होने का भाव 2 विशेषता; ~ सेवा मेडल + अं० (पु०) विशेष सेवा हेतु दिया गया
तमगा
विशिष्टांगसं० (पु० ) विशिष्टता विशिष्टाद्वैत -सं० (पु०) रामानुज द्वारा चलाया गया एक मत जो जगत् और जीवात्मा को ब्रह्म से भिन्न मानता हुआ भी ब्रह्म से ही उद्भूत मानता है।
विशिष्टाधिकार-सं० ( पु० ) विशेषाधिकार विशिष्टिकरण-संघ (पु० ) विशेषीकरण विशिष्टीकृत-सं० (वि०) विशीर्ण-संग (वि०) 1 क्षीण 2 भग्न 3 तितर बितर 4 संकुचित
विशेषीकृत
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S
-
5 दुबला पतला
सत्य
विशील-सं० (वि०) 1 बुरे शीलवाला 2 दुश्चरित्र विशुद्ध-सं० (वि०) 1 शुद्ध. खरा 2 सच्चा, (जैसे- विशुद्ध भाव) । ~ता (स्त्री०) विशुद्ध होने का भाव; ~ता-वाद (पु० ) शुद्ध आचरण पर बल देने का सिद्धांत; ~ता-वादी (वि०) विशुद्धतावाद संबंधी विशुद्धि-सं० (स्त्री०) 1 विशुद्धता 2 भूल का सुधार । वाद (पु०) दूषित भावों से दूर रहने का सिद्धांत; वादी (वि०) 1 विशुद्धिवाद का माननेवाला 2 विशुद्धिवाद से संबंधित विशूचिका - सं० (स्त्री० ) विषूचिका, हैजा विशून्य-सं० (वि०) पूर्णतः रिक्त
विशृंखल - सं० (वि०) 1 बंधनहीन 2 अदम्य । ता (स्त्री०) विशृंखल होने का भाव
विश्व
पत्र का विशेष अंक (जैसे- साहित्यिक विशेषांक) विशेषाधिकार-सं० (पु०) अधिकारी या अन्य व्यक्ति को प्राप्त विशेष अधिकार (जैसे-दंड देने का विशेषाधिकार ) । ~ प्राप्त (वि०) जिसे विशेषाधिकार दिया गया हो; ~वादी (वि०) विशेषाधिकार से संबद्ध
विशेषाधिवेशन -सं० (पु०) बड़ी सभा के बैठकों का विशेष समूह
विशेषार्थक-सं० (वि०) विशेष अर्थवाला विशेषित-सं० (वि०) विशेषीकृत विशेषीकरण-सं० (पु०) साधारण को विशेष बनाना विशेषीकृत-सं० (वि०) विशेष बनाया हुआ विशेषोक्ति-सं० (स्त्री०) एक अर्थालंकार जहाँ कारण के होते हुए भी कार्य का अभाव हो
विशेष्य-सं० (पु० ) व्या० विशेषण द्वारा सूचित किया जानेवाला पद या शब्द (जैसे पीत वसन में वसन विशेष्य है) विशोक-सं० (वि०) शोक रहित। ~ता (स्त्री०) विशोक होने का भाव
विशोधन सं० (पु० ) विशुद्ध करना
विश्रंभ - सं० (पु०) 1 दृढ़ तथा पूर्ण विश्वास 2 प्रेम में उत्पन्न झगड़ा 3 प्रेम, प्यार 4 आत्मीयता
विश्रंभी -सं० (वि०) 1 विश्वासी, विश्वसनीय 2 प्रेम संबंधी 3 गोपनीय
विशृंखलित-सं० (वि०) मुक्त, आजाद विशेष-सं० (वि०) 1 असाधारण, असामान्य, विपुल 2 प्रचुर 3 अधिक (जैसे- विशेष धन राशि) 4 विचित्र, विलक्षण (जैसे- विशेष आकृति) । ~कर ( क्रि० वि० ) विशेषतः, विशेषतया, खासतौरपर; ~ज्ञ (वि०) विषय का विशेष ज्ञान रखनेवाला; ता (स्त्री०) विशेष होने का भाव विशेषक-सं० (वि०) विशिष्टता उत्पन्न करनेवाला विशेषण-सं० (पु० ) 1 विशेषता सूचित करनेवाला शब्द 2 व्या० संज्ञा की विशेषता बतलाने वाला विकारी शब्द (जैसे- नील कमल में नील शब्द विशेषण है) विशेषतः सं० ( क्रि० वि०) विशेष प्रकार से विशेषतया सं० ( क्रि० वि०) विशेष रूप से विशेषांक -सं० ( पु० ) विशेष अवसर पर प्रकाशित सामयिक
=
विश्रव्य-सं० (वि०) 1 विश्वसनीय 2 निडर, निर्भय 3 शांत और सुशील 4 दृढ़ 5 धीर
विश्रांत-सं० (वि०) विश्राम किया हुआ 2 क्लांत 3 शांत 4 वंचित 5 समाप्त
विश्रांति-सं० (स्त्री०) 1 विश्राम, आराम 2 थकावट । ~काल (पु०) विश्राम का समय; गृह (पु० ) = विश्राम
गृह
+
विश्राम -सं० (पु० ) 1 आराम 2 आराम हेतु मिलनेवाला अवकाश 3 चैन, सुख। गृह, घर हिं०, भवन (पु० ) विश्राम करने का स्थान विश्रामालय-सं० (पु० ) 1 पांथशाला 2 यात्रियों के विश्राम करने का स्थान
विश्रुत-सं० (वि०) 1 सुना हुआ 2 विख्यात विश्रुति-सं० (स्त्री०) विश्रुत होने का भाव
विश्लिष्ट - सं० (वि०) 1 विश्लेषण किया गया 2 अलग किया
हुआ 3 प्रकट, व्यक्त 4 मुक्त
विश्लेष-सं० (पु० ) 1 अलग होना 2 वियोग 3 थकावट, शिथिलता 4 विरक्ति
विश्लेषक -सं० (पु० ) विश्लेषण करनेवाला
विश्लेषण - सं० ( पु० ) 1 अलग करना 2 छान बीन करना 3 जाँच करना
विश्लेषणात्मक-सं० (वि०) विश्लेषण संबंधी विश्लेषित - सं० (वि०) 1 अलग किया हुआ 2 वियुक्त विश्लेष्य-सं० (वि०) विश्लेषण के योग्य
विश्वंभर - I सं० (५०) विष्णु II ( वि०) विश्व का भरण पोषण करनेवाला
विश्वंभरा-सं० (स्त्री०) पृथ्वी
विश्व - I सं० (वि०) समस्त कुल II ( पु० ) 1 ब्रह्मांड