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संसारी
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संहिता मोह; ~सागर (पु०) भवसागर. संसार रूपी समुद्र; ~सुख । संस्कृतेतर-सं० (वि०) संस्कृत से अलग (जैसे-संस्कृतेतर (पु०) भौतिक सुख
शब्दावली) संसारी-सं० (वि०) संसार संबंधी
संस्कृतोद्भव-सं० (वि०) संस्कृत का विकास संसिक्त-सं० (वि०) अच्छी तरह किया हुआ
संस्तंभ-सं० (पु०) 1 एकबारगी रुक जाना 2 स्तब्धता संसूचक-सं० (वि०) 1 भेद प्रकट करनेवाला, रहस्योद्घाटक 3 निश्चेष्टता 4 दृढ़ता 2 अभिज्ञापक, डिटेक्टर
संस्तर-सं० (पु०) 1 तह, परत 2 बिस्तर संसूचना-सं० (स्त्री०) 1 पत्राचार 2 संदेश
संस्तवन-सं० (पु०) 1 स्तुति करना 2 प्रशंसा करना संसृति-सं० (स्त्री०) संसार
संस्तुत-सं० (वि०) 1 प्रशंसित 2 जिसकी स्तुति की गई हो संसृष्ट-I सं० (वि०) 1 एक साथ उत्पन्न, सहजात 2 संयुक्त संस्तुति-सं० (स्त्री०) 1 प्रशंसा 2 भावाभिव्यक्ति की
3 मिश्रित 4 सम्मिलित 5 अत्यंत परिचित 6 संपन्न 7 रचित, आलंकारिक शैली 3 सिफारिश निर्मित 8 इकट्ठा किया हुआ II (पु०) घनिष्ठता, हेलमेल | संस्था-सं० (स्त्री०) 1सभा 2 समिति 3 समूह, मंडली संसृष्टि-सं० (स्त्री०) 1 संसृष्ट होने का भाव 2 घनिष्ठता, 4 सामाजिक परंपरा 5 रुढ़ि, विधि, नियम 6 राजकीय आज्ञा । हेलमेल 3 मिलावट 4 लगाव 5 बनावट, रचना 6 साहि० दो ~कृत (वि०) निर्धारित, निश्चित; ~गत (वि०) संस्था में या दो से अधिक अलंकारों का इस तरह प्रयोग होना कि वे आया हुआ; ~पन (पु०) 1 निश्चित करना 2 स्थापित करना अलग अलग दिखाई दें 7 संग्रह
3रूप प्रदान करना 4 नियम 5 विधान 6 निर्माण करना संसेक-सं० (पु०) पानी आदि का छिड़काव
संस्थाध्यक्ष-सं० (पु०) 1 व्यापार का निरीक्षक, व्यापाराध्यक्ष संसेचन-सं० (पु०) वीर्य का डिंबाशय में मिलना
2 समाज, समिति या संस्था का प्रधान व्यक्ति संसेचित-सं० (वि०) अच्छी तरह सींचा हआ
संस्थान-सं० (पु०) 1 संस्था 2 अस्तित्व, जीवन 3 निवास संसेवन सं० (पु०) 1 अच्छी सेवा 2 सेवा में उपस्थित रहना स्थान 4 सार्वजनिक स्थान 3 उपयोग, व्यवहार 4 आदर-सत्कार
संस्थापक-I सं० (वि०) संस्थापन करनेवाला II (प०) संसेवा-सं० (स्त्री०) 1 सेवा 2 व्यवहार, उपयोग 3 हाज़िरी | संस्था, समाज का मूल व्यक्ति 4 झुकाव, प्रवृत्ति
संस्थापनीय-सं० (वि०) स्थापित करने योग्य संस्करण-सं० (पु०) 1 संस्कार करना 2 सुधारना 3 अच्छा, । संस्थापित-सं० (वि०) 1 स्थापित किया हुआ 2 बनाया हुआ नया और सुंदर रूप देना 4 आवृत्ति
3 जमाकर बैठाया हुआ 4 संचित संस्कर्ता-सं० (वि०) संस्कार करनेवाला
संस्थाप्य-सं० (वि०) = संस्थापनीय संस्कार-सं० (पु०) 1 व्यवस्थित करना 2 सजाना 3 सुधारना | संस्पर्श-सं० (पु०) अच्छी तरह से होनेवाला स्पर्श 4 शुद्धि, सफ़ाई 5 स्वभाव आदि का परिष्कार 6 अंत्येष्टि क्रिया | संस्पर्शन-सं० (पु०) स्पर्श करना, छूना 7 शुद्ध संबंधी कृत्य 8 मन पर पड़ी छाप 9 पूर्व जन्म के कृत्यों संस्पृष्ट-सं० (वि०) 1 स्पर्श किया हआ 2 समीपस्थ की वासना। ~गत (वि.) संस्कार किया हुआ; ~वर्जित | संस्मरण-सं० (पु०) 1 बार बार स्मरण करना 2 महत्त्वपूर्ण (वि.) संस्कार रहित; ~वादी (वि०) -शील (वि०) । घटनाओं, कृत्यों आदि का उल्लेख संस्कारवाला
संस्करणात्मक-सं० (वि०) संस्करण संबंधी संस्कारक-सं० (१०) संस्कार करनेवाला 2 सुधार | संस्वन-सं० (पु०) सहध्वनि करनेवाला, सुधारक
संहत-सं० (वि०) 1 अच्छी तरह सटा हुआ 2 घना 3 दृढ़, संस्कारिता-सं० (स्त्री०) संस्कार युक्त होने का भाव मजबूत 4 मिश्रित संस्कृत-[ सं० (वि०) 1 संस्कार किया गया 2 परिमार्जित, संहति-सं० (स्त्री०) । मिलना 2 एकत्र होना 3 ढेर, राशि परिष्कृत 3 निखारा और साफ़ किया हुआ 4 सुधारा हुआ | 4 घनापन 5 जोड़, संधि 6 संघटन 5 सजाया सँवारा हुआ II (स्त्री०) देववाणी (जैसे -संस्कृत | संहर्ता-सं० (पु०) = संहारकर्ता भाषा में लिखित रामायण)। ज्ञ (पु०) संस्कृत का ज्ञाता; |संहार-सं० (पु०) 1 नाश, ध्वंस 2 हत्या (जैसे-दैत्यों का
पन +हिं० (पु०) संस्कृत होने का भाव; प्रचुर (वि०) संहार) 3 परिहार, निवारण। कर्ता (प०) संहार जिसमें संस्कृत शब्दों की अधिकता हो; मूलक (वि०) करनेवाला; ~कारी (वि०) संहार करनेवाला; काल जो संस्कृत पर आधारित हो; ~वाद (पु०) संस्कृत शब्दों को | (पु०) नाश का समय; ~शल (पु०), सामग्री (स्त्री०) प्रयोग करने का समर्थन; -विद्या (स्त्री०) संस्कृत का ज्ञान | नाश करने का सामान (जैसे-संस्कृत विद्या की आवश्यकता); ~वेत्ता (पु०) = | संहारक-सं० (वि०) संहार करनेवाला संस्कृतज्ञ
संहारना-सं० (स० क्रि०) 1 मार डालना 2 ध्वंस करना संस्कृति-सं० (स्त्री०) 1 संस्कृत रूप देने की क्रिया, परिकृति, | संहारी-सं० (वि०) संहार करनेवाला संस्कार 2 अलंकृत करना या सजाना 3 आचरणगत परंपरा । | संहित-सं० (वि०) 1 सम्मिलित 2 संबद्ध 3 संहिता रूप में
~भवन (पु०) भवन जिसमें सांस्कृतिक सामग्री का संग्रह हो | लाया हुआ संस्कृतीकरण-सं० (पु०) 1 संस्कृत करने की क्रिया 2 अन्य | संहिता-सं० (स्त्री०) 1 संयोग, मेल 2 संकलन, संग्रह 3 परंपरा भाषा के शब्दों को संस्कृत रूप देना
से चला आ रहा ग्रंथ 4 वेदों का मंत्र 5 व्या० अक्षरों की संस्कृतीकृत-सं० (वि०) संस्कृत रूप दिया हुआ होनेवाली संधि 6 नियम, विधियों आदि का संग्रह, कोड