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विषयक
प्रसंग
से संबंधित हो; ~ प्रवेश (पु०) विषय का प्रारंभ (पु० ) भोग विलास में रत भोग (पु० ) 1 इंद्रिय सुख प्राप्त करना 2 काम वासना का सुख भोगना; भोगवाद (पु०) खाओ पीओ मौज करो का सिद्धांत; भोगवादी (वि०) विषयभोगवाद संबंधी; ~ लोलुप (वि०) काम वासना का लोभी, कामुक (स्त्री०) आधारिक और मूल विचार; ~वस्तुगत (वि०) विषयगत; वार + फ़ा० ( क्रि० वि०) विषयानुरूप वासना (स्त्री०) काम वासना, एंद्रिक सुखभोग; सूची (स्त्री०) विषय अनुक्रमणिका; ~ स्थापना (स्त्री०) अपने विषय का पुष्टिकरण
वस्तु
विषयक सं० (वि०) 1 विषय संबंधी 2 विषय रूप में होनेवाला
विषयगत
=
विषयपरक सं० (वि०) विश्यांतर -सं० (वि०) 1 पड़ोस का 2 पास का विषयात्मक सं० (वि०) विषय संबंधी विषयानुक्रमणिका -सं० (स्त्री०) विषयसूची विषयाभिमुख -सं० (वि०) विषय प्रधान विषयासक्त-सं० (वि०) विषय में लगा हुआ विषयी - सं० (वि०) 1 भोग विलास में रत रहनेवाला 2 कामुक विषयोपभोग-सं० (५०) विषय भोग
विषाक्त - सं० (वि०) विष से युक्त, विष में बुझा हुआ विषाण-सं० (पु० ) सींग
विषाणी - I सं० (स्त्री०) सींगवाला पशु II ( वि०) सींगवाला विषाणु-सं० (पु०) रोग पैदा करनेवाले विषाक्त तत्त्व । रोग
=
=
(पु० ) विषाणु से उत्पन्न रोग; ~ विज्ञान (पु०) विषाणुओं के विषय में ज्ञान प्राप्त करनेवाली विद्या; विज्ञानी (पु० ) विषाणु विज्ञान का ज्ञाता ; ~संक्रमण (पु० ) विषाणुओं का फैलना
विषाद-सं० ( पु० ) 1 दुःख, अवसाद, उदासी 2 ग़म 3 नैराश्य 4 उत्साहहीनता
विषादिता-सं० (स्त्री०) विषाद होने की स्थिति विषादी -सं० (वि०) 1 दुःखी 2 उदास
विषी - I सं० (वि०) ज़हरीला, विषैला II (पु०) विषैला पदार्थ विषुव -सं० (पु० ) दिन और रात का मान बराबर होने का समय विषुवत् - I सं० (वि०) बीच का, मध्यस्थित II ( पु० ) विषुव
विषवद्रेखा-सं० (स्त्री०), विषुववृत्त - (पु० ) विषुवरेखा: भूमध्यरेखा
विषूचिका - सं० (स्त्री० ) हैजा
विषैला -सं० (वि०) विषयुक्त, विषमय (जैसे विषैला द्रव, विषैली गैस)
विष्कंभ - सं० (पु० ) 1 अड़चन, बाधा 2 नाटक आदि का मध्य अंश (जैसे- चंडावली नाटिका का विष्कंभ) 3 ज्योतिष का एकयोग
विष्कंभक-सं० (वि०) सहायता देनेवाला विष्टंभ - सं० ( पु० ) 1 स्थिर करना 2 रोकना 3 रुकावट विष्टा-सं० (स्त्री०) विष्ठा
विष्टि-सं० (स्त्री०) 1 बेगार 2 पेशा 3 प्राप्ति
विष्ठा - सं० (स्त्री०) 1 मल, गुह 2 त्याज्य वस्तु
विस्तारशः
विष्णु - सं० ( पु० ) त्रिदेवों में से एक, लक्ष्मीपति विसंक्रमण - सं० ( पु० ) संक्रमण रोकना विसंगठन - ( पु० ) विघटन, संगठन हटा देना विसंगत-सं० (वि०) बे मेल, असंगत विसंगति-सं० (स्त्री०) विसंगत होना, असंगति विसंज्ञ-सं० (वि०) बेहोश विसंज्ञन-सं० (पु०) बेहोश होना विसंपर्क - सं० (पु० ) संपर्क का अभाव विसंभूत-सं० (वि०) 1 उत्पन्न 2 निर्मित विसंभूति-सं० (स्त्री०) विसंभूत होने का भाव विसंवादी - I सं० (वि०) 1 वचन भंग करनेवाला 2 धोखा देनेवाला 3 निराश करनेवाला 4 खंडन करनेवाला (पु० ) (संगीत) कभी कभी लगनेवाला स्वर विसदृश - सं० (वि०) 1 भिन्न 2 अनोखा विसम्मति-सं० (स्त्री०) विमत होना विसरण-सं० (पु०) फैलना
विसर्ग - सं० ( पु० ) 1 परित्याग 2 फेंकना 3 निपटाना विसर्गी - सं० (वि०) 1 विसर्ग से युक्त 2 रुकनेवाला (जैसे- विसर्गी ज्वर)
विसर्जन -सं० ( पु० ) 1 त्यागना 2 दान 3 अंत, समाप्ति विसर्जित सं० (वि०) विसर्जन किया गया विसर्जन-सं० ( पु० ) 1 छोड़ना, परित्याग 2 समाप्ति, अंत विसर्जनीय-सं० (वि०) 1 त्यागने योग्य 2 विसर्जन के योग्य विसर्जयिता-सं० (वि०) विसर्जन करनेवाला विसर्पी -सं० (वि० ) 1 फैलनेवाला 2 तेज़ चलनेवाला 3 लहरियेदार 4 रेंगता हुआ आगे बढ़ना विसा - अं० (पु० ) पारपत्र (जैसे-विसा मिल गया) विसाल - अ० (पु० ) 1 मिलन 2 संयोग विसिल अं० (स्त्री०) सीटी विसूचिका - सं० (स्त्री०) = विषूचिका विसूरण-सं० (पु० ) 1 दुःख, रंज 2 चिंता विसृत-सं० (वि०) 1 फैलाया हुआ 2 कथित विसृष्ट-सं० (वि०) 1 सृष्टि हुई 2 त्यागा हुआ विसैन्यकृत-सं० (वि०) सेना हटा दी गई विसैन्यकरण-सं० ( पु० ) सेना हटा देना विसैन्यीकृत -सं० ( वि० ) विसैन्यकृत विस्तर - I सं० ( वि० ) अधिक, बहुत II ( पु० ) विस्तार विस्तरण-सं० (पु० ) विस्तृत करना
विस्तार - सं० (पु०) फैलने का भाव, फैलाव (जैसे- नदी का विस्तार, आँगन का विस्तार ) 2 लंबाई और चौड़ाई 3 विस्तृत विवरण (जैसे-कहानी का विस्तार) । ~ता (स्त्री०) फैलाव; पूर्ण (वि०) विस्तार से भरा हुआ; पूर्वक ( क्रि० वि०) विस्तारश:; . ~ योजना (स्त्री०) विस्तार हेतु बनाई गई योजना; ~ वाद (पु० ) विस्तार करने का सिद्धांत; ~वादी I (वि०) विस्तारवाद से संबंधित (जैसे- विस्तारवादी नीति ) II (पु० ) विस्तारवाद का समर्थक
विस्तारक -सं० (वि०) विस्तार करनेवाला
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विस्तारण-सं० (पु० ) विस्तार करना
विस्तारशः सं० ( क्रि० वि०) विस्तार रूप में (जैसे- विस्तारशः वर्णन करना)