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शीतक
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शुक्ल बनाए रखने हेतु खेली जानेवाली राजनीतिक चालें, कोल्डवार; शीर्षासन-सं० (पु०) व्यायाम में एक प्रकार की मुद्रा या आसन ~वस्त्र (पु०) जाड़े के गरम कपड़े (जैसे-ऊनी कोट, स्वेटर शील-सं० (पु०) 1 नैतिक आचरण और व्यवहार 2 मन की आदि)
स्थायी वृत्ति, स्वभाव 3 सद्वृत्ति 4 संकोची प्रकृति। -ता शीतक-I सं० ठंड उत्पन्न करनेवाला II (पु०) जाड़े का (स्त्री०) शालीनता; त्याग (पु०) सदाचार को छोड़ना; मौसम, शीतकाल
~वृत्ति (स्त्री०) सदाचार, भलमनसी; ~हीन (वि०) बिना शीतन-सं० (पु०) ठंडा करना
शील का; तोड़ना बे मुरौवत होना, निःसंकोच होना; शीतल-सं० (वि०) ठंडा (जैसे-शीतल जल)। पाटी + निभाना 1 सत्स्वभाव को न त्यागना 2 सद्व्यवहार निभाते हिं० (स्त्री०) चिकनी, पतली और बढ़िया चटाई
जाना; ~मर जाना बे मुरौवत होना 2 दुर्वृत्त होना; रखना शीतलक-सं० (वि०) शीतल करनेवाला
1 सद्व्यवहार बनाए रखना 2 संकोच बनाए रखना शीतलन-सं० (पु०) = शीतन
शीलत्व-सं० (पु०) = शीलता शीतला-सं० (स्त्री०) 1 शरीर पर फफोले निकल आने का एक शीलन-सं० (पु०) 1 अभ्यास 2 विवेचना 3 ग्रहण करना
प्रसिद्ध रोग चेचक (माता) 2 इस रोग की अधिष्ठात्री देवी 4 धारण करना शीतलाष्टमी-सं० (स्त्री०) चैत कृष्ण पक्ष की अष्टमी शीलवान्-सं० (वि०) शीलवाला शीतलित-सं० (वि०) शीतल किया हुआ
शीश-सं० (पु०) सिर, शिर, सर शीतांग-सं० (पु०) सर्दी से वात, पित्त और कफ़ का जुड़ जाना शीशम-सं० (पु०) = सीसम शीतागार-सं० (पु०) 1 ठंडा गोदाम, कोल्ड स्टोरेज शीश महल-फा० + अ० (पु०) 1 शीशे का बना मकान 2 सर्दखाना
2 शीशा जड़ा हुआ कमरा । ~का कुत्ता बावला आदमी शीतातप-सं० (पु०) जाड़ा और गरमी
शीशा-फा० (पु०) 1 आईना, दर्पण 2 काँच (जैसे-शीशे का शीतावकाश-सं० (पु०) जाड़े की छुट्टी
बरतन) शीतोष्ण-सं० (वि०) ठंडा और गरम (जैसे-शीतोष्ण शीशी-फ्रा० + हिं० (स्त्री०) बोतल के आकार का छोटा पात्र
जल-वायु)। ~मापक (पु०) शीतोष्ण नापनेवाला एक यंत्र शुंठी-सं० (स्त्री०) सोंठ शीर-फा० (पु०) दूध, क्षीर। खोरा (वि०) दूध पीनेवाला | शुंड-सं० (पु०) सँड़ (बच्चा); गर्म (वि०) गुनगुना, कुनकुना; ~माल (पु०) शुंडा-सं० (स्त्री०) 1 कुटनी 2 सैंड घी देकर पकाई गई ख़मीरी रोटी
शुंडाकार-सं० (वि०) सूंड के आकार का (जैसे-शुंडाकार शीरा-फा० (पु०) चाशनी
स्तंभ, शुंडाकार छड़ी) शीराज़ा-फा० (पु.) 1 किताब की सिलाई की छोर पर लगाया शंडिका-सं० (स्त्री०) ललरी, घाँटी जानेवाला फीता 2 सिलाई, सीयन 3 प्रबंध, इंतज़ाम शुंडी-सं० (पु०) हाथी 4 सिलसिला, क्रम
शुक-सं० (पु०) तोता, सुग्गा शिराज़ी-I फ़ा० (वि०) शीराज़ का II (पु०) शीराज़ का शुक्त-सं० (वि०) स्वच्छ, निर्मल निवासी
शक्ति-सं० (स्त्री०) 1 सीप, सीपी 2 सुतुही 3 शंख शीरी-फा० (वि०) 1 मधुर, मीठा 2 प्रिय, रुचिकर शक्तिका-सं० (स्त्री०) 1 आँख का शक्ति नामक रोग 2 सीप शीरीन-फा० (वि०) मीठा, मधुर
शक्र-I सं० (पु०) 1वीर्य 2 सौर ग्रह का एक प्रमुख तथा शीरीनी-फा० (स्त्री०) 1 मिठास, मधुरता, मधुरिमा 2 मिठाई, बहुत चमकीला ग्रह। -ग्रंथि (स्त्री०) वह ग्रंथि जिसमें वीर्य मिष्ठान
रहता है; दोष (पु०) नपुंसकता शीर्ण-सं० (वि०) 1 खंड-खंड, टुकड़े-टुकड़े 2 फटा पुराना शक्र-II अ० (पु०) कृतज्ञता प्रकाश, उपकार मानना (जैसे-जीर्ण-शीर्ण वस्त्र) 3 दुबला-पतला, कृश (जैसे-खुदा का शुक्र मनाइए कि आप बाल-बाल बच गए)। (जैसे-जीर्ण-शीर्ण शरीर) 4 मुरझाया हुआ 5 गिरा हुआ ल्गुज़ार + फा० (वि०) एहसान माननेवाला; ~गुज़ारी + शीर्ष-सं० (पु०) 1 उन्नत सिरा 2 सिर 3 मस्तक, ललाट फ़ा० (स्त्री०) कृतज्ञता प्रकट करना (जैसे-शरीर का शीर्ष भाग) 4 सबसे ऊँचा हिस्सा | शक्रवार-सं० (पु०) हफ्ते का पाँचवा दिन, बहस्पतिवार तथा (जैसे-हिमालय पर्वत का शीर्ष) 5 दो तरफ़ से आकर शनिवार के बीच का दिन मिलनेवाली तिर्यक रेखाओं का मिलन बिंदु (जैसे-त्रिभुज का शुक्राणु-सं० (पु०) पुरुष के वीर्य का वह अंश जो गर्भ का शीर्ष, शीर्ष कोण) नाम (पु०) लेख आदि का मुख्य पृष्ठ / कारण बनता है (जैसे-शुक्राणु की जाँच करना) पर अंकित नाम; ~पट्ट (पु०) 1 सिर में लपेटने का कपड़ा। शुक्राना-अ0 + फा० (पु०) शुक्रिया अदा करते समय दिया 2 पगड़ी, मुरेठा, साफा; विदु (पु०) 1 आँख का मोतिया जानेवाला धन बिंद नामक रोग 2 सिर का सबसे ऊपरी स्थान, शिरोविंदः शुक्रिया-I अ० (अ०) धन्यवाद (जैसे-शुक्रिया अदा करना
स्थान (पु०) 1माथा 2 सिर 3 सर्वोच्च स्थान;/ II (पु०) उपकार मानना स्थानीय (वि०) = शीर्षस्थ
शक्ल-सं० (वि०) सफ़ेद, श्वेत, शुभ्र (जैसे-शुक्ल वर्णा, शीर्षक-सं० (पु०) लेखों आदि के ऊपर दिया जानेवाला नाम, शुक्ल पक्ष)। ता (स्त्री०) 1 शुक्ल का भाव 2 सफ़ेदी,
हेडिंग (जैसे-पुस्तक का शीर्षक, विषय का शीर्षक) श्वेतता; पक्ष (पु०) चाँदना पक्ष (जैसे-शुक्ल पक्ष में घर सीव-सं० (वि०) प्रधान, चोटी का
से विदा होना)
तपासा