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सँझला
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संदृष्ट सँझला-बो० (वि०) 1 संध्या संबंधी 2 मँझले से छोटा और | संतुष्टि-सं० (स्त्री०) 1 संतुष्ट होने का भाव 2 तृप्ति 3 प्रसन्नता छोटे से बड़ा
संतुष्टिकरण-सं० (पु०) संतुष्ट करना सँझवाती-I (स्त्री०) शाम का दीपक, चिराग II (वि०) संतृप्त-सं० (वि०) 1 पूर्णतः तृप्त 2 घनीकृत, गाढ़ा संध्या का
संतृप्ति-सं० (स्त्री०) 1 पूर्णतः तृप्त होने का भाव 2 गाढ़ापन संझा-बो० (स्त्री०) संध्या, शाम
संतोष-सं० (पु०) 1 तृप्ति 2 प्रसन्नता, हर्ष 3 धैर्य। -जनक संझोखा-[ (पु०) संध्या का समय, संध्याकाल, सायंकाल (वि०) संतोष देनेवाला; ~दायक (वि०) संतोष देनेवाला; II (वि०) शाम का, संध्या कालीन
प्रद (वि०) संतोष प्रदान करनेवाला संटी-(स्त्री०) बेंत, चाबुक
संतोषक-सं० (वि०) 1 संतुष्ट करनेवाला 2 प्रसन्न करनेवाला संड-(पु०) साँड़। ~मुसंड (वि०) हट्टा-कट्टा, मोटा-ताजा संतोषणीय-सं० (वि०) संतोष करने योग्य __ (जैसे-संड मुसंड आदमी, संड मुसंड शरीर)
संतोषमय-सं० (वि०) संतोष युक्त सँड़सा-(पु०) बड़ी सँड़सी
संतोषित-सं० (वि०) 1 प्रसन्न किया हआ 2 संतोष कराया सँड़सी-(स्त्री०) कैंचीनुमा एक उपकरण
हुआ संडा-I (वि०) साँड़ के समान ताक़तवाला, हृष्ट पुष्ट II (पु०) | संतोषी-सं० (वि०) = संतुष्ट
बलवान् और हृष्ट पुष्ट प्राणी। ~मुसंडा (वि०) = संड मसंड | संतोष्य-सं० (वि०) = संतोषणीय संडास-(पु०) शौच कूप
संत्रस्त-सं० (वि०) 1 अत्यंत डरा हुआ 2 संतापित संत-[सं० (पु०) 1 सज्जन और महात्मा 2 परम धार्मिक और | संत्राण-सं० (पु०) रक्षा साधु व्यक्ति II (वि०) बहुत ही निर्मल और पवित्र संत्रास-सं० (पु.) 1 अत्यंत भय, आतंक 2 दुःख (जैसे-संत स्वभाव, संत हृदय)। ~पन (पु०) संत होने का | संथा-(स्त्री०) सबक, पाठ
भाव; दय (वि०) निर्मल तथा पवित्र हृदयवाला। संद-बो० (स्त्री०) दरार, छेद संतत-सं० (अ०) सदा निरंतर
संदर्प-सं० (पु०) घमंड संतति-सं० (स्त्री०) संतान, औलाद। निग्रह, निरोध | संदर्भ-सं० (पु०) 1 वर्णित प्रसंग 2 विवेचनात्मक ग्रंथ 3 संबंध (पु०) बच्चा पैदा करने पर रोक
निर्वाह 4 व्यापक अर्थ में स्थिति 5 संकलन करना। ग्रंथ संतप्त-सं० (वि०) 1दुःखी, उदास, खिन्न 2 दग्ध | (पु०) प्रामाणिक आकार ग्रंथ; ~युक्त (वि०) संदर्भ से (जैसे-संतप्त मन)
पूर्ण; ~साहित्य (पु०) प्रामाणिक जानकारी प्राप्त करने का संतरण-I सं० (पु०) तैरकर पार होना II (वि०) तारनेवाला __ग्रंथ आदि; ~सूची (स्त्री०) = संदर्भिका संतरा-पुर्त० (पु०) बड़ी नारंगी
संदर्भिका-सं० (स्त्री०) संदर्भ ग्रंथों की सूची संतरी-अं० (पु.) 1 पहरेदार 2 द्वारपाल
संदर्श-सं० (पु०) झलक, दृश्य संतान-I सं० (स्त्री०) संतति, औलाद। -निग्रह (पु०) = | संदल-अ० (पु०) चंदन संतति निरोध; निरोधक (वि.) बच्चे को जन्म देने से संदली-अ० (वि०) चंदन का रोकनेवाला; ~वृद्धि (स्त्री०) संतान बढ़ना; ~हीन (वि०) संदिग्ध-सं० (वि०) संदेहयुक्त। ता (स्त्री०) = संदिग्धत्व; बिना बाल बच्चे का (जैसे-संतानहीन दंपति); हीनता बुद्धि (वि०) संदेही; ~भूत (पु०) भूतकाल का रूप (स्त्री०) निःसंतान होने की स्थिति (जैसे-संतानहीनता का जिससे कार्य के संदेह का बोध हो (जैसे-गया होगा); दुःख, संतानहीनता में जीवन गुज़ारना)
वर्तमान (पु०) वर्तमान काल का वह रूप जिससे संदेह संतान-II सं० (पु०) 1 अविच्छिन्न क्रम, पंक्ति 2 शाखा, | का बोध हो (जैसे-जाता होगा) प्रशाखा 3 विस्तार, फैलाव
संदिग्धत्व-सं० (पु०) संदिग्ध भाव संतानवान-सं० (वि०) संतानवाला
संदिग्धार्थ-सं० (वि०) संदिग्ध अर्थवाला संतानोत्पत्ति-सं० (स्त्री०) संतान का जन्म
संदिष्ट-सं० (वि०) 1 कहा हुआ 2 संदेह के रूप में कहा हुआ संतानोत्पादन-सं० (पु०) संतान होना
संदी-सं० (स्त्री०) शय्या, पलंग, खाट संताप-सं० (पु०) 1 दुःख, क्लेश 2 ज्वर, ताप, बुखार | संदीपक-सं० (वि०) उद्दीपक
3 आत्मग्लानि, अनुताप। ~कारी (वि०) संताप करनेवाला संदीपन-सं० (पु०) उद्दीपन संतापन-I सं० (पु०) 1 जलाना 2 संतप्त करना II (वि०) संदीप्त-सं० (वि.) 1 प्रज्जवलित 2 प्रकाशित संतप्त करनेवाला
संदुष्ट-सं० (वि०) 1कलुषित 2 दुष्ट, कमीना संतापित-सं० (वि०) = संतप्त
संदूक-अ० (पु०) बकस, बक्सा, पेटी। चा + फ्रा० संतापी-सं० (वि०) संताप देनेवाला
(पु०) छोटा संदूक; ची + फ़ा० + हिं० (स्त्री०) छोटा संतुलन-सं० (पु०) 1 अच्छी तरह तौलना 2 सभी पक्षों का | संदूकचा; ~नुमा + फ़ा० (वि०) संदूक के आकार का यथा स्थान होना
संदूकड़ी-अ० + हिं० (स्त्री०) छोटा बकस संतुलित-सं० (वि०) 1संतुलन हआ 2 बिल्कुल ठीक संदूकी-अ० + फ़ा० (वि०) = संदूकनुमा
3समान प्रभाववाला (जैसे-संतुलित विचार और भावना) | संदूषण-सं० (पु०) कलुषित करना संतुष्ट-सं० (वि०) 1 संतोष किया गया 2 राजी किया गया संदूषित-सं० (वि०) कलुषित किया हुआ (जैसे-संतुष्ट अधिकारी)
| संदृष्ट-सं० (वि०) 1 भली भाँति देखा हुआ 2 निर्दिष्ट