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व्युच्छिन
व्युच्छिन्न-सं० (वि०) 1 उन्मूलित 2 विनष्ट व्युच्छेद -सं० ( पु० ) 1 उन्मूलन 2 विनाश व्युति-सं० (स्त्री०) 1 बुनना-सीना आदि क्रिया 2 बुनने सीने आदि की मज़दूरी व्युत्क्रम-सं० (पु० ) 1 व्यतिक्रम 2 अपराध 3 मृत्यु
4 अस्तव्यस्तता
व्युत्थान-सं० (पु० ) 1 खड़े होना 2 विरोध में खड़े होना व्युत्पत्ति-सं० (स्त्री०) 1 उत्पत्ति 2 मूल उद्गम 3 शब्द का
मूल रूप, विकास 4 बहुज्ञता, पांडित्य । ~लभ्य (वि०) = व्युत्पत्तिक; ~ विज्ञान (पु०) शब्दों की उत्पत्ति से संबंधित
शास्त्र
व्युत्पत्तिक-सं० (वि०) 1 व्युत्पत्ति से संबंधित 2 व्युत्पत्ति रूप में होनेवाला
व्युत्पत्यात्मक-सं० (वि०) = व्युत्पत्तिक व्युत्पन्न - सं० (वि०) 1 उत्पन्न 2 (शब्द) जिसकी उत्पत्ति ज्ञात हो
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व्युत्पादक-सं० (वि०) उत्पन्न करनेवाला व्युत्पादन-सं० (पु० ) 1 उत्पन्न करना 2 व्युत्पत्ति व्यूह -सं० (पु० ) 1 समूह, जमघट 2 सैनिकों का विशेष क्रम में खड़ा करना 3 योजना । बद्ध (वि०) व्यूह में फँसा हुआ; ~ रचना ( स्त्री०) व्यूह का निर्माण
व्यूहन - सं० ( पु० ) 1 व्यूह रचने का भाव 2 रचना, विस्थापन व्योम-सं० (पु० ) आकाश, अंतरिक्ष, आसमान।
गंगा
(स्त्री०) आकाश गंगा; चारी I (वि०) आकाश में विचरण करनेवाला, आकाशचारी II ( पु० ) 1 देवता 2 पक्षी; ~बाला (स्त्री०) = अप्सरा ~ मंडल (पु०) 1 आकाश, आसमान 2 झंडा, पताका; मार्ग (पु० ) वायु पथ; ~ यात्रा (स्त्री०) आकाश की यात्रा, अंतरिक्ष यात्रा; ~ यात्री (पु० ) अंतरिक्ष यात्री; यान (पु० ) 1 हवाई जहाज़ 2 अंतरिक्ष यान, स्पेस शिप
=
व्रज-सं० (पु० ) 1 मार्ग, सड़क 2 समूह, झुंड 3 गोपों की बस्ती व्रजन-सं० (पु०) गमन, जाना
व्रज्या -सं० (स्त्री०) भ्रमण, पर्यटन
व्रण-सं० (पु० ) घाव । कारक (वि०) घाव पैदा करनेवाला
व्रत-सं० (पु० ) 1 संकल्प 2 उपवास 3 नियम । चारी (पु० ) व्रत करनेवाला; ~ धारी (वि०) व्रत का पालन करनेवाला; - पालन ( पु० ) व्रत का पालन करना, व्रत
करना; ~भंग (पु० ) प्रतिज्ञा या नियम का टूटना व्रती -सं० (पु० ) 1 व्रत धारण कर्ता (जैसे- वेद व्रती) 2 संन्यासी 3 यजमान
व्रात्य - I सं० ( पु० ) 1 संस्कारहीन हिंदू वर्णसंकर II ( वि० )
व्रत का
व्रात्या - सं० (स्त्री०) संस्कारहीन हिंदू स्त्री व्रीडा-सं० (स्त्री०) लज्जा, शर्म
व्रीहि सं० ( पु० ) 1 अनाज, अन्न 2 धान, चावल 3 धान का खेत
श
शंकनीयसं० (वि०) शंकायोग्य
शंकर - I सं० (पु० ) 1 शिव 2 शंकराचार्य 3 संगीत का एक राग II ( वि०) कल्याणकारी, शुभंकर शंका-सं० (स्त्री०) 1 आशंका, भय 2 संशय 3 आपत्ति, जिज्ञासा आदि का उत्पन्न होना (जैसे-आपके इस कथन में मुझे एक शंका है) 4 साहि० एक संचारी भाव जिसमें शरीर में तथा भावों में विकृत उत्पन्न हो जाता है। बीज (पु०) शक का कारण, शक का आधार; ~वाद (पु०) प्रत्येक बात को शक की दृष्टि से देखने का नियम; ~वादी I (वि०) शंकावाद से संबंधित II (पु० ) शंकावाद का समर्थक; ~शील (वि०) शंका करनेवाला, शक्की शंकाभियोग-सं० (पु० ) संदेह का दोषारोपण शंकालु -सं० (वि०) प्रायः संदेह करनेवाला, शंकाशील शंकास्पद -सं० (वि०) संदेह, खटका या भय का विषय शंकित -सं० (वि०) 1 शंका हुई 2 भीत (जैसे-शंकित हृदय) शंकु -सं० (पु० ) एक प्रकार का घन पदार्थ जिसका अधोभाग. गोलाकार होता है और जो क्रमशः पतला हुआ सर्वोच्च भाग नुकीला हो जाता है, कोन। ~ आकार (वि०) शंकु की आकृति का रूप (वि०) शंकु की आकृति या रूप का शंक्वाकर-सं० (वि०) शंकु आकार शंख-सं० (पु० ) 1 समुद्र में उत्पन्न एक जंतु का खोल 2 समुद्री घोंघा 3 एक लाख करोड़ की संख्या, दस खर्व की संख्या 4 हाथी का गंडस्थल 5 युद्ध का नगाड़ा (जैसे- शंख की आवाज़)। ~ नाद (पु० ) शंख की ध्वनि शंखचूड़ - संग (पुर) काली विंदियोंवाला एक अत्यंत जहरीला साँप शंखिनी-सं० (स्त्री०) कामशास्त्र के अनुसार स्त्रियों के चार भेदों में से एक नायिका जो अत्यंत काम पीड़ित पर पुरुष की रमण इच्छुक कर्कश तथा चुगलखोर स्वभाववाली होती है शंड-सं० (पुं०) सांड़
शंपा-सं० (स्त्री०) बिजली, विद्युत्
शंबूक - सं (पु० ) 1 घोंघा 2 शंख 3 हाथी के सूँड़ की नोक 4 त्रेता युग में रामराज्य का एक शूद्र तपस्वी शंभु - I सं० (पु० ) शिव II (वि०) कल्याण करने और सुख देनेवाला
शंसन-सं० (पु० ) 1 प्रशंसा करना 2 मंगल कामना करना
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शक
3 पाठ करना
शंसनीय सं० (वि०) 1 प्रशंसनीय 2 मंगल करनेवाला 3 कथनीय
शंसित - सं० (वि०) 1 निश्चित 2 स्तुत 3 कथित 4 इच्छित शंस्य-सं० (वि०) 1 प्रशंसा के योग्य 2 अभिलाषित 3 कहा हुआ, कथित
शऊर - अ० (पु० ) 1 तरीक़ा, ढंग 2 सामान्य योग्यता या लियाक़त 3 विवेक, बुद्धि । दार फ़ा० (वि०) 1 शऊरवाला 2 विवेकी, बुद्धिवाला शक - I सं० (पु० ) 1 प्राचीन काल में शकद्वीप में रहनेवाली एक समृद्ध जाति 2 तातार देश के निवासी, तातारी 3 शकों का एक
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