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व्यंजनात्मक
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व्यवधान
2 प्रकट करने का भाव। पूर्ण (वि०) व्यंजना से व्याप्त, । व्यतिहार-सं० (पु०) 1 गाली-गलौज़ 2 अदला-बदली, व्यंजनामय
विनिमय 3 मारपीट व्यंजनात्मक-सं० (वि०) = व्यंजना संबंधी
व्यतीत-सं० (वि०) बीता हुआ, गुज़र गया (जैसे-अब तो व्यंजित-सं० (वि०) अभिव्यक्त
खेल व्यतीत हो गया) 2 मरा हुआ 3 उपेक्षित 4 परित्यक्त व्यक्त-सं० (वि०) 1 प्रकट किया गया (जैसे-व्यक्त वाणी, व्यत्यय-सं० (पु०) 1 व्यतिक्रम 2 विचलन व्यक्त विचारधारा) 2 साफ़, स्पष्ट (जैसे-अपने विचारों को व्यत्यस्त-सं० (वि०) 1 विपरीत क्रम में रखा हआ 2 विपरीत व्यक्त करना)
3 असंगत 4 एक दूसरे को काटता हुआ व्यक्ति-सं० (पु०) 1 मनुष्य, आदमी (जैसे-व्यक्ति समूह) | व्यथक-सं० (वि०) व्यथित करनेवाला 2 व्यष्टि । ~गत (वि०) निजी; चित्रण (पु०) व्यक्ति का व्यथन-सं० (पु०) व्यथा पहुँचाना चरित्रांकन; तंत्र (पु०) राज व्यवस्था; ~निष्ठ (वि०) व्यथथिता-सं० (वि०) व्यथित करनेवाला 1 व्यक्तिपरक 2 स्वानुभूतिमूलक; निष्ठा (स्त्री०) व्यथा-सं० (स्त्री०) आंतरिक क्लेश या दःख। -वेदना 1 व्यक्तिपरकता 2 स्वानुभूतिपरकता; पूजा (स्त्री०) व्यक्ति । (स्त्री०) आंतरिक दुःख और पीड़ा की पूजा; ~प्रधान (वि०) जिसमें व्यक्ति की प्रधानता हो । व्याथातुर-सं० (वि०) पीड़ित (जैसे-व्यक्ति प्रधान समाज); ~प्रमुख (वि०) जिसमें व्यथित-सं० (वि०) 1 व्यग्र 2 क्लेशित 3 दुःखी (व्यथित व्यक्ति प्रमुख हो; ~वाचक (वि०) व्यक्ति का बोध करानेवाला; ~वाद (पु०) व्यक्ति को महत्त्व देनेवाला व्यपकर्ष-सं० (पु०) निंदा, अपवाद सिद्धांत; ~वादी I (वि०) व्यक्तिवाद संबंधी II (पु०) व्यपकृष्ट-सं० (वि०) 1 हटाया गया 2 अलग किया हआ व्यक्तिवाद का समर्थक; ~वैचित्र्य (प०) एक व्यक्ति की व्यपगत-सं० (वि०) 1 गया हआ 2 वंचित, रहित दूसरे से विचित्रता या भिन्नता
व्यपगति-सं० (स्त्री०) 1 प्रस्थान 2 लोप 3 राहित्य व्यक्तित:-सं० (क्रि० वि०) व्यक्तिगत रूप से
व्यपगमन-सं० (पु०) 1 जाना 2 लोप होना व्यक्तित्व-सं० (पु०) 1 व्यक्ति की विशेषता या गुण व्यभिचार-सं० (पु०) 1 निकृष्ट आचरण 2 कुमार्ग गमन (जैसे-व्यक्तित्व परिचय) 2 विशेष गुण, असामान्य विशेषता ___3 अनुचित यौन संबंधी, छिनाला, एडल्टरी 4 दुराचार, दुष्कर्म, (जैसे-महान् पुरुषों का व्यक्तित्व अनुकरणीय है)। पूजा __ पाप। -प्रिय (वि०) व्यभिचार करनेवाला (स्त्री०) = व्यक्ति पूजा; प्रधान (वि०) = व्यक्ति प्रधान; व्यभिचारिणी-सं० (स्त्री०/वि०) 1 पुंश्चली 2 कुलटा 3 स्थिर
बाद (पु०) ये सिद्धांत कि प्रत्येक व्यक्ति का व्यक्तित्व | न रहनेवाली (बुद्धि) 5 व्यभिचार करनेवाली निराला होता है
व्यभिचारी-सं० (वि०) 1 व्यभिचार संबंधी 2 व्यभिचार व्यक्तिपरक-सं० (वि०) = व्यक्तिगत
करनेवाला 3 अस्थिर (जैसे-व्यभिचारी बुद्धि) व्यक्तिश:-सं० (क्रि० वि०) = व्यक्तितः
व्यय-सं० (पु०) 1 खर्च (जैसे-मासिक व्यय) 2 क्षय, नाश व्यक्तीकरण-सं० (पु०) व्यक्त करना
(जैसे-संपत्ति का व्यय)। कर (पु०) व्यय पर लगनेवाला व्यग्र-सं० (वि०) 1 व्याकुल, परेशान 2 डरा हुआ, भयभीत | टैक्स; परिमाण (पु०) ख़र्च की मात्रा; ~शील (वि०) 3 अस्थिर (जैसे-व्यग्र मन)। हस्त (वि०) काम में फँसा | अपव्ययी
व्ययक-सं० (पु०) 1 जो व्यय करना हो वह वस्तु आदि व्यजन-सं० (पु०) पंखा
2 खर्च, ऐक्सपेंडिचर व्यतिकर-1 सं० (पु०) 1 मिलन, संयोग 2 लगाव, संपर्क | व्ययी-सं० (वि०) अधिक खर्च करनेवाला। 3 व्यसन 4 नाश, अंत II (वि०) 1 व्यति करनेवाला व्यर्थ-[ सं० (वि०) 1 बेकार, फ़ालतू (जैसे-व्यर्थ की सामग्री, 2 परस्पर अमुवर्ती 3 व्यापक
व्यर्थ की बात) 2 निरर्थक (जैसे-व्यर्थ का काम, व्यर्थ गाली व्यतिक्रम-सं० (पु०) 1 बाधा, रुकावट 2 उल्लंघन 3 रीति बकना) II (अ०) बे वज़ह, अकारण (जैसे-व्यर्थ ज़लील भंग 4 उपेक्षा 5 क्रम विपर्यय
करना, व्यर्थ रोना) - व्यतिक्रमण-सं० (पु०) 1 उलट फेर होना 2 क्रम भंग करना व्यर्थन-सं० (पु०) 1 व्यर्थ सिद्ध करना 2 रद्द करना (जैसे-व्यतिक्रमण रोकना, व्यतिक्रमण विरोध)
व्यर्थीकरण-सं० (पु०) व्यर्थ करना व्यतिक्रांत-सं० (वि०) 1 वाधित 2 उल्लंधित 3 भग्न 4 बिताया | व्यवकलन-सं० (पु०) 1 ग० घटाना 2 घटाव 3 पार्थक्य,
जुदाई व्यतिरिक्त-[सं० (वि०) 1 भिन्न, अलग 2 बढ़ा हुआ II व्यवच्छिन्न-सं० (वि०) 1 काटकर अलग किया हुआ (क्रि० वि०) अतिरिक्त, सिवा
2 विभक्त 3 निश्चित, निर्धारित व्यतिरेक-सं० (पु०) 1 अभाव 2 अंतर, भेद 3 बढ़ती, वृद्धि व्यवच्छेद-सं० (प०) 1 अलगाव, पार्थक्य 2 खंड, विभाग 4 अतिक्रमण 5 साहि० एक अर्थालंकार जिसमें उपमान की । (जैसे-कर्म व्यवच्छेद)
अपेक्षा उपमेय को गुण विशेष के कारण उत्कर्ष माना गया है व्यवच्छेदक-सं० (वि०) व्यवच्छेद करनेवाला व्यतिरेकी-सं० (वि०) 1 भेद उत्पन्न करनेवाला 2 अतिक्रमण व्यवदान-सं० (पु०) 1 सफ़ाई 2 संस्कार करनेवाला
व्यवधान-सं० (पु०) 1 बाधा 2 परदा, ओट 3 बीच में व्यतिव्यस्त-सं० (वि०) अस्त व्यस्त
पड़नेवाला
हुआ