________________
बिस्तरा
597
बिस्तरा-फा० + हिं० (पु०) बिस्तर
पड़ना 1 बिचवई करना 2 ज़िम्मेदार बनना; ~रखना 1 भेद बिस्तारना-(स० क्रि०) बो० 1 फैलाना 2 विस्तार पूर्वक वर्णन करना 2 छिपाना करना
बीच-III (स्त्री०) = वीचि, लहर बिस्तुइया-(स्त्री०) छिपकली
बीचों-बीच-(क्रि० वि०) बिलकुल बीच में बिस्वाँसी-(स्त्री०) बिसवा का बीसवाँ भाग
बीछी-बो० (स्त्री०) बिच्छ्र बिस्वा-(पु०) एक बीघे का बीसवाँ भाग (जैसे-चार बिस्वा | बीज-सं० (पु०) 1 बोने के लिए कोई दाना (जैसे-फल का ज़मीन)
बीज, अत्र का बीज) 2 वीर्य, शुक्र 3 मूल कारण 4 कथा वस्तु बिहँसना-(अ० क्रि०) बो० 1 मुस्कराना 2 हँसना 3 प्रसन्न होना । का मूल 5 अज्ञात राशि का सूचक अक्षर (जैसे-बीजगणित)। बिहँसाना-I (स० क्रि०) बो० हँसाना II (अ० क्रि०) केंद्र (पु०) 1 वह मध्यभाग जिसके चारों ओर वस्तुएँ बाद 1 मुस्कराना 2 खिलना
में इकट्ठी हों 2 वह मध्यभाग जिसमें बीज रहता है; ~कोश, बिहरना-I (अ० क्रि०) 1 विचरना 2 विहार करना
~कोष (पु०) वनस्पति का वह अंश जिसके अंदर उसके बिहरना-II (अ० क्रि०) फटना
बीज बंद हों; -क्रिया (स्त्री०) बीजगणित की क्रिया; बिहरी-बो० (स्त्री०) बेहरी
~खाद + हिं० (पु०) किसानों को बीज-खाद हेतु दी बिहाग-(पु०) ओड़व संपूर्ण जाति का राग
जानेवाली रकम; ~गणित (पु०) गणित का एक भेद जिसमें बिहागड़ा-(पु०) संगीत में बिहाग राग का एक भेद संख्या की जगह अक्षरों का प्रयोग करते हैं; दर्शक (पु०) बिहान-(पु०) 1 सबेरा 2 आगामी कल
नाटकों के अभिनय की व्यवस्था करनेवाला व्यक्ति, परिदर्शक; बिहाने-(क्रि० वि०) 1 सवेरे 2 कल
-द्रव्य (पु०) पदार्थ का मूल तत्त्व; ~धान्य (पु०) बिहारना-(अ० क्रि०) बो० विहार करना
धनियाँ पुरुष (पु०) कुल आदि का पुरुष; ~पूर (पु०) बिहारी-I (पु०) बिहार राज्य का निवासी II (स्त्री०) बिहार | बिजौरा; ~पेशिका (स्त्री०) अंडकोश; ~भाषा (स्त्री०)
की बोली III (वि०) 1 बिहार का 2 बिहार में होनेवाला 1 कूट भाषा 2 मूल भाषा; ~मंत्र (पु०) 1 देवता के लिए बिहिश्त-फ़ा० (पु०) स्वर्ग, बैकुंठ
निश्चित मंत्र 2 मूल मंत्र, गुर; रेचन (पु०) जमालगोटा; बिहिश्ती-I फा० (वि०) स्वर्गीय II (पु०) स्वर्ग का वासी ~लेख (पु०) कूट लेख; ~वपन (पु०) 1 बीज बोना बिहिश्ती-III बो० (पु०) = भिश्ती
2 खेत; ~शोधन (पु०) बीजों की सफ़ाई बिही-1 फा० (स्त्री०) 1 अमरूद 2 नाशपाती की शक्ल का बीजक-सं० (पु०) 1बिजौरा नींबू 2 बीज, दाना 3 संत, एक फल एवं इसका पेड़ II (स्त्री०) भलाई। दाना महात्मा के प्रामाणिक पदों का संग्रह (जैसे-कबीर का बीजक) (पु०) बिही नामक फल का बीज।
___4 सूची 5 भेजे जानेवाले माल की सूची बीड-(पु०) एक के ऊपर एक रखे गए रुपयों का ढेर बीजत्व-सं० (पु०) 'बीज' होने की अवस्था, बीजपन बीडा-(पु०) 1 पयाल का बना गोल आसन 2 गेंडुरी 3 गोल बीजना-(स० क्रि०) 1 बीज बोना 2 काम आदि का बीजारोपण पिंड, लुंडा बीड़िया-बो० (पु०) गाड़ी में जुते तीन बैलों में से सबसे | बीजांक-सं० (पु०) = बीज-भाषा आगेवाला बैल
बीजांकुर-सं० (पु०) बीज से निकलनेवाला अंकुर। न्याय बीडी-(स्त्री०) 1 एक तरह की रस्सी 2 गेंडुरी
(पु०) बीज से अंकुर और अंकुर से बीज की उत्पत्ति का बींधना-I (स० क्रि०) छेदना, बेधना II (अ० क्रि०) अनादि प्रवाह 1आबद्ध होना 2 उलझा रहना
बीजांड-सं० (पु०) 1 भ्रूण का आरंभिक रूप 2 बीज का बी-फा० (स्त्री०) बीबी
आरंभिक रूप बीकर-अं० (पु०) कीपनली
बीजाक्षर-सं० (पु०) मंत्र का पहला अक्षर बीग-बो० (पु०) भेड़िया
बीजाणु-सं० (पु०) वीर्यकण बीगना-(स० क्रि०) 1 छितराना 2 फेंकना
बीजारोपण-सं० (पु०) 1 बीज बोना 2 काम करना बीघा-(पु०) एक एकड़ का 3/5वाँ भाग
बीजावस्था-सं० (स्त्री०) मूलावस्था बीच-I (पु०) 1 केंद्रीय अंश (जैसे-दो मकानों के बीच एक | बीजी-I सं० + हिं० (वि०) 1 बीजों से युक्त 2 बीज संबंधी कुआँ है) 2 जगह, स्थान 3 अंतर, फ़र्क 4 मध्यस्थता ___II (स्त्री०) 1 गिरी 2 गुठली (जैसे-विरोधियों के बीच में अच्छा नहीं है) 5 दूरी, अवकाश बीजोदक-सं० (पु०) ओला 6 मौक़ा, अवसर (बीच में टपक पड़ना, बोल पड़ना) बीज्य-सं० (वि०) 1 अच्छे बीज से उत्पन्न 2 कुलीन II (क्रि० वि०) अंदर, दरमियान, में। बचाव (पु०) = | बीझना-I (अ० क्रि०) बझना, फँसना बीच बिचाव; बिचाव (पु०) मध्यस्थता, बिचवई; बीझना-II (स० क्रि०) फँसाना
वाला (वि०) मध्यस्थ, बिचुआ; ~करना बिचवई बीट-(स्त्री०) 1 पक्षियों का गुह, विष्ठा 2 मल, गुह 3 तुच्छ वस्तु करना; ~खेत खुल्लमखुल्ला, डंके की चोट; ~पड़ना फ़र्क | बीटा-किरणें-अं0 + सं० (स्त्री०) एटम के एक कण से उत्पन्न होना; पारना भेद, बिलगाव करना; बीच में | धारा थोड़ी-थोड़ी देर पर; ~में कूदना दखल देना, टाँग अड़ाना; | बीड़-(स्त्री०) एक पर एक रखे हुए सिक्कों का थाक ~में डालना मध्यस्थ बनाना; ~में देना साक्षी बनाना; ~में | बीडा-(पु०) 1 गिलौरी (जैसे-पान का बीड़ा) 2 म्यान के मुंह
करना