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भिक्षाक
(जैसे- भिक्षा पात्र का अधिकारी); वृत्ति (स्त्री०) भिक्ष माँगना
भिक्षाक-सं० (पु० ) भिक्षुक भिक्षाटन - सं० ( पु० ) भिक्षा हेतु दरवाज़े दरवाज़े जाना भिक्षार्थी - I सं० (वि०) भीख माँगनेवाला II (पु० ) भिखारी भिक्षार्ह सं० (वि०) भिक्षा पाने योग्य
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भिक्षित-सं० (वि०) भीख में मिला हुआ
भिक्षु सं० ( पु० ) 1 भिखमंगा 2 साधु-संन्यासी 3 गोरख मुंडी । ~ संघ (पु० ) 1 भिखमंगों का समूह 2 साधु-संन्यासियों का संगठन, दल
भिक्षुक - I सं० ( पु० ) भिक्षु II ( वि०) भीख माँगनेवाला भिक्षुकी - सं० (स्त्री०) भिक्षुक स्त्री
भिक्षुणी - सं० (स्त्री०) बौद्ध संन्यासिनी
भिखमंगा - ( पु० ) भीख माँगनेवाला, भिखारी
मिखमंगिन - (स्त्री०) भीख माँगनेवाली स्त्री भिखारिणी, भिखारिन - ( स्त्री०) भिक्षुकी भिखारी - (पु० ) भिखमंगा
भिगाना - (स० क्रि०) भिगोना
भिगोना - (स० क्रि०) 1 गीला करना, तर करना (जैसे- कपड़े भिगोना) 2 पानी में भिगोकर नरम करना (जैसे-चने भिगोना) भिचना - (अ० क्रि०) दबना, मूँदना
भिजवाना - I (स० क्रि०) भिगोने का काम कराना II (स० क्रि०) भेजने का काम कराना
भिजाना- (स० क्रि०) 1 भिगोना 2 भेजवाना
भिटनी - (स्त्री०) स्तन का अग्रभाग, चूँची, चूचुक भिड़ंत - (स्त्री०) मुठभेड़ भिड़ - (स्त्री०) बर्रे, ततैया
भिड़ना - ( अ० क्रि०) 1 टकराना 2 लड़ना (जैसे- साँड़ों का भिड़ना) 3 सवाल-जवाब करना 4 सटना (जैसे- दरवाज़े के पल्लों का भिड़ना)
भिड़ाई - (स्त्री०) 1 भिड़ना 2 टक्कर
भिड़ाना - (स० क्रि०) 1 भिड़ने में प्रवृत्त करना 2 सटाना 3 लड़ाई-झगड़ा कराना
भितरिया- बो० (वि०) भीतर रहनेवाला, अंतरंग घितल्ला - I ( पु० ) भीतर की परत अस्तर II (वि०) भीतर का, अंदर का
घितल्ली - ( स्त्री०) चक्की के नीचे का पाट भित्ति - I सं० (स्त्री०) 1 दीवार 2 चित्र बनाने का आधार, चित्राधार 3 नींव । ~ कला (स्त्री०) दीवार पर चित्र बनाने का काम; ~ चित्र (पु० ) दीवार पर बना चित्र; चित्रकला (स्त्री०) भित्ति कला; ~ चित्रकार (पु०) दीवार पर चित्र बनानेवाला; ~ चित्रकारी (स्त्री०) दीवार पर चित्र बनाना; ~पत्रक (पु०) दीवार पर चिपकाया जानेवाला पोस्टर आदि भित्ति - II सं० (स्त्री०) भय, डर
भित्तिका-सं० (स्त्री०) दीवार
भिदना - (अ० क्रि०) 1 छेदा जाना 2 धँसना, घुसना मिनकना- (अ० क्रि०) 1 भिन-भिन शब्द करना (जैसे- मक्खियाँ भिनकना) 2 घृणा पैदा होना (जैसे-जी भिनकना)
घिन घिन - (स्त्री०) मक्खियों की आवाज़
भिनभिनाना - (अ० क्रि०) भिन भिन शब्द होना भिनभिनाहट - (स्त्री०) भिन भिन भिनसार-बो० पु० सबेरा
भिन्न - I सं० ( वि० ) 1 अलग, पृथक् (जैसे-भिन्न पदार्थ ) 2 अलग किया हुआ (जैसे-छिन्न भिन्न) 3 अलग तरह का (जैसे- भिन्न विषय) 4 दूसरा, और (जैसे-भिन्न व्यक्ति) II (पु०) ग० इकाई का छोटा अंश (जैसे-1/4)। गुणन (पु०) भिन्नों का गुणा करना; जातीय (वि०) अलग जाति का; ता ( स्त्री०) भिन्न होने की अवस्था; भाषित्व (पु०) भिन्न भाषी होने का भाव; ~ भिन्न (वि०) अलग, अलग; ~ मतावलंबी (वि०) दूसरे सिद्धांत को माननेवाला; ~मर्याद (वि०) मर्यादा भंग करनेवाला, अनियंत्रित वर्ग (पु०) दूसरे वर्ग का पदार्थ आदि; ~ वर्ण (वि०) 1 अन्य जाति का 2 विवर्ण; ~ व्यवकलन (पु० ) भिन्नों का घटाव; हृदय (वि०) दुःखी हृदयवाला
भिन्नाना- (अ० क्रि०) सिर चकराना
भिन्नार्थ, भिन्नार्थक सं० (वि०) 1 भिन्न उद्देश्यवाला 2 स्पष्ट अर्थवाला
भिन्नोदर - सं० (पु० ) सौतेला भाई भिन्नोदरी-सं० (स्त्री०) सौतेली बहन भिलनी - (स्त्री०) भील जाति की स्त्री भिल्ल - ( पु० ) एक जंगली जाति, भील भिश्ती - ( पु० ) मशक से पानी ढोनेवाला व्यक्ति
भिषक - सं० (पु० ) हकीम, वैद्य
भिष्टा - (स्त्री०) मल
भीतर
भींगना - (अ० क्रि०)
भींगी - (पु० ) भौंरा
भींचना - (स० क्रि०) 1 दबाना 2 बंद करना (जैसे - आँख भींचना ) 3 खींचना (जैसे- भींचकर गले लगाना) भी - ( क्रि० वि०) 1 अवश्य 2 तक 3 अधिक भीख - (स्त्री०) 1 भिक्षा (जैसे भीख माँगना) 2 भीख में मिली वस्तु
भीगना - (अ० क्रि०) 1 गीला होना, तर होना (जैसे-पसीने से भीगना) 2 दयार्द्र होना (जैसे उसका हृदय करुणा से भीग गया) 3 फूलना (जैसे सारा अन्न पानी में भीग गया ) भीगा - (वि०) 1 तर हुआ (जैसे- भीगा वस्त्र) 2 दयार्द्र हुआ (जैसे - करुणा से भीगा व्यक्ति) 3 फूला हुआ (जैसे- पानी में भीगा चना ) | भीगी बिल्ली दीन-हीन बना हुआ; भीगी रात अधिक ठंडी रात, आधी रात के बाद की रात भीट, भीटा - (पु०) 1 टीला, दूह 2 टीले की शक्ल की ज़मीन
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भीगना
भीड़ - (स्त्री०) 1 जन समूह, मजमा (जैसे- प्रदर्शनकारियों की भीड़) 2 अधिकता (जैसे काम की भीड़)। ~भड़क्का, ~भड़ाका (पु० ), भाड़ (स्त्री०) 1 भीड़, जनसमूह 2 धक्कम धक्का (जैसे- मेले में भीड़-भाड़ होना) भीत - I (स्त्री०) दीवार
भीत - II सं० (वि०) डरा हुआ, भयभीत भीतर - I ( क्रि० वि० ) (जैसे- भीतर झाँकना ) 3 अंतःपुर
1 अंदर ( जैसे घर के भीतर) 2 मन में II (पु० ) 1 अंदरवाला भाग 2 मन