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भौमिकी
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मंगल
भौमिकी-सं० (स्त्री०) 1 भूगोल 2 भू विज्ञान
प्रातृजाया-सं० (स्त्री०) भाभी, भाई की पत्नी भौम्य-सं० (वि०) 1 भूमि संबंधी 2 पृथ्वी पर होनेवालाः | | प्रातृत्व-सं० (पु०) भ्रातृ-भाव भौरिक-सं० (पु०) 1 राजकीय कोष का प्रधान अधिकारी |भातृ प्रेम-सं० (पु०) भाई का प्यार 2 कोषाध्यक्ष
भ्रातभाव-सं० (पु०), भ्रातृ भावना-सं० (स्त्री०) भाई का भौरिकी-सं० (स्त्री०) 1कोषागार 2 टकसाल
व्यवहार : भौलिया-(स्त्री०) ऊपर से ढकी एक तरह की छोटी नाव | प्रातृवत्-सं० (वि०) भाई की तरह भौसा-(पु०) 1 जनसमूह 2 शोरगुल
भ्रातृहत्या-सं० (स्त्री०) भाई की हत्या भ्रंश-[सं० (पु०) 1 नीचे गिरना, पतन 2 नाश, हास, ध्वंस II भ्रात्रीय-सं० (वि०) भ्राता संबंधी, भाई का (वि०) भ्रष्ट
भ्राम-I सं० (पु०) धोखा, भ्रम 2 भूल चूक II (वि०) भ्रंशी-सं० (वि०) भ्रष्ट होनेवाला
भ्रमयुक्त भ्रकुटि-सं० (स्त्री०) 1 भौंह 2 भौंह सिकुड़ना
भ्रामक-सं० (वि०) 1 भ्रम उत्पन्न करनेवाला 2 संदेह उत्पन्न भ्रम-सं० (पु०) संदेह, संशय (जैसे-भ्रम में पड़ना, भ्रम दूर | करनेवाला करना)। ~कारी, जनक (वि०) भ्रम उत्पन्न भ्रामर-I सं० (वि०) भ्रमर संबंधी, भ्रमर का II (पु०) भ्रमर करनेवाला; -जन्य (वि०) भ्रम से उत्पन्न; ~मूलक | से उत्पन्न होनेवाला मधु, शहद (वि०) भ्रम के कारण उत्पन्न; ~वश (क्रि० वि०) भ्रम के | प्रामरी-सं० (वि०) अपस्मार रोग से पीड़ित कारण; ~संशोधन (पु०) भूलसुधार
भू-सं० (स्त्री०) भौंह। ~भंग (पु०) त्यौरी चढ़ाना, भ्रमण-सं० (पु०) 1 घूमना फिरना 2 देशाटन (जैसे-देश विक्षेप (पु०) नाराज़गी दिखाना भ्रमण) 3 यात्रा, सफर। ~कारी (वि०) भ्रमण करनेवाला; भ्रूण-सं० (पु०) 1 गर्भ में पहले चार महीने की अवस्था,
~पथ (पु०) भ्रमण का मार्ग, रास्ता; ~वृत्तांत (पु०) एम्बीयो 2 स्त्री का गर्भ। -विज्ञान (पु०) जीव विज्ञान की देशाटन का विवरण; ~शील (वि०) भ्रमणीय
वह शाखा जिसमें भ्रूण के रूप और विकास का अध्ययन होता भ्रमणार्थी-सं० (पु०) भ्रमण का इच्छुक व्यक्ति
है; -विज्ञानी (पु०) भ्रूण विज्ञान का ज्ञाता; हत्या भ्रमणी-सं० (स्त्री०) घूमना फिरना
(स्त्री०) गर्भस्थ शिशु की हत्या भ्रमणीय-सं० (वि०) 1 घूमने योग्य 2 चलने फिरने योग्य | प्रौण हत्या-सं० (स्त्री०) = भ्रूण हत्या भ्रमर-सं० (पु०) भौंरा, मधुप। गीत (पु०) गोपियों और प्रौणिकी-सं० (स्त्री०) भ्रूण विज्ञान
उद्धव का संवाद संबंधी गीत भ्रमरक-सं० (पु०) 18वर, भ्रमर 2 जुल्फ़ भ्रमरावली-सं० (स्त्री०) भौरों की पवित भ्रमात्मक-सं० (वि०) संदिग्ध, भ्रमयुक्त प्रमित-सं० (वि०) 1शंकित 2 भ्रम में फँसा हुआ प्रमी-[सं० (स्त्री०) घूमना फिरना, भ्रमण II (वि०) 1 भ्रम
में पड़ा हुआ 2 भौचक भ्रष्ट-सं० (वि०) 1 मार्ग से विचलित 2 ध्वस्त 3 बुरे
आचरणवाला। ता (स्त्री०) भ्रष्ट होने की अवस्था | मंखी-(स्त्री०) बच्चों के गले का एक गहना भ्रष्टा-सं० (स्त्री०) भ्रष्ट चरित्रवाली स्त्री, कुलटा
मंग-I बो० (स्त्री०) माँग भ्रष्टाचरण-सं० (पु.) भ्रष्टाचार करना
मंग-II सं० (पु०) मंदान भ्रष्टाचार-I सं० (वि०) आचरण भ्रष्ट II (पु०) दूषित और | मंगता-I (पुल) भिखमंगा, भिक्षुक II (वि०) प्रायः निंदनीय आचार विचार
माँगनेवाला भ्रष्टाचारिता-सं० (स्त्री०) भ्रष्टाचार
मंगन-(पु०) याचक, भिखारी भ्रष्टाचारी-सं० (वि०) शीलभ्रष्ट
मैंगनी-(स्त्री०) 1 माँगने का भाव 2 माँगी गई वस्तु 3 विवाह प्रांत-सं० (वि०)1 भ्रम में पड़ा हुआ 2 घबराया हुआ, विकल
पक्का करने की रस्म प्रांति-सं० (स्त्री०) 1 भ्रम, अयथार्थ ज्ञान 2 चक्कर 3 संदेह मंगल-I सं० (पु०) 1 सौर जगत् का एक ग्रह 2 सात वारों में 4 घबड़ाहट। ~कारक (वि०) भ्रमकारी; ~मूलक से एक (जैसे-मंगलवार) 3 विवाह (जैसे-पार्वती मंगल) (वि०) भ्रमात्मक; वश (क्रि० वि०) भ्रमवश II (वि०) 1 शुभ, अच्छा (जैसे-मंगल कार्य) 2 शुभ भ्रांतिमान्-सं० (वि०) 1 भ्रमयुक्त 2 चक्कर खाता हुआ
करनेवाला (जैसे-मंगलकारी)। ~असीस + हिं० (स्त्री०) प्राजक-सं० (वि०) चमकानेवाला
मंगलवाद; ~कल्याण (पु०) कुशलमंगल; ~काम भाजन-सं० (पु०) चमकाना
(वि०) शुभचिंतक; ~कामना (स्त्री०) कल्याण कामना; प्राजी-सं० (वि०) चमकानेवाला, दीप्तियुक्त
~कारक, ~कारी (वि०) कल्याणकारी; कार्य (पु०) भ्राता-सं० (पु०) भाई
शुभकार्य; ~गान (पु०) शुभ अवसर पर होनेवाला गाना भ्रातृज-सं० (पु०) भतीजा
बजाना; ~ग्रह (पु०) 1मंगल नामक ग्रह 2 शुभ ग्रह, प्रारजा-सं० (स्त्री०) भतीजी
घट (पु०) देवता को अर्पित जलपूरित कलश; जनक
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