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मचोर
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मज्जका
मचोर-(स्त्री०) हिचकोला, धक्का
मज़मज़ा-फा० (पु०) हिलाना डुलाना मच्छ-(पु०) बहुत बड़ी मछली, मत्सय
मजमा-अ० (पु०) भीड़भाड़ मच्छड़-I (पु०) मच्छर
मजमुआ-I अ० (वि०) जमा किया हुआ, संगृहीत II (पु०) मछड़-II (वि०) कंजूस
1 संग्रह 2 ख़जाना। -दार + फ़ा० (पु०) अभिलेख पाल मच्छर-(पु०) उड़नेवाला रक्त शोषक प्रसिद्ध कीड़ा मज़मून-अ० (पु०) 1 लेखादि का विषय 2 विषय, लेख। (जैसे-मच्छर ने खून चूस लिया)। दानी + फा० + हिं.
वीस + फ्रा० (पु०) लेख लिखनेवाला, निबंधकार; (स्त्री०) मसहरी
वीसी + फ़ा० (स्त्री०) लेख लिखने का काम; मच्छी-(स्त्री०) 1 दे० मछली 2 दे० मक्खी। ~मार (पु०) निगार + फ़ा० (पु०) = मज़मूननवीस; ~निगारी + मछुआ, मछेरा
फ्रा० (स्त्री०) = मज़मूननवीसी मछरंगा-(पु०) मछली खानेवाला एक जल पक्षी
मज़म्मत-अ० (स्त्री०) 1 निंदा 2 तिरस्कार मछरिया-(स्त्री०) मछली
मज़रूआ-अ० (वि०) जोता और बोया हआ मछली-(स्त्री०) 1 खाए जानेवाला तथा गलफड़े से साँस
| मजरूह-अ० (वि०) घायल, आहत, ज़ख्मी लेनेवाला एक प्रसिद्ध जल जंत, मत्सय (जैसे-मछली का । मजल-बो० (स्त्री०) = मंज़िल काँटा) 2 मछली के आकार का बना गहना आदि। पालन मजलिस-अ० (स्त्री०) 1बैठने की जगह 2 सभा 3 जलसा
+ सं० (पु०) मछली पालने का पेशा; ~मार (पु०) मछुआ | (जैसे-गाने-बजाने की मजलिस) मछवा-(पु०) = मछुआ
मजलिसी-I अ० + फ़ा० (पु०) मजलिस में आमंत्रित व्यक्ति मछवैनी-(स्त्री०) मछुए की पत्नी
II (वि०) मजलिस संबंधी, मजलिस का मछियार-(पु०) मछली पकड़नेवाला
मज़लूम-अ० (वि०) अत्याचार से पीड़ित मछुआ-(पु०) मछली पकड़ने का पेशा करनेवाला, मछ्वा।
मज़हब-अ० (पु०) 1 धर्म 2 धार्मिक संप्रदाय गिरी + फ़ा० (स्त्री०) मछुआ का पेशा; जहाज़ + अं० मजहबी-अ० (वि०) धार्मिक (पु०), नाव (पु०) मछली पकड़ने का जहाज़
मज़ा-फा० (पु०) 1 आनंद, सुख, लुत्फ़ (जैसे-प्रेम में मज़ा मछुआइन-(स्त्री०) मछुए की औरत
आना) 2 स्वाद, रस, ज़ायका (जैसे-खाने का मज़ा) 3 चसका मछेह-बो० (पु०) शहद की मक्खी का छत्ता
(जैसे-पीने का मज़ा कुछ और है)। किरकिरा होना मजकूर-अ० (वि०) कहा हुआ, कथित
रसभंग होना, कार्य का आनंद न मिलना; चखना, मजकूरी-अ० + फ़ा० (पु०) 1 ताल्लुकेदार 2 चपरासी पाना 1 लुत्फ़ उठाना 2 दंड भोगना (जैसे-करनी का मज़ा मज़दूर-फा० (पु०) 1 पैसे पर शारीरिक श्रम करनेवाला व्यक्ति
चखना); चखाना दंड देना; लटना सुख भोगना; मज़े 2 शरीर श्रम से जीविका करनेवाला व्यक्ति (जैसे-मज़दूर की बात लुत्फ़ की बात; मज़े से सुखपूर्वक, मौज़ से संगठन)। ~आंदोलन + सं० (पु०) मज़दूर द्वारा की मज़ाक-अ० (पु०) 1 हँसी ठट्ठा, परिहास 2 स्वाभाविक जानेवाली क्रांति; जमात + अ० (स्त्री०) = मज़दूर वर्ग; रुचि। ल्पसंद + फ़ा० (वि०) हँसोड़
दल • सं० (पु०) मज़दूरों का समूह; दलीय - सं० मज़ाकन-अ० (क्रि० वि०) मज़ाक तौर पर (वि०) मज़दूर दल का; दुश्मन (वि०) - मज़दूर विरोधी; मज़ाकिया-अ० + हिं० (वि०) 1 मज़ाक संबंधी 2 मज़ाक
लेखक + सं० (पु०) अपने को मज़दूर माननेवाले पसंद लेखक; ~वर्ग + सं० (पु०) श्रमिक वर्ग; विरोधी +
मजाज़ी-I अ० (वि०) 1 अवास्तविक, कल्पित 2 बनावटी, सं० (वि०) मज़दूरों का विरोध करनेवाला; ~श्रेणी (स्त्री०)। कृत्रिम 3 सांसारिक, लौकिक (जैसे-मजाज़ी इश्क़) - मज़दूर वर्ग; ~संघ + सं० मज़दूरों का संगठन
मजाज़ी-II अ० + हिं० (वि०) अधिकार प्राप्त (जैसे-भारतीय मजदूर संघ); ~सभा + सं० (स्त्री०)
मज़ार-अ० (पु०) 1 महापुरुष की कब्र 2 दरगाह विशेष कार्य हेतु मज़दूरों का एक जगह एकत्र होना ।
मजाल-अ० (स्त्री०) शक्तिमत्ता, सामर्थ्य मज़दूरी-फा० (स्त्री०) 1 मज़दूर का काम 2 परिश्रम के बदले
मजिस्ट्रेट-अं० (पु०) फौजदारी अदालत का अफ़सर मजदूर को दिया गया धन।
मजिस्ट्रेटी-अं० + हिं० (स्त्री०) मजिस्ट्रेट होने की अवस्था मजनूँ-[ अ०(वि०) पागल, विक्षिप्त II (पु०) 1 अरब देश 2 मजिस्ट्रेट का पद और कार्य 3 मजिस्ट्रेट की अदालत
का एक प्रसिद्ध प्रेमी (जैसे- लैला-मजनूं) 2 कमज़ोर व्यक्ति मजीठ-(स्त्री०) एक प्रकार की लता जिसके फलों से लाल रंग मज़बूत-अ० (वि०) 1 दृढ़, पुख्ता (जैसे-मज़बूत द्वार) बनाया जाता है 2 शक्तिशाली,
मजीठी-[ (वि०) मजीठ के रंग का, लाल II (पु०) मजीठ मज़बूती-अ० + फ़ा० (स्त्री०) 1 मज़बूत होने का भाव, दृढ़ता,
का रंग पक्कापन 2 ताक़त, बल। -करण + फ़ा० + सं० (पु०) मजीरा-(पू०) ताल नामक बाजा मज़बूत बनाना
मजूर, मजूरा-फा० बो० (पु०) = मज़दूर मजबूर-अ० (वि०) 1 जिस पर जब्र किया गया हो, विवश,| मजरी-फ़ा० बो०. (स्त्री०) = मज़दूरी लाचार 2 निःसहाय
मज़ेदार-फा० (वि०) मज़ावाला मजबूरन-अ० (क्रि० वि०) विवशतापूर्वक
मज़ेदारी-फा० (स्त्री०) मज़ेदार होने का भाव मजबूरी-अ०+ फ़ा० (स्त्री०)। विवशताा.लाचारी 2 निःसहायता मज्जका-(पु०) शरीर की हड्डी के अंदर का गूदा