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भूमिका
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भेडिहर
भृतक-
1
2 पीला पोसा हुआ, पोल ! (वि.) 1 भरा
शोरा; विभाजन (पु०) ज़मीन का बाँटना; ~व्यवस्था | भूषाचार-सं० (पु०) कपड़े आदि पहनने का ढंग (स्त्री०) = भू व्यवस्था; ~सात् (वि०) भूमि में मिल | मूषित-सं० (वि०) 1 सजा हुआ 2 अलंकृत जानेवाला; ~सीमा (स्त्री०) ज़मीन की हद्द; सीमा | भूस-(पु०) = भूसा निर्धारण (पु०) = भू मापन; ~सुधार + हिं० (पु०) भूमि भूसना-(अ० क्रि०) = |कना को उपज के योग्य बनाना; ~स्वामी (पु०) = भू स्वामी; भूसा-(पु०) गेहूँ, जौ आदि पौधों के डंठलों के सखे छोटे-छोटे
हथियाओ आंदोलन + हिं० + सं० (पु०) भूमि पर टुकड़े। घर (पु०) भूसा भरने का स्थान अनाधिकार, अवैध ढंग से कब्जा करना; हस्तांतरण मुंग-सं० (पु.) 1 भौंरा 2 भैंगरा 3 शृंगराज पक्षी (पु०) भूमि को दूसरे के हाथ में देना; हीन (वि०) बिना भंगारि-सं० (स्त्री०) केवड़ा भूमि का
भृकुटी-सं० (स्त्री०) भौंह भूमिका-सं० (स्त्री०) 1 पृष्ठभूमि, बैंकग्राउंड (जैसे-नाटक की | भृत-I सं० (पु०) 1 सेवक, नौकर 2 दास II (वि०) 1 भरा भूमिका) 2 पुस्तक के प्रारंभ में लेखक का वक्तव्य, आमुख __ हुआ, पूरित 2 पोला पोसा हुआ, पोषित 3 चुकाया हुआ (जैसे-ग्रंथ की भूमिका)। ~गत (पु०) नाटकीय वस्त्र भूतक-I सं० (पु०) वेतन भोगी नौकर II (वि०) वेतन पर पहननेवाला; ~लेखक (पु०) पुस्तक की भूमिका __ रखा हुआ लिखनेवाला
भृतकाध्यापक-सं० (पु०) वेतन पर अध्यापन कार्य भूमिया-(पु०) 1 ज़मींदार 2 ग्राम देवता
करनेवाला व्यक्ति भूमिहार-सं० (पु०) खेती बारी करनेवाली और ब्राह्मण | भृति-सं० (स्त्री०) 1 भरने का काम 2 पालन पोषण 3 नौकरी कहलानेवाली एक जाति
4 मज़दूरी। कर्मकर (पु०) 1 मज़दूर 2 नौकर; ~भोगी भूम्याधिकारी-सं० (पु०) = भू स्वामी
(वि०) वेतन पर काम करनेवाला भूम्युच्च-सं० (पु०) ग्रह का अपनी कक्षा में घूमते हुए पृथ्वी से | भृत्य-सं० (पु०) भृतक । बहुत दूर चला जाना
भृत्या-सं० (स्त्री०) 1 दासी 2 वेतन भूय-सं० (अ०) फिर, पुनः
भृष्ट-सं० (वि०) भूना हुआ भूयशः-सं० (अ०) अधिकता से
भेंगा-(वि०) ऐंचाताना। पन (पु०) आँख का टेढ़ापन भूयसी-सं० (स्त्री०) बहुत अधिक
भेंट-(स्त्री०) 1 उपहार, सौगात स्वरूप दी गई वस्तु 2 मुलाकात भूर-I (वि०) बहुत अधिक II (पु०) बालू, रेत
(जैसे-कई महीनों के बाद भेंट हुई)। ~पत्र + सं० (पु०) भूरा-I (वि०) मटमैले रंग का, खाकी II (पु०) मिट्टी सा | मुलाकाती कार्ड; ~मुलाक़ात + अ० (स्त्री०) मेल मटमैला रंग
मुलाकात; ~वार्ता + सं० (स्त्री०) मिलने पर की जानेवाली भूरि-(वि०) प्रचुर, बहुत। ~धन (वि०) बहुत धनी; बातचीत; स्वरूप + सं० (क्रि० वि०) उपहार के रूप में ~भाग्य (वि०) बहुत भाग्यशाली
भेंटना- 1 मुलाक़ात करना 2 आलिंगन रूप में मिलना पूर्ज-सं० (पु०) भोजपत्र का वृक्ष। पत्र (पु०) भोजपत्र | भेक-(पु०) मेढक भूल-(स्त्री०) 1 भूलने का भाव 2 अज्ञानता, ग़लती भेवना-बो० (स० क्रि०) भिगोना (जैसे-भूल से गाली देना) 3 अशुद्धि (जैसे-भूल सुधारना) भेजना-(स० क्रि०) 1 जाने में प्रवृत्त करना (जैसे-नौकर 4 कसूर, दोष, अपराध (जैसे-मेरी भूल माफ़ कर दीजिए) । भेजना) 2 सामान आदि हेतु जाने का आदेश देना
चूक (स्त्री०) 1 भूल, भ्रम 2 त्रुटि 3 गलती; ~भुलैयाँ (जैसे-नौकर को बाज़ार भेजना) 3 अन्य स्थान को किसी (स्त्री०) इमारत के आसपास की चक्करदार गलियाँ साधन द्वारा पहुँचाना (जैसे-पत्र भेजना)
सुधार (पु०) भ्रम संशोधन; स्वीकार + सं० (पु०) भेजवाना-(स० क्रि०) भेजने का काम कराना (जैसे-नौकर से ग़लती मानना
पत्र भेजवाना) भूलना-I (अ० क्रि०) 1 याद न रहना, विस्मृत होना 2 भूल भेजा-I (पु०) खोपड़ी के अंदर का गूदा, मगज़ करना, त्रुटि करना (जैसे-कभी मत भूलना) 3 इधर उधर | भेजा-II (पु०) भेजा जानेवाला पदार्थ (जैसे-जो कुछ आपने होना, भटकना (जैसे-रास्ता भूलना) 4 खो जाना II (स० भेजा था, मिल गया) क्रि०) 1 याद न रखना (जैसे-मैं पुरानी आदतों को भूल गया) भेड़-(स्त्री०) बकरी के आकार का एक प्रसिद्ध घने बालोंवाला 2 ध्यान न रहना (जैसे-मैं पत्र लिखना ही भूल गया) पालतू चौपाया (जैसे-भेड़ का ऊन)। -चाल (स्त्री०) 3 इधर-उधर जाना, विचलित होना (जैसे-वह अपना रास्ता भेडिया धंसान; पालन + सं० (पु०) भेड़ पालना: भूल गया) 4 खो देना (जैसे-मैं स्टेशन पर घड़ी भूल आया) बकरी (स्त्री०) भेड़ और बकरी भूलना-II (वि०) भूलनेवाला, विस्मरणशील
भेड़ना-(स० क्रि०) 1 बंद करना (जैसे-दरवाज़ा भेड़ना) भूला चूका-(वि०) भूला भटका
2 सटाकर भिड़ाना भूला भटका-(वि०) अपना रास्ता भूला हुआ
भेड़ा-(पु०) नर भेड़, मेढ़ा। भूषण-सं० (पु०) 1 गहना, जेवर 2 सजावट 3 शोभाजनक | भेड़िया-1 (पु०) कुत्ते से बड़ा एक हिंसक जंगली पशु II (वि०)
भेड़ का सा। चाल; ~धैंसान (स्त्री०) भेड़ों सा अंध भूषा-सं० (स्त्री०) 1 गहना (जैसे-वेश-भूषा) 2 सजावट. अनुसरण श्रृंगार
भेडिहर-बो० (पु०) गड़ेरिया
वस्तु।